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पर्यावरण पर निबंध (Environment Essay in Hindi)

पर्यावरण

हमारे चारों तरफ का वह प्राकृतिक आवरण जो हमें सरलता पूर्वक जीवन यापन करने में सहायक होता है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण से हमें वह हर संसाधन उपलब्ध हो जाते हैं जो किसी सजीव प्राणी को जीने के लिए आवश्यक है। पर्यावरण ने हमें वायु, जल, खाद्य पदार्थ, अनुकूल वातावरण आदि उपहार स्वरूप भेंट दिया है। हम सभी ने हमेशा से पर्यावरण के संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल किया है और आज हमारे इतना विकास कर पाने के पीछे भी पर्यावरण का एक प्रमुख योगदान रहा है।

पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध || पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध || पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

पर्यावरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment in Hindi, Paryavaran par Nibandh Hindi mein)

पर्यावरण के इसी महत्व को समझने के लिए आज हम सब ये निबंध पढ़ेंगे जिससे आपको पर्यावरण से जुड़ी समस्त जानकारियाँ मिल जाएंगी। आपकी आवश्यकता को देखते हुए ये निबंध 300 शब्द, 400 शब्द, और 500 शब्द के अंतर्गत दिया गया है।

पर्यावरण पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द) – Paryavaran par Nibandh

पर्यावरण में वह सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं जो कई तरीकों से हमारी मदद करते हैं तथा चारों ओर से हमें घेरे हुए हैं। यह हमें बढ़ने तथा विकसित होने का बेहतर माध्यम देता है, यह हमें वह सब कुछ प्रदान करता है जो इस ग्रह पर जीवन यापन करने हेतु आवश्यक है। हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की अपेक्षा रखता है जिससे की हमारा लालन पालन हो, हमारा जीवन बना रहे और कभी नष्ट न हो। तकनीकी आपदा के वजह से दिन प्रति दिन हम प्राकृतिक तत्व को अस्वीकार रहे हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस

पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना होगा। पूरे ब्रम्हांड में बस पृथ्वी पर ही जीवन है। वर्षों से प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा साथ ही पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस समारोह के विषय को जानने के लिए, हमारे पर्यावरण को किस प्रकार सुरक्षित रखा जाये तथा हमारे उन सभी बुरी आदतों के बारे में जानने के लिए जिससे पर्यावरण को हानि पहुंचता है, हम सभी को इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहिए।

पर्यावरण सुरक्षा के उपाय

धरती पर रहने वाले सभी व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे कदमों के माध्यम से हम बहुत ही आसान तरीके से पर्यावरण को सुरक्षित कर सकते हैं। हमें अपशिष्ट की मात्रा में कमी करना चाहिए तथा अपशिष्ट पदार्थ को वही फेकना चाहिए जहां उसका स्थान है। प्लास्टिक बैंग का उपयोग नही करना चाहिए तथा कुछ पुराने चीजों को फेकने के बजाय नये तरीके से उनका उपयोग करना चाहिए।

आईए देखें कि किस प्रकार हम पुराने चीजों को दुबारा उपयोग में ला सकते हैं- जिन्हें दुबारा चार्ज किया जा सकता है उन बैटरी या अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें, प्रतिदीप्त प्रकाश का निर्माण कर, बारिस के पानी का संरक्षण कर, पानी की अपव्यय कम कर, ऊर्जा संरक्षण कर तथा बिजली की खपत कम करके, हम पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखने के मुहिम की ओर एक कदम बढ़ा सकते है।

पर्यावरण पर निबंध 2 (400 शब्द) – पर्यावरण प्रदूषण

धरती पर जीवन के लालन पालन के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है। वह प्रत्येक तत्व जिसका उपयोग हम जीवित रहने के लिए करते हैं वह सभी पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं जैसे- हवा, पानी प्रकाश, भूमि, पेड़, जंगल और अन्य प्राकृतिक तत्व।

पर्यावरण प्रदूषण

हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन को अस्तित्व में रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिर भी हमारा पर्यावरण दिन-प्रतिदिन मानव निर्मित तकनीक तथा आधुनिक युग के आधुनिकरण के वजह से नष्ट होता जा रहा है। इसलिए आज हम पर्यावरण प्रदूषण जैसे सबसे बड़े समस्या का सामना कर रहे हैं।

सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक रूप से पर्यावरण प्रदूषण हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रहा है। पर्यावरण प्रदूषण वातावरण में विभिन्न प्रकार के बीमारीयों को जन्म देता है, जिसे व्यक्ति जीवन भर झेलता रहता है। यह किसी समुदाय या शहर की समस्या नहीं है बल्कि दुनिया भर की समस्या है तथा इस समस्या का समाधान किसी एक व्यक्ति के प्रयास करने से नहीं होगा। अगर इसका निवारण पूर्ण तरीके से नहीं किया गया तो एक दिन जीवन का अस्तित्व नहीं रहेगा। प्रत्येक आम नागरिक को सरकार द्वारा आयोजित पर्यावरण आन्दोलन में शामिल होना होगा।

पर्यावरण संरक्षण

हम सभी को अपनी गलती में सुधार करना होगा तथा स्वार्थपरता त्याग कर पर्यावरण को प्रदूषण से सुरक्षित तथा स्वस्थ करना होगा। यह मानना कठिन है, परन्तु सत्य है की प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उठाया गया छोटा सकारात्मक कदम बड़ा बदलाव कर सकता है तथा पर्यावरण गिरावट को रोक सकता है। वायु तथा जल प्रदूषण द्वारा विभिन्न प्रकार के रोग तथा विकार का जन्म होता है जो हमारे जीवन को खतरे में डालते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

आज के समय में किसी भी चीज को स्वास्थय के दृष्टी से सही नहीं कहा जा सकता, जो हम खाना-खाते हैं वह पहले से कृत्रिम उर्वरक के बुरे प्रभाव से प्रभावित होता है, जिसके फलस्वरूप हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षा क्षमता कमजोर होती है जो की सुक्ष्म जीवों से होने वाले रोगों से लड़ने में शरीर को सहायता प्रदान करता हैं। इसलिए, हम में से कोई भी स्वस्थ और खुश होने के बाद भी कभी भी रोगग्रस्त हो सकता है। मानव जाति द्वारा शहरीकरण और औद्योगीकरण के आन्दोलन ने चिकित्सा, उद्योग तथा सामाजिक क्षेत्र को विकसित किया परन्तु प्राकृतिक परादृश्य को कंक्रीट ईमारतों तथा सड़कों में तबदील कर दिया। भोजन तथा पानी के लिए प्रकृति परादृश्यों पर हमारी निर्भरता इतनी अधिक है की हम इन संसाधनों की रक्षा किए बिना जीवित नहीं रह सकते हैं।

शहरीकरण, औद्योगीकरण तथा हमारा प्रकृति के प्रति व्यवहार इन सब कारणों के वजह से पर्यावरण प्रदूषण विश्व की प्रमुख समस्या है तथा इसका समाधान प्रत्येक के निरंतर प्रयास से ही संभव है। हमें विश्व पर्यावरण दिवस के मुहिम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।

पर्यावरण पर निबंध 3 (500 शब्द) – पर्यावरण का महत्व

सभी प्रकार के प्राकृतिक तत्व जो जीवन को सम्भव बनाते हैं वह पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं जैसे- पानी, हवा, भूमि, प्रकाश, आग, जंगल, जानवर, पेड़ इत्यादि। ऐसा माना जाता है की पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है तथा जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए, पर्यावरण है।

पर्यावरण प्रदूषण का हमारे जीवन पर प्रभाव

पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती तथा हमें भविष्य में जीवन को बचाये रखने के लिए पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा। यह पृथ्वी पर निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है। हर व्यक्ति सामने आये तथा पर्यावरण संरक्षण के मुहिम का हिस्सा बने।

पृथ्वी पर विभिन्न चक्र है जो नियमित तौर पर पर्यावरण और जीवित चीजों के मध्य घटित होकर प्रकृति का संतुलन बनाये रखते हैं। जैसे ही यह चक्र विक्षुब्ध (Disturb) होता है पर्यावरण संतुलन भी उससे विक्षुब्ध होता है जो निश्चित रूप से मानव जीवन को प्रभावित करता है। हमारा पर्यावरण हमें पृथ्वी पर हजारों वर्ष तक पनपने तथा विकसित होने में मदद करता है, वैसे ही जैसे की मनुष्य को प्रकृति द्वारा बनाया गया पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, उन में ब्रम्हांड के तथ्यों को जानने की बहुत उत्सुकता होती है जो की उन्हें तकनीकी उन्नति की ओर अग्रसर करता है।

पर्यावरण का महत्व

हम सभी के जीवन में इस तरह की तकनीक उत्पन्न हुई है, जो दिन प्रति दिन जीवन की संभावनाओं को खतरे में डाल रही है तथा पर्यावरण को नष्ट कर रही है। जिस तरह से प्राकृतिक हवा, पानी, और मिट्टी दुषित हो रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह एक दिन हमें बहुत हानि पहुंच सकता है। यहाँ तक की इसने अपना बुरा प्रभाव मनुष्य, जानवर, पेड़ तथा अन्य जैविक प्राणी पर दिखाना शुरू भी कर दिया है। कृत्रिम रूप से तैयार खाद तथा हानिकारक रसायनों का उपयोग मिट्टी की उर्वरकता को नष्ट करता है, तथा हम जो रोज खाना खाते है उसके माध्यम से हमारे शरीर में एकत्र होता जाता है। औद्योगिक कम्पनीयों से निकलने वाला हानिकारक धुंआ हमारी प्राकृतिक हवा को दुषित करती है जिससे हमारा स्वास्थय प्रभावित होता है, क्योंकि हमेशा हम सांस के माध्यम से इसे ग्रहण करते हैं।

पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियाँ

प्रदूषण में वृद्धि, प्राकृतिक स्त्रोत में तेजी से कमी का मुख्य कारण है, इससे न केवल वन्यजीवों और पेड़ों को नुकसान हुआ है बल्की इनके द्वारा ईको सिस्टम को भी बाधित हुआ है। आधुनिक जीवन के इस व्यस्तता में हमें कुछ बुरे आदतों को बदलना आवश्यक है जो हम दैनिक जीवन में करते हैं। यह सत्य है कि नष्ट होते पर्यावरण के लिए हमारे द्वारा किया गया छोटा प्रयास बड़ा सकारात्मक बदलाव कर सकता है। हमें अपने स्वार्थ की पूर्ति तथा विनाशकारी कामनाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का गलत उपयोग नहीं करना चाहिए।

हमें इस बात का खयाल रखना चाहिए कि आधुनिक तकनीक, पारिस्थितिकीय संतुलन को भविष्य में कभी विक्षुब्ध न कर सके। समय आ चुका है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय बंद करें और उनका विवेकपूर्ण तरह से उपयोग करें। हमें हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान तथा तकनीक को विकसित करना चाहिए पर हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की यह वैज्ञानिक विकास भविष्य में पर्यावरण को किसी भी प्रकार से नुकसान न पहुचाए।

Environment Essay in Hindi

FAQs: Frequently Asked Questions on Environment (पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर – हमारे चारों तरफ का वह परिवेश जो हमारे लिए अनुकूल है, पर्यावरण कहलाता है।

उत्तर – विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है।

उत्तर – पर्यावरण के प्रमुख घटक हैं- वायुमंडल, जलमंडल तथा स्थलमंडल।

उत्तर – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण आदि पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार है।

उत्तर – बांग्लादेश विश्व का सबसे प्रदूषित देश है।

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पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
  • Slogan on environment
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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण पर निबंध – 10 lines(Environment Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

environment related essay in hindi

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण का अर्थ है एक ऐसा परिवेश जहां हम मिलते हैं, हम रहते हैं और हम सांस लेते हैं। यह जीवित प्राणियों के लिए बुनियादी आवश्यक चीजों में से एक है। पर्यावरण शब्द में सभी जैविक और अजैविक चीजें शामिल हैं जो हमारे आसपास मौजूद हैं। Essay on Environment यह हवा, पानी, भोजन और भूमि जैसी मूलभूत चीजें प्रदान करता है जो हमारी भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह ईश्वर द्वारा मनुष्य को दिया गया एक उपहार है जो मानव जीवन को पोषित करने में मदद करता है।

पर्यावरण का महत्व  (Importance of Environment)

  • यह जीवित चीजों को स्वस्थ और हार्दिक बनाए रखने में एक जोरदार भूमिका निभाता है।
  • यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह भोजन, आश्रय, वायु प्रदान करता है और मानव की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • इस वातावरण के अतिरिक्त प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi)

  • हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।
  • पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखना सभी का दायित्व है।
  • सभी जीवित और निर्जीव जीव पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
  • वृक्षारोपण, पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग, प्रदूषण कम करने और जागरूकता पैदा करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
  • एक स्वस्थ वातावरण सभी जीवित प्रजातियों के विकास और पोषण में मदद करता है।
  • हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ के नाम से जाना जाता है। फिर फिर, यह एकमात्र ऐसा है जो जीवन को बनाए रखता है।
  • पर्यावरण प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग, अम्लीय वर्षा और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास होता है।
  • पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली किसी भी गतिविधि में कभी भी प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
  • सभी को यह मानना ​​चाहिए कि पौधों और पेड़ों को बचाना उनका कर्तव्य है। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक के प्रयोग से बचें।
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पर्यावरण पर निबंध 100 शब्द (Essay On Environment 100 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण वह परिस्थिति है जिसमें पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधन रहने के अनुकूल होते हैं। मनुष्य, जानवर, पेड़, महासागर, चट्टानें पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन हैं और मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। वे एक जीव के लिए रहने की स्थिति प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण को भौतिक और जैविक में वर्गीकृत किया गया है। पहली श्रेणी में वायुमंडल (वायु), जलमंडल (जल), और स्थलमंडल (ठोस) शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में मनुष्य जैसे सभी जीवित प्राणी शामिल हैं। पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए इन दोनों श्रेणियों की एक साथ आवश्यकता है। इनमें से किसी भी श्रेणी के अभाव में पृथ्वी पर जीवित रहने का कोई अवसर नहीं होगा।

पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द (Essay On Environment 150 Words in Hindi)

वह परिवेश जिसमें पृथ्वी पर जीवन मौजूद है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण में हवा, पानी, सूरज की रोशनी, पेड़, जानवर और इंसान शामिल हैं। वे पृथ्वी के जीवित और निर्जीव प्राणी हैं। पेड़, मनुष्य और जानवर जीवित जीव हैं। सूर्य, जल और वायु निर्जीव जीव हैं जो मनुष्य के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक प्राणी एक दूसरे के लिए एक प्राकृतिक संसाधन है। उदाहरण के लिए, हिरण एक प्राकृतिक संसाधन है जिसे शेर खा सकता है। इन प्राकृतिक संसाधनों में से किसी एक के अभाव में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व नहीं हो पाएगा।

हालांकि, पर्यावरण में वायुमंडल और जलमंडल के घटक होते हैं जो जीवित प्राणियों के जीवन को प्रभावित करते हैं। वायुमंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसी गैसें मौजूद हैं। जलमंडल सभी जल निकायों को कवर करता है, प्रत्येक जीवित प्राणी इन घटकों की विशेषताओं के अनुसार बनाया गया है। उदाहरण के लिए, जलीय जंतु पानी के भीतर सांस लेने के लिए बनाए जाते हैं। हवाई जानवर हवा में सांस लेने के लिए बने होते हैं

पर्यावरण पर निबंध 200 शब्द (Essay On Environment 200 Words in Hindi)

पर्यावरण पृथ्वी का प्राकृतिक परिवेश है जो किसी जीव को जीवित रहने में सक्षम बनाता है। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है। इसमें मनुष्य, पौधे और जानवर जैसे जीवित प्राणी शामिल हैं। वायु, जल और भूमि निर्जीव हैं। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा इस तरह से डिजाइन की गई है कि सब कुछ एक दूसरे पर निर्भर है। मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे प्रभावशाली प्राणी है जो पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हो सकता है। उसे सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। न केवल मनुष्य बल्कि पौधों और जानवरों को भी सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। वायु के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं होगा। पर्यावरण की बर्बादी के लिए सिर्फ इंसान ही जिम्मेदार है।

पर्यावरण को विभिन्न परतों जैसे वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल में विभाजित किया गया है। वायुमंडल कई गैसों जैसे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से बना है। सभी जल निकाय जलमंडल बनाते हैं। लिथोस्फीयर पृथ्वी का आवरण है जो चट्टान और मिट्टी से बना है। जीवमंडल में जीवन मौजूद है।

पर्यावरण पर निबंध 250 शब्द (Essay On Environment 250 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पृथ्वी परिवेश से बनी है जिसमें सभी सजीव और निर्जीव अपना जीवन व्यतीत करते हैं। प्रकृति की भौतिक, जैविक और प्राकृतिक शक्तियाँ एक साथ मिलकर ऐसी परिस्थितियाँ बनाती हैं जो एक जीव को जीने में सक्षम बनाती हैं। ऐसी परिस्थितियों को पर्यावरण कहते हैं। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है।

सभी जैविक (जीवित) और अजैविक (निर्जीव) संस्थाएं पर्यावरण का निर्माण करती हैं। जैविक चीजों में शामिल हैं- मनुष्य, पौधे, जानवर और कीड़े। उन्हें पर्यावरण के जैविक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक जैविक प्राणी का अपना एक निश्चित जीवन चक्र होता है। उदाहरण के लिए, मनुष्य पृथ्वी पर सबसे मजबूत जीवित जीव है। उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पौधों और जानवरों की जरूरत है। उनके बिना उसका जीवन-चक्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

जबकि, अजैविक घटकों में वायुमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और जीवमंडल शामिल हैं। वे पर्यावरण की परतें हैं। इन परतों को पर्यावरण के भौतिक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वायुमंडल हवा की वह परत है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों से बनी होती है। सभी जल निकाय जैसे नदियाँ और महासागर मिलकर जलमंडल बनाते हैं। स्थलमंडल पृथ्वी का सबसे ठोस, सबसे बाहरी भाग है। यह क्रस्ट से बना है जो पृथ्वी की सतह पर मेंटल, चट्टानों और मिट्टी को ढकता है। सबसे महत्वपूर्ण परत जीवमंडल है जहां जीवन मौजूद है। इसमें जलीय, स्थलीय और हवाई पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। पेड़ों की जड़ प्रणाली से लेकर गहरे पानी के नीचे के जीवन तक जीवमंडल की विशेषता है।

इन सभी जीवों का अस्तित्व एक दूसरे के साथ उनके निरंतर संपर्क पर निर्भर है। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा व्यवस्थित है और एक बार बर्बाद होने पर नष्ट हो सकती है। आज पर्यावरण का क्षरण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिससे मानव को निपटना है।

पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द (Essay On Environment 300 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – कई तरह से हमारी मदद करने के लिए हमारे आस-पास के सभी प्राकृतिक संसाधनों को पर्यावरण में शामिल किया जाता है, यह हमें आगे बढ़ने और बढ़ने का एक बेहतर माध्यम देता है। यह हमें इस ग्रह पर रहने के लिए सभी चीजें देता है। हालांकि, अपने पर्यावरण को बनाए रखने के लिए, हमें सभी मदद की ज़रूरत है, ताकि यह हमारे जीवन का पोषण करे और हमारे जीवन को बर्बाद न करे। मानव निर्मित तकनीकी आपदा के कारण हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं।

केवल पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है जहाँ पूरे विश्व में जीवन संभव है और पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए हमें अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है। विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो हर साल 5 जून को कई वर्षों तक मनाया जाता है ताकि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए दुनिया भर में जनता के बीच जागरूकता फैलाई जा सके। हमें इस वातावरण में भाग लेना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण संरक्षण के तरीके और सभी बुरी आदतें हमारे पर्यावरण दिवस को नुकसान पहुंचा सकें।

हम अपने पर्यावरण को पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदमों से बहुत ही आसान तरीके से बचा सकते हैं; कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, कचरे को ठीक से बदलने के लिए, पॉली बैग के उपयोग को रोकने के लिए, पुरानी वस्तुओं को नए तरीके से पुनर्चक्रण करने के लिए, टूटी हुई वस्तुओं की मरम्मत और पुनर्चक्रण, रिचार्जेबल बैटरी या फ्लोरोसेंट रोशनी का उपयोग करना। बारिश के पानी को बचाने, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा बचाने और बिजली के उपयोग को कम करने के लिए अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें।

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पर्यावरण पर निबंध 500 शब्द (Essay On Environment 500 Words in Hindi)

पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे चारों ओर प्राकृतिक है। आज यह प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय गतिविधियों से खतरे में है। पेड़, जंगल, झीलें, नदियाँ, प्राकृतिक पर्यावरण के कुछ प्रमुख घटक हैं, जबकि सड़कों, कारखानों और कंक्रीट के ढांचे आदि का निर्माण पर्यावरण के अतिक्रमण के उदाहरण हैं। मानवीय हस्तक्षेप के कारण हमारे चारों ओर का प्राकृतिक वातावरण समाप्त होता जा रहा है।

पर्यावरण अनमोल है

‘पर्यावरण अनमोल है’; इस दावे को प्रमाणित करने के लिए कम से कम दो मुख्य स्पष्टीकरण हैं। पहला यह है कि आज हम जिस प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं, जैसे नदियों, झीलों, जंगलों, पहाड़ियों, भूजल संसाधनों आदि को वर्तमान अवस्था में आने में हजारों या लाखों साल लग गए हैं। पर्यावरण की बहुमूल्यता को प्रमाणित करने का दूसरा तर्क यह है कि यह स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए अति आवश्यक है। मुझे थोड़ा विस्तार से बताएं।

कोई भी वनाच्छादित क्षेत्र जिसे आप जानते हैं वह आपके बचपन से रहा है, शायद हजारों वर्षों में विकसित हुआ है। एक प्राकृतिक जंगल को अपनी पूर्ण महिमा में आने और उस सभी जैव विविधता का समर्थन करने में इतने सालों लगते हैं। लेकिन जब किसी जंगल को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए काटा जाता है, तो चीजें कभी भी वैसी नहीं रहतीं, भले ही जंगल को फिर से बढ़ने का उचित मौका दिया जाए। अफसोस की बात है कि जैव विविधता के नुकसान की भरपाई कभी नहीं की जा सकती, चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें।

यही स्थिति पर्यावरण के अन्य तत्वों के साथ भी है। जिस भूजल का हम प्रतिदिन उपयोग करते हैं, वह हजारों वर्षों की अवधि में निर्मित हुआ है। इसका मतलब है कि भूजल के किसी भी अपशिष्ट को फिर से भरने में सदियों लगेंगे।

जीवन और पर्यावरण

हम रोज़मर्रा के कामों में इतने मशगूल हैं कि हमें उस हंगामे के पीछे की असली ताकत का एहसास नहीं होता, जो हमें चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है। हम सोचते हैं कि हमारी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं हमें प्रेरित करती हैं, लेकिन यह केवल आधा सच है। महत्वाकांक्षाएं और कुछ नहीं बल्कि मन के लक्ष्य हैं जो हम अपने लिए निर्धारित करते हैं, लेकिन हम उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं, केवल इसलिए कि हमारा पर्यावरण स्वास्थ्य में हमारा समर्थन करता है।

यह हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक आवश्यकताएं प्रदान करता है – ऑक्सीजन, पानी, भोजन, वायु और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन। हम एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। क्योंकि, अगर हम ऐसा करते हैं, तो पृथ्वी पर कोई जीवन नहीं होगा, एक कठिन जीवन के बारे में भूल जाओ।

सौभाग्य से, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसमें अभी भी 20% ऑक्सीजन सांद्रता द्वारा होती है, जबकि मनुष्यों को सांस लेने या अधिक विशिष्ट होने के लिए – ‘जीने के लिए’ लगभग 19.5% ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हालाँकि, जिस दर से हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, टेबल जल्दी से पर्याप्त रूप से बदल सकते हैं, मरम्मत के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे।

महासागरों से समुद्री ऑक्सीजन की हानि पहले से ही मछलियों और अन्य समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व के लिए खतरा है। समुद्र में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारक जलवायु परिवर्तन और पोषक तत्व प्रदूषण हैं। जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों का परिणाम है और यह समग्र रूप से पर्यावरण के लिए भी खतरा है।

ये परिवर्तन संभवत: अलार्म कॉल हैं जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान के खिलाफ मानवता को चेतावनी देते हैं। स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण के बिना, ग्रह पर किसी भी तरह के जीवन के बारे में सोचना भी बेकार होगा। अगर पर्यावरण को नुकसान होता रहा तो पृथ्वी की सारी सुंदरता गायब हो जाएगी।

यह संदेह से परे है कि ग ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक है और जब तक अपने मूल रूप और आकार में रहता है, जीवन फलता-फूलता रहेगा। लेकिन, अगर यह एक निश्चित स्तर से अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है तो धीरे-धीरे भूमि और समुद्री जीवन समाप्त हो जाएगा, जिससे ग्रह बेजान हो जाएगा। इसलिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान की जांच करना और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पर्यावरण क्यों महत्वपूर्ण है.

पर्यावरण हर किसी के जीवन में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। यह सभी जीवों का एकमात्र घर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरण हवा, भोजन, पानी और आश्रय प्रदान करता है।

मानव द्वारा किन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है?

मनुष्य पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों का प्रमुख उपभोक्ता है। वे जानवरों और पौधों से खाद्य उत्पाद प्राप्त करते हैं। वस्त्र मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। वह फिर से उन्हीं उल्लिखित संसाधनों से कपड़े प्राप्त करता है।

मनुष्य पर्यावरण को कैसे खराब करेंगे?

मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण का प्रमुख कारण है। आदमी की जरूरत ने दुनिया भर के आधे से ज्यादा जंगलों का सफाया कर दिया है। फलस्वरूप आज बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आम हो गई हैं।

एक पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?

एक पारिस्थितिकी तंत्र एक बड़ा समुदाय है जिसमें जीवन के कुछ या सभी रूप एक साथ मिलकर जीवन यापन करते हैं। पृथ्वी पर एक स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र है। पेड़, पौधे, झाड़ियाँ बड़े और छोटे जानवर, कीड़े एक साथ रहते हैं और एक दूसरे पर निर्भर हैं। वन जानवरों का प्राकृतिक आवास है। जानवरों को उनके प्राकृतिक घर से बाहर निकालना उनके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी आपदा होगी।

वनों की कटाई क्या है?

निर्माण, कृषि भूमि और शहरीकरण जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए दुनिया भर में पेड़ों को काटना। यह प्राकृतिक पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।

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World Environment Day 2024: विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध, Essay on in Hindi

World environment day 2024 essay: विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध यहां प्राप्त करें। स्कूल में अपने विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध तैयार करने के लिए इन निबंधों का उपयोग करें। जानिए पर्यावरण दिवस की विशिष्टताएं i.

Atul Rawal

Essay on World Environment Day 2024 in Hindi: निबंध किसी खास विषय पर बच्चों के ज्ञान और रचनात्मकता को सामने लाने का सबसे अच्छा तरीका है। वे जो विचार लिखते हैं, वे उनकी समझ और रुचि को व्यक्त करते हैं, जिससे शिक्षकों और माता-पिता को उसी के अनुसार प्रयास करने में मदद मिलती है।

100 Words World Environment Day Essay in Hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (100 शब्द)

150 words world environment day essay in hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (150 शब्द), 200 words world environment day essay in hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (200 शब्द).

पर्यावरण के महत्व को रेखांकित करने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद 1973 में हुई थी। इस दिवस के ज़रिए पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी जैसी समस्याओं पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल एक अलग विषय चुना जाता है, जो किसी खास पर्यावरणीय चुनौती पर फोकस करता है। इस दिवस पर वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान, जागरूकता कार्यक्रम आदि का आयोजन किया जाता है।

250 Words World Environment Day Essay in Hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (250 शब्द)

पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद 1973 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा की गई थी। इस दिवस के ज़रिए पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी जैसी गंभीर समस्याओं पर वैश्विक चर्चा को बढ़ावा दिया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल एक अलग विषय चुना जाता है, जो किसी खास पर्यावरणीय चुनौती पर फोकस करता है। इस साल के विषय (वर्ष 2024 का विषय डालें) के ज़रिए (विषय से जुड़ी समस्या का संक्षिप्त वर्णन) पर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।

300 Words World Environment Day Essay in Hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (300 शब्द)

पृथ्वी हमारा एकमात्र घर है, जो जीवन को संभव बनाता है। हरे-भरे जंगल, स्वच्छ वायु, निर्मल जल और विविध जीव-जंतु मिलकर इस धरती को एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करते हैं। यह तंत्र ही हमारे अस्तित्व का आधार है। वायु हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्रदान करती है, पेड़ पौधे कार्बन डाईऑक्साइड सोखकर वायु को शुद्ध करते हैं, नदियाँ हमें जीवनदायी जल देती हैं और जीव-जंतु पारिस्थितिकी तंत्र की खाद्य श्रृंखला को बनाए रखते हैं।

दुर्भाग्यवश, आज हमारी पृथ्वी खतरे में है। प्रदूषण, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं लगातार गंभीर होती जा रही हैं। इन समस्याओं के कारण न सिर्फ पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है बल्कि जैव विविधता का भी तेजी से ह्रास हो रहा है। यदि हमने समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं ढूंढा तो इसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ेगा।

इसलिए विश्व पर्यावरण दिवस, जो हर साल 5 जून को मनाया जाता है, हमारे लिए एक महत्वपूर्ण जागरूकता दिवस है। इस दिन पर्यावरण की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा दिया जाता है। भारत सरकार भी पर्यावरण संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण पहल कर रही है। स्वच्छ भारत अभियान, नमामि गंगे परियोजना, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना आदि ऐसे ही कुछ प्रयास हैं।

व्यक्तिगत स्तर पर भी हम पर्यावरण को बचाने में योगदान दे सकते हैं। जल और बिजली की बचत, प्लास्टिक का कम से कम उपयोग, पेड़ लगाना, कचरे का निपटान सही तरीके से करना आदि छोटे-छोटे कदम पर्यावरण की रक्षा में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाकर हम दूसरों को भी इसमें शामिल कर सकते हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी हमारा अनमोल खजाना है। इसे बचाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। "हमारी धरती, हमारा भविष्य" विषय के साथ इस वर्ष का विश्व पर्यावरण दिवस हमें भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता पर ध्यान देने का संदेश देता है। आइए, हम सब मिलकर अपनी पृथ्वी को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने का संकल्प लें। यह न सिर्फ हमारे लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा।

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पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000) लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पर्यावरण का अर्थ, पर्यावरण का महत्व, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से लाभ और हानि, पर्यावरण और जीवन, पर्यावरण प्रौद्योगिकी प्रगति और प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi)

प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और विकास के नाम पर उसे खतरे में डाल दिया है। विज्ञान की बढ़ती प्रकृति ने एक और तो हमारे लिए सुख- सुविधा में वृद्धि की है तो दूसरी ओर पर्यावरण को दूषित करके मानव के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

पर्यावरण का अर्थ Meaning of Environment 

“अमृत बांटें कर विष पान, वृक्ष स्वयं शंकर भगवान।”पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पर +आवरण जिसका अर्थ है हमारे चारों ओर घिरे हुए वातावरण।

पर्यावरण और मानव का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। पर्यावरण से मनुष्य की  भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण का महत्व Importance of Environment in Hindi

पर्यावरण से ही हम हैं, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव- जंतु, प्राकृतिक, वनस्पतियों, पेड़- पौधे, जलवायु, मौसम सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित है।

पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है, और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ  उपलब्ध कराता है।

विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day 

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

5 जून 1973 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

पर्यावरण से लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Environment in Hindi

पर्यावरण से लाभ advantages of environment in hindi.

पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है। पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण में जैविक,  अजैविक, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वस्तु का समावेश होता है।

प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।जो हवा हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जिस के सिवा हम जी नहीं सकते और जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं, पेड़ पौधे उनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है।

यह सब प्राकृतिक चीजें हैं जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती हैं। वह पर्यावरण के अंतर्गत ही आती हैं। पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है, और दिमाग को शांति मिलती है। पर्यावरण से ही हमारे अनेक प्रकार की बीमारी भी दूर होती है।

पर्यावरण मनुष्य, पशुओं और अन्य जीव चीजों को बढ़ाने और विकास होने में मदद करती है। मनुष्य भी पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण का एक घटक होने के कारण हमें भी पर्यावरण का एक संवर्धन करना चाहिए।

पर्यावरण पर हमारा यह जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा।

और पढ़ें: जल संरक्षण पर निबंध

पर्यावरण से हानि Disadvantages of Environment in Hindi

आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पर्यावरण की प्रकृति नष्ट हो रही है। हर जगह जहां घने वृक्ष हैं उन्हें काट कर वहां बड़ी इमारत बनाए जा रहे हैं।

गाड़ी की धुआ, फैक्ट्री मे मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल इन सब की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण हो रहा है। यह एक चिंता का विषय बन चुका है यह अत्यंत घातक है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और हमारा शरीर हमेशा बिगड़ रहा है।

वही आज जहां विज्ञान में तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार है। आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी करण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।

मनुष्य  अपने स्वार्थ के चलते पेड़ पौधों की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वाल्मिग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।

  • पेड़ों का महत्व समझ कर हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें  छाया प्रदान करते हैं। घने वृक्ष पशु पक्षी का भी निवास स्थान है। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

पर्यावरण और जीवन Environment and life in Hindi

पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भर है। पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुंत तरक्की कर ली हो।

लेकिन प्रकृति में जो हमें उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है। इसीलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व है, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है, और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण Environment, Technology, Progress and Pollution in Hindi

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे ना सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है। लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की है जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय Environmental protection measures in Hindi

  • उद्योग से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धोएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए। 
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों को निपटाने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए जागरूकता फैलाने चाहिए।

हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। यह पर्यावरण संतुलन के लिए ही बनाया गया एक उपक्रम है।

इस तरह हमें अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए। लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण एक शांतिपूर्ण और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है। 

पर्यावरण पर 10 लाइन 10 Line on Environment in Hindi

  • पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परिधान +आवरण इसका अर्थ होता है हमारे चारों ओर् घिरे हुये वातावरण।
  • पर्यावरण और मानव का संबंध घनिष्ठ है।
  • पर्यावरण से ही हम हैं हर किसी के जीवन  के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है।
  • पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
  • पर्यावरण आसिफ जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि, जीवन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराता है।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
  • पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है।
  • प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।
  • पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
  • घने वृक्ष पशु-पक्षी का निवास स्थान है। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमेशा या प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

पर्यावरण के प्रति हम सब को जागरूक होने की आवश्यकता है। पेड़ों की हो रही है अंधाधुन कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना और हमारा कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में ही रहकर स्वास्थ्य मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।आशा करते हैं आपको हमारा पर्यावरण पर निबंध अच्छा लगा होगा।

1 thought on “पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)”

आपने पर्यावरण पर जो निबंध लिखा है सचमुच ही हृदय को छू लेने वाला है। अगर जन-जन में यह क्रांति फैलाई जाए की मनुष्य जहां- जहां घर बनाते हैं वहां 6 फुट का जगह छोड़ना चाहिए और एक आम और नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।

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Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)

  • by Rohit Soni
  • Essay , Education
  • 11 min read

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य अथवा पर्यावरण प्रदूणण समस्या और निदान पर निबंध।

Table of Contents

पर्यावरण किसे कहते हैं? उदाहरण सहित

पर्यावरण शब्द ‘ परि ‘ + ‘ आवरण ‘ से मिलकर बना है। परि का अर्थ है चारों ओर तथा आवरण का अर्थ घेरा होता है। अर्थात् हमारे चारों ओर जो कुछ भी दृश्यमान एवं अदृश्य वस्तुएँ हैं, वही पर्यावरण है। दूसरे शब्दों में हमारे आस-पास जो भी पेड़-पौधें, जीव-जन्तु, जल, वायु, प्रकाश, मिट्टी आदि तत्व हैं वही हमारा पर्यावरण है।

Essay Environment in Hindi पर्यावरण पर निबंध (पर्यावरण संरक्षण / प्रदूषण)

इसके कुछ अन्य शीर्षक इस प्रकार से हैं जिस पर इस निबंध को लिखा जा सकता है-

  • प्रदूषण की समस्या
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • पर्यावरण प्रदूषण समस्या और निदान
  • प्रदूषण कारण और निदान
  • पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्व
  • पर्यावरण का जीवन में महत्व

Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)

पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में (पर्यावरण पर निबंध 10 लाइन)

पर्यावरण – हमारा जीवन

  • पृथ्वी के चारों ओर फैले आवरण को ही पर्यावरण कहते हैं।
  • धरती पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है।
  • पर्यावरण के अंतर्गत हवा, पानी, पेड़-पौधे इत्यादि आते हैं।
  • किसी सजीव प्राणी के जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्व पर्यावरण से ही उपलब्ध होते हैं।
  • प्राकृतिक व कृत्रिम आपदा के वजह से दिन प्रति दिन पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  • भविष्य में जीवन को बचाये रखने के लिए हमें पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा।
  • वृक्षारोपण करना पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के कारगर उपाय है।
  • यह पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
  • 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

यह भी जानें चंद्रयान-3 कब पहुचेगा चाँद पर

पर्यावरण पर निबंध 600 शब्द (Paryavaran par Nibandh)

“पर्यावरण है जीवन का आधार। इसके बिना है जीवन बेकार।।”

[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) प्रदूषण के विभिन्न प्रकार, (3) प्रदूषण की समस्या का समाधान, (4) उपसंहार ।]

प्रस्तावना-

प्रदूषण पर्यावरण में फैलकर उसे प्रदूषित बनाता है और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ता है। इसलिए हमारे आस-पास की बाहरी परिस्थितियाँ जिनमें वायु, जल, भोजन और सामाजिक परिस्थितियाँ आती हैं; वे हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालती हैं। प्रदूषण एक अवांछनीय परिवर्तन है; जो वायु, जल, भोजन, स्थल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों पर विरोधी प्रभाव डालकर उनको मनुष्य व अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक एवं अनुपयोगी बना देता है। जो जीवधारियों के लिए किसी-न-किसी रूप में हानिकारक होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं।

प्रदूषण के विभिन्न प्रकार-

प्रदूषण निम्नलिखित रूप में अपना प्रभाव दिखाते हैं

(1) वायु प्रदूषण – वायु मण्डल में गैसों का एक निश्चित अनुपात होता है, और जीव-जंतु अपनी क्रियाओं तथा साँस के द्वारा ऑक्सीजन और कार्बन डाइ ऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखते हैं। किन्तु मनुष्य अज्ञानवश आवश्यकता के नाम पर इन सभी गैसों के सन्तुलन को बिगाड़ रहा है। वह वनों को काटता है जिससे वातावरण में ऑक्सीजन कम होती है। कारखानों से निकलने वाली कार्बन डाइ-ऑक्साइड, क्लोराइड, सल्फर-डाई-ऑक्साइड आदि विभिन्न गैसें वातावरण में बढ़ जाती हैं। जो विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभाव मानव शरीर पर डालती हैं। यह प्रदूषण फेफड़ों में कैंसर, अस्थमा, हृदय सम्बन्धी रोग, आँखों के रोग, तथा मुहासे जैसे रोग फैलाता है।

(2) जल प्रदूषण- जल के बिना कोई भी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे जीवित नहीं रह सकते। इस जल में भिन्न-भिन्न खनिज तत्व, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं, जो एक विशेष अनुपात में होती हैं। वे सभी के लिए लाभकारी होती हैं, लेकिन जब इनकी मात्रा अनुपात में बदलाव हो जाता है; तो जल प्रदूषित हो जाता है और हानिकारक बन जाता है। अनेक रोग पैदा करने वाले जीवाणु, वायरस, औद्योगिक संस्थानों से निकले पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, खाद आदि जल प्रदूषण के कारण हैं। प्रदूषित जल से टायफाइड, पेचिस, पीलिया, मलेरिया इत्यादि अनेक रोग के कारण बनते हैं।

(3) रेडियो धर्मी प्रदूषण – परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का सम्पूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है और वह वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए भी हानिकारक सिद्ध हुआ है। इससे धातुएँ पिघल जाती हैं और वह वायु में फैलकर उसके झोंकों के साथ सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त हो जातीं हैं तथा भिन्न-भिन्न रोगों से लोगों को ग्रसित बना देती हैं।

(4) ध्वनि प्रदूषण- आज ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो रही है। उसकी नींद बाधित हो रही है, जिससे नींद न आने के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर, सायरन और मशीनें अपनी ध्वनि से सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित बना रहे हैं। इससे छोटे-छोटे कीटाणु नष्ट हो रहे हैं और बहुत-से पदार्थों का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है।

(5) रासायनिक प्रदूषण – आज कृषक अपनी कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों, कीटनाशक और रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग कर रहा है। अतः जिससे उत्पन्न खाद्यान्न, फल, सब्जी, पशुओं के लिए चारा आदि मनुष्यों तथा भिन्न-भिन्न जीवों के पर घातक प्रभाव डालते हैं और उनके शारीरिक विकास पर भी इसके दुष्परिणाम होते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

आज औद्योगीकरण ने इस प्रदूषण की समस्या को अति गम्भीर बना दिया है। इस औद्योगीकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न प्रदूषण को व्यक्तिगत और शासकीय दोनों ही स्तर पर रोकने के प्रयास आवश्यक हैं। भारत सरकार ने सन् 1974 ई. में जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम लागू कर दिया है जिसके अन्तर गत प्रदूषण को रोकथाम के लिए अनेक योजनाएँ बनायी गई हैं। प्रदूषण को रोकने का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय है वनों का संरक्षण। साथ ही, नए वनों का लगाया जाना तथा उनका विकास करना भी वन संरक्षण ही है। जन-सामान्य में वृक्षारोपण की प्रेरणा दिया जाना, इत्यादि प्रदूषण की रोकथाम के उपाय हैं।

पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। प्रकृति ने हमें जो उपहार दिया है उसे हिफाजत करना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए हमें सभी तरह उपाय करने चाहिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा। जिससे प्रदूषण को नियंत्रित रखा जा सके। इस विषय में किसी कवि ने अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं।

“प्रकृति का अनमोल खजाना, सब कुछ है उपलब्ध यहाँ। लेकिन यदि यह नष्ट हुआ तो, जायेगा फिर कौन कहाँ ॥”

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) – Essay on Environment in Hindi

“जब सुरक्षित होगा पर्यावरण हमारा, तभी सुरक्षित होगा जीवन हमारा। “

[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) पर्यावरण प्रदूषण, (3) प्रदूषण का घातक प्रभाव, (4) पर्यावरण संरक्षण (5) उपसंहार ।]

प्रस्तावना –

ईश्वर ने प्रकृति की गोद में उज्ज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान दिया है। परन्तु मानव प्रकृति पर अपना आधिपत्य जमाने की धुन में वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर प्रकृति को भारी क्षति पहुँचा रहा है। प्रकृति की गोद में विकसित होने वाले फल-फूल, सुन्दर लताएँ, हरे-भरे वृक्ष तथा चहचहाते पक्षी, अब उसके आकर्षण के केन्द्र बिन्दु नहीं रहे। प्रकृति का उन्मुक्त वातावरण अतीत के गर्भ में विलीन हो गया। मानव मन की जिज्ञासा और नयी-नयी खोजों की अभिलाषा ने प्रकृति के सहज कार्यों में हस्तक्षेप करना प्रारम्भ किया है। अतः पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। यह प्रदूषण मुख्यत: चार रूपों में दिखायी पड़ता है –

  • ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

वैज्ञानिक प्रगति और प्रदूषण समस्या-वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर मनुष्य ने प्रकृति के सहज-स्वाभाविक रूप को विकृत करने का प्रयास किया है। इससे पर्यावरण में अनेक प्रकार से प्रदूषण हुआ है और यह जीवो के लिए यह किसी भी प्रकार से हितकर नहीं है। पर्यावरण एक व्यापक शब्द है, जिसका सामान्य अर्थ है – प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण। इसके अन्तर्गत जल, वायु, भूमि, पेड़-पौधे, पर्वत तथा प्राकृतिक सम्पदा और परिस्थितियाँ आदि का समावेश होता है।

पर्यावरण प्रदूषण –

“साँस लेना भी अब मुश्किल हो गया है, पर्यावरण इतना प्रदूषित हो गया है।”

मानव ने खनिज और कच्चे माल के लिए खानों की खुदाई की, धातुओं को गलाने के लिए कोयले की भट्टियाँ जलायीं तथा कारखानों की स्थापना करके चिमनियों से ढेर सारा धुआँ आकाश में पहुँचाकर वायुमण्डल को प्रदूषित किया। फर्नीचर और भवन-निर्माण के लिए, उद्योगों और ईंधन आदि के लिए जंगलों की कटाई करके स्वच्छ वायु का अभाव उत्पन्न कर दिया। इससे भूमि क्षरण और भूस्खलन होने लगा तथा नदियों के जल से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई।

“वृक्ष धरा के भूषण हैं, करते दूर प्रदूषण हैं।। “

कल-कारखानों और शोधक कारखानों के अवशिष्ट गन्दे नालों में बहकर पवित्र नदियों के जल को दूषित करने लगे । विज्ञान निर्मित तेज गति के वाहनों दूषित धुआँ तथा तीव्र ध्वनि से बजने वाले हॉर्न और सायरनों की कर्ण भेदी ध्वनि से वातावरण प्रदूषित होने लगा । कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से अनेक प्रकार के रोगों और विषैले प्रभावों को जन्म मिला। इस प्रकार वैज्ञानिक प्रगति पर्यावरण प्रदूषण में सहायक बनी।

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण व्यक्तिगत लापरवाही और लोगों की अज्ञानता है। हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति को नष्ट कर रहे हैं, अनावश्यक वस्तुओं का अधिक उपयोग कर रहे हैं और इससे पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं। हम अपनी बदलती जीवनशैली के चलते इसे नजरंदाज कर रहे हैं, जिसका परिणाम हमारे पर्यावरण का बिगड़ता हुआ स्वरूप है।

हमारी तरही की भ्रांतियों ने हमें अपनी प्राकृतिक संपदाओं की महत्वपूर्णता से अनजान रखा है। हम वनों को कटते हैं, नदियों को प्रदूषित करते हैं, वायुमंडल में विषाणुओं को छोड़ते हैं और पृथ्वी की खाद्य संसाधनों को उचित तरीके से उपयोग नहीं करते हैं। हमने पर्यावरण को अपने आनंदों और आवश्यकताओं की भूमिका से बाहर निकाल दिया है।

हमारी लापरवाही और संघर्ष के बिना, पर्यावरण प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। हमें जागरूकता फैलानी चाहिए, संघर्ष करना चाहिए, और समुदाय के साथ मिलकर संघर्ष करना चाहिए। हमें अपनी आदतों को परिवर्तित करना चाहिए, प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षा के लिए संघर्ष करना चाहिए और समृद्ध और स्वच्छ पृथ्वी के लिए समर्पित होना चाहिए। हमारी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य के लिए, चलो हम सब मिलकर पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारणों को दूर करने का संकल्प लें और हमारी प्रकृति को संरक्षित करने के लिए संघर्ष करें।

प्रदूषण का घातक प्रभाव –

आधुनिक युग में सम्पूर्ण संसार पर्यावरण प्रदूषण से पीड़ित है। हर साँस के साथ प्रदूषण का जहर शरीर में प्रवेश होता है और तरह-तरह की बीमारियाँ पनपती जा रही हैं। इस सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि प्रदूषण की इस बढ़ती हुई गति से एक दिन यह पृथ्वी, प्राणी तथा वनस्पतियों से विहीन हो सकती है और जीवों का ग्रह पृथ्वी एक बीती हुई कहानी बनकर रह जायेगी।

पर्यावरण संरक्षण –

दिनों-दिन बढ़ते प्रदूषण की आपदा से बचाव का मार्ग खोजना आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण के लिए संपूर्ण मानव जाति को एक साथ मिलकर प्रयास करना होगा। वृक्षों की रक्षा करके इस महान् संकट से छुटकारा पाया जा सकता है। पेड़-पौधे हानिकारक गैसों के प्रभाव को नष्ट करके प्राण-वायु प्रदान करते हैं, भूमि के क्षरण को रोकते हैं और पर्यावरण को शुद्ध करते हैं।

उपसंहार –

पर्यावरण की सुरक्षा और उचित सन्तुलन के लिए हमें जागरूक और सचेत होना अत्यंत आवश्यक है। जल, वायु, ध्वनि तथा पृथ्वी के प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को नियन्त्रित कर धीरे-धीरे उसे समाप्त करना आज के युग की परम आवश्यका बन गई है। यदि हम शुद्ध वातावरण में जीने की आकांक्षा रखते हैं तो पृथ्वी तथा पर्यावरण को शुद्ध तथा स्वच्छ बनाना होगा, तभी स्वस्थ नागरिक बन सकेंगे और सुखी, शान्त तथा आनन्दमय जीवन बिता सकने में समर्थ होंगे। इस प्रकार शुद्ध पर्यावरण का जीवन में विशेष महत्व है।

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF

पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में (पर्यावरण पर निबंध 10 लाइन)

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FAQ Environmental

पर्यावरण के प्रकार.

1. भौतिक पर्यावरण या प्राकृतिक पर्यावरण 2. जैविक पर्यावरण 3. मनो-सामाजिक पर्यावरण

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें? इसके लिए हमारी इस पोस्ट को देखें।

चंद्रयान 3 पर निबंध 100, 300, 500 शब्दों में | Chandrayaan 3 Essay in Hindi

Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya   पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके। View Author posts

4 thoughts on “Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)”

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Sakshi kushwaha Thank You for comment.

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Thanks sir nice essay

Welcome to my blog and keep reading.

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पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in Hindi) - पर्यावरण पर निबंध कैसे लिखें

पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in hindi) - विश्व पर्यावरण दिवस (डब्ल्यूईडी) हमारे पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 5 जून को मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में पूछे जाने वाले प्रश्नों में सामान्य प्रश्न है। पर्यावरण दिवस पर निबंध (Environment Day Essay in hindi) लिखना जितना आसान है उतना ही चुनौतीपूर्ण भी है, क्योंकि इसका विषय इतना व्यापक है कि कम शब्दों में समेटना गागर में सागर जैसा है। स्टूडेंट्स की सुविधा के लिए पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day hindi) को अधिक प्रभावी तथा सुव्यवस्थित करने में इस लेख को तैयार किया गया है ताकि परीक्षा या किसी प्रतिस्पर्धा से पहले इस विषय पर तैयारी में मदद मिले।

विश्व पर्यावरण दिवस 2024 के लिए थीम और मेजबान देश

पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर होने वाले सम्मलेन -, पर्यावरण संरक्षण के कुछ उपाय -, वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे पर निबंध (essay on world environment day in hindi) - विश्व पर्यावरण दिवस पर संदेश, पर्यावरण दिवस का क्या महत्व है, पर्यावरण दिवस का जनक कौन है, भारत में पारिस्थितिकी का जनक किनको कहा जाता है, पर्यावरण की 6 थीम क्या है, पहला पर्यावरण दिवस कौन सा था, विश्व पर्यावरण दिवस पर आप अपना योगदान कैसे दे सकते हैं.

पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in Hindi) - पर्यावरण पर निबंध कैसे लिखें

विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को दुनिया भर के 100 से ज़्यादा देशों में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की मौजूदा स्थितियों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन लोग मिलकर अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं। हर साल, किसी खास थीम या पर्यावरण संबंधी मुद्दे पर प्रकाश डाला जाता है और प्रतिभागी इसे संबोधित करने के लिए कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताते हैं। यहाँ ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ विषय पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

इससे विभिन्न स्तर पर आयोजित किए जाने वाले पर्यावरण दिवस पर निबंध (Environment Day Essay hindi) प्रतियोगिता या फिर विद्यालय में पर्यावरण दिवस से संबंधित होमवर्क को पूरा करने में भी इससे सहायता होगी। पर्यावरण दिवस पर निबंध पीडीएफ़ के तौर पर इस लेख को डाउनलोड भी कर सकते हैं, ताकि आपको भविष्य में संदर्भ के तौर पर इसकी मदद ली जा सके। चूंकि पर्यावरण दिवस पर लेख (Essay on Environment Day in hindi) लिखना काफी कठिन है क्योंकि यह विषय काफी व्यापक है। ऐसे में पर्यावरण पर निबंध (Essay on Environment Day in hindi) के इस लेख में हम उन सभी पहलुओं का समायोजन करने का प्रयास कर रहें है, जो इस विषय के लिए महत्वपूर्ण हैं।

पर्यावरण पर निबंध (paryavaran diwas par nibandh) का यह लेख उन सभी छात्रों के लिए लाभदायक होगा जो पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (environment day essay in hindi) लिखना चाहते हैं या इस विषय के प्रति अपनी जानकारी में बढ़ोतरी करना चाहते है। इस लेख में दिए गए पर्यावरण दिवस पर निबंध के माध्यम से छात्रों को पर्यावरण दिवस जैसे विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। पर्यावरण दिवस पर हिंदी में निबंध (Essay on Environment Day in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से छात्र निबंध लिखने की कला सिख पाएंगे। इसके साथ ही ऐसे स्कूल में अध्ययनरत छात्रों को भी इस लेख से मदद मिलेगी जो विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध हिन्दी में (Essay on Environment Day in hindi) लिखने में किसी प्रकार का संदर्भ या सहायता की तलाश कर रहे हैं।

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पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in Hindi) - पर्यावरण क्या है?

इस प्रश्न ने स्वतः में बहुत से तत्वों का समावेश कर रखा है। मूलतः पर्यावरण हमारे आस-पास का परिवेश है, जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। सरल शब्दों में कहें तो सभी तत्व तथा परिस्थितियां जो प्राकृतिक तौर पर हमारे चारों ओर मौजूद हैं पर्यावरण (Environment) कहलाती हैं। पर्यावरण (Environment) को विभिन्न विषयों में प्राकृतिक वास, जनसंख्या पारिस्थितिकी एवं जीवमंडल जैसी शब्दावली से जाना जाता है। पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – परि और आवरण। परि का तात्पर्य है 'हमारे चारों ओर' तथा आवरण का अर्थ है 'परिवेश'। अर्थात हमारे चारों ओर पृथ्वी पर फैली प्रत्येक वस्तु हमारे पर्यावरण (Environment) का हिस्सा है। यह मूलतः मौलिक और जैविक तत्वों के पारस्परिक संबंध से बना है। पर्यावरण (Environment) के मौलिक तत्वों में स्थान, भू आकृतियाँ, जलाशय, जलवायु, जलअपवाह, शैल, मृदा, खनिज संपत्ति आदि सम्मिलित है, जबकि जैविक तत्व में मानव, पशु, पक्षी एवं वनस्पति सम्मिलित हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस हमारे सामने आने वाली पर्यावरणीय चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी के मद्देनजर हर साल 5 जून को दुनिया भर में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों को कार्रवाई करने और अधिक टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करना रहता है।

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पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on Environment Day in Hindi)

पर्यावरण दिवस - हमारी पृथ्वी जो हमारा घर है, जहां हम मनुष्य, पशु-पक्षी, पौधे निवास करते हैं, इसके ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून, 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था। जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना तथा साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया। साल 2021 में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सहयोग से विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की मेजबानी “पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण” विषय के साथ की थी।

पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण विषय के साथ साल 2021 से साल 2030 तक संयुक्त राष्ट्र दशक की घोषणा भी की गई थी, जिसका उद्देश्य हमारे पर्यावरण (Environment) को हुई क्षति की भरपाई करना हैं। चाहे वह जंगल हो, पहाड़ हो, मरुभूमि या सागर हो, प्रत्येक का पुनर्निर्माण करना इस दशक का उद्देश्य रखा गया।

हाल के दिनों में जिस तरह से गर्मी और तापमान बढ्ता जा रहा है, पर्यावरण दिवस का महत्व भी बढ़ रहा है। 2024 में भारत की राजधानी दिल्ली में 29 मई को पारा रिकॉर्ड 52.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसने देश में सर्वाधिक गर्म दिन का रिकॉर्ड बनाया। हालांकि मौसम विभाग का कहना था कि पारा मापने की मशीन में कुछ गड़बड़ी के चलते ऐसा हुआ है। इससे पहले राजस्थान केफलौदी में 2016 में तापमान 51 डिग्री सेल्सियस था जो देश में अब तक का सबसे ऊंचा तापमान था। इसी तरह देश के अन्य राज्यों यूपी, बिहार, पंजाब, राजस्थान में भी भीषण गर्मी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी हैऔर ऐसे में लोगों को पर्यावरण का महत्व समझ में आ रहा है। पर्यावरण में असंतुलन ने लोगों के जनजीवन पर गहरा प्रभाव डाला है।

इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का विषय या थीम भूमि पुनर्स्थापन मरुस्थलीकरण और सूखा लचीलापन (Land restoration, desertification and drought resilience) है। मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार, दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत भूमि वर्तमान में क्षरण के दायरे में है, जो सीधे दुनिया के आधे निवासियों को प्रभावित कर रही है और दुनिया के लगभग 50 प्रतिशत आर्थिक उत्पादन के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर रही है, जो लगभग 44 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है। 2000 के बाद से सूखे की आवृत्ति और लंबाई में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। त्वरित हस्तक्षेप के बिना, सूखा 2050 तक वैश्विक आबादी के तीन-चौथाई से अधिक की आजीविका को खतरे में डाल सकता है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और सऊदी अरब ने घोषणा की कि भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे के लचीलेपन पर ध्यान देने के साथ सऊदी अरब विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की मेजबानी करेगा। विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है और पिछले पांच दशकों में यह दिन पर्यावरण जागरूकता के लिए सबसे बड़े वैश्विक मंचों में से एक बन गया है। पृथ्वी के संसाधनों का दोहन करने के कारण होने वाली क्षति को रोकने और पृथ्वी को बचाने के लिए इस साल विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता को लेकर चल रही तैयारियों में कई मुद्दों और आ रही परेशानी पर समाधान को लेकर चर्चाएं हो रही है। इन्हीं में एक है प्रैक्टिकल गाइड, जिसे छात्र पर्यावरण दिवस पर हो रही गतिविधियों के लिए बने लिंक https://www.worldenvironmentday.global/2024-updates# पर देख सकते हैं। इनवायरनमेंट डे प्रैक्टिकल गाइड पीडीएफ देखने के लिए नीचे दिए फोटो लिंक पर क्लिक करें।

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हमें विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाने की आवश्यकता क्यों है?

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की शुरुआत: मानव द्वारा अपने हित के लिए लगातार पृथ्वी के संसाधनों का दोहन करने के कारण होने वाली क्षति को रोकने और पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरण दिवस (Environment Day) की शुरुआत की गई। मानव ने पिछले 200 वर्षो में अपनी उन्नति और प्रगति के नाम पर प्रकृति का जो शोषण किया है, उसी का परिणाम है जो आज हम अपने पर्यावरण में परिवर्तन देख रहें है। यदि इस पर अब भी दृढ़ता के साथ विचार नहीं किया गया, तो आने वाले समय में हमें इसके भयंकर परिणाम भुगतने होंगे। इस विषय को लेकर विश्व में जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण करने के लिए हर वर्ष 5 जून को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानी अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है।

पर्यावरण दिवस (Environment Day) विषय की गंभीरता - मानव ने हमेशा अपने विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का प्रयास किया है, इसके लिए विश्व के सभी देश अपनी प्रगति के लिए प्रकृति के संसाधनों का वहन कर रहें है, जिसका परिणाम है कि प्रदूषण का स्तर काफी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। हम अपनी सुख-सुविधा के लिए अधिकाधिक पेट्रोलियम जैसे पदार्थो का उपयोग करते हैं, घर को वातानुकूलित रखने के लिए ए.सी का उपयोग करते हैं तथा साथ ही कारखानों से निकलने वाले जैविक पदार्थ जो सुविधा के अनुसार कहीं भी छोड़ दिए जाते हैं, प्रदूषण को बढ़ावा देने में अपना योगदान दे रहें हैं, जिससे पृथ्वी का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में यदि इसे अभी भी कम न किया गया, तो मानव सभ्यता को नष्ट होने में अधिक समय नहीं लगेगा। इस प्रदूषण का भयानक परिणाम यह हो सकता है कि इस पृथ्वी पर जीवन की परिकल्पना करना भी असंभव हो जाएगा।

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सौजन्य:- NCERT

इस विषय की गंभीरता बेहद चिंताजनक है, यदि इस पर अभी भी गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो मानव-जाति का पृथ्वी पर जीवित रहना ही मुश्किल हो जायेगा। ग्लोबल वार्मिंग के कारण लगातार ग्लेसियर पिघल रहे हैं जिसकी वजह से समुद्र में जल का स्तर बढ़ रहा है, यदि ऐसे ही चलता रहा तो कुछ समय पश्चात् धरती के ज्यादातर शहर जलमग्न हो जाएगा। इस पर किसी कवि की लिखी गई यह पंक्तियाँ सच साबित होती नजर आती है (कविता NCERT से ली गई है) -

प्रक्रति ने अच्छा दृश्य रचा

इसका उपभोग करें मानव

प्रक्रति के नियमों का उल्लंघन करके

हम क्यों बन रहें है दानव

ऊँचें वृक्ष घने जंगल ये

सब है प्रकृति के वरदान

इसे नष्ट करने के लिए

तत्पर खड़ा है क्यों इंसान

कक्षा 10वीं के बाद करियर बनाने में सहायक कुछ महत्वपूर्ण लेख पढ़ें

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पर्यावरण प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन - पर्यावरण प्रदूषण के संबंध में विश्व की चिंता 20वीं सदी में बढ़ गई। 30 जुलाई 1968 को मानव द्वारा उत्पन्न पर्यावरण की समस्या विषय पर संयुक्त राष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक परिषद् ने एक प्रस्ताव पारित किया तथा एक सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमें कहा गया, “आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य संबंधो में विकट परिवर्तन हुआ है।" सामान्य सभा ने इसमें संज्ञानता प्रकट की तथा कहा कि वैज्ञानिकों तथा तकनीकी विकास ने असीमित अवसरों को जन्म दिया है, यदि इन अवसरों का प्रयोग नियंत्रित रूप से नहीं किया गया, तो हमें भयंकर समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। इस सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, क्षरण तथा भूमि के विनिष्टीकरण के अन्य प्रारूप, ध्वनि प्रदूषण, अपशिष्ट तथा कीटनाशकों के प्रभाव पर भी विचार किया।

मानव पर्यावरण स्कॉटहोम सम्मलेन - इस सम्मलेन का उद्देश्य विश्वव्यापी पर्यावरण के संरक्षण की समस्या का निदान तथा सुधार करना था। पर्यावरण के संरक्षण के संदर्भ में विश्वव्यापी स्तर का यह पहला प्रयास था। इसी सम्मलेन में 119 देशों ने ‘एक ही पृथ्वी’ का सिद्धांत को अपनाया था तथा इसी सम्मलेन से वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानि कि विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत हुई थी।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम - 19 नवंबर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं -

पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण हेतु सभी महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।

पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी योजनाएं बनाना और उनका क्रियान्वयन करना।

पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक का निर्धारण करना।

पेरिस जलवायु समझौता - इस समझौते का प्रस्ताव वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान, 196 पक्षों की ओर से 12 दिसंबर को पारित किया गया था। 4 नवंबर 2016 को यह समझौता लागू हो गया था। पेरिस समझौते का उद्देश्य औद्योगिक काल के पूर्व के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये विशेष प्रयास करना है। तापमान संबंधी इस दीर्घकालीन लक्ष्य को पाने के लिये देशों का लक्ष्य, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के उच्चतम स्तर पर जल्द से जल्द पहुँचना है ताकि उसके बाद, वैश्विक स्तर में कमी लाने की प्रक्रिया शुरू की जा सके। इसके जरिए 21वीं सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता (नेट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।

अन्य लेख देखें:

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भारत द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए कदम - भारतीय पर्यावरण दिवस

भारतीय पर्यावरण दिवस या फिर कहें तो भारत में पर्यावरण दिवस का साल 2021 का विषय “बेहतर पर्यावरण के लिए जैव ईधन को बढ़ावा देना है, इसके लिए भारत सरकार ने पूरे देश में इथेनाल के उत्पादन और वितरण के लिए E-100 नामक प्रमुख योजना की शुरुआत की हैं। सरकार E-20 अधिसूचना जारी कर रही है जो तेल कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 से 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल और इथेनॉल मिश्रण E12 तथा E15 को BIS विनिर्देशों के आधार पर बेचने की अनुमति प्रदान करेगी।

इसके अलावा भारत सरकार ने राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है जिसके अंतर्गत पूरे देश में वनों के आस-पास के क्षेत्र में पुनर्वास तथा वन रोपण का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाएगा।

हरित भारत राष्ट्रीय मिशन, जलवायु परिवर्तन के लिए कार्य योजना है, जिसमे जलवायु परिवर्तन को जलवायु अनुकूलन में परिवर्तित करना तथा इसकी शमन रणनीति के रूप में अधिक से अधिक वृक्षों को लगाना हैं ।

राष्ट्रिय जैव विविधता कार्य योजना के अंतर्गत प्राकृतिक आवासों के क्षरण तथा हानि में कमी लाने के लिए नीतियों का कार्यान्वयन करना है।

यूज़ एंड थ्रो की प्रक्रिया को छोड़कर रिसायकल की प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए

वर्षा जल-संचयन प्रणाली का उपयोग किया जाना चाहिए

जैविक खाद का उपयोग किया जाना चाहिए

जहाँ भी संभव हो पेड़-पौधे लगाएं और उनका संरक्षण करें

अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखें

प्लास्टिक का उपयोग न करें

वायुमंडल में कार्बन की मात्रा को कम करने के लिए सौर उर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग करें

जल का संतुलित प्रयोग करें

तीन आर अर्थात रीसायकल, रिड्यूस और रियूज़ के सिद्धांत का पालन करें

निष्कर्ष - यह पृथ्वी सिर्फ हमारा घर ही नहीं, बल्कि हमारी माता भी है, इसके शोषण और दोहन को रोकना हमारा कर्तव्य है। यदि अभी भी इसे नहीं रोका गया, तो इसका परिणाम स्वयं मानव जाति को ही भोगने होंगे। पर्यवरण दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि हम प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें तथा उतना ही उपयोग करें जितना हमारे लिए आवश्यक है। साथ ही अपनी अस्मिता के साथ साथ इस धरती पर रहने वाले सभी जीवों की अस्मिता का आदर करें तथा पर्यवरण को संरक्षित करने का प्रयास करें।

महत्वपपूर्ण लेख:

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विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा वर्ष 1973 में की गई थी और यह अब तक जारी है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना है। विश्व पर्यावरण दिवस के जश्न में दुनिया भर के 100 से अधिक देश शामिल होते हैं।

पर्यावरण और पारिस्थितिकी के जनक अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट को माना जाता है। अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट को 18वीं शताब्दी के अंत में अपने प्रसिद्ध अन्वेषणों और लेखन के माध्यम से आधुनिक पर्यावरण विज्ञान की नींव रखने में उनके जबरदस्त योगदान के कारण पर्यावरण के पिता के रूप में जाना जाता है।

रामदेव मिश्रा एक भारतीय वनस्पतिशास्त्री और पारिस्थितिकीविद् थे जिन्हें 'भारत में पारिस्थितिकी के जनक' के रूप में जाना जाता है। 1940 के दशक से 5 दशकों तक अपने शोध के माध्यम से, उन्होंने मध्य भारत के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृषि वानिकी, आदिवासी कृषि और जैव विविधता संरक्षण के लिए पारिस्थितिक सिद्धांतों को लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी अनुसंधान केंद्र की स्थापना की और पौधों के उत्तराधिकार, मृदा अपरदन, आवास बहाली पर महत्वपूर्ण अध्ययन किए। उन्होंने बड़े पैमाने पर प्रकाशन किया और छात्रों की कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कमजोर शुष्क क्षेत्रों के स्थायी प्रबंधन के लिए पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकृत करने की वकालत की।

पर्यावरण विषय को 6 थीम में बाँटा गया है। वे हैं : थीम 1: परिवार एवं मित्र, जिसकी चार उपथीम हैं - (1.1) आपसी संबंध, (1.2) काम और खेल, (1.3) जानवर और (1.4) पौधे ।

अन्य थीमें हैं - ( 2 ) भोजन; ( 3 ) पानी ; ( 4 ) आवास ; ( 5 ) यात्रा और (6) हम चीजें कैसे बनाते हैं।

1972, स्वीडन | मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन के पहले दिन को चिह्नित करते हुए 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाना शुरू किया।

विश्व पर्यावरण दिवस एक वैश्विक आंदोलन है जो दुनिया भर के नागरिकों को हमारे ग्रह की रक्षा और संरक्षण के लिए कार्रवाई करने के लिए एकजुट करता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1974 में शुरू किया गया यह वार्षिक कार्यक्रम हम सभी को यह समझने में मदद करता है कि हमारे कार्य हमारे पर्यावरण को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने में कैसे मदद कर सकते हैं।

इस खास दिन पर बदलाव लाने में आप कई तरह से मदद कर सकते हैं। सफाई कार्यक्रमों का आयोजन या उनमें हिस्सा लेना, पेड़ लगाना, या अपने समुदाय या परिवार को ऊर्जा का उपयोग कम करने और पानी बचाने के लिए प्रोत्साहित करना - संभावनाएं अनंत हैं। आप दान देकर या उनके साथ स्वयंसेवा करके पर्यावरण संगठनों का समर्थन भी कर सकते हैं। ये छोटे-छोटे कदम उठाने से हम एक स्वस्थ ग्रह बनाने के करीब पहुंचेंगे।

पर्यावरण दिवस का महत्व बताएं?

पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद 1973 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा की गई थी। इस दिवस को मनाने के ज़रिए पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी जैसी गंभीर समस्याओं पर वैश्विक चर्चा को बढ़ावा दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल इसके लिए एक अलग विषय चुना जाता है, जो किसी खास पर्यावरणीय चुनौती पर फोकस करता है। इस साल के विषय हमारी धरती, हमारा भविष्य के ज़रिए भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता पर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।

Frequently Asked Question (FAQs)

छात्र इस लेख की मदद से पर्यावरण दिवस पर निबंध लिखना सीख भी सकते हैं और पर्यावरण दिवस पर निबंध pdf भी डाउनलोड कर सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लिखने की कला सिखने के लिए आप इस लेख की सहायता ले सकते हैं, पर्यावरण दिवस की महत्वपूर्ण जानकारी इस लेख में उपलब्ध हैं।

वह सभी मौलिक तत्व और परिस्थितियां जो हमारे चारों ओर विद्यमान हैं वही हमारा पर्यावरण है।

पर्यावरण का वर्गीकरण चार प्रकार से किया गया है -

भौतिक पर्यावरण

सांस्कृतिक पर्यावरण

जैविक पर्यावरण

संज्ञात पर्यावरण

पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है।

 पहली बार पर्यावरण दिवस 5 जून, 1974 को मनाया गया था।

पहले पर्यावरण दिवस का विषय “केवल एक पृथ्वी” था।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर, 1986 को लागू किया गया।

पर्यावरण दिवस 2021 का विषय “पारिस्थितिकी तंत्र का पुननिर्माण”  था।

विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का थीम- भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखा लचीलापन (Land restoration, desertification and drought resilience) है। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो सूखा 2050 तक वैश्विक आबादी के तीन-चौथाई से अधिक की आजीविका को खतरे में डाल सकता है। सऊदी अरब विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की मेजबानी करेगा। 

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पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi हमारा जीवन पूरी तरह पर्यावरण पर निर्भर हैं, हमारे आस पास के परिवेश में उपलब्ध समस्त प्राकृतिक संसाधन इनवायरमेंट के अंतर्गत आते हैं.

बढ़ती आबादी के चलते इसका दोहन और दुरूपयोग बढ़ा है और पर्यावरण को तीव्र गति से नुक्सान पहुचाया जा रहा हैं. इसके संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता हैं

आज के आर्टिकल में हम इनवायरमेंट पर कुछ सरल निबंध पढ़ेगे.

जिस पृथ्वी में हम रहते हैं वहांँ आस पास की सभी वस्तुएँ और प्राकृतिक सम्पदा महत्वपूर्ण होते हैं जो हमारे पर्यावरण की नींव बनाए रखते हैं। पर्यावरण के अंतर्गत समस्त चीजें आ जाती हैं जो जीवन यापन में ज़रूरी होती हैं। पर्यावरण के बिना जीवन असंभव है।

दोस्तों प्रस्तुत निबंध में हम पर्यावरण के बारे में बतायेगें जो मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। पर्यावरण का रखरखाव ज़रूरी होता है क्योंकि पर्यावरण स्वच्छ होगा तो मनुष्य जीवित रह पाएगा अन्यथा उसका कोई वजूद नहीं रहेगा। पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं पर्यावरण है तो मनुष्य है।

“पर्यावरण” से तात्पर्य है हमारे आसपास का समस्त वातावरण जिसमें सभी जैविक (जिनमें जीवन होता है) व अजैविक तत्व (जिनमें जीवन नहीं होता है) शामिल होते हैं। एक ऐसा आवरण जिससे हम चारों ओर से घेरे हुए हैं जो जीवन जीने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण का महत्व

पर्यावरण जो हमें जीवन जीने में मदद करता है। पर्यावरण वो सारे संसाधन उपलब्ध कराता है जो सजीव प्राणी के लिए ज़रूरी होते हैं जिनके बिना जीवन जिया नहीं जा सकता  है।

पर्यावरण की महत्वपूर्णता को बरकरार रखने के लिए प्रत्येक वर्ष पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 5 जून को “पर्यावरण दिवस” मनाया जाता है।

पर्यावरण वह सभी वस्तुएँ जो मानव जीवन के लिए ज़रूरी होते हैं उपलब्ध कराता है एवं जलवायु में असंतुलन की स्थिति को नियंत्रित करता है।

पर्यावरण पर प्रभाव

पर्यावरण इस धरती के लिए बहुत उपयोगी है लेकिन आजकल के आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी और औद्योगीकरण के अधिक प्रयोग से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं।

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है क्योंकि मनुष्य द्वारा पेड़ पौधों को काटा जा रहा है और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास हो रहा है। 

मनुष्य द्वारा पर्यावरण के प्रति लापरवाही की वजह से व अनेक कारणों से जलमंडल, वायुमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल पर प्रभाव पड़ रहा है।

पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग और तापमान में बढ़ोत्तरी की समस्या उत्पन्न हो रही है। पर्यावरण की ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए सबको जागरुक होने की ज़रूरत है और पर्यावरण के बचाव में एकजुटता एवं सहयोग की ज़रूरत है।

पर्यावरण का संरक्षण

मनुष्य के लिए पर्यावरण महत्वपूर्ण है अतः इसके संरक्षण के लिए हमें अनेक बातों का ध्यान रखकर पालन करना चाहिए। पर्यावरण दूषित ना हो जिसके लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए।

पर्यावरण को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखना चाहिए। पेड़ पौधों को काटने से रोकना चाहिए। ऐसे नियम बनाने चाहिए जिनसे ज़हरीले और दूषित करने वाले पदार्थ नियंत्रित किए जा सकें।

पर्यावरण है तो मनुष्य जीवन है। पर्यावरण को बचाए रखने के लिए पर्यावरण के प्रति हमें जागरूक होना चाहिए। अपनी ज़िम्मेदारी को समझ कर पर्यावरण की रक्षा में सहभागी बनना चाहिए ताकि हम मनुष्य स्वस्थ स्वच्छ साफ पर्यावरण में रह सकें।

दोस्तों पर्यावरण हमारी पृथ्वी को एक सुंदर वातावरण देता है। स्वच्छ पर्यावरण में साँस लेना हर इंसान की ज़रूरत है। इस निबंध में पर्यावरण के बारे में उचित जानकारी पढ़ने को मिलेगी जो पर्यावरण के महत्व को दर्शाती है।

पर्यावरण पर निबंध -2

पर्यावरण हमारी पृथ्वी का बहुमूल्य स्वरूप है। जीवन की उत्पत्ति पर्यावरण के कारण ही संभव हो पाई है। पर्यावरण मनुष्य के लिए जितना महत्वपूर्ण है उतनी ही ज़रूरी है पर्यावरण की सुरक्षा।

पर्यावरण अर्थात हमारे आस पास का सम्पूर्ण वातावरण व सम्बन्धित प्राकृतिक संसाधन एवं वस्तुएँं। जीवन यापन में शामिल सभी तत्व पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं जिनमें वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल, जीव मंडल हैं।

दोस्तों पर्यावरण मनुष्य के लिए उपहार स्वरूप है। पर्यावरण के कारण ही मनुष्य जीवन सम्भव है। प्रस्तुत लेख में पर्यावरण से संबंधित जानकारी को सहज रूप से लिखा गया है जिसे  पढ़कर पर्यावरण की महत्वपूर्णता पता चलेगी। 

पर्यावरण महत्व एवम् विश्व पर्यावरण दिवस

पर्यावरण मनुष्य को ज़रूरी वस्तुएंँ उपलब्ध कराता है जिसके कारण मनुष्य जीवित व स्वस्थ रह सकता है। स्वच्छ वायु, पानी, स्थान, भोजन आदि मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ स्वच्छ पर्यावरण से ही संभव है।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने एवं पर्यावरण के बचाव स्वरूप हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा एवम् स्वच्छता के मध्य भी जागरूकता फैलाता है। 

पर्यावरण सुरक्षा

पर्यावरण किसी एक मनुष्य की धरोहर नहीं है बल्कि सभी मनुष्य जाति के लिए पर्यावरण का सुरक्षित होना ज़रूरी है। पेड़ पौधे लगाने चाहिए। पेड़ पौधे की कटाई पर रोक लगानी चाहिए।

दूषित करने वाले पदार्थ एवम् ज़हरीले धुएँ से बचाव के नियम चलाने चाहिए। पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाकर उनका पालन करना चाहिए।

पर्यावरण मानव जीवन के लिए ज़रूरी है साथ ही ज़रूरी है पर्यावरण की सुरक्षा। अनेक कार्यों को प्रयोग में लाकर पर्यावरण की सुरक्षा की जा सकती है। 

दोस्तों पर्यावरण की उपयोगिता जितनी ज़रूरी है उतनी ही ज़रूरी है पर्यावरण की देखभाल व सुरक्षा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता। इस निबंध में पर्यावरण के बारे में सहज रूप से बताया गया जो पर्यावरण संबंधी जागरूक पक्ष बताता है।

पर्यावरण पर भाषण Environment Speech in Hindi

पर्यावरण पर भाषण Our Environment Speech in Hindi : मानव के जीवन का अस्तित्व पर्यावरण से जुड़ा हैं. हमारी पृथ्वी पर जीवन की सम्भावनाएं भी पर्यावरण की मौजूदगी से संभव हुई हैं.

बच्चों को पर्यावरण के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए आज हम निबंध एवं भाषण के माध्यम से एनवायरमेंट के बारे में विस्तार से जानेगे.

Environment Day Speech in Hindi यह शोर्ट भाषण ५ जून के पर्यावरण दिवस के विषय पर दिया गया हैं. स्कूल और कॉलेज के छोटे बड़े स्टूडेंट्स इस लेख की रूपरेखा का उपयोग अपने पसंद के भाषण के लिए कर सकते हैं. परीक्षा अथवा स्कूल के कार्यक्रम में इसकी प्रस्तुती कर सकेगे.

मंचआसीन आदरणीय प्रिंसिपल महाशय, विद्वान् गुरुजनों मुख्य अतिथि महोदय एवं मेरे समस्त स्टूडेंट साथियों. सुप्रभात, इस प्रांगण में विराजमान सभी महानुभावों का मैं ह्रदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूँ.

मुझे इस भव्य सम्मेलन को देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई आज हम पर्यावरण के विषय पर जागरूक हो रहे है ये सभा इसका प्रत्यक्ष उदहारण हैं. आप सभी के समक्ष पर्यावरण पर भाषण देने का मौका देने के लिए आयोजन समिति को साधुवाद कहना चाहूँगा.

यहाँ विराजमान कुछ बुजुर्ग जन चार पांच दशक पूर्व के जीवन की सच्चाई से परिचित हैं. मैंने भी अपने दादाजी से उस दौर के बारे में काफी सुना हैं. जब मानव की तरक्की के कथित साधन कम थे.

जीवन के निर्वहन में कई बाधाएं हुआ करती थी. जैसे कृषि, जल, आवागमन, सूचना प्रोद्योगिकी आदि के कोई साधन नहीं के बराबर थे. मगर एक बात बड़ी अच्छी थी. हमारा पर्यावरण संरक्षित था.

मानव सदा से महत्वकांक्षी, स्वार्थी तथा औरों पर विजय पाकर विजेता बनने का स्वभाव का रहा हैं. दुर्भाग्य से अब इसने प्रकृति पर विजय पाने की जिद्द ठानी हैं. कथित विकास और एशो आराम के नाम पर पर्यावरण को खत्म किया जा रहा हैं.

प्रकृति अपने नियमों के बंधन का पालन करते हुए आगे बढ़ती हैं, मगर मनुष्य ने पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ने की हर हद को पार करने कवायद शुरू कर दी है. जो मानव अस्तित्व के खात्मे का कारण बन सकती हैं.

मानव अपने काल को अपने ही हाथों से पाल पोसकर बड़ा कर रहा है जो एक दिन सभी को निगल जाएगा. आज वक्त आ चूका है कि हम पर्यावरण संरक्षण के नाम पर दिखावे की बजाय इसे बचाने के लिए प्रयास शुरू कर दे.

हमारे आस पास जो कुछ है उसका सम्मिलित नाम ही पर्यावरण हैं. जल, वायु, पेड़,पहाड़ भूमि सभी इसके अंग हैं. हमें पर्यावरण ने वह सब कुछ दिया जो जीवन के लिए आवश्यक था.

हमारी लालच की प्रवृत्ति इतनी बढ़ी की. हम प्रकृति की पूजा के बदले उन्हें प्रदूषण और वनों की कटाई उपहार स्वरूप दे रहे हैं. मनुष्य के इन्ही कर्मों का फल ग्लोबल वार्मिंग, बीमारियों, जल संकट के रूप में मिला हैं.

यदि आप प्रकृति का संतुलन बिगड़ा है और संसाधन सिमित रह गये है तो मानव समुदाय ही इसका जिम्मेदार हैं. अपने जीवन को अधिक सुखमय बनाने की लालसा के कारण आज हालात इतने बुरे हुए हैं.

खासकर पश्चिम के विकसित देशों ने औद्योगिक विकास के नाम पर वनों की अंधाधुंध कटाई के बाद वायु, जल, भूमि को इतनी प्रदूषित किया है कि ओजोन परत में भी छिद्र कर दिया.

हमें भौतिकता के इस दौर को छोडकर पुनः प्रकृति की ओर लौटना होगा. तभी पर्यावरण बचेगा तथा मानव समुदाय भी बचा रह पाएगे. यह जरुरी है कि हम प्रकृति को संतुलित करने के लिए संसाधनों का सिमित मात्रा में ही उपयोग करे.

यदि हम पर्यावरण के बढ़ते खतरे के कारणों का अध्ययन करे तो असीमित रूप से बढ़ी जनसंख्या इसका मूल कारण है. आवास, ईधन तथा अन्य मानव आवश्यकताओं के लिए वनों की कटाई अनवरत होती रही. इससे वन उजड़ते चले गये और वायुमंडल की गैसों का संतुलन बिगड़ गया.

पर्यावरण को बचानें एवं इसके संतुलन को स्थापित करने में वृक्षारोपण अहम भूमिका निभा सकता हैं. हमें चाहिए कि जितने पेड़ों की कटाई आवश्यक हो उनके स्थान पर नयें पौधे लगाए तथा घनी मानव बस्ती में छोटा वन एवं उपवन बनाकर ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित कर सकते हैं.

प्रकृति के पारिस्थितिकी तंत्र में सभी छोटे बड़े जीवों, पेड़ पौधों का बना रहना जरुरी हैं. किसी जाति की संख्या कम होने अथवा किसी की बढ़ जाने से यह संतुलन बिगड़ जाएगा और ऐसा होने पर भयानक दुष्परिणाम भुगतने पड़ेगे.

आज प्रत्येक शहर की सड़क पर वाहनों की लम्बी कतार उससे होने वाले वायु एवं ध्वनि प्रदूषण ने कई बीमारियों को जन्म दिया हैं. यूरेनियम विस्फोट से अर्जित परमाणु ऊर्जा मानव की प्रकृति को प्रदूषित करने की चाल हैं. वह अपनी जीवन शैली के विविध रूपों से जल, वायु, मृदा तथा ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में योगदान दे रहा हैं.

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहला कदम हमें व्यक्तिगत स्तर पर उठाना चाहिए. हम स्वयं ऐसे उपायों को अपनाएं जिससे पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने मदद मिल सके. इस अभियान की सफलता के लिए व्यापक स्तर पर जनजागरूकता की भी आवश्यकता हैं.

विशेषकर स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को पर्यावरण के विषय में अलग से जानकारी देनी होगी. वनों की कटाई से कारण बाढ़, अकाल, जल संकट, तापमान वृद्धि, सुनामी जैसी आपदाओं का प्रभाव मनुष्य को भुगतना पड़ रहा हैं.

संतुलित पर्यावरण से स्वास्थ्य के अनगिनत लाभ हैं. स्वच्छ वायु, जल के होने से बीमारियों से बचाव संभव हैं. शरीर के समग्र स्वास्थ्य के अच्छा बनाने के लिए मृदा, भूमि, तापीय तथा ध्वनि व विकिरण प्रदूषण भी हानिकारक हैं.

यदि हम निरंतर प्रकृति के अंगो को यूँ ही दूषित करते गये तो एक दिन ये हमारे लिए उपयोगी नहीं रह पाएगे. तथा इनके अभाव में जीवन निर्वाह संभव नहीं हैं. मानव शरीर जिन पांच तत्वों से मिलकर बना हैं किसी एक की गुणवत्ता में कमी आने से भयंकर विकार उत्पन्न हो जाएगे.

अभी तक पर्यावरण के असंतुलन की वह स्थिति नहीं है जहाँ से इसमें सुधार नहीं किया जा सकता हैं. हम अभी सजगता से काम ले तो निश्चय ही मानव जाति के हित में यह सबसे बड़ा कदम हो सकता हैं. हम अपने पर्यावरण को बचाने के तरीके खोजकर इन्हें लोगों तक पहुचाने होंगे.

नवीकरण संसाधनों के संतुलित उपयोग यथा जल, विद्युत्, गैस, पेट्रोल आदि के बचाव तथा वृक्षारोपण की आदत डालकर हम इसमें अपना सक्रिय योगदान दे सकते हैं. सरकार भी अपने स्तर पर वनों की कटाई को रोकने तथा प्रदूषण कम करने के लिए कानून बनाए.

आखिर में सभी से यही निवेदन करना चाहूगा कि हम सभी जिस स्तर पर पर्यावरण को बचाने में योगदान कर सकते हैं अवश्य करे. लोगों तक पर्यावरण को बचाने के सरल तरीके प्रचारित कर उन्हें भी भागीदारी के लिए प्रेरित करे. तभी हम भावी पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य एवं स्वर्ग सी धरा दे सकेगे.

One comment

Hallo Please mother’s Day par nibhand chaiya kal tak

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पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment in Hindi

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पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment in Hindi!

Essay # 1. पर्यावरण का अर्थ (Meaning of Environment):

पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर हुआ है । “पार्य” जो हमारे चारों ओर है, और “आवरण” जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है । पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं ।

सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं के समुच्चय से निर्मित इकाई है । यह हमारे चारों और व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी के अन्दर सम्पादित होती है तथा हम मनुष्य अपनी समस्त क्रियाओं से इस पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं ।

इस प्रकार एक जीवधारी और उसके पर्यावरण के बीच अन्योन्याश्रय का संबंध भी होता है । पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीडे-मकोडे, सभी जीव-जंतु और पेड-पौधे आ जाते हैं और इसके साथ ही उनसे जुडी सारी जैव क्रियाएँ और प्रक्रियाएं भी ।

ADVERTISEMENTS:

अजैविक संघटकों में जीवनरहित तत्व और उनसे जुडी प्रक्रियाएँ आती हैं, जैसे चट्टानें, पर्वत, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि । सामान्यतः पर्यावरण को मनुष्य के संदर्भ में परिभाषित किया जाता है मनुष्य को एक अलग इकाई और उसके चारों ओर व्याप्त अन्य समस्त चीजों को उसका पर्यावरण घोषित कर दिया जाता है ।

किन्तु यहाँ यह भी ध्यातव है कि अभी भी इस धरती पर बहुत सी मानव सभ्यताएँ हैं जो अपने को पर्यावरण से अलग में समस्त प्रकृति एक ही इकाई है जिसका मनुष्य भी एक हिस्सा है । वस्तुतः मनुष्य को पर्यावरण से अलग मानने वाले वे हैं जो तकनीकी रूप से विकसित हैं और विज्ञान और तकनीक के व्यापक प्रयोग से अपनी प्रकृतिक दशाओं में काफी बदलाव लाने में समर्थ है ।

नाम की उत्पत्ति :

पर्यावरण शब्द संस्कृत भाषा के ‘परि’ उपसर्ग (चारों ओर) और ‘आवरण से मिलकर बना है जिसका अर्थ है ऐसी चीजों का समुच्चय जो किसी व्यक्ति या जीवधारी को चारों ओर से आवृत्त किये हुए हैं । पारिस्थितिकी और भूगोल में यह शब्द अंग्रेजी के मदअपतवदउमदज के पर्याय के रूप में इस्तेमाल होता है ।

अंग्रेजी शब्द environment स्वयं उपरोक्त पारिस्थितिकीय अर्थ में काफी बाद में प्रयुक्त हुआ और यह शुरूआती दौर में आसपास की सामान्य दशाओं के लिये प्रयुक्त होता था । यह फ्रांसीसी भाषा से उदभूत है, जहाँ यह “स्टेट of being Environed” (See Environ + Ment) के अर्थ में प्रयुक्त होता था और इसका पहला ज्ञात प्रयोग कार्लाइल द्वारा जर्मन शब्द Umgebung के अर्थ को फ़्रांसीसी में व्यक्त करने के लिये हुआ ।

Essay # 2. पर्यावरण के प्रकार (Types of Environment):

मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण के दो प्रखण्डों में विभाजित किया जाता है:

(a) प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और

(b) मानव निर्मित पर्यावरण ।

हालाँकि पूर्ण रूप से प्राकृतिक पर्यावरण (जिसमें मानव हस्तक्षेप बिल्कुल न हुआ हो) या पूर्ण रूपेण मानव निर्मित पर्यावरण (जिसमें सब कुछ मनुष्य निर्मित हो), कहीं नहीं पाए जाते यह विभाजन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और दशाओं में मानव हस्तक्षेप की मात्रा की अधिकता और न्यूनता का द्योतक मात्र है । पारिस्थितिकी और पर्यावरण भूगोल में प्राकृतिक पर्यावरण शब्द का प्रयोग पर्यावास के लिये भी होता है ।

तकनीकी मानव द्वारा आर्थिक उद्देश्य और जीवन में विलासिता के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रकृति के साथ व्यापक छेडछाड के क्रियाकलापों ने प्राकृतिक पर्यावरण का संतुलन नष्ट किया है, जिससे प्राकृतिक व्यवस्था या प्रणाली के अस्तित्व पर ही संकट उत्पन्न हो गया है । इस तरह की प्रसारों समस्याएँ पर्यावरणीय अवनयन कहलाती हैं ।

पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही है और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की चर्चा है । मनुष्य वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से अपने द्वारा किये गये परिवर्तनों से नुकसान को कितना कम करने में सक्षम है, आर्थिक और राजनैतिक हितों की टकराव में पर्यावरण पर कितना ध्यान दिया जा रहा है और मनुष्यता अपने पर्यावरण के प्रति कितनी जागरूक है, यह आज के ज्वलंत प्रश्न हैं ।

Essay # 3. पर्यावरण का ज्ञान (Knowledge of Environment) :

आज पर्यावरण एक जरूरी सवाल बल्कि ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है लेकिन आज लोगों में इसे लेकर कोइ जागरूकता नहीं है । ग्रामीण समाज को छोड दे तो भी महानगरीय जीवन में इसके प्रति खास उत्सुकता नहीं पाई जाती परिणामस्वरूप पर्यावरण एक सरकारी एजेण्डा ही बन कर रह गया है । जबकि यह पूरे समाज से बहुत ही घनिष्ठ संबंधन रखने वाला सवाल है । जब तक इसके प्रति लोगों में एक स्वाभाविक लगाव पैदा नहीं होता पर्यावरण संरक्षण एक दूर का सपना ही बना रहेगा ।

पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है । अपने परिवेश में हम तरह-तरह के जीव-जन्तु, पेड-पौधे तथा अन्य सजीव-निर्जीव वस्तुएं पाते हैं । ये सब मिलकर पर्यावरण की रचना करते हैं । विज्ञान की विभिन्न शाखाओं जैसे-भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा जीव विज्ञान, आदि में विषय के मौलिक सिद्धान्तों तथा उनसे सम्बन्ध प्रायोगिक विषयों का अध्ययन किया जाता है ।

परन्तु आज की आवश्यकता यह है पर्यावरण के विस्तृत अध्ययन के साथ-साथ इससे सम्बन्धित व्यावहारिक ज्ञान पर बल दिया जाए । आधुनिक समाज को पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याओं की शिक्षा व्यापक स्तर पर दी जानी चाहिए । साथ ही इससे निपटने के बचावकारी उपायों की जानकारी भी आवश्यक है । आज के मशीनी युग में हम ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं ।

प्रदूषण एक अभिशाप के रूप में सम्पूर्ण पर्यावरण को नष्ट करने के लिए हमारे सामने खडा है । सम्पूर्ण विश्व एक गम्भीर चुनौती के दौर से गुजर रहा है । यद्यपि हमारे पास पर्यावरण सम्बन्धी पाठ्य-सामग्री की कमी है तथापि सन्दर्भ सामग्री की कमी नहीं है ।

वास्तव में आज पर्यावरण से सम्बद्ध उपलब्ध ज्ञान को व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है ताकि समस्या को जनमानस सहज रूप से समझ सके । ऐसी विषम परिस्थिति में समाज को उसके कर्तव्य तथा दायित्व का एहसास होना आवश्यक है ।

इस प्रकार समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा की जा सकती है । वास्तव में सजीव तथा निर्जीव दो संघटक मिलकर प्रकृति का निर्माण करते हैं । वायु, जल तथा भूमि निर्जीव घटको में आते है जबकि जन्तु-जगत तथा पादप-जगत से मिलकर सजीवों निर्माण होता है । इन संघटकों के मध्य एक महत्वपूर्ण रिश्ता यह है कि अपने जीवन-निर्वाह के लिए परस्पर निर्भर रहते हैं ।

जीव-जगत में यद्यपि मानव सबसे अधिक सचेतन संवेदनशील प्राणी है तथापि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वह अन्य जीव-जन्तुओं, पादप, वायु, जल तथा भूमि पर निर्भर रहता है । मानव के परिवेश में पाए जाने वाले जीव-जन्तु पादप, वायु, जल तथा भूमि पर्यावरण की संरचना करते है ।

शिक्षा के माध्यम से पर्यावरण का ज्ञान शिक्षा मानवजीवन के बहुमुखी विकास का एक प्रबल साधन है । इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के अन्दर शारीरिक, मानसिक. सामाजिक, संस्कृतिक तथा आध्यात्मिक बुद्ध एवं परिपक्वता लाना है । शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्राकृतिक वातावरण का ज्ञान अति आवश्यक है ।

प्राकृतिक वातावरण के बारे में ज्ञानार्जन की परम्परा भारतीय संस्कृति में आरम्भ से ही रही है । परन्तु आज के भौतिकवादी युग में परिस्थितियों भिन्न होती जा रही हैं । एक ओर जहां विज्ञान एवं तकनीकी के विभिन्न क्षेत्रों में नए-नए आविष्कार हो रहे हैं तो दूसरी ओर मानव परिवेश भी उसी गति से प्रभावित हो रहा है ।

आने वाले पीढी को पर्यावरण में हो रहे परिवर्तनों का ज्ञान शिक्षा के माध्यम से होना आवश्यक हैं । पर्यावरण तथा शिक्षा के अन्तर्सम्बन्धों का ज्ञान हासिल करके को ई भी व्यक्ति इस दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य कर सकता है । पर्यावरण का विज्ञान से गहरा सम्बन्ध है, किन्तु उसकी शिक्षा में किसी प्रकार की वैज्ञानिक पेचीदगिया नहीं हैं । शिक्षार्थियों को प्रकृति तथा पारिस्थितिक ज्ञान सीधी तथा सरल भाषा में समझी जानी चाहिए ।

शुरू-शुरू में यह ज्ञान सतही तौर पर मात्र परिचयात्मक ढंग से होना चाहिए । आगे चलकर इसके तकनीकी पहलुओं को विचार किया जाना चाहिए । शिक्षा के क्षेत्र में पर्यावरण का ज्ञान मानवीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है ।

Essay # 4. पर्यावरण और पारितंत्र (Environment and Ecology):

पर्यावरण अपनी सम्पूर्णता में एक इकाई है जिसमें अजैविक और जैविक संघटक आपस में विभिन्न अन्तर्कियाओं द्वारा संबद्ध और अन्तर्गुम्फित होते हैं । इसकी यह विशेषता इसे एक पारितंत्र का रूप प्रदान करती है क्योंकि पारिस्थितिक तंत्र या पारितंत्र पृथ्वी के किसी क्षेत्र में समस्त जैविक और अजैविक तत्वों के अंतर्सम्बंधित समुच्चय को कहते हैं ।

अतः पर्यावरण भी एक पारितंत्र है । पृथ्वी पर पैमाने के हिसाब से सबसे बृहत्तम पारितंत्र जैवमडल को माना जाता है । जैवमंडल पृथ्वी का वह भाग है जिसमें जीवधारी पाए जाते हैं और यह स्थलमंडल, जलमण्डल तथा वायुमण्डल में व्याप्त है । पूरे पार्थिव पर्यावरण की रचना भी इन्हीं इकाइयों से हुई है, अतः इन अर्थों में वैश्विक पर्यावरण, जैवमण्डल और पार्थिव पारितंत्र एक दूसरे के समानार्थी हो जाते हैं ।

माना जाता है कि पृथ्वी के वायुमण्डल का वर्तमान संघटन और इसमें ऑक्सीजन की वर्तमान मात्रा पृथ्वी पर जीवन होने का कारण ही नहीं अपितु परिणाम भी है । प्रकाश-संश्लेषण, जो एक जैविक (या पारिस्थितिकीय अथवा जैवमण्डलीय) प्रक्रिया है, पृथ्वी के वायुमण्डल के गठन को प्रभावित करने वाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया रही है ।

इस प्रकार के चिंतन से जुडी विचारधारा पूरी पृथ्वी को एक इकाई गाया, या सजीव पृथ्वी शाप छुहारा के रूप में देखती है । इसी प्रकार मनुष्य के ऊपर पर्यावरण के प्रभाव और मनुष्य द्वारा पर्यावरण पर डाले गये प्रभावों का अध्ययन मानव पारिस्थितिकी और मानव भूगोल का प्रमुख अध्ययन बिंदु है ।

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  1. पर्यावरण पर निबंध (Environment Essay in Hindi)

    पर्यावरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment in Hindi, Paryavaran par Nibandh Hindi mein) पर्यावरण के इसी महत्व को समझने के लिए आज हम सब ये निबंध पढ़ेंगे जिससे ...

  2. पर्यावरण पर निबंध - Environment Essay in Hindi

    Essay on Environment in Hindi. पर्यावरण, पर हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए ...

  3. पर्यावरण पर निबंध - 10 lines(Environment Essay in Hindi) 100 ...

    पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi) हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।. पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा ...

  4. World Environment Day 2024: विश्व पर्यावरण दिवस पर छोटे और ...

    Essay on World Environment Day 2024 in Hindi: निबंध किसी खास विषय पर बच्चों के ज्ञान और रचनात्मकता को ...

  5. पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

    प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi) प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और ...

  6. Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों ...

    पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य

  7. पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in Hindi ...

    पर्यावरण पर निबंध (paryavaran diwas par nibandh) का यह लेख उन सभी छात्रों के लिए लाभदायक होगा जो पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (environment day essay in hindi) लिखना चाहते हैं या इस विषय के ...

  8. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in ...

    Here We Share With You Environment Conservation Essay in Hindi For School Students & Kids In Pdf Format Let Read And Enjoy:-Short Essay On Environment Conservation Essay in Hindi In 300 Words. भारत में पर्यावरण के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है ...

  9. पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

    December 27, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi हमारा जीवन पूरी तरह पर्यावरण पर निर्भर हैं, हमारे आस पास के परिवेश में उपलब्ध समस्त ...

  10. पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment in Hindi

    Article shared by: पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment in Hindi! Essay # 1. पर्यावरण का अर्थ (Meaning of Environment): पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर हुआ है । “पार्य ...