महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।
2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।
इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-
महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।
भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।
राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।
उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।
महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।
महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।
गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।
महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”
महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।
वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।
महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information
स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।
वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।
गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।
महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career
अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।
इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।
वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:
महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।
उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।
ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।
सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।
वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।
अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।
वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।
महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh
प्रस्तावना-
2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।
महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।
जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था। उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-
चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement
साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।
जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।
साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।
जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।
महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।
महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement
अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।
जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।
गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।
इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan
महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।
गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।
नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।
गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।
महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)
अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।
आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।
इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।
इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।
वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।
- Mahatma Gandhi Slogan
महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।
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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”
Gandhi ji is my favorite
अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा
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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।
इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।
Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
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महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं
और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।
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भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।
भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words
महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।
Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।
उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।
महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।
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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।
उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था
जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।
इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।
उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।
लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।
नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words
प्रस्तावना –
महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।
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उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।
प्रारंभिक जीवन –
महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।
जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।
Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।
उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।
अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –
महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।
उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।
राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –
दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।
यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।
भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –
महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।
इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।
इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।
खेड़ा सत्याग्रह –
खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।
गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।
असहयोग आंदोलन –
अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।
महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।
इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।
इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।
नमक सत्याग्रह –
ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।
नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।
इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।
नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।
भारत छोड़ो आंदोलन –
महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।
उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।
द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।
बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।
महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।
उपसंहार –
Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।
उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।
हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।
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10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”
Rohit ji app ne sahi bola
apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे
Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile
Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.
Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h
Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.
Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai
Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.
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महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi
महात्मा गांधी पर निबंध, 200, 250, 300, 500, 1000 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi, 200, 250, 300, 500, 1000 words, Mahatma Gandhi Par Nibandh Hindi Mein)
Mahatma Gandhi Essay in Hindi – मोहनदास करमचन्द गांधी एक ऐसे महान पुरुष थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी ख्याति न केवल अपने देश में बल्कि पुरे संसार में भी फैली हुई थी. गांधी का कहना था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने से ही भारत को स्वतंत्र किया जा सकता है, और इसी अटूट विश्वास के फलस्वरूप उन्हें जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए यही रास्ता चुना और वे किसी भी तरह की अहिंसक कार्रवाई के घोर विरोधी थे.
गांधी जी ने आखिरकार सत्य और अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करके कई वर्षों तक ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे भारत देश को आजाद कराया. भारत में अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता पर अत्याचार किए जा रहे थे और निर्बलों तथा रक्षाहीनों का पूंजीवादी शोषण अपने चरम पर था. गांधीजी को इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्होंने मानवता को अपने धर्म के रूप में देखा था.
गांधीजी का कहना था, मैं तब तक धार्मिक जीवन व्यापन नहीं कर सकता जब तक कि मैं खुद को पूरी मानवता के साथ आत्मसात नहीं कर लेता और मैं इसे तब तक पूरा नहीं कर सकता जब तक मैं राजनीति में नहीं आता. राजवैद्य जीवराम कालिदास ने साल 1915 में पहली बार गांधी जी के लिए “महात्मा” की उपाधि का प्रयोग किया. था. चूंकि उन्होंने देश की स्वतंत्रता में सबसे बड़ा योगदान दिया, इसलिए महात्मा गांधी को भारतीय लोग भगवान के रूप में पूजते हैं, जो उन्हें बापू के रूप में संदर्भित करते हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) बताने जा रहे है.
Table of Contents
महात्मा गांधी पर निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)
महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (mahatma gandhi essay in hindi 200 words).
महात्मा गांधी का जन्म पश्चिम भारत (अब का गुजरात) में 2 अक्टूबर वर्ष 1869 को हुआ. इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गाँधी था. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद्र गाँधी था था. इनके पिता काठियावाड़ की रियासत के दीवान हुआ करते थे. माता की आस्था और स्थानीय जैन रीति-रिवाजों के फलस्वरूप गांधीजी के जीवन पर इस धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा. 13 साल की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था.
गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से पूरी हुई, इसके बाद वे राजकोट और अहमदाबाद गए जहां से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह लंदन चले गए जहां से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की.
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महात्मा गांधी का सोचना था कि भारतीय शिक्षा को संचालित करने के लिए सरकार नहीं, बल्कि समाज को जागरूक होना चाहिए. इस वजह से महात्मा गांधी ने एक बार भारत की शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” से संबोधित किया था. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया. इनका कहना और सपना था कि देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो. और “शोषण विहिन समाज की स्थापना” करना गांधीजी का मूल मंत्र था.
महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 250 Words)
हमारे देश भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ. गांधीजी की माता पुतलीबाई और पिता करमचंद गांधी थे. मोहनदास करमचंद्र गांधी को ज्यादातर लोग बापू या राष्ट्रपिता के रूप में संदर्भित करते हैं. इस बात का कोई निश्चित रिकॉर्ड नहीं है कि शुरू में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में किसने संदर्भित किया था, लेकिन साल 1999 में गुजरात के उच्च न्यायालय के समक्ष जस्टिस बेविस पारदीवाला द्वारा लाए गए एक मामले के परिणामस्वरूप, रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले सभी टेस्टबुक में गांधीजी को फादर ऑफ नेशन कहा, और इसके बाद यह आदेश जारी किया.
गांधी जी जब विदेश से वकालत की पढाई करके लौटे तब भारत में अंग्रेजी हुकूमत का राज था. इस अंग्रेजी हुकूमत की नीवं की उखाड़ फैकने के लिए महात्मा गांधी जी ने कई क्रांतिकारी लड़ाई लड़ी. देश को आजादी दिलाने के लिए स्वराज और नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, दाढ़ी मार्च, स्वतंत्रता और भारत का विभाजन और भारत छोड़ो आंदोलन निकाले गए.
अंत में महात्मा गांधी के नेतृत्व और कई प्रयासों के कारण भारत को आजादी मिली. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता चुना. महात्मा गांधी से पहले भी लोग सत्य और अहिंसा के बारे में जानते थे, परन्तु गांधी जी ने जिस प्रकार शान्ति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सत्याग्रह किया, उससे अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा. गांधी जी का जीवन सादगी पूर्ण था. वे स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर देते थे और हमेशा सफेद वस्त्र धारण करते थे.
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 500 Words)
भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने लौह मन वाले देश की जनता को 200 साल से भी ज्यादा समय से चली आ रही ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाई.
महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन
नीचे हम आपको महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन के बारे में बताने जा रहे हैं-
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन – साल 1917 में महात्मा गांधीजी के निर्देशन में बिहार के चंपारण क्षेत्र में सत्याग्रह आंदोलन हुआ. इसे चंपारण का सत्याग्रह भी कहा जाता है. यह गांधी के नेतृत्व में भारत में प्रारंभिक सत्याग्रह आंदोलन था. गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान भारत में पहला सफल सत्याग्रह प्रयोग किया. यह आंदोलन नील उत्पादकों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ था, जो एक जबरदस्त और सफल आंदोलन बन गया.
खेड़ा आंदोलन – यह आंदोलन भी किसान से जुड़ा आंदोलन था। जब गुजरात के एक गाँव खेड़ा में बाढ़ आई, तो स्थानीय किसानों ने अधिकारियों से करों (टैक्स) को माफ़ करने के लिए गुहार लगाई. इसे लेकर गांधी जी ने हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की. और किसानों ने कर न देने का संकल्प लिया. साथ ही किसानों ने सामाजिक बहिष्कार का आयोजन किया. परिणामस्वरूप वर्ष 1918 में सरकार ने अकाल के अंत तक राजस्व कर संग्रह की शर्तों में ढील दी.
रॉलेट एक्ट का विरोध – अंग्रेजी सरकार ने साल 1919 में बढ़ते आंदोलनों के भीतर स्वतंत्रता की बढ़ती आवाज को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट लाया गया. इसे काला कानून भी कहा जाता है. इस एक्ट के अंतर्गत वायसराय कुछ कामों की छुट मिल गई जिसमे किसी भी राजनेता को किसी भी पल गिरफ्तार करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है. गांधी के रहते हुए भारत की जनता ने इस एक्ट का पुनर्जोर विरोध किया.
असहयोग आंदोलन – गांधी जी और कांग्रेस के नेतृत्व में साल 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया गया. गांधीजी का सोचना था कि ब्रिटिश हुकूमत में निष्पक्ष न्याय प्राप्त करना असंभव था, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से देश के सहयोग को हटाने के लिए असहयोग आंदोलन की योजना बनाई. इस आंदोलन ने देश की आजादी में एक नया जीवन प्रदान किया.
नमक सत्याग्रह – नमक सत्याग्रह को दांडी सत्याग्रह और दांडी मार्च के रूप में जाना जाता है. साल 1930 में जब अंग्रेजी हुकूमत ने नमक टैक्स लगाया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के विरोध में यह आंदोलन शुरू किया. गांधी सहित 78 लोग अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से 390 किलोमीटर पैदल चलकर दांडी के तटीय गांव पहुंचे. यह यात्रा 12 मार्च को शुरू हुई और 6 अप्रैल, 1930 तक चली. कुल 24 दिनों तक चली इस यात्रा में हाथों पर नमक प्राप्त करके नमक-विरोधी नियम का उल्लंघन करने का आह्वान किया गया.
दलित आंदोलन – 8 मई, 1933 को, महात्मा गांधी ने छुआछूत की व्यापक प्रथा के विरोध में दलित आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन ने देश को इस हद तक प्रभावित किया कि छुआछूत काफी हद तक समाप्त हो गया. गांधी जी ने इससे पहले साल 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की भी स्थापना की थी.
भारत छोड़ो आंदोलन – साल 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे सत्र के दौरान गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन ब्रिटिश प्रभुत्व के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ. इस आंदोलन के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा.
महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन (10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)
- गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है.
- गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिले में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.
- इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था.
- इनके पिता एक दीवान थे और माँ जैन धर्म के प्रति सद्भावना थी.
- सिर्फ 13 साल की उम्र में इनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ.
- स्कूल और कॉलेज की पढाई भारत से और कानून की पढाई लंदन से पूरी की.
- देश की आजादी के दौरान पहला आंदोलन चम्पारण था.
- गांधी जी देश के राष्ट्रपिता के साथ साथ राजनीतिक और समाज सुधारक भी थे.
- गांधीजी द्वारा निर्मित प्रथम ‘सत्याग्रह आश्रम’ मौजूदा समय में एक राष्ट्रीय स्मारक है.
- गांधी जी के जीवन में तीन मूल मन्त्र – सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य.
निष्कर्ष – आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ). उम्मीद करते है आपको यह जानकरी जरूर पसंद आई होगी.
- ताज महल पर निबंध
- स्वतंत्रता दिवस पर निबंध
- दिवाली पर निबंध
- पानी की बचत पर निबंध
- होली पर निबंध
- भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों की सूची
- गणतंत्र दिवस निबंध
- भारत में दहेज प्रथा पर निबंध
- कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध
- गांधी जयंती पर भाषण
- गुरु नानक जयंती पर निबंध
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महात्मा गांधी पर निबंध Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
इस लेख में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) बड़े ही सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। अक्सर छोटी-बड़ी परीक्षाओं में महात्मा गांधी की जीवनी पर निबंध पूछ लिया जाता है।
यदि आप गांधी जी के ऊपर निबंध की तलाश कर रहे हैं तो आप सही स्थान पर हैं। आज हमने इस लेख मे महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, आजादी मे योगदान, निजी जीवन, मृत्यु,तथा 10 लाइन के बारे मे लिखा है।
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प्रस्तावना महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)
भारत पर हजारों साल तक विदेशी आक्रमणकारियों का कब्ज़ा था। लेकिन स्वतंत्रता के बाद इसने कई देशों को पीछे छोड़कर प्रगति की है।
भारत को वीरों की भूमि इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यहां पर ऐसे महान आत्माओं ने जन्म लिया है जिन्होंने कभी भी भारत माता का मस्तक झुकने नहीं दिया।
स्वतंत्रता दिलाने में कई महापुरुषों ने अपना योगदान दिया है जिनके आदर्श को भारतवासी सदा याद करते हैं। उन्ही महापुरुषों में से महात्मा गाँधी भी एक हैं।
गांधी जी का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता ब्रिटिश राज्य में पोरबंदर रियासत के दीवान थे।
परिवार का वातावरण अत्यंत धार्मिक होने के कारण बाल गांधी का जीवन भी आध्यात्मिक ज्ञान से अछूता न रहा। जिसका प्रभाव आगे चलकर गांधी जी पर भी देखने को मिला।
महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन Early life of Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में पश्चिम भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था।
उनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी के पिता सनातन धर्म की पंसारी जाति से ताल्लुक रखते थे।
पुतलीबाई करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी जो स्वभाव से अत्यंत धार्मिक थी। वह हमेशा भगवान के छोटे बड़े व्रत रखा करती थी। घर में धार्मिक तथा शिक्षा का माहौल होने के कारण इसका असर बालक गांधी पर भी धीरे-धीरे पढ़ने लगा था।
गांधी जी पर बचपन से ही जैन परंपराओं का गहरा असर हो चुका था जिससे उनके स्वभाव में शाकाहार, आत्म शुद्धि, अहिंसा तथा अन्य सद्गुणों की अधिकता देखने को मिलती थी।
करमचंद गांधी एक बेहद पढ़े लिखे व्यक्ति थे इसीलिए वह अपने पुत्र मोहनदास को भी एक शिक्षित व्यक्ति बनाना चाहते थे।
महात्मा गाँधी की शिक्षा Education of Mahatma Gandhi in Hindi
मोहनदास बचपन से ही एक सामान्य विद्यार्थी थे इसलिए उन्हें पढ़ाई में इतनी ज्यादा रुचि नहीं थी। पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ वे खेलकूद में भी इतने अच्छे नहीं थे। मोहनदास का विवाह बहुत कम उम्र में ही कस्तूरबा के साथ कर दिया गया था।
मोहनदास गांधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही संपन्न हुई उसके पश्चात मैट्रिक पास करने के बाद 1888 न्याय शास्त्र की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए।
विदेश में रहकर भी गांधी कभी भी अपनी संस्कृति को नहीं भूले और हमेशा शाकाहार का पालन करते हुए अपनी शिक्षा को पूरा किया।
न्याय शास्त्र की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त हुई जो गुलामी के समय में भारतीयों के लिए अत्यंत कठिन कार्य था।
महात्मा गांधी का आजादी में योगदान Contribution of Mahatma Gandhi in freedom in Hindi
बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद गांधीजी के एक भारतीय मित्र ने उन्हें कानूनी सलाह देने के लिए दक्षिण अफ्रीका बुलाया। दक्षिण अफ्रीका जाने के बाद गांधी जी को भारतीयों और काले लोगों पर हो रहे अत्याचारों को देखकर अत्यंत दुख हुआ।
गांधी जी ने एक बार स्वयं भी इस भेदभाव को महसूस किया था जब ट्रेन में उनकी बहस एक गोरे से हो गई थी। गांधी जी के पास प्रथम श्रेणी का टिकट था किंतु एक गोरे ने उनके प्रथम श्रेणी में बैठने पर आपत्ति जताई तथा जब गांधी जी ने इसका विरोध किया तो उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया।
इस घटना के अलावा उनके साथ कई अन्य भेदभाव हुए। अफ्रीका में कई होटलों में भारतीय और काले लोगों का आना वर्जित कर दिया गया था।
अफ्रीका में गांधी को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जिससे उन्होंने काले लोगों और दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों को न्याय दिलाने का दृढ़ निश्चय कर लिया।
गांधी जी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में आंदोलन चलाया गया जिसके बाद उनकी लोकप्रियता और पहचान पूरे विश्व में बढ़ने लगी।
1914 में गांधीजी वापस अपने वतन भारत लौट आए। भारत लौटने के बाद उन्होंने जनसंपर्क शुरू किया ससे भारतवासियों पर गांधी जी के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा।
गांधीजी का पहला आंदोलन 1918 में चंपारण सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह से शुरू हुआ। आगे चलकर गांधी जी ने कई बड़े आंदोलन किए जिससे ब्रिटिश सरकार बहुत चिंता में पड़ गई।
उनकी विचारधारा से प्रभावित होकर आंदोलनकारियों द्वारा अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर के पास जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट के विरोध में एक सभा आयोजित की गई थी।
अंग्रेज ऑफिसर जनरल डायर को जब इस बात का पता चला तो उसने बिना कुछ सोचे समझे 13 अप्रैल 1919 के दिन जलियांवाला बाग में आकर सभी लोगों को गोलियों से भून दिया जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए।
जलियांवाला बाग हत्याकांड से गांधीजी को बहुत बड़ा सदमा लगा। इस दुखद घटना के बाद गांधी जी ने अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन छेड़ दिया था।
इस आंदोलन के बाद गांधी जी भारत वासियों के बीच और भी लोकप्रिय बन गए थे। लेकिन 4 फरवरी 1922 में चौरी चौरा कांड के कारण उन्हें आंदोलन वापस लेना पड़ा जिसका कई लोगों ने विरोध किया था।
1930 में गांधीजी तथा उनके साथियों द्वारा नमक पर लगाए गए अन्यायपूर्ण कानून को खत्म करने के लिए अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दांडी मार्च किया गया।
1942 में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ ‘भारत छोड़ो’ का नारा प्रस्तुत किया तथा भारतीयों के लिए ‘करो या मरो’ का नारा दिया।
परिणाम स्वरूप अंग्रेजों को वापस लौटना पड़ा और 15 अगस्त 1947 के दिन भारत पूर्ण रूप से एक स्वतंत्र देश बन गया।
महात्मा गांधी का निजी जीवन Personal Life of Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी के संग बाल्यावस्था में ही हो गया था। हरिलाल मोहनदास गांधी, मणिलाल मोहनदास गांधी, रामदास गांधी तथा देवदास गांधी इनके पुत्र थे।
अपने जीवन में एक महान राजनीतिज्ञ के साथ गाँधी कुशल बैरिस्टर, दार्शनिक, पत्रकार तथा एक अच्छे लेखक भी थे।
विदेशों में रहने के बावजूद भी गांधीजी अपनी मातृभूमि और संस्कृति को कभी नहीं भूले तथा हमेशा सत्य और अहिंसा का ही साथ दिया।
गांधीजी एक अच्छे बैरिस्टर थे उनके पास धन की कोई कमी नहीं थी किंतु भारत वासियों की दयनीय स्थिति को देखकर उन्होंने कपड़ों का त्याग कर खादी से बने सामान्य धोती धारण कर ली। उनकी सादगी ने भारतवासियों को पश्चिमी जीवनशैली को त्यागने पर मजबूर कर दिया था।
महात्मा गांधी को सर्वप्रथम महात्मा से संबोधित करने वाले व्यक्ति सुभाष चंद्र बोस थे। हालांकि सुभाष चंद्र बोस तथा गांधीजी के बीच काफी मतभेद थे किंतु बॉस हमेशा से गांधी जी को एक मार्गदर्शक के रुप में मानते थे।
गांधीजी हमेशा अहिंसा का मार्ग अपनाते थे और वह हिंसा के हमेशा विरुद्ध खड़े रहते थे हम भले ही वह स्वतंत्रता के लिए ही क्यों न की जाए।
भगत सिंह , सुखदेव, राजगुरु और उधम सिंह की फांसी के कारण गरम दल के क्रांतिकारियों ने गांधी जी का प्रतिरोध भी किया गया था।
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के लिए आज भी कई लोग गांधी जी को ही दोषी ठहराते हैं और उनकी निंदा करते हैं किंतु सत्य तो यह है कि गांधी जी ने पाकिस्तान बनने का पूर्ण विरोध किया था।
महात्मा गाँधी पर 10 लाइन Best 10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi
- महात्मा गाँधी को पूरी दुनियां में ख्याति प्राप्त है।
- मोहनदास गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
- इनका विवाह कस्तूरबा बाई के साथ 14 वर्ष की उम्र में हुआ था।
- इंग्लैंड जाकर गाँधी ने बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी।
- गांधीजी हमेशा सत्य और अहिंसा का पालन करते थे।
- सुभाष चंद्र बोस ने सर्वप्रथम मोहनदास गांधी को महात्मा कह कर संबोधित किया था।
- गोपाल कृष्ण गोखले को गांधीजी अपना गुरु मानते थे।
- आजादी में गांधीजी के योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपिता का पद दिया गया।
- पहली बार इन्होंने ही अंग्रेजो के खिलाफ भारत छोड़ो का नारा दिया था।
- 23 जनवरी 1948 के दिन नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी।
महात्मा गाँधी की मृत्यु Gandhi ji Death in Hindi
30 जनवरी 1948 को गांधी जी जब नई दिल्ली के बिड़ला भवन में चहलकदमी कर रहे थे उसी समय नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।
यह दिन पूरे भारत के लिए एक काला दिन साबित हुआ था। गांधी जी की मृत्यु की सूचना जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से भारत वासियों को दिया था।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) पढ़ा।आशा है यह निबंध आपको जानकारी से भरपूर लगा हो। यदि यह निबंध आपको अच्छा लगा हो तो लाइक और शेयर जरूर करें।
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Mahatma Gandhi essay in Hindi | महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे
Mahatma Gandhi essay in Hindi : महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर कई आंदोलन चलाए थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी ( Mohandas Karamchand Gandhi ) था, जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को ब्रिटिश शासन (अंग्रेजों) से आजाद कराया था।
गांधी जी एक महान विचारक और समाज सुधारक भी थे, जिन्होने सामाजिक कुरितियों जैसे जातिवाद, छुआछुत और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके अलावा उन्होने स्वदेशी आंदोलन का भी नेतृत्व किया था। ऐसे महान व्यक्ति के बारे में आपको जरूर पढ़ना चाहिए।
स्कूलों में अक्सर Mahatma Gandhi Essay in Hindi में लिखने के लिए कहा जाता है। इसलिए मैं आपको महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे लिखकर दूंगा, जिससे निबंध प्रतियोगिता में बहुत अच्छे अंक ला सकते है।
महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi essay in Hindi
महात्मा गांधी, जिन्हें भारत में “ बापू ” या “ राष्ट्रपिता ” के नाम से भी जाना जाता है, वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और महान विचारक थे। उन्होंने अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों के आधार पर भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड में कानून (वकालत) की पढ़ाई की और फिर भारत लौटने के बाद एक वकील के रूप में काम किया। 1893 में, वे दक्षिण अफ्रीका चले गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी।
1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया था, जिनमें दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल थें।
महात्मा गांधी के सफल आंदलनों की वजह से ब्रिटिश शासन काफी कमजोर हुआ, और अंतत: 1947 में उन्हे भारत छोड़ना पड़ा। इस तरह भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में गांधी जी का काफी योगदान था। गांधी जी एक महान सत्य और अहिंसा प्रचारक थे, जिन्होने अपनी पूरी जिंदगी में इन सिद्धांतों का पालन किया और दुनिया भर के लोगों को भी प्रेरित किया।
महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में – Gandhi Jayanti per Nibandh Hindi
प्रस्तावना.
महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति है जिन्हे भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में भारत के पोरबंदर स्थान पर हुआ था। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में केवल अहिंसा और सत्य के सिद्धांतो पर कार्य किया।
गांधी जी भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिनका भारत की आजादी में काफी बड़ा योगदान रहा है। उन्होने काफी सारे सफल आंदोलनों का नेतृत्व किया हैं।
महात्मा गांधी का जीवन
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था। गांधी जी ने प्रारंभिक जीवन में हिंदू शिक्षा प्राप्त की, जिसमें उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया।
1888 में, गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए लंदन गए, जहां पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय कंपनी में काम करने गए। वहां पर उन्होने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव पर एक सफल आंदोलन किया।
इसके बाद गांधी जी 1915 में भारत लौटे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व संभाला। और फिर गांधी जी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए काई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जैसे- सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन आदि।
महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रूप में
महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है, क्योंकि उन्होने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काफी बड़ा योगदान दिया था, और इसके अलावा उन्होने भारत को अहिंसा, सत्य और प्रेम की शिक्षा भी दी है।
उपसंहार
महात्मा गांधी काफी महान व्यक्ति थे, जिन्होने भारत देश को आजादी दिलाने में काफी बड़ा योगदान दिया। इसके अलावा भारत को एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित किया। उन्होने पूरे विश्व में लोगों के बीच समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने की शिक्षा। और एक सादा और स्वेदशी जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया।
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में
महात्मा गांधी काफी एक बहुत ही महान पुरुष थे जिन्होने पूरे विश्व को अहिंसा, सत्य और प्यार का पाठ पढ़ाया था। गांधी जी के इन्ही सिद्धांतों की वजह से उन्हे केवल भारत में ही नही बल्कि पूरे संसार में महान पुरुष माना जाता है।
गांधी जी ने काफी सारे शांतिपूर्वक आंदोलन किए थे, जिसकी वजह से अंग्रेजो को भारत को छोड़ना पड़ा था। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, और इसके साथ – साथ एक अच्छे समाज सुधारक भी थे। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में लोगों के बीच समानता और भाईचारा लाने का काम किया। उन्होने महिलाओं के अधिकारों, दलितों के अधिकारों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए भी काम किया।
गांधी जी का परिवार
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदा करमचंद गांधी है और इनके पिता का नाम करमचंद गांधी है। इसके अलाव इनकी माता का नाम पुतलीबाई है। गांधी जी अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे।
गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, जिनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। इसके अलावा गांधी जी के पिता, करमचंद गांधी ब्रिटिश आधिपत्य के तहत पश्चिमी भारत की एक छोटी सी रियासत पोरबंदर के दिवान थे।
गांधी जी के परिवार में 4 बेटे और 13 पोते-पोतियां हैं। अगर आज के समय की बात करें तो उनके पोते-पोतियां और उनके 154 वंशज आज 6 देशों रह रहे हैं।
महात्मा गांधी की शिक्षा
गांधी जी ने प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से ही प्राप्त की थी, जहां उन्होंने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषओं का अध्ययन किया। इसके बाद 1888 में गांधी जी कानून की पढ़ाई के लंदन गए। वे लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई पूरी करके दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होने एक भारतीय कंपनी में काम किया।
दक्षिण अफ्रीका में सक्रियता
जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए तब उन्होने देखा कि वहां भारतीय लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। वहां पर नस्लीय भेदभाव भी हो रहा था। उस समय महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के सिद्धातों से एक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को भी अधिकार मिले।
स्वदेश आगमन
दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी 1915 में स्वदेश लौट आए। इसके बाद उन्होने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संभाला और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नयी दिशा दी। उन्होने अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर एक स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने ब्रिटिश शासन काफी प्रभावित किया।
गांधी जी ने भारत आने के बाद काफी सारे आंदोलन किए, और सभी आंदोलन अंहिसा और शांतिपूर्वक तरीके से किए थे, जिससे उनके अधिकतर सभी आंदोलन सफल हुए थे।
महात्मा गांधी का जीवन काफी शिक्षाप्रद था। उन्होने पूरे विश्व को कई शिक्षाएं दी, जैसे- अहिंसा, सत्य, सादगी, स्वदेश प्रेम, सेवा। गांधी जी की शिक्षाएँ दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणाएं है, जिससे एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण दुनिया बनायी जा सकती है। इसलिए हम सभी को महात्मा गांधी जी की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए।
महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में – Mahatma Gandhi essay in 1000 Word
महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) एक अच्छे समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और आध्यात्मिक नेता थे। इसी वजह से गांधी जी को भारत में “ राष्ट्रपिता” और “ बापू” के नाम से जाना जाता है। उन्होने काफी सारे अंदोलन किए थे, और सभी आंदोलन अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों पर आधारित थे।
महात्मा गांधी जी का जन्म
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो राजकोट राज्य के दिवान थे। और उनकी माता का नाम पुतली बाई था, जो एक धार्मिक गृहिणी थी। महात्मा गांधी जी अपने परिवार में सबसे छोटे थे।
महात्मा गांधी जी की शिक्षा
महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही प्राप्त की थी। उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया था, और सा एक पारंपरिक हिंदू शिक्षा प्राप्त की। गांधी जी ने पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती।
गांधी जी की तेरह वर्ष में पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा के साथ विवाह करवा दिया गया था, जब वे स्कूल में पढ़ते थे। युवा अवस्था में गांधी जी ने 1887 में जैसे-तैसे ‘मुबंई यूनिवर्सिटी’ की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिला लिया।
गांधी जी एक डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन वैष्णव परिवार में चीर-फाड़ की इजाजत नही थी, इसलिए उन्हे बैरिस्टर (कानून) की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाना पड़ा।
महात्मा गांधी जी की विदेश यात्रा
सितंबर 1888 में, गांधी जी लंदन (इंग्लैंड) पहुंच गए। वहां पर उन्होने चार लॉ कॉलेज में से एक ‘इनर टेंपल’ कानून महाविद्यालय में प्रवेश लिया। उन्होने 1890 में, लंदन विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा दी।
गांधी जी ने अपनी लॉ की पढ़ाई को काफी गंभीरता से लिया। उन्होने लंदन में शाकाहारी रेस्तरां के लिए हड़ताल भी की थी। गांधी जी लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी में कार्यकारी समिति के सदस्य बने थे।
दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन
महात्मा गांधी थोड़े समय के लिए इंग्लैंड से भारत आए थे, तब वे अब्दुल्ला के चचेरे भाई के लिए वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए, जो दक्षिण अफ्रीका के शिपिंग व्यापारी थे। लेकिन वहां उन्होने देखा कि वहां पर भारतीय लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में एक सत्याग्रह आंदोलन चलाया ताकि वहां रहने वाले भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले। यह सत्याग्रह आंदोलन अफ्रीका में सात वर्षों से अधिक समय तक चला। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन गांधी जी के नेतृत्व में सभी भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समुदाय ने संघर्ष जारी रखा।
अंतत: दक्षिण अफ्रीका में सभी भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले।
महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन
दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी सन् 1914 में भारत लौट आए। उस समय सभी देशवासियों ने गांधी जी को महात्मा कहकर पुकारना शुरू कर दिया। इसके बाद गांधी जी ने चार वर्ष बारतीय स्थिति का अध्ययन किया।
गांधी जी ने भारत में कई आंदोलनों का सफल नेतृत्व किया था।
1. चंपारण सत्याग्रह आंदोलन
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1917 में बिहार के चंपारण जिले में शुरू हुआ था। यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।
2. खेड़ा आंदोलन
एक बार गुजरात का एक गांव काफी बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गया था, तो स्थानीय किसानों ने कर माफी के लिए शासकों से अपील की। लेकिन शासकों ने उनकी अपील को नही स्वीकारा। इसके बाद गांधी जी ने खेड़ा आंदोलन शुरू किया गया, जिसकी वजह से 1918 में सरकार ने अकाल समाप्ति तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों पर ढील दी।
3. रॉलेट ऐक्ट के विरुद्ध आंदोलन
अंग्रेजों ने भारत में उठ रही आजादी की आवाज को दबाने के लिए 1919 में एक रॉलेट ऐक्ट लगाया था, जिसे काले कानून के नाम से भी जाना जाता था। इस ऐक्ट से ब्रिटिश सरकार किसी भी भारतीय व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी।
उस समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में रॉलेट ऐक्ट के विरोध हुए आंदोलन में पूरा देश शामिल हुआ था।
4. असहयोग आंदोलन
असहयोग आंदोलन काफी महत्वपूर्ण आंदोलन है, जो महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में शुरू किया गया था। इस आंदोलन से सभी भारतीयों में स्वतंत्रता के लिए एक नई जागृति पैदा हुई। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि ब्रिटिश स्रकार से राष्ट्र के सहयोग को वापिस लेना।
5. नमक सत्याग्रह आंदोलन
महात्मा गांधी के सभी आंदोलनों में से एक सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन यह भी था। यह आंदोलन 12 मार्च 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद में है, से शुरू हुआ, और दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च के रूप में चला। यह आंदोलन ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ आंदोलन था।
6. दलित आंदोलन
महात्मा गांधी एक अच्छे समाज सुधारक भी थे, जिन्होने देश में फैल रहे छुआछुत के विरोध में 8 मई 1933 को आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन ने पूरे देश में काफी हद तक छुआछुत को कम किया था। इसके बाद गांधी जी ने 1932 में छुआछुत विरोधी लीग की स्थापना की थी।
7. भारत छोड़ो आंदोलन
महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ 1942 में एक बहुत बडा आंदोलन छेड़ा, जिसका नाम, भारत छोड़ो आंदोलन था। इस आंदोलन से गांधी जी ने अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबुर किया। इसके साथ ही गांधी जी ने एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो भी शुरू किया, जिससे इस आंदोलन को और मजबूती मिली।
इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की हुकूम को काफी कमजोर कर दिया था।
महान बलिदान
भारत छोड़ो आंदोलन के बाद बाद ब्रिटिश हुकूमत काफी कमजोर हुई और अंतत: 1947 में पूरा भारत स्वतंत्र हो गया। लेकिन गांधी जब तक जिंदी थे, तब तक देश के उद्धार के लिए काम करते रहे। गांधी जी ने हिंदु और मुस्लिम एकता का अभियान शुरू किया था, लेकिन इससे कुछ लोग खुश नही थे।
30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय नाथूराम गोड़से ने मौका देखकर गांधी जी को गोली मार दी। हालांकि गांधी जी के मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा जिंदा है।
महात्मा गांधी सच में एक महान पुरुष थे, जिन्होने अच्छी तरह से स्वतंत्र सेनानी और समाज सेवक का रोल निभाया। गांधी जी ने शांति और अहिंसा के आधार पर आंदोलन किया और अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।
महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नही बल्कि पूरे विश्व पटल पर शांति और अहिंसा का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती पर ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप मनाने की घोषणा की।
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महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi!
मोहनदास करमचन्द गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ । उनके पिता राजकोट के दीवान थे । उनकी माता एक धार्मिक महिला थीं । स्वतन्त्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लेने और देश को स्वतन्त्र कराने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण उनको राष्ट्रपिता कहा गया ।
यह उपाधि सर्वप्रथम उन्हें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने दी । महात्मा गाँधी मैट्रिक पास करने के पश्चात् इंग्लैण्ड चले गए जहाँ उन्होंने न्यायशास्त्र का अध्ययन किया । इसके बाद इन्होंने अधिवक्ता के रूप में कार्य प्रारम्भ कर दिया । वह भारत एक बैरिस्टर बनकर वापस आए और मुम्बई में अधिवक्ता के रूप में कार्य करने लगे ।
महात्मा गाँधी को उनके एक भारतीय मित्र ने कानूनी सलाह के लिए दक्षिण अफ्रीका बुलाया । यहीं से उनके राजनैतिक जीवन की शुरूआत हुई । दक्षिण अफ्रीका पहुँचकर गाँधी जी को एक अजीब प्रकार का अनुभव हुआ । उन्होंने वहाँ देखा कि, किस प्रकार से भारतीयों के साथ भेद – भाव किया जा रहा है ।
एक बार गाँधीजी को स्वयं एक गोरे ने ट्रेन से उठाकर बाहर फेंक दिया क्योंकि गाँधीजी उस समय प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे जबकि उस श्रेणी में केवल गोरे यात्रा करना अपना अधिकार समझते थे । गाँधीजी ने तभी से प्रण लिया कि वह काले लोगों और भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे । उन्होंने वहाँ रहने वाले भारतीयों के जीवन सुधार के लिए कई आन्दोलन किये । दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन के दौरान उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझ में आया ।
ADVERTISEMENTS:
जब वह भारत वापस आए तब उन्होंने वही स्थिति यहीं पर देख जो वह दक्षिण अफ्रीका में देखकर आए थे । 1920 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया और अंग्रेजों को ललकारा । 1930 में उन्होंने असहयोग आन्दोलन की स्थापना की और 1942 में भारत उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया ।
अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए । अन्तत: उन्हें सफलता हाथ लगी और 1947 में भारत आजाद हुआ पर दु:खू की बात यह है की नाथुरम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गाँधी की हत्या कर दी जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे ।
उनका प्रसिद्ध भजन यह था :
रघुपति राघव राजा राम , पतित पावन सीता राम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम , सबको सन्मति दे भगवान ।
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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी | mahatma gandhi essay in hindi.
Last Updated: February 7, 2023 By Gopal Mishra 54 Comments
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी / Mahatma Gandhi Essay In Hindi
एक ही दिवस पर दो विभूतियों ने भारत माता को गौरवान्वित किया। गाँधी जी एवं लाल बहादूर शास्त्री जैसी अदभुत प्रतिभाओ का 2 अक्टूबर को अवतरण हम सभी के लिये हर्ष का विषय है।
- ज़रूर पढ़ें: 2019 महात्मा गाँधी जयंती पर दमदार भाषण
Mahatma Gandhi
सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेजों से भारत को स्वतंत्र करा करके हम सभी को स्वतंत्र भारत का अनमोल उपहार देने वाले महापुरूष गाँधी जी को राष्ट्र ने राष्ट्रपिता के रूप में समान्नित किया। वहीं जय जवान, जय किसान का नारा देकर भारत के दो आधार स्तंभ को महान कहने वाले महापुरूष लाल बहादुर शास्त्री जी ने स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधान मंत्री के रूप में राष्ट्र को विश्वपटल पर उच्चकोटी की पहचान दिलाई।
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आज इस लेख में मैं आपके साथ राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी से सम्बंधित कुछ रोचक बातें साझा करने का प्रयास करुँगी|
भारत ही नही वरन पूरे विश्व पटल पर महात्मा गाँधी सिर्फ़ एक नाम नहीं अपितु शान्ति और अहिंसा का प्रतीक है। महात्मा गाँधी के पूर्व भी शान्ति और अहिंसा की अवधारणा फलित थी, परन्तु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह, शान्ति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुये अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता। तभी तो प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि –
हज़ार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इन्सान धरती पर कभी आया था।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गाँधी जयंती को ‘ विश्व अहिंसा दिवस ’ के रूप में मनाये जाने की घोषणा की।
मित्रों आज हम गाँधी जी की उस उप्लब्धी का जिक्र करने का प्रयास कर रहे हैं जो हम सभी के लिये गर्व का विषय है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अहिंसा के बूते पर आजादी दिलाने में भले ही भारत के हीरो हैं लेकिन डाक टिकटों के मामले में वह विश्व के 104 देशों में सबसे बड़े हीरो हैं। विश्व में अकेले गांधी ही ऐसे लोकप्रिय नेता हैं जिन पर इतने अधिक डाक टिकट जारी होना एक रिकार्ड है। डाक टिकटों की दुनिया में गांधी जी सबसे ज़्यादा दिखने वाले भारतीय हैं तथा भारत में सर्वाधिक बार डाक-टिकटों पर स्थान पाने वालों में गाँधी जी प्रथम हैं।
यहाँ तक कि आज़ाद भारत में वे प्रथम व्यक्ति थे, जिन पर डाक टिकट जारी हुआ। किन्तू एक दिलचस्प बात यह थी कि ज़िंदगी भर ‘स्वदेशी’ को तवज्जो देने वाले गांधी जी को सम्मानित करने के लिए जारी किए गए पहले डाक टिकटों की छपाई स्विट्जरलैंड में हुई थी। इसके बाद से लेकर आज तक किसी भी भारतीय डाक टिकट की छपाई विदेश में नहीं हुई।
गाँधी जी की शक्सियत का ही असर था कि, भारत को ग़ुलामी के शिकंजे में कसने वाले ब्रिटेन ने जब पहली दफ़ा किसी महापुरुष पर डाक टिकट निकाला तो वह महात्मा गांधी ही थे। इससे पहले ब्रिटेन में डाक टिकट पर केवल राजा या रानी के ही चित्र छापे जाते थे।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर सर्वाधिक डाक टिकट उनके जन्म शताब्दी वर्ष 1969 में जारी हुए थे। उस वर्ष विश्व के 35 देशों ने उन पर 70 से अधिक डाक टिकट जारी किए थे।
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मित्रों, गाँधी जी ने सत्य को अपने जीवन में बचपन से ही अपनाया था। सत्य को परिलाक्षित करती उनकी एक बचपन की घटना याद आती है जब टीचर के कहने के बावजूद भी उन्होने नकल नही की। किस्सा यूँ है कि, एक बार- राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल में तत्कालीन शिक्षा विभाग के इंसपेक्टर “जाइल्स” मुआयना करने आए थे।
उन्होने नवीं कक्षा के विद्यार्थियों को अंग्रेजी के पाँच शब्द लिखने को दिये, जिसमें से एक शब्द था “केटल” मोहनदास इसे ठीक से नही लिख सके तो मास्टर साहब ने ईशारा किया कि आगे वाले लङके की नकल कर लो किन्तु मोहनदास ने ऐसा नही किया। परिणाम ये हुआ कि सिर्फ उनके ही लेख में गलती निकली सभी के पाँचो शब्द सही थे। जब मास्टर साहब ने पूछा कि तुमने नकल क्यों नही की तो मोहनदास ने ढृणता से उत्तर दिया कि “ऐसा करना धोखा देने और चोरी करने जैसा है जो मैं हर्गिज नही कर सकता”। ये घटना इस बात का प्रमाण है कि गाँधी जी बचपन से ही सत्य के अनुयायी थे। राजा हरिश्चन्द्र और श्रवण कुमार का असर उन पर बचपन से ही था।
ऐसे सत्य और अहिंसा के पूजारी को निम्न पंक्तियों से नमन करते हैं-
दे दी हमें आजादी खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
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October 1, 2018 at 8:17 pm
Gandhi ji is one of the great person in whole universe
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महात्मा गाँधी
महात्मा गाँधी एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही सत्य और अहिंसा का स्मरण होता है। एक ऐसा व्यक्तित्व जिन्होंने किसी दूसरे को सलाह देने से पहले उसका प्रयोग स्वंय पर किया। जिन्होंने बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी अहिंसा का मार्ग नहीं छोङा। महात्मा गाँधी महान व्यक्तित्व के राजनैतिक नेता थे। इन्होंने भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। गाँधी जी सादा जीवन उच्च विचार के समर्थक थे, और इसे वे पूरी तरह अपने जीवन में लागू भी करते थे। उनके सम्पूर्णं जीवन में उनके इसी विचार की छवि प्रतिबिम्बित होती है। यहीं कारण है कि उन्हें 1944 में नेताजी सुभाष चन्द्र ने राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया था।
महात्मा गाँधी से संबंधित तथ्य:
पूरा नाम – मोहनदास करमचन्द गाँधी अन्य नाम – बापू, महात्मा, राष्ट्र-पिता जन्म-तिथि व स्थान – 2 अक्टूबर 1869, पोरबन्दर (गुजरात) माता-पिता का नाम – पुतलीबाई, करमचंद गाँधी पत्नी – कस्तूरबा गाँधी शिक्षा – 1887 मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की,
- विद्यालय – बंबई यूनिवर्सिटी, सामलदास कॉलेज
- इंग्लैण्ड यात्रा – 1888-91, बैरिस्टर की पढाई, लंदन युनिवर्सिटी
बच्चों के नाम (संतान) – हरीलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास प्रसिद्धि का कारण – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम राजनैतिक पार्टी – भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस स्मारक – राजघाट, बिरला हाऊस (दिल्ली) मृत्यु – 30 जनवरी 1948, नई दिल्ली मृत्यु का कारण – हत्या
महात्मा गाँधी की जीवनी (जीवन-परिचय)
महात्मा गाँधी (2 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948)
जन्म, जन्म-स्थान व प्रारम्भिक जीवन
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबन्दर, गुजरात में करमचंद गाँधी के घर पर हुआ था। यह स्थान (पोरबंदर) पश्चिमी भारत में गुजरात राज्य का एक तटीय शहर है। ये अपनी माता पुतलीबाई के अन्तिम संतान थे, जो करमचंद गाँधी की चौथी पत्नी थी। करमचंद गाँधी की पहली तीन पत्नियों की मृत्यु प्रसव के दौरान हो गई थी। ब्रिटिश शासन के दौरान इनके पिता पहले पोरबंदर और बाद में क्रमशः राजकोट व बांकानेर के दीवान रहें।
महात्मा गाँधी जी का असली नाम मोहनदास था और इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी। इसी कारण इनका नाम पूरा नाम मोहन दास करमचंद गाँधी पङा। ये अपने तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। इनकी माता पुतलीबाई, बहुत ही धार्मिक महिला थी, जिस का गाँधी जी के व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पङा। जिसे उन्होंने स्वंय पुणे की यरवदा जेल में अपने मित्र और सचिव महादेव देसाई को कहा था, ‘‘तुम्हें मेरे अंदर जो भी शुद्धता दिखाई देती हो वह मैंने अपने पिता से नहीं, अपनी माता से पाई है…उन्होंने मेरे मन पर जो एकमात्र प्रभाव छोड़ा वह साधुता का प्रभाव था।’’
गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ, और उनके जीवन पर भारतीय जैन धर्म का गहरा प्रभाव पङा। यही कारण है कि वे सत्य और अहिंसा में बहुत विश्वास करते थे और उनका अनुसरण अपने पूरे जीवन काल में किया।
गाँधी जी का विवाह (शादी)/ गाँधी जी का वैवाहिक जीवन
गाँधी जी की शादी सन् 1883, मई में 13 वर्ष की आयु पूरी करते ही 14 साल की कस्तूरबा माखन जी से हुई। गाँधी जी ने इनका नाम छोटा करके कस्तूरबा रख दिया और बाद में लोग उन्हें प्यार से बा कहने लगे। कस्तूरबा गाँधी जी के पिता एक धनी व्यवसायी थे। कस्तूरबा गाँधी शादी से पहले तक अनपढ़ थीं। शादी के बाद गाँधीजी ने उन्हें लिखना एवं पढ़ना सिखाया। ये एक आदर्श पत्नी थी और गाँधी जी के हर कार्य में दृढता से उनके साथ खङी रही। इन्होंने गाँधी जी के सभी कार्यों में उनका साथ दिया।
1885 में गाँधी जी जब 15 साल के थे तब इनकी पहली संतान ने जन्म लिया। लेकिन वह कुछ ही समय जीवित रहीं। इसी वर्ष इनके पिताजी करमचंद गाँधी की भी मृत्यु हो गयी। गाँधी जी के 4 सन्तानें थी और सभी पुत्र थे:- हरीलाल गाँधी (1888), मणिलाल गाँधी (1892), रामदास गाँधी (1897) और देवदास गाँधी (1900)।
गाँधी जी की शिक्षा- दीक्षा
प्रारम्भिक शिक्षा
गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी। पोरबंदर से उन्होंने मिडिल स्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की। इनके पिता की बदली राजकोट होने के कारण गाँधी जी की आगे की शिक्षा राजकोट में हुई। गाँधी जी अपने विद्यार्थी जीवन में सर्वश्रेष्ठ स्तर के विद्यार्थी नहीं थे। इनकी पढाई में कोई विशेष रुचि नहीं थी। हालांकि गाँधी जी एक एक औसत दर्जें के विद्यार्थी रहे, किन्तु किसी किसी प्रतियोगिता और खेल में उन्होंने पुरुस्कार और छात्रवृतियॉ भी जीती। 21 जनवरी 1879 में राजकोट के एक स्थानीय स्कूल में दाखिला लिया। यहाँ उन्होंने अंकगणित, इतिहास और गुजराती भाषा का अध्यन किया।
साल 1887 में जैसे-तैसे उन्होंने राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और आगे की पढ़ाई के लिये भावनगर के सामलदास कॉलेज में प्रवेश लिया। घर से दूर रहने के कारण वे पर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाये और अस्वस्थ होकर पोरबंदर वापस लौट आये। यदि आगे की पढ़ाई का निर्णय गाँधी जी पर छोड़ा जाता तो वह डॉक्टरी की पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहते थे, किन्तु उन्हें घर से इसकी अनुमति नहीं मिली।
इंग्लैण्ड में उच्च स्तर की पढाई
गाँधी जी के पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार के एक करीबी मित्र भावजी दवे ने उन्हें वकालत करने की सलाह दी और कहा कि बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद उन्हें अपने पिता का उत्तराधिकारी होने के कारण उनका दीवानी का पद मिल जायेगा।
उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के कुछ सदस्यों ने उनके विदेश जाने के फैसले का विरोध किया, किन्तु गाँधी जी ने अपनी माँ से वादा किया कि वे शाकाहारी भोजन करेगें। इस प्रकार अपनी माँ को आश्वस्त करने के बाद उन्हें इंग्लैण्ड जाने की आज्ञा मिली।
4 सितम्बर 1888 को गाँधी जी इंग्लैण्ड के लिये रवाना हुये। यहाँ आने के बाद इन्होंने पढ़ाई को गम्भीरता से लिया और मन लगाकर अध्ययन करने लगे। हालांकि, इंग्लैण्ड में गाँधी जी का शुरुआती जीवन परेशानियों से भरा हुआ था। उन्हें अपने खान-पान और पहनावे के कारण कई बार शर्मिदा भी होना पड़ा। किन्तु उन्होंने हर एक परिस्थिति में अपनी माँ को दिये वचन का पालन किया।
बाद में इन्होंने लंदन शाकाहारी समाज (लंदन वेजीटेरियन सोसायटी) की सदस्यता ग्रहण की और इसके कार्यकारी सदस्य बन गये। यहाँ इनकी मुलाकात थियोसोफिकल सोसायटी के कुछ लोगों से हुई जिन्होंने गाँधी जी को भगवत् गीता पढ़ने को दी। गाँधी जी लंदन वेजीटेरियन सोसायटी के सम्मेलनों में भाग लेने लगे और उसकी पत्रिका में लेख लिखने लगे। यहाँ तीन वर्षों (1888-1891) तक रहकर अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की और 1891 में ये भारत लौट आये।
गाँधी जी का 1891-1893 तक का समय
1891 में जब गाँधी जी भारत लौटकर आये तो उन्हें अपनी माँ की मृत्यु का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। उन्हें यह जानकर बहुत निराशा हुई कि वकालत एक स्थिर व्यवसायी जीवन का आधार नहीं है। गाँधी जी ने बंबई जाकर वकालत का अभ्यास किया किन्तु स्वंय को स्थापित नहीं कर पाये और वापस राजकोट आ गये। यहाँ इन्होंने लागों की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरु कर दिया। एक ब्रिटिश अधिकारी को नाराज कर देने के कारण इनका यह काम भी बन्द हो गया।
गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा
एक वर्ष के कानून के असफल अभ्यास के बाद, गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका के व्यापारी दादा अब्दुला का कानूनी सलाहकार बनने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 1883 में गाँधी जी ने अफ्रीका (डरबन) के लिये प्रस्थान किया। इस यात्रा और वहाँ के अनुभवों ने गाँधी जी के जीवन को एक महत्वपूर्ण मोङ दिया। इस यात्रा के दौरान गाँधी जी को भारतियों के साथ हो रहें भेदभाव को देखा।
ऐसी कुछ घटनाऐं उनके साथ घटित हुई जिससे उन्हें भारतियों और अश्वेतों के साथ हो रहे अत्याचारों का अनुभव हुआ जैसे: 31 मई 1883 को प्रिटोरिया जाने के दौरान प्रथम श्रेणी की टिकट के बावजूद उन्हें एक श्वेत अधिकारी ने गाडी से धक्का दे दिया और उन्होंने ठिठुरते हुये रात बिताई क्योंकि वे किसी से पुनः अपमानित होने के डर से कुछ पूछ नहीं सकते थे, एक अन्य घटना में एक घोङा चालक ने उन्हें पीटा क्योंकि उन्होंने एक श्वेत अंग्रेज को सीट देकर पायदान पर बैठकर यात्रा करने से इंकार कर दिया था, यूरोपियों के लिये सुरक्षित होटलों पर जाने से रोक आदि कुछ ऐसी घटनाऐं थी जिन्होंने गाँधी जी के जीवन का रुख ही बदल दिया।
नटाल (अफ्रीका) में भारतीय व्यापारियों और श्रमिकों के लिये यह अपमान आम बात थी और गाँधी जी के लिये एक नया अनुभव। यहीं से गाँधी जी के जीवन में एक नये अध्याय की शुरुआत हुई। गाँधी जी ने सोचा कि यहाँ से भारत वापस लौटना कायरता होगी अतः वहीं रह कर इस अन्याय का विरोध करने का निश्चय किया। इस संकल्प के बाद वे अगले 20 वर्षों (1893-1894) तक दक्षिण अफ्रीका में ही रहें और भारतियों के अधिकारों और सम्मान के लिये संघर्ष किया।
दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष का प्रथम चरण (1884-1904) –
- संघर्ष के इस प्रथम चरण के दौरान गाँधी जी की राजनैतिक गतिविधियाँ नरम रही। इस दौरान उन्होंने केवल सरकार को अपनी समस्याओं और कार्यों से संबंधित याचिकाएँ भेजते थे।
- भारतियों को एक सूत्र में बाँधने के लिये 22 अगस्त 1894 में “नेटाल भारतीय काग्रेंस का” गठन किया।
- “इण्डियन ओपिनियन” नामक अखबार के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरु की।
- इस संघर्ष को व्यापारियों और वकीलों के आन्दोलन के नाम से जाना जाता है।
संघर्ष का दूसरा चरण –
- अफ्रीका में संघर्ष के दूसरे चरण की शुरुआत 1906 में हुई।
- इस समय उपनिवेशों की राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन हो चुका था, तो गाँधी जी ने नये स्तर से आन्दोलन को प्रारम्भ किया। यहीं से मूल गाँधीवादी प्राणाली की शुरुआत मानी जाती है।
- 30 मई 1910 में जोहान्सवर्ग में टाल्सटाय और फिनिक्स सेंटमेंट की स्थापना।
- काग्रेंस के कार्यकर्ताओं को अहिंसा और सत्याग्रह का प्रशिक्षण।
महात्मा गाँधी का भारत आगमन
1915 में 46 वर्ष की उम्र में गाँधी जी भारत लौट आये, और भारत की स्थिति का सूक्ष्म अध्ययन किया। गोपाल कृष्ण गोखले (गाँधी जी के राजनीतिक गुरु) की सलाह पर गाँधी जी नें एक वर्ष शान्तिपूर्ण बिना किसी आन्दोलन के व्यतीत किया। इस समय में उन्होंने भारत की वास्तविक स्थिति से रूबरू होने के लिये पूरे भारत का भ्रमण किया। 1916 में गाँधी जी नें अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। फरवरी 1916 में गाँधी जी ने पहली बार बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय में मंच पर भाषण दिया। जिसकी चर्चा पूरे भारत में हुई।
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय भूमिका
चम्पारण और खेडा आन्दोलन (1917-1918)
साल 1917 में बिहार के चम्पारण जिले में रहने वाले किसानों के हक के लिये गाँधी जी ने आन्दोलन किया। यह गाँधी जी का भारत में प्रथम सक्रिय आन्दोलन था, जिसनें गाँधी जी को पहली राजनैतिक सफलता दिलाई। इस आन्दोलन में उन्होंने अहिंसात्मक सत्याग्रह को अपना हथियार बनाया और इस प्रयोग में प्रत्याशित सफलता भी अर्जित की।
19 वीं शताब्दी के अन्त में गुजरात के खेड़ा जिले के किसान अकाल पड़ने के कारण असहाय हो गये और उस समय उपभोग की वस्तुओं के भी दाम बहुत बढ़ गये थे। ऐसे में किसान करों का भुगतान करने में बिल्कुल असमर्थ थे। इस मामले को गाँधी जी ने अपने हाथ में लिया और सर्वेंट ऑफ इण्डिया सोसायटी के सदस्यों के साथ पूरी जाँच-पड़ताल के बाद अंग्रेज सरकार से बात की और कहा कि जो किसान लगान देने की स्थिति में है वे स्वतः ही दे देंगे बशर्तें सरकार गरीब किसानों का लगान माफ कर दें। ब्रिटिश सरकार ने यह प्रस्ताव मान लिया और गरीब किसानों का लगान माफ कर दिया।
1918 में अहमदाबाद मिल मजदूरों के हक के लिये भूख हङताल
1918 में अहमदाबाद के मिल मालिक कीमत बढने के बाद भी 1917 से दिये जाने वाले बोनस को कम बंद कर करना चाहते थे। मजदूरों ने माँग की बोनस के स्थान पर मजदूरी में 35% की वृद्धि की जाये, जबकि मिल मालिक 20% से अधिक वृद्धि करना नहीं चाहते थे। गाँधी जी ने इस मामले को सौंपने की माँग की। किन्तु मिल मालिकों ने वादा खिलाफी करते हुये 20% वृद्धि की। जिसके खिलाफ गाँधी जी नें पहली बार भूख हङताल की। यह इस हङताल की सबसे खास बात थी। भूख हङताल के कारण मिल मालिकों को मजदूरों की माँग माननी पङी।
इन आन्दोलनों ने गँधी जी को जनप्रिय नेता तथा भारतीय राजनीति के प्रमुख स्तम्भ के रुप में स्थापित कर दिया।
खिलाफत आन्दोलन (1919-1924)
तुर्की के खलीफा के पद की दोबारा स्थापना करने के लिये देश भर में मुसलमानों द्वारा चलाया गया आन्दोलन था। यह एक राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन था, जो अंग्रेजों पर दबाव डालने के लिये चलाया गया था। गाँधी जी ने इस आन्दोलन का समर्थन किया। इस आन्दोलन का समर्थन करने का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता आन्दोलन में मुसलिमों का सहयोग प्राप्त करना था।
असहयोग आन्दोलन (1919-1920)
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान प्रेस पर लगे प्रतिबंधों और बिना जाँच के गिरफ्तारी वे आदेश को सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता वाली समिति ने इन कडे नियमों को जारी रखा। जिसे रोलेट एक्ट के नाम से जाना गया। जिसका पूरे भारत में व्यापक स्तर पर विरोध हुआ। उस विरोधी आन्दोलन को असहयोग आन्दोलन का नाम दिया गया। असहयोग आन्दोलन के जन्म का मुख्य कारण रोलट एक्ट और जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (1919) था।
गाँघी जी अध्यक्षता में 30 मार्च 1919 और 6 अप्रैल 1919 को देश व्यापी हङताल का आयोजन किया गया। चारों तरफ देखते ही देखते सभी सरकारी कार्य ठप्प हो गये। अंग्रेज अधिकारी इस असहयोग के हथियार के आगे बेवस हो गये। 1920 में गाँधी जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने और इस आन्दोलन में भाग लेने के लिये भारतीय जनमानस को प्रेरित किया। गाँधी जी की प्रेरणा से प्रेरित होकर प्रत्येक भारतीय ने इसमें बढ-चढ कर भाग लिया।
इस आन्दोलन को और अधिक प्रभावी करने के लिये और हिन्दू- मुसलिम एकता को मजबूती देने के उद्देश्य से गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को खिलाफत आन्दोलन से जोङ दिया।
सरकारी आकडों के अनुसार साल 1921 में 396 हडतालें आयोजित की गयी जिसमें 6 लाख श्रमिकों ने भाग लिया था और इस दौरान लगभग 70 लाख कार्यदिवसों का नुकसान हुआ था। विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों और कालेजों में जाना बन्द कर दिया, वकीलों ने वकालात करने से मना कर दिया और श्रमिक वर्ग हङताल पर चला गया। इस प्रकार प्रत्येक भारतीय नागरिक ने अपने अपने ढंग से गाँधी जी के इस आन्दोलन को सफल बनाने में सहयोग किया। 1857 की क्रान्ति के बाद यह सबसे बङा आन्दोलन था जिसने भारत में ब्रिटिश शासन के अस्तित्व को खतरें में डाल दिया था।
चौरी-चौरा काण्ड (1922)
1922 तक आते आते यह देश का सबसे बङा आन्दोलन बन गया था। एक हङताल की शान्तिपूर्ण विरोध रैली के दौरान यह अचानक हिंसात्मक रुप में परिणित हो गया। विरोध रैली के दौरान पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके जेल में डालने से भीङ आक्रोशित हो गयी। और किसानों के एक समूह ने फरवरी 1922 में चौरी-चौरा नामक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी। इस घटना में कई निहत्थे पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गयी।
इस घटना से गाँधी जी बहुत आहत हुये और उन्होंने इस आन्दोलन को वापस ले लिया। गांधी जी ने यंग इण्डिया में लिखा था कि, “आन्दोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, हर एक यातनापूर्ण बहिष्कार, यहाँ तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।”
सविनय अवज्ञा आन्दोलन (12 मार्च 1930)
इस आनदोलन का उद्देश्य पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना था। गाँधी जी और अन्य अग्रणी नेताओं को अंग्रेजों के इरादों पर शक होने लगा था कि वे अपनी औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की घोषणा को पूरी करेगें भी या नहीं। गाँधी जी ने अपनी इसी माँग का दबाव अंग्रेजी सरकार पर डालने के लिये 6 अप्रैल 1930 को एक और आन्दोलन का नेतृत्व किया जिसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन के नाम से जाना जाता है।
इसे दांङी मार्च या नमक कानून भी कहा जाता है। यह दांङी मार्च गाँधी जी ने साबरमती आश्रम से निकाली। इस आन्दोलन का उद्देश्य सामूहिक रुप से कुछ विशिष्ट गैर-कानूनी कार्यों को करके सरकार को झुकाना था। इस आन्दोलन की प्रबलता को देखते हुये सरकार ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को समझौते के लिये भेजा। गाँधी जी ने यह समझौता स्वीकार कर लिया और आन्दोलन वापस ले लिया।
भारत छोडो आन्दोलन (अगस्त 1942)
क्रिप्श मिशन की विफलता के बाद गाँधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ अपना तीसरा बङा आन्दोलन छेङने का निर्णय लिया। इस आन्दोलन का उद्देश्य तुरन्त स्वतंत्रता प्राप्त करना था। 8 अगस्त 1942 काग्रेंस के बम्बई अधिवेशन में अंग्रेजों भारत छोङों का नारा दिया गया और 9 अगस्त 1942 को गाँधी जी के कहने पर पूरा देश आन्दोलन में शामिल हो गया। ब्रिटिश सरकार ने इस आन्दोलन के खिलाफ काफी सख्त रवैया अपनाया। इस आन्दोलन को दबाने में सरकार को एक वर्ष से अधिक समय लगा।
भारत का विभाजन और आजादी
अंग्रेजों ने जाते जाते भी भारत को दो टुकङों में बाँट दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों की स्थिति बहुत कमजोर हो गयी थी। उन्होंने भारत को आजाद करने के संकेत दे दिये थे। भारत की आजादी के साथ ही जिन्ना के नेतृत्व में एक अलग राज्य पाकिस्तान की भी माँग होने लगी। गाँधी जी देश का बँटवारा नहीं होने देना चाहते थे। किन्तु उस समय परिस्थितियों के प्रतिकूल होने के कारण देश दो भागों में बँट गया।
महात्मा गाँधी की मृत्यु (30 जनवरी 1948)
नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने 30 जनवरी 1948 को शाम 5 बजकर 17 मिनट पर बिरला हाउस में गाँधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी। जवाहर लाल नेहरु ने गाँधी जी की हत्या की सूचना इन शब्दों में दी, ‘हमारे जीवन से प्रकाश चला गया और आज चारों तरफ़ अंधकार छा गया है। मैं नहीं जानता कि मैं आपको क्या बताऊँ और कैसे बताऊँ। हमारे प्यारे नेता, राष्ट्रपिता बापू अब नहीं रहे।’
गाँधी जी का जीवन-चक्र (टाईम-लाइन) एक नजर मेः-
1879 – जन्म – 2 अक्टूबर, पोरबंदर (गुजरात)।
1876 – गाँधी जी के पिता करमचंद गाँधी की राजकोट में बदली, परिवार सहित राजकोट आना और कस्तूरबा माखन जी से सगाई।
1879 – 21 जनवरी 1879 को राजकोट के स्थानीय स्कूल में दाखिला।
1881 – राजकोट हाई स्कूल में पढाई।
1883 – कस्तूरबा माखन जी से विवाह।
1885 – गाँधी जी के पिता की मृत्यु, इसी वर्ष इनके पहले पुत्र का जन्म और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु।
1887 – राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की, सामलदास कॉलेज (भावनगर) में प्रवेश।
1888 – पहले पुत्र हरीलाल का जन्म, बैरिस्टर की पढाई के लिये इंग्लैण्ड के लिये प्रस्थान।
1891 – बैरिस्टर की पढाई करके भारत लौटे, अपनी अनुपस्थिति में माता पुतलीबाई के निधन का समाचार, पहले बम्बई बाद में राजकोट में वकालात की असफल शुरुआत।
1892 – दूसरे पुत्र मणिलाल गाँधी का जन्म।
1893 – अफ्रीकी व्यापारी दादा अब्दुला के कानूनी सलाहकार का प्रस्ताव को स्वीकार कर अफ्रीका (डरबन) के लिये प्रस्थान, 31 मई 1893 को प्रिटोरिया रेल हादसा, रंग-भेद का सामना।
1894 – दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष के प्रथम चरण का प्रारम्भ, नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना।
1896 – भारत आगमन (6 महीने के लिये) और पत्नी और एक पुत्र को लेकर अफ्रीका वापस गये।
1897 – तीसरे पुत्र रामदास का जन्म।
1899 – बोअर युद्ध में ब्रिटिश की मदद के लिये भारतीय एम्बुलेंस सेवा प्रदान की।
1900 – चौथे और अन्तिम पुत्र देवदास का जन्म।
1901 – अफ्रीकी भारतियों को आवश्यकता के समय मदद करने के लिये वापस आने का आश्वासन देकर परिवार सहित स्वदेश आगमन, भारत का दौरा, कांग्रेस अधिवेशन में भाग और बबंई में वकालात का दफ्तर खोला।
1902 – अफ्रीका में भारतियों द्वारा बुलाये जाने पर अफ्रीका के लिये प्रस्थान।
1903 – जोहान्सवर्ग में वकालात दफ्तर खोला।
1904 – इण्डियन ओपिनियन सप्ताहिक पत्र का प्रकाशन।
1906 – जुल्लु युद्ध के दौरान भारतियों को मदद के लिये प्रोत्साहन, आजीवन ब्रह्मचर्य का संकल्प, एशियाटिक ऑर्डिनेन्स के विरोध में प्रथम सत्याग्रह।
1907 – ब्लैक एक्ट (भारतियों और अन्य एशियाई लोगों का जबरदस्ती पंजीयन) के विरोध में सत्याग्रह।
1908 – दक्षिण अफ्रीका (जोहान्सवर्ग) में पहली जेल यात्रा, दूसरा सत्याग्रह (पुनः जेल यात्रा)।
1909 – दक्षिण अफ्रीकी भारतियों की ओर से पक्ष रखने के इंग्लैण्ड यात्रा, नवम्बर (13-22 तारीख के बीच) में वापसी के दौरान हिन्द स्वराज पुस्तक की रचना।
1910 – 30 मई को जोहान्सवर्ग में टाल्सटाय और फिनिक्स सेंटमेंट की स्थापना।
1913 – द ग्रेट मार्च का नेतृत्व, 2000 भारतीय खदान कर्मियों की न्युकासल से नेटाल तक की पदयात्रा।
1915 – 21 वर्ष बाद भारत वापसी।
1916 – साबरमती नदी के किनारे (अहमदाबाद में) आश्रम की स्थापना, बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय की स्थापना पर प्रथम बार गाँधी जी का मंच से भाषण।
1917 – बिहार के चम्पारन जिले में नील किसानों के हक के लिये सत्याग्रह आन्दोलन।
1918 – अहमदाबाद में मिल मजदूरों की हक की लङाई में मध्यस्था
1919 – रोलेट एक्ट और जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में सत्याग्रह छेङा, जो आगे चलकर असहयोग आन्दोलन (1920) के नाम से प्रसिद्ध हुआ, यंग इण्डिया (अंग्रेजी) और नवजीवन (गुजराती) सप्ताहिक पत्रिका का संपादन।
1920 – जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में केसर-ए-हिन्द की उपाधि वापस की, होमरुल लीग के अध्यक्ष निर्वाचित हुये।
1921 – असहयोग आन्दोलन के अन्तर्गत बंबई में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई, साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में 5 दिन का उपवास।
1922 – चौरी-चौरा कांड के कारण असहयोग आन्दोलन को वापस लिया, राजद्रोह का मुकदमा और 6 वर्ष का कारावास।
1924 – बेलगाम कांग्रेस अधिवेसन में अध्यक्ष चुने गये, साम्प्रदायिक एकता के लिये 21 दिन का उपवास।
1928 – कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में भाग, पूर्ण स्वराज का आह्वान।
1929 – कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस घोषित करके राष्ट्रव्यापी आन्दोलन आरम्भ।
1930 – नमक कानून तोङने के लिये साबरमती आश्रम से दांङी यात्रा जिसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन का नाम दिया।
1931 – गाँधी इरविन समझौता, गाँधी जी ने दूसरे गोलमाज सम्मेलन में भाग लेने को तैयार।
1932 – यरवदा पैक्ट को ब्रिटिश स्वीकृति।
1933 – साबरमती तट पर बने आश्रम का नाम हरिजन आश्रम रखकर देश में अस्पृश्यता विरोधी आन्दोलन छेङा, हरिजन नामक सप्ताहिक पत्र का प्रकाशन।
1934 – अखिल भारतीय ग्रामोद्योग की स्थापना।
1936 – वर्धा में सेवाश्रम की स्थापना।
1937 – दक्षिण भारत की यात्रा।
1940 – विनोबा भावे को पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही के रुप में चुना गया।
1942 – क्रिप्स मिशन की असफलता, भारत छोङो अभियान की शुरुआत, सचिव मित्र महादेव देसाई का निधन।
1944 – 22 फरवरी को गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी जी की मृत्यु।
1946 – बंगाल के साम्प्रदायिक दंगो के संबंध में कैबिनेट मिशन से भेंट।
1947 – साम्प्रदायिक शान्ति के लिये बिहार यात्रा, जिन्ना और गवर्नल जनरल माउन्टबैटेन से भेंट, देश विभाजन का विरोध।
1948 – बिङला हाउस में जीवन का अन्तिम 5 दिन का उपवास, 20 जनवरी को प्रार्थना सभा में विस्फोट, 30 जनवरी को प्रार्थना के लिये जाते समय नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या।
गाँधी जी के अनमोल वचन
- “पाप से घृणा करो, पापी से नहीं”।
- “जो बदलाव आप दुनिया में देखना चाहते है, वह पहले स्वंय में लाये।”
- “वास्तविक सौन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है|”
- “अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है|”
- “गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है।”
- “चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए|”
- “जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है|”
- “जब भी आप एक प्रतिद्वंद्वी के साथ सामना कर रहे हैं। प्यार के साथ उसे जीतना।”
- “अहिंसा, किसी भी प्राणी को विचार, शब्द या कर्म से चोट नहीं पहुंचाना है, यहाँ तक कि किसी प्राणी के लाभ के लिए भी नहीं।”
- “जहाँ प्यार है, वहाँ जीवन है।”
- “मैं आपके मसीहा (ईशा) को पसन्द करता हूँ, मैं आपके ईसाइयों को पसंद नहीं करता। आपके ईसाई आपके मसीहा (ईशा) के बहुत विपरीत हैं।”
- “सबसे पहले आपकी उपेक्षा करते है, तब वे आप पर हंसते हैं, तब वे आप से लड़ते हैं, तब आप जीतते है।”
- “मैं खुद के लिए कोई पूर्णता का दावा नहीं करता। लेकिन मैं सच्चाई के पीछे एक भावुक साधक का दावा करता हूँ, जो भगवान का दूसरा नाम हैं।”
- “मेरे पास दुनिया को पढ़ाने के लिए कोई नई बात नहीं है। सत्य और अहिंसा पहाड़ियों के जैसे पुराने हैं। मैंनें पूर्ण प्रयास के साथ विशाल पैमाने पर दोनों में प्रयोगों की कोशिश है, जितना मैं कर सकता था।”
- “कमज़ोर कभी माफ नहीं कर सकते। क्षमा ताकतवर की विशेषता है।”
- “आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।”
- “खुशी जब मिलेगी जब जो आप सोचते है, कहते है, और जो करते है, सामंजस्य में हों।”
- “ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो। ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।”
- “किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिलों और आत्माओं में बसती है|”
- “कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं|”
- “जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता | दुःख के बिना सुख नहीं होता|”
- “विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है|”
- “यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है।”
- “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है|”
- “चिंता के समान शरीर का क्षय और कुछ नहीं करता, और जिसे ईश्वर में जरा भी विश्वास है उसे किसी भी विषय में चिंता करने में ग्लानि होनी चाहिए।”
- “हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है|”
- “काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है|”
- “लम्बे-लम्बे भाषणों से कहीं अधिक मूल्यवान इंच भर कदम उठाना है।”
- “आपका कोई काम महत्वहीन हो सकता है, किन्तु महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।”
- “मेरी आज्ञा के बिना मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचा करता।”
- “क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है।”
- “क्षणभर भी बिना काम के रहना ईश्वर से चोरी समझो। मैं आन्तरिक और बाहरी सुख का दूसरा कोई भी रास्ता नहीं जानता।”
- “अहिंसा में इतनी ताकत है कि वह विरोधियों को भी अपना मित्र बना लेती है और उनका प्रेम प्राप्त कर लेती है।”
- “मैं हिन्दी के जरिये प्रांतीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता बल्कि उनके साथ हिन्दी को भी मिला देना चाहता हूँ।”
- “एक धर्म सभी भाषणों से परे है।”
- “किसी में विश्वास करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
- “बिना उपवास के कोई प्रार्थना नहीं और बिना प्रार्थना के कोई उपवास नहीं।”
- “मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।”
- “मानवता का सबसे बङा हथियार शान्ति है।”
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महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। महात्मा गांधी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि वह हमारे राष्ट्रपिता है। बच्चों को विद्यालय में महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है, ताकि विद्यार्थी भी उनके मार्गदर्शन पर चलकर एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। इसीलिए अकसर विद्यार्थियों को परीक्षा में या फिर किसी डिबेट में महात्मा गांधी के ऊपर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) आता है। कई बार निबंध कम शब्दों का होता है तो कई बार ज्यादा शब्दों का। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी का निबंध अलग-अलग शब्दों में बताएंगे।
महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1879 को भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ना केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वह एक बहुत ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे। आज भारत में और दुनिया भर में लोग इन्हें उनकी महानता, सच्चाई, आदर्शवाद जैसी खूबियों की वजह से जानते हैं। इन्होंने भारत को आजाद कराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर अफसोस की बात है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।
महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में
भारत के गुजरात में जन्में महात्मा गांधी एक बहुत ही सच्चे और देशभक्त भारतीय थे। इसीलिए पूरे भारत के लिए 2 अक्टूबर 1869 का दिन बहुत ही यादगार है क्योंकि इस दिन मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ब्रिटिश शासन में एक बहुत ही ना भूलने वाली भूमिका निभाई थी। इनकी शिक्षा की बात की जाए तो इन्होंने पहले पोरबंदर से ही शिक्षा हासिल की थी। फिर बाद में गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए थे।
इस तरह से इंग्लैंड में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और उसके बाद जब यह भारत लौटे तो उन्होंने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया। इसके अलावा भी गांधी जी ने और भी बहुत से आंदोलन चलाए थे। इसके चलते फिर 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को आजादी मिल गई थी। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि 30 अक्टूबर 1948 को गांधीजी की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी।
महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और इन्हें बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। गांधी जी ने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए थे जिनके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिल सकी। बापू ने भारत में मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। इंग्लैंड से महात्मा गांधी जब वकील बन कर वापस भारत आए तो उन्होंने भारत की स्थिति को देखा। उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वह अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवा कर रहेंगे।
महात्मा गांधी बहुत ही बेहतरीन राष्ट्रवाद नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बापू जी के इतने बड़े योगदान की वजह से ही उन्हें भारत के इतिहास में इतना ज्यादा महत्व दिया गया है। हर साल 2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में महात्मा गांधी का जन्मदिन बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह दिन गांधी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है।
सभी स्कूलों में और शिक्षा संस्थानों में बच्चों को विशेषतौर से महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित किया जाता है, ताकि वे भी उनके जैसे योग्य इंसान बन सकें। भारत देश को आजाद कराने वाले महान गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मार दी थी जिसकी वजह से बापू जी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे महान व्यक्ति की मृत्यु होने पर पूरा देश बहुत ही ज्यादा सदमे में चला गया था।
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में
मोहनदास करमचंद गांधी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे जिनकी महानता से भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी बहुत ज्यादा प्रेरित रहते थे। अगर इनके जन्म की बात की जाए तो देश के राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था। यह अपने पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई गांधी की चौथी और सबसे आखिरी संतान थे।
गांधीजी की शुरुआती शिक्षा
गांधीजी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में ही हुई थी। जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी एक बहुत ही साधारण से विद्यार्थी थे और यह बहुत ही कम बोला करते थे। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी फिर बाद में यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए थे। वैसे तो गांधीजी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन क्योंकि वो एक वैष्णव परिवार से संबंध रखते थे इसलिए उन्हें चीर-फाड़ करने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए इन्होंने वकालत में अपनी शिक्षा पूरी की।
गांधी जी का विवाह
जिस समय गांधी जी की उम्र सिर्फ 13 साल की थी उस समय इनका विवाह कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था जोकि पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी। गांधीजी विवाह के समय स्कूल में पढ़ा करते थे।
गांधीजी का राजनीति में प्रवेश
जिस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे उस समय भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। सन् 1915 की बात है जब गांधी जी भारत लौटे थे तो उस वक्त कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने बापू से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। उसके बाद फिर गांधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद पूरे भारत की भ्रमण यात्रा की। उसके बाद फिर गांधी जी ने पूरे देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर संपूर्ण देश में एक नए इतिहास की शुरुआत की। इसी दौरान जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो ऐसे में गांधी ने उसका खूब डटकर सामना किया। तरह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन मिला और जब गांधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा निकाली तो उसकी वजह से अंग्रेज बुरी तरह से घबरा गए।
महात्मा गांधी ने देश भर के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्वदेशी सामान को इस्तेमाल करें। बता दें कि गांधीजी ने जितने भी आंदोलन किए वे सभी आंदोलन अहिंसा से दूर थे। परंतु फिर भी उन्हें नमक आंदोलन की वजह से जेल तक भी जाना पड़ गया था। लेकिन गांधीजी ने अपना संघर्ष जारी रखा और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवा लिया।
गांधी जी की मृत्यु
देश के बापू महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन के बगीचे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बापू के सीने में नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलियां चलाई थी। मरते समय उनके मुंह से हे राम निकला था। इस तरह से 78 साल में देश के राष्ट्रपिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। लेकिन उनके आदर्शों और उनकी बातों का आज भी लोग बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं।
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- 10 Lines on A.P.J. Abdul Kalam in Hindi
दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर निबंध कम शब्दों में और अधिक शब्दों में बताया है जिससे कि आप अपनी जरूरत के अनुसार निबंध लिख सकें। हमें पूरी आशा है कि महात्मा गांधी पर निबंध आपके लिए अवश्य उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस लेख को उन लोगों के साथ भी शेयर करें जो महात्मा गांधी पर निबंध ढूंढ रहे हैं।
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महात्मा गांधी पर निबंध 2024 | Essay On Mahatma Gandhi In Hindi English Language
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Essay On Mahatma Gandhi In Hindi & English | महात्मा गांधी पर निबंध
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi And English Language: M.K. Gandhi is an Indian freedom fighter and a great man in Indian history. Mahatma Gandhi is ideal for the crore of people all around the world & India.
here we are providing Mahatma Gandhi In Hindi and Mahatma Gandhi In the English Language for students and kids. they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10.
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the father of the nation or Mahatma Gandhi essay
mahatma Gandhi was a great man of India. he was a servant of mankind. he was the father of the nation. countrymen called him ‘Bapu’. his full name was Mohan Das Karam Chand Gandhi.
he was born on October 2, 1869, at Porbandar. his father was a diwan of Rajkot. he received his education in India and England.
he becomes a barrister in 1891. he started his practice at Bombay. an Indian firm called him to South Africa for legal advice.
there he fought for the right of the Indians. in 1914 Gandhiji came back to India. he fought against the rule of the British. he was sent to jail many times. at last, he succeeded India become free on 15th August 1947.
Gandhiji believed in peace and non-violence. he led a simple life. he was against the caste system. he worked for the uplift of the Harijans and the Hindu Muslim unity.
on January 30, 1948, he was shot dead by nathu ram godse. Gandhiji’s name will always shine like a star. his grateful countrymen will never forget him.
महात्मा गांधी पर निबंध- (Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi)
महात्मा गांधी भारतीय इतिहास के महान व्यक्ति थे. वे मानवता के सच्चें पुजारी थे. देश व दुनियां इस महापुरुष को बापू के नाम से जानती है. इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था.
गांधीजी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था. इनकें पिताजी राजकोट में दीवान थे. महात्मा गांधी की पढाई भारत तथा इंग्लैंड में हुई.
1891 में गांधीजी ने वकालत की डिग्री इंग्लैंड से प्राप्त की, तथा मुंबई आकर अभ्यास करने लगे. एक भारतीय फर्म के दक्षिण अफ्रीका में चल रहे केस की कानूनी सलाह के लिए महात्मा गाँधी पहली बार दक्षिण अफ्रीका गये.
वहां जाकर इन्होने भारतीयों के साथ रंगभेद के आधार पर किये जाने वाले गोरे लोगों के भेदभाव खिलाफ लड़ाई लड़ी. वर्ष 1914 महात्मा गांधी भारत लौटे और अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ लड़ाई लड़ना आरम्भ किया.
इस दौरान गांधीजी ने कई आन्दोलन किये, कई बार इन्हें जेल भी जाना पड़ा. अतः 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी दिलाने में कामयाब रहे.
गांधीजी शांति एवं अहिंसा के सिद्धांतों पर चलने वाले इंसान थे. इनका जीवन बेहद साधारण था. वो जाति व्यवस्था के सख्त खिलाफ थे. इन्होने अपने जीवन में हरिजन उत्थान और हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए लम्बा संघर्ष किया.
30 जनवरी, 1948 के दिन जब महात्मा गांधी प्रार्थना सभा से लौट रहे थे, नाथूराम गोडसे नामक युवक ने गोली मारकर इनकी हत्या कर दी. समूचा संसार इस महान व्यक्तित्व का आभारी है,
तथा भारतीय गांधीजी के एहसान,कार्यों व योगदान को कभी नही भुलेगे. महात्मा गांधी का नाम भारतीय इतिहास में धुर्व तारे की तरह हमेशा जगमगाता रहेगा.
महात्मा गांधी निबंध 1
भारत की भूमि पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया. जिनमे हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम प्रमुख है. आज भी महात्मा गांधी की राह पर चलने वाले करोड़ो लोग है. जिन्होंने अपनी सत्य और अहिंसा की निति से भारत में 200 वर्षो से स्थापित अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेका था
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था.एक समर्द्ध परिवार में जन्मे गांधी के पिता का नाम करमचन्द गांधी था जो पोरबन्दर में दीवान थे.
उनकी माँ का नाम पुतलीबाई था जो धार्मिक विचारों वाली महिला थी. घर के धार्मिक माहौल का बड़ा असर पड़ा. राजनीति में आने के उपरान्त भी वे धर्म से जुड़े रहे.
इनकी आरम्भिक शिक्षा पोरबंदर के ही एक विद्यालय से हुई. इसके बाद आगे की पढाई के लिए भावनगर के श्यामलदास कॉलेज भेजा गया था. किन्तु यहाँ पर महात्मा गांधी का मन नही लगने के कारण उनके बड़े भाई लक्ष्मीदास जी ने गांधी को बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया.
अपनी पहली विदेश यात्रा से ठीक पहले मात्र 13 साल ही आयु में ही महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी के साथ हो गया था. कुछ वर्षो तक इंग्लैंड में रहने के बाद 1891 में गांधी स्वदेश लौट आए. और बम्बई (वर्तमान में मुंबई) की एक अदालत में वकालत करने लगे.
1893 में इनके सामजिक और राजनितिक जीवन की शुरुआत हुई. इसी दौरान उन्हें एक मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा था. जब ये दक्षिण अफ्रीका गये तो वहां भारतीयों के साथ बुरे बर्ताव को देखकर महात्मा गांधी बहुत दुखी हुए.
यही पर उन्हें पहली बार किसी अंग्रेज के सामने बेइज्जत होना पड़ा था. एक बार रेल में यात्रा करते समय उपयुक्त टिकट होने के बावजूद अंग्रेजो के डिब्बे में चढ़ जाने के कारण उन्हें चलती रेलगाड़ी से बाहिर फेक दिया था.
अंग्रेजो से अपमानित गांधी ने उनके विरुद्ध मौर्चा खोल दिया और अपने विरोध के लिए सत्य और अहिंसा को माध्यम बनाया.जब तक वे साउथ अफ्रीका में रहे हमेशा श्वेत लोगों की रंगभेद की निति का विरोध करते रहे.
यहाँ पर महात्मा गांधी ने एक अध्यापक की भूमिका निभाते हुए लोगों को अपने अधिकारों के प्रति शिक्षित करने के साथ ही चिकित्सक के रूप में बीमार लोगों के इलाज, एक वकील के रूप में मानवाधिकार व पत्रकार के रूप में वर्तमान परिस्थिति से लोगों को अवगत कराने का कार्य करते रहे.
महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल के दौरान कई पुस्तकों की रचना की, जिनमे उनकी आत्मकथा ” माय एक्सपेरीमेंटस विथ ट्रुथ दुनिया की प्रसिद्ध पुस्तकों में गिनी जाती है. दक्षिण अफ्रीका में गांधी के प्रयत्नों के समाचार भारतीयों तक पहुच चुके थे. इस कारण बहुत से लोग उनको जानने लगे थे.
वर्ष 1915 में महात्मा गांधी भारत लौटे तो गोपालकृष्ण गोखले और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसे महान नेताओं के उनका भव्य स्वागत किया. भारत आकर उन्होंने बिहार में नील की खेती करने वाले किसानों के प्रति हो रहे शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई,
अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए गांधीजी ने गुजरात के अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना की. इसके बाद अंग्रेज सरकार के विरुद्ध इनका संघर्ष प्रारम्भ हुआ और भारतीय राजनीती की बागडोर एक तरह से उनके हाथ में आ गई.
वे जानते थे कि सामरिक रूप से ब्रिटिश सरकार से भारत को आजादी शस्त्र के बल पर कतई नही मिल सकती है. इसी बात को समझते हुए महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा को अपना मुख्य हथियार बनाया.
भारत की आजादी के इस संघर्ष में गांधीजी को कई बार जेल भी जाना पड़ा. अंग्रेजी हुकूमत का प्रखर विरोध करने की शुरुआत 1920 के असहयोग आंदोलन के साथ शुरू हुई.
जब ब्रिटिश सरकार ने नमक पर भी करारोपण किया तो गांधीजी ने 13 मार्च 1930 के दिन दांडी यात्रा की. 24 दिनों तक अपने अनुयायियों के साथ पैदल चलने के पश्चात् दांडी नामक स्थान पर पहुचकर अपने हाथो से नमक बनाकर अंग्रेज सरकार के नमक कानून का उल्लघंन किया.
इसके पश्चात महात्मा गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया. इसी वर्ष गांधी और इरविन के बिच समझोता भी हुआ. अंग्रेज सरकार द्वारा अपनी शर्तो से मुखर जाने के कारण यह समझौता विफल हो गया था.
इसके बाद इन्होने फिर से असहयोग आन्दोलन शुरू किया, जो 1934 तक चलता रहा. इस आंदोलन में भी अपने लक्ष्यों में प्राप्त होते न देख महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ा.
महात्मा गांधी निबंध 2
इस आंदोलन के दौरान ही बापू ने भारतीय जनता को करो या मरो का नारा दिया था. इस तरह गांधीजी के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप 15 अगस्त 1947 को अन्तः भारत को स्वतंत्रता मिल ही गई.
इस तरह 1915 से 1947 तक के समय में इस महापुरुष के अद्वितीय योगदान को देखते हुए इसे गांधी युग की संज्ञा दी गई.
महात्मा गांधी आजीवन हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए प्रयत्न करते रहे. मगर दुर्भाग्य की बात यह रही कि आजादी के बाद तक यह एकता और सद्भाव नही बन पाया. अंग्रेजो की चाल के अनुसार कट्टर मुस्लिम अलग राष्ट्र की मांग करने लगे थे.
यहाँ पर हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्मो के लोगों ने गांधी को समझने में गलती की. उनके न चाहते हुए भी परिस्तिथिया कुछ इस तरह तैयार हो गई कि भारत के विभाजन के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नही था.
उधर पाकिस्तान निर्माण के बाद महात्मा गांधी ने उन्हें आर्थिक मदद देने के लिए भारत सरकार पर दवाब बनाया. इस घटना के बाद अधिकतर लोग उनके खिलाफ खड़े हो गये तथा 30 जनवरी 1948 के दिन जब महात्मा गांधी प्रार्थना सभा में जा रहे थे,
नाथूराम गोडसे नामक नवयुवक ने उन्हें गोली मार दी थी. इस तरह एक सदी के महानायक सत्य और अहिंसा के पुजारी के जीवन का अंत हो गया.
भले ही गांधीजी आज हमारे मध्य नही हो, मगर गांधीवाद के रूप में उनके विचारों और शिक्षाओं पर आधार विचारधारा आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रही है.
आज उनकी याद में 2 अक्टूबर यानि गांधी जयंती को विश्वभर में विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत के राष्ट्रिय त्योहारों में भी गांधी जयंती को को भी शामिल किया गया है.
महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा और राजनीति में इन तत्वों का सफल प्रयोग कर आज की युवा पीढ़ी के सामने एक उदहारण प्रस्तुत किया है.
उन्होंने एक राजनेता, समाज सुधारक, देशभक्त के रूप में अत्याचारी शासन के विरुद्ध विरोध करने के साथ ही समाज में व्याप्त बुराइयाँ जातिवाद, भेदभाव, अस्वच्छता, नशाखोरी, बाल विवाह, बहुविवाह और साम्प्रदायिकता जैसी बड़ी समस्याओं के खिलाफ अपनी अंतिम सांस तक जंग जारी रखी.
महात्मा गांधी निबंध 3
जीवन परिचय और शिक्षा
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था. इनके पिताजी कर्मचन्द गांधी राजकोट रियासत के दीवान थे.
इनकी माता का नाम श्रीमती पुतलीबाई था. राजकोट जिले से हाईस्कुल की उतीर्ण कर ये बैरिस्ट्री पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गये.
गांधी ने 1889 में बैरिस्ट्री पास कर भारत लौटे और वकालत का कार्य आरम्भ किया. इनका विवाह 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा के साथ हुआ था.
जीवन की घटनाएँ
वकालत पास करने के बाद गांधीजी पोरबंदर की एक फर्म के मुकदमें में 1893 में दक्षिण अफ्रीका चले गये थे. वहां भारतीयों के साथ गोरे लोग बेहद बुरा व्यवहार किया करते थे. ऐसा देखकर गांधीजी को बहुत बुरा लगा.
ऐसे अमानवीय व्यवहारों से पीड़ित होकर गांधीजी ने सत्याग्रह किया और सत्याग्रह में विजयी होकर स्वदेश लौट आए.
विजय की भावना से प्रेरित होकर देश को स्वतंत्र करवाने की अभिलाषा जागृत हो उठी. सन 1921 में असहयोग आंदोलन प्रारम्भ कर मद्द्य निषेध, खादी प्रचार, अस्पर्श्यता निवारण, सरकारी वस्तुओ का बहिष्कार एवं विदेशी वस्त्रों की होली जलाना जैसे कार्य सम्पन्न हुए.
गांधीजी ने वर्ष 1930 में नमक कानून के विरोध में सत्याग्रह किया. वर्ष 1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन प्रारम्भ किया. इस दौरान गांधीजी को अनेक बार जेल जाना पड़ा और अनेक कष्ट उठाने पड़े.
इनके प्रयत्नों के फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को हमारा देश पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया. स्वतंत्र भारत के निर्माता होने से हम बापू और राष्ट्रपिता के संबोधन से आदर देते है.
देश में भारत-पाकिस्तान विभाजन के फलस्वरूप साम्प्रदायिक दंगे हुए. गांधीजी ने इन दंगो को शांत करने के लिए पूर्ण प्रयत्न किया.
परन्तु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में संध्या के समय नाथूराम विनायक गोडसे नामक एक मराठा युवक ने प्रार्थना सभा में पिस्तौल से गांधीजी को गोली मार दी. इस तरह अंहिसा के उपासक महात्मा गाँधी का जीवनांत हो गया.
महात्मा गांधी निबंध 4
हमारे देश में समय समय पर राम कृष्ण बुद्ध जैसे महापुरुषों का जन्म होता रहा हैं. इन्ही महापुरुषों ने संकट के समय जनता को दिशा दिखाई,
इसी श्रंखला में भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्ति दिलाने वाले महापुरुषों में महात्मा गांधी का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता हैं.
जन्म एवं शिक्षा
गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था. उन्हें सारा राष्ट्र महात्मा के नाम से जानता हैं. भारतीय उन्हें श्रद्धा के साथ बापू और राष्ट्रपिता कहते हैं. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था.
तेरह वर्ष की अल्पायु में ही उनके पिता करमचन्द ने उनका विवाह कस्तूरबा के साथ कर दिया. वे उन्नीस वर्ष की अवस्था में बेरिस्ट्री की शिक्षा के लिए विलायत गये. सन 1891 में वे बेरिस्ट्री की परीक्षा पास कर भारत लौट आए.
सत्याग्रह का आरम्भ
विदेश से वापिस आकर गांधीजी मुंबई में वकालत करने लगे, वही पोरबन्दर की एक फर्म के एक मुकदमें की पैरवी हेतु वें 1893 में दक्षिण अफ्रीका गये.
वहां गोरे शासकों द्वारा कालों लोगों पर किये जा रहे अत्याचार को देखकर उनका मन दुखी हो गया.उन्होंने काले गोरों का भेदभाव मिटाने का कार्य करने का संकल्प ले लिया. अंग्रेजों ने उन पर अत्याचार किये उनका अपमान किया.
परन्तु गांधीजी ने सत्याग्रह जारी रखा. अंत में गांधीजी के सत्याग्रह के सामने गोरी सरकार को झुकना पड़ा और गांधीजी की जीत हुई. अफ्रीका से लौटने के बाद गांधीजी को कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिना जाने लगा.
स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व
भारत आते ही स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर गांधीजी के हाथ में आ गई, उन्होंने भारतीयों को अंग्रेजों के विरुद्ध संगठित किया, उन्होंने सत्य और अहिंसा का सहारा लिया.
वे अनेक बार जेल गये, उन्होंने 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में नमक सत्याग्रह तथा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से संघर्ष जारी रखा.15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया.
जीवन का अंत
देश स्वतंत्र हो जाने पर गांधीजी ने कोई पद स्वीकार नही किया. गांधीजी पक्के वैष्णव थे. नियमित रूप से प्रार्थना सभा में जाते थे.
30 जनवरी 1948 के दिन प्रार्थना सभा में एक हत्यारे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. पूरा देश दुःख और ग्लानी से भर उठा. उनकी मृत्यु का दुःख पूरे राष्ट्र ने महसूस किया.
महात्मा गांधी को भारतवर्ष ही नही पूरा विश्व आदर के साथ याद करता हैं, वे मानवता, सत्य एवं अहिंसा के पुजारी थे.
गांधीजी जैसे व्यक्ति हजारों वर्षों में अवतरित होते हैं. सत्य और अहिंसा का पालन करते हुए राष्ट्रसेवा में लग जाना ही गांधीजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
महात्मा गांधी निबंध 5
भारत के स्वतन्त्रता प्राप्ति के महायज्ञ में योगदान करने वाले सैनानियों में महात्मा गांधी का नाम प्रमुखता से लिया जाता हैं. इन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत की आजादी के लिए समर्पित कर दिया था.
सत्य एवं शान्ति की राह दिखाने वाले गौतम बौद्ध एवं महावीर स्वामी के बाद महात्मा गांधी का नाम लिया जाता हैं. राष्ट्र इन्हें बापू कहकर याद करता हैं.
2 अक्टूबर 1869 को इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था. बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी हैं. उनके जन्म दिवस को सम्पूर्ण भारत गांधी जयंती के रूप में मनाता है.
इनके पिताश्री करमचन्द गांधी राजकोट में दीवान हुआ करते थे जबकि इनकी माँ पुतली बाई धार्मिक विचार रखने वाली एक गृहणी थी. महात्मा गांधी ने अफ्रीका के बाद भारत आकर चार बड़े आन्दोलन किये.
उनके सभी आंदोलनों का मूल मन्त्र सत्य एवं अहिंसा था जिसके चलते उन्हें भरपूर समर्थन तथा सफलता भी हासिल हुई. इन्होने इंग्लैंड से वकालत की पढाई की तथा कुछ समय तक बम्बई कोर्ट में प्रैक्टिस भी की.
गांधी जयंती 2024 पर निबंध 6
विद्यार्थियों के बोलने के लिए गांधी जयंती निबंध आसान हिंदी भाषा में उपलब्ध करवा रहे है. 2 अक्टूबर के दिन देश के दो महान राजनेताओ का जन्म हुआ था. जिनमे पहले महात्मा गांधी और दुसरे लाल बहादुर शास्त्री जी थे.
इसलिए इसे गांधी जयंती और शास्त्री जयंती के रूप में देशभर में मनाया जाता है. देश के सभी सरकारी विद्यालयों और संस्थानों में राजकीय अवकाश होने के साथ इन दोनों आत्माओं के कर्मो को याद करते हुए उनकी बताई राह पर चलने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम आयोजित होते है. जिनमे Gandhi Jayanti Essay / भाषण कविता आदि का पाठ किया जाता है.
मानवता के रक्षक और सत्य व् अहिंसा जैसे पावन आदर्शो की राह पर चलने वाले महात्मा गांधी की गिनती विश्व के महान महापुरुषों में गिनती होती है.
जिन्होंने विश्व में एकता भाईचारे और शांति के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया. उनमे महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले आता है. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में हुआ था.
इस महान महापुरुष के कार्यो तथा राष्ट्र सेवा में दिए गये योगदान को याद करने के लिए हम प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाते है.
इस दिन का महत्व इससे कही अधिक है. क्या आपकों पता है. सयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य राष्ट्र इस महान नेता के जन्म दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाते है.
किसी भी पवित्र भूमि पर ऐसे सदी नायको का जन्म कई हजार वर्षो में एक ही बार होता है. भारत भूमि शास्त्री, कबीर, बुद्ध, महावीर स्वामी जैसे वीरों की जन्मस्थली रही है.
बीसवी सदी के महानायक महात्मा गांधी ने भारत की आजादी और विश्व शान्ति की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किये.
देश इस महान नेता के कृत्यों का हमेशा ऋणी रहेगा. इन्हे सम्मान देने के उद्देश्य से हम राष्ट्रपिता, बापू और महात्मा जैसे उपनामों से इन्हें बुलाते है.
ऐसे देशभक्त और शांतिप्रिय महान नेता महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को एक मराठा युवक नाथूराम गोडसे द्वारा दिल्ली में प्रार्थना सभा के दौरान कर दी गई थी.
गांधीजी की समाधि स्थाल राजघाट है, यहाँ पर गांधी जयंती के अवसर पर देश के सभी दलों के नेता बापू को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें याद करते है.
राष्ट्रपिता के सम्मान में भारत सरकार व अन्य राज्य सरकारों द्वारा अनेक कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है.
जिनमे गांधी जयंती के दिन को स्वच्छता दिवस के रूप में मनाने की प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी की यह मुहीम सभी देशवासियों की तरफ से वाकई में बापू को सच्ची श्रध्दाजली है.
स्वस्थ भारत समर्द्ध भारत गांधीजी का एक सपना था. वे अपने निजी जीवन में सबसे अधिक वरीयता किसी चीज को देते थे तो वह स्वच्छता ही थी. स्वच्छता ही ईश्वर का रूप है यह उक्ति गांधीजी की ही है.
इस कार्यक्रम की ऐतिहासिक शुरुवात महात्मा गांधी जयंती पर मोदीजी ने दिल्ली के राजपथ की सडको पर स्वय झाड़ू निकाल कर शुरू की थी. इसके पश्चात स्वच्छता सप्ताह के रूप में देशभर में लोगों में स्वच्छता के प्रति सकारात्मक भावना ने जन्म लिया.
महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर कविता या भाषण पाठ, नाट्य मंचन करना, निबंध लेखन, नारा लेखन, समूह चर्चा आदि प्रकार के कार्यक्रमों से इसके मनाने के उद्देश्यों की पूर्ति नही होगी. हमे हर दिन को गांधी जयंती के रूप में मनाने की आवश्यकता है.
हम अपने आस पास स्वच्छता रखे तथा लोगों को भी इस दिशा में अधिक से अधिक जागरूक करे. तभी हमारा देश प्रगति की राह पर चल सकता है.
यदि देशवासी जेहन में यह ठान ले कि हमे बापू के स्वस्थ भारत समर्द्ध भारत के सपने को साकार करना है तो यकीन करिए बस अपनी दिनचर्या का छोटा सा बदलाव देश में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है जिसके आप और हम सब प्रतिभागी बन सकते है.
क्या हम जानते है कि गांधीजी को स्वदेशी से इतना लगाव क्यों था. महात्मा गांधी को विश्वास था खुद में, आप में, मुझमे, भारत में.
विश्वास था उन्हें दुनिया के बेहतरीन मापदंड पर, खरा उतरने की हमारी कौशल और योग्यता में. भारतीयता के इसी जज्बे को हमारा सलाम. इसी जज्बे से प्रेरित होकर हमने अपने उत्पादों में , सर्वश्रेष्ट गुणवता स्तर अपनाया.
आज भारत में कई स्वदेशी भरोसेमंद उत्पाद है, जिनका उपयोग आज पूरी दुनिया कर रही है. और हमे यह कहने में गर्व होना चाहिए कि हां हम भारतीय किसी से कम नही है. हम ही है सारे जहाँ से अच्छा.
महात्मा गांधी निबंध 7
गांधी जयंती पर प्रेरक प्रसंग शोर्ट स्टोरी प्रस्तुत कर रहे हैं. ऐसे महान प्रेरणादायक महापुरुषों के प्रसंग हमें जीवन जीने का एक नया तरीका बतलाते हैं. उन्के जीवन की झलक इन प्रेरक प्रसंगों में मिलती हैं.
एक बार महात्मा गांधी राजकोट में सौराष्ट्र-काठियावाड़ राज्य प्रजा परिषद् के सम्मेलन में भाग ले रहे थे. वे गणमान्य व्यक्तियों के साथ मंच पर थे.
उनकी दृष्टि सभा में बैठे एक वृद्ध सज्जन पर पड़ी. अचानक वे उस स्थान से उठे और लोगों के देखते देखते उन वृद्ध महोदय के पास जा पहुचे.
सभी लोग चकित थे कि गांधीजी आखिर क्या कर रहे हैं. गांधीजी ने उन वृद्ध सज्जन के चरण स्पर्श किए और उन्ही के पास बैठ गये.
आयोजकों ने जब उनसे मंच पर चलने की प्रार्थना की तब वे बोले- यह मेरे गुरुदेव हैं. मैं अपने गुरुदेव के चरणों में बैठकर ही सम्मेलन की कार्यवाही का अवलोकन करुगा.
वे नीचे बैठे और मैं ऊपर मंच पर यह कैसे हो सकता हैं. सम्मेलन की समाप्ति पर उन गुरु ने गांधीजी को आशीर्वाद देते हुए कहा; तुम जैसे निरभिमानी व्यक्ति एक दिन संसार के महान पुरुषों में स्थान बनाएगा.
पूरी सभा गांधीजी का अपने गुरुदेव के प्रति ऐसा आदर भव देखकर हर्ष से अभिभूत हो उठी. गुरु का आदर ज्ञान का आदर हैं और ज्ञान का आदर अपने मनुष्य जीवन का आदर हैं. यही व्यक्ति को महान बनाता हैं.
अगर ऐसे दुर्लभ मनुष्य जीवन में जन्म मृत्यु जैसे महादुख का विनाश करने वाले कोई परम गुरु, ब्रह्माज्ञानी सद्गुरु मिल जाए तो कहना ही क्या ! उनका जितना आदर करे कम ही हैं.
जलती आग बुझा ना पाये वह नीर ही क्या ? अपने लक्ष्य को भेद न पाये वह तीर ही क्या ?\ संग्राम में लाखों विजय पानेवाले अगर मन को जीत न पाये तो वीर ही क्या ?
महात्मा गांधी निबंध 8
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन 1889 को पोरबंदर में हुआ था. पोरबंदर से ही मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद ये उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गये थे. वहां से लौटकर उन्होंने मुंबई में वकालत की शुरुआत की.
गांधीजी के राजनितिक जीवन की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से हुई. जब वे साउथ अफ्रीका गये तो वहां उन्होंने भारत के साथ अंग्रेज सरकार के बुरे बर्ताव को देखा तो महात्मा गांधी ने प्रवासी भारतीयों की मदद की.
इन्होने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया इस दौरान उन्होंने कई कष्ट सहे और कई बार इन्हें अपमानित भी होना पड़ा. मगर अंत में जाकर विजय महात्मा गांधी की ही हुई.
जब बापू अफ्रीका से स्वदेश लौटे तो यहाँ उन्होंने लोगों में आजादी के महत्व और इसकी प्राप्ति की भावना का संचार कर स्वतंत्रता आंदोलन की नीव रखी.
वर्ष 1915 से 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इन्हें कई बार जेल की यातना सहनी पड़ी, मगर भारतीय जनता का अटल विशवास हमेशा से उनके साथ था,
बापू और राष्ट्रपिता जैसे नामों की उपाधि इसी बात के संकेत थे. महात्मा गांधी के अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिल गई है.
गांधीजी हमेशा सादा जीवन और उच्च विचार रखते थे. इन्होने हमे सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया. वो एक महान स्वतंत्रता सेनानी के साथ साथ महान समाज सुधारक भी थे.
उन्होंने भेदभाव और छुआछूत जैसी सामाजिक समस्याओं को समाप्त करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. ऐसे महान महापुरुष की हत्या नाथूराम गोडसे नामक कट्टरपंथी मराठा युवक द्वारा गोली मारकर इनके जीवन का अंत कर दिया गया.
महात्मा गांधी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे. जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की आजादी तथा भारत के स्वर्णिम स्वप्न को साकार करने व्यतीत किया. हम इस महापुरुष को बापू और राष्ट्रपिता के उपनाम से जानते है.
इनका पूरा नाम मोहनदास कर्मचन्द गांधी था. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था.
गांधीजी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को हम गांधी जयंती के रूप में हर वर्ष मनाते है. ये एक ऐसे महान पुरुष थे जो सत्य अहिंसा और सामजिक एकता को सबसे अधिक महत्व देते थे.
इन्होने आम जनता में स्वदेशी वस्तुओं को अधिक से अधिक उपयोग तथा विदेशी वस्तुओ के बहिष्कार करने के लिए लोगों को प्रेरित किया. भारत आज भी उनके महान कार्यो और राष्ट्र निर्माण में महात्मा गांधी के योगदान का ऋणी है.
समाज में व्याप्त अछूत और भेदभाव की रुढ़िवादी सोच को वे जड़ से समाप्त करना चाहते थे. और अंग्रेजी हुकूमत से भारत को स्वाधीनता दिलाना चाहते थे.
उन्होंने आरम्भिक शिक्षा अपने गृह जिले पोरबंदर से ही की तथा कानून में विशेषज्ञता की पढाई के लिए अपने बड़े भाई के सहयोग से इंग्लैंड चले गये. इंग्लैंड से 1893 में वकालत की शिक्षा पूरी कर भारत लौटे तथा अभ्यास करने लगे.
गांधी अंग्रेजो की अत्याचार से भारतीय लोगों की मदद करना चाहते थे. वे गोरी सरकार के अत्याचारों से वाकिफ होने के बाद ब्रिटिश सरकार के विरोधी बन चुके थे. अपने राजनितिक संघर्ष के दौरान ये कांग्रेस पार्टी से जुड़े.
गांधीजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे. जो हमेशा भारत की आजादी के लिए प्रयत्नरत थे. उन्होंने अंग्रेज सरकार के नमक कानून को तोड़ने के लिए 13 मार्च 1930 को दांडी यात्रा कर नमक सत्याग्रह किया.
इसके अतिरिक्त सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा भारत छोड़ो आंदोलन में नेतृत्व किया तथा अनेकों भारतीयों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने का कार्य किया.
ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी को कई बार जेल भी जाना पड़ा. मगर तमाम परेशानियों के बावजूद भारतीय जनता के समर्थन से न्याय की मांग को लेकर हमेशा लड़ते रहे.
इसी का परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई. मगर 30 जनवरी 1948 के दिन नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी. मगर ऐसे महान स्वतंत्रता सैनानी के कार्यो को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा.
महात्मा गांधी निबंध 9
महात्मा गांधी का परिचय देना, सूर्य को अपनी रौशनी का प्रमाण देने की तरह है. ये भारत के उन महापुरुषों में से एक है, जिनके राष्ट्रिय जीवन ने अपना एक नया इतिहास तैयार किया है. भारत की आजादी गांधी जैसे नेताओं की अथक मेहनत का ही फल है.
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था. उनके पिताजी कर्मचन्द गांधी राजकोट रियासत के दीवान थे.
इनकी माता पुतलीबाई ने इनका लालन पोषण अच्छे ढंग से किया, महात्मा गांधी जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था, इनके जीवन पर माता के धार्मिक विचारों का व्यापक प्रभाव पड़ा. जो आगे चलकर दुनिया गांधीजी व बापू नाम से विख्यात हुए.
उनकी आरम्भिक शिक्षा पोरबंदर के एक सरकारी विद्यालय से हुई. 1887 में महात्मा गांधी ने दसवीं की परीक्षा पास की. गांधी ने अपनी आत्मकथा में यह स्वीकार किया कि वे बचपन में पढ़ने में बहुत कमजोर, खराब लिखावट, किसी के साथ दोस्ती न रखना, बीड़ी पीना, जेब से पैसे चुराना, मांस खाना जैसी बुरी आदतों के आदि हो गये थे.
जैसे जैसे उनमे समझ बढती गई उन्होंने इन बुरी आदतों को छोड़ दिया. 1891 में महात्मा गांधी इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढ़ाई कर भारत लौटे और कुछ समय तक वकालत का अभ्यास किया,
मगर उनकी वकालत अधिक नही चली. एक निजी फर्म के मुकदमे के सिलसिले में वे दक्षिण अफ्रीका गये, वहां पर इन्होने कई मुश्किलों का सामना किया.
भारतीयों के साथ हो रहे अन्यायपूर्ण व्यवहार को देखकर उन्हें बहुत ठेस पहुची और उन्होंने गोरी सरकार के विरुद्ध सत्याग्रह की शुरुआत की, जिनमे गांधीजी को सफलता भी मिली.
अफ्रीका से जब गांधीजी भारत लौटे तो उन्होंने भारत के लोगों की गरीबी देखि और गुलामी देखी. अंग्रेजो के अत्याचार देखे उनका मनमाना शासन भी देखा . ये सब देखते ही उनकी आँखे खुली और राष्ट्रसेवा का व्रत लिया.
इन्होने भारत को अंग्रेजो के शासन से मुक्ति दिलाने की प्रतिज्ञा की और इस पावन महायज्ञ में अपनी पूरी ताकत के साथ जुट गये.
पहली बार 1917 में इन्होने बिहार के चम्पारण जिले के नील किसानों के समर्थन में चम्पारण सत्याग्रह किया. आमजन ने गांधीजी के प्रत्येक कदम की सराहना कर उनका प्रत्यक्ष समर्थन किया.
अंग्रेजो की उदासीनता और अवसर पर आक्रामक निति को देखते हुए महात्मा गांधी ने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कर करो या मरो का नारा दिया. इस तरह के बोल से पूरा देश एक स्वर में अंग्रेजो के खिलाफ खड़ा हो गया .
अंग्रेज सरकार ने स्थति को नियत्रण से बाहर होते देख गांधीजी और अन्य बड़े नेताओं को जेल में बंद कर दिया. मगर जनता के तीव्र दवाब के चलते उन्हें भारत को छोड़कर जाना पड़ा. इस तरह महात्मा गांधी के भारत की पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प पूर्ण हुआ.
देश को आजादी दिलाने वाले बापू महात्मा गांधी को इसी देश के एक नाथूराम गोडसे नामक युवक ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस तरह 30 जनवरी 1948 को बापू की कहानी युग कहानी बनकर रह गई.
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महात्मा गांधी पर लेख
By विकास सिंह
महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है। वह सबसे प्रिय और सम्मानित भारतीय नेताओं में से एक थे जिन्होंने अपने अनोखे तरीके से अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की।
महात्मा गांधी पर लेख, paragraph on mahatma gandhi in hindi (100 शब्द)
मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। वे पेशे से वकील थे। वह कानून का अभ्यास करते थे और एक आरामदायक जीवन बिता सकते थे। हालाँकि, उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर अंग्रेजों से लड़ने का विकल्प चुना।
उन्होंने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों को अंजाम दिया और कई भारतीय नागरिकों को उसी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। इन आंदोलनों का अंग्रेजों पर व्यापक प्रभाव पड़ा। अपने समय के विभिन्न अन्य नेताओं के विपरीत, गांधीजी ने अंग्रेजों को भगाने के लिए हिंसक और आक्रामक साधनों का सहारा नहीं लिया।
उन्होंने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया और बड़ी संख्या में भारतीयों ने उनका समर्थन किया। उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने में प्रमुख भूमिका निभाई।
महात्मा गांधी पर लेख, 150 शब्द:
मोहनदास करमचंद गांधी उर्फ महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनके पिता, करमचंद उत्तमचंद गांधी ने पोरबंदर रियासत के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया।
महात्मा गांधी ने अपनी स्कूली शिक्षा गुजरात के अल्फ्रेड हाई स्कूल से की और लंदन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। महात्मा गांधी ने 1883 में कस्तूरबा गांधी से शादी की। वे अपने पहले बच्चे हीरालाल के जन्म के बाद 1988 में कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए।
उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की। हालांकि, उन्हें जल्द ही पता चला कि यह जीवन में उनका उद्देश्य नहीं था। उन्होंने अपना पेशा छोड़ दिया और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। उन्होंने कई भारतीयों को अंग्रेजों से लड़ने के लिए अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
अंततः 1947 में अंग्रेजों को देश से बाहर निकाल दिया गया और महात्मा गांधी ने उसी में एक बड़ी भूमिका निभाई। दुर्भाग्य से, हमने 30 जनवरी 1948 को गांधीजी को खो दिया। नाथूराम गोडसे ने उनके सीने में तीन गोलियां दागी और उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया।
महात्मा गांधी पर अनुच्छेद, paragraph on mahatma gandhi in hindi (200 शब्द)
महात्मा गांधी अंग्रेजों से लड़ने के अपने अनोखे तरीकों के लिए जाने जाते थे। उनकी विचारधारा अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों से अलग थी। अंग्रेजों ने भारतीयों के साथ क्रूर व्यवहार किया। उन्होंने उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया। उन्होंने उन्हें काम के साथ लोड किया और हेम मेजरली भुगतान किया।
इसने कई भारतीयों में गुस्सा पैदा किया जो अंग्रेजों से लड़ने के लिए आगे आए। आहत और क्रोध की भावना से भरे, उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों को देश से बाहर निकालने के लिए आक्रामक साधनों का सहारा लिया। हालाँकि, महात्मा गांधी ने पूरी तरह से अलग तरीका चुना जिससे दूसरों को आश्चर्य हुआ।
शांति और अहिंसा:
एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, महात्मा गांधी ने आक्रामक तरीके से लड़ने के बजाय शांति और अहिंसा का मार्ग अपनाया। उन्होंने विभिन्न आंदोलनों और विरोधों का आयोजन किया, लेकिन सभी शांतिपूर्ण तरीके से। उसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति आपको एक गाल पर थप्पड़ मारे तो उसे थप्पड़ मारने के बजाय आपको उसे दूसरा गाल भी भेंट करना चाहिए।
दूसरों के लिए एक प्रेरणा:
गांधीजी के अंग्रेजों से लड़ने के तरीके वास्तव में प्रभावी थे। कई अन्य स्वतंत्रता सेनानी उनकी विचारधाराओं से प्रेरित थे और उनका अनुसरण करते थे। उसकी हरकतों का समर्थन करने के लिए लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए।
निष्कर्ष:
महात्मा गांधी को सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक के रूप में जाना जाता है। वह एक सच्चे नेता थे। उनकी विचारधारा आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
महात्मा गांधी पर लेख, 250 शब्द:
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई भारतीय नेताओं ने भाग लिया और उनमें से प्रत्येक के लिए हमारे मन में बहुत सम्मान है। यह उनके संयुक्त प्रयासों के कारण था कि हमने स्वतंत्रता प्राप्त की। हालांकि, किसी ने भी महात्मा गांधी जैसे भारतीय नागरिकों के दिमाग पर कोई असर नहीं डाला। गांधीजी को सही मायने में राष्ट्रपिता कहा जाता है।
महात्मा गांधी ने हमें सही रास्ता दिखाया:
एक पिता की तरह ही उन्होंने लाखों भारतीयों को जीवन में सही राह की ओर अग्रसर किया। उन्होंने अपने लोगों को सच बोलना सिखाया चाहे कोई भी परिणाम हो। उनका दृढ़ विश्वास था कि व्यक्ति जीवन में तभी सफलता प्राप्त कर सकता है, जब उसमें सच्चाई को स्वीकार करने और बोलने की हिम्मत हो।
सत्य के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को अपने रास्ते पर कष्टों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन अंततः सफलता मिलती है। उन्होंने अपने लोगों को अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए अहिंसक साधनों को अपनाने का आग्रह और प्रेरित किया उन्होंने कहा की यह शिक्षा केवल एक अभिभावक अपने बच्चों को दे सकता है।
महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता कोई ज़िम्मेदारी ली:
एक पिता की तरह, महात्मा गांधी ने भारतीय नागरिकों को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने की जिम्मेदारी ली। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत की और लोगों को उसी में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बैठकें कीं और लोगों को आगे आने और स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए व्याख्यान दिए। उन्होंने अपने अनुयायियों का मार्गदर्शन किया और उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ाया।
महात्मा गांधी को बापू के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है पिता। उनके बच्चे, अर्थात, भारत के नागरिक हर साल 2 अक्टूबर को उनका जन्मदिन पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। उनका जन्मदिन भारत के तीन राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है। यह देश में एक राष्ट्रीय अवकाश है।
महात्मा गांधी पर लेख, paragraph on mahatma gandhi in hindi (300 शब्द)
महात्मा गांधी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया और अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ने के लिए हजारों भारतीयों को अपने मिशन में उनका अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कई आंदोलनों का आयोजन किया, जिसने ब्रिटिशों को बहुत प्रभावित किया और देश में अपनी पैठ को कमजोर किया।
महात्मा गांधी ने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया:
गांधीजी ने कई स्वतंत्रता आंदोलनों की शुरुआत की। दांडी मार्च, नमक सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन इनमें से कुछ आंदोलनों में शामिल थे। इन सभी आंदोलनों ने ब्रिटिश शासन को कमजोर करने के लिए अहिंसक साधनों का उपयोग किया। अंग्रेज अपने तरीके से हैरान थे और उन्हें रोकना मुश्किल हो गया क्योंकि उन्होंने किसी भी तरह का कहर या विनाश नहीं किया।
उनके सभी आंदोलनों को शांतिपूर्ण तरीके से अंजाम दिया गया था और फिर भी अंग्रेजों पर भारी प्रभाव पड़ा। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने और भारत में विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत करने से पहले, गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में रंग भेदभाव के खिलाफ अहिंसक विरोध प्रदर्शन किया। उन्हें वहां कई लोगों का समर्थन प्राप्त था।
महात्मा गांधी – प्रेरणा का स्रोत:
उस समय के दौरान जब भारतीय अंग्रेजों के प्रति रोष और घृणा से भरे थे और उन्होंने हिंसक तरीकों का उपयोग करके उन्हें नष्ट करना चाहा, गांधीजी की शांतिपूर्ण और प्रभावी तरीके से लड़ने की पद्धति कई के लिए प्रेरणा का स्रोत साबित हुई। उन्होंने देश के युवाओं को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए भाषण दिए।
कई प्रमुख नेताओं ने उनके साथ जुड़कर स्वतंत्रता प्राप्त करने के अपने तरीके अपनाए। आम जनता ने भी उनके नेतृत्व में आंदोलनों में भाग लिया। उन्हें उनकी विचारधाराओं के लिए आज भी याद किया जाता है और कई लोगों को प्रेरित करता रहता है। उनका जन्मदिन, 2 अक्टूबर भारत के राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है।
इस प्रकार, महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने हजारों भारतीयों के लिए एक प्रेरणा के रूप में सेवा की जो इसे सफल बनाने के लिए उनकी स्वतंत्रता आंदोलनों में शामिल हुए।
महात्मा गांधी पर लेख, 350 शब्द:
महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर राज्य में एक हिंदू व्यापारी जाति के परिवार में हुआ था। वह एक भारतीय कार्यकर्ता और नेता बन गए, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। उन्होंने विभिन्न अन्य नेताओं के साथ-साथ आम जनता के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य किया जो उनके नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलनों में शामिल हुए।
महात्मा गांधी – जीवन:
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को करमचंद उत्तमचंद गांधी और पुतलीबाई के घर हुआ था। उनके पिता करमचंद पोरबंदर के मुख्यमंत्री थे, उनकी माँ एक गृहिणी थीं। उनके पिता बाद में राजकोट के मुख्यमंत्री बने। करमचंद और पुतलीबाई के चार बच्चे थे- लक्ष्मीदास, रल्लतनबी, करनदास और मोहनदास।
यह कहा जाता है कि एक बच्चे के रूप में गांधीजी काफी शर्मीले और आरक्षित बच्चे थे लेकिन वह हमेशा ऊर्जा पर उच्च थे। राजा हरिश्चंद्र और श्रवण कुमार की कहानियाँ जो उन्होंने अपने बचपन के दौरान सुनीं, उनका उन पर बहुत प्रभाव पड़ा। ऐसा लगता है कि इन कहानियों ने उन्हें सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। गांधीजी की मां जो एक अत्यंत धार्मिक महिला थीं, उनके लिए भी प्रेरणा का काम किया।
गांधी ने 13 साल की उम्र में मई 1883 में कस्तूरबाई माखनजी कपाड़िया से शादी की। उस समय कार्तुरबाई की उम्र 14 साल थी।
महात्मा गांधी – शिक्षा:
गांधीजी ने राजकोट के स्थानीय स्कूलों में पढ़ाई की। वह स्कूल में एक औसत छात्र था, हालांकि उसने पढ़ने के लिए एक प्रेम विकसित किया। उन्होंने स्कूलों में नियमित कक्षाएं लीं लेकिन खेल गतिविधियों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
उन्होंने उच्च शिक्षा लेने के लिए जनवरी 1888 में भावनगर राज्य के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन जल्द ही वह बाहर हो गए। अगस्त 1888 में, वह इनर टेम्पल में कानून का अध्ययन करने के लिए लंदन चले गए। वह बचपन से ही स्वभाव से शर्मीले थे।
बैरिस्टर बनने के लिए दाखिला लेने में यह बाधा साबित हुई। हालांकि, महात्मा गांधी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्रित और दृढ़ थे, इसलिए उन्होंने अपने क्षेत्र में शर्म और उत्तेजना को दूर करने के लिए एक सार्वजनिक बोलने के अभ्यास में शामिल हो गए। उन्होंने समर्पण के साथ अध्ययन किया और कानून की डिग्री प्राप्त की।
गांधीजी उच्च मूल्यों वाले एक अत्यंत परिश्रमी व्यक्ति थे। वह सरल जीवन और उच्च विचार में विश्वास करते थे। उनका जीवन वास्तव में दूसरों के लिए प्रेरणा है।
महात्मा गांधी पर लेख, 400 शब्द:
महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रमुख नेताओं में से एक थे। वह सत्य और अहिंसा में दृढ़ता से विश्वास करते थे जिसका अर्थ सत्य और अहिंसा है। उन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए सत्याग्रह के मार्ग का अनुसरण किया और कई भारतीयों को इसमें शामिल किया।
हालाँकि कुछ स्वतंत्रता सेनानियों ने उनकी विचारधाराओं का विरोध किया और उनका मानना था कि अंग्रेजों को केवल आक्रामक आंदोलनों और हिंसक तरीकों से देश से बाहर निकाला जा सकता है। हालाँकि, गांधीजी अपने अनूठे तरीकों से अंग्रेजों से लड़ते रहे। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए विभिन्न सत्याग्रह आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनमें से कुछ हैं:
असहयोग आंदोलन
इस आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने अगस्त 1920 में की थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण जलियांवाला बाग नरसंहार का बापू का जवाब था। इस आंदोलन में हजारों भारतीय शामिल हुए। अंग्रेजों द्वारा बेचे जाने वाले सामानों को खरीदने से मना करके वे अहिंसक साधनों से चले गए। उन्होंने स्थानीय उत्पादों का उपयोग करना शुरू कर दिया, जिससे देश में ब्रिटिश व्यवसाय में बाधा उत्पन्न हुई।
गांधीजी ने भारतीयों से खादी को स्पिन करने और अपने कपड़े बनाने और आत्मनिर्भर बनने का आग्रह किया। लोगों ने उनका अनुसरण किया और ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार किया। इसने न केवल ब्रिटिश साम्राज्य को हिला दिया, बल्कि भारतीयों को भी करीब ला दिया और उन्हें एकजुट रहने की शक्ति का एहसास कराया।
दांडी मार्च और नमक सत्याग्रह
गांधीजी ने दांडी मार्च की शुरुआत वर्ष 1930 में 78 स्वयंसेवकों के साथ की थी। यह ब्रिटिश सरकार द्वारा पेश नमक पर कराधान के खिलाफ उनकी अहिंसक प्रतिक्रिया थी। गांधीजी और उनके अनुयायियों ने समुद्री जल से नमक का उत्पादन करने के लिए गुजरात के तटीय गाँव दांडी तक मार्च किया।
यात्रा 12 मार्च से 6 अप्रैल तक 25 दिनों तक चली। गांधीजी और उनके अनुयायियों ने इन 25 दिनों के दौरान 390 किलोमीटर की दूरी तय की, क्योंकि उन्होंने साबरमती आश्रम से दांडी तक मार्च किया। उनके रास्ते में कई लोग शामिल हुए। इस आंदोलन का अंग्रेजों पर और भी अधिक प्रभाव पड़ा।
भारत छोड़ो आंदोलन:
यह महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया एक और आंदोलन था। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत अगस्त 1942 में हुई थी और यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के प्रमुख आंदोलनों में से एक था। गांधीजी और कई अन्य नेताओं को इस आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। बाहर के लोग देश के विभिन्न स्थानों पर जुलूस और विरोध प्रदर्शन करते रहे। उन्हें बड़ी संख्या में उन लोगों का समर्थन प्राप्त था जो निस्वार्थ रूप से लड़ते थे।
गांधी जी के नेतृत्व में सभी आंदोलनों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधी जी की विचारधारा ने अपने समय के दौरान हजारों भारतीयों को प्रेरित किया और आज भी युवाओं को प्रभावित करना जारी है। कोई आश्चर्य नहीं, उन्हें राष्ट्र का पिता कहा जाता है।
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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Mahatma gandhi essay in hindi महात्मा गाँधी पर निबंध हिंदी में.
Hello, guys today we are going to discuss Mahatma Gandhi essay in Hindi. Who was Mahatma Gandhi? We have written an essay on Mahatma Gandhi in Hindi. Now you can take an example to write Mahatma Gandhi essay in Hindi in a better way. Mahatma Gandhi Essay in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Father of nation essay in Hindi or mahatma Gandhi Essay in Hindi. महात्मा गाँधी पर निबंध।
Mahatma Gandhi Essay in Hindi 300 Words
महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में बिताया था। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और उनका जन्म 2 October 1869 में पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये प्रेरित किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद (स्वतंत्र) कराना चाहते थे।
उन्होंने भारत में अपनी पढ़ाई पूरी की और कानून के अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौट आए और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों को मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थे। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।
महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। उन्होंने 1930 में नमक सत्याग्रह या दंडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से भारतीयों को प्रेरित किया था।
एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, उन्हें कई बार जेल भेज दिया गया था लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद (स्वतंत्र) हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जायेगा।
Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words
2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने के साथ-साथ भारतीयों को अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए नोछावर कर दिया। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गाँधी जयंती के रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
गांधीजी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की, 13 वर्ष की अल्पआयु में ही इनका विवाह हो गया था। इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था। मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद में वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। वे तीन वर्ष तक इंग्लैंड में रहे। वकालत पास करने के बाद वे भारत वापस आ गए।
वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौटे और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों की मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थी। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।
वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना चाहते थे।
महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। 1921 में गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया। गांधीजी ने अछूतों के उद्धार लिए कार्य किया, स्त्री शिक्षा और राष्ट्र भाषा हिंदी का प्रचार किया, हरिजनों के उत्थान के लिए काम किया। गांधी जी धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो गये।
अंग्रेजी सरकार ने आन्दोलन को दबाने का प्रयास किया। भारतवासियों पर तरह-तरह के अत्याचार किये। गांधी जी ने 1930 में भारत छोड़ों आन्दोलन चलाया। भारत के सभी नर नारी उनकी एक आवाज पर उनके साथ बलिदान देने के लिए तैयार थे। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से आरतीयों को प्रेरित किया था।
गांधीजी को अंग्रेजों ने बहुत बार जेल में बंद किया था। लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहुत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। इससे सारा विश्व भावुक हो उठा।
महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
Mahatma Gandhi Essay in Hindi 700 Words
जन्म और परिवार
गाँधी जी का पूरा नाम मोहन दास कर्म चन्द गाँधी था। इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर 2 अक्तूबर 1869 ई. को हुआ। आपके पिता कर्मचन्द राजकोट राज्य के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली महिला थी। इनका विवाह कस्तूरबा गाँधी जी के साथ हुआ।
प्रारम्भिक शिक्षा और नकल का विरोध
इनकी शिक्षा पोरबन्दर में हुई। मैट्रिक तक की शिक्षा उन्होंने स्थानीय स्कूलों में ही प्राप्त की। वह पढ़ने-लिखने में भी औसत दर्जे के थे। वे सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे।
जब मोहनदास नौवीं कक्षा में पढ़ते थे तब एक दिन शिक्षा विभाग के निरीक्षक स्कूल का निरीक्षण करने आए। उन्होंने कक्षा में छात्रों को अंग्रेजी के पाँच शब्द लिखवाए। मोहनदास ने ‘केटल’ (Kettle) शब्द की वर्तनी ग़लत लिखी। अध्यापक ने बूट की नोक मारकर इशारे से मोहनदास को अगले छात्र की नकल करने को कहा, लेकिन मोहनदास को यह बात अच्छी नहीं लगी। नकल करना और चोरी करना उनका नज़र में बुरी बात थी। इसलिए उन्होंने नकल नहीं की।
उन्हीं दिनों बालक मोहनदास ने सत्यवादी हरिश्चन्द्र नाटक देखा। नाटक का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और जीवनभर सच्चाई के रस्ते पर ढृढ़ता से चले | बचपन में गाँधी जी के मन में एक ग़लत धारणा बैठ गई थी कि पढ़ाई में सुलेख की जरुरत नहीं है। युवावस्था में जब वे दुसरो की सुन्दर लिखाई देखते तो हैरान रह जाते। बार-बार प्रयत्न करने पर भी लिखाई सुन्दर न हो सकी। तब उन्हें यह बात समझ आई। ‘सन्दर लिखाई न होना अधूरी शिक्षा की निशानी है।’
मैट्रिक परीक्षा पास करने के पश्चात जब वे कानून की पढ़ाई करने इंग्लैंड गए तब इनकी माता ने इनसे तीन वचन लिए –
1. माँस न खाना 2. शराब न पीना 3. पराई स्त्री को बुरी नज़र से न देखना
तीनों वचनों को गाँधी जी ने पूरा जीवन निभाया। गाँधी जी वहाँ से एक अच्छे बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने मुम्बई और राजकोट में वकालत की।
सन् 1893 में वे एक मुकद्दमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ के गोरे शासकों द्वारा प्रवासी भारतीयों से कुलियों जैसा व्यवहार देखकर उनमें राष्ट्रीय भावना जागी।
1915 ई. में रौलेट एक्ट
आप भारत वापस लौटे तो काले कानून लागू थे। 1915 में रौलेट एक्ट का विरोध किया। सन् 1919 के जलियाँवाला काण्ड ने मानवता को झकझोर दिया। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने अपने आपको देश सेवा के लिए सौंप दिया।
1920 ई. में असहयोग आन्दोलन
1920 ई. में असहयोग आन्दोलन का सूत्रपात करके भारत की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा। कुछ ही दिनों में उनकी महानता की कीर्ति सारे देश में फैल गई। वे आज़ादी की आशा के केन्द्र बन गए।
1928 ई. में साइमन कमीशन वापिस जाओ
1928 ई. में साइमन कमीशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया।
नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा
11 मार्च सन् 1930 में आपने नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा शुरू की। इन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया। सन् 1942 में आपने “अंग्रेज़ो भारत छोड़ो आन्दोलन” चला कर एक सूत्र में पिरो दिया। इन्होंने कई बार जेल यात्राएँ की। उन्होंने अपने, देशवासियों और देश के सम्मान की रक्षा के लिए अत्याचारी को खुल कर चुनौती दी। उन्होंने देश को असहयोग का नया रास्ता दिखाया। आठ वर्ष तक रंग-भेद के विरोध में सत्याग्रह करते रहे। भारत की सोई हुई आत्मा को जगाया। इसलिए इन्हें ‘राष्ट्रपिता’ या ‘बापू’ कहा जाता है।
गाँधी जी की तीन शिक्षाएं
बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो एवं बुरा मत बोलो काफ़ी प्रचलित हैं। जिन्हें बापू के तीन बन्दर के नाम से भी जाना जाता है।
संसार से विदाई : अहिंसा के पुजारी बापू गाँधी को 30 जनवरी, 1948 को प्रातः की सभा में जाते हुए एक उन्मादी नौजवान नत्थूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर शहीद कर दिया। इनकी समाधि राजघाट दिल्ली में स्थित है।
प्रेरणा स्रोत
आपके व्यक्तित्व में मुसीबतों को सहना प्रायश्चित करना, अहिंसा के मार्ग पर चलना, आचरण का ध्यान रखना आदि गुणों का समावेश था। संसार के अनेक नेताओं ने इन्हीं से प्रेरणा ली। इन्हीं गुणों के कारण ही वे महान बने और आज भी अमर हैं।
हमें भी गाँधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए, उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। भारत हमेशा उनके द्वारा स्वतन्त्रता-संग्राम में किये योगदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा।
Mahatma Gandhi Essay in Hindi 800 Words
महात्मा गाँधी को ”बापू” के नाम से भी जाना जाता है। बापू का अर्थ है “पिता”। वे सच्चे अर्थों में राष्ट्र के पिता थे। उनको ‘‘महात्मा” कहकर सर्वप्रथम गरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पुकारा था। उन्होंने ही गाँधी जी को यह उपाधि उनके महान् गुणों और आदर्शों को ध्यान में रख कर प्रदान की थी। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर गाँधी जी का नाम सदैव अंकित रहेगा।‘बापू जी’ के नाम से विख्यात गाँधी जी एक युगपुरुष थे। वे हमारे देश के ही नहीं अपित विश्व के महान पुरूषों में से एक थे। राष्ट्र उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से संबोधित करता है।
महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्तूबर 1869 ई० को पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गाँधी राजकोट के प्रसिद्ध दीवान थे। पढ़ाई में औसत रहने वाले गाँधी जी ने कानून की पढ़ाई ब्रिटेन में पूरी की। प्रारम्भ में मुम्बई में उन्होंने कानून की प्रैक्टिस की परन्तु वे इसमें सफल नहीं हो सके। कानून से ही सम्बन्धित एक कार्य के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ पर उनका अनुभव बहुत कटु था क्योंकि वहां भारतीयों तथा अन्य स्थानीय निवासियों के साथ अंग्रेज बहुत दुर्व्यवहार करते थे। भारतीयों की दुर्दशा को वे सहन नहीं कर सके। दक्षिण अफ्रीका के वर्णभेद और अन्याय के प्रति उन्होंने संघर्ष प्रारम्भ किया। इस संघर्ष के दौरान 1914 ई० में उन्हें जेल भेज दिया गया। वे अपने प्रयासों में काफी हद तक सफल रहे। जेल से छूटने के पश्चात् उन्होंने निश्चय किया कि वे अन्याय के प्रति अपना संघर्ष जारी रखेंगे।
देश वापस लौटने के पश्चात् गाँधी जी स्वतन्त्रता की लड़ाई में कूद पड़े। उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के पश्चात् अपनी लड़ाई तेज कर दी। गाँधी जी ने अंग्रेजी सरकार का बहिष्कार करने के लिए देश की जनता को प्रेरित किया परन्तु उन्होंने इसके लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाने के लिए कहा। ऐतिहासिक डांडी यात्रा उन्हीं के द्वारा आयोजित की गई जिसमें उन्होंने अंग्रेजी सरकार के नमक कानून को तोड़ा। उन्होंने लोगों को अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए ‘असहयोग आंदोलन’ में भाग लेने हेतु प्रेरित किया जिसमें सभी विदेशी वस्तुओं एवं विदेशी शासन का बहिष्कार किया गया। 1942 ई. में उन्होंने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ चलाया तथा अंग्रेजी सरकार को देश छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया। उनके अथक प्रयासों व कुशल नेतृत्व के चलते अंग्रेजी सरकार को अंततः भारत छोड़ना पड़ा और हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी दासता से मुक्त हो गया।
स्वतन्त्रता के प्रयासों के अतिरिक्त गाँधी जी ने सामाजिक उत्थान के लिए भी बहुत प्रयास किए। अस्पृष्यता तथा वर्ण-भेद का उन्होंने सदैव विरोध किया। समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष को देखकर उनका मन बहुत दु:खी हुआ। अतः उन्होंने हिन्दुस्तान के विभाजन की स्वीकृति दे दी जिससे पाकिस्तान का उदय हुआ। 30 जनवरी 1948 ई. को नत्थू राम गौडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। इस प्रकार यह युगपुरुष चिरकाल के लिए मातृभूमि की गोद में सो गया।
गाँधी की अचानक मृत्यु व हत्या ने सारे देश के झकझोर दिया। सब जगह जैसे अंधकार व हाहाकार मच गया। यद्यपि गाँधी जी आज पार्थिव रूप में हमारे साथ नहीं है। परन्तु उनके महान् आदर्श हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे। वे सचमुच एक तपस्वी और निष्काम कर्मयोगी थे। आज भी भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व उनके शांति प्रयासों के लिए उन्हें सदैव याद करता है। प्रतिवर्ष 2 अक्तूबर के दिन हम गाँधी जयंती के रूप में पर्व मनाकर उनका स्मरण करते हैं तथा उनकी समाधि ‘राजघाट’ पर जाकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।
हमें गर्व है कि महात्मा गाँधी एक भारतीय थे। उनका जीवन व आदर्श हमेशा हमें प्रेरणा देते रहेंगे। उनके बताये मार्ग पर चलकर ही भारत सच्चे अर्थों में महान् बन सकता है। उनका मृत्यु-दिवस 30 जनवरी प्रति वर्ष बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सारे देश में प्रार्थना सभाएं की जाती हैं और उनको बड़ी श्रद्धा से याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है।
गाँधीजी एक युग पुरूष थे। ऐसे व्यक्ति कई सदियों में जन्म लेते हैं और मानवता को सही दिशा प्रदान करते हैं। उनकी याद में अनेक शहरों, सड़कों, राजमार्गों, विद्यालयों, संस्थानों आदि का नामकरण उनके नाम पर किया गया है। गाँधी जयंती भी सारे देश में बड़े समारोह पूर्वक मनाई जाती है। उस दिन सारे देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है। दिल्ली में यमुना के तट पर गाँधीजी की समाधि है। जहां प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन करने आते हैं और गाँधीजी के जीवन से प्रेरणा और शिक्षा प्राप्त करते हैं। गाँधीजी की समाधि सचमुच एक राष्ट्रीय स्मारक है।
Mahatma Gandhi Essay in Hindi 1300 Words
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल ।। साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल ॥
भूमिका –
किसी राष्ट्र की संस्कृति और इतिहास का गौरव वे महान् व्यक्तित्व होते हैं जो अखिल विश्व को अपने सिद्धान्त और विचारधारा से सुख और शान्ति, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाते हैं। ऐसे व्यक्तित्व केवल अपने जीवन के लिए ही नहीं जीते हैं; | अपितु वे अखिल मानवता के लिए जीते हैं। उनके जीवन का आदर्श होता हैं –
वृक्ष कबहुँ फल नाहिं भर्ख, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर॥
भारतीय ऐसे महामानव को अवतार कहने लगते हैं। पश्चिमी देशों में पैदा हुए ईसा, सुकरात, अब्राहम लिंकन ऐसे ही युगानुरूप महापुरुष थे। भारत में इस तरह के महान् पुरुषों ने अधिक जन्म लिया। राम, कृष्ण, गुरु नानक, स्वामी दयानन्द आदि महापुरुषों की गणना ऐसे ही महामानवों में की जा सकती है। ईसा धार्मिक थे पर राजनीतिक नहीं। अब्राहिम लिंकन राजनीतिक थे पर धार्मिक नहीं, पर महात्मा गांधी ऐसे महात्मा थे जो धार्मिक भी थे और राजनीतिक भी। शरीर से दुर्बल पर मन से सबल, कमर पर लंगोटी और ऊपर एक चादर ओढ़े हुए इस महामानव के चरणों की धूल को माथे पर लगाने में धनिक तथा राजा और महाराजा भी अपना सौभाग्य समझते थे। मुट्ठी भर हड्डियों के इस ढांचे में विशाल बुद्धि का सागर समाया हुआ था। तभी तो प्रसिद्ध विद्वान् आईंस्टीन ने कहा था, “आने वाली पीढ़ियों को विश्वास नहीं होगा कि एक हाड़-मांस के पुतले ने बिना एक बूंद खून गिराए अहिंसा और सत्य का सहारा लेकर ब्रिटिश साम्राज्य की जड़े हिला दीं और उन्हें भारत से जाने के लिए विवश कर दिया।”
जीवन परिचय –
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर सन् 1969 ई. में काठियावाड़ की राजकोट रियासत में पोरबन्दर में हुआ। पिता कर्मचन्द राजकोट रियासत के दीवान थे तथा माता पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की सती-साध्वी घरेलु महिला थी जिनकी शिक्षाओं का प्रभाव बापू पर आजीवन रहा। आरम्भिक शिक्षा राजकोट में हुई। गांधी साधारण मेधा के बालक थे। विद्यार्थी जीवन की कुछ घटनाएँ प्रसिद्ध हैं—जिनमें अध्यापक के कहने पर भी नकल न करना, पिता की सेवा के प्रति मन में गहरी भावना का जन्म लेना, हरिश्चन्द्र आर श्रवण नाटकों की गहरी छाप, बरे मित्र की संगति में आने पर पिता के सामने अपने दोषो को स्वीकार करना। वास्तव में ये घटनाएँ बापू के भव्य जीवन की गहरी आधार शिलाएँ थी।
तेरह वर्ष की छोटी आयु में ही इनका विवाह कस्तूबरा के साथ हो गया था। मीट्रिक की शिक्षा के पश्चात् बैरिस्टरी पास करने के लिए विलायत गए। विलायत-प्रस्थान से पूर्व माँ ने अपने पुत्र से प्रतिज्ञा करवाई थी कि शराब, माँस तथा पर स्त्री से अपने को सदैव दूर रखेंगे और माँ के आज्ञाकारी पुत्र ने इन्हीं बुराइयों की अन्धी और गन्दी गलियों से अपने आप को बचा कर रखा।
सन् 1891 में बैरिस्टरी पास करके ये भारत लौटे तथा बम्बई में वकालत आरम्भ कर दी। लेकिन वकालत के भी अपने मूल्य थे – झूठे मुकद्दमें न लेना तथा गरीबों के लिए मुफ्त लड़ना। सन् 1893 में एक मुकद्दमें की पैरवी के लिए गांधी दक्षिणी अफ्रीका गए। मुकद्दमा तो आपने जीत लिया पर दक्षिणी अफ्रीका में गोरे-काले के भेदभाव को देखकर और भारतीयों पर होने वाले अत्याचारों से आपका मन बहुत खिन्न हुआ। आपने वहां सत्याग्रह चलाया और नटाल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। दक्षिणी अफ्रीका में गोरों ने उन्हें यातनाएं दीं। गांधी जी को मारा, उन पर पत्थर फेंके, उनकी पगड़ी उछाली, पर गांधी अपने इरादे से टस से मस न हुए। आखिर जब भारत लौटे तो गोरे-काले का भेद-भाव मिटा कर विजय वैजयन्ती फहराते हुए।
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में –
भारत में स्वतन्त्रता आन्दोलन की भूमिका बन रही थी। लोकमान्य तिलक का यह उद्घोष जन-मन के मन में बस गया था कि “स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।” महात्मा गांधी ने भी इसी भूमिका में काम करना आरम्भ कर दिया। यह बात अलग है कि उनके दृष्टिकोण और तिलक के दृष्टिकोण में अन्तर था, पर लक्ष्य एक था। दोनों एक पथ के पथिक थे। फलत: सत्य और अहिंसा के बल पर महात्मा गांधी ने संवैधानिक रूप से अंग्रेज़ों से स्वतन्त्रता की मांग की। इधर विश्वव्यापी प्रथम युद्ध छिड़ा। अंग्रेज़ों ने स्वतन्त्रता देने की प्रतिज्ञा की और कहा कि युद्ध के पश्चात् हम स्वतन्त्रता दे देंगे। श्री तिलक आदि पुरुषों की इच्छा न रहते हुए भी महात्मा गांधी ने उस युद्ध में अंग्रेज़ों की सहायता की। युद्ध समाप्त हो गया, अंग्रेज़ वचन भूल गए। जब उन्हें याद दिलाया गया तब वे इन्कार कर गए। आन्दोलन चला, आज़ादी के बदले भारतीयों को मिला ‘रोलट एक्ट’ और ‘जलियांवाल बाग का गोली कांड’। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन आरम्भ हुआ।
विद्यार्थी और अध्यापक उस आन्दोलन में डटे, पर चौरा-चौरी के कांड़ से गांधी जी ने आन्दोलन वापस ले लिया। फिर नमक सत्याग्रह चला। ऐसे ही गांधी जी के जीवन में अनेक सत्याग्रह और उपवास चलते रहे। 1939 ई. में फिर युद्ध छिड़ा। भारत के न चाहते हुए इंग्लैंड ने भारत का नाम युद्ध में दिया। महात्मा गांधी बहुत छटपटाए। 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। सभी प्रमुख राजनीतिक नेता जेलों में बन्द कर दिए गए। युद्ध की समाप्ति पर शिमला कान्फ्रेंस हुई पर यह कान्फ्रेंस बहुत सफल न हुई। फिर 1946 ई. में अन्तरिम सरकार बनी पर वह भी सफल न हुई।
असाम्प्रदायिक –
असल में महात्मा गांधी शुद्ध हृदय में असाम्प्रदायिक थे। उनके कार्य में रोड़ा अटकाने वाला था कट्टर साम्प्रदायिक मुस्लिम लीग का नेता कायदे आज़म जिननाह। गाँधी जी ने उसे अपने साथ मिलाने का भरसक प्रयत्न किया पर वही ढाक के तीन पात। अंग्रेज़ो के उकसाने के कारण जिन्ना टस से मस नहीं हुए। इधर भारत में साम्प्रदायिकता की होली खेली जाने लगी। हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। पंजाब और बंगाल में अमानुषिकता चरम सीमा तक पहुंच गई। इधर अंग्रेज़ भारत छोड़ने को तैयार नेहरू, पटेल आदि के आग्रह से, न चाहते हुए भी गांधी जी ने भारत विभाजन स्वीकार कर लिया और 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ा अखण्ड नहीं, खण्डित करके। उसके दो टुकड़े कर दिए – भारत और पाकिस्तान। साम्प्रदायिकता की ज्वाला तब भी न बुझी। खून की होली तब भी बन्द न हुई। महात्मा गाँधी सब प्रान्तों में घूमे। इस साम्प्रदायिक ज्वाला को शान्त करते हुए देहली पहुँचे।
30 जनवरी, 1948 को जब गांधी जी बिरला मन्दिर से प्रार्थना सभा की ओर बढ़ रहे थे तो एक पागल नवयुवक ने उन्हें तीन गोलियों से छलनी कर दिया, बापू ‘राम-राम’ कहते हुए स्वर्ग सिधार गिए। अहिंसा का पुजारी आखिर हिंसा की बलि चढ़ा। सुधारक ऐसे ही मरा करते हैं। ईसा, सुकरात, अब्राहिम लिंकन ने भी ऐसे ही मृत्यु को गले लगाया था। नेहरू के शब्दों में बापू मरे नहीं, वह जो प्रकाश मानव के हृदय में रख गए, वह सदा जलता रहेगा, इसलिए वह सदा अमर हैं।
महात्मा गांधी का दर्शन और जीवन व्यावहारिक था। उन्होंने सत्ता और अहिंसा का मार्ग अश्व के सामने रखा वह उनके अनुभव और प्रयोग पर आधारित था। उनका चिंतन अखिल मानवता के मंगल और कल्याण पर आधारित था। वे एक ऐसे समाज की स्थापना करना शहते थे जो भेद-रहित समाज हो तथा जिसमें गुण और कर्म के आधार पर ही व्यक्ति को श्रेष्ठ माना जाए। भौतिक प्रगति के साथ-साथ बापू आध्यात्मिक पवित्रता पर भी बल देते रहे। यही कारण था कि वे ईश्वर के नाम के स्मरण को कभी नहीं भुलाते। उनका प्रिय भजन था –
“रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम” और “वैष्णव जन तो तेने रे कहिए। जिन पीर पराई जाणे रे॥”
आज समस्त विश्व में उनके चिंतन और दर्शन पर शोध-कार्य किया जाता है तथा उनके आदर्श और सिद्धान्त को विश्व-कल्याण के लिए अनिवार्य समझा जाता है। महात्मा गांधी विचारक तथा समाज सुधारक थे। उपदेश देने की अपेक्षा वे स्वयं उस मार्ग पर चलने पर विश्वास रखते थे। ईश्वर के प्रति उनकी अटूट आस्था थी और बिना प्रार्थना किए वे रात्रि सोते नहीं थे। उनका जीवन और दर्शन आज भी विश्व का मार्ग-दर्शन करता है।
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Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100, 200, 500 Words महात्मा गांधी पर हिंदी निबंध
हमारे द्वारा नीचे महात्मा गांधी पर सरल शब्दों में निबंध दिए गए हैं। वे हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे। भारत का हर बच्चा और व्यक्ति उन्हें बापू या राष्ट्रपिता के नाम से जानता है। नीचे दिए गए निबंधों के माध्यम से आप अपने बच्चों की स्कूल की हर प्रतियोगिता या परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद कर सकते हैं।
Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100 Words
महात्मा गांधी को जीवन पर्यंत उनके महान कार्यों के लिए महात्मा बुलाया जाता रहेगा। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और अहिंसा का पालन करने वाले कार्यकर्ता थे. उन्होंने अहिंसा के दम पर भारत को अंग्रेजों के राज से मुक्त करवाया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था। वे जब इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई कर रहे थे तब महज 18 साल के थे। बाद में वे अपने कानून का अभ्यास करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के एक ब्रिटिश उपनिवेश में गए जहां अपनी काली त्वचा के कारण गोरे लोगों ने उनके साथ भेदभाव किया। इसलिए उन्होंने इन अनुचित कानूनों में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निश्चय किया।
- Mahatma Gandhi Slogan in Hindi
इसके बाद वे भारत लौट आएं और उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए एक शक्तिशाली और अहिंसक आंदोलन शुरु किया। सन 1930 में गांधीजी ने दांडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने बहुत से भारतीयों को अपनी स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।
Mahatma Gandhi Essay in Hindi 200 Words
महात्मा गांधी भारत के महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे, जो अभी भी अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की विरासत के जरिए देश -विदेश में लोगों को प्रेरित करता है। बापू का जन्म 2 अक्तूबर को 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। अक्टूबर माह के दूसरे दिन जब बापू का जन्म हुआ, वह भारत के लिए एक महान दिन था। उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता कराने के लिए अपनी महान और अविस्मरणीय भूमिका अदा की। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही कानून की पढाई के लिए इंग्लैंड चले गयें थे। सन 1891 में एक वकील के रूप में भारत लौट आयें।
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भारत आने के बाद, उन्होंने ब्रिटिश शासन से विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे भारतीय लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। उन्होंने भारतीयों की मदद के लिए अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए बापू द्वारा शुरू की गई अन्य बड़ी गतिविधियों में 1920 में असहयोग आंदोलन, वर्ष 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन थे। सभी आंदोलनों ने भारत में ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया और बहुत से आम नागरिकों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
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Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words
महात्मा गांधी को हमारे देश की आजादी में उनके महान योगदान के लिए “देश के पिता या बापू” के रूप में जाना जाता है। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अहिंसा और लोगों की एकता में विश्वास किया और भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता लायें। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को हटाने, भारत में पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की, सामाजिक विकास के लिए गांवों को विकसित करने के लिए आवाज उठाई, स्वदेशी वस्तुओं और अन्य सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। वे आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए आम लोगों को आगे लायें और उन्हें अपनी सच्ची स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
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वे उन व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने अपने महान आदर्शों और सर्वोच्च त्यागों के माध्यम से आजादी के सपने को सच्चाई में बदल दिया। वे आज भी हमारे बीच उनके महान कार्यों और अहिंसा, सच्चाई, और प्रेम जैसे प्रमुख गुणों के लिए याद कियें जाते है। वे एक महान आत्मा के रूप में पैदा नहीं हुए थे बल्कि उन्होंने अपने कठिन संघर्षों और कार्यों के माध्यम से खुद को महान बना दिया। वे राजा हरिश्चंद्र नामक नाटक के पात्र राजा हरिश्चंद्र के जीवन से बेहद प्रभावित थे। स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने इंग्लैंड से अपनी क़ानून की डिग्री पूरी की और एक वकील के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन एक महान नेता के रूप में कार्य करना जारी रखा।
- Mahatma Gandhi Quotes in Hindi
उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए कई बड़े आन्दोलनों जैसे 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1 942 में भारत छोड़ो आंदोलन आदि की शुरुआत की। कई संघर्षों और कार्यों के बाद, ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को आजादी प्रदान की गई। वे एक बहुत ही सरल व्यक्ति थे जिन्होंने रंग और जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए काम किया। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत की और अछूतों को “हरिजन” नाम दिया, जिसका अर्थ है भगवान के लोग।
वे एक महान सामाजिक सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जो अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा करने के एक दिन बाद मृत्यु को प्राप्त हुए। उन्होंने भारतीय लोगों को मेहनतकश बननें के लिए प्रेरित किया और कहा कि एक सरल जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था वे स्वयं करें। उन्होंने स्वदेशी सामानों के उपयोग को बढ़ावा देने और विदेशी सामानों के उपयोग से बचने के लिए चरखे के माध्यम से सूती कपड़े की बुनाई शुरू कर दी। वे कृषि के समर्थक थे और इसके लिए उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को कृषि कार्य करने के लिए प्रेरित किया। वे एक ऐसे आध्यात्मिक व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता का प्रवेश करवाया। 30 जनवरी 1948 को उनका निधन हुआ और उनके शरीर का अंतिम संस्कार राजघाट , नई दिल्ली में किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 30 जनवरी को हर साल भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- Short Paragraph on Mahatma Gandhi In Hindi
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- महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi): गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइनें, 100, 200, 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखें
Updated On: September 02, 2024 06:34 pm IST
प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखने में छात्रों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिये गये आर्टिकल से आप निबंध लिखना सीख सकते है।
- महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma …
- गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi …
- महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma …
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): “अहिंसा के पुजारी” और “राष्ट्रपिता” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही दिखने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी। गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है। ये भी पढ़ें: - शिक्षक दिवस पर भाषण
महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 200 words)
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएं इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें उन प्रसिद्ध स्थानों को शामिल किया गया है जहां उनका दौरा किया गया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था। गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं। ये भी पढ़ें- हिंदी दिवस पर निबंध
गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi in 500+ words)
मोहनदास करमचंद गांधी.
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti) - मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत के पोरबंदर, कंथियावाड़ में पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी और उनकी चौथी पत्नी पुतलीबाई के घर हुआ था। 1882 में उन्होंने कस्तूरबाई माकनजी से शादी की, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। गांधीजी ने 1887 में सामलदास कॉलेज, भाऊनगर में दाखिला लिया, लेकिन एक सत्र के बाद छोड़ दिया। हालाँकि, उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और वह 4 सितंबर 1888 को लंदन के लिए रवाना हो गए।
गांधी जयंती
भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।
देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की। ये भी पढ़ें - दशहरा पर निबंध
गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। अहिंसा का अर्थ ही होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने पर बल देते थे। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है। गांधी जी बुद्ध के सिद्धांतों का अनुगमन कर इच्छाओं की न्यूनता पर भी बल देते थे।
महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना थाकई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।
स्वदेशी आन्दोलन
स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी। इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें। अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था।
स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी। बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था। महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया। छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया। बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया। आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम को गाने का मतलब देशद्रोह था। यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया।
खिलाफत आन्दोलन
प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग भारत (नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट) और खिलाफत आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये थे, जिसमें 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन चलाये गये थे। खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा पद को पुनः स्थापित करना था। खिलाफत आंदोलन 1919 से 1924 तक चला था। हालाँकि इस आंदोलन का सीधा सम्बन्ध भारत से नहीं था। इस का प्रारम्भ 1919 में अखिल भारतीय कमिटी का गठन करके किया गया था। अखिल भारतीय कमिटी का गठन अली बंधुओं द्वारा किया गया था।
अंत्योदय एक ऐसा मिशन था जो गांधीजी के दिल के करीब था। अंत्योदय शब्द का अर्थ है " अंतिम व्यक्ति का उत्थान " या सबसे निराश, सबसे गरीब वर्ग के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करना, जो कि बापू के अनुसार, केवल सर्वोदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, अंत्योदय द्वारा सभी का विकास।
सात्विक आहार
महात्मा गांधी सात्विक खाने में विश्वास रखते थे। गुस्सा दिलाने वाले खाने से वह परहेज करते थे इसलिए हरी सब्जियों की मात्रा खाने में रखते थे। उबली हुई सब्जियों को बिना नमक के साथ खाना उनकी आदतों में रहा है। चुकंदर बैंगन भी उबालकर गांधी जी अपनी डाइट में लेते थे। सादा खाना उनकी पसंद हमेशा से रहा था, इसी क्रम में उन्होंने दाल और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था। दाल और चावल भी सात्विक खाने का प्रतीक होता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अच्छी होती है।
महात्मा गाँधी के साथ चरखे का नाम भी विशेषतौर पर जोड़ा जाता है। भारत में चरखे का इतिहास बहुत प्राचीन होते हुए भी इसमें उल्लेखनीय सुधार का काम महात्मा गाँधी के जीवनकाल का ही मानना चाहिए। सबसे पहले सन 1908 में गाँधी जी को चरखे की बात सूझी थी, जब वे इंग्लैंड में थे। उसके बाद वे बराबर इस दिशा में सोचते रहे। वे चाहते थे कि चरखा कहीं न कहीं से लाना चाहिए। गाँधी जी ने चरखे की तलाश की थी। एक गंगा बहन थीं, उनसे उन्होंने चरखा बड़ौदा के किसी गांव से मंगवाया था। इससे पहले गाँधी जी ने चरखा कभी देखा भी नहीं था, सिर्फ उसके बारे में सुना था। बाद में उस चरखे में उन्होंने काफ़ी सुधार भी किए। दरअसल गाँधी जी के चरखे और खादी के पीछे सेवा का भाव था। उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी, उनकी आजादी के लिए भी। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी और उस किसान के लिए भी, जो 6 महीने ख़ाली रहता था।
हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन है, लेकिन गांधीजी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती हैगांधी जी के लिये स्वराज का अर्थ व्यक्तियों के स्वराज (स्वशासन) से था और इसलिये उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिये स्वराज का मतलब अपने देशवासियों हेतु स्वतंत्रता है और अपने संपूर्ण अर्थों में स्वराज स्वतंत्रता से कहीं अधिक है। आत्मनिर्भर व स्वायत्त्त ग्राम पंचायतों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करना ही गांधी जी का ग्राम स्वराज सिद्धांत था। आर्थिक मामलों में भी गांधीजी विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के माध्यम से लघु, सूक्ष्म व कुटीर उद्योगों की स्थापना पर बल देते थे। गांधी जी का मत था कि भारी उद्योगों की स्थापना के पश्चात् इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें व धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, साथ ही बहुत बड़े उद्योगों का अस्तित्व श्रमिक वर्ग के शोषण का भी मार्ग तैयार करता है। ये भी पढ़ें- दिवाली पर निबंध
महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi in 10 Lines)
- महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
- गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
- गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
- महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
- गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
- गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
- गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
- महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
- गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।
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Essay On Mahatma Gandhi In Hindi (100, 200, 300, 500, 700, 1000 Words)
महात्मा गाँधी पर निबंध 1 (100 शब्द) :.
महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जिनके पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने एक राष्ट्रवादी नेता की तरह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतवासियों का भरपूर नेतृत्व किया था।
महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था लेकिन इनकी मृत्यु 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में स्थित बिरला मंदिर की प्रार्थना सभा में हुई थी। मोहनदास करमचंद गाँधी जी की हत्या हिन्दू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर की थी जिसके लिए उसे भारत सरकार के द्वारा फांसी की सजा दी गई थी। सन् 1948 में रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें एक और “राष्ट्र का शहीद” नाम दिया था।
महात्मा गाँधी पर निबंध 2 (200 शब्द) :
महात्मा गाँधी जी एक सच्चे भारतवासी होने के साथ-साथ एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज के समय में भी देश और विदेशों के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की वजह से प्रेरित करते हैं।
महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर एक हिंदू परिवार में हुआ था जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। भारत देश के लिए 2 अक्तूबर एक बहुत ही पुन्य तिथि थी क्योंकि आज के दिन महात्मा गाँधी जी का जन्म हुआ था।
गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराने के लिए अविस्मरणीय भूमिका निभाई थी। गाँधी जी ने अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा इंग्लैड से की थी जहाँ से वे एक वकील बनकर लौटे थे जिसके बाद उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा समस्याओं का सामना करने वाले भारतियों की मदद करने लगे थे।
गाँधी जी ने भारतीय लोगों की मदद करने के लिए सत्याग्रह नामक आंदोलन का शुभारंभ किया। भारत को स्वतंत्र कराने के लिए गाँधी जी ने बहुत से अन्य आंदोलन भी चलाए थे जिनके बाद भारत को अंत में 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली थी लेकिन इसके एक साल बाद 30 अक्तूबर, 1948 को दिल्ली में गाँधी जी की मृत्यु हो गई थी।
महात्मा गाँधी पर निबंध 3 (300 शब्द) :
भूमिका : महात्मा गाँधी जी को बापू या राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि सभी लोग उन्हें इन्हीं नामों से पुकारा करते थे। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जो एक बहुत ही महान स्वतंत्रता सेनानी थे और एक राष्ट्रवाद नेता की तरह ही उन्होंने भी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारत देश का नेतृत्व किया था।
गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी ने ऐसे बहुत से आंदोलन चलाए हैं जिनके द्वारा किसी भी देश या राष्ट्र की उन्नति हो सकती है। गाँधी जी द्वारा ही भारत देश को आजादी मिल पाई थी।
महात्मा गाँधी का जीवन : महात्मा गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक से आगे की पढाई इंग्लैण्ड में की थी जहाँ से गाँधी जी वकील बनकर ही भारत वापस लौटे थे। भारत आकर उन्होंने भारतवासियों का मार्गदर्शन करना शुरू कर दिया जिससे कुछ लोगों ने उन्हें राजनीति में प्रवेश करने के लिए कहा।
महात्मा गाँधी जी ने अहिंसा के धर्म को अपनाते हुए बहुत सारे आंदोलन चलाए जिसके सामने अंग्रेजों को अपने घुटने टेकने पड़े और अंत में अंग्रेजो ने भारत को आजाद कर दिया और भारत छोड़कर चले गए। भारत के आजाद होने के कुछ समय बाद महात्मा गाँधी जी की हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे के द्वारा दिल्ली के बिरला मंदिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
उपसंहार : महात्मा गाँधी जी को भारतीय इतिहास में युग पुरुष के रूप में सदैव याद रखा जाएगा। आज महात्मा गाँधी जी को सारी दुनिया श्रद्धा के साथ नमन करती हैं। महात्मा गाँधी जी के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए उनके ऊपर बहुत-सी भाषाओं में फिल्में बनाई गई हैं जिससे आज के बच्चे, युवा अपने जीवन को प्रेरणादायक बना सकें।
जब महात्मा गाँधी जी का जन्मदिन होता है तो उस दिन पूरा विश्व श्रद्धा और सम्मान के साथ गाँधी जी के जन्मदिन को मनाता है। गाँधी जी के सम्मान के रूप में अमेरिका देश ने भी 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती के रूप में मनाना शुरू कर दिया है।
महात्मा गाँधी पर निबंध 4 (400 शब्द) :
भूमिका : महात्मा गाँधी जी को महात्मा उनके महान कार्यों और महानता के लिए कहा जाता है जिन्हें उन्होंने अपने जीवन भर किया था। महात्मा गाँधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक अहिंसक कार्यकर्ता भी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन में अहिंसा का पालन किया था जिसका उदाहरण ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना है।
गाँधी जी ने अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए लेकिन उन्होंने किसी भी आंदोलन को हिंसात्मक नहीं होने दिया। गाँधी जी ने बहुत सी जगहों पर शिक्षा प्राप्त की थी जिससे ही उन्होंने राजनीति सीखी थी।
महात्मा गाँधी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था जिनके पिता जी का नाम करमचंद गाँधी और माँ का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी पर उनकी माँ के संस्कारों का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा था।
महात्मा गाँधी जी ने बहुत सारे आंदोलन चलाए ताकि वे अपने भारत के लोगों को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिला सकें। उन्होंने सत्याग्रह किया जिसके सामने अंग्रेजों ने अपने घुटने टेक दिए जिसके बाद भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
(और पढ़ें : राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध , महात्मा गाँधी से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें )
महात्मा गाँधी की मृत्यु : महात्मा गाँधी जी ने अपने पूरे जीवन को देश के लिए बलिदान कर दिया था इसलिए वे जब तक जिंदा रहे तब तक देश के उन्नति के लिए काम करते रहे। गाँधी जी ने देश को एक करने के लिए हिंदू मुस्लिम एकता की भावना का शुभारंभ किया लेकिन कुछ लोग इस भावना के विरुद्ध थे।
महात्मा गाँधी जी 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला मंदिर में प्रार्थना सभा के लिए गए थे तभी एक हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। महात्मा गाँधी जी की मृत्यु से पूरा भारत बहुत गहरे सदमे में चला गया। गाँधी जी की मृत्यु के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमारे बीच रहेंगे।
उपसंहार : एक समय ऐसा भी आया था जब गाँधी जी को काली त्वचा और गोरी त्वचा वाले व्यक्ति के भेदभाव का शिकार होना पड़ा था जिसके बाद ही उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने का निश्चय किया। गाँधी जी राजनीतिक कार्यकर्ता बनकर पास किए गए गलत कानूनों में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते थे।
गाँधी जी ने भारत देश को स्वतंत्र और शक्तिशाली बनाने के लिए एक अहिंसक आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने ही नमक सत्याग्रह में होने वाले दांडी मार्च का नेतृत्व किया था। गाँधी जी ने अपनी स्वतंत्रता के लिए बहुत सारे भारतियों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।
महात्मा गाँधी पर निबंध 5 (500 शब्द) :
भूमिका : महात्मा गाँधी जी भारत के एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज भी देश और विदेश के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद जीवन की वजह से प्रेरित करते हैं। महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ में स्थित पोरबंदर स्थान पर हुआ था।
महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जो उनके पिता जी के नाम पर रखा गया था क्योंकि गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और आखिरी संतान थे।
महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा : महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही हुई थी जिसमें वे एक बहुत ही साधारण विद्यार्थी थे। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान गाँधी जी अपने सहपाठियों से बहुत ही कम बोलते थे लेकिन अपने अध्यापकों का पूरा आदर करते थे। गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी।
प्रारंभ में तो गाँधी जी बहुत ही मेहनती और सत्यवादी थे क्योंकि वे कभी भी कोई बात नहीं छिपाते थे। गाँधी जी झगड़ा, शरारत और उछल-कूद से कोशों दूर रहते थे। गाँधी जी ने बंबई युनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को पास किया और भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया।
गाँधी जी के गुजरती भाषा से अचानक अंग्रेजी भाषा में आने से उन्हें व्याख्यानों को समझने में बहुत अधिक परेशानी होती थी। गाँधी जी की इच्छा थी कि वे एक डॉक्टर बने लेकिन वे एक वैष्णव परिवार के व्यक्ति थे जिन्हें चीरफाड़ करने की अनुमति नहीं थी। अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद गाँधी जी को अगली उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा था।
विवाह : जब गाँधी जी 13 साल के थे तो वे अपने स्कूल की पढाई पूरी कर रहे थे। 13 साल की उम्र में उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी से हो गया था जिसका नाम कस्तूरबा देवी था।
राजनीति में प्रवेश : जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था। सन् 1915 में गाँधी जी फिर से भारत लौटे थे। इन दिनों कांग्रेस पार्टी के गणमान्य सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले जी थे। गोपाल कृष्ण गोखले जी ने गाँधी जी से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की अपील की जिसकी वजह से गाँधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता हासिल की और पूरे भारत का भ्रमण किया। जब गाँधी जी ने देश की बागडोर को अपने हाथों में ले लिया तो पूरे देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ।
जब साल 1928 में साइमन कमिशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका डटकर सामना किया। गाँधी जी की एकता से लोगों को बहुत प्रोत्साहन मिला। जब गाँधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा की तो अंग्रेज पूरी तरह हिल गए। महात्मा गाँधी जी कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे जिसकी वजह से वे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे। गाँधी जी ने तिलक जी के साथ इस आंदोलन को आगे बढ़ाया था।
उपसंहार : बापू जी ने बहुत से देशों की यात्रा भी की थी जिसके बाद उन्होंने भारत लौटकर ब्रिटिश शासन के द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को रोकने के लिए और उनका सामना करने के लिए भारत के लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। महात्मा गाँधी जी एक भारतीय थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन को हराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन का शुभारंभ किया था।
महात्मा गाँधी जी की वजह से ही भारत देश को आजादी मिल पाई थी जिसके लिए उन्होंने बहुत से लोगों को प्रेरित किया था। महात्मा गाँधी जी को 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला मंदिर में हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी।
महात्मा गाँधी पर निबंध 6 (600 शब्द) :
भूमिका : महात्मा गाँधी जी एक अहिंसा प्रिय व्यक्ति थे क्योंकि उनका मानना था कि जो चीज हिंसा से प्राप्त नहीं की जा सकती है उसे अहिंसा और प्रेम से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। महात्मा गाँधी वो महान हस्ती थे जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलनों का नेतृत्व किया था।
महात्मा गाँधी जी एक वकील थे जिन्होंने राजनीति में प्रवेश करके बहुत से लोगों को सही और अहिंसापूर्ण मार्ग दिखाया था। महात्मा गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन द्वारा तिरस्कृत और अपमानित किए जाने वाले भारतवासियों को स्वतंत्रता दिलाई थी।
गाँधी जी का परिवार : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। महात्मा गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और आखिरी संतान थे जिनके पिता राजकोट के दीवान थे।
गाँधी जी पर उनकी माता पुतलीबाई गाँधी का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी का विवाह 13 साल की उम्र में पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा देवी स हुआ था। गाँधी जी का पूरा परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जो सदाचार को ही अपने जीवन का परम मूल्य समझता था।
महात्मा गाँधी जी का विदेश गमन : जब महात्मा गाँधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर ली तो उन्हें आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा। गाँधी जी की पढाई अभी चल रही थी कि उनके पिता जी का देहांत हो गया। इंग्लैण्ड में गाँधी जी ने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व का दर्शन किया था।
इंग्लैण्ड जाने के बाद भी गाँधी जी ने मांसाहारी भोजन को हाथ भी नहीं लगाया क्योंकि उन्होंने अपनी माता से ऐसा न करने का वादा किया था। गाँधी जी ने इंग्लैण्ड में बहुत सी बाधाओं का सामना किया क्योंकि उन्हें शाकाहारी भोजन के लिए बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके भारत लौट आए जिस बीच उनकी माँ का स्वर्गवास हो गया।
गाँधी जी का दक्षिण अफ्रीका प्रस्थान : जब गाँधी जी बंबई में वकालत कर रहे थे तब उन्हें बंबई से ही साल 1893 में पोरबंदर के अब्दुल्ला एंड कंपनी केश के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा था। जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका पहुंचे तो वहां पर पहुंचकर उन्हें पता चला कि वहां पर जितने भी भारतवासी बसे हुए थे उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है।
उस समय वहां पर रंग-भेद का भेदभाव अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था। गाँधी जी इस बात को सहन नहीं कर पाए जिसकी वजह से उनके मन में राष्ट्रिय-भावना जागृत हुई। गाँधी जी ने रंग-भेद को समाप्त करने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया जिसमें उन्हें सफलता प्राप्त हुई और अंग्रेजों को अपने कानून को वापस लेना पड़ा जिसके फलस्वरूप दक्षिण अफ्रीका पर किए जाने वाले अत्याचार बंद हो गए।
स्वदेश आगमन : महात्मा गाँधी जी अपने देश भारत सन् 1915 में लौटे थे जब अंग्रेज बहुत अधिक तेजी से भारतियों का दमन कर रहे थे। इसी समय पर रोलैक्ट एक्ट जैसे कानून को भी चलाया गया था। पंजाब के अमृतसर में बैसाखी के दिन 13 अप्रैल, 1919 के समय जलियावाला में एक महासभा हुई तब बाग के गेट को बंद कर दिया गया और उस पर सिपाही तैनात कर दिए गए। अंग्रेजों की योजना यह थी कि अगर भीड़ में भगदड़ हुई तो कोई भी बचकर बाहर नहीं जा पाएगा।
बाग में बैठे हजारों लोगों के ऊपर अंग्रेजों के द्वारा सिपाहियों को गोलीबारी करने का आदेश दे दिया था। अंग्रेजों ने आम सभा को शोक सभा में बदल दिया जिससे पूरा बाग कुछ ही देर में लाशों से भर गया। जलियावाला बाग हत्याकांड ने पूरी मानव जाति को लज्जित कर दिया था। उस समय कांग्रेस पार्टी की स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं थी।
उपसंहार : महात्मा गाँधी जी ने स्वतंत्रता दिलाने का दृढ निश्चय किया जिसके बाद ब्रिटिश शासन ने बहुत से प्रयत्न किए लेकिन गाँधी जी अपने फैसले पर अडिग रहे। कई बार तो गाँधी जी को स्वतंत्रता सेनानी होने की वजह से जेल भी जाना पड़ा था लेकिन उन्होंने भारतवासियों के न्याय के लिए ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लड़ाई को जारी रखा।
गाँधी जी देश और सभी धर्मों की एकता में बहुत विश्वास रखते थे जिसका होना आजादी के लिए बहुत अधिक जरुरी था। गाँधी जी के साथ-साथ कई अन्य भारतीयों ने भी बहुत अधिक संघर्ष किया जिसके बाद अंत में भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
महात्मा गाँधी पर निबंध 7 (700 शब्द) :
भूमिका : महात्मा गाँधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत को आजादी दिलाने के संघर्ष में बिता दिया। महात्मा गाँधी जी एक वकील थे लेकिन वकील होने के बाद भी उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतवासियों के लिए नेता के रूप में बिता दिया था।
महात्मा गाँधी जी के जीवन से सभी लोगों खासकर युवा व्यक्तियों को प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। महात्मा गाँधी जी को सभी लोग बापू या राष्ट्रपिता कहते थे क्योंकि उन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत कर दिया।
गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और सबसे छोटी संतान थे।
गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान और माता सती-साध्वी और धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं जिसका उनका बेटे पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी अपने माता के संस्कारों से बहुत अधिक प्रभावित थे। गाँधी जी का पूरा परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जिसमें सदाचार को जीवन का बहुमूल्य धन माना जाता था।
गाँधी जी का प्रारंभिक जीवन : गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान थे इसलिए उनका प्रारंभिक जीवन राजकोट में ही व्यतीत हुआ था। गाँधी जी एक बहुत ही साधारण से व्यक्ति थे जो अपने मित्रों और सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे लेकिन अपने से बडो और शिक्षकों का पूरा आदर करते थे।
गाँधी जी ने अपने स्कूली जीवन में बहुत से पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती हैं लेकिन वे पढाई और खेल में अधिक तेज नहीं थे। गाँधी जी को उनके बचपन में धर्म-कर्म की पूरी शिक्षा उनकी माता ने उन्हें दी थी। गाँधी जी बहुत ही विनम्र व्यवहार के थे लेकिन किसी बच्चे का इतना विनम्र होना ठीक नहीं था लेकिन गाँधी जी में ये सभी संस्कार जन्म से ही थे।
अहिंसा नीति में भूमिका : भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गाँधी जी के आने के बाद अहिंसा का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया था लेकिन इसके साथ-साथ देश में बहुत से हिंसक स्वतंत्रता संघर्ष चल रहे थे जिनके महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए बहुत से भारतीय वीर अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
लेकिन महात्मा गाँधी जी के अहिंसा आंदोलन वो आंदोलन थे जिसमें देश की पूरी स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन किए जाते थे। महात्मा गाँधी जी ने अपने हर आंदोलन के लिए अहिंसा के मार्ग को अपनाया था।
भारत छोड़ो आंदोलन : द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेजों ने अपने दिए हुए वचन से पीछे हटना शुरू कर दिया जिससे भारतियों ने “अंग्रेजो! भारत छोड़ो” का नारा लगाया। इस आंदोलन की वजह से पूरे देश में बहुत से नागरिक अवज्ञा आंदोलन चल गए और भारतियों ने खुद को द्वितीय विश्व युद्ध से अलग करने की भी मांग करनी शुरू कर दी।
गाँधी जी ने इस लड़ाई में भाग लेते समय यह कहा था कि यह मेरी आखिरी लड़ाई है। गाँधी जी ने अपने सभी साथियों के साथ आत्म समर्पण किया था जिसकी वजह से पूरे देश में अशांति फैल गई थी। भारत छोड़ो आंदोलन भारत में ब्रिटिश राज की आखिरी कील साबित हुई है।
महान बलिदान : जब तक गाँधी जी जिंदा रहे तब तक अपने देश के उद्धार के लिए कार्य करते रहे। गाँधी जी ने जो हिन्दू-मुस्लिम एकता का शुभारंभ किया उससे कुछ लोग खुश नहीं थे जिसका विरोध करने के लिए हिंदू कार्यकर्ता ने 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय मौका पाकर गाँधी जी की गोली मरकर हत्या कर दी जिसके लिए नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी गई थी। गाँधी जी की मृत्यु की वजह से पूरा भारत देश शोक सागर में डूब गया लेकिन उनके मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा याद रखे जाएंगे।
उपसंहार : महात्मा गाँधी जी एक महान समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य पूरा तो कर लिया लेकिन उसके कुछ समय के बाद ही उनका देहांत हो गया था। गाँधी जी ने शारीरिक श्रम के लिए भारतवासियों को प्रेरित किया और एक साधारण जीवन जीने और आत्म निर्भर बनाने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था भी करने के लिए कहा।
महात्मा गाँधी जी ने पूर्ण रूप से स्वतंत्र बनने के लिए और स्वदेशी सामान को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जिससे भारत उन्नति कर सके इसलिए गाँधी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है।
महात्मा गाँधी पर निबंध 8 (1000 शब्द) :
भूमिका : हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी केवल भारत के ही नहीं बल्कि पूरे संसार के महान पुरुष थे जिन्हें आज के युग की महान विभूति माना जाता है। अहिंसा एक ऐसी नीति है जिसमें कभी भी किसी को भी जाने या अनजाने में ठेस नहीं पहुंचाई जाती है। विश्व में गाँधी जी का एक उदाहरण उनके द्वारा किया गया सत्याग्रह है जिसके समक्ष अंग्रेजों को झुकना ही पड़ा था।
यह वह नीति है जिसे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी जैसे महान व्यक्तियों द्वारा प्रसारित किया गया और महात्मा गाँधी उन प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक ही थे जो अहिंसा नीति का पालन करते थे। भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा बहुत से प्रयत्न किए गए जिसके बाद ही हमें स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई थी।
महात्मा गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था।
गाँधी जी एक विशुद्ध भारतीय हिंदू परिवार से थे जिनके लिए केवल सदाचार ही बहुमूल्य होता था। गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान थे इसलिए अपने परिवार की वकालत की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए गाँधी जी ने इंग्लैण्ड से अपनी वकालत की शिक्षा प्राप्त की।
महात्मा गाँधी जी की शिक्षा : गाँधी जी का जन्म पोरबंदर में हुआ था जिसकी वजह से उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी पोरबंदर में ही हुई थी। गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। गाँधी जी ने बंबई यूनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को सन् 1887 में उत्तीर्ण किया था जिसके बाद उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया था।
गाँधी जी के अचानक गुजरती भाषा से अंग्रेजी भाषा में आने से उन्हें थोड़ी-सी परेशानी हुई थी। गाँधी जी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन उनके परिवार को चीरफाड़ करने की इजाजत नहीं थी इसलिए वे इंग्लैण्ड गए और वकालत की शिक्षा ग्रहण की।
महात्मा गाँधी का विवाह : गाँधी जी जब अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनकी उम्र केवल 13 साल थी। 13 साल की उम्र में गाँधी जी का विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था। जब गाँधी जी वकालत की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब वे एक बेटे के पिता बन चुके थे।
महात्मा गाँधी जी की विदेश यात्रा : गाँधी जी अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया। गाँधी जी को वकालत की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा जहाँ पर उन्होंने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व के अपनी खुली आँखों से दर्शन किए थे। गाँधी जी ने विदेश जाने से पहले अपनी माँ से मांस-मछली न खाने का वादा किया था जिसे उन्होंने मरते दम तक निभाया था।
गाँधी जी को शाकाहारी भोजन प्राप्त करने के लिए बहुत सारे कष्टों का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके भारत लौटे ही थे कि इसी बीच उनकी माता का देहांत हो गया। गाँधी जी के जीवन में उनकी माँ ने ही दया, प्रेम, करुणा और ईश्वर के प्रति निःस्वार्थ भाव से श्रद्धा पैदा की थी।
चंपारण और खेडा आंदोलन : सन् 1917 में चंपारण के किसानो पर अंग्रेजों के द्वारा बहुत अत्याचार किए जा रहे थे। अंग्रेज उन्हें नील की खेती करने पर विवश करते थे और एक तय कीमत पर उस नील को खरीद लेते थे जिसका विरोध करने के लिए गाँधी जी ने एक आंदोलन की शुरुआत की जिसमें अंग्रेजों को उनकी मांगों को मानना ही पड़ा।
गाँधी जी के इस आंदोलन को लोगों के द्वारा चंपारण आंदोलन के नाम से जाना जाता है इसके साथ-साथ सन् 1918 में गुजरात में खेडा गाँव को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा था जिसकी वजह से उस क्षेत्र में आकाल की भयंकर स्थिति उत्पन्न हो गई लेकिन इसके बाद भी अंग्रेज कर में किसी भी तरह की छूट नहीं करना चाहते थे। इसका विरोध करने के लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की जिसकी वजह से अंग्रेजों ने करों में छूट की।
असहयोग आंदोलन : जब अंग्रेजों ने क्रूर नीति अपनाकर जलियावाला बाग हत्याकांड किया तो उसका जबाव देने के लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। असहयोग आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ शुरू किया गया एक अहिंसक आंदोलन था क्योंकि गाँधी जी का मानना था कि अंग्रेज भारत में अपना शासन स्थापित करने में इसलिए समर्थ हो पाए थे क्योंकि उन लोगों को भारतियों का भरपूर सहयोग मिला था।
गाँधी जी की बात मानते हुए लोगों ने अंग्रेजी सरकार के अधीन पदों से इस्तीफा देना शुरू कर दिया इसके साथ-साथ लोगों ने अंग्रेजी वस्त्रों और वस्तुओं को खरीदना बंद कर दिया और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरू कर दिया। असहयोग आंदोलन में किसी भी तरह की हिंसा का प्रयोग नहीं हुआ लेकिन फिर भी इसने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया।
नमक सत्याग्रह : महात्मा गाँधी जी ने दांडी यात्रा की जिसे नमक सत्याग्रह भी कहते हैं जिसमें गाँधी जी ने नमक पर लगने वाले कानूनों का विरोध किया और खुद अपने हाथों से नमक तैयार किया। गाँधी जी ने नमक पर अंग्रेजों के एकाधिकार के विरोध में दांडी यात्रा की शुरुआत की जो पूरे 24 दिनों में पूरी हुई थी।
24 दिनों में गाँधी जी साबरमती आश्रम से गुजरात के दांडी नामक तटीय गाँव पहुंचे थे जिसकी वजह से नमक कानून की अवहेलना की गई और लोगो ने खुद नमक बनाना और बेचना शुरू कर दिया। नमक सत्याग्रह ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा और स्वतंत्र भारत के सपने को मजबूती देने का काम किया।
स्वतंत्रता प्राप्त होना : जब सन् 1920 में तिलक जी की मृत्यु हो गई तो उसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन का पूरा भार गाँधी जी पर आ गया। गाँधी जी आंदोलन का पूर्ण संचालन अहिंसा की नीतियों पर चलकर कर रहे थे। इसी समय गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को चलाया था जिसमें हजारों की संख्या में वकील, शिक्षक, विद्यार्थी, व्यापारी, आदि शामिल हुए थे।
गाँधी जी का यह आंदोलन अहिंसक था। बाद में सन् 1929 में रावी नदी के किनारे पर कांग्रेस अधिवेशन हुआ जिसमें गाँधी जी ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इसके बाद गाँधी जी ने नमक कानून का विरोध किया जिसमें गाँधी जी ने 24 दिनों की यात्रा की जिसके बाद वे दांडी पहुंचे थे और अपने हाथों से नमक बनाया था। इस यात्रा और नमक बनाने की वजह से गाँधी जी को जेल भी जाना पड़ा था। अंत में गाँधी जी और अन्य कई भारतियों की वजह से 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
उपसंहार : महात्मा गाँधी जी का कहना था कि हथियार और हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकते हैं। ये किसी भी समस्या को कम करने की जगह पर और अधिक बढ़ा देता है। हिंसा किसी भी व्यक्ति में नफरत, डर और गुस्सा को बढ़ा देता है।
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- Essays in Hindi /
Gandhi Jayanti Essay : स्टूडेंट्स ऐसे लिखें ‘गांधी जयंती’ पर निबंध
- Updated on
- सितम्बर 11, 2024
महत्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधीजी के द्वारा किए गए कार्यों को याद करने के लिए इस दिन को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। गांधीजी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत को स्वतंत्र कराने में अपने योगदान दिया था। महात्मा गांधी का मुख्य सिद्धांत अहिंसा था। पूरा देश इस दिन उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देता है। गांधी जयंती के अवसर पर छात्रों को Gandhi Jayanti Essay in Hindi लिखने के लिए दिया जाता है जिसके बारे में इस ब्लाॅग में विस्तार से बताया जा रहा है।
This Blog Includes:
गांधी जयंती पर 100 शब्दों में निबंध, गांधी जयंती पर 200 शब्दों में निबंध, गांधी जयंती पर 300 शब्दों में निबंध, गांधी जी का बचपन और शिक्षा, गांधीजी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलन , गांधीजी की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका, गांधी जयंती पर 10 लाइन्स.
Gandhi Jayanti Essay in Hindi 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार है:
भारत में गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। इस दिन गांधी जी का जन्म हुआ था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान का सम्मान करने और उन्हें याद करने के लिए हम इस दिन को मनाते हैं। महात्मा जयंती के दिन स्कूल और आधिकारिक संस्थान कार्यक्रम आयोजित करते हैं। गांधी जी सत्याग्रह में विश्वास करते थे। गांधी जयंती स्वच्छ भारत के सिद्धांत को भी रेखांकित करती है। 2014 में, भारत सरकार ने देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत अभियान यानी स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था। यह आंदोलन महात्मा गांधी की शिक्षाओं का पालन करने के लिए शुरू किया गया था।
Gandhi Jayanti Essay in Hindi 200 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:
भारत में हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। 2 अक्टूबर के दिन भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में नामित किया है क्योंकि महात्मा गांधी अहिंसा के प्रतीक माने जाते हैं। महात्मा गांधी के द्वारा दी गई शिक्षाओं को आज भी पूरी दुनिया मानती है। उन्होंने दो आंदोलनों ‘स्वदेशी आंदोलन’ और ‘सत्याग्रह आंदोलन’’ का स्वतंत्रता संग्राम में नेतृत्व किया था। गांधी जयंती स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और पूरे देश में मनाई जाती है। इस दिन भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए महात्मा गांधी के द्वारा की गई कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों के बारे में लोगों को बताया जाता है। महात्मा गांधी स्वदेशी की अवधारणा में भी बहुत विश्वास करते थे। आज वर्तमान में भारत फिर से वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भर बनने के लिए इस अवधारणा को अपनाने की कोशिश कर रहा है। गांधीजी ने अफ्रीका से कानून की शिक्षा प्राप्त की थी और वे सामाजिक उद्देश्य से भारत वापस आए थे। गांधी जयंती के दिन छात्र उनकी शिक्षाओं का पालन करने की शपथ लेते हैं और उनके जन्मदिन को मनाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ करते हैं।
Gandhi Jayanti Essay in Hindi 300 शब्दों में निबंध निम्न प्रकार से है:
प्रतिवर्ष गांधी जयंती 2 अक्टूबर के दिन मनाई जाती है। इस दिन पूरे विश्व में विश्व अहिंसा दिवस भी मनाया जाता है। महत्मा गांधी ने शांति, अहिंसा और सामाजिक न्याय का प्रचार किया था। गांधी जयंती को भारत के साथ साथ दुनिया के बड़े हिस्सों में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। महत्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महत्मा गांधी को प्यार से गांधीजी कहा जाता था। महत्मा गांधी ने अपना सम्पूर्ण सादगी और विनम्रता के साथ व्यतीत किया था। जब वे दक्षिण अफ्रीका में थे तब उन्हे लोगों के साथ होने वाले नस्लीय भेदभाव और अन्याय के बारे में पता चला। इस अनुभव से सामाजिक सेवा के लिया प्रेरित हुए थे।
गांधीजी जी ने अपना जीवन अहिंसक प्रतिरोध के प्रति समर्पित कर दिया था। उनका मानना था कि सत्य और अहिंसा के बल पर किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है। महत्मा गांधी ने अपने जीवन में कई आंदोलन किए थे उनमें चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दलित आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं। उन्होंने इन आंदोलनों को बहिष्कार और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन वाले एक जन आंदोलन में बदल दिया। नमक मार्च के समय गांधीजी में 240 मील की यात्रा की और नमक के उत्पादन पर ब्रिटिश सरकार का जो एकाधिकार था उसका विरोध किया था। गांधीजी अहिंसक विरोध के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। गांधी जयंती राष्ट्रीय अवकाश होने के साथ चिंतन और स्मरण का दिन भी है। इस दिन सभी लोगों को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने चाहिए। इसके साथ उनके द्वारा दिए गए सत्य, अहिंसा और सामाजिक सद्भाव के मूल्यों पर भी विचार करना चाहिए।
गांधीजी के विचारों से कई लोग प्रभावित हुए थे, जिनमें मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला जैसे नेताओं को शांति और न्याय के लिए प्रेरित किया है। गांधी जयंती के दिन हमें गांधी जी के जीवन और शिक्षाओं का सम्मान करना चाहिए। वर्तमान दुनिया में जहां भी लोगों के साथ अन्याय किया जाता है, वहां हमें उनके संदेशों की प्रेरणा देनी चाहिए।
यह भी पढ़ें: महत्मा गांधी पर निबंध
गांधी जयंती पर 500 शब्दों में निबंध
Gandhi Jayanti Essay in Hindi 500 शब्दों में निबंध इस प्रकार है:
देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया था। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है। उनके द्वारा अपनाई गई सादगी, आत्मसंयम और संघर्ष की राह ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया को भी अहिंसक संघर्ष के महत्व से अवगत कराया। गांधी जी ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी, जिसमें उन्होंने देश के हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों को एकजुट कर उनके भीतर आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का भाव जागृत किया।
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी के पिता पोरबंदर में राज दीवान थे। गांधीजी के बचपन का नाम मोनिया था। अपने बचपन में गांधीजी को खेलने और घूमने फिरने में बहुत आनंद आता था। गांधी जी में ईमानदारी उनके बचपन से ही थी। वे पढ़ाई में इतने अच्छे नहीं थे लेकिन मेहनत बहुत अधिक करते थे। महज 13 वर्ष की उम्र में गांधीजी की शादी कर दी गई थी। उन्होंने अपने आत्मकथा में बताया है की उस समय उन्हें और उनकी पत्नी कस्तूरबा को शादी के बारे में भी पता नहीं था। 9 वर्ष की उम्र में गांधीजी ने राजकोट के एक स्थानीय स्कूल में प्रवेश लिए था। इसके बाद 11 वर्ष की आयु वे राजकोट के एक हाई स्कूल में गए थे। शादी की वजह से बीच में एक वर्ष तक उनकी पढ़ाई नहीं हो पाई। स्कूली शिक्षा पूर्ण होने के बाद वर्ष 1888 में वे भावनगर में सामलदास कॉलेज में गए। सामलदास कॉलेज में अपनी पढ़ाई की असंतुष्टि के कारण गांधीजी उसे छोड़ कर वर्ष 1888 में ही कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए। लंदन जाकर उन्होंने इनर टेम्पल कॉलेज में अपनी कानून की पढ़ाई और अभ्यास किया था।
महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया था। उनके नेतृत्व में किए गए विभिन्न आंदोलनों ने न केवल भारत को स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर किया, बल्कि दुनिया को भी अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। महात्मा गांधी द्वारा किए गए ये आंदोलन न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय हैं, बल्कि वे दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत का अहसास भी कराते हैं। गांधी जी के नेतृत्व में किए गए ये आंदोलन भारत की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुए और आज भी उनकी शिक्षाएं और आदर्श मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा भारत में किया गया पहला बड़ा आंदोलन था। यह बिहार के चंपारण जिले में हुआ, जहां ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से जबरन नील की खेती करा रहे थे। इस अन्याय का सामना करने के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार को नील की खेती के अत्याचार को समाप्त करने पर मजबूर होना पड़ा। यह आंदोलन भारतीय किसानों की पहली बड़ी जीत थी और गांधी जी के नेतृत्व को पूरे देश ने स्वीकारा।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना और स्वराज की प्राप्ति करना था। गांधी जी ने लोगों से अपील की कि वे सरकारी नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार करें। लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया, जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान हुआ।
महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया नमक सत्याग्रह , जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया था।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, जिसका नारा था “करो या मरो”। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल स्वतंत्रता दिलाना था।
वर्ष 1915 में भारत लौट आने के बाद गांधीजी ने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना गुरु माना और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। 1918 में गांधीजी ने बिहार और गुजरात के चंपारण और खेड़ा आंदोलन का नेतृत्व किया था। उस उसके उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वराज और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। उनके आंदोलनों में सत्य और अहिंसा उनकी पहचान बन गई थी। गांधीजी की विचारधारा सत्याग्रह सच्चे सिद्धांतों और अहिंसा पर आधारित थी। गांधीजी के नेतृत्व ने स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके आंदोलनों ने ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।
महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े और भारत को आज़ादी दिलाई।
गांधी जयंती पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:
- गांधीजी का शांति और एकता का संदेश दुनिया भर के लोगों को एक अधिक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता है।
- ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त करने में गांधीजी का बहुत बड़ा योगदान था। उनके इस योगदान को याद करने के लिए यह दिन हर साल उनकी जयंती मनाई जाती है। गांधीजी के संदेशों ने हमें आत्मनिर्भरता, साहस, अहिंसा, सादगी, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा का पाठ पढ़ाया है।
- महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
- महात्मा गांधी ने अहिंसक, सविनय अवज्ञा के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- गांधी जयंती के दिन उनकी मूर्ति और बापू के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण स्थानों को मालाओं और कई सारी सजावटी वस्तुओं से सजाया जाता है।
- महात्मा गांधी ने कहा था कि “ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो।” ऐसे सीखें जैसे कि आप हमेशा जीवित रहेंगे”।
- यह दिन स्वच्छ भारत की अवधारणा को भी बढ़ावा देता है क्योंकि स्वच्छता उनके मूल सिद्धांतों में से एक थी।
- इस दिन कई लोग दिल्ली के राजघाट में गांधी के स्मारक पर श्रद्धांजलि देने और प्रार्थना करने जाते हैं।
- 2 अक्टूबर 2024 को महात्मा गांधी की 155वीं जयंती समारोह मनाया जाएगा। महात्मा गांधी की जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है।
- संयुक्त राष्ट्र की तरफ से 2 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ घोषित किया है। गांधी जयंती के दिन उनके पसंदीदा भजन रघुपति राघव राजा राम को बजाया जाता है।
हर साल 2 अक्टूबर को भारत गांधी जयंती मनाता है, यह दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और विरासत का सम्मान करने के लिए समर्पित है। गांधी जयंती उन सिद्धांतों और दर्शन की याद दिलाती है, जिनकी इस महान नेता ने अपने पूरे जीवन में वकालत की। इन स्थायी आदर्शों में से एक “स्वच्छ भारत” या स्वच्छ भारत की अवधारणा है।
गांधी जयंती एक राष्ट्रीय त्योहार है जो देश के महानतम नायक को सम्मान देता है, जिन्होंने लाखों लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से आजाद कराया।
महात्मा गांधी मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को वर्तमान गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले के मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।
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