अंग दान पर निबंध व इसका महत्व Essay on Organ Donation in Hindi
अंगदान एक महादान है। इसे दूसरे शब्दों में “जीवन के लिए उपहार” भी कहते हैं। यह करके हम कई लोगो को जीवनदान दे सकते है। आजकल कई सस्थायें अंगदान करने में मदद करती है, इसके लिए प्रोत्साहित करती हैं।
आजकल गुर्दे, आँख, लीवर, ह्रदय, छोटी आंत, त्वचा के टिशु जैसे अंगो की बहुत मांग है। रोज देश में हजारो लोग दुर्घटना में मरते है जिनके अंगदान से दूसरे लोगो को जीवन मिलता है। जादातर निकाले गये अंगो का प्रत्यारोपण 6 से 72 घंटे के भीतर कर दिया जाता है।
एक दाता 8 लोगो की जान बचा सकता है। जीवित रहते हुए यकृत, गुर्दा, फेफड़े, अग्न्याशय और आंत का दान किया जा सकता है।
Table of Content
आजकल हर कोई किसी न किसी रोग से ग्रस्त है। किसी का लीवर खराब है तो किसी का ह्रदय सही तरह से काम नही करता हैं। किसी के टिशू खराब हो चूका है तो किसी की आँखों की रोशनी जा चुकी है। आज पूरे विश्व में हजारो लोग सड़क व दूसरे परिवहन दुर्घटना में अपनी जान गँवा देते हैं। ऐसा कोई दिन नही होता जब लोगो की दुर्घटना में मृत्यु नही होती है।
अंगो की मांग की तुलना में उसकी पूर्ति बहुत कम है। कई लोग नही चाहते कि उनके परिजनों की मृत्यु के बाद उनके अंगो को निकाला जाये। उनके मृत शरीर को चीरा फाड़ा जाये। इसके पीछे कई बार धार्मिक कारण भी होते है, पर इस तरह की सोच सही नही है।
मृत्यु के बाद यदि हमारे अंगो से किसी को नई जिन्दगी मिल सकती है तो इसमें कोई गलत बात नही है। हमारी सोच हमेशा वैज्ञानिक होनी चाहिये। गलत धारणा की वजह से भारत में अंगदान का प्रतिशत बहुत कम है। आज हजारो लोग अंग न मिल पाने के कारण मर जाते हैं।
अंगदान किये जाने वाले प्रमुख अंग MAJOR ORAGNS TO DONATE
गुर्दा, यकृत, आंत, रक्तवाहिनी, नशे, त्वचा, हड्डियाँ, स्नायुबंधन (अस्थिबंधन) ह्रदय, अग्न्याशय, ह्रदय के वाल्व (नर्म हड्डी), रक्त, प्लेटलेट्स, ऊतक, कोर्निया (नेत्रपटल), टेंडन।
अंगदान में समस्याएँ PROBLEMS IN ORGAN DONATION
नियम है कि सड़क दुर्घटना होने पर केवल उनकी लोगो का अंग लिया जा सकता है जिनकी मृत्यु अस्पताल में हुई हो। बहुत से लोग दुर्घटना स्थल पर ही मर जाते है। ऐसे में उनसे कोई अंग नही मिल पाता है। लोग अभी जागरूक नही है। इसे गलत मानते हैं।
बहुत से लोग अपने जीवनकाल में अंग दान करने का पंजीकरण ही नही करवाते है। कैंसर, ऐड्स, संक्रमण, सेप्सिस या किसी गम्भीर बीमारी से पीढित लोग अंगदान नही कर सकते हैं।
अंगदान की प्रकिया ORGAN DONATION PROCESS
कोई भी व्यक्ति जो अंगदान करना चाहता हो उसे अपने जीवित काल में ही पंजीकरण करवाना होता है। उसे दाता कार्ड दिया जाता है। अंगदान के समय उस व्यक्ति के पास ये कार्ड होना जरूरी है। अंगदान के समय परिजनों को भी रहना जरूरी होता है।
मृत मस्तिष्क वाले व्यक्ति का अंगदान कानूनी नियम अनुसार किया जाता है। मृतक का खून का सबसे करीबी रिश्तेदार अंग दान कर सकता है। अंगदान से पूर्व परिजनों के हस्ताक्षर आवश्यक है।
- कोई भी जाति, धर्म, समुदाय का व्यक्ति अंगदान कर सकता है
- इसे किसी भी आयु में दान कर सकते हैं
- जीवित रहते हुए पंजीकरण करवाना अनिवार्य होता है
- 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को अंगदान करके के लिए माता-पिता, या रिश्तेदारों से अनुमति लेना आवश्यक होता है
- मस्तिष्क की मृत्यु होने पर केवल लीवर, आंत, गुर्दा, फेफड़े, अग्न्याशय का दान किया जा सकता है
भारत में अंगदान ORGAN DONATION IN INDIA
भारत में जनसंख्या के अनुसार अंगदान का प्रतिशत बहुत कम है। हर साल देश में 5 लाख लोगो की मौत सही समय पर अंग न मिल पाने के कारण हो जाती है। इसमें 2 लाख लोगो की मौत लीवर (यकृत) की बीमारी के कारण हो जाती है। 50 हजार लोगो की मौत दृदय की बिमारी के कारण हो जाती है।
सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं में अंगदान दिवस हर साल 13 अगस्त को मनाया जाता है। उपहार एक जीवन, मोहन फाउन्डेशन, गिफ्ट योर ऑर्गन फाउंडेशन, दधीची देहदान समिति जैसे सस्थाये अंगदान करने में सहयोग करती हैं। देश में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, केरला, दिल्ली NCR, पंजाब सबसे अधिक अंगदान करने वाले राज्य है।
अंगदान पर स्लोगन ORGAN DONATION SLOGANS IN HINDI
स्वर्ग में चाहिये स्थान, कीजिये अंगदान अंगदान, जरूरतमंद के लिए वरदान अंगदान अमृत समान, अंगदान से मिलेगा स्वर्ग में स्थान आँखों का दान, अँधेरी जिन्दगी में रोशनी करे अंगदान, फिर खिलेगी कोई मुस्कान अच्छी सोच, नेक इरादा, अंगदान से समाज को भारी फायदा
अंगों का काला बाजार ORGAN BLACK MARKETING IN INDIA
एक तरफ जहाँ हम अंगदान को प्रोत्साहन दे रहे है वही इसकी चोरी भी बहुत होने लगी है। आजकल भारत में अंगो की चोरी और काला बाजारी बहुत बढ़ गयी है। सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों में कर्मचारियों, डॉक्टरो की सांठगाँठ से मरीजो की किडनी (गुर्दा), और दूसरे अंग चोरी किये जा रहे है।
कई राज्यों में ऐसे अनेक गिरोह सक्रिय है जो भोले भाले मरीजो का अंग चोरी कर लेते है। किसी ओपरेशन के समय ऐसी चोरी की जाती है। अंगो को विदेशी मरीजो में महंगे दामो पर बेच दिया जाता है। आये दिन धोखाधड़ी का मामला उजागर होता रहता है। गरीब, कमजोर वर्ग इसका सबसे अधिक शिकार बनते हैं।
अमीर पैसे वाले लोग अपनी जान बचाने के लिए अंगो की कोई भी कीमत देने को तैयार रहते है। डॉक्टर भी पैसे के लालच में आकर अंग चोरी करते रहते हैं। हमारे देश में हर साल हजारो विदेशी मरीज आते है जिनका कोई न कोई अंग खराब होता है।
देश में अंग प्रत्यारोपण के लचीले कानून का फायदा उठाकर ऐसे लोग भ्रष्ट तरीके से अंग प्राप्त कर लेते है। कुछ गरीब मरीज पैसे के लिए अपने अंगो को बेच देते है पर कुछ का धोखे से अंग निकाल लिया जाता है।
काला बाजार में अंगो की कीमत
- किडनी- 5 से 10 लाख
- बोन मैरो- 25 लाख
- सरोगेसी (किराये की कोख)- 10 से 20 लाख
- लीवर- 5 से 10 लाख
- ह्रदय- 20 लाख से उपर
- कोर्निया- 15 लाख
- एक इंच खाल- 42 हजार रुपये के हिसाब से
निष्कर्ष CONCLUSION
ईश्वर ने हमे ऐसा अवसर दिया है कि अपनी मृत्यु के बाद भी अंगदान करके हम किसी दूसरे की मदद कर सकते हैं। अब आधुनिक चिकित्सा तकनीक हर दिन अंग प्रत्यारोपण में नई सफलता प्राप्त कर रही है। इसलिए हमे निस्वार्थ भाव से अंगदान करना चाहिये।
नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।
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One Comment
Yours essay is very good any I am very happy after reading your essay
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भारत में अंग दान और प्रत्यारोपण | Organ Donation
By Mr. Ravi Nirwal
भारत में अंग दान और प्रत्यारोपण
एक मनुष्य के पास जन्म से ही वो सभी अंग मौजूद होते हैं जो कि उसके जीवन भर काम आने वाले होते हैं और उनके जीवन को सरल बनाने में मदद करते हैं। लेकिन कई बार, ऐसी स्थितियां पैदा होती है जिसके चलते मनुष्य को अंग क्षति या विफलता का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से मनुष्य को शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ मानसिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति को प्रत्यारोपण यानि ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है ताकि व्यक्ति की समस्याओं का समाधान किया जा सकते हैं। ट्रांसप्लांट कहने-सुनने में जितना सरल लगता है वास्तव में उतना सरल नहीं होता है। किसी एक व्यक्ति के अंग को दुसरे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है जिसमें कानूनी कार्यवाही से गुजरना पड़ता है। इस लेख के जरिये हम भारत में अंग दान और प्रत्यारोपण के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे और इन परिक्रिया को समझने की कोशिश करेंगे।
अंग दान और प्रत्यारोपण क्या है? What is organ donation and transplantation?
अंग दान एक ऐसी क्रिया है जिसमें एक व्यक्ति (अंग दाता – organ donor) जिसके सभी या जरूरी अंग या ऊतक स्वस्थ हो वह शल्यचिकित्सा (surgically) द्वारा दुसरे व्यक्ति (प्राप्तकर्ता – recipient) के शरीर में प्रत्यारोपित किये जाए। इस क्रिया को प्रत्यारोपण यानि ट्रांसप्लांट कहा जाता है।
किसी भी व्यक्ति के लिए ट्रांसप्लांट जरूरी होता है क्योंकि उस व्यक्ति का अंग विफल हो गया है या किसी दुर्घटना के चलते क्षतिग्रस्त हो चूका है, अगर ऐसा नहीं किया जाए तो व्यक्ति की जान जाने का खतरा बढ़ता है। अंग प्रत्यारोपण आधुनिक चिकित्सा में महान प्रगति में से एक है। दुर्भाग्य से, अंग दाताओं की आवश्यकता वास्तव में दान करने वाले लोगों की संख्या से कहीं अधिक है। इसी वजह से मानव के अंग तस्करी (Organ trafficking) काफी बड़े पैमाने से होता है जो कि गैर-कानूनी है और ऐसा करने पर जुर्माना और जेल या दोनों तरह से की सजाएं दी जा सकती है।
किन मानव अंगों और ऊतकों को प्रतिरोपित किया जा सकता है? Which human organs and tissues can be transplanted?
जिन अंगों और ऊतकों को प्रत्यारोपित किया जा सकता है उनमें निम्नलिखित शामिल हैं :-
यकृत (Liver)
अग्न्याशय (Pancreas)
अस्थि मज्जा
संयोजी ऊतक (Connective tissue)
संवहनी मिश्रित एलोग्राफ़्ट (Vascularized composite allografts)। इसमें कई संरचनाओं का प्रत्यारोपण जिसमें त्वचा, गर्भाशय, हड्डी, मांसपेशियां, रक्त वाहिकाएं, तंत्रिकाएं और संयोजी ऊतक शामिल हो सकते हैं।
अंग दाता कौन हो सकता है? Who can be an organ donor?
सभी उम्र के लोगों को खुद को संभावित दाता समझना चाहिए। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उनका मूल्यांकन उनके चिकित्सा इतिहास और उम्र के आधार पर दाता की उपयुक्तता के लिए किया जाता है। अंग खरीद संगठन दान के लिए चिकित्सा उपयुक्तता निर्धारित करता है। अंग दान करने से पहले कानूनी पहलुओं का भी ध्यान रखना जरूरी है, अंग दाता और अंग प्राप्त करता अपने देश के कानून के अनुसार इस क्रिया को करवा सकते हैं।
अंग दान के कितने प्रकार होते हैं? How many types of organ donation are there?
अंग दान दो प्रकार के होते हैं- जीवित अंगदान और मृत अंगदान
जीवित अंग दान Living Organ Donation :- यह तब होता है जब आप एक स्वस्थ जीवित व्यक्ति से एक अंग प्राप्त करते हैं और इसे किसी ऐसे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित करते हैं जो अंतिम चरण के अंग की विफलता से पीड़ित है। यह आमतौर पर लीवर या किडनी फेल होने की स्थिति में किया जाता है (क्योंकि लीवर अपने सामान्य आकार में वापस बढ़ सकता है और एक दाता एक किडनी पर जीवित रह सकता है)।
जीवित दाताओं को या तो निकट संबंधी या दूर के रिश्तेदार/मित्र आदि के रूप में वर्गीकृत किया जाता है
एक निकट-रिश्तेदार पति/पत्नी, पुत्र/पुत्री, भाई/बहन, माता-पिता, दादा-दादी और पोते-पोतियां हैं।
निकट संबंधी के अलावा अन्य दूर के रिश्तेदार और मित्र हो सकते हैं जिन्हें अंगदान करने के लिए राज्य प्राधिकरण समिति (State Authorization Committee) की अनुमति की आवश्यकता होगी। यदि अस्पताल ऐसे मामलों पर विचार करने से इनकार करता है, तो रोगी प्रत्यारोपण अधिनियम का पालन नहीं करने के लिए अस्पताल को कानूनी नोटिस भेज सकता है।
मृत अंगदान Deceased Organ Donation :- जब हम आपके अंग दान के लिए गिरवी रखने या मृत्यु के बाद अंग दान के बारे में बात करते हैं, तो हम मृतक अंग दान के बारे में बात कर रहे हैं। यह एक ऐसे व्यक्ति का अंगदान है जिसे एक अस्पताल में अधिकृत डॉक्टरों की एक टीम द्वारा ब्रेन स्टेम मृत (brain stem dead) घोषित कर दिया गया है। एक व्यक्ति को ब्रेन स्टेम डेड कहा जाता है जब चेतना का अपरिवर्तनीय नुकसान होता है, ब्रेन स्टेम रिफ्लेक्सिस का अभाव होता है और सांस लेने की क्षमता का अपरिवर्तनीय नुकसान होता है।
बहुत से लोग सोचते हैं कि जब भी वे मरते हैं, उनके अंग दान किए जा सकते हैं। वह सत्य नहीं है। भारत में ब्रेन स्टेम डेथ की स्थिति में ही मृत्यु के बाद अंगदान संभव है। हृदय की मृत्यु के बाद दान पश्चिम में आम बात है, लेकिन भारत में हृदय की मृत्यु के बाद दान देना दुर्लभ है।
यद्यपि किसी जीवित दाता से प्राप्तकर्ता को लीवर और किडनी जैसे अंगों को आसानी से दान किया जा सकता है, हमें एक ऐसे वातावरण की दिशा में काम करना चाहिए जहां हर कोई अपनी मृत्यु के बाद अपने अंगों को दान कर दे (यदि वे कर सकते हैं), तो कोई भी जीवित व्यक्ति को ऐसा नहीं करना चाहिए। दूसरे को अंग दान करना पड़ता है।
ब्रेन डेथ क्या है और यह अंगदान से कैसे संबंधित है? What is brain death and how is it related to organ donation?
ब्रेन स्टेम डेथ या ब्रेन डेथ (brain stem death or brain death) के परिणामस्वरूप मस्तिष्क को गंभीर अपरिवर्तनीय चोट या रक्तस्राव (bleeding) होता है जिससे मस्तिष्क की सभी गतिविधि रुक जाती है। मस्तिष्क के सभी क्षेत्र क्षतिग्रस्त हो गए हैं और अब काम नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण एक व्यक्ति अपने जीवन को बनाए नहीं रख सकता है, लेकिन एक कृत्रिम समर्थन प्रणाली द्वारा शरीर के महत्वपूर्ण कार्यों को बनाए रखा जा सकता है। यह अंग दान की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण अंगों में परिसंचरण को लंबे समय तक बनाए रखता है। ब्रेन स्टेम डेड के रूप में वर्गीकृत मरीजों के अंग दान के लिए शल्य चिकित्सा द्वारा उनके अंगों को हटाया जा सकता है।
लेकिन सत्य यह है कि ब्रेन डेड व्यक्ति के ठीक होने की कोई संभावना नहीं होती है। एक बार किसी व्यक्ति को ब्रेन स्टेम डेथ या ब्रेन डेथ घोषित हो जाने के बाद, व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, लेकिन उनके अंग अभी भी जीवित हैं क्योंकि उन्हें कृत्रिम तरीकों से जीवित रखा गया है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी व्यक्ति की घर पर या कहीं और मृत्यु हो जाती है, और उसका दिल धड़कना बंद कर देता है, तो वह अपने महत्वपूर्ण अंगों को दान नहीं कर सकता है, क्योंकि जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है, उसके अंग हृदय गति रुकने के कुछ ही मिनटों में मर जाएंगे। इसलिए, जब आप अपने महत्वपूर्ण अंगों को दान कर सकते हैं, तभी आप अस्पताल में हैं और उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया है।
हृदय की मृत्यु के मामले में, आपके कॉर्निया और ऊतक जैसे हड्डियों, त्वचा को दान करना संभव है। नसों, रक्त स्टेम कोशिकाओं, रक्त और प्लेटलेट्स, टेंडॉन्स (tendons), स्नायुबंधन (ligaments), हृदय वाल्व, उपास्थि (cartilage) और यहां तक कि आपका शरीर भी दान में लिया जा सकता है।
जबकि ब्रेन डेथ की घटनाएं स्पष्ट रूप से कार्डियक डेथ (cardiac death) की तुलना में कम आम हैं, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अंगदान तभी होगा जब सभी को इस बात की जानकारी हो कि वे कब और कैसे अंग दान कर सकते हैं।
भारत में ब्रेन स्टेम डेथ डिक्लेरेशन की प्रक्रिया क्या है? What is the procedures for Brain Stem Death Declaration in India?
ब्रेन डेथ के बाद अंगदान को सख्ती से नियंत्रित किया जाता है। मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम के प्रावधानों 1994 (Transplantation of Human Organs & Tissues Act। THOTA 1994) के अनुसार ब्रेन स्टेम डेथ या ब्रेन डेथ की घोषणा के लिए प्रोटोकॉल को परिभाषित किया गया है। वास्तविक प्रत्यारोपण होने से पहले किसी भी अंग दान प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होने चाहिए :-
4 डॉक्टरों का एक पैनल, जिनमें से 2 सरकार द्वारा अनुमोदित पैनल से होने चाहिए, को ब्रेन स्टेम डेथ घोषित करने की आवश्यकता होती है। कानून के अनुसार यह परीक्षण दो परीक्षणों के बीच 6 घंटे के अंतराल के साथ दो बार किया जाना है इस पैनल को शामिल करने की आवश्यकता है। इसमें निम्न चार बिंदु हैं -
अस्पताल के प्रभारी पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी जहां ब्रेन स्टेम मौत के रोगी को भर्ती किया जाता है।
डॉक्टरों के पैनल से नामित एक पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी जिसे उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया गया हो
एक न्यूरोलॉजिस्ट/न्यूरो-सर्जन – Neurologist/Neuro-Surgeon। (यदि परीक्षण करने के लिए एक न्यूरोलॉजिस्ट / न्यूरोसर्जन उपलब्ध नहीं है, तो किसी भी सर्जन या चिकित्सक और एनेस्थेटिस्ट या इंटेंसिविस्ट को, जिन्हें उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित नामों के पैनल से चिकित्सा प्रशासक प्रभारी द्वारा नामित किया जाता है, को शामिल किया जा सकता है।)
मृतक का उपचार कर रहे पंजीकृत चिकित्सक। परीक्षणों के परिणाम थॉट अधिनियम 2014 के फॉर्म 10 पर दर्ज किए जाते हैं। परिवार की सहमति फॉर्म 8 पर प्राप्त की जाती है।
इस अंग दान प्रक्रिया का कड़ाई से पालन किया जाता है, प्रमाणित करने वाले चिकित्सकों को कैडेवर दाता अंगों के प्रत्यारोपण से किसी भी तरह से कोई दिलचस्पी या लाभ नहीं होना चाहिए। इन परिस्थितियों में मृत्यु का कानूनी समय ब्रेन स्टेम डेथ टेस्ट के दूसरे सेट के रूप में लिया जाता है। प्रमाणन अधिनियम के अनुसार निर्धारित प्रपत्रों पर किया जाना चाहिए। अस्पताल के चिकित्सा निदेशक या चिकित्सा अधीक्षक को अंत में काउंटर चेक करना चाहिए और फॉर्म पर हस्ताक्षर करना चाहिए। इन औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद ही अंगों को पुनः प्राप्त किया जाना चाहिए।
भारत में अंग प्रत्यारोपण को नियंत्रित करने वाले कानून और नियम क्या हैं? What are the laws and regulations governing organ transplantation in India?
भारत में अंगदान और प्रत्यारोपण से संबंधित प्राथमिक कानून। मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 में पारित किया गया था और इसका उद्देश्य चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए और मानव अंगों में वाणिज्यिक लेनदेन की रोकथाम के लिए मानव अंगों को हटाने, भंडारण और प्रत्यारोपण के नियमन के लिए है।
भारत में, स्वास्थ्य से संबंधित मामले प्रत्येक राज्य द्वारा शासित होते हैं। यह अधिनियम महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और गोवा (जिन्होंने इसे डिफ़ॉल्ट रूप से अपनाया था) के अनुरोध पर शुरू किया गया था और बाद में आंध्र प्रदेश और जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों द्वारा अपनाया गया था। एक नियामक ढांचे के बावजूद। मीडिया में मानव अंगों के व्यावसायिक लेन-देन के मामले सामने आए। अधिनियम की प्रभावशीलता, प्रासंगिकता और प्रभाव में कमियों को दूर करने के लिए 2009 में गोवा, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों द्वारा अधिनियम में एक संशोधन प्रस्तावित किया गया था। अधिनियम में संशोधन 2011 में संसद द्वारा पारित किया गया था, और नियमों को 2014 में अधिसूचित किया गया था। इसे प्रस्तावित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा डिफ़ॉल्ट रूप से अपनाया जाता है और अन्य राज्यों द्वारा एक प्रस्ताव पारित करके अपनाया जा सकता है।
अधिनियम के मुख्य प्रावधान (2014 के संशोधनों और नियमों सहित) इस प्रकार हैं:
A. ब्रेन डेथ को मौत के रूप में पहचाना जाता है। ब्रेन डेथ सर्टिफिकेशन के लिए प्रक्रिया और मानदंड परिभाषित (फॉर्म 10)
B. जीवित दाताओं और शवों से मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण की अनुमति देता है (हृदय या मस्तिष्क की मृत्यु के बाद)
C. प्रत्यारोपण गतिविधि की निगरानी के लिए नियामक और सलाहकार निकाय और उनका गठन परिभाषित
(i) उपयुक्त प्राधिकारी (एए) Appropriate Authority (AA): प्रत्यारोपण के लिए अस्पतालों का निरीक्षण और अनुदान देता है, अस्पतालों के लिए आवश्यक मानकों को लागू करता है, प्रत्यारोपण की गुणवत्ता की जांच के लिए नियमित निरीक्षण करता है। यह अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के संबंध में शिकायतों की जांच कर सकता है, और किसी भी व्यक्ति को बुलाने, दस्तावेजों का अनुरोध करने और तलाशी वारंट जारी करने के लिए एक दीवानी अदालत की शक्तियां हैं।
(ii) सलाहकार समिति Advisory Committee: डोमेन में विशेषज्ञों से मिलकर जो उपयुक्त प्राधिकारी को सलाह देंगे।
(iii) प्राधिकरण समिति (एसी) Authorization Committee (AC): प्रत्येक मामले की समीक्षा करके जीवित दाता प्रत्यारोपण को नियंत्रित करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जीवित दाता का मौद्रिक विचारों के लिए शोषण नहीं किया जाता है और प्रत्यारोपण में वाणिज्यिक लेनदेन को रोकने के लिए। 24 घंटे के भीतर कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग और निर्णय अधिसूचित किए जाने हैं। उनके फैसले के खिलाफ राज्य या केंद्र सरकार को अपील की जा सकती है।
(iv) मेडिकल बोर्ड (ब्रेन डेथ कमेटी) Medical board (Brain Death Committee): ब्रेन डेथ सर्टिफिकेशन के लिए जिम्मेदार डॉक्टरों का पैनल। न्यूरोलॉजिस्ट या न्यूरोसर्जन की अनुपलब्धता के मामले में, अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा प्रशासक द्वारा नामित कोई भी सर्जन, चिकित्सक, एनेस्थेटिस्ट या इंटेंसिविस्ट ब्रेन डेथ को प्रमाणित कर सकता है।
D. जीवित दाताओं को या तो निकट संबंधी या गैर-संबंधित दाता के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
(i) एक निकट संबंधी (पति/पत्नी, बच्चे, नाती-पोते, भाई-बहन, माता-पिता और दादा-दादी) को अपना अंग दान करने के लिए प्रत्यारोपण केंद्र के प्रभारी डॉक्टर की अनुमति की आवश्यकता होती है।
(ii) एक गैर-संबंधित दाता को अपने अंगों को दान करने के लिए राज्य द्वारा स्थापित प्राधिकरण समिति की अनुमति की आवश्यकता होती है।
E. स्वैप प्रत्यारोपण: जब कोई निकट संबंधी जीवित दाता प्राप्तकर्ता के साथ चिकित्सकीय रूप से असंगत हो। जोड़े को किसी अन्य संबंधित बेजोड़ दाता/प्राप्तकर्ता जोड़ी के साथ स्वैप प्रत्यारोपण करने की अनुमति है।
F. ब्रेन डेथ के बाद अंगदान के लिए प्राधिकरण
(i) मृत्यु से पहले व्यक्ति द्वारा स्वयं दिया जा सकता है या
(ii) शरीर के कानूनी कब्जे वाले व्यक्ति द्वारा। एक डॉक्टर आईसीयू में भर्ती प्रत्येक व्यक्ति के रोगी या रिश्तेदार से पूछेगा कि क्या कोई पूर्व प्राधिकरण बनाया गया था। यदि नहीं, तो रोगी या उसके निकट संबंधी को ऐसे दान को अधिकृत करने के विकल्प के बारे में अवगत कराया जाना चाहिए।
(ii) लावारिस निकायों से अंग या ऊतक दान के लिए प्राधिकरण प्रक्रिया को रेखांकित किया गया है।
G. उपयुक्त प्राधिकारी के साथ पंजीकृत होने के बाद आईसीयू सुविधा वाले किसी भी अस्पताल से अंग पुनर्प्राप्ति की अनुमति है। ब्रेन-स्टेम मृत व्यक्ति के निदान और रखरखाव के लिए आवश्यक जनशक्ति, बुनियादी ढांचे और उपकरणों के साथ गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) सुविधाओं वाला कोई भी अस्पताल, उनके अस्थायी भंडारण की सुविधा सहित अंगों और ऊतकों को पुनः प्राप्त करने और परिवहन करने के लिए, एक पुनर्प्राप्ति के रूप में केंद्र पंजीकरण कर सकता है।
H. दाता प्रबंधन, पुनर्प्राप्ति, परिवहन और संरक्षण की लागत प्राप्तकर्ता, संस्था, सरकार, गैर सरकारी संगठन या समाज द्वारा वहन की जाएगी, न कि दाता परिवार द्वारा।
I. चिकित्सकीय-कानूनी मामलों में अंगदान की प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है ताकि मृत्यु के कारण के निर्धारण को खतरे में डालने और अंगों की पुनर्प्राप्ति में देरी से बचा जा सके।
J. प्रत्यारोपण केंद्र के रूप में अस्पताल के पंजीकरण के लिए आवश्यक जनशक्ति और सुविधाएं।
K. ऊतक बैंकों के लिए आधारभूत संरचना, उपकरण आवश्यकताएं और दिशानिर्देश और मानक संचालन प्रक्रियाएं उल्लिखित।
L. प्रत्यारोपण सर्जन, कॉर्निया और ऊतक पुनर्प्राप्ति तकनीशियनों की योग्यता परिभाषित।
M. सभी प्रत्यारोपण केंद्रों में प्रत्यारोपण समन्वयकों (परिभाषित योग्यता के साथ) की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गई है।
N. अंग या ऊतक हटाने, भंडारण या प्रत्यारोपण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों, पंजीकृत समितियों और ट्रस्टों को पंजीकरण की आवश्यकता होगी।
O. केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय मानव अंगों और ऊतकों को हटाने और भंडारण नेटवर्क यानी NOTTO (राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन – National Organ & Tissue Transplant Organisation ), ROTTO (क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन – Regional Organ & Tissue Transplant Organisation ) और SOTTO (राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन – State Organ & Tissue Transplant Organisation ) की स्थापना करेगी। इसके लिए वेबसाइट www.notto.nic.in है। राष्ट्रीय या क्षेत्रीय या राज्य मानव अंगों और ऊतकों को हटाने और भंडारण नेटवर्क और उनके कार्यों को स्थापित करने का तरीका स्पष्ट रूप से बताया गया है।
P. केंद्र सरकार मानव अंगों और ऊतकों के दाताओं और प्राप्तकर्ताओं की एक रजिस्ट्री बनाए रखेगी।
Q. अधिकार के बिना अंग को हटाने, मानव अंगों की आपूर्ति के लिए भुगतान करने या प्राप्त करने या अधिनियम के किसी अन्य प्रावधान का उल्लंघन करने के लिए दंड को इस तरह की गतिविधियों के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करने के लिए बहुत कठोर बनाया गया है।
नियमों में उल्लिखित विभिन्न रूप इस प्रकार हैं:
फॉर्म 1: निकट संबंधी सहमति
फॉर्म 2: जीवनसाथी की सहमति
प्रपत्र 3: निकट संबंधी दाता की सहमति के अलावा अन्य प्रपत्र 4: दाता का मनोचिकित्सक मूल्यांकन
फॉर्म 5: एचएलए डीएनए प्रोफाइलिंग रिपोर्ट
प्रपत्र 7: मृतक दान के लिए स्व-सहमति
फॉर्म 8: परिवार से अंगदान के लिए सहमति (नाबालिगों के लिए भी लागू)
फॉर्म 9: लावारिस निकायों से अंग दान के लिए सहमति फॉर्म 10: ब्रेन डेथ डिक्लेरेशन फॉर्म
फॉर्म 11: दाता/प्राप्तकर्ता द्वारा संयुक्त प्रत्यारोपण आवेदन
फॉर्म 12: अंग प्रत्यारोपण के लिए अस्पताल का पंजीकरण
प्रपत्र 13: अंग पुनर्प्राप्ति के लिए अस्पताल का पंजीकरण
फॉर्म 16: पंजीकरण का अनुदान
प्रपत्र 17। पंजीकरण का नवीनीकरण
फॉर्म 18: अस्पताल प्राधिकरण समिति द्वारा निर्णय
फॉर्म 19: जिला प्राधिकरण समिति द्वारा निर्णय
फॉर्म 20: गैर-निकट-रिश्तेदारों के लिए डोमिसाइल का सत्यापन
फॉर्म 21: दूतावास से पत्र
अंग दान से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब Some questions and answers related to organ donation
प्रश्न :- अंग दाता बनने से, क्या इसका यह अर्थ है कि मैं सर्वोत्तम संभव चिकित्सा देखभाल प्राप्त करने के योग्य नहीं हूँ? By becoming an organ donor, does it mean that I am not eligible to receive the best possible medical care?
उत्तर :- नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं। दान करने का आपका निर्णय आपको प्राप्त होने वाली चिकित्सा देखभाल की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं करता है।
प्रश्न :- क्या अंगदान से शरीर विकृत हो जाएगा? Will organ donation disfigure the body?
उत्तर :- अंग और ऊतक दान शरीर को विकृत नहीं करता है। दान किए गए अंगों को शल्य चिकित्सा द्वारा हटा दिया जाता है, जो शरीर को विकृत नहीं करता है।
प्रश्न :- अंगदान मेरे धर्म के खिलाफ है। Organ donation is against my religion।
उत्तर :- किसी भी धर्म को अंगदान और प्रत्यारोपण पर आपत्ति नहीं है। इसके विपरीत, धर्म 'देने' का समर्थन करते हैं और जीवन देने से बड़ा और क्या हो सकता है। यदि आपको कोई संदेह है तो आप अपने धर्मगुरु से परामर्श कर सकते हैं।
प्रश्न :- मेरी उम्र 18 वर्ष से कम है। मैं यह निर्णय लेने के लिए बहुत छोटा हूँ। I am under 18 years old। I am too young to make this decision।
उत्तर :- यह सच है, कानूनी अर्थों में। लेकिन आपके माता-पिता इस निर्णय को अधिकृत कर सकते हैं। आप अपने माता-पिता को दान करने की इच्छा व्यक्त कर सकते हैं, और आपके माता-पिता यह जानकर अपनी सहमति दे सकते हैं कि यह वही है जो आप चाहते थे। बच्चों को भी अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, और उन्हें आमतौर पर उन अंगों की तुलना में छोटे अंगों की आवश्यकता होती है जो एक वयस्क प्रदान कर सकता है।
प्रश्न :- मैं दान करने के लिए बहुत बूढ़ा हूँ। कोई मेरे अंगों को नहीं चाहेगा। I am too old to donate। No one wants my parts।
उत्तर :- अंगदान करने के लिए कोई निर्धारित कटऑफ उम्र नहीं है। दाताओं से उनके 70 और 80 वर्ष में अंगों का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया है। आपके अंगों का उपयोग करने का निर्णय सख्त चिकित्सा मानदंडों पर आधारित होता है, न कि उम्र पर। समय से पहले खुद को अयोग्य न ठहराएं। आपकी मृत्यु के समय डॉक्टरों को यह तय करने दें कि आपके अंग और ऊतक प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त हैं या नहीं।
प्रश्न :- एक हिंदू के रूप में, अगर मैं अंगदान करता हूं, तो मैं अपने अगले जन्म में उनके बिना पैदा होऊंगा। As a Hindu, if I donate organs, I will be born without them in my next life।
उत्तर :- जब एक हिंदू का अंतिम संस्कार किया जाता है, तो पूरे शरीर को आग की लपटों में डाल दिया जाता है और आग से नष्ट कर दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, केवल आत्मा ही नष्ट नहीं हुआ तत्व है। भौतिक शरीर वैसे भी मृत्यु से नहीं बचता है, इसलिए अंगों का पुनर्जन्म में कोई महत्व नहीं है क्योंकि वे विनाशकारी हैं। यह शाश्वत आत्मा है जो पुनर्जन्म लेती है और जब नया जन्म मिलता है तो जीवात्मा को नया शरीर भी मिलता है।
प्रश्न :- अगर मैं अपने अंग दान करता हूं तो मेरे परिवार का शुल्क लिया जाएगा। If I donate my organs my family will be charged।
उत्तर :- दाता के परिवार से कभी भी दान करने का शुल्क नहीं लिया जाता है। आपके जीवन को बचाने के लिए सभी अंतिम प्रयासों की लागत के लिए परिवार से शुल्क लिया जाता है, और उन लागतों को कभी-कभी अंग दान से संबंधित लागतों के रूप में गलत समझा जाता है। अंग हटाने की लागत प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ता के पास जाती है।
प्रश्न :- लोग अंग खरीद और बेच सकते हैं? Can people buy and sell organs?
उत्तर :- 'मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम' 'Transplant of Human Organs Act' अंगों के किसी भी व्यावसायिक व्यवहार को प्रतिबंधित करता है और इसे एक दंडनीय अपराध बनाता है।
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Mr. ravi nirwal.
Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.
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अंग दान पर निबंध organ donation essay in hindi sample.
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Organ Donation Essay in Hindi Sample
अंग दान पर निबंध
किसी को कम भाग्यशाली बनाने में मदद करने का विचार हमारे समाज में एक नया विचार नहीं है। हालांकि, जब लोग अपने शरीर का एक हिस्सा देकर किसी की मदद करने के बारे में सोचते हैं, तो वे असुविधाजनक होते हैं। दान लाइफ अमेरिका के अनुसार, एक वेब साइट जो दान को बढ़ावा देती है, अंग दान “एक अंग या किसी अन्य व्यक्ति में प्रत्यारोपण के उद्देश्य के लिए एक अंग का हिस्सा देने की प्रक्रिया” (“दान समझना”) अंगों के अतिरिक्त (दिल, यकृत और आंख जैसे), ऊतक, रक्त, और कॉर्निया दान कर सकते हैं, जब एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। जीवन के दौरान भी अपने अंगों के अंग या संपूर्ण अंग (जैसे एक गुर्दा) दान करना संभव है।
अगर किसी को भारत में अंग दान करना हो तो उसे ऑप्ट-इन सिस्टम का पालन करना होता है जिसके तहत उसे पहले स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध एक निर्धारित फ़ॉर्म भरना होगा। भारत सरकार ने वर्ष 1994 में मानव अंगों अधिनियम के प्रत्यारोपण का कानून बनाया जिससे अंग दान की प्रतिक्रिया में काफी बदलाव आया।
डोनेट लाइफ संस्था के मुताबिक प्रत्येक दिन लगभग 6,300 लोग मर जाते है और 83,513 लोग अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं, प्रत्येक दिन 17 लोग मर जाते हैं क्योंकि उन्हें प्रत्यारोपण नहीं मिलता। ये आंकड़े बताते है की जो लोग इंतज़ार कर रहे है उन्हें बचाया जा रहा है और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने का एक अच्छा मौका है। दुखद सच यह है कि, अंगों को दान करने के इच्छुक लोगों की कमी के कारण, बहुत से लोग अपने जीवन को बचाने के लिए अंगों के लिए इंतजार करना जारी रखेंगे। इसलिए हम सबको इस मुद्दे को बहुत ही गंभीरता से लेना चाहिए और अंग दाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए महत्व पूर्ण कदम उठाने चाहिए।
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अंगदान पर निबंध – Essay on Organ Donation in Hindi
अंगदान या अंग दान एक जीवनदायिनी प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति को उनकी बीमारी या अंग विफलता के बावजूद नया जीवन देने में सक्षम है। यह एक ऐसा महान कार्य है जिसमें एक व्यक्ति मरने के बाद अपने स्वास्थ्य संरक्षित अंगों को दान देकर अन्य रोगियों को नया जीवन प्रदान कर सकता है। इस निबंध में, हम अंगदान के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे, जैसे कि अंगदान की आवश्यकता, इसके महत्व, प्रक्रिया, कानूनी पहलू, और समाज में इसे बढ़ावा देने के उपाय।
Table of Contents
अंगदान की आवश्यकता और महत्व
अंगदान की आवश्यकता बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कई लोगों की जिंदगी बचा सकता है। विभिन्न अंगों जैसे कि गुर्दा, यकृत, हृदय, फेफड़े आदि की आवश्यकता गंभीर रोगियों को होती है, जिनके जीवन मरण का प्रश्न होता है। एक अंगदानकर्ता की मदद से कई व्यक्तियों का जीवन बचाया जा सकता है। आंकड़ों के अनुसार, हजारों लोग हर साल अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में होते हैं, और इनमें से अधिकांश को समय पर अंग नहीं मिल पाता।
अंग प्रत्यारोपण की समस्याएं
अंगदान की कमी एक महत्वपूर्ण समस्या है। मस्तिष्क मृत्यु होने के बाद भी अंगों का उपयोग किया जा सकता है, परंतु भ्रामक धारणाएँ, सामाजिक मिथक, और सही जानकारी का अभाव अंगदान की प्रक्रिया को अवरुद्ध कर देता है। भारत में अंगदान की अवधारणा को बढ़ाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसमें जागरूकता और शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है।
अंगदान की प्रक्रिया
अंगदान की प्रक्रिया को निम्नलिखित चरणों में समझा जा सकता है:
1. मस्तिष्क मृत्यु का प्रमाणन
अंगदान करने वाले व्यक्ति को मस्तिष्क मृत घोषित किया जाना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि केवल मस्तिष्क मृत व्यक्ति के अंग ही दान किए जा सकते हैं। मस्तिष्क मृत्यु की पुष्टि चिकित्सा विशेषज्ञों के दल द्वारा की जाती है, जो कि भारतीय अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (Transplantation of Human Organs Act, 1994) के तहत अनुमोदित होते हैं।
2. अंगदान की सहमति
मस्तिष्क मृत घोषित होने के बाद, परिवार के सदस्यों से अंगदान की सहमति ली जाती है। यह एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि परिवार की स्वीकृति के बिना अंगदान नहीं किया जा सकता है।
3. अंगों का चयन और निकासी
सहमति मिल जाने के बाद, अंगों का चयन और निकासी चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा की जाती है। स्वीकृत अंगों को शरीर से निकालकर विशेष प्रकार की देखरेख और परिवहन प्रक्रियाओं का पालन कर उन्हें प्रत्यारोपण के लिए तैयार किया जाता है।
अंग प्रत्यारोपण अधिनियम और कानूनी पहलू
भारत में अंग प्रत्यारोपण और अंगदान के लिए कानूनी प्रावधान 1994 में पारित भारतीय अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (Transplantation of Human Organs Act, 1994) के तहत किया गया है। इसके अंतर्गत मस्तिष्क मृत्यु की परिभाषा, अंगदान की प्रक्रिया, और गैर-कानूनी अंग व्यापार पर नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं।
अधिनियम में निम्नलिखित पहलुओं पर भी जोर दिया गया है:
- मस्तिष्क मृत्यु की स्वीकृति और प्रमाणन
- परिवार की स्वीकृति का महत्व
- अवैध अंग व्यापार और तस्करी पर कठोर प्रतिबंध
- अंगदान के लिए स्वास्थ्य संस्थानों का पंजीकरण
- जागरूकता और शिक्षा प्रसार
समाज में अंगदान को बढ़ावा देने के उपाय
अंगदान की महत्वपूर्णता को देखते हुए इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाज में इसे बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं:
1. सार्वजनिक जागरूकता अभियान
अंगदान के बारे में समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाना बेहद आवश्यक है। इस अभियान के तहत विभिन्न माध्यमों जैसे टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया, और सार्वजनिक सम्मेलनों के माध्यम से वास्तविक जानकारी और तथ्यों को फैलाया जा सकता है।
2. शिक्षा और प्रशिक्षण
स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में अंगदान के बारे में शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने से युवाओं के बीच जागरूकता बढ़ाई जा सकती है। इससे वे न केवल अंगदान के महत्व को समझेंगे, बल्कि इसके लिए तैयार भी हो सकेंगे।
3. स्वास्थ्य समुदाय की भूमिका
स्वास्थ्य समुदाय जैसे डॉक्टर, नर्स, और स्वास्थ्यकर्मी अंगदान के महत्व को समाज में अधिक बढ़ा सकते हैं। वे अपने रोगियों और उनके परिवारों के साथ अंगदान की प्रक्रिया और महत्व को साझा करके उन्हें इसके लिए प्रेरित कर सकते हैं।
4. कानूनी और प्रशासनिक सुधार
अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत कानूनी और प्रशासनिक सुधार करना आवश्यक है। इसके अंतर्गत अवैध अंग व्यापार पर कठोर नियंत्रण, अंगदान की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाना, और परिवारों को आवश्यक समर्थन प्रदान करना शामिल है।
अंगदान एक अत्यंत निस्वार्थ और महान कार्य है, जो जीवन को नई दिशा और नया अवसर प्रदान करता है। समाज में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना और अंगदान को बढ़ावा देना हम सबकी जिम्मेदारी है। अंगदान के महत्व को समझकर और इसके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर हम अनेक जीवन बचा सकते हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
अंततः, अंगदान को केवल एक चिकित्सा प्रक्रिया के रूप में नहीं, बल्कि एक पवित्र कार्य के रूप में देखने की आवश्यकता है। यह न केवल जीवन देने का कार्य है, बल्कि मानवता की सबसे बड़ी सेवाओं में से एक है।
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अंगदान पर निबंध
By विकास सिंह
अंग दान समाज के लिए एक चमत्कार साबित हुआ है। प्रत्यारोपण के उद्देश्य से गुर्दे, हृदय, आंखें, यकृत, छोटी आंत, हड्डियों के ऊतकों, त्वचा के ऊतकों और नसों जैसे अंग दान किए जाते हैं। दाता इस नेक काम के तरीके से प्राप्तकर्ता को एक नया जीवन देता है।
दुनिया भर में अंग दान को प्रोत्साहित किया जाता है। विभिन्न देशों की सरकार ने अंग दान को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रणालियों को रखा है। हालांकि, उनकी आपूर्ति की तुलना में अंगों की मांग अभी भी काफी अधिक है। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए। आपकी परीक्षा में अंग दान के विषय में आपकी सहायता करने के लिए अलग-अलग लंबाई के निबंध हैं।
अंगदान पर निबंध, essay on organ donation in hindi (200 शब्द)
अंग दान जीवित और मृतक दाताओं दोनों द्वारा किया जाता है। जीवित दाता दो किडनी, एक फेफड़े या फेफड़े का एक हिस्सा, उनके जिगर के दो पालियों में से एक, आंतों का एक हिस्सा या अग्न्याशय का एक हिस्सा दान कर सकते हैं। जबकि एक मृतक दाता यकृत, गुर्दे, फेफड़े, आंत, अग्न्याशय, कॉर्निया ऊतक, त्वचा ऊतक, कण्डरा और हृदय वाल्व दान कर सकता है।
अंग दान की प्रक्रिया अलग-अलग होती है। इस प्रक्रिया को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है – ऑप्ट इन और ऑप्ट आउट। ऑप्ट-इन सिस्टम के तहत, किसी को ऑप्ट-आउट सिस्टम में दान के लिए अपने अंगों को दान करने के लिए रजिस्टर करने की आवश्यकता होती है, जब तक कि वह इसका विरोध नहीं करता / करती तब तक हर व्यक्ति डोनर पोस्ट डेथ हो जाता है।
अंगों की भारी मांग है। यह दुखद है कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कितने लोग हर साल अंग प्रत्यारोपण के इंतजार में मर जाते हैं। विभिन्न देशों की सरकारें अंगों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कदम उठा रही हैं और कुछ हिस्सों में दानदाताओं की संख्या बढ़ी है। हालांकि, अंगों की आवश्यकता एक साथ बहुत तेज गति से बढ़ी है।
अंग दान पर निबंध, essay on organ donation in hindi (300 शब्द)
प्रस्तावना:.
अंग दान तब होता है जब किसी व्यक्ति के शरीर के किसी अंग को उसकी सहमति के साथ हटा दिया जाता है जबकि वह अनुसंधान या प्रत्यारोपण के उद्देश्य से अपनी मृत्यु के बाद अपने परिवार के सदस्य की सहमति से होता है। रिसीवर को नया जीवन देने के लिए किडनी, लिवर, फेफड़े, हृदय, हड्डियां, अस्थि मज्जा, कॉर्निया, आंत और त्वचा का प्रत्यारोपण किया जाता है।
अंग दान की प्रक्रिया:
जीवित दाता: जीवित दाताओं को अंग दान से पहले पूरी तरह से चिकित्सा परीक्षणों से गुजरना पड़ता है। इसमें दाता का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन भी शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह दान के परिणामों को समझता है और इसके लिए सही मायने में सहमति देता है।
मृतक दाता: मृतक दाताओं के मामले में, पहले यह सत्यापित किया जाता है कि दाता मर चुका है। मृत्यु का सत्यापन आमतौर पर एक न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा कई बार किया जाता है। यह निर्धारित किया जाता है कि क्या उसका कोई अंग दान किया जा सकता है।
मृत्यु के बाद, अंगों को अच्छी स्थिति में रहने के लिए शरीर को एक यांत्रिक वेंटिलेटर पर रखा जाता है। अधिकांश अंग केवल कुछ घंटों के लिए शरीर के बाहर काम करते हैं और इस तरह यह सुनिश्चित किया जाता है कि वे हटाने के तुरंत बाद प्राप्तकर्ता तक पहुंच जाएं।
मांग और आपूर्ति के बीच अंतर:
दुनिया भर के दाताओं की संख्या की तुलना में अंगों की मांग काफी अधिक है। हर साल कई मरीज डोनर के इंतजार में मर जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में 200,000 किडनी की औसत वार्षिक मांग के मुकाबले केवल 6,000 ही प्राप्त होते हैं। इसी तरह, दिलों की औसत वार्षिक मांग 50,000 है, जबकि उनमें से 15 प्रतिशत उपलब्ध हैं।
अंग दान करने वालों की संख्या बढ़ाने के लिए अंग दान की आवश्यकता को जनता के बीच संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं जैसे टीवी और इंटरनेट के माध्यम से जागरूकता फैलाना। हालाँकि, हमें अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।
निष्कर्ष:
अंग दान किसी व्यक्ति के जीवन को बचा सकता है। इसके महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उसी को प्रोत्साहित करने के लिए अंग दान के लिए एक उचित प्रणाली रखी जानी चाहिए।
अंगदान पर निबंध, essay on organ donation in hindi (400 शब्द)
अंग दान अंग या ऊतक को शल्य चिकित्सा द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जगह देने या अनुसंधान प्रयोजन के लिए उपयोग करने की अनुमति देने की प्रक्रिया है। यह जीवित रहने या मृत्यु के बाद परिजनों की सहमति से दान दाता की सहमति से किया जाता है। दुनिया भर में अंग दान को प्रोत्साहित किया जाता है।
गुर्दा, यकृत, फेफड़े, हृदय, हड्डियां, अस्थि मज्जा, त्वचा, अग्न्याशय, कॉर्निया, आंत और त्वचा आमतौर पर प्राप्तकर्ता को नया जीवन प्रदान करने के लिए प्रत्यारोपण के लिए उपयोग किया जाता है। अंग दान ज्यादातर दाता की मृत्यु के बाद किया जाता है। हालांकि, कुछ अंगों और ऊतकों जैसे किडनी, एक फेफड़े का लोब, यकृत, आंत या अग्न्याशय के हिस्से को जीवित दाताओं द्वारा भी दान किया जा सकता है।
अंग दान सहमति प्रक्रिया:
अंग दान की बात आती है तो दो तरह की सहमति होती है। ये स्पष्ट सहमति और प्रकल्पित सहमति हैं।
स्पष्ट सहमति: इसके तहत दाता पंजीकरण और देश के आधार पर अन्य आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के माध्यम से एक प्रत्यक्ष सहमति प्रदान करता है। प्रकल्पित सहमति: इसमें डोनर या परिजनों की सीधी सहमति शामिल नहीं है। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह माना जाता है कि दान की अनुमति संभावित दानदाता द्वारा दी गई होती है, यदि सहमति हो जाती है। संभावित दाताओं में लगभग पच्चीस प्रतिशत परिवार अपने प्रियजन के अंगों के दान से इनकार करते हैं।
भारत में अंग दान:
कानून द्वारा वैध भारतीय कानून के अनुसार अंग दान कानूनी हैं। ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एक्ट (THOA), 1994 जो भारत सरकार द्वारा लागू किया गया है, अंग दान की अनुमति देता है और मस्तिष्क मृत्यु की अवधारणा को वैध करता है।
प्रलेखन और औपचारिकताएं दानकर्ता को एक निर्धारित फॉर्म भरना आवश्यक है। अंग दान के लिए अस्पताल या अन्य चिकित्सा सुविधा से संपर्क किया जा सकता है या स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत की परिवार कल्याण सरकार की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है।
मृतक दाता के मामले में, निर्धारित आवेदन पत्र में कानूनन संरक्षक की लिखित सहमति आवश्यक है।
आंकड़े जैसा कि बाकी दुनिया के मामले में है, भारत में अंगों की मांग उनकी आपूर्ति की तुलना में बहुत अधिक है। देश में दान किए गए अंगों की एक बड़ी कमी है। कई मरीज प्रतीक्षा सूची में हैं और उनमें से कई अंग प्रत्यारोपण के इंतजार में मौत के मुंह में चले जाते हैं।
उसी को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार अंग प्रत्यारोपण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रयास कर रही है। हालांकि, दानदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
अंगदान पर निबंध, essay on organ donation in hindi (500 शब्द)
अंग दान से तात्पर्य एक जीवित प्राप्तकर्ता को अंगों या ऊतकों को देने की प्रक्रिया से है जिसे प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। अंग दान ज्यादातर मृत्यु के बाद किया जाता है। हालांकि, कुछ अंगों को एक जीवित दाता द्वारा भी दान किया जा सकता है।
प्रत्यारोपण के उद्देश्य के लिए ज्यादातर जिन अंगों का उपयोग किया जाता है उनमें गुर्दे, यकृत, हृदय, अग्न्याशय, आंत, फेफड़े, हड्डियां और अस्थि मज्जा शामिल हैं। प्रत्येक देश अंग दान की अपनी प्रक्रिया का पालन करता है। यहाँ एक नज़र है कि विभिन्न देश अंग दान को कैसे प्रोत्साहित और संसाधित करते हैं।
अंग दान प्रक्रिया:
हालांकि कुछ देश ऑर्गन डोनेशन ऑप्ट-इन प्रक्रिया का पालन करते हैं, जबकि अन्य में ऑप्ट-आउट प्रक्रिया होती है। अंग दान की इन दो प्रक्रियाओं के बीच अंतर पर एक नज़र है:
ऑप्ट इन सिस्टम: ऑप्ट-इन सिस्टम में, लोगों को मृत्यु के बाद अपने अंगों के दान के लिए नियमित रूप से साइन अप करना होता है। ऑप्ट आउट सिस्टम: इस प्रणाली के तहत, अंग दान स्वचालित रूप से तब तक होता है जब तक कि कोई व्यक्ति विशेष रूप से मृत्यु से पहले बाहर निकलने का अनुरोध नहीं करता है।
विभिन्न देशों में अंग दान
इंडिया जब अंग दान की बात आती है तो भारत ऑप्ट-इन सिस्टम का अनुसरण करता है। जो कोई भी अंग दान करना चाहता है, उसे भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध एक निर्धारित फॉर्म भरना होगा।
ब्रेन डेथ के बाद अंग के वाणिज्य को नियंत्रित करने और दान को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार वर्ष 1994 में कानून, द ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एक्ट के साथ आई। इससे देश में अंग दान के संदर्भ में काफी बदलाव आया।
स्पेन अंग दान में स्पेन विश्व में अग्रणी माना जाता है। यह अंग दान के लिए ऑप्ट-आउट प्रणाली का अनुसरण करता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राज्य में अंगों की आवश्यकता तीव्र गति से बढ़ रही है। यद्यपि अंग दाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है, हालांकि, अंगों की प्रतीक्षा करने वाले रोगियों की संख्या बहुत अधिक दर से बढ़ी है। संयुक्त राज्य में अंग दान केवल दाता या उनके परिवार की सहमति से किया जाता है। हालांकि, यहां कई संगठन ऑप्ट-आउट अंग दान के लिए जोर दे रहे हैं।
यूनाइटेड किंगडम यूनाइटेड किंगडम में अंग दान स्वैच्छिक है। जो व्यक्ति मृत्यु के बाद अपने अंगों का दान करना चाहते हैं, वे उसी के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।
ईरान यह एकमात्र देश है जो प्रत्यारोपण अंगों की कमी को दूर करने में सक्षम है। यह अंग दान के लिए एक कानूनी भुगतान प्रणाली है और यह एकमात्र देश भी है जिसने अंग व्यापार को वैध बनाया है।
जापान अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में जापान में अंग दान काफी कम है। यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक कारणों, पश्चिमी दवाओं में अविश्वास और 1968 में एक विवादास्पद अंग प्रत्यारोपण के कारण हुआ।
कोलंबिया कोलंबिया में, अगस्त 2016 में पारित 180 कानून 1805 ’ने अंग दान के लिए ऑप्ट-आउट नीति पेश की।
चिली चिली ने कानून के तहत अंग दान के लिए ऑप्ट-आउट नीति का विकल्प चुना, जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिक अंगों का दान करेंगे जब तक कि वे मृत्यु से पहले विशेष रूप से इनकार नहीं करते।
दुनिया भर के अधिकांश देश कम अंग दाता दर से पीड़ित हैं। इस मुद्दे को अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए। अंग दान की दर को बढ़ाने के लिए कानूनों को प्रोत्साहित करने के लिए रखा जाना चाहिए।
अंगदान पर निबंध, organ donation essay in hindi (600 शब्द)
अंग दान एक जीवित या मृत दाता के अंगों का सर्जिकल निष्कासन होता है, ताकि उसे प्राप्त करने के लिए उसे एक नया जीवन प्रदान किया जा सके। दुनिया भर में अंग दान को प्रोत्साहित किया गया है। हालांकि, मानव अंगों की मांग आपूर्ति से बहुत आगे निकल जाती है। दुनिया भर में अंग दान की कम दर को विभिन्न कारणों से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इन कारणों पर नीचे विस्तार से चर्चा की गई है।
टेलियोलॉजिकल मुद्दे:
काला बाजार अंग दान की नैतिक स्थिति बहस का मुद्दा है। जबकि कुछ इसके पक्ष में तर्क देते हैं, अन्य अवधारणा के बिल्कुल खिलाफ हैं। यह देखा गया है कि जो लोग अपने अंगों का दान करते हैं, वे आम तौर पर समाज के गरीब तबके से होते हैं और जो लोग इनका खर्च उठा सकते हैं, वे काफी हद तक बंद होते हैं। इस प्रकार व्यापार में असंतुलन है।
यह देखा गया है कि जो लोग अंगों की खरीद कर सकते हैं, वे उन लोगों का फायदा उठा रहे हैं जो बेचने के लिए बेताब हैं। इसे अमीरों और गरीबों के बीच स्थिति की बढ़ती असमानता के कारणों में से एक कहा जाता है। दूसरी ओर, यह तर्क दिया जाता है कि जो लोग अपने अंगों को बेचना चाहते हैं, उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उन्हें रोकना केवल उनकी स्थिति को खराब करने में योगदान दे रहा है।
जो लोग अंग व्यापार के पक्ष में हैं, उनका तर्क है कि शोषण मृत्यु के लिए बेहतर है और इसलिए अंग व्यापार को वैध बनाना चाहिए। हालांकि, एक सर्वेक्षण के अनुसार, बाद में जीवन में जीवित दाताओं ने अपने अंगों को दान करने के अपने निर्णय पर पछतावा किया।
अंग चोरी के कई मामले भी सामने आए हैं। जबकि ऑर्गन मार्केट के वैधीकरण के समर्थन में लोगों का कहना है कि व्यापार के काले बाजार की प्रकृति के कारण ऐसा होता है, जबकि अन्य कहते हैं कि इसे वैध करने से केवल ऐसे अपराधों का उदय होगा क्योंकि अपराधी आसानी से यह बता सकता है कि बेचा जा रहा अंग नहीं है चोरी हो गया।
डोनटोलॉजिकल मुद्दे:
इन्हें कार्रवाई करने के लिए किसी व्यक्ति के नैतिक कर्तव्य द्वारा परिभाषित किया गया है। दुनिया के लगभग सभी समाजों का मानना है कि स्वेच्छा से अंगों का दान करना नैतिक रूप से स्वीकार्य है। कई विद्वानों का मानना है कि सभी को मृत्यु के बाद अपने अंगों का दान करना चाहिए।
हालांकि, निर्विवाद नैतिकता के दृष्टिकोण से मुख्य मुद्दा जीवन, मृत्यु, शरीर और मानव की परिभाषाओं पर बहस है। यह तर्क दिया गया है कि अंग दान आत्मघात का कारण है। प्राप्तकर्ता के समान जीनोटाइप वाले अंगों के साथ आने के लिए क्लोनिंग का उपयोग एक और विवादास्पद विषय है।
एक्सनोट्रांसप्लांटेशन जो मानव शरीर में जानवरों के अंगों का स्थानांतरण है, ने भी हलचल पैदा कर दी है। हालांकि इससे अंगों की आपूर्ति में वृद्धि हुई है, लेकिन इसे बहुत आलोचना भी मिली है। कुछ पशु अधिकार समूहों ने अंग दान के लिए जानवरों के बलिदान का विरोध किया है। प्रत्यारोपण के इस नए क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाने के लिए अभियान चलाए गए हैं।
धार्मिक मुद्दे:
अंग दान के संबंध में विभिन्न धार्मिक समूहों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। हिंदू धर्म लोगों को अंग दान करने से मना नहीं करता है। हिंदू धर्म के पैरोकारों का कहना है कि यह एक व्यक्तिगत पसंद है। बौद्ध एक ही दृष्टिकोण को साझा करते हैं।
कैथोलिक इसे प्रेम और दान का कार्य मानते हैं। यह उनके अनुसार नैतिक और नैतिक रूप से स्वीकार्य है। ईसाई चर्च, इस्लाम, यूनाइटेड मेथोडिस्ट और यहूदी धर्म अंग दान को प्रोत्साहित करते हैं। हालाँकि, जिप्सी इसका विरोध करते हैं क्योंकि वे बाद में मानते हैं। शिंतोस भी इसके खिलाफ है क्योंकि उनका मानना है कि शव को घायल करना एक जघन्य अपराध है।
इसके अलावा, किसी देश की राजनीतिक प्रणाली भी अंग दान को प्रभावित करती है। यदि सरकार उचित समर्थन प्रदान करती है तो अंग दान की दर बढ़ सकती है। प्रत्यारोपण दर में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण, देखभाल, सुविधाएं और पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
ऊपर उल्लिखित विभिन्न मुद्दों के कारण अंगों की मांग हमेशा उनकी आपूर्ति से अधिक रही है। अंग दाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए इन मुद्दों पर ध्यान देने और उन पर काम करने की आवश्यकता है।
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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- वीमेन हेल्थ
World Organ Donation Day : अगर आप भी ऑर्गन डोनेट कर किसी का जीवन बचाना चाहती हैं, तो जानिए क्या है इसकी प्रक्रिया
शरीर का हर अंग महत्वपूर्ण है। खासतौर से इंटरनल ऑर्गन, इतने ज्यादा महत्वपूर्ण हैं कि किसी एक अंग के खराब होने पर भी व्यक्ति के जीवन पर संकट आ सकता है। मगर आज मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है, कि उस अंग के बदले नया अंग लगाकर व्यक्ति का जीवन बचाया जा सकता है। मगर दुर्भाग्य से अब भी हमारे पास इनकी पर्याप्त संख्या मौजूद नहीं है। भारत में कई लोग ऑर्गन फेलियर के बाद नया ऑर्गन न मिलने के कारण अपनी जान गवां देते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है जागरुकता की कमी। अंग दान के महत्व और इसके प्रति लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य ये ही हर वर्ष 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस (World Organ Donation Day) मनाया जाता है।
हेल्थ शॉट्स ने वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे के मौके पर डीपीयू प्राइवेट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पिंपरी पुणे के सीनियर कंसल्टेंट, एचपीवी और लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ मनोज डोंगर से बात की। डॉ मनोज ने अंग दान संबंधी जरूरी जानकारियां हमारे साथ साझा कीं।
लोगों में अंगदान यानी कि ऑर्गन डोनेशन के प्रति जागरुकता पैदा करना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके लिए स्वास्थ्य संस्थान, स्कूल, कॉलेज जैसी सभी जगहों पर योजनाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जा रही है। एक व्यक्ति मृत्यु के बाद लगभग 7 से 8 लोगों को नई जिंदगी दे सकता है।
वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे 2023 (World Organ Donation Day)
हर साल 13 अगस्त को विश्व अंग दान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मानाने का मुख्य मकसद अंग दान यानि की ऑर्गन डोनेशन के महत्व के बारे में लोगों के बिच जागरूकता फैलाना है और इसे लेकर लोगों के बिच बनी अवधारणाओं की सच्चाई से उन्हें अवगत करवाना है। इस दिन स्वास्थ्य संगठनों द्वारा तमाम योजनाएं चलाई जाती हैं जिसका एकमात्र उद्देश्य मुख्य रूप से अधिक जीवन बचाने के लिए मृत्यु के बाद अंग दान करने के महत्व पर लोगों को प्रोत्साहित करना और शिक्षित करना है।
भारत में केवल 0.2 प्रतिशत हृदय मरीजों को ही मिल पाता है जीवन
एम्स के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास के अनुसार, “हृदय मानव शरीर में सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, और इसकी विफलता जीवन के लिए खतरा हो सकती है। 85 सफल हृदय परीक्षण करने के लिए हमें एम्स की चिकित्सा टीमों पर गर्व है।” हार्ट ट्रांसप्लांट हृदय रोगों (सीवीडी) के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो देश में मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण हैं।
भारत में लगभग 10 मिलियन मरीज हृदय विफलता से पीड़ित हैं, जिनमें से 50,000 को हार्ट ट्रांसप्लांटेशन की आवश्यकता होती है। हालांकि, भारत में हर साल केवल 90 से 100 हार्ट ट्रांसप्लांट किये जाते हैं। इसका मतलब यह है कि प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले केवल 0.2% मरीज ही जीवित बचते हैं बाकी मरीज या तो अपनी जान गवां देते हैं या कुछ दिन तक अस्वथ जिंदगी जीते हैं।
जागरुकता की कमी, अंग दान की कम संख्या, प्रत्यारोपण के लिए अंगों की उपलब्धता और प्रत्यारोपण की मांग के बीच अंतर में योगदान देने वाला एक प्रमुख कारक हैं। इसलिए लोगों के बिच इस विषय को लेकर उचित जानकारी और जागरूकता होनी चाहिए।
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच बंद कर देने चाहिए स्कूल?
- अभी इसकी जरूरत नहीं
- हां, ये जरूरी है
जानें क्या हैं ऑर्गन डोनेशन के आंकड़े
स्वास्थ्य मंत्रालय के अपने आंकड़ों के अनुसार, 2014 में डोनर की संख्या (मृतकों सहित) 6,916 से बढ़कर 2022 में केवल 16,041 हुई। यह आकड़ा बेहद कम है। इंडियन सोसाइटी ऑफ ऑर्गन ट्रांसप्लांट्स के सचिव विवेक कुटे के अनुसार भारत में मृतक अंग दान की संख्या प्रति एक मिलियन व्यक्ति पर एक है। हालांकि, भारत की तुलना में विदेशों में अंग दान दर अधिक है, क्योंकि वहां लोग अधिक जागरुक और शिक्षित हैं।
समझें क्यों जरूरी है अंग दान करना (Importance of donate an organ)
अंग दान प्राप्तकर्ताओं को लंबे समय तक जीवित रहने और जीवन की उच्च गुणवत्ता प्राप्त करने की अनुमति देता है। ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन किसी व्यक्ति का जीवन बचा सकता है और ट्रांसप्लांटेशन तब ही मुमकिन है जब कोई व्यक्ति अपना ऑर्गन डोनेट करे।
नेत्र और टिशू दान के माध्यम से, एक अंग दाता सात लोगों की जान बचा सकता है और कई लोगों को लाभान्वित कर सकता है। इसके लिए डोनर को जीते जी ऑर्गन डोनेशन की साईट पर रजिस्टर करवाना होता है और डोनर के मृत्यु के बाद उनके परिवार के सदस्यों को अंगों और ऊतकों को दान करने के लिए सहमति देनी होती है।
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अब जानें ऑर्गन डोनेशन के लिए खुद को कैसे करना है रजिस्टर
यदि कोई व्यक्ति ऑर्गन डोनर बनना चाहता है, तो उन्हें बताये गए इन स्टेप्स को फॉलो करने की आवश्यकता है। तो क्यों न आज वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे के मौके पर खुदको डोनेशन के लिए रजिस्टर करें। ऐसा करने से आप किसी की जान बचा सकती हैं। यह एक सकारात्मक भावना है जो आपको मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करेगा।
स्टेप 1 : आधिकारिक वेबसाइट से डोनर फॉर्म डाउनलोड करें। यह निःशुल्क है और इसमें कोई लागत शामिल नहीं है। कुछ वेबसाइटें जो आपको अंग दाता बनने की अनुमति देती हैं उनमें नेशनल ऑर्गन टिशू ट्रांसप्लांट (NOTTO), रीजनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांस्पलेंट (ROTTO) शामिल हैं, जो सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज की वेबसाइट और मुंबई में KEM हॉस्पिटल, govt, मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल ओमनादुरार, चेन्नई में मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, इंस्टीट्यूट ऑफ पीजी मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, कोलकाता और असम में गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज सहित अन्य।
स्टेप 2 : फॉर्म डाउनलोड करने के बाद, “अंग (organ)/देह (body) दान” फॉर्म भरें।
स्टेप 3 : इसके बाद, आपको डोनर फॉर्म पर दो गवाहों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होगी, जिनमें से एक व्यक्ति डोनर का करीबी रिश्तेदार होना चाहिए।
स्टेप 4 : यदि आपका अनुरोध स्वीकार कर लिया जाता है, तो रेजिस्ट्रेशन नंबर वाला एक डोनर कार्ड आपके आधिकारिक पते पर भेजा जाएगा।
स्टेप 5 : एक बार जब कोई व्यक्ति डोनर बन जाता है, तो उसे यह निर्णय अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करनी चाहिए।
नोट : यदि किसी व्यक्ति ने पहले से रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया होता है और हॉस्पिटल में या घर पर ऑर्गन डोनेशन पेपर पर हस्ताक्षर किए बिना यदि उनकी मृत्यु हो जाती है तो अस्पताल अपंजीकृत दान भी स्वीकार करता है। उस स्थिति में, परिवार का कोई सदस्य सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद मृत व्यक्ति के अंगों को दान करने का निर्णय ले सकता है।
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इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ... और पढ़ें
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अंग दान पर भाषण
अंग दान निस्संदेह मानवीय कार्यों में से एक है लेकिन बहुत से लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं और इसके अतिरिक्त इसके साथ विभिन्न बुराइयां भी जुड़ी हैं। जो लोग अशिक्षित या आंशिक रूप से शिक्षित हैं वे अंग दान करना बुद्धिमानी भरा कदम नहीं मानते हैं। इसलिए यह उन लोगों की ज़िम्मेदारी बन जाती है जो इस तरह की प्रक्रियाओं से अवगत हैं और लोगों के दिमाग को बदलकर हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। आप अंग दान पर भाषण लिखकर और विभिन्न सार्वजनिक मंचों पर इसे बोलकर, ऐसा कर सकते हैं।
अंग दान पर लंबे और छोटे भाषण (Long and Short Speech on Organ Donation in Hindi)
नमस्कार देवियों और सज्जनों – कैसे हैं आप सब।
सबसे पहले मैं इस अंग दान शिविर को सफल बनाने के लिए आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं। हम सभी जानते हैं अंग दान का उन लोगों के लिए अत्यधिक महत्व है जो अपनी शारीरिक बीमारियों के कारण दुखदाई स्थिति में रह रहे हैं।
तो मैं – डॉ निखिल सक्सेना (आज के लिए आपका मेजबान) – अंग दान नामक इस संवेदनशील विषय को संबोधित करने जा रहा हूं और साथ ही अपने व्यक्तिगत विचार भी साझा करूँगा। क्या आप जानते हैं कि वर्तमान समय में वे मुख्य मुद्दे कौन से हैं जिनसे हमारा समाज जुड़ा हुआ है? मुख्य मुद्दा दवाओं का अवैध व्यापार और शराब का अत्यधिक सेवन है और साथ ही खतरनाक दर से बढ़ता मोटापे का स्तर भी है।
मुझे यकीन है कि आप में से किसी को भी हमारे समाज में अंग दाताओं की कमी महसूस नहीं हुई है और इसलिए हमारे मरीजों के लिए अंगों की उपलब्धता की कमी है। अंग वास्तव में उन लोगों के जीवन के लिए उपहार हैं जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है और इसलिए इसकी कमी हमारे लिए चिंता का एक गंभीर कारण है क्योंकि इसकी कमी की वजह से रोगी अपना जीवन भी खो सकता है।
हमारा समाज जो स्वास्थ्य की देखभाल और औषधीय केंद्रों से लैस है निश्चित रूप से इसको नज़रंदाज़ नहीं कर सकता या किसी व्यक्ति को उसके मौलिक अधिकार, जीने का अधिकार, से वंचित नहीं कर सकता है। वर्तमान समय में अंग प्रत्यारोपण वास्तव में आधुनिक विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। लेकिन मुख्य तथ्य वही है यानी अंग की उपलब्धता पूरी तरह से अंगदाता और उसके परिवार की उदारता पर निर्भर करती है।
निश्चित रूप से हर व्यक्ति, जो मानवता की ओर दयालु है और किसी और को उसके दर्द से सहानुभूति दे सकता है, वह मौत के बाद अपने अंगों को दान करने की कोशिश कर सकता है और उन लोगों को जीवन का उपहार दे सकते हैं जिन्हें अंगों की सबसे अधिक आवश्यकता है। हर किसी को आगे आना चाहिए और इस समस्या की ओर एकजुट होना चाहिए तथा यह समझना चाहिए कि ये ईमानदार प्रयास हमारे समाज पर एक बड़ा सकारात्मक प्रभाव कैसे डाल सकते हैं। तो इंसान के रूप में क्या यह हर किसी का कर्तव्य नहीं है की उनकी मृत्यु के बाद उन्हें अपने अंगों को दान करने की इजाजत दी जाए?
देवियों और सज्जनो यदि मैं आपके साथ तथ्यों को साझा करूँ तो मैं यह कहूँगा कि अंग दानदाताओं के लिए प्रतीक्षा करने वालों की लगातार बढ़ती सूची में हर रोज़ लगभग 120 रोगी जुड़ते हैं। दुर्भाग्यवश लगभग 41% लोग यानी उनमें से लगभग 50 रोगियों की अस्पतालों में अंगों की अनुपलब्धता के कारण मृत्यु हो जाती है।
हालांकि अपने देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमारे डॉक्टरों पर अपना विश्वास बनाए रखने का हमारा कर्तव्य है। और यह विश्वास केवल स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों और अस्पतालों में उपलब्ध विश्व स्तरीय चिकित्सा सेवाओं और सुविधाओं को उपलब्ध करवाकर ही बहाल किया जा सकता है और इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह संकट की स्थिति कभी दोबारा न हो। जब तक संभावित अंग दाता की मृत्यु नहीं हो जाती तब तक उन्हें सही चिकित्सकीय उपलब्ध कराइ जानी चाहिए ताकि उनके अंगों का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जा सके जिन्हें इसकी आवश्यकता है और उनका जीवन बचाया जा सके।
इस प्रकार ऐसा करने के लिए जन जागरूकता फैलानी चाहिए कि लोग कैसे आगे आकर इस उद्देश्य की ओर अपना योगदान कर सकते हैं। अख़बारों में विज्ञापन छापे जाने चाहिए और लोगों में इस बात की जागरूकता फैलानी चाहिए कि अंग दान करने की उनकी इच्छा किसी और के जीवन को कैसे बचा सकती है। यह एक महान कारण है और हर किसी को आगे आकर इस सकारात्मक परिवर्तन का हिस्सा बनना चाहिए।
हेल्लों दोस्तों – मेरी ओर से आप सभी को नमस्कार!
मैं अंग दान पर आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम में आप सभी का दिल से स्वागत करता हूं। आज लोगों की इतनी बड़ी सभा को देखकर मैं बहुत आश्चर्यचकित हूं और जनता के बीच इस कार्यक्रम की अधिक जागरूकता फैलाने के लिए और उन्हें अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में जागरूक कर सफल बनाने के लिए यहां उपस्थित सभी लोगों का भारी समर्थन हासिल कर अभिभूत हूं।
देवियों और सज्जनों जैसा कि हम सभी जानते हैं अंग का दान किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को अपना अंग देने की प्रक्रिया है जिसे इसकी गंभीर रूप से आवश्यकता है जिसे अंग देना है उसके शरीर में अंग सर्जिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रत्यारोपित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंग दान वास्तव में अंग प्राप्तकर्ता की मदद कैसे कर सकता है? यह अंग प्राप्तकर्ता को कई तरीकों से मदद कर सकता है जैसे कि उसके स्वास्थ्य, गुणवत्ता और जीने की अवधि में बढ़ोतरी और यहां तक कि मृत्यु या अन्य खराब परिस्थितियों जैसे कि पक्षाघात/लक़वा से उसकी रक्षा करना।
कोई भी व्यक्ति जो 18 वर्ष से ऊपर है उसे अपने अंग को दान करने का हक है चाहे उसकी पृष्ठभूमि कैसी भी हो। हालाँकि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे अपने माता-पिता/अभिभावक की अनुमति से अपने अंग दान करने के लिए भी स्वतंत्र हैं। आपको यह जानकार बड़ा आश्चर्य होगा कि कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें दानदाता केवल जीवित रह कर ही दान कर सकता है और कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें केवल तब ही प्रत्यारोपित किया जा सकता है जब दाता की मृत्यु हो जाती है। किसी भी अंगदान संगठन के साथ दाता के रूप में पंजीकृत होने के बाद आपको एक दाता कार्ड मिलेगा जो आपको आपकी मृत्यु के बाद अंगदान के लिए उपयुक्त बना देगा। एक अंग दाता का मृत शरीर लगभग 50 लोगों के जीवन को बचा सकता है। अंग दान की कोई आयु सीमा नहीं है जिसका अर्थ है कि 70 से 80 वर्ष के आयु वर्ग के लोग भी अपने अंग को दान कर सकते हैं।
इतना तो साफ़ है कि ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो गंभीर शारीरिक परिस्थितियों से गुज़र रहे हैं और विभिन्न अंगों, जैसे फेफड़ें, गुर्दे, दिल या यकृत, की उन्हें जरुरत है जो कि किसी बीमारी के कारण या तो ठीक तरह से काम करना बंद कर चुके हैं या शायद उनके शरीर में संयोग से विकृत रहे हैं। न केवल अंग बल्कि ऊतकों को भी दान किया जा सकता है। फेफड़ों, गुर्दे, छोटे आंत्र, दिल, यकृत और पैनक्रिया महत्वपूर्ण अंग होते हैं जिन्हें प्रत्यारोपण के उद्देश्य के लिए दान किया जाता है।
इसी तरह हड्डी, त्वचा, कॉर्निया, कार्टिलेज, टेंडन और दिल की नाड़ी के ऊतकों को भी दान की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसके अलावा यह पूरी तरह दाता पर निर्भर करता है कि क्या वह रोगी को पूरा शरीर या अपने शरीर के कुछ विशिष्ट हिस्सों को ही दान करना चाहता है। ऐसे कई देश हैं जिन्होंने अंग दान के लिए संगठन स्थापित किया है और अपने देश के लोगों द्वारा दान किए गए अंगों को संरक्षित करने के लिए अनुमोदित किया गया है। ये स्थिति पे निर्भर करता हैं, या तो उसे स्टोर किया जाता हैं या तो उसका इस्तेमाल मरीज़ के शरीर में सीधे प्रत्यारोपण के लिए किया जाता हैं।
अंग प्राप्तकर्ता के शरीर के ठीक होने तक यह महत्वपूर्ण है कि उसके शरीर में ऑक्सीजन और रक्त सही मात्रा में मौजूद रहे ताकि प्रत्यारोपण के समय कोई समस्या न हो। इस प्रकार जिनका शरीर स्वस्थ है उन्हें इस कार्य के लिए आगे आना चाहिए और अपने अंग का दान करना चाहिए ताकि जब हम अपनी अंतिम सांस लें तो कोई अन्य व्यक्ति अपने जीवन को जी सके।
सम्मानित प्राचार्य, उप-प्राचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्यारे छात्रों – आप सभी को मेरी ओर से सुप्रभात!
अंग दान पर अपने भाषण को शुरू करने से पहले मैं हमारे सम्मानित प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य और निश्चित रूप से मेरे कक्षाध्यापक को अंग-दान विषय भाषण तैयार करने और आपको सभी को संबोधित करने का मौका देने के लिए धन्यवाद कहना चाहता हूं। तो मैं कक्षा बारहवीं-ब से अभिषेक अवस्थी अंग दान पर बात करना चाहूंगा। यह विषय आज के समय में बहुत प्रासंगिक है और कुछ ऐसा जिससे मैं व्यक्तिगत रूप से अपने आप को संबंधित कर सकता हूं।
हम जानते हैं कि हर साल इतने सारे लोगों की अंगों की अनुपलब्धता या उन्हें मिलने में अत्यधिक देरी, जिसके कारण रोगी को हालातों का सामना करना मुश्किल हो जाता है, जिस वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है। ऐसा ही कुछ मेरे परिवार के सदस्यों में से एक के साथ भी हुआ है और उनकी मृत्यु गुर्दे के काम ना करने के कारण हो गई थी क्योंकि उन्हें समय पर गुर्दा नहीं मिल पाया था। इसके बाद जिस तरह से भी, मैं कर सकता था मैंने सोसाइटी की मदद करने का फैसला किया और मैंने अंग दान करने का फ़ैसला लिया ताकि जब मेरी मृत्यु हो जाए तो मेरे शरीर के अंगों का इस्तेमाल दूसरों के लिए किया जा सके जिससे वो खुलकर सांस ले सके।
प्रिय मित्रों अंग दान वास्तव में एक महान कार्य है जिसमें शल्य चिकित्सा के माध्यम से शरीर के अंगों को एक व्यक्ति से दूसरे में स्थानांतरित करना होता है। ज्यादातर मामलों में दाता अपने मरने के बाद शरीर के अंग दान करने का फैसला करता है। अंग दान करने का उद्देश्य बहुत स्पष्ट है यानी अंगों की आवश्यकता वाले किसी व्यक्ति की मदद करना। ऐसे कई उदाहरण हैं जब चिकित्सा परिस्थितियों के कारण कई लोग अपना महत्वपूर्ण शरीर का हिस्सा खो देते हैं। कई मामलों में अगर स्थानांतरित करने वाले अंग तुरंत बदले जा सकते हैं तो बदल दिया जाता है।
आजकल विभिन्न सरकारी संस्थान अंग-दान के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर अन्य लोगों के जीवन को बचाते हैं। वास्तव में हमारा धर्म हमें निःस्वार्थ कार्य करना सिखाता है और किसी व्यक्ति को अंग-दान कर उसकी जिंदगी बचाने से बेहतर और क्या हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार एक अंग या ऊतक दाता लगभग 50 व्यक्तियों के जीवन को बचा सकता है।
सच्चाई यह है कि अंग दान करने की हमारी कोशिश किसी के जीवन को खत्म होने से बचा सकती है और यह अंग दान से जुड़ी बहुत बड़ा सकरात्मक बिंदु है। यह बिल्कुल सही है कि किसी को जीवनदान देना वास्तव में सबसे बड़ा धार्मिक कार्य है जिसे आप कभी भी अपने जीवन में अमल में ला सकते हैं। अंग-दान किसी व्यक्ति के लिए किसी और के जीवन को बचाने का निःस्वार्थ कृत्य होता है। अंग-दान से प्राप्त भावना इतनी अच्छी होती है कि जब हम इस धरती पर मौजूद नहीं होंगे तो कोई व्यक्ति हमारी आंखों के माध्यम से दुनिया को देख सकेगा और कुछ विशिष्ट अंगों की सहायता से इस धरती पर नए जीवन के माध्यम से सांस ले सकेगा।
वर्तमान समय में किडनी दान को सबसे अधिक मांग की जाने वाली चीज़ों में से एक माना जाता है और साथ ही साथ इसकी सफलता दर भी ज्यादा होती है। तथ्य यह है कि एक व्यक्ति एक गुर्दे की मदद से भी अपना जीवन जी सकता है और अधिक से अधिक किडनी दाताओं को आगे बढ़ने और इस महान कार्य का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। शरीर अंग का दान न केवल रोगी का समर्थन करता है बल्कि यह अंग प्राप्तकर्ता के परिवार की भी सहायता करता है जो अपने अस्तित्व के लिए अंग प्राप्त करने वाले रोगी पर निर्भर है। इस प्रकार यह न केवल रोगी बल्कि उसके परिवार के सदस्यों को भी जीवन का एक नया आयाम देता है। मुझे यह सब ही कहना है! मुझे बस यही कहना था।
धैर्य के साथ मेरी बात सुनने के लिए धन्यवाद!
सम्मानित वरिष्ठ प्रबंधकों, प्रबंधकों और प्रिय सहयोगियों – मेरी ओर से आप सभी को नमस्कार!
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारी कंपनी ने खुद को एक गैर सरकारी संगठन के साथ जोड़ा है जो अंग दाताओं और प्राप्तकर्ताओं के बीच के अंतर को कम करता है। इससे हमें बहुत ज्यादा गर्व की भावना महसूस होती है कि हमारी कंपनी अपने लाभ और हानि के बारे में चिंतित ना होकर एक महान उद्देश्य के लिए काम कर रही है। इसलिए इस संगठन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी इस उद्देश्य की ओर से योगदान करने की बन जाती है और यदि संभव हो तो अंग दान के लिए भी आगे आएं।
मेरे प्रिय मित्रों, अंग-दान, महान उद्देश्यों में से एक हैं और अंग-दान करने के असंख्य कारण हैं जिसमें प्राथमिक उद्देश्यों में से एक आत्म संतुष्टि प्राप्त करना है। एक तथ्य यह भी है कि आप इस महान कार्य का हिस्सा बन गए हैं जिसके लिए आपकी प्रशंसा होनी ज़रूरी है। मुझे लगता है कि अगर हम किसी के जीवन को बचाते हैं तो इससे हम खुद के लिए अच्छा महसूस करते हैं जैसा कि कहा जाता है, “जो कुछ भी जाता है वह वापस आता है”। यह जानकर की आपने किसी की जीवन बचाई है, और उसके पुरे परिवार को एक नया जीवन दान दिया हैं इससे आपके मनोबल को बहुत बढ़ावा मिलेगा और निश्चित रूप से आपके साथ अच्छा होगा। इसके अलावा एक सच्चाई यह भी है कि अगर आप मरने के बाद मानव जाति के लिए कुछ करने में सक्षम होंगे तो आपको संतुष्टि की बड़ी भावना मिलेगी। तो आप इस विषय पर ज्यादा न सोचें इसके लिए खुद योगदान करें और अनुभव ले, करने के बाद अवश्य आप को ख़ुशी मिलेगी।
अपने शरीर के अंगों को दान करने का चयन करना एक आत्म-सचेत निर्णय है जिसे आपको खुद लेना होगा। जब भी अंग-दान करने की बात आती है तो इसके लिए कोई भी आयु सीमा नहीं होती है। वास्तव में जब तक वृद्धों के शरीर के अंग या यहाँ तक पैदा हुए नन्हें बच्चों के भी अंग स्वस्थ अवस्था में रहते हैं तब तक वे इस अंग-दान कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं। यह कहने की जरूरत नहीं है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को इस दिशा में आगे बढ़ने से पहले अपने माता-पिता की सहमति लेनी होती है। शरीर के अंग का दान इस दुनिया में उन कार्यों में से एक है जिसके लिए उस व्यक्ति को मरने पर भी याद किया जाता है।
अपने अंग का दान करके आप न केवल उसे एक नए जीवन का मौका देते हैं बल्कि जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में भी मदद करते हैं। अंग-दान प्रत्यारोपण की प्रक्रिया के माध्यम से होता है जिसमें अंग को दाता के शरीर से प्राप्तकर्ता के शरीर में स्थानांतरित किया जाता है। दान किए जाने वाले अंगों में गुर्दे, दिल, फेफड़े, लीवर, त्वचा, आंत, पैनक्रिया और थाइमस शामिल हैं। इनके अलावा ऊतकों को भी दान किया जा सकता है जैसे हड्डियां, हृदय वाल्व, कॉर्निया, टेंडन और नसें।
वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक प्रत्यारोपित अंग गुर्दे होते हैं और फिर इसके बाद इस सूची में लीवर और हृदय का नंबर आता है। जहां तक सबसे अधिक बार प्रत्यारोपित ऊतकों का संबंध है इसमें सबसे ऊपर कॉर्निया, मांसपेशियों और हड्डियों का नंबर है। तो इस महान उद्देश्य से जुड़े रहें और अपने आस-पास में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाएं ताकि अंग-दान का हमारा निर्णय किसी और के जीवन में एक बड़ा अंतर ला सके, और उसे एक नया जीवन दान दे सके।
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अंगदान पर छोटा व बड़ा निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए। Short and Long Essay on Organ Donation in Hindi Language.
अंग दान पर निबंध व इसका महत्व Essay on Organ Donation in Hindi. अंगदान एक महादान है। इसे दूसरे शब्दों में “जीवन के लिए उपहार” भी कहते हैं। यह करके हम कई लोगो को जीवनदान दे सकते है। आजकल कई सस्थायें अंगदान करने में मदद करती है, इसके लिए प्रोत्साहित करती हैं।.
अंग दान एक ऐसी क्रिया है जिसमें एक व्यक्ति (अंग दाता – organ donor) जिसके सभी या जरूरी अंग या ऊतक स्वस्थ हो वह शल्यचिकित्सा (surgically) द्वारा दुसरे व्यक्ति (प्राप्तकर्ता – recipient) के शरीर में प्रत्यारोपित किये जाए। इस क्रिया को प्रत्यारोपण यानि ट्रांसप्लांट कहा जाता है।.
Today we are going to explain how to write an essay on organ donation in Hindi. Now students can take a useful example to write organ donation essay in Hindi in a better way. Organ donation essay in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12.
Essay (निबंध) Biography (जीवनी) ... अंगदान पर निबंध – Essay on Organ Donation in Hindi. By The Editor / May 25, 2024 .
Organ donation essay in Hindi: यदि आप अंगदान पर निबंध हिंदी, अंगदान है महादान, ang dan nibandh के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो यह लेख उपयोगी है।
अंग दान अंग या ऊतक को शल्य चिकित्सा द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जगह देने या अनुसंधान प्रयोजन के लिए उपयोग करने की अनुमति देने की प्रक्रिया है। यह जीवित रहने या मृत्यु के बाद परिजनों की सहमति से दान दाता की सहमति से किया जाता है। दुनिया भर में अंग दान को प्रोत्साहित किया जाता है।.
मृतक अंगदान दर: इस कमी को दूर करने के लिये मृतक अंगदान दर को बढ़ाने हेतु तत्काल प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।. स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों ने प्रति दस लाख आबादी पर 30 से 50 अंगदान दाताओं तक की उच्च अंगदान दर हासिल की है।. जीवित दाताओं की व्यापकता: भारत में सभी अंगदान दाताओं में से 85% जीवित अंगदान दाताओं का बहुमत है।.
World Organ Donation Day : अगर आप भी ऑर्गन डोनेट कर किसी का जीवन बचाना चाहती हैं, तो जानिए क्या है इसकी प्रक्रिया
अंग दान पर भाषण: यहाँ छोटा और बड़ा आसान शब्दों में बच्चों और विद्यार्थियों के लिये भाषण प्राप्त करे। Long and Short Organ Donation Speech in Hindi language.