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बाढ़ पर निबंध (Flood Essay in Hindi)

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विनाश का कारण पानी की भारी मात्रा में अतिप्रवाह है। हर साल दुनिया भर में कई क्षेत्रों को बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है। बाढ़ अत्यधिक बारिश और उचित जल निकासी व्यवस्था की कमी के कारण होती है। बाढ़ की गंभीरता हर क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है और उसी के कारण होने वाला विनाश भी अलग-अलग होता है।

बाढ़ पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Flood in Hindi, Badh par Nibandh Hindi mein)

बाढ़ पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

भारी बारिश के कारण होने वाली बाढ़ के पानी की वजह से बीमारियों से होने के घातक परिणाम सामने आए हैं। इससे जीवन का नुकसान, बीमारियों में वृद्धि, मूल्य वृद्धि, आर्थिक नुकसान और अन्य मुद्दों के अलावा पर्यावरण का विनाश होता है। बाढ़ उनके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करती है।

बाढ़ के कारण और नुकसान

बाढ़ प्राकृतिक और अप्राकृतिक दोनों कारणों से होता है। बाढ़ के प्राकृतिक कारणों में अतिवृष्टि, ग्लेशियर, का पिघलना, आदि आते है। अप्राकृतिक कारणों में ग्लोबल वार्मिंग, अत्यधिक प्रदुषण आदि आते है। 

बाढ़ का रोकथाम

कई बार बाढ़ पर कुछ दिनों में काबू पाया जा सकता है जबकि कई बार इस पर हफ़्तों में काबू पाया जाता है जिससे उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन पर एक बुरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि ज्यादातर लोगों को इन के बारे में चेतावनी भी दी जाती हैऔर इससे पहले कि स्थिति बदतर हो जाए इनसे बचने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसी जगहों पर छुट्टी की योजना बनाने वाले पर्यटकों को अपनी योजना रद्द करनी चाहिए और अगर समय हो तो इस स्थिति से बचने की कोशिश करनी चाहिए।

प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ दिन-प्रतिदिन के कार्य को बाधित करती है। बाढ़ इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए विभिन्न समस्याएं पैदा करती है। भारी बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में जन-जीवन को फिर से पुनर्निर्माण करने में महीनों लगते हैं और कई बार तो सालों-साल भी।

इसे यूट्यूब पर देखें : Badh par Nibandh

निबंध – 2 (400 शब्द)

बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो किसी क्षेत्र में अत्यधिक पानी के जमा होने के कारण होती है। यह अक्सर भारी बारिश का नतीजा है। कई क्षेत्रों को नदी या समुद्र के पानी के स्तर के बढ़ने के कारण, बांधों के टूटने के कारण और बर्फ की पिघलने के कारण बाढ़ का सामना करना पड़ता है। तटीय क्षेत्रों में तूफान और सूनामी इस स्थिति का कारण बनते हैं।

दुनिया भर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र

विश्व भर में कई क्षेत्रों में लगातार बाढ़ होने की संभावना है। गंभीर और लगातार बाढ़ का सामना करने वाले दुनिया भर के शहरों में भारत में मुंबई और कोलकाता, चीन में गुआंगजो, शेनज़न और टियांजिन, एक्वाडोर, न्यू यॉर्क, न्यू जर्सी, हो ची मिन्ह सिटी, वियतनाम, मियामी और न्यू ऑरलियन्स शामिल हैं।  पहले भी इन क्षेत्रों में बाढ़ के कारण विनाश होते रहें हैं।

बाढ़ के कारण उत्पन्न समस्या को कैसे नियंत्रित करें ?

मानव जीवन को बाधित करने से लेकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने तक – बाढ़ के कई नकारात्मक नतीजे हैं जिनसे निपटना मुश्किल है। इस प्रकार बाढ़ को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस समस्या को नियंत्रित करने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं:

  • बाढ़ चेतावनी सिस्टम

बेहतर बाढ़ चेतावनी प्रणालियों को स्थापित करना यह समय की आवश्यकता है ताकि लोगों को आगामी समस्या के बारे में सही समय पर चेतावनी दी जा सके और उनके पास अपने और अपने सामान की रक्षा करने के लिए पर्याप्त समय हो।

  • बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में भवनों का निर्माण

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में इमारतों का बाढ़ के पानी के स्तर से ऊपर निर्माण किया जाना चाहिए ताकि संपत्ति के नुकसान के साथ-साथ वहां रहने वाले लोगों को भी नुकसान से बचाया जा सके।

  • जल भंडारण प्रणाली की शुरुआत

बारिश के पानी को पुन: उपयोग करने के लिए सरकार को जल भंडारण प्रणालियों के निर्माण में निवेश करना चाहिए। इस तरह से मैदानी इलाकों में पानी के अतिप्रवाह होने और बाढ़ का कारण बनने की बजाए पानी का अत्यधिक इस्तेमाल किया जा सकता है।

  • ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत बनाएं

बाढ़ के मुख्य कारणों में से एक ख़राब जल निकासी व्यवस्था है। जल निकासी से बचने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली होना जरूरी है जिससे बाढ़ की स्थिति ना उत्पन्न हो।

  • बाढ़ बैरियर स्थापित करें

उन क्षेत्रों में बाढ़ बैरियर स्थापित किए जाने चाहिए जो बाढ़ से प्रभावित हैं। पानी निकल जाने के बाद इन्हें हटाया जा सकता है।

हालांकि बारिश की घटनाएं, बर्फ-पहाड़ों का पिघलना, जल निकासियों और तूफानों को रोकना मुश्किल हो सकता है लेकिन इनमें से अधिकांश मामलों में पहले एतियात बरती जा सकती है और सरकार जल निकासी सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर सकती है जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती हैं। यहाँ ऊपर साझा किए गए कुछ तरीकों को नियोजित करके बाढ़ की स्थिति से बचा जा सकता है।

निबंध – 3 (500 शब्द)

बाढ़ की स्थिति भारी बारिश, नदियों और महासागरों जैसे जल निकायों से पानी के अतिप्रवाह, ग्लेशियर पिघलने, तूफान और तटीय किनारों के साथ तेज हवाओं के कारण बनती हैं। जब अत्यधिक मात्रा में जल निकलने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली की कमी होती है तब यह पानी बाढ़ का कारण बनता है ।

बाढ़ के परिणाम

बाढ़ का पानी प्रभावित क्षेत्र के सामान्य कामकाज को बाधित करता है । गंभीर बाढ़ के कारण बड़े पैमाने पर विनाश हो सकता है। यहां बताया गया है कि धरती पर बाढ़ कैसे प्रभावित करती है:

  • जीवन को ख़तरा

बहुत से लोग और जानवर गंभीर बाढ़ के कारण अपने जीवन से हाथ धो बैठते हैं। इससे कई लोग घायल और विभिन्न रोगों से संक्रमित होते हैं। कई जगहों पर मच्छरों और अन्य कीड़ों के प्रजनन के लिए जमा होने वाला पानी मलेरिया और डेंगू जैसी विभिन्न बीमारियों का कारण है। हाल ही में पेचिश, न्यूमोनिक प्लेग और सैन्य बुखार के मामलों में वृद्धि हुई है।

  • बिजली कटौती

आज कल बिजली और पानी की आपूर्ति में बाधा आई है जिससे आम जनता की समस्याओं में वृद्धि हो रही है। उन स्थानों पर करंट पकड़ने का जोखिम भी है जहां बिजली की आपूर्ति बरकरार है।

  • आर्थिक नुकसान

बहुत से लोग अपने घरों और अन्य संपत्तियों जैसे कार, मोटरसाइकिल बाढ़ में खो देते हैं जिन्हें ख़रीदने में सालों लगते हैं। यह सरकार के लिए चिंताजनक विषय है क्योंकि संपत्ति बचाव अभियान के लिए कई पुलिसकर्मियों, फायरमैनों और अन्य अधिकारियों को तैनात करना पड़ता है। गंभीर बाढ़ के मामलों में प्रभावित क्षेत्रों को फिर से तैयार करने में कई साल लगते हैं।

  • कीमत का बढ़ना

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में माल की आपूर्ति कम हो जाती है क्योंकि सड़क परिवहन वहां तक ​​नहीं पहुंच सकता है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में संग्रहीत सामान भी बाढ़ के कारण खराब हो जाते हैं। आपूर्ति की कमी है और मांग अधिक है और इस प्रकार वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होती है।

जब मूसलधार बारिश होती है तो मिट्टी पूरे पानी को अवशोषित नहीं कर पाती और इससे अक्सर मिट्टी का क्षरण होता है जिसके भयानक परिणाम होते हैं। मिट्टी के क्षरण के अलावा मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

बाढ़ सिर्फ मनुष्यों और जानवरों के लिए ही खतरा नहीं है बल्कि वनस्पति के लिए भी ख़तरा है। भारी बारिश अक्सर गड़गड़ाहट, बिजली और तेज हवाओं के साथ होती है। तूफान पेड़ों को उखाड़ फेंकने का एक कारण है। इसके अलावा बाढ़ के दौरान फसल क्षतिग्रस्त हो जाती है और कई अन्य पौधें भी नष्ट हो जाते हैं।

भारत में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र

साल-दर-साल भारत में कई क्षेत्रों को बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है। देश में इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित प्रमुख क्षेत्रों में उत्तर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल, मुंबई, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों, तटीय आंध्र प्रदेश और उड़ीसा, ब्रह्मपुत्र घाटी और दक्षिण गुजरात सहित अधिकांश गंगा मैदान हैं। बाढ़ के कारण इन जगहों को अतीत में गंभीर नुकसान पहुंचा है और अभी भी ख़तरे का सामना कर रहे हैं।

बाढ़ प्राकृतिक आपदाओं में से एक है जो विभिन्न क्षेत्रों में बड़े विनाश का कारण है। यह समय है कि भारत सरकार को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए मजबूत उपायों का पालन करना चाहिए।

Essay on Flood in Hindi

निबंध – 4 (600 शब्द)

बाढ़ तब होती है जब एक विशेष सूखे क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा के कारण ज़मीन पर बहने वाले पानी की मात्रा बढ़ जाती है। नदी, महासागर और झील जैसे जल निकायों से पानी के अतिप्रवाह के कारण यह भी हो सकता है। बाढ़ जन विनाश के कारण जानी जाती है। कुछ क्षेत्रों में विनाश का कारण इतना गंभीर है कि नुकसान की मरम्मत के लिए कई साल लगते हैं।

बाढ़ के कारण

बाढ़ के विभिन्न कारणों पर एक नजर इस प्रकार है:

बाढ़ की स्थिति ख़राब जल निकासी प्रणाली के कारण हो सकती है। कई बार थोड़ी अवधि की भारी बारिश भी बाढ़ का कारण बन सकती है जबकि दूसरी तरफ कई दिनों तक चलने वाली हल्की बारिश भी बाढ़ जैसी स्थिति बना सकती है।

  • बर्फ का पिघलना

सर्दियों के मौसम के दौरान जो पहाड़ बर्फ से ढंके होते है उनका पिघलना शुरू हो जाता है क्योंकि तापमान बढ़ जाता है। बर्फ का अचानक पिघलना तापमान बढ़ने के कारण होता है और इसके परिणामस्वरूप मैदानी इलाकों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है। जिन क्षेत्रों में अत्यधिक पानी की मात्रा है वहां उचित जल निकासी प्रणाली नहीं होने के कारण बाढ़ की स्थिति बन जाती है। इसे प्रायः बर्फ से पिघलने वाली बाढ़ के रूप में जाना जाता है।

  • बाँध का टूटना

ऊंचाई से पानी बहने के लिए बांधों को बनाया जाता है। पानी से बिजली बनाने के लिए प्रोपेल्लर्स का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार बाँध टूट जाते हैं क्योंकि वे बड़ी मात्रा में पानी नहीं पकड़ पाते जिसके फलस्वरूप आसपास के इलाकों में बाढ़ आ जाती है। कभी-कभी अत्यधिक जल बांध से जानबूझकर जारी किया जाता है ताकि इसे टूटने से रोका जा सके। इसका परिणाम बाढ़ भी हो सकता है।

  • जल निकायों का अतिप्रवाह

जल निकायों जैसे नदियाँ आदि से पानी बार-बार बह निकलने से आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। नदियों के नजदीक निचले इलाके इस समय के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि जल नदी से नीचे की ओर बहता है।

  • तटीय क्षेत्र में हवाएं

मजबूत हवाओं और तूफानों में समुद्र के पानी को सूखे तटीय इलाकों में ले जाने की क्षमता होती है जो की बाढ़ का कारण बनता है। इससे तटीय क्षेत्रों में गंभीर क्षति हो सकती है। तूफान और सुनामियों को तटीय भूमि में बड़ी तबाही का कारण जाना जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग: बाढ़ का मुख्य कारण

हाल के दिनों में बाढ़ की आवृत्ति बढ़ी है। ऐसा कहा जाता है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते औसत समुद्री तापमान में काफी बढ़ोतरी हुई है और इससे कैरिबियन में उष्णकटिबंधीय तूफान की बढ़ती दर और कठोरता में वृद्धि हुई है। ये तूफान उनके रास्ते में देशों में भारी बारिश का कारण है। ग्लोबल वार्मिंग, जो वायुमंडल के तापमान में वृद्धि पैदा कर रहा है, ग्लेशियरों और बर्फ के पिघलने का भी एक कारण है जो फिर से कई क्षेत्रों में बाढ़ का कारण है। कहा जाता है कि आने वाले समय में ध्रुवीय बर्फ पर फिर से बुरा प्रभाव पड़ेगा जिससे स्थिति खराब होने की संभावना है।

पृथ्वी पर समग्र जलवायु परिस्थितियों में एक बड़ा परिवर्तन आया है और ग्लोबल वार्मिंग को इस परिवर्तन का कारण माना जाता है। जहाँ कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक बाढ़ का अनुभव होता है वहीँ अन्य लोग सूखे का अनुभव करते हैं।

यद्यपि हम बारिश या ग्लेशियरों को पिघलने से नहीं रोक सकते पर हम निश्चित रूप से बाढ़ के पानी से निपटने के लिए अच्छी जल निकासी व्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं। सालभर कई देशों में जैसे सिंगापुर के अधिकांश हिस्सों में भारी वर्षा होती है पर वहां अच्छी जल निकासी प्रणाली है। भारी बारिश के दिनों में भी वहां समस्या नहीं होती। बाढ़ की समस्या और प्रभावित क्षेत्रों में होने वाली क्षति से बचने के लिए भारत सरकार को भी अच्छी जल निकासी व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए।

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बाढ़ पर निबंध Essay on Flood in Hindi

बाढ़ पर निबंध Essay on Flood in Hindi

इस लेख में आप बाढ़ पर निबंध Essay on Flood in Hindi पढ़ेंगे। यह कक्षा 5 से 10 तक विभिन्न रूपों से परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में बाढ़ क्या है तथा बाढ़ आने के कारण, प्रभाव, व बाढ़ से बचाव के उपाय बेहद सरल भाषा में दिया गया है। 

Table of Contents

प्रस्तावना (बाढ़ पर निबंध Essay on Flood in Hindi)

आज मनुष्य बेझिझक पर्यावरण का दोहन कर रहा है। फल स्वरुप बाढ़, भूकंप, सुनामी जैसी त्रासदीयां जन जीवन के लिए मुश्किल परिस्थितियां खड़ी कर रही हैं।

जब पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है तब प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़ भूकंप इत्यादि आती हैं। बाढ़ त्रासदी का संबंध जल से है लेकिन कारण स्वरूप में मनुष्य का प्रकृति के प्रति विमुखता ही है।

अन्य त्रासदियों से बचाव के उपाय हैं लेकिन एक बार बाढ़ आ जाने पर विस्थापन के अलावा और कोई उपाय नहीं बचता है। एक तरफ जनजीवन अस्त व्यस्त होता है तो दूसरी तरफ प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक विरासतों का नुकसान भी होता है।

हाल के दिनों में बाढ़ की आवृत्ति बढ़ी है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते औसत समुद्री तापमान में काफी बढ़ोतरी हुई है और इससे कैरिबियन में उष्णकटिबंधीय तूफान की बढ़ती दर और कठोरता में वृद्धि हुई है। ये तूफान उनके रास्ते में देशों में भारी बारिश का कारण है।

बाढ़ के कई प्रकार होते हैं तथा उनके अनुसार ही उनका प्रकोप भी बदलता है। सामान्य बाढ़ में जनजीवन को ज्यादा नुकसान नहीं होता लेकिन बड़े बाढ़ में प्राणियों तथा जीव जंतुओं का समूल नाश भी हो जाता है।

बाढ़ क्या है? What is Flood in Hindi?

जब प्रकृति के चक्रों में व्यवधान उत्पन्न होता है जब प्रकृति स्वयं को उन व्यवधानों से मुक्त करने के लिए प्राकृतिक आपदाओं का प्रयोग करती हैं। उन प्राकृतिक आपदाओं में बाढ़ भी शामिल है।

बाढ़ की परिभाषा के अनुसार जब नदियों, समुद्रों में जल का स्तर बढ़ जाता है। तब जल अपनी दिशा से विपरीत बहने लगता है जिसे बाढ़ कहा जाता है।

बाढ़ के कई प्रकार होते हैं लेकिन मुख्य रूप से बाढ़ को तीन भागों में बांटा जाता है। उच्च, मध्यम तथा निम्न बाढ़। उच्च बाढ़ में जल का नियंत्रण नहीं रहता और वह पहाड़ों तथा मैदानों को चीरते हुए गाँवों-शहरों में घुस जाता है तथा भारी विनाश करता है।

2013 में उत्तराखंड में आई त्रासदी को उच्च प्रकार के बाढ़ में शामिल किया जा सकता है। जिसमें लाखों लोगों की दुखद रूप से मृत्यु हो गई थी तथा हजारों करोड़ रुपयों का नुकसान भी हुआ था।

मध्यम प्रकार के बाढ़ में बारिश के कारण होने वाली त्रासदियों को शामिल किया जाता है। बारिश में अक्सर नदियां अपने स्तर से ऊंची उठ जाती है तथा उनका पानी गांव तथा शहरों में घुस जाता है। मध्यम प्रकार का बाढ़ कम समय के लिए आता है तथा इससे जान माल की हानि उच्च बाढ़ के मुकाबले कम होती है।

निम्न प्रकार के बाढ़ में सामान्य नदियों तथा नालों में जल की अधिकता होती है। यह ज्यादा समय के लिए ठहरती लेकिन जनजीवन ठप्प जरूर होता है।

बाढ़ आने के कारण Reason of Flood in Hindi

कुछ दशक पहले का अधिकतम औसत तापमान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस होता था तथा वातावरण इतना प्रदूषित भी नहीं था। लेकिन आज के समय में अधिकतम औसत तापमान 45 से 50 डिग्री सेल्सियस हो चुका है।

जब प्राकृतिक चक्र में व्यतिरेक उत्पन्न होता है तब बाढ़ जैसी त्रासदीया अवश्य आती हैं। आज प्रदूषण अपनी चरम पर है तथा पेड़ों का कांटा जाना, ग्लोबल वार्मिंग, एसिड वर्षा इत्यादि बढ़ चुका है जिसके कारण हर वर्ष कहीं ना कहीं बाढ़ का प्रकोप देखने को जरूर मिलता है।

बाढ़ के कारणों में आज सबसे अधिक अनियमित वर्षा देखने को गिना जाता है। प्रकृति का पर्यावरण चक्र पर से नियंत्रण कम हो जाने के कारण अनियंत्रित वर्षा होती है और जिसके कारण बाढ़ जैसी परिस्थिति का निर्माण होता है।

बाढ़ के कारणों में से दूसरा सबसे बड़ा कारण ग्लेशियरों का पिघलना है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर तेज रफ्तार से पिघल रहे हैं, जिनका जल समुद्र के स्तर को दिन प्रतिदिन ऊंचा उठा रहा है। 

किन्हीं भी छोटे-मोटे भूकंप या चक्रवात के बाद समुद्र की लहरें भयानक रूप ले लेती हैं और पास के नगरों में कोहराम मचा देती हैं।

जल के अधिक प्रवाह से बांध के टूट जाने की खबर हम अक्सर सुनते हैं। जल प्रवाह को नियंत्रित करने वाले  बांध समय के साथ कमजोर हो जाते हैं तथा अधिक प्रवाह झेल नहीं पाते हैं इसलिए अतिरिक्त जल गांव तथा शहरों में घुसकर भयंकर तबाही मचा देता है।

बाढ़ आने के कारणों में मुख्य कारण मनुष्य की प्रकृति के प्रति उदासीनता ही है। अगर मनुष्य प्रकृति के प्रति जागरूक हो जाए तो अवश्य ही इन त्रासदियों की मात्रा में गिरावट आएगी। 

बाढ़ के प्रभाव Impacts of Flood in Hindi

मनुष्यों के साथ वन्य पशु पक्षियों के जीवन पर बाढ़ का बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बाढ़ आने पर जन समूह को विस्थापित होना पड़ता है जिससे उनके जीवन की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।

भारत के कई राज्यों के निवासी हर साल बाढ़ की समस्या का सामना करते हैं। देश में इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित प्रमुख क्षेत्रों में उत्तर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल, मुंबई, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों, तटीय आंध्र प्रदेश और उड़ीसा, ब्रह्मपुत्र घाटी और दक्षिण गुजरात सहित अधिकांश गंगा मैदान हैं।

बाढ़ के नुकसान के रूप में इन राज्यों की विकास दर में गिरावट होती है और सामान्य यातायात में भी बड़ी गिरावट आती है। राज्यों की विकास दर गिरने से देश के विकास दर में भी कमी आती है।

बाढ़ के कारण बिजली विभाग को बहुत अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है क्योंकि आज लगभग हर कोने में बिजली पहुँच चुकी है और बाढ़ के कारण अगर किसी स्थान पर बिजली के खम्भे उखड़ जाते हैं तो उसकी पहचान और रिपेयरिंग मुश्किल हो जाता है।

बाढ़ के कारण किसानों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि किसान अपने कृषि पर ही निर्भर होता है और बाढ़ में उसकी फसल पूरी तरह से चौपट हो जाती है।

बाढ़ के बाद प्रदुषण के कारण तरह-तरह के रोग फैलते हैं जिनसे मनुष्य तथा पशु-पक्षीयों को स्वास्थ्य के लिए जूझना पड़ता है।   

बाढ़ से बचाव के उपाय (प्रबंधन) Flood Management in Hindi

आज प्रकृति आपदा प्रबंधन की आवश्यता बहुत बढ़ गयी है क्योंकि एक कहावत है की “मनुष्य अगर प्रकृति को पोषता है तो प्रकृति उसे पोषती है”।

बाढ़ से बचाव के रूप में सबसे जरुरी उपाय वृक्षारोपण करना है। क्योंकि बाढ़ का मुख्य कारण अतिवर्षा है और वृक्ष वर्षा को संतुलित व नियंत्रित करते है। 

बाढ़ से बचाव के लिए आधुनिक तकनीकों की सहायता लेना बेहद जरुरी हो गया है क्योंकि आधुनिक विज्ञान ने ऐसी तकनीकें खोज निकाली हैं। जिनसे बारिश के समय व मात्रा का सटीक आकलन करना संभव हो पाया है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के लिए ऊंचाई पर आवास बनाकर बाढ़ से बचाव का प्रबंधन किया जा सकता है। जिन क्षेत्रों में बाढ़ आने की संभावना अधिक होती हो उन क्षेत्रों में गहरे जलाशय बनाकर उन जलों को संरक्षित कर उपयोग में लिया जा सकता है।

बाढ़ से बचाव के लिए सबसे कारगर तकनीक एक अच्छे ड्रेनेज सिस्टम को तैयार करना हो सकता है। क्योंकि मुंबई जैसे महानगरों में आज भी बरसात में कमर से ऊपर तक पानी भर जाता है। जिसका मूल कारण अच्छे जल निकाय सिस्टम का न होना है।

उपरोक्त पद्धतियों से बाढ़ से बचाव के प्रयास किये जा सकते हैं लेकिन बाढ़ से स्थाई बचाव प्रकृति की शुद्धि से ही हो सकता है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने बाढ़ पर निबंध Essay on Flood in Hindi को पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको सरल लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।

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बाढ़ पर निबंध हिंदी में, Essay on Flood in Hindi

Short essay in flood: ये लेख छात्रों को बाढ़ के कारणों और प्रभावों को समझने में मदद करेगा और प्रभावित क्षेत्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ बनाने में महत्वपूर्ण होगा।.

Atul Rawal

Flood Essay in Hindi: बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जिसमें पानी आमतौर पर सूखी भूमि को ढक लेता है और दुनिया भर के समुदायों को प्रभावित करता है। ये भारी बारिश, तेजी से पिघलने वाली बर्फ या तटीय तूफानों के कारण होती हैं, जिसके कारण अक्सर संपत्ति की क्षति, लोगों का विस्थापन और आजीविका बाधित होती है।

बाढ़ पर वन लाइनर: One Liners on Flood

  • बाढ़ दुनिया भर में सबसे आम और व्यापक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जो हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है।
  • इतिहास में सबसे घातक बाढ़ 1931 में चीन में हुई थी, जिसमें अनुमानित 20 लाख लोगों की मौत हो गई थी।
  • अचानक आने वाली और कम चेतावनी वाली फ्लैश बाढ़ विशेष रूप से खतरनाक और विनाशकारी हो सकती हैं।
  • शहरीकरण और वनों की कटाई प्राकृतिक जल निकासी को कम करके और अपवाह को बढ़ाकर बाढ़ को बढ़ा सकती है।
  • '100 साल की बाढ़' शब्द का मतलब यह नहीं है कि ऐसी बाढ़ केवल 100 साल में एक बार होती है; इसका मतलब है कि किसी भी वर्ष में बाढ़ आने की संभावना 1% होती है।
  • बाढ़ के पानी में सीवेज, रसायन और मलबे दूषित हो सकते हैं, जिससे प्रभावित आबादी के लिए महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम पैदा होते हैं।
  • बाढ़ से भूस्खलन और मडफ्लो हो सकते हैं, जिससे पुनर्प्राप्ति प्रयासों में और जटिलता आती है और नुकसान बढ़ जाता है।
  • वैश्विक स्तर पर बाढ़ के नुकसान का अनुमान हर साल अरबों डॉलर है, जो अर्थव्यवस्थाओं और बुनियादी ढांचे को प्रभावित करता है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण कई क्षेत्रों में बाढ़ की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ने की उम्मीद है, जो अनुकूलन और प्रभावी रणनीतियों के लिए एक बढ़ती चुनौती है।

बाढ़ पर निबंध 150 शब्दों में

बाढ़ पर निबंध 200 शब्दों में, बाढ़ पर निबंध 250 शब्दों में.

बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो मानव जीवन और पर्यावरण दोनों के लिए एक बड़ा खतरा है। यह भारी बारिश, तेजी से पिघलती बर्फ या तटीय तूफानों के कारण होती है। बाढ़ से न केवल घर, फसलें और संपत्ति नष्ट होती है बल्कि यह बीमारियों के फैलने का भी कारण बनती है। शहरीकरण के कारण प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली बाधित होती है जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। वनों की कटाई भी बाढ़ के लिए जिम्मेदार है क्योंकि पेड़ मिट्टी को बांधे रखते हैं और जल स्तर को नियंत्रित करते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है। बाढ़ से बचाव के लिए हमें कई उपाय करने होंगे। जैसे कि बाढ़ के खतरे वाले क्षेत्रों में घर न बनाना, नदियों के किनारे पेड़ लगाना, जलग्रहण क्षेत्रों का संरक्षण करना और बाढ़ की चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना। सरकार को भी बाढ़ से निपटने के लिए प्रभावी योजनाएं बनानी चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए।

ये निबंध आपको बाढ़ के विषय पर लिखने में मदद करेंगे। आप अपनी जरूरत के अनुसार इन निबंधों को और विस्तृत कर सकते हैं।

  • बाढ़ के कारण
  • बाढ़ के प्रभाव
  • बाढ़ से बचाव के उपाय
  • बाढ़ से संबंधित सरकारी नीतियां
  • जलवायु परिवर्तन और बाढ़

National Disaster Management Authority बाढ़ पर रिपोर्ट

भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार भारत बाढ़ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। देश के कुल 329 मिलियन हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्रफल में से 40 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र बाढ़ के खतरे में है। बाढ़ एक बार-बार आने वाली आपदा है, जिससे जान-माल की भारी क्षति होती है और जनजीवन प्रभावित होता है। पिछले 10 वर्षों (1996-2005) में बाढ़ से होने वाली औसत वार्षिक क्षति 4745 करोड़ रुपये रही, जो पिछले 53 वर्षों के औसत 1805 करोड़ रुपये की तुलना में काफी अधिक है। इसका कारण जनसंख्या में तेजी से वृद्धि, तेजी से शहरीकरण, बाढ़ के मैदानों में विकास गतिविधियां और जलवायु परिवर्तन है।

Central Water Commission बाढ़ पर रिपोर्ट

 
             

Source: cwc.gov.in

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बाढ़ पर निबंध (Essay On Flood In Hindi)

Essay On Flood In Hindi

In this Article

बाढ़ पर 10 लाइन (10 Lines On Flood In Hindi)

बाढ़ पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on flood in hindi 200-300 words), बाढ़ पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on flood in 400-600 words), बाढ़ के बारे में रोचक तथ्य (interesting facts about flood in hindi), बाढ़ के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from a flood essay), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs).

प्रकृति द्वारा पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों के जीवन यापन के लिए कई संसाधन मौजूद हैं। जब प्रकृति से छेड़छाड़ करते हैं तो उसके कई दुष्परिणाम हम ही को झेलने पढ़ते हैं। ऐसी ही एक आपदा बाढ़ के रूप में हम जानते हैं। यह स्थिति मानवीय और प्राकृतिक दोनों कारणों से पैदा हो सकती है। लगातार कई दिनों तक वर्षा होने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है जिसमें भारी नुकसान होने की संभावना होती है। यहां तक की भूखमरी के हालात पैदा हो जाते हैं और लोगों को आर्थिक तंगी और नुकसान से गुजरना पड़ता है। बाढ़ एक भयंकर आपदा है, जब मॉनसून में अधिक बारिश होने के कारण पानी जगह-जगह जमा होने लगता है, साथ ही उसकी निकासी का कोई सही इंतजाम नहीं किया जाता, तब यह पानी बाढ़ का रूप ले लेता है। जो क्षेत्र नदी के किनारे बसते हैं उनपर इनका अधिक प्रभाव देखा जाता है। जब नदी का बांध अधिक पानी के दवाब से टूट जाता है तो देश को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता है। नदी के आसपास मौजूद क्षेत्रों को बहुत नुकसान पहुंचता है और साथ ही कई लोगों की जान भी जाती है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता होती है और उसमें आपको बाढ़ के बारे में निबंध या भाषण लिखने के लिए कहा जाता है, तो उसके लिए आप इस लेख का सहारा ले सकते हैं।

बच्चों को बाढ़ के बारे में सामान्य जानकारी होगी लेकिन यदि उनको बाढ़ पर एक छोटा निबंध लिखना है तो वह इन 10 वाक्यों का उपयोग कर सकते हैं।

  • बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, जिससे जनजीवन प्रभावित होता है।
  • अधिक बारिश की वजह से क्षेत्रों में पानी जमा होने लगता है तो वह बाढ़ की स्थिति उत्पन्न करता है।
  • कई बार ये आपदा प्राकृतिक तथा मानव द्वारा निर्मित होती है।
  • पेड़ों का कटना, प्रदूषण बढ़ना, ग्लोबल वार्मिंग आदि भी इसके अन्य कारण हैं।
  • बाढ़ आने के कई कारण हैं जैसे अधिक बारिश, बादल फटना, नदी में जल का स्तर बढ़ना आदि।
  • कई बार बाढ़ सुनामी और तूफान जैसा भयंकर रूप ले लेती है।
  • नदी के किनारे बसे शहर, गांव आदि पर बाढ़ का खतरा अधिक होता है।
  • बाढ़ के प्रकोप से जानवर, पक्षी, और लोगों की जानें भी जाती हैं।
  • इससे न सिर्फ जानमाल का नुकसान होता है, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ता है।
  • बाढ़ की चेतावनी देने वाली व्यवस्था हमेशा अच्छे से काम करने चाहिए ताकि लोगों को पहले से जागरूक किया जा सके।

बाढ़ के बारे में लिखने के लिए उसको बेहतर तरीके से जानने की जरूरत है और ऐसे में आप नीचे दिए गए निबंध की मदद ले सकते हैं।

बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिससे जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित होता है। इससे लोगों की जानें जाती है और देश के आर्थिक विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। बाढ़ ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों को अधिक प्रभावित करती है क्योंकि वहां पानी की निकासी के लिए सही जगह नहीं होती है। बाढ़ के प्रकोप के कई कारण हैं, जैसे अधिक बारिश, किसी बांध का टूटना, बादल फटना आदि। वैसे बाढ़ के कई अप्रत्यक्ष कारण भी हैं जैसे ग्लोबल वार्मिंग, अनगिनत पेड़ों की कटाई, प्रदूषण का बढ़ना आदि। बाढ़ के आने के बाद कई क्षेत्रों में पानी भरा रहता है, जिसकी वजह से घरों की नींव कमजोर हो जाती है और सभी पक्के और कच्चे घर टूट जाते हैं। ऐसे में लोग अपने घरों से बेघर हो जाते हैं और जन-धन दोनों का नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में देश को भी इसका प्रभाव झेलना पड़ता है क्योंकि इसका सीधा असर उसके आर्थिक विकास पर पड़ता है। इसकी भयानक स्थिति से हर कोई सहम जाता है और पशु, पक्षी और इन्सान सब इसकी चपेट में आ जाते हैं। कई बार बाढ़ आने के बाद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है, जैसे डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड आदि। जो की बाद में और अधिक हानि पहुंचाती हैं। बाढ़ अक्सर नदी किनारे या पहाड़ी क्षेत्रों में आती है, इसलिए हमेशा वहां बसे लोगों को बारिश के मौसम में चेतावनी दी जाती है ताकि वह सचेत रहें और खुद को इसके प्रभाव से बचा सकें। इसलिए सरकार को बाढ़ अलर्ट सिस्टम को हमेशा सही से काम करना चाहिए ताकि आपदा से पहले लोग सचेत हो जाएं।

Badh par nibandh

दुनिया भर में बाढ़ एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है, जिसके बारे में आपको सही जानकारी होना चाहिए। यदि आपको इस पर अच्छा निबंध लिखना है तो हमारे द्वारा लिखे गए निबंध को पढ़ें और अपने शब्दों में उसे लिखने का प्रयास करें।

बाढ़ क्या है? (What Is a Flood?)

जब किसी स्थान पर लगातार कम समय में अधिक मात्रा में बारिश होती है, तो वहां पर पानी जमा होने लगता है और पानी के अधिक दवाब के कारण वह बांध को तोड़ देता है जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बाढ़ वैसे कई कारणों से उत्पन्न होता है जैसे एक जगह पर अधिक बरसात होना, बांध का टूटना, बारिश से नदी का जल स्तर बढ़ना आदि। इस दौरान समुद्र और नदियों के पानी का प्रवाह इतना अधिक होता है कि यह आसपास के शहरों, गांवों, जंगलों आदि सभी को प्रभावित करता है। बाढ़ के कारण लोगों में अफरा-तफरी मच जाती और तबाही का माहौल नजर आता है। इस आपदा में लोग अपना घर, संपत्ति, यहां तक की परिवार को भी खो देते हैं। ऐसी परिस्थिति किसी भी इंसान के लिए कल्पना से परे है। इन हालातों में सरकार पीड़ितों को राहत सामग्री पहुंचाती है। लेकिन देश के आर्थिक विकास में इसका बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि प्रभावित क्षेत्र का पुनःनिर्माण में अधिक समय और पैसा लगता है।

बाढ़ के कारण (Causes Of Flood)

बाढ़ उत्पन्न होने के कई कारण हैं, उनके बारे में नीचे दिया गया है-

  • बहुत अधिक बारिश- लगातर बारिश के कारण अगर पानी की निकासी सही से नहीं हुई तो वह बाढ़ की स्थिति उत्पन्न करता है।
  • हिमनद का पिघलना – गर्मियों के मौसम में तापमान अधिक हो जाता है, जिसकी वजह से ठंडी जगहों पर जमी हुई बर्फ पिघलने लगती औ हिमनद (ग्लेशियर) पिघलने लगता है तो उसका पानी महासागर के प्रवाह को और बढ़ा देता है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ता है।
  • बांध का टूटना – बांध का उपयोग ऊपर से गिरने वाले पानी को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है लेकिन अगर उसमें क्षमता से अधिक पानी की मात्रा बढ़ती है तो वह टूट जाता है जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ आ जाती है।
  • तटीय क्षेत्र में हवाएं – जो हवाएं तेज और मजबूत होती हैं उनके अंदर समुद्र के जल को सूखे तट पर ले जाने की क्षमता बढ़ जाती है, ऐसे हालात में बाढ़ उत्पन्न होती है।
  • ग्लोबल वार्मिंग – ग्लोबल वार्मिंग भी बाढ़ उत्पन्न करने का एक मुख्य कारण है। इसकी वजह से वातावरण का तापमान अधिक हो जाता है जिससे ग्लेशियर पिघलने लगते हैं। इसके कारण पिघला हुआ पानी महासागर में जाकर पानी के स्तर को बढ़ा देता है और बाढ़ की स्थिति बढ़ जाती है।

बाढ़ के प्रभाव (Effects of Flood)

बाढ़ हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित करता है, आइए जानते हैं कैसे –

  • बाढ़ के कारण जन-जीवन और संपत्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • लोग अपने घरों से बेघर और परिवार वालों से बिछड़ जाते हैं।
  • बाढ़ का जमा हुआ पानी कई इलाकों की इमारतें, घर, स्कूल, कॉलेज आदि सब नष्ट कर देता है।
  • इंसान ही नहीं बल्कि पशु, पक्षी भी इसका शिकार हो जाते हैं।
  • बाढ़ का पानी अपने साथ कई तरह की बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड आदि लेकर आता है।
  • कई इलाकों में पीने वाला पानी पीने लायक नहीं बचता है।
  • यह जंगलों, खेतों को भी पूरी तरह से तबाह कर देता है।
  • इसकी वजह से पर्यावरण में भी परिवर्तन होता है।
  • बाढ़ को पृथ्वी पर होने वाली खतरनाक आपदा में पहला स्थान मिला है।
  • हर साल बाढ़ के कारण अरबों डॉलर का नुकसान होता है।
  • अचानक से आई बाढ़ करीब 10 से 20 फीट ऊंची पानी की दीवारें बना सकती हैं।
  • बाढ़ का सिर्फ 1 इंच पानी पूरा घर नष्ट कर सकता है।
  • अमेरिका की लगभग 99% प्रदेशों में बाढ़ का अनुभव हुआ है।

इस निबंध से आपके बच्चे को प्राकृतिक आपदा के बारे जानने को मिलता है और ऐसे आपदा के समय में क्या करना चाहिए वो इस निबंध के जरिए जान सकेंगे। वह इस निबंध की मदद से बाढ़ पर एक बेहतरीन निबंध लिख सकेंगे और लोगों को इसके बारे में जागरूक कर सकेंगे।

1. बाढ़ कितने प्रकार की होती हैं?

बाढ़ तीन प्रकार ही होती हैं तटीय बाढ़, नदी बाढ़ और आकस्मिक बाढ़।

2. भारत में आयी सबसे बड़ी बाढ़ कौन सी है?

6 सितंबर 1970 को नर्मदा नदी पर आयी और 11 अगस्त 1979 को मच्छू नदी पर आयी बाढ़ को दुनिया में रिकॉर्ड तोड़ने वाली सबसे बड़ी बाढ़ माना गया है।

3. भारत के किस राज्य में अक्सर बाढ़ आती है?

भारत के असम राज्य में अक्सर बाढ़ का अनुभव होता है।

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बाढ़ पर निबंध – Flood essay in Hindi [800 words]

यदि आप बाढ़ पर निबंध (Flood essay in Hindi) लिखना चाहते हैं, तो आप सही जगह पर हैं. ये निबंध स्कूल और कॉलेज छात्रों के लिए है. स्कूल और कॉलेज के परीक्षाओं के साथ साथ प्रतियोगी परीक्षा में भी बाढ़ पर निबंध [Flood essay in Hindi] लिखने के लिए कहा जाता है. निबंध को पूरा पढ़ने के बाद अपने विचार जरूर साझा करें.   

बरसात के मौसम में नदियां और नहरें भर जाती हैं. कभी-कभी पानी इतना ऊंचा हो जाता है कि वह किनारों पर बह जाता है. खेत और कभी-कभी घर पानी के भीतर आ जाते हैं. पानी की इस प्रकार की स्थितियों को बाढ़ कहा जाता है.

बाढ़ के कारण

बाढ़ कई तरह के कारणों से होती है. कभी-कभी बारिश एक साथ कई दिनों तक भारी मात्रा में पड़ती है. पहाड़ों का बारिश का पानी नदी में बहता है. कभी-कभी नदी इतना पानी नहीं रोक पाती है. फिर पानी नदी में अधिक मात्रा में बहता है और आस-पास की भूमि में बाढ़ आ जाती है. कभी – कभी पहाड़ों में बर्फ पिघलती है. पिघला हुआ बर्फ नदी में बहता है और देश में बाढ़ आती है. नदी का तटबंध टूटने से भी बाढ़ आती है. नदी का पानी दरार से बहता है और भूमि के एक बड़े हिस्से में बाढ़ आ जाती है. हाल ही में हमारी सरकार ने कुछ नदियों के अतिरिक्त पानी को जमा करने के लिए कई बांध बनाए हैं. इससे बाढ़ को रोकने में मदद मिलेगी. लेकिन ये बांध कभी-कभी भर जाते हैं. तब यह आवश्यक है कि संग्रहित जल को बाहर बहने दिया जाए. नतीजतन, नदियों और नहरों के किनारों पर अचानक पानी भर जाता है और बाढ़ का कारण बनता है.

flood essay Hindi

बाढ़ क्षेत्र का दृश्य और उसके प्रभाव

बाढ़ के दौरान नदी का पानी बहुत अधिक बढ़ जाता है. यह अपना रास्ता में आने वाली हर चीज को बहा कर ले जाता है. फसलें नष्ट हो जाती हैं. कई घर बर्बाद हो जाते हैं. कई लोग बेघर हो जाते हैं. उनका सामान बह जाता है. कई लोग और मवेशी डूबे जाते हैं. लोगों की पीड़ा का कोई ठिकाना नहीं होता. रेलवे लाइनें एक साथ कई दिनों तक पानी के भीतर रहती हैं, और कभी-कभी ये बह भी जाती हैं. लोगों के दुखों को पूरी तरह से वर्णित नहीं किया जा सकता है. अकाल और महामारी की बीमारी बाढ़ के बाद के प्रभावों के रूप में सामने आती है.  

पीड़ितों की मदद के उपाय

लोग बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. वे राहत समितियां भी शुरू करते हैं. पैसा, खाद्य, दवा और कपड़ा एकत्र किया जाता है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों की मदद के लिए स्वयंसेवकों को भेजा जाता है. उन्हें भोजन, कपड़ा और पैसा वितरित किया जाता है. पीड़ित लोगों को दवा भी मुफ्त में बांटी जाती है. सरकार उन्हें भी मदद देती है. सरकार किसानों को बीज और धन का ऋण देता है और लोगों को काम प्रदान करता है.

कुछ भयंकर बाढ़ 

बाढ़ आना सभी देशों में आम है. भारत के कुछ हिस्सों में हर साल बाढ़ आती है. 1913 में बंगाल में भयंकर बाढ़ आई थी. इसे दामोदर बाढ़ के नाम से जाना जाता है. बर्धवान, हुगली और मेदिनीपुर जिलों में बड़े हिस्से में पानी भर गया था. 1922 की उत्तर बंगाल बाढ़ ने भी जीवन और संपत्ति के ऊपर भारी नुकसान पहुंचाई थी. 1931 में उत्तर बंगाल और पूर्वी बंगाल में भयंकर बाढ़ आई थी. 1934 में एक भयानक बाढ़ ने असम के लोगों को बहुत नुकसान पहुंचाया था. उनकी हालत बेहद दयनीय हो गई थी. भारत के अप्रभावित हिस्सों के लोग पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए थे. हाल के वर्षों में, भयानक बाढ़ ने असम, उत्तर बंगाल और बिहार को बहुत नुकसान पहुंचाया है. दक्षिण भारत में भी कावेरी और अन्य नदियों में पानी बढ़ने से भयानक बाढ़ आई है. 1987 में असम, उत्तरी बंगाल, उत्तरी बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में भयंकर बाढ़ आई थी. यह भाग्य की विडंबना है कि इसी दौरान भारत के कुछ अन्य हिस्सों में अभूतपूर्व सूखा पड़ा था. इस प्रकार भारत सरकार के पास स्थिति से निपटने के लिए बहुत कठिन समय था. भारत सरकार को बाढ़-पीड़ित और सूखा-पीड़ित दोनों लोगों को उनके कष्टों कम करने में मदद करनी थी.

निवारक उपाय

हम बाढ़ की घटना को पूरी तरह से रोक नहीं सकते हैं. लेकिन हम बड़ी संख्या में पानी के रास्ते खोदने की कोशिश कर सकते हैं, ताकि पानी आसानी से बह सके. बड़ी संख्या में रेलवे पुल बनाए जाएं. कुछ नदियों के किनारे को ऊंचा किया जाना चाहिए और तटबंधों को मजबूत बनाया जाना चाहिए. इन नदियों के अतिरिक्त पानी को जमा करने के लिए और बांध बनाने चाहिए.

बाढ़ एक बड़ी हानि है. लेकिन इसके कुछ अच्छे प्रभाव भी हैं. यह मिट्टी को उपजाऊ बनाता है. यह भूमि की सभी अशुद्धियों को भी धो देता है. फिर भी हम कभी भी भयानक बाढ़ का स्वागत नहीं करते हैं.

आपके लिए :-

  • सूखा पर निबंध
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध
  • कोविड-19 पर निबंध

ये था बाढ़ पर निबंध (Flood essay in Hindi). अगर आपको बाढ़ के ऊपर लिखा गया ये निबंध पसंद आया है, तो शेयर करना भूलें. और हमें कमेंट करके बताएं की और किस विषय के ऊपर आपको निबंध चाहिए. धन्यवाद.

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बाढ़ का दृश्य पर निबंध |A New Essay on Flood in Hindi

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बाढ़ का दृश्य पर निबंध | A New Essay on Flood in Hindi!

जल ही जीवन है । यह उक्ति पूर्णतया सत्य है । परंतु जिस प्रकार किसी भी वस्तु की अति या आवश्यकता से अधिक की प्राप्ति हानिकारक है उसी प्रकार जल की अधिकता अर्थात् बाढ़ भी प्रकृति का प्रकोप बनकर आती है जो अपने साथ बहुमूल्य संपत्ति संपदा तथा जीवन आदि समेटकर ले जाती है ।

गंगा गोदावरी ब्रह्‌मपुत्र गोमती आदि पवित्र नदियाँ एक ओर तो मनुष्य के लिए वरदान हैं वहीं दूसरी ओर कभी-कभी प्रकोप बनकर अभिशाप भी बन जाती हैं । हमारे देश में प्राय: जुलाई- अगस्त का महीना वर्षा ऋतु का है जब तपती हुई धरती के ज्वलन को छमछमाती हुई बूँदें ठंडक प्रदान करती हैं । नदियाँ जो सूखती जा रही थीं अब उनमें जल की परिपूर्णता हो जाती है ।

सभी स्वतंत्र रूप से बहने लगती हैं । यह वर्षा ऋतु और इसका पानी कितने ही कृषकों व श्रमजीवियों के लिए वरदान बन कर आता है । परंतु पिछले वर्ष हमारे यहाँ बाद का जो भयावह दृश्य देखने को मिला उससे मेरा ही नहीं अपितु सभी व्यक्तियों का हृदय चीत्कार कर उठा ।

पिछले वर्ष हमारे गाँव में पिछले सात दिनों से लगातार वर्षा हो रही थी । चारों ओर भरे पानी का दृश्य प्रलय का एहसास कराता था । गाँव से लगी हुई नदी का जलस्तर निरंतर बढ़ता ही जा रहा था । हर एक को अपने प्राण संकट में आते नजर आ रहे थे। इतनी वर्षा से ही ढाल के आधे से अधिक छोटे-छोटे घर पूर्ण अथवा आंशिक रूप से जल में विलीन हो चुके थे ।

हमारे गाँव में रहने वाले सभी लोग यथासंभव आवश्यक सामान लेकर ऊँचे टीले पर आ गए थे । उस ओर मनुष्यों एवं पशुओं का जमघट बढ़ता ही जा रहा था । कुछ लोग तो इतने भयभीत थे कि वे समझ नहीं पा रहे थे कि घर की वस्तुओं की रक्षा करें या अपने प्राण की ।

यह हमारा सौभाग्य ही था कि हमारा घर बहुत ऊँचाई पर था जिसके कारण हम बाद से पूर्णतया प्रभावित होने से बचे हुए थे । इसी बीच जब थोड़ी देर के लिए वर्षा रुकी तब मैं बाहर का दृश्य देखने के लिए छत पर पहुँच गया । वहाँ से मुझे जो दृश्य देखने को मिला वह हृदय विदारक था । थोड़ी देर के लिए तो मैं स्वयं पर संयम न रख सका और भय से काँप उठा ।

ADVERTISEMENTS:

मेरा आधा गाँव पानी में लगभग डूब चुका था । कुछ घरों का केवल ऊपरी हिस्सा ही दिखाई दे रहा था । अनेकों ग्रामवासियों के कपड़े व अन्य आवश्यक सामान जल में तैरते दिखाई पड़ रहे थे । कुछ पशु जो बाद में फँसकर मर गए थे उनकी लाशें भी इधर-उधर तैर रही थीं ।

ममतामयी माँ के हृदय से लगा उसका नन्हा बेटा मेरे पलक झपकते ही उस जलगर्त में कहीं समा गया । यह देखकर मेरा दिल रो उठा । प्रकृति का यह विनाशक दृश्य मैं आज भी भुला नहीं पाता हूँ । जब-जब वे दृश्य मेरे स्मृति पटल पर उभरते हैं; तो मैं भय से काँप उठता हूँ ।

हमारे देश में प्रत्येक वर्ष किसी न किसी राज्य में बाढ़ आती रहती है जिससे देश को करोड़ों रुपयों का अधिभार उठाना पड़ता है । प्रत्येक वर्ष नियमित रूप से बाढ़ के समय ही हमारे नेतागण व प्रशासन सजग होता दिखाई देता है और कुछ दिनों के उपरांत ही यह उनके लिए एक सामान्य घटना बन जाती है और वे दूसरे कार्यो में व्यस्त हो जाते हैं । स्वतंत्रता के पाँच दशकों के उपरांत भी हम इस समस्या का कोई स्थाई हल नहीं निकाल सके जिससे बाढ़ के द्‌वारा होने वाले नुकसान को अधिक से अधिक नियंत्रित किया जा सके ।

बाढ़ की रोकथाम सरकार का पूर्ण दायित्व है । इसे रोकने हेतु निरतंर प्रयास हो रहे हैं । इस दिशा में हमें आंशिक रूप से सफलता भी प्राप्त हुई है फिर भी अभी और भी प्रयास आवश्यक हैं । हमें विश्वास है कि आने वाले वर्षों में हम इन आपदाओं से होने वाले नुकसान को पूर्णत नियंत्रित कर सकेंगे ।

इसके लिए दीर्घकालीन रणनीति पर अमल करना होगा तथा जिन क्षेत्रों में प्रतिवर्ष बाढ़ आता है वहाँ जलसंचय के वैकल्पिक उपाय करने होंगे ।

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बाढ़ पर निबंध | Essay on Flood in Hindi

Essay on Flood in Hindi : प्रिय मित्रों बाढ़ पर निबंध आपके साथ साझा कर रहे हैं. बच्चों को स्कूल की परीक्षा में बाढ़ पर निबंध अनुच्छेद भाषण इत्यादि लिखने को कहे जाने पर आप हमारे इस निबंध की मदद ले सकते हैं. Flood Essay को कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10  के बच्चों को ध्यान में रखते हुए तैयार  किया गया हैं.

बाढ़ पर निबंध Essay on Flood in Hindi

बाढ़ पर निबंध | Essay on Flood in Hindi

शोर्ट बाढ़ की समस्या पर निबंध Essay on Flood in India In Hindi

चारों ओर जल प्रलय का दृश्य जिसमें खेत के खेत बहे जा रहे हों, मरे हुए मवेशियों की लाशें डूबती उतराती नजर आ रही हों, लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थान की तलाश में पानी में तैरते हुए नजर आ रहे हों, ये बाढ़ की विभीषिका की भयावहता को दर्शाने के लिए पर्याप्त हैं.

अपेक्षित वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद भी प्राकृतिक आपदाओं से मानव अब तक भी पूरी तरह पार पाने में कितना अक्षम रहा हैं, इसका प्रत्यक्ष उदहारण बाढ़ के दौरान ही दिखाई पड़ता हैं. बाढ़ की विभीषिका के बारे में चर्चा करने से पहले यह जान लेना आवश्यक हैं कि बाढ़ वास्तव में क्या हैं.

दरअसल, जब बरसात के मौसम में नदियों के जल स्तर में वृद्दि होती हैं, तो इसके कारण बाढ़ उत्पन्न हो जाती हैं. नदियों का पानी तीव्र वेग के साथ निचले इलाकों में भर जाता हैं.

बरसात के दिनों में नदियों के जल स्रोत में वृद्धि होने के कारण ही उनके जल स्तर में वृद्धि होती हैं. इस जल स्तर में वृद्धि के कारण नदियों के आस-पास के क्षेत्र में भी पानी जमा हो जाता हैं. नदी के आस पास के क्षेत्रों में पानी जमा होने की यह स्थिति बाढ़ कहलाती हैं.

हर वर्ष जून से सितम्बर के महीने तक भारत में अत्यधिक वर्षा होती हैं. इसलिए इसी अवधि के दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में बाढ़ का कहर देखने को मिलता हैं. बाढ़ की विभीषिका का दृश्य बहुत भयावह होता हैं.

चारों ओर अफरा तफरी का माहौल होता हैं, लोग अपनी जान बचाने के लिए विफल प्रयास करते नजर आते हैं. जल जमाव हो जाने के कारण पानी में तैरते हुए भागना उनके लिए कठिन हो जाता हैं.

जल प्रवाह तेज होने या नदियों के तटबंध टूटने से आई बाढ़ में लोगों को अपनी जान बचाने का भी मौका नहीं मिलता. मिट्टी तथा खपरैल से बने घर ताश के पत्तों की तरह बाढ़ में बहते हुए नजर आते हैं.

चारों ओर चीख पुकार की आवाजे सुनाई देती हैं. लोग जान बचाने के लिए ऊँचे स्थानों पर शरण लेते नजर आते हैं. कोई ऊँचा स्थान न मिलने की स्थिति में लोगों को पेड़ पर भी शरण लेने के लिए विवश होना पड़ता हैं.

खुले आसमान के नीचे बाढ़ ग्रस्त इलाके में रहना मौत को दावत देने जैसा ही हैं. ऐसी विपदा की स्थिति में नदी में जान बचाने के लिए तैरते सांप दुःख और भय को बढ़ा देते हैं. सरकार द्वारा लोगों को जान बचाने के लिए नावों एवं हेलीकॉप्टरों से खाद्य सामग्री उन तक पहुचाने का भी प्रबंध किया जाता हैं.

लोग इन खाद्य सामग्री पर जानवरों की तरह टूट पड़ते हैं. इस तरह बाढ़ की विभीषिका मानव को पशु बनने के लिए विवश कर देती हैं. सभी को अपनी जान प्यारी होती हैं. लोग अपनी जान बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं.

जहाँ एक ओर बाढ़ अपने साथ कहर लाती हैं, वहीँ बाढ़ से एक लाभ भी हैं, इसके साथ आने वाली उपजाऊ मिट्टी से नदियों के आस पास का क्षेत्र उर्वर हो जाता हैं. किन्तु यह लाभ इससे होने वाली हानियों की तुलना में नगण्य हैं.

इससे होने वाली हानियों की क्षतिपूर्ति करना बाद में काफी कष्टदायी होता हैं. बाढ़ से जन धन की अपार हानि होती हैं. सड़के टूट जाती हैं. रेलमार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं. सड़कों एवं रेलमार्गों के अवरुद्ध हो जाने से यातायात एवं परिवहन बाधित होता हैं जिससे जन जीवन ठप हो जाता हैं.

बाढ़ की विभीषिका पर लघु निबंध, Essay on Flood in Hindi For Students

इस तरह एक तरफ तो लोग बाढ़ से परेशान रहते हैं, ऊपर से उन तक खाद्य सामग्री की पहुच मुश्किल हो जाती हैं,  बाढ़    के कारण लाखों एकड़ की फसल बर्बाद हो जाती हैं.

बाढ़ में मवेशियों के बह जाने से पशु संसाधन की हानि तो होती ही हैं, कृषि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा हैं.बाढ़ में तटबंध टूटने की स्थिति में बड़ी बड़ी बस्तियाँ अचानक उजड़ जाती हैं. इस तरह बाढ़ के कारण लोगों को अपने घरों तक से हाथ धोना पड़ता हैं. इसके कारण लोग विस्थापित हो जाते हैं.

बाढ़ के उतर जाने पर भी अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. घास एवं झाड़ियों के सड़ जाने एवं मवेशियों के मरने से संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बन जाता हैं. लाख लोग अपना घर बार पहले ही गंवा चुके होते हैं.

फसलें बर्बाद हो जाने से किसानों के सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं. बाढ़ के दौरान टूटी हुई सड़कों एवं रेलमार्ग को ठीक करने में काफी समय लगता हैं. तब तक उस क्षेत्र का यातायात एवं परिवहन ठप ही रहता हैं. इस तरह बाढ़ का प्रकोप बाढ़ के बाद भी लोगों को प्रभावित करता रहता हैं.

भारत में लगभग हर राज्य किसी न किसी रूप में बाढ़ से प्रभावित हैं. किन्तु बिहार बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित राज्य हैं. यहाँ हर साल बाढ़ आती हैं. जिससे धन जन की अपार हानि होती हैं. 1954 से च रही राष्ट्रीय बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रम के बावजूद अभी तक एक प्रभावकारी बाढ़ नियंत्रण प्रणाली विकसित नहीं कर सकी हैं.

अभी तक बाढ़ नियंत्रण के कई पारम्परिक उपाय आजमाएं जा चुके हैं, जैसे नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए तटबंध का निर्माण और नियंत्रित दर से पानी की निकासी के लिए जलाशयों का निर्माण.

प्रायः देखा जाता हैं कि बाढ़ को नियंत्रित करने वाले इन जलाशयों में पनबिजली उत्पन्न करने के लिए तथा अधिक कृषि क्षेत्र को सिंचाई उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से अधिक से अधिक पानी का संचय किया जाता हैं.

इसके कारण कभी कभी जल स्तर अत्यधिक बढ़ जाता हैं. एवं बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं. इस तरह बाढ़ की समस्या से निपटने का उपाय ही उस समस्या का एक कारण बन जाता हैं. बाढ़ नियंत्रण के उद्देश्य से नदियों के किनारे तटबंध एवं बांध बनाएं जाते हैं.

कभी कभी इन तटबंधो एवं बाँध के कारण बाढ़ का प्रभाव अधिक खतरनाक हो जाता हैं. जब जल स्तर अधिक हो जाता हैं. एवं नदी के प्रवाह में तीव्रता आ जाती हैं, तो तटबंध भी पानी को नियंत्रित नहीं रख पाते और तटबंधों के टूटने से अचा-नक आई बाढ़ का कहर और भी खतरनाक हो जाता हैं.

पर्यावरणविदों एवं वैज्ञानिकों के अनुसार बाढ़ की समस्या का सबसे अच्छा समाधान होता हैं. नदी के पानी को नियंत्रित करने की बजाय उसे सही तरीके से रास्ता दिया जाना.

पानी को नियंत्रित करने का प्रयास ही अधिक खतरनाक होता हैं. यदि पानी का स्तर सामान्य हैं तब तो बाढ़ पर नियंत्रण करने के ये उपाय कारगर हो सकते हैं.

किन्तु पानी के प्रवाह में तीव्रता एवं अत्यधिक जलस्तर की स्थिति में ये उपाय किसी काम के नही होते. नदियों को जोड़ने की प्रस्तावित योजना को कार्यरूप देने से इस समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता हैं.

यदि बाढ़ जैसी आपदा पर प्रभावी नियंत्रण किया जाए तो जन धन की अपार क्षति के साथ साथ कृषि क्षेत्र में होने वाले नुकसान से भी बचाव हो सकेगा और देश सम्रद्ध होगा.

बाढ़ की समस्या इसके कारण प्रभावित क्षेत्र और प्रबंधन Flood Causes Effects Types Facts Prevention In Hindi

अपने विशाल आकार एवं मानसूनी जलवायु के कारण ये दोनों प्राकृतिक आपदाएं भारत को प्रभावित करती है. भारतीय जनमानस अपने स्वभाव व सहज संतोषी वृति के कारण ईश्वरीय प्रकोप मानकर सदियों से इन आपदाओं को सहता आ रहा है.

जब भारी अथवा निरंतर वर्षा के कारण नदियों का जल अपने तटबंधो को तोड़कर बहुत बड़े क्षेत्र में फ़ैल जाता है. तो उसे बाढ़ कहते है. वर्षा ऋतू में वर्षा का यह आसमान वितरण भारत में प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनती है. प्रत्येक वर्ष भारत के किसी न किसी क्षेत्र में बाढ़ आती है. भारत में 4 करोड़ हैक्टर क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माना जाता है.

बाढ़ के कारण (flood causes in hindi)

भारी वर्षा के चलते नदी जलग्रहण क्षेत्र में प्रवाहित जल को पर्याप्त प्रवाह मार्ग उपलब्ध नही होने से अतिरिक्त वर्षा जल चारों ओर फैलने लगता है. वर्षा ऋतू में पानी के साथ बहकर आये अवसाद नदी मार्ग को संकड़ा व उथला बना देते है. जिसके कारण पानी किनारों के बाहर फैलकर बाढ़ की शक्ल दे देता है.

धरातल पर वनों का व चरागाहों के निरंतर विनाश भी भारत में बाढ़ की समस्या के कारण है. इनके अतिरिक्त नदी प्रवाह मार्गों पर आबादी की बसावट, अविवेकपूर्ण तरीकों से आवागमन मार्गों का निर्माण, परम्परागत जल ग्रहण स्रोतों को नष्ट करना तथा प्राकृतिक रूप से जल प्रवाह स्वरूप की उपेक्षा कर निर्माण कार्य करना बाढ़ के कारण बनते है.

भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र (Flood affected areas in India)

भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र वर्षा के वितरण से निर्धारित है. भारत में बाढ़ों से होने वाली 90 प्रतिशत से अधिक क्षति उतरी एवं उतरी पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में होती है. भारत के उत्तर पश्चिम में बहने वाली नदियाँ सतलज, व्यास, रावी, चिनाब व झेलम से बाढ़ की भयंकरता कम होती है.

जबकि पूर्व में बहने वाली गंगा, यमुना, गोमती, घाघरा व गंडक आदि नदियों से अपेक्षाकृत अधिक बाढ़ आती है. कोसी व दामोदर नदियों में बाढ़े विनाशकारी होती है, इसलिए कोसी नदी को बिहार का शोक व दामोदर नदी को बंगाल का शोक कहा जाता है.

देश के उत्तर पूर्वी भाग में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी है. अतः नदी घाटी में भी प्रति वर्ष बाढ़ आती है. इस क्षेत्र में वर्षा भी 250 सेमी से अधिक होती है.

भारत में बाढ़ का इतिहास

भारत में बाढ़ से प्रतिवर्ष 2000 से अधिक जाने जाती है. 80 लाख हैक्टर क्षेत्र से बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित होता है. 35 लाख हैक्टर क्षेत्र में फसल नष्ट हो जाती है. 3 करोड़ हैक्टेयर क्षेत्र में जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है. आर्थिक रूप से लगभग एक करोड़ रुपयें की हानि प्रतिवर्ष होती है.

बाढ़ का सर्वाधिक प्रभाव पशुधन पर पड़ता है. लगभग 12 लाख पशुधन को हानि उठानी पडती है. 12 लाख से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हो जाते है.

भारत में बाढ़ से होने वाली 60 प्रतिशत से अधिक क्षति केवल उत्तरप्रदेश व बिहार में होती है. इसके बाद पश्चिम बंगाल, आसाम, उड़ीसा को नुकसान उठाना पड़ता है.

बाढ़ की समस्या जीवन को अस्त व्यस्त कर देती है. मार्ग अवरुद्ध हो जाते है तथा फसलें नष्ट हो जाती है. पानी के स्रोत खराब व दूषित हो जाते है.

संचार के साधन बिगड़ जाते प्रभावित क्षेत्र में गंदगी बढ़ने से महामारी फैलने का भय रहता है. बाँधो, तालाबों तथा नहरों को क्षति होती है.

बाढ़ प्रबंधन (Flood Facts Prevention management in Hindi)

सरकारी व सामाजिक स्तर (Government and social status) – देश में बाढ़ की विकरालता के मध्यनजर सबसे पहले इसकी रोकथाम की आवश्यकता के प्रयास प्रारम्भ हुए.

इस दिशा में सन 1854 में राष्ट्रीय बाढ़ नियंत्रण योजना प्रारम्भ की गई. इस योजना में नदी तटबंधों का निर्माण व जल प्रवाह नालिकाओं का निर्माण करने के निर्णय लिए गये.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बहुउद्देशीय योजनाओं के बाँध बनाने का कार्य भी किया जाता है. इस सन्दर्भ में महानदी, दामोदर, सतलज, व्यास, चम्बल, नर्मदा नदियों पर बाँध बनाए गये है.बाढ़ों पर नियंत्रण के लिए नदी उद्गम क्षेत्रों एवं जल ग्रहण क्षेत्रों में वनों का लगाया जाना अति आवश्यक है.

इससे मृदा अपरदन रुकने से नदी पेटे में अवसाद के अभाव में कमी आएगी. अतः जरुरी है कि वृक्षारोपण के साथ साथ वनों का अविवेकपूर्ण दोहन रोका जायें. यातायात मार्गों के निर्माण के समय यह ध्यान रखा जाए कि इससे जल के प्राकृतिक प्रवाह में अवरोध उत्पन्न हो.

वर्षा से पहले नदी की जल ग्रहण क्षमता को बढ़ाया जाए, अवसाद को निकालकर तटबंधों पर डलवाया जाए इससे दोहरा लाभ होगा, एक तो नदी की जलग्रहण क्षमता बढ़ेगी व तटबंध ऊँचे व मजबूत होंगे.

बाढ़ की समस्या से होने वाली हानि से बचने के लिए 1854 इसवी में बाढ़ पूर्वानुमान संगठन की स्थापना की गई. वर्तमान में प्रत्येक जिला मुख्यालय पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है.

मौसम एवं सिंचाई विभाग वर्षा ऋतू में उस समय होने वाली वर्षा की मात्रा एवं जल प्रवाह की राशि को सतर्कता से अवलोकन करते है. संचार के साधनों से सदैव जनता को स्थति से अवगत कराया जाता है.

व्यक्तिगत स्तर पर  ( At the personal level) व्यक्तियों को चाहिए कि वे वर्षा ऋतू में रेडियों व दूरदर्शन से लगातार समाचार सुनते रहे. यदि वे बाढ़ संभावित क्षेत्र में रह रहे है तो सरकारी आदेशों व सलाह की अनिवार्यता पालना करे.

बिजली उपकरणों को बंद कर दे. घर में कीमती सामान, कपड़े व भोजन सामग्री को सुरक्षित स्थान पर ले जाए, ताकि जब तक बाढ़ का पानी उतरे नही तब तक स्वयं का व अन्य लोगों का ध्यान रखा जा सके.

वाहनों व पालतू पशुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुचाए जाए, मकान में यदि जल खतरे के निशान से उपर जाने लगे तो सुरक्षित स्थान पर अतिशीघ्र पहुचने का प्रयास करे.

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बाढ़ पर निबंध हिंदी में | Flood Essay in Hindi 500 Word – Baadh Par Nibandh – Essay On Flood

प्रस्तावना:

बाढ़ पर निबंध हिंदी में (Flood Essay in Hindi): बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो मानव समुदायों को नुकसान पहुंचा सकती है। यह विशेष रूप से जल अवसाद के क्षेत्रों में होने वाली अतिरिक्त वार्षिक वर्षा के कारण उत्पन्न होती है। यह बाढ़ से जुड़ी चिंताओं के बारे में एक लेख है जिसमें हिंदी में 500 शब्दों में ताजा सामग्री प्रदान की गई है।

बाढ़ पर निबंध हिंदी में | Flood Essay in Hindi - Baadh Par Nibandh - Essay On Flood

Table of Contents

बाढ़ पर निबंध 500 शब्द (Flood Essay in Hindi)

प्रमुख धारणाएं:.

  • बाढ़ का अर्थ और कारण
  • बाढ़ के प्रभाव
  • बाढ़ से निपटने के उपाय
  • बाढ़ की सुरक्षा उपाय

बाढ़ का अर्थ और कारण:

बाढ़ एक प्रकार का जल अवसाद है जिसमें अतिरिक्त वर्षा के कारण नदियों और झीलों के पानी में वृद्धि होती है। यह जल अवसाद सामान्य बरसात से अधिक दिनों तक चलता रह सकता है और लोगों, जीव-जंतुओं और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। बाढ़ के प्रभाव: बाढ़ के आने से कई बुरे प्रभाव हो सकते हैं,

जैसे कि लोगों के घरों और दुकानों को नष्ट हो जाना, फसलों की मौजूदा और आनेवाली उपज को नष्ट कर देना, सड़कों के बंद हो जाने के कारण संचार की समस्याएँ, जल बसे इलाकों में मचले हुए मछली और अन्य जीवों के मरने की संभावना, विद्यालयों और कार्यालयों में काम बंद हो जाने के कारण अधिकारियों के और छात्रों के लिए असुविधा आदि।

बाढ़ के परिणाम

बाढ़ के परिणाम काफी विपरीत होते हैं और इनके प्रभाव भूखंडों के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं। निम्नलिखित कुछ मुख्य परिणाम निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • जानलेवा घातक घटनाएं: बाढ़ आमतौर पर बसा इंफ्रास्ट्रक्चर, घरों और और इंडस्ट्रियों को बर्बाद करती है जिससे मानव जीवनों को खतरा होता है और लाखों लोग घायल हो सकते हैं या जान सकते हैं।
  • खेती की हानि: बाढ़ उत्पादनशील क्षेत्रों को नष्ट कर सकती है और कृषि उत्पादन में कमी पैदा कर सकती है। इससे किसानों को आर्थिक तंगद़ा उठाना पड़ सकता है और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित किया जा सकता है।
  • अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना: बाढ़ के कारण व्यापार और व्यवसाय को नुकसान हो सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था कमजोर हो सकती है और रोजगार के अवसरों में कमी हो सकती है।
  • सार्वजनिक सुविधाओं का नुकसान: बाढ़ जल संरचनाओं, सड़कों, पुलों, रेलवे लाइनों और विभिन्न सार्वजनिक सुविधाओं को नष्ट कर सकती है, जिससे लोगों को संचार और पहुंचने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • जल लाभ की भयंकर कमी: बाढ़ के कारण जलस्रोतों में भयंकर कमी हो सकती है जो पीने का पानी उपलब्ध करने में मुश्किलें पैदा कर सकती है।
  • जनसंख्या के विस्तार और उद्दीपन: बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में लोग अपने जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए अन्य क्षेत्रों में चले जाते हैं, जो जनसंख्या के विस्तार और उद्दीपन को प्रभावित कर सकता है।

यह तब से भी महत्वपूर्ण है कि हम बाढ़ से निपटने और इसके प्रभाव को कम करने के लिए उचित बचाव उपाय अपनाएं और प्राकृतिक आपदा के खिलाफ सक्रिय रूप से तैयार रहें।

बाढ़ से निपटने के उपाय:

बाढ़ के खतरों से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं। पहले, हमें अवसाद के प्रभावित क्षेत्रों में विकास की नीतियों को समीक्षा करनी चाहिए और वन्यजीवों के निवास स्थानों को संरक्षित रखने के लिए संबंधित कानूनों की पालना करनी चाहिए। दूसरे, हमें जल निकासी के लिए नदी किनारे नल यंत्र स्थापित करने चाहिए और नदी के वार्धक्य को नियंत्रित करने के लिए बांधों और पुलों का निर्माण करना चाहिए। तीसरे, नदी के किनारे पौधरोपण का प्रमुख महत्व होता है, जो माटी को टूटने से रोकता है और जल प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है।

बाढ़ की सुरक्षा उपाय:

अधिकतर बाढ़ की संभावना वाले क्षेत्रों में बाढ़ की सुरक्षा को ध्यान में रखा जाना चाहिए। जहां बाढ़ का खतरा ज्यादा होता है, वहां लोगों को सुरक्षा द्वारा चेतावनी देनी चाहिए। सुरक्षा द्वारा प्रशिक्षित लोगों की मदद से बाढ़ प्रबंधन और अवसाद से संबंधित सामग्री को जनता के साथ साझा करना चाहिए। नदियों के जल स्तर को नियमित रूप से मापना चाहिए और नदी के आपातकालीन स्थिति में लोगों को तत्पर रहना चाहिए।

बाढ़ पर निबंध हिंदी में | Flood Essay in Hindi - Baadh Par Nibandh - Essay On Flood

बाढ़ एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है और इससे निपटने के लिए हमें सुरक्षा की ओर अपना ध्यान देना चाहिए। जनता को जागरूक करने, प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने और आपातकालीन परिस्थितियों के लिए तत्पर रहने के माध्यम से हम बाढ़ की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

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बाढ़ पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों में | Flood Essay in Hindi

आज हम आपको बाढ़ पर निबंध देने वाले हैं जो की 100, 200 और 500 शब्दों में लिखे गये हैं। अक्सर स्कूल, कॉलेज या प्रतियोगी परीक्षाओं में बाढ़ के बारे में निबंध या भाषण लिखने के लिए कहा जाता है। हमें आशा है की निचे दिया गया यह निबंध आपके काम आ सकता है और यह आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है।

बाढ़ पर निबंध (100 शब्द)

बाढ़ एक प्रकार की प्राकृतिक आपदा है जो की नदी और जलाशयों के जल स्तर में वृद्धि के कारण होती है। भारी वर्षा के कारण नदियों के जल स्तर में बड़ी मात्रा में वृद्धि होती है जिससे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे जन-जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है लोगों को अपने घर और मोहल्ले छोड़कर अन्य सुरक्षित स्थानों की तलाश करनी पड़ती है। बाढ़ आने के कई कारण हो सकते हैं जिनमे जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास, जल स्रोतों का बदलता प्रवाह, नदियों की संरचना में परिवर्तन आदि मुख्य रूप से शामिल हैं। बाढ़ के प्रभाव से बचने के लिए उचित नियंत्रण एवं सुरक्षा उपायों का अध्ययन और लोगों में बाढ़ के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।

बाढ़ पर निबंध 200 शब्द

बाढ़ एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है, जो की हम सभी के जीवन को खतरे में डाल सकती है। यह आपदा विभिन्न कारणों से हो सकती है जैसे अधिक वर्षा का होना, जलवायु परिवर्तन, नदियों का मार्ग बदलना, नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण बांधों का टूटना आदि।

जहाँ बाढ़ आती है उस क्षेत्र के जन-जीवन और संपत्ति पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है। इससे खेती, वन्यजीवन, पानी की सप्लाई, सड़कों और घरों को नुकसान हो सकता है। इससे आर्थिक नुकसान होता है और लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तलाश करनी पड़ती है। बाढ़ के प्रभाव से पीने योग्य पानी की कमी हो सकती है, जिससे लोगों को पेयजल की समस्या से भी निपटना पड़ सकता है।

बाढ़ से बचने के लिए बाढ़ प्रबंधन और जागरूकता अभियान आवश्यक हैं। सरकार को उचित बांध और नहरों का निर्माण करने की आवश्यकता है जो पानी के नियंत्रण में सहायता कर सकें। समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके लोगों को बाढ़ से बचने के उपायों के बारे में जानकारी देना भी महत्वपूर्ण है। सरकार को जनता के सहयोग से बाढ़ के आने पर तत्काल कदम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए और स्थानांतरण के लिए सुरक्षित स्थानों की तलाश करना चाहिए।

संक्षेप में, बाढ़ एक घातक आपदा है जिससे बचने के लिए समय रहते उचित उपायों का अध्ययन करना और जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। सरकार, समाज, और व्यक्ति एकजुट होकर बाढ़ से लड़ सकते हैं और एक सुरक्षित जीवन जी सकते हैं।

बाढ़ पर निबंध 500 words

प्रस्तावना:

बाढ़ प्राकृतिक आपदा है जो विभिन्न कारणों से हो सकती है और मानव समाज को बड़े संकट में डाल सकती है। वर्षा के पैटर्न में बदलाव, असामान्य बरसात, जलवायु परिवर्तन, नदियों के भरने के कारण निर्मित बांधों का टूटना आदि बाढ़ के प्रमुख कारण हो सकते हैं। इस निबंध में हम बाढ़ के प्रभाव, बाढ़ प्रबंधन और इससे बचाव के उपायों पर विचार करेंगे जो हमें इस आपदा से निपटने में मदद कर सकते हैं।

बाढ़ के कारण:

बाढ़ आने का सबसे कारण है अधिक बरसात जो की आमतौर पर मॉनसून के समय होती है। वर्षा के समय में बदलाव और असामान्य बरसात भी बाढ़ को बढ़ा सकती है। जलवायु परिवर्तन भी बाढ़ का एक बड़ा कारण है, जिसमें जल के प्रवाह और बरसात के मौसम में बदलाव होता है। जलस्रोतों के बदलते प्रकार और नदियों के भरने के कारण निर्मित बांधों का टूटना भी बाढ़ का प्रमुख कारण होता है। अनयंत्रित विकास और नदियों में नहरों के निर्माण और सही तरीके से जल का नियंत्रण नहीं किया जाना भी बाढ़ की समस्या को बढ़ा सकता है।

बाढ़ के प्रभाव:

बाढ़ हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित करता है और इसे समझना जरुरी है। बाढ़ प्रमुख रूप से हमारे जन-जीवन और संपत्ति को प्रभावित करता है। बाढ़ के दौरान जलभराव के कारण लोगों को अपने घर और मोहल्ले छोड़कर अन्य सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ता है। इससे लोग अपनी संपत्ति और अपना जीवन भी खो सकते हैं। बाढ़ के कारण विकसित क्षेत्रों में पिने योग्य पानी की कमी होती है और लोग विभिन्न रोगों का शिकार होते हैं। इसके साथ ही, खेती, वन्यजीवन, पानी की सप्लाई, सड़कों और घरों को भी बाढ़ प्रभावित कर सकता है।

बाढ़ प्रबंधन:

बाढ़ प्रबंधन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने और इससे बचने के लिए जरुरी है। बाढ़ प्रबंधन उचित योजनाओं, सुरक्षा के उपायों, और संगठित कार्यक्रमों का एक संयोजन है जो इस प्रकार की आपदा से निपटने में सहायक होता है। बाढ़ प्रबंधन के मुख्य उपाय इस प्रकार हैं:

  • जल संचयन: बाढ़ प्रबंधन का पहला और महत्वपूर्ण कदम है जल संचयन। जल संचयन योजनाएं बनाकर वर्षा के दौरान जल को इकट्ठा करने का प्रयास किया जाता है जो सूखे के समय में उपयोगी होता है। इससे जल का अपशिष्ट होने से बाधा होती है और जल की उपलब्धता बढ़ती है।
  • बांधों का निर्माण: नदियों के प्रवाह को संभालने के लिए बांधों का निर्माण किया जाता है। ये बांध बाढ़ी नदियों के उद्गम स्थलों पर बनाए जाते हैं ताकि जल का प्रवाह संभाला जा सके और बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सके।
  • नदी-नाले की सफाई: बाढ़ प्रबंधन के लिए नदियों और नालों को स्वच्छ रखने का महत्व होता है। अधिक जल बहाव से बचने के लिए नदी-नालों का समय-समय पर सफाई करना जरूरी है।
  • जनसंख्या का नियंत्रण: जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना बाढ़ प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ अधिक बाढ़ी नदियों का प्रवाह भी बढ़ता है जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • तकनीकी उन्नति: तकनीकी उन्नति बाढ़ प्रबंधन के लिए अत्यंत आवश्यक है। नए और सटीक तकनीकों का उपयोग करके जल संचयन और जल के प्रवाह को संभालने में सहायता मिलती है।
  • बाढ़ पर जागरूकता: सभी लोगों को बाढ़ के प्रभावों और बाढ़ से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। जनता को समय-समय पर सही जानकारी प्रदान करने वाले जागरूकता अभियानों का आयोजन करना चाहिए।

बाढ़ एक समस्या है जिसका समाधान समाज, सरकार, और विशेषज्ञों के संयुक्त प्रयासों से हो सकता है। समय पर सही उपाय अपनाने और जागरूकता बढ़ाने से बाढ़ से बचना संभव है। इस समस्या के समाधान के लिए सभी स्तरों पर सहयोग की आवश्यकता है ताकि हम सुरक्षित, सुरक्षित, और स्थायी जीवन जी सकें।

बाढ़ पर निबंध 10 लाइन में – 10 lines on flood in Hindi

बाढ़ पर निबंध 10 लाइन

हमें उम्मीद है की आपको यह बाढ़ पर निबंध (Essay on flood in Hindi) पसंद आया होगा आप इस विषय में अपनी राय निचे कमेंट में जरुर बताएं।

  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • जल संरक्षण पर निबंध
  • जल ही जीवन है निबंध

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