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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)

“प्रदूषण”, एक ऐसा शब्द है जिससे हर कोई नफरत करता है। प्रदूषण किसी को पसंद नहीं, फिर यह आता कहां से है? इसके लिए इंसान के अलावा कोई और जिम्मेदार नहीं है। यह मानव और उनकी गतिविधियाँ हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण में योगदान करती हैं। हमें अपने घर की सफाई करना अच्छा लगता है लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि जिस वातावरण में हम सांस लेते हैं वह भी हमारा घर है। बढ़ता प्रदूषण इंसानों के साथ-साथ सभी जीवित प्राणियों को भी प्रभावित करेगा।

पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environmental Pollution in Hindi, Paryavaran Pradushan par Nibandh Hindi mein)

आइए, हम छोटे और बड़े निबंधों के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण के कारण और गहरे प्रभाव को समझें।

निबंध – 1 (300 शब्द)

प्रदूषण गंदगी, अशुद्धियों या अन्य दूषित पदार्थों का सम्मिलन है जो मौजूदा प्रक्रिया में प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बनता है। जब ये अशुद्धियाँ पर्यावरण को प्रभावित करती हैं, तो हम इसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। वे पदार्थ जो प्रदूषण में योगदान करते हैं, प्रदूषक कहलाते हैं। वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण के तीन प्रमुख योगदानकर्ता हैं। यह प्रदूषण या तो मानवीय गतिविधियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण होता है।

प्रदूषण के प्रभाव

प्रदूषण का हर प्राणी पर नकारात्मक और खतरनाक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित वातावरण मानव स्वास्थ्य को विभिन्न तरीकों से नुकसान पहुंचाता है। पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती दर के कारण मनुष्य विभिन्न रोगों का शिकार हो सकता है। इसके कारण कई जीवों का जीवन गंभीर खतरे में है। बच्चों से लेकर बड़ों तक हर कोई प्रदूषण की चपेट में है।

मनुष्यों के अलावा, प्राकृतिक संसाधन भी इस प्रमुख चिंता से ग्रस्त हैं। प्रदूषण के कारण हवा पीली हो रही है और पानी काला हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती गति पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बिगाड़ देती है। अन्य जीव जैसे जलीय प्रजातियां, पौधे और वन्यजीव भी खतरे में हैं। हम कुछ प्रजातियों में मृत्यु दर की बढ़ी हुई संख्या देख सकते हैं।

पहले का जीवन आज की तुलना में बहुत बेहतर था। पहले लोगों के पास उन्नत तकनीक नहीं थी, लेकिन उनके पास सांस लेने के लिए शुद्ध हवा और पीने के लिए पानी था। इससे उन्हें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद मिलती थी। लेकिन आज एक छोटा बच्चा भी बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण कई बीमारियों की चपेट में है। अगर सही कदम नहीं उठाए गए तो वह समय दूर नहीं जब हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और हमारा जीवन थम जाएगा।

निबंध – 2 (400 शब्द)

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ है पारिस्थितिकी तंत्र को परेशान करना। इस समस्या के प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। वे वर्तमान का आनंद ले रहे हैं लेकिन भविष्य के परिणामों से अनजान हैं। पर्यावरण को प्रदूषित करने से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ेगा। इसलिए हमें इस समस्या को और गंभीरता से लेने की जरूरत है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

पर्यावरण प्रदूषण के तीन प्रमुख प्रकार कुछ इस तरह हैं:

वायु प्रदूषण : वातावरण में वायु को प्रदूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी विभिन्न गैसें सांस लेने के लिए अत्यधिक जहरीली होती हैं।

जल प्रदूषण : जल में अशुद्धता, अपशिष्ट, विषाक्त पदार्थ आदि का निर्वहन जल प्रदूषण कहलाता है। लोग जल निकायों में कचरा, प्लास्टिक आदि फेंकते हैं। परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।

भूमि / मृदा प्रदूषण : अपशिष्ट और अजैव निम्नीकरणीय सामग्री को मिट्टी में जमा करने से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। अजैव निम्नीकरणीय कचरा मिट्टी को अनुपजाऊ बना देता है। मिट्टी में जहरीले पदार्थ की उच्च सांद्रता इसे पौधों और मनुष्यों दोनों के लिए अपर्याप्त बनाती है।

पर्यावरण प्रदूषण में युवाओं की भूमिका

नई पीढ़ी या युवाओं की जीवनशैली पर्यावरण प्रदूषण में अधिक योगदान दे रही है। तकनीकी कार्यान्वयन के कारण वे आलसी होते जा रहे हैं। अब वे बाइक और कारों का उपयोग करते हैं जो पर्यावरण के अनुकूल साइकिल के बजाय अधिक वायु प्रदूषण पैदा करती हैं। उनकी आराम की जरूरत विनिर्माण उद्योगों द्वारा पूरी की जाती है जो वायु और जल प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।

हालाँकि, युवा अधिक से अधिक जागरूकता बढ़ाकर पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। स्वस्थ और पर्यावरण के अनुकूल आदत अपनाने से उन्हें इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। पेड़ लगाना, साइकिल चुनना या आस-पास की दूरी के लिए पैदल चलना आदि एक बड़ी मदद होगी।

पर्यावरण प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय है जो हमारे आने वाले भविष्य को खोखला कर देगा। प्रदूषण वर्तमान के लिए खतरनाक है और भविष्य के लिए एक बड़े खतरे के रूप में बदल रहा है। इस असंतुलन के लिए हर इंसान जिम्मेदार है। इसलिए हमें मिलकर काम करने की जरूरत है, आज एक छोटी सी मदद कल एक बड़ी खुशी लौटाएगी।

निबंध – 3 (500 शब्द)

हम पृथ्वी पर रहते हैं, जो एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है। यहां मौजूद हवा, पानी और मिट्टी जैसे संसाधन सीमित हैं। उन्हें प्रदूषित करने का मतलब है कि हम खुद को मुश्किल में डाल रहे हैं। हर दिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान देना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:

  • औद्योगीकरण : बड़े उद्योग हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। साथ ही हानिकारक रसायनों को सीधे जल निकायों में छोड़ दिया जाता है। वे अधिकांश पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • आधुनिकीकरण : हम आधुनिक संस्कृति को बहुत गर्व से स्वीकार कर रहे हैं लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कोई कम दूरी के लिए भी साइकिल का उपयोग नहीं करना चाहता। प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
  • रसायनों का प्रयोग : रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुँचाते हैं। जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) के जलने से जहरीली गैसें निकलती हैं जो बाद में अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग में बदल सकती हैं।
  • प्राकृतिक कारण : कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़, ज्वालामुखी आदि को प्रदूषण पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। वे मिट्टी के कटाव, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि के लिए जिम्मेदार हैं।

नियंत्रण और रोकथाम के लिए कदम

कुछ बातों का पालन करके और कुछ स्वस्थ आदतों को अपनाकर आप पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में आसानी से योगदान दे सकते हैं। जैसे की:

  • साइकिल को प्राथमिकता दें।
  • प्लास्टिक का अधिक उपयोग करने के बजाय बायोडिग्रेडेबल उत्पाद चुनें।
  • अशुद्ध और जहरीले रसायनों को जल निकायों में प्रवाहित करने से पहले उनका उपचार करें।
  • अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करें।
  • नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करें और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को सीमित करें।
  • रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा दे।

पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव में भविष्य की कल्पना करना हृदय विदारक है। अगर पर्यावरण काफी हद तक प्रदूषित होगा तो हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन किट अपने साथ रखनी होगी। शुद्ध पानी पीने के लिए हमें एक-एक बूंद की कीमत चुकानी पड़ेगी।

इसके अलावा, मनुष्यों का जीवनकाल कम हो जाएगा और वे कई खतरनाक बीमारियों के शिकार होंगे। पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएगा और हमें जीने के लिए संघर्ष करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग और एसिड रेन का बढ़ता असर इस धरती पर हर जीवन को खत्म कर देगा।

बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण किसी देश विशेष की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है। आधुनिकीकरण हमें आरामदायक और आनंददायक जीवन दे रहा है, लेकिन दूसरी ओर, इसका प्रभाव हमारे जीवन के दिनों को सीमित कर रहा है। इसलिए, एक साथ लड़ने और इस समस्या से बाहर निकलने का समय आ गया है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Environmental Pollution (पर्यावरण प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर. दुनिया के बढ़ते प्रदूषण में भारत तीसरे नंबर पर है।

उत्तर. तुर्की, फ्रांस, पोलैंड आदि कुछ पर्यावरण के अनुकूल देश हैं जहां सबसे कम प्रदूषण है।

उत्तर. 2022 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE), चीन, इराक आदि कुछ अत्यधिक प्रदूषित देश हैं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

यह निबंध स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हमने लिखा है। इसमें हमने –

  • प्रदुषण क्या है?
  • इसके कितने प्रकार हैं?
  • प्रदुषण के स्रोत और कारण क्या-क्या हैं?
  • इसके बुरे प्रभाव क्या हैं?
  • और पर्यावरण प्रदुषण के समाधान के विषय में बताया है

Table of Content

सभी कक्षा के बच्चे इस प्रदुषण पर निबंध (Essay on Pollution) लेख को अपने अनुसार लघु और लंबा बना कर लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण वह आवरण होता है, जिसमें समस्त सजीव सृष्टि निवास करती है। पर्यावरण को दूषित करने के परिपेक्ष में प्रदूषण शब्द प्रयोग किया जाता है। 

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

सजीवों के विकास के लिए पर्यावरण का शुद्ध और संतुलित बने रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसे कारकों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण को फलने में मदद कर रहे हैं। 

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

घने जंगलों को काट कर मानव बस्ती से कुछ दूरी पर जो बड़े-बड़े कारखाने बनाए जाते हैं, उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और गंदा पानी भी प्रदूषण को बढ़ाने में उतना ही जिम्मेदार है। 

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

अभी की तुलना कुछ दशकों पहले से की जाए तब तक सड़कों पर परिवहन साधनों की कमी थी, लेकिन शुद्ध वातावरण भरपूर था। 

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

इंसान अपने स्वार्थ के लिए क्या-क्या नहीं करता है। प्रकृति के अनमोल छुपे हुए भंडार को खोज कर उसे गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। 

प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन शोषण के वजह से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खजाने का बना रहना बेहद कठिन नजर आ रहा है। 

जनसंख्या वृद्धि Increased Population

जनसंख्या वृद्धि को भी प्रदूषण वृद्धि में योगदान देने के लिए एक कारण माना जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के अलावा यह बहुत सारे अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। 

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

यही वायु ऑक्सीजन के तौर पर लोगों के शरीर में प्रवेश करता है और तरह-तरह की बीमारियों को उजागर करता है। वायु प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बुरी तरह से असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

ऐसे अवांछनीय और घातक तत्व जो पानी में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, यह जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण के परिणाम स्वरूप पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी परेशानी बन जाती हैं। 

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

उद्योगों और बड़े-बड़े कारखानों इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण भी जल प्रदूषण भारी मात्रा में उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण पीने योग्य स्वच्छ पानी की भी समस्या साफ़ देखी जा सकती है। 

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

ऐसे अवांछित और जहरीले पदार्थ जिन्हें जमीन में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन यह कुछ ही समय के अंदर जमीन की गुणवत्ता को घटाकर प्रदूषण का रूप ले लेती है। 

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

कई बार जमीन में दफन किए गए अवशिष्ट इकाइयां पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं, जिसके कारण यह जमीन में सड़कर भूमि को प्रदूषित करते हैं। अक्सर भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी भूमि प्रदूषण का प्रभाव इसमें देखा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

  • पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है। लोगों की स्वास्थ्य की घटती गुणवत्ता और उम्र के साथ ही नए-नए दुर्लभ बीमारियों का उत्पन्न होना यह प्रदूषण की ही देन है।
  • प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या , आँखों में जलन, कैंसर , ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु भी प्रभावित होता है। पृथ्वी के आवरण की सुरक्षा स्वरूप कवच ओजोन परत भी अब घट रही है, जिसके वजह से वायुमंडल का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • आज कई शहरों की ऐसी दशा हो गई है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कुछ दूसरे स्थान भी प्रदूषित शहरों का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां लोग शुद्ध ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
  • इंसानों ने प्रकृति का इतना शोषण कर लिया है, कि आगे की पीढ़ी प्रकृति के गर्भ में छिपे हुए अनमोल खजाने स्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का लाभ ले पाएंगे यह कहना मुश्किल है। बढ़ते प्राकृतिक प्रदूषण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में कमी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
  • आज के समय में जिस तरह नई पीढ़ी का आगमन हो रहा है, वह भी प्रदूषण की चपेट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म से ही अब कुपोषित और नई बीमारियों की मार झेलते हुए बड़े हो रहे हैं, उनकी यह दशा का एक कारण प्रदूषण भी है। इसके अलावा यह लोगों के स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय How To Control Pollution in Hindi?

  • पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए सभी को एकजुट मिलकर इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता लानी होगी।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर के रीसायकल होने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। हाला की भारत में कई बड़े शहरों में  प्लास्टिक के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
  • किसी भी प्रकार के वस्तुओं के निष्कासन के लिए एक नई पद्धति की जरूरत है। जिसमें दशकों तक नष्ट न होने वाले वस्तुओं को नष्ट करने पर पर्यावरण पर कोई प्रभाव न हो।
  • प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
  • जंगलों की अवैध कटाई और दुर्लभ पेड़ों की लकड़ियों की तस्करी पर सरकार को मजबूती से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसे जंगल सुरक्षित रहें।
  • वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सभी के पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC) हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कड़े शुल्क लगाने चाहिए।
  • नदी के पानी में कचरा फैक कर दूषित करने से लोगों को रोकना चाहिए और नदी के पानी को ( सीवेज रीसायकल ट्रीटमेंट ) की मदद से स्वच्छ करके पीने के कार्य में लगाना चाहिए।
  • ऐसे नियमों को पारित करने की आवश्यकता है, जिसमें छोटे बड़े प्रत्येक कारखानों से निकलने वाले जहरीले और गंदे कचरा को रिफाइन करके ही बाहर निकाला जाए।
  • चाहे किसी भी धर्म के उत्सव या त्यौहार हो इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता शुद्ध पर्यावरण की है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी यह समझना चाहिए कि किसी भी उत्सव में आवश्यकता से ज्यादा तेज़ लाउड स्पीकर, पटाखे या किसी भी ऐसे क्रियाकलाप को ना करें, जिससे पर्यावरण दूषित हो।
  • जागृति लाने का सबसे अच्छा समय प्रारंभिक शिक्षा का होता है। पर्यावरण प्रदूषण को आने वाले समय में कम किया जा सके, इसके लिए बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है और इसके अलावा पाठ्यक्रम में भी कुछ विशेष क्रियाकलापों और अध्याय को शामिल करना चाहिए।
  • लोगों को इस बात का ख्याल रखने की आवश्यकता है कि उनके घर और जिस भी स्थान पर लोग निवास करते हैं, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।
  • कार्यपालिका में सख्ती बरतते हुए ऐसे इलाके जहां पर कचरे फेंकने की व्यवस्था होने के बावजूद भी सड़कों या दुसरी जगहों पर गंदगी दिखाई पड़ती है, ऐसा ना हो और कूड़े कचरे को ठिकाने लगाने के लिए एक निश्चित जगह हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
  • केमिकल से बने खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग खेतों में करना चाहिए। (पढ़ें: घर पर ही प्राकृतिक खाद कैसे बनायें? )

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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35 Comments

Thnx Greatly useful for me

It’s really awesome essay

Wow amazing essay

Very Nice Article Helpful post for All people.

Sabbd milan apne accha nahi kiya hai Aur soch badiya hai

Pls give reply in English b’coz I can’t understand

Amazing!! Helped me a lot.. thanks

Very useful for us….

Thank you i have gain 12 out of 12 marks from my examination thank u

Very excellent essay

Thanks for Writing here !

I am student , It has helped in my SA-01 examination . The paper is for 90 marks but essay is for 5 marks I have got full marks . I have learned and wrote b’coz I don’t know Hindi it has helped me much. Thank you.

क्या मैं अपने नुक्कड़ नाटक में आपके इस निबंध रख सकता हूँ?

Ji bilkul, But you have to say that you have taken help from 1hindi.com

This essay is very good and interesting thx

The best essay thank you sir

U r studing this but not doing work that is planting ts.why .plzZ plant to save our earth

Very bad for the world

Please explain every paragraph deeply and neetly

Thanks for how to control environmental pollution

Thanks for this topic

apne prudushan ki puri jankari di hai uske liye dhanywad

I am a student This is for my project This article is very helpful to me Thank you

Thank it helped me a lot in my exams

It is very important for my exam

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

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प्रदूषण पर निबंध : प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। आज विश्व की अधिकतर आबादी प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है। ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) लिखने के लिए अक्सर स्कूलों में कहा जाता है। छात्र इस प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) के माध्यम से प्रदूषण जैसी विशाल समस्या के बारे में जानने के साथ-साथ इसकी विषय की संवेदनशीलता का भी पता लगा सकते हैं तथा कैसे ये भयंकर रूप में अब हमारे समक्ष प्रकट हुई है, इसके स्तर का भी अनुमान प्राप्त कर सकते हैं। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

प्रदूषण देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ज्वलंत समस्या का रूप धारण कर चुकी है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता होगी। प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से देश के भविष्य छात्रों में जागरूकता आएगी तथा प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से उनको प्रदूषण की समस्या को दूर करने में अपना योगदान देने में आसानी होगी। इस लेख से प्रदूषण क्या है और प्रदूषण के कितने प्रकार का होता है - वायु, जल, ध्वनि, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Pollution in Hindi) ऑनलाइन सर्च कर रहे विद्यार्थियों को प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution) लिखने में सहायता मिलेगी।

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (essay on world environment day in hindi) लिखने में भी इस लेख की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा कई ऐसे छात्र भी होते हैं जिनकी हिंदी विषय/भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) विशेष इस लेख से उन्हें निबंध लिखने के तरीके को समझने व लिखने में सहायता प्राप्त होगी।

ये भी पढ़ें :

होली पर निबंध पढ़ें । हिंदी में निबंध लिखने का तरीका जानें ।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण क्या है? (What is Pollution)

प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है। पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण (eassay on pollution in hindi) कहलाता है।

अन्य लेख पढ़ें-

  • हिंदी दिवस पर कविता
  • गणतंत्र दिवस पर भाषण
  • दिवाली पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण का वर्तमान परिदृश्य

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान हेतु एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करे।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index (AQI)) एक सूचकांक है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है ताकि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। जैसे-जैसे एक्यूआई (AQI) बढ़ता है, इसका मतलब है कि एक बड़ी जनसंख्या गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का अनुभव करने वाली है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों के लिए एक्यूआई (AQI) की गणना करती है, जिसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किए गए हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण के प्रकार

मूल रूप से प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है -

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

यह भी पढ़ें -

  • डॉक्टर कसे बनें
  • एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में कैसे संवारें अपना भविष्य

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - आइए एक करके प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों तथा उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा रहता है।

मृदा प्रदूषण : भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। ये सभी कारक मिट्टी को विषाक्त बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।

ध्वनि प्रदूषण : वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है।

इसके अलावा, पटाखे, कारखानों के कामकाज, लाउडस्पीकर की आवाज (विशेष रूप से समारोहों के मौसम में) आदि भी ध्वनि प्रदूषण में अपनी भूमिका निभाते हैं। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।

अक्सर, दिवाली के त्योहार के अगले दिन मीडिया में यह बताया जाता है कि कैसे पटाखों की वजह से भारत के प्रमुख शहरों में ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है।

हालाँकि ये चार प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं, जीवनशैली में बदलाव के कारण कई अन्य प्रकार के प्रदूषण भी देखे गए हैं जैसे कि रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण अन्य। यदि किसी स्थान पर अधिक या अवांछित मात्रा में मानवनिर्मित प्रकाश पैदा किया जाता है, तो यह प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है। आजकल, कई शहरी क्षेत्र अधिक मात्रा में अवांछित प्रकाश का सामना कर रहे हैं।

हम परमाणु युग में जी रहे हैं। चूंकि बहुत से देश अपने स्वयं के परमाणु उपकरण विकसित कर रहे हैं, इससे पृथ्वी के वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। रेडियोधर्मी पदार्थों का संचालन और खनन, परीक्षण, रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में होने वाली छोटी दुर्घटनाएँ रेडियोधर्मी प्रदूषण में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख कारण हैं।

उपयोगी लिंक्स -

  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज
  • नीट के बिना मेडिकल कोर्स
  • भारत की टॉप यूनिवर्सिटी

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारक है। धरती के चारों ओर गर्मी को फंसाने वाले प्रदूषण की परत ही मुख्य कारण है, जो आजकल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बढ़ा रही है। जैसे मनुष्य जब जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, प्लास्टिक जलाते हैं, वाहन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जंगल अधिक स्तर पर जलाए जाते हैं, तो इनसे खतरनाक गैस का उत्सर्जन होता है।

एक बार जब यह गैस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है, तो अंततः यह पूरे विश्व में फैल जाती है। नतीजतन, गर्मी फिर से उत्सर्जित होने के बाद अगले 50 या 100 सालों तक पृथ्वी के चारों ओर फंस जाती है। सबसे गंभीर बात यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस का स्तर खतरनाक दर से बढ़ा है। इससे आने वाली पीढ़ी सैकड़ों वर्षों तक ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभावों को महसूस करेगी।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम

पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों ने कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल : भारत सरकार ने भारत में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए NGT की स्थापना की थी। 2010 से जब कई उद्योग एनजीटी के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, तो इसने ऐसे उद्योगों पर भारी जुर्माना लगाया। इसने कई प्रदूषित झीलों को साफ करने में भी मदद की है। इसने गुजरात में कई कोयला आधारित उद्योगों को बंद करने का भी आदेश दिया, जिससे वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा था।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत : पिछले कुछ वर्षों से, भारत सरकार लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। तमिलनाडु राज्य के निवासियों के लिए अपनी छतों पर सौर पैनल और वर्षा जल संचयन प्रणाली रखना अनिवार्य है। वैकल्पिक ऊर्जा के अन्य स्रोत जैव ईंधन, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा आदि हैं।

BS-VI ईंधन : भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद देश अब BS-VI (भारत चरण VI) ईंधन का उपयोग करने में सक्षम है। इस नियम अस्तित्व में आने के बाद, वाहनों से सल्फर के होने वाले उत्सर्जन में 50% से अधिक की कमी आने की संभावना है। यह डीजल कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% और पेट्रोल कारों में 25% तक कम करता है। इसी तरह, कारों में पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन में 80% की कमी आएगी।

वायु शोधक: वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लोग अब वायु शोधक विशेष रूप से इनडोर में इस्तेमाल किए जाने वाले का उपयोग कर रहे हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर को साफ करते हैं, हानिकारक बैक्टीरिया को हटाते हैं और हवा की गुणवत्ता में काफी हद तक सुधार करते हैं।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने में यूएनओ की भूमिका

अपने बैनर के तहत, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की शुरुआत की गई थी। इसने जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरण प्रशासन, संसाधन दक्षता आदि जैसे कई मुद्दों की तरफ आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसने कई सफल संधियों को मंजूरी दी है, जैसे कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) जो गैसों के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए सुरक्षात्मक ओजोन परत को पतला कर रहे थे, जहरीले पारा आदि के उपयोग को सीमित करने के लिए मिनामाता कन्वेंशन (2012) यूएनईपी प्रायोजित 'सौर ऋण कार्यक्रम' जहां विभिन्न देशों के लाखों लोगों को सौर ऊर्जा पैनल प्रदान किए गए थे।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विभिन्न तरीके

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि वे इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें : जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें : वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें : एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग - कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक से बने दैनिक उपयोग की वस्तुएं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें या तो इन्हें ठीक से डिकम्पोज करना होगा या इसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजना होगा। आजकल सरकार प्लास्टिक को रिसायकल करने के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है, जहां नागरिक न केवल अपने प्लास्टिक के कचरे को दान कर सकते हैं, बल्कि अन्य वस्तुओं के बदले में इसका आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।

पेड़ लगाएं : कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका हमें जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है, ताकि मनुष्य व अन्य जीव जन्तु, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे के समाधान के लिए सुझाए गए उपायों का पालन करें। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने घर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएं। पृथ्वी को जीवित रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित करना बंद करना होगा।

Frequently Asked Question (FAQs)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index) दैनिक आधार पर वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट करने के लिए एक सूचकांक है।

प्रदूषण पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए आप इस लेख को संदर्भित कर सकते हैं। इस लेख में प्रदूषण पर निबंध से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं, जिन्हे वायु प्रदूषण (Air Pollution), जल प्रदूषण (Water Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay), मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) के रूप में जाना जाता है। 

पटाखों के इस्तेमाल पर कमी, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, वाहनों के उपयोग पर कमी और अपने आस-पास स्वच्छता रखकर प्रदूषण में कमी की जा सकती है। 

सांविधिक संगठन, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वर्ष 1974 में गठित किया गया था।

पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण है। प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया गया है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

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  • Essays in Hindi /

Essay on Pollution : प्रदुषण पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंध, यहाँ देखें सैम्पल्स

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  • Updated on  
  • जून 5, 2024

environment pollution essay in hindi

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 156 शहरों में तीन शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही। बहुत खराब का मतलब है कि इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक रहा। जबकि 21 शहरों की हवा की क्वालिटी खराब श्रेणी में दर्ज की गई। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। प्रदूषण की समस्या को समझते हुए कई बार विद्यार्थियों को इसके ऊपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहां Essay on Pollution in Hindi दिया गया है, जिसे आप अपने स्कूल या कॉलेज के प्रोजक्ट में प्रयोग कर सकते हैं।

This Blog Includes:

प्रदूषण के बारे में, प्रदुषण पर निबंध 100 शब्द , प्रदुषण पर निबंध 200 शब्द , प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द , प्रदूषण के प्रकार , प्रदुषण पर कोट्स.

हम सभी को बचपन में एक बात ज़रूर बताई जाती है कि हमें ऑक्सीजन पेड़-पौधों से मिलती है। ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं। लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले लगातार से बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण से हमारा तात्पर्य है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना, जो प्रदूषण को जन्म देता है। प्रदूषण (संस्कृत शब्द: प्रदूषणम्) पर्यावरण में दूषक पदार्थों (कंटामिनेंट्स) के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में उत्पन्न होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं।

environment pollution essay in hindi

Essay on Pollution in Hindi 100 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है। यह  पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण मुख्यतः 4  प्रकार का होता है  वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भू प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। वाहनो के बढ़ती संख्या की वजह से  हानिकारक और ज़हरीली गैसों का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है  वही दूसरी और कारखाने और खुले में आग जलाना, वायु प्रदुषण के मुख्य कारण हैं। कारखानें भी  निर्माण प्रक्रिया के दौरान  कुछ विषाक्त गैसें, गर्मी और ऊर्जा रिलीज  करते  है वायु प्रदूषण इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां उत्पन्न कर रहीं हैं|

कारखानों, उद्योगो, सीवेज सिस्टम और खेतों आदि के हानिकारक कचरे का सीधे तौर पे नदियों, झीलों और महासागरों के पानी के मुख्य स्रोत में मिलाना  जल प्रदुषण का मुख्य कारण है। उर्वरक, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग के कारण भू  प्रदूषण होता है। भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्याओ और कभी कभी बहरापन का कारण बनती हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है जिससे की हम एक स्वस्थ्य और प्रदुषण मुक्त वातावरण पा सके।

यह भी पढ़ें : प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध

Essay on Pollution in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

Essay on Pollution in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है-

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ जाता है। और यह असंतुलन ही प्रदूषण मुख्य कारण बनता है। इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी चीजों पर इसका असर पड़ता हैं।

इसके अलावा जो भी कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। अतः हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

 प्रदूषण के कारण 

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

 प्रदूषण के सोर्स

  • घरेलू बेकार पदार्थ, जमा  हुआ  पानी, कूलर में पड़ा पानी, पौधों मे जमा पानी
  • रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ
  • गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि
  • उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश 
  • पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी
  • जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम 

आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण। कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है। इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता। विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है। अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं, जैसे कि  मच्छर, मक्खियाँ व्इ त्यादि। कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती। पीने का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है। ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है। धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है।  

प्रदूषण को रोकने के उपाय

  • बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है।
  • भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए। 
  • पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है।
  • कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें ।
  • अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं।
  • कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह प्रदूषण का एक कारण है। इसके उपाय के लिए डिजिटल प्रयोग अच्छा विकल्प  है।
  • पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें।
  • प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें ।
  • घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  • खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके ।
  • हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोका जा सके ।
  • यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  |
  • हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। 

निष्कर्ष 

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं।

यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा, न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी, प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा, जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे। जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे। 

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते हैं, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

जल प्रदूषण : उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

भूमि प्रदूषण : वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

ध्वनि प्रदूषण : ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

प्रकाश प्रदूषण : प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

  • “हम सब मिलकर प्रदूषण को मिटाएंगे, और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएंगे।।
  • आओ मिलकर कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये।
  • “प्रदूषण को रोकने में दे सभी अपना सहयोग, और प्लास्टिक का बंद करें उपयोग।
  • शर्म करो-शर्म करो करोड़ो रुपये पटाखों पर बर्बाद मत करो-मत करो।
  • “प्रदूषण का यह खतरनाक जहर, लगा रहा है पर्यावरण पर ग्रहण।
  • प्रदूषण हटाओ, पर्यावरण बचाओं।
  • “प्रदूषण की समस्या एक दीमक की तरह है, जो पर्यावरण को धीरे-धीरे खोखला बनाती जा रही है।।
  • हम सब की है ये जिम्मेदारी, प्रदूषण से मुक्त हो दुनिया हमारी।

सम्बंधित आर्टिकल्स 

इसके कारण नदियों व समुद्रों मे जीव-जंतुओं की ऑक्सीजन की कमी होने व जहरीला पानी होने के कारण मृत्यु हो जाती है। रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने शहरी गंदगी तथा कूड़ा-करकट को खुला फेंकने, कल-कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ व रसायनों को भूमि पर फेंकने से भूमि प्रदूषण होता है।

ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल के कण, वाष्प कणिकाएं, धुंआ इत्यादि वायु प्रदूषण का मुख्य कारक हैं।

कारखानों, रेलगाड़ियों तथा शक्ति स्थलों द्वारा कोयला अथवा अशुद्ध तेल के जलने, स्वचालित वाहनों तथा घरेलू ईंधनों के रूप में पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला, लकड़ी आदि के जलने से निकलने वाले धुएँ और अशुद्ध गैसें, सीवर तथा नालियों से निकलने वाली दुर्गंध, कीटनाशकों तथा उर्वरकों की निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न विषैली गैसें, परमाणु हथियारों के परीक्षण तथा विस्फोट से उत्पन्न जहरीले पदार्थ एवं गैसें आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख घटक हैं।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Pollution in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य   निबंध से संबंधित ब्लॉग्स   पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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दा इंडियन वायर

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

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By विकास सिंह

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विषय-सूचि

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution essay in hindi (150 शब्द)

प्रस्तावना:.

पर्यावरण प्रदूषण वर्तमान समय के परिदृश्य में हमारे ग्रह द्वारा सामना किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण खतरों में से एक है। यह एक वैश्विक मुद्दा है, जो आमतौर पर सभी देशों में देखा जाता है, जिसमें तीसरी दुनिया के देश भी शामिल हैं, चाहे उनकी विकास की स्थिति कुछ भी हो।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है?

पर्यावरण प्रदूषण तब होता है जब मानव गतिविधियाँ पर्यावरण में प्रदूषण का परिचय देती हैं, जिससे दिनचर्या की प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे पर्यावरण में अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले एजेंटों को प्रदूषक कहा जाता है। प्रदूषक पदार्थ प्रकृति में होने वाले पदार्थ हैं या बाहरी मानव गतिविधियों के कारण बनाए जाते हैं। प्रदूषक भी पर्यावरण में ऊर्जा की कमी के रूप हो सकते हैं। प्रदूषकों और पर्यावरण के घटकों में होने वाले प्रदूषण के आधार पर, पर्यावरण प्रदूषण को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. वायु प्रदुषण

2. जल प्रदूषण

3. मिट्टी/ भूमि प्रदूषण

4. ध्वनि प्रदूषण

5. रेडियोधर्मी प्रदूषण

6. ऊष्मीय प्रदूषण

निष्कर्ष:

पर्यावरण में पाया जाने वाला कोई भी प्राकृतिक संसाधन, जब इसकी पुनर्स्थापना की क्षमता से अधिक दर पर उपयोग किया जाता है, तो कमी हो जाती है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण होता है। इससे पर्यावरणीय गुणवत्ता में गिरावट आएगी और जैव विविधता की हानि, वनस्पतियों और जीवों की हानि, नई बीमारियों की शुरूआत और मानव आबादी में तनावपूर्ण जीवन, आदि इसका सबूत है।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution essay in hindi (250 शब्द)

पर्यावरण मानव जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू बनाता है क्योंकि यही वह जगह है जहाँ हम जीवन की अनिवार्यताओं का पता लगाते हैं, जैसे, हवा, पानी और भोजन। वैश्विक औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण के कारण पर्यावरण प्रदूषण हुआ है। पर्यावरण प्रदूषण ने जानवरों, पौधों और मनुष्यों के जीवन की गुणवत्ता को बहुत प्रभावित किया है।

पर्यावरण प्रदूषण के परिणामस्वरूप होने वाली बीमारियों सहित खतरनाक प्रभाव। पर्यावरण प्रदूषण मूल रूप से भौतिक और जैविक दोनों प्रणालियों में पर्यावरण की प्रकृति का संदूषण है जो पर्यावरण के सामान्य कामकाज को प्रभावित करता है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार और कारण:

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार पर्यावरण के कारणों और घटकों के लिए विशिष्ट हैं। पर्यावरणीय प्रदूषण को प्राकृतिक घटकों के आधार पर समूहों में वर्गीकृत किया गया है; वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण। पर्यावरण के दूषित पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है।

मुख्य प्रदूषक उद्योग हैं क्योंकि उद्योग वायुमंडल में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जो वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं, औद्योगिक अपशिष्टों को जल प्रदूषण में भी परिवर्तित किया जाता है। अन्य प्रदूषकों में दहन से निकलने वाला धुआं, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड, जो भारत में अधिक है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव:

भारत में पर्यावरण प्रदूषण एक चुनौती रही है। प्रतिकूल प्रभाव प्रदूषण के प्रकार के लिए विशिष्ट हैं, हालांकि कुछ में कटौती हो सकती है। वायु प्रदूषण के कारण मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में ओजोन परतों का विनाश हुआ है। जल प्रदूषण से जलीय जीवन और अम्लीयता की मृत्यु हुई है। मृदा प्रदूषण के कारण अस्वास्थ्यकर मृदा अर्थात् असंतुलित मृदा pH होता है जो पौधे की वृद्धि का पक्ष नहीं लेता है। भारत पर्यावरण प्रदूषण की चुनौतियों से जूझ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण हमारे ग्रह को बचाने के लिए एक बड़ी चिंता बन गया है। हमें पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। उनमें से कुछ में पेड़ लगाना, गैर-नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग कम करना, कचरे का उचित निपटान आदि शामिल हैं। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह हमारे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाए।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution essay in hindi (300 शब्द)

हमें अपनी धरती के पर्यावरण को अपनी माँ की तरह मानना ​​चाहिए। यह हमारा पोषण भी करता है। यदि जलवायु प्रदूषित हो जाती है, तो हम कैसे बच सकते हैं?

पृथ्वी हमें हमारे स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन प्रदान करती है। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, हम और अधिक स्वार्थी होते जा रहे हैं और अपने पर्यावरण को प्रदूषित करते जा रहे हैं। हम नहीं जानते कि अगर हमारा पर्यावरण अधिक प्रदूषित हो जाता है, तो यह अंततः हमारे स्वास्थ्य और भविष्य को भी प्रभावित करेगा। पृथ्वी पर आसानी से जीवित रहना हमारे लिए संभव नहीं होगा।

स्वास्थ्य पर पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव:

यह बताना अनावश्यक है कि पर्यावरण प्रदूषण ने मानव की मूलभूत आवश्यकताओं, अर्थात, जल, भोजन, वायु और मिट्टी के अंदर अपने विषैले तंतुओं को फैला दिया है। यह हमारे रहने, पीने और खाने को प्रभावित करता है। यह इंसानों के साथ जानवरों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

विभिन्न चीजें हवा को प्रदूषित करती हैं जैसे मोटर वाहन प्रज्वलन और उद्योगों से गैसीय रिलीज, हवा के अंदर जीवाश्म ईंधन जलाना, आदि ठोस औद्योगिक अपशिष्ट, तेल फैल, प्लास्टिक डंप, और पानी में फेंकने वाले शहर का कचरा नदी और महासागरों को प्रदूषित करता है। इसी तरह, कृषि की अकार्बनिक प्रक्रियाएं मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देती हैं।

जैसा कि आप जानते हैं कि पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता है, भोजन बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी, और साँस लेने के लिए हवा का उपयोग किया जाता है, ये तीनों दूषित तत्व मानव के शरीर के अंदर अपने प्रदूषकों को डालते हैं और परिणामस्वरूप रोग होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा, लंग कैंसर, स्किन कैंसर, लेड पॉइजनिंग, कार्डियोवस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक, रेडिएशन इनेबल्ड कैंसर, मरकरी पॉइजनिंग, जन्मजात डिसएबिलिटी, एलर्जी, फेफड़े की बीमारियां हैं, जो ऑक्यूपेशनल एक्सपोजर के कारण होती हैं। कई विष और कई और अधिक। सूची एकजुट हो रही है।

हमारी पृथ्वी हर जीवित प्राणी के लिए अस्वस्थ भविष्य के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। इसलिए, हमें उन कारकों के बारे में पता होना चाहिए जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और हमारे भविष्य को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाते हैं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution essay in hindi (500 शब्द)

हमारा पर्यावरण जीवित और निर्जीव दोनों चीजों से बना है। जीवित चीजों में जानवर, पौधे और अन्य सूक्ष्मजीव शामिल हैं, जबकि हवा, पानी, मिट्टी, धूप, आदि पर्यावरण के गैर-जीवित घटकों का निर्माण करते हैं।

जब भी हमारे परिवेश में किसी भी तरह की विषाक्तता को लंबे समय तक जोड़ा जाता है, तो यह पर्यावरण प्रदूषण की ओर जाता है। कुछ प्रमुख प्रकार के प्रदूषण वायु, जल, मिट्टी, शोर, प्रकाश और परमाणु प्रदूषण हैं।

उद्योगों, घर की चिमनियों, वाहनों और ईंधन से निकलने वाले धुएँ से वायु प्रदूषण होता है। व्यर्थ औद्योगिक सॉल्वैंट्स, प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट, सीवेज आदि जल प्रदूषण का कारण बनते हैं। कीटनाशकों और वनों की कटाई का उपयोग मिट्टी के प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। वाहनों के अनावश्यक सम्मान, लाउडस्पीकर के उपयोग से ध्वनि प्रदूषण होता है।

यद्यपि यह प्रकाश और परमाणु प्रदूषण का एहसास करना कठिन है, लेकिन ये समान रूप से हानिकारक हैं। अत्यधिक चमकदार रोशनी कई मायनों में पर्यावरण संतुलन को खतरे में डालते हुए बहुत अधिक ऊर्जा की खपत करती है। कहने की जरूरत नहीं कि परमाणु प्रतिक्रिया के नकारात्मक प्रभाव कई दशकों तक आते हैं।

सभी घटक एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जैसे-जैसे प्रकृति का चक्र आगे बढ़ता है, वैसे ही एक घटक की विषाक्तता को अन्य सभी घटकों तक भी पहुंचाया जाता है। ऐसे विभिन्न साधन हैं जिनके द्वारा पर्यावरण में प्रदूषण जारी है। हम इसे नीचे दिए गए उदाहरण से समझ सकते हैं।

जब बारिश होती है, तो हवा की अशुद्धियां धीरे-धीरे जल-निकायों और मिट्टी में घुल जाती हैं। जब फसलें खेतों में पैदा होती हैं, तो उनकी जड़ें दूषित मिट्टी और पानी के माध्यम से इन हानिकारक विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करती हैं। एक ही भोजन जानवरों और मनुष्यों दोनों द्वारा निगला जाता है। इस तरह, यह खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर पहुंच जाता है जब मांसाहारी मांसाहारियों द्वारा सेवन किया जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण के परिणामों को गंभीर स्वास्थ्य रोगों के रूप में देखा जा सकता है। अधिक लोग श्वसन समस्याओं, कमजोर प्रतिरक्षा, गुर्दे और यकृत संक्रमण, कैंसर और अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं। वनस्पतियों और जीवों सहित जलीय जीवन तेजी से घट रहा है। मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की गुणवत्ता बिगड़ रही है।

ग्लोबल वार्मिंग पर्यावरण प्रदूषण के परिणामस्वरूप एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिसे दुनिया को सामना करने की आवश्यकता है। अंटार्कटिका में पिघलने वाले हिमखंडों के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है। प्राकृतिक आपदाएँ जैसे लगातार भूकंप, चक्रवात, आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण हुए कहर के कारण हैं। रूस में हिरोशिमा-नागासाकी और चेर्नोबिल की घटनाओं ने मानव जाति को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।

इन आपदाओं के जवाब में, दुनिया के विभिन्न देशों द्वारा हर संभव उपाय किया जा रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के खतरों और हमारे ग्रह की रक्षा की आवश्यकता के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जीने के ग्रीनर तरीके लोकप्रिय हो रहे हैं। ऊर्जा-कुशल बल्ब, पर्यावरण के अनुकूल वाहन, सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग, कुछ नाम हैं।

सरकारें अधिक पेड़ लगाने, प्लास्टिक उत्पादों को खत्म करने, प्राकृतिक कचरे के बेहतर पुनर्चक्रण और कीटनाशकों के कम से कम उपयोग पर जोर दे रही हैं। इस तरह की जैविक जीवन शैली ने हमें कई पौधों और जानवरों की प्रजातियों को धरती से एक जीवित और स्वस्थ जगह बनाने के लिए विलुप्त होने से बचाने में मदद की है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution greatest destruction essay in hindi (600 शब्द)

पर्यावरण में एक पदार्थ की उपस्थिति जो मनुष्य, पौधों या जानवरों के लिए हानिकारक हो सकती है जिसे हम प्रदूषक कहते हैं और इस घटना को पर्यावरण प्रदूषण कहा जाता है। पर्यावरण प्रदूषण सबसे अधिक चर्चा में से एक है, जिस पर शोध किया गया है और साथ ही आज के युग में हम सभी द्वारा इसे अनदेखा किया जाता है।

हम पहले से ही इसके बारे में बहुत कुछ जानते हैं, फिर भी हम इसे नियंत्रित करने के लिए बहुत कम करने का इरादा रखते हैं। शायद हमने अभी तक इसका प्रत्यक्ष प्रभाव महसूस नहीं किया है जो पहले से ही हमारे जीवन पर पड़ा है। उदाहरण के लिए, अभी हाल ही में WHO द्वारा एक अध्ययन किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि दिल्ली में रहने वाले व्यक्ति के औसत जीवन में हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने के 10 साल कम हो गए हैं, जिसमें दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति को सांस लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

सीधे तौर पर कहा जाए, पर्यावरण प्रदूषण, हालांकि पूरी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय है, लेकिन इसके नियंत्रण की दिशा में ठोस कदम अभी तक देखने को नहीं मिले हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार:

पर्यावरण प्रदूषण को आमतौर पर वायु प्रदूषण का संदर्भ माना जाता है। हालांकि, यह एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग हवा, मिट्टी और पानी के साथ-साथ प्रदूषण के अन्य रूपों जैसे गर्मी, प्रकाश, रेडियोधर्मी सामग्री और शोर के कारण होने वाले प्रदूषण को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण:

प्रत्येक प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण के स्रोतों का अपना सेट है, जिनमें से कुछ को आसानी से पहचाना जा सकता है, जबकि कुछ प्रदूषण के प्रत्यक्ष स्रोत नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे समान ट्रिगर कर सकते हैं। उदाहरण के लिए –

औद्योगिक कचरा – विभिन्न उद्योगों से उत्पन्न अपशिष्ट जल, वायु और मृदा प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक कचरा पानी को इस हद तक दूषित कर देता है कि ऐसे उदाहरण सामने आ गए हैं कि दुनिया के कुछ क्षेत्रों में लोग अपने आस-पास दूषित पानी की उपस्थिति के कारण विशिष्ट बीमारियों से पीड़ित हैं।

इसके अलावा, उद्योगों से निकलने वाले गंधक, नाइट्रोजन और कार्बन जैसे धुएँ या हानिकारक गैसें हवा के साथ मिल कर उसे दूषित कर देती हैं।

वाहन – वाहनों का उपयोग बड़े पैमाने पर हो गया है और पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है। यद्यपि वाहनों के उपयोग ने हमें बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाया है, लेकिन वाहनों के उत्सर्जन से वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है। वास्तव में, दुनिया के कई शहरों को विषम और यहां तक ​​कि रणनीतियों को चाक करने के लिए मजबूर किया गया है।

जहां वाहन विषम या सम दिनों पर अपने पंजीकरण संख्या के आधार पर ऐसे शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्लाई करते हैं। इसके अलावा, पेट्रोलियम ईंधन के विशाल उपयोग ने मानव जाति के लिए उपलब्ध संसाधनों को और भी कम कर मिट्टी से जीवाश्म ईंधन को कम किया है।

कृषि अपशिष्ट – लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण, कृषि उत्पादों की मांग कई गुना बढ़ गई है। इससे उत्पादकता बढ़ाने के लिए कीटनाशकों और रसायनों के बड़े पैमाने पर उपयोग को बढ़ावा मिला है। हालांकि, इस प्रथा का पर्यावरण पर प्रभाव का अपना हिस्सा है। उदाहरण के लिए, भारत में पंजाब की कपास बेल्ट कपास उद्योग के लिए वरदान रही है, लेकिन साथ ही, इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को कीटनाशकों और रसायनों के बड़े उपयोग के कारण कैंसर के विभिन्न रूपों से पीड़ित पाया गया है।

आबादी के अतिवृद्धि और प्रौद्योगिकी प्रगति ने सभी को इष्टतम अस्तित्व के लिए संसाधनों की मांग में वृद्धि का नेतृत्व किया है हालांकि, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पर्यावरण को उसी के लिए एक बड़ी कीमत देने के लिए मजबूर किया गया है और हम सभी को पर्याप्त रूप से जिम्मेदार होना चाहिए ।

ताकि, हमारे बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके अन्यथा भविष्य के लिए मुश्किल हो सकता है पीढ़ियों तक भी इस ग्रह पर जीवित रहते हैं। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य पारिस्थितिक रूप से सुरक्षित प्रौद्योगिकियों के उपयोग जैसे बेहतर तरीके निश्चित रूप से एक स्वस्थ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के लिए एक विकल्प माना जा सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution greatest destruction essay in hindi (1000 शब्द)

भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है और 1.3 ट्रिलियन से अधिक लोगों का घर है। यह भव्य और शानदार परिदृश्य, प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन, और छुट्टी के गंतव्य के बाद सबसे अधिक मांग वाली भूमि है। लेकिन आज के समय की सबसे बड़ी चिंता देश के सामने बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर चुनौती है।

शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) ने भारत को दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश बताया है। देश में पर्यावरण प्रदूषण की भयावह स्थिति के कारण औसत भारतीय का जीवन चार साल से कम हो गया है। भारत सरकार ने शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित की है।

भारत के सबसे प्रसिद्ध कैंसर संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह जानकर हैरान कर दिया कि दिल्ली में लगभग आधे स्कूल जाने वाले बच्चे अपरिवर्तनीय फेफड़ों की दुर्बलता की स्थिति में हैं। हवा, पानी और मिट्टी में खतरनाक और जहरीले प्रदूषकों का स्तर सुरक्षित सीमा से ऊपर चला गया है। भारी औद्योगीकरण, शहरीकरण और कृषि अपशिष्ट जलाने जैसी कुछ पुरानी प्रथाओं ने भारत में पर्यावरण की दयनीय स्थिति में समान रूप से योगदान दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारक:

1. वायु प्रदूषण:

नई दिल्ली, भारत की राजधानी, ने हाल ही में वैश्विक सुर्खियां बनाईं जब यह पृथ्वी पर शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित स्थानों में बदल गया। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार द्वारा उद्योगों से प्रदूषित उत्सर्जन का प्रबंधन करने और वैकल्पिक यातायात तंत्र का उपयोग करने के कई प्रयासों के बावजूद, वायु की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत यातायात, बिजली संयंत्र, उद्योग, अपशिष्ट जलाना, लकड़ी और लकड़ी का कोयला का उपयोग करना है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हवा में जहरीले तत्वों की एकाग्रता के लिए एक वास्तविक समय का खतरा है।

2. मृदा प्रदूषण:

भारत में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में एक शानदार वृद्धि देखी जा रही है। परिणामस्वरूप देश के सभी हिस्सों में मृदा प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय बन रहा है। मृदा प्रदूषण कृषि उत्पादकता, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य के लिए एक खतरनाक खतरा बन गया है। उपजाऊ भूमि का क्षेत्र बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए रसायनों के उपयोग से हर गुजरते दिन खराब हो रहा है।

भारत में शहरों के विकास ने मिट्टी का उपयोग नगरपालिका के कचरे की सतत मात्रा के लिए एक सिंक के रूप में किया है। देश के आईटी हब कहे जाने वाले बेंगलूरु और चेन्नई जैसे शहरों में डंप यार्ड में बड़ी मात्रा में ई-कचरे के ढेर लगे हैं। शहरों के बाहरी इलाके में डंपिंग ग्राउंड के रूप में बड़ी मात्रा में भूमि बर्बाद हो गई है। इन डंपिंग ग्राउंड को मवेशियों के लिए चारागाह के रूप में देखा जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप कई स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं।

3. जल प्रदूषण:

भारत में, हम जल प्रदूषण के लिए नए नहीं हैं। कृषि देश के लिए प्रमुख आवश्यकता है और जाहिर तौर पर जलवायु पर पर्यावरणीय प्रभाव ने मानसून को बुरी तरह प्रभावित किया है। उद्योगों से आने वाले जहरीले रसायनों, जैसे धातुओं सहित अपशिष्ट की भारी मात्रा को नदियों और जल-निकायों में डंप किया जाता है।

भारत में जल प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत अनुपचारित मलजल है। भारत में कुछ गाँव अभी भी खुले में शौच का अभ्यास करते हैं जो पास के जल निकायों को प्रदूषित करता है। गंगा और यमुना को दुनिया की सबसे प्रदूषित 10 नदियों में शुमार किया जाता है।

4. शोर प्रदूषण:

शोर प्रदूषण आधुनिक भारत का एक और ज्वलंत मुद्दा है। सड़कों पर ट्रैफिक की भीड़, हार्न बजाने के शोर की आवाज, फैक्ट्री सायरन, मशीनों के चलने की तेज आवाज और लाउडस्पीकर की तेज आवाज ध्वनि प्रदूषण में जबरदस्त बढ़ोतरी में योगदान देती है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण एक औसत भारतीय के लिए कई स्वास्थ्य मुद्दों का प्रकोप हुआ है।

प्रदुषण को कम करने के उपाय:

भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 170 देशों के साथ 24 नवंबर 2017 को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए। जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भारत ने खुद को प्रतिबद्ध किया है। भारत के प्रधान मंत्री श्री। नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने 12 मार्च 2018 को मिर्जापुर जिले में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया।

भारत ने जर्मनी के साथ भारत-जर्मन ऊर्जा कार्यक्रम – ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (IGEN-GEC) के तहत तकनीकी सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत सरकार ‘स्वच्छ गंगा’, ‘नमामि गंगे’ और ‘यमुना सफाई कार्यक्रम’ को लागू करके गंगा और यमुना नदियों की पवित्रता को बहाल करने के लिए गंभीर कदम उठा रही है।

चूंकि प्लास्टिक एक प्रमुख प्रदूषक है, इसलिए महाराष्ट्र राज्य सरकार ने 23 जून 2018 से प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में प्लास्टिक सामग्री जैसे बैग, चम्मच, के विनिर्माण, उपयोग, बिक्री, संचलन और भंडारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

प्लेटें और अन्य डिस्पोजेबल आइटम। प्रतिबंध में पैकेजिंग सामग्री और थर्मोकोल भी शामिल हैं। हालाँकि प्लास्टिक का उपयोग दवाओं और दवाओं की पैकेजिंग, दूध और ठोस अपशिष्ट के उपचार के लिए किया जाता है

इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि शहरी भारत में प्रदूषित वातावरण एक टिकने वाला बम है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए विपुल औद्योगिकीकरण ने स्पष्ट रूप से भारतीय शहरों में ताजी हवा की एक सांस को भी खतरे में डाल दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण से लड़ने के लिए कड़े कानूनों के कार्यान्वयन में सार्वजनिक भागीदारी का अभाव एक और बड़ी चिंता है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य गंभीर खतरे में है। भारत सरकार एक बड़े कैनवास पर समाधान लागू करने के लिए काम कर रही है, उदाहरण के लिए, स्वच्छ ऊर्जा पर स्विच करना, हानिकारक प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करने के लिए नियम, और पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में परिचितों को फैलाने के लिए अभियान चलाना।

सबसे महत्वपूर्ण पहलू भारतीय लोगों को अपनी सदियों पुरानी प्रथाओं को दूर करने के लिए प्रोत्साहित करना है जो पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं। संस्कृत का वाक्यांश “वसुधैव कुटुम्बकम” जिसका अर्थ है कि ‘दुनिया एक परिवार की तरह है’, परंपराओं की इस सुंदर और शांत भूमि को बचाने के लिए हममें से प्रत्येक के मन और दिलों में जीवित रहना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, essay on environmental pollution in hindi (1500 शब्द)

शब्दकोश द्वारा परिभाषित प्रदूषण एक पदार्थ की उपस्थिति है जो हानिकारक है या पर्यावरण पर जहरीला प्रभाव डालता है। प्रदूषण को आगे चलकर प्राकृतिक पर्यावरण के दूषित पदार्थों की शुरूआत के रूप में समझाया गया है जो प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बन सकता है। बुनियादी होने के लिए, पर्यावरण प्रदूषण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और जो बदले में पर्यावरण में लोगों को नुकसान पहुंचाता है।

पर्यावरण प्रदूषण की घटना:

पर्यावरण प्रदूषण की घटना तब होती है जब वातावरण प्रदूषक द्वारा दूषित होता है; इससे कुछ बदलाव आते हैं जो हमारी नियमित जीवनशैली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। प्रदूषण के प्रमुख घटक या तत्व प्रदूषक हैं और वे बहुत भिन्न रूपों के अपशिष्ट पदार्थ हैं। प्रदूषण पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में गड़बड़ी लाता है। विकास और आधुनिकीकरण ने उनके साथ प्रदूषण में तेजी से वृद्धि की है और इसने विभिन्न मानव बीमारियों और सबसे महत्वपूर्ण ग्लोबल वार्मिंग को जन्म दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण के रूप:

जल, वायु, रेडियोधर्मी, मिट्टी, गर्मी, शोर और प्रकाश सहित पर्यावरण प्रदूषण के कई विभिन्न रूप हैं। प्रदूषण के हर रूप के लिए, प्रदूषण के दो स्रोत हैं; गैर बिंदु और बिंदु स्रोत। प्रदूषण के बिंदु स्रोतों की निगरानी, ​​निगरानी और नियंत्रण करना बहुत आसान है, जबकि गैर-बिंदु प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करना काफी कठिन और कठिन है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण और स्रोत:

पर्यावरण प्रदूषण के स्रोतों और कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

1. औद्योगिक गतिविधियाँ:

दुनिया भर के उद्योग, भले ही वे संपन्नता और समृद्धि लाए हों, पारिस्थितिक संतुलन में लगातार गड़बड़ी हुई है और जीवमंडल की जांच की है। प्रयोगों का गिरना, धुएं का गुबार, औद्योगिक अपशिष्ट और घूमती हुई गैसें पानी और हवा दोनों को दूषित, प्रदूषित करने के लिए एक निरंतर खतरा हैं।

औद्योगिक कचरे का अनुचित निपटान जल और मृदा प्रदूषण दोनों का स्रोत बन गया है। विभिन्न उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट नदियों, झीलों, समुद्रों और धुएं के छोड़े जाने के माध्यम से मिट्टी और हवा में प्रदूषण का कारण बन सकते हैं।

2. ठोस अपशिष्ट बहाना:

जब कचरे का सही तरीके से निपटान नहीं किया जाता है तो वाणिज्यिक और घरेलू अपशिष्ट पर्यावरण प्रदूषण के स्रोत होते हैं।

3. वाहन:

डीजल और पेट्रोल का उपयोग करने वाले वाहन धूम्रपान करते हैं और कोयले को पकाने से जो धुआं निकलता है वह हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करता है। सड़कों पर वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि ने केवल धुएं के उत्सर्जन को सहायता प्रदान की है, जब रिलीज होती है और अंततः हवा के साथ मिश्रित होती है जिसे हम सांस लेते हैं। इन विभिन्न वाहनों का धुआं काफी हानिकारक है और वायु प्रदूषण का प्राथमिक कारण है। ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करने वाले इन वाहनों से आवाज़ों का जोखिम भी है।

4. तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण:

शहरीकरण की तेजी से दर और औद्योगीकरण भी पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं क्योंकि वे पौधों और पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, जो जानवरों, मनुष्यों और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।

5. जनसंख्या अतिवृद्धि:

विकासशील देशों में तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हुई है, कब्जे, बुनियादी भोजन और आश्रय की मांग बढ़ रही है। उच्च मांग के कारण, जनसंख्या की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करने के लिए वनों की कटाई तेज हो गई है।

6. जीवाश्म ईंधन दहन:

जीवाश्मों के ईंधनों का लगातार दहन कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी विषैली गैसों के माध्यम से मिट्टी, हवा और पानी के प्रदूषण का स्रोत है।

7. कृषि अपशिष्ट:

कृषि के दौरान उपयोग किए जाने वाले कीटनाशक और उर्वरक पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।

वायु प्रदुषण:

यह संभवतः पर्यावरण प्रदूषण का सबसे खतरनाक और सामान्य रूप है और इसे शहरीकरण का पर्याय माना जाता है। इसका प्राथमिक कारण ईंधन के दहन की उच्च दर है। ईंधन दहन अब घरेलू और औद्योगिक रूप से परिवहन, खाना पकाने और कुछ अन्य गतिविधियों के लिए एक बहुत ही बुनियादी आवश्यकता है। ये सभी गतिविधियाँ बड़ी संख्या में जहरीले रसायनों को वायुमंडल में छोड़ती हैं और हमारे अस्तित्व को प्रभावित और खतरे में डालकर हवा से नहीं निकालती हैं।

सल्फर ऑक्साइड को धुएं द्वारा हवा में छोड़ा जाता है और इससे हवा बहुत जहरीली हो जाती है। यह प्राथमिक रूप से कारखाने के ढेर, चिमनी, वाहनों या यहां तक ​​कि लकड़ी के लॉग के जलने जैसे कुछ सामान्य से धुएं के कारण होता है। वातावरण में सल्फर ऑक्साइड और कई अन्य गैसों के उत्सर्जन से अम्लीय वर्षा होने की क्षमता के साथ ग्लोबल वार्मिंग होती है।

इन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और इसके कारण होने वाले ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में सूखे, अनियमित बारिश और तापमान में वृद्धि हुई है। ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और फेफड़े के कैंसर के बेहद खतरनाक मामले जैसी स्थितियां और बीमारियां शहरों में होती हैं।

वायु प्रदूषण के कारण पैदा होने वाली आपदाओं के कई दुखद उदाहरणों में से एक उदाहरण भोपाल की 1984 गैस त्रासदी है। गैस त्रासदी एक गैस संयंत्र में गैस (मिथाइल आइसोसाइनेट) की रिहाई का एक परिणाम था। त्रासदी में लगभग 2,000 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 200,000 से अधिक लोग व्यापक श्वसन समस्याओं से पीड़ित थे।

श्वसन संबंधी बीमारियां, अस्थमा और हृदय रोगों में वृद्धि एक अड़चन के कारण हो सकती है (उदाहरण के लिए, पार्टिकुलेट जो आकार में 10 माइक्रोमीटर से नीचे हैं)। इस क्षण तक, जन्म लेने वाले शिशुओं में अभी भी जन्म दोष हैं और इसके लिए भोपाल त्रासदी को जिम्मेदार ठहराया गया है।

जल प्रदूषण:

पानी जीवन के लिए आवश्यक है; प्रत्येक जीवित प्राणी या अस्तित्व जीवित रहने के लिए पानी पर निर्भर करता है। सभी प्रजातियों के लगभग 60% पानी में रहते हैं; इसका मतलब है कि पानी का प्रदूषण एक बहुत महत्वपूर्ण प्रदूषण प्रकार है जिसे नियंत्रित किया जाना है।

बहुत सारे कारक हैं जो जल प्रदूषण में योगदान करते हैं, एक बहुत बड़ा योगदान कारक औद्योगिक प्रवाह है जिसे नदियों और समुद्रों में निपटाया जाता है और पानी के गुणों में एक बड़ा असंतुलन पैदा करता है और यह पानी के जीवों को जीने के लिए अयोग्य बनाता है। बहुत सारी बीमारियाँ भी हैं जो जल प्रदूषण के कारण होती हैं और ये रोग गैर-जलीय और जलीय दोनों प्रजातियों को प्रभावित करते हैं।

कीटनाशक जो विभिन्न पौधों पर छिड़काव किए जाते हैं, वे भूजल के प्रदूषण का एक स्रोत हैं और साथ ही, महासागरों में तेल फैलने से पानी के शरीर को गंभीर अपरिवर्तनीय क्षति हुई है। जल प्रदूषण का एक अन्य स्रोत यूट्रोफिकेशन है और यह नदियों, तालाबों या झीलों के पास बर्तन, कपड़े धोने जैसी गतिविधियों के कारण होता है; वॉशिंग डिटर्जेंट पानी में चला जाता है और अनजाने में सूर्य के प्रकाश के प्रवेश को अवरुद्ध करता है और इससे पानी की ऑक्सीजन सामग्री कम हो जाती है और यह जलमग्न हो जाता है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने आगे कहा कि लगभग 80% समुद्री पर्यावरण प्रदूषण अपवाह जैसे स्रोतों से उत्पन्न होता है। पानी के प्रदूषण का समुद्री जीवन पर विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। एक उदाहरण का हवाला देते हुए, सीवेज के साथ रोगजनकों का विकास अच्छी तरह से होता है, जबकि पानी में होने वाले अकार्बनिक और कार्बनिक यौगिक पानी की संरचना को बदल सकते हैं। यदि भंग ऑक्सीजन का स्तर कम है, तो पानी को प्रदूषित माना जाता है; घुलित ऑक्सीजन सीवेज जैसे कार्बनिक पदार्थों पर किए गए अपघटन से है जो पानी में मिलाया जाता है।

जलीय जीवों को नुकसान पहुंचाकर, जल प्रदूषण मनुष्यों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाकर पूरी खाद्य श्रृंखला को दूषित कर देता है जो जलीय जीवों पर निर्भर हैं। हर जगह डायरिया और हैजा के मामलों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है।

मिट्टी प्रदूषण:

इसे भूमि प्रदूषण भी कहा जाता है और यह उन रसायनों के कारण होता है जो मानव गतिविधियों के कारण मिट्टी को खराब करते हैं। कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी से नाइट्रोजन के सभी यौगिकों को हटा दिया जाता है, जिससे पौधों को पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए अत्यधिक अयोग्य हो जाता है। वनों की कटाई, खनन और उद्योगों से निकलने वाला कचरा भी मिट्टी को नष्ट करता है और इससे पौधों की वृद्धि बाधित होगी और मिट्टी खत्म हो जाएगी।

ठोस अपशिष्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा औद्योगिक या वाणिज्यिक अपशिष्ट है। खतरनाक अपशिष्ट को अपशिष्ट के किसी भी ठोस, तरल या कीचड़ के रूप में कहा जा सकता है, जिसमें ऐसे गुण हैं जो खतरनाक हैं या पर्यावरण या मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

उद्योगों में कीटनाशक निर्माण, पेट्रोलियम शोधन, खनन और रसायनों से जुड़े कई अन्य निर्माणों से खतरनाक अपशिष्ट उत्पन्न होते हैं। खतरनाक कचरे केवल उद्योगों द्वारा उत्पन्न नहीं होते हैं; घरों में अपशिष्ट उत्पन्न होता है जो फ्लोरोसेंट रोशनी, पेंट और सॉल्वैंट्स, एरोसोल के डिब्बे, मोटर तेल और गोला बारूद की तरह खतरनाक होते हैं।

ध्वनि प्रदूषण:

यह एक शोर है जिसकी तीव्रता 85db से अधिक है और यह नंगे कानों तक पहुंचता है। शोर प्रदूषण विभिन्न मनोवैज्ञानिक समस्याओं (जैसे उच्च रक्तचाप और तनाव) का कारण बनता है। यह कभी-कभी सुनने में एक स्थायी हानि का कारण बनता है जो कि बहुत ही विनाशकारी बात है। शोर प्रदूषण बड़े पैमाने पर उद्योगों में लाउड कंप्रेशर्स और पंपों के कारण होता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण:

यह प्रदूषण के अत्यधिक खतरनाक प्रकारों में से एक माना जाता है क्योंकि प्रभाव स्थायी होते हैं। परमाणु कचरे का लापरवाही से निपटारा, परमाणु संयंत्रों में दुर्घटनाएं, आदि सभी रेडियोधर्मी प्रदूषण के उदाहरण हैं। रेडियोधर्मी प्रदूषण एक्सपोजर, कैंसर (रक्त और त्वचा), अंधापन और विभिन्न जन्म दोषों के परिणामस्वरूप बांझपन का कारण बन सकता है। यह हवा, मिट्टी और पानी को स्थायी रूप से बदल सकता है – जो प्रमुख जीवन स्रोत हैं।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में | Essay on Pollution in Hindi

आज हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेकर आये हैं। यह प्रदूषण पर निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रश्न पूछे जाते हैं: पर्यावरण प्रदूषण के बारे में हिंदी में लिखिए, Write essay on pollution in Hindi, पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द में लिखिए आदि। निचे दिए गये निबंध को हमने 100, 200, 300 शब्द, 500 words और 1000 शब्दों में लिखा है जिसे class 5,6,8, या क्लास 10, class 12 आदि का कोई भी विद्यार्थी लिख सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में

प्रकृति में फैलने वाली गंदगियाँ ही प्रदूषण का कारण बनती हैं। जब ये गंदगियाँ और अशुद्धियाँ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं तो उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। हमारे पर्यावरण में अलग-अलग तरह से प्रदूषण हो सकते हैं जैसे: वायु, जल, ध्वनी, मृदा प्रदूषण आदि।

प्रदूषण से हवा, पानी, मौसम चक्र और जलवायु खराब होते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान होता है और हम रोगों के शिकार हो जाते हैं। प्रदूषण फैलने के कई कारण हैं जैसे: पेड़ों की कटाई, औद्योगीकरण, रसायनों का प्रयोग आदि।

ज्यादातर हम इंसानों की वजह से ही पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण रोकना हम इंसानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा ताकि हम ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे प्रदूषण फैले और प्रकृति को नुकसान हो।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में

आज के समय में मनुष्य आधुनिकता की ओर लगातार बढ़ रहा है और इसी होड़ में हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मानव अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा करने के लिए लगातार ऐसी गतिविधियाँ कर रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। प्रदूषण प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रही हैं और इससे भविष्य में भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे:

वायु प्रदूषण:  वातावरण में उपस्थित वायु को दूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से गंभीर बीमारियाँ होती हैं।

जल प्रदूषण:  जल में गंदगियाँ फैलाने जल प्रदूषण होता है। कल-कारखानों से निकली गंदगियाँ जल स्त्रोत में बहा दिए जाते हैं परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।

भूमि/मृदा प्रदूषण:  खेती में खतरनाक रसायनों का लगातार उपयोग, प्लास्टिक और अजैविक कचरे से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। इन सभी की वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है।

प्रदूषण रोकने के उपाय

  • पेड़ कटाई पर लगाम लगानी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। 
  • कल-कारखानों से निकलने वाले हानिकारक अपशिष्टों को नष्ट करना चाहिए। 
  • हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए
  • पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह विद्युत से चलने वाले वाहनों को प्राथिमिकता देनी चाहिए। 
  • निजी वाहनों के बजाए ज्यादा-से-ज्यादा सार्वजानिक परिवहनों का उपयोग करना चाहिए।  

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – 300 शब्द

विज्ञान के क्षेत्र में आज हम बहुत ही तेजी से तरक्की कर रहे हैं, आधुनिक विज्ञान ने जहाँ हमारी जीवनशैली को सुविधाओं से युक्त बना दिया है वहीं इससे हमें पर्यावरण प्रदूषण जैसा भयानक अभिशाप भी मिला है। आज पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, खतरनाक रसायनो के उपयोग ने प्रकृति में असंतुलन पैदा कर दिया है। समय रहते इस ओर यदि ध्यान न दिया गया तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

  • जनसँख्या वृद्धि: पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण हम इंसान है जो अपनी सुविधाओं के लिए प्रदूषण फैलाते रहते हैं। मनुष्य की बढती जनसंख्या और उनके जीवनयापन, सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन पर्यावरण प्रदूषण को कई गुना बढ़ा रहा है।
  • औद्योगीकरण:  बड़े उद्योग, कल-कारखाने अपशिष्ट पदार्थों को पानी में और हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के लिए औद्योगीकरण एक बहुत बड़ा कारण है।
  • आधुनिकीकरण:  आधुनिक सुख-सुविधाओं ने हमें अँधा बना दिया है हम अप्राकृतिक चीजों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। मोटर-वाहन, एसी, फ्रिज, प्लास्टिक, केमिकल युक्त पदार्थ आदि के उपयोग से लगातार प्रदूषण फ़ैल रहा है।
  • रसायनों का प्रयोग: अधिक मुनाफा कमाने के लालच में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग बढ़ रहा है जिससे मिट्टी प्रदूषित होकर अनउपजाऊ हो रही है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का परिणाम बेहद खतरनाक है इससे लगातार वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं, मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से हम इंसानों के सेहत पर भी असर पड़ रहा है अलग-अलग प्रकार के रोग पैदा हो रहे हैं। प्रदूषण से मनुष्य, पशु-पक्षी और प्रकृति को बहुत नुकसान हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण निबंध – 500 शब्द (Essay on Pollution in Hindi)

आज के समय में प्रदूषण एक गंभीर विषय है। प्रदूषण से प्रकृति को भारी नुकसान हो रहा है इसका रोकथाम बहुत ही जरुरी है। कई बार हमें यह प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नही देते उदाहरण के लिए, आप हवा में मौजूद प्राकृतिक गैसों (ऑक्सीजन, कार्बन-डाइऑक्साइड) को देखने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे अभी भी मौजूद हैं। धीरे-धीरे वातावरण में प्रदूषक जो हवा को मार रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को बढ़ा रहे हैं, वे मनुष्यों और पूरी धरती के लिए बहुत ही घातक हैं। प्रदूषण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने की जरूरत है अन्यथा इसके भयानक दुष्परिणाम हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारक

प्रदूषण एक धीमा जहर है जो हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को दिन-ब-दिन नष्ट करता रहता है, इसे मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है: वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण।

वायु प्रदूषण वाहनों, कारखानों से निकलने वाले धुएं, उड़ती धूल आदि के कारण होता है।

ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने और अन्य ध्वनि उत्पन्न करने वाली वस्तुओं के कारण होता है।

जल प्रदूषण कारखानों के अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक के कचरे और अन्य चीजों को नदियों और तालाबों में डालने से होता है।

प्रदूषण के रोकथाम के उपाय

  • वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाने चाहिए, साथ ही जहां पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही हो, वहां इन्हें रोका जाना चाहिए। वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग व्यवसायों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे प्रदूषण कम हो।
  • जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें स्वच्छता पर अधिक ध्यान देना होगा। हम नदियों और तालाबों में कचरा फेंकते हैं, जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार फैक्ट्रियां बंद होनी चाहिए।
  • ध्वनि प्रदूषण ज्यादातर मनुष्य द्वारा ही किया जाता है, इसलिए यदि हम स्वयं हॉर्न का उपयोग बंद कर दें और यदि हम नियमित रूप से मशीनों की देखभाल करते हैं, तो वे कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं करेंगे और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी।
  • वाहनों और मशीनों का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है यदि उनका रखरखाव नहीं किया जाता है, तो वे बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
  • यदि हम एक ही कार्यालय में जाते हैं तो हम सार्वजनिक वाहनों का उपयोग कर सकते हैं या कार साझा करने से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण कम होगा।
  • हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना है, सरकार भी प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रही है, लेकिन प्लास्टिक का उपयोग तब तक बढ़ता रहेगा जब तक हम जागरूक नहीं हो जाते।

जिस तरह से हमारी धरती पर प्रदूषण बढ़ रहा है, आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी धरती का पूरा पर्यावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन बर्बाद हो जाएगा।

अगर हमें प्रदूषण कम करना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा। अगर हमें प्रदूषण कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और लोगों को भी पेड़ लगाने के प्रति जागरूक करना होगा तभी हम एक अच्छे भविष्य की कामना कर सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 1000 शब्दों में

जहां एक ओर आज मानव प्रगति कर रहा है और संसार काफी आधुनिक हो गया है। वहीं दूसरी ओर लगातार पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। यह पृथ्वी और पर्यावरण हम सबके लिए बहुत ज्यादा कीमती है इसलिए हम सब का यह कर्तव्य हो जाता है कि हम इनकी रक्षा करें।

तो ऐसे में सवाल यह है कि आखिर पर्यावरण प्रदूषण क्यों होता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें अपने आसपास होने वाली गतिविधियों को देखना होगा। इस तरह से हम पर्यावरण प्रदूषण को अच्छे से समझ सकते हैं और प्रकृति की रक्षा भी कर सकते हैं। अगर आप इसके बारे में सारी जानकारी जानना चाहते हैं तो पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। इस पोस्ट में हम आपको सारी जरूरी बातों की जानकारी देंगे।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है ?

सबसे पहले हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि पर्यावरण प्रदूषण का मतलब होता है जब मनुष्य द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों से दूषित चीजें पर्यावरण में जाकर मिल जाती हैं। इसकी वजह से हर व्यक्ति की दिनचर्या काफी हद तक प्रभावित होती है और उसे उसके कार्य करने में बाधा होती है।

लेकिन पर्यावरण प्रदूषण को फैलाने के जिम्मेदार मनुष्य ही होते हैं जो कि हर दिन ऐसे बहुत सारे काम करते हैं जिससे कि प्रदूषक तत्व वातावरण में फैल जाते हैं। इस प्रकार से प्रदूषण की वजह से अनेकों बीमारियां भी जन्म लेने लगती हैं और हर व्यक्ति का जीवन इससे काफी अधिक प्रभावित होता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते प्रदूषण को रोकने का काम किया जाए जिससे कि सभी स्वस्थ जीवन जी सकें। 

पर्यावरण प्रदूषण फैलने के मुख्य कारण 

प्रकृति ने मनुष्य को बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन दिए हैं लेकिन अपने स्वार्थी स्वभाव के कारण वह उन्हें नष्ट करते जा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति इस बात को नहीं समझना चाहता कि अगर यह पूरा पर्यावरण ही प्रदूषित हो गया तो ऐसे में भविष्य में जो पीढ़ियां आएंगीं उनके स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा।

इस प्रकार से एक दिन ऐसा भी आ जाएगा जब इस संसार में जीवित रहने के लिए पृथ्वी पर कोई भी प्राकृतिक संसाधन नहीं रहेगा। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण के जो भी मुख्य कारण हैं उन्हें जानकर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाए। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं – 

  • लोगों द्वारा वाहन का बहुत ज्यादा प्रयोग करने से
  • हर जगह औद्योगिक गतिविधियों में तीव्रता होने से
  • जनसंख्या के बढ़ने की वजह से
  • कल-कारखानों और कृषि अपशिष्टों के कारण से
  • शहरीकरण और औद्योगीकरण में तेजी की वजह से
  • हद से ज्यादा वैज्ञानिक साधनों का इस्तेमाल करने से
  • पेड़ों को अंधाधुंध काटने से और घनी आबादी वाले इलाकों में हरियाली ना होने की वजह से
  • सड़कों और बांधों का निर्माण करने से
  • खनिज पदार्थों के अत्यधिक दोहन की वजह से 

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार 

वैसे तो पर्यावरण प्रदूषण के बहुत सारे प्रकार हैं जिनकी वजह से हमारा वातावरण काफी अधिक नकारात्मक हो गया है। लेकिन इसके जो मुख्य प्रकार हैं उनके बारे में जानकारी इस तरह से है – 

वायु प्रदूषण 

हर व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए स्वच्छ वायु की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं पृथ्वी पर जितने भी पेड़ पौधे और जानवर हैं उनके लिए भी हवा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन सांस लेने के लिए बहुत जरूरी होती है। लेकिन लोग अब अपनी भौतिक जरूरतों की पूर्ति करने के लिए वायुमंडल में मौजूद सभी गैसों के बैलेंस को खत्म करने में लगे हुए हैं। विशेषतौर से शहरों की हवा तो बहुत ही ज्यादा जहरीली और घुटन वाली होती जा रही है। वायु प्रदूषण के पीछे सबसे प्रमुख घटक है वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों का धुआं, जीवाश्म ईंधन को जलाना इत्यादि।

जल प्रदूषण 

वैसे तो हर कोई कहता है कि जल हमारा जीवन है लेकिन फिर भी आज मानव उसे प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हर कोई जानता है कि पानी के बिना कोई भी जीव जिंदा रहने की सोच भी नहीं सकता फिर चाहे वह मनुष्य हो, पशु पक्षी हो या फिर पेड़ पौधे। जितने भी पानी के प्राकृतिक सोर्स हैं उनमें प्रदूषक तत्व जैसे खनिज, अपशिष्ट पदार्थ, गैस, कचरा आदि मिल जाते हैं। ऐसे में जल पीने योग्य नहीं रह जाता क्योंकि उसमें गंदगी की वजह से वायरस पैदा हो जाते हैं। ऐसे में अगर कोई भी दूषित जल को पी लेता है तो वह उसके लिए काफी हानिकारक होता है। 

ध्वनि प्रदूषण 

ध्वनि प्रदूषण भी पर्यावरण को प्रदूषित करने में काफी हद तक जिम्मेदार है। हद से ज्यादा शोर किसी को भी पसंद नहीं होता लेकिन कई बार बहुत से लोग अपने मनोरंजन के लिए इस बात की परवाह नहीं करते कि कोई दूसरा व्यक्ति इससे परेशान हो सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि हद से ज्यादा तेज आवाज व्यक्ति की सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे बहुत ज्यादा कम कर देता है। इतना ही नहीं एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति की सुनने की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाती है। शोर की वजह से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर तो कोई बुरा असर नहीं होता लेकिन तेज आवाज सहन कर पाना अत्यधिक मुश्किल होता है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से इंसान किसी भी काम पर फोकस नहीं कर पाता और बहुत से कामों में उसे असफलता का मुंह देखना पड़ता है। 

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उपाय 

जिस प्रकार से पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का कार्य मनुष्य कर रहे हैं तो पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए भी इंसान को ही आगे आना होगा। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किए जाएं। पर्यावरण प्रदूषण इस समस्या को कम करने के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं जैसे कि – 

  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोक देना चाहिए। इसके अलावा अपने आसपास वृक्ष जरूर लगाएं ‌
  • पर्यावरण प्रदूषण को लेकर युवाओं में जागरूकता फैलानी चाहिए। 
  • अपने आसपास गंदगी और कूड़े के ढेर को इकट्ठा ना होने दें। 
  • पेट्रोलियम के साथ-साथ कोयला जैसे उत्पादों का भी इस्तेमाल कम से कम करें। 
  • कारखाने शहर से दूर बनाएं जाने चाहिएं जिससे कि उनमें से निकलने वाला धुआं वायु में घुल कर लोगों में बीमारी ना फैला सके।
  • यातायात के लिए ऐसे वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए जो कम धुआं छोड़ते हों।
  • नदियों में कचरा ना फेंके। 
  • जितना ज्यादा हो सके कपड़े और जूट के बने हुए थेलों का इस्तेमाल करें और प्लास्टिक बैगों को ना कहें। 

निष्कर्ष 

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस लेख में हमने आपको बताया कि पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है और इससे जुड़ी दूसरी जरूरी बातें भी बताईं। इसमें कोई शक नहीं कि लोगों में जागरूकता फैला कर हम अपने पर्यावरण को काफी हद तक स्वच्छ बना सकते हैं। इसके लिए केवल एक व्यक्ति को नहीं बल्कि हर इंसान को प्रयास करना होगा। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई सारी बातों की जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। 

प्रदूषण पर निबंध :

  • गंदगी मुक्त मेरा गांव पर निबंध
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हमें उम्मीद है की प्रदूषण पर लिखा गया यह निबंध (Essay on Pollution in Hindi) आपके काम आएगा। आपको यह निबंध कैसा लगा हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Environmental Pollution Essay in Hindi 1000 Words | PDF

Environmental pollution essay in hindi.

Environmental Pollution Essay in Hindi (Download PDF) पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – इस निबंध के माध्यम से हम जानेंगे कि पर्यावरण प्रदूषण पर एक अच्छा निबंध कैसे लिखे तो शुरू करते है।

पर्यावरण प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में हानिकारक प्रदूषकों की शुरूआत से है। प्राकृतिक दुनिया और जीवों की गतिविधियों पर इसका खतरनाक प्रभाव पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, थर्मल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण हैं।

वनों की कटाई और खतरनाक गैसीय उत्सर्जन से पर्यावरण प्रदूषण भी होता है। पिछले 10 वर्षों के दौरान, दुनिया में पर्यावरण प्रदूषण में गंभीर वृद्धि हुई है।

हम सभी ग्रह पृथ्वी पर रहते हैं, जो एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसे पर्यावरण के लिए जाना जाता है, जहां हवा और पानी दो बुनियादी चीजें हैं जो जीवन को बनाए रखती हैं। हवा और पानी के बिना पृथ्वी अन्य ग्रहों की तरह होगी – कोई आदमी नहीं, कोई जानवर नहीं, कोई पौधे नहीं। जीवमंडल जिसमें जीवित प्राणियों के पास जीविका है, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन और जल वाष्प है।

Environmental pollution essay in Hindi & paragraph

ये सभी पशु दुनिया में जीवन के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करने और मदद करने के लिए अच्छी तरह से संतुलित हैं। यह संतुलन न केवल जानवरों और पौधों के जीवन-चक्र की मदद करता है, बल्कि यह खनिजों और ऊर्जा के बारहमासी स्रोतों को भी बनाता है, जिसके बिना दिन की मानव सभ्यता का निर्माण नहीं किया जा सकता था। यह इस संतुलन के लिए है कि मानव जीवन और अस्तित्व के अन्य रूप इतने सारे हजारों वर्षों से पृथ्वी पर फले-फूले हैं।

ये भी देखें – Essay on women emporment in Hi ndi

लेकिन आदमी, सबसे बुद्धिमान जानवर के रूप में, न तो जिज्ञासु होना बंद कर दिया, और न ही वह प्रकृति की सीमाओं के साथ संतुष्ट था। ज्ञान के लिए उनकी खोज और सुरक्षा की खोज नए और व्यापक रहस्यों का पता लगाने में सफल रही जो इतने लंबे समय तक चकरा देने वाले रहे। रहस्य के सबसे अंधेरे क्षेत्रों में मनुष्य की यात्रा ने शानदार सभ्यता के लिए नींव रखी, पुरुषों की विजय के लिए उनकी दुनिया में अपना वर्चस्व सुनिश्चित किया और उन्हें प्रकृति की सभी ताकतों को नियंत्रित करने की कुंजी दी।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के युग की शुरुआत के साथ, मानव क्षमता में भारी वृद्धि और विकास हुआ है। और, यह यहां है कि आदमी ने पहले नियंत्रण खोना शुरू कर दिया और अपनी खुद की रचनाओं का कैदी बन गया।

पर्यावरण प्रदूषण के स्रोत और कारण

पर्यावरण प्रदूषण के स्रोतों और कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

• औद्योगिक गतिविधियाँ: पूरे विश्व में उद्योग जो समृद्धि और समृद्धि लाते हैं, जीवमंडल में व्याप्त हैं और पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ते हैं। धुएं का गुबार, घूमता हुआ गैस, औद्योगिक अपशिष्ट और वैज्ञानिक प्रयोगों का गिरना वायु और जल दोनों को प्रदूषित और दूषित करता है। औद्योगिक कचरे का अनुचित निपटान मिट्टी और जल प्रदूषण के स्रोत हैं।

• वाहन: पेट्रोल और डीजल का उपयोग करने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं और खाना पकाने वाला कोयला पर्यावरण को भी प्रदूषित करता है। वाहनों का गुणन, काले धुएं का उत्सर्जन करता है, जो मुक्त और अनियंत्रित हो रहा है, बाहर फैलता है और जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसके साथ मिश्रण होता है। इन वाहनों के निकलने वाले  हानिकारक धुएं से वायु प्रदूषण होता है। इसके अलावा, इन वाहनों द्वारा निकलने वाले ध्वनियाँ ध्वनि-प्रदूषण का कारण बनती हैं।

• तेजी से शहरीकरण और औद्योगीकरण: शहरीकरण और औद्योगीकरण का तेजी से विकास पर्यावरण प्रदूषण के माध्यम से पौधे के जीवन को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहा है, जो बदले में पशु साम्राज्य और मानव जीवन को नुकसान पहुंचाता है।

• जनसंख्या में वृद्धि: जनसंख्या में वृद्धि के कारण, विशेष रूप से विकासशील देशों में, बुनियादी भोजन, व्यवसाय और आश्रय की मांग में वृद्धि हुई है। दुनिया ने बढ़ती आबादी और उनकी मांगों को अवशोषित करने के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई देखी है।

ये भी देखें – Essay on poverty in India in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण ने मनुष्य और जानवरों दोनों के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। औद्योगिक प्रगति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे लाभ के लगभग सभी हमारे स्वास्थ्य की कीमत पर अब तक महसूस किए गए थे। यहां तक ​​कि हमारे वनस्पतियों और जीवों को भी विलुप्त होने का खतरा पाया गया था।

यह सब वास्तव में हमें आश्चर्यचकित करता है यदि हमारी सभी उपलब्धियां और औद्योगिक सभ्यता वास्तव में हमें समृद्धि की चोटियों पर चढ़ने में मदद करती हैं या बस हमें प्रतिकूल परिस्थितियों के अंधे गलियों में ले जाती हैं।

यह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में – यहाँ तक कि यूरोप और यू.एस.ए. में भी है – यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे औद्योगिक विकास और प्रगति के साथ सब ठीक है। पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ कई अपराधियों ने विकास के नाम पर रोजाना हो रहे अंधाधुंध उल्लंघनों का विरोध किया है।

पर्यावरण प्रदूषण केवल परमाणु परीक्षणों या उद्योगों से गिरने के कारण नहीं है। ऑटोमोबाइल और अन्य वाहनों के ट्रैफ़िक को पीछे छोड़ दिया, सिंथेटिक डिटर्जेंट, नाइट्रोजन उर्वरकों और कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग से हवा और पानी दोनों दूषित होते हैं।

• हम जो पानी सब्जियां पीते हैं वे सभी दिन के लिए दूषित हैं। इस संदूषण के परिणामस्वरूप हमारी दुनिया काफी लाइलाज बीमारियों से ग्रसित है।

• इस दुनिया में कुछ भी प्रतिरक्षा नहीं है, कोई भी जीवन सुरक्षित नहीं है और इस दुनिया का भविष्य अंधकारमय है।

• कारखानों को ज्यादातर आबादी वाले क्षेत्रों में बनाया जाता है और धुंए से निकलने वाले वाहनों को भीड़भाड़ वाले इलाकों से होकर निकाला जाता है। अपार गड़बड़ी पैदा करने के अलावा, फुफ्फुसीय तपेदिक और घनास्त्रता और मस्तिष्क और हृदय की जटिलताओं के विभिन्न प्रकार के बढ़ते मामले हैं।

• वायु-प्रदूषण से फेफड़े-गंभीर रोग, अस्थमा, मस्तिष्क-विकार रोग आदि हो सकते हैं।

• मृदा-प्रदूषण का कृषि उत्पादन अनुपात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह भूजल को भी दूषित कर सकता है।

• शोर-प्रदूषण का श्रवण या श्रवण इंद्रिय अंगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे बहरापन, थकान और मानसिक नुकसान भी हो सकता है।

• उद्योगों और वाहनों द्वारा उत्पन्न गर्मी आसपास के क्षेत्रों के पर्यावरणीय तापमान को बढ़ाकर थर्मल प्रदूषण का कारण बनती है।

मिलों और कारखानों का जन्म इस मशीन-पूर्वनिर्मित युग में उद्योग की वृद्धि का परिणाम है। जब तक वे वहां रहेंगे, उन्हें धुएं का उत्सर्जन करना होगा, हवा को प्रदूषित करना होगा और धीमे-धीमे जहर देकर हमारा अंत करना होगा।

ये भी देखें – Essay on my family in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण के उपाय

फिर क्या उपाय है? निश्चित रूप से कोई भी कट्टरपंथी समाधान नहीं हो सकता है, क्योंकि मौजूदा कारखानों को शारीरिक रूप से आबादी वाले क्षेत्र से दूर जगह पर नहीं उठाया जा सकता है। हालाँकि, पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं।

• सरकार कम से कम यह देख सकती है कि भविष्य के कारखानों को दूर के स्थान पर स्थापित किया गया है, जो बस्ती से दूर एक औद्योगिक परिसर है।

• शोधकर्ता यह पता लगा सकते हैं कि दौड़ने वाले वाहनों के हानिकारक धुएं से कैसे बचा जाए।

• वनों की कटाई को रोका जाना चाहिए और वानिकी का विकास किया जाना चाहिए।

• नदियों में फैक्ट्री कचरे के निर्वहन पर रोक लगाई जानी चाहिए ताकि नदी-जल को प्रदूषण से मुक्त किया जा सके।

हम बहुत अच्छी तरह से मौसम के असामान्य व्यवहार को नोटिस कर सकते हैं – चक्र अपने पहियों में मोज़री विकसित कर रहा है; और चिंतित विशेषज्ञों को डर है कि जीवमंडल में गड़बड़ी के संतुलन ने इतना गंभीर अनुपात ग्रहण कर लिया है कि बहुत जल्द ही हमारी दुनिया 1945 के हिरोशिमा की तरह निर्जन हो जाएगी।

लेकिन यह पूरी दुनिया को पता है कि इस खतरे के बारे में पता चल रहा है। कुछ उन्नत देशों ने इससे मिलने के लिए पहले ही कुछ उपाय कर लिए हैं। अगर हम अभी पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने में विफल रहते हैं, तो कल बहुत देर हो जाएगी।

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FAQs. Environmental Pollution in Hindi

प्रदूषण को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है.

उत्तर- इसे नियंत्रित करने के कई तरीके हैं, जैसे पेड़-पौधे पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि संभव हो तो, पेड़ों को कम से कम काटा जाना चाहिए। धुएं को कम करने और वायु प्रदूषण को रोकने में मदद करने के लिए ट्रैफ़िक टूल का उपयोग किया जाना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार का होता है?

उत्तर- 6 प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – 1. जल प्रदूषण, 2. शोर प्रदूषण, 3. वायु प्रदूषण, 4. भूमि प्रदूषण, 5. प्रकाश प्रदूषण, 6. तापीय प्रदूषण।

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

environment pollution essay in hindi

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

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पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
  • Slogan on environment
  • Essay in Hindi

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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – Essay on Environmental pollution In Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: पर्यावरण की स्थिति उस स्थिति को संदर्भित करती है, जो अपने आप में मानव जीवन को प्रभावित करती है. गंभीर प्रदूषण पर्यावरणीय क्षति का कारण बन सकता है. प्रदूषण जीवन में दखल देता है. यह पूरी दुनिया के लिए बहुत खतरनाक है क्यूंकि प्रदूषण को रोकने में कोई भी सक्षम नहीं है. प्रदूषण को रोकने से पहले प्रदूषण के बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए. इसलिए मैं आज आपके लिए लेकर आया हूँ पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental pollution in Hindi). जिसमें आप पर्यावरण प्रदूषण के बारे में सब कुछ जान पाएंगे.

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 350 शब्दों – Environmental pollution essay in Hindi

हमारे पृथ्वी-ग्रह और हम सबको चारो तरफ को घेरने वाली हर चीज को पर्यावरण कहा जाता है. इसका अर्थ उन सभी प्रभावों और परिस्थितियों से है जो हमें और अन्य जीवित प्राणियों को सीधा प्रभावित करता है. वायु, जल, पृथ्वी, मिट्टी आदि जैसे प्राकृतिक तत्वों में एक निश्चित संतुलन के कारण ही हमारे ग्रह पर जीवन संभव हुआ है अन्यथा पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने वाला एक और बेजान ग्रह होता.

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों के विनाश और पर्यावरण के प्रदूषण के कारण मानव जीवन संकट में आ गया है. तेजी से और अंधाधुंध औद्योगीकरण ने पर्यावरण प्रदूषण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. मिलों और कारखानों से निकास फ़नल के माध्यम से भारी धुआँ निकलता है. ऑटोमोबाइल के निकास पाइप भी मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं. शहरी क्षेत्रों में हवा कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोकार्बन, कीटनाशक, फ्लाई ऐश, कालिख और कभी-कभी रेडियोधर्मी पदार्थों जैसे प्रदूषकों से भी संतृप्त होती है. नतीजतन, जैव मंडल में ओजोन परत बहुत खतरनाक साबित होने के लिए बाध्य है.

paryavaran pradushan par nibandh

पर्यावरण प्रदूषण को कैसे खत्म करें               

पर्यावरण प्रदूषण के खतरे की जाँच के लिए वैश्विक और संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है. हमारे वातावरण को बचाने के आंदोलन में जनता को शामिल होना चाहिए. स्कूलों या कॉलेजों में पढ़ाए जाने और सीखने के लिए पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य विषय होना चाहिए. प्रदूषण विरोधी कानूनों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए. इस गंभीर समस्या के प्रति जनजागृति और जागरूकता को ठीक से सिखाया जाना चाहिए. हमें पूरे देश में बड़ी संख्या में पेड़ उगाने चाहिए. इस कार्य में सरकार की मदद करना भी हमारा दायित्व है.

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को मिटाने के लिए स्कूल और कॉलेजों के छात्रों के बहुत सारे कर्तव्य और जिम्मेदारियाँ हैं. वर्ष में कम से कम एक सप्ताह वन महोत्सव मनाकर वनों की कटाई को बहाल किया जाए. वे अपने घरों के पास और अपने शिक्षण संस्थानों के परिसर में भी पेड़ लगा सकते हैं. वे अपने पड़ोसियों के बीच इस खतरे के बारे में जागरूकता पैदा कर सकते हैं कि पर्यावरण प्रदूषण मानव जीवन पर खराब प्रभाव पड़ता है और इसे समय रहते कैसे मिटाया जाए.

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 पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों – essay on Environmental pollution in Hindi [500 words]

हमारे चारों तरफ या हमारे आसपास को पर्यावरण कहा जाता है. जब हमारा पर्यावरण विशेष रूप से प्रदूषित होता है, तो हम कहते हैं, “हमारा पर्यावरण प्रदूषित है”. जब हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है, तो हम कई तरह की बीमारियों से पीड़ित होते हैं. लेकिन अगर हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है, तो हमारा जीवन में बहुत सारे दिक्कत पैदा हो जाते हैं. इसलिए हमें पर्यावरण प्रदूषण और इस प्रदूषण के उन्मूलन के बारे में पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए. तब हम हमेशा प्रदूषण रहित अपने पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते हैं.

घर में हम जो ईंधन जलाते हैं उससे निकलने वाला धुआं हमारे वातावरण को कार्बन डाइऑक्साइड से भर देता है. आजकल, शहरों और गांवों में बड़ी संख्या में मोटरसाइकिल और कार और बसें और ट्रक चलते हैं. इससे निकलने वाला धुआं कार्बन डाइऑक्साइड से हमारे गाँव और सहर के पर्यावरण प्रदूषित होता है. सीवर, खाद और शौचालय आदि से निकलने वाली गैस हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करती है. लोग बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू खाने के वजह से इनसे निकलने वाले जहरीले धुएं हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं. औद्योगिक शहरों में कारखानों से निकलने वाला धुआं हमारे औद्योगिक शहरों में कार्बन डाइऑक्साइड से वातावरण को भर देता है. यह कार्बन डाइऑक्साइड हमारे औद्योगिक शहर के पर्यावरण को प्रदूषित करता है. यह सभी कार्बन डाइऑक्साइड हमारे पर्यावरण के वातावरण में अवशोषित हो जाने से हम सब खतरे में रहते हैं.

पर्यावरण प्रदूषण का उन्मूलन

जो ऑक्सीजन हमारे जीवन को बचाने के लिए वायुमंडल में दिखाई देती है, वह ऑक्सीजन पेड़ों से आती है. पौधे अपने पत्तों के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है. यह कार्बन डाइऑक्साइड पेड़ का भोजन है. पेड़ की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड नष्ट हो जाता है. पर्यावरण प्रदूषण को खत्म करने के लिए हमें अपने पर्यावरण में बहुत सारे पेड़ों की आवश्यकता है. पहले हमारे पर्यावरण में बहुत सारे पेड़ मौजूद थे; लेकिन हमारे लोगों ने पेड़ों को काट कर जंगल से पेड़ों की संख्या कम कर दिया. इसलिए अब हमें अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए असंख्य पेड़ लगाने होंगे. धुआं रहित ईंधन का उपयोग करना पड़ेगा. घर पर और बाहर में भी स्वच्छ शौचालय स्थापित करने की आवश्यकता है. ड्रेनेज और कचरे को वैज्ञानिक रूप से वाष्पित किया जाना चाहिए. पर्यावरण की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. विशेष रूप से, वनीकरण और सामाजिक वनीकरण को तेज करने की आवश्यकता है. पेड़ काटना को असामाजिक अपराध के रूप में गिना जाना चाहिए और पेड़ काटने वालों को सजा देनी चाहिए.

पर्यावरण प्रदूषण अब हमारे गाँव, शहर या देश में सिर्फ एक समस्या होकर नहीं रह गया है. यह अब हमारे साथ साथ पूरी दुनिया की समस्याओं में भी शामिल है. हर साल 5 जून को दुनिया के लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. हमारे छात्र समाज को पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की भी आवश्यकता है. हम अपने आसपास के लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझा सकते हैं और हम उनके साथ इस दिशा में काम कर सकते हैं.

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – Essay on Environmental pollution in Hindi [1000 words]

environment pollution essay in hindi

पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिसमें रहने का वातावरण है. पर्यावरण की वर्तमान परिभाषा बहुत व्यापक है. मिट्टी, पानी, हवा, पौधों और जानवरों के संयोजन में पर्यावरण का निर्माण; लेकिन आम लोग सीमित अर्थ में उनके आसपास के वातावरण को पर्यावरण के रूप में समझते हैं. एक बच्चे के लिए उसकी माँ की गोद, छात्रों के लिए स्कूल का वातावरण एक छोटा पर्यावरण है. गाँवों से लेकर दुनिया तक के छोटे से बड़े वातावरण की कल्पना की जा सकती है. समय के साथ प्रगति के नाम पर मनुष्य ने अपनी बुद्धि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नए आविष्कारों को लागू करके प्राकृतिक संसाधनों को प्राप्त करने के लिए प्रकृति पर अत्याचार करते हुए अपने रहस्यों का खुलासा करने का सहारा लिया है. परिणामस्वरूप, पर्यावरण प्रदूषित होता है और मानव समाज के लिए एक गंभीर खतरा भी बन जाता है .

प्रदूषण के विभिन्न कारण और परिणाम

आधुनिक सभ्यता की सबसे बड़ी, अकल्पनीय और भयानक समस्या पर्यावरण प्रदूषण है. इस मानवीकृत समस्या के कई कारण हैं. पर्यावरण प्रदूषण आमतौर पर मिट्टी, पानी, वायु और ध्वनि प्रदूषण के कारण होता है. विश्लेषणात्मक रूप से, जनसंख्या वृद्धि, वनों की कटाई, औद्योगीकरण, अप्रत्याशित वाहनों की शुरूआत, अपशिष्ट डंपिंग, रसायनों का व्यापक उपयोग, कंक्रीट के जंगलों का निर्माण और परमाणु विस्फोटों का अन्वेषण प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण भूमिका हैं.

भारत वर्तमान में जनसंख्या के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है और पालतू जानवरों की संख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे प्राकृतिक संसाधनों पर भोजन, आश्रय, चराई और ईंधन के लिए दबाव बढ़ता है. प्रकृति की उत्पीड़न पर्यावरण प्रदूषण के कारण सहायक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए है.

जंगल ही जीवन है. सभ्यता विकास के प्रमुख तत्व; लेकिन निष्पक्ष वनों की कटाई या वनों की कटाई पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट का एक प्रमुख कारण है. हमारे देश में हर साल 13 से 15 लाख हेक्टेयर जंगल नष्ट हो जाते हैं. 2 मिलियन हेक्टेयर खेत और चरागाह भूमि को नीच भूमि में बदल दिया जा रहा है. वन संसाधनों के तेजी से गिरावट के साथ, जलवायु परिवर्तन, बाढ़, और तूफान विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा कर रहे हैं.

मिट्टी हमारी मां है. जानवरों, पक्षियों, पौधों, और मनुष्यों सहित सभी जीवित चीजें, इसके शरीर में रहती हैं. मिट्टी भोजन, पानी आदि के साथ जीवन की सभी बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान करती है. रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी प्रदूषित होती है. यांत्रिक कृषि विधियों को अपनाने के परिणामस्वरूप मिट्टी का क्षरण तेज होता है. वनों की कटाई भी मिट्टी के क्षरण का एक कारण है. एक सेंटीमीटर ऊपरी मिट्टी को बनाने में 500-600 साल लगते हैं.

जल ही जीवन है. यह मनुष्य के लिए भगवान का सबसे बड़ा योगदान है. सतही जल संसाधन तेजी से घट रहे हैं. सर्वेक्षण के अनुसार, दुनिया के 70 प्रतिशत जल संसाधन प्रदूषित हैं. पानी आमतौर पर तीन तरीकों से दूषित होता है. भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं में जल दूषित होता है. क्लोरीन, अमोनियम, सल्फेट विभिन्न प्रकार के कारखानों से निकलता हुआ एसिड के साथ दूषित पानी नदी के पानी को दूषित करता है. नदी में जहरीली मछली खाने से लोग बीमार पड़ते हैं. फल, सब्जियां आदि विषाक्त और बेस्वाद हैं. पेयजल की गंभीर कमी है.

                                                                   “Water Water everywhere

                                                                     But not a drop to drink.”

देश में लगभग 70 प्रतिशत बच्चों की मौत दूषित पेयजल के कारण होती है. दूषित पानी पीने से भी लाखों लोग संक्रमित हैं. वनों की कटाई और भूजल संसाधनों के अधिक उपयोग के कारण जल स्तर घट रहा है. नलकूपों से पानी का बहाव घट रहा है.

औद्योगिक प्रगति का प्रतीक है. मानव जाति को औद्योगिकीकरण से बहुत लाभ हुआ है; लेकिन कारखाना उत्सर्जन दूषित वायु वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है. इससे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है. कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने से वातावरण का तापमान बढ़ता है. इससे आने वाले दिनों में मौसम में आमूल परिवर्तन आएगा. भोपाल में विनाशकारी वाष्प से होने वाली क्षति अद्वितीय है. वायुमंडल के तापमान में वृद्धि के कारण, मेरु क्षेत्र में बर्फ के पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ जाएगा और तटीय शहरी और औद्योगिक क्षेत्र जलमग्न हो जाएंगे और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाएंगे. वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की चेतावनी को अब से ध्यान में रखा जाना चाहिए.

वायु प्रदूषण की कोई भौगोलिक सीमा नहीं है. यह हर जगह हर किसी को प्रभावित करता है. अत्यधिक वाहनों की आवाजाही के कारण जानलेवा प्रदूषण की समस्या पैदा हो गई है. वायु प्रदूषण से मस्तिष्क की कोशिकाएं भी प्रभावित होती हैं. महानगरीय क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या बहुत तीव्र है.

फैक्टरी के तरल, ठोस अपशिष्ट और सार्वजनिक के कचरे से पर्यावरण प्रदूषण होता है जिससे जल और भूमि प्रभावित होता है. पॉलिथीन और प्लास्टिक के कारण होने वाले मिट्टी प्रदूषण ने आज सिरदर्द पैदा कर दिया है.

प्रदूषण का नियंत्रण

आज, दुनिया पर्यावरण प्रदूषण के खतरों से अवगत है. इसे नियंत्रित करने के लिए मानव समाज आगे आ रहा है. पहला, जनसंख्या वृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों के बीच संतुलन बनाए रखना हमारा कर्तव्य है. पर्यावरण पर चल रहे उत्पीड़न से सृष्टि का संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है. इसलिए वनीकरण से ग्रीन हाउस गैसों के दुष्प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है. इसके अलावा, सभी को यह याद रखना चाहिए कि प्रकृति मानव नियंत्रण में नहीं है; बल्कि मनुष्य प्रकृति का गुलाम है. इस भावना को पर्यावरण संरक्षण द्वारा पूरक किया जा सकता है.

पर्यावरण प्रदूषण के रोगों से छुटकारा पाने के लिए सार्वजनिक जागरूकता –  दवाओं का उपयोग अधिक प्रभावी हो सकता है. इसलिए स्वैच्छिक संगठनों, युवा संगठनों, महिलाओं के मंडलियों, स्कूलों और कॉलेजों के छात्र पर्यावरण और सुरक्षा के संदेश को ग्रामीण, शहरी, शैक्षिक और धार्मिक संस्थानों में फैला सकते हैं. यह सब में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है. छात्रों की पाठ्यपुस्तकों में पर्यावरणीय पाठ शामिल होना चाहिए. वन कर्मियों की इस मामले में भी जिम्मेदारियां हैं.

पर्यावरण संरक्षण आज एक लोकप्रिय आंदोलन बन गया है. हमें प्रदूषण के ऐसे खतरों से लड़ने के लिए अथक उत्साह और प्रयास के साथ काम करना होगा. प्रदूषण नियंत्रण कानूनों का पालन किया जाना चाहिए. दुनिया के हर देश को सतर्क रहने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पहल करने की आवश्यकता है. अपने देश को विनाश के कगार से बचाने के लिए आज सभी को आगे आना होगा.

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में: प्रदूषण के प्रकार, कारण, प्रभाव, नियंत्रण के उपाय

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: (essay on environmental pollution in hindi), पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते है (what is environmental pollution).

प्रदूषण, पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषक पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रदूषण का अर्थ है - 'हवा, पानी, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना', जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं। विज्ञान के इस युग में मानव को जहाँ कुछ वरदान मिले है, वहीं कुछ अभिशाप भी मिले हैं। 'प्रदूषण' एक ऐसा अभिशाप हैं, जो विज्ञान की गर्भ से जन्मा हैं और आज जिसे सहने के लिए विश्व की अधिकांश जनता मजबूर हैं। पर्यावरण प्रदूषण में मानव की विकास प्रक्रिया तथा आधुनिकता का महत्वपूर्ण योगदान है। यहाँ तक मानव की वे सामान्य गतिविधियाँ भी प्रदूषण कहलाती हैं, जिनसे नकारात्मक फल मिलते हैं। उदाहरण के लिए उद्योग द्वारा उत्पादित नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रदूषक हैं। हालाँकि उसके तत्व प्रदूषक नहीं हैं। यह सूर्य की रोशनी की ऊर्जा है, जो कि उसे धुएँ और कोहरे के मिश्रण में बदल देती है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार:

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution)
  • भूमि प्रदूषण (Land Pollution)
  • प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)

1. जल प्रदूषण किसे कहते है? (What is Water Pollution in Hindi)

जल प्रदूषण: जल में किसी बाहरी पदार्थ की उपस्थिति, जो जल के स्वाभाविक गुणों को इस प्रकार परिवर्तित कर दे कि जल स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो जाए या उसकी उपयोगिता कम हो जाए जल प्रदूषण कहलाता है। अन्य शब्दों में ऐसे जल को नुकसानदेह तथा लोक स्वास्थ्य को या लोक सुरक्षा को या घरेलू, व्यापारिक, औद्योगिक, कृषीय या अन्य वैद्यपूर्ण उपयोग को या पशु या पौधों के स्वास्थ्य तथा जीव-जन्तु को या जलीय जीवन को क्षतिग्रस्त करें, जल प्रदूषण कहलाता है।

जल प्रदूषण के कारण: (Causes of Water Pollution in Hindi)

जल प्रदूषण के विभिन्न कारण निम्नलिखित हैः

  • मानव मल का नदियों, नहरों आदि में विसर्जन।
  • सफाई तथा सीवर का उचित प्रबंध्न न होना।
  • विभिन्न औद्योगिक इकाइयों द्वारा अपने कचरे तथा गंदे पानी का नदियों, नहरों में विसर्जन।
  • कृषि कार्यों में उपयोग होने वाले जहरीले रसायनों तथा खादों का पानी में घुलना।
  • नदियों में कूड़े-कचरे, मानव-शवों और पारम्परिक प्रथाओं का पालन करते हुए उपयोग में आने वाले प्रत्येक घरेलू सामग्री का समीप के जल स्रोत में विसर्जन।

जल प्रदूषण के प्रभाव: (Impacts of Water Pollution)

जल प्रदूषण के निम्नलिखित प्रभाव हैः

  • इससे मनुष्य, पशु तथा पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है। इससे टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक आदि बीमारियां पैदा होती हैं।
  • इससे विभिन्न जीव तथा वानस्पतिक प्रजातियों को नुकसान पहुँचता है।
  • इससे पीने के पानी की कमी बढ़ती है, क्योंकि नदियों, नहरों यहाँ तक कि जमीन के भीतर का पानी भी प्रदूषित हो जाता है।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय: (Measures to prevent Water Pollution)

जल प्रदूषण पर निम्नलिखित उपायों से नियंत्रण किया जा सकता है-

  • वाहित मल को नदियों में छोड़ने के पूर्व कृत्रिम तालाबों में रासायनिक विधि द्वारा उपचारित करना चाहिए।
  • अपमार्जनों का कम-से-कम उपयोग होना चाहिए। केवल साबुन का उपयोग ठीक होता है।
  • कारखानों से निकले हुए अपशिष्ट पदार्थों को नदी, झील एवं तालाबों में नहीं डालना चाहिए।
  • घरेलू अपमार्जकों को आबादी वाले भागों से दूर जलाशयों मे डालना चाहिए।
  • जिन तालाबों का जल पीने का काम आता है, उसमें कपड़े, जानवर आदि नहीं धोने चाहिए।
  • नगरों व कस्बों के सीवेज में मल-मूत्र, कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ तथा जीवाणु होते हैं। इसे आबादी से दूर खुले स्थान में सीवेज को निकाला जा सकता है या फिर इसे सेप्टिक टैंक, ऑक्सीकरण ताल तथा फिल्टर बैड आदि काम में लाए जा सकते हैं।
  • बिजली या ताप गृहों से निकले हुए पानी को स्प्रे पाण्ड या अन्य स्थानों से ठंडा करके पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।

2. वायु प्रदूषण किसे कहते है? (What is Air Pollution in Hindi)

वायु प्रदूषण: वायु विभिन्न गैसों का मिश्रण है जिसमें नाइट्रोजन की मात्रा सर्वाधिक 78 प्रतिशत होती है, जबकि 21 प्रतिशत ऑक्सीजन तथा 0.03 प्रतिशत कार्बन डाइ ऑक्साइड पाया जाता है तथा शेष 0.97 प्रतिशत में हाइड्रोजन, हीलियम, आर्गन, निऑन, क्रिप्टन, जेनान, ओज़ोन तथा जल वाष्प होती है। वायु में विभिन्न गैसों की उपरोक्त मात्रा उसे संतुलित बनाए रखती है। इसमें जरा-सा भी अन्तर आने पर वह असंतुलित हो जाती है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होती है। श्वसन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है। जब कभी वायु में कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइडों की वृद्धि हो जाती है, तो ऐसी वायु को प्रदूषित वायु तथा इस प्रकार के प्रदूषण को वायु प्रदूषण कहते हैं।

वायु प्रदूषण के कारण: (Causes of Air Pollution in Hindi)

वायु प्रदूषण के कुछ सामान्य कारण हैं:

  • वाहनों से निकलने वाला धुआँ।
  • औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुँआ तथा रसायन।
  • आणविक संयत्रों से निकलने वाली गैसें तथा धूल-कण।
  • जंगलों में पेड़ पौधें के जलने से, कोयले के जलने से तथा तेल शोधन कारखानों आदि से निकलने वाला धूआँ।

वायु प्रदूषण का प्रभाव: (Impacts of Air Pollution)

वायु प्रदूषण हमारे वातावरण तथा हमारे ऊपर अनेक प्रभाव डालता है। उनमें से कुछ निम्नलिखित है :

  • हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से मनुष्य, पशुओं तथा पंक्षियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे दमा, सर्दी-खाँसी, अँधापन, श्रवण शक्ति का कमजोर होना, त्वचा रोग जैसी बीमारियाँ पैदा होती हैं। लंबे समय के बाद इससे जननिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं और अपनी चरमसीमा पर यह घातक भी हो सकती है।
  • वायु प्रदूषण से सर्दियों में कोहरा छाया रहता है, जिसका कारण धूएँ तथा मिट्टी के कणों का कोहरे में मिला होना है। इससे प्राकृतिक दृश्यता में कमी आती है तथा आँखों में जलन होती है और साँस लेने में कठिनाई होती है।
  • ओजोन परत, हमारी पृथ्वी के चारों ओर एक सुरक्षात्मक गैस की परत है। जो हमें सूर्य से आनेवाली हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है। वायु प्रदूषण के कारण जीन अपरिवर्तन, अनुवाशंकीय तथा त्वचा कैंसर के खतरे बढ़ जाते हैं।
  • वायु प्रदुषण के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है, क्योंकि सूर्य से आने वाली गर्मी के कारण पर्यावरण में कार्बन डाइ आक्साइड, मीथेन तथा नाइट्रस आक्साइड का प्रभाव कम नहीं होता है, जो कि हानिकारक हैं।
  • वायु प्रदूषण से अम्लीय वर्षा के खतरे बढ़े हैं, क्योंकि बारिश के पानी में सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड आदि जैसी जहरीली गैसों के घुलने की संभावना बढ़ी है। इससे फसलों, पेड़ों, भवनों तथा ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुँच सकता है।

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय: (Measures to prevent Air Pollution)

वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती हैं-

  • जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
  • लोगो को वायु प्रदूषण से होने वाले नुक्सान और रोगों के बारे में जानकारी प्रदान की जानी चाहिए।
  • धुम्रपान पर नियंत्रण लगा देना चाहिए।
  • कारखानों के चिमनियों की ऊंचाई अधिक रखना चाहिए।
  • कारखानों के चिमनियों में फिल्टरों का उपयोग करना चाहिए।
  • मोटरकारों और स्वचालित वाहनों को ट्यूनिंग करवाना चाहिए ताकि अधजला धुआं बाहर नहीं निकल सकें।
  • अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
  • उद्योगों की स्थापना शहरों एवं गांवों से दूर करनी चाहिए।
  • अधिक धुआं देने वाले स्वचालितों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
  • सरकार द्वारा प्रतिबंधात्मक कानून बनाकर उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।

3. ध्वनि प्रदूषण किसे कहते है? (What is Sound Pollution in Hindi)

ध्वनि प्रदूषण: जब ध्वनि की तीव्रता अधिक हो जाती है तो वह कानों को अप्रिय लगने लगती है। इस अवांछनीय अथवा उच्च तीव्रता वाली ध्वनि को शोर कहते हैं। शोर से मनुष्यों में अशान्ति तथा बेचैनी उत्पन्न होती है। साथ ही साथ कार्यक्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वस्तुतः शोर वह अवांक्षनीय ध्वनि है जो मनुष्य को अप्रिय लगे तथा उसमें बेचैनी तथा उद्विग्नता पैदा करती हो। पृथक-पृथक व्यक्तियों में उद्विग्नता पैदा करने वाली ध्वनि की तीव्रता अलग-अलग हो सकती है। वायुमंडल में अवांछनीय ध्वनि की मौजूदगी को ही 'ध्वनि प्रदूषण' कहा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण के कारण (Causes of Sound Pollution in Hindi): रेल इंजन, हवाई जहाज, जनरेटर, टेलीफोन, टेलीविजन, वाहन, लाउडस्पीकर आदि आधुनिक मशीनें।

ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव (Impacts of Sound Pollution in Hindi): लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव से श्रवण शक्ति का कमजोर होना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, उच्चरक्तचाप अथवा स्नायविक, मनोवैज्ञानिक दोष उत्पन्न होने लगते हैं। लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव से स्वाभाविक परेशानियाँ बढ़ जाती है।

ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय: (Measures to prevent Sound Pollution)

ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं-

  • लोगों मे ध्वनि प्रदूषण से होने वाले रोगों के बारे में उन्हें जागरूक करना चाहिए।
  • कम शोर करने वाले मशीनों-उपकरणों का निर्माण एवं उपयोग किए जाने पर बल देना चाहिए।
  • अधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले मशीनों को ध्वनिरोधी कमरों में लगाना चाहिए तथा कर्मचारियों को ध्वनि अवशोषक तत्वों एवं कर्ण बंदकों का उपयोग करना चाहिए।
  • उद्योगों एवं कारखानों को शहरों या आबादी से दूर स्थापित करना चाहिए।
  • वाहनों में लगे हार्नों को तेज बजाने से रोका जाना चाहिए।
  • शहरों, औद्योगिक इकाइयों एवं सड़कों के किनारे वृक्षारोपण करना चाहिए। ये पौधे भी ध्वनि शोषक का कार्य करके ध्वनि प्रदूषण को कम करते हैं।
  • मशीनों का रख-रखाव सही ढंग से करना चाहिए।

4. भूमि प्रदूषण किसे कहते है? (What is Land Pollution in Hindi)

भूमि प्रदूषण: भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में कोई ऐसा अवांछनीय परिवर्तन जिसका प्रभाव मानव तथा अन्य जीवों पर पड़े या जिससे भूमि की गुणवत्त तथा उपयोगित नष्ट हो, 'भूमि प्रदूषण' कहलाता है। इसके अन्तर्गत घरों के कूड़ा-करकट के अन्तर्गत झाड़न-बुहारन से निकली धूल, रद्दी, काँच की शीशीयाँ, पालीथीन की थैलियाँ, प्लास्टिक के डिब्बे, अधजली लकड़ी, चूल्हे की राख, बुझे हुए, अंगारे आदि शामिल हैं।

भूमि प्रदूषण के कारण:(Causes of Land Pollution in Hindi)

भूमि प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:-

  • कृषि में उर्वरकों, रसायनों तथा कीटनाशकों का अधिक प्रयोग।
  • औद्योगिक इकाईयों, खानों तथा खादानों द्वारा निकले ठोस कचरे का विसर्जन।
  • भवनों, सड़कों आदि के निर्माण में ठोस कचरे का विसर्जन।
  • कागज तथा चीनी मिलों से निकलने वाले पदार्थों का निपटान, जो मिट्टी द्वारा अवशोषित नहीं हो पाते।
  • प्लास्टिक की थैलियों का अधिक उपयोग, जो जमीन में दबकर नहीं गलती।
  • घरों, होटलों और औद्योगिक इकाईयों द्वारा निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों का निपटान, जिसमें प्लास्टिक, कपड़े, लकड़ी, धातु, काँच, सेरामिक, सीमेंट आदि सम्मिलित हैं।

भूमि प्रदूषण के प्रभाव: (Impact of Land Pollution in Hindi)

भूमि प्रदूषण के निम्नलिखित हानिकारक प्रभाव हैः

  • कृषि योग्य भूमि की कमी।
  • भोज्य पदार्थों के स्रोतों को दूषित करने के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक।
  • भूस्खलन से होने वाली हानियाँ।
  • जल तथा वायु प्रदूषण में वृद्धि।

भूमि प्रदूषण रोकने के उपाय: (Measures to prevent Soil Pollution)

मृदा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:-

  • मृत प्राणियों, घर के कूड़ा-करकट, गोबर आदि को दूर गड्ढे में डालकर ढक देना चाहिए।
  • हमें खेतों में शौच नहीं करनी चाहिए बल्कि घर के अन्दर ही शौचालय की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • मकान व भवन को सड़क से कुछ दूरी पर बनाना चाहिए।
  • मृदा अपरदन को रोकने के लिए आस-पास घास एवं छोटे-छोटे पौधे लगाना चाहिए।
  • घरों में साग-सब्जी को उपयोग करने के पहले धो लेना चाहिए।
  • गांवों में गोबर गैस संयंत्र अर्थात् गोबर द्वारा गैस बनाने को प्रोत्साहन देना चाहिए। इससे ईंधन के लिए गैस भी मिलेगी तथा गोबर खाद।
  • ठोस पदार्थ अर्थात् टिन, तांबा, लोहा, कांच आदि को मृदा में नहीं दबाना चाहिए।

5. सामाजिक प्रदूषण किसे कहते है? (What is Social Pollution in Hindi)

सामाजिक प्रदूषण जनसँख्या वृद्धि के साथ ही साथ शारीरिक, मानसिक तथा नैतिक मूल्यों का ह्रास होना आदि शामिल है। सामाजिक प्रदूषण का उद्भव भौतिक एवं सामाजिक कारणों से होता है। अत: आवश्यकता इस बात की है कि सरकार के साथ स्वयं नागरिकों को जागरूक होने कि जरुरत है जिससे इस सामाजिक प्रदूषण से बचा जा सके

सामाजिक प्रदूषण के कारण: (Causes of Social Pollution in Hindi)

सामाजिक प्रदूषण को निम्न उपभागों में विभाजित किया जा सकता है:-

  • जनसंख्या विस्फोट( जनसंख्या का बढ़ना)।
  • सामाजिक प्रदूषण (जैसे सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ापन, अपराध, झगड़ा फसाद, चोरी, डकैती आदि)।
  • सांस्कृतिक प्रदूषण।
  • आर्थिक प्रदूषण (जैसे ग़रीबी)।

6. प्रकाश प्रदूषण किसे कहते है? (What is Light Pollution in Hindi)

प्रकाश प्रदूषण, जिसे फोटोपोल्यूशन या चमकदार प्रदूषण के रूप में भी जाना जाता है, यह अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश के कारण होता है। प्रकाश का प्रदूषण हमारे घरों में दरवाजों और खिड़कियों के जरिये बाहर सड़कों पर लगे हुए बिजली के खम्भों और लैम्पों से भी घुस आता है। जो मौजूदा जिन्दगी में अनिवार्य और जरूरी चीज बन जाता है। इस तरह का प्रदूषण पर्यावरण में प्रकाश की वजह से लगातार बढ़ रहा है। इसको रोकने या कम करने का तरीका यही है कि बिजली या रोशनी का उपयोग जरूरत पड़ने पर ही किया जाये। प्रकाश का प्रदूषण तीन तरह से फैलता है:-

  • 1. आसमान की चमक-दमक लालिमा से।
  • 2. घरों के अन्दर और बाहर से आने वाला प्रकाश। चौंधिया देने वाला तेज प्रकाश।
  • 3. लगातार निकलने वाली आसमान की चमक-दमक या लालिमा।

7. रेडियोधर्मी प्रदूषण किसे कहते है? (What is Radioactive Pollution in Hindi)

ऐसे विशेष गुण वाले तत्व जिन्हें आइसोटोप कहते हैं और रेडियोधर्मिता विकसित करते हैं, जिससे मानव जीव-जंतु, वनस्पतियों एवं अन्य पर्यावरणीय घटकों के हानि होने की संभावना रहती है, को नाभिकीय प्रदूषण या ‘रेडियोधर्मी प्रदूषण’ कहते हैं। परमाणु उर्जा उत्पादन और परमाणु हथियारों के अनुसंधान, निर्माण और तैनाती के दौरान उत्पन्न होता है।

  • रेडियोधर्मी प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत: आंतरिक किरणें, पर्यावरण (जल, वायु एवं शैल) तथा जीव-जंतु (आंतरिक)।
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण के मानव निर्मित स्रोत: रेडियो डायग्नोसिस एवं रेडियोथेरेपिक उपकरण, नाभिकीय परीक्षण तथा नाभिकीय अपशिष्ट।

रेडियोधर्मी प्रदूषण रोकने के उपाय: (Measures to prevent Radioactive Pollution)

रेडियोधर्मी प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:-

  • परमाणु ऊर्जा उत्पादक यंत्रों की सुरक्षा करनी चाहिए।
  • परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
  • गाय के गोबर से दीवारों पर पुताई करनी चाहिए।
  • गाय के दूध के उपयोग से रेडियोधर्मी प्रदूषण से बचा जा सकता है।
  • सरकारी संगठनों एवं गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से जनजागरण करना चाहिए।
  • वृक्षारोपण करके रेडियोधर्मिता के प्रभाव से बचा जा सकता है।
  • रेडियोधर्मी पदार्थों का रिसाव सीमा में हो तथा वातावरण में विकिरण की मात्रा कम करनी चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य: (Important Facts About Environmental Pollution)

  • वायुमण्डल में कार्बन डाई ऑक्साइड का होना भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण है, यदि वह धरती के पर्यावरण में अनुचित अन्तर पैदा करता है।
  • 'ग्रीन हाउस' प्रभाव पैदा करने वाली गैसों में वृद्धि के कारण भू-मण्डल का तापमान निरन्तर बढ़ रहा है, जिससे हिमखण्डों के पिघलने की दर में वृद्धि होगी तथा समुद्री जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती क्षेत्र, जलमग्न हो जायेंगे। हालाँकि इन शोधों को पश्चिमी देश विशेषकर अमेरिका स्वीकार नहीं कर रहा है।
  • प्रदूषण के मायने अलग-अलग सन्दर्भों से निर्धारित होते हैं। परम्परागत रूप से प्रदूषण में वायु, जल, रेडियोधर्मिता आदि आते हैं। यदि इनका वैश्विक स्तर पर विश्लेषण किया जाये तो इसमें ध्वनि, प्रकाश आदि के प्रदूषण भी सम्मिलित हो जाते हैं।
  • गम्भीर प्रदूषण उत्पन्न करने वाले मुख्य स्रोत हैं- रासायनिक उद्योग, तेल रिफायनरीज़, आणविक अपशिष्ट स्थल, कूड़ा घर, प्लास्टिक उद्योग, कार उद्योग, पशुगृह, दाहगृह आदि।
  • आणविक संस्थान, तेल टैंक, दुर्घटना होने पर बहुत गम्भीर प्रदूषण पैदा करते हैं।
  • कुछ प्रमुख प्रदूषक क्लोरीनेटेड, हाइड्रोकार्बन्स, भारी तत्व लैड, कैडमियम, क्रोमियम, जिंक, आर्सेनिक, बैनजीन आदि भी प्रमुख प्रदूषक तत्व हैं।
  • प्राकृतिक आपदाओं के पश्चात भी प्रदूषण उत्पन्न हो जाता है। बड़े-बड़े समुद्री तूफानों के पश्चात जब लहरें वापिस लौटती हैं तो कचरे, कूड़े, टूटी नाव-कारें, समुद्र तट सहित तेल कारखानों के अपशिष्ट म्यूनिसपैल्टी का कचरा आदि बहाकर ले जाती हैं। समुद्र में आने वाली 'सुनामी' के पश्चात किये गये अध्ययन से पता चलता है कि तटवर्ती मछलियों में भारी तत्वों का प्रतिशत बहुत बढ़ गया था।
  • प्रदूषक विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं। जैसे कैंसर, इलर्जी, अस्थमा, प्रतिरोधक बीमारियाँ आदि। जहाँ तक कि कुछ बीमारियों को उन्हें पैदा करने वाले प्रदूषक का ही नाम दे दिया गया है, जैसे- मरकरी यौगिक से उत्पन्न बीमारी को 'मिनामटा' कहा जाता है।

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पर्यावरण प्रदूषण प्रश्नोत्तर (FAQs):

किस ईंधन के कारण पर्यावरण में न्यूनतम प्रदूषण होता है?

हाइड्रोजन ईंधन न्यूनतम पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है। जब हाइड्रोजन जलती है तो वह जलवाष्प बन जाती है।

किसके द्वारा जल के प्रदूषण को साफ करने में बायो-फिल्टर के रूप में ’पाइला ग्लोबोसा’ प्रयुक्त किया जाता है?

कैडमियम द्वारा जल प्रदूषण को साफ करने के लिए पेला ग्लोबोसा का उपयोग जैव-फिल्टर के रूप में किया जाता है।

अम्लीय वर्षा किसके द्वारा वायु प्रदूषण के कारण होती है?

अम्लीय वर्षा नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड द्वारा पर्यावरण के प्रदूषण के कारण होती है। यह मुख्य रूप से कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधन के औद्योगिक जलने के कारण होता है, जिनके अपशिष्ट गैसों में सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड होते हैं जो वायुमंडलीय पानी के साथ मिलकर एसिड बनाते हैं।

मानव में गुर्दे का रोग किसके प्रदूषण से होता है?

कैडमियम युक्त धूल के फेफड़ों तक पहुंचने से लीवर व गुर्दो पर घातक प्रभाव पड़ सकता है और न केवल वे डैमेज हो सकते हैं बल्कि कैंसर भी हो जाता है। - हड्डियों तक पहुंचने पर वे कमजोर हो सकती हैं। जोड़ों में दर्द और यहां तक फ्रैक्चर हो सकता है। - गुर्दो के ऊपर कैडमियम का प्रभाव परमानेंट होता है।

स्थिर वैद्युत अवक्षेपित्र (इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर) का प्रयोग किसके प्रदूषण के नियंत्रण के लिए किया जाता है?

स्थिर वैद्युत अवक्षेपित (इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर) का प्रयोग तापीय प्रदूषण के नियंत्रण के लिए किया जाता है।

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प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English : Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth.

but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our upcoming generation.

pradushan par nibandh in this 150, 200, 250, 300, 500, 800 and 1000 words Essay On Pollution for students and kids.

they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 talking about Essay On Pollution In Hindi And English language for free and you can download this Pollution in India essay pdf file.

let us begin Pollution In Hindi in our second part of the paragraph before this read  Pollution essay English.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

Introduction- by the term pollution, we mean the rotten stage or the destruction of the purity of some things.

these days, it is mainly used for the pollution of natural environment i.e Earth, water, noise and Air.

Main Cause Of pollution In our Life

water pollution-  wastage of oil refineries and atomic plants is dumped into the rivers and the seas. nearly the wastage and leftover of all of our mills and factories is drained into the river.

dirty water containing fifth form our houses add to the pollution. this water lacks oxygen. thus the river water is polluted and the fish and allied creatures living in the water die away.

air pollution-

we Along with other living beings pollute the air when we outhale our breathing.

the smoke coming out of the Chemical of factories, mills, workshops, hearths and airways system modern navigate the system, generator sets, railway engines ass to it. like other persons you also must be owning a vehicle.

the smoke coming out of their silencers make matter from bad to worse. dr. vibes have written that every year nearly sixty-ton carbon goes up and gathers in the atmosphere.

the air pollution may cause lungs cancer, asthma and other slow dangerous directly concerned out system.

nitrogen oxide cause diseases of lungs, hearts, skin, and eyes. ozone cause pain chest, cough, and eye disease. even sometimes non-curable skin diseases are caused by it.

noise pollution-  the roaring vehicles, thundering machines and allied loud sound cause noise pollution.

dr. vibasi has observed that the noise of 95 decibels may increase systolic blood pressure and diastolic blood pressure up to 7 ml. and 3 ml. respectively.

Earth pollution – discharge of urine and excreta as well as spitting here and there, throwing the garbage on streets instead of putting in the dustbin,

the blowing of wind full of garbage, dirt and sand, the falling of garbage in bites here and there from the overloaded municipal carts and trucks add to earth pollution.

Pollution Solution-  it is our duty to use water carefully according to our needs so that the least possible water be polluted.

instead of falling the polluted water into rivers and seas, it should be stored in the barren piece of land away from the populated area.

the use of fuel given out smoke should be minimized. the engine’s such a way as the pollution exhaust be negligible.

machinery bearing the I.S.I. mark of trusted firms should be brought into use to reduce noise pollution.

in the context of earth pollution, human waste should be kept in the dustbin. for spitting, bathing and discharging etc. only proper places should be used.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi

सामान्य अर्थ में प्रदूषण का अर्थ बर्बाद तथा किसी भी वस्तु के बिगड़े हुए स्वरूप को कहा जाता है. जिसके कारण उस वस्तु के मौलिक तत्वों का विनाश हो जाता है. विभिन्न प्रकार के ये प्रदूषण आज मुख्य रूप से विद्यमान है. भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि.

प्रदूषण का के मुख्य कारण

जल प्रदूषण-

तेल रिफाइनरियों और परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले जल व अपशिष्टों को नदियों और समुद्रों में फेंक दिया जाता है। लगभग सभी मिलों और कारखानों का अपशिष्ट और बचे हुए नदी को नदी में निकाला जाता है।

इसके अतिरिक्त घरों से निकलने वाले नाले भी इन जल स्रोतों में मिला दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है तथा उसमें रहने वाले जलीय जीव मर जाते है.

वायु प्रदुषण-

कल कारखानों, मीलों, वाहनों तथा हवाई जहाजो से निकलने वाला धुआं हमारे वायु मंडल को दूषित करता है. किसी बाहरी कारक के कारण वायु के भौतिक तत्वों में बदलाव आना ही वायु प्रदूषण कहलाता है. मुख्य रूप से धुआ सबसे अधिक वायु प्रदूषण को फैलाता है.

पुराने तथा डीजल से चलने वाले वाहन सबसे अधिक प्रदूषण फैलाते है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि हर साल लगभग साठ टन कार्बन ऊपर जाता है और वातावरण में इकट्ठा होता है। वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा जैसे रोग वायु प्रदूषण के फलस्वरूप फैलते है.

नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों, दिल, त्वचा, और आंखों की बीमारियों का कारण बनता है। ओजोन छाती में दर्द , खांसी, और आंख की बीमारी का कारण बनती है।

ध्वनि प्रदूषण-

तेज गर्जन करने वाले वाहन, वातानुकूलित मशीनों और जनरेटर से निकलने वाली कर्णकटू ध्वनि ही ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि 95 डेसिबल का शोर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को क्रमशः 7 मिलीलीटर, 3 मिलीलीटर तक बढ़ा सकता है।

भूमि प्रदूषण –

मूत्र और उत्सर्जन के निर्वहन के साथ-साथ यहां-वहां थूकने, कूड़े करकट को कचरापात्र  में डालने की बजाए सड़कों पर कचरा फेंकना, गंदगी और रेत से भरी हवा चलने, इधर उधर कचरा डालना ओवरलोडेड नगरपालिका गाड़ियां और ट्रक भूमि प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

हमारी जरूरतों के हिसाब से पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग करना हमारा कर्तव्य है ताकि कम से कम जल प्रदूषित हो। प्रदूषित पानी को नदियों और समुद्रों में गिरने के बजाय, इसे आबादी वाले इलाके से दूर भूमि के बंजर भाग में प्रवाहित करना चाहिए।

अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के उपयोग को कम किया जाना चाहिए। समय समय पर अपनी गाडी के इंजन की मरम्मत करवानी चाहिए.

नई बिल्डिंग अथवा फैक्ट्री को आबादी से दूर तथा शौर को कम करने वाले संयंत्रो का उपयोग करना चाहिए. कचरा हमेशा कचरा पात्र में ही डाले. गंदे पानी को जल स्रोतों में कभी न डाले, यदि ऐसा कोई करता है तो इसकी शिकायत करे.

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Pollution Due To Urbanisation Essay In Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – Environmental Pollution Essay in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (essay on environmental pollution in hindi), पर्यावरण प्रदूषण-समस्या और समाधान। – environmental pollution – problems and solutions.

  • प्रस्तावना,
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण (वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रासायनिक प्रदूषण),
  • प्रदूषण पर नियन्त्रण।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक तथा रासायनिक विशेषताओं का वह अवांछनीय परिवर्तन है जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थाओं तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुँचाता है।

तात्पर्य यह है कि जीवधारी अपने विकास, बुद्धि और व्यवस्थित जीवन-क्रम के लिए सन्तुलित वातावरण पर निर्भर करते हैं। किन्तु कभी-कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है या वातावरण में कुछ हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है। परिणामत: वातावरण दूषित हो जाता है।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण-प्रदूषण की समस्या का जन्म जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ हुआ है। विकासशील देशों में वायु और पृथ्वी भी प्रदूषण से ग्रस्त हो रही है। भारत जैसे देशों में तो घरेलू कचरे और गन्दे जल को बहाने का प्रश्न भी एक विकराल रूप धारण करता जा रहा है।

1. वायु प्रदूषण- वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशेष अनुपात में उपस्थित रहती हैं। श्वांस द्वारा हम ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते रहते हैं। हरे पौधे प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन निष्कासित करते रहते हैं।

इससे वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बना रहता है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के लिए वनों को काटता है, परिणामत: वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है।

मिलों की चिमनियों से निकलने वाले धुएँ के कारण वातावरण में विभिन्न प्रकार की हानिकारक गैसें बढ़ती जा रही हैं। औद्योगिक चिमनियों से निष्कासित सल्फर डाइऑक्साइड गैस का प्रदूषकों में प्रमुख स्थान है। इसके प्रभाव से पत्तियों के किनारे और नसों के मध्य का भाग सूख जाता है।

वायु प्रदूषण से मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वसन सम्बन्धी बहुत-से रोग हो जाते हैं। इनमें फेफड़ों का कैंसर, दमा और फेफड़ों से सम्बन्धित दूसरे रोग सम्मिलित हैं।

2. जल प्रदूषण- सभी जीवधारियों के लिए जल बहुत महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्त्व, कार्बनिक-अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं। यदि जल में ये पदार्थ आवश्यकता से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाते हैं जो साधारणतया जल में उपस्थित नहीं होते हैं तो जल प्रदूषित होकर हानिकारक हो जाता है और प्रदूषित जल कहलाता है।

3. रेडियोधर्मी-प्रदूषण- परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणविक परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण होता है जो आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होगा। विस्फोट के स्थान पर तापक्रम इतना अधिक हो जाता है कि धातु तक पिघल जाती है।

एक विस्फोट के समय रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डल की बाह्य परतों में प्रवेश कर जाते हैं जहाँ पर ये ठण्डे होकर संघनित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं और बाद में ठोस अवस्था में बहुत छोटे-छोटे धूल के कणों के रूप में वायु में फैलते रहते हैं और वायु के झोकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं।

द्वितीय महायुद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में हुए परमाणु बम के विस्फोट से अनेक मनुष्य अपंग हो गये थे। इतना ही नहीं, जापान की भावी सन्तति भी अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो गयी।

4. ध्वनि प्रदषण- अनेक प्रकार के वाहन, मोटरकार, बस जेट विमान टैक्टर आदि तथा लाउडस्पीकर बाजे एवं कारखानों के सायरन, मशीनों की आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि की लहरें जीवधारियों की क्रियाओं पर प्रभाव डालती हैं। .

अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य की सुनने की शक्ति में कमी होती है, उसे नींद ठीक प्रकार से नहीं आती है और नाड़ी संस्थान सम्बन्धी एवं अनिद्रा का रोग उत्पन्न हो जाता है, यहाँ तक कि कभी-कभी पागलपन का रोग भी उत्पन्न हो जाता है। कुछ ध्वनियाँ छोटे-छोटे कीटाणुओं को नष्ट कर देती हैं, परिणामत: अनेक पदार्थों का प्राकृतिक रूप से परिपोषण नहीं हो पाता है।

5. रासायनिक प्रदूषण- प्राय: कृषक अधिक पैदावार के लिए कीटनाशक, घासनाशक और रोगनाशक दवाइयों तथा रसायनों का प्रयोग करते हैं। इनका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

आधुनिक पेस्टीसाइडों का अन्धाधुन्ध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि पहुँचा रहा है। जब ये वर्षा के जल के साथ बहकर नदियों द्वारा सागर में पहुँच जाते हैं तो वहाँ पर रहने वाले जीवों पर ये घातक प्रभाव डालते हैं। इतना ही नहीं, मानव देह भी इनसे प्रभावित होती है।

प्रदूषण पर नियन्त्रण-पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकने तथा उनके समुचित संरक्षण के प्रति गत कुछ वर्षों से समस्त विश्व में चेतना आयी है। आधुनिक युग के आगमन व औद्योगीकरण से पूर्व यह समस्या इतनी गम्भीर कभी नहीं हुई थी, और न इस परिस्थिति की ओर वैज्ञानिकों तथा अन्य लोगों का इतना ध्यान ही गया था। औद्योगीकरण और जनसंख्या की वृद्धि ने संसार के सामने प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न कर दी है।

प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी, दोनों ही स्तरों पर पूरा प्रयास आवश्यक है। जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण के लिए भारत सरकार ने सन् 1974 के ‘जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम’ लागू किया तथा इस कार्य हेतु बोर्ड बनाये। इन बोर्डों ने प्रदूषण के नियन्त्रण की अनेक योजनाएँ तैयार की हैं। औद्योगिक कचरे के लिए भी मानक तैयार किये गये हैं।

उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यह लिया है कि नये उद्योगों को लाइसेंस दिये जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निवारण की समुचित व्यवस्था करनी होगी और इसकी पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।

वनों की अनियन्त्रित- कटाई को रोकने के लिए भी कठोर नियम बनाये गये हैं। इस बात के प्रयास किये जा रहे हैं कि नये वनक्षेत्र बनाये जायें और जन-सामान्य को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाये।

इस प्रकार स्पष्ट है कि सरकार प्रदूषण की रोकथाम के लिए पर्याप्त सजग है। पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर ही हम आने वाले समय में और अधिक अच्छा और स्वास्थ्यप्रद जीवन जी सकेंगे और आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेंगे।

Environmental Pollution Essay In Hindi: पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

Environmental Pollution Essay In Hindi: पर्यावरण प्रदूषण वर्तमान युग की वैश्विक समस्या है प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल का भौतिक, रासायनिक विशेषताओं में होने वाला वह अवांछित परिवर्तन है जिससे मानव और उसके लिए लाभदायक सूक्ष्म जीव-जंतु और वनस्पतियों को हानि पहुंचती है मनुष्य की उपभोक्तावादी प्रवृत्ति ने प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित विदोहन किया है परिणाम स्वरुप जल, स्थल एवं वायु आदि सभी प्रदूषित हुए पर्यावरण प्रदूषण से मनुष्य समेत जीव-जंतु तथा पेड़-पौधे सभी दुष्प्रभावित हुए Environmental Pollution Essay In Hindi: पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Long Essay on Environmental Pollution in Hindi, environmental pollution project class 11, environmental pollution project class 12 Paryavaran Pradushan par Nibandh Hindi mein

Environmental Pollution Essay In Hindi: पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

Environmental Pollution Essay In Hindi: पर्यावरण प्रदूषण :-

  • पर्यावरण के भौतिक रासायनिक एवं जैविक लक्षणों में अवांछित परिवर्तन को पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं

प्रदूषण के दो प्रकार हैं

  • प्राकृतिक प्रदूषण :- प्राकृतिक कारण से उत्पन्न प्रदूषण को प्राकृतिक प्रदूषण कहते हैं जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन, बाढ़-सूखा तथा धान की खेती है जानवरों की जुगाली द्वारा मिथेन गैस का निर्माण आदि
  • मानव जनित प्रदूषण :- मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न प्रदूषण को मानव जनित प्रदूषण कहते हैं जैसे खनन कार्य वनोनल वनोन्मूलन सीवेज औद्योगिक अपशिष्ट आदि
  • प्रदूषण प्रदूषण उत्पन्न करने वाले कारकों को प्रदूषण कहते हैं प्रदूषण के दो भेद हैं
  • अपघटनीय प्रदूषक (Biodegradable Pollutants) वे पदार्थ जो सूक्ष्म जीवों द्वारा अपना विषाक्त प्रभाव खो देते हैं अब घटना प्रदूषण कहलाते हैं जैसे वाहितमल, जैवीय अपशिष्ट पदार्थ एवं कूड़ा करकटा आदि
  • अनपघटनीय प्रदूषक ऐसे पदार्थ जो सूक्ष्म जीवो द्वारा आपघटित नहीं हो पाते अनपघटनीय प्रदूषण कहलाते हैं जैसे सीसा, पारा, आर्सेनिक, कैडमियम, निकेल, डीडीटी आदि

प्रदूषण के कारण :-

  • वनों का क्षरण
  • जनसंख्या वृद्धि
  • रासायनिक करो का कीटनाशकों का बढ़ावा बढ़ता प्रयोग

प्रदूषण के प्रकार (Types of Environmental Pollution) :-

  • पर्यावरण प्रदूषण को निम्नलिखित वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है
  • वायु प्रदूषण
  • ध्वनि प्रदूषण
  • मृदा प्रदूषण
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण
  • प्लास्टिक प्रदूषण

वायु प्रदूषण (Air Pollution) :-

  • जब मानवीय अथवा प्राकृतिक कारणो से गैसों की निश्चित मात्रा एवं अनुपात में अवांछनीय परिवर्तन हो जाता है या वायु में इन गैसों के अतिरिक्त कुछ अन्य विषाक्त गैसे या कणिकीय पदार्थ मिल जाते हैं तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं

वायु प्रदूषण के दो स्रोत हैं

  • प्राकृतिक स्रोत जैसे : – ज्वालामुखी विस्फोट, वनाग्नि आदि
  • मानव जनित स्तोत्र : – लकड़ी कोयला तथा पेट्रोल का दहन औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली विभिन्न प्रकार की विषैली गैसे आदि
  • विभिन्न स्रोतों से निकलने वाली विषैली गैस है
  • वनअग्नि कार्बन-मोनोऑक्साइड, कार्बन-डाइऑक्साइड राख के कण आदि
  • ज्वालामुखी उद्गार, सल्फर-डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन-सल्फाइड आदि
  • पेड़ पौधों की दैहिक क्रियाएं-अमोनिया नाइट्रोजन के ऑक्साइड मेथेन एंव कार्बन डाइऑक्साइड आदि
  • जीवाश्म ईंधन खनिज तेल कोयला का दहन कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड
  • जीवाश्म इंधनों का अपूर्ण दहन हाइड्रोकार्बन
  • एरोसेल कैन तथा रेफ्रिजरेशन प्रणाली क्लोरोकार्बन
  • गंधक युक्त जीवाश्म इंधनों का दहन सल्फर डाइऑक्साइड, सल्फर ट्राईक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड तथा सल्फ्यूरिक एसिड
  • ऊंचाई पर उड़ने वाले वायुयान नाइट्रोजन के ऑक्साइड
  • सूती वस्त्रो का विरंजक क्लोरीन
  • धान के खेत तथा जुगाली करने वाले मवेशी-मीथेन गैस |

वायु प्रदूषण (Air Pollution):-

  • What is air pollution:- वे कारक जो वायु को प्रत्यक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं वायु प्रदूषण कहलाते हैं

वायु प्रदूषण की दो श्रेणियां हैं

  • प्राथमिक वायु प्रदूषण :- वे वायु प्रदूषक जो सीधे स्रोत से निकलकर वायु को प्रदूषित करते हैं प्राथमिक वायु प्रदूषक कहलाते हैं जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि
  • द्वितीयक वायु प्रदूषण :- ऐसे वायु प्रदूषण जो प्राथमिक वायु प्रदूषण तथा साधारण वातावरण के पदार्थ की क्रिया के फलस्वरुप उत्पन्न होते हैं जैसे ओजोन, अम्ल वर्षा, प्रॉक्सी, एसिटिल नाइट्रेट आदि |

वायु प्रदूषकों को दो अन्य भागों में विभक्त किया जा सकता है

  • गैसीय वायु प्रदूषण :- कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड तथा सल्फर डाइऑक्साइड आदि गैसीय वायु प्रदूषण के उदाहरण हैं
  • कणिकीय वायु प्रदूषण :- एयरोसोल धूम्र कालिख तथा वाहनयुक्त धूम्र कणिकीय वायु प्रदूषण के उदाहरण हैं
  • इनकी उत्पत्ति ताप बिजली घरों, स्वचालित मोटर वाहनों तथा घरों में जीवाश्म इंधनों, लकड़ी आदि के दहन के फल स्वरुप होती है
  • एयरोसोल यह 1 से 10 माइक्रोन आकार वाले कण होते हैं
  • धूम्र कालिख तथा वाष्पयुक्त धूम्र यह आकार में 10 माइक्रोन से छोटे कण हैं
  • शुद्ध कणिकीय पदार्थ :- 10 माइक्रोन से बड़े आकार वाले कणों को शुद्ध कणिकीय पदार्थ की संज्ञा दी जाती है

कणिकीय पदार्थों को उनकी प्रकृति के अनुसार तीन श्रेणियां में बांटा जा सकता है

  • धात्विक कणिकीय पदार्थ : सीमा,एल्युमिनियम, तांबा, लोहा, जस्ता, कैडमियम इत्यादि
  • धात्विक कणिकीय पदार्थ : ऐस्बेस्टस, सेरेमिक्स तथा सिल्क
  • जैविकीय कणिकीय पदार्थ :- वायरस तथा जीवाणुओं के बिजाणु पार्थेनियम के परागकण, पादपो तथा जंतुओं से निकलने वाले वायु प्रदूषण आदि

वायु प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Environmental Pollution) :-

  • हरित गृह प्रभाव
  • वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड मेथेन आदि ग्रीन हाउस गैसों के संद्रन में वृद्धि होने से हरित गृह प्रभाव में वृद्धि होती है
  • इस कारण भूमंडलीय तापन में वृद्धि हो रही है
  • परिणाम स्वरुप जलवायु परिवर्तन हिम क्षेत्र का पिघलना आदि घटनाओं में वृद्धि हो रही है
  • कार्बन डाइऑक्साइड भूमंडलीय तापन के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी गैस है

ओजोन परत का क्षरण :-

  • क्लोरो-फ्लोरो कार्बन नाइट्रस ऑक्साइड आदि गैस है ओजोन परत के क्षरण का कारण है
  • ओजोन परत के नष्ट होने से सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर पहुंचेगी
  • इन पराबैंगनी किरणो का सबसे बड़ा खतरा त्वचा का कैंसर है
  • क्लोरो-फ्लोरो कार्बन गैसें ओजोन परत के क्षरण के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी हैं

अम्ल वर्षा :-

सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रिक ऑक्साइड गैसें वायुमंडलीय ऑक्सीजन तथा बादल के जल से अभिक्रिया करके क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल बनाती हैं

  • वैश्विक स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती
  • स्वचालित वाहनों में संपीड़ित प्राकृतिक गैसों का प्रयोग
  • ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों यथा-पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा तथा जल विद्युत ऊर्जा आदि को प्रोत्साहन
  • गाड़ियों में कैटलिटिक कन्वर्जन स्कैबर का प्रयोग
  • डीजल की गाड़ियों में अति सूक्ष्म मात्रा सल्फर युक्त ( 0.0005% ) युक्त डीजल का प्रयोग
  • उच्च एवं सुरक्षित तकनीक का विकास
  • पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जन जागरूकता
  • भारत सरकार द्वारा वायु प्रदूषण के नियंत्रण हेतु वायु प्रदूषण निरोध एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 पारित किया गया
  • फैक्ट्री की चिमनियों में बाग फिल्टर का प्रयोग
  • ध्यातव्य है कि बैग फिल्टर से 50 माइक्रोमीटर से कम ब्यास वाले कणिकीय पदार्थ पृथक किए जाते हैं
  • 50 माइक्रोमीटर से बड़े आकार वाले कणिकीय पदार्थों को साइक्लोन सेपेरेटर या साइक्लोन कलेक्टर तथा बेटस्क्रबर नमक उपकरणों से पृथक किया जाता है

Environmental Pollution Essay In Hindi: पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

Pollution Essay 500 Words in Hindi

जल प्रदूषण (Water Pollution) :-

जल का वर्गीकरण :- पर्यावरण शोध प्रयोगशाला लखनऊ ने जल के पांच श्रेणियां में विभाजित किया है (Water pollution essay)

  • वर्ग “A” पीने के लिए उपयुक्त
  • वर्ग “B” स्नान, तैराकी और मनोरंजन के लिए उपयुक्त
  • वर्ग “C” पारस्परिक उपचार के बाद पीने योग्य
  • वर्ग “D” वन्य जीव और मछलियों के लिए उपयुक्त
  • वर्ग “E” सिंचाई, औद्योगिक शीतलन और अपशिष्ट निपटान हेतु उपयुक्त
  • What is water pollution :- प्रदोषकों की उपस्थिति के कारण जल के मूल भौतिक रासायनिक व जैविक गुणो में अवांछित परिवर्तन को जल प्रदूषण कहते हैं

जल प्रदूषण के कारण :- जल प्रदूषण के निम्नलिखित कारण है –

1. घरेलू अपशिष्ट :-

  • अपमार्जक और वाहित मल, कूड़ा-कचरा, सड़ी सब्जियां, खाद्यान्न, पॉलिथीन, कपड़े धोने के लिए प्रयुक्त साबुन आदि

2. औद्योगिक प्रदूषक :-

  • औद्योगिक अपशिष्ट जल
  • औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे से रासायनिक प्रदूषक- क्लोराइड, सल्फाइड, कार्बोनेटेड, अमोनिकल नाइट्रोजन आदि
  • औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे से धात्विक पदार्थ सीसा, जस्ता, तांबा, कार्बनिक, रासायनिक यौगिक, रेडियोएक्टिव अपशिष्ट आदि

3.कृषि कार्यों में प्रयुक्त रसायन :- उर्वरक, कवकनशी,शाकनासी, कीटनाशी, जीवाणुनासी तथा पौधे के अपशिष्ट भाग आदि

4.प्राकृतिक प्रदूषक :- प्राकृतिक प्रदूषक भूस्खलन, मृदा-अपरदन तथा ज्वालामुखी विस्फोट आदि

5.भूमिगत जल प्रदूषक :-

  • कीटनाशी, औद्योगिक कचरा आदि के विषाक्त रसायन से युक्त जल रिसाव द्वारा भूमिगत जल को प्रदूषित करते हैं
  • आर्सेनिक भूमिगत जल को सर्वाधिक प्रदूषित करता है

Environmental Pollution Essay In Hindi: पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

जल प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव (Effects of water pollution) :-

  • प्रदूषण जल से हैजा, तपेदिक, पीलिया, मियादी ज्वार, पेचिश आदि बीमारियां फैलती हैं
  • एस्बेस्टस रेशों से युक्त जल के सेवन से एस्बेस्टस नामक रोग हो जाता है इसके द्वारा फेफड़े का कैंसर तथा पेट के रोग उत्पन्न होते हैं
  • पारा युक्त जल के सेवन से मिनीमाता रोग होता है
  • पेयजल में नाइट्रेट की अधिकता से ब्लू बेबी सिंड्रोम रोग होता है
  • इटाई-इटाई रोग जल में कैडमियम की अधिकता से होता है
  • आर्सेनिक की अधिकता से ब्लैक फुट नामक बीमारी होती है
  • नदियों, झीलों तथा तालाबों में जैविक तथा अजैविक पोषक तत्वों के सान्द्रण में वृद्धि होने से यूट्रॉफिकेशन या सुपोषण हो जाता है परिणाम स्वरुप जलीय पौधे हैं जीवो में भारी मात्रा में वृद्धि होती है
  • सागर के तटीय भागों में खनिज तेलों के रिसाव से उत्पन्न मिल आयल स्लिक्स तथा कारखाने के विषाक्त अपशिष्ट सागरीय जीव जंतु की मृत्यु का कारण बनते हैं
  • जल प्रदूषण का निर्धारण जल में घुली ऑक्सीजन की मात्रा BOD – Biological Oxygen Demand (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) के आधार पर की जाती है
  • भारत सरकार द्वारा जल प्रदूषण के नियंत्रण हेतु जल प्रदूषण निरोध एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 पारित किया गया

मृदा प्रदूषण (Land pollution) :-

  • Land pollution definition :- प्राकृतिक तथा मानव जनित करणो से मृदा की गुणवत्ता में ह्रास को मृदा प्रदूषण कहते हैं

मृदा प्रदूषण के कारण :-

मृदा प्रदूषण के कर्म को दो वर्गों में बांट सकते हैं

  • प्राकृतिक कारण
  • मानव जनित कारण
  • वर्षा :- अत्यधिक वर्षा से मृदा अपरदन के कारण मिट्टी के पोषक तत्वों की हानि होती है
  • वायु :- शुष्क तथा आर्दशुष्क क्षेत्र में तेज वायु से मृदा की ऊपरी परत उड़ जाती है इस कारण मृदा की गुणवत्ता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती है
  • तापमान :- अत्यधिक तापमान से मिट्टी के कण विखंडित हो जाते हैं इससे मृदा में रहने रहने वाले पोषक जीव केंचुए तथा नाइट्रीकरण, बैक्टीरिया आदि मर जाते हैं
  • ज्वालामुखी उद्गार :- ज्वालामुखी उद्गार से भूमि में दरारें पड़ जाती हैं इससे निकलने वाला लावा भी मृदा को प्रदूषित करता है
  • भूकंप :- भूकंप से भूमि उबड़ खाबड़ हो जाती है गड्ढे बनने तथा भूमि के धसने से भूमि की क्षमता का ह्रास होता है

मानव जनित कारण :-

१. औद्योगिक अपशिष्ट :-

  • उद्योगों से निकलने वाले जहरीले अपशिष्ट मृदा को दूषित प्रदूषित करते हैं उदाहरण स्वरूप तांबा गलने वाली औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला अपशिष्ट मृदा को इस हद तक प्रदूषित कर देता है कि उसके बाद वहां कोई वनस्पति ग ही नहीं सकती
  • कल का कलकारखानों से निकलने वाली प्रदूषणकारी गैसे सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड वायुमंडलीय नमी से अभिक्रिया करके अम्ल वर्षा द्वारा मृदा की अम्लीयत बढ़ाते हैं
  • मृदा में अम्लीयत का अत्यधिक अत्यधिक सांद्रण फसलों के लिए हानिकारक होता है

२. खनन कार्य :-

  • खनिज पदार्थ जैसे- अभ्रक, कोयला, सोना आदि के उत्खनन से मृदा की बड़े पैमाने पर हानि होती है
  • अभ्रक, कोयला और चुने आदि के कणिकाए पदार्थ मृदा के भौतिक तथा रासायनिक गुना में अवांछित परिवर्तन करते हैं

३. पीड़कनाशी तथा रासायनिक खादों का प्रयोग

  • रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा के भौतिक तथा रासायनिक गुना में परिवर्तन हो जाता है
  • पीड़कनाशी, पादपनशी आदि जैवनाशी रसायन मृदा में पहुंचकर सूक्ष्म जीवों बैक्टीरिया आदि को नष्ट कर देते हैं
  • जैवनाशी रसायन आहार श्रृंखला के माध्यम से मनुष्य तथा जंतुओं को नुकसान पहुंचाते हैं
  • ध्यातव्य है कि जैवनाशी रसायनों की रेंगती मृत्यु कहा जाता है
  • अजैवक्षरनीय ठोस अपशिष्ट पदार्थ का निस्तारण
  • कांच प्लास्टिक और पॉलिथीन आदि अजैवक्षरनीय पदार्थ मिट्टी की गुणवत्ता का हर्ष करते हैं

अन्य कारण :-

  • नगरीय अपशिष्टों का खेतों में जमाव सीवेज और उद्योगों से निकलने वाले जल से फसलों की सिंचाई मानव मल मुत्र तथा जानवरों के मल मूत्र का विसर्जन और यूकेलिप्टस जैसे पौधों का रोपण आदि कारणों से भी मृदा दूषित प्रदूषित होती है

मृदा प्रदूषण के प्रभाव (Effects of land pollution) :-

  • बड़े पैमाने पर अवनालिका अपरदन से संबंधित क्षेत्र उबड़ खाबड़ हो जाता है और वीहड़ का निर्माण होता है
  • इस कारण भूमि बंजर हो जाती है तथा कृषि एवं वनस्पतियां नष्ट हो जाती हैं
  • कीटनाशी तथा रासायनिक उर्वरक आहार श्रृंखला के माध्यम से मानव तथा जीव जंतुओं के स्वास्थ्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं
  • मृदा की गुणवत्ता में ह्रास से उत्पादन प्रभावित होता है

मृदा प्रदूषण नियंत्रण के उपाय :-

  • मृदा संरक्षण प्रणालियों को प्रोत्साहन
  • वनोन्मूलन पर प्रतिबंध
  • वनरोपण द्वारा मृदा अपरदन का रोकना
  • झूमिंग कृषि पर प्रतिबंध
  • भूमि उपयोग तथा फसल प्रबंधन को बढ़ावा देना
  • जैवनाशी रसायनों का सीमित उपयोग
  • जैविक कृषि को प्रोत्साहन आदि

ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution) :-

  • ध्वनि अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंग है
  • ध्वनि की आवृत्ति मापने की इकाई हर्टज है

आवृत्ति के आधार पर ध्वनि के तीन प्रकार हैं (Sound pollution essay)

  • श्रव्य :- ऐसी ध्वनि तरंगें 20 से 20000 हर्ट्स तक होती हैं जिन्हें मनुष्य द्वारा सुना जा सकता है इस मनुष्य का श्रव्य परास रहते हैं
  • अपश्रव्य :- श्रव्य परास कम आवृत्ति की तरंग को अपश्रव्य तरंगे कहते हैं
  • पराश्रव्य :- श्रव्य परास से अधिक आवृत्ति की तरंगों को पराश्रव्य तिरंगे कहते हैं

ध्वनि प्रदूषण (What is sound pollution) :-

  • अवांछित शोर के कारण मानव वर्ग में उत्पन्न अशांति एवं बेचैनी की दशा को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं
  • प्रयोगात्मक परीक्षणों के अनुसार 75 डेसीबल से कम तीव्रता की ध्वनि का मानव जीवन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है
  • ध्यातव्य है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 30 डेसीबल से अधिक तीव्रता की ध्वनि मनुष्य के लिए हानिकारक होती है
  • ध्वनि की तीव्रता का मात्रक डेसीबल है

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Sound Pollution) :-

  • बातचीत में बाधा
  • श्रवण क्षमता में कमी
  • उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोग
  • अनिद्रा, चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन आदि
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव
  • गर्भावस्था शिशु पर प्रभाव

रेडियोधर्मी प्रदूषण :-

  • रेडियोएक्टिव पदार्थ के विकिरण से जनित प्रदूषण रेडियोधर्मी प्रदूषण कहलाता है
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण मापने की इकाई रोन्टजेन है इसे रैम भी कहते हैं
  • 20 मिलीमीटर रैम तक का विकिरण जीवधारी को कोई विशेष क्षति नहीं पहुंचता है
  • रेडियोएक्टिव प्रदूषण को दो वर्गों में बांटा जाता है

प्राकृतिक स्त्रोत्र :-

  • ब्रह्मांड विकर्ण है या कस्मिक करने
  • भूमि में उपस्थित रेडियोसक्रिय पदार्थ-यूरेनियम, थोरियम प्लूटोनियम आदि
  • प्राकृतिक स्रोतों के वितरण से कोई विशेष हानि नहीं होती है

मानव जनित स्रोत :-

  • परमाणु परीक्षण
  • रेडियो समस्थानिक
  • नाभिकीय संयंत्र
  • रेडियोधर्मी अपशिष्ट

रेडियोधर्मी प्रदूषण के प्रभाव :-

रेडियोधर्मी कण जल एवं मृदा के माध्यम से पौधों एवं वनस्पतियों में जमा हो जाते हैं आहार श्रृंखला के माध्यम से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके विभिन्न बीमारियों को जन्म देते हैं

  • नाभिकीय विकिरण के जैविक प्रभाव दो प्रकार के होते हैं कायिक एवं अनुवांशिक
  • कायिक प्रभाव विकिरण से प्रभावित लोगों तक सीमित होता है जबकि अनुवांशिक प्रभाव पीढ़ियां के प्रजनन को भी प्रभावित करते हैं
  • आयनीकरण द्वारा नाभिकीय विकिरण जीवित ऊतकों के जटिल अणुओ को विघटित कर कोशिकाओं को नष्ट कर देता है
  • इन मृत कोशिकाओं से कैंसर बझापन और चर्म रोग हो सकता है
  • नाभिकीय विकिरण से रक्त कोशिका तथा अस्थिमज्जा में अवांछित परिवर्तन हो जाता है
  • सभी प्रदूषणों में रेडियोधर्मी प्रदूषण सबसे अधिक घातक होता है क्योंकि इसके प्रभाव से जल, वायु एवं मृदा तीनों प्रदूषित होते हैं
  • 6 अगस्त और 9 अगस्त 1945 को जापान के दो शहरों क्रमशः हिरोशिमा तथा नाकासाकी पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराया
  • 1979 ईस्वी में अमेरिका के थ्रीमाइल आयरलैंड में परमाणु दुर्घटना हुई
  • यूक्रेन के चेर्नोविल परमाणु बिजली संयंत्र में 1986 में परमाणु दुर्घटना हुई
  • मार्च 2011 में सुनामी के कारण जापान का  फुकुशीमा परमाणु संयंत्र दुर्घटनाग्रस्त हो गया

बचाव के उपाय :-

  • नाभिकीय रिएक्टरों से विकिरणों के विसरण को रोका जाना चाहिए
  • रेडियोएक्टिव अपशिष्ट को तर्कसंगत एवं सही ढंग से निवृत किया जाना चाहिए
  • मानव प्रयोग के उपकरणों को रेडियोधर्मिता से मुक्त किया जाना चाहिए
  • परमाणु अस्त्रों तथा का उत्पादन एवं प्रयोग प्रतिबंधित होना चाहिए
  • चश्मा आदि लगातार अल्ट्रावायलेट विकिरणों से बचना चाहिए
  • नाभिकीय विखंडन नाभिकीय विकिरण अवपात से बचने के लिए पोटेशियम आयोडाइड की गोलियों का सेवन किया जाता है

विद्युत चुंबकीय विकिरण :-

१. विद्युत चुंबकीय तरंग :-

  • विद्युत चुंबकीय तरंग की अवधारणा का प्रतिपादन मैक्सवेल ने किया
  • इन तरंगों के संरक्षण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात यह तरंगे निर्वात में भी चल सकती हैं
  • सभी विद्युत चुंबकीय तरंगे प्रकाश की चाल से गमन करती हैं
  • यह तरंगे फोटोन की बनी होती है
  • विद्युत चुंबकीय तरंगेयों का तरंग दर्द परिसर (10 का घात – 14 मीटर से लेकर 10 का घात 5 मीटर) तक होता है
  • प्रकाश उसमें विकिरण एक करने रेडियो तरंगे आदि विद्युत चुंबकीय तरंगों के उदाहरण हैं |

विद्युत चुंबकीय तरंगों के गुण :-

  • विद्युत चुंबकीय तरंगे उदासीन होती हैं यह अनुप्रस्थ होती हैं यह प्रकाश के वेग से गमन करती हैं इनके पास ऊर्जा एवं संवेग होता है

विद्युत चुंबकीय तरंगों के प्रकार :-

रेडियो तरंग

  • निम्नतम आवृत्ति और उच्चतम तरंग दैर्ध्य वाली विद्युत चुंबकीय तरंगों को रेडियो तरंग कहते हैं
  • रेडियो तरंग की आवृत्ति 10 का घात 5 हर्टज से कम होती है
  • सूक्ष्म तरंग या माइक्रोवेब
  • रेडियो तरंगों की अपेक्षा जिन तरंगों की आवृत्ति अधिक हो और तरंग दैर्ध्य कम होता है उन्हें सूक्ष्म तरंग या माइक्रोवेव कहते हैं
  • माइक्रो वेव के अंतर्गत अवरक्त तरंगे, दृश्य प्रकाश, एक्स किरने तथा गामा किरणें आती हैं
  • इन सभी माइक्रोवेव की आवृत्ति एवं तरंग दैर्ध्य अलग-अलग हैं
  • अंतरिक्ष ( माध्यम हीन ) अथवा पदार्थ माध्यम में विद्युत चुंबकीय तरंगों के माध्यम से ऊर्जा संप्रेषित करने को विद्युत चुंबकीय विकिरण कहते हैं

विद्युत चुंबकीय विकिरण प्रदूषण :- 

उच्च वोल्टेज क्षमता के विद्युत संप्रेषण तारों तथा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाले विकिरण द्वारा जीवन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को विद्युत चुंबकीय विकिरण प्रदूषण कहते हैं

रेडियो वेब और माइक्रोवेव के सामान्य स्त्रोत :-

  • रेडियो वेब के सामान्य स्रोत हैं- रेडियोसेट, मोबाइल वायरलेस, सेट जिसे पुलिस विभाग, अग्निशमन विभाग और अन्य इमरजेंसी विभाग वाले प्रयोग करते हैं
  • माइक्रोवेव का प्रयोग रडार के अलावा 90% से अधिक टेलिविजनों में तथा करीब 35% लंबी दूरी के समाचार संप्रेषण (टेलीफोन भी शामिल) में हो रहा है
  • रेडियो टेलीस्कोप तथा उपग्रह संचार में भी माइक्रोवेव का प्रयोग होता है
  • भोजन को पकाने हेतु माइक्रोवेव  ओवेन्स का प्रयोग किया जाता है
  • हमारे घर व कार्यालय में जो प्रत्यावर्ती धारा बिजली के मोटे तारों से उच्च वोल्टेज संप्रेषण के द्वारा पहुंचती हैं उसे लंबी रेडियो वेब निकलते हैं
  • इन संप्रेषण लाइनों के समीप भी शक्तिशाली विद्युत चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है

माइक्रोवेव और रेडियो वेव के प्रभाव :-

  • वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है की आंखों अंडकोषों पाचन तंत्र पित्ताशय तथा मूत्राशय को माइक्रोवेव से हानि होती है
  • माइक्रोवेव मानव शरीर में श्वसन और रक्त संचार को बढ़ा देती है जिसके कारण हृदय के ऊतकों का छय होता है और परिणामता प्रभावित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है
  • माइक्रोवेव्स कीटों तथा स्तनपाइयों की कोशिकाओं में जीनीय उत्सर्जन उत्पन्न करती है
  • अधिक मात्रा में माइक्रोवेव्स के सक्षम उद्भाषण कैंसर व रक्त संबंधी व्याधियां भी कारित सकती हैं
  • विद्युत पावर लाइनों से उत्पन्न विकिरण का चिंपांजियों पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि उनके शरीर में मानसिक तनाव उत्पन्न करने वाला हारमोंस स्रावित हुआ
  • ऐसे हार्मोन्स हमारी रोगनिरोधी क्षमता पावर को समाप्त कर देते हैं

माइक्रोवेव और रेडियो वेब से बचने के उपाय :-

  • उच्च वोल्टेज के बिजली के तार जो सिर के ऊपर से गुजरते हैं उनसे 60 मीटर दूर रहना चाहिए
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का यथासंभव कम प्रयोग करना चाहिए
  • सेलुलर फोन, वॉकी-टॉकी तथा कॉर्डलेस फोन आदि का जहां तक हो सके कम प्रयोग करना चाहिए
  • टेलीफोन व कंप्यूटर आदि का सुरक्षात्मक शील्ड कवच का प्रयोग करना चाहिए
  • सरकार को चाहिए की समाचार पत्रों का टेलीविजन के माध्यम से विद्युत चुंबकीय विकिरण के दुष्प्रभाव के प्रति महीने में एक बार सचेत करते रहना चाहिए

पर्यावरण प्रदूषण रोकने हेतु भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयास :-

  • पर्यावरण अनुकूल उपभोक्ता वस्तुओं की अलग पहचान हेतु एगमार्क लेवल की व्यवस्था अपनाई गई है
  • भारतीय मानक ब्यूरो चिन्ह तथा निरीक्षण निदेशालय इस योजना को लागू करने वाली प्रमुख एजेंसियां हैं
  • यह प्रमाण पत्र भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा 1991 से प्रदान किया जा रहा है

फ्लाई एश मिशन :-

  • फ्लाई एश ताप विद्युत ग्रहों से निकलने वाला एक अपशिष्ट पदार्थ है
  • फ्लाई एस मिशन के तहत इसे उन्नत तकनीकी द्वारा लाभदायक संसाधन मेटेरियल में परिवर्तित किया जा रहा है
  • फ्लाई एश से कंक्रीट, ब्लॉक, ईटो, पैनल तथा सीमेंट आदि का निर्माण किया जा सकता है

गंगा कार्य योजना :-

  • भारत सरकार द्वारा गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया है
  • गंगा नदी के जल को प्रदूषण मुक्त करने के उद्देश्य से 1985 ईस्वी में गंगा कार्य योजना की शुरुआत की गई
  • 1985 ईस्वी में केंद्रीय गंगा प्राधिकरण स्थापना की गई तथा एक गंगा परियोजना निदेशालय का गठन किया गया
  • केंद्रीय गंगा प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं
  • गंगा कार्य योजना का प्रथम चरण 1986 से 1993 तक चला

राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्य योजना :-

  • केंद्र सरकार द्वारा 1995 ईस्वी में राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्य योजना आरंभ की गई
  • इसके अंतर्गत 38 नदियों के संरक्षण की योजना है जो की 20 राज्यों और 178 शहरों में फैली हुई है
  • इस योजना में गंदे जल को शोधित करना नदी तट विकास कार्य तथा वृक्षारोपण एवं नदी के स्वछीकरण से संबंधित जागरूकता पैदा करना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड :-

  • सितंबर 1974 ईस्वी में केंद्र सरकार द्वारा जल प्रदूषण नियंत्रण एवं रोकथाम अधिनियम 1974 के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना की गई
  • बोर्ड वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है
  • यह जल एवं वायु प्रदूषण के मूल्यांकन निगरानी और नियंत्रण के लिए एक शीर्ष राष्ट्रीय संस्था है
  • बोर्ड का जल प्रदूषण नियंत्रण एवं रोकथाम अधिनियम 1974 वायु प्रदूषण नियंत्रण एवं रोकथाम अधिनियम 1981 तथा जल उपस्कर अधिनियम 1977 को लागू करने का कार्यकारी उत्तरदायित्व है
  • इसके अतिरिक्त बोर्ड द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 को लागू करने के लिए जल वायु और ध्वनि प्रदूषण से संबंधित समस्त सेवाओं की रोकथाम में नियंत्रण के लिए सलाह दी जाती है

जीबी पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान :-

  • अगस्त 1988 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जीबी पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान की स्थापना की गई
  • यह पर्यावरण एवं मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त शासी संस्थान है
  • यह संस्थान समस्त भारतीय हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं बेहतर पर्यावरण विकास के लिए वैज्ञानिक जानकारी को उपलब्ध कराने तथा प्रभावी प्रबंधन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख संस्था के रूप में जाना जाता है
  • इस संस्थान का मुख्यालय अल्मोड़ा में है
  • वर्तमान में इसकी कर इकाइयां श्रीनगर (गढ़वाल इकाई)  मोहन कुल्लू (हिमाचल इकाई) टैगोर गंगटोक (सिक्किम इकाई) तथा ईटानगर (पूर्वोत्तर राज्य इकाई) कार्यरत हैं

संस्थान की शोध विकास संबंधी गतिविधियां निम्नलिखित सात कार्यक्रमों के तहत संचालित हैं

  • भूमि एवं जल संसाधन प्रबंधन
  • ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र का विकास
  • जैव विविधता संरक्षण
  • पारिस्थितकी अर्थशास्त्र एवं पर्यावरण प्रभाव आकलन संस्थागत नेटवर्किंग संजालीकरण
  • मानव संसाधन विकास
  • पर्यावरण विज्ञान
  • जैव प्रौद्योगिकी तथा पारस्परिक ज्ञान पद्धति

कुछ प्रमुख परियोजना के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव :-

नदी घाटी परियोजना :-

  • अपवाह क्षेत्र में कटाव
  • कमांड क्षेत्र का विकास
  • प्रभावित लोगों का पुनर्वास
  • विभिन्न जली बीमारियों में वृद्धि
  • जलाशयों के कारण होने वाले भूकंपीय प्रभाव
  • वनों का कटाव तथा वनस्पतियों एवं अन्य प्राणियों का नुकसान

खनन परियोजनाएं :-

  • भूमिका कटाव
  • सतत एवं भूगर्भीय जल संसाधनों में प्रदूषण
  • वनस्पतियों एवं जीव जंतुओं के साथ-साथ वनों की हानि
  • प्रभावित आबादी जनजातीय सहित का पुनर्वास
  • ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों में बीमारकों का प्रभाव

ताप विद्युत परियोजना (Environmental Pollution Essay In Hindi) :-

  • वनों की कटाई
  • भूमि का अपरदन

औद्योगिक परियोजनाएं (Environmental Pollution Essay In Hindi) :-

  • अन्य स्वास्थ्य समस्याएं

परिवहन क्षेत्र (Environmental Pollution Essay In Hindi) :-

  • प्राकृतिक व भौतिक संसाधनों की हानि
  • प्राकृतिक स्थिति की संसाधन का ह्रास
  • मानवीय आर्थिक विकास संसाधन में ह्रास
  • सांस्कृतिक एवं अन्य भौतिक मूल्यों पर प्रहार

आणविक ऊर्जा (Environmental Pollution Essay In Hindi) :-

  • वायु जल एवं मृदा पर विकिरण प्रभाव
  • तापीय जल के निक्षेप से तापीय प्रदूषण
  • वनों तथा प्राणी जगत को नुकसान
  • पुनर्वास की समस्या
  • रेडियोधर्मी निक्षेपों के निष्कासन की समस्या
  • स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दुष्प्रभाव

यह भी पढ़ें :-

  • पर्यावरण का अर्थ, परिभाषा,और इसके घटक :-
  • जैव-विविधता का महत्त्व, ह्रास के कारण :-
  • हरितगृह प्रभाव एवं जलवायु परिवर्तन :-
  • पारिस्थितिकी तंत्र क्या है 
  • चट्टान किसे कहते हैं चट्टान के प्रकार :-
  • ओजोन परत क्या है :-
  • पवन क्या हैं पवन के प्रकार :-
  • ग्रहों से सम्बंधित तथ्य :-
  • भारत में वनों के प्रकार
  • वन्य जीव संरक्षण अधिनियम
  • जल संरक्षण क्या है जल संरक्षण के उपाय:-

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay On Environmental Pollution In Hindi)- इस पृथ्वी पर जो सबसे अनमोल और बेशकीमती चीज़ से है, वो है हमारा पर्यावरण। ईश्वर और कुदरत दोनों ने ही मिलकर हमारे पर्यावरण (Environment) और प्रकृति (Nature) को इस ढंग से रचा है कि इसका अनुमान लगा पाना मनुष्य के लिए शायद नामुमकिन है। हम मनुष्यों के ऊपर प्रकृति का जो एहसान है, उसे तो शायद हम कभी चुका नहीं पाएंगे लेकिन प्रकृति से जो कुछ भी हमें मिला है उसमें से कुछ अंश अगर हम प्रकृति को लौटा सकते हैं, तो यह हमारा सौभाग्य होगा। लौटाने से हमारा तात्पर्य है प्रकृति और पर्यावरण (Nature & Environment) की रक्षा करना, जिसकी प्रकृति को आज सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay On Environmental Pollution In Hindi)

हमारे इस लेख के माध्यम से आप पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan) पर निबंध हिंदी में (Essay On Environmental Pollution In Hindi), पर्यावरण प्रदूषण प्रस्तावना, पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ, पर्यावरण प्रदूषण क्या है (Paryavaran Pradushan Kya Hai), पर्यावरण प्रदूषण के कारण, पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार, पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव, पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव, पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान, पर्यावरण प्रदूषण पर चित्र आदि प्राप्त कर सकते हैं। पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध इन हिंदी (Paryavaran Pradushan Par Nibandh In Hindi) की सहायता से आप स्कूल और कॉलेजों में होने वाली पर्यावरण प्रदूषण (Environmental Pollution In Hindi) प्रतियोगिता में भी भाग ले सकते हैं और पर्यावरण प्रदूषण पर एक अच्छा लेख दे सकते हैं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Environmental Pollution Essay In Hindi

पर्यावरण प्रदूषण प्रस्तावना.

दुनिया के शुरू होने के साथ ही प्रकृति के अद्भुत संतुलन की वजह से ही इस धरती पर जीवन बना हुआ है लेकिन आज के इस आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी की वजह से यह पूरी तरह से खतरे में है। वायु, जल और धरती ये सभी धीरे-धीरे दूषित हो रहे हैं। इस बढ़ते हुए प्रदूषण को कम करने के लिए और इसे रोकने के लिए विभिन्न प्रयास भी किए जा रहे हैं। यह प्रयास हम चार भागों में विभाजित कर सकते हैं, जैसे- प्रकृति के पूरे चक्र को समझना, प्रदूषण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना, प्रकृति की खूबसूरती को कायम रखना और उन तरीकों से काम करना जिससे धरती का पर्यावरण साफ, शुद्ध और ताजा बना रहे तथा पर्यावरण में किसी भी तरह की कोई मिलावट न हो।

यह निबंध भी पढ़ें-

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ

पर्यावरण प्रदूषण के अर्थ को तो हम समझेंगे ही, लेकिन साथ में यह भी जानेंगे कि पर्यावरण क्या है और हमें कैसे प्रभावित करता है? सबसे पहले पर्यावरण प्रदूषण के अर्थ को समझते हैं कि जिसमें किसी भी घटको में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन, जिसका हमारे जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो, वह पर्यावरण कहलाता है। इस पर्यावरण में उद्योग, नगर और मानव विकास की जो प्रक्रिया होती है, उसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। पर्यावरण प्रदूषण को हम कई अलग-अलग रूपों में बांटकर देख सकते हैं। आसान शब्दों में समझें तो पर्यावरण प्रदूषण का सीधा सा अर्थ है पर्यावरण का विनाश। ऐसे कई कारण हैं जिनसे हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है। जिस पर्यावरण को हम देखते हैं वह प्रकृति और मानव द्वारा निर्मित चीजों से बना हुआ है और इन्हीं में से कुछ तत्व ऐसे हैं जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं जोकि भविष्य के लिए खतरे की घंटी है।

ये भी पढ़ें

पर्यावरण प्रदूषण क्या है?

पर्यावरण प्रदूषण के अर्थ को समझने के बाद अब हम जानेंगे कि पर्यावरण प्रदूषण क्या है? या पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं? पर्यावरण प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब हमारे द्वारा की गई अलग-अलग गतिविधियों से दूषित सामग्री पर्यावरण में मिल जाती है। यह हमारी दिनचर्या की प्रक्रिया को मुख्य रूप से बाधा पहुँचाती है और इस वजह से पर्यावरण में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। जो पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का काम करते हैं उन्हें प्रदूषक तत्व कहा जाता है। यह प्रदूषक तत्व प्रकृति में होने वाले पदार्थ भी होते हैं और मानव द्वारा की गई बाहरी गतिविधियों से भी निर्मित हो जाते हैं। यह प्रदूषक तत्व पर्यावरण में ऊर्जा की कमी के रूप में भी शामिल हो सकते हैं। इसे हम वायु प्रदुषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि कई अलग-अलग प्रदूषण के प्रकार में बांट सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

प्रकृति से हमें जीवन यापन के लिए, हमारे स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए तथा अपना विकास तेज गति से करने के लिए बहुत से प्राकृतिक संसाधन मुफ्त में मिले हैं। परंतु समय के साथ-साथ हम इतने स्वार्थी और लालची होते जा रहे हैं कि अपने उसी पर्यावरण को प्रदूषित करते हुए उसे नष्ट करने पर तुले हुए हैं। इस बात को समझे बिना ही कि अगर हमारा पर्यावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो जाएगा, तो फिर ये आने वाले समय में हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य और भविष्य पर गंभीर रूप से अपना प्रभाव डालेगा। फिर एक समय ऐसा आएगा जब हम सभी के पास पृथ्वी पर जिंदा रहने के लिए कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं बचेंगे। इसीलिए हमें पर्यावरण प्रदूषण के कारण को गंभीरता से लेना होगा और जल्द से जल्द इन कारणों को दूर करना होगा। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं, जैसे-

  • औद्योगिक गतिविधियों का तेज होगा
  • वाहन का ज़्यादा इस्तेमाल 
  • तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण का बढ़ना 
  • जनसंख्या अतिवृद्धि 
  • जीवाश्म ईधन दहन 
  • कृषि अपशिष्ट 
  • कल-कारखाने 
  • वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग 
  • प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना 
  • वृक्षों को अंधा-धुंध काटना 
  • घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होना
  • खनिज पदार्थों क दोहन
  • सड़को का निर्माण 
  • बांधो का निर्माण 

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार हैं। इन सभी का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। लेकिन पर्यारवण प्रदूषण के मुख्य तीन प्रकार हैं, जिनकी चर्चा नीचे की गई है, जैसे-

वायु प्रदूषण- हवा मानव, जानवर, पेड़-पौधे आदि सभी के जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी है। हमारे इस वायुमंडल में अलग-अलग तरह की गैसें एक निश्चित मात्रा में मौजूद होती हैं और सभी जीव अपनी क्रियाओं और सांसों के माध्यम से ऑक्सीजन और कार्बनडाइऑक्साइड में संतुलन बनाए रखते हैं परंतु अब ऐसा हो रहा कि मनुष्य अपनी भौतिक आवश्यकताओं की आड़ में इन सभी गैसों के संतुलन को नष्ट करने में लगा हुआ है। अगर हम शहर की वायु की तुलना, गांव की वायु से करें, तो हमें एक बहुत बड़ा अंतर दिखाई देगा। एक ओर जहाँ गांव की शुद्ध और ताजा हवा हमारे तन-मन को प्रसन्न कर देती है, तो वहीं दूसरी ओर हम शहर की जहरीली हवा में घुटन महसूस करने लगते हैं। इसके पीछ सबसे बड़ा कारण है शहरों में ऐसे संसाधनों की मात्रा में लगातार वृद्धि होना जो प्रदूषण को जन्म देते हैं।

जल प्रदूषण-  जल ही जीवन है और हम सभी के जीवन के लिए जल मुख्य घटकों में से एक है। जल के बिना हम में से कोई भी जीव जैसे मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि जिंदा रहने की कल्पना तक नहीं सकते। प्रकृति के जल में अनुचित पदार्थों या तत्वों के मिल जाने से जल की शुद्धता कम हो जाती है, जिसे हम जल प्रदूषण कहते हैं। जल प्रदूषण की वजह से गंभीर रोग पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है और कई तरह के जीवाणु तथा वायरस पनपने लगते हैं। पानी में अलग-अलग प्रकार के खनिज, तत्व, पदार्थ और गैसें मिल जाती हैं, जिनकी मात्रा काफी होती है। अगर इन सभी की मात्रा ज़्यादा हो जाती है, तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक साबित हो सकता है। एक ओर तो हमने नदियों को माँ का दर्जा दिया हुआ है और उनकी पूजा करते हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर हम इसमें प्रदूषित तत्वों को घोलकर कर जल की शुद्धता को नष्ट कर रहे हैं और माँ समान उन नदियों का अपमान भी कर रहे हैं।

ध्वनि प्रदूषण- गैर ज़रूरी और ज़रूरत से ज़्यादा आवाज़ जिसे हम शोर कहते हैं, ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। अगर कोई आवाज़ हमारे लिए मनोरंजन का साधन बनती है, तो हो सकता है कि वही आवाज़ किसी दूसरे व्यक्ति के लिए शोर हो। बहुत ज़्यादा आवाज़ ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है, जिससे मनुष्य की सुनने की शक्ति धीरे-धीरे कम होती चली जाती है और अगर इसपर ध्यान न दिया जाए, तो व्यक्ति अपनी सुनने की शक्ति को पूरी तरह से भी खो सकता है। किसी भी आवाज़ को अगर एक सीमित मात्रा मैं सुना जाए, तो हमारी सेहत पर उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा लेकिन वही आवाज़ ज़रूरत से ज्यादा तेज हो, तो फिर उसे सहन कर पाना मुश्किल हो जाता है। ध्वनि प्रदूषण से इंसान की एकाग्रता भंग होती है और फिर वह अपने किसी भी काम को पूरी तरह से एकाग्र होकर नहीं कर पाता।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण भारत में धीरे-धीरे एक चुनौती बनता जा रहा है। प्रदूषण की वजह से हम सभी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। वायु प्रदूषण के कारण वातावरण में ओजोन परतों का विनाश हो रहा है। जल प्रदूषण होने की वजह से जलीय जीवन और अम्लीयता की मृत्यु हो रही है। मृदा प्रदूषण के होना का मतलब ऐसी मिट्टी से है जो अस्वास्थ्यकर या असंतुलित हो और जिससे पेड़-पौधे, खेत, फसल आदि की वृद्धि होने में कठिनाई हो। मृदा प्रदूषण से हरी-भरी ज़मीन भी बंजर हो जाती है। आज भारत एक नहीं बल्कि पर्यावरण प्रदूषण की तमाम चुनौतियों से जूझ रहा है और उनका सामना कर रहा है। वक़्त रहते इसका समाधान मिलना बहुत ज़रूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो फिर पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव से होने वाली हानि का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होगा।

पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर कई तरह से प्रभाव पड़ रहा है। यह बताना ज़रूरी नहीं है कि पर्यावरण प्रदूषण ने मानव की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे जल, भोजन, वायु और मिट्टी के अंदर अपने विषैले तंतुओं को फैला दिया है। यह हमारे रहने, पीने और खाने को प्रभावित करता है। यह इंसानों के साथ जानवरों, पक्षियों, पेड़-पौधों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

अलग-अलग चीजें हवा को प्रदूषित करती हैं जैसे मोटर वाहन और उद्योगों से निकलने वाली गैस, हवा के अंदर जीवाश्म ईंधन जलाना, ठोस औद्योगिक अपशिष्ट, तेल फैलना, प्लास्टिक डंप और पानी में फेंकने वाले शहर का कचरा नदी और महासागरों को प्रदूषित करता है। इसी तरह कृषि की अकार्बनिक प्रक्रियाएं मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देती हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता है, भोजन बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी और साँस लेने के लिए हवा का उपयोग किया जाता है। अगर ये तीनों तत्व ही दूषित होंगे, तो मानव शरीर के अंदर अपने प्रदूषकों को डालेंगे जिससे गंभीर रोग पैदा होंगे।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा, लंग कैंसर, स्किन कैंसर, लेड पॉइजनिंग, कार्डियोवस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक, रेडिएशन इनेबल्ड कैंसर, मरकरी पॉइजनिंग, जन्मजात डिसएबिलिटी, एलर्जी, फेफड़े की बीमारियां हैं, जो ऑक्यूपेशनल एक्सपोजर के कारण होती हैं। इसलिए हमें समझना होगा कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से कैसे बचा जाए और कैसे इसका समाधान ढूंढा जाए।

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान

ये तो हम सभी देख रहे हैं कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन किस कदर बढ़ती जा रही है और इसके जिम्मेदार भी सिर्फ और सिर्फ हम इंसान ही हैं। इसीलिए अब ये जिम्मेदारी भी हमारी ही बनती है कि इस समस्या का जल्द-से-जल्द ऐसा समाधान निकालें जिससे पर्यावरण प्रदूषण की समस्या जड़ से ही खत्म हो जाए। बढ़ते हुए मीलों, कारखानों, मोटर वाहनों, रासायनिक उर्वरकों, कार्बन-मोनो-आक्साइड गैस से निकलने वाला अपशिष्ट और धुआँ, नालियों का गंदा पानी और वनों की अंधाधुन कटाई के कारण पर्यावरण प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाला समय हम सभी के लिए दुःख और अशांति लेकर आएगा।

यह समस्या अगर ऐसे ही बढ़ती रही, तो इससे सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरा देश प्रभावित होगा और हम सभी को एक ऐसी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ेगा, जिसके बारे में हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा। दुनिया के जितने भी विकसित देश हैं वहाँ पर इस तरह की समस्या का होना बहुत ही आम बात है। भारत का हर व्यक्ति आज प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या की मार तो झेल रहा है लेकिन इसे दूर करने के लिए ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो कोशिश में लगे हुए हैं। पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभाव बहुत ही गंभीर और हानिकारक साबित होते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण हमारी सामाजिक स्थिति भी खंडित हो जाती है।

विश्व में जितनी भी प्राकृतिक गैसें मौजूद हैं उन सभी में संतुलन का बना रहना बहुत ही आवश्यक है, परन्तु आज इंसान अपने स्वार्थ और ज़रूरत के लिए पेड़ों और वनों को काटने में लगा हुआ है। आप ज़रा सोचिए अगर धरती पर एक भी पेड़ ही बचेगा, तो क्या हम ऑक्सीजन ले पाएंगे। जब हमें ऑक्सीजन ही नहीं मिलेगी, तो हमारा जीवित रहना मुश्किल है। पेड़ों की कमी से कार्बन-डाईआक्साइड की मात्रा ज्यादा हो जाएगी जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या अधिक बढ़ जाएगी। यदि हम प्राकृतिक संसाधनों के साथ में कोई छेड़छाड़ करते हैं, तो फिर वह प्राकृतिक आपदाओं का रूप लेकर धरती पर विनाश करते हैं। यह विनाश बाढ़, आँधी, तूफान, ज्वालामुखी आदि के रूप में होता है। हम औद्योगिक विकास के लालच में प्रकृति के साथ अपने व्यवहार को भूल चुके हैं, जिस कारण हमें पर्यावरण प्रदूषण, प्राकृतिक आपदाओं, महामहारियों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अगर हम सही में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को हमेशा के लिए खत्म करना चाहते हैं, तो हमें निम्नलिखित समाधानों का प्रयोग अपने जीवन में करना होगा।

  • प्रकृति और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए जल्द ही हमें इस पर नियंत्रण करना होगा। हमें ज्यादा से ज्यादा वनीकरण की तरफ ध्यान देना होगा। हमें कम से कम पेड़ों की कटाई की कोशिश करनी होगी। पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे और इसके खिलाफ जाने वाले को सख्त से सख्त सजा देनी होगी।
  • सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि राजनेताओं, अभिनेताओं, विचारकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और भारत के हर नागरिक को पर्यावरण प्रदूषण दूर करने के प्रति ज़्यादा से ज़्यादा जागरूकता फैलानी होगी। जागरूकता फैलाने के लिए जनसंचार माध्यमों की मदद ली जा सकती है। आज के आधुनिक युग के वैज्ञानिकों को भी प्रदूषण को खत्म करने के लिए और भी ज़्यादा प्रयास करने होंगे।
  • हम सभी को इस बारे में सोच-विचार करना होगा कि हमारे आसपास कूड़े के ढेर और गंदगी जमा न होगा। हमें कोयला और पेट्रोलियम जैसे उत्पादों का बहुत कम प्रयोग करना सीखना होगा और ऐसे विकल्प चुननें होंगे जो प्रदूषण मुक्त हों। हमें सौर ऊर्जा, सीएनजी, वायु ऊर्जा, बायोगैस, रसोई गैस, पनबिजली का ज़्यादा इस्तेमाल करना होगा। अगर हम ऐसा करते हैं, तो वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने में बहुत मदद मिल सकती है।
  • जिन कारखानों का निर्माण पहले हो चुका है अब तो उन्हें हटा पाना मुश्किल है लेकिन अब सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि जो भविष्य में बनने वाले कारखाने हैं, उन्हें शहर से दूर बनाया जाए। हम यातायात के ऐसे साधनों प्रयोग करें जिनमें से धुआं कम निकलता हो और जो वायु प्रदूषण को रोकने में मदद करें। सरकार को पेड़-पौधों और जंगलों को काटने पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए।
  • हमें नदियों में कचरे को फैकने से बचाना चाहिए। हमें यह भी कोशिश करनी चाहिए कि पानी को रिसाइक्लिंग की मदद से पीने योग्य बनाएं। अगर हो सके तो प्लास्टिक के बैगों और थैलियों का इस्तेमाल करना बंद करके कपड़े और जूट के बने बैगों को प्रयोग में लाएं। पर्यावरण प्रदूषण को खत्म करने के लिए जागरूक नागरिक बने और सरकार तथा कानून द्वारा सुझाए गए नियमों का पालन करते हुए इस नेक काम में अपनी भागीदारी दें।

इतिहास इस बात का साक्षी है कि पिछले कई लाखों-करोड़ों वर्षों से धरती पर आज भी शुद्ध हवा और स्वच्छ बहता पानी मौजूद है, लेकिन हम कहीं न कहीं इसकी कद्र करना भूलते जा रहे हैं। हमारे दुरुपयोग के कारण ही आज सभी प्राकृतिक संसाधन प्रदूषण की चपेट में आ चुके हैं। जिन वैज्ञानिकों ने अपना जीवन पर्यावरण की रक्षा करने में समर्पित कर दिया है अब वह हमें समझा रहे हैं कि कैसे हमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए उसकी शुद्धता को बचाना है। वह हम मनुष्यों को जागरूक कर रहे हैं कि हमें ऐसा कोई भी काम नहीं करना है जो प्रकृति का संतुलन बिगड़ने या वातावरण प्रदूषित होने का कारण बने। सबसे पहले हमें किसी भी हाल में अपने गांवों को प्रदूषित होने से रोकना होगा और इस बात का भी पूरा ख्याल रखना होगा कि शहरों का प्रदूषण गांवों के पर्यावरण को प्रदूषित न कर दे।

पर्यावरण प्रदूषण से जुड़े पूछे जाने वाले सवाल– FAQ’s

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प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण क्या है निबंध? उत्तर- पर्यावरण प्रदूषण को पृथ्वी / वायुमंडल प्रणाली के भौतिक और जैविक घटकों के संदूषण के रूप में परिभाषित किया जाता है। सामान्य पर्यावरणीय प्रक्रियाएं प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती हैं। प्रदूषक प्राकृतिक रूप से पदार्थ या ऊर्जा हो सकते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में होने पर उन्हें दूषित माना जाता है।

प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण का क्या अर्थ है? उत्तर- ओडम के अनुसार, “वातावरण के अथवा जीवमंडल के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों के ऊपर जो हानिकारक प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है।” अन्य शब्दों मे हमारे पर्यावरण की प्राकृतिक संरचना एवं संतुलन मे उत्पन्न अवांछनीय परिवर्तन को प्रदूषण कह सकते हैं।

प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव क्या है? उत्तर- वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में भयावह परिवर्तन होता है। वायुमंडल में हानिकारक गैसों से गले और आंखों में जलन, अस्थमा के साथ-साथ अन्य श्वसन समस्याएं और फेफड़े के कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं।

प्रश्न- प्रदूषण क्या है इसके प्रकार बताइए? उत्तर- मुख्य रूप से पर्यावरण प्रदूषण के 4 भाग होते हैं, जिसमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ये 4 तरह के प्रदूषण के होते हैं।

प्रश्न- विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है? उत्तर- विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है।

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प्रदूषण पर निबंध / Essay on Pollution in Hindi

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प्रदूषण पर निबंध / Essay on Pollution in Hindi!

प्रदूषण आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या है । प्रकृति और पर्यावरण के प्रेमियों के लिए यह भारी चिंता का विषय बन गया है । इसकी चपेट में मानव-समुदाय ही नहीं, समस्त जीव-समुदाय आ गया है । इसके दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहे हैं ।

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है-गंदगी । वह गंदगी जो हमारे चारों ओर फैल गई है और जिसकी गिरफ्त में पृथ्वी के सभी निवासी हैं उसे प्रदूषण कहा जाता है । प्रदूषण को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण । ये तीनों ही प्रकार के प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं।

वायु और जल प्रकृति-प्रदत्त जीवनदायी वस्तुएँ हैं । जीवों की उत्पत्ति और जीवन को बनाए रखने में इन दोनों वस्तुओं का बहुत बड़ा हाथ है । वायु में जहाँ सभी जीवधारी साँस लेते हैं वहीं जल को पीने के काम में लाते हैं । लेकिन ये दोनों ही वस्तुएं आजकल बहुत गंदी हो गई हैं ।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण इसमें अनेक प्रकार की अशुद्ध गैसों का मिल जाना है । वायु में मानवीय गतिविधियों के कारण कार्बन डायऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसे प्रदूषित तत्व भारी मात्रा में मिलते जा रहे हैं । जल में नगरों का कूड़ा-कचरा रासायनिक पदार्थों से युक्त गंदा पानी प्रवाहित किया जाता रहा है । इससे जल के भंडार; जैसे-तालाब, नदियाँ,झीलें और समुद्र का जल निरंतर प्रदूषित हो रहा है ।

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है – बढ़ती आबादी के कारण निरंतर होनेवाला शोरगुल । घर के बरतनों की खट-पट, मशीनों की खट-पट और वाद्‌य-यंत्रों की झन-झन दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है । वाहनों का शोर, उपकरणों की चीख और चारों दिशाओं से आनेवाली विभिन्न प्रकार की आवाजें ध्वनि प्रदूषण को जन्म दे रही हैं । महानगरों में तो ध्वनि-प्रदूषण अपनी ऊँचाई पर है ।

ADVERTISEMENTS:

प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में विचार करें तो ये बड़े गंभीर नजर आते हैं । प्रदूषित वायु में साँस लेने से फेफड़ों और श्वास-संबंधी अनेक रोग उत्पन्न होते हैं । प्रदूषित जल पीने से पेट संबंधी रोग फैलते हैं । गंदा जल, जल में निवास करने वाले जीवों के लिए भी बहुत हानिकारक होता है । ध्वनि प्रदूषण मानसिक तनाव उत्पन्न करता है । इससे बहरापन, चिंता, अशांति जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है ।

आधुनिक वैज्ञानिक युग में प्रदूषण को पूरी तरह समाप्त करना टेढ़ी खीर हो गई है । अनेक प्रकार के सरकारी और गैर-सरकारी प्रयास अब तक नाकाफी सिद्ध हुए हैं । अत: स्पष्ट है कि जब तक जन-समूह निजी स्तर पर इस कार्य में सक्रिय भागीदारी नहीं करता, तब तक इस समस्या से निबटना असंभव है । हरेक को चाहिए कि वे आस-पास कूड़े का ढेर व गंदगी इकट्‌ठा न होने दें ।

जलाशयों में प्रदूषित जल का शुद्धिकरण होना चाहिए । कोयला तथा पेट्रोलियम पदार्थों का प्रयोग घटा कर सौर-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, बायो गैस, सी.एन.जी, एल.पी.जी, जल-विद्‌युत जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों का अधिकाधिक दोहन करना चाहिए । हमें जंगलों को कटने से बचाना चाहिए तथा रिहायशी क्षेत्रों में नए पेड़ लगाने चाहिए । इन सभी उपायों को अपनाने से वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को घटाने में काफी मदद मिलेगी ।

ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ ठोस एवं सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है । रेडियो, टी.वी. , ध्वनि विस्तारक यंत्रों आदि को कम आवाज में बजाना चाहिए । लाउडस्पीकरों के आम उपयोग को प्रतिबंधित कर देना चाहिए । वाहनों में हल्के आवाज वाले ध्वनि-संकेतकों का प्रयोग करना चाहिए । घरेलू उपकरणों को इस तरह प्रयोग में लाना चाहिए जिससे कम से कम ध्वनि उत्पन्न हो ।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रदूषण को कम करने का एकमात्र उपाय सामाजिक जागरूकता है । प्रचार माध्यमों के द्वारा इस संबंध में लोगों तक संदेश पहुँचाने की आवश्यकता है । सामूहिक प्रयास से ही प्रदूषण की विश्वव्यापी समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है ।

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World Environment Day Speech in Hindi: विश्व पर्यावरण दिवस पर दें यह आसान भाषण

World environment day speech in hindi : पर्यावरण दिवस के अवसर पर बच्चों को जागरूक करने के लिए विभिन्न स्कूलों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। निबंध, भाषण, पोस्टर प्रतियोगिताएं होती हैं।.

World Environment Day Speech in Hindi: विश्व पर्यावरण दिवस पर दें यह आसान भाषण

World Environment Day Speech, Theme : हर साल 5 जून का दिन दुनिया भर में विश्व पर्यावरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसका मकसद है- लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक और सचेत करना। प्रकृति बिना मानव जीवन संभव नहीं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि हम पेड़-पौधों, जंगलों, नदियों, झीलों, भूमि, पहाड़ सबके महत्व को समझें। इस दिवस को मनाने का फैसला 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद लिया गया। इसके बाद 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की एक खास थीम होती है। पिछले साल थीम प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर आधारित थी। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम "Land Restoration, Desertification And Drought Resilience" है। इस थीम का फोकस 'हमारी भूमि' नारे के तहत भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे पर है।

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर बच्चों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न स्कूलों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। निबंध, भाषण, पोस्टर प्रतियोगिताएं होती हैं। अगर आप स्कूल में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर भाषण देने जा रहे हैं या निबंध लिखने जा रहे हैं तो यहां से उदाहरण ले सकते हैं - 

World Environment Day 2024 Speech in Hindi: विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण

आदरणीय अध्यापक गण, प्रिंसिपल सर एवं मेरे प्यारे साथियों,  आज हम सब यहां पर्यावरण दिवस मनाने के मकसद से एकत्रित हुए हैं। हर वर्ष 5 जून का दिन विश्व भर में पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। पर्यावरण की सुरक्षा की अहमियत को देखते हुए वर्ष 1972 में  संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला किया था। इसके बाद 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। हर साल पर्यावरण दिवस की थीम भी तय की जाती है। पिछले साल थीम प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर आधारित थी। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम "Land Restoration, Desertification And Drought Resilience" है। इस थीम का फोकस 'हमारी भूमि' नारे के तहत भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे पर है।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और बढ़ते प्रदूषण के चलते पर्यावरण दूषित होता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है। खराब हवा लोगों का दम घोंट रही है। शहरों में बहुत से लोगों को बदतर आवोहवा के चलते लोगों को सांस, हृदय, फेफड़ों की बीमारियों हो रही हैं।

हमें यह समझना चाहिए कि संपूर्ण मानवता का अस्तित्व प्रकृति पर निर्भर है। इसलिए एक स्वस्थ एवं सुरक्षित पर्यावरण के बिना मानव समाज की कल्पना अधूरी है। पृथ्वी ग्रह पर ही मानव जीवन संभव है इसलिए इसे जीने लायक बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। 

क्या कर सकते हैं? - हमें चाहिए हम वर्ष में कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएं ।  - तालाब, नदी, पोखर को प्रदूषित नही करें, जल का दुरुपयोग नहीं करें।  - बिजली का अनावश्यक उपयोग नहीं करें, इस्तेमाल के बाद बल्ब, पंखे या अन्य उपकरणों को बंद रखें।  - प्लास्टिक/पॉलिथिन का उपयोग बंद करें। कागज या कपड़े के बने झोले या थैले का उपयोग करें। - पशु-पक्षियों के प्रति दया भाव रखें, नजदीकी कामों के लिए साइकिल का उपयोग करें। 

साथियों, ये बातें सिर्फ जुबानी या किताबों में न रह जाएं बल्कि हमें जीवन में उतारनी होंगी। प्रदूषण से पर्यवारण को बचाना है। पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनानी होगी। पर्यावरण के संतुलन कायम रखने से ही जीव और मानव का विकास संभव है। सोलर ऊर्जा का प्रयोग बढ़ना होगा। ऊर्जा का अनावश्यक खर्च न करने की आदत डालनी होगी। जल संसाधनों की बचत करनी होगी। 

हमें याद रखना चाहिए कि प्रकृति ने इंसान को पैदा किया और अपने आस्तित्व के लिए इंसान को उसकी जरूरत है। प्रकृति से हम हैं, हमसे प्रकृति नहीं। 

धन्यवाद। 

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World Environment Day 2024: Check Short and Long Essay Ideas In English

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World Environment Day  Essay for Students: World Environment Day is celebrated annually on June 5th to raise global awareness about the environment and the importance of its protection. It is a day to reflect on the progress we have made in addressing environmental challenges and to recommit ourselves to ensuring a sustainable future for our planet.

Theme for World Environment Day 2024

The Kingdom of Saudi Arabia will host the 2024 World Environment Day with the theme as "Our land. Our future." This theme highlights the urgency of focusing land restoration, desertification and drought resilience.

World Environment Day Essay for Students

Schools also celebrate the day by organising various recreational and competitive activities to engage students and raise awareness about environmental issues. Essay writing competitions are conducted where students are encouraged to express their thoughts and ideas on environmental challenges. In this article, we have provided the essay suggestions for students on World Environment Day in short and long formats. Check below easy and enganging World Environment Day essay ideas for students of all grades

10 Lines on World Environment Day 2024

  • World Environment Day is celebrated on June 5th each year.
  • The day was launched in 1973 to raise awareness about the pressing environmental issues.
  • Events include tree planting, clean-up drives, and seminars on pollution control.
  • A new theme is chosen every year to highlight a specific environmental challenge.
  • The reminds us that Earth is our only home and protecting it is a shared responsibility.
  • We can all make a difference by reducing waste, conserving resources, and living sustainably.
  • Small changes, like using reusable bags, recycling and reducing waste can add up to a healthier planet.
  • Let's celebrate Earth's beauty and commit to safeguarding its future for generations to come.
  • Together, we can build a greener, healthier world for all.
  • On this World Environment Day, we shouldpledge to be responsible citizens of our planet and make it a beautiful place to live.

World Environment Day 2024 Essay in 150 Words

World Environment Day has been celebrated annually since 1973, following the 1972 UN Human Environment Conference. It aims to raise global awareness about environmental issues and inspire action for conservation. The day focuses on tackling problems like pollution, climate change, and deforestation through collective efforts. The UN selects a specific theme each year to spark discussions on a pressing environmental concern. It reminds us of our responsibility to take care of nature and have a duty to ensure a healthy environment for the generations to come. Pollution, like smoke from factories, makes the air hard to breathe. Plastic bags floating in rivers harm fish and other animals. Cutting down too many trees makes the weather hotter. World Environment Day reminds us that these problems are real and need to be fixed with collective action. World Environment Day serves as a powerful call to action, urging individuals, governments, and businesses to embrace sustainable practices and help heal the Earth.

World Environment Day 2024 Essay in 200 Words

Celebrated on June 5th, World Environment Day highlights the importance of our environment. Established in 1973 after the Stockholm Conference, it brings global attention to environmental threats like pollution, climate change, and biodiversity loss. The UN chooses a distinct theme annually, focusing on a particular environmental challenge. Activities like tree planting, clean-up drives, and awareness campaigns are organized on this day.

World Environment Day connects to the UN's Sustainable Development Goals (SDGs) which aim for a future with poverty eradication, climate action, clean water and sanitation, sustainable production and consumption. These goals pave the way for a future where environment and development go hand-in-hand.

However, achieving these goals requires a significant shift in our behavior. We must move towards a more sustainable lifestyle, reducing our reliance on fossil fuels and embracing renewable energy sources. Simple changes like using public transport, conserving water, reducing plastic, and opting for reusable products can make a big difference. Businesses too, have a responsibility to adopt sustainable practices and reduce the environmental pollutants ejected by factories.

World Environment Day serves as a powerful reminder that protecting our planet is not just a responsibility, but also an opportunity. By working together, individuals, governments, and businesses can create a healthier planet for ourselves and future generations.

World Environment Day Essay: Some more lines to add

  • World Environment Day reminds us that even small changes in our daily lives can have a collective impact. Every plastic bag refused, every light switched off, and every tree planted contributes to a healthier planet.
  • Investing in a healthy environment isn't just about protecting endangered species; it's about securing a future with clean air, stable weather patterns, and abundant resources for generations to come.
  • Across the globe, communities are taking the initiatives to preserve the nature . From students organizing beach clean-ups to local businesses switching to eco-friendly packaging, these efforts serve as powerful examples of the positive change that's possible."
  • Let World Environment Day be more than just a single day of awareness. Let it be a catalyst for a lifelong commitment to protecting our planet. Together, we can build a future where humanity and nature flourish in harmony.
  • World Environment Day 2024: Short & Long Essay in Hindi
  • World Environment Day 2024: Thoughts, Quotes, Slogans, Wishes For Students
  • World Environment Day 2024 Activities: Top 7 Ideas to Celebrate the Day
  • World Environment Day 2024: Top 7 Drawing Ideas For School Students
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World Environment Day 2024 Essay, Speech, and Debate Ideas for Students

World Environment Day is celebrated annually on June 5 to raise awareness and encourage action for the protection of our environment. Established by the United Nations in 1972, it has grown into a global platform for public outreach, with participation from over 150 countries. Each year, the event focuses on a specific theme to address pressing environmental issues.

World Environment Day

World Environment Day

As the world unites to celebrate World Environment Day, the importance of educating the younger generation about environmental conservation is paramount. Here are some ideas for essays, speeches, and debates that students can explore to deepen their understanding and raise awareness about environmental issues.

World Environment Day 2024 Essay Ideas

The Role of Youth in Environmental Conservation: Discuss how young people can contribute to protecting the environment through everyday actions and activism.

Innovative Solutions for Reducing Plastic Pollution: Explore new technologies and strategies for minimizing plastic waste and promoting recycling.

The Impact of Climate Change on Biodiversity: Analyze how global warming is affecting different species and ecosystems, and what can be done to mitigate these effects.

Sustainable Agriculture: Feeding the World without Harming the Planet: Examine methods of sustainable farming that can provide food security while preserving natural resources.

The Importance of Reforestation: Explain the benefits of planting trees and restoring forests for combating climate change and supporting wildlife.

World Environment Day 2024 Speech Topics

Why We Must Act Now to Combat Climate Change: Urge your audience to take immediate action to reduce carbon emissions and slow down global warming.

The Power of Individual Action in Environmental Conservation: Highlight how personal choices, like reducing waste and conserving water, can collectively make a significant impact.

Harnessing Renewable Energy for a Sustainable Future: Discuss the potential of renewable energy sources like solar, wind, and hydro power to replace fossil fuels and reduce environmental degradation.

Protecting Our Oceans: The Need for Marine Conservation: Emphasize the importance of preserving marine ecosystems and the threats posed by pollution and overfishing.

Building Green Cities: The Future of Urban Living: Describe how sustainable urban planning and green architecture can create eco-friendly, livable cities.

World Environment Day 2024 Debate Topics

Is Nuclear Energy a Sustainable Solution to Climate Change?  Weigh the pros and cons of using nuclear power as a means to reduce greenhouse gas emissions.

Should Governments Impose Stricter Regulations on Corporate Pollution? Debate the effectiveness and economic implications of enforcing stricter environmental laws on businesses.

Can Technology Alone Solve the Environmental Crisis? Discuss whether technological innovations are sufficient to address environmental challenges or if broader social and behavioral changes are needed.

Is It Ethical to Use Genetic Modification to Save Endangered Species? Explore the moral considerations and potential benefits of using genetic engineering to prevent extinction.

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World Environment Day 2024: Top 7 Drawing Ideas For School Students!

World environment day 2024: environment day is all about learning the different aspects of nature and celebrating the natural beauty of the earth. environment day is celebrated on 5th june every year.  it is important to know about this special day and also to raise awareness regarding it. .

 Environment Day 2024

How To Celebrate World Environment Day In School? 

  • Kids and students are the future generations and they should know how to protect the environment.
  • One way to celebrate Environment Day is to engage the kids in various activities that can help them to know the significance of Environment Day. 
  • One such activity is Drawing. All the kids and students love drawing. 
  • Teachers can organise a drawing activity for the students where they have to have to draw some simple environment-related drawings. 
  • It is vital to educate the students on how to take care of the planet and its limited resources. 
  • Drawing can be one of those fun activities to help the students. 

Top 7 World Environment Day Drawing Ideas For Students

  • Drawing Idea 1

Students can make this easy drawing and show the resources of nature. They can also a write a message or slogan on Save Environment.

Image credit- pinterest

  • Drawing Idea 2 

This is a drawing of the earth that depicts how there is greenery on one side and drought on the others. Students can try this unique drawing. 

Image credit- pinterest

  • Drawing Idea 3 

This is another amazing drawing that depicts afforestation on one side and cutting of tress or deforestation on the other. This drawing is perfect for Environment Day. 

Image credit- pinterest

  • Drawing Idea 4 

This drawing depicts earth with amazing greenery and also shows some of the short messages. Kids and students can also try this drawing. 

Image credit- pinterest

  • Drawing Idea 5

This picture depicts earth and the importance of water on earth. Students and kids can easily draw this beautiful drawing. 

Image credit- pinterest

  • Drawing Idea 6 

This beautiful drawing depicts earth and the hands of those humans that are taking a step further to protect the environment from pollution and other problems. 

Image credit- pinterest

  • Drawing Idea 7 

This drawing shows the earth that is happy on one of the sides due to the environment being kept clean and safe and then the other side of the earth that is unhappy due to the pollution and other problems.   

environment pollution essay in hindi

Now, that the students have got the ideas for drawing, they can easily start preparing for the special day with their pencils, colours and sketch pens. 

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