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परिश्रम का महत्व पर निबंध Importance of Hard Work Essay in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध Importance of Hard Work Essay in Hindi

इस लेख में हमने परिश्रम का महत्व पर निबंध Importance of Hard Work Essay in Hindi हिन्दी में लिखा है। इसमे हमने जीवन में परिश्रम का मोल, भाग्य से इसका जुड़ाव, उदाहरण, लाभ और हानी के विषय में पूरी जानकारी दी है।

Table of Content

हमेशा से ही कठिन परिश्रम का विशेष महत्व रहा है। कोई भी काम बिना परिश्रम के संभव नहीं होता है। इसके बल पर दुनिया में कुछ भी पाया जा सकता है? इतिहास गवाह है कि लोग अपने परिश्रम के बल पर ही भगवान को भी प्राप्त कर लेते थे।

इस संसार के हर एक व्यक्ति को परिश्रम जरूर करना पड़ता है चाहे वो मनुष्य हो, जीव हो या जंतु, सभी को परिश्रम करना ही पड़ता है। परिश्रम ही है जिसके द्वारा किसान जमीन को सोना बना देता हैl

वो दिन रात मेह नत करके अपनी कृषि की भूमि को ऐसा बना देता है की वो भूमि उसको सोने जैसे भाव देने लगती है। इसलिए कहा जाता है की हमको मेहनत जरूर करनी चाहिए। यही सफलता की कुंजी है।

कठिन परिश्रम का महत्व Importance of Hard Work

आखिर ऐसा क्या है जिसके कारण परिश्रम हमारे जीवन में आवश्यक है? परिश्रम का मानवीय जीवन में अत्यधिक महत्व है, अपने सम्पूर्ण जीवन में कोई भी मनुष्य बिना कार्य करे नही रह सकताl इस संसार में उपस्थित सभी जीव जंतु प्राणी नियमित रूप से अपना जीवन यापन के लिए कार्य करते हैl

परिश्रम ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति अपने जीवन की किसी भी परेशानी से छुटकारा पा सकता हैl नियमित रूप से किया गया परिश्रम ही हमें हमारे जीवन के लक्ष्यों तक पहुँचाता है l शायद ही कोई ऐसा कार्य है जो परिश्रम से पूरा न किया जा सकेl

कड़ी मेहनत से ही सफलता, उन्नति और विकास का मार्ग प्रशस्त होता है l सम्पूर्ण प्रकृति भी अपना काम बिना रुके पूरे परिश्रम से कार्य करती है l नदियाँ दिन रात बहती है, कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं, सूर्य चन्द्रमा अपने समय पर बिना रुके अपन काम करते है।

आज संसार के सभी देश परिश्रम के बल पर ही उन्नति और विकास कर रहे हैl परिश्रमी व्यक्ति को न केवल जीते जी यश की प्राप्ति होती है बल्कि मरने के बाद भी यश मिलता हैl जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति कर सकता है। जिस देश के नागरिक आलसी और भाग्य पर निर्भर होते हैं वह देश किसी भी शक्तिशाली देश का आसानी से गुलाम बन जाता है।

संसार का कोई भी कार्य बिना परिश्रम के संपन्न नही हो सकता l परिश्रम ही सफलता की कुंजी है जिस तरह सूर्य के प्रकाश से अन्धकार दूर होता है ठीक उसी प्रकार परिश्रम से मनुष्य के जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार दूर होकर परिश्रमी व्यक्ति का भविष्य उज्जवल होता हैl

बिना कठिन परिश्रम के उन्नति संभव नही है, क्योंकि भले ही सामने भोजन की थाली लगी हो लेकिन यदि उसे खाने के लिए थोडा कार्य न किया जाये तो भोजन कितना भी स्वादिष्ट क्यों न हो उसका स्वाद नही लिया जा सकताl

संसार के सभी सफल व्यक्तियो ने परिश्रम से जीवन में हर चुनौतियों का सामना किया और आज उन्हें उनके परिश्रम के कारण ही जाना जाता है l मनुष्य का परिश्रम ही है की आज संसार में ऐसी सुविधाए हो गयी है जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की गयी थी।

मानव के परिश्रम का ही फल है कि आज दुर्गम पहाड़ियों में भी यातायात के अच्छे-अच्छे साधन सुलभ हो गये है । पर्वतों को काटकर सडकों का निर्माण, नदियों और समंदर पर पुल बनाने का कार्य, समंदर की छाती को चीरकर आगे बढ़ना, दुनिया में बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण अंतरिक्ष, चाँद और सूरज तक जाने की योजना बनाना, कुछ देशों का वहां तक पहुंच भी जाना ये सब परिश्रम के ही फल है जो पूरी दुनिया में लोगों द्वारा किये जा रहे है।

परिश्रम और भाग्य Hard Work and Luck

क्या भाग्य ही सब कुछ है? क्या भाग्य के आगे परिश्रम का कोई महत्व नही है? कई लोगो द्वारा भाग्य को ही सब कुछ मान लिया जाता है और उसे ही अत्याधिक महत्व देते हैl

ऐसे लोग भाग्य पर निर्भर होने के कारण जीवन में बड़ा हासिल नही कर पाते और भाग्य के सहारे ही जीवन जीते है और आलस का दामन थाम लेते है जबकि परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

इसीलिए यदि जीवन में सफलता हासिल करना चाहते है तो परिश्रम करें सफलता जरुर मिलेगीl इतिहास में ऐसे कई उदहारण मौजूद है जिन्होंने गरीबी में जन्म लिया।

परिश्रम के बल पर न केवल संपन्न हुए बल्कि इतिहास के पन्नो में अपना नाम दर्ज कराया यह वो लोग थे जो परिश्रम पर भरोसा करते थे न की भाग्य पर l जिन लोगों के पास थोडा धन हुआ करता था वे अपने परिश्रम से धनवान बन गये।

परिश्रम के उदाहरण Examples of Hard Work and Success

  • अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहिम लिकंन ने एक गरीब मजदूर परिवार में जन्म लिया, बचपन में ही वो अनाथ हो गये लेकिन परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक का सफर पूरा किया ।
  • वर्तमान भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का भी बचपन संघर्ष में रहा लेकिन परिश्रम के बल पर आज देश के प्रधानमंत्री बने और विश्व में अपने भारत देश की अलग पहचान बनवाई l इनके संघर्षों से सिख लेनी चाहिए, और खूब मेहनत करके अपने जीवन को अच्छा बनाना चाहिए।
  • स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले लाल बहादुर शास्त्री , महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल पर भारत को स्वतंत्रता दिलवाई थी l
  • डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन   जी भी अपने परिश्रम के दम पर ही राष्ट्रपति बने थे।

इन सभी लोगो ने अपने परिश्रम के बल पर सफलता प्राप्त की l परिश्रम करने से सफलता आज नही तो कल अवश्य मिलती है l लेकिन जब परिश्रम ही नही करेंगे तो सफलता मिलना मुश्किल है l इसलिए भाग्य के भरोसे नहीं बैठना चाहिए काम करते रहो फल तो देने वाला देगा ही आज नहीं तो कल सफलता जरूर मिलेगी।

परिश्रम के लाभ Benefits of Hard Work

परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। मनुष्य द्वारा किये गये परिश्रम से सभी कार्य संपन्न होते है l परिश्रमी व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है साथ ही उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है एवं परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है। परिश्रम से ही जीवन में विजय और धन दोनों ही पाए जा सकते है।

भाग्य के भरोसे रहने वाले लोग जीवन में बस भाग्य तक ही सीमित रह जाते है और जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते। भाग्य के भरोसे रहने के कारण इन लोगो में आलस्य पैदा हो ज्यादा है जो उनको कभी भी आगे नहीं बढ़ने देता है।

ईश्वर ने ये जीवन परिश्रम करने के लिए बनाया है। यही एक ऐसी पूंजी है जो किसी की भी दुनिया बदल सकती है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें।

परिश्रम करने से किसी भी ब्यक्ति की उन्नति और विकास पूरी तरह से होता है। परिश्रम से ही विकास की रचना होती है। जिन व्यक्तियों के जीवन में आलस भरा होता है वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते हैं। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठाने के लिए काम करते रहते है।

आलस्य से हानियाँ Disadvantages of Lazyness

जीवन में आलस्य से जीवन अभिशाप बन जाता है। आलसी व्यक्ति दुसरो पर निर्भर हो जाता है और खुद से प्रयास नही करता l

आलस ही असफलता का कारण होता है, जो व्यक्ति आलसी हो जाता है उसका विकास रुक जाता है और सफलता पाना उसके लिए नमुमकिन हो जाता हैl जबकि परिश्रमी व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता हैl विद्यार्थी को परिश्रम करना चाहिए जिससे वह परीक्षा में सफल होकर जीवन में भी सफल हो सके।

इस प्रकार परिश्रम का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है l मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है, कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर अपनी रचनाओं से देश को मंत्रमुग्ध किया है।

जो लोग परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार , और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो हमें भाग्य पर निर्भर होना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। यही हमारे जीवन के लिए सबसे अच्छा है। जीवन में ऐसा कोई भी कार्य नही है जिसे परिश्रम के द्वारा न किया जा सकेl

निष्कर्ष Conclusion

इस परिश्रम पर निबंध पर आपने जाना की कड़ी मेहनत और लगन से हमें क्या लाभ है। साथ ही परिश्रम के लाभ, हानी और उदाहरण भी हमने बताए। आशा करते हैं परिश्रम का महत्व पर निबंध Importance of Hard Work Essay in Hindi लेख आपको पसंद आया होगा। अपने विचार कमेन्ट के माध्यम से जरूर भेजें और इस लेख को अपने मित्रों के साथ शेयर करें।

5 thoughts on “परिश्रम का महत्व पर निबंध Importance of Hard Work Essay in Hindi”

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परिश्रम का महत्व पर निबंध-Importance Of Hard Work Essay In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

परिश्रम का महत्व-importance of hard work in hindi.

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परिश्रम का महत्व पर निबंध 1 (100 शब्द)

जीवन के उत्थान में परिश्रम का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जीवन में आगे बढ़ने के लिए, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्रम ही आधार है। परिश्रम से कठिन से कठिन कार्य संपन्न किए जा सकते हैं, जो परिश्रम करता है उसका भाग्य भी उसका साथ देता है जो सोता रहता है उसका भाग्य सोता रहता है। श्रम के बल अगम्य पर्वत चोटियों पर अपनी विजय का पताका पहरा दिया।

श्रम हर मनुष्य अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है। अथक परिश्रम ही जीवन का सौंदर्य है। श्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने आपको महान बना सकता है। परिश्रम ही मनुष्य के जीवन को महान बनाने वाला है। परिश्रम ही वास्तव में ईश्वर की उपासना है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 2 (200 शब्द)

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है । इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्‌ध होना अत्यंत कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्‌वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं । उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं । ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का हल ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते ।

दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं । अपनी कमियों व दोषों के निदान के लिए प्रयास न कर वह भाग्य का दोष मानते हैं । उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन सब में ईश्वर की इच्छा है । वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है । वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है परंतु सुख किसी मृगतृष्णा की भाँति सदैव उससे दूर बना रहता है । किसी विद्‌वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है ।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति के कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।

परिश्रम का महत्व :   देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

उपसंहार : जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

आज के देश में जो बेरोजगारी इतनी तेजी से फैल रही है उसका एक कारण आलस्य भी है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए परिश्रम एक बहुत ही अच्छा साधन है। मनुष्य परिश्रम करने की आदत बचपन या विद्यार्थी जीवन से ही डाल लेनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है। परिश्रम ही किसी भी देश की उन्नति का रहस्य होता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है। परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया था । उनके अनुसार: ”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

परिश्रम और भाग्य :  क्या भाग्य ही सब कुछ है? क्या भाग्य के आगे परिश्रम का कोई महत्व नही है? कई लोगो द्वारा भाग्य को ही सब कुछ मान लिया जाता है और उसे ही अत्याधिक महत्व देते हैl ऐसे लोग भाग्य पर निर्भर होने के कारण जीवन में बड़ा हासिल नही कर पाते और भाग्य के सहारे ही जीवन जीते है और आलस का दामन थाम लेते है जबकि परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

परिश्रम के लाभ : परिश्रम करने से आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है, हृदय पवित्र होता है, सच्चे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा मनुष्य उन्नति की पराकाष्ठा पर पहुँचता है। हमारा इतिहास उद्यमी लोगों की सफलता के गुणगानों से भरा पड़ा है। अमेरिका तथा जापान जैसे देशो की सफलता का रहस्य उनके द्वारा किया जाने वाला अनवरत परिश्रम ही है।

परिश्रम करने से मनुष्य के अन्तः करण की शुद्धि होती है तथा सांसारिक दुर्बलताएँ तथा वासनाएँ उसे नहीं सताती। परिश्रमी व्यक्ति को यश तथा धन दोनों मिलते हैं। यदि शारीरिक श्रम करने वाला व्यक्ति शारीरिक तौर पर चुस्त-तन्दुरुस्त रहता है तो मानसिक श्रम करने वाला व्यक्ति भी पीछे नहीं रहता। बीमारी ऐसे व्यक्तियों के पास भी नहीं भटकती।

उपसंहार : परिश्रम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है, परिश्रम दो प्रकार के होते हैं एक मानसिक परिश्रम और दूसरा शारीरिक परिश्रम कई कामों में दोनों तरह के परिश्रम ओं का इस्तेमाल किया जाता है परिश्रम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और किसी भी प्रकार की बीमारियां नहीं होती है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका : सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है। वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो पुरुष दृढ प्रतिज्ञ होते हैं उनके लिए विश्व का कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। वास्तव में बिना श्रम के मानव जीवन की गाड़ी चल नहीं सकती है। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है। परिश्रम और प्रयास की बहुत महिमा होती है। अगर मनुष्य परिश्रम नहीं करता तो आज संसार में कुछ भी नहीं होता। आज संसार ने जो इतनी उन्नति की है वह सब परिश्रम का ही परिणाम है।

परिश्रम की विजय :  किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है।

जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

महापुरुषों के उदाहरण :  हमारे सामने अनेक ऐसे महापुरुषों के उदाहरण हैं जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अनेक असंभव से संभव काम किये थे। उन्होंने अपने राष्ट्र और देश का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का नाम रोशन किया था। अब्राहिम लिकंन जी एक गरीब मजदूर परिवार में हुए थे बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था लेकिन फिर भी वे अपने परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गये थे।

उपसंहार :  जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। हर प्राणी के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति का कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है|

सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं।

परिश्रम का महत्व :  परिश्रम का मनुष्य जीवन में बहुत महत्व है वैसे तो यह जीवन मनुष्य का भगवान के द्वारा दिया गया एक उपहार है, परंतु इस जीवन को सार्थकता प्रदान करना ही हमारा धर्म है। परिश्रम से मनुष्य कुछ भी कर सकता है परिश्रम ही राजा को रंक और दुर्बल को सबल बनाती है। परिश्रम का हमारे जीवन पर ही नहीं बल्कि हमारे देश पर भी असर होता है।

जिस देश के नागरिक पढ़े लिखे एवं परिश्रमी वह देश बड़ी ही तेजी से विकास एवं उन्नति करता है। वैसे तो सभी व्यक्ति के अपने-अपने विचार होते हैं एवं सभी लोगों का अपना एक सपना होता है लोग अपने जीवन में तरह-तरह की कल्पनाएं करते हैं परंतु केवल कल्पना मात्र करने से हमें सफलता नहीं मिलेगी उसके लिए केवल एक ही उपाय करना होगा वह है – परिश्रम।

आलस्य से हानियाँ :  आलस ही असफलता का कारण होता है, जो व्यक्ति आलसी हो जाता है उसका विकास रुक जाता है और सफलता पाना उसके लिए नमुमकिन हो जाता हैl जबकि परिश्रमी व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता हैl विद्यार्थी को परिश्रम करना चाहिए जिससे वह परीक्षा में सफल होकर जीवन में भी सफल हो सके।

इस प्रकार परिश्रम का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है l मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है, कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर अपनी रचनाओं से देश को मंत्रमुग्ध किया है।

परिश्रम की आवश्यकता : जीवन में सफलता की कुंजी परिश्रम ही है, इसलिए हर क्षण हमें परिश्रम की आवश्यकता होती है। खाना भी मुँह में स्वयं नहीं चला जाता, चबाना पड़ता है। लेकिन जो व्यक्ति कोई भी कार्य करना ही नहीं चाहता, ऐसा आलसी, अनुद्योगी तथा अकर्मण्य व्यक्ति कहीं भी सफलता नहीं पा सकता। उसी मानव का जीवन सार्थक माना जा सकता है, जिसने अपने तथा अपने राष्ट्र के उत्थान हेतु परिश्रम किया हो। अनेक संघर्षों तथा उद्यमों के पश्चात् ही सफलता मनुष्य के कदम चूमती है।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप : किसी को अपने जीवन में कब परिश्रम करना चाहिए? इसका सही समय क्या होना चाहिए? इत्यादि उलझनों में हम घेरे रहते हैं। परिश्रम का वास्तविक स्वरूप यह है कि हमें बिना फल के कर्म करते रहना चाहिए।

भगवान कृष्ण ने भी गीता में यही कहा था कि कर्म करते रहो फल की इच्छा ना करो। अगर आपको कुछ भी चाहिए तो आप उसके लिए परिश्रम करते रहिए। कभी ना कभी वह आपको जरूर हासिल होगा।

उपसंहार : अत: उन्नति विकास एवं समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि सभी मनुष्य परिश्रमी बनें । परिश्रम वह कुंजी है जो साधारण से साधारण मनुब्ध को भी विशिष्ट बना देती है । परिश्रमी लोग सदैव प्रशसा व सम्मान पाते हैं । वास्तविक रूप में उन्नति व विकास के मार्ग पर वही व्यक्ति अग्रसर रहते हैं जो परिश्रम से नहीं भागते ।

भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

परिश्रम और भाग्य :  कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। वे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।

भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

जो व्यक्ति आलसी होते हैं वे केवल भगवान के लिखे हुए पर आश्रित होते हैं। हम सभी के मन में हीनता की भावना पैदा हो गई है लेकिन जैसे-जैसे हमने परिश्रम के महत्व को समझा तो हमने पराधीनता की बेड़ियों को तोडकर स्वतंत्रता की ज्योति जलाई थी। कायर व्यक्ति हमेशा कहते रहते हैं कि हमें भगवान देगा। अगर परिश्रम करने के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती है तो हमे इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे परिश्रम में क्या कमी थी।

परिश्रम का महत्व : परिश्रम का बहुत अधिक महत्व होता है। जब मनुष्य के जीवन में परिश्रम खत्म हो जाता है तो उसके जीवन की गाड़ी रुक जाती है। अगर हम परिश्रम न करें तो हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना भी संभव भी नहीं हो पायेगा। अगर मनुष्य परिश्रम न करे तो उन्नति और विकास की कभी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। आज के समय में जितने भी देश उन्नति और विकास के स्तर पर इतने ऊपर पहुंच गये हैं वे भी परिश्रम के बल पर ही ऊँचे स्तर पर पहुँचे हैं।

परिश्रम से अभिप्राय होता है वो परिश्रम जिससे विकास और रचना हो। इसी परिश्रम के बल पर बहुत से देशों ने अपने देश को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा दिया है। जो परिश्रम व्यर्थ में किया जाता है उसका कोई अर्थ नहीं होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में आलस भरा होता है वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते हैं। आज मनुष्य ने परिश्रम से अपने जीवन को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा लिया है। परिश्रम के बिना किसी भी प्राणी का जीवन व्यर्थ होता है।

परिश्रम की विजय :  किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है। जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

जिस तरह से बिल्ली के मुंह में चूहे खुद ही आकर नहीं बैठते है उसी तरह से मनुष्य के पास बिना परिश्रम के उन्नति और विकास खुद ही नहीं हो जाते हैं। परिश्रम के बिना कभी भी मनुष्य का काम सफल नहीं हो सकता है। जब मनुष्य किसी काम को करने के लिए परिश्रम करता है तभी मनुष्य को सफलता मिलती है। मनुष्य कर्म करके अपना भाग्य खुद बनाता है। जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है केवल वही अपने जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाईयों पर परिश्रम से विजय प्राप्त कर सकता है।

परिश्रम के लाभ :   परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। जब मनुष्य जीवन में परिश्रम करता है तो उसका जीवन गंगा के जल की तरह पवित्र हो जाता है। जो मनुष्य परिश्रम करता है उसके मन से वासनाएं और अन्य प्रकार की दूषित भावनाएँ खत्म हो जाती हैं। जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं उनके पास किसी भी तरह की बेकार की बातों के लिए समय नहीं होता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है।

परिश्रम करने से जीवन में विजय और धन दोनों ही मिलते हैं। अक्सर ऐसे लोगों को देखा गया है जो भाग्य पर निर्भर नहीं रहते हैं और थोड़े से धन से काम करना शुरू करते हैं और कहाँ-से-कहाँ पर पहुंच जाते है। जिन लोगों के पास थोडा धन हुआ करता था वे अपने परिश्रम से धनवान बन जाते हैं। जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं उन्हें जीवित रहते हुए भी यश मिलता है और मरने के बाद भी। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठा सकता है। जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति कर सकता है। जिस देश के नागरिक आलसी और भाग्य पर निर्भर होते हैं वह देश किसी भी शक्तिशाली देश का आसानी से गुलाम बन जाता है।

बहुत से ऐसे महापुरुष थे जो परिश्रम के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं। लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल पर भारत को स्वतंत्र कराया था। डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्ण जी अपने परिश्रम के बल पर ही राष्ट्रपति बने थे। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान व्यक्ति बने थे।

आलस्य से हानियाँ :  आलस्य से हमारा जीवन एक अभिशाप बन जाता है। आलसी व्यक्ति ही परावलम्बी होता है। आलसी व्यक्ति कभी-भी पराधीनता से मुक्त नहीं हो पाता है। हमारा देश बहुत सालों तक पराधीन रह चुका है। इसका मूल कारण हमारे देश के व्यक्तियों में आलस और हीन भावना का होना था। जैसे-जैसे लोग परिश्रम के महत्व को समझने लगे वैसे-वैसे उन्होंने अपने अंदर से हीन भावना को खत्म कर दिया और आत्मविश्वास को पैदा किया। ऐसा करने से भारत देश एक दिन पराधीन से मुक्त होकर स्वतंत्र हो गया और लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम भाव रखने लगे।

परिश्रम से ही कोई व्यक्ति छोटे से बड़ा बन सकता है। अगर विद्यार्थी परिश्रम ही नहीं करेगा तो वह परीक्षा में कभी-भी सफल नहीं हो सकता है। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है वह संसार के लिए सडकों, भवनों, मशीनों और डैमों का निर्माण करता है। बहुत से कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर ही अपनी रचनाओं से देश को वशीभूत किया है। अगर आज देश के लोग आलस करते है तो आज हमे जो विशेष उपलब्धियां प्राप्त हैं वे कभी प्राप्त नहीं होते।

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जीवन में परिश्रम का महत्व पर निबंध

जीवन में परिश्रम का महत्व importance of hard work essay in hindi.

प्रस्तावना : परिश्रम का जीवन में अत्यंत महत्व है। इसे जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता बतलाते हुए भर्तृहरि ने तो इसे जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता बतलाते हुए कहां है-

“उद्यमे नहि सिध्यंति कार्याणि ना मनोरथि :। न हीं सुप्तस्य सिहंसय, प्रविशन्ति मुखे मर्गा।।

अर्थात कोई भी कार्य केवल मनोरथ से ही पूरे नहीं हो जाते हैं। अपितु उनको पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी बहुत आवश्यक होती है सिंह के मुंह में पशु स्वम् प्रवेश नहीं कर लेते हैं इसके लिए तो सिंह को विशेष प्रयास करना ही पड़ता है।

श्रम का महत्व: श्रम का महत्व निश्चय ही असीमित है। परिश्रमी व्यक्ति संभव से संभव से असंभव से संभव कर सकते हैं। सर्वथा समर्थ होता हैं। इतिहास के आदिकाल से परिश्रम के महत्व को सभी स्वीकारते रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि श्रम से ना केवल लाभ प्राप्त होता है बल्कि सुयश भी। इससे सुख वैभव ओर आनंद प्राप्त होता ही है, साथ ही परिश्रमी व्यक्ति समाज और राष्ट्र की प्रगति का बहुत बड़ा आधार बन जाता है। उससे समाज राष्ट्र को अपेक्षित दिशा निर्देश और सहयोग प्रेरणा प्राप्त होती है। इस प्रकार हम आए दिन यह देखते हैं कि श्रम- साधक अपनी कठिन तप साधना के द्वारा मनवांछित यश और वैभव को प्राप्त करके अपने आसपास के समाज को प्रेरित करता है। जिस तरह एक निर्धन छात्र अपने घोर परिश्रम से न केवल परीक्षा में अव्वल अंकों को हासिल करता है, अपितु उच्चपद पर पहुँच करके अपने परिवार-समाज के मस्तक को भी ऊँचा करके सबका आदर्श बनता है।

सच्चा परिश्रमी व्यक्ति यदि असफल हो जाए तो उसे पश्चाताप नहीं होता उसके मन में इतना संतोष अवश्य रहता है कि उसमें जितनी अधिक शक्ति थी उसने उतना प्रयत्न किया उसका फल देना या ना देना तो ईश्वर के ऊपर था। मनुष्य का कर्तव्य तो केवल कार्य करना है परिश्रमी व्यक्ति के विपरीत आलसी व्यक्ति होता है। वह अपनी असफलता का दोष ईश्वर को देता है लेकिन वह नहीं समझ पाता है कि भाग्य भी परिश्रमी व्यक्ति का साथ देता है। ऐसा इसलिए कि भाग्य बिना परिश्रम के साथ नहीं देता इसलिए भाग्य तो पुरुषार्थ परिश्रम के अनुसार बनता है इस संदर्भ में कविवर श्रीरामधारी सिंह दिनकर ने स्पष्ट रूप में लिखा है।

” प्रकृति नहीं डरकर झुकती है, कभी भाग्य के बल से, सदा हारती वह मनुष्य के उधम से ,श्रम जल् से”।।

परिश्रम के विविध उदाहरण : इतिहास में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं जो इस बात के गवाह है कि परिश्रम से ही सफल होते है बाबार, शेर शाह नेपोलियन, सिकंदर आदि सभी आरंभ में सामान्य व्यक्ति ही थे। लेकिन अपने परिश्रम से उन्होंने बड़े -बड़े साम्राज्य खड़े कर दिए थे। इस प्रकार इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया। कोलंबस ने अपने कठोर और घोर परिश्रम की बदौलत ही अमेरिका की खोज की थी। शिवाजी की सफलता का रहस्य उनकी घोर परिश्रम शीलता ही थी। इसके विपरित उनका पुत्र संभाजी आलस के कारण ही असफल रहा। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सफलता का सेहरा परिश्रम शीलता ही थी। संपूर्ण आजादी की संदर्भ के फल स्वरुप हम भारतीयों ने सेकड़ो वर्षो की गुलामी की बेड़ी को खंड- खंड कर डाला।

तप तथा परिश्रम के कारण नछुष इंद्रासन का अधिकारी बना था। घोर परिश्रम अथवा तप के प्रभाव से रावण लंका का अधिपति, कालिदास विश्वकवि, मैडम क्यूरी तथा एडिशन महान वैज्ञानिक हुए और अब्राहम लिंकन अमेरिका का राष्ट्रपति बना विश्व के महान लेखकों , कवियों, वैज्ञानिको, आदि की सफलता का रहस्य भी उनकी घोर परिश्रम शीलता ही है। विशव के सात महान आशचर्य मनुष्य के अटूट परिश्रम के ही परिणाम है। अमेरिका, जापान, रूस, जर्मनी, आदि देशों की उन्नति की नींव अटूट परिश्रम ही है। मनुष्य की चंद्रमा सहित अन्य ग्रहों की यात्रा के मूल में उनके निरंतर परिश्रम ही है। इस तरह कठिन और बारंबार परिश्रम का ही यह फल है। इस तरह कठिन और बारंबार परिश्रम का ही यह फल है।

उपसंहार: जहां प्रगति है वहां परिश्रम है। दूसरे शब्दों में परिश्रम विकास का जनक है। परिश्रम से जी चुराने वाला कभी सुख को प्राप्त नहीं कर सकता है। वह तो भाग्य के सहारे रहते हुए और कुछ करना जानता ही नहीं है। वास्तव में श्रम ही सुखमय जीवन का आधार है। यही सर्जन की कुंजी है। जीवन की सच्चाई केवल परिश्रम है।

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importance of hard work essay in hindi

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi | परिश्रम का महत्व पर निबंध हिंदी में

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi: परिश्रम का महत्व हमारे जीवन मे कितना अधिक है यह हम सब भलीभांति जानते हैं, खासकर विद्यार्थी। परिश्रम के बिना छोटी सी सफलता भी हासिल नही कर सकते।

परिश्रम का महत्व पर निबंध में हम आज जानेंगे कि परिश्रम क्या है, परिश्रम के प्रकार, कैसे परिश्रम भाग्य बदल सकता है, परिश्रम के लाभ, परिश्रम का दुश्मन आदि।

Essay On Importance of HardWork in Hindi यानी परिश्रम का महत्व पर निबंध सभी कक्षाओं के लिए है। इसे कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11 और 12 के विद्यार्थी उपयोग कर सकते हैं।

Table of Contents

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi | परिश्रम का महत्व पर निबंध हिंदी में (300 Words)

किसी व्यक्ति की सफलता में परिश्रम का उतना ही योगदान है जितना जीवित रहने के लिए भोजन का। परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा है। आज तक दुनियाँ में कोई भी अकस्मात सफल नही हुआ है।

इतिहास उठाकर देखें तो पता चलता है कि सफलता पाने के लिए सही दिशा में किया जाने वाला परिश्रम कितना जरूरी है।

परिश्रम की परिभाषा

परिश्रम को यदि आसान शब्दों में परिभाषित (Essay On Importance Of Hard Work in Hindi) किया जाए तो यह कहा जा सकता है कि किसी काम को करने में हमारे द्वारा किया जाने वाला श्रम ही परिश्रम कहलाता है।

वैसे तो हर व्यक्ति कुछ न कुछ परिश्रम जरूर करता है लेकिन फर्क इस बात से पड़ता है कि कौन कम परिश्रम करता है और कौन अधिक।

परिश्रम की मात्रा यह तय करती है कि हम कितना जल्दी सफल हो पायेंगे। हम जितना अधिक परिश्रम करेंगे, सफलता मिलने में उतना ही कम वक्त लगेगा।

परिश्रम के प्रकार |Types of Hard Work.

परिश्रम मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। वह परिश्रम जिसमें हम अपनी शारीरिक अंगों का उपयोग करते हैं शारीरिक परिश्रम कहलाता है। शारीरिक परिश्रम आमतौर पर मजदूर वर्ग के लोग सबसे अधिक करते हैं।

वही जिसमें हम अपनी मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करते हैं और मानसिक परिश्रम कहलाता है। मानसिक परिश्रम, शारीरिक परिश्रम की तुलना में ज्यादा कीमती होता है।

किसी भी नई चीज के निर्माण में शारीरिक और मानसिक परिश्रम (Essay On Importance Of Hard Work in Hindi) दोनों करना पड़ता है। पहले मानसिक परिश्रम किया जाता है उसके बाद उसे वास्तविक रूप देने के लिए शारीरिक परिश्रम किया जाता है।

परिश्रम के बिना जीवन पशु के समान है। एक पशु भी अपने भोजन के लिए ही बस परिश्रम करता है। यदि हम भी सिर्फ इतने के लिए ही परिश्रम करेंगे तो फिर हममें और जानवर में क्या अंतर रह जाएगा।

इसलिए यह जरूरी है कि अपने जीवन मे कुछ ऊँचे लक्ष्य बनाएं और फिर उन्हें हासिल करने के लिए पूरे दिल से परिश्रम करें।

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi | परिश्रम का महत्व पर निबंध हिंदी में (500 Words)

परिश्रम के बिना जीवन का कोई सार नही है। जीवन का दूसरा नाम ही परिश्रम है। जो व्यक्ति परिश्रम और पुरुषार्थ करता है वह कभी भी खुद को असहाय महसूस नही करता, भले ही परिस्थिति (Essay On Importance Of Hard Work in Hindi) कितनी भी विकट क्यों न हो।

इस संसार में जितने भी जीवधारी हैं वह परिश्रम के बिना जीवित नहीं रह सकते। परिश्रम ही जीवन का मूल आधार है।

जंगल में रहने वाले जीव भूखे मर जाएंगे यदि अपने भोजन, पानी के लिए परिश्रम नहीं करेंगे। चीटियाँ अपने भोजन एवं जीवनयापन के लिए दिन रात परिश्रम करती हुई दिखाई देती हैं।

यदि बात मनुष्यों की की जाए तो यहां जरूर हमें आलस्य नाम का एक शब्द दिखाई देता है। कुछ मनुष्य आलसी प्रवृत्ति के होते हैं लेकिन फिर भी अपने स्तर पर कुछ ना कुछ श्रम जरूर करते हैं।

परिश्रम है जरूरी

जीवन में सफलता हासिल करने का रास्ता परिश्रम से ही गुजरता है। लेकिन सिर्फ सफल होने के लिए ही परिश्रम नही करना पड़ता बल्कि एक साधारण जीवन जीने के लिए भी हमें श्रम करना पड़ता है।

हम सफल हो या असफल दोनों ही परिस्थिति में हमें परिश्रम जरूर करना पड़ता है, लेकिन यदि सफल होना है तो हमें ज्यादा परिश्रम करना पड़ेगा।

परिश्रम के बल पर ही आज हम ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के सीने को चीरते हुए उनसे रास्ता निकाल देते हैं। नदियों का रुख मोड़ कर सूखे स्थानों में भी पानी पहुंचा सकते हैं।

बंजर भूमि को उपजाऊ बना सकते हैं, हजारों किलोमीटर के सफर को बस कुछ ही घंटों में पूरा कर सकते हैं। यदि इंसान परिश्रमी नहीं होता तो हम कई सुविधाओं से वंचित रहते।

परिश्रम भाग्य बदल सकता है।

भाग्य और मेहनत को लेकर हमेशा ही यह बहस होती रहती है कि दोनों में कौन अधिक बलवान है। हर किसी के अपने अपने मत है। कोई भाग्य को बलवान मानता है तो किसी के लिए परिश्रम ही सब कुछ है।

गहराई से समझने पर यह प्रतीत होता है कि दोनों का अपना-अपना महत्व है। भाग्य जहाँ संचित पूंजी की तरह है वही परिश्रम रोज की मेहनत से आने वाली पूंजी की तरह।

यदि कोई लंबे वक्त से गरीबी झेल रहा है लेकिन वह प्रतिदिन कमाई के लिए श्रम करता है तो एक दिन जरूर आएगा जब वह गरीबी दूर कर लेगा।

ठीक इसी तरह यदि किसी का भाग्य खराब है, पर यदि वह सही दिशा में मेहनत कर रहा है तो कभी न कभी उसे की गई मेहनत का सकारात्मक फल जरूर मिलेगा, क्योंकि कर्म कभी मिटता नही है, उसका परिणाम सदैव मिलता है, फिर चाहे वह अच्छा कर्म हो या बुरा।

आलस्य है परिश्रम का दुश्मन

परिश्रम का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य है। जिस व्यक्ति के मन मस्तिष्क में आलस्य है, वह परिश्रम करने से बचता रहता है।

उसकी सोच यह रहती है कि बिना श्रम किये ही उसे सभी सुख सुविधाओं की सामग्री मिल जाए। पर ऐसी सोच व्यक्ति के विकास को रोक देती है और वह पतन की तरफ अग्रसर हो जाता है।

आलसी व्यक्ति कभी भी परिश्रमी नही हो सकता। आलसी व्यक्ति जीवन मे सिर्फ उतना ही हासिल कर पाता है जो उसे आसानी से मिल जाता है। उसमें संघर्ष करने की शक्ति नही होती।

इसलिए परिश्रमी व्यक्ति को आलस्य से दूर रहना चाहिये। दिन भर खूब मेहनत करनी चाहिए ताकि रात को सुकून की नींद आ सकें।

आजकल युवाओं में आलस बहुत अधिक देखने को मिलती है। सुख सुविधाओं की सभी चीज़े उन्हें आसानी से मिल जाती है इसलिए इनके अंदर मेहनत करने की भावना कम होती जा रही है जो कि चिंता का विषय है।

युवाओं को यह सोचना चाहिए कि इस जीवन का सार्थक उपयोग करें। आँखों मे कुछ सपना पालें फिर उसे हासिल करने के लिए मेहनत करें।

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi | परिश्रम का महत्व पर निबंध हिंदी में (1000 Words)

जीवन मे सफलता और खुशहाली हासिल करने का एक मात्र तरीका परिश्रम करना है। भर्तहरि ने परिश्रम के संबंध में एक श्लोक कहा है कि

उद्यमे नहि सिध्यंति कार्याणि ना मनोरथि :। न हीं सुप्तस्य सिहंसय, प्रविशन्ति मुखे मर्गा।

अर्थात – सिर्फ मन मे कामना कर लेने भर से कोई कार्य सम्पन्न नही हो जाता है, उसके लिए हमें कठिन परिश्रम करना पड़ता है, ठीक उसी तरह जैसे सोए हुए सिंह के मुख पर मृग खुद नही आ जाता।

धार्मिक ग्रंथों में परिश्रम को जीवन परिवर्तन करने वाला सबसे बड़ा कारक माना गया है। भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कर्म योग की व्याख्या की है, जिंसमे उन्होंने कर्म के फल और उसके महत्व को बहुत विस्तार से बताया है।

परिश्रम का महत्व | Importance of Hardwork

परिश्रम का महत्व का वर्णन बस कुछ शब्दों में करना असंभव है क्योंकि इसके महत्व की कोई सीमा ही नही है। यदि किसी व्यक्ति के जीवन मे परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नही डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नही है।

वह हर असंभव लगने वाले काम को संभव बना सकता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इस दुनियाँ में कोई भी काम असंभव नही है, यदि जरूरत है तो बस सही दिशा में किए जाने वाले परिश्रम की।

क्योंकि परिश्रम के बिना तो हम खाना भी नही खा सकते, उसके लिए भी हमें चबाना पड़ता है, तो बाकी सभी कार्य तो बहुत दूर है।

इतिहास और वर्तमान इस बात का साक्षी है कि परिश्रमी व्यक्ति सब कुछ पा सकता है, उसके लिये कोई सीमा नही है। परिश्रमी व्यक्ति के लिए संभावनाएं उतनी ही असीमित है जितना आकाश हमारे लिए है।

परिश्रम से न सिर्फ धन, संपदा की प्राप्ति होती है, बल्कि साथ मे यश, कीर्ति, सुख और आनंद की प्राप्ति भी होती है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने परिश्रम से न सिर्फ अपना भला करता है बल्कि अपने साथ-साथ समाज और देश का भी भला करता है।

एक परिश्रमी व्यक्ति यदि किसी अच्छे पद कर आसीन है तो वह देश और समाज के लिए कई बड़े बदलाव कर सकता है।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप

हम सब इस उलझन में रहते हैं कि आखिर परिश्रम का वास्तविक स्वरूप क्या है? किसी को अपने जीवन मे कब तक परिश्रम करना चाहिए, और क्या परिश्रम के बिना भी जीवन चल सकता है?

इन सभी प्रश्नों का उत्तर श्री कृष्ण ने भगवत गीता में दिया है कि

”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

अर्थात- इंसान का अधिकार सिर्फ कर्म करने में है, फल की कामना करने से कोई लाभ नही होगा क्योंकि फल कैसा मिलेगा यह इंसानों के हाथ मे नही है।

इस श्लोक का अर्थ जानने के बाद यह प्रश्न उठता है कि क्या परिश्रम करना फिर व्यर्थ है? पर ऐसा नही है। हम अपने जीवन मे हर पल कोई न कोई कर्म जरूर कर रहे होते हैं, फिर हम चाहे लेटे ही क्यों न हो।

इसलिए श्री कृष्ण ने कहा है कि हमें बिना परिणाम की चिंता किये बस परिश्रम और कर्म करते रहना चाहिए। यदि मन मुताबिक परिणाम नही भी मिलते हैं तो भी परिश्रम करने से मुंह नही फेरना चाहिए।

परिश्रम के लाभ | Advantages of Hard work.

हम सब जानते हैं कि सफलता पाने का कोई आसान रास्ता नही है। सफलता सिर्फ और सिर्फ परिश्रम के बल पर ही पाई जा सकती है।

सफलता पाने का यह नियम ऐसे युवाओं के लिए एक संदेश है जो सफलता पाना तो चाहते हैं लेकिन मेहनत करने से घबराते हैं।

आज के लोगो का रहन-सहन बहुत आरामदायक हो गया है जिससे लोग आलसी स्वभाव के बन गए हैं। लेकिन युवाओं को यह समझना होगा कि परिश्रम के बिना सफलता नही मिलती है।

परिश्रम से होने वाले कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित है:-

नई चीजें सीखते हैं।

जैसा कि हम सब जानते है कि आज का जमाना प्रतिस्पर्धा का दौर है। ऐसा कोई क्षेत्र नही है जहाँ प्रतिस्पर्धा नही हो।

ऐसे में कोई भी व्यक्ति किसी जगह पर तभी तक स्थायी रह सकता है जब तक वह उस जगह के लायक होगा। इसके लिए जरूरी है कि वह खुद को हमेशा और बेहतर बनाने की कोशिश करता रहे।

लेकिन जब तक हम परिश्रम नही करेंगे तब तक हम खुद में कोई सुधार नही कर सकते। खुद में नए बदलाव लाने की लिए और वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी है कि हम परिश्रम करने के लिए तैयार रहें।

स्थायी सफलता मिलती है.

किस्मत के बल पर कोई क्षणिक सफलता पा सकता है लेकिन स्थायी सफलता सिर्फ परिश्रम के बल पर ही मिलती है। परिश्रमी व्यक्ति कभी भी अपनी असफलता का दोषी किस्मत को नही मानता।

वह खुद में उन कमियों पर गौर करता है जिनकी वजह से असफलता मिली है। उसके बाद इन पर काम करता है और सफलता मिलने तक कोशिश करता रहता है।

परिश्रम का बीज कभी व्यर्थ नही जाता है। आज की गई परिश्रम का फल कभी न कभी जरूर मिलता है। इसलिए परिश्रम करने के बाद जो सफलता मिलती है वह स्थायी रहती है।

यदि परिश्रम करने के बाद भी कोई असफल हो रहा है तो निराश नही होना चाहिए, क्योंकि हमारे द्वारा की गई मेहनत का परिणाम कभी न कभी जरूर मिलेगा।

नए अवसर बनते हैं.

परिश्रमी व्यक्ति कभी भी अवसर आने का इंतजार नही करता है बल्कि वह खुद अपने लिए अवसर बनाता है। अच्छे अवसर की तलाश में बैठे रहना यह आलसी प्रवत्ति के लोगो का काम है।

जो व्यक्ति मेहनती है और अपने मेहनत के बल पर कुछ हासिल करना जानता है वह अपनी सफलता का रास्ता खुद तैयार करता है। ऐसा नही है कि उसकी राह में कोई मुश्किल नही आती या वह परेशान नही होता।

लेकिन अपने परिश्रमी स्वभाव के कारण सभी मुश्किलों से वह पार पा जाता है और सफलता प्राप्त करता है।

सकारात्मकता बनी रहती है.

परिश्रमी व्यक्ति के जीवन मे भले ही कितनी बड़ी मुश्किलें आ जाएं वह विचलित नही होता। वह थोड़ी देर के लिए परेशान हो सकता है लेकिन उस परिस्थिति में भी सकारात्मकता बनी रहती है।

खुशहाल जीवन जीने के लिए सकारात्मक नजरिया रखना बहुत जरूरी है क्योंकि हर दिन किसी न किसी चुनौती से जूझते हैं। ऐसे में यदि हमारा दृष्टिकोण नकारात्मक है, तो कभी खुश नही रह पाएंगे।

अच्छे चरित्र का निर्माण होता है.

मेहनत करने से व्यक्ति के अंदर अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। मेहनती व्यक्ति मेहनत के महत्त्व को समझता है, इसलिए वह कभी किसी के साथ धोखा नही करता।

सफलता पाने के लिए कोई गलत तरीका नही अपनाता और सिर्फ उतनी ही चीजों पर अपना अधिकार जताता है, जितना उसने अपनी मेहनत से हासिल किया है।

परिश्रमी स्वभाव के व्यक्ति कभी भी परिस्थिति के सामने झुकते नही है, खुद को कमजोर और असहाय महसूस नही करते। ये सभी गुण व्यक्ति को चरित्रवान बनाते हैं।

परिश्रम से सफलता प्राप्ति के कुछ उदाहरण.

धरती पर कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया है जिन्होंने परिश्रम के बल पर न सिर्फ अपने सपने साकार किये बल्कि साथ मे देश और समाज मे एक अहम योगदान दिया। ऐसे ही कुछ उदाहरण इस प्रकार है:-

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का संघर्ष

डॉ. कलाम को मिसाइल मैन कहा जाता है। इन्होंने ही देश मे मिसाइल प्रोग्राम की शुरुआत की थी। लेकिन इनका बचपन अभावों में बीता है।

एक स्थिति ऐसी भी आई थी जब कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए 1000 रु भी नही थे। इतनी गरीबी और विषम परिस्थितियों के बीच भी डॉ. कलाम परिश्रम करते रहे और न सिर्फ एक महान वैज्ञानिक बने बल्कि साथ में देश के राष्ट्रपति का पद भी प्राप्त हुआ।

अब्राहम लिंकन का संघर्ष

अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16 वे राष्ट्रपति थे। अमेरिका में दास प्रथा का बहुत चलन था। इन्होंने ही अपने कार्यकाल में इस प्रथा को खत्म किया। अमेरिकी इतिहास में इन्हें एक महान राष्ट्रपति की उपाधि दी जाती है।

लेकिन इनका बचपन बहुत गरीबी में बीता है। अंगीठी की रोशनी में बैठकर पढ़ाई करते थे। किताबें खरीदने के लिए पैसे नही होते थे तो दूसरों से किताबें लेकर पढ़ते थे।

खेतो में मजदूरी, सुअर काटने का काम, लकड़हारे का काम जैसे कई छोटे काम भी किए ताकि उनका जीवनयापन होता रहे।

लेकिन उनमें सफल होने की बहुत भूख थी। वो चुनाव लड़ते लेकिन हार जाते। इसके बाद भी चुनाव लड़ना जारी रखा।

लिंकन ने अपने जीवनकाल मे 50 से भी अधिक चुनाव में हार दर्ज की लेकिन वो इन हार से कभी निराश नही हुए और एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बने।

थॉमस एल्वा एडिसन का संघर्ष.

थॉमस एडिसन को स्कूल से इस वजह से निकाल दिया गया था क्योंकि वो मंद बुद्धि थे। लेकिन इसी मंद बुद्धि बालक ने सबसे ज्यादा आविष्कार किये। इन्होंने ने ही बल्ब बनाया है। बल्ब बनाते वक्त इन्होंने 1000 से भी ज्यादा प्रयोग किये थे तब जाकर बल्ब बन पाया था। इसी से जुड़ी एक कहानी है। जब एडिसन से पूछा गया कि इतनी असफलता (Essay On Importance Of Hard Work in Hindi) से वो निराश नहीं हुए? इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि वो बिलकुल भी निराश नहीं हुए क्योंकि उन्हें यह पता चल गया कि उन 1000 तरीकों से बल्ब नहीं बन सकता।

यदि एडिसन भी असफलता से हार मान जाते और परिश्रम करना छोड़ देते तो शायद कई वर्षों बाद हमें बल्ब मिल पाता।

ये कुछ उदाहरण है जिनसे हमें यह सीख मिलती है कि परिश्रम का फल जीवन मे कभी न कभी जरूर मिलता है। वर्तमान भले ही खराब हो लेकिन परिश्रम करने से हमारा कल अच्छा हो सकता है इसलिए जीवन में हमेशा परिश्रम करते रहना चाहिए।

आलस्य को दूर भगाएं.

परिश्रम का सबसे बड़ा दुश्मन आलस्य ही है। जीवन मे परिश्रम का आभाव का मतलब है हमारे अंदर आलस्य पनप रहा है।

आलसी स्वभाव के कारण व्यक्ति सफल नहीं हो पाता। सफलता के लिए जरूरी है कि हम परिश्रम करते रहे। परिश्रमी व्यक्ति चरित्रवान, स्वावलंबी और आत्मनिर्भर होता है।

जबकि आलसी व्यक्ति का चरित्र साफ-सुथरा नहीं होता। वह न तो अपने काम के लिए ईमानदार होता है और न ही अपने परिवार और समाज के लिए।

एक अच्छा इंसान बनने के लिए आलस्य को खुद से दूर रखना चाहिए, क्योंकि जीवन का सार परिश्रम में ही छुपा है।

यदि हम परिश्रम करने से कतराते हैं तो सफलता हमसे दूर जाती जाएगी। सफलता और हमारे बीच की दूरी उतनी ही कम होती जाएगी जितनी ज्यादा हम मेहनत करेंगे।

भाग्य और कर्म के बीच कुछ लोग उलझे रहते हैं उन्हें भी यह समझना चाहिए कि भाग्य में जो कुछ भी है वह मिलेगा, साथ मे परिश्रम भी करते रहे जिससे कि किसी भी काम में रुकावट न हो।

परिश्रम का महत्व पर कहानी | Story On Hard Work in Hindi.

एक गाँव था, वहाँ रामू नाम का एक किसान रहता था। किसान के पास खेती लायक जमीन तो खूब थी लेकिन वह मेहनत करने से बहुत डरता था। वह वक़्त पर खेतों की जुताई नही करता था, जब कभी जोतता तो पूरा खेत आलास के कारण नही जोतता।

रामू के इस आलसी स्वभाव के कारण उसके घर वाले बहुत परेशान रहने लगे। खेती ही कमाई का एक मात्र जरिया थी लेकिन अब वह भी धीरे-धीरे समाप्त होने लगी थी।

हालात से परेशान होकर घर वाले एक सिद्ध बाबा के पास गए। बाबा के पास जाकर उन्होंने सारी व्यथा बताई, इस पर बाबा ने रामू को अपने पास लाने के लिए कहा।

जब रामू आया तो बाबा ने उससे पूछा कि तू बहुत परेशान दिख रहा है? इस पर रामू ने कहा कि हाँ बाबा, मैं बहुत परेशान हूँ क्योंकि हमारी खेती चौपट होती जा रही है।

मेहनत करने के बाद भी फसल नही उगती। कोई उपाय बताएं। इस पर बाबा ने कहा कि अब तू चिंता मत कर क्योंकि तेरे खेत के हीरा गड़ा हुआ है।

लेकिन यह किस जगह पर है वह पता लगाने के लिए तुझे खेत की खुदाई करनी पड़ेगी। वह हीरा इतना कीमती है कि तेरी सारी गरीबी दूर हो जाएगी।

इसके बाद तो रामू को जैसे एक नई उम्मीद मिल गई। घर जाते ही उसके खुदाई करने के औजार लिए और खेत की तरफ चल पड़ा।

कुछ ही दिनों में उसने पूरे खेतों की खुदाई कर डाली पर उसे कुछ नही मिला। इससे निराश होकर वह बाबा के पास वापस गया और कहा कि हीरा नही मिला।

इस पर बाबा ने कुछ बीज दिए और कहा कि हीरा जरूर मिलेगा लेकिन अभी कुछ वक्त और लग जाएगा। इसके लिए अपने खेत मे ये बीज डाल दे।

रामू ने ऐसा ही किया। बीज डाल दिए। बारिश हुई, और बीज अंकुरित हो गए और कुछ ही महीनों में वह एक लहलहाती फसल बन गई।

जहाँ भी नजर जाती वहाँ फसल ही दिखाई देती। फसल पक जाने के बाद रामू बाबा के पास गया और बोला कि अब क्या करना है?

इस पर बाबा के कहा कि इस फसल को काटने के बाद आना। रामू ने ऐसा ही किया। उसने फसल को काटा और फिर बाजार में बेच आया।

जब उसने फसल बेची तो उसकी अच्छी कीमत रामू को मिली, जिससे किसान बहुत खुश हुआ और अब उसकी खुशी और बढ़ रही थी क्योंकि हीरा मिलने वाला था।

वह बाबा के पास गया और बोला बाबा अब बताइए हीरा कहाँ मिलेगा? इस पर बाबा ने पूछा कि फसल बेचने से कितना पैसा मिला?

इस पर किसान से बताया कि उसे 1.5 लाख का फायदा हुआ है। तब बाबा ने कहा कि तूम तो बोल रहे थे कि फसल नही उगती फिर इतनी कीमत कैसे मिली?

इस पर रामू ने कहा कि इस बार की फसल बहुत अच्छी उगी थी। पूरे खेत मे फसल थी। यह सुनते ही बाबा ने कहा कि रामू यही हीरा है जो देना चाहता था।

परिश्रम रूपी हीरा जिसके पास है उसके पास किसी चीज़ की कमी नही हो सकती। रामू को सारी बात समझते देर न लगी और उसने बाबा का बहुत धन्यवाद किया और हमेशा परिश्रम करने का संकल्प किया।

परिश्रम क्या है?

किसी कार्य को करने में जो शारीरिक और मानसिक श्रम होता है, वही परिश्रम कहलाता है। मानसिक परिश्रम शारीरिक परिश्रम की तुलना में ज्यादा कीमती माना जाता है।

परिश्रम कितने प्रकार के होते हैं?

परिश्रम सिर्फ दो प्रकार के होते हैं:- 1.) शारीरिक परिश्रम 2.) मानसिक परिश्रम

परिश्रम के लाभ क्या है?

परिश्रमी व्यक्ति का जीवन सूर्य की भांति तेज से चमकने लगता है। व्यक्ति कभी भी बुराइयों की चपेट में नही आता और एक इज्जतदार जीवन जीता है।

परिश्रम के उदाहरण क्या है?

प्रकृति के हर घटक परिश्रम करते रहते हैं। चीटियाँ अपने से कई गुना वजन उठाकर चलती है। पेड़ों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया चलती रहती है। जंगली जानवर भोजन के लिए कई कई मील चलते हैं। ये सब परिश्रम के उदाहरण है।

जीवन मे परिश्रम का क्या महत्व है?

हम जन्म लेने के साथ ही परिश्रम करना शुरू कर देते हैं। पहले उठना सीखते हैं, चलना सीखते हैं, फिर बोलना सीखते हैं। पढ़ाई करते हैं और फिर अपने पैरों पर खड़े होते हैं। यानी जीवन के हर मोड़ पर परिश्रम (Essay On Importance Of Hard Work in Hindi) करना जरूरी है क्योंकि उसके बिना तो हमारा विकास ही रुक जाएगा।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध – Essay on Importance of Hard work in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध (Essay on importance of hard work in Hindi): मानव जीवन कर्ममय है. वह हमेशा जीविकोपार्जन के लिए विभिन्न गतिविधियों में शामिल रहता है. सूर्योदय से लेकर देर रात तक कई लोग अपने-अपने कार्यों में लगे रहते हैं. यह परिश्रम है. परिश्रम के बिना जीवन में प्रगति और समृद्धि संभव नहीं है.   

संसार में श्रम के बिना कोई कार्य संभव नहीं है. मनुष्य को कर्म व भोग दोनों प्राप्त हैं लेकिन कर्म के बिना कोई भी भोग नहीं कर सकता. प्रत्येक मानव कल्पना के जगत में बड़ी-बड़ी उड़ान भरता हैं; ख्याली पुलाव बनता है; हवा महल बनता है लेकिन मन के चाहने मात्र से वह सब प्राप्त नहीं होता है. संसार में किसी भी चीज की प्राप्ति परिश्रम से ही होती है. खाने के लिए भी प्रयत्न करना पड़ता है. खाना स्वतः पेट में नहीं चला जाता. एक बात आपको याद रखनी होगी – परिश्रम से हर कार्य सिद्ध होते हैं न कि मन की इच्छाओं से. जैसे सोये हुए शेर के मुंह में हिरन अपने आप प्रवेश नहीं करते हैं.

परिश्रम का रूप

किसी भी प्रकार का यत्न श्रम है. मनुष्य निरंतर क्रियाशील व प्रयत्न करता है. लेकिन निरुद्देश्य श्रम की संज्ञा नहीं दी जाती है. अर्थ शास्त्र में धन कमाने के उद्देश्य से किये गये कर्म ही शर्म कहलाते हैं. व्यावहारिक जीवन में भी मनुष्य कोई व्यर्थ के कामों में अपने अमूल्य समय को गंवाता रहता है लेकिन उस स्थिति में उसको परिश्रमी उद्यमी नहीं कहते हैं. परिश्रम वह है जो सार्थक कार्य के लिए किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है. प्रत्येक व्यक्ति के पास अपने व्यावहारिक जीवन में कोई उद्देश्य होता है. एक विद्यार्थी का उद्देश्य विद्यार्जन करना व परीक्षा पास करना है. इस उद्देश्य की दृष्टि से किया गया श्रम ही परिश्रम कहलाता है और वह विद्यार्थी परिश्रमी कहलाता है. एक विद्यार्थी यदि विद्यार्जन के अतिरिक्त व्यर्थ के कार्यों के लिए कठोर शर्म करता है तो उसको परिश्रमी कोई नहीं कहता है. इसलिए एक विद्यार्थी का श्रम सार्थक तभी माना जायेगा, जब वह विद्या प्राप्ति के उद्देश्य से श्रम करता है और अच्छी श्रेणी में पास हो जाता है.

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परिश्रम से स्वास्थ्य लाभ  

परिश्रम से मनुष्य केवल अपने लक्ष्य की प्राप्ति ही नहीं करता है, अपितु उसको शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी होता है. घर में बैठे रहने या अधिक समय सोने से शरीर पंगु हो जाता है. खाली व्यर्थ की बातों में समय गंवाने से दिल चंचल हो जाता है. लेकिन जो व्यक्ति अपने सार्थक कार्यों में दिन रात लगा रहता है, उसका शरीर स्वस्थ सुडौल, तथा बौद्धिक रूप से चुस्त रहता है. अपने कार्यों में सफलता मिलने से दिल में हर्ष होता है. 

उन्नतशील जातियां व परिश्रम

संसार में जिस देश के लोग परिश्रमी व लग्नशील रहें उनका देश हर दृष्टी से संपन्न होता है. आज संसार में प्राकृतिक दृष्टी से पिछड़े होने पर भी कई देश अपने परिश्रम के बल से उन्नति के शिखर पर हैं. जबकि प्राकृतिक दृष्टी से संपन्न देश भी परिश्रम के अभाव में निर्धन हो गये हैं. इसी प्रकार जो विद्यार्थी अत्यंत परिश्रमी होते हैं, वह निर्धन होने पर भी उन्नति के शिखर पर पहुँच जाते हैं और अन्य जीवन भर धक्के खाते रहते हैं.

परिश्रम और विश्राम          

अत्यधिक काम का बोझ तन और मन दोनों के लिए तनावपूर्ण हो सकता है. इसलिए कड़ी मेहनत के साथ नियमित अंतराल पर आराम की जरूरत है. इससे स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है. मेहनत करने के लिए शारीरिक और मानसिक ताकत की जरूरत होती है. मनुष्य सही भोजन, स्वस्थ वातावरण और अनुकूल वातावरण में अधिक मेहनत कर सकता है

परिश्रम ही पूजा है

एक अंग्रेज विद्वान ने कहा है – ‘Work is worship’ वास्तव में ईश्वर की प्राप्ति के लिए भी भक्त कठोर परिश्रम करता है. कर्म क्षेत्र में कर्म ही पूजा है. फल ही ईश्वर है. कठोर परिश्रमी व्यक्ति ही भक्त है. अध्यापक पूर्ण सिंह ने परिश्रम करने वाले मजदुर को सच्चा महात्मा कहा है. 

प्रत्येक विद्यार्थी के सामने बहुत बड़ा कार्यक्षेत्र पड़ा है. उसमें जो व्यक्ति परिश्रम करता है, सफलता उसके चरण चूमने लगती है. इसके विपरीत परिश्रम न करने वाला व्यक्ति जीवन भर कष्ट उठाता रहता है.

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परिश्रम ही सफलता की कुंजी है निबंध। Essay on Importance of Hard Work

परिश्रम सफलता की कुंजी है निबंध। Essay on Importance of Hard Work : परिश्रम उस प्रयत्न को कहा जाता है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। परिश्रम ही मानव की उन्नति का एकमात्र साधन है। परिश्रम के द्वारा हम वे सभी वस्तुएं प्राप्त कर सकते हैं जिनकी हमें आवश्यकता है। इसके द्वारा कठिन से कठिन कार्य को भी संभव बनाया जा सकता है। एक प्राचीन कहावत है की जो मनुष्य अपने पुरुषार्थ पर यकीन रखकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मन, वचन और कर्म से कठिन परिश्रम करता है, सफलता उसके कदम चूमती है। परिश्रम के द्वारा मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।

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Sunday, November 17, 2019

निबंध : परिश्रम का महत्व - essay on importance of hard work in hindi, essay on importance of hard work  निबंध : परिश्रम का महत्व मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। परिश्रम मानव जीवन का वह हथियार है जिसके बल पर वह भारी से भारी संकटों पर भी जीत हासिल कर सकता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है। विश्व में कोई भी कार्य बिना परिश्रम के सफल या संपन्न नहीं हो सकता। इसलिए ऐसा कहा गया है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है वह सदैव दु:खी और दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है। जीवन की दौड़ में परिश्रम करनेवाला हमेशा विजयी होता है लेकिन आलसी लोगों को हमेशा हर जगह पर हार का मुँह देखना पड़ता है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो। इसलिए हमें परिश्रमशील और कर्मठ बनना चाहिए। परिश्रम करके हम अपने भाग्य को भी बदल सकते हैं। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है।  जीवन में कुछ लोग केवल अपने भाग्य पर निर्भर होते हैं। ऐसे लोग परिश्रम की जगह भाग्य को बहूत अधिक महत्व देते हैं। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य के भरोसे रहना जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य मनुष्य के जीवन लिए एक अभिशाप है, जो उन्हें परिश्रम करने से हमेशा रोकता रहता है। इसलिए हमें भाग्य के भरोसे न रहकर कठिन परिश्रम करके जीवन में सफलता रास्ता चुनना चाहिए। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को बदल सकता है। जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार और स्वावलम्बी होते हैं। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है। वह संसार के लिए सड़क, भवन, मशीन और बाँध (डैम) इत्यादि का निर्माण करता है। अगर हम अपने जीवन, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति देखना चाहते हैं तो हम सभी को भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। सच्ची लगन और निरंतर परिश्रम से सफलता हमें अवश्य मिलती है। निरंतर परिश्रम करने वाला व्यक्ति कोई भी क्षेत्र में आसानी से सफलता पा सकता है। जीवन में सफलता पाने के लिए लगन और कठिन परिश्रम अति आवश्यक है। you can visit our youtube channel :   www.youtube.com/silentcourse you can visit our facebook page    :   www.facebook.com/silentcourse, no comments:, post a comment, 28 फरवरी ➤ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस - national science day.

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परिश्रम का महत्व पर निबंध |Essay on the Importance of Hard Work in Hindi

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परिश्रम का महत्व पर निबंध |Essay on Importance of Hard Work in Hindi!

परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है ।

परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया था । उनके अनुसार:

”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

ADVERTISEMENTS:

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है । इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्‌ध होना अत्यंत कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्‌वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं । उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं । ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का हल ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते ।

दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं । अपनी कमियों व दोषों के निदान के लिए प्रयास न कर वह भाग्य का दोष मानते हैं । उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन सब में ईश्वर की इच्छा है । वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है । वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है परंतु सुख किसी मृगतृष्णा की भाँति सदैव उससे दूर बना रहता है ।

किसी विद्‌वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है । आज यदि हम देश-विदेश के महान अथवा सुविख्यात पुरुषों अथवा स्त्रियों की जीवन-शैली का आकलन करें तो हम यही पाएँगे कि जीवन में इस ऊँचाई या प्रसिद्‌धि के पीछे उनके द्‌वारा किए गए सतत अभ्यास व परिश्रम का महत्वपूर्ण योगदान है ।

अमेरिका, चीन, जापान आदि विकसित देश यदि उन्नत देशों में हैं तो इसलिए कि वहाँ के नागरिकों ने अथक परिश्रम किया है। द्‌वितीय विश्वयुद्‌ध में भारी नुकसान के बाद भी आज यदि जापान न विश्व जगत में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है तो उसका प्रमुख करग यही है कि वहाँ के लोगों में दृढ़ इच्छाशक्ति व अथक परिश्रम की भावना कूट-कूटकर भरी हुइ है ।

परिश्रमी व्यक्ति ही किसी समाज में अपना विशिष्ट स्थान बना पाते हैं । अपने परिश्रम के माध्यम से ही कोई व्यक्ति भीड़ से उठकर एक महान कलाकार, शिल्पी, इंजीनियर, डॉक्टर अथवा एक महान वैज्ञानिक बनता है ।

परिश्रम पर पूर्ण आस्था रखने वाले व्यक्ति ही प्रतिस्पर्धाओं में विजयश्री प्राप्त करते हैं । किसी देश में नागरिकों की कर्म साधना और कठिन परिश्रम ही उस देश व राष्ट्र को विश्व के मानचित्र पर प्रतिष्ठित करता है ।

“विश्वास करो,

यह सबसे बड़ा देवत्व है कि –

तुम पुरुषार्थ करते मनुष्य हो

और मैं स्वरूप पाती मृत्तिका ।”

अत: उन्नति विकास एवं समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि सभी मनुष्य परिश्रमी बनें । परिश्रम वह कुंजी है जो साधारण से साधारण मनुब्ध को भी विशिष्ट बना देती है । परिश्रमी लोग सदैव प्रशसा व सम्मान पाते हैं । वास्तविक रूप में उन्नति व विकास के मार्ग पर वही व्यक्ति अग्रसर रहते हैं जो परिश्रम से नहीं भागते ।

भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।

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  • अप्रैल 25, 2024

Importance Of Hard Working in Hindi

श्रम मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए सबसे उत्तम संसाधन है। संसार में आज जो भी वस्तुएं अथवा वैज्ञानिक उपकरण देख रहे हैं ये किसी न किसी व्यक्ति के श्रम का ही परिणाम है। श्रम को प्राचीन ग्रंथों में सफलता की कुंजी बताया गया है। श्रम मनुष्य के जीवन को गति प्रदान करता है। यह मानव को अनेक प्रकार के लाभ प्रदान करता है। इस लेख में Importance Of Hard Working in Hindi के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। 

शारीरिक श्रम का महत्व 

शारीरिक श्रम का महत्व (Importance Of Hard Working in Hindi ) इस प्रकार है : 

स्वास्थ्य लाभ : शारीरिक श्रम करने से शरीर मजबूत बनता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और मनुष्य अनेक प्रकार के गंभीर रोगों का शिकार होने से बच जाता है।  

आत्मविश्वास में वृद्धि : शारीरिक श्रम करने से मनुष्य के आत्मविश्वस में वृद्धि होती है। श्रम करने से मानव कठिन से कठिन कार्य को पूरा कर पाने में भी सक्षम हो पाता है, जिसे वह पहले असंभव समझता था। इससे मनुष्य के भीतर आत्मविश्वास पैदा होता है।  

उत्पादकता में वृद्धि : शारीरिक श्रम करने से ऊर्जा के स्तर में वृद्धि होती है जिससे मनुष्य की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। 

मानसिक श्रम का महत्व 

मानसिक श्रम (Importance Of Hard Working in Hindi) का महत्व इस प्रकार है :

  • ज्ञान और कौशल में वृद्धि : मानसिक श्रम मनुष्य को बुद्धिमान बनाता है और उसके ज्ञान और कौशल में वृद्धि करता है।  
  • समस्या का समाधान :  बौद्धिक श्रम से मनुष्य के दिमाग की कसरत होती है। इससे उसके सोचने समझने की क्षमता में वृद्धि होती है। इस कारण से वह समस्याओं का समाधान ढूंढने में अधिक सहज हो पाता है।  
  • नवाचार में वृद्धि : बौद्धिक श्रम से नए विचारों और अवधारणाओं का जन्म होता है। इससे मनुष्य के अंदर नई बातों को खोजने की और नई चीज़ों के बारे में जानने की क्षमता में वृद्धि होती है। इस कारण से मनुष्य की नवाचार करने की क्षमता में वृद्धि होती है। 
  • तार्किक क्षमता में वृद्धि : मानसिक श्रम करने से मनुष्य के दिमाग की कसरत होती है। इस कारण से वह चीज़ों को अलग ढंग से और बेहतर तरीके से समझ और सोच पाता है, जिसके कारण उसकी तार्किक क्षमता में भी वृद्धि होती है।  

निष्कर्ष 

श्रम चाहे शारीरिक हो या मानसिक, हर रूप में यह मनुष्य के लिए ज़रूरी है। श्रम जीवन को सही आकर प्रदान करता है। श्रम के कारण व्यक्ति समाज में उन्नति करता है और प्रगतिशील बनता है। श्रम करने से मनुष्य की आर्थिक हालत में सुधार होता है और वह समाज में यश एवं मान सम्मान को प्राप्त करता है।  

आशा है कि आपको Importance Of Hard Working in Hindi की जानकारी मिली होगी जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का काम करेगी। इसी प्रकार के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स पर ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। अंशुल को कंटेंट राइटिंग और अनुवाद के क्षेत्र में 7 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए ट्रांसलेशन ऑफिसर के पद पर कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने Testbook और Edubridge जैसे एजुकेशनल संस्थानों के लिए फ्रीलांसर के तौर पर कंटेंट राइटिंग और अनुवाद कार्य भी किया है। उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा से हिंदी में एमए और केंद्रीय हिंदी संस्थान, नई दिल्ली से ट्रांसलेशन स्टडीज़ में पीजी डिप्लोमा किया है। Leverage Edu में काम करते हुए अंशुल ने UPSC और NEET जैसे एग्जाम अपडेट्स पर काम किया है। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न कोर्सेज से सम्बंधित ब्लॉग्स भी लिखे हैं।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध | Hard Work Essay in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध – परिश्रम हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। अपने करियर, अपनी नौकरी, व्यवसाय आदि में सफल होने के लिए बहुत अधिक मेहनत की आवश्यकता होती है। बैठना और आराम करना असंभव है, और यदि आप परिश्रम करते हैं, तो आप दिन के अंत में सफल होंगे। सरल शब्दों में, खाली बैठने वाले व्यक्ति को कुछ भी प्राप्त नहीं होता है।

मेहनत की कीमत को समझना जरूरी है। आप को समझना चाहिए कि समय कितना महत्वपूर्ण है और एक बार जब यह पार हो जाता है तो सब कुछ आपके हाथ से निकल जाता है। परिश्रम पर निबंध लिखने से पहले अपने संदर्भ के लिए नीचे दिए गए नमूने देखें।

परिश्रम का महत्व पर निबंध | Hard Work Essay in Hindi

Table of Contents

परिश्रम का महत्व पर निबंध 100 शब्‍दों में

जीवन के उत्थान में परिश्रम का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जीवन में आगे बढ़ने के लिए, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्रम ही आधार है। परिश्रम से कठिन से कठिन कार्य संपन्न किए जा सकते हैं, जो परिश्रम करता है उसका भाग्य भी उसका साथ देता है जो सोता रहता है उसका भाग सोता रहता है। श्रम के वल अगम्य पर्वत चोटियों पर अपनी विजय का पताका पहरा दिया ।

श्रम हर मनुष्य को अपनी मंजिल पर पहुंचा देता है। अथक परिश्रम ही जीवन का सौंदर्य है। श्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने आपको महान बना सकता है। परिश्रम ही मनुष्य के जीवन को महान बनाने वाला है। परिश्रम ही वास्तव में ईश्वर की उपासना है।

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा – अर्चना है। इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी – समृद्ध होना अत्यंत कठिन है। वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी हुआ दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 250 शब्दों में

हमारे जीवन में परिश्रम का उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना जीवित रहने के लिए भोजन। परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। आज तक इतिहास में किसी भी व्यक्ति को देखा जाए तो वह अपने आप अचानक से सफल नहीं होता। सफल होने के लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है।

परिश्रम दो मुख्य प्रकार के होते हैं एक परिश्रम वह होता है, जो हम आमतौर पर शरीर के द्वारा करते हैं, जिसे हम शारीरिक परिश्रम करते हैं। अधिकतर यह परिश्रम मजदूर वर्ग के लोगों में देखा जा सकता है।

दूसरा परिश्रम वह होता है, जिसमें हम अपनी मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करते हैं। वह मानसिक परिश्रम कहलाता है। किसी भी नई चीज के शुरुआत करने के लिए शारीरिक और मानसिक परिश्रम दोनों ही बहुत जरूरी है।

देखा जाए तो परिश्रम के बिना मनुष्य का जीवन पशु के समान है। एक पशु भी अपने भोजन के लिए भी परिश्रम करता है। यदि हम भी सिर्फ इतने के लिए ही परिश्रम करेंगे तो सिर्फ में और जानवर में कोई अंतर नहीं रह जाएगा।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 500 शब्दों में (Parishram ka Mahatva Per Nibandh 500 Words)

अगर हम जीवन में सफलता और खुशी चाहते हैं तो इसका हमारे पास एकमात्र तरीका है परिश्रम करना। परिश्रम से संबंधित भर्तृहरि जी ने एक श्लोक कहा है।

उद्यमें नहि सिध्‍यंति, कार्याणि ना मनोरथि । न हीं सुप्‍तस्‍य सिंहस्‍य, प्रविशांति मुखे मृगा।।

क्या है परिश्रम? (What is Parishram)

शारीरिक व मानसिक रूप से किया गया काम परिश्रम कहलाता है। ऐ काम हम अपनी इच्छा के अनुसार चुनते हैं जिसे लेकर हम अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। पहले श्रम का मतलब सिर्फ शारीरिक श्रम होता था जो मजदूर या लेबर वर्ग करता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है, श्रम डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, राजनैतिज्ञ, अभिनेता – अभिनेत्री, टीचर, सरकारी व प्राइवेट, दफ्तरों में काम करने वाला हर व्यक्ति श्रम करता है।

परिश्रम का महत्व

देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

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परिश्रम और भाग्य

कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। बे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।

भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

जो व्यक्ति आलसी होते हैं वे केवल भगवान के लिखे हुए पर आश्रित होते हैं। हम सभी के मन में हीनता की भावना पैदा हो गई है लेकिन जैसे जैसे हमने परिश्रम के महत्व को समझा तो हमने पराधीनता के बेड़ियों को तोड़कर स्वतंत्रता की ज्योति जलाई थी। कायर व्यक्ति हमेशा कहते रहते हैं कि हमें भगवान देगा। अगर परिश्रम करने के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती है तो हमें इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे परिसर में क्या कमी थी।

परिश्रम के फायदे / लाभ

  • आपको जीवन की सारी सुख सुविधा मिलेगी लक्ष्मी की प्राप्ति होगी आज के समय में धन जिसके पास है वह दुनिया की हर सुख सुविधा खरीद सकता है।
  • परिश्रम से मानसिक व शारीरिक चुस्ती मिलती है। आज के समय में परिश्रम नहीं करने पर बहुत सी बीमारियां शरीर में घर कर लेती हैं। इसलिए फिर तंदुरुस्ती स्फूर्ति के लिए शारीरिक श्रम करने को बोला जाता है। जिस वजह से लोग फिर जिम में भी समय बिताने लगते हैं। मानसिक विकास के लिए उसका परिश्रम करते रहना बहुत जरूरी है इसी के द्वारा लोगों ने नए नए अनुसंधान दुनिया में किए हैं।
  • परिश्रम से हमारे जीवन में व्यस्ता रहती है। जिससे किसी भी तरह की नकारात्मक बातें हमारे जीवन में नहीं आ पाती व इससे मन अंदर से शांति महसूस करता है।
  • परिश्रमी व्यक्ति हमेशा सफलता की ओर अग्रसर रहता है और समय-समय पर उसे सफलता का स्वाद चखने को मिलता है।

परिश्रमी व्यक्ति के गुण

एक मेहनती व्यक्ति होने का मतलब है कि आप अपने काम के लिए प्रतिबद्ध और कभी भी कुछ भी अपने रास्ते में नहीं आने देते हैं।

चाहे वह किसी प्रोजेक्ट पर काम करना हो होमवर्क खत्म करना हो या परिवार के कामों में समय से आगे निकलना हो हर कोई ऐसा व्यक्ति चाहता है जो अच्छा काम कर सके और आसानी से घर नमन।

आप सोच सकते हैं कि यह करना एक आसान काम है लेकिन ऊर्जा और प्रेरणा के सामान स्तर को बनाए रखना हमेशा आसान नहीं होता है।

जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, इमानदार, परिश्रमी और स्वावलंबी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोड़कर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

आज के देश में जो बेरोजगारी इतनी तेजी से फैल रही है उसका एक कारण आलस्य भी है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए परिश्रम एक बहुत ही अच्छा साधन है। मनुष्य परिश्रम करने की आदत बचपन या विद्यार्थी जीवन से ही डाल लेनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है।परिश्रम ही किसी भी देश की उन्नति का रहस्य होता है।

  • महाशिवरात्रि पर निबंध
  • नारी का महत्‍व पर निबंध
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आज के आर्टिकल में हमने परिश्रम का महत्व पर निबंध (Hard Work Essay in Hindi) के बारे में बात की है मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा।

Suneel

नमस्‍कार दोस्‍तों! Hindigrammar.in.net ब्‍लॉग पर आपका हार्दिक स्‍वागत हैं। मैं Suneel Kevat इस ब्‍लॉग का Writer और Founder हूँ. और इस वेबसाइट के माध्‍यम से Hindi Grammar, Essay, Kavi Parichay, Lekhak Parichay, 10 Lines Nibandh and Hindi Biography के बारे में जानकारी शेयर करता हूँ।

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Importance Of Hard Work in Life – Essay in Hindi| जीवनमें परिश्रम का महत्व

इतर जानकारी : नमस्कार दोस्तों, आज Smart School Infolips पे हम पढ़ेंगे हिंदी निबंध, “जीवनमें परिश्रम का महत्व” (Jivanme Parishram Ka mahatwa – Essay In Hindi)| Importance Of Hard Work in Life. इसी विषय पर अलग-अलग शब्दों का प्रयोग करके, निबंध लिखने दिया जाता है | जैसे की :

परिश्रम का महत्व Essay in Hindi, (importance of hard work in student life), मेहनत का महत्व पर निबंध, जीवन में परिश्रम और अनुशासन का महत्व निबंध, परिश्रम का महत्व for Class 4, 5, 6, 7, 8, 9 and 10 जीवन में परिश्रम और अनुशासन का महत्व in 500 Words, परिश्रम का जीवन में क्या महत्व है?, परिश्रम क्यों करना चाहिए?, विद्यार्थी जीवन में परिश्रम का महत्व पर निबंध, परिश्रम से जीवन में क्या आता है?, परिश्रम क्या है?

जीवनमें परिश्रम का महत्व पर निबंध (१००+ शब्दमें) :

हमें जीवन में हमेशा परिश्रम करना होता है, बिना परिश्रम हमें कुछ हासिल नहीं होता है | चींटी से लेकर मनुष्य को परिश्रम करना होता है | सूरज, नदियाँ, हवाएं, वनस्पतियाँ, पशु, पक्षी, कीड़े-मकोड़े, हर कोई अपने जीवन परिश्रम करते है। जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है, केवल वही सारी बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है। परिश्रमसे अनेक असंभव काम संभव होते है| अगर विद्यार्थी परिश्रम करेगा तो सफल होता है।

संसार में कुछ परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। जो परिश्रम नहीं करना चाहते, वही लोग भाग्य के बारेमें सोचते है | अगर सभी भाग्य के सहारे रहें, तो यह संसार रुक जायेगा, सभी की प्रगति समाप्त होगी | भाग्य भी उन्हीके साथ होता है, जो मेहनत करते है | (importance of hard work in life)

|Related : Vidyarthi Ka Kartavya Essay in Hindi | विद्यार्थी का कर्तव्य पर निबंध (Read more…)

जीवनमें परिश्रम का महत्व पर निबंध (२००+ शब्दमें) :

हमें जीवन में हमेशा परिश्रम करना होता है, बिना परिश्रम हमें कुछ हासिल नहीं होता है | चींटी से लेकर मनुष्य को परिश्रम करना होता है | सूरज हर रोज समयपर उगता और ढलता है| नदियाँ दिन-रात बहती रहती हैं। हवाएं चलती रहती है, वनस्पतियाँ काम करती हैं। पशु, पक्षी, कीड़े-मकोड़े, हर कोई अपने जीवन परिश्रम करते है।

संसार में कुछ परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। जो परिश्रम नहीं करना चाहते, वही लोग भाग्य के बारेमें सोचते है | अगर सभी भाग्य के सहारे रहें, तो यह संसार रुक जायेगा, सभी की प्रगति समाप्त होगी | भाग्य भी उन्हीके साथ होता है, जो मेहनत करते है |

परिश्रम करने के बाद भी सफलता ना मिलती हो, तो हमे यह विचार करना चाहिए की हमारे परिश्रम में कोई कमी है | तुरंत सुधारकर, एक नया प्रयास करें| किन्तु परिश्रम करते रहिये। जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है, केवल वही सारी बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है।

जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति करता है, जैसे की जापान। अपने परिश्रमसे अनेक असंभव काम को भी संभव कर दिखाया। लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चन्द्र बोस जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल बहुत बड़ा मक़ाम हासिल किया था। अगर विद्यार्थी परिश्रम करेगा तो सफल होता है।

जीवनमें परिश्रम का महत्व पर निबंध (३००+ शब्दमें) :

हमें जीवन में हमेशा परिश्रम करना होता है, बिना परिश्रम हमें कुछ हासिल नहीं होता है | चींटी से लेकर मनुष्य को परिश्रम करना होता है | सूरज हर रोज समयपर उगता है, और समय पर ढलता है| नदियाँ दिन-रात बहती रहती हैं। हवाएं चलती रहती है, वनस्पतियाँ अपना काम करती रहती हैं। पशु, पक्षी, कीड़े-मकोड़े, हर कोई अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते है।

संसार में कुछ लोग ऐसे भी होते है, जो परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। जो परिश्रम नहीं करना चाहते, वही लोग भाग्य के बारेमें सोचते है | केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं, अगर सभी भाग्य के सहारे रहें, तो यह संसार रुक जायेगा, सभी की प्रगति समाप्त होगी | भाग्य भी उन्हीके साथ होता है, जो मेहनत करते है |

परिश्रम करने के बाद भी सफलता ना मिलती हो, तो हमे यह विचार करना चाहिए की हमारे परिश्रम में कोई कमी है | सही समयपर उसे पहचानिए और तुरंत सुधारकर, एक नया प्रयास करें| किन्तु परिश्रम करते रहिये। मनुष्यने उचित दिशासे परिश्रम करके खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाया है | जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है, केवल वही सारी बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है।

जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति करता है, जैसे की जापान। अपने परिश्रमसे अनेक असंभव काम को भी संभव कर दिखाया। लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चन्द्र बोस जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल बहुत बड़ा मक़ाम हासिल किया था। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान बने थे। अगर विद्यार्थी परिश्रम करेगा तो सफल होता है।

उपसंहार : जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, और स्वावलम्बी होते हैं। हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो हमें भाग्य को छोडकर परिश्रमी बनना होगा। मनुष्य को परिश्रम की आदत विद्यार्थी जीवन से ही डालनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है।

(importance of hard work in life)

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जीवनमें परिश्रम का महत्व पर निबंध (४००+ शब्दमें) :

हमें जीवन में हमेशा परिश्रम करना होता है, बिना परिश्रम हमें कुछ हासिल नहीं होता है | इसीलिए मनुष्य जीवनमे परिश्रम का बहुत महत्व होता है। चींटी से लेकर मनुष्य को परिश्रम करके अपने जीवन की हर मुश्किल को दूर करना होता है | सूरज हर रोज समयपर उगता है, और अपनी उचित समय पर ढलता है| नदियाँ दिन-रात बहती रहती हैं। हवाएं चलती रहती है, वनस्पतियाँ अपना काम करती रहती हैं। पशु, पक्षी, कीड़े-मकोड़े, हर कोई अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते है। जो व्यक्ति दृढ़ निश्चय करते है, और कठीन परिश्रम की तैयारी रखते है, उनके लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं |

परिश्रम करने के बाद भी सफलता ना मिलती हो, तो हमे यह विचार करना चाहिए की हमारे परिश्रम में कोई कमी है, या तो हमारी दिशा गलत है | सही समयपर उसे पहचानिए और तुरंत सुधारकर, एक नया प्रयास करें| किन्तु परिश्रम करते रहिये। मनुष्य इस प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, क्यूंकि मनुष्यने ही उचित दिशासे परिश्रम करके खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाया है | इसीलिए यह कहा जाता है, जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है, केवल वही सारी बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है।

परिश्रमी व्यक्ति को जीवित रहते सफलता मिलती है, और उन्हें मरने के बाद भी याद किया जाता है | जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति करता है, जैसे की जापान। महापुरुषों के उदाहरण हमारे सामने है, जिन्होंने अपने परिश्रमसे अनेक असंभव काम को भी संभव कर दिखाया। लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चन्द्र बोस जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल बहुत बड़ा मक़ाम हासिल किया था। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान बने थे। अगर विद्यार्थी परिश्रम करेगा तो परीक्षा सफल हो सकता है। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है |

|Related: Prakruti Aur Manushya Mitra Hai | प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध (Read more…)

Importance of hard work in life – पर निबंध (५००+ शब्दमें) :

हमें जीवन में हमेशा परिश्रम करना होता है, बिना परिश्रम हमें कुछ हासिल नहीं होता है | इसीलिए मनुष्य जीवनमे परिश्रम का बहुत महत्व होता है। संसार में हर जिव को अपने जीवन काल को चलित रहने हेतु, कार्य करना पड़ता है | चींटी से लेकर मनुष्य को परिश्रम करके अपने जीवन की हर मुश्किल को दूर करना होता है |

सूरज हर रोज नित्य समयपर उगता है, और अपनी उचित समय पर ढलता है| अपनी रोजना क्रिया, हजारो-लाखों सालोसे करता आरहा है। नदियाँ दिन-रात बहती रहती हैं। हवाएं चलती रहती है, वनस्पतियाँ अपना काम करती रहती हैं। पशु, पक्षी, कीड़े-मकोड़े, हर कोई अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो व्यक्ति दृढ़ निश्चय करते है, और कठीन परिश्रम की तैयारी रखते है, उनके लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं होता| श्रम से ही सारे मार्ग आसान हो जाते है |

संसार में कुछ लोग ऐसे भी होते है, जो परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। जो परिश्रम नहीं करना चाहते, वही लोग भाग्य के बारेमें सोचते है | ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं, और उसीके सहारे जीते हैं| अगर सभी भाग्य के सहारे रहें, तो यह संसार रुक जायेगा, सभी की प्रगति समाप्त होगी | भाग्य भी उन्हीके साथ होता है, जो मेहनत करते है | अगर हम परिश्रम न करें तो, हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना कुछ भी संभव नहीं होगा।

जैसे-जैसे हमने परिश्रम का महत्व समझा, तो हमने किसीकी निर्भरता छोड़कर, स्वतंत्र हो गये | अगर परिश्रम करने के बाद भी सफलता ना मिलती हो, तो हमे यह विचार करना चाहिए की हमारे परिश्रम में कोई कमी है, या तो हमारी दिशा गलत है | सही समयपर उसे पहचानिए और तुरंत सुधारकर, एक नया प्रयास करें| किन्तु परिश्रम करना कभी ना छोडो ।

मनुष्य इस प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, क्यूंकि मनुष्यने ही उचित दिशासे परिश्रम करके खुद को सर्वश्रेष्ठ बना दिया है | इसीलिए यह कहा जाता है, जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है, केवल वही सारी बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर तादरुस्त रहता है।

परिश्रमी व्यक्ति को जीवित रहते सफलता मिलती है, और उन्हें मरने के बाद भी याद किया जाता है | जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति करता है, जैसे की जापान। महापुरुषों के उदाहरण हमारे सामने है, जिन्होंने अपने परिश्रमसे अनेक असंभव काम को भी संभव कर दिखाया। लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चन्द्र बोस जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल बहुत बड़ा मक़ाम हासिल किया था। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान बने थे। अगर विद्यार्थी परिश्रम करेगा तो परीक्षा सफल हो सकता है। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है | उपसंहार : जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, और स्वावलम्बी होते हैं। हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो हमें भाग्य को छोडकर परिश्रमी बनना होगा। मनुष्य को परिश्रम की आदत विद्यार्थी जीवन से ही डालनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है।

जीवनमें परिश्रम का महत्व पर निबंध (७००+ शब्दमें) :

सूरज हर रोज नित्य समयपर उगता है, और अपनी उचित समय पर ढलता है| अपनी रोजना क्रिया, हजारो-लाखों सालोसे करता आरहा है। नदियाँ दिन-रात बहती रहती हैं। हवाएं चलती रहती है, वनस्पतियाँ अपना काम करती रहती हैं। पशु, पक्षी, कीड़े-मकोड़े, हर कोई अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं, अपने काम में मगन रहता है।

इसका मतलब हर एक को अपने हिस्सेका परिश्रम करना होता है, ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो व्यक्ति दृढ़ निश्चय करते है, और कठीन परिश्रम की तैयारी रखते है, उनके लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं होता| श्रम से ही उन्नति है, श्रम से ही विकास | श्रम से ही सारे मार्ग आसान हो जाते है | हमारे परिश्रम और प्रयास की कोई सिमा नहीं है, आज संसार ने जो प्रगति हुई है वह परिश्रम का ही परिणाम है।

लेकिन संसार में कुछ लोग ऐसे भी होते है, जो परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। जो परिश्रम नहीं करना चाहते, वही लोग भाग्य के बारेमें सोचते है | ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं, और उसीके सहारे जीते हैं| अगर सभी भाग्य के सहारे रहें, तो यह संसार रुक जायेगा, सभी की प्रगति समाप्त होगी | एक दिन ऐसा आएगा की पुरे विश्व का अंत होगा | इसीलिए कहते है, की भाग्य भी उन्हीके साथ होता है, जो मेहनत करते है, प्रयत्न करते रहते है | भाग्य का जीवन में महत्व होता है, लेकिन हम अपनी परिश्रमसे भाग्य को भी बदल सकते है| आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों पर निर्भर रहता है, वह अपने काम को भाग्य पर छोड़ देता है। अगर हम परिश्रम न करें तो, हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना कुछ भी संभव नहीं होगा।

जैसे-जैसे हमने परिश्रम का महत्व समझा, तो हमने किसीकी निर्भरता छोड़कर, स्वतंत्र मशाल ली | अगर परिश्रम करने के बाद भी सफलता ना मिलती हो, तो हमे यह विचार करना चाहिए की हमारे परिश्रम में कोई कमी है, या तो हमारी दिशा गलत है | सही समयपर उसे पहचानिए और तुरंत सुधारकर, एक नया प्रयास करें|, किन्तु परिश्रम करना कभी ना छोडो । परिश्रम का मतलब जिससे हमारा विकास हो, जिससे हमें सफलता मिले | परिश्रम के बल ही कई देशों ने खुदको सफलता की शिखर तर पहुँचा दिया है। जो परिश्रम व्यर्थ में किया जाता है उसका कोई अर्थ नहीं होता है। जो व्यक्ति में आलस भरा होता हो, वह कभी भी जीवन में सफलता हासिल नहीं कर सकता| परिश्रम के बिना प्राणी का जीवन व्यर्थ होता है।

मनुष्य इस प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, क्यूंकि मनुष्यने ही उचित दिशासे परिश्रम करके खुद को सर्वश्रेष्ठ बना दिया है | जिस तरह से बिल्ली के मुंह में चूहे खुद ही आकर नहीं बैठते है उसी तरह से मनुष्य के पास बिना परिश्रम के उन्नति और विकास खुद आया नहीं हैं। जब किसी काम को करने हेतु वह परिश्रम करता है, लगातार प्रयास करता है तब ये सफलता मिलती है। इसीलिए यह कहा जाता है की जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है, केवल वही साडी बाधाओं और कठिनाईयों पर विजय प्राप्त करता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर तादरुस्त रहता है। परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है।

परिश्रमी व्यक्ति को जीवित रहते सफलता मिलती है, और उन्हें मरने के बाद भी याद किया जाता है | जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति करता है, जैसे की जापान। महापुरुषों के उदाहरण हमारे सामने है, जिन्होंने अपने परिश्रमसे अनेक असंभव काम को भी संभव कर दिखाया। लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चन्द्र बोस जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल बहुत बड़ा मक़ाम हासिल किया था। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान बने थे।

अगर विद्यार्थी परिश्रम करेगा तो परीक्षा सफल हो सकता है। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है | अगर मनुष्य आलसमें रहता, तो हमे इतनी उपलब्धियां कैसे प्राप्त होती।

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Parishram ka Mahatva

परिश्रम का महत्त्व पर निबंध (जहाँ चाह, वहाँ राह) मन के हारे हार है, मन के जीते जीत!

कोई भी मनुष्य हारता तभी है, जब उसका मन हार जाता है, जब उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता है। हार या पराजय का मनोविज्ञान यही है। निराशा और भय, हार जाने का डर, मार्ग के विघ्न और बाधाओं का खौफ ही मनुष्य को पराजित करता है। ‘ परिश्रम का महत्व पर निबंध ‘ के माध्यम से आज हम मन की शक्ति और Importance of Hard Work in Hindi के बारे में बात करेंगे।

श्रम संसार में सफलता प्राप्त करने का महत्त्वपूर्ण साधन है। परिश्रम करके हम जीवन की ऊँची-से-ऊँची आकांक्षा पूरी करने का प्रयास करते हैं। संसार कर्म क्षेत्र है, अतः कर्म करना ही हम सबका धर्म है । किसी भी कार्य में हमें सफलता तब मिलती है, जब हम परिश्रम करते हैं।

Table of Contents

परिश्रम का महत्व पर निबंध

श्रम ही जीवन को गति प्रदान करता है। यदि हम श्रम की उपेक्षा करते हैं, तो हमारे जीवन की गति रुक जाती है। अकर्मण्यता की स्थिरता हमें ऐसी मजबूती से घेर लेती है कि उसके घेरे से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। परिश्रमी व्यक्ति सभी प्रकार की कठिनाइयों से जूझ कर स्वतंत्र वातावरण में साँस ले सकता है।

परिश्रमी व्यक्ति ही जीवन में लक्ष्मी का कृपा पात्र बनता है। वह भाग्य का सहारा छोड़ कर यथाशक्ति पुरुषार्थ करता है। प्रयत्न करने पर भी परिश्रमी व्यक्ति को यदि सफलता नहीं मिलती है तो वह निराश नहीं होता। वह यह जानने के लिए सचेष्ट रहता है कि कार्य में सफलता क्यों नहीं मिली, क्योंकि वह जानता है कि बिना परिश्रम के केवल इच्छा मात्र से सफलता नहीं मिलती।

मोती ढूँढने वाला गोताखोर सागर की गहराइयों और लहरों से डर जाय, तो वह कभी मोती नहीं पा सकता। मोती – चाहत की मंजिल, उद्देश्य का साफल्य – तो गहरे अतल में छिपा होता है – उसे खोजने, ढूँढने में प्राणों को संकट में डालना ही पड़ता है। साहस और आत्मविश्वास – यही दो चीजें है – जो मनुष्य को अपनी मंजिल पर पहुंचाते हैं। आत्मविश्वास के साथ परिश्रम ही जीवन को सफल बनाती है।

जहाँ चाह, वहाँ राह

असफलता की कोख से ही सफलता का जन्म होता है। मनुष्य प्रयास करता है, असफल होता है। जो व्यक्ति, असफलता को अपनी नियति नहीं मानते, वे हार कर पुनः दोगुने-चौगुने आत्मविश्वास एवं उत्साह से कर्म में प्रवृत्त होते हैं और अन्त में अपना लक्ष्य पाकर ही दम लेते हैं।

इस कहावत में बहुत दम है – “Where there is will, there is a way” अर्थात् जहाँ चाह, वहाँ राह। जहाँ दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है सच्चा संकल्प होता है, घना आत्मविश्वास होता है, वहाँ सफलता की राह खुद-ब-खुद बन जाती है।

मनुष्य को जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए। यह पंक्ति से आपने सुनी ही होगी – ‘ नर हो, न निराश करो मन को। ‘ इस संसार में मनुष्य को आघात लगता ही रहता है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि वह हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाय। जीवन में निराशावादी दृष्टिकोण का परित्याग और आशावादी दृष्टिकोण का स्वीकार ही मनुष्य को यही आत्मविश्वास उसे सफलता और यश के उच्च शिखर पर आसीन करता है।

Importance of Hard Work in Hindi

संसार में हमें प्रत्येक पथ पर संघर्ष करके अपना मार्ग स्वयं बनाना पड़ता है। यदि हम परिश्रम करते हैं, तब जीवन के संघर्ष में हमें विजय मिल पाती है। हम जितने भी शक्तिशाली और साधन-संपन्न हों पर यदि श्रम करने से जी चुराते हैं, तो हमारी शक्ति और साधन सम्पन्नता अकेले हमें लक्ष्य की ओर नहीं ले जा सकती।

श्रम का असली रूप तो सारी प्रकृति में देखने को मिलता है । पशु-पक्षी, जीव-जंतु सभी निरंतर श्रम में लगे रहते हैं। रंगीन तितलियाँ धूप में उड़ती फिरती हैं और सुगंधित सुमनों के सौरभ का पान करके सुखी होती हैं। मधुमक्खियों को फूलों के कोष से मधु निकाल कर संचित करने में कम श्रम नहीं करना पड़ता।

यदि चींटी की भाँति हम भी अपने जीवन में श्रम के महत्त्व को समझें तो कर्म में हमारी आस्था दृढ़ होती है। कर्म से तो मनुष्य को कभी छुटकारा मिलने वाला नहीं। फिर जब कर्म करना ही है, तो फिर श्रम से उस पर पूर्ण अधिकार क्यों न किया जाए। एक महापुरुष का कहना है कि मोची होना बुरा नहीं, मोची होकर खराब जूता सीना बुरा है।

इसे भी पढ़ें: ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

जीवन में श्रम का महत्व पर निबंध

हमारे समाज में बहुत से लोग भाग्यवादी होते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज की प्रगति में बाधक होते हैं। आज तक किसी भाग्यवादी ने संसार में कोई महान कार्य नहीं किया। बड़ी-बड़ी खोजें, बड़े-बड़े आविष्कार और बड़े-बड़े निर्माण श्रम के द्वारा ही संपन्न हो सके हैं।

हमारे साधन और हमारी प्रतिभा हमें केवल उत्प्रेरित करते हैं और हमारा पथ प्रदर्शन करते हैं, पर लक्ष्य तक हम श्रम से ही पहुँचते हैं। श्रम करके ही प्रतिभासंपन्न कलाकारों ने अपने छेनी हथोड़े के द्वारा अजंता-एलोरा की बनाई भव्य गुफाओं को मूर्तिमान किया।

सामान्य व्यक्तियों ने अपने श्रम से बड़े-बड़े साम्राज्य खड़े कर दिए हैं। बाबर, शेरशाह, नेपोलियन सभी आरंभ में सामान्य व्यक्ति थे पर अपने श्रम से उन्होंने इतिहास में अपने नाम को अमर बना दिया । अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए, परिश्रम से नौकाओं का संचालन करके कोलंबस ने अमरीका को खोज निकाला।

श्रम-साधना करने वालों को यश भी प्राप्त होता है और वैभव भी। एक गरीब परिवार का बालक श्रम से अध्ययन करता है। उच्चशिक्षा प्राप्त करके वह किसी उच्च पद पर आसीन होता है और अपने परिवार की स्थिति ही बदल देता है। हमारे अनेक साहित्यकार ऐसे हैं, जिन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा नहीं मिली । श्रम से उन्होंने अध्ययन किया। अपनी शक्तियों को विकसित किया और सफलता से उच्च कोटि के साहित्य का सृजन किया । अनेक व्यापारी थोड़ी-सी संपत्ति से अपना व्यापार आरंभ करते हैं और दो-चार वर्षों में वे धनवान बन जाते हैं।

जब हम अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए श्रम करते हैं तो हमारे मन को अलौकिक आनंद मिलता है। अंतःकरण का सारा कलुष घुल जाता है और पूर्ण संतोष का अनुभव होता है।

हम उस किसान के जीवन को देखें जो दिन भर परिश्रम से अपना खेत जोतता है और सायंकाल अपनी झोपड़ी में आकर आनंद मग्न कोई ग्राम-गीत अलापता है उस समय उसके स्वरों में उस स्वर्गीय संगीत की सृष्टि होती है। जब कोई विद्यार्थी दिनभर परिश्रम से अध्ययन करता है तब वह सायंकाल खेलने में आनंद का अनुभव करता है।

परिश्रम करने के फ़ायदे 

  • शारीरिक श्रम से मनुष्य को संतोष तो मिलता ही है उसका शरीर भी स्वस्थ रहता है।
  • श्रम से उसकी मांसपेशियाँ सुदृढ़ हो जाती हैं ।
  • जो लोग श्रम नहीं करते आलसी बने पड़े रहते हैं, उनका तो भोजन भी नहीं पचता और उनके शरीर को अनेकों व्याधियाँ घेरे रहती हैं।
  • शारीरिक श्रम हर एक व्यक्ति के लिए आवश्यक है।
  • शारीरिक श्रम करने वाले लोग दीर्घजीवी होते हैं।
  • श्रम के साथ-साथ ही मानसिक श्रम करने वाले का ही बौद्धिक विकास होता है। वह गंभीर-से-गंभीर तथ्य सहज ही ग्रहण कर लेता है।
  • विषम परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाने पर भी घबराता नहीं बल्कि साहस से उनका सामना कर लेता है। वह हर एक समस्या का आसानी से समाधान खोज लेता है।
  • मानसिक श्रम के महत्व को समझ कर हमारे ऋषि-मुनि चिंतन में लीन रहते थे और चिन्तन के लिए लोगों को उत्साहित करते थे। हमारा उपनिषद् साहित्य हमारे मानसिक श्रम का ही परिणाम है।

इसे भी पढ़ें: जीवन में समय का महत्त्व

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Hard Work Success Essay In Hindi | परिश्रम ही सफलता पर निबंध

Hard Work Success Essay In Hindi परिश्रम ही सफलता पर निबंध

  • परिश्रम का महत्व
  • भाग्य और परिश्रम
  • परिश्रम से ही सफलता

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

परिश्रम ही सफलता पर निबन्ध | Essay on Hard Work Success In Hindi

वेद के एक मंत्र में कहा गया है-‘कृतं में दक्षिणे हस्ते, जयो में सव्य अहिते’-मेरे दाएँ हाथ में कर्मठता हो तो बाएँ हाथ में विजय होगी। इस मंत्र ने एक सच्चाई को प्रस्तुत किया है। जो व्यक्ति परिश्रम और साहस से कार्य करते हैं, उन्हें सदा सफलता प्राप्त होती व्याकरण संधान है। श्रम के महत्व को सभी ने स्वीकार किया है। यह वह शक्ति है जिस पर विश्वास और भरोसा किया जा सकता है। एक प्राचीन कहावत के अनुसार यह पृथ्वी परिश्रमी और पुरुषार्थी व्यक्तियों द्वारा ही भोगी जा सकती है-‘वीरभोग्या वसुंधरा’ परिश्रमी व्यक्ति ही इस संसार के ऐश्वर्य को भोग सकते हैं। किसी महान कार्य को पूरा करने के लिए परिश्रम ही एक मात्र साधन है।

जो मनुष्य परिश्रम न करके आलस्यपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं, सफलता उनसे दूर रहती है। पछतावा करने के सिवाय उन्हें कुछ हाथ नहीं लगता ‘अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।’ ऐसे मनुष्य भाग्य को बड़ा मानते हैं। भाग्य को विधाता मानकर वे परिश्रम से बचते हैं। उनके अनुसार ‘मनुष्य भाग्य के हाथों का खिलौना’ होता है। भाग्यवादी प्रायः सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र और भगवान श्री राम के जीवन का उदाहरण देते हैं। उनका कहना है कि भाग्य बड़ा बलवान होता है, उसी के कारण राजा हरिश्चंद्र को राज-त्याग कर श्मशान में दासता करनी पड़ी तथा भगवान राम को चौदह वर्ष तक वन में रहकर कष्ट भोगने पड़े।

जीवन का यथार्थ कुछ और ही कहानी कहता है। भाग्य पर भरोसा न करके परिश्रम की पतवार के सहारे ही जीवन नौका में बैठकर संसार-सागर के उस पार पहुंचा जा सकता है। जो लोग आलसी और निष्क्रय होते हैं वही ‘भाग्यं फलति सर्वत्र’ का नारा लगाते हैं। वे मनुष्य को नितांत शक्तिहीन और असमर्थ मानते हैं। ऐसे व्यक्ति हीन भावना से ग्रस्त होते हैं, उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है तथा वे स्वयं को असहाय समझते हैं। वे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। परिश्रम को तिलांजलि देकर वे निराशापूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। इसके विपरीत भाग्य या संयोग को कल्पना की वस्तु मानने वाले परिश्रमशील व्यक्ति दूसरों को दोष नहीं देते। वे कठोर श्रम और दृढ़ संकल्प शक्ति को ही सफलता की कुंजी मानते हैं। नेपोलियन की मान्यता थी, “भाग्य उन्हीं का साथ देता है जो सबसे अधिक कुशल, सबसे अधिक साहसी और दृढ़ निश्चयी होते हैं।” ऐसे वीर पुरुषों के सामने ऊँचे पर्वत भी सिर झुका देते हैं। नियति को तुच्छ मानने वाले ऐसे महापुरुष जीवन की विषम परिस्थितियों तथा बड़ी-से-बड़ी बाधाओं की चुनौती को स्वीकार करते हैं। महाराजा रणजीतसिंह की तरह उनके चरणों में भी नदी की भयंकर ऊँची लहरें नतमस्तक हो जाती हैं। कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने ऐसे ही पुरुषों के लिए कहा है-

देखकर बाधा विविध बहु विज घबराते नहीं, रह भरोसे भाग्य के दुख भाग पछताते नहीं।

उद्यम से ही सब कार्य सिद्ध होते हैं, केवल मन में विचार करने से कार्य-सिद्धि नहीं होती। भगवान भी उन्हीं की मदद करता है जो अपनी मदद आप करते हैं। इसलिए मनुष्य को परिश्रम के महत्व को पहचानना चाहिए। कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि परिश्रम करने के बाद भी कार्य सिद्ध नहीं होता, ऐसी स्थिति में निराशा का दामन थामने से काम नहीं चलता। यत्न करने पर भी यदि कार्य में सफलता नहीं मिलती तो उसके लिए परिश्रमी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। महाराज भर्तृहरि ने उचित ही कहा है-

उद्योगिन पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी, दैवेन देयमिति कापुरुषा वदंति। दैव निहत्य कुरु पौरुषमात्मशक्त्या, यत्ने कृते यदि न सिध्यति कोऽत्र दोषः।

सिद्धि या सफलता का मूल मंत्र निःसंदेह उद्यम या उद्योग है। असफल होने पर परिश्रमी व्यक्ति को यह देखना चाहिए कि उसकी कार्य-विधि में कहाँ त्रुटि रह गई। उस दोष का निवारण कर उसे तत्परतापूर्वक पुनः कार्य में जुट जाना चाहिए। निश्चय ही सफलता उसके चरण चूमेगी।

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जीवन में परिश्रम का महत्व Hindi Essay on Importance of Hard Work in Hindi

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सृष्टि के विकास का मूलमन्त्र परिश्रम है। श्रम के बल पर सृष्टि के समस्त कार्य संचालित होते हैं। पृथ्वी, नक्षत्र, ग्रह, सूर्य और चन्द्र सभी अपने कर्म में निरत हैं। संसार के सभी प्राणी कर्म के अधीन हैं। पक्षी प्रातःकाल दाना जुटाने के लिए अपने घोंसले से निकल पड़ते हैं।चींटी अपना भोजन एकत्र करने के लिए सतत चलती रहती है। सभी पशु, सभी मानव प्रातः से सायं तक अपने कर्म में अनवरत निरत दृष्टिगत होते हैं। मानव ने आदिम युग से आज तक का सभ्य जीवन परिश्रम से ही प्राप्त किया। उसने पशुओं का शिकार किया, खेती करना सीखा, पराका निर्माण किया, माम और नगर बसाये। गगनचुम्बी भवनों, विशाल बाँधों, कारखानों, यन्वी, माटर, रेलों का निर्माण किया। चारों ओर मानव का श्रम एव जयते' का उच्च उद्घोष सुनाई पड़ता छ। यह सब मनुष्य की साधना एवं अनवरत श्रम का परिणाम है। 

श्रम  के प्रकार

श्रम का महत्व.

जीवन में परिश्रम का महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन में सुख और समृद्धि श्रम पर आधारित है। अथक परिश्रम से असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं। श्रम जीवन की सफलता की कुंजी है। ईश्वर ने मनुष्य के लिए अनन्त पदार्थ बनाये है, परन्तु अकर्मण्य व्यक्ति उन्हें प्राप्त नहीं कर पाते हैं। उन्हें पाने के लिए कर्म तो करना ही होगा 

"सकल पदारथ यहीं जग माहीं, कर्महीन नर पावत नाहीं।" 

श्रम से मनुष्य मनुष्यत्व ही नहीं, देवत्व भी प्राप्त कर लेता है। श्रम वह सोपान है, जिस पर चढ़कर मनुष्य संसार-स्वर्ग के सभी सुखों को प्राप्त कर सकता है। मानवता का विकास और वैज्ञानिक उन्नति परिश्रम के ही मधुर फल हैं। गीता के "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्" में श्रम की महत्ता ही प्रतिपादित की गयी है। कवि नलिन के शब्दों में 

"जीवन एक सुमन मानो तो सौरभ उसका श्रम है। 

ईश्वर की वरदान शक्ति भी इसके आगे कम है।। 

जिस प्रकार सौरभ के बिना सुमन व्यर्थ है, उसी प्रकार श्रम के बिना जीवन व्यर्थ है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में श्रम का महत्व दृष्टिगोचर होता है। अध्यापक परिश्रमी छात्र से प्रसन्न रहता है। मालिक मेहनती सेवक से सन्तष्ट रहता है। बढे परिश्रम से सेवा करने वाले बच्चों से प्रसन्न रहते हैं। प्रथम श्रेणी प्राप्त करने वाले परिश्रमी छात्र को छात्रवृत्ति प्राप्त होती हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में परिश्रम द्वारा उत्तीर्ण होने वालों को सरकारी उच्च पद प्राप्त होते हैं। परिवार के परिश्रमी सदस्य के हाथ में घरं की बागडोर रहती है। इस प्रकार परिश्रम की अनिवार्यता जीवन के सभी क्षेत्रों में देखी जा सकती है। 

भाग्य और पुरुषार्थ 

भाग्य और पुरुपार्थ जीवन-पथ के दो पहिये हैं। अकेले. भाग्यचक्र से ही जीवन रथ आगे नहीं बढ़ सकता है। जो लोग श्रम को त्यागकर भाग्य या आलस्य का आश्रय लेते हैं, वे अपने जीवन में असफल रहते हैं। ईश्वर पर केवल आलसी व्यक्ति ही आश्रित रहते है."देव-देय आलसी पुकारा।" कायरों और अकर्मण्यों की ईश्वर भी सहायता नहीं करता है 

"God helps those, who help themselves" 

आलसी और अकर्मण्य पृथ्वी पर भार-स्वरूप हैं। आलस्य मनुष्य का प्रबल शह है। भाग्यवादी बनकर हाथ पर हाथ रखकर बैठना मौत की निशानी है। मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है। परिश्रम के बल पर ही वह अपने बिगड़े भाग्य को बदल सकता है। 

सफलता का रहस्य श्रम

महापुरुष बनने का प्रथम सोपान परिश्रमशीलता है। संसार में जितने महापुरुष हुए सभी कष्ट-सहिष्णुता और अम के कारण श्रद्धा, गौरव और यश के पात्र बने। वाल्मीकि, कालिदास, तुलसीदास आदि जन्म से महाकवि नहीं थे। उन्हें ठोकरें लगी, ज्ञान-नेत्र खुले और अनवरत परिश्रम से महाकवि बने। जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमन्त्री बनने का रहस्य उनकी -परिश्रमशीलता ही है। गाँधीजी का सम्मान उनके परिश्रम एवं कष्ट-सहिष्णुता के कारण ही है। इसे सबने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण अमरत रहकर बिताया। उसी का परिणाम है कि वे सफलता के उच्च शिखर तक पहुँच सके। महान् राजनेताओं, वैज्ञानिकों, कवियों, साहित्यकारों और ऋषि-मुनियों की सफलता का रहस्य एकमात्र परिश्रम ही है। जितने भी लक्ष्मी के वरद पुत्र हैं, यदि वे निठल्ले पड़े रहते तो उनकी सम्पत्ति बढ़ने के बजाय घट जाती। अनुद्यमी मनुष्य लक्ष्मी का कृपापात्र नहीं हो. सकता है। 

परिश्रमी व्यक्ति राष्ट्र की बहुमूल्य पूँजी है। श्रम वह महान् गुण हैं, जिससे व्यक्ति का विकास और राष्ट्र की उन्नति होती है। संसार में महान् बनने और अमर होने के लिए परिश्रमशीलता अनिवार्य है। श्रम से अपार आनन्द मिलता है। श्रम के सामने प्रकृति भी नत हो जाती है 

"प्रकृति नहीं डर कर झकती है, कभी भाग्य के बल से । 

सदा हारती वह मनुष्य के उद्यम से, श्रम-जल से।" 

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जीवन में कार्य का महत्व पर निबंध Essay On Importance Of Work In Life In Hindi

जीवन में कार्य का महत्व पर निबंध Essay On Importance Of Work In Life In Hindi : हम जो कुछ प्राप्त करते है अथवा पाने की कामना करते हैं उनका आधार कार्य ही होता हैं.

जीवन का दूसरा नाम ही कर्मशीलता हैं निष्कर्मन्यता को जीवन का सर्वाधिक न्यून स्तर माना गया हैं. आज के निबंध में हम पढेगे कि जीवन में कर्म अर्थात कार्य का महत्व क्या हैं.

Essay On Importance Of Work In Life In Hindi

जीवन में कार्य का महत्व पर निबंध Essay On Importance Of Work In Life In Hindi

जीवन में कर्म अर्थात कार्य करने का अर्थ है सच्ची लग्न निष्ठा मेहनत तथा ईमानदारी से अपने दायित्वों को पूर्ण करना, कार्य का बड़ा महत्व हैं, इसके बिना जीवन का कोई सार नहीं हैं.

भगवान श्रीकृष्ण गीता के कर्मयोग में कार्य का महत्व बताते हुए कहते हैं मनुष्य को निरंतर कर्मशील बने रहना चाहिए, उसे फल की चिंता करने की बजाय अपने कार्य पर ध्यान देना चाहिए.

मनुष्य एक पल भी बिना कार्य के नहीं रह सकता, बाहरी तौर पर भले ही वह कोई कर्म न करे, मगर उसका मन लगातार चिंतन करता रहता हैं. मनुष्य कार्य के बिना शरीर का निर्वाह नहीं कर सकता हैं. जो इन्सान संसार से बंधन से मुक्त हो चूका है उसे भी निरंतर कार्य करके कर्मयोगी बनना चाहिए.

चिकित्सालय के डॉक्टर और नर्स का कार्य रोगियों को व्याधि मुक्त कर नया जीवन प्रदान करता हैं. एक छात्र निरंतर कार्य एवं अभ्यास के बल पर उच्च योग्यता का अर्जन करते हैं.

विज्ञान तथा तकनीकी के क्षेत्र के लोग निरंतर नये नये अनुसंधानों में लगे रहकर मानव कल्याण के लिए नयें साधनों को इजाद करते हैं. ईश्वर की इस प्रकृति की गतिशीलता का सिद्धांत कार्य पर टिका हैं. मानव ने लगातार कर्मशील बनकर चन्द्रमा तक अपनी पहुँच को बनाया हैं.

कार्य न करने वाले प्राणी को पशु के समान समझा जाता हैं. हर अवसर पर काम से जी चुराने वाले तथा आलसी किस्म के प्राणी बिन सिंग पूंछ के जानवर के समक्ष ही हैं. अकर्मण्य व्यक्ति को पृथ्वी पर बोझ माना गया हैं. भले ही वह कितना भी आकर्षक और अच्छे संदेश प्रसारित करने वाला हो.

परिवार, समाज तथा राष्ट्र की उन्नति में उसका कोई योगदान नहीं होता हैं. अक्सर देखा गया हैं, अपने कर्तव्यों से जी चुराने वाले, बहाने बनाने वाले लोग आगे जाकर अपराधी प्रवृत्ति के बन जाते हैं, जो किसी भी समाज के दुश्मन तुल्य होते हैं.

बहुत से लोग कार्य एवं परिश्रम करने वालों को हीन भावना से देखते हैं. कोई भी कार्य छोटा बड़ा हीन या उत्तम नहीं होता हैं कार्य करना मानव होने की निशानी हैं.

प्रकृति की रचना इस तरह की हैं कि आज बाबू समझता है उस पर ऊपरी अधिकारी का बोझ है अधिकारी कलक्टर को बोझ मानता हैं कलक्टर सरकार को, सरकार विपक्ष को आदि आदि ये केवल मानसिक विकार तथा सोच का ओछापन हैं.

जीवन में हमें कभी काम करने से जी नहीं चुराना चाहिए बल्कि कम समय में अधिक से अधिक कार्य करने का यत्न करना चाहिए, क्योंकि परिश्रम अथवा कार्य ही सफलता के मूल तंत्र हैं.

निरंतर अपने कार्य में लगने वाले के पास सफलता तो उलटे पाँव भागी आती हैं. व्यक्ति यदि अपने कार्यों को शुद्ध अंतकरण से करना शुरू कर दे तो उनकी विफलताएं भी कामयाबी बनकर आती हैं.

हमनें ऐसे हजारों लोगों के उदाहरण पढ़े व सुने है जो सामान्य से विशेष केवल अपने कर्मों के दम पर ही बने हैं. गांधी, लिंकन, लेनिन, न्यूटन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस तरह के उदाहरण हैं जो हमें निरंतर कर्म में लगे रहने की प्रेरणा देते हैं.

कर्म ही धर्म है निबंध Work is Worship Essay in Hindi – कार्य ही पूजा है

मनुष्य जब जब अपने कर्म को सम्मान देता है तथा पूरी श्रद्धा के साथ उसे सम्पन्न करने में लग जाता हैं तो निश्चय ही उसे सफलता मिलती हैं. हमारे धर्म ग्रंथों में इसी बात को कहा गया हैं कि कर्म ही पूजा हैं,

अर्थात जिस तरह श्रद्धा भक्ति व तन्मयता के साथ पूजा होती हैं वही निष्ठा कार्य के प्रति रखी जानी चाहिए. प्रत्येक मानव हाथ, पैर मस्तिष्क लेकर पृथ्वी पर उतरा हैं,

हमें ईश्वर ने इसलिए ये ज्ञानेन्द्रिय व कर्मेंद्रिय दी क्योंकि वह हमसे कार्य करवाना चाहता हैं. इस लोक की सरंचना इस तरह से की हैं कि हमें अपनी जरुरतो को पूर्ण करने के लिए कर्म करने की आवश्यकता पडती ही हैं.

हम किस तरह के कर्म करे अथवा हमें कहाँ तक सफलता मिलेगी. यह उस काम के प्रति हमारी ईमानदारी और समर्पण भाव पर निर्भर करता हैं.

कार्य के बिना हमारी थाली में सजा खाना हमारे मुहं तक नहीं आ सकता, जीवन कर्म के बिन अकर्मण्य बन जाता हैं, इसे उपयोगी बनाने में कर्म की बड़ी भूमिका हैं.

जीवन में निरंतर कार्य करते रहना ही मानव का प्रथम कर्तव्य माना गया हैं, आलस्य, निद्रा, सुस्ती को कर्म का शत्रु व जीवन का अभिशाप माना गया हैं. ये मानव के व्यक्तित्व विकास के बाधक हैं.

अपने जीवन में सफलता की बुलंदियां स्पर्श करने वाले व्यक्तियों ने कार्य के महत्व को समझा है तथा कार्य के लिए स्वयं को पूर्ण रूप से समर्पित करने पर ही उन्होंने वह मुकाम अर्जित किया हैं. भाग्य, किस्मत अथवा ईश्वर भी उनके के साथ चलते हैं जो कर्म करने में संकोच नहीं करता हैं.

सरल शब्दों में समझे तो कार्य अथवा कर्म को हम अपने जीवन में प्रयास के रूप में अमल में लाते हैं. यदि आप भी निरंतर प्रयासरत है अपने लक्ष्य की ओर तो आप सफलता रुपी प्याले में निरंतर अमृत रस जमा कर रहे हैं

जो एक दिन आपके लिए फल के रूप में छलकेगा. हम अपने जीवन में जो कुछ प्रगति या विकास के कारनामे देखते अथवा सुनते हैं उनके पीछे कार्य और सिर्फ कार्य जुड़ा होता हैं.

कर्म कैसे पूजा है इसे उदाहरण के जरिये समझे तो जापान का उदाहरण सही प्रतीत होता हैं. दूसरे विश्व युद्ध में जब इसने अपने दो सर्वाधिक विकसित महानगरों को परमाणु की विभीषिका से ख़ाक होते देखा, यूँ समझ ले जापान की रीढ़ की हड्डी 1945 में तोड़ दी गई.

आज वो छोटा सा देश जहाँ हर दिन ज्वालामुखी के ज्वार निकलते हैं अपने इतिहास के काले अध्याय को भुलाकर किस तरह केवल कर्म के दम पर आज वह विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्रों में गिना जाता हैं.

जापानियों ने अपनी तबाही को भाग्य का लिखा मानने की बजाय, फिर से उठ खड़े हुए और कर्म के महत्व को अपने जीवन के सिद्ध कर दिखाया कि कुछ ही असम्भव नहीं होता हैं यदि मानव कुछ करने की ठान ले तो एक दिन वह सब कुछ पा सकता हैं.

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निबंध : परिश्रम का महत्व | Importance of hard work essay in Hindi

Importance of hard work essay in Hindi

परिश्रम का महत्व

( Importance of hard work : Hindi Essay )

परिश्रम ही सफलता की कुंजी होती है। बिना परिश्रम के सफलता हासिल नहीं की जा सकती। जिंदगी में तरक्की करने के लिए एक मुकाम हासिल करने के लिए हर इंसान को परिश्रम जरूर करना पड़ता है। भगवान ने परिश्रम करने का गुण केवल मनुष्य को दिया है।

पंछी सुबह उठकर खाना ढूढने के लिए निकल जाते हैं। बड़े होते ही उन्हें उड़ना सिखाया जाता है। दुनिया का लगभग हर जीव जंतु अपना पेट भरने के लिए प्रतिदिन खुद मेहनत करता है।

इसी तरह मनुष्यों को भी बचपन से ही परिश्रम करने की सलाह दी जाती है। चाहे वह पढ़ाई के क्षेत्र में हो या फिर पैसा कमाना हर चीज में मेहनत करनी ही पड़ती है।

मेहनत के दम पर ही लोगों ने दुनिया को एक से बढ़कर एक अद्भुत खोजें करके दी है। सफलता हासिल करने के लिए हम जो परिश्रम करते हैं उसे ही हमारा जीवन खुशियों से भरता है।

परिश्रम किसे कहते हैं ( What is hard work in Hindi ): –

शारीरिक और मानसिक रूप से किए गए किसी भी काम में परिश्रम की जरूरत होती है। हर इंसान अपनी इच्छा के अनुसार अपना काम चलता है और उस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहता है।

पहले के समय में परिश्रम का मतलब सिर्फ शारीरिक परिश्रम से होता था जो मजदूर वर्ग द्वारा किया जाता था। लेकिन अब परिश्रम की परिभाषा बदल गई हैं। आज डॉक्टर, इंजीनियर, मजदूर, अभिनेता, टीचर सभी प्रतिदिन परिश्रम करते हैं।

परिश्रम की परिभाषा ( Definition of hard work in Hindi ) :-

एक कामयाब व्यक्ति के पीछे उसका परिश्रम ही होता है। जो व्यक्ति जितना अधिक परिश्रम करता है वह उतना अधिक सफलता हासिल करता है।

आइये एक मेहनती व्यक्ति अपने जीवन में किन बातों को अपना आता है, जिससे वह सफलता की बुलंदियों पर चढ़ता है

समय बर्बाद न करना :-

अक्सर देखा जाता है बहुत सारे लोग आलस करते हैं। परिश्रम करने के बजाय आराम करना, धीरे धीरे काम करना, आलस का ही एक रूप है।

परिश्रमी व्यक्ति समय बर्बादी नहीं करता। वह निरंतर काम करता है। वहीं आलसी लोग हमेशा अपना वक्त इधर-उधर बर्बाद करते रहते हैं।

परिश्रम न करने की वजह से मन मुताबिक सफलता नहीं मिल पाती है। माना कि कई बार परिश्रम करने के बाद भी कुछ लोग मन मुताबिक सफलता हासिल नहीं कर पाते या फिर उन्हें काफी देर से सफलता मिलती है। लेकिन हार मानना उचित नहीं है। परिश्रम के दम पर सफलता हासिल की जा सकती है।

पैसे के पीछे न भागे –

परिश्रम करने का यह मतलब नहीं है कि हर वक्त पैसे कमाने की धुन में सवार रहे। हमारी जिंदगी में पैसा बहुत महत्वपूर्ण होता है।

लेकिन यह हमारी जिंदगी नहीं है। इंसान परिश्रम के दम पर दुनिया का हर सुख हासिल कर लेता है। लेकिन कई बार वह मानसिक शांति हासिल नहीं कर पाता है।

परिश्रम का यह मतलब है कि जिंदगी नही जीनी चाहिए और पैसा ही कमाए। जिंदगी जीने के लिए अपनों का साथ बेहद जरूरी है। जिंदगी जीने के लिए हर वक्त खुश रहना और मौज मस्ती करते रहना चाहिए।

अपनी इच्छा का काम करें –

अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग बिना मन से काम करते हैं और अपना पूरा प्रयास नहीं करते हैं। वहीं कुछ लोग हैं यदि अपनी इच्छा के अनुसार काम चुनते हैं तो उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं।

इसलिए हमेशा उस काम को चुनना चाहिए जो आपको पसंद हो, जिससे आप बिना किसी दबाव के अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।

हार न माने –

आज आप जितने भी सफल व्यक्ति को देखते है हर किसी ने पहली बार में सफलता हासिल नहीं की है। निरंतर प्रयास करते रहने की वजह से वह सफलता की बुलंदियों पर पहुंच सके हैं।

आज हमारे सामने कई सारे ऐसे उदाहरण हैं जो लगातार निरंतर प्रयास करते रहने से सफलता का मुकाम हासिल कर पाए हैं।

चाहे वह अब्राहम लिंकन हो, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या फिर सुपरस्टार अभिनेता शाहरुख खान हो। ये महान हस्तियां हमें यह सिखाती हैं कि हमें हर सुबह एक उम्मीद के साथ दिन की शुरुआत करनी चाहिए और परिश्रम करना चाहिए। तभी हम दुनिया की हर चीज को हासिल कर सकते हैं।

लेखिका :  अर्चना  यादव

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