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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (Ideal Student Essay in Hindi)

एक आदर्श छात्र वह है जो समर्पित रूप से अध्ययन करता है, स्कूल और घर में ईमानदारी से व्यवहार करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेता है। हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक आदर्श छात्र बने जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके। आदर्श छात्रों का हर जगह (स्कूलों, कोचिंग सेंटरों और खेल अकादमियों में) स्वागत किया जाता है। आदर्श छात्र सटीकता के साथ उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को पूरा करते हैं। वे शीर्ष पर रहना पसंद करते हैं और उस स्थान को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

आदर्श विद्यार्थी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Ideal Student in Hindi, Adarsh Vidyarthi par Nibandh Hindi mein)

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

एक आदर्श छात्र वह है जिसे हर दूसरा छात्र देखता है। कक्षा में या खेल के मैदान में अपने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की जाती है। वह अपने शिक्षकों का पसंदीदा होता है और स्कूल में विभिन्न कर्तव्यों का कार्यभार उसे सौंपा जाता है। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा ऐसे छात्रों से भरी रहे।

समाज के लिए बहुमूल्य

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे दूसरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने। कई छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र बनने के लिए उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है। कुछ लोग प्रयास करते हैं और असफल होते हैं पर कुछ लोग प्रयास करने में ही असफ़ल हो जाते हैं लेकिन क्या अकेले छात्रों को इस विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए? शायदनहीं!

अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा

एक आदर्श विद्यार्थी समाज के अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। समाज के अन्य विद्यार्थी उसके आचरण और स्वभाव से सिखते है। आदर्श विद्यार्थी समाज के लिए एक बहुमूल्य रत्न होता है , जो समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है।

किसी ने भी परिपूर्ण या आदर्श रूप में जन्म नहीं लिया है। किसी भी छात्र में आदतें पैदा करने में लिए समय लगता है जिससे वही छात्र आदर्श बनता है। माता-पिता और शिक्षक दोनों को बच्चे में छिपी संभावितता पहचानने के लिए प्रयास करने चाहिए।

आदर्श छात्र पर निबंध : एक आदर्श छात्र की विशेषताएं – 2 (400 शब्द)

एक आदर्श छात्र वह है जो शिक्षा के साथ-साथ अन्य सह-पाठयक्रम गतिविधियों में भी अच्छा है। हर माता-पिता चाहते हैं कि उसका बच्चा स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करे पर कुछ ही बच्चे अपने माता-पिता की उम्मीदें पूरी कर पाते हैं। माता-पिता की भूमिका न केवल अपने बच्चों को व्याख्यान देने और उनसे उच्च उम्मीदें लगाने की होती है बल्कि उन अपेक्षाओं को पूरा करने में उनकी मदद करने और उनका मार्गदर्शन करने की भी होती है।

एक आदर्श छात्र की विशेषताएं

यहां एक आदर्श छात्र की मुख्य विशेषताएं बताई गई हैं:

एक आदर्श छात्र लक्ष्य निर्धारित करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करता है। वह अध्ययन, खेल और अन्य गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ करना चाहता है और ऐसा करने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास में शामिल होने से संकोच नहीं करता।

  • लक्ष्य निर्धारण करना

एक आदर्श छात्र कभी भी मुश्किल होने पर हार नहीं मानता। वह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निर्धारित रहता है और सफ़लता प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य करता है।

  • समस्या निवारक

कई छात्र विद्यालय / कोचिंग सेंटर तक देर से पहुंचने, अपने होमवर्क को पूरा नहीं करने, परीक्षा में अच्छी तरह से प्रदर्शन नहीं करने आदि के लिए बहाने देते हैं। हालांकि एक आदर्श छात्र वह है जो बहाने मारने की बजाए ऐसी समस्याओं का हल ढूंढता है।

आदर्श छात्र भरोसेमंद होता है। शिक्षक अक्सर उन्हें अलग-अलग कर्तव्यों का आवंटन करते हैं जो वे बिना असफल हुए पूरा करते हैं।

एक आदर्श छात्र हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है। यदि पाठ्यक्रम बड़ा है, यदि शिक्षक अध्ययन करने के लिए समय दिए बिना परीक्षा लेता है, यदि कुछ प्रतियोगी गतिविधियां अचानक रखी जाती हैं तो भी आदर्श छात्र घबराता नहीं है। आदर्श विद्यार्थी हर स्थिति में सकारात्मक बना रहता है और मुस्कुराहट के साथ चुनौती स्वीकार करता है।

  • जानने के लिए उत्सुक

एक आदर्श छात्र नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहता है। वह कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करता। एक आदर्श छात्र भी पुस्तकों को पढ़ने और इंटरनेट पर सर्फ करने के अपने तरीके से अलग-अलग चीज़ों के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए तत्पर रहता है।

  • पहल करता है

एक आदर्श छात्र भी पहल करने के लिए तैयार रहता है। यह ज्ञान और क्षमता को जानने, समझने और बढ़ाने का एक बढ़िया तरीका है।

एक आदर्श छात्र बनने के लिए दृढ़ संकल्प करना पड़ता है। परन्तु इसके लिए किए गए प्रयास अच्छे होने चाहिए। यदि कोई बच्चा कम उम्र से उपरोक्त विशेषताओं को विकसित करता है तो जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे वह निश्चित रूप से बहुत कुछ हासिल कर लेगा।

आदर्श छात्र पर निबंध : आदर्श छात्र कैसे बने – 3 (500 शब्द)

हर एक व्यक्ति आदर्श छात्र बनना चाहता है लेकिन केवल कुछ ही ऐसा बनने में सक्षम हैं। इस प्रकार की उत्कृष्टता हासिल करने के लिए बहुत अधिक प्रयास किए जाने की ज़रूरत है। हालांकि एक बार जब आप इसे हासिल कर लेते हैं तो आपको कोई नहीं रोक सकता। हर चीज़ में अच्छा होना आदत हो जाती है और आप इससे कम कोई समझौता नहीं करना चाहते।

आदर्श छात्र कैसे बने?

यहां कुछ ऐसी तकनीकें हैं जो आपको एक आदर्श छात्र बनने में मदद करती हैं:

यदि आप एक आदर्श छात्र बनने की कामना करते हैं तो सबसे पहले आपको यह करना होगा कि आप संगठित हो। सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए अपने कमरे, अलमारी, अध्ययन की मेज और आसपास की  व्यवस्था। अव्यवस्थित परिवेश मस्तिष्क को अव्यवस्थित कर देते हैं।

हर दिन एक निश्चित समय पर जागने और सोने की कोशिश करें। अपने अध्ययनों के साथ-साथ अन्य गतिविधियों को समायोजित करने के लिए एक सूची बनाएं। अपने समय को अधिकतम इस्तेमाल करने के लिए सही शेड्यूल बनाए रखें।

  • करने वाले कामों की सूची बनाएं

दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। हर सुबह दिन में पूरा करने वाले कामों की आवश्यक चीज़ों की एक सूची तैयार करें। कार्यों को प्राथमिकता दें और उन्हें समय दें। अपने पास इस तरह की सूची रखने से बेहतर समय प्रबंधन में मदद मिलती है। जैसे आप काम को पूरा करते हैं तो उनको जांचते रहें। इससे आपको उपलब्धि की भावना मिलती है और आप प्रेरित रहते हैं।

स्कूल में और अन्य जगहों में पहल करने में संकोच न करें। अपनी क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए नई परियोजनाएं बनाएं और समझें कि आपकी रुचि वास्तव में क्या है। इस तरह आप न केवल नई चीजों के बारे में सीखेंगे बल्कि उनका प्रदर्शन करने की अपनी क्षमता को भी समझेंगे।

  • कुछ नया सीखें

पढ़ने की आदत बनाएं, सूचनात्मक वीडियो और ऐसी अन्य सामग्री देखें। यह नई चीजें सीखने, विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने और अपने संपूर्ण ज्ञान और क्षमता को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

  • अच्छे दोस्त बनाएं

ऐसा कहा जाता है आप जिन पांच लोगों के साथ सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं आप में उन पाँचों के औसत गुण आ जाते हैं इसलिए यदि आप एक आदर्श छात्र बनना चाहते हैं तो उन लोगों के साथ दोस्ती बनाएं जो अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं और उनके साथ रहें जो प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित हैं बजाए उनके जो अपने जीवन को लापरवाही से लेते हैं।

  • स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें

एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसमें नीचे साझा किए गए तीन पहलुओं का ध्यान रखना शामिल है:

  • स्वस्थ खाना खाएं

स्वस्थ रहने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करके उचित आहार लेना जरूरी है। आप केवल तब ही अच्छे प्रदर्शन कर पाएंगे जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होंगे।

प्रत्येक दिन 8 घंटे नींद पूरा करना आवश्यक है। आपको अपनी नींद पर किसी भी मामले में समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आप में सुस्ती और चेहरे पर थकावट दिखती है। ज़रूरत से ज्यादा सोना भी इस तरह के प्रभाव का कारण बन सकता है तो आपको उस से भी बचाना चाहिए।

जैसे-जैसे कोई छात्र उच्च कक्षा में प्रवेश करता है वैसे-वैसे उस छात्र का जीवन काफी व्यस्त हो जाता है। शारीरिक व्यायाम करने के लिए आधे घंटे से एक घंटे की कसरत करना अनिवार्य है। आप अपनी पसंद के किसी भी व्यायाम का चयन कर सकते हैं। टहलना, साइकिल चलाना, तैराकी, योग, नृत्य या किसी भी चीज में आपकी रुचि हो सकती है।

माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनका बच्चा अपने दम पर उत्कृष्टता प्राप्त नहीं कर सकता है। उसे उनके समर्थन की जरूरत है। माता-पिता को बच्चो से उच्च उम्मीदें रखने की बजाए उन्हें जीवन के विभिन्न चरणों में मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

Essay on Ideal Student in Hindi

निबंध – 4 (600 शब्द): क्या चीज़ छात्र को आदर्श बनाती है

आदर्श छात्र जन्म से आदर्श या संपूर्ण नहीं होते हैं। वे अपने माता-पिता और शिक्षकों द्वारा आदर्श बनाए जाते हैं। स्कूल में छात्र के प्रदर्शन पर, घर का वातावरण एक बड़ा प्रभाव डालता है। शिक्षक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि माता-पिता और शिक्षक केवल छात्र का मार्गदर्शन कर सकते हैं और अंततः यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह खुद को कैसे संचालित करता है।

क्या चीज़ छात्र को आदर्श बनाती है?

यहां कुछ चीजें हैं जो विद्यार्थी को आदर्श बनाती हैं:

  • आदर्श छात्र कक्षा में जितना ध्यान देते हैं और समझते हैं उतना ही अच्छा वे अपने कक्षा सत्रों में कर सकते हैं।
  • वे अपने संदेहों को स्पष्ट करने के लिए कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करते।
  • वे यह सुनिश्चित करते हैं कि वे हर दिन घर पर जाने से पहले कक्षा में मिले कार्य को पूरा करें।
  • वे चीजों को व्यवस्थित रखते हैं।
  • वे न केवल अकादमिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं बल्कि खेल, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, कला और शिल्प गतिविधियों जैसी अन्य गतिविधियों में भी हिस्सा लेते हैं।
  • वे पहल करते हैं और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैंI वे असफलता के डर के कारण अवसरों को नहीं छोड़ते।
  • वे विफल होने पर भी हार नहीं मानते हैं। वे चीजों को फिर से करने की कोशिश करते हैं जब तक वे वांछित परिणाम प्राप्त नहीं करते।

आदर्श छात्र स्कूल में पसंदीदा होते हैं

आदर्श छात्र वे होते हैं जो स्कूल में लगभग हर चीज में अच्छे होते हैं। वे सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। कक्षा में हर कोई उनका मित्र बनना चाहता है। सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में एक आदर्श छात्र होने पर शिक्षक और साथ ही अन्य छात्रों पर अच्छी छाप पड़ती है। अगर आपका मित्र पढ़ाई में अच्छा है तो आपको पढ़ाई में सहायता मिलती है। उनके नोट्स हमेशा आपके लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं। वह आपको नियमित रूप से अध्ययन करने और खेल, संगीत, नृत्य जैसी अतिरिक्त पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रेरित करता है। एक व्यक्ति की कंपनी विशेष रूप से उम्र के बढ़ने वाले वर्षों में उस पर एक बड़ा प्रभाव डालती है। जो अच्छे / आदर्श छात्रों का साथ रखते हैं उनमें अच्छी आदतें पैदा होना निश्चित है।

शिक्षकों के बीच आदर्श छात्र उनका पसंदीदा होता है। शिक्षक कक्षा में दूसरों को उनका उदाहरण देते हैं और उन्हें उनकी अच्छी आदतों को अपनाने के लिए कहते हैं। शिक्षक अपनी अनुपस्थिति में इन छात्रों को अन्य कार्य सौंप देते हैं जैसे कि परियोजनाओं की तैयारी, पुस्तकों/नोटबुक का वितरण और कक्षा की निगरानी। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा में हर छात्र आदर्श हों।

आदर्श छात्र होना जीवन में हमेशा मदद करता है

ऐसा कहा जाता है आप जो बार-बार करते असल में आप वैसे ही होते हैं। तब उत्कृष्टता जीवन का एक रास्ता बन जाती है। एक आदर्श छात्र हमेशा व्यवस्थित होता है। वह अपने कमरे, स्कूल बैग, किताबों और अन्य सामान को एक संगठित ढंग से रखता है ताकि जब उसे ज़रूरत पड़े तब समय की बर्बादी न हो। वह जानता है कि उसे सामान की तलाश कहां करनी है। संगठित होने का मतलब केवल चीजों को सही तरीके से रखने का मतलब नहीं है बल्कि इसका मतलब है कि अपने कार्य को एक कुशल तरीके से प्राथमिकता देने और संगठित करने की क्षमता है ताकि उन्हें समय पर पूरा किया जा सके। बाद में यह एक आदत बन जाती है और यहां तक ​​कि जब छात्र बड़े होते हैं तो इस आदत की वजह से संगठित रहते हैं। जो लोग संगठित होते हैं वे दोनों निजी और पेशेवर जीवन को कुशलता से प्रबंधित कर सकते हैं।

एक आदर्श छात्र जानता है कि कैसे विभिन्न गतिविधियों के बीच एक संतुलन को बनाए रखना है और वह जैसे-जैसे पेशेवर जीवन में बढ़ता है उसके लिए कार्य-जीवन का संतुलन बनाए रखना आसान हो जाता है। वह काफी कठिन काम करता है और केंद्रित रहता है और यही बाद के जीवन में उसे बहुत कुछ करने में मदद करता है।

एक आदर्श छात्र का जीवन दूर से मुश्किल लग सकता है। हालांकि आदर्श छात्र का जीवन वास्तव में उन लोगों की तुलना में बहुत अधिक सुलझा हुआ होता है जो अपनी पढ़ाई और अन्य कार्यों पर पूरा ध्यान नहीं देते हैं। आदर्श छात्रों को महत्वकांशी माना जाता है। वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्य रखते हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

FAQs: Frequently Asked Questions on Ideal Student (आदर्श विद्यार्थी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- अनुशासन का पालन तथा आत्मनिर्भर होने की प्रवृत्ति।

उत्तर- भारत में प्रत्येक वर्ष 17 नवंबर को विद्यार्थी दिवस मनाया जाता है।

उत्तर- संपूर्ण विश्व डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की याद में 15 अक्टूबर को विश्व विद्यार्थी दिवस मनाता है।

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

इस लेख में आप विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढेंगे। जिसमें हमने विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ, प्रकार, भूमिका, महत्व और दस वाक्यों को बेहद आकर्षक और सरल रूप से लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi)

विद्यार्थी जीवन में कठिन परिश्रम और अनुशासन की आवश्यकता सबसे अधिक होती है। जिस विद्यार्थी में इन गुणों की कमी होती है उसका बौद्धिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता।

विद्या अध्ययन को बेहद कठिन और एकाग्रतासाध्य काम माना जाता है। जिसमें उच्चकोटि का ध्यान और समर्पण की आवश्यकता होती है।

बाल्यावस्था किसी भी विषय को सीखने के लिए सबसे अच्छा समय होता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी मनुष्य का अधिकतम मानसिक विकास पंद्रह वर्ष की उम्र तक हो जाता है।

जो विद्यार्थी मेहनत और अनुशासन को अपने जीवन का प्रमुख लक्ष्य बनाते हैं वे एक सफल विद्यार्थी बनने के साथ-साथ एक आदर्श नागरिक भी बनते हैं।

दुनिया में किसी भी कार्य की उपलब्धि के लिए सतत संघर्ष और अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक है। जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसके अलावा अन्य कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

विद्यार्थी जीवन पूरे जीवन काल में सबसे महत्वपूर्ण समय होता है  जहां अनुशासन की आवश्यकता और उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। आसान शब्दों में विद्यार्थी जीवन को पूरे जीवन काल की आधारशिला कहा जा सकता है क्योंकि इस समय में वह जो कुछ भी सीखता है उसका प्रभाव पूरे जीवन  जीवन भर दिखाई देता है।

विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ Definition of Student and Discipline in Hindi

अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अनु+शासन। इसका अर्थ होता है कि किसी भी नियम के अधीन रहकर कार्य करना अथवा नियमों के शासन में रहना।

सरल शब्दों में कहा जाए तो अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।

दुनिया के महान तथा सफल लोगों ने इसका महत्व बताया है कि किस प्रकार अनुशासन ही उद्देश्य तथा उपलब्धि के बीच का सेतु होता है।

सामान्य जीवन में ऐसे लक्ष्यों अथवा कार्यों को प्राथमिकता देना जो आने वाले भविष्य पर प्रत्यक्ष रुप से प्रभाव डालते हैं उनका अनुसरण करना ही अनुशासन कहलाता है।

सच कहा जाए तो अनुशासन ही मानव सभ्यता के विकास का प्रथम चरण है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका होना अत्यंत आवश्यक है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के प्रकार Types of Disciplines of Student life in Hindi

आमतौर पर जीवन के हर विषय में अनुशासन के विभिन्न प्रकार होते हैं। प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए धैर्य  तथा अनुशासन की आवश्यकता होती है।

किंतु सामान्य रूप से देखा जाए तो अनुशासन के दो प्रकार होते हैं- बाहरी अनुशासन तथा आंतरिक अनुशासन।

बाहरी अनुशासन का तात्पर्य इस बात से है, यदि किसी व्यक्ति की इच्छा के बिना उस पर जबरजस्ती किसी नियम कानून को थौंपा जाए तो वह बाहरी अनुशासन कहलाता  है।

आज के समय में विद्यार्थियों को किसी भी शैक्षणिक स्थान में कड़ी नियम कानूनों द्वारा बांध दिया जाता है लेकिन उन्हें अनुशासन के वास्तविक महत्व के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती।

दूसरा अनुशासन वही होता है जो स्वयं अपनी इच्छा से किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को पूरी तरह से अपने कार्य के प्रति समर्पित कर देना अथवा कड़े नियमों का पालन  करना ही आंतरिक अनुशासन कहलाता है।

विद्यार्थी और अनुशासन की भूमिका Role of Student and Discipline in Hindi

जीवन में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां अनुशासन की आवश्यकता न होती हो। विद्यालयों में बच्चों के लिए कड़े नियम कानून बनाए जाते हैं, जिससे वे सही-गलत का फर्क कर सके और अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

प्रत्येक मनुष्य अपने प्रारंभिक जीवन में एक विद्यार्थी होता है। विद्यार्थी जीवन इसीलिए इतना महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस समय में  बच्चे जो कुछ भी सीख पाते हैं उसका प्रभाव उनके चरित्र  तथा भविष्य पर प्रत्यक्ष रूप से दिखता है।

विद्यार्थी जीवन में किसी भी प्रकार के कला को बहुत सरलता से सीखा जा सकता है। इसीलिए मानव जीवन के इस स्वर्णिम समय में अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है।

अध्यापक अपने विद्यार्थियों को नियमित रूप से अनुशासन का पालन करना सिखाते हैं। शिक्षक बच्चों को अपने से बड़ों का आदर सम्मान करना, रोजाना समय पर कक्षा में हाजिर रहना अपने मित्रों के साथ झगड़ा ना करना और झूठ न बोलना आदि जैसे अच्छी बातें भी सिखाते हैं।

अनुशासन का पालन करने से विद्यार्थियों में संयम तथा सद्गुण जैसे कई गुण विकसित होते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी अनुशासन का महत्व भली-भांति समझता है इसीलिए अपने से बड़ों की बात कभी भी नजरअंदाज नहीं करता।

एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा अपने समय को नई चीजों को सीखने में लगाता है तथा निर्धारित समय पर अपना अभ्यास कार्य करता है। वहीं दूसरी ओर एक सामान्य विद्यार्थी पढ़ने के लिए हमेशा टालमटोल करता है तथा अनुशासन का कभी भी पालन नहीं करता।

इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि कोई भी व्यक्ति अनुशासन के महत्व को समझे बगैर सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। केवल कड़े अनुशासन का पालन करके ही बड़ी से बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की जा सकतीं हैं।

विद्यार्थी और अनुशासन का महत्व Importance of Students and Discipline in Hindi

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व उतना ही आवश्यक है, जिस प्रकार जीवित रहने के लिए भोजन आवश्यक होता है।

भारत में प्राचीन काल में बाल्यावस्था से ही बच्चों को शिक्षा के लिए गुरुकुल भेज दिया जाता था जहां उन्हें कड़े  नियम कानून के अंतर्गत शिक्षा दिया जाता था। गुरुकुल में सभी विद्यार्थी पूरे अनुशासन के साथ अपनी शिक्षा  पूरी करते थे।

अपने जीवन में सफल होने का केवल एक ही रास्ता होता है वह अनुशासन के साथ अपने लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयास करना है।

किसी भी राष्ट्र की वास्तविक संपदा वहां के विद्यार्थी होते हैं। यही बच्चे पढ़ लिख कर आगे चलकर बड़े-बड़े डॉक्टर, इंजीनियर, पॉलीटिशियंस, कलाकार, पायलट इत्यादि बनते हैं।

यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि एक अनुशासित विद्यार्थी ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करके अपने देश  के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

अनुशासन ही सफलता का मूल मंत्र होता है। इसीलिए इसके जरिए जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों को पार कर सफल जीवन की कामना की जा सकती है। 

एक विद्यार्थी की उन्नति का मुख्य द्वार अनुशासन ही होता है तथा इसी से एक सभ्य समाज के साथ-साथ एक विकसित राष्ट्र का निर्माण भी होता है।

इसका प्रयोग करके विद्यार्थी न केवल परीक्षा में अच्छे अंक ही प्राप्त कर सकते हैं बल्कि आगे चलकर समाज में एक अच्छे नागरिक भी बनते हैं।

यही कारण है कि विद्यालयों में बच्चों की अनुशासनहीनता पर उन्हें अध्यापक द्वारा दंडित किया जाता है जिससे वे गलती को दोबारा नहीं दोहराते हैं। विद्यार्थी जीवन में धैर्य और समझदारी का निर्माण इसी के कारण होता है। 

विद्यार्थी और अनुशासन पर 10 लाइन Best 10 lines on Students and Discipline in Hindi

  • अनुशासन ही सफलता की वास्तविक कुंजी होती है।
  • आज तक जितने भी लोग महान तथा सफल हुए हैं वे लगातार संघर्ष और अनुशासन  के पालन से ही हुए हैं।
  • विद्यालय में विद्यार्थियों को अनुशासन के पालन करने पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाता है।
  • अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।
  • दुनिया में अधिकतर सफल लोग अपनी सफलता का कारण अनुशासन को ही ही बताते हैं।
  • अनुशासन के बिना एक सफल जीवन की कामना करना मूर्खता पूर्ण होता है।
  • वेदों में अनुशासन को इंसान के लिए सबसे जरुरी तपस्या बताया गया है।
  • महात्मा गांधी अपने आश्रम में अनुशासन को कड़ाई से पालन करवाते थे।
  • बाह्य अनुशासन के मुकाबले अंतः अनुशासन मुख्य होता है।
  • विद्यार्थी और अनुशासन ये दोनों एक दुसरे के पूरक होते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने विद्यार्थी और अनुशासन पर हिंदी में निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढ़ा। आशा यह लेख आपको सरल तथा आकर्षक लगा हो। अगर यह निबंध आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें। 

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi : आज हमने आदर्श विद्यार्थी पर निबंध लिखा है इस निबंध की सहायता से विद्यार्थियों को पढ़कर उन्हें अच्छी शिक्षा मिलेगी और उन्हें एक आदर्श विद्यार्थी बनने की प्रेरणा भी मिलेगी जिससे उनके जीवन में बदलाव आएगा और वे अच्छी प्रकार से पढ़ लिख पाएंगे और सफलता को प्राप्त कर पाएंगे.

आदर्श विद्यार्थी पर यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों की सहायता के लिए लिखा गया है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi for Class 1,2,3,4

एक आदर्श विद्यार्थी का लक्ष्य होता है कि वह एकाग्रता पूर्वक पढ़ाई करके एक सफल व्यक्ति बने. आदर्श विद्यार्थी देश की तरक्की में चार चांद लगा देता है वह हमेशा अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए ही सोचता रहता है.

एक आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो विद्यालय में प्रतिदिन जाता हूं और शिक्षकों द्वारा पढ़ाए जाने पर एकाग्रता पूर्वक पढ़ता हूं.

वह बेकार की बातों में अपना समय व्यर्थ नहीं करता है. वह नियमित रूप से स्कूल से मिले हुए होमवर्क को करता है और साथ ही पढ़ाए गए पाठ को दोहराता है.

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आदर्श विद्यार्थी हमेशा अनुशासन में रहता है वह साफ सुथरे कपड़े पहनता है और उसकी आंखों में एक अलग ही तेज होता है वह निडर और साहसी होता है. स्कूल के सभी बच्चे उसकी तरह बनना चाहते हैं आदर्श विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों का प्रेरणा स्रोत होता है.

वह हमेशा अपने से बड़ों का सम्मान करता है और सभी के साथ प्रेम भाव से रहता है.

Best Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 250 words

एक आदर्श विद्यार्थी अपने स्कूल के साथ-साथ अपने माता-पिता और देश का नाम भी रोशन करता है ऐसे विद्यार्थी बचपन से ही बहुत होशियार होते हैं और इनके मुंह पर एक अलग सा ही तेज होता है. ऐसे विद्यार्थी हमेशा दूसरों के प्रति सेवा भावना रखते हैं.

ऐसे विद्यार्थियों को जो भी कार्य दिया जाता है वह पूरी एकाग्रता से करता है और कार्य पूरा होने तक अपना कर्तव्य निभाता है. आदर्श विद्यार्थी कर्मठ और ईमानदार होते है. ऐसे विद्यार्थी हमेशा कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करते रहते हैं अपने समय का सदुपयोग करते है.

आदर्श विद्यार्थी हमेशा सत्य का साथ देते है इन्हें झूठ से बहुत नफरत होती है. ऐसे ही झूठ बोलने वाले लोगों को सत्य बोलने के लिए प्रेरित करते है. विद्यार्थी हमेशा सभी की सहायता के लिए तत्पर रहते है. आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपने जीवन में कुछ ना कुछ नियम बना कर चलता है और उनका पालन करता है.

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ऐसे विद्यार्थी अपना जीवन अनुशासन में रहकर व्यतीत करते हैं वह कभी भी विद्यालय में उत्पात मचाते है. हमेशा अपने गुरुजनों की आज्ञा का पालन करते है और अपने माता-पिता, अपने से बड़े लोगों का हमेशा सम्मान करते है.

इन विद्यार्थियों को विलासिता की चीजों की लालसा नहीं होती है इन्हें तो सिर्फ अच्छी किताबें पढ़ने का शौख होता है. ऐसे विद्यार्थी महान लोगों की किताब पढ़कर उससे कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं और साथ ही अपने जीवन में भी इन बातों को उतारते है. जिससे भविष्य में ये सफलता के शिखर को छूते है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi for Class 5,6,7,8 Student

एक विद्यार्थी ही किसी देश के आने वाले भविष्य का निर्माण करता है क्योंकि विद्यार्थियों को ही आगे जाकर युवा शक्ति के रूप में उभरना है एक विद्यार्थी यह जो किसी देश को अच्छा बना सकता है तो किसी देश को पूरा भी बना सकता है इसीलिए एक विद्यार्थी का आदर्श विद्यार्थी होना बहुत आवश्यक होता है.

आदर्श विद्यार्थी वह नहीं होता है जो सिर्फ कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करता है आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो कक्षा में अच्छे अंक लाने के साथ साथ सामाजिक जीवन की भी समझ रखता हो और बड़ों का सम्मान करता हो.

एक अच्छे विद्यार्थी की निशानी गई होती है कि वह हमेशा आशावादी बना रहे क्योंकि अगर वह आशावादी नहीं होगा तो कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाएगा और बुरी संगत में पड़ सकता है.

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एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपने सहपाठियों की मदद करता है कोई भी मुसीबत आने पर उनका डटकर सामना करता है वह ईमानदारी और कर्मठता पूर्वक अपने कर्तव्यों को पूरा करता है. वह हमेशा सभी लोगों से अच्छा व्यवहार करता है उसका आचरण हमेशा हंसमुख और दिल जीतने वाला होता है.

एक अच्छा विद्यार्थी वही होता है जो सदैव सहायता करने के लिए तत्पर रहता हो और पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद वाद विवाद प्रतियोगिता और पुरस्कार जीतने के साथ ही दिल जीतने की भी क्षमता रखता हो, वह हमेशा नियमित रूप से सुबह जल्दी उठता है और स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग रहता है इसलिए वह सुबह योगा भी करता है और मन को शांत रखने के लिए ध्यान भी लगाता है.

एक आदर्श विद्यार्थी हर काम समय पर करता है क्योंकि उसे समय के मूल्य की अच्छे से पहचान होती है उसकी सोच अपने तक सीमित नहीं रहती है वह अन्य लोगों के बारे में भी उतना ही सोचता है वह हर धर्म और देश के नागरिकों का सम्मान करता है.

वह हमेशा नियमों की पालना करता है और जो नियमों का पालन नहीं करता उन्हें उसके बारे में समझाता है ऐसे विद्यार्थी ही आगे जाकर अपने मां बाप का नाम और देश का नाम रोशन करते है. आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपनों को साथ लेकर चलता है.

जिससे वह स्वयं तो सफल होता ही है साथ में अपने साथियों को भी सही राह पर ले जाकर सफलता का रास्ता दिखाता है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 1400 Words

एक आदर्श विद्यार्थी जन्म से आदर्श विद्यार्थी नहीं होता है वह अच्छे लोगों के साथ रहकर अच्छी शिक्षा प्राप्त करके और अच्छे गुणों को अपना कर ही एक आदर्श विद्यार्थी बनता है.

जब भी कोई व्यक्ति एक कार्य को बार बार करता है तो है उसमें कर्मठ हो जाता है और उसको वह कार्य पसंद आने लगता है और आसानी से हो जाए उसे बार-बार कर पाता है और वह सफल हो जाता है.

उसी प्रकार विद्यार्थी भी अगर बचपन से ही अच्छे को को अपनाएं तो वह भी जिंदगी के हर मोड़ पर कठिनाइयों से लड़ता हुआ सफलता को प्राप्त कर सकता है.

आदर्श विद्यार्थी की विशेषताएं –

(1) कर्मठ – आदर्श विद्यार्थी जब भी कोई कार्य करता है तो वह उस कार्य को पूरा मन लगाकर करता है जिसके कारण वह हमेशा सफलता को प्राप्त करता है इसी कारण वह पढ़ाई में खेल में एवं अन्य क्षेत्रों में सफल हो जाता है क्योंकि वह निरंतर उसके लिए कर्मठता पूर्वक प्रयत्न करता रहता है.

(2) ऊर्जावान – अच्छा विद्यार्थी हर दिन नई ऊर्जा के साथ उठता है वह कभी भी किसी प्रकार का अलग से नहीं करता है वह अच्छा भोजन खाता है साथ ही योगा और व्यायाम भी करता है जिससे उसका शरीर पूरे दिन ऊर्जा से भरा हुआ रहता है और उसका पढ़ाई में अत्यधिक मन लगता है.

(3) जिज्ञासु – एक सफल विद्यार्थी का पहला रहस्य यही है कि वह जिज्ञासु होता है क्योंकि जिज्ञासु विद्यार्थी अपने शिक्षक से हर प्रकार के सवाल करता है और उनका जवाब हासिल करता है लेकिन जो विद्यार्थी शिक्षक से बात ही नहीं करता किसी भी प्रकार की सीखने की जिज्ञासा नहीं रखता तो वह कभी भी सफल नहीं हो सकता है

(4) सकारात्मक – विद्यार्थी का सकारात्मक होना बहुत जरूरी है क्योंकि जब तक विद्यार्थी सकारात्मक नहीं होगा तब तक वह किसी भी क्षेत्र में अपना शत-प्रतिशत नहीं दे पाएगा और वह लक्ष्य से भटक जाएगा. विद्यार्थी को मुसीबत में होने पर भी सकारात्मक सोचना चाहिए तभी जाकर उस मुसीबत का हल निकाला जा सकता है.

(5) धैर्यवान और विवेकशील – आदर्श विद्यार्थी हमेशा धैर्यवान और विवेकशील होते हैं यह कभी भी किसी कार्य को करने के लिए जल्दबाजी नहीं करते हैं और कठिनाई आने पर अपने विवेक से काम लेते है इसी कारण वे एक आदर्श विद्यार्थी बन पाते है.

(6) सच्चा और आज्ञाकारी – एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा सच बोलता है और जो विद्यार्थी हमेशा सच बोलता है वही आगे बढ़ता है क्योंकि जो झूठ बोलता है वह एक झूठ को छुपाने के लिए उसे और अधिक झूठ बोलने पड़ते है जिसके कारण वह कभी भी सफल नहीं हो पाता है.

अच्छे विद्यार्थी हमेशा अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करते है जिसके कारण वे सभी के प्रिय होते है और अपने कार्य में भी सफल होते है.

(7) नेतृत्व करने वाला – अच्छा विद्यार्थी नेतृत्व करने वाला होता है वह हमेशा अपने साथियों को साथ लेकर चलता है वह अपने ज्ञान का कभी भी अभिमान नहीं करता है इसी कारण उसमें धीरे-धीरे नेतृत्व करने की क्षमता विकसित होती है वह आगे जाकर देश के लिए अच्छा कार्य करता है.

(8) ज्ञानवान – आदर्श विद्यार्थी हमेशा ज्ञानवर्धक बातें करता है वह कभी भी फालतू की चर्चा नहीं करता है हमेशा अपने काम से काम रखता है और कक्षा में भी हमेशा प्रथम आता है क्योंकि वह हमेशा ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ता रहता है जिसे उसके ज्ञान में बढ़ोतरी होती रहती है.

(9) अनुशासन प्रिय – अच्छा विद्यार्थी हमेशा अनुशासन में रहता है वह समय पर उठता है समय पर भोजन करता है समय पर स्कूल जाता है, समय पर खेलता है और समय पर अपना कार्य करता है. वह स्कूल समाज और देश के नियमों का भी पालन करता है इसी कारण अनुशासन में रहने वाले विद्यार्थी हमेशा अन्य विद्यार्थियों से आगे रहते है.

(10) समय का सदुपयोग – आदर्श विद्यार्थी हमेशा समय का सदुपयोग करता है क्योंकि एक बार समय अगर बीत जाता है तो वह दोबारा लौटकर नहीं आता है इसलिए वह अच्छे से जानता है कि समय की बर्बादी उसके जीवन के बर्बादी है इसलिए वह हमेशा समय का सदुपयोग करके अपना सफल भविष्य बनाता है.

आदर्श विद्यार्थी कैसे बने –

(1) आज्ञाकारी बने – आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए आपको अपने माता पिता, गुरुजनों और अन्य बड़े लोगों की आज्ञा का पालन करना होगा क्योंकि वे जो भी कार्य आपको करने के लिए कहते हैं वह आप के भले के लिए ही होता है जैसे ही आप बड़ों की आज्ञा का पालन करने लगेंगे आपको आपके जीवन में बदलाव दिखाई देने लग जाएंगे.

(2) दूसरों के प्रति सद्भावना रखें – एक आदर्श विद्यार्थी को हमेशा दूसरों के प्रति सद्भावना रखनी चाहिए उन्हें कभी भी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए क्योंकि आप दूसरे लोगों का ख्याल रखेंगे तो वह भी आपका ख्याल रखेंगे और आपको भी उतना ही प्यार करेंगे.

(3) अच्छी पुस्तकें पढ़ें – जीवन भी अच्छी पुस्तकें पढ़ना बहुत जरूरी होता है और एक विद्यार्थी के लिए तो यह और भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि यह जीवन का पहला बड़ा होता है ऐसे ही इसी वक्त विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा मिल जाती है तो वह जीवन भर अच्छा काम करता है, अच्छे लोगों के साथ रहता है और जीवन में सभी सफलताओं को प्राप्त करता है.

(4) आदर और सम्मान करें – एक विद्यार्थी को सभी व्यक्तियों का सम्मान करना चाहिए और उनका आदर भी करना चाहिए क्योंकि आदर और सम्मान एक ऐसी चीज है जिसे आप जितना दोगे उतना ही आपको मिलेगा इसलिए अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं आपको दूसरे लोगों को आदर और सम्मान देना पड़ेगा.

(5) दिनचर्या की तालिका बनाएं – कई विद्यार्थियों को पढ़ने लिखने में बहुत दिक्कत आती है क्योंकि वह अपने समय का सही से उपयोग नहीं करते हैं जिसके कारण वह पढ़ लिख नहीं पाते है और परीक्षा में सफल नहीं हो पाते है.

इसलिए विद्यार्थियों को अपनी दिनचर्या की तालिका बनानी चाहिए जिससे उन्हें आसानी होगी कि कौन सा कार्य होने कब करना है और कौन सा विषय कब पढ़ना है इससे उनकी पढ़ने में भी रुचि बढ़ेगी और समय का सदुपयोग भी होगा.

(6) स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें – जो व्यक्ति स्वस्थ नहीं रहता है वह पढ़ाई लिखाई तो क्या वह कुछ भी नहीं कर पाता है इसलिए हमेशा विद्यार्थी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए क्योंकि बिना स्वस्थ शरीर के आप कुछ भी नहीं कर सकते है.

(7) नम्र और उदार बने – कई विद्यार्थी काफी लड़ाई झगड़ा करते हैं और एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं उन्हें ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए उन्हें अपने साथियों और अन्य लोगों के साथ नम्र व्यवहार करना चाहिए जब कभी भी किसी को उनकी आवश्यकता हो तो उदारता पूर्वक उनकी सहायता करनी चाहिए.

(8) सेवा भावना रखें – विद्यार्थियों को हमेशा सेवा भावना रखनी चाहिए उन्हें बड़े बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए क्योंकि उन्हीं से उन्हें पूरे जीवन की जानकारी मिलती है और नई शिक्षाप्रद कहानियां भी सुनने को मिलती है.

(9) आशावादी रहे – जो विद्यार्थी थोड़ी सी असफलता मिलने पर निराश हो जाते हैं उन्हें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि निराशावादी लोग कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकते जैसे कि उगते हुए सूरज को सभी देखना पसंद करते है लेकिन डूबते हुए सूरज को कोई भी देखना पसंद नहीं करता है इसलिए हमेशा आशावादी रहकर सफलता प्राप्त करें

(10) लक्ष्य का निर्धारण करें – अगर आपको किसी कार्य में सफलता प्राप्त करनी है तो आपको हमेशा उसका लक्ष्य निर्धारण करना आवश्यक होता है लक्ष्य कि आप समंदर में खोई हुई नाव की तरह होते हो जो की लहरों के थपेड़े खाते-खाते नष्ट हो जाती है इसलिए हमेशा लक्ष्य का निर्धारण करके आगे पढ़े आपको सफलता अवश्य मिलेगी.

(11) सदैव विद्यालय जाए – कुछ विद्यार्थी विद्यालय में जाने से कतराते है और कुछ विद्यार्थी कोई ना कोई बहाना बनाकर विद्यालय से छुट्टी ले लेते है और वह अनमोल शिक्षा से वंचित रह जाते है इसलिए हमेशा विद्यालय जाना आवश्यक होता है.

(12) बुरी संगति से दूर रहे – कुछ विद्यार्थी बुरे लोगों के साथ रहकर बुरी संगति में पड़ जाते है जिसके कारण उनका पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता है और उनका पूरा जीवन खराब हो जाता है इसलिए हमेशा अच्छे लोगों के साथ रहे जैसे आप भी एक आदर्श विद्यार्थी बन सकें.

निष्कर्ष –

एक आदर्श विद्यार्थी ही जीवन में सफल हो सकता है क्योंकि आदर्श विद्यार्थी में बचपन से ऐसे गुण होते हैं जिससे वह जीवन में आने वाली हर मुश्किलों का धैर्य पूर्वक सामना कर सकता है वह अन्य लोगों की तुलना भी बहुत समझदार होता है इसीलिए वह बचपन से ही अपना लक्ष्य निर्धारण कर लेता है और बड़ी सफलता प्राप्त करता है.

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23 thoughts on “आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi”

Sir this essay is osm i appreciate it thank u so much sir it helped me a lot keep it up sir

Welcome Rupali gupta

Sorry to say but there are so many mistakes in it but it is nice . Keep it up . And thanks for this . ☺☺☺👌👍👍

Thank you Prachi

op essay nice nice

Thank you Iron man for appreciation.

Thanks for this beautiful essay 😀😀😀

Welcome, Prabhnoor Kaur ji

thanks for this beautiful essay

Thank you utkarsh for appreciation keep visiting Hindi yatra.

Thank you very much

Welcome Gurveer, keep visiting Hindi yatra.

Admin ji bahut badhiya soch paye hai aapne aise hi nibandh likhte rehna aur hame aur jagrut aur hoshiyaar banana Meri teacher ko yah bahut acha laga unhone aapki kafi tarif ki hai….

Aayush Divase sarhana ke liye aap ka bahut bahut dhanyawad, or aap ki teacher ko hindi yatra ki tarf se dhanyawad bol na.

Hmm mujhe ye San essay padh me acha laga aur jab ye essay Mene MERI teacher ko dikhaya to MERI class m Impression ban gyi

Priyanshu achi baat hai aap ko nibandh pasand aaya, aise hi nibandh padhne ke liye hindi yatra par aate rahe.

Exam me mujhe is me 25 mey 20 mile DHANYAVAAD

Karttavy Mehdiratta, bhut acche mazrks mile hai aap ko aise hi mehnat karte rahe, dhanyavad.

Yah paragraph Kaisa hoga ma ak Jan Ka nam bata ti hu diya

Tnks for such a wonder essay of 250 words only really tnks to producer coz it have great meaning

Welcome Saad and keep visiting our website.

Aur aaisa hi bhejiye

Dhanyawad Saurav kumar, hum aise hi essay likhte rhe ge aap website par aate rahe.

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हम सभी के जीवन का विद्यार्थी जीवन (Student Life) वाला पड़ाव सबसे अहम पड़ाव होता है, क्योंकि यहीं से हम सही और गलत में पहचान करना सीख पाते हैं। जिंदगी में उतार-चढ़ाव की शुरुआत भी विद्यार्थी जीवन से ही होने लगती है। विद्यार्थी जीवन में एक विद्यार्थी का मार्गदर्शन करने में उसके गुरु की सबसे बड़ी भूमिका होती है। विद्यार्थी जीवन में हमारा एक सच्चा मित्र भी ज़रूर बनता है जो हमारे हर सुख-दुख का साथी होता है। विद्यार्थी जीवन में हम पढ़ाई, अनुशासन और समय का महत्त्व सीखते हैं साथ ही खेल-कूद और मौज-मस्ती भी करते हैं।

एक कहावत है कि हर विद्यार्थी अपने जीवन में कामयाब इंसान नहीं बनता लेकिन हर कामयाब इंसान अपने जीनव में विद्यार्थी ज़रूर बनता है। अगर आपने अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है और आप उसको लेकर दृढ़निश्चयी हैं, तो आप इस कहावत को झूठा भी साबित कर सकते हैं। विद्यार्थी जीवन संघर्ष से भरा हुआ होता है। विद्यार्थी को शिक्षा प्राप्त करने के लिए लगातार कठिन परिश्रम करना पड़ता है। एक विद्यार्थी का जीवन तीन साल की उम्र से ही शुरू हो जाता है और कई सालों तक चलता है।

विद्यार्थी जीवन की भूमिका

विद्यार्थी दो शब्दों से मिलकर बना है, विद्या+अर्थी जिसका अर्थ है विद्या प्राप्त करने वाला इच्छुक व्यक्ति। विद्यार्थी जीवन में छात्र को सही-गलत के बारे में सिखाया जाता है ताकि वो बड़ा होकर सही-गलत की पहचान कर सके। विद्यार्थियों को अनुशासन में रहने के साथ-साथ छोटे-बड़ों से कैसे बात करनी है, ये भी सिखाया जाता है। विद्यार्थी को अपने माता-पिता और गुरु का आदर करना चाहिए।

जब किसी विद्यार्थी के परीक्षा में अच्छे नंबर/अंक आते हैं, तो सबसे ज्यादा खुश उनके माता-पिता और गुरु होते हैं और उनका सर गर्व से ऊंचा हो जाता है। पहले विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था। लेकिन बाद में शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य कर दी गई और नए-नए स्कूलों का निर्माण किया गया। जिससे अब बच्चों को पढ़ने के लिए घर से दूर नहीं जाना पड़ता।

आज शिक्षा को अधिक महत्व दिया जाने लगा है। यही कारण है कि आज के विद्यार्थियों को परीक्षा में नंबर लाने का बोझ और कैरियर बनाने के लिए बहुत कठिनाइयों से लड़ना पड़ता है। ऐसे में विद्यार्थियों को सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है। अगर उन्हें सही समय पर मार्गदर्शन के साथ-साथ उनकी पसंद के विषय से रूबरू करवाया जाए, तो वो निश्चय ही सफल होंगे। विद्यार्थी को चाहिए कि वह अपनी रुचि के अनुसार विषय को चुनें ताकि वो खुश होकर पढ़ सकें। उन्हें इस तरह की शिक्षा व्यवस्था की सुविधा करनी चाहिए जिससे उन्हें पढ़ाई बोझ ना लगे।

विद्यार्थी जीवन का महत्व

विद्यार्थी जीवन का समय किसी भी इंसान के जीवन का सबसे अधिक महत्वपूर्ण और उत्साह से भरा हुआ समय होता है। विद्यार्थी जीवन का यही समय उसके भविष्य का निर्माण करता है। विद्यार्थी को चाहिए कि वो इस समय का भरपूर प्रयोग करें ताकि उसे भविष्य में निराशा न झेलनी पड़े। विद्यार्थियों को अपने विद्यार्थी जीवन में हर एक कदम को काफी सोच-समझकर उठाना चाहिए। इसलिए विद्यार्थी जीवन का अपना अलग ही महत्व है।

विद्यार्थी के जीवन में समय का बहुत महत्व होता है। विद्यार्थी अपने छात्र जीवन में शिक्षा के महत्व को सही प्रकार से समझता है। जब कोई विद्यार्थी विद्यालय में दाखिला लेता है, तो उसका मुख्य उद्देश्य ज्ञान अर्जित करना होता है। जब छात्र विद्यालय जाता है, तो वहां पर उसे नए शिक्षक, नए दोस्त के साथ-साथ बहुत सारे सहपाठी भी मिलते हैं। विद्यालय में एक स्वच्छ वातावरण मिलता है जहां पर वो अध्ययन करते हैं।

एक विद्यार्थी के मन में रोज नए-नए विचार उत्पन्न होते हैं। ये विचार सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार के हो सकते हैं। एक विद्यार्थी से उम्मीद की जाती है कि वो सकारात्मक ज्ञान को ग्रहण करे और नकारात्मक विचार या भाव को त्याग दे। अगर वो नकारात्मक भाव को स्वीकार करते हैं, तो उन्हें आने वाले समय में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। विद्यार्थी जीवन के महत्व से जुड़े कुछ बिंदुओं का उल्लेख नीचे किया गया है–

अध्ययन करने का सबसे अच्छा समय–

विद्यार्थी जीवन ही ऐसा समय होता है जहां पर आप तनाव मुक्त सहकर अध्ययन कर सकते है। विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में छात्र पढ़ने के लिए जाते हैं, तो उनके ऊपर कमाई और नौकरी का सबसे ज्यादा तनाव रहता है। इसलिए छात्रों को चाहिए कि वो विद्यार्थी जीवन यानी कि पांचवी या सातवीं क्लास से ही तनाव रहित होकर पढ़ाई करें।

विद्यार्थियों पर अनुशासन का महत्व–

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का काफी महत्व होता है। एक छात्र तभी सफल हो सकता है जब वह अनुशासन में रहकर पढ़ाई करेगा। अगर व्यक्ति अनुशासन में रहकर पढ़ाई करता है,,तो वह एक दिन निश्चित ही सफल हो जाएगा और आने वाले समय में वह सुखद जिंदगी जिएगा। अगर वही व्यक्ति अनुशासनहीनता को अपनाता है, तो उसे जिंदगी भर हमेशा कठिनाइयों से ही सामना करना पड़ेगा।

विद्यार्थियों का कर्तव्य-

विद्यार्थी जीवन का पहला कर्तव्य होता है अच्छे से पढ़ाई करके अपने परिवार की देखभाल करना।

विद्यार्थी जीवन में खेलों का महत्व–

विद्यार्थी जीवन में खेलों का बहुत अधिक महत्व होता है। विद्यार्थी जीवन ही ऐसा समय होता है जहां पर विद्यार्थी तरह-तरह के खेल सीख सकते हैं। ऐसे में जरूरत होती है उन्हें सही दिशा-निर्देश की। अगर उन्हें खेल के क्षेत्र में सही से आगे बढ़ाया जाए, तो छात्र बहुत आगे जायेंगे। स्कूलों और कॉलेजों में चाहिए कि खेल से संबंधित टीचर को रखें ताकि विद्यार्थी अपने मन पसंद खेल के बारे में उनसे बात कर सकें और वो अपने मन पसंद खेल के करियर क्षेत्र में कहां से शुरुआत करें, कैसे आगे बढ़ें आदि ये सारी जानकारी उन्हें देने की जरूरत है।

सफल बनने के लिए सबसे महत्वपूर्ण विद्यार्थी जीवन–

विद्यार्थी जीवन एक ऐसा जीवन होता है जहां आप एक बेहतर इंसान बन सकते हैं। गुरु और माता–पिता की आज्ञा का पालन करके अगर वो सही से पढ़ाई करें, तो वो किसी भी क्षेत्र में जैसे सरकारी नौकरी, बिजनेस, इंजीनियर आदि अच्छे पद पा सकते हैं और अपने आने वाले समय में बेफिक्र हो कर आराम की जिंदगी जी सकते हैं।

विद्यार्थी जीवन कैसा होना चाहिए?

एक विद्यार्थी को अपनी दिनचर्या में, अपने व्यवहार, कार्यशैली और अपने दिमाग पर संतुलन रखना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में आप संस्कार की भाषा बोलना सीखते हैं। विद्यार्थी जीवन को हमेशा स्वतंत्र होकर जीना चाहिए। विद्यार्थी को अपने जीवन के कुछ सुनहरे पलों को खुल कर जीना चाहिए। कुछ विद्यार्थी खेल में भाग लेने व गुरुओं से अपने सवालों से संबंधित समस्याएं को पूछने से भी घबराते हैं परंतु एक विद्यार्थी को ऐसा नहीं होना चाहिए, वह अपनी बात दिल खोलकर बोल सकता है। विद्यार्थियों में हमेशा उत्साह के साथ पढ़ाई करने का जज्बा होना चाहिए।

स्कूल में हमारे द्वारा किए गए छोटे-छोटे हंसी-मजाक, मस्ती, लड़ाई जैसी चीजें उम्र भर के लिए यादें बन कर रह जाती हैं। हमें अपने विद्यार्थी जीवन में किसी भी तरह का फैशन नहीं करना चाहिए तथा स्कूल द्वारा दिए गए यूनिफॉर्म को ही इस्तेमाल करना चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए सभी नियमों का पालन करना चाहिए। विद्यार्थी जीवन प्रतिस्पर्धा का समय होता है, ऐसे में हर छात्र एक दूसरे से आगे बढ़ना चाहते हैं जिसके लिए वो सभी खूब मेहनत भी करते हैं।

लेकिन हर बच्चा टॉप नहीं कर सकता है इस बात को भी छात्रों को स्वीकार करना चाहिए। हमें अपने विद्यार्थी जीवन को समझदारी के साथ जीने की जरूरत है। विद्यार्थी जीवन में हमें बुरी चीजों से दूर रहना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में छात्रों को सबसे ज्यादा स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत होती है। विद्यार्थी को खेल के साथ-साथ रोज व्यायाम भी करना चाहिए। एक विद्यार्थी को कुछ घंटे मनोरंजन के लिए भी समय निकालना चाहिए ताकि उनका दिमाग़ ठीक रहे और वह सही से पढ़ाई कर सकें। विद्यार्थी को हमेशा अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए।

आदर्श विद्यार्थी के गुण

हमारे देश का भविष्य आज की युवा पीढ़ी पर निर्भर करता है। यही विद्यार्थी बाद में युवा बनेंगे जो देश को ऊंचाई पर पहुंचाने का काम करते हैं। विद्यार्थी जीवन में कई तरह के विद्यार्थी होते हैं, एक जो लगातार मेहनत करके पढ़ाई करते हैं और आगे बढ़ते हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी विद्यार्थी होते हैं जो सिर्फ मौज मस्ती में ही अपना टाइम खराब कर देते हैं और बाद में उनके हाथ निराशा ही लगती है। आदर्श विद्यार्थियों के गुण निम्नलिखित हैं-

  • एक विद्यार्थी को समय का सही उपयोग करना चाहिए।
  • विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन का पालन करना चाहिए।
  • विद्यार्थी को छोटे-बड़ों के साथ-साथ माता-पिता का आदर और उनके द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करना चाहिए।
  • छात्र में मदद करने की भावना जरूर होनी चाहिए।
  • छात्र में जिज्ञासा होनी चाहिए।
  • खेल कूद का महत्व विद्यार्थी जीवन में बहुत अधिक होता है।
  • विद्यार्थी में संयम होना चाहिए।
  • अच्छे विद्यार्थी में दिए गए आज के काम को आज ही कर लेने का गुण अवश्य होना चाहिए।
  • अच्छे विद्यार्थी को खुद पर भरोसा रखना चाहिए।
  • विद्यार्थी में प्रश्न करने का मनोबल होना चाहिए।

विद्यार्थी के लिए समय का महत्व

समय बहुत कीमती है और हमें इसे किसी भी तरह से खराब नहीं करना चाहिए और खासकर विद्यार्थियों को। एक बार जो समय चला जाता है वह कभी लौटकर नहीं आता है। समय दुनिया की सबसे अनमोल चीज है जिसका उपयोग हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए करना चाहिए। विद्यार्थियों को अपने कार्य और समय पर विशेष ध्यान देना चाहिए। विद्यार्थियों को चाहिए कि वह अपना कार्य निर्धारित समय पर पूरा करें।

विद्यार्थी को खाली समय में अपने बड़ों से इतिहास, समाज, देश आदि के बारे में जानना चाहिए इससे उनकी मानसिक शक्ति का विकास होगा। आज शिक्षा को बेचा जाने लगा है। बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों का निर्माण होने से गरीब घर के बच्चों में एक निराशा की लहर दिखाई देने लगी है। उन्हें लगता है कि वह प्राइवेट स्कूलों में जाने वाले छात्रों से कम शिक्षित हैं।

ऐसे में उनके माता और पिता को सही समय पर राह दिखानी चाहिए कि एक दिन वो भी सरकारी स्कूलों में पढ़कर प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों से भी आगे जा सकते हैं। इसलिए कभी भी शिक्षा को छोटा या बड़ा ना समझें। शिक्षा सबके लिए समान होती है, बस जरूरत होती है उसे सही समय पर सही तरीके से इस्तेमाल करने की। विद्यार्थियों के लिए समय के महत्व से संबंधित कुछ आवश्यक बातें निम्नलिखित हैं–

  • विद्यार्थियों को धन की जगह शिक्षा को महत्व देना चाहिए।
  • विद्यार्थी को कभी भी गलत तरीके से अपने समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए।
  • माता-पिता को अपने बच्चों को बचपन से ही समय के महत्व के बारे में बताना चाहिए।
  • उन्हें यह पता होना चाहिए कि समय किसी के लिए रुका नहीं रहता है। इसलिए आपको समय के साथ हमेशा चलते रहना चाहिए।
  • समय रहते ही विद्यार्थियों को अपना कार्य पूरा कर लेना चाहिए।
  • विद्यार्थी जीवन के छात्रों को यह समझना होगा कि सफलता के लिए मेहनत और समय दोनों का महत्व होता है।

विद्यार्थी का लक्ष्य

किसी भी विद्यार्थी का पहला लक्ष्य होता है सही से पढ़ाई करना, जिंदगी में एक नया और ऊंचा मुकाम हासिल करना, जिससे उनका और उनके परिवार का नाम ऊंचा हो। विद्यार्थियों को इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उन्हें विभिन्न बातों का ध्यान रखना चाहिए–

  • लक्ष्य को पूरा करने के लिए विद्यार्थी समय निकाल कर पढ़ाई करें।
  • विद्यार्थी को अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए।
  • विद्यार्थी को चाहिए कि वो अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए किसी अपने से बड़े व्यक्ति की सलाह लें।
  • विद्यार्थियों को चाहिए कि अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए समय का सही पालन करें।
  • विद्यार्थियों को चाहिए कि वो अपने लक्ष्य को पाने का संकल्प करें और नियंत्रण प्रयास करते रहें जब तक लक्ष्य हासिल ना हो जाए।
  • विद्यार्थियों को खेल आदि जैसे कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए।
  • विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सहनशक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
  • आपको किस दिशा में जाना है इसका सही ज्ञान होना चाहिए।
  • विद्यार्थियों को चाहिए कि वह अपनी समस्याओं को खुद से सुलझाएं।
  • अपने लक्ष्य से संबंधित नई खोज के बारे में जानकारी इकट्ठा करें।
  • अपने लक्ष्य से संबंधित नया तथ्य क्या है, ये पता करें।
  • विद्यार्थी को लक्ष्य से जुड़े प्रशिक्षण, कार्यक्रमों आदि में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए।

विद्यार्थियों का तप क्या है?

विद्यार्थियों का विद्या के लिए अध्ययन करना भी एक तप है। विद्या से उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है। जीवन में मिलने वाली सफलता को विद्यार्थी जीवन से ही रखा जाता है। विद्यार्थी भविष्य में क्या करने वाले हैं इसकी पटकथा विद्यार्थी जीवन में ही तय कर ली जाती है। विद्यार्थी तप इसलिए भी करता है ताकि उसे अच्छी नौकरी मिले। उसके पास अच्छा और बड़ा घर हो। विद्यार्थी अपने जीवन में दुनिया की सारी सुख सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए कठिन परिश्रम करके पढ़ाई करता है ताकि उन्हें यह सारी सुविधाएं आसानी से मिल जाएं।

विद्यार्थी जीवन का उद्देश्य

विद्यार्थी जीवन का मुख्य उद्देश्य होता है ज्ञान अर्जित करना। ऐसे में विद्यार्थियों को चाहिए कि उन्हें जहां से भी जो ज्ञान मिले उसे ग्रहण करने के साथ-साथ उसे अपने सहपाठियों में भी बांटे। इससे उन्हें और भी बातों का पता चलेगा। विद्यार्थी जीवन का मन बहुत चंचल होता है। वह अपने आसपास की दिखने वाली चीजों की तरफ जल्दी आकर्षित हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें चाहिए कि वो किसी भी चीज का पहले पूरा ज्ञान हासिल कर लें, तभी उस चीज के बारे में कुछ कहें या उस पर अपनी प्रतिक्रिया दें। जो बच्चे अपने घर से दूर रहकर पढ़ाई करते हैं, उन्हें इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वह समय का सदुपयोग करें ताकि उन्हें जल्द ही सफलता मिल सके।

आखिर में निष्कर्ष के तौर पर हम ये कह सकते हैं कि विद्यार्थी जीवन में एक विद्यार्थी को बहुत से अनुभव होते हैं, जैसे वह जागरूक और सक्रिय रहते हुए सभी चीज़ों का ध्यान रखना सीख जाते हैं, उन्हें समय प्रबंधन करना आ जाता है और वह अपने जीवन का लक्ष्य भी निर्धारित कर लेते हैं। एक विद्यार्थी को विद्यार्थी जीवन खुलकर जीना चाहिए, क्योंकि ये जीवन फिर कभी लौटकर नहीं आता।

विद्यार्थी जीवन पर 10 लाइन

  • विद्यार्थी को हमेशा अपने गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए, बड़ों का आदर और छोटे से प्यार करना चाहिए।
  • विद्यार्थियों को चाहिए कि वो किताबी ज्ञान के अलावा भी अपने आसपास से जुड़ी चीजों के बारे में सीखें।
  • एक विद्यार्थी को खेल, गाने, डांस अथवा अपनी रुचि के अनुसार किसी एक विषय का चयन करके उसमें भाग लें।
  • विद्यार्थी को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए ताकि पेपर में उनके अच्छे अंक आ सके।
  • एक विद्यार्थी से यह अपेक्षा की जाती है कि वो शांत स्वभाव का हो।
  • अच्छे विद्यार्थी को चाहिए कि उसे जहां से भी शिक्षा मिले उसे ग्रहण करें।
  • विद्यार्थियों को शुरू से सिखाया जाना चाहिए कि वो सबकी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहें।
  • विद्यार्थी को हमेशा सजग रहना चाहिए ताकि उनसे कोई भी चीज छूट ना जाए।
  • हर काम में विद्यार्थियों को हमेशा सबसे आगे होना चाहिए।
  • विद्यार्थी को कभी भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध | Essay on Ideal Student in Hindi

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध | Essay on Ideal Student in Hindi!

विद्‌यार्थी जीवन को मनुष्य के जीवन की आधारशिला कहा जाता है । इस समय वह जिन गुणों व अवगुणों को अपनाता है वही आगे चलकर चरित्र का निर्माण करते हैं । अत: विद्‌यार्थी जीवन सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है ।

एक आदर्श विद्‌यार्थी वह है जो परिश्रम और लगन से अध्ययन करता है तथा सद्‌गुणों को अपनाकर स्वयं का ही नहीं अपितु अपने माँ-बाप व विद्‌यालय का नाम ऊँचा करता है । वह अपने पीछे ऐसे उदाहरण छोड़ जाता है जो अन्य विद्‌यार्थियों के लिए अनुकरणीय बन जाते हैं ।

एक आदर्श विद्‌यार्थी सदैव पुस्तकों को ही अपना सबसे अच्छा मित्र समझता है । वह पूरी लगन और परिश्रम से उन पुस्तकों का अध्ययन करता है जो जीवन निर्माण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं । इन उपयोगी पुस्तकों में उसके विषय की पुस्तकों के अतिरिक्त वे पुस्तकें भी हो सकती हैं जिनमें सामान्य ज्ञान आधुनिक जगत की नवीनतम जानकारियाँ तथा अन्य उपयोगी बातें भो होती हैं ।

ADVERTISEMENTS:

एक आदर्श विद्‌यार्थी सदैव परिश्रम को ही पूरा महत्व देता है । वह परिश्रम को ही सफलता की कुंजी मानता है क्योंकि प्रसिद्‌ध उक्ति है:

”उद्‌यमेन ही सिद्‌धयंति कार्याणि न मनोरथे,

न हि सुप्तस्य सिहंस्य प्रविशंति मुखे मृगा: । ”

आदर्श विद्‌यार्थी अपने अध्यापक अथवा गुरुजनों का पूर्ण आदर करता है । वह उनके हर आदेश का पालन करता है । अध्यापक उसे जो भी पढ़ने अथव याद करने के लिए कहते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक पढ़ता है ।

कक्षा में जब भी अध्यापक पढ़ाते हैं तब वह उसे ध्यानपूर्वक सुनता है । वह सदैव यह मानकर चलता है कि वह गुरु से ही संपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर सकता है । गुरुजनों के अतिरिक्त वह अपने माता-पिता की इच्छाओं एवं निर्देशों के अनुसार ही कार्य करता है ।

किसी भी विद्‌यार्थी के लिए पुस्तक ज्ञान आवश्यक है परंतु मात्र पुस्तकों के अध्ययन से ही सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता है । अत: एक आदर्श विद्‌यार्थी पढ़ाई के साथ खेल-कूद व अन्य कार्यकलापों को भी उतना ही महत्व देता है । खेल-कूद व व्यायाम आदि भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनके बिना शरीर में सुचारू रूप से रक्त संचार संभव नहीं है । इसका सीधा संबंध मस्तिष्क के विकास से है ।

खेलकूद के अतिरिक्त अन्य सांस्कृतिक कार्यकलापों, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं तथा विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने से उसमें एक नया उत्साह तथा नई विचारधारा विकसित होती है जो उसके चरित्र व व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है ।

एक आदर्श विद्‌यार्थी नैतिकता, सत्य व उच्च आदर्शों पर पूर्ण आस्था रखता है । वह प्रतिस्पर्धा को उचित मानता है परंतु परस्पर ईर्ष्या व द्‌वेष भाव से सदैव दूर रहता है । अपने से कमजोर छात्रों की सहायता में वह सदैव आगे रहता है तथा उन्हें भी परिश्रम व लगन से अध्ययन करने हेतु प्रेरित करता है ।

अपने सहपाठियों के प्रति बह सदैव दोस्ताना संबंध रखता है । इसके अतिरिक्त उसे स्वयं पर पूर्ण विश्वास होता है । वह अपनी योग्यताओं व क्षमताओं को समझता है तथा अपनी कमियों के प्रति हीन भावना रखने के बजाय उन्हें दूर करने का प्रयास करता है ।

सारांशत: वह विद्‌यार्थी जो कुसंगति से अपने आपको दूर रखते हुए सद्‌गुणों को निरंतर अपनाने की चेष्टा करता है तथा गुरुजनों का पूर्ण आदर करते हुए भविष्य की ओर अग्रसर होता है वही एक आदर्श विद्‌यार्थी है । उसके वचन और कर्म, दूसरों के साथ उसका व्यवहार, उसकी वाणी हमेशा यथायोग्य होनी चाहिए ताकि जीवन की छोटी-छोटी उलझनें उसका रास्ता न रोक सकें ।

क्योंकि किसी भी विद्‌यार्थी का जब लक्ष्य बड़ा होता है तो उसमें एक नवीन उत्साह की भावना संचरित होती रहती है:

“काक चेष्टा बकोध्यानम् श्वान निद्रा तथैव च ।

अल्पाहारी गृहत्यागी विद्‌यार्थी पंच लक्षणम्) ।।”

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Nibandh

विद्यार्थी जीवन का महत्व पर निबंध

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रूपरेखा: प्रस्तावना - बिना किसी तनाव के पढाई - विद्यार्थी जीवन के प्रकार - विद्यार्थी जीवन पर अनुशासन का महत्व - एक विद्यार्थी का कर्तव्य - आज का विद्यार्थी - छात्रों का बुरे आदतें की ओर आकर्षित होना - परिवार की समस्याएं - विद्यार्थी जीवन में अभ्यास का महत्व - विद्यार्थी जीवन में खेलों का महत्व - उपसंहार।

एक समय आता है जब बालक या युवक किसी शिक्षा-संस्था में अध्ययन करता है, वह जीवन ही विद्यार्थी जीवन (Student Life) है । कमाई की चिंता से मुक्त अध्ययन का समय ही विद्यार्थी-जीवन है। भारत की प्राचीन विद्या-विधि में पचीस वर्ष की आयु तक विद्यार्थी घर से दूर आश्रमों में रहकर विविध विद्याओं में निपुणता प्राप्त करता था, किन्तु देश की परिस्थिति-परिवर्तन से यह प्रथा गायब हो गई। इसका स्थान विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों ने ले लिया। इन तीनों संस्थाओं में जब तक बालक या युवक पढ़ते है, वह विद्यार्थी कहलाते है। उसकी अध्ययन पद में उसका जीवन “विद्यार्थी-जीवन (Vidyarthi Jeevan) नाम से नामांकित किया जाता है। आधुनिक भारत में गुरुकुल तथा छात्रावास नियम प्राचीन ऋषि- आश्रमों का बदला हुआ समय है।

आज का विद्यार्थी-जीवन दो प्रकार का है, पहला वह जो परिवार में रहते हुए विद्यार्थी - जीवन पूरा करता है। दूसरा जो छात्रवास में रहकर अपना विद्यार्थी जीवन समाप्त करता है | परिवार में रहते विद्यार्थी -जीवन में विद्यार्थी परिवार में रहकर ठसकी समस्याओं, आवश्यकताओं, माँगों को पूरा करते हुए भी अध्ययन करता है। नियमित रूप से विद्यालय जाना और पारिवारिक कामों को करते हुए भी घर पर रहकर ही पढ़ाई करना, उसके विद्यार्थी-जीवन की पहचान है। दूसरी ओर, छात्रावास में जो विद्यार्थी रहते है वह पारिवारिक समस्याओं से मुक्त शैक्षिक वातावरण में रहता हुआ विद्यार्थी-जीवन का निर्वाह कर अपना शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक विकास करता है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व होता है। अनुशासन सफलता की कुंजी है। अनुशासन मनुष्य के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। यदि मनुष्य अनुशासन में जीवन व्यतीत करता है तो वह स्वयं के लिए एक सुखद और उज्जवल भविष्य निर्धारित करता है और यदि किसी व्यक्ति के भीतर(अंदर) अनुशासनहीनता होती है तो वह स्वयं के लिए कठिनाइयां उत्पन्न करता है और निराशा एवं असफलता प्राप्त करता है।

यदि किसी विद्यार्थी में अनुशासन की कमी होगी तो उनका भविष्य खतरे में होगा। यदि आंखें उठाकर हम देखे तो अनुशासन मनुष्य के जीवन में हर रूप में विद्यमान है। इस संसार में हर कोई अनुशासन का पालन करता है जैसे, जिस प्रकार सूर्य समय पर उगता व अस्त होता है, पेड़-पौधों में भी अनुशासन व्याप्त है। घड़ी की सुई भी अनुशासन का पालन करते हुए चलती है। वर्तमान समय में देखा जाए तो हर तरफ अनुशासनहीनता दिखाई देती है। यही कारण है कि आज देश में अधिक विद्यार्थी का जीवन सफल नहीं हो पा रहा है। अतः विद्यार्थियों के जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व है।

विद्यार्थी-जीवन उन विद्याओं, कलाओं के शिक्षण का काल है, जिनके द्वारा वह छात्र-जीवन में ही कमाई कर अपने परिवार का देखभाल कर सके यही एक विद्यार्थी का कर्तव्य है। यह काल संघर्षमय संसार में सम्मानपूर्वक जीने तथा निर्माण करने का समय है। इन सबके निमित्त सीखना, शारीरिक और मानसिक विकास करने, नैतिकता द्वारा आत्मा को विकसित करने की स्वर्णिम समय है यह विद्यार्थी जीवन। निश्चित-पादयक्रम के अध्ययन से छात्र सीखता है। समाचार पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों के अध्ययन तथा आचार्यों के प्रवचनों से वह मानसिक विकास करता है। शैक्षणिक-प्रवास और भारत-दर्शन कार्यक्रम उसके मानसिक-विकास में विकास करता हैं। हर रोज सुबह उठकर व्यायाम कर अपना शारीरिक विकास करता है।

प्रश्न यह है कि क्या आज का शिक्षार्थी सही अर्थ में विद्यार्थी-जीवन का दायित्व पूर्ण कर रहा है ? इसका उत्तर नहीं में होगा। कारण, उसे अपने विद्यार्थी-जीवन में न तो ऐसी शिक्षा दी जाती है, जिससे जीवन में प्रवेश करते ही जीविका का साधन प्राप्त हो जाये। और नाही उसे वैवाहिक अर्थात्‌ पारिवारिक जीवन जीने की कला का पाठ पढ़ाया जाता है। इसलिए जब वह विद्यार्थी-जीवन से अर्थात्‌ गैर-जिम्मेदारी से पारिवारिक-जीवन अर्थात्‌ सम्पूर्ण जिम्मेदारी के जीवन में कदम रखता है तो उसे असफलता का सामना करना पड़ता है। आज का विद्यार्थी जीवन के लिए अनुचित अनेक प्रकार के विषयों का अपने दिमाग पर बोझ लादता है। सिखने के नाम पर पुस्तकों का भार अपने कमर पर लादता है।

आज का विद्यार्थी-जीवन विद्या की साधना, मन कौ एकाग्रता और अध्ययन के चिंतन-मन से कोसों दूर है। इसीलिए छात्र पढ़ाई से जी चुराता है, श्रेणियों से पलायन करता है। आज के छात्र हर वक़्त नकल करके पास होना चाहता है। जाली-डिग्रियों के भरोसे अपना भविष्य उज्ज्वल करने की प्रयास करता है। स्कूल, कॉलिजों में उपयुक्त खेल-मैदानों, श्रेष्ठ खेल-उपकरणों तथा योग्यशिक्षकों के अभाव में विद्यार्थी-जीवन की पहुँच से परे होते जा रहे हैं। ऐसे में आज का विद्यार्थी- जीवन जीवन को स्वस्थ और उत्तेजित बनाने में पिछड़ रहा है। आज का छात्र विद्यार्थी-जीवन में राजनीति से प्रेम करता है। हड़ताल, तोड़-फोड़, जलूस, नारेबाजी, का पाठ पढ़ता है। जो पढ़ता है, वह उसे प्रत्यक्ष करता है। आज के छात्र का विद्यार्थी-जीवन प्रेम और वासना के आकर्षण का जीवन है। वह गर्ल फ्रेंड, तथा बॉय फ्रेंड बनाने में रुचि लेता है । व्यर्थ घूमने-फिरने, होटलों-क्लबों में जाने में समय का सदुपयोग मानता है।

वर्तमान में तेजी से बढ़ते महँगाई की मार ने, पारिवारिक उलझनों और संकटों ने, दूरदर्शन की चकाचौंध ने, सामाजिक कुरूपता और राजनीतिक अस्थिरता ने भारतीय जीवन से ही जीवन-जीने का हक छीन लिया है। गिरते परीक्षा-परिणाम, फस्ट डिवीजन और डिस्टिकशन की गिरतीसंख्या वर्तमान विद्यार्थ-जीवन के अभिशाप के प्रमाण हैं। जो विद्यार्थी के पारिवारिक की समस्याएँ तथा परेशानी बढ़ा देती हैं।

विद्यार्थी जीवन में उचित पढाई-लिखाई का होना अधिक महत्वपूर्ण है। विद्वानों का कहना है कि, अभ्यास विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अभ्यास का किसी भी विद्यार्थी के जीवन में बहुत अहम भूमिका होता है। किसी भी विद्यार्थी को निरन्तर अभ्यास करने से ही विद्या प्राप्त होती है और अभ्यास न करने से विद्या समाप्त हो जाती है। अभ्यास करने की कोई सीमा नहीं होती। निरन्तर अभ्यास से व्यक्ति कुछ भी प्राप्त कर सकता है। अभ्यास के बल पर असंभव कार्य को भी संभव किया जा सकता है।

विद्यार्थी जीवन काल में पढ़ाई के साथ ही खेलों का भी अधिक महत्व है। विद्यार्थी का पढाई के साथ-साथ खेल में भी रूचि रखना अत्यंत आवश्यक है। वे विद्यार्थी जो अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खेलों को भी बराबर का महत्व देते हैं, वे प्रायः कुशाग्र बुद्धि के होते हैं।

खेल प्रत्येक मनुष्य के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और खेल मानव शरीर के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि भोजन, खासतौर पर विद्यार्थियों के जीवन में मानसिक बोझ और शारीरिक थकान को हल्का करने का एक साधन खेलकूद भी है। खेल हमारे सम्पूर्ण विकास का एक अहम हिस्सा है, जिससे हम दिनभर की थकान को नई ऊर्जा में बदल सकते हैं। इसीलिए विद्यार्थी के साथ-साथ हर व्यक्ति के जीवन में खेल का होना अधिक महत्वपूर्ण हैं।

इसी प्रकार और भी ऐसी बहुत सी महत्वपूर्ण बातें हैं जो विद्यार्थी जीवन का महत्व को दर्शाता है। विद्यार्थी का उचित लगन, उनका कर्तव्य, समाज के प्रति योगदान आदि उन्हें सफल और बेहतरीन भविष्य की ओर ले जाती हैं। विद्यार्थी जीवन किसी भी मनुष्य के जीवन का सबसे अच्छा और यादगार काल होता है। विद्यार्थियों को अपने विद्यार्थी जीवन काल में अपनी उचित शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल कूद और व्यायाम पर पूर्ण रूप से ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें इस विद्यार्थी जीवन में बहुत ही परिश्रमी और लगनशील होनी चाहिए। हर व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होने के लिए उचित शिक्षा प्राप्त करना बहुत ही आवश्यक है।

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है और विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की गतिविधि से छात्रों के ज्ञान के दायरे का विस्तार होता है जो कि शिक्षा के अहम उद्देश्यों में से एक है। हिंदी में निबंध या लेख लिखने से विषय के बारे में समालोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही अच्छा हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने पर अंक भी अच्छे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हिंदी निबंध (hindi nibandh) किसी विषय से जुड़े आपके पूर्वाग्रहों को दूर कर सटीक जानकारी प्रदान करते हैं जिससे अज्ञानता की वजह से हम लोगों के सामने शर्मिंदा होने से बच जाते हैं।

आइए सबसे पहले जानते हैं कि हिंदी में निबंध की परिभाषा (definition of essay) क्या होती है?

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तथा भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए हैं। स्कूली छात्रों (कक्षा 1 से 12 तक) एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हिंदी निबंध (hindi nibandh), भाषण तथा कविता (useful essays, speeches and poems) से उनको बहुत मदद मिलेगी तथा उनके ज्ञान के दायरे में विस्तार होगा। ऐसे में यदि कभी परीक्षा में इससे संबंधित निबंध आ जाए या भाषण देना होगा, तो छात्र उन परिस्थितियों / प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।

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छात्र जीवन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के सबसे सुनहरे समय में से एक होता है जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वास्तव में जीवन की आपाधापी और चिंताओं से परे मस्ती से भरा छात्र जीवन ज्ञान अर्जित करने को समर्पित होता है। छात्र जीवन में अर्जित ज्ञान भावी जीवन तथा करियर के लिए सशक्त आधार तैयार करने का काम करता है। नींव जितनी अच्छी और मजबूत होगी उस पर तैयार होने वाला भवन भी उतना ही मजबूत होगा और जीवन उतना ही सुखद और चिंतारहित होगा। इसे देखते हुए स्कूलों में शिक्षक छात्रों को विषयों से संबंधित अकादमिक ज्ञान से लैस करने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों के जरिए उनके ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इन पाठ्येतर गतिविधियों में समय-समय पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) या लेख और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना शामिल है।

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निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति ही निबंध है।

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आइए अब जानते हैं कि निबंध के कितने अंग होते हैं और इन्हें किस प्रकार प्रभावपूर्ण ढंग से लिखकर आकर्षक बनाया जा सकता है। किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) के मोटे तौर पर तीन भाग होते हैं। ये हैं - प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार।

प्रस्तावना (भूमिका)- हिंदी निबंध के इस हिस्से में विषय से पाठकों का परिचय कराया जाता है। निबंध की भूमिका या प्रस्तावना, इसका बेहद अहम हिस्सा होती है। जितनी अच्छी भूमिका होगी पाठकों की रुचि भी निबंध में उतनी ही अधिक होगी। प्रस्तावना छोटी और सटीक होनी चाहिए ताकि पाठक संपूर्ण हिंदी लेख (hindi me lekh) पढ़ने को प्रेरित हों और जुड़ाव बना सकें।

विषय विस्तार- निबंध का यह मुख्य भाग होता है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें इसके सभी संभव पहलुओं की जानकारी दी जाती है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) के इस हिस्से में अपने विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करने की खूबी का प्रदर्शन करना होता है।

उपसंहार- निबंध का यह अंतिम भाग होता है, इसमें हिंदी निबंध (hindi nibandh) के विषय पर अपने विचारों का सार रखते हुए पाठक के सामने निष्कर्ष रखा जाता है।

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अंत में यह जानना भी अत्यधिक आवश्यक है कि निबंध कितने प्रकार के होते हैं। मोटे तौर निबंध को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जाता है-

वर्णनात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें त्योहार, यात्रा, आयोजन आदि पर लेखन शामिल है। इनमें घटनाओं का एक क्रम होता है और इस तरह के निबंध लिखने आसान होते हैं।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है। अक्सर ये किसी समस्या – सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत- पर लिखे जाते हैं। विज्ञान वरदान या अभिशाप, राष्ट्रीय एकता की समस्या, बेरोजगारी की समस्या आदि ऐसे विषय हो सकते हैं। इन हिंदी निबंधों (hindi nibandh) में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार व्यक्त किया जाता है और समस्या को दूर करने के उपाय भी सुझाए जाते हैं।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है। इनमें कल्पनाशीलता के लिए अधिक छूट होती है। भाव की प्रधानता के कारण इन निबंधों में लेखक की आत्मीयता झलकती है। मेरा प्रिय मित्र, यदि मैं डॉक्टर होता जैसे विषय इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं।

इसके साथ ही विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

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जिस प्रकार बातचीत को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए लोग मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविताओं आदि की मदद लेते हैं, ठीक उसी तरह निबंध को भी प्रभावी बनाने के लिए इनकी सहायता ली जानी चाहिए। उदाहरण के लिए मित्रता पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखते समय तुलसीदास जी की इन पंक्तियों की मदद ले सकते हैं -

जे न मित्र दुख होंहि दुखारी, तिन्हिं बिलोकत पातक भारी।

यानि कि जो व्यक्ति मित्र के दुख से दुखी नहीं होता है, उनको देखने से बड़ा पाप होता है।

हिंदी या मातृभाषा पर निबंध लिखते समय भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाएगा-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

प्रासंगिकता और अपने विवेक के अनुसार लेखक निबंधों में ऐसी सामग्री का उपयोग निबंध को प्रभावी बनाने के लिए कर सकते हैं। इनका भंडार तैयार करने के लिए जब कभी कोई पंक्ति या उद्धरण अच्छा लगे, तो एकत्रित करते रहें और समय-समय पर इनको दोहराते रहें।

उपरोक्त सभी प्रारूपों का उपयोग कर छात्रों के लिए हमने निम्नलिखित हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तैयार किए हैं -

दुर्गापूजा के दौरान दस दिवसीय उत्सव में मां दुर्गा के 10 रूपों की पूजा की जाती है। अलग-अलग राज्यों में इस दौरान दशहरा, रामलीला, रावण दहन, गरबा, डांडिया सहित कई तरह के आयोजन होते हैं। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इसकी तैयारी दो-तीन महीने पहले से शुरू हो जाती है। लाखों की लागत से भव्य पंडाल बनाए जाते हैं। दिव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस आयोजन को देखने के लिए देशभर से लोग दुर्गा पूजा के दौरान पश्चिम बंगाल जाते है। इसके पड़ोसी राज्य बिहार, झारखंड और ओडिशा में भी दुर्गा पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान हर छोटे-बाजार में मां दुर्गा की प्रतिमा रखी जाती है। आकर्षक पंडाल बनाए जाते हैं और रोशनी-पताखों के साथ सजावट की जाती है।

दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बच्चों को विद्यालयों में दशहरा पर निबंध (Essay in hindi on Dussehra) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे पूर्ण जानकारी भी मिले। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख में हम देखेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

हमें उम्मीद है कि दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Diwali Festival) के सार को सही ठहराने के लिए अपनी ओर से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध से कुछ सीख कर लाभ उठा सकते हैं कि वाक्यों को कैसे तैयार किया जाए, Class 1 से 10 तक के लिए दीपावली पर निबंध हिंदी में तैयार करने के लिए इसके लिंक पर जाएँ।

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दिन की याद में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस लेख में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बारे में चर्चा की गई है।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत देश अनेकता में एकता वाला देश है। अपने विविध धर्म, संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ, भारत के लोग सद्भाव, एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, हिंदी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर भाषण के लिए उपयोगी जानकारी इस लेख में मिलेगी।

हिन्दी में कवियों की परम्परा बहुत लम्बी है। हिंदी के महान कवियों ने कालजयी रचनाएं लिखी हैं। हिंदी में निबंध और वाद-विवाद आदि का जितना महत्व है उतना ही महत्व हिंदी कविताओं और कविता-पाठ का भी है। हिंदी दिवस पर विद्यालय या अन्य किसी आयोजन पर हिंदी कविता भी चार चाँद लगाने का काम करेगी। हिंदी दिवस कविता के इस लेख में हम हिंदी भाषा के सम्मान में रचित, हिंदी का महत्व बतलाती विभिन्न कविताओं की जानकारी दी गई है।

बाल दिवस पर भाषण (Children's Day Speech In Hindi), बाल दिवस पर हिंदी में निबंध (Children's Day essay In Hindi), बाल दिवस गीत, कविता पाठ, चित्रकला, खेलकूद आदि से जुड़ी प्रतियोगिताएं बाल दिवस के मौके पर आयोजित की जाती हैं। स्कूलों में बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए उपयोगी सामग्री इस लेख में मिलेगी जिसकी मदद से बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस के लिए निबंध तैयार करने में मदद मिलेगी। कई बार तो परीक्षाओं में भी बाल दिवस पर लेख लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। इसमें भी यह लेख मददगार होगा।

भारत में हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। यह दिन हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद का जन्मदिन है। ध्यानचंद एक भारतीय हॉकी खिलाड़ी थे और उन्हें देश के इतिहास के महानतम एथलीटों में से एक माना जाता है। राष्ट्रीय खेल दिवस पर, भारत के राष्ट्रपति अपने संबंधित खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले एथलीटों को प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार प्रदान करते हैं। यह दिन भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियों को पहचानने और युवाओं को खेल को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने का अवसर है। खेल दिवस पूरे देश में विभिन्न खेल आयोजनों, प्रतियोगिताओं और गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए स्कूल और कॉलेज खेल कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं।

भारत ने 23 अगस्त, 2023 को अपने चंद्रयान -3 विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक उतारा था। इस उपलब्धि पर भारत सरकार ने हर वर्ष 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने का फैसला किया। भारत वर्ष 2024 में अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मना रहा है। इस वर्ष राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की थीम "चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा" है। भारत अब चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश है और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास उतरने वाला पहला देश है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाकर हमारा लक्ष्य भावी पीढ़ी को प्रेरणा देना है। यह दिन देश के गौरव, वैज्ञानिक उत्कृष्टता और वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में भारत के बढ़ते प्रभाव को प्रदर्शित करता है।

हमारा देश भारत 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा और इसके दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बन गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो के सफल मिशन चंद्रयान-3 द्वारा इस ऐतिहासिक उपलब्धि का उत्सव मनाने के लिए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 अगस्त को "राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस"( National Space Day in hindi) के रूप में घोषित किया था। हमारा देश भारत इस साल अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस [एनएसपीडी-2024] मना रहा है। इसरो की इस अभूतपूर्व उपलब्धि का जश्न पूरे देश में मनाया जाएगा। इसका विषय है "चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा।" राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस को इसरो दिवस के तौर पर भी माना जाता है।

जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू चंद्र माह भाद्रपद (अगस्त/सितंबर) के आठवें दिन (अष्टमी) को मनाया जाता है। लोग दही हांडी अनुष्ठान में भाग लेते हैं, जिसमें लोगों की टीमें दही से भरे मिट्टी के बर्तन तक पहुंचने और उसे तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाती हैं, जो मक्खन के बर्तन को तोड़ने का प्रतीक है और माना जाता है कि शिशु कृष्ण ने बचपन में माखन चुराया था। जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी और अष्टमी रोहिणी के नाम से भी जाना जाता है। यह हर वर्ष मनाया जाने वाला हिंदू त्योहार है जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है।

योग के लाभ के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है। हमारे हिंदू धर्मग्रंथों में प्राचीन भारतीय योग पद्धति का जिक्र मिलता है। भारत वह देश है जहां योग ने सबसे पहले शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अनुशासन के रूप में लोकप्रियता हासिल की। यह "योज" से लिया गया है, जिसका संस्कृत में अर्थ है "एकजुट होना" और महर्षि पतंजलि को योग के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है। योग के महत्व और फायदों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इसे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद, 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, कनाडा सहित 170 से अधिक देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। योग की महत्ता को देखते हुए दुनिया भर में योग के सकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई और यह हर साल 21 जून को मनाया जाता है।

15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत 200 सालों के अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। यही वजह है कि यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया तथा इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते तो हैं ही और साथ ही इसके बाद वे पूरे देश को लालकिले से संबोधित भी करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री का पूरा भाषण टीवी व रेडियो के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा देश भर में इस दिन सभी कार्यालयों में छुट्टी होती है। स्कूल्स व कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी जो निश्चित तौर पर आपके लिए लेख लिखने में सहायक सिद्ध होगी।

सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता थे और बाद में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसके माध्यम से भारत में सभी ब्रिटिश विरोधी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी। बोस ब्रिटिश सरकार के मुखर आलोचक थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई की वकालत करते थे। विद्यार्थियों को अक्सर कक्षा और परीक्षा में सुभाष चंद्र बोस जयंती (subhash chandra bose jayanti) या सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध (subhash chandra bose essay in hindi) लिखने को कहा जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस पर 100, 200 और 500 शब्दों का निबंध दिया गया है।

भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के सम्मान में स्कूलों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सभी स्कूलों, सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में झंडोत्तोलन होता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। मिठाईयां बांटी जाती है और अवकाश रहता है। छात्रों और बच्चों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणतंत्र दिवस पर निबंध पढ़ें।

26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया, इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण (रिपब्लिक डे स्पीच) देने के लिए हिंदी भाषण की उपयुक्त सामग्री (Republic Day Speech Ideas) की यदि आपको भी तलाश है तो समझ लीजिए कि गणतंत्र दिवस पर भाषण (Republic Day speech in Hindi) की आपकी तलाश यहां खत्म होती है। इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक बनाने और उनके ज्ञान को परखने के लिए गणतत्र दिवस पर निबंध (Republic day essay) लिखने का प्रश्न भी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से Gantantra Diwas par nibandh लिखने में भी मदद मिलेगी। Gantantra Diwas par lekh bhashan तैयार करने में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद लें और अच्छा प्रदर्शन करें।

मोबाइल फ़ोन को सेल्युलर फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल आज आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक अहम हिस्सा है जिसने दुनिया को एक साथ लाकर हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। मोबाइल में इंटरनेट के इस्तेमाल ने कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। मनोरंजन, संचार के साथ रोजमर्रा के कामों में भी इसकी अहम भूमिका हो गई है। इस निबंध में मोबाइल फोन के बारे में बताया गया है।

दुनिया के कई देशों में मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर वर्ष 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे लेबर डे, श्रमिक दिवस या मई डे भी कहा जाता है। श्रम दिवस एक विशेष दिन है जो मजदूरों और श्रम वर्ग को समर्पित है। यह मजदूरों की कड़ी मेहनत को सम्मानित करने का दिन है। ज्यादातर देशों में इसे 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रम दिवस का इतिहास और उत्पत्ति अलग-अलग देशों में अलग-अलग है। विद्यार्थियों को कक्षा में मजदूर दिवस पर निबंध लिखने, मजदूर दिवस पर भाषण देने के लिए कहा जाता है। इस निबंध की मदद से विद्यार्थी अपनी तैयारी कर सकते हैं।

मकर संक्रांति का त्योहार यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा करके दान करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड, चिउड़ा-दही खाने का रिवाज है। प्रयागराज में इस दिन से कुंभ मेला आरंभ होता है। इस लेख में मकर संक्रांति के बारे में बताया गया है।

पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते समय ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अक्सर होती है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध वैश्विक तापमान में वृद्धि से है। इसके अनेक कारण हैं। इनमें वनों का लगातार कम होना और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन प्रमुख है। वनों का विस्तार करके और ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण करके हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध- कारण और समाधान में इस विषय पर चर्चा की गई है।

भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। समाचारों में अक्सर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले प्रकाश में आते रहते हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। अलग-अलग एजेंसियां भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करती रहती हैं। फिर भी आम जनता को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। हालांकि डिजीटल इंडिया की पहल के बाद कई मामलों में पारदर्शिता आई है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कम हुए है, समाप्त नहीं हुए हैं। भ्रष्टाचार पर निबंध के माध्यम से आपको इस विषय पर सभी पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

समय-समय पर ईश्वरीय शक्ति का एहसास कराने के लिए संत-महापुरुषों का जन्म होता रहा है। गुरु नानक भी ऐसे ही विभूति थे। उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर दिया। गुरु नानक की तर्कसम्मत बातों से आम जनमानस उनका मुरीद हो गया। उन्होंने दुनिया को मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। भारत, पाकिस्तान, अरब और अन्य जगहों पर वर्षों तक यात्रा की और लोगों को उपदेश दिए। गुरु नानक जयंती पर निबंध से आपको उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी मिलेगी।

कुत्ता हमारे आसपास रहने वाला जानवर है। सड़कों पर, गलियों में कहीं भी कुत्ते घूमते हुए दिख जाते हैं। शौक से लोग कुत्तों को पालते भी हैं। क्योंकि वे घर की रखवाली में सहायक होते हैं। बच्चों को अक्सर परीक्षा में मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। यह लेख बच्चों को मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने में सहायक होगा।

स्वामी विवेकानंद जी हमारे देश का गौरव हैं। विश्व-पटल पर वास्तविक भारत को उजागर करने का कार्य सबसे पहले किसी ने किया तो वें स्वामी विवेकानंद जी ही थे। उन्होंने ही विश्व को भारतीय मानसिकता, विचार, धर्म, और प्रवृति से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानने के लिए आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। यह लेख निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन करेगा।

हम सभी ने "महिला सशक्तिकरण" या नारी सशक्तिकरण के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से सभी के लिए सहायक होंगे।

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए बहुत कम उम्र में ही अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। देश के लिए उनकी भक्ति निर्विवाद है। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके निधन से पूरे देश में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया गया था। वह हमेशा हमारे बीच शहीद भगत सिंह के नाम से ही जाने जाएंगे। भगत सिंह के जीवन परिचय के लिए अक्सर छोटी कक्षा के छात्रों को भगत सिंह पर निबंध तैयार करने को कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आपको भगत सिंह पर निबंध तैयार करने में सहायता मिलेगी।

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है।

गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। ना सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। ऐसे में विद्यालयों में गाय को लेकर निबंध लिखने का कार्य दिया जाना आम है। गाय के इस निबंध के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में पूछे जाने वाले गाय पर निबंध को लिखने में भी सहायता मिलेगी।

क्रिसमस (christmas in hindi) भारत सहित दुनिया भर में मनाए जाने वाले बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का महत्व समझाने के लिए कई बार स्कूलों में बच्चों को क्रिसमस पर निबंध (christmas in hindi) लिखने का कार्य दिया जाता है। क्रिसमस पर एग्जाम के लिए प्रभावी निबंध तैयार करने का तरीका सीखें।

रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरी तरह से भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को कोई तोहफा देने के साथ ही जीवन भर उनके सुख-दुख में उनका साथ देने का वचन देते हैं। इस दिन छोटी बच्चियाँ देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) आधारित इस लेख से विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के त्योहार पर न सिर्फ लेख लिखने में सहायता प्राप्त होगी, बल्कि वे इसकी सहायता से रक्षाबंधन के पर्व का महत्व भी समझ सकेंगे।

होली त्योहार जल्द ही देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। होली पर हिंदी में निबंध (hindi mein holi par nibandh) को पढ़ने से होली के सभी पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी और यदि परीक्षा में holi par hindi mein nibandh लिखने को आया तो अच्छा अंक लाने में भी सहायता मिलेगी।

प्रदूषण पृथ्वी पर वर्तमान के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ और बहुत ही तेजी के साथ किए जाने की जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध के ज़रिए हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution) से इस समस्या को जहाँ समझने में आसानी होगी वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पहलुओं के बारे में भी जान सकेंगे। इससे स्कूली विद्यार्थियों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध से परीक्षा में बेहतर स्कोर लाने में मदद मिलेगी।

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। पृथ्वी ग्रह का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, इसे स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन पर निबंध के जरिए छात्रों को इस विषय और इससे जुड़ी समस्याओं और समाधान के बारे में जानने को मिलेगा।

हमारी यह पृथ्वी जिस पर हम सभी निवास करते हैं इसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना और साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया।

आज के युग में जब हम अपना अधिकतर समय पढाई पर केंद्रित करने का प्रयास करते नजर आते हैं और साथ ही अपना ज़्यादातर समय ऑनलाइन रह कर व्यतीत करना पसंद करते हैं, ऐसे में हमारे जीवन में खेलों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। खेल हमारे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु हमारे सर्वांगीण विकास का एक माध्यम भी है। हमारे जीवन में खेल उतना ही जरूरी है, जितना पढाई करना। आज कल के युग में मानव जीवन में शारीरिक कार्य की तुलना में मानसिक कार्य में बढ़ोतरी हुई है और हमारी जीवन शैली भी बदल गई है, हम रात को देर से सोते हैं और साथ ही सुबह देर से उठते हैं। जाहिर है कि यह दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है और इसके साथ ही कार्य या पढाई की वजह से मानसिक तनाव पहले की तुलना में वृद्धि महसूस की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब हमारे जीवन में शारीरिक परिश्रम अधिक नहीं है, तो हमारे जीवन में खेलो का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है, जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि सबसे पहली गुरु माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही बड़ा और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना भी उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़को पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था जिन्होंने 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।

हम उम्मीद करते हैं कि स्कूली छात्रों के लिए तैयार उपयोगी हिंदी में निबंध, भाषण और कविता (Essays, speech and poems for school students) के इस संकलन से निश्चित तौर पर छात्रों को मदद मिलेगी।

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बाल श्रम को बच्चो द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें बाल श्रम या फिर कहें तो बाल मजदूरी पर निबंध।

एपीजे अब्दुल कलाम की गिनती आला दर्जे के वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रभावी नेता के तौर पर भी होती है। वह 21वीं सदी के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं। कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, अपने कार्यकाल में समाज को लाभ पहुंचाने वाली कई पहलों की शुरुआत की। मेरा प्रिय नेता विषय पर अक्सर परीक्षा में निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें अपने प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध।

हमारे जीवन में बहुत सारे लोग आते हैं। उनमें से कई को भुला दिया जाता है, लेकिन कुछ का हम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। भले ही हमारे कई दोस्त हों, उनमें से कम ही हमारे अच्छे दोस्त होते हैं। कहा भी जाता है कि सौ दोस्तों की भीड़ के मुक़ाबले जीवन में एक सच्चा/अच्छा दोस्त होना काफी है। यह लेख छात्रों को 'मेरे प्रिय मित्र'(My Best Friend Nibandh) पर निबंध तैयार करने में सहायता करेगा।

3 फरवरी, 1879 को भारत के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार ने सरोजिनी नायडू का दुनिया में स्वागत किया। उन्होंने कम उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज और गिर्टन, दोनों ही पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की। जब वह एक बच्ची थी, तो कुछ भारतीय परिवारों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हालाँकि, सरोजिनी नायडू के परिवार ने लगातार उदार मूल्यों का समर्थन किया। वह न्याय की लड़ाई में विरोध की प्रभावशीलता पर विश्वास करते हुए बड़ी हुई। सरोजिनी नायडू से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

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Frequently Asked Questions (FAQs)

किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- ये हैं- प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार (conclusion)।

हिंदी निबंध लेखन शैली की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

वर्णनात्मक हिंदी निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।

विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

निबंध में समुचित जगहों पर मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविता का प्रयोग करके इसे प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। हिंदी निबंध के प्रभावी होने पर न केवल बेहतर अंक मिलेंगी बल्कि असल जीवन में अपनी बात रखने का कौशल भी विकसित होगा।

कुछ उपयोगी विषयों पर हिंदी में निबंध के लिए ऊपर लेख में दिए गए लिंक्स की मदद ली जा सकती है।

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति निबंध है।

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Essay on Student Life in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं ‘विद्यार्थी जीवन’ पर निबंध

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  • Updated on  
  • अक्टूबर 22, 2024

Essay on Student Life in Hindi

Essay on Student Life in Hindi : एक छात्र का जीवन युवावस्था, परिवर्तन और कई अवसरों से भरा होता है। इस दौरान छात्र अपनी पढ़ाई, दोस्ती और व्यक्तिगत विकास में बदलाव और अहम चुनौतियों का अनुभव करते हैं। छात्र अपने जीवन के शुरूआती चरणों में कई ऐसे सबक सीखते हैं जिन्हें वे जीवन भर याद रखते हैं। यह समझ साथियों, शिक्षकों और माता-पिता के बीच संबंध को भी बढ़ावा देती है। स्टूडेंट्स के लिए विद्यार्थी जीवन को समझा आवश्यक है। इसलिए इस ब्लॉग में ‘विद्यार्थी जीवन’ पर निबंध के माध्यम से Essay on Student Life in Hindi विस्तार से समझेंगे। 

This Blog Includes:

विद्यार्थी जीवन पर 100 शब्दों में निबंध, विद्यार्थी जीवन पर 200 शब्दों में निबंध, विद्यार्थी जीवन का सार क्या है, विद्यार्थी जीवन का महत्व क्या है.

100 शब्दों में Essay on Student Life in Hindi इस प्रकार है:

एक छात्र का जीवन कुछ नया सीखने, नए सपने देखने और उन्हें पूरा करने के रोमांचक सफ़र से भरा होता है। इसमें सुबह-सुबह की कक्षाएं, देर रात तक पढ़ाई और आजीवन दोस्त बनाने के अवसर शामिल होते हैं। एक स्कूल छात्रों को दैनिक गतिविधियों के साथ अकादमिक संतुलन बनाना सिखाता है, जिससे उन्हें एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने में मदद मिलती है।

हर दिन नई चीजें सीखने, तलाशने और सामाजिक रुप से विकसित होने के लिए नए अवसर प्रदान करता है। इन वर्षों के दौरान बनी यादें उनके भविष्य को आकार देती हैं। छात्र जीवन का समय ज्ञान प्राप्त करने और स्वतंत्रता का अनुभव करने का समय होता है लेकिन इसके साथ यह संघर्ष करना भी सिखाता है। अध्ययन और मौज-मस्ती के साथ छात्र जीवन व्यक्ति के लिए एक अनमोल हिस्सा बन जाता है।

यह भी पढ़ें: आदर्श विद्यार्थी

200 शब्दों में Essay on Student Life in Hindi इस प्रकार है:

विद्यार्थी जीवन एक छात्र के लिए कई बदलाव लाता है। यह वह समय है जब छात्र बचपन से युवावस्था की ओर बढ़ता है। वह शिक्षा और व्यक्तिगत विकास की मुश्किलों से निपटता है। अपनी पढ़ाई में शैक्षणिक चुनौतियों के बीच छात्र अक्सर अपने साथियों के साथ मजबूत दोस्ती बनाते हैं। ये दोस्ती मुश्किल भरे समय के दौरान उन्हें सहायता प्रदान करती है। छात्रों को अकादमिक रूप से अच्छा प्रदर्शन करने और आगे के लिए महत्वपूर्ण विकल्प बनाने के दबाव का भी सामना करना पड़ता है।

विद्यार्थी जीवन नई चीजों को आजमाने का भी समय होता है। छात्र क्लबों और नए कार्यों में शामिल होते हैं। छात्र स्कूल से हटकर कई बार सामुदायिक सेवा में भाग लेते हैं। वे विभिन्न गतिविधियों से जुड़ते हैं जो उन्हें अपनी प्रतिभाओं को खोजने में मदद करते हैं। ऐसा करना उनके जीवन में आवश्यक भी होता है क्योंकि ये अनुभव उनके भविष्य को आकार देने में योगदान देते हैं।

वे दोस्तों के साथ स्थायी बंधन बनाते हैं, एक हेल्पिंग नेटवर्क बनाते हैं जो अक्सर उनके छात्र जीवन पूरा होने के बाद भी लंबे समय तक बना रहता है। जीवन का यह समय चुनौतियों और खोजों के मिश्रण के साथ, छात्रों को दुनिया का सामना करने के लिए तैयार करता है। यह उन्हें एक अच्छे व्यक्तित्व के रूप में विकसित होने में मदद करता है। सभी चुनौतियों को पार करते हुए छात्र अपने भविष्य की नींव रखते हैं। इससे छात्र जीवन वास्तव में उनके लिए एक यादगार और महत्वपूर्ण समय बन जाता है।

यह भी पढ़ें: आदर्श विद्यार्थी के 10 अच्छे गुण  

विद्यार्थी जीवन पर 500 शब्दों में निबंध

विद्यार्थी जीवन पर 500 शब्दों (Essay on Student Life in Hindi) में निबंध इस प्रकार है-

विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे अविस्मरणीय चरणों में से एक है। यह उनके भविष्य की नींव रखता है। इस दौरान वे न केवल किताबों से सीखते हैं बल्कि सामाजिक रूप से भी विकसित होते हैं। यह चरण उनके व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है और उन्हें आकार देता है कि वे क्या बनते हैं। विद्यार्थी जीवन छात्रों को नए अवसर प्रदान करता हैं उन्हें अच्छे बुरे की समझ प्रदान करता है और जीवन भर याद रखने वाले पल भी देता है।

विद्यार्थी जीवन एक अनूठा दौर होता है। यह सीखने की खुशी और बड़े होने के उत्साह को संतुलित करता है। यह हमें अनुशासन और कड़ी मेहनत का महत्व सिखाता है, जो एक सफल भविष्य की नींव रखता है। सुबह जल्दी उठना, कक्षाओं में जाना और होमवर्क को मैनेज करना ऐसी आदतें डालता है जो हमें जिम्मेदार व्यक्ति बनने में मदद करती हैं।

विद्यार्थी जीवन मज़ेदार और यादगार पलों से भी भरा होता है, जैसे बस स्टॉप पर भागना, अपना होमवर्क भूल जाने पर नोटबुक ढूँढ़ना या दोस्तों के साथ पिकनिक और ट्रिप का मज़ा लेना। ये अनुभव हमारे सामाजिक कौशल को आकार देते हैं, हमें टीमवर्क, दोस्ती और अलग-अलग रिश्तों को कैसे संभालना है, यह सिखाते हैं।

परीक्षाएँ तनावपूर्ण होती हैं, लेकिन हमें समय प्रबंधन कौशल विकसित करने में मदद करती हैं। परिणामों की प्रतीक्षा करना नर्वस कर सकता है, लेकिन यह हमें धैर्य और सफलता और असफलता को कैसे संभालना है, यह भी सिखाता है। किसी मित्र के अंकों के बारे में उत्सुक होना या थोड़ा प्रतिस्पर्धी महसूस करना हमें खुद को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है। विद्यार्थी जीवन सीखने और मौज-मस्ती का मिश्रण है। यह हमें आगे आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करता है और साथ ही हमें अपनी युवावस्था का आनंद लेने की आज़ादी देता है।  इस दौरान सीखे गए सबक और बनी यादें हमेशा हमारे साथ रहती हैं और हमें एक अच्छे इंसान बनने में मदद करती हैं।

छात्र जीवन हर किसी की यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। छात्रों और देश दोनों का भविष्य छात्र के रूप में उनके अनुभवों पर निर्भर करता है। इसलिए छात्रों के लिए सही मार्गदर्शन प्राप्त करना आवश्यक है, क्योंकि छात्र जीवन उनके भविष्य की नींव रखता है।

यदि यह नींव मजबूत है, तो यह एक मजबूत भविष्य की ओर ले जाती है। एक कमजोर नींव एक सफल जीवन के रास्ते से डगमगा सकती है। दूसरे शब्दों में छात्र जीवन उन्हें महत्वपूर्ण मानवीय गुणों को विकसित करने में मदद करता है। बहुत से लोग यह महसूस नहीं करते हैं कि वे छात्र जीवन का अनुभव करने के लिए कितने भाग्यशाली हैं, क्योंकि कई बच्चे इसका सपना देखते हैं लेकिन कभी मौका नहीं पाते हैं। इसलिए यदि आपके पास शिक्षा प्राप्त करने का अवसर है, तो आपको इसका अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। छात्र जीवन में कई प्रकार की मुश्किलें भी होती है, लेकिन यह सार्थक होता है। यह उन्हें बढ़ने और ईमानदारी, धैर्य, दृढ़ता और अन्य जैसे गुणों को प्राप्त करने में मदद करता है।

कुल मिलाकर सभी लोगों का विद्यार्थी जीवन लगभग परिपूर्ण होता है। इसके उतार-चढ़ाव के बावजूद अंत में उनके लिए यह सब सार्थक होता है। उनका विद्यार्थी जीवन उनके भविष्य को बहुत प्रभावित करता है। इसलिए उन्हें न केवल शिक्षा में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी अच्छे विद्यार्थी बनने का लक्ष्य रखना चाहिए। यह बाद में सफल जीवन जीने के लिए रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करता है।

विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के जीवन के सबसे यादगार चरणों में से एक है। विद्यार्थी जीवन का चरण उनके जीवन की नींव रखता है। विद्यार्थी जीवन में वे केवल किताबों से नहीं सीखते। वे भावनात्मक, शारीरिक, दार्शनिक और सामाजिक रूप से विकसित होना सीखते हैं।

विद्यार्थी जीवन, एक ऐसा चरण जो युवावस्था के सार को समाहित करता है, परिवर्तन, आत्म-खोज और असीम अवसरों का काल है। यह एक ऐसा समय है जब एक छात्र परिवर्तन से गुजरता है और शिक्षा, दोस्ती और व्यक्तिगत विकास में चुनौतियों का सामना करता है।

छात्र समय पर पहुँचें और सभी कक्षाओं, बैठकों, शैक्षणिक गतिविधियों और विशेष कार्यक्रमों के लिए तैयार रहें। असाइनमेंट पूरा करने में गुणवत्ता और उत्कृष्टता पर ध्यान दें। कक्षा के बाहर जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय आवंटित करें।

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  1. विद्यार्थी जीवन पर निबंध – Essay on Student Life in Hindi

    Essay on Student Life in Hindi : आज हम विद्यार्थी जीवन पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 & 10 के विद्यार्थियों के लिए है. वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी में ...

  2. आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (Ideal Student Essay in Hindi)

    आदर्श विद्यार्थी पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विध्याथियो के लिए। Essay on Ideal Student in Hindi.

  3. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and ...

    इस लेख में आप विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढेंगे। जिसमें हमने विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ, प्रकार, भूमिका, महत्व और दस वाक्यों को बेहद आकर्षक और सरल रूप से लिखा है।. Table of Contents. प्रस्तावना (विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi)

  4. आदर्श विद्यार्थी का जीवन पर निबंध - विद्यार्थी पर निबंध ...

    आदर्श विद्यार्थी का जीवन पर निबंध. रूपरेखा: प्रस्तावना - विद्यार्थी का जीवन के प्रकार - एक विद्यार्थी का कर्तव्य - आज का विद्यार्थी ...

  5. आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

    आदर्श विद्यार्थी पर यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों की सहायता के लिए लिखा गया है. Get Some Essay on Adarsh Vidyarthi in Hindi under 150, 250, 350 or 1400 words. Adarsh ...

  6. विद्यार्थी जीवन पर निबंध (Student Life Essay In Hindi)

    विद्यार्थी जीवन एक ऐसा जीवन होता है जहां आप एक बेहतर इंसान बन सकते हैं। गुरु और माता–पिता की आज्ञा का पालन करके अगर वो सही से पढ़ाई करें, तो वो किसी भी क्षेत्र में जैसे सरकारी नौकरी, बिजनेस, इंजीनियर आदि अच्छे पद पा सकते हैं और अपने आने वाले समय में बेफिक्र हो कर आराम की जिंदगी जी सकते हैं।. विद्यार्थी जीवन कैसा होना चाहिए?

  7. आदर्श विद्यार्थी पर निबंध | Essay on Ideal Student in Hindi

    आदर्श विद्यार्थी पर निबंध | Essay on Ideal Student in Hindi! विद्‌यार्थी जीवन को मनुष्य के जीवन की आधारशिला कहा जाता है । इस समय वह जिन गुणों व अवगुणों को ...

  8. विद्यार्थी जीवन का महत्व पर निबंध - विद्यार्थी पर निबंध ...

    परिचय | विद्यार्थी जीवन का महत्व की प्रस्तावना- विद्यार्थी जीवन का वह समय किसी भी मनुष्य के जीवन का सबसे अधिक महत्वपूर्ण और उत्साह से भरा हुआ समय होता है। इसी विद्यार्थी जीवन काल पर विद्यार्थी का सम्पूर्ण भविष्य निर्भर करता है। इस काल का सदुपयोग करने वाले विद्यार्थी अपने भविष्य काल को बहुत ही आरामदायक और सुखमय बना सकते हैं और इस काल को व्यर्थ मे...

  9. हिंदी निबंध (Hindi Nibandh/ Essay in Hindi) - हिंदी निबंध ...

    हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है और विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की ...

  10. Essay on Student Life in Hindi: छात्र ऐसे लिख सकते हैं ...

    विद्यार्थी जीवन पर 500 शब्दों (Essay on Student Life in Hindi) में निबंध नीचे दिया गया है- प्रस्तावना