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जवाहर लाल नेहरू पर निबंध (Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi)

जवाहर लाल नेहरु

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में कश्मीरी पंडित के एक समृद्ध परिवार में हुआ। इनके पिता मोतीलाल नेहरू शहर के जाने माने वकील थे तथा माता स्वरूपरानी नेहरू का संबंध लाहौर के एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से था। बच्चों से अत्यधिक प्रेम होने के वजह से इनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi, Jawaharlal Nehru par Nibandh Hindi mein)

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध – 1 (300 शब्द).

स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तथा उसके बाद भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 में हुआ। लोगों के अनुसार पढ़ाई में इनका विशेष रुझान था। नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन तथा इसी प्रकार के अनेक महत्वपूर्ण आन्दोलन में महात्मा गाँधी के कंधे से कंधा मिला कर जवाहर लाल नेहरू ने भाग लिया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जवाहर लाल नेहरू ने 13 वर्ष की उम्र तक अपने घर पर रह कर ही हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। अक्टूबर 1907 में नेहरू ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज गए और वहां से 1910 में प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। इस अवधि के दौरान उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा साहित्य का भी अध्ययन किया।

बर्नार्ड शॉ, वेल्स, जे. एम. केन्स, मेरेडिथ टाउनसेंड के लेखन ने उनके राजनैतिक सोच पर गहरा असर डाला। 1910 में अपनी डिग्री पूर्ण करने के पश्चात नेहरू कानून की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए और ‘इनर टेम्पल इन’ से वकालत किया।

स्वतंत्र भारत के लिए संघर्ष और सफलता

7 अगस्त 1942 मुम्बई में हुई कांग्रेस कमेटी की बैठक में नेहरू के ऐतिहासिक संकल्प “भारत छोड़ो” के वजह से नेहरू को एक बार फिर गिरफ्तार किया गया। यह अंतिम मौका था जब वह जेल जा रहें थे। इस बार नेहरू की गिरफ्तारी लंबे समय के लिए हुई। अपने पूरे जीवन काल में वह देश की सेवा करने के वजह से नौ बार जेल जा चुके हैं।

1929 लाहौर अधिवेशन के पश्चात, नेहरू देश के बुद्धिजीवी तथा युवा नेता के रूप में उभरे। भारतीय नेता के रूप में उन्होंने अपनी भूमिका अनेक यातनाएं सह कर निभाई है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Pandit Jawaharlal Nehru par Nibandh

Pandit Jawaharlal Nehru par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

नेहरू का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण के एक ऐसे परिवार में हुआ था जो उनकी प्रशासनिक योग्यता और विद्वत्ता के लिए प्रसिद्ध थे। इनके पिता मोती लाल नेहरू पेशे से वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे। आगे चल कर नेहरू महात्मा गाँधी के प्रमुख सहयोगी में से एक बने। उनकी आत्मकथा में भारतीय राजनीति के प्रति उनकी जिवांत रुचि का पता चलता है।

जवाहर लाल नेहरू राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में

जवाहर लाल नेहरू ने 1912 में बांकीपुर पटना में कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। स्थिति सुस्त और निराशाजनक होने के वजह से उन्होंने तिलक और एनी बेसेंट द्वारा होम रूल लीग के साथ अपना राजनैतिक जुड़ाव शुरू किया। 1916 में राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू की गांधी जी से मुलाकात हुई और वह उनके शालीन व्यक्तित्व से अत्यधिक प्रभावित हुए।

जवाहर लाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद, नगर निगम विभाग के अध्यक्ष बने। दो साल के कार्यकाल के उपरांत 1926 में इस पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। तत्पश्चात 1926 से 1928 तक कांग्रेस समीति के महासचिव के रूप में नेहरू ने कार्यभार संभाला। दिसम्बर 1929 लाहौर, कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में नेहरू पार्टी के अध्यक्ष नियुक्त हुए। इसी वर्ष में इन्होनें पूर्ण स्वराज की मांग किया।

नेहरू तथा भारत के लिए महत्वपूर्ण सत्र

1935 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। नेहरू इस चुनाव का हिस्सा नहीं थे पर ज़ोरो-शोरों से पार्टी का प्रचार-प्रसार करने लगे इसके परिणाम में कांग्रेस को लगभग हर प्रांत से जीत हासिल हुई। नेहरू 1935-1936 के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई तथा 1945 में उन्हें रिहा कर दिया गया। 1947 में भारत पाकिस्तान विभाजन के समय उन्होंने ब्रिटिश सरकार से वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में

जब से महात्मा गांधी ने नेहरू को लाहौर में कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष के रूप में चुना तब से जवाहर लाल नेहरू का प्रधानमंत्री बनना यह तय था। वोटो की संख्या कम होने के बाद भी नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। इसके बाद उनके आलोचकों ने जमकर उनकी निंदा की पर उन्होंने अपने पद पर रहते हुए अपने शक्तियों का उचित प्रयोग कर देश के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।

प्रधानमंत्री पद पर नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका

1947 में ब्रिटिश सरकार ने लगभग 500 छोटे-बड़े रियासतों को आज़ाद किया। इन सभी रियासतों को पहली बार एक झण्डे के नीचे लाना चुनौतीपूर्ण कार्य था पर नेहरू ने अन्य महापुरुषों के मदद से इस कार्य में सफलता प्राप्त किया। आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरू का विशेष योगदान है। उनके नीतियों के परिणाम स्वरूप आज पंचवर्षिय योजना के माध्यम से कृषि तथा उद्योग में विकास देखा जा सकता है।

नेहरू के राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव तथा देश के हित में लिए गए निर्णय के फलस्वरूप गर्व से कहा जा सकता है स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री का पद उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर मिला है।

Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

जवाहर लाल नेहरू के पंडित होने के वजह से लोग उन्हें पंडित नेहरू भी पुकारते थे तथा भारत में उनकी लोकप्रियता होने के वजह से भारतीय उन्हें चाचा नेहरू कहकर भी बुलाते थे। तीन भाई बहनों में जवाहर लाल नेहरू अकेले भाई थे, इनके अलावां इनकी दो बहने थीं। एक विजय लक्ष्मी पंडित तथा दूसरी कृष्णा हुतेसिंग।

नेहरू एक निपुण लेखक के रूप में

समस्त राजनीतिक विवादों से दूर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की नेहरू एक उत्तम लेखक थे। उनकी ज्यादातर रचना जेल में ही लिखी गई हैं, पिता के पत्र : पुत्री के नाम (1929), विश्व इतिहास की झलक (1933), मेरी कहानी (नेहरू की ऑटो बायोग्राफी – 1936), इतिहास के महापुरुष, राष्ट्रपिता, भारत की खोज (Discovery of India – 1945) यह कुछ महान रचनाएं नेहरू के कलम से लिखी गई। यह आज भी लोगों के मध्य उतनी ही लोक प्रिय है जितना की उस वक्त थीं।

नेहरू का देश हित में निर्णायक निर्णय

कांग्रेस समीति का वार्षिक सत्र 1928-29, मोतीलाल नेहरू के अध्यक्षता में आयोजित किया गया। उस समय पर मोतीलाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के अंदर ही प्रभुत्व संपंन राष्ट्र का दर्जा पाने की मांग की। जबकि जवाहर लाल नेहरू तथा सुबास चंद्र बोस ने पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग की। यहां पहली बार जवाहर लाल नेहरू अपने पिता के निर्णय का विरोध कर रहें थे। यह स्वतंत्र भारत के लिए उचित निर्णय था।

नेहरू की आलोचना

कुछ लोगों के अनुसार, गाँधी जी के वजह से नेहरू को प्रधानमंत्री का पद मिला। माना जाता है की कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालेगा यह तय था। इसके बाद भी गाँधी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत अन्य योग्य नेताओं के स्थान पर नेहरू को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना। जो भी हो नेहरू ने अपने पद के महत्व को समझते हुए अनेक बेहतर प्रयास कर आधुनिक भारत का निर्माण किया है।

चाचा नेहरू का जन्म दिवस, बाल दिवस के रूप में

चाचा नेहरू का बच्चों के प्रति असीम प्रेम के वजह से 14 नवम्बर, नेहरू का जन्म दिवस, को बाल दिवस के रूप में देश के सभी विद्यालयों में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों को ख़ास महसूस कराने के लिए विद्यालय में विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिता तथा खेल का आयोजन किया जाता है।

जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु

नेहरू ने 50 की दशक में कई राजनैतिक, आर्थिक तथा समाजिक निर्णय देश के आने वाले आधुनिक कल को सोच कर लिए। 27 मई 1964 की सुबह उनकी तबीयत खराब हुई तथा दोपहर 2 बजे तक उनका निधन हो गया।

पंडित नेहरू ने अपनी वसीयत में लिखा था- “मैं चाहता हूँ कि मेरी मुट्ठीभर राख को प्रयाग संगम में बहा दिया जाए जो हिंदुस्तान के दामन को चुमते हुए समंदर में जा मिले, लेकिन मेरी राख का ज्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखेर दिया जाए, वो खेत जहां हजारों मेहनतकश इंसान काम में लगे हैं, ताकि मेरे वजूद का हर जर्रा वतन की खाक में मिल जाए..”

जाने माने तथा समृद्ध परिवार से संबंध होने के फलस्वरूप नेहरू का पालन पोषण बहुत ही नाजो से किया गया था। इसके बाद भी वह अपने देश की मिट्टी से जुड़े हुए थे। बच्चों में लोक प्रियता के वजह से लोग उन्हें चाचा नेहरू कह कर संबोधित करते हैं।

Jawaharlal Nehru Essay

FAQs: जवाहरलाल नेहरू पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू की जयंती भारत में बाल दिवस के रूप में मनाई जाती है।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू पेशे से वकील थे। तथा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ था।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू 1947 से 1964 तक 18 वर्षों तक भारत के प्रधान मंत्री रहे।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू के स्मारक को ‘शांतिवन’ कहा जाता है।

उत्तर. ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिया गया प्रसिद्ध भाषण था।

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध 10 lines (Jawaharlal Nehru Essay in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, words

an essay on jawaharlal nehru in hindi

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi – पंडित जवाहरलाल नेहरू सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे और स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। चूंकि वह देश के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक शख्सियत थे, इसलिए बच्चों को उनके व्यक्तित्व और योगदान के बारे में पढ़ाया जाता है। उन्हें अक्सर एक संक्षिप्त नोट या जवाहरलाल नेहरू निबंध के रूप में जवाहरलाल नेहरू के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखने के लिए कहा जाता है। यहां जवाहरलाल नेहरू पर लंबी और छोटी पं के रूप में कुछ पंक्तियां दी गई हैं। जवाहरलाल नेहरू निबंध दिया जाता है। 

जवाहरलाल नेहरू पर अनुच्छेद छात्रों के लिए न केवल हिन्दी में पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध लिखने में बल्कि हिंदी में पंडित जवाहरलाल पर निबंध लिखने में भी सहायक होगा।

जवाहर लाल नेहरू पर 10 लाइन निबंध (10 Lines Essay on Jawahar Lal Nehru in Hindi)

  • 1) पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
  • 2) पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडितों के समुदाय से संबंधित थे।
  • 3) पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 1889 में इलाहाबाद में हुआ था।
  • 4) नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व थे।
  • 5)पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था।
  • 6) पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • 7) बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे।
  • 8) पंडित नेहरू महात्मा गांधी के अनुयायी थे।
  • 9)पंडित जवाहरलाल नेहरू ने “डिस्कवरी ऑफ इंडिया” पुस्तक लिखी।
  • 10) 1955 में, जवाहरलाल नेहरू को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

जवाहरलाल नेहरू पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

15 अगस्त, 1947 को देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के पहले प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज के रूप में जाना जाता है) में हुआ था। उनका जन्मदिन भारत में “बाल दिवस” ​​​​के रूप में मनाया जाता है क्योंकि उनका बच्चों के साथ मधुर संबंध था। उनके पिता एक वकील के रूप में काम करते थे। नेहरू उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्होंने भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ी थी। महात्मा गांधी की मान्यताओं पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने गांधी के साथ मुक्ति संग्राम में भाग लेते हुए कानूनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी स्वतंत्रता सक्रियता के लिए कई बार जेल में बिताया। बाद में, 1929 में, उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सेवा देने के लिए चुना गया।

जवाहरलाल नेहरू पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनके पास उत्कृष्ट दृष्टि थी, और वे एक राजनीतिज्ञ, एक लेखक और एक नेता भी थे। उन्होंने हमेशा देश को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात काम किया क्योंकि वह चाहते थे कि भारत समृद्ध हो। जवाहरलाल नेहरू एक दूरदर्शी नेता थे। उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही वह थी “आराम हराम है”।

उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के लिए लंदन की यात्रा की। उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की और लंदन के इनर टेंपल में अभ्यास करना शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए, उन्होंने भारत वापस यात्रा की। उन्होंने 1942 और 1946 के बीच कैद के दौरान डिस्कवरी ऑफ इंडिया लिखी।

शांतिप्रिय होने के बावजूद, जवाहरलाल नेहरू ने देखा कि कैसे अंग्रेजों ने भारतीयों को गाली दी। परिणामस्वरूप उन्होंने मुक्ति आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया। उन्होंने अपने राष्ट्र के प्रति जुनून के कारण महात्मा गांधी से हाथ मिलाया। वह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।

आजादी की लड़ाई में उन्हें कई बाधाओं को पार करना पड़ा। यहां तक ​​कि उन्होंने काफी समय जेल में भी बिताया। हालांकि, उन्होंने राष्ट्र के प्रति अपना स्नेह नहीं खोया। उन्होंने एक बहादुर लड़ाई लड़ी, जिससे आजादी मिली। जवाहरलाल नेहरू ने भारत के पहले प्रधान मंत्री का पद जीतने के लिए कड़ी मेहनत की।

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जवाहरलाल नेहरू पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi जवाहरलाल नेहरू मोतीलाल नेहरू नाम के एक प्रमुख वकील के पुत्र थे। जवाहरलाल नेहरू का जन्म 1889 में 14 नवंबर को इलाहाबाद, भारत में हुआ था। उन्हें बाद में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनका परिवार बहुत प्रभावशाली राजनीतिक परिवार था जहाँ उन्होंने अपना प्रारंभिक अध्ययन प्राप्त किया और उच्च अध्ययन के लिए हैरो स्कूल और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में इंग्लैंड गए और एक प्रसिद्ध वकील के रूप में भारत लौट आए। 

उनके पिता एक वकील थे लेकिन एक प्रमुख नेता के रूप में राष्ट्रवादी आंदोलन में भी रुचि रखते थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू भी महात्मा गांधी के साथ देश के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और कई बार जेल गए। उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें पहला भारतीय प्रधान मंत्री बनने और देश के प्रति सभी जिम्मेदारियों को समझने में सक्षम बनाया। उन्होंने 1916 में कमला कौल से शादी की और 1917 में इंदिरा नाम की एक प्यारी सी बच्ची के पिता बने।

1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना के बाद उन्होंने अंग्रेजों से भारत के लिए लड़ने की कसम खाई। अपने कार्यों के लिए आलोचना झेलने के बाद भी वे स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बने। वह 1947 से 1964 तक भारत के सबसे लंबे समय तक और पहले प्रधान मंत्री बने। अपने महान कार्यों से देश की सेवा करने के बाद, स्ट्रोक की समस्या के कारण वर्ष 1964 में 27 मई को उनका निधन हो गया। वह एक लेखक भी थे और उन्होंने अपनी आत्मकथा टूवार्ड फ्रीडम (1941) सहित कई प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं।

जवाहरलाल नेहरू पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi – पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्ति, नेता, राजनीतिज्ञ, लेखक और वक्ता थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे और गरीब लोगों के बहुत अच्छे दोस्त थे। उन्होंने हमेशा खुद को भारत के लोगों का सच्चा सेवक समझा। उन्होंने इस देश को एक सफल देश बनाने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत की। वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और इस प्रकार उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा गया। भारत में कई लोग महान पैदा हुए और चाचा नेहरू उनमें से एक थे। वह महान दृष्टि, ईमानदारी, कठिन परिश्रम, ईमानदारी, देशभक्ति और बौद्धिक शक्तियों वाले व्यक्ति थे।

वह “अराम हराम है” के रूप में एक प्रसिद्ध नारा के दाता थे। वह राष्ट्रीय योजना आयोग के पहले अध्यक्ष बने और दो साल बाद उन्होंने भारतीय लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद की शुरुआत की। उनके मार्गदर्शन में 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना शुरू की गई और लागू की गई। उन्हें बच्चों से बहुत लगाव था इसलिए उन्होंने उनकी वृद्धि और विकास के लिए कई रास्ते बनाए। बाद में भारत सरकार द्वारा बाल दिवस को उनके जन्मदिन की सालगिरह पर बच्चों की भलाई के लिए हर साल मनाया जाने की घोषणा की गई। वर्तमान में, उनकी जयंती पर मनाए जाने के लिए भारत सरकार द्वारा बाल स्वच्छता अभियान नाम से एक और कार्यक्रम शुरू किया गया है।

उन्होंने हमेशा अछूतों, समाज के कमजोर वर्गों के लोगों के सुधार, महिलाओं और बच्चों के कल्याण के अधिकार को प्राथमिकता दी। भारतीय लोगों के कल्याण के लिए सही दिशा में महान कदम उठाने के लिए “पंचायती राज” प्रणाली पूरे देश में शुरू की गई थी। उन्होंने भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए “पंच शील” प्रणाली का प्रचार किया और भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बना दिया।

जवाहरलाल नेहरू पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

जवाहरलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी के लिए देश के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह एक राजनेता, राजनीतिक नेता और लेखक भी थे जिन्हें आधुनिक भारत के विकास में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, ब्रिटिश भारत में हुआ था। वह एक प्रमुख वकील और राजनीतिज्ञ, मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे। नेहरू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा निजी शिक्षकों के मार्गदर्शन में घर पर प्राप्त की। बाद में उन्होंने लंदन के हैरो स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ उन्होंने इतिहास, राजनीति और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। इसके बाद वे कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए गए, जहाँ उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री हासिल की।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, नेहरू भारत लौट आए और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और तेजी से इसके प्रमुख नेताओं में से एक बन गए। वह असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में अग्रणी व्यक्ति थे। स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और नौ साल से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा।

प्रधान मंत्री के रूप में नेतृत्व

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने। उन्होंने 1964 में अपनी मृत्यु तक, 17 वर्षों तक प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने नए राष्ट्र को आकार देने और इसे एक आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय लोगों के जीवन में सुधार लाने और देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेषकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन में।

परंपरा (legacy)

जवाहरलाल नेहरू की विरासत आज भी भारत में महसूस की जाती है। उन्हें देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और प्रधान मंत्री के रूप में उनके नेतृत्व के लिए याद किया जाता है। उन्हें आधुनिक भारत के विकास में विशेष रूप से शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भी याद किया जाता है। उनका जन्मदिन, 14 नवंबर, बच्चों के प्रति उनके प्यार और स्नेह को पहचानते हुए, उनके सम्मान में भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

लेसन्स हिज लाइफ

शिक्षा का महत्व | जवाहरलाल नेहरू एक उच्च शिक्षित व्यक्ति थे, जो जीवन और समाज को बदलने के लिए शिक्षा की शक्ति में विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने और सभी के लिए शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया। हम उनके उदाहरण से शिक्षा के महत्व और व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में इसकी भूमिका के बारे में सीख सकते हैं।

दृढ़ता की शक्ति | नेहरू ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भागीदारी के लिए कई साल जेल में बिताए। चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपनी लड़ाई को कभी नहीं छोड़ा और इस उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से कभी नहीं डगमगाए। हम उनके उदाहरण से दृढ़ता की शक्ति और अपने विश्वासों के प्रति सच्चे रहने के महत्व से सीख सकते हैं।

लोक सेवा | नेहरू का जीवन भारत के लोगों की सेवा के लिए समर्पित था। उन्होंने उनके जीवन को बेहतर बनाने और एक बेहतर राष्ट्र बनाने के लिए अथक प्रयास किया। हम उनके उदाहरण से सीख सकते हैं कि सार्वजनिक सेवा का महत्व और समाज में बदलाव लाने में इसकी क्या भूमिका है।

नेतृत्व | नेहरू एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने भारत के नए राष्ट्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके पास देश के भविष्य के लिए एक स्पष्ट दृष्टि थी और इसे वास्तविकता बनाने के लिए अथक प्रयास किया। हम उनके उदाहरण से मजबूत नेतृत्व के महत्व और देश के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका से सीख सकते हैं।

जवाहरलाल नेहरू पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई.

उत्तर जवाहरलाल नेहरू का निधन वर्ष 1964 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ था।

प्रश्न 2. पंडित नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष कब बने थे?

उत्तर: पंडित जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1929 – 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस या कांग्रेस के अध्यक्ष बने और लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की।

प्रश्न 3. कांग्रेस में जवाहरलाल नेहरू के गुरु कौन थे?

उत्तर: जब पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए, तो उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रशंसा की, जो बाद में उनके गुरु बने।

प्रश्न 4. जवाहरलाल नेहरू को दी जाने वाली लोकप्रिय उपाधियाँ क्या हैं?

उत्तर: पंडित और चाचा नेहरू जैसी उपाधियों के अलावा, जवाहरलाल नेहरू को भारत के वास्तुकार के रूप में भी जाना जाता था क्योंकि उन्होंने धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, संप्रभु और समाजवादी भारत के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी।

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प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

» पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय «

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प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय

14 नवम्बर 1889 नेहरू जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता मोतीलाल नेहरू और माता स्वरूप रानी नेहरू थे। इनके पिता जी मशहुर बैरिस्टर और समाजवादी थे।

नेहरू जी इकलौते बेटे थे और तीन बहने भी थी। उन्होंने देश-विदेश के नामी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त की थी और इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र में पारंगत हुए।

7 वर्ष इंग्लैंड में रहकर फैबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी विकसित की।

नेहरू जी भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री थे। उनके जन्मदिन को ही बाल दिवस के रूप में देशभर में मनाया जाता है । जवाहरलाल नेहरू जी का जीवन भी अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तरह रहा है।

कहां जाता है कि उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था। जिस कारण बच्चे उन्हें प्यार से चाचा जी कहा करते थे। महात्मा गांधी जी उन्हें अपना शिष्य मानते थे। जवाहर लाल जी के अंदर अपने देश के लिए बहुत प्रेम था।

Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

जवाहर लाल जी को पंडित क्यों कहा जाता था?

कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पंडित नेहरू कहलाये जाते थे।

सन् 1941 में जवाहर लाल जी को स्वतंत्र भारत का प्रधानमंत्री बनने का प्रश्न सुलझ चुका था, वे भारत के सपनों को साकार करने के लिए चल पड़े और भारत के अधिनियम लागू होने के बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के लिए योजना बनाने लगे।

उन्होंने बहुवचनी दलीय को बनाए रखा और अंग्रेजी शासन से भारत को एक गणराज्य देश बना दिया। उन्होंने विदेश नीति में भारत को दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में दिखाया और गैर-निरपेक्ष आन्दोलन में सबसे आगे रहे।

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नेहरू के शासन में कांग्रेस पार्टी 1951, 1957, 1962 के चुनाव लगातार जीतते रहे और 1962 के चीनी-भारत युद्ध में उनके नेतृत्व को असफलता मिली।

Pandit Jawaharlal Nehru History in Hindi

  • सन्-1912: नेहरू जी भारत वापस आए और वकालत शुरू।
  • सन्-1916:  नेहरू जी की शादी “कमला नेहरू” जी के साथ हुई।
  • सन्-1917:   “होमरूल लीग” शामिल हुए।
  • सन्-1919: “ महात्मा गांधी “ जी से मिले और राजनीति में अपना योगदान दिया। जिस समय महात्मा गांधी जी ने रॉलेट एक्ट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था।
  • सन्-(1920-1922): जवाहर लाल नेहरू ने भी असहयोग आन्दोलन में सहयोग दिया और गिरफ्तार भी हुए और कुछ दिनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
  • सन्-1924:   “इलाहाबाद” के अध्यक्ष चुने गये और 2 साल तक कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम किया। 1926 में ब्रिटिश अधिकारियों से सहायता न मिलने पर इस्तीफा दे दिया।
  • सन्-(1926-1928): जवाहर लाल नेहरू ने अखिल भारतीय कांग्रेस के नेता के रूप में कार्य किया।
  • सन्-(1928- 1929): मोतीलाल की अध्यक्षता में कांग्रेस का वार्षिक सत्र का आयोजन किया और तभी जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस ने पूर्ण राजनीतिक की स्वतंत्रता की मांग की जबकि मोतीलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने ब्रिटिश साम्राज्य के अन्दर ही संपन्न राज्य का दर्जा पाने की मांग की।

इन दोनों के बीच की बहस को गांधी जी ने हल निकालने के लिए कहा की ब्रिटेन को भारत के राज्य का दर्जा देने के लिए दो साल का समय दिया जायेगा और यदि ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करेगी।

नेहरू और बोस ने मांग की, कि इस समय को कम करके एक साल का कर दिया जाये जिस पर ब्रिटिश सरकार का कोई फैसला नहीं आया।

  • सन्-1929: दिसम्बर के महीने में कांग्रेस के अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू जी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। तभी पूर्ण स्वराज की मांग भी की गयी थी। ये अधिवेशन लाहौर में हुआ था ।
  • 26 जनवरी 1930: जवाहर लाल नेहरू ने लाहौर में स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया था। गांधी जी ने तभी 1930 में सविनय अवज्ञा नमक आन्दोलन की शुरुआत की ओर वो इतना सफल हुआ की ब्रिटिश को एक महत्वपूर्ण निर्णय के लिये मजबूर होना पड़ा।
  • सन्-1935 में: ब्रिटिश सरकार ने अधिनियम लागू करने का प्रस्ताव सामने रखा तो कांग्रेस ने चुनाव लड़ना ही सही समझा, नेहरू ने चुनाव के दौरान पार्टी का समर्थन चुनाव से बाहर रह कर ही किया। कांग्रेस हर प्रदेश में छा गयी और सबसे अधिक जगहों पर जीत हासिल की।
  • सन्-1936-1937: नेहरू जी को कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • सन्-1942: गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ जिसमें जवाहर लाल नेहरू जी को जेल भी हुई और जिसके बाद उन्हें 1945 में जेल के बाहर आये।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे?

Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

सन् 1947 में भारत को आजादी मिल गयी थी। तब बात ये हुई की प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार पटेल को सबसे ज्यादा मतदान मिले और उनके बाद सबसे ज्यादा मत आचार्य कृपलानी को मिले लेकिन गांधी जी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहर लाल नेहरू जी को प्रधान मंत्री बनने दिया।

अंग्रेजों ने 500 देशी रियासतों को रिहा किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके आगे सबसे बड़ी परेशानी आ गयी थी की आजाद लोगों को एक झंडे के सामने लाना और उन्होंने भारत को दोबारा बनाया और आगे आने वाली हर समस्या का सामना समझदारी के साथ किया।

जवाहर लाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान दिया। उन्होंने विज्ञान और प्रोद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया। साथ में तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया।

उनके कारण व उनके निर्णयों व उनकी नीतियों की वजह से देश में कृषि व उद्योग की लहर आ गयी। नेहरू जी ने विदेशी नीति में एक अपनी भूमिका निभाई।

नेहरु जी ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद को खत्म करने के लिए जोसिप ब्रोज़ टिटो और अब्दुल गमाल नासिर के साथ मिलकर एक गुट निरपेक्ष आन्दोलन की रचना की। उन्होंने अपना योगदान कोरियाई युद्ध का अंत करने, स्वेज नहर विवाद सुलझाने और कांगो समझौते को अन्य समस्याओं को सुलझाने में दिया।

जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार

पंडित जवाहर लाल नेहरू को वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई?

Jawaharlal Nehru and Gandhiji

»नेहरू जी ने पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्तों को सुलझाने की भी कोशिश की मगर असफल रहे।

»पाकिस्तान कहता है कि कश्मीर हमारा है और जब चीन से दोस्ती की बात करो तो वो सीमा विवाद आगे कर देता है। जिस कारण नेहरू जी ने एक बार चीन से मित्रता के लिए हाथ भी बढ़ाया लेकिन 1962 में चीन ने मौके का फायदा उठा कर धोखे से आक्रमण कर दिया।

»नेहरू जी को इस बात का बहुत बड़ा झटका लगा और लोगों का कहाँ था की हो सकता है इस झटके के कारण ही उनकी मृत्यु हुई हो।

»27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।

जवाहरलाल नेहरू के नाम सड़कें, स्कूल, यूनिवर्सिटी और हॉस्पिटल क्यों बनाये गए?

Jawaharlal Nehru Original Photo

उनकी मृत्यु होने से भारत को बहुत बड़ी चोट पहुंची थी। जवाहरलाल नेहरू जी सबके लोकप्रिय थे उन्होंने देश के लिए जो भी किया वो बहुत ही कीमती था उन्हें भुलाया नहीं जा सकता था।

जिस कारण उनकी याद में देश के महान नेताओं ने व स्वतंत्रता सेनानियों ने उन्हें हर पल याद रखने के लिए सड़के मार्ग, जवाहर लाल नेहरू स्कूल, जवाहर लाल नेहरु टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरु कैंसर हॉस्पिटल आदि को बनाने की शुरुआत की गयी।

Pandit Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

(जवाहर लाल नेहरू जी पर आलोचना – श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय)

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई

गांधी जी ने जब सरदार वल्लभ भाई पटेल की जगह जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया तो बहुत लोगों में क्रोध जाग उठा।

बहुत लोगों का ये सोचना था की नेहरू जी ने अन्य भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की तुलना में योगदान कम दिया था और फिर भी गांधी जी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया और तो और जब कांग्रेस के अध्यक्ष बनने की बात आजादी से पहले हुई थी तो ये कहा गया था की जो भी कांग्रेस का अध्यक्ष बनेगा वही आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री बनेगा।

तब भी गांधी जी ने प्रदेश कांग्रेस समितियों के प्रस्ताव अनदेखा करते हुए बातों को न मानते हुए नेहरू जी को अध्यक्ष बनाने की कोशिशें की।

नेहरू के प्रधानमंत्री बनने पर लोगों ने कहा की गांधी जी ने नेहरू को प्रधानमंत्री बनवाया है और जरूर गांधी जी उनसे वो काम करवा पाएंगे जिन्हें वो खुद करना चाहते थे और कर न सके लेकिन सच्चाई ये नहीं थी।

ये बात किसी और ने नहीं बल्कि उनके साथ एक टीम के तौर पे काम करने वाले जयप्रकाश नारायण जी 1978 में आई किताब “गाँधी टुडे” में कहा था.

जयप्रकाश, नेहरू के काफी नजदीक थे और उनके मित्र भी थे और उनकी कही बातों पर विश्वास भी किया जा सकता है। इसके बावजूद भी जयप्रकश ने नेहरू के बनाये मॉडल की कमियों को उजागर किया था।

List of Prime Ministers of India From 1947 To 2020

10 lines on pandit jawaharlal nehru essay in hindi.

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध:  पंडित जवाहर लाल नेहरू (14 नवंबर 1889-27 मई 1964)

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका जन्मदिन प्रत्येक वर्ष बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो एक धनाढ्य परिवार के थे और माता का नाम स्वरूपरानी था। उनके पिता पेशे से वकील थे।

जवाहरलाल नेहरू उनके इकलौते पुत्र थे और 3 पुत्रियां थी। नेहरू जी को बच्चों से बड़ा स्नेह और लगाव था और वे बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे।

जवाहरलाल नेहरू को दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी।

उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। हैरो और कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर 1912 में नेहरू जी ने बार-एट-लॉ की उपाधि ग्रहण की और वे बार में बुलाए गए।

जवाहर लाल नेहरू शुरू से ही गांधी जी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है।

1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार भी हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी।

1935 में अल्मोड़ा जेल में “आत्मकथा” लिखी। उन्होंने कुल 9 बार जेल यात्राएं कीं। उन्होंने विश्वभ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए।

सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत मिले थे। किंतु महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया।

पंडित जवाहरलाल नेहरू 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। आजादी के पहले गठित अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद 1947 में भारत के प्रधानमंत्री बने और 27 मई 1964 को उनके निधन तक इस पद पर बने रहे।

नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। उन्होंने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया।

चीन का आक्रमण जवाहरलाल नेहरू के लिए एक बड़ा झटका था और शायद इसी वजह से उनकी मौत भी हुई। जवाहरलाल नेहरू को 27 मई 1964 को दिल का दौरा पडा़ जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।

“स्वाधीनता और स्वाधीनता की लड़ाई को चलाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई का खास प्रस्ताव तो करीब-करीब एकमत से पास हो गया। …खास प्रस्ताव इत्तफाक से 31 दिसंबर की आधी रात के घंटे की चोट के साथ, जबकि पिछला साल गुजरकर उसकी जगह नया साल आ रहा था, मंजूर हुआ।” -लाहौर अधिवेशन में स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित होने के बारे में नेहरू की “मेरी कहानी” से।

Pandit Jawaharlal Nehru Speech in Hindi

  • जवाहरलाल नेहरू पर भाषण

आप सभी को मेरा नमस्कार, मैं आज आपको जवाहर लाल नेहरू के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहा/रही हूं और उम्मीद करता/करती हूं की यह आप सबको अवश्य पसंद आएगा।

पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 को इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। उस समय भारत पर ब्रिटीशियों का राज था और तब भारत गुलाम था। उनके पिता का नाम श्री मोतीलाल नेहरू और माता का श्रीमती स्वरूपरानी थुस्सू था। वे एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे।

उन्होने कैम्ब्रिज, लंदन के ट्रिनिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे भारत आ गये और भारत के स्वतंत्रता की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जिसके लिए उन्हे कई बार जेल भी जाना पड़ा।

देश को आजाद कराने में उनकी बहुत अहम भूमिका रही थी। उन्हें छोटे बच्चों से बहुत लगाव था और बच्चे प्यार से उन्हे चाचा नेहरू बुलाते थे और इसलिये उनके जन्मदिन ‘14 नवम्बर’ को बाल दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

जैल के दौरान नेहरू जी ने “भारत की खोज” नमक पुस्तक भी लिखी थी जिसे दुनिया भरा में बहुत ही प्रतिष्ठा मिली है|

नेहरू जी को बहुत ही अच्छा प्रधानमंत्री कहा जाता है। इनका विवाह “कमला कौल” से हुआ था और इनकी पुत्री का नाम इंदिरा गांधी (पूर्व प्रधानमंत्री) था। वे एक बहुत अच्छे लेखक भी थे। इनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं, मेरी कहानी, विश्व इतिहास की झलक, भारत की खोज हिन्दुस्तान की कहानी आदि।

इन्हे बच्चों से बहुत लगाव था, इसलिये इनके जन्म दिवस को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

जवाहर लाल नेहरू एक महान शख्सियत के साथ एक महान व्यक्ति भी थे और उनके भारतीय इतिहास में अपने अतुल्य योगदान के लिये भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है और इन्हे आज भी याद किया जाता है।

FAQs on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

Question. Who is the first prime minister of India to be born after independence?

Answer. नरेंद्र मोदी (17 सितंबर 1950) भारत के स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। अन्य सभी पूर्व प्रधान मंत्री भारत की स्वतंत्रता से पहले पैदा हुए थे।

Question. Who is the first prime minister of India?

Answer. जवाहरलाल नेहरू

Question. Pandit Jawaharlal Nehru Wife Name

Answer. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पत्नी का नाम “कमला कौल” था।

Question. Pandit Jawaharlal Nehru Birthday

Answer. पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 को हुआ था।

Question. When was born Pandit Jawaharlal Nehru?

Answer. इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था।

Question. What is Nehru famous for?

Answer. जवाहर लाल नेहरू एक महान शख्सियत के साथ एक महान व्यक्ति भी थे और उनके भारतीय इतिहास में अपने अतुल्य योगदान के लिये भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। नेहरू जी का भारत की आजादी में बहुत ही बड़ा योगदान था उन्होने प्रधानमंत्री बन कर भारत की सेवा भी की थी।

Question. How did Pandit Nehru die?

Answer. नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। पाकिस्तान के साथ एक समझौते तक पहुंचने में कश्मीर मुद्दा और चीन के साथ मित्रता में सीमा विवाद रास्ते के पत्थर साबित हुए।

नेहरू ने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। नेहरू के लिए यह एक बड़ा झटका था और शायद / किंचित उनकी मौत भी इसी कारण हुई। 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा जिसमें उनकी मृत्यु हो गयी।

Question. Is Nehru a Brahmin?

Answer. नेहरू जी कश्मीरी पंडित थे।

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय का यह लेख यही समाप्त होता है।  पंडित जवाहर लाल नेहरु की जीवनी को पढ़ने के लिए धन्यवाद

अगर आपको इस विषय से सम्बन्धित या जवाहरलाल नेहरू जीवनी (चाचा नेहरू) के विषय में कुछ बोलना है तो आप कमेंट के माध्यम से बोल सकते हो। अथवा इस लेख को आप फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप्प पर शेयर भी कर सकते हो।

अन्य जीवन परिचय⇓

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

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दा इंडियन वायर

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

an essay on jawaharlal nehru in hindi

By विकास सिंह

essay on jawaharlal nehru in hindi

जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्ति थे जो जीवन भर बच्चों से बहुत प्यार करते थे। अक्सर उन्हें चाचा नेहरु के नाम से याद किया जाता है क्योंकि बच्चों के चहेते होने के कारण उन्हें बच्चे चाचा नेहरु के नाम से बुलाया करते थे।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, short essay on jawaharlal nehru in hindi (100 शब्द)

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म वर्ष 1889 में इलाहाबाद में 14 नवंबर को हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक प्रमुख वकील थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर प्राप्त की लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए और 1912 में फिर से देश लौट आए।

वे अपने पिता की तरह ही एक वकील बन गए। बाद में वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 1947 से पहले उन्हें भारत की स्वतंत्रता के लिए कई बार जेल भेजा गया और वे भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध, 150 शब्द:

an essay on jawaharlal nehru in hindi

जवाहरलाल नेहरू पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म इलाहाबाद में 1889 में 14 नवंबर को हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख वकील थे। वे अपने पिता की तरह उच्च अध्ययन के बाद भविष्य में वकील भी बने। वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलनों में शामिल हुए और बाद में वे सफलतापूर्वक भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।

वह बच्चों के बहुत शौकीन थे और उन्हें इतना प्यार करते थे कि उनकी जयंती का मतलब 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस के रूप में घोषित किया गया है। बाल सुरक्षा अभियान भारत के बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए उनकी जयंती के दिन ही भारत सरकार द्वारा चलाया गया है और साथ ही भारत के बच्चों के प्रति उनके प्यार और स्नेह को दर्शाता है। उनका जन्म दिवस भारत में विशेष रूप से बच्चों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। उन्हें बच्चों द्वारा चाचा नेहरू के नाम से बुलाया जाता था।

जवाहरलाल नेहरु पर निबंध, essay on jawaharlal nehru in hindi (200 शब्द)

भारत में कई महान लोग पैदा हुए हैं और जवाहरलाल नेहरू उनमें से एक थे। वह बहुत महान व्यक्ति थे जो बच्चों को बहुत पसंद करते थे। वह बहुत मेहनती और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक प्रमुख वकील थे। पं. नेहरू का जन्म इलाहाबाद में 1889 में 14 नवंबर को हुआ था। वह अपनी महानता और भरोसेमंद होने की वजह से बहुत प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने घर पर ही प्राप्त की लेकिन वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए और वहां से क़ानून की पढ़ाई की।

वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और उनकी मेहनत ने उन्हें भारत की स्वतंत्रता के बाद पहला भारतीय प्रधानमंत्री बनने में सक्षम बनाया। उन्हें भारत के एक प्रसिद्ध आइकन के रूप में याद किया जाता है। उन्हें बच्चों द्वारा चाचा नेहरू कहा जाता था क्योंकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे।

बच्चों के प्रति उनके प्यार और लगाव के कारण, भारत सरकार ने बच्चों के कल्याण, सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए हर साल मनाए जाने वाले जन्मदिन (14 नवंबर) को भारत में बाल दिवस और बाल स्वच्छता अभियान नाम से दो कार्यक्रम लागू किए हैं।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, 250 शब्द:

an essay on jawaharlal nehru in hindi

जवाहरलाल नेहरू मोतीलाल नेहरू नामक एक प्रमुख वकील के पुत्र थे। जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1889 में भारत के इलाहाबाद में 14 नवंबर को जन्म लिया था। उन्हें बाद में स्वतंत्र भारत का पहला प्रधान मंत्री बनने का सौभाग्य मिला। उनका परिवार बहुत प्रभावशाली राजनीतिक परिवार था जहाँ उन्होंने अपना पहला अध्ययन किया और उच्च अध्ययन के लिए कैम्ब्रिज के हैरो स्कूल और ट्रिनिटी कॉलेज इंग्लैंड गए और एक प्रसिद्ध वकील के रूप में भारत लौट आए।

उनके पिता एक वकील थे लेकिन राष्ट्रवादी आंदोलन में एक प्रमुख नेता के रूप में भी रुचि रखते थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू भी महात्मा गांधी के साथ देश की आजादी के आंदोलन में शामिल हुए और कई बार जेल गए। उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें पहले भारतीय प्रधानमंत्री बनने और देश के प्रति सभी जिम्मेदारियों को समझने में सक्षम बनाया। उन्होंने 1916 में कमला कौल से शादी की और 1917 में इंदिरा नाम की एक प्यारी सी लड़की के पिता बने।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में वह 1916 में महात्मा गांधी से मिले। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना के बाद उन्होंने अंग्रेजों के साथ भारत के लिए लड़ने की कसम खाई। अपने कार्यों के लिए आलोचना करने के बाद भी, वह स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गए।

वह 1947 से 1964 तक भारत के सबसे लंबे और पहले सेवारत प्रधान मंत्री बने। अपने महान कार्यों से देश की सेवा करने के बाद, स्ट्रोक की समस्या के कारण वर्ष 1964 में 27 मई को उनकी मृत्यु हो गई। वह एक लेखक भी थे और उन्होंने अपनी आत्मकथा टूवार्ड फ्रीडम (1941) सहित प्रसिद्ध पुस्तकें भी लिखी थीं।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, essay on jawaharlal nehru in hindi (300 शब्द)

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्ति, नेता, राजनीतिज्ञ, लेखक और वक्ता थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे और गरीब लोगों के बहुत अच्छे दोस्त थे। उन्होंने हमेशा खुद को भारत के लोगों का सच्चा सेवक समझा। उन्होंने इस देश को एक सफल देश बनाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की।

वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और इस प्रकार उन्हें आधुनिक भारत का वास्तुकार कहा गया। भारत में, कई महान लोग पैदा हुए और चाचा नेहरू उनमें से एक थे। वह महान दृष्टि, ईमानदारी, कड़ी मेहनत, ईमानदारी, देशभक्ति और बौद्धिक शक्तियों वाले व्यक्ति थे।

वह “अराम हराम है” के रूप में एक प्रसिद्ध नारे के दाता थे। वह राष्ट्रीय योजना आयोग के पहले अध्यक्ष बने और दो साल बाद उन्होंने बेहतर गुणवत्ता बनाने के लिए भारतीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए एक राष्ट्रीय विकास परिषद की शुरुआत की। उनके मार्गदर्शन में पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में शुरू और कार्यान्वित की गई थी।

वह बच्चों के बहुत शौकीन थे इसलिए उनके विकास और उन्नति के लिए कई रास्ते बनाए। बाद में भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष बच्चों के जन्मदिन पर उनकी जयंती के दिन बाल दिवस मनाया जाता है। वर्तमान में, बाल स्वच्छ भारत नाम का एक और कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा उनकी जयंती पर मनाया जाने लगा है।

उन्होंने हमेशा अछूतों के सुधार, समाज के कमजोर वर्गों के लोगों, महिलाओं और बाल कल्याण के अधिकार को प्राथमिकता दी। भारतीय लोगों के कल्याण के लिए सही दिशा में महान कदम उठाने के लिए पूरे देश में “पंचायती राज” प्रणाली शुरू की गई थी। उन्होंने भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए “पंच शील” प्रणाली का प्रचार किया और भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बनाया।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, 400 शब्द:

an essay on jawaharlal nehru in hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू को भारत की बहुत प्रसिद्ध हस्तियों में गिना जाता है और लगभग हर भारतीय उनके बारे में अच्छी तरह से जानता है। वह बच्चों के बहुत शौकीन थे और उन्हें बहुत प्यार करते थे। उनके समय के बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे।

वह सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति थे। उन्हें भारत के अपने पहले प्रधानमंत्री काल में कठिनाई के कारण आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है। वह वर्ष 1947 से 1964 तक देश के पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधान मंत्री बने। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के बाद इसे आगे बढ़ाने के लिए भारत की जिम्मेदारी ली।

उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, भारत में मोतीलाल नेहरू के घर हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू उस समय के एक प्रमुख और सफल वकील और बहुत अमीर व्यक्ति थे। उन्होंने अपने बेटे को राजकुमार के रूप में पर्यावरण प्रदान किया।

पं. नेहरू ने घर पर अपना पहला अध्ययन सबसे कुशल शिक्षक के अवलोकन में किया। 15 साल की उम्र में, वह हैरो और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पब्लिक स्कूल में उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड गए। उन्होंने वर्ष 1910 में अपनी डिग्री पूरी की और अपने पिता की तरह ही कानून में शामिल हुए और सही मायने में वे बाद में वकील बने।

उन्होंने देश लौटने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपने कानून का अभ्यास शुरू किया। उन्होंने 27 साल की उम्र में वर्ष 1916 में कमला कौल से शादी कर ली और इंदिरा के पिता बन गए। उन्होंने देखा कि भारत के लोगों के साथ अंग्रेजों द्वारा बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था, तब उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने और अंग्रेजों के खिलाफ भारत की लड़ाई लड़ने का वादा किया।

उनके देशभक्त दिल ने उन्हें आराम से बैठने की अनुमति नहीं दी और उन्हें बापू के साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए मजबूर किया और आखिरकार वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा, लेकिन तंग नहीं आया और सभी सजा भुगत कर अपनी लड़ाई जारी रखी।

आखिरकार 1947 में 15 अगस्त को भारतीय को आज़ादी मिली और भारत के नागरिकों ने उन्हें सही दिशा में देश का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में चुना। भारत के प्रधान मंत्री के रूप में उनके चयन के बाद, उन्होंने अपने मार्गदर्शन में देश की प्रगति के कई तरीके बनाए थे।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद (दिवंगत राष्ट्रपति) ने उनके बारे में कहा कि “देश पंडितजी के नेतृत्व में प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहा है।” अपनी कठिनाई से देश की सेवा करते हुए, 27 मई को 1964 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Very good 😊

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं आजादी के बाद बने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु ही थे.

आज भी उनकी राजनीती आदर्श विदेश नीति भारत की राजनीती में स्पष्ट देखा जा सकता हैं. सबके चहेते नेता नेहरु को बच्चें प्यार से चाचा कहकर पुकारते थे.

इस कारण जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. आज के जवाहरलाल नेहरू निबंध को आप बाल दिवस  पर बोल सकते हैं.

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi

किसी व्यक्ति की देशभक्ति का अनुमान उसकी इच्छा से लगाया जा सकता हैं. और यदि कोई व्यक्ति मरने के बाद भी अपने देश के जर्रे जर्रे में समा जाने की इच्छा रखता हो तो उसके बारे में निसंदेह यह कहा जा सकता है कि वह व्यक्ति एक महान देशभक्त हैं. ऐसे ही एक महान देशभक्त थे पंडित जवाहरलाल नेहरू .

पंडित नेहरु ने न केवल देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सक्रिय भूमिका अदा की थी, बल्कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी प्रथम प्रधानमंत्री  के रूप में देश का नेतृत्व करते हुए इसे विकास के पथ पर अग्रसर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया,

वे अपने देश से कितना प्रेम करते थे, इसका अनुमान उनकी आत्मकथा में प्रकाशित उनके विचारों से होता हैं. उन्होंने लिखा था कि मैं चाहता हूँ कि मेरी भस्म का शेष भाग उन खेतों में बिखेर दिया जाए,

जहाँ भारत के किसान बड़ी मेहनत करते हैं. ताकि वह भारत की धूल और मिटटी में मिलकर भारत का अभिन्न अंग बन जाएँ.

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) शहर में हुआ था. उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध एवं धनाढ्य वकील थे. उनकी माताजी का नाम स्वरूप रानी नेहरू था.

समृद्ध परिवार में जन्म लेने के कारण उनका लालन पोषण शाही तरीके से हुआ था. उन्हें विश्व के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा लंदन के हैरो स्कूल से पूरी की.

उसके बाद कॉलेज की शिक्षा उन्होंने लंदन के ही ट्रिनिटी कॉलेज से पूरी की. कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद कानून में करियर बनाने के दृष्टिकोण से उन्होंने लंदन के विश्व प्रसिद्ध कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लो की डिग्री प्राप्त की.

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे 1912 में भारत लौटे और इलाहबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की. वर्ष 1916 में जवाहरलाल नेहरू का विवाह कमला नेहरू से हुआ.

1919 ई में रोलेट एक्ट के विरोध में जब महात्मा गाँधी ने एक अभियान शुरू किया, तब नेहरु जी उनके सम्पर्क में आए. गांधीजी के व्यक्तित्व एवं विचारधारा का नेहरू जी पर ऐसा प्रभाव पड़ा

कि उन्होंने वकालत छोड़ दी और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके साथ हो गये. गाँधी जी के प्रभाव से ही उन्होंने एश्वर्यपूर्ण जीवन को त्यागकर खाकी कुर्ता और टोपी धारण करना शुरू किया,

जब 1920-22 ई में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन का बिगुल बजाय तो इसमें नेहरू जी ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई. इस कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें पहली बार गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

1924 में वे इलाहबाद नगर निगम के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और इस पद पर दो वर्षों तक बने रहे. इसके बाद में 1926 में ब्रिटिश अधिकारियों ने सहयोग की कमी का हवाला देकर उन्होंने इस पद से  त्यागपत्र दे दिया.

1926 ई. से 1928 तक जवाहरलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रहे. दिसम्बर 1929 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया, जिसमें जवाहरलाल नेहरु कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए.

इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य निर्धारित किया गया तथा 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई. इस दिन लाहौर में स्वतंत्रता दिवस मनाते हुए नेहरू जी ने भारतीय झंडा फहराया.

भारत सरकार अधिनियम 1935 के अध्यारोपित होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत में चुनाव करवाए तो नेहरू जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने लगभग सभी प्रान्तों में अपनी सरकार का गठन किया एवं केन्द्रीय असेम्बली में भी सबसे ज्यादा सीटें हासिल की.

1939 में भारतीय सैनिकों को द्वितीय विश्वयुद्ध में भेजने के ब्रिटिश सरकार के निर्णय के खिलाफ नेहरू जी ने केन्द्रीय असेम्बली भंग कर दी. केबिनेट मिशन योजना को स्वीकार किये जाने के पश्चात संविधान सभा के निर्माण के लिए जुलाई 1946 में हुए

चुनाव में कांग्रेस ने नेहरू जी के नेतृत्व में 214 स्थानों में से 205 स्थानों पर जीत हासिल की, इसके बाद नेहरू जी के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन 2 सितम्बर 1946 को हुआ.

15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तो वे देश के पहले प्रधानमंत्री बने. इसके बाद लगातार तीन आम चुनावों 1952, 1957 एवं 1962 में इनके नेतृत्व में कांग्रेस ने बहुमत में सरकार बनाई और तीनों बार वे प्रधानमंत्री बने.

प्रधानमंत्री के रूप में नेहरूजी आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. देश के विकास के लिए उन्होंने सोवियत रूस की पंचवर्षीय योजना की नीति को अपनाया.

उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि एवं उद्योग का नया युग शुरू हुआ. इसलिए उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता हैं.

देश के नौजवानों को कर्मठ बनने की प्रेरणा देने के लिए उन्होंने नारा दिया- आराम हराम है . उनकी उपलब्धियों एवं देश के प्रति उनके योगदान को देखते हुए,

भारत सरकार ने उन्हें 1955 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया. उन्हें बच्चों से बेहद लगाव था तथा बच्चों में वे चाचा नेहरू के रूप में प्रसिद्ध थे. इसलिए उनका जन्मदिन 14 नवम्बर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.

नेहरू जी भारत की विदेश नीति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने जोसेफ ब्राज टीटों और अब्दुल कमाल नासिर के साथ मिलकर एशिया एवं अफ्रीका के उपनिवेशवाद की समाप्ति के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत की.

नेहरू जी शांति के मसीहा थे. उन्होंने पंचशील सिद्धांत के साथ चीन की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से भारत पर आक्रमण कर दिया.

नेहरूजी के लिए यह बड़ा झटका था और इसी वजह से 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई. नेहरू जी न केवल एक महान राजनेता एवं वक्ता थे, बल्कि वे एक महान लेखक भी थे,

इसका प्रमाण इनके द्वारा रचित पुस्तकें डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री हैं. इसके अतिरिक्त अपनी पुत्री इंदिरा प्रियदर्शनी को नैनी जेल से लिखे गये उनके पत्रों का संकलन पिता का पुत्री के नाम नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हैं.

इस पुस्तक में जिस तरह उन्होंने सामाजिक विज्ञान, सामान्य विज्ञान एवं दर्शन का वर्णन किया हैं उससे पता चलता है कि वे उच्च कोटि के विद्वान् थे.

उन्होंने विश्व को शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं गुटनिरपेक्षता के महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए. जवाहरलाल नेहरू भारत के सच्चे सपूत थे, उनका जीवन एवं उनकी विचारधारा हम सबके लिए अनुकरणीय हैं.

  • पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी
  • मेरा देश भारत पर निबंध
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जवाहरलाल नेहरू

1889 - 1964 | इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश

  • कवियों की सूची

जवाहरलाल नेहरू के निबंध

श्रेणीबद्ध करें

युगों का दौर

गुप्त शासन में राष्ट्रीयता और साम्राज्यवाद   मौर्य साम्राज्य का अवसान हुआ और उसकी जगह शुंग वंश ने ले ली जिसका शासन अपेक्षाकृत बहुत छोटे क्षेत्र पर था। दक्षिण में बड़े राज्य उभर रहे थे और उत्तर में काबुल से पंजाब तक बाख्त्री या भारतीय-यूनानी फैल गए

अंतिम दौर—दो

राष्ट्रीयता बनाम साम्राज्यवाद मध्य वर्ग की बेबसी—गांधी का आगमन पहला विश्व युद्ध आरंभ हुआ। राजनीति उतार पर थी। इसका कारण था कांग्रेस का तथाकथित गरम दल और नरम दल में विभाजन और युद्ध-काल में लागू किए गए नियम और प्रतिबंध। अंततः विश्व युद्ध समाप्त

भारत के अतीत की झाँकी   बीते हुए सालों में मेरे मन में भारत ही भारत रहा है। इस बीच मैं बराबर उसे समझने और उसके प्रति अपनी प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने की कोशिश करता रहा हूँ। मैंने बचपन की ओर लौटकर याद करने की कोशिश की कि मैं तब कैसा महसूस करता था,

नई समस्याएँ

अरब और मंगोल जब हर्ष उत्तर-भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य के शासक थे और विद्वान चीनी यात्री हुआन त्सांग नालंदा में अध्ययन कर रहे थे, उसी समय अरब में इस्लाम अपना रूप ग्रहण कर रहा था। भारत के मध्य भाग तक पहुँचने में इसे लगभग 600 वर्ष लग गए और जब उसने

सिंधु घाटी सभ्यता

भारत के अतीत की सबसे पहली तस्वीर उस सिंधु घाटी सभ्यता में मिलती है, जिसके अवशेष सिंध में मोहनजोदड़ो और पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में मिले हैं। इन खुदाइयों ने प्राचीन इतिहास की समझ में क्रांति ला दी है।   मोहनजोदड़ो और हड़प्पा एक दूसरे से काफ़ी दूरी

भारत में तनाव सन् 1942 के शुरू के महीनों में बढ़ा। युद्ध का मंच लगातार निकट आता जा रहा था और भारत के शहरों पर हवाई हमलों की संभावना पैदा हो गई थी। जिन पूर्वी देशों में युद्ध ज़ोरों पर था, वहाँ क्या होगा? भारत और इंग्लैंड के संबंधों में क्या नया अंतर आएगा?

दो पृष्ठभूमियाँ—भारतीय और अँग्रेज़ी

भारत में अगस्त सन् 1942 में जो कुछ हुआ, वह आकस्मिक नहीं था। वह पहले से जो बहुत कुछ होता आ रहा था उसकी चरम परिणति थी। इसके बारे में आक्षेप, आलोचना और सफ़ाई के रूप में बहुत कुछ लिखा जा चुका है और बहुत सफ़ाई दी जा चुकी है। फिर भी इस लेखन में से असली बात

अंतिम दौर—एक

भारत राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से पहली बार एक अन्य देश का पुछल्ला बनता है भारत में अँग्रेज़ी राज्य की स्थापना उसके लिए एकदम नई घटना थी जिसकी तुलना किसी और राजनीतिक अथवा आर्थिक परिवर्तन से नहीं की जा सकती थी। भारत पहले भी जीता जा चुका था, लेकिन ऐसे

अहमदनगर का क़िला

अहमदनगर का क़िला, 13 अप्रैल 1944   यह मेरी नौवीं जेलयात्रा थी। हमें यहाँ आए बीस महीने से भी अधिक समय हो चुका था। जब हम यहाँ पहुँचे तो अँधियारे आकाश में झिलमिलाते दूज के चाँद ने हमारा स्वागत किया। शुक्ल-पक्ष शुरू हो चुका था। तब से हर बार जब नया चाँद

अकसर जब मैं एक जलसे से दूसरे जलसे में जाता होता, और इस तरह चक्कर काटता रहता होता था, तो इन जलसों में मैं अपने सुनने वालों से अपने इस हिंदुस्तान या भारत की चर्चा करता। भारत एक संस्कृत शब्द है और इस जाति के परंपरागत संस्थापक के नाम से निकला हुआ है। मैं

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an essay on jawaharlal nehru in hindi

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जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को उनकी दूरदर्शी सोच और प्रभावशाली व्यक्तित्व की वजह से आधुनिक भारत का शिल्पकार माना जाता है। उन्होंने न सिर्फ भारत की मजबूत नींव का निर्माण किया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के एक यशस्वी योद्धा के रुप में भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी दिलवाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिय।

नेहरू जी ने अपने कुशल और प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर छोड़ा है। वहीं नेहरू जी बच्चों से अत्याधिक प्यार करते थे, जिसकी वजह से उनके जन्मदिन को बालदिवस के रुप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रभावशाली जीवन को समझने, उनके द्धारा किए गए संघर्षों से प्रेरणा लेने और उनके विचारों को अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से आजकल स्कूल / कॉलेजों में आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिताओं अथवा परीक्षाओं में पंडित नेहरू जी के विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।

इसलिए आज हम आपको अपने इस पोस्ट में अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते है –

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

भूमिका

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू एक दूरगामी सोच वाले बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्तित्व थे, जिन्होंने देश के बुनियादी ढांचे को बनाने में अपना महत्पूर्ण योगदान दिया और कई सालों तक अंग्रजों की गुलामी और अत्याचार सह रहे भारत देश को आजाद करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यही नहीं राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन वे कभी अपने इरादे से पीछे नहीं हटे और सच्चे दृढ़संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहे और अपने आजाद भारत का सपना पूरा किया।

पंडित नेहरू, भारत के एक सच्चे और महान देशभक्त होने के साथ-साथ एक प्रख्यात दार्शनिक, मशहूर इतिहासकार, सुविख्यात कानूनविद और राजनायिक भी थे। इसके अलावा उन्होंने अपनी पहचान एक महान लेखक के रुप में भी बनाई थी।

इसके साथ ही उन्होंने अपने दूरगामी और महान विचारों से आधुनिक और विकसित भारत के बीज बोए थे। इसलिए उन्हें एक समाजवादी, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र के वास्तुकार भी माना जाता है।

नेहरू जी का प्रारंभिक जीवन – Jawaharlal Nehru Information

आदर्शवादी छवि के महानायक और राष्ट्रनेता जवाहर लाल नेहरू ने 14 नवंबर, साल 1889 में इलाहाबाद के एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया था। वहीं चाचा नेहरू का बच्चों से अत्याधिक स्नेह और प्यार होने की वजह से उनके जन्मदिवस को बालदिवस के रुप में भी मनाया जाता हैं।

पंडित नेहरू जी, महान स्वतंत्रता सेनानी , समाजसेवी और मशहूर वकील मोतीलाल नेहरू और स्वरुप रानी की सबसे बड़ी संतान के रुप में पैदा हुए थे। पंडित नेहरू जी बचपन से ही बाकी बच्चों से अलग थे और आसाधारण प्रतिभा वाले ओजस्वी महापुरुष थे, जो कि बाद में आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री के साथ एक सर्वश्रेष्ठ राजनेता, दूरगामी सोच वाले लेखक और आधुनिक भारत के निर्माता बने। जिनके कहना था कि –

“नागरिकता देश की सेवा में निहित होती हैं।”

वकील के रुप में नेहरू जी –

अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज में लॉ में एडमिशन लिया। इसके बाद उन्होनें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। वहीं 1912 में वे भारत लौटे और वकालत शुरु की, लेकिन वे ज्यादा दिन तक वकालत नहीं कर सके।

क्योकिं उनके अंदर देश प्रेम की भावना निहित थी और वे अंग्रेजों के अत्याचार और दमनकारी नीतियों और गुलामी की बेड़ियों से भारत देश को आजाद करवाना चाहते थे। वहीं जलियांवाला हत्याकांड ने उन पर गहरा प्रभावा डाला था।

जिसके बाद वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और महात्मा गांधी जी के नेतृत्व वाले अहिंसात्मक आंदोलन में सक्रिय रुप से शामिल हो गए। और इसके बाद उन्होंने पूरी तरह से खुद को देश की सेवा में समर्पित कर दिया।

नेहरू जी का प्रेरणादायक व्यक्तित्व –

जवाहर लाल नेहरू जी आदर्शों पर चलने वाले एक सैद्धान्तिक और नैतिकवादी छवि वाले महानायक थे, जिन्हें खुद पर पूर्ण भरोसा था, वहीं वे जिस काम को करने के बारे में सोचते थे, उसको पूरा करके ही छोड़ते थे।

उनके ह्रद्य में राष्ट्र प्रेम और देश की सेवा करने की भावना समाहित थी। नेहरू जी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य भारत को उन्नति की पथ पर ले जाना और भारत को लोकतांत्रिक, आर्थिक और प्रौद्योगिकी रुप से संपन्न राष्ट्र बनाना था।

अपनी दूरगामी सोच और महान विचारों के चलते ही नेहरू जी ने अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में एक मजबूत भारत की नींव रखी, आज उसी का नतीजा है कि भारत की गिनती आर्थिक रुप से मजबूत, विकसित और शक्तिशाली राष्ट्रों में होने लगी है।

नेहरू जी ने अपने यशस्वी, ओजस्वी और प्रभावशाली और प्रेरणादायक व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर छोड़ा है, इसलिए आज भी लोग उनको अपना आदर्श मानकर उनके महान विचारों का अनुसरण करते हैं और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हैं।

उपसंहार

भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के महानायक पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने जिस तरह अपने दूरदर्शी सोच, कठोर प्रयास और संघर्षों के बाद भारत को शक्तिशाली और मजबूत राष्ट्र बनानें में अपने अपूर्व योगदान दिया, उससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं हम सभी को उनके आदर्शों पर चलकर भारत के विकास में अपना सहयोग देना चाहिए।

जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

प्रस्तावना-

14 नवंबर 1889 इलाहाबाद में जन्में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, भारतीय राजनीति का एक चमकता सितारा थे, जिन्होंने अपनी कुशल राजनीति से भारत की नींव मजबूत करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इसके साथ ही अपने कठोर प्रयास और तमाम संघर्षों के बाद गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राजनैतिक करियर और राष्ट्रीय आंदोलन में नेहरू जी की भागीदारी:

जवाहर लाल नेहरु साल 1912 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए। इसके बाद वे गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन से काफी प्रभावित हुए और फिर बाद में साल 1920-1922 के दौरान वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन का हिस्सा बन गए। हालांकि इस आंदोलने के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

आपको बता दें कि नेहरू जी कांग्रेस के 6 बार अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। वहीं साल 1942 में वे भारत की आजादी के लिए महात्मा गांधी द्धारा चलाए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का हिस्सा बने।

और इस दौरान उन्हें ब्रिटिश पुलिस द्धारा गिरफ्तार कर लिया गया, करीब 3 साल के लंबे समय तक वे अहमदनगर के जेल में रहे। इस दौरान अपनी सबसे प्रसिद्ध किताब “डिस्कवरी ऑफ इंडिया” लिखी। इस किताब में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान अपनी भारत यात्रा के अनुभवों के साथ-साथ भारत की संस्कृति, धर्म और भारत की आजादी के लिए संघर्ष के बारे में बखान किया है।

आपको बता दें कि नेहरू जी का राजनैतिक करियर और स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेना काफी संघर्षपूर्ण रहा, नेहरू जी को अपने जीवन में करीब 9 बार जेल जाना पड़ा।

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रुप में नेहरू जी:

साल 1947 में जब भारत गुलामी की बेडि़यों से आजाद हुआ, तब लोकतंत्रात्मक भारत के निर्माण के लिए देश में पहली बार प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ, जिसमें कांग्रेस के सरदार वल्लभई पटेल और आचार्य कृपलानी को सबसे ज्यादा वोट मिले लेकिन, महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और फिर पंडित जवाहर लाल नेहरू को देश को पहला प्रधानमंत्री चुना गया।

इसके बाद लगातार 3 बार वे प्रधानमंत्री बने, इस पद पर रहते रहते हुए उन्होंने आधुनिक भारत की भावी सोच के साथ एक मजबूत भारत की नींव रखी, भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की और विज्ञान और प्रोद्योगिकी के विकास को भी प्रोत्साहित किया।

इसके अलावा पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कांगो समझौते, कोरियाई युद्ध और स्वेज नहर विवाद सुलझाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और 27 मई साल 1964 को प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए ही उनकी मौत हो गई।

उपसंहार-

पंडित नेहरू जी के प्रेरणादायक और प्रभावशाली व्यक्ति से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। इसके साथ ही हम सभी को उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए, तभी हम भारत को आर्थिक रुप से मजबूत और सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने में अपना सहयोग कर सकेंगे।

जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Jawaharlal Nehru par Nibandh

पंडित जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी जी को अपना आदर्श मानते थे। भारत देश को आजाद करने के लिए गांधी जी के शांतिप्रिय आंदोलनो ने उन पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा था, जिसके चलते नेहरू जी ने खुद को पूरी तरह से राष्ट्र के प्रति समर्पित कर दिया था और बाद में उन्हें देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनने का भी गौरव हासिल हुआ था।

नेहरू जी और महात्मा गांधी जी की मित्रता:

भारत रत्न से सम्मानित पंडित नेहरू साल 1916 में कांग्रेस की एक मीटिंग के दौरान महात्मा गांधी से मिले, जिसके बाद वे उनके महान विचारों औऱ उनके द्धारा चलाए गए शांतिप्रय आंदोलन से काफी प्रभावित हुए और फिर वे महात्मा गांधी जी के करीब आते चले गए औऱ बाद में दोनों के बीच काफी अच्छे परिवारिक संबंध बन गए थे।

दोनों के बीच गहरी मित्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महात्मा गांधी के कहने पंडित नेहरू को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया था, जबकि सरदार वल्लभ भाई पटेल और आचार्य कृपलानी में से किसी एक को प्रधानमंत्री बनाया जाना तय किया गया था।

हालांकि नेहरू जी और गांधी जी की विचारधारा पूरी तरह मेल नहीं खाती थी, दरअसल नेहरू जी आधुनिक विचारधारा वाले महापुरुष थे और महात्मा गांधी प्राचीन भारत के धार्मिक और पारंपरिक सोच वाले महानायक थे।

पंडित नेहरु जी ने विदेश नीति के माध्यम से किया भारत का उत्थान:

भारत को एक विकसित, समृद्ध और अर्थव्यवस्था से मजबूत राष्ट्र बनाने में नेहरू जी का सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने भारत के कल्याण के लिए विदेश नीति के माध्यम से दुनिया के छोटे-बड़े सभी राष्ट्रों से अच्छे संबंध स्थापित किए और दुनिया के सभी गुटों से सहयोग लेकर गुट निरपेक्ष आंदोलन की नींव डाली थी, और भारत को विदेश नीति में पूरी दुनिया के सामने एक नायक के रुप में दिखाया।

एक प्रभावशाली लेखक के तौर पर पंडित नेहरू:

पंडित जवाहर लाल नेहरू राष्ट्र के महानायक, एक प्रभावशाली वक्ता और आधुनिक भारत के निर्माता होने के साथ-साथ एक कुशल लेखक भी थे। जिन्होंने अपनी दूरगामी सोच और महान विचारों के माध्यम से कई ऐसी रचनाएं लिखी, जिनका लोगों पर गहरा असर पड़ा था।

आपको बता दें कि उन्होंने अपनी कई महत्वपूर्ण किताबों की रचना जेल में ही थी। साल 1944 में उन्होंने अपनी सबसे मशहूर और लोकप्रिय किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया की रचना की। जिसमें उन्होंने आजादी के लिए भारत के संघर्ष, भारत की संस्कृति परंपरा आदि का बेहद सजीव तरीके से वर्णन किया किया है।

साल 1936 में उनकी आत्मकथा प्रकाशित की गई। ‘भारत और विश्व’, ‘भारत की एकता और स्वतंत्रता’, ‘विश्व इतिहास एक झलक’ आदि नेहरू जी की प्रमुख रचनाएं थी।

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु जी ने अपने ओजस्वी विचारों और दूरदर्शी सोच से आधुनिक भारत के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया, उनकी आधुनिक विचारधारा की बदौलत ही हम सभी आज आधुनिक तकनीकों से लैस और आर्थिक रुप से मजबूत भारत में रह रहे हैं।

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू केवल एक राजनीतिज्ञ ही नहीं थे, अपितु वे एक बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न महान पुरुष थे। वे एक अनूठे चिंतक भी थे। मानवीय संवेदनाओं से भरपूर यह व्यक्तित्व भारत के लोगों का ही नहीं, दुनिया के लोगों का भी अभूतपूर्व प्यार और सम्मान पा सका। भारत ने तो उन्हें राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से अलंकृत किया। विश्व ने उन्हें एक महान राजनीतिज्ञ एवं मानवतावादी माना। भारतीय क्षितिज पर एक लम्बे समय तक अपनी आभा फैलाए हुए यह नक्षत्र स्वतंत्र चिंतन के क्षेत्र में भी अपनी अमिट छाप छोड़ गया। भारतीय राजनीतिक एवं सामाजिक चिंतन के इतिहास में उन्होंने अपना अमर स्थान बना लिया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण उनके चिंतन की विशिष्टता थी। देश रत्न जवाहरलाल नेहरू ने 14 नवम्बर, 1889 को पं. मोतीलाल नेहरू के पुत्र के रूप में जन्म लिया। 13 वर्ष की आयु में ही वे थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य बन गए। 15 वर्ष की आयु में ही उन्हें इंग्लैण्ड भेजा गया, जहाँ पर उन्होंने हेरो स्कूल एवं ट्रिनिरी कॉलिज केम्ब्रिज में अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी की। वे मेरेडिथ के राजनीतिक चिंतन से बहुत प्रभावित हुए। भारत लौटकर उन्होंने इलाहाबाद में बैरिस्टर के रूप में अपनी प्रेक्टिस प्रारम्भ कर दी। इसी समय वे एनी बीसेण्ट के सम्पर्क में आए और उन्होंने होमरूल लीग में भाग लिया। 1916 में लखनऊ कांग्रेस में उनकी मुलाकात गांधीजी से हुई। उसी वर्ष उनका विवाह हो गया और 1917 में उन्हें पुत्री की प्राप्ति हुई जोकि इंदिरा प्रियदर्शनी के नाम से उनके परिवार को सुशोभित करती रही और बाद में लम्बे समय तक भारत की प्रधानमंत्री रही। 1918 में उनको होमरूल लीग का सेक्रेटरी चुन लिया गया। वह 1921 में असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण जेल गए। 1923 में आल इंडिया कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी चुने गए और बाद में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी। उन्हीं की अध्यक्षता में 1929 में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता के लक्ष्य सम्बन्धी प्रस्ताव को पारित किया। उसके पश्चात के अनेक आन्दोलनों में नेहरू सक्रिय रूप से भाग लेते रहे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई बार अध्यक्ष चुने गए और 27 मई 1964 को उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु होने से पूर्व तक वे प्रधानमंत्री पद पर बने रहे। आधुनिक भारत जवाहरलाल नेहरू के प्रति पर्याप्त रूप से ऋणी है। महात्मा गाँधी ने भारत को अपने को समझना सिखाया। गांधीजी को राष्ट्रपिता कहा जाता है तो नेहरू जी को आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है। उन्होंने भारत में लोकतंत्र को सबल बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया और वे निरन्तर सभी को मानवीय प्रतिष्ठा और समानता प्रदान करने के लिए अथक प्रयास करते रहे। उन्होंने भारतीय जनमानस को राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक ठहराव के दलदल से बाहर निकाला और उन्हें प्रगतिशील मार्ग पर अग्रसर किया। आर्थिक क्षेत्र में तो उनका योगदान अत्यन्त ही विशिष्ट है। उनके द्वारा प्रारम्भ पंचवर्षीय योजनाओं जिनको लोकतंत्र और समाजवाद की भावना से क्रियान्वित किया गया और भारत की शक्ल ही बदल दी। उन्होंने समाज को समाजवादी ढांचा (Socialistic Pattern of Society) की अवधारणा को सार्थकता प्रदान की। उन्होंने भारत के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर को ऊँचा उठाया और राष्ट्रों के समुदाय में उन्होंने भारत को प्रतिष्ठा का स्थान दिलाया। नेहरू ने विश्व को शान्तिपूर्ण सह अस्तित्व एवं गुट निरपेक्ष के महत्वपूर्ण विचार दिये। उन्होंने उपनिवेशवाद, नव उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद, रंगभेद एवं किसी भी प्रकार के अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज उठायी और अपने आजीवन काल में उन्हें एशिया, अफ्रीका और लेटिन अमरीका के लगभग 40 देशों को औपनिवेशिक शासन से मुक्त होने को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने अपने समस्त जीवन को विश्व के विभिन्न देशों के बीच मैत्री और सहयोग को सबल बनाने की लड़ाई में लगाया। यही कारण था कि समस्त विश्व उन्हें मानवता का मित्र मानता था। उन्होंने ध्येयनिष्ठ जीवन बिताया और अन्तिम सांस तक उस ध्येय को पूरा करने का प्रयास करते रहे। चिन्तक के रूप में नेहरू का मानव में अटूट विश्वास था और उनकी प्रतिभा प्रकृति एवं चरित्र का सबसे महत्वपूर्ण पहलू उनका वैज्ञानिक मानवतावाद था। उन्होंने आत्मा, परमात्मा या रहस्यवाद जैसी चीजों को अधिक महत्व नहीं दिया। उनका ईश्वर तो मानवता था और सामाजिक सेवा को ही उन्होंने धर्म माना। नेहरू अपने दृष्टिकोण एवं चिन्तन में संकुचित सिद्धान्त को स्थान नहीं देते थे। क्या सही है, क्या गलत है, इसकी कसौटी उनके लिए मानवता का हित था। राज्य, शासन, नीति और धर्म के सम्बन्ध में वे घिसे-पिटे सिद्धान्त से प्रेरित न होकर मानव हित की चिंता से अनुप्राणित थे। जैसा कि फ्रोफेसर एम.एन. दास कहते हैं, ''उनका मानवतावाद और उदारतावाद व्यक्ति के प्रति आन्तरिक सम्मान की भावना से पोषित है'' His humanism and liberality are fostered by an inner respect for the individual self . नेहरू का समाजवाद साम्यवादी रूस या चीन के समाजवाद से भिन्न था। वे प्रत्येक व्यक्ति के हित के पक्षधर थे। वे राजा हित जैसी अस्पष्ट धारणाओं की वेदी पर व्यक्ति का बलिदान करने को तैयार नहीं थे और न ही वे राजनीतिक सिद्धान्तों की सूक्ष्म धारणाओं के अधीन ही व्यक्ति को रखना चाहते थे। अपने मानवतावाद और जीवन की समस्याओं के मानवीय दृष्टिकोण के कारण ही नेहरू अपने को सर्वप्रिय बना सके। लोकतंत्र, समानता और व्यक्ति की प्रतिष्ठा के प्रति उनकी निष्ठा ने ही उन्हें अद्वितीय मानवतावादी दार्शनिक बना दिया। यह कहना कि नेहरू का कोई धर्म नहीं था कि वे अधर्मिक व्यक्ति थे, बिल्कुल भी सही नहीं है। यदि धर्म का अर्थ रीति-रिवाजों का निर्वाह करना या धार्मिक ग्रन्थों का पढ़ना ही है। तब तो वे धार्मिक बिल्कुल नहीं थे। किन्तु वास्तविकता यह है कि धर्म का अर्थ यह नहीं। यदि धर्म का अर्थ विश्व के नैतिक शासन में विश्वास और मानवमात्र की सेवा है तो वे निश्चित रूप से धार्मिक व्यक्ति थे। केवल रीति-रिवाजों को निभाना, पूजा आदि करना, यह सब कुछ उनको पसन्द नहीं था। नेहरू के लिए धर्म का अर्थ है सुचरित्र, सच्चाई, प्यार और मन की स्वच्छता। वे धर्म की परिभाषा इस प्रकार करते हैं कि धर्म व्यक्ति का आन्तरिक विकास एवं अच्छाई की दिशा में उसकी चेतना के विकास से है। नेहरू के अनुसार वास्तविक रूप से धर्म और विज्ञान एक दूसरे के विरोधी नहीं है। धर्म को विज्ञान का आवरण पहनना होगा और वैज्ञानिक भावना से अपनी समस्याओं के प्रति दृष्टिकोण अपनाना होगा। हम में से अधिकतर लोगों के लिए तो धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण अपनाना पर्याप्त है। यह नेहरू ने 'यूनिटी ऑफ इंडिया' में लिखा था। सभी महान विभूतियों के सदृश नेहरू सत्य के खोजी थे। किन्तु वे सत्य के प्रति विशुद्ध सैद्धान्तिक पहुँच में विश्वास नहीं करते थे, क्योंकि सत्य इतनी व्यापक चीज है कि वह मनुष्य के सीमित मस्तिष्क की समय से परे हैं। गांधीजी की भाँति उन्होंने सत्य को ईश्वर का पर्याय नहीं समझा। उनकी सत्य की खोज विज्ञान, ज्ञान और अनुभव से अनुप्राणित थी। सत्य को शिव और सुन्दर के तुल्य समझा जा सकता था। वे सत्य को विकासशील मानते थे न कि स्थिर, इसको जीवन दायिनी संवेग समझते थे न कि कोई मृत विचार या पाखण्ड या आडम्बर जो मन और मानवता के विकास में बाधा बने। जहाँ तक साध्य और साधन के मध्य सम्बन्ध का प्रश्न है नेहरू जी के विचार गांधीजी के विचारों से मिलते थे। गांधीजी के लिए साध्य और साधन अपृथकनीय थे उनके अनुसार साध्य साधन में से उपजता है। जैसा साधन होगा वैसा ही साध्य होगा। साधन की तुलना बीज से की जा सकती है, साध्य की वृक्ष से। जो सम्बन्ध बीज और वृक्ष में है, वही साधन और साध्य में है। गांधीजी का यह विचार नेहरू द्वारा पूरी तरह समर्थिक था। राजनीति के भंवरजाल में भी अच्छे साध्य हेतु अच्छे साधनों का प्रयोग नेहरू ने कभी दृष्टि से ओझल नहीं होने दिया। उनका मैकियावली के इस कथन में कि साध्य साधन का औचित्य ठहराता है, विश्वास नहीं था। उन्होंने लिखा है, ''यदि मैंने अपने सार्वजनिक जीवन के पिछले 40 वर्षों में कुछ अनुभव प्राप्त किया है या यदि मैंने उस महात्मा से, जिसने हमें बहुत सी चीजें सिखाई, कुछ सीखा है तो वह यह है कि अन्ततोगत्वा एक टेड़ी नीति लाभदायक नहीं होती, भले ही अस्थायी रूप से इससे कोई लाभ नजर आये।'' अच्छे साध्य के लिए अच्छे साधनों के सिद्धान्त में विश्वास नेहरूजी किसी दार्शनिक या धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं करते थे। अपितु समस्या के प्रति अपना वैज्ञानिक मस्तिष्क लगाकर इस सिद्धान्त की सार्थकता से संतुष्ट थे। वे आश्वस्त थे कि यदि कोई व्यक्ति सही काम करता है तो परिणाम भी अच्छे होंगे और गलत कार्य का गलत परिणाम होना भी अप्रत्याशित नहीं। इसी कारण नेहरू जी नैतिक दृष्टिकोण को ही जीवन की समस्याओं से जूझने के लिए सही दृष्टिकोण मानते थे। नेहरूजी लोकतंत्र के कट्टर समर्थक थे। उनके अनुसार मानवों के शासन के लिए सर्वोत्तम साधन लोकतंत्र ही है। उनका विश्वास था कि इसी शासन पद्धति के द्वारा ही व्यक्ति अपने व्यक्तित्व के सर्वोच्च विकास शिखर पर पहुँच सकता है और राष्ट्र अपनी राष्ट्रीयता के सर्वोच्च विकास शिखर पर पहुँच सकता है। फिर भी नेहरू ने लोकतंत्र को परिभाषित नहीं किया, क्योंकि उन्होंने अनुभव किया कि किसी चीज को परिभाषित करना उसे सीमित कर देना है। उनके लिए लोकतंत्र स्थिर चीज न होकर एक गतिशील एवं विकासशील चीज थी, और ज्यों-ज्यों यह बदलता है त्यों-त्यों यह और अधिक व्यापक होता जाता है। नेहरू के लिए जनता सर्वोच्च थी। किसी भी शासन पद्धति को जो लोकतंत्र होने का दावा करती है, लोगों के कल्याण और सुख का ध्यान होना चाहिए। वे लोकतंत्र को जनता की स्वतन्त्रता जनता की समानता, जनता का भ्रातृत्व एवं जनता की सर्वोच्चता समझते थे। नेहरू का मानव प्रतिष्ठा में अटूट विश्वास उनके लोकतंत्रीय होने के लिए उत्तरदायी था। वह जनता को प्रत्येक कार्य में भागीदार मानते थे। फांसीवाद की तरह वे जनता को एक बालक के रूप में नहीं अपितु पृथक व्यक्तियों के रूप में मानना अधिक पसन्द करते थे। एक बार जब उनसे पूछा गया कि आपकी कितनी समस्याएँ है, तो उनका उत्तर था 360 मिलियन समस्याएँ, जिसका अभिप्राय यह था कि उस समय देश की आबादी 360 मिलियन थी और नेहरूजी को 360 मिलियन लोगों में से प्रत्येक की समस्याओं का अहसास था। उनका कहना था कि हमें व्यक्तियों के संदर्भ में सोचना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के सुख और प्रत्येक व्यक्ति के दुःख के सन्दर्भ में सोचना चाहिए। जे. एस. मिल और लॉक की भांति नेहरू जी अद्वितीय व्यक्तिवादी थे। लोकतंत्र को शासन पद्धति के अतिरिक्त नेहरूजी एक जीवन पद्धति भी मानते थे, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति स्वतन्त्र चिंतन कर सके और अपनी क्षमताओं का अधिकतम विकास कर सके। सच्चा लोकतंत्र व्यक्ति के शिष्टाचार और उसके द्वारा दूसरों के विचारों के प्रति सम्मान एवं सहिष्णुता से बनता है। लोकतंत्र की सफलता के लिए नेहरू जी पाँच अनिवार्यताओं पर जोर देते थे, जोकि इस प्रकार है- (1) जागरूक जनमत की पृष्ठभूमि (2) नागरिकों में उत्तरदायित्व की भावना (3) समुदाय का आत्म-अनुशासन (4) दूसरों के विचारों के प्रति सहिष्णुता, विशेषता जो अपने विचारों से विरोधी विचार हों, तथा (5) समाज की भौतिक समृद्धि। उनकी दृष्टि में समाजवाद लोकतंत्र का ही एक पहलू है। सन 1936 में उन्होंने लिखा था कि ''विश्व और भारत की समस्याओं के समाधान की कुंजी समाजवाद में है और जब मैं इस शब्द का प्रयोग करता हूँ तो अस्पष्ट मानवतावादी रूप में नहीं अपितु वैज्ञानिक एवं आर्थिक अर्थ में वास्तव में समाजवाद एक आर्थिक सिद्धान्त से भी अधिक है। यह एक जीवन दर्शन है इसलिए यह मुझे अपील करता है। ''नेहरू का इस प्रकार, समाजवाद में विश्वास विकसित होता गया। उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि तीव्र बेरोजगारी, शोषण एवं जनमानस की दासता का अन्त समाजवाद के माध्यम से किया जा सकता है, किन्तु नेहरू का समाजवाद व्यक्ति की स्वतंत्रता का विरोधी नहीं है। अन्य समाजवादियों की भाँति नेहरू नहीं मानते कि समाजवाद और व्यक्तिवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। नेहरूजी के अनुसार समाजवाद में अन्तः करण, मस्तिष्क की स्वतंत्रता, पहल करने की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत सम्पत्ति रखने आदि की स्वतंत्रता का वही स्थान है जोकि व्यक्तिवादियों की योजना में है। अन्तर केवल इतना है कि कोरे व्यक्तिवादियों की भांति धन के केन्द्रीकरण को वे कुछ ही हाथों में नहीं देखना चाहते थे। जहाँ तक समाजवाद के स्वरूप का प्रश्न है नेहरूजी समाज के समाजवादी ढाँचे की स्थापना के पक्षधर थे, जिसमें सबके लिए अवसर की समानता हो और एक अच्छा जीवन जीने के लिए सम्भावना। उनका कहना था कि हमें समानता पर जोर देना है। असमानताओं के निवारण का कार्य करना है, किन्तु यह भी स्मरण रखना है कि समाजवाद निर्धनता का विस्तार नहीं है। अनिवार्य बात यह है कि धन और उत्पादन यथेष्ट मात्रा में होने चाहिए। नेहरू समाजवाद लाने के लिए शान्तिमय उपायों के पक्षधर थे। बड़े पैमाने पर पूंजीपतियों का वध, बिना क्षतिपूर्ति किए व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिग्रहण। नेहरू के समाजवाद में घृणास्पद बातें थीं। समाजवाद लाने के लिए शान्ति के साधनों का प्रयोग करने का समर्थन एवं समाज में न्याय पर आधारित जीवन यापन की व्यवस्थाओं की वकालत ने नेहरू के समाजवादी आदर्श को विश्वसनीयता प्रदान की। निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि नेहरू जी एक सर्वप्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति थे। राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, चिंतक, साहित्यकार आदि सभी का समावेश उनके धनी व्यक्तित्व में था। उनकी बहुमुखी प्रतिभा उनकी स्वाभाविक उदारता में सोने में सुगन्ध का कार्य करती थी। निश्चय ही वे भारत के देश रत्न थे।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, लेख

Essay on jawaharlal nehru in hindi-जवाहरलाल नेहरू पर निबंध.

देश की स्वाधीनता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत के निर्माताओं में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रत्येक देशवासी सादर पूर्वक प्यार याद करते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम शांति के अग्रदूत और अहिंसा के संवाहक के रूप में भी विश्व के महान व्यक्तियों के साथ लिया जाता है इनका जन्म 14 नवंबर 1889 ई. में इलाहाबाद में हुआ था।इनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू पूरे भारत के सर्वश्रेष्ठ और विश्व के इने-गिने प्रतिभाशाली और सम्मानित बैरिस्टरों में से एक थे।

एक अत्यधिक संपन्न परिवार के होने के कारण पंडित जवाहरलाल नेहरु को किसी वस्तु का कोई अभाव नहीं हुआ उनकी माता श्रीमती स्वरूपा रानी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी इनके पिताजी की असाधारण बुद्धि प्रतिभा और तेज का एवं माता की धार्मिक प्रवृत्ति का पंडित जवाहरलाल नेहरू पर गहरा असर पड़ा

पंडित जवाहर लाल नेहरू की आरंभिक शिक्षा अत्यधिक संपन्न व्यवस्था में घर पर ही हुई पढ़ाने के लिए एक अंग्रेज शिक्षक की व्यवस्था की गई थी उन्होंने बालक के मन में विज्ञान के प्रति अभिरुचि उत्पन्न कर दी आरंभिक शिक्षा समाप्त करके यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सन 1905 में इंग्लैंड गए।उस समय इनकी आयु लगभग 15 वर्ष की थी।इंग्लैंड में रहकर इन्होंने विज्ञान और कानून की उच्च शिक्षा प्राप्त की ।वहां रहते हुए और दूसरे विषयों से संबंधित गर्न्थो का विस्तार पूर्वक अध्ययन किया। इसके साथ ही साथ ये दूसरे देशों में चल रहे स्वाधीनता आंदोलन से भी परिचित होते रहे।इससे ये अ अपने देश की परतंत्रता और अंग्रेजी सत्ता की राजनीति भी बड़ी बारीकी से समझ गए।

इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने बी .ए की परीक्षा उत्तीर्ण की ।इसके बाद उन्होंने बैरिस्टर की भी परीक्षा उत्तीण कर ली।तत्पश्चात सन 1912 ईस्वी .में स्वदेश लौट आए। स्वदेश आकर जवाहरलाल नेहरू ने सन 1912 ईस्वी में ही इलाहाबाद में वकालत करने लगे। उसी वर्ष यह कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में सम्मिलित हुए। सन् 1916 में जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटे, तब उनसे इन्होंने भेंट की। महात्मा गांधी के राजनीतिक प्रभाव को सुन चुके थे। लेकिन उन्हें निकट से नहीं पहचान सके। गांधीजी को देखते ही उन्होंने उनकी शांत प्रकृति और अहिंसक व्यवहार के पीछे जो महान शक्ति छिपी हुई थी, उसे पहचानने में तनिक भी देर नहीं की। इस प्रकार उनके प्रभाव में आकर इन्होने उनके अनन्य अनुयाई और सहयोगी बन गए। सन 1916 ई.में ही इनका विवाह पंडित कमला नेहरू से हो गया।

सन 1914 ई. से सन 1918 ई. तक प्रथम विश्व युद्ध विश्व काल रहा। युद्ध की समाप्ति पर बिट्रिश सत्ता ने अपनी दमन नीति के अंतर्गत “रॉलेट एक्ट”पास करके भारतीयों की स्वतंत्रता प्राप्त करने की भावना को कुचल दिया। इसके विरोध में गांधी जी ने आंदोलन चलाया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस आंदोलन में अपनी अच्छी भूमिका निभाई।

सन 1919 ई. में अंग्रेजी सत्ता में भारतीयों की स्वतंत्रता प्राप्त करने की भावनाओं को कुचलने के लिए अपनी दमनकारी कदमों को तेजी से बढ़ाया। इसके लिए उन्होंने पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थो पर जनरल डायर से गोली चलवा दी।अनेक निर्दोष मौत के घाट उतार दिए गए।इस हत्याकांड से क्षुब्ध होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन छेड़ दिया। तब पंडित जवाहर लाल नेहरु ने अपनी वकालत को तुरंत ही तिलांजली दे दी।फिर अपने तन- मन बुद्धि – प्रतिभा और धन से स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में लग गए।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश को स्वतंत्र करने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने का दृढ़ संकल्प कर लिया ।इन्होंने अपनी आलीशान जिंदगी को स्वतंत्रता – संग्राम में संघर्षरत होकर झोंकने में किसी प्रकार की आनाकानी नहीं कि। सन 1921 ई. में “प्रिंस ऑफ वेल्स” के भारत आने पर उन्होंने उनका बहिष्कार किया। इसके लिए इनको गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया ।फिर भी जवाहरलाल नेहरू ने अपना दृढ़-व्रत को नहीं तोड़ा। स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष का प्रबल नायक होने के कारण इन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जवाहरलाल नेहरू ने राजनीतिक गुरु महात्मा गांधी की तरह खादी के कुर्ते और धोती पहनकर शहरों में ही नहीं अपितु गांव में भी स्वतंत्रता का बिगुल फूंकते रहे।

पंडित मोतीलाल भी महात्मा गांधी की असाधारण देशभक्ति से प्रभावित हुए बिना ना रह सके वह अपने सुपुत्र पंडित जवाहरलाल नेहरु की तरह स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में कूद पड़े। उन्होंने भी बेरिस्टरी करनी छोड़ दी ।फिर महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में देश के आजादी के लिए अपनी विदेशी वस्तुओं का परित्याग कर दिया।

देश की आजादी के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने महात्मा गांधी के द्वारा दिए गए दिशा बोध के अनुसार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई 31 दिसंबर सन 1930 ईस्वी में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने कांग्रेस अध्यक्ष के भाषण में पंजाब की रावी नदी के तट पर स्पष्ट रूप से घोषणा कि “हम पूर्ण रूप से स्वाधीन होकर ही रहेंगे “उनकी इस घोषणा से पूरे देश में स्वाधीनता का प्रबल स्वर गूंज उठा। उससे स्वाधिनता-संग्राम का संघर्ष और तेज होकर प्रभवशाली बन गया ।इसके बाद नमक सत्याग्रह में भी इन्होंने अपना पूरा योगदान दिया।

सन 1942 ईस्वी में महात्मा गांधी ने “भारत छोड़ो का आव्हान किया ।पूरा देश इससे प्रभावित हो गया ।इस आंदोलन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई बार-बार अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के कारण वे अंग्रेजों की आंख की किरकिरी बन गए। इसलिए वह मौका पाते ही उन्हें जेल में बंद कर दिया करते थे। यही नहीं उन्हें कड़ी से कड़ी यातनाएं भी दी जाती थी इससे भी वे आजादी के संघर्ष से तनिक भी विचलित नहीं हुए। अपितु दिनों दिन और दिलेरी और लौह पुरुष बनते गए। फूल की तरह रहने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू काँटो रूपी यातनाओं में किस तरह मुस्कुराते रहें।यह आज भी लोग समझ नहीं पाते हैं।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में हमारा देश पूर्ण रूप से आजाद हो गया ।पंडित जवाहरलाल नेहरु के असीम त्याग तप को देखकर उन्हें देश का पहले प्रधानमंत्री के रूप में मनोनीत किया गया। इनके नेतृत्व में पूरे देश ने अभूतपूर्व उन्नति की। 23 मई सन 1964 ईस्वी को वे हमें इस संसार से छोड़कर चले गए ।लेकिन उनका शांति संदेश इस धरती से भी कभी नहीं जा सकेगा।

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Jawaharlal Nehru Essay in Hindi- पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

In this article, we are providing information about Jawaharlal Nehru in Hindi or Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi- पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Nibandh in 200, 300, 500, 600, 800 words For 4,5,6,7,8,9,10,11,12 class Students, जवाहरलाल नेहरू के बारे में हिंदी में

Pandit Jawaharlal Nehru Par Nibandh Hindi Mein

भूमिका- काल-चक्र के परिभ्रमण के साथ विश्व-इतिहास और मानवीय सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए हैं। इस परिवर्तन की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप समाज, देश, सभ्यता तथा मूल्यों में परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को रूप देने वाले और नवीन-सिद्धान्तों की स्थापना करने वाले व्यक्ति भी इतिहास के ही अंग बन जाते हैं। इस प्रकार के व्यक्तित्व कभी धर्म और दर्शन के क्षेत्र में कभी ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में तो कभी राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में प्रकट होते हैं तथा अपनी मान्यताओं और कार्यों से विश्व इतिहास को नई दिशा देते हैं। भारतीय राजनीति के इतिहास में जवाहर लाल नेहरू ऐसे ही  गौरवशाली व्यक्तित्व के रूप में प्रकट हुए हैं। शान्ति के उपासक, पंचशील के अधिष्ठाता, बच्चों के ‘चाचा नेहरू विश्व इतिहास में अमर हो गए हैं।

जीवन परिचय – जवाहर लाल नेहरू का जन्म पावन तीर्थ प्रयाग में माता स्वरूप रानी की गोद हरी करने के लिए नेहरू वंश की वृद्धि के लिए, पीड़ित भारत के कल्याण के लिए 14 नवम्बर, सन् 1889 को श्री मोती लाल के घर हुआ। श्री मोती लाल विख्यात वकील थे और पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित थे। आरम्भ में नेहरू जी को शिक्षा भी कुछ ऐसी ही मिली। अध्यापक कुछ आध्यात्मिक अधिक थे, इसलिए नेहरू भी आध्यात्मिक बनने लगे। पिता को यह अच्छा न लगा और उन्होंने सन 1905 में नेहरू को इंग्लैंड भेज दिया। वहां नेहरू जी ने निरन्तर सात वर्ष तक अध्ययन किया। 1912 में वकालत पास करके आए। पिता की इच्छा थी कि बेटा इनकी तरह ही विख्यात वकील बने, फलत: पुत्र ने पिता के साथ वकालत में सहयोग देना शुरु किया। इधर वकालत चलती उधर विख्यात राजनीतिज्ञ मोती लाल नेहरू के घर आते और राजनीतिक चर्चा करते। फलतः नेहरू पर भी कुछ-कुछ राजनीतिक प्रभाव पड़ने लगा।

1916 में श्री कौल की पुत्री कमला से जवाहर लाल नेहरू का पाणिग्रहण हुआ और 1917 में एक लड़की हुई जिसका नाम इन्दिरा प्रियदर्शिनी रखा गया। कुछ समय बाद एक लड़का पैदा हुआ पर वह जीवित न रह सका। 1919 में जलियांवाला बांग के गोलीकांड को देखकर नेहरू की आत्मा कांप उठी और तब वह राजनीतिक नेताओं के सम्पर्क में आने लगे। 1921 से छ: मास की और 1922 में अठारह महीने की कैद का दण्ड उनको मिला। इधर कमला का स्वास्थ्य बहुत गिर रहा था। 1927 में नेहरू स्विट्ज़रलैण्ड गए। वहां उन्होंने कई नेताओं से भेंट की। अब तो नहेरू का ध्येय ही बदल गया।

26 जनवरी, 1930 को रावी के किनारे साँझ के समय तिरंगा फहराते हुए पण्डित जवाहरलाल ने कहा, “स्वतन्त्रता प्राप्त करके ही रहेंगे।” कांग्रेस के इस प्रस्ताव से अंग्रेज़ बौखला उठे। उन्होंने दमनचक्र शुरू किया, कमला फिर बीमार हुई। आखिर 1936 में कमला का देहान्त हो गया। इधर मोती लाल की भी मृत्यु हो गई। नेहरू अब राजनीतिक कार्यों में अधिक भाग लेने लगे। आन्दोलन करते और जेल जाते। गांधी जी के पथप्रदर्शन से नेहरू का व्यक्तित्व विकसित होने लगा। 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन शुरू हुआ। बड़े-बड़े नेता जेल में डाल दिए गए। देश में बहुत हलचल हुई। युद्ध समाप्त हो गया। अंग्रेजों की विजय तो हुई पर वे बहुत जर्जर हो गए। 1945 में शिमला कॉन्फ्रेंस हुई, पर वह असफल रही। 1946 में अन्तरिम सरकार बनी, पर श्री जिन्ना के कारण वह भी असफल ही रही। आखिर भारत का विभाजन करके 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ चल दिए।

प्रधानमंत्री के रूप में – नेहरू स्वतन्त्र देश के पहले प्रधानमन्त्री बने। भारत के सामने एक नहीं, अनेक समस्याएं मुंह खोले खड़ी थीं। नेहरू ने कुशल वीर पुरुष की तरह हट का उनका मुकाबला किया। तकनीकी उन्नति, वैज्ञानिक उन्नति, शिक्षा-सम्बन्धी उन्नति, आर्थिक उन्नति, तात्पर्य यह कि भारत को हर तरह से उन्नत करने का प्रयास किया। उनके जीवनकाल में तीन बार आम चुनाव हुए 1952, 1957 और 1962 में, तीनों ही बार नेहरू भारत के प्रधानमन्त्री बने तथा तीनों बार कांग्रेस को बहुमत मिला। नेहरू की पंचशील की योजना का सम्मान विश्व भर में हुआ। देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर नेहरू देश के नव-निर्माण में जुट गए। इसके लिए पंचवर्षीय योजनाओं का आरम्भ हुआ। सन् 1951 में प्रथम पंचवर्षीय योजना आरम्भ हुई। देश के औद्योगीकरण की ओर कदम बढ़ाए गए। वैज्ञानिक प्रगति के इस युग में इस ओर आए बिना उन्नति संभव न थी। अतः बड़े-बड़े कल कारखाने आरम्भ हुए बड़े-बड़े बाँध बनाए गए। वैज्ञानिक क्षेत्र में अनुसंधान हुए। इन को ही नेहरू आधुनिक मन्दिर मानते थे। परमाणु शक्ति के विकास की आधारशिला रखी गई। रेल के इंजन, कारें। और हवाई जहाज का निर्माण अपने देश में आरम्भ हुआ।

विदेश नीति के क्षेत्र में भी भारत पूरे विश्व में उभर कर सामने आया। पंचशील और सह-अस्तित्व के सिद्धान्तों को अपनाया गया। रूस अमेरिका और चीन के साथ मैत्री संबंध बने, इण्डोनेशिया और कोरिया के साथ जुड़े।

सन् 1962 में जब चीन ने मैत्री के नारे के साथ भारत की पीठ में चाकू घोंपा तो नेहरू को बहुत आघात पहुंचा। उसके बाद भारत सैन्य-विकास की ओर बढ़ा। शस्त्रों के बड़े-बड़े कारखाने बने। इस प्रकार वे नए भारत के निर्माता बने।

व्यक्तित्व – जवाहर लाल नेहरू को अपने पर पूरा भरोसा था। उनका विश्वास था कि अगर दृढ़-संकल्प से, कोई कार्य किया जाए तो कोई कारण नहीं कि वह पूर्ण न हो। इसलिए भारत की आज़ादी से पहले ही उन्हें भरोसा था कि हम आज़ाद हो कर ही रहेंगे और उन्हें दृढ़ विश्वास था कि आज़ाद होकर हम स्वतन्त्रता की रक्षा कर सकेंगे और समस्याओं को सुलझा लेंगे। नेहरू जी अधिक परिश्रमी थे। निराशा तो उनके मुख पर कभी झलकती तक न थी। कार्यों से वह घबराते न थे। उनका विचार था कि यह जीवन संग्राम है, संघर्षों से ही जीवन निखरता है, निकम्मे और निठल्ले रहने से जीवन अपने आप में ही बोझ बन जाता है। उनका कहना था कि मैं सौ वर्ष तक जीना चाहता हैं और देखना चाहता हूँ कि । जीवन की पगडंडियां कितनी ऊबड़-खाबड़ हैं। वह जीवन इसीलिए नहीं चाहते थे कि । सुख-भोग प्राप्त करें, वह जीवन इसलिए नहीं चाहते थे कि उन्हें वैभव का नशा था, अधिकारों का उन्माद था बल्कि उनके विचार में जीने का अर्थ था जनता की भलाई, संघर्षों से दो हाथ होना और साधना के पथ पर चलना।। ।

वह एशिया की एक महान् विभूति थे। सारा विश्व भी उन्हें आदर की दृष्टि से देखता  था। वह अपने कोट के ऊपर गुलाब का फूल लगाया करते थे, इसलिए कि जितनी देर जियो मुस्कराते हुए जियो। अपने सत्कार्य-सुमनों की महक को बिखेरते हुए जियो। बच्चों के चाचा नेहरू को कैसे मुलाया जा सकता था। उन्हें बच्चों से, नन्हें मुन्नों से बहुत प्यार था। इसीलिए उनका जन्म दिन ‘बाल-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

नेहरू के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सम्मुख उनके विरोधी भी दब जाते हैं अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विदेशी नेता उनकी प्रशंसा और सम्मान करते थे। उन्होंने केवल भारत की राजनीति को ही नहीं अपितु विश्वे राजनीति को नई दिशा दी थी। राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वे उच्च-कोटि के लेखक और वक्ता भी थे। नेहरू का लेखकीय व्यक्तित्व भी प्रभावशाली रहा। है। उन्होंने ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम ‘विश्व इतिहास की झलक’ ‘मेरी कहानी’ तथा ‘भारत । की खोज’ जैसी बहुचर्चित पुस्तकें लिखी हैं। लोकतंत्र के समर्थक नेहरू के संबंध में अमेरिकी  राजदूत श्री चेस्टर बोल्स ने कहा था-‘भारत में जवाहर लाल नेहरू की राजनीतिक शक्ति । इस सीमा तक बढ़ी थी कि वे आसानी से उसी प्रकार एक व्यक्ति के शासन का मार्ग अपना सकते थे जिस प्रकार दूसरे अन्य विकासशील देश के नेताओं ने किया था। पर इसके विपरीत उन्होंने अपने अपार व्यक्तित्व के प्रभाव का प्रयोग रचनात्मक ढंग से भारत के लोकतंत्रीय संस्थानों को सबल बनाने के लिए किया।

उपसंहार -भारतीय-राजनीति के इतिहास में नेहरू का व्यक्तित्व निर्विवाद रूप से अप्रतिम रहा है, उन्होंने भारत को विश्व के सम्मुख एक उन्नत और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा करने में अपूर्व योगदान दिया। अपने देश, अपनी संस्कृति और अपने लोगों से उन्हें असीमित प्यार था। उन्हीं के शब्दों में-“अगर मेरे बाद कुछ लोग मेरे बारे में सोचें तो मैं चाहूँगा कि वे कहें-वह एक ऐसा आदमी जो अपने पूरे दिल और दिमाग से हिन्दुस्तानियों से मुहब्बत करता था और हिन्दुस्तानी भी उस की कमियों को भुलाकर उससे बेहद मुहब्बत करते थे।”

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जवाहर लाल नेहरू पर निबंध | Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 1000 Words

Essay on jawaharlal nehru in hindi.

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi (Download PDF) | जवाहर लाल नेहरू पर निबंध – भारत में कई महान व्यक्तियों का जन्म हुआ और नेहरू उनमें से एक थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में भाग लिया। पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान देशभक्त और बहुमुखी प्रतिभा के धनी राजनीतिज्ञ थे। नहरू जी भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और देश को एक नई दिशा दी। उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है।

वह एक कुशल वक्ता और प्रशासक थे, दूसरी ओर वे एक दूरदर्शी और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति उत्सुक विचारक थे। एक धनी परिवार में पैदा होने के बावजूद, उन्होंने हार मान ली और सभी सुखों को त्यागकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। अपना सारा जीवन देश को समर्पित कर दिया।

जन्म और परिवार

(भारत के पहले प्रधानमंत्री) पंडित जवाहरलाल का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उनकी माता का नाम स्वरूप रानी और पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो एक प्रसिद्ध वकील थे।

उनका पूरा परिवार खुशहाल था, घर में किसी चीज की कमी नहीं थी। अपने माता-पिता का इकलौता बेटा होने और एक बेहद सुविधाजनक परिवार में पैदा होने के कारण, परवरिश बड़ी सुविधाओं और सुखद परिस्थितियों में हुई। प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई।

बच्चों से बहुत अधिक लगाव के कारण, उन्हें अंकल नेहरू के रूप में संदर्भित किया गया था। हर साल, नाहरू के जन्मदिन को भारत सरकार द्वारा बाल दिवस और बाल स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

प्राथमिक शिक्षा

उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा इलाहाबाद में ही एक योग्य शिक्षक की देखरेख में प्राप्त की। फिर 1914 में, उनके पिता ने लगभग पंद्रह साल की उम्र में उच्च शिक्षा के लिए जवाहरलाल नेहरू को इंग्लैंड भेजा।

उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा हैरी विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से बी.ए. डिग्री प्राप्त करके बैरिस्टर की उपाधि भी प्राप्त की। वह 1912 ई। में बैरिस्टर के रूप में भारत लौटे।

घर लौटने के चार साल बाद, उन्होंने 1916 में दिल्ली के व्यवसायी जवाहरलालमल की बेटी कमला नेहरू से शादी की।

ये भी देखें – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

स्वतंत्रता में सहयोग

नेहरू अपनी महानता और विश्वास के लिए जाने जाते थे। स्वतंत्र वातावरण में इंग्लैंड से आने के बाद, उन्हें भारत में खराब माहौल देखने को मिला। वह गुलामी की श्रृंखला में भारत की दयनीय स्थिति से विचलित हो गए। गुलाम भारत में एडवोकेसी से नेहरू खुश नहीं थे।

उनकी मेहनत ने भारत की स्वतंत्रता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लोग अंग्रेजों की गुलामी से तंग आ गए। अक्सर अंग्रेजों ने भारत के लोगों को अपनी बर्बरता का शिकार बनाया। 1919 ई। में अमृतसर में जलियाँवाला बाग के नरसंहार के बाद, नेहरू ने वकालत छोड़ दी और महात्मा गाँधी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर वे गाँधी जी के संपर्क में आए और गाँधी जी से बहुत प्रभावित हुए।

महात्मा गांधी ने पंडित नेहरू की अद्भुत देशभक्ति, मजबूत साहस से प्रभावित होकर उन्हें अपने विश्वसनीय अनुयायी के रूप में स्वीकार किया। सभी सुखों को छोड़कर, वह पिता मोतीलाल नेहरू की इच्छा के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

1921 ई। में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के परिणामस्वरूप, उन्हें 9 महीने के लिए जेल की सजा भी हुई।

नेहरू ने “स्वतंत्र” नामक एक अखबार शुरू किया और ब्रिटिश सरकार की कड़ी आलोचना की। परिणामस्वरूप, जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया और अखबार को बंद कर दिया गया।

उन्हें 1929 ई। में लाहौर के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में अध्यक्ष चुना गया। वे पांच बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। लाहौर के सत्र में, उन्होंने ‘पूर्ण स्वराज’ की घोषणा की। पंडित नेहरू की इस घोषणा ने पूरे देश को उत्साही बना दिया था।

1942 में, जब महात्मा गांधी ने ‘भारत छोड़ो’ का आह्वान किया, पंडित जी ने इस आंदोलन में उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पंडित जवाहरलाल नेहरू विभिन्न प्रकार की यातनाओं के कारण अधिक साहसी और लौह पुरुष बन गए। इसलिए, पंडित जवाहरलाल जी इतनी यातनाये और परेशानियों को झेलकर भी मुस्कुराते रहे|

पहले प्रधानमंत्री के रूप में

जब 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू को सर्वसम्मति से पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति पर भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। । उन्होंने 1964 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर रहे।

17 वर्षों तक इस पद पर रहते हुए, उन्होंने न केवल देश बल्कि भारत के लोगों के दिल पर भी राज किया। उन्होंने भारत को एक उन्नत और प्रगतिशील राष्ट्र बनाने के लिए कड़ी मेहनत की।

पंडित नेहरू ने अपने प्रधान मंत्री पद से भारत को दुनिया में सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाई। उन्होंने भारत के सर्वांगीण विकास के लिए विदेश नीति, आर्थिक प्रगति की नींव, पंचवर्षीय योजना, देश का औद्योगिकीकरण, विश्व शांति आदि को लागू किया। उन्होंने भारत को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पंडित नेहरू ने सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने और महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए हिंदू कोड बिल बनाया। उन्होंने कई वैज्ञानिक और वैज्ञानिक संस्थानों की स्थापना की।

ये भी देखें – Essay on Mother Teresa in Hindi

पुस्तकों की रचनाएँ:

उन्होंने विश्व प्रसिद्ध पुस्तक “डिस्कवरी ऑफ इंडिया”, “माई ऑटोबायोग्राफी एंड ग्लिम्प्स ऑन द हिस्ट्री ऑफ द वर्ल्ड” लिखी। वे न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ थे बल्कि एक बहुत ही विद्वान व्यक्ति भी थे।

पंडित नेहरू को अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान था। जब वे जेल में थे, तब उन्होंने अपनी बेटी इंदु (इंदिरा गांधी) को पत्र लिखे। उनका लिखित पत्र ‘पिता के पत्र बेटी के नाम’ से बहुत प्रसिद्ध हुआ। नहरू जी ने साहित्य के क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान दिया।

पंडित नेहरू ने 27 मई 1964 को अपनी अंतिम सांस ली, जो महिमा और प्रसिद्धि के असीम शिखर पर पहुंच चुके थे । लेकिन उनकी प्रसिद्ध काया अभी भी हमें उनके आदर्शों पर चलने का मधुर संदेश देती है। वास्तव में, पंडित नेहरू, मजबूत, साहसी और शांति पसंद उम्मीदवार शायद ही कभी इस धरती पर पैदा हुए हों।

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FAQs. on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

पंडित जवाहरलाल नाहरू का जन्म कब हुआ था.

उत्तर- पंडित जवाहरलाल का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उनकी माता का नाम स्वरूप रानी और पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो एक प्रसिद्ध वकील थे।

भारत के पहले प्रधानमंत्री कौन थे?

उत्तर- पंडित जवाहरलाल नेहरू को सर्वसम्मति से भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 1964 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर रहे। 17 वर्षों तक इस पद पर रहते हुए, उन्होंने न केवल देश बल्कि भारत के लोगों के दिल पर भी राज किया।

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हिन्दी निबंध : जवाहर लाल नेहरु निबंध (Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi)

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हिन्दी निबंध : पंडित जवाहरलाल नेहरू लेख

सुधबुध में आपका स्वागत है  आज आप  “Essay on Pandit Jawahar Lal Nehru in Hindi ”, “पंडित जवाहर लाल नेहरू पर लेख”, Hindi Essay for Class 5 ,6 ,7 ,8 ,9 ,10 , Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations के लिए लेकर आये हैं।आइये   Hindi Essay  on “ Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi “, “ Pandit Jawahar Lal Nehru Speech in Hindi ”. 

पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध हिंदी भाषा में | Chacha Nehru essay in Hindi | Pandit Jawaharlal Nehru 

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Essay on Pandit Jawahar Lal Nehru in Hindi | पंडित जवाहर लाल नेहरू पर लेख निबंध

पंडित जवाहर लाल नेहरू पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi, Jawaharlal Nehru par Nibandh Hindi mein)

भूमिका – भारत माता लगभग दो सौ वर्षों तक अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों में जकड़ी रही।माँ भर्ती के अनेकों सपूतों ने भारत माँ की लिए अपनी ज़िंदगियाँ दांव पर लगा दी  उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक पंडित जवाहरलाल नेहरू भी थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम भी बड़े गर्व और सम्मान के साथ लिया जाता है, जिन्होंने भारत माता की आज़ादी के लिए अपना सुखी समृद्ध जीवन त्याग दिया। आखिरकार सभी महापुरुषों की बदौलत भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। पंडित जी को देश के पहले प्रधान मंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर दिया गया, जिसे उन्होंने पूरे समर्पण के साथ किया।

जन्म और बचपन – पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pt. Jawahar Lal Nehru) का जन्म 14 नवंबर, 1889 को हुआ था। इलाहाबाद (अब प्रयागराज ) उत्तर प्रदेश में पंडित मोती लाल नेहरू जी के घर हुआ था। नेहरू के पिता उस समय के एक नामी वकील थे। उनकी माता का नाम श्रीमती स्वरुप रानी था। एक धनी परिवार में जन्म होने के कारण उनका लालन-पालन एक राजकुमार की तरह हुआ। उनका बचपन बहुत सहज था।नेहरू जी को पढ़ने के लिए किसी स्कूल में जाने की जरूरत नहीं पड़ी। शीर्ष और अनुभवी अंग्रेजी शिक्षक घर पर खुद पढ़ाने आते थे।

उच्च शिक्षा के लिए लंदन जाना – आप उच्च अध्ययन के लिए जवाहरलाल नेहरू (Pt. Jawahar Lal Nehru) इंग्लैंड गए। उन्होंने वहां के सबसे अच्छे स्कूलों में पढ़ाई की और 1912 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से बैरिस्टर पास करके भारत लौट आए। 1916 में, उनका विवाह श्रीमती कमला से हुआ, जिनके पवित्र गर्भ से श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म हुआ। जिन्होंने लगभग 17 वर्षों तक एक मंत्री और प्रधान मंत्री के रूप में देश की सेवा की और देश को महानता के पथ पर अग्रसर किया।

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राष्ट्रीय सेवा की ओर झुकाव – जवाहरलाल नेहरू (Pt. Jawahar Lal Nehru) ने भारत आने के बाद वकालत शुरू की। उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी से मरना बेहतर समझा। नतीजा यह हुआ कि एक दिन उन्होंने वकालत को ठोकर मार दी और देश की सेवा में शामिल हो गए। उनकी पत्नी श्री मती कमला ने भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश सेवा में काम करना शुरू किया और देश सेवा करते हुए भगवान के चरणों में चलीं गईं।

आजादी की लड़ाई – एक अधिवेशन में जब आप महात्मा गांधी जी से लखनऊ मिले तो आपका काफी हौसला बढ़ा। 1929 ई लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में आप ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की। इस उद्देश्य को सफल बनाने के लिए उन्होंने दिन-रात एक किया। उन्हें काफी दिक्क्तों  और मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वह कई बार जेल भी गए। लेकिन वह अपने विश्वास से पीछे नहीं हटे। महात्मा गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ते रहे। आखिरकार अंग्रेजों को उनके सामने घुटने टेकने पड़े और देश आजाद हो गया। लेकिन अंग्रेजों की कुटिल नीति ने देश को दो भागों में बांट दिया, जिससे आपको बहुत पीड़ा हुई।

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री – 15 अगस्त 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pt. Jawahar Lal Nehru) ने देश की बागडोर संभाली। उन्हें देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया था। प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन पर जिम्मेदारियों का पहाड़ आ गया। वह एक ऐसा देश बनाना चाहते थे, जिसमें किसी को कष्ट न हो, सभी के पास पर्याप्त भोजन हो, सभी के पास रहने के लिए घर हो। आप ने इन कार्यों को लागू करने के लिए पंचवर्षीय योजनाएँ बनाईं। उन्होंने दिन-रात मेहनत करके देश में कारखानों, बांधों, रेलवे और सड़कों का जाल बिछाया।

बच्चों का चाचा नेहरू –  बच्चे उन्हें ‘ चाचा नेहरू’ कहकर बुलाते थे और वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। यहाँ तक कि विदेशी बच्चे भी उसे बहुत प्यार करते थे। जब वे विदेश जाते थे तो बच्चों के लिए कई तरह के उपहार लेते थे। बच्चे खुद को उपहार भी देते हैं। इसलिए उनके जन्मदिन को हर साल ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बच्चे अपने प्यारे चाचा नेहरू को बड़े गर्व से याद करते हैं।

प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी – जवाहरलाल नेहरू का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि देश के बड़े-बड़े नेता भी उन पर विश्वास करते थे। चीन ने जब भारत के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की तो उसने ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया कि उसकी भारत की तरफ देखने की हिम्मत ही नहीं हुई। उन्होंने पूरी दुनिया को ‘जियो और जीने दो’ और ‘आराम है हराम’ का अमर संदेश दिया। वे एक प्रसिद्ध लेखक भी थे। ‘भारत एक खोज’ और ‘पिता से बेटी को पत्र’ उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।

स्वर्गवास – 27 मई 1964 ई. का वो दुर्भाग्यपूर्ण दिन, जिसदिन आपका देहांत हुआ। उनके निधन से पूरा देश शोक के माहौल में डूब गया। बच्चों के ‘चाचा नेहरू’ उन्हें हमेशा के लिए छोड़ गए। लेकिन चाचा नेहरू की मृत्यु नहीं हुई, वे हमेशा के लिए अमर हो गए। उनकी समाधि दिल्ली में ‘शांति वन’ में बनी है। देश को एक नई दिशा देकर जवाहरलाल नेहरू एक महान नेता इस भारत भूमि में सदा के लिए समा गए। 

ऊपर दिए गए लेख की मदद से आप निम्नलिखत निबंधों को आसानी से लिख सकते हैं  

  • Short essay on Jawaharlal Nehru in hindi, जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, (100 शब्द) 
  • Essay on Jawaharlal Nehru in hindi, जवाहरलाल नेहरू पर निबंध,(150 शब्द)
  • Essay on Jawaharlal Nehru in hindi, जवाहरलाल नेहरू पर निबंध,(200 शब्द)
  • Essay on Jawaharlal Nehru in hindi, जवाहरलाल नेहरू पर निबंध,(300 शब्द)
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  • Jivan Parichay (जीवन परिचय) /

आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय – Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi

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  • Updated on  
  • जनवरी 16, 2024

Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जिन्हें आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक माना जाता हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू शांति और समृद्धता के सबसे बड़े समर्थक थे। पंडित नेहरू को सिर्फ उनके राजनीतिक करियर के लिए ही नहीं बल्कि बच्चों के बीच प्रसिद्धि के लिए भी जाना जाता है। वे बच्चों से उतना ही प्यार करते थे जितना कि लाल रंग के गुलाब से। आइए अब हम जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय (Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi) और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

This Blog Includes:

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय , भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान, लखनऊ जेल में लिखी डिस्कवरी ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रकाशित पुस्तकें, पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय .

Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi: पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘मोतीलाल नेहरू’ था जो पेशे से एक वकील थे और दो बार अध्यक्ष के रूप में ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ के पद पर रहे थे। और माता का नाम ‘स्वरूप रानी’ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया जहाँ से उन्होंने नेचुरल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। 

आपको बता दें कि 26 साल की उम्र में पंडित नेहरू की शादी 16 साल की “ कमला कौल” नाम की कश्मीरी ब्राह्मण लड़की से हुई थी। कमला कौल के पिता पुरानी दिल्ली के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे। दोनों की शादी 7 फरवरी, 1916 को हुई थी। 

वर्ष 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए। यहाँ तक कि छात्र जीवन के दौरान भी वे विदेशी हुकूमत के अधीन देशों के स्वतंत्रता संघर्ष में रुचि रखते थे। वर्ष 1912 में ही उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं 1919 में इलाहाबाद के “होम रूल लीग” के सचिव बने। 1916 में वे महात्मा गांधी से पहली बार मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया। 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।

वर्ष 1926 में, मद्रास कांग्रेस में कांग्रेस को आजादी के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध करने में नेहरू की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के खिलाफ एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए उन पर लाठी चार्ज किया गया था। 29 अगस्त 1928 को उन्होंने सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया एवं वे उनलोगों में से एक थे जिन्होंने भारतीय संवैधानिक सुधार की नेहरू रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर किये थे। इस रिपोर्ट का नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। उसी वर्ष उन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता लीग’ की स्थापना की एवं इसके महासचिव बने। इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः अलग करना था।

पंडित नेहरू को वर्ष 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कांग्रेस के अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा था। इस दौरान उन्होंने ‘स्वतंत्रता की ओर’ शीर्षक से अपनी आत्मकथा लिखी। जो वर्ष 1936 में अमेरिका में प्रकाशित भी हुई थी। उन्होंने ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ और ‘ग्लिम्प्सेज ऑफ द वर्ल्ड’ पर दो किताबें लिखीं थी, जो भारत के साथ-साथ दुनिया के बारे में उनके अपार ज्ञान को दर्शाती है।

पंडित नेहरू ने भारत को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर करने का विरोध करते हुए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया, जिसके कारण 31 अक्टूबर 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दिसंबर 1941 में अन्य नेताओं के साथ जेल से मुक्त कर दिया गया। 7 अगस्त 1942 को मुंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक संकल्प ‘भारत छोड़ो’ को कार्यान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया। 

8 अगस्त 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किला ले जाया गया। यह अंतिम मौका था जब उन्हें जेल जाना पड़ा एवं इसी बार उन्हें सबसे लंबे समय तक जेल में समय बिताना पड़ा। अपने पूर्ण जीवन में वे नौ बार जेल गए। जनवरी 1945 में अपनी रिहाई के बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल। ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ (INA) के अधिकारियों एवं व्यक्तियों का कानूनी बचाव किया। मार्च 1946 में पंडित नेहरू ने दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा किया।

उन्हें वर्ष 1946 में चौथी बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। वहीं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू ने एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया था। इसके साथ 14 अगस्त का वो ऐतिहासिक दिन जब रात शुरु होते ही आजादी का समारोह शुरू हो गया था। इस समारोह के मुख्य वक्ताओं में से एक पंडित नेहरू भी थे जिन्होंने आधी रात को कहा, “अब हम आजाद हैं”। जिसे सुनकर हर एक भारतीय की आँखें नम हो गई थी। 

भारत की आजादी के बाद बच्चों और युवाओं के लिए पंडित नेहरु ने काफी अच्छे काम किए। जब वे प्रधानमंत्री बने तो उनकी पहली प्राथमिकता बच्चों की शिक्षा ही थी। युवाओं के विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए भारत में उन्होंने विभिन्न शैक्षिक संस्थानों जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) की स्थापना की और देश को आधुनिक बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने विशेष रूप से बच्चों के लिए स्वदेशी सिनेमा बनाने के लिए 1955 में चिल्ड्रन फिल्म सोसाइटी इंडिया की स्थापना की।

उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारम्भ कर भारत में उद्योग के एक नए युग की शुरुआत की। इतना ही नहीं नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा, बच्चों को भारत में कुपोषण से बचाने के लिए स्कूलों में दूध सहित मुफ्त भोजन को भी शामिल किया। चाचा नेहरु का कहना था कि बच्चें देश का उज्वल भविष्य हैं। केवल सही शिक्षा, देखभाल और प्रगति के रास्ते पर उनको चलाकर एक नया जीवन दिया जा सकता है। 

जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में , “आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे। जिस तरह से हम उन्हें पालेंगे, वही देश का भविष्य तय करेगा।”

6 जुलाई 1946 को वे चौथी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए एवं फिर 1951 से 1954 तक तीन और बार वे इस पद के लिए चुने गए। 27 मई 1964 को दोपहर एक बजकर 44 मिनट पर नेहरू ने आखिरी साँस ली। 

पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी गई कुछ पुस्तकें नीचे दी गई है:

  • पिता के पत्र : पुत्री के नाम 
  • ग्लिंप्सेज ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री
  • मेरी कहानी 
  • भारत की खोज  (दि डिस्कवरी ऑफ इंडिया) 
  • राजनीति से दूर
  • इतिहास के महापुरुष
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यहाँ आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय (Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

आशा है कि आपको आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय (Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध और जीवन परिचय information about jawaharlal nehru essay in hindi & biography in hindi.

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Information About Jawaharlal Nehru in Hindi

hindiinhindi Jawaharlal Nehru in Hindi

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi 300 Words

पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था। इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे। वे काफी संपन्न व्यक्ति थे। बाद में उन्होंने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था। जवाहर लाल की माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। 15 वर्ष की आयु में नेहरू जी को शिक्षा प्राप्ति के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया। सन 1912 में बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे भारत लौट आए। 1915 में जवाहर लाल कमला नेहरू के साथ विवाह-सत्र में बंध गए।

स्वदेश लौटने पर नेहरू जी ने वकालत आरंभ की परंतु उसमें उनका चित्त नहीं रहा। भारत की परतंत्रता उनके मन में काँटे की तरह चुभती थी। उन्होंने इंग्लैण्ड का स्वतंत्र वातावरण देखा था, उसकी तुलना में भारत दीन हीन देश था। यहाँ की दीन दशा के लिए अंग्रेजों की नीति जिम्मेदार थी। उधर पंजाब में हुए जलियाँवाला हत्याकाँड ने उनके मन को झकझोर कर रख दिया। नेहरू जी ने पहले होमरूल आदोलन में भाग लिया, फिर गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे अहिंसात्मक आदोलन में सक्रिय सहयोग देने लगे। राजसी ठाठ-बाट छोडकर खादी का कपड़ा पहना और सत्याग्रही बन गए। असहयोग आदोलन में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की। इसके बाद उन्होंने संपूर्ण जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया।

सन् 1929 में लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। नेहरू जी ने इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की माँग की। 15 अगस्त 1947, के दिन भारत अंग्रेजो की दो सौ वर्षों की गुलामी को पछाड़ कर स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। नेहरू जी स्वतंत्र राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री बने। बच्चों के चाचा नेहरु और भारत के पहले प्रधानमंत्री की देश की सेवा करते हुए हृदय घात की वजह से 27 मई 1964 को निधन हो गया। भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के महानायक पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने जिस तरह अपने दूरदर्शी सोच, कठोर प्रयास और संघर्षों के बाद भारत को शक्तिशाली और मजबूत राष्ट्र बनाने में अपने अपूर्व योगदान दिया, उससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं हम सभी को उनके आदर्शों पर चलकर भारत के विकास में अपना सहयोग देना चाहिए।

Biography of Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi 400 Words

पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री और हम सबके प्यारे चाचा नेहरू उन नेताओं में से एक थे, जिन्हें आधुनिक भारत के निर्माण का श्रेय जाता है। श्री नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक मशहूर वकील थे। उनकी माताजी का नाम स्वरूप रानी था। श्री नेहरू ने विदेश के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की। 1912 में वे भारत लौटकर वकालत करने लगे।

चार साल बाद 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू से हुआ। इसके बाद वे छोटी-मोटी राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ने लगे, लेकिन राजनीति से उनका असल जुड़ाव 1919 में महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद हुआ। वे गांधीजी की शांतिपूर्वक प्रतिरोध करने की नीति से बहुत प्रभावित हुए। वहीं गांधीजी ने भी उनमें भारत कीं राजनीति का भविष्य देखा। सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद श्री नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए। तीन साल तक पार्टी के महासचिव रहने के बाद दिसंबर, 1929 में लाहौर अधिवेशन के दौरान वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए। इसी अधिवेशन के दौरान 26 जनवरी, 1930 को भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।

1935 को भारत सरकार अधिनियम बनने के बाद हुए चुनावों में उन्होंने पार्टी के लिए बढ़-चढ़कर प्रचार किया। नतीजा यह हुआ कि पार्टी ने लगभग हर राज्य में अपनी सरकार बनाई और वे एक प्रभावशाली राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।

1945 में जेल से बाहर आने पर उन्होंने देश की आज़ादी को लेकर ब्रिटिश सरकार से हुई बातचीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हो गया और पं० नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। अगले 17 सालों, यानी 1964 तक वे इस पद पर बने रहे। इस दौरान उन्होंने देश के सामने आने वाली हर चुनौती का बहुत सूझबूझ से सामना किया। ये उनकी नीतियों का ही कमाल था कि भारत ने कृषि, विज्ञान और उद्योग के क्षेत्र में खूब प्रगति की। पंचवर्षीय योजनाओं से लेकर भारत की विदेश नीति तय करने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। यही वजह है कि उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है। 27 मई, 1964 को हृदय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया।

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Quotes of Jawaharlal Nehru in Hindi

Action to be effective must be directed to clearly conceived ends। कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ठ लक्ष्य की तरफ निर्देशित किया जाना चाहिए।

Citizenship consists in the service of the country. नागरिकता देश की सेवा में निहित है।

ESSAY ON JAWAHARLAL NEHRU IN HINDI

Hello, guys today we are going to write an essay on Jawaharlal Nehru in Hindi. जवाहरलाल नेहरू पर निबंध हिंदी में। Students today we are going to discuss very important topic i.e essay on Jawaharlal Nehru in Hindi. Jawaharlal Nehru essay in Hindi is asked in many exams. The long essay on Jawaharlal Nehru in Hindi is defined in more than 2000 words. Learn an essay on Jawaharlal Nehru in Hindi and bring better results.

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 300 Words

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 4 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, में हुआ था। उनके पिता का नाम पं. मोती लाल नेहरू था, जो प्रसिदध वकील थे तथा उनकी मां का नाम स्वरुप्रानी था। जवाहरलाल नेहरू की परवरिश एक राजकुमार की तरह हुई थी। एक अंग्रेजी ट्यूटर द्वारा घर पर अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा गया। उन्होंने इंग्लैंड से कानून में अपनी डिग्री ली और बैरीस्टर के रूप में भारत लौट आये।

जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी के साथ भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भेजा गया। उनका पूरा जीवन स्वतंत्रता के लिए भारत की लड़ाई का इतिहास है। उन्होंने कई सालों के लिए महा सचिव के रूप में कांग्रेस की सेवा की। वह एक महान राजनीतिक नेता थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उन्होंने पांच साल की योजना शुरू कर दी थी और बहुउद्देशीय परियोजनाओं का निर्माण किया था। अंत में, 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद वह भारत के पहले प्रधान मंत्री बने।

जवाहरलाल नेहरू बच्चों से बहुत प्रेम करते थे। उन्हें बच्चो से बात करना, उनके साथ रहना बहुत पसंद था और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहते थे। बच्चो के प्रति उनके इसी प्रेम के कारण, हमारे देश में हर साल 14 नवंबर को उनका जन्मदिन ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसे स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है तथा कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

जवाहरलाल नेहरू भारत के महानतम नेताओं में से एक थे और भारतीय संस्कृति के प्रेमी थे। वह पंचशीला के संस्थापक थे, जो मानवीय अच्छाई और नैतिक मूल्यों में विश्वास रखता है और जिसमे नेहरू जी ने सुरक्षा और व्यवस्था के सिंधान्तो का जवाब दिया। उन्होंने “आत्मकथा”, “द डिस्कवरी ऑफ इंडिया” और “ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” जैसी प्रसिद्ध किताबें लिखीं।

27 मई 1964 को नेहरू जी का निधन हो गया। चाचा नेहरू जी की मौत दुनिया के सभी शांतिप्रिय लोगों के लिए एक बड़ा झटका था। राष्ट्र ने अपना एक महान आदमी और महान राष्ट्रवादी खो दिया है जिनका स्थान भरना बहुत कठिन होगा।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 500 Words

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों में गिना जाता है और लगभग हर भारतीय उनके बारे में बहुत अच्छी तरह से जानता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1898 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्हें हम चाचा नेहरू के रूप में भी जानते हैं। उनका जन्मदिन, देश के बच्चों के लिए उनके महान प्रेम और स्नेह के कारण बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जवाहरलाल नेहरू के मुताबिक, बच्चे देश के उज्ज्वल भविष्य हैं। नेहरुजी अच्छी तरह से जानते थे कि देश का उज्ज्वल भविष्य बच्चों के उज्ज्वल भविष्य पर ही निर्भर करता है।

उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था और माता का नाम स्वरूपरानी थूसु था। उनके पिता इलाहाबाद के एक प्रसिद्ध वकील थे। इसलिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा। नेहरू जी ने वहां वकालत पूरी की और 1912 में एक वकील के रूप में भारत लोट आए।

भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी से मिले। महात्मा गांधीजी से मिलने के बाद नेहरु जी – गांधी जी से बहुत प्रभावित हुए थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी जी ने देश की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया था। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान जवाहरलाल नेहरू जी को कई बार जेल भेजा दिया गया। इस प्रकार, पंडित नेहरू जी ने भारत की आजादी के लिए बहुत संघर्ष किया था।

1916 में उन्होंने 27 साल की उम्र में कमला कौल (कमला नेहरू) से शादी की और उनकी पुत्री का नाम इंदिरा गांधी था। पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान राजनीतिक नेता थे और वह एक बहुत ही अनुकूल व्यक्ति थे। नेहरू जी हमेशा बच्चों को देशभक्त बनने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उन्हें कड़ी मेहनत और बहादुरी से काम करने का सुझाव देते थे, क्योंकि नेहरु जी बच्चों को देश का भविष्य मानते थे।

इस प्रकार, 27 मई, 1964 को, भारत की सेवा के दौरान, दिल का दौरा पड़ने के कारण नेहरू जी का निधन हो गया। दुनिआ भर के शांतिप्रिय लोगो पर इनकी मौत का गहरा असर पड़ा, क्योकि उन्होंने एक ऐसा शांतिप्रिय नेता खो दिया था जिनका स्थान भरना बहुत कठिन होगा। उनकी मृत्यु के बाद, हर साल 14 नवंबर को, उनका जन्मदिन एक बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। चाचा नेहरू को उनके बलिदान और राजनीतिक उपलब्धियों के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 800 Words

स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद के प्रसिद्ध आनन्द भवन में हुआ था। यह भवन उन दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस और राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। देश के सभी बड़े नेता समय-समय पर यहीं एकत्रित होते थे और अपनी रणनीति तय करते थे। बालक नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू अपने समय के प्रसिद्ध वकील और कांग्रेस के नेता थे। इनकी माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। वे अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे। इनकी दो बहिनें-विजय लक्ष्मी पंडित और कृष्णा हठी सिंह थीं। जवाहरलाल नेहरू का पालन-पोषण बड़ी सुख-सुविधाओं के बीच हुआ। 15 वर्ष की आयु में इन्हें उच्च कानूनी शिक्षा प्राप्त कर वैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड भेजा गया। लंदन में इन्होंने हैरे तथा कैम्ब्रिज में अध्ययन किया और इनर टैम्पल में कानून का प्रशिक्षण पूरा किया। अंततः 1912 में वे स्वदेश लौट आए।

सन् 1916 में इनका विवाह कमला कॉल से हो गया। नेहरू जी की गाँधी जी से मुलाकात से उनके जीवन में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ आया। 1916 में वकालत छोड़कर वे स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। गाँधी जी के नेतृत्व ने नेहरू जी के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया। इसके पश्चात् उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 19 नवम्बर, 1919 को बेटी इन्दिरा का जन्म हुआ। 1936 में कमला नेहरू की मृत्यु पर नेहरू जी को बड़ा धक्का लगा परन्तु वे देश की आजादी के संग्राम में लगे रहे। 1918 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस का सदस्य बनाया गया और फिर वे जीवन भर इसके सदस्य बने रहे। उन्होंने भारत का व्यापक दौरा किया और अपनी आंखों से देश की दयनीय तस्वीर देखी।

जलियांवाला बाग की त्रासदी और अत्याचार ने तो सभी देशवासियों को गहरा आघात पहुंचाया। नेहरू जी भी इससे बड़े आहत हुए। सन् 1923 में वे पहली बार जेल गये। 1926 में उन्होंने यूरोप का भ्रमण किया तथा वहां के स्वतन्त्र देशों के संविधान, कार्यप्रणाली आदि का अध्ययन किया। 1927 में वे भारत लौट आये और पुन: स्वतन्त्रता-संग्राम में संलग्न हो गये। 1929 में लाहौर अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का प्रधान बनाया गया। इसी ऐतिहासिक अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। शीघ्र ही नेहरू जी, गाँधी जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी और देश के प्रमुख नेताओं में गिने जाने लगे।

9 अगस्त, 1942 को मुम्बई अधिवेशन में ऐतिहासिक ”भारत छोडो” आन्दोलन का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके तुरन्त बाद गाँधी जी, नेहरू जी व अन्य सभी बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया। गाँधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा देश को दिया और स्वतन्त्रता आन्दोलन अपने पूरे उफान पर पहुंच गया। इसी बीच नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज का गठन कर लिया था। दूसरे विश्व युद्ध में विनाश का तांडव सर्वत्र छाया हुआ था। अंतत: अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा और भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतन्त्र हो गया, परन्तु जाते-जाते भी अंग्रेज देश का हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में विभाजन करने में सफल रहे।

नेहरू जी स्वतन्त्र भारत के प्रधान मंत्री बनाये गये। 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गाँधी जी की हत्या ने सारे भारत को गहरे शोक में डुबो दिया। नेहरू जी को इससे बड़ा आघात लगा परन्तु शीघ्र ही उन्होंने अपने आप को संभाल लिया और वे पुन: अपने कार्यों में सक्रिय हो गये। नेहरू जी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई परिवर्तन देखे परन्तु कभी हिम्मत नहीं हारी। वे पूरे आशावादी थे। सन् 1960 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ (यू. एन. ओ.) में एक बड़ा ओजस्वी भाषण दिया और विश्वशांति की जोरदार वकालत की।

नेहरू जी के व्यक्त्वि के कई आयाम थे। 17 वर्ष की लम्बी अवधि तक वे देश को समृद्ध, शिक्षित, गतिशील व पूर्णत: स्वावलम्बी बनाने के प्रयत्न में लगे रहे। वे महान मानवतावादी तथा सहिष्णु स्वभाव के नेता थे और जनता की सेवा को ही अपना परम धर्म मानते थे। देश के लोगों में वे बहुत लोकप्रिय थे और सारी जनता उन्हें बड़ा आदर व प्यार करती थी। वे एक बहुत अच्छे वक्ता, लेखक और इन्सान थे। उनके भाषण सुनने हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती थी। बच्चों से उनको असीम प्यार था। उन्हीं की आंखों में वे भारत का स्वर्णिम भविष्य देखते थे। बहुत व्यस्त रहने के बावजूद भी वे बच्चों से मिलने का समय निकाल लेते थे। बच्चों में वे स्वयं भी बच्चे बन जाते थे।

उनका जन्म दिन 14 नवम्बर उनकी इच्छा के अनुसार “बाल दिवस” के रूप में मनाया जाने लगा और आज भी मनाया जाता है। इस दिन देश के सभी बच्चे अपने प्यारे चाचा नेहरू को याद करते हैं, उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग पर चलने का प्रयत्न करते हैं। यदि पण्डित नेहरू राजनीति में नहीं होते तो महान् लेखक बनते। लिखने और पढ़ने का उन्हें बड़ा शौक था। जब भी समय मिलता तो वे पुस्तकें पढ़ते थे या फिर सृजन करते। वर्ल्ड हिस्ट्री, द डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ऑटोबाओग्राफी, लैटर्स फ्रॉम फादर टू हिज डॉटर, ए बन्च ऑफ लैटर्स आदि उनकी प्रसिद्ध कृतियां हैं। अंग्रेजी भाषा पर उनकी असाधारण पकड़ थी। विश्वशांति के लिए उन्होंने अनेक प्रयत्न किये। पंचशील के सिद्धांतों का प्रतिपादन इन में से एक था। इन सिद्धान्तों का पालन कर सहज ही विश्व में शांति और व्यवस्था को बनाये रखा जा सकता है।

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 1000 Words

काल-चक्र के परिभ्रमण के साथ विश्व-इतिहास और मानवीय सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए हैं। इस परिवर्तन की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप समाज, देश, सभ्यता तथा मूल्यों में परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को रूप देने वाले और नवीन-सिद्धान्तों की स्थापना करने वाले व्यक्ति भी इतिहास के ही अंग बन जाते हैं। इस प्रकार के व्यक्तित्व कभी धर्म और दर्शन के क्षेत्र में कभी ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में तो कभी राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में प्रकट होते हैं तथा अपनी मान्यताओं और कार्यों से विश्व इतिहास को नई दिशा देते हैं भारतीय राजनीति के इतिहास में जवाहर लाल नेहरू ऐसे ही गौरवशाली व्यक्तित्व के रूप में प्रकट हुए हैं। शान्ति के उपासक, पंचशील के अधिष्ठाता, बच्चों के “चाचा नेहरू” विश्व इतिहास में अमर हो गए हैं।

जवाहर लाल नेहरू का जन्म पावन तीर्थ प्रयाग में माता स्वरूप रानी की गोद हरी करने के लिए नेहरू वंश की वृद्धि के लिए, पीड़ित भारत के कल्याण के लिए 14 नवम्बर, सन् 1889 को श्री मोती लाल के घर हुआ। श्री मोती लाल विख्यात वकील थे और पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित थे। आरम्भ में नेहरू जी को शिक्षा भी कुछ ऐसी ही मिली। अध्यापक कुछ आध्यात्मिक अधिक थे, इसलिए नेहरू भी आध्यात्मिक बनने लगे। पिता को यह अच्छा न लगा और उन्होंने सन् 1905 में नेहरू को इंग्लैंड भेज दिया। वहां नेहरू जी ने निरन्तर सात वर्ष तक अध्ययन किया। 1912 में वकालत पास करके आए। पिता की इच्छा थी कि बेटा इनकी तरह ही विख्यात वकील बने, फलतः पुत्र ने पिता के साथ वकालत में सहयोग देना शुरु किया। इधर वकालत चलती उधर विख्यात राजनीतिज्ञ मोती लाल नेहरू के घर आते और राजनीतिक चर्चा करते। फलत: नेहरू पर भी कुछ-कुछ राजनीतिक प्रभाव पड़ने लगा।

1916 में श्री कौल की पुत्री कमला से जवाहर लाल नेहरू का पाणिग्रहण हुआ और 1917 में एक लड़की हुई जिसका नाम इन्दिरा प्रियदर्शिनी रखा गया। कुछ समय बाद एक लड़का पैदा हुआ पर वह जीवित न रह सका। 1919 में जलियांवाला बांग के गोलीकांड को देखकर नेहरू की आत्मा कांप उठी और तब वह राजनीतिक नेताओं के सम्पर्क में आने लगे। 1921 से छः मास की और 1922 में अठारह महीने की कैद का दण्ड उनको मिला। इधर कमला का स्वास्थ्य बहुत गिर रहा था। 1927 में नेहरू स्विट्ज़रलैण्ड गए। वहां उन्होंने कई नेताओं से भेंट की। अब तो नहेरू का ध्येय ही बदल गया।

26 जनवरी, 1930 को रावी के किनारे साँझ के समय तिरंगा फहराते हुए पण्डित जवाहरलाल ने कहा, “स्वतन्त्रता प्राप्त करके ही रहेंगे।” कांग्रेस के इस प्रस्ताव से अंग्रेज़ बौखला उठे। उन्होंने दमनचक्र शुरू किया, कमला फिर बीमार हुई। आखिर 1936 में कमला का देहान्त हो गया। इधर मोती लाल की भी मृत्यु हो गई। नेहरू अब राजनीतिक कार्यों में अधिक भाग लेने लगे। आन्दोलन करते और जेल जाते। गांधी जी के पथप्रदर्शन से नेहरू का व्यक्तित्व विकसित होने लगा। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू हुआ। बड़े-बड़े नेता जेल में डाल दिए गए। देश में बहुत हलचल हुई। युद्ध समाप्त हो गया। अंग्रेज़ों की विजय तो हुई पर वे बहुत जर्जर हो गए। 1945 में शिमला कांन्फ्रेंस हुई, पर वह असफल रही। 1946 में अन्तरिम सरकार बनी, पर जिन्ना के कारण वह भी असफल ही रही। आखिर भारत का विभाजन करके 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ चल दिए।

प्रधानमन्त्री के रूप में

नेहरू स्वतन्त्र देश के पहले प्रधानमन्त्री बने। भारत के सामने एक नहीं, अनेक समस्याएं मुंह खोले खड़ी थीं। नेहरू ने कुशल वीर पुरुष की तरह डट का उनका मुकाबला किया। तकनीकी उन्नति, वैज्ञानिक उन्नति, शिक्षा-सम्बन्धी उन्नति, आर्थिक उन्नति, तात्पर्य यह कि भारत को हर तरह से उन्नत करने का प्रयास किया। उनके जीवनकाल में तीन बार आम चुनाव हुए – 1952 1957 और 1962 में, तीनों ही बार नेहरू भारत के प्रधानमन्त्री बने तथा तीनों बार कांग्रेस को बहुमत मिला। नेहरू की पंचशील की योजना का

सम्मान विश्व भर में हुआ। देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर नेहरू देश के नव-निर्माण में जुट गए। इसके लिए पंचवर्षीय योजनाओं का आरम्भ हुआ। सन् 1951 में प्रथम पंचवर्षीय योजना आरम्भ हुई। देश के औद्योगीकरण की ओर कदम बढ़ाए गए। वैज्ञानिक प्रगति के इस युग में इस ओर आए बिना उन्नति संभव न थी। अतः बड़े-बड़े कल कारखाने आरम्भ हुए और बड़े-बड़े बाँध बनाए गए। वैज्ञानिक क्षेत्र में अनुसंधान हुए। इन को ही नेहरू आधुनिक मन्दिर मानते थे। परमाणु शक्ति के विकास की आधारशिला रखी गई। रेल के इंजन और हवाई जहाज का निर्माण अपने देश में आरम्भ हुआ।

विदेश नीति के क्षेत्र में भी भारत पूरे विश्व में उभर कर सामने आया। पंचशील और सह-अस्तित्व के सिद्धान्तों को अपनाया गया। रूस अमेरिका और चीन के साथ मैत्री सम्बन्ध बने, इण्डोनेशिया और कोरिया के साथ जुड़े।

सन् 1962 में जब चीन ने मैत्री के नारे के साथ भारत की पीठ में चाकू घोंपा तो नेहरू को बहुत आघात पहुंचा। उसके बाद भारत सैन्य-विकास की ओर बढ़ा। शस्त्रों के बड़े-बड़े कारखाने बने। इस प्रकार वे नए भारत के निर्माता बने।

जवाहर लाल नेहरू को अपने पर पूरा भरोसा था। उनका विश्वास था कि अगर दृढ़-संकल्प से, कोई कार्य किया जाए तो कोई कारण नहीं कि वह पूर्ण न हो। इसलिए भारत की आज़ादी से पहले ही उन्हें भरोसा था कि हम आज़ाद हो कर ही रहेंगे। और उन्हें दृढ़ विश्वास था कि आज़ाद होकर हम स्वतन्त्रता की रक्षा कर सकेंगे और समस्याओं को सुलझा लेंगे। नेहरू जी अधिक परिश्रमी थे। निराशा तो उनके मुख पर कभी झलकती तक न थी। कार्यों से वह घबराते न थे। उनका विचार था कि यह जीवन संग्राम है, संघर्षों से ही जीवन निखरता है, निकम्मे और निठल्ले रहने से जीवन अपने आप में ही बोझ बन जाता है। उनका कहना था कि मैं सौ वर्ष तक जीना चाहता हैं और देखना चाहता हूँ कि जीवन की पगडंडियां कितनी ऊबड़-खाबड़ हैं। वह जीवन इसीलिए नहीं चाहते थे कि सुख-भोग प्राप्त करें, वह जीवन इसलिए नहीं चाहते थे कि उन्हें वैभव का नशा था, अधिकारों का उन्माद था बल्कि उनके विचार में जीने का अर्थ था जनता की भलाई, संघर्षों से दो हाथ होना और साधना के पथ पर चलना।

वह एशिया की एक महान् विभूति थे। सारा विश्व भी उन्हें आदर की दृष्टि से देखता था। वह अपने कोट के ऊपर गुलाब का फूल लगाया करते थे, इसलिए कि जितनी देर जियो मुस्कराते हुए जियो। अपने सत्कार्य-सुमनों की महक को बिखेरते हुए जियो। बच्चों के चाचा नेहरू को कैसे भुलाया जा सकता था। उन्हें बच्चों से, नन्हें मुन्नों से बहुत प्यार था। इसीलिए उनका जन्म दिन ‘बाल-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

नेहरू के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सम्मुख उनके विरोधी भी दब जाते हैं अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विदेशी नेता उनकी प्रशंसा और सम्मान करते थे। उन्होंने केवल भारत की राजनीति को ही नहीं अपितु विश्व राजनीति को नई दिशा दी थी। राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वे उच्च-कोटि के लेखक और वक्ता भी थे। नेहरू का लेखकीय व्यक्तित्व भी प्रभावशाली रहा है। उन्होंने पिता के पत्र पुत्री के नाम ‘विश्व इतिहास की झलक’ ‘मेरी कहानी तथा ‘भारत की खोज’ जैसी बहुचर्चित पुस्तकें लिखी हैं। लोकतंत्र के समर्थक नेहरू के संबंध में अमेरिकी राजदूत श्री चेस्टर बोल्स ने कहा था -“भारत में जवाहर लाल नेहरू की राजनीतिक शक्ति इस सीमा तक बढ़ी थी कि वे आसानी से उसी प्रकार एक व्यक्ति के शासन का मार्ग अपना सकते थे जिस प्रकार दूसरे अन्य विकासशील देश के नेताओं ने किया था। पर इसके विपरीत उन्होंने अपने अपार व्यक्तित्व के प्रभाव का प्रयोग रचनात्मक ढंग से भारत के लोकतंत्रीय संस्थानों को सबल बनाने के लिए किया।

भारतीय-राजनीति के इतिहास में नेहरू का व्यक्तित्व निर्विवाद रूप से अप्रतिम रहा है, उन्होंने भारत को विश्व के सम्मुख एक उन्नत और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा करने में अपूर्व योगदान दिया। अपने देश, अपनी संस्कृति और अपने लोगों से उन्हें असीमित प्यार था। उन्हीं के शब्दों में – “अगर मेरे बाद कुछ लोग मेरे बारे में सोचे तो मैं चाहँगा कि वे कहें – वह एक ऐसा आदमी जो अपने पूरे दिल और दिमाग से हिन्दुस्तानियों से मुहब्बत करता था और हिन्दुस्तानी भी उस की कमियों को भुलाकर उससे बेहद मुहब्बत करते थे।”

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an essay on jawaharlal nehru in hindi

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10 Lines on Jawaharlal Nehru in Hindi। जवाहरलाल नेहरू पर 10 लाइन निबंध

10 Lines on Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहरलाल नेहरू जी भारत को स्वतंत्र करवाने की जंग लड़ने वाले नेताओं में से एक थे। आजाद भारत की बाग़ डोर इन्होने ही अपने हांथो में सबसे पहले ली थी। नेहरू जी आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। जवाहरलाल नेहरू और बच्चो के बीच बहुत प्रेम था इसलिए बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर सम्बोधित करते थे। Jawaharlal Nehru Essay in Hindi अक्सर विद्यालयों में निबंध के रूप में आता है। इसलिए आज हम “ जवाहरलाल नेहरू पर 10 लाइन निबंध ” लेकर आपके समक्ष आये है इस आर्टिकल में आप “ 10 Lines on Jawaharlal Nehru in Hindi ” में पढ़ेंगे।

10 Lines on Jawaharlal Nehru in Hindi

  • जवाहर लाल नेहरू जीका पूरा नाम पंडित जवाहर लाल मोतीलाल नेहरू है।
  • नेहरू जी का जन्म 14 नवम्बर 1989 को प्रयागराज (पुराना नाम इलाहाबाद) उत्तर प्रदेश में हुआ था।
  • नेहरू जी की माता जी का नाम स्वरूप रानी और पिता जी का नाम पंडित मोतीलाल नेहरू था।
  • जवाहर लाल नेहरू की पत्नी का नाम कमला नेहरू था।
  • जवाहर लाल नेहरू ने अपनी बैरिस्टर की शिक्षा लन्दन में पूरी की थी।
  • पंडित जवाहर लाल नेहरू को चाचा नेहरू के नाम से भी जाना जाता है।
  • जवाहल लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे।
  • नेहरू जी के जन्मदिवस 14 नवम्बर को प्रत्येक वर्ष बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
  • नेहरू जी का निधन 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने हुआ था।
  • नेहरू जी की पुत्री जिनका नाम श्रीमती इंदिरा गाँधी जी था आगे चलकर भारत की प्रधानमंत्री बनी।

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Jawaharlal Nehru Essay for Students and Children

500+ words jawaharlal nehru essay.

Jawaharlal Nehru Essay- Jawaharlal Nehru is the name that every Indian is aware of. Jawaharlal was quite famous among children. Due to which the children called him ‘Chacha Nehru’. Since he loved children so much the government celebrated his birthday as ‘ Children’s Day ’. Jawaharlal Nehru was a great leader. He was a person of great love for the country.

JawaharLal Nehru Essay

Jaw aharlal Nehru’s Early Life

Jawaharlal Nehru was born on 14th November 1889 in Allahabad (now Prayagraj). His father’s name was Motilal Nehru who was a good lawyer. His father was very rich because of which Nehru got the best education.

At an early age, he was sent abroad for studies. He studied in two universities of England namely Harrow and Cambridge. He completed his degree in the year 1910.

Since Nehru was an average guy in his studies he was not much interested in law. He had an interest in politics. Though he later became a lawyer and practiced law in Allahabad High Court. At the age of 24, he got married to Smt. Kamla Devi. They gave birth to a daughter who was named Indira.

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Jawaharlal Nehru as a Leader

Most Noteworthy, Jawaharlal Nehru was the first Prime Minister of India. He was a man of great vision. He was a leader, politician, and writer too. Since he always India to become a successful country he always worked day and night for the betterment of the country. Jawaharlal Nehru was a man of great vision. Most importantly he gave the slogan ‘Araam Haram Hai’.

Jawaharlal Nehru was a man of peace but he saw how Britishers treated Indians. Due to which he decided to join the freedom movement. He had a love for his country because of which he shook hands with Mahatma Gandhi (Bapu). As a result, he joined the Non-Cooperation movement of Mahatma Gandhi .

In his freedom struggle, he had to face many challenges. He even went to jail many times. However, his love for the country did not get any less. He fought a great fight which results in Independence. India got its’ Independence on 15th August 1947. Because of Jawaharlal Nehru’s efforts, he was elected as the first prime minister of India.

Achievements as a Prime Minister

Nehru was a man of modern thinking. He always wanted to make India a more modern and civilized country. There was a difference between the thinking of Gandhi and Nehru. Gandhi and Nehru had different attitudes toward civilization. While Gandhi wanted an ancient India Nehru was of modern India. He always wanted India to go in a forward direction. Despite the cultural and religious differences in India.

However, there was a pressure of religious freedom in the country. At that time the main motive was to unite the country. With all the pressures Jawaharlal Nehru led the country in scientific and modern efforts.

Most importantly Jawaharlal Nehru had a great achievement. He changed ancient Hindu cultural. It helped the Hindu widows a lot. The change had given women equal rights like men. The right of inheritance and property.

Though Nehru was great prime minister a problem stressed him a lot. The Kashmir region that was claimed by both India and Pakistan. He tried to settle the dispute several times but the problem was still there.

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नेहरू जी के 10 साल बनाम हमारे 10 साल में देश कैसे आगे बढ़ा, तुलना होनी चाहिए: पीएम मोदी

लोकसभा चुनाव के सात चरणों में से दो चरणों की वोटिंग हो चुकी है। तीसरे चरण की वोटिंग से पहले और अब तक हुई वोटिंग और चुनाव में छाए मुद्दों अनुच्छेद-370, राम मंदिर और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं सहित तमाम विषयों पर पीएम मोदी ने दिवाकर, अखिलेश सिंह और सिद्धार्थ से बात की।.

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  • Pandit Jawaharlal Nehru Essay

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An Introduction

Pandit Jawaharlal Nehru was one of the most famous freedom fighters and the first Prime Minister of independent India. Since he was such an important and inspirational figure for the country, children are taught about his personality and contributions. They are often asked to write a few lines about Jawaharlal Nehru in the form of a short note or Jawaharlal Nehru essay. Here are some lines on Jawaharlal Nehru in the form of a long and a short Pt. Jawaharlal Nehru Essay is given. 

The paragraph on Jawaharlal Nehru will be helpful for the students not only in writing Pandit Jawaharlal Nehru essay in English but also for writing Pandit Jawaharlal par Nibandh in Hindi.

Long Jawaharlal Nehru Essay in English 

India has been the home to many great freedom fighters and world leaders. Pandit Jawaharlal Nehru is one among them. He was born on 14 th November 1889 at Allahabad, officially known as Prayagraj. His father, Motilal Nehru, was a famous barrister. In the initial years, Jawaharlal Nehru had his primary education at home. He was then sent to England for high school studies. He completed his graduation in Law from Trinity College in Cambridge and became a barrister at the Inner Temple in London. He then returned to India as he was passionate about the Indian freedom struggle.

In the fight for Indian independence, he was deeply influenced by Mahatma Gandhi. Under his guidance, Jawaharlal Nehru took an active part in the freedom struggle following the path of truth and non-violence. Due to this, he was sent to jail many times. During his one of the jail periods, he wrote the book, ‘The Discovery of India’. He also wrote a series of letters to his daughter, Indira, telling her about the rich social and cultural heritage of India and the importance of the freedom struggle. He played a very active role in the struggle for independence with Congress. He was made the president of the Indian National Congress in 1929. Under him, Congress took the pledge of complete independence from British rule. This was known as the Poorna Swaraj declaration and was officially acknowledged on 26 th November 1930. This day is celebrated as ‘The Republic Day in India when India officially adopted its constitution.

After the independence of India on 15 th August 1947, Pandit Jawaharlal Nehru became the first Prime Minister of India. Under his astute leadership and global vision, India achieved progress, prosperity, and respect on the international stage. He laid the foundation of democracy in India. He exemplified his belief in democracy at an international level by adopting the Non-Aligned Policy as part of India’s foreign policy. This made India the pioneer of the Non-Aligned Movement in the world. He believed in peaceful co-existence and therefore he signed the Panchsheel Agreement between India and China in 1961. He was a great supporter of disarmament and worked hard to create an international order of peace and brotherhood. Following the path defined by Buddha, Christ, and Nanak, he led India, the largest democracy in the world, to a position of respect in the world. 

He died on 27 th May 1964. He left behind the rich heritage of planning and development. He created a network of educational, technical, and medical institutions. One of the best examples is the establishment of a chain of the Indian Institute of Technology and the Indian Institute of Management. He left a legacy of large industrial, agricultural, irrigation, and power projects. Projects such as setting up steel plants, construction of dams, and establishing power plants led India to the path of technological and infrastructural development.

His contributions have been noteworthy in all fields. Because of this, Pandit Jawaharlal Nehru came to be known as ‘The Architect of Modern India’. He was one of the few men who made a great impact on the country and the world. Being a favorite amongst the children and popularly known as ‘Chacha Nehru’, his birthday is celebrated as Children’s Day in India. He is and will be known for being a visionary and his beliefs for the unity of the country and the liberty of mankind.

Short Jawaharlal Nehru Essay in English

Pandit Jawaharlal Nehru became the first Prime Minister when India achieved independence on 15 th August 1947. He was born on 14 th November 1889 at Allahabad (which is now known as Prayagraj). Because he shared a fond relationship with children his birthday is celebrated as ‘Children’s Day in India. This is also the reason why he was famously known as ‘Chacha Nehru’. He was the son of a famous barrister Motilal Nehru and his wife Swaroop Rani. 

He went for his high school studies in London. He finished his graduation in Law from Trinity College, Cambridge, and practiced law at Inner Temple in London. He came to India to fight for Indian Independence. Under the guidance of Mahatma Gandhi, he worked for independence with the Indian National Congress.

When he was in jail from 1942 to 1946 he wrote, ‘The Discovery of India’. His inaugural speech as the first Prime Minister of independent India, ‘Tryst with Destiny’, is widely popular. His vision established several prominent educational, technological, and medical institutions. His contributions to diverse fields such as industrial, agricultural, projects, and foreign policies put India in a respectable position on the world map.

Timeline of  Jawaharlal Nehru's Life

Jawaharlal Nehru was born on 14  November 1889 in Allahabad (Now officially named as Prayagraj). His father was Motilal Nehru and his mother was Swaroop Rani, both belong to the Kashmiri pandit community.

In 1905, he started his institutional schooling at Harrow, (a leading school in England), with the nickname of Joe.

In October 1907, he went to Trinity College, Cambridge, to pursue the course on an honors degree in natural science.

After his degree was completed in 1910, he started studying law at the Inner Temple Inn.

In the year 1912, he returned to India and tried to settle down as a barrister like his father.

Within months of returning to India, he attended the annual session of the Indian National Congress in Patna and from there started playing his part as a Freedom fighter.

He married Kamala Kaul in 1916 and had a daughter named Indra in 1917.

At the time of the non-cooperation movement in 1920, he made his first big involvement in national politics. And also had to go to jail many times due to their involvement in such activities.

He also internationalized the Indian Freedom struggle and sought foreign allies for India. He forged links with others movements for independence and democracy. His efforts paid off in the year 1927 when Congress was invited to the congress of oppressed nationalities in Brussels, Belgium

From the year 1939, At the start of World War 2, Congress under Nehru decided to help the British but on the fulfillment of certain conditions, one of which was the assurance of complete independence of India after the war and right to frame a new constitution, but the British didn’t agree.

After the war, India somehow got Independence from the British, but sadly India was divided into two nations, Pakistan and modern-day India. And Nehru was elected as the Prime minister of this nation.

He led the country with his modern thinking and worked on the modernization of the Hindu religion.

At last, he died on 27th May, in 1962 due to a cardiac arrest.

This essay on Pandit Jawaharlal Nehru will be beneficial to the students for both English and Hindi language. This simple Jawaharlal Nehru essay can be easily translated into Hindi helping the students to write ‘Jawaharlal Nehru par Nibandh’ in Hindi.

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FAQs on Pandit Jawaharlal Nehru Essay

1. Who was Pandit Jawaharlal Nehru?

Pandit Jawaharlal Nehru was an Indian freedom fighter and later the first Prime Minister of independent India. He belonged to a family of Kashmiri pandits and was the son of Motilal Nehru and Swaroop Rani. Under the guidance of Mahatma Gandhi, he fought for the complete independence of India from British rule along with many other freedom fighters. 

2. Who was the First Prime Minister of India?

Jawaharlal Nehru was the first Prime Minister of independent India. He was a very active freedom fighter and fought for the independence of India against British rule. He was a member of the Indian National Congress and actively participated in the struggle for independence under the guidance of Mahatma Gandhi. 

3. How was Jawaharlal Nehru’s life as a leader and the prime minister of India?

Most Noteworthy, Jawaharlal Nehru was elected to be the first Prime Minister of Free India. He was considered a man of great thinking and modern thinking. He worked day and night for the betterment of the country and was also given the slogan Aaram Haram Hai. 

As PM, he wanted India to go in a forward direction in a scientific and modern way, despite the cultural and religious differences that existed in India in the past. The biggest achievement of Nehru as a PM will be the modernization of the Hindu religion. He helped a lot to change the Hindu cultures and practices. And by doing so, he made Hinduism a modern religion. Due to his changes, women were given equal rights as men.

4. Discuss the early life of Jawaharlal Nehru?

Jawaharlal Nehru was born on 14 November 1889 in Allahabad, now known as Prayagraj at the house of their father - Motilal Nehru, and Mother - Swaroop Rani. Nehru writes about his early life as a sheltered and uneventful one in his autobiography. His father was a self-made wealthy barrister and belongs to the Kashmiri Pandit community. Hence, he grew up in an atmosphere of privilege in a wealthy home. In his youth, he started developing nationalist feelings and became an ardent nationalist. He was amused by the idea of Indian freedom and Asiatic freedom from the thraldom of Europe.

5. What was in his inaugural speech as the Prime Minister of independent India Tryst with Destiny?

Pandit Jawaharlal Nehru, after becoming the PM of the Independent state of India, gave his inaugural speech at midnight on the eve of India’s independence (on 15 August 1947), which became quite famous and named Tryst with Destiny. This speech is considered the best speech of the 20th century. It fits well with that special day and captures the essence of the last day of the Indian independence movement against British colonial rule in India.

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What Kind of a Superpower Is India Becoming?

The 2024 Indian general election is already underway, and the popular and controversial Narendra Modi looks to be the favorite. How is India changing under Modi?

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India Prime Minister Narendra Modi Campaign Event

Today’s episode is all about India. You don’t have to believe that demography is pure destiny to appreciate the fact that the future of India is the future of the world. In 2024, today, India is the largest country by population on the planet, having surpassed China two years ago. In 2050, India is still projected to be the largest country in the world. In 2100, when I am 114 years old and this podcast is hosted by my cryo-frozen vat brain, India’s projected to be larger than the next two biggest countries combined: China and Nigeria.

This spring, nearly one billion Indians are eligible to vote in India’s election, and the big winner is almost certain—the highly popular and highly controversial Prime Minister Narendra Modi. What kind of a country is India becoming under Modi? Ravi Agrawal, the editor-in-chief of Foreign Policy magazine, joins us to discuss.

If you have questions, observations, or ideas for future episodes, email us at [email protected] .

In the following excerpt, Derek and Ravi Agrawal explore how India has defined what it wants to be and the main differences between Jawaharlal Nehru and Narendra Modi.

Derek Thompson: The latest issue of foreign policy is devoted to the rise of India. At the biggest-picture level, what is it that you think Westerners, and maybe Americans in particular, don’t understand about India?

Ravi Agrawal: Well, I think one of the things in general is that in the West, we tend to think that every other country in the world wants to be more like us: more Western, more democratic, necessarily, more free. And that didn’t work out with China, and I don’t think it’s true of India either. I think India has its own sense of what it wants to be in the future. When it thinks about models of what it wants to be, there’s an element of envy in the way it looks at America and also Britain, but also China and also Singapore and also its own history. So it’s very complicated. Indians are going to chart their own path for what they want their country to be. It is democratic in that sense, and it’s what the people want.

Thompson: Your new essay on India and Prime Minister Narendra Modi, which anchors the new India issue of Foreign Policy magazine, is called “The New Idea of India.” And as long as we’re discussing the new idea of India, maybe we should start here. What is the old idea of modern India according to you?

Agrawal: So, as with any country, all countries have foundational myths. All countries have ways in which they have debated and contested ideas about who they really are, who they really want to be, what their vision is. And India is no different in that sense. It has always had a vibrant debate and discussion about what it really is. And in the 20th century, the early 1900s, when India was beginning to put forward a freedom-fighting movement to overthrow British colonial rule, there were many different ideas for what India could be. The idea that ended up winning out was an idea of a progressive, liberal, secular country. And the country’s founding fathers who put together this idea of what India could be, they had a profound understanding that India was a very divided country. India today, as well, is a collection of states where people speak different languages. There are different cultures and micro-histories, certainly different cuisines. You travel 100 miles, and there’s an entirely different dialect that people might be speaking.

And in many senses, in 1947, the year India became independent, the idea of uniting all of these groups together was an unlikely idea. And so what India’s founding fathers tried to do is that they united the country through an idea that, for this to work, it has to be secular; it has to be liberal; it has to be a vision that is evolving and inclusive and, in many senses, different from, say, Pakistan, which was founded as a homeland for Muslims. So in that Pakistan was exclusionary, India would be inclusionary. And that was the vision and the idea of India that prevailed for several decades of version 1.0 of India’s existence. I picked the phrase “idea of India,” by the way, from a book that was a very famous book that came out in 1997, the 50th year of India’s anniversary. And it was written by the historian Sunil Khilnani. And his point was exactly this, that India was an unlikely democracy. What knitted it together was secularism and democracy, basically.

Thompson: So India’s progressive, liberal, secular identity was embodied in many ways in its first prime minister, Jawaharlal Nehru. He was anglicized, you write. He was Cambridge educated. He went by Joe in his 20s. And that stands in sharp contrast to the current prime minister, Narendra Modi. Before we talk about Modi’s policies, let’s maybe spend a little bit of time on his biography. How do Modi’s upbringing and his early history compare or stand in contrast with Nehru’s?

Agrawal: Oh, they were so different, and without ascribing any value judgments, good or bad, to any of this, as you point out, Nehru was very anglicized, came from a rich family, upper middle class at the very least. Before Cambridge, he went to Harrow. So he was as anglicized as it gets. And in many ways, in the first few decades of India’s existence as a country, people like Nehru were seen as the ideal of what Indians could be: fluent English speakers, insider outsiders, but also speakers of an Indian language, deeply knowledgeable about the country with a vision for what the country could be. Modi is different primarily in that he doesn’t come from Nehru’s world; he doesn’t come from an elite background. His family was lower caste, lower middle class. His father was a tea seller. Modi was not a fluent English speaker, still isn’t really. He speaks English. But really what he is known for when it comes to his oration, which he’s very good at, is Hindi.

He’s a fantastic Hindi speaker. But when you look at Modi’s formative education, yes, he spent some time at a university, not a very well-known one. He joined the RSS, the Rashtriya Swayamsevak Sangh, which is best described as a Hindu social movement, also a paramilitary group, that has about 5 million members. And Modi essentially traveled around the country as a Hindu community organizer. He’d sleep in ordinary people’s homes, really got a sense of what the anxieties of the average Indian middle-class family were like, of what their hopes and dreams and aspirations were like. In many senses, if you speak to biographers of Modi, that was the thing he often grew on as the source of his thinking, as his formative education, as it were. So he could not be more different from Nehru. He comes from a totally different world.

This excerpt was edited for clarity. Listen to the rest of the episode here and follow the Plain English feed on Spotify.

Host: Derek Thompson Guest: Ravi Agrawal Producer: Devon Baroldi

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'Nehru, Indira were not fools': JNU VC says uniformity doesn't work in India

I ndia, being a nation for all communities, cannot adopt uniformity in religion, language or dress code, Jawaharlal Nehru University's vice chancellor Santishree Pandit said.

In an interview with PTI, JNU VC Santishree Pandit expressed the opposition to imposing a single language, highlighting the challenges of such an approach, especially in states where Hindi may not be widely accepted.

“I would not agree on uniformity in either religion, race or language. One language should not be imposed. If some people want to change it (official language) to Hindi in some states, they can. But in the south, it will be difficult... in east India, even in Maharashtra, I don't think Hindi is acceptable,” the JNU VC said.

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"I would rather say that Hindi can be there but I don't think a single language should be imposed. Both (Jawaharlal) Nehru and Indira Gandhi were not fools to talk about the tri-language formula because, in India, uniformity doesn't work in any form," she added.

Pandit urged caution and advocated "to go slow in having one language", recognising the sensitivity of language issues in India. "All languages are good. I am not against any language but for me, I am the most comfortable in English."

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India not for one particular community: JNU VC

Pandit also stressed that a single identity or religion would not suffice in India, asserting that universities should prioritise knowledge-seeking above all else, irrespective of any particular community's interests.

“I don't think any one religion will work here as these are individual issues, but people at the helm want to do this. As a university, we should be above all this. For us, seeking knowledge is important. The nation is not for one particular community.”

'Those who want to wear a hijab, it's their choice': Santishree Pandit

Regarding dress codes in educational institutions, Pandit said “I am against a dress code. I think (educational) spaces should be open. If somebody wants to wear a hijab, it's their choice and if somebody doesn't want to wear it, they should not be forced.”

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“In JNU, people wear shorts and there are also those who wear traditional attire, that's their personal choice. As long as they don't force me to do the same I have no problem,” Pandit stressed the importance of individual autonomy in personal matters like food and clothing.

‘Mughals who ruled for less than 200 years occupy more than 200 pages’: JNU VC

Pandit called for the need for a balanced representation of cultural histories within the Indian education system. She said that while the Mughal Empire receives extensive coverage, other significant Indian kingdoms like the Cholas, Marathas, Satavahanas, and Kakatiyas are often overlooked.

"In Indian history, Mughals who ruled for less than 200 years occupy more than 200 pages. I am not against them, give them their place but we have the Cholas, the longest-ruling kingdom globally, and they don't have even half a page.

"Similarly, Marathas, Satavahanas or the Kakatiyas, do you even know such kingdoms existed? This is because of ignorance. We need to be proud of our history. Don't look at this from a religious lens, throw religion out. All I am asking is to give everyone space," she said.

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Jawaharlal Nehru University (JNU) Vice Chancellor (VC) Santishree Dhulipudi Pandit speaks during an interview with PTI, in New Delhi.

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