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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

जनसंख्या नियंत्रण निबंध Essay on Population Control In Hindi विगत कई वर्षों से भारत में जनसंख्या नियंत्रण Population Control एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा रहा हैं.

देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा हैं. आज के निबंध, भाषण, अनुच्छेद का हमारा विषय जनसंख्या नियंत्रण एक्ट हैं इसकी आवश्यकता, उद्देश्य, महत्व, इतिहास आदि को समझने का प्रयत्न करेंगे.

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

इन दिनों जनसंख्या नियंत्रण एक्ट चर्चा का विषय बना हुआ है आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि जनसंख्या नियंत्रण क्या है यह क्यों आवश्यक है.

भारत की जनसंख्या का तुलनात्मक अध्ययन करने के साथ यह भी जानेंगे कि अधिनियम के अलावा कौन से कदम उठाए जा सकते हैं.

जिनसे जनसंख्या नियंत्रित हो तथा जनसंख्या का इतिहास तथा भारत के संदर्भ में  जनसंख्या नीति भारत में जनगणना इत्यादि का समावेश करने का प्रयास किया गया है.

जनसंख्या मानव संसाधन है क्योंकि मनुष्य उत्पादन करने के साथ ही जीवन की गुणवत्ता को भी संसाधनों के बेहतर उपयोग द्वारा बढ़ाता है.

वास्तविक अर्थों में विकास मानव संसाधन तथा अन्य संसाधनों के परस्पर संतुलित सामंजस्य के द्वारा ही किया जा सकता है. किसी भी देश में अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि विकास में बाधक भी साबित हो सकती है.

क्योंकि संसाधनों पर दवाब बढ़ता है जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आती है. जनसंख्या नियंत्रण का अर्थ सीधे तौर पर कृत्रिम तरीकों के द्वारा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है, जिससे संसाधनों के साथ सामंजस्य बना रहे.

पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था.

उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएं दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न संगठनों तथा प्रबुद्ध लोगों ने इससे संबंधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की.

वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है, कि वे इससे संबंधित अधिनियम पारित करें.इसके अलावा 2002 में सविधान समीक्षा आयोग ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया, कि वह जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाएं वर्तमान में दर्ज याचिका में सविधान समीक्षा योग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई.

यहां हम आपको कुछ आंकड़े बताते हैं, जो यह साबित करते हैं कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा क्यों गरमाया हुआ है. विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2% भूभाग भारत है, तथा यहां पर विश्व की 20% आबादी निवास करती है. कुल पीने योग्य जल का 4% भारत के पास है. तथा इसी प्रकार जनसंख्या विस्फोट होता है. तो आने वाले समय में भारत अनेक समस्याओं का सामना करेगा.

भारतीय जनसंख्या वृद्धि को समझने के लिए कुछ रोचक तथ्यों का विश्लेषण करना आवश्यक है. भारत में प्रत्येक दिन 70000 बच्चे जन्म लेते हैं.

अर्थात प्रत्येक मिनट में 51 बच्चों का जन्म होता है इस बार न्यू ईयर यानी 1 जनवरी 2020 को भारत में 67385 बच्चे पैदा हुए. दूसरे स्थान पर चीन रहा जहां इस दिन 46299 बच्चों ने जन्म लिया. भारत की जनसंख्या वर्तमान में 135 करोड़ है,

तथा यह इसी तरह बढ़ती है तो 2024 तक 140 करोड़ को पार कर जाएगी.  यूएनओ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए जनसंख्या के मामले में पहले स्थान पर आ जाएगा.

भारत में कृषि उत्पाद की अधिकांश खपत हमारे देश में ही हो जाती है. हम हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ईंधन का आयात करते हैं. इसके अलावा बढ़ती हुई जनसंख्या के चलते मूलभूत आवश्यकताओं यथा शिक्षा चिकित्सा तथा रोजगार की आपूर्ति देश के लिए चुनौती पेश कर रहे है. जिससे जीवन स्तर में कमी तथा और असमान आय वितरण मे दिनोंदिन वृद्धि देखी जा सकती है.

इनके अलावा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कुपोषण गरीबी बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निजात पाने में कठिनाई पैदा हुई है. बड़े-बड़े शहरों में लंबे-लंबे यातायात जाम कोलाहल युक्त वातावरण बढ़ता प्रदूषण जनसंख्या विस्फोट के ई परिणाम है.

जनसंख्या नियंत्रण के प्रमुख उपायों में तर्क दिया जाता है, कि विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ा दिया जाना चाहिए क्योंकि एक विशेष आयु तक प्रजनन की क्षमता अधिक होती है.

दूसरा सुझाव दिया जाता है, कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाया जाए तथा महिला शिक्षा पर जोर दिया जाए. जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा जनसंख्या वृद्धि तथा ऐसी ही अन्य समस्याओं से निजात पाने में सुलभता होगी.

समाज की रूढ़ीवादी परंपराओं से ऊपर उठने में भी शिक्षा अहम योगदान देगी जनसंख्या वृद्धि एक प्रमुख कारण पुत्र प्राप्ति की लालसा भी है. अक्सर यह माना जाता है कि पुत्र वंश को आगे बढ़ाता है तथा बुढ़ापे में सहारा बनता है.

इस संदर्भ में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं तथा कार्यक्रमों के द्वारा लोगों को अधिकाधिक जागरुक करने की आवश्यकता है.

देश के प्रबुद्ध लोगों का तर्क है की जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर किया जाना अनुचित है. इनका तर्क हैं कि भारत में ऐसे प्रयास पहले भी किए गए जो और सफल रहे. यहां उल्लेखनीय है कि भारत विश्व का पहला देश है. जिसने जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कार्यक्रम चलाएं आजादी के बाद 1951 में इसका आरंभ हुआ. 1975 मे जनसंख्या नियंत्रण संबंधी सरकार के प्रयास आलोचनाओं से घिरे रहे उस समय किए गए अमानवीय बर्ताव से ना केवल सरकार की जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कार्यक्रम व सफल हुए, साथ ही साथ आम जनता को विरोधी बना दिया.

सरकार कानून के अलावा अन्य उपायों में प्रोत्साहन के द्वारा लोगों को प्रेरित किया जा सकता है. साथ ही जागरूकता को बढ़ावा देकर जनसंख्या बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जा सकता है.

जनसंख्या नियंत्रण संबंधी अवधारणा पुरानी नहीं है बीसवीं सदी के अंत में विश्व के कुछ देशों में यह महसूस किया गया कि जनसंख्या की अनियंत्रित बढ़ोतरी विकास में बाधक है. तथा इसे रोका जाना चाहिए जनसंख्या किसी भी देश के लिए संसाधन है.

आइए एक नजर डालते हैं जनसंख्या के इतिहास पर जनसंख्या का इतिहास पुराना है. तथा इसके प्रमाण रोमन साम्राज्य से प्राप्त हुए हैं. इजराइल में 1500 इस्सा पूर्व हजरत मूसा ने जनगणना करवाई थी.

चाणक्य के द्वारा रचित अर्थशास्त्र में भी आर्थिक गतिविधियों के लिए जनगणना को महत्वपूर्ण बताया गया है. अबुल फजल ने अपने ग्रंथ आईने अकबरी में जनगणना का वर्णन किया है.

आधुनिक जनगणना सर्वप्रथम स्वीडन में 1749 में शुरु हुई तथा ब्रिटेन में पहली जनगणना 1801 में हुई दशकीय जनगणना की शुरुआत अमेरिका से 1881 में होती है.

भारत में सर्वप्रथम 1872 में लॉर्ड मेयो के निर्देशन में पहली जनगणना हुई परंतु क्रमबद्ध प्रथम जनगणना 1881 में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में हुई थी.

2011 में संपन्न हुई जनगणना भारत की 15वीं जनगणना थी. 16वी जनगणना का कार्य वर्तमान में जारी है. यह स्वतंत्र भारत की आठवीं जनगणना होगी. 1901 में भारत की जनसंख्या 23.83 करोड़ थी.

जो 1951 तक बढ़कर 36.10 करोड़ तक पहुंच गई. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जनसंख्या वृद्धि में अचानक उछाल आया, तथा 1981 की जनगणना में भारत की जनसंख्या 84.86 करोड़ हो गई जो 2001 में 102 करोड तथा वर्तमान में 135 करोड़ तक पहुंच गई है.

संयुक्त राज्य अमेरिका इंडोनेशिया ब्राजील पाकिस्तान बांग्लादेश व जापान की संयुक्त जनसंख्या लगभग भारत के बराबर है. भारत की पहली जनसंख्या नीति 1976 में घोषित की गई. इसके द्वारा विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ाकर लड़कियों की 15 से 18 तथा लड़कों की 18 से 21 वर्ष कर दी गई. इससे पहले भारत ने 1952 में परिवार नियोजन संबंधी राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत की थी.

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के अनुसार परिवार नियोजन अपनाकर कुल प्रजनन दर को 2.1 प्रतिशत 2010 तक लाना शिशु मृत्यु दर को 30 से कम करना तथा मातृ मृत्यु दर को 100 से कम करने का लक्ष्य रखा गया.

इसके साथ ही इस नीति में प्रावधान किया गया, कि सभी जन्म मृत्यु तथा विवाह संबंधी पंजीकरण एवं टीकाकरण को बढ़ावा देना तथा परिवार नियोजन एवं परिवार कल्याण से संबंधित सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों पर बल देने की बात कही गई.

संपूर्ण प्रजनन दर का अर्थ किसी भी महिला की संपूर्ण प्रजनन काल सामान्य 15 से उम्र 49 वर्ष की आयु तक के दौरान पैदा हुए. बच्चों की संख्या को व्यक्त करती है भारतीयों की प्रजनन दर 1975 में जहां 4.7% थी जो वर्तमान में कम हो रही है.

2015 से 20 के बीच यह घटकर 2.3% तक पहुंची है. तथा 2040 के बाद इसका 1.7% रहने का अनुमान है. प्रजनन डर कम होना जनसंख्या नियंत्रण को दर्शाता है. 2050 तक भारत में प्रजनन दर 1.6% तक आती है, तो जनसंख्या की असामान्य बढ़ोतरी नियंत्रण मे होगी.

सरकार को चाहिए कि वह जनसंख्या नियंत्रण के मानवोचित प्रयास करें तथा इस परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने जरूरी है. जिससे संसाधनों का कुशलतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके.

तथा जनसंख्या की असामान्य वृद्धि से उत्पन्न अनेक समस्याओं को अनियंत्रित होने से रोका जा सके. पिछले तीन-चार दशकों से सरकार ने योजनाएं तथा कार्यक्रमों के द्वारा इस दिशा में प्रयास तो किए लेकिन सफल नहीं रहे.

इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता महसूस की गई. हालांकि भारत के 21 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों की प्रजनन दर 2.1% है. वही उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की में प्रजनन दर उच्च स्तर पर बनी हुई है. उसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है.

अब यह देखना दिलचस्प होगा न्यायालय ने सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा है, तो आगामी सुनवाई में सरकार अपना क्या पक्ष रखती है. तथा उसके बाद कौन कौन से कदम उठाए जाएंगे.

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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay on Population Control in Hindi

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay-on-Population-Control-in-Hindi

Essay on Population Control in Hindi : दोस्तों पिछले कई वर्षों से भारत में जनसंख्या का मुद्दा एक अहम मुद्दा बन गया है, यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा है।

देश का एक बड़ा हिस्सा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक कानून की मांग कर रहा है, आज का हमारा यह आर्टिकल जनसंख्या नियंत्रण पर है, बढ़ती जनसंख्या को रोकना एक बहुत ही बड़ा मुद्दा बन गया है, और अगर इसे नहीं रोका गया तो आने वाले समय में हमें बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है आज के इस निबंध में मैं आपको जनसंख्या से जुड़ी तमाम जानकारियां दूंगा तो आप हमारे साथ आखिर तक बने रहें।

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विषय–सूची

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध (Essay on Population Control in Hindi)

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध: दोस्तों पिछले कई दिनों से जनसंख्या नियंत्रण एक्ट का मुद्दा छीड़ा हुआ है आज इस निबंध के जरिए मैं आपको बताऊंगा कि जनसंख्या नियंत्रण क्या है, और यह हमारे और संपूर्ण देश भर के लिए क्यों आवश्यक है।

दोस्तों हमारे देश भारत को कभी सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था और इसमें दूध की नदियां बहा करती थी लेकिन आज के समय में बढ़ती जनसंख्या के कारण ऐसा कुछ भी नहीं पता है, कुछ गरीब घर के बच्चों को तो दूध के रंग का भी नहीं पता है, बढ़ती जनसंख्या के कारण हमारे देश में बहुत ही चीजों की कमी होती जा रही है, कुछ गरीब लोगों को तो दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती और ना ही पहनने के लिए कपड़े प्राप्त होते हैं, आखिर यह सब क्यों हो रहा है? इन सब का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या है, आपको यह जानकर बड़ी ही हैरानी होगी की भारत में पूरे विश्व की जनसंख्या का छठा भाग निवास करता है। क्योंकि इस तरीके की जनसंख्या को देखते हुए यह एक बहुत ही दुखदाई बात है।

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay-on-Population-Control-in-Hindi

1951 में भारत की जनंसख्या 36.1 करोड़ थी जोकि 1981 में बढ़कर 68.40 करोड़ हो गई। इस तरह देखा जाए तो केवल तीन दशकों में भारत की जनसंख्या लगभग दोगुनी बढ़ गई। बाद में 1991 में हुई जनगणना के हिसाब से यह आंकड़ा बढ़कर 84.39 हो गया।

2001 में हुई जनगणना में यह जनसंख्या बढ़ कर 1,02,70,15,247 हो गई 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों के अनुसार यह जनसंख्या एक अरब 21 करोड़ तक पहुंच गई है। हमारा यह मानना भी ठीक होगा कि किसी देश या राज्य के लिए जनसंख्या की बढ़ोतरी एक अहम हिस्सा निभाती है, लेकिन इतनी ज्यादा बढ़ती जनसंख्या आज हमारे पूरे देश की एक गंभीर समस्या बन गई है।

जनसंख्या का मतलब यह होता है, कि किसी एक स्थान पर रहने वाले कुल जिलों की संख्या है, भारत में कुछ जगह ऐसी है, कि जहां पर बहुत अधिक पापुलेशन होने की वजह से वहां के लोग ब्यास की वजह से मर रहे हैं और अनेकों बीमारियों का सामना भी कर रहे हैं, हां के लोगों का विकास भी एक चिंता का विषय बन चुका है, और इन परेशानियों से भारत पूर्ण तरीके से जूझ रहा है और इसी के साथ ही हमारे पड़ोसी देश चीन की भी पॉपुलेशन बहुत अधिक है।

लेकिन भारत देश ने पॉपुलेशन के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है यह कोई उपलब्धि हासिल करने की बात नहीं है, यह एक सोच का विषय है, बढ़ती जनसंख्या से हमारे देश भारत में भुखमरी, गरीबी, भ्रष्टाचार आदि बहुत अधिक मात्रा में अधिक तेजी से बढ़ेंंगे और बढ़ती जनसंख्या के कारण लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

कब मनाया जाता है, विश्व जनसंख्या दिवस?

11 जुलाई 1989 को विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत हुई थी। सन 1987 में डॉक्टर Dr. KC Zachariah के सुझाव पर इस दिवस को मनाने की की बात कही गई। हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को इसके दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को सचेत करना है। लोगों को बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति सचेत करें और उन्हें यह भी बताएं कि बढ़ती हुई जनसंख्या हमारे लिए कितनी घातक सिद्ध हो सकती है और आने वाली हमारी पीढ़ी को क्या नुकसान हो सकता है।

  • 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है? जानिए इसका पूरा इतिहास व महत्त्व

भारत में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण

अधिक जनसंख्या के भारत में बहुत से कारण है जैसे बाल विवाह, बहु विवाह, दरिद्रता, मनोरंजन का एक साधन होना, लोगों का शिक्षित होना, रूढ़िवादिता, ग्रामीण क्षेत्र के लोग सरकार द्वारा चलाई गई निरोध सुविधा का गांव में कम प्रचार होना। पुत्र पाने की लालसा आदि अनिवार्यता कारण।

अशिक्षित लोग-

अपने बहुत से गांव और कस्बे ऐसे हैं जहां पर लोग अनपढ़ है, उन लोगों को बढ़ती जनसंख्या के बारे में कुछ नहीं पता वहां के लोग बिल्कुल ऐसी क्षित है तो वहां के लोगों को बढ़ती जनसंख्या के बारे में जागरूक करना और इससे भविष्य में होने वाली हानियों के बारे में अवगत कराना क्योंकि भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या एक बहुत बड़े खतरे का रूप ले सकती है।

जन्म दर भी लगातार बढ़ रही जनसंख्या का एक मुख्य कारण है, लोग बहुत अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं जनसंख्या के साथ-साथ मानव जन्म दर भी बढ़ रहा है और इसी वजह से आबादी भी ज्यादा बढ़ रही है।

मृत्यु दर में कमी-

आज का समय पहले जैसा नहीं है पहले के समय में अनेक प्रकार की महामारी या हुआ करती थी और उन महा मारियो की दवाई उचित रूप से ना मिलने पर लोगों की बहुत अधिक मौत होती थी लेकिन आज के टेक्नोलॉजी के जमाने में बहुत सी सुविधाएं सरकार की तरफ से चलाई जा रही है जिसकी वजह से लोगों का मृत्यु दर भी बहुत कम हो गया है।

कम आयु में विवाह-

भारत में ऐसे बहुत से गांव है जहां के लोग बहुत ही रूढ़िवादी है, वह अपने बच्चों का बाल विभाग कर देते हैं, जिस से कम आयु में बच्चे पैदा होते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या के नुकसान।

  • वैसे तो बढ़ती जनसंख्या का असर हम सभी लोगों पर पड़ रहा है, लेकिन यह असर सबसे ज्यादा नवजात बच्चों पर पड़ रहा है और उनके खानपान पर पड़ रहा है, क्योंकि एक परिवार में अधिक बच्चे होने से उनका पोषण सही तरीके से नहीं हो पाता इसी कारण व कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, और उन्हें कई अन्य गंभीर बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है।
  • देश में बेरोजगारी लाने में भी बढ़ती जनसंख्या का एक अहम हिस्सा है, क्योंकि अधिक पॉपुलेशन होने की वजह से लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता और इसी वजह से वह अपने परिवार का पोषण भी नहीं कर पाते और स्कूल से लेकर नौकरी तक युवाओं को हर फील्ड में कंपटीशन का बहुत ज्यादा सामना करना पड़ता है क्योंकि अधिक जनसंख्या की वजह से पूरे देश में कंपटीशन भी बहुत हो गया है।
  • हमारा देश कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था लेकिन अब इस देश को गरीबी की कगार पर लाने का एक अहम हिस्सा जनसंख्या बन चुकी है, क्योंकि ज्यादा सन जनसंख्या होने की वजह से मजदूरों को अपने रोज के काम में अधिक मेहनत करनी पड़ती है ऐसी आबादी अधिकांश देश के गरीबी रेखा से नीचे होती है।
  • बढ़ती जनसंख्या की वजह से हमारे देश को अपराध का सामना भी करना पड़ता है, क्योंकि जहां पर जनसंख्या अधिक होगी वहां पर लोगों को रोजगार नहीं मिल पाएगा तो वहां के लोग चोरी, लूटमार जैसे धंधे करने शुरू कर देंगे।
  • संसाधनों का भी बढ़ती जनसंख्या की वजह से सही तरह से बटवारा नहीं हो पा रहा है जिसे देश के कई हिस्सों में लोगों को बिना पानी, शुद्ध खाना, और पोषण के बिना रहना पड़ता है।

बढ़ती जनसंख्या को रोकने के उपाय।

  • बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए लोगों को फैमिली प्लानिंग के बारे में बताना चाहिए और उनसे फैमिली प्लानिंग का पालन भी करवाना चाहिए और इसके लिए सरकार को कड़े कानून भी बनाने चाहिए।
  • सरकार के साथ-साथ बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए समाज को भी एक अहम भूमिका निभानी चाहिए कहने का मतलब यह है, कि लोगों की रूढ़िवादी सोच में बदलाव लाना चाहिए।
  • कई लोग बेटी के बजाए बेटे पर अधिक जोर देते हैं तो ऐसे लोगों का भी समाज से बहिष्कार कर देना चाहिए या फिर उन्हें अच्छे से समझाना चाहिए।
  • बढ़ती जनसंख्या को लेकर सरकार को छात्रों में युवाओं को शिक्षा देने में सेक्स एजुकेशन को अधिक बढ़ावा देना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion):-

तो दोस्तों कैसा लगा आपको हमारा आज का यह निबंध आज के इस निबंध में मैंने आपको बढ़ती जनसंख्या के बारे में बताया और इससे हमारे आने वाले जीवन में क्या हानियां हो सकती है, यह भी मैंने आपको बताया तो आप भी 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस है , इसके में बारे में बताएं और बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए प्रेरित अवश्य करें।

अगर आपको हमारा आज का यह आर्टिकल पसंद आया है, तो इसे लाइक शेयर कमेंट अवश्य करें और साथ ही साथ इसे अपनी सोशल मीडिया साइट पर अवश्य शेयर करें अगर आपको हमारा यह लेख आर्टिकल- जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध में कोई कमी नजर आए तो हमें कमेंट सेक्शन में अवश्य बताएं हम आपके कमेंट का जल्द से जल्द रिप्लाई करेंगे।

इन्हें भी जाने :-

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बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

इस लेख में हमने बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध हिंदी में (Essay on Increasing Population in Hindi) लिखा है। जिसमें जनसंख्या वृद्धि का अर्थ, प्रकार, कारण. दुष्परिणाम. कानून और नियंत्रण के उपाय को आकर्षक रूप से शामिल किया गया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi)

किसी भी परिवार को एक आदर्श परिवार तब कहा जा सकता है जब वह सभी प्रकार से संतुलित हो। परिवार में संतुलन अर्थात संख्या संतुलन, आर्थिक संतुलन और व्यवहारिक संतुलन होता है।

लेकिन जब संख्या में लगातार बढ़ोतरी होना शुरू हो जाता है तो परिवार आर्थिक, सामाजिक तथा व्यावहारिक रूप से कमजोर हो जाता है। ठीक इसी प्रकार किसी भी देश की बढ़ती जनसंख्या उसके अविकसित रहने का कारण बनती है।

जनसंख्या वृद्धि यह एक प्राकृतिक परिस्थिति है। लेकिन इसका संतुलन मनुष्य के विवेक के ऊपर निर्भर होता है। अर्थात मनुष्य चाहे तो अपने परिवार को संतुलित रख राष्ट्र को संतुलित रख सकता है।

आबादी की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा देश चीन है। भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर मौजूद है। लेकिन जिस गति से भारत में जनसंख्या वृद्धि हो रही है वह दिन दूर नहीं जब भारत पूरी दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा।

संख्या में ज्यादा होने के कारण इंसानों को रहने तथा गुजर-बसर करने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए जिस देश में जनसंख्या असंतुलन होती है वहां गरीबी, भुखमरी, महंगाई तथा बेरोजगारी अधिक मात्रा में देखने को मिलती है।

इस विषय की गहराई के बारे में हर भारतवासी को सोचना होगा। साथ ही ऐसे कड़े कानून की व्यवस्था करनी पड़ेगी जिसके माध्यम से लापरवाह और असंतुलित लोगों पर शिकंजा कसा जा सके।

जनसंख्या वृद्धि की परिभाषा Definition of population growth in Hindi

एक निश्चित आंकड़े के बाद बढ़ी हुई आबादी को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है। सरल शब्दों में कहे तो किसी भी देश की भौगोलिक परिस्थिति, विकास के अवसर तथा धन के आधार पर तय किए गए जनसंख्या मानक से अधिक संख्या को बढ़ती हुई जनसंख्या का नाम दिया जाता है।

जनसंख्या वृद्धि में किसी भी व्यक्ति, समूह को शामिल नहीं किया जाता है। जिसके कारण लोग बिना सोचे समझे जनसंख्या बढ़ा रहे हैं।

कुछ विशेष नियमों के अंतर्गत जनसंख्या वृद्धि की परिभाषा में बदलाव हो सकता है। क्योंकि पिछली परिभाषा के अनुसार जाहिल और पिछड़ी मानसिकता वाले लोगों की पहचान कर पाना नामुमकिन होता था।

वर्तमान समय में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई कठोर कानून नहीं है, इसलिए ऐसे लोगों पर लगाम कस पाना बेहद मुश्किल कार्यों में से एक है।

जनसंख्या घनत्व वृद्धि के प्रकार Types of Population Density Growth in Hindi

भारत में राज्य स्तर पर उपलब्ध जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर जनसंख्या घनत्व को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता हैः अधिक घनत्व वाले क्षेत्र, मध्य घनत्व वाले क्षेत्र तथा कम घनत्व वाले क्षेत्र।

जहां जनसंख्या का घनत्व चार सौ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक होता है ऐसे जगह को ज्यादा घनत्व वाले जनसंख्या क्षेत्र कहते हैं। ऐसे क्षेत्र तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल राज्य में आते हैं। 

जिन क्षेत्रों का जनसंख्या घनत्व 100 से 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर के बीच होता है उन्हें मध्यम घनत्व वाले क्षेत्र कहते हैं। उदाहरण के तौर पर आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, उड़ीसा, जैसे राज्य मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य हैं।

जिन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व 100 व्यक्ति या उससे कम प्रति वर्ग किलोमीटर होता है ऐसे क्षेत्रों को निम्न जनसंख्या घनत्व वाला स्थान कहते हैं। जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम तथा अंडमान निकोबार दीप समूह।

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण Reason of Population increasing in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण देश में आर्थिक असंतुलन पैदा होता है। जिसके कारण देश का आर्थिक विकास दर बाधित होता है।

जनसंख्या वृद्धि का सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का होना है। क्योंकि ज्ञान के अभाव में ही लोग अपनी तथा देश के भले बुरे के बारे में दूरदर्शिता नहीं रख पाते।

अशिक्षा के कारण लोग जनसंख्या वृद्धि को रोकने का विकल्प नहीं खोज पाते। जिसके कारण उनका पारिवारिक, सामाजिक जीवन असंतुलित हो जाता है।

कम पढ़े लिखे होने के कारण कम आयु में विवाह करने का प्रचलन भी बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप परिवार संयोजन जैसे गंभीर विषयों पर सोचने लायक बुद्धि का विकास ही नहीं हो पाता। जिसके कारण जनसंख्या असंतुलन जैसे मुद्दे सामने आते हैं।

कम आयु अथवा कम समझ में विवाह हो जाने के कारण परिवार नियोजन के प्रति उदासीन भाव रखते हैं तथा विकल्पों को व्यर्थ की बात समझने लगते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारणों में सबसे मुख्य कारण चिकित्सा का अभाव भी होता है। जिसके माध्यम से लोगों को उनकी शारीरिक संरचना के प्रति आगाह किया जाता है। चिकित्सा के अभाव में जनसंख्या वृद्धि होना आज एक आम बात रह गई है।

इसके अलावा गरीबी और जनसंख्या विरोधाभास आदि ने जनसंख्या बढ़ाने में योगदान किया है। इसके कारण कुछ धर्म विशेष के लोग इन मुद्दों की गंभीरता को बिल्कुल भी नहीं समझते हैं तथा अंधविश्वास के कारण जनसंख्या वृद्धि को उनके ईश्वर की मर्जी मानते हैं।

आज अगर बढ़ती हुई आबादी को संतुलित करने के रास्ते न निकाले गए तो इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही नकारात्मक देखने को मिल सकते हैं।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम Bad Effects of Population Increasing in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण किसी भी देश में तकलीफों का बढ़ना आम बात है। जिसमें उस देश के सभी नागरिकों की हानि होती है साथ में देश आर्थिक रूप से कमजोर होता है।

जब किसी देश में लोगों की संख्या बेलगाम बढ़ने लगती है तो वहां के संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है। जो वहां के लोगों की प्रति ही खर्च हो जाता है और व्यवसाय के लिए नाम मात्र ही बचता है। 

उदाहरण के तौर पर चीन में अधिक जनसंख्या होने के कारण वह अपने देश में उगाए हुए चावल स्वयं ही उपयोग में लेता है।

मामूली सी बात है, कि जिस घर में खाने वाले अधिक तथा कमाने वाले कम होंगे वहां के लोगों का जीवन स्तर बहुत ही मामूली रह जाएगा। वर्तमान भारत के कई गांवों में आज निम्न स्तर के जीवन जीने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 

कहते हैं कि पैसा पैसे को खींचता है और गरीबी को। गरीबी का कुचक्र एक ऐसा चक्र है जिसमें लोग आजीवन फंसे रह जाते हैं तथा अपने हित व समाज के हित की बात सोच ही नहीं पाते। 

जब लोगों के जीवन का स्तर निम्न होगा जाहिर सी बात है कि देश का स्तर भी गिरेगा। इसलिए जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम को कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि समस्त राष्ट्र भुगतता है।

जनसंख्या वृद्धि के सबसे बड़े दुष्परिणाम के रूप में पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों की हानि के रूप में सामने आता है। जहां लोगों की वृद्धि होती है वहां उन्हें रहने के लिए अतिरिक्त जगह की आवश्यकता पड़ती है। जिसके कारण जंगलों तथा प्राकृतिक स्थानों का नाश किया जाता है।

इसके अन्य बहुत सारे दूरगामी दुष्परिणाम सामने आते हैं जैसे कि- बेरोजगार स्त्री पुरुषों की संख्या में बढ़ोतरी होना, प्रदूषण का बढ़ना , श्रम बाजार में प्रतिस्पर्धा का बढ़ना तथा आपराधिक प्रवृत्तियों में बढ़ोतरी होना इत्यादि।

जनसंख्या नियंत्रण कानून Population Regulation Bill in Hindi

जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने जबरदस्ती आपातकालीन लागू कर दिया था तब उन्होंने 60 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई थी। जिसके बाद लगभग दो हजार लोगों की मृत्यु हो गई थी।

विगत सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए बहुत से कानून बनाने के प्रयास किए। लेकिन वे सभी फाइलों में धूल खाती रह गई। 

सन 2000 में जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वर्गीय अटल बिहारी सरकार में गठित वेंकटचलैया आयोग ने कानून बनाने की सिफारिश की थी। वेंकटचलैया आयोग ने 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी।

इसके बाद सभी सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर अपने स्वार्थ साधना ही पूरी की। वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान लाल किले से जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को उठाया था।

2015 से 2018 तक विभिन्न लोगों ने अपने अपने रिसर्च और रिपोर्ट को उजागर किया था जिसमें गैर कानूनी तरीके से भारत में रह रहे लोगों का उल्लेख खुलकर किया गया था।

समय-समय पर अनेक राजनेताओं ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने के विषय को उठाया। लेकिन जनसंख्या नियंत्रण यह परिवार का व्यक्तिगत मामला होता है इसलिए वर्तमान सरकार ने जागरूकता पर अधिक जोर दिया है।

लेकिन जो मुद्दे राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता के लिए जरूरी होते हैं उन मुद्दों के लिए जबरजस्ती कानून बनाने की आवश्यकता हो तो ही बनाने चाहिए। क्योंकि एक बार परिस्थिति हाथ से निकल जाती है तो पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता। 

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के उपाय Measures to Control Population Growth in Hindi

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के लिए सबसे पहले लोगों में जागरूकता को फैलाना चाहिए। इसके लिए गांव देहातों में विभिन्न सभाओं व परिवार नियोजन संस्थाओं का निर्माण करना चाहिए।

शिक्षा के अभाव में लोग जनसंख्या वृद्धि को नजरअंदाज करते हैं। जिसके लिए लोगों को शिक्षित तथा अनुशासित करने का ताना-बाना बुनना चाहिए।

गैरकानूनी रूप से दाखिल हुए लोगों को बलपूर्वक देश के प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करना चाहिए तथा गैर कानूनी रूप से दाखिल हुए लोगों के लिए विशेष कानून बनाना चाहिए।

जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए कड़े कानून बनाना ही एकमात्र उपाय है। जिसके माध्यम से लोगों में संतुलन बनाए रखने की जागरूकता में वृद्धि होगी।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर 10 लाइन Best 10 lines on Population growth in Hindi

  • किसी भी देश के आर्थिक संपत्ति के मुकाबले अतिरिक्त जनसंख्या को बढ़ती हुई जनसंख्या कहते हैं।
  • जनसंख्या की दृष्टि से चीन दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है।
  • भारत यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आबादी वाला देश है।
  • एक रिसर्च के अनुसार 2048 तक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की जनसंख्या वर्ष 2064 में लगभग 9.7 बिलियन होने का अनुमान लगाया गया है।
  • समय के साथ किसी देश की बढ़ती आबादी को वृद्धि वक्र के द्वारा दर्शाया जाता है।
  • बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण देश का आर्थिक विकास भी अवरुद्ध होता है।
  • जनसंख्या वृद्धि के मुख्य सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का होना है।
  • तेजी से जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न होता है।
  • भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता बेहद ही अधिक है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध हिंदी में (Essay on Increasing Population in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर करें।

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जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi

इस अनुच्छेद में हमने जनसंख्या वृद्धि पर निबंध समस्या और समाधान (Essay on Population problem in Hindi) लिखा है। साथ ही हमने जनसंख्या की परिभाषा और भारत की बढती जनसंख्या के विषय में भी हमने इसमें जानकारी दी है। इसमें हमने जनसंख्या विस्फोट का कारण, प्रभाव और उपाय की पूरी जानकारी दी है।

Table of Content

जनसंख्या की परिभाषा? Definition of Population in Hindi

किसी देश, शहर या किसी जिले या क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या को जनसंख्या कहते हैं। जनसंख्या के ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने से देश और दुनिया के ऊपर कई प्रकार से प्रभाव पड़ता है। नीचे हमने जनसंख्या वृद्धि और विस्फोट के बारे मे विस्तार से जानकारी दी है।

जनसंख्या वृद्धि क्या है? ‎What is Population Problem in Hindi?

दोनों पुरुषों और महिलाओं को अधिक जनसंख्या के खतरों का एहसास होना चाहिए। अगर हम एक यादृच्छिक सर्वेक्षण करते हैं, तो हमें पता चलता कि अभी भी पुरुष और महिलाएं यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके कम बच्चे होना चाहिए।

किसी भी जनादेश या वैधानिक विधि के अनुसार जनसंख्या ब्रद्धि में रोक लगाना गलत नहीं है। भारत धर्म निरपेक्ष राज्य है, वह धार्मिक आधार पर किसी भी जांच या संयम का प्रयोग नहीं करता है।

प्रारंभिक विवाह- शीघ्र विवाह न केवल उच्च जनसंख्या की ओर जाता है बल्कि हमारी युवा जनसंख्या की प्रगति को विफल भी बनाता है, वे युवाओं के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा करते हैं। ज्यादातर युवा लड़कियां, इस उम्र में प्रसव के बोझ को सहन करने के लिए सक्षम नहीं होती हैं।

मूलरूप से प्राकृतिक संपदा का अधिक न्यायसंगत वितरण ना हो पाना, धार्मिक कट्टरपंथियों पर प्रतिबंध लगाया जाये जो अनावश्यक जन्म से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे है शिक्षा की विधि द्वारा – ये अकेले आबादी समस्या पर एक प्रभावी नियंत्रण ला सकते हैं।

जनसंख्या विस्फोट क्या है? What is Population Explosion in Hindi?

जनसंख्या वृद्धि का कारण causes of population explosion in hindi, 1. बढ़ती जन्म दरें (rising birth rates).

जन्म नियंत्रण पद्धति का उपयोग ना करने और इसके सकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूकता की कमी के कारण जन्म दर में लगातार वृद्धि हुई है। यह बढती हुई जनसंख्या का एक मुख्य कारण है।

2. शिशु मृत्यु दर में कमी (Infant mortality rate)

3. जीवन प्रत्याशा में वृद्धि (increase in life expectancy), 4. वृद्धि हुई आप्रवासन (increased immigration), 5. आवश्यक से कम जगह (less space than necessary).

कई देशों में जनसंख्या बहुत बढ़ जाती है परन्तु उन देशों में उतने लोगों के रहने की जगह नहीं होती है। ऐसे में उस देश और क्षेत्र के लोगों को कई प्रकार की परेशानियों को सामना करना पड़ सकते है। उदाहरण के लिए – खाना, पीने का पानी, बिजली आदि की कमी।

जनसंख्या बढ़ने के कारण Effect of Population Growth in Hindi

स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय गतिविधियों को कृषि, व्यापार, वाणिज्य और उद्योगों के एकीकृत विकास के माध्यम से लोगों की बढ़ती संख्या को आजीविका के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराने के कार्य को निर्देशित किया जाता है।

इस प्रयोजन के लिए अपनाई गई योजनाओं को तब तक अमल नहीं किया जा सकता जब तक कि आबादी की समस्या को संतोषजनक ढंग से सामना नहीं किया जाएगा। हालांकि, यह भी एक तथ्य है कि हम जनसंख्या पर कोई प्रभावी जांच नहीं कर सकते, जब तक कि सामान्य लोगों के लिए जीवन स्तर के स्तर में कोई बढ़ोतरी न हो।

अधिक जनसंख्या, अर्थव्यवस्था को कई मामलों में कमजोर बनाती है। प्राकृतिक संसाधनों पर आबादी का बढ़ता दबाव आर्थिक प्रगति को रोक देगा और शिक्षा, धन, आवास, आदि के रूप में सामाजिक सेवाओं के लिए दायरे को कम से कम करना, इसलिए एक प्रगतिशील राज्य के लिए अनिवार्य रूप से आवश्यक है कि  हमारी अर्थव्यवस्था की योजना बद्ध वृद्धि को आबादी पर कुछ प्रभावी जांच की आवश्यकता है।

जनसंख्या वृद्धि के समाधान Solutions for Population Control in Hindi

सरकार द्वारा शुरू की गई परिवार नियोजन योजनाओं के लाभों को कई मायनों में जोर दिया जाए। फिर भी, आबादी के नियोजित विकास के लिए जनता की राय पूरी तरह जुटाई जाने से पहले इसे लगातार प्रचार प्रसार कार्य की आवश्यकता रूप से किये जिये है।

निष्कर्ष Conclusion

आशा करते हों आपको जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi लेख अच्छा लगा होगा और पूर्ण जानकारी मिली होगी।

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जनसंख्या: समस्या एवं समाधान पर निबंध | Essay on Population : Problems and Solution in Hindi

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जनसंख्या: समस्या एवं समाधान पर निबंध | Essay on Population : Problems and Solution in Hindi!

हमारे देश में अनेकों जटिल समस्याएँ हैं जो देश के विकास में अवरोध उत्पन्न करती हैं । जनसंख्या वृदधि भी देश की इन्हीं जटिल समस्याओं में से एक है । संपूर्ण विश्व में चीन के पश्चात् भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है ।

परंतु जिस गति से हमारी जनसंख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब यह चीन से भी अधिक हो जाएगी । हमारी जनसंख्या वृदधि की दर का इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् मात्र पाँच दशकों में यह 33 करोड़ से 100 करोड़ के आँकड़े को पार कर गई ह ।

देश में जनसंख्या वृद्‌धि के अनेकों कारण हैं । सर्वप्रथम यहाँ की जलवायु प्रजनन के लिए अधिक अनुकूल है । इसके अतिरिक्त निर्धनता, अशिक्षा, रूढ़िवादिता तथा संकीर्ण विचार आदि भी जनसंख्या वृदधि के अन्य कारण हैं । देश में बाल-विवाह की परंपरा प्राचीन काल से थी जो आज भी गाँवों में विद्‌यमान है जिसके फलस्वरूप भी अधिक बच्चे पैदा हो जाते हैं ।

शिक्षा का अभाव भी जनसंख्या वृद्‌धि का एक प्रमुख कारण है । परिवार नियोजन के महत्व को अज्ञानतावश लोग समझ नहीं पाते हैं । इसके अतिरिक्त पुरुष समाज की प्रधानता होने के कारण लोग लड़के की चाह में कई संतानें उत्पन्न कर लेते हैं । परन्तु इसके पश्चात् उनका उचित भरण-पोषण करने की सामर्थ्य न होने पर निर्धनता व कष्टमय जीवन व्यतीत करते हैं ।

देश ने चिकित्सा के क्षेत्र में अपार सफलताएँ अर्जित की हैं जिसके फलस्वरूप जन्मदर की वृदधि के साथ ही साथ मृत्युदर में कमी आई है । कुष्ठ, तपेदिक व कैंसर जैसे असाध्य रोगों का इलाज संभव हुआ है जिसके कारण भी जनसंख्या अनियंत्रित गति से बढ़ रही है । इसके अतिरिक्त जनसंख्या में बढ़ोतरी का मूल कारण है अशिक्षा और निर्धनता ।

आँकड़े बताते हैं कि जिन राज्यों में शिक्षा-स्तर बढ़ा है और निर्धनता घटी है वहाँ जनसंख्या की वृद्‌धि दर में भी ह्रास हुआ है । बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि प्रांतों में जनसंख्या वृद्‌धि दर सबसे अधिक है क्योंकि इन प्रांतों में समाज की धीमी तरक्की हुई है ।

देश में जनसंख्या वृद्‌धि की समस्या आज अत्यंत भयावह स्थिति में है जिसके फलस्वरूप देश को अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है । देश में उपलब्ध संसाधनों की तुलना में जनसंख्या अधिक होने का दुष्परिणाम यह है कि स्वतंत्रता के पाँच दशकों बाद भी लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रही है ।

इन लोगों को अपनी आम भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है । हमने निस्संदेह नाभिकीय शक्तियाँ हासिल कर ली हैं परंतु दुर्भाग्य की बात है कि आज भी करोड़ों लोग निरक्षर हैं । देश में बहुत से बच्चे कुपोषण के शिकार हैं जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि एक स्वस्थ भारत की हमारी परिकल्पना को साकार रूप देना कितना दुष्कर कार्य है ।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर अंकुश लगाना देश के चहुमुखी त्रिकास के लिए अत्यंत आवश्यक है । यदि इस दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं जब स्थिति हमारे नियत्रंण से दूर हो जाएगी । सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि हम परिवार-नियोजन के कार्यक्रमों को और विस्तृत रूप दें ।

जनसंख्या वृदधि की रोकथाम के लिए केवल प्रशासनिक स्तर पर ही नहीं अपितु सामाजिक, धार्मिक एवं व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास आवश्यक हैं । सभी स्तरों पर इसकी रोकथाम के लिए जनमानस के प्रति जागृति अभियान छेड़ा जाना चाहिए ।

भारत सरकार ने विगत वर्षों में इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं परंतु इन्हें सार्थक बनाने के लिए और भी अधिक कठोर कदम उठाना आवश्यक है । देश के स्वर्णिम भविष्य के लिए हमें कुछ ऐसे निर्णय भी लेने चाहिए जो वर्तमान में भले ही अरुचिकर लगें परंतु दूरगामी परिणाम अवश्य ही सुखद हों – जैसे हमारे पड़ोसी देश चीन की भाँति एक परिवार में एक से अधिक बच्चे पर पाबंदी लगाई जा सकती है ।

अधिक बच्चे पैदा करने वालों का प्रशासनिक एवं सामाजिक स्तर पर बहिष्कार भी एक प्रभावी हल हो सकता है । यदि समय रहते इस दिशा में देशव्यापी जागरूकता उत्पन्न होती है तो निस्संदेह हम विश्व के अग्रणी देशों में अपना स्थान बना सकते हैं ।

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जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi

Essay on Population in Hindi : आज हम जनसंख्या वृद्धि पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, & 12 के विद्यार्थियों के लिए है।

बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए सभी देशों द्वारा मिलकर 11 जुलाई को world population day मनाया जाता है। जिसमें जनसंख्या की वृद्धि दर को नियंत्रित करने के लिए चर्चा की जाती है।

बढ़ती जनसंख्या वृद्धि दर हमारे देश के लिए बहुत विनाशकारी है इसीलिए स्कूलों में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए निबंध लिखने को दिए जाते हैं जैसे बच्चों में और उनके अभिभावकों में इसके प्रति जागरूकता लाई जा सके।

Essay on Population in Hindi

Get Some Essay on Population in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 & 12 Students.

Best Essay on Population in Hindi 500 words

प्रस्तावना –

जनसंख्या वृद्धि दर विकासशील देशों की एक अहम समस्या है इस समस्या से हमारा भारत देश भी जूझ रहा है।सबसे अधिक जनसंख्या हमारे पड़ोसी देश चीन में है उसके बाद दूसरा स्थान हमारे देश भारत का ही आता है।

लेकिन कुछ ही सालों में हम जनसंख्या के मामले में चीन को प्रचार ते हुए पहले पायदान पर होंगे। यह कोई उपलब्धि नहीं होगी क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण हमारे देश में बेरोजगारी, भूखमरी, गरीबी, भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं उत्पन्न होंगी।

जनसंख्या वृद्धि के कारण –

जनसंख्या वृद्धि के बहुत से कारण है जैसे अशिक्षित लोग, बाल विवाह, पुत्र मोह, रूढ़िवादी सोच, मृत्यु दर में कमी, जीवन प्रत्याशा में वृद्धि इत्यादि के प्रमुख कारण है जिसके कारण निरंतर जनसंख्या वृद्धि हो रही है।

और एक अन्य कारण यह भी है कि लोग परिवार नियोजन के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचते है उन्हें निरोध, गर्भनिरोधक औषधियां और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी नहीं होती है।

और कुछ लोग सोचते हैं कि जितनी अधिक संतान होगी उतना ही उनके परिवार को सहारा मिलेगा क्योंकि जितने लोग होंगे उतनी ही कमाई होगी लेकिन होता इसका हमेशा उल्टा ही है। अधिक संतान होने के कारण ज्यादातर लोग नरकीय जीवन यापन करते हैं।

जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव –

जनसंख्या वृद्धि का सबसे अधिक प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ता है जो कि हमारे भविष्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण हमें मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वच्छ जल, वायु, भोजन, चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिल पाती है।

आजकल अस्पतालों में मरीजों की लाइन लगी पड़ी रहती है लेकिन उन्हें देखने के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाते है क्योंकि जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ गई है कि उनकी प्रत्येक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं की जा सकती है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण ज्यादातर लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह कर रहे है इसके कारण देश के आर्थिक विकास की दर भी धीमी पड़ गई है।

अगर इसी तेजी से जनसंख्या वृद्धि होती रही तो इसके भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं क्योंकि पृथ्वी पर सीमित मात्रा में संसाधन उपलब्ध है और जनसंख्या वृद्धि के कारण उनका अत्यधिक दोहन हो रहा है

इसलिए आगे जाकर लोगों को स्वच्छ जल, हवा, भोजन नहीं मिल पाएगा और लोगों में हिंसा फैल जाएगी इसका परिणाम यह होगा कि पृथ्वी पर से जीवन विलुप्त भी हो सकता है।

जनसंख्या वृद्धि का समाधान –

जनसंख्या वृद्धि का एक ही समाधान है लोगों को शिक्षित किया जाए और उन्हें जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान के बारे में बताना चाहिए।

हमारी सरकार को जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कड़े कानूनों की व्यवस्था करनी चाहिए और परिवार नियोजन के बारे में प्रचार प्रसार करके लोगों को बताना चाहिए।

उपसंहार –

जनसंख्या वृद्धि एक धीमे जहर के समान है जोकि धीरे-धीरे हमारे रहने के स्थान पृथ्वी को नष्ट कर रही है। हमे स्वयं आगे बढ़कर जनसंख्या को नियंत्रित करना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग एक दूसरे को मारने पर उतारू हो जाएंगे और पूरी पृथ्वी जंग का मैदान बन जाएगी।

यह हमारी मानव सभ्यता और अन्य वन्यजीवों के लिए आवश्यक है। इसलिए आज ही अपने आसपास के क्षेत्र में लोगों को इसके बारे में जानकारी दें।

Long Essay on Population in Hindi

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रूपरेखा –

जनसंख्या वृद्धि एक सीमित भू-भाग पर अधिक लोगों की संख्या को दर्शाती है। जनसंख्या के मामले में चीन के बाद हमारे भारत देश का ही नाम आता है।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार हमारे देश की जनसंख्या 24।39 करोड़ है। यह लगभग 18% की दर से बढ़ रही है जो कि बहुत अधिक है।

ज्यादातर जनसंख्या वृद्धि विकासशील देशों में ही देखी जा रही है और विकासशील देशों के लिए यह स्थिति भयावह है क्योंकि इतनी जनसंख्या के लिए स्वच्छ वातावरण, जल, भोजन, रोजगार इत्यादि उपलब्ध कराना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए जनसंख्या को नियंत्रित करना बहुत अधिक जरूरी है

(1) अशिक्षा – शिक्षा की कमी के कारण लोग बच्चे पैदा करते रहते हैं लेकिन उनकी परवरिश और भविष्य के बारे में नहीं सोचते है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती रहती है।

(2) बाल विवाह – कम उम्र में ही बच्चों का विवाह हो जाने के कारण बच्चों का जन्म भी जल्दी होता है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती को और अधिक बढ़ावा मिलता है।

(3) सामाजिक दबाव – कई बार विवाह होने के पश्चात शिक्षित लोग बच्चे का जल्द ही जन्म नहीं करना चाहते लेकिन सामाजिक आलोचनाओं के कारण उन्हें जल्दी बच्चे को जन्म देना पड़ता है जो की जनसंख्या बढ़ती का कारण बनता है।

(4) मृत्यु दर में कमी – हमारी विज्ञान और चिकित्सा पद्धति ने इतनी उन्नति कर ली है कि अब बड़ी बड़ी बीमारियों से भी बचा जा सकता है इसलिए लोग अधिक समय तक जीवित रहते है जो की जनसंख्या वृद्धि में अपनी भागीदारी निभाते रहते है।

(5) रूढ़िवादी सोच – अक्सर गांव के ज्यादातर लोग अपनी रूढ़िवादी सोच के कारण बच्चों को जन्म देते है वे सोचते हैं कि अगर बच्चे नहीं हुए तो उनका परिवार आगे कैसे बढ़ेगा। इसलिए वे अधिक बच्चों को जन्म देते हैं।

(6) बढ़ती जन्म दरें – पुरानी समय में चिकित्सा पद्धति के अधिक विकसित नहीं होने के कारण अक्सर जन्म के समय बच्चों की मृत्यु हो जाती थी लेकिन अब यह बहुत ही कम हो पाता है जिसके कारण जन्म दर बढ़ जाती है और जनसंख्या वृद्धि होती है।

(7) पुत्र मोह – अपने परिवार का कुल आगे बढ़ाने के लिए लोगों की ज्यादा इच्छा लड़के के जन्म की ही रहती है लेकिन अगर लड़की का जन्म हो जाता है,

तो वह दोबारा दूसरे बच्चे को जन्म देते हैं इसी तरह से ज्यादातर मामलों में लड़कियों का जन्म होता रहता है और लोग पुत्र मोह में बच्चों को जन्म देते रहते हैं जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती रहती है।

(8) जीवन प्रत्याशा में वृद्धि – जैसे-जैसे मानव के जीवन में सुविधाओं का विस्तार हुआ है और अच्छी शिक्षा, अच्छा भोजन, स्वच्छ जल, स्वच्छता की आदत और अच्छे पोष्टिक भोजन के कारण आज प्रत्येक वर्ग अच्छे से अपना जीवन निर्वाह कर रहा है जिसके कारण प्रत्येक व्यक्ति अच्छे से पोषित रहता है इसी कारण जनसंख्या बढ़ती है।

(9) वृद्धि हुई आप्रवासन – आप्रवासन निवृत्ति ज्यादातर जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण होती है यह समस्या अक्सर विकसित देशों में अधिक आती है क्योंकि वहां की जीवन शैली बहुत ही सरल होता है।

साथ ही वहां पर सभी प्रकार की सुविधाएं मिलती है और जीवन निर्वाह करने के लिए अच्छा वेतन भी मिलता है इसलिए विकासशील देशों के लोग वहां पर जाना अधिक पसंद करते है जो की जनसंख्या वृद्धि का एक कारण बनता है।

जनसंख्या वृद्धि के कुप्रभाव –

(1) गरीबी – निरंतर जनसंख्या वृद्धि के कारण एक व्यक्ति अपने पूरे परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाता है क्योंकि उसकी संतान अधिक होती हैं जिसके कारण उसका पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत होता है।

(2) कुपोषण – एक व्यक्ति के अधिक संतान होने के कारण वे उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं करा पाता है जिसके कारण हमे गरीब तबके के लोगों में कुपोषण जैसी समस्याएं देखने को मिलती है।

(3) प्रदूषित पर्यावरण – अगर किसी देश में अधिक जनसंख्या होगी तो वहां प्रत्येक वस्तु का अत्यधिक इस्तेमाल होगा जिसके कारण पूरा पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है, जनसंख्या वृद्धि के कारण अधिक कार्बन डाइऑक्साइड, दूषित जल, और रहने के लिए स्थान की आवश्यकता के कारण जंगलों की कटाई होती है जिससे जंगल भी खत्म होते हैं साथ ही वहां के प्राणी भी खत्म हो जाते हैं और वायु प्रदूषण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

(4) मूलभूत सुविधाओं की कमी – किसी भी देश के नागरिक को अपना जीवन व्यतीत करने के लिए मूलभूत सुविधाएं मिली जरूरी है जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, जल इत्यादि लेकिन यह सभी सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और जनसंख्या अधिक होगी तो इन सुविधाओं का मिलना मुश्किल होगा।

(5) बेरोजगारी – जिस तेजी से जनसंख्या वृद्धि हो रही है उस तेजी से उद्योग धंधों में वृद्धि नहीं हो रही है जिस कारण वर्तमान में ज्यादातर लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।

(6) देश का आर्थिक विकास रुकना – जिस देश की जनसंख्या अधिक होगी उस देश का आर्थिक विकास भी धीमा पड़ जाएगा क्योंकि सरकार जब भी विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएं बनाती है तो जनसंख्या को ध्यान में रखकर बनाती है।

लेकिन 5 वर्ष में जनसंख्या इतनी अधिक बढ़ जाती है कि उस योजना का प्रभाव देखने को नहीं मिलता है और देश में प्रत्येक वस्तु की खपत भी अधिक होती है जिसके कारण निर्यात में कमी आती है और आर्थिक विकास धीमा होता है।

(7) पोष्टिक आहार की कमी – बढ़ती हुई जनसंख्या की आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों द्वारा खेतों में अब यूरिया जैसी खादों का उपयोग किया जाता है क्योंकि दिन प्रतिदिन जनसंख्या तो बढ़ रही है लेकिन उनकी भोजन की व्यवस्था करने के लिए उपजाऊ जमीन सीमित मात्रा में उपलब्ध है।

इसलिए अधिक फसल उत्पन्न करने के लिए कीटनाशक और यूरिया खादों का उपयोग किया जाता है जिसके कारण वह कीटनाशक भोजन के साथ मिलकर हमारे शरीर को खराब करते है इसलिए हमें पोष्टिक आहार नहीं मिल पाता है।

(8) जीवन स्तर में कमी – जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में भी कमी आती है गरीब और गरीब होता जाता है और अमीर और अमीर हो जाता है क्योंकि अक्सर गरीब लोग अधिक संतान जन्म देने में विश्वास करते है।

वे सोचते है कि जितनी अधिक संतान होगी उतना ही हाथ होंगे जिससे अधिक कमाई होगी लेकिन वे यह सोचना भूल जाते है कि हर संतान के साथ एक पेट भी होता है जिसे भरने के लिए उतने ही भोजन की आवश्यकता होती है। इसी सोच के कारण जनसंख्या बढ़ती होती रहती है और लोगों को अपनी मूलभूत सुविधाओं में कटौती करके जीवन यापन करना पड़ता है।

(9) महंगाई बढ़ना – अगर किसी वस्तु की कमी होगी तो उसका मूल्य बढ़ना स्वाभाविक है इसलिए जैसे-जैसे जनसंख्या वृद्धि होती है वैसे-वैसे महंगाई भी बढ़ती है क्योंकि खपत बढ़ती है लेकिन उतनी मात्रा में वस्तु उत्पादन नहीं होती है इसीलिए आपने देखा होगा कि वर्तमान में महंगाई बहुत अधिक तेजी से बढ़ रही है।

जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय –

(1) शिक्षा – अगर हमें जनसंख्या को नियंत्रित करना है तो सबसे पहले हमें शिक्षा का प्रचार प्रसार करना होगा क्योंकि शिक्षा से ही लोगों की आंखों पर पड़ा अंधकार का पर्दा उठेगा और उन्हें ज्ञात होगा कि अधिक संतान के कारण उनके भविष्य के साथ-साथ उनकी संतान का भविष्य भी खराब हो जाता है इसलिए प्रत्येक गांव तक शिक्षा का पहुंचना बहुत आवश्यक है।

(2) जुर्माना या दंड – सरकार को जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए एक नियमित संख्या से ज्यादा संतान पैदा करने पर जुर्माना लगा देना चाहिए या फिर मुफ्त में मिलने वाली सरकारी सुविधाओं से वंचित कर देना चाहिए जिससे लोग जनसंख्या को नियंत्रित करने में सरकार का सहयोग करें।

(3) दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देना – आज के पश्चिमी सभ्यताओं के प्रभाव में युवक-युवतियां बिना शादी के संतान पैदा कर लेते हैं लेकिन फिर समाज के डर से वे उन्हें कचरे में फेंक देते है और कुछ लोग अपनी गरीबी के कारण अपने बच्चों को छोड़ देते हैं जो कि अनाथ हो जाते है।

लोगों को इन अनाथ बच्चों को अपना लेना चाहिए जिससे अनाथ बच्चों को उनके माता पिता मिल जाएंगे और जिनको संतान चाहिए उनको संतान मिल जाएगी इससे जनसंख्या वृद्धि भी रोकी जा सकेगी।

(4) परिवार नियोजन – हमारी सरकार द्वारा जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर परिवार नियोजन करने के लिए कई योजनाएं चलाई जाती है, लेकिन उनका इतना अधिक असर नहीं पढ़ पाता है क्योंकि लोगों को परिवार नियोजन के बारे में जानकारी नहीं होती है।

(5) न्यूनतम विवाह योग्य आयु – हमारे देश में बाल विवाह है एक सबसे बड़ी समस्या है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती तेजी से हो रही है अगर विवाह के लिए न्यूनतम आयु घोषित कर दी जाए तो जनसंख्या वृद्धि रोकी जा सकती है।

हमारे देश में विवाह के लिए न्यूनतम आयु लड़की के लिए 18 वर्ष और लड़के के लिए 21 वर्ष है अगर इसका सख्ती से पालन किया जाए तो जनसंख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है।

जनसंख्या वृद्धि एक चिंता का विषय है क्योंकि यह जितनी तेजी से बढ़ रही है उसके लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना नामुमकिन सा हो रहा है। जब तक देश का प्रत्येक नागरिक जनसंख्या नियंत्रण के महत्व को नहीं समझेगा तब तक जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाना मुश्किल है।

आज प्रत्येक नागरिक को समझने की जरूरत है कि अगर वह जनसंख्या पर नियंत्रण करते हैं तो उन्हें स्वच्छ पर्यावरण वायु, जल, स्वास्थ्य, भोजन मिलेगा जोकि उनके परिवार, देश के लिए और सबसे अधिक हमारी पृथ्वी का वातावरण भी संतुलित रहेगा।

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Population in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

5 thoughts on “जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi”

Chhote se chota nibhand bhejo

Ravindra jalon hum jald hi chota nibandh bhi likhnge

Yes I agree t hu e comment policy

Jansankya varadhi pr nibandh 400words me likhkar yha dalr

riya ji hum jald hi 400 word ka nibandh bhi likhenge.

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जनसंख्या पर निबंध – Population Essay in Hindi

Population Essay in Hindi

जनसंख्या वृद्धि आज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, वहीं अगर इस समस्या पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो मनुष्य इस धरती पर रहना मुश्किल हो जाएगा और मनुष्य के जीवन जीने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं बचेंगे, जिससे वे भुखमरी का शिकार हो जाएंगे।

वहीं बढ़ रही जनसंख्या को लेकर लोगों को जागरूक करने के मकसद से हमारी सरकार द्धारा समय-समय पर अभियान भी चलाए जाते हैं जिससे लोग परिवार नियोजन के लिए अपने आगे कदम बढ़ा सके।

इसके साथ ही स्कूल/कॉलेज समेत अन्य संस्थानों में आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता में जनसंख्या के विषय पर निबंध ( Population Essay )लिखने के लिए भी कहा जाता है।

जिससे आज की युवा पीढ़ी जनसंख्या वृद्धि को लेकर जागरुक हो सके और जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जान सकें। वहीं आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में जनसंख्या पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Population Essay in Hindi

जनसंख्या वृद्धि किसी भी देश के विकास में तो बाधा बनती ही है, इसके साथ ही कई और बड़ी मुश्किलें भी पैदा करती हैं। वहीं भारत में काफी गंभीर और बड़ी समस्या बन चुकी है।

जनसंख्या वृद्धि -भारत की एक विकराल समस्या

आज हमारे देश भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से आज हमारा देश विकास के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे हैं।

भारत में जनसंख्या बढ़ने से गरीबी बढ़ रही है, बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां जरूरत से ज्यादा धीमी होती जा रही है, आर्थिक मंदी आ रही है।

यही नहीं वन, जंगल, वनस्पतियां, जल संसाधन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों का भी जमकर हनन हो रहा है और तो और खाद्य उत्पादन और वितरण भी, जनसंख्या के मुकाबले नाकाफी साबित हो रहा है। वहीं बढ़ती महंगाई भी जनसंख्या वृद्धि के सबसे मुख्य कारणों में से एक है।

प्राकृतिक संसाधनों का हनन तो हो ही रहा है साथ ही में मानव निर्मित संसाधन भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।

जनसंख्या वृद्धि के कारण ही आज हमें हर जगह घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ा रहा है, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, अस्पतालों, धार्मिक या सामाजिक समारोह पर इतनी भीड़ रहती है कि कई बार पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है।

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की आबादी 1 अरब से भी ज्यादा 1, 210, 193, 422 हैं। आबादी के मामले में भारत, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है।

वहीं अगर ऐसा ही रहा है तो विशेषज्ञों के मुताबिक साल 2025 तक भारत, सबसे अधिक आबादी वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार के प्रयास:

• भारत सरकार ने जनसंख्या पर काबू पाने के लिए लड़कों के लिए न्यूतनतम आयु 21 साल और लड़कियों के लिए न्यूनतम आयु 18 साल तय की है, लेकिन भारत के पिछड़े और ग्रामीण इलाकों में इस नियम का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है।

• भारत सरकार बच्चों को गोद लेने के लिए बढ़ावा दे रही है, लेकिन इससे भारतीयों की मानसिकता पर कोई असर नहीं पड़ रहा है, रुढ़िवादी सोच के चलते आज भी बच्चा गोद लेने से कतराते हैं।

• भारत सरकार द्धारा शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार के यह नियम-कानून लागू नहीं हो रहे हैं।

हम सभी भारतीयों को जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जागरूक होना चाहिए और इस पर नियंत्रण लगाने के लिए एकजुट होकर कदम उठाने चाहिए, नहीं तो आने वाले भविष्य में इसका बुरा नतीजा भुगतना पड़ सकता है।

जनसंख्या पर निबंध – Population Par Nibandh

जनसंख्या, किसी भी एक जगह में रहने वाले जीवों की संख्या है। वहीं दुनिया के कई हिस्सों में कुछ कारणों की वजह से जनसंख्या ज्यादा है, तो कई हिस्सों में आबादी का घनत्व बेहद कम हैं। वहीं विश्व में भारत, चीन समेत कुछ ऐसे देश हैं जहां आबादी इतनी बढ़ गई है कि यह गंभीर चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि जनसंख्या बढ़ने से खाने और रहने के स्त्रोतों की कमी पड़ने लगती है साथ ही जरूरत से ज्यादा आबादी किसी भी देश के विकास में बाधा पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणाम – Disadvantages of Population

बेरोजागारी:

देश में लगातार बढ़ रही जनसंख्या से बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, क्योंकि आबादी बढ़ने से अशिक्षित और अनपढ़ों की संख्या भी बढ़ रही है, जिससे बेरोजगारी की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है।

जाहिर सी बात है जब आबादी बढ़ती है तो, उसके हिसाब से साधन जुटा पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि एक सीमित मात्रा में ही हमें प्रकृति से संसाधन मिल पाते हैं। इसकी वजह से गरीबी की समस्या पैदा हो रही है।

आबादी बढ़ने की वजह से महंगाई की दर लगातार इसलिए बढ़ती जा रही है, क्योंकि उत्पादन सीमित है जबकि खपत ज्यादा है, इसलिए वितरण आबादी के मुताबिक नहीं हो पा रहा है और महंगाई सातवें आसमान को छू रही है।

प्रदूषण में वृद्धि:

बढ़ रही आबादी से उद्योंगों की संख्या भी बढ़ रही है। इसके साथ ही वाहनों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। वहीं इनसे निकलने वाली विषैली गैसें पर्यावरण को दूषित कर रही हैं।

जलवायु में बदलाव:

जाहिर है कि बढ़ती आबादी का सीधा प्रभाव प्रकृति पर पड़ता है, क्योंकि आजकल मनुष्य अपने ऐश और आराम के लिए प्रकृति का दोहन करने में नहीं चूक रहा है। जिसका सीधा असर जलवायु पर पड़ रहा है और इससे मौसम चक्र में भी परिवर्तन आ रहा है।

पर्यावरण पर प्रभाव:

लगातार बढ़ रही आबादी पर्यावरण पर बुरा असर डाल रही है, क्योंकि मनुष्य चंद लालच और सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का हनन करने से नहीं चूक रहा है और पेड़-पौधों को काट रहा है, जिसका बुरा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वन्यजीवों की प्रजातियों में कमी:

सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि आज, मानव की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जबकि वन्य जीवों की कई प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं, क्योंकि मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते वनों को नष्ट कर रहा है, जिसकी वजह से वन्य जीवन अपने निवास की गिरती गुणवत्ता और नुकसान की वजह से विलुप्त होते जा रहे हैं।

जीवन स्तर में कमी:

लगातार बढ़ रही आबादी से गरीबी, बेरोजगारी आदि की समस्याएं बढ़ रही हैं, जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आई है।

बढ़ रही आबादी तमाम समस्याओं को जन्म दे रही है, अगर समय रहते इस समस्या को काबू नहीं किया गया तो आने वाले भविष्य में न जाने कितने लोग घुटन और भुखमरी की वजह से मर जाएंगे। इसलिए हम सभी को इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने चाहिए।

जनसंख्या पर निबंध – Essay on Population

जाहिर है कि जनसंख्या किसी भी देश का मुख्य आधार होती है, जो वस्तुओं का उत्पादन करती है, वितरण करती है, साथ ही उपभोग भी करती है, इसलिए जनसंख्या को देश का साधन एवं साध्य दोनों माना जाता है लेकिन जरूरत से ज्यादा जनसंख्या किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास में रुकावट पैदा करती है साथ ही कई बड़ी समस्याएं पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण – Causes of Population Growth

शिक्षा का अभाव:

बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण शिक्षा की कमी है। क्योंकि शिक्षा से ही परिवार नियोजन के सही तरीके अपनाए जा सकते हैं, रुढिवादी विचारों से ऊपर उठा जा सकता है, कम उम्र में शादी और गरीबों जैसी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।

बढ़ती जन्म दरें:

चिकित्सा प्रणाली में सुधार होने की वजह से जन्म दरों में बढ़ोतरी हुई है। वहीं अगर आकंड़ों पर गौर करें तो 2016 में भारत में एक निश्चित समय अवधि में जन्म दर 19.3 प्रति 1000 थी, जबकि उतनी ही समय अवधि में 1000 लोगों के बीच 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है। जाहिर है कि हर पल लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

शिशु मृत्यु दर में कमी:

चिकित्सा विज्ञान ने इतनी अधिक तरक्की कर ली है कि शिशु मृत्यु दर में कमी आ गई है। वहीं यह भी जनसंख्या में बढ़ोतरी के प्रमुख कारणों में से एक है।

जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय – How to Control Population

परिवार नियोजन:

जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए परिवार नियोजन के सही तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

शिक्षा का प्रसार करना:

जब लोग शिक्षित होंगे तब वे रुढिवादी विचारधाराओं से ऊपर उठ सकेंगे, परिवार नियोजन के महत्व को समझेंगे साथ ही अपने बच्चों की पढ़ाई आदि पर ध्यान देंगे और कम बच्चे पैदा करेंगे जिससे जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सकेगी।

रुढ़िवादी मानसिकता को बदलना:

जाहिर है समाज की दकियानूसी और रुढिवादी सोच जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा दे रही है। आज भी कई परिवारों में महिलाओं को बच्चे पैदा करने की मशीन समझा जाता है। और बच्चों को भगवान की देन माना जाता है।

कम उम्र में शादी की अवधारणा को बदलना:

कम उम्र में भी लड़के-लड़की की शादी करना आबादी बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक हैं। हालांकि हमारी भारत सरकार ने इसके लिए कानून भी बनाया है, लेकिन ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में आज भी कम उम्र में ही लड़के-लड़की की शादी कर दी जाती है। जिस पर सख्त जांच होनी चाहिए।

बढ़ती आबादी के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलाना:

लगातार बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। इसके लिए टीवी, रेडियो, नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो,हमारा देश विकास के मामले में पिछड़ता जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी। वहीं सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए। ताकि हमारा देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके।

  • Essay in Hindi
  • Slogan on population

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Indian Society

Make Your Note

Controlling Population: A Double Edged Sword

  • 29 Jun 2021
  • GS Paper - 1
  • Salient Features of Indian Society
  • Population and Associated Issues

This article is based on “The cautionary tale behind population control” which was published in the hindustan times on 28/06/2021. it talks about the associated issues with population control in india

Recently, two Indian state governments – Uttar Pradesh and Assam – have advocated aggressive population control measures. This proposal pertains to pursuing a two-child policy for entitlement to state government benefits.

With ongoing trends, India will overtake China as the most populous country by 2025 or perhaps sooner. The overwhelming population burden is causing a resource crunch on resources like hospitals, food grains, houses, or employment.

However, population control, grounded in classic economic theories, has been a double-edged sword. It has both advantages and costs.

Status of Population Growth in the India & World

  • In over half of the world’s nations, the rate of population growth is falling behind replacement rates, and, perhaps for the first time, the growth rate in the world’s population is projected to be zero by the end of the century, according to United Nations (UN) data.
  • The pandemic has slowed the already slowing global birth rates, from the United States (US) to China, experts estimate.
  • From 2060 onwards, India’s population will start falling, which happens when fertility rate falls below replacement levels.

Population Control Theories

  • According to him, the population tends to grow exponentially (geometric growth), he argued, but food supply grew in a slower arithmetic ratio.
  • However, Malthus was ultimately proved wrong as breakthroughs in agricultural technology made countries, such as India, net food surplus.
  • The main economic argument behind this theory was that if per capita income is low, then people are too poor to save.
  • Since investment is taken to be equal to savings, low savings would mean the economy doesn’t grow.

Associated Issues With Population Control In India

While these theories increased our understanding of population economics, many of these theories were later found to have many flaws. This can be reflected in the following arguments.

  • There would simply not be enough people to work for the economy,
  • A large non-productive aging population to support and the government may not have enough resources to support pensions
  • This would lead to de-industrialisation.
  • His key worry was poor demand for investment in places where companies encounter a falling population of consumers.
  • China’s Model: China enforced a one-child norm in the 1980s, but with an increasing share of older people in its population (due to one-child policy), China abandoned the old policy and encouraged couples to have more children.
  • The bogey of population explosion is often used (directly or indirectly) to target a particular minority in India. The population controlling measure will impact social harmony.
  • Thus, entitlement based population control policy will end up hurting the poor, who need such help the most.
  • Restricting to two child policy, is believed to have had an adverse effect on the sex ratio of the population through practices such as female foeticide etc.

Way Forward

  • India is poised at a unique moment in history, where it can exploit its demographic advantage to realise its economic goals.
  • According to the government’s population projections, 53.6% of India’s population in 2021 is under the age of 29. More than a quarter of India’s population is 14 years or younger.
  • Our policy makers will do well to focus on exploiting India’s demographic dividend rather than worrying about it
  • For Instance, according to All India Survey on Higher Education data found that India’s higher education sector is mired in deep structural inequalities.
  • This young population can become extremely productive or unproductive depending on the skill sets it acquires.
  • Focusing on Women: Education of women also plays a role, both in case of fertility rates as well as age of mother at the time of birth of first child. Education helps in bringing down fertility and early birth among women

India is at a stage of demographic transition where mortality rates are declining and fertility rates would decline in the next two to three decades or so. This leads to a scope to cut population growth because India still has a positive growth rate, but our population policy should keep in mind the larger consequences of zero population growth.

Population control is a double-edged sword. India has scope to cut its population size, but it needs to avoid a trap that awaits it. Discuss.

population control hindi essay

10 Lines on Population Control Bill in Hindi – 10 Lines Essay

10 lines on population control bill in hindi language :.

Hello Student, Here in this post We have discussed about Population Control Bill in Hindi. Students who want to know a detailed knowledge about Population Control Bill, then Here we posted a detailed view about 10 Lines Essay Population Control Bill in Hindi. This essay is very simple.

Population Control Bill

3) भारत में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है।

5) जनसंख्या नियंत्रण मसौदा आदित्यनाथ मित्तल की अध्यक्षता में बनाया गया है।

9) यह मसौदा जनसंख्या विस्फोट रोकने के लिए बनाया है।

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दा इंडियन वायर

विश्व में बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध

population control hindi essay

By विकास सिंह

essay on overpopulation in hindi

अत्यधिक जनसंख्या एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जहां किसी विशेष स्थान पर मनुष्यों की संख्या उस स्थान की वहन क्षमता से अधिक हो जाती है। व्यापक परिप्रेक्ष्य में, ओवरपॉपुलेशन शब्द का उपयोग ग्रह पृथ्वी के लिए भी किया जाता है, क्योंकि मानव आबादी में लगातार वृद्धि हुई है।

ओवरपॉपुलेशन के लिए जिम्मेदार विभिन्न कारक हैं जैसे – निम्न मृत्यु दर; बेहतर सार्वजनिक सुविधाएं; भोजन और आवास आदि की उपलब्धता। कुछ सामाजिक कारक जैसे अशिक्षा, गरीबी और कोई परिवार नियोजन भी विकासशील या अविकसित राष्ट्रों में अत्यधिक जनसंख्या के लिए जिम्मेदार हैं।

बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध, essay on overpopulation in hindi (200 शब्द)

मनुष्यों की अनियमित जनसंख्या वृद्धि के कारण अतिवृष्टि पृथ्वी की अधिकता है। कई आर्थिक और सामाजिक कारक हैं जो प्रमुख रूप से ओवरपॉपुलेशन के लिए अग्रणी हैं। यह कम मृत्यु दर, उच्च जन्म दर, अशिक्षा, परिवार नियोजन की कमी, बड़े पैमाने पर प्रवास आदि के परिणामस्वरूप हो सकता है। इसके अलावा, एक स्थान पर प्राकृतिक संसाधनों की कमी से किसी अन्य स्थान पर अतिवृष्टि होती है, जहां संसाधन प्रचुर मात्रा में होते हैं।

बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं में पिछली शताब्दी में सुधार से मृत्यु दर में गिरावट आई है, इस प्रकार जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और अगली शताब्दी तक बढ़ती रहेगी।

ओवरपॉप्यूलेशन, एक महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दा होने के बावजूद, इसका उचित विचार नहीं मिलता है। अभी भी दुनिया द्वारा बहुत कुछ नहीं किया जा रहा है, जनसंख्या को विनियमित करने या इसके प्रभावों का मुकाबला करने के लिए। ओवरपॉपुलेशन एक राष्ट्र के विकास को गंभीर रूप से बाधित कर सकता है, जैसे कि समस्याएं – बेरोजगारी, संसाधनों की कमी, आवास विनाश और कानून और दूसरों के बीच समस्या।

विश्व की जनसंख्या को नियंत्रण में रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि जनसँख्या वृद्धि से मनुष्य का अस्तित्व खतरे में नहीं आ जाये। उल्लिखित प्रभावों के साथ, ओवरपॉपुलेशन भी अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण को काफी हद तक प्रभावित करता है।

बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध, essay on overpopulation in india (300 शब्द)

प्रस्तावना:.

ओवरपॉपुलेशन दुनिया भर में चिंता का बढ़ता कारण है। यह एक विशिष्ट क्षेत्र में जनसंख्या में वृद्धि को संदर्भित करता है, इतना अधिक है, कि विशेष क्षेत्र अपनी प्राकृतिक क्षमता से परे, अति भीड़ हो जाता है। ओवरपॉपुलेशन के कई कारण हैं हम निबंध में आगे चर्चा करेंगे।

दुनिया में अत्यधिक जनसँख्या के कारण:

दुनिया में अतिवृष्टि के कारण विभिन्न हो सकते हैं। राजनीतिक, सांप्रदायिक या अन्य मुद्दों के कारण लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर बड़े पैमाने पर आव्रजन किसी विशेष स्थान पर अत्यधिक जनसँख्या का कारण हो सकता है। लोग अपनी खुद की धरती पर राजनीतिक उथल-पुथल या सैन्य संघर्ष से बचने के लिए पड़ोसी देश चले जाते हैं।

अविकसित या विकासशील देशों से विकसित राष्ट्रों में प्रवास की प्रवृत्ति भी है। अधिकतर, श्रमिक वर्ग बेहतर वित्तीय अवसरों की तलाश में इस तरह के प्रवास को अंजाम देता है। हालाँकि यह प्रवासन मेजबान राष्ट्र की आबादी को उजाड़ने का कारण बनता है।

एक और महत्वपूर्ण कारक जो दुनिया में जनसंख्या वृद्धि में योगदान कर रहा है, चिकित्सा विज्ञान में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं और विकास के कारण उच्च जीवन प्रत्याशा है। लोग, आज बीमारियों के कारण कम मर रहे हैं, पिछली सदी में उन लाखों लोगों का दावा किया गया था।

भारत और अन्य विकासशील देशों में अत्यधिक जनसंख्या के कारण:

भारत और इसी तरह के अन्य विकासशील देशों में अतिप्रसार के मुख्य कारण दुनिया से थोड़े अलग हैं। भारत में ओवरपॉप्यूलेशन गरीबी, अज्ञानता, परिवार नियोजन की कमी, बाल श्रम, और मृत्यु दर में कमी, अंतरराज्यीय आव्रजन आदि जैसे कारकों के कारण होता है।

भारत में गरीबी को ओवरपॉप्यूलेशन के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। गरीबी अशिक्षा और जागरूकता की कमी जैसे मुद्दों पर ले जाती है – गर्भनिरोधक उपयोग और परिवार नियोजन; इससे वंचित क्षेत्रों में अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि के लिए अग्रणी है।

निष्कर्ष:

दुनिया में अत्यधिक जनसँख्या कारण कई हैं और वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न होते हैं। एक स्थान पर प्रवास के कारण यह हो सकता है, दूसरी जगह पर यह गरीबी के कारण हो सकता है। जो भी कारण हो सकता है, हमें जनसंख्या को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध, essay on overpopulation in hindi (400 शब्द)

दुनिया में ओवरपापुलेशन के कई प्रभाव हैं। एक स्थान पर अतिवितरण उपलब्ध संसाधनों की कमी का कारण बनता है जो अभाव और गरीबी की ओर जाता है। इसके अलावा, यह बेरोजगारी का कारण भी बनता है, क्योंकि किसी विशेष नौकरी की आवश्यकता वाले व्यक्तियों की संख्या, बड़ी संख्या में वास्तविक रिक्तियों की कुल संख्या से अधिक है। ओवरपॉपुलेशन के सबसे सामान्य प्रभावों में से दो- सामाजिक और स्वास्थ्य की नीचे चर्चा की गई है।

दुनिया में ओवरपॉपुलेशन के प्रभाव

ओवरपॉपुलेशन के सामाजिक प्रभाव गरीबी, बेरोजगारी, खराब स्वास्थ्यकर स्थितियों और एक समुदाय के लिए संसाधनों की कमी आदि ओवरपॉपुलेशन के विभिन्न सामाजिक प्रभाव हैं। जब किसी विशेष क्षेत्र की जनसंख्या उस स्थान की नियत क्षमता से अधिक बढ़ जाती है, तो समाज में कई बदलाव देखे जाते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि ताजे पानी के संसाधन का उपयोग अधिक से अधिक लोगों द्वारा किया जा सकता है, तो यह स्थिर रह सकता है; तब ऐसी स्थिति में अक्सर संघर्ष होता है। संसाधनों के उपयोग को लेकर लोग आपस में लड़ते रहते हैं।

ओवरपॉपुलेशन भी भोजन और बेरोजगारी की कमी की ओर जाता है, जिससे बड़े पैमाने पर गरीबी, भूख और खराब स्वच्छता होती है।

स्वास्थ्य पर ओवरपॉपुलेशन के प्रभाव:

भोजन और अन्य संसाधनों की कमी के कारण व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। भोजन और अन्य संसाधन, जो बहुतायत में उपलब्ध थे, दुर्लभ हो जाते हैं, जब किसी स्थान की आबादी एक विशिष्ट सीमा से आगे बढ़ती है। इसके अलावा, ओवरपापुलेशन सीधे बेरोजगारी से संबंधित है और बाद में सीधे कुपोषण और स्वास्थ्य की खराब स्थिति से जुड़ा हो सकता है।

भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में रहने वाले कई लोग भी निवास स्थान को नष्ट कर देते हैं, हवा की गुणवत्ता और अन्य महत्वपूर्ण मापदंडों को खराब करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य की स्थिति खराब होती है। जैसा कि अधिक लोग एक क्षेत्र में रहना शुरू करते हैं, उनके लिए घर बनाने के लिए पेड़ों और स्पष्ट वनस्पति को काटना जरूरी हो जाता है। इस प्रकार, मानव के स्वास्थ्य और फिटनेस से समझौता करते हुए भौतिकवादी विकास का दुष्चक्र शुरू होता है।

आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अक्सर बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छ हवा और स्वच्छ पानी तक पहुंच न होने के साथ खराब स्वास्थ्य और स्वास्थ्य की स्थिति में रहते देखा जाता है।

क्षेत्र में क्षमता से अधिक जनसंख्या से व्यक्तियों और समाज पर संपूर्ण रूप से सामाजिक और स्वास्थ्य प्रभाव पड़ता है। खराब स्वास्थ्य और स्वच्छता की स्थिति से लेकर प्राकृतिक संसाधन की कमी, बेरोजगारी और आपराधिक गतिविधियों में वृद्धि – इन सभी प्रतिकूलताओं में ओवरपॉपुलेशन का हाथ है। इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम आबादी को निर्दिष्ट सीमा से परे जाने से पहले आवश्यक उपचारात्मक उपाय करें।

बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध, essay on overpopulation in india (500 शब्द)

ओवरपॉपुलेशन की समस्या गंभीर है, लेकिन जैसा कि हर समस्या का एक समाधान है, इसलिए ओवरपॉप्यूलेशन के भी समाधान हैं; हालाँकि, परिणाम स्पष्ट होने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन प्रयास इसके लायक होगा। नीचे, दुनिया, भारत और अन्य विकासशील देशों में ओवरपॉपुलेशन को कम करने के सरकार के प्रयासों के साथ-साथ ओवरपॉप्यूलेशन के समाधानों पर चर्चा की गई है।

विश्व में ओवरपॉपुलेशन के समाधान

दुनिया में ओवरपॉपुलेशन को खत्म करने के समाधान नीचे चर्चा की गई है। समझने की सुविधा के लिए, इस शीर्षक में हम विकसित देशों में केवल अतिपिछड़ों के मामले पर चर्चा करेंगे।

विकसित देशों में किसी विशेष क्षेत्र में जनसंख्या की एकाग्रता के पीछे मुख्य कारण संसाधनों की उपलब्धता और बेहतर विकास के अवसर हैं। लोग उस जगह पर ध्यान केंद्रित करते हैं जहां सिंचाई, पानी, बिजली और अन्य सुविधाएं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। संबंधित सरकार द्वारा अपने मूल निवास स्थान में लोगों को मूलभूत सार्वजनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक प्रयास किए जाने चाहिए।

किसी भी राजनीतिक या सैन्य संघर्ष को विश्व समुदाय के हस्तक्षेप द्वारा जल्दी से हल किया जाना चाहिए ताकि सीमा पार प्रवासन और अन्य स्थानों पर जनसंख्या जटिलताओं को रोका जा सके।

भारत और अन्य विकासशील देशों में अतिपिछड़ों का समाधान

भारत और अन्य देशों में अधिक जनसंख्या के मुख्य कारण गरीबी, अशिक्षा और परिवार नियोजन के बारे में बुनियादी ज्ञान की कमी है। भारत और अन्य विकासशील देशों में अधिकांश आबादी अभी भी गाँवों में निवास करती है, जहाँ उन्हें शहरों की तुलना में बुनियादी शिक्षा और अन्य सुविधाओं का अभाव है।

गाँवों में रहने वाले लोग अभी भी परिवार नियोजन जैसे मुद्दों पर बात करने से कतराते हैं और गर्भ निरोधकों का उपयोग करना वर्जित माना जाता है। इसलिए, शिक्षा के माध्यम से जागरूकता भारत जैसे विकासशील देश के लिए एकमात्र उचित समाधान है।

लोगों को परिवार नियोजन के महत्व के बारे में बताया जाना चाहिए और इससे दूर हटने से केवल उनका वित्तीय संकट बढ़ेगा और उनकी सामाजिक स्थिति कम होगी। यह छह या दस सदस्यों वाले परिवार की तुलना में चार के परिवार को खिलाने के लिए वास्तव में अधिक किफायती और व्यावहारिक है। साथ ही, उन्हें गर्भ निरोधकों का उपयोग करने के लिए जोर दिया जाना चाहिए और यह उनके परिवार के कल्याण और समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

ओवरपॉपुलेशन के बारे में सरकार क्या कर रही है?

ओवरपॉपुलेशन को खत्म करने के सरकार के एजेंडे में मूल कारणों पर काम करना शामिल है – शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल। इन दोनों क्षेत्रों में कई सुधार करने के बावजूद, सरकार लोगों को परिवार नियोजन के लिए जागरूक करने का प्रयास कर रही है।

देश भर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की एक प्रशिक्षित टीम लोगों को एक छोटे परिवार के फायदों और राष्ट्र के विकास पर इसके समग्र प्रभावों के बारे में शिक्षित कर रही है। वे गर्भधारण की संभावना को खत्म करने के लिए लोगों को गर्भ निरोधकों के उपयोग के बारे में भी सिखाते हैं। सरकार संस्थाओं के माध्यम से दूरस्थ स्थानों पर मुफ्त गर्भ निरोधकों का वितरण भी कर रही है।

ओवरपॉपुलेशन के सबसे महत्वपूर्ण समाधान लोगों की शिक्षा और जागरूकता है। जितने शिक्षित और जागरूक लोग हैं, उतने ही दूर-दराज के लोग अतिपिछड़ीकरण की संभावना करेंगे। सरकार ने जनसंख्या को नियंत्रण में रखने की दिशा में काफी प्रयास किए हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

विश्व में बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध, long essay on overpopulation in hindi (600 शब्द)

दुनिया में ओवरपॉप्यूलेशन एक वैश्विक घटना है और विकासशील और अविकसित देशों में अधिक स्पष्ट है। यहां तक ​​कि विकसित देश विकासशील और विकसित देशों से प्रवासी आबादी की एक बड़ी संख्या का गवाह बनते हैं। निम्नलिखित निबंध में हम ओवरपॉपुलेशन के कारणों, ओवरपॉपुलेशन की समस्याओं, भारत और अन्य विकासशील देशों में ओवरपॉपुलेशन की स्थिति और ओवरपॉपुलेशन के समाधान पर चर्चा करेंगे।

अत्यधिक जनसंख्या के क्या कारण हैं ?

1) निरक्षरता

दुनिया भर के किसी भी देश में निरक्षरता मुख्य कारणों में से एक है। शिक्षा के मोर्चे पर कमी वाले देशों में अन्य लोगों की तुलना में अधिक जनसंख्या वृद्धि है।

2) जागरूकता की कमी

परिवार नियोजन के मुद्दों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता का अभाव ओवरपॉपुलेशन के प्रमुख कारणों में से एक है। लोग अतिपिछड़ों के प्रभाव और समाज और राष्ट्र पर इसके प्रभावों के बारे में नहीं जानते हैं। अधिनियम अपने स्वयं के वित्तीय बाधाओं के प्रति अवहेलना है।

3) गरीब लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं

बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की खराब स्थिति भी ओवरपॉपुलेशन का एक प्रमुख कारण है। एक चिकित्सा पेशेवर की अनुपस्थिति और गर्भ निरोधकों की अनुपलब्धता, जनसंख्या में निरंतर वृद्धि की ओर ले जाती है।

ओवरपॉपुलेशन से संबंधित समस्याएं

1) संसाधन की कमी

ओवरपॉपुलेशन एक विशेष क्षेत्र पर संसाधनों की कमी का कारण बनता है। जैसे ही एक विशिष्ट संसाधन का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती है, इसके तेजी से खपत में तेजी से कमी आती है। भोजन और पानी जैसे महत्वपूर्ण संसाधन ओवरपॉपुलेशन के मामले में दुर्लभ हो जाते हैं। यहां तक ​​कि बुनियादी स्वास्थ्य और परिवहन सुविधाएं भी दुर्लभ हो जाती हैं।

2) बेरोजगारी

ओवरपॉपुलेशन के सबसे गंभीर परिणामों में से एक है बेरोजगारी। यदि किसी क्षेत्र में लोगों की संख्या सीमा से अधिक बढ़ जाती है; हालाँकि, विभिन्न क्षेत्रों में रिक्तियों की संख्या, बड़े और समान रहती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है। इस प्रकार, बेरोजगारी ओवरपॉपुलेशन का एक महत्वपूर्ण बीमार प्रभाव बन जाता है।

३) गरीबी

ओवरपॉपुलेशन के कारण बेरोजगारी का अगला परिणाम गरीबी है। हालाँकि, गरीबी का संबंध अल्पसंसाधन संसाधनों और स्वास्थ्य और शिक्षा की बुनियादी सुविधाओं से भी है, जो अतिपिछड़ों के कारण है। एक भीड़-भाड़ वाली जगह पर हमेशा गरीब रोजगार के अवसर होंगे, जिससे गरीबी होगी। इसे दुनिया के अर्थशास्त्रियों द्वारा जनसंख्या विस्फोट के सबसे प्रमुख परिणामों में से एक माना जाता है।

4) खराब कानून और व्यवस्था

गरीबी, बेरोजगारी, प्राकृतिक संसाधनों की कमी जैसे कारकों के कारण कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब होती है। लोग पानी और भोजन जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों पर एक दूसरे से लड़ते हैं। बेरोजगारी से लोगों को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लोगों को लूट और चोरी के अवैध व्यवसायों को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

भारत और अन्य विकासशील देशों में अधिक जनसंख्या

भारत और इसी तरह के विकासशील देशों में अतिवृष्टि चिंता का एक बड़ा कारण है, क्योंकि इसका राष्ट्र की प्रगति और विकास पर कई प्रतिकूल प्रभाव हैं। ओवरपॉपुलेशन के कारण सारा विकास अपनी चमक खो देता है। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और अन्य बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बड़ी संख्या में लोगों द्वारा उपयोग किए जाने के कारण जल्दी से खराब हो जाती है।

अत्यधिक जनसंख्या का समाधान

ओवरपॉपुलेशन के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करना बाद को खत्म करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। यह जागरूकता शिक्षा और विज्ञापन द्वारा संचार के विभिन्न तरीकों के माध्यम से लाई जानी चाहिए। जब लोग समझते हैं कि जीवन की गुणवत्ता परिवार के सदस्यों की कुल संख्या पर निर्भर करती है, और जितने कम सदस्य होंगे उतना अच्छा वित्त होगा; ओवरपॉपुलेशन के खिलाफ लड़ाई बहुत आसान हो जाएगी।

अत्यधिक जनसंख्या भिन्न सामाजिक, आर्थिक और विकासात्मक मुद्दों की ओर जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि दुनिया अतिपिछड़ों के मुद्दे पर एक साथ आए और इसे खत्म करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए। जब तक दुनिया की आबादी को नियंत्रण में नहीं रखा जाता, तब तक यह विकास संभव नहीं होगा जो दुनिया चाहती है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Essay on Population Control

Students are often asked to write an essay on Population Control in their schools and colleges. And if you’re also looking for the same, we have created 100-word, 250-word, and 500-word essays on the topic.

Let’s take a look…

100 Words Essay on Population Control

Understanding population control.

Population control refers to the measures taken by governments or other groups to manage the size of a human population. This is often done to prevent overpopulation, which can strain resources and harm the environment.

The Need for Population Control

Overpopulation can lead to scarcity of resources like food, water, and shelter. It can also increase pollution and contribute to global warming. Therefore, controlling population growth is crucial for sustainable living.

Methods of Population Control

Methods include education about family planning, providing access to contraception, and implementing policies that limit family size. These measures can help achieve a balanced population.

250 Words Essay on Population Control

Introduction.

Population control refers to the practice of intentionally managing the number of inhabitants in a region to mitigate social and environmental issues. Rapid population growth can strain resources, intensify poverty, and exacerbate environmental degradation.

The Necessity of Population Control

Population control can be achieved through various strategies. Family planning and education, particularly for women, are effective methods. They empower individuals with knowledge about reproductive health and birth control, enabling them to make informed choices. Government policies can also play a significant role, such as providing incentives for smaller families or implementing laws to limit family size.

Challenges and Ethical Considerations

While population control is necessary, it raises ethical questions. It’s imperative that any measures respect individual rights and freedoms. Forced sterilizations or coercive population control policies infringe upon human rights and should be avoided.

In conclusion, population control is a complex yet necessary endeavor. It requires a careful balance of education, policy implementation, and respect for individual rights. By managing population growth, we can work towards a sustainable future where resources are used efficiently, and the environment is preserved.

500 Words Essay on Population Control

Population control refers to the strategies employed by governments and organizations to manage the size of human populations. This is often necessary to prevent overpopulation, which can strain resources and lead to socio-economic problems. However, population control is a complex issue with ethical, political, and environmental implications.

Overpopulation is a significant global concern. It puts immense pressure on natural resources, exacerbating environmental degradation and climate change. With the current rate of population growth, the demand for resources like food, water, and energy is rapidly outpacing supply. This imbalance can lead to resource depletion, environmental pollution, and an increase in diseases due to overcrowding.

Population control strategies vary based on cultural, political, and economic contexts. One common method is family planning, which includes contraceptive use, sterilization, and abortion services. Governments often promote family planning through public awareness campaigns and by providing access to contraception.

Another approach is implementing policies that incentivize smaller families. These can include tax benefits, priority in public services, and educational scholarships for families with fewer children.

Challenges in Population Control

Second, there are gender issues. In some societies, women bear the brunt of population control measures, often facing coercion into sterilization or contraception use.

Third, there are socio-cultural barriers. In many cultures, large families are valued, and attempts to limit family size can be met with resistance.

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जनसंख्या पर निबंध 10 lines (Essay On Population in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

Essay On Population in Hindi – जनसंख्या एक बहुत ही दिलचस्प विषय है। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि किसी भी देश की जनसंख्या इस बात का बहुत मजबूत संकेतक है कि वह देश भविष्य में कैसे कार्य करेगा और एक राष्ट्र के रूप में उसकी क्षमताएं क्या हैं। दुनिया के नेता इसी कारण से अपने देश की जनसंख्या पर बहुत ध्यान देते हैं। जनसंख्या और उनके पास मौजूद कौशल शायद किसी भी देश के लिए सबसे आवश्यक संपत्तियों में से कुछ हैं। निम्नलिखित लेख जनसंख्या के विषय पर एक निबंध है और इसे इस तरह से संरचित किया गया है कि सभी उम्र के छात्र उन मुख्य बिंदुओं को सीख और समझ सकें जिनका उन्हें इस तरह का निबंध लिखते समय उल्लेख करने की आवश्यकता है। 

जनसंख्या पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Population Essay 10 Lines in Hindi) 100 – 150 शब्द

  • 1) जनसंख्या, सरल शब्दों में, दुनिया में लोगों की कुल गिनती है।
  • 2) जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है जिससे ग्रह को बहुत सारे नुकसान हो रहे हैं।
  • 3) जनसंख्या में वृद्धि से लोगों के लिए संसाधनों की संख्या सीमित हो जाती है।
  • 4) चीन दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है।
  • 5) भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में दूसरे स्थान पर है।
  • 6) जनसंख्या वृद्धि नकारात्मक भी हो सकती है और सकारात्मक भी।
  • 7) जनसंख्या की अधिकता को अतिजनसंख्या कहा जाता है।
  • 8) जनसंख्या वृद्धि पूरी दुनिया के लिए एक खतरनाक चिंता का विषय है।
  • 9) किसी भी राष्ट्र के सतत विकास के लिए जनसंख्या सीमा में होनी चाहिए।
  • 10) देशों में अधिक जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार कई कार्यक्रम चलाती है।

जनसंख्या पर 200 शब्द निबंध (200 Words Essay On Population in Hindi)

हाल के दशकों में वैश्विक जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व की जनसंख्या 2020 में 7.9 बिलियन तक पहुंच गई और 2050 तक लगभग 9.7 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। यह जनसंख्या वृद्धि दर देश और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है, कुछ क्षेत्रों में दूसरों की तुलना में उच्च वृद्धि दर का अनुभव होता है। विकासशील देशों में विकसित देशों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि दर अधिक होती है।

संसाधनों पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का संसाधनों पर काफी प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, भोजन, पानी और ऊर्जा की मांग बढ़ती है। इससे भोजन और पानी की कमी के साथ-साथ ऊर्जा संसाधनों पर दबाव जैसे मुद्दे पैदा हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या जंगलों और भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर भी दबाव डालती है, जिससे वनों की कटाई और भूमि क्षरण जैसे मुद्दे सामने आते हैं।

पर्यावरण पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का पर्यावरण पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे अपशिष्ट और प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ती है। इससे वायु और जल प्रदूषण जैसे मुद्दों के साथ-साथ महासागरों और नदियों जैसी प्राकृतिक प्रणालियों पर दबाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या जैव विविधता पर भी दबाव डालती है, जिससे प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्रों का नुकसान होता है।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है. जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे आवास, बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी सेवाओं की मांग भी बढ़ती है। इससे आवास और बुनियादी ढांचे की समस्याओं के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रणालियों पर दबाव जैसे मुद्दे पैदा हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या रोज़गार और नौकरी बाज़ारों पर भी दबाव डाल सकती है।

जनसंख्या पर 300 शब्द निबंध (300 Words Essay On Population in Hindi)

किसी स्थान पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए जनसंख्या आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से काफी भिन्न होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण

पृथ्वी पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। जबकि कुछ देश ऐसे हैं जो जनसंख्या विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं, अन्य देश बहुत कम आबादी वाले हैं। यह केवल मानव आबादी का मामला नहीं है, यह जानवरों और अन्य जीवों के लिए भी अच्छा है। कुछ स्थानों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखेंगे जबकि कुछ स्थानों पर आपको शायद ही कोई जानवर मिलेंगे।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती हैं

किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व की गणना कुल लोगों की संख्या को उस क्षेत्र से विभाजित करके की जाती है जिसमें वे रह रहे हैं। जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से अलग-अलग स्थानों में भिन्न होता है। किसी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कुछ कारक इस प्रकार हैं:

अत्यधिक गर्म या ठंडी जलवायु वाले स्थान कम आबादी वाले होते हैं। दूसरी ओर, जो मध्यम जलवायु का आनंद लेते हैं वे घनी आबादी वाले हैं।

तेल, लकड़ी, कोयला आदि जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं, जबकि जिन क्षेत्रों में इन बुनियादी संसाधनों की कमी है, वे विरल आबादी वाले हैं।

  • राजनीतिक माहौल

जिन देशों में स्थिर सरकार और स्वस्थ राजनीतिक वातावरण होता है, वहां घनी आबादी होती है। ये देश क्षेत्र को आबाद करके अन्य देशों के अप्रवासियों को वहां आकर्षित करते हैं। दूसरी ओर, गरीब या अस्थिर सरकार वाले देशों में बहुत से लोग किसी अच्छे अवसर की उपलब्धता पर कहीं और चले जाते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे प्रथम विश्व के देश बहुत सारे अप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बेहतर पैकेज और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग ऐसे देशों में प्रवास करते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ता जा रहा है।

भले ही दुनिया भर में कुछ स्थानों पर जनसंख्या का घनत्व कम है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में देश की कुल जनसंख्या में वृद्धि हुई है और आने वाले समय में इसके कई गुना बढ़ने की संभावना है।

जनसंख्या पर 500 शब्द निबंध (500 Words Essay On Population in Hindi)

जनसंख्या से तात्पर्य किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले प्राणियों की कुल संख्या से है। जनसंख्या हमें प्राणियों की संख्या का अनुमान लगाने और उसके अनुसार कार्य करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, यदि हम किसी शहर की विशेष जनसंख्या को जानते हैं, तो हम अनुमान लगा सकते हैं कि उसे कितने संसाधनों की आवश्यकता है। इसी तरह, हम जानवरों के लिए भी ऐसा कर सकते हैं। यदि हम मानव आबादी पर नजर डालें तो पाते हैं कि यह किस प्रकार चिंता का कारण बनती जा रही है। विशेषकर तीसरी दुनिया के देश जनसंख्या विस्फोट से सबसे अधिक पीड़ित हैं। चूँकि वहाँ संसाधन सीमित हैं और लगातार बढ़ती जनसंख्या इसे और बदतर बना देती है। वहीं दूसरी ओर कई क्षेत्रों में कम जनसंख्या की समस्या भी है.

भारत जनसंख्या संकट

बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत एक बड़े जनसंख्या संकट का सामना कर रहा है। अगर अनुमान लगाया जाए तो हम कह सकते हैं कि दुनिया की लगभग 17% आबादी अकेले भारत में रहती है। सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर है।

इसके अलावा, भारत भी कम साक्षरता दर वाले देशों में से एक है। यह कारक भारत में जनसंख्या विस्फोट में बड़े पैमाने पर योगदान देता है। आमतौर पर देखा जाता है कि अशिक्षित और गरीब वर्ग में बच्चों की संख्या अधिक होती है। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए होता है क्योंकि उन्हें जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है। इसके अलावा, एक परिवार में अधिक लोग अधिक मदद करने वाले हाथों के बराबर होते हैं। इसका मतलब है कि उनके पास कमाई के बेहतर मौके हैं।

इसके अलावा, हम यह भी देखते हैं कि ये वर्ग किस प्रकार शीघ्र विवाह का अभ्यास करते हैं। यह इसे अधिक जनसंख्या के प्रमुख कारणों में से एक बनाता है। लोग पैसों के लिए या अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त होने के लिए अपनी जवान बेटियों की शादी अपने से कहीं अधिक उम्र के पुरुषों से कर देते हैं। युवा लड़की कम उम्र से ही बच्चों को जन्म देती है और लंबे समय तक ऐसा करती रहती है।

चूँकि भारत संसाधनों की कमी का सामना कर रहा है, जनसंख्या संकट समस्या को और बढ़ा देता है। इससे प्रत्येक नागरिक के लिए संसाधनों का समान हिस्सा प्राप्त करना काफी कठिन हो जाता है। इससे गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर हो जाता है।

जनसंख्या विस्फोट का प्रभाव

मानव जनसंख्या विस्फोट न केवल मनुष्यों को बल्कि हमारे पर्यावरण और वन्य जीवन को भी प्रभावित करता है। हमने विभिन्न कारकों के कारण पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों को विलुप्त होते देखा है। चूँकि अधिक जनसंख्या को अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है, इसलिए वनों की कटाई तेजी से हो रही है जो इन जानवरों के घरों को छीन लेती है। इसी प्रकार, मानवीय गतिविधियों के कारण उनका निवास स्थान नष्ट हो रहा है।

इसके बाद, जनसंख्या विस्फोट के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक मनुष्य ऑटोमोबाइल खरीद रहे हैं, हमारी हवा प्रदूषित हो रही है। इसके अलावा, बढ़ती ज़रूरत के लिए औद्योगीकरण की तेज़ दर की आवश्यकता है। ये उद्योग हमारे जल और भूमि को प्रदूषित करते हैं, हमारे जीवन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं और उसका ह्रास करते हैं।

इसके अलावा, मानवीय गतिविधियों के कारण हमारी जलवायु में भी भारी बदलाव आ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन वास्तविक है और यह हो रहा है। यह हमारे जीवन पर बहुत हानिकारक प्रभाव डाल रहा है और अब इस पर नजर रखी जानी चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग जो मुख्यतः मनुष्यों की गतिविधियों के कारण होती है, जलवायु परिवर्तन के कारकों में से एक है।

मनुष्य अभी भी जलवायु का सामना करने और उसके अनुसार अनुकूलन करने में सक्षम हैं, लेकिन जानवर ऐसा नहीं कर सकते। इसी कारण वन्य जीव भी विलुप्त होते जा रहे हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो मनुष्य सदैव अपने भले के बारे में सोचता है और स्वार्थी हो जाता है। वह इस बात को नज़रअंदाज कर देता है कि वह आसपास के वातावरण पर क्या प्रभाव डाल रहा है। यदि जनसंख्या दर इसी गति से बढ़ती रही तो हम अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे। इसके साथ ही जनसंख्या वृद्धि के हानिकारक परिणाम सामने आते हैं। अत: हमें जनसंख्या नियंत्रण के उपाय अवश्य करने चाहिए।

जनसंख्या पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 विश्व की वर्तमान जनसंख्या कितनी है.

उत्तर. जुलाई 2021 तक विश्व की जनसंख्या 7.88 बिलियन होने का अनुमान है।

Q.2 चीन की जनसंख्या कितनी है?

उत्तर. जुलाई 2021 तक चीन की जनसंख्या लगभग 141.24 करोड़ है।

Q.3 जनसंख्या अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर. जनसंख्या वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक नौकरियां पैदा हो सकती हैं और आर्थिक विकास बढ़ सकता है।

Q.4 जनसंख्या वृद्धि को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?

उत्तर. जनसंख्या वृद्धि कई कारकों से प्रभावित होती है, जिनमें जन्म दर, मृत्यु दर, प्रवासन और संसाधनों तक पहुंच शामिल है।

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जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Population Explosion Essay in Hindi)

जनसंख्या न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के ज्वलंत मुद्दों में से एक है। दुनिया में कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ अत्यधिक जनसँख्या हैं। जनसंख्या विस्फोट का अर्थ है किसी विशेष क्षेत्र में मनुष्यों की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि। यह या तो किसी शहर में या फिर किसी भी देश में हो सकता है।

जनसंख्या विस्फोट पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Population Explosion in Hindi, Jansankhya Visfot par nibandh Hindi mein)

जनसंख्या विस्फोट पर निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

जब हमारे परिवार में एक बच्चा पैदा होता है, तो हम बहुत ख़ुशी महसूस करते हैं और हम इस अवसर को मनातेहैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक ही समय में पूरी दुनिया में कितने बच्चे पैदा होते हैं? शोध में, यह पाया गया है कि प्रति मिनट 250 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, और हर साल औसतन 120 मिलियन बच्चे पैदा होते हैं। संभवतः यह आपके लिए एक हो सकता, मगर वे जनसंख्या के मामले में कई हो जाते हैं।

जनसंख्या के बारे में कुछ तथ्य

साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं। भारत में, पूरी आबादी में 48.04 प्रतिशत महिलाएं और 51.96 प्रतिशत पुरुष हैं। केरल वह राज्य है, जहाँ देश में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक हैं। हरियाणा में यह अनुपात सबसे कम है। उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। अरुणाचल प्रदेश सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है।

जनसंख्या विस्फोट पर नियंत्रण

भारत में दुनिया की आबादी का 17.7 प्रतिशत हिस्सा है और दुनिया की 2.4 प्रतिशत भूमि है जो 135.79 मिलियन वर्ग किमी है। भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और चीनदूसरे स्थान पर है। भारत में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राजील की जनसंख्या के बराबर है।जनसंख्या के बारे में ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2036 तक इसके 1.52 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है, जो वर्तमान जनसंख्या का 10 प्रतिशत से अधिक है।

अपने दैनिक जीवन में हम कई लोगों से मिलते हैं जैसे हमारे घर के सफाईकर्मी से, खाना बनाने वाले से, आदि। हमें जनसंख्या विस्फोट की गंभीरता को समझते हुए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। हम इस जानकारी को उनके साथ भी साझा कर सकते हैं और इस तरह से, हम राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।

यूट्यूब पर देखें => Jansankhya visfot par nibandh

निबंध 2 (400 शब्द) – जनसंख्या विस्फोट को कैसे नियंत्रित किया जाए

भारत को सबसे तेजी से विकसित हो रहे देशों में से एक के रूप में चिह्नित किया गया है। विकास करना वाकई बहुत ही अच्छा है लेकिन इसके कई आयाम होने चाहिए। विकास होना चाहिए लेकिन कुछ शर्तों के साथ। एक राष्ट्र का विकास अर्थव्यवस्था, राजनीति, शिक्षा, व्यापार, आदि जैसे कई तरीकों से तय होता है।

जनसंख्या विस्फोट क्या है

जनसंख्या में भारी वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। जनसंख्या खराब नहीं है लेकिन जब यह अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है तो यह अच्छी बात नहीं है।

हर दिन हजारों बच्चे जन्म लेते हैं और मृत्यु दर में विकास के कारण जनसंख्या में भारी वृद्धि हो रही है। हालाँकि, यह एक अच्छी बात है, कई मायनों में, इसने हमारी आबादी को प्रभावित किया है। चीन और भारत ऐसे पहले दो देश हैं जिनकी जनसंख्या सबसे अधिक है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

जब संसाधन कम और लोग अधिक होते हैं और वे आवश्यक चीजें प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो यह एक चेतावनी है, यह सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ विकास को भी प्रभावित करता है। जब तक वहां रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलेंगी तब तक एक राष्ट्र विकसित नहीं होगा। ये सुविधाएं शिक्षा, रोजगार, उचित भोजन और अच्छा रहने की जगह हैं। जनसंख्या विस्फोट इन सभी कारकों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।

जनसंख्या विस्फोट को कैसे नियंत्रित किया जाए

  • उचित विज्ञापन द्वारा: विभिन्न जन्म नियंत्रण विधियों का उचित विज्ञापन होना चाहिए क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस सम्बन्ध में कुछ जानते भी नहीं हैं और कई ऐसे हैं जो इससे सम्बंधित किसी तरह की बात करने या किसी से पूछने में शर्म महसूस करते हैं। जब लोगों के बीच उचित ज्ञान होगा, तो वे इसके बारे में सोचेंगे और इसका उपयोग भी करेंगे।
  • नारी शिक्षा: राष्ट्र के कई ऐसे हिस्से हैं जहाँ लोग महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं लेकिन यह कई मायनों में बहुत आवश्यक है। एक शिक्षित महिला अपने भविष्य के बारे में सोच सकती है और वह निर्णय ले सकती है जो जनसंख्या विस्तार को रोकने में कई मायनों में मददगार है। अत्यधिक जनसंख्या के पीछे अशिक्षा एक बड़ा कारण है।
  • कुछ सरकारी पहल: ऐसे कई देश हैं जो केवल पहले दो बच्चों को सब्सिडी प्रदान करते हैं। इसी तरह, केंद्र सरकार भी पहले दो बच्चों को विभिन्न लाभ प्रदान करती है, लेकिन यह हर जगह अपनाया जाना चाहिए। साथ ही सरकार को लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर एक उचित अभियान भी चलाना चाहिए।

अत्यधिक जनसँख्या निश्चित रूप से एक समस्या है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह काफी हद तक सही है कि सरकार को कुछ बड़ी बातें करनी चाहिए फिर भी हमें अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए। कॉलेजों और अन्य गैर-सरकारी संगठनों को लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन करना चाहिए।

Essay on Population Explosion

निबंध 3 (600 शब्द) – जनसंख्या विस्फोट: कारण और कमियां

जब कोई भी चीज निरंतर रूप से अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है तो इसे विस्फोट के रूप में जाना जाता है। जब यह मनुष्यों के संदर्भ में होता है तो इसे जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। मनुष्यों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब जनसंख्या 5 अरब से अधिक हो गई है; सिर्फ इतना ही नहीं स्त्री और पुरुष के लिंगानुपात में भी बहुत बड़ा अंतर है।

जनसंख्या विस्फोट के पीछे कारण

जनसंख्या विस्फोट के पीछे विभिन्न कारण हैं जिनमें से कुछ के बारे में मैंने यहाँ नीचे चर्चा की है:

  • मृत्यु दर में कमी: चिकित्सा क्षेत्र में विकास के कारण मृत्यु दर में कमी देखी गई है। हालांकि यह कई मायनों में अच्छा है, लेकिन जनसंख्या विस्फोट के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि मृत्यु दर जितनी कम होगी जनसंख्या उतनी ही बढ़ेगी।
  • निरक्षरता: निरक्षरता बढ़ती जनसंख्या के पीछे एक और कारण है क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहाँ 50 प्रतिशत से अधिक आबादी गाँवों में रहती है। इसके अलावा, एक ऐसा देश जहां बालिकाओं की हत्या आम है और इस परिदृश्य में, बहुत कम लोग हैं जो अपनी बेटी की शिक्षा की देखभाल करते हैं। मैं यह कह सकता हूं कि कई महिलाएं आज भी निरक्षर हैं। इसलिए, वे परिवार नियोजन के महत्व को नहीं समझती हैं और जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती हैं।
  • नए सिद्धांतों का अभाव: ऐसे कई देश हैं जहाँ बच्चों के लिए नियम और कानून हैं। जैसे कि लोगों के एक या दो से अधिक बच्चे नहीं हो सकते। भारत में ऐसा कुछ नहीं है और परिणामस्वरूप, लोग स्वतंत्र हैं और उनके कई बच्चे हैं।
  • कुछ सांस्कृतिक पदानुक्रम: कभी-कभी परिवारों में 5 बच्चे भी होते हैं, क्योंकि हर किसी को एक लड़के की ज़रूरत होती है, ऐसे में वे हर साल एक बच्चा पैदा करते रहते हैं, जब तक कि वह लड़का न हो। बालिकाओं की हत्या के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है। पितृसत्तात्मक समाज ने लड़कों को श्रेष्ठ बनाया है, हालांकि लड़कों के बारे में कुछ खास नहीं है। आज भी, कई क्षेत्रों में सांस्कृतिक विश्वास अभी भी जीवित है और यह भी हमारे देश में जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारणों में से एक है।

जनसंख्या विस्फोट की कमियां

किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक होती है या तो यह विटामिन और मिनरल्स हो या फिर आबादी। वे समाज में कुछ ऐसा असंतुलन पैदा करते हैं जो कई मायनों में सही नहीं होता है।

  • गरीबी: भारत एक ऐसा देश है जहाँ आप बड़ी संख्या में गरीबों को देख सकते हैं। जितने अधिक सदस्य एक परिवार में होंगे, उतना ही परिवार को कमाने की आवश्यकता होगी और जब वे चीजों को प्रबंधित करने में विफल होते हैं, तो यह स्वतः ही यह उन्हें कुछ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में व्यवधान डालता है। इससे गरीबी को बढ़ावा मिलता है। हालांकि भारत एक विकासशील राष्ट्र है लेकिन यहाँ कई समान रूप से गरीब हैं।
  • बेरोजगारी: यह मुख्य समस्याओं में से एक जो आसानी से देखी जा सकती है। आजकल जनसंख्या की तुलना में बहुत कम नौकरियां रह गयीं हैं। जब ज्यादा लोग बेरोजगार होंगे तो यह अपने आप गरीबी की ओर ले जाएगा। हर चीज में संतुलन होना चाहिए तभी समाज में शांति और सद्भाव बना रहता है।
  • अपराध में वृद्धि: हम कह सकते हैं कि गरीबी और बेरोजगारी सीधे अपराध के समानुपाती हैं। यह साफ़ है कि जब लोगों के पास पैसा नहीं होगा और इसे कमाने का कोई स्रोत भी नहीं होगा, तो निश्चित रूप से वे कुछ नकारात्मक कृत्यों की ओर रुख करेंगे। और आजकल आप आयेदिन अख़बारों और टीवी में डकैती या लूट की खबरें रोज पढ़ और देख सकते हैं। अपराध की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

जनसंख्या विस्फोट में कई कमियां हैं और इसमें कुछ भी सकारात्मक नहीं है। इसे नियंत्रित करने के लिए हमें एक निश्चित नियम लाना चाहिए। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा कई लाभ प्रदान किए जाते हैं, फिर भी कई ऐसे हैं जो इसके बारे में जानते भी नहीं हैं। लोगों में जागरूकता विकसित करने के लिए विभिन्न अभियान चलाया जाना चाहिए।

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