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होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में
होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) - भारतीय संस्कृति में प्रत्येक मास की पूर्णिमा किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। उत्सव के इसी क्रम में वसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का पर्व भारतीय संस्कृति में बुराई को जलाकर भस्म कर देने का उत्सव है। यह भारतीय जीवन-शैली का अभिन्न हिस्सा है। होली पर निबंध (Holi per nibandh) से इस पर्व से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कथाओं के बारे में भी जानकारी मिलेगी।
होली पर निबंध (holi par nibandh): होलिका दहन का मुहूर्त
होली निबंध (essay holi in hindi) - होली के त्योहार की तैयारी कैसे करें, होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली में रंगों का क्या महत्व है, होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - उपसंहार (conclusion), होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली पर निबंध 10 लाइन (holi essay in hindi 10 lines), देश में होली के लिए प्रसिद्ध शहर (famous cities for holi in the country).
रंगों का त्योहार होली हमारे देश भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जैसै-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता है, लोगों में खासकर बच्चों में इसको लेकर काफी उत्साह नजर आता है। सब अपने लिए होली खेलने की योजनाएं तैयार करने में जुट जाते हैं। होली पर हिंदी निबंध (Essay on holi in hindi) में होली के त्योहार से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी दी गई है। उम्मीद है कि इस लेख में होली पर निबंध (holi par nibandh) उन छात्रों के लिए भी फायदेमंद होगा जो होली विषय पर निबंध तैयार करना चाहते हैं।
हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें
रंगों का त्योहार होली संस्कृति के अनूठे उल्लास को समेटे हुए है। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। होली का त्योहार इसी विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम तथा भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां साझा करते हैं और छोटे अपने बड़ों से शुभाशीष प्राप्त करते हैं। विविधतापूर्ण संस्कृति वाले भारत देश में हर धर्म-संप्रदाय के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें से आपसी प्रेम तथा सद्भावना की भावना को मजबूत करने वाला होली का पर्व विशेष महत्व रखता है। होली के लोकगीत एक माह पहले से ही सुनाई पड़ने लगते हैं।
होली पर निबंध (holi par nibandh) विषय पर केंद्रित होली पर लेख में हमने रंगों के त्योहार होली (Festival of colours) के सार को समेटने का प्रयास किया है। पाठक इस होली पर निबंध हिंदी (Essay on holi in hindi) में से जानकारी जुटाकर न केवल भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली के बारे में अपनी जानकारी को समृद्ध बनाएंगे, बल्कि स्कूलों में अध्ययनरत बच्चे अक्सर परीक्षा में पूछे जाने वाले निबंध के प्रश्न की तैयारी भी कर पाएंगे तथा होली पर हिंदी में निबंध (Essay on holi in hindi) सीख कर परीक्षा में भी उसका लाभ उठा सकेंगे।
होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली की शुभकामनाएं (Holi Greetings in Hindi)
होली के अवसर पर लोग एक-दूसरे को होली शुभकामना संदेश भेजते हैं। नीचे कुछ होली के शुभकामना संदेश दिए गए हैं-
- हर कदम पर खुशियां मिलें, दुख से कभी न हो सामना; जीवन में सारी खुशियां मिलें, होली की है यही शुभकामना!
- खुशियों से भरी रहे सदा आपकी झोली, रंग-बिरंगी और मंगल हो आपकी होली।
- जीवन में हो हर्ष के सभी रंगों की भरमार, सबसे हैप्पी होलो हो तुम्हारी मेरे यार।
- होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
- होली का त्योहार आपके जीवन को रंगों से सरोबार करे।
- रंगों का त्योहार होली आपके जीवन को और भी रंगीन बनाए!
- रंगों का त्योहार आपके जीवन को रंगीन बनाए!
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छात्र इस लेख के माध्यम से होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) भी जान सकते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है तथा उस दिन होली मनाई जाती है। वर्ष 2025 में होलिका दहन रात साढ़े 10 बजे के बाद किया जाएगा। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त का अपना महत्व है। कहा जाता है कि होलिका दहन से आस-पास नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। विज्ञान की दृष्टि से देखें तो होली पहले ही मौसम अनुकूल हो जाने के चलते बीमारियां फैलाने के लिए जिम्मेदार घातक सूक्ष्मजीवों की बाढ़ आ जाती है, होलिका की आग से कफी हद तक इनका विनाश भी हो जाता है।
होली 2025 कब है? (holi kab hai)
फागुन की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित मुहूर्त में होलिका दहन होता है। वर्ष 2025 में होलिका दहन रात साढ़े 10 बजे के बाद किया जाएगा।
होली 2025 में कब पड़ेगी?
वर्ष 2025 में होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 13 मार्च सुबह 10 बजकर 35 मिनट से 14 मार्च की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।
होलिका दहन का मुहूर्त और भद्रा का समय
होलिका दहन मुहूर्त : 13 मार्च को रात 11:30:14 बजे से रात 12:24:09 बजे तक।
अवधि : 53 मिनट
भद्रा पुंछा 07:13:07 से 08:30:15 तक
भद्रा मुखा 08:30:15 से 10:38:48 तक
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होली की प्रचलित कहानियां (Famous stories related to Holi in hindi)
होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक समय में श्री कृष्ण और राधा की बरसाने की होली के साथ ही होली के उत्सव की शुरुआत हुई। आज भी बरसाने और नंदगाव की लट्ठमार होली विश्व विख्यात है। यह त्योहार जीवन के उत्साह, उल्लास तथा उमंग को दर्शाता है। होली के पर्व को सतयुग में विष्णु भक्ति के प्रतिफल के रूप में भी मनाया जाता है।
होली की एक कहानी भगवान शिव से भी जुड़ी है। इंद्र ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भंग करने का आदेश दिया। कामदेव ने उसी समय वसंत को याद किया और अपनी माया से वसंत का प्रभाव फैलाया, इससे सारे जगत के प्राणी काममोहित हो गए। कामदेव का शिव को मोहित करने का यह प्रयास होली तक चला। होली के दिन भगवान शिव की तपस्या भंग हुई। उन्होंने रोष में आकर कामदेव को भस्म कर दिया तथा यह संदेश दिया कि होली पर काम (मोह, इच्छा, लालच, धन, मद) इनको अपने पर हावी न होने दें। तब से ही होली पर वसंत उत्सव एवं होली जलाने की परंपरा प्रारंभ हुई। इस घटना के बाद शिवजी ने माता पार्वती से विवाह की सम्मति दी। जिससे सभी देवी-देवताओं, शिवगणों, मनुष्यों में हर्षोल्लास फैल गया। उन्होंने एक-दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाकर जोरदार उत्सव मनाया, जो आज होली के रूप में घर-घर मनाया जाता है।
होली पर हिंदी निबंध (Holi Essay in Hindi) - प्रस्तावना
विद्यार्थियों को परीक्षा में होली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Holi in 200 words in hindi) या होली पर लेख (holi par lekh) या होली पर निबंध 300 शब्दों में (Holi Essay in Hindi 300 words) या हिंदी में होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) लिखने को कहा जाता है। होली पर निबंध ( holi par nibandh) की शुरुआत इस त्योहार के बारे में बताकर कर सकते हैं। होली, जिसे "रंगो का त्योहार" के नाम से भी दुनिया भर में जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र (चैत) मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगोत्सव यानी होली का त्योहार मनाया जाता है।
आपमें से कई यह सोच रहे होंगे कि साल 2024 में होली कब मनाई जाएगी? साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों के द्वारा बेहद ही जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि यह हिंदुओं का त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी साथ मिलकर, उत्साह और उमंग के साथ बड़ों को भी बच्चा बना देने वाले इस त्योहार में मनोरंजक कार्य करते नजर आ जाते हैं।
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होली के त्योहार के लिए लोग अपने-अपने ढंग से तैयारी में जुट जाते हैं। फागुन मास की शुरुआत ठंड की विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम खुशनुमा होने लगता है। इस त्योहार पर फाग गाने की भी परंपरा रही है, फाग लोकगीतों के बिना कुछ अधूरा सा लगता है। पहले तो लोगों को फाग सुनकर ही ही पता लगता था कि होली आने वाली है। ढोलक, मंजीरे और हारमोनियम के साथ लोग अपने रसीले फाग गायन कौशल से दिल जीत लेते हैं। फाग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन इस अवसर पर किया जाता है। होली से पहले पहले और होली के दिन दोपहर तक फगुआ गाया जाता है। इसमें होली से जुड़े लोकभाषा के गीत होते हैं। होली के दिन रात में चैता गाने की भी परंपरा है।
होली के त्योहार को लेकर विशेषकर बच्चों में काफी उत्साह होता है। वे होलिका दहन के लिए काफी पहले से लकड़ियाँ जमा करने लगते हैं। गाँवों में तो हालांकि लकड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर आदि की तलाश करते हैं और अमूमन वे दूसरों से माँगकर होलिका की व्यवस्था करते हैं। होलिका तैयार करने में सभी लकड़ियों का योगदान करते हैं। आजकल शहरों में आमतौर पर किसी चौक-चौराहे पर दो-चार दिन पहले से ही लोग पेड़ की सूखी टहनियां, लकड़ी, बांस आदि जमा करने लगते हैं। पहाड़ जैसे इस ढेर में मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन करते हैं। लोगों के घरों में पकवान बनता है। होली के पर्व के लिए घर पर मिलने आने वाले लोगों के लिए महिलाएं मिठाइयां, नमकीन और गुझिया बनाने में जुट जाती हैं। रंग और गुलाल का स्टॉक तैयार किया जाता है।
फाल्गुन मास की पूर्णमासी को होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते हैं। शहरी संस्कृति ने होली मिलन कार्यक्रमों को जन्म दिया है, जिसमें राजनैतिक दल, संस्थाएं होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।इस दिन तो ऐसा लगता है कि लोगों को एक-दूसरे को रंगने और पानी से भिगाने का लाइसेंस मिला होता है। साथ ही "बुरा न मानो, होली है" का जुमला यह बताता है कि आज के दिन लोगों को रंग-गुलाल लगाने की छूट है और इससे किसी को भी नाराज नहीं होना चाहिए।
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होली रंगों का त्योहार है। होली की पहचान, रौनक और आत्मा इन्हीं रंगों में बसी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं। बड़े शहरों की बड़ी सोसायटियों में होली के अवसर पर खास आयोजन होने लगे हैं। इस सामूहिक आयोजन में लोग रेन डांस में रंगों से सरोबार होकर नाचते-झूमते हैं। शहरों के बाहर बने वाटर पार्क में भी होली को लेकर कई तरह के आयोजन होने लगे हैं।
होली अब विश्व प्रसिद्ध
राग-रंग के इस लोकप्रिय त्योहार होली को वसंत का संदेशवाहक भी कहा जाता है। होली अब भारत के साथ विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का यह त्योहार पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन होली मनाते हैंं। इसे धुलेंडी व धुरड्डी व कई अन्य नाम से भी मनाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और एकता का संदेश देते हैं। कई प्रदेशों में रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिला कर खुशियां बांटते हैं।
होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां
होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ लोग बदनाम करने से नहीं चूकते हैं। कुछ असामाजिक तत्व इस दौरान मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ समाज के शरारती तत्व होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा।
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होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली क्यों मनाते हैं - होली का इतिहास
होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। विष्णुपुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा प्रतिबंधित कर रखी थी। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त निकला और वह दिन-रात भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता। दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप को यह पसंद नहीं था। ऐसे में जब किसी भी तरह से प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोक पाने में उसे सफलता हाथ नहीं लगी, तो उसने प्रह्लाद को जान से मारने का आदेश दिया। हाथी के पैरों तले कुचलने और पहाड़ से फेंककर भी जब प्रहलाद को नहीं मार सका, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन की होलिका की मदद से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।
होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि में वह नहीं जलेगी। इसलिए लकड़ियों के ढेर पर वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई। इस होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट इच्छाओं के चलते जलकर भस्म हो गई। मान्यता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत की याद में तभी से ही होली का त्योहार मनाया जा रहा है।
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होली का त्योहार आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।
होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ घुल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। छोटे-छोटे बच्चे अपनी इच्छानुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि होली मिल-जुलकर, प्रेम से रहने और जीवन के रंगों को अपने भीतर आत्मसात करने का त्योहार है। इसलिए रंगों का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए और पानी या रंग भरे बैलून चलाने से बचना चाहिए। होली का त्योहार हमें हमेशा सन्मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। होली का त्योहार सामाजिक सद्भावना का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में सामाजिक एकता की भावना मजबूत होती है।
ये भी देखें :
1) होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।
2) होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है।
3) यह त्यौहार विष्णु भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है।
4) इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
5) बच्चे इस त्योहार पर रंग, गुलाल, पिचकारी और पानी वाले गुब्बारों को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं।
6) होलिका रूपी बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए सभी भगवान की पूजा करते हैं।
8) इस अवसर पर अपने परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर इसे मनाया जाता है।
9) होली के अवसर पर भारत में शासकीय अवकाश रहता है। लोग इस त्योहार का बड़े उत्साह के साथ आनंद लेते हैं।
10) होली (holi essay in hindi) हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है।
उम्मीद करते हैं कि होली पर निबंध हिन्दी में (holi par nibandh hindi mein) देने की हमारी कोशिश सफल रही होगी और छात्रों को holi ka nibandh hindi mein पढ़कर वांछित जानकारी मिल गई होगी। रंगों के त्योहार होली का निबंध हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) पढ़ने के बाद इस त्योहार की समग्र समझ विकसित करने में यह लेख मददगार होगा; अब आपकी होली पहले से अधिक रंगीन और सुखद होगी, ऐसी हम कामना करते हैं। हैप्पी होली!
हमें उम्मीद है कि आपको होली पर निबंध (holi par nibandh) लिखने में इस लेख से मदद मिलेगी। परीक्षा में हिंदी में होली निबंध (holi essay in hindi) या holi par nibandh in hindi भी पूछा जाता है। इस लेख की सहायता से आप होली पर निबंध ( holi per nibandh) लिख सकते हैं।
देश में कुछ शहरों में होली के आयोजन बहुत प्रसिद्ध हैं और उसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यूपी के बरसाना और नंदगांव में हर साल लट्ठमार होली का आयोजन होता है। इस दौरान देश-दुनिया के पर्यटक इस त्योहार को देखने और उसमें हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इस त्योहार का आयोजन लगभग एक सप्ताह चलता है और रंगपंचमी के दिन संपन्न होता है। बरसाना की लट्ठमार होली सामान्यत: फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंद गांव के ग्वाल बाल बरसाना में होली खेलने आते हैं और अगले दिन फाल्गुन पक्ष शुक्ल दशमी को बरसाना के ग्वाल बाल नंदगांव में होली खेलने पहुंचते हैं।
इसी तरह मध्यप्रदेश के इंदौर में भी होली या धुलेंडी के पांच दिन बाद रंगपंचमी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। रंगपंचमी होलकर शासनकाल के दौरान मनाया जाता था और यह परंपरा अब तक बरकरार है। इस दौरान इंदौर में छुट्टी घोषित रहती है और शहर के अलग-अलग दिशाओं से लोग रंगों में सरोबार होकर गेर यात्रा के साथ इंदौर के हृदयस्थल राजबाड़ा पहुंचते हैं। इस दौरान साथ चल रहे टैंकर के पानी में रंग घुला रहता है और उससे लोगों पर बौछार की जाती है। इस फाग यात्रा को गेर कहा जाता है। रंगारंग गेर चारों दिशाओं से आकर राजबाड़ा में इकट्ठा होती है और लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। स्थानीय नगर निगम और जिला प्रशासन पूरा मुस्तैद रहता है।
महत्वपूर्ण प्रश्न :
होली का त्योहार (holi ka tyohar) वर्ष 2025 में कब है?
अक्सर लोग यह पूछते हैं कि कब है होली? (Kab Hai Holi 2025)। तो इसका जवाब है कि होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च सुबह 10 बजकर 35 मिनट से आरंभ होगी और 14 मार्च की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक समापन होगा। 13 मार्च को होलिका दहन होगा। वर्ष 2025 में होली का त्योहार (holi ka tyohar) 14 मार्च को मनाया जाएगा।
क्या होली के दिन चंद्रग्रहण लगेगा?
नहीं, साल 2025 में होली के दिन चंद्र ग्रहण नहीं लगेगा।
होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) कब है?
होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) जानें- फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और उसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष 2025 में 13 मार्च को होलिका दहन के लिए मुहूर्त रात 11 बजकर 30 मिनट से लेकर 12 बजकर 24 मिनट तक है।
- बिहार बोर्ड 10वीं रिजल्ट
- बिहार बोर्ड 12वीं रिजल्ट
Frequently Asked Questions (FAQs)
यह त्यौहार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी।
होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।
बच्चों के लिए यह रंग, गुलाल, पिचकारी, पानी वाले गुब्बारों और ढेर सारी मस्ती का पर्याय है। वे सुबह से शुरू हो जाते हैं और दिन-भर लोगों को रंगने और भिगोने में व्यस्त रहते हैं। युवा अपनी टोलियों के साथ रंग की मस्ती में सरोबार रहते हैं। घर के बड़े-बुजुर्गों का त्योहार बच्चों और युवाओं के लिए होली के सामान दिलाने और बाद में उनका शिकार बनने से बचने में बीतता है। अपने हमउम्र लोगों के साथ वे भी मस्ती करते हैं। महिलाएं रसोईघर की भारी-भरकम जिम्मेदारियों के बीच भी समय निकालकर जोश-खरोश के साथ होली मनाती हैं, मनाएं भी क्यों न, रंगों से उनको सबसे अधिक प्यार जो होता है।
होली की पहचान, रौनक और आत्मा रंगों में छिपी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं।
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होली पर निबंध हिंदी में (Holi Essay in Hindi) होली पर निबंध PDF
Holi Essay in Hindi:- होली हिंदू धर्म द्वारा मनाएं जाने वाले कई त्योहारो में से एक प्रमुख त्योहार है, जिसके लिए भारत और दुनिया भर के विभिन्न हिस्सों में रह रहे भारवासी जाने जाते हैं। होली रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन का उत्साह पूरे भारत में देखते ही बनता है। वहीं भारत में होली देखने के लिए विदेशों से भी लोग भारत भ्रमण के लिए आते है। होली के दिन लोग सब भूल भाल के भाईचारे के साथ रंगों के त्योहार को मनाते है। गौरतलब है कि होली की कहानी और किंवदंती दानव राजा हिरण्यकश्यप के समय की है। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में जाने के लिए कहा ताकि उसका पुत्र भगवान विष्णु के बजाय उसकी पूजा करे।
होलिका को वरदान था कि आग के लपटें और आग उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। वहीं जब होलिका प्रह्लाद को लेकर जलती हुई आग में आगे बढ़ी, तो भगवान विष्णु ने प्रहलाद को बचा लिया। वहीं होलिका जल कर राख हो गई। तब से, इस दिन को भारत में होली के रूप में जाना जाता है और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान लोग होलिका की मौत की याद में अलाव जलाते हैं। होली को लेकर विद्यार्थियों को निबंध लिखने के लिए कहा जाता है पर अक्सर समझ नहीं आता है कि क्यो लिखे और कैसे लिखे।
इस लेख में हम आपको होली पर निबंध प्रस्तुत करने जा रहे है जिससे आप अपने स्कूल के प्रोजेक्ट से लेकर किसी भी तरह कि निबंध प्रतियोगिता के लिए यूज कर सकते है। इस लेख को हमने होली पर निबंध, Holi Essay in Hindi, Holi Par Nibandh, होली पर निबंध कैसे लिखे, होली पर निबंध PDF, होली पर निबंध 10 लाइन के आधार पर तैयार किया गया है। इस लेख को पूरा पढ़े और शानदार निबंध पाएं।
Holi Essay in Hindi
Holi par nibandh | होली पर निबंध हिंदी में.
होलिका दहन के दूसरे दिन होली रंगों के साथ मनाई जाती है। इस दिन लोग एक दूसरे को खूब रंग लगाते है और ढ़ेर सारी मस्ती करते है। वहींदिन भर के उत्साह के बाद लोग शाम को दोस्तों और परिवार के साथ दावत और शुभकामनाएं साझा करते हुए बिताते हैं। कहा जाता है कि होली सभी के मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है और इस दिन विरोधियों का भी मेल-मिलाप हो जाता है। होली त्योहार के दिन की शुरुआत तरह-तरह के व्यंजनों की तैयारी के साथ होती है। लोग एक दूसरे को गुलाल, पानी के रंग और गुब्बारों से रंगते हैं।
इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि हर कोई अपनी शर्म को छोड़कर मस्ती में शामिल होने का फैसला करता है। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे को ‘हैप्पी होली’ कहते हैं। कई हाउसिंग सोसाइटी अपने लॉन में होली का आयोजन करती हैं। पूरे लॉन को ढकने के लिए पीले, हरे, लाल, गुलाबी, ग्रे और बैंगनी जैसे चमकीले और सुंदर रंगों का उपयोग किया जाता है। लोग इस दिन इतना जमकर होली खेलते है कि यह बताना मुश्किल है कि कौन कौन है। वहीं लोगों के कपड़े भी अलग-अलग रंगों के रंग जाते है।
होली पर निबंध कैसे लिखे | Holi Par Nibandh Kase Likhe
प्रस्तावना:- होली भगवान कृष्ण और राधा के बीच दिव्य प्रेम का उत्सव भी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण का रंग सांवला था और वह अपनी माता यशोदा से शिकायत किया करते थे। इसके अतिरिक्त राधा बहुत गोरी थीं और कृष्ण चिंतित रहते थे कि क्या वे उनके रंग के विपरीत होने के बावजूद उन्हें स्वीकार करेंगी।
इसलिए एक दिन यशोदा ने चंचलता से सुझाव दिया कि भगवान कृष्ण को राधा के चेहरे पर रंगों से रंग लगाना चाहिए ताकि उनके रंग के अंतर को दूर किया जा सके। कृष्ण ने अपनी माँ की सलाह का पालन किया और राधा के चेहरे पर रंग लगा दिया और इस तरह पूरे देश में होली का जश्न मनाना शुरू हो गया। यही कारण है कि मथुरा और वृंदावन में यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह एक फसल उत्सव भी है और वसंत के आगमन और सर्दियों के अंत का प्रतीक है।
Holi Par Nibandh
होली से जुड़ी एक अन्य कथा राक्षस राजा हिरण्यकशिपु, उनके पुत्र प्रहलाद – भगवान विष्णु के भक्त और उनकी राक्षसी बुआ होलिका से भी जुड़ी हुई है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यकशिपु को यह वरदान प्राप्त था कि वह न तो किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सकता था और न ही किसी जानवर द्वारा। वह चाहता था कि लोग उसकी पूजा करें। हालाँकि जब उनका बेटा भगवान विष्णु का भक्त बन गया और उसने हिरण्यकशिपु की पूजा करने से इनकार कर दिया, तो उसने अपनी बहन होलिका को चिता पर बैठकर उसे मारने के लिए कहा।
जब होलिका चिता पर बैठी तो उसने अपनी ज्वाला-ढाल वाली शाल ओढ़ ली और प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठा लिया। हालाँकि, प्रह्लाद ने विष्णु से प्रार्थना करना शुरू कर दिया, जिसने हवा के एक झोंके को बुलवाया जिसने होलिका को और प्रह्लाद को शॉल से उड़ा दिया, जिससे वह बच गया और होलिता जल गई। इसलिए होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है।उसके बाद, भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लिया जो आधा मानव और आधा शेर था और राक्षस राजा का वध किया। इसीलिए होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के दिन के रूप में भी जाना जाता है।
होली पर निबंध PDF | Holi Essay PDF
होली का उत्सव होलिका दहन के साथ शुरू होता है, क्योंकि लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक अलाव जलाकर इस दिन का जश्न मनाते हैं। अगले दिन लोग सुबह जल्दी उठकर रंगों से खेलते हैं, जिसे गुलाल भी कहा जाता है। वे दोस्तों और परिवार के साथ मिलते हैं और एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं। बच्चे गुब्बारों और खिलौना बंदूकों में पानी भरते हैं और अपने दोस्तों के साथ खेलते हैं। लोग अपने प्रियजनों के साथ त्योहार के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए मीठे व्यंजनों और ठंडाई का भी आनंद लेते हैं। पूरे देश में होली कमोबेश एक ही तरह से मनाई जाती है।
हालाँकि, कुछ राज्य इस त्यौहार का थोड़ा अलग तरीके से आनंद लेते हैं। उदाहरण के लिए, ब्रज क्षेत्रों में – मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, नंदगाँव और बरसाना – लोग लठमार होली मनाते हैं जहाँ महिलाएँ पुरुषों को लाठियों या डंडों से मारती हैं, जबकि वे खुद को बचाने की कोशिश करती हैं। साथ ही वृंदावन में फूलवाली होली भी काफी धूमधाम से मनाई जाती है। भक्त और पुजारी बांके बिहारी मंदिर में इकट्ठा होते हैं और एक-दूसरे पर फूल फेंकते हैं।
होली पर निबंध 10 लाइन | Holi Par Nibandh 10 Line
- होली रंगों का त्योहार है जो भारत में मनाया जाता है।
- यह मार्च में मनाया जाता है।
- यह रंगीन त्योहार वसंत ऋतु में मनाया जाता है।
- आमतौर पर होली के दिन लोग सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं।
- लोग चमकीले रंगों जैसे नीला, हरा, गुलाबी, पीला आदि से खेलते हैं।
- इस दिन सबके घरों स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और उन्हें आस पड़ोस में बाँटा जाता हैं।
- लोग पानी के गुब्बारों और पिचकारी की मदद से अलग-अलग रंगों से खेलते हैं।
- होली की शुरुआत राक्षसी होलिका को जलाने से होती है।
- लोग लकड़ी इकट्ठा करते हैं और उसे जलाते हैं और उसके चारों ओर नाच-गाकर खुशी मनाते हैं।
- होली हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का सबक सिखाती है।
FAQ’s होली पर निबंध | Holi Essay in Hindi PDF
Q. होली कब मनाई जाती है.
Ans. होली मार्च में मनाई जाती है।
Q. होली किस मौसम में मनाई जाती है?
Ans. होली वसंत ऋतु में मनाई जाती है।
Q. होली किसका प्रतीक है?
Ans. होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
Q. इस अवसर पर किस प्रकार का विशेष पेय और मिठाई बनाई जाती है?
Ans. इस अवसर पर एक विशेष पेय जिसे भांग या ठंडाई कहा जाता है और एक विशेष मिठाई गुजिया बनाई जाती है।
Q. होली इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
Ans. होली का उत्सव होलिका दहन अनुष्ठान के साथ शुरू होता है जो कि होलिका, दुष्ट दानव, और उस अग्नि से भगवान विष्णु द्वारा प्रह्लाद की रक्षा के सम्मान में मनाया जाता है। लोग लकड़ी इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर गीत गाकर खुशियां मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
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Essay On My Favourite Festival Holi: होली रंगों का त्यौहार है जो भारत में मनाया जाता है। यह मार्च में मनाया जाता है। रंग-बिरंगा त्योहार वसंत ऋतु में मनाया जाता है। होली के दिन हम आमतौर पर सफेद कपड़े पहनते हैं। हम चमकीले रंगों जैसे नीला, हरा, गुलाबी, पीला आदि से खेलते हैं। मेरी माँ स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाती हैं और हम उन्हें अपने आस-पड़ोस में बाँटते हैं। होली के दिन पानी के गुब्बारों और पिचकारियों का उपयोग करके विभिन्न रंगों से खेलते हैं।होली की शुरुआत राक्षसी होलिका को जलाने से होती है।हम लकड़ियाँ इकट्ठा करके जलाते हैं और उसके चारों ओर नाच-गाकर जश्न मनाते हैं। होली हमें बुराई पर अच्छाई की जीत सिखाती है। होली के दिन घर में विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवान बनते हैं। जिसका आनंद परिवार के सभी लोग मिलकर उठाते हैं इसके अलावा होली की शाम हम सभी लोग अपने मित्र या सके संबंधित के घर जाकर अबीर देते हैं यदि आप एक छात्र हैं और होली के ऊपर एक बेहतरीन निबंध लिखना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही आर्टिकल पर आ गए हैं आज के लेख में essay on my favourite festival Holi से जुड़ी जानकारी जैसे- essay on Holi 100 words) essay on Holi 300 words) essay on Holi 500 words essay on Holi in hindi)Holi par nibandh 10 line) Holi essay in hindi for class 5) Holi festival paragraph के बारे में आपको जानकारी प्रदान करेंगे आर्टिकल को ध्यान से पढ़ेंगे आए जानते हैं-
Holi Essay in Hindi – Overview
होली पर निबंध 100 शब्दों में (essay on holi 100 words).
होली एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो हर साल वसंत ऋतु में मनाया जाता है। यह रंगों का त्यौहार है जिसके दौरान लोगों, सड़कों और घरों को विभिन्न रंगों में रंगा हुआ देखा जा सकता है। इसे प्यार का त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन लोग अपनी पुरानी दुश्मनी को भुलाकर रंगों से खेलते हैं और रिश्तों को फिर से ताजा करते हैं।होली दो दिवसीय त्योहार है, जो मुख्य त्योहार से एक रात पहले छोटी होली के साथ शुरू होता है, जब होलिका दहन (राक्षसी होलिका को जलाना) के प्रतीक के रूप में सड़कों पर बड़ी चिताएं जलाई जाती हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। अगले दिन लोग रंगों से खेलते हैं और शाम को एक-दूसरे के घर जाकर बधाइयां और मिठाइयां बांटते हैं। दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने का रिवाज एक सप्ताह से अधिक समय तक जारी रहता है।
यह भी पढ़ें: Holi Special Songs
होली पर निबंध 300 शब्दों में ( Essay On Holi 300 Words)
होली का परिचय.
होली सभी का सबसे पसंदीदा त्योहार है क्योंकि यह बहुत सारी खुशियाँ और खुशियाँ लाता है। इसे हर साल विशेष रूप से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह आमतौर पर मार्च (या फाल्गुन) के महीने में वसंत ऋतु की शुरुआत में पड़ता है। हर कोई इस त्यौहार का बहुत ही उत्साह के साथ और इसे मनाने की खास तैयारियों के साथ इंतजार करता है।
हम होली क्यों मनाते हैं?
होली मनाने के पीछे प्रह्लाद की एक महान कहानी है। एक बार प्रह्लाद (जो भगवान का बहुत बड़ा भक्त था) को उसके ही पिता ने मारने की कोशिश की क्योंकि उसने भगवान के स्थान पर अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया था। प्रह्लाद के पिता के आदेश पर उसकी चाची होलिका उसे अपनी गोद में रखकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान ने उसे बचा लिया क्योंकि वह एक सच्चा भक्त था और होलिका को आग में जला दिया गया, जबकि उसे कभी कोई नुकसान न होने का वरदान मिला हुआ था। आग। उस दिन से, हिंदू धर्म को मानने वाले लोग बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करने के लिए हर साल होली का त्योहार मनाने लगे।
होलिका दहनरंगीन होली के त्योहार से एक दिन पहले, लोग उस दिन को याद करने के लिए रात में होलिका दहन के समान लकड़ियों और गोबर के उपलों का ढेर जलाते हैं। कुछ लोग यह मानकर होलिका में परिवार के प्रत्येक सदस्य के सरसों के उबटन के अवशेषों को जलाने की विशेष परंपरा का पालन करते हैं कि इससे घर और शरीर से सभी बुराइयां दूर हो जाएंगी और घर में खुशियां और सकारात्मकता आएगी।
यह भी पढ़ें: राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर निबंध
होली पर निबंध 500 शब्दों में ( Essay on Holi 500 Words)
होली रंगों का एक बहुत प्रसिद्ध त्योहार है जो हर साल ‘फाल्गुन’ या मार्च के महीने में भारत के लोगों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह विशेष रूप से बच्चों के लिए बहुत सारी मौज-मस्ती और उल्लासपूर्ण गतिविधियों का त्योहार है, जो त्योहार से एक सप्ताह पहले उत्सव शुरू करते हैं और एक सप्ताह बाद भी जारी रखते हैं। देशभर में विशेषकर उत्तर भारत में मार्च के महीने में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा होली मनाई जाती है।
महोत्सव के पीछे की किंवदंती और कहानी
भारत में वर्षों से होली मनाने के पीछे कई कहानियाँ और किंवदंतियाँ हैं। यह अत्यंत महत्व एवं महत्ता वाला पर्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि होली मनाने की शुरुआत बहुत पहले हुई थी जब होलिका अपने ही भतीजे को आग में मारने की कोशिश करते समय आग में जल गई थी।ऐसा माना जाता है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस राजा था, जो छोटे प्रह्लाद का पिता था, जिसने अपने ही बेटे को आग में जलाकर मारने की कोशिश की थी जब प्रह्लाद ने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब हिरण्यकश्यप प्रह्लाद को मारने की अपनी कई रणनीतियों में विफल रहा, तो उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि उसे आग से कभी नुकसान न होने का वरदान प्राप्त था।
हालाँकि, यह रणनीति भी विफल रही क्योंकि छोटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसे उसके भगवान ने बचा लिया था। होलिका आग में जल गयी और प्रह्लाद बच गया। उस दिन से हिंदू धर्म के लोग हर साल होली मनाने लगे।
होलिका और उसके रीति-रिवाज
होली से एक दिन पहले लोग चौराहों पर लकड़ियों का ढेर बनाकर उसे होलिका का प्रतीक बनाकर जलाते हैं और ‘होलिका दहन’ समारोह मनाते हैं। लोग जलती हुई होलिका की कई परिक्रमा करते हैं और अग्नि में सभी पापों और बीमारियों को जलाकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने के लिए इसकी पूजा करते हैं। उत्तर भारत में एक प्रथा यह भी है कि लोग सरसों के पेस्ट से शरीर की मालिश करते हैं और फिर शरीर की सभी बीमारियों और बुराइयों से छुटकारा पाने की उम्मीद में इसे होलिका में जला देते हैं।
हम होली कैसे मनाते हैं?
‘होलिका दहन’ के बाद अगली सुबह, लोग एक स्थान पर एकत्रित होकर और एक-दूसरे पर खेल-खेल में रंग फेंककर होली का रंगीन त्योहार मनाते हैं। मुख्य त्योहार से एक सप्ताह पहले ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग, विशेषकर बच्चे अत्यधिक उत्साही होते हैं जो एक सप्ताह पहले से ही अलग-अलग रंगों की खरीदारी शुरू कर देते हैं।
यहां तक कि वे अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ पिचकारी और छोटे गुब्बारों से रंग खेलना शुरू कर देते हैं। उत्सव की शुरुआत सुबह से होती है जब बहुत सारे रंगों के साथ लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और उन्हें रंग लगाते हैं। होली के व्यंजनों में ‘गुझिया’, मिठाइयाँ, ‘पानी पुरी’, ‘दही बड़े’, चिप्स आदि शामिल होते हैं जिनका मेहमानों के साथ-साथ मेजबानों द्वारा भी आनंद लिया जाता है।
होली पर निबंध 1000 शब्दों में ( Nibandh On Holi 1000 Words)
होली – रंग, खुशी और प्यार का त्योहार.
होली अन्य हिंदू त्योहारों से इस मायने में अलग है कि इसमें किसी भी देवता की पूजा की आवश्यकता नहीं होती है, जैसा कि अन्य त्योहारों के साथ अनिवार्य है। यह त्यौहार बिना किसी धार्मिक बाध्यता के शुद्ध आनंद की मांग करता है।
रंगों के बिना होली उत्सव की कल्पना करना असंभव है। दरअसल इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। लोग रंगीन पाउडर से खेलते हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में गुलाल कहा जाता है। वे दोस्तों और परिवार के सदस्यों पर गुलाल छिड़कते हैं, एक-दूसरे को “हैप्पी होली” कहते हैं और गले मिलते हैं। बच्चों को विभिन्न प्रकार की पिचकारी के साथ समूह में खेलते देखा जा सकता है।सभी घर और सड़कें सुंदर और चमकीले लाल, पीले, नीले, नारंगी और बैंगनी रंग के संयोजन से रंग जाते हैं। सर्दियों की ठंडी हवाएँ चले जाने के बाद, लोग ढीले-ढाले कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे पर रंग और रंगीन पानी छिड़कते हैं। सिर से पैर तक हर कोई अलग-अलग रंगों में रंगा हुआ है; इतना कि किसी को अपने सबसे करीबी दोस्त को पहचानने में भी एक या दो पल लग जाते हैं।
होलिका दहन की पौराणिक कथा
होली दो दिवसीय त्योहार है, जो हिंदू महीने फाल्गुन की पूर्णिमा की शाम को शुरू होता है। दूसरे दिन सुबह रंग की होली खेली जाती है.होली के पहले दिन को छोटी होली कहा जाता है और शाम को होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है। सड़क के चौराहों या बाजार, सड़कों, गलियों, कॉलोनियों आदि में अन्य उपयुक्त स्थानों पर अलाव जलाए जाते हैं। लोग आग में अपना पुराना सामान जलाते हैं, जो ईर्ष्या, घृणा और दुश्मनी की भावनाओं को जलाने का प्रतीक है। यह अनुष्ठान बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है।होलिका दहन की आम तौर पर मशहूर किंवदंतियों में से एक राक्षस राजा हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रह्लाद से जुड़ी है। प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था; इससे हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया, जो अमरता के वरदान के कारण खुद को भगवान मानता था। हालाँकि, उनका पुत्र प्रह्लाद विष्णु की पूजा करने के अपने संकल्प पर अड़ा रहा और उसने अपने पिता हिरण्यकश्यप की पूजा करने से इनकार कर दिया।अपने ही पुत्र से निराश हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और उसने प्रह्लाद को यातना देना शुरू कर दिया, ताकि वह शांत हो जाए। जब प्रह्लाद ने नियमित रूप से मना कर दिया, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ प्रह्लाद को उसके साथ जलती हुई चिता पर बैठने के लिए धोखा देने की साजिश रची। माना जाता है कि होलिका को आग में जलने से सुरक्षा का वरदान प्राप्त था। दुष्ट योजना प्रह्लाद को चिता में जलाने की थी, जबकि होलिका वरदान से सुरक्षित रहेगी।होलिका प्रह्लाद को अपने साथ चिता में बैठने के लिए सहमत करने में सफल रही। प्रह्लाद सहमत हो गया क्योंकि उसे अपने देवता विष्णु पर अत्यधिक विश्वास था। होलिका बालक प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता में बैठ गयी। जैसे ही चिता जली, भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचाने के लिए हस्तक्षेप किया और वरदान के बावजूद होलिका जलकर राख हो गई। होलिका को दिया गया वरदान काम नहीं आया, क्योंकि; उसे अमरता तभी प्रदान की गई जब वह अकेले अग्नि में प्रवेश कर गई।इस प्रकार, लोग छोटी होली पर बुराई होलिका के दहन के प्रतीक के रूप में चिता जलाते हैं और अगले दिन रंगीन उत्सवों का स्वागत भी करते हैं।
लठ मार होली बरसाना
मथुरा के निकट एक छोटे से कस्बे बरसाना में राधा रानी मंदिर के परिसर में लठ मार होली की प्रथा सदियों से मनाई जा रही है। पास के नंदगांव के पुरुष बरसाना आते हैं जहां महिलाएं उन्हें लाठियों से मारती हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से हिंदी में लाठियां कहा जाता है। दूसरी ओर, पुरुष ढालों से अपनी रक्षा करते थे और जो लोग पकड़े जाते थे उन्हें महिलाओं की पोशाक पहनाकर नृत्य कराया जाता था।
बरसाना की लठ मार होली इतनी लोकप्रिय हो गई है कि लाखों देशी भारतीयों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी इस उत्सव को देखने के लिए बरसाना आते हैं।
होली त्यौहार का जश्न
विभिन्न राज्यों और देशों के लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों और तरीकों से होली मनाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति प्रथम दिन पूर्णिमा के दिन होली को होली पूर्णिमा के नाम से मनाता है।
सबसे पहले इस दिन लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के कारण होली मनाते हैं। साथ ही फाल्गुन महीने का स्वागत करने के लिए लोग होली मनाते हैं, इसलिए इसका दूसरा नाम फगवा है।उन्होंने “होली” शब्द को ‘होला’ शब्द से लिया, जिसका अर्थ है अच्छी फसल के लिए भगवान की पूजा। होली का त्यौहार दीपावली या दीवाली के पारंपरिक त्यौहार की तरह है। इस त्यौहार को लोग हर साल भी मनाते हैं।
आप प्राचीन मंदिरों की दीवारों पर भी होली उत्सव का उल्लेख पा सकते हैं। ओडिशा और पश्चिम बंगाल में पूर्णिमा के अगले दिन को डोल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है । इसलिए इस दिन को डोल जात्रा के नाम से भी जाना जाता है।
मथुरा और वृन्दावन: होली समारोह
होली का त्यौहार मथुरा और वृन्दावन में प्रसिद्ध है। इस दिन को उत्साह से मनाने के लिए भारत के अन्य शहरों और विभिन्न देशों से लोग मथुरा और वृन्दावन आते हैं।मथुरा और वृन्दावन वे पवित्र स्थान हैं जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। पारंपरिक भारतीय इतिहास के अनुसार, लोग राधा कृष्ण के समय से ही होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं।होली के अवसर पर मथुरा और वृन्दावन के लोग विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। सबसे पहले बांकेबिहारी मंदिर में महा होली का उत्सव होता है और उसके बाद मथुरा के ब्रज में गुलाल कुंड में लोग होली मनाते हैं। सदस्य यहां कृष्ण लीला नाटक का भी आयोजन करते हैं।
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होली पर निबंध हिंदी में ( Essay On Holi in Hindi )
होली, रंगों का त्योहार, भारत में मनाए जाने वाले सबसे रंगीन और खुशियों भरे त्योहारों में से एक है। यह आमतौर पर मार्च महीने में आता है और बसंत के आगमन का संकेत देता है। यह त्योहार सिर्फ रंगों के साथ खेलने के बारे में ही नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की जीत और एकता की भावना के बारे में भी है।होली की कथा हिन्दू पौराणिक कथाओं में निहित है, खासकर होलिका और प्रहलाद की कहानी में। होलिका, दानवी राक्षस, ने प्रहलाद को भगवान विष्णु के भक्त को आग में जलाने की कोशिश की। हालांकि, भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा की, और होलिका को आग में नष्ट कर दिया। इस घटना का संकेत अच्छाई की जीत की ओर है, और होली की रात को “होलिका दहन” के नाम से जाने वाले एक बोनफायर को इस जीत का प्रतीक बनाने के लिए जलाया जाता है। स्वादिष्ट मिठाई और नमकीन होली के उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। इस त्योहार के दौरान गुजियाएं, आटे से बनी जिनमें मिठाई भराई होती है, एक प्रसिद्ध मिठाई होती हैं। ठंडाई, दूध, द्रव्यों, और मसालों से बनी एक पारंपरिक पेय, कई लोगों द्वारा आनंदिति से ली जाती है। लोग इन मिठाईओं को अपने दोस्तों और पड़ोसियों के साथ साझा करते हैं ताकि खुशी का आनंद दुगना उठाया जा सके होली सिर्फ रंगों के साथ खेलने के बारे में ही नहीं है, यह प्यार और खुशियों को फैलाने के बारे में भी है। दोस्त और परिवार सभी एक साथ आकर्षित होते हैं, और क्षमा त्योहार का महत्वपूर्ण तत्व है। लोग आपसी गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं और प्यार और मित्रता के नए बंधनों के साथ फिर से आरंभ करते हैं।मनोरंजन और उत्सवों के अलावा, होली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी होता है। यह वक्त होता है जब लोग मंदिरों की यात्रा करते हैं और अपने जीवन के एक समृद्ध और समान्य जीवन के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। कुछ भारत के क्षेत्रों में, होली को पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के साथ मनाया जाता है, जो इस त्योहार की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देता है।हाल के वर्षों में, होली भारत की सीमाओं के पार भी पॉपुलैर हो गई है और इसे विभिन्न राष्ट्रीयताओं और संस्कृतियों के लोग दुनिया भर में मनाते हैं। यह भारत की संगीती सांस्कृतिक धरोहर और विविधता में एकता की भावना का प्रतीक बन गया है।होली एक त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाकर अच्छाई की जीत और बसंत के आगमन को रंगों, मिठाईयों, और संगीत के साथ मनाने के लिए बुलाता है।
होली निबंध 10 लाइन (Holi Per Nibandh 10 Line)
- होली भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाने वाला त्यौहार है।
- होली का त्यौहार हर साल फरवरी या मार्च में मनाया जाता है।
- होली रंग और खुशियों का त्योहार हैं।
- होली का त्यौहार दुनिया भर में मुख्य रूप से हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन अब इसे सभी धर्मों के लोग मनाते हैं।
- भारत में लोग राधा और भगवान कृष्ण के समय से ही होली खेलते आ रहे हैं।
- होली जीवन में रंगों और खुशियों से भरी होती है।
- होली खूब रंग (गुलाल) और पानी से मनाई जाती है।
- होली के जश्न के लिए लोग नई-नई पोशाकें खरीदते हैं।
- अधिकांश हिंदू परिवार होली उत्सव के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और जूस बनाते हैं।
- इलाके के लोग अपने बीच के सारे गुस्से और झगड़ों को भूलकर खुशी-खुशी एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं।
होली पर निबंध Class 5 (Holi Essay in Hindi for Class 5)
होली भारत में मनाया जाने वाला एक.आनंदमय त्योहार है, जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह रंग-बिरंगा त्योहार विशेष रूप से बच्चों को बहुत पसंद आता है, जो चंचल और उत्साही माहौल में शामिल होने के लिए इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। आप जैसे कक्षा 5 के छात्र के लिए, होली सिर्फ रंगों के बारे में नहीं है; यह मौज-मस्ती, दोस्ती और सांस्कृतिक महत्व के बारे में है।यह त्योहार आमतौर पर मार्च में पड़ता है और इसकी तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों को साफ करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और दोस्तों और परिवार के साथ साझा करने के लिए स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाते हैं। जैसे-जैसे दिन नजदीक आता है उत्साह बढ़ता जाता है और होली के दिन हवा हँसी-मजाक और उत्सव के खाद्य पदार्थों की खुशबू से भर जाती है।बच्चों के लिए होली का सबसे रोमांचक हिस्सा रंगों से खेलना है। सभी रंगों के चमकीले पाउडर और पानी के गुब्बारे आसपास के वातावरण को रंगों के बहुरूपदर्शक में बदल देते हैं। दोस्त और परिवार एक-दूसरे का पीछा करते हैं, एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं और हार्दिक हंसी साझा करते हैं। यह एक ऐसा दिन है जब हर कोई समान है, रंगों से सराबोर है जो मतभेद मिटाता है और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।होली के पारंपरिक पहलुओं में से एक रात पहले अलाव जलाना है, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है। यह अनुष्ठान हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रह्लाद और होलिका की कहानी की याद दिलाते हुए, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। परिवार अलाव के चारों ओर इकट्ठा होते हैं, गीत गाते हैं और अपने प्रियजनों की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं।रंगों से खेलने की खुशी के अलावा, होली लोगों को एक साथ भी लाती है। यह मतभेदों को भूलने, पिछली शिकायतों को माफ करने और रिश्तों को नवीनीकृत करने का समय है। कहावत “बुरा ना मानो होली है” (बुरा मत मानो, यह होली है) त्योहार के सार को दर्शाती है, क्षमा और सौहार्द की भावना को प्रोत्साहित करती है।हालांकि, तमाम मौज-मस्ती के बीच जिम्मेदारी से होली खेलना भी जरूरी है। सुरक्षित, पर्यावरण-अनुकूल रंगों का उपयोग यह सुनिश्चित करता है कि उत्सव में पर्यावरण या किसी के स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचे। व्यक्तिगत स्थान और दूसरों की सहमति का सम्मान करना भी महत्वपूर्ण है, यह सुनिश्चित करते हुए कि उत्सव सभी के लिए आनंददायक बना रहे।
Holi Festival Paragraph
रंगों का त्योहार होली भारत में एक जीवंत उत्सव है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत और वसंत के आगमन का प्रतीक है। दो दिनों तक चलने वाली, इसकी शुरुआत होलिका दहन, अलाव की रात से होती है, और रंगवाली होली, रंग-बिरंगे उल्लास के दिन के साथ समाप्त होती है। यह त्यौहार सामाजिक बाधाओं को तोड़ता है, एकता को बढ़ावा देता है क्योंकि लोग रंगीन पाउडर और पानी से खेलते हैं। होली क्षमा और नवीकरण को बढ़ावा देती है, जो जीवन के रंगों का प्रतिनिधित्व करने वाले विविध रंगों का प्रतीक है। भारत के अलावा, होली की लोकप्रियता विश्व स्तर पर फैल गई है 2024 में होली 25 मार्च को पूरे भारतवर्ष में मनाया जाएगा।
Conclusion:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित कोई सुझाव या प्रश्न है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में..!!
FAQ’s: Holi Nibandh in Hindi
Q. होली क्या है .
Ans. होली भारत में मनाया जाने वाला एक रंगीन और आनंदमय त्योहार है, जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
Q. होली कब मनाई जाती है?
Ans. होली आमतौर पर मार्च में हिंदू महीने फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन पड़ती है।
Q. होली कैसे मनाई जाती है?
Ans. लोग रंगीन पाउडर, पानी के गुब्बारों से खेलते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। होली की पूर्व संध्या पर अलाव जलाए जाते हैं जिन्हें “होलिका दहन” कहा जाता है।
Q. होली का पारंपरिक भोजन क्या है?
पारंपरिक होली मिठाइयों में गुझिया (मीठी पेस्ट्री) और ठंडाई (एक मसालेदार दूध पेय) शामिल हैं।
Q. ब्रह्मा जी ने होलिका को क्या वरदान दिया था?
भगवान ब्रह्मा ने होलिका को वरदान देते हुए कहा था, ‘आग उसे नहीं जला पाएगी।’
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Holi Essay in Hindi : इस लेख में पाएं 100 शब्दों से लेकर 1000 शब्दों में होली पर निबंध
Holi Essay in hindi : भारत में रंगों का त्यौहार होली, फागुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। होली, रंगों, खुशी, और उत्सव का त्यौहार है, जो लोगों को एकजुट करता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने के बारे में है। लोग अपनी परेशानियों को भूलकर भाईचारे का जश्न मनाने के लिए इस त्योहार में शामिल होते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी शत्रुताएँ भूल जाते हैं और उत्सव की भावना में डूब जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों से खेलते हैं और त्योहार के रंग में रंगने के लिए उन्हें एक-दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं। इस विशेष लेख के जरिए हम आपके लिए लेकर आए हैं होली के पावन त्योहार से संबंधित 100 से लेकर 1000 शब्दों के निबंध इन निबंध को पढ़कर आप होली के त्यौहार के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे यह सभी निबंध सभी विद्यार्थियों के लिए भी काफी लाभदायक हैं , इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए।
Essay on My Favorite Festival Holi
प्रस्तावना:
होली, रंगों का त्योहार, भारत के सबसे प्रिय और उत्साहपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो प्रकृति के नवीन जीवन और रंगों का प्रतीक है।
होली का इतिहास:
होली के त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। सबसे प्रचलित कथा प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की है। हिरण्यकश्यप एक अहंकारी राजा था जो चाहता था कि लोग उसकी पूजा करें। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कई कोशिशें कीं, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। अंत में, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जो आग में जलने से अक्षत रहने का वरदान प्राप्त थी, प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर राख हो गई।
होली का महत्व:
होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को सामाजिक बंधनों को मजबूत करने और एक दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भावना को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।
होली का उत्सव:
होली का उत्सव एक दिन पहले बरसाना (barsana) से, उत्सव वृन्दावन की ओर बढ़ता है और यहीं वे अपने चरम पर होते हैं। होलिका दहन से शुरू होता है। लोग लकड़ी और उपलों का ढेर बनाकर उसमें आग लगाते हैं। इसके बाद, होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं।
होली के रंगों का महत्व:
होली के रंगों का विशेष महत्व है। लाल रंग प्रेम और उत्साह का प्रतीक है, पीला रंग खुशी और समृद्धि का प्रतीक है, हरा रंग प्रकृति और नवीन जीवन का प्रतीक है, और नीला रंग शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
होली के व्यंजन:
होली के त्योहार पर कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। गुझिया, मठ्ठी, ठंडाई, और दाल-बाटी-चूरमा कुछ लोकप्रिय व्यंजन हैं।
होली का पर्यावरण पर प्रभाव:
होली के त्योहार पर पानी और रंगों का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम पर्यावरण के अनुकूल होली मनाएं।
होली का त्योहार एक ऐसा त्योहार है जो हमें जीवन का आनंद लेने और एक दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भावना को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है। हमें इस त्योहार को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाना चाहिए।
होली पर निबंध 100 शब्दों में (essay on Holi 100 words)
होली पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला रंगों का त्योहार है। हिंदू होली को प्यार और खुशी के त्योहार के रूप में मनाते हैं, जिसमें वे प्यार और एकजुटता के नए जीवन को अपनाने के लिए दुश्मनी, लालच और नफरत को त्याग देते हैं।
होली का त्योहार वसंत ऋतु में, हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने के दौरान मनाया जाता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च महीने या कभी-कभी फरवरी के अंत से मेल खाता है। यह दो दिवसीय त्योहार है जो पूर्णिमा की रात को होलिका दहन के साथ शुरू होता है। मुख्य होली त्यौहार होलिका दहन के अगले दिन होता है। यह गेहूं की फसल के साथ भी मेल खाता है और समृद्धि और खुशी से जुड़ा है।
होली पर निबंध 300 शब्दों में ( Essay On Holi 300 Words)
होली, रंगों का त्यौहार, भारत के सबसे लोकप्रिय और प्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो प्रकृति के नवजीवन और रंगों का उत्सव मनाता है। होली न केवल रंगों का त्यौहार है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम और भाईचारे का भी प्रतीक है।
होली का इतिहास अनेक पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद और उनकी दुष्ट चाची होलिका की है। कहा जाता है कि होलिका को आग में जलने का वरदान प्राप्त था। प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे, और होलिका ने उन्हें आग में डालकर मारने का प्रयास किया। परंतु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई। इस घटना का जश्न मनाने के लिए लोग रंगों का त्यौहार होली मनाते हैं।
होली की परंपराएं:
होली के त्यौहार की कई परंपराएं हैं। होली से एक दिन पहले, ‘होलिका दहन’ किया जाता है। लोग लकड़ी और गोबर के ढेर को जलाते हैं और उसके चारों ओर घूमकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक जश्न मनाते हैं। होली के दिन, लोग रंगों से खेलते हैं, पिचकारी से पानी उड़ाते हैं, और मिठाई खाते हैं। बच्चे और बूढ़े, सभी इस त्यौहार में समान रूप से भाग लेते हैं। रंगों का यह उत्सव लोगों में खुशी और उत्साह का संचार करता है। होली के त्यौहार में कुछ विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं। गुझिया, मठ्ठी, दही-बड़े, और ठंडाई कुछ प्रसिद्ध व्यंजन हैं।
होली का त्यौहार कई महत्वपूर्ण मूल्यों को दर्शाता है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। यह हमें प्रेम, भाईचारे, और एकता का संदेश देता है। होली का त्यौहार लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। यह त्यौहार हमें जीवन में खुशियां और रंगों का महत्व समझाता है।
आज के दौर में होली:
आज के दौर में भी होली का त्यौहार उतना ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। हालांकि, कुछ बदलाव भी आए हैं। पहले लोग प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते थे, लेकिन अब बाजार में कई तरह के कृत्रिम रंग उपलब्ध हैं। इन कृत्रिम रंगों का उपयोग पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा, कुछ लोगों ने होली के त्यौहार को गलत तरीके से मनाना शुरू कर दिया है। वे शराब पीकर हुड़दंग करते हैं और दूसरों को परेशान करते हैं। यह होली के त्यौहार का सच्चा मकसद नहीं है। हमें होली का त्यौहार सच्चे उत्साह और उमंग के साथ मनाना चाहिए। हमें पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना चाहिए। हमें दूसरों को परेशान किए बिना, खुशी और प्रेम के साथ इस त्यौहार का आनंद लेना चाहिए।
होली का त्यौहार रंगों, खुशियों, और प्रेम का त्यौहार है। यह त्यौहार हमें जीवन में रंगों का महत्व समझाता है और हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। हमें इस त्यौहार को सच्चे उत्साह और उमंग के साथ मनाना चाहिए और इसके सच्चे मकसद को समझना चाहिए।
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होली पर निबंध 500 शब्दों में (Essay On Holi 500 Words)
होली का त्यौहार रंगों का एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है जो हर साल ‘फाल्गुन’ या मार्च के महीने में भारत के लोगों द्वारा बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। यह विशेष रूप से बच्चों के लिए मौज-मस्ती और उल्लासपूर्ण गतिविधियों का त्योहार है, जो त्योहार से एक सप्ताह पहले शुरू होता है और एक सप्ताह बाद समाप्त होता है। मार्च के महीने में, पूरे देश में, विशेषकर उत्तर भारत में हिंदू होली मनाते हैं।
महोत्सव की किंवदंती और कहानी:
वर्षों से, भारतीय कई कहानियों और किंवदंतियों के साथ होली मनाते आए हैं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं महत्त्वपूर्ण त्यौहार है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, होली का उत्सव कई साल पहले शुरू हुआ था जब होलिका अपने ही भतीजे को आग में मारने की कोशिश करते समय आग में जल गई थी।
ऐसा माना जाता है कि छोटे प्रह्लाद के पिता, हिरण्यकश्यप नाम के एक राक्षस राजा ने अपने ही बेटे को जिंदा जलाने का प्रयास किया था जब प्रह्लाद ने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब हिरण्यकश्यप के प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास विफल हो गए, तो उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने का आदेश दिया क्योंकि उसे आग से कभी कोई नुकसान नहीं होने का श्राप मिला था।
हालाँकि, यह रणनीति भी विफल रही क्योंकि छोटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसके भगवान ने उसे बचा लिया था। आग में होलिका जल गयी और प्रह्लाद बच गया। तब से हर साल हिंदू होली मनाते हैं। होली एक ऐसा त्योहार है जो प्रेम, भाईचारा, सद्भाव और खुशी फैलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। होली एक ऐसा त्योहार है जिसके दौरान सभी लोग अपनी प्रतिद्वंद्विता भूल जाते हैं, और सभी नफरत और नकारात्मकता को भूलकर अपने दुश्मनों को गले लगाते हैं।
होलिका के रीति रिवाज:
होली से एक दिन पहले, लोग एक चौराहे पर लकड़ियों का ढेर बनाते हैं और उसे होलिका के प्रतीक के रूप में जलाते हैं और ‘होलिका दहन’ समारोह मनाते हैं। लोग जलती हुई होलिका की कई परिक्रमा करते हैं और अग्नि में सभी पापों और बीमारियों को जलाकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने के लिए इसकी पूजा करते हैं। उत्तर भारत में, लोग सरसों के पेस्ट से शरीर की मालिश करते हैं और फिर इसे होलिका में जला देते हैं, इस आशा से कि शरीर को सभी बीमारियों और बुराइयों से छुटकारा मिल जाए।
अगले दिन, ‘होलिका दहन’ के बाद, लोग एक-दूसरे पर रंग फेंककर होली का रंगीन त्योहार मनाने के लिए एक जगह इकट्ठा होते हैं। होली की तैयारियां मुख्य उत्सव से एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती हैं। लोग, विशेषकर बच्चे, बहुत खुश होते हैं और आयोजन से एक सप्ताह पहले ही अलग-अलग रंग खरीदना शुरू कर देते हैं। वे भी, अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ रंगों से खेलना शुरू करते हैं और पानी छिड़कने के लिए ‘पिचकारी’ और छोटे गुब्बारों का उपयोग करते हैं। उत्सव सुबह से शुरू होता है जब चमकीले रंग के कपड़े पहने लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और उन्हें रंग लगाते हैं। होली त्यौहार के व्यंजनों में ‘गुझिया’, ‘मिठाइयाँ’, ‘पानी पुरी’, ‘दही बड़े’, ‘चिप्स’ इत्यादि शामिल हैं, जिनका मेहमानों और मेजबानों दोनों द्वारा आनंद लिया जाता है। होली एक ऐसा त्यौहार है जिसका मुख्य उद्देश्य भाईचारा और प्रेम फैलाना है। त्योहार में उपयोग किए जाने वाले चमकीले रंग समृद्धि और खुशी का प्रतिनिधित्व करते हैं। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का भी प्रतिनिधित्व करती है, जो अधिकांश भारतीय त्योहारों का केंद्र है। यह हमें नेक रास्ते पर चलने और सामाजिक बुराइयों से बचने की सीख भी देता है।
होली पर निबंध 1000 शब्दों में (Essay On Holi 1000 Words)
होली का त्यौहार हर व्यक्ति के घर पर खुशी का रंग लाता है। होली को लोग प्यार और रंग के त्योहार के रूप में मनाते हैं। यह त्यौहार लोगों के बीच प्यार बढ़ाता है और होली के पूरे दिन रंग-गुलाल खेलकर, नाच-गाकर इसका भरपूर आनंद उठाता है। यह एक सांस्कृतिक और पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो अब भारत और कई देशों में मनाया जाता है। इस दिन को लोग बड़े उत्साह से मनाने का इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग कई पीढ़ियों से इस त्योहार को मनाते आ रहे हैं और इस त्योहार की खासियत और आधुनिकता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
होली त्यौहार का महत्व:
होली प्रेम और रंग का उत्सव है। यह हर साल हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा त्योहार है। यह त्यौहार लोगों को जोश और खुशियों से भर देता है। होली लोगों के बीच की दूरियां मिटाती है और कपल्स और दोस्तों के बीच मजबूत रिश्ता बनाती है। लोग अपने रिश्तेदारों, परिवार और दोस्तों के साथ होली का आनंद लेते हैं और बहुत खुशी के साथ जश्न मनाते हैं। होली उत्सव के दौरान, लोग प्रेम और स्नेह के प्रतीक के रूप में गुलाल का उपयोग करते हैं। इसीलिए होली के दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं। इस दिन सभी लोग सुबह से रात तक अनोखे कार्यक्रमों के साथ दिन का आनंद लेते हैं।
इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग से भरे गुब्बारों को मारते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे रंगों में न फंसे। इस दिन ज्यादातर लोग अपने घरों में गुजिया, मालपुआ, सेवइयां और कई अन्य स्वादिष्ट मिठाइयां बनाते हैं. कुछ लोग अपने इलाकों में अपने पड़ोसियों को मिठाइयाँ बाँटते हैं। भारत और अब कई अन्य देशों में लोग हर साल होली मनाते हैं। हम इस त्यौहार को बहुत सारे अनुष्ठानों के साथ मनाते हैं। होली के दिन परिवार के सभी सदस्य और रिश्तेदार मिलकर गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और रात में होलिका दहन करते हैं। होली की शाम को लोग होलिका जलाकर अनुष्ठान करते हैं। लोगों का मानना है कि इस अनुष्ठान से जीवन की सभी नकारात्मक चीजें दूर हो जाती हैं और सकारात्मक शुरुआत होती है।
होली उत्सव का उत्सव:
विभिन्न राज्यों और देशों के लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों और तरीकों से होली मनाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति पूर्णिमा के दिन पहले दिन होली पूर्णिमा के नाम से होली मनाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर जश्न मनाते हैं। दूसरे दिन, मुहूर्त के अनुसार, लोग रात के समय में होलिका दहन करते हैं।
मथुरा और वृन्दावन: होली समारोह
होली का त्यौहार मथुरा और वृन्दावन में प्रसिद्ध है। इस दिन को उत्साह से मनाने के लिए भारत के अन्य शहरों और विभिन्न देशों से लोग मथुरा और वृन्दावन आते हैं।
मथुरा और वृन्दावन वे पवित्र स्थान हैं जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। पारंपरिक भारतीय इतिहास के अनुसार, लोग राधा कृष्ण के समय से ही होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं। होली के अवसर पर मथुरा और वृन्दावन के लोग विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। बांके बिहारी मंदिर में सबसे पहले महा होली उत्सव होता है और फिर मथुरा के ब्रज में गुलाल कुंड में लोग होली मनाते हैं। सदस्य यहां कृष्ण लीला नाटक का भी आयोजन करते हैं।
होली त्यौहार का इतिहास:
होली बहुत ही सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं का त्योहार है जिसे लोग बहुत पौराणिक काल से मनाते हैं। पुराणों, रत्नावली जैसे भारतीय पवित्र ग्रंथों में आपको होली के कई वर्णन मिलेंगे। होली पर विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूर्णिमा के दिन भगवान की पूजा करती हैं। होली का त्योहार मनाने का एक अलग स्वास्थ्य लाभ भी है। इससे लोगों की चिंता दूर होती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
होली पर निबंध PDF (Essay On Holi PDF Download)
होली के पावन त्योहार से संबंधित विशेष निबंध हम आपसे साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो आप निबंध के इस पीडीएफ को डाउनलोड कर सकते हैं और कभी भी निबंध को पढ़ भी सकते हैं।
होली पर निबंध PDF Download
होली पर निबंध हिंदी में (Essay On Safety in Hindi
होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, नस्ल या धर्म की परवाह किए बिना एक त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। भारत में होली मार्च में पूर्णिमा के दिन दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन इकट्ठा होकर लकड़ी और गोबर के ढेर जलाकर और होली से संबंधित भजन गाकर “होलिका दहन” मनाते हैं।
अगले दिन, सभी लोग “गुलाल” , रंगों और , रंगीन पानी से खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और उस दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाइयाँ खाते हैं जिन्हें “गुजिया” कहा जाता है और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेलनी चाहिए. उपयोग किया जाने वाला गुलाल जैविक रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा और जहां भी इसके संपर्क में आता है, वहां जलन पैदा कर सकता है। लोगों को होली खेलते समय अपने आस-पास के प्रति सचेत रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे। भारत में कुछ जगहों पर होली पांच दिनों तक भी मनाई जाती है. होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शैक्षणिक संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।
होली बुराई पर अच्छाई की जीत के उत्सव के रूप में:
होली के उत्सव से एक पौराणिक कहानी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि हिरण्यकशिपु नाम के एक क्रूर राजा को ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि कोई भी मनुष्य या जानवर उसे घर या बाहर ज़मीन पर नहीं मार सकेगा। लेकिन वह एक अत्याचारी राजा था और चाहता था कि उसके राज्य में हर कोई उसे भगवान के रूप में सबसे बुरा माने, और इसलिए उसने अपने इकलौते बेटे प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका द्वारा आग लगवाकर मरवाने का आदेश दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु का एक वफादार भक्त था और होलिका को आशीर्वाद प्राप्त था। कि वह आग से न छुए।
ऐसा कहा जाता है कि इस जघन्य कृत्य के दिन, होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर जलती हुई लकड़ियों के ढेर पर बैठी थी, लेकिन प्रह्लाद जलने के बजाय, भगवान विष्णु ने उसे बचा लिया और होलिका राख में बदल गई। तब भगवान विष्णु ने खुद को आधा पशु, आधा देवता रूप में बदल लिया और हिरण्यकशिपु का पेट फाड़कर उसका वध कर दिया। इसलिए, होली का उत्सव बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक रहा है। यह भी एक कारण है कि छोटी होली पर लकड़ियाँ जलाने को “होलिका दहन” कहा जाता है।
होली पर 10 पंक्ति (Holi Per Nibandh 10 Line)
- होली भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाने वाला त्यौहार है।
- होली का त्यौहार हर साल फरवरी या मार्च में मनाया जाता है।
- होली रंग और खुशियों का त्योहार है.
- होली का त्योहार दुनिया भर में ज्यादातर हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन अब इसे सभी धर्मों के लोग मनाते हैं।
- भारत में लोग राधा और भगवान कृष्ण के समय से ही होली खेलते आ रहे हैं।
- होली जीवन में रंगों और खुशियों से भरी होती है।
- होली खूब रंग (गुलाल) और पानी से मनाई जाती है।
- होली के जश्न के लिए लोग नई-नई पोशाकें खरीदते हैं।
- अधिकांश हिंदू परिवार होली उत्सव के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और जूस बनाते हैं।
- मोहल्ले के लोग आपस में सारे गुस्से और झगड़ों को भूलकर खुशी-खुशी एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं
होली पर निबंध class 5(Holi essay in hindi for class 5)
होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। होली हर साल मार्च के महीने में हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है। जो लोग इस त्योहार को मनाते हैं, वे रंगों के साथ खेलने और स्वादिष्ट व्यंजन खाने के लिए हर साल इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं।
होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने का दिन है। लोग अपनी परेशानियों को भूलकर भाईचारे का जश्न मनाने के लिए इस त्योहार में शामिल होते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी दुश्मनी भूल जाते हैं और उत्सव की भावना में डूब जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों से खेलते हैं और त्योहार के रंग में रंगने के लिए उन्हें एक-दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं।
हिंदू धर्म का मानना है कि बहुत समय पहले हिरण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। उनका प्रह्लाद नाम का एक बेटा और होलिका नाम की एक बहन थी। ऐसा माना जाता है कि शैतान राजा को भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद प्राप्त था। इस आशीर्वाद का मतलब था कि कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे नहीं मार सकता था। यह आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप में बदल गया क्योंकि वह बहुत अहंकारी हो गया था। उसने अपने राज्य को आदेश दिया कि वह भगवान के बजाय उसकी पूजा करे, और अपने बेटे को भी न बख्शे।
इसके बाद, उनके पुत्र प्रह्लाद को छोड़कर सभी लोग उनकी पूजा करने लगे। प्रह्लाद ने भगवान के बजाय अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु का सच्चा भक्त था। उसकी अवज्ञा को देखकर, राजा ने अपनी बहन के साथ प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उसने उसे अपने पुत्र को गोद में लेकर आग में बैठाया, जहाँ होलिका तो जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बाहर आ गया। इससे संकेत मिलता है कि उसकी भक्ति के कारण उसके भगवान द्वारा उसकी रक्षा की गई थी। इस प्रकार, लोग होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाने लगे।
विशेषकर उत्तर भारत में लोग अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ होली मनाते हैं। होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में, लोग सार्वजनिक क्षेत्रों में जलाने के लिए लकड़ियों का ढेर लगाते हैं। यह होलिका और राजा हिरण्यकश्यप की कहानी को संशोधित करते हुए बुरी शक्तियों के जलने का प्रतीक है। इसके अलावा, वे आशीर्वाद लेने और भगवान के प्रति अपनी भक्ति अर्पित करने के लिए होलिका के चारों ओर इकट्ठा होते हैं। अगला दिन शायद भारत का सबसे रंगीन दिन है। लोग सुबह उठकर भगवान की पूजा करते हैं। फिर, वे सफेद कपड़े पहनते हैं और रंगों से खेलते हैं। वे एक दूसरे पर पानी छिड़कते हैं। बच्चे पानी की बंदूकों का उपयोग करके पानी के रंग छिड़कते हुए इधर-उधर दौड़ते हैं। इसी तरह इस दिन बड़े भी बच्चे बन जाते हैं। वे एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं और खुद को पानी में डुबो देते हैं।
शाम को, वे नहाते हैं और अच्छे कपड़े पहनकर अपने दोस्तों और परिवार से मिलने जाते हैं। वे पूरे दिन नृत्य करते हैं और ‘भांग’ नामक एक विशेष पेय पीते हैं। होली के खास व्यंजन ‘गुजिया’ का स्वाद हर उम्र के लोग चाव से खाते हैं।संक्षेप में कहें तो होली प्रेम और भाईचारा फैलाती है। यह देश में सद्भाव और खुशहाली लाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह रंग-बिरंगा त्योहार लोगों को एकजुट करता है और जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है।
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Holi Festival Paragraph
होली भारत का एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन माह में मनाया जाता है। यह त्यौहार फाल्गुन की पूर्णिमा से शुरू होकर एक रात और एक दिन तक चलता है। यह आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च महीने से मेल खाता है। होली खुशी और प्रेम का त्योहार है और यह भारतीय उपमहाद्वीप, विशेषकर भारत और नेपाल में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि लोग सड़कों पर निकलते हैं और रंगों से खेलते हैं। अधिकांश हिंदू त्योहारों के विपरीत, होली में किसी भी हिंदू देवी-देवता की पूजा शामिल नहीं होती है और इस प्रकार यह पूरी तरह से मनोरंजन के लिए मनाया जाता है। हालाँकि, होली से एक रात पहले, होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है, जिसमें लोग अपने फेंके हुए सामानों को अलाव में जलाते हैं।
Conclusion:
होली एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एकजुट करता है, प्रेम और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देता है, और जीवन में खुशियां और उत्साह लाता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में कितने भी रंग हों, प्रेम और भाईचारे के रंग हमेशा सबसे ऊपर रहते हैं. होली के त्योहार से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।
Q. होली कब मनाया जाता है?
Ans. होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार रंगों और खुशियों का प्रतीक है।
Q. होली का त्यौहार कितने दिनों तक चलता है?
Ans. होली का त्यौहार 2 दिनों तक चलता है। पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंगों का त्यौहार मनाया जाता है।
Q. होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
Ans. होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्यौहार भगवान विष्णु द्वारा राक्षस प्रह्लाद की रक्षा और उसकी बहन होलिका के दहन का प्रतीक है।
Q. होली त्यौहार के दौरान कौन से रंगों का उपयोग किया जाता है?
Ans. होली त्यौहार के दौरान विभिन्न रंगों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि गुलाबी, पीला, हरा, नीला, नारंगी, आदि।
Q. होली त्यौहार के दौरान कौन से विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं?
Ans. होली त्यौहार के दौरान गुझिया, मठ्ठी, दाल-बड़ा, खीर, आदि जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं।
Q. होली त्यौहार का भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है?
Ans. होली त्यौहार का भारत के अलावा नेपाल, पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका, और अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
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