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बाढ़ पर निबंध (Flood Essay in Hindi)

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विनाश का कारण पानी की भारी मात्रा में अतिप्रवाह है। हर साल दुनिया भर में कई क्षेत्रों को बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है। बाढ़ अत्यधिक बारिश और उचित जल निकासी व्यवस्था की कमी के कारण होती है। बाढ़ की गंभीरता हर क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है और उसी के कारण होने वाला विनाश भी अलग-अलग होता है।

बाढ़ पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Flood in Hindi, Badh par Nibandh Hindi mein)

बाढ़ पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

भारी बारिश के कारण होने वाली बाढ़ के पानी की वजह से बीमारियों से होने के घातक परिणाम सामने आए हैं। इससे जीवन का नुकसान, बीमारियों में वृद्धि, मूल्य वृद्धि, आर्थिक नुकसान और अन्य मुद्दों के अलावा पर्यावरण का विनाश होता है। बाढ़ उनके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करती है।

बाढ़ के कारण और नुकसान

बाढ़ प्राकृतिक और अप्राकृतिक दोनों कारणों से होता है। बाढ़ के प्राकृतिक कारणों में अतिवृष्टि, ग्लेशियर, का पिघलना, आदि आते है। अप्राकृतिक कारणों में ग्लोबल वार्मिंग, अत्यधिक प्रदुषण आदि आते है। 

बाढ़ का रोकथाम

कई बार बाढ़ पर कुछ दिनों में काबू पाया जा सकता है जबकि कई बार इस पर हफ़्तों में काबू पाया जाता है जिससे उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन पर एक बुरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि ज्यादातर लोगों को इन के बारे में चेतावनी भी दी जाती हैऔर इससे पहले कि स्थिति बदतर हो जाए इनसे बचने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसी जगहों पर छुट्टी की योजना बनाने वाले पर्यटकों को अपनी योजना रद्द करनी चाहिए और अगर समय हो तो इस स्थिति से बचने की कोशिश करनी चाहिए।

प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ दिन-प्रतिदिन के कार्य को बाधित करती है। बाढ़ इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए विभिन्न समस्याएं पैदा करती है। भारी बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में जन-जीवन को फिर से पुनर्निर्माण करने में महीनों लगते हैं और कई बार तो सालों-साल भी।

इसे यूट्यूब पर देखें : Badh par Nibandh

निबंध – 2 (400 शब्द)

बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो किसी क्षेत्र में अत्यधिक पानी के जमा होने के कारण होती है। यह अक्सर भारी बारिश का नतीजा है। कई क्षेत्रों को नदी या समुद्र के पानी के स्तर के बढ़ने के कारण, बांधों के टूटने के कारण और बर्फ की पिघलने के कारण बाढ़ का सामना करना पड़ता है। तटीय क्षेत्रों में तूफान और सूनामी इस स्थिति का कारण बनते हैं।

दुनिया भर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र

विश्व भर में कई क्षेत्रों में लगातार बाढ़ होने की संभावना है। गंभीर और लगातार बाढ़ का सामना करने वाले दुनिया भर के शहरों में भारत में मुंबई और कोलकाता, चीन में गुआंगजो, शेनज़न और टियांजिन, एक्वाडोर, न्यू यॉर्क, न्यू जर्सी, हो ची मिन्ह सिटी, वियतनाम, मियामी और न्यू ऑरलियन्स शामिल हैं।  पहले भी इन क्षेत्रों में बाढ़ के कारण विनाश होते रहें हैं।

बाढ़ के कारण उत्पन्न समस्या को कैसे नियंत्रित करें ?

मानव जीवन को बाधित करने से लेकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने तक – बाढ़ के कई नकारात्मक नतीजे हैं जिनसे निपटना मुश्किल है। इस प्रकार बाढ़ को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस समस्या को नियंत्रित करने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं:

  • बाढ़ चेतावनी सिस्टम

बेहतर बाढ़ चेतावनी प्रणालियों को स्थापित करना यह समय की आवश्यकता है ताकि लोगों को आगामी समस्या के बारे में सही समय पर चेतावनी दी जा सके और उनके पास अपने और अपने सामान की रक्षा करने के लिए पर्याप्त समय हो।

  • बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में भवनों का निर्माण

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में इमारतों का बाढ़ के पानी के स्तर से ऊपर निर्माण किया जाना चाहिए ताकि संपत्ति के नुकसान के साथ-साथ वहां रहने वाले लोगों को भी नुकसान से बचाया जा सके।

  • जल भंडारण प्रणाली की शुरुआत

बारिश के पानी को पुन: उपयोग करने के लिए सरकार को जल भंडारण प्रणालियों के निर्माण में निवेश करना चाहिए। इस तरह से मैदानी इलाकों में पानी के अतिप्रवाह होने और बाढ़ का कारण बनने की बजाए पानी का अत्यधिक इस्तेमाल किया जा सकता है।

  • ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत बनाएं

बाढ़ के मुख्य कारणों में से एक ख़राब जल निकासी व्यवस्था है। जल निकासी से बचने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली होना जरूरी है जिससे बाढ़ की स्थिति ना उत्पन्न हो।

  • बाढ़ बैरियर स्थापित करें

उन क्षेत्रों में बाढ़ बैरियर स्थापित किए जाने चाहिए जो बाढ़ से प्रभावित हैं। पानी निकल जाने के बाद इन्हें हटाया जा सकता है।

हालांकि बारिश की घटनाएं, बर्फ-पहाड़ों का पिघलना, जल निकासियों और तूफानों को रोकना मुश्किल हो सकता है लेकिन इनमें से अधिकांश मामलों में पहले एतियात बरती जा सकती है और सरकार जल निकासी सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर सकती है जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती हैं। यहाँ ऊपर साझा किए गए कुछ तरीकों को नियोजित करके बाढ़ की स्थिति से बचा जा सकता है।

निबंध – 3 (500 शब्द)

बाढ़ की स्थिति भारी बारिश, नदियों और महासागरों जैसे जल निकायों से पानी के अतिप्रवाह, ग्लेशियर पिघलने, तूफान और तटीय किनारों के साथ तेज हवाओं के कारण बनती हैं। जब अत्यधिक मात्रा में जल निकलने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली की कमी होती है तब यह पानी बाढ़ का कारण बनता है ।

बाढ़ के परिणाम

बाढ़ का पानी प्रभावित क्षेत्र के सामान्य कामकाज को बाधित करता है । गंभीर बाढ़ के कारण बड़े पैमाने पर विनाश हो सकता है। यहां बताया गया है कि धरती पर बाढ़ कैसे प्रभावित करती है:

  • जीवन को ख़तरा

बहुत से लोग और जानवर गंभीर बाढ़ के कारण अपने जीवन से हाथ धो बैठते हैं। इससे कई लोग घायल और विभिन्न रोगों से संक्रमित होते हैं। कई जगहों पर मच्छरों और अन्य कीड़ों के प्रजनन के लिए जमा होने वाला पानी मलेरिया और डेंगू जैसी विभिन्न बीमारियों का कारण है। हाल ही में पेचिश, न्यूमोनिक प्लेग और सैन्य बुखार के मामलों में वृद्धि हुई है।

  • बिजली कटौती

आज कल बिजली और पानी की आपूर्ति में बाधा आई है जिससे आम जनता की समस्याओं में वृद्धि हो रही है। उन स्थानों पर करंट पकड़ने का जोखिम भी है जहां बिजली की आपूर्ति बरकरार है।

  • आर्थिक नुकसान

बहुत से लोग अपने घरों और अन्य संपत्तियों जैसे कार, मोटरसाइकिल बाढ़ में खो देते हैं जिन्हें ख़रीदने में सालों लगते हैं। यह सरकार के लिए चिंताजनक विषय है क्योंकि संपत्ति बचाव अभियान के लिए कई पुलिसकर्मियों, फायरमैनों और अन्य अधिकारियों को तैनात करना पड़ता है। गंभीर बाढ़ के मामलों में प्रभावित क्षेत्रों को फिर से तैयार करने में कई साल लगते हैं।

  • कीमत का बढ़ना

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में माल की आपूर्ति कम हो जाती है क्योंकि सड़क परिवहन वहां तक ​​नहीं पहुंच सकता है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में संग्रहीत सामान भी बाढ़ के कारण खराब हो जाते हैं। आपूर्ति की कमी है और मांग अधिक है और इस प्रकार वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होती है।

जब मूसलधार बारिश होती है तो मिट्टी पूरे पानी को अवशोषित नहीं कर पाती और इससे अक्सर मिट्टी का क्षरण होता है जिसके भयानक परिणाम होते हैं। मिट्टी के क्षरण के अलावा मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

बाढ़ सिर्फ मनुष्यों और जानवरों के लिए ही खतरा नहीं है बल्कि वनस्पति के लिए भी ख़तरा है। भारी बारिश अक्सर गड़गड़ाहट, बिजली और तेज हवाओं के साथ होती है। तूफान पेड़ों को उखाड़ फेंकने का एक कारण है। इसके अलावा बाढ़ के दौरान फसल क्षतिग्रस्त हो जाती है और कई अन्य पौधें भी नष्ट हो जाते हैं।

भारत में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र

साल-दर-साल भारत में कई क्षेत्रों को बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है। देश में इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित प्रमुख क्षेत्रों में उत्तर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल, मुंबई, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों, तटीय आंध्र प्रदेश और उड़ीसा, ब्रह्मपुत्र घाटी और दक्षिण गुजरात सहित अधिकांश गंगा मैदान हैं। बाढ़ के कारण इन जगहों को अतीत में गंभीर नुकसान पहुंचा है और अभी भी ख़तरे का सामना कर रहे हैं।

बाढ़ प्राकृतिक आपदाओं में से एक है जो विभिन्न क्षेत्रों में बड़े विनाश का कारण है। यह समय है कि भारत सरकार को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए मजबूत उपायों का पालन करना चाहिए।

Essay on Flood in Hindi

निबंध – 4 (600 शब्द)

बाढ़ तब होती है जब एक विशेष सूखे क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा के कारण ज़मीन पर बहने वाले पानी की मात्रा बढ़ जाती है। नदी, महासागर और झील जैसे जल निकायों से पानी के अतिप्रवाह के कारण यह भी हो सकता है। बाढ़ जन विनाश के कारण जानी जाती है। कुछ क्षेत्रों में विनाश का कारण इतना गंभीर है कि नुकसान की मरम्मत के लिए कई साल लगते हैं।

बाढ़ के कारण

बाढ़ के विभिन्न कारणों पर एक नजर इस प्रकार है:

बाढ़ की स्थिति ख़राब जल निकासी प्रणाली के कारण हो सकती है। कई बार थोड़ी अवधि की भारी बारिश भी बाढ़ का कारण बन सकती है जबकि दूसरी तरफ कई दिनों तक चलने वाली हल्की बारिश भी बाढ़ जैसी स्थिति बना सकती है।

  • बर्फ का पिघलना

सर्दियों के मौसम के दौरान जो पहाड़ बर्फ से ढंके होते है उनका पिघलना शुरू हो जाता है क्योंकि तापमान बढ़ जाता है। बर्फ का अचानक पिघलना तापमान बढ़ने के कारण होता है और इसके परिणामस्वरूप मैदानी इलाकों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है। जिन क्षेत्रों में अत्यधिक पानी की मात्रा है वहां उचित जल निकासी प्रणाली नहीं होने के कारण बाढ़ की स्थिति बन जाती है। इसे प्रायः बर्फ से पिघलने वाली बाढ़ के रूप में जाना जाता है।

  • बाँध का टूटना

ऊंचाई से पानी बहने के लिए बांधों को बनाया जाता है। पानी से बिजली बनाने के लिए प्रोपेल्लर्स का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार बाँध टूट जाते हैं क्योंकि वे बड़ी मात्रा में पानी नहीं पकड़ पाते जिसके फलस्वरूप आसपास के इलाकों में बाढ़ आ जाती है। कभी-कभी अत्यधिक जल बांध से जानबूझकर जारी किया जाता है ताकि इसे टूटने से रोका जा सके। इसका परिणाम बाढ़ भी हो सकता है।

  • जल निकायों का अतिप्रवाह

जल निकायों जैसे नदियाँ आदि से पानी बार-बार बह निकलने से आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। नदियों के नजदीक निचले इलाके इस समय के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि जल नदी से नीचे की ओर बहता है।

  • तटीय क्षेत्र में हवाएं

मजबूत हवाओं और तूफानों में समुद्र के पानी को सूखे तटीय इलाकों में ले जाने की क्षमता होती है जो की बाढ़ का कारण बनता है। इससे तटीय क्षेत्रों में गंभीर क्षति हो सकती है। तूफान और सुनामियों को तटीय भूमि में बड़ी तबाही का कारण जाना जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग: बाढ़ का मुख्य कारण

हाल के दिनों में बाढ़ की आवृत्ति बढ़ी है। ऐसा कहा जाता है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते औसत समुद्री तापमान में काफी बढ़ोतरी हुई है और इससे कैरिबियन में उष्णकटिबंधीय तूफान की बढ़ती दर और कठोरता में वृद्धि हुई है। ये तूफान उनके रास्ते में देशों में भारी बारिश का कारण है। ग्लोबल वार्मिंग, जो वायुमंडल के तापमान में वृद्धि पैदा कर रहा है, ग्लेशियरों और बर्फ के पिघलने का भी एक कारण है जो फिर से कई क्षेत्रों में बाढ़ का कारण है। कहा जाता है कि आने वाले समय में ध्रुवीय बर्फ पर फिर से बुरा प्रभाव पड़ेगा जिससे स्थिति खराब होने की संभावना है।

पृथ्वी पर समग्र जलवायु परिस्थितियों में एक बड़ा परिवर्तन आया है और ग्लोबल वार्मिंग को इस परिवर्तन का कारण माना जाता है। जहाँ कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक बाढ़ का अनुभव होता है वहीँ अन्य लोग सूखे का अनुभव करते हैं।

यद्यपि हम बारिश या ग्लेशियरों को पिघलने से नहीं रोक सकते पर हम निश्चित रूप से बाढ़ के पानी से निपटने के लिए अच्छी जल निकासी व्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं। सालभर कई देशों में जैसे सिंगापुर के अधिकांश हिस्सों में भारी वर्षा होती है पर वहां अच्छी जल निकासी प्रणाली है। भारी बारिश के दिनों में भी वहां समस्या नहीं होती। बाढ़ की समस्या और प्रभावित क्षेत्रों में होने वाली क्षति से बचने के लिए भारत सरकार को भी अच्छी जल निकासी व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए।

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बाढ़ पर निबंध

Essay on Flood in Hindi: बाढ़ एक भयानक प्राकृतिक आपदा है, जिससे हर साल दुनिया के कई भागों में बरसात के मौसम में बाढ़ से जान माल का नुकसान होता है। बाढ़ से ना केवल उस जगह की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है बल्कि कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है और कई खतरनाक बीमारी भी उत्पन्न हो जाते हैं।

दुनिया में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जो हमेशा ही बाढ़ से प्रभावित रहते हैं। बाढ़ का कारण होता है पानी की भारी मात्रा में अति प्रवाह। जब किसी क्षेत्र में पानी निकासी के लिए सही सुविधा ना हो तो ऐसे क्षेत्रों में अत्यधिक बारिश होने से बाढ आ जाती है।

नदी किनारे बसा कोई स्थान जहां पर पानी निकासी की सुविधा ना की गई हो, वहां पर हर साल बारिश के मौसम में नदी का स्तर ऊपर हो जाने से बाढ आ जाती है उदाहरण के लिए बिहार में अक्सर कोसी नदी से बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है।

Essay on Flood in Hindi

यहां पर हम बाढ़ पर निबंध इन हिंदी (Badh Par Nibandh) शेयर कर रहे हैं। यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।

यह भी पढ़े: हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

बाढ़ पर 250 शब्दों में निबंध (Flood Essay in Hindi)

बाढ ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो किसी क्षेत्र में अत्यधिक पानी के जमाव के कारण होता है। जब कभी अत्यधिक बारिश होती है और किसी क्षेत्र में पानी निकासी की सही व्यवस्था नहीं होती तब पानी दिन प्रतिदिन इकट्ठा होते जाता है और बाढ़ का रूप ले लेता है। बाढ़ के कारण लोगों के दैनिक क्रिया में काफी बाधा पड़ती है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लोग अपने घर से बाहर नहीं जा पाते, उन्हें घर में हीं कई दिनों तक रहना पड़ता है। यहां तक कि लोगों के घरों को भी नुकसान होता है। इसके अतिरिक्त लोगों की संपत्ति भी बाढ़ के कारण काफी हद तक नष्ट हो जाती है। बाढ़ के कारण कई लोगों के घर डूब जाते हैं और कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कई लोगों को कई दिनों तक भूखे रहना पड़ता है। बाढ प्रभावित क्षेत्रों में बिजली पानी की सुविधा भी बंद कर दी जाती है। बाढ़ के कारण आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है और चीजों की आपूर्ति कम होने के कारण महंगाई बढ़ने लगती हैं। यहां तक कि बाढ़ के पानी की निकासी होने के बावजूद सबसे बड़ी समस्या बनी रहती है, वह यह कि बाढ़ के पानी के कारण कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती है। इस तरह बाढ़ के कारण काफी नुकसान होता है।

भारत में बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब मुंबई, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश जैसे कई राज्य हैं, जो अक्सर बाढ़ के शिकार बन जाते हैं। बिहार में अक्सर वर्षा ऋतु में कोसी नदी के कारण बाढ आ जाती है, जिसके कारण इसे बिहार का शोक भी कहा जाता है। हालांकि बाहर को रोक तो नहीं सकते लेकिन बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विशेष तकनीकी का इस्तेमाल करके बाढ़ पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ की संभावना होने पर उन्हें पहले से ही सूचना दे दी जानी चाहिए ताकि वे अन्य जगह पर कुछ दिनों के लिए स्थानांतरित हो जाए और खाने-पीने के सामानों को स्टोर करके रख सकें। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन को पानी निकासी की सही व्यवस्था करानी चाहिए ताकि ज्यादा दिनों तक बाढ़ का पानी इकट्ठा ना रहे।

badh per nibandh

बाढ़ के ऊपर 800 शब्दों में निबंध (Baad Par Nibandh)

बाढ एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। हर साल वर्षा ऋतु में कई क्षेत्रों में बाढ़ आने की संभावना बढ़ जाती है। बाढ का मुख्य कारण प्रदूषण है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण कभी अकाल पड़ जाता है तो कभी अत्यधिक बारिश होने लगती है। अत्यधिक बारिश के कारण नदी, तालाब इत्यादि स्त्रोतों के पानी का स्तर बढ़ जाता है, जिससे कई क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है।

यहां तक कि बांध के पानी का स्तर भी बढ़ जाता है, जिससे बांध कई बार टूट जाता है। कई बार बादल फट जाने की घटना भी बाढ़ का कारण बनता है, जिससे काफी नुकसान होता है। यहां तक कई लोगों को जिवन से हाथ धोना पड़ता है।

बाढ़ के प्रकार

पानी के प्रवाह के आधार पर बाढ़ के प्रकार को बांटा गया है, जो कम विनाशकारी, विनाशकारी और बहुत विनाशकारी होता है।

धीमी गति से स्थापित बाढ़

धीमी गति से स्थापित बाढ़ धीरे धीरे से विकसित होता है। यह बाढ़ नदियों के पानी की अत्यधिक मात्रा के कारण विकसित होती है। हालांकि यह कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह तक भी रह सकता है।

इस प्रकार के बाढ़ में निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को ज्यादा नुकसान होता है। इसके साथ ही बाढ़ के पानी का धीरे-धीरे निकासी होने के बाद कई प्रकार की रोग भी पनपना शुरू हो जातें हैं।

तेज़ गति से स्थापित बाढ़

तेज गति से स्थापित बाढ़ काफी विनाशकारी होता है, इसमें पानी का प्रवाह काफी तेज होता है, जिससे जानमाल का काफी नुकसान हो जाता है। हालांकि इस तरह के बाढ़ की संभावना होने पर लोगों को पहले चेतावनी दी जाती हैं ताकि वे कुछ दिन के लिए कहीं और स्थानांतरित हो जाए या खाने पीने का स्टोक रख लें।

अचानक बनती बाढ़

अचानक बनने वाली बाढ़ बहुत विनाशकारी होता है। चंद मिनट या घंटे के लिए होता है लेकिन इतने में यह काफी नुकसान कर देता है। इस तरह का बाढ़ अक्सर बादल के फटने या बांध के टूटने जैसे विपदाओं में होता है।

इस तरह के बाढ़ से बचने की कोई गुंजाइश नहीं रहती है। हालांकि बांध के पानी का स्तर बढ़ने के साथ ही लोगों को कुछ दिन पहले ही सूचना दे दी जाती है।

बाढ से होने वाला नुकसान

  • बाढ़ से सबसे बड़ा नुकसान यह होता की बाढ़ के कारण कई लोगो की मृत्यु हो जाती है। साथ ही जान माल का नुकसान भी होता है। बाढ़ के पानी की निकासी होने के बाद भी समस्या बनी रहती है, मलेरिया, डेंगू, पेचिश, प्लेग जैसी कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती है।
  • बाढ़ के कारण लोग अपने घर और कई संपत्तियों को खो देते हैं, उनका काम भी रुक जाता है, जिसके कारण घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाती है।
  • बाढ़ के कारण मिट्टी का क्षरण होता है, जिसके कारण मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित हो जाती है।
  • बाढ़ के दौरान कई पेड़ पौधे भी तेज हवाओं के कारण टूट जाते हैं, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है।
  • बाढ़ से महंगाई भी बढ़ जाती है। क्योंकि बाढ़ के कारण किसान का फसल नष्ट हो जाता है, साग सब्जियां सब नष्ट हो जाती है, जिससे बाजार में खाने पीने की चीजों की आपूर्ति कम होने लगती है। लेकिन मांग अत्यधिक हो जाती है, जिसके कारण वस्तुओं की कीमत काफी ज्यादा बढ़ जाती है। यहां तक कि जिन की स्थिति महंगी सब्जियों को खरीदने की नहीं है, उन्हें भुखमरी का शिकार बनना पड़ता है।
  • बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बाढ़ के कारण बिजली कनेक्शन रोक दी जाती है, जिसके कारण उन्हें कई दिनों तक बिना बिजली के जीवन निर्वाह करना पड़ता है।

बाढ़ को कैसे नियंत्रित करें?

बाढ़ से जान-माल का नुकसान होता है, कई प्रकार की बीमारियां पनपती है, पर्यावरण को नुकसान होता है। इसीलिए बाढ को नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोग निम्नलिखित उपायों से बाढ़ से राहत पा सकते हैं।

बाढ़ चेतावनी सिस्टम

बाढ से ज्यादा नुकसान ना हो, इसीलिए लोगों को पहले ही सूचना दे दी जानी चाहिए। इसके लिए बाढ चेतावनी प्रणाली को स्थापित करना चाहिए ताकि लोगों को सही समय पर बाढ़ की चेतावनी देकर उन्हें स्वयं और अपने जानमाल की रक्षा करने के लिए समय मिल सके। समय होगा तो वे किसी अन्य जगह भी स्थानांतरित हो पाएंगे, इसके साथ ही वे कुछ दिनों के लिए खाने फिरने का सामान भी स्टोर करके रख पाएंगे।

बांस नियंत्रण तकनीकी का इस्तेमाल करें।

आज की विकसित टेक्नोलॉजी ने बाढ़ जैसी भयंकर प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए कई तकनीकों को विकसित किया है। बाजार में कई ऐसे उपकरण आ चुके हैं, जिससे बाढ़ से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। उनमें से कुछ तकनीक ऐसी है, जिससे बेसमेंट में रहने वाले लोग बाढ़ के पानी को घर में आने से रोक सकते हैं।

इसके साथ ही कुछ इतनी बड़ी उपकरण भी आ चुकी है, जिससे एक विशेष बड़े क्षेत्र को भी बाढ से प्रभावित होने से बचा सकते हैं। हालांकि इसकी जिम्मेदारी प्रशासन को उठानी चाहिए। इन तकनीकों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि वे जरूरत पर इन तकनीकों का इस्तेमाल करके बाढ़ से होने वाले नुकसान से बच सकें।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में भवनों का निर्माण

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में मजबूत इमारतों का निर्माण करना चाहिए ताकि वह बाढ़ के पानी से कमजोर होकर टूट ना जाए। इसके साथ ही इमारतों को बाढ़ के पानी के स्तर से थोड़ा ऊपर निर्माण कराना चाहिए ताकि बाढ़ के समय इंसान तथा उनके संपत्ति को बाढ़ के नुकसान से बचाया जा सके।

जल निकासी की सुविधा होनी चाहिए

ज्यादातर क्षेत्रों में बारिश के मौसम में पानी जमा होने का कारण जल निकासी की खराब व्यवस्था है। इसीलिए बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में जल निकासी की सही सुविधा होनी चाहिए ताकि बरसात के समय पानी ज्यादा दिनों तक पानी इकट्ठा ना रहे।

बाढ एक प्राकृतिक आपदा है, जिसे कोई नहीं रोक सकता। लेकिन बाढ़ से लोगों को होने वाले नुकसान से बचाने की कोशिश जरूर की जा सकती हैं। सरकार और प्रशासन का फर्ज है कि वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ के कारण होने वाले जान माल का नुकसान होने से बचाएं, बाढ़ पर नियंत्रण पाने में मदद करें इसके लिए मजबूत उपायों का पालन करें।

बाढ़ से बचने के लिए दिन प्रतिदिन कई विकसित तकनीकों का आविष्कार किया जा रहा है। प्रशासन और सरकार को इन तकनीकों का सही इस्तेमाल करके बाढ़ पर नियंत्रण पाना चाहिए।

बाढ़ पर निबंध 2800 शब्दों में (Essay on Flood in Hindi)

प्राकृतिक आपदाओं में खतरनाक आपदाओं का जब भी नाम लिया जाता है तो बाढ़ का जिक्र जरूर होता है। बाढ़ का सीधा अर्थ अत्यधिक पानी का एकम जगह एकत्र होने से है। भारत देश में बाढ़ आने का खतरा बना ही रहता है, क्योंकि आधा भारत समुद्र से घिरा हुया है और देश में बहुत सारी नदियाँ भी विद्यमान है। बाढ़ उन क्षेत्रों में होती है जहाँ अत्यधिक बहाव और जल निकासी की व्यवस्था खराब होती है।

दुनिया भर के कई शहरों को इस भयंकर बाढ़ का सामना हर साल करना पड़ता है, सबसे ज्यादा नुकसान नदियों और महासागरों के पास बसे शहरों को होता है। बाँध के टूटने के कारण मैदानी इलाकों में पानी की अधिकता, ग्लेशियर के अचानक से पिघलने के कारण महासागर में पानी की अधिकता के कारणों से बाढ़ आती है। तटीय क्षेत्रों में तूफान और सुनामी बाढ़ का कारण बनते है।

बाढ़ आने के बाद लोगों और जानवरों का जीवन जीना दूभर हो जाता है, इनके साथ पेड़-पौधे और मिट्टी का विनाश होता है। विडंबना यह है कि सरकार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र पता होते हुए भी वहाँ अभी तक उचित उपाय नहीं हो पाए जैसे कि पानी निकासी प्रणाली और जल भंडारण प्रणाली। बाढ़ से जीवित परिस्थितियों को नुकसान होता है और इस आपदा से उबरने में काफी समय लगता है। इसलिए बाढ़ के परिणामों को जानना चाहिए और इसे रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।

बाढ़ आने की वजह

जब भी बारिश का मौसम होगा बाढ़ आने की आशंका बढ़ जायेगी। बारिश के मौसम में जब भी हद से ज्यादा बारिश हो गई तो बाढ़ आने की संभावना प्रबल हो जाती है। बाढ़ किसी भी जगह आ सकती है, लेकिन सबसे ज्यादा उसी जगह आती है जहाँ उसके आस पास नदी या चारों तरफ पानी ही पानी हो। अगर उस जगह पानी निकासी का प्रबंध सही तरीके से हो तो कैसी भी बारिश हो बाढ़ जैसी स्थिति नहीं बनती है।

पहाड़ी या पर्वतीय क्षेत्र में बाढ़ आने की संभावना नगण्य ही होती है क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र ऊंचाई में होता है। बारिश के मौसम में अगर नदी किनारे बसे शहर या गाँव में बादल फुट जाता है तो बाढ़ आने की शत प्रतिशत संभावना बढ़ जाती है।  इसे बारिश का अतिप्रवाह कहते है। इसके साथ निम्नलिखित कारण भी शामिल है:

  • भारी बारिश – भारी बारिश के कारण जल निकासी का पूर्णत: समाधान होना बाढ़ आने की हालात बयां करता है।
  • बर्फ का पिघलना – जैसी ही गर्मियों का मौसम शुरू होता है तो तापमान में वृद्धि होती है जिसके कारण सर्दियों में जमी बर्फ का पिघलना शुरू होता है। धीरे-धीरे बर्फ पिघलती है तो कोई परेशानी नहीं होती है। लेकिन तापमान में अचानक से वृद्धि होने के कारण ग्लेशियर के ग्लेशियर पिघलने शुरू हो जाते है जो महासागर के प्रवाह को और अधिक बना देते है। जिसके कारण बाढ़ आती है।
  • बाँध का टूटना – बाँध का निर्माण ऊंचाई से गिरने वाले पानी को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है, लेकिन जब बाँध की क्षमता के विपरीत पानी आ जाने से उसको रोक पाना मुश्किल हो जाता है, जिसके फलस्वरूप बाढ़ आ जाती है।
  • जल निकायों का अतिप्रवाह – नदी से पानी का उफान मारना नदी किनारे बसे शहर या गाँव के लिए बाढ़ जैसी खतरनाक आपदा का निमंत्रण देने समान है।
  • तटीय क्षेत्र में हवाएं – मजबूत हवाओं और तूफानों में समुद्र के पानी को सूखे तटीय इलाकों में ले जाने की क्षमता होती है जो की बाढ़ का कारण बनता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग – ग्लोबल वार्मिंग वायुमंडल के तापमान में वृद्धि पैदा करता है जिससे ग्लेशियर पिघलने लगते है। इसलिए बाढ़ आने की आवृत्ति बहुत ज्यादा बढ़ी है।

कुछ बाढ़ कुछ दिनों में कम हो सकती है जबकि अन्य को कम होने में हफ्तों लगते हैं और उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के बाढ़ पर एक नज़र डालते है:

धीमी गति से सेट बाढ़: इस प्रकार की बाढ़ तब होती है जब जलस्रोत जैसे नदियाँ बह जाती हैं और आस-पास के क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं। यह बाढ़ धीरे-धीरे विकसित होती है और कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकती है। ये कई किलोमीटर में फैलती हैं और ज्यादातर निचले इलाकों में असर करती हैं। ऐसे क्षेत्रों में बाढ़ के कारण जमा हुआ पानी संपत्ति को नुकसान पहुँचाता है और विभिन्न बीमारियों का कारण भी बनता है।

रैपिड ऑन-सेट बाढ़: ये निर्माण में थोड़ा अधिक समय लेते हैं और एक या दो दिन तक चल सकते हैं। इन्हें अत्यंत विनाशकारी भी माना जाता है। हालांकि, लोगों को ज्यादातर इन के बारे में चेतावनी दी जाती है और स्थिति बिगड़ने से पहले बचने का मौका दिया जाता है। ऐसी जगहों पर छुट्टी की योजना बनाने वाले पर्यटक योजना को स्थगित कर सकते हैं या तब भी रद्द कर सकते हैं जब अभी भी समय है और इस स्थिति से होने वाले आघात से बचें।

फ़्लैश बाढ़: फ्लैश बाढ़ ज्यादातर समय की एक छोटी अवधि के भीतर होता है जैसे कुछ घंटे या मिनट। ये ज्यादातर भारी वर्षा, बर्फ के पिघलने या बाँध टूटने के कारण होते हैं। ये सभी के बीच सबसे अधिक घातक हैं और इसके परिणामस्वरूप सामूहिक विनाश हो सकता है क्योंकि ये लगभग अचानक होते हैं और लोगों को सावधानी बरतने का कोई समय नहीं मिलता है।

बाढ़ आने पर बचाव के उपाय

बाढ़ जब भी आती है भयंकर तबाही लाती है बाढ़ के पानी से लड़ा नहीं जा सकता है इसलिए भलाई इसमें ही है कि जितना हो सके बाढ़ से बचा जाए। उसके लिए हम निम्न काम कर सकते है:

ऊँचे स्थानों पर जाएँ – अगर आप पठारी या बाँध वाले इलाके में रहते है तो आपके इलाके में कभी भी बाढ़ आ सकती है। कभी-कभी अचानक बाढ़ आ जाती है जिससे बहुत ज्यादा हानि होती है और सब कुछ देखते ही देखते नष्ट हो जाता है। इसलिए जब भी आपके घरों में एक लिमिट से ज्यादा पानी आने लग जाए तो हमेशा ऊँचे स्थानों की ओर निकल जाना चाहिए। बाढ़ के पानी के बढ़ने का इंतजार ना करें क्योंकि यह पानी कभी भी बढ़ सकता है और फिर आप का घर से निकलना नामुमकिन हो जायेगा।

पानी उबालकर पिये – बाढ़ आने पर उस स्थान का पानी दूषित हो जाता है क्योंकि उसमे नालों का पानी और मरे हुए मवेशी और इंसानों के शव पड़े रहते है जिसके कारण पानी में सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया फैल जाते है। इसलिए जब भी आप ऐसे इलाके में फंस जाते है तो हमेशा पानी को उबालकर ही पिये और हो सके तो अपने साथ स्वच्छ जल की कुछ बोतले भी रख ले।

बाढ़ में फंसे होने का संकेत दे – कभी-कभी बाढ़ इतनी तेजी से आती है कि लोग घरों में ही फंसे रह जाते है और बाद में भी घरों की छतों पर चले जाते है लेकिन अधिक समय तक बाढ़ के पानी वाले घरों में रहना खतरे से खाली नहीं है क्योंकि बाढ़ के कारण इमारतें गिरने का खतरा बना रहता है। इसलिए हमेशा छत पर लाल कपड़े से मदद के लिए चिन्ह बनाएं. जिससे सरकार द्वारा चलाई जा रही है बाढ़ राहत के हेलीकॉप्टरों को पता चल पाये कि आप कहाँ पर फंसे हुए है। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप को बचाए जाने की संभावना और अधिक हो जाती है।

प्रशासन की चेतावनी – बरसात के दिनों में प्रशासन द्वारा समय-समय पर चेतावनी जारी की जाती है कि भारी बारिश होने के आसार हैं और बाढ़ आ सकती है लेकिन कुछ लोग इन चेतावनियों को नजर अंदाज कर देते है जिसके कारण वह अपना घर छोड़कर ऊँचे स्थानों की ओर नहीं जाते है, और बाढ़ की चपेट में आ जाते है। इसलिए हमेशा प्रशासन द्वारा दी गई चेतावनी पर ध्यान बनाए रखें, और जहाँ पर हर साल बाढ़ आती है उन इलाके के लोगों को अपने घरों में एक रेडियो जरूर रखना चाहिए क्योंकि जब भी बाढ़ आती है तब बिजली कटौती हो जाती है। जिससे सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं अभियान की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए केवल रेडियो ही एक साधन बचता है।

इन सब के साथ जरूरी सामान अपने साथ जरूर रखना चाहिए और जहाँ बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है वहाँ के लोग हमेशा निम्न सामान अपने घर जरूर रखें-

पीने का साफ पानी – बाढ़ आने पर हमेशा अपने साथ स्वच्छ जल की तीन-चार बोतल अवश्य रखें और अगर आप घर में अधिक सदस्य हैं तो अधिक स्वच्छ जल की व्यवस्था करके रखें क्योंकि बाढ़ के पानी का पता नहीं चलता है कि वह कितने दिन तक रहेगा।

खाने का सामान – भोजन सामग्री अपने साथ रखें और भोजन में ऐसी सामग्री अपने साथ रखें जिसे पकाने की आवश्यकता नहीं हो। जैसे कि बिस्किट, नमकीन, सूखी रोटी आदि।

प्राथमिक उपचार पेटी – जहाँ पर हर साल बाढ़ आती है उन इलाके के लोगों को हमेशा अपने रूम में प्राथमिक उपचार पेटी रखनी चाहिए जिससे अगर बाढ़ के समय किसी को छोटी-मोटी चोट आ जाती है तो उसका इलाज किया जा सके क्योंकि बाढ़ के समय कोई भी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है, और बाढ़ वाले इलाके में अगर छोटी सी भी चोट लग जाती है तो उस में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए हमेशा अपने साथ प्राथमिक उपचार पेटी अवश्य रखें।

प्रकाश और संचार के साधन – बाढ़ वाले क्षेत्र के लोगों को अपने घरों में रोशनी के लिए टॉर्च की व्यवस्था करनी चाहिए साथ ही रेडियो और मोबाइल जैसे संचार के साधन हमेशा अपने पास रखने चाहिए। जिससे प्रशासन द्वारा बाढ़ के समय जब भी कोई जानकारी दी जाएं तो आपके पास में जानकारी पहुँच जाएं।

सूखे कपड़े – बाढ़ के समय अपने साथ कुछ सूखे कपड़े हमेशा साथ लेकर चले क्योंकि अगर आप अधिक समय तक गीले कपड़ों में रहेंगे तो आप बीमार पड़ सकते है।

बाढ़ आने के दुष्परिणाम

जिस क्षेत्र में बाढ़ आती है उस क्षेत्र में सामान्य काम करना भी कठिन हो जाता है। हर तरफ बस पानी ही पानी ही दिखता है। निचले इलाकों में बने घर जलमग्न हो जाते है और उसमें रहने वाले लोगों की मौत भी हो जाती है, इसके साथ उनके घर में रखे सामान भी पानी के साथ चले जाते है। इसके साथ ही कुछ और भी नुकसान होता है जो निम्नलिखित है-

जीवन को खतरा –भीषण बाढ़ के कारण जनहानि के साथ-साथ मवेशी हानि भी होती है। ज्यादा पानी हो जाने के कारण अधिकांश लोग और जानवर अपनी जान गंवा बैठते है। एक जगह पानी एकत्रित होने के कारण विभिन रोगों के संक्रमण का खतरा बना रहता है। क्योंकि बहुत सारे मच्छर और कीड़े-मकोड़े उत्पन्न हो जाते है। बाढ़ के कारण मलेरिया, डेंगू, न्यूमोनिक प्लेग और सैन्य जैसे बुखार होने की आशंका ज्यादा हो जाती है।

बिजली की कटौती – जब बारिश होती है तब बिजली काट दी जाती है, क्योंकि पानी में करंट का फैलना सबकी जान जोखिम में डालना होता है, लेकिन बाढ़ जैसी स्थिति में प्रशासन द्वारा पूर्ण रूप से बिजली काट दी जाती है। जिससे वो करंट की चपेट में आने से बच सके।

माल हानि – बाढ़ के कारण बहुत से लोग अपने धन-संपति से हाथ धो बैठते है। जिन्हें वापस से खरीदने में कई साल लग जाते है। अपनी कमाई के द्वारा ली गई कार या मोटरसाइकिल जब ऐसी प्राकृतिक आपदा के कारण खोनी पड़े तो बहुत दु:ख होता है।

वस्तु के कीमत में वृद्धि – जब बाढ़ आती है तो उस क्षेत्र तक किसी भी वस्तु का पहुँचा पाना कठिन हो जाता है। जिससे किसी भी वस्तु की मांग बढ़ जाती है और आपूर्ति कम होती है तो वस्तु की कीमत बढ़ जाती है।

मिट्टी का खिसकना – जब मूसलाधार बारिश होती है तो मिट्टी को ज्यादा नुकसान होता है। बारिश तेज होने के कारण पानी उस जगह कि मिट्टी खिसक कर अपने वेग में ले जाता है जिससे उस जगह में मिट्टी की कमी हो जाती है। जो आगे जा कर बड़ी ही परेशानी का कारण बनती है। लोग और जानवरों के साथ-साथ पेड़-पौधों को भी बाढ़ बुरी तरीके से प्रभावित करती है।

बाढ़ द्वारा उत्पन्न समस्याओं का निवारण

मानव और जानवर के जीवन को बाधित करने वाली बाढ़ के द्वारा बहुत सी समस्या उत्पन्न होती हैं, जिसका निवारण करना हम सब की पहली प्राथमिकता है। कुछ समाधान निम्न दिए जा रहे है –

ड्रेनेज सिस्टम को सही करना – बाढ़ का एक मुख्य कारण है जल की सही तरीके से निकासी नहीं होना। इसलिए सरकार को ड्रेनेज सिस्टम को सही करना चाहिए। जिससे जल का भराव नहीं होगा और बाढ़ जैसी स्थिति नहीं बनेगी।

जल भंडारण की शुरुआत करना – बारिश के पानी को पुन: उपयोग में लेने के लिए सरकार को जल भंडारण के लिए जलाशय बनाने चाहिए और उस पानी को किसानों को देना चाहिए जिससे किसान उस पानी को फसल उगाने के काम में ले सके।

बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण करना – बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सरकार को बाढ़ के पानी के स्तर से ऊपर बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण करवाना चाहिए जिससे वहाँ किसी की संपति और जनहानि का नुकसान ना हो।

बाढ़ चेतावनी प्रणाली – एक ऐसी चेतावनी प्रणाली बनानी चाहिए जो समय रहते सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सूचना पहुँचा सके। जिससे उन क्षेत्रों में रहने वाले सचेत हो जाए और अपने बचने की प्रक्रिया शुरू कर सकें।

बाढ़ बैरियर स्थापित करना – उन सभी क्षेत्रों में बाढ़ बैरियर स्थापित करने चाहिए जहाँ बाढ़ आई हुई है, पानी निकल जाने के बाद उन बैरियर को हटा दिया जाए। बैरियर लगाने से बाढ़ में अवरोध पैदा होता है और पानी कि दिशा परिवर्तित हो जाती है।

बाढ़ से होने वाले लाभ

जी हाँ, आपने सही पढ़ा। बाढ़ आने से लाभ भी होता है। हाँ, ये भी सच है कि बाढ़ के फायदे बहुत कम है लेकिन फायदे कम हो ज्यादा फायदे फायदे होते है। गिने चुने फ़ायदों में से कुछ फायदे निम्न है-

  • नदियों में बाढ़ के वक्त मछलियों की आवक ज्यादा होती है, जिससे मछलियों का मिलना आसान हो जाता है।
  • बाढ़ के जल को जलाशयों में इकट्ठा करके उसे सिंचाई के लिए उपयोग में ले सकते है।
  • बाढ़ के वक्त मिट्टी का अपरदन होता है, जिससे एक जगह गड्ढे भर जाते है और समतल हो जाता है।
  • लकड़ी के लट्ठों का परिवहन बाढ़ के वक्त आसान हो जाता है।

भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र

भारत में कई क्षेत्रों में साल दर साल बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है। देश में इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित प्रमुख क्षेत्र उत्तर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल, मुंबई, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों, तटीय आंध्र प्रदेश और उड़ीसा, ब्रह्मपुत्र घाटी और दक्षिण गुजरात सहित अधिकांश गंगा के मैदान हैं।

पिछले कई सालों पहले इन स्थानों पर बाढ़ से भारी नुकसान हुआ था और अब भी यहाँ खतरा बना हुआ है। साल 2018 में केरल राज्य में सबसे भयंकर बाढ़ आई थी और केरल राज्य की सभी 14 जिलों में बाढ़ का पानी आ चुका था। इससे बहुत ज्यादा जन धन की हानि हुई थी। केरल राज्य में यह बाढ़ 100 सालों की सबसे बड़ी और सबसे अधिक तबाही मचाने वाली बाढ़ थी।

भारत देश में बाढ़ फैलानी वाली नदियाँ

भारत देश में बहुत सारी नदियाँ है लेकिन कुछ नदियों में ज्यादा पानी आ जाने से वो बाढ़ का रूप ले लेती है। जैसे- गंगा, यमुना, रावी, गंडक, घग्गर, कोसी, तीस्ता, ब्रह्मपुत्र, सतलज, दामोदर, साबरमती, गोदावरी आदि नदियों के कारण हर साल बाढ़ आती है। क्योंकि ये नदियाँ बहुत बड़ी है और पानी की अधिकता बाढ़ का कारण बनती है। इसके बाद जो माल हानि जीव हानि होती है उसके आँकड़ें ना ही सुने और देखे तो बेहतर है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दिन-प्रतिदिन के जीवन को बाधित करता है। वे ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए विभिन्न समस्याओं का कारण बनते हैं। गंभीर बाढ़ की चपेट में आने वाले क्षेत्रों में महीनों लग जाते हैं और कई बार सालों बाद भी पुनर्निर्माण करना पड़ता है

हालांकि बारिश की घटना, बर्फ के पहाड़ों के पिघलने, जल निकायों और तूफान के अतिप्रवाह को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इन मामलों में भविष्यवाणी की जा सकती है और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर सकती है कि जल भराव न हो, जिससे बदले में बाढ़ न आए। बाढ़ प्राकृतिक आपदाओं में से एक है जो विभिन्न क्षेत्रों में बड़े विनाश का कारण बनती हैं।

समय आ गया है कि भारत सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। हालांकि हम बारिश या ग्लेशियरों के पिघलने के बारे में बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम निश्चित रूप से अपने साथ लाए जाने वाले पानी से निपटने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं। सिंगापुर जैसे कई देश, जो वर्ष के अधिकांश भाग के लिए भारी वर्षा प्राप्त करते हैं, वास्तव में अच्छी जल निकासी व्यवस्था है।

भारी उथल-पुथल के दिनों के बाद भी वे साफ होते हैं। भारत सरकार को बाढ़ की समस्या और इससे प्रभावित क्षेत्रों को होने वाले नुकसान से बचने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली का निर्माण करना चाहिए। बाढ़ आना यह एक प्राकृतिक आपदा है, जिसे हम मानव कभी नहीं रोक सकते है। लेकिन हम इस स्थिति से खुद को बचाने के लिए कुछ कर सकते है।

मतलब इसके लिए सरकार को और हमे पानी के जलाशयों और अन्य जल भंडारण प्रणालियों का ध्यान रखना चाहिए ताकि वे भारी बारिश के मामले में अतिप्रवाह न करें। बाढ़ अवरोधों का उपयोग करके बाढ़ को भी नियंत्रित किया जा सकता है जिसे बाढ़ के दौरान प्रतिरोध के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जिससे बाढ़ को रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन उसके अतिप्रवाह को कम जरूर किया जा सकता है। जिससे नुकसान भी बहुत कम मात्रा में होगा।

प्राकृतिक आपदा को रोकना मानव के हाथ में नहीं है लेकिन उसे कम करने के उपाय मानव के हाथ में हैं। जितना कम कर सकते है उतना कम करने की कोशिश मानव को नहीं छोड़नी चाहिए और उसमें सफल परिणाम भी देखने को भी मिले है।

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Rahul Singh Tanwar

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Essay on Flood in Hindi – बाढ़ पर निबंध

February 2, 2018 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में बाढ़ पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Flood in Hindi Language for School Students and Kids of all Classes in 150, 300 and 1200 Words.

Essay on Flood in Hindi

Paragraph, Short Essay on Flood in Hindi Language – बाढ़ पर निबंध ( 150 words )

बाढ़ किसी भी क्षेत्र में ज्यादा जल के एकत्रित होने को कहते हैं। यह एक प्राकृतिक आपदा है जो कि ज्यादा वर्षा के होने से, पहाड़ो की बर्फ पिघलने से और महासागरों में और नदियों में पानी बहने से होती है। बाढ़ की संभावना उन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा होती है जहाँ पर वर्षा अधिक होती है और खराब जल की निकासी होती है। बाढ़ की वजह से सब कुछ पानी में बह जाता है और इंसानों, पशुओं आदि को जान माल का नुकसान होता है। बाढ़ की वजह से बसे बसाए गाँव उझड़ जाते हैं। जल के एकत्रित होने की वजह से बहुत सी बिमारियाँ भी उत्पन्न होती है। बाढ़ के कारण किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है क्योंकि उनकी सारी फसलें खराब हो जाती है। बाढ़ कभी धीरे धीरे उत्पन्न होती है और कभी कभी अचानक से ही आ जाती हैं। बाढ़ से बचने के लिए हमें वर्षा के समय में नालों और नदियों आदि की सफाई करके रखनी चाहिए।

Short Essay on Flood in Hindi Language – बाढ़ पर निबंध ( 300 words )

किसी भी क्षेत्र में जल के ज्यादा बहाव को बाढ़ कहा जाता है। यह ज्यादातर उन क्षेत्रों में होती है जहाँ पर वर्षा अधिक मात्रा में होती है और जल की निकासी के अधिक माध्यम होते हैं। बाढ़ के आने से बहुत से गाँव डुब जाते हैं। इंसानों और जानवरों की जान चली जाती है। बहुत से लोगों के कीमती सामान बह जाते हैं। किसानों को भी भारी नुकसान पहुँचता है क्योंकि उनकी सारे फसले बाढ़ के कारण नष्ट हो जाती है। एक बार जो गाँव बाढ़ ग्रस्त हो जाए उसे फिर से पहला जैसा बनने में कई साल लग जाते हैं।

बाढ़ के कारण लोगों के काम बंद हो जाते हैं और चीजों की आपूर्ति कम होने के कारण उनके दाम बढ़ जाते हैं। यातायात के रास्ते बंद हो जाते हैं। जल के एक स्थान पर एकत्रित होने की वजह से बहुत सी बिमारियाँ उत्पन्न होती है। बाढ़ प्राकृतिक आपदा है और बहुत ही विनाशकारी है। बाढ की स्थिति कई बार धीरे धीरे उत्पन्न होती है और कई बार यह अचानक से आती हैं। बाढ़ की वजह से बिजली की कटौती भी की जाती है जिससे कि वहाँ पर करंट लगने का खतरा न रहे।

बाढ़ के आने के प्रमुख कारण है वर्षा का अधिक होना, पहाड़ो की बर्फ का गर्मी में पिघलना, बाँध का टुटना और नदियों और महासागरों में जल का बहना। बाढ़ से जान और माल दोनों का नुकसान होता है। हमें बाढ़ से बचने के लिए कुछ समाधान करके रखने चाहिए। वर्षा के समय में हमें नदियों और नालों आदि की सफाई करके रखनी चाहिए। भवनों का स्तर ऊँचा रखना चाहिए ताकि बाढ़ का पानी घरों में न जाए। लोगों को वर्षा जल संचयन की प्रणाली का प्रयोग करना चाहिए जिससे कि वर्षा के पानी को एकत्रित करके जल के अतिप्रवाह को रोका जा सकता है।

New Essay on Flood in Hindi Language – बाढ़ पर निबंध ( 1200 words )

भारत में, कृषि हमेशा स्वभाव पर निर्भर रहा है। यह अभी भी मौसम की अनियमितता के प्रति अति संवेदनशील है। हाल के वर्षों में देश के विभिन्न हिस्सों में सूखे ने पर्याप्त रूप से यह साबित किया है कि अगर बारिश देवताओं भारत के साथ भटकने का फैसला करते हैं, तो किसान कुछ भी नहीं कर सकते, लेकिन असहाय तौर पर उनकी फसलों को सूखना देखते हैं। यद्यपि हम अब तक ब्रिटिश राज के दौरान हुई विनाशकारी दुष्चियों का अनुभव नहीं करते – कृषि उत्पादकता, निरंतर आर्थिक विकास और देश में विकसित खाद्य सुरक्षा प्रणाली के कारण- कृषि उत्पादन अब भी प्राकृतिक शक्तियों की दया पर बना रहता है।

पिछले कुछ सालों से किसानों के लिए बहुत व्यभिचार किया गया है। जबकि देश के एक हिस्से में एक गंभीर सूखा है, जबकि अन्य भागों में असामान्य वर्षा के चलते अनगिनत दुख होता है जिससे बाढ़ आती है। चार खराब मानसूनों का एक भाग, 1987 में सबसे खराब सूखे में सबसे खराब मौसम का नतीजा था, जब देश में 35 मौसम संबंधी उप-प्रभागों में से 21 में कमी हुई थी। इससे पर्याप्त फसल की क्षति हुई और पीने के पानी की कमी हुई। ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए, कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था|

ऐसे देश में जहां 80% लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं और अपनी जिंदगी के लिए कृषि पर निर्भर रहते हैं, ये सोच सकते हैं कि प्राकृतिक आपदाएं अपने जीवन के साथ कहर कैसे करती हैं। वे भुखमरी करने के लिए प्रेरित होते हैं, क्योंकि उनके पास वापस आने के लिए कुछ भी नहीं है अधिकांश लोग अपने भाग्य के लिए खुद को त्याग देते हैं। कुछ शहरी क्षेत्रों में अपने परिवारों को खिलाने के लिए काम की तलाश करने का निर्णय लेते हैं। जबकि मॉनसून की विफलता के सदमे ग्रामीण इलाकों में लोगों द्वारा सबसे बुरी तरह से महसूस किया जाता है जहां व्यापक फसल की हानि संकट और दुख पैदा होती है, कुछ वर्षों में असामान्य वर्षा भी बाढ़ के कारण मानव जीवन, संपत्ति और फसलों को भारी नुकसान पहुंचाती है।

ऐसे बड़े पैमाने पर सूखे से अर्थव्यवस्था पर लगाए जाने वाले अचानक तनाव से विकास की गति को गंभीर झटका लगा है। महत्वपूर्ण जलाशयों में पानी के स्तर में गिरावट, ट्यूब की अच्छी सिंचाई के लिए बिजली की आपूर्ति की कमी ने आगे कृषि उत्पादन पर दबाव डाला। यद्यपि सूखा का तत्काल प्रभाव कृषि और ग्रामीण लोगों पर होता है, औद्योगिक क्षेत्र इसके प्रति प्रतिरोधक नहीं है। एक खराब मानसून कृषि उत्पादन में गिरावट की वजह से कृषि आधारित उद्योगों के लिए विशेष रूप से कच्चे माल की कमी पैदा करता है; आय में गिरावट के कारण औद्योगिक वस्तुओं की ग्रामीण मांग में कमी; कमी और कीमतों में वृद्धि के कारण भोजन पर खर्च में वृद्धि जिससे उपभोक्ताओं को हर दिन की आवश्यकता के लेखों पर खर्च कम करने में भी मजबूती मिलती है। चूंकि सूखे पीड़ितों के लिए राहत उपायों की दिशा में बड़ी मात्रा में धन का इस्तेमाल किया जाना है, इसलिए यह सार्वजनिक क्षेत्र और अन्य विकास परियोजनाओं में निवेश में कमी आती है। यह पूरी तरह से एक और मामला है जो राहत उपायों के लिए आवंटित धन शायद उन लोगों तक पहुंचता है जो इसका मतलब है।

अतीत में, उद्योग में मंदी के बाद प्रमुख सूखे का पालन किया गया है। खेती के आधुनिकीकरण में उर्वरक, कीटनाशक, कृषि मशीनरी जैसे उद्योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन सूखा या बाढ़ के कारण कृषि उत्पादन में उतार-चढ़ाव इन इकाइयों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की मांग पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। हालांकि, वर्षों से राष्ट्रीय आय में कृषि के हिस्से में गिरावट आई है। नतीजतन औद्योगिक क्षेत्र में कृषि आय में गिरावट के प्रतिकूल प्रभाव में गिरावट आई है। यद्यपि औद्योगिक उत्पादन पर सूखा का प्रतिकूल प्रभाव पूरी तरह से नहीं बचा जा सकता है, अर्थव्यवस्था इस तरह की असफलताओं को सहन करने के लिए पर्याप्त लचीला हो गई है।

फिर भी, खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति में कमी के परिणामस्वरूप आम आदमी की दुर्दशा वास्तव में मूल्यों में वृद्धि के कारण दयनीय हो गई है। लोअर मध्यम वर्ग, वेतनभोगी वर्ग और अकुशल श्रमिकों का सबसे ज्यादा असर पड़ता है। छोटे व्यवसायी इस अवसर को कृत्रिम कमी पैदा करने और काले बाजार में लेख बेचने नहीं देते हैं। उत्पीड़ित उपभोक्ता को कीमत का भुगतान करने के लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ा गया है चूंकि लोगों की आमदनी मुद्रास्फीति के रुझान में वृद्धि के अनुपात में नहीं बढ़ती है, इसलिए बचत में गिरावट होती है, क्योंकि लोगों को दैनिक आवश्यकता के लेख खरीदने के लिए और अधिक खर्च करना पड़ता है। सरकारी और अर्ध-सरकारी नौकरियों में काम करने वालों को महंगाई भत्ता के रूप में कुछ राहत मिलती है, लेकिन निजी क्षेत्र में कार्यरत और स्वयंसेवी कर्मचारियों को कीमतों में वृद्धि को ऑफसेट करने के लिए ऐसी वित्तीय राहत नहीं मिलती है|

ग्रामीण लोगों की स्थिति, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों की दिक्कत वास्तव में दयनीय है। सूखा रोज़मर्रा की ज़िंदगी के गंभीर अव्यवस्था का कारण बनता है जो कुछ भी कम संसाधन हैं वे जल्द ही दैनिक खर्चों को पूरा करने में समाप्त हो जाते हैं। राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जहां चार साल तक बारिश बरकरार रही, न केवल कृषि उत्पादन पूरी तरह से पतन हो गया, लेकिन पानी में गिरावट के कारण पेयजल की गंभीर कमी भी हुई। इसलिए, लोगों को बेहद मुश्किल रहने की स्थिति का सामना करना पड़ा। चारा और पानी की कमी के चलते मवेशी मरना शुरू हो गया। कुछ इलाकों में, यहां तक कि लोगों ने अपने बच्चों को बेचने या आत्महत्या करने जैसे चरम उपायों को अपनाने के बारे में सुना।

सरकार ने रोजगार और आय के अतिरिक्त अवसर बनाने, आवश्यक वस्तुओं और पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने, रबी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ट्यूबवेलों और पंप-सेटों द्वारा सिंचित क्षेत्रों को अतिरिक्त बिजली प्रदान करने के लिए कई उपायों को अपनाया है। पशु। बैंक द्वारा प्राथमिक सहायता के आधार पर सूखे से प्रभावित व्यक्तियों को वित्तीय सहायता भी बढ़ा दी जाती है ताकि उन्हें दूसरी बुवाई करने, वैकल्पिक अल्प अवधि की फसल बढ़ा सकें या मवेशियों के लिए बहुत अधिक आवश्यक चारा उगा सकें। सूखे से प्रभावित लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कोई भी कार्यक्रम शुरू किया गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से आवश्यक वस्तुएं जैसे अनाज, खाद्य तेल, नियंत्रित कपड़े, आदि उपलब्ध हैं। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने के प्रयास किए जाते हैं।

1973 में, सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम पारिस्थितिक संतुलन बहाल और भूमि, पानी, जीवित स्टॉक और मानव संसाधनों का इष्टतम उपयोग और सूखा के प्रभाव को कम करने के लिए दीर्घकालिक उपाय के रूप में शुरू किया गया था। यह 1985-86 के 13 राज्यों के 91 जिलों में 615 ब्लॉक में कार्यान्वित किया जा रहा है जिसमें 5.36 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया गया है। इसमें लगभग 7 से 7.5 करोड़ लोग शामिल थे।

भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 1/8 वें स्थान को बाढ़ के रूप में घोषित किया गया है। तीन चरणबद्ध – तत्काल, अल्पकालिक और दीर्घकालिक – बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रम 1954 में शुरू किया गया था। तब से लगभग रु। छठी योजना के अंत तक 1,763 करोड़ रुपये बाढ़ नियंत्रण पर खर्च किए गए हैं। रु। का एक परिव्यय इस प्रयोजन के लिए सातवीं योजना के लिए 947 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। बाढ़ नियंत्रण उपायों में नए तटबंधों, जल निकासी चैनलों, शहर संरक्षण कार्यों का निर्माण और निम्न झूठ वाले गांवों के स्तर में वृद्धि शामिल है। इसके अलावा समुद्र तट की रक्षा के लिए समुद्र के क्षरण के उपायों को भी उठाया गया है। सरकार ने बाढ़ की भविष्यवाणी संगठन की स्थापना भी की है ताकि आसन्न बाढ़ के बारे में अग्रिम चेतावनी जारी की जा सके ताकि बचाव और राहत एजेंसियों को चेतावनी दी जा सके। 1989 में बाढ़ के कारण नुकसान हुआ था, लगभग रु 2,380 करोड़|

हालांकि, मौसम की अनिश्चितताओं से कृषि को मुक्त करने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता है। सूखे और बाढ़ लोगों को पीड़ा और कठिनाई का कारण बने रहेंगे 40 वर्षों के नियोजित विकास के बाद भी, कुल फसले क्षेत्र का लगभग 70% अभी भी वर्षा पर निर्भर है। इस निर्भरता को दूर करने के लिए, बेहतर जल प्रबंधन के लिए तरीकों को अपनाया जाना चाहिए। बारिश से खिलाया और शुष्क भूमि कृषि के विकास के तरीकों और तकनीकों में सुधार लाने पर अनुसंधान किया जाना चाहिए। जब तक इन सभी योजनाओं और कार्यक्रमों को बयाना में लागू नहीं किया जाता है, तब तक सूखे और बाढ़ लोगों के जीवन के साथ कहर बरकरार रहेगा।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध (  Essay on Flood in Hindi – बाढ़ पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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an essay on the topic flood in hindi

Essay on Flood in Hindi

बाढ़ कैसी प्राकृतिक आपदा है जिससे पूरे समाज को नुकसान पहुंचता है। बाढ़ की समस्या तब उत्पन्न होती है जब नदियों का पानी अपने औसत स्तर से बढ़कर बहुत ऊंचा हो जाता है और पानी बाहर तक आ जाता है।वैसे तो यह समस्या किसी भी क्षेत्र में आसानी से आ सकती है परंतु इसका (Essay on Flood in Hindi) आगमन बहुत ही ज्यादा विनाशकारी होता है। यह कैसी प्राकृतिक आपदा है जिससे पूरा क्षेत्र तहस-नहस हो जाता है। इसकी समस्या वर्षा के ऋतु में ज्यादा देखने को मिलती है और पानी की स्तर से बढ़ने के कारण ही इसकी समस्या सामने आती है।हमारे देश भारत में ऐसे कई सारे क्षेत्र है जहां पर बाढ़ की समस्या हर वर्ष देखने को मिलती है। बाढ़ आने की और भी कई सारे कारण है।व्यक्तिगत मामलों में देखा जाए तो बाढ़ की समस्या प्राकृतिक आपदा के अंदर आती है परंतु कई बार किसी अन्य कारण से भी बाढ़ की समस्या बढ़ जाती है।

Table of Contents

बाढ़ की समस्या:-

दुनिया में ऐसी कई सारी जगह है जहां पर हर साल बारिश के मौसम में पानी का स्तर बहुत ऊंचा हो जाता है। पानी का औसत मात्रा बढ़ने की वजह से नदी या तालाब का पूरा पानी मैदान में आ जाता है और पानी क्षेत्रों में फैले लगते हैं। कुछ यही प्राकृतिक आपदा को लोग बाढ़ के नाम से जानते हैं।बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के दिन के कामकाज के साथ बाधित करता है और गंभीर बाढ़ कभी-कभी बड़े पैमाने पर विनाश का कारण भी बनता है। बाढ़ के कारण कई सारी समस्याएं भी उत्पन्न होती है जो कि लोगों को बहुत सारी हानियां भी पहुंच आती है। इसके अलावा बाढ़ के कारण और भी कई सारी परेशानियां हम सबके सामने आती है जिसका निवारण करना बहुत ज्यादा कठिन होता है।

बाढ़ आने का समय और जगह:-

बाढ़ आने का समय केवल वर्षा के मौसम में ही देखा गया है।वर्षा के मौसम में जब हद से ज्यादा बारिश हो तब भी सारी जगह पर बाढ़ की समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है और यह परेशानी सुनने को ही मिलती है।बाढ़ के लिए कोई निश्चित समय नहीं है परंतु वर्षा ऋतु में इसकी संभावनाएं ज्यादा होती है। बाढ़ (Essay on Flood in Hindi) भले ही कितनी भी बड़ी क्यों ना हो परंतु उसकी शुरुआत एक छोटे से नदी से ही होती है जिसके चारों तरफ बहुत सारे मैदान हो। कोई ऐसी जगह जहां पर हर साल बारिश का पानी जमा हो और एक बड़ा सा क्षेत्र बनाता हो। ऐसे स्थान पर बाढ़ की समस्या बहुत ज्यादा देखने को मिलती है।

बाढ़ से होने वाले नुकसान और बीमारियां:-

यह तो हम सब जानते हैं कि कोई भी प्राकृतिक आपदा को बिना नुकसान पहुंचाए नहीं जाती है। ऐसे में चाहे फिर वह गांव हो या फिर शहर जिस दिन बाद आती है तबाही साथ में लेकर आती है। इसमें कई प्रकार के नुकसान को देखा जाता है जैसे कि घर का टूटना, आदमियों का लापता होना, मृत्यु की समस्या होना, आदि जैसी नुकसानों को बाढ़ के समय में देखा जाता है। इसके अलावा जहां पर बाढ़ (Essay on Flood in Hindi) आती है उस पूरे जगह को तबाह कर देती है और बहुत सारा कचरा लेकर आती है।अपने साथ लाए हुए बहुत सारे कचरा और गंदगी से बाढ़ का पानी दूषित तो रहता ही है साथ ही वह शुद्ध पानी में मिलकर उसे भी दूषित कर देता है।यही कारण है कि वहां सर्दी ,खांसी, मलेरिया, डेंगू और कई सारी ऐसी घातक बीमारियां हो जाती है। इन बीमारियों का शिकार ज्यादातर छोटे बच्चे और बड़े लोग होते हैं और बाढ़ के वजह से होने वाली बीमारियां आसानी से पूरे क्षेत्र में फैल जाती है।

बाढ़ से बचने का तरीका:-

बाढ़ को रोकने के लिए सरकार और आम नागरिकों को मिलकर केक कोई ऐसी उपाय तैयार करना चाहिए जिससे बाढ़ को आसानी से रोका जा सके। बाढ़ आने पर जागरूक होकर के कदम उठाना चाहिए ना क्यों से डरकर पीछे हटा ना चाहिए।एक चेतावनी प्रणाली स्थापित करना चाहिए जो कि बाढ़ आने के समय सब को बता दी जाए और सब उससे बचने के लिए कोई निश्चित स्थान पर चले जाएं।बाढ़ की संभावना होने से पहले ही सबको खाना आदि जमा कर कर रखना चाहिए जिससे उनका खाने का भंडार (Essay on Flood in Hindi) कभी खाली ना हो और इस कठिनाई वाले समय में कार्य में आए। सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक जल निकास व्यवस्था करना चाहिए जिससे पानी जमा ना हो और आसानी से निकलकर बाहर डेम या नदी में चला जाए।यदि कोई भी बांध बन रहा है तो उसमें सच्चे सामग्री को ना डालते हुए अच्छे और टिकाऊ सामग्री को डालना चाहिए जिससे बांध टूटे ना और बाढ़ की समस्या ना हो।यदि वर्षा की समस्या ज्यादा हो रही है तो लोगों को इस चीज के लिए चेतावनी देनी चाहिए कि बाढ़ की समस्या हो सकती है और अपना बचाव के लिए किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाए।

बाढ़ का आगमन एक प्राकृतिक आपदा है जिससे कोई भी नहीं रोक सकता परंतु यदि लोग कोशिश करें तो उसे बचा जा सकता है। इस स्थिति में लोग खुद को बचाना छोड़ कर के अपने चीजों को सुरक्षित करते हैं।लोग पहले से जागरूक ना रहकर के हर चीज को आसानी से सुलझा लेने की बात करते हैं और बाद में बाढ़ (Essay on Flood in Hindi) आने पर परेशान हो करके अपना आपा खो बैठते हैं। यही कारण है कि बाढ़ के समय में लोगों की ज्यादा से ज्यादा मृत्यु होती है।इससे अच्छा यही है कि बाढ़ की समस्या सुनने पर ही लोग सतर्क हो जाएं और अपना बचाव करने के लिए तत्पर रहें।

1. बाढ़ क्या है?

उत्तर:- बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो वर्षा के मौसम में पानी के औसत स्तर को बढ़ने के कारण होता है।

2. बाढ़ के समय में किन प्रकारों की बीमारियां सामने आती है?

उत्तर:- बाढ़ के समय में सर्दी खांसी बुखार मलेरिया और डेंगू की समस्याएं सामने आती है।

3. बाढ़ से पानी दूषित कैसे होता है?

उत्तर:- बाढ़ से पानी दूषित इसलिए होता है क्योंकि वह अपने साथ बहुत सारा गंदा पानी है कचरा लेकर आती है जो कि शुद्ध पानी में मिल जाता है।

4. बांध टूटे ना इसके लिए क्या उपाय करना चाहिए?

उत्तर:- बांध टूटे ना इसके लिए हमें सस्ते सामग्री ना लेते हुए सटीक सामग्री लेना चाहिए जिससे वह बना रहे और आसानी से ना टूटे।

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Essay On Flood : बाढ़ पर हिंदी निबंध

Meena Bisht

  • April 23, 2020
  • Hindi Essay

Essay On Flood in Hindi : बाढ़ पर हिंदी निबंध

निबंध हिंदी में हो या अंग्रेजी में , निबंध लिखने का एक खास तरीका होता है। हर निबंध को कुछ बिंदुओं (Points ) पर आधारित कर लिखा जाता है। जिससे परीक्षा में और अच्छे मार्क्स आने की संभावना बढ़ जाती है।

हम भी यहां पर “बाढ़ / Essay On Flood ” पर निबंध को कुछ बिंदुओं पर आधारित कर लिख रहे हैं। आप भी अपनी परीक्षाओं में निबंध कुछ इस तरह से लिख सकते हैं। जिससे आपके परीक्षा में अच्छे मार्क्स आयें।

Essay On Flood in Hindi 

बाढ़ पर हिंदी निबंध.

Content ( Essay On Flood)

  • प्रस्तावना (Introduction)

बाढ़ किसे कहते हैं (What is Flood)

बाढ़ आने के कारण (causes of flood).

  • बाढ़ से होने वाला नुकसान 
  • बाढ़ को रोकने के उपाय 
  • बाढ़ के वक्त सुरक्षा के उपाय

बाढ़ शब्द सुनते ही मन मस्तिष्क में बस एक ही चित्र घूमने लगता है। चारों तरफ बस पानी ही पानी। पानी जो वास्तव में मानव के लिए जीवनदायिनी व प्राणदायिनी हैं। मगर उस वक्त ऐसा लगता हैं मानो ये पानी सब कुछ निगल जाना चाहता है।चाहे वह खेतों में खड़ी फसलें हों या इंसान व जानवरों का जीवन।

यहां तक कि यही पानी गांव के गांव व शहर के शहर , सभी को अपने आगोश में लेकर सब कुछ तहस-नहस कर देना चाहता है।जैसे कि वो विनाशकारी पानी ठान ही बैठा है कि उसे सब कुछ खत्म करके ही छोड़ना है। 

बाढ़ प्रकृति का एक भयंकर या रौद्र रूप है। जब वर्षा नहीं होती तो अकाल पड़ता है। और जब यही वर्षा अधिक होती हैं तो पानी , नदियों की सीमा तोड़ कर हर तरफ फैल जाता है।जिसे बाढ़ कहते है।

किसी स्थान पर अत्यधिक मात्रा में पानी का इकट्ठा हो जाना बाढ़ कहलाता है। बादलों का अत्यधिक मात्रा में बरसना बाढ़ का कारण बनता है। और बाढ़ तबाही का कारण बनता है। 

भारत के कुछ इलाकों में अक्सर हर साल बाढ़ आती है जिसमें महाराष्ट्र , असम , बंगाल , बिहार , उड़ीसा , आंध्रप्रदेश , गुजरात , उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , हरियाणा , पंजाब  और केरल प्रमुख है। 

विनाशकारी बाढ़ आने के कई कारण हो सकते हैं। जिनमें कुछ प्राकृतिक हैं , तो कुछ मानव निर्मित। 

  • प्राकृतिक कारण 

वैसे तो बरसात अच्छी होने से अच्छी फसल पैदा होती है। इसीलिए वर्षा ऋतु हमारी देश की “अन्नपूर्णा ऋतु” भी कही जाती है। पर कभी-कभी अतिवृष्टि वर्षा से नदियों में बाढ़ आ जाती है। 

(a)  अत्यधिक वर्षा का होना 

मई जून की भयंकर गर्मी के बाद जब सावन के महीने में वर्षा की शीतल बूंदें धरती में पड़ने लगती है , तो मन मयूर सा नाचने लगता है। चारों तरफ खुशियां छाने लगती हैं। लेकिन जब भयंकर गर्जना के साथ मूसलाधार पानी अत्यधिक मात्रा में बरसने लगता है तो धीरे-धीरे नदी , नाले सब पागल हो जाते हैं।

जो नदियां कल तक जीवनदायिनी बन कर सारे गांवों व शहरों को निर्मल जल पिलाया करती थी। वही नदियां आज जैसे स्वयं ही सब कुछ निकल जाना चाहती हो।ऐसे भयंकर दृश्य दिखाई देने लगते हैं। 

हमारे देश में यमुना , गंगा , ब्रह्मपुत्र , घागरा , गोदावरी , नर्मदा आदि नदियों में हर साल बरसात में अक्सर बाढ़ आ जाती है।

बाढ़ का पानी उतरने में बहुत समय लगता है। लेकिन बाढ़ के पानी के उतर जाने के बाद लोगों को बस तबाही ही तबाही का मंजर नजर आता है। और उससे भी बड़ी विडंबना यह है कि बाढ़ के पानी के खत्म हो जाने के बाद उन इलाकों में महामारी फैलने की आशंका रहती है।

(b) बादलों का फट जाना 

बादलों का फटना भी बाढ़ का कारण हो सकता है। कभी-कभी अचानक किसी जगह पर बादल फट जाते हैं। जिसकी वजह से एक ही स्थान पर अत्यधिक वर्षा हो जाती हैं। और उस बारिश के पानी का बहाव व शक्ति इतनी प्रबल होती है कि वह अपने साथ सब कुछ बहा ले जाती है। 

इंसान , मकान , पेड़-पौधे , जमीन आदि।अक्सर इस तरह की घटनाएं पहाड़ों में ज्यादा होती हैं। अभी कुछ वर्षों पहले केदारनाथ (उत्तराखंड ) में आई आपदा में बादलों का फटना प्रमुख कारण थी।

(C)  समुद्र के पानी के स्तर का बढ़ जाना

समुद्र के पानी के जलस्तर में बढ़ोतरी भी समुद्र के किनारे बसे इलाकों में बाढ़ का कारण हो सकता है। 

(D) बर्फ के चट्टानों का पिघल जाना

हरे भरे पेड़ों की कटाई , हर दिन कम होते जंगलों के कारण धरती के तापमान में अचानक बढ़ोतरी हो गई है। और जिसका दुष्प्रभाव ग्लेशियरों के पिघलने के रूप में सामने आने लगा है।अधिक तापमान के कारण ये ग्लेशियर पिघलने लगे हैं। जिससे नदियों व समुद्रों का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है और यह भी बाढ़ का कारण बनते जा रहे हैं। 

(E) समुद्री में तूफान या सुनामी के आने से 

कभी-कभी समुद्र के अंदर कुछ हलचल पैदा हो जाती हैं। जिसके कारण भयंकर तूफान या सुनामी आ जाती है। और समंदर का पानी समंदर की सीमाओं को तोड़कर बाहर निकलने लगता है। जो भयंकर त्रासदी का कारण बनता है। समंदर में सुनामी आने का एक कारण समंदर में भूकंप का आना भी हो सकता है। 

2 . मानव निर्मित कारण (Essay On Flood)

बाढ़ हर जगह अलग-अलग प्रभाव डालती हैं। कहीं पर अत्यधिक , तो कही पर कम। इसका प्रभाव पानी के हिसाब से अलग-अलग होता है।इसमें कुछ मानव निर्मित कारण भी होते हैं।जो निम्न हैं।  

  • कभी-कभी भारी वर्षा होने से किसी नदी में बना हुआ बांध अचानक टूट जाता है। ज्यादा वर्षा और बांध टूटने पर बाढ़ का स्वरूप और भीषण हो जाता है।
  • शहरों या गांवों में बारिश के पानी की उचित निकासी की व्यवस्था का ना होना। जिससे वर्षा का पानी एक जगह पर इकठ्ठा होने लगता हैं। जो बाढ़ का कारण बनता हैं। 
  •  प्लास्टिक प्रदूषण भी बाढ़ आने का एक कारण है। क्योंकि अक्सर हम प्लास्टिक का प्रयोग कर उसे इधर-उधर फेंक देते हैं। जो बहकर नदी , नाले या नालियों में चले जाते हैं। जिसकी वजह से नालियां बंद हो जाती हैं। बरसात होने पर इन्हीं नालियों से पानी की निकासी नहीं हो पाती है। इस वजह से शहरी इलाकों में पानी भर जाता है जो बाढ़ का कारण बनता है।

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बाढ़ से होने वाला नुकसान (Essay On Flood)

  •   बाढ़ जब भी आती है तो हर तरफ अपनी तबाही के निशान छोड़ कर ही जाती है। लाखों लोग घर से बेघर हो जाते हैं। सैकड़ों लोग पानी में बह जाते हैं।
  • करोड़ों की चल , अचल संपत्ति का नुकसान होता है। गांवों के कच्चे मकान गिर जाते हैं  , खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो जाती हैं। बाढ़ के बाद कुछ बचता हैं तो बस भीषण तबाही का मंजर। 
  • बाढ़ के वक्त पानी का बहाव इतना तेज होता हैं कि उससे बड़े-बड़े पेड़ उखड़ कर बहने लगते हैं। बाढ़ का पानी आसपास के गांवों तथा शहरों तक फैल जाता है।
  • बाढ़ में फंसे जानवर पानी में बह जाते हैं। बाढ़ से घिरे लोग ऊंचे-ऊंचे टीलों या बड़े-बड़े वृक्षों में चढ़कर अपनी जान बचाने का प्रयत्न करते हैं।
  • बाढ़ से बचने के लिए लोग सुरक्षित स्थानों का सहारा लेते हैं। ऐसे समय में जान माल का बहुत नुकसान होता है।
  • बाढ़ के आने के बाद अनेक प्रकार के विषैले जीव जंतुओं की उत्पत्ति होती है। अनेक बीमारियों तो मानो जैसे उपहार में आती है। जैसे टाइफाइड , डेंगू , मलेरिया आदि। 
  • नदी की राक्षसी लहरें , उसका पानी मानव का सब कुछ छीन लेती हैं। बाढ़ इंसान का जीवन , फसल ,पेड़-पौधे जैसे सब कुछ निगल लेती हैं।
  • सामान की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि होती है। सरकार व आम जन को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
  • पर्यावरण को गंभीर हानि पहुँचती है।
  • जन जीवन नष्ट हो जाता है , कई घर पानी में डूब जाते हैं और घर की प्रत्येक वस्तु पानी से खराब हो जाती हैं।
  • पहाड़ी इलाकों में अगर अत्यधिक वर्षा होती है या बादल फट जाते हैं। तो ऐसे में गांव के गांव उस पानी में बह जाते हैं। बड़ी मात्रा में भूस्खलन होता है।
  • बाढ़ के बाद जल प्रदूषित हो जाना , बिजली का प्रभावित होना ,  सड़कों का टूट जाना आम बात हैं।
  • पीड़ितों को सही चिकित्सा सुविधा सही समय पर नहीं मिल पाती है।जिससे कई जानें चली जाती हैं। 
  • भोजन का अभाव हो जाता हैं। लोग अन्न के एक एक दाने के मोहताज हो जाते हैं।  

बाढ़ को रोकने के उपाय (Essay On Flood)

बारिश का कम या अधिक होना या बादल फटना। ये इंसान के हाथ में नहीं है।यह एक प्राकृतिक घटना है।लेकिन थोड़े उपाय कर इसके प्रभाव को थोड़ा कम जरूर किया जा सकता है।

  • शहरी व गांवों के इलाकों में पानी के निकास के लिए अच्छी ड्रेनेज व्यवस्था कर बरसात के अत्यधिक पानी को निकाला जा सकता है ताकि बाढ़ की स्थिति ना बने।अगर बाढ़ की स्थिति बनती भी हैं  तो पानी की तुरन्त निकासी से अधिक नुकसान न हो।
  • वर्षा काल में अच्छी ड्रेनेज व्यवस्था ही बाढ़ के प्रभाव को कम कर ज्यादा नुकसान से बचा सकती हैं। और पानी भी एक जगह इकट्ठा नहीं होगा जिससे महामारी फैलने का खतरा भी कम होगा।
  • ऐसे स्थानों या जगहों को चिन्हित कर वहां पर बाढ़ बैरियर्स लगाने चाहिए। ताकि वर्षा अधिक होने पर शहरों या गांवों में पानी एकदम न फ़ैल पाए। जिससे लोगों को संभलने या सुरक्षित स्थानों पर जाने का मौका मिल जाएगा

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बाढ़ के वक्त सुरक्षा के उपाय (Essay On Flood)

बाढ़ कब आएगी और किस जगह पर आएगी , और कितना नुकसान कर जाएगी।यह किसी को पता ही नहीं होता है।और इसका अंदाजा लगाना इंसान के बस की बात भी नहीं है। कभी-कभी रेतीले इलाकों या मरुस्थल भूमि पर भी बाढ़ आ जाती हैं। बाढ़ आने पर कुछ बातों को ध्यान में रखकर अपने जीवन को बचाया जा सकता है।

  • ऐसे जगहों पर जहाँ बाढ़ आने की संभावना हो , वहाँ सरकार या स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों को चेतावनी दी जाती है। इस चेतावनी को अनसुना करने के बजाय इस पर अमल करने से  सुरक्षित रहा जा सकता है। 
  • स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाता है। इसलिए सतर्क रह कर  उसका लाभ उठाया जाना चाहिए। 
  • जब कभी अचानक बाढ़ आ जाती है और आपको पता नहीं होता तो , ऐसे में ऊंचाई वाले जगहों पर चले जाना चाहिए। 
  • अगर घर से बाहर निकलने की स्थिति ना हो तो , घर की छत में जाना चाहिए और मदद के लिए लगातार गुहार लगानी चाहिए। 
  • ऐसी जगह पर जहां पर अक्सर बाढ़ की संभावना रहती हैं। वहां के लोगों को बाढ़ से संबंधित बातें का प्रशिक्षण देना भी अति आवश्यक है।
  • लोगों के पास हेल्प लाइन नंबर होने चाहिए। ताकि वो कठिन समय में सहायता मांग सकें।
  • लोगों को बाढ़ के समय में सहायता के लिए सहायता चिन्ह बनाना सिखाना चाहिए। ताकि वो सहायता चिन्हों का प्रयोग कर सहायता मांग सकें। और मदद करने वाली टीमें या  हेलीकॉप्टर द्वारा उन तक मदद पहुंचाई जा सके।
  • ऐसे इलाके जहां पर अक्सर बाढ़ आती है , उन इलाके के लोगों को अपने खाने पीने की पूर्ण व्यवस्था अवश्य कर लेनी चाहिए।
  • मौसम को देखते हुए सावधानियां बरतना अति आवश्यक है।
  • पानी को उबालकर ही पीना चाहिए। 
  • कोई दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार के लिए सभी आवश्यक सामान पहले से अपने पास रखा होना चाहिए। 
  •  बाढ़ आने पर अक्सर दूरसंचार या बिजली व्यवस्था ठप हो जाती हैं। ऐसे में रोशनी के लिए पहले से व्यवस्था होनी अति आवश्यक है।
  •  बाढ़ नियंत्रण हेतु सरकारी स्तर पर भी पर्याप्त प्रयास किए जाने अति आवश्यक है। “राष्ट्रीय बाढ़ प्रबंधन”  के लोगों के द्वारा तत्काल सहायता देने का प्रयास किया जाना चाहिए।

उपसंहार (Essay On Flood)

प्राकृतिक आपदाओं को रोकने की मनुष्य के अंदर शक्ति नहीं होती है। यह बस प्रकृति के हाथ में ही होता है। परन्तु हमने भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है।उसका भी नतीजा कभी-कभी इस रूप में सामने आता है। हालांकि यह एक प्राकृतिक घटना है। फिर भी इसमें कहीं न कहीं हमारा भी अप्रत्यक्ष योगदान अवश्य है।

बाढ़ आती तो कुछ दिनों के लिए है लेकिन लोगों के जीवन में बुरा प्रभाव डाल कर चली जाती है। इससे जान माल का भारी नुकसान होता है। कई बार तो लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिलता हैं। यह बेहद विनाशकारी होती है। 

 इस विनाशकारी बाढ़ के बाद जीवन को पुनः जीवन की गाड़ी को पटने में लाने के लिए लोगों को आधा मेहनत करनी पड़ जाती है क्योंकि पुनर्निर्माण आदमी का स्वभाव है तो वह फिर से नई शुरुआत में जुटी जाता है।   

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Flood Essay in Hindi – बाढ़ पर निबंध हिंदी में

Flood Essay in Hindi – बाढ़ पर निबंध हिंदी में: बाढ़ प्रकृति का प्रकोप या अभिशाप है। प्रकृति की पावन गोद में वास करने वाला राष्ट्र भारत दैवी विपत्तियों का भी शिकार बनता है।

अचानक हैजा, प्लेग, चेचक आदि महामारियों की भाँति बाढ़ भी इसी प्रकार की आपदा है।

पौराणिक कथाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि यह परमात्मा का भेजा हुआ श्राप है। जब पृथ्वी पर पाप बढ़ता है, तो भगवान दैवीय विपत्तियाँ भेजते हैं।

एक ओर उनके विनाश के लिए और दूसरी ओर आलसी लोगों को विलास और पापमय नींद में जगाने के लिए। विशेष परिस्थिति में बाढ़ को प्रकृति का प्रकोप कहा जा सकता है।

Flood Essay in Hindi

Table Of Contents

  • 1.1 बाढ़ पर निबंध हिंदी में – Flood Essay in Hindi

प्रकृति तूफानों और बाढ़ों के माध्यम से हमारे सूखे, निराश, तर्कसंगत मन को वापस पटरी पर लाने की कोशिश करती है। बारिश होती है, बर्फ पिघलती है, नदियों में पानी बढ़ जाता है।

पानी बैंक को तोड़ देता है और हर जगह फैल जाता है। भूमि धंसने लगती है, कृषि बहने लगती है, द्वार बहने लगते हैं। यह बाढ़ है। जब बाढ़ आती है तो चारों तरफ बहता पानी शोर मचाता है।

नदियाँ गरजती हैं, किनारे टूट जाते हैं। लगातार बारिश के कारण प्रलय जैसा दृश्य दिखाई देता है। व्यक्ति और समाज का जीवन कंटकमय हो जाता है।

बिहार बाढ़ पर निबंध हिंदी में

भारत में मुख्यतः केवल एक ही राज्य बाढ़ से हमेशा से विशेष रूप से प्रभावित रहा है और हो रहा है, वह है- बिहार। बाढ़ की समस्या बिहार के लिए सबसे विकट और विकट समस्या है।

बाढ़ की अधिकता के कारण इसे “बाढ़ भूमि” कहा जाने लगा है। यूँ तो बारिश की आँधी के कारण बाढ़ का विनाशकारी मंजर लगभग हर जगह मौजूद है, लेकिन उत्तर बिहार बेसहारा हो जाता है।

गंगा की बाढ़ भी यहां कई वर्षों से प्रतिस्पर्धा कर रही है। मुजफ्फरपुर, चंपारण, बेतिया, सीतामढ़ी, सीवान, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, खगड़िया, भागलपुर आदि जिलों के अधिकार क्षेत्र जलमग्न हो जाते हैं।

लहलहाती फसल बाढ़ से तबाह हो जाती है। धन, जन और पशुओं की असंख्य हानि होती है। यातायात मार्ग प्राय: बंद रहते हैं। बाढ़ के अचानक आने से बचाव मुश्किल हो जाता है।

अकाल का भयानक रूप शुरू हो जाता है। सरकार की तमाम विकास योजनाएं ठप हैं। जब बाढ़ आती है तो हमें उसकी पीड़ा को कम करने और दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

गिरे हुए मकानों को खड़ा करना होगा और परित्यक्त गांवों को फिर से बसाना होगा। हमें मानवता के नाम पर बाढ़ की विभीषिका को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए और बाढ़ पीड़ितों की रक्षा के लिए कमर कस कर आगे आना चाहिए।

बाढ़ पर निबंध हिंदी में

बाढ़ पर निबंध हिंदी में – Flood Essay in Hindi

बाढ़ की बात सुनकर मैं इतने लोगों के साथ बागमती पर बने कालीघाट पुल पर गया और बाढ़ का दृश्य देखा।

वहाँ पहुँच कर देखा तो देखने वालों की भारी भीड़ थी। सरकारी कर्मचारी और पुलिसकर्मी पुरुषों को आगे बढ़ने से रोकने की पूरी कोशिश कर रहे थे। मैं पुल पर खड़ी एक जीप की छत पर खड़ा हो गया।

नदी में पानी बड़ी तेजी से बह रहा था, छप्पर के साथ एक गेंद भी तैर रही थी। उधर मैंने देखा कि एक भैंसा तेजी से तैर रहा था, यह भैंस पानी के बहाव से जिंदा थी क्योंकि वह अभी सिर उठाती थी और तभी कुछ बकरियां भी तैर रही थीं।

वह जिंदा भी था, इसलिए पुल से उसकी धड़कन भी सुनाई दे रही थी। कुछ लोगों ने जान जोखिम में डालकर बड़ा और मजबूत जाल बिछाया था।

नदी गरज रही थी। आसपास खड़े लोगों की आवाजें सुनना मुश्किल हो रहा था। नदी बेरहमी से चेतन और निर्जीव वस्तुओं को निगल रही थी।

बाढ़ की समस्या पर निबंध हिंदी में

पुल से लोगों ने देखा भयानक मंजर। एक महिला बच्चे को गोद में लिए तैर रही थी। लोगों ने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन व्यर्थ। बाढ़ से लोगों को काफी नुकसान हुआ है.

बाढ़ के कारण घरों के नष्ट हो जाने से हजारों लोग बेघर हो गए। इतने सारे पुरुष और महिलाएं युवा और बूढ़े बह गए।

इतने सारे लोग गरीब हो गए क्योंकि वे अपने कीमती सामान जो उनके घरों से नष्ट हो गए थे, नहीं निकाल सके।

इस बाढ़ से किसान को काफी नुकसान हो रहा है। वे इस साल बहुत अच्छी फसल की उम्मीद कर रहे थे लेकिन बाढ़ ने सभी समृद्ध फसलों को बहा दिया।

इतने पेड़ उखड़ गए। इस बाढ़ ने भयानक मंजर पैदा कर दिया। सभी अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर इन लोगों की पूरी मदद करने का आदेश दिया गया है।

बीमार या घायल व्यक्तियों को लेने के लिए सरकारी एंबुलेंस वाहन यहां से चल रहे थे। मौके पर चिकित्सकों को भेजा गया जो घायलों का प्राथमिक उपचार कर रहे हैं।

सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सामग्री भी उपलब्ध कराई। जो इलाके चारों तरफ से पानी से घिरे हुए थे, वहां हवाई जहाजों से खाने के पैकेट गिराए गए.

ऐसे क्षेत्रों के लोगों की मदद के लिए सरकार द्वारा कुछ नावों की भी व्यवस्था की गई थी।

मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का भी दौरा किया और बाढ़ पीड़ितों को बेहतर सेवाएं देने के लिए विशेष अधिकारियों की नियुक्ति की।

Final Thoughts –

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपने बाढ़ पर निबंध हिंदी भाषा में पढ़ा। मुझे पूर्ण विस्वास है की आपको बाढ़ के बारे में दी गयी यह जानकारी जरूर पसंद आयी होगी।

अगर आपको आज का यह आर्टिकल Flood Essay in Hindi – बाढ़ पर निबंध अच्छा लगा हो तो इस Post को आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया (Facebook, WhatsApp इत्यादि) पर भी शेयर अवश्य करे।

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बाढ़ क्या है? साथ में परिभाषा व बचाव जानिए (Flood In Hindi Article) 

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Flood in Hindi या Baadh शब्दों के जरिए अगर आप जानना चाहते हैं कि बाढ़ क्या है और उससे संबंधित जरूरी जानकारी चाहते हैं? बाढ़ पर निबंध लिखना चाहते हैं या बाढ़ पर भाषण देने की तैयारी कर रहे हैं।

Flood in Hindi

बाढ़ जैसी खतरनाक आपदा से बचने के लिए जानकारी इकट्ठा करना चाहते हैं, तो मैं कहूंगा कि यह आपके लिए एक बेहतरीन लेख है। कृपया अंत तक जरूर देखें। 

बाढ़ की सही परिभाषा क्या है? 

बाढ़ एक आपदा का नाम है, जिसमें जल का अस्थायी अतिप्रवाह होने से अत्यधिक जलजमाव सूखी भूमि हो जाता हो, उसे बाढ़ या सैलाब कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में फ्लड (Flood) कहते हैं। 

बाढ़ क्या है? 

बाढ़ एक प्राकृतिक या अप्राकृतिक आपदा है जिस में अत्यधिक मात्रा में पानी एकत्र हो जाता है। बाढ़ का पानी तेज़ बहाव का या स्थिर भी हो सकता है। 

कभी कभार मानवीय भूल के कारण कोई बांध या तटबंध टूटने से भी बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो जाते हैं, उसे अप्राकृतिक बाढ़ कहते हैं। 

भारतीय परिदृश्य में अत्यधिक लगातार मानसून के बारिश के कारण बांध या तटबंध टूटने से बाढ़ का पानी आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश करता है, जिसे प्राकृतिक बाढ़ भी कर सकते हैं। 

अगर बाढ़ का पानी स्थिर है तो वह इतना खतरनाक नहीं होता है। बाढ़ का पानी का तेज़ बहाव काफी खतरनाक होता है क्योंकि देखने में समान बहाव भी अच्छे तैराक की डूबा सकता है। 

बाढ़ के सबसे अहम जानकारी, जान लीजिए बहुत काम आएगा 

बाढ़ के बारे में जानकारी अगर उचित हो तो अपनी जान माल की रक्षा स्वयं कर सकते हैं। बाढ़ का मतलब होता है अत्यधिक पानी होता है, हमें सैलाब के पानी से बचाव कैसे करना चाहिए है। 

मुख्य बिंदु –

सही सूचना पर ही विश्वास करें – बाढ़ का सही सूचना होना चाहिए, कब कहां कितना पानी है व कौन सा स्थान हमारे लिए सुरक्षित है। मौसम विभाग के अलर्ट पर हमेशा ध्यान देना है और कभी भी अफवाह पर ध्यान ना दें। 

पानी स्थिर है या तेज गति का बहाव – स्थिर पानी में तैरना या एक छोर से दूसरे छोर पर जाना आसान होता है। जबकि तेज़ गति वाले पानी के बहाव में एक छोर से दूसरे छोड़ जाना जोखिम भरा हो सकता है। अगर जाना आवश्यक हो तो, पहले अच्छी अच्छी प्लानिंग कर लें और मोटे रस्सी का उपयोग करें। 

सुरक्षित स्थान का चयन – अपने घर में सुरक्षित स्थान का चयन करना जरूरी है। अगर शौचालय में बाढ़ का पानी घुसने का खतरा हो तो किसी बोरे या बैग में बालू भरकर शौच त्याग स्थल पर डाल दें ताकि आपका घर गंदे पानी से ना भर जाये।

अगर घर पर सुरक्षित स्थान ना मिले तो दूसरे उचित स्थान पर जाने के लिए संकोच ना करें

जरूरी सामान इकट्ठा कर लेना चाहिए – खाने पीने, जरुरी दवाई, टॉर्च व रेडियो आदि को इकट्ठा कर लेना चाहिए। बाढ़ में सबसे ज्यादा खतरा होता है दूषित पानी पीने से इंफेक्शन होने का तो वह पानी को गर्म करके पीना चाहिए।

फ्लडडी क्या है?

बाढ़ पानी का एक अतिप्रवाह है जो सामान्य रूप से शुष्क भूमि को जलमग्न कर देता है। बाढ़ बारिश, पिघलने वाली बर्फ या दोनों के संयोजन के कारण हो सकती है। बाढ़ की सीमा घटना की गंभीरता, साथ ही क्षेत्र की स्थलाकृति और जल निकासी पर निर्भर कर सकती है।

बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जिसके परिणामस्वरूप अक्सर व्यापक संपत्ति का नुकसान होता है और जानमाल का नुकसान होता है।

यह आमतौर पर भारी बारिश या तूफान के कारण होता है जिसके कारण नदियों या अन्य जलाशयों का पानी ओवरफ्लो हो जाता है। बाढ़ तटीय तूफान, सुनामी और तूफान के कारण भी हो सकती है।

बाढ़ के विशिष्ट प्रभाव क्या हैं?

बाढ़ के प्रभावों पर व्यापक शोध हुआ है, जिसे तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है: प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और दीर्घकालिक।

प्रत्यक्ष प्रभाव वे होते हैं जो बाढ़ के दौरान या उसके तुरंत बाद होते हैं, जैसे कि चोट या मृत्यु, संपत्ति या बुनियादी ढांचे को नुकसान और लोगों का विस्थापन। 

अप्रत्यक्ष प्रभाव वे होते हैं जो प्रत्यक्ष प्रभावों के परिणामस्वरूप होते हैं, जैसे कि बढ़ी हुई गरीबी या रोग।

बाढ़ लोगों और पर्यावरण दोनों पर कई विशिष्ट प्रभाव डाल सकती है। उदाहरण के लिए, बाढ़ रासायनिक प्रदूषकों या कृषि अपवाह के साथ जल आपूर्ति को दूषित कर सकती है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। 

बाढ़ मिट्टी को भी नष्ट कर सकती है और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा, बाढ़ ऐसे आवास बना सकती है जो कुछ कीटों और बीमारियों के लिए अनुकूल होते हैं।

बाढ़ के कारण क्या हैं?

बाढ़ के कारण कई और विविध हैं। इनमें भारी बारिश, बर्फ़ीला तूफ़ान, तूफान और नदी में बाढ़ शामिल हो सकते हैं। बाढ़ का सबसे आम कारण भारी बारिश है, जो जमीन को संतृप्त कर सकता है और अपवाह का कारण बन सकता है। 

स्नोमेल्ट भी बाढ़ का कारण बन सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां सर्दियों में स्नोपैक होता है। तेज हवाओं और अपने साथ आने वाली मूसलाधार बारिश के कारण तूफान बड़ी बाढ़ का कारण बन सकता है।

आम तौर पर भारी बारिश या हिमपात, तूफान या अन्य तूफान, और उच्च ज्वार या सुनामी से तटीय बाढ़ शामिल हैं। बाढ़ अवरुद्ध या अतिप्रवाह नदियों, एक बांध की विफलता, या भूजल संतृप्ति के कारण भी हो सकती है।

बाढ़ क्यों आती है? 

बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो अक्सर भारी वर्षा की अवधि के बाद होती है। नदियाँ और नदियाँ अपने किनारों को ओवरफ्लो कर सकती हैं, और बहुत अधिक पानी जमीन को संतृप्त कर सकता है, जिससे भूस्खलन हो सकता है। 

बाढ़ घरों और अन्य बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचा सकती है, और यह उन लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है जो इसमें फंस गए हैं।

बाढ़ एक प्राकृतिक घटना है जो अक्सर तब होती है जब कोई नदी या पानी का कोई अन्य पिंड उसके किनारों पर बह जाता है। यह कई कारकों के कारण हो सकता है, जैसे भारी बारिश, बर्फ का तेजी से पिघलना या तूफान। 

जब जल स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो यह किनारों पर फैल जाता है और आसपास की भूमि को जलमग्न कर देता है। बाढ़ से घरों, व्यवसायों और अन्य बुनियादी ढांचे को व्यापक नुकसान हो सकता है, और इससे जानमाल का नुकसान भी हो सकता है।

बाढ़ के प्रकार 

बाढ़ तीन प्रकार की होती है: फ्लैश, नदी और तटीय। फ्लैश फ्लड आमतौर पर बहुत तेजी से होती है, कभी-कभी कुछ ही मिनटों में, और अक्सर भारी बारिश या तेजी से हिमपात के कारण होती है। 

वे कहीं भी हो सकते हैं, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में सबसे आम हैं। नदी की बाढ़ आमतौर पर नदियों और उनकी सहायक नदियों के किनारे होती है, जिसके परिणामस्वरूप बहुत अधिक पानी नीचे की ओर बहता है।

बाढ़ आपदा प्रबंधन के उपाय

बाढ़ आपदा प्रबंधन उपायों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया। रोकथाम के उपायों में पानी को आबादी वाले क्षेत्रों में बहने से रोकने के लिए बांध और बांध बनाने जैसी चीजें शामिल हैं, जबकि तैयारियों के उपायों में बाढ़ आने की स्थिति में आपातकालीन आपूर्ति शामिल हो सकती है। 

बाढ़ से निपटने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह सुनिश्चित करना है कि लोग सुरक्षित हैं और उन लोगों की मदद कर रहे हैं जिन्हें इसकी जरूरत है।

बाढ़ से होने वाले नुकसान

बाढ़ से होने वाली क्षति आमतौर पर भौतिक और/या वित्तीय क्षति को संदर्भित करती है, जब पानी का एक शरीर, जैसे कि एक महासागर, नदी, झील, या बारिश का तूफान, अपने किनारों पर बह जाता है या अन्यथा ऐसी भूमि पर फैल जाता है जो सामान्य रूप से गीली नहीं होती है। 

इसमें घरों और व्यवसायों में बाढ़ आना, कारों का बह जाना, फंसे हुए लोग आदि शामिल हो सकते हैं। बाढ़ के बाद मरम्मत और पुनर्निर्माण की लागत मानवीय दृष्टि से और समग्र अर्थव्यवस्था दोनों के संदर्भ में महत्वपूर्ण हो सकती है।

बाढ़ से बचने के उपाय

बाढ़ से बचने के कई तरीके हैं। एक तरीका है लेवी और अन्य बाढ़ नियंत्रण संरचनाओं का निर्माण करना। दूसरा तरीका भूमि उपयोग को संशोधित करना है ताकि बाढ़ की संभावना कम हो। 

इसमें पक्के इलाकों की जगह हरित स्थान बनाने और पार्क बनाने जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं। इसमें प्राकृतिक आर्द्रभूमि को बहाल करना भी शामिल हो सकता है, जो तूफान के दौरान अतिरिक्त पानी को सोखने में मदद करता है।

एक जगह में एक अच्छी जल निकासी व्यवस्था होना है। इसका मतलब है तूफान सीवर और गटर जो आपके घर से पानी को जल्दी से दूर ले जा सकते हैं। आप यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके घर के आस-पास की मिट्टी जमा हो गई है और अच्छी तरह से निकल गई है। 

आप पेड़ और झाड़ियाँ लगा सकते हैं जो कुछ पानी को सोखने में मदद करेंगे, और पानी को अपने यार्ड में आने से रोकने के लिए आप एक रिटेनिंग वॉल बना सकते हैं।

बाढ़ के बारे में निबंध / बाढ़ पर लेख

जब हम बाढ़ से हम हजारों लाखों लोगों को बेघर होते हुए देखते हैं, घायलों या मरते हुए लोगों को देखते हैं तो हमारे सामने एक बड़ा प्रश्न होता है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है?

सैलाब के लिए हमेशा जिम्मेदार हम सरकारी व्यवस्था या ईश्वर को जिम्मेदार बताते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि आप भी इसमें उतने ही भागीदार हैं जितना आपका सरकार है। 

सैलाब जैसे प्राकृतिक आपदा, प्रकृति का मानव के प्रति रोष है। प्रकृति धरती से क्षण भर में मानव जीवन को अस्तित्व मिटाने की क्षमता रखती है। जरा अपने आप से पूछिए कि आप ने प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचाया है ?

सैलाब के बाद जैसे ही जनजीवन सामान्य होते ही हम सब कुछ भूल जाते हैं और फिर से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए काम करना शुरू कर देते हैं। 

आप से समाज बनता है और समाज से सरकार बनता है तो मैं कहना चाहता हूं कि पर्यावरण का बचाव पहले आप से शुरू होना चाहिए। 

मौसम की चेतावनी उचित समय पर देकर, बचाव कार्य एवं प्राथमिक उपचार के बारे में विशेष प्रशिक्षण देकर लाखों लोगों की जिंदगी को बचाया जा सकता है। 

जब लगातार मानसून का बारिश किसी के क्षेत्र में होता है तो अचानक पानी का स्तर बढ़ने लगता है। बांध एवं तटबंधों पर भारी दबाव बनना शुरू हो जाता है। बांध एवं तटबंधों देखरेख सही से किया जाए तो सैलाब जैसे बड़े प्राकृतिक आपदा से बचा जा सकता है। 

महानगरों में भी आपने सैलाब के बारे में सुना होगा, जैसा कि मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में देखने को मिला था। महानगरों में लगातार बारिश के कारण जलजमाव होता है। जब उस जल को निकासी का रास्ता नहीं मिलता है तो वह सैलाब में तब्दील हो जाता है। 

Conclusion Point 

दोस्तों, उम्मीद करता हूं कि आपको Flood in Hindi यानि बाढ़ संबंधित लेख पसंद आया होगा। इस ज्ञान का उपयोग आप निबंध लेखन एवं भाषण में भी कर सकते हैं। 

हमारे कुछ मित्र इंटरनेट पर सैलाब की जानकारी के लिए badh या baadh टाइप करते हैं। सैलाब से संबंधित अन्य लेख के लिंग के नीचे दिए गए हैं। कृपया इसे भी ज़रुर पढ़ें।

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मेरा नाम Dr MS Nashtar है. मैं एक प्रोफेशनल ब्लॉगर एवं वेब डेवलपर हूं. आप का ज्ञान व जानकारी बढ़ाने के लिए विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से लेख लिखता हूं. ईश्वर से कामना करता हूं कि आप अपने जीवन में ज्यादा सुखी और संपन्न रहें. धन्यवाद, कुल्हैया.कॉम - कामयाबी का नया रास्ता.

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Flood Essay for Students and Children

500+ words essay on flood.

Flood is one of the most dangerous natural disasters. It happens when excessive water is collected in any area. It usually happens due to heavy rainfall. India is highly prone to flood. There are many regions in the country that face this natural disaster because of the overflowing of rivers. Moreover, it also happens because of the melting of snow. Another reason for floods is when the dam breaks down. If we look at the coastal areas, the hurricanes and tsunamis are held responsible for causing floods. In this essay on flood, we will see the prevention and after-affect of flood.

flood essay

In other words, whatever the cause may be, it is equally dangerous. It has a lot of harmful consequences. Flood damages the living conditions and it takes a lot of time to recover from this disaster. Therefore, the consequences of floods must be known and steps must be taken to prevent it.

After-effects of Flood

Floods interrupt with the day to day functioning of the affected area. The severe floods sometimes cause mass destruction. A lot of people and animals lose their lives due to floods. Several others are injured. Floods also bring a rise in diseases. The stagnant water attracts mosquitoes causing malaria , dengue, and more illnesses.

Furthermore, people face power cuts due to the danger of electrocution. They also have to face expensive pricing. As the supply of food and goods gets limited, the prices naturally grow higher. This creates a big problem for the common man.

Most importantly, the whole country faces economic loss. The resources needed to rescue people and tackle this disaster demands a hefty amount. Plus, the citizens lose their houses and cars which they worked all their lives for.

Subsequently, floods also hamper the environment. It causes soil erosion and this degrades the quality of the soil. We lose out on fertile soil. Similarly, floods also damage flora and fauna. They damage crops and displace trees. Thus, the measure should be taken to avoid these grave consequences.

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Ways to Prevent flood

The government and citizens must work together to formulate ways to prevent floods. Proper awareness must be spread about the steps to take when floods occur. Warning systems must be set up so people get sufficient time to save themselves. In addition, areas that are more likely to have floods must have tall buildings above the flood level.

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Other than that, dams must be constructed strongly. The use of cheap materials causes dams to break. The government must ensure there is a quality building of dams to prevent floods.

In short, we cannot prevent natural causes like rain and the melting of glaciers. However, we can stop the manmade causes like breaking of dams, poor drainage system, installing warning systems and more. We should take inspiration from countries like Singapore that never experience floods despite having heavy rainfall for most time of the year.

FAQ on Flood Essay

Q.1 what are the consequences of a flood.

A.1 Floods cause immense destruction. They are responsible for the loss of human and animal lives. People lose their homes and cars in floods. They also cause soil erosion and uproot of trees.

Q.2 How can we prevent floods?

A.2 Governments must take up certain measures to prevent floods. We can install flood warning systems. Make people aware of what to do in times of flood. Moreover, we can also build a proper drainage system that will ensure no waterlogging.

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