biography of steve jobs in hindi

स्टीव जॉब्स की जीवनी

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक हैं, उन्होंने जिस तरह अपने जीवन में तमाम संघर्षों को झेलकर अपनी जिंदगी में सफलता के नए आयामों को छुआ वो वाकई तारीफ-ए-काबिल हैं।

जॉब्स की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें एक मंदिर में मिलने वाले खाने से अपनी भूख मिटानी पड़ती थी और दोस्त के घर जमीन में सोना पड़ता था।

यहीं नहीं वे अपने जीवन में उस दौर से भी गुजरे जब उन्हें अपनी ही कंपनी एप्पल से निकाल दिया गया था, लेकिन इन सबके बाबजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे। आइए जानते हैं स्टीव जॉब्स के प्रेरणादायक जीवन के बारे में-

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी – Steve Jobs Biography in Hindi

एक नजर में –, जन्म, परिवार, शुरुआती जीवन –.

स्टीव जॉब्स का जन्म और परवरिश भी बाकी लोगों से एकदम अलग है। दऱअसल उनका जन्म 24 फरवरी, 1955 में कैलीफॉर्नियां के सेंट फ्रांसिस्कों में सीरिया के मुस्लिम अब्दुलफत्त: जन्दाली के घर में हुआ था।

उन्होंने जोअत्री सिम्पसन की कोख से जन्म लिया था, हालांकि उस दौरान उनके माता ने शादी नहीं की थी। इसलिए उन्होंने स्टीव को गोद में देने का फैसला किया।

इसके बाद उन्होंने पॉल और क्लारा नाम के एक कपल को जॉब्स को पढ़ने के लिए कॉलेज भेजने के आश्वासन के बाद गोद में दे दिया था।

आपको बता दें कि पॉल, जिन्होंने जॉब्स को गोद लिया था, वे एक मैकेनिक थे, जबकि उनकी मां क्लारा अकाउंटेंट थी, जिन्होंने बाद में एक गैरेज खोल लिया था। वहीं जॉब्स की दिलचस्पी भी शुरु से ही इलैक्ट्रॉनिक्स में थी।

इसलिए वे गैरेज में रखे इलैक्ट्रॉनिक के सामान से छेड़छाड़ करते और हमेशा कुछ नया जानने की कोशिश में लगे रहते थे। इस तरह बचपन में ही जॉब्स ने अपने पिता की मद्द से इलैक्ट्रॉनिक्स का काफी काम सीख लिया था।

वहीं जॉब्स बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा वाले एक कुशाग्र बुद्धि के छात्र थे, हालांकि उन्हें स्कूल जाने से अच्छा घर पर बैठकर किताबें पढ़ना ही लगता था।

शिक्षा एवं शुरुआती करियर –

स्टीव जॉब्स के माता-पिता ने किसी तरह उनकी हाईस्कूल तक तो पढ़ाई का खर्चा उठा लिया, लेकिन इसके बाद जब स्टीव जॉब्स का एडमिशन ऑरगेन के रीड कॉलेज में हुआ, तो यह इतना महंगा था कि स्टी के माता-पिता की पूरी जमा पूंजी इस कॉलेज की फीस में ही खर्च होने लगी, इसलिए पहले सेमेस्टर के बाद ही पैसों की कमी की वजह से स्टीव जॉब्स ने अपना कॉलेज छोड़ने का फैसला लिया।

हालांकि कॉलेज छोड़ने के बाद भी वे कैलीग्राफी (Calligraphy) की क्लास जरूर अटेंड करते थे। कैलीग्राफी, अक्षरों को क्रिएटिव एवं अच्छे तरीके से लिखने की कला होती है।

इस दौरान स्टीव जॉब्स का दोस्ती वोजनियाक से हुई, जिसे भी इनकी तरह ही इलैक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर में दिलचस्पी थी।

स्टीव जॉब्स को अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आर्थिक तंगी की वजह से काफी बुरे दौर से गुजरना पड़ा था। स्टीव जॉब्स के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वे अपने पेट की भूख मिटा सकें, कोक की बॉटल बेचकर किसी तरह अपना गुजारा करते थे, और हर संडे कृष्ण मंदिर इसलिए जाते थे कि क्योंकि वहां फ्री में भरपेट खाना मिलता था, यही नहीं स्टीव जॉब्स ने कई रातें अपने दोस्त के कमरे में फर्श में सोकर गुजारीं थीं।

हालांकि, स्टीव जॉब्स के अंदर दृढ़इच्छाशक्ति और प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी। इसी के चलते उन्हें 1972 में एक वीडियो गेम बनाने वाली डेवलिंग कंपनी में काम करने का मौका मिल गया, लेकिन स्टीव जॉब्स इस जॉब से संतुष्ट नहीं थे और फिर उन्होंने यह नौकरी छोड़ने का फैसला लिया।

वहीं इस नौकरी से जो भी पैसे बचाए उससे वे भारत घूमने के लिए आ गए। दरअसल, स्टीव को भारतीय संस्कृति काफी प्रभावित करती रही हैं और वे यहां आकर अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे।

इसलिए उन्होंने साल 1974 में करीब 7-8 महीने भारत के उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में व्यतीत किए और यहां बौद्ध धर्म की शिक्षा ली।

इसके बाद वे अमेरिका वापस लौट गए, हालांकि अब पहले वाले जॉब्स नहीं रहे, वे पूरी तरह बदल चुके थे और उनका मन भी पूरी तरह एकाग्रचित्त हो गया था। इसके बाद जाकर उन्होंने फिर से जॉब ज्वॉइन कर ली।

सबसे प्रतिष्ठित कंपनी एप्पल के फाउंडर के रुप में –

स्टीव जॉब्स के सबसे अच्छे दोस्त वोजनियाक ने एक बार अपने पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया, जिसे देख वे बेहद खुश हुए और इसी के बाद जॉब्स को कंप्यूटर बनाने के बिजनेस करने का आइडिया आया।

फिर साल 1976 में जॉब्स ने अपने दोस्त के साथ मिलकर अपने पिता के गैरेज में कम्प्यूटर बनाने का काम शुरु कर दिया, गैरेज से शुरु हुई कंपनी का नाम ”एप्पल” रखा।

इसके बाद इस कंपनी ने एक के बाद एक नए अविष्कार किए और सफलता के नए आयामों को छुआ। साल 1980 में जॉब्स की एप्पल कंपनी एक प्रतिष्ठित एवं विश्व की जानी-मानी कंपनी बन गई थी।

स्टीव को जब अपनी ही कंपनी एप्पल से बाहर निकाला:

स्टीव जॉब्स के जीवन में एक दौर वो भी आया, जब उनकी ही कंपनी ने उन्हें रिजाइन करने के लिए मजबूर किया था।

दअरसल, लगातार कामयाबी हासिल कर रही एप्पल को उस समय ब्रेक लगा जब उनसे एप्पल 3 और फिर लिसा कंप्यूटर (जिसका नाम स्टीव की बेटी के नाम पर रखा गया था) लॉन्च किए। ये दोनों ही प्रोडक्ट बुरी तरह फ्लॉप रहे।

हालांकि फिर बाद में स्टीव ने मैकिनटोश को बनाने में कड़ी मेहनत की और फिर 1984 में लिसा पर बेस्ट सुपर बाउल का बनाकर इसे मैकिनटोश के साथ लॉन्च कर दिया, इसके बाद उन्हें फिर से कामयाबी हासिल हुई।

वहीं इसके बाद एप्पल और IBM साथ मिलकर कंप्यूटर बनाने लगे। अच्छी क्वालिटी के चलते मार्केट में इसकी इतनी डिमांड बढ़ गई कि कंपनी पर ज्यादा से ज्यादा सिस्टम बनाने का प्रेशर पड़ने लगा।

हालांकि स्टीव जॉब्स ने अपनी कंपनी की कॉन्सेप्ट कभी नहीं छिपाया और इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा, क्योंकि कई दूसरी कंपनियों इनके कॉन्सेप्ट को अपनाकर कंप्यूटर बनाकर ग्राहकों को सस्ते दामों पर बेचने लगीं जिसकी वजह से एप्पल को काफी लॉस होने लग और इसके स्टीव जॉब्स को जिम्मेदार मानते हुए उनकी ही कंपनी ने उन पर कंपनी छोड़ देने का प्रेशर बनाया, इसके बाद स्टीव जॉब्स ने 17 सितंबर, 1985 को एप्पल से इस्तीफा दे दिया।

हालांकि, उनके साथ उनके 5 और करीबी सहकर्मियों ने एप्प्ल से इस्तीफा दे दिया।

संघर्ष के समय में बनाया नेक्स्ट कंप्यूटर –

वो कहते हैं कि संघर्ष और असफलता ही इंसान के लिए सफलता की राहें खोलता है।

यही हुआ स्टीव जॉब्स के साथ खुद की कंपनी से बाहर निकाले जाने के बाद वे हताश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने इस मौके का फायदा उठाते हुए नेक्सट कंप्यूटर के रुप में नई शुरुआत की, इस दौरान उनकी किस्मत ने भी साथ दिया और उनकी इस कंपनी के लिए एक बड़े बिजनेसमैन पेरॉट ने इन्वेस्ट किया।

इसके बाद 12 अक्टूबर, 1988 को एक इवेंट में नेक्सट कंप्यूटर को लॉन्च किया। हालांकि, नेक्स्ट भी एप्पल की तरह काफी एडवांस था, इसलिए यह महंगा भी बहुत था,जिसके चलते नेक्स्ट को  काफी नुकसान पड़ा।

इसके बाद स्टीव जॉब्स को यह एहसास हो गया और उन्होंने नेक्स्ट कम्यूटर कंपनी को एक सॉफ्टवेयर कंपनी बना दिया इसमें भी उन्होंने काफी सफलता हासिल की।

ग्राफिक्स कंपनी डिज्नी के साथ जॉब्स की पार्टनरशिप –

साल 1986 में स्टीव जॉब्स ने एक ग्राफिक्स कंपनी पिक्सर मूवी खऱीदी और डिज्नी के साथ पार्टनरशिप कर ली। इसके बाद स्टीव सफलता की सीढी चढ़ते गए और कभी अपनी जिंदगी में पीछे मुड़कर नहीं देखा।

एप्पल में सीईओ के रुप में वापसी –

इसके बाद एप्पल ने 1996 में नेक्स्ट कंपनी खरीदने के लिए स्टीव से बात की और यह डील 427 मिलियन डॉलर में फाइनल हुई। इस बार स्टीव जॉब्स ने सीईओ के रुप में एप्पल कंपनी में वापसी की, लेकिन इस दौरान एप्पल कठिन दौर से गुजर रही थी, इसके बाद स्टीव के मार्गदर्शन में कंपनी ने एप्पल IPOD म्यूजिक प्लेयर और ITunes लॉन्च किए।

इसके बाद 2007 में एप्पल ने अपना पहला मोबाइल फोन लॉन्च कर मोबाइल की दुनिया में क्रांति ला दी, वहीं इसके बाद एक के बाद एक नए-नए प्रोडक्टर लॉन्च कर एप्पल लगातार सफलता के नए पायदानों को छू रहा है।

शादी एवं निजी जीवन –

स्टीव जॉब्स को साल 1978 में अपने लव पार्टनर किर्स्टन ब्रेन्नन से एक बेटी लिसा ब्रेन्नन पैदा हुई। इसके बाद उन्होंने साल 1991 में लौरेन पावेल से शादी कर ली। दोनों को रीड, एरिन और ईव नाम की तीन बच्चे पैदा हुए।

अवॉर्ड्स –

एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स को उनके जीवन में तमाम पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा स्टीव जॉव्स को “नेशनल मैडल ऑफ टेक्नोलॉजी” से नवाजा गया था।
  • स्टीव जॉब्स को “कैलिफ़ोर्निया हाल ऑफ फेम” से सम्मानित किया गया था।
  • स्टीव जॉब्स की उनकी प्रतिष्ठित कंपनी एप्पल के लिए साल 1982 में “मशीन ऑफ द इयर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Steve Jobs Say’s :  Stay Hungry Stay Foolish

मृत्यु –

दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स को अपनी जिंदगी के आखिरी समय में पेनक्रियाटिक कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा था।

कई साल तक इस बीमारी से लड़ने के बाद उन्होंने 2 अक्टूबर, 2011 में कैलीफॉर्निया के पालो ऑल्टो में अपनी अंतिम सांस ली और इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए।

वहीं अपनी मौत से पहले स्टीव जॉब्स ने 24 अगस्त 2011 में टीम कुक को एप्पल के नए सीईओ बनाने की घोषणा की थी।

वहीं आज स्टीव जॉब्स हमारे बीच जरूर नहीं हैं लेकिन एप्पल जैसी प्रतिष्ठित कंपनी की नींव रखने के लिए उनको हमेशा याद किया जाएगा।

रोचक एवं दिलचस्प तथ्य –

  • स्टीव जॉब्स ने 12 साल की उम्र में पहली बार कंप्यूटर देखा था।
  • स्टीव जॉब्स एक बार जब एप्पल के गार्डन में बैठे थे, तभी उन्होंने अपनी कंपनी का नाम एप्पल रखने का सोचा।
  • स्टीव जॉब्स के महान और प्रेरणात्मक जीवन पर ”जॉब्स” मूवी बन चुकी है, इसके अलावा डिज्नी पिक्सर की फिल्म ”ब्रेव” भी उनके जीवन पर ही समर्पित है।
  • स्टीव जॉब्स भारत में अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए आए थे। इसके अलावा वे भारतीय संस्कृति और परिधानों को भी काफी अधिक पसंद करते थे।
  • स्टीव जॉब्स साल 1974 में भारत आए थे और कई महीने उन्होंने हिमाचल प्रदेश , उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बिताया था।
  • स्टीव जॉब्स महान वैज्ञानिक आइंसटीन को अपना आदर्श मानते थे।
  • स्टीव जॉब्स ने Apple’s Ipod का पहली बार सैंपल देखते हुए उसकी पानी में डाल दिया और फिर हवा के बुलबुलों से यह प्रूफ किया था कि इसे और भी स्मॉल और आर्कषक बनाया जा सकता है।
  • स्टीव जॉब्स को साल 1984 में अपनी ही कंपनी एप्पल से निकाल दिया गया था।
  • स्टीव जॉब्स के पास भी मार्क जुकरबर्ग और बिल गेट्स की तरह कॉलेज डिग्री नहीं थी।
  • स्टीव जॉब्स के बारे में दिलचस्प तो यह है कि वे बिना नंबर प्लेट की गाड़ी चलाते थे।
  • स्टीव जॉब्स बौद्ध धर्म का पालन करते थे।

प्रेरणात्मक विचार –

  • ”तुम्हारा समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर बिल्कुल भी व्यर्थ मत करो।”
  • ”शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा अविष्कार है।”
  • ”जो इतने पागल होते हैं, उन्हें लगता है कि वो दुनिया बदल सकते हैं, वे अक्सर बदल देते हैं।”
  • ”डिजाइन सिर्फ यह नहीं है कि चीज कैसी दिखती या फिर महसूस होती है, बल्कि डिजाइन यह है कि वह चीज काम कैसे करती है।”
  • ”कभी-कभी जिंदगी आपके सर पर ईंट से वार करेगी लेकिन अपना भरोसा कभी मत खोइए।”

17 thoughts on “स्टीव जॉब्स की जीवनी”

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Thank you so much sharing the biography of Sir Steve Jobs. This is full of inspiration.

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एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi

इस लेख में एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi पढ़ेंगे। इसमें उनके जन्म, प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, करिअर, विवाह, अवॉर्ड, मृत्यु से जुड़ी जानकारियाँ दी गई है।

Table of Content

दुनिया के विश्वविख्यात एप्पल कंपनी के बारे में तो आपने सुना ही होगा। लेकिन इस कंपनी को सफल बनाने वाले स्टीव जॉब्स के जीवन के विषय में शायद कम लोग ही जानते होंगे।

दुनिया के अधिकतर महान और अमीर लोगों की तरह स्टीव जॉब्स ने भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की है। उनका जीवन सभी के लिए बहुत प्रेरणादाई है। 

वे नेक्स्ट कंपनी के संस्थापक, एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक तथा सीईओ, एक महान आविष्कारक और उद्यमी थे। उन्होंने दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑपरेटिंग सिस्टम्स में से एक ‘मैक’ का निर्माण किया था। 

बिना किसी मजबूत फाइनेंसियल और एजुकेशनल बैकग्राउंड के स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंपनी की स्थापना किया। एप्पल कंपनी के प्रोडक्ट को इस्तेमाल करना सभी की ख्वाहिश होती है। 

स्टीव एक बेहतरीन और अनोखी कला के धनी थे, जो था ‘जिज्ञासा’। स्टीव जॉब्स मानते थे, कि जिज्ञासा दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा है, जिसने इसमें महारत हासिल कर ली उसे आगे बढ़ने से कोई भी नहीं रोक सकता। 

नई चीजों को सीखना कभी बंद न करने वाले स्टीव जॉब्स के इस कला ने ही उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनकी मृत्यु के पश्चात आज भी एप्पल कंपनी दुनिया की नंबर वन कंपनी है। 

स्टीव जॉब्स जन्म व प्रारंभिक जीवन Steve Jobs Birth and Early Life

यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में 24 फरवरी 1955 में स्टीव जॉब्स का जन्म हुआ था। उनके वास्तविक माता पिता जोआन शिबल और अब्दुल फतह जन्दाली थे। 

अब्दुल फतह सीरिया देश के मुसलमान नागरिक थे, जो विस्कंसिन यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने आए थे। और उनकी मां जोआन शिबल भी उसी यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी। 

दोनों की मुलाकात हुई और कुछ समय बाद वे रिलेशनशिप में आ गए। शिबल एक कैथोलिक परिवार से थी, जिसके कारण उनके पिता ने एक मुसलमान से रिश्ता रखना और उससे शादी करने की अनुमति नहीं दी। उसके बाद शिबल गर्भवती हो गई और उन्होंने स्टीव को जन्म दिया। 

परिवार के डर से शिबल ने नवजात शिशु को एडॉप्शन के लिए कुछ शर्तों के साथ भेज दिया। इसके बाद एक कैथोलिक दंपत्ति ने उन्हें गोद ले लिया। अब स्टीव के दत्तक पिता पॉल जॉब्स और मां क्लारा जॉब्स थीं। 

पॉल जॉब्स पेशे से एक इंजीनियर थे। नए नए उपकरणों का निर्माण करना उन्हें बहुत पसंद था। स्टीव जॉब्स पर भी  उनके पिता के पेशे का प्रभाव पड़ा। स्टीव जब थोड़े बड़े हुए तो उनकी रूचि इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स चीजों में बढ़ने लगी। 

उन्हें बचपन में दोस्त बनाना बिल्कुल भी नहीं पसंद था। यहां तक कि वह स्कूल में भी अकेले ही बैठे रहते थे। स्टीव एक शरारती और पढ़ने में बहुत कमजोर बच्चे थे। 1967 में उनका परिवार कैलिफोर्निया में रहने चला गया, जहां एक अच्छे स्कूल में स्टीव का दाखिला करवाया गया।

स्टीव जॉब्स की शिक्षा Steve Job Education in Hindi

कैलिफोर्निया में रहने के पश्चात स्टीव का एडमिशन एक होमस्टेड हाई स्कूल में करवाया गया। साल 1968 में स्कूल के प्रथम वर्ष में स्टीव जॉब की मुलाकात बिल फर्नांडीस से हुई। 

बिल ने उन्हें अपने एक परिचित दोस्त स्टीव वोजनियाक से मिलवाया। देखते देखते जॉब्स और वोजनियाक की दोस्ती बहुत गहरी हो गई। स्टीव जॉब्स का मन अब धीरे-धीरे पढ़ाई से उठने लगा था। 

वे क्लास में उसी विषय का लेक्चर अटेंड करते, जिसमें उन्हें रूचि होती थी। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और साहित्य में बहुत दिलचस्पी थी, इसलिए वे केवल अपने मनपसंद विषय को ही पढ़ते थे। 

1971 तक उन्होंने अपने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली और अगले वर्ष पार्टलैंड के रीड कॉलेज में दाखिला करवाया। सुप्रसिद्ध कॉलेज होने के कारण वहां की पढ़ाई भी बहुत महंगी थी, जिसकी फीस भरना स्टीव जॉब्स के माता पिता के बस से बाहर हो रहा था। 

घर से दूर रहकर एक शेयर्ड हॉस्टल में स्टीव जॉब्स ने अपने कॉलेज में एडमिशन तो ले लिया था, लेकिन आगे की पढ़ाई करने की हैसियत नहीं थी। 

स्टीव जॉब्स ने एक सेमेस्टर की पढ़ाई करने के बाद अपना नाम कॉलेज से वापस ले लिया। उन्होंने यह बात अपने माता-पिता को नहीं बताई। 

वे ऐसी चीजों में अपने माता पिता की जमा पूंजी खर्च नहीं करवाना चाहते थे, जिसमें उन्हें कोई रुचि ही नहीं थी। कॉलेज ड्रॉपआउट होने के बाद स्टीव ने कैलीग्राफी सीखने का निर्णय लिया और माता-पिता से मिलने वाले पॉकेट मनी से उन्होंने कैलीग्राफी कोर्स की फीस भरी और बहुत कुछ नई चीजें सीखी।

स्टीव जॉब्स के करिअर की शुरुवात Start of Steve Jobs Career in Hindi

1974 में कॉलेज छोड़ने के पश्चात अपने माता पिता के पास वापस घर चले गए। अपना खर्चा चलाने के लिए वे नौकरी की तलाश करने लगे इसके बाद उन्हें अटारी नामक कंपनी में टेक्नीशियन का काम मिला। 

कंपनी में उन्होंने कई महीनों तक काम किया, जिससे उनके रोजमर्रा के खर्च के लिए आवश्यकतानुसार पैसे मिल जाया करते थे। स्टीव जॉब्स को आध्यात्मिकता से भी बहुत लगाव था। 

जब वे लंबे समय तक काम करने के कारण डिप्रेस्ड हो गए थे, तो वे अपने जमा किए गए सेविंग को इकट्ठा करके अपने दोस्त के साथ भारत चले गए। 

भारत में उन्होंने लगभग 7 महीने गुजारे और अध्यात्मिक ज्ञान की समझ ली। अमेरिका वापस जाने के बाद स्टीव जॉब्स और उनके दोस्त वोजनियाक साथ मिलकर काम करने लगे। 

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स Apple Founder Steve Jobs in Hindi

वर्ष 1976 में वोजनियाक ने एक एप्पल प्रथम कंप्यूटर बनाया और इसे अपने अन्य साथियों और स्टीव जॉब्स के सामने प्रदर्शित किया। स्टीव जॉब्स, वोजनियाक  और रोनाल्ड वायने ने एक साथ मिलकर उसी वर्ष एप्पल नामक कंपनी की स्थापना कर दी। 

शुरुआत में तीनों मुख्य सदस्यों ने इस कंपनी में इन्वेस्टमेंट किया। कंपनी को सबसे पहले एक छोटे से गैरेज में खोला गया था। 

स्टीव जॉब्स और वोजनियाक तो कंपनी के काम में लगे रहे, लेकिन रोनाल्ड वायने ज्यादा दिन तक कंपनी से जुड़े नहीं रह सके। स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त वोजनियाक को कंपनी के संचालक और फाउंडर के रूप में लंबे समय तक रहने दिया।

कंपनी के निर्माण के बाद उसमें अब बड़ी इन्वेस्टमेंट की जरूरत थी, जिसके लिए वोजनियाक ने अपने एक एचपी कैलकुलेटर और स्टीव जॉब्स ने अपने वॉल्सवैगन  वेन को बेच दिया। 

अधिक पूंजी की आवश्यकता पड़ने पर स्टीव और उनके दोस्त ने एप्पल प्रथम कंप्यूटर के कई इकाइयों को बेचना शुरू कर दिया, जिससे काफी पैसे आना शुरू हो गए थे। धीरे-धीरे करके उनकी कंपनी लोगों के बीच मशहूर होती गई। 

कुछ सालों बाद 24 जनवरी 1984 में मैकिनटोश कंप्यूटर को स्टीव जॉब्स ने लांच किया। उस समय माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज सॉफ्टवेयर आईबीएम के कंप्यूटर में आना शुरू हो गए थे। यह स्टीव जॉब्स के मैकिनटोश कंप्यूटर को सीधे चुनौती दे रहा था। 

उस समय उसकी ज्यादा बिक्री भी नहीं हो रही थी, क्योंकि स्टीव जॉब्स के यह कंप्यूटर बहुत महंगे और अमीरों की पहुंच के अंदर ही आया करते थे। लेकिन आईबीएम के कंप्यूटर मध्यम वर्गीय लोग भी उपयोग कर सकते थे। 

देखते-देखते मैकिनटोश कंप्यूटर के शेयर मार्केट में बहुत नीचे गिरते गए, जिससे कंपनी को भारी नुकसान पहुंचा। कंपनी को होने वाले इतने बड़े घाटे के कारण एप्पल कंपनी के ही एक बोर्ड डायरेक्टर स्कली ने स्टीव जॉब्स को एप्पल कंपनी के सीईओ पद से हटा दिया। 

अपने ही कंपनी से बेदखल करने के बाद स्टीव जॉब्स ने खुद रिजाइन कर दिया, जिसके बाद उनके कई साथियों ने भी कंपनी छोड़ दी। 

वर्ष 1985 में जॉब्स ने “नेक्स्ट” नाम की एक कंपनी स्थापित की। प्रारंभ में कंपनी को चलाने के लिए पैसे की आवश्यकता थी, जिसे रोस पेराट नामक एक बड़े इन्वेस्टर व मिलेनियर ने इसकी आपूर्ति की। 

उन्होंने स्टीव जॉब्स की कंपनी में बहुत बड़ा निवेश किया, जिससे कंपनी चल पड़ी। नेक्स्ट कंपनी ने कंप्यूटर का निर्माण किया, जो स्टीव जॉब्स के लाइफ चेंजिंग के रूप में जाना गया। 

नेक्स्ट कंपनी के कंप्यूटर मुख्यतः तकनीकी प्रायोगिकी ,  शैक्षणिक समुदाय, वैज्ञानिकों और फाइनेंस इत्यादि के उद्देश्य से बनाए गए थे। स्टीव जॉब्स द्वारा निर्मित यह कंप्यूटर हाई क्वालिटी के थे और बाजार में भी बहुत महंगे लगभग $10000 से भी ज्यादा मूल्य के थे। 

1997 में एप्पल ने ही जॉब्स के इस नेक्स्ट कंपनी को खरीद लिया। कंपनी के लोगों को यह समझ आ गया था, कि यदि माइक्रोसॉफ्ट और दूसरे प्रतिस्पर्धियों का कोई सामना कर सकता है, तो वह केवल स्टीव जॉब्स हैं। 

डील होने के बाद स्टीव जॉब्स को एप्पल ने फिर से सीईओ का पद लौटा दिया। कंपनी में वापस आते ही स्टीव जॉब्स ने ग्राहकों के मांग के अनुसार उच्च गुणवत्ता और सामान्य मूल्य वाले प्रोडक्ट लॉन्च करने शुरू कर दिए।

यूजर फ्रेंडली, भाव में सामान्य और शानदार क्वालिटी वाले कुछ प्रोडक्ट जिनमें आईपैड, आईमैक और आईफोन इत्यादि शामिल थे, सर्वप्रथम उन्हें बाजार में लांच किया गया। जॉब्स ने एप्पल कंपनी को इतनी ऊंचाई तक पहुंचा दिया, कि अब कोई भी उनकी बराबरी नहीं कर सकता था। 

स्टीव जॉब्स के कारण ही एप्पल और उनके बाकी कंपनियों के शेयर दिन-ब-दिन आसमान छूते गए। तब से लेकर आज तक मार्केट में केवल एक ही नाम चलता है वह एप्पल कंपनी का। 

विवाह व निजी जीवन Marriage and Personal Life of Steve Jobs in Hindi

वर्ष 1991 में स्टीव जॉब्स का विवाह लोरेन पॉवेल से हुआ। कुछ समय बाद ही उनके पुत्र रीड जॉब्स और बेटियां लिसा ब्रेनन्न जॉब्स, एरिन जॉब्स तथा इव जॉब्स का जन्म हुआ। 

वैसे तो स्टीव ईसाई धर्म में पैदा हुए थे, लेकिन अध्यात्म की दुनिया से जुड़े भारत से भी उनका बड़ा लगाव था। जब उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी, तो वो भारत आए और यहां रह कर आंतरिक शांति और ज्ञानवर्धक चीजें सीखी। 

कैलिफोर्निया में पढ़ाई करने के दरमियान स्टीव जॉब्स के पास पैसे नहीं हुआ करते थे, इसलिए वे रोज कई मील पैदल चलकर राधा कृष्ण के स्कॉन टेंपल जाते थे और वहां भगवान का प्रसाद खाकर अपना पेट भरते थे। 

पुरस्कार Award

  • टाइम मैगजीन द्वारा 1982 में एप्पल कंप्यूटर को “मशीन ऑफ द ईयर” का खिताब प्रदान किया गया।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा 1985 में स्टीव जॉब्स को “नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी” और उसी साल “साम्युएल एस बिएर्ड पुरस्कार” 1985 से नवाजा गया। 
  • फॉर्चून मैगजीन द्वारा 2007 में उन्हें उद्योग की दुनिया में सबसे शक्तिशाली पुरुष का खिताब प्रदान किया गया। और उसी साल ‘कैलिफोर्निया हाल ऑफ फेम’ सम्मान भी दिया गया था।
  • फॉर्ब्स लिस्ट में “पर्सन ऑफ द ईयर” का खिताब 2010 में स्टीव जॉब्स को दिया गया। 
  • मरणोपरांत 12 फरवरी 2012 में “ग्रैमी न्यासी पुरस्कार” भी मिला।
  • इसके अलावा स्टीव जॉब्स के जीवन पर आधारित दो फिल्में ‘जॉन कार्टर’ और ‘ब्रेव’ उनके सम्मान में बनाई गई। 

स्टीव जॉब्स की मृत्यु Death of Steve Jobs in Hindi

स्टीव जॉब्स को कैंसर की गंभीर बीमारी थी, यह बात उन्हें अक्टूबर 2003 में पता चली। कुछ साल बाद 24 अगस्त 2011 में वे खुद सीईओ पद से हट गए और अपनी जगह टीम कुक को कंपनी का सीईओ बना दिया तथा खुद चेयरमैन के रूप में काम करते रहे। 

2004 में पहली बार उनकी सर्जरी हुई और सफलतापूर्वक ट्यूमर को निकाला गया। 2009 में उनका स्वास्थ्य फिर एक बार बिगड़ा, लेकिन वे कंपनी में निरंतर काम करते रहे। 

इतनी गंभीर बीमारी के बाद भी उनका लक्ष्य कभी भी उन्हें घर बैठने की इजाजत नहीं देता था। 5 अक्टूबर 2011 में एक बार फिर स्टीव जॉब्स की तबीयत बहुत खराब हो गई और कैलिफोर्निया के पालो अल्टो में उन्होंने अंतिम सांसे ली। 

स्टीव जॉब्स से जुड़े रोचक तथ्य Interesting Facts About Steve Jobs in Hindi

  • स्टीव जॉब्स को समर्पित एक बेहद प्रसिद्ध डिजनी पिक्सर द्वारा बनाई गई ब्रेव फिल्म थी, जो बहुत मशहूर हुई।
  • कहते हैं कि अपनी कंपनी का नाम स्टीव जॉब्स को सेब के एक बगीचे में बैठे बैठे सूझा, जिसके बाद उन्होंने एप्पल कंपनी का निर्माण किया।
  • दुनिया के सबसे जाने-माने अरबपतियों में से एक स्टीव जॉब्स ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई अधूरी ही छोड़ दी थी।
  • स्टीव जॉब्स को भारत देश से बहुत लगाव था और वह वहां की संस्कृति और धर्म से बहुत प्रभावित थे। 
  •  एप्पल कंपनी के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स को उनके ही कंपनी से बेदखल कर दिया गया था।
  • दुनिया के सबसे पावरफुल बिजनेसमैन में स्टीव जॉब्स का नाम भी आ चुका है। 

उनके कुछ प्रेरणादायक सुविचार (Steve Jobs Quotes in Hindi)

  • छोटी- छोटी सफलताओं का जश्न मनाने से बेहतर है, कि पिछली असफलताओ से कुछ सीखा जाए।
  • आपको क्या नहीं करना चाहिए, यह निर्णय लेना भी उतना ही ज़रूरी है, जितना यह तय करना कि क्या करना चाहिए।
  • किसी भी कंपनी की प्रतिभा और सफलता उसके द्वारा बनाए गए प्रॉडक्ट्स के क्वालिटी पर निर्भर करता है।
  • आपके पास सीमित समय है, इसलिए इसे दूसरों को खुश करने में बर्बाद करने के बजाय सही चीज़ों में खर्च करिए।
  • एक बड़ी कंपनी को खड़ा करने और सफ़ल बनाने में किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक मजबूत टीम की जरुरत होती है।
  • नेवी जॉइन करने के बजाय एक समुद्री लड़ाकू बनना ज्यादा मजेदार है।
  • वो पागल लोग जो यह सोचते हैं, कि इस दुनिया को वो बदल सकते हैं, यकीनन वही ऐसे सिरफिरे लोग होते हैं जो सच में इस दुनिया को बदल देते हैं।

1 thought on “एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi”

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स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय

स्टीव जॉब्स को पूरी दुनिया के लोग जानते हैं क्योंकि उनके द्वारा बनाई गई एप्पल कंपनी देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में प्रचलित है।

बड़े-बड़े सेलिब्रिटी और अरबपति लोग भी एप्पल कंपनी के मोबाइल, लैपटॉप और दूसरे उपकरण का इस्तेमाल करते हैं।

एप्पल के प्रोडक्ट काफी ज्यादा महंगे होते हैं, लेकिन एक बार उनका इस्तेमाल करने के बाद कोई भी व्यक्ति दूसरी किसी भी कंपनी का प्रोडक्ट इस्तेमाल नहीं कर पाता है।

यही वजह है कि स्टीव जॉब्स की एप्पल कंपनी ने दुनिया के कोने कोने में अपने पांव पसारे।

Steve Jobs Biography In Hindi

आज के समय में स्टीव जॉब्स दुनिया भर के लोगों के लिए एक प्रेरणादायक स्रोत हैं क्योंकि उन्होंने अपने 56 वर्ष के छोटे से जीवन काल में अनेक सारे ऐसे ऐसे कार्य किए हैं, जो दुनिया के लिए प्रेरणादायक है।

स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय (Steve Jobs Biography In Hindi)

स्टीव जॉब्स का जन्म और परिवार.

स्टीव जॉब्स का जन्म कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में 24 फरवरी 1955 को हुआ था। स्टीव जॉब्स के माता का नाम जोअन्नी सिम्पसन और पिता का नाम अब्दुलफत्त जन्दालई था।

उनके पिता मुस्लिम थे, जो सीरिया के रहने वाले थे जबकि उनकी मां कैथोलिक ईसाई थी।

स्टीव जॉब्स के नाना को इन दोनों का रिश्ता पसंद नहीं था। इसलिए स्टीव जॉब्स को किसी को गोद देने का मन बना लिया। कुछ समय पश्चात स्टीव जॉब्स को पॉल और क्लारा को गोद दे दिया गया।

स्टीव जॉब्स को गोद लेने के बाद पॉल स्टीव जॉब्स के पिता बन गए, जबकि क्लारा स्टील जॉब्स की मां बन गई।

अब स्टीव जॉब्स के गोद लिए गए माता-पिता स्टीव जॉब को लेकर सन 1961 में कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में रहने के लिए आ गए। जहां पर स्टीव जॉब्स को प्राथमिक शिक्षा के लिए स्कूल में भर्ती करवाया।

स्टीव जॉब्स बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में काफी रूचि रखते थे। वह खराब हुए उपकरणों को खोल कर चेक करते थे और उन्हें ठीक कर देते थे।

स्टीव जॉब्स का प्रारंभिक जीवन

स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए स्टीव जॉब्स ने ऑरेगोन के रीड कॉलेज में दाखिला लिया।

यह एक अत्यंत महंगा कॉलेज था, जिसकी फीस उनके माता-पिता नहीं भर सकते थे। फिर भी उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए अपने जीवन भर की पूंजी फिस में लगा दी।

स्टीव जॉब्स बचपन से ही अकेले रहते थे। उन्हें बच्चों के साथ खेलना और दोस्ती करना पसंद नहीं था।

फिर भी प्राथमिक स्कूल में उन्होंने एक दोस्त बनाया था और एक लड़की उन्हें कॉलेज में दोस्त के रूप में मिल गयी, जिसका नाम क्रिस्टन ब्रेनन था।

इस समय दोनों को समझ में आया कि इस कॉलेज से उन्हें जीवन में आगे कुछ नहीं मिलने वाला है। यहां पर वह केवल अपना समय और पैसे बर्बाद कर रहे हैं और उन्होंने कॉलेज छोड़ने का निर्णय लिया।

शुरुआती जीवन में स्टीव जॉब्स ने अनेक सारी परेशानियों का सामना किया था। कॉलेज छोड़ने के बाद वे दर-दर भटकते रहे। हमेशा वे जमीन पर ही सोया करते थे।

इसके अलावा बोतलें और कचरा बेचकर वे कुछ पैसे कमा लेते थे, जिससे अपना खर्चा निकल सके।

इसके अलावा मुफ्त में खाना खाने के लिए वे “हरे कृष्णा मंदिर” जाते थे, जहां पर उन्हें मुफ्त में भरपेट खाना मिल जाता था।

कुछ दिनों तक ऐसा चलता रहा, उसके बाद स्टीव जॉब्स ने जीवन में कुछ करने का विचार किया।

जीवन में आगे बढ़ने का निर्णय लिया और इलेक्ट्रॉनिक एवं टेक्नोलॉजी के जगत में उन्होंने अपनी रुचि को प्रस्तुत किया।

जीवन यापन करने के लिए वे नौकरी की तलाश में भटकते रहे। सन 1972 में एक वीडियो गेम डेवलपमेंट कंपनी में नौकरी मिल गई।

लेकिन कुछ समय बाद यहां से भी वह निकल गए, जिसके बाद सन 1974 को स्टीव जॉब्स भारत घूमने के लिए आए।

यहां पर उन्होंने 7 महीने भारत में भ्रमण करने के दौरान गुजारे। भारत में उन्होंने तरह-तरह की जगह का दौरा किया।

विशेष रूप से हिमाचल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली घूमें। यहां पर बौद्ध धर्म की शिक्षा प्राप्त की और 7 महीने बाद वापस अमेरिका लौटने का निर्णय किया।

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एप्पल कंपनी की स्थापना

वापस लौटने के बाद स्टीव जॉब्स उसी गेम डेवलपमेंट कंपनी में काम करने के लिए लग गए और अपने दोस्त के साथ यहां पर नौकरी कर रहे थे। इस दौरान दोनों की रूचि कंप्यूटर में बनाने लगी और दोनों ने कंप्यूटर के क्षेत्र में आगे बढ़ने का विचार किया।

दोनों ने अपनी खुद की कंप्यूटर बनाने की कंपनी खोलने का निर्णय किया और कंप्यूटर बनाने के लिए एक गैरेज शुरू किया। उस कंपनी का नाम एप्पल रखा।

उन्होंने अपने द्वारा बनाए गए पहले कंप्यूटर का नाम एप्पल रखा था। मात्र 21 वर्ष की आयु में उन्होंने पहला कंप्यूटर बनाकर तैयार कर दिया था।

स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त के साथ मिलकर एप्पल 2 कंप्यूटर पर काम करना शुरू कर दिया। एप्पल टू कंप्यूटर को लोग काफी ज्यादा पसंद करने लगे एवं देखते ही देखते सन 1980 में एप्पल एक जानी-मानी कंपनी बन गई।

केवल 10 सालों में कंपनी ने 2 मिलियन डॉलर कमा लिए थे और उस समय लगभग 4000 लोग कंपनी में काम करते थे।

अब कंपनी की ग्रोथ बढ़ने लगी और देश को दुनिया में लोकप्रियता भी बढ़ने लगाई थी। हर समय में अपने कंप्यूटर में कुछ अलग कार्य करने के बारे में सोचते रहते थे। यही वजह है कि उन्हें कम समय में बढ़ी लोकप्रियता मिली।

स्टीव जॉब्स का इस्तीफा

स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एप्पल 3 कंप्यूटर लॉन्च किया, लेकिन यह कंप्यूटर पूरी तरह से फैल रहा।‌ पूरी दुनिया में इसे कोई नहीं ले रहा था।

इससे उनकी पूरी मेहनत पर पानी फिर गया। उन्होंने इस कंप्यूटर को बनाने में काफी ज्यादा मेहनत की थी। अब स्टीव जॉब्स को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें।

एप्पल कंपनी को हुए बहुत बड़े घाटे का जिम्मेदार सभी लोग स्टीव जॉब्स को ठहरा रहे थे। इसलिए स्टीव जॉब्स ने 17 सितम्बर 1985 एप्पल कंपनी से अपना इस्तीफा दे दिया और एप्पल कंपनी छोड़कर कुछ नया करने की सोच रहे थे।

नेक्स्ट कंप्यूटर कंपनी

एप्पल कंपनी से इस्तीफा देने के बाद स्टीव जॉब्स ने “नेक्स्ट कंप्यूटर” नाम की कंपनी खोली। यहां पर उन्हें बड़े-बड़े इन्वेस्टर मिल गए, जिससे उनका कार्य आसान हो गया।

12 अक्टूबर 1988 को नेक्स्ट कंप्यूटर के अंतर्गत एक बहुत बड़े इवेंट का आयोजन किया गया, जिसमें नेक्स्ट कंप्यूटर कंपनी के अंतर्गत कंप्यूटर लांच किया गया।

यह कंप्यूटर काफी ज्यादा महंगा था, इसीलिए लोग इसे नहीं खरीद रहे थे।

हालांकि यह कंप्यूटर एडवांस तकनीकी पर आधारित था। लेकिन ज्यादा महंगा होने की वजह से लोग इसे नहीं खरीद पा रहे थे।

यही वजह थी कि एक बार फिर नेक्स्ट कंप्यूटर कंपनी के अंतर्गत स्टीव जॉब्स को नुकसान का सामना करना पड़ा था। उसके बाद इस कंपनी को स्टीव जॉब्स ने सॉफ्टवेयर कंपनी में तब्दील कर दिया।

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पिक्चर मूवी कंपनी

दो बार बहुत बड़ा घाटा जेलने के बाद स्टीव जॉब्स ने 3D ग्रैफिक्स का कार्य शुरू करने के लिए 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर में एक ग्राफिक कंपनी खरीदी। इसका नाम उन्होंने “पिक्चर मूवी” रखा।

इस कंपनी के अंतर्गत उन्होंने 3D ग्रैफिक्स सॉफ्टवेयर बनाकर बेचने शुरू किए। 3D ग्रैफिक्स की सफलता को देखते हुए वर्ष 1991 में डिज्नी ने पिक्चर मूवी कंपनी को एक बड़ी फिल्म बनाने का ऑफर दिया।

उस ऑफर को स्वीकार करते हुए डिज्नी के साथ मिलकर पिक्चर मूवी कंपनी ने अपनी पहली फिल्म “टॉय स्टोरी” बनाई, जिसे काफी अच्छी सफलता मिली। इसके बाद उन्होंने अनेक तरह की फिल्में बनाई और ढेर सारा पैसा कमाया।

एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स

स्टीव जॉब्स की नेक्स्ट कंप्यूटर कंपनी को सन 1997 में एप्पल कंपनी ने 427 मिलियन डॉलर में खरीदने का ऑफर पेश किया।

उस ऑफर को स्वीकार करते हुए स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंपनी फिर से जॉइन कर ली और एप्पल कंपनी के सीईओ बन गए। अब स्टीव जॉब्स के सामने कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का जिम्मा था।

स्टीव जॉब्स के अंतर्गत एप्पल कंपनी ने “आईपॉड” नाम के म्यूजिक प्लेयर और “आईटोन” नाम के म्यूजिक सॉफ्टवेयर को लॉन्च किया।

इन दोनों ही प्रोडक्ट को काफी ज्यादा सफलता देखने को मिली। अब दुनिया के सामने एप्पल कंपनी एक नए रूप में खड़े हो चुकी थी।

एप्पल कंपनी ने वर्ष 2007 में अपना पहला एप्पल का मोबाइल फोन लांच किया। इस मोबाइल फोन ने लॉन्च होते ही पूरी दुनिया में क्रांति ला दी।

क्योंकि यह एक ऐसा मोबाइल था, जिसे बड़े-बड़े वीआईपी और अरबपति लोग पसंद करते थे।

यह मोबाइल महंगा जरूर था, लेकिन दुनियाभर के लोग इसे काफी ज्यादा पसंद कर रहे थे। यहां तक कि लोग अपनी संपत्ति को बेच कर मोबाइल को खरीद रहे थे।

इसी क्रांति को देखते हुए स्टीव जॉब्स और अधिक मेहनत करने लगे एवं बेहतर ढंग के नए-नए मॉडल एप्पल कंपनी के मोबाइल के रूप में लांच करने लगे।

स्टीव जॉब्स का आखिरी समय

एप्पल मोबाइल की सफलता के बाद दुनिया भर के लोग स्टीव जॉब्स के बारे में जानने लगे और एक आविष्कार के रूप में स्टीव जॉब को पहचान मिल गई।

लेकिन वर्ष 2003 में स्टीव जॉब्स को कैंसर की बीमारी हो गई, जिसके चलते उन्हें वर्ष 2004 में सर्जरी करवानी पड़ी।

इस सर्जरी में स्टीव जॉब्स का ट्यूमर तो सफलतापूर्वक निकाल दिया गया, लेकिन अब उनका स्वास्थ्य पहले की तरह नहीं रहा। फिर भी स्टीव जॉब्स अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए काम करते रहे।

एक बार फिर वर्ष 2009 में स्टीव जॉब्स की तबीयत खराब हो गई। जांच के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि लीवर ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा।

डॉक्टरों ने उनके परमिशन के आधार पर लिवर ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन भी कर दिया और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई‌।

जिसके बाद उन्होंने कुछ वर्ष आराम किया और वर्ष 2011 में फिर से एप्पल कंपनी में आकर काम करना शुरू कर दिया था।

अभी भी उनका स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक नहीं था, फिर भी उन्होंने अपने काम को महत्वता दी। क्योंकि वह अपने काम को काफी ज्यादा पसंद कर रहे थे। इसलिए अपने स्वास्थ्य की बजाय उन्होंने काम को प्राथमिकता दी।

अपना स्वास्थ्य बिगड़ता देख स्टीव जॉब्स ने आखिरकार 24 अगस्त 2011 को एप्पल के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया।

स्टीव जॉब्स के इस्तीफा देने के बाद कुछ समय वह घर पर ही आराम कर रहे थे कि आखिरकार 5 अक्टूबर 2011 को कैलिफोर्निया में स्टीव जॉब्स का निधन हो गया।

स्टीव जॉब्स के मौत की सूचना पूरी दुनिया भर में फैल गई। लोगों को उनकी मौत से काफी दुख हुआ क्योंकि वे 56 साल की आयु में इस दुनिया को छोड़ कर चले गए थे, जिन्होंने मोबाइल जगत में क्रांति लाई थी।

24 फरवरी 1955 को कैलिफोर्निया में हुआ था।

स्टीव जॉब्स की असली मां का नाम जोअन्नी सिम्पसन था, जबकि उनके पिता का नाम अब्दुलफत्त जन्दालई था।

एप्पल, नेक्स्ट कंप्यूटर, पिक्चर मूवी, यह तीन कंपनियां स्टीव जॉब्स ने बनाई थी।

स्टीव जॉब्स की मृत्यु कैंसर और लिवर की खराबी के चलते हुई।

स्टीव जॉब्स एक क्रांतिकारी पुरुष माने जाते हैं, उन्हें आविष्कारक भी कहा जाता है। क्योंकि उनके द्वारा लांच किया गया स्मार्टफोन संपूर्ण दुनिया में मोबाइल के मार्केट में क्रांति ला दी थी।

इस आर्टिकल में स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय (Steve Jobs Biography In Hindi) विस्तार से बताया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा इसे आगे शेयर जरुर करें।

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स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय | Steve Jobs Biography in Hindi

स्टीव जॉब्स (अंग्रेजी: Steve Jobs) एक प्रतिभाशाली अविष्कारक तथा उद्यमी थे। वे एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक थे। वे काफी लंबे समय तक कंपनी के मुख्य एग्जीक्यूटिव अधिकारी (CEO) भी रहे।

स्टीव का जन्म अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के सैन फ्रांसिस्को शहर में हुआ था। 1976 में उन्होंने स्टीव वोजनियाक व रोज के साथ एप्पल कंपनी को स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने मैकिनटोश कंप्यूटर का निर्माण किया जिसकी वजह से उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त हुई। 

धीरे-धीरे उन्होंने कंपनी में अन्य प्रोडक्ट्स का आविष्कार किया और कंपनी को सफलता की ऊंचाइयों तक ले कर गए। 5 अक्टूबर 2011 को 56 वर्ष की उम्र में ट्यूमर के कारण स्टीव (Steve Jobs) की मृत्यु हो गई।

Table of Contents

स्टीव जॉब्स का परिचय (Introduction to Steve Jobs)

स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को सैनफ्रांसिस्को (कैलिफोर्निया, अमेरिका) में हुआ था। उनके जन्म के कुछ महीनों के बाद उन्हें पोल व क्लारा जॉब्स ने गोद ले लिया था। पॉल व क्लारा जॉब्स, स्टीव जॉब्स के माता-पिता बने। स्टीव के वास्तविक पिता अब्दुल फतह जंदाली तथा माता जोआन शिबल थी।

अब्दुल फतह सीरिया देश के अरब मुसलमान थे जोकि विस्कंसिन यूनिवर्सिटी से अपनी पीएचडी कर रहे थे। तो उस दौरान वो जोआन शिबल से मिले। वे दोनों एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में आ गए। 

इस रिलेशनशिप से तंग आकर शिबल के पिता ने यह कहा था कि वह शिबल को काट डालेंगे अगर वह मुस्लिम लड़के के साथ रिलेशनशिप बनाए रखती है।

स्टीव का पालन-पोषण पॉल व क्लारा जॉब्स ने किया। उसने पॉल व क्लारा जॉब्स को ही अपने माता-पिता माना। उसने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वे उसके माता-पिता नहीं है।

वर्ष 1989 में स्टीव जॉब्स लोरेन पॉवेल से मिले। 18 मार्च 1991 में उन्होंने विवाह कर लिया। स्टीव व पावेल का पहला बच्चा ‘रीड’ था जिसका जन्म सितंबर 1991 में हुआ था। पॉवेल ने अगस्त 1995 में एरिन तथा मई 1998 में इव को जन्म दिया।

स्टीव जॉब्स का जन्म (Birth of Steve Jobs)

जोआन शिबल अब्दुल फतह के साथ गर्मी की छुट्टियों में सीरिया गई हुई थी। वहां से वह वापिस सैन फ्रांसिस्को आ गई। अब्दाली ने बताया कि वह उसे बिना बताए ही सैन फ्रांसिस्को चली गई थी। उसे भी यह पता नहीं था कि वह कि वह गर्भवती थी।

24 फरवरी 1955 को सैन फ्रांसिस्को में शिबल ने स्टीव को जन्म दिया। उसके जन्म के बाद उसे शिबल ने गोद देने के लिए रास्ता चुना। वह अपने बच्चे को ऐसे पारिवारिक लोगों को गोद देना चाहती थी जो कैथोलिक हो, अच्छे पढ़े-लिखे हो और धनवान हो। 

इस बच्चे को गोद लेने के लिए पॉल और क्लारा जॉब्स ने हामी भरी। परंतु शर्तों के मुताबिक पोल व क्लारा के पास कॉलेज शिक्षा नहीं थी जिसकी वजह से शिबल ने एडॉप्शन पेपर पर साइन करने से मना कर दिया और वह केस को कोर्ट में ले गई।

पोल व क्लारा ने बच्चे की कॉलेज की शिक्षा की फीस भरने तक की बात कही जिसकी वजह से शिबल ने एडॉप्शन पेपर पर साइन किए।

इस अधिग्रहण के बाद स्टीव के माता व पिता पॉल व क्लारा जॉब्स बन गए। क्लारा ने बताया कि स्टीव एक जटिल बच्चा था और शायद उसे गोद ले करके उन्होंने गलती कर दी और उसे वापस लौटना चाहा था। 

जब कभी पॉल व क्लारा अपने आपको स्टीव के दत्तक माता-पिता बताते तो स्टीव इससे परेशान हो जाता। वह हमेशा ही उन्हें अपना 1000% माता-पिता मानता था।

स्टीव जॉब्स का बचपन (Childhood of Steve Jobs)

स्टीव के पिता पोल एक मेकिनिस्ट (इंजीनियर) थे। 1957 में उन्होंने पेट्रिशिया को भी गोद ले लिया जो स्टीव की बहन बन गई। अब उनका परिवार मोंटा लोमा, माउंटेन व्यू के पास में चला गया।

पॉल एक अच्छे इंजीनियर होने के कारण उपकरणों से जुड़ा हर कुछ बना सकते थे। उनको अगर किसी भी चीज की जरूरत पड़ती तो वह उसे बना लेते थे। परिवार में इंजीनियरिंग का ऐसा माहौल देखकर के स्टीव की इलेक्ट्रॉनिक्स व इंजीनियरिंग में रुचि बढ़ने लगी।

परंतु, उन्होंने स्कूल लाइफ में दोस्त नहीं बनाए और वह हमेशा अकेले ही रहा करते थे। स्टीव स्कूल में बहुत ज्यादा बोर हो जाते थे और वे शरारत में शामिल हो जाते थे। 

पढ़ाई में कमजोर इस बच्चे को देखते हुए टेडी नाम की एक अध्यापिका ने स्कूल में पढ़ाई हुई चीजों को सीखने और याद करने के लिए कुछ पैसे देने शुरू कर दिए। जिससे स्टीव ने ज्यादा से ज्यादा मेहनत करके अच्छा से अच्छा कार्य करना शुरू कर दिया।

1967 में जॉब्स (Steve Jobs) के पिता ने लोस एल्टोस, कैलिफोर्निया में घर खरीदने के लिए अपनी सारी बचत लगा दी। नए घर लेने के बाद स्टीव को अच्छे कॉलेज स्कूल में भी भेजा जा सका क्योंकि पास में ही उनके एक बहुत अच्छा स्कूल था।

स्टीव जॉब्स की शिक्षा (Education of Steve Jobs)

स्टीव जॉब्स जब अपने पूरे परिवार के साथ लोस एल्टोस (कैलिफोर्निया) में चले गए तो वहां पर स्टीव ने होमस्टेड हाई स्कूल ज्वाइन किया। यह हाई स्कूल सिलिकॉन वैली से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ था।

जॉब्स ने 1968 में बिल फर्नांडीज के साथ होमस्टेड हाई स्कूल में प्रथम वर्ष में एडमिशन लिया। बिल ने उन्हें स्टीव वोजनियाक से मिलाया। वोजनियाक व जॉब्स गहरे दोस्त बन गए। बाद में, उन्होंने ही एप्पल कंपनी की स्थापना की।

धीरे-धीरे स्टीव का क्लास में इंटरेस्ट कम होता चला गया और उन्होंने अपने बाल लंबे रखने शुरू कर दिए। हाई स्कूल में उन्होंने अपने सिलेबस में रुचि कम दिखाते हुए साहित्यिक पुस्तकों को पढ़ना शुरू कर दिया। उनकी रूचि इलेक्ट्रॉनिक्स व साहित्य में बन चुकी थी। हाई स्कूल के अंतिम वर्ष में उनके एक दोस्त वोजनियाक व एक गर्लफ्रेंड क्रिसैन ब्रेनन थी।

1971 में स्कूल से पास आउट होने के बाद, 1972 में स्टीव पोर्टलैंड के रीड कॉलेज में दाखिल हुए। यह कॉलेज काफी महंगा था जो स्टीव के माता-पिता के लिए मुश्किल था। एक सेमेस्टर के बाद स्टीव ने अपने माता-पिता को बिना बताए ही कॉलेज छोड़ दिया। कॉलेज छोड़ने के बाद उन्होंने बताया कि वह अपने माता-पिता के पैसों को ऐसी शिक्षा पर बर्बाद नहीं करना चाहते जो उनके लिए किसी काम की नहीं है।

कॉलेज से ड्रॉपआउट होने के बाद उन्होंने कैलीग्राफी सीखने के लिए एक कोर्स लिया। इस कैलीग्राफी के कोर्स से उन्होंने फौंट्स को अच्छा बनाने के लिए बहुत सारी चीजें सिखी। 

यह भी पढ़ें – बेंजामिन फ्रेंकलिन के अनमोल विचार

स्टीव जॉब्स कॉलेज से ड्रॉप आउट होने के बाद (Steve Jobs after dropping out of college)

कॉलेज छोड़ने के बाद, स्टीव जॉब्स 1974 में लोस एल्टोस में वापस अपने घर आ गए और वहां काम की तलाश करने लग गए। उन्हें अटारी नामक कंपनी ने टेक्नीशियन की जॉब दी। इस जॉब से उन्होंने पैसे एकत्रित किए और भारत में यात्रा पर जाने की योजना बनाई। 

वह अपने दोस्त के साथ 1974 में आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए भारत आए। 7 महीने तक यहां पर रहने के बाद वापस अमेरिका चले गए। अटारी कंपनी में वापस आने पर उन्हें चिप के कार्य के लिए $100 देने को कहा गया। स्टीव (Steve Jobs) को सर्किट के बारे में ज्यादा नॉलेज नहीं था तो उन्होंने अपने दोस्त वोजनियाक से कहा कि वह अगर उसकी मदद करेगा तो उसे 50% हिस्सा दे देंगे।

एप्पल कंपनी की स्थापना (Founding Apple Company)

मार्च 1976 में वोजनियाक ने एप्पल प्रथम कंप्यूटर का निर्माण किया और उसे स्टीव जॉब्स को दिखाया। उसी साल अप्रैल के महीने में स्टीव जॉब्स, वोजनियाक तथा रोनाल्ड वायने ने एप्पल कंपनी की स्थापना की।

कंपनी की सारी प्रक्रियाएं स्टीव के बेड रूम के अंदर होती थी फिर बाद में गैरेज के अंदर ले जाया गया। रोनाल्ड वायने कंपनी में बहुत कम दिनों तक ही ठहरे और स्टीव व वोजनियाक को मुख्य रूप से कोफाउंडर व संचालक बने रहने दिया।

कंपनी को सफलतापूर्वक चलाने के लिए उन्हें पैसे की जरूरत थी तो वोजनियाक ने अपना एचपी का केलकुलेटर बेच दिया और जॉब्स ने अपनी वॉल्सवैगन वेन बेच दी।

कंपनी ने एप्पल प्रथम नाम का एक कंप्यूटर बनाया और उसके कई सारी ईकाइयाँ बेच दी जिससे कंपनी में धीरे-धीरे कमाई शुरू होने लगी। कंपनी पब्लिक हो गई और स्टीव एक मिलिनेयर बन गए। 24 जनवरी 1984 को स्टीव ने मैकिनटोश कंप्यूटर को लॉन्च किया। 

यह कंप्यूटर काफी महंगा था तो मध्यम वर्ग के लोग इसे खरीद नहीं पा रहे थे और आईबीएम के कंप्यूटर ज्यादा बिकते जा रहे थे। उसी समय में माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज सॉफ्टवेयर आईबीएम के कंप्यूटर में आने लग गए और मैकिनटोश कंप्यूटर का मार्केट शेयर नीचे गिरता गया।

स्टीव को एप्पल कंपनी से निकालाना व वापस लाना (Steve Jobs got fired from Apple and get back)

कंपनी को नुकसान में जाता हुआ देख स्कली नाम के एक बोर्ड डायरेक्टर ने जॉब्स को सीईओ के पद से हटा दिया। जिसके बाद जॉब्स ने कंपनी से रिजाइन दे दिया। माइक्रोसॉफ्ट की विंडोज सॉफ्टवेयर इतनी अच्छी थी कि आम लोग उसे खरीद भी पा रहे थे और अच्छा अनुभव भी पा रहे थे।

मैकिनटोश कंप्यूटर का हिस्सा मार्केट में बहुत नीचे चला गया और माइक्रोसॉफ्ट बहुत तेजी से ग्रोथ करने लग गई। 

स्टीव जॉब्स के साथ ही उनके कुछ कर्मचारियों ने भी कंपनी से रिजाइन दे दिया। 

कंपनी से रिजाइन के बाद स्टीव ने 1985 में नेक्स्ट नाम की कंपनी को स्थापित किया। इस कंपनी में कुछ ही महीनों के बाद स्टीव को पैसों की जरूरत पड़ी और रोस पेराट नाम के एक बिलेनियर ने उनकी कंपनी में बहुत ज्यादा इन्वेस्ट किया। 

उनकी इस नेक्स्ट कंपनी ने एक कंप्यूटर लॉन्च किया जिसे जॉब के कमबैक इवेंट के रूप में जाना गया।

नेक्स्ट कंपनी के बनाए हुए कंप्यूटर मुख्यतया फाइनेंस, वैज्ञानिक. शैक्षणिक समुदाय व नई तकनीकी प्रायोगिकी के लिए थे। यह कंप्यूटर लगभग $10,000 के बराबर मूल्य का था जो बहुत महंगे था। 

1997 में नेक्स्ट कंपनी को एप्पल ने खरीद लिया। इस डील के बाद स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) को ही एप्पल कंपनी के सीईओ के रूप में चुना गया।

कंपनी के सीईओ बनने के बाद स्टीव ने बहुत सारे अनवांछित प्रोडक्ट्स के प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया और कुछ ही चीजों पर ध्यान रखा। इसके बाद उन्होंने आईमैक, आईपैड और आईफोन जैसे ही महत्वपूर्ण प्रोडक्ट्स को बहुत ही शानदार यूजर बिहेवियर देने की कोशिश की। एप्पल की बहुत अच्छी ब्रांडिंग व ग्राहक को पूर्णतया गुणवत्ता से भरी हुई चीज देना ही बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ।

स्टीव जॉब्स की मृत्यु (Death of Steve Jobs)

अक्टूबर 2003 में यह पता चला कि स्टीव जॉब्स को कैंसर हो गई है। 24 अक्टूबर 2011 को वे अपने आप एप्पल कंपनी के सीईओ से चेयरमैन बन गए और टिम कुक को अगला सीईओ बनाया। इसके 6 सप्ताह तक जॉब्स एप्पल कंपनी में काम करते रहे।

5 अक्टूबर 2011 को 3:00pm बजे स्टीव जॉब्स की पलो अल्टो (अमेरिका) में अपने घर में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का कारण इसलेट सेल टयूमर था। 

एप्पल व पिक्सर दोनों कंपनियों ने उनकी मृत्यु की घोषणा की और उस दिन के लिए एप्पल ने अपनी पब्लिक सेवा बंद की।

एप्पल व माइक्रोसॉफ्ट इन दोनों कंपनियों के कैंपस व हेडक्वार्टर पर अमेरिकन झंडे फहरा रहे थे।

स्टीव जॉब्स के अनमोल वचन (Quotes of Steve Jobs in Hindi)

स्टीव ने अपने जीवन में बहुत सारी चीजें सीखी और उन्हीं बातों को अपने विचारों के माध्यम से साझा किया। स्टीव जॉब्स के अनमोल विचार –

“अगर आज मेरी जिंदगी का अंतिम दिन होता तो क्या मैं वह कार्यकर्ता जो मुझे आज करना है।”
“कभी कभार जिंदगी तुम्हारे दिमाग के ऊपर ईंट से मारेगी, तुम्हें हार नहीं माननी है।”
“भूखे रहो, मूर्ख रहो।”

स्टीव के अन्य अनमोल वचन यहां पढ़ें – स्टीव जॉब्स के अनमोल वचन

स्टीव जॉब्स के प्रेरक विचार – 1. “अगर आज मेरी जिंदगी का अंतिम दिन होता तो क्या मैं वह कार्यकर्ता जो मुझे आज करना है।”          2. “कभी कभार जिंदगी तुम्हारे दिमाग के ऊपर ईंट से मारेगी, तुम्हें हार नहीं माननी है।”          3. “भूखे रहो, मूर्ख रहो।”

स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955, सैन फ्रांसिस्को शहर, कैलिफोर्निया, अमेरिका में।

स्टीव जॉब्स की पत्नी लोरेन पॉवेल थी। उनकी शादी 1991 में हुई थी।

स्टीव जॉब्स के 1 बेटा व 3 बेटिया हैं। उनके बेटे का नाम रीड जॉब्स है तथा बेटियों के नाम लिसा ब्रेनन्न जॉब्स, एरिन जॉब्स, इव जॉब्स हैं।

नहीं, स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) आज जिंदा नहीं हैं। 5 अक्टूबर 2011 को 3:00pm बजे स्टीव जॉब्स की पलो अल्टो (अमेरिका) में अपने घर में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का कारण इसलेट सेल टयूमर था।

यह भी पढ़ें – वारेन बुफे अनमोल विचार

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Steve Jobs Biography in Hindi : स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय / यात्रा?

Steve Jobs Biography in Hindi

Steve Jobs Biography In Hindi के इस लेख में, हम, आपको Apple कम्पनी जो कि Computer, Laptop or Mobile बनाने वाली कम्पनी जो कि, ना केवल भारत में, लोकप्रिय और प्रसिद्ध हैं बल्कि दुनिया भर में इसकी गहरी धाक है और जिसके निर्माण कर्ता कोई और नहीं बल्कि 56 वर्षीय Steve Jobs हैं जो आज ना केवल मोबाइल की दुनिया के लिए प्रेरणा स्रोत है बल्कि हमारे युवाओँ के लिए मिशाल है जिनसे प्रेरणा लेकर वे अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

तुम्हारा समय सीमित है इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जीकर  बिलकुल भी व्यर्थ मत करों। – Steve Jobs Quotes

Steve Jobs ही हमारे इस लेख का मूल केंद्र होने वाले है और इसीलिए हम, अपने इस लेख में, आपको स्टीव जॉब्स का पूरा जीवन परिचय अर्थात् Steve Jobs biography in Hindi की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे और साथ ही साथ Steve Jobs net worth के बारे में, भी बतायेगे ताकि आप उनकी सफलता की ऊंचाई का अंदाजा लगा सकें और उनके व्यक्तित्व को गहराई से पढ़कर उनके प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें।

अन्त, स्टीव जॉब्स के जीवन पर आधारित अपने इस आर्टिकल मे, हमारी कोशिश रहेगी कि, हम आपको Steve Jobs के जीवन के सभी पहलूओँ और पक्षो को समेट कर एक गजह प्रस्तुत करे ताकि आप आसानी से उनके व्यक्तित्व को पढ़ सकें।

लेख में, किन बिंदुओ पर होगी चर्चा?

Steve Jobs Kaun Hai? / स्टीव जॉब्स कौन हैं ?

  • Steve Jobs biography in Hindi? / स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय हिंदी में ?
  • Steve Jobs का जन्म, शिक्षा और प्रारम्भिक जीवन कैसा रहा ?
  • how old is Steve Jobs? स्टीव जॉब्स कितने साल के हैं ?
  • when did Steve Jobs die? / स्टीव जॉब्स की मृत्यु कब हुई थी ?

Steve Jobs को कौन-कौन से अवार्ड्स मिले हैं ?

स्टीव जॉब्स एक, Multi Personality वाले व्यक्ति हैं जिन्होंने ना तो अपना कॉलेज पूरा किया और ना ही उनके पास कोई डिग्री है लेकिन फिर भी Steve Jobs ने सिर्फ 56 साल की आयु में ही दुनिया की Most Popular  मोबाइल फोन अर्थात् Apply का निर्माण किया जिसकी वजह से हम, उन्हें Apply के संस्थापक / Founder के रुप मे, पहचानते हैं।

शायत मौत ही इस जिन्दगी का सबसे बड़ा आविष्कार है। – Steve Jobs Quotes

Steave Jobs ने ना सिर्फ एप्पल मोबाइल फोन का ही निर्माण किया बल्कि साथ ही साथ दुनिया की सबसे Latest and Advanced Technology वाले Mac Operating System का निर्माण किया है जिसके बारे में, आज आधे से अधिक इंजीनियर केवल पढ़ ही रहें है और इधर स्टीव जॉब्स ने, उसका निर्माण कर उसे लांच भी कर दिया हैं।

अन्त, हम, आशा करते है कि, हमने अपने पाठको के इस सवाल अर्थात् Steve Jobs Kaun Hai? / स्टीव जॉब्स कौन हैं ? का जबाव दे दिया होगा और अब हमारे सभी पाठक अच्छे से जान और समझ गये होंगे कि, स्टीव जॉब्स कौन है और उनकी पूरी जीवनी को प्रस्तुत करने के लिए हम, Steve Jobs biography in hindi में, प्रस्तुत कर रहे हैं।

Steve Jobs Biography in Hindi: स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय / यात्रा ?

स्टीव जॉब्स की पूरी जीवनी अर्थात् उनके सम्पूर्ण जीवन परिचय को आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए हम, कुछ बिंदुओं की मदद लेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं –

जो इतने पागल होते है कि, उन्हे लगता है कि, वे दुनिया बदल सकते हैं वे अक्सर बदल देते है। – Steve Jobs Quotes

1. स्टीव जॉब्स का पूरा और मूल नाम क्या है ?

स्टीव जॉब्स का पूरा और मूल नाम स्टीवन पॉल है जिसे संक्षिप्त रुप मे , स्टीव जॉब्स कहा जाता है।

2. Steve Jobs का जन्म कब, कैसे और कहां हुआ था ?

अमेरिकी बिजनेस का चेहरा और आविष्कारक कहे जाने वाले Steve Jobs का जन्म मूलत अमेरिका के California में, मौजूद San Francisco में 24 फरवरी, 1955 को जोअन्नी सिम्पसन ( माता ) और अब्दुलफत्त जन्दाली ( पिता ), दम्पति के यहां हुआ था।

रोचक बात ये है कि, उनके पिता सीरियाई मूल के मुसलमान थे जबकि उनकी माता कैथोलिक थी और उनकी सांक्षी विरासत के रुप मे, Steve Jobs का जन्म हुआ था।

3. Steve Jobs को जन्म के बाद दूसरी दम्पति को गोद क्यूं दिया गया ?

आपको जानकर हैरानी होगी कि, Steve Jobs को उनके जन्म के बाद ही दूसरी दम्पति को गोद दे दिया गया था क्योंकि जैसा कि, हमने आपको बताया कि, उनके पिता सीरियाई मूल के मुसलमान थे जबकि उनकी माता कैथोलिक थी और उनकी Steve Jobs नामक ये सन्तान उनके नाना जी अर्थात् उनकी माता के पिता को मंजूर नहीं थी।

इसके बाद सहमति से फैसला लिया गया कि, Steve Jobs को किसी दूसरी दम्पति को गोद दे दिया जाये जिसके लिए एक पढ़े लिखे दम्पति का चयन भी किया गया लेकिन आखिरी समय में उन्होंने अपना मन बदलते हुए लड़की को गोद ले लिया।

अन्त मे, पॉल व क्लारा नामक दम्पति को Steve Jobs को गोद दिया गया।

4. Steve Jobs की शिक्षा यात्रा कैसे शुरु हुई ?

स्टीव जॉब्स की शिक्षा यात्रा भी बेहद रोचक और दिलचस्प है क्योंकि स्टीव जॉब्स को गोद लेने वाले पॉल व क्लारा साल 1961 में, कैलिफोर्नियां के माउंट व्यू में, रहने गये जहां उन्होंने परिवार चलाने के लिए गैरज खोला।

यहीं से Steve Jobs ने, अपनी शुरुआती शिक्षा का सफर शुरु किया और वे एक बेहतरीन विद्यार्थी भी थे लेकिन उन्हें स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था और ना ही उन्हें अपनी उम्र के दूसरे बच्चो से दोस्ती करनी अच्छी लगती थी जिसकी वजह से वे कक्षा में, सदा अकेले ही बैठते थे।

लेकिन समय बीतने के साथ-साथ उन्हें उन्हीं जैसी रुचियों वाले दूसरे लड़के अर्थात् वोजनिआक से मुलाकात हुई जिसकी दिलचस्पी भी इलेक्ट्रॉनिक्स में, थी जिसकी वजह से उनके बीच गहरी दोस्ती हुई।

5. Steve Jobs का कॉलेज का संघर्षमय जीवन कैसा रहा ?

स्टीव जॉब्स ने, जब अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी की तब उन्हें ओरेगोन के रीड कॉलेज में दाखिला दिलवाया गया जो कि, वास्तविक मायनो में, काफी मंहगा कॉलेज था जिसकी फीस भरना उनके माता-पिता के लिए आसान नहीं था।

कॉलेज में दाखिले के कुछ समय बाद ही उन्हें अहसास हुआ कि, यहां उनका भविष्य नहीं बनेगा और इसमें पढ़कर वे अपने माता-पिता की सारी जमा पूंजी बर्बाद कर रहे हैं इसके बाद उन्होंने कुछ ही पसंदीदा क्लास ली जैसे कि – कैलीग्राफी और बाकि क्लासो में, जाना बंद कर दिया था।

Steve Jobs की आर्थिक स्थिति इनती बुरी थी कि, उन्हें अपने हॉस्टल में, फर्श पर सोना पड़ता था, कोक की जिन बोतलों के पीकर लोग इधर-उधर फेंक दिया करते थे उन्हें बिनकर और बेचकर Steve Jobs अपने लिए भोजन की व्यवस्था करते थे।

आपको जानकर हैरानी हो कि, Apple कम्पनी जो कि, Computer, Laptop or Mobile बनाती हैं उसके मालिक अर्थात् स्टीव जॉब्स अपने कॉलेज के दिनो मे हर रविवार को कृष्णा मंदिर जाते थे पूरा अर्चना के लिए नहीं बल्कि इसलिए कि, वहां उन्हें भंडारे में भर पेट खाना खाने को मिल जाता था।

अन्त, इस प्रकार हम, कह सकते हैं कि, स्टीव जॉब्स का शुरुआती शिक्षात्मक जीवन काफी संघर्षमय और कठीन रहा।

6. स्टीव ने कितनी शादियां की और उनके कितने बच्चे हुए ?

हम, आपको बताना चाहते है कि, स्टीव जॉब्स ने, अपने जीवन में, कुल 2 शादियां की थी जिनकी दोनो पत्नियों का नाम इस प्रकार से हैं – लोरिन पावेल और क्रिसर्टन ब्रेन्नन से हुई थी।

स्टीव को अपनी इन दोनो शादियों के फलस्वरुप कुल 6 संतानो की प्राप्ति हुई थी जिनके नाम इस प्रकार से हैं – लिसा ब्रेन्नन, रीड जॉब्स, एरिन जॉब्स और ईव जॉब्स आदि।

7. when did Steve Jobs die? / स्टीव जॉब्स की मृत्यु कब हुई थी ?

स्टीव जॉब्स की मृत्यु कैसे और कितने चरणो में, हुई थी उसे प्रस्तुत करने के लिए हम, कुछ बिंदुओं को प्रस्तुत करना चाहते हैं जो कि, इस प्रकार से हैं –

  • साल 2003 में, स्टीव जॉब्स को उन्हें उनकी अग्नाशय वाली कैंसर की बीमारी के बारे में, पता चला,
  • साल 2004 में, स्टीव की सर्जरी हुई जिसमें कैंसर नामक ट्यूमर को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया गया और दौरान व मेडिकल लीव पर रहें जिनकी गैर – अनुपस्थिति में, टीम कुक , एप्पल का काम संभाल रहे थे,
  • स्टीव पूरी तरह से ठीक नहीं हुए थे बल्कि अपनी इस बीमारी के साथ ही उन्होंने साल 2009 तक काम किया लेकिन साल 2009 में, ही उनकी तबीयत बेहद संवेदनशील हो गई थी जिसकी वजह से उन्हें Leaver Transplant करवानी पड़ी जिसके बाद 17 जनवरी, 2011 को स्टीव जॉब्स ने, पुन एप्पल में, काम करना शुरु किया,
  • स्टीव सदा से अपने काम और कर्तव्य को प्राथमिकता देते थे जिसकी वजह से उन्होंने खराब स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हुए अपना काम जारी रखा लेकिन उन्हें उनकी बिगडती हालत का अंदाजा था जिसकी वजह से उन्होंने समय रहते महत्वपूर्ण फैसला लिया,
  • स्टीव ने 24 अगस्त, 2011 को एप्पल के CEO Post से त्यापगत्र अर्थात् Resignation Letter को कम्पनी के Board of Member को सौंप दिया और
  • अन्तत, कैलिफोर्नियां के पालो अल्टो नामक अस्पताल में 5 अक्टूबर, 2011 को स्टीव जॉब्स की मृत्यु हो गई।

उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने आपको स्टीव जॉब्स की मृत्यु की पूरी यात्रा का वर्णन विस्तार से बताया।

अन्त, उपरोक्त सभी बिंदुओँ की मदद से अपने अपने सभी पाठको व युवाओँ को स्टीव जॉब्स की पूरी जीवनी के बारे में, विस्तार से बताया ताकि आप उनकी कड़ी मेहनत और दुर्लभ संघर्ष को पढ़ व समझ कर उनसे व उनके जीवन से प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें।

Steve Jobs का करियर कैसा रहा ?

स्टीव जॉब्स का पूरा जीवन ही उतार – चढ़ावों से भरा पड़ा था और इसीलिए हम, उनके उतार – चढावो से परिपूर्ण करियर के पूरे परिचय को आपके सामने चरणबद्ध तरीके से प्रस्तुत करना चाहते हैं जो कि, इस प्रकार से हैं –

कभी कभी जिन्दगी आपके सिर पर ईंट से वार करेंगी लेकिन आप अपना भरोसा कभी मत खोइए। – Steve Jobs Quotes

1. Steve Jobs गेमिंग कम्पनी से लेकर भारत यात्रा पर कैसे निकल गये ?

साल 1972 का समय था जब Steve Jobs ने, अटारी नामक गेम बनाने वाली एक कम्पनी में, काम शुरु किया और कुछ समय किया भी लेकिन अपनी यायावर प्रवृत्ति के कारण उनका मन यहां भी नहीं लगा जिसके फलस्वरुप उन्होंने नौकरी छोड़ दी।

कुछ रुपय जमा करने के बाद Steve Jobs साल 1974 में, 7 महीनों की भारत यात्रा पर निकल गये जिसके दौरान उन्होंने कई गतिविधियां की जैसे कि –

  • भारत भ्रमण के दौरान उन्होंने बुद्ध धर्म की थोड़ी बहुत शिक्षा भी प्राप्त की,
  • दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश धूमने के लिए बस यात्रा की आदि।

उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने आपको स्टीव की भारत यात्रा के कुछ पहलूओं को बताने की कोशिश की।

2. भारत भ्रमण से क्या बदलाव आया स्टीव जॉब्स में ?

उनके जानने वालो का कहना है कि, स्टीव जॉब्स का पूरा जीवन और जीवन के प्रति उनकी विचारधारा ही भारत यात्रा के बाद बदल गयी थी जिसके वजह से जब वे अमेरिका वापस आये तो सबसे पहले उन्होंने अपने सर को मुड़वा दिया और दुबारा उसी अटारी नामक गेमिंग कम्पनी में, काम करते हुए अपने परिवार के साथ रहने लगे।

3. स्टीव जॉब्स को एप्पल नामक कम्पनी खोलने की प्रेरणा कहां से मिली ?

जैसा कि, हमने आपको बताया कि, स्टीव और वोजनियाक अपने कॉलेज के दिनों से ही अच्छे मित्र हुआ करते थे और दुबारा उनकी मित्रता में, गाढ़ापन देखने को मिला।

वोजनियाक, इलेक्ट्रॉनिक्स में, काफी अच्छे थे और चाहते थे कि, वे अपना खुद का कम्प्यूटर बनाये और उन्होंने बनाया भी यहीं से स्टीव जॉब्स ने, सोचा कि, क्यूं ना हम, मिलकर कम्प्यूटर बनायें और बेचें जिससे ना केवल हमारी कमाई होगी बल्कि हमें, नौकरी के लिए भटकना भी नहीं पडेगा।

साल 1976 में, सिर्फ 21 साल की उम्र में स्टीव और उनके मित्र वोजनियाक ने, मिलकर स्टीव के पिता के गैरज में, कम्प्यूटर बनाने का काम शुरु किया और एक कम्पनी खोली जिसे उन्होंने Apple का नाम दिया था और इस कम्पनी में, निर्मित पहले कम्प्यूटर को Apple 1 का नाम दिया गया था।

4. स्टीव जॉब्स की कम्पनी एप्पल ने, कैसे सफलता की उड़ान भरी ?

कहा जाता है कि, Apple 1 पर काम करने के बाद वोजनियाक ने, Apple 2 पर काम शुरु किया और इसी दौरान कम्पनी को आगे बढाने के लिए स्टीव और वोजनियाक ने मिलकर निवेशकर्ताओं को उनकी कम्पनी Apple में, निवेश करने के लिए राजी किया।

वोजनियाक द्धारा निर्मित Apple 2 लोगो का काफी पसंद आया और निवेशकर्ताओं ने इसमें निवेश किया जिसके बाद कम्पनी में, सफलता की उड़ान भरी जिसका परिणाम ये निकला की साल 1980 तक एप्पल एक जानी – मानी कम्पनी बन गई और सिर्फ 10 साल के भीतर ही कम्पनी में, 2 बिलियन का व्यापार किया और तब तक इसमें कुल 4,000 से अधिक लोग काम करने लगे थें।

5. एप्पल द्धारा निर्मित लिसा कम्प्यूटर के पीछे की कहानी क्या है ?

Apple 2 को लांच करने के बाद स्टीव और उनकी कम्पनी ने, Apple 3 लांच किया और इसके बाद लिसा नामक कम्प्यूटर लांच किया जिसका नाम साल 1978 में, जन्मी स्टीव की बेटी लिसा के नाम पर रखा गया था लेकिन ये ज्यादा कमाई नहीं कर पाई।

6. स्टीव को एप्पल से क्यूं निकाला गया ?

स्टीव ने, ही एप्पल कम्पनी की शुरुआत की थी लेकिन एक समय ऐसा आया जब उन्हें ही कम्पनी से निकाल दिया गया जिसके पीछे पूरी कहानी इस प्रकार से हैं –

Apple 3 और लिसा के खराब प्रदर्शन की वजह से स्टीव ने आई.बी.एम के साथ मिलकर Personal Computer बनाने का फैसला लिया।

स्टीव ने, Mackintosh पर काफी मेहनत की थी और इसी में अपना पूरा संघर्ष झोंक दिया था जिसके बाद स्टीव ने लिसा पर आधारित सुपर वाऊल को बाजार में, लांच किया जिसे काफी अच्छा प्रदर्शन किया।

लेकिन कम्पनी में, कम्प्यूटर निर्माण की पूरी जानकारी सार्वजनिक कर दी थी जिसकी वजह से कई नकल करने वाली कम्पनियों ने, हु ब हु वहीं कम्प्यूटर बाजार में, लांज किया वो भी नाम मात्र की कीमतो पर जिसकी वजह से कम्पनी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा और उन्ही की बनाई कम्पनी ने, उन्हें ही कम्पनी से निकाल दिया।

7. हार चुके स्टीव ने विपरित लहरो को पार करते हुए पुन सफलता प्राप्त की ?

स्टीव खुद स्वीकार करते है कि, जब उन्हें एप्पल से निकाला गया था वो समय उनके जीवन का काफी कठीन समय था जिसके बाद वे तनाव और दबाव में आ गये थे और कुछ पल के लिए ठहर से गये थे।

लेकिन इसी बीच उनके भीतर छुपा एप्पल का असली मालिक जाग उठा और उन्होंने सोचा कि, एप्पल बनाना मुझसे बेहतर कौन जाता है और इसी आत्मविश्वास के बल पर स्टीव ने, अपनी दूसरी कम्पनी अर्थात् Next Company खोली और उनकी प्रतिभा से प्रभावित होते हुए Ros Parrot  नामक निवेशकर्ता ने, उनकी इस कम्पनी में, बड़े पैमाने पर निवेश किया।

इसके बाद स्टीव के Next Company द्धारा अर्जित सफलता इन बिंदुओ के रुप में, प्रस्तुत है –

  • स्टीव की Next Company का पहला उत्पाद उनका High and Personal Computer था,
  • 12 अक्टूबर, 1988 को Next Computer को बड़े समारोह मे, लांज किया गया,
  • इस कम्पनी में, अपना पहला Work Station में 1990 लांच किया जो कि, एप्पल और लिसा से दुगुनी क्षमता वाला अर्थात् High Technology वाला था और इसी वजह से इसकी कीमत भी बहुत अधिक थी और इसी वजह से उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा,
  • स्टीव द्धारा निर्मित Next Company अभी तक एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में बदल चुकी थी जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ क्योंकि ये कम्पनी अब बहुतायत मात्रा में, वेब एप्लिकेशन और फ्रेमवर्क बनाकर देने लगी थी।

इस प्रकार हमने आपके सामने स्टीव की अगल कम्पनी Next Company की सफलता की कहानी आपके सामने प्रस्तुत की।

8. पिक्सर कम्पनी व टॉय स्टोरी से कैसे मिली स्टीव को सफलता ?

स्टीव ने, साल 1986 में, कुल 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत पर ग्राफिक्स कम्पनी अर्थात् पिक्सर को खरीदा जिसे उन्होंने पिक्सर नाम दिया जो कि, कुल 3डी सॉफ्टवेयर बनाकर बेचा करती थी।

साल 1991 में, पिक्सर को डिज्नी की तरफ से भागीदारी करते हुए एक फिल्म बनाने का प्रस्ताव दिया गया जिसे स्टीव की कम्पनी अर्थात् पिक्सर ने, स्वीकार कर लिया।

इसके बाद पिक्सर व डिज्नी में, सांझेदारी करते हुए टॉय – स्टोरी नामक फिल्म बनाई जिसे लोगो ने खूब पसंद किया और दोनो को अच्छी कमाई हुई।

9. कैसी हुई स्टीव की एप्पल में, शानदार और धमाकेदार वापसी ?

साल 1996 एप्पल कम्पनी के लिए अन्तिम साल माना जा रहा था क्योंकि कम्पनी बेहतर प्रदर्शन करने के बजाय औसत प्रदर्शन भी नहीं कर पा रही थी जिसे देखते हुए एप्पल ने, फैसला किया कि, वे स्टीव की Next Company को 427 मिलियन डॉलर की कीमत पर खरीदेगी।

उनका असल मकसद था स्टीव को कम्पनी में, वापस लाना ताकि एप्पल कम्पनी की पुन जीवित किया  जा सकें और दुबारा से सफलता के शिखर पर पहुंचाया जा सकें और इस प्रकार स्टीव की एप्पल में, शानदार और धमाकेदार वापसी हुई जिसके बाद कम्पनी में, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जैसे कि –

  • कम्पनी में, ipod Music Player or itune Music Player को लांच किया जिसे काफी सफलता मिली,
  • कम्पनी में, मोबाइल फोन की दुनिया में जबरदस्त क्रान्ति लाते हुए कम्पनी का पहला मोबाइल फोन अर्थात् एप्पल को लांच किया जिसे ग्राहकों ने, बडी मात्रा में, हाथो-हाथ खरीद लिया और इस प्रकार स्टीव ने, सफलता की छीन चुकी जगह को दुबारा प्राप्त किया।

उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर हम, कह सकते है कि, स्टीव ने, एप्पल से निकाले जाने के बाद एप्पल कम्पनी में, दुबारा शानदार, धमाकेदार और क्रान्तिकारी वापसी की।

हम, अपने सभी पाठको को बताना चाहते हैं कि, उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई तरह के अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है जैसे कि –

  • National Medal of Technology से स्टीव को उनकी उपलब्धियों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति द्धारा सम्मानित किया गया,
  • वहीं दूसरी ओर स्टीव को California Hall of Fame से सम्मानित किया गया औ
  • साथ ही साथ स्टीव को उनकी सफल कम्पनी एप्पल के लिए साल 1982 में, Machine of the Year के पुरस्कार से सम्मानित किया गया आदि।

उपरोक्त सभी पुरस्कारों से स्टीव की उपलब्धियों को सम्मानित और पुरस्कृत करते हुए उन्हें प्रेरणा और सफलता की एक मिशाल के तौर पर पहचान प्रदान की गई।

अन्त, स्टीव जॉब्स और उनकी संघर्षमयी जीवनी को समर्पित अपने इस लेख में, हमने आपको Steve Jobs Biography in Hindi : स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय / यात्रा ? पूरे विस्तार से प्रदान की ताकि हमारे सभी पाठक व युवा स्टीव जॉब्स की संघर्षमयी सफलता से प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें और यही हमारे इस लेख का मूल लक्ष्य भी है जिसे हम, प्राप्त करना चाहते हैं।

हम आपसे आशा करते है कि, हमारा ये लेख आपको अच्छा और ज्ञानपूर्ण लगा होगा जिसके लिए आप हमारे इस लेख को लाइक करेंगे, दोस्तो के साथ शेयर करेंगे और साथ ही साथ अपने सभी सुझाव व विचार कमेंट करके हमें बतायेगे।

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Success Story: बिना कॉलेज डिग्री के इस शख्स ने खड़ी कर दी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी, भारत से भी है गहरा नाता

Success story, steve jobs education: क्या आप एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की कहानी जानते हैं, जिन्होंने बिना किसी कॉलेज डिग्री के ही इतनी बड़ी कंपनी खड़ी कर दी. बता दें कि स्टीव जॉब्स का भारत से भी गहरा नाता रहा है. उनके कॉलेज छोड़ने से लेकर आईफोन की सफलता तक की कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं..

  • News18 हिंदी Last Updated : March 6, 2023, 13:55 IST

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मोबाइल से लेकर लैपटॉप और कंप्यूटर की दुनिया में अगर किसी कंपनी की सबसे ज्यादा धूम है तो वह है एप्पल. आज वैल्यूएशन के मामले में एप्पल दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है. हर कोई एप्पल के प्रोडक्ट्स खरीदना चाहता है. लेकिन स्टीव जॉब्स के गैरेज से शुरू हुई ये कंपनी आज इतनी बड़ी कैसे बनी ये समझने कि लिए आपको पहले स्टीव जॉब्स के बारे में जानना होगा.

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बता दें कि स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया में हुआ था. उनके पिता एक सीरियाई मुस्लिम थे, लेकिन उन्हें अमेरिकी दंपत्ति पाल और क्लारा जॉब्स ने गोद ले लिया था. स्टीव जॉब्स को शुरू से ही इंजीनियरिंग और कंप्यूटर से काफी लगाव था. उन्होंने पोर्टलैंड के रीड कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन पहले सेमेस्टर में ही कॉलेज छोड़ दिया. इसके बाद वह वीडियो गेम की कंपनी में काम करने लगे.

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बहुत कम लोग जानते होंगे कि स्टीव जॉब्स एप्पल कंपनी शुरू करने से पहले भारत आए थे. पहली नौकरी से पैसे बचाकर वह भारत की यात्रा पर आए थे और यहां पर उन्होंने बुद्धिज्म का अनुभव किया. इसके बाद वापस अमेरिका जाकर 1974 में उन्होंने अपने स्कूल के दोस्त स्टीफन वोज्नियाक के साथ मिलकर कंप्यूटर बनाना शुरू किया. शुरुआत में उन्होंने अपने घर की गैरेज से ही काम किया. इसके बाद 1976 में उन्होंने एप्पल कंपनी की नींव रखी.

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एप्पल 2 मॉडल का कंप्यूटर इतना सफल रहा कि कम समय में उसकी रिकॉर्ड सेल हुई और जल्द ही कंपनी फॉर्चून 500 के लिस्ट में शामिल हो गई. इसके बाद कंपनी लगातार बड़ी होती गई. लेकिन कुछ परेशानियों के चलते 1985 में स्टीव जॉब्स को एप्पल कंपनी छोड़नी पड़ी. इसके बाद 12 साल उनके बहुत अच्छे नहीं रहे. लेकिन 1997 में उन्होंने एप्पल में वापसी की.

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स्टीव जॉब्स का सबसे सफल प्रोडक्ट रहा, आईफोन. 2007 में आईफोन की लॉन्चिंग के साथ ही इसने मोबाइल की दुनिया को बदल दिया और आज भी स्मार्टफोन की कैटेगरी में आईफोन को सबसे प्रीमियम माना जाता है. आईफोन की सफलता ने आज एप्पल को दुनिया की सबसे बड़ी वैल्यूएशन वाली कंपनी बनाया है. इसके साथ ही एप्पल के कंप्यूटर्स, मैकबुक समेत कई अन्य प्रोडक्ट भी बेहद पॉपुलर हैं.

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दोस्तों ये Steve Jobs Biography Book WALTER ISAACSON ने लिखी है और इसे PUBLISH किया है “Little, Brown Book Group” ने। ये सारा CREDIT उन्ही को जाता है।

Page Contents

Apple के Founder Steve Jobs Biography बुक समरी हिंदी में

वाल्टर आइजेकसन इस book के author को जब पता लगा कि Steve Jobs कैंसर के Last Stage में है तब जाकर वे Steve Jobs की biography लिखने को तैयार हुए। बेहद होनहार और तेज़ दिमाग वाले Steve Jobs साल 2004 से आइजेकसन को अपनी जिंदगी पर एक किताब लिखने के लिए मना रहे थे मगर उनकी कोशिश 2009 में जाकर कामयाब हो पाई जब Steve Jobs कैंसर से जूझते हुए अपनी दूसरी मेडिकल लीव पर थे।

साल 1984 के वक्त से ही टाइम्स मेगेज़ीन में बतौर मेनेजिंग डायरेक्टर आइजेकसन को कई बार जॉब्स से मिलने का मौका मिला। मगर उस महान इनोवेटर Steve Jobs ने जब पहली बार आइजेकसन से खुद की biography लिखने के लिए कहा तो आईजेकसन उस दौरान अल्बर्ट आइनस्टीन पर लिख रहे थे और बेंजामिन फ्रेंकलिन पर उनकी लिखी किताब पहले ही famous हो चुकी थी।

Steve Jobs का प्रस्ताव आइजेकसन ने ये कहकर ठुकरा दिया कि  “जॉब्स अभी सफलता की सीडिया चढ़ ही रहे है और अभी वो वक्त नहीं आया कि उनपर कोई किताब लिखी जा सके”.

लेकिन ये Steve Jobs की पत्नी लौरीन पॉवेल (Laurene Powell) की कोशिशो का ही नतीजा था जो उनसे Steve Jobs की बिमारी के बारे में जानकर आइजेकसन ने अपना मन बदल लिया और आखिरकार इस काम के लिए तैयार हो गए।

Steve Jobs का कैंसर का ओपरेशन होना था। बावजूद इसके वे खामोशी से लड़ रहे थे। एक और बात जिसने आइजेकसन को बहुत प्रभावित किया वो ये थी कि Steve Jobs ने उन्हें किताब अपने तरीके से लिखने की छूट दी थी।

उन्होंने author के काम में कभी किसी तरह की दखलअंदाजी नहीं की। फ्रेंकलिन और आइन्स्टाइन की तरह ही Steve Jobs ने भी साइंस और इंसानियत दोनों की तरक्की के लिए अपनी क्षमताओं का बेहतर उपयोग किया था।

इंजीनियरिंग दिमाग के साथ साथ Steve jobs creative भी थे और इन्ही खूबियों का तालमेल से एक महान इनोवेटर बनता है जो कि वे खुद है। जॉब्स अपनी इसी रचनाशीलता से पर्सनल कम्प्यूटर की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला पाए।

सिर्फ इतना ही नहीं music , डिजिटल पब्लीशिंग और एनिमेटेड मूवीज में भी उनकी बदौलत एक नए दौर की शुरुवात हुई। बेशक उनकी personal life या उनकी personality एक मुक्कमल तस्वीर नहीं बनाती मगर फिर भी वे अपने काम से हमेशा लोगो की जिंदगी प्रभावित करते रहेंगे और inspiration का source बने रहेंगे।

Steve Jobs की बचपन/Childhood

छोटी उम्र में ही Steve Jobs जान चुके थे कि उन्हें गोद लिया गया है, और ये बात उनके पिता पॉल जॉब्स और माँ क्लारा हागोपियेन (Clara Hagopian) ने उनसे कभी भी नहीं छुपाई। जन्म के बाद से ही उन दोनों ने स्टीव को पाला था।

जब Steve jobs 4 साल के थे वो अपने पड़ोसी के घर पर एक लड़की के साथ खेल रहे थे, और Steve Jobs ने उस लड़की को बताया की उन्हें adopt किया गया है। इस बात पर वो लड़की बोली की इसका मतलब तो है की तुम्हारे असली माँ बाप तुम्हे पसंद नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने तुम्हे छोड़ा। इस पर Steve jobs भाग कर अपने घर गए और ये बात उन्होंने अपने parents को बताई।

इस पर उनके parents ने उन्हें कहा की सुनो Steve “हमने तुम्हे इसलिए चुना था क्यूंकि तुम सबसे अलग हो बहुत ख़ास हो, special हो”, और शायद इसी वजह से स्टीव आत्मनिर्भर और मजबूत इरादों के इंसान बन पाए।

उनके कार मेकेनिक पिता उनके पहले हीरो थे। बचपन में ही Steve Jobs इलेक्ट्रोनिक्स में काफी interested थे। हालांकि वे पढ़ाई में कभी बहुत अच्छे नहीं रहे। क्लास में बैठना उन्हें अक्सर boring लगता था। अपने हुनर से वे अक्सर कुछ ना कुछ शरारत भरा किया करते, और ये सिलसिला ग्रेड स्कूल से लेकर कोलेज तक चलता रहा।

वोजनिएक (Wozniak)

(Homestead High) होम्सस्टेड हाई में एक कॉमन friend के ज़रिये स्टीव वोजनिएक और Steve Jobs की मुलाक़ात हुई। दोनों Steve बचपन से ही इलेक्ट्रोनिक्स और मशीन में गजब के प्रतिभाशाली थे। जहाँ Steve Jobs अपने पिता की ही तरह एक businessman बनना चाहते थे, वहीँ स्टीव वोज (Steve Woz) के पिता जिन्हें मार्केटिंग से चिढ़ थी उन्होंने उन्हें इंजीनियरिंग में कुछ बेहतरीन करने के लिए प्रेरित किया।

उम्र में Steve Jobs से 5 साल बड़े होने के बावजूद वो बेहद शर्मीले और हद से ज्यादा पढ़ाकू थे। अपने कॉमन दोस्त की गैराज में वे Steve Jobs से पहली बार मिले थे। इलेक्ट्रोनिक्स में गहरी रूचि के साथ ही बॉब डायलन के music ने भी उनकी जोड़ी जमा दी थी।

Steve Jobs की कालेज ड्राप आउट (College drop-out)

जहाँ वोजनियेक ने बर्कली युनिवेर्सिटी जाने के फैसला कर लिया था वहीँ Steve Jobs अभी confusion में ही थे कि अपने लिए कौन सा कॉलेज चुने। क्योंकि Steve Jobs के असली parents ने उन्हें इसी शर्त पर गोद दिया था कि उनकी स्कूली पढ़ाई पूरी कराई जायेगी। इसलिए उनके adoptive parents को उनकी कॉलेज फीस जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

जॉब्स ने फैसला किया कि वे नजदीकी स्टेंडफोर्ड युनिवेर्सिटी नहीं जायेंगे। वे किसी ऐसी जगह जाना चाहते थे जो उससे ज्यादा artistic और interesting हो।

मगर उनके इस फैसले को उनके parents की मंज़ूरी नहीं मिली बावजूद इसलिए जॉब्स ने रीड कॉलेज, पोर्टलैंड ऑरेगोन में दाखिला ले लिया। सिर्फ एक हजार students वाला ये एक कॉलेज बड़ा महंगा था, और फिर अपने हिप्पी कल्चर के लिए मशहूर भी था।

रीड कॉलेज में पढने के दौरान कुछ ही समय बाद Steve Jobs को लगा कि जो कोर्स उन्होंने चुना था वो उनके सपनो के आड़े आ रहा था। जो चीज़े वो सीखना चाह रहे थे, नहीं सीख पा रहे थे, और तब उन्होंने कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया।

अब वो जो पसंद आता वही सीखने लग जाते जैसे कि कैलीग्राफी। रीड में पढ़ाई के दौरान उन्हें हिप्पी कल्चर पसंद आने लगा था। जेन बुधिस्म पर उन्होंने सैकड़ो किताबे पढ़ डाली और pure vegetarian बन गए। उन्होंने बाल कटवाना छोड़ दिया था और पूरे केम्पस में नंगे पाँव घूमा करते।

स्टीव वोजनिएक और Steve Jobs ने कई तरह के छोटे मोटे स्टार्टअप बिजनेस किये। जहाँ वोजनिएक अपने बनाये डिजाएन केवल बेचने तक सिमित थे वहीँ Steve Jobs कुछ ऐसे प्रोडक्ट बनाकर बेचना चाहते थे जो unique हो और उनसे पैसा कमाए जा सके।

सबसे पहले तो उन्हें एक नाम तय करना था। मेट्रिक्स जैसे टेक्नोलोजीकल और पर्सनल कंप्यूटर इंक जैसे कुछ boring नाम उनके दिमाग में आये भी मगर फिर एप्पल नाम उन्हें interesting लगा जो कुछ अलग लग रहा था। इस नाम को चुने जाने की वजह सिर्फ यही नहीं थी कि Steve Jobs एक एप्पल फार्म में घूमकर आये थे बल्कि सुनने में एप्पल कंप्यूटर नाम बड़ा मजेदार और शानदार लगता था।

उस वक्त तक वोजनिएक HP (एच पी) के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने वहां अपना बनाया सर्कट बोर्ड (circuit board) लगाना चाहा। उनका ये प्रोडक्ट नया था और पहले कभी इस्तेमाल नहीं हुआ था इसलिए उसे नकार दिया गया।

इससे निराश होकर वोजनिएक ने फिर जो भी प्रोडक्ट बनाये वे 100 फीसदी सिर्फ एप्पल के लिए बनाये। Steve Jobs का यही मानना था कि उनकी team इसलिए perfect थी क्यूंकि वो दोनों opposite थे।

एक ओर वोज जहाँ बहुत प्रतिभाशाली तो थे मगर लोगो से मिलने-जुलने में कतराते थे, वहीँ जॉब्स की खासियत थी कि वे किसी से भी बातचीत कर सकते थे और अपना काम निकलवाने में माहिर थे।

एक कंप्यूटर स्टोर का मालिक, पॉल टेरेल उनका पहला ग्राहक बना। उसने उन्हें $500 per piece के हिसाब से 50 सर्कट बोर्ड का आर्डर दिया। क्रेमर इलेक्ट्रोनिक्स (Cramer Electronics) के मेनेजेर को विश्वास में लेकर उससे $25,000 का उधार लेने के बाद जॉब्स, वोज और उनकी बहन पैटी, अपनी पूर्व प्रेमिका एलिज़बेथ होम्स और एक दोस्त डेनियल कोट्के के साथ मिलकर काम में जुट गए, और इस तरह लोस एल्टोस में Steve Jobs के घर की गैराज से एप्पल की शुरुवात हुई।

पूरे 5 साल तक क्रिसेन् ब्रेनन (Chrisann Brennan) के साथ Steve Jobs कभी हां कभी ना वाले रिश्ते में बंधे रहे। एप्पल की शुरुवात बहुत सफल रही। जॉब्स अब अपने माँ-बाप का घर छोड़कर कपरटीनो(Cupertino) के एक $600 वाले rented घर में रहने लगे थे।

ब्रेनन अब उनकी जिंदगी में वापस आ चुकी थी। दोनों अब साथ रहने लगे थे। जब दोनों ही अपने 23वे साल में थे ब्रेनन, Steve Jobs के बच्चे की माँ बनने वाली थी।

हालांकि Steve Jobs का सारा ध्यान सिर्फ अपनी कंपनी पर था। वे अभी घर गृहस्थी में बंधना नहीं चाहते थे। ब्रेनन और उनके बीच अब झगडे शुरू हो गए थे। इस बच्चे का आना उनके रिश्ते में खटास पैदा कर रहा था।

जॉब्स के मन में कभी भी शादी का ख्याल नहीं था और उन्होंने इस बच्चे का पिता होने से भी इंकार कर दिया। इस सबके बावजूद ब्रेनन ने हार नहीं मानी। उनके कुछ दोस्त इस मुश्किल दौर में उनके साथ रहे और 17 मई, 1978 को ऑरेगोन में उन्होंने लिजा निकोल को जन्म दिया।

माँ और बच्चा मेनलो पार्क के एक छोटे से घर में रहने लगे। वेलफेयर में मिलने वाली रकम से उनका गुज़ारा चल रहा था। जब लिजा एक साल की हुई तो जॉब्स को उन्ही दिनों चलन में आये डीएनए (DNA) टेस्ट से गुज़रना पड़ा।

जिसका result था की 94.41% chance है की steve ही lisa के बाप है। ये साबित हो जाने पर केलिफोर्निया कोर्ट ने उन्हें लिजा के पालन पोषण के लिए monthly child support देने का हुक्म दिया। हालांकि कोर्ट के हुकम से वे अब जब चाहे अपनी बेटी से मिल सकते थे मगर बावजूद इसके वे कभी भी उससे मिलने नहीं गए।

1981 – Steve Jobs

1977 में एप्पल ने शुरुवाती दौर में 2,500 यूनिट्स बेचे और 1981 में उनकी बिक्री बढ़कर 210,000 हो चुकी थी। हालांकि Steve Jobs को अच्छी तरह मालूम था कि सफलता का ये दौर हमेशा रहने वाला नहीं है। इसलिए उन्होंने एक नये प्रोडक्ट के बारे में सोचा जो एप्पल II से ज्यादा बेहतर हो। वे एक ऐसा डिजाईन चाहते थे जो पूरी तरह से उनका अपना बनाया हो।

अपनी बेटी के साथ अपना रिश्ता नकारने के बावजूद उन्होंने अपने नए कंप्यूटर का नाम लीज़ा रखा। दरअसल इसे बनाने वाले इंजीनियर्स को इससे मिलता जुलता एक्रोनिम सोचना पड़ा। लीज़ा का मतलब था लोकल इंटीग्रेटेड सिस्टम आर्किटेक्चर (Local integerated system architecture).

एप्पल में 100,000 शेयर्स के बदले Xerox PARC ने अपनी एकदम नयी टेक्नोलोजी Steve Jobs और उनके प्रोग्रामर्स को बेच दी। कुछ मुलाकातों के बाद ही एप्पल के इंजीनियर्स Xerox कंप्यूटर के माउस डिजाईन और इंटरफेस की नक़ल बनाने में कामयाब रहे। लिजा को पहले से बेहतर ग्राफिक्स और स्मूथ स्क्रोलिंग माउस फीचर के साथ बाज़ार में उतारा गया।

दिसम्बर 12, 1980 में पहली बार एप्पल को दुनिया के सामने पेश किया गया। मॉर्गन स्टेनले इसके IPO को संभालने वाले बैंको में से एक था। रातो-रात एप्पल के शेयर का दाम $22  से बढकर $29 हो गया। सिर्फ 25 साल के हिप्पी कॉलेज ड्राप आउट Steve Jobs अब करोडो के मालिक बन चुके थे। इतनी बड़ी सफलता के बावजूद उन्होंने दिखावट से दूर एक सादा जीवन जीना पसंद किया।

जॉब्स ने अपने माता-पिता के नाम $750,000 कीमत वाले एप्पल के स्टोक कर दिए थे जिससे उन्हें loans से छुटकारा मिला। वे अब magazines के कवर पर आने लगे थे।

उन्होंने पहली कवर स्टोरी अक्टूबर 1981 में Inc के लिए की थी। इसके तुरंत बाद ही 1982 में टाइम्स मेगेज़ीन में भी उनकी कवर स्टोरी आई। इसमें 26 साल का एक नौजवान के करोडपति बनने के सफ़र की कहानी थी जिसने महज 6 साल पहले ही अपने माता-पिता के गैराज से अपनी कंपनी की शुरवात की थी।

मैकिन्टौश (Macintosh)

अपने आक्रामक व्यवहार के चलते Steve Jobs, लीजा प्रोजेक्ट से जबरन हटा दिए गए थे। इसी दौरान जेफ़ रस्किन(Jef Raskin) नामक एप्पल के एक इंजीनियर एक ऐसा बेहद सस्ता कंप्यूटर बनाने में जुटे थे जिसे कोई भी खरीद सकता था, और अपने इस प्रोजेक्ट का नाम उन्होंने मेकिनतोष रखा जो उनके पसंदीदा सेब की एक किस्म का नाम था।

अब क्योंकि Steve Jobs लीज़ा वाला प्रोजेक्ट खो चुके थे तो उनका सारा ध्यान रस्किन के प्रोजक्ट पर लगा रहा। रस्किन का सपना एक ऐसा सस्ता कंप्यूटर बनाने का था जो स्क्रीन और की-बोर्ड के साथ महज़ $1,000 की लागत का हो। Steve Jobs ने उनसे कहा कि वे सिर्फ मैकिन्टौश बनाने पर ध्यान दे और कीमत की फ़िक्र ना करे।

मगर रस्किन मेकिनतोष पर काम पूरा नहीं कर पाए। पर सयोंग से Steve Jobs ने एक दूसरा इंजीनियर ढूंढ कर उसकी मदद से ऐसा डिवाइस बनाया जो कुछ महंगे मगर पहले से बेहतर माइक्रो-प्रोसेसर पर काम कर सके। मैक लीज़ा से भी बेहतर माउस और ग्राफिक इंटरफेस के साथ बाज़ार में उतरा।

जॉब्स ना केवल एक तेज़ दिमाग वाले इंजीनियर थे बल्कि एक extra-ordinary डिज़ाइनर भी थे। उनके लिए प्रोडक्ट डिजाईन किसी कला से कम नहीं था। “सिम्पल इज सोफेस्टीकेटेड” यही मैक और एप्पल का मोटो था।

वे चाहते थे कि मैक एक छोटे से पैकेज में आ सकने लायक हो जो अन्दर बाहर से बेहद आधुनिक लगे। इसके अलावा उन्होंने मैक के विंडोज, आइकॉन्स, फोंट्स और बाहरी पैकेजिंग की डिजाईन पर भी ख़ास ध्यान दिया था।

अनगिनत प्रपोजल और रीवीजंस के बाद Steve Jobs ने अपनी पूरी डिजाईन टीम के एक पेपर पर signature करवाए। इन सभी 50 signatures को हर मैकिन्टौश कंप्यूटर के अन्दर खुदवाया गया। मैक के design और technology की ख़ुशी का एक जश्न मनाया गया।

माइक्रोसोफ्ट (Microsoft)

बिल गेट्स और Steve Jobs ने मिलकर एक एग्रीमेंट किया। ये एग्रीमेंट मैकिन्टौश को माइक्रोसोफ्ट सोफ्टवेयर के साथ तैयार करके बाज़ार में लाने के बारे में था, और शर्त थी कि प्रोग्राम में एप्पल का logo ज़रूर रहेगा। लेकिन ये सांझेदारी टिक नहीं पाई। इस मुद्दे पर बातचीत के दौरान जॉब्स और गेट्स की अक्सर बहस हो जाया करती थी।

गेट्स का background Steve Jobs से बिलकुल अलग था। उनके पिता वकील थे और माँ एक सिविक लीडर थी। गेट्स अपने ख़ास तबके वाले प्राइवेट स्कूल के वक्त से ही टेक्नोलोजी के कीड़े रहे थे, और उन्होंने जॉब्स की तरह कभी कोई प्रेंक नहीं खेला था। हार्वर्ड की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर गेट्स ने अपनी खुद की सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू कर ली थी।

जॉब्स दूरदर्शी व्यक्ति थे जिनमे अपने काम के प्रति दीवानगी थी और इसी वजह से कभी-कभी उनका लहज़े में एक रूखापन आ जाता था। इसके उलट बिल गेट्स discipline के पक्के थे, practical थे जो सोच समझ कर कदम उठाते थे। ये सयोंग था कि दोनों का ही जन्म 1955 में हुआ था। दोनों ही कॉलेज ड्राप आउट थे जो पर्सनल कंप्यूटर की दुनिया में एक क्रान्तिकारी बदलाव लाये थे।

गेट्स माइक्रोसोफ्ट सॉफ्टवेयर को अलग-अलग तरह के प्लेटफॉर्म में खोलना चाहते थे। मगर Steve Jobs चाहते थे कि एप्पल के लिए अलग से कुछ खास सोफ्टवेयर रहे। उनका ये मतभेद चलता रहा और आख़िरकार उनके इस मतभेद का फायदा आई बी एम (IBM) के पर्सनल कंप्यूटर्स को हुआ।

माइक्रोसॉफ्ट ने पहले अपना ऑपरेटिंग सिस्टम – डीओएस (DOS) निकाला और बाद में विंडोज 1.0.  इस पर जॉब्स ने कहा था “माइक्रोसोफ्ट की समस्या ये है कि उनके अन्दर creativity की कमी है, उनके आइडियाज़ ना तो असली होते है ना ही उनके प्रोडक्ट में कोई कल्चर होता है”.

त्यागपत्र – Steve Jobs

लीजा प्रोजेक्ट Steve Jobs के हाथो से छीनकर उन्हें बोर्ड का नॉन- एक्जीक्यूटिव सदस्य बना दिया गया था। बेशक उनके पास एप्पल के 11% शेयर थे फिर भी उनके पास अब ज्यादा अधिकार नहीं रहे।

1985में उन्होंने प्रेजिडेंट जॉन स्क्ली से कहा कि वे एक अलग कंपनी खोलना चाहते है। Steve Jobs ने कहा कि उनकी ये कम्पनी एप्पल से अलग होगी मगर उसकी competitor नहीं होगी।

जॉब्स ने अपनी इस नयी कंपनी का नाम नेक्स्ट NeXT रखा। उन्होंने स्क्ली से कहा कि उन्हें 5 लो लेवल employees चाहिए जिन्हें वे नेक्स्ट में रख सके।

जब Steve Jobs ने स्क्ली को 5 कर्मचारियों के नाम बताये तो स्कली नाराज़ हो गए क्योंकि जिन लोगो के नाम Steve Jobs ने सुझाये थे, वे बिलकुल भी लो लेवल के नहीं थे।

बोर्ड मेम्बर को लग रहा था कि जॉब्स अब कंपनी के प्रति ईमानदार नहीं रहे और एक चेयरमेन के तौर पर अपने फ़र्ज़ से मुंह मोड़ रहे है। सबने एकजुट होकर जॉब्स का विरोध करने का निर्णय लिया।

मीडिया में इस बात की चर्चा जोरशोर से होने लगी कि Steve Jobs को चेयरमेन के पद से निकाला जा रहा है। मगर त्यागपत्र का ख्याल उनके मन में तब से ही था जब उन्होंने नेक्स्ट के बारे में सोचा था। आखिर में उन्होंने एक्जीक्यूटिव माइक मर्क्कुला (Mike Markkula) को अपना त्यागपत्र मेल कर दिया।

Steve Jobs के त्यागपत्र की ये कुछ पंक्तिया थी “अब कंपनी एक ऐसा रवैया दिखाती नजर आ रही है जो मेरे और मेरे new venture के लिए safe नहीं लग रहा है…. जैसा कि आप जानते है कि कंपनी की नयी guidelines में मेरे लिए करने को कुछ अधिक नहीं बचा, यहाँ तक कि रेगुलर मेनेजमेंट रिपोर्ट पर भी मेरा कोई अधिकार नहीं रह गया है। मैं अभी सिर्फ 30 का हूँ और बहुत कुछ हासिल करने की इच्छा रखता हूँ”.

PIXAR और टॉय स्टोरी

जोर्ज लुकास (George Lucas) अपने कंप्यूटर डिवीज़न के लिए किसी खरीददार की तलाश में थे। एक दोस्त ने जॉब्स को सलाह दी कि उन्हें लुकास फ़िल्म कंप्यूटर डिवीज़न के प्रमुख एड केटमल (Ed Catmull) से मिलना चाहिए। Steve Jobs टेक्नोलोजी के साथ आर्ट को मिलाने में बहुत ज्यादा interested थे। जब वे डिवीज़न गए तो वहां का काम देखकर पूरी तरह हैरान रह गए।

डिवीज़न मुख्य रूप से डिजिटल इमेजेस के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर बेच रहा था। दूसरी तरफ यहाँ पर एनीमेटर्स (animators) थे जो शोर्ट फिल्म्स बनाया करते थे। इस छोटी सी एनिमेशन टीम के मुखिया थे जॉन लासेटर (John Lasseter). Steve Jobs ने तुरंत ही ये डील पक्की कर ली और 70 % शेयर उनके हो गए।

इस डिवीज़न का सबसे ख़ास प्रोडक्ट था PIXAR इमेज कंप्यूटर, और इसलिए नयी कंपनी का नाम भी PIXAR रखा गया। इसके 3डी ग्राफिक इमेजिंग सोफ्टवेयर में डिज्नी ने बहुत रूचि दिखाई। उन दिनों डिज्नी का एनिमेशन डिपार्टमेंट बुरी हालत में था। PIXAR का सोफ्टवेयर पहली बार डिज्नी के “लिटिल मरमेड” में इस्तेमाल किया गया।

इसी बीच जॉन लासेटर (John Lasseter) और Steve Jobs मिलकर एक ऐसी कहानी सोच रहे थे जो बेजान चीजों की भावनाओं के बारे में हो। लासेटर एक होनहार एनिमेटर थे जो केलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आर्ट् से पढ़कर निकले थे।

जब टॉय स्टोरी को बेशुमार सफलता मिली तो एक असमंजस पैदा हुआ कि ये डिज्नी की फिल्म हो या John Lasseter की। तब Steve Jobs डिज्नी के साथ टॉय स्टोरी और बाकी की एनीमेशन फिल्मो के मालिकाना हक़ में बराबर की हिस्सेदारी के लिए तैयार हो गये।

मोना और लिजा

सन 1980 से ही Steve Jobs गुपचुप तरीके से अपने असली माँ-बाप की तलाश में जुटे हुए थे और इसके लिए उन्होंने जासूसी सेवा की मदद ली, और आखिरकार उन्होंने अपनी असली माँ को ढूंढ निकाला।

उनकी माँ का नाम (Joanne Schieble) जोंने शीबले था और वो लोस एंजेलस में रहती थी। Joanne स्टीव के असली पिता अब्दुलफताह जन्दाली(Abdul Fattah Jandali) से अलग रहती थी जो कि एक सीरियन थे। उनकी शादी सफल नहीं रही थी। मगर उन्होंने जॉब्स को बताया कि मोना सिम्पसन नाम की उनकी एक हाफ सिस्टर भी है।

जॉब्स मोना से न्यू यॉर्क में मिले। उन्हें ये जानकर बहुत ख़ुशी हुई कि वो एक नॉवेलिस्ट है। दोनों ही आर्ट में गहरी दिलचस्पी रखते थे और यही वजह थी कि उनके बीच एक गहरा रिश्ता बन गया। जॉब्स ने मोना को उनकी बुक र्रीलीज़ में भी मदद की। दोनों एक दुसरे को बहुत पसंद करते थे और उनके बीच मज़बूत दोस्ती का रिश्ता बन गया।

इसी बीच Steve Jobs ने क्रिसेन्न ब्रेनन और लिजा के लिए एक घर खरीदा जहाँ वे दोनों रहने लगी। जब लीज़ा वहां होती तो जॉब्स बीच-बीच में मिलने आते। जॉब्स ने कहा था “मै पिता नहीं बनना चाहता था इसलिए मै नहीं था”.

जब लीज़ा 8 साल की हुई, जॉब्स का आना जाना और ज्यादा बढ़ गया। उन्होंने देखा कि लीज़ा पढ़ाई के साथ-साथ आर्ट में भी बहुत होनहार थी। लीज़ा उन्ही की तरह उत्साही थी और कुछ-कुछ उन जैसी ही दिखती भी थी।

एक दिन Steve Jobs अपने साथियो को सरप्राइज़ देने के लिए लीज़ा को अपने साथ एप्पल के ऑफिस में लेकर गए। कभी – कभी वे उसे स्कूल से भी लेने जाते थे, और एक बार तो वे उसे अपने साथ टोक्यो की बिजनेस ट्रिप में भी लेकर गए। फिर भी ऐसा कई बार हुआ जब Steve Jobs अपनी इन भावनाओ को प्रकट नहीं करते थे, जैसे जैसे वक्त बीतता गया, बाप बेटी का रिश्ता अनेक उतार-चढावो से गुजरा।

शादी – Steve Jobs

अक्टूबर, 1989 में Steve Jobs की मुलाकात लोरीन पॉवेल से हुई। Steve Jobs को स्टैंडफोर्ड युनिवेर्सिटी में लेक्चर के लिए इनवाईट किया गया था और पॉवेल तब नयी-नयी बिजनेस स्कूल ग्रेजुएट थी। वे दोनों लेक्चर के दौरान साथ बैठे थे। Steve Jobs पहली नज़र में ही पॉवेल के प्रति आकर्षित हो गए थे। उन्होंने आपस में कुछ देर बातचीत की और फिर जॉब्स ने उन्हें डिनर के लिए इनवाईट कर लिया।

लौरीन पॉवेल एक स्मार्ट, आत्मनिर्भर और पढ़ी-लिखी औरत थी। उनका सेन्स ऑफ़ ह्यूमर गज़ब का था और वे शाकाहारी थी। Steve Jobs इससे पहले कई औरतो को डेट कर चुके थे मगर पॉवेल से उन्हें सच में प्यार हो गया था। दिसंबर 1990, में वे दोनों छुटिया बिताने के लिए हवाई गए। क्रिसमस पर Steve Jobs ने पॉवेल को शादी के लिए प्रपोज किया।

और फिर मार्च 18, 1991 में योसमाईट नेशनल पार्क में वे दोनों शादी के बंधन में बंध गए। उस वक्त जॉब्स 36 साल के थे जबकि पॉवेल 27 की थी। करीब 50 लोग इस शादी में शामिल हुए थे जिनमे जॉब्स के पिता और उनकी बहन मोना भी थी। शादी के बाद ये जोड़ा पालो आल्टो के एक टू स्टोरी में शिफ्ट हो गया था। स्टीव और लौरीन के तीन बच्चे है पॉल रीड, एरीन सियेना और ईव।

Restoration

मैक के ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस का पता लगाने में Microsoft को कुछ वक्त लगा। साथ ही कंपनी ने अब विंडोज 3.0 भी निकाला। विंडोज़ 95 के रिलीज़ के साथ ही Microsoft ने market को dominate कर दिया। ये अब तक का सबसे बढ़िया ऑपरेटिंग सिस्टम था। इस दौरान एप्पल की सेल लगातार घट रही थी।

Steve Jobs को लगा कि स्क्ल्ली ने एप्पल को प्रॉफिट ओरिएंटेड बनाया है। वो मैक को अपग्रेड करके अफोर्डबल नहीं बना पाए थे। 1996 में एप्पल के मार्किट शेयर गिरकर 4% रह गए थे जोकि 1980 के आखिरी दशक में 16% थे। Steve Jobs एप्पल के सीईओ CEO ज़िल एमेलियो से मिले। जॉब्स ने उनसे कहा कि एक नया प्रोडक्ट बनाकर वे एप्पल को बचाना चाहते है।

ये दिसंबर 20, 1996 की बात थी जब एमेलियो ने एक एडवाइज़र के तौर पर एप्पल में Steve Jobs की वापसी की घोषणा की। अपने शानदार व्यक्तिव और तेज़ दिमाग बिजनेसमेन होने की वजह से Steve Jobs ने बाद में एप्पल के सीईओ की जगह ले ली। एप्पल में उनकी वापसी का पहला साल बेहद मुश्किलभरा रहा। सभी पुराने बोर्ड मेम्बर जा चुके थे और उनकी जगह नए ढूढने पड़े। एप्पल को 1 बिलियन से ज्यादा का घाटा हुआ था।

सन 1997 में Steve Jobs ने एप्पल के “Think Different” केम्पेन का खूब प्रचार किया। उन्होंने इसके लिए बेहतर मार्केटिंग और एडवरटाईजिंग पर जोर दिया। इस दौरान वे PIXAR, एप्पल और अपने परिवार के बीच एक संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे थे। साल 1998 तक एप्पल ने एक बार फिर से $309 मिलियन का प्रॉफिट हासिल किया। Steve Jobs और उनकी कंपनी, दोनों की गाडी एक बार फिर से पटरी पर दौड़ने लगी।

जब Steve Jobs अपने 30वे साल में थे, एप्पल ने उन्हें कम्पनी से निकाल बाहर फेंका था। मगर उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपना सारा ध्यान अपने परिवार, पिक्सर और NeXT को दिया। अपने चालीसवे साल में टॉय स्टोरी बनाकर उन्होंने कामयाबी की ऊँचाई को छुवा। एप्पल में अपनी वापसी के साथ उन्होंने साबित कर दिया कि चालीस के पार की उम्र में भी लोग बहुत कुछ हासिल कर सकते है।

अपने बीसवे साल में Steve Jobs पर्सनल कंप्यूटर की दुनिया में एक क्रान्ति लेकर आये। उनका ये प्रयास संगीत, मोबाइल फोन्स, टेबलेट, एप्प्स, बुक्स और जर्नलिस्म के क्षेत्र में भी ज़ारी रहा।

आइ मैक और एप्पल स्टोर्स

साल 1998 में Steve Jobs ने Macintosh को iMac के साथ रीइन्वेंट किया। एक बार फिर उन्होंने प्रोडक्ट बनाया जो मोनिटर और कीबोर्ड के साथ एक मुक्कमल कंप्यूटर था। आइमैक को पूरी तरह से एक होम कंप्यूटर के रूप में बनाया गया था। जॉब्स ने प्रोडक्ट की लौन्चिंग Macintosh के साथ एक नए तरह के थियेटर में की थी। आइमैक को भी उन्होंने इसी तरह लांच किया। $1,299 की कीमत का आइमैक, एप्पल का हाथो-हाथ बिकने वाला प्रोडक्ट बन गया था।

1999 में शहर की प्रमुख सड़को या फिर किसी माँल में एक भी Tech स्टोर नहीं था। जॉब्स ने सोचा की आप तब तक कोई नयी इनोवेशन मार्किट में नहीं ला सकते जब तक कि आपकी पहुँच खरीददारों तक ना हो, तब उन्हें एप्पल के रिटेल स्टोर खोलने का विचार सूझा। एक दिन उनके एक साथी ने उनसे पुछा – क्या एप्पल भी Gap की ही तरह एक बड़ा ब्रांड है? Steve Jobs ने जवाब दिया कि एप्पल उससे भी बड़ा ब्रांड है।

सबसे पहला एप्पल स्टोर मई, 2001 में वर्जीनिया में खोला गया। सफ़ेद रंग के काउंटर और वूडन फ्लोर वाले इस स्टोर में एप्पल के सभी प्रोडक्ट थे। साल 2004 तक एप्पल ने रिटेल इंडसट्री में $1.2 बिलियन के मुनाफे के साथ एक रेकोर्ड बना लिया था। 2006 में एप्पल का पांचवा एवेन्यू स्टोर मेनहेट्टेन में खोला गया.. इसमें जॉब्स के ट्रेडमार्क minimalist design from glass, क्यूब से लेकर स्टेयर केस तक थे। साल 2011 आते-आते पूरी दुनिया में एप्पल के 326 स्टोर खुल चुके थे।

Apple – आइ ट्यून्स और आइ पोड

साल 2000 में अमेरिका में 320 मिलियन के करीब ब्लेंक सीडी बिकी। लोग सीडी से गाने अपने कंप्यूटर में डालते थे। Steve Jobs म्युज़िक की दुनिया में भी कुछ नया करना चाहते थे। हालांकि उन्हीने मैक को सीडी बर्नर के साथ बनाया था मगर फिर भी वे कोई और आसान तरीका सोच रहे थे जिससे गाने सूनने के लिए म्युज़िक आसानी से कंप्यूटर में ट्रांसफर किया जा सके।

उस वक्त जो विंडोज का मीडिया प्लयेर था, वो Steve Jobs को बहुत कोम्प्लीकेटेड लगा। इसी दौरान एप्पल के दो पुराने इंजिनियरो ने SoundJam नाम से एक म्युज़िक सॉफ्टवेयर तैयार किया। एप्पल ने उन्हें वापस कम्पनी में लिया और SoundJam को रीइन्वेंट करने के बाद आइ-ट्यून्स बनाया। Steve Jobs ने आइ-ट्यून्स को जनवरी 2001 में इस स्लोगन के साथ लांच किया “Rip, Mix, Burn”.

Steve Jobs ने सोचा, म्युज़िक प्ले करने के लिए एक ऐसा पोर्टेबल डीवाइस हो जिसे आइ-ट्यून्स के साथ पार्टनर किया जा सके। जब वे जापान में थे तब उन्हें एक नए प्रोडक्ट के बारे में पता चल जिसे तोशिबा बना रहा था। सिल्वर कोइन जितना छोटा ये डीवाइस 5 जीबी यानी 1,000 गाने तक स्टोर कर सकता था। ये डीवाइस तोशीबा ने बना तो लिया था मगर उसका सही उपयोग Steve Jobs को पता था।

और हमेशा की ही तरह Steve Jobs चाहते थे कि जो भी एप्पल प्रोडक्ट बने वो इस्तेमाल में आसान हो। उन्होंने सोचा चूँकि आइ-पोड पहले से ही छोटा था तो प्लेलिस्ट को कंप्यूटर के साथ बनाया जाए। तब आइ-पोड को आइ-ट्यून्स की मदद से सिंक (sync) किया जा सकता था। इसके बाद गानों के कॉपी राईट और आइ-ट्यून्स स्टोर्स के लिए Steve Jobs कुछ बड़ी म्युज़िक कंपनियों से मिले।

ये अक्टूबर 2003 की बात थी जब Steve Jobs को पता चला कि उन्हें कैंसर है। उन्हें पहले एक बार किडनी स्टोन हो चूका था इसलिए तस्सली के लिए वे सिर्फ केट (CAT ) स्केन के लिए गए थे। मगर जांच करने पर डॉक्टर को पता लगा कि उनके पेनक्रियाज़ में ट्यूमर था।Steve Jobs की बायोप्सी की गयी जिससे ये पता चला कि ट्यूमर निकाल कर कैंसर को शरीर में फैलने से रोका जा सकता है।

मगर Steve Jobs सर्जरी नहीं कराना चाहते थे। इसके बदले उन्होंने पूरी तरह से Vegetarian हो कर एक्यूपंक्चर इलाज़ का सहारा लिया। हालांकि उनकी पत्नी और दोस्त उन्हें सर्जरी करवाने के लिए मनाते रहे की उन्हें सच में ओपरेशन की ज़रुरत है, ये बात समझने में उन्हें 9 महीने लगे।

जुलाई 2004 में जॉब्स ने अपना दूसरा केट CAT स्केन करवाया। ट्यूमर बढ़ चूका था। मजबूरन उन्हें सर्जरी करवानी पड़ी और इसमें उनके पेनक्रियाज़ का एक हिस्सा निकाल दिया गया। वे सितम्बर से वापस अपने काम पर जाना चाहते थे मगर बदकिस्मती से उनका कैंसर पूरी तरह उनके शरीर में फ़ैल चूका था। Steve Jobs की कीमोथेरेपी चलती रही।

जब उन्हें स्टेंडफोर्ड के कमेंसमेंट एक्सरसाइज़ के लिए इनवाइट किया गया तो Steve Jobs ने अपने कैंसर के ठीक हो जाने की घोषणा की। साल 2005 में उनकी पत्नी ने उनके जन्मदिन पर एक सरप्राइज़ पार्टी रखी। उन्होंने अपना 50वा जन्मदिन अपने परिवार, दोस्तों और साथियो के साथ मिलकर मनाया।

Apple – आइ-फोन

सारी दुनिया आइ-पोड की दीवानी हो गयी थी। साल 2005 तक ये एप्पल का कुल 45% रीवेन्यु कमा रहा था, और हमेशा की ही तरह Steve Jobs कुछ और इनोवेट करने में लगे थे। उन्होंने अपना ये तर्क बोर्ड के सामने रखा कि जो कभी डिजिटल केमरा के साथ हुआ वो आइ-पोड के साथ भी हो सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए एप्पल को अपना खुद का फोन बनाना ज़रूरी था जिसमे इन-बिल्ट केमरा के साथ-साथ म्युज़िक प्लेयर भी हो।

उन्होंने इस बारे में सोचा और मोटोरोला के साथ टाइ-अप करने के लिए नेगोशिएट किया। मगर Steve Jobs पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पाए। उन्हें मार्केट में उपलब्ध एक भी सेल फोन पसंद नहीं आया। इसके अलावा Steve Jobs अपने फ़ोन के लिए एक पोटेंशियल मार्केट भी सोच रहे थे।

Steve Jobs किसी को जानते थे जो माइक्रोसॉफ्ट के लिए टेबलेट पीसी बना रहा था। जो इंजीनियर इसे बना रहा था वो इसके बारे में क्लासीफाइड जानाकरी दे रहा था। माइक्रोसॉफ्ट का ये टेबलेट स्टाइल्स के साथ आता था। लेकिन Steve Jobs ने अपने इंजीनियर्स से पुछा कि क्या वे ऐसा एप्पल प्रोडक्ट बना सकते है जिसमे टच-स्क्रीन हो। जब आइ-फोन का डिजाईन तैयार करके उनके सामने पेश किया गया, जॉब्स ने कहा – “ यही फ्यूचर है”.

कैंसर की वापसी

2008 तक Steve Jobs का कैंसर बुरी तरह उनके शरीर में फ़ैल चूका था। असहनीय दर्द के अलावा उन्हें इटिंग डिसऑर्डर से भी जूझना पड़ रहा था। Steve Jobs को जवानी के दिनों में अक्सर खाली पेट रहने और एक्सट्रीम डाईट की आदत थी। कैंसर की लाइलाज बिमारी में भी वे खाने के प्रति लापरवाह थे। उस साल जॉब्स का वजन लगभग 40 पाउंड घट गया था।

जब वे आइ-फोन 3G को दुनिया के सामने लेकर आये तो मीडिया ने उनके वजन कम होने पर ज्यादा interest दिखाया। सिर्फ महीने भर में ही एप्पल के स्टोक घटने लगे थे।

आखिरकार जॉब्स को जनवरी 2009 में मेडिकल लीव पर जाना पड़ा। उसके दो महीने बाद ही उनका लीवर ट्रांसप्लांट का ओपरेशन हुआ। उनके लीवर में ट्यूमर पाया गया और डॉक्टर इस बात से और चिंतित हो गए थे।

Steve Jobs के मेडिकल लीव पर जाने पर एप्पल के मेनेजमेंट में कुछ अरेंजमेंट किये गए। धीरे-धीरे स्टॉक प्राइस कुछ सुधरे। एक कोंफ्रेंस काल के दौरान, ओपरेशन मेनेजर टीम कुक ने कहा – “हमें इस बात का यकीन है कि हम इस दुनिया में सिर्फ महान प्रोडक्ट बनाने के लिए है और ये हमेशा होता रहेगा। यहाँ कौन क्या काम कर रहा है, इस बात की परवाह किये बगैर हमारा सारा ध्यान सदा इनोवेटिंग पर रहा है। ये वेल्यूज़ कंपनी के साथ इस कदर जुड़े हुए है कि एप्पल हमेशा बेहतरीन करता रहेगा”.

Steve Jobs हालांकि बीमारी में भी शांत नहीं थे। उनका जुझारूपन अभी कायम था। साल 2010 में वे ठीक होकर फिर से एप्पल आने लगे थे। कैंसर भी उन्हें रोक नहीं पाया और उन्होंने आइ-पेड के बाद आइ-पेड 2 और आइ-क्लाउड डेवलेप किया।

आखिरी बोर्ड मीटिंग

ये साल 2011 था जॉब्स को उनके डॉक्टर्स ने बताया कि ट्यूमर उनकी हड्ड्यों और बाकी ओरगंस में भी फ़ैल चूका था। इसके साथ ही दर्द, वजन घटना, इटिंग डिसऑर्डर, नींद ना आना और मूड स्विंग्स जैसी अन्य परेशानियो से उनकी हालत बदतर होती जा रही थी। ऐसे कई प्रोजक्ट थे जिन्हें जॉब्स पूरा करना चाहते थे मगर अपनी बिमारी की वजह से उन्हें अपने परिवार की देख-रेख में घर पर बैठना पड़ रहा था।

अगस्त में Steve Jobs ने लेखक Issacson को मैसेज करके उनसे मिलने की गुज़ारिश की। वे Issacson को अपनी बायोग्राफी के लिए कुछ फ़ोटोज़ दिखाना चाहते थे। उन्होंने हर तस्वीर के पीछे की कहानी उन्हें बताई और बिल गेट्स से लेकर प्रेजिडेंट ओबामा तक उन सब लोगो के बारे में बताया जिनसे वे मिले थे। Steve Jobs का शरीर भले ही बहुत कमज़ोर हो गया था मगर उनका दिमाग अभी भी तेज़ चलता था।

जब आईजेकसन जाने लगे तो जॉब्स ने अपनी बायोग्राफी को लेकर चिंता जताई। लेकिन फिर उन्होंने लेखक से कहा “मैं चाहता हूँ कि मेरे बच्चे मेरे बारे में जाने। क्योंकि मैं उनके साथ ज्यादा वक्त नहीं बिता पाया। मैं चाहता हूँ कि जो कुछ भी मैंने किया, वे उसके बारे में जाने। एक वजह और भी है। जब मैं नहीं रहूँगा तो लोग मेरे बारे में लिखना चाहेंगे। हालांकि वे मेरे बारे में कुछ नहीं जानते तो जो कुछ भी लिखा जाएगा सब गलत होगा। इससे बेहतर है कि मै अपनी बात खुद की कह सकूँ”.

Steve Jobs की आखिरी बोर्ड मीटिंग 24 अगस्त को की थी। उन्होंने इस मीटिंग में वो लैटर पढ़ा जिसे वे हफ्तों से रीवाइज़ कर रहे थे। इसमें लिखा था “मैं हमेशा से ही कहता आया हूँ कि कभी अगर मैं एप्पल के सीईओ CEO की हैसियत से अपना फ़र्ज़ और इस कम्पनी की उम्मीदों पर खरा उतरने लायक ना रह पाऊं तो ये बात आप लोगो को सबसे पहले मैं खुद बताऊंगा, और अफ़सोस की बात है कि वो दिन आज आ गया है”.

Steve Jobs अपनी पसंद में intense हो सकते थे। उनके साथी उनके लिए या तो हीरो थे या फिर एकदम निकम्मे। इसी तरह उनके प्रतिद्वन्दी भी उनकी नजरो में या तो अव्वल थे या एकदम नाकारा। यही नहीं वे हद से ज्यादा ईमानदार थे। उनके अधीन काम करने वालो के अनुसार वे सीधी और सच्ची बात करने में यकीन रखते थे।

Steve Jobs हर काम में अपना दखल देते थे। स्वभाव से वे कंट्रोलिंग थे। मैक का ऑपरेटिंग सिस्टम वे खासतौर पर सिर्फ एप्पल के लिए ही चाहते थे। हालांकि उनके फैसले से माइक्रोसॉफ्ट को फायदा पहुंचा था। लेकिन Steve Jobs अपने प्रोडक्ट्स को बेहतर से भी बेहतरीन बनाने पर जोर देते थे। प्रोडक्ट के डिजाईन से लेकर कस्टमर के अनुभव तक में उन्हें अपना दखल चाहिए था। उनका लक्ष्य हमेशा सिर्फ और सिर्फ परफेक्शन रहा।

कंज्यूमर क्या चाहता है इससे ज्यादा वे इस बात का ख्याल रखते थे कि मार्किट में आने वाले सबसे पहला प्रोडक्ट सिर्फ उनका हो। उनकी मौजूदगी में एप्पल इनोवेशन में हमेशा सबसे आगे रहा। जैसा कि कम्पनी का मोटो रहा है “थिंक डिफरेंट”. स्टीव जॉब्स भले ही कभी-कभी सनकी हो जाते थे मगर उन्होंने खुद को digital age का सबसे महान इनोवेटर साबित कर दिखाया।

Steve Jobs का हमेशा ये मानना था कि अक्सर किसी भी कम्पनी के डूबने के पीछे एक वजह ये होती है कि जब उनका कोई प्रोडक्ट चल पड़ता है तो कम्पनी का सारा ध्यान प्रॉफिट कमाने में लग जाता है। मगर एक कामयाब कंपनी वही होती है जो आखिर तक कायम रहती है क्योंकि उनका मकसद सिर्फ पैसा कमाना नहीं होता बल्कि हर बार बेहतर करना ही उनका लक्ष्य होता है, और एप्पल के लिए वो यही लक्ष्य चाहते थे।

पूरे तीन दशको तक  Steve Jobs लगातार अपने लक्ष्य की ओर बड़ते रहे। उन्होंने एप्पल II और मेकिनतोष के साथ आल इन वन और Ready to use पर्सनल कंप्यूटर बनाया। उन्होंने PIXAR के साथ एनीमेशन की दुनिया ही बदल दी। उनके आइ-ट्यून्स और आइ-पोड ने म्युज़िंक इंड्सट्री को Piracy से बचाया। आइ-फोन और आइ-पेड की मदद से बिजनेस और एंटरटेन एक ही पोर्टेबल डीवाइस में सिमट कर रह गए, और आइ-क्लाउड ने तो डेटा सिंक (SYNC) को बेहद आसान बना दिया।

बेशक Steve Jobs अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनकी लीगेसी हमेशा जिंदा रहेगी। एप्पल और पिक्सर आगे भी यूँ ही टेक्नोलोजी और आर्ट का तालमेल बनाते रहेंगे।

Steve Jobs की बायोग्राफी से हम जो चीज़ सीख सकते है वो ये है की हमेशा चलते रहो, सुधार करते रहो और तुम्हारी ये कोशिशे खुदबखुद तुम्हे कामयाब बनायेंगी।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद।

Wish You All The Very Best.

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Steve Jobs Biography in Hindi | स्टीव जॉब्स की जीवनी| एक व्यक्ति जिसने पूरी दुनियाँ बदल दी

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Steve Jobs Biography in Hindi स्टीव जॉब्स की जीवनी

नए ज्ञान के लिए भूखे रहो, मूर्ख रहो

मृत्यु एक सच है। इस बात के एहसास से कि मैं जल्दी ही मर जाऊंगा। मुझे अपनी जिंदगी के बड़े निर्णय लेने में, मेरी बहुत मदद करते हैं। क्योंकि जब भी कभी में मृत्यु के बारे में सोचता हूं। तो सारी expectation सारा pride, fail होने का डर। सब कुछ गायब हो जाता है। यह कथन है, दुनिया के महानतम Entrepreneur स्टीव जॉब्स का। जब भी कभी दुनिया के प्रभावशाली Entrepreneur का नाम लिया जाएगा। तो उसमें और कोई नाम हो या ना हो।

एक नाम जरूर होगा और वह नाम है- Steve Jobs का। जो Apple company के co-founder हैं। आप हर रोज ऐसे जियो। जैसे की ये आपकी जिंदगी का आखरी दिन है। तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जाओगे। यह विचार मेरे दिमाग में छा गया। तब से मैंने रोज शीशे में अपने आपसे यह सवाल किया है। अगर यह दिन मेरी जिंदगी का आखरी दिन होता। तो क्या मैं आज वह करता। जो मैं करने वाला हूं।

जब भी लगातार, कई दिनों तक जवाब नहीं में होता। तो मैं समझ जाता कि कुछ बदलने की जरूरत है। कुछ नया करने की जरूरत है। स्टीव जॉब के इन शब्दों में जीवन का सार है। अगर आप इस बात को दिल से मनन करे। तो यह आपमें एक नई ऊर्जा का संचार कर देगा। इनके जीवन की कहानी,इससे भी ज्यादा ऊर्जावान है। यह एक ऐसी शख्सियत थी। जिन्हें न अपने पैसे से प्यार था और न पैसा उनकी पहचान थी।

बल्कि लीक से अलग हटकर सोचना और तकनीक को नए रूप में परिभाषित करना। उनके प्रबल व्यक्तित्व की विशेषताएं थी। लेकिन स्वयं स्टीव जॉब के लिए, उनकी जिंदगी आसान नहीं रही। उनका प्रारंभिक जीवन काफी भ्रम और उथल-पुथल से भरा हुआ था। इसी प्रकार जाने : Founder of Microsoft – Bill Gates के सफलता की पूरी कहानी।

Steve Jobs Biography in Hindi

Steve Jobs – An Introduction स्टीव जॉब्स – एक परिचय

स्टीव जॉब्स का बचपन व शिक्षा steve jobs – childhood and education.

Steve Jobs का जन्म 24 फरवरी 1955 को सन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ था। जब उनका जन्म हुआ। तो उनके माता-पिता ने उन्हें Adoption के लिए दे दिया। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके माता-पिता unmarried couple थे। उनके पिता एक Refugee थे। जिनका नाम अब्दुल फतह जंदाली था।  उनकी माता जो कि एक अमेरिकन सिटीजन थी। उनका नाम जोओनी सिम्पसन था।

Steve Jobs की माँ के पिताजी ने, अपनी बेटी की शादी एक refugee से करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं है। तब Steve Jobs के माता-पिता ने यह निर्णय लिया। वह इस बच्चे को Adoption के लिए दे देंगे। जब बच्चा adopt हो जाएगा। तब वह दोनों अलग अलग हो जाएंगे। लेकिन उनकी एक शर्त थी। वह चाहते थे कि Steve jobs को, जो भी adopt करें। वह ग्रेजुएट हो।

वह चाहतें थे कि उनका बच्चा भी आगे चलकर ग्रेजुएशन करें। इसके बाद उन्हें काफी सर्च किया। उन्हें एक ऐसा couple मिल भी गया। लेकिन बाद में पता चला। उस couple ने, उनसे झूठ बोला था। वह ग्रेजुएट नहीं थे। लेकिन उन्होंने स्टीव जॉब के biological parents को, यह promise किया। वह उसकी graduation पूरी करवाएंगे।

क्लारा और पाउल ने इस बच्चे को adopt कर लिया था। उन्होंने उनका नाम Steve Poul Jobs रखा। जिन्हें आज हम सभी स्टीव जॉब के नाम से जानते हैं। क्लारा एक accountant थी। पाउल एक Coast Guard मकैनिक थे। स्टीव जॉब ने अपना बचपन Mountain View, California में बिताया। जिस जगह को, आज हम Silicon valley के नाम से जानते हैं।

Silicon valley एक ऐसी जगह है। जहां पर आज दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों का जन्म हुआ। जैसे कि फेसबुक, गूगल, अमेजॉन, एप्पल और बहुत सारी। बचपन में स्टीव जॉब और उनके पिता, अपने पुश्तैनी गेराज में electronic items  को खोलते और उन्हें assemble करते थे। उनके पिता उन्हें सिखाते थे। कैसे equipment को use करके। किसी भी electronic items को खोला और वापस उसे बंद किया जाता है। धीरे-धीरे ये स्टीव जॉब्स की hobby बन गई। उनके अंदर Confidence आने लगा कि वह इस काम को कर सकते हैं।

उनका technology में interest भी, यहीं से start हो गया। अन्य बच्चों के comparison में स्टीव जॉब बचपन मे बहुत intelligent और innovative थे। उनका यह सोचना था कि स्कूल का पढ़ाने का formal तरीका बहुत ही boring और frustrating है। इसकी वजह से बच्चों की creative side कभी बाहर ही नहीं आ पाती। जब वह elementary school में थे। तब वह बच्चों से बहुत prank किया करते थे। 4th grade में teachers उन्हें bribe देती थी।

ताकि वह अच्छे से पढ़ाई में ध्यान लगा सकें। लेकिन जब उनके test का result आया। तब सारे टीचर ने यह suggest किया। यह बच्चा बहुत intelligent है। इसको skip करके, सीधा High School में डाल दो। लेकिन उनके parents ने ऐसा करने से मना कर दिया। क्योंकि वह चाहते थे कि स्टीव अच्छे से पढ़कर आगे बढ़े।

उसके बाद, स्टीव ने अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की। Reed Collage, Portland में अपना admission ले लिया। लेकिन कॉलेज जाने के बाद, उन्हें सही guidance नहीं मिली। उन्होंने कालेज को drop कर दिया। कॉलेज drop करने के बाद, स्टीव जॉब्स ने पढ़ाई करना नहीं छोड़ा। उन्होंने 18 महीनों के लिए creative classes, join कर ली। यहां पर उन्होंने सुलेख में अपना interest बना लिया। इसी प्रकार जाने : Ratan Tata Biography in Hindi । क्यों है रतन टाटा भारत-रत्न के हकदार।

स्टीव जॉब्स का संघर्षपूर्ण करियर The Struggling Carer of Steve Jobs

स्टीव जॉब जब हाई स्कूल में थे। तो उनकी मुलाकात स्टीव वोजनियाक से हुई। वोजनियाक बहुत bright student थे। उन्हें electronic  का genius कहा जाता था। 13 साल की उम्र में, उन्होंने एक addition subtraction की ऐसी मशीन बनाई। जिसने local science fair में, सबसे ज्यादा awards जीते।

इसी के साथ, हाई स्कूल के इलेक्ट्रॉनिक्स टीचर की नजर, उन पर पड़ी। उन्होंने वोजनियाक को एक लोकल कंपनी में जॉब ऑफर की। इसी कंपनी में, स्टीव जॉब हफ्ते में एक बार कंप्यूटर पर काम करने आया करते थे। इन दोनों की दोस्ती की शुरुआत भी यही से हुई। कंप्यूटर में दोनों का intrest होने की वजह से, दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई। हालांकि वोजनियाक 5 साल बड़े थे।

1972 में वोजनियाक ने एक ऐसी device बनाई। जिसकी मदद से, वह इस पूरी दुनिया में कहीं पर भी free of cost बात कर सकते थे। उन्होंने इस device का नाम bluebox रखा। जब उन्होंने यह device स्टीव जॉब को दिखाई। तो उन्होंने कहा कि यह तो बहुत कमाल की चीज है। हम इसे बेचकर पैसे कमा सकते हैं। हालांकि वोजनियाक का ऐसा कोई भी motive नहीं था। इसके बाद दोनों ने मिलकर bluebox बनाने शुरू किए। फिर उन्हें मार्केट में बेचना शुरू किया।

उन्हें पता था कि यह illegal  काम है। एक न एक दिन वह पकड़े जाएंगे। इसलिए उन्होंने ऐसा करना बंद कर दिया। उन दिनों Steve Job, Atari company के लिए काम किया करते थे। यह एक gaming कंपनी है, जो games बनाती है। Atari एक गेम बना रहे थे। जिसे बनाने में उन्हें बहुत problems हो रही थी। स्टीव जॉब ने उस गेम को बनाने के लिए, Atari से $5000 मांगे। Atari इसके लिए तैयार हो गए।

स्टीव जॉब्स ने उस गेम को बनाने के लिए वोजनियाक को बताया। उन्होंने इस गेम को जो 6 महीने में बनने वाला था। उसे 4 दिन में बना कर दे दिया। जिसके एवज में उन्हें $5000 मिले।

स्टीव जॉब्स का भारत भ्रमण Steve Jobs’s Visit to India

स्टीव जॉब्स जब अपने struggling दौर से गुजर रहे थे। तो तब उन्होंने भारत का एक चक्कर लगाया। भारत में आने के बाद, उन्होंने Psychedelic drugs के साथ experiment करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू बताया कि LSD का नशा करना। उनके जीवन के कुछ बड़े decision में से एक था। जिसने उनकी पूरी दुनिया बदल कर रख दी।

भारत में आने के बाद, उन्होंने Buddhism को follow किया। वह कई किलोमीटर चलकर कृष्ण मंदिर जाया करते थे। वहां पर बहुत स्वादिष्ट खाना मिलता था। वो 7 महीनों तक भारत मे रहें। उन्होंने यहां पर eastern culture और religion को  अच्छे से समझा। इसके बाद उन्होंने काफी समय नैनीताल के कैंची धाम में गुजारा। जो बाबा नीमकरोरी का प्रमुख स्थान है। वह यहां पर, बाबा के दर्शन करने हेतु आए थे। लेकिन जब वह आए। तो कुछ ही समय पहले बाबा ने समाधि ले ली थी।

इसके बावजूद इस पवित्र जगह पर उन्हें अपार शांति की प्राप्ति हुई। जिससे उन्हें अपनी जिंदगी को समझने की क्षमता विकसित हुई। उन्हें अत्यधिक मन की शांति प्राप्त हुई। इससे उनमें एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। उनका मन एकाग्रचित्त हो गया। इस बात का जिक्र उन्होंने अपने शिष्य मार्क जुकरबर्ग से भी किया।

स्टीव जॉब्स के कहने पर ही, मार्क जुकरबर्ग अपने कठिन दौर में कैंची धाम आये। स्टीव जॉब और मार्क जुकरबर्ग, दोनों ही अपनी सफलता का श्रेय कैंची धाम को देते हैं। इसी प्रकार जाने : Satya Nadella Biography in Hindi । दुनिया मे सबसे ज़्यादा Salary पाने वाला शख्स।

एपल कंपनी की स्थापना Establishment of APPLE Company

स्टीव जॉब भारत में काफी समय गुजारने के बाद, जब अमेरिका पहुंचे। तब उन्होंने पाया कि उनके बेस्ट फ्रेंड वोजनियाक ने एक छोटा सा computer बना रखा है। वोजनियाक ने यह कंप्यूटर केवल hobby के तौर पर बनाया था। लेकिन स्टीव जॉब्स कंप्यूटर के अंदर एक potential market  दिखाई पड़ी। उन्होंने वोजनियाक से कहा कि क्यों न हम इस कंप्यूटर को मार्केट में उतारे।

वोजनियाक ने कहा कि मेरा तो सिर्फ कंप्यूटर में interest है। इसलिए मैंने इसे बना दिया। कौन हमारे Computer को खरीदेगा। अंततः स्टीव जॉब ने उन्हें convenience कर लिया। फिर 20 साल के स्टीव जॉब्स और वोजनियाक ने मिलकर, 1975 में अपने पिता के गेराज में एक कंपनी की स्थापना की। इस कंपनी का नाम Apple रखा गया। उन्होंने अपना पहला prototype, Apple 1 बनाया। फिर इसे market में launch किया।

1975 दुनिया का पहला personal computer मार्केट में लांच किया गया। जिसका नाम  MIDS 8800 था। यह एक personal computer तो था। लेकिन इतना भी user friendly नहीं था। जिसे हर कोई use कर सके। ठीक इसके 1 साल बाद 1976 में finally, Apple ने अपना पहला कंप्यूटर मार्केट में लांच किया। जिसका नाम एप्पल वन था।

Apple 1 के मार्केट में आने के बाद, इसकी इतनी ज्यादा बिक्री नहीं हुई। क्योंकि ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं था। Personal Computer  क्या होते हैं। उन्हें operate कैसे किया जाता है। बस जिन लोगों का कंप्यूटर में interest था। उन्होंने ही इसे purchase किया। लेकिन Apple 1 की बिक्री के बाद। Apple ने इतने पैसे जुटा लिए थे, कि वह एक नए कंप्यूटर पर काम कर सकें।

1977 में उन्होंने अपना दूसरा कंप्यूटर मार्केट में लांच किया। जिसका नाम Apple 2 था। Apple 2 के आने के बाद पर्सनल कंप्यूटर की era पूरी बदल गई। Apple 2 दुनिया का पहला ऐसा कंप्यूटर था। जिसके  अंदर graphics और keyboard का इस्तेमाल हुआ था। इसके लांच होने के बाद, पूरी पर्सनल कंप्यूटर की मार्केट ही हील कर रह गई। अपने पहले साल में, इसने अपनी 30 lakh units बेची।

फिर 2 साल के अंदर 20 करोड़ से ज्यादा units बेच डाली। अपने launch होने के 3 साल के अंदर ही, एप्पल Zero से Hero बन चुका था। पर्सनल कंप्यूटर के मार्केट में उनकी कोई टक्कर नहीं थी। लेकिन तभी मुसीबतें आना चालू हो गई। जैसे-जैसे मार्केट में competition बढ़ने लगा। Apple के products को लोग कम खरीदने लगे।

Steve Job का तीसरा computer Apple 3 और Computer Lisa मार्केट में पूरी तरह फेल हो गया। उनका 50% मार्केट शेयर IBM के पास चला गया। Steve Jobs को लगा कि यह सही टाइम है, एक बम फोड़ने का। तभी उन्होंने 1984 में अपना पांचवा कंप्यूटर लांच किया। जिसका नाम Macintosh रखा। Macintosh एक game changer साबित हुआ।

यह दुनिया का पहला कंप्यूटर था। जिसके अंदर Graphical User Interface और Mouse का इस्तेमाल हुआ था। जो कि इसे use करने में, बहुत ही easy बना देता है। स्टीव जॉब का कहना था कि Macintosh एक home computer है। लेकिन इसका प्राइस $2495 होने की वजह से, इसे बहुत ही महंगा बनाता है। कंज्यूमर मार्केट में, यह पूरी तरह फेल हो गया। इसी प्रकार जाने :   Rose Blumkin Biography in Hindi । 95 साल की उम्र मे खड़ी की सबसे बड़ी कंपनी।

स्टीव जॉब्स को अपनी ही कंपनी से निकाला जाना Steve Jobs Expelled from his Own Company

अब Stere Jobs की मुसीबतें और ज्यादा बढ़ गई थी। उनकी खराब marketing strategy और गलत decisions की वजह से, board of directors और उनमें काफी ज्यादा clash  होने लगे। यहां तक कि कंपनी के CEO John Sculley और board of directors ने यह तय किया। कि स्टीव जॉब्स को इस कंपनी से निकाल दें। उनका मानना था कि स्टीव जॉब की वजह से कंपनी पूरी तरह डूब जाएगी।

John Sculley वही थे। जिन्हें स्टीव जॉब ने खुद appoint किया था। यह इसके पहले पेप्सी कंपनी के प्रेसिडेंट थे। 1985 में Steve Jobs ने अपने एप्पल के शेयर को बेचकर resign कर दिया। 10 साल बाद, Steve Jobs को उन्हीं की कंपनी से निकाल दिया गया। जिसको उन्होंने वोजनियाक के साथ, अपने पिता के गेराज में start किया था। यह स्टीव जॉब के लिए, किसी सदमे से कम नहीं था। वह इसके बाद डिप्रेशन में चले गए। उन्हें भरोसा नहीं हो रहा था कि जिन लोगों को उन्होंने job दी।

जिन्हें board of directors में लाकर बैठाया। उन्होंने ही मिलकर, उन्हें उनकी ही कंपनी से निकाल दिया। एप्पल से resign करने के बाद, स्टीव जॉब ने अपना टाइम बिल्कुल भी बर्बाद नहीं किया। वह शुरू से चाहते थे कि वह इस दुनिया को ऐसे products बनाकर दें। जो लोगों को, उनके जीने के तरीके को बदल दे। इसी प्रकार जाने :   Abraham Lincoln Motivational Biography । असफलताओ से सफलता तक की यात्रा।

नेक्स्ट कम्प्युटर की शुरुआत Launching of NeXT Computer

Steve Jobs ने Apple से कमाए हुए, पैसों की मदद से एक दूसरी कंपनी company लांच की। जिसका नाम NeXT Computer Corporation था। इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य यह था। वह ऐसे कंप्यूटर बनाए। जो higher education और research center में हेल्प कर सके। इसके बाद 1988 में नेक्स्ट कंप्यूटर ने, अपना पहला कंप्यूटर लांच किया।

जिसके अंदर fast processing speed थी। optical drive था। इसमें higher graphic थे। इसका प्राइस $9950 होने की वजह से, इसे बहुत महंगा बनाता है। इसी वजह से मार्केट में बुरी तरीके से फेल हो गया। इसके बाद स्टीव जॉब्स ने अपना ध्यान hardware से हटाकर software की ओर बढ़ाया।

पिक्सर स्टुडियो को खरीदा Acquiring of The Pixar Studio

Steve Jobs ने 1986 में जॉर्ज लुकस की कंपनी Pixar Animation Studio को खरीद लिया। तीन पिक्चर की deal के बाद, जॉब्स ने decide किया। अब वह दुनिया की सबसे पहली कंप्यूटर एनीमेटेड फिल्म बनाएंगे। जिसे बनाने में 4 साल लगे। जब यह movie रिलीज हुई। तो उसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस मूवी का नाम Toy Story था।

Toy Story एक बहुत बड़ी success साबित हुई। यह सिर्फ स्टीव जॉब के लिए नहीं, बल्कि Pixar Animation Studio के लिए भी। इसके बाद जॉब्स ने, 1996 में Pixar Studio को पब्लिक कर दिया। फिर सिर्फ एक दिन के अंदर ही, Pixar के 80% शेयर की कीमत 1billion dollar हो गई। जिसने स्टीव जॉब को रातों-रात Billionaire बना दिया। 10 साल की कड़ी मेहनत और struggle के बाद finally, Steve Job को फ़िर से success मिलने लगी।

Pixar के स्टॉक मार्केट में आने के, कुछ दिनों बाद ही, Apple computers ने decide किया। वो NeXT Computer को खरीदेंगे। फिर एप्पल ने नेक्स्ट को 400 million dollars में खरीद लिया।

स्टीव जॉब्स की एपल मे वापसी Steve Jobs Returns in APPLE

इसके साथ ही स्टीव जॉब्स को फिर से, as a advisor के रूप में board of members में शामिल कर लिया गया। एक तरफ स्टीव जॉब्स वापस आ जाते वहीं दूसरी तरफ एप्पल भारी नुकसान में थी इसके कुछ समय बाद ही, उस समय के CEO Gil Amelio ने कंपनी छोड़ दी। इसके बाद Apple के चेयरमैन ने Steve Jobs को दोबारा, CEO बनाने की पेशकश की। इसके बाद स्टीव जॉब्स, Apple के full time CEO नियुक्त हो जाते हैं।

CEO बनते ही, स्टीव जॉब ने उस समय के सारे प्रोजेक्ट बंद कर दिए। उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के साथ एक deal की। इस deal के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट एप्पल में 150 million dollars invest करता है। इसके बाद, माइक्रोसॉफ्ट sales और technology में एप्पल की help करने का करार होता है। इसके 1 साल बाद Steve Jobs की guidance में Apple एक नई  series launch करता है। इसी प्रकार जाने : Sundar Pichai Biography in Hindi । अरबों कमाने वाले, कैसे बने Google के CEO।

एपल के दुनियाँ बदलने वाले उत्पाद World-Changing Products of APPLE

Apple के इस series के प्रोडक्ट पूरी दुनिया को बदल देने वाले थे। सबसे पहले वह launch करते हैं। imac(1998), जो कि Apple के लिए बहुत ही successful प्रोडक्ट साबित होता है। इसकी बदौलत Apple 5.9 billion dollar का profit कमाती है। इसके बाद 2001 में Apple फर्स्ट जनरेशन आईपॉड लॉन्च करता हैं। जो पहला digital audio player होता है। इसके अंदर 1000 से भी ज्यादा गाने install किए जा सकते थे।

यह प्रोडक्ट भी एप्पल के लिए सुपरहिट साबित होता है। इसकी कई million कॉपी worldwide बिकती हैं। 2003 में एप्पल iTunes, introduce करता है। एक online Marketplace, जहां पर लोग songs को खरीद सकते थे। अब तक एप्पल पूरे form में आ चुका था। उसे दुनियाँ की most innovative company का title मिल चुका था।

2004 में Steve Jobs की तबीयत अचानक खराब हो जाती है। मेडिकल जांच के बाद पता चलता है कि जॉब्स के pancreas में tumor है। अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं हुआ। तो यह cancer में भी बदल सकता है। Steve Jobs अपने सभी एंप्लाइज को इसकी सूचना देते हैं। कि वह इसका ऑपरेशन करवाने जा रहे हैं। फिर वह एक लंबे medical leave पर चले जाते है। वह वापस आने के बाद, Steve Jobs फिर पूरी फॉर्म में आ जाते हैं।।

फिर 2007 में दुनिया का सबसे पहला full flash smartphone लॉन्च करते हैं। जिसका नाम iPhone रखा जाता है। Technically देखा जाए। तो आईफोन इस दुनिया का सबसे पहला full flash स्मार्टफोन था। जिसके अंदर multi touch screen थी।  अलग-अलग functions के लिए अलग-अलग application थी। उन applications को download करने के लिए, एक particular App Store था।

इसके 3 साल बाद, Apple दुनिया का पहला tablet computer लांच करता है। जिसका नाम iPad रखा जाता है। इसी प्रकार जाने : Alfred Ford Biography in Hindi । फोर्ड कंपनी के मालिक ने क्यों अपनाया हिन्दू धर्म, बने कृष्ण भक्त।

स्टीव जॉब्स के अंतिम पल Last Moments of Steve Jobs

इसी दौरान Steve Jobs की तबीयत अचानक से, फिर खराब हो जाती है। उन्हें तुरंत medical leave के लिए जाना पड़ता है। मेडिकल जांच में पता चलता है कि उनका liver पूरी तरह से damage हो चुका है। उन्हें जल्द से जल्द liver transplant की जरूरत है। काफी जद्दोजहद के बाद, Steve Jobs को एक donor मिल जाता है। फिर उनकी surgery की जाती है। फिर उनके अंदर implant किया जाता है।

एक 20 साल के लड़के का लीवर। जिसकी एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। Steve Jobs के liver transplantation के 8 महीने बाद, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एक announcement करते हैं। कंपनी के CEO Steve Jobs ने अपनी post और company से resign कर दिया है। इस बात को वह हमेशा से बोलते थे कि जिस दिन उनको लगेगा।

वह Apple Computers की duties और expectation में खरे नही उतर पा रहे हैं। तो वह उस कंपनी को छोड़ने वाले, पहले व्यक्ति होंगे। फिर हुआ भी ऐसा ही। अपनी खराब health के चलते, Steve Jobs को लगा। यह सही समय होगा। अपनी कमान किसी और के हाथ में देने का। उसके बाद कंपनी के COO Tim Cook  उनकी जगह संभालते हैं। अब Tim Cook कंपनी के नए CEO बन जाते हैं।

अक्टूबर 2011 कंपनी से resign करने के 2 महीने बाद, 56 साल की उम्र में Steve Jobs पेनक्रिएटिक कैंसर की complications की वजह से । 5 अक्टूबर 2011 को 3 बजे पालो आल्टो, कैलिफोर्निया के अपने घर में अंतिम सांस ली।

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Biography of Steve Jobs In Hindi – एप्पल संस्थापक स्टीव जॉब्स की जीवनी

  • 1.0.1 स्टीव जॉब्स : प्रारंभिक जीवन ( Steve Jobs Early Life ) :
  • 1.0.2 स्टीव जॉब्स : शिक्षा ( स्टीव Jobs Education ) :
  • 1.0.3 स्टीव जॉब्स : निजी जीवन ( Steve Jobs Personal Life ) :
  • 1.0.4 स्टीव जॉब्स : भारत यात्रा ( Steve Jobs In India ) :
  • 1.0.5 स्टीव जॉब्स  : एप्पल कंपनी की शुरुआत ( Steve Jobs Apple Company History ) :
  • 1.0.6 स्टीव जॉब्स : एप्पल कंपनी से इस्तीफा ( Steve Jobs Resigns From Apple Company ) :
  • 1.0.7 स्टीव जॉब्स : एप्पल कंपनी में वापसी ( Steve Jobs Returns To Apple Company ) :
  • 1.0.8 स्टीव जॉब्स : उत्पाद ( Steve Jobs Products ) :
  • 1.0.9 स्टीव जॉब्स : पुरस्कार व सम्मान ( Steve Jobs Awards ) :
  • 1.0.10 स्टीव जॉब्स : सफलता के मूल मंत्र ( Steve Jobs Success Tips ) :
  • 1.0.11 स्टीव जॉब्स : निधन ( Steve Jobs Death ) :
  • 1.0.12 स्टीव जॉब्स के बारे में प्रसिद्ध व्यक्तियों के विचार ( Celebrities Thoughts About Steve Jobs ) :
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Biography of Steve Jobs In Hindi –  एप्पल संस्थापक स्टीव जॉब्स की जीवनी

Biography of Steve Jobs In Hindi / Apple Success Story In Hindi 

Biography of Steve Jobs In Hindi / Steve Jobs Short Biography In Hindi –  दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में उस महान शख्स के बारे में बात करने वाले है जिन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत ज्यादा संघर्ष किया ! जिन्होंने कभी कॉलेज की डिग्री पूरी नहीं की  फिर भी बड़े – बड़े इंजिनियर उनके निर्देशन में काम करते थे !

जिन्होंने सफलता ( Success  ) पाने के लिए दिन – रात मेहनत की , और पैसो से ज्यादा अपने काम से प्यार किया ! जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे है एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स के बारे में ! आज हम इस आर्टिकल में इनके संघर्षपूर्ण जीवन ( Struggle Life ) के बारे में विस्तार से जानेंगे ! तो आइये जानते है स्टीव जॉब्स की प्रेरणादक जीवनी ( Steve Jobs Biography in Hindi ) के बारे में –

स्टीव जॉब्स : प्रारंभिक जीवन ( Steve Jobs Early Life ) :

स्टीव जॉब्स ( Steve Jobs Biography  ) का जन्म 24 फरवरी , 1955 को सैनफ्रांसिस्को , कैलिफोर्निया में हुआ था ! स्टीव के जन्म के समय उनके माता – पिता की शादी नहीं हुई थी ! इसी कारण उन्होंने उसे गोद देने का फैसला किया ! स्टीव की माँ चाहती थी की उसे गोद लेने वाले दम्पति कम से कम कॉलेज ग्रेजुएट होने चाहिए ! पहले जो दम्पति गोद लेना चाहते थे , उन्होंने स्टीव को गोद लेने से मना कर दिया क्यों कि वे एक बेटी चाहते थे ! फिर केलिफोर्निया में रहने वाले पॉल जॉब्स और क्लारा जॉब्स ने स्टीव को गोद लिया ! क्लारा और पॉल जॉब्स दोनों ही कॉलेज ग्रेजुएट  नहीं थे !

जब स्टीव की उम्र 5 साल की गई थी तब उनका परिवार दूसरे शहर सैनफ्रांसिस्को से माउंटेन व्यू चला गया था ! पॉल जॉब्स एक मेकेनिक और बढ़ई का काम किया करते थे ! तथा स्टीव को भी वह इलेक्ट्रॉनिक से संबन्धित बाते सीखाते थे !  वही दूसरी और क्लारा जॉब्स एक अकाउंटेंट थी , जो स्टीव को पढ़ना सीखाती थी !

स्टीव जॉब्स : शिक्षा ( स्टीव Jobs Education ) :

स्टीव जॉब्स ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मोंटा लोमा स्कूल से पूरी की ! तथा इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए स्टीव कूपर्टिनो जूनियर हाई स्कूल में गए !  इसके बाद सन 1972 में कॉलेज की पढाई के लिए ओरेगन रीड  कॉलेज में दाखिला लिया ! यह कॉलेज उस शहर की सबसे महंगी कॉलेज थी ! स्टीव के माता – पिता इतने अमीर  नहीं थे की वे स्टीव की फीस अफोर्ड कर सके ! इसलिए स्टीव ने अपना खर्चा निकालने  और कॉलेज की फीस भरने के लिए बोतल के कोक  बेचकर पैसे इकठ्ठा करते थे !

स्टीव जॉब्स ने उन दिनों का भी सामना किया है जब कभी खाने के लिए पैसे नहीं होते थे तो कई मील पैदल चलकर मंदिर में मिलने वाला मुफ्त भोजन खाते थे ! और अपने हॉस्टल का किराया बचाने के लिए अपने दोस्तों के कमरों में फर्श पर ही सो जाया करते थे ! स्टीव जॉब्स का कॉलेज की पढाई में ज्यादा मन नहीं लगता था ,क्योंकि ऊपर से एक तो  पैसो का अभाव दूसरी और उन्हें लगता था की कॉलेज की पढाई उनके किसी काम नहीं आने वाली है ! आखिरकार स्टीव ने कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया ! परन्तु उनके माता – पिता नहीं चाहते थे की वह कॉलेज बीच में ही छोड़ दे ! फिर स्टीव ने  अपने माता – पिता के कहने पर क्रिएटिव क्लासेज ( Creative Classes ) जॉइन कर ली !

स्टीव जॉब्स : निजी जीवन ( Steve Jobs Personal Life ) :

सन 1991 में स्टीव जॉब्स ने लॉरेन पॉवेल से शादी की थी ! इस शादी से इनके तीन बच्चे थे हुए ! एक लड़का और दो लड़किया जिनका नाम  क्रमशः   रीड जॉब्स ,एरिन जॉब्स और  ईव जॉब्स है ! तथा इनकी एक और बेटी है जिनका नाम लिसा ब्रेनन जॉब्स है , जो 1978 में अपनी हाई स्कूल की गर्लफ्रेंड क्रिस एन ब्रेनन के साथ पैदा हुई थी ! कहा जाता है कि स्टीव जॉब्स ने कई सालो तक लिसा को अपनाया नहीं था ! लेकिन अंत में उन्होंने इसे अपना लिया था ! 

स्टीव जॉब्स : भारत यात्रा ( Steve Jobs In India ) :

स्टीव जॉब्स के भारत प्रेम की शुरुआत 19 साल की उम्र में उनके एक दोस्त रॉबर्ट फ्रीडलैंड की प्रेरणा से होती है ! बात सन 1974 से शुरू होती है ! स्टीव जॉब्स केवल रोमांच की खातिर ही यह यात्रा नहीं करना चाहते थे , उनका कहना है की , ” यह मेरे लिए गंभीर खोज की यात्रा थी ! मै अपने अंदर यह ज्ञान पा लेना चाहता था कि मै कौन था और मुझे किस तरह आगे बढ़ना था !”

कब्रिस्तान का सबसे अमीर  मुर्दा बनने का कोई मतलब नहीं है ! रात में सोते समय खुद से यह कहना कि मैंने आज कमाल का काम किया है , मेरे लिए यही बात सबसे अधिक अहमियत रखती है ! –  स्टीव जॉब्स

स्टीव जॉब्स आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति में किसी कारोली बाबा से मिलने भारत आये थे ! लेकिन उन्हें पता चला की वह तो मर चुके है ! फिर सात महीने उन्होंने यहाँ गुजारे ! उन्होंने यहाँ  यह सीखा  की भारत के लोग तर्क बुद्धि के स्थान पर व्यावहारिक बुद्धि को ज्यादा महत्व देते है ! पश्चिम के  लोग टीजन या तर्क बुद्धि को ज्यादा महत्व देते है , जबकि पूरब में इंट्यूशन या व्यावहारिक बुद्धि को अधिक महत्व दिया जाता है ! स्टीव ने माना की इंट्यूशन के महत्व की समझ ने उनकी सोच की दिशा बदल दी ! उसने उनकी कल्पनाशीलता को नए – नए अविष्कारों की दिशा में प्रेरित किया !

स्टीव जॉब्स  : एप्पल कंपनी की शुरुआत ( Steve Jobs Apple Company History ) :

एप्पल कंपनी की शुरुआत स्टीव ने 20 साल की उम्र में अपने सहपाठी मित्र वोजनियाक के साथ मिलकर की थी ! उन्होंने यह शुरुआत अपने पिता के छोटे से गैराज से की थी ! स्टीव ने अपने मित्र के साथ मिलकर ऑपरेटिंग सिस्टम मेंकीतोश तैयार किया ! वे इसे बेचकर Apple Computer का निर्माण करना चाहते थे ! लेकिन उनके सामने धन की समस्या एक बड़ा कारण थी ! कुछ समय बाद उनकी धन की समस्या को उनके एक मित्र माइक मरकुल्ला ने पूरी कर दी और साथ ही वह कंपनी में साझेदार भी बन गया !

स्टीव ने एप्पल कंप्यूटर बनाने की शुरुआत कर दी ! स्टीव और उनके मित्रो की कड़ी मेहनत के कारण कुछ ही सालो में एप्पल कंपनी, गैराज से बढ़कर 2 अरब डॉलर और 4 हजार कर्मचारियों वाली कंपनी बन गई !

स्टीव जॉब्स : एप्पल कंपनी से इस्तीफा ( Steve Jobs Resigns From Apple Company ) :

स्टीव जॉब्स की लाइफ में एक दौर ऐसा आया जब उन्हें अपनी ही कंपनी से निकाल दिया गया था ! उनके साझेदारों द्वारा उनको ना पसंद किया जाना और आपसी कहासुनी के कारण एप्पल कंपनी की लोकप्रियता कम होने लगी थी ! धीरे – धीरे कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गई ! और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की मीटिंग में इसका जिम्मेदार स्टीव जॉब्स को ठहराकर उन्हें सन 1985 में एप्पल कंपनी से निकाल  दिया गया ! ये उनके जीवन का सबसे दुखद पल था ! क्योंकि जिस कंपनी उन्होंने कड़ी मेहनत और लग्न से बनाया था उसी से उन्हें निकाल दिया गया था ! स्टीव जॉब्स के जाने के बाद कंपनी और ज्यादा कर्ज में डूब गई थी !

आपका समय सिमित है , इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जीकर व्यर्थ मत कीजिये , बेकार की सोच में मत फसिये ! अपनी जिंदगी को दुसरो के हिसाब से मत चलाइये ! औरो के विचारो के शोर में अपनी अंदर की आवाज को , अपने इंट्यूशन को मत डूबने दीजिए ! वे पहले से ही जानते है कि आप सच में क्या बनना चाहते है , बाकि सब गौण है !   –    स्टीव जॉब्स

एप्पल से इस्तीफा देने के बाद स्टीव काफी टूट चुके थे ! उन्हें  ऐसा लगने लगा लगा था कि वह अपनी लाइफ में फ़ैल हो चुके है ! लेकिन उन्हें उम्मीद थी की जिस प्रकार उन्होंने एप्पल कंपनी बनाई , उसी प्रकार अपनी काबिलियत के दम पर दूसरी कंपनी भी बनाई जा सकती है ! उन्होंने Next – ink नाम की और Pixer नाम की दो कंपनियों की शुरुआत की ! Next -ink में उपयोग की जाने वाली तकनीक उत्तम थी !  और उनका उद्देश्य बेहतरीन सॉफ्टवेयर बनाना था ! और Pixer कंपनी में एनिमेशन का काम होता था !

एक साल तक काम करने के बाद स्टीव के पास पैसो की समस्या आने लगी और Rosh Perot के साथ साझेदारी कर ली ! और पेरोट ने पैसो को निवेश किया ! सन 1990 में Next – ink ने अपना पहला कंप्यूटर बाजार में उतारा , लेकिन यह बहुत ही ज्यादा महंगा होने के कारण बाजार में नहीं चल सका ! फिर Next – ink  ने Inter Personal Computer बनाया जो बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हुआ ! और Pixer ने एनिमेटेड फिल्म Toy Story बनाई जो अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म है !

स्टीव जॉब्स : एप्पल कंपनी में वापसी ( Steve Jobs Returns To Apple Company ) :

सन 1996 में एप्पल ने स्टीव की Pixer को खरीद लिया ! इस तरह उनकी Apple Company में वापसी हुई !  सन 1997 में उनकी मेहनत  के कारण कंपनी का मुनाफा बढ़ गया और  वे एप्पल कंपनी के CEO  बन गये ! सन 1998 में उन्होंने आईमैक  I-mac को बाजार में लॉन्च किया , जो काफी लोकप्रिय हुआ ! इसके बाद एप्पल ने बहुत बड़ी सफलता हासिल कर ली ! उसके बाद I-pad , I-phone , I-tune भी लांच किये ! सन 2011 में स्टीव ने CEO पद से इस्तीफा दे दिया और बोर्ड के अध्यक्ष बन गए ! उस वक्त उनकी प्रॉपर्टी 7 बिलियन डॉलर हो गई थी ! और Apple दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई थी !

स्टीव जॉब्स : उत्पाद ( Steve Jobs Products ) :

  • एप्पल -I  –   स्टीव जॉब्स और उनके मित्र वोजनियाक के संयुक्त प्रयास से सन 1976 में Apple-I नामक कंप्यूटर तैयार हुआ ! वोजनियाक ने इस कंप्यूटर को डिजाइन किया था !  स्टीव ने इसके लिए वित् और विपणन की व्यवस्था  की थी !
  • एप्पल-II   – एप्पल -I कंप्यूटर जगत के लिए आधार बन गया , मगर इसका अधिक विकसित रूप सन 1977 में एप्पल -II के नाम से पेश किया गया ! यह पर्सनल कंप्यूटर के रूप में पहला उत्पाद था , जो आम जनता को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया था !
  • लिजा कंप्यूटर  – आम जनता के लिए सन 1983 में पेश किया गया यह पहला कमर्शियल कंप्यूटर था , जो ग्राफिकल कार्यों को भी करता था , तथा एक माउस के जरिये नियंत्रित होता था ! यह एक सस्ता और तेज गति से चलने वाला कंप्यूटर था ! लेकिन यह काफी महंगा था , इसलिए यह कंप्यूटर आम जनता तक नहीं पहुँच पाया !
  • मैंकितोश –   स्टीव ने लिजा के बाद सन 1984 में ‘मैंकितोश ‘ नामांक कंप्यूटर बाजार में पेश किया ! यह कंप्यूटर सस्ता तथा लिजा से भी अधिक तेज गति से चलने वाला कंप्यूटर था !
  • ‘ नेक्स्ट’ कंप्यूटर  –   एप्पल से अलग होने के बाद स्टीव ने सन 1989 में ‘नेक्स्ट’ नामक कंपनी स्थापित की और इसी नाम से एक वर्क स्टेशन कंप्यूटर तैयार किया !
  • आईमैक –   स्टीव ने सन 1998 में आईमैक के नाम से एक पूर्ण विकसित और बहुउपयोगी कंप्यूटर बाजार में प्रस्तुत किया ! यह बहुत  आकर्षक डिजाइन का कंप्यूटर था !
  • आईपॉड –   सन 2001 में स्टीव ने पहला डिजिटल म्यूजिक प्लेयर तैयार किया  , जिसमे हार्ड डिवाइस भी थी ! यह एप्पल का सफल उत्पाद साबित हुआ !
  • आई ट्यून्स स्टोर –   स्टीव ने सन 2003 में आई ट्यून्स स्टोर स्थापित किया ! इससे पहले संगीत के शौकीन लोगो को मनपसंद गाने की ट्यून्स सुनने के  लिए अलग से सीडी में गाने एकत्र करने होते थे ! आई ट्यून्स स्टोर आने के बाद एक –  एक सीडी में उपभोक्ता को हजारो गाने एक ही स्थान पर मिल गए !
  • आईफोन –  सन 2007 में स्टीव ने आईफोन तैयार कर मोबाइल सेवा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया !  यह एक स्मार्ट फ़ोन सेवा बन गई ! जैसे पर्सनल कंप्यूटर के क्षेत्र में मैंकितोश सफल साबित हुआ , उसी तरह मोबाइल के क्षेत्र में आईफोन  ने धूम मचा दी !
  • आईपेड –  लेखन के क्षेत्र में स्टीव  ने आईपेड बनाकर सबको चौका दिया ! यह उत्पाद सन 2010 में उन्होंने उस समय तैयार किया जब वह कैंसर जैसे रोग से ग्रस्त थे !

स्टीव जॉब्स : पुरस्कार व सम्मान ( Steve Jobs Awards ) :

  • 1982  : एप्पल द्वारा निर्मित कंप्यूटर को  ‘ मशीन ऑफ़ द ईयर  ‘ ख़िताब !
  • 1985  :  संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स एवं स्टीव वोज को ‘ नेशनल ऑफ़ टेक्नोलॉजी  ‘ से सम्मानित !
  • 1987  :  ग्रेटेस्ट पब्लिक सर्विस बाई एन इंडिविजुअल 35 ईयर आर अंडर वर्ग  अंतर्गत ‘ जेफरसन अवार्ड और पब्लिक सर्विस !’
  • 1989  :  इमर्सन मैगजीन द्वारा  ‘दशक उद्यमी  ‘ सम्मान से सम्मानित !
  • 2007  :  ‘फार्च्यून ‘ मैगजीन द्वारा ‘ मोस्ट पावरफुल पर्सन इन बिज़नेस  ‘ के रूप में नामित !
  • 2007   :   कैलिफोर्निया के गवर्नर और प्रथम महिला द्वारा जॉब्स ‘ कैलिफोर्निया हॉल ऑफ़ फेम  ‘में शामिल !
  • 2009  :  युवाओ के सबसे  प्रशंसित उद्यमी  के रूप में सम्मानित !
  • 2009  :  स्टीव जॉब्स ‘फार्च्यून ‘ मैगजीन द्वारा  सी. ई. ओ. ऑफ़ डिकेड  ( दशक का मुख्य कार्यकारी ) के रूप में नामित !
  • 2010  :  ‘फ़ोर्ब्स ‘ की विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगो की सूचि में जॉब्स  17  वे स्थान पर नामित !
  • 2011  :  बुडापेस्ट की ग्रेफीसॉफ्ट कंपनी द्वारा स्टीव जॉब्स को आधुनिक युग का  स्वप्नदृष्टा , नवप्रवर्तक  और  प्रभावशा ली व्यक्ति कहा गया !
  • 2012  :  16 – 25 आयु वर्ग के लोगो में स्टीव जॉब्स थॉमस एडिसन के बाद दूसरे सदाबहार महान  नव – प्रवर्तक  के रूप में चुने गए !
  • 2012  :  12 जनवरी , 2012 को मरणोपरांत ‘ ग्रेमी ट्रस्टी  ‘ अवार्ड से सम्मानित !
  • 2012  :  मार्च 2012 में ‘फार्च्यून मैगजीन ‘ द्वारा ‘ सदाबहार महानतम उद्यमी  ‘ के रूप में नामित !

स्टीव जॉब्स : सफलता के मूल मंत्र ( Steve Jobs Success Tips ) :

स्टीव जॉब्स की जिंदगी ने दुनिया भर में करोड़ो लोगो को प्रभावित किया है ! उनके बातचीत करने का ढंग हो या प्रस्तुतिकरण की बात हो या फिर किसी भी उत्पाद को देखने और विपणन करने का ढंग हो , सबकुछ अलग सोच लिए होता था ! इसी अलग सोच ने उन्हें स्टीव जॉब्स बनाया ! आइये , जानते है कि स्टीव जॉब्स की सफलता के मूलमंत्र क्या थे !

  • वही काम करे जिससे आपको प्यार हो  – स्टीव के अनुसार अगर आप अपने काम से प्यार करते है तब अच्छा है ! दुनिया भर में कई लोग ऐसे है , जो ऐसा काम कर रहे है जो उन्हें दिल से पसंद नहीं है ! अगर दुनिया भर में ऐसा हो जाए कि जिसे जो काम पसंद है वही करे , तब दुनिया ही बदल जाएगी !
  • दुनिया को बताइये कि आप कौन है  – स्टीव के अनुसार , दुनिया को पता चलना चाहिए कि आप कौन है और दुनिया को बदलने का मादा आप में नहीं होगा , तब तक दुनिया आप को नहीं पहचानेगी !
  • सभी क्षेत्रो से संबन्ध जोड़े  – जॉब्स ने अपने जीवन काल में विभिन्न विषयो का अध्ययन किया ! उन्होंने कैलीग्राफी भी सीखी और विभिन्न प्रकार के डिजाइंस का अध्ययन किया ! इतना ही नहीं उन्होंने हॉस्पिटेलिटी के क्षेत्र में भी हाथ आजमाए और उसका ज्ञान प्राप्त किया ! यह ज्ञान उन्हें बाद में काम भी आया !
  • मना करना सीखे  – स्टीव ने अपनी जिंदगी में मना करना खूब सीखा था और इसका फायदा भी उन्हें मिला था ! जब वे सन 1997 में वापस एप्पल में आये थे , तब कंपनी के पास 350 उत्पाद थे ! मात्र दो वर्षो में उन्होंने उत्पादों की संख्या कम करके 10 कर दी ! 10 उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया और सफलता पाई !
  • ग्राहकों को अलग तरह का अनुभव दे  – स्टीव मानते थे कि जब तक आप अपने ग्राहकों को अलग तरह का अनुभव नहीं देंगे , वे बिल्कुल भी आपके उत्पादों की तरफ आकर्षित नहीं होंगे ! यही कारण था कि उन्होंने एप्पल स्टोर्स को कुछ अलग तरह का बनाया , जहाँ पर ग्राहकों को अलग तरह का अनुभव था ! और एप्पल कंपनी की तरफ लोगो का भावनात्मक जुड़ाव हो गया था !
  • अपनी बात रखने में पीछे न रहे  – स्टीव के अनुसार अगर आपके पास अच्छे आइडियाज है और आप इसे सभी के सामने रख नहीं पाए , तब ऐसे आइडियाज  का क्या काम ! स्टीव अपनी बात प्रस्तुतीकरण के दौरान रखते थे और केवल अपनी बात नहीं रखते थे , बल्कि प्रस्तुतीकरण के माध्यम से कई तरह की बाते बताते थे ! जिससे प्रेरणा भी मिलती थी !
  • सपने बेचे उत्पाद नहीं  – स्टीव हमेशा यही कहते थे कि अपने ग्राहकों को उत्पाद नहीं , सपने बेचे ! उनके अनुसार अपने ग्राहकों को आपके उत्पाद संबंधी विवरणों से कोई मतलब नहीं है !  उनकी आशाओ व् आकांक्षाओं से मतलब है ! और अगर आपने उनके सपनो को उत्पाद से जोड़ा तभी आपको सफलता मिलेगी !

स्टीव जॉब्स : निधन ( Steve Jobs Death ) :

स्टीव को सन 2003 से pain creative नाम की कैंसर की बीमारी हो गई थी ! लेकिन फिर भी वे रोज कंपनी में जाते ताकि लोगो को बेहतरीन से बेहतरीन टेक्नोलॉजी प्रदान कर सके ! 2011 में स्टीव बीमारी के चलते अधिक परेशान हो गए , और 24 अगस्त , 2011 को उन्होंने एप्पल कंपनी के CEO पद से इस्तीफा दे दिया ! और कैंसर की बीमारी के चलते 5 अक्टुम्बर , 2011 को पालो आल्टो , कैलिफोर्निया में उनका निधन हो गया !

स्टीव जॉब्स के बारे में प्रसिद्ध व्यक्तियों के विचार ( Celebrities Thoughts About Steve Jobs ) :

  • स्टीव जॉब्स उन महान अमेरिकी अविष्कारों में से एक थे , जिन्होंने भिन्न तरीके से चिंतन किया था ! उन्हें दुनिया को बदलने में यकीन था और ऐसा करने लाइक प्रतिभा भी उनमे थी ! – बराक ओबामा
  • मै उन खुशकिस्मत लोगो में से एक हूँ , जिसे स्टीव के साथ काम करने का अवसर मिला ! – बिल गेट्स
  • स्टीव जॉब्स कंप्यूटर युग के माइकल एंजेलो थे ! उन्होंने साबित कर दिखाया कि प्रतिभाशली इंसान के लिए महँगी और अभिजात शिक्षा बेमानी है !   –  नारायण मूर्ति
  • स्टीव जॉब्स अपनी पीढ़ी के महानतम सी. ई. ओ. थे ! –  रुपर्ट मडोक
  • दुनिया ने एक दूरदर्शी हस्ती को खो दिया ! प्रौधोगिकी उद्योग ने अपना दिग्गज खो दिया और मैंने अपना एक मित्र खो दिया ! भावी पीढ़िया स्टीव जॉब्स की विरासत को याद रखेगी ! –  माइकल डेल
  • स्टीव जॉब्स आश्चर्यजनक उपलब्धियों और हैरतअंगेज प्रतिभावाले महान व्यक्ति थे ! उनके पास बहुत ही कम शब्दों में बताने की कला थी  की आपको कैसे सोचना चाहिए ! –  लैरी पेज
  • स्टीव , मार्गदर्शक और मित्र होने के लिए शुक्रिया ! आपने  जो चीजे बनाई , वे दुनिया बदल सकती है ! मुझे हमेशा आपकी कमी खलेगी !  – मार्क जुकरबर्ग
  • स्टीव जॉब्स थॉमस एडिसन के बाद सबसे महान आविष्कारक थे ! –    स्टीवन स्पीलबर्ग
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Biography of Steve Jobs In Hindi - एप्पल संस्थापक स्टीव जॉब्स की जीवनी

Sabaasaanhai.com एक हिंदी Motivational ब्लॉग है ! इस  ब्लॉग  में रेगुलर  प्रेरणादायक  Stories, Biography, Quotes  प्रस्तुत  होगी  ! सफल और  आसान  लाइफ  जीने  के  लिए  क्या  जरुरी  है ! लाइफ  में  कोनसा  कदम  हमें ऊंचाइयों  पर ले जायेगा ! ऐसी  कहानिया  जो  पढ़कर  लाइफ  में  कुछ  करने  का  मन  हो , ऐसी  मोटिवेशनल  कहानिया बताई  जाएगी  ! जिस  वजह से  आप  कभी  भी  कामयाब  होने  की  उम्मीद  नहीं  छोड़ेंगे  और  success  के साथ  जुड़े रहेंगे !

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स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय | Steve Jobs Biography In Hindi

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स्टीव जॉब्स (1955-2011) एक अमेरिकी बिजनेस मैग्नेट, औद्योगिक डिजाइनर और आविष्कारक थे। उनका जन्म 24 फरवरी, 1955 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ था और उनका निधन 5 अक्टूबर, 2011 को पालो ऑल्टो, कैलिफोर्निया में हुआ था। स्टीव जॉब्स ने 1976 में स्टीव वोज्नियाक और रोनाल्ड वेन के साथ मिलकर Apple Inc . की स्थापना की।

बाद में करियर और एप्पल में वापसी

जॉब्स ने Apple के उत्पादों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने दूरदर्शी नेतृत्व, विस्तार पर ध्यान और डिजाइन और उपयोगकर्ता अनुभव के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने एप्पल मैकिंटोश, आईफोन, आईपॉड और आईपैड जैसे प्रतिष्ठित उत्पादों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने प्रौद्योगिकी उद्योग में क्रांति ला दी और कंप्यूटर और मोबाइल उपकरणों के साथ हमारे इंटरैक्ट करने के तरीके को आकार दिया।

1980 के दशक के मध्य में निदेशक मंडल के साथ सत्ता संघर्ष के बाद, स्टीव जॉब्स ने 1985 में Apple से इस्तीफा दे दिया और NeXT Inc . की स्थापना की, जो एक कंप्यूटर कंपनी थी जो हाई-एंड वर्कस्टेशन बनाने पर केंद्रित थी। NeXT का ऑपरेटिंग सिस्टम बाद में Apple के macOS की नींव बना।

1996 में, Apple ने NeXT का अधिग्रहण कर लिया और स्टीव जॉब्स Apple में CEO के रूप में लौट आए। उनके नेतृत्व में, Apple ने एक उल्लेखनीय पुनरुत्थान का अनुभव किया, iMac, iTunes, iPod और अंततः iPhone जैसे अभूतपूर्व उत्पादों को पेश किया, जिसने कंपनी को दुनिया की सबसे मूल्यवान और प्रभावशाली प्रौद्योगिकी कंपनियों में से एक में बदल दिया।

स्टीव जॉब्स अपनी करिश्माई और मांगलिक प्रबंधन शैली के लिए जाने जाते थे। सौंदर्यशास्त्र और सादगी पर उनकी गहरी नज़र थी, जैसा कि Apple उत्पादों के आकर्षक डिज़ाइन और सहज इंटरफ़ेस से पता चलता है। उनकी प्रस्तुतियाँ और उत्पाद लॉन्च शानदार थे, जिनमें अक्सर दिखावटीपन, विपणन कौशल और दर्शकों की कल्पना को पकड़ने की क्षमता का संयोजन होता था।

जॉब्स की पूर्णता की निरंतर खोज और नवाचार और उपयोगकर्ता अनुभव पर उनके जोर ने प्रौद्योगिकी उद्योग पर एक अमिट छाप छोड़ी। उनके नेतृत्व और उनके उत्पादों ने कई उद्योगों को फिर से परिभाषित करने और डिजाइन और उपयोगिता के लिए नए मानक स्थापित करने में मदद की।

दुर्भाग्य से, स्टीव जॉब्स को 2003 में अग्नाशय कैंसर का पता चला और कई वर्षों तक उनका इलाज चला। अपनी बीमारी के बावजूद, उन्होंने Apple का नेतृत्व करना जारी रखा और iPad सहित नए उत्पाद पेश किए, अंततः स्वास्थ्य कारणों से अगस्त 2011 में CEO के रूप में पद छोड़ने से पहले। 5 अक्टूबर, 2011 को 56 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

स्टीव जॉब्स की विरासत दुनिया भर के उद्यमियों, डिजाइनरों और नवप्रवर्तकों को प्रेरित करती रहती है। प्रौद्योगिकी, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और जिस तरह से हम डिजिटल उपकरणों के साथ बातचीत करते हैं, उस पर उनका प्रभाव गहरा है, और उद्योग में उनके योगदान को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा ,परिवार

स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी, 1955 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में जोआन शिएबल और अब्दुलफत्ता जंदाली के घर हुआ था। हालाँकि, उन्हें कम उम्र में माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया के एक जोड़े पॉल और क्लारा जॉब्स ने गोद ले लिया था। पॉल जॉब्स एक मैकेनिक के रूप में काम करते थे, और क्लारा जॉब्स एक अकाउंटेंट थीं।

स्टीव जॉब्स माउंटेन व्यू में बड़े हुए, जो सिलिकॉन वैली का एक हिस्सा था, एक ऐसा क्षेत्र जो बाद में तकनीकी उद्योग का पर्याय बन गया। छोटी उम्र से ही जॉब्स ने इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी में रुचि दिखाई। वह अक्सर अपने पिता के साथ पारिवारिक गैराज में परियोजनाओं पर काम करते थे, जिससे उनमें छेड़छाड़ करने और चीजों को बनाने का जुनून विकसित हुआ।

उन्होंने कैलिफोर्निया के क्यूपर्टिनो में होमस्टेड हाई स्कूल में पढ़ाई की, जहां उनकी मुलाकात स्टीव वोज्नियाक से हुई, जिनके साथ उन्होंने बाद में एप्पल इंक की स्थापना की। टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रति जॉब्स के प्यार ने उन्हें होमब्रू कंप्यूटर क्लब, कंप्यूटर उत्साही लोगों के एक समूह में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। जो विचारों और परियोजनाओं को साझा करने के लिए एकत्र हुए।

1972 में हाई स्कूल से स्नातक होने के बाद, जॉब्स ने पोर्टलैंड, ओरेगन में रीड कॉलेज में दाखिला लिया। हालाँकि, उन्होंने केवल छह महीने के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी क्योंकि उन्हें लगा कि औपचारिक शिक्षा प्रणाली उनके लिए पर्याप्त चुनौतीपूर्ण नहीं थी। इसके बजाय, उन्होंने उन कक्षाओं का ऑडिट करना जारी रखा जिनमें उनकी रुचि थी, जिसमें सुलेख भी शामिल था, जिसने बाद में ऐप्पल में टाइपोग्राफी और डिज़ाइन पर उनके जोर को प्रभावित किया।

कैरियर और एप्पल के सह-संस्थापक 1974 में, जॉब्स कैलिफोर्निया लौट आए और स्टीव वोज्नियाक के साथ होमब्रू कंप्यूटर क्लब की बैठकों में भाग लेने लगे। वे दोस्त बन गए और विभिन्न परियोजनाओं पर सहयोग करना शुरू कर दिया, जिसमें “ब्लू बॉक्स” को डिजाइन करना और बेचना शामिल था, जो टेलीफोन नेटवर्क में हेरफेर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अवैध उपकरण थे।

1976 में जॉब्स और वोज्नियाक ने अपनी खुद की कंप्यूटर कंपनी शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने 1 अप्रैल, 1976 को Apple कंप्यूटर, Inc. (जिसे अब Apple Inc. के नाम से जाना जाता है) की सह-स्थापना की। दोनों ने शुरुआत में जॉब्स के माता-पिता के गैराज से काम किया, और उनका पहला उत्पाद Apple I कंप्यूटर था। जॉब्स और वोज्नियाक ने Apple I के उत्पादन के लिए अपना निजी सामान बेच दिया।

Apple I की सफलता से Apple II का विकास हुआ, जो अपने समय के सबसे सफल पर्सनल कंप्यूटरों में से एक बन गया। Apple II के उपयोगकर्ता-अनुकूल डिज़ाइन और ग्राफिकल इंटरफ़ेस ने गैर-तकनीक-प्रेमी उपयोगकर्ताओं के बीच पर्सनल कंप्यूटर को लोकप्रिय बनाने में मदद की।

1980 के दशक की शुरुआत में, Apple को कंप्यूटर उद्योग में आंतरिक संघर्षों और प्रतिस्पर्धा के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जॉब्स का निदेशक मंडल के साथ टकराव हो गया और कंपनी के भीतर प्रमुख प्रभागों पर नियंत्रण खो गया। 1985 में, उन्होंने Apple से इस्तीफा दे दिया और NeXT Inc. की स्थापना की, जो एक कंप्यूटर कंपनी थी, जो शिक्षा और व्यापार बाजारों के लिए उच्च-स्तरीय वर्कस्टेशन बनाने पर केंद्रित थी।

NeXT Inc. को बाज़ार में संघर्ष करना पड़ा, लेकिन इसके ऑपरेटिंग सिस्टम, NeXTSTEP को इसकी उन्नत सुविधाओं और स्थिरता के लिए अत्यधिक सराहा गया। 1996 में, Apple ने $429 मिलियन में NeXT का अधिग्रहण किया, जिससे जॉब्स उस कंपनी में वापस आ गए जिसकी उन्होंने सह-स्थापना की थी। उनकी वापसी एप्पल के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।

जॉब्स के नेतृत्व में, Apple में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन आया। उन्होंने कंपनी की उत्पाद श्रृंखला को सुव्यवस्थित किया, इसके डिज़ाइन दर्शन को पुनर्जीवित किया और नवीन नए उत्पाद पेश किए। 1998 में पेश किए गए iMac ने Apple को लाभप्रदता में वापस लाया और सौंदर्यशास्त्र और उपयोगकर्ता अनुभव के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की।

क्रांतिकारी उत्पाद और विरासत

2000 के दशक के दौरान, जॉब्स और एप्पल ने अभूतपूर्व उत्पाद जारी करना जारी रखा। 2001 में पेश किए गए iPod ने संगीत उद्योग में क्रांति ला दी और Apple को उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया। 2007 में लॉन्च किए गए iPhone ने एक फोन, म्यूजिक प्लेयर और इंटरनेट कम्युनिकेटर को एक डिवाइस में जोड़कर स्मार्टफोन उद्योग को फिर से परिभाषित किया।

  • उनका जन्म 24 फरवरी, 1955 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ था।
  • एक शिशु के रूप में स्टीव जॉब्स एक नई विंडो में खुलता है
  • उन्हें कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में एक जोड़े पॉल और क्लारा जॉब्स ने गोद लिया था।
  • उनकी एक छोटी बहन, पेट्रीसिया थी।
  • वह एक जिज्ञासु और सक्रिय बच्चा था।
  • एक बच्चे के रूप में उन्हें दो बार आपातकालीन कक्ष में ले जाया गया, एक बार बिजली के सॉकेट में धातु की पिन चिपकाने के लिए और दूसरी बार जहर खाने के लिए।
  • किंडरगार्टन शुरू करने से पहले उन्हें उनकी माँ ने पढ़ना सिखाया था।
  • उन्हें पढ़ना, तैराकी, संगीत और व्यावहारिक चुटकुले पसंद थे।
  • उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने में काफी समय बिताया।

स्टीव जॉब्स के प्रारंभिक जीवन का उनकी बाद की सफलता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रति उनकी जिज्ञासा और प्रेम ने उन्हें प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया, और उनके दत्तक माता-पिता ने उनमें एक मजबूत कार्य नीति और नवीनता की भावना पैदा की।

यहां स्टीव जॉब्स के बचपन के बारे में कुछ अतिरिक्त विवरण दिए गए हैं जो मुझे दिलचस्प लगे:

उनके जैविक माता-पिता जोआन शिएबल और सीरियाई राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर अब्दुलफत्ताह जंडाली थे। उनकी जैविक मां विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में पढ़ रही थीं, जब वह स्टीव से गर्भवती हुईं। उसके माता-पिता जंडाली के साथ उसके रिश्ते को अस्वीकार कर देते थे, इसलिए उसने स्टीव को गोद लेने के लिए छोड़ दिया। स्टीव के दत्तक माता-पिता दोनों कॉलेज स्नातक थे। पॉल जॉब्स एक तटरक्षक अनुभवी और मशीनिस्ट थे, और क्लारा जॉब्स एक एकाउंटेंट थीं। स्टीव के दत्तक माता-पिता उनके हितों के बहुत समर्थक थे। उन्होंने उसे पढ़ने, इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में सीखने और चीज़ें बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। स्टीव का प्रारंभिक जीवन चुनौतियों से रहित नहीं था। उन्हें डिस्लेक्सिया का पता चला, जिससे उनके लिए स्कूल में सीखना मुश्किल हो गया। हालाँकि, वह इन चुनौतियों से पार पाने और बड़ी सफलता हासिल करने में सक्षम थे।

होमस्टेड हाई

होमस्टेड हाई स्कूल सिलिकॉन वैली के केंद्र में क्यूपर्टिनो, कैलिफ़ोर्निया में स्थित एक सार्वजनिक हाई स्कूल है। यह वही हाई स्कूल है जहाँ स्टीव जॉब्स ने अपनी किशोरावस्था के दौरान पढ़ाई की थी। यहां होमस्टेड हाई के बारे में कुछ मुख्य विवरण दिए गए हैं:

  • स्थान और इतिहास: होमस्टेड हाई स्कूल 21370 होमस्टेड रोड, क्यूपर्टिनो, कैलिफ़ोर्निया में स्थित है। इसकी स्थापना 1962 में हुई थी और इसका शैक्षणिक उत्कृष्टता का एक समृद्ध इतिहास है और प्रौद्योगिकी और नवाचार पर जोर दिया गया है।
  • शैक्षणिक कार्यक्रम: होमस्टेड हाई स्कूल अपने छात्रों को शैक्षणिक कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। यह एक व्यापक पाठ्यक्रम प्रदान करता है जिसमें अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, विदेशी भाषाएं, कला और शारीरिक शिक्षा जैसे विभिन्न विषय शामिल हैं। स्कूल अधिक चुनौतीपूर्ण पाठ्यक्रम चाहने वाले छात्रों के लिए उन्नत प्लेसमेंट (एपी) पाठ्यक्रम और सम्मान कार्यक्रम भी प्रदान करता है।
  • प्रौद्योगिकी पर जोर: होमस्टेड हाई स्कूल का प्रौद्योगिकी शिक्षा पर गहरा ध्यान है, जो सिलिकॉन वैली में इसके स्थान को देखते हुए आश्चर्य की बात नहीं है। स्कूल विशेष प्रौद्योगिकी कार्यक्रम प्रदान करता है, जिसमें कंप्यूटर विज्ञान, इंजीनियरिंग और रोबोटिक्स के पाठ्यक्रम शामिल हैं। इसका उद्देश्य छात्रों को STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में करियर के लिए तैयार करना है।
  • पाठ्येतर गतिविधियाँ: होमस्टेड हाई स्कूल छात्रों को उनकी रुचियों और प्रतिभाओं का पता लगाने के लिए पाठ्येतर गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। इनमें खेल टीमें, क्लब, प्रदर्शन कला कार्यक्रम और सामुदायिक सेवा के अवसर शामिल हैं। छात्र संगीत, नाटक, वाद-विवाद, रोबोटिक्स, खेल टीमों और अन्य गतिविधियों में भाग ले सकते हैं।
  • उल्लेखनीय पूर्व छात्र: होमस्टेड हाई स्कूल के सबसे प्रमुख पूर्व छात्रों में से एक एप्पल इंक के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स हैं। स्कूल में उनके समय के साथ-साथ स्टीव वोज्नियाक के साथ उनकी दोस्ती ने प्रौद्योगिकी में उनकी शुरुआती रुचि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उद्यमिता. एक उद्यमी और दूरदर्शी के रूप में जॉब्स की सफलता ने होमस्टेड हाई स्कूल को पहचान दिलाई है।

होमस्टेड हाई स्कूल इस क्षेत्र में एक सम्मानित शैक्षणिक संस्थान बना हुआ है, जो युवा दिमागों का पोषण करता है और नवाचार और प्रौद्योगिकी की भावना को बढ़ावा देता है। स्कूल की विरासत, सिलिकॉन वैली के केंद्र में इसके स्थान के साथ मिलकर, इसे तकनीकी उद्योग में करियर बनाने में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए एक आदर्श वातावरण बनाती है।

रीड कॉलेज पोर्टलैंड, ओरेगॉन, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक निजी उदार कला महाविद्यालय है। हाई स्कूल से स्नातक होने के बाद स्टीव जॉब्स कुछ समय के लिए रीड कॉलेज में पढ़े। रीड कॉलेज के बारे में कुछ मुख्य विवरण इस प्रकार हैं:

  • स्थान और इतिहास: रीड कॉलेज पोर्टलैंड, ओरेगॉन में ईस्टमोरलैंड के आवासीय पड़ोस में स्थित है। इसकी स्थापना 1908 में हुई थी और यह अपने कठोर शैक्षणिक कार्यक्रमों और बौद्धिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।
  • उदार कला शिक्षा: रीड कॉलेज उदार कला शिक्षा प्रदान करता है, एक व्यापक-आधारित पाठ्यक्रम पर जोर देता है जो महत्वपूर्ण सोच, विश्लेषणात्मक कौशल और अंतःविषय शिक्षा को प्रोत्साहित करता है। कॉलेज मानविकी, सामाजिक विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान और कला में अपने मजबूत कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है।
  • शैक्षणिक दर्शन: रीड कॉलेज एक अद्वितीय शैक्षणिक दर्शन का अनुसरण करता है जिसे “रीड प्लान” के नाम से जाना जाता है। इस शैक्षणिक दृष्टिकोण में छोटी कक्षा के आकार, चर्चा-आधारित सेमिनार, घनिष्ठ संकाय-छात्र संबंधों और स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए कठोर थीसिस आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
  • बौद्धिक वातावरण: रीड कॉलेज बौद्धिक जिज्ञासा और स्वतंत्र सोच को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध है। यह उन छात्रों को आकर्षित करता है जो बौद्धिक रूप से प्रेरित हैं, गहन बौद्धिक अन्वेषण में संलग्न होने के लिए उत्सुक हैं और पारंपरिक ज्ञान को चुनौती देते हैं। कॉलेज जीवंत बहस, आलोचनात्मक विश्लेषण और विभिन्न विषयों में ज्ञान की खोज को प्रोत्साहित करता है।
  • परिसर और संस्कृति: रीड कॉलेज परिसर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और स्थापत्य शैली के लिए जाना जाता है। परिसर में ट्यूडर-गॉथिक और आधुनिकतावादी इमारतों का मिश्रण है, जो हरे-भरे हरियाली और बगीचों से घिरा हुआ है। कॉलेज में एक जीवंत और समावेशी परिसर संस्कृति है, जिसमें कई छात्र संगठन, क्लब और कार्यक्रम हैं जो समग्र छात्र अनुभव में योगदान करते हैं।
  • ड्रॉपआउट और सुलेख प्रभाव: स्टीव जॉब्स ने पढ़ाई छोड़ने से पहले केवल छह महीने के लिए रीड कॉलेज में पढ़ाई की थी। हालाँकि, रीड में अपने समय के दौरान, उन्होंने एक सुलेख कक्षा ली, जिसका बाद में उनके सौंदर्य बोध और टाइपोग्राफी के प्रति जुनून पर गहरा प्रभाव पड़ा। जॉब्स अक्सर उल्लेख करते थे कि कैसे इस सुलेख वर्ग ने एप्पल के उत्पादों के डिजाइन और टाइपोग्राफी को प्रभावित किया, प्रौद्योगिकी और उदार कला के अंतर्संबंध पर प्रकाश डाला।

रीड कॉलेज कठोर उदार कला शिक्षा प्रदान करना और अकादमिक उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखना जारी रखता है। आलोचनात्मक सोच, बौद्धिक अन्वेषण और अंतःविषय शिक्षा पर कॉलेज के फोकस ने इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में एक सम्मानित संस्थान बना दिया है।

पूर्व एप्पल

1974 से 1985 की अवधि के दौरान, जिसे अक्सर स्टीव जॉब्स के “पूर्व-एप्पल” वर्षों के रूप में जाना जाता है, जॉब्स के पास विविध प्रकार के अनुभव और उद्यम थे जिन्होंने उनकी उद्यमशीलता की भावना को आकार दिया और उनकी भविष्य की सफलता के लिए मंच तैयार किया। इस अवधि की कुछ प्रमुख झलकियाँ इस प्रकार हैं:

  • भारत की यात्रा: 1974 में, रीड कॉलेज छोड़ने के बाद, जॉब्स ज्ञान और प्रेरणा की तलाश में भारत की आध्यात्मिक यात्रा पर निकल पड़े। उन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक प्रथाओं की खोज, बौद्ध धर्म का अध्ययन और आध्यात्मिक नेताओं से मार्गदर्शन प्राप्त करने में कई महीने बिताए। इस यात्रा का उनकी व्यक्तिगत मान्यताओं और दर्शन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
  • अटारी में नौकरियाँ: भारत से लौटने पर, जॉब्स ने वीडियो गेम उद्योग में अग्रणी अटारी में एक तकनीशियन के रूप में नौकरी की। उन्होंने रात की पाली में आर्केड गेम्स को असेंबल करने और उनकी मरम्मत करने का काम किया। इस अनुभव ने उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर प्रौद्योगिकी की उभरती दुनिया से अवगत कराया, जिससे प्रौद्योगिकी और नवाचार के प्रति उनका जुनून और बढ़ गया।
  • स्टीव वोज्नियाक के साथ दोस्ती: अटारी में अपने समय के दौरान, जॉब्स अपने हाई स्कूल मित्र, स्टीव वोज्नियाक के साथ फिर से जुड़ गए, जो एक शौक के रूप में अपने कंप्यूटर डिजाइन पर काम कर रहे थे। इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर में उनकी साझा रुचि के कारण घनिष्ठ सहयोग हुआ और अंततः एक व्यावसायिक साझेदारी का निर्माण हुआ।
  • ब्लू बॉक्स और फोन फ्रीकिंग: जॉब्स और वोज्नियाक “फोन फ्रीकिंग” में शामिल हो गए, एक अभ्यास जिसमें फोन नेटवर्क सिस्टम की खोज करना और मुफ्त लंबी दूरी की कॉल करने के लिए इसमें हेरफेर करना शामिल था। उन्होंने अवैध उपकरणों “ब्लू बॉक्स” को भी डिजाइन और बेचा, जो उपयोगकर्ताओं को फोन सिस्टम द्वारा उपयोग किए जाने वाले टोन का अनुकरण करके मुफ्त लंबी दूरी की कॉल करने की अनुमति देता था।
  • होमब्रू कंप्यूटर क्लब: 1975 में, जॉब्स और वोज्नियाक होमब्रू कंप्यूटर क्लब के नियमित सदस्य बन गए, जो बे एरिया में कंप्यूटर उत्साही लोगों का एक समूह था, जिन्होंने कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के लिए अपने जुनून को साझा किया और विचारों का आदान-प्रदान किया। इस क्लब ने नवाचार के लिए एक उपजाऊ जमीन के रूप में कार्य किया और जॉब्स और वोज्नियाक के लिए मूल्यवान नेटवर्किंग के अवसर प्रदान किए।
  • Apple के प्रारंभिक वर्ष: 1976 में, जॉब्स और वोज्नियाक ने व्यक्तिगत कंप्यूटर विकसित करने और बेचने के लक्ष्य के साथ Apple कंप्यूटर, इंक. (बाद में इसका नाम बदलकर Apple Inc .) की सह-स्थापना की। उन्होंने जॉब्स के माता-पिता के गैराज में अपने पहले उत्पाद, Apple I कंप्यूटर के विकास पर काम करना शुरू किया। जॉब्स ने विपणन और व्यावसायिक पहलुओं को संभाला, जबकि वोज्नियाक ने तकनीकी डिजाइन पर ध्यान केंद्रित किया।
  • Apple II: 1977 में, Apple ने Apple II पेश किया, जो एक सफल पर्सनल कंप्यूटर था जिसमें रंगीन डिस्प्ले, एकीकृत कीबोर्ड और विस्तार योग्य मेमोरी थी। Apple II व्यावसायिक रूप से सफल रहा और Apple को उभरते पर्सनल कंप्यूटर बाज़ार में एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।
  • लिसा प्रोजेक्ट और ऐप्पल से प्रस्थान: 1980 के दशक की शुरुआत में, जॉब्स ने ऐप्पल लिसा के विकास का नेतृत्व किया, जो एक ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस वाला एक उन्नत पर्सनल कंप्यूटर था। हालाँकि, इसकी उच्च कीमत और सीमित सफलता के कारण, जॉब्स को अंततः लिसा परियोजना से हटा दिया गया। इससे Apple के प्रबंधन में आंतरिक संघर्ष शुरू हो गया और 1985 में जॉब्स ने Apple से इस्तीफा दे दिया और अपने अधिकांश Apple शेयर बेच दिए।

स्टीव जॉब्स के एप्पल-पूर्व वर्षों को व्यक्तिगत अन्वेषण, प्रौद्योगिकी के संपर्क, स्टीव वोज्नियाक के साथ सहयोग और कंप्यूटर उद्योग में एक अग्रणी कंपनी के रूप में एप्पल की स्थापना द्वारा चिह्नित किया गया था। इन अनुभवों ने जॉब्स की बाद की उपलब्धियों और आने वाले वर्षों में एप्पल में उनकी वापसी की नींव रखी।

एप्पल (1976–1985)

1976 से 1985 की अवधि के दौरान, स्टीव जॉब्स Apple कंप्यूटर, इंक. (जिसे अब Apple Inc . के नाम से जाना जाता है) के विकास और वृद्धि में सक्रिय रूप से शामिल थे। यह अवधि एप्पल के शुरुआती वर्षों और कंप्यूटर उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में कंपनी के उदय का प्रतीक है। इस दौरान एप्पल के इतिहास की कुछ प्रमुख झलकियाँ इस प्रकार हैं:

  • Apple I (1976): 1976 में, जॉब्स और स्टीव वोज्नियाक ने Apple कंप्यूटर, इंक. की सह-स्थापना की। उनका पहला उत्पाद, Apple I , वोज्नियाक द्वारा डिजाइन और हाथ से बनाया गया एक पर्सनल कंप्यूटर था। जॉब्स ने वोज़्नियाक के निर्माण की क्षमता को देखा और Apple I के विपणन और बिक्री में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने शौक़ीन लोगों और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्साही लोगों को लक्षित करते हुए इसे पूरी तरह से इकट्ठे सर्किट बोर्ड के रूप में बेचा।
  • Apple II (1977): Apple के लिए असली सफलता 1977 में Apple II की शुरुआत के साथ आई। यह रंगीन डिस्प्ले, एकीकृत कीबोर्ड और विस्तार योग्य मेमोरी के साथ पूरी तरह से असेंबल किया गया पर्सनल कंप्यूटर था। Apple II ग्राफिकल यूजर इंटरफेस ( GUI ) की सुविधा देने वाले पहले कंप्यूटरों में से एक था और यह एक बड़ी सफलता बन गया, जिससे Apple पर्सनल कंप्यूटर बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया।
  • सार्वजनिक होना (1980): 1980 में, एप्पल अपनी आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के साथ सार्वजनिक हो गया। इस कदम ने जॉब्स और कई Apple कर्मचारियों को अमीर बना दिया और कंपनी को आगे की वृद्धि और विस्तार के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन प्रदान किए।
  • लिसा प्रोजेक्ट (1983): ऐप्पल ने 1970 के दशक के अंत में लिसा प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसका लक्ष्य ग्राफिकल यूजर इंटरफेस और उन्नत सुविधाओं के साथ एक कंप्यूटर विकसित करना था। हालाँकि, लिसा की ऊंची कीमत और सॉफ्टवेयर समर्थन की शुरुआती कमी ने इसकी व्यावसायिक सफलता को सीमित कर दिया।
  • मैकिंटोश (1984): 1984 में, ऐप्पल ने मैकिंटोश लॉन्च किया, जो एक अभूतपूर्व कंप्यूटर था जिसमें एक ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस और उपयोगकर्ता इंटरैक्शन के लिए एक माउस था। मैकिंटोश को लिसा के अधिक किफायती विकल्प के रूप में विपणन किया गया था और व्यापक उपभोक्ता दर्शकों को लक्षित किया गया था। मैकिंटोश के प्रतिष्ठित “1984” सुपर बाउल विज्ञापन को विज्ञापन इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में याद किया जाता है।
  • आंतरिक संघर्ष और प्रस्थान (1985): एप्पल के प्रबंधन के भीतर आंतरिक संघर्ष, विशेष रूप से जॉब्स और सीईओ जॉन स्कली के बीच, सत्ता संघर्ष का कारण बना। 1985 में, Apple के निदेशक मंडल ने स्कली का पक्ष लिया, जिसके परिणामस्वरूप जॉब्स को कंपनी के भीतर उनकी परिचालन भूमिका से हटा दिया गया। निराश और अलग-थलग महसूस करते हुए, जॉब्स ने अन्य उद्यम शुरू करने के लिए Apple छोड़ दिया।
  • 1976 से 1985 तक Apple में अपने कार्यकाल के दौरान, जॉब्स ने कंपनी के उत्पादों, विपणन रणनीतियों और इसके समग्र दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष रूप से एप्पल II और मैकिंटोश कंप्यूटरों ने एप्पल की भविष्य की सफलता के लिए मंच तैयार किया और नवाचार और उपयोगकर्ता के अनुकूल डिजाइन के लिए अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की। हालाँकि जॉब्स अगले दशक तक Apple से अनुपस्थित रहेंगे, लेकिन इस अवधि के दौरान उनके प्रभाव ने कंपनी की बाद की उपलब्धियों की नींव रखी।

    NeXT computer (1985–1997 )

1985 से 1997 तक, स्टीव जॉब्स ने NeXT Inc . नामक कंपनी की स्थापना की और उसका नेतृत्व किया। इस अवधि में जॉब्स ने 1985 में कंपनी छोड़ने के बाद Apple से दूरी बना ली। यहां NeXT के साथ जॉब्स की भागीदारी और NeXT कंप्यूटर के विकास के मुख्य अंश दिए गए हैं। :

  • NeXT Inc. की स्थापना: 1985 में, Apple छोड़ने के तुरंत बाद, स्टीव जॉब्स ने शिक्षा और व्यावसायिक बाजारों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले और उन्नत कंप्यूटर बनाने की दृष्टि से NeXT Inc . की स्थापना की। कंपनी का लक्ष्य एक शक्तिशाली और उपयोगकर्ता के अनुकूल कंप्यूटर विकसित करना था जो प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ा सके।
  • नेक्स्ट कंप्यूटर: नेक्स्ट इंक का प्राथमिक फोकस नेक्स्ट कंप्यूटर का विकास था, जिसे नेक्स्टक्यूब के नाम से भी जाना जाता है। 1988 में पेश किया गया, यह अत्याधुनिक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकियों वाला एक उच्च-स्तरीय वर्कस्टेशन था। नेक्स्ट कंप्यूटर अपने आकर्षक डिज़ाइन, उन्नत ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग क्षमताओं और उच्च-रिज़ॉल्यूशन डिस्प्ले के लिए जाना जाता था।
  • उद्योग विशेषज्ञों के साथ सहयोग: जॉब्स ने NeXT में प्रतिभाशाली इंजीनियरों, डिजाइनरों और प्रोग्रामरों की एक टीम को इकट्ठा किया, जिसमें Apple , IBM और ज़ेरॉक्स PARC जैसी कंपनियों के व्यक्ति शामिल थे। उल्लेखनीय नियुक्तियों में एवी टेवानियन शामिल हैं, जिन्होंने सॉफ्टवेयर विकास प्रयासों का नेतृत्व किया, और टिम बर्नर्स-ली, जिन्होंने नेक्स्ट कंप्यूटर पर वर्ल्डवाइडवेब सॉफ्टवेयर विकसित किया, जो बाद में आधुनिक इंटरनेट की नींव बन गया।
  • उच्च शिक्षा द्वारा अपनाना: अपेक्षाकृत उच्च कीमत के बावजूद, नेक्स्ट कंप्यूटर ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल की। विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने NeXT की उन्नत सॉफ्टवेयर क्षमताओं, प्रोग्रामिंग वातावरण और नेटवर्किंग सुविधाओं की सराहना की। विशेष रूप से, टिम बर्नर्स-ली ने CERN में NeXT कंप्यूटर पर पहला वेब ब्राउज़र और वेब सर्वर विकसित किया।
  • नेक्स्टस्टेप ऑपरेटिंग सिस्टम: नेक्स्ट कंप्यूटर का एक मुख्य आकर्षण इसका नवोन्मेषी ऑपरेटिंग सिस्टम था जिसे नेक्स्टस्टेप कहा जाता है। इसमें ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस, मल्टीटास्किंग, ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग और एक शक्तिशाली विकास वातावरण जैसी उन्नत सुविधाएँ शामिल हैं। NeXTSTEP ने macOS और iOS की नींव रखी, जो बाद के Apple उत्पादों में उपयोग किए जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम थे।
  • Apple द्वारा अधिग्रहण: 1996 में, Apple , जो उस समय संघर्ष कर रहा था, ने अपनी उन्नत सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकियों और विशेषज्ञता के लिए NeXT Inc . का अधिग्रहण किया। इस अधिग्रहण ने स्टीव जॉब्स को Apple में वापस ला दिया, शुरुआत में एक सलाहकार के रूप में और बाद में अंतरिम सीईओ के रूप में। NeXTSTEP ने macOS ऑपरेटिंग सिस्टम का आधार बनाया, और Apple में जॉब्स की वापसी ने कंपनी के पुनरोद्धार की शुरुआत और उपभोक्ता प्रौद्योगिकी बाजार में अंततः सफलता को चिह्नित किया।
  • NeXT कंप्यूटर और NeXTSTEP ऑपरेटिंग सिस्टम सहित NeXT Inc . द्वारा विकसित नवीन तकनीकों का कंप्यूटिंग उद्योग पर स्थायी प्रभाव पड़ा। हालाँकि NeXT को अपने आप में महत्वपूर्ण व्यावसायिक सफलता नहीं मिली, लेकिन इसने जॉब्स की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और Apple में उनकी वापसी का मार्ग प्रशस्त किया, जहाँ वह आने वाले वर्षों में कंपनी को उल्लेखनीय उपलब्धियों तक ले गए।

पिक्सर और डिज़्नी

1980 के दशक के अंत से 1990 के दशक के मध्य तक, स्टीव जॉब्स ने पिक्सर एनिमेशन स्टूडियो के निर्माण और सफलता और उसके बाद वॉल्ट डिज़नी कंपनी के साथ साझेदारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पिक्सर और डिज़्नी के साथ जॉब्स की भागीदारी के मुख्य अंश इस प्रकार हैं:

  • पिक्सर का अधिग्रहण: 1986 में, स्टीव जॉब्स ने लुकासफिल्म का कंप्यूटर ग्राफिक्स डिवीजन खरीदा, जो बाद में पिक्सर एनीमेशन स्टूडियो बन गया। उस समय, पिक्सर ने मुख्य रूप से विज्ञापनों और लघु फिल्मों के लिए कंप्यूटर-जनित इमेजरी (सीजीआई) बनाने पर ध्यान केंद्रित किया।
  • “टॉय स्टोरी” और सफलता: जॉब्स के नेतृत्व में, पिक्सर ने फीचर फिल्म निर्माण में कदम रखा। डिज़्नी के सहयोग से, पिक्सर ने 1995 में अपनी पहली फीचर-लेंथ फिल्म, “टॉय स्टोरी” रिलीज़ की। यह फिल्म जबरदस्त सफल रही, पहली पूरी तरह से सीजीआई-एनिमेटेड फीचर फिल्म बन गई और दुनिया भर में $ 350 मिलियन से अधिक की कमाई की।
  • डिज़्नी के साथ साझेदारी: “टॉय स्टोरी” की सफलता के बाद, पिक्सर और डिज़्नी ने एक साझेदारी समझौता किया। साझेदारी में एक मल्टी-पिक्चर डील शामिल थी, जिसके तहत पिक्सर डिज़्नी के विपणन और वितरण के साथ फिल्मों का निर्माण और वितरण करेगा।
  • निरंतर सफलता: पिक्सर ने “ए बग्स लाइफ” (1998), “टॉय स्टोरी 2” (1999), “मॉन्स्टर्स, इंक” सहित अत्यधिक सफल फिल्मों की एक श्रृंखला जारी की। (2001), “फाइंडिंग निमो” (2003), और “द इनक्रेडिबल्स” (2004) । इन फिल्मों ने एक अग्रणी एनीमेशन स्टूडियो के रूप में पिक्सर की प्रतिष्ठा को और मजबूत किया।
  • डिज़नी-पिक्सर विलय: 2006 में, वॉल्ट डिज़नी कंपनी ने $7 बिलियन से अधिक मूल्य के ऑल-स्टॉक लेनदेन में पिक्सर एनीमेशन स्टूडियो का अधिग्रहण किया। सौदे के हिस्से के रूप में, स्टीव जॉब्स डिज़्नी के सबसे बड़े व्यक्तिगत शेयरधारक बन गए और डिज़्नी के निदेशक मंडल में शामिल हो गए।
  • डिज़्नी पर प्रभाव: डिज़्नी में अपनी भागीदारी के साथ, जॉब्स ने कंपनी की डिजिटल रणनीतियों को आकार देने और प्रौद्योगिकी उद्योग में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डिज़्नी के एनीमेशन प्रभाग के पुनरुद्धार में भी उनका हाथ था, जिससे डिज़्नी एनिमेटेड फिल्मों की गुणवत्ता और सफलता में पुनरुत्थान हुआ।
  • पिक्सर की निरंतर सफलता: विलय के बाद, पिक्सर ने अत्यधिक प्रशंसित और व्यावसायिक रूप से सफल फिल्में जारी करना जारी रखा, जिनमें “रैटटौइल” (2007), “वॉल-ई” (2008), “अप” (2009), “टॉय स्टोरी 3” (2010) शामिल हैं। ), और “इनसाइड आउट” (2015) ।

स्टीव जॉब्स द्वारा संचालित पिक्सर और डिज़्नी के बीच साझेदारी के परिणामस्वरूप कई समीक्षकों द्वारा प्रशंसित और व्यावसायिक रूप से सफल एनिमेटेड फिल्में बनीं। जॉब्स की भागीदारी ने न केवल पिक्सर को एनीमेशन उद्योग में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद की, बल्कि डिज्नी में महत्वपूर्ण बदलाव और नवाचार भी लाए। आज, पिक्सर पसंदीदा फिल्में बनाना जारी रखता है और वॉल्ट डिज़्नी कंपनी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है।

Return to Apple(1997–2011)

1997 से 2011 तक, स्टीव जॉब्स ने Apple Inc. में विजयी वापसी की और कंपनी को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसे दुनिया की सबसे मूल्यवान और प्रभावशाली प्रौद्योगिकी कंपनियों में से एक में बदल दिया। एप्पल में जॉब्स की वापसी की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

  • अंतरिम सीईओ और रणनीतिक परिवर्तन: 1997 में, Apple ने NeXT Inc. का अधिग्रहण किया, यह कंपनी जॉब्स ने Apple से दूर रहने के दौरान स्थापित की थी। सौदे के हिस्से के रूप में, जॉब्स एक सलाहकार के रूप में Apple में लौट आए और अंततः अंतरिम सीईओ बन गए। जॉब्स ने रणनीतिक बदलावों को तेजी से लागू किया, उत्पाद लाइनों को सुव्यवस्थित किया, लागत में कटौती की, और नवीन उपभोक्ता उत्पादों को विकसित करने पर कंपनी के प्रयासों पर फिर से ध्यान केंद्रित किया।
  • iMac और डिज़ाइन पुनर्जागरण: जॉब्स के नेतृत्व में, Apple ने 1998 में iMac जारी किया, एक चिकना और रंगीन ऑल-इन-वन कंप्यूटर जो प्रतिस्पर्धा से अलग था। iMac के डिज़ाइन और उपयोगकर्ता-अनुकूल सुविधाओं ने Apple में डिज़ाइन पुनर्जागरण की शुरुआत की और कंपनी की छवि को फिर से मजबूत किया।
  • एप्पल की उत्पाद श्रृंखला का पुनरुद्धार: जॉब्स ने अभूतपूर्व उत्पादों की एक श्रृंखला के विकास और रिलीज का नेतृत्व किया जिसने विभिन्न उद्योगों में क्रांति ला दी:
  • आईपॉड: 2001 में, ऐप्पल ने एक पोर्टेबल मीडिया प्लेयर आईपॉड पेश किया, जिसने संगीत उद्योग को बदल दिया। आईपॉड के सहज इंटरफ़ेस, आकर्षक डिज़ाइन और आईट्यून्स के साथ एकीकरण ने इसे भारी सफलता दिलाई, जिससे ऐप्पल की ब्रांड पहचान और लाभप्रदता में वृद्धि हुई।
  • आईट्यून्स स्टोर: 2003 में, ऐप्पल ने आईट्यून्स स्टोर लॉन्च किया, एक डिजिटल मीडिया स्टोर जो उपयोगकर्ताओं को कानूनी रूप से संगीत, पॉडकास्ट, फिल्में और टीवी शो खरीदने और डाउनलोड करने की अनुमति देता था। आईट्यून्स स्टोर राजस्व का एक प्रमुख चालक बन गया और डिजिटल मीडिया को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • iPhone: 2007 में, Apple ने iPhone का अनावरण किया, एक क्रांतिकारी स्मार्टफोन जिसमें टचस्क्रीन इंटरफ़ेस, इंटरनेट कनेक्टिविटी और ऐप्स का एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र शामिल था। iPhone ने मोबाइल उद्योग में क्रांति ला दी, स्मार्टफोन के लिए नए मानक स्थापित किए और मोबाइल कंप्यूटिंग के एक नए युग का निर्माण किया।
  • ऐप स्टोर और iOS: 2008 में, Apple ने ऐप स्टोर पेश किया, जो iOS उपकरणों के लिए विकसित तृतीय-पक्ष एप्लिकेशन के लिए एक ऑनलाइन बाज़ार है। ऐप स्टोर ने लोगों के स्मार्टफ़ोन का उपयोग करने के तरीके को बदल दिया और ऐप अर्थव्यवस्था के विकास को उत्प्रेरित किया।
  • आईपैड: 2010 में, ऐप्पल ने आईपैड पेश किया, एक टैबलेट डिवाइस जिसने पोर्टेबल कंप्यूटिंग की अवधारणा को फिर से परिभाषित किया। आईपैड बेहद लोकप्रिय हो गया, जिससे एक नई उत्पाद श्रेणी का निर्माण हुआ और पूरे टैबलेट बाजार पर प्रभाव पड़ा।
  • खुदरा विस्तार: जॉब्स के मार्गदर्शन में, Apple ने दुनिया भर में Apple स्टोर खोलकर अपनी खुदरा उपस्थिति का विस्तार किया। ऐप्पल स्टोर्स ने एक अद्वितीय और गहन ग्राहक अनुभव प्रदान किया, ऐप्पल के उत्पादों का प्रदर्शन किया और असाधारण ग्राहक सेवा प्रदान की। ऐप्पल स्टोर अवधारणा अत्यधिक सफल साबित हुई, जिसने कंपनी के समग्र विकास और ब्रांड वफादारी में योगदान दिया।
  • वित्तीय सफलता और बाजार प्रभुत्व: जॉब्स के कार्यकाल के दौरान, एप्पल को उल्लेखनीय वित्तीय सफलता का अनुभव हुआ, राजस्व और बाजार पूंजीकरण रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। उनके नेतृत्व में, Apple वैश्विक स्तर पर सबसे मूल्यवान और प्रभावशाली प्रौद्योगिकी कंपनियों में से एक बन गया, जिसने प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ दिया और उद्योग मानकों को फिर से परिभाषित किया।
  • बीमारी और इस्तीफा: 2004 में, जॉब्स को एक दुर्लभ प्रकार के अग्नाशय कैंसर का पता चला। अपनी स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने Apple का नेतृत्व करना जारी रखा, लेकिन अगस्त 2011 में, उन्होंने अपने गिरते स्वास्थ्य के कारण CEO पद से इस्तीफा दे दिया। हालाँकि, वह अक्टूबर 2011 में अपने निधन तक बोर्ड के अध्यक्ष बने रहे।

ऐप्पल में स्टीव जॉब्स की वापसी ने अत्यधिक नवाचार, उद्योग व्यवधान और उल्लेखनीय विकास का दौर शुरू किया। उनकी दृष्टि, डिज़ाइन संवेदनशीलता और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता ने Apple के उत्पाद लाइनअप, कॉर्पोरेट संस्कृति और समग्र सफलता को आकार दिया। ऐप्पल के प्रक्षेप पथ पर उनका प्रभाव गहरा बना हुआ है, और उनकी विरासत कंपनी के चल रहे नवाचारों और भविष्य के प्रयासों को प्रेरित करती रहती है।

स्वास्थ्य समस्याएं

स्टीव जॉब्स को अपने जीवन के दौरान, विशेषकर बाद के वर्षों में, महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यहां उनके द्वारा अनुभव की गई प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं हैं:

  • अग्नाशय कैंसर का निदान: 2003 में, स्टीव जॉब्स को आइलेट सेल न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर नामक एक दुर्लभ प्रकार के अग्नाशय कैंसर का पता चला था। इस प्रकार का कैंसर आम तौर पर अग्नाशय कैंसर के अन्य रूपों की तुलना में धीमी गति से बढ़ता है।
  • उपचार का दृष्टिकोण: प्रारंभ में, जॉब्स ने वैकल्पिक उपचारों को अपनाने का विकल्प चुना और विशेष आहार और हर्बल उपचार सहित सर्जिकल हस्तक्षेप में देरी की। हालाँकि, जैसे-जैसे उनकी हालत बिगड़ती गई, अंततः उन्होंने ट्यूमर को हटाने के लिए 2004 में सर्जरी का विकल्प चुना।
  • लीवर प्रत्यारोपण: 2009 में, टेनेसी के एक अस्पताल में जॉब्स का लीवर प्रत्यारोपण किया गया। उनके लीवर में कैंसर फैलने के कारण प्रत्यारोपण कराने का निर्णय लिया गया। प्रत्यारोपण से संबंधित सटीक विवरण, जैसे टेनेसी को चुनने का कारण, निजी रहता है।
  • अनुपस्थिति की चिकित्सा छुट्टियाँ: अपने गिरते स्वास्थ्य के कारण, जॉब्स ने एप्पल के सीईओ के रूप में अपने पद से अनुपस्थिति की कई चिकित्सा छुट्टियाँ लीं। ये छुट्टियाँ आम तौर पर अस्थायी प्रस्थान थीं, जिसके दौरान उन्होंने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को अन्य एप्पल अधिकारियों को सौंप दिया था।
  • इस्तीफा और निधन: अगस्त 2011 में, स्टीव जॉब्स ने अपने गिरते स्वास्थ्य के कारण अपने कर्तव्यों को पूरा करने में असमर्थता का हवाला देते हुए एप्पल के सीईओ के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा की। वह बोर्ड के अध्यक्ष बने रहे। दुख की बात है कि स्टीव जॉब्स का लंबे समय से चली आ रही स्वास्थ्य समस्याओं के कारण 5 अक्टूबर, 2011 को 56 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

स्टीव जॉब्स की स्वास्थ्य समस्याओं और अग्नाशय कैंसर से उनकी लड़ाई ने लोगों का ध्यान इस बीमारी और इसकी चुनौतियों की ओर खींचा। अपने स्वास्थ्य संबंधी संघर्षों के बावजूद, उन्होंने नवाचार और दूरदर्शी नेतृत्व की एक स्थायी विरासत को पीछे छोड़ते हुए एप्पल और प्रौद्योगिकी उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान देना जारी रखा।

स्टीव जॉब्स ने 24 अगस्त, 2011 को एप्पल इंक. के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा उनके गिरते स्वास्थ्य और सीईओ के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करने में असमर्थता के परिणामस्वरूप आया। जॉब्स अग्नाशय के कैंसर से जूझ रहे थे और उन्हें जीवन भर विभिन्न स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

अपने त्याग पत्र में जॉब्स ने कहा, “मैंने हमेशा कहा है कि अगर कभी ऐसा दिन आया जब मैं एप्पल के सीईओ के रूप में अपने कर्तव्यों और अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाऊंगा, तो मैं सबसे पहले आपको बताऊंगा। दुर्भाग्य से, वह दिन आ गया है।” ” उन्होंने यह भी सिफारिश की कि टिम कुक, जो एप्पल के मुख्य परिचालन अधिकारी के रूप में कार्यरत थे, सीईओ का पद संभालें।

सीईओ पद से हटने के बावजूद, जॉब्स एप्पल में निदेशक मंडल के अध्यक्ष के रूप में काम करते रहे। वह कंपनी के रणनीतिक निर्णयों और उत्पाद विकास में शामिल रहे, मार्गदर्शन और अंतर्दृष्टि प्रदान करते रहे।

स्टीव जॉब्स के इस्तीफे से एप्पल में एक युग का अंत हो गया। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और नवाचार ने Apple को एक संघर्षरत कंपनी से एक वैश्विक प्रौद्योगिकी पावरहाउस में बदल दिया था। हालाँकि उनका इस्तीफा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, लेकिन एप्पल और प्रौद्योगिकी उद्योग पर उनका प्रभाव उनके निधन के बाद भी महसूस किया जाता रहा।

एप्पल इंक के सह-संस्थापक और पूर्व सीईओ स्टीव जॉब्स का 5 अक्टूबर, 2011 को 56 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी मृत्यु का कारण अग्नाशय के कैंसर से उनकी लंबे समय से चली आ रही लड़ाई से जुड़ी जटिलताओं को बताया गया।

2003 में अग्न्याशय के कैंसर के एक दुर्लभ रूप का पता चलने के बाद, जॉब्स को सर्जरी और यकृत प्रत्यारोपण सहित विभिन्न चिकित्सा उपचार और प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। अपने स्वास्थ्य संबंधी संघर्षों के बावजूद, उन्होंने Apple का नेतृत्व करना जारी रखा और कंपनी और प्रौद्योगिकी उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जॉब्स के निधन पर दुनिया भर में लाखों लोगों ने शोक व्यक्त किया और उनकी मृत्यु को मीडिया ने व्यापक रूप से कवर किया। प्रौद्योगिकी उद्योग, नवाचार और डिज़ाइन पर उनका प्रभाव आज भी महसूस किया जा रहा है। जॉब्स की दूरदर्शिता, नेतृत्व और उत्कृष्टता की निरंतर खोज ने Apple को दुनिया की सबसे मूल्यवान और प्रभावशाली कंपनियों में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उनकी विरासत उन नवोन्मेषी उत्पादों और तकनीकों के माध्यम से जीवित है, जिन्हें बनाने में उन्होंने मदद की, जैसे मैकिंटोश, आईफोन, आईपैड और कई अन्य। प्रौद्योगिकी की दुनिया में स्टीव जॉब्स का योगदान और हमारे जीने और प्रौद्योगिकी के साथ बातचीत करने के तरीके पर उनका स्थायी प्रभाव उन्हें उद्योग के इतिहास में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बनाता है।

नवाचार और डिज़ाइन

स्टीव जॉब्स को उनके उल्लेखनीय नवाचारों और अभूतपूर्व डिजाइनों के लिए व्यापक रूप से पहचाना गया, जिन्होंने कई उद्योगों में क्रांति ला दी। यहां Apple में जॉब्स के कार्यकाल से जुड़े कुछ प्रमुख नवाचार और डिज़ाइन दिए गए हैं:

  • मैकिंटोश (1984): स्टीव जॉब्स ने मूल मैकिंटोश कंप्यूटर के विकास और लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने उपयोगकर्ता के अनुकूल ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआई) की अवधारणा पेश की और कंप्यूटर को नेविगेट करने के लिए माउस के उपयोग को लोकप्रिय बनाया।
  • iMac (1998): iMac ने जॉब्स के नेतृत्व में Apple की वापसी को चिह्नित किया। इसमें रंगीन पारभासी आवरण और सरलीकृत ऑल-इन-वन डिज़ाइन के साथ एक आकर्षक डिज़ाइन दिखाया गया है। iMac ने Apple के ब्रांड को पुनर्जीवित करने और डेस्कटॉप कंप्यूटर के लिए एक नया मानक स्थापित करने में मदद की।
  • आईपॉड (2001): आईपॉड ने अपने आकर्षक डिज़ाइन, क्लिक व्हील इंटरफ़ेस और पॉकेट-आकार के डिवाइस में विशाल संगीत लाइब्रेरी को संग्रहीत करने की क्षमता के साथ संगीत उद्योग में क्रांति ला दी। इसने लोगों के संगीत सुनने के तरीके को बदल दिया और एप्पल की भविष्य की सफलता की नींव रखी।
  • iPhone (2007): iPhone की शुरूआत मोबाइल उद्योग में एक गेम-चेंजर थी। इसने एक ही डिवाइस में टचस्क्रीन इंटरफ़ेस, इंटरनेट कनेक्टिविटी और ऐप्स के इकोसिस्टम को संयोजित किया। iPhone ने स्मार्टफोन को फिर से परिभाषित किया और डिज़ाइन, कार्यक्षमता और उपयोगकर्ता अनुभव के लिए नए मानक स्थापित किए।
  • ऐप स्टोर (2008): ऐप स्टोर के लॉन्च के साथ, जॉब्स ने तीसरे पक्ष के अनुप्रयोगों के लिए एक केंद्रीकृत बाज़ार बनाया। इसने मोबाइल ऐप उद्योग में क्रांति ला दी, जिससे डेवलपर्स को iOS उपकरणों के लिए नवीन ऐप, गेम और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला बनाने में सक्षम बनाया गया।
  • आईपैड (2010): आईपैड ने पोर्टेबल कंप्यूटिंग की एक नई श्रेणी पेश की। अपने सहज टचस्क्रीन इंटरफ़ेस, पतली प्रोफ़ाइल और व्यापक ऐप समर्थन के साथ, iPad बेहद लोकप्रिय हो गया और इसने पूरे टैबलेट बाज़ार को प्रभावित किया।
  • रेटिना डिस्प्ले: Apple ने 2010 में iPhone 4 के साथ शुरुआत करते हुए उच्च-रिज़ॉल्यूशन रेटिना डिस्प्ले पेश किया। इन डिस्प्ले में अविश्वसनीय रूप से तेज और जीवंत दृश्य थे, जिससे विभिन्न Apple उत्पादों में डिस्प्ले गुणवत्ता के लिए नए मानक स्थापित हुए।
  • मैकबुक एयर (2008): मैकबुक एयर ने पतले और हल्के लैपटॉप की अवधारणा को फिर से परिभाषित किया। इसकी पतली प्रोफ़ाइल और न्यूनतम डिज़ाइन ने इसे अत्यधिक पोर्टेबल बना दिया और उद्योग में अल्ट्राबुक प्रवृत्ति के लिए मंच तैयार किया।
  • ऐप्पल स्टोर्स: जॉब्स के निर्देशन में, ऐप्पल स्टोर्स को एक अद्वितीय और व्यापक खुदरा अनुभव प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। स्टोर में न्यूनतम सौंदर्यशास्त्र, व्यावहारिक उत्पाद प्रदर्शन और ग्राहक सेवा पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे एप्पल के खुदरा परिचालन की सफलता में योगदान मिला।

नवाचार के प्रति स्टीव जॉब्स की प्रतिबद्धता, विस्तार पर ध्यान और उपयोगकर्ता अनुभव पर जोर ने एप्पल के उत्पादों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। डिजाइन और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता के लिए उनके निरंतर प्रयास ने न केवल ऐप्पल को नया आकार दिया, बल्कि पूरे तकनीकी उद्योग पर गहरा प्रभाव डाला, जिससे प्रतिस्पर्धियों को अपने मानकों को बढ़ाने और जो संभव था उसकी सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

Apple I, जिसे Apple-1 के नाम से भी जाना जाता है, Apple Inc के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स और स्टीव वोज्नियाक द्वारा डिज़ाइन और निर्मित किया गया पहला कंप्यूटर था। यह एक सिंगल-बोर्ड कंप्यूटर किट था जिसे पहली बार 1976 में पेश किया गया था। यहाँ Apple I के बारे में कुछ मुख्य विवरण इस प्रकार हैं:

  • विकास: स्टीव वोज्नियाक ने स्टीव जॉब्स के इनपुट और मार्गदर्शन से Apple I को डिज़ाइन किया। वोज्नियाक हार्डवेयर डिजाइन के लिए जिम्मेदार था, जबकि जॉब्स ने मार्केटिंग और व्यावसायिक पहलुओं को संभाला था।
  • सिंगल-बोर्ड कंप्यूटर: Apple I एक सिंगल-बोर्ड कंप्यूटर था, जिसका अर्थ है कि सभी घटक, जैसे कि माइक्रोप्रोसेसर, मेमोरी और सर्किटरी, एक ही सर्किट बोर्ड पर एकीकृत थे। इसमें कीबोर्ड, मॉनिटर या केस शामिल नहीं था।
  • माइक्रोप्रोसेसर और मेमोरी: Apple I को MOS टेक्नोलॉजी 6502 माइक्रोप्रोसेसर के आसपास बनाया गया था, जिसकी क्लॉक स्पीड 1 मेगाहर्ट्ज थी। इसमें 4 KB (किलोबाइट) मेमोरी थी, जिसे अधिकतम 48 KB तक बढ़ाया जा सकता था।
  • डिस्प्ले और इनपुट: Apple I में बिल्ट-इन डिस्प्ले या कीबोर्ड नहीं था। उपयोगकर्ताओं को डिस्प्ले के लिए अपना टीवी या मॉनिटर कनेक्ट करना पड़ता था और इनपुट के लिए एक अलग कीबोर्ड का उपयोग करना पड़ता था।
  • कीमत और बिक्री: Apple I की शुरुआत में कीमत $666.66 थी। इसे पूरी तरह से इकट्ठे सर्किट बोर्ड के रूप में बेचा गया था, लेकिन उपयोगकर्ताओं को अपनी बिजली आपूर्ति, केस, कीबोर्ड और डिस्प्ले जोड़ना पड़ा। Apple I की लगभग 200 इकाइयाँ उत्पादित और बेची गईं।
  • प्रभाव और विरासत: हालाँकि Apple I को व्यापक व्यावसायिक सफलता नहीं मिली, लेकिन इसने पर्सनल कंप्यूटर के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह पूरी तरह से असेंबल किए गए सर्किट बोर्ड के रूप में बेचे जाने वाले पहले कंप्यूटरों में से एक था, जिसने Apple II की बाद की सफलता का मार्ग प्रशस्त किया, जो एक अधिक संपूर्ण और उपयोगकर्ता के अनुकूल कंप्यूटर था।
  • Apple I, Apple Inc. की विनम्र शुरुआत और स्टीव जॉब्स और स्टीव वोज्नियाक की उद्यमशीलता की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। इसने Apple की बाद की सफलता की नींव रखी और पर्सनल कंप्यूटर उद्योग में उनके भविष्य के नवाचारों के लिए मंच तैयार किया। आज, कुछ बचे हुए Apple I कंप्यूटर संग्राहकों द्वारा अत्यधिक मांग में हैं और कंप्यूटिंग की दुनिया में ऐतिहासिक महत्व रखते हैं।

      एप्पल II

1977 में पेश किया गया Apple II, Apple Inc. द्वारा जारी किया गया दूसरा कंप्यूटर था और कंपनी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। यह एक पर्सनल कंप्यूटर था जिसे Apple I द्वारा स्थापित नींव पर बनाया गया था। यहां Apple II के बारे में कुछ मुख्य विवरण दिए गए हैं:

  • डिज़ाइन और विशेषताएं: Apple II में अपने पूर्ववर्ती की तुलना में अधिक परिष्कृत और उपयोगकर्ता के अनुकूल डिज़ाइन दिखाया गया है। यह एक विशिष्ट बेज प्लास्टिक केस में आया था और इसमें एक अंतर्निर्मित कीबोर्ड, एक बिजली की आपूर्ति और बाह्य उपकरणों से कनेक्ट करने के लिए आवश्यक इंटरफेस थे। मशीन में रंगीन ग्राफिक्स और ध्वनि क्षमताएं भी शामिल थीं, जो उस समय अभूतपूर्व थीं।
  • विस्तार स्लॉट: Apple II की एक उल्लेखनीय विशेषता इसके विस्तार स्लॉट थे, जो उपयोगकर्ताओं को अतिरिक्त कार्यक्षमता के लिए विस्तार कार्ड जोड़ने की अनुमति देते थे। इन विस्तार स्लॉटों ने उपयोगकर्ताओं को फ़्लॉपी डिस्क ड्राइव, प्रिंटर, मॉडेम और बहुत कुछ जैसे बाह्य उपकरणों को जोड़कर कंप्यूटर की क्षमताओं को बढ़ाने में सक्षम बनाया।
  • बेसिक प्रोग्रामिंग भाषा: Apple II को इंटीजर बेसिक नामक एक अंतर्निहित प्रोग्रामिंग भाषा के साथ बंडल किया गया था। इससे उपयोगकर्ताओं के लिए उन्नत प्रोग्रामिंग कौशल की आवश्यकता के बिना अपने स्वयं के प्रोग्राम लिखना और चलाना सुलभ हो गया।
  • सॉफ़्टवेयर लाइब्रेरी: Apple II के पास सॉफ़्टवेयर की बढ़ती हुई लाइब्रेरी उपलब्ध थी, जिसमें गेम, उत्पादकता एप्लिकेशन और शैक्षिक कार्यक्रम शामिल थे। सॉफ़्टवेयर की उपलब्धता ने Apple II की लोकप्रियता और बहुमुखी प्रतिभा में योगदान दिया।
  • सफलता और प्रभाव: Apple II एक व्यावसायिक सफलता थी और इसने पर्सनल कंप्यूटर को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे घरों, स्कूलों और व्यवसायों में व्यापक रूप से अपनाया गया। सॉफ़्टवेयर की उपलब्धता, विस्तारशीलता और उपयोगकर्ता के अनुकूल डिज़ाइन ने इसे अपने समय के सबसे लोकप्रिय पर्सनल कंप्यूटरों में से एक बना दिया।
  • विरासत: Apple II प्लेटफ़ॉर्म बाद के मॉडलों जैसे कि Apple II Plus, Apple IIe और Apple IIc के साथ विकसित होता रहा, जिसने हार्डवेयर में सुधार और क्षमताओं का विस्तार किया। Apple II श्रृंखला ने Apple की बाद की सफलता की नींव रखी और कंपनी को पर्सनल कंप्यूटर उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।
  • Apple II ने अपने बेहतर डिज़ाइन, विस्तारशीलता और बढ़ते सॉफ़्टवेयर पारिस्थितिकी तंत्र के साथ पर्सनल कंप्यूटर के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। इसने बाजार में एप्पल की स्थिति को मजबूत किया और भविष्य के नवाचारों के लिए मंच तैयार किया जो कंपनी की सफलता को परिभाषित करेगा।

   मैकिंटोश

मैकिंटोश, जिसे अक्सर मैक के रूप में जाना जाता है, ऐप्पल इंक द्वारा डिजाइन, विकसित और विपणन किए गए व्यक्तिगत कंप्यूटरों की एक श्रृंखला है। इसे पहली बार 1984 में पेश किया गया था और तब से यह सबसे प्रतिष्ठित और प्रभावशाली कंप्यूटर प्लेटफार्मों में से एक बन गया है। यहां मैकिंटोश के बारे में कुछ मुख्य विवरण दिए गए हैं:

  • परिचय और डिज़ाइन: मूल मैकिंटोश को 1984 में सुपर बाउल XVIII के दौरान रिडले स्कॉट द्वारा निर्देशित एक प्रतिष्ठित विज्ञापन के साथ पेश किया गया था। इसमें बिल्ट-इन स्क्रीन और माउस के साथ एक कॉम्पैक्ट, ऑल-इन-वन डिज़ाइन था, जो इसे उस समय के अन्य कंप्यूटरों से अलग करता था।
  • ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआई): मैकिंटोश पहला व्यावसायिक रूप से सफल कंप्यूटर था जिसमें ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआई) और एक माउस था, जिसने इसे अधिक सहज और उपयोगकर्ता के अनुकूल बना दिया। जीयूआई ने उपयोगकर्ताओं को कमांड टाइप करने के बजाय आइकन, मेनू और विंडोज़ का उपयोग करके कंप्यूटर के साथ इंटरैक्ट करने की अनुमति दी।
  • सॉफ्टवेयर: मैकिंटोश सॉफ्टवेयर के एक सूट के साथ आया था, जिसमें मैकिंटोश सिस्टम सॉफ्टवेयर और मैकपेंट और मैकराइट जैसे एप्लिकेशन शामिल थे। इन अनुप्रयोगों ने मैकिंटोश प्लेटफ़ॉर्म की शक्ति और उपयोग में आसानी का प्रदर्शन किया।
  • डेस्कटॉप प्रकाशन क्रांति: मैकिंटोश ने डेस्कटॉप प्रकाशन क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एडोब पेजमेकर जैसे सॉफ्टवेयर के साथ मिलकर इसकी ग्राफिकल क्षमताओं ने व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों के लिए पेशेवर दिखने वाले दस्तावेज़ बनाना संभव बना दिया, जिससे प्रकाशन उद्योग में क्रांति आ गई।
  • मैकिंटोश II और मैकिंटोश एसई: 1980 के दशक के अंत में, ऐप्पल ने मैकिंटोश II की शुरुआत के साथ मैकिंटोश लाइनअप का विस्तार किया, जो पहला विस्तार योग्य मैकिंटोश मॉडल था, और मैकिंटोश एसई, जिसमें एक बेहतर डिजाइन और बढ़ी हुई क्षमताएं थीं।
  • पावर मैकिंटोश और मैकओएस: 1990 के दशक के मध्य में, ऐप्पल ने पावर मैकिंटोश की शुरुआत के साथ मोटोरोला 680×0 प्रोसेसर से पावरपीसी आर्किटेक्चर में बदलाव किया। 2001 में Mac OS
  • iMac और MacBooks: Apple ने 1998 में iMac की शुरुआत के साथ नवाचार करना जारी रखा, जिसमें एक चिकना, रंगीन डिजाइन और सरलीकृत ऑल-इन-वन फॉर्म फैक्टर शामिल था। मैकबुक प्रो और मैकबुक एयर सहित मैकबुक की शुरूआत के साथ मैकिंटोश लाइनअप का और विस्तार हुआ, जो विभिन्न उपयोगकर्ता आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • इंटेल-आधारित मैक और ऐप्पल सिलिकॉन: 2006 में, ऐप्पल ने अपने मैकिंटोश कंप्यूटरों के लिए पावरपीसी प्रोसेसर से इंटेल प्रोसेसर पर स्विच करके एक और बड़ा बदलाव किया। 2020 में, Apple ने अपने कस्टम-डिज़ाइन किए गए Apple सिलिकॉन प्रोसेसर में बदलाव की घोषणा की, जिससे बेहतर प्रदर्शन और दक्षता के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को एकीकृत किया गया।

मैकिंटोश प्लेटफ़ॉर्म पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुआ है और डिज़ाइन, प्रदर्शन और उपयोगकर्ता अनुभव की सीमाओं को लगातार आगे बढ़ा रहा है। अपने सहज ज्ञान युक्त इंटरफ़ेस, शक्तिशाली सॉफ़्टवेयर पारिस्थितिकी तंत्र और अन्य Apple उपकरणों के साथ एकीकरण के कारण यह रचनात्मक पेशेवरों, छात्रों और सामान्य उपयोगकर्ताओं के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बना हुआ है।

  • iMac, Apple Inc. द्वारा डिज़ाइन और निर्मित ऑल-इन-वन डेस्कटॉप कंप्यूटरों की एक श्रृंखला है। इसे पहली बार 1998 में पेश किया गया था और तब से इसमें कई पुनरावृत्तियाँ और अपडेट आए हैं। iMac अपने आकर्षक डिज़ाइन, शक्तिशाली प्रदर्शन और macOS के साथ एकीकरण के लिए जाना जाता है। यहां iMac के बारे में कुछ मुख्य विवरण दिए गए हैं:
  • ऑल-इन-वन डिज़ाइन: iMac में एक कॉम्पैक्ट, ऑल-इन-वन डिज़ाइन है, जहां कंप्यूटर घटकों और डिस्प्ले को एक ही बाड़े में एकीकृत किया गया है। यह डिज़ाइन एक अलग टॉवर या सीपीयू इकाई की आवश्यकता को समाप्त करता है और डेस्क पर जगह बचाने में मदद करता है।
  • चिकना और न्यूनतम सौंदर्यशास्त्र: iMac अपने चिकने और न्यूनतम सौंदर्यशास्त्र के लिए जाना जाता है। इन वर्षों में, इसमें कई डिज़ाइन परिवर्तन हुए हैं, जिनमें पतली प्रोफ़ाइल, एल्यूमीनियम बाड़े और किनारे से किनारे तक डिस्प्ले शामिल हैं। iMac के डिज़ाइन ने अक्सर उद्योग में रुझान स्थापित किया है।
  • डिस्प्ले: iMac विभिन्न डिस्प्ले आकारों में उपलब्ध है, 21.5 इंच से लेकर 27 इंच तक और iMac Pro के लिए इससे भी बड़ा। डिस्प्ले जीवंत रंगों और तेज विवरणों के साथ उच्च-रिज़ॉल्यूशन दृश्य प्रदान करते हैं, जो उन्हें रचनात्मक पेशेवरों, मल्टीमीडिया कार्यों और रोजमर्रा की कंप्यूटिंग के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
  • प्रदर्शन: iMac मॉडल शक्तिशाली प्रोसेसर, पर्याप्त रैम और तेज़ स्टोरेज विकल्पों से लैस हैं, जो सामग्री निर्माण, मल्टीमीडिया संपादन और सामान्य उत्पादकता जैसे कार्यों के लिए उत्कृष्ट प्रदर्शन प्रदान करते हैं। ग्राफ़िक्स प्रदर्शन पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, उच्च-स्तरीय मॉडलों पर समर्पित ग्राफ़िक्स कार्ड उपलब्ध हैं।
  • macOS एकीकरण: iMacs Apple के macOS ऑपरेटिंग सिस्टम को चलाता है, जो अन्य Apple उपकरणों, सेवाओं और सॉफ़्टवेयर के साथ सहज एकीकरण की पेशकश करता है। यह एकीकरण उपयोगकर्ताओं को फ़ाइलों को आसानी से सिंक्रनाइज़ और स्थानांतरित करने, हैंडऑफ़ और साइडकार जैसी निरंतरता सुविधाओं का उपयोग करने और macOS पारिस्थितिकी तंत्र से लाभ उठाने की अनुमति देता है।
  • कनेक्टिविटी और पोर्ट: iMacs में बाह्य उपकरणों और बाह्य उपकरणों को जोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के पोर्ट शामिल होते हैं। इनमें आम तौर पर यूएसबी, थंडरबोल्ट और ईथरनेट पोर्ट, साथ ही एक ऑडियो जैक और एक एसडी कार्ड स्लॉट शामिल हैं। नए मॉडल में यूएसबी-सी/थंडरबोल्ट 3 पोर्ट भी हो सकते हैं।
  • रेटिना डिस्प्ले: हाल के वर्षों में, कई आईमैक मॉडल में रेटिना डिस्प्ले शामिल हैं, जो स्पष्ट और विस्तृत दृश्यों के लिए उच्च पिक्सेल घनत्व प्रदान करते हैं। रेटिना डिस्प्ले छवि संपादन, वीडियो प्लेबैक और सामान्य कंप्यूटर उपयोग जैसे कार्यों के लिए बेहतर देखने का अनुभव प्रदान करता है।
  • iMac Pro: Apple ने उन पेशेवर उपयोगकर्ताओं को लक्षित करते हुए 2017 में iMac Pro पेश किया, जिन्हें उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग की आवश्यकता होती है। आईमैक प्रो शक्तिशाली प्रोसेसर, उन्नत ग्राफिक्स और व्यापक मेमोरी और स्टोरेज विकल्पों सहित वर्कस्टेशन-क्लास विनिर्देश प्रदान करता है।

सामान्य उपभोक्ताओं से लेकर पेशेवरों तक, विभिन्न उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए iMac समय के साथ विकसित हुआ है। शक्तिशाली प्रदर्शन, आकर्षक डिज़ाइन और macOS के साथ एकीकरण के संयोजन ने इसे विश्वसनीय और स्टाइलिश डेस्कटॉप कंप्यूटर चाहने वालों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बना दिया है।

आईट्यून्स ऐप्पल

आईट्यून्स ऐप्पल इंक द्वारा विकसित एक मीडिया प्लेयर, मीडिया लाइब्रेरी और मोबाइल डिवाइस प्रबंधन एप्लिकेशन था। इसे पहली बार जनवरी 2001 में पेश किया गया था और मैक कंप्यूटर, आईपॉड, आईफ़ोन और आईपैड सहित ऐप्पल उपकरणों पर मीडिया सामग्री के प्रबंधन के लिए प्राथमिक सॉफ्टवेयर के रूप में कार्य किया गया था। . आईट्यून्स के बारे में कुछ मुख्य विवरण यहां दिए गए हैं:

  • मीडिया प्रबंधन: आईट्यून्स ने उपयोगकर्ताओं को संगीत, वीडियो, फिल्में, टीवी शो, पॉडकास्ट और ऑडियोबुक सहित अपने डिजिटल मीडिया को व्यवस्थित करने और चलाने की अनुमति दी। इसने एक व्यापक पुस्तकालय प्रबंधन प्रणाली प्रदान की, जो उपयोगकर्ताओं को प्लेलिस्ट बनाने, सामग्री को वर्गीकृत करने और सभी डिवाइसों में मीडिया को सिंक करने की अनुमति देती है।
  • म्यूजिक स्टोर: आईट्यून्स की उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक आईट्यून्स स्टोर का एकीकरण था, जो उपयोगकर्ताओं को संगीत, संगीत वीडियो, फिल्में, टीवी शो और बहुत कुछ खरीदने और डाउनलोड करने की अनुमति देता था। आईट्यून्स स्टोर ने डिजिटल संगीत उद्योग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो कानूनी संगीत डाउनलोड के लिए सबसे बड़े प्लेटफार्मों में से एक बन गया।
  • सिंक्रोनाइज़ेशन: Apple उपकरणों के बीच मीडिया सामग्री को सिंक करने के लिए iTunes केंद्रीय केंद्र के रूप में कार्य करता है। उपयोगकर्ता अपने आईपॉड, आईफ़ोन और आईपैड को अपने कंप्यूटर से कनेक्ट कर सकते हैं और संगीत, वीडियो, फ़ोटो और अन्य मीडिया फ़ाइलों को अपने डिवाइस पर स्थानांतरित करने के लिए आईट्यून्स का उपयोग कर सकते हैं।
  • आईट्यून्स मैच और ऐप्पल म्यूज़िक: बाद के वर्षों में, ऐप्पल ने आईट्यून्स मैच और ऐप्पल म्यूज़िक जैसी सेवाएँ पेश कीं, जिससे आईट्यून्स की क्षमताओं का विस्तार हुआ। आईट्यून्स मैच ने उपयोगकर्ताओं को अपने संगीत पुस्तकालयों को क्लाउड में संग्रहीत करने और विभिन्न उपकरणों से उन तक पहुंचने की अनुमति दी। Apple Music ने सदस्यता-आधारित स्ट्रीमिंग सेवा की पेशकश की, जो गानों की विशाल लाइब्रेरी तक पहुंच प्रदान करती है।
  • मैक और विंडोज पर आईट्यून्स: आईट्यून्स मैक और विंडोज दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध था, जो विभिन्न प्लेटफार्मों के उपयोगकर्ताओं को अपनी मीडिया लाइब्रेरी प्रबंधित करने और आईट्यून्स स्टोर तक पहुंचने में सक्षम बनाता था। एप्लिकेशन ने विभिन्न उपकरणों पर एक सुसंगत अनुभव प्रदान किया।
  • बंद करना: 2019 में, Apple ने घोषणा की कि iTunes को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा और उसकी जगह संगीत, पॉडकास्ट और टीवी के लिए अलग-अलग ऐप लाए जाएंगे। यह बदलाव macOS कैटालिना की रिलीज़ और उसके बाद के अपडेट के साथ आया, जहां iTunes द्वारा पहले दी गई कार्यक्षमता को समर्पित अनुप्रयोगों में विभाजित किया गया था।

जबकि आईट्यून्स को एक स्टैंडअलोन एप्लिकेशन के रूप में बंद कर दिया गया है, इसकी विरासत अभी भी ऐप्पल के संगीत, पॉडकास्ट और टीवी ऐप्स के रूप में मौजूद है। ये ऐप्स मीडिया सामग्री को प्रबंधित करने और Apple उपकरणों पर डिजिटल स्टोर तक पहुंचने के समान उद्देश्य को पूरा करना जारी रखते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को एक सहज और सहज मीडिया अनुभव मिलता है।

आईपॉड एप्पल इंक द्वारा निर्मित पोर्टेबल मीडिया प्लेयर्स की एक श्रृंखला है। इसने लोगों के संगीत सुनने के तरीके में क्रांति ला दी और डिजिटल संगीत उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पहला आईपॉड अक्टूबर 2001 में पेश किया गया था, और तब से उत्पाद श्रृंखला कई पुनरावृत्तियों और विविधताओं से गुज़री है। यहां आईपॉड के बारे में कुछ मुख्य विवरण दिए गए हैं:

  • पोर्टेबल म्यूजिक प्लेयर: आईपॉड को एक पोर्टेबल डिवाइस के रूप में डिजाइन किया गया था, जो उपयोगकर्ताओं को जहां भी वे जाते थे, अपने संगीत संग्रह को अपने साथ ले जाने की अनुमति देता था। इसने सीडी या कैसेट टेप ले जाने का एक सुविधाजनक और कॉम्पैक्ट विकल्प पेश किया।
  • क्लिक व्हील इंटरफ़ेस: शुरुआती आईपॉड मॉडल की परिभाषित विशेषताओं में से एक क्लिक व्हील था, एक गोलाकार स्पर्श-संवेदनशील नियंत्रण जो उपयोगकर्ताओं को अपनी संगीत लाइब्रेरी के माध्यम से जल्दी से नेविगेट करने की अनुमति देता था। क्लिक व्हील ने गानों की लंबी सूची में स्क्रॉल करना और वॉल्यूम समायोजित करना आसान बना दिया।
  • आईट्यून्स इंटीग्रेशन: आईपॉड एप्पल के मीडिया प्रबंधन सॉफ्टवेयर आईट्यून्स के साथ मिलकर काम करता है। उपयोगकर्ता अपने आईपॉड को अपने कंप्यूटर से कनेक्ट करेंगे, अपनी संगीत लाइब्रेरी को आईट्यून्स के साथ सिंक करेंगे, और डिवाइस पर गाने ट्रांसफर करेंगे। आईट्यून्स ने प्लेलिस्ट को व्यवस्थित करने और आईट्यून्स स्टोर से संगीत खरीदने का एक तरीका भी प्रदान किया।
  • क्षमता और भंडारण: आइपॉड मॉडल भंडारण क्षमता के संदर्भ में भिन्न थे, बाद के पुनरावृत्तियों में कुछ गीगाबाइट से लेकर कई सौ गीगाबाइट तक। इसने उपयोगकर्ताओं को हजारों गाने संग्रहीत करने की अनुमति दी, जिससे यह एक पोर्टेबल संगीत लाइब्रेरी बन गई।
  • विस्तार और विशेषताएं: समय के साथ, आईपॉड लाइनअप का विस्तार विभिन्न मॉडलों को शामिल करने के लिए किया गया, जैसे कि आईपॉड मिनी, आईपॉड नैनो, आईपॉड शफल और आईपॉड टच। प्रत्येक मॉडल ने विभिन्न उपयोगकर्ता प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए अलग-अलग आकार, सुविधाएँ और रूप कारक पेश किए।
  • संगीत से परे: संगीत प्लेबैक के अलावा, आईपॉड ने अतिरिक्त कार्यक्षमताएं पेश कीं। कुछ मॉडलों में वीडियो प्लेबैक क्षमताएं शामिल थीं, जिससे उपयोगकर्ता फिल्में, टीवी शो और संगीत वीडियो देख सकते थे। आइपॉड टच, विशेष रूप से, एक टचस्क्रीन इंटरफ़ेस और विभिन्न ऐप्स तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे यह एक हैंडहेल्ड कंप्यूटर की तरह बन जाता है।
  • संगीत उद्योग पर प्रभाव: आईपॉड ने आईट्यून्स स्टोर के साथ मिलकर भौतिक मीडिया से डिजिटल संगीत में बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने डिजिटल संगीत डाउनलोड की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया और लोगों के लिए अपने संगीत को खरीदना, व्यवस्थित करना और चलते-फिरते सुनना आसान बना दिया।
  • विरासत: जबकि स्मार्टफोन के उदय के साथ समर्पित पोर्टेबल मीडिया प्लेयर्स की लोकप्रियता में गिरावट आई है, आईपॉड का प्रभाव निर्विवाद है। इसने संगीत उद्योग को नया आकार देने में मदद की, डिजिटल स्ट्रीमिंग क्रांति के लिए मंच तैयार किया और भविष्य के Apple उपकरणों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।

आईपॉड के आकर्षक डिज़ाइन, सहज ज्ञान युक्त इंटरफ़ेस और व्यापक संगीत भंडारण क्षमताओं के संयोजन ने इसे पोर्टेबल म्यूजिक प्लेयर्स की दुनिया में गेम-चेंजर बना दिया। इसने इस बात पर स्थायी प्रभाव छोड़ा कि लोग संगीत का उपभोग कैसे करते हैं और प्रौद्योगिकी और डिजिटल मीडिया में सबसे आगे एक अभिनव कंपनी के रूप में एप्पल की प्रतिष्ठा में योगदान दिया।

  • iPhone, Apple Inc. द्वारा निर्मित और विपणन किए गए स्मार्टफोन की एक श्रृंखला है। इसने मोबाइल फोन उद्योग में क्रांति ला दी और सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में से एक बन गया। पहला iPhone 2007 में पेश किया गया था, और तब से उत्पाद श्रृंखला में कई अद्यतन और पुनरावृत्तियाँ हुई हैं। यहां iPhone के बारे में कुछ मुख्य विवरण दिए गए हैं:
  • टचस्क्रीन इंटरफ़ेस: iPhone की परिभाषित विशेषताओं में से एक इसका टचस्क्रीन इंटरफ़ेस है। भौतिक बटन वाले पारंपरिक मोबाइल फोन के विपरीत, iPhone ने एक मल्टी-टच डिस्प्ले पेश किया जो उपयोगकर्ताओं को टैपिंग, स्वाइपिंग और पिंचिंग जैसे इशारों का उपयोग करके डिवाइस के साथ बातचीत करने की अनुमति देता है।
  • iOS ऑपरेटिंग सिस्टम: iPhone Apple के iOS ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलता है, जो उपयोगकर्ता के अनुकूल और सहज इंटरफ़ेस प्रदान करता है। iOS अन्य Apple उपकरणों और सेवाओं के साथ-साथ ऐप स्टोर तक पहुंच प्रदान करता है, जहां उपयोगकर्ता कई प्रकार के एप्लिकेशन डाउनलोड कर सकते हैं।
  • इंटरनेट कनेक्टिविटी और संचार: iPhone ने उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट से जुड़ने और वेब ब्राउजिंग, ईमेल, मैसेजिंग, सोशल मीडिया और अन्य सहित विभिन्न ऑनलाइन सेवाओं तक पहुंचने में सक्षम बनाया। इसने सुविधा और कनेक्टिविटी का एक नया स्तर पेश किया, जिससे उपयोगकर्ता जहां भी हों, जुड़े रहने में सक्षम हुए।
  • ऐप स्टोर और थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन: 2008 में पेश किए गए ऐप स्टोर ने डेवलपर्स को iPhone के लिए थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन बनाने और वितरित करने की अनुमति दी। इससे संभावनाओं की दुनिया खुल गई, क्योंकि उपयोगकर्ता उत्पादकता, मनोरंजन, शिक्षा और अनगिनत अन्य उद्देश्यों के लिए ऐप्स डाउनलोड और इंस्टॉल कर सकते थे, जिससे डिवाइस की कार्यक्षमता में काफी विस्तार हुआ।
  • कैमरा और मल्टीमीडिया क्षमताएं: iPhone ने हमेशा मल्टीमीडिया क्षमताओं पर जोर दिया है, जिसमें फ़ोटो और वीडियो कैप्चर करने के लिए एक अंतर्निहित कैमरा भी शामिल है। पिछले कुछ वर्षों में, कैमरों की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है, जिससे उपयोगकर्ता उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें लेने, वीडियो रिकॉर्ड करने और यहां तक कि वीडियो कॉल में भाग लेने में सक्षम हो गए हैं।
  • डिज़ाइन और फॉर्म फ़ैक्टर: iPhone कई डिज़ाइन परिवर्तनों और फॉर्म फ़ैक्टर से गुज़रा है, जिसमें मूल iPhone के आयताकार आकार से लेकर किनारे-से-किनारे डिस्प्ले और न्यूनतम बेज़ेल्स वाले नवीनतम मॉडल तक शामिल हैं। डिज़ाइन चिकना, पतला और देखने में आकर्षक बन गया है।
  • सुरक्षा और गोपनीयता: Apple ने iPhone के साथ सुरक्षा और गोपनीयता पर ज़ोर दिया है। टच आईडी (फिंगरप्रिंट पहचान) और फेस आईडी (चेहरे की पहचान) जैसी सुविधाएं डिवाइस को अनलॉक करने और उपयोगकर्ता की पहचान प्रमाणित करने के लिए सुविधाजनक और सुरक्षित तरीके प्रदान करती हैं।
  • नियमित अपडेट और पुनरावृत्ति: ऐप्पल सालाना या द्विवार्षिक रूप से नए आईफोन मॉडल जारी करता है, प्रत्येक प्रदर्शन, कैमरा क्षमताओं, बैटरी जीवन, डिस्प्ले तकनीक और बहुत कुछ में सुधार पेश करता है। ये अपडेट सुनिश्चित करते हैं कि उपयोगकर्ताओं के पास नवीनतम सुविधाओं और प्रौद्योगिकियों तक पहुंच हो।

मोबाइल उद्योग पर iPhone के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता। इसने टचस्क्रीन स्मार्टफोन की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया और डिज़ाइन, उपयोगकर्ता अनुभव और कार्यक्षमता के लिए नए मानक स्थापित किए। iPhone एक अत्यधिक मांग वाला उपकरण बना हुआ है, प्रत्येक नया संस्करण एक स्मार्टफोन क्या कर सकता है इसकी सीमाओं को आगे बढ़ाता है।

आईपैड ऐप्पल इंक द्वारा बनाई गई टैबलेट कंप्यूटरों की एक श्रृंखला है। इसे पहली बार 2010 में पेश किया गया था और तब से यह बाजार में सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली टैबलेट उपकरणों में से एक बन गया है। आईपैड कंप्यूटर की कार्यक्षमता को टैबलेट की पोर्टेबिलिटी और सुविधा के साथ जोड़ता है। यहां आईपैड के बारे में कुछ मुख्य विवरण दिए गए हैं:

  • टैबलेट डिज़ाइन और फॉर्म फैक्टर: आईपैड में एक बड़े टचस्क्रीन डिस्प्ले और कोई भौतिक कीबोर्ड नहीं होने के साथ स्लेट जैसा डिज़ाइन है। यह हल्का और पोर्टेबल है, जिससे इसे कहीं भी ले जाना और उपयोग करना आसान हो जाता है। पिछले कुछ वर्षों में iPad का आकार अलग-अलग रहा है, जिसमें मानक 9.7-इंच मॉडल से लेकर बड़े 12.9-इंच iPad Pro तक के विकल्प शामिल हैं।
  • टचस्क्रीन और मल्टी-टच इंटरफ़ेस: iPad ने एक मल्टी-टच इंटरफ़ेस पेश किया जो उपयोगकर्ताओं को टैपिंग, स्वाइपिंग और पिंचिंग जैसे इशारों का उपयोग करके डिवाइस के साथ बातचीत करने की अनुमति देता है। स्पर्श-संवेदनशील डिस्प्ले सटीक इनपुट और सहज नेविगेशन सक्षम करता है, जिससे वेब ब्राउज़ करना, गेम खेलना और विभिन्न एप्लिकेशन का उपयोग करना आसान हो जाता है।
  • iOS ऑपरेटिंग सिस्टम: iPhone के समान, iPad Apple के iOS ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलता है, जो एक परिचित और उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस प्रदान करता है। उपयोगकर्ता विशेष रूप से iPad के लिए डिज़ाइन किए गए एप्लिकेशन की एक विस्तृत श्रृंखला को डाउनलोड और इंस्टॉल करने के लिए ऐप स्टोर तक पहुंच सकते हैं।
  • उत्पादकता और रचनात्मकता: स्प्लिट-स्क्रीन मल्टीटास्किंग, ऐप्पल पेंसिल सपोर्ट और कीबोर्ड एक्सेसरीज़ जैसी सुविधाओं के साथ आईपैड एक शक्तिशाली उत्पादकता उपकरण बन गया है। यह उपयोगकर्ताओं को दस्तावेज़ बनाने और संपादित करने, स्केच और ड्रॉ करने, पीडीएफ को एनोटेट करने और आमतौर पर कंप्यूटर से जुड़े अन्य कार्य करने की अनुमति देता है।
  • मीडिया उपभोग और मनोरंजन: आईपैड एक समृद्ध मल्टीमीडिया अनुभव प्रदान करता है, जो उपयोगकर्ताओं को फिल्में, टीवी शो और वीडियो देखने, संगीत सुनने, किताबें और पत्रिकाएं पढ़ने और गेम खेलने की अनुमति देता है। उच्च-रिज़ॉल्यूशन रेटिना डिस्प्ले और शक्तिशाली स्पीकर एक गहन मनोरंजन अनुभव में योगदान करते हैं।
  • iCloud और Apple इकोसिस्टम इंटीग्रेशन: iPad iCloud के माध्यम से अन्य Apple डिवाइस और सेवाओं के साथ सहजता से एकीकृत हो जाता है। यह कई डिवाइसों में फ़ोटो, दस्तावेज़ और ऐप डेटा जैसी सामग्री के आसान सिंक्रनाइज़ेशन की अनुमति देता है। आईपैड हैंडऑफ़ जैसी सुविधाओं का भी समर्थन करता है, जो फोन कॉल का जवाब देने या किसी ऐप में जहां आपने छोड़ा था उसे शुरू करने जैसे कार्यों के लिए उपकरणों के बीच निरंतरता को सक्षम बनाता है।
  • सुरक्षा और गोपनीयता: Apple iPad के साथ सुरक्षा और गोपनीयता पर ज़ोर देता है। इसमें सुरक्षित डिवाइस अनलॉकिंग और सुरक्षित लेनदेन के लिए टच आईडी या फेस आईडी जैसी सुविधाएं शामिल हैं। आईपैड उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा के लिए मजबूत एन्क्रिप्शन और गोपनीयता सेटिंग्स भी नियोजित करता है।
  • नियमित अपडेट और पुनरावृत्तियाँ: Apple नियमित आधार पर नए iPad मॉडल जारी करता है, प्रदर्शन, डिस्प्ले तकनीक, कैमरा क्षमताओं और बहुत कुछ में सुधार पेश करता है। ये अपडेट सुनिश्चित करते हैं कि उपयोगकर्ताओं के पास नवीनतम सुविधाओं और सुधारों तक पहुंच हो।

आईपैड एक बहुमुखी उपकरण बन गया है जो उत्पादकता और रचनात्मकता से लेकर मीडिया उपभोग और मनोरंजन तक विभिन्न जरूरतों को पूरा करता है। उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस, शक्तिशाली हार्डवेयर और अनुप्रयोगों के विशाल पारिस्थितिकी तंत्र के संयोजन ने इसे पोर्टेबल और बहुमुखी कंप्यूटिंग अनुभव चाहने वाले व्यक्तियों, छात्रों, पेशेवरों और रचनात्मक उपयोगकर्ताओं के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बना दिया है।

व्यक्तिगत जीवन ,शादी

स्टीव जॉब्स ने 18 मार्च 1991 को लॉरेन पॉवेल जॉब्स से शादी की। लॉरेन पॉवेल जॉब्स एक उद्यमी और व्यवसायी महिला हैं, साथ ही एक सामाजिक प्रभाव संगठन एमर्सन कलेक्टिव की संस्थापक भी हैं। इस जोड़े की मुलाकात तब हुई जब स्टीव जॉब्स स्टैनफोर्ड बिजनेस स्कूल में व्याख्यान दे रहे थे, जहाँ लॉरेन एक छात्र थी। उनके तीन बच्चे एक साथ थे: रीड, एरिन और ईव।

स्टीव जॉब्स की लॉरेन पॉवेल जॉब्स से शादी को एक प्यार भरा और सहयोगात्मक रिश्ता बताया गया। लॉरेन स्टीव जॉब्स के विभिन्न व्यावसायिक प्रयासों के दौरान उनके साथ खड़ी रहीं, जिनमें ऐप्पल, नेक्स्ट, पिक्सर में बिताया गया समय और अंततः ऐप्पल में उनकी वापसी शामिल है। वह एक निजी व्यक्ति के रूप में जानी जाती थीं और लोगों की नज़रों से दूर रहना पसंद करती थीं, लेकिन उन्होंने स्टीव जॉब्स के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्टीव जॉब्स और लॉरेन पॉवेल जॉब्स की शादी 5 अक्टूबर, 2011 को स्टीव जॉब्स की मृत्यु तक हुई थी। उनकी शादी 20 साल से अधिक समय तक चली और साझा मूल्यों और आपसी समर्थन द्वारा चिह्नित की गई थी।

स्टीव जॉब्स की पारिवारिक संरचना जटिल थी। यहाँ उनके परिवार का एक सिंहावलोकन है:

पिता: अब्दुलफत्ताह जंदाली सीरियाई राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और रेनो, नेवादा में एक कैसीनो के उपाध्यक्ष थे। बाद में वह एक रेस्तरां मालिक बन गये। मां: जोआन शिबल स्विस-जर्मन मूल की अमेरिकी थीं। उन्होंने एक भाषण चिकित्सक और बाद में एक शिक्षक के रूप में काम किया।

  • दत्तक माता – पिता:

पिता: पॉल जॉब्स एक मशीनिस्ट और तटरक्षक अनुभवी थे। उन्होंने एक मैकेनिक के रूप में काम किया और स्टीव को बुनियादी इलेक्ट्रॉनिक्स सिखाया। माँ: क्लारा जॉब्स एक अकाउंटेंट थीं। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और शिक्षा में स्टीव की रुचि का समर्थन किया।

बहन: मोना सिम्पसन एक उपन्यासकार और प्रोफेसर हैं। स्टीव जॉब्स जीवन के अंतिम दिनों तक उनसे नहीं मिले, और उनके बीच घनिष्ठ संबंध बन गए।

  • पत्नी और बच्चे:

पत्नी: लॉरेन पॉवेल जॉब्स एक उद्यमी और परोपकारी हैं। उन्होंने प्राकृतिक खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनी टेरावेरा की सह-स्थापना की और वह एक सामाजिक प्रभाव संगठन एमर्सन कलेक्टिव की संस्थापक हैं। बच्चे: स्टीव जॉब्स और लॉरेन पॉवेल जॉब्स के तीन बच्चे हैं: रीड जॉब्स (जन्म 1991) एरिन जॉब्स (जन्म 1995) ईव जॉब्स (जन्म 1998)

  • पिछले रिश्ते से बेटी:

लिसा ब्रेनन-जॉब्स, क्रिसैन ब्रेनन के साथ रिश्ते से स्टीव जॉब्स की बेटी हैं। प्रारंभ में, स्टीव ने पितृत्व से इनकार किया लेकिन बाद में स्वीकार किया और लिसा के साथ एक रिश्ता विकसित किया।

कुल मिलाकर, स्टीव जॉब्स के परिवार ने उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके साथ उनके अनुभवों, विशेष रूप से उनकी बेटी लिसा के साथ उनके संबंधों ने उनकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक यात्रा को प्रभावित किया।

स्टीव जॉब्स अपने जीवनकाल के दौरान अपने परोपकार के लिए व्यापक रूप से जाने नहीं गए थे। हालाँकि, उनकी मृत्यु के बाद, यह पता चला कि वह निजी तौर पर कुछ धर्मार्थ गतिविधियों में लगे हुए थे। यहां उनके परोपकारी प्रयासों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

  • जॉब्स फैमिली फाउंडेशन: स्टीव जॉब्स ने अपनी पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स के साथ मिलकर जॉब्स फैमिली फाउंडेशन की स्थापना की। फाउंडेशन शैक्षिक कारणों, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक कल्याण पहलों का समर्थन करने पर केंद्रित है। हालाँकि, फाउंडेशन ने अपेक्षाकृत कम प्रोफ़ाइल के साथ काम किया है।
  • स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को दान: स्टीव जॉब्स ने वर्षों से अपने अल्मा मेटर, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को दान दिया है। 2006 में, उन्होंने जोन और जॉन ए. क्लाइन सेंटर फॉर न्यूरोबायोलॉजी और बायोइंजीनियरिंग क्वाड के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • गोपनीयता में धर्मार्थ योगदान: जॉब्स ने अपनी परोपकारी गतिविधियों को निजी रखना पसंद किया। उन्होंने सक्रिय रूप से सार्वजनिक मान्यता नहीं मांगी या बड़े पैमाने पर दान नहीं दिया जिसे उनके जीवनकाल के दौरान व्यापक रूप से प्रचारित किया गया था।

यह ध्यान देने योग्य है कि स्टीव जॉब्स को मुख्य रूप से उनके परोपकार के बजाय उनके उद्यमशीलता और तकनीकी योगदान के लिए पहचाना गया था। हालाँकि, उनकी विधवा, लॉरेन पॉवेल जॉब्स, अपने संगठन, इमर्सन कलेक्टिव के माध्यम से परोपकारी क्षेत्र में अधिक दिखाई देने लगी हैं, जो शिक्षा, आप्रवासन और पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित है।

हालाँकि स्टीव जॉब्स की परोपकारी गतिविधियाँ कुछ अन्य तकनीकी उद्योग के नेताओं की तरह प्रमुख नहीं रही होंगी, लेकिन आईफोन, आईपैड और मैकिंटोश कंप्यूटर सहित अपने नवाचारों और रचनाओं के माध्यम से दुनिया पर उनके प्रभाव का महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पड़ा है।

वर्षवार सम्मान एवं पुरस्कार

पिछले कुछ वर्षों में स्टीव जॉब्स द्वारा प्राप्त कुछ उल्लेखनीय सम्मान और पुरस्कार यहां दिए गए हैं:

  • 1985 – राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पदक (स्टीव वोज्नियाक के साथ संयुक्त रूप से प्राप्त): यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पर्सनल कंप्यूटर के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान का सम्मान करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया था।
  • 1991 – सार्वजनिक सेवा के लिए जेफरसन पुरस्कार: स्टीव जॉब्स को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों और नवाचार को आगे बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए मान्यता दी गई थी।
  • 2007 – फाइनेंशियल टाइम्स पर्सन ऑफ द ईयर: आईफोन की शुरुआत के साथ प्रौद्योगिकी उद्योग पर उनके परिवर्तनकारी प्रभाव के लिए फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा जॉब्स को पर्सन ऑफ द ईयर नामित किया गया था।
  • 2009 – फॉर्च्यून के दशक के सीईओ: फॉर्च्यून पत्रिका ने एप्पल की सफलता के लिए उनके असाधारण नेतृत्व और दूरदर्शी दृष्टिकोण को स्वीकार करते हुए, स्टीव जॉब्स को यह उपाधि प्रदान की।
  • 2010 – कैलिफ़ोर्निया हॉल ऑफ़ फ़ेम इंडक्शन: राज्य के प्रौद्योगिकी उद्योग में उनके प्रभावशाली योगदान को मान्यता देते हुए, जॉब्स को मरणोपरांत कैलिफ़ोर्निया हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल किया गया था।
  • 2011 – ग्रैमी ट्रस्टीज़ अवार्ड (एप्पल इंक के साथ संयुक्त रूप से प्राप्त): ग्रैमी ट्रस्टीज़ अवार्ड स्टीव जॉब्स और ऐप्पल इंक को आईपॉड और आईट्यून्स जैसे उत्पादों के माध्यम से संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया था।
  • 2012 – डिज़्नी लीजेंड्स अवार्ड: पिक्सर एनीमेशन स्टूडियो की स्थापना और सफलता में उनकी भूमिका के सम्मान में, जॉब्स को मरणोपरांत डिज़्नी लीजेंड्स अवार्ड से सम्मानित किया गया।

ये स्टीव जॉब्स को उनके करियर के दौरान प्राप्त सम्मान और पुरस्कारों के कुछ उदाहरण हैं। प्रौद्योगिकी उद्योग में उनके योगदान और कंप्यूटिंग, संगीत और एनीमेशन सहित विभिन्न क्षेत्रों पर उनके प्रभाव को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है और मनाया गया है।

यहां स्टीव जॉब्स के कुछ यादगार उद्धरण दिए गए हैं:

  • “स्टे हंग्री स्टे फ़ूलिश।” – स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय प्रारंभ पता, 2005
  • “आपका काम आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा भरने वाला है, और वास्तव में संतुष्ट होने का एकमात्र तरीका वह करना है जिसे आप महान कार्य मानते हैं। और महान कार्य करने का एकमात्र तरीका यह है कि आप जो करते हैं उससे प्यार करें।” – स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय प्रारंभ पता, 2005
  • “इनोवेशन एक नेता और एक अनुयायी में अंतर बताता है।”
  • “मुझे पता है कि यह याद रखना कि आप मरने वाले हैं, यह सोचने के जाल से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आपके पास खोने के लिए कुछ है। आप पहले से ही नग्न हैं। अपने दिल की बात न मानने का कोई कारण नहीं है।”
  • “जो लोग इतने पागल होते हैं कि सोचते हैं कि वे दुनिया बदल सकते हैं, वही लोग ऐसा करते हैं।”
  • “डिज़ाइन केवल वह नहीं है जो दिखता और महसूस होता है। डिज़ाइन यह है कि वह कैसे काम करता है।”
  • “कब्रिस्तान में सबसे अमीर आदमी होना मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता… रात को बिस्तर पर जाकर यह कहना कि हमने कुछ अद्भुत किया है… यही मेरे लिए मायने रखता है।”
  • “नवाचार हजारों चीजों को ना कहने से आता है।”
  • “मैं ब्रह्मांड में हलचल मचाना चाहता हूं।”

ये उद्धरण नवाचार के प्रति स्टीव जॉब्स के जुनून, अपने सपनों का पीछा करने और बदलाव लाने वाले उत्पाद बनाने के जुनून को दर्शाते हैं। वे उनकी मानसिकता और उनके करियर को निर्देशित करने वाले दर्शन के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

कुछ कम ज्ञात तथ्य

स्टीव जॉब्स के बारे में कुछ अनोखे तथ्य:.

1. कैलिग्राफी का जुनून: कॉलेज छोड़ने के बाद स्टीव जॉब्स ने एक कैलिग्राफी क्लास ली। इस क्लास से उन्होंने जो सीखा, उसका इस्तेमाल भविष्य में Apple उत्पादों के खूबसूरत फोंट्स में किया गया।

2. शाकाहारी और फल- प्रेमी: स्टीव जॉब्स काफी समय तक शाकाहारी रहे और फलों का बड़ा शौक रखते थे। उनका मानना था कि स्वस्थ्य खान-पान से दिमाग़ तेज़ होता है।

3. वास्तविकता का विकृति क्षेत्र (Reality Distortion Field): स्टीव जॉब्स को उनके करिश्माई व्यक्तित्व और चीजों को हासिल करने की ज़िद के लिए जाना जाता था। उन्हें “वास्तविकता का विकृति क्षेत्र” का उपनाम दिया गया था, क्योंकि वह असंभव चीजों को संभव बनाते थे।

4. उत्पादों के नामकरण की खासियत: स्टीव जॉब्स को उत्पादों के नाम रखने में बहुत रुचि थी। उनका मानना था कि एक अच्छा नाम उत्पाद की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, Macintosh का नाम उनके पसंदीदा सेब की किस्म से लिया गया है।

5. डिजाइन पर ज़ोर: स्टीव जॉब्स के लिए डिज़ाइन सर्वोपरि था। उनका मानना था कि टेक्नोलॉजी जितनी अच्छी हो, अगर उसका डिज़ाइन अच्छा नहीं है, तो लोग उसे इस्तेमाल नहीं करेंगे।

6. विपरीत राय स्वीकारना पसंद नहीं था: स्टीव जॉब्स अपने विचारों पर अडिग रहते थे और विपरीत राय उन्हें कम ही पसंद आती थी। हालांकि, उनकी इस आदत ने कई बार कुछ बेहतरीन फैसलों को भी रोक दिया।

7. बिल गेट्स से प्रतिस्पर्धा: स्टीव जॉब्स को माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स से एक तरह की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा थी। यह प्रतिस्पर्धा दोनों कंपनियों को नई ऊंचाइयों तक ले गई।

8. ब्लैक टर्टलनेक और जींस: स्टीव जॉब्स का ब्लैक टर्टलनेक और जींस का पहनावा उनका ट्रेडमार्क बन गया। उनका मानना था कि इससे उनका समय कपड़ों का चयन करने में बर्बाद नहीं होता और वो अपना ध्यान ज़्यादा महत्वपूर्ण चीजों पर लगा सकते हैं।

9. बौद्ध धर्म का प्रभाव: स्टीव जॉब्स बौद्ध धर्म के दर्शन और ध्यान से काफी प्रभावित थे। उनका मानना था कि इनसे उन्हें जीवन और काम में संतुलन बनाने में मदद मिली।

10. अपूर्णता को गले लगाना: स्टीव जॉब्स मानते थे कि कोई भी उत्पाद पूर्ण नहीं होता और हमेशा सुधार की गुंजाइश रहती है। उनका मानना था कि अपूर्णता को स्वीकारना और लगातार सुधार करना ही सफलता की कुंजी है। ये कुछ ऐसे अनोखे तथ्य हैं जो स्टीव जॉब्स को खास बनाते थे। उन्होंने न केवल टेक्नोलॉजी जगत में क्रांति ला दी, बल्कि अपने अद्वितीय व्यक्तित्व और काम करने के तरीके से भी लोगों को प्रेरित किया।

·  स्टीव जॉब्स इ.एम. राजस्वामी द्वारा: यह पुस्तक स्टीव जॉब्स के जीवन और करियर का एक संक्षिप्त अवलोकन प्रदान करती है। यह उनकी प्रारंभिक जीवन, Apple की सह-स्थापना, और कंपनी को सफलता की ओर ले जाने में उनकी भूमिका को शामिल करता है।

·  इनोवेशन की कहानी : कैसे स्टीव जॉब्स ने Apple को शीर्ष पर पहुंचाया वाल्टर आइजैकसन द्वारा: यह पुस्तक स्टीव जॉब्स की अधिक गहराई से जीवनी है। यह उनके बचपन, उनके व्यक्तिगत जीवन और उनके व्यावसायिक जीवन दोनों का पता लगाता है। यह Apple के इतिहास और जॉब्स की कंपनी को चलाने के दर्शन में भी गहराई से जाता है।

·  स्टीव जॉब्स : आदमी और मिथक केंट रिचर्ड्स द्वारा: यह पुस्तक स्टीव जॉब्स के बारे में कुछ सामान्य मिथकों को दूर करने का प्रयास करती है। यह उनके जटिल व्यक्तित्व और उनके नेतृत्व शैली की बारीकियों को बताती है।

·  स्टीव जॉब्स : सोच अलग , जीओ अलग कार्मिन गैलो द्वारा: यह पुस्तक स्टीव जॉब्स की सोच और प्रस्तुतीकरण शैली पर केंद्रित है। यह बताती है कि कैसे उन्होंने अपने दर्शकों को आकर्षित किया और उन्हें अपने विचारों में विश्वास दिलाया। ·  स्टीव जॉब्स का रहस्य ली क्लियोनार्ड द्वारा: यह पुस्तक स्टीव जॉब्स के रहस्यमय आभा और उनके करिश्मे के स्रोतों का पता लगाती है। यह उनकी उत्पाद प्रस्तुतियों, विपणन रणनीतियों और नेतृत्व शैली की जांच करती है।

सामान्य ज्ञान

स्टीव जॉब्स के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

  • शुरुआती जीवन : स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को हुआ था। उनका जन्म सन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना शुरुआती जीवन चिपियो, कैलिफोर्निया में बिताया।
  • एप्पल कंप्यूटर की स्थापना : स्टीव जॉब्स ने स्टीव वोझनियक और रोनाल्ड वेयन के साथ मिलकर 1976 में एप्पल कंप्यूटर की स्थापना की थी।
  • नेक्स्ट और पिक्सार : जॉब्स ने अपनी कंपनी “नेक्स्ट” और “पिक्सार” की स्थापना की, जिन्होंने उच्च स्तरीय कंप्यूटर्स और एनिमेशन बनाने के लिए विशेषज्ञता प्राप्त की।
  • आईपॉड , आईफ़ोन , आईपैड : स्टीव जॉब्स ने आईपॉड, आईफ़ोन, और आईपैड जैसे उपकरणों की शुरुआत की, जो तकनीकी उपयोगकर्ताओं के लिए क्रांतिकारी साबित हुए।
  • डिजनी का सदस्य : स्टीव जॉब्स ने 1986 में डिजनी के सदस्य बनने का एक सुनिश्चित किया था, जिसमें उन्होंने पिक्सार की डिजनी के साथ सौंपने की एक बड़ी सौगात की थी।
  • कैंसर का सामना : स्टीव जॉब्स ने पाँच वर्षों तक पैंक्रिएटिक कैंसर के साथ जूझा, लेकिन उनकी प्रेरणा और क्षमता ने उन्हें आगे बढ़ने की शक्ति दी। उन्होंने कैंसर के कारण 2011 में निधन किया।
  • करियर की पुनरारंभ : उन्होंने एप्पल में वापसी की, और उनका दोबारा करियर का आगाज़ नए उपकरणों की शृंगारलहर के साथ हुआ।
  • कल्पना का सुधारक : स्टीव जॉब्स को एक कल्पना का सुधारक माना जाता है जिन्होंने तकनीकी उत्पादों को अद्वितीय और उपयोगकर्ता अनुकूल बनाया।
  • कुर्सी से गिरते समय के विचार : स्टीव जॉब्स ने अपने अंतिम समय में अपनी बेहद अद्वितीय दृष्टिकोण से अपनी कुर्सी के साथ सम्बंधित रूचिकर विचार बांटे।
  • सिंगल कैंसर थेरेपी : उन्होंने अपने कैंसर का इलाज करवाने के लिए नैचुरोपैथी, यानी प्राकृतिक और सांस्कृतिक उपचार का समर्थन किया था। इससे उनकी कई बारी विचारशीलता और अनौपचारिकता का भी सुझाव है।

स्टीव जॉब्स का विवाद :

  • एप्पल विद्रोह (1985): स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंप्यूटर से 1985 में इस्तीफा दिया था और फिर उन्होंने एप्पल को छोड़ दिया। इसके पीछे कई कारण थे, जिसमें कंपनी के व्यापक विकास मार्ग को लेकर असहमति होना शामिल था।
  • नेक्स्ट कंप्यूटर्स का सुपरकॉम्प्यूटर विवाद (1989): स्टीव जॉब्स ने अपनी कंपनी “नेक्स्ट” के लिए एक उच्च प्रदर्शन सुपरकॉम्प्यूटर का निर्माण किया, जो कि उस समय के लिए अत्यंत महंगा था। इससे उच्च लागत के कारण यह उत्पाद बाजार में सफल नहीं हुआ और यह विवादों में मुबाशिर हो गया।
  • पिक्सार और डिजनी का विवाद (1989-2006): स्टीव जॉब्स ने पिक्सार का मालिकाना हिस्सा डिजनी को बेचने के लिए तैयार किया था, लेकिन यह सौदा सफल नहीं हो सका और इसमें विवाद उत्पन्न हुआ। अंत में, 2006 में डिजनी ने पिक्सार को $74 बिलियन में खरीद लिया।
  • आईफ़ोन रेडियो कंट्रोवर्सी (2010): स्टीव जॉब्स ने आईफ़ोन 4 को लेकर विभिन्न समस्याएँ सुलझाईं, लेकिन एक समस्या आई जिसमें जब आप आईफ़ोन को खास तरह से पकड़ते थे, तो उसका सिग्नल घटित हो जाता था। इसके बाद, उन्होंने उपयोगकर्ताओं को बताया कि यदि वे आईफ़ोन को खास तरह पकड़ेंगे तो इस समस्या का सामना करना होगा।
  • आईपैड प्रकटता की घटना (2010): स्टीव जॉब्स ने आईपैड का एक प्रकटता घटना के दौरान स्टेज पर प्रस्तुत करते समय एक सजगता की कमी दिखाई और यह वायरल हो गया कि उनका स्वास्थ्य गंभीर हो सकता है।
  • अंतराष्ट्रीय मैक्स विवाद (2012): उनकी आधिकारिक बायोग्राफी “स्टीव जॉब्स” में उनके जीवन की घटनाओं के कुछ अंशों पर आपत्ति उत्पन्न हुई, और उसे उनकी विवादित चरित्र के लिए तीव्र आलोचना का सामना करना पड़ा।

सामान्य प्रश्न

  • प्रश्न: स्टीव जॉब्स किस लिए प्रसिद्ध हैं? उत्तर: स्टीव जॉब्स Apple Inc. के सह-संस्थापक, पर्सनल कंप्यूटर, संगीत और स्मार्टफोन उद्योगों में क्रांति लाने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने मैकिंटोश, आईफोन और आईपैड जैसे प्रतिष्ठित उत्पादों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • प्रश्न: स्टीव जॉब्स का निधन कब हुआ? उत्तर: स्टीव जॉब्स का निधन 5 अक्टूबर 2011 को हुआ।
  • प्रश्न: स्टीव जॉब्स की नेतृत्व शैली क्या थी? उत्तर: स्टीव जॉब्स अपनी करिश्माई और दूरदर्शी नेतृत्व शैली के लिए जाने जाते थे। उनका विवरण पर गहरा ध्यान था, वे उत्कृष्टता की मांग करते थे, और अपनी टीमों को नवोन्मेषी और अभूतपूर्व उत्पाद बनाने के लिए प्रेरित करने की क्षमता रखते थे।
  • प्रश्न: क्या स्टीव जॉब्स के कोई भाई-बहन थे? उत्तर: स्टीव जॉब्स की एक बहन थी जिसका नाम मोना सिम्पसन था, जो एक उपन्यासकार और प्रोफेसर है। बाद में जीवन में उनके बीच घनिष्ठ संबंध विकसित हुए।
  • प्रश्न: लॉरेन पॉवेल जॉब्स का व्यवसाय क्या है? उत्तर: लॉरेन पॉवेल जॉब्स एक उद्यमी, व्यवसायी और परोपकारी हैं। वह एक सामाजिक प्रभाव संगठन एमर्सन कलेक्टिव की संस्थापक हैं, और शिक्षा, मीडिया और पर्यावरण पहल से संबंधित विभिन्न उपक्रमों में शामिल रही हैं।
  • प्रश्न: स्टीव जॉब्स के कितने बच्चे थे? उत्तर: स्टीव जॉब्स के चार बच्चे थे: रीड, एरिन और ईव, उनकी पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स और पिछले रिश्ते से लिसा ब्रेनन-जॉब्स।
  • प्रश्न: क्या स्टीव जॉब्स परोपकार में लगे थे? उत्तर: जबकि स्टीव जॉब्स के परोपकार को उनके जीवनकाल के दौरान व्यापक रूप से प्रचारित नहीं किया गया था, वह निजी तौर पर कुछ धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल हुए थे। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ जॉब्स फैमिली फाउंडेशन की स्थापना की और शिक्षा और चिकित्सा अनुसंधान जैसे कार्यों के लिए दान दिया।
  • प्रश्न: स्टीव जॉब्स की कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियाँ क्या थीं? उत्तर: स्टीव जॉब्स की कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियों में ऐप्पल इंक के सह-संस्थापक, मैकिंटोश, आईफोन और आईपैड जैसे उत्पादों के साथ कई उद्योगों में क्रांति लाना और प्रौद्योगिकी उद्योग में एक दूरदर्शी नेता और प्रर्वतक के रूप में पहचाने जाना शामिल है।
  • प्रश्न: स्टीव जॉब्स को प्राप्त कुछ पुरस्कार क्या थे? उत्तर: स्टीव जॉब्स को नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी, फॉर्च्यून के दशक के सीईओ और ग्रैमी ट्रस्टीज़ अवार्ड जैसे पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए।
  • प्रश्न: स्टीव जॉब्स के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण क्या थे? उत्तर: स्टीव जॉब्स के कुछ प्रसिद्ध उद्धरणों में शामिल हैं “भूखे रहो, मूर्ख रहो,” “नवाचार एक नेता और अनुयायी के बीच अंतर करता है,” और “डिज़ाइन केवल वह नहीं है जो दिखता है और जैसा महसूस होता है। डिज़ाइन यह है कि यह कैसे काम करता है।”
  • प्रश्न : स्टीव जॉब्स का असली नाम क्या था ?
  • उत्तर : स्टीवन पॉल जॉब्स
  • प्रश्न :  उनका जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
  • उत्तर :24 फरवरी, 1955, सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया, अमेरिका
  • प्रश्न : उनका निधन कब और कैसे हुआ ?
  • उत्तर : 5 अक्टूबर, 2011, पैलो अल्टो, कैलिफोर्निया, अमेरिका में अग्नाशय के कैंसर से
  • प्रश्न : उनकी उम्र क्या थी ?
  • उत्तर : 56 वर्ष
  • प्रश्न : उनका धर्म क्या था ?
  • उत्तर : औपचारिक तौर पर किसी धर्म से जुड़े नहीं थे, लेकिन बौद्ध दर्शन और ध्यान से काफी प्रभावित थे।
  • प्रश्न : उनकी पत्नी कौन थी ?
  • उत्तर :लॉरेन पॉवेल जॉब्स (1991-2011)
  • प्रश्न : उनके कितने बच्चे थे ?
  • उत्तर :चार (लीसा ब्रेنان-जॉब्स, एरिन सिनाइडर, रीड जॉब्स, इवा जॉब्स)
  • प्रश्न : उन्होंने कहाँ पढ़ाई की ?
  • उत्तर :रीड कॉलेज, पोर्टलैंड, ओरेगन में कुछ ही समय के लिए पढ़ाई की, लेकिन औपचारिक शिक्षा पूरी नहीं की।
  • प्रश्न : उन्होंने Apple की सह – स्थापना कब की ?
  • उत्तर :1976 में स्टीव वोज्नियाक और रोनाल्ड वेन के साथ
  • प्रश्न : Apple के अलावा , उनके कौन से अन्य उल्लेखनीय करियर उपलब्धियां थीं ?
  • उत्तर :उन्होंने Pixar Animation Studios को खरीदा और उसका पुनरुद्धार किया, इसके बाद The Walt Disney Company को खरीद लिया।
  • प्रश्न : उनकी कुल संपत्ति कितनी थी ?
  • उत्तर :उनकी मृत्यु के समय उनकी अनुमानित कुल संपत्ति $10.2 बिलियन थी।
  • प्रश्न : उनके बारे में कोई फिल्म बनी है क्या ?
  • उत्तर :2013 में उनके जीवन पर आधारित फिल्म “जॉब्स” बनी थी।
  • प्रश्न : उनके कुछ प्रसिद्ध उद्धरण क्या हैं ?
  • “रूका रहो, पागल रहो.”
  • “एकमात्र तरीका महान काम करना है यह मानना कि आप जो कर रहे हैं वह बहुत ही बढ़िया है.”
  • “ग्राहकों को नहीं पता कि वे क्या चाहते हैं जब तक आप उन्हें यह न दिखा दें.”
  • प्रश्न : क्या Apple उनके मरने के बाद भी सफल है ?
  • उत्तर :Apple दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक है और जॉब्स के विजन के तहत फलना-फूलना जारी है।

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मुकेश अंबानी जीवन परिचय | Fact | Quotes | Book | Net Worth | Mukesh Ambani Biography in Hindi

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मुकेश अंबानी एक भारतीय अरबपति व्यवसायी और पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग, तेल, दूरसंचार और खुदरा क्षेत्र में रुचि रखने वाले समूह रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के अध्यक्ष और सबसे बड़े शेयरधारक हैं। 19 अप्रैल, 1957 को जन्मे, वह रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक दिवंगत धीरूभाई अंबानी के बेटे हैं।

मुकेश अंबानी ने भारत के व्यापार परिदृश्य और अर्थव्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में, रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत और विश्व स्तर पर सबसे बड़ी और सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक बन गई है। मुकेश अंबानी से जुड़ी कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियाँ और उद्यम शामिल हैं:

  • रिलायंस जियो: मुकेश अंबानी के सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक 2016 में रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड (आमतौर पर Jio के रूप में जाना जाता है) का लॉन्च है। Jio ने किफायती डेटा और वॉयस सेवाओं की पेशकश करके भारतीय दूरसंचार उद्योग में क्रांति ला दी, जिससे इंटरनेट की पहुंच बढ़ी और बदलाव आया। जिस तरह भारतीय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं.
  • खुदरा विस्तार: मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल ने किराना, इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन और अन्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है, जो भारत की अग्रणी खुदरा श्रृंखलाओं में से एक बन गई है।
  • पेट्रोकेमिकल्स और रिफाइनिंग: रिलायंस इंडस्ट्रीज की पेट्रोकेमिकल्स और रिफाइनिंग क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति है, जो भारत की ऊर्जा जरूरतों और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
  • डिजिटल पहल: अंबानी भारत में डिजिटल परिवर्तन के समर्थक रहे हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और नवाचार के महत्व पर जोर देते हैं।
  • निवेश और अधिग्रहण: अंबानी के नेतृत्व में आरआईएल ने अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और विभिन्न उद्योगों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कई रणनीतिक निवेश और अधिग्रहण किए हैं।

मुकेश अंबानी के व्यापारिक कौशल और नेतृत्व ने उन्हें भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और प्रशंसा दिलाई है। वह लगातार दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार रहे हैं और भारत के व्यापार और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में उनके योगदान ने उन्हें वैश्विक व्यापार समुदाय में एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया है।

प्रारंभिक जीवन

मुकेश अंबानी का जन्म 19 अप्रैल 1957 को अदन, यमन में हुआ था, जब उनके पिता धीरूभाई अंबानी वहां कार्यरत थे। उनका परिवार बाद में भारत लौट आया और मुंबई (पूर्व में बॉम्बे) में बस गया। यहां मुकेश अंबानी के प्रारंभिक जीवन के बारे में कुछ मुख्य बातें दी गई हैं:

  • पारिवारिक पृष्ठभूमि: मुकेश अंबानी धीरूभाई अंबानी और कोकिलाबेन अंबानी के सबसे बड़े बेटे हैं। उनके दो भाई-बहन हैं, अनिल अंबानी और नीना कोठारी। उनके पिता, धीरूभाई अंबानी एक दूरदर्शी उद्यमी थे, जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की और भारत के व्यापार परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • शैक्षिक पृष्ठभूमि: मुकेश अंबानी ने अपनी शिक्षा भारत और विदेशों में हासिल की। उन्होंने मुंबई में इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (जिसे पहले यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी के नाम से जाना जाता था) से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। बाद में उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला लिया लेकिन अपने पिता के व्यवसाय में शामिल होने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी।
  • रिलायंस में प्रारंभिक भागीदारी : मुकेश अंबानी कम उम्र में ही अपने पिता के व्यवसाय में शामिल हो गए। वह 1981 में रिलायंस इंडस्ट्रीज में शामिल हुए और कंपनी के रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल व्यवसायों के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • बिजनेस विजन: अपने शुरुआती वर्षों के दौरान भी, मुकेश अंबानी ने एक मजबूत बिजनेस कौशल और विकास के लिए एक दृष्टिकोण प्रदर्शित किया। उन्होंने कंपनी की कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की कल्पना करने और उन्हें क्रियान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • सहोदर प्रतिद्वंद्विता: जैसे-जैसे धीरूभाई अंबानी का व्यापारिक साम्राज्य बढ़ता गया, कंपनी के स्वामित्व और नियंत्रण को लेकर मुकेश अंबानी और उनके छोटे भाई अनिल अंबानी के बीच तनाव पैदा हो गया। इस प्रतिद्वंद्विता के कारण अंततः उनके पिता की मृत्यु के बाद रिलायंस समूह में विभाजन हो गया।

मुकेश अंबानी का प्रारंभिक जीवन छोटी उम्र से ही अपने परिवार के व्यवसाय में शामिल होने और रिलायंस इंडस्ट्रीज के विस्तार और विविधीकरण में उनके योगदान से चिह्नित था। उनके समर्पण और नेतृत्व गुणों ने बाद के जीवन में भारत के व्यापार परिदृश्य में उनकी प्रमुख भूमिका की नींव रखी।

मुकेश अंबानी की शिक्षा ने व्यवसाय के बारे में उनकी शुरुआती समझ को आकार देने और बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज के विकास में उनके योगदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि का अवलोकन दिया गया है:

  • स्कूली शिक्षा: मुकेश अंबानी ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा मुंबई, भारत में पूरी की। उन्होंने मुंबई में हिल ग्रेंज हाई स्कूल और बाद में कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल में पढ़ाई की।
  • स्नातक की डिग्री : मुकेश अंबानी ने मुंबई में इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईसीटी), जिसे पहले यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (यूडीसीटी) के नाम से जाना जाता था, से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। आईसीटी एक प्रतिष्ठित संस्थान है जो रासायनिक और संबद्ध इंजीनियरिंग क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जाना जाता है।
  • स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय: अपनी स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद, मुकेश अंबानी ने संयुक्त राज्य अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई की। उन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस में दाखिला लिया लेकिन अंततः अपने पिता के व्यवसाय में अधिक सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया।

मुकेश अंबानी की शैक्षिक यात्रा ने उन्हें इंजीनियरिंग और व्यावसायिक सिद्धांतों में एक मजबूत आधार प्रदान किया। हालाँकि उन्होंने स्टैनफोर्ड में अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की, लेकिन उनके व्यावहारिक अनुभव और उनके पिता की सलाह के तहत रिलायंस इंडस्ट्रीज में शुरुआती भागीदारी ने एक सफल व्यवसायी के रूप में उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी शिक्षा और सीख को रिलायंस समूह की कंपनियों के भीतर नवाचार, विविधीकरण और विकास को बढ़ावा देने के लिए लागू किया।

मुकेश अंबानी का करियर मुख्य रूप से उनके पिता धीरूभाई अंबानी द्वारा स्थापित समूह, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) में उनके नेतृत्व और योगदान के आसपास केंद्रित रहा है। यहां उनके करियर और प्रमुख उपलब्धियों का अवलोकन दिया गया है:

  • रिलायंस में प्रारंभिक भागीदारी : केमिकल इंजीनियरिंग में अपनी प्रारंभिक शिक्षा और कुछ समय स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पूरी करने के बाद, मुकेश अंबानी 1981 में आधिकारिक तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज में शामिल हो गए। वह जल्द ही कंपनी के संचालन का एक अभिन्न अंग बन गए और व्यवसाय के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • पेट्रोकेमिकल वेंचर्स: मुकेश अंबानी के नेतृत्व में, आरआईएल ने पेट्रोकेमिकल उद्योग में महत्वपूर्ण प्रगति की। कंपनी ने खुद को पॉलिमर, फाइबर और अन्य रासायनिक उत्पादों सहित पेट्रोकेमिकल्स के उत्पादन में अग्रणी खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।
  • रिफाइनिंग व्यवसाय: मुकेश अंबानी ने आरआईएल के रिफाइनिंग व्यवसाय के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कंपनी ने गुजरात के जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी जमीनी स्तर की पेट्रोलियम रिफाइनरियों में से एक की स्थापना की। यह कॉम्प्लेक्स आरआईएल के परिचालन की आधारशिला बन गया, जिसने कंपनी की वृद्धि और सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • दूरसंचार क्रांति: मुकेश अंबानी के करियर के सबसे परिवर्तनकारी चरणों में से एक 2016 में रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड (आमतौर पर Jio के रूप में जाना जाता है) का लॉन्च था। Jio ने सस्ती हाई-स्पीड डेटा सेवाओं की पेशकश करके भारतीय दूरसंचार उद्योग को बाधित कर दिया, जिससे इंटरनेट पहुंच में वृद्धि हुई। और लाखों भारतीयों के मोबाइल फोन और इंटरनेट का उपयोग करने के तरीके को बदल रहा है।
  • विविधीकरण और खुदरा विस्तार : मुकेश अंबानी ने खुदरा सहित विभिन्न क्षेत्रों में आरआईएल के विविधीकरण का निरीक्षण किया। आरआईएल की खुदरा शाखा, रिलायंस रिटेल ने उनके नेतृत्व में तेजी से विस्तार किया, किराना, इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन और अन्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय खुदरा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गई।
  • डिजिटल पहल: मुकेश अंबानी ने डिजिटल परिवर्तन और नवाचार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने Jio की डिजिटल सेवाओं सहित एक एकीकृत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र की कल्पना की, जिसमें दूरसंचार, डिजिटल सामग्री और ऑनलाइन सेवाएं शामिल थीं।
  • रणनीतिक निवेश और अधिग्रहण : मुकेश अंबानी के मार्गदर्शन में, आरआईएल ने विभिन्न उद्योगों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीतिक निवेश और अधिग्रहण किए। कंपनी का लक्ष्य नए क्षेत्रों में विस्तार करने और तालमेल बनाने के लिए अपने संसाधनों और विशेषज्ञता का लाभ उठाना है।

मुकेश अंबानी के करियर को उनकी दूरदर्शिता, नेतृत्व और नवाचार और विकास को आगे बढ़ाने की क्षमता द्वारा चिह्नित किया गया है। व्यवसाय और प्रौद्योगिकी में उनके योगदान के लिए उन्हें विश्व स्तर पर मान्यता मिली है। उनकी पहल ने न केवल रिलायंस इंडस्ट्रीज को भारत की सबसे बड़ी और सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक में बदल दिया है, बल्कि भारत के आर्थिक और तकनीकी परिदृश्य को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

1980-1990 का दशक

यहां 1980 और 1990 के दशक के दौरान मुकेश अंबानी के करियर और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं की समयरेखा दी गई है:

1980 का दशक:

  • 1981: मुकेश अंबानी अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद आधिकारिक तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) में शामिल हो गए।
  • 1980 का दशक: मुकेश अंबानी ने आरआईएल के पेट्रोकेमिकल्स और रिफाइनिंग व्यवसायों के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कंपनी के विकास में योगदान दिया।

1990 का दशक:

  • 1991: भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण उदारीकरण और सुधार हुए, जिससे रिलायंस जैसे व्यवसायों के लिए नए अवसर पैदा हुए।
  • 1992: आरआईएल अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेटिंग पाने वाली पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बनी।
  • 1995: आरआईएल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सूचीबद्ध होने वाली भारत की पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई।
  • 1990 के दशक के अंत में: आरआईएल ने अपनी रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल क्षमताओं के विस्तार और आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा।
  • 1999: आरआईएल ने जामनगर, गुजरात में एक विश्व स्तरीय, जमीनी स्तर की पेट्रोलियम रिफाइनरी की स्थापना की, जो कंपनी के संचालन की आधारशिला और इसके विकास का प्रमुख चालक बन गई।
  • 1999: मुकेश अंबानी के पिता और रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी का निधन। यह घटना कंपनी के नेतृत्व और भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतीक है।

1980 और 1990 के दशक के दौरान, रिलायंस इंडस्ट्रीज में मुकेश अंबानी के करियर को कंपनी के पेट्रोकेमिकल्स, रिफाइनिंग और औद्योगिक विकास में उनकी भागीदारी द्वारा चिह्नित किया गया था। इन दशकों ने महत्वपूर्ण विकास और विस्तार की नींव रखी, जो बाद के वर्षों में होंगे, जिसमें रिलायंस जियो का लॉन्च और खुदरा और डिजिटल सेवाओं में विविधीकरण शामिल है।

2000-वर्तमान

2000 का दशक:

  • 2002: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक बड़े पुनर्गठन की घोषणा की, जिससे पेट्रोकेमिकल्स, रिफाइनिंग, तेल की खोज और दूरसंचार के लिए अलग-अलग इकाइयां बनाई गईं।
  • 2004: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कृष्णा-गोदावरी बेसिन में एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक गैस क्षेत्र की खोज की, जो बाद में कंपनी के लिए एक प्रमुख संपत्ति बन गई।
  • 2005: आरआईएल ने अपनी जामनगर रिफाइनरी का एक बड़ा विस्तार शुरू किया, जिससे यह दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनिंग परिसरों में से एक बन गया।
  • 2007: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रिलायंस रिटेल के लॉन्च के साथ खुदरा क्षेत्र में प्रवेश किया, जिसका लक्ष्य विभिन्न खुदरा क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति स्थापित करना था।
  • 2008: रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके साझेदारों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में शेल गैस परिसंपत्तियों में महत्वपूर्ण निवेश किया।
  • 2010: मुकेश अंबानी ने भारतीय दूरसंचार परिदृश्य में एक बड़े बदलाव का संकेत देते हुए रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड (Jio) के लॉन्च की घोषणा की।
  • 2016: Jio को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया, जो विघटनकारी और सस्ती हाई-स्पीड डेटा सेवाओं की पेशकश करता है, जिससे भारत में स्मार्टफोन और इंटरनेट को व्यापक रूप से अपनाया गया।
  • 2017: जियो की सफलता के कारण मुकेश अंबानी दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बन गए।
  • 2019: Jio ने सामग्री, एप्लिकेशन और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की एक श्रृंखला की पेशकश करते हुए अपनी डिजिटल सेवाओं का विस्तार जारी रखा है।
  • 2020: रणनीतिक निवेश और संपत्ति की बिक्री की एक श्रृंखला के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज शुद्ध ऋण-मुक्त हो गई।
  • 2020: COVID-19 महामारी के बीच, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने फेसबुक (अब मेटा) और Google सहित वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों से महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया, जो कंपनी की डिजिटल महत्वाकांक्षाओं को उजागर करता है।
  • 2021: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नवीकरणीय ऊर्जा और हरित पहलों में विस्तार करते हुए अपने परिचालन में विविधता लाई है।
  • 2021: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भारत में घरेलू 5जी नेटवर्क के विकास की योजना की घोषणा की।

2000 और उसके बाद के दशक में मुकेश अंबानी के करियर को महत्वपूर्ण उपलब्धियों से चिह्नित किया गया है, जिसमें रिलायंस जियो की लॉन्चिंग और सफलता, रिलायंस रिटेल का विस्तार और डिजिटल सेवाओं और हरित ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कंपनी के रणनीतिक कदम शामिल हैं। उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के पथ को आकार देने और भारत के व्यापार परिदृश्य में इसके योगदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बोर्ड की सदस्यता

मुकेश अंबानी के पास विभिन्न संगठनों में बोर्ड की सदस्यता है और हो सकती है। कृपया ध्यान दें कि बोर्ड की सदस्यताएँ समय के साथ बदल सकती हैं, और विश्वसनीय स्रोतों से नवीनतम जानकारी को सत्यापित करने की अनुशंसा की जाती है। यहां कुछ उल्लेखनीय बोर्ड सदस्यताएं हैं जो मुकेश अंबानी के पास हैं:

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल): मुकेश अंबानी अपने पिता धीरूभाई अंबानी द्वारा स्थापित समूह रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।
  • Jio प्लेटफ़ॉर्म लिमिटेड : मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज की डिजिटल और प्रौद्योगिकी शाखा, Jio प्लेटफ़ॉर्म के नेतृत्व में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जिसमें दूरसंचार, डिजिटल सामग्री और बहुत कुछ सहित विभिन्न डिजिटल सेवाएं शामिल हैं।
  • रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड: मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी और भारत की सबसे बड़ी खुदरा श्रृंखलाओं में से एक, रिलायंस रिटेल के नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड: मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के माध्यम से मीडिया और मनोरंजन कंपनी नेटवर्क18 में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।
  • बैंक ऑफ अमेरिका कॉरपोरेशन : मुकेश अंबानी को मार्च 2011 में बैंक ऑफ अमेरिका कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल में एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था।
  • अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) मानद बोर्ड: मुकेश अंबानी को 2016 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के मानद बोर्ड सदस्य के रूप में चुना गया था।

पुरस्कार और सम्मान

मुकेश अंबानी को व्यवसाय, उद्यमिता और परोपकार में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। यहां उन्हें प्राप्त कुछ उल्लेखनीय पुरस्कार और सम्मान दिए गए हैं:

  • अर्न्स्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर : मुकेश अंबानी को 2000 में भारत के लिए अर्न्स्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर नामित किया गया था।
  • बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर (फोर्ब्स इंडिया लीडरशिप अवार्ड्स): उन्हें कई बार फोर्ब्स इंडिया लीडरशिप अवार्ड्स में बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
  • विश्व संचार पुरस्कार: मुकेश अंबानी को 2018 में दूरसंचार में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के लिए विश्व संचार पुरस्कार मिला।
  • ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड (बिजनेस काउंसिल फॉर इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग): भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों की मान्यता में उन्हें बिजनेस काउंसिल फॉर इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग द्वारा ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड प्रदान किया गया।
  • ईटी बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर (इकोनॉमिक टाइम्स अवार्ड्स): मुकेश अंबानी को कॉरपोरेट उत्कृष्टता के लिए इकोनॉमिक टाइम्स अवार्ड्स द्वारा ईटी बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर के रूप में मान्यता दी गई है।
  • लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (प्लैट्स ग्लोबल एनर्जी अवार्ड्स ): ऊर्जा उद्योग में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें प्लैट्स ग्लोबल एनर्जी अवार्ड्स में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला।
  • मानद डॉक्टरेट की उपाधि: मुकेश अंबानी को व्यवसाय और उद्यमिता में उनके योगदान के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है।
  • इंडियन बिजनेस आइकन ऑफ द ईयर (एनडीटीवी बिजनेस लीडरशिप अवार्ड्स): उन्हें एनडीटीवी बिजनेस लीडरशिप अवार्ड्स में इंडियन बिजनेस आइकन ऑफ द ईयर के रूप में सम्मानित किया गया है।
  • आईसीएसआई लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड: मुकेश अंबानी को इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया द्वारा आईसीएसआई लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।

ये उन पुरस्कारों और सम्मानों के कुछ उदाहरण हैं जो पिछले कुछ वर्षों में मुकेश अंबानी को मिले हैं। व्यवसाय, प्रौद्योगिकी और परोपकार सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपलब्धियों और योगदान ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मंचों पर पहचान और सम्मान दिलाया है।

स्टॉक में हेरफेर और जुर्माना

2007 में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL), इसके अध्यक्ष मुकेश अंबानी और दो अन्य संस्थाओं पर रिलायंस के शेयरों में कथित हेरफेर व्यापार के लिए कुल 70 करोड़ रुपये (US$9.4 मिलियन) का जुर्माना लगाया। पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल)।

सेबी ने आरोप लगाया कि आरआईएल और अन्य संस्थाओं ने आरपीएल शेयरों की कीमत में हेरफेर करने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया था, जिनमें शामिल हैं:

  • आरपीएल के शेयरों को नकद बाजार में बेचना और साथ ही उन्हें वायदा बाजार में खरीदना। इससे आरपीएल शेयरों की मांग का भ्रम पैदा हुआ, जिससे कीमत बढ़ गई।
  • धन को इधर-उधर ले जाने और घाटे को छिपाने के लिए संबंधित-पार्टी लेनदेन का उपयोग करना। इससे आरआईएल का मुनाफा कृत्रिम रूप से बढ़ गया, जिससे इसके शेयर निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक हो गए।
  • ऋण और देनदारियों का खुलासा करने में असफल होना। इससे आरआईएल की वित्तीय स्थिति वास्तव में जितनी मजबूत थी, उससे कहीं अधिक मजबूत दिखाई दी।

आरआईएल और अन्य संस्थाओं ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन वे जुर्माना भरने पर सहमत हुए। सेबी ने आरआईएल को 447 करोड़ रुपये (61 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का मुनाफा वापस लेने का भी आदेश दिया, जो उसने हेरफेर ट्रेडिंग से कमाया था।

मुकेश अंबानी के खिलाफ जुर्माना पहली बार था जब किसी सूचीबद्ध कंपनी के मौजूदा अध्यक्ष को सेबी द्वारा दंडित किया गया था। इस जुर्माने को अंबानी की प्रतिष्ठा और आरआईएल की विश्वसनीयता के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा गया।

मुकेश अंबानी और आरआईएल पर स्टॉक हेरफेर के आरोप काफी विवाद का विषय रहे हैं। कुछ आलोचकों ने तर्क दिया है कि जुर्माना बहुत कम था, जबकि अन्य ने तर्क दिया है कि यह बहुत कठोर था। केवल समय ही बताएगा कि आखिर आरोपों का फैसला कैसे किया जाएगा।

व्यक्तिगत जीवन

मुकेश अंबानी, जहां मुख्य रूप से अपने व्यावसायिक प्रयासों के लिए जाने जाते हैं, उनका निजी जीवन भी है। यहां उनके निजी जीवन के कुछ पहलू हैं:

  • परिवार: मुकेश अंबानी की शादी नीता अंबानी से हुई है और उनके तीन बच्चे हैं: एक बेटा, आकाश अंबानी, और जुड़वां बेटियां, ईशा अंबानी और अनंत अंबानी। अंबानी परिवार भारत के सबसे हाई-प्रोफाइल और प्रभावशाली परिवारों में से एक है।
  • आवास: अंबानी परिवार दुनिया के सबसे महंगे निजी आवासों में से एक, मुंबई में 27 मंजिला हवेली एंटीलिया में रहता है। यह हवेली अपनी भव्यता और अद्वितीय वास्तुशिल्प डिजाइन के लिए जानी जाती है।
  • शौक और रुचि: मुकेश अंबानी को खेलों में रुचि के लिए जाना जाता है और वह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) क्रिकेट टीम मुंबई इंडियंस के मालिक हैं। वह अन्य खेलों को बढ़ावा देने में भी शामिल हैं और भारत में विभिन्न खेल पहलों के संरक्षक हैं।
  • परोपकार: अंबानी परिवार परोपकारी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल है। उन्होंने रिलायंस फाउंडेशन की स्थापना की है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, ग्रामीण विकास और आपदा प्रतिक्रिया जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है।
  • जीवनशैली: विश्व स्तर पर सबसे धनी व्यक्तियों में से एक होने के नाते, मुकेश अंबानी की जीवनशैली उनकी वित्तीय सफलता को दर्शाती है। वह अक्सर हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, और उनका परिवार विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है।

मुकेश अंबानी पिछले कुछ वर्षों में कई विवादों और कानूनी लड़ाइयों में शामिल रहे हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विवाद समय के साथ विकसित हो सकते हैं, और तब से नए विकास हो सकते हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय विवाद हैं जो मुकेश अंबानी और उनके व्यवसायों से जुड़े रहे हैं:

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) गैस मूल्य निर्धारण विवाद: मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज कृष्णा-गोदावरी बेसिन से उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत से जुड़े विवाद में फंस गई थी। सरकार ने आरोप लगाया कि आरआईएल गैस की जमाखोरी कर रही है और गैस की कीमतों में हेरफेर किया जा रहा है। इस विवाद के कारण कानूनी लड़ाई और नियामक जांच हुई।
  • एंटिला निर्माण और भूमि उपयोग विवाद: मुकेश अंबानी के आलीशान निवास एंटिला के निर्माण ने भूमि उपयोग और ज़ोनिंग नियमों पर चिंताएँ बढ़ा दीं। स्थानीय पर्यावरण और बुनियादी ढांचे पर निर्माण के प्रभाव के बारे में बहसें हुईं।
  • रिलायंस जियो की कथित अनुचित प्रतिस्पर्धा: भारतीय दूरसंचार बाजार में रिलायंस जियो के विघटनकारी प्रवेश ने प्रतिद्वंद्वी दूरसंचार ऑपरेटरों से अनुचित प्रतिस्पर्धा के आरोप लगाए। कुछ प्रतिस्पर्धियों ने दावा किया कि Jio की मूल्य निर्धारण रणनीतियाँ उद्योग को नुकसान पहुँचा रही हैं।
  • राजनीतिक प्रभाव के आरोप: मुकेश अंबानी और रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपने व्यवसाय के आकार और भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के कारण अनुचित राजनीतिक प्रभाव डालने के आरोपों का सामना करना पड़ा है।
  • अंदरूनी व्यापार के आरोप: पिछले दिनों मुकेश अंबानी और अंबानी परिवार के अन्य सदस्य रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों से जुड़े इनसाइडर ट्रेडिंग मामले में शामिल थे। हालाँकि, बाद में उन्हें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बरी कर दिया था।

यहां मुकेश अंबानी के बारे में कुछ दिलचस्प सामान्य ज्ञान और कम ज्ञात तथ्य हैं:

  • प्रारंभिक शुरुआत: मुंबई में इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईसीटी) से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री पूरी करने के तुरंत बाद मुकेश अंबानी अपने पिता के व्यवसाय, रिलायंस इंडस्ट्रीज में शामिल हो गए।
  • रिलायंस का पहला कार्यालय: जब रिलायंस इंडस्ट्रीज की पहली बार स्थापना हुई, तो यह मुंबई में 350 वर्ग फुट के एक छोटे से कमरे से संचालित होता था।
  • उद्यमशीलता की भावना: मुकेश अंबानी की उद्यमशीलता की भावना छोटी उम्र से ही स्पष्ट हो गई थी। अपने स्कूल के दिनों में, वह पुरानी साइकिलें खरीदते थे, उनकी मरम्मत करते थे और उन्हें लाभ पर बेचते थे।
  • सतत जीवन शैली: अपनी अपार संपत्ति के बावजूद, मुकेश अंबानी अपनी मितव्ययी जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं। वह अक्सर सरल और अनौपचारिक पोशाक चुनते हैं, और उनका कार्यालय न्यूनतम और व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  • रिलायंस का आईपीओ: 1977 में रिलायंस इंडस्ट्रीज की आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) को आश्चर्यजनक रूप से 7 गुना अधिक सब्सक्राइब किया गया था, जो कंपनी में निवेशकों की रुचि के उच्च स्तर को दर्शाता है।
  • अद्वितीय पंजीकरण वाला निजी जेट: मुकेश अंबानी के पास पंजीकरण संख्या “वीटी-आईएए” वाला एक निजी जेट है, जो उनके शुरुआती अक्षर मुकेश अंबानी अंबानी को दर्शाता है।
  • जियो की तीव्र वृद्धि: रिलायंस जियो ने लॉन्च के बाद केवल 170 दिनों में 100 मिलियन ग्राहक प्राप्त किए, जिससे यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते दूरसंचार नेटवर्क में से एक बन गया।
  • स्टैनफोर्ड में शिक्षा: मुकेश अंबानी ने कुछ समय के लिए स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए किया लेकिन अपने परिवार के व्यवसाय में योगदान देने के लिए भारत लौटने का फैसला किया।
  • आईपीएल टीम का स्वामित्व: अपने व्यावसायिक हितों के अलावा, मुकेश अंबानी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) क्रिकेट टीम मुंबई इंडियंस के मालिक हैं, जिसने लीग में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।
  • बैंक ऑफ अमेरिका में मानद निदेशक: मुकेश अंबानी ने कई वर्षों तक बैंक ऑफ अमेरिका कॉर्पोरेशन के निदेशक मंडल में एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में कार्य किया।

यहां मुकेश अंबानी के बारे में कुछ रोचक और कम ज्ञात तथ्य हैं:

  • विवाह समारोह : 2018 में मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की शादी भारत के इतिहास में सबसे भव्य और चर्चित शादियों में से एक थी, जिसमें विस्तृत समारोह और सेलिब्रिटी प्रदर्शन शामिल थे।
  • एंटिला का अनोखा डिजाइन : मुकेश अंबानी के निवास एंटिला का डिजाइन अनोखा है, जिसमें इसके 27 मंजिलों में फैले उद्यान, लाउंज और एक हेलीपैड सहित विभिन्न वास्तुशिल्प तत्व शामिल हैं।
  • धर्मार्थ पहल: मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी रिलायंस फाउंडेशन के माध्यम से परोपकार में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जो विभिन्न सामाजिक और विकासात्मक कारणों का समर्थन करता है।
  • कला और संस्कृति का समर्थन : अंबानी परिवार कला और संस्कृति के समर्थन के लिए जाना जाता है। उन्होंने धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल और जामनगर रिफाइनरी सांस्कृतिक केंद्र जैसे संस्थानों की स्थापना की है।
  • स्टार्टअप में निवेश: मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न तकनीकी स्टार्टअप और डिजिटल उद्यमों में महत्वपूर्ण निवेश किया है।
  • विश्व रिकॉर्ड इंटरनेट उपयोगकर्ता: मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली पहल रिलायंस जियो के लॉन्च के बाद, भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में वृद्धि देखी गई और देश ने कुछ समय के लिए सबसे अधिक मोबाइल डेटा उपयोगकर्ताओं का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।
  • डिजिटल इंडिया विज़न: मुकेश अंबानी डिजिटलीकरण के प्रबल समर्थक हैं और उन्होंने व्यापक इंटरनेट पहुंच और डिजिटल सेवाओं के साथ डिजिटल रूप से सशक्त भारत के अपने दृष्टिकोण को रेखांकित किया है।
  • उच्च शिक्षित परिवार: मुकेश अंबानी निपुण व्यक्तियों के परिवार से आते हैं। उनकी पत्नी, नीता अंबानी, एक शिक्षिका और परोपकारी हैं, और उनके भाई अनिल अंबानी एक प्रमुख व्यवसायी व्यक्ति हैं।
  • पालतू तोता: मुकेश अंबानी के पास एक पालतू तोता होने के लिए जाना जाता है जिसे उन्होंने पारिवारिक छुट्टियों के दौरान गोद लिया था। तोता अक्सर उनके ऑफिस में उनके साथ रहता है।
  • वैश्विक मंचों में भागीदारी : मुकेश अंबानी विश्व आर्थिक मंच जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वक्ता रहे हैं, जहां उन्होंने प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और भारत की आर्थिक वृद्धि पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की है।

ये तथ्य मुकेश अंबानी के बहुमुखी जीवन की एक झलक पेश करते हैं, जिसमें उनकी व्यावसायिक उपलब्धियों से लेकर उनके व्यक्तिगत हितों और समाज में योगदान तक शामिल हैं।

एक प्रमुख व्यापारिक नेता और उद्यमी होने के नाते, मुकेश अंबानी ने अपने लेखन और भाषणों के माध्यम से अपने व्यापार दर्शन, रणनीतियों और उद्योग में अंतर्दृष्टि साझा की है। हालाँकि उन्होंने पूर्ण-लंबाई वाली किताबें नहीं लिखी हैं, लेकिन उन्होंने विभिन्न प्रकाशनों में लेख और निबंधों का योगदान दिया है और उन आयोजनों में बात की है जहाँ उनके विचारों को प्रलेखित किया गया है। यहां कुछ उल्लेखनीय टुकड़े हैं:

  • वार्षिक रिपोर्ट और शेयरधारक संचार: मुकेश अंबानी अक्सर रिलायंस इंडस्ट्रीज की वार्षिक रिपोर्ट में पत्र और संदेश शामिल करते हैं, जहां वह कंपनी की उपलब्धियों, भविष्य की योजनाओं और उद्योग के रुझानों पर चर्चा करते हैं।
  • भाषण और संबोधन: मुकेश अंबानी ने व्यावसायिक सम्मेलनों और उद्योग कार्यक्रमों सहित विभिन्न मंचों पर भाषण दिए हैं। उनके भाषण अक्सर प्रौद्योगिकी, डिजिटल परिवर्तन और भारत में व्यापार के भविष्य से संबंधित विषयों पर चर्चा करते हैं।
  • राय के टुकड़े: मुकेश अंबानी ने समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में राय के टुकड़े और लेखों का योगदान दिया है, जहां वह व्यवसाय, प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था सहित विभिन्न विषयों पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हैं।

हालाँकि मुकेश अंबानी ने पारंपरिक किताबें नहीं लिखी हैं, लेकिन उनके लेखन और भाषण उनकी व्यावसायिक रणनीतियों, दृष्टिकोण और भारत और उसके बाहर व्यापार परिदृश्य को आकार देने में प्रौद्योगिकी की भूमिका के बारे में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। उनके लेखन और भाषणों तक पहुंचने के लिए, आप रिलायंस इंडस्ट्रीज के आधिकारिक प्रकाशनों, व्यावसायिक पत्रिकाओं और प्रतिष्ठित समाचार स्रोतों का पता लगाना चाहेंगे जो उनकी गतिविधियों और योगदान को कवर करते हैं।

जबकि मुकेश अंबानी ने पिछले कुछ वर्षों में कई भाषण और बयान दिए हैं, यहां उनके कुछ उल्लेखनीय उद्धरण दिए गए हैं जो विभिन्न विषयों पर उनके व्यापार दर्शन, दृष्टिकोण और विचारों को दर्शाते हैं:

     “हमारा अपना बचपन बिल्कुल अलग था। मुझे लगता है कि जब आपको अपने आप पर छोड़ दिया जाता है, तो आपको अपनी असली क्षमता का पता चलता है। मुझे याद है कि मेरे पिता एक बार भी हमारे स्कूल नहीं आए। फिर भी, वह हमारे सर्वांगीण विकास में बेहद रुचि रखते थे, जिसके लिए उन्होंने कुछ उल्लेखनीय कार्य किये।”

  • “ कोई भी व्यवसाय जिसका मूल उद्देश्य पैसा कमाना हो, करने योग्य नहीं है।”
  • “ युवा उद्यमी की सफलता नई सहस्राब्दी में भारत के परिवर्तन की कुंजी होगी।”
  • “ डेटा नया तेल है।”
  • “ हमारे पास समय की कमी है। आइए भारत को 2020 तक नहीं ले जाएं, आइए भारत को 2030 तक ले जाएं।”
  • “ भारत की आर्थिक क्षमता अनलॉक होने की प्रक्रिया में है, और विश्व स्तर पर बहुत कम देश हमारी संभावनाओं से मेल खा सकते हैं।”
  • “ रिलायंस में विकास की कोई सीमा नहीं है। मैं अपने दृष्टिकोण को संशोधित करता रहता हूं। केवल जब आप इसका सपना देखते हैं, तो आप इसे पूरा कर सकते हैं।”
  • “ हमारा मुख्य ध्यान हमेशा अपने ग्राहकों को मूल्य प्रदान करना और उन्हें सशक्त बनाना रहा है – और रहेगा।”
  • “ चौथी औद्योगिक क्रांति भारत को पीढ़ियों की तकनीकी प्रगति को छोड़ने और वैश्विक नेतृत्व में योगदान करने में मदद करेगी।”
  • “ डिजिटल समतुल्य है। डिजिटलीकरण के इस युग में, कोई भी पीछे नहीं रह सकता है।”

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न: कौन हैं मुकेश अंबानी?

उत्तर: मुकेश अंबानी एक भारतीय अरबपति व्यवसायी और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के अध्यक्ष हैं, जो पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग, दूरसंचार, खुदरा और अन्य क्षेत्रों में रुचि रखने वाला समूह है।

प्रश्न: रिलायंस इंडस्ट्रीज में मुकेश अंबानी की क्या भूमिका है?

उत्तर: मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं। उन्होंने कंपनी के विकास, विविधीकरण और डिजिटल पहल को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न: रिलायंस जियो क्या है और यह महत्वपूर्ण क्यों है?

उत्तर: रिलायंस जियो, रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी है जिसने किफायती हाई-स्पीड डेटा सेवाओं की पेशकश करके भारतीय दूरसंचार उद्योग में हलचल मचा दी है। इसने इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने और भारतीयों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल के तरीके को बदलने में प्रमुख भूमिका निभाई।

प्रश्न: मुकेश अंबानी को मिले कुछ पुरस्कार और सम्मान क्या हैं?

उत्तर: मुकेश अंबानी को कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें अर्न्स्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर, बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर और वर्ल्ड कम्युनिकेशन अवार्ड शामिल हैं।

प्रश्न: एंटीलिया क्या है और मुकेश अंबानी कहां रहते हैं?

उत्तर: एंटीलिया मुंबई की उस भव्य 27 मंजिला हवेली का नाम है जहां मुकेश अंबानी और उनका परिवार रहता है। इसे दुनिया के सबसे महंगे निजी आवासों में से एक माना जाता है।

प्रश्न: व्यवसाय और प्रौद्योगिकी के प्रति मुकेश अंबानी का दृष्टिकोण क्या है?

उत्तर: मुकेश अंबानी भारत की आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने में नवाचार, डिजिटल परिवर्तन और प्रौद्योगिकी की भूमिका के महत्व पर जोर देते हैं। वह अक्सर डिजिटलीकरण और डेटा की क्षमता पर प्रकाश डालते हैं।

प्रश्न: क्या मुकेश अंबानी परोपकार से जुड़े हैं?

उत्तर: जी हां, मुकेश अंबानी और उनका परिवार रिलायंस फाउंडेशन के जरिए परोपकार के काम में लगा हुआ है। वे शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, ग्रामीण विकास और आपदा प्रतिक्रिया जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

प्रश्न: क्या मुकेश अंबानी ने कोई किताब लिखी है?

उत्तर: जबकि मुकेश अंबानी ने पूर्ण-लंबाई वाली किताबें नहीं लिखी हैं, उन्होंने व्यवसाय और प्रौद्योगिकी पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए विभिन्न प्रकाशनों और आयोजनों में लेख, राय और भाषण दिए हैं।

प्रश्न: डेटा पर मुकेश अंबानी का नजरिया क्या है?

उत्तर: मुकेश अंबानी ने डेटा को “नया तेल” कहा है, जो आधुनिक डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक मूल्यवान संसाधन के रूप में इसके महत्व पर प्रकाश डालता है।

प्रश्न: क्या मुकेश अंबानी स्टॉक हेरफेर में शामिल रहे हैं या उन्हें दंड का सामना करना पड़ा है?

उत्तर: सितंबर 2021 में मेरे अंतिम ज्ञान अद्यतन के अनुसार, मुकेश अंबानी के स्टॉक हेरफेर में शामिल होने या दंड का सामना करने का कोई व्यापक रूप से ज्ञात उदाहरण नहीं है। कृपया वर्तमान और विश्वसनीय स्रोतों से सत्यापित करें।

धीरू भाई अंबानी जीवन परिचय | Fact | Quotes | Book | Net Worth | Dhirubhai Ambani Biography in Hindi

dhirubhai ambani biography in hindi

धीरूभाई अंबानी (1932-2002) एक भारतीय उद्यमी और भारत के सबसे बड़े समूह में से एक, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के संस्थापक थे। उन्हें व्यापक रूप से एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर के रूप में माना जाता है जिन्होंने भारत के आधुनिक औद्योगिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में कुछ मुख्य बातें दी गई हैं:

  • प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि: धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर, 1932 को चोरवाड, गुजरात, भारत में हुआ था। वह एक साधारण पृष्ठभूमि से आते थे और बचपन में उन्हें वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
  • उद्यमशीलता की भावना: धीरूभाई में छोटी उम्र से ही एक मजबूत उद्यमशीलता की भावना थी। उन्होंने यमन में एक तेल कंपनी में डिस्पैच क्लर्क के रूप में काम करते हुए अपना करियर शुरू किया। बाद में वह भारत लौट आए और कुछ व्यापारिक कंपनियों के लिए काम किया।
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज: 1966 में, धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन की स्थापना की, जो अंततः रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड में विकसित हुई। उन्होंने शुरुआत में पॉलिएस्टर यार्न निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया और फिर पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग, दूरसंचार और अन्य क्षेत्रों में विविधता लाई।
  • नवोन्मेषी व्यावसायिक पद्धतियाँ: धीरूभाई अपनी नवोन्मेषी व्यापारिक पद्धतियों के लिए जाने जाते थे, जिसमें शेयर बाजार से इक्विटी और डिबेंचर के अनूठे संयोजन के माध्यम से धन जुटाने की उनकी क्षमता भी शामिल थी। उन्होंने रिलायंस की वृद्धि में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में छोटे निवेशकों को आकर्षित किया।
  • चुनौतियाँ और विवाद: धीरूभाई अंबानी को अपनी व्यावसायिक यात्रा के दौरान कई चुनौतियों और विवादों का सामना करना पड़ा, जिनमें कानूनी लड़ाई और अनैतिक प्रथाओं के आरोप शामिल थे। हालाँकि, उनके दृढ़ संकल्प और बाधाओं को दूर करने की क्षमता के लिए भी उनकी प्रशंसा की गई।
  • रिलायंस का विकास: धीरूभाई के नेतृत्व में, पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग, कपड़ा, दूरसंचार और अन्य जैसे विविध क्षेत्रों में रुचि रखने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत के सबसे बड़े और सबसे सफल समूहों में से एक बन गई।
  • विरासत: धीरूभाई अंबानी की विरासत व्यवसाय से परे तक फैली हुई है। उन्हें अक्सर भारतीय मध्यम वर्ग के बीच इक्विटी निवेश को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है। उनकी अमीर से अमीर बनने की कहानी ने भारत में कई महत्वाकांक्षी उद्यमियों और व्यापारिक नेताओं को प्रेरित किया।
  • परोपकार: धीरूभाई अंबानी परोपकारी गतिविधियों में भी शामिल थे। उनके सम्मान में स्थापित धीरूभाई अंबानी फाउंडेशन विभिन्न सामाजिक और सामुदायिक पहलों का समर्थन करता है।
  • निधन: धीरूभाई अंबानी का 6 जुलाई 2002 को स्ट्रोक के कारण निधन हो गया। उनकी मृत्यु से भारतीय व्यापार और उद्योग में एक युग का अंत हो गया।
  • परिवार: धीरूभाई की शादी कोकिलाबेन अंबानी से हुई थी और उनके दो बेटे थे, मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी। उनके निधन के बाद, रिलायंस इंडस्ट्रीज के नियंत्रण और प्रबंधन को लेकर उनके दोनों बेटों के बीच काफी चर्चित विवाद हुआ, जिसके कारण कंपनी अंततः रिलायंस इंडस्ट्रीज (मुकेश अंबानी के नेतृत्व में) और रिलायंस एडीए ग्रुप (अनिल अंबानी के नेतृत्व में) में विभाजित हो गई। ).

धीरूभाई अंबानी का जीवन और उपलब्धियाँ भारत और दुनिया भर में उद्यमियों और व्यापारिक नेताओं की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती हैं।

कैरियर का आरंभ

धीरूभाई अंबानी के शुरुआती करियर को उनके दृढ़ संकल्प, संसाधनशीलता और उद्यमशीलता की भावना से चिह्नित किया गया था। यहां उनके प्रारंभिक वर्षों के बारे में कुछ मुख्य बातें दी गई हैं:

  • यमन वर्ष: भारत में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, धीरूभाई अंबानी 1950 के दशक के अंत में तेल कंपनी ए बेसे एंड कंपनी के लिए डिस्पैच क्लर्क के रूप में काम करने के लिए यमन गए। इस अनुभव ने उन्हें व्यवसाय और व्यापार की दुनिया से परिचित कराया।
  • भारत वापसी: 1960 के दशक की शुरुआत में, धीरूभाई भारत लौट आए और मेसर्स नामक एक व्यापारिक कंपनी के लिए कुछ समय के लिए काम किया। ए. एन. अल्लाना एंड संस। इस दौरान उन्होंने आयात-निर्यात संचालन और व्यावसायिक प्रथाओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त की।
  • रिलायंस की शुरुआत: धीरूभाई की सच्ची उद्यमशीलता यात्रा 1966 में शुरू हुई जब उन्होंने रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन की स्थापना की। उन्होंने मसालों का व्यापार और पॉलिएस्टर यार्न का आयात करके शुरुआत की, जिसने उनके भविष्य के उद्यमों की नींव रखी।
  • पॉलिएस्टर यार्न व्यवसाय: धीरूभाई की गहरी व्यावसायिक कौशल ने उन्हें भारत में उभरते पॉलिएस्टर यार्न बाजार की क्षमता को पहचानने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने सस्ते धागे का आयात करने और इसे स्थानीय कपड़ा निर्माताओं को बेचने पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे स्थापित खिलाड़ियों के प्रभुत्व वाले बाजार में बाधा उत्पन्न हुई।
  • नवोन्मेषी फंडिंग: धीरूभाई की उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक नवोन्वेषी फंडिंग विधियों के माध्यम से पूंजी जुटाने की उनकी क्षमता थी। उन्होंने रिलायंस की वृद्धि को वित्तपोषित करने के लिए शेयर बाजार सहित विभिन्न स्रोतों से इक्विटी, डिबेंचर और ऋण के संयोजन का उपयोग किया।
  • छोटे निवेशकों को शामिल करना: धीरूभाई अंबानी ने भारत में इक्विटी निवेश की अवधारणा में क्रांति ला दी। उन्होंने बड़ी संख्या में छोटे निवेशकों को कंपनी के विकास में हिस्सेदारी की पेशकश करके रिलायंस में शेयर खरीदने के लिए आकर्षित किया। इस दृष्टिकोण ने स्वामित्व को लोकतांत्रिक बना दिया और आम लोगों को शेयर बाजार में भाग लेने की अनुमति दी।
  • चुनौतियाँ और लचीलापन: धीरूभाई को रास्ते में चुनौतियों और विवादों का सामना करना पड़ा, जिसमें अनुचित प्रथाओं और स्टॉक की कीमतों में हेरफेर के आरोप भी शामिल थे। इन बाधाओं के बावजूद, उनके लचीलेपन और दृढ़ संकल्प ने उन्हें कठिन समय से निपटने में मदद की।
  • विविधीकरण: जैसे-जैसे रिलायंस बढ़ता गया, धीरूभाई अंबानी ने पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग और दूरसंचार सहित विभिन्न क्षेत्रों में विविधीकरण किया। विकास के अवसरों की पहचान करने की उनकी दूरदृष्टि और क्षमता ने कंपनी के विस्तार और सफलता में योगदान दिया।
  • विरासत: धीरूभाई के शुरुआती करियर ने एक प्रतिष्ठित उद्यमी के रूप में उनकी स्थायी विरासत की नींव रखी। रुझानों को पहचानने, परिकलित जोखिम लेने और व्यावसायिक प्रथाओं में नवीनता लाने की उनकी क्षमता ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और समग्र रूप से भारतीय व्यापार परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एक साधारण शुरुआत से भारत के सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली समूह में से एक बनाने तक धीरूभाई अंबानी की यात्रा उनकी उद्यमशीलता प्रतिभा और चुनौतियों पर काबू पाने के दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना

धीरूभाई अंबानी ने रणनीतिक कदमों और नवीन व्यावसायिक प्रथाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से, भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की स्थापना की। यहां रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना और प्रारंभिक वर्षों का अवलोकन दिया गया है:

  • 1966: रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन का गठन: 1966 में, धीरूभाई अंबानी ने भारत के मुंबई में रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन नामक एक छोटी व्यापारिक कंपनी की स्थापना की। कंपनी ने शुरुआत में मसालों, कपड़ा और अन्य वस्तुओं सहित विभिन्न प्रकार के उत्पादों के व्यापार पर ध्यान केंद्रित किया।
  • पॉलिएस्टर यार्न व्यवसाय: धीरूभाई की दूरदर्शिता और उद्यमशीलता की भावना ने उन्हें उभरते पॉलिएस्टर यार्न बाजार में क्षमता को पहचानने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कंपनी का ध्यान सस्ते पॉलिएस्टर यार्न के आयात और बिक्री पर केंद्रित कर दिया, जिसकी भारत के बढ़ते कपड़ा उद्योग में मांग थी।
  • 1969: कपड़ा उद्योग में विविधीकरण: 1969 में, रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन ने गुजरात राज्य में अहमदाबाद के पास नरोदा में अपनी पहली कपड़ा मिल स्थापित करके कपड़ा निर्माण में विस्तार किया। इसने सिंथेटिक कपड़ों और धागे के उत्पादन में कंपनी के प्रवेश को चिह्नित किया।
  • 1973: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का जन्म: 1973 में, रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन का पुनर्गठन किया गया और इसका नाम बदलकर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) कर दिया गया। स्थिति में यह बदलाव कंपनी के बढ़ते परिचालन और भारतीय व्यापार परिदृश्य में बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
  • इक्विटी फंडिंग और आईपीओ: धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस के विस्तार के लिए पूंजी जुटाने के लिए एक अभूतपूर्व दृष्टिकोण अपनाया। उन्होंने 1977 में आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के माध्यम से जनता से धन आकर्षित करने के लिए इक्विटी और डिबेंचर के संयोजन का उपयोग किया। इस रणनीति ने छोटे निवेशकों को कंपनी के विकास में शेयरधारक बनने की अनुमति दी।
  • एकीकृत विनिर्माण परिसर: धीरूभाई की प्रमुख रणनीतियों में से एक एकीकृत विनिर्माण परिसर बनाना था जो पॉलिएस्टर यार्न से लेकर तैयार कपड़ों तक संपूर्ण कपड़ा उत्पादन प्रक्रिया को फैलाता था। इस ऊर्ध्वाधर एकीकरण ने रिलायंस को लागत और गुणवत्ता को नियंत्रित करने में सक्षम बनाया।
  • पेट्रोकेमिकल वेंचर्स: 1980 के दशक में, धीरूभाई अंबानी ने पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में रिलायंस के परिचालन का विस्तार किया। कंपनी ने गुजरात के हजीरा में एक पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना की, जिसने पेट्रोकेमिकल और परिष्कृत उत्पादों के उत्पादन में प्रवेश किया।
  • दूरसंचार और विविधीकरण: धीरूभाई के बेटों, मुकेश और अनिल अंबानी के नेतृत्व में, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने दूरसंचार, रिफाइनिंग, तेल अन्वेषण, खुदरा और अन्य क्षेत्रों में विविधता ला दी। इस विविधीकरण ने कंपनी की तीव्र वृद्धि और विभिन्न उद्योगों में प्रमुखता में योगदान दिया।
  • विरासत: धीरूभाई अंबानी के नवाचार, जोखिम लेने और समावेशिता के सिद्धांतों ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की सफलता की नींव रखी। छोटे निवेशकों को शामिल करने और स्वामित्व को लोकतांत्रिक बनाने की उनकी क्षमता ने भारत के कॉर्पोरेट परिदृश्य में एक अनूठी मिसाल कायम की।

धीरूभाई अंबानी की उद्यमशीलता की दृष्टि, रणनीतिक निर्णय और नवीन धन उगाहने के तरीकों ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की स्थापना और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक व्यापारिक उद्यम से एक विविध समूह तक कंपनी का विकास उनकी स्थायी विरासत का प्रमाण है।

विवादों – बाजार में हेराफेरी का आरोप

धीरूभाई अंबानी और रिलायंस इंडस्ट्रीज को पिछले कुछ वर्षों में कई विवादों और आरोपों का सामना करना पड़ा, जिसमें बाजार में हेरफेर के आरोप भी शामिल थे। यहां बाजार हेरफेर से संबंधित कुछ विवादों का अवलोकन दिया गया है:

  • 1992 का प्रतिभूति घोटाला: रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण विवादों में से एक 1992 का प्रतिभूति घोटाला था। यह आरोप लगाया गया था कि रिलायंस से संबंधित कुछ संस्थाएं कृत्रिम मांग पैदा करने और स्टॉक को बढ़ाने के लिए कंपनी के शेयरों की स्टॉक कीमतों में हेरफेर करने में शामिल थीं। कीमत। इसके चलते नियामक अधिकारियों द्वारा जांच की गई और रिलायंस से जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की गई।
  • “ द बियर कार्टेल” आरोप: 1992 के प्रतिभूति घोटाले के बाद, “द बियर कार्टेल” के नाम से जाने जाने वाले स्टॉकब्रोकरों और निवेशकों के एक समूह ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और धीरूभाई अंबानी पर स्टॉक की कीमतों में हेरफेर करने और अनैतिक प्रथाओं में संलग्न होने का आरोप लगाया। आरोपों में निवेशकों के कुछ समूहों को लाभ पहुंचाने के लिए अंदरूनी व्यापार और बाजार में हेरफेर के दावे शामिल थे।
  • कानूनी लड़ाई: इन आरोपों के संबंध में रिलायंस इंडस्ट्रीज और धीरूभाई अंबानी को कई कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ा। कंपनी और उसके प्रवर्तक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जैसे नियामक निकायों द्वारा जांच के अधीन थे। कानूनी कार्यवाही और अदालती मामले शुरू हो गए, जिनमें अनुचित प्रथाओं और बाजार में हेरफेर के आरोप विवादों के केंद्र में रहे।
  • समाधान और प्रभाव: कई कानूनी मामले और आरोप अंततः कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से निपटाए गए या हल किए गए। कुछ व्यक्तियों को दंड का सामना करना पड़ा, जबकि अन्य को बरी कर दिया गया। विवादों और कानूनी लड़ाइयों ने भारत के कारोबारी माहौल में कॉर्पोरेट प्रशासन, पारदर्शिता और नैतिक आचरण से संबंधित मुद्दों पर महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया।
  • विरासत और धारणा: बाजार में हेरफेर के आरोपों से जुड़े विवादों का रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके नेतृत्व की धारणा पर प्रभाव पड़ा। जबकि कंपनी का विकास और विविधता जारी रही, ये विवाद इसके इतिहास का हिस्सा बने रहे और अक्सर कॉर्पोरेट नैतिकता और शासन के बारे में चर्चा में उद्धृत किए गए।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जहां बाजार में हेरफेर के आरोप और अन्य विवाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के इतिहास का हिस्सा थे, वहीं कंपनी ने भारत के औद्योगिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। धीरूभाई अंबानी की उद्यमशीलता की दृष्टि और विभिन्न क्षेत्रों में कंपनी की उपलब्धियों ने भारत के व्यापार परिदृश्य पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के संस्थापक धीरूभाई अंबानी का 6 जुलाई 2002 को 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया। भारत के मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में स्ट्रोक के कारण उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु से भारतीय व्यापार और उद्योग में एक युग का अंत हो गया। एक दूरदर्शी उद्यमी के रूप में धीरूभाई अंबानी की विरासत और रिलायंस इंडस्ट्रीज की वृद्धि और विकास में उनके योगदान को याद किया जाता है और मनाया जाता है। उनके निधन के बाद, उनके बेटों, मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने, रिलायंस समूह के नेतृत्व और भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

निधन के बाद

2002 में धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद, उनके दो बेटों, मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने रिलायंस समूह के नेतृत्व और प्रबंधन में प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं। हालाँकि, उनके अलग-अलग व्यावसायिक हितों और मतभेदों के कारण अंततः रिलायंस समूह में विभाजन हो गया। धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद क्या हुआ, इसका एक सिंहावलोकन यहां दिया गया है:

  • रिलायंस स्प्लिट (2005): धीरूभाई अंबानी ने जो व्यापारिक साम्राज्य बनाया था, वह 2005 में एक कड़वे और अत्यधिक प्रचारित झगड़े के बाद उनके दो बेटों, मुकेश और अनिल अंबानी के बीच विभाजित हो गया। मुकेश अंबानी ने प्रमुख कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) पर नियंत्रण बरकरार रखा, जिसने पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग और तेल क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया। अनिल अंबानी ने रिलायंस एडीए समूह का अधिग्रहण किया, जिसमें दूरसंचार, बिजली, बुनियादी ढांचे, वित्तीय सेवाओं और मनोरंजन में रुचि शामिल थी।
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल): मुकेश अंबानी ने भारत के सबसे बड़े और सबसे सफल समूहों में से एक के रूप में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) का निर्माण और विस्तार जारी रखा। उनके नेतृत्व में, आरआईएल ने अपने परिचालन में और विविधता लाई, रिलायंस रिटेल के साथ खुदरा और रिलायंस जियो इन्फोकॉम के साथ दूरसंचार में कदम रखा, जिसने अपनी किफायती डेटा सेवाओं के साथ भारतीय दूरसंचार बाजार को बाधित कर दिया।
  • रिलायंस एडीए ग्रुप: अनिल अंबानी के रिलायंस एडीए ग्रुप को बंटवारे के बाद चुनौतीपूर्ण दौर का सामना करना पड़ा। समूह को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, और इसके कई व्यवसायों को उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। अनिल अंबानी ने समूह के ऋण का पुनर्गठन करने और इसके संचालन को सुव्यवस्थित करने की मांग की।
  • कानूनी विवाद : मुकेश और अनिल अंबानी के बीच विभाजन के परिणामस्वरूप विभिन्न व्यावसायिक मुद्दों पर कानूनी विवाद और कानूनी लड़ाई भी हुई, जिसमें रिलायंस साम्राज्य के विभाजन के दौरान किए गए समझौतों पर असहमति भी शामिल थी।
  • बाद के घटनाक्रम: इन वर्षों में, मुकेश और अनिल अंबानी दोनों विभिन्न व्यावसायिक उपक्रमों और पहलों में शामिल रहे। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में और विस्तार किया। अनिल अंबानी के व्यवसायों का पुनर्गठन हुआ और उन्होंने वित्तीय चुनौतियों और ऋण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए काम किया।
  • वित्तीय चुनौतियाँ: रिलायंस एडीए समूह को महत्वपूर्ण वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा, और अनिल अंबानी के व्यवसायों को ऋण मुद्दों के समाधान के लिए डिलीवरेजिंग और संपत्ति की बिक्री की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा।
  • व्यक्तिगत जीवन: मुकेश और अनिल अंबानी दोनों ही भारत के व्यापारिक परिदृश्य में प्रभावशाली व्यक्ति बने रहे, और उनका निजी जीवन सार्वजनिक हित का विषय बना रहा।

लोकप्रिय मीडिया में

धीरूभाई अंबानी और अंबानी परिवार किताबों, वृत्तचित्रों, फिल्मों और लेखों सहित लोकप्रिय मीडिया में रुचि का विषय रहे हैं। भारत के व्यापार और औद्योगिक परिदृश्य पर उनके प्रभाव को दर्शाते हुए, उन्हें विभिन्न तरीकों से चित्रित और चर्चा की गई है। यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि लोकप्रिय मीडिया में अंबानी परिवार को किस तरह चित्रित किया गया है:

     किताबें: धीरूभाई अंबानी और अंबानी परिवार के बारे में कई किताबें लिखी गई हैं, जिसमें उनके साधारण शुरुआत से लेकर औद्योगिक दिग्गज बनने तक की कहानी बताई गई है। कुछ उल्लेखनीय शीर्षकों में शामिल हैं:

  • हामिश मैकडोनाल्ड द्वारा “पॉलिएस्टर प्रिंस: द राइज़ ऑफ़ धीरूभाई अंबानी”।
  • हामिश मैकडोनाल्ड द्वारा “अंबानी एंड संस”।
  • हामिश मैकडोनाल्ड द्वारा “द पॉलिएस्टर प्रिंस: द रियल स्टोरी ऑफ़ धीरूभाई अंबानी”।

     वृत्तचित्र और फ़िल्में:

  • “ द बिलियनेयर राज” (डॉक्यूमेंट्री): जेम्स क्रैबट्री की इसी नाम की किताब पर आधारित यह डॉक्यूमेंट्री, समकालीन भारत में आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों की पड़ताल करती है, जिसमें अंबानी परिवार जैसे व्यापारिक दिग्गजों का उदय भी शामिल है।
  • “ गुरु” (फिल्म): हालांकि फिल्म “गुरु” (2007) धीरूभाई अंबानी का प्रत्यक्ष चित्रण नहीं है, लेकिन एक उद्यमी के रूप में उनके जीवन और उत्थान से काफी हद तक प्रेरित है। अभिषेक बच्चन द्वारा निभाया गया किरदार गुरुकांत देसाई, अंबानी की यात्रा से प्रेरणा लेता है।
  • समाचार और मीडिया कवरेज: अंबानी परिवार, उनके व्यावसायिक उद्यम और उनके निजी जीवन को भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में बड़े पैमाने पर कवर किया गया है। समाचार पत्र, पत्रिकाएँ और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म अक्सर उनकी गतिविधियों, व्यावसायिक रणनीतियों और परोपकारी पहलों के बारे में लेख, साक्षात्कार और विश्लेषण पेश करते हैं।
  • व्यावसायिक प्रकाशन: भारत और विश्व स्तर पर कई व्यावसायिक प्रकाशनों में अंबानी परिवार के बारे में प्रोफ़ाइल और कहानियाँ छपी हैं। ये लेख अक्सर उनकी व्यावसायिक सफलताओं, चुनौतियों और विभिन्न क्षेत्रों में योगदान का पता लगाते हैं।
  • सोशल मीडिया और ऑनलाइन सामग्री: अंबानी परिवार के प्रभाव और गतिविधियों की चर्चा ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब सहित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भी की जाती है और साझा की जाती है। उनके व्यावसायिक प्रयासों, व्यक्तिगत जीवन और परोपकारी प्रयासों से संबंधित वीडियो, साक्षात्कार और लेख व्यापक रूप से प्रसारित किए जाते हैं।

यह ध्यान देने योग्य है कि लोकप्रिय मीडिया में अंबानी परिवार का चित्रण सटीकता, परिप्रेक्ष्य और चित्रण के मामले में भिन्न हो सकता है। जबकि कुछ स्रोतों का उद्देश्य उनकी उपलब्धियों और प्रभाव का एक वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण प्रदान करना है, अन्य विवादों या सनसनीखेज पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। किसी भी विषय की तरह, व्यापक समझ विकसित करने के लिए कई स्रोतों पर विचार करना उचित है।

धीरूभाई अंबानी और उनके परिवार को व्यवसाय, उद्यमिता और परोपकार में उनके योगदान के लिए कई प्रशंसाएं, पुरस्कार और मान्यताएं मिली हैं। यहां उन्हें प्राप्त कुछ उल्लेखनीय प्रशंसाएं दी गई हैं:

धीरू भाई अंबानी:

  • पद्म विभूषण: 2016 में, धीरूभाई अंबानी को व्यापार और उद्योग में उनके असाधारण योगदान के लिए मरणोपरांत भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण मिला।
  • मैन ऑफ द सेंचुरी: 2000 में, धीरूभाई अंबानी को पेट्रोकेमिकल उद्योग में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए केमटेक फाउंडेशन और केमिकल इंजीनियरिंग वर्ल्ड द्वारा “मैन ऑफ द सेंचुरी” नामित किया गया था।
  • लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार: धीरूभाई अंबानी को उनकी दूरदर्शी उद्यमशीलता और भारत की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव के लिए मरणोपरांत व्यापार और उद्योग संगठनों द्वारा विभिन्न लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

मुकेश अंबानी:

  • फॉर्च्यून के बिजनेसपर्सन ऑफ द ईयर: मुकेश अंबानी को रिलायंस इंडस्ट्रीज और इसके विविधीकरण में उनके नेतृत्व और योगदान के लिए फॉर्च्यून की “बिजनेसपर्सन ऑफ द ईयर” की सूची में कई बार शामिल किया गया है।
  • वैश्विक नेतृत्व पुरस्कार: मुकेश अंबानी को आर्थिक विकास और तकनीकी नवाचार को आगे बढ़ाने में उनके नेतृत्व के लिए बिजनेस काउंसिल फॉर इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग (बीसीआईयू) से वैश्विक नेतृत्व पुरस्कार मिला।
  • कॉर्पोरेट उत्कृष्टता के लिए इकोनॉमिक टाइम्स अवार्ड्स: मुकेश अंबानी को विभिन्न क्षेत्रों में रिलायंस इंडस्ट्रीज को एक वैश्विक खिलाड़ी में बदलने में उनकी भूमिका के लिए इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

अनिल अंबानी:

  • युवा वैश्विक नेता: अनिल अंबानी को उनकी उपलब्धियों और नेतृत्व क्षमता के लिए विश्व आर्थिक मंच द्वारा युवा वैश्विक नेता नामित किया गया था।
  • CNBC-TV18 इंडिया बिजनेस लीडर अवार्ड: अनिल अंबानी को बिजनेस और कॉर्पोरेट जगत में उनके योगदान के लिए CNBC-TV18 इंडिया बिजनेस लीडर अवार्ड मिला।
  • लीडरशिप एक्सीलेंस अवार्ड: अनिल अंबानी को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा लीडरशिप एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया।

रिलायंस इंडस्ट्रीज:

  • ग्लोबल ग्रोथ कंपनी: वैश्विक आर्थिक विकास और नवाचार में महत्वपूर्ण योगदान के लिए विश्व आर्थिक मंच द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज को ग्लोबल ग्रोथ कंपनी के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • ऊर्जा और पर्यावरण फाउंडेशन वैश्विक उत्कृष्टता पुरस्कार: रिलायंस इंडस्ट्रीज को पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग और पर्यावरण पहल सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

ये अंबानी परिवार और रिलायंस इंडस्ट्रीज को मिली कई प्रशंसाओं और पुरस्कारों के कुछ उदाहरण हैं। इन सम्मानों के माध्यम से व्यापार, उद्योग और समाज पर उनके प्रभाव को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है और मनाया गया है।

गौतम अडानी जीवन परिचय | Fact | Quotes | Book | Net Worth | Gautam Adani Biography in Hindi

मैकडॉनल्ड्स, हामिश। “द पॉलिएस्टर प्रिंस: द राइज़ ऑफ़ धीरूभाई अंबानी।” पेंगुइन बुक्स इंडिया, 1998।

  • क्रैबट्री, जेम्स। “द बिलियनेयर राज: ए जर्नी थ्रू इंडियाज़ न्यू गिल्डेड एज।” टिम डुग्गन बुक्स, 2018 ।
  • दलाल, सुचेता. “बिग बुल एंड अदर स्टोरीज़: धीरूभाई अंबानी एंड द इंडियन स्टॉक मार्केट्स।” टाटा मैकग्रा-हिल एजुकेशन, 2007 ।
  • देसाई, चेतन. “बैल, बियर और अन्य जानवर: भारतीय स्टॉक मार्केट की एक कहानी।” पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया, 2016 ।
  • फोर्ब्स, फॉर्च्यून, द इकोनॉमिक टाइम्स, ब्लूमबर्ग और बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे प्रतिष्ठित व्यावसायिक प्रकाशनों से विभिन्न लेख और प्रोफाइल।
  • “ द बिलियनेयर राज” और “गुरु” जैसी डॉक्यूमेंट्री और फ़िल्में।
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और संबद्ध कंपनियों की आधिकारिक वेबसाइटें और प्रेस विज्ञप्तियाँ।

यहां धीरूभाई अंबानी, अंबानी परिवार और रिलायंस इंडस्ट्रीज से संबंधित कुछ सामान्य तथ्य दिए गए हैं:

  • मामूली शुरुआत: भारत लौटने और अपनी उद्यमशीलता यात्रा शुरू करने से पहले धीरूभाई अंबानी ने यमन में एक डिस्पैच क्लर्क के रूप में अपना करियर शुरू किया।
  • पॉलिएस्टर क्रांति: धीरूभाई अंबानी ने भारत में सिंथेटिक वस्त्रों को पेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे देश में पॉलिएस्टर कपड़ों का व्यापक उपयोग हुआ।
  • इक्विटी कल्ट: धीरूभाई को भारतीय मध्यम वर्ग के बीच इक्विटी स्वामित्व की अवधारणा को लोकप्रिय बनाने, उन्हें शेयर बाजार के विकास में भाग लेने में सक्षम बनाने का श्रेय दिया जाता है।
  • रिकॉर्ड आईपीओ: 1977 में रिलायंस इंडस्ट्रीज के आईपीओ को लगभग 17 गुना अधिक सब्सक्राइब किया गया था, जो धीरूभाई की नवोन्मेषी फंडिंग विधियों द्वारा उत्पन्न अपार रुचि को दर्शाता है।
  • ऊर्ध्वाधर एकीकरण: धीरूभाई के ऊर्ध्वाधर एकीकरण के दृष्टिकोण के कारण यार्न से लेकर कपड़े तक पॉलिएस्टर के लिए एक एकीकृत विनिर्माण परिसर की स्थापना हुई।
  • विविधीकरण: मुकेश अंबानी के नेतृत्व में, रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने एक नया वैश्विक रिकॉर्ड स्थापित करते हुए, केवल 170 दिनों में 100 मिलियन ग्राहक प्राप्त करने का मील का पत्थर हासिल किया।
  • दुनिया का सबसे बड़ा रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स: रिलायंस इंडस्ट्रीज की जामनगर रिफाइनरी को अक्सर दुनिया का सबसे बड़ा रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स कहा जाता है, जो प्रति दिन 1.2 मिलियन बैरल से अधिक कच्चे तेल का प्रसंस्करण करने में सक्षम है।
  • जियो क्रांति: भारतीय दूरसंचार बाजार में रिलायंस जियो के प्रवेश से डेटा क्रांति हुई, डेटा लागत में नाटकीय रूप से कमी आई और लाखों भारतीयों के लिए डिजिटल पहुंच में बदलाव आया।
  • परोपकार: धीरूभाई अंबानी की स्मृति में स्थापित धीरूभाई अंबानी फाउंडेशन, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल सहित विभिन्न सामाजिक और सामुदायिक पहलों में संलग्न है।
  • वैश्विक पहचान: फोर्ब्स और टाइम मैगजीन ने मुकेश अंबानी को दुनिया के सबसे ताकतवर और प्रभावशाली लोगों में शुमार किया है।

यहां धीरूभाई अंबानी, अंबानी परिवार और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:

  • प्रारंभिक उद्यमिता: धीरूभाई अंबानी ने 17 साल की उम्र में गुजरात के माउंट गिरनार में तीर्थयात्रियों को भजिया (स्नैक्स) बेचकर अपना पहला उद्यमशीलता उद्यम शुरू किया।
  • शून्य से अरबों तक: धीरूभाई अंबानी ने एक छोटे कपड़ा व्यापार व्यवसाय को एक समूह में बदल दिया जिसने भारत की जीडीपी और वैश्विक व्यापार परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • दूरसंचार क्रांति: 2016 में रिलायंस जियो के लॉन्च ने भारतीय दूरसंचार उद्योग में बड़े पैमाने पर बदलाव की शुरुआत की, जिससे लाखों लोगों के लिए डेटा सुलभ और किफायती हो गया और डिजिटल क्रांति को बढ़ावा मिला।
  • दुनिया का सबसे बड़ा क्रैकर: रिलायंस इंडस्ट्रीज का जामनगर पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स दुनिया की सबसे बड़ी क्रैकर सुविधा संचालित करता है, जो विभिन्न प्रकार के पेट्रोकेमिकल उत्पादों का उत्पादन करता है।
  • विनम्र पृष्ठभूमि: मामूली शुरुआत से भारत के सबसे धनी उद्यमियों में से एक बनने तक धीरूभाई अंबानी की अमीर बनने की कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है।
  • प्रेरक वक्ता: धीरूभाई अंबानी के भाषण और बातचीत दुनिया भर के उद्यमियों और व्यापारिक नेताओं को प्रेरित करते रहते हैं।
  • सहोदर प्रतिद्वंद्विता: मुकेश और अनिल अंबानी के बीच विभाजन के कारण हाई-प्रोफाइल सहोदर प्रतिद्वंद्विता और कानूनी लड़ाई हुई, जिसने जनता का ध्यान खींचा।
  • वैश्विक पहचान: रिलायंस इंडस्ट्रीज को कई बार फॉर्च्यून ग्लोबल 500 सूची में शामिल किया गया है, जो वैश्विक व्यापार मंच पर इसके कद को दर्शाता है।
  • कपड़ा क्षेत्र में नेतृत्व: धीरूभाई अंबानी के दृष्टिकोण ने रिलायंस को एक कपड़ा व्यापार कंपनी से कपड़ा और पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों में एक अग्रणी खिलाड़ी में बदल दिया।
  • धर्मार्थ योगदान: अंबानी परिवार सक्रिय रूप से परोपकार में शामिल है, धीरूभाई अंबानी फाउंडेशन और अन्य पहलों के माध्यम से विभिन्न कारणों से योगदान देता है।
  • हरित पहल: रिलायंस इंडस्ट्रीज टिकाऊ प्रथाओं, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश और पर्यावरण-अनुकूल संचालन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • इनोवेटिव फंडिंग: परिवर्तनीय डिबेंचर जारी करने सहित धीरूभाई अंबानी की अनूठी फंडिंग विधियों ने आम निवेशकों को रिलायंस इंडस्ट्रीज के विकास में हितधारक बनने की अनुमति दी।

ये तथ्य धीरूभाई अंबानी की उल्लेखनीय यात्रा, अंबानी परिवार की उपलब्धियों और समग्र रूप से विभिन्न उद्योगों और समाज पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रभाव को दर्शाते हैं।

  • “ यदि आप दृढ़ संकल्प और पूर्णता के साथ काम करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलेगी।”
  • “ बड़ा सोचो, तेजी से सोचो, आगे सोचो। विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है।”
  • “ उत्कृष्टता की खोज एक बार का कार्य नहीं है, बल्कि एक आदत है।”
  • “ हमारे सपने बड़े होने चाहिए। हमारी महत्वाकांक्षाएँ ऊँची होनी चाहिए। हमारी प्रतिबद्धता गहरी होनी चाहिए। और हमारे प्रयास बड़े होने चाहिए।”
  • “ हार मत मानो, साहस ही मेरा दृढ़ विश्वास है।”
  • “ समय सीमा को पूरा करना पर्याप्त नहीं है; समय सीमा को पूरा करना मेरी अपेक्षा है।”

Q1: धीरूभाई अंबानी कौन थे?

A1: धीरूभाई अंबानी (1932-2002) एक भारतीय उद्यमी और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के संस्थापक थे। उन्हें उनकी अग्रणी व्यावसायिक रणनीतियों, नवीन वित्त पोषण विधियों और भारत के औद्योगिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है।

Q2: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड क्या है?

A2: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग, तेल, दूरसंचार, खुदरा और अन्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में रुचि रखने वाले भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक है। इसकी स्थापना धीरूभाई अंबानी द्वारा की गई थी और यह भारतीय और वैश्विक व्यापार बाजारों में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है।

Q3: धीरूभाई अंबानी के प्रमुख योगदान क्या थे?

A3: धीरूभाई अंबानी ने भारत में इक्विटी निवेश की अवधारणा में क्रांति ला दी, जिससे यह आम जनता के लिए सुलभ हो गया। उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की और इसे कई क्षेत्रों में विविधता प्रदान की, नवोन्वेषी फंडिंग विधियों का उपयोग किया और कपड़ा और पेट्रोकेमिकल उद्योगों में ऊर्ध्वाधर एकीकरण हासिल किया।

Q4: धीरूभाई अंबानी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ कौन से विवाद जुड़े थे?

A4: धीरूभाई अंबानी और रिलायंस इंडस्ट्रीज को बाजार में हेरफेर और अनुचित व्यवहार के आरोपों का सामना करना पड़ा, खासकर 1992 के प्रतिभूति घोटाले के दौरान। इन विवादों के कारण कानूनी लड़ाइयाँ और जाँचें हुईं, जिससे कॉर्पोरेट प्रशासन और नैतिकता पर चर्चा में योगदान मिला।

Q5: रिलायंस समूह का विभाजन कैसे हुआ?

A5: धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद, उनके दो बेटों, मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने 2005 में रिलायंस समूह को विभाजित कर दिया। मुकेश ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) पर नियंत्रण बरकरार रखा, जबकि अनिल ने रिलायंस एडीए समूह का अधिग्रहण किया, जिसकी दूरसंचार में रुचि थी। बिजली, बुनियादी ढाँचा, और बहुत कुछ।

Q6: अंबानी परिवार और रिलायंस इंडस्ट्रीज को प्राप्त कुछ प्रशंसाएँ क्या हैं?

A6: अंबानी परिवार और रिलायंस इंडस्ट्रीज को व्यवसाय, उद्यमिता और परोपकार में उनके योगदान को मान्यता देते हुए पद्म विभूषण, फॉर्च्यून के बिजनेसपर्सन ऑफ द ईयर, ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड और अन्य सहित विभिन्न पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

Q7: लोकप्रिय मीडिया में अंबानी परिवार और रिलायंस इंडस्ट्रीज को कैसे चित्रित किया गया है?

A7: अंबानी परिवार किताबों, वृत्तचित्रों, फिल्मों, लेखों और समाचार कवरेज का विषय रहा है। उन्हें अक्सर भारत के व्यापारिक परिदृश्य में प्रभावशाली शख्सियतों के रूप में चित्रित किया जाता है, उनकी सफलताओं और विवादों को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जाता है।

Q8: धीरूभाई अंबानी और रिलायंस इंडस्ट्रीज की विरासत क्या है?

A8: धीरूभाई अंबानी की विरासत में इक्विटी निवेश को लोकतांत्रिक बनाने, नवीन व्यावसायिक प्रथाओं को आगे बढ़ाने और रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना करने में उनकी भूमिका शामिल है। समूह की विरासत में भारत के औद्योगीकरण और विभिन्न क्षेत्रों में इसके विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान शामिल है।

किम कर्दाशियन जीवन परिचय |  Fact | Quotes | GK | Net Worth | Kim Kardashian Biography in Hindi

Kardashian Biography in Hindi

किम कार्दशियन एक प्रसिद्ध अमेरिकी मीडिया हस्ती, सोशलाइट, बिजनेसवुमन और मॉडल हैं। उन्होंने रियलिटी टेलीविज़न के माध्यम से महत्वपूर्ण प्रसिद्धि प्राप्त की, विशेष रूप से शो “कीपिंग अप विद द कार्दशियन” से, जिसका प्रीमियर 2007 में हुआ और जिसमें उनके और उनके परिवार के सदस्यों के जीवन पर आधारित था।

  • 21 अक्टूबर, 1980 को लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में जन्मी किम कार्दशियन ने शुरुआत में अपनी सोशलाइट स्थिति और हॉलीवुड से संबंधों के कारण ध्यान आकर्षित किया। हालाँकि, 2007 में एक निजी सेक्स टेप के रिलीज़ होने के बाद उनकी लोकप्रियता आसमान छू गई, जिसके बाद उनके परिवार का रियलिटी टीवी शो आया।
  • इन वर्षों में, किम कार्दशियन अपने नाम के आसपास एक ब्रांड बनाने में कामयाब रही हैं और विभिन्न व्यावसायिक उपक्रमों में शामिल रही हैं। उसने कई कपड़े और सुगंध लाइनें, मेकअप उत्पाद और मोबाइल ऐप लॉन्च किए हैं। उनके सबसे सफल उपक्रमों में से एक उनकी मेकअप लाइन, केकेडब्ल्यू ब्यूटी है।
  • अपने व्यावसायिक प्रयासों के अलावा, कार्दशियन विभिन्न परोपकारी गतिविधियों में भी शामिल रही हैं और उन्होंने सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने मंच का उपयोग किया है। उन्होंने आपराधिक न्याय सुधार की वकालत की है और उन कैदियों की रिहाई की सफलतापूर्वक वकालत की है जो अहिंसक अपराधों के लिए लंबी सजा काट रहे थे।
  • किम कार्दशियन की निजी जिंदगी ने भी मीडिया का काफी ध्यान खींचा है। उसकी कई बार शादी हो चुकी है, विशेषकर डेमन थॉमस, क्रिस हम्फ्रीज़ और कान्ये वेस्ट से। कान्ये वेस्ट से उनके चार बच्चे हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

किम कार्दशियन का जन्म 21 अक्टूबर 1980 को लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में रॉबर्ट कार्दशियन और क्रिस जेनर (पूर्व में क्रिस कार्दशियन) के घर हुआ था। उसके तीन भाई-बहन हैं: कर्टनी, ख्लोए और रॉब कार्दशियन, साथ ही उसकी माँ की ओर से दो सौतेली बहनें, केंडल और काइली जेनर।

  • उनके पिता, रॉबर्ट कार्दशियन, एक प्रमुख वकील थे और उन्होंने ओ.जे. में बचाव पक्ष के वकीलों में से एक के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया था। 1990 के दशक के मध्य में सिम्पसन हत्या का मुकदमा। उनकी मां क्रिस जेनर ने बाद में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता कैटिलिन जेनर (पहले ब्रूस जेनर के नाम से जानी जाती थीं) से दोबारा शादी की।
  • किम कार्दशियन ने लॉस एंजिल्स में एक रोमन कैथोलिक ऑल-गर्ल्स स्कूल, मैरीमाउंट हाई स्कूल में पढ़ाई की। हाई स्कूल से स्नातक होने के बाद, उन्होंने कुछ समय के लिए पियर्स कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन कॉलेज की डिग्री हासिल नहीं की। इसके बजाय, वह अपने परिवार के विभिन्न व्यावसायिक उपक्रमों में शामिल हो गईं और अपना निजी ब्रांड बनाना शुरू कर दिया।
  • उनके प्रारंभिक वयस्क जीवन में पेरिस हिल्टन सहित मशहूर हस्तियों के लिए स्टाइलिस्ट के रूप में काम करना शामिल था, जिसने मीडिया और मनोरंजन उद्योग में उनके शुरुआती प्रदर्शन में योगदान दिया। 2007 में किम कार्दशियन और उनके तत्कालीन प्रेमी रे जे की विशेषता वाले एक निजी सेक्स टेप की रिलीज़ ने भी उन्हें लोगों की नजरों में ला दिया।
  • 2007 में प्रीमियर हुए रियलिटी टेलीविजन शो “कीपिंग अप विद द कार्दशियन” ने किम कार्दशियन और उनके परिवार को और भी अधिक प्रसिद्धि और ध्यान दिलाया। शो ने उनके निजी जीवन, रिश्तों और व्यावसायिक प्रयासों को प्रदर्शित किया, जिसने किम को एक मीडिया व्यक्तित्व और व्यवसायी महिला के रूप में उभरने में योगदान दिया।

आजीविका – शुरुआत (2003-2006)

किम कार्दशियन के करियर ने 2000 के दशक की शुरुआत में अपने परिवार के रियलिटी टीवी शो “कीपिंग अप विद द कार्दशियन” के लॉन्च से पहले गति पकड़नी शुरू कर दी थी। उस अवधि के दौरान उनके करियर की कुछ प्रमुख झलकियाँ इस प्रकार हैं:

  • स्टाइलिस्ट और पर्सनल शॉपर: 2000 के दशक की शुरुआत में, किम कार्दशियन ने अपने दोस्त पेरिस हिल्टन सहित विभिन्न मशहूर हस्तियों के लिए स्टाइलिस्ट और पर्सनल शॉपर के रूप में काम किया। इस भूमिका ने उन्हें मनोरंजन उद्योग के भीतर संबंध स्थापित करने में मदद की और उनके शुरुआती प्रदर्शन में योगदान दिया।
  • सेक्स टेप विवाद: 2007 में, किम कार्दशियन और उनके तत्कालीन प्रेमी रे जे का एक निजी सेक्स टेप ऑनलाइन लीक हो गया था। टेप की रिलीज़ ने मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया और कार्दशियन को सुर्खियों में ला दिया। हालाँकि यह विवाद उनके करियर के लिए हानिकारक हो सकता था, कार्दशियन और उनका परिवार इसे अपने ब्रांड के निर्माण के लिए एक मंच में बदलने में कामयाब रहे।
  • बिजनेस वेंचर्स: रियलिटी शो के लॉन्च से पहले, किम कार्दशियन पहले से ही बिजनेस वेंचर्स में शामिल थीं। उन्होंने और उनकी बहनों ने 2006 में कैलाबास, कैलिफ़ोर्निया में D-A-S-H नामक एक बुटीक कपड़ों की दुकान शुरू की। यह दुकान बाद में उनके रियलिटी शो का एक महत्वपूर्ण तत्व बन गई।
  • मॉडलिंग और विज्ञापन: किम कार्दशियन ने एक मॉडल और सोशलाइट के रूप में ध्यान आकर्षित करना शुरू किया। वह विभिन्न फोटो शूट और प्रचार कार्यक्रमों में दिखाई दीं, धीरे-धीरे अपना व्यक्तिगत ब्रांड बनाया और अनुसरण किया। उनकी सोशलाइट स्थिति, कनेक्शन और उपस्थिति ने उन्हें कार्यक्रमों में समर्थन और उपस्थिति हासिल करने में मदद की।
  • रेड कार्पेट उपस्थिति: रेड कार्पेट और हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों में कार्दशियन की उपस्थिति ने मीडिया में उनकी बढ़ती दृश्यता में योगदान दिया। वह अपने फैशन सेंस और स्टाइल के लिए पहचानी जाने लगीं, जिसने और अधिक ध्यान आकर्षित किया।

इस प्रारंभिक अवधि के दौरान, किम कार्दशियन के करियर की विशेषता मनोरंजन और फैशन उद्योगों में खुद को स्थापित करने के लिए अपने कनेक्शन और दृश्यता का लाभ उठाने के उनके प्रयासों की थी। सेक्स टेप की रिलीज़, जो कि विवादास्पद थी, ने उसे लोगों की नज़रों में लाने और उसके भविष्य के प्रयासों के लिए मंच तैयार करने में भूमिका निभाई।

निर्णायक (2007-2010)

किम कार्दशियन को सफलता 2007 और 2010 के बीच मिली, जिसका मुख्य कारण रियलिटी टीवी शो “कीपिंग अप विद द कार्दशियन” का लॉन्च और उनकी बढ़ती प्रसिद्धि को भुनाने की उनकी क्षमता थी। इस अवधि की मुख्य झलकियाँ इस प्रकार हैं:

  • “ कीपिंग अप विद द कार्दशियन”: रियलिटी टेलीविजन शो का प्रीमियर 14 अक्टूबर 2007 को हुआ। यह शो कार्दशियन-जेनर परिवार के जीवन का अनुसरण करता है, जो उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन पर केंद्रित है। किम कार्दशियन के जीवंत व्यक्तित्व के साथ-साथ उनके परिवार की गतिशीलता ने तुरंत दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। शो की सफलता ने उनकी प्रसिद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • व्यक्तिगत ब्रांडिंग: इस अवधि के दौरान, किम कार्दशियन ने रणनीतिक रूप से अपना व्यक्तिगत ब्रांड बनाया। उन्होंने समर्थन, उपस्थिति और अवसरों को आकर्षित करने के लिए अपनी सोशलाइट स्थिति, फैशन समझ और सार्वजनिक व्यक्तित्व का लाभ उठाया। शो में कार्दशियन परिवार की दृश्यता ने प्रत्येक सदस्य को उनकी व्यक्तिगत गतिविधियों के लिए पहचान हासिल करने में मदद की।
  • फैशन और शैली का प्रभाव: कार्दशियन की फैशन पसंद और शैली का लोकप्रिय संस्कृति पर काफी प्रभाव पड़ने लगा। उनके आउटफिट, मेकअप लुक और बालों की पसंद ने ध्यान आकर्षित किया और अक्सर ट्रेंड सेट किया। उन्होंने अपने मंच का उपयोग डिजाइनरों के साथ सहयोग करने और फैशन ब्रांडों को बढ़ावा देने के लिए किया।
  • व्यावसायिक उद्यमों का विस्तार: किम कार्दशियन और उनकी बहनों ने इस अवधि के दौरान अपने व्यावसायिक उद्यमों का विस्तार किया। उन्होंने एक कपड़ों की लाइन, कार्दशियन कोलेक्शन लॉन्च की, जिसे विभिन्न डिपार्टमेंट स्टोर्स में बेचा गया। किम ने खुशबू क्षेत्र में भी कदम रखा और विभिन्न सौंदर्य और फैशन उत्पादों का प्रचार किया।
  • सार्वजनिक उपस्थिति और समर्थन: रेड कार्पेट कार्यक्रमों, पार्टियों और सार्वजनिक उपस्थिति में कार्दशियन की उपस्थिति मीडिया का ध्यान आकर्षित करती रही। अपने बढ़ते प्रभाव और लोकप्रियता का लाभ उठाते हुए उसने ब्रांडों के साथ आकर्षक विज्ञापन सौदे हासिल करना भी शुरू कर दिया।
  • सोशल मीडिया का उपयोग: किम कार्दशियन ने प्रशंसकों से जुड़ने और अपनी सार्वजनिक छवि बनाए रखने के लिए ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की शक्ति को अपनाया। उन्होंने अपने जीवन और काम की पर्दे के पीछे की झलकियाँ साझा कीं और अपने दर्शकों को और अधिक आकर्षित किया।
  • स्पिन-ऑफ और विस्तार: जैसे ही “कीपिंग अप विद द कार्दशियन” ने लोकप्रियता हासिल की, विशिष्ट परिवार के सदस्यों और उनके प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई स्पिन-ऑफ शो बनाए गए। इन स्पिन-ऑफ़ ने किम और उनकी बहनों को अपने जीवन और व्यवसाय को प्रदर्शित करने के लिए अतिरिक्त मंच प्रदान किए।

इस अवधि के दौरान, किम कार्दशियन की सफलता की विशेषता रियलिटी शो और उनके व्यक्तिगत ब्रांडिंग प्रयासों से उत्पन्न ध्यान को भुनाने की उनकी क्षमता थी। उन्होंने रणनीतिक रूप से अपनी प्रसिद्धि को विभिन्न व्यावसायिक अवसरों में बदल दिया, जिससे वह एक प्रमुख मीडिया व्यक्तित्व और व्यवसायी महिला बन गईं।

निरंतर प्रदर्शन (2011-2016)

2011 से 2016 तक, किम कार्दशियन ने अपने उच्च स्तर के प्रदर्शन को बनाए रखा, अपने ब्रांड का और विस्तार किया और विभिन्न उद्यमों में संलग्न रही। इस अवधि की मुख्य झलकियाँ इस प्रकार हैं:

  • विवाह और तलाक: अगस्त 2011 में, किम कार्दशियन ने व्यापक रूप से प्रचारित शादी में एनबीए खिलाड़ी क्रिस हम्फ्रीज़ से शादी की। शादी एक भव्य आयोजन था और इसने मीडिया का पर्याप्त ध्यान आकर्षित किया। हालाँकि, उनकी शादी केवल 72 दिनों तक चली और कार्दशियन ने तलाक के लिए दायर किया, जिसे महत्वपूर्ण मीडिया कवरेज भी मिला।
  • सौंदर्य उद्यमों का विस्तार: किम ने अपनी खुशबू लाइन और मेकअप उत्पादों को लॉन्च करके सौंदर्य उद्योग में कदम रखा। 2012 में, उन्होंने अपनी पहली खुशबू, “ट्रू रिफ्लेक्शन” लॉन्च की और बाद में अपनी बहनों के साथ सुगंध पर भी सहयोग किया। उन्होंने अपनी सुंदरता और मेकअप लाइन के साथ पर्याप्त सफलता हासिल की, जिससे इस उद्योग में और विस्तार के लिए मंच तैयार हुआ।
  • फैशन सहयोग: किम ने विभिन्न फैशन डिजाइनरों और ब्रांडों के साथ सहयोग किया। उन्होंने आकर्षक उत्पादों को बनाने के लिए अक्सर अपनी व्यक्तिगत शैली और प्रभाव का उपयोग करते हुए फैशन लाइनों और संग्रहों पर काम किया। उनका सहयोग कपड़े, सहायक उपकरण और स्विमवीयर तक फैला हुआ था।
  • स्पष्ट व्यक्तिगत क्षण: इस अवधि के दौरान किम कार्दशियन की सोशल मीडिया उपस्थिति और भी महत्वपूर्ण हो गई। उन्होंने अपने निजी जीवन की स्पष्ट झलकियाँ साझा कीं, जिनमें उनके रिश्ते, पारिवारिक पल और यात्राएँ शामिल हैं। प्रशंसकों के साथ इस जुड़ाव ने उन्हें अपने दर्शकों के साथ दृश्यता और जुड़ाव बनाए रखने में मदद की।
  • मातृत्व फैशन और मातृत्व: कार्दशियन की गर्भावस्था और मातृत्व फैशन विकल्पों ने पर्याप्त ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने अपने विकसित होते शरीर को अपनाया और अपनी मातृत्व शैली का प्रदर्शन किया, जिससे भावी माताओं के लिए फैशन के रुझान प्रभावित हुए। मातृत्व की उनकी यात्रा प्रशंसकों और मीडिया के लिए दिलचस्पी का विषय थी।
  • मोबाइल ऐप्स और वीडियो गेम: किम कार्दशियन ने मोबाइल ऐप्स और वीडियो गेम की दुनिया में प्रवेश करके अपने व्यावसायिक उद्यमों में और विविधता ला दी। उन्होंने 2014 में मोबाइल गेम “किम कार्दशियन: हॉलीवुड” लॉन्च किया, जिसने खिलाड़ियों को अपने स्वयं के सेलिब्रिटी अवतार बनाने और प्रसिद्धि और फैशन की आभासी दुनिया का अनुभव करने की अनुमति दी।
  • सामाजिक वकालत और परोपकार: अपने मनोरंजन और व्यावसायिक गतिविधियों को बनाए रखते हुए, किम परोपकारी प्रयासों में भी लगी रहीं। वह विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में शामिल हो गईं, जिनमें एड्स के लिए जागरूकता अभियानों का समर्थन करना और आपराधिक न्याय सुधार की वकालत करना शामिल है।
  • निरंतर रियलिटी टीवी सफलता: “कीपिंग अप विद द कार्दशियन” इस अवधि के दौरान प्रसारित होता रहा, जिसने अपनी लोकप्रियता बनाए रखी और किम के निरंतर प्रदर्शन में योगदान दिया। इस शो ने उनके निजी जीवन, रिश्तों और उभरते करियर के बारे में जानकारी प्रदान की।

इन वर्षों के दौरान, लोकप्रिय संस्कृति में किम कार्दशियन की उपस्थिति मजबूत बनी रही, और उन्होंने अपने ब्रांड का विस्तार करने और सार्वजनिक हित बनाए रखने के लिए विभिन्न प्लेटफार्मों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया। उनकी उद्यमशीलता की भावना, प्रशंसकों के साथ जुड़ाव और बदलते रुझानों के अनुकूल होने की क्षमता ने उनके निरंतर प्रदर्शन और प्रभाव में योगदान दिया।

व्यवसाय और अभिनय उद्यम (2017–मौजूदा)

2017 से वर्तमान तक, किम कार्दशियन ने अपने व्यापारिक साम्राज्य का विस्तार करना और अभिनय के अवसरों का पता लगाना जारी रखा है। इस अवधि की कुछ प्रमुख झलकियाँ इस प्रकार हैं:

     सौंदर्य और खुशबू का विस्तार: किम कार्दशियन ने 2017 में केकेडब्ल्यू ब्यूटी के लॉन्च के साथ अपने सौंदर्य साम्राज्य का विस्तार किया। ब्रांड ने शुरुआत में अपने समोच्च और हाइलाइटर किट के लिए ध्यान आकर्षित किया। बाद में इसमें मेकअप उत्पादों और सुगंधों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करने के लिए विस्तार किया गया। ब्रांड की सफलता ने किम को सौंदर्य उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में स्थापित करने में योगदान दिया।

     स्किम्स शेपवियर: 2019 में, किम ने स्किम्स लॉन्च किया, जो सभी प्रकार के शरीर के लिए डिज़ाइन किए गए शेपवियर और लाउंजवियर की एक श्रृंखला है। ब्रांड आरामदायक और सहायक अंडरगारमेंट्स प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है और इसकी समावेशिता और रंगों की विविध रेंज के लिए इसे सकारात्मक ध्यान मिला है।

     आपराधिक न्याय सुधार की वकालत: इस अवधि के दौरान आपराधिक न्याय सुधार में किम कार्दशियन की भागीदारी जारी रही। वह अहिंसक अपराधियों की रिहाई के लिए एक वकील बन गईं और कई व्यक्तियों की रिहाई सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो निम्न-स्तरीय अपराधों के लिए लंबी सजा काट रहे थे।

     अभिनय भूमिकाएँ और परियोजनाएँ: किम कार्दशियन ने अभिनय के अवसरों की खोज की और कुछ टेलीविजन शो और फिल्मों में दिखाई दीं। उनकी भूमिकाओं में अक्सर स्वयं की भूमिका निभाना या अतिथि भूमिका निभाना शामिल होता था। हालांकि उनका प्राथमिक ध्यान नहीं था, मनोरंजन उद्योग में उनकी उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

     सोशल मीडिया प्रभाव: किम ने अपने ब्रांडों को बढ़ावा देने, व्यक्तिगत अपडेट साझा करने और अपने दर्शकों के साथ जुड़ने के लिए अपने विशाल सोशल मीडिया का लाभ उठाना जारी रखा। इंस्टाग्राम, ट्विटर और अन्य प्लेटफार्मों पर उनकी पोस्ट ने महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित करना जारी रखा।

     कानूनी अध्ययन और आकांक्षाएँ: हाल के वर्षों में, किम कार्दशियन ने कानूनी अध्ययन करने और वकील बनने में रुचि व्यक्त की है। उसने एक लॉ फर्म में चार साल की प्रशिक्षुता शुरू की और कैलिफोर्निया बार परीक्षा देने का लक्ष्य रखा। यह निर्णय आपराधिक न्याय सुधार में उनके काम और कानूनी प्रणाली में सकारात्मक प्रभाव डालने की उनकी इच्छा से प्रभावित था।

     परिवार के रियलिटी शो का निष्कर्ष: “कीपिंग अप विद द कार्दशियन” ने 20 सीज़न के बाद 2021 में अपना प्रदर्शन समाप्त किया। यह शो किम के करियर का एक केंद्रीय हिस्सा रहा है और इसने उनकी सार्वजनिक छवि को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

     चल रहे उद्यमशीलता उद्यम: किम कार्दशियन की उद्यमशीलता सुंदरता और फैशन से परे फैली हुई है। उन्होंने अपने ब्रांडों से संबंधित पुस्तकों और व्यापारिक वस्तुओं सहित विभिन्न व्यापारिक वस्तुएं लॉन्च कीं। उनके उद्यम विभिन्न उद्योगों तक फैले हुए थे, जो उनके व्यावसायिक हितों में विविधता लाने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित करते थे।

इस पूरी अवधि के दौरान, किम कार्दशियन ने एक मीडिया व्यक्तित्व, उद्यमी और प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी। नए अवसरों को अपनाने की उनकी क्षमता, वकालत के काम के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने दर्शकों के साथ उनके निरंतर जुड़ाव ने उनकी निरंतर सफलता और प्रासंगिकता में योगदान दिया।

व्यक्तिगत जीवन – रिश्ते

किम कार्दशियन का निजी जीवन और रिश्ते महत्वपूर्ण मीडिया कवरेज का विषय रहे हैं। यहां उनके रिश्तों के बारे में कुछ मुख्य बातें दी गई हैं:

  • डेमन थॉमस: किम कार्दशियन की पहली शादी म्यूजिक प्रोड्यूसर डेमन थॉमस से हुई थी। उनकी शादी 2000 में हुई जब वह सिर्फ 19 साल की थीं। यह शादी 2004 तक चली और तलाक के साथ ख़त्म हुई।
  • रे जे और सेक्स टेप विवाद: गायक रे जे के साथ किम कार्दशियन के रिश्ते ने 2007 में लीक हुए उनके निजी सेक्स टेप के कारण काफी ध्यान आकर्षित किया। टेप की रिलीज ने कार्दशियन को सुर्खियों में ला दिया और उनकी प्रसिद्धि को बढ़ाने में भूमिका निभाई।
  • क्रिस हम्फ्रीज़: एनबीए खिलाड़ी क्रिस हम्फ्रीज़ के साथ किम कार्दशियन की हाई-प्रोफाइल शादी मीडिया के ध्यान का एक प्रमुख केंद्र थी। इस जोड़े ने तूफानी प्रेमालाप के बाद मई 2011 में सगाई कर ली और अगस्त 2011 में एक भव्य विवाह समारोह आयोजित किया। हालांकि, उनकी शादी केवल 72 दिनों के बाद समाप्त हो गई, कार्दशियन ने अक्टूबर 2011 में तलाक के लिए अर्जी दी। तलाक की प्रक्रिया अगले महीनों में चली और पर्याप्त मीडिया कवरेज आकर्षित किया।
  • कान्ये वेस्ट : किम कार्दशियन के सबसे प्रसिद्ध रिश्तों में से एक रैपर और फैशन डिजाइनर कान्ये वेस्ट के साथ रहा है। दोनों ने 2012 में डेटिंग शुरू की और उनके हाई-प्रोफाइल स्टेटस के कारण उनके रिश्ते ने तेजी से ध्यान आकर्षित किया। अक्टूबर 2013 में उनकी सगाई हुई और मई 2014 में फ्लोरेंस, इटली में एक भव्य समारोह में शादी हुई। उनके चार बच्चे हैं: नॉर्थ, सेंट, शिकागो और भजन।
  • कान्ये वेस्ट से तलाक: शादी के लगभग सात साल बाद, किम कार्दशियन ने फरवरी 2021 में कान्ये वेस्ट से तलाक के लिए अर्जी दी। उनके अलगाव ने मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया, विशेष रूप से उनके सार्वजनिक व्यक्तित्व और उनके व्यक्तिगत करियर की जटिलताओं को देखते हुए।
  • सह-पालन और बच्चों पर ध्यान: कान्ये वेस्ट से तलाक के बाद, किम कार्दशियन ने अपने बच्चों के सह-पालन-पोषण के महत्व पर जोर दिया है। वह और वेस्ट दोनों ही अपनी शादी के ख़त्म होने के बावजूद अपने बच्चों के लिए सकारात्मक माहौल बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता के बारे में खुले हैं।
  • अन्य रिश्ते: अपने करियर के दौरान, किम कार्दशियन को मीडिया में विभिन्न व्यक्तियों से जोड़ा गया है, हालांकि इन सभी रिश्तों को उनकी शादी और कान्ये वेस्ट के साथ साझेदारी के रूप में उतना प्रचारित नहीं किया गया है।

किम कार्दशियन की धार्मिक पृष्ठभूमि और मान्यताएं मीडिया में रुचि और चर्चा का विषय रही हैं। उनका पालन-पोषण एक ईसाई घराने में हुआ, उनके पिता, रॉबर्ट कार्दशियन, अर्मेनियाई वंश के थे और उनकी माँ, क्रिस जेनर, डच, अंग्रेजी और स्कॉटिश वंश की थीं। परिवार की धार्मिक पृष्ठभूमि अर्मेनियाई रूढ़िवादी ईसाई धर्म है।

अपनी व्यक्तिगत मान्यताओं के संदर्भ में, किम कार्दशियन ने विभिन्न अवसरों पर अपने ईसाई धर्म के बारे में बात की है। उसने चर्च जाने और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने का उल्लेख किया है। इसके अतिरिक्त, कार्दशियन परिवार क्रिसमस और ईस्टर जैसी ईसाई छुट्टियां मनाने के लिए जाना जाता है।

यह ध्यान देने योग्य है कि कार्दशियन की सार्वजनिक छवि और प्रदर्शन को उनके मनोरंजन करियर और उनके विभिन्न व्यावसायिक उद्यमों ने आकार दिया है। हालाँकि उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन की झलकियाँ साझा की हैं, जिसमें उनकी आस्था से जुड़े क्षण भी शामिल हैं, लेकिन उनकी धार्मिक मान्यताओं पर मीडिया में उनके जीवन के अन्य पहलुओं की तरह व्यापक रूप से चर्चा नहीं की गई है।

स्वास्थ्य एवं गर्भधारण

किम कार्दशियन का स्वास्थ्य और गर्भावस्था वर्षों से मीडिया के ध्यान और चर्चा का विषय रही है। यहां उनके स्वास्थ्य और गर्भधारण के संबंध में कुछ मुख्य बातें दी गई हैं:

  • गर्भावस्था और प्रसव: किम कार्दशियन अपनी गर्भावस्था और प्रसव के अनुभवों के बारे में खुलकर बात करती रही हैं। उन्होंने विभिन्न अवसरों पर अपनी गर्भावस्थाओं के बारे में विवरण साझा किया है, जिसमें उनके सामने आने वाली चुनौतियाँ भी शामिल हैं। उन्होंने अपनी गर्भावस्था के दौरान कठिनाइयों का अनुभव किया, जिसमें प्रीक्लेम्पसिया जैसी स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ भी शामिल थीं, एक ऐसी स्थिति जो गर्भवती महिलाओं को प्रभावित कर सकती है।
  • नॉर्थ वेस्ट: किम कार्दशियन की पहली संतान, नॉर्थ वेस्ट, का जन्म 15 जून 2013 को हुआ था। उनकी गर्भावस्था और नॉर्थ के जन्म को पर्याप्त मीडिया कवरेज मिला।
  • सेंट वेस्ट: किम और कान्ये वेस्ट का दूसरा बच्चा, सेंट वेस्ट नाम का एक बेटा, 5 दिसंबर 2015 को पैदा हुआ था।
  • शिकागो वेस्ट: किम और कान्ये की तीसरी संतान, शिकागो वेस्ट नाम की एक बेटी, का जन्म 15 जनवरी, 2018 को सरोगेट के माध्यम से हुआ था। किम कार्दशियन को अपनी गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं का सामना करना पड़ा जिसके कारण शिकागो के बच्चे के जन्म के लिए सरोगेट का उपयोग करने का निर्णय लिया गया।
  • भजन पश्चिम: किम और कान्ये का चौथा बच्चा, भजन पश्चिम नाम का एक बेटा, 9 मई, 2019 को सरोगेट के माध्यम से पैदा हुआ था।
  • स्वास्थ्य वकालत: किम कार्दशियन मातृ स्वास्थ्य और प्रीक्लेम्पसिया जैसी स्थितियों से जुड़े जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी शामिल रही हैं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और सहायता की वकालत करने के लिए अपने मंच का उपयोग किया है।
  • एंडोमेट्रियोसिस: किम कार्दशियन ने एंडोमेट्रियोसिस से अपने संघर्ष के बारे में खुलकर बात की है, एक चिकित्सीय स्थिति जिसमें गर्भाशय की परत के समान ऊतक गर्भाशय के बाहर बढ़ता है। उन्होंने इस स्थिति और अपनी प्रजनन क्षमता पर इसके प्रभाव के बारे में अपने अनुभव साझा किए हैं।
  • कल्याण और स्वास्थ्य: वर्षों से, कार्दशियन स्वास्थ्य और कल्याण के समर्थक रहे हैं। वह फिटनेस दिनचर्या, आहार परिवर्तन और अन्य जीवनशैली विकल्पों में शामिल रही हैं जिन्हें उन्होंने अपने दर्शकों के साथ साझा किया है।

किम कार्दशियन की कुल संपत्ति $1.9 बिलियन आंकी गई है। वह अपनी सौतेली बहन काइली जेनर के बाद दूसरी सबसे अमीर कार्दशियन-जेनर बहन हैं।

कार्दशियन की संपत्ति विभिन्न स्रोतों से आती है , जिनमें शामिल हैं:

  • उनका रियलिटी टीवी करियर: कार्दशियन 2007 से रियलिटी टीवी शो कीपिंग अप विद द कार्दशियन की स्टार रही हैं। यह शो अविश्वसनीय रूप से सफल रहा है, और कार्दशियन ने इससे लाखों डॉलर कमाए हैं।
  • उनके व्यावसायिक उद्यम: कार्दशियन ने कई सफल व्यवसाय शुरू किए हैं, जिनमें केकेडब्ल्यू ब्यूटी, स्किम्स और एसकेकेएन बाय किम शामिल हैं। इन व्यवसायों से उन्हें अच्छी खासी आय प्राप्त हुई है।
  • समर्थन सौदे: कार्दशियन ने फैशन ब्रांड, सौंदर्य प्रसाधन और सुगंध सहित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला का समर्थन किया है। इन विज्ञापन सौदों से उसने लाखों डॉलर कमाए हैं।
  • सोशल मीडिया पर प्रभाव: कार्दशियन के सोशल मीडिया पर 300 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं। वह अपने व्यवसायों और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अपने मंच का उपयोग करती है, और वह प्रायोजित पोस्ट से पैसा भी कमाती है।

कार्दशियन एक बेहद सफल बिजनेसवुमन और उद्यमी हैं। उन्होंने अपने रियलिटी टीवी करियर, व्यावसायिक उद्यमों, विज्ञापन सौदों और सोशल मीडिया प्रभाव के माध्यम से कई अरब डॉलर का साम्राज्य बनाया है। वह दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली लोगों में से एक हैं और उनकी संपत्ति उनकी सफलता का प्रमाण है।

यहां स्रोत के आधार पर किम कार्दशियन की कुल संपत्ति का विवरण दिया गया है:

  • रियलिटी टीवी: $500 मिलियन
  • व्यवसाय: $1 बिलियन
  • समर्थन सौदे: $300 मिलियन
  • सोशल मीडिया प्रभाव: $100 मिलियन

गौरतलब है कि किम कार्दशियन की नेटवर्थ लगातार बदल रही है। वह हमेशा नए व्यवसाय और उत्पाद लॉन्च कर रही है, और वह नए विज्ञापन सौदों पर भी बातचीत कर रही है। संभावना है कि आने वाले वर्षों में उसकी निवल संपत्ति बढ़ती रहेगी।

पेरिस डकैती

अक्टूबर 2016 में, किम कार्दशियन ने एक दर्दनाक घटना का अनुभव किया जिसे पेरिस डकैती के रूप में जाना जाता है। यहां घटना का मुख्य विवरण दिया गया है:

  • 2 अक्टूबर 2016 की रात किम कार्दशियन पेरिस फैशन वीक के लिए पेरिस में ठहरी थीं। वह शहर के एक लग्जरी अपार्टमेंट में रह रही थी। 3 अक्टूबर के शुरुआती घंटों के दौरान, हथियारबंद व्यक्तियों का एक समूह उसके अपार्टमेंट में घुस गया। उन्होंने उसे बाँध दिया, उसका मुँह बंद कर दिया और बंदूक की नोक पर उसे पकड़ लिया।
  • लुटेरों ने किम कार्दशियन के पास से कई मूल्यवान वस्तुएं चुरा लीं, जिनमें लाखों डॉलर के गहने भी शामिल थे। चुराए गए गहनों में कान्ये वेस्ट की उसकी सगाई की अंगूठी भी शामिल थी, जो अत्यधिक प्रचारित और विशिष्ट थी।
  • डकैती के बाद, किम कार्दशियन को शारीरिक रूप से कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इस घटना से उन्हें काफी आघात पहुंचा। कुछ ही समय बाद वह संयुक्त राज्य अमेरिका लौट आईं और कुछ समय तक काफी हद तक कम प्रोफ़ाइल में रहीं।
  • किम कार्दशियन की हाई-प्रोफाइल स्थिति के कारण पेरिस डकैती को व्यापक मीडिया कवरेज मिला। इस घटना ने सोशल मीडिया के युग में सुरक्षा और गोपनीयता के बारे में चिंताएं बढ़ा दीं, क्योंकि माना जाता था कि कार्दशियन की ऑनलाइन उपस्थिति ने उसके स्थान और संपत्ति को अधिक दृश्यमान बनाने में भूमिका निभाई थी।
  • डकैती में शामिल संदिग्धों को अंततः पकड़ लिया गया और फ्रांस में मुकदमा चलाया गया। कुछ व्यक्तियों को डकैती के संबंध में दोषी ठहराया गया और सजा दी गई।
  • इस घटना का किम कार्दशियन के निजी जीवन और सोशल मीडिया पर उनके जीवन के बारे में विवरण साझा करने के दृष्टिकोण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इसने उन सुरक्षा उपायों के बारे में भी चर्चा को प्रेरित किया जो मशहूर हस्तियों और हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों को अपनी और अपने सामान की सुरक्षा के लिए करने की आवश्यकता है।

सक्रियतावाद

किम कार्दशियन जागरूकता बढ़ाने और सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने के लिए अपने मंच का उपयोग करते हुए विभिन्न प्रकार की सक्रियता और वकालत में शामिल रही हैं। उनके कुछ उल्लेखनीय सक्रियता प्रयासों में शामिल हैं:

     आपराधिक न्याय सुधार: किम कार्दशियन के सबसे प्रमुख वकालत क्षेत्रों में से एक आपराधिक न्याय सुधार है। उन्होंने आपराधिक न्याय प्रणाली में खामियों और असमानताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम किया है, खासकर अहिंसक अपराधों और लंबी सजा वाले मामलों में। कार्दशियन उन व्यक्तियों की रिहाई की वकालत करने में शामिल रही हैं जो अनुपातहीन सज़ा काट रहे थे।

     उनके प्रयासों से ऐलिस मैरी जॉनसन का हाई-प्रोफाइल मामला सामने आया, जो एक महिला थी जो अहिंसक ड्रग अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रही थी। किम कार्दशियन की भागीदारी ने जॉनसन की क्षमादान की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे अंततः 2018 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रदान किया गया।

  • कानूनी अध्ययन और वकालत: आपराधिक न्याय सुधार में किम कार्दशियन की रुचि ने उन्हें एक कानूनी फर्म के साथ कानूनी अध्ययन और प्रशिक्षुता हासिल करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कानूनी मामलों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने और न्याय प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने ज्ञान का उपयोग करने की इच्छा व्यक्त की है।
  • मतदान और राजनीतिक जुड़ाव: कार्दशियन ने अपने अनुयायियों को मतदान और राजनीतिक बातचीत में शामिल होकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया है। उन्होंने मतदाता पंजीकरण के बारे में जानकारी प्रदान करने और नागरिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने के लिए अपने मंच का उपयोग किया है।
  • बंदूक नियंत्रण वकालत: 2018 में फ्लोरिडा के पार्कलैंड में मार्जोरी स्टोनमैन डगलस हाई स्कूल में बड़े पैमाने पर गोलीबारी के बाद, किम कार्दशियन सख्त बंदूक नियंत्रण उपायों के आह्वान में शामिल हुईं। उन्होंने सामान्य ज्ञान बंदूक नियंत्रण कानून के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया और बंदूक हिंसा के खिलाफ बात की।
  • मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता: किम कार्दशियन चिंता और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) के साथ अपने अनुभवों के बारे में खुलकर बात करती रही हैं, अपने रियलिटी शो और अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से उन पर चर्चा करती हैं। अपने व्यक्तिगत संघर्षों को साझा करके, उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और कलंक को कम करने में योगदान दिया है।
  • अर्मेनियाई नरसंहार मान्यता: अपनी अर्मेनियाई विरासत को देखते हुए, किम कार्दशियन ने अर्मेनियाई नरसंहार के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी मान्यता की वकालत करने के लिए अपने मंच का उपयोग किया है। वह इस ऐतिहासिक त्रासदी की ओर ध्यान दिलाने के प्रयासों में शामिल रही हैं।
  • धर्मार्थ कार्य और दान: कार्दशियन विभिन्न धर्मार्थ पहलों और दान में शामिल रहे हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा राहत और अन्य से संबंधित मुद्दों का समर्थन किया है।

किम कार्दशियन के सक्रियता प्रयासों ने महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया है और परिवर्तन के बारे में चर्चा को प्रोत्साहित किया है। आपराधिक न्याय सुधार, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और अन्य कारणों में उनकी भागीदारी ने उन्हें सकारात्मक प्रभाव के लिए अपनी सेलिब्रिटी स्थिति का उपयोग करने की अनुमति दी है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हालांकि कार्दशियन की सक्रियता उल्लेखनीय है, लेकिन इसे प्रशंसा और आलोचना दोनों का सामना करना पड़ा है, जैसा कि उन व्यक्तियों के साथ आम है जो बदलाव की वकालत करने के लिए अपने मंच का उपयोग करते हैं।

अर्मेनियाई नरसंहार मान्यता

किम कार्दशियन अर्मेनियाई नरसंहार की मान्यता के लिए एक वकील रही हैं, एक ऐतिहासिक घटना जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुई थी जब ओटोमन साम्राज्य ने व्यवस्थित रूप से अपनी अर्मेनियाई आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को नष्ट कर दिया था और निर्वासित कर दिया था। इस घटना को इतिहासकारों और विद्वानों द्वारा नरसंहार के रूप में व्यापक रूप से मान्यता दी गई है, जिसके परिणामस्वरूप अनुमानित 1.5 मिलियन अर्मेनियाई लोगों की मृत्यु हो गई।

अर्मेनियाई नरसंहार की मान्यता के लिए कार्दशियन की वकालत उनकी अर्मेनियाई विरासत में निहित है। उनके पूर्वज अर्मेनियाई थे, और उन्होंने इस त्रासदी से अपने परिवार के संबंध के बारे में सार्वजनिक रूप से बात की है। उन्होंने अर्मेनियाई नरसंहार के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर की सरकारों और संस्थानों द्वारा इसकी औपचारिक मान्यता की वकालत करने के लिए अपने मंच का उपयोग किया है।

अर्मेनियाई नरसंहार मान्यता के लिए किम कार्दशियन के प्रयासों से संबंधित कुछ प्रमुख बिंदु यहां दिए गए हैं:

  • सोशल मीडिया वकालत: कार्दशियन ने अर्मेनियाई नरसंहार, ऐतिहासिक संदर्भ और अपने परिवार पर इसके प्रभाव के बारे में जानकारी साझा करने के लिए अपने विशाल सोशल मीडिया का उपयोग किया है। उसने मान्यता की आवश्यकता के बारे में पोस्ट किया है और अपने अनुयायियों को नरसंहार के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अपने प्लेटफार्मों का उपयोग किया है।
  • शैक्षिक प्रयास: कार्दशियन ने अर्मेनियाई नरसंहार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शैक्षिक पहल का भी समर्थन किया है। उन्होंने उन पहलों और वृत्तचित्रों को वित्त पोषित किया है जिनका उद्देश्य त्रासदी के आसपास के ऐतिहासिक तथ्यों पर प्रकाश डालना है।
  • राजनीतिक जुड़ाव: कार्दशियन ने अर्मेनियाई नरसंहार की मान्यता की वकालत करने के लिए राजनीतिक नेताओं और संस्थानों के साथ जुड़ने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कानून निर्माताओं से मुलाकात की और घटनाओं को नरसंहार के रूप में स्वीकार करने को बढ़ावा देने के लिए चर्चा में भाग लिया।
  • मीडिया कवरेज: कार्दशियन की वकालत ने अर्मेनियाई नरसंहार की मान्यता के कारण मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है। आयोजनों, साक्षात्कारों और चर्चाओं में उनकी भागीदारी ने इस मुद्दे को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाने में मदद की है।
  • मानवीय कार्य: कार्दशियन की वकालत आर्मेनिया और उसके लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों तक मान्यता से परे फैली हुई है। वह अर्मेनियाई समुदायों को सहायता और सहायता प्रदान करने के धर्मार्थ प्रयासों में शामिल रही हैं और उन्होंने आर्मेनिया के विकास से संबंधित कार्यों के लिए दान दिया है।

अर्मेनियाई नरसंहार की मान्यता के लिए किम कार्दशियन की वकालत व्यक्तिगत और सार्वजनिक दोनों रही है, जिसने ऐतिहासिक स्वीकृति और न्याय के बारे में व्यापक चर्चा में योगदान दिया है। जबकि उनके प्रयासों ने सकारात्मक बातचीत को बढ़ावा दिया है, उन्हें अंतरराष्ट्रीय राजनीति की जटिलताओं और ऐतिहासिक घटनाओं पर अलग-अलग दृष्टिकोण के कारण आलोचना और चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है।

जेल सुधार और क्षमादान की वकालत

किम कार्दशियन उन व्यक्तियों के लिए जेल सुधार और क्षमादान की वकालत करने में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं, जिन्हें अहिंसक अपराधों के लिए असंगत रूप से सजा सुनाई गई है या जेल में रखा गया है। इस क्षेत्र में उनके प्रयासों ने आपराधिक न्याय प्रणाली की खामियों और सुधार की आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित किया है। यहां उनकी जेल सुधार और क्षमादान वकालत के बारे में कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं:

  • आपराधिक न्याय सुधार की वकालत: किम कार्दशियन की आपराधिक न्याय सुधार में रुचि ऐलिस मैरी जॉनसन, एक महिला जो अहिंसक नशीली दवाओं के अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रही थी, के मामले में उनकी भागीदारी से जगी थी। जॉनसन के मामले के बारे में जानने के बाद, कार्दशियन आपराधिक न्याय सुधार के लिए एक वकील बन गईं और इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने मंच का उपयोग किया।
  • क्षमादान के लिए वकालत: कार्दशियन के वकालत प्रयासों ने उन्हें ऐलिस मैरी जॉनसन की क्षमादान के समर्थन में ट्रम्प प्रशासन के साथ सीधे संवाद करने के लिए प्रेरित किया। जून 2018 में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कार्दशियन की संलिप्तता के बाद जॉनसन की सजा कम कर दी। इस सफलता ने सकारात्मक बदलाव के लिए अपनी सेलिब्रिटी स्थिति का उपयोग करने की कार्दशियन की क्षमता को उजागर किया।
  • कानूनी विशेषज्ञों के साथ काम करना: किम कार्दशियन ने आपराधिक न्याय प्रणाली की जटिलताओं को समझने और गलत तरीके से सजा पाने वाले व्यक्तियों के मामलों की पहचान करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों और संगठनों के साथ काम किया है। उन्होंने मामलों की समीक्षा करने और क्षमादान की वकालत करने के लिए कानूनी टीमों के साथ सहयोग किया है।
  • व्यक्तियों को क्षमादान प्राप्त करने में मदद करना: ऐलिस मैरी जॉनसन के अलावा, कार्दशियन अन्य व्यक्तियों की रिहाई की वकालत करने में शामिल रही हैं, जिन्हें अहिंसक अपराधों के लिए लंबी जेल की सजा सुनाई गई है। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप कई व्यक्तियों को क्षमादान प्राप्त हुआ या उनकी सज़ा कम हो गई।
  • वकीलों के साथ साझेदारी: कार्दशियन के प्रयासों से गैर-लाभकारी कानूनी वकालत समूह #cut50 जैसे कानूनी संगठनों के साथ साझेदारी की स्थापना हुई। यह संगठन आपराधिक न्याय सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें जेल की आबादी को कम करने और सजा में असमानताओं को दूर करने के प्रयास शामिल हैं।
  • जागरूकता बढ़ाना और नीति में बदलाव: कार्दशियन ने आपराधिक न्याय सुधार से संबंधित विशिष्ट मामलों और व्यापक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग किया है। उनकी वकालत ने सजा संबंधी असमानताओं को दूर करने के लिए नीतिगत बदलावों की आवश्यकता और हाशिए पर रहने वाले समुदायों पर न्याय प्रणाली के प्रभाव के बारे में चर्चा में योगदान दिया है।

किम कार्दशियन के जेल सुधार और क्षमादान वकालत कार्य को प्रशंसा और आलोचना दोनों मिली है, लेकिन इसने निस्संदेह आपराधिक न्याय प्रणाली के भीतर सुधार की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया है। उनके प्रयासों ने मशहूर हस्तियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के लिए समाज में सार्थक बदलाव की वकालत करने के लिए अपने प्लेटफार्मों का उपयोग करने की क्षमता दिखाई है।

फिल्मोग्राफी

किम कार्दशियन ने विभिन्न टेलीविजन शो और फिल्मों में अभिनय किया है, अक्सर खुद की भूमिका निभाती हैं या कैमियो भूमिका निभाती हैं। यहां फिल्म और टेलीविजन में उनकी कुछ उल्लेखनीय प्रस्तुतियों की सूची दी गई है:

  • डिजास्टर मूवी (2008) – किम कार्दशियन ने इस कॉमेडी स्पूफ फिल्म में खुद की भूमिका निभाई।
  • टेम्पटेशन: कन्फेशंस ऑफ ए मैरिज काउंसलर (2013) – टायलर पेरी द्वारा निर्देशित इस ड्रामा फिल्म में उनकी एक छोटी सी भूमिका थी।
  • बियॉन्ड द ब्रेक (2006) – किम कार्दशियन इस टेलीविजन श्रृंखला के कुछ एपिसोड में एले नामक चरित्र के रूप में दिखाई दीं।
  • हाउ आई मेट योर मदर (2009) – उन्होंने लोकप्रिय सिटकॉम के एक एपिसोड में खुद की भूमिका निभाते हुए अतिथि भूमिका निभाई।
  • ड्रॉप डेड दिवा (2012) – कार्दशियन इस कानूनी कॉमेडी-ड्रामा श्रृंखला के कई एपिसोड में निक्की लेप्री नाम का किरदार निभाते हुए दिखाई दीं।
  • लास्ट मैन स्टैंडिंग (2012) – उन्होंने इस सिटकॉम के एक एपिसोड में एक कैमियो भूमिका निभाई।
  • 30 रॉक (2012) – इस प्रशंसित कॉमेडी श्रृंखला के अंतिम एपिसोड में कार्दशियन का एक संक्षिप्त कैमियो था।
  • कीपिंग अप विद द कार्दशियन (2007-2021) – यह रियलिटी टीवी शो, जो मुख्य रूप से किम कार्दशियन और उनके परिवार पर केंद्रित है, ने कई सीज़न में उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित किया।
  • सेलेब्रिटीज़ अंडरकवर (2014) – वह इस रियलिटी सीरीज़ के एक एपिसोड में खुद के रूप में दिखाई दीं।
  • 2 ब्रोक गर्ल्स (2014) – कार्दशियन ने इस सिटकॉम के एक एपिसोड में अतिथि भूमिका निभाई थी।
  • अमेरिकी पिता! (2014) – उन्होंने इस एनिमेटेड श्रृंखला के एक एपिसोड में खुद के एनिमेटेड संस्करण को अपनी आवाज दी।
  • कर्टनी और ख्लोए टेक द हैम्पटन्स (2014-2015) – कार्दशियन ने अपनी बहनों पर केंद्रित इस स्पिन-ऑफ रियलिटी शो में अतिथि भूमिका निभाई।
  • डांसिंग विद द स्टार्स (2008, 2020) – वह शो के सातवें सीज़न में एक प्रतियोगी के रूप में दिखाई दीं और इसके उनतीसवें सीज़न में अतिथि न्यायाधीश के रूप में लौटीं।

पुरस्कार एवं नामांकन

किम कार्दशियन मुख्य रूप से अपने रियलिटी टीवी शो और व्यावसायिक उद्यमों के लिए जानी जाती हैं, और उन्हें अभिनय या फिल्म निर्माण जैसे पारंपरिक मनोरंजन पुरस्कारों के लिए व्यापक रूप से मान्यता नहीं मिली है। हालाँकि, उन्हें अपने व्यावसायिक प्रयासों और मीडिया उपस्थिति से संबंधित नामांकन और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। यहां उन्हें प्राप्त कुछ पुरस्कार और नामांकन हैं:

टीन चॉइस अवार्ड्स:

  • 2010: चॉइस फीमेल रियलिटी/वैरायटी स्टार (नामांकित)
  • 2010: चॉइस फीमेल रियलिटी/वैरायटी स्टार: फैशन/ब्यूटी (नामांकित)
  • 2011: चॉइस फीमेल रियलिटी/वैरायटी स्टार (नामांकित)
  • 2011: चॉइस फीमेल रियलिटी/वैरायटी स्टार: फैशन/ब्यूटी (नामांकित)
  • 2012: चॉइस फीमेल रियलिटी/वैरायटी स्टार (नामांकित)
  • 2013: च्वाइस टीवी फीमेल रियलिटी/वैरायटी स्टार (नामांकित)
  • 2014: चॉइस टीवी फीमेल रियलिटी/वैरायटी स्टार (नामांकित)

पीपुल्स च्वाइस अवार्ड:

  • 2011: पसंदीदा टीवी गिल्टी प्लेज़र (जीता)
  • 2012: पसंदीदा टीवी गिल्टी प्लेज़र (जीता)
  • 2013: पसंदीदा टीवी गिल्टी प्लेज़र (जीता)
  • 2014: पसंदीदा टीवी गिल्टी प्लेज़र (जीता)

वेबी पुरस्कार:

  • 2010: किमकार्डशियन.कॉम के लिए सर्वश्रेष्ठ सेलिब्रिटी/प्रशंसक वेबसाइट के लिए वेबी (जीता)

अन्य पुरस्कार

किम कार्दशियन को विभिन्न क्षेत्रों में मान्यता और पुरस्कार भी मिले हैं, जो मुख्य रूप से उनके व्यावसायिक उद्यमों, प्रभाव और परोपकारी प्रयासों से संबंधित हैं। यहां उन्हें प्राप्त कुछ अतिरिक्त पुरस्कार और सम्मान दिए गए हैं:

सीएफडीए इन्फ्लुएंसर पुरस्कार:

  • 2018: किम कार्दशियन को फैशन उद्योग पर उनके प्रभाव और रुझानों को आकार देने में उनके महत्वपूर्ण प्रभाव को मान्यता देते हुए सीएफडीए (काउंसिल ऑफ फैशन डिज़ाइनर्स ऑफ अमेरिका) इन्फ्लुएंसर अवार्ड से सम्मानित किया गया।

ब्रेक द इंटरनेट अवार्ड:

  • 2016: सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति और पॉप संस्कृति पर प्रभाव के लिए उन्हें वेबबी अवार्ड्स में ब्रेक द इंटरनेट अवार्ड मिला।

फोर्ब्स की सेलिब्रिटी 100 सूची:

  • किम कार्दशियन को कई बार फोर्ब्स की वार्षिक सेलिब्रिटी 100 सूची में शामिल किया गया है, जो कमाई, प्रभाव और सोशल मीडिया उपस्थिति सहित विभिन्न कारकों के आधार पर दुनिया की सबसे अधिक भुगतान वाली मशहूर हस्तियों की रैंकिंग करती है।

फैशन और सौंदर्य पुरस्कार:

  • किम कार्दशियन को फैशन और सौंदर्य उद्योगों में उनके योगदान के लिए मान्यता मिली है, जिसमें उनकी सफल मेकअप लाइन, केकेडब्ल्यू ब्यूटी और उनके शेपवियर ब्रांड, स्किम्स शामिल हैं।

परोपकारी मान्यता:

  • पारंपरिक पुरस्कारों के अलावा, किम कार्दशियन को उनके परोपकारी प्रयासों और वकालत कार्यों के लिए मान्यता दी गई है, विशेष रूप से आपराधिक न्याय सुधार और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए।

किम कार्दशियन अपनी हाई-प्रोफाइल जीवनशैली, मीडिया उपस्थिति और व्यावसायिक प्रयासों के कारण वर्षों से विभिन्न विवादों में शामिल रही हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय विवाद हैं जिन्होंने किम कार्दशियन को घेर लिया है:

  • सेक्स टेप और अर्ली फेम ( 2007): किम कार्दशियन की प्रसिद्धि में वृद्धि का श्रेय आंशिक रूप से उनके पूर्व प्रेमी रे जे के साथ एक निजी सेक्स टेप की रिलीज को दिया गया था। यह टेप 2007 में लीक हो गया था, और इसकी रिलीज ने मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया था।
  • सांस्कृतिक विनियोग के आरोप: कार्दशियन को कुछ फैशन और सौंदर्य विकल्पों के लिए सांस्कृतिक विनियोग की आलोचना और आरोपों का सामना करना पड़ा है, जिसमें हेयर स्टाइल भी शामिल है जो कुछ लोगों को विशिष्ट संस्कृतियों के लिए अनुपयुक्त या अपमानजनक लगा।
  • “ ब्रेक द इंटरनेट” फोटोशूट ( 2014): पेपर पत्रिका के लिए कार्दशियन के उत्तेजक “ब्रेक द इंटरनेट” फोटोशूट ने ध्यान और विवाद दोनों उत्पन्न किया। तस्वीरों में उसे नग्न अवस्था में और अपने नितंबों पर शैंपेन के गिलास को संतुलित करने का प्रयास करते हुए दिखाया गया है।
  • फ़ोटोशॉप और शारीरिक छवि संबंधी चिंताएँ: कार्दशियन पर अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर फ़ोटोशॉप या फोटो-संपादन तकनीकों का उपयोग करने का आरोप लगाया गया है, जिससे शरीर की छवि मानकों और अवास्तविक सौंदर्य आदर्शों के चित्रण के बारे में चर्चा हुई है।
  • समर्थन और प्रायोजित सामग्री: कई मशहूर हस्तियों की तरह, कार्दशियन को उचित प्रकटीकरण या कथित पारदर्शिता के बिना सोशल मीडिया पर कुछ उत्पादों या सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।
  • झगड़े और सार्वजनिक विवाद: कार्दशियन अन्य मशहूर हस्तियों और सार्वजनिक हस्तियों सहित विभिन्न व्यक्तियों के साथ सार्वजनिक विवादों और विवादों में शामिल रही हैं। ये विवाद अक्सर मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामने आते रहे हैं।
  • किमोनो ट्रेडमार्क विवाद ( 2019): कार्दशियन को उस समय आलोचना का सामना करना पड़ा जब उसने अपनी शेपवियर लाइन के लिए “किमोनो” शब्द को ट्रेडमार्क करने का प्रयास किया। आलोचकों ने तर्क दिया कि यह शब्द सांस्कृतिक रूप से असंवेदनशील और पारंपरिक जापानी कपड़ों के प्रति अपमानजनक था।
  • प्राइवेट आइलैंड बर्थडे सेलिब्रेशन ( 2020): COVID-19 महामारी के दौरान, कार्दशियन को एक प्राइवेट आइलैंड बर्थडे सेलिब्रेशन की मेजबानी करने और सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। वैश्विक स्वास्थ्य संकट को देखते हुए आलोचकों ने इसे असंवेदनशील माना।
  • सांस्कृतिक विनियोग के आरोप (फिर से): कार्दशियन को सांस्कृतिक विनियोग के आरोपों का सामना करना पड़ा जब उसने अपने बालों को चोटियों में बांधा और उन्हें “बो डेरेक ब्रैड्स” के रूप में संदर्भित किया, केश शैली की अफ्रीकी जड़ों को स्वीकार नहीं करने के लिए आलोचना की।
  • स्किम्स मैटरनिटी शेपवियर विवाद: कार्दशियन के शेपवियर ब्रांड, स्किम्स को अपने मैटरनिटी कलेक्शन पर विवाद का सामना करना पड़ा, जिसमें गर्भावस्था के दौरान शेपवियर पहनने की संभावित असुविधा या स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में चिंताएं व्यक्त की गईं।

यहां किम कार्दशियन के बारे में कुछ सामान्य बातें दी गई हैं:

  • नाम की उत्पत्ति: किम कार्दशियन का पूरा नाम किम्बर्ली नोएल कार्दशियन वेस्ट है। उनका नाम उनकी मां की करीबी दोस्त किम कार्दशियन के नाम पर रखा गया था, जो उनकी मां क्रिस जेनर की हाई स्कूल फ्रेंड थीं।
  • बचपन के दोस्त: किम कार्दशियन और पेरिस हिल्टन बचपन के दोस्त थे। प्रसिद्धि पाने से पहले वे एक साथ बड़े हुए और समान मंडलियों में मेलजोल बढ़ाने के लिए जाने जाते थे।
  • मोबाइल गेम की सफलता: किम कार्दशियन : हॉलीवुड, 2014 में जारी एक मोबाइल गेम, एक बड़ी सफलता थी। खेल ने खिलाड़ियों को अपनी खुद की सेलिब्रिटी बनाने और हॉलीवुड की सीढ़ी पर चढ़ने की अनुमति दी, जो अक्सर किम कार्दशियन के आभासी चरित्र के साथ बातचीत करते थे।
  • शादी और तलाक: किम कार्दशियन की क्रिस हम्फ्रीज़ से 2011 में शादी केवल 72 दिनों तक चली। अल्पकालिक विवाह ने मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया।
  • अर्मेनियाई विरासत: किम कार्दशियन अपने पिता रॉबर्ट कार्दशियन के माध्यम से अर्मेनियाई वंश की हैं। वह अर्मेनियाई नरसंहार के बारे में जागरूकता बढ़ाने की समर्थक रही हैं।
  • ऐप वेंचर्स: किम कार्दशियन ने 2015 में किमोजी नाम से एक इमोजी ऐप लॉन्च किया, जो स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो गया।
  • सोशल मीडिया क्वीन: किम कार्दशियन की सोशल मीडिया पर व्यापक उपस्थिति है। वह इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले लोगों में से एक हैं।
  • भाई-बहन और परिवार: किम कार्दशियन के चार भाई-बहन हैं: कॉर्टनी, ख्लोए, रॉब, केंडल और काइली। वह अपनी मां की दूसरी शादी से जेनर भाई-बहनों, केंडल और काइली की सौतेली बहन हैं।
  • पसंदीदा फास्ट फूड : किम कार्दशियन ने फास्ट फूड, विशेष रूप से इन-एन-आउट बर्गर के प्रति अपने प्यार का उल्लेख किया है। वह सोशल मीडिया पर अपने फास्ट फूड व्यंजन साझा करने के लिए जानी जाती हैं।
  • कानूनी करियर में रुचि: हाल के वर्षों में, किम कार्दशियन ने कानूनी करियर बनाने में रुचि व्यक्त की है और आपराधिक न्याय सुधार के अपने प्रयासों के तहत एक कानूनी फर्म के साथ प्रशिक्षुता शुरू की है।
  • एकाधिक सुगंध: किम कार्दशियन ने पिछले कुछ वर्षों में कई सुगंध जारी की हैं, जिनमें से कई काफी लोकप्रिय हो गई हैं।
  • टाइम मैगज़ीन कवर: किम कार्दशियन 2015 में टाइम मैगज़ीन के कवर पर दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की प्रकाशन सूची के हिस्से के रूप में दिखाई दीं।

किम कार्दशियन किताबों के प्रकाशन में शामिल रही हैं, जो मुख्य रूप से उनके ब्रांड, जीवनशैली और सौंदर्य उद्यमों से संबंधित हैं। यहां किम कार्दशियन से जुड़ी कुछ किताबें हैं:

  • “ कार्दशियन कॉन्फिडेंशियल” ( 2010): किम कार्दशियन ने अपनी बहनों कर्टनी और ख्लोए के साथ इस पुस्तक का सह-लेखन किया। यह उनके जीवन, सौंदर्य युक्तियाँ, फैशन सलाह और व्यक्तिगत कहानियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • “ सेल्फिश” ( 2015): किम कार्दशियन ने “सेल्फिश” नामक एक पुस्तक जारी की, जो उनकी स्वयं की सेल्फी का संग्रह है। पुस्तक में पिछले कुछ वर्षों में ली गई सेल्फियों का चयन किया गया है और उनके जीवन और शैली की एक झलक पेश की गई है।
  • “ स्वार्थी: मुझे और अधिक!” ( 2016): यह पुस्तक “सेल्फिश” की अगली कड़ी है और इसमें किम कार्दशियन के जीवन की अतिरिक्त सेल्फी और व्यक्तिगत तस्वीरें शामिल हैं।
  • केकेडब्ल्यू सौंदर्य ट्यूटोरियल: पारंपरिक किताबों के अलावा, किम कार्दशियन ने अपने केकेडब्ल्यू सौंदर्य ब्रांड के हिस्से के रूप में प्रिंट प्रारूप में सौंदर्य ट्यूटोरियल भी साझा किए हैं। ये ट्यूटोरियल मेकअप टिप्स और तकनीक प्रदान करते हैं।

यहां किम कार्दशियन के कुछ और उद्धरण दिए गए हैं:

  • “ मैं एक निश्चित छवि बनाए रखने की कोशिश में वास्तव में कड़ी मेहनत करता हूं। मुझे पता है कि मैं हर किसी को खुश नहीं कर सकता , लेकिन जिन लोगों की मैं परवाह करता हूं , उनके लिए मैं एक अच्छा दिल रखने और सबसे अच्छा बनने की कोशिश करता हूं।” – किम कर्दाशियन
  • “ मैं एक उद्यमी हूं। ‘ महत्वाकांक्षी ‘ मेरा मध्य नाम है।” – किम कर्दाशियन
  • “ मुझे अच्छा लगता है जब लोग मुझे कम आंकते हैं और फिर सुखद आश्चर्यचकित हो जाते हैं।” – किम कर्दाशियन
  • “ मैं वर्कहॉलिक की असली परिभाषा हूं।” – किम कर्दाशियन
  • “ दिन के अंत में , जीवन का अर्थ है कि आप जैसे हैं वैसे ही खुश रहें , और मुझे ऐसा लगता है कि हम समर्थन प्रणाली और सबसे अच्छा परिवार पाकर बहुत भाग्यशाली हैं कि हम वास्तव में एक-दूसरे का समर्थन कर सकते हैं , चाहे हम किसी भी स्थिति से गुजर रहे हों। ” – किम कर्दाशियन
  • “ मेरी अपनी असुरक्षाएं और संघर्ष हैं , लेकिन मैं एक ऐसे परिवार के लिए बहुत आभारी हूं जो वास्तव में मेरे हर काम में मेरा समर्थन करता है।” – किम कर्दाशियन
  • “ मैं एक अच्छा रोल मॉडल बनना चाहता हूं , लेकिन मैं खुद भी बनना चाहता हूं।” – किम कर्दाशियन
  • “ अगर मुझे अपने जीवन में चल रही कोई चीज़ पसंद नहीं है , तो मैं उसे बदल देता हूं। और मैं एक साल तक बैठकर इसके बारे में शिकायत नहीं करता।” – किम कर्दाशियन
  • “ अपनी अंतरात्मा पर भरोसा रखें। आप खुद को किसी और से बेहतर जानते हैं।” – किम कर्दाशियन
  • “ आप गलतियाँ करते हैं , लेकिन मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैं उस तरह का व्यक्ति हूं जो इसकी ज़िम्मेदारी लेता हूं और इससे निपटता हूं। मैं जो कुछ भी करता हूं उससे सीखता हूं। मैं बहुत कड़ी मेहनत करता हूं , मेरे पास बहुत सी चीजें हैं मेरे जीवन में। मुझे जानें और देखें कि मैं कौन हूं।” – किम कर्दाशियन

बार बार पूंछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न: किम कार्दशियन कौन हैं?

उत्तर: किम कार्दशियन एक मीडिया हस्ती, व्यवसायी और सोशलाइट हैं। उन्होंने अपने रियलिटी टीवी शो “कीपिंग अप विद द कार्दशियन” के माध्यम से प्रसिद्धि प्राप्त की और तब से एक सफल ब्रांड और व्यावसायिक साम्राज्य बनाया है।

प्रश्न: किम कार्दशियन किस लिए जानी जाती हैं?

उत्तर: किम कार्दशियन को रियलिटी टीवी पर उनकी उपस्थिति, सोशल मीडिया पर उनकी प्रभावशाली उपस्थिति, सौंदर्य और फैशन में उनके व्यावसायिक उद्यम और आपराधिक न्याय सुधार जैसे क्षेत्रों में उनके वकालत के काम के लिए जाना जाता है।

प्रश्न: किम कार्दशियन कैसे प्रसिद्ध हुईं?

उत्तर: किम कार्दशियन ने शुरुआत में पेरिस हिल्टन के साथ अपनी दोस्ती और एक लीक हुए सेक्स टेप के कारण ध्यान आकर्षित किया। हालाँकि, 2007 में रियलिटी टीवी शो “कीपिंग अप विद द कार्दशियन” के प्रीमियर के बाद उनकी प्रसिद्धि आसमान छू गई।

प्रश्न: किम कार्दशियन के व्यवसाय क्या हैं?

उत्तर: किम कार्दशियन विभिन्न व्यवसायों में शामिल हैं, जिनमें केकेडब्ल्यू ब्यूटी (मेकअप और सौंदर्य उत्पाद), स्किम्स (शेपवियर और लाउंजवियर), फ्रेगरेंस लाइन्स, मोबाइल ऐप, फैशन सहयोग और बहुत कुछ शामिल हैं।

प्रश्न: क्या किम कार्दशियन ने किसी फिल्म या टीवी शो में अभिनय किया है?

उत्तर: हां, किम कार्दशियन ने “डिजास्टर मूवी” जैसी फिल्मों और “हाउ आई मेट योर मदर,” “ड्रॉप डेड दिवा,” और “30 रॉक” जैसे टीवी शो में कैमियो भूमिका निभाई है।

प्रश्न: क्या किम कार्दशियन परोपकार में शामिल हैं?

उत्तर: हां, किम कार्दशियन परोपकारी प्रयासों में शामिल हैं। वह आपराधिक न्याय सुधार के लिए एक वकील रही हैं, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता से संबंधित कारणों का समर्थन किया है, और अर्मेनियाई नरसंहार के बारे में जागरूकता बढ़ाई है।

प्रश्न: किम कार्दशियन की कुल संपत्ति क्या है?

उत्तर: सितंबर 2021 में मेरे अंतिम ज्ञान अद्यतन के अनुसार, किम कार्दशियन की कुल संपत्ति उनके विभिन्न व्यावसायिक उपक्रमों और मीडिया करियर के कारण करोड़ों डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था।

प्रश्न: किम कार्दशियन की पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है?

उत्तर: किम कार्दशियन कार्दशियन-जेनर परिवार का हिस्सा हैं। उनके माता-पिता क्रिस जेनर और रॉबर्ट कार्दशियन हैं। उसके भाई-बहन हैं, जिनमें कॉर्टनी, ख्लोए, रॉब, केंडल और काइली शामिल हैं।

प्रश्न: क्या किम कार्दशियन सक्रियता में शामिल रही हैं?

उत्तर: हां, किम कार्दशियन सक्रियता में शामिल रही हैं, खासकर आपराधिक न्याय सुधार में। उन्होंने अहिंसक अपराधियों की रिहाई की वकालत की है और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने मंच का उपयोग किया है।

प्रश्न: किम कार्दशियन ने कौन सी किताबें लिखी हैं?

उत्तर: किम कार्दशियन ने “कार्दशियन कॉन्फिडेंशियल,” “सेल्फिश,” और “सेल्फिश: मोर मी!” जैसी किताबें लिखी हैं। ये पुस्तकें उनके जीवन, शैली और अनुभवों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।

Gautam Adani biography in hindi

गौतम अडानी एक भारतीय अरबपति उद्योगपति और अडानी समूह के अध्यक्ष हैं, जो भारत में मुख्यालय वाली कंपनियों का एक समूह है। अदाणी समूह की बंदरगाह, लॉजिस्टिक्स, कृषि व्यवसाय, बिजली उत्पादन और अन्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में रुचि है। अडानी को भारत के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक माना जाता है और उन्होंने देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अदानी समूह की स्थापना 1988 में गौतम अदानी द्वारा की गई थी, और उनके नेतृत्व में, इसने भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने परिचालन का विस्तार किया है। समूह कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में शामिल रहा है, जैसे बंदरगाहों, बिजली संयंत्रों और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विकास।

हाल के वर्षों में, गौतम अडानी ने सौर ऊर्जा उत्पादन सहित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में अपनी भागीदारी के लिए ध्यान आकर्षित किया है। अदाणी समूह ने नवीकरणीय ऊर्जा में महत्वपूर्ण निवेश किया है, जिससे ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों में परिवर्तन के भारत के प्रयासों में योगदान मिला है।

गौतम अडानी का जन्म 24 जून 1962 को अहमदाबाद, गुजरात, भारत में हुआ था। वह एक साधारण परिवार में पले-बढ़े और सात बच्चों में से तीसरे थे। उनके पिता, शांतिलाल अदानी, एक कपड़ा व्यवसाय चलाते थे, और उनकी माँ, शांता अदानी, एक गृहिणी थीं।

  • बचपन के दौरान अदाणी के परिवार को वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा, और वह अक्सर अपने छोटे व्यापारिक व्यवसाय में अपने पिता की मदद करते थे। इन परिस्थितियों के बावजूद, अडानी महत्वाकांक्षी थे और सफल होने के लिए दृढ़ थे। उन्होंने प्रारंभिक उद्यमशीलता की भावना और व्यवसाय में गहरी रुचि दिखाई।
  • अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, गौतम अडानी ने गुजरात विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल की। अपनी शिक्षा के बाद, उन्होंने हीरा व्यापार व्यवसाय में अपना करियर शुरू किया। हालाँकि, उन्होंने जल्द ही बुनियादी ढांचे और कमोडिटी क्षेत्रों में क्षमता को पहचान लिया, जिसके कारण अंततः अदानी समूह की स्थापना हुई।
  • 1988 में, 26 साल की उम्र में, गौतम अडानी ने कमोडिटी ट्रेडिंग पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपना खुद का उद्यम, अडानी एंटरप्राइजेज शुरू किया। इसने भारत के सबसे बड़े समूह में से एक के निर्माण की दिशा में उनकी यात्रा की शुरुआत को चिह्नित किया।
  • अदाणी के शुरुआती जीवन के अनुभवों और चुनौतियों से पार पाने के उनके दृढ़ संकल्प ने उनके व्यावसायिक कौशल और उद्यमिता के दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने व्यापारिक उद्योग के बारे में अपने ज्ञान और अवसरों की पहचान करने की अपनी जन्मजात क्षमता का उपयोग धीरे-धीरे अपने व्यावसायिक हितों का विस्तार और विविधता लाने के लिए किया, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में अदानी समूह की स्थापना हुई।

विशाल व्यापारिक साम्राज्य

गौतम अडानी एक स्व-निर्मित अरबपति हैं जिन्होंने भारत में एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य बनाया है। वह अदानी समूह के अध्यक्ष और संस्थापक हैं, जो बंदरगाहों, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे में रुचि रखने वाला एक बहुराष्ट्रीय समूह है।

अडानी का करियर 1978 में बॉम्बे (अब मुंबई) में शुरू हुआ, जहां वह 16 साल की उम्र में स्कूल छोड़ने के बाद हीरा उद्योग में शामिल हो गए। 1979 में उन्होंने हीरे का व्यापार करना शुरू किया और 1982 तक उन्होंने अपना पहला मिलियन रुपये कमाया।

1981 में, अडानी के बड़े भाई महासुखभाई अडानी ने अहमदाबाद में एक प्लास्टिक इकाई खरीदी और उन्हें संचालन का प्रबंधन करने के लिए आमंत्रित किया। यह उद्यम पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) आयात के माध्यम से वैश्विक व्यापार के लिए अदानी का प्रवेश द्वार बन गया। 1985 में, उन्होंने लघु उद्योगों के लिए प्राथमिक पॉलिमर का आयात करना शुरू किया। 1988 में, अदानी ने अदानी एक्सपोर्ट्स की स्थापना की, जिसे अब अदानी एंटरप्राइजेज के रूप में जाना जाता है, जो अदानी समूह की होल्डिंग कंपनी है। मूल रूप से, कंपनी कृषि और बिजली वस्तुओं का कारोबार करती थी।

तब से अदानी समूह तेजी से विकसित हुआ है और व्यवसायों की एक विस्तृत श्रृंखला में विविधता आई है, जिनमें शामिल हैं:

  • बंदरगाह और टर्मिनल: अदानी समूह भारत में सबसे बड़ा बंदरगाह ऑपरेटर है, जिसकी 13 बंदरगाहों और टर्मिनलों में रुचि है।
  • ऊर्जा: कोयला, सौर और पवन ऊर्जा में रुचि रखने वाला अदानी समूह भारत के सबसे बड़े बिजली उत्पादकों में से एक है।
  • बुनियादी ढाँचा: अडानी समूह बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी है, जिसकी रुचि सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों और डेटा केंद्रों में है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन के तहत सरकारी अनुबंधों और नीतियों से अडानी के व्यवसायों को लाभ हुआ है। इससे भाईचारे के आरोप लगे हैं, जिसे अडानी और मोदी ने खारिज कर दिया है।

अडानी एक विवादास्पद व्यक्ति हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह एक सफल व्यवसायी हैं। उन्होंने लाखों भारतीयों के लिए नौकरियां और धन सृजित किया है, और उन्होंने दान में अरबों डॉलर दान करने का संकल्प लिया है। केवल समय ही बताएगा कि अडानी की विरासत का मूल्यांकन कैसे किया जाएगा।

यहां गौतम अडानी के करियर के कुछ प्रमुख मील के पत्थर हैं:

  • 1978: कॉलेज छोड़ दिया और मुंबई में हीरा उद्योग में शामिल हो गए।
  • 1981: हीरों का व्यापार शुरू किया और पहली बार दस लाख रुपये कमाए।
  • 1985: लघु उद्योगों के लिए प्राथमिक पॉलिमर का आयात शुरू किया गया।
  • 1988: अदानी एक्सपोर्ट्स की स्थापना की, जिसे अब अदानी एंटरप्राइजेज के नाम से जाना जाता है।
  • 1996: अदानी फाउंडेशन की स्थापना की।
  • 2006: गुजरात में मुंद्रा बंदरगाह का अधिग्रहण किया।
  • 2010: गुजरात में कच्छ रिफाइनरी का अधिग्रहण किया।
  • 2015: एस्सार पावर गुजरात लिमिटेड का अधिग्रहण किया।
  • 2017: राजस्थान पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड का अधिग्रहण किया।
  • 2020: भारत के सबसे अमीर व्यक्ति बने।

गौतम अडानी एक स्व-निर्मित अरबपति हैं जिन्होंने भारत में एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य बनाया है। वह एक विवादास्पद व्यक्ति हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह एक सफल व्यवसायी हैं। उन्होंने लाखों भारतीयों के लिए नौकरियां और धन सृजित किया है, और उन्होंने दान में अरबों डॉलर दान करने का संकल्प लिया है। केवल समय ही बताएगा कि अडानी की विरासत का मूल्यांकन कैसे किया जाएगा।

धोखाधड़ी का आरोप

जनवरी 2023 में, अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें आरोप लगाया गया कि अदानी समूह के संस्थापक गौतम अदानी दशकों के दौरान “बेशर्मी” स्टॉक हेरफेर और लेखांकन धोखाधड़ी में लगे हुए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी समूह की कंपनियों ने अपने मुनाफे और संपत्ति को बढ़ाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया है, जिनमें शामिल हैं:

  • उनकी संपत्ति का मूल्य बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा है
  • धन को इधर-उधर ले जाने और घाटे को छिपाने के लिए संबंधित-पार्टी लेनदेन का उपयोग करना
  • ऋण और देनदारियों का खुलासा करने में असफल होना
  • अपने शेयर की कीमतें बढ़ाने के लिए शेयर बाजार में हेरफेर करना

रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि अदानी समूह की कंपनियां अनुबंध हासिल करने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने जैसे भ्रष्ट आचरण में शामिल थीं।

अदानी समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सभी आरोपों से इनकार किया और उन्हें “झूठा, भ्रामक और अपमानजनक” बताया। समूह ने कहा कि उसने अपना कारोबार “निष्पक्ष, पारदर्शी और नैतिक तरीके से” किया है और यह “कॉर्पोरेट प्रशासन के उच्चतम मानकों के लिए प्रतिबद्ध है।”

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने भारत में एक बड़े विवाद को जन्म दिया। भारत सरकार ने आरोपों की जांच का आदेश दिया, और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस बात की जांच शुरू की कि क्या अदानी समूह की कंपनियों ने किसी प्रतिभूति कानून का उल्लंघन किया है।

जांच जारी है, और अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि अडानी समूह या उसके अधिकारियों के खिलाफ कोई आरोप दायर किया जाएगा या नहीं। हालाँकि, आरोपों ने अदानी समूह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया है और भारत के सबसे बड़े समूह में से एक की कॉर्पोरेट प्रशासन प्रथाओं पर सवाल उठाए हैं।

मार्च 2023 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अदानी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय पैनल नियुक्त किया। उम्मीद है कि पैनल छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगा।

राजनीतिक दृष्टिकोण

गौतम अडानी एक स्वयंभू गैर-राजनीतिक व्यक्ति हैं। हालाँकि, वह कई वर्षों से भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी रहे हैं। मोदी के प्रशासन के तहत सरकारी अनुबंधों और नीतियों से अडानी के व्यवसायों को लाभ हुआ है। इससे भाईचारे के आरोप लगे हैं, जिसे अडानी और मोदी ने खारिज कर दिया है।

  • 2014 में, अडानी ने मोदी की राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ₹ 5 करोड़ (US$630,000) का दान दिया। वह गुजरात सरकार के लिए भी एक प्रमुख दानदाता रहे हैं, जिसका नेतृत्व मोदी ने 2001 से 2014 तक किया था।
  • मोदी के साथ करीबी संबंधों को लेकर अडानी की आलोचना की जाती रही है। कुछ आलोचकों का तर्क है कि अडानी को सरकारी अनुबंध और अनुकूल नीतियां हासिल करने में मोदी के साथ अपने संबंधों से लाभ हुआ है। दूसरों का तर्क है कि अडानी के व्यवसायों ने भारत में पर्यावरणीय गिरावट और सामाजिक असमानता में योगदान दिया है।
  • अडानी ने मोदी के साथ अपने रिश्ते का बचाव करते हुए कहा है कि यह आपसी सम्मान और साझा लक्ष्यों पर आधारित है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनके व्यवसाय सतत विकास और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • गौतम अडानी के राजनीतिक विचार क्या हैं, यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह गैर-राजनीतिक हैं, लेकिन मोदी के साथ उनके करीबी संबंधों से पता चलता है कि वह भाजपा की विचारधारा के प्रति सहानुभूति रख सकते हैं। यह भी संभव है कि अडानी के राजनीतिक विचार समय के साथ विकसित हुए हों। आने वाले समय में अडानी भारतीय राजनीति में क्या भूमिका निभाएंगे ये तो समय ही बताएगा।

गौतम अडानी एक निजी व्यक्ति हैं और अपनी निजी जिंदगी के बारे में ज्यादा कुछ साझा नहीं करते हैं। हालाँकि, यह ज्ञात है कि उन्होंने प्रीति अदानी से शादी की है और उनके दो बेटे हैं, करण और जीत। अदानी एक कट्टर जैन हैं और शाकाहारी भोजन का पालन करते हैं। वह एक परोपकारी व्यक्ति भी हैं और उन्होंने धर्मार्थ कार्यों के लिए लाखों डॉलर का दान दिया है।

यहां गौतम अडानी के निजी जीवन के बारे में कुछ अन्य विवरण दिए गए हैं:

  • उनका जन्म 24 जून 1962 को अहमदाबाद, गुजरात, भारत में हुआ था।
  • बिजनेस में करियर बनाने के लिए उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया।
  • उन्होंने अपना पहला व्यवसाय, प्लास्टिक ट्रेडिंग कंपनी, 1981 में शुरू किया।
  • उन्होंने 1988 में अदानी ग्रुप की स्थापना की।
  • वह अदानी समूह के अध्यक्ष हैं, जो बंदरगाहों, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे में रुचि रखने वाला एक बहुराष्ट्रीय समूह है।
  • वह भारत के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं।
  • वह भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी दोस्त हैं।
  • वह एक परोपकारी व्यक्ति हैं और उन्होंने धर्मार्थ कार्यों के लिए लाखों डॉलर का दान दिया है।

अडानी एक जटिल और विवादास्पद व्यक्ति हैं। वह एक सफल व्यवसायी हैं जिन्होंने लाखों भारतीयों के लिए नौकरियां और संपत्ति बनाई है। हालाँकि, उन पर भाईचारा और पर्यावरण क्षरण का भी आरोप लगाया गया है। केवल समय ही बताएगा कि अडानी की विरासत का मूल्यांकन कैसे किया जाएगा।

परोपकारी व्यक्तित्व

गौतम अडानी एक परोपकारी व्यक्ति हैं और उन्होंने धर्मार्थ कार्यों के लिए लाखों डॉलर का दान दिया है। वह अदानी फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं, जिसे 1996 में स्थापित किया गया था। फाउंडेशन का मिशन “स्थायी विकास और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देना” है।

अदाणी फाउंडेशन निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है:

  • शिक्षा: फाउंडेशन छात्रवृत्ति, स्कूल बुनियादी ढांचा और शिक्षक प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • स्वास्थ्य देखभाल: फाउंडेशन चिकित्सा देखभाल, नेत्र देखभाल और स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करता है।
  • कौशल विकास: फाउंडेशन व्यावसायिक कौशल में प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • ग्रामीण विकास: फाउंडेशन जल संरक्षण और आजीविका सृजन जैसी ग्रामीण विकास परियोजनाओं का समर्थन करता है।

2023 में, अदानी ने घोषणा की कि वह अदानी फाउंडेशन को ₹60,000 करोड़ (US$7.7 बिलियन) का दान देंगे। यह किसी भारतीय अरबपति द्वारा दिया गया सबसे बड़ा दान है। इस धन का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कौशल विकास और ग्रामीण विकास में फाउंडेशन के काम का समर्थन करने के लिए किया जाएगा।

अडानी के परोपकार की कुछ लोगों ने प्रशंसा की है और कुछ ने आलोचना की है। अडानी के परोपकार के समर्थकों का तर्क है कि वह अपनी संपत्ति का उपयोग लाखों भारतीयों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए कर रहे हैं। अदाणी की परोपकारिता के आलोचकों का तर्क है कि वह अपने फाउंडेशन का उपयोग अपनी व्यावसायिक प्रथाओं को चमकाने और सरकार का पक्ष लेने के लिए कर रहे हैं।

केवल समय ही बताएगा कि अडानी के परोपकार को कैसे आंका जाएगा। हालाँकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह आज भारत के सबसे उदार परोपकारियों में से एक हैं।

गौतम अडानी भारत में एक विवादास्पद व्यक्ति हैं। उन पर भाईचारा, पर्यावरण क्षरण और अनुचित व्यावसायिक प्रथाओं का आरोप लगाया गया है।

गौतम अडानी से जुड़े कुछ विवाद इस प्रकार हैं:

  • क्रोनीवाद: अडानी पर भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने करीबी संबंधों से लाभ उठाने का आरोप लगाया गया है। अडानी के व्यवसायों को सरकारी अनुबंधों और सब्सिडी में अरबों डॉलर मिले हैं, और उन्हें विशेष अनुमतियाँ दी गई हैं जो अन्य कंपनियों को नहीं मिल पाई हैं।
  • पर्यावरण क्षरण: अडानी के व्यवसायों पर पर्यावरण क्षरण में योगदान देने का आरोप लगाया गया है। उनकी कोयला खदानों को वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण से जोड़ा गया है, और उनके बंदरगाहों पर तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।
  • अनुचित व्यावसायिक व्यवहार: अदाणी के व्यवसायों पर मूल्य-निर्धारण और बाजार में हेरफेर जैसे अनुचित व्यावसायिक व्यवहार का आरोप लगाया गया है। 2023 में, एक शॉर्ट-सेलर रिसर्च फर्म ने अदानी ग्रुप पर “बेशर्मी” स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया।

अडानी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि उनके व्यवसाय सतत विकास और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं।

गौतम अडानी पर लगे आरोप गंभीर हैं और इससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये सिर्फ आरोप हैं, और अडानी को किसी भी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है। हालाँकि, आरोप अडानी की व्यावसायिक प्रथाओं और भारत सरकार के साथ उनके संबंधों पर सवाल उठाते हैं। ये तो वक्त ही बताएगा कि आरोप सच साबित होंगे या झूठ.

यहां गौतम अदानी और अदानी समूह के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:

  • मामूली शुरुआत: गौतम अडानी ने हीरे और धातुओं जैसी वस्तुओं का व्यापार करके अपनी उद्यमशीलता यात्रा शुरू की। उन्होंने अपनी प्रारंभिक बचत का उपयोग अदानी एंटरप्राइजेज की स्थापना के लिए किया, जो अंततः एक प्रमुख समूह में विकसित हुआ।
  • तीव्र विस्तार: अदाणी समूह की वृद्धि प्रभावशाली रही है। वस्तुओं के व्यापार से लेकर, इसका बंदरगाह, लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा, कृषि व्यवसाय और अन्य क्षेत्रों में विस्तार हुआ और यह भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूहों में से एक बन गया।
  • सेल्फ-मेड अरबपति: गौतम अडानी को सेल्फ-मेड अरबपति माना जाता है। उन्होंने अपने व्यापारिक कौशल और रणनीतिक निवेश के माध्यम से अपना साम्राज्य बनाया।
  • रिकॉर्ड तोड़ने वाली सौर ऊर्जा परियोजना: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, अदानी समूह द्वारा विकसित कामुथी सौर ऊर्जा परियोजना दुनिया में सबसे बड़ी एकल-स्थान सौर ऊर्जा परियोजना है।
  • विविध पोर्टफोलियो: अदानी समूह के विविध पोर्टफोलियो में बंदरगाहों का स्वामित्व और संचालन शामिल है, जिसने इसे विश्व स्तर पर सबसे बड़े निजी बंदरगाह ऑपरेटरों में से एक बना दिया है।
  • सीएसआर और परोपकार: अदानी समूह की परोपकारी शाखा, अदानी फाउंडेशन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, ग्रामीण विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के उद्देश्य से विभिन्न पहलों में शामिल रही है।
  • अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति: अदाणी समूह की परियोजनाएँ और निवेश भारत तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों सहित अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कदम रखा है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा परिवर्तन: गौतम अडानी ने नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व पर जोर दिया है और भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करते हुए सौर और पवन परियोजनाओं में महत्वपूर्ण निवेश किया है।
  • इनोवेशन पर फोकस: अडानी ग्रुप ने इनोवेशन के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है। उदाहरण के लिए, उन्होंने मुंद्रा बंदरगाह विकसित किया, जो अपनी ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण प्रबंधन प्रथाओं के लिए बेंचमार्क और प्रमाणित होने वाला भारत का पहला निजी क्षेत्र का बंदरगाह था।
  • कम प्रोफ़ाइल: अपनी व्यावसायिक सफलता के बावजूद, गौतम अडानी ने अपेक्षाकृत कम सार्वजनिक प्रोफ़ाइल बनाए रखी है और सुर्खियों में आने के बजाय अपने व्यवसाय संचालन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

यहां गौतम अडानी के बारे में कुछ किताबें हैं। यहाँ उनमें से तीन हैं:

     गौतम अडानी: द मैन हू बिल्ट द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट पोर्ट मिहिर शर्मा द्वारा: यह किताब गौतम अडानी के एक छोटे शहर के व्यवसायी से भारत के सबसे अमीर व्यक्ति तक पहुंचने की कहानी बताती है। शर्मा का तर्क है कि अडानी की सफलता जोखिम लेने की उनकी इच्छा और सही लोगों से जुड़ने की उनकी क्षमता के कारण है।

         गौतम अदानी: द बिलियन डॉलर मैन नीलांजन मुखोपाध्याय द्वारा: यह पुस्तक अदानी की व्यावसायिक प्रथाओं पर अधिक आलोचनात्मक नज़र डालती है। मुखोपाध्याय का तर्क है कि अडानी को भाईचारे और पर्यावरणीय गिरावट से फायदा हुआ है।

        गौतम अडानी: रीइमेजिनिंग बिजनेस इन इंडिया एंड द वर्ल्ड, आर.एन. द्वारा। भास्कर: यह किताब अडानी के करियर पर अधिक संतुलित नजर डालती है। भास्कर का तर्क है कि अडानी एक सफल व्यवसायी हैं जिन्होंने भारत में भी सकारात्मक योगदान दिया है।

  • यह आपके संसाधनों के बारे में नहीं है; यह आपकी कुशलता के बारे में है।”
  • “ नेतृत्व सकारात्मक बदलाव लाने के लिए जिम्मेदारी और पहल करने के बारे में है।”
  • “ स्थिरता और स्वच्छ ऊर्जा केवल प्रचलित शब्द नहीं हैं; वे हमारे ग्रह के भविष्य के लिए आवश्यक हैं।”
  • “ उद्यमिता की यात्रा में चुनौतियाँ और बाधाएँ होंगी, लेकिन वे विकास के अवसर हैं।”
  • “ सफलता अंतिम नहीं है, विफलता घातक नहीं है: जारी रखने का साहस ही मायने रखता है।”
  • “ आप जो करते हैं उसमें अच्छा होना ही काफी नहीं है; आपको इसके प्रति जुनूनी होने की जरूरत है।”
  • “ उद्यमिता उन अवसरों को खोजने के बारे में है जहां अन्य लोग समस्याएं देखते हैं।”
  • “ सशक्तिकरण लोगों को कुछ दे नहीं रहा है; यह उन्हें एहसास दिला रहा है कि यह पहले से ही उनके भीतर है।”
  • “ शिक्षा में निवेश करना हमारे देश के भविष्य में निवेश करना है।”
  • “ बड़े सपने देखें, लक्ष्य निर्धारित करें और उन सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कड़ी मेहनत करें।”

प्रश्न: गौतम अडानी कौन हैं?

उत्तर: गौतम अडानी एक भारतीय अरबपति उद्योगपति और अडानी समूह के अध्यक्ष हैं, जो बंदरगाहों, रसद, ऊर्जा, कृषि व्यवसाय और अन्य क्षेत्रों में रुचि रखने वाली कंपनियों का एक समूह है।

प्रश्न: अदानी ग्रुप किस लिए जाना जाता है?

उत्तर: अदानी समूह अपने विविध व्यवसाय संचालन के लिए जाना जाता है, जिसमें बंदरगाह संचालन, रसद, बिजली उत्पादन, बुनियादी ढांचा विकास और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं।

प्रश्न: कामुथी सौर ऊर्जा परियोजना क्या है?

उत्तर: अदानी समूह द्वारा विकसित कामुथी सौर ऊर्जा परियोजना, दुनिया की सबसे बड़ी एकल-स्थान सौर ऊर्जा परियोजना है। यह भारत के तमिलनाडु में स्थित है और इसकी क्षमता 648 मेगावाट है।

प्रश्न: अदानी फाउंडेशन क्या है?

उत्तर: अदाणी फाउंडेशन अदाणी समूह की परोपकारी शाखा है। यह हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, स्थायी आजीविका और ग्रामीण बुनियादी ढांचे से संबंधित पहल पर केंद्रित है।

प्रश्न: अडानी ग्रुप को किन विवादों का सामना करना पड़ा है?

उत्तर: अडानी समूह को पर्यावरण संबंधी चिंताओं, भूमि अधिग्रहण और विस्थापन, कॉर्पोरेट प्रशासन, वित्तीय और नियामक जांच और सार्वजनिक विरोध से संबंधित विवादों का सामना करना पड़ा है।

प्रश्न: अडानी समूह किन क्षेत्रों में काम करता है?

उत्तर: अदाणी समूह बंदरगाह, रसद, बिजली उत्पादन, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि व्यवसाय, प्राकृतिक संसाधन, वित्तीय सेवाओं और अन्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम करता है।

प्रश्न: नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति गौतम अडानी का दृष्टिकोण क्या है?

उत्तर: गौतम अडानी ने नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व पर जोर दिया है और ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों में परिवर्तन के भारत के प्रयासों के हिस्से के रूप में सौर और पवन परियोजनाओं में महत्वपूर्ण निवेश किया है।

प्रश्न: गौतम अडानी ने व्यवसाय वृद्धि में कैसे योगदान दिया है?

उत्तर: गौतम अदाणी की उद्यमशीलता की दृष्टि, रणनीतिक निर्णय और विविधीकरण प्रयासों ने अदाणी समूह के व्यापार संचालन का विस्तार करने और इसे भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न: गौतम अडानी ने परोपकार में कैसे योगदान दिया है?

उत्तर: गौतम अदाणी और अदाणी समूह अदाणी फाउंडेशन के माध्यम से परोपकारी प्रयासों में शामिल रहे हैं, जो शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, ग्रामीण विकास और पर्यावरणीय स्थिरता से संबंधित पहल का समर्थन करता है।

प्रश्न: सतत विकास पर गौतम अडानी का क्या रुख है?

उत्तर: गौतम अडानी ने सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की है और अडानी समूह की व्यावसायिक रणनीतियों में पर्यावरण और सामाजिक विचारों को एकीकृत किया है।

elon musk biography in hindi

एलन मस्क एक प्रसिद्ध उद्यमी और बिजनेस मैग्नेट हैं, जो टेस्ला, स्पेसएक्स, न्यूरालिंक और द बोरिंग कंपनी जैसी कंपनियों में अपनी भागीदारी के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 28 जून 1971 को प्रिटोरिया, दक्षिण अफ्रीका में हुआ था।

मस्क के शुरुआती उद्यमों में सह-संस्थापक Zip2 शामिल हैं, जो एक सॉफ्टवेयर कंपनी है जो समाचार पत्रों को व्यावसायिक निर्देशिका और मानचित्र प्रदान करती है, और X.com, एक ऑनलाइन भुगतान कंपनी है जो अंततः PayPal बन गई। 2002 में, eBay ने PayPal का अधिग्रहण कर लिया और मस्क इस बिक्री से करोड़पति बन गए।

मस्क की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक इलेक्ट्रिक वाहन और नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी टेस्ला के साथ उनकी भागीदारी है। वह 2004 में टेस्ला में शामिल हुए और सीईओ और उत्पाद वास्तुकार बन गए। उनके नेतृत्व में, टेस्ला ने अपनी इलेक्ट्रिक कारों के लिए महत्वपूर्ण पहचान हासिल की है और टिकाऊ परिवहन को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मस्क ने कंपनी के भीतर नवाचार को बढ़ावा देने, उच्च प्रदर्शन वाले इलेक्ट्रिक वाहनों को विकसित करने और स्वायत्त ड्राइविंग तकनीक की सीमाओं को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

टेस्ला के अलावा, मस्क ने अंतरिक्ष यात्रा की लागत को कम करने और मंगल ग्रह के उपनिवेशीकरण को सक्षम करने के लक्ष्य के साथ 2002 में स्पेसएक्स (स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज कॉर्प) की स्थापना की। स्पेसएक्स ने एयरोस्पेस उद्योग में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसमें फाल्कन 1, फाल्कन 9 और फाल्कन हेवी रॉकेट का विकास शामिल है। स्पेसएक्स ने अंतरिक्ष मिशन की लागत को कम करते हुए पुन: प्रयोज्य रॉकेटों को भी सफलतापूर्वक लॉन्च और उतारा है।

मस्क ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को आगे बढ़ाने में गहरी रुचि व्यक्त की है और 2015 में एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुसंधान प्रयोगशाला ओपनएआई की स्थापना की है। कंपनी का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि एआई से पूरी मानवता को लाभ हो और सुरक्षित और नैतिक एआई विकास को बढ़ावा मिले।

मस्क का एक और उल्लेखनीय उद्यम न्यूरालिंक है, जो एक न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी है जो प्रत्यारोपण योग्य मस्तिष्क-मशीन इंटरफेस विकसित करने पर केंद्रित है। कंपनी का लक्ष्य मानव मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच सीधा संबंध बनाना, संभावित रूप से मानव अनुभूति को बढ़ाना और तंत्रिका संबंधी विकारों के इलाज के लिए नई संभावनाओं को सक्षम करना है।

मस्क को उनकी महत्वाकांक्षी दृष्टि, स्पष्ट व्यक्तित्व और बड़ी चुनौतियों का सामना करने की इच्छा के लिए जाना जाता है। वह अपने साहसिक बयानों और ट्वीट्स के लिए सुर्खियों में रहे हैं, अक्सर जनता का ध्यान आकर्षित करते हैं और कभी-कभी विवाद भी पैदा करते हैं। हालाँकि, इलेक्ट्रिक वाहनों, अंतरिक्ष अन्वेषण और एआई के क्षेत्र में उनके योगदान ने निस्संदेह प्रौद्योगिकी और समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।

प्रारंभिक जीवन – बचपन और परिवार

एलन मस्क का जन्म 28 जून 1971 को प्रिटोरिया, दक्षिण अफ्रीका में एक कनाडाई मां, माये मस्क और एक दक्षिण अफ्रीकी पिता, एरोल मस्क के घर हुआ था। उनके दो छोटे भाई-बहन हैं, किम्बल और टोस्का।

अपने बचपन के दौरान, मस्क ने असाधारण बुद्धिमत्ता और जिज्ञासा का प्रदर्शन किया। उन्होंने कम उम्र में कंप्यूटिंग और प्रौद्योगिकी में रुचि विकसित की, खुद को प्रोग्रामिंग और कंप्यूटर विज्ञान सिखाया। जब मस्क लगभग 9 वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया और वह मुख्य रूप से अपने पिता के साथ रहते थे।

शिक्षा और प्रवासन:

मस्क ने वॉटरक्लूफ़ हाउस प्रिपरेटरी स्कूल में पढ़ाई की और बाद में प्रिटोरिया बॉयज़ हाई स्कूल में दाखिला लिया। वह एक उत्साही पाठक थे, अक्सर विभिन्न विषयों की पुस्तकों में घंटों डूबे रहते थे। 12 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला सॉफ्टवेयर, ब्लास्टर नामक एक वीडियो गेम बेचा।

1988 में, 17 साल की उम्र में, मस्क दक्षिण अफ्रीका में अनिवार्य सैन्य सेवा से बचने के लिए कनाडा चले गए। उन्होंने अपनी मां के माध्यम से कनाडाई नागरिकता प्राप्त की और थोड़े समय के लिए किंग्स्टन, ओन्टारियो में क्वींस विश्वविद्यालय में भाग लिया। बाद में, वह संयुक्त राज्य अमेरिका में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में स्थानांतरित हो गए, जहां उन्होंने भौतिकी और अर्थशास्त्र में दोहरी स्नातक की डिग्री हासिल की।

उद्यमशील उद्यम:

कॉलेज में रहते हुए, मस्क ने Zip2 की सह-स्थापना की, जो एक सॉफ्टवेयर कंपनी थी जो समाचार पत्रों के लिए व्यावसायिक निर्देशिका और मानचित्र प्रदान करती थी। 1999 में, कॉम्पैक ने लगभग $307 मिलियन में Zip2 का अधिग्रहण किया, जिससे मस्क को महत्वपूर्ण वित्तीय लाभ हुआ।

Zip2 की बिक्री के बाद, मस्क ने एक ऑनलाइन भुगतान कंपनी X.com की सह-स्थापना की। X.com अंततः PayPal में विकसित हुआ, जो एक अग्रणी ऑनलाइन भुगतान प्लेटफ़ॉर्म बन गया। 2002 में, eBay ने $1.5 बिलियन में PayPal का अधिग्रहण कर लिया, जिससे मस्क को पर्याप्त वित्तीय सफलता मिली।

उद्यमशीलता की सफलता और वर्तमान उद्यम:

अपनी पेपैल बिक्री से प्राप्त आय के साथ, मस्क ने अपनी महत्वाकांक्षी गतिविधियाँ शुरू कीं। उन्होंने 2002 में स्पेसएक्स, 2003 में टेस्ला मोटर्स (अब टेस्ला, इंक.) की सह-स्थापना की और तब से न्यूरालिंक और द बोरिंग कंपनी सहित कई अन्य उद्यमों में गहराई से शामिल हो गए।

मस्क के उद्यमों ने अंतरिक्ष अन्वेषण, टिकाऊ ऊर्जा, परिवहन और न्यूरोटेक्नोलॉजी जैसे उद्योगों में क्रांति लाने पर ध्यान केंद्रित किया है। उनके प्रयासों ने उन्हें व्यापक पहचान और वैश्विक व्यापार परिदृश्य में एक प्रमुख स्थान दिलाया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि प्रदान की गई जानकारी सितंबर 2021 तक सटीक है, और तब से एलन मस्क के निजी जीवन में कुछ विकास हुए होंगे।

एलन मस्क की शैक्षिक यात्रा में कई उल्लेखनीय संस्थान शामिल हैं जहाँ उन्होंने अपनी पढ़ाई की। यहां एलन मस्क के प्रमुख शैक्षिक मील के पत्थर हैं:

  • प्रिटोरिया बॉयज़ हाई स्कूल: मस्क ने इस प्रतिष्ठित दक्षिण अफ़्रीकी हाई स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की। इस दौरान उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और प्रौद्योगिकी में निपुणता दिखाई।
  • क्वीन्स यूनिवर्सिटी और प्रिटोरिया यूनिवर्सिटी: मस्क ने दक्षिण अफ्रीका में प्रिटोरिया यूनिवर्सिटी में स्थानांतरित होने से पहले कुछ समय के लिए कनाडा में क्वीन्स यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। हालाँकि, उन्होंने अपनी डिग्री पूरी किए बिना ही दोनों संस्थान छोड़ दिए।
  • पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय: मस्क ने अंततः संयुक्त राज्य अमेरिका में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहां उन्होंने भौतिकी और अर्थशास्त्र में दोहरी स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने 1997 में कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज से भौतिकी में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री और व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से अर्थशास्त्र में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की।

जबकि मस्क की औपचारिक शिक्षा ने ज्ञान की नींव प्रदान की, यह सीखने के प्रति उनका जुनून और उनकी स्व-संचालित प्रकृति है जिसने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह अपनी तीव्र पढ़ने की आदतों, व्यापक स्व-अध्ययन और विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान की निरंतर खोज के लिए जाने जाते हैं, जिसने उन्हें प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और उद्यमिता जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने में सक्षम बनाया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि मस्क की शैक्षिक पृष्ठभूमि उनके बाद के उद्यमशीलता उद्यमों से सीधे तौर पर जुड़ी नहीं है। हालाँकि, उनके कौशल, बुद्धिमत्ता और ड्राइव के संयोजन ने उन्हें जटिल उद्योगों को नेविगेट करने और अभूतपूर्व योगदान देने की अनुमति दी है।

व्यवसायिक कैरियर – ज़िप2

एलन मस्क के शुरुआती उद्यमों में से एक Zip2 Corporation था, एक सॉफ्टवेयर कंपनी जिसकी उन्होंने 1995 में सह-स्थापना की थी। Zip2 का उद्देश्य समाचार पत्रों के लिए व्यावसायिक निर्देशिकाएं और मानचित्र प्रदान करना था, जिससे वे अपने पाठकों को ऑनलाइन सामग्री और विज्ञापन पेश कर सकें। कंपनी ने स्थानीय व्यवसायों के लिए ऑनलाइन उपस्थिति स्थापित करने और ग्राहकों से जुड़ने के लिए सॉफ्टवेयर समाधान विकसित किए।

  • इंटरनेट के शुरुआती दिनों में, Zip2 को सीमित कनेक्टिविटी और तकनीकी बुनियादी ढांचे की चुनौती का सामना करना पड़ा। हालाँकि, मस्क और उनकी टीम कायम रही और द न्यूयॉर्क टाइम्स और नाइट रिडर जैसे प्रमुख मीडिया संगठनों के साथ अनुबंध हासिल किया।
  • Zip2 के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता 1999 में आई जब कंपनी ने “सिटीसर्च” नामक एक ऑनलाइन सिटी गाइड बनाने के लिए कॉम्पैक कंप्यूटर कॉर्पोरेशन के साथ साझेदारी की। इस सहयोग ने Zip2 के विकास और सफलता को आगे बढ़ाने में मदद की।
  • फरवरी 1999 में, कॉम्पैक ने लगभग $307 मिलियन में Zip2 का अधिग्रहण किया। एलन मस्क ने अपने भाई किम्बल मस्क और अन्य शुरुआती निवेशकों के साथ अधिग्रहण से पर्याप्त वित्तीय लाभ अर्जित किया। यह मस्क की उद्यमशीलता यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिससे उन्हें भविष्य के उद्यमों को आगे बढ़ाने के लिए संसाधन उपलब्ध हुए।
  • Zip2 की सफलता ने मस्क के बाद के उद्यमों की नींव रखी और प्रौद्योगिकी और इंटरनेट में उभरते रुझानों को पहचानने और उनका लाभ उठाने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन किया। इसने नवीन व्यवसायों के निर्माण और विस्तार के लिए उनकी प्रतिभा को भी प्रदर्शित किया।
  • हालाँकि Zip2 अब चालू नहीं है, लेकिन मस्क के करियर पथ पर इसका प्रभाव निर्विवाद है। Zip2 से सीखे गए अनुभवों और सबक ने उनके बाद के उद्यमों, जैसे पेपाल, स्पेसएक्स, टेस्ला, न्यूरालिंक और द बोरिंग कंपनी को प्रभावित किया। इन उद्यमों ने मस्क को प्रौद्योगिकी और व्यापार जगत में सबसे आगे खड़ा कर दिया है, जिससे वह आज उद्योग में सबसे प्रभावशाली और पहचाने जाने योग्य शख्सियतों में से एक बन गए हैं।

मार्च 1999 में, एलन मस्क ने X.com नामक एक ऑनलाइन भुगतान कंपनी की स्थापना की। प्रारंभ में, X.com ने वित्तीय सेवाएँ और ईमेल भुगतान प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया। कंपनी का लक्ष्य ऑनलाइन लेनदेन में क्रांति लाना और उन्हें अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित बनाना है।

  • X.com ने उद्योग का ध्यान आकर्षित करते हुए तेजी से विकास और सफलता का अनुभव किया। हालाँकि, इसे अन्य उभरती ऑनलाइन भुगतान कंपनियों से तीव्र प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा, और मस्क ने कंपनी की पेशकशों को अनुकूलित और विस्तारित करने की आवश्यकता को पहचाना।
  • 2000 में, X.com ने सुरक्षा सॉफ्टवेयर विकसित करने में विशेषज्ञता वाली कंपनी कॉन्फ़िनिटी का अधिग्रहण किया। इस अधिग्रहण ने कॉन्फ़िनिटी की पीयर-टू-पीयर भुगतान प्रणाली, जिसे पेपाल के नाम से जाना जाता है, को X.com के पोर्टफोलियो में ला दिया। PayPal की क्षमता को पहचानते हुए, मस्क और X.com टीम ने इसके विकास पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया।
  • मस्क के नेतृत्व में, कंपनी ने 2001 में खुद को PayPal के रूप में पुनः ब्रांड किया, जो एक अग्रणी ऑनलाइन भुगतान प्लेटफ़ॉर्म बनने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पेपैल ने व्यक्तियों और व्यवसायों को पारंपरिक भुगतान विधियों का एक सुविधाजनक विकल्प प्रदान करते हुए, इंटरनेट पर सुरक्षित रूप से पैसे भेजने और प्राप्त करने की अनुमति दी।
  • पेपैल ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की और ऑनलाइन भुगतान उद्योग में अग्रणी खिलाड़ी बन गया। इसका उपयोगकर्ता आधार तेजी से बढ़ा और इसे ई-कॉमर्स लेनदेन के लिए एक विश्वसनीय और सुरक्षित मंच के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया।
  • अक्टूबर 2002 में, लोकप्रिय ऑनलाइन नीलामी और शॉपिंग वेबसाइट eBay ने $1.5 बिलियन में PayPal का अधिग्रहण कर लिया। इस अधिग्रहण ने एलन मस्क को पर्याप्त वित्तीय सफलता प्रदान की और ऑनलाइन भुगतान बाजार में एक प्रमुख शक्ति के रूप में पेपाल की स्थिति को मजबूत किया।
  • पेपाल के साथ मस्क की भागीदारी ने उनकी उद्यमशीलता यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि कंपनी की सफलता ने उन्हें अन्य महत्वाकांक्षी उद्यमों को आगे बढ़ाने के लिए संसाधन और प्रतिष्ठा प्रदान की। पेपैल में अपने समय के दौरान सीखे गए अनुभवों और सबक ने निस्संदेह व्यापार के प्रति मस्क के दृष्टिकोण को आकार दिया और उनके बाद के उद्यमों, जैसे स्पेसएक्स, टेस्ला और अन्य को प्रभावित किया।
  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पेपाल की बिक्री के बाद, एलन मस्क ने अपना ध्यान विभिन्न अन्य उद्यमों पर केंद्रित कर दिया, और पेपल को नए अधिकारियों के नेतृत्व में छोड़ दिया। आज, PayPal एक प्रमुख वैश्विक ऑनलाइन भुगतान प्लेटफ़ॉर्म बना हुआ है, जो दुनिया भर के कई देशों में लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है।

स्पेसएक्स एक निजी एयरोस्पेस निर्माता और अंतरिक्ष परिवहन कंपनी है जिसकी स्थापना 2002 में एलन मस्क द्वारा की गई थी। स्पेसएक्स के सीईओ और प्रमुख डिजाइनर के रूप में, एलन मस्क ने कंपनी के दृष्टिकोण को आकार देने और अंतरिक्ष अन्वेषण में क्रांति लाने के लिए अपने मिशन को चलाने में केंद्रीय भूमिका निभाई है। यहां स्पेसएक्स और एलन मस्क के साथ इसके जुड़ाव से संबंधित कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

  • दृष्टिकोण और लक्ष्य: स्पेसएक्स का प्राथमिक लक्ष्य अंतरिक्ष यात्रा की लागत को कम करना और अंतरिक्ष को अधिक सुलभ बनाना है। स्पेसएक्स के लिए एलन मस्क के दृष्टिकोण में मंगल ग्रह पर मानव उपनिवेशीकरण को सक्षम करना और मानवता को एक बहु-ग्रहीय प्रजाति बनाना शामिल है। वह इसे मानवता के अस्तित्व को सुनिश्चित करने और संभावित अस्तित्व संबंधी खतरों से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखते हैं।
  • उपलब्धियां और मील के पत्थर: मस्क के नेतृत्व में, स्पेसएक्स ने एयरोस्पेस उद्योग में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। यह 2008 में फाल्कन 1 रॉकेट के प्रक्षेपण के साथ कक्षा में पहुंचने वाली पहली निजी तौर पर वित्त पोषित कंपनी थी। स्पेसएक्स ने फाल्कन 9 रॉकेट विकसित किया, जो वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए कार्गो पुनः आपूर्ति मिशन के लिए एक वर्कहॉर्स बन गया है। इसके अतिरिक्त, स्पेसएक्स का ड्रैगन अंतरिक्ष यान कक्षा से सफलतापूर्वक पुनर्प्राप्त होने वाला पहला व्यावसायिक रूप से निर्मित अंतरिक्ष यान बन गया।
  • पुन: प्रयोज्यता और लागत में कमी: मस्क के मार्गदर्शन में स्पेसएक्स द्वारा शुरू किए गए प्रमुख नवाचारों में से एक पुन: प्रयोज्य रॉकेट प्रौद्योगिकी का विकास है। फाल्कन 9 रॉकेट के पहले चरण को लॉन्च के बाद लंबवत रूप से उतरने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे इसे नवीनीकृत किया जा सके और भविष्य के मिशनों के लिए उपयोग किया जा सके। इस उपलब्धि ने अंतरिक्ष यात्रा की लागत को काफी कम कर दिया है और वाणिज्यिक अंतरिक्ष उद्योग के लिए नई संभावनाएं खोल दी हैं।
  • स्टारशिप और मंगल उपनिवेशीकरण: स्पेसएक्स के साथ एलन मस्क की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना स्टारशिप अंतरिक्ष यान का विकास है। स्टारशिप का उद्देश्य पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष यान होना है जो बड़े पेलोड और यात्रियों को चंद्रमा और मंगल ग्रह सहित गंतव्यों तक ले जाने में सक्षम है। मस्क स्टारशिप की कल्पना ऐसे वाहन के रूप में करते हैं जो भविष्य में मनुष्यों को मंगल ग्रह पर स्थायी उपस्थिति स्थापित करने में सक्षम बनाएगा।
  • वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम: स्पेसएक्स नासा के वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल रहा है, जिसका उद्देश्य आईएसएस के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय चालक दल परिवहन विकसित करना है। स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने नासा के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए परिवहन प्रदान करते हुए, आईएसएस के लिए क्रू मिशन का सफलतापूर्वक संचालन किया है।

एलन मस्क के नेतृत्व और दूरदर्शिता ने स्पेसएक्स की सफलता को आगे बढ़ाने और इसे अंतरिक्ष उद्योग में सबसे प्रमुख खिलाड़ियों में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कंपनी की उपलब्धियाँ और भविष्य की परियोजनाएँ अंतरिक्ष अन्वेषण के भविष्य को आकार दे रही हैं और अन्य ग्रहों पर संभावित मानव मिशनों का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।

स्टारलिंक एलन मस्क के नेतृत्व में स्पेसएक्स द्वारा विकसित एक उपग्रह इंटरनेट तारामंडल परियोजना है। परियोजना का प्राथमिक लक्ष्य कम पृथ्वी कक्षा (एलईओ) उपग्रहों के विशाल नेटवर्क का उपयोग करके वैश्विक इंटरनेट कवरेज प्रदान करना है। यहां स्टारलिंक और एलन मस्क के साथ इसके जुड़ाव से संबंधित कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

  • दृष्टिकोण और उद्देश्य: एलन मस्क ने वैश्विक इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार लाने और दुनिया भर के वंचित और दूरदराज के क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंच लाने के उद्देश्य से स्टारलिंक परियोजना की कल्पना की। इसका उद्देश्य पृथ्वी की निचली कक्षा में हजारों छोटे उपग्रहों का एक समूह बनाना है, जो निर्बाध और विश्वसनीय इंटरनेट सेवा प्रदान करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
  • उपग्रह परिनियोजन: स्टारलिंक ने मई 2019 में अपने पहले प्रक्षेपण के बाद से उपग्रहों के कई बैचों को कक्षा में लॉन्च किया है। सितंबर 2021 में मेरी जानकारी के अनुसार, सैकड़ों स्टारलिंक उपग्रह पहले से ही कक्षा में थे, जो तारामंडल के प्रारंभिक चरण का निर्माण कर रहे थे। यह परियोजना कवरेज और क्षमता का विस्तार करने के लिए समूहों में उपग्रहों को तैनात करना जारी रखती है।
  • उपग्रह तारामंडल: पूर्ण स्टारलिंक तारामंडल में विभिन्न कक्षाओं और झुकावों वाले हजारों उपग्रह शामिल होने की उम्मीद है। उपग्रहों की बड़ी संख्या अधिक व्यापक कवरेज और क्षमता की अनुमति देती है, खासकर उच्च उपयोगकर्ता मांग वाले क्षेत्रों में।
  • बीटा परीक्षण और विस्तार: 2020 में, स्पेसएक्स ने स्टारलिंक सेवा का परीक्षण करने के लिए “बेटर दैन नथिंग बीटा” नामक एक सार्वजनिक बीटा कार्यक्रम शुरू किया। कार्यक्रम ने कुछ क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को स्टारलिंक के माध्यम से इंटरनेट तक पहुंचने और इसके प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देने की अनुमति दी। मेरी जानकारी के अनुसार, विभिन्न क्षेत्रों में अधिक उपयोगकर्ताओं को शामिल करने के लिए बीटा प्रोग्राम का विस्तार हो रहा था।
  • संभावित प्रभाव: स्टारलिंक में इंटरनेट कनेक्टिविटी में क्रांति लाने की क्षमता है, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में जहां पारंपरिक ब्रॉडबैंड सेवाओं तक सीमित या कोई पहुंच नहीं है। यह आपात स्थिति के दौरान या उन क्षेत्रों में भी इंटरनेट पहुंच प्रदान कर सकता है जहां पारंपरिक इंटरनेट बुनियादी ढांचे की स्थापना चुनौतीपूर्ण है।
  • चुनौतियाँ और नियामक विचार: एक विशाल उपग्रह समूह की तैनाती से अंतरिक्ष मलबे और अन्य उपग्रह प्रणालियों के साथ संभावित हस्तक्षेप से संबंधित चुनौतियाँ पैदा होती हैं। स्पेसएक्स इन चिंताओं को दूर करने और जिम्मेदार अंतरिक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए नियामक अधिकारियों के साथ काम कर रहा है।

स्टारलिंक के लिए एलन मस्क का दृष्टिकोण प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और मानवता पर सकारात्मक प्रभाव डालने के उनके व्यापक लक्ष्यों के साथ संरेखित है। एक व्यापक उपग्रह नेटवर्क के माध्यम से वैश्विक इंटरनेट कवरेज प्रदान करके, स्टारलिंक में लोगों के इंटरनेट से जुड़ने के तरीके को नया आकार देने और वैश्विक स्तर पर डिजिटल विभाजन को पाटने की क्षमता है।

टेस्ला, इंक. एक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और स्वच्छ ऊर्जा कंपनी है, जिसकी सह-स्थापना 2003 में एलन मस्क ने की थी। एलन मस्क सीईओ के रूप में कार्य करते हैं और टिकाऊ ऊर्जा के लिए दुनिया के संक्रमण में तेजी लाने के लिए कंपनी के मिशन के पीछे एक प्रेरक शक्ति रहे हैं। यहां टेस्ला और एलन मस्क के साथ इसके जुड़ाव से संबंधित कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

  • इलेक्ट्रिक वाहन: टेस्ला अपने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है, जिन्होंने अपने प्रदर्शन, डिजाइन और रेंज के लिए व्यापक पहचान हासिल की है। कंपनी की ईवी लाइनअप में मॉडल एस, मॉडल 3, मॉडल एक्स और मॉडल वाई जैसे मॉडल शामिल हैं। टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारों ने ईवी को लोकप्रिय बनाने और ऑटोमोटिव उद्योग को स्वच्छ और अधिक टिकाऊ परिवहन की ओर स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • सतत ऊर्जा: इलेक्ट्रिक वाहनों के अलावा, टेस्ला विभिन्न स्वच्छ ऊर्जा पहलों में भी शामिल है। कंपनी सौर पैनलों और सौर छत टाइलों के साथ-साथ पावरवॉल और पावरपैक जैसे ऊर्जा भंडारण उत्पादों का उत्पादन करती है। टेस्ला के ऊर्जा समाधानों का उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा देना और उपभोक्ताओं को आवासीय और व्यावसायिक उपयोग के लिए स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करने और संग्रहीत करने के साधन प्रदान करना है।
  • गीगाफैक्ट्रीज़: टेस्ला ने दुनिया भर में अपनी गीगाफैक्ट्रीज़ का निर्माण और विस्तार जारी रखा है। ये बड़े पैमाने पर विनिर्माण सुविधाएं टेस्ला के इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा उत्पादों के लिए आवश्यक बैटरी और अन्य घटकों के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं। गीगाफैक्टरीज़ उत्पादन क्षमता बढ़ाने और इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत को कम करने के टेस्ला के लक्ष्य में योगदान देती हैं।
  • ऑटोपायलट और सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक: टेस्ला स्वायत्त ड्राइविंग तकनीक विकसित करने में सबसे आगे रही है। कंपनी की ऑटोपायलट सुविधा उन्नत ड्राइवर-सहायता क्षमताओं को सक्षम बनाती है, और टेस्ला अपने वाहनों में पूर्ण स्व-ड्राइविंग क्षमता प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है। एलन मस्क के दृष्टिकोण में राइड-शेयरिंग नेटवर्क के हिस्से के रूप में पूरी तरह से स्वायत्त टेस्ला वाहनों की भविष्य में तैनाती शामिल है।
  • वैश्विक प्रभाव: टेस्ला का प्रभाव उसके इलेक्ट्रिक वाहनों और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादों से परे फैला हुआ है। कंपनी की उपस्थिति ने अन्य वाहन निर्माताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास में अपने स्वयं के प्रयासों में तेजी लाने के लिए प्रभावित किया है, जिससे ऑटोमोटिव उद्योग के व्यापक विद्युतीकरण में योगदान मिला है।
  • स्टॉक मार्केट मूल्यांकन: टेस्ला के बाजार मूल्यांकन में पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, जिससे यह दुनिया के सबसे मूल्यवान वाहन निर्माताओं में से एक बन गया है। एलन मस्क का नेतृत्व और दूरदर्शिता ऑटोमोटिव और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में एक विघटनकारी शक्ति के रूप में टेस्ला में निवेशकों के विश्वास और रुचि को बढ़ाने में सहायक रही है।

टेस्ला में एलन मस्क का नेतृत्व कंपनी की सफलता के लिए केंद्रीय रहा है और इसने एक दूरदर्शी उद्यमी और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों के वकील के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को मजबूत किया है। कंपनी के दिन-प्रतिदिन के संचालन और दीर्घकालिक रणनीति में उनकी भागीदारी इलेक्ट्रिक वाहन और स्वच्छ ऊर्जा उद्योगों में अग्रणी बनने की दिशा में टेस्ला की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कारक रही है।

ट्वीट्स के संबंध में एसईसी और शेयरधारक मुकदमे

एलन मस्क के ट्विटर के उपयोग ने काफी ध्यान आकर्षित किया है, और उन्हें अपने ट्वीट्स से संबंधित कानूनी और नियामक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। यहां अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) और एलन मस्क के ट्वीट से संबंधित शेयरधारक मुकदमों से जुड़ी कुछ प्रमुख घटनाएं हैं:

  • एसईसी समझौता: 2018 में, एसईसी ने प्रतिभूति धोखाधड़ी के लिए एलन मस्क के खिलाफ मुकदमा दायर किया। एसईसी ने आरोप लगाया कि मस्क ने संभावित रूप से $420 प्रति शेयर पर टेस्ला को निजी तौर पर लेने के बारे में ट्विटर पर गलत और भ्रामक बयान दिए, जिससे बाजार में व्यवधान और भ्रम पैदा हुआ। मस्क और टेस्ला एसईसी के साथ एक समझौते पर पहुंचे, जिसमें जुर्माना भरने पर सहमति हुई और मस्क को तीन साल के लिए टेस्ला के अध्यक्ष के रूप में पद छोड़ने की आवश्यकता पड़ी।
  • न्यायालय की अवमानना: 2019 में, एसईसी ने मस्क पर पूर्व अनुमोदन के बिना टेस्ला के उत्पादन संख्या के बारे में गलत जानकारी ट्वीट करके समझौते की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। इससे मस्क और एसईसी के बीच कानूनी विवाद पैदा हो गया, एसईसी ने मस्क को अदालत की अवमानना के मामले में पकड़ने की मांग की। अंततः, सोशल मीडिया पर मस्क के संचार दिशानिर्देशों को स्पष्ट करते हुए एक संशोधित समझौता हुआ।
  • शेयरधारक मुकदमे: मस्क के ट्वीट के परिणामस्वरूप शेयरधारक मुकदमे भी हुए हैं, जो टेस्ला शेयरधारकों द्वारा दायर किए गए थे, जिन्होंने आरोप लगाया था कि मस्क के ट्वीट ने टेस्ला के स्टॉक मूल्य में हेरफेर किया और वित्तीय नुकसान पहुंचाया। इनमें से कुछ मुकदमों में दावा किया गया कि मस्क के ट्वीट ने झूठी या भ्रामक जानकारी प्रसारित करके प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन किया। इनमें से कई मुकदमों को समेकित और निपटाया गया, टेस्ला ने मस्क और खुद की ओर से निपटान राशि का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की।

ये घटनाएं सार्वजनिक हस्तियों द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग से जुड़ी चुनौतियों को उजागर करती हैं, खासकर जब ऐसी जानकारी प्रसारित करने की बात आती है जो शेयर बाजार को प्रभावित कर सकती है। एक सीईओ और बड़ी संख्या में फॉलोअर्स वाली सार्वजनिक हस्ती के रूप में, मस्क के ट्वीट में निवेशकों की भावना और टेस्ला के शेयर की कीमत को प्रभावित करने की क्षमता है।

कानूनी समझौतों के बाद, मस्क अपने ट्विटर संचार में अधिक सतर्क हो गए हैं, अक्सर सामग्री घोषणाओं और खुलासों के लिए आधिकारिक टेस्ला बयानों पर भरोसा करते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मेरा ज्ञान सितंबर 2021 तक उपलब्ध जानकारी पर आधारित है, और तब से और भी विकास हो सकते हैं।

सोलरसिटी और टेस्ला एनर्जी

सोलरसिटी एक सौर ऊर्जा सेवा कंपनी थी जिसकी स्थापना 2006 में एलन मस्क के चचेरे भाई लिंडन और पीटर रिव ने की थी। कंपनी आवासीय और वाणिज्यिक ग्राहकों के लिए सौर ऊर्जा प्रणालियों की स्थापना और पट्टे पर देने में विशेषज्ञता रखती है।

2016 में, टेस्ला ने लगभग 2.6 बिलियन डॉलर के सौदे में सोलरसिटी का अधिग्रहण किया। यह अधिग्रहण इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी भंडारण के साथ स्थायी ऊर्जा समाधानों को एकीकृत करने के एलन मस्क के व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा था।

टेस्ला और सोलरसिटी के संयोजन के परिणामस्वरूप टेस्ला एनर्जी का निर्माण हुआ, टेस्ला के भीतर का विभाजन नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादों और समाधानों पर केंद्रित था। टेस्ला एनर्जी के तहत, कंपनी ने सौर ऊर्जा प्रणालियों और ऊर्जा भंडारण उत्पादों को शामिल करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से परे अपनी पेशकश का विस्तार किया।

यहां टेस्ला एनर्जी की पेशकशों के प्रमुख पहलू हैं:

  • सोलर रूफ: टेस्ला एनर्जी ने सोलर रूफ पेश किया, जो एक अनूठी छत प्रणाली है जो सौर पैनलों को सीधे छत की टाइलों में एकीकृत करती है। सोलर रूफ का लक्ष्य नवीकरणीय बिजली पैदा करते हुए पारंपरिक छत सामग्री की जगह सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए अधिक सौंदर्यपूर्ण रूप से सुखदायक और निर्बाध समाधान प्रदान करना है।
  • सौर पैनल: टेस्ला एनर्जी आवासीय और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लिए सौर पैनल की पेशकश जारी रखती है। ये सौर पैनल बिजली उत्पन्न करने के लिए सूर्य के प्रकाश का उपयोग करते हैं, ग्रिड पावर पर निर्भरता कम करते हैं और ग्राहकों को स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा के साथ अपनी ऊर्जा खपत की भरपाई करने में सक्षम बनाते हैं।
  • पावरवॉल: टेस्ला एनर्जी ने पावरवॉल विकसित किया, जो एक घरेलू ऊर्जा भंडारण प्रणाली है जिसे सौर पैनलों से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को संग्रहीत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पावरवॉल घर के मालिकों को उनके द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को संग्रहीत करने और उपयोग करने की अनुमति देता है, जिससे ग्रिड पर निर्भरता कम हो जाती है और आउटेज के दौरान बैकअप पावर प्रदान की जाती है।
  • पावरपैक: बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण आवश्यकताओं के लिए, टेस्ला एनर्जी पावरपैक प्रदान करता है। ये बड़े बैटरी सिस्टम वाणिज्यिक और उपयोगिता-पैमाने के अनुप्रयोगों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण, लोड शिफ्टिंग और ग्रिड स्थिरीकरण का समर्थन करने के लिए ऊर्जा भंडारण समाधान प्रदान करते हैं।

टेस्ला एनर्जी के उत्पादों का लक्ष्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके और ऊर्जा भंडारण को सक्षम करके स्थिरता, ऊर्जा स्वतंत्रता और लचीलेपन को बढ़ावा देना है। सौर ऊर्जा उत्पादन को इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के साथ एकीकृत करके, टेस्ला एनर्जी एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहता है जो कार्बन उत्सर्जन को कम करता है और एक स्थायी ऊर्जा भविष्य में संक्रमण को आगे बढ़ाता है।

न्यूरालिंक कॉर्पोरेशन एक न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी है जिसकी सह-स्थापना 2016 में एलन मस्क ने की थी। कंपनी का मिशन मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) विकसित करना है जो मानव मस्तिष्क और बाहरी उपकरणों के बीच सीधे संचार को सक्षम बनाता है। यहां न्यूरालिंक और एलन मस्क के साथ इसके जुड़ाव से संबंधित कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

  • ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई): न्यूरालिंक का प्राथमिक ध्यान उन्नत मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस विकसित करने पर है जो मानव मस्तिष्क और बाहरी उपकरणों के बीच द्विदिश संचार की अनुमति देता है। लक्ष्य व्यक्तियों को अपने विचारों का उपयोग करके कंप्यूटर, प्रोस्थेटिक्स या अन्य डिजिटल उपकरणों को नियंत्रित करने में सक्षम बनाना है, और संभावित रूप से न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के लिए नए उपचार को सक्षम करना है।
  • मस्तिष्क प्रत्यारोपण: न्यूरालिंक प्रत्यारोपण योग्य मस्तिष्क उपकरणों को विकसित करने पर काम कर रहा है, जिसमें छोटे, लचीले धागे होते हैं जिन्हें मस्तिष्क में डाला जाता है। इन धागों में इलेक्ट्रोड होते हैं जो तंत्रिका गतिविधि को रिकॉर्ड कर सकते हैं और मस्तिष्क कोशिकाओं को सटीकता से उत्तेजित कर सकते हैं।
  • चिकित्सा अनुप्रयोग: न्यूरालिंक के अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में चिकित्सा क्षेत्रों में संभावित अनुप्रयोग हैं, जैसे पार्किंसंस रोग, मिर्गी और पक्षाघात जैसे तंत्रिका संबंधी विकारों का उपचार। कंपनी का लक्ष्य तंत्रिका इंटरफेस विकसित करना है जो न्यूरोलॉजिकल चोटों या विकलांग व्यक्तियों में खोए हुए संवेदी या मोटर कार्यों को बहाल कर सकता है।
  • दीर्घकालिक दृष्टिकोण : एलन मस्क ने न्यूरालिंक के लिए एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर चर्चा की है जो चिकित्सा अनुप्रयोगों से परे है। वह एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं जहां प्रौद्योगिकी के विकास के साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ तालमेल बनाए रखने और संज्ञानात्मक क्षमताओं को बनाए रखने के लिए मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस मनुष्यों के लिए आवश्यक हो जाएगा।
  • मानव परीक्षण : सितंबर 2021 में मेरी जानकारी के अनुसार, न्यूरालिंक ने अभी तक मनुष्यों पर नैदानिक ​​परीक्षण नहीं किया था। हालाँकि, एलन मस्क ने प्रौद्योगिकी के अधिक उन्नत और सुरक्षित होने के बाद मानव परीक्षणों के लिए विनियामक अनुमोदन लेने की योजना का उल्लेख किया है।
  • नैतिक और सुरक्षा संबंधी विचार: व्यक्तियों की गोपनीयता, स्वायत्तता और भलाई पर मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस के संभावित प्रभाव को देखते हुए, न्यूरालिंक का कार्य महत्वपूर्ण नैतिक और सुरक्षा संबंधी विचारों को उठाता है। एलन मस्क और न्यूरालिंक टीम ने अपनी अनुसंधान और विकास प्रक्रिया में सुरक्षा और पारदर्शिता के महत्व पर जोर दिया है।

कुल मिलाकर, न्यूरालिंक तंत्रिका विज्ञान और चिकित्सा उपचार में नई सीमाओं को अनलॉक करने की क्षमता के साथ, मनुष्यों और मशीनों के बीच की खाई को पाटने के एक महत्वाकांक्षी प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है। परियोजना के लिए एलन मस्क की भागीदारी और वकालत ने महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया है और मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफ़ेस प्रौद्योगिकी के संभावित लाभों और चुनौतियों पर चर्चा शुरू की है। किसी भी अत्याधुनिक तकनीक की तरह, न्यूरालिंक की प्रगति के भविष्य को आकार देने में आगे के शोध, नियामक अनुमोदन और नैतिक विचार महत्वपूर्ण होंगे।

बोरिंग कंपनी

बोरिंग कंपनी 2016 में एलन मस्क द्वारा स्थापित एक सुरंग निर्माण और बुनियादी ढांचा कंपनी है। इसका प्राथमिक ध्यान शहरी भीड़ और परिवहन चुनौतियों का समाधान करने के लिए नवीन सुरंग बनाने की तकनीक और तरीकों को विकसित करना है।

बोरिंग कंपनी के कुछ प्रमुख पहलू यहां दिए गए हैं:

  • टनलिंग प्रौद्योगिकी: बोरिंग कंपनी का लक्ष्य टनलिंग मशीनरी और तकनीकों के विकास के माध्यम से टनलिंग दक्षता में सुधार करना और लागत कम करना है। एक उल्लेखनीय नवाचार टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) का उपयोग है जो पारंपरिक टनलिंग उपकरणों की तुलना में छोटी, तेज और अधिक लागत प्रभावी है।
  • सुरंग नेटवर्क: बोरिंग कंपनी शहरों में यातायात की भीड़ को कम करने के लिए सुरंगों का एक भूमिगत नेटवर्क बनाने की कल्पना करती है। इन सुरंगों का उपयोग प्रस्तावित लूप और हाइपरलूप सिस्टम जैसे उच्च गति परिवहन प्रणालियों के लिए किया जाएगा, जहां इलेक्ट्रिक वाहन या पॉड उच्च गति पर इलेक्ट्रिक स्केट्स पर यात्रा करेंगे।
  • लूप सिस्टम: बोरिंग कंपनी द्वारा प्रस्तावित लूप सिस्टम में इलेक्ट्रिक वाहनों या स्वायत्त इलेक्ट्रिक पॉड्स को समायोजित करने के लिए शहर की सड़कों के नीचे सुरंगों का निर्माण शामिल है। ये वाहन इलेक्ट्रिक स्केट्स पर यात्रा करेंगे, यात्रियों को परिवहन करेंगे और सतही यातायात से बचकर यात्रा के समय को कम करेंगे।
  • हाइपरलूप अवधारणा: बोरिंग कंपनी हाइपरलूप अवधारणा के विकास में भी शामिल है, जो एक उच्च गति परिवहन प्रणाली है जिसमें निकट-सुपरसोनिक गति पर कम दबाव वाले ट्यूबों के माध्यम से पॉड्स को आगे बढ़ाना शामिल है। हाइपरलूप में यात्रा के समय को काफी कम करके लंबी दूरी के परिवहन में क्रांति लाने की क्षमता है।
  • परियोजनाएं और साझेदारी: बोरिंग कंपनी ने अपनी सुरंग बनाने की क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं। एक उल्लेखनीय उदाहरण लास वेगास कन्वेंशन सेंटर लूप है, जो भूमिगत सुरंगों की एक प्रणाली है जो सम्मेलन स्थलों के बीच यात्रियों को स्वायत्त इलेक्ट्रिक वाहनों में ले जाती है।
  • गैर-लाभकारी उद्यम: बोरिंग कंपनी गैर-लाभकारी उद्यमों में भी लगी हुई है, जैसे कि स्पेसएक्स मुख्यालय के पास कैलिफोर्निया के हॉथोर्न में एक सुरंग का निर्माण। इस सुरंग का उपयोग कंपनी की सुरंग प्रौद्योगिकी को परिष्कृत करने के लिए परीक्षण और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए किया गया था।

सुरंग निर्माण और परिवहन के लिए बोरिंग कंपनी के अभिनव दृष्टिकोण का उद्देश्य शहरी भीड़भाड़ के लिए स्थायी और कुशल समाधान प्रदान करना है। भूमिगत सुरंगों और उच्च गति परिवहन प्रणालियों का उपयोग करके, कंपनी यात्रा के समय को कम करने, यातायात की भीड़ को कम करने और शहरी गतिशीलता को बढ़ाने की कल्पना करती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जबकि बोरिंग कंपनी ने सुरंग बनाने की तकनीक विकसित करने और छोटे पैमाने की परियोजनाओं को पूरा करने में प्रगति की है, कंपनी द्वारा प्रस्तावित बड़े पैमाने के सुरंग नेटवर्क और परिवहन प्रणालियों के कार्यान्वयन के लिए अभी भी व्यापक नियामक अनुमोदन, व्यवहार्यता अध्ययन और महत्वपूर्ण की आवश्यकता हो सकती है। निवेश वास्तविकता बनें।

टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के सीईओ एलन मस्क ट्विटर पर अपनी सक्रिय उपस्थिति के लिए जाने जाते हैं। उनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं और वे अपने विचारों को साझा करने, घोषणाएं करने और अपने अनुयायियों के साथ जुड़ने के लिए अक्सर इस मंच का उपयोग करते हैं। मस्क की ट्विटर गतिविधि ने अक्सर मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है और चर्चाओं को जन्म दिया है। एलन मस्क की ट्विटर उपस्थिति के कुछ उल्लेखनीय पहलू यहां दिए गए हैं:

  • स्पष्ट और अनफ़िल्टर्ड: मस्क ट्विटर पर अपनी स्पष्ट और अनफ़िल्टर्ड संचार शैली के लिए जाने जाते हैं। वह अक्सर अपनी राय, विचार और यहां तक कि कभी-कभार चुटकुले या मीम्स भी व्यक्त करते हैं। इस अनफ़िल्टर्ड दृष्टिकोण ने उन्हें बड़ी संख्या में अनुयायी प्राप्त किए हैं और उनके ट्विटर अकाउंट को उनके समर्थकों और मीडिया के लिए जानकारी और अंतर्दृष्टि का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना दिया है।
  • कंपनी अपडेट और घोषणाएँ: मस्क अक्सर घोषणाएँ करने और अपने विभिन्न उद्यमों के बारे में अपडेट प्रदान करने के लिए ट्विटर का उपयोग करते हैं। उन्होंने टेस्ला वाहन सुविधाओं, स्पेसएक्स मिशन और अन्य परियोजनाओं के बारे में समाचार साझा करने के लिए मंच का उपयोग किया है। जबकि उनके ट्वीट महत्वपूर्ण ध्यान और उत्साह पैदा कर सकते हैं, यह ध्यान देने योग्य है कि आधिकारिक कंपनी की घोषणाएं आम तौर पर उपयुक्त चैनलों, जैसे प्रेस विज्ञप्ति या नियामक फाइलिंग के माध्यम से की जाती हैं।
  • फॉलोअर्स के साथ जुड़ाव: मस्क ट्विटर पर अपने फॉलोअर्स के साथ सक्रिय रूप से जुड़े रहते हैं। वह सवालों का जवाब देता है, चिंताओं का समाधान करता है और कभी-कभी अन्य ट्विटर उपयोगकर्ताओं के साथ बातचीत करता है। इस प्रत्यक्ष जुड़ाव ने जुड़ाव और पहुंच की भावना को बढ़ावा दिया है, हालांकि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि उनकी सभी प्रतिक्रियाओं को आधिकारिक बयान या समर्थन नहीं माना जाना चाहिए।
  • विवाद और प्रभाव: मस्क के ट्वीट बिना विवाद के नहीं रहे हैं। उनके कुछ ट्वीट्स ने आलोचना और कानूनी जांच को आकर्षित किया है, जिसके कारण नियामक कार्रवाई और मुकदमे हुए हैं। उदाहरण के लिए, प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) ने कुछ ट्वीट्स को मुद्दा बनाया है, जिन्हें उसने संभावित रूप से भ्रामक या प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन माना है। ये घटनाएं एक सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में सोशल मीडिया के उपयोग से जुड़ी चुनौतियों और सार्वजनिक धारणा और वित्तीय बाजारों पर प्रभावशाली व्यक्तियों के बयानों के संभावित प्रभाव को उजागर करती हैं।

मस्क के ट्वीट्स को समझदारी से देखना महत्वपूर्ण है, यह समझते हुए कि वे उनकी व्यक्तिगत राय और दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी कंपनियों और परियोजनाओं के बारे में आधिकारिक और सत्यापित जानकारी के लिए, आधिकारिक घोषणाओं, प्रेस विज्ञप्तियों और अन्य विश्वसनीय स्रोतों का संदर्भ लेना उचित है।

नेतृत्व शैली

एलन मस्क की नेतृत्व शैली को अक्सर दूरदर्शी, महत्वाकांक्षी और अपरंपरागत बताया जाता है। यहां उनके नेतृत्व दृष्टिकोण की कुछ प्रमुख विशेषताएं और पहलू दिए गए हैं:

  • दूरदर्शी सोच: मस्क को बड़ा सोचने और साहसी लक्ष्य निर्धारित करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। वह एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं जहां टिकाऊ ऊर्जा, अंतरिक्ष अन्वेषण और उन्नत परिवहन प्रणालियाँ दुनिया को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ। उनके दृष्टिकोण ने उनकी कंपनियों की दिशा और लक्ष्यों को आकार देने, नवाचार को प्रेरित करने और उन उद्योगों में प्रगति लाने में मदद की है जो पहले स्थिर थे।
  • व्यावहारिक भागीदारी: मस्क अपनी कंपनियों के दिन-प्रतिदिन के कार्यों में गहराई से शामिल हैं। उन्हें तकनीकी पहलुओं, डिजाइन निर्णयों और समस्या-समाधान में खुद को शामिल करने वाले व्यावहारिक और विस्तार-उन्मुख व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। मस्क की करीबी भागीदारी उन्हें उन प्रौद्योगिकियों और चुनौतियों की गहरी समझ रखने की अनुमति देती है जिनका सामना उनकी कंपनियां करती हैं।
  • जोखिम लेने और लचीलापन: मस्क जोखिम लेने और महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने से नहीं डरते हैं जिन्हें अन्य लोग बहुत चुनौतीपूर्ण या अवास्तविक मान सकते हैं। उन्होंने उच्च स्तर की अनिश्चितता वाले उद्यमों में वित्तीय और व्यक्तिगत दोनों तरह के महत्वपूर्ण संसाधनों का निवेश करने की इच्छा प्रदर्शित की है। मस्क का लचीलापन असफलताओं और असफलताओं के बावजूद डटे रहने और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की उनकी क्षमता में स्पष्ट है।
  • सीमा-पुश इनोवेशन: मस्क अपनी कंपनियों के भीतर नवाचार और व्यवधान की संस्कृति को प्रोत्साहित करते हैं। वह यथास्थिति को चुनौती देते हैं और अपनी टीमों को रचनात्मक रूप से सोचने और अपरंपरागत समाधान तलाशने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। मस्क अक्सर तकनीकी सीमाओं को आगे बढ़ाकर और ऐसी सफलताओं की तलाश करके उद्योगों में क्रांति लाना चाहते हैं जिनका गहरा प्रभाव हो सकता है।
  • परिणाम-उन्मुख दृष्टिकोण: मस्क ठोस परिणाम देने के महत्व पर जोर देते हैं। वह आक्रामक लक्ष्य निर्धारित करता है और उन्हें हासिल करने के लिए अपनी टीमों को जिम्मेदार ठहराता है। परिणामों और ठोस प्रगति पर यह ध्यान उनकी कंपनियों के तेजी से विकास और वृद्धि के पीछे एक प्रेरक शक्ति रहा है।
  • प्रत्यक्ष और पारदर्शी संचार: मस्क अपनी प्रत्यक्ष और पारदर्शी संचार शैली के लिए जाने जाते हैं। वह अक्सर ट्विटर जैसे चैनलों के माध्यम से अपने कर्मचारियों, ग्राहकों और जनता के साथ खुलकर संवाद करते हैं। हालांकि यह कभी-कभी विवादों और सार्वजनिक बहस का कारण बन सकता है, यह खुले संवाद और हितधारकों के साथ सीधे संबंध की भी अनुमति देता है।
  • दीर्घकालिक सोच : मस्क की नेतृत्व शैली दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य की विशेषता है। उन्हें जटिल समस्याओं को सुलझाने और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता है, भले ही वांछित परिणाम प्राप्त करने में वर्षों या दशकों का समय लग जाए। मस्क का दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान उन्हें कई नेताओं से अलग करता है जो अल्पकालिक वित्तीय परिणामों से अधिक प्रेरित हो सकते हैं।

यह ध्यान देने योग्य है कि जबकि मस्क की नेतृत्व शैली ने प्रशंसा और आलोचना दोनों प्राप्त की है, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि नेतृत्व के दृष्टिकोण अलग-अलग हो सकते हैं और विभिन्न संदर्भों में प्रभावी हो सकते हैं। मस्क की शैली उनके अद्वितीय व्यक्तित्व, नवाचार के प्रति जुनून और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की खोज को दर्शाती है।

अन्य गतिविधियों – मस्क फाउंडेशन

एलन मस्क ने 2002 में एक निजी परोपकारी संगठन, मस्क फाउंडेशन की स्थापना की। फाउंडेशन का प्राथमिक ध्यान नवीकरणीय ऊर्जा, विज्ञान शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में परियोजनाओं और पहलों का समर्थन करना है। मस्क फाउंडेशन के कुछ प्रमुख पहलू यहां दिए गए हैं:

  • नवीकरणीय ऊर्जा: मस्क फाउंडेशन ने नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न परियोजनाओं का समर्थन किया है। इसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास प्रयासों का वित्तपोषण शामिल है। फाउंडेशन ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और टिकाऊ ऊर्जा प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए नवीन समाधानों पर काम करने वाले संगठनों को अनुदान भी प्रदान किया है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा: मस्क ने विशेष रूप से K-12 स्तर पर विज्ञान शिक्षा में सुधार के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त की है। मस्क फाउंडेशन ने उन पहलों और कार्यक्रमों का समर्थन किया है जो एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा को बढ़ावा देते हैं और छात्रों और शिक्षकों के लिए संसाधन प्रदान करते हैं। इसमें स्कूलों को अनुदान, छात्रवृत्ति और शैक्षिक संगठनों के साथ साझेदारी शामिल है।
  • चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल: फाउंडेशन ने चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल पहल में भी योगदान दिया है। मस्क ने न्यूरोलॉजी और मानसिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में रुचि व्यक्त की है और फाउंडेशन ने इन क्षेत्रों से संबंधित अनुसंधान और उपचार में शामिल संगठनों का समर्थन किया है। इस क्षेत्र में विशिष्ट परियोजनाओं में अनुसंधान अध्ययनों का वित्तपोषण, चिकित्सा संस्थानों का समर्थन करना, या रोगी देखभाल के लिए संसाधन प्रदान करना शामिल हो सकता है।
  • पर्यावरण संरक्षण: मस्क फाउंडेशन ने पर्यावरण संरक्षण प्रयासों के लिए समर्थन दिखाया है। इसमें संरक्षण जीव विज्ञान, जैव विविधता संरक्षण और टिकाऊ भूमि उपयोग से संबंधित वित्त पोषण परियोजनाएं शामिल हैं। फाउंडेशन लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा, प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने, या कृषि और संसाधन प्रबंधन में टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पहल का समर्थन कर सकता है।
  • आपदा राहत और वैश्विक मुद्दे: प्राकृतिक आपदाओं या मानवीय संकट के समय में, मस्क फाउंडेशन ने सहायता प्रदान करने के लिए कदम बढ़ाया है। इसमें प्रभावित समुदायों को वित्तीय सहायता, संसाधन या अन्य प्रकार की सहायता प्रदान करना शामिल हो सकता है। फाउंडेशन वैश्विक मुद्दों जैसे स्वच्छ पानी तक पहुंच, आपदा लचीलापन, या गरीबी उन्मूलन में भी योगदान दे सकता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हालांकि मस्क फाउंडेशन ने विभिन्न कारणों से महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन इसके द्वारा समर्थित विशिष्ट परियोजनाएं और संगठन समय के साथ भिन्न हो सकते हैं। फाउंडेशन का काम एलन मस्क के व्यक्तिगत हितों और जुनून के साथ संरेखित है, जो उन क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डालने की उनकी इच्छा को दर्शाता है जो उनके और दुनिया भर के लिए महत्वपूर्ण हैं।

हाइपरलूप एक उच्च गति परिवहन अवधारणा है जिसे शुरू में 2013 में एलन मस्क द्वारा प्रस्तावित किया गया था। यह निकट-सुपरसोनिक गति पर कम दबाव वाली ट्यूबों के माध्यम से यात्रा करने वाले पॉड्स या कैप्सूल की एक प्रणाली की कल्पना करता है, जो संभावित रूप से तेज़, अधिक कुशल और परिवहन का टिकाऊ तरीका पेश करता है। .

हाइपरलूप अवधारणा के कुछ प्रमुख पहलू यहां दिए गए हैं:

  • वैक्यूम ट्यूब: हाइपरलूप प्रणाली में वैक्यूम के समान कम वायु दबाव वाले ट्यूबों का एक नेटवर्क शामिल होगा, जो वायु प्रतिरोध को कम करता है और पॉड्स को न्यूनतम ऊर्जा खपत के साथ उच्च गति पर यात्रा करने की अनुमति देता है। कम वायु प्रतिरोध पॉड्स को ध्वनि की गति के करीब या उससे भी अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
  • मैग्लेव या एयर कुशन: घर्षण को कम करने और सुचारू, उच्च गति यात्रा को सक्षम करने के लिए, पॉड्स चुंबकीय उत्तोलन (मैग्लेव) या एयर कुशन सिस्टम का उपयोग कर सकते हैं। मैग्लेव तकनीक पॉड्स को ऊपर उठाने और आगे बढ़ाने के लिए चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करती है, जबकि एक एयर कुशन सिस्टम पॉड्स को उठाने और समर्थन करने के लिए संपीड़ित हवा का उपयोग करता है, जिससे ट्रैक के साथ संपर्क कम हो जाता है।
  • विद्युत प्रणोदन: हाइपरलूप पॉड्स को विद्युत मोटरों का उपयोग करके संचालित किया जाएगा। विद्युत प्रणोदन प्रणाली तेजी से त्वरण और मंदी की अनुमति देती है, जिससे पॉड्स उच्च गति तक पहुंचने और कुशल परिवहन प्रदान करने में सक्षम होते हैं।
  • यात्री और कार्गो परिवहन: हाइपरलूप अवधारणा यात्री और कार्गो परिवहन दोनों को समायोजित कर सकती है। पॉड्स को यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित तरीके से ले जाने के लिए डिज़ाइन किया जाएगा, जो संभावित रूप से ट्रेन या हवाई जहाज जैसे परिवहन के पारंपरिक तरीकों के लिए एक उच्च गति विकल्प प्रदान करेगा। यह प्रणाली माल का परिवहन भी कर सकती है, जिससे माल की तेज और कुशल डिलीवरी संभव हो सकेगी।
  • सुरक्षा और बुनियादी ढाँचा: हाइपरलूप अवधारणा में सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विचार है। सिस्टम में यात्री और कार्गो सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपातकालीन ब्रेकिंग सिस्टम, अनावश्यक सिस्टम और असफल-सुरक्षित तंत्र सहित विभिन्न सुरक्षा उपायों को शामिल किया जाएगा। बुनियादी ढांचे में भूमि उपयोग को कम करने और हाइपरलूप प्रणाली के लिए एक समर्पित मार्ग प्रदान करने के लिए ऊंचे या भूमिगत ट्यूब शामिल होंगे।
  • चुनौतियाँ और विकास: अपने प्रारंभिक प्रस्ताव के बाद से, हाइपरलूप अवधारणा ने दुनिया भर में महत्वपूर्ण रुचि और ध्यान आकर्षित किया है। प्रोटोटाइप सिस्टम विकसित करने और परीक्षण करने के लिए कई कंपनियां और अनुसंधान समूह उभरे हैं। हालाँकि, हाइपरलूप के व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य और व्यापक रूप से कार्यान्वित परिवहन प्रणाली बनने से पहले विभिन्न तकनीकी, नियामक और तार्किक चुनौतियाँ हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है।

जबकि हाइपरलूप अवधारणा उच्च गति, कुशल परिवहन की क्षमता रखती है, यह अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में है और अभी तक इसे पूरी तरह कार्यात्मक और परिचालन प्रणाली के रूप में साकार नहीं किया जा सका है। तकनीकी और लॉजिस्टिक जटिलताओं को दूर करने और हाइपरलूप अवधारणा को वास्तविकता के करीब लाने के लिए चल रहे अनुसंधान, परीक्षण और सहयोग आवश्यक हैं।

ओपनएआई एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुसंधान संगठन और कंपनी है जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कृत्रिम सामान्य बुद्धिमत्ता (एजीआई) से पूरी मानवता को लाभ हो। इसकी स्थापना दिसंबर 2015 में एलन मस्क, सैम ऑल्टमैन, ग्रेग ब्रॉकमैन, इल्या सुतस्केवर, वोज्शिएक ज़रेम्बा और कई अन्य शोधकर्ताओं द्वारा की गई थी।

यहां OpenAI के कुछ प्रमुख पहलू दिए गए हैं:

  • मिशन: ओपनएआई का मिशन यह सुनिश्चित करना है कि एजीआई, या अत्यधिक स्वायत्त प्रणालियाँ जो सबसे अधिक आर्थिक रूप से मूल्यवान कार्यों में मनुष्यों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं, सभी को लाभ पहुँचाएँ। उनका लक्ष्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षित और लाभकारी एजीआई का निर्माण करना और इसके लाभों को व्यापक रूप से वितरित करना है।
  • अनुसंधान और विकास: ओपनएआई कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान करता है। उनके शोध में गहन शिक्षण, सुदृढीकरण शिक्षण, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण, रोबोटिक्स और बहुत कुछ सहित क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। वे एआई में अत्याधुनिकता को आगे बढ़ाने और प्रकाशनों और ओपन-सोर्स परियोजनाओं के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय में योगदान करने का प्रयास करते हैं।
  • ओपन-सोर्स दृष्टिकोण: ओपनएआई सार्वजनिक सामान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है जो समाज को एजीआई के मार्ग पर चलने में मदद करता है। उन्होंने विभिन्न एआई मॉडल, जैसे जीपीटी (जेनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर), और संबंधित कोड जारी किए हैं, जिससे दुनिया भर के शोधकर्ताओं और डेवलपर्स को अपने काम तक पहुंचने और निर्माण करने में सक्षम बनाया गया है।
  • जिम्मेदार एआई विकास: ओपनएआई एआई प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदार और सुरक्षित विकास के लिए समर्पित है। वे दीर्घकालिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए काम करते हैं कि एजीआई सिस्टम मानवीय मूल्यों के अनुरूप हों और उनके पास उचित सुरक्षा उपाय हों। एजीआई द्वारा उत्पन्न वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए ओपनएआई अन्य अनुसंधान संस्थानों और संगठनों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करता है।
  • नैतिक विचार: ओपनएआई एआई विकास और तैनाती के नैतिक निहितार्थों को पहचानता है। वे एआई या एजीआई के उपयोग से बचने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो मानवता को नुकसान पहुंचा सकते हैं या शक्ति को अनावश्यक रूप से केंद्रित कर सकते हैं। ओपनएआई सामाजिक प्रभाव और संभावित जोखिमों पर विचार करते हुए एआई प्रौद्योगिकियों तक निष्पक्ष और न्यायसंगत पहुंच और लाभ को बढ़ावा देना चाहता है।
  • सहयोग और साझेदारी: ओपनएआई सक्रिय रूप से अन्य अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और उद्योग भागीदारों के साथ सहयोग में संलग्न है। वे एजीआई की चुनौतियों से सामूहिक रूप से निपटने के लिए ज्ञान और विशेषज्ञता साझा करने के महत्व पर जोर देते हुए एआई विकास के लिए एक सहकारी और सहकारी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहते हैं।

ओपनएआई के काम ने एआई अनुसंधान की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और व्यापक एआई समुदाय पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। पारदर्शिता, सुरक्षा और एआई प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदार विकास के प्रति संगठन की प्रतिबद्धता यह सुनिश्चित करने के लिए उनके समर्पण को दर्शाती है कि एजीआई समग्र रूप से समाज को लाभान्वित करता है।

थाम लुआंग गुफा बचाव और मानहानि का मामला

थाम लुआंग गुफा बचाव एक जटिल और हाई-प्रोफाइल बचाव अभियान को संदर्भित करता है जो 2018 में थाईलैंड में हुआ था। 11 से 16 वर्ष की आयु के बारह युवा फुटबॉल खिलाड़ियों का एक समूह और उनके कोच भारी बारिश के कारण आई बाढ़ के कारण चियांग राय प्रांत में थाम लुआंग नांग नॉन गुफा परिसर में फंस गए। बचाव अभियान कई दिनों तक चला और इसमें गोताखोरों, बचावकर्ताओं और स्वयंसेवकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम शामिल थी जो फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए अथक प्रयास कर रही थी।

थाम लुआंग गुफा बचाव में एलन मस्क की भागीदारी ने तब ध्यान आकर्षित किया जब उन्होंने अपनी कंपनियों, स्पेसएक्स और द बोरिंग कंपनी से सहायता और संसाधनों की पेशकश की। मस्क और उनकी टीम ने “वाइल्ड बोअर” नामक एक मिनी पनडुब्बी डिजाइन की, जिसके बारे में उनका मानना था कि यह संभावित रूप से बचाव कार्य में मदद कर सकती है। हालाँकि, जब पनडुब्बी थाईलैंड पहुंची, तब तक बचाव अभियान पहले से ही अच्छी तरह से चल रहा था, और थाई अधिकारियों ने उपकरण का उपयोग नहीं किया। बहरहाल, मस्क के समर्थन की पेशकश और मिनी-पनडुब्बी के विकास को महत्वपूर्ण मीडिया कवरेज मिला।

मानहानि मामले को लेकर एलन मस्क ट्विटर पर अपनी टिप्पणियों को लेकर कानूनी विवाद में फंस गए थे. 2018 में, मस्क ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में थाम लुआंग बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ब्रिटिश गुफा गोताखोर वर्नोन अन्सवर्थ को “पेडो आदमी” के रूप में संदर्भित किया। टिप्पणियों ने विवाद को जन्म दिया और मस्क के खिलाफ अन्सवर्थ द्वारा मानहानि का मुकदमा दायर किया गया।

मामले की सुनवाई शुरू हुई और दिसंबर 2019 में एक जूरी ने मस्क के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मस्क को मानहानि के लिए उत्तरदायी नहीं पाया। जूरी ने निर्धारित किया कि मस्क के ट्वीट, हालांकि आक्रामक थे, मानहानि की कानूनी सीमा को पूरा नहीं करते थे।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उपरोक्त जानकारी सितंबर 2021 में मेरी जानकारी समाप्त होने तक की घटनाओं और कानूनी परिणामों पर आधारित है। थाम लुआंग गुफा बचाव और मानहानि मामले पर नवीनतम अपडेट या विकास के लिए, नवीनतम समाचार स्रोतों या आधिकारिक बयानों को देखना उचित होगा।

2018 जो रोगन पॉडकास्ट उपस्थिति

एलन मस्क द जो रोगन एक्सपीरियंस पॉडकास्ट पर कुल तीन बार आ चुके हैं। पहली बार 6 सितंबर 2018 को, दूसरी बार 7 मई 2020 को और तीसरी बार 14 सितंबर 2022 को।

2018 पॉडकास्ट में, मस्क ने अपने व्यवसाय, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानवता के भविष्य सहित कई विषयों पर चर्चा की। उन्होंने पॉडकास्ट के दौरान मारिजुआना भी पीया, जिससे कुछ विवाद हुआ।

2020 पॉडकास्ट ने मस्क के निजी जीवन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि उन्हें हाल ही में एक बच्चा हुआ था। उन्होंने कोरोनोवायरस महामारी और काम के भविष्य पर अपने विचारों पर भी चर्चा की।

2022 पॉडकास्ट स्पेसएक्स और न्यूरालिंक पर मस्क के काम पर अधिक केंद्रित था। उन्होंने मेटावर्स और परिवहन के भविष्य पर भी अपने विचारों पर चर्चा की।

यहां कुछ प्रमुख विषय दिए गए हैं जिन पर एलन मस्क के साथ 2018 जो रोगन पॉडकास्ट में चर्चा की गई थी:

  • कृत्रिम होशियारी
  • मानवता का भविष्य
  • मस्क के व्यवसाय, जिनमें टेस्ला और स्पेसएक्स शामिल हैं
  • विश्व की वर्तमान स्थिति पर मस्क के विचार
  • मस्क का निजी जीवन, जिसमें उनका हालिया तलाक भी शामिल है
  • काम के भविष्य पर मस्क के विचार
  • मारिजुआना के वैधीकरण पर मस्क के विचार

पॉडकास्ट एक बड़ी सफलता थी, और इसने मस्क को एक घरेलू नाम बनाने में मदद की। इसने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मानवता के भविष्य और मस्क के व्यवसायों के बारे में भी काफी चर्चा छेड़ दी।

संगीत उद्योग में एलन मस्क की भागीदारी उनके अन्य उद्यमों और रुचियों की तुलना में अपेक्षाकृत सीमित है। हालाँकि वह मुख्य रूप से अपनी संगीत गतिविधियों के लिए नहीं जाने जाते हैं, लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र में कुछ उल्लेखनीय योगदान और संबंध बनाए हैं। यहां एलन मस्क और संगीत से संबंधित कुछ बिंदु दिए गए हैं:

  • टेस्ला और साउंड सिस्टम: एलन मस्क ने टेस्ला इलेक्ट्रिक वाहनों में उच्च गुणवत्ता वाले ऑडियो सिस्टम को शामिल करने में रुचि दिखाई है। टेस्ला कारें अक्सर उन्नत ध्वनि प्रणालियों से सुसज्जित होती हैं, जैसे कि प्रीमियम ऑडियो विकल्प, जो ड्राइवरों और यात्रियों के लिए गहन ध्वनि अनुभव प्रदान करता है।
  • स्पेसएक्स पेलोड: 2018 में स्पेसएक्स के फाल्कन हेवी रॉकेट लॉन्च के हिस्से के रूप में, एलन मस्क के निजी टेस्ला रोडस्टर को ड्राइवर की सीट पर “स्ट्रैटन” नामक एक डमी के साथ अंतरिक्ष में भेजा गया था। कार ने अपनी यात्रा के दौरान डेविड बॉवी का गाना “स्पेस ऑडिटी” बजाया, जो संगीत के प्रति मस्क की सराहना को दर्शाता है और इसे अंतरिक्ष मिशन के लिए एक प्रतीकात्मक तत्व के रूप में उपयोग करता है।
  • संगीत सहयोग: एलन मस्क ने कुछ अवसरों पर संगीतकारों के साथ सहयोग किया है। उदाहरण के लिए, उन्होंने संगीतकार ग्रिम्स (क्लेयर बाउचर) के साथ रोमांटिक और पेशेवर रूप से सहयोग किया। ग्रिम्स ने मस्क द्वारा ट्विटर पर साझा की गई अवधारणा से प्रेरित होकर “रोकोको बेसिलिस्क” नामक एक चरित्र बनाया, और उन्होंने 2018 मेट गाला में एक साथ भाग लिया। उन्होंने 2020 में एक बच्चे का भी स्वागत किया। उनके रिश्ते, हालांकि मुख्य रूप से व्यक्तिगत हैं, ने संगीत उद्योग में मस्क की भागीदारी पर कुछ ध्यान आकर्षित किया है।
  • संगीत अनुशंसाएँ: एलन मस्क कभी-कभी सोशल मीडिया, विशेषकर ट्विटर पर अपनी संगीत संबंधी प्राथमिकताएँ साझा करते हैं। उन्होंने संगीत में अपने विविध स्वाद को प्रदर्शित करते हुए अपने अनुयायियों को विभिन्न गीतों और कलाकारों की सिफारिश की है।

यह ध्यान देने योग्य है कि हालांकि संगीत उद्योग में एलन मस्क की भागीदारी उनकी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए व्यापक या केंद्रीय नहीं हो सकती है, लेकिन उनकी रुचियों और कनेक्शनों ने कुछ जिज्ञासा और मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है। हालाँकि, संगीत जगत में उनका प्रभाव और प्रभाव उनके प्राथमिक उद्यमों, जैसे टेस्ला, स्पेसएक्स और अन्य नवीन तकनीकों के बाद गौण है।

एक हाई-प्रोफाइल उद्यमी और कई कंपनियों के सीईओ होने के नाते, एलन मस्क के पास निजी जेट सहित परिवहन के विभिन्न साधनों तक पहुंच है। निजी जेट का उपयोग अक्सर व्यावसायिक अधिकारियों और व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिन्हें कुशल और लचीले यात्रा विकल्पों की आवश्यकता होती है।

व्यवसाय और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में, यह संभावना है कि एलन मस्क ने अपनी यात्रा आवश्यकताओं के लिए निजी जेट का उपयोग किया है। निजी जेट गोपनीयता, सुविधा और व्यक्तिगत या व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुसार उड़ान कार्यक्रम को अनुकूलित करने की क्षमता जैसे लाभ प्रदान करते हैं।

हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एलन मस्क के निजी जेट के व्यक्तिगत उपयोग के बारे में विशिष्ट विवरण, जिसमें फ़्रीक्वेंसी, मॉडल या स्वामित्व शामिल है, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हो सकता है या सितंबर 2021 में मेरे ज्ञान कटऑफ के बाद से विकसित हो सकता है। सबसे सटीक और अद्यतित जानकारी के लिए, हाल की खबरों या आधिकारिक बयानों को देखने की सलाह दी जाती है।

एलन मस्क की कुल संपत्ति $258.6 बिलियन है, जो उन्हें दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति बनाती है। उनकी संपत्ति मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक कार फर्म टेस्ला, जिसके वे सीईओ हैं, और अंतरिक्ष अन्वेषण कंपनी स्पेसएक्स, जिसके वे संस्थापक और सीईओ हैं, में उनकी हिस्सेदारी पर आधारित है।

हाल के वर्षों में मस्क की संपत्ति तेजी से बढ़ी है, क्योंकि टेस्ला स्टॉक का मूल्य बढ़ गया है। 2020 में मस्क की कुल संपत्ति 27 बिलियन डॉलर थी। 2021 के अंत तक यह बढ़कर 300 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया। और 2022 में, यह लगातार बढ़ता रहा और 22 जुलाई तक 258.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

मस्क की संपत्ति ने उन्हें एक विवादास्पद व्यक्ति बना दिया है। कुछ लोग उनकी व्यावसायिक कुशलता और भविष्य के प्रति उनके दृष्टिकोण के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं। अन्य लोग उनके अनियमित व्यवहार और कभी-कभी विवादास्पद बयानों के लिए उनकी आलोचना करते हैं।

विवाद के बावजूद मस्क दुनिया के सबसे सफल उद्यमियों में से एक बने हुए हैं। उनकी संपत्ति ने उन्हें टेस्ला, स्पेसएक्स और न्यूरालिंक सहित कई नवीन कंपनियों में निवेश करने की अनुमति दी है। और भविष्य के लिए उनके दृष्टिकोण ने दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित किया है।

यहां कंपनी द्वारा एलन मस्क की कुल संपत्ति का विवरण दिया गया है:

  • टेस्ला: 13.3%
  • स्पेसएक्स: 42%
  • ट्विटर: 74%
  • बोरिंग कंपनी: 5.7%
  • न्यूरालिंक: 100%

मस्क की निवल संपत्ति लगातार बदल रही है, क्योंकि उनकी कंपनियों के स्टॉक के मूल्य में उतार-चढ़ाव हो रहा है। हालाँकि, यह स्पष्ट है कि वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं और आने वाले वर्षों में उनकी संपत्ति में वृद्धि जारी रहने की संभावना है।

व्यक्तिगत विचार और ट्विटर उपयोग

एलन मस्क विभिन्न विषयों पर अपनी राय और विचार व्यक्त करने के लिए जाने जाते हैं, अक्सर ट्विटर पर अपनी सक्रिय उपस्थिति का उपयोग अपने विचारों को साझा करने और अपने अनुयायियों के साथ जुड़ने के लिए एक मंच के रूप में करते हैं। उनके ट्वीट्स ने काफी ध्यान आकर्षित किया है और कभी-कभी विवाद या बहस भी छिड़ गई है।

  • मस्क का ट्विटर उपयोग अपनी स्पष्ट और प्रत्यक्ष शैली में विशिष्ट है। वह अक्सर अपनी कंपनियों के बारे में अपडेट और घोषणाएं साझा करते हैं, अपने अनुयायियों के सवालों और टिप्पणियों का जवाब देते हैं, और अपनी परियोजनाओं और रुचियों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकी, विज्ञान, अंतरिक्ष अन्वेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इलेक्ट्रिक वाहन और बहुत कुछ सहित कई विषयों पर चर्चा करने के लिए ट्विटर का उपयोग किया है।
  • हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एलन मस्क के ट्वीट उनके व्यक्तिगत विचार और राय हैं, और वे हमेशा आम सहमति या मुख्यधारा के दृष्टिकोण के साथ संरेखित नहीं हो सकते हैं। उनके कुछ ट्वीट्स को जांच या आलोचना का सामना करना पड़ा है, खासकर जब वे संवेदनशील या विवादास्पद विषयों को छूते हैं। इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि उनके ट्वीट्स का मूल्यांकन उनकी कंपनियों के आधिकारिक बयानों के बजाय व्यक्तिगत अभिव्यक्तियों के रूप में किया जाना चाहिए।
  • एलन मस्क की ट्विटर गतिविधि ने न केवल उन्हें जनता और उनके अनुयायियों के साथ सीधे संवाद करने की अनुमति दी है, बल्कि उन्हें प्रचार उत्पन्न करने, अपने उद्यमों को बढ़ावा देने और व्यापक दर्शकों के साथ बातचीत में शामिल होने के लिए एक मंच भी प्रदान किया है। फिर भी, उनके ट्वीट का मूल्यांकन करते समय या उनके आधार पर राय बनाते समय आलोचनात्मक सोच रखना और कई दृष्टिकोणों पर विचार करना आवश्यक है।

अस्तित्व संबंधी खतरे

एलन मस्क कुछ अस्तित्वगत खतरों के संबंध में अपनी चिंताओं के बारे में मुखर रहे हैं और उन्होंने इस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं कि उन्हें कैसे संबोधित किया जाना चाहिए। यहां कुछ क्षेत्र हैं जहां मस्क ने अपने विचार साझा किए हैं:

  • जलवायु परिवर्तन: मस्क ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए स्थायी ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन की तत्काल आवश्यकता पर बार-बार प्रकाश डाला है। उन्होंने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण कदम के रूप में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में तेजी लाने की वकालत की है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता: मस्क कृत्रिम सामान्य बुद्धिमत्ता (एजीआई) के विकास से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में मुखर रहे हैं। उन्होंने एजीआई के मानव बुद्धि से आगे निकलने और इसके जिम्मेदार विकास को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर चिंता व्यक्त की है। मस्क ने ओपनएआई जैसी पहल का समर्थन किया है, जिसका उद्देश्य एजीआई के सुरक्षित और लाभकारी विकास को बढ़ावा देना है।
  • परमाणु हथियार: मस्क ने परमाणु हथियारों से उत्पन्न खतरों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने निरस्त्रीकरण की वकालत की है और परमाणु प्रसार और परमाणु हथियारों के उपयोग को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया है।
  • वैश्विक विनाशकारी जोखिम: मस्क ने संभावित वैश्विक विनाशकारी जोखिमों, जैसे कि क्षुद्रग्रह प्रभाव या बड़े पैमाने पर घटना जो पृथ्वी की रहने की क्षमता को खतरे में डालती है, से बचाव के तरीके के रूप में बहु-ग्रहीय प्रजाति बनने के महत्व पर जोर दिया है। स्पेसएक्स के माध्यम से, उनका लक्ष्य मंगल ग्रह पर मानव उपनिवेशीकरण को सक्षम करके मानवता को एक बहु-ग्रहीय सभ्यता बनाना है।

यह ध्यान देने योग्य है कि हालांकि एलन मस्क ने अस्तित्व संबंधी खतरों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं, ये उनकी व्यक्तिगत राय हैं और उनका मूल्यांकन उनकी विशेषज्ञता और अनुभवों के संदर्भ में किया जाना चाहिए। किसी भी जटिल और बहुआयामी विषय की तरह, अस्तित्व संबंधी खतरों की प्रकृति और गंभीरता के संबंध में अलग-अलग दृष्टिकोण और चल रही बहसें हैं, और विभिन्न विशेषज्ञों की अलग-अलग राय हो सकती है।

एलन मस्क ने कभी-कभी राजनीतिक मामलों पर अपने विचार और राय व्यक्त की है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उनके पास कोई औपचारिक राजनीतिक पद नहीं है और वे मुख्य रूप से व्यवसाय और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। मस्क के राजनीतिक विचार विविध हो सकते हैं और पारंपरिक राजनीतिक श्रेणियों में सटीक रूप से फिट नहीं हो सकते हैं।

यहां एलन मस्क और राजनीति से संबंधित कुछ बिंदु दिए गए हैं:

  • उदारवादी झुकाव: मस्क ने अपने विचारों में कुछ उदारवादी झुकाव व्यक्त किया है। उन्होंने सीमित सरकारी हस्तक्षेप, मुक्त बाज़ार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की वकालत की है। मस्क ने नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नियमों और नौकरशाही को कम करने के महत्व पर जोर दिया है।
  • जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा नीति: मस्क जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन के समर्थक रहे हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अपनाने में तेजी लाने के लिए नीतियों और प्रोत्साहनों का आह्वान किया है। मस्क ने जीवाश्म ईंधन के पक्ष में सब्सिडी और प्रोत्साहन की आलोचना की है और एक स्थायी ऊर्जा भविष्य की आवश्यकता पर जोर दिया है।
  • आप्रवासन: मस्क आप्रवासन के मुखर समर्थक रहे हैं और उन्होंने अधिक खुली आप्रवासन नीतियों की वकालत की है। उनका मानना है कि नवाचार और आर्थिक प्रगति के लिए दुनिया भर से प्रतिभाशाली व्यक्तियों को आकर्षित करना और बनाए रखना आवश्यक है। मस्क ने उन प्रतिबंधों के खिलाफ बात की है जो प्रतिभा और विचारों के मुक्त आवागमन में बाधा डालते हैं।
  • प्रौद्योगिकी और विनियमन: मस्क ने अक्सर नियामक बाधाओं के प्रति अपनी निराशा व्यक्त की है, जिन्हें वह तकनीकी प्रगति में बाधक मानते हैं। उन्होंने अद्यतन नियमों का आह्वान किया है जो तकनीकी नवाचार की तीव्र गति के अनुकूल और विचारशील हों।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एलन मस्क के राजनीतिक विचार विकसित हो सकते हैं, और वह किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा के साथ व्यापक रूप से मेल नहीं खा सकते हैं। एक सार्वजनिक हस्ती के रूप में, राजनीतिक मामलों पर उनके बयान ध्यान आकर्षित कर सकते हैं और चर्चा को भड़का सकते हैं, लेकिन उनके विचारों को आलोचनात्मक सोच के साथ देखना और राजनीतिक मुद्दों पर कई दृष्टिकोणों पर विचार करना आवश्यक है।

COVID-19 के साथ अपने अनुभव

एलन मस्क COVID-19 के साथ अपने अनुभव के बारे में खुलकर बात करते रहे हैं। जनवरी 2022 में उन्हें इस वायरस का पता चला और उन्होंने इसे “हल्की सर्दी” बताया। उन्होंने कहा कि उनमें गले में खराश और खांसी जैसे कुछ मामूली लक्षण थे, लेकिन वह अन्यथा ठीक थे।

मस्क COVID-19 टीकों पर भी अपने विचारों को लेकर मुखर रहे हैं। उन्होंने टीकों की प्रभावशीलता के बारे में संदेह व्यक्त किया है और कहा है कि उनकी स्वयं टीका लगवाने की योजना नहीं है।

जनवरी 2023 में, मस्क ने कहा कि उन्हें अपना पहला COVID-19 बूस्टर शॉट मिला है। उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें काम के सिलसिले में जर्मनी जाना था. हालाँकि, उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई अतिरिक्त बूस्टर शॉट लेने की योजना नहीं बनाई है।

कोविड-19 पर मस्क के विचार विवादास्पद रहे हैं। कुछ लोगों ने उनकी ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए उनकी प्रशंसा की है, जबकि अन्य ने गलत सूचना फैलाने के लिए उनकी आलोचना की है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) अनुशंसा करता है कि सभी वयस्कों को सीओवीआईडी ​​-19 के खिलाफ टीका लगाया जाए। सीडीसी यह भी अनुशंसा करता है कि सभी वयस्कों को उनकी प्रारंभिक टीकाकरण श्रृंखला के 5 महीने बाद बूस्टर शॉट मिले।

एलन मस्क बहुत अमीर व्यक्ति हैं। 22 जुलाई, 2023 तक, उनकी कुल संपत्ति $258.6 बिलियन है, जो उन्हें दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति बनाती है। उनकी संपत्ति मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक कार फर्म टेस्ला, जिसके वे सीईओ हैं, और अंतरिक्ष अन्वेषण कंपनी स्पेसएक्स, जिसके वे संस्थापक और सीईओ हैं, में उनकी हिस्सेदारी पर आधारित है।

यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे एलन मस्क पैसा कमाते हैं:

  • वेतन: मस्क को टेस्ला से 23,760 डॉलर का वेतन मिलता है। यह उनकी संपत्ति की तुलना में बहुत छोटा वेतन है, लेकिन कानून के मुताबिक यह जरूरी है।
  • स्टॉक विकल्प: मस्क को टेस्ला और स्पेसएक्स में स्टॉक विकल्प दिए गए हैं। ये विकल्प उसे एक निश्चित कीमत पर कंपनियों के शेयर खरीदने का अधिकार देते हैं। जैसे-जैसे कंपनियों के स्टॉक का मूल्य बढ़ता है, मस्क के स्टॉक विकल्पों का मूल्य भी बढ़ता है।
  • पूंजीगत लाभ: मस्क ने टेस्ला स्टॉक की बिक्री से बहुत पैसा कमाया है। 2021 में, उन्होंने 16.4 बिलियन डॉलर मूल्य के टेस्ला स्टॉक बेचे।
  • अन्य निवेश: मस्क ने ओपनएआई, न्यूरालिंक और ट्विटर सहित कई अन्य कंपनियों में निवेश किया है। बोरिंग कंपनी में भी उनकी हिस्सेदारी है।

मस्क के वित्तीय निवेश विविध हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकी, परिवहन और ऊर्जा सहित कई अलग-अलग उद्योगों में निवेश किया है। वह क्रिप्टोकरेंसी में भी एक प्रमुख निवेशक हैं।

मस्क के वित्तीय निवेश ने उन्हें दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक बना दिया है। वह एक सफल उद्यमी हैं जिन्होंने कई नवीन कंपनियां बनाई हैं। आने वाले वर्षों में उनके वित्तीय निवेश में वृद्धि जारी रहने की संभावना है।

एलन मस्क प्रौद्योगिकी क्षेत्र में गहराई से शामिल हैं और अपने योगदान और नवाचारों के लिए व्यापक रूप से पहचाने जाते हैं। यहां कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं जहां एलन मस्क ने प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय प्रभाव और प्रगति की है:

  • इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी): टेस्ला में अपने नेतृत्व के माध्यम से, एलन मस्क ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लोकप्रिय बनाने और आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। टेस्ला ईवी प्रौद्योगिकी में सबसे आगे रहा है, उच्च प्रदर्शन वाली इलेक्ट्रिक कारों का विकास कर रहा है और बैटरी प्रौद्योगिकी, रेंज और चार्जिंग बुनियादी ढांचे की सीमाओं को आगे बढ़ा रहा है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा: मस्क ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के साधन के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने का समर्थन किया है। टेस्ला का ऊर्जा प्रभाग सौर ऊर्जा और पावरवॉल और पावरपैक जैसी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों सहित टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को विकसित करने और तैनात करने पर केंद्रित है।
  • अंतरिक्ष अन्वेषण और एयरोस्पेस: स्पेसएक्स के संस्थापक और सीईओ के रूप में, एलन मस्क ने अंतरिक्ष उद्योग में क्रांति ला दी है। स्पेसएक्स ने पुन: प्रयोज्य रॉकेट तकनीक विकसित की है, जिससे अंतरिक्ष प्रक्षेपण की लागत काफी कम हो गई है और अंतरिक्ष अधिक सुलभ हो गया है। मस्क का दीर्घकालिक लक्ष्य मानव को मंगल ग्रह पर उपनिवेश बनाने में सक्षम बनाना और मानवता को एक बहु-ग्रहीय प्रजाति बनाना है।
  • न्यूरल इंटरफेस और ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस : एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक का लक्ष्य इम्प्लांटेबल ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) विकसित करना है जो संभावित रूप से मानव मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच सीधे संचार को सक्षम कर सकता है। लक्ष्य उन्नत तंत्रिका इंटरफ़ेस तकनीक के माध्यम से मानव अनुभूति को बढ़ाना और तंत्रिका संबंधी स्थितियों का समाधान करना है।
  • हाइपरलूप और परिवहन: एलन मस्क ने हाइपरलूप की अवधारणा पेश की, जो एक उच्च गति परिवहन प्रणाली है जो कम दबाव वाली ट्यूबों के माध्यम से यात्रा करने वाले पॉड्स का उपयोग करती है। जबकि मस्क ने स्वयं इसके विकास को आगे नहीं बढ़ाया, उनके प्रस्ताव ने अल्ट्रा-फास्ट परिवहन के क्षेत्र में रुचि और नवाचार को बढ़ावा दिया है।

एलन मस्क के दूरदर्शी दृष्टिकोण और प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति और विघटनकारी नवाचार हुए हैं। उनके प्रयासों ने नई प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रभावित और प्रेरित किया है, नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा दिया है और उद्योगों को अधिक टिकाऊ और भविष्यवादी समाधानों की ओर प्रेरित किया है।

एलन मस्क के निजी जीवन ने उनकी हाई-प्रोफाइल स्थिति और व्यवसाय और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में उपलब्धियों के कारण महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया है। एलन मस्क के निजी जीवन से जुड़े कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

  • रिश्ते: एलन मस्क की कई बार शादी हो चुकी है। उनकी पहली शादी कनाडाई लेखिका जस्टिन विल्सन से हुई थी, जिनसे उनके पांच बेटे हैं। अपने तलाक के बाद, उन्होंने अंग्रेजी अभिनेत्री तलुलाह रिले से शादी की, लेकिन उन्होंने भी तलाक ले लिया और अंततः दोबारा तलाक लेने से पहले दोबारा शादी कर ली। मस्क का बाद में अभिनेत्री एम्बर हर्ड के साथ रिश्ता था, जो 2018 में समाप्त हो गया। सितंबर 2021 में मेरी जानकारी के अनुसार, मस्क की वर्तमान रिश्ते की स्थिति बदल गई है, और सबसे सटीक जानकारी के लिए हालिया समाचार या अपडेट को देखना उचित है।
  • बच्चे: एलन मस्क के छह बच्चे हैं, ये सभी जस्टिन विल्सन से उनकी पिछली शादी से हैं। उनके कई जुड़वां और तीन बच्चे हैं।
  • रुचियाँ: मस्क अपने व्यावसायिक उद्यमों से परे अपनी व्यापक रुचियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने विज्ञान कथा, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति उत्साह दिखाया है, जो अक्सर उनकी परियोजनाओं और सार्वजनिक बयानों को प्रभावित करता है। उन्होंने आयरन मैन 2 और द बिग बैंग थ्योरी जैसी अपनी रुचि से संबंधित फिल्मों और टीवी शो में छोटी भूमिकाएँ निभाई हैं।
  • परोपकार: मस्क ने परोपकार के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है और उल्लेखनीय धर्मार्थ योगदान दिया है। अपने व्यक्तिगत दान के अलावा, मस्क ने नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान और विकास, शैक्षिक पहल और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के प्रयासों सहित विभिन्न कारणों के लिए पर्याप्त राशि देने का वादा किया है।

मीडिया और सार्वजनिक छवि: एलन मस्क की सार्वजनिक छवि उनकी उपलब्धियों, विवादास्पद बयानों और सोशल मीडिया, विशेषकर ट्विटर पर सक्रिय उपस्थिति से बनी है। उनके ट्वीट और सार्वजनिक टिप्पणियों ने ध्यान आकर्षित किया है, जिससे कभी-कभी जांच और बहस भी होती है। मस्क के दूरदर्शी विचारों, व्यावसायिक कौशल और कभी-कभार उत्तेजक बयानों के संयोजन ने एक करिश्माई और ध्रुवीकरण करने वाले व्यक्ति के रूप में उनकी प्रतिष्ठा में योगदान दिया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि व्यक्तिगत जानकारी और परिस्थितियाँ विकसित हो सकती हैं, और एलन मस्क के व्यक्तिगत जीवन के बारे में सबसे नवीनतम और सटीक विवरण विश्वसनीय समाचार स्रोतों या आधिकारिक बयानों से प्राप्त किया जा सकता है।

कानूनी मामले

एलन मस्क अपने पूरे करियर में विभिन्न कानूनी मामलों में शामिल रहे हैं। यहां एलन मस्क से संबंधित कुछ उल्लेखनीय कानूनी घटनाएं और मामले हैं:

  • प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) समझौता: 2018 में, अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग ने प्रतिभूति धोखाधड़ी के लिए एलन मस्क के खिलाफ मुकदमा दायर किया। मुकदमे में आरोप लगाया गया कि मस्क ने टेस्ला की संभावित खरीद के संबंध में ट्विटर पर गलत और भ्रामक बयान दिए। मस्क और टेस्ला ने एसईसी के साथ समझौता किया, जुर्माना भरने और कॉर्पोरेट प्रशासन सुधारों को लागू करने पर सहमति व्यक्त की। समझौते के हिस्से के रूप में, मस्क कुछ समय के लिए टेस्ला के अध्यक्ष के रूप में पद छोड़ने पर भी सहमत हुए।
  • मानहानि का मामला: 2019 में, एलन मस्क पर एक ब्रिटिश गुफा गोताखोर, वर्नोन अन्सवर्थ द्वारा मानहानि का मुकदमा किया गया था। मस्क ने थाईलैंड की एक गुफा से एक फुटबॉल टीम के बचाव के बारे में चर्चा के दौरान ट्विटर पर अन्सवर्थ को “पेडो आदमी” के रूप में संदर्भित किया था। मामले की सुनवाई हुई और मस्क को मानहानि के लिए उत्तरदायी नहीं पाया गया।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कानूनी मामले जटिल हो सकते हैं, और यहां दी गई जानकारी उल्लेखनीय घटनाओं का सारांश है। एलन मस्क और उनकी कंपनियों को अन्य कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जैसे बौद्धिक संपदा विवाद और श्रम-संबंधित मुद्दे, जिनकी प्रकृति और परिणाम भिन्न हो सकते हैं। एलन मस्क से जुड़े कानूनी मामलों पर सबसे सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए, विश्वसनीय समाचार स्रोतों और आधिकारिक कानूनी दस्तावेजों को देखने की सलाह दी जाती है।

जनता की धारणा

एलन मस्क की सार्वजनिक धारणा विविध है और व्यक्ति और उनके दृष्टिकोण के आधार पर भिन्न हो सकती है। यहां एलन मस्क की सार्वजनिक छवि से जुड़े कुछ सामान्य विषय और दृष्टिकोण दिए गए हैं:

  • दूरदर्शी और अन्वेषक: कई लोग एलन मस्क की दूरदर्शी सोच और प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने की उनकी क्षमता की प्रशंसा करते हैं। उनके महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के लिए अक्सर उनकी प्रशंसा की जाती है, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ परिवहन में क्रांति लाना और स्पेसएक्स के साथ अंतरिक्ष अन्वेषण की फिर से कल्पना करना।
  • उद्यमशीलता की सफलता: मस्क की उद्यमशीलता की सफलताओं ने, विशेष रूप से टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के साथ, उन्हें प्रशंसा और सम्मान अर्जित किया है। पारंपरिक उद्योगों को बाधित करने और उल्लेखनीय प्रगति हासिल करने की उनकी क्षमता ने व्यापारिक समुदाय और आम जनता दोनों का ध्यान और प्रशंसा आकर्षित की है।
  • विवादास्पद बयान और व्यवहार: मस्क की सार्वजनिक छवि उनके विवादास्पद बयानों और व्यवहार से बनी है, खासकर ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर। उनके कुछ ट्वीट्स और सार्वजनिक टिप्पणियों की आलोचना हुई और बहस छिड़ गई। आलोचकों का तर्क है कि उनकी अनफ़िल्टर्ड और कभी-कभी उत्तेजक संचार शैली हानिकारक या भ्रामक हो सकती है।
  • करिश्माई और आकर्षक: मस्क के करिश्माई व्यक्तित्व और आकर्षक सार्वजनिक उपस्थिति ने उनकी सार्वजनिक धारणा में योगदान दिया है। प्रशंसकों और मीडिया के साथ बातचीत करने की उनकी इच्छा, साथ ही लोकप्रिय संस्कृति में उनकी कभी-कभार उपस्थिति ने उन्हें एक प्रभावशाली और पहचानने योग्य व्यक्ति बना दिया है।
  • ध्रुवीकरण करने वाला आंकड़ा: एलन मस्क की सार्वजनिक छवि में विरोधियों और संशयवादियों की भी हिस्सेदारी है। कुछ लोग उनके साहसिक दावों, कुछ स्थितियों से निपटने या विवादास्पद विषयों में उनकी भागीदारी की आलोचना करते हैं। उनकी नेतृत्व शैली, व्यावसायिक प्रथाओं और समग्र प्रभाव के संबंध में विभिन्न दृष्टिकोण मौजूद हैं।

यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक धारणा व्यक्तिपरक हो सकती है और व्यक्तिगत विश्वासों, अनुभवों और विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित कथाओं से प्रभावित हो सकती है। एलन मस्क की सार्वजनिक धारणा प्रशंसा, आलोचना और अलग-अलग राय का एक जटिल मिश्रण है, और यह विकसित होती जा रही है क्योंकि वह और उनकी कंपनियां नई प्रगति कर रही हैं और नई चुनौतियों का सामना कर रही हैं।

यहां एलन मस्क और उनके उद्यमों के बारे में कुछ लोकप्रिय पुस्तकें हैं:

  • एश्ली वेंस द्वारा “एलन मस्क: टेस्ला, स्पेसएक्स, एंड द क्वेस्ट फॉर ए फैंटास्टिक फ्यूचर”: यह जीवनी मस्क के जीवन पर उनके बचपन से लेकर स्पेसएक्स और टेस्ला में उनके काम तक की गहराई से जानकारी देती है, जो उद्योगों को बदलने के लिए उनके दृष्टिकोण और दृढ़ संकल्प की समझ प्रदान करती है।
  • वाल्टर इसाकसन द्वारा “द इनोवेटर्स: हाउ ए ग्रुप ऑफ इन्वेंटर्स, हैकर्स, जीनियस एंड गीक्स क्रिएटेड द डिजिटल रेवोल्यूशन”: हालांकि यह पुस्तक विशेष रूप से एलन मस्क के बारे में नहीं है, यह पुस्तक मस्क सहित विभिन्न इनोवेटर्स की कहानियों और डिजिटल क्रांति में उनके योगदान की पड़ताल करती है।
  • एशली वेंस द्वारा “टेस्ला, स्पेसएक्स, और द क्वेस्ट फॉर ए फैंटास्टिक फ्यूचर यंग रीडर्स एडिशन”: वेंस की जीवनी का एक युवा पाठकों का रूपांतरण, मस्क की कहानी को युवा दर्शकों के लिए सुलभ बनाता है।
  • जेसिका ईस्टो द्वारा संपादित “रॉकेट मैन: एलन मस्क इन हिज ओन वर्ड्स”: यह पुस्तक एलन मस्क के उद्धरणों और बयानों को संकलित करती है, जो विभिन्न विषयों पर उनके विचारों और विचारों की अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
  • माइक इसाक द्वारा “सुपर पंप्ड: द बैटल फॉर उबर”: हालांकि यह पुस्तक केवल एलन मस्क के बारे में नहीं है, यह पुस्तक राइड-हेलिंग उद्योग पर प्रकाश डालती है और इसमें उबर के सह-संस्थापक, ट्रैविस कलानिक के साथ मस्क की बातचीत की अंतर्दृष्टि शामिल है।

यहां एलन मस्क के कुछ यादगार उद्धरण दिए गए हैं:

  • “ जब कोई चीज़ काफी महत्वपूर्ण होती है, तो आप उसे करते हैं, भले ही परिस्थितियाँ आपके पक्ष में न हों।”
  • “ मुझे लगता है कि सामान्य लोगों के लिए असाधारण बनना संभव है।”
  • “ पहला कदम यह स्थापित करना है कि कुछ संभव है; तब संभावना घटित होगी।”
  • “ असफलता यहां एक विकल्प है। यदि चीजें विफल नहीं हो रही हैं, तो आप पर्याप्त नवप्रवर्तन नहीं कर रहे हैं।”
  • “ मैं मंगल ग्रह पर मरना चाहूंगा। प्रभाव से नहीं।”
  • “ सीईओ के कार्यालय का रास्ता सीएफओ के कार्यालय से होकर नहीं जाना चाहिए, और यह विपणन विभाग से होकर नहीं जाना चाहिए। इसे इंजीनियरिंग और डिजाइन के माध्यम से होना चाहिए।”
  • “ यदि आप एक कंपनी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह केक पकाने जैसा है। आपके पास सभी सामग्रियां सही अनुपात में होनी चाहिए।”
  • “ जब तक आप नियंत्रित करते हैं कि उस टोकरी के साथ क्या होता है, तब तक आपके अंडों को एक ही टोकरी में रखना ठीक है।”
  • “ दृढ़ता बहुत महत्वपूर्ण है। आपको तब तक हार नहीं माननी चाहिए जब तक आपको हार मानने के लिए मजबूर न किया जाए।”
  • “ आपको चीजों को सिर्फ इसलिए अलग तरीके से नहीं करना चाहिए क्योंकि वे अलग हैं। उन्हें बेहतर होने की जरूरत है।”
  • “ शिक्षा को स्कूली शिक्षा के साथ भ्रमित न करें। मैं हार्वर्ड नहीं गया, लेकिन मेरे लिए काम करने वाले लोग गए।”
  • “ आप ऐसा भविष्य चाहते हैं जहां आप चीजों के बेहतर होने की उम्मीद कर रहे हों, न कि ऐसा जहां आप चीजों के बदतर होने की उम्मीद कर रहे हों।”
  • “ लोग बेहतर काम करते हैं जब उन्हें पता होता है कि लक्ष्य क्या है और क्यों है। यह महत्वपूर्ण है कि लोग सुबह काम पर आने के लिए उत्सुक रहें और काम करने का आनंद लें।”
  • “ मेरी सभी कंपनियों के लिए मेरी प्रेरणा ऐसी किसी चीज़ में शामिल होने की रही है जिसके बारे में मैंने सोचा था कि इसका दुनिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।”
  • “ महान कंपनियाँ महान उत्पादों पर बनी होती हैं।”

ये उद्धरण एलन मस्क की मानसिकता, प्रेरणा और उद्यमिता और नवाचार के प्रति दृष्टिकोण में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

यहां एलन मस्क से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) की सूची दी गई है:

प्रश्न: एलन मस्क कौन हैं?

उत्तर: एलन मस्क एक अरबपति उद्यमी और सीईओ हैं जिन्हें टेस्ला, स्पेसएक्स, न्यूरालिंक और द बोरिंग कंपनी सहित कई प्रमुख कंपनियों के सह-संस्थापक और नेतृत्व के लिए जाना जाता है।

प्रश्न: एलन मस्क की कुल संपत्ति क्या है?

उत्तर: शेयर बाजार और कंपनी के मूल्यांकन में बदलाव के कारण एलन मस्क की कुल संपत्ति में उतार-चढ़ाव हो सकता है। सितंबर 2021 में मेरी जानकारी के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति अरबों डॉलर में होने का अनुमान लगाया गया था।

प्रश्न: एलन मस्क किन कंपनियों के मालिक हैं?

उत्तर: एलन मस्क कई कंपनियों के सीईओ और संस्थापक हैं, जिनमें टेस्ला (इलेक्ट्रिक वाहन और स्वच्छ ऊर्जा), स्पेसएक्स (एयरोस्पेस और अंतरिक्ष परिवहन), न्यूरालिंक (न्यूरोटेक्नोलॉजी), और द बोरिंग कंपनी (सुरंग निर्माण और बुनियादी ढांचा) शामिल हैं।

प्रश्न: क्या एलन मस्क टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ हैं?

उत्तर: हाँ, एलन मस्क टेस्ला और स्पेसएक्स दोनों के सीईओ के रूप में कार्यरत हैं। वह इन कंपनियों की दिशा और रणनीतियों का मार्गदर्शन करने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।

प्रश्न: एलन मस्क की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?

उत्तर: एलन मस्क की प्रमुख उपलब्धियों में टेस्ला के साथ इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में क्रांति लाना, स्पेसएक्स के साथ अंतरिक्ष अन्वेषण को आगे बढ़ाना और न्यूरालिंक के साथ ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस तकनीक को आगे बढ़ाना शामिल है।

प्रश्न: न्यूरालिंक का मिशन क्या है?

उत्तर: न्यूरालिंक का मिशन मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस विकसित करना है जो चिकित्सा उपचार और संज्ञानात्मक संवर्द्धन में संभावित अनुप्रयोगों के साथ मानव मस्तिष्क और बाहरी उपकरणों के बीच सीधे संचार को सक्षम बनाता है।

प्रश्न: एलन मस्क अंतरिक्ष अन्वेषण में कैसे शामिल हैं?

उत्तर: एलन मस्क ने अंतरिक्ष को अधिक सुलभ और किफायती बनाने के लक्ष्य के साथ स्पेसएक्स की स्थापना की। उनके नेतृत्व में, स्पेसएक्स ने कई मील के पत्थर हासिल किए हैं, जिसमें पुन: प्रयोज्य रॉकेट प्रौद्योगिकी और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए क्रू मिशन शामिल हैं।

प्रश्न: क्या एलन मस्क के पास मंगल ग्रह पर उपनिवेशीकरण की कोई योजना है?

उत्तर: हां, एलन मस्क ने मंगल ग्रह पर मानव उपनिवेशीकरण को सक्षम बनाने का दीर्घकालिक दृष्टिकोण व्यक्त किया है। उनका मानना है कि बहु-ग्रहीय प्रजाति बनना मानवता के अस्तित्व और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न: एलन मस्क की नेतृत्व शैली क्या है?

उत्तर: एलन मस्क अपने व्यावहारिक दृष्टिकोण और दूरदर्शी नेतृत्व शैली के लिए जाने जाते हैं। वह अपनी कंपनियों के दिन-प्रतिदिन के कार्यों में गहराई से शामिल हैं और नवाचार और दीर्घकालिक लक्ष्यों पर जोर देते हैं।

प्रश्न: एलन मस्क से जुड़े कुछ विवाद क्या हैं?

उत्तर: सोशल मीडिया, विशेषकर ट्विटर पर एलन मस्क के सार्वजनिक बयान कभी-कभी विवादास्पद रहे हैं और उनकी आलोचना हुई है। इसके अतिरिक्त, उन्हें कानूनी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है, जिसमें मानहानि का मामला और टेस्ला के सार्वजनिक बयानों से संबंधित नियामक मुद्दे शामिल हैं।

ratan tata biography in hindi

रतन टाटा एक भारतीय व्यवसायी और परोपकारी व्यक्ति हैं, जिन्हें टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई, भारत में हुआ था। रतन टाटा व्यवसाय में एक लंबा इतिहास रखने वाले एक प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद रतन टाटा 1962 में टाटा समूह में शामिल हो गए। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम करते हुए की और इन वर्षों में, उन्होंने टाटा समूह के भीतर विभिन्न कंपनियों में अनुभव प्राप्त किया। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने विश्व स्तर पर अपनी उपस्थिति का विस्तार किया और स्टील, ऑटोमोटिव, दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी और आतिथ्य सहित कई उद्योगों में विविधता लाई।

1991 से 2012 तक चेयरमैन के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, रतन टाटा ने टाटा समूह को एक वैश्विक समूह में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह अपने दूरदर्शी नेतृत्व, नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं और सामाजिक मुद्दों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। उनके मार्गदर्शन में, टाटा समूह ने जगुआर लैंड रोवर और टेटली जैसी कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण किया।

अपनी व्यावसायिक उपलब्धियों के अलावा, रतन टाटा को उनके परोपकार और सामाजिक पहल के लिए भी पहचाना जाता है। उन्होंने टाटा ट्रस्ट की स्थापना की, जो भारत के सबसे बड़े धर्मार्थ संगठनों में से एक है। ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, ग्रामीण विकास और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में काम करते हैं।

रतन टाटा 2012 में टाटा संस के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए लेकिन विभिन्न व्यवसाय और परोपकारी प्रयासों में सक्रिय रहे। भारतीय व्यापार समुदाय और समग्र रूप से समाज में उनके योगदान ने उन्हें भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रशंसाएं और पुरस्कार दिलाए हैं। रतन टाटा को भारत में सबसे सम्मानित और प्रभावशाली बिजनेस लीडरों में से एक माना जाता है।

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को बॉम्बे (अब मुंबई), भारत में हुआ था। वह भारत के एक प्रमुख व्यापारिक परिवार, प्रसिद्ध टाटा परिवार से आते हैं। उनके पिता, नवल टाटा, सर रतन टाटा के दत्तक पुत्र थे, जो उस समय टाटा संस के अध्यक्ष थे।

रतन टाटा जब केवल सात वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता अलग हो गए और उनका पालन-पोषण उनकी दादी लेडी नवाजबाई टाटा ने किया। उनका एक छोटा भाई है जिसका नाम जिमी टाटा है। एक धनी और प्रभावशाली परिवार में पले-बढ़े रतन टाटा को एक विशेषाधिकार प्राप्त पालन-पोषण प्राप्त हुआ।

मुंबई के कैंपियन स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, रतन टाटा ने विदेश में अपनी उच्च शिक्षा हासिल की। उन्होंने मुंबई में कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल में पढ़ाई की और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका में कॉर्नेल विश्वविद्यालय में वास्तुकला और संरचनात्मक इंजीनियरिंग का अध्ययन किया। उन्होंने 1962 में वास्तुकला में डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, रतन टाटा ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में दाखिला लेने से पहले कुछ समय के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में काम किया। उन्होंने 1975 में हार्वर्ड से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) की डिग्री हासिल की। वास्तुकला और व्यवसाय में उनकी शिक्षा ने कॉर्पोरेट जगत में उनके भविष्य के प्रयासों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया।

रतन टाटा के प्रारंभिक जीवन और शिक्षा ने एक बिजनेस लीडर के रूप में उनके सफल करियर की नींव रखी। वास्तुकला और व्यावसायिक सिद्धांतों दोनों में उनका अनुभव अमूल्य साबित होगा क्योंकि उन्होंने उन चुनौतियों और अवसरों का सामना किया जो टाटा समूह में उनका इंतजार कर रहे थे।

रतन टाटा का करियर कई दशकों तक फैला है और वह भारत के सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक, टाटा समूह के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं। यहां उनके उल्लेखनीय करियर मील के पत्थर का अवलोकन दिया गया है:

  • कैरियर का आरंभ: अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, रतन टाटा 1962 में टाटा समूह में शामिल हो गए। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत समूह की प्रमुख कंपनियों में से एक टाटा स्टील में काम करते हुए की। रतन टाटा ने शॉप फ्लोर पर काम करके और व्यवसाय के संचालन और चुनौतियों को समझकर बहुमूल्य अनुभव प्राप्त किया।
  • विस्तार और विविधीकरण: रतन टाटा ने अपने कार्यकाल के दौरान टाटा समूह के विस्तार और विविधता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1970 और 1980 के दशक में, वह टाटा मोटर्स (जिसे पहले टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) की स्थापना में शामिल थे, जो आगे चलकर भारत की सबसे बड़ी ऑटोमोटिव निर्माता बन गई। उनके नेतृत्व में, टाटा मोटर्स ने टाटा इंडिका और टाटा नैनो सहित कई सफल वाहन पेश किए।
  • अध्यक्षता और वैश्विक विस्तार: 1991 में रतन टाटा को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने टाटा समूह को एक वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने के लिए वैश्विक विस्तार और अधिग्रहण पर ध्यान केंद्रित किया। सबसे महत्वपूर्ण अधिग्रहणों में से एक 2008 में हुआ जब टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कंपनी से जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) का अधिग्रहण किया। इस अधिग्रहण ने दो प्रतिष्ठित ब्रिटिश ऑटोमोटिव ब्रांडों को टाटा समूह की छत्रछाया में ला दिया।
  • नैतिक नेतृत्व और सामाजिक पहल: रतन टाटा अपने नैतिक नेतृत्व और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने ईमानदारी के साथ व्यापार करने और सामाजिक कल्याण को वित्तीय सफलता के बराबर रखने के महत्व पर जोर दिया। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई सामाजिक पहल शुरू कीं, जिनमें टाटा स्वच्छ (एक जल शोधक), टाटा टी का जागो रे अभियान (एक मतदाता जागरूकता पहल), और टाटा नैनो का “ड्रीम्स ऑन व्हील्स” (एक सड़क सुरक्षा कार्यक्रम) शामिल हैं।
  • सेवानिवृत्ति और परोपकार: रतन टाटा दिसंबर 2012 में टाटा संस के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए, लेकिन वह विभिन्न परोपकारी प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल रहे। उन्होंने टाटा ट्रस्ट की स्थापना की, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, ग्रामीण विकास और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले धर्मार्थ संगठनों का एक समूह शामिल है। रतन टाटा के परोपकारी प्रयासों का भारत में कई लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
  • सेवानिवृत्ति के बाद की व्यस्तताएँ: रिटायरमेंट के बाद भी रतन टाटा विभिन्न व्यावसायिक और सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहते हैं। वह कई स्टार्टअप्स के लिए सलाहकार और सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं और उभरते प्रौद्योगिकी उद्यमों में निवेश करते हैं। वह विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से भी जुड़े हुए हैं और कई संगठनों के बोर्ड में कार्यरत हैं।

रतन टाटा का करियर व्यावसायिक उत्कृष्टता, नैतिक नेतृत्व और सामाजिक प्रभाव के प्रति उनके समर्पण का उदाहरण है। उनके योगदान ने न केवल टाटा समूह को आकार दिया है बल्कि पूरे भारतीय व्यापार परिदृश्य को भी प्रभावित किया है।

रतन टाटा को उनके परोपकारी प्रयासों और समाज को वापस लौटाने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए व्यापक रूप से पहचाना जाता है। उन्होंने टाटा ट्रस्ट के माध्यम से कई धर्मार्थ पहलों और संगठनों की स्थापना और समर्थन किया है, जो भारत के सबसे बड़े परोपकारी संगठनों में से एक हैं। यहां रतन टाटा से जुड़े कुछ उल्लेखनीय परोपकारी प्रयास हैं:

  • टाटा ट्रस्ट: रतन टाटा ने टाटा ट्रस्ट की स्थापना और कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट, सर रतन टाटा ट्रस्ट और टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट जैसी विभिन्न धर्मार्थ संस्थाएं शामिल हैं। ये ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण विकास और आपदाओं के दौरान राहत जैसे क्षेत्रों में काम करते हैं। वे पूरे भारत में वंचित समुदायों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से कई परियोजनाओं और कार्यक्रमों का समर्थन करते हैं।
  • शिक्षा पहल: रतन टाटा ने शिक्षा के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई है और विभिन्न शैक्षिक पहलों का समर्थन किया है। टाटा ट्रस्ट ने कई शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए हैं, जिनमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, टाटा मेडिकल सेंटर और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड सोसाइटी शामिल हैं। ये संस्थान अपने-अपने क्षेत्रों में अनुसंधान, शिक्षा और प्रतिभा के विकास में योगदान देते हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा अनुसंधान: रतन टाटा ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। टाटा ट्रस्ट ने पूरे भारत में अस्पताल और चिकित्सा केंद्र स्थापित किए हैं, जो वंचित क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच प्रदान करते हैं। एक उल्लेखनीय उदाहरण कोलकाता में टाटा मेडिकल सेंटर है, जो कैंसर के उपचार और अनुसंधान में माहिर है। रतन टाटा ने स्वास्थ्य देखभाल परिणामों में सुधार लाने के उद्देश्य से चिकित्सा अनुसंधान कार्यक्रमों और पहलों का भी समर्थन किया है।
  • ग्रामीण विकास: रतन टाटा के परोपकार का फोकस क्षेत्र ग्रामीण विकास रहा है। टाटा ट्रस्ट ने टिकाऊ कृषि, ग्रामीण आजीविका और सामुदायिक विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल लागू की हैं। इन पहलों का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों का उत्थान करना, कृषि पद्धतियों में सुधार करना और ग्रामीण आबादी के जीवन स्तर को बढ़ाना है।
  • आपदा राहत: रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट प्राकृतिक आपदाओं और आपात स्थितियों के दौरान राहत और सहायता प्रदान करने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। उन्होंने भूकंप, बाढ़ और चक्रवात जैसी प्रमुख आपदाओं के जवाब में राहत और पुनर्वास प्रयास किए हैं, प्रभावित समुदायों को सहायता प्रदान की है और उनकी वसूली में योगदान दिया है।
  • सामाजिक उद्यमिता और स्टार्टअप: रतन टाटा ने सामाजिक उद्यमिता और स्टार्टअप के लिए भी समर्थन दिखाया है। उन्होंने कई सामाजिक उद्यमों और स्टार्टअप्स में निवेश किया है और उनका मार्गदर्शन किया है जो सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। रतन टाटा के मार्गदर्शन और निवेश ने इन उद्यमों को बड़े पैमाने पर बढ़ने और सकारात्मक प्रभाव डालने में मदद की है।

कुल मिलाकर, रतन टाटा का परोपकार विभिन्न क्षेत्रों तक फैला हुआ है और इसने भारत में कई लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, ग्रामीण विकास और आपदा राहत को बढ़ावा देने में उनके प्रयासों ने एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है और उन्हें एक परोपकारी नेता के रूप में प्रशंसा और सम्मान मिला है।

बोर्ड की सदस्यताएँ और संबद्धताएँ

रतन टाटा कई प्रमुख संगठनों से जुड़े रहे हैं और विभिन्न कंपनियों और संस्थानों के बोर्ड में काम कर चुके हैं। यहां रतन टाटा की कुछ उल्लेखनीय बोर्ड सदस्यताएं और संबद्धताएं हैं:

टाटा संस: रतन टाटा ने 1991 से 2012 तक टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, वह कंपनी को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करते हुए, टाटा संस के मानद अध्यक्ष बन गए।

  • टाटा ट्रस्ट: रतन टाटा टाटा ट्रस्ट से जुड़े हैं, जिसमें कई धर्मार्थ संस्थाएँ शामिल हैं। उन्होंने ट्रस्टों के संचालन और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • टाटा समूह की कंपनियाँ: रतन टाटा ने टाटा समूह के भीतर विभिन्न कंपनियों में बोर्ड की सदस्यता ली है। टाटा समूह की कुछ प्रमुख कंपनियां जहां उन्होंने बोर्ड में काम किया है उनमें टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), टाटा पावर, टाटा केमिकल्स और टाटा कम्युनिकेशंस शामिल हैं।
  • जगुआर लैंड रोवर ( जेएलआर ): टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर के अधिग्रहण के बाद, रतन टाटा ने जेएलआर के बोर्ड में कार्य किया और टाटा समूह में एकीकरण के दौरान कंपनी का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • एल्कोआ इंक.: रतन टाटा संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित वैश्विक एल्युमीनियम विनिर्माण कंपनी एल्कोआ इंक. के निदेशक मंडल के सदस्य थे। बोर्ड में उनकी उपस्थिति ने टाटा समूह और एल्कोआ के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद की।
  • बॉम्बे हाउस: बॉम्बे हाउस टाटा समूह का ऐतिहासिक मुख्यालय है। रतन टाटा अपने पूरे करियर के दौरान बॉम्बे हाउस और उसके प्रबंधन से जुड़े रहे हैं। यह टाटा समूह की विरासत और मूल्यों के प्रतीक के रूप में कार्य करता है।
  • भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन: रतन टाटा ने विभिन्न भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सदस्यता और संबद्धता रखी है। वह इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जैसे संगठनों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने सरकार द्वारा नियुक्त समितियों और सलाहकार बोर्डों में भी काम किया है।
  • स्टार्टअप और सामाजिक उद्यम: रतन टाटा एक निवेशक, संरक्षक या सलाहकार के रूप में कई स्टार्टअप और सामाजिक उद्यमों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने नवाचार, प्रौद्योगिकी और सामाजिक प्रभाव पर केंद्रित कंपनियों के बोर्डों का समर्थन और सेवा की है।

रतन टाटा की बोर्ड सदस्यताएँ और संबद्धताएँ उनके विविध हितों और व्यवसाय और उद्योग से लेकर शिक्षा, परोपकार और उद्यमिता तक विभिन्न क्षेत्रों में उनके जुड़ाव को दर्शाती हैं। इन संगठनों में उनकी भागीदारी ने उनकी रणनीतिक दिशा को आकार देने में मदद की है और उनके व्यापक प्रभाव और प्रभाव में योगदान दिया है।

सम्मान और पुरस्कार

रतन टाटा को अपने शानदार करियर के दौरान कई सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। यहां उन्हें दी गई कुछ उल्लेखनीय प्रशंसाएं दी गई हैं:

  • पद्म भूषण: 2000 में, रतन टाटा को भारत सरकार द्वारा भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में उनकी विशिष्ट सेवा को मान्यता देता है।
  • पद्म विभूषण: 2008 में, रतन टाटा को भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें व्यापार और उद्योग में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया।
  • नाइट ग्रैंड क्रॉस ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर (जीबीई): रतन टाटा को यूके-भारत संबंधों में उनकी सेवाओं और जगुआर लैंड रोवर के अधिग्रहण के माध्यम से ब्रिटिश ऑटोमोटिव उद्योग में उनके योगदान के लिए 2014 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा जीबीई से सम्मानित किया गया था।
  • ग्रैंड कॉर्डन ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द राइजिंग सन: जापान सरकार ने 2016 में रतन टाटा को ग्रैंड कॉर्डन ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द राइजिंग सन से सम्मानित किया। यह सम्मानित सम्मान जापान और भारत के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने में उनके महत्वपूर्ण योगदान की मान्यता में है।
  • अर्न्स्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर: रतन टाटा को 2000 में अर्न्स्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार ने उनके असाधारण उद्यमशीलता नेतृत्व और टाटा समूह के भीतर विकास और नवाचार को बढ़ावा देने की उनकी क्षमता को मान्यता दी।
  • लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, रॉकफेलर फाउंडेशन: रॉकफेलर फाउंडेशन ने 2012 में रतन टाटा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। इस सम्मान ने परोपकार में उनके उत्कृष्ट योगदान और गंभीर सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान में उनके प्रयासों को स्वीकार किया।
  • मानद डॉक्टरेट: रतन टाटा को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस सहित दुनिया भर के प्रतिष्ठित संस्थानों से कई मानद डॉक्टरेट उपाधियाँ प्राप्त हुई हैं।

ये रतन टाटा को मिले कई सम्मानों और पुरस्कारों के कुछ उदाहरण हैं। उनकी प्रशंसा व्यापार, उद्योग, परोपकार और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में उनके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाती है, जिससे भारत के सबसे सम्मानित और प्रभावशाली नेताओं में से एक के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई है।

रतन टाटा अपेक्षाकृत निजी निजी जीवन बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं। यहां उनके निजी जीवन के बारे में सार्वजनिक रूप से ज्ञात जानकारी दी गई है:

  • परिवार: रतन टाटा प्रमुख टाटा परिवार से आते हैं। उनके पिता, नवल टाटा, टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष सर रतन टाटा के दत्तक पुत्र थे। रतन टाटा के माता-पिता बचपन में ही अलग हो गए थे और उनका पालन-पोषण उनकी दादी लेडी नवाजबाई टाटा ने किया था। उनका एक छोटा भाई है जिसका नाम जिमी टाटा है।
  • वैवाहिक स्थिति: रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की है और उनकी कोई संतान नहीं है। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन अपने पेशेवर करियर और परोपकारी प्रयासों पर केंद्रित किया है।
  • शौक और रुचियाँ: अपने काम के अलावा, रतन टाटा की विविध रुचियाँ और शौक हैं। वह कारों के प्रति अपने जुनून के लिए जाने जाते हैं और ऑटोमोबाइल डिजाइन और प्रौद्योगिकी में उनकी गहरी रुचि है। वह एक शौकीन विमान चालक भी हैं और उनके पास पायलट का लाइसेंस भी है। रतन टाटा एक उत्साही पाठक हैं और वास्तुकला, विमानन और इतिहास पर पुस्तकों के शौकीन माने जाते हैं।
  • परोपकार और सामाजिक पहल: रतन टाटा ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा परोपकार और सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित किया है। समाज को वापस लौटाने की उनकी प्रतिबद्धता ने उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक मूल्यों को आकार दिया है। उन्होंने धर्मार्थ पहलों में सक्रिय रूप से भाग लिया है और विभिन्न सामाजिक और विकास परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए टाटा ट्रस्ट के साथ मिलकर काम किया है।
  • सार्वजनिक छवि: रतन टाटा को उनकी ईमानदारी, विनम्रता और नैतिक नेतृत्व के लिए व्यापक रूप से सराहा जाता है। वह अपने मिलनसार व्यवहार और विविध दृष्टिकोणों को सुनने की इच्छा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने एक दूरदर्शी नेता और महत्वाकांक्षी उद्यमियों और व्यावसायिक पेशेवरों के लिए एक आदर्श के रूप में ख्याति अर्जित की है।

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, रतन टाटा एक निजी जीवन जीते हैं, और उनके व्यक्तिगत संबंधों और दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी जनता के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं है। उन्होंने अपनी सार्वजनिक छवि को अपनी व्यावसायिक उपलब्धियों, परोपकार और सामाजिक प्रभाव पर केंद्रित करना पसंद किया है।

लोकप्रिय संस्कृति में

रतन टाटा की उपलब्धियों और प्रभाव ने उन्हें भारत और उसके बाहर एक अत्यधिक सम्मानित व्यक्ति बना दिया है, जिससे लोकप्रिय संस्कृति में उनका चित्रण हुआ है। हालाँकि उन्हें अभिनेताओं या संगीतकारों के रूप में व्यापक रूप से चित्रित नहीं किया जा सकता है, लेकिन विभिन्न मीडिया रूपों में उनका उल्लेख किया गया है या चित्रित किया गया है। लोकप्रिय संस्कृति में रतन टाटा की उपस्थिति के कुछ उदाहरण यहां दिए गए हैं:

  • किताबें: रतन टाटा के जीवन और नेतृत्व का वर्णन कई किताबों में किया गया है। कुछ उल्लेखनीय शीर्षकों में शशांक शाह द्वारा लिखित “द टाटा ग्रुप: फ्रॉम टॉर्चबियरर्स टू ट्रेलब्लेज़र”, प्रसाद सुंदरराजन द्वारा “रतन टाटा: लीडिंग द टाटा ग्रुप”, और फ्रैंक मोरेस द्वारा “द टाटा सागा” शामिल हैं।
  • फ़िल्में और टीवी शो: रतन टाटा के चरित्र या उनकी उपलब्धियों को उन फ़िल्मों और टेलीविज़न शो में संदर्भित किया गया है जो व्यवसाय की दुनिया का पता लगाते हैं या भारतीय उद्योगपतियों को प्रदर्शित करते हैं। उदाहरण के लिए, 2013 की बॉलीवुड फिल्म “सत्याग्रह” में एक प्रभावशाली उद्योगपति के रूप में उनकी भूमिका को शिथिल रूप से दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त, वृत्तचित्रों और समाचार सुविधाओं ने टाटा समूह में उनके योगदान और उनके परोपकारी प्रयासों को प्रदर्शित किया है।
  • साक्षात्कार और वार्ता: रतन टाटा ने भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साक्षात्कार और वार्ता में उपस्थिति दर्ज कराई है। उनके साक्षात्कार और भाषण सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से साझा और चर्चा किए जाते हैं और उन्होंने महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया है।
  • प्रेरक शख्सियतें: प्रेरक सामग्री, लेखों और उद्धरणों में रतन टाटा को अक्सर एक प्रेरणादायक शख्सियत के रूप में उल्लेख किया जाता है। उनके नेतृत्व गुण, परोपकार और नैतिकता के प्रति प्रतिबद्धता को अक्सर महत्वाकांक्षी उद्यमियों और व्यापारिक नेताओं के लिए उदाहरण के रूप में उद्धृत किया जाता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हालांकि रतन टाटा को लोकप्रिय संस्कृति में संदर्भित किया गया है, उनकी उपस्थिति मुख्य रूप से उनके जीवन के व्यक्तिगत या सनसनीखेज पहलुओं के बजाय उनकी पेशेवर उपलब्धियों और परोपकार के आसपास केंद्रित है।

रतन टाटा ने अपने पूरे करियर में काफी हद तक एक सकारात्मक सार्वजनिक छवि बनाए रखी है, लेकिन उनके साथ कुछ विवाद और घटनाएं भी जुड़ी रही हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि ये विवाद उनके समग्र योगदान और उपलब्धियों की तुलना में अपेक्षाकृत छोटे हैं। यहां रतन टाटा से जुड़े कुछ उल्लेखनीय विवाद हैं:

सिंगुर भूमि विवाद: 2006 में, टाटा मोटर्स ने उस समय की दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो के उत्पादन के लिए पश्चिम बंगाल के सिंगुर में एक विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की योजना की घोषणा की। परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण एक विवादास्पद मुद्दा बन गया, कुछ किसानों और कार्यकर्ताओं ने अधिग्रहण का विरोध किया और अपर्याप्त मुआवजे का दावा किया। विवाद बढ़ गया, जिससे कानूनी लड़ाई और राजनीतिक बहस शुरू हो गई। आख़िरकार, 2008 में, टाटा मोटर्स ने पश्चिम बंगाल में विरोध और व्यवधानों पर चिंताओं का हवाला देते हुए नैनो संयंत्र को गुजरात के साणंद में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। सिंगूर भूमि विवाद ने मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया और स्थिति से निपटने के लिए रतन टाटा को कुछ हलकों से आलोचना का सामना करना पड़ा।

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोप: 2011 में, रतन टाटा का नाम भारत में हाई-प्रोफाइल 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में उलझा था। यह आरोप लगाया गया था कि एक दूरसंचार कंपनी के एक पैरवीकार ने घोटाले से संबंधित कुछ बातचीत में रतन टाटा के नाम का उल्लेख किया था। हालाँकि, रतन टाटा ने घोटाले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया और स्पष्ट किया कि बातचीत को संदर्भ से बाहर कर दिया गया था। उनके खिलाफ लगाए गए आरोप कभी भी प्रमाणित नहीं हुए और घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ कोई आरोप दायर नहीं किया गया।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन विवादों के बावजूद, रतन टाटा की प्रतिष्ठा और विरासत काफी हद तक अछूती है। उन्हें व्यापक रूप से एक दूरदर्शी नेता और भारत में नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं का प्रतीक माना जाता है। व्यवसाय, परोपकार और बड़े पैमाने पर समाज में उनके योगदान को व्यापक रूप से मान्यता और सराहना मिलती रहती है।

रतन टाटा अपनी बुद्धिमत्ता, नेतृत्व और व्यावहारिक उद्धरणों के लिए जाने जाते हैं। यहां रतन टाटा के कुछ उल्लेखनीय उद्धरण हैं:

  • “मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं।”
  • “जीवन में उतार-चढ़ाव हमें चलते रहने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ईसीजी में भी एक सीधी रेखा का मतलब है कि हम जीवित नहीं हैं।”
  • “लोग तुम पर जो पत्थर फेंकते हैं उन्हें उठाओ और उनका उपयोग एक स्मारक बनाने में करो।”
  • “मैं उन लोगों की प्रशंसा करता हूं जो बहुत सफल हैं। लेकिन अगर वह सफलता बहुत अधिक क्रूरता से हासिल की गई है, तो मैं उस व्यक्ति की प्रशंसा तो कर सकता हूं, लेकिन मैं उसका सम्मान नहीं कर सकता।”
  • “लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसका अपना जंग उसे नष्ट कर सकता है! इसी तरह, कोई भी व्यक्ति को नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी मानसिकता उसे नष्ट कर सकती है!”
  • “मैं भारत की भविष्य की संभावनाओं को लेकर हमेशा बहुत आश्वस्त और उत्साहित रहा हूं। मुझे लगता है कि यह अपार संभावनाओं वाला एक महान देश है।”
  • “नेतृत्व प्रभारी होने के बारे में नहीं है। यह आपके प्रभारी लोगों की देखभाल करने के बारे में है।”
  • “आपको हार नहीं माननी चाहिए और हमें समस्या को हमें हराने नहीं देना चाहिए।”
  • “मैं कहूंगा कि जिन चीजों को मैं अलग ढंग से करना चाहता हूं उनमें से एक है अधिक मिलनसार होना।”
  • “मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता; मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं।”

ये उद्धरण निर्णय लेने, लचीलेपन, नेतृत्व और व्यवसाय और जीवन में चरित्र और नैतिकता के महत्व पर रतन टाटा के दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। वे व्यक्तियों को जोखिम लेने, चुनौतियों से सीखने और सकारात्मक मानसिकता अपनाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करते हैं।

रतन टाटा की कुल संपत्ति 2023 में लगभग 7,800 करोड़ रुपये है। वह भारत के सबसे सफल उद्योगपतियों में से एक हैं, और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन हैं। टाटा ग्रुप भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है, और इसका कारोबार 100 से अधिक देशों में फैला हुआ है।

रतन टाटा को उनके नेतृत्व और परोपकार के लिए जाना जाता है। उन्होंने टाटा ग्रुप को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख कंपनी के रूप में स्थापित किया। वह कई सामाजिक और पर्यावरणीय पहलों से भी जुड़े हैं।

रतन टाटा को भारत के सबसे सम्मानित उद्योगपतियों में से एक माना जाता है। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण सहित कई पुरस्कार और सम्मान दिए गए हैं। रतन टाटा एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं, और उनके जीवन और करियर की कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा है।

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