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- होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500 शब्दों में होली पर हिंदी में निबंध लिखना सीखें
Updated On: October 08, 2024 04:34 PM
- होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in …
- होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in …
- होली पर निबंद 750 शब्दो में (Essay on Holi in …
होली पर निबंध 10 लाइन (Holi Par Nibandh 10 Lines)
होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार (Holi Festival) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार (Festival of Holi) हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये भी पढ़ें: - दशहरा पर निबंध होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से 200 से 500 शब्दों तक हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) लिखना सीख सकते हैं।
होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in 200 words)
होली पर निबंध (holi par nibandh) - होली का महत्व.
होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली कब और क्यों मनाई जाती है?
होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है। इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी कहानी है। वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई व बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एंव भाव से जुड़ी है। तो आईये जानते है होली मनाने के पीछे का कारण और संस्कृति एंव भाव।
इसी तरह भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और गोप गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व की सबसे प्रसिद्ध होली मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ और तब से हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है।
होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in 500 words)
होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पर्व फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और भारत वर्ष में खुशी, आनंद, प्रेम और एकता का प्रतीक है। होली एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें लोग अपनी पूर्वाग्रहों और विभिन्न सामाजिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर आपसी भाईचारा और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधनाओं के साथ मनाया जाता है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय अवसर है।
होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है। होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि किया जाता है।
होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) - होली की तैयारी कैसे करें?
पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं। फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं।
रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं। होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं। कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं।
होली पर निबंध (Holi Par Nibandh in Hindi) - होली कैसे खेलते है?
इन सब के बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।
इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली भी खेलते है। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।
यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें-
होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) - होली के हानिकारक प्रभाव
होली का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है जिसका ध्यान रखना चाहिए। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें इसलिए होली के दिन सावधानीपूर्वक रंगो को खेलिये जिससे किसी के लिए हानिकारक न हो।
सुरक्षित तरीके से होली खेलने के सुझाव
होली का त्योहार (Holi Festival) ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।
- होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर और बालों पर अच्छी तरह तेल और मॉइश्चराइजर लगा लें। ताकि रंग आसानी से छूट जाएं।
- होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।
- होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें।
- होली पर फुल कपड़े पहनने की कोशिश करें, ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।
- होली में किसी पर जबरदस्ती कलर नहीं डालें और ध्यान रखें कि मौज-मस्ती में किसी को चोट न आए।
- होली की मौज-मस्ती में बच्चों का विशेष ख्याल रखें, कई बार ज्यादा समय तक पानी में गीले रहने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं
होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। होली में पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें। अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।
होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां
होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने गलत आचरण से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग और गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा। इसलिए होली में कुरीतियों से बचें और खुशुयों से होली मनाये यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है।
होली पर निबंद 750 शब्दो में (Essay on Holi in 750 words in Hindi)
रंगों का त्योहार: होली होली भारत का एक प्रमुख और रंगारंग त्योहार है जिसे हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार रंगों, मिठाइयों और खुशियों का प्रतीक है। होली का प्रारंभिक उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की विजय और प्रेम एवं भाईचारे का संदेश देना है। यह त्योहार हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यह अब पूरे भारत और दुनिया भर में विभिन्न समुदायों द्वारा मनाया जाता है। होली का धार्मिक और पौराणिक महत्व: होली का पर्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इस त्योहार का संबंध प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप और होलिका की कथा से है। कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक अत्याचारी राजा था जिसने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका, जिसे अग्नि से अजेयता का वरदान प्राप्त था, की मदद ली। होलिका ने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका जल गई। इस प्रकार, होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। होली के त्योहार की तैयारी: होली के त्योहार की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। लोग घरों की साफ-सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और विशेष पकवान जैसे गुजिया, पापड़ी, ठंडाई आदि बनाते हैं। होली के दिन से एक दिन पहले होलिका दहन होता है, जिसमें लकड़ियों का ढेर बनाकर होलिका की प्रतिमा का दहन किया जाता है। इस दहन के माध्यम से बुराई का नाश और अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली का दिन: होली के दिन सभी लोग सुबह से ही रंग खेलने की तैयारी में लग जाते हैं। लोग रंग, गुलाल और पानी के रंगों से एक-दूसरे को रंगते हैं। बच्चे पिचकारियों और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं। लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर जाते हैं और रंग-गुलाल से उनका स्वागत करते हैं। इस दिन सभी भेदभाव मिट जाते हैं और हर कोई एक दूसरे के गले लगकर बधाई देता है। होली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: होली का त्योहार सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है। इस दिन सभी लोग अपने आपसी मतभेद भूलकर एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। होली का पर्व न केवल भारत में बल्कि नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, यह त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है जो पूरी दुनिया में प्रचलित है। होली के गीत और नृत्य: होली के मौके पर लोग फागुन के गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। होली के गीतों में राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है। विशेषकर ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां के लोग फागुन के महीने में रंगों से खेलते हैं और राधा-कृष्ण की होली की झांकी प्रस्तुत करते हैं। इसके अलावा, बॉलीवुड में भी होली पर आधारित कई प्रसिद्ध गीत हैं जो इस त्योहार की खुशी को और बढ़ा देते हैं। होली के रंगों का महत्व: होली के रंगों का विशेष महत्व होता है। यह रंग जीवन में खुशियां, समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक हैं। हर रंग का अपना एक विशेष अर्थ होता है। लाल रंग प्रेम और शक्ति का प्रतीक है, हरा रंग समृद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक है, पीला रंग ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है और नीला रंग शांति और विश्वास का प्रतीक है। होली के रंग न केवल हमारे जीवन को रंगीन बनाते हैं, बल्कि यह हमें जीवन की विभिन्न रंगीन पहलुओं को भी सिखाते हैं। निष्कर्ष: होली का त्योहार हमारे जीवन में रंगों, खुशियों और प्रेम की महत्ता को दर्शाता है। यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है और हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखने की प्रेरणा देता है। होली का पर्व सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है जो हमारे समाज को और भी मजबूत और खुशहाल बनाता है। इसलिए, हमें इस त्योहार को पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाना चाहिए और इसके संदेश को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) कुछ लाइनों में लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से होली पर निबंध 10 लाइनों (Holi Par Nibandh 10 Lines) में लिखना सीखें।
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Essay On Holi In Hindi (100, 200, 300, 500, 700, 1000 Words)
होली निबंध 1 (100 शब्द) :.
हम सभी भारत वासी हैं और हमारे देश को उसके भिन्न-भिन्न त्यौहारों की वजह से जाना जाता है जिसमें हिंदुओं का पर्व होली एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। होली एक रंगों का त्यौहार है जो बसंत ऋतू में अथार्त फाल्गुन मास में मनाया जाता है। होली के दिन सभी लोग छोटे-बड़े, युवा-बूढ़े आदि एक-दूसरे को रंग लगाते हुए होली की बधाईयाँ देते हैं।
होली को एक-दूसरे के प्रति स्नेह का प्रतिक माना जाता है क्योंकि आज के दिन सभी लोग अपने आपसी मत-भेद भूलकर एक दूसरे के साथ होली खेलते हैं। होली पर सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं जिसके दौरान सभी लोग मिलकर ढोलक, डी.जे., आदि की धुन पर नाचकर अपने उत्साह को प्रकट करते हैं।
होली के दिन सभी घरों में अलग-अलग तरह के व्यंजन और पकवान बनाए जाते हैं। होली त्यौहार से एक दिन पहले रात के समय होलिका दहन किया जाता है जिसके अगले दिन लोग मौज-मस्ती और उत्साह के साथ एक-दूसरे को रंग लगाते हैं।
होली निबंध 2 (200 शब्द) :
भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर विभिन्न धर्मों को मानने वाले और विभिन्न त्यौहार मनाने वाले लोग रहते हैं। भारत के त्यौहारों में से एक प्रमुख त्यौहार है होली का त्यौहार जिसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। होली के त्यौहार को बसंत ऋतू के फाल्गुन मास में मनाया जाता है। होली के त्यौहार को भक्त प्रहलाद के आग से बचने और उनके पिता की बहन होलिका के आग में जलने की खुशी में मनाया जाता है।
आज के दिन प्रहलाद के पिता की बहन प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर चिता पर बैठी थी क्योंकि होलिका को एक चुंदरी के रूप में यह वरदान प्राप्त था कि जब तक वह चुंदरी उसके पास है आग उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
लेकिन आज के दिन भक्त प्रहलाद के प्राण बच गए थे और होलिका के पास वरदान होते हुए भी वह आग में जलकर राख हो गई थी जिसकी खुशी में लोगों में एक-दूसरे पर गुलाल और रंग बिखेरे थे जिसकी वजह से आज के दिन को होली के नाम से मनाया जाने लगा था। हर साल की तरह होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जिसके अगले दिन लोग खुशी से एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं।
होली निबंध 3 (300 शब्द) :
भूमिका : जिस तरह भारत में दीपावली के त्यौहार को मनाया जाता है उसी प्रकार भारत में होली को भी बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली के त्यौहार को बसंत ऋतू के फाल्गुन मास में मनाया जाता है क्योंकि आज के ही दिन भक्त प्रहलाद के पिता की बहन की आग में जलकर मृत्यु हुई थी जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में माना गया था और उसी दिन से इस उत्सव को हर साल मनाया जाने लगा था जिसकी वजह से इसका इतिहास और महत्व अधिक हो गया है।
होलिका दहन : होली का त्यौहार फाल्गुन मास के आखिरी दिन पर होलिका दहन से शुरू होता है और अगले दिन को रंगों से रंग दिया जाता है। होलिका दहन के लिए बहुत से लोग छोटे-छोटे उपलों की माला बनाकर उसे एक निर्धारित स्थान पर रखा जाता है जिसके बाद रात के समय पंडित जी के बताए गए समय पर उपलों की माला के ढेर में आग लगा दी जाती है जिसे लोग होलिका दहन के नाम से जानते हैं।
इसके अगले दिन सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और रंगों से भरे गुब्बारे और पिचकारी से भीगा हुआ रंग फेंकते हैं। आज के दिन लोग सभी तरह के भेद-भाव भूलकर एक-दूसरे को होली की बधाई देते हैं।
उपसंहार : होली एक प्रमुख त्यौहार है जिसे भारत देश के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी बहुत ही उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार रंगों से भरा एक पर्व है जिसे हिंदुओं के द्वारा बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
भारत में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन होली का त्यौहार बाकि सभी त्यौहारों से कुछ अलग तरह का त्यौहार है। होली का त्यौहार हम सभी को मौज-मस्ती, मनोरंजन, खुशी, उत्साह आदि का संदेश देता है। होली के त्यौहार को दुखों, उलझनों और संतापों को भूलकर अपनी संपूर्णता के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं।
होली निबंध 4 (400 शब्द) :
भूमिका : होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें लोग एक-दूसरे को रंग या गुलाल लगाते हैं जिसकी वजह से इस त्यौहार को हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं। होली को रंगों का उत्सव कहा जाता है जो भारत के हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
होली के त्यौहार को हर साल बसंत ऋतू के समय फाल्गुन मास में आता है जो दीपावली की तरह ही अधिक खुशी प्रदान करने वाला त्यौहार है। होली का यह दिन हर साल चैत्र मास के एक दिन पहले आता है जिस दिन पूरी प्रकृति और वातावरण बहुत ही सुंदर और रंगीन नजर आती है।
होली का उद्देश्य : होली के त्यौहार को होलिकोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। होलिका शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के होल्क शब्द से हुई थी जिसका अर्थ होता है भुना हुआ अन्न जिससे होलिका शब्द से होली शब्द की उत्पत्ति हो गई।
पुराने समय में जब लोग अपनी नई फसल को काटते थे तो उससे कोई भी काम करने से पहले भगवान का भोग लगाते थे इसलिए नवान्न को आग के प्रति समर्पित करके उसे भूना जाता था। अन्न के ठीक प्रकार से भुनने के बाद उसे सभी लोगों में प्रसाद के रूप में बाँट देते थे और आग से सेक लेते हुए बड़े ही स्वाद से खाते थे इसी वजह से आज भी बहुत से क्षेत्रों में होलिकोत्सव मनाया जाता है।
ऐतिहासिकता : होली के त्यौहार के पीछे एक ऐसे भक्त की कहानी है जिसने कभी अपनी भक्ति को हारने नहीं दिया था। पुराने समय में एक राजा थे हिरण्यकश्यप उनका एक पुत्र था जो विष्णु देव की भक्ति करता था लेकिन उसके पिता को यह अच्छा नहीं लगता था इसलिए उन्होंने अपनी बहन होलिका को यह आदेश दिया कि वह उसको लेकर चिता पर बैठेगी।
होलिका को ब्रह्मा देव ने यह वरदान दिया था कि आग उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु का नाम लेकर अपनी बुआ के साथ चिता पर बैठ गए जिसमें भक्त प्रहलाद को कोई चोट नहीं पहुंची लेकिन होलिका जलकर राख हो गई उसी की खुशी में हर साल इस दिन को होली के रूप में मनाया जाने लगा।
उपसंहार : होली को खुशियों, उत्साह, रंगों और एकता का प्रतिक माना जाता है क्योंकि होली के दिन सिर्फ खुशियाँ होती हैं। होली को भारत देश में एक राष्ट्रिय त्यौहार के रूप में मनाया जाता है क्योंकि होली के दिन सभी स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, कार्यालयों, बैंकों, और दूसरे सभी संस्थानों में होली की शुभकामनाएं दी जाती हैं लेकिन होली के दिन ये सभी स्थान बंद रहते हैं ताकि लोग होली के दिन सभी तरह की चिंताओं से मुक्त होकर होली का आनंद ले सकें।
होली निबंध 5 (500 शब्द) :
भूमिका : होली भारत के मुख्य त्यौहारों में से एक त्यौहार है क्योंकि यह एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन सभी लोग एक-दूसरे का खुलकर मजाक उड़ाते हैं। होली के दिन सभी बच्चे, बूढ़े, युवा रंगों से खेलते हैं।
होली के पर्व को हर साल मार्च के महीने में मनाया जाता है। सभी लोगों के द्वारा इस दिन को एकत्र, प्यार, खुशी, सुख और जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है। होली के पर्व को एक-दूसरे के साथ प्यार और खुशी जाहिर करने के लिए चमकीले और आकर्षक रंगों से होली को खेला जाता है।
रंगों का त्यौहार : भगवान श्री कृष्ण के जन्म से पहले होली को सिर्फ होलिकोत्सव के रूप में मनाया जाता था जिसमें होलिका दहन में नवान्न अर्पित किए जाते थे लेकिन जब भगवान श्री का जन्म हुआ तो उन्होंने इस त्यौहार को रंगों के त्यौहार में परिवर्तित कर दिया।
एक बार होलिकोत्सव के दिन भगवान श्री कृष्ण के घर पूतना नाम की राक्षसी आई थी लेकिन कृष्ण ने उसका वध कर दिया था। जब कृष्ण युवा अवस्था में पहुंचे थे तो उन्होंने इस पर्व को गोपी-गोपिकाओं के साथ रासलीला और रंग खेलने के साथ-साथ रात में समय होलिका दहन करने की परंपरा बन गई थी।
बसंत का आगमन : जब प्रकृति में बसंत का आगमन होता है तो प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूटने लगता है तब होली का त्यौहार बसंत ऋतू का श्रंगार करने के लिए आता है। होली का पर्व एक ऋतू से संबंधित त्यौहार है।
जब एक ऋतू यानि शीतकाल ऋतू की समाप्ति होती है तो ग्रीष्मकाल ऋतू का आगमन होता है और जब ये दोनों ऋतुएं मिलती हैं तो इन दोनों के मिलने से होने वाले संधिकाल को होली का त्यौहार कहा जाता है। जब शीतकाल ऋतू की समाप्ति होती है तो सभी किसान आनंद से भर जाते हैं क्योंकि यही वह समय होता है जब उनका साल भर यानि पूरी साल किया गया कठोर परिश्रम सफल होता है और उनकी फसल पकनी शुरू हो जाती है।
(और पढ़ें : होली पर निबंध , होली से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें )
होली की तैयारियां : होली त्यौहार से एक दिन पहले सभी लोग गोबर, लकड़ी, घास आदि के ढेर को एक निश्चित स्थान पर लगा देते हैं। रात के समय निश्चित समय पर उस ढेर में आग लगा दी जाती है और उसके साथ पौराणिक कथाओं को भी याद किया जाता है।
बहुत से लोगों का तो यह भी मानना है कि अगर आज के दिन परिवार के सभी सदस्यों के शरीर पर सरसों के उबटन से मसाज की जाए तो घर और मन से सारी गंदगी दूर हो जाती है और खुशियों तथा सकरात्मक शक्तियों का संचार होता है।
होलिका दहन के अगले दिन सभी लोग अपने मित्र, परिवार, सगे-संबंधियों को होली के त्यौहार की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन बच्चों के लिए गुब्बारे, रंग, पिचकारियाँ, गुलाल आदि खरीदा जाता है जिसे देखकर बच्चे बहुत अधिक खुश होते हैं। होली के दिन सभी घरों में तरह-तरह की मिठाईयां, व्यंजन, पकवान बनाए जाते हैं।
उपसंहार : होली त्यौहार को रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है जो हर साल फाल्गुन मास के महीने में मनाया जाता है। होली को हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार कहा जाता है लेकिन यह सिर्फ हिंदुओं का ही नहीं बल्कि सभी लोगों का त्यौहार है।
होली को सभी लोग एक नए उत्साह, आशा और जोश के साथ मनाते हैं। होली के त्यौहार पर लोग आपस में गले मिलते हैं, एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और होली के पर्व की शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन लोग खासतौर पर पापड़, हलवा, गुजिया, पकोड़े आदि व्यंजन खाते हैं।
होली निबंध 6 (600 शब्द) :
भूमिका : होली एक ऐसा त्यौहार है जो सभी के लिए सुख, खुशियों के साथ-साथ अनेक संकेत लेकर आता है। होली के त्यौहार का इंतजार सभी लोग बहुत ही उत्साह के साथ करते हैं क्योंकि होली के दिन सभी लोग बेफिक्र होकर रंगों के साथ खेलते हैं। होली के त्यौहार को भक्त प्रहलाद की भक्ति और होलिका के आग में जलकर राख होने की खुशी में मनाया जाता है जिस दिन सभी लोग अपने गिले, शिकवे भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं।
होली का यथार्त उद्देश्य : प्राचीन समय में जब भी किसानों की फसल पककर तैयार होती थी तो भगवान पर भोग के रूप में थोड़े से अन्न को भूनकर भगवान को चढाया जाता है। भगवान को भोग लगाने के बाद बाकि के भूने हुए अन्न को सभी लोगों में प्रसाद की तरह बाँट दिया जाता है और सभी लोग आग की सेंक लेते हुए उस प्रसाद को ग्रहण करते हैं और साथ-साथ बहुत से गीत, भजन, गाते हैं। एक-दूसरे के दुःख-सुख की बातें करते हैं, मौज-मस्ती के साथ बहुत सारा समय एक-दूसरे के साथ व्यतीत करते हैं।
होली का महत्व : होली के त्यौहार का हिंदू समाज के लिए बहुत अधिक महत्व है क्योंकि होली का पर्व दुश्मनों को भी दोस्त बना देता है। होली के त्यौहार पर अमीर-गरीब, क्षेत्र, जाति और धर्म में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। होली त्यौहार के दिन सभी लोग एक-दूसरे के घर जाकर लोगों के साथ रंगों से खेलते हैं।
जो लोग अपनों से दूर रहते हैं वो इस पर्व के माध्यम से एक-दूसरे से मिल जाते हैं। होली के दिन सभी लोग अपने गम, नफरत, नाराजगी भुलाकर आपस में एक नए रिश्ते को कायम करते हैं। जिस तरह दीपावली का पर्व अपने साथ बहुत से उद्देश्य और संदेश लेकर आता है उसी तरह होली भी बहुत से संदेश लेकर आता है। होली का त्यौहार सभी को भेदभाव और बुराईयों से दूर रहने की सलाह देता है।
भक्त प्रहलाद की कहानी : पुरातन काल में एक राजा हिरण्यकश्यप था जो अपने आप को भगवान मानता था। राजा अपनी पूरी प्रजा पर कहर बरसाता था क्योंकि वह चाहता था कि सभी लोग उसे ही भगवान मानें। लेकिन राजा का बेटा प्रहलाद अपने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ना चाहता था। उस पर बहुत सारे अत्याचार किए गए लेकिन फिर भी वह अपने दृढ निश्चय से पीछे नहीं हटा।
अंत में राजा ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को गोद लेकर चिता पर बैठने का आदेश दिया क्योंकि उसे कभी न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका प्रहलाद को लेकर चिता पर बैठ गई जिसमें प्रहलाद अपनी भक्ति में लीन हो गया और उसे कोई चोट भी नहीं आई लेकिन होलिका उसी आग में जलकर राख हो गई इसी वजह से भक्त प्रहलाद की भक्ति को याद करते हुए इस दिन को हर साल मनाया जाने लगा।
होली मनाने की विधि : होली को दो दिन का त्यौहार माना जाता है क्योंकि होली से एक दिन पहले किसी स्थान को निश्चित कर दिया जाता है। पूरा गाँव उस निश्चित जगह पर गोबर, घास, लकड़ियाँ आदि का ढेर लगा देता है। भारत के हिन्दू धर्म के अनुसार इस जगह की पूजा करने के बाद इस ढेर में आग लगा दी जाती है जिसे सभी लोग होलिका दहन कहते हैं।
इसी आग में सभी किसान अपने खेत की सबसे पहली फसल को भूनकर उसे प्रसाद के रूप में सभी को बांटते हैं। इसी की वजह से सभी में मिलन और भाईचारे की भावना पैदा होती है। अगले दिन सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं जिसकी वजह से अगले दिन को धुलेंडी कहते हैं।
उपसंहार : होली एक पवित्र और शुद्धता का त्यौहार माना जाता है लेकिन आजकल लोग प्राकृतिक रंगों की जगह पर रासायनिक रंगों का प्रयोग करते हैं जिसकी वजह से त्वचा को नुकसान पहुंचता है। होली के इस दिन लोग भांग-ठंडाई पीने की जगह पर नशेबाजी करते हैं और लोक संगीत सुनने की जगह पर आधुनिक गानों को सुनते हैं।
होली निबंध 7 (700 शब्द) :
भूमिका : होली का त्यौहार ढेर सारी मौज-मस्ती और मजाक का त्यौहार माना जाता है क्योंकि आज के दिन सभी लोग अपने शिष्टाचार के बंधनों को तोडकर एक-दूसरे का खुलकर मजाक उड़ाते हैं क्योंकि आज के दिन कोई भी नाराज नहीं होता है।
होली के इस पर्व को भारत देश के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। होली के इस पावन पर्व पर सभी लोगों के चेहरे पर अपने-आप ही मुस्कान आ जाती है यहाँ तक कि वृद्ध लोगों में भी इसके नाम से उल्लास का संचार होता है।
होली क्यों मनायी जाती है : होली एक खुशी और उत्साहपूर्ण त्यौहार है जो होलिका के आग में जलकर राख होने की वजह से इसे होली के नाम से हर साल मनाया जाता है। तभी से हिन्दू धर्म के लोग बुराई या शैतानी शक्ति पर अच्छाई या ईश्वरीय शक्ति की विजय के रूप में इस दिन को बड़े धूम-धाम से मनाने लगे थे। जब कृष्ण जी का जन्म हुआ तो उन्होंने गोपियों के साथ रासलीला करके होली के इस त्यौहार को रंगों के त्यौहार में बदल दिया था।
होली का उत्सव : होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार है। होली के त्यौहार से एक दिन पहले सभी लोक होलिका दहन करके अपने देश के प्राचीन काल को या अतीत को याद करते हैं जिसकी वजह से आज हम होली जैसे पवित्र त्यौहार को मना पाते हैं।
आज के दिन सभी लोग एक-दूसरे को रंगों और गुलाल से रंग देते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं। आज के दिन सभी घरों में मिठाईयां, व्यंजन और तरह-तरह के पकवान बनवाते हैं और सभी लोग आपस में मिलजुलकर नाश्ता करते हैं। आज के दिन बहुत सी जगहों पर कार्यक्रम भी किए जाते हैं।
होली की मनोवैज्ञानिक दृष्टि : होली को आनंद का सरोवर और खुशी का बेसकीमती खजाना होता है जो कभी खत्म नहीं होता है। इस तरह का खजाना सब लोगों के अंतःकरण में विद्यमान होता है लेकिन वह कुछ कारणों या शिष्टाचार के बंधनों की वजह से पूर्ण रूपेण व्यक्त नहीं हो पाता है।
जब किसी व्यक्ति के शिष्टाचार के बंधन टूट जाते हैं तो उस व्यक्ति का खुशी का खजाना फूट पड़ता है और वह व्यक्ति आनंद से विभोर हो उठता है। होली के त्यौहार पर सभी लोग शिष्टाचार के बंधन को तोडकर एक-दूसरे पर रंग बरसाते हैं इसमें कोई भी व्यक्ति कुछ कहकर, खुद नाचकर, गाकर अपने अंतःकरण की खुशियों को व्यक्त करते हैं।
होली के दोष : होली का त्यौहार एक खुशियों का त्यौहार है लेकिन किसी भी त्यौहार में समय के साथ विकार उत्पन्न हो ही जाते हैं। आज के समय में लोग होली जैसे पवित्र त्यौहार पर शराब पीते हैं और शराब के नशे में चूर होकर लड़ाई-झगड़े पर उतर आते हैं।
कई बार तो ऐसा होता है कि लोग त्यौहार से अधिक महत्व अपनी शत्रुता को देते हैं जिसकी वजह से वे अपना बदला लेने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं। जिसकी वजह से रंगों का पर्व रंज के पर्व में बदल जाता है। बहुत से लोग तो ऐसे भी होते हैं जो इधर-उधर गंदगी फैला देते हैं जिसकी वजह से यह त्यौहार दूषित हो जाता है और इसमें विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
होलिका दहन : रंगों के त्यौहार होली को फाल्गुन मास के आखिरी दिन होलिका दहन की शाम से शुरू किया जाता है और अगले दिन रंगों में रंगने का होता है। होली के पर्व को सभी बच्चे, बूढ़े, और जवान बहुत ही खुशी और उत्सुकता के साथ मनाते हैं। होली के आने से पहले ही लोग रंग, पिचकारी और गुब्बारे आदि खरीदकर तैयारी कर लेते हैं तथा साथ ही सडक के चौराहे पर लकड़ी, घास और गोबर के ढेर को विधि पूर्वक जलाकर होलिका दहन किया जाता है। इस समय पर लोग गीत, भजन और संगीत से सभी लोगों का मनोरंजन करते हैं जिसकी वजह से उस जगह का माहौल खुशनुमा बन जाता है।
उपसंहार : होली एक रंगों का त्यौहार है जिस पर सभी लोग अपने आपस की मत-भेद या भेदभाव भूलकर अपने नए जीवन की शुरुआत के साथ अपने अंदर नई ऊर्जा का संचार करते हैं।
भारत और हिन्दू समाज इस खुशी के त्यौहार का बहुत ही उत्साह और बेसब्री के साथ इंतजार करता है। होली के दिन सभी जगहों पर रंग-ही-रंग दिखाई देते हैं। पूरा शहर ऐसा लगता है जैसे पूरा शहर रंगों से रंग गया हो। होली के दिन शाम के समय सभी लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंग लगाकर होली की बधाई देते हैं।
होली निबंध 8 (1000 शब्द) :
भूमिका : होली का त्यौहार बसंत ऋतू का एक बहुत ही हर्षोल्लास वाला त्यौहार है जिसे बसंत का यौवन भी कहा जाता है। दुनिया अथार्त प्रकृति सरसों की पीली साडी पहनकर किसी का रास्ता देखती हुई प्रतीत होती हैं।
पुराने समय में होली के पर्व को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है जिसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भूल जाते हैं। जब पूरी प्रकृति रंग से सराबोर होने लगती है तो मनुष्य एक अलग तरह के आनंद में झूमने लगता है।
होली का महत्व : होली त्यौहार का सभी लोगों के लिए समान महत्व होता है लेकिन भारत देश के हिंदुओं के लिए इसका अधिक महत्व होता है क्योंकि आज के ही दिन होलिका नाम की राक्षसी जलकर राख हो गई थी जिसकी खुशी में सभी हिंदुओं ने जश्न मनाया था और उस दिन से इसे हर साल होली के नाम से मनाया जाने लगा।
होली का त्यौहार सभी लोगों को आपस में भेदभाव, अमीरी-गरीबी, क्षेत्र, जाति, धर्म आदि को भूलकर एक-दूसरे पर रंग फेंकने का उपदेश देता है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि हम सभी मनुष्य हैं और सभी मनुष्य एक समान होते हैं इनमें कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है। होली के त्यौहार की वजह से जिन लोगों में वर्षों से दुश्मनी चलती है वे भी आपस में दोस्त बन जाते हैं।
होली से जुड़े तथ्य : होली के पर्व को मनाने से एक दिन पहले होलिका जलाना बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि अगर होलिका दहन नहीं किया जाएगा तो लोग अपने प्राचीनकाल के नियमों या रीति-रिवाजों को भूल जाएँगे जिससे उन्हें अपने देश के इतिहास का पता नहीं होगा और वे अपने देश के वीर पुरुषों और भक्तों से अनजान रह जाएंगे इसलिए अपने देश के इतिहास को याद रखने के लिए होलिका दहन करना बहुत जरुरी होता है। अगले दिन होली को केवल दोपहर तक खेलने की परंपरा होती है। जब ऋतुराज बसंत का आगमन होता है तो होली के त्यौहार को मनाया जाता है।
होली का इतिहास : एक बार हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था जिसकी बहन को बहुत-सी शैतानी शक्तियाँ और वरदान प्राप्त थे जिनके बल पर वह देश पर शासन करना चाहता था। वह अपने आप को भगवान समझता था। वह चाहता था कि सभी उसे भगवान समझें और उसकी पूजा करें लेकिन प्रहलाद अपनी विष्णु भक्ति नहीं छोड़ना चाहता था जिसकी वजह से उसके पिता ने उसपर बहुत अत्याचार किए लेकिन वह अपने दृढ निश्चय पर अड़ा रहा।
राजा ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को गोद में लेकर चिता पर बैठने के लिए कहा लेकिन उस चिता में होलिका जलकर राख हो गई और प्रहलाद को कोई चोट नहीं आई इसी वजह से इस दिन को हर साल मनाया जाने लगा।
होली की तैयारियां : भारत में बहुत से त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन होली का त्यौहार बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। होली को रंगों का त्यौहार कहा जाता है जिसमें लोग बहुत से साधनों के द्वारा एक-दूसरे को रंगों से रंग देते हैं। होली से एक दिन पहले होलिका दहन की तैयारी की जाती है जिसमें सभी लोग घास, लकड़ी और गोबर का ढेर लगते हैं।
शाम के समय इस ढेर में आग लगा दी जाती है जिसके अगले दिन के लिए लोग अपने से ही लोग रंग, गुब्बारे, पिचकारी, आदि खरीदकर रखते हैं। होली के दिन सभी लोग तरह-तरह के व्यंजन और पकवान बनाते हैं जिसका सभी लोग मिलजुलकर आनंद लेते हैं।
होली का रंगों में परिवर्तन : होली एक ऐसा त्यौहार है जिसके पास आते-आते सभी के ह्रदय में एक नए प्रकार के उत्साह का संचार होने लगता है। पहले समय में इस त्यौहार को रंगों से नहीं मनाया जाता था लेकिन जब श्रीकृष्ण जी ने अपनी रासलीला से गोप-गोपिकाओं को मंत्रमुग्ध किया तब से इस पर्व को रंगों का पर्व कहा जाने लगा और हर साल इसे रंगों से खेला जाने लगा। होली के इस पर्व पर सभी लोग अपने सगे-संबंधियों से मिलते हैं और एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं।
अपनेपन की होली : होली के त्यौहार को अपनेपन की होली इसलिए कहा जाता है क्योंकि आज के दिन को रंगों, खुशियों, मिठाईयों और पकवानों का दिन कहा जाता है। होली के त्यौहार से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
होलिका दहन एक ऐसा समय होता है जब सभी लोग आपस में मिलकर सभी प्रकार के भेदभाव भूलकर एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करते हैं। होली के दिन बच्चे अपने लड़ाई-झगड़े भूलकर एक-दूसरे के ऊपर गुब्बारों और पिचकारियों से रंग फेंकते हैं। होली के दिन कोई भी किसी की बात का बुरा नहीं मानता है।
होली के आधुनिक दोष : त्यौहार का महत्व चाहे कितना भी हो लेकिन कालातंर में उसमें दोष उत्पन्न हो ही जाते हैं। होली जैसे खुशियों के दिन भी बहुत से लोग शराब पीते हैं, जूआ खेलते हैं और घरों में लड़ाई-झगड़ा करते हैं। कई बार तो लोग अपनी दुश्मनी का बदला लेने के लिए इस होली जैस पवित्र दिन को भी छोड़ते हैं।
आज के दिन लोग सूखे और हल्के रंगों का प्रयोग करने की जगह पर काली स्याही और तवे की कालिख का प्रयोग करते हैं जिसकी वजह से उसे निकालने में त्वचा भी छिल जाती है। बहुत से लोग तो आज के दिन इधर-उधर गंदगी फैला देते हैं जिसकी वजह से आज के दिन में अस्वच्छता फैलती है।
प्रेम और एकता का प्रतीक : होली एक ऐसा पर्व है जिस दिन सभी लोग अपने शिष्टाचार के बंधनों को तोड़कर बच्चों, बूढों, राजा या रंक आदि सभी का खुलकर मजाक उड़ा सकते हैं क्योंकि आज के दिन कोई बुरा नहीं मानता है। आज के दिन सभी लोग मिलजुलकर गीत गाते हैं, नाचते हैं और भोजन भी करते हैं।
होली के पर्व के दिन सभी लोग एक-दूसरे के साथ एकता के बंधन में बंध जाते हैं। होली के दिन किसी भी बात का बुरा मानना गलत समझा जाता है। होली के दिन सभी लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं और अपने दिल की बातें लोगों से करते हैं। आज के दिन को मेल और प्रेम की एकता का प्रतीक माना जाता है।
उपसंहार : दीपावली की तरह होली भी भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक होता है। होली को मेल, एकता, प्रेम, खुशी, उत्साह और आनंद का पर्व माना जाता है। होली के दिन की खुशी की वजह से सभी में एक नए जीवन को जीने की प्रेरणा आ जाती है।
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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)
अपडेट किया गया: 20 फरवरी 2023
होली भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो विश्वभर मेंबड़े धूमधाम सेमनायाजाता है। यहमुख्य रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।नेपाल की तराई होलीविश्वप्रसिद्ध है। मंजीरा, ढोलकवमृदंग की ध्वनि से गूंजताऔर रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मार्च का महीना जैसे होली कीउत्साह कोऔरभी बढ़ा देता है। इस त्यौहार में सभी की ऊर्जा देखतेही बनती है। होली के अवसर पर बच्चोंमें अलग ही उमंग देखने को मिलता है,वे रंग-बिरंगी पिचकारी को अपने सीने से लगाए, सब पर रंग डालते हैं और जोर-जोर से “होली है..” कहते हुए पूरे मोहल्ले में भागते फिरते हैं।
होली पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)
अक्सर, बच्चों को विद्यालयमें होलीपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहाँ हमने आपकी आसानी के लिए होली पर कई निबंध दिए है, उम्मीद करते है की ये सभी निबंध आपको पसंद आयेंगे-
होली पर निबंध – 1 (100 -150 शब्द )
होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है।यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है।होली का त्यौहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।
होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।
होली पर निबंध 2: (250 – 300 शब्द)
होली का उत्सव अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आसमान में बिखरे गुलाल की तरह ऊर्जा को चारों ओर बिखेर देता है। इस पर्व की ख़ास तैयारी में लोगों के अंदर बहुत अधिक उत्साह को देखा जा सकता है।
होली की तैयारी
होली की विशेष तैयारी में एक दिन से ज्यादा का समय लगता है। इस पर्व पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुनआदि प्रमुख हैं। लोग महीनो पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार भी इस त्यौहार पर अपने बच्चों के लिए कपड़े अवश्य खरीदता है।
होली कैसे मनाई जाती है
होली पर सभी बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। बड़े भी बच्चे बन जाते हैं,हम, लोगों का चेहरा रंगों से ऐसे रंगते हैं की पहचानना मुश्किल हो जाता है वहीं बड़ों को गुलाल लगाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं। झूमने का एक अन्य कारण भांग और ठंडाई भी है यह होली पर विशेषतौर पर पीया जाता है। घर की महिलाएं सारे पकवान बना कर जहां दोपहर से होली खेलना प्रारंभ करती है वहीं बच्चे सुबह उठने के साथ ही उत्साह के साथ मैदान में आ जाते हैं।
होली के एक दिन पहले होलिका दहन
होली के एक दिन पहले गांवों व शहरों के खुले क्षेत्र में होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह भगवान की असीम शक्ति का प्रमाण तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का बोध कराती है।
होली आनंद से भरा रंगों का त्यौहार है, यह भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। त्योहारों की ख़ास बात यह है, की इसकी मस्ती में लोग आपसी बैर तक भूल जाते हैं एवं होली त्योहारों में विशेष स्थान रखता है।
यूट्यूब पर देखें: Holi par nibandh
होली पर निबंध– 3 (300 शब्द)
होली रंगो का त्यौहार है, जो भारतवर्ष में ही नहीं अपितु पुरे विश्व में बड़े धूम धाम से मनाई जाती है।यह त्यौहार शरद ऋतू के अंत और वसंत ऋतू के आरम्भ का प्रतिक भीमाना जाता है।होली का त्यौहार भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्तम और भावपूर्ण उदाहरण हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है।
होली का त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है ?
होली के इस पावन त्यौहार को मनाने के पीछे कई कथाये प्रचलित है, परन्तु सबसे मान्य कथा भक्त प्रह्लाद की है। प्रह्लाद का पिता हिरण्यकश्यप था, जो की क्रूर और आततायी था। उसने स्वयं को ही भगवान मान लिया था और चाहता था की उसकी प्रजा भगवन की जगह उसकी पूजा करे , परन्तु उसका पुत्र प्रह्लाद जो की विष्णु का अनन्य भक्त था उसने अपने पिता को पूजने से इंकार कर दिया। इससे क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने उसे तरह तरह की नीति अपनाकर वश में करने का प्रयत्न किया, परन्तु प्रह्लाद अडिग रहा ।
अतः उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लेकर एक षड़यंत्र रचा, परन्तु आग की होली में होलिका के प्रह्लाद को गोंद में लेकर बैठने पर भगवन के चमत्कार से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया । तब से ही होली का पर्व मनाया जाता है, होली के एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है। फिर दूसरे दिन रंग और गुलाल से बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी मनाई जाती है।
होली का हमारे जीवन में महत्व
होली के त्यौहार का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। होली का त्यौहार हमें हर वर्ष एक प्रतिक के रूप में यह सन्देश देता है की हमें सदा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। फिर चाहे हमारे पथ में हिरण्यकश्यप या होलिका जैसी विपत्तियां क्यों न आये ,जीत सदा सत्य की ही होती है। यह कथा और त्यौहार हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती है।
अतः हमें यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लाष के साथ मनाना चाहिए और अपने से छोटो को इस त्यौहार के महत्व को बताना चाहिए, जिससे की होली के त्यौहार की तरह उनके जीवन में भी खुशियों के विभिन्न रंग और गुलाल भर जाये।
यूट्यूब पर देखें : Holi par nibandh
होली पर निबंध 4: 400 शब्द
प्राचीन समय में होली के अवसर पर जहां मंदिरों में कृष्ण और राम के भजन गूंजते थे, वहीं नगरों में लोगों द्वारा ढोलकव मंजिरों के ताल पर लोकगीत गाए जाते थे। पर बदलते समय के साथ इस त्योहार का स्वरूप भी बदलता नज़र आ रहा है।
कार्यस्थलों तथा विभिन्न संस्थानोंमें होली
होली पर सभी संस्थान, संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है मगर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।
होली की संध्या में मित्रों से मेल-मिलाप
दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं और अपने पड़ोसी व मित्रों के घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामना देने जाते हैं।
होली की हलचल का सभी टीवी चैनलों पर प्रसारण
होली पर सभी टीवी चैनलों में होली के गीत, विशेष कार्यक्रम तथा न्यूज चैनलों के माध्यम से विभिन्न स्थानों की होली प्रसारित की जाती है।
बाजारों की रौनक में, होली की परंपरागत रीति कहीं खो न जाए
होली पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के चटकीले रंग, गुलाल, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगे विग से अपने स्टॉल को भर देते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। पर समय बितने के साथ ज्यादातर लोग अब स्वयं से कोई पकवान नहीं बनाते वे हर प्रकार की मिठाइयां बाजार से ही खरीद लेते हैं। इससे त्योहार की धूम का बाजारीकरण में खो जाने का भय है।
समय के साथ होली का बदलता स्वरूप
परंपरागत विधि से आज इस त्यौहार का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। पहले लोग होली की मस्ती में अपनी मर्यादा को नहीं भूलते थे। लेकिन आज के समय में त्योहार के नाम पर लोग अनैतिक कार्य कर रहें हैं। जैसे एक-दूसरे के कपड़े-फाड़ देना, जबरदस्ती किसी पर रंग डालना आदि।
होली पर हुड़दंग
होली पर वह भी रंगों से भीग जाते हैं जो अपने घरों से नहीं निकलना चाहते और जैसे की भिगोने वालों का तकिया कलाम बन चुका होता है “बुरा ना मानो होली है”। कुछ लोग त्यौहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहीं महिलाओं को परेशान करते हैं। यह सरासर गलत व्यवहार है।
होली पर सभी मस्ती में डूबे नज़र आते हैं। जहां सामान्य व्यक्ति अनेकों प्रकार के स्वादिष्ट भोजन तथा ठंडाई का सेवन करते हैं। वहीं मनचलों को नशे में धुत्त होकर अपनी मनमानी करने का एक अवसर प्राप्त हो जाता है। होली रंगों का त्योहार है इसे प्रेम पूर्वक खेलना चाहिए।
होली पर निबंध 5: 500 शब्द
अपना घर चलाने के लिए जो पेशेवर घरों से दूर रहते हैं, वह भी होली के समय पर अपने परिवार के पास लौट आते हैं। यह त्योहार हमें हमारे संस्कृति से जोड़ने का कार्य करता है, अतः इस दृष्टी से यह हमारे लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।
होली का इतिहास व मनाए जाने का कारण
पुराणों के अनुसार, विष्णु भक्त प्रह्लाद से क्रोधित होकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने, पुत्र प्रह्लाद को ब्रह्मा द्वारा वरदान में प्राप्त वस्त्र धारण किए बहन होलिका के गोद में आग से जला देने की मंशा से बैठा दिया। किन्तु प्रभु की महिमा से वह वस्त्र प्रह्लाद को ढ़क लेता है और होलिका जल कर भस्म हो जाती है। इस खुशी में नगरवासियों द्वारा दूसरे दिन होली मनाया गया। तब से होलिका दहन और होली मनाया जाने लगा।
होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन (हल्दी, सरसों व दही का लेप) लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं व गांव के सभी घरों से एक-एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल (शोर) में, शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल कर के आपसी रंजिश भूल जाते हैं।
भारत के विभिन्न राज्यों की होली
ब्रजभूमि की लठमार होली
“सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है। ब्रज के गांव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से। जहां पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएं खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है। सच में यह अद्भुत दृश्य होता है।
मथुरा और वृंदावन की होली
मथुरा और वृंदावन में होली की अलग छटा नज़र आती है। यहां होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है। लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।
महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली
महाराष्ट्र और गुजरात में होली पर श्री कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं इन्हें पुरुष फोड़ने का प्रयास करते हैं और नांच गाने के साथ होली खेलते हैं।
पंजाब का “ होला मोहल्ला”
पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों की शक्ति के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथाघुड़सवारी,तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।
बंगाल की “ डोल पूर्णिमा” होली
बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली प्रचलित है। इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गांव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है।
मणिपुर की होली
होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह पर्व पूरे छः दिवस तक नाच-गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिता के साथ चलता रहता है।
फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी आपसी मन-मुटाव को भूल कर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं।
उम्मीद करते हैं कि ये सभी होली के निबंध आपको पढ़कर अच्छा लगा होगा, आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमे से कोई भी निबंध इस्तेमाल कर सकते हैं। धन्यवाद!
Frequently asked questions (FAQS) होली से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर- प्रह्लाद की बुआ होलिका के नाम पर इस त्यौहार का नाम होली पड़ा।
उत्तर- लठमार होली श्री कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतिक होने के कारण विशेष है।
उत्तर- प्रह्लाद विष्णु भगवान ( नरसिंह अवतार ) का उपासक था।
उत्तर- होली त्यौहार के प्रमुख व्यंजन गुजिया , गुलाब जामुन , ठंडाई आदि हैं।
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होली पर कविता
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होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) - भारतीय संस्कृति में प्रत्येक मास की पूर्णिमा किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। उत्सव के इसी क्रम में वसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का पर्व भारतीय संस्कृति में बुराई को जलाकर भस्म कर देने का उत्सव है। यह भारतीय जीवन-शैली का अभिन्न हिस्सा है। होली पर निबंध (Holi per nibandh) से इस पर्व से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कथाओं के बारे में भी जानकारी मिलेगी।
होली पर निबंध (holi par nibandh): होलिका दहन का मुहूर्त
होली निबंध (essay holi in hindi) - होली के त्योहार की तैयारी कैसे करें, होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली में रंगों का क्या महत्व है, होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - उपसंहार (conclusion), होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली पर निबंध 10 लाइन (holi essay in hindi 10 lines), देश में होली के लिए प्रसिद्ध शहर (famous cities for holi in the country).
रंगों का त्योहार होली हमारे देश भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जैसै-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता है, लोगों में खासकर बच्चों में इसको लेकर काफी उत्साह नजर आता है। सब अपने लिए होली खेलने की योजनाएं तैयार करने में जुट जाते हैं। होली पर हिंदी निबंध (Essay on holi in hindi) में होली के त्योहार से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी दी गई है। उम्मीद है कि इस लेख में होली पर निबंध (holi par nibandh) उन छात्रों के लिए भी फायदेमंद होगा जो होली विषय पर निबंध तैयार करना चाहते हैं।
हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें
रंगों का त्योहार होली संस्कृति के अनूठे उल्लास को समेटे हुए है। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। होली का त्योहार इसी विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम तथा भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां साझा करते हैं और छोटे अपने बड़ों से शुभाशीष प्राप्त करते हैं। विविधतापूर्ण संस्कृति वाले भारत देश में हर धर्म-संप्रदाय के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें से आपसी प्रेम तथा सद्भावना की भावना को मजबूत करने वाला होली का पर्व विशेष महत्व रखता है। होली के लोकगीत एक माह पहले से ही सुनाई पड़ने लगते हैं।
होली पर निबंध (holi par nibandh) विषय पर केंद्रित होली पर लेख में हमने रंगों के त्योहार होली (Festival of colours) के सार को समेटने का प्रयास किया है। पाठक इस होली पर निबंध हिंदी (Essay on holi in hindi) में से जानकारी जुटाकर न केवल भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली के बारे में अपनी जानकारी को समृद्ध बनाएंगे, बल्कि स्कूलों में अध्ययनरत बच्चे अक्सर परीक्षा में पूछे जाने वाले निबंध के प्रश्न की तैयारी भी कर पाएंगे तथा होली पर हिंदी में निबंध (Essay on holi in hindi) सीख कर परीक्षा में भी उसका लाभ उठा सकेंगे।
होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली की शुभकामनाएं (Holi Greetings in Hindi)
होली के अवसर पर लोग एक-दूसरे को होली शुभकामना संदेश भेजते हैं। नीचे कुछ होली के शुभकामना संदेश दिए गए हैं-
- हर कदम पर खुशियां मिलें, दुख से कभी न हो सामना; जीवन में सारी खुशियां मिलें, होली की है यही शुभकामना!
- खुशियों से भरी रहे सदा आपकी झोली, रंग-बिरंगी और मंगल हो आपकी होली।
- जीवन में हो हर्ष के सभी रंगों की भरमार, सबसे हैप्पी होलो हो तुम्हारी मेरे यार।
- होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
- होली का त्योहार आपके जीवन को रंगों से सरोबार करे।
- रंगों का त्योहार होली आपके जीवन को और भी रंगीन बनाए!
- रंगों का त्योहार आपके जीवन को रंगीन बनाए!
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छात्र इस लेख के माध्यम से होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) भी जान सकते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है तथा उस दिन होली मनाई जाती है। वर्ष 2025 में होलिका दहन रात साढ़े 10 बजे के बाद किया जाएगा। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त का अपना महत्व है। कहा जाता है कि होलिका दहन से आस-पास नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। विज्ञान की दृष्टि से देखें तो होली पहले ही मौसम अनुकूल हो जाने के चलते बीमारियां फैलाने के लिए जिम्मेदार घातक सूक्ष्मजीवों की बाढ़ आ जाती है, होलिका की आग से कफी हद तक इनका विनाश भी हो जाता है।
होली 2025 कब है? (holi kab hai)
फागुन की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित मुहूर्त में होलिका दहन होता है। वर्ष 2025 में होलिका दहन रात साढ़े 10 बजे के बाद किया जाएगा।
होली 2025 में कब पड़ेगी?
वर्ष 2025 में होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 13 मार्च सुबह 10 बजकर 35 मिनट से 14 मार्च की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।
होलिका दहन का मुहूर्त और भद्रा का समय
होलिका दहन मुहूर्त : 13 मार्च को रात 11:30:14 बजे से रात 12:24:09 बजे तक।
अवधि : 53 मिनट
भद्रा पुंछा 07:13:07 से 08:30:15 तक
भद्रा मुखा 08:30:15 से 10:38:48 तक
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होली की प्रचलित कहानियां (Famous stories related to Holi in hindi)
होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक समय में श्री कृष्ण और राधा की बरसाने की होली के साथ ही होली के उत्सव की शुरुआत हुई। आज भी बरसाने और नंदगाव की लट्ठमार होली विश्व विख्यात है। यह त्योहार जीवन के उत्साह, उल्लास तथा उमंग को दर्शाता है। होली के पर्व को सतयुग में विष्णु भक्ति के प्रतिफल के रूप में भी मनाया जाता है।
होली की एक कहानी भगवान शिव से भी जुड़ी है। इंद्र ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भंग करने का आदेश दिया। कामदेव ने उसी समय वसंत को याद किया और अपनी माया से वसंत का प्रभाव फैलाया, इससे सारे जगत के प्राणी काममोहित हो गए। कामदेव का शिव को मोहित करने का यह प्रयास होली तक चला। होली के दिन भगवान शिव की तपस्या भंग हुई। उन्होंने रोष में आकर कामदेव को भस्म कर दिया तथा यह संदेश दिया कि होली पर काम (मोह, इच्छा, लालच, धन, मद) इनको अपने पर हावी न होने दें। तब से ही होली पर वसंत उत्सव एवं होली जलाने की परंपरा प्रारंभ हुई। इस घटना के बाद शिवजी ने माता पार्वती से विवाह की सम्मति दी। जिससे सभी देवी-देवताओं, शिवगणों, मनुष्यों में हर्षोल्लास फैल गया। उन्होंने एक-दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाकर जोरदार उत्सव मनाया, जो आज होली के रूप में घर-घर मनाया जाता है।
होली पर हिंदी निबंध (Holi Essay in Hindi) - प्रस्तावना
विद्यार्थियों को परीक्षा में होली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Holi in 200 words in hindi) या होली पर लेख (holi par lekh) या होली पर निबंध 300 शब्दों में (Holi Essay in Hindi 300 words) या हिंदी में होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) लिखने को कहा जाता है। होली पर निबंध ( holi par nibandh) की शुरुआत इस त्योहार के बारे में बताकर कर सकते हैं। होली, जिसे "रंगो का त्योहार" के नाम से भी दुनिया भर में जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र (चैत) मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगोत्सव यानी होली का त्योहार मनाया जाता है।
आपमें से कई यह सोच रहे होंगे कि साल 2024 में होली कब मनाई जाएगी? साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों के द्वारा बेहद ही जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि यह हिंदुओं का त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी साथ मिलकर, उत्साह और उमंग के साथ बड़ों को भी बच्चा बना देने वाले इस त्योहार में मनोरंजक कार्य करते नजर आ जाते हैं।
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होली के त्योहार के लिए लोग अपने-अपने ढंग से तैयारी में जुट जाते हैं। फागुन मास की शुरुआत ठंड की विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम खुशनुमा होने लगता है। इस त्योहार पर फाग गाने की भी परंपरा रही है, फाग लोकगीतों के बिना कुछ अधूरा सा लगता है। पहले तो लोगों को फाग सुनकर ही ही पता लगता था कि होली आने वाली है। ढोलक, मंजीरे और हारमोनियम के साथ लोग अपने रसीले फाग गायन कौशल से दिल जीत लेते हैं। फाग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन इस अवसर पर किया जाता है। होली से पहले पहले और होली के दिन दोपहर तक फगुआ गाया जाता है। इसमें होली से जुड़े लोकभाषा के गीत होते हैं। होली के दिन रात में चैता गाने की भी परंपरा है।
होली के त्योहार को लेकर विशेषकर बच्चों में काफी उत्साह होता है। वे होलिका दहन के लिए काफी पहले से लकड़ियाँ जमा करने लगते हैं। गाँवों में तो हालांकि लकड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर आदि की तलाश करते हैं और अमूमन वे दूसरों से माँगकर होलिका की व्यवस्था करते हैं। होलिका तैयार करने में सभी लकड़ियों का योगदान करते हैं। आजकल शहरों में आमतौर पर किसी चौक-चौराहे पर दो-चार दिन पहले से ही लोग पेड़ की सूखी टहनियां, लकड़ी, बांस आदि जमा करने लगते हैं। पहाड़ जैसे इस ढेर में मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन करते हैं। लोगों के घरों में पकवान बनता है। होली के पर्व के लिए घर पर मिलने आने वाले लोगों के लिए महिलाएं मिठाइयां, नमकीन और गुझिया बनाने में जुट जाती हैं। रंग और गुलाल का स्टॉक तैयार किया जाता है।
फाल्गुन मास की पूर्णमासी को होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते हैं। शहरी संस्कृति ने होली मिलन कार्यक्रमों को जन्म दिया है, जिसमें राजनैतिक दल, संस्थाएं होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।इस दिन तो ऐसा लगता है कि लोगों को एक-दूसरे को रंगने और पानी से भिगाने का लाइसेंस मिला होता है। साथ ही "बुरा न मानो, होली है" का जुमला यह बताता है कि आज के दिन लोगों को रंग-गुलाल लगाने की छूट है और इससे किसी को भी नाराज नहीं होना चाहिए।
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होली रंगों का त्योहार है। होली की पहचान, रौनक और आत्मा इन्हीं रंगों में बसी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं। बड़े शहरों की बड़ी सोसायटियों में होली के अवसर पर खास आयोजन होने लगे हैं। इस सामूहिक आयोजन में लोग रेन डांस में रंगों से सरोबार होकर नाचते-झूमते हैं। शहरों के बाहर बने वाटर पार्क में भी होली को लेकर कई तरह के आयोजन होने लगे हैं।
होली अब विश्व प्रसिद्ध
राग-रंग के इस लोकप्रिय त्योहार होली को वसंत का संदेशवाहक भी कहा जाता है। होली अब भारत के साथ विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का यह त्योहार पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन होली मनाते हैंं। इसे धुलेंडी व धुरड्डी व कई अन्य नाम से भी मनाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और एकता का संदेश देते हैं। कई प्रदेशों में रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिला कर खुशियां बांटते हैं।
होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां
होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ लोग बदनाम करने से नहीं चूकते हैं। कुछ असामाजिक तत्व इस दौरान मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ समाज के शरारती तत्व होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा।
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होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली क्यों मनाते हैं - होली का इतिहास
होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। विष्णुपुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा प्रतिबंधित कर रखी थी। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त निकला और वह दिन-रात भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता। दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप को यह पसंद नहीं था। ऐसे में जब किसी भी तरह से प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोक पाने में उसे सफलता हाथ नहीं लगी, तो उसने प्रह्लाद को जान से मारने का आदेश दिया। हाथी के पैरों तले कुचलने और पहाड़ से फेंककर भी जब प्रहलाद को नहीं मार सका, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन की होलिका की मदद से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।
होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि में वह नहीं जलेगी। इसलिए लकड़ियों के ढेर पर वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई। इस होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट इच्छाओं के चलते जलकर भस्म हो गई। मान्यता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत की याद में तभी से ही होली का त्योहार मनाया जा रहा है।
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होली का त्योहार आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।
होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ घुल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। छोटे-छोटे बच्चे अपनी इच्छानुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि होली मिल-जुलकर, प्रेम से रहने और जीवन के रंगों को अपने भीतर आत्मसात करने का त्योहार है। इसलिए रंगों का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए और पानी या रंग भरे बैलून चलाने से बचना चाहिए। होली का त्योहार हमें हमेशा सन्मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। होली का त्योहार सामाजिक सद्भावना का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में सामाजिक एकता की भावना मजबूत होती है।
ये भी देखें :
1) होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।
2) होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है।
3) यह त्यौहार विष्णु भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है।
4) इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
5) बच्चे इस त्योहार पर रंग, गुलाल, पिचकारी और पानी वाले गुब्बारों को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं।
6) होलिका रूपी बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए सभी भगवान की पूजा करते हैं।
8) इस अवसर पर अपने परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर इसे मनाया जाता है।
9) होली के अवसर पर भारत में शासकीय अवकाश रहता है। लोग इस त्योहार का बड़े उत्साह के साथ आनंद लेते हैं।
10) होली (holi essay in hindi) हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है।
उम्मीद करते हैं कि होली पर निबंध हिन्दी में (holi par nibandh hindi mein) देने की हमारी कोशिश सफल रही होगी और छात्रों को holi ka nibandh hindi mein पढ़कर वांछित जानकारी मिल गई होगी। रंगों के त्योहार होली का निबंध हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) पढ़ने के बाद इस त्योहार की समग्र समझ विकसित करने में यह लेख मददगार होगा; अब आपकी होली पहले से अधिक रंगीन और सुखद होगी, ऐसी हम कामना करते हैं। हैप्पी होली!
हमें उम्मीद है कि आपको होली पर निबंध (holi par nibandh) लिखने में इस लेख से मदद मिलेगी। परीक्षा में हिंदी में होली निबंध (holi essay in hindi) या holi par nibandh in hindi भी पूछा जाता है। इस लेख की सहायता से आप होली पर निबंध ( holi per nibandh) लिख सकते हैं।
देश में कुछ शहरों में होली के आयोजन बहुत प्रसिद्ध हैं और उसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यूपी के बरसाना और नंदगांव में हर साल लट्ठमार होली का आयोजन होता है। इस दौरान देश-दुनिया के पर्यटक इस त्योहार को देखने और उसमें हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इस त्योहार का आयोजन लगभग एक सप्ताह चलता है और रंगपंचमी के दिन संपन्न होता है। बरसाना की लट्ठमार होली सामान्यत: फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंद गांव के ग्वाल बाल बरसाना में होली खेलने आते हैं और अगले दिन फाल्गुन पक्ष शुक्ल दशमी को बरसाना के ग्वाल बाल नंदगांव में होली खेलने पहुंचते हैं।
इसी तरह मध्यप्रदेश के इंदौर में भी होली या धुलेंडी के पांच दिन बाद रंगपंचमी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। रंगपंचमी होलकर शासनकाल के दौरान मनाया जाता था और यह परंपरा अब तक बरकरार है। इस दौरान इंदौर में छुट्टी घोषित रहती है और शहर के अलग-अलग दिशाओं से लोग रंगों में सरोबार होकर गेर यात्रा के साथ इंदौर के हृदयस्थल राजबाड़ा पहुंचते हैं। इस दौरान साथ चल रहे टैंकर के पानी में रंग घुला रहता है और उससे लोगों पर बौछार की जाती है। इस फाग यात्रा को गेर कहा जाता है। रंगारंग गेर चारों दिशाओं से आकर राजबाड़ा में इकट्ठा होती है और लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। स्थानीय नगर निगम और जिला प्रशासन पूरा मुस्तैद रहता है।
महत्वपूर्ण प्रश्न :
होली का त्योहार (holi ka tyohar) वर्ष 2025 में कब है?
अक्सर लोग यह पूछते हैं कि कब है होली? (Kab Hai Holi 2025)। तो इसका जवाब है कि होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च सुबह 10 बजकर 35 मिनट से आरंभ होगी और 14 मार्च की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक समापन होगा। 13 मार्च को होलिका दहन होगा। वर्ष 2025 में होली का त्योहार (holi ka tyohar) 14 मार्च को मनाया जाएगा।
क्या होली के दिन चंद्रग्रहण लगेगा?
नहीं, साल 2025 में होली के दिन चंद्र ग्रहण नहीं लगेगा।
होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) कब है?
होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) जानें- फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और उसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष 2025 में 13 मार्च को होलिका दहन के लिए मुहूर्त रात 11 बजकर 30 मिनट से लेकर 12 बजकर 24 मिनट तक है।
- बिहार बोर्ड 10वीं रिजल्ट
- बिहार बोर्ड 12वीं रिजल्ट
Frequently Asked Questions (FAQs)
यह त्यौहार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी।
होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।
बच्चों के लिए यह रंग, गुलाल, पिचकारी, पानी वाले गुब्बारों और ढेर सारी मस्ती का पर्याय है। वे सुबह से शुरू हो जाते हैं और दिन-भर लोगों को रंगने और भिगोने में व्यस्त रहते हैं। युवा अपनी टोलियों के साथ रंग की मस्ती में सरोबार रहते हैं। घर के बड़े-बुजुर्गों का त्योहार बच्चों और युवाओं के लिए होली के सामान दिलाने और बाद में उनका शिकार बनने से बचने में बीतता है। अपने हमउम्र लोगों के साथ वे भी मस्ती करते हैं। महिलाएं रसोईघर की भारी-भरकम जिम्मेदारियों के बीच भी समय निकालकर जोश-खरोश के साथ होली मनाती हैं, मनाएं भी क्यों न, रंगों से उनको सबसे अधिक प्यार जो होता है।
होली की पहचान, रौनक और आत्मा रंगों में छिपी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं।
होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। कुछ जगह इसे धुलेड़ी या धुलेंडी, धुरखेल, धुरड्डी, धूलिवंदन और चैत बदी भी कहा जाता है।
होली आपसी प्रेम और भाई-चारे का संदेश देने वाला मस्ती भरा त्योहार है। रंग में भंग न हो इसके लिए होली पर कुछ सावधानियां रखनी जरूरी होती हैं-
- होलिका में किसी भी ऐसी वस्तु को जलाने से बचें जिससे वायु प्रदूषण हो। प्लास्टिक और रबर की चीजों का पुनर्चक्रीकरण किया जा सकता है, इनको जलाकर प्रदूषण न फैलाएं।
- रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है।
- आंख, नाक जैसे संवेदनशील अंगों पर रंग-गुलाल लगाने से बचें।
- पानी के गुब्बारों से किसी को न मारें, विशेषकर ऊंचे भवनों से नीचे जा रहे लोगों पर गुब्बारे न फेंके।
- जबरदस्ती किसी के साथ होली न खेलें।
- मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें। होली हैप्पी बनी रहे इसे ध्यान में रखकर काम करें।
साल 2023 में होली 8 मार्च को मनाई गई।
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होली पर निबंध 10 lines (Holi Essay in Hindi) 100,150, 200, 250, 300 शब्दों मे Long and Short Essay in Hindi
होली पर निबंध ( Holi Essay in Hindi ) – होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, जातीयता या धर्म की परवाह किए बिना त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। मार्च में पूर्णिमा के दिन भारत में होली दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन “ होलिका दहन ” (Holika Dahan) मनाते हैं और चारों ओर इकट्ठा होते हैं और लकड़ी और गाय के गोबर के ढेर जलाते हैं, और होली से संबंधित भजन गाते हैं।
फिर अगले दिन, सभी उम्र के लोग “गुलाल” नामक रंगों और “दुलाहांडी” नामक रंगीन पानी के साथ खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और “गुजिया” नामक दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाई खाते हैं और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेली जानी चाहिए। उपयोग किए गए गुलाल को व्यवस्थित रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा में जलन पैदा कर सकता है और जहां भी यह संपर्क में आता है। लोगों को होली खेलते समय अपने परिवेश के प्रति जागरूक रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे।
होली पर निबंध ( Holi Essay in Hindi ) – भारत में कुछ जगहों पर होली को पांच दिनों तक भी मनाया जाता है। होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शिक्षण संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।
होली पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Holi 10 lines in Hindi)
- होली भारत में मुख्य रूप से हर साल हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है।
- मार्च वह महीना है जब देश में ज्यादातर होली मनाई जाती है, कभी-कभी यह त्योहार दो दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है,
- भारत के विभिन्न राज्य अलग-अलग तरीकों से होली मनाते हैं और प्रत्येक उत्सव अद्वितीय और सुंदर होता है।
- होली से एक दिन पहले, एक अनुष्ठान किया जाता है जिसे ‘होलिका दानन’ कहा जाता है, यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसे हर कोई खेलता है।
- लोग एक विशाल अलाव बनाते हैं और विभिन्न समारोह करते हैं, और इस तरह ‘होलिका दानन’ दिखाया जाता है।
- होली एक खुशी और खुशी का त्योहार है जो सभी को खुश करता है।
- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होली के उत्सव की शुरुआत राधा और कृष्ण ने की थी।
- होली के दिन लोग अपने परिवार से मिलते हैं और दोस्त एक दूसरे को उत्सव के रूप में रंग लगाते हैं।
- उत्तर भारत में होली मनाने के तरीके के रूप में गीत गाने की परंपरा है।
- होली के लिए कई अनोखी मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, और सबसे आम में से एक है ‘गुजिया’।
होली पर निबंध 100 शब्दों में (short Essay on Holi in 100 words in Hindi)
होली पर निबंध ( Holi Essay in Hindi ) – होली भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह रंगों, खुशी और दोस्ती का त्योहार है। यह मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह आमतौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग एक दूसरे को रंग लगाकर त्योहार मनाते हैं। होली को और रंगीन बनाने के लिए लोग वाटर गन, पिचकारी और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं।
लोग अपनी दुश्मनी भूलकर रंगों का त्योहार मनाते हैं। लोग सफेद कपड़े पहनकर एक दूसरे के घर जाते हैं। होली के दिन मिठाई और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। लोग अपनों को उपहार बांटते हैं। होली एकता, सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है।
इनके बारे मे भी जाने
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होली पर निबंध 150 शब्दों में (Essay on Holi in 150 words in Hindi)
होली पर निबंध ( Holi Essay in Hindi ) -होली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रंगों का त्योहार है। होली का त्योहार वसंत ऋतु में दो दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव की शुरुआत त्योहार से एक रात पहले होलिका दहन से होती है और अगले दिन को होली कहा जाता है।
होली के मौके पर लोगों में काफी खुशी है। वे अपनी चिंताओं और चिंताओं को भूल जाते हैं। वे स्वादिष्ट खाना बनाते हैं। उन्होंने नए कपड़े पहने। वे एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। वे दूसरों के चेहरों पर रंगीन पाउडर बिखेरते हैं। वे गाते हैं, नाचते हैं और उछल-कूद करते हैं। वे ढोल बजाते हैं और होली के गीत गाते हैं। वे लगभग खुशी से पागल हैं। वे भूल जाते हैं कि वे क्या हैं। शाम को वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों से मिलने जाते हैं। वे एक दूसरे को गले लगाते हैं। वे दूसरों के चेहरे पर अबीर का धब्बा लगाते हैं।
होली एक खुशी का अवसर है जब हम सभी के साथ खुलकर घुलमिल जाते हैं। हम अमीर और गरीब के बीच के सामाजिक भेद को भूल जाते हैं। त्योहार का यह रंग लोगों को एक करता है और जीवन से हर तरह की नकारात्मकता को दूर करता है।
होली निबंध 200 शब्दों में (Holi Essay in 200 words in Hindi)
होली पर निबंध ( Holi Essay in Hindi ) – हमारे देश में कई त्योहार मनाए जाते हैं। होली का त्योहार उनमें से एक है। होली रंगों का त्योहार है। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह वसंत की शुरुआत में आयोजित किया जाता है। प्रकृति अपनी गहरी नींद से जागती हुई प्रतीत होती है। पेड़ नए पत्ते लाते हैं। फूल खिलने लगते हैं।
इस दिन लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर और हाथ में सूखा पाउडर लेकर सड़कों पर घूमने लगते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के चेहरे पर गुलाल और रंग मलकर उनके सुखी और समृद्ध जीवन की कामना की। बच्चे रंगीन पानी से भरे झरनों को लेकर जाते हैं जिसे वे राहगीरों के कपड़ों पर छिड़कते हैं। वे कूदते हैं, नाचते हैं और आनंदित होते हैं। हर दिल में खुशी का वास है। जो लोग परेशान नहीं होना चाहते वे घर के अंदर ही रहें। लेकिन बहुत बार उन्हें बख्शा नहीं जाता है और उनकी इच्छा के विरुद्ध रंगीन पानी में धोए जाते हैं।
लेकिन कुछ लोग होली को बहुत ही अश्लील तरीके से मनाते हैं। वे शराब पीते हैं और हंगामा करते हैं। वे झगड़ा करते हैं और दूसरों का अपमान करते हैं। वे दूसरों पर कीचड़ और गंदगी फेंकते हैं। ऐसी बुराइयों को रोकना चाहिए। लोगों के लिए समस्याएँ पैदा करने के बजाय खुशी और उल्लास लाने के लिए त्योहार मनाए जाने चाहिए।
होली निबंध 250 शब्दों में (Holi Essay in 250 words in Hindi)
Essay on Holi – कई संस्कृतियों, जातियों और धर्मों के देश के रूप में, भारत पूरे वर्ष अपने कैलेंडर में अनगिनत त्योहार मनाता है। सबसे व्यापक रूप से ज्ञात त्योहारों में, हम होली को सरल शब्दों में रंगों का उत्सव पाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम थोड़ा गहरा गोता लगाते हैं, होली अपने साथ कई अर्थ और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व लेकर आती है।
होली, कुछ लोगों के लिए, राधा और कृष्ण द्वारा साझा किए गए प्रेम का त्योहार है – प्रेम का एक रूप जिसे किसी विशिष्ट नाम, रूप या आकार की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरों के लिए, यह एक कहानी है कि कैसे हम में अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होकर उभरती है। जबकि कई अन्य लोगों के लिए, होली मस्ती, मस्ती, क्षमा और करुणा का अवसर है। तीन दिनों में फैली, होली की रस्में पहले दिन अलाव के प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होती हैं और दूसरे दो दिनों में रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य और आशीर्वाद के साथ उत्सव मनाया जाता है। उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक रंग विभिन्न भावनाओं और तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे भगवान कृष्ण के लिए नीला, प्रजनन क्षमता और प्रेम के लिए लाल और नई शुरुआत के लिए हरा।
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होली निबंध 300 शब्दों में (long Essay on Holi in 300 words in Hindi)
Essay on Holi – होली का त्योहार हर साल मार्च (फागुन) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे एकता, प्रेम, खुशी, खुशी और जीत के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। हम एक दूसरे के साथ प्यार और खुशी का इजहार करने के लिए इस त्योहार को चमकीले और आकर्षक रंगों में खेलते हैं। इसका अपना महत्व है साथ ही इसे मनाने के कई कारण, कहानियां और मान्यताएं भी हैं।
होली पर निबंध ( Holi Essay in Hindi ) – बहुत समय पहले, एक राजा हिरण्यकश्यप, उसकी बहन होलिका और उसका पुत्र प्रह्लाद था। प्रह्लाद एक पवित्र आत्मा थे जो भगवान विष्णु के भक्त थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि प्रह्लाद सहित सभी उनकी पूजा करें। लेकिन भक्त प्रह्लाद को यह ज्ञान नहीं था और वे हमेशा भगवान विष्णु की पूजा करते थे। इससे नाराज होकर उसके पिता ने उसे जलाने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गया क्योंकि होलिका को भगवान से वरदान मिला था कि आग उसे नहीं जला सकती, अपने भाई की बात मानकर होलिका आग में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को इस आग से कोई नुकसान नहीं हुआ हुआ यूं कि इस आग में होलिका जल गई। इसी कथा से होली पर्व की उत्पत्ति हुई।
इस त्योहार के मौके पर सभी अपने अपनों से मिलते हैं, रंग और अबीर से होली खेलते हैं, साथ ही कई ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं जो एक दूसरे के लिए खुशी दर्शाती हैं। ऐसे में लोग रंगों के इस त्योहार में अपनों के साथ जश्न मनाते हैं.
होली निबंध से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न हिंदी में (FAQs)
होली किस महीने में मनाई जाती है.
जिस महीने मार्च में होली मनाई जाती है वह देश में गर्मी का चरम होता है।
होली का त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है?
होली का त्योहार ज्यादातर पांच दिनों तक मनाया जाता है। हालांकि, कुछ जगहों पर इसे पांच दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है।
क्या होली सिर्फ भारत में ही मनाई जाती है?
होली भारत में मनाई जाती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, सभी धर्मों के लोगों ने भी अपने देश में इस त्योहार के आयोजन में हिस्सा लिया है।
प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की सिफारिश क्यों की जाती है?
देश ने कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ विभिन्न तीव्रता के त्वचा रोगों में वृद्धि देखी है।
होली मनाने के लिए भारत में सबसे अच्छी जगह कौन सी हैं?
भारत का हर हिस्सा अपने तरीके से मनाता है लेकिन मथुरा, दिल्ली, जयपुर और आगरा में होली का भव्य उत्सव मनाया जा सकता है।
- वास्तु शास्त्र
Holi Essay in Hindi : इस लेख में पाएं 100 शब्दों से लेकर 1000 शब्दों में होली पर निबंध
Holi Essay in hindi : भारत में रंगों का त्यौहार होली, फागुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। होली, रंगों, खुशी, और उत्सव का त्यौहार है, जो लोगों को एकजुट करता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने के बारे में है। लोग अपनी परेशानियों को भूलकर भाईचारे का जश्न मनाने के लिए इस त्योहार में शामिल होते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी शत्रुताएँ भूल जाते हैं और उत्सव की भावना में डूब जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों से खेलते हैं और त्योहार के रंग में रंगने के लिए उन्हें एक-दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं। इस विशेष लेख के जरिए हम आपके लिए लेकर आए हैं होली के पावन त्योहार से संबंधित 100 से लेकर 1000 शब्दों के निबंध इन निबंध को पढ़कर आप होली के त्यौहार के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे यह सभी निबंध सभी विद्यार्थियों के लिए भी काफी लाभदायक हैं , इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए।
Essay on My Favorite Festival Holi
प्रस्तावना:
होली, रंगों का त्योहार, भारत के सबसे प्रिय और उत्साहपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो प्रकृति के नवीन जीवन और रंगों का प्रतीक है।
होली का इतिहास:
होली के त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। सबसे प्रचलित कथा प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की है। हिरण्यकश्यप एक अहंकारी राजा था जो चाहता था कि लोग उसकी पूजा करें। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कई कोशिशें कीं, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। अंत में, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जो आग में जलने से अक्षत रहने का वरदान प्राप्त थी, प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर राख हो गई।
होली का महत्व:
होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को सामाजिक बंधनों को मजबूत करने और एक दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भावना को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।
होली का उत्सव:
होली का उत्सव एक दिन पहले बरसाना (barsana) से, उत्सव वृन्दावन की ओर बढ़ता है और यहीं वे अपने चरम पर होते हैं। होलिका दहन से शुरू होता है। लोग लकड़ी और उपलों का ढेर बनाकर उसमें आग लगाते हैं। इसके बाद, होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं।
होली के रंगों का महत्व:
होली के रंगों का विशेष महत्व है। लाल रंग प्रेम और उत्साह का प्रतीक है, पीला रंग खुशी और समृद्धि का प्रतीक है, हरा रंग प्रकृति और नवीन जीवन का प्रतीक है, और नीला रंग शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
होली के व्यंजन:
होली के त्योहार पर कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। गुझिया, मठ्ठी, ठंडाई, और दाल-बाटी-चूरमा कुछ लोकप्रिय व्यंजन हैं।
होली का पर्यावरण पर प्रभाव:
होली के त्योहार पर पानी और रंगों का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम पर्यावरण के अनुकूल होली मनाएं।
होली का त्योहार एक ऐसा त्योहार है जो हमें जीवन का आनंद लेने और एक दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भावना को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है। हमें इस त्योहार को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाना चाहिए।
होली पर निबंध 100 शब्दों में (essay on Holi 100 words)
होली पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला रंगों का त्योहार है। हिंदू होली को प्यार और खुशी के त्योहार के रूप में मनाते हैं, जिसमें वे प्यार और एकजुटता के नए जीवन को अपनाने के लिए दुश्मनी, लालच और नफरत को त्याग देते हैं।
होली का त्योहार वसंत ऋतु में, हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने के दौरान मनाया जाता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च महीने या कभी-कभी फरवरी के अंत से मेल खाता है। यह दो दिवसीय त्योहार है जो पूर्णिमा की रात को होलिका दहन के साथ शुरू होता है। मुख्य होली त्यौहार होलिका दहन के अगले दिन होता है। यह गेहूं की फसल के साथ भी मेल खाता है और समृद्धि और खुशी से जुड़ा है।
होली पर निबंध 300 शब्दों में ( Essay On Holi 300 Words)
होली, रंगों का त्यौहार, भारत के सबसे लोकप्रिय और प्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो प्रकृति के नवजीवन और रंगों का उत्सव मनाता है। होली न केवल रंगों का त्यौहार है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम और भाईचारे का भी प्रतीक है।
होली का इतिहास अनेक पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद और उनकी दुष्ट चाची होलिका की है। कहा जाता है कि होलिका को आग में जलने का वरदान प्राप्त था। प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे, और होलिका ने उन्हें आग में डालकर मारने का प्रयास किया। परंतु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई। इस घटना का जश्न मनाने के लिए लोग रंगों का त्यौहार होली मनाते हैं।
होली की परंपराएं:
होली के त्यौहार की कई परंपराएं हैं। होली से एक दिन पहले, ‘होलिका दहन’ किया जाता है। लोग लकड़ी और गोबर के ढेर को जलाते हैं और उसके चारों ओर घूमकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक जश्न मनाते हैं। होली के दिन, लोग रंगों से खेलते हैं, पिचकारी से पानी उड़ाते हैं, और मिठाई खाते हैं। बच्चे और बूढ़े, सभी इस त्यौहार में समान रूप से भाग लेते हैं। रंगों का यह उत्सव लोगों में खुशी और उत्साह का संचार करता है। होली के त्यौहार में कुछ विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं। गुझिया, मठ्ठी, दही-बड़े, और ठंडाई कुछ प्रसिद्ध व्यंजन हैं।
होली का त्यौहार कई महत्वपूर्ण मूल्यों को दर्शाता है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। यह हमें प्रेम, भाईचारे, और एकता का संदेश देता है। होली का त्यौहार लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। यह त्यौहार हमें जीवन में खुशियां और रंगों का महत्व समझाता है।
आज के दौर में होली:
आज के दौर में भी होली का त्यौहार उतना ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। हालांकि, कुछ बदलाव भी आए हैं। पहले लोग प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते थे, लेकिन अब बाजार में कई तरह के कृत्रिम रंग उपलब्ध हैं। इन कृत्रिम रंगों का उपयोग पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा, कुछ लोगों ने होली के त्यौहार को गलत तरीके से मनाना शुरू कर दिया है। वे शराब पीकर हुड़दंग करते हैं और दूसरों को परेशान करते हैं। यह होली के त्यौहार का सच्चा मकसद नहीं है। हमें होली का त्यौहार सच्चे उत्साह और उमंग के साथ मनाना चाहिए। हमें पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना चाहिए। हमें दूसरों को परेशान किए बिना, खुशी और प्रेम के साथ इस त्यौहार का आनंद लेना चाहिए।
होली का त्यौहार रंगों, खुशियों, और प्रेम का त्यौहार है। यह त्यौहार हमें जीवन में रंगों का महत्व समझाता है और हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। हमें इस त्यौहार को सच्चे उत्साह और उमंग के साथ मनाना चाहिए और इसके सच्चे मकसद को समझना चाहिए।
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होली पर निबंध 500 शब्दों में (Essay On Holi 500 Words)
होली का त्यौहार रंगों का एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है जो हर साल ‘फाल्गुन’ या मार्च के महीने में भारत के लोगों द्वारा बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। यह विशेष रूप से बच्चों के लिए मौज-मस्ती और उल्लासपूर्ण गतिविधियों का त्योहार है, जो त्योहार से एक सप्ताह पहले शुरू होता है और एक सप्ताह बाद समाप्त होता है। मार्च के महीने में, पूरे देश में, विशेषकर उत्तर भारत में हिंदू होली मनाते हैं।
महोत्सव की किंवदंती और कहानी:
वर्षों से, भारतीय कई कहानियों और किंवदंतियों के साथ होली मनाते आए हैं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं महत्त्वपूर्ण त्यौहार है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, होली का उत्सव कई साल पहले शुरू हुआ था जब होलिका अपने ही भतीजे को आग में मारने की कोशिश करते समय आग में जल गई थी।
ऐसा माना जाता है कि छोटे प्रह्लाद के पिता, हिरण्यकश्यप नाम के एक राक्षस राजा ने अपने ही बेटे को जिंदा जलाने का प्रयास किया था जब प्रह्लाद ने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब हिरण्यकश्यप के प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास विफल हो गए, तो उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने का आदेश दिया क्योंकि उसे आग से कभी कोई नुकसान नहीं होने का श्राप मिला था।
हालाँकि, यह रणनीति भी विफल रही क्योंकि छोटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसके भगवान ने उसे बचा लिया था। आग में होलिका जल गयी और प्रह्लाद बच गया। तब से हर साल हिंदू होली मनाते हैं। होली एक ऐसा त्योहार है जो प्रेम, भाईचारा, सद्भाव और खुशी फैलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। होली एक ऐसा त्योहार है जिसके दौरान सभी लोग अपनी प्रतिद्वंद्विता भूल जाते हैं, और सभी नफरत और नकारात्मकता को भूलकर अपने दुश्मनों को गले लगाते हैं।
होलिका के रीति रिवाज:
होली से एक दिन पहले, लोग एक चौराहे पर लकड़ियों का ढेर बनाते हैं और उसे होलिका के प्रतीक के रूप में जलाते हैं और ‘होलिका दहन’ समारोह मनाते हैं। लोग जलती हुई होलिका की कई परिक्रमा करते हैं और अग्नि में सभी पापों और बीमारियों को जलाकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने के लिए इसकी पूजा करते हैं। उत्तर भारत में, लोग सरसों के पेस्ट से शरीर की मालिश करते हैं और फिर इसे होलिका में जला देते हैं, इस आशा से कि शरीर को सभी बीमारियों और बुराइयों से छुटकारा मिल जाए।
अगले दिन, ‘होलिका दहन’ के बाद, लोग एक-दूसरे पर रंग फेंककर होली का रंगीन त्योहार मनाने के लिए एक जगह इकट्ठा होते हैं। होली की तैयारियां मुख्य उत्सव से एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती हैं। लोग, विशेषकर बच्चे, बहुत खुश होते हैं और आयोजन से एक सप्ताह पहले ही अलग-अलग रंग खरीदना शुरू कर देते हैं। वे भी, अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ रंगों से खेलना शुरू करते हैं और पानी छिड़कने के लिए ‘पिचकारी’ और छोटे गुब्बारों का उपयोग करते हैं। उत्सव सुबह से शुरू होता है जब चमकीले रंग के कपड़े पहने लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और उन्हें रंग लगाते हैं। होली त्यौहार के व्यंजनों में ‘गुझिया’, ‘मिठाइयाँ’, ‘पानी पुरी’, ‘दही बड़े’, ‘चिप्स’ इत्यादि शामिल हैं, जिनका मेहमानों और मेजबानों दोनों द्वारा आनंद लिया जाता है। होली एक ऐसा त्यौहार है जिसका मुख्य उद्देश्य भाईचारा और प्रेम फैलाना है। त्योहार में उपयोग किए जाने वाले चमकीले रंग समृद्धि और खुशी का प्रतिनिधित्व करते हैं। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का भी प्रतिनिधित्व करती है, जो अधिकांश भारतीय त्योहारों का केंद्र है। यह हमें नेक रास्ते पर चलने और सामाजिक बुराइयों से बचने की सीख भी देता है।
होली पर निबंध 1000 शब्दों में (Essay On Holi 1000 Words)
होली का त्यौहार हर व्यक्ति के घर पर खुशी का रंग लाता है। होली को लोग प्यार और रंग के त्योहार के रूप में मनाते हैं। यह त्यौहार लोगों के बीच प्यार बढ़ाता है और होली के पूरे दिन रंग-गुलाल खेलकर, नाच-गाकर इसका भरपूर आनंद उठाता है। यह एक सांस्कृतिक और पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो अब भारत और कई देशों में मनाया जाता है। इस दिन को लोग बड़े उत्साह से मनाने का इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग कई पीढ़ियों से इस त्योहार को मनाते आ रहे हैं और इस त्योहार की खासियत और आधुनिकता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
होली त्यौहार का महत्व:
होली प्रेम और रंग का उत्सव है। यह हर साल हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा त्योहार है। यह त्यौहार लोगों को जोश और खुशियों से भर देता है। होली लोगों के बीच की दूरियां मिटाती है और कपल्स और दोस्तों के बीच मजबूत रिश्ता बनाती है। लोग अपने रिश्तेदारों, परिवार और दोस्तों के साथ होली का आनंद लेते हैं और बहुत खुशी के साथ जश्न मनाते हैं। होली उत्सव के दौरान, लोग प्रेम और स्नेह के प्रतीक के रूप में गुलाल का उपयोग करते हैं। इसीलिए होली के दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं। इस दिन सभी लोग सुबह से रात तक अनोखे कार्यक्रमों के साथ दिन का आनंद लेते हैं।
इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग से भरे गुब्बारों को मारते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे रंगों में न फंसे। इस दिन ज्यादातर लोग अपने घरों में गुजिया, मालपुआ, सेवइयां और कई अन्य स्वादिष्ट मिठाइयां बनाते हैं. कुछ लोग अपने इलाकों में अपने पड़ोसियों को मिठाइयाँ बाँटते हैं। भारत और अब कई अन्य देशों में लोग हर साल होली मनाते हैं। हम इस त्यौहार को बहुत सारे अनुष्ठानों के साथ मनाते हैं। होली के दिन परिवार के सभी सदस्य और रिश्तेदार मिलकर गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और रात में होलिका दहन करते हैं। होली की शाम को लोग होलिका जलाकर अनुष्ठान करते हैं। लोगों का मानना है कि इस अनुष्ठान से जीवन की सभी नकारात्मक चीजें दूर हो जाती हैं और सकारात्मक शुरुआत होती है।
होली उत्सव का उत्सव:
विभिन्न राज्यों और देशों के लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों और तरीकों से होली मनाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति पूर्णिमा के दिन पहले दिन होली पूर्णिमा के नाम से होली मनाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर जश्न मनाते हैं। दूसरे दिन, मुहूर्त के अनुसार, लोग रात के समय में होलिका दहन करते हैं।
मथुरा और वृन्दावन: होली समारोह
होली का त्यौहार मथुरा और वृन्दावन में प्रसिद्ध है। इस दिन को उत्साह से मनाने के लिए भारत के अन्य शहरों और विभिन्न देशों से लोग मथुरा और वृन्दावन आते हैं।
मथुरा और वृन्दावन वे पवित्र स्थान हैं जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। पारंपरिक भारतीय इतिहास के अनुसार, लोग राधा कृष्ण के समय से ही होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं। होली के अवसर पर मथुरा और वृन्दावन के लोग विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। बांके बिहारी मंदिर में सबसे पहले महा होली उत्सव होता है और फिर मथुरा के ब्रज में गुलाल कुंड में लोग होली मनाते हैं। सदस्य यहां कृष्ण लीला नाटक का भी आयोजन करते हैं।
होली त्यौहार का इतिहास:
होली बहुत ही सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं का त्योहार है जिसे लोग बहुत पौराणिक काल से मनाते हैं। पुराणों, रत्नावली जैसे भारतीय पवित्र ग्रंथों में आपको होली के कई वर्णन मिलेंगे। होली पर विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूर्णिमा के दिन भगवान की पूजा करती हैं। होली का त्योहार मनाने का एक अलग स्वास्थ्य लाभ भी है। इससे लोगों की चिंता दूर होती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
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होली पर निबंध हिंदी में (Essay On Safety in Hindi
होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, नस्ल या धर्म की परवाह किए बिना एक त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। भारत में होली मार्च में पूर्णिमा के दिन दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन इकट्ठा होकर लकड़ी और गोबर के ढेर जलाकर और होली से संबंधित भजन गाकर “होलिका दहन” मनाते हैं।
अगले दिन, सभी लोग “गुलाल” , रंगों और , रंगीन पानी से खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और उस दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाइयाँ खाते हैं जिन्हें “गुजिया” कहा जाता है और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेलनी चाहिए. उपयोग किया जाने वाला गुलाल जैविक रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा और जहां भी इसके संपर्क में आता है, वहां जलन पैदा कर सकता है। लोगों को होली खेलते समय अपने आस-पास के प्रति सचेत रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे। भारत में कुछ जगहों पर होली पांच दिनों तक भी मनाई जाती है. होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शैक्षणिक संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।
होली बुराई पर अच्छाई की जीत के उत्सव के रूप में:
होली के उत्सव से एक पौराणिक कहानी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि हिरण्यकशिपु नाम के एक क्रूर राजा को ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि कोई भी मनुष्य या जानवर उसे घर या बाहर ज़मीन पर नहीं मार सकेगा। लेकिन वह एक अत्याचारी राजा था और चाहता था कि उसके राज्य में हर कोई उसे भगवान के रूप में सबसे बुरा माने, और इसलिए उसने अपने इकलौते बेटे प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका द्वारा आग लगवाकर मरवाने का आदेश दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु का एक वफादार भक्त था और होलिका को आशीर्वाद प्राप्त था। कि वह आग से न छुए।
ऐसा कहा जाता है कि इस जघन्य कृत्य के दिन, होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर जलती हुई लकड़ियों के ढेर पर बैठी थी, लेकिन प्रह्लाद जलने के बजाय, भगवान विष्णु ने उसे बचा लिया और होलिका राख में बदल गई। तब भगवान विष्णु ने खुद को आधा पशु, आधा देवता रूप में बदल लिया और हिरण्यकशिपु का पेट फाड़कर उसका वध कर दिया। इसलिए, होली का उत्सव बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक रहा है। यह भी एक कारण है कि छोटी होली पर लकड़ियाँ जलाने को “होलिका दहन” कहा जाता है।
होली पर 10 पंक्ति (Holi Per Nibandh 10 Line)
- होली भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाने वाला त्यौहार है।
- होली का त्यौहार हर साल फरवरी या मार्च में मनाया जाता है।
- होली रंग और खुशियों का त्योहार है.
- होली का त्योहार दुनिया भर में ज्यादातर हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन अब इसे सभी धर्मों के लोग मनाते हैं।
- भारत में लोग राधा और भगवान कृष्ण के समय से ही होली खेलते आ रहे हैं।
- होली जीवन में रंगों और खुशियों से भरी होती है।
- होली खूब रंग (गुलाल) और पानी से मनाई जाती है।
- होली के जश्न के लिए लोग नई-नई पोशाकें खरीदते हैं।
- अधिकांश हिंदू परिवार होली उत्सव के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और जूस बनाते हैं।
- मोहल्ले के लोग आपस में सारे गुस्से और झगड़ों को भूलकर खुशी-खुशी एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं
होली पर निबंध class 5(Holi essay in hindi for class 5)
होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। होली हर साल मार्च के महीने में हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है। जो लोग इस त्योहार को मनाते हैं, वे रंगों के साथ खेलने और स्वादिष्ट व्यंजन खाने के लिए हर साल इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं।
होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने का दिन है। लोग अपनी परेशानियों को भूलकर भाईचारे का जश्न मनाने के लिए इस त्योहार में शामिल होते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी दुश्मनी भूल जाते हैं और उत्सव की भावना में डूब जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों से खेलते हैं और त्योहार के रंग में रंगने के लिए उन्हें एक-दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं।
हिंदू धर्म का मानना है कि बहुत समय पहले हिरण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। उनका प्रह्लाद नाम का एक बेटा और होलिका नाम की एक बहन थी। ऐसा माना जाता है कि शैतान राजा को भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद प्राप्त था। इस आशीर्वाद का मतलब था कि कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे नहीं मार सकता था। यह आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप में बदल गया क्योंकि वह बहुत अहंकारी हो गया था। उसने अपने राज्य को आदेश दिया कि वह भगवान के बजाय उसकी पूजा करे, और अपने बेटे को भी न बख्शे।
इसके बाद, उनके पुत्र प्रह्लाद को छोड़कर सभी लोग उनकी पूजा करने लगे। प्रह्लाद ने भगवान के बजाय अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु का सच्चा भक्त था। उसकी अवज्ञा को देखकर, राजा ने अपनी बहन के साथ प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उसने उसे अपने पुत्र को गोद में लेकर आग में बैठाया, जहाँ होलिका तो जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बाहर आ गया। इससे संकेत मिलता है कि उसकी भक्ति के कारण उसके भगवान द्वारा उसकी रक्षा की गई थी। इस प्रकार, लोग होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाने लगे।
विशेषकर उत्तर भारत में लोग अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ होली मनाते हैं। होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में, लोग सार्वजनिक क्षेत्रों में जलाने के लिए लकड़ियों का ढेर लगाते हैं। यह होलिका और राजा हिरण्यकश्यप की कहानी को संशोधित करते हुए बुरी शक्तियों के जलने का प्रतीक है। इसके अलावा, वे आशीर्वाद लेने और भगवान के प्रति अपनी भक्ति अर्पित करने के लिए होलिका के चारों ओर इकट्ठा होते हैं। अगला दिन शायद भारत का सबसे रंगीन दिन है। लोग सुबह उठकर भगवान की पूजा करते हैं। फिर, वे सफेद कपड़े पहनते हैं और रंगों से खेलते हैं। वे एक दूसरे पर पानी छिड़कते हैं। बच्चे पानी की बंदूकों का उपयोग करके पानी के रंग छिड़कते हुए इधर-उधर दौड़ते हैं। इसी तरह इस दिन बड़े भी बच्चे बन जाते हैं। वे एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं और खुद को पानी में डुबो देते हैं।
शाम को, वे नहाते हैं और अच्छे कपड़े पहनकर अपने दोस्तों और परिवार से मिलने जाते हैं। वे पूरे दिन नृत्य करते हैं और ‘भांग’ नामक एक विशेष पेय पीते हैं। होली के खास व्यंजन ‘गुजिया’ का स्वाद हर उम्र के लोग चाव से खाते हैं।संक्षेप में कहें तो होली प्रेम और भाईचारा फैलाती है। यह देश में सद्भाव और खुशहाली लाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह रंग-बिरंगा त्योहार लोगों को एकजुट करता है और जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है।
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Holi Festival Paragraph
होली भारत का एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन माह में मनाया जाता है। यह त्यौहार फाल्गुन की पूर्णिमा से शुरू होकर एक रात और एक दिन तक चलता है। यह आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च महीने से मेल खाता है। होली खुशी और प्रेम का त्योहार है और यह भारतीय उपमहाद्वीप, विशेषकर भारत और नेपाल में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि लोग सड़कों पर निकलते हैं और रंगों से खेलते हैं। अधिकांश हिंदू त्योहारों के विपरीत, होली में किसी भी हिंदू देवी-देवता की पूजा शामिल नहीं होती है और इस प्रकार यह पूरी तरह से मनोरंजन के लिए मनाया जाता है। हालाँकि, होली से एक रात पहले, होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है, जिसमें लोग अपने फेंके हुए सामानों को अलाव में जलाते हैं।
Conclusion:
होली एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एकजुट करता है, प्रेम और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देता है, और जीवन में खुशियां और उत्साह लाता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में कितने भी रंग हों, प्रेम और भाईचारे के रंग हमेशा सबसे ऊपर रहते हैं. होली के त्योहार से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।
Q. होली कब मनाया जाता है?
Ans. होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार रंगों और खुशियों का प्रतीक है।
Q. होली का त्यौहार कितने दिनों तक चलता है?
Ans. होली का त्यौहार 2 दिनों तक चलता है। पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंगों का त्यौहार मनाया जाता है।
Q. होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
Ans. होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्यौहार भगवान विष्णु द्वारा राक्षस प्रह्लाद की रक्षा और उसकी बहन होलिका के दहन का प्रतीक है।
Q. होली त्यौहार के दौरान कौन से रंगों का उपयोग किया जाता है?
Ans. होली त्यौहार के दौरान विभिन्न रंगों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि गुलाबी, पीला, हरा, नीला, नारंगी, आदि।
Q. होली त्यौहार के दौरान कौन से विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं?
Ans. होली त्यौहार के दौरान गुझिया, मठ्ठी, दाल-बड़ा, खीर, आदि जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं।
Q. होली त्यौहार का भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है?
Ans. होली त्यौहार का भारत के अलावा नेपाल, पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका, और अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
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Holi Essay in Hindi – Overview
आर्टिकल का प्रकार | महत्वपूर्ण त्यौहार |
आर्टिकल का नाम | होली पर निबंध |
साल कौन सा है | 2024 |
भाषा कौन सी है | हिंदी |
कब मनाई जाएगी | 25 मार्च 2024 को |
कहां मनाई जाएगी | पूरे भारतवर्ष में |
कौन से धर्म के लोग मानते हैं | हिंदू धर्म |
होली पर निबंध 100 शब्दों में (Essay On Holi 100 Words)
होली एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो हर साल वसंत ऋतु में मनाया जाता है। यह रंगों का त्यौहार है जिसके दौरान लोगों, सड़कों और घरों को विभिन्न रंगों में रंगा हुआ देखा जा सकता है। इसे प्यार का त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन लोग अपनी पुरानी दुश्मनी को भुलाकर रंगों से खेलते हैं और रिश्तों को फिर से ताजा करते हैं।होली दो दिवसीय त्योहार है, जो मुख्य त्योहार से एक रात पहले छोटी होली के साथ शुरू होता है, जब होलिका दहन (राक्षसी होलिका को जलाना) के प्रतीक के रूप में सड़कों पर बड़ी चिताएं जलाई जाती हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। अगले दिन लोग रंगों से खेलते हैं और शाम को एक-दूसरे के घर जाकर बधाइयां और मिठाइयां बांटते हैं। दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने का रिवाज एक सप्ताह से अधिक समय तक जारी रहता है।
यह भी पढ़ें: Holi Special Songs
होली पर निबंध 300 शब्दों में ( Essay On Holi 300 Words)
होली का परिचय.
होली सभी का सबसे पसंदीदा त्योहार है क्योंकि यह बहुत सारी खुशियाँ और खुशियाँ लाता है। इसे हर साल विशेष रूप से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह आमतौर पर मार्च (या फाल्गुन) के महीने में वसंत ऋतु की शुरुआत में पड़ता है। हर कोई इस त्यौहार का बहुत ही उत्साह के साथ और इसे मनाने की खास तैयारियों के साथ इंतजार करता है।
हम होली क्यों मनाते हैं?
होली मनाने के पीछे प्रह्लाद की एक महान कहानी है। एक बार प्रह्लाद (जो भगवान का बहुत बड़ा भक्त था) को उसके ही पिता ने मारने की कोशिश की क्योंकि उसने भगवान के स्थान पर अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया था। प्रह्लाद के पिता के आदेश पर उसकी चाची होलिका उसे अपनी गोद में रखकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान ने उसे बचा लिया क्योंकि वह एक सच्चा भक्त था और होलिका को आग में जला दिया गया, जबकि उसे कभी कोई नुकसान न होने का वरदान मिला हुआ था। आग। उस दिन से, हिंदू धर्म को मानने वाले लोग बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करने के लिए हर साल होली का त्योहार मनाने लगे।
होलिका दहनरंगीन होली के त्योहार से एक दिन पहले, लोग उस दिन को याद करने के लिए रात में होलिका दहन के समान लकड़ियों और गोबर के उपलों का ढेर जलाते हैं। कुछ लोग यह मानकर होलिका में परिवार के प्रत्येक सदस्य के सरसों के उबटन के अवशेषों को जलाने की विशेष परंपरा का पालन करते हैं कि इससे घर और शरीर से सभी बुराइयां दूर हो जाएंगी और घर में खुशियां और सकारात्मकता आएगी।
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होली पर निबंध 500 शब्दों में ( Essay on Holi 500 Words)
होली रंगों का एक बहुत प्रसिद्ध त्योहार है जो हर साल ‘फाल्गुन’ या मार्च के महीने में भारत के लोगों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह विशेष रूप से बच्चों के लिए बहुत सारी मौज-मस्ती और उल्लासपूर्ण गतिविधियों का त्योहार है, जो त्योहार से एक सप्ताह पहले उत्सव शुरू करते हैं और एक सप्ताह बाद भी जारी रखते हैं। देशभर में विशेषकर उत्तर भारत में मार्च के महीने में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा होली मनाई जाती है।
महोत्सव के पीछे की किंवदंती और कहानी
भारत में वर्षों से होली मनाने के पीछे कई कहानियाँ और किंवदंतियाँ हैं। यह अत्यंत महत्व एवं महत्ता वाला पर्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि होली मनाने की शुरुआत बहुत पहले हुई थी जब होलिका अपने ही भतीजे को आग में मारने की कोशिश करते समय आग में जल गई थी।ऐसा माना जाता है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस राजा था, जो छोटे प्रह्लाद का पिता था, जिसने अपने ही बेटे को आग में जलाकर मारने की कोशिश की थी जब प्रह्लाद ने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब हिरण्यकश्यप प्रह्लाद को मारने की अपनी कई रणनीतियों में विफल रहा, तो उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि उसे आग से कभी नुकसान न होने का वरदान प्राप्त था।
हालाँकि, यह रणनीति भी विफल रही क्योंकि छोटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसे उसके भगवान ने बचा लिया था। होलिका आग में जल गयी और प्रह्लाद बच गया। उस दिन से हिंदू धर्म के लोग हर साल होली मनाने लगे।
होलिका और उसके रीति-रिवाज
होली से एक दिन पहले लोग चौराहों पर लकड़ियों का ढेर बनाकर उसे होलिका का प्रतीक बनाकर जलाते हैं और ‘होलिका दहन’ समारोह मनाते हैं। लोग जलती हुई होलिका की कई परिक्रमा करते हैं और अग्नि में सभी पापों और बीमारियों को जलाकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने के लिए इसकी पूजा करते हैं। उत्तर भारत में एक प्रथा यह भी है कि लोग सरसों के पेस्ट से शरीर की मालिश करते हैं और फिर शरीर की सभी बीमारियों और बुराइयों से छुटकारा पाने की उम्मीद में इसे होलिका में जला देते हैं।
हम होली कैसे मनाते हैं?
‘होलिका दहन’ के बाद अगली सुबह, लोग एक स्थान पर एकत्रित होकर और एक-दूसरे पर खेल-खेल में रंग फेंककर होली का रंगीन त्योहार मनाते हैं। मुख्य त्योहार से एक सप्ताह पहले ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग, विशेषकर बच्चे अत्यधिक उत्साही होते हैं जो एक सप्ताह पहले से ही अलग-अलग रंगों की खरीदारी शुरू कर देते हैं।
यहां तक कि वे अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ पिचकारी और छोटे गुब्बारों से रंग खेलना शुरू कर देते हैं। उत्सव की शुरुआत सुबह से होती है जब बहुत सारे रंगों के साथ लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और उन्हें रंग लगाते हैं। होली के व्यंजनों में ‘गुझिया’, मिठाइयाँ, ‘पानी पुरी’, ‘दही बड़े’, चिप्स आदि शामिल होते हैं जिनका मेहमानों के साथ-साथ मेजबानों द्वारा भी आनंद लिया जाता है।
होली पर निबंध 1000 शब्दों में ( Nibandh On Holi 1000 Words)
होली – रंग, खुशी और प्यार का त्योहार.
होली अन्य हिंदू त्योहारों से इस मायने में अलग है कि इसमें किसी भी देवता की पूजा की आवश्यकता नहीं होती है, जैसा कि अन्य त्योहारों के साथ अनिवार्य है। यह त्यौहार बिना किसी धार्मिक बाध्यता के शुद्ध आनंद की मांग करता है।
रंगों के बिना होली उत्सव की कल्पना करना असंभव है। दरअसल इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। लोग रंगीन पाउडर से खेलते हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में गुलाल कहा जाता है। वे दोस्तों और परिवार के सदस्यों पर गुलाल छिड़कते हैं, एक-दूसरे को “हैप्पी होली” कहते हैं और गले मिलते हैं। बच्चों को विभिन्न प्रकार की पिचकारी के साथ समूह में खेलते देखा जा सकता है।सभी घर और सड़कें सुंदर और चमकीले लाल, पीले, नीले, नारंगी और बैंगनी रंग के संयोजन से रंग जाते हैं। सर्दियों की ठंडी हवाएँ चले जाने के बाद, लोग ढीले-ढाले कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे पर रंग और रंगीन पानी छिड़कते हैं। सिर से पैर तक हर कोई अलग-अलग रंगों में रंगा हुआ है; इतना कि किसी को अपने सबसे करीबी दोस्त को पहचानने में भी एक या दो पल लग जाते हैं।
होलिका दहन की पौराणिक कथा
होली दो दिवसीय त्योहार है, जो हिंदू महीने फाल्गुन की पूर्णिमा की शाम को शुरू होता है। दूसरे दिन सुबह रंग की होली खेली जाती है.होली के पहले दिन को छोटी होली कहा जाता है और शाम को होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है। सड़क के चौराहों या बाजार, सड़कों, गलियों, कॉलोनियों आदि में अन्य उपयुक्त स्थानों पर अलाव जलाए जाते हैं। लोग आग में अपना पुराना सामान जलाते हैं, जो ईर्ष्या, घृणा और दुश्मनी की भावनाओं को जलाने का प्रतीक है। यह अनुष्ठान बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है।होलिका दहन की आम तौर पर मशहूर किंवदंतियों में से एक राक्षस राजा हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रह्लाद से जुड़ी है। प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था; इससे हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया, जो अमरता के वरदान के कारण खुद को भगवान मानता था। हालाँकि, उनका पुत्र प्रह्लाद विष्णु की पूजा करने के अपने संकल्प पर अड़ा रहा और उसने अपने पिता हिरण्यकश्यप की पूजा करने से इनकार कर दिया।अपने ही पुत्र से निराश हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और उसने प्रह्लाद को यातना देना शुरू कर दिया, ताकि वह शांत हो जाए। जब प्रह्लाद ने नियमित रूप से मना कर दिया, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ प्रह्लाद को उसके साथ जलती हुई चिता पर बैठने के लिए धोखा देने की साजिश रची। माना जाता है कि होलिका को आग में जलने से सुरक्षा का वरदान प्राप्त था। दुष्ट योजना प्रह्लाद को चिता में जलाने की थी, जबकि होलिका वरदान से सुरक्षित रहेगी।होलिका प्रह्लाद को अपने साथ चिता में बैठने के लिए सहमत करने में सफल रही। प्रह्लाद सहमत हो गया क्योंकि उसे अपने देवता विष्णु पर अत्यधिक विश्वास था। होलिका बालक प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता में बैठ गयी। जैसे ही चिता जली, भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचाने के लिए हस्तक्षेप किया और वरदान के बावजूद होलिका जलकर राख हो गई। होलिका को दिया गया वरदान काम नहीं आया, क्योंकि; उसे अमरता तभी प्रदान की गई जब वह अकेले अग्नि में प्रवेश कर गई।इस प्रकार, लोग छोटी होली पर बुराई होलिका के दहन के प्रतीक के रूप में चिता जलाते हैं और अगले दिन रंगीन उत्सवों का स्वागत भी करते हैं।
लठ मार होली बरसाना
मथुरा के निकट एक छोटे से कस्बे बरसाना में राधा रानी मंदिर के परिसर में लठ मार होली की प्रथा सदियों से मनाई जा रही है। पास के नंदगांव के पुरुष बरसाना आते हैं जहां महिलाएं उन्हें लाठियों से मारती हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से हिंदी में लाठियां कहा जाता है। दूसरी ओर, पुरुष ढालों से अपनी रक्षा करते थे और जो लोग पकड़े जाते थे उन्हें महिलाओं की पोशाक पहनाकर नृत्य कराया जाता था।
बरसाना की लठ मार होली इतनी लोकप्रिय हो गई है कि लाखों देशी भारतीयों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी इस उत्सव को देखने के लिए बरसाना आते हैं।
होली त्यौहार का जश्न
विभिन्न राज्यों और देशों के लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों और तरीकों से होली मनाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति प्रथम दिन पूर्णिमा के दिन होली को होली पूर्णिमा के नाम से मनाता है।
सबसे पहले इस दिन लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के कारण होली मनाते हैं। साथ ही फाल्गुन महीने का स्वागत करने के लिए लोग होली मनाते हैं, इसलिए इसका दूसरा नाम फगवा है।उन्होंने “होली” शब्द को ‘होला’ शब्द से लिया, जिसका अर्थ है अच्छी फसल के लिए भगवान की पूजा। होली का त्यौहार दीपावली या दीवाली के पारंपरिक त्यौहार की तरह है। इस त्यौहार को लोग हर साल भी मनाते हैं।
आप प्राचीन मंदिरों की दीवारों पर भी होली उत्सव का उल्लेख पा सकते हैं। ओडिशा और पश्चिम बंगाल में पूर्णिमा के अगले दिन को डोल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है । इसलिए इस दिन को डोल जात्रा के नाम से भी जाना जाता है।
मथुरा और वृन्दावन: होली समारोह
होली का त्यौहार मथुरा और वृन्दावन में प्रसिद्ध है। इस दिन को उत्साह से मनाने के लिए भारत के अन्य शहरों और विभिन्न देशों से लोग मथुरा और वृन्दावन आते हैं।मथुरा और वृन्दावन वे पवित्र स्थान हैं जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। पारंपरिक भारतीय इतिहास के अनुसार, लोग राधा कृष्ण के समय से ही होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं।होली के अवसर पर मथुरा और वृन्दावन के लोग विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। सबसे पहले बांकेबिहारी मंदिर में महा होली का उत्सव होता है और उसके बाद मथुरा के ब्रज में गुलाल कुंड में लोग होली मनाते हैं। सदस्य यहां कृष्ण लीला नाटक का भी आयोजन करते हैं।
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होली पर निबंध हिंदी में ( Essay On Holi in Hindi )
होली, रंगों का त्योहार, भारत में मनाए जाने वाले सबसे रंगीन और खुशियों भरे त्योहारों में से एक है। यह आमतौर पर मार्च महीने में आता है और बसंत के आगमन का संकेत देता है। यह त्योहार सिर्फ रंगों के साथ खेलने के बारे में ही नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की जीत और एकता की भावना के बारे में भी है।होली की कथा हिन्दू पौराणिक कथाओं में निहित है, खासकर होलिका और प्रहलाद की कहानी में। होलिका, दानवी राक्षस, ने प्रहलाद को भगवान विष्णु के भक्त को आग में जलाने की कोशिश की। हालांकि, भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा की, और होलिका को आग में नष्ट कर दिया। इस घटना का संकेत अच्छाई की जीत की ओर है, और होली की रात को “होलिका दहन” के नाम से जाने वाले एक बोनफायर को इस जीत का प्रतीक बनाने के लिए जलाया जाता है। स्वादिष्ट मिठाई और नमकीन होली के उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। इस त्योहार के दौरान गुजियाएं, आटे से बनी जिनमें मिठाई भराई होती है, एक प्रसिद्ध मिठाई होती हैं। ठंडाई, दूध, द्रव्यों, और मसालों से बनी एक पारंपरिक पेय, कई लोगों द्वारा आनंदिति से ली जाती है। लोग इन मिठाईओं को अपने दोस्तों और पड़ोसियों के साथ साझा करते हैं ताकि खुशी का आनंद दुगना उठाया जा सके होली सिर्फ रंगों के साथ खेलने के बारे में ही नहीं है, यह प्यार और खुशियों को फैलाने के बारे में भी है। दोस्त और परिवार सभी एक साथ आकर्षित होते हैं, और क्षमा त्योहार का महत्वपूर्ण तत्व है। लोग आपसी गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं और प्यार और मित्रता के नए बंधनों के साथ फिर से आरंभ करते हैं।मनोरंजन और उत्सवों के अलावा, होली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी होता है। यह वक्त होता है जब लोग मंदिरों की यात्रा करते हैं और अपने जीवन के एक समृद्ध और समान्य जीवन के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। कुछ भारत के क्षेत्रों में, होली को पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के साथ मनाया जाता है, जो इस त्योहार की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देता है।हाल के वर्षों में, होली भारत की सीमाओं के पार भी पॉपुलैर हो गई है और इसे विभिन्न राष्ट्रीयताओं और संस्कृतियों के लोग दुनिया भर में मनाते हैं। यह भारत की संगीती सांस्कृतिक धरोहर और विविधता में एकता की भावना का प्रतीक बन गया है।होली एक त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाकर अच्छाई की जीत और बसंत के आगमन को रंगों, मिठाईयों, और संगीत के साथ मनाने के लिए बुलाता है।
होली निबंध 10 लाइन (Holi Per Nibandh 10 Line)
- होली भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाने वाला त्यौहार है।
- होली का त्यौहार हर साल फरवरी या मार्च में मनाया जाता है।
- होली रंग और खुशियों का त्योहार हैं।
- होली का त्यौहार दुनिया भर में मुख्य रूप से हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन अब इसे सभी धर्मों के लोग मनाते हैं।
- भारत में लोग राधा और भगवान कृष्ण के समय से ही होली खेलते आ रहे हैं।
- होली जीवन में रंगों और खुशियों से भरी होती है।
- होली खूब रंग (गुलाल) और पानी से मनाई जाती है।
- होली के जश्न के लिए लोग नई-नई पोशाकें खरीदते हैं।
- अधिकांश हिंदू परिवार होली उत्सव के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और जूस बनाते हैं।
- इलाके के लोग अपने बीच के सारे गुस्से और झगड़ों को भूलकर खुशी-खुशी एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं।
होली पर निबंध Class 5 (Holi Essay in Hindi for Class 5)
होली भारत में मनाया जाने वाला एक.आनंदमय त्योहार है, जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह रंग-बिरंगा त्योहार विशेष रूप से बच्चों को बहुत पसंद आता है, जो चंचल और उत्साही माहौल में शामिल होने के लिए इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। आप जैसे कक्षा 5 के छात्र के लिए, होली सिर्फ रंगों के बारे में नहीं है; यह मौज-मस्ती, दोस्ती और सांस्कृतिक महत्व के बारे में है।यह त्योहार आमतौर पर मार्च में पड़ता है और इसकी तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों को साफ करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और दोस्तों और परिवार के साथ साझा करने के लिए स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाते हैं। जैसे-जैसे दिन नजदीक आता है उत्साह बढ़ता जाता है और होली के दिन हवा हँसी-मजाक और उत्सव के खाद्य पदार्थों की खुशबू से भर जाती है।बच्चों के लिए होली का सबसे रोमांचक हिस्सा रंगों से खेलना है। सभी रंगों के चमकीले पाउडर और पानी के गुब्बारे आसपास के वातावरण को रंगों के बहुरूपदर्शक में बदल देते हैं। दोस्त और परिवार एक-दूसरे का पीछा करते हैं, एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं और हार्दिक हंसी साझा करते हैं। यह एक ऐसा दिन है जब हर कोई समान है, रंगों से सराबोर है जो मतभेद मिटाता है और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।होली के पारंपरिक पहलुओं में से एक रात पहले अलाव जलाना है, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है। यह अनुष्ठान हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रह्लाद और होलिका की कहानी की याद दिलाते हुए, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। परिवार अलाव के चारों ओर इकट्ठा होते हैं, गीत गाते हैं और अपने प्रियजनों की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं।रंगों से खेलने की खुशी के अलावा, होली लोगों को एक साथ भी लाती है। यह मतभेदों को भूलने, पिछली शिकायतों को माफ करने और रिश्तों को नवीनीकृत करने का समय है। कहावत “बुरा ना मानो होली है” (बुरा मत मानो, यह होली है) त्योहार के सार को दर्शाती है, क्षमा और सौहार्द की भावना को प्रोत्साहित करती है।हालांकि, तमाम मौज-मस्ती के बीच जिम्मेदारी से होली खेलना भी जरूरी है। सुरक्षित, पर्यावरण-अनुकूल रंगों का उपयोग यह सुनिश्चित करता है कि उत्सव में पर्यावरण या किसी के स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचे। व्यक्तिगत स्थान और दूसरों की सहमति का सम्मान करना भी महत्वपूर्ण है, यह सुनिश्चित करते हुए कि उत्सव सभी के लिए आनंददायक बना रहे।
Holi Festival Paragraph
रंगों का त्योहार होली भारत में एक जीवंत उत्सव है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत और वसंत के आगमन का प्रतीक है। दो दिनों तक चलने वाली, इसकी शुरुआत होलिका दहन, अलाव की रात से होती है, और रंगवाली होली, रंग-बिरंगे उल्लास के दिन के साथ समाप्त होती है। यह त्यौहार सामाजिक बाधाओं को तोड़ता है, एकता को बढ़ावा देता है क्योंकि लोग रंगीन पाउडर और पानी से खेलते हैं। होली क्षमा और नवीकरण को बढ़ावा देती है, जो जीवन के रंगों का प्रतिनिधित्व करने वाले विविध रंगों का प्रतीक है। भारत के अलावा, होली की लोकप्रियता विश्व स्तर पर फैल गई है 2024 में होली 25 मार्च को पूरे भारतवर्ष में मनाया जाएगा।
Conclusion:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित कोई सुझाव या प्रश्न है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में..!!
FAQ’s: Holi Nibandh in Hindi
Q. होली क्या है .
Ans. होली भारत में मनाया जाने वाला एक रंगीन और आनंदमय त्योहार है, जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
Q. होली कब मनाई जाती है?
Ans. होली आमतौर पर मार्च में हिंदू महीने फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन पड़ती है।
Q. होली कैसे मनाई जाती है?
Ans. लोग रंगीन पाउडर, पानी के गुब्बारों से खेलते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। होली की पूर्व संध्या पर अलाव जलाए जाते हैं जिन्हें “होलिका दहन” कहा जाता है।
Q. होली का पारंपरिक भोजन क्या है?
पारंपरिक होली मिठाइयों में गुझिया (मीठी पेस्ट्री) और ठंडाई (एक मसालेदार दूध पेय) शामिल हैं।
Q. ब्रह्मा जी ने होलिका को क्या वरदान दिया था?
भगवान ब्रह्मा ने होलिका को वरदान देते हुए कहा था, ‘आग उसे नहीं जला पाएगी।’
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- Essays in Hindi /
Holi 2024 : होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)
- Updated on
- मार्च 21, 2024
Holi Essay in Hindi : भारत में सभी त्योहारों की अलग प्रसिद्धि है और ये अलग-अलग राज्यों में अलग रूप में दिखाई देते हैं। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। इनमें रंगों का त्योहार होली भी शामिल है। होली का त्योहार विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। होली के बारे में या होली पर निबंध अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है और इसलिए यहां हम 100, 250, 500 शब्दों में होली पर निबंध लिखना सीखेंगे।
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रंगों का त्यौहार होली , खुशी और उमंग का प्रतीक है। भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली, भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वालों या मानवता के पक्षधरों द्वारा मनाये जाने वाला ऐसा पर्व है, जिसका उद्देश्य केवल बेरंग उदासी या मायूसी को खुशियों और सकारात्मक रंग से भरना होता है।
मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्यौहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम, रंगों और ठंडाई के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।
- होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
- हर साल होली फागुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।
- हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है।
- होली के दिन सभी लोग अपने घरो में पकवान बनाते है और रिश्तेदारों के घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते है।
- होली सामाजिक मतभेद को मिटाकर उत्साह बिखेरने का पर्व माना जाता है।
- होली के दिन सभी बिना किसी हीनभावना के एक-दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व को मनाते है।
- पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक घमंडी राजा था जिसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद कि हत्या करवाने के लिए प्रह्लाद सहित आग में बैठजाने को कहा था जिसके परिणाम हेतु होलिका वरदान होने के बाद भी जल गयी। इसलिए हर साल होलिका जलाई जाती है।
- होली पर गुलाल रंग घमंड पर भक्ति की, अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। इसलिए इस पर्व पर सभी रंगो से खेल कर खुशियां होली मनाते है।
- इस पर्व पर हमें अपने भीतर कि सभी बुराई को ख़त्म कर प्रेम भाव से सभी का आदर सत्कार करने का प्रण लेना चाहिए।
- भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मज़बूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।
150 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः
होली बुराई पर अच्छाई की जीत को उत्साह से मनाने का त्योहार है लेकिन हर त्यौहार कि तरह अब माइने बदल गए है। जहां अब भी कुछ जगहों पर होली को तरीके से खुशियां मनाने और बांटने के लिए होली के त्यौहार का स्वागत किया जाता है। होली का त्यौहार दो दिन तक मनाए जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु होगी। इसी ख़ुशी में होली खेलकर मानाने से एक रात पहले महूरत अनुसार होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन खेली जाती है।
200 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः
होली को रंगो के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति में आने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में इस त्यौहार का आगमन होता है। इस त्यौहार को पसंद करने वाले लोग हर साल होली के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। होली एक प्रेम से भरा त्यौहार है जो पूरा परिवार व सभी दोस्त मिलकर मनाते है।
होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी , जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घमंड के कारण हरिण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्योकि वे विष्णु भगवान कि पूजा में विश्वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब न हो पाई।
होली पर निबंध 300 शब्दों में
होली: रंगों का त्योहार
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होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है, जो बसंत ऋतु में मनाया जाता है । प्रकृति में रंग-बिरंगे फूल बसंत के आगमन का मानो हृदय से स्वागत करते हैं। बसंत के रंगों का प्रतीक बनकर यह त्योहार हर साल फागुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसीलिए फागुन का महीना मौज-मस्ती का महीना कहा जाता है।
भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या किस्सा प्रच्वलित होता है। होली मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी था, जो ख़ुदको भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया था कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात ना मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही अपने को लगाए रहा। पिता की क्रोध की सीमा न रही हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल ना हो सका। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम था होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोदी में बिठा कर आग लगा दी गई पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रह्लाद तो बच गया पर होलिका जल गई।इसी घटना की याद में हर साल रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
होली का त्यौहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने अपने गांव,मोहल्ले में उपलो,लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं । फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज की बाली भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं।
होलिका दहन अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं।सड़कों पर मस्त युवकों की टोली गाती बजाती निकलती है। एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।
इसी प्रकार होली एक ऐसा पवित्र त्यौहार है। जिसमें छोटे-बड़े ,अमीर-गरीब आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं।प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को गले लगा लेता है। लोग पुरानी से पुरानी शत्रुता भी होली के दिन भुला देते हैं।
होली पर निबंध 500 शब्दों में
500 शब्दों में होली पर निबंध इस प्रकार हैः
मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।
राग-रंग का पर्व होली हिंदुओं का लोकप्रिय पर्व है। होली आनंद उत्साह का, मौज, मस्ती और रंगों से सराबोर महोत्सव है। वास्तव में होलिका दहन और होलिकोत्सव, नास्तिकता पर आस्तिकता का, बुराई पर भलाई का, पाप पर पुण्य का तथा दानवता पर देवत्व की विजय का मांगलिक पर्व है ।
होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह पर्व बसंत के आगमन का संदेशवाहक है। यह त्यौहार पूर्णिमा से पूर्व बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोपियों के साथ रास रचाया तब से होली का प्रचलन हुआ, परंतु होली के विषय में सबसे प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है
प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक अत्यंत बलशाली राजा था। अपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। वो चाहता था कि उसकी प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करे, परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था । हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद का वध करने के अनेक उपाय किए, परंतु वह सफल ना हो सका। फिर उसने प्रहलाद को आग में जलाकर मार डालना चाहा। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था।होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती। हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर में बैठ गई। उस ढेर में आग लगा दी गई परंतु भगवान की लीला तो अद्भुत है ।जिस होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, वह तो जल गई और प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ।
फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन स्त्रियां व्रत रखती है और होली पूजने जाती है। किसी चौक में अथवा खुले स्थान पर लकड़ियों के ढेर या उपलो से होली बनाई जाती है। रात्रि के समय निश्चित समय पर होलिका जलाई जाती है और होली की आग में गेहूं तथा चने की बालियां डाली जाने की परंपरा है। इसे होलिका दहन कहते हैं।
होली से अगला दिन अर्थात चैत्र की प्रतिपदा को लोग रंग खेलते हैं। इसे धुलैंडी कहते हैं । लोग एक दूसरे से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगाते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, बालक-वृद्ध के बीच की सीमा टूट जाती है, और सभी खुले भाव से एक दूसरे का सत्कार ,आदर करते हुए इस पर्व का आनंद लेते है।
वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है। सूरदास, नंददास आदि कृष्ण भक्त कवियों ने श्री कृष्ण और राधा के होली खेलने का बड़ा ही मनोहर वर्णन अनेक पदों में किया है। आज भी वृंदावन की कुंज गलियों में जब सुनहरी पिचकारियों से रंग बिरंगे फव्वारे छूटते है तथा गुलाल बिखरता है तो स्वयं देवता भी भारत भूमि में जन्म लेना चाहने लगते हैं। देश विदेश से अनेक लोग वृंदावन की होली देखने आते हैं।
बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आजकल होली का रूप बिगड़ गया है। लोग रासायनिक रंगों का प्रयोग करने लगे हैं, बच्चे गुब्बारे मारते हैं। कुछ लोग कीचड़ आदि भी डालते हैं। अनेक व्यक्ति शराब,गांजा,भांग,चरस आदि का सेवन करते हैं, गंदे गाने गाते हैं तथा गाली-गलौज करते हैं। हमें शीघ्र-अतिशीघ्र इस त्यौहार से इन बुराइयों को दूर करना चाहिए तभी हम होली जैसे पवित्र त्यौहार कि पवित्रता को संजो के रख सकते है।
होली प्रेम व भाईचारे का त्यौहार है, रंगों का त्यौहार है, हर्षोल्लास का त्यौहार है। होली का गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। होली मनुष्यों को आपस में जोड़ने का त्यौहार है कवि मैथिलीशरण गुप्त होली का सजीव चित्रण इन पंक्तियों में प्रकट करते हैं:
काली- काली कोयल बोली, होली, होली, होली । फूटा यौवन फाड़ प्रकृति की पीली, पीली, चोली। ।
होली का त्योहार भारत ही बल्कि कई देशों में काफी महत्व रखता है। भारत में मथुरा की होली को विश्व प्रसिद्ध होली माना जाता है। होली के त्योहार पर हम सब एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और एक-दूसरे को बधाई देकर बुराई पर अच्छाई की विजयी याद करते हैं।
Holi Essay in Hindi for Class 2 इस प्रकार हैः
होली भारत और नेपाल में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला कार्यक्रम है । रंगों का त्योहार, जो मार्च में होता है, रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली तीन दिनों तक मनाई जाती है, जिसमें होली पूर्णिमा (पूर्णिमा का दिन) सबसे पहले होती है। पुनो का दूसरा दिन, या छोटी होली। पर्व, या होली दिवस, त्योहार का तीसरा दिन है। लोग इस दिन सफेद कपड़े पहनते थे और जमीन पर इकट्ठा होते थे। इस त्योहार के लिए वे प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं और पेंटिंग गन से खेलते हैं। वे मीठी लस्सी पीते हैं और तरह-तरह के खोया, मावा और पिस्ता से बनी मिठाइयां खाते हैं।
Essay on Holi in Hindi Class 4 यहां बताया जा रहा हैः
भारत, कई अलग-अलग भाषाओं, जातियों, परंपराओं, विचारधाराओं, संस्कृतियों, विश्वासों, धर्मों आदि के साथ एक राष्ट्र के रूप में साल भर त्योहारों की अधिकता रखता है। यह वास्तव में भूमि और विविधता की एक इकाई है। होली भारत में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो न केवल यहां बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है और वास्तव में भारत की संस्कृति और मान्यताओं से प्रेरित और प्रभावित है। मूल रूप से यह रंगों, उल्लास और खुशियों का त्योहार है। इतना ही नहीं, त्योहार हमारे चारों ओर बसंत के मौसम की शुरुआत की टिप्पणी करता है और इसीलिए लोग रंगों या गुलाल से होली खेलते हैं, चंदन लगाते हैं, पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं जो केवल होली के अवसर पर बनाए जाते हैं और निश्चित रूप से, भूलने के लिए नहीं ठंडाई का प्रसिद्ध पेय। लेकिन जैसा कि हम इस होली निबंध में गहराई से उतरते हैं, ऐसा लगता है कि इसमें असंख्य अर्थ और ऐतिहासिक हैं।
भारत के हर राज्य में होली खेलने या मनाने का अपना अलग तरीका है। साथ ही रंगों और खुशियों के इस त्योहार को मनाने के पीछे हर किसी या हर समुदाय के लिए मायने बदल जाते हैं. आइए अब इस होली निबंध में होली मनाने के कुछ कारणों के बारे में जानें। कुछ लोगों और समुदायों के लिए, होली और कुछ नहीं बल्कि राधा और कृष्ण द्वारा मनाया जाने वाला प्रेम और रंगों का एक शुद्ध त्योहार है – एक ऐसा प्रेम जिसका कोई नाम, आकार या रूप नहीं है। अन्य इसे एक कहानी के रूप में देखते हैं कि कैसे हम में अच्छाई अभी भी बुराई पर विजय प्राप्त करती है। दूसरों के लिए, होली फुरसत, खिलवाड़, क्षमा और करुणा का भी समय है। होली के अनुष्ठान तीन दिनों तक चलते हैं, पहले दिन अलाव द्वारा प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होता है और दूसरे और तीसरे दिन रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य, भोजन और आशीर्वाद के त्योहार के साथ समाप्त होता है।
Essay on Holi in Hindi Class 5
Essay on Holi in Hindi Class 5 यहां दिया जा रहा हैः
होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।
होली की कहानी और किंवदंती दानव राजा हिरण्यकश्यप के समय की है। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में जाने के लिए कहा ताकि उसका पुत्र भगवान विष्णु के बजाय उसकी पूजा करे। होलिका लपटों और आग के लिए प्रतिरोधी हो सकती है। होलिका तब राख में बदल गई जब वह प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में आगे बढ़ी, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया क्योंकि होलिका का श्राप तभी काम करता जब वह अकेले यानी अकेले आग में शामिल होती। तब से, इस दिन को भारत में होली के रूप में जाना जाता है, और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान, लोगों ने होलिका की मृत्यु के उपलक्ष्य में अलाव जलाया।
दिन भर के उत्साह के बाद लोग शाम को दोस्तों और परिवार के साथ खान-पान और शुभकामनाएं साझा करते हुए बिताते हैं। कहा जाता है कि होली सभी के मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है। त्योहार के दिन की शुरुआत तरह-तरह के व्यंजनों की तैयारी के साथ होती है। लोग एक-दूसरे को गुलाल, पानी के रंग और गुब्बारों से रंगते हैं। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि हर कोई अपनी शर्म को छोड़कर मस्ती में शामिल होने का फैसला करता है। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे को ‘हैप्पी होली’ की शुभकामनाएं देते हैं। कई हाउसिंग सोसाइटी अपने लॉन में होली का आयोजन करती हैं। पूरे लॉन को ढकने के लिए पीले, हरे, लाल, गुलाबी, ग्रे और बैंगनी जैसे चमकीले और सुंदर रंगों का उपयोग किया जाता है। यह बताना मुश्किल है कि कौन कौन है क्योंकि हर कोई अलग-अलग रंगों के कपड़े पहने हुए है।
होली फाल्गुन के महीने में मनाया जाने वाला प्यार और खुशी का एक हिंदू त्योहार है जो गेंहू की फसल से भी मेल खाता है और धन और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है। वसंत का मौसम सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है; नतीजतन, वसंत जलवायु विशेष रूप से सुखद होती है, खासकर जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। नतीजतन, होली को प्रकृति की वसंत सुंदरता और समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
होली रंगों का त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होली को न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं जो इसे और भी रोचक और महत्वपूर्ण बनाती हैं। सबसे लोकप्रिय किंवदंती कहती है कि राजा हिरण्यकशिपु का अपने पुत्र प्रह्लाद के साथ विवाद हो गया था क्योंकि प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा करने पर जोर दिया था। इससे राजा नाराज हो गया और उसने अपने बेटे को मारने का फैसला किया।
हिरण्यकश्यप ने अपने भतीजों को प्रह्लाद को आग में फेंकने के लिए कहा क्योंकि वह उसके राज्य के लिए खतरा था। उनके भतीजे उनके प्रति वफादार थे, इसलिए उन्होंने प्रह्लाद को लकड़ी के एक टुकड़े से बांधकर आग में फेंक दिया। हालांकि, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने उसके साथ जलती चिता पर बैठकर उसे बचा लिया।
होली पर आधारित अन्य ब्लॉग्स
हरिण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था की वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हरिण्यकश्यप ने आदेश दिया की होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई , पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।
जो कीटाणुओं को प्रसार करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। ऐसे में रंगों का प्रयोग रोग फैलाने वाले कीटाणुओं के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। दूसरी ओर रंग लगने पर शरीर की सफाई अच्छे से हो पाती है जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
भूमिका : होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। … हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं।
होली का उत्सव होलिका दहन अनुष्ठान के साथ शुरू होता है जो कि होलिका, दुष्ट दानव, और उस अग्नि से भगवान विष्णु द्वारा प्रह्लाद की रक्षा के सम्मान में मनाया जाता है। लोग लकड़ी इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर गीत गाकर खुशियां मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। होली के दूसरे दिन को छोटी होली या नंदी होली के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है “रंगों से खेलना”। लोग समूहों में इकट्ठा होते हैं और एक दूसरे पर रंगों से खेलते हैं। परंपरागत रूप से, महिलाएं पुरुषों पर सुगंधित रंग डालती हैं और बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन पाउडर फेंकते हैं। होली के तीसरे दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं और फिर दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं। वे प्यार के प्रतीक के रूप में मिठाइयों और नमकीन का आदान-प्रदान करते हैं। यह दिन होली समारोह के अंत का प्रतीक है। होली पूरे भारत और दुनिया भर में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है। त्योहार में आम तौर पर गायन, नृत्य, रंगों और पिचकारी (पानी की बंदूकें) के साथ खेलना और गुजिया और लड्डू जैसे व्यंजनों का आनंद लेना शामिल होता है।
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Holi Essay in Hindi: होली पर आकर्षक निबंध
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Holi Essay in Hindi: त्योहार भारतीय जीवन-शैली का एक अटूट हिस्सा है, जहां विभिन्न प्रकार के रंगीन और विविध त्योहारों का आयोजन होता है। इनमें से होली, जो साथी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का महत्वपूर्ण पर्व है, विशेष महत्व रखती है। होली, जो भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जीवन के उत्साह, खुशी, और उमंग को बढ़ावा देने में मदद करती है। होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) में हमने होली के इस महत्वपूर्ण पर्व के सभी पहलुओं की जानकारी प्रदान की है। यह आशा है कि इस होली के निबंध का उपयोग वे छात्र भी करेंगे जो होली हिंदी होली पर निबंध तैयार करना चाहते हैं या होली पर निबंध के लिए सामग्री खोज रहे हैं।
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होली पर निबंध 100 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)
होली हिंदी होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है। यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का त्योहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।
होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।
होली पर निबंध 200- 300शब्दों में (Holi Essay in Hindi)
होली सबसे रंगीन और प्रसिद्ध भारतीय त्योहारों में से एक है। यह दर्शाता है कि वसंत आ गया है और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है। लोग इस त्योहार पर एक दूसरे को रंगों और पानी से रंगते हैं, जिसे “रंगों का त्योहार” भी कहा जाता है। होली पर लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर एक दूसरे पर पानी और रंग फेंकते हैं। वे ढोल बजाकर गाते और नाचते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। यह त्योहार पिछले दुखों को भूलने और माफ करने और नए दोस्त बनाने और पुराने लोगों के साथ रिश्तों को मजबूत करने का भी समय है।
होली एक खुशनुमा और मस्ती भरा त्योहार है, लेकिन इसके कई धार्मिक और सांस्कृतिक मायने भी हैं। ऐसा माना जाता है कि यह हिंदू पौराणिक कथाओं से आया है, जहां भगवान विष्णु ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को हराया था। भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा के बीच प्रेम भी त्योहार से जुड़ा हुआ है। होली एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत में बहुत सारी ऊर्जा और खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग त्योहार में एक साथ मिलते हैं, जो एकता, सद्भाव और खुशी को बढ़ावा देता है। यह समय अपनी सभी चिंताओं को दूर करने और जीवन का पूरा आनंद लेने का है।
होली का इतिहास होली के त्यौहार का जिक्र पुराने ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। इससे हमें होली के त्यौहार का महत्त्व और प्राचीनता का आभास भी होता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है। पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था। जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया, जिसके बाद ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप हिरण्यकश्यप को ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से मारा जा सकता था।
होली पर निबंध 350 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)
होली, भारतीय सांस्कृतिक कला और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जो भारत और भारतीयों के लिए विशेष महत्व रखता है। होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है।
इस अद्वितीय त्योहार की महत्वपूर्ण धारा रंग का खेल है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर विभिन्न रंगों का पाउडर फेंकते हैं और खुशियों का इज़हार करते हैं। होली का महत्व न केवल एक त्योहार मात्र है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है और यह दुनिया भर के लोगों के लिए एक रंगीन और आनंददायक त्योहार के रूप में पहचाना जाता है।
होली का महत्व
होली का महत्व भारतीय समाज के लिए गहरा है और यह एक ऐसा त्योहार है जिसे लोग साल भर बेताबी से इंतजार करते हैं। यह त्योहार विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ मिलकर मनाया जाता है, और इसके तहत लोग अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं।
होली के त्योहार का महत्व हिन्दू पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक कथा है, जिसमें होली को हिरण्यकशिपु के खिलवाड़े और प्रह्लाद के भक्ति की जीत के रूप में मनाने का प्रतीक माना जाता है। हिरण्यकशिपु, एक दुष्ट राक्षस राजा थे, जो भगवान विष्णु के खिलवाड़े से डरते थे। वे अपने पुत्र प्रह्लाद के भक्ति को बंद करने का प्रयास करते थे, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु के प्रति अपनी अद्भुत श्रद्धा में अटल रहे। होली के दिन, हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रह्लाद को उसके साथ बांधकर आग में डालने की कोशिश की, लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद बिना कोई कष्ट उठाए बच गए। होली के इस घड़ीघड़ी मोमें, होलिका जलकर मर गई, जबकि प्रह्लाद अस्तित्व में बने रहे। इसी प्रकार, होली का त्योहार भक्ति और सच्चे दर्शन की जीत का प्रतीक बन गया, और यही कारण है कि होली को विजय दिवस के रूप में भी मनाते हैं।
इसके अलावा, होली का महत्व भारतीय ऋतुओं के माध्यम से भी जुड़ा हुआ है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो भारत में बसंत ऋतु की आगमन का समय होता है। बसंत ऋतु के साथ आती हैं खुशियों की बहार और फूलों की महक, और होली इस ऋतु का आगाज़ और खुशियों का स्वागत करने का एक तरीका होता है। इसलिए, होली का महत्व भारतीय जीवन में बसंत के आगमन के साथ जुड़ा हुआ है और यह एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है।
होली का आयोजन
होली का आयोजन विभिन्न तरीकों से भारत के विभिन्न हिस्सों में किया जाता है, और हर स्थान पर इसे अपने तरीके से मनाया जाता है। होली के पहले दिन, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है, लोग होलिका के मूर्ति को आग में जलाते हैं। इसके पीछे का सन्देश है कि बुराई का अंत हमेशा अच्छाई की जीत पर होता है।
होली के दूसरे दिन, लोग रंगों के साथ खेलने और एक-दूसरे को रंगने का आनंद लेते हैं। यह दिन गुलाल, अबीर, और अन्य रंगीन पाउडर के साथ खेलने का होता है। होली के इस रंगीन खेल में लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आनंद और खुशी का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही, लोग विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयों का स्वाद लेते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का साथ मनाते हैं।
कुछ स्थानों में, होली के खेल में संगीत और नृत्य का आनंद लिया जाता है। लोग रंगीन वस्त्र पहनकर नृत्य करते हैं और गीतों का आनंद लेते हैं।
होली के खास पकवान
होली के खास पकवान और मिठाइयाँ इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। गुझिया, मालपुआ, दही-बड़े, और मिठाई जैसे विभिन्न पकवान खाए जाते हैं। इन पकवानों का आनंद लेना होली के त्योहार को और भी मजेदार बनाता है।
निषेध: खतरनाक रंगों का उपयोग
होली के खेल में खतरनाक या हानिकारक रंगों का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे रंगों का उपयोग करने से क्षति हो सकती है और त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, हमें होली के खेल में सुरक्षित और प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए।
होली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह एक अद्वितीय त्योहार है जो खुशियों की खोज में लोगों को जोड़ता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ आनंद और खुशी का साथ मनाते हैं, और वे अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं। होली का महत्व भारतीय संस्कृति, परंपरा, और रंगीनता का प्रतीक है, और यह एक त्योहार के रूप में विश्वभर के लोगों के लिए बहुत खास है। इसलिए, होली का त्योहार भारतीय समाज में गहरा महत्व रखता है और यह एक खुशी और एकता भरा समाजिक त्योहार होता है।
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होली पर निबंध FAQs
होली के बारे में निबंध कैसे लिखें.
होली के बारे में निबंध लिखते समय, पहले होली का महत्व और इसका इतिहास पर बताएं, फिर इस त्योहार के विभिन्न पहलुओं और महत्व को विस्तार से व्यक्त करें।
होली क्यों मनाई जाती है 10 लाइन?
होली को मनाई जाती है क्योंकि यह वसंत ऋतु का स्वागत करने और रंग-बिरंगे जीवन की खुशियों का प्रतीक है, साथ ही हिन्दू धर्म में प्रेम, भाईचारा और सामाजिक मेलजोल को प्रमोट करने का मौका प्रदान करता है।
होली पर क्या लिखें?
होली पर रंगों का खेल और खुशियों का त्योहार मनाते हुए सभी को प्यार और खुशियाँ बांटने की शुभकामनाएं!
होली पर निबंध होली कैसे मनाई जाती है?
होली को भारत में फागुन माह के पूनम के दिन रंगों और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग रंग फेंककर आपसी खुशियों का जश्न मनाते हैं।
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