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  • होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500 शब्दों में होली पर हिंदी में निबंध लिखना सीखें

Updated On: October 21, 2024 11:23 AM

  • होली पर 200 शब्दो में निबंध (Essay on Holi in …
  • होली पर निबंद 500 शब्दों में (Essay on Holi in …
  • होली पर निबंद 750 शब्दो में (Essay on Holi in …

होली पर निबंध 10 लाइन (Holi Par Nibandh 10 Lines)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली, भारत का प्रमुख त्यौहार, रंगों और खुशियों का प्रतीक है। इसे "रंगों का त्यौहार" भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। होली का त्यौहार हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो मार्च महीने में आता है। होली हिंदूओं का प्रमुख त्योहार है। होली पर अक्सर स्कूलों में निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। जिसमें होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi), होली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Holi in 200 words), होली पर निबंध 1000 शब्दों में (Essay on Holi in 1000 words) में लिखने को कहा जाता है। होली पर निबंध (Holi per Nibandh) कैसे लिखें और निबंध में क्या लिखें ? इसे लेकर छात्र अक्सर भ्रमित हो जाते हैं। ऐसे में हम यहां इस आर्टिकल में छात्रों को होली पर हिंदी में निबंध (Holi par Hindi me Nibandh) लिखना बता रहा है। होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) लिखने के लिए आप प्रस्तावना के साथ शुरू कर सकते हैं।  इसके बाद आप होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है, क्यों मनाया जाता है, कब मनाना जाता है, इसका महत्व और इतिहास के बारे में लिख सकते हैं। होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) के कुछ सैंपल नीचे दिए गए हैं, जिसकी मदद से आप होली पर 200 शब्दों में निबंध (Essay on Holi in 200 words) से लेकर होली पर 1000 शब्दों में निबंध (Essay on Holi in 1000 words) लिखने को लेकर आइडिया ले सकते हैं। होली पर 100 शब्दों में निबंध (Essay on Holi in 1000 words) होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार (Holi Festival) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार (Festival of Holi) हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये भी पढ़ें: - दशहरा पर निबंध होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से 200 से 500 शब्दों तक हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) लिखना सीख सकते हैं।

होली पर 200 शब्दो में निबंध (Essay on Holi in 200 words)

होली पर निबंध (holi par nibandh) - होली का महत्व, होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - होली कब और क्यों मनाई जाती है.

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है। इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी कहानी है। वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई व बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एंव भाव से जुड़ी है। तो आईये जानते है होली मनाने के पीछे का कारण और संस्कृति एंव भाव।

इसी तरह भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और गोप गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व की सबसे प्रसिद्ध होली मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ और तब से हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है।

होली पर निबंद 500 शब्दों में (Essay on Holi in 500 words)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पर्व फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और भारत वर्ष में खुशी, आनंद, प्रेम और एकता का प्रतीक है। होली एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें लोग अपनी पूर्वाग्रहों और विभिन्न सामाजिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर आपसी भाईचारा और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधनाओं के साथ मनाया जाता है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय अवसर है।

होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है। होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि किया जाता है।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) - होली की तैयारी कैसे करें?

पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं। फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं।

रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं। होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं। कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh in Hindi) - होली कैसे खेलते है?

इन सब के बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।

इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली भी खेलते है। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।

यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें-

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) -  होली के हानिकारक प्रभाव

होली का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है जिसका ध्यान रखना चाहिए। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें इसलिए होली के दिन सावधानीपूर्वक रंगो को खेलिये जिससे किसी के लिए हानिकारक न हो।

सुरक्षित तरीके से होली खेलने के सुझाव

होली का त्योहार (Holi Festival) ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।

  • होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर और बालों पर अच्छी तरह तेल और मॉइश्चराइजर लगा लें। ताकि रंग आसानी से छूट जाएं।
  • होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।
  • होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें।
  • होली पर फुल कपड़े पहनने की कोशिश करें, ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।
  • होली में किसी पर जबरदस्ती कलर नहीं डालें और ध्यान रखें कि मौज-मस्ती में किसी को चोट न आए।
  • होली की मौज-मस्ती में बच्चों का विशेष ख्याल रखें, कई बार ज्यादा समय तक पानी में गीले रहने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं

होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। होली में पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें। अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने गलत आचरण से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग और गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा। इसलिए होली में कुरीतियों से बचें और खुशुयों से होली मनाये यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है।

होली पर निबंद 750 शब्दो में (Essay on Holi in 750 words in Hindi)

रंगों का त्योहार: होली होली भारत का एक प्रमुख और रंगारंग त्योहार है जिसे हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार रंगों, मिठाइयों और खुशियों का प्रतीक है। होली का प्रारंभिक उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की विजय और प्रेम एवं भाईचारे का संदेश देना है। यह त्योहार हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यह अब पूरे भारत और दुनिया भर में विभिन्न समुदायों द्वारा मनाया जाता है। होली का धार्मिक और पौराणिक महत्व: होली का पर्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इस त्योहार का संबंध प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप और होलिका की कथा से है। कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक अत्याचारी राजा था जिसने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका, जिसे अग्नि से अजेयता का वरदान प्राप्त था, की मदद ली। होलिका ने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका जल गई। इस प्रकार, होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। होली के त्योहार की तैयारी: होली के त्योहार की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। लोग घरों की साफ-सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और विशेष पकवान जैसे गुजिया, पापड़ी, ठंडाई आदि बनाते हैं। होली के दिन से एक दिन पहले होलिका दहन होता है, जिसमें लकड़ियों का ढेर बनाकर होलिका की प्रतिमा का दहन किया जाता है। इस दहन के माध्यम से बुराई का नाश और अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली का दिन: होली के दिन सभी लोग सुबह से ही रंग खेलने की तैयारी में लग जाते हैं। लोग रंग, गुलाल और पानी के रंगों से एक-दूसरे को रंगते हैं। बच्चे पिचकारियों और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं। लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर जाते हैं और रंग-गुलाल से उनका स्वागत करते हैं। इस दिन सभी भेदभाव मिट जाते हैं और हर कोई एक दूसरे के गले लगकर बधाई देता है। होली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: होली का त्योहार सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है। इस दिन सभी लोग अपने आपसी मतभेद भूलकर एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। होली का पर्व न केवल भारत में बल्कि नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, यह त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है जो पूरी दुनिया में प्रचलित है। होली के गीत और नृत्य: होली के मौके पर लोग फागुन के गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। होली के गीतों में राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है। विशेषकर ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां के लोग फागुन के महीने में रंगों से खेलते हैं और राधा-कृष्ण की होली की झांकी प्रस्तुत करते हैं। इसके अलावा, बॉलीवुड में भी होली पर आधारित कई प्रसिद्ध गीत हैं जो इस त्योहार की खुशी को और बढ़ा देते हैं। होली के रंगों का महत्व: होली के रंगों का विशेष महत्व होता है। यह रंग जीवन में खुशियां, समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक हैं। हर रंग का अपना एक विशेष अर्थ होता है। लाल रंग प्रेम और शक्ति का प्रतीक है, हरा रंग समृद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक है, पीला रंग ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है और नीला रंग शांति और विश्वास का प्रतीक है। होली के रंग न केवल हमारे जीवन को रंगीन बनाते हैं, बल्कि यह हमें जीवन की विभिन्न रंगीन पहलुओं को भी सिखाते हैं। निष्कर्ष: होली का त्योहार हमारे जीवन में रंगों, खुशियों और प्रेम की महत्ता को दर्शाता है। यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है और हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखने की प्रेरणा देता है। होली का पर्व सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है जो हमारे समाज को और भी मजबूत और खुशहाल बनाता है। इसलिए, हमें इस त्योहार को पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाना चाहिए और इसके संदेश को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) कुछ लाइनों में लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से होली पर निबंध 10 लाइनों (Holi Par Nibandh 10 Lines) में लिखना सीखें।

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होली वसंत ऋतु का संदेशवाहक माना जाता है। इसके आलावा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। होली भाईचारे और प्रेम का पर्व भी है। होली के दिन सभी लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं और मिठाई खिलाते हैं।

होली पर निबंध लिखने के लिए आप प्रस्तावना के साथ शुरू कर सकते हैं।  इसके बाद आप होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है, क्यों मनाया जाता है, कब मनाना जाता है, इसका महत्व और इतिहास के बारे में लिख सकते हैं। जैसे- होली एक प्रमुख हिंदू धार्मिक पर्व है जो भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गहरी रूप से स्थापित है। यह फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। हर साल होली का आयोजन बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ किया जाता है। इस त्योहार में लोग एक-दूसरे को गुलाल और अबीर लगाते हैं, पानी के रंग उड़ाते हैं और मिठाई खाते हैं।

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होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में

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होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) - भारतीय संस्कृति में प्रत्येक मास की पूर्णिमा किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। उत्सव के इसी क्रम में वसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का पर्व भारतीय संस्कृति में बुराई को जलाकर भस्म कर देने का उत्सव है। यह भारतीय जीवन-शैली का अभिन्न हिस्सा है। होली पर निबंध (Holi per nibandh) से इस पर्व से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कथाओं के बारे में भी जानकारी मिलेगी।

होली पर निबंध (holi par nibandh): होलिका दहन का मुहूर्त

होली निबंध (essay holi in hindi) - होली के त्योहार की तैयारी कैसे करें, होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली में रंगों का क्या महत्व है, होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - उपसंहार (conclusion), होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली पर निबंध 10 लाइन (holi essay in hindi 10 lines), देश में होली के लिए प्रसिद्ध शहर (famous cities for holi in the country).

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) -  Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में

रंगों का त्योहार होली हमारे देश भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जैसै-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता है, लोगों में खासकर बच्चों में इसको लेकर काफी उत्साह नजर आता है। सब अपने लिए होली खेलने की योजनाएं तैयार करने में जुट जाते हैं। होली पर हिंदी निबंध (Essay on holi in hindi) में होली के त्योहार से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी दी गई है। उम्मीद है कि इस लेख में होली पर निबंध (holi par nibandh) उन छात्रों के लिए भी फायदेमंद होगा जो होली विषय पर निबंध तैयार करना चाहते हैं।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

रंगों का त्योहार होली संस्कृति के अनूठे उल्लास को समेटे हुए है। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। होली का त्योहार इसी विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम तथा भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां साझा करते हैं और छोटे अपने बड़ों से शुभाशीष प्राप्त करते हैं। विविधतापूर्ण संस्कृति वाले भारत देश में हर धर्म-संप्रदाय के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें से आपसी प्रेम तथा सद्भावना की भावना को मजबूत करने वाला होली का पर्व विशेष महत्व रखता है। होली के लोकगीत एक माह पहले से ही सुनाई पड़ने लगते हैं।

होली पर निबंध (holi par nibandh) विषय पर केंद्रित होली पर लेख में हमने रंगों के त्योहार होली (Festival of colours) के सार को समेटने का प्रयास किया है। पाठक इस होली पर निबंध हिंदी (Essay on holi in hindi) में से जानकारी जुटाकर न केवल भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली के बारे में अपनी जानकारी को समृद्ध बनाएंगे, बल्कि स्कूलों में अध्ययनरत बच्चे अक्सर परीक्षा में पूछे जाने वाले निबंध के प्रश्न की तैयारी भी कर पाएंगे तथा होली पर हिंदी में निबंध (Essay on holi in hindi) सीख कर परीक्षा में भी उसका लाभ उठा सकेंगे।

होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली की शुभकामनाएं (Holi Greetings in Hindi)

होली के अवसर पर लोग एक-दूसरे को होली शुभकामना संदेश भेजते हैं। नीचे कुछ होली के शुभकामना संदेश दिए गए हैं-

  • हर कदम पर खुशियां मिलें, दुख से कभी न हो सामना; जीवन में सारी खुशियां मिलें, होली की है यही शुभकामना!
  • खुशियों से भरी रहे सदा आपकी झोली, रंग-बिरंगी और मंगल हो आपकी होली।
  • जीवन में हो हर्ष के सभी रंगों की भरमार, सबसे हैप्पी होलो हो तुम्हारी मेरे यार।
  • होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
  • होली का त्योहार आपके जीवन को रंगों से सरोबार करे।
  • रंगों का त्योहार होली आपके जीवन को और भी रंगीन बनाए!
  • रंगों का त्योहार आपके जीवन को रंगीन बनाए!

हिंदी पत्र लेखन पीडीएफ़ डाउनलोड करें।

छात्र इस लेख के माध्यम से होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) भी जान सकते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है तथा उस दिन होली मनाई जाती है। वर्ष 2025 में होलिका दहन रात साढ़े 10 बजे के बाद किया जाएगा। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त का अपना महत्व है। कहा जाता है कि होलिका दहन से आस-पास नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। विज्ञान की दृष्टि से देखें तो होली पहले ही मौसम अनुकूल हो जाने के चलते बीमारियां फैलाने के लिए जिम्मेदार घातक सूक्ष्मजीवों की बाढ़ आ जाती है, होलिका की आग से कफी हद तक इनका विनाश भी हो जाता है।

होली 2025 कब है? (holi kab hai)

फागुन की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित मुहूर्त में होलिका दहन होता है। वर्ष 2025 में होलिका दहन रात साढ़े 10 बजे के बाद किया जाएगा।

होली 2025 में कब पड़ेगी?

वर्ष 2025 में होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 13 मार्च सुबह 10 बजकर 35 मिनट से 14 मार्च की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।

होलिका दहन का मुहूर्त और भद्रा का समय

होलिका दहन मुहूर्त : 13 मार्च को रात 11:30:14 बजे से रात 12:24:09 बजे तक।

अवधि : 53 मिनट

भद्रा पुंछा 07:13:07 से 08:30:15 तक

भद्रा मुखा 08:30:15 से 10:38:48 तक

महत्वपूर्ण लेख:

  • गणतंत्र दिवस पर भाषण
  • महात्मा गांधी पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध

होली की प्रचलित कहानियां (Famous stories related to Holi in hindi)

होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक समय में श्री कृष्ण और राधा की बरसाने की होली के साथ ही होली के उत्सव की शुरुआत हुई। आज भी बरसाने और नंदगाव की लट्ठमार होली विश्व विख्यात है। यह त्योहार जीवन के उत्साह, उल्लास तथा उमंग को दर्शाता है। होली के पर्व को सतयुग में विष्णु भक्ति के प्रतिफल के रूप में भी मनाया जाता है।

होली की एक कहानी भगवान शिव से भी जुड़ी है। इंद्र ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भंग करने का आदेश दिया। कामदेव ने उसी समय वसंत को याद किया और अपनी माया से वसंत का प्रभाव फैलाया, इससे सारे जगत के प्राणी काममोहित हो गए। कामदेव का शिव को मोहित करने का यह प्रयास होली तक चला। होली के दिन भगवान शिव की तपस्या भंग हुई। उन्होंने रोष में आकर कामदेव को भस्म कर दिया तथा यह संदेश दिया कि होली पर काम (मोह, इच्छा, लालच, धन, मद) इनको अपने पर हावी न होने दें। तब से ही होली पर वसंत उत्सव एवं होली जलाने की परंपरा प्रारंभ हुई। इस घटना के बाद शिवजी ने माता पार्वती से विवाह की सम्मति दी। जिससे सभी देवी-देवताओं, शिवगणों, मनुष्यों में हर्षोल्लास फैल गया। उन्होंने एक-दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाकर जोरदार उत्सव मनाया, जो आज होली के रूप में घर-घर मनाया जाता है।

होली पर हिंदी निबंध (Holi Essay in Hindi) - प्रस्तावना

विद्यार्थियों को परीक्षा में होली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Holi in 200 words in hindi) या होली पर लेख (holi par lekh) या होली पर निबंध 300 शब्दों में (Holi Essay in Hindi 300 words) या हिंदी में होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) लिखने को कहा जाता है। होली पर निबंध ( holi par nibandh) की शुरुआत इस त्योहार के बारे में बताकर कर सकते हैं। होली, जिसे "रंगो का त्योहार" के नाम से भी दुनिया भर में जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र (चैत) मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगोत्सव यानी होली का त्योहार मनाया जाता है।

आपमें से कई यह सोच रहे होंगे कि साल 2024 में होली कब मनाई जाएगी? साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों के द्वारा बेहद ही जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि यह हिंदुओं का त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी साथ मिलकर, उत्साह और उमंग के साथ बड़ों को भी बच्चा बना देने वाले इस त्योहार में मनोरंजक कार्य करते नजर आ जाते हैं।

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होली के त्योहार के लिए लोग अपने-अपने ढंग से तैयारी में जुट जाते हैं। फागुन मास की शुरुआत ठंड की विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम खुशनुमा होने लगता है। इस त्योहार पर फाग गाने की भी परंपरा रही है, फाग लोकगीतों के बिना कुछ अधूरा सा लगता है। पहले तो लोगों को फाग सुनकर ही ही पता लगता था कि होली आने वाली है। ढोलक, मंजीरे और हारमोनियम के साथ लोग अपने रसीले फाग गायन कौशल से दिल जीत लेते हैं। फाग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन इस अवसर पर किया जाता है। होली से पहले पहले और होली के दिन दोपहर तक फगुआ गाया जाता है। इसमें होली से जुड़े लोकभाषा के गीत होते हैं। होली के दिन रात में चैता गाने की भी परंपरा है।

होली के त्योहार को लेकर विशेषकर बच्चों में काफी उत्साह होता है। वे होलिका दहन के लिए काफी पहले से लकड़ियाँ जमा करने लगते हैं। गाँवों में तो हालांकि लकड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर आदि की तलाश करते हैं और अमूमन वे दूसरों से माँगकर होलिका की व्यवस्था करते हैं। होलिका तैयार करने में सभी लकड़ियों का योगदान करते हैं। आजकल शहरों में आमतौर पर किसी चौक-चौराहे पर दो-चार दिन पहले से ही लोग पेड़ की सूखी टहनियां, लकड़ी, बांस आदि जमा करने लगते हैं। पहाड़ जैसे इस ढेर में मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन करते हैं। लोगों के घरों में पकवान बनता है। होली के पर्व के लिए घर पर मिलने आने वाले लोगों के लिए महिलाएं मिठाइयां, नमकीन और गुझिया बनाने में जुट जाती हैं। रंग और गुलाल का स्टॉक तैयार किया जाता है।

फाल्गुन मास की पूर्णमासी को होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते हैं। शहरी संस्कृति ने होली मिलन कार्यक्रमों को जन्म दिया है, जिसमें राजनैतिक दल, संस्थाएं होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।इस दिन तो ऐसा लगता है कि लोगों को एक-दूसरे को रंगने और पानी से भिगाने का लाइसेंस मिला होता है। साथ ही "बुरा न मानो, होली है" का जुमला यह बताता है कि आज के दिन लोगों को रंग-गुलाल लगाने की छूट है और इससे किसी को भी नाराज नहीं होना चाहिए।

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होली रंगों का त्योहार है। होली की पहचान, रौनक और आत्मा इन्हीं रंगों में बसी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं। बड़े शहरों की बड़ी सोसायटियों में होली के अवसर पर खास आयोजन होने लगे हैं। इस सामूहिक आयोजन में लोग रेन डांस में रंगों से सरोबार होकर नाचते-झूमते हैं। शहरों के बाहर बने वाटर पार्क में भी होली को लेकर कई तरह के आयोजन होने लगे हैं।

होली अब विश्व प्रसिद्ध

राग-रंग के इस लोकप्रिय त्योहार होली को वसंत का संदेशवाहक भी कहा जाता है। होली अब भारत के साथ विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का यह त्योहार पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन होली मनाते हैंं। इसे धुलेंडी व धुरड्डी व कई अन्य नाम से भी मनाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और एकता का संदेश देते हैं। कई प्रदेशों में रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिला कर खुशियां बांटते हैं।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ लोग बदनाम करने से नहीं चूकते हैं। कुछ असामाजिक तत्व इस दौरान मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ समाज के शरारती तत्व होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा।

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होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली क्यों मनाते हैं - होली का इतिहास

होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। विष्णुपुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा प्रतिबंधित कर रखी थी। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त निकला और वह दिन-रात भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता। दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप को यह पसंद नहीं था। ऐसे में जब किसी भी तरह से प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोक पाने में उसे सफलता हाथ नहीं लगी, तो उसने प्रह्लाद को जान से मारने का आदेश दिया। हाथी के पैरों तले कुचलने और पहाड़ से फेंककर भी जब प्रहलाद को नहीं मार सका, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन की होलिका की मदद से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि में वह नहीं जलेगी। इसलिए लकड़ियों के ढेर पर वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई। इस होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट इच्छाओं के चलते जलकर भस्म हो गई। मान्यता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत की याद में तभी से ही होली का त्योहार मनाया जा रहा है।

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होली का त्योहार आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।

होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ घुल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। छोटे-छोटे बच्चे अपनी इच्छानुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि होली मिल-जुलकर, प्रेम से रहने और जीवन के रंगों को अपने भीतर आत्मसात करने का त्योहार है। इसलिए रंगों का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए और पानी या रंग भरे बैलून चलाने से बचना चाहिए। होली का त्योहार हमें हमेशा सन्मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। होली का त्योहार सामाजिक सद्भावना का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में सामाजिक एकता की भावना मजबूत होती है।

ये भी देखें :

1) होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।

2) होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है।

3) यह त्यौहार विष्णु भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है।

4) इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

5) बच्चे इस त्योहार पर रंग, गुलाल, पिचकारी और पानी वाले गुब्बारों को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं।

6) होलिका रूपी बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए सभी भगवान की पूजा करते हैं।

8) इस अवसर पर अपने परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर इसे मनाया जाता है।

9) होली के अवसर पर भारत में शासकीय अवकाश रहता है। लोग इस त्योहार का बड़े उत्साह के साथ आनंद लेते हैं।

10) होली (holi essay in hindi) हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है।

उम्मीद करते हैं कि होली पर निबंध हिन्दी में (holi par nibandh hindi mein) देने की हमारी कोशिश सफल रही होगी और छात्रों को holi ka nibandh hindi mein पढ़कर वांछित जानकारी मिल गई होगी। रंगों के त्योहार होली का निबंध हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) पढ़ने के बाद इस त्योहार की समग्र समझ विकसित करने में यह लेख मददगार होगा; अब आपकी होली पहले से अधिक रंगीन और सुखद होगी, ऐसी हम कामना करते हैं। हैप्पी होली!

हमें उम्मीद है कि आपको होली पर निबंध (holi par nibandh) लिखने में इस लेख से मदद मिलेगी। परीक्षा में हिंदी में होली निबंध (holi essay in hindi) या holi par nibandh in hindi भी पूछा जाता है। इस लेख की सहायता से आप होली पर निबंध ( holi per nibandh) लिख सकते हैं।

देश में कुछ शहरों में होली के आयोजन बहुत प्रसिद्ध हैं और उसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यूपी के बरसाना और नंदगांव में हर साल लट्‌ठमार होली का आयोजन होता है। इस दौरान देश-दुनिया के पर्यटक इस त्योहार को देखने और उसमें हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इस त्योहार का आयोजन लगभग एक सप्ताह चलता है और रंगपंचमी के दिन संपन्न होता है। बरसाना की लट्‌ठमार होली सामान्यत: फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंद गांव के ग्वाल बाल बरसाना में होली खेलने आते हैं और अगले दिन फाल्गुन पक्ष शुक्ल दशमी को बरसाना के ग्वाल बाल नंदगांव में होली खेलने पहुंचते हैं।

इसी तरह मध्यप्रदेश के इंदौर में भी होली या धुलेंडी के पांच दिन बाद रंगपंचमी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। रंगपंचमी होलकर शासनकाल के दौरान मनाया जाता था और यह परंपरा अब तक बरकरार है। इस दौरान इंदौर में छुट्‌टी घोषित रहती है और शहर के अलग-अलग दिशाओं से लोग रंगों में सरोबार होकर गेर यात्रा के साथ इंदौर के हृदयस्थल राजबाड़ा पहुंचते हैं। इस दौरान साथ चल रहे टैंकर के पानी में रंग घुला रहता है और उससे लोगों पर बौछार की जाती है। इस फाग यात्रा को गेर कहा जाता है। रंगारंग गेर चारों दिशाओं से आकर राजबाड़ा में इकट्‌ठा होती है और लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। स्थानीय नगर निगम और जिला प्रशासन पूरा मुस्तैद रहता है।

महत्वपूर्ण प्रश्न :

होली का त्योहार (holi ka tyohar) वर्ष 2025 में कब है?

अक्सर लोग यह पूछते हैं कि कब है होली? (Kab Hai Holi 2025)। तो इसका जवाब है कि होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च सुबह 10 बजकर 35 मिनट से आरंभ होगी और 14 मार्च की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक समापन होगा। 13 मार्च को होलिका दहन होगा। वर्ष 2025 में होली का त्योहार (holi ka tyohar) 14 मार्च को मनाया जाएगा।

क्या होली के दिन चंद्रग्रहण लगेगा?

नहीं, साल 2025 में होली के दिन चंद्र ग्रहण नहीं लगेगा।

होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) कब है?

होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) जानें- फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और उसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष 2025 में 13 मार्च को होलिका दहन के लिए मुहूर्त रात 11 बजकर 30 मिनट से लेकर 12 बजकर 24 मिनट तक है।

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Frequently Asked Questions (FAQs)

यह त्यौहार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी।

होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।

बच्चों के लिए यह रंग, गुलाल, पिचकारी, पानी वाले गुब्बारों और ढेर सारी मस्ती का पर्याय है। वे सुबह से शुरू हो जाते हैं और दिन-भर लोगों को रंगने और भिगोने में व्यस्त रहते हैं। युवा अपनी टोलियों के साथ रंग की मस्ती में सरोबार रहते हैं। घर के बड़े-बुजुर्गों का त्योहार बच्चों और युवाओं के लिए होली के सामान दिलाने और बाद में उनका शिकार बनने से बचने में बीतता है। अपने हमउम्र लोगों के साथ वे भी मस्ती करते हैं। महिलाएं रसोईघर की भारी-भरकम जिम्मेदारियों के बीच भी समय निकालकर जोश-खरोश के साथ होली मनाती हैं, मनाएं भी क्यों न, रंगों से उनको सबसे अधिक प्यार जो होता है।

होली की पहचान, रौनक और आत्मा रंगों में छिपी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं।

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। कुछ जगह इसे धुलेड़ी या धुलेंडी, धुरखेल, धुरड्डी, धूलिवंदन और चैत बदी भी कहा जाता है।

होली आपसी प्रेम और भाई-चारे का संदेश देने वाला मस्ती भरा त्योहार है। रंग में भंग न हो इसके लिए होली पर कुछ सावधानियां रखनी जरूरी होती हैं-

  • होलिका में किसी भी ऐसी वस्तु को जलाने से बचें जिससे वायु प्रदूषण हो। प्लास्टिक और रबर की चीजों का पुनर्चक्रीकरण किया जा सकता है, इनको जलाकर प्रदूषण न फैलाएं।
  • रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है।
  • आंख, नाक जैसे संवेदनशील अंगों पर रंग-गुलाल लगाने से बचें।
  • पानी के गुब्बारों से किसी को न मारें, विशेषकर ऊंचे भवनों से नीचे जा रहे लोगों पर गुब्बारे न फेंके।
  • जबरदस्ती किसी के साथ होली न खेलें। 
  • मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें। होली हैप्पी बनी रहे इसे ध्यान में रखकर काम करें।

साल 2023 में होली 8 मार्च को मनाई गई।

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Holi 2024 : होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

holi essay in hindi with headings

  • Updated on  
  • मार्च 21, 2024

Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : भारत में सभी त्योहारों की अलग प्रसिद्धि है और ये अलग-अलग राज्यों में अलग रूप में दिखाई देते हैं। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। इनमें रंगों का त्योहार होली भी शामिल है। होली का त्योहार विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। होली के बारे में या होली पर निबंध अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है और इसलिए यहां हम 100, 250, 500 शब्दों में होली पर निबंध लिखना सीखेंगे।

This Blog Includes:

होली के बारे में, होली पर निबंध हिंदी में (holi essay in hindi) 10 लाइन, होली पर निबंध 150 शब्दों में, holi essay in hindi 200 शब्दों में, प्रस्तावना , होली मनाए जाने के पीछे कहानी , होली का वर्णन, हिंदुओं का पवित्र धार्मिक पर्व होली, होली से जुड़ी कथाएं, वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध, आज होली का रूप विकृत होना, holi essay in hindi for class 2, essay on holi in hindi class 4, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक, मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है होली, समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए है होली, होली का इतिहास क्या है.

रंगों का त्यौहार  होली , खुशी और उमंग का प्रतीक है। भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली, भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वालों या मानवता के पक्षधरों द्वारा मनाये जाने वाला ऐसा पर्व है, जिसका उद्देश्य केवल बेरंग उदासी या मायूसी को खुशियों और सकारात्मक रंग से भरना होता है।

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्यौहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम, रंगों और ठंडाई के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं। 

  • होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
  • हर साल होली फागुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।
  • हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है।
  • होली के दिन सभी लोग अपने घरो में पकवान बनाते है और रिश्तेदारों के घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते है।
  • होली सामाजिक मतभेद को मिटाकर उत्साह बिखेरने का पर्व माना जाता है।
  • होली के दिन सभी बिना किसी हीनभावना के एक-दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व को मनाते है।
  • पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक घमंडी राजा था जिसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद कि हत्या करवाने के लिए प्रह्लाद सहित आग में बैठजाने को कहा था जिसके परिणाम हेतु होलिका वरदान होने के बाद भी जल गयी। इसलिए हर साल होलिका जलाई जाती है।
  • होली पर गुलाल रंग घमंड पर भक्ति की, अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। इसलिए इस पर्व पर सभी रंगो से खेल कर खुशियां होली मनाते है।
  • इस पर्व पर हमें अपने भीतर कि सभी बुराई को ख़त्म कर प्रेम भाव से सभी का आदर सत्कार करने का प्रण लेना चाहिए।
  • भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मज़बूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।

Holi Essay in Hindi

150 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली बुराई पर अच्छाई की जीत को उत्साह से मनाने का त्योहार है लेकिन हर त्यौहार कि तरह अब माइने बदल गए है। जहां अब भी कुछ जगहों पर होली को तरीके से खुशियां मनाने और बांटने के लिए होली के त्यौहार का स्वागत किया जाता है। होली का त्यौहार दो दिन तक मनाए जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु होगी। इसी ख़ुशी में होली खेलकर मानाने से एक रात पहले महूरत अनुसार होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन खेली जाती है।

200 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली को रंगो के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति में आने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में इस त्यौहार का आगमन होता है। इस त्यौहार को पसंद करने वाले लोग हर साल होली के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। होली एक प्रेम से भरा त्यौहार है जो पूरा परिवार व सभी दोस्त मिलकर मनाते है।

होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी , जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घमंड के कारण हरिण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्योकि वे विष्णु भगवान कि पूजा में विश्वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब न हो पाई।

होली पर निबंध 300 शब्दों में

होली: रंगों का त्योहार

होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है, जो बसंत ऋतु में मनाया जाता है । प्रकृति में रंग-बिरंगे फूल बसंत के आगमन का  मानो हृदय से स्वागत करते हैं। बसंत के रंगों का प्रतीक बनकर यह त्योहार हर साल फागुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसीलिए फागुन का महीना मौज-मस्ती का महीना कहा जाता है। 

भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या किस्सा प्रच्वलित होता है। होली मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी था, जो ख़ुदको भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया था कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात ना मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही अपने को लगाए रहा। पिता की क्रोध की सीमा न रही हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल ना हो सका।  हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम था होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोदी में बिठा कर आग लगा दी गई पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रह्लाद तो बच गया पर होलिका जल गई।इसी घटना की याद में हर साल रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

होली का त्यौहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने अपने गांव,मोहल्ले में उपलो,लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं । फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज की बाली भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं।

होलिका दहन अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं।सड़कों पर मस्त युवकों की टोली गाती बजाती निकलती है। एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।

इसी प्रकार होली एक ऐसा पवित्र त्यौहार है। जिसमें छोटे-बड़े ,अमीर-गरीब आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं।प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को गले लगा लेता है। लोग पुरानी से पुरानी शत्रुता भी होली के दिन भुला देते हैं। 

Holi Essay in Hindi

होली पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में होली पर निबंध इस प्रकार हैः

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

राग-रंग का पर्व होली हिंदुओं का लोकप्रिय पर्व है। होली आनंद उत्साह का, मौज, मस्ती और रंगों से सराबोर महोत्सव है। वास्तव में होलिका दहन और होलिकोत्सव, नास्तिकता पर आस्तिकता का, बुराई पर भलाई का, पाप पर पुण्य का तथा दानवता पर देवत्व की विजय का मांगलिक पर्व है ।

होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह पर्व बसंत के आगमन का संदेशवाहक है। यह त्यौहार पूर्णिमा से पूर्व बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोपियों के साथ रास रचाया तब से होली का प्रचलन हुआ, परंतु होली के विषय में सबसे प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक अत्यंत बलशाली राजा था। अपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। वो चाहता था कि उसकी प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करे, परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था । हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद का वध करने के अनेक उपाय किए, परंतु वह सफल ना हो सका। फिर उसने प्रहलाद को आग में जलाकर मार डालना चाहा। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था।होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं  जल सकती। हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर में बैठ गई। उस ढेर में आग लगा दी गई परंतु भगवान की लीला तो अद्भुत है ।जिस होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, वह तो जल गई और प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ।

फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन स्त्रियां व्रत रखती है और होली पूजने जाती है। किसी चौक में अथवा खुले स्थान पर लकड़ियों के ढेर या उपलो से होली बनाई जाती है। रात्रि के समय निश्चित समय पर होलिका जलाई जाती है और होली की आग में गेहूं तथा चने की बालियां डाली जाने की परंपरा है।  इसे होलिका दहन कहते हैं।

होली से अगला दिन अर्थात चैत्र की प्रतिपदा को लोग रंग खेलते हैं। इसे धुलैंडी कहते हैं । लोग एक दूसरे से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगाते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, बालक-वृद्ध के बीच  की सीमा टूट जाती है, और सभी खुले भाव से एक दूसरे का सत्कार ,आदर करते हुए इस पर्व का आनंद लेते है।

वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है। सूरदास, नंददास आदि कृष्ण भक्त कवियों ने श्री कृष्ण और राधा के होली खेलने का बड़ा ही मनोहर वर्णन अनेक पदों में किया है। आज भी वृंदावन की कुंज गलियों में जब सुनहरी पिचकारियों  से  रंग बिरंगे  फव्वारे छूटते है  तथा गुलाल बिखरता है तो स्वयं देवता भी भारत भूमि में जन्म लेना चाहने लगते हैं। देश विदेश से अनेक लोग वृंदावन की होली देखने आते हैं।

 बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आजकल होली का रूप बिगड़ गया है। लोग रासायनिक रंगों का प्रयोग करने लगे हैं, बच्चे गुब्बारे मारते हैं। कुछ लोग कीचड़ आदि भी डालते हैं। अनेक व्यक्ति शराब,गांजा,भांग,चरस आदि का सेवन करते हैं, गंदे गाने गाते हैं तथा गाली-गलौज करते हैं। हमें शीघ्र-अतिशीघ्र इस त्यौहार से इन बुराइयों को दूर करना चाहिए तभी हम होली जैसे पवित्र त्यौहार कि पवित्रता को संजो के रख सकते है।

 होली प्रेम व भाईचारे का त्यौहार है, रंगों का त्यौहार है, हर्षोल्लास का त्यौहार है। होली का गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। होली मनुष्यों को आपस में जोड़ने का त्यौहार है कवि मैथिलीशरण गुप्त होली का सजीव चित्रण इन पंक्तियों में प्रकट करते हैं:

काली- काली कोयल बोली, होली, होली, होली । फूटा यौवन फाड़ प्रकृति की पीली, पीली, चोली। । 

होली का त्योहार भारत ही बल्कि कई देशों में काफी महत्व रखता है। भारत में मथुरा की होली को विश्व प्रसिद्ध होली माना जाता है। होली के त्योहार पर हम सब एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और एक-दूसरे को बधाई देकर बुराई पर अच्छाई की विजयी याद करते हैं।

Holi Essay in Hindi for Class 2 इस प्रकार हैः

होली भारत और नेपाल में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला कार्यक्रम है । रंगों का त्योहार, जो मार्च में होता है, रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली तीन दिनों तक मनाई जाती है, जिसमें होली पूर्णिमा (पूर्णिमा का दिन) सबसे पहले होती है। पुनो का दूसरा दिन, या छोटी होली। पर्व, या होली दिवस, त्योहार का तीसरा दिन है। लोग इस दिन सफेद कपड़े पहनते थे और जमीन पर इकट्ठा होते थे। इस त्योहार के लिए वे प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं और पेंटिंग गन से खेलते हैं। वे मीठी लस्सी पीते हैं और तरह-तरह के खोया, मावा और पिस्ता से बनी मिठाइयां खाते हैं।

Essay on Holi in Hindi Class 4 यहां बताया जा रहा हैः

भारत, कई अलग-अलग भाषाओं, जातियों, परंपराओं, विचारधाराओं, संस्कृतियों, विश्वासों, धर्मों आदि के साथ एक राष्ट्र के रूप में साल भर त्योहारों की अधिकता रखता है। यह वास्तव में भूमि और विविधता की एक इकाई है। होली भारत में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो न केवल यहां बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है और वास्तव में भारत की संस्कृति और मान्यताओं से प्रेरित और प्रभावित है। मूल रूप से यह रंगों, उल्लास और खुशियों का त्योहार है। इतना ही नहीं, त्योहार हमारे चारों ओर बसंत के मौसम की शुरुआत की टिप्पणी करता है और इसीलिए लोग रंगों या गुलाल से होली खेलते हैं, चंदन लगाते हैं, पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं जो केवल होली के अवसर पर बनाए जाते हैं और निश्चित रूप से, भूलने के लिए नहीं ठंडाई का प्रसिद्ध पेय। लेकिन जैसा कि हम इस होली निबंध में गहराई से उतरते हैं, ऐसा लगता है कि इसमें असंख्य अर्थ और ऐतिहासिक हैं।

भारत के हर राज्य में होली खेलने या मनाने का अपना अलग तरीका है। साथ ही रंगों और खुशियों के इस त्योहार को मनाने के पीछे हर किसी या हर समुदाय के लिए मायने बदल जाते हैं. आइए अब इस होली निबंध में होली मनाने के कुछ कारणों के बारे में जानें। कुछ लोगों और समुदायों के लिए, होली और कुछ नहीं बल्कि राधा और कृष्ण द्वारा मनाया जाने वाला प्रेम और रंगों का एक शुद्ध त्योहार है – एक ऐसा प्रेम जिसका कोई नाम, आकार या रूप नहीं है। अन्य इसे एक कहानी के रूप में देखते हैं कि कैसे हम में अच्छाई अभी भी बुराई पर विजय प्राप्त करती है। दूसरों के लिए, होली फुरसत, खिलवाड़, क्षमा और करुणा का भी समय है। होली के अनुष्ठान तीन दिनों तक चलते हैं, पहले दिन अलाव द्वारा प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होता है और दूसरे और तीसरे दिन रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य, भोजन और आशीर्वाद के त्योहार के साथ समाप्त होता है। 

Essay on Holi in Hindi Class 5

Essay on Holi in Hindi Class 5 यहां दिया जा रहा हैः

होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

होली की कहानी और किंवदंती दानव राजा हिरण्यकश्यप के समय की है। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में जाने के लिए कहा ताकि उसका पुत्र भगवान विष्णु के बजाय उसकी पूजा करे। होलिका लपटों और आग के लिए प्रतिरोधी हो सकती है। होलिका तब राख में बदल गई जब वह प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में आगे बढ़ी, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया क्योंकि होलिका का श्राप तभी काम करता जब वह अकेले यानी अकेले आग में शामिल होती। तब से, इस दिन को भारत में होली के रूप में जाना जाता है, और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान, लोगों ने होलिका की मृत्यु के उपलक्ष्य में अलाव जलाया।

दिन भर के उत्साह के बाद लोग शाम को दोस्तों और परिवार के साथ खान-पान और शुभकामनाएं साझा करते हुए बिताते हैं। कहा जाता है कि होली सभी के मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है। त्योहार के दिन की शुरुआत तरह-तरह के व्यंजनों की तैयारी के साथ होती है। लोग एक-दूसरे को गुलाल, पानी के रंग और गुब्बारों से रंगते हैं। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि हर कोई अपनी शर्म को छोड़कर मस्ती में शामिल होने का फैसला करता है। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे को ‘हैप्पी होली’ की शुभकामनाएं देते हैं। कई हाउसिंग सोसाइटी अपने लॉन में होली का आयोजन करती हैं। पूरे लॉन को ढकने के लिए पीले, हरे, लाल, गुलाबी, ग्रे और बैंगनी जैसे चमकीले और सुंदर रंगों का उपयोग किया जाता है। यह बताना मुश्किल है कि कौन कौन है क्योंकि हर कोई अलग-अलग रंगों के कपड़े पहने हुए है।

होली फाल्गुन के महीने में मनाया जाने वाला प्यार और खुशी का एक हिंदू त्योहार है जो गेंहू की फसल से भी मेल खाता है और धन और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है। वसंत का मौसम सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है; नतीजतन, वसंत जलवायु विशेष रूप से सुखद होती है, खासकर जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। नतीजतन, होली को प्रकृति की वसंत सुंदरता और समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

होली रंगों का त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होली को न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं जो इसे और भी रोचक और महत्वपूर्ण बनाती हैं। सबसे लोकप्रिय किंवदंती कहती है कि राजा हिरण्यकशिपु का अपने पुत्र प्रह्लाद के साथ विवाद हो गया था क्योंकि प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा करने पर जोर दिया था। इससे राजा नाराज हो गया और उसने अपने बेटे को मारने का फैसला किया।

हिरण्यकश्यप ने अपने भतीजों को प्रह्लाद को आग में फेंकने के लिए कहा क्योंकि वह उसके राज्य के लिए खतरा था। उनके भतीजे उनके प्रति वफादार थे, इसलिए उन्होंने प्रह्लाद को लकड़ी के एक टुकड़े से बांधकर आग में फेंक दिया। हालांकि, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने उसके साथ जलती चिता पर बैठकर उसे बचा लिया।

होली पर निबंध

 होली पर आधारित अन्य ब्लॉग्स

हरिण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था की वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हरिण्यकश्यप ने आदेश दिया की होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई , पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

जो कीटाणुओं को प्रसार करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। ऐसे में रंगों का प्रयोग रोग फैलाने वाले कीटाणुओं के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। दूसरी ओर रंग लगने पर शरीर की सफाई अच्छे से हो पाती है जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

भूमिका : होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। … हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं।

होली का उत्सव होलिका दहन अनुष्ठान के साथ शुरू होता है जो कि होलिका, दुष्ट दानव, और उस अग्नि से भगवान विष्णु द्वारा प्रह्लाद की रक्षा के सम्मान में मनाया जाता है। लोग लकड़ी इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर गीत गाकर खुशियां मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। होली के दूसरे दिन को छोटी होली या नंदी होली के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है “रंगों से खेलना”। लोग समूहों में इकट्ठा होते हैं और एक दूसरे पर रंगों से खेलते हैं। परंपरागत रूप से, महिलाएं पुरुषों पर सुगंधित रंग डालती हैं और बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन पाउडर फेंकते हैं। होली के तीसरे दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं और फिर दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं। वे प्यार के प्रतीक के रूप में मिठाइयों और नमकीन का आदान-प्रदान करते हैं। यह दिन होली समारोह के अंत का प्रतीक है। होली पूरे भारत और दुनिया भर में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है। त्योहार में आम तौर पर गायन, नृत्य, रंगों और पिचकारी (पानी की बंदूकें) के साथ खेलना और गुजिया और लड्डू जैसे व्यंजनों का आनंद लेना शामिल होता है।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

होली

अपडेट किया गया: 20 फरवरी 2023

होली भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो विश्वभर मेंबड़े धूमधाम सेमनायाजाता है। यहमुख्य रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।नेपाल की तराई होलीविश्वप्रसिद्ध है। मंजीरा, ढोलकवमृदंग की ध्वनि से गूंजताऔर रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मार्च का महीना जैसे होली कीउत्साह कोऔरभी बढ़ा देता है। इस त्यौहार में सभी की ऊर्जा देखतेही बनती है। होली के अवसर पर बच्चोंमें अलग ही उमंग देखने को मिलता है,वे रंग-बिरंगी पिचकारी को अपने सीने से लगाए, सब पर रंग डालते हैं और जोर-जोर से “होली है..” कहते हुए पूरे मोहल्ले में भागते फिरते हैं।

होली पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

अक्सर, बच्चों को विद्यालयमें होलीपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहाँ हमने आपकी आसानी के लिए होली पर कई निबंध दिए है, उम्मीद करते है की ये सभी निबंध आपको पसंद आयेंगे-

होली पर निबंध – 1 (100 -150 शब्द )

होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है।यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है।होली का त्यौहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 2: (250 – 300 शब्द)

होली का उत्सव अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आसमान में बिखरे गुलाल की तरह ऊर्जा को चारों ओर बिखेर देता है। इस पर्व की ख़ास तैयारी में लोगों के अंदर बहुत अधिक उत्साह को देखा जा सकता है।

होली की तैयारी

होली की विशेष तैयारी में एक दिन से ज्यादा का समय लगता है। इस पर्व पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुनआदि प्रमुख हैं। लोग महीनो पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार भी इस त्यौहार पर अपने बच्चों के लिए कपड़े अवश्य खरीदता है।

होली कैसे मनाई जाती है

होली पर सभी बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। बड़े भी बच्चे बन जाते हैं,हम, लोगों का चेहरा रंगों से ऐसे रंगते हैं की पहचानना मुश्किल हो जाता है वहीं बड़ों को गुलाल लगाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं। झूमने का एक अन्य कारण भांग और ठंडाई भी है यह होली पर विशेषतौर पर पीया जाता है। घर की महिलाएं सारे पकवान बना कर जहां दोपहर से होली खेलना प्रारंभ करती है वहीं बच्चे सुबह उठने के साथ ही उत्साह के साथ मैदान में आ जाते हैं।

होली के एक दिन पहले होलिका दहन

होली के एक दिन पहले गांवों  व शहरों के खुले क्षेत्र में होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह भगवान की असीम शक्ति का प्रमाण तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का बोध कराती है।

होली आनंद से भरा रंगों का त्यौहार है, यह भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। त्योहारों की ख़ास बात यह है, की इसकी मस्ती में लोग आपसी बैर तक भूल जाते हैं एवं होली त्योहारों में विशेष स्थान रखता है।

यूट्यूब पर देखें: Holi par nibandh

होली पर निबंध– 3  (300 शब्द)

होली रंगो का त्यौहार है, जो भारतवर्ष में ही नहीं अपितु पुरे विश्व में बड़े धूम धाम से मनाई जाती है।यह त्यौहार शरद ऋतू के अंत और वसंत ऋतू के आरम्भ का प्रतिक भीमाना जाता है।होली का त्यौहार भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्तम और भावपूर्ण उदाहरण हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है।

होली का त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है ?

होली के इस पावन त्यौहार को मनाने के पीछे कई कथाये प्रचलित है, परन्तु सबसे मान्य कथा भक्त प्रह्लाद की है। प्रह्लाद का पिता हिरण्यकश्यप था, जो की क्रूर और आततायी था।  उसने स्वयं को ही भगवान मान लिया था और चाहता था की उसकी प्रजा भगवन की जगह उसकी पूजा करे , परन्तु उसका पुत्र प्रह्लाद जो की विष्णु का अनन्य भक्त था उसने अपने पिता को पूजने से इंकार कर दिया। इससे क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने उसे तरह तरह की नीति अपनाकर वश में करने का प्रयत्न किया, परन्तु प्रह्लाद अडिग रहा ।

  अतः उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लेकर एक षड़यंत्र रचा, परन्तु आग की होली में होलिका के प्रह्लाद को गोंद में लेकर बैठने पर भगवन के चमत्कार से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया । तब से ही होली का पर्व मनाया जाता है, होली के एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है। फिर दूसरे दिन रंग और गुलाल से बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी मनाई जाती है।

होली का हमारे जीवन में महत्व

होली के त्यौहार का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। होली का त्यौहार हमें हर वर्ष एक प्रतिक के रूप में यह सन्देश देता है की हमें सदा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। फिर चाहे हमारे पथ में हिरण्यकश्यप या होलिका जैसी विपत्तियां क्यों न आये ,जीत सदा सत्य की ही होती है। यह कथा और त्यौहार हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती है।

अतः हमें यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लाष के साथ मनाना चाहिए और अपने से छोटो को इस त्यौहार के महत्व को बताना चाहिए, जिससे की होली के त्यौहार की तरह उनके जीवन में भी खुशियों के विभिन्न रंग और गुलाल भर जाये।

यूट्यूब पर देखें : Holi par nibandh

होली पर निबंध 4: 400 शब्द

प्राचीन समय में होली के अवसर पर जहां मंदिरों में कृष्ण और राम के भजन गूंजते थे, वहीं नगरों में लोगों द्वारा ढोलकव मंजिरों के ताल पर लोकगीत गाए जाते थे। पर बदलते समय के साथ इस त्योहार का स्वरूप भी बदलता नज़र आ रहा है।

कार्यस्थलों तथा विभिन्न संस्थानोंमें होली

होली पर सभी संस्थान, संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है मगर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

होली की संध्या में मित्रों से मेल-मिलाप

दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं और अपने पड़ोसी व मित्रों के घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामना देने जाते हैं।

होली की हलचल का सभी टीवी चैनलों पर प्रसारण

होली पर सभी टीवी चैनलों में होली के गीत, विशेष कार्यक्रम तथा न्यूज चैनलों के माध्यम से विभिन्न स्थानों की होली प्रसारित की जाती है।

बाजारों की रौनक में, होली की परंपरागत रीति कहीं खो न जाए

होली पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के चटकीले रंग, गुलाल, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगे विग से अपने स्टॉल को भर देते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। पर समय बितने के साथ ज्यादातर लोग अब स्वयं से कोई पकवान नहीं बनाते वे हर प्रकार की मिठाइयां बाजार से ही खरीद लेते हैं। इससे त्योहार की धूम का बाजारीकरण में खो जाने का भय है।

समय के साथ होली का बदलता स्वरूप

परंपरागत विधि से आज इस त्यौहार का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। पहले लोग होली की मस्ती में अपनी मर्यादा को नहीं भूलते थे। लेकिन आज के समय में त्योहार के नाम पर लोग अनैतिक कार्य कर रहें हैं। जैसे एक-दूसरे के कपड़े-फाड़ देना, जबरदस्ती किसी पर रंग डालना आदि।

होली पर हुड़दंग

होली पर वह भी रंगों से भीग जाते हैं जो अपने घरों से नहीं निकलना चाहते और जैसे की भिगोने वालों का तकिया कलाम बन चुका होता है “बुरा ना मानो होली है”। कुछ लोग त्यौहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहीं महिलाओं को परेशान करते हैं। यह सरासर गलत व्यवहार है।

होली पर सभी मस्ती में डूबे नज़र आते हैं। जहां सामान्य व्यक्ति अनेकों प्रकार के स्वादिष्ट भोजन तथा ठंडाई का सेवन करते हैं। वहीं मनचलों को नशे में धुत्त होकर अपनी मनमानी करने का एक अवसर प्राप्त हो जाता है। होली रंगों का त्योहार है इसे प्रेम पूर्वक खेलना चाहिए।

Holi Essay

होली पर निबंध 5: 500 शब्द

अपना घर चलाने के लिए जो पेशेवर घरों से दूर रहते हैं, वह भी होली के समय पर अपने परिवार के पास लौट आते हैं। यह त्योहार हमें हमारे संस्कृति से जोड़ने का कार्य करता है, अतः इस दृष्टी से यह हमारे लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।

होली का इतिहास व मनाए जाने का कारण

पुराणों के अनुसार, विष्णु भक्त प्रह्लाद से क्रोधित होकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने, पुत्र प्रह्लाद को ब्रह्मा द्वारा वरदान में प्राप्त वस्त्र धारण किए बहन होलिका के गोद में आग से जला देने की मंशा से बैठा दिया। किन्तु प्रभु की महिमा से वह वस्त्र प्रह्लाद को ढ़क लेता है और होलिका जल कर भस्म हो जाती है। इस खुशी में नगरवासियों द्वारा दूसरे दिन होली मनाया गया। तब से होलिका दहन और होली मनाया जाने लगा।

होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन (हल्दी, सरसों व दही का लेप) लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं व गांव के सभी घरों से एक-एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल (शोर) में, शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल कर के आपसी रंजिश भूल जाते हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली

ब्रजभूमि की लठमार होली

“सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है। ब्रज के गांव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से। जहां पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएं खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है। सच में यह अद्भुत दृश्य होता है।

मथुरा और वृंदावन की होली

मथुरा और वृंदावन में होली की अलग छटा नज़र आती है। यहां होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है। लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली

महाराष्ट्र और गुजरात में होली पर श्री कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं इन्हें पुरुष फोड़ने का प्रयास करते हैं और नांच गाने के साथ होली खेलते हैं।

पंजाब का “ होला मोहल्ला”

पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों की शक्ति के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथाघुड़सवारी,तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

बंगाल की “ डोल पूर्णिमा” होली

बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली प्रचलित है। इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गांव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली

होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह पर्व पूरे छः दिवस तक नाच-गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिता के साथ चलता रहता है।

फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी आपसी मन-मुटाव को भूल कर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं।

उम्मीद करते हैं कि ये सभी होली के निबंध आपको पढ़कर अच्छा लगा होगा, आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमे से कोई भी निबंध इस्तेमाल कर सकते हैं। धन्यवाद!

Frequently asked questions (FAQS) होली से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर- प्रह्लाद की बुआ होलिका के नाम पर इस त्यौहार का नाम होली पड़ा।

उत्तर- लठमार होली श्री कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतिक होने के कारण विशेष है।

उत्तर- प्रह्लाद विष्णु भगवान ( नरसिंह अवतार ) का उपासक था।

उत्तर- होली त्यौहार के प्रमुख व्यंजन गुजिया , गुलाब जामुन , ठंडाई आदि हैं।

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होली पर कविता

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holi essay in hindi with headings

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, जातीयता या धर्म की परवाह किए बिना त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। मार्च में पूर्णिमा के दिन भारत में होली दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन “ होलिका दहन ” (Holika Dahan) मनाते हैं और चारों ओर इकट्ठा होते हैं और लकड़ी और गाय के गोबर के ढेर जलाते हैं, और होली से संबंधित भजन गाते हैं।

फिर अगले दिन, सभी उम्र के लोग “गुलाल” नामक रंगों और “दुलाहांडी” नामक रंगीन पानी के साथ खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और “गुजिया” नामक दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाई खाते हैं और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेली जानी चाहिए। उपयोग किए गए गुलाल को व्यवस्थित रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा में जलन पैदा कर सकता है और जहां भी यह संपर्क में आता है। लोगों को होली खेलते समय अपने परिवेश के प्रति जागरूक रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – भारत में कुछ जगहों पर होली को पांच दिनों तक भी मनाया जाता है। होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शिक्षण संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।

होली पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Holi 10 lines in Hindi)

  • होली भारत में मुख्य रूप से हर साल हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है।
  • मार्च वह महीना है जब देश में ज्यादातर होली मनाई जाती है, कभी-कभी यह त्योहार दो दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है,
  • भारत के विभिन्न राज्य अलग-अलग तरीकों से होली मनाते हैं और प्रत्येक उत्सव अद्वितीय और सुंदर होता है।
  • होली से एक दिन पहले, एक अनुष्ठान किया जाता है जिसे ‘होलिका दानन’ कहा जाता है, यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसे हर कोई खेलता है।
  • लोग एक विशाल अलाव बनाते हैं और विभिन्न समारोह करते हैं, और इस तरह ‘होलिका दानन’ दिखाया जाता है।
  • होली एक खुशी और खुशी का त्योहार है जो सभी को खुश करता है।
  • धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होली के उत्सव की शुरुआत राधा और कृष्ण ने की थी।
  • होली के दिन लोग अपने परिवार से मिलते हैं और दोस्त एक दूसरे को उत्सव के रूप में रंग लगाते हैं।
  • उत्तर भारत में होली मनाने के तरीके के रूप में गीत गाने की परंपरा है।
  • होली के लिए कई अनोखी मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, और सबसे आम में से एक है ‘गुजिया’।

होली पर निबंध 100 शब्दों में (short Essay on Holi in 100 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह रंगों, खुशी और दोस्ती का त्योहार है। यह मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह आमतौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग एक दूसरे को रंग लगाकर त्योहार मनाते हैं। होली को और रंगीन बनाने के लिए लोग वाटर गन, पिचकारी और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं।

लोग अपनी दुश्मनी भूलकर रंगों का त्योहार मनाते हैं। लोग सफेद कपड़े पहनकर एक दूसरे के घर जाते हैं। होली के दिन मिठाई और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। लोग अपनों को उपहार बांटते हैं। होली एकता, सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है।

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होली पर निबंध 150 शब्दों में (Essay on Holi in 150 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) -होली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रंगों का त्योहार है। होली का त्योहार वसंत ऋतु में दो दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव की शुरुआत त्योहार से एक रात पहले होलिका दहन से होती है और अगले दिन को होली कहा जाता है।

होली के मौके पर लोगों में काफी खुशी है। वे अपनी चिंताओं और चिंताओं को भूल जाते हैं। वे स्वादिष्ट खाना बनाते हैं। उन्होंने नए कपड़े पहने। वे एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। वे दूसरों के चेहरों पर रंगीन पाउडर बिखेरते हैं। वे गाते हैं, नाचते हैं और उछल-कूद करते हैं। वे ढोल बजाते हैं और होली के गीत गाते हैं। वे लगभग खुशी से पागल हैं। वे भूल जाते हैं कि वे क्या हैं। शाम को वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों से मिलने जाते हैं। वे एक दूसरे को गले लगाते हैं। वे दूसरों के चेहरे पर अबीर का धब्बा लगाते हैं।

होली एक खुशी का अवसर है जब हम सभी के साथ खुलकर घुलमिल जाते हैं। हम अमीर और गरीब के बीच के सामाजिक भेद को भूल जाते हैं। त्योहार का यह रंग लोगों को एक करता है और जीवन से हर तरह की नकारात्मकता को दूर करता है।

होली निबंध 200 शब्दों में (Holi Essay in 200 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – हमारे देश में कई त्योहार मनाए जाते हैं। होली का त्योहार उनमें से एक है। होली रंगों का त्योहार है। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह वसंत की शुरुआत में आयोजित किया जाता है। प्रकृति अपनी गहरी नींद से जागती हुई प्रतीत होती है। पेड़ नए पत्ते लाते हैं। फूल खिलने लगते हैं।

इस दिन लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर और हाथ में सूखा पाउडर लेकर सड़कों पर घूमने लगते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के चेहरे पर गुलाल और रंग मलकर उनके सुखी और समृद्ध जीवन की कामना की। बच्चे रंगीन पानी से भरे झरनों को लेकर जाते हैं जिसे वे राहगीरों के कपड़ों पर छिड़कते हैं। वे कूदते हैं, नाचते हैं और आनंदित होते हैं। हर दिल में खुशी का वास है। जो लोग परेशान नहीं होना चाहते वे घर के अंदर ही रहें। लेकिन बहुत बार उन्हें बख्शा नहीं जाता है और उनकी इच्छा के विरुद्ध रंगीन पानी में धोए जाते हैं।

लेकिन कुछ लोग होली को बहुत ही अश्लील तरीके से मनाते हैं। वे शराब पीते हैं और हंगामा करते हैं। वे झगड़ा करते हैं और दूसरों का अपमान करते हैं। वे दूसरों पर कीचड़ और गंदगी फेंकते हैं। ऐसी बुराइयों को रोकना चाहिए। लोगों के लिए समस्याएँ पैदा करने के बजाय खुशी और उल्लास लाने के लिए त्योहार मनाए जाने चाहिए।

होली निबंध 250 शब्दों में (Holi Essay in 250 words in Hindi)

Essay on Holi – कई संस्कृतियों, जातियों और धर्मों के देश के रूप में, भारत पूरे वर्ष अपने कैलेंडर में अनगिनत त्योहार मनाता है। सबसे व्यापक रूप से ज्ञात त्योहारों में, हम होली को सरल शब्दों में रंगों का उत्सव पाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम थोड़ा गहरा गोता लगाते हैं, होली अपने साथ कई अर्थ और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व लेकर आती है।

होली, कुछ लोगों के लिए, राधा और कृष्ण द्वारा साझा किए गए प्रेम का त्योहार है – प्रेम का एक रूप जिसे किसी विशिष्ट नाम, रूप या आकार की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरों के लिए, यह एक कहानी है कि कैसे हम में अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होकर उभरती है। जबकि कई अन्य लोगों के लिए, होली मस्ती, मस्ती, क्षमा और करुणा का अवसर है। तीन दिनों में फैली, होली की रस्में पहले दिन अलाव के प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होती हैं और दूसरे दो दिनों में रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य और आशीर्वाद के साथ उत्सव मनाया जाता है। उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक रंग विभिन्न भावनाओं और तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे भगवान कृष्ण के लिए नीला, प्रजनन क्षमता और प्रेम के लिए लाल और नई शुरुआत के लिए हरा।

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होली निबंध 300 शब्दों में (long Essay on Holi in 300 words in Hindi)

Essay on Holi – होली का त्योहार हर साल मार्च (फागुन) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे एकता, प्रेम, खुशी, खुशी और जीत के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। हम एक दूसरे के साथ प्यार और खुशी का इजहार करने के लिए इस त्योहार को चमकीले और आकर्षक रंगों में खेलते हैं। इसका अपना महत्व है साथ ही इसे मनाने के कई कारण, कहानियां और मान्यताएं भी हैं।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – बहुत समय पहले, एक राजा हिरण्यकश्यप, उसकी बहन होलिका और उसका पुत्र प्रह्लाद था। प्रह्लाद एक पवित्र आत्मा थे जो भगवान विष्णु के भक्त थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि प्रह्लाद सहित सभी उनकी पूजा करें। लेकिन भक्त प्रह्लाद को यह ज्ञान नहीं था और वे हमेशा भगवान विष्णु की पूजा करते थे। इससे नाराज होकर उसके पिता ने उसे जलाने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गया क्योंकि होलिका को भगवान से वरदान मिला था कि आग उसे नहीं जला सकती, अपने भाई की बात मानकर होलिका आग में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को इस आग से कोई नुकसान नहीं हुआ हुआ यूं कि इस आग में होलिका जल गई। इसी कथा से होली पर्व की उत्पत्ति हुई।

इस त्योहार के मौके पर सभी अपने अपनों से मिलते हैं, रंग और अबीर से होली खेलते हैं, साथ ही कई ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं जो एक दूसरे के लिए खुशी दर्शाती हैं। ऐसे में लोग रंगों के इस त्योहार में अपनों के साथ जश्न मनाते हैं.

होली निबंध से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न हिंदी में (FAQs)

होली किस महीने में मनाई जाती है.

जिस महीने मार्च में होली मनाई जाती है वह देश में गर्मी का चरम होता है।

होली का त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है?

होली का त्योहार ज्यादातर पांच दिनों तक मनाया जाता है। हालांकि, कुछ जगहों पर इसे पांच दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है।

क्या होली सिर्फ भारत में ही मनाई जाती है?

होली भारत में मनाई जाती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, सभी धर्मों के लोगों ने भी अपने देश में इस त्योहार के आयोजन में हिस्सा लिया है।

प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की सिफारिश क्यों की जाती है?

देश ने कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ विभिन्न तीव्रता के त्वचा रोगों में वृद्धि देखी है।

होली मनाने के लिए भारत में सबसे अच्छी जगह कौन सी हैं?

भारत का हर हिस्सा अपने तरीके से मनाता है लेकिन मथुरा, दिल्ली, जयपुर और आगरा में होली का भव्य उत्सव मनाया जा सकता है।

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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi

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होली पर छोटा और बड़ा निबंध

हिंदु धर्म में अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं उन त्योहारों में होली भी एक त्यौहार है जिसे मनाने वालों की संख्या करोड़ों में है। होली को भारतीय लोग बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। होली का पर्व पूरे भारत के अंतर्गत बनाया जाता है। हर भारतवासी होली का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है।

सभी लोग इस दिन पर अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है। होली के रंग हम सभी को आपस में जोड़ कर रखते है और तारे भेदभाव ऊंच-नीच सब खत्म कर देते हैं और हमें प्रेम की राह दिखाते है। अन्य त्योहारों की तरह होली का भी एक अपना महत्व है और एक अपनी कहानी है।

होली का इतिहास जानने के लिए आपको संपूर्ण होली का ज्ञान जानना होगा जो कि मेरे इस लेख में आपको संपूर्ण होली की जानकारी प्राप्त होगी।

उम्मीद करता हूं आपको मेरे द्वारा लिखा गया होली पर निबंध का लेख अच्छा लगेगा और दोस्तों अगर आपको मेरा लेख अच्छा लगे तो शेयर करना ना भूले, आपके एक शेयर से मुझे बहुत मोटिवेशन मिलती है। होली का त्यौहार स्कूलों कॉलेज और घरों में मनाया जाता है।

आपके लिए: होली की 23 कविता जिस को पढ़कर प्रसन्न हो जायेगा आपका मन

Holi Essay in Hindi For Child

होली के बारे में जानने के लिए संपूर्ण जानकारी आपको यहां मिल जाएगी और साथ में छोटे बच्चों और बड़े बच्चों के लिए उनकी जरूरत के हिसाब से होली पर हिंदी निबंध लिखे गए है।

होली पर निबंध 100, 200, 300, 400, 500, 600, 1000 शब्दों में लिखे गए है। आप अपनी जरूरत के अनुसार इन Holi Essay in Hindi को इस्तेमाल कर सकते है और अपने विद्यालय कॉलेज में इन सभी निबंध का इस्तेमाल कर सकते है।

Essay on Holi in Hindi 100 Words

Holi Images For Child

होली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला त्योहार है। प्रत्येक वर्ष होली फाल्गुन मास  में मनाया जाता है और होली का त्यौहार खुशियों का त्योहार है। होली के दिन रंग-बिरंगे रंगो और पानी के गुब्बारों के साथ खेला जाता है। बच्चों के अंदर होली को लेकर अत्यंत खुशी होती है और यह सुबह से ही शुरू हो जाती है।

जब बच्चे होली खेलने के लिए अपने घरों से बाहर निकलते हैं और रास्ते में आने जाने वाले हर किसी के ऊपर  गुब्बारों की बौछार कर देते है। बच्चों को होली मनाना सबसे ज्यादा पसंद होता है।

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होली से 1 दिन पहले छोटी होली आती है जिसे होलिका दहन कहते है। प्राचीन काल से यह प्रथा आज भी कायम है और प्रत्येक वर्ष इस प्रथा को दोहराया जाता है और स्कूलों में भी छोटी होली का त्योहार मनाया जाता है।

बड़ी होली के दिन बच्चे अपने घरों में अपने परिवार के साथ और रिश्तेदारों के साथ मित्रों के साथ होली का त्योहार मनाते है। इस दिन घरों में कई प्रकार के पकवान बनते है और अपने सभी रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर होली के त्यौहार के दिन एक दूसरे के घर जाकर रंगों को लगाया जाता है।

रंग लगाकर और गले मिलकर उन सभी गिले-शिकवे को खत्म किया जाता है। होली का त्योहार इसीलिए रंगों का त्योहार कहलाया जाता है। सभी रंगों में एक दूसरे को देखते है तो एक दूसरे जैसे नजर आते है। इसलिए रंगों का त्योहार एक समानता का त्यौहार भी है।

Hindi Essay on Holi in 200 Words

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होली के त्यौहार को संपूर्ण भारत में मनाया जाता है और होली के त्यौहार के लिए एक प्राचीन कहानी भी है जिस कहानी के सुनने के बाद आपको संपूर्ण जानकारी होली से संबंधित मिल जाएगी।

प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप  नाम का एक असुर हुआ करता था। हिरण्यकशिपु श्री विष्णु भगवान से नफरत किया करते थे लेकिन कुछ समय ऐसा भी था की हिरण्यकशिपु का बेटा प्रह्लाद श्री विष्णु जी का परम भक्त साबित हुआ। निर्णायक सब को यह बात समझ में नहीं आई और गुस्सा आया।

हिरण्यकश्यप ने अत्यंत कोशिश की अपने बेटे प्रह्लाद को मारने के लिए लेकिन वह नाकाम साबित हुआ। अंत में आकर हिरण्यकश्यप ने अपनी छोटी बहन  होलिका को बुलाया और कहा प्रह्लाद को लेकर अग्नि कुंड में बैठ जाओ और जो कि तुम्हें भगवान शिव जी का वरदान है कि तुम्हें अग्नि कुछ नहीं कर सकती है तो तुम तो बच जाओगी लेकिन प्रह्लाद मर जाएगा।

होलिका प्रहलाद को लेकर बैठ गई थी मगर होलिका को वरदान मिला था लेकिन भगवान विष्णु को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने होलिका को उसी आग में जलने दिया। आपको बिना किसी नुकसान के आंख से बाहर निकाल दिया। उसी समय से होलिका का दहन मनाया जाता है।

होलिका दहन के अगले दिन बड़ी होली का त्योहार मनाया जाता है और यह प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के अंतर्गत मनाया जाता है। मनाने वालों की संख्या करोड़ों में होती है।

होली पर एक निबंध 400 शब्दों में

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प्राचीन काल से ही प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास में होली का त्यौहार मनाया जाता है। होली का त्यौहार हिंदू धर्म का त्यौहार है। प्रत्येक हिंदू, प्रत्येक भारतवासी इस दिन को खुशियों के साथ मनाते है।

होली के दिन सभी रंगों के साथ खेलते है जैसे कि गुलाल, गुब्बारे, रंग बिरंगे पानी के साथ खेला जाता है। लोगों के कपड़े और सबकी हालत रंग बिरंगी नजर आती है और सभी लोग आपसी भेदभाव, मनमुटाव, दुश्मनी को भुलाकर होली का त्यौहार एक साथ मिल कर मनाते है और कहा जाता है कि होली के दिन सभी पड़ोसी एक दूसरे के घर जाकर एक दूसरों को रंग लगाते हैं।

होली के दिन सुबह से ही लोग होली खेलना शुरू कर देते है और कोई भी किसी के भी साथ होली खेल सकते है। होली के दिन एक दूसरे को रंग लगाया जाता है और यह समानता का प्रतीक साबित किया जाता है।

Holi Story in Hindi

होली से 1 दिन पहले छोटी होली मनाई जाती है। इस दिन होलिका का दहन किया जाता है। होलिका में जब हिरण्यकश्यप की बहन होलिका  का दहन हुआ था तब से ही छोटी होली मनाई जाती है। होलिका हिरण्यकश्यप की छोटी बहन थी और हिरण्यकश्यप प्रहलाद के पिता थे। अपने आप को भगवान मानता था।

प्रह्लाद श्री हरि विष्णु जी का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप कि लाख कोशिशों के बाद भी प्रह्लाद श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना करना नहीं भूला अंत में आकर्षण हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रवीण कुमार ने लाख कोशिश की लेकिन असफल रहा। उसी में एक बार हिरण्यकश्यप ने अपनी छोटी बहन होलिका से कहा कि होलिका दहन में इस बार तुम अब प्रह्लाद को लेकर बैठना होगा क्योंकि भगवान शिव जी का आपको वरदान है कि आपको कोई भी अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती है तो आप तो बच जाओगे लेकिन प्रह्लाद उस अग्नि में जल कर भस्म हो जाएगा।

लेकिन विष्णु जी को यह बात पसंद नहीं आई और होलिका में होलिका का दहन हुआ और प्रह्लाद का बाल भी बाका नहीं हुआ जिससे श्री विष्णु जी की शक्ति का पता चला और होलिका का दहन की प्रथा चलती है। होलिका के दहन के अगले दिन बड़ी होली मनाई जाती है जिसमें लोग आपस में एक दूसरे को रंग लगाकर एक समानता का उदाहरण देते है।

Very Short Essay on Holi Festival in Hindi

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होली का पर्व प्राचीन काल से ही मनाया जाता आ रहा है। होली का पर्व हिंदू धर्म में मनाया जाता है और होली की मान्यता अपने आप में ही बहुत है। होली का पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। हर भारतवासी होलिका पर हर्ष और उल्लास के साथ होली मनाते हैं। सभी लोग इस दिन पर अपने सारे गिले शिकवे और मनमुटाव को भूल कर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और होली का त्यौहार मनाते है।

रंगों का त्योहार होली खुशियों का त्यौहार है। होली का त्यौहार फाल्गुन मास में मनाया जाता है। होली का त्यौहार मार्च के महीने में मनाया जाता है। होली का त्योहार विभिन्न प्रकार के रंगों के साथ मनाया जाता है। होली के दिन लोग अपने रिश्तेदारों आस-पड़ोस के लोगों के साथ होली का त्यौहार मनाते है।

होली के त्यौहार के दिन गुझिया, पापड़ बनाने की प्रथा है। होली से 1 दिन पहले छोटी होली मनाई जाती है जिस दिन होलिका को जलाया जाता है और होली का त्यौहार शुरू किया जाता है।

होलिका दहन में गेहूं के कुछ फल होली की अग्नि में भुनी जाती है और अपने आस-पड़ोस रिश्तेदारों में सभी लोगों को बांटा जाता है इससे गेहूं की फसल पकना शुरू हो जाता है।

होली की कथा

भगवान श्री हरि के भक्त प्रह्लाद जिनके पिता का नाम हिरण्यकश्यप था। हिरण्यकश्यप अपने आप को राजा मानता था और अपने आप को भगवान मानने लगा था। वह किसी भी व्यक्ति को पसंद नहीं करता था जो भगवान श्री विष्णु जी को मानता था।

हिरण्यकश्यप के बेटे प्रह्लाद जोकि भगवान श्री विष्णु जी का परम भक्त था जब यह बात सबको पता चली तो उसने बहुत कोशिश की कि उसका बेटा प्रह्लाद  विष्णु जी को भगवान मानना बंद कर दे लेकिन प्रह्लाद ने सीधा बोला श्री हरि जी ही सब कुछ है और इस संसार के पालनहार दुख हर्ता श्री विष्णु जी है। तो यह बात हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं आई और उसने अपने बेटे प्रह्लाद को मारने की बहुत कोशिश कि।

कभी समुद्र में पत्थर बांध के फेंके गए और कभी जलते उबलते हुए तेल में फेंके गए लेकिन श्री विष्णु जी ने हर हाल में अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की। ऐसे  हिरण्यकश्यप ने अपनी छोटी बहन होलिका को बुलाया और कहा कि इस बार होलिका दहन में तुम रात को अपने साथ लेकर भगवान शिवजी का वरदान प्राप्त है कि कोई भी अग्नि आपको कुछ नहीं कर पाएंगी लेकिन लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

होलिका के ऊपर से वह वरदान उठकर प्रह्लाद के सर पर जा गिरा और प्रह्लाद तो बच गया लेकिन होलिका का दहन हो गया और यह प्रथा आज भी चलती आ रही है।

प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास में होलिका का दहन होता है और अगले ही दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है। होली के दिन सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर, सभी प्रकार के दफ्तर को अवकाश प्राप्त होता है। होली के दिन सभी लोग एक दूसरे से सभी प्रकार के भेदभाव और नफ़रतों को भुला कर एक नयी दोस्ती की शुरुआत करते है।

Mera Priya Tyohar Holi Essay in Hindi For Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12

Holi Festival Images Free Download

प्राचीन काल से ही मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण और श्री राम जी के भजन सुनने में आते थे उसी नगरी में लोगों द्वारा भगवान के भजनों को एक समूह बनाकर खाया जाता था और उसमें ढोलक, मंजीरा, बांसुरी आदि के ताल पर भजनों को संगीत और लोकगीत गाए जाते थे। होली के त्यौहार का आनंद लिया जाता था और रंग बिरंगे रंगों एक दूसरे को रंग लगाया जाता था।

कार्यस्थलों तथा विभिन्न संस्थानों पर होली

होली के पावन पर्व पर सभी प्रकार के संस्थान, संस्था व कार्य स्थल में अवकाश दिया जाता है लेकिन बड़ी होली के दिन पहले छोटी होली मनाई जाती है जिसे होलिका दहन भी कहा जाता है। उस दिन स्कूलों में बच्चे तथा कार्य स्थल पर सभी कर्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

होलिका की संध्या में मित्रों से मेल-मिला व

छोटी होली के दिन होलिका दहन करने के बाद शाम के समय सभी लोग नए वस्त्र पहनते है और अपने पड़ोसी व मित्रों के साथ उनके घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामनाएं देने के लिए जाते है।

होली की हलचल का सभी टीवी चैनलों पर प्रसारण

होली का पर्व ऐसा पर्व है जिस पर सभी टीवी चैनलों में होली के गीत, अनेक विशेष कार्यक्रम तथा न्यूज चैनलों के माध्यम से विभिन्न स्थानों की होली प्रसारित की जाती है। होली के दिन सभी अभिनेता और अभिनेत्री एक दूसरे के घर जाकर होली का त्यौहार मनाते हैं और यह सीधा प्रसारण टीवी  चैनलों पर देखने को मिलता है।

हिन्दुस्तानी बाजारों की हलचल में, होली की परंपरागत रीति कहीं गुम न हो जाए

होली के दिन पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के अबीर, चटकीले रंग, गुलाल, गुब्बारे, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगी पिचकारियों से अपने स्टॉल को भर देते है।

राशन और होली की सामग्री की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। पहले के लोग होली के 1 दिन पहले ही घरों में गुझिया बनाना शुरू कर देते है और मीठे मीठे पकवान बनाते थे और सब कुछ अपने खुद के घर में बनाया जाता था लेकिन अब शहरीकरण की वजह से और लोगों की मानसिकता की वजह से सभी प्रकार के पकवान और मिठाइयां बाजार से ही खरीद ली जाती है।

पहले क्या हुआ करता था कि सभी लोग अबीर गुलाल रंगों से खेलते थे लेकिन अब शहरीकरण की वजह से लोग गुब्बारों व अन्य प्रकार के रंगों के साथ खेलने लगे है जो कि सामान्य व्यक्ति के लिए हानिकारक साबित होता है जिससे उनकी सेहत पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है।

पहले होली के त्यौहार की अलग ही धूम नजर आती थी लेकिन अब लोगों के पास समय ही नहीं रहता कि वह होली का त्योहार मना सकें और लोगों में प्यार बांट सके। परंपरागत विधि से आज इस त्योहार का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। पहले के लोग होली के त्यौहार का बेसब्री के साथ इंतजार करते थे लेकिन अब होली कब आती है और कब जाती है किसी को नहीं पता होता।

समय के बदलते रुख को देखते हुए यह पता चलता है कि पहले होली का त्यौहार बहुत ही अच्छी तरीके से मनाया जाता था लेकिन अब लोग अपनी होली की मस्ती में अपनी मर्यादा को भूलते जा रहे हैं और आज के समय में त्योहार के नाम पर लोग अनैतिक कार्य कर रहे है। जैसे एक-दूसरे के कपड़े-फाड़ देना, जबरदस्ती किसी पर रंग डालना, बिना जान पहचान के ही किसी पर भी रंग डाल देना, होली के त्यौहार के दिन शराब आदि का सेवन करना आदि।

होली पर हुड़दंग

होली का त्योहार सभी के लिए समान तौर पर मनाया जाता है। अब चाहे कोई व्यक्ति होली मनाता हो या ना हो फिर भी उस पर रंग डाल दिया जाता है जैसे कि कोई भी व्यक्ति अपने घर से निकलना नहीं पता लेकिन फिर भी लोग उनके घरों में जाकर रंग डाल देते हैं और बुरा न मानो होली कह कर निकल जाते है। जैसे कि भिगोने वालों का तकिया कलाम बन चुका होता है “बुरा ना मानो होली है”।

कुछ लोग त्योहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहे पुरुषों महिलाओं को परेशान करते है। यह बिल्कुल गलत है और हमारे इंसान के धर्म के विरुद्ध है। एक इंसान का धर्म होता है लोगों की रक्षा करना ना कि उसे परेशान करना।

होली का त्यौहार खुशियों का त्योहार है, खुशियों के साथ ही मनाया जाना चाहिए ना कि किसी व्यक्ति के साथ मनाना चाहिए जो इसे होली का त्यौहार बिल्कुल पसंद नहीं या फिर वह होली का त्योहार मनाना ही नहीं चाहता।

होली का त्यौहार खुशियों का त्यौहार है। रंगों के साथ लोग अब अपनी मस्ती में डूबे नजर आते है, एक सामान्य व्यक्ति रंगों के साथ खेलता है, स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेता है और एक अनैतिक व्यक्ति अपने तरीके से होली का त्योहार मनाते है।

होली का त्यौहार एक सामाजिक त्योहार है। होली का उद्देश्य ही होता है कि सभी प्रकार के भेदभाव, मनमुटाव, दुश्मनी को भुलाकर एक दोस्ती का रिश्ता बनाया जाए। इसी को होली का त्यौहार कहां जाता है।

होली के त्यौहार की महत्वता बहुत है और होली का त्यौहार एकता और समानता का त्यौहार है। होली की खुशियों को एक दूसरे के साथ बांटना चाहिए और हो सके तो सभी गिले-शिकवे को भुलाकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करनी चाहिए।

होली का त्यौहार होता ही ऐसा है कि सभी मतभेदों को भुला देता है और मेरा यह होली पर निबंध अगर आपको अच्छा लगा हो तो शेयर करना ना भूले।

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हैप्पी होली, होली की ढेर सारी शुभकामनाएं। जय हिंद जय भारत….!

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रंगो के त्योहार होली पर निबंध | Essay On Holi In Hindi

होली पर निबंध 2024 | Essay On Holi In Hindi

Essay On Holi Festival In Hindi And English : India is a colorful & religious country here over the year celebrate many of the Festivals,  Holi Festival (होली पर निबंध) one of them.

this is a great Hindu festival, it is celebrated all over the world on Phalguna Purnima (in approx march month).

Essay On Holi Festival In English

India is a country of festivals and fairs. Holi is the most popular of all seasonal festivals. it foretells the coming spring.

to celebrate this festival of color, people throw colored water and rub the faces of one another with the powder called gulal.

it is a special day for students. they seem to be full of health, vigor, and vitality. on this day they forget their enemies with one another.

the people celebrate this festival with great enthusiasm. they use big hoses to shower colored water on the passengers. to be precise a complete sense of merriment prevails on the day of the Holi festival.

(100 शब्द) होली पर निबंध Essay On Holi Festival In Hindi

भारत त्योहारों और मेलों का देश है। होली सभी मौसमी त्यौहारों में सबसे लोकप्रिय है। आगामी बसंत ऋतू के आगमन की खबर देने के रूप में होली का पर्व आता है.

रंग के इस उत्सव का जश्न मनाने के लिए, रंगों के साथ पानी फेंकते हैं और एक दूसरे के चेहरे पर गलाल के साथ रगड़ते हैं।

यह छात्रों,बड़े बूढों सभी के लिए एक विशेष दिन है। वे स्वास्थ्य, शक्ति और जीवन शक्ति से भरे हुए प्रतीत होते हैं। इस दिन वे अपने दुश्मनी को एक दूसरे के साथ भूल जाते हैं।

लोग होली के उत्सव को बहुत उत्साह से मनाते हैं। वे यात्रियों पर रंगो एवं गुलाल का पानी को स्नान करने के लिए बड़ी नली का उपयोग करते हैं। होली त्यौहार के दिन मौज मस्ती मजाक को कोई भी दिल पर नही लेता है. इस तरह यह होली का त्यौहार आपसी प्रेम व भाईचारें को बढाता है.

(150 शब्द) होली पर निबंध

होली हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इसे रंगो का त्योहार भी कहते है. होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस त्योहार का संबंध प्रहलाद की कथा से माना जाता है.

उसे सजा देने के उसके पिता हिरन्यकश्यप ने अपनी बहिन होलिका की गोद में उसे रखकर आग में बैठाया. तब होलिका तो जल गई परन्तु भक्त प्रहलाद बच गया. तब से यह त्योहार उनकी याद में मनाया जाता है. संध्या के समय होली जलाई जाती है.

होली में नयें अनाज की बालियों को सेका जाता है. अगले दिन धुलंडी होती है. सभी लोग रंग, अबीर, गुलाल आदि से खेलते है और अपनी ख़ुशी प्रकट करते है. इस दिन आपसी मतभेद भुलाकर सभी लोग गले मिलते है. घरों में मिठाई और अच्छे पकवान परोसे जाते है.

इस होली के त्योहार पर कुछ लोग कीचड़ उछालते है और शराब आदि का नशा करते है. यह बुराई नहीं अपनानी चाहिए. होली का त्योहार आपसी मेल-जोल, प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने वाला है.

(400 शब्द) Essay On Holi In Hindi For Kids

हमारे देश में वर्ष पर्यन्त त्यौहार मनाए जाते है. अलग-अलग धर्मो के अनुयायी अपने अपने व्रत त्योहारों को बड़ी लग्न व् श्रद्धा के साथ मनाते है. भारत के मुख्य त्योहारों में दीपावली, रक्षाबन्धन, दशहरा और होली प्रमुख चार बड़े पर्व है.

इन चारो त्योहारों का विभाजन वर्णों के आधार पर किया गया है. रक्षाबन्धन जिन्हें ब्राह्मणों का त्यौहार माना जाता है. दशहरा क्षत्रियो का दीपावली को वैश्यों का तो होली का त्यौहार शुद्रो का माना जाता है.

इसे रंगों का त्यौहार Color festival भी कहते है. पूर्व में चाहे जो भी स्थति रही हो. आज के समय में न सिर्फ हिन्दू धर्म के चारों वर्ण मनाते है. बल्कि सिख, जैन सहित सभी धर्मो के अनुयायी भी इस पर्व को धूमधाम से मनाते आ रहे है.

विभिन्नता में यही एकता हमारे भारतवर्ष की पहचान है. जिन्हें निरंतर आगे बढ़ाने में ऐसें जैसे फैस्टिवल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.

विशिष्ट त्यौहार- बंसत ऋतू का पहला त्यौहार बसंत पंचमी है. इसके बाद यह पर्व आता है. हर साल हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है. उसी रात को अथवा दुसरे दिन प्रत्येक गाँव नगर या स्थान स्थान पर होलीका दहन किया जाता है.

इस होली की आग से प्रत्येक सनातनधर्मी अपने घर के आस-पास होली की स्थापना कर सही मुहूर्त पर इसका दहन करते है.

मनाने का तरीका- इस अवसर पर नये पके हुए अन्न को आग में भुना जाता है. तथा इस भुने हुए अन्न को प्रसाद को सभी मित्रों व् रिश्तेदारों में वितरित किया जाता है. संस्कृत भाषा में होली के इस पके हुए अन्न को होलक कहा जाता है.

इसी कारण इस उत्सव को होलिकोउत्सव या होली कहते है. कुछ लोग इस त्यौहार का सम्बन्ध प्रहलाद की बुआ होलिका से मानते है. इसके मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई है तथा प्राचीन काल से होली का त्योंहार मनाया जाता रहा है.

होली खेलना- होलिका दहन के उपरांत लोग रंग और गुलाल से खेलते है. अपरान्ह में स्नान भोजन इत्यादि करने के पश्चात सभी लोग साफ़ तथा नवीन वस्त्र धारण करके एक दुसरे के यहाँ जाते है. और एक दुसरे से मिलते है.

होली के इस अवसर पर शत्रु भी मित्र के समान परस्पर मिलते है. और ऐसा जान पड़ता है. मानो आज उनकी सालों की दुश्मनी समाप्त हो गई है.

उपसंहार(महत्व)-  देश और स्थान के भेद के कराण भारत में इस पर्व को मनाने के ढंग और उनकी रीतियों में भी थोड़ा अंतर पाया जाता है. ब्रज में कई दिनों तक रंग की होली होती हैं.

और होली नामक गीत लगभग सम्पुरण उत्तर भारत में बड़े प्रेम के साथ गाया जाता हैं. ब्रज की होली प्रसिद्ध है. परन्तु किसी किसी प्रदेश में पंचमी के दिन भी खेली जाती हैं.

(500 शब्द) होली निबंध essay on holi in hindi for class 3

एक ही तरह का जीवन जीते जीते व्यक्ति उब जाता हैं. इसके लिए समाज ने अनेक पर्वों त्योहारों एवं मेलों आदि की व्यवस्था की हैं. हमारे देश में सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. सभी के अपने अपने त्योहार हैं. हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में होली का महत्वपूर्ण स्थान हैं.

होली मनाने का कारण – होली का त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं. वसंत ऋतू के आगमन से चारों ओर वातावरण सुगन्धित हो जाता हैं. खेतों में फसले पकने के लिए तैयार हो जाती हैं.

किसान फसलों को देखकर खुश हो उठता हैं. उसकी यही ख़ुशी होली के त्योहार के रूप में फूट पड़ती हैं. यह भी कहा जाता है कि प्राचीनकाल में दैत्यराज हिरन्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहिन होलिका को बुलाया था.

होलिका को वरदान मिला था कि वह आग में नही जलेगी. वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई, भगवान की कृपा से प्रहलाद तो बच गया परन्तु होलिका जल गई. इसी ख़ुशी में प्रतिवर्ष होली के दिन होलिका का दहन किया जाता हैं.

होली मनाने का तरीका -होली का त्योहार की तैयारी एक माह पहले से होने लगती हैं. घरों व मुहल्लों में उपले लकड़ियाँ एकत्रित कर जलाई जाती है, होली के शुभ मुहूर्त में आग लगाई जाती हैं. क्षेत्रीय परम्पराओं के अनुसार होली का त्योहार मनाया जाता हैं.

मथुरा में जलती होली के बिच से पंडा निकलता हैं. सभी एक दूसरे पर रंग, अबीर, गुलाल डालते है तथा आपस में गले मिलते हैं. बरसाने की लट्टमार होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं.

होली में जौ एवं गेहूं की बालियाँ भुनकर सब एक दूसरे से प्रेम सहित भेट करते हैं. पुराने गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले मिलते हैं. होली को प्रीति पर्व भी कहा जाता हैं. सब एक दुसरे को रंगों से सराबोर कर देते हैं.

होली की अच्छाईयां – होली का त्योहार परस्पर प्रेम और सौहार्द की भावना को बढ़ाता हैं. होली पर अमीर गरीब का भेद मिट जाता हैं. सभी में नया उत्साह, नई उमंग, नया जोश दिखाई देता हैं.

होली की बुराइयां – होली के त्योहार के साथ कुछ बुराइयां भी जुड़ी हुई हैं. इस दिन कई लोग शराब भांग आदि का सेवन करते हैं. और नशे में एक दूसरे से झगड़ा कर बैठते हैं. रंग लगाने के बहाने लोग दूसरों पर कीचड़, कोलतार, तेज़ाब आदि भी डाल देते हैं. जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता हैं.

उपसंहार – होली के त्योहार के साथ जुड़ी हुई ये छोटी सी बुराइयां यदि दूर हो जाये तो इससे अच्छा और कोई त्योहार नही हैं. यह मेल मिलाप और भाईचारे की भावना को विकसित करता हैं. आपस में भेदभाव भुलाकर हम सबकों होली का त्यौहार मनाना चाहिए.

(600 शब्द) होली निबंध Short Essay On Holi In Hindi

होली का इतिहास- होली को मनाए जाने के पीछे कई कथाएँ एवं कारण बताए जाते हैं. पुराणों में दैत्यों के राजा हिरन्यक्ष्यप की कथा आती हैं. यह भगवान विष्णु का विरोधी था. इसका पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त था. हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद से रुष्ट होकर उसे मरवाने के प्रयास किये. किन्तु सफल न हुआ.

अंत में उसकी बहिन ने प्रहलाद को मारने का उपाय सुझाया. उसके पास एक अग्निरोधक चादर थी. वह उसे ओढ़कर और प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि के बीच बैठ गई, किन्तु आंधी से चादर प्रहलाद पर लिपट गई और वह बच गया. उसकी बुआ जलकर मर गई.

इसी स्मृति में होली जलाई जाती हैं. कुछ लोग इसे ऋतु या फसल का उत्सव भी मानते हैं. नई फसल के होलो या बालों को आग में भूना जाता हैं. और बांटा जाता हैं.

मनाने का समय और स्वरूप- होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं. यह त्योहार दो दिन चलता हैं. पहले दिन लकड़ी के उपलों का ढेर लगाकर उसमें आग लगाई जाती हैं. लोग इसकी आग में गेहूं की बालें और चने के पौधे या होले भूनते हैं इसकी परिक्रमा लगाते और जयकार करते हैं.

अगले दिन रंग की होली होती हैं स्त्री, पुरुष, बालक, वृद्ध सभी होली के रंग में मस्त हो जाते हैं. घरों पर मिलने जाते हैं. एक दूसरों को गुलाल लगाते हैं. आने वालों को ठंडाई और पकवानों से स्वागत किया जाता हैं.

गलियों और बाजारों में लोग समूहों में गाते, बजाते, रंग गुलाल उड़ाते घूमते हैं. सायंकाल स्थान स्थान पर होली मिलन समारोह आयोजित होते हैं. मन्दिरों में भी भक्तिभाव से होली खेली जाती हैं.

महत्व- होली उल्लास और मस्ती का त्योहार है. यह वर्ष भर के बैर विरोध को भुलाकर गले मिलने का पर्व हैं. कुछ लोग शराब आदि का सेवन करके अशोभनीय उत्पात भी करते हैं. इसे रोका जाना चाहिए. होली के द्वारा हमें सामाजिक प्रेमभाव को बढ़ाने के अवसर प्राप्त होते हैं.

संदेश- मेल मिलाप और प्रेम की वृद्धि होली के त्योहार का लक्ष्य हैं. होली का त्योहार हिन्दू धर्म से सम्बन्धित होने पर भी धार्मिक भेदभाव से युक्त हैं. इस त्योहार का आधार सामाजिकता हैं. लोगों को मतभेद भुलाकर परस्पर प्रेम एवं मेल से रहने का संदेश होली देती हैं.

एक दूसरे के गले मिलकर सारे गिले शिकवे दूर किये जाते हैं. दूसरों की हंसी उड़ाने की आदत तो मनुष्यों की होती ही हैं. परन्तु होली अपने ऊपर ही हंसने का अवसर देती हैं. इससे आदमी के दोष उसके सामने आते हैं. तथा उनसे बचने का अवसर उसको प्राप्त होता हैं.

(1000 शब्द) होली पर निबंध 2024 Short & Long essay on holi in hindi

भारत को त्योहारों के देश के रूप में जाना जाता है यहाँ भांति भांति के पर्व त्यौहार मनाए जाते है. होली हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है.

इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है फाल्गुन माह की पूर्णिमा को यह हर साल मनाया जाता है. जिस तरह हर पर्व त्योहार को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा कहानी व कई कारण जुड़े होते है. होली मनाने के पीछे भी कुछ स्टोरीज जुड़ी है

हम होली क्यों मनाते है (Why We Celebrate Holi)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन के महीने में होली (जिसे फगवा या भोजपुरी भी कहा जाता है) फाल्गुन पूर्णिमा (या पूरनमाशी, पूर्ण चंद्रमा) पर मनाया जाता है।

यह पूर्णिमा की शाम से शुरू होने वाली रात और एक दिन तक रहता है। पहली शाम को होलीका दहन या छोटी होली और अगले दिन होली, रंगवाली होली, धुलेटी, धुलंडी या फगवा के नाम से जाना जाता है.

इसकों मनाने की तिथि हिन्दू पंचाग के अनुसार निर्धारित होती है. हर साल यह सर्द ऋतु की समाप्ति एवं बसंत के आगमन के समय फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि को मनाते है. जो हर साल मार्च के पहले से तीसरे सप्ताह में अमूमन होती है.

होली क्यों मनाई जाती है, होली मनाने का कारण व कहानी हिंदी में (Why We Celebrate Holi festival In Hindi)

एक समय की बात है कि भारतवर्ष में एक हिरण्यकशिपु नाम का राक्षस राज करता था. उसके एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था. प्रहलाद भगवान का परम भक्त था. परन्तु उसका पिता भगवान को अपना शत्रु मानता था. वह अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने तक को मना करता था.

परन्तु वह अपने पुत्र प्रहलाद को ईश्वर भजन से न रोक सका. इस पर हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को पहाड़ से भी गिराया, सर्पो की कोठरी में बंद कराया. हाथी के सामने डलवाया परन्तु उस भक्त का कुछ भी न हुआ.

अतः में हिरण्यकशिपु बोला कि मेरी बहिन होलिका को बुलाओं और उससे कहो कि प्रहलाद को अग्नि में लेकर बैठ जाय जिससे प्रहलाद तो जलकर मर जाएगा. और अग्नि होलिका का कुछ नही बिगाड़ सकती.

क्योंकि होलिका को यह वरदान था कि उसे अग्नि नही जला सकती. अतः होलिका को बुलाया गया. उसने अपने भाई की बात मानी और अग्नि के बीच होलिका प्रहलाद को लेकर बैठ गईं.

प्रहलाद भगवान् को याद करता रहा. भगवान की कृपा से अग्नि प्रहलाद के लिए बर्फ के समान शीतल हो गई और उस अग्नि ने होलिका को भस्म कर दिया. उसी दिन से यह होलिका जलाई जाती है. हे भगवान तुमने भक्त जैसे प्रहलाद की रक्षा की वैसे सबकी रक्षा करना.

यह होली का पर्व फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है. इस दिन सभी स्त्री पुरुष बच्चे होली का पूजन करते है. पूजन के बाद होलिका को जलाया जाता है. इस पर्व पर व्रत भी करना चाहिए.

होली के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पहले हनुमान जी भैरोजी आदि देवताओं की पूजा करे. फिर उन पर जल, रोली, माला, चावल, फूल, प्रसाद, गुलाल, चन्दन, नारियल आदि चढावे. दीपक से आरती करके दंडवत प्रणाम करे. फिर सबके रोली से तिलक लगादे. और जिन देवताओं को आप मानते है उनकी पूजा करें.

फिर थोड़े से तेल को सब बच्चों का हाथ लगाकर किसी चौराहे पर भैरों के नाम से एक ईट पर चढ़ा देवे. यदि कोई लड़का हुए का या लड़की के विवाह का उजमन करता होवे तो वह होली के दिन ही उजमन करे.

इस उद्यापन में एक थाली में १३ जगह ४-४ पूरी और सीरा रखे उन पर अपनी श्रद्धानुसार रूपये कपड़े तथा १३ गोबर की सुपाड़ी की माला रखें. फिर उन पर हाथ फेरकर अपनी सासूजी को पाय लगकर देवे. सुपाड़ी की माला अपने घर में ही टांग देवे.

इस दिन अच्छे अच्छे भोजन, मिठाई, नमकीन पकवान बनावें. फिर थोड़ा थोड़ा सभी सामान एक थाली में देवताओं के नाम का निकाल कर ब्राह्मणी को दे देवें. भगवान का भोग लगाकर स्वयं भोजन कर लेवें.

होली की पूजा विधि और सामग्री (Holi Puja Vidhi in Hindi, Holi puja kaise Kare, Holi Puja Niyam)

पहले जमीन पर थोड़े गोबर और जल का चौका लगा देवे. चौका लगा देने के बाद एक सीधी लकड़ी के चारो तरफ गुलरी की माला लगा देवे. उन मालाओं के आस-पास गोबर की ढाल, तलवार खिलोने आदि रख दे.

जो होली पूजन का समय नियत हो, उस समय जल, मोली, रोली, चावल, फूल, गुलाल, गुड़, आदि से होलिका पूजन करने के बाद ढाल तलवार अपने घर में रख लेवे. चार जेल माला अपने घर में पीतर जी, हनुमान जी, शीतलामाता तथा घर के नाम की उठाकर अलग रख देवे.

यदि आपके यहाँ घर में होली न जलती हो तो सब ओर यदि होली घर में ही जलाते हो तो एक माला ऊख, पूजा की समस्त सामग्री, कच्चे सूत की कुकड़ी, जल का लौटा, नारियल, बूट (कच्चे चने की डाली), पापड़ आदि सब सामान गाँव या शहर की होली जिस स्थान पर जलाते है वहां लेकर चले जाये.

वहां जाकर डंडी होली का पूजन करे. जेल माला, नारियल आदि चढ़ा देवे. परिक्रमा देवे, पापड़ बुटं आदि होली जलने पर भुन लेवे. सभी बांटकर खा लेवे. ऊख घर वापिस ले आए. यदि घर पर होली जलावे तो शहर गाँव वाली होली में से ही अग्नि लाकर घर ही होली जलावें. फिर घर आकर पुरूष अपने घर की होली का पूजन करने के बाद जलावें.

घर की होली में अग्नि लगाते ही उस डंडा या लकड़ी को बाहर निकाल लेवे. इस डंडे को भक्त प्रहलाद मानते है. स्त्रियाँ होली जलाते ही एक घंटी से सात बार जल का अर्ध्य देकर रोली चावल चढ़ावे.

फिर होली के गीत या बंधाएं गावें. पुरूष घर की होली में बुन्ट और जौ की बाल पापड़ आदि भुनकर तथा उन्हें बांटकर खा लेवें. होली पूजन के बाद बच्चे तथा पुरूष रोली से तिलक टीका लगावे. छोटे अपने बड़ों के पाँव छूकर आशीर्वाद लेवे.

यह ध्यान रहे कि जिस लड़की का विवाह जिस साल हुआ हो, वह उस साल ससुराल की जलती हुई होली को न देखे. यदि हो सके तो अपने मायके चली जावें.

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) – होली क्यों मनाई जाती है?

Holi par nibandh in Hindi (Essay on Holi in Hindi) – साल भर मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहार भारतीय जीवन शैली का एक अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे संस्कृति प्रधान देश में कई रंग-बिरंगे और विविध त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इनमें से होली का त्योहार भी विशेष महत्व रखता है, जिसे आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का पर्व कहा जाता है।

होली भारत की विविध संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो जीवन में उमंग, उल्लास और उत्साह को बनाए रखने की भूमिका निभाता है।

इस लेख में हम होली पर निबंध हिंदी में (Holi Essay in Hindi) होली के त्योहार के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी साझा करने जा रहे हैं। हम आशा करते हैं कि विभिन्न शब्द संख्याओं में उपलब्ध यह Holi ka nibandh (होली पर निबंध) सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

(होली की जानकारी और छोटे-बड़े निबंध – Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

Table of Contents

होली पर निबंध – 1  (250 शब्दों में) (Holi Essay in Hindi)

प्रस्तावना:

होली भारत में मनाया जाने वाला रंगों का एक बहुत लोकप्रिय त्योहार है। होली का मुख्य दिन फाल्गुन पूर्णिमा है, जो मार्च या अप्रैल के बीच में पड़ता है।

होली त्योहार क्या है?

होली एक हिंदू त्योहार (Hindu festival) है जो भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इसे “फागू पर्व (Fagu festival)” भी कहा जाता है क्योंकि इस त्योहार में लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं और यह रंगों से भरा होता है। 

यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो फरवरी या मार्च के महीने में आता है। 

लोग एक दूसरे को गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंगों से रंगते हैं। बच्चे अपनी इच्छा के अनुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद लेते हैं।

इसके अलावा होली पर लोग एक दूसरे के साथ मिठाइयां खाने का भी लुत्फ उठाते हैं। 

भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है, जैसे उत्तर भारत में लोग लोहड़ी जलाते हैं और मथुरा और वृंदावन में ब्रज भूमि के रंगोत्सव का आयोजन किया जाता है।

हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन इस त्योहार में विभिन्न समुदायों के लोग उत्साह और उमंग के साथ एक साथ आते हैं, जो वयस्कों को भी बचकाना बना देता है।

होली का उत्सव और वसंत ऋतु का आगमन अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और ऊर्जा को चारों ओर फैला देता है जैसे आकाश में गुलाल बिखर जाता है।

निष्कर्ष: 

होली एक सामाजिक और धार्मिक त्योहार है, जो लोगों को एक साथ आने और पुरे उत्साह के साथ आनंद का अनुभव करने का मौका देता है।

होली पर निबंध – 2  (600 शब्दों में) (Essay on Holi in Hindi)

भारत देश में विविध संस्कृति के साथ कई त्यौहार मनाए जाते हैं। होली, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है और इस दिन लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं, रंग लगाते हैं और एक दूसरे को मिठाइयां भी बांटते हैं। होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नाचते हैं और मिठाई खाते हैं। 

होली का आगमन और उत्सव

होली का त्योहार आने के कुछ दिन पहले से ही बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी अपने-अपने तरीके से होली के त्योहार की तैयारी में लग जाते हैं। इस समय फागुन मास की शुरुआत ठंड को विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम सुहावना होने लगता है।

इस पर्व पर फाग गीतों की भी परंपरा रही है; फाग लोकगीतों के बिना यह पर्व कुछ अधूरा सा लगता है। पहले फाग सुनने से ही लोगों को पता चल जाता था कि होली आने वाली है।

खासकर बच्चों में होली के त्योहार को लेकर खासा उत्साह होता है। वे काफी पहले से ही होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। 

वैसे तो गांवों में लकड़ियां आसानी से मिल जाती है, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर, लकड़ी के बेकार सामान आदि से ही होलिका दहन की व्यवस्था करते हैं। इसके साथ ही होलिका तैयार करने में सभी वर्ग के लोग लकड़ी का योगदान करते हैं।

लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ तरह-तरह के रंग और गुलाल की खरीदारी करने लगते हैं। महिलाएं होली के त्योहार पर घर आने वाले लोगों के लिए मिठाई, नमकीन और गुजिया बनाने में जुट जाती हैं।

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है।

लोग समूह में एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही, “बुरा ना मानो, होली है” का जुमला यह बताता है कि लोग इस दिन रंग और गुलाल लगाने के लिए स्वतंत्र हैं और इससे किसी को नाराज नहीं होना चाहिए।

होली में रंगों का क्या महत्व है?

होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है। तरह-तरह के रंगों में सराबोर चेहरे, कपड़े सबके चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं। इस त्योहार के रंगों में बुजुर्गों को भी बच्चों में बदलने की ताकत है।

होली को और किन नामों से जाना जाता है?

होली को आमतौर पर सभी राज्यों में होली के नाम से जाना जाता है, लेकिन कुछ जगहों पर होली को आका, डोल भी कहा जाता है। इसके अलावा भारत और नेपाल में होली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है:

  • होली: भारत में होली नाम से जाना जाता है और यह फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
  • फागु पूर्णिमा: उत्तर प्रदेश और बिहार में यह फागु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
  • दोल यात्रा: बंगाल में होली को दोल यात्रा के नाम से जाना जाता है।
  • बसंतोत्सव: होली को भारत के कुछ हिस्सों में बसंतोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
  • फाल्गुन महोत्सव: नेपाल में होली को फाल्गुन महोत्सव के नाम से जाना जाता है।

शहरी संस्कृति ने “होली मिलन” कार्यक्रमों को जन्म दिया है जिसमें राजनीतिक दल, संगठन बड़े पैमाने पर होली मिलन कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिसमें सैकड़ों लोग भाग लेते हैं।

  • भारत के अलावा कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश आदि कई देशों में भी होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली खुशी और एकता के साथ मनाया जाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ रंगों से खेलते हैं, मस्ती करते हैं और सभी गिले-शिकवे भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं।

होली पर निबंध – 3  (1300 शब्दों में) (Holi par nibandh in Hindi)

होली एक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो फरवरी और मार्च के बीच आता है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।

होली का इतिहास

पुराणों के अनुसार होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने स्वयं को देवता मानकर अपने राज्य में विष्णु पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उसका अपना पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और दिन-रात हरि भक्ति में लगा रहता था।

राजा हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद का यह व्यवहार बिल्कुल पसंद नहीं आया और उसने प्रह्लाद का मन बदलने की हर संभव कोशिश की। ऐसे में जब प्रह्लाद को किसी भी तरह से भगवान की पूजा करने से रोकने में सफलता नहीं मिली तो उसने प्रह्लाद को मारने का आदेश दे दिया।

जब हाथी के पैरों तले कुचलकर पहाड़ से फेंके जाने पर भी प्रह्लाद को नहीं मारा जा सका तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

दरअसल होलिका को भगवान ब्रह्मा से यह वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जलेगी। इसलिए वह प्रह्लाद को गोद में लेकर लकड़ी के ढेर पर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई।

होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसे किसी प्रकार की हानि नहीं हुई, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट कामनाओं के कारण जलकर राख हो गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

होली मनाने के इतिहास के बारे में कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह पर्व प्राचीन आर्यों के समय से मनाया जाता रहा है। जबकि कुछ अन्य लोगों का मानना है कि होली फाल्गुन के महीने में भारत में प्रचलित लोक नृत्यों और गीतों से जुड़ी है।

होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली एक सामाजिक त्योहार है जो बहुत सारी रंगीन और मनोरंजक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। हालांकि, कुछ सामाजिक कुरीतियां भी होती हैं जो होली के दौरान देखी जाती हैं। 

कुछ असामाजिक लोग होली जैसे धार्मिक महत्व के त्योहार को भी बदनाम करने से नहीं चूकते। कुछ नशेड़ी और दुराचारी लोग नशीले पदार्थ का सेवन कर बेकाबू हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं।

कुछ लोग होलिका में हानिकारक पदार्थ जैसे टायर, प्लास्टिक आदि जलाते हैं, उन्हें इस बात का अहसास नहीं होता कि इससे पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। 

कुछ अति मौज-मस्ती करने वाले लोग होली के दौरान नाभिक रंग, केमिकल रंग या अन्य अनुचित रंगों का उपयोग दूसरों को लगाने का गंदा काम करते हैं, जिससे लोगों को शारीरिक हानि होने की संभावना रहती है।

यदि इन बुराइयों को होली से दूर रखा जाए तो होली का त्योहार वास्तव में मनुष्य और पर्यावरण के लिए हैप्पी होली बन जाएगा।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली परंपराएं

ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृन्दावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली सारे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। होली की विभिन्न परंपराएं भारत के विभिन्न राज्यों और शहरों में भी पाई जाती हैं।

ब्रजभूमि की लट्ठमार होली (Lathmar Holi of Braj Bhoomi):- “सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात ब्रज की होली सारे विश्व से निराली है। ब्रज के बरसाना गांव में होली को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। 

इस होली में बड़ी संख्या में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाना की।

जहां पुरुषों का ध्यान महिलाओं को पिचकारी से सराबोर करने पर होता है, वहीं महिलाएं अपना बचाव करती हैं और उनके रंगों का जवाब लाठियों से मारकर देती हैं।

मथुरा और वृंदावन की होली (Holi of Mathura and Vrindavan):- पूरे भारतवर्ष से परे मथुरा और वृंदावन में होली का एक अलग ही रंग होता है। यहां होली की धूम 16 दिनों तक रहती है। लोग “फाग खेलन आयो नंद किशोर” और “उदत गुलाल लाल भाए बदरा” जैसे लोक गीत गाकर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

बिहार की फगुनवा होली (Phagunwa Holi of Bihar):- बिहार में तीन दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है। पहले दिन रात को होलिका दहन होता है, जिसे यहां संवत्सर दहन भी कहा जाता है और लोग इस अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हैं। अगले दिन इसकी राख से होली खेली जाती है, जिसे धुलेटी कहा जाता है और तीसरा दिन रंगों से भरा होता है।

पुरुषों और महिलाओं के समूह घर-घर जाते हैं और डोल की ताल पर नृत्य करते हैं। फागुन का अर्थ लाल रंग होता है, इसलिए इसे फगुवा होली भी कहा जाता है।

मध्य प्रदेश की भगोरिया होली (Bhagoria Holi of Madhya Pradesh):- मध्य प्रदेश में रहने वाले भील आदिवासियों के लिए होली खास होती है। इस भील होली को भगोरिया कहा जाता है। इस दिन बड़े हो रहे लड़कों को अपना मनपसंद जीवन साथी चुनने की छूट होती है।

भीलों का होली मनाने का एक विशेष तरीका है। इस दिन वे आम के बाग, टेसू के फूल और गेहूं की बालियों की पूजा करते हैं और नए जीवन की शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं।

महाराष्ट्र की रंगपंचमी (Rangpanchami of Maharashtra):- महाराष्ट्र में मछुआरों की बस्ती के लिए इस त्योहार का मतलब है नाचना, गाना और मस्ती करना होता है। क्योंकि इस त्योहार पर सभी मछुआरे एक-दूसरे के घर जाते हैं और मौज-मस्ती में काफी समय बीत जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली नामक स्वादिष्ट मीठा पकवान बनाया जाता है।

गुजरात की मटकी फोड़ होली (Gujarat’s Matki Phod Holi):- गुजरात में होली के मौके पर जोशीले युवाओं की टोलियां सड़कों पर नाचती-गाती चलती है। गुजरात में होली का त्यौहार श्री कृष्ण की बाल लीला के उपलक्ष्य में होली के दिन मनाया जाता है। महिलाएं माखन से भरे मटकियों को गलियों में ऊंचाई पर टांगती हैं, पुरुष उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं और गीत-नृत्य के साथ होली खेलते हैं। 

पंजाब का “होला मोहल्ला” (“Hola Mohalla” of Punjab):- पंजाब में होली के इस पर्व को मर्दों की ताकत के तौर पर देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिखों के पवित्र तीर्थ “आनंदपुर साहिब” में छह दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं और घुड़सवारी, तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

हरियाणा की धुलंडी होली (Dhulandi Holi of Haryana):- हरियाणा, भारत में, होली को धुलंडी और सूखी होली के रूप में मनाया जाता है – इसे गुलाल और अबीर के साथ खेला जाता है। इस दिन भाभियों को साल भर परेशान करने वाले अपने देवर को सजा देने की पूरी आजादी होती है।

भाभियां अपने देवरों को तरह-तरह से प्रताड़ित करती हैं और बेचारे देवर चुपचाप सब सह लेते हैं, क्योंकि यह दिन भाभियों का दिन होता है। शाम को देवर अपनी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उसे आशीर्वाद देती है।

राजस्थान में तमाशा होली (Tamasha Holi in Rajasthan):- राजस्थान में होली के अवसर पर तमाशे की परंपरा है। इसमें कलाकार नुक्कड़ नाटक की शैली में मंच को सजाकर आते हैं और नृत्य और अभिनय से भरपूर अपने पारंपरिक कौशल का प्रदर्शन करते हैं। तमाशा की विषयवस्तु पौराणिक कथाओं और पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है और इन पात्रों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य भी करती है।

बंगाल की “डोल पूर्णिमा” होली (“Dol Purnima” Holi of Bengal):- बंगाल और उड़ीसा में होली “डोल पूर्णिमा” के नाम से प्रचलित है। इस दिन भजन-कीर्तन गाते हुए पूरे गांव में राधा-कृष्ण की मूर्ति को जुलूस के लिए निकाला जाता है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली (Holi of Manipur):- होली पर मणिपुर में “थबल चोंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह उत्सव पूरे छह दिनों तक चलता है जिसमें नृत्य-गीत और विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं।

होली के दिन लोग अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं और दुश्मनी खत्म करते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल और अन्य रंगों से रंगते हैं जो खुशी, प्रेम और मेल-मिलाप की अभिव्यक्ति को दर्शाते हैं। 

इसके अलावा, होली का अधिक महत्व है क्योंकि यह मानवता के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है। यह ऐसा पर्व है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति की बंधनों की सीमाओं से परे जाकर लोगों को भाईचारे का संदेश देता है।

होली पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Holi in Hindi)

  • होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।
  • यह हिंदुओं के सबसे पसंदीदा और आनंददायक त्योहारों में से एक है।
  • यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।
  • होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है।
  • यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  • रंग, गुलाल, पिचकारी और रंग-बिरंगे पानी के गुब्बारों से बच्चे इस त्योहार को काफी उत्साह के साथ मनाते हैं।
  • होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है।
  • इस त्योहार के अवसर पर, सभी लोग जीवन में सभी बुराईयों पर अच्छाई की जीत के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
  • इस मौके पर अपने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर त्योहार मनाया जाता है।

Q – होली का नाम किसके नाम पर रखा गया है? A – होली का नाम हिरण्यकशिपु की बहन होलिका के नाम पर रखा गया है।

Q – साल 2023 में होली कब मनाई जाएगी? A – इस वर्ष होली 08 मार्च 2023 को मनाई जाएगी।

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Holi Essay in Hindi: होली पर आकर्षक निबंध

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Holi Essay in Hindi: त्योहार भारतीय जीवन-शैली का एक अटूट हिस्सा है, जहां विभिन्न प्रकार के रंगीन और विविध त्योहारों का आयोजन होता है। इनमें से होली, जो साथी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का महत्वपूर्ण पर्व है, विशेष महत्व रखती है। होली, जो भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जीवन के उत्साह, खुशी, और उमंग को बढ़ावा देने में मदद करती है। होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) में हमने होली के इस महत्वपूर्ण पर्व के सभी पहलुओं की जानकारी प्रदान की है। यह आशा है कि इस होली के निबंध का उपयोग वे छात्र भी करेंगे जो होली हिंदी होली पर निबंध तैयार करना चाहते हैं या होली पर निबंध के लिए सामग्री खोज रहे हैं।

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होली पर निबंध 100 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

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होली हिंदी होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है। यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का त्योहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 200- 300शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली सबसे रंगीन और प्रसिद्ध भारतीय त्योहारों में से एक है। यह दर्शाता है कि वसंत आ गया है और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है। लोग इस त्योहार पर एक दूसरे को रंगों और पानी से रंगते हैं, जिसे “रंगों का त्योहार” भी कहा जाता है। होली पर लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर एक दूसरे पर पानी और रंग फेंकते हैं। वे ढोल बजाकर गाते और नाचते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। यह त्योहार पिछले दुखों को भूलने और माफ करने और नए दोस्त बनाने और पुराने लोगों के साथ रिश्तों को मजबूत करने का भी समय है।

होली एक खुशनुमा और मस्ती भरा त्योहार है, लेकिन इसके कई धार्मिक और सांस्कृतिक मायने भी हैं। ऐसा माना जाता है कि यह हिंदू पौराणिक कथाओं से आया है, जहां भगवान विष्णु ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को हराया था। भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा के बीच प्रेम भी त्योहार से जुड़ा हुआ है। होली एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत में बहुत सारी ऊर्जा और खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग त्योहार में एक साथ मिलते हैं, जो एकता, सद्भाव और खुशी को बढ़ावा देता है। यह समय अपनी सभी चिंताओं को दूर करने और जीवन का पूरा आनंद लेने का है।

होली का इतिहास होली के त्यौहार का जिक्र पुराने ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। इससे हमें होली के त्यौहार का महत्त्व और प्राचीनता का आभास भी होता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है। पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था। जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया, जिसके बाद ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप हिरण्यकश्यप को ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से मारा जा सकता था।

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होली पर निबंध 350 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली, भारतीय सांस्कृतिक कला और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जो भारत और भारतीयों के लिए विशेष महत्व रखता है। होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है।

इस अद्वितीय त्योहार की महत्वपूर्ण धारा रंग का खेल है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर विभिन्न रंगों का पाउडर फेंकते हैं और खुशियों का इज़हार करते हैं। होली का महत्व न केवल एक त्योहार मात्र है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है और यह दुनिया भर के लोगों के लिए एक रंगीन और आनंददायक त्योहार के रूप में पहचाना जाता है।

होली का महत्व

होली का महत्व भारतीय समाज के लिए गहरा है और यह एक ऐसा त्योहार है जिसे लोग साल भर बेताबी से इंतजार करते हैं। यह त्योहार विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ मिलकर मनाया जाता है, और इसके तहत लोग अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं।

होली के त्योहार का महत्व हिन्दू पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक कथा है, जिसमें होली को हिरण्यकशिपु के खिलवाड़े और प्रह्लाद के भक्ति की जीत के रूप में मनाने का प्रतीक माना जाता है। हिरण्यकशिपु, एक दुष्ट राक्षस राजा थे, जो भगवान विष्णु के खिलवाड़े से डरते थे। वे अपने पुत्र प्रह्लाद के भक्ति को बंद करने का प्रयास करते थे, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु के प्रति अपनी अद्भुत श्रद्धा में अटल रहे। होली के दिन, हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रह्लाद को उसके साथ बांधकर आग में डालने की कोशिश की, लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद बिना कोई कष्ट उठाए बच गए। होली के इस घड़ीघड़ी मोमें, होलिका जलकर मर गई, जबकि प्रह्लाद अस्तित्व में बने रहे। इसी प्रकार, होली का त्योहार भक्ति और सच्चे दर्शन की जीत का प्रतीक बन गया, और यही कारण है कि होली को विजय दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

इसके अलावा, होली का महत्व भारतीय ऋतुओं के माध्यम से भी जुड़ा हुआ है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो भारत में बसंत ऋतु की आगमन का समय होता है। बसंत ऋतु के साथ आती हैं खुशियों की बहार और फूलों की महक, और होली इस ऋतु का आगाज़ और खुशियों का स्वागत करने का एक तरीका होता है। इसलिए, होली का महत्व भारतीय जीवन में बसंत के आगमन के साथ जुड़ा हुआ है और यह एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है।

होली का आयोजन

होली का आयोजन विभिन्न तरीकों से भारत के विभिन्न हिस्सों में किया जाता है, और हर स्थान पर इसे अपने तरीके से मनाया जाता है। होली के पहले दिन, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है, लोग होलिका के मूर्ति को आग में जलाते हैं। इसके पीछे का सन्देश है कि बुराई का अंत हमेशा अच्छाई की जीत पर होता है।

होली के दूसरे दिन, लोग रंगों के साथ खेलने और एक-दूसरे को रंगने का आनंद लेते हैं। यह दिन गुलाल, अबीर, और अन्य रंगीन पाउडर के साथ खेलने का होता है। होली के इस रंगीन खेल में लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आनंद और खुशी का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही, लोग विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयों का स्वाद लेते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का साथ मनाते हैं।

कुछ स्थानों में, होली के खेल में संगीत और नृत्य का आनंद लिया जाता है। लोग रंगीन वस्त्र पहनकर नृत्य करते हैं और गीतों का आनंद लेते हैं।

होली के खास पकवान

होली के खास पकवान और मिठाइयाँ इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। गुझिया, मालपुआ, दही-बड़े, और मिठाई जैसे विभिन्न पकवान खाए जाते हैं। इन पकवानों का आनंद लेना होली के त्योहार को और भी मजेदार बनाता है।

निषेध: खतरनाक रंगों का उपयोग

होली के खेल में खतरनाक या हानिकारक रंगों का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे रंगों का उपयोग करने से क्षति हो सकती है और त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, हमें होली के खेल में सुरक्षित और प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए।

होली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह एक अद्वितीय त्योहार है जो खुशियों की खोज में लोगों को जोड़ता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ आनंद और खुशी का साथ मनाते हैं, और वे अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं। होली का महत्व भारतीय संस्कृति, परंपरा, और रंगीनता का प्रतीक है, और यह एक त्योहार के रूप में विश्वभर के लोगों के लिए बहुत खास है। इसलिए, होली का त्योहार भारतीय समाज में गहरा महत्व रखता है और यह एक खुशी और एकता भरा समाजिक त्योहार होता है।

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होली पर निबंध FAQs

होली के बारे में निबंध कैसे लिखें.

होली के बारे में निबंध लिखते समय, पहले होली का महत्व और इसका इतिहास पर बताएं, फिर इस त्योहार के विभिन्न पहलुओं और महत्व को विस्तार से व्यक्त करें।

होली क्यों मनाई जाती है 10 लाइन?

होली को मनाई जाती है क्योंकि यह वसंत ऋतु का स्वागत करने और रंग-बिरंगे जीवन की खुशियों का प्रतीक है, साथ ही हिन्दू धर्म में प्रेम, भाईचारा और सामाजिक मेलजोल को प्रमोट करने का मौका प्रदान करता है।

होली पर क्या लिखें?

होली पर रंगों का खेल और खुशियों का त्योहार मनाते हुए सभी को प्यार और खुशियाँ बांटने की शुभकामनाएं!

होली पर निबंध होली कैसे मनाई जाती है?

होली को भारत में फागुन माह के पूनम के दिन रंगों और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग रंग फेंककर आपसी खुशियों का जश्न मनाते हैं।

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होली पर निबंध Essay on Holi In Hindi

इस लेख में आप होली पर निबंध (Essay on Holi In Hindi) पढेंगे। इसमें आप होली त्यौहार क्या है, महत्व, तारीख, कैसे मानते हैं, इसकी कहानी जैसी कई जानकारियाँ दी गयी है।

भारत को दुनिया के अन्य देशों से अलग और अनोखी बनाने वाली चीजें यहां मौजूद त्यौहार, भाईचारा और अध्यात्म है। शायद ही अन्य कोई ऐसा देश होगा जहां हर महीने में कोई न कोई त्यौहार आता ही रहता हो।

होली पर निबंध Essay on Holi In Hindi  

भारत दुनिया में इकलौता ऐसा देश है, जहां सभी धर्म के लोग एक साथ भाईचारा बनाकर रहते हैं। सभी धर्म और संप्रदाय के त्यौहारों को पूरे भारत में मनाया जाता है, जो भाईचारे की मिसाल पेश करता है।

होली एक ऐसा प्रसिद्ध त्यौहार है, जिसे केवल हिंदू ही नहीं बल्कि सभी धर्म के लोग बड़े ही प्रेम और उल्लास से मनाते हैं। 

केवल हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी होली का उत्सव मनाया जाता है। हर किसी को होली का त्यौहार बहुत ही प्रिय लगता है, चाहे वह छोटा बालक हो या फिर वृद्ध। 

होली त्यौहार हिंदुओं के लिए एक मुख्य त्यौहार होता है। हिंदुस्तान में प्रत्येक त्यौहारों के पीछे कोई ना कोई पुरानी घटना अथवा कथा अवश्य जुड़ी होती है, जो समस्त मानव जाति को एक सकारात्मक संदेश देती है। 

इस पवित्र दिन में पूरा भारत रंग बिरंगे रंगों से झूम उठता है। सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे को छोड़कर एक साथ मिलकर होली मनाते हैं। 

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होली त्यौहार क्या है? What is Holi festival in Hindi

होली का त्यौहार वसंत के महीने में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष फागुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। 

होली हर्षोल्लास और भाईचारे का संदेश देने वाला त्यौहार है। यह मुख्य रूप से हिंदुस्तान में मनाया जाता है लेकिन दूसरे देशों में जहां हिंदू जनसंख्या निवास करती है वहां होली का यह पवित्र त्यौहार मनाया जाता है।

कहा जाता है कि इस दिन पुराने दुश्मन भी एक दूसरे की गलतियों को भूलाकर पुनः मित्र बन जाते हैं। रंग-बिरंगे गुलाल तथा रंगो के साथ होली खेली जाती है। होली का त्यौहार अत्यंत प्राचीन है। 

जब दुनिया में ईसाई और अन्य धर्मों की खोज नहीं हुई थी तभी से यह त्यौहार मनाया जाता है, जिसका उल्लेख इतिहास में साफ-साफ देखा जा सकता है। कई इतिहासकार बताते हैं, कि प्राचीन समय में राजा महाराजा होली के पावन पर्व पर बड़े ही भव्य रुप से होली का आनंद उठाते थे।

इस दिन सभी लोग अपना शर्म और झिझक पीछे छोड़कर एक साथ मिलकर होली खेलते है। जब सारा गली मोहल्ला एक साथ मिलकर होली खेलते हैं तो यह नजारा वाकई में देखने लायक होता है। 

आमतौर पर वसंत ऋतु एक बेहद खूबसूरत ऋतु माना जाता है, जिसमें कई प्राकृतिक बदलाव होते हैं। इस महीने में खेतों में फसलें भी काफी अच्छी तादाद में उगती है जिससे किसानों को काफी लाभ होता है। 

इस प्रकार किसान भाई बहनों को होली के त्यौहार के आनंद के साथ ही फसलों का अच्छा मुनाफा भी प्राप्त हो जाता है।

होली कब है? (2023) When is Holi? (2023) in Hindi

होली का त्यौहार हर वर्ष हिंदू शास्त्र के अनुसार मनाया जाता है। स्नेह और एकता का प्रतीक माना जाने वाला यह त्यौहार पुराणों और शास्त्रों के अनुसार तय किया जाता है। 

पंचांग के अनुसार होली का पर्व हर वर्ष फागुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यदि 2023 में होली पर्व के तिथि की बात करें तो यह तिथि 8 मार्च बुधवार के दिन पड़ रहा है।

होली शब्द होलिका से बना हुआ है। इसी कारण होली के मुख्य त्यौहार के एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है। होलिका दहन 7 मार्च के दिन किया जाएगा। 

हिंदू धर्म के मान्यताओं के अनुसार सभी पौराणिक त्यौहारों को एक निश्चित समय अथवा मुहूर्त पर मनाया जाना अनिवार्य होता है।

होली का महत्व Importance of Holi in Hindi

भारत में मनाए जाने वाले प्रत्येक प्राचीन त्यौहारों और उत्सवों के पीछे कोई न कोई गूढ़ रहस्य अवश्य छुपा होता है। होली का उत्सव बुराई पर अच्छा के जीत को दर्शाता है। 

यह त्यौहार समस्त मानव जाति को यह बताता है कि सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता। होली से जुड़े हुए प्राचीन कहानियां अथवा कथाओं के माध्यम से लोगों को सत्य के पथ पर चलते रहने का एक उत्कृष्ट संदेश लोगों को प्राप्त होता है।

आज के समय में लोग जिस प्रकार अपने व्यस्त दिनचर्या में लुप्त हैं, इससे तो कभी भी भाईचारा और एकता का विकास नहीं हो सकता। ऐसे में केवल होली जैसे यह त्यौहारों के कारण ही लोग अपने काम से थोड़ा समय निकाल कर इकट्ठे होकर जीवन का वास्तविक आनंद उठाते है।

होली के कारण लोग अपने परेशानियों को भूल कर त्यौहार का पूरा लाभ लेते हैं। विज्ञान के अनुसार यदि मानसिक तनाव और बीमारियों से जूझ रहा कोई व्यक्ति इकट्ठे होकर मौज मस्ती करता है, तो उसकी बीमारियां तीव्रता से ठीक होती हैं। यह बात तो स्पष्ट है कि होली का त्यौहार व्यस्त लोगों के मानसिक तनाव को भी दूर करता है।

यदि प्राचीन धरोहरों और कलाकृतियों पर नजर डाली जाए, तो कई ऐसे साक्ष्य है जो प्राचीन समय में भी होली का त्यौहार मनाने के सबूत पेश करते हैं। कई प्राचीन मंदिर, तोरण इत्यादि धरोहर के शिलाओं पर ऐसी चित्रकारिता देखी गई है, जो होली के महत्व को दर्शाती है।

वैसे तो होली का त्यौहार हर किसी के लिए बेहद हर्ष तथा उल्लास का पर्व होता है, लेकिन यदि बच्चों की बात की जाए तो वे होली पर कुछ ज्यादा ही उत्साहित रहते हैं। 

होली के कई दिनों पहले ही बच्चे रंगो और पिचकारियों को खरीदना शुरू कर देते हैं। इस प्रकार यह पता चलता है की बड़ों से लेकर बच्चों तक हर कोई होली के इस पवित्र त्यौहार का महत्व भली भांति जानता है।

होली त्यौहार कैसे मनाते हैं? How do Holi celebrated in Hindi?

होली का पवित्र पर्व अपने साथ खुशियां और मनोरंजन साथ लाता है। जब यह त्यौहार आने वाला होता है तो  करीब कई हफ्तों पहले से ही बाजारों में होली खेलने के लिए रंग बिरंगे कलर, सजावट के सामान, गुलाल पिचकारी इत्यादि खिलौने मिलने शुरू हो जाते है। 

कई दिनों पहले से ही स्थानीय लोग त्यौहार की खुशी में अपने घरों और दुकानों को साफ-सुथरा करने और सजाने में जुट जाते हैं। घरों में तरह-तरह के पकवान तथा मिठाइयां बनाई जाती है। भारत में विशेषकर गुजिया जो एक प्रकार की मिठाई ही होती है जो होली में बहुत प्रसिद्ध है।

होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन में सभी लोग इकट्ठा होते हैं और अपने बुराइयों को त्यागने का संकल्प लेते हैं। होलिका दहन के पूजा पाठ के बाद लोगों में प्रसाद भी वितरण किया जाता है।

हर किसी को अगले दिन का इंतजार होता है, जब लोग घरों से बाहर निकलकर होली का मजा उठाते हैं। तेज आवाज में गीत की ताल पर लोग गुलाल उड़ाते हुए नाच गाना करते हैं। 

बच्चे अपने पिचकारीओं से भरे खिलौनों से सभी लोगों पर ‘होली है!’ कहकर रंग उड़ाते है। बड़े लोग भी होली खेलने में पीछे नहीं हटते हैं। बुरा न मानो होली है कह कर एक दूसरे पर पानी की रंग-बिरंगे बौछारें करते हुए होली का मजा उठाते हैं।

आमतौर पर भारत के सभी राज्यों में एक प्रकार की होली नहीं मनाई जाती। सभी जगहों पर विभिन्न तरीकों से होली मनाने का रिवाज पुराने समय से चलता आया है।

व्रज और मथुरा की होली पूरे देश में सभी का आकर्षण बिंदु रहता है। इसके अलावा महाराष्ट्र, गोवा, बंगाल और असम इत्यादि राज्यों में भी बहुत ही अनोखे प्रकार से होली खेली जाती है।

मथुरा और वृन्दावन में होली त्यौहार Holi in Mathura and Vrindavan in Hindi

ऐसे तो होली पूरे हिंदुस्तान में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन वृंदावन तथा मथुरा में होली मनाने का रिवाज बड़ा ही अद्भुत है। यहां एक या दो नहीं बल्कि पूरे 15 दिनों तक होली मनाई जाती है।

पारंपरिक संगीत और तैयारियों के साथ कई दिनो पूर्व ही होली मनाने का कार्यक्रम शुरू हो जाता है। देश विदेश से होली पर मथुरा और वृंदावन में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में होती है। 

भगवान श्री कृष्ण के धाम में हर कोई नई ऊर्जा तथा आशाएं लेकर यहां आते हैं। ढोल नगाड़े के संग सभी भक्त जन अपने सारे दुखों को भुलाकर केवल होली का आनंद लेते हैं।

होली के उत्सव पर केवल भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी भी आते हैं, जिनके स्वागत में सुंदर-सुंदर रंगोलियां बनाई जाती हैं। 

यहां मंदिरों को बहुत भव्य रूप से सजाया जाता है। होली के दिन अक्सर भांग पीने की परंपरा है। गुलाल- अबीर, संगीत, पकवान, हंसी और ठहाकों से पूरे वृंदावन और मथुरा में देखने लायक नजारा होता है।

दूसरे देशों में होली का उत्सव Holi Celebration in other Countries in Hindi

होली का त्यौहार का उद्गम भले ही भारत में हुआ हो, लेकिन इसे दुनिया के विभिन्न देशों में ठीक उसी प्रकार मनाया जाता है, जिस प्रकार भारतवासी मनाते हैं।

दुनिया के विभिन्न देशों में भारतीय बसे हुए हैं जिसके कारण अलग-अलग देशों में भी इन त्यौहारों को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। नेपाल, अमेरिका, स्पेन, कैरेबियाई देशों इत्यादि देशों में भी होली एक बड़ा पर्व है।

होली का त्यौहार फागुन मास में मनाए जाने की वजह से यह फगुआ के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा विदेशों में छोटे बड़े शिक्षा संस्थानों में होली के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।

हमारे पड़ोसी मुल्क नेपाल में एक बड़ी हिंदू आबादी निवास करती है, जिसके कारण हिंदुओं के त्यौहार वहां बहुत प्रचलित है। नेपाल की राजधानी काठमांडू में प्राचीन दरबार तथा नारायणहिती दरबार में एक बांस का स्तंभ रूप जमीन में गाड़ दिया जाता है, जिसके पश्चात पारंपरिक रूप से होली मनाने की शुरुआत होती।

होली त्यौहार का इतिहास व कहानी History and Story of Holi Festival in Hindi

होली का इतिहास बेहद प्राचीन है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे कई प्राचीन धारणाएं और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। वैसे तो होली मनाने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण इतिहासकार मानते हैं किंतु सबसे प्रख्यात कथा भक्त प्रहलाद से जुड़ी हुई है।

पुराणों के अनुसार प्राचीन समय में हिरण्यकशिपु नामक एक असुर हुआ करता था। जो अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बताता था। हिरण्यकशिपु को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था, कि कोई उसके राज्य में उसे छोड़कर किसी दूसरे ईश्वर की पूजा करें। 

वह राक्षस स्वयं को ही परमेश्वर कहता था तथा सभी को उसकी पूजा करने के लिए बाध्य करता था। यदि कोई उसकी बात नहीं मानता तो वह उसे मौत के घाट उतार देता था। 

दरअसल हिरण्यकशिपु को यह वरदान प्राप्त था, कि कोई भी नर, नारी, किन्नर, पशु इत्यादि जीव नाही पाताल लोक, धरती लोक तथा स्वर्ग लोक में उसे किसी भी हथियार से नही मार सकता है। जिसके कारण उसे और भी अधिक घमंड हो गया था।

लेकिन हिरण्यकशिपु का ही पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु कि हमेशा आराधना करता रहता था। हिरण्यकशिपु को जब यह बात पता लगी कि स्वयं उसका पुत्र ही उसे ईश्वर मानने से इन्कार करता है, तो उसे बहुत क्रोध आया। 

जब वह भक्त प्रहलाद के मन में विष्णु जी के प्रति विष नहीं घोल पाया तो उसने भक्त प्रहलाद को मार डालने का निश्चय किया।

हिरण्यकशिपु ने भक्त प्रहलाद को मारने की सैकड़ों बार कोशिश की लेकिन वह प्रहलाद को एक खरोच भी नहीं पहुंचा पाया। भगवान विष्णु का आशीर्वाद होने के कारण भक्त प्रहलाद हर बार अपने पिता के जाल से निकल जाता था। 

अंत में हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी, जिसे अग्नि में ना जलने का वरदान प्राप्त था। जब होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि पर बैठी तो उसका वरदान भी काम नहीं किया और वह जलकर राख हो गई। इस असत्य पर सत्य की जीत के कारण तभी से ही होली का त्यौहार मनाया जाता है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने होली पर निबंध (Essay on Holi In Hindi) पढ़ा। आशा है कि यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो और जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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As usual amazing article …. really fantastic …. Thanks for sharing this!! 🙂 🙂

It was really amazing

The essay is for not us it is for the whole world

Nibandh

होली पर निबंध

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रुपरेखा : आनंद, उल्लास का पर्व - होली 2022 - मदनोत्सव के रूप में वर्णन - समाज में प्रचलित कथाएँ - होलिका दहन और होली मिलन - आधुनिक युग में प्रदर्शन मात्र - उपसंहार।

भारतीय पर्व परम्परा में होली आनन्दोल्लास का सर्वश्रेष्ठ रसोत्सव है। मुक्त, स्वच्छन्द परिहास का त्यौहार है । नाचने- गाने, हँसी-ठिठोली और मौज-मस्ती की त्रिवेणी है। सुप्त मन की गुफाएं में पड़े ईर्ष्या-द्वेष जैसे निकृष्ट विचारों को निकाल फेंकने का सूंदर अवसर माना जाता है। होली वसंत ऋतु का यौवनकाल है। ग्रीष्म के आगमन की सूचक है। वनश्री के साथ-साथ खेतों की श्री एवं हमारे तन-मन की श्री भी फाल्गुन के ढलते-ढलते सम्पूर्ण आभा में खिल उठती है। इसीलिए होली पर्व को आनंद, उल्लास का पर्व कहा जाता है।

वर्ष 2022 में होली का त्यौहार 18 मार्च, शुक्रवार के दिन खूब रंगो के साथ मनाई जाएगी।

दशकुमार चरित में होली का उल्लेख 'मदनोत्सव' के नाम से किया गया है। वैसे भी, वसंत काम का सहचर है। इसलिए कामदेव के विशेष पूजन का विधान है। कहीं फाल्गुन शुक्ल द्वादशी से पूर्णिमा तक, कहीं चैत्र शुक्ल द्वादशी से पूर्णिमा तक मदनोत्सव का विधान है। आमोद-प्रमोद और उल्लास के अवसर पर मन की अमराई में मंजरित इस सुख सौरभ का अपना स्थान है। व्यापनशील विष्णु और शोभा-सौंदर्य की अधिष्ठात्री लक्ष्मी के पुत्र हैं । इसका तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर दो चेतनाएँ होती हैं, एक आत्मविस्तार की और दूसरी अपनी ओर खींचने की। दोनों का सामंजस्य होता है तो काम जन्म लेता है। एक निराकार उत्सुकता जन्म लेती है। वह उत्सुकता यदि बिना किसी तप के आकार लेती है तो अभिशप्त होती है और अपने को छार करके आकार ग्रहण करे तो भिन्न होती है।

होली के साथ अनेक दंत-कथाओं का संबंध जुड़ा हुआ है। पहली कथा है प्रहलाद और होलिका की | प्रहलाद के पिता हरिण्यकशिपु नास्तिक थे और वे नहीं चाहते थे कि उनके राज्य में कोई ईश्वर की पूजा ना करे, किन्तु स्वयं उनका पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था। अनेक कष्ट सहने के बाद भी जब उसने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी, तब उसके पिता ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद के साथ आग में बैठने को कहा। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। अग्नि ज्वाला में होलिका प्रहलाद को लेकर बैठी। परंतु परिणाम उल्टा निकला। होलिका आग में जल गई और प्रहलाद सुरक्षित बाहर आ गए। दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार ठुण्डा नामक राक्षसी बच्चों को पीड़ा पहुँचाती तथा उनकी मृत्यु का कारण बनती थी। एक बार वह राक्षसी पकड़ी गई। लोगों ने क्रोध में उसे जीवित जला दिया। इसी घटना की स्मृति में होली के दिन आग जलाई जाती है। भारत कृषि प्रधान देश है। होली के अवसर पर पकी हुई फसल काटी जाती है । खेत की लक्ष्मी जब घर के आँगन में आती है तो किसान अपने सुनहले सपने को साकार पाता है । वह आत्म-विभोर हो नाचता है, गाता है।

फाल्गुन पूर्णिमा होलिका दहन का दिन है। लोग घरों से लकड़ियाँ इकट्ठी करते हैं। अपने-अपने मुहल्ले में अलग-अलग होली जलाते हैं । होली जलाने से पूर्व स्त्रियाँ लकड़ी के ढेर को उपलों का हार पहनाती हैं, उसकी पूजा करती हैं और रात्रि को उसे अग्नि की भेंट कर देते हैं। लोग होली के चारों ओर खूब नाचते और गाते हैं तथा होलो की आग में नई फसल के अनाज की बाल को भून कर खाते हैं। होली से अगला दिन धुलेंडी का है। फाल्गुन की पूर्णिमा के चन्द्रमा की ज्योत्स्ता, वसंत को मुस्कराहट, परागी फगुनाहट, फगुहराओं की मौज-मस्ती, हँसी-ठिठोली, मौसम की दुंदभी बजाती धुलेंडी आती है। रंग भरी होली जीवन की रंगीनी प्रकट करती है। मुँह पर अबीर-गुलाल, चन्दन या रंग लगाते हुए गले मिलने में जो मजा आता है, मुँह को काला- पीला रंगने में जो उल्लास होता है, रंग भरी बाल्टी एक दूसरे पर फेंकने में जो उमंग होती है, निशाना साधकर पानी- भरा गुब्बारा मारने में जो शरारत की जाती है, वे सब जीवन की सजीवता प्रकट करते हैं।

आज होली उत्सव में शील और सौहारद्द्र संस्कारों की विस्मृति से मानव आचरण में चिंतनीय विकृतियों का समावेश हो गया है। गंदे और अमिट रासायनिक लेपों, गाली- गलौज, अश्लील गान और आवाज-कसी एवं छेड़छाड़ ने होली की धवल-फाल्गुनी, पूर्णिमा पर ग्रहण की गर्हित छाया छोड़ दी है, जिसने पर्व की पवित्रता और सत् संदेश की अनुभूति को तिरोहित कर दिया है। आज होली परम्परा-निर्वाह की विवशता का प्रदर्शन-मात्र रह गया है। कहीं होली की उमंग तो दीखती नहीं, शालीनता की नकाब चढ़ी रहती है। उल्लास दुमका रहता है। नशे से उल्लास की जाग्रति का प्रयास किया जाता है। आज का मानव अर्थ चक्र में दबा हुआ उससे त्रस्त है। भागते समय को वह समय की कमी के कारण पकड़ नहीं पाता। इसलिए आनंद, हर्ष, उल्लास, विनोद, उसके लिए दूज का चन्द्रमा बन गये हैं। इस दम घोटू वातावरण में होली-पर्व चुनौती है। इस चुनौती को स्वीकार करें। मंगलमय रूप में हास्य, व्यंग्य-विनोद का अभिषेक करें।

बच्चों का सबसे पसंदिता त्योहार है होली। चहुँ ओर अबीर-गुलाल, रंग भरी पिचकारी और गुब्बारों से बच्चों तथा बड़ों मग्न हो जाते है। छोटे-बड़े, नर-नारी, सभी होली के रंग में रंगे रहते है । डफ-ढोल, मृदंग के साथ नाचती-गांती, हास्य-रस की फुब्वारें छोड़ती, परस्पर गले मिलती, वीर बैन उच्चारती, आवाजें कसती, छेड़छाड़ करती टोलियाँ दोपहर तक होली के प्रेमानन्द में डूबी रहती हैं। सचमुच होली भारत का सबसे रंगीन त्योहार है।

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होली पर निबंध | Holi Essay in Hindi

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Reported by Pankaj Bhatt

Published on 4 October 2024

होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार माना जाता है। जिसे हिन्दुओं के साथ अन्य धर्मों के लोग भी बड़े धूम-धाम से रंगों के साथ और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। होली के त्यौहार के उपलक्ष में सभी लोग एक दूसरे के घर जा कर नाचते-गाते और रंग लगाते हैं, होली के दिन पर लोग अपने घरों में अलग-अलग तरह के पकवानों को बनाते हैं। होली पर निबंध लिखने के लिए छात्रों को एग्जाम में भी दिया जाता है। आज आर्टिकल के माध्यम से हम होली के बारे में सभी जानकारियां दी जा रही हैं जैसे- होली क्यों मनाई जाती है? होली कब मनाई जाती है? और होली के उपलक्ष में कौन-कौन से पकवान बनाये जाते हैं आदि लेख के माध्यम से विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है। Holi Essay in Hindi का विस्तार पूर्वक वर्णन नीचे किया जा रहा है।

होली पर निबंध

भारत में बहुत से त्यौहार मनाये जाते हैं इनमें से एक होली का त्यौहार भी मनाया जाता है। जिसे सभी लोग रंगों के साथ गुलाल लगाकर मनाते हैं। पहले समय में होली को सिर्फ गुलाल और चन्दन लगा कर मनाया जाता था। भारत में अलग-अलग जगहों में होली अलग-अलग नाम से वृन्दावन की होली, काशी की होली, ब्रज की होली, मथुरा की होली आदि प्रसिद्ध है। होली के दिन सभी लोग अपने घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाते हैं और मेहमानों को बुलाते हैं होली के पहले दिन सभी लोग रात को एकत्र हो कर होलिका दहन करते हैं और डीजे लगा कर नाच गाना करते हैं। होली पर निबंध नीचे दिया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए हमारे लेख को पढ़ें।

होली पर निबंध सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारी

होली पर निबंध | Holi Essay in Hindi

यह भी देखें :- रक्षाबंधन पर निबंध

होली त्यौहार का महत्व

होली को हर साल बसंत ऋतु में मार्च (फ़ागुन) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल होली 29 मार्च को मनाई जायेगी। इस दिन पर सभी कर्मचारियों व छात्रों का दो दिन का अवकाश रहता है। पहले दिन लकड़ी की होलिका बना कर होलिका का दहन किया जाता है और दूसरे दिन होली मनाई जाती है। होली के दिन बच्चे ढोलक और रंग ले कर होली मांगने के लिए घर-घर जाते हैं। वहां लोगों द्वारा उनको पैसे दिए जाते है। होली की तैयारियों में लोग पहले से ही लग जाते है सभी लोग अपने रिश्तेदारों के घर मिठाइयां और रंगों को ले कर जाते है। होली के दिन सभी लोग अपनी हीन भावनाओं को भुला कर एक दूसरे से मिलते है। होली का त्यौहार भारत के अलावा कई देशों जैसे – कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश आदि देशों में भी मनाया जाता है हर साल होली मार्च के महीने में अलग-अलग तिथि पर आती है।

होली क्यों मनाई जाती है

होली मनाने के पीछे असुर हिरण्य कश्यप के पुत्र प्रह्लाद की कहानी है। हिरण्य कश्यप असुरों का राजा था जो अपने आप को भगवान मानता था। लेकिन हिरण्य कश्यप के पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के भक्त थे और उनमें अनंत आस्था रखते थे। ये बात हिरण्य कश्यप को बिलकुल भी रास नहीं आती थी। इस बात को ले कर हिरण्य कश्यप अपने पुत्र का भगवान विष्णु के प्रति असीम भक्ति का विरोध किया करता था और उस से अप्रसन्न रहता था। उसका विचार था की उसके अलावा किसी और को भगवान नहीं मान सकते हैं। हिरण्य कश्यप द्वारा प्रह्लाद को कितनी ही बार चेतावनी दी जाती है की वे विष्णु की आराधना ना करें वरना उन्हें मृत्यु दंड दिया जाएगा। लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता की एक बात ना सुनी और चेतावनी देने के बाद भी विष्णु की आराधना में लीन रहते थे। हिरण्य कश्यप द्वारा बहुत बार तो अपने पुत्र को मारने की कोशिश की गयी लेकिन वे इस कोशिश में असफल रहे। तमाम कोशिशों के बाद हिरण्य कश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद लेने की सोची।

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होलिका को भगवान ने वरदान दिया था की होलिका को कोई आग में नहीं जला सकता है। इसके बाद हिरण्य कश्यप द्वारा चिता बनवायी जाती है जिसमें होलिका के साथ प्रह्लाद को बैठा दिया जाता है और चिता को आग लगा दी जाती है। प्रह्लाद चिता में बैठने के बाद भी विष्णु की आराधना में ही लीन रहते हैं और आग में होलिका भस्म हो जाती है। उसका वरदान भी निष्फल हो जाता है क्योंकि उसने अपने वरदान का दुरुपयोग करने के लिए इस्तेमाल किया था। वही दूसरी तरफ प्रह्लाद आग में बैठने के बाद भी अपनी भक्ति की शक्ति के कारण सुरक्षित रहते हैं।

इस कहानी में बताया जा रहा है की बुराई का एक न एक दिन अंत हो ही जाता है। इस कहानी के प्रतीक स्वरूप ही इस दिन से होली के पहले दिन सभी लोगों द्वारा लकड़ी और कपड़ों की होलिका बनाई जाती है। जिसकी लोगों द्वारा पूजा की जाती है और इस दिन होलिका दहन की जाती है जिसमें लोग अपनी बुराइयों को होलिका के साथ में खत्म करने की विनती करते है।

होली के दिन ध्यान रखने योग्य बातें

होली के दिन जिन बातों को ध्यान में रखना होता है उन सभी बातों की सूची नीचे लेख में दी जा रही है। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए दी गयी सूची को पढ़ें।

  • होली में केमिकल व कांच वाले रंगों का प्रयोग न करें। इस से त्वचा को नुकसान पहुँचता है। साथ ही बहुत से लोगों को एलर्जी की समस्या भी हो जाती है।
  • Holi खेलने के लिए स्वच्छ पानी का प्रयोग करें।
  • होली खेलते समय आप अपनी आँखों का ख्याल रखें। इसके लिए होली खेलते समय चश्मे का प्रयोग करें।
  • रोड पर किसी वाहन चलाते व्यक्ति पर पानी से भरे गुब्बारे न मारें। इस से उस व्यक्ति के दुर्घटना ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है।
  • किसी भी वाहन पर पानी ना फेंके इससे दुर्घटना भी हो सकती है।
  • होली खेलते समय रंगों व पिचकारी से अपनी आँखों को बचा कर रखें।
  • पर्व के दिन ऐल्कोहॉल का सेवन न करें।
  • बूढ़े व्यक्तियों पर पानी के गुब्बारे व पिचकारी न मारें।
  • छोटे बच्चों को होली खेलते समय उनकी सुरक्षा के बारे में अवश्य बता दें।
  • बेहतर होगा होली में पानी का कम से कम उपयोग करें और सूखे व प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें। इसके लिए आप फूलों आदि का प्रयोग करें। या फिर घर पर बनाये हुए रंगों का इस्तेमाल करें।

होली के हानिकारक प्रभाव

Holi का इन्तजार लोगों को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें।

राज्यों में होली के प्रकार

भारत देश में होली को अलग-अलग राज्यों में अनको तरीके व अलग नाम से मनाया जाता है। लेख में कुछ राज्यों के होली के बारे में वर्णन किया गया है।

बंगाल में होली

बंगाल में होली को डोल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। बंगाल में इस दिन पर कृष्ण भगवान और राधा की मूर्ति को डोली में रख के पुरे शहर में घुमाते हैं और इसमें नाच गाने के साथ रंगों के साथ भी खेला जाता है।

उड़ीशा में होली

बंगाल के अलावा उड़ीसा के लोग भी होली को डोल पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। होली के उपलक्ष में उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को डोली में रख के पुरे शहर में घुमाते हैं। इस झांकी में सभी लोग शामिल होते हैं। और रंगों के साथ धूम-धाम से नाच गाने के साथ डोली को शहर में घुमाते हैं।

कर्नाटक की होली

कर्नाटक में होली को कामना हब्बा के उपलक्ष में मनाया जाता है। इस दिन शिवजी भगवान ने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से भस्म कर दिया था। इस दिन राज्य के सभी लोग अपने पुराने कपड़ों को और कूड़े कचरे को एक जगह पर इकट्ठा करते हैं। और फिर उसमें आग लगाते हैं।

होली के दिन बनने वाले पकवान

भारत देश में हर त्यौहार में कुछ प्रमुख पकवान बनाये जाते हैं ऐसे ही होली पर भी अलग- अलग राज्यों में सभी लोग अलग-अलग प्रकार के व्यंजन जैसे – घेवर, गुजिया, मावा पेड़े आदि पकवान बनाये जाते है। सभी बच्चों को होली का बेसबरी से इन्तजार रहता है। होली के उपलक्ष में बनाये जाने वाले पकवानों की तैयारी लोग पहले कुछ दिनों से करना शुरू कर देते हैं। होली के दिन सभी लोग बनाये गए मिठाइयों को ले कर अपने रिश्तेदारों के घर जाते हैं।

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Holi Essay in Hindi FAQ’s

इस वर्ष होली कब मनाई जायेगी ?

होली इस वर्ष सोमवार 25 मार्च को मनाई जायेगी।

होली के दिन लोग कौन-कौन से पकवान बनाते हैं ?

सभी राज्यों में होली के उपलक्ष में अलग-अलग पकवान (मावा पेड़े, घेवर, गुजिया) बनाये जाते हैं।

हिरण्य कश्यप अपने ही पुत्र प्रह्लाद को मरने का प्रयास क्यों करता था ?

प्रह्लाद एक असुर परिवार के बालक थे। जो की भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। परन्तु यह बात प्रह्लाद के पिता हिरण्य कश्यप को पसंद नहीं थी क्योंकि वे भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानते थे। इसलिए हिरण्य कश्यप हर समय प्रह्लाद को मरने का प्रयास करते रहते थे।

Holi का नाम किसके नाम पर पड़ा है ?

होली का नाम हिरण्य कश्यप की बहन होलिका के नाम पर रखा गया है।

होली को और किन-किन नामों से जाना जाता है?

आमतौर पर होली को सभी राज्यों में होली के नाम से ही जाना जाता है परन्तु कुछ जगहों में होली को आका, डोल के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा अन्य देशों में भी होली के नाम से ही यह त्यौहार प्रसिद्ध है।

होली के दिन लोग क्या-क्या करते हैं ?

सभी लोग उस दिन एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं।

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Holi Essay in Hindi: होली पर निबंध यहां देखें

होली का त्योहार नजदीक आ गया है। ऐसे में स्कूलों से लेकर कुछ संस्थाओं में होली पर निबंध लेखन दिया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम आपके बीच होली पर निबंध बताने जा रहे हैं। साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि किस तरह से निबंध लिखा जाए।.

Kishan Kumar

रंगों का त्योहार यानि होली नजदीक आ गया है। उत्साह, उल्लास और उमंग के इस त्योहार के रंग में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सराबोर हो जाता है। यही वजह है कि इस त्योहार का रंग हर उम्र के लोगों पर चढ़कर बोलता है। वहीं, त्योहार के नजदीक आते ही कुछ स्कूलों से लेकर संस्थानों में भी होली पर निबंध लेखन दिया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम आपके के साथ होली पर निबंध के साथ निबंध लिखने के कुछ टिप्स भी साझा कर रहे हैं, जिससे आप एक अच्छा लेख लिखकर अपने सहपाठियों या सहकर्मचारियों के बीच अच्छा इंप्रैशन जमा सके।

क्या होता है निबंध

निबंध एक गद्य रचना होती है, जो किसी विषय पर क्रमबद्ध तरीके से लिखी जाती है।

क्या होते हैं निबंध के विषय

निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। ये विषय सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, व्यावसायिक और अन्य हो सकते हैं।

कैसे लिखें अच्छा निबंध

1.निबंध लेखन से पहले विचार करें कि किस विषय पर निबंध लिखना है। इसके बाद उस विषय पर विभिन्न स्त्रोतों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करें।

2.निबंध लिखते हुए ध्यान रखें कि भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए, जिससे आपका लिखा हुआ किसी भी व्यक्ति के समझ में आ जाए।

3.लेखन के दौरान अपने विचारों को क्रमबद्ध रूप से स्पष्ट करें, किसी भी लाइन को किसी भी लाइन के साथ जोड़ने से बचें।

4.भाषा संबंधी गलती से बचना चाहिए। हिंदी के निबंध में मात्राओं का विशेष ध्यान रखें।

5.लेखन के दौरान दोहराव से बचना चाहिए। प्रत्येक नए पैराग्राफ में कुछ नया बताएं।

6.निबंध लिखने के बाद उसे एक बार जरूर पढ़ लें, जिससे सुधार की जरूरत होने पर उसमें सुधार किया जा सके।

7.निबंध कॉपी के एक या दो पेज से अधिक नहीं होना चाहिए।

होली पर निबंध

विविधता पूर्ण संस्कृति वाले भारत देश में कई त्यौहार मनाए जाते हैं। इनमें से एक त्यौहार है होली, जो आपस में प्रेम और सद्भावना को मजबूत बनाए रखता है। उत्साह, उल्लास और उमंग का यह पर्व सर्दी की विदाई के साथ फागुन की शुरुआत में आता है। होली का यह पर्व फागुन महीने की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगोत्सव यानी रंगों से होली खेलकर उत्सव मनाया जाता है। होली के अवसर पर फाग गाने की भी परंपरा है, जिसमें ढोलक और मंजीरे के साथ गीत गाए जाते हैं। इस दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल- अबीर लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। वहीं, पुराने गिले-शिकवे भी बुलाए जाते हैं।

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एक रात और एक पूरे दिन का पर्व

होली का यह पर्व एक रात और एक पूरे दिन तक मनाया जाता है इसकी शुरुआत छोटी होली से शुरू हो जाती है। इस दिन किसी बड़े पार्क या खुली जगह पर लकड़ियों को इकट्ठा कर जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। वहीं, इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी याद किया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु द्वारा हिरनाकश्यप पर की गई जीत के लिए भी याद किया जाता है। 

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अलग-अलग नाम से होती है होली

भारत में अलग-अलग राज्यों में इस पर्व की अलग ही छटां देखने को मिलती हैं। इस पर्व को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे धुलंडी व रंग होली आदि। इस पर्व को लेकर खास तौर पर बच्चों में अधिक उत्साह देखने को मिलता है। बच्चे इस दिन रंग और पानी के साथ होली खेलते हैं।

अलग-अलग तरह की होती है होली

भारत के विभिन्न राज्यों में अनूठे अंदाज में होली खेलने की परंपरा है। उत्तर प्रदेश में लठ मार होली खेली जाती है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों को डंडे से मारने का अधिकार दिया जाता है। वहीं, पुरुष को बचने के लिए एक ढाल दी जाती है। उत्तर भारत के राज्य हरियाणा में हंटर वाली होली खेलने का चलन है। इस होली में महिलाएं पुरुषों को कोड़े मारती है, जो कि कपड़े को गीले कर बनाए गए होते हैं। भारत में इस तरह से होली खेलने की परंपरा कई वर्षों से है।

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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi 2024 (Holi par Nibandh)

Holi Essay in Hindi 2024: हमारा देश पर्वों एवं त्योहारों की भूमि है। यहाँ विभिन्न धर्मों के अनेक त्योहार प्रतिवर्ष मनाए जाते हैं। होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे रंगों का त्योहार (festival of colours) भी कहते हैं। इस आर्टिकल में हम विद्यार्थियों के लिए होली पर हिंदी निबंध लेकर आए हैं। यहाँ से students अपनी पसंद और आवश्यकता के अनुसार होली पर निबंध का चयन कर सकते हैं। यदि आपने भी अपने स्कूल में होली के अवसर पर निबंध लेखन प्रतियोगिता (Essay writing competition) में भाग लिया है तो आप हमारे द्वारा प्रस्तुत कराए गए essays की मदद से होली पर एक शानदार निबंध लिख सकते हैं। Essay on Holi in Hindi for students.

Holi Essay in hindi

होली को रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हर साल मार्च के महीने में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा उत्साह के साथ होली मनाई जाती है। जो लोग इस त्योहार को मनाते हैं, वे हर साल रंगों के साथ खेलने के लिए उत्सुकता से इंतजार करते हैं।

दीपावली की तरह होली जैसे त्यौहार पर भी स्कूल आदि में शिक्षकों (Teachers) द्वारा बच्चों को निबंध लिखने के लिए कहा जाता है ऐसे में सभी विद्यार्थी एक उत्कृष्ट निबंध (Excellent essay) लिखने की कोशिश करते हैं।

इस आर्टिकल में हमने 1 से 12 कक्षा के विद्यार्थियों के लिए होली पर छोटे, बड़े, आसान और सरल निबंध प्रस्तुत कराए है जो छात्रों की होली पर निबंध लिखने में बहुत सहायता कर सकते हैं।

Table of Contents

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होली का त्यौहार बच्चों के लिए विशेष रूप से मजेदार और आनंदमय होता है। होलिका दहन के दिन लकड़ी एकत्र की जाती है। सभी महिलाएं होलिका दहन के दिन शाम को होली जलाने से पहले होली की पूजा करती हैं।

सभी धर्मों के लोग एक साथ होली मनाते हैं। होली के दिन हर कोई एक-दूसरे को रंग (colour) लगाकर एक-दूसरे के प्रति प्यार जताता है।

होली हमारे देश का प्रमुख त्योहार है। यह हिंदू धर्म का त्योहार है लेकिन सभी धर्मों के लोगों द्वारा इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। होली के दिन सभी एक-दूसरे पर रंग डालते हैं। होली के एक दिन पहले होलिका दहन (holika dahan) किया जाता है, जो रात में होता है।

होलिका दहन के पीछे एक पौराणिक कथा (mythology) है जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है। होली के दिन, लोग सभी शिकायतों को भूल जाते हैं और इस त्योहार का आनंद लेते हैं। होली का त्यौहार एक साथ मिलजुल कर मनाया जाता है।

होली का त्यौहार एक बहुत ही खूबसूरत त्यौहार (beautiful festival) है। यह पूरे भारत में मनाया जाता है। इसे रंगोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। होली दो दिन का त्योहार है। इस दिन हम शाम को होलिका दहन करते हैं और दूसरे दिन हम एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली का त्योहार मनाते हैं।

यह होली का त्यौहार वसंत के मौसम (Spring season) के आगमन पर मनाया जाता है। हमारे भारत में, यह त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। हम इस त्योहार पर रंगों और गुलाल से एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं।

इस दिन हमारी माँ विशेष मिठाइयाँ बनाती हैं। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली एक प्रसिद्ध त्योहार (famous festival) है। यह रंगों का त्योहार है। होली दो दिवसीय त्योहार है। हम पहले दिन की रात को होलिका दहन करते हैं। दूसरे दिन लोग रंगों से खेलते हैं। होली हर साल फालुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।

यह त्योहार लोगों में प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करता है। इस दिन सभी लोग पके हुए खाद्य पदार्थों जैसे गुझिया, पापड़, दही भल्ले आदि का सेवन करते हैं।

इस दिन भगवान विष्णु ने अपने महान भक्त प्रह्लाद को होलिका से बचाया था। होली बुराई पर अच्छाई की जीत को चिन्हित करता है।

होली पूरे भारत में और दक्षिण एशिया के अन्य देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। होली रंगों का त्यौहार है और लोग इस दिन रंग लगाते हैं। होली खुशी का त्योहार है जो वसंत के आगमन का प्रतीक है।

होली को आशा और आनंद का प्रतीक माना जाता है। यह एक अच्छी फसल के लिए धन्यवाद के रूप में मनाया जाता है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

यह त्योहार मार्च के महीने में और कभी-कभी फरवरी के महीने में आता है। होली का त्यौहार हम सभी को मिलकर मनाना चाहिए।

होली रंगों का त्योहार है। यह हिन्दुओं के त्योहार के रूप में है, लेकिन अब हर कोई एक-दूसरे पर रंग उड़ाने के माध्यम से प्यार को साझा करने की इस सुंदर संस्कृति में लिप्त है।

होली प्यार में एक दूसरे को रंग देने का प्रतीक है। होली को सभी संस्कृतियों और राज्यों (Cultures and states) द्वारा व्यापक रूप से भारत में मनाया जाता है। वैसे भी, होली एक मजेदार त्योहार (fun festival) है।

छोटे बच्चे पानी के रंगों के साथ खेलना पसंद करते हैं, बुजुर्ग एक-दूसरे के घरों में जाते हैं, अच्छा भोजन और पल साझा करते हैं। सभी आयु वर्ग के लोग होली के इस त्योहार का आनंद लेते हैं।

होली का त्यौहार एक हिंदू त्यौहार (hindu festival) है जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव है। रंगों का त्योहार प्रेम, हंसी, दोस्ती, आशा और खुशी का उत्सव (celebration of happiness) है।

यह व्यापक रूप से भारत (India) के सबसे रंगीन त्योहार (colorful festival) के रूप में जाना जाता है, और इसे आमतौर पर गुलाल, रंगीन पाउडर के साथ वसंत के रंगों की नकल करते हुए मनाया जाता है।

आमतौर पर हिंदू कैलेंडर में फाल्गुन (मार्च) की पहली पूर्णिमा को मनाया जाता है, होली सभी उम्र के लोगों के लिए एक बहुत अच्छा पर्व है।

एक ऐसा पर्व जो एक दूसरे के साथ जुड़ने, एक दूसरे के साथ गाने और नृत्य करने, भोजन साझा करने के लिए, और आगे आने वाले दिनों की आशा जगाता है। अब इसे पूरे विश्व में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

होली वसंत के मौसम में हर साल मनाया जाने वाला रंगों का त्यौहार है। यह पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन पड़ता है। लोग अपनी पुरानी दुश्मनी को भूल जाते हैं और होली के दौरान एक दूसरे के साथ रंगों से खेलते हैं।

होलिका दहन पूर्णिमा के दिन शाम को किया जाता है जहाँ होलिका दहन के प्रतीक के रूप में लकड़ी का एक बड़ा ढेर जमीन पर जलाया जाता है। महिलाएं इस दौरान पारंपरिक गीत (traditional songs) गाती हैं।

अगले दिन सुबह लोग रंगों से खेलते हैं। छोटे बच्चे (small children) रंगीन पानी से गुब्बारे (balloons) भरते हैं और एक दूसरे पर फेंकते हैं। लोग इस त्योहार का आनंद गाते हुए, नाचते हुए और स्वादिष्ट भोजन (delicious food) करके लेते हैं।

हर कोई इस दिन परिवार (family) और दोस्तों (friends) से मिलता है और अपनी खुशी का इजहार करता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।

होली को रंगों के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों (important festivals) में से एक है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में हिन्दू धर्म के अनुयायियों (followers) द्वारा उत्साह और उमंग के साथ होली मनाई जाती है।

जो लोग इस त्यौहार को मनाते है वे हर साल रंगों के साथ खेलने और मनोहर व्यंजनों का बेसब्री से इंतजार करते हैं। होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने के बारे में है।

लोग अपनी परेशानियों को भूल जाते है और भाईचारे का त्योहार मनाने के लिए इस त्यौहार का आनंद लेते है। दुसरे शब्दों में हम अपनी दुश्मनी भूल जाते है और त्यौहार की भावना में खो जाते है।

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों के साथ खेलते है और त्यौहार के सार में रंग पाने के लिए उन्हें एक दुसरे के चेहरे पर लगाते है।

हमारा देश पर्वों एवं त्योहारों की भूमि है। यहाँ विभिन्न धर्मों के अनेक त्योहार प्रतिवर्ष मनाए जाते हैं। होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे रंगों का त्योहार भी कहते हैं। होली का त्यौहार सारे देश में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

होली प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन रात में होलिका दहन होता है। होलिका दहन के अगले दिन सुबह सभी एक दुसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाते हैं।

प्रत्येक घरों में मिठाइयाँ और पकवान बनाए जाते हैं। बच्चे उन्हें खाकर बहुत प्रसन्न होते हैं। रंग खेलने के बाद सभी नहा धोकर नए-नए वस्त्र पहनते हैं। सभी इर्ष्या-द्वेष भुलाकर एक-दुसरे के घर जाकर आपस में गले मिलते हैं।

इस दिन लोग एक दुसरे को होली की बधाई देते हैं। होली का कार्यक्रम लगभग एक सप्ताह तक चलता है। जगह-जगह होली मिलन समारोहों का आयोजन होता है। यह एक ऐसा त्योहार है जो समाज में प्रेम और भाईचारे को बनाए हुए है।

परिचय: भारत मेलों और त्योहारों का देश है। हिन्दुओं, मुसलमानों और ईसाईयों के अपने त्योहार हैं। होली हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है। यह खुशी और दोस्ती का त्योहार (festival of friendship) है।

उत्सव का समय: यह मार्च-वसंत के मौसम में मनाया जाता है। वसंत वर्ष के सभी मौसमों में सबसे अच्छा है। यह सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है।

इसके पीछे की पौराणिक कथा: यह भक्त प्रह्लाद की याद में मनाया जाता है। उसे ईश्वर पर बहुत भरोसा था। उसके पिता हिरण्यकश्यप ने उसे यातनाएं दीं लेकिन उसने भगवान में अपना विश्वास नहीं छोड़ा। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को अपनी बाहों में प्रह्लाद के साथ अग्नि की ज्वाला में बैठने को कहा। होलिका जलकर राख हो गई लेकिन प्रह्लाद ने लपटों से अछूते को हटा दिया।

यह कैसे मनाया जाता है: शहर के कई स्थानों पर रात में होली जलाई जाती है। ढोल पीटा जाता है। लोग नाचते और गाते हैं। वे गुलाल से एक-दूसरे का मुंह रंगीला बना देते हैं। वे खाते हैं, पीते हैं, नाचते हैं और आनंद लेते हैं। वे एक दूसरे को गले लगाते हैं। उन्होंने घर में तैयार मिठाइयों को साझा किया।

निष्कर्ष: वास्तव में, होली रंगों का त्योहार है। अगर हमारे दिल में उमंग और खुशी है।

होली हिंदुओं का लोकप्रिय त्योहार (popular festival) है। यह प्रत्येक वर्ष पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। यह बहुत ही मनोहर त्यौहार है। एक-दुसरे पर रंग डालने और अपने साथियों के चेहरे को रंगीन बना देने में बड़ा आनंद आता है।

यह त्यौहार सभी के लिए ख़ुशी और मौज-मस्ती का त्यौहार है। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन शाम को किसी चौराहे पर लकड़ी आदि जलाते हैं।

इस दिन किसान (farmers) अन्न के नये दाने होलिका की अग्नि में चढ़ा कर नया अन्न खाना शुरू करते हैं। रंग के दिन लोग एक-दुसरे पर गुलाल डालते हैं। इस दिन बड़ा मजा आता है।

बच्चे इस मौके का बेसब्री से इंतजार करते हैं कि कब वो अपने दोस्तों को रंग सके। होली मेल व एकता का पर्व है इसलिए इस मौके पर किसी पर कीचड़ आदि फेंकना या शराब पीना अनुचित है।

केवल प्यार से रंग खेलना चाहिए, मतलब होली का त्यौहार मनाना चाहिए। स्वादिष्ट पकवानों का मिलकर आनंद लेना चाहिए और दुश्मनों को भी दोस्त बना लेना चाहिए। इस त्यौहार की सभी को मुबारकबाद देनी चाहिए।

होली हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। होली हर साल फाल्गुन (मार्च) के महीने में विभिन्न प्रकार के रंगों के साथ मनाई जाती है। होली का त्यौहार पुरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

इस दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। होली का त्यौहार लोग आपस में गले लगकर और एक दुसरे को रंग लगाकर मनाते हैं। इस दौरान धार्मिक और फाल्गुन गीत (phalgun song) भी गाये जाते हैं। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।

होली का त्यौहार मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास (ancient history) है। प्राचीन समय में हिरनकश्यप नाम का एक असुर था जो भगवान् विष्णु विरोधी था। उसकी एक दुष्ट बहन थी जिसका नाम होलिका था।

कश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान् विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे इसी कारण कश्यप ने अपनी बहन होलिका से पुत्र प्रहलाद को जान से मारने के लिए आग में लेकर बैठने को कहा क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था।

उसके बाद होलिका प्रहलाद को लेकर चिता में बैठ जाती है लेकिन प्रहलाद आग में सुरक्षित बच जाते हैं जबकि होलिका आग में चलकर भस्म हो जाती है।

होली हँसी-खुशी का त्यौहार है। यह एकता और भाई -चारे, मिलन और खुशी का प्रतीक है। होली का त्यौहार फाल्गुन महीने की पूर्णमासी को मनाया जाता है। इसमें एक-दुसरे पर रंग डालते हैं। सूखा, गुलाल रंग भी मलते हैं। रंग पानी में घोलकर पिचकारी चलाने से बड़ा आनंद आता है।

सबके मन मस्त हो जाते हैं। लोग नाचते-गाते हैं और विभिन्न प्रकार के स्वांग रचते हैं। आपस में गले मिलते है। कहते हैं कि, प्रहलाद ईश्वर भक्त था। उनके पिता हिरण्यकश्यप कहता था कि “मुझे ईश्वर मानो।” परन्तु उसका पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था।

पिता के कहने पर भी प्रहलाद ने भगवान की भक्ति नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप की बहिन होलिका थी जिसे आग से नहीं जलने का वरदान प्राप्त था। अत्याचारी हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई थी पर होलिका तो जल गई, प्रहलाद बच गया।

होली उस प्राचीन घटना (ancient event) की भी याद दिलाती है। कई बच्चे और कई बड़े भी मिट्टी उड़ाते हैं, गुब्बारे मारते हैं, कालिख मलते हैं, गालियाँ बकते हैं और भद्दे शब्द (ugly words) बोलते है। इससे कभी-कभी लड़ाई-झगड़ा भी हो जाता है।

कुछ लोग नशा करते हैं। ये बुरी बातें हैं। होली ख़ुशी मनाने का पर्व है। इस दिन पुरानी दुश्मनी भूल जानी चाहिए। रूठे हुए लोगों को मनाना चाहिए और इस तरह प्रेम प्रीति का जीवन (life of love) व्यतीत करने का संकल्प करना चाहिए।

होली एक रंगों का त्योहार है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का संदेश वाहक (संदेशवाहक = संदेश लाने वाला) है। इसके आगमन पर सभी प्राणी (creature) और यहाँ तक कि प्रकृति भी आनंद और उमंग से इठला जाती है। हिन्दू लोग इसे हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

यह त्यौहार एकता, मिलन और पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस त्यौहार को किसान लोग बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। इन दिनों किसानों की वर्ष भर के परिश्रम (labor) से उगाई गई फसल पक कर तैयार होती है। वे अपनी फसल को लहराई हुई देखकर फुले नहीं समाते हैं।

सभी किसान मिलकर नाचते गाते हैं। इस दिन सभी लोग रात को नए अनाज की बालों को होली की आग में भूनकर उसके दानों को सब में बाँटते हैं और आपसी बैर-भाव को भुलाकर एक दुसरे से गले मिलते हैं। संध्या समय महिलाएं और बच्चे होली की पूजन करते हैं।

होली का अगला दिन दुल्हैंडी का होता है। इस दिन लगभग दोपहर के दो बजे तक रंग और गुलाल से होली खेली जाती है। इस होली के रंग, गुलाल में बच्चे, जवान और बूढ़े पुरुष-महिलाएं सभी हिस्सा लेते हैं। कुछ लोग गुलाल की जगह चंदन का टिका लगाते हैं और आपस में गले मिलते हैं।

गली-मुहल्लों और सड़कों पर अनेक टोलियाँ नाचती-गाती दिखाई पड़ती है। ब्रज की होली बहुत प्रसिद्ध है। इस दिन लोग पकवान बनाते हैं और दुसरे लोगों को मिष्ठान आदि खिलाते है। होली के दिन कुछ लोग तो भांग आदि का भी सेवन करते हैं।

होली रंगों का त्योहार है। यह एक मौसमी त्योहार (seasonal festival) है और हिंदुओं के लिए सबसे सुखद त्योहार है। यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। यह मार्च के महीने में चैत के पहले दिन मनाया जाता है। इसकी पृष्ठभूमि में एक कहानी (story) है। प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्याचारी राजा (tyrannical king) था। वह ईश्वर में विश्वास नहीं करता था। उसने अपनी प्रजा को भगवान की पूजा करने से प्रतिबंधित कर दिया।

उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान का भक्त था। दुष्ट राजा ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को आग में जिंदा जलाने का आदेश दिया। एक दिव्य उपहार के अनुसार, होलिका आग में नहीं जल सकती थी, लेकिन भगवान की महिमा अद्भुत है। होलिका जल गई और प्रह्लाद का कुछ नहीं हुआ। होलिका दहन उसी घटना को मनाने के लिए होली से एक रात पहले किया जाता है।

होलिका दहन के बाद का दिन हास्य और रंग का होता है। सभी बच्चे, लड़के और लड़कियां रंगों में खेलते हैं। लोग सड़कों पर और सड़कों पर, ड्रम बजाते हुए, गाने गाते हुए समूहों में हँसते, गाते और नाचते हैं। हास्य विनोद अपनी सीमा तक पहुँचता है।

वे अवीर लेते हैं (लाल, हरा, पीला रंग जिसे लोग होली के दिन माथे पर लगाते हैं, इसे अवीर कहा जाता है।) अपने हाथों में और इसे अपने दोस्तों और परिवारों के माथे पर लगाते हैं। शाम को लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं। होली आनंद देने वाला त्यौहार है।

यह त्योहार लोगों को चिंतामुक्त (tension free) करता है। लोग विभिन्न ढंग से अपनी ख़ुशी व्यक्त करते हैं। कुछ लोग इस अवसर पर कीचड़ और गंदे पानी डालते हैं। यह उचित नहीं है। कुछ लोग नशीली वस्तुओं का सेवन करते हैं। गंदे गाने गाते है और नारियों का अपमान करते हैं।

असामाजिक तत्व इस अवसर को गन्दा बनाते हैं। होली का त्योहार हमें प्रेम की शिक्षा देता है। इसे उचित ढंग से मनाना चाहिए। हम लोगों को सभी नागरिक की तरह व्यवहार करना चाहिए। यह त्यौहार हमें भाईचारे का पाठ पढ़ाता है।

होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस समय ग्रीष्म ऋतु (summer season) की शुरुआत हो जाती है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। एक कथा है, प्राचीन काल में हिरनकश्यप नाम का एक असुर राजा हुआ करता था। वह खुद को ईश्वर से भी महान समझता था। उसका पुत्र प्रहलाद परम ईश्वर भक्त था।

हिरनकश्यप ने प्रहलाद को ईश्वर भक्ति छोड़कर अपनी भक्ति करने का आदेश दिया लेकिन प्रहलाद ने अपने पिता का आदेश नहीं माना तो हिरनकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को मारने का निश्चय किया। हिरनकश्यप की एक बहन भी थी जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था जिससे उस पर आग का कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता था।

इसलिए असुर राजा ने अपनी बहन को प्रहलाद को लेकर आग में बैठने का आदेश दिया। होलिका अपने भाई का आदेश मानकर प्रहलाद को आग में लेकर बैठ गई। मगर हुआ यूँ कि, प्रहलाद को आग भी नहीं जला सकी, जबकि होलिका आग में न जलने का वरदान प्राप्त होते हुए भी आग में जल गई और प्रहलाद सुरक्षित बच गया।

इस कहानी के आधार पर होली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक कहा जाता है। इसलिए सभी लोग मिलजुल कर होली का त्यौहार मनाते हैं। होली के दिन रंगों से खेलते हैं, सभी एक-दुसरे पर रंग मलते हैं। बच्चे पिचकारियों में रंग भर कर एक दुसरे पर रंग की पिचकारी मारते हैं।

छोटे-बड़ो की टोलियाँ हर गली-मोहल्लों में गाते -बजाते निकलती हैं और बुरा ना मान होली है, कहकर सब पर रंग छिड़कते हैं। इस दिन सभी कटुता को भूलकर प्रेम के रंग में रंग जाते हैं।

इसलिए होली को मेल-मिलाप का त्यौहार भी कह सकते हैं। होली का त्यौहार हमारे लिए एक संदेश हैं कि, अपने मन की बुराइयों को खत्म करके अच्छाईयों को अपनाओ, यही प्यार भरे जीवन की राह है।

होली रंगों का त्यौहार है जो हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन, सभी लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार का इजहार करने के लिए रंग और गुलाल लगाते हैं। यह उत्साह और भाईचारे से भरा त्योहार है। इस दिन सभी घरों में गुझिया, पापड़, हलवा आदि बनाया जाता है और आपस में खाते हैं।

इस त्योहार को मनाने के पीछे एक भक्त की कथा है। प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा हुआ करता था जो अपनी प्रजा को स्वयं की पूजा करने के लिए कहता था और खुद को दिव्य मानता था। गरीब लोग डर से राजा की पूजा करते थे, लेकिन राजा का पुत्र, जिसका नाम प्रहलाद था, भगवान विष्णु का परम भक्त था।

हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से नफरत करता था और अपने पुत्र को विष्णु की पूजा करने से मना करता था। सभी प्रयासों के बाद, जब प्रह्लाद ने विष्णु की पूजा करना बंद नहीं किया, तो एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन के साथ, जिसका नाम होलिका था, भक्त प्रहलाद को आग में जलाने की योजना बनाई।

होलिका को ब्रह्मा से वरदान मिला था कि वह आग से नहीं जलेगी। होलिका प्रहलाद को जलती हुई अग्नि में लेकर बैठ जाती है, लेकिन प्रह्लाद का बाल बांका नहीं हुआ और होलिका उसी अग्नि में अपने बुरे कर्मों से भस्म हो गयी।

इस तरह, भगवान द्वारा भक्त की स्मृति में और सत्य पर असत्य की जीत के प्रतीक के रूप में होली का त्योहार मनाया गया। तब से लेकर आज तक, होली से एक दिन पहले हर कोई होलिका दहन करता है और दूसरे दिन रंगों के साथ होली का त्योहार मनाता है।

त्यौहार जीवन की एकरसता को तोड़ने और उत्सव के द्वारा नई रचनात्मक स्फूर्ति हासिल करने के लिए हुआ करते हैं। संयोग से मेल-मिलाप का अनूठा त्यौहार होने के कारण होली में यह स्फूर्ति हासिल करने और साझेपन की भावना को विस्तार देने के अवसर ज्यादा हैं। देश में मनाए जाने वाले धार्मिक व सामजिक त्योहारों के पीछे कोई न कोई घटना अवश्य जुड़ी हुई है।

शायद ही कोई ऐसी महत्वपूर्ण तिथि हो, जो किसी न किसी त्यौहार या पर्व से संबंधित न हो। दशहरा, रक्षाबंधन, दीपावली, रामनवमी, वैशाखी, बसंत पंचमी, मकर संक्रांति, बुद्ध पूर्णिमा आदि बड़े धार्मिक त्यौहार है। इनके अलावा कई क्षेत्रीय त्यौहार भी है। भारतीय तीज त्यौहार साझा संस्कृति के सबसे बड़े प्रतीक रहे हैं।

रंगों का त्यौहार होली धार्मिक त्यौहार होने के साथ-साथ मनोरंजन का उत्सव (entertainment festival) भी है। यह त्यौहार अपने आप में उल्लास, उमंग और उत्साह लिए होता है। इसे मेल व एकता का पर्व भी कहा जाता है। हंसी ठिठोली के प्रतीक होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार कहलाता है।

इस त्यौहार में लोग पुराने बैरभाव त्याग एक दुसरे को गुलाल लगाकर बधाई देते हैं और गले मिलते हैं। इसके पहले दिन पूर्णिमा को होलिका दहन और दुसरे दिन के पर्व को धुलेंडी कहा जाता है। होलिका दहन के दिन गली-मुहल्लों में लकड़ी के ढेर लगा होलिका बनाई जाती है।

शाम के समय महिलाएं-युवतियां उसका पूजन करती हैं। इस अवसर पर महिलाएं श्रंगार आदि कर सजधज के आती है। बृज क्षेत्र में इस त्यौहार का रंग करीब एक पखवाड़े पूर्व चढ़ना शुरू हो जाता है। होली भारत का एक ऐसा पर्व है जिसे देश के सभी निवासी सहर्ष मनाते हैं।

हमारे तीज त्यौहार हमेशा साझा संस्कृति के सबसे बड़े प्रतीक रहे हैं। यह साझापन होली में हमेशा दिखता आया है। मुगल बादशाहों की होली की महफिलें इतिहास में दर्ज होने के साथ यह हकीकत भी बयां करती है कि रंगों के इस अनूठे जश्न में हिन्दुओं के साथ मुसलमान भी बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं।

मीर, जफर और नजीर की शायरी में होली की जिस धूम का वर्णन है वह दरअसल लोक परंपरा और सामाजिक बहुलता का ही रंग है।

होली एक ऐसा रंग बिरंगा त्यौहार है जिसे हर धर्म के लोग पुरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। होली रंगों का एक शानदार उत्सव है जो भारत में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ये पर्व हर साल बसंत ऋतू के समय फाल्गुन महीने में आता है। यह हर साल चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता है। इस दौरान पूरी प्रकृति और वातावरण बहुत सुन्दर और रंगीन नजर आते है।

हिन्दू पौराणिक ग्रंथो के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम के एक दुष्ट भाई की एक दुष्ट बहन थी होलिका, जो अपने भाई के पुत्र प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाकर आग में जलाना चाहती थी। प्रहलाद भगवान् विष्णु के परम भक्त थे, जिन्होंने होलिका की आग से प्रहलाद को बचाया और आग में होलिका को राख कर दिया। तभी से हिन्दू धर्म के लोग शैतानी शक्ति के खिलाफ अच्छाई की विजय के रूप में हर साल होली का त्यौहार मनाते हैं।

होली रंगों का त्योहार है। होली खेलने के लिए लोग तरह-तरह के रंगों का इस्तेमाल करते हैं। पुराने जमाने के लोग प्राकृतिक रंग का प्रयोग करते थे। जिसकी वजह से उनकी स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। लेकिन अब लोग  रासायनिक आधारित (chemical based) रंग का इस्तेमाल करते हैं। गुलाल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि किसी को कोई नुकसान न पहुंचे। किसी को जबरदस्ती रंग नहीं लगाना चाहिए क्योंकि किसी -किसी की त्वचा संवेदनशील होती है।

केमिकल वाले रंग त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। होली का ये उत्सव फाल्गुन के अंतिम दिन होलिका दहन की शाम से शुरू होता है। सभी रात में एक जगह इकठ्ठा होकर लकड़ी, घास और गोबर के ढेर को जलाकर उसमें हरी खेजड़ी का एक बड़ा लक्कड़ प्रहलाद के रूप में खड़ा करके होलिका दहन की रिवाज को संपन्न करते हैं।

इसमें महिलाएं रीति से संबंधित गीत गाती है और पुरुष भांग लेकर धमाल गाते है और होली खेलने के लिए सुबह का इंतजार करते हैं। इस दिन सभी लोग सामाजिक विभेद को भुलाकर स्वादिष्ट पकवानों और मिठाइयाँ (sweets) बांटकर खुशी का इजहार करते हैं। होली भारत और भारत में रहने वाले हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है।

लेकिन होली हिन्दू ही नहीं सभी लोग मनाते हैं क्योंकि होली उत्साह, नई आशा और जोश के साथ मनाई जाती है। इस दिन सभी स्कूल, कॉलेज, बैंक, कार्यालय, विश्व विद्यालय और दुसरे सभी संस्थान बंद रहते हैं।

ताकि सभी लोग अपने परिवार के साथ इस रंगीले त्यौहार का लुप्त उठा सके। यह एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन लोग अपने बीच के सारे मतभेद को भूल जाते हैं।

होली का पर्व ऋतुराज वसंत के आगमन पर फाल्गुन की पूर्णिमा को आनंद और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इन दिनों रबी की फसल पकने की तैयारी में होती है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लोग गाते-बजाते, हँसते-हँसाते अपने खेतों पर जाते हैं। वहां से वे जौ की सुनहरी बालियाँ तोड़ लाते हैं। जब होली में आग लगती है तब उस अधपके अन्न को उसमें भुनकर एक-दुसरे को बाँटकर गले मिलते हैं।

होलिका दहन के संबंध में कहानी प्रसिद्ध है। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि आगे उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप ईश्वर को नहीं मानता था। वह खुद को ही बड़ा मानता था। उसका बेटा प्रहलाद उसके पिता के विपरीत ईश्वर पर विश्वास करता था। पिता ने उसे ऐसा करने के लिए बार-बार समझाया, किंतु प्रह्लाद पर कोई असर नहीं हुआ।

इससे हिरण्यकश्यप बहुत क्रूद्ध हुआ। उसने अपने पुत्र को तरह-तरह से त्रास दिए, लेकिन प्रहलाद अपने निश्चय से डिगा नहीं। अंत में हिरनकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका के सुपुर्द कर दिया। होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई। होलिका तो जल गई लेकिन भक्त प्रहलाद का कुछ भी नहीं बिगड़ा। इस प्रकार होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय है।

एक कथा के अनुसार, भगवान् श्रीकृष्ण ने इस दिन गोपियों से रासलीला की थी। इसी दिन नंदगाव में सभी लोगों ने रंग और गुलाल के साथ खुशियाँ मनाई थी। नंदगाव और बरसाने की ब्रजभूमि पर इसी दिन बूढ़े और जवान, स्त्री और पुरुष सभी ने एक साथ मिलकर जो रास-रंग मचाया था, होली आज भी उसकी याद ताजा कर जाती है।

पहले प्रतिभोज का आयोजन होता था, गीतों, फागों क उत्सव होते थे, मिठाइयाँ बाँटी जाती थी। बीते वर्षों की कमियों पर विचार होता था। इसके बाद दुसरे दिन होली खेली जाती थी। छोटे-बड़े मिलकर होली खेलते थे। अतिथियों को मिठाइयाँ और तरह-तरह के पकवान खिलाकर तथा गले मिलकर विदा किया जाता था।

लेकिन आज यह पर्व बहुत घिनौना रूप धारण कर चुका है। इसमें शराब और अन्य नशीले पदार्थों का भरपूर सेवन होने लगा है। राह चलते लोगों पर कीचड़ उछाला जाता है। होली की जलती आग में घरों के किवाड़, चौकी, छप्पर आदि जलाकर राख कर दिए जाते हैं। खेत-खलिहानों के अनाज, मवेशियों का चारा तक स्वाहा कर देना अब साधारण सी बात हो गई है।

रंग के बहाने दुश्मनी निकालना, शराब के नशे में मन की भड़ास निकालना आज होली में आम बात हो गई है। यही कारण है कि आज समाज में आपसी प्रेम के बदले दुश्मनी पनप रही है। जोड़ने वाले त्यौहार मनों को तोड़ने लगे हैं।

होली की इन बुराइयों के कारण सभी और समझदार लोगों ने इससे किनारा कर लिया है। रंग और गुलाल से लोग भागने लगे हैं।

भारत मेलों और त्योहारों की भूमि है। शायद ही कोई महीना किसी मेले या त्योहार के बिना गुजरे। होली रंगों का त्योहार है। यह आमतौर पर मार्च के महीने में आता है। यह सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है। यह मौज-मस्ती और तुच्छता का त्योहार है। यह उल्लास और उमंग का अवसर है। पुरुष, स्त्रीत्व बच्चे सभी उच्च आत्माओं में हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। लोग एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। वे एक दूसरे के चेहरे रंग रगड़ते हैं, गोल पाउडर रंग एक दूसरे पर फेंकते हैं। दिन व्यावहारिक चुटकुले, मजेदार और हँसी द्वारा चिह्नित है। बच्चे अपने हाथों में रंगीन पानी और पानी पंप की बोतलों के साथ सड़कों पर चले जाते हैं।

ड्रमों को पीटा जाता है और गाने गाए जाते हैं और पूरा वातावरण खुशी के जयकारों के साथ बजता है। पुराने लोगों को भी नहीं बख्शा जाता। जो लोग बचते हैं रंग लगवाने से उन पर रंगीन पानी की बाल्टी डाली जाती है। सभी सिर रंग की धूल से भरे हुए हैं, सभी कपड़े रंगीन पानी से गीले हैं और सभी चेहरे रंगीन और पहचान से परे होते हैं।

पानी और रंग फेंकना दोपहर में समाप्त हो जाता है। लोग खुद को साफ करते हैं और साफ कपड़े पहनते हैं। स्वादिष्ट व्यंजन ‘भांग’ से तैयार किए जाते हैं, यह माना जाता है कि यह भगवान शिव का पसंदीदा पेय है। लोग खाना खाते हैं, डांस करते हैं।

पारंपरिक शैली में मथुरा और बृंदाबन में होली मनाई जाती है। ‘रास-लीलाएँ’ की जाती हैं और भगवान कृष्ण और उनकी गोपियों की यादें एक हज़ार तरीकों से पुनर्जीवित होती हैं।

वहाँ, इसका धार्मिक स्पर्श है और होली के त्योहार में भाग लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। कई मिथक और किंवदंतियाँ होली से जुड़ी हुई हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्रह्लाद अपने पिता हिरणकश्यप द्वारा यातनाएं देता था, क्योंकि प्रह्लाद को ईश्वर में दृढ़ विश्वास था। महान यातनाओं के बावजूद प्रह्लाद ने ईश्वर में अपना विश्वास नहीं छोड़ा।

तब हिरणकश्यप ने अपनी बहन होलिका को अपनी बाहों में प्रहलाद के साथ दफन चिता में बैठने के लिए कहा। होलिका जलकर राख हो गई लेकिन प्रह्लाद आग की लपटों से अछूता नहीं रहा। इस प्रकार होली प्रह्लाद की भक्ति और उनके पिता हिरणकश्यप की क्रूरता को याद करती है।

हर साल एक अलाव जलाया जाता है और खलनायक के लिए होलिका जलाई जाती है। एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने पूतना नामक दैत्य का वध किया।

होली का अब तक एक और महत्व है। यह एक मौसमी त्योहार है, यह कटाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। गेहूं की फसलें खेतों में पकी हुई हैं और होली के तुरंत बाद कटाई शुरू हो जाती है। जो भी होली का महत्व हो सकता है, वह निश्चित रूप से एक रंगीन त्योहार है।

यह हमारे जीवन को मस्ती और आनंद, उल्लास और हंसी के बेहतरीन रंगों से भर देता है, लोग सभी पुरानी दुश्मनी भूल जाते हैं और रंगों के इस त्योहार को मनाते हैं।

हमारे द्वारा यहाँ प्रस्तुत कराए गए होली पर हिन्दी निबंध विद्यार्थियों के लिए बहुत मददगार साबित होंगे। इनकी सहायता से students होली पर उत्कृष्ट निबंध लिख सकते हैं।

और हाँ, होली के खूबसूरत रंगों की तरह आपको और आपके परिवार को बहुत बहुत रंगों भरी उमंग भरी शुभकामनायें। Happy Holi 2024.

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    इस लेख में आप होली पर निबंध (Essay on Holi In Hindi) पढेंगे। इसमें आप होली त्यौहार क्या है, महत्व, तारीख, कैसे मानते हैं, इसकी कहानी जैसी कई जानकारियाँ दी गयी है।

  15. होली पर निबंध

    होली का महत्व, तारीख, प्रकरण और प्रचलित कथाएं के बारे में जानकारी के लिए यह हिंदी में निबंध पढ़ें। होली का पर्व को आनंद, उल्लास का पर्व कहा जाता है और क

  16. होली पर निबंध

    और होली के उपलक्ष में कौन-कौन से पकवान बनाये जाते हैं आदि लेख के माध्यम से विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है। Holi Essay in Hindi का विस्तार पूर्वक ...

  17. होली पर हिन्दी निबंध

    Holi Essay In Hindi; Written By WD होली पर हिन्दी निबंध ... Today 24 October 2024 horoscope in Hindi : आज 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार का दिन क्या लाया है मेष से लेकर मीन राशि के लिए, यहां जानें ...

  18. होली पर निबंध Essay on Holi in Hindi

    होली का महत्त्व, इतिहास, प्रस्तावना, प्रक्रिया और संस्कृतिक मान के बारे में जानकारी पढ़ें। होली के बारे में 200 शब्दों में क्रम में लिखें और प्रभावशाली ...

  19. होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली पर निबंध हिंदी में

    Holi Essay in Hindi होली पर निबंध: होली भारत के प्रमुख प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस ...

  20. होली पर निबंध

    Holi Essay in Hindi 2024: हमारा देश पर्वों एवं त्योहारों की भूमि है। यहाँ विभिन्न धर्मों के अनेक त्योहार प्रतिवर्ष मनाए जाते हैं। होली हिन्दुओं का एक