लता मंगेशकर जीवन परिचय | Lata Mangeshkar Biography in Hindi
स्वर कोकिला लता मंगेशकर भारत की ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सबसे मशहूर और अनमोल गायिका हैं, उन्होंने अपनी सुरीली आवाज का जादू न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी चलाया है। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी को संगीत का पर्यायवाची कहना भी गलत नहीं होगा, क्योंकि उन्होंने अपनी मधुर और मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज से संगीत में जो मानक स्थापित कर दिया है, वहां तक शायद ही कोई पहुंच सकता है।
लगा मंगेशकर जी की अद्भुत आवाज को लेकर रिसर्च तक की जा चुकी है, उनकी मधुर आवाज को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यह तक कह डाला है कि लता जी की तरह इतनी सुरीली आवाज न कभी थी और न ही संभवत: कभी होगी। कई सदियों की महागायिका कहलाने वाली लता जी भारत की एक सबसे प्रसिद्ध, बेहतरीन और सम्मानित प्लेबैक सिंगर प्रसिद्ध भारतीय प्लेबैक सिंगर और म्यूजिक कंपोजर के रुप में जानी जाती हैं।
भारत रत्न लता मंगेशकर जी कई दशकों से भारतीय सिनेमा को अपनी मधुर आवाज दे रही हैं। लता मंगेशकर जी के आगे आज पूरी संगीत की दुनिया नतमस्तक है। साल 1942 में जब लता जी महज 13 साल की थी, तब से ही वे भारतीय सिनेमा को अपनी सुरीली आवाज दे रही हैं।
उन्होंने अब तक करियर में 1000 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों और तक़रीबन 36 से भी ज्यादा भाषाओं में गाने गाए हैं। इसके साथ ही लता जी ने कई विदेशी भाषाओं में भी गीत गा चुकीं हैं। आपको बता दें कि संगीत का महानायिका Lata Mangeshkar जी ने सबसे ज्यादा गाना मराठी और हिंदी भाषा में गाए है।
लता जी सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने वाली म्यूजिक आर्टिस्ट के रुप में भी पहचानी जाती है। वहीं एक कार्यक्रम में जब लता जी ने “ए मेरे वतन के लोगो को,जरा आँख में भर लो पानी” गाया तो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरूजी के आँखों में भी आंसू आ गए थे। महागायिका लता जी के द्धारा संगीत के क्षेत्र में दिए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।
साल 1989 में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फालके पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। लता जी एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के बाद दूसरी ऐसी गायिका है जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मन भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।
लता जी ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव और संघर्षों को झेला है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और वे लगातार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ती रहीं,और जीवन की अनंत ऊंचाइयों को छूआ। आज आज लता जी सभी के लिए आदर्श हैं और उनका जीवन कई लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं – तो आइए जानते हैं लता मंगेशकर जी के जीवन, संगीत करियर और उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में –
लता मंगेशकर का जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन – Lata Mangeshkar Information in Hindi
भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी 28 सितंबर साल 1929 में मध्यप्रदेश के इंदौर में एक मराठी बोलने वाले गोमंतक मराठा परिवार में जन्मीं थी। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल सिंगर और थिएटर एक्टर थे, इसलिए यह कह सकते हैं कि लता जी को संगीत विरासत में मिला है।
लता जी के माता का नाम शेवंती (शुधामती) था जो कि महाराष्ट्र के थालनेर से थी और वह दीनानाथ की दूसरी पत्नी थी। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के परिवार का उपनाम (सरनेम) हर्डीकर था, लेकिन उनके पिता ने इसे बदलकर अपने गृहनगर के नाम पर मंगेशकर रखा, ताकि उनका नाम उनके पारिवारिक गांव मंगेशी, गोवा का प्रतिनिधित्व करे। हालांकि, लता जी के जन्म के कुछ समय बाद ही उनका परिवार महाराष्ट्र में जाकर रहने लगा था।
लता मंगेशकर को बचपन में उन्हें “हेमा” नाम से बुलाया जाता था, लेकिन बाद में उनके पिता ने एक प्ले ”भाव बंधन’ से प्रेरित होकर उनका नाम बदलकर लता रख दिया था और बाद में संगीत के क्षेत्र में इसी लता नाम ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। लता अपने माता-पिता की सबसे बड़ी औऱ पहली संतान है। इनसे छोटे चार भाई-बहन हैं जिनके नाम मीना, आशा भोसले , उषा और हृदयनाथ हैं।
बचपन से ही संगीत में रुचि होने की वजह से सुरों की जादूगर लता मंगेशकर ने अपना पहला पाठ अपने पिता से सीखा था। वे अपने पिता से अपना सभी भाई-बहनों के साथ क्लासिकल संगीत सीखतीं थी। आपको बता दें कि जब लता जी महज 5 साल की थी, तब से उन्होंने अपने पिता के म्यूजिकल प्ले के लिए एक्ट्रेस के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था। लता मंगेशकर जी संगीत के क्षेत्र का चमत्कार है, इसका अहसास उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर को लता के बचपन में ही हो गया था।
9 साल की उम्र में इस स्वरासम्राज्ञानिने शास्त्रीय संगीत की मैफिल सजाई थी। शुरु से ही संगीत में रुचि होने की वजह से लता जी ने क्लासिकल म्यूजिक की ट्रेनिंग उस्ताद अमानत खान, बड़े गुलाम अली खान, एवं पंडित तुलसीदास शर्मा एवं अमानत खान देवसल्ले से ली थी। उस समय लता जी के.एल. सहगल के म्यूजिक से काफी प्रभावित थीं।
पिता के मौत के बाद घर की आर्थिक उन्होंने अपने कंधों पर उठाई:
साल 1942 में संगीत के चमत्कार कही जाने वाले लता मंगेशकर जी पर उस वक्त दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब उनके पिता को ह्रदय संबंधी बीमारी हो गई और वे अपने विशाल युवा परिवार को बीच में छोड़ कर चल बसे। उस दौरान लता जी सिर्फ 13 साल की थी, वहीं परिवार में सबसे बड़ी होने के नाते लता जी पर अपने भाई-बहनों की आर्थिक जिम्मेदारी आ गई। जिसके बाद से लता जी ने कम उम्र में ही अपने परिवार के पालन-पोषण के लिये काम करना शुरू कर दिया था।
लता जी का करियर – Lata Mangeshkar Career
13 साल की उम्र में लता जी ने अपने करियर की शुरुआत की थी और तब से वे अपनी भारतीय सिनेमा को अपनी मधुर आवाज दे रही हैं। लता ने अपना पहला गाना 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिये “‘नाचू या ना गड़े खेडू सारी, मानी हौस भारी’ गाया था, इस गाने को सदाशिवराव नेवरेकर ने कंपोज किया था, लेकिन इस फिल्म की एडिटिंग करते समय इस गाने को फिल्म से निकाल दिया गया था।
इसके बाद नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और लता जी के पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने इनके परिवार की मौत के बाद इनके परिवार को संभालने में मद्द की और लता मंगेशकर जी को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में भी मद्द की। मास्टर विनायक ने साल 1942 में लता जी को मराठी फिल्म ‘पहिली मंगला-गौर’ में एक छोटा सा किरदार भी दिया था जिसमे लता ने एक गाना भी गाया था।
भले ही लता ने अपना करियर मराठी गायिका और अभिनेत्री के रूप में शुरू किया था, लेकिन उस समय यह कोई नही जानता था की यह छोटी लड़की एक दिन हिंदी सिनेमा की सबसे प्रसिद्ध और मधुर गायिका बनेगी।
देखा जाये तो, उनका पहला हिंदी गाना भी 1943 में आई मराठी फिल्म का ही था। वह गाना “माता एक सपूत की दुनियाँ बदल दे तू” था जो मराठी फिल्म “गजाभाऊ” का गाना था। इसके बाद लता जी साल 1945 में मास्टर विनायक कंपनी के साथ मुंबई चली गईं थी। और यहां से ही उन्होंने अपनी संगीत प्रतिभा को निखारने के लिए उस्ताद अमानत अली खान से हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया था।
वहीं इस दौरान उन्हें बहुत सारे म्यूजिक कंपोजर ने उनकी पतली और तीखी आवाज बताकर रिजेक्ट कर दिया था, क्योंकि उनकी आवाज उस दौर के पसंद किए जाने वाले गानों से एकदम अलग थी। वहीं उस दौरन लता जी से उस दौर की मशहूर सिंगर नूरजहां के लिए भी गाने के लिए कहा जाता था।
1948 में दुर्भाग्यवश विनायक की मृत्यु हो गयी थी और लता के जीवन में एक और तूफ़ान आया था, इस तरह हिंदी फिल्म जगत में उनके शुरुआती साल काफी संघर्ष से भरे हुए थे। हालांकि विनायक जी की मौत के बाद गुलाम हैदर जी ने लता जी के करियर में काफी मद्द की थी।
साल 1948 में मजदूर फिल्म का गाना “दिल मेरा तोड़ा,मुझे कहीं का ना छोड़ा” से लता मंगेशकर जी को पहचान मिली थी। वहीं इसके बाद साल 1949 में आई फिल्म ‘महल’ में उन्होंने अपना पहला सुपर हिट गाना “आएगा आनेवाला” गाया।
इस गाने के बाद लता जी, संगीत की दुनिया के कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर और प्लेबैक सिंगर की नजरों में चढ़ गईं थी, जिसके बाद उन्हें एक के बाद एक कई गानों के लिए ऑफर मिलते चले गए।
साल 1950 में लता जी को कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर जैसे अनिल बिस्वास, शंकर जयकिशन, एस.डी. बर्मन, खय्याम, सलिल चौधरी, मदन मोहन, कल्यानजी-आनंदजी, इत्यादि के साथ काम करने का मौका मिला।
वहीं उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्हें 1958 में म्यूजिक डायरेक्टर सलिल चौधरी द्धारा फिल्म “मधुमती” का गाना “आजा रे परदेसी” के लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का सबसे पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला।
इस दौरान स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी ने कुछ राग आधारित गाने जैसे बैजू बावरा के लिए राग भैरव पर “मोहे भूल गए सावरिया” कुछ भजन जैसे हम दोनों मूवी में “अल्लाह तेरो नाम” साथ ही कुछ पश्चिमी थीम के गाने जैसे “अजीब दास्ता भी गाए थे।
उस दौरान अपनी आवाज से सभी के दिलों में राज करने वाली लता जी ने मराठी और तमिल से लोकल भाषाओं में भी गीत गाना शुरु किया था, तमिल ने उन्होंने ”वानराधम” के लिए “ एंथन कन्नालन” गाया था।
इसके बाद लता जी ने अपने छोटे भाई ह्दयनाथ मंगेशकर के लिए गाना गाया था, जो कि जैत के जैत जैसी फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर थे। इसके अलावा लता जी ने बंगाली भाषा के म्यूजिक को अपनी मधुर आवाज से एक नई पहचान दी है। साल 1967 में लता जी ने “क्रान्तिवीरा सांगोली” फिल्म में लक्ष्मण वेर्लेकर के द्धारा कम्पोज किए गए गाने “बेल्लाने बेलागयिथू” से कन्नड़ भाषा में अपना डेब्यू किया था।
इसके बाद स्वर कोकिला लता जी ने मलयालयम में नेल्लू फिल्म के लिए सलिल चौधरी द्धारा कंपोज किया गया गाना ”कदली चेंकाडाली” गाना गाया था। फिर बाद में कई अलग-अलग भाषाओं में गाने गाकर उन्होंने अपनी आवाज से संगीत को एक नई पहचान दी।
इस दौरान लता जी ने कई बड़े म्यूजिक कंपोजर जैसे हेमंत कुमार, महेन्द्र कपूर, मोहम्मद रफी, मत्रा डे के साथ कई बड़े प्रोजक्ट्स किए थे। उस दौर में लता जी का करियर सातवें आसमान पर था, उनकी सुरीली और मधुर आवाज की बदौलत वे एक सिंगिंग स्टार बन गईं थी, यह वो दौर था जब बड़े से बड़ा प्रोड्यूसर, म्यूजिक कंपोजर, एक्टर और डायरेक्टर लता जी के साथ काम करना चाहता था।
1960 का समय लता जी के लिये सफलताओ से भरा हुआ था, इस समय में उन्होंने “प्यार किया तो डरना क्या”, “अजीब दासता है ये” जैसे कई सुपरहिट गाने गाए। 1960 के साल को सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और लता जी के संबंध के लिये भी जाना जाता था जिसके बाद लता जी ने तक़रीबन 35 साल के अपने लंबे करियर में 700 से भी ज्यादा गाने गाए।
इसके बाद मंगेशकर की सफलता और आवाज़ का जादू 1970 और 1980 के दशक में भी चलता गया। इस दौर में उनके किशोर कुमार के साथ गाए ड्यूएट बहुत पसंद किए गए। कुछ गाने जैसे कि “कोरा कागज़” (1969), ”आंधी” फिल्म का तेरे बिना जिंदगी से (1971), अभिमान फिल्म का “तेरे मेरे मिलन की” (1973), घर का आप की आँखों में कुछ” (1978) ये वो गाने हैं, जिन्हें सुनकर आज भी मन को सुकून मिलता है।
ये लता जी के एवरग्रीन गाने हैं। इसके अलावा लता जी ने कुछ धार्मिक गीत भी गाए थे। इस समय उन्होंने अपनी सुरमयी आवाज़ की बदौलत अपनी पहचान पुरे विश्व में बना ली थी। साल 1980 में महानगायिका लता जी ने सचिन बर्मन के बेटे राहुल देव बर्मन के साथ और आर.डी.बर्मन के साथ काम किया था।
आपको बता दें कि आर.डी.बर्मन, लता जी की छोटी बहन और हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर पार्श्वगायिका आशा भोंसले जी के पति हैं। उन्होंने लता जी के साथ अगर तुम ना होते का “हमें और जीने की, रॉकी का “क्या यही प्यार हैं”,मासूम में “तुझसे नाराज नहीं जिंदगी” आदि गाने गए।
इसके कुछ सालों बाद धीरे-धीरे लता जी का स्वास्थ्य खराब होता गया और फिर उन्होंने कुछ चुंनिदा गानों में ही अपनी आवाज देनी शुरु कर दी, लता जी ने अपने करियर में न सिर्फ फिल्मों के लिए गीत गाए बल्कि कई म्यूजिक एल्बम भी लॉन्च किए थे। साल 1990 में बॉलीवुड में बहुत से नये महिला गायकों ने प्रवेश किया लेकिन जिनके कंठ में स्वयं सरस्वती विराजमान है उन्हें भला कौन पीछे छोड़ सकता है।
इस समय भी लता की सफलता का दीया जलता रहा। और आज के समय में भी लोग लता जी से उतना ही प्यार करते है जितना 70, 80 और 90 के दशक में करते थे।
लता जी के गाये यादगार गीतों में कुछ फिल्मों के नाम विशेष उल्लेखनीय है – अनारकली, मुगले आजम अमर प्रेम, गाइड, आशा, प्रेमरोग, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्आ दी. वहीं नए फिल्मों में भी उनकी आवाज पहले की तरह न केवल सुरीली है, बल्कि उसमे और भी निखार आ गया है, जैसे हिना, रामलखन, आदी में।
एक समय उनके गीत ‘बरसात’, ‘नागिन’, एवं ‘पाकीजा’ जैसी फिल्मों में भी काफी चले थे। उन्होंने 30,000 से अधिक गाने गाये है तथा सभी भारतीय भाषाओ में गाने का उनका एक कीर्तिमान भी है।
लता मंगेशकर पुरस्कार – Lata Mangeshkar Awards
लता मंगेशकर ने न केवल कई गीतकारो एवं संगीतकारों को सफल बनाया है, बल्कि उनके सुरीले गायन कारण ही कई फिल्में लोकप्रिय सिद्ध हुई है। लता मंगेशकर जी को अपने करियर में कई बहुत से बड़े औऱ राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त कर चुकी हैं, जिनमें भारत के सर्वोच्च पुरस्कारों में शामिल पद्मश्री और भारत रत्न भी शुमार है।
इसके अलावा लता जी को गायन के लिए 1958, 1960, 1965,एवं 1969 में फिल्म फेयर अवॉर्ड भी प्राप्त हुए हैं। ‘गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ की तरफ से भी उनका विशेष सम्मान किया जा चुका है। मध्यप्रदेश शासन की तरफ से उनके नाम हर साल 1 लाख रूपये का पारितोषिक दिया जाता है। 1989 में लताजी को ‘दादा साहब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
लता जी को मिले पुरस्कार इस प्रकार हैं –
- फिल्म फेयर अवॉर्ड – पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
- नेशनल फिल्म अवॉर्ड (1972, 1974 और 1990)
- महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और1967)
- 1969 – पद्म भूषण
- 1974 – दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
- 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
- 1993 – फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 1997 – राजीव गांधी पुरस्कार
- 1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार
- 1999 – पद्म विभूषण
- 1999 – ज़ी सिने का का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”
- 2001 – नूरजहाँ पुरस्कार
- 2001 – महाराष्ट्र भूषण
- 2008 _ लता जी को भारत के 60वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ”वन टाइम अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट” से भी नवाजा गया था।
भारत रत्न लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और सम्माननीय महागायिका है जिनका दशको का करियर कई उपलब्धियों से भरा हुआ है। लता जी ने अपनी आवाज़ से 7 दशकों से भी ज्यादा समय तक संगीत की दुनिया को अपने मधुर सुरों से नवाजा है। भारत की ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर ने बहुत सी भाषाओ में हजारो गाने गाए है।
उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आये तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी ने आज भी स्वयं को पूरी तरह संगीत के लिये समर्पित करके रखा है। लता जी एक लीजेंड है, जिन पर हर भारतवासी गर्व करता है।
लता जी के और नये गाने सुनने के लिये हम सभी बेकरार है और उम्मीद करते है की जल्द ही हमें उनका कोई नया गाना सुनने को मिलेंगा। लता मंगेशकर दुनिया की एक ऐसी कलाकार है, जिनके जैसा न कोई पहले हुआ है और न संभवतः हो सकेगा।
5 thoughts on “लता मंगेशकर जीवन परिचय | Lata Mangeshkar Biography in Hindi”
it is brilliant article on lata mangeshkar 1 it is all information of lata mangeshkar
The great singer on the earth. The real swar Kokila . The real gem of Bharat.
लता जी के बारे में जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है उन्हें स्वर कोकिला ऐसे ही नहीं कहा जाता था उनका एक गाना Kabhi Khushi Kabhie Gham का मेरे दिल के सबसे करीब है LATA MANGESKAR G YOU ARE A GREAT SINGER. I LOVE YOU …….. SO MUCH….
लता जी के बारे में जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है उन्हें स्वर कोकिला ऐसे ही नहीं कहा जाता था उनका एक गाना Kabhi Khushi Kabhie Gham का मेरे दिल के सबसे करीब है
Best knowledge.
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Lata Mangeshkar Biography In Hindi – लता मंगेशकर की जीवनी
नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Lata Mangeshkar Biography In Hindi में भारत की स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का जीवन परिचय देने वाले है।
सुर-साधिका, सरस्वती की वरद् पुत्री, कोकिल कण्ठी सुश्री लता मंगेशकर भारत की सर्वश्रेष्ठ फिल्मी पार्श्व गायिका हैं । शताब्दी की सर्वश्रेष्ठ गायिका लता का गायन भारत के लिए ही नहीं, वरन् विश्व के लिए भी विस्मित कर देने वाला है । स्वर कोकिला लता मंगेशकर का एक-एक गीत सम्पूर्ण कलाकृति होता है। आज lata mangeshkar husband ,lata mangeshkar birthday और lata mangeshkar tamil songs से सम्बंधित सभी बाते बताने वाले है। स्वर, लय और शब्दार्थ का एक ऐसा त्रिवेणी नाद सौन्दर्य उनकी सुर लहरियों में समाया होता है कि कानों में पड़ते ही मधुरता एवं मादकता की अनुभूति दिल की गहराइयों में उतरने लगती है ।
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The Life Story of Famous People in Hindi
Lata Mangeshkar Short Biography in Hindi – लता मंगेशकर जी की जीवनी हिंदी में
Lata Mangeshkar Short Biography in Hindi – लता मंगेशकर जी की जीवनी हिंदी में आज हम आपको लता मंगेशकर जी के बारे में शॉर्ट में बायोग्राफी बताएँगे। हम लोग जानते है की, लता मंगेशकर जी ने भारत रत्न सहित कई पुरस्कार और सम्मान जीते हैं। लता मंगेशकर जी भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका हैं। उन्होंने तीस से भी अधिक भाषाओं में गाना गाया है।
लताजी का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। वह उनके पिता की सबसे बड़ी बेटी है। उनके पिता एक कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना।
फिल्मो में गाने की शुरुवात उनको फिल्म “महल” से शुरू हुई। 1949 में लताजी को फिल्म में गाने का मौका मिला। उस फिल्म का नाम है “महल” और गीत “आयेगा आनेवाला” है। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
Lata Mangeshkar Short Biography in Hindi
लता मंगेशकर पुरस्कार – Lata Mangeshkar Awards
लता मंगेशकर जी ने न केवल कई गीतकारों और संगीतकारों को सफल बनाया है, बल्कि उनकी मधुर गायन के कारण उनकी फिल्में लोकप्रिय साबित हुई हैं। लता मंगेशकर जी को अपने करियर में कई बड़े और राष्ट्रीय सम्मान भी मिल चुके हैं, जिनमें “ पद्म श्री “और “ भारत रत्न ” भारत के सर्वोच्च पुरस्कार भी शामिल हैं।
इसके अलावा, लता को 1958, 1960, 1965, और 1969 में गायन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिले। उन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया है। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से हर साल 1 लाख रुपये का इनाम दिया जाता है। 1989 में, लताजी को ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
लता जी को दिए गए पुरस्कार इस प्रकार हैं
भारत रत्न लता मंगेशकर जी भारत की सबसे लोकप्रिय और सम्माननीय महागायिका है जिनका दशको का करियर कई उपलब्धियों से भरा हुआ है। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आये तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी ने आज भी स्वयं को पूरी तरह संगीत के लिये समर्पित करके रखा है। लता जी एक लीजेंड है, जिन पर हर भारतवासी गर्व करता है।
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लता मंगेशकर – lata mangeshkar ki jivani in hindi
By: Sakshi Pandey
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50 को दशक को फिल्म इंडस्ट्री का स्वर्ण काल कहा जाता है। जहां एक तरफ बड़े पर्दे पर कई अनोखे बदलावों का आगाज हो रहा था, वहीं इसी दौरान फिल्म जगत से एक ऐसी आवाज रुबरु हो रही थी, जिसके तरानों ने सीधा लोगों के दिलों पर दस्तक दी। नतीजतन बेहद कम समय में यही आवाज समूचे हिन्दुस्तान की शान बन गई और वो आवाज थी, पिछले 71 सालों में 27,000 से ज्यादा सुपरहिट गाने देकर संगीत जगत पर राज करने वाली मेलोडि क्वीन लता मंगेशकर की। (lata mangeshkar biography )
यहाँ पढ़ें : वेंकैया नायडू जीवनी
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर 1929 (lata mangeshkar birthday) को मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में हुआ था।लता के पिता दीनानाथ मंगेशकर एक मराठी गायक थे, वहीं लता की माता शिवांती मंगेशकर गुजराती परिवार से ताल्लुक रखती थीं।
दरअसल मंगेशकर परिवार का उपनाम हरदिकार था, वहीं गोवा के मंगेशी गांव में रहने के चलते उन्होंने अपने परिवार का उपनाम बदल कर मंगेशकर कर लिया।
लता अपने पांच भाई-बहनों मीना, आशा, ऊषा और हृदयनाथ में सबसे बड़ी बहन हैं। वहीं लता सहित उनके सभी भाई-बहन संगीत जगत की जानी-मानी शख्सियत हैं।
लता मंगेशकर के नाम से समूची दुनिया में मशहूर लता के बचपन का नाम हेमा मंगेशकर था। बेहद कम उम्र में ही लता का नाता संगीत और अभिनय की दुनिया से जुड़ गया। लता ने पांच साल की उम्र में अपने पिता के निर्देशन में बने नाटक ‘भावबंधन’ में लतिका नामक अभिनेत्री का मुख्य किरदार निभाया था। जिसके चलते लता के पिता ने उनका नाम हेमा से बदलकर लता रख दिया।
यहाँ पढ़ें : mamata banerjee biography in Hindi
संगीत के क्षेत्र से रुबरु होने का जिक्र करते हुए लता मंगेशकर अपने एक इंटरव्यू में बताती हैं कि, एक दफा पिता जी अपने एक शाहगिर्द को राग पर अभ्यास करने का निर्देश देकर किसी काम में व्यस्त हो गए। मैं वहीं पास में ही खेल रही थी। तभी मैंने शाहगिर्द को गलत अभ्यास करते देखा और मैंने उसे सुधारने की कोशिश की। जब पिता जी लौटे तो वो मुझे राग बनाते देखकर हैरान रह गए और उसी वक्त उन्होंने अपनी बेटी में ही एक शाहगिर्द को पाया।
लता बताती हैं कि, उस रोज जब पिता जी घर पहुंचे तो उन्होंने मां से अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा कि –‘हमारे घर में ही एक बेहतरीन गायक मौजूद हैं और हम इस बात से अब तक अनजान थे।’
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संगीत के क्षेत्र में अपनी आवाज को आकार देने की जद्दोजहद में जुटीं लता को सबसे बड़ा झटका उस वक्त लगा जब 1942 में उनके पिता ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
13 वर्षीय लता के सर से पिता का साया हटने के बाद मंगेशकर परिवार के करीबी विनायक दामोदर कर्नाटकी (मास्टर विनायक) ने लता के परिवार का हाथ थामा। नवयुग चित्रापट फिल्म कपंनी के मालिक मास्टर विनायक ने संगीत और अभिनय के क्षेत्र से लता का परिचय कराया।
लता मंगेशकर ने 1942 में नवयुग चित्रापट की फिल्म ‘पहिली मंगाला गौर’ में एक छोटी सी भूमिका अदा की। इस फिल्म में उन्होंने ‘नताली चित्राची नवालाई’ नाम के मराठी गाने में अपनी आवाज दी।
हालांकि लता ने अपना पहला हिन्दी गाना ‘माता एक सपूत की किस्मत बदल तू’ साल 1943 में रिलीज हुई मराठी फिल्म गाजाभाऊ में गाया था।
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साल 1945 में मास्टर विनायक की कंपनी का मुख्यालय मुंबई स्थांतारित होने के कारण लता ने मायानगरी का रुख करने का फैसला किया। मुंबई में लता मंगेशकर भिंडी बाजार से ताल्लुक रखने वाले उस्ताद अमन अली खान से संगीत के गुर सीखने के लिएहिन्दुस्तान क्लासिकल म्यूजिक का हिस्सा बनीं।
इसी कड़ी में लता ने 1946 में रिलीज हुई फिल्म ‘आपकी सेवा में’ के गाने ‘पा लगूं कर जोरी’ गाया। वहीं लता ने ‘माता तेरे चरणों में’ नाम के पहले भजन में भी अपनी आवाज दी।
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साल 1948 में लता के बेहद करीब रहे मास्टर विनायक की मृत्यु हो गई। जिसके बाद गुलाम हैदर ने लता के मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। उस दौर का जिक्र करते हुए लता बताती हैं कि, गुलाम साहब ने मुझे निर्माता शशाधार मुखर्जी से मिलवाया और उनकी आगामी फिल्म शहीद में मेरी आवाज देने की बात कही।
हालांकि मुखर्जी ने बहुत पतली आवाज होने के कारण इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया। जिसके बाद गुलाम साहब गुस्सा हो गए और उन्होंने कहा कि ‘एक दिन सभी निर्माता निर्देशक लता की आवाज के कायल होंगे।’
साल 2013 में अपने 84वें जन्मदिन के मौके पर गुलाम साहब के बारे में बात करते हुए लता कहती हैं कि, “गुलाम हैदर सचमुच मेरे भगवान हैं, वह पहले ऐसे संगीत निर्देशक हैं जिन्हें मेरी आवाज पर मुझसे भी ज्यादा भरोसा था।”
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आखिरकार गुलाम हैदर का विश्वास सच साबित हुआ और 1949 में रिलीज हुई फिल्म महल में लता की आवाज ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
खेमचंद प्रकाश और मधुबाला की जोड़ी और लताकी आवाज ने फिल्म महल के गाने ‘आएगा आनेवाला’ को सुपरहिट कर दिया और इसी के साथ संगीत जगत में लता मंगेशकर एक नया चेहरा बन कर उभरीं।
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50 के दशक में लता मंगेशकर ने बड़ी बहन (1950), मीना बाजार (1950), अफसाना (1951), उड़न खटोला (1955), श्री 420 (1955), देवदास (1955), मदर टेरेसा (1957), अदालत (1958) सहित कई सुपरहिट फिल्मों के गानों में अपनी आवाज दी।
1958 में रिलीज हुई फिल्म ‘मधुमती’ के गाने ‘आजा रे परदेसी’ के लिए लता मंगेशकर को फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
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60 के दशक को फिल्म इंडस्ट्री का स्वर्ण काल (golden era)माना जाता है। जहां एक तरफ बॉलीवुड में कई फिल्में लगातार बड़े पर्दे पर हिट हो रहीं थीं, वहीं ज्यादातर फिल्मों की सफलता में लता की आवाज ने चार-चांद लगा दिए थे।
दशक की शुरुआत ब्लॉकबस्टर फिल्म मुगल-ए-आजम (1960) के साथ हुई। इस फिल्म में लता की आवाज ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’और मधाबाला की अदाकारी ने सीधा दर्शकों के दिल पर दस्तक दी।
वहीं इसी साल रिलीज हुई फिल्म हवांईयां में मीना कुमारी पर फिल्माया गाना ‘अजीब दास्तां है ये’ न सिर्फ सुपरहिट हुआ बल्कि इस गाने का नाम लता मंगेशकर के एवरग्रीन गानों (latamangeshkar evergreen songs) की फेहरिस्त में भी शुमार हो गया।
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60 का दशक न सिर्फ लता के लिए बल्कि देश के लिए खासा अहम रहा। एक तरफ जहां लता सफलता की ऊंचाइयां छूने की कोशिशों में मशगूल थीं, वहीं देश को दशक की शुरुआत में ही सरहद पर शिकस्त का सामना करना पड़ा।
दरअसल 1962 में भारत-चीन युद्ध में चीन का पलड़ा भारी था। इसी कड़ी में भारत न सिर्फ ये युद्ध हार गया बल्कि देश ने अपने कई शौर्यवीरों को भी हमेशा के लिए खो दिया था।
इसी दौरान देश में फैली शोक की लहर के बीच लता के द्वारा गाया गाना ‘ए मेरे वतन के लोगों’ ने मरहम का काम किया। यही नहीं तात्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने अपने एक साक्षात्कार में बताया कि उस दौरान लता की आवाज सुनकर उनकी आंखों से आंसू बहने लगे।
महज एक दशक पहले बॉलीवुड में अपनी पहचान तराश रहीं लता मंगेशकर 60 के दशक के अंत तक फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर हस्ती बन गई थीं।
1962 में लता मंगेशकर को फिल्म ‘बीस साल बाद’ के गाने ‘कहीं दीप जले कहीं दिल’ के लिए उन्हें दूसरे फिल्म फेयर आवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वहीं लता बैक टू बैक सुपरहिट गाने देकर बी-टाउन की मेलोडि क्वीन बन गईं।
इस दौरान उन्होंने ‘आपकी नजरों ने समझा’, ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’, ‘गाता रहे मेरा दिल’, ‘पिया तोसे’, ‘होठों पे ऐसी बात’, ‘नेना बरसे रिमझिम’, ‘लग जा गले’ सहित कई ब्लॉकबस्टर गानों में अपनी आवाज दी।
इसी कड़ी में लता ने फिल्म इंडस्ट्री के कई मशहूर सिंगरों मसलन मोहम्मद रफी (lata mangeshkar and mohammadrafi) , किशोर कुमार, मंहेद्र कपूर और मुकेश के साथ भी गाने रिकॉर्ड किए। वहीं उन्होंने कई मराठी और बंगाली गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा।
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70 के दशक तक लता की आवाज का जादू इस कदर परवान चढ़ चुका था कि उनका गाना हर सुपरहिट फिल्म की पहचान बन गया। 1972 में रिलीज हुई फिल्म पाकीजा मशहूर अदाकारा मीना कुमारी की आखिरी फिल्म थी। इस फिल्म में मीना कुमारी के किरदार पर लता की आवाज में गाया गाना ‘चलते-चलते’ और ‘इन्हीं लोगों ने’दर्शकों की जमकर सराहना बटोरी।
इसके अलावा लता मंगेशकर ने प्रेम पुजारी (1970), अभिमान (1973), दस्तक (1970), हीर रांझा (1970), दिल की राहें (1973), हिंन्दुस्तान की कसम (1973), हसंते जखम (1973), मौसम (1975), लैला मजनू (1976), कारवाँ (1971), कटी पतंग (1971), आंधी (1975) जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में अपने हुनर का जादू बिखेरा।
इसी सिलसिले में 1973 में लता मंगेशकर को फिल्म ‘परिचय’ के गाने ‘बेटी न बिताई’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म फेयर के खिताब से नवाजा गया। वहीं लता को फिल्म ‘कोरा कागज’ के गाने ‘रुठे-रुठे पिया’ के लिए राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
वहीं 1978 में राज कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म सत्यम् शिवम् सुंदरम् के टाइटल सांग में लता की अवाज को लोगों का भरपूर प्यार मिला। नतीजतन ये साल का सबसे हिट गाना साबित हुआ।
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80 के दशक तक लता मंगेशकर की आवाज लगभग हर सुपरहिट फिल्म की मांग बन चुकी थी। इस दौर में लता ने सिलसिला (1981), चांदनी (1989), बेजुबान (1982), मैंने प्यार किया (1989), कर्ज (1980), एक दूजे के लिए (1981), प्रेम रोग (1982), राम तेरी गंगा मैली (1985), नगीना (1986), राम लखन (1989), संजोग (1985) जैसी दशक की ज्यादातर सुपरहिट हिन्दी फिल्मों में अपनी आवाज दी।
इसके अलावा लता के द्वारा गाया गाना आज भी लोगों के जहन में जिंदा है। मसलन इस फेहरिस्त में ‘शीशा हो या दिल हो’, ‘मेरे नसीब में’, ‘जिंदगी कीन टूटे’, ‘सोलह बरस की’, ‘ये गलियां ये चौबारा’, ‘दिन महीने साल’, ‘यशोदा का नन्दलाला’, ‘उंगली में अंगूठी’, ‘ओ राम जी तेरे लखन ने’, ‘बिंदिया तरसे’, ‘क्या यही प्यार है’, ‘देखा मैंने देखा’, ‘तुझ संग प्रीत’, ‘थोड़ा रेशम लगता है’, ‘नेनों में सपना’, ‘जिंदगी प्यार का’, ‘साजन मेरा उस पार है’ जैसे एवरग्रीन गाने शामिल हैं।
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90 के दशक में लता मंगेशकर ने आनन्द मिलिंद, अनु मलिक, उत्तम सिंह, जतिन ललित, नदीम श्रवण जैसे कई मशहूर संगीत निर्माताओं के साथ काम किया। वहीं लता ने जगजीत सिंह के साथ कई गजलें भी गायीं। (lata mangesh karghazal)
लता ने उस दौर के जाने-माने गायकों कुमार सानू, एस.पी.बालसुब्रमण्यम्, उदित नारायण (lata mangeshkar uditnarayan) , मोहम्मद अजीज, अभिजीत भट्टाचार्य, रूप कुमार राठौड़, विनेद राठौड़, सोनू निगम के साथ भी मंच साझ किया।
वहीं 90 के दशक में यशराज फिल्म के बैनर तले बनी चांदनी (1989), लम्हे (1991), डर (1993), ये दिल्लगी (1994), दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे (1995), दिल तो पागल है (1997), मोहब्बतें (2000), मुझसे दोस्ती करोगी (2002), वीर जारा (2004) जैसी ज्यादातर ब्लॉकबस्टर फिल्मों में कई सुपरहिट गाने दिए।
इसके अलावा लता ने इस दशक की फिल्में मसलन पत्थर के फूल (1991), महबूब मेरे (1992), सातवां आसमान (1992), दिल की बाजी (1993), अंतिम न्याय(1993), हम आपके हैं कौन (1994), मेघा (1996), रंग दे बसंती सहित कई फिल्मों में गीत गाए। Lata Mangeshkar Biography in Hindi
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90 के दशक के अंत तक लता ने संगीत से सियासत तक का सफर तय कर लिया था। दरअसल साल 1999 में लता को राज्यसभा सदस्य चुना गया।
हालांकि इस दौरान संसद के किसी सत्र में हिस्सा न लेने के चलते ससंद के सदस्यों नजमा, प्रणब मुखर्जी और शबाना आजमीं ने लता की जमकर आलोचना भी की।
वहीं लता ने सत्र में हिस्सा न लेने की वजह अपनी खराब सेहत को बताया और इसी के साथ लता ने संसद का सदस्य होने के नाते दिल्ली में सरकार की तरफ से मिले घर और तनख्वा को भी लेने से इंकार कर दिया।
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पिछले कई दशकों से संगीत जगत में अपने सुरों का जादू बिखेर देश –विदेश की मशहूर शख्सियत बन चुकीं लता मंगेशकर को साल 2000 में भारत सरकार द्वारा देश के सबसे अहम सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।
71 सालों तक सुरों की मलिका के रूप में संगीत जगत पर राज करने वाली लता मंगेशकर वर्तमान में भी सिंगिग के क्षेत्र में एक्टिव हैं। 27,000 से ज्यादा गानों में अपनी आवाज दे चुकीं लता ने अपना आखिरी गाना ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की’ साल 2019 में रिलीज किया था। (lata mangeshkar latest songs) इसके अलावा लता मंगेशकर बतौर निर्माता चार फिल्मों – वाडाल (मराठी), कंचन गंगा (हिन्दी), लेकिन (हिन्दी), झांझर (हिन्दी) से जुड़ी रहीं। Lata Mangeshkar Biography in Hindi
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इसके अलावा ऑउटलुक इंडिया नामक पत्रिका ने लता मंगेशकर को महान भारतीयों की सूची में 10वां स्थान दिया था। वहीं मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार भी लता की कला के कुछ इस कदर कायल हुए कि उन्होंने लता के हुनर को कुदरत का करिशमा करार दिया।
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Reference- 3 March 2021, Lata Mangeshkar Biography in Hindi , wikipedia
I am enthusiastic and determinant. I had Completed my schooling from Lucknow itself and done graduation or diploma in mass communication from AAFT university at Noida. A Journalist by profession and passionate about writing. Hindi content Writer and Blogger like to write on Politics, Travel, Entertainment, Historical events and cultural niche. Also have interest in Soft story writing.
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लता मंगेशकर जीवन परिचय | Lata Mangeshkar Biography in Hindi
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Lata Mangeshkar Death Anniversary – लता मंगेशकर की 8 जनवरी को तबियत ख़राब हो गई थी, जब ब्रिज कैंडी अस्पताल में भर्ती किया तो जाँच में पता चला की वो कोरोना पॉजिटिव थी. कोरोना के साथ साथ उनकी निमोनिया भी हो गया था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इस जंग से लड़ती रही। और ICU में डॉक्टर की निगरानी में रही, उनकी सेहत में दिन प्रतिदिन सुधार भी हो रहा था और ऑक्सीजन भी कंट्रोल में था। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था दिनांक 06 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रिज कैंडी अस्पताल में आखिरी साँस ली और भारत रत्न से सम्मानित सुरो की सरताज लता मंगेशकर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
संगीत की दुनिया में बहुत कम ही संगीतकार हुए हैं जिन्होंने अपनी कला से इतना गहरा छाप छोड़ा है जिसे सदियों गुजर जाने के बाद भी याद किया जाएगा। ऐसी ही एक कलाकार है भारत रत्न सुश्री लता मंगेशकर जी। करीब 70 दशकों तक अपनी शक्कर सी मीठी आवाज से न सिर्फ भारतीय बल्कि पूरी दुनिया के लोगों को संगीत के उस मधुर अनुभव का एहसास कराया जो आज बहुत कम मिलता है। इनकी इसी खूबी के चलते स्वर कोकिला का उपनाम भी दिया गया, हालांकि इनकी कला के सामने कोई भी उपाधि छोटी ही प्रतीत होगी। तो आज हम स्वर कोकिला लता मंगेशकर जीवन परिचय (Lata Mangeshkar Biography in Hindi) लेकर आए हैं जिसमें इनके जीवन से जुड़े कई पहलुओं के बारे में जानेंगे।
Table of Contents
लता मंगेशकर जीवन परिचय (Lata Mangeshkar Biography in Hindi)
लता मंगेशकर का जन्म और परिवार (lata mangeshkar birth and family).
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। इनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर और माता का नाम शेवंती मंगेशकर था। लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ भी कला के क्षेत्र से ही जुड़े हुए थे। वह मराठी संगीत, शास्त्रीय संगीत और एक थिएटर एक्टर भी थे. लता मंगेशकर कुल चार बहनें और एक भाई थे। इन सभी में लता मंगेशकर सबसे बड़ी थी। इनकी तीन बहने मीना, आशा और उषा थी। इनके भाई का नाम हृदयनाथ था.
लता मंगेशकर शिक्षा ( Lata Mangeshkar Education)
वैसे तो लता मंगेशकर के कंठ में खुद सरस्वती का निवास है लेकिन उन्हें यह सरस्वती विद्यालय में नहीं बल्कि अपनी कला के माध्यम से प्राप्त हुई है क्योंकि लता मंगेशकर ने पढ़ाई की ही नहीं है। असल में जब उन्हें पहले दिन विद्यालय भेजा गया तो वहां पर एक शिक्षक के साथ मामूली विवाद हो गया। विवाद का विषय कुछ ऐसा था कि आशा को शिक्षक कक्षा में नहीं बैठा रहे थे, जिसके बाद लता मंगेशकर को बीच में बोलना पड़ा। इस घटना का असर लता मंगेशकर के ह्रदय में हुआ और फिर कभी दोबारा विद्यालय जाने की उन्होंने इच्छा भी नहीं जाहिर की।
लता मंगेशकर का करियर ( Lata Mangeshkar Career)
लता मंगेशकर का नाम जब भी हम सुनते हैं तो सबसे पहला एहसास जो हमारे दिमाग में आता है वह संगीत है। हम किसी और रूप में लता मंगेशकर को देख ही नहीं सकते क्योंकि लता मंगेशकर और संगीत का नाता कुछ ऐसा है जैसे एक मां और बच्चे का कि इन दोनों को एक दूसरे के बिना कोई वजूद ही नहीं है. लेकिन आपको यह जानकर थोड़ा आश्चर्य होगा कि शुरुआत में लता मंगेशकर अभिनय क्षेत्र में ज्यादा एक्टिव थी। 5 वर्ष की उम्र में ही अपने पिताजी के थिएटर में काम करना शुरू कर दिया था। लता मंगेशकर के पिता संगीत में भी काफी अच्छे थे इसलिए खुद वह लता मंगेशकर को संगीत की भी शिक्षा दिया करते थे।
लता जी जब 13 वर्ष की थी तभी उनके सर से पिता का हाथ उठ गया। पिता का देहांत होने के बाद लता मंगेशकर के ऊपर अपने परिवार की जिम्मेदारी आ गई क्योंकि वह घर की सबसे बड़ी बेटी थी इसलिए उन्हें ज्यादा जिम्मेदार बनना पड़ा। मास्टर विनायक जोकि चित्रपट मूवी कंपनी के मालिक थे उन्होंने लता मंगेशकर की काफी मदद की। परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, जिस से बाहर निकालने के लिए लता जी ने मंगलागौर, माझे बाल, जीवनयात्रा, गजभाऊ, बड़ी मां जैसे कुछ मराठी फिल्मों में अभिनय किया। इसे लता जी की आर्थिक स्थिति तो थोड़ी बेहतर हुई पर उनकी प्राथमिकता अभिनय नहीं थी।
संगीत उनकी हृदय के ज्यादा करीब था और वो एक संगीतकार बनना चाहती थी। हालांकि यहीं से लता मंगेशकर ने अपना करियर एक संगीतकार के रूप में शुरू कर दिया। 1942 में आई फिल्म मंगला गौर में लता मंगेशकर ने पहली बार अपनी आवाज दी।
लता मंगेशकर का फ़िल्मी करियर (Lata Mangeshkar Film Career)
लता मंगेशकर ने वैसे तो 36 भाषाओं में गाने गाए है लेकिन हिंदी और मराठी उनके दिल के सबसे करीब थी। इसीलिए काम पाने के लिए वह मुंबई चली गई। यहां पर उन्होंने अमर अली खान को अपना गुरु बनाया। यह भिंडीबाजार घराना के उस्ताद थे, यहीं पर लता जी ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा हासिल की। लता जी के करियर में एक और उपलब्धि तब जुड़ गई जब ‘बड़ी मां’ फिल्म में उनका गाना ‘माता तेरे चरणों’ में आया. 1946 में एक और फिल्म है जिसका नाम था ‘आपकी सेवा में’ में लता जी के द्वारा गाया गाना ‘पा लागूं कर जोरी’ काफी हिट हुआ और यहीं से अन्य संगीत निर्देशकों की नजर में लता जी की कला पहली बार सामने आएगी।
1949 लता मंगेशकर के कैरियर में एक बड़ा माइलस्टोन था। इसी वर्ष फिल्म ‘महल’ रिलीज हुई थी जिसमें मधुबाला अभिनय कर रही थी। खेम चंद्र प्रकाश जो कि एक संगीत निर्देशक थे, उन्होंने लता मंगेशकर जी से इस फिल्म का एक गाना गवाया था, जिसका नाम था ‘आएगा आने वाला’. आप भी एक बार इस गाने को जरुर सुनिएगा। यह गाना इतना बेहतर तरीके से गाया गया था कि आज भी यदि इसे सुना जाए तो बिल्कुल सजीव लगता है। यहीं से लता मंगेशकर ने भारतीय फिल्म संगीत जगत में अपनी मजबूत पहचान बना ली थी।
लता मंगेशकर के 1950 – 1970 की फेमस गाने (Lata Mangeshkar 1950 – 1970 hit Songs)
लता जी की प्रतिस्पर्धा नूरजहां और शमशाद बेगम जैसी गायिका से थी जो लता मंगेशकर के पहले से बॉलीवुड में गा रही थी, लेकिन लता जी ने अपनी गायकी की एक अलग पहचान बनाई, जिसका नतीजा यह हुआ कि 1950 के बाद बहुत कम ही ऐसी फिल्में आई हैं, जिसमें लता जी का कोई गाना नहीं था। इनका एकछत्र राज म्यूजिक इंडस्ट्री में था। बड़े से बड़े फिल्म कलाकार यह चाहते थे कि लता जी उनके फिल्म में गाना गाए, क्योंकि लता जी के गाने का मतलब है कि फिल्म हिट होने की संभावना बढ़ जाएगी।
लता मंगेशकर जी के द्वारा गाया हुआ गाना ‘ ऐ मेरे वतन के लोगों ‘ सीधे हमारी रूह को छूता है. इस गाने को सुनते ही हम देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो जाते हैं। ऐसा ही पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ हुआ जब उन्होंने लता मंगेशकर को लाइव यह गाना गाते हुए सुना। इसे सुनते ही वो इतने भावुक हो गए कि अपने आंसुओं को भी नहीं रोक सके। यह उदाहरण है लता मंगेशकर की गायकी और स्वर का जो सीधे हमारी भावनाओं को छूती है।
- चाचा जिंदाबाद
- आए दिन बहार के
- मेरे हमदम मेरे दोस्त
- रेलवे प्लेटफॉर्म
- बीस साल बाद
- दिल अपना और प्रीत पराई
- बरसात राम लखन
- मैंने प्यार किया
- राम तेरी गंगा मैली
लता मंगेशकर के 10 की फेमस गाने ( Lata Mangeshkar hit Songs)
- आएगा आएगा आएगा आने वाला
- लग जा गले की फिर
- ऐ मालिक तेरे बंदे हम
- प्यार किया तो डरना क्या
- ये मेरे वतन के लोगो
- मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियाँ है
- आप की नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे
- तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं
- ये जिंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया
- हाय-हाय ये मजबूरी
- ये मौसम और ये दूरी
लता मंगेशकर के 1990 की फेमस गाने ( Lata Mangeshkar 1990 hit Songs)
जो कारवाँ 1940 से शुरू हुआ था वह लगातार 1990 तक चलता रहा। लता जी इस समय अवधि में पूरी क्षमता के साथ संगीत की सेवा करती रही, लेकिन 90 के दशक के बाद संगीत में भी बहुत बदलाव आया, जो लता जी के स्तर से काफी नीचे था। लता जी एक विशुद्ध गायिका है और इस दशक के गानों में गायकी, राग, स्वर आदि पर इतना जोर नही रहता था, गीत की धुन और लिरिक्स भी पहले के जैसे नही लिखी जाती थी। लता जी हालांकि कहती थी कि यदि किसी अच्छे गाने के लिए किसी ने मुझे पेशकश की तो वो जरूर गायेगी।
- दिल वाले दुलहनिया ले जायेंगे
- दिल तो पागल है
- हम आपके है कौन
लता मंगेशकर को मिले अवार्ड ( Lata Mangeshkar Singing Awards)
लता जी को इतने सम्मान पुरुस्कार मिले है कि उन्हें कई बार तो खुद मना करना पड़ा कि उनकी जगह किसी नए कलाकार को वह देना चाहिए। 1970 में ऐसा ही कुछ फिल्मफेयर के दौरान घटा था।
मुख्य पुरुस्कार
- 1969 में पद्म भूषण
- 1989 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार
- 1999 में पद्म विभूषण
- 2001 में भारत रत्न
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरुस्कार
- 1972 – फिल्म परी के लिए
- 1974 – फ़िल्म कोरा कागज़ के लिए
- 1990 – फिल्म लेकिन के लिए
फिल्मफेयर पुरुस्कार
- 1993 में फ़िल्मफ़ेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड.
- 1959 में आजा रे परदेसी के लिए
- 1963 में काहे दीप जले कही दिल के लिए
- 1966 में तुम मेरे मंदिर तुम मेरी पूजा के लिए
- 1970 में आप मुझसे अच्छे लगने लगे के लिए
- 1994 में दीदी तेरा देवर दीवाना
- 2004 में फ़िल्मफ़ेयर स्पेशल अवार्ड
इनके अलावा महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवार्ड्स भी लगातार कई वर्षों तक मिले है।
लता मंगेशकर का वैवाहिक जीवन (Lata Mangeshkar married life)
बचपन से ही पारिवारिक जिम्मेदारियों को उठाना कही न कही एक बड़ी वजह थी। लता जी को संगीत से भी काफी प्रेम है, यह भी वजह कही जा सकती है। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि संगीतकार सी. रामचंद्र ने लता के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था पर उन्होंने मना कर दिया। दूसरी तरफ यह भी कहा जाता है कि लता जी इन्हें पसंद भी करती थी लेकिन संगीतकार सी. रामचंद्र पहले से शादीशुदा थे इसलिए लता जी ने मना किया था।
निष्कर्ष – लता मंगेशकर का जीवन (Lata Mangeshkar Biography in Hindi) हम सबके लिए एक प्रेरणा है की कैसे मुश्किल परिस्थितियों के बाद भी अपने लक्ष्य को पाया जा सकता है। लता जी गीत इस दुनियां में सदियो तक गूंजते रहेंगे।
Q : लता मंगेशकर का असली नाम क्या है? Ans : हेमा मंगेशकर
Q : लता मंगेशकर की उम्र क्या है? Ans : 28 सितंबर 1929 (आयु 92 वर्ष)
Q : लता मंगेशकर का जन्मदिन कब है? Ans : 28 सितंबर को
Q : लता मंगेशकर का जन्म कब हुआ था? Ans : 28 सितंबर 1929 (आयु 92 वर्ष)
Q : लता मंगेशकर ने कितने गाने गाए? Ans : 30,000 से ज्यादा गाने गाए
Q : लता मंगेशकर की बहन का क्या नाम है? Ans : आशा भोसले
Q : क्या लता मंगेशकर जिंदा है? Ans : नहीं , लता मंगेशकर अभी जिंदा नही है।
Q : लता मंगेशकर का पहला गाना Ans : मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ का गाना कितना हसोगे
Q : लता मंगेशकर का सबसे आखिरी गाना कौन सा है? Ans : मराठी गाने ‘आता विसाव्याचे क्षण’
Q : लता मंगेशकर की मौत कब हुई ? Ans : लता मंगेशकर की मौत 06 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुई।
Q : लता मंगेशकर की मौत कैसे हुई ? Ans : लता मंगेशकर लम्बे समय से बीमार थी और बीमारी के चलते उनकी मौत हो गयी।
Q : लता मंगेशकर का निधन कब हुआ ? Ans : 06 फरवरी 2022 को
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Biography :
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Lata Mangeshkar Biography in Hindi | लता मंगेशकर जीवन परिचय
लता मंगेशकर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- क्या लता मंगेशकर धूम्रपान करती हैं ? नहीं
- क्या लता मंगेशकर शराब पीती हैं ? नहीं
- उनका जन्म इंदौर के एक मराठी भाषा बोलने वाले परिवार- दीनानाथ मंगेशकर और शेवंती (सुभामिता) के घर में हुआ, जो कि मध्य भारत (अब मध्य प्रदेश) का हिस्सा था।
- उनके पिता एक रंग मंच अभिनेता और शास्त्रीय गायक थे।
- उनकी मां, शेवंती मंगेशकर दीनानाथ की दूसरी पत्नी थीं।
- उनके पिता दीनानाथ ने अपना उपनाम हार्दिकर से बदल कर मंगेशकर रख लिया, क्योंकि वह अपने मूल निवास, जो कि गोवा में स्थिति एक छोटा सा क़स्बा मंगेशी था, को अपने परिवार के नाम के साथ जोडना चाहते थे।
- जब लता पैदा हुई तो उनका नाम हेमा रखा गया था, जिसे उनके माता-पिता ने बाद में बदल कर लता रख दिया, क्योंकि उनके पिता द्वारा नाटक “भावबन्धन” में एक महिला चरित्र का नाम लतिका था।
- वर्ष 1938 में, उनका पहला लोक नाटक नुतन थियेटर, सोलापुर में था, जहां उन्होंने राग खंबावती और 2 मराठी गाने गाए।
- 5 वर्ष की उम्र में ही लता ने अपने पिता द्वारा निर्देशित मराठी नाटकों में एक अभिनेत्री के तौर पर कार्य करना शुरू कर दिया था।
- वह केवल एक ही दिन के लिए स्कूल गई थी। ऐसा कहा जाता है कि स्कूल के पहले ही दिन अपनी छोटी बहन आशा को अपने साथ स्कूल ले गई थीं, और स्कूल के अन्य छात्राओं को संगीत सीखने लग गई। जब अध्यापकों ने लता को अपनी छोटी बहन को स्कूल लाने और छात्राओं को संगीत सीखने के लिए माना किया तो लता इतनी क्रोधित हुई की उन्होंने तत्काल स्कूल छोड़ दिया और फिर वापस स्कूल कभी नहीं गई।
- जब वह 13 साल की थी, तब 1942 में उनके पिता की हृदय रोग के कारण मृत्यु हो गई थीं, और उनके पिता की मृत्यु के बाद, मंगेशकर परिवार के सबसे करीबी दोस्त- मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने उनके परिवार की देखभाल की और उनकी मदद एक अभिनेत्री और गायक बनने के रूप में की।
- वर्ष 1942 में, उन्होंने अपना पहला गीत “नाचू या गडे,खेळू साड़ी मणि हाउस भारी” मराठी फिल्म “किती हसाल” के लिए गाया, हालांकि, बाद में इस गाने को अंतिम कट से हटा दिया गया था।
- वर्ष 1942 में, उन्होंने अपना पहला प्रदर्शित गीत ‘नताली चैत्राची नवालाई’ एक मराठी फिल्म ‘पहिली मंगलागौर’ में गाया था।
- वर्ष 1943 में, उन्होंने पहला हिंदी गीत- ‘माता, एक सपूत की दुनिया बदल दे तू’ मराठी फिल्म “गजाभाऊ” के लिए गाया था।
- वर्ष 1945 में, लता मुंबई स्थानांतरित हो गईं।
- उन्होंने मास्टर विनायक की पहली हिंदी फिल्म “बडी माँ” (1945) में अपनी छोटी बहन आशा के साथ एक छोटी सी भूमिका निभाई।
- जब गुलाम हैदर (संगीत निर्देशक) ने लता को फिल्म शहीद (1948) के निर्माता सशधर मुखर्जी से मिलाया तो मुखर्जी ने लता की आवाज़ को ‘बहुत पतली’ बताते हुऐ उन्हें खारिज कर दिया। इसके बाद गुलाम हैदर ने कहा कि आने वाले वर्षो में फिल्म के निर्माता और निर्देशक लता का पैर पकड़ कर भीख मांगे गए की वह उनकी फिल्मों में गीत गाए।
- लता का पहला सफल गीत “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने (मजबूर, 1948 ) था।
- ऐसा कहा जाता है कि शुरू में उन्होंने प्रख्यात गायिका नूरजहां को कॉपी किया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी स्वयं की गायन शैली को विकसित किया।
- उर्दू / हिंदी गीत गाते हुए मराठी उच्चारण करने पर दिलीप कुमार ने लता मंगेशकर के ऊपर एक नकारत्मक टिप्पणी कि थी। इसके बाद लता ने उर्दू का सटीक उच्चारण सीखने की ठान ली और शफी नामक एक उर्दू अध्यपक से उर्दू में उच्चारण करना सीखने लगी।
- गीत “आएगा आनेवाला” (महल, 1949) से वह काफी लोकप्रिय हो गईं, और ऐसा मानते है कि इस गीत को जिस ख़ूबसूरती से लता मंगेशकर ने गाया है, ऐसा कोई अन्य गायक नहीं गा सकता है।
- वर्ष 1956 में, उनका एक गीत “रसिक बलमा” (चोरी चोरी) ने सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। फिल्मफेयर अवॉर्ड 1958 में शुरू किए गए थे और पार्श्व गायकों का कोई भी वर्ग इसमे शामिल नहीं था, इसलिए उन्हें कोई पुरस्कार नहीं मिला, और उनके विरोध के बाद, इस श्रेणी को 1958 में शामिल किया गया था।
- लता को सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए पहला फिल्मफेयर पुरस्कार गीत “आजा रे परदेसी” (मधुमत, 1958) के लिए मिला। उन्होंने 1958 से 1966 तक सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कारों पर एकाधिकार किया। अपनी उदारता का परिचय देते हुए, वर्ष 1969 में लता ने फिल्मफेयर पुरस्कार लेने से मना कर दिया ताकि नए लोगो की प्रतिभाओं को बढ़ावा मिल सके।
- उन्होंने फिल्म “परिचय” (1972) में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए पहला नेशनल फिल्म अवार्ड जीता।
- वह फिल्म “लेकिन…” (1990) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक की श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड की सबसे पुरनी विजेता (oldest winner) (61 उम्र) का भी रिकॉर्ड रखती है।
- वर्ष 1962 की, शुरुआत में उन्हें हल्का जहर दे दिया था, और उसके बाद, वह लगभग 3 महीने के लिए बिस्तर पर रहीं।
- 27 जनवरी 1963 को, लता ने चीन-भारत युद्ध के पृष्ठपट से एक देशभक्ति गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” गाया। यह गीत सुनने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू (भारत के पूर्व प्रधान मंत्री) की आँखों में आँसू आ गए थे।
- लता ने संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए अधिकतम संख्या में गाने (712) गाए हैं।
- उन्होंने चार फिल्मों का निर्माण भी किया, जैसे कि- वादाई (मराठी 1953), झिंझर (हिंदी, 1953), कंचन (हिंदी, 1955), लेकिन (हिंदी,1990) ।
- मध्यप्रदेश सरकार और महाराष्ट्र सरकार ने क्रमशः 1984 और 1992 में लता मंगेशकर पुरस्कार की स्थापना की।
- उन्हें मेकअप करना पसंद नहीं है।
- एक साक्षात्कार के दौरान लता मंगेशकर ने बताया कि मशहूर गायक के एल सैगल से मिलना और दिलीप कुमार के लिए गीत गाना उनकी अतृप्त इच्छाओं में से एक है।
- उन्होंने 14 विभिन्न भाषाओं में 50000 से अधिक गाने गाए हैं।
- यहां संगीत की देवी की एक झलक है:
सन्दर्भ [ + ]
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Lata Mangeshkar Biography in Hindi | लता मंगेशकर का जीवन परिचय
Lata Mangeshkar – biography in hindi, jivani, jivan parichay, story, history, songs, sister name, family, awards, death date, net worth।
Lata Mangeshkar Biography in Hindi लता मंगेशकर की जीवनी
“नाम गुम जाएगा,चेहरा ये बदल जायेगा।
मेरी आवाज ही पहचान है,गर याद रहे।।”
भारत की स्वर-कोकिला,सुर-सम्राज्ञी,एक ऐसी आवाज,जो किसी पहचान की मोहताज नही। भारत-रत्न लता मंगेश्कर जी, जिन्हें हम सभी लता दीदी के नाम से भी जानते है। पिछले 6 दशकों से जिनकी मधुर आवाज के हम सभी कायल है।सुख हो या दुःख, चिंता हो या मनन, ख़ुशी के पल हो या गमनीन माहौल। हर मौके पर,उनके गीत गुनगुनाने का मन हो उठे। ऐसी ही शख्शियत है- Lata Mangeshkar उर्फ ‘लता दीदी’।
Lata Mangeshkar : An Introduction लता मंगेशकर : एक परिचय
लता मंगेशकर का बचपन lata mangeshkar early life.
लता दीदी का जन्म 28 सितम्बर 1929 को,मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में,एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई थी।लता जी,अपनी तीन बहनों(मीना,आशा,उषा) व एक भाई(ह्र्दयनाथ) में सबसे बड़ी है। उनके बचपन का नाम हेमा रखा गया,जिसे बाद में बदलकर लता किया गया।
उनके पिता स्व० प० दीनानाथ मंगेशकर,रंगमंच के जानेमाने कलाकार व शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक थे।मात्र तरह वर्ष की आयु में ही,उनके पिताजी का देहांत(1942) में हो गया।इसके बाद,घर मे बड़ी होने के कारण,सारी जिम्मेदारी उन पर आ गईं।
लता मंगेशकर : बचपन की यादगार घटनाए Lata Mangeshkar Life History in Hindi
बचपन में लता मंगेशकर को संगीत नहीं सिखाया जा रहा था। उनके बाबा दीनानाथ मंगेशकर जी के बहुत सारे शिष्य थे। एक बार हुआ कुछ ऐसा। उनका एक शिष्य गलत गाना गा रहा था। अपने बाबा की गैर हाजरी में, नन्ही लता ने उस बच्चे को ठीक करना शुरू कर दिया।उसे बताया कि यह राग ऐसे नहीं, ऐसे गाया जाता है।
वह इस बात से बेखबर थी। उनके बाबा उनके पीछे खड़े थे। दीनानाथ मंगेशकर ने उनकी आइ से कहा। मैं तो बाहर के बच्चों को सिखा रहा हूं। जबकि घर में ही एक गवैया मौजूद है। बस उस दिन से लता जी की संगीत की शिक्षा घर मे शुरू हो गई।
बहुत छोटी उम्र में ही, लता अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर के साथ स्टेज पर perform करती थी। एक बार कुछ ऐसा हुआ। एक नाटक चल रहा था। जिसमें नारद का किरदार निभाने वाला कलाकार नहीं आया। उनके पिता बहुत परेशान थे। नन्ही-सी लता ने अपने बाबा से कहा। कोई बात नहीं, अगर वह नहीं आया। अगर आप कहें। तो मैं उसका रोल निभा देती हूं।
उनके पिता को थोड़ा सा अजीब लगा। उन्होंने कहा कि तुम इतनी छोटी सी हो। मेरे साथ स्टेज पर गाना गाओगी,अजीब सा लगेगा। लता ने कहा बाबा देखना। मैं once more लेकर आऊंगी। एक अवसर तो दे। फिर कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं। इस तरह लता जी ने अपने बाबा के साथ stage पर perform किया।फिर निश्चित रूप से once more भी आया। इसी प्रकार जाने : Tragedy King – Dilip Kumar Biography । यूसुफ खान से दिलीप कुमार तक का सफर।
दीनानाथ मंगेशकर की भविष्यवाणी
बचपन में ही दीनानाथ मंगेशकर, जो ज्योतिष के एक बड़े ज्ञाता थे। उन्होंने लता जी से कहा। देख बेटी, तू आगे चलकर इतनी सफल होगी। जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। लेकिन उस सफलता को देखने के लिए, मैं नहीं रहूंगा। तेरी शादी भी नहीं होगी। परिवार की सारी जिम्मेदारी तुझ पर ही रहेगी। नन्ही सी लता, उस वक्त समझ नहीं पाई। कि उनके बाबा बहुत जल्द जाने वाले हैं। ठीक वैसा ही हुआ।
दीनानाथ मंगेशकर का स्वर्गवास हो गया। फिर सारी जिम्मेदारी लता जी के कंधों पर आ गई। उन्होंने stage के साथ-साथ, फिल्मों में भी छोटे-मोटे किरदार निभाने शुरू किये। लता जी ने संगीत का पहली शिक्षा, अपने पिताजी से ली थी।वे उनके साथ संगीत नाट्य प्रस्तुति में भाग लेती रहती थी।उनके पिता नही चाहते थे कि वो फिल्मों के लिये गाना गाए। उन्हें अभिनय पसन्द नही था,लेकिन पिता की मृत्यु के बाद,पैसो की दिक्कत की वजह से काफी संघर्ष करना पड़ा।
तब उन्होंने कुछ हिंदी व मराठी फिल्मों में अभिनय भी किया, जिनमे पाहिलीमंगलागोर (1942), माझेबाल (1943),गजभाऊ(1944),बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946) व छत्रपति शिवाजी (1952) प्रमुख थी। लताजी ने 1948 में पार्श्वगायिकी में कदम रखा, उस समय नूरजहाँ, शमशाद बेगम व राजकुमारी जैसी गायिकाओं का दौर था।ऐसे में अपने कदम जमाना मुश्किल था।
Lata Mangeshkar – Identified as Playback Singer
मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में, इनकी आवाज को सुनकर कहा गया था। इनकी आवाज बहुत पतली है। यह पार्श्वगायिका के लिए नहीं है। इनके गुरु और God father गुलाम हैदर ने यह बात साबित करने का बीड़ा उठा लिया। लता जैसी आवाज और किसी के पास नहीं है। मास्टर गुलाम हैदर जी ने, इनके जीवन मे एक बड़ी भूमिका निभाई। इनको न ही बड़े break दिलाए। बल्कि यह विश्वास भी रखा कि एक दिन सिर्फ इसकी ही आवाज ही गूंजेगी। बाकी सारी आवाजें, इसके सामने फीकी रहेगी। इसके बाद ठीक वैसा ही हुआ।
लता जी ने 1947 में वसंत जोगलेकर की फ़िल्म ” आपकी सेवा में” से अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने अपनी गायिकी की एक अलग शैली विकसित की।उन्होंने तभी भिंड़ीबाजार घराने के उस्ताद अमानत अली खान से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की।बड़ी मां फ़िल्म में गाए, भजन से सभी का ध्यान उनकी ओर गया।उस्ताद गुलाम हैदर(संगीतकार) ने,उनकी बहुत से निर्माता-निर्देशकों से मुलाकात कराई।लेकिन काफी समय उन्हें उस सफलता से दूर रहना पड़ा,जिसकी वह हकदार थी।
फिर गुलाम हैदर साहब ने 1948 में फ़िल्म ‘मजबूर’ का गीत ‘दिल मेरा तोड़ा’ गवाया।जो उनके जीवन का पहला हिट गीत साबित हुआ। गुलाम हैदर को, लता जी का गॉडफादर माना जा सकता है।मधुबाला अभिनीत फिल्म ‘महल’ (1949) का गीत ‘आएगा आने वाला’ ने धूम मचा दी। फिर लता जी ने पीछे मुड़कर नही देखा। यह गीत लता दीदी के बेहतरीन गीतों में से एक है।जिसे आज भी लोगों की जुबान पर महसूस किया जा सकता है। इसी प्रकार जाने : Jubin Nautiyal Biography in Hindi । Rejection से Success तक का सफर।
Lata Mangeshkar की अपनी शर्त
लता मंगेशकर पहली ऐसी गायिका थी। जिन्होंने producer से गाने की royalty की मांग की।उनका मानना था कि Recording के पेमेंट के बाद भी, जब तक वह record बिक रहा है। उसकी कमाई का छोटा-सा हिस्सा, गायक को भी आना चाहिए। फिर इन्हें royalty भी मिली। जबकि हर producer इसके खिलाफ थे।
राज कपूर साहब ने तो यहां तक कहा था। लता, मैं तुम्हें royalty नहीं दे सकता। मैं यहां पर business करने आया हूं। तब लता जी ने जवाब दिया था। राज साहब, अगर आप बिजनेस करने आए हैं। तो मैं भी film industry में रानी बाग घूमने नहीं आई। फिर लता जी ने अपनी बात मनवा ली।
Lata Ji को जान से मारने की कोशिश
साठ के दशक में, जब लता मंगेशकर अपना एक अलग मुकाम हासिल कर चुकी थी। तभी उनकी तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई थी।उन्हें मौत के मुंह से बाहर निकाला गया था। तब डॉक्टर ने बोला था। आपको कोई धीमा जहर दे रहा था। वह डॉक्टर सही था। उनका रसोईया हर रोज, उन्हें जहर दिया करता था। जिसमें लता जी की जान भी जा सकती थी। लेकिन इनके बीमार पड़ते ही, रसोईया भाग गया। तब इस बात का खुलासा हुआ।
लता मंगेशकर के गाने
यूँ तो लता दीदी,आवाज की दुनिया की एक ऐसी शख्शियत है। जिनका कोई युग हो ही नही सकता।वह सदाबहार थी और हमेशा रहेगी। उन्होंने सदाबहार गीत हम सभी को दिये।उनका सम्पूर्ण जीवन गीत-संगीत को समर्पित है।उन्होंने 20 अलग-अलग भाषाओं में, 30,000 से भी अधिक गीतों को, अपनी आवाज़ से नवाजा।
उनकी आवाज़ में वो खलिश है कि कभी बचपन की यादें, तो कभी आँखों मे आँसू, तो कहीं सीमा पर खड़े जवानों में नया जोश भरने के लिए काफी है। लता जी का फिल्मों में पार्श्व गायिका के रूप में कभी न भुलाया जाने वाला योगदान है।
पचास का दशक- लता जी ने इस दशक के महान संगीतकारों के साथ बहुत से सुपरहिट गाने गाए।जिनमें अनिल विश्वास, एस डी बर्मन,शंकर जय किशन, मदन मोहन, नौशाद अली प्रमुख थे।
लता जी ने नौशाद साहब के लिए फ़िल्म बैजू बावरा(1952), कोहिनूर औऱ मुगल-ए-आजम(1960) में बेहतरीन गाने गाए। दादा एस डी बर्मन के लिए फ़िल्म साजा(1951), देवदास औऱ हाउस न० ४२०(1955) के लिये गाया, लता जी दादा की सबसे पसंदीदा गायिका थी।शंकर जयकिशन के लिए फ़िल्म आह(1953), श्री 420(1955) और चोरी-चोरी(1956) के लिए बेहतरीन नग़मे दिए।
साठ का दशक- साठ के दशक में भी लता जी छाई रही, इस दशक के कुछ बेहतरीन सदाबहार गीत यूँ थे। न जाने तुम कहाँ थे(1961),क्या हुआ मैने अगर इश्क का इज़हार किया(1963), सुनो सजना पपीहे ने, रहा गर्दिशों में हरदम, कभी तेरा दामन न छोड़ेंगे हम(1966), महबूब मेरे महबूब मेरे(1967),फलसफा प्यार का तुम क्या जानो(1968), हमने देखी है इन आँखों की, वो शाम कुछ अजीब थी, आया सावन झुमके(1969) ।
1961 के दौर में उन्होंने अल्लाह तेरो नाम,ईश्वर तेरो नाम और प्रभु तेरा नाम जैसे गीत दिए।किशोर दा के साथ- होठों पे ऐसी बात,गाता रहे मेरा दिल,आज फिर जीने की तम्मना है, जैसे गीत गाये।
सत्तर व अस्सी के दशक- इस दशक में लता जी के कुछ चुनिंदा गीतों की एक झलक- सारे रिश्ते नाते तोड़ के आ गई(जानी दुश्मन), गुम है किसी के प्यार में(रामपुर का लक्ष्मण), वादा करो नही छोड़ोगे तुम(आ गले लग जा), वादा करले साजना( हाथ की सफाई), नही नही अभी नही(जवानी दीवानी), तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा(आँधी), मै झट यमला पगला दीवाना(प्रतिज्ञा),चला भी आ आजा रसिया(मन की आंखे),जाते हो जाने जाना(परवरिश),किसी पे दिल अगर आ जाये तो क्या होता है(रफूचक्कर),सुनो कहो कहा न (आपकी कसम)।
आज फिर तुमपे प्यार आया है(दयावान),तुमसे मिलकर न जाने क्यों(प्यार झुकता नही),मेरे प्यार की उमर हो इतनी सनम(वारिश),प्यार करने वाले(हीरो),जब हम जवां होंगे(बेताब),प्यार किया नही जाता(वो सात दिन) । लता जी ने 70’s व 80’s में बहुत से संगीतकारों के साथ काम किया जिनमें लक्ष्मीकांत प्यारेलाल,मदन मोहन,सलिल चौधरी व हेमन्त कुमार मुख्य थे।
नब्बे से अबतक का सफर- नब्बे के दशक से अब तक, लता जी ने उस दौर के बहुत से संगीतकारों के साथ काम किया,जिनमे जतिन ललित,नदीम श्रवण, आनन्द मिलन्द,अनु मलिक,आदेश श्रीवास्तव, ए आर रहमान प्रमुख थे।इसके साथ ही उन्होंने बहुत से सह गायकों के साथ भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। उनमे से जगजीत सिंह, एस पी सुब्रमण्यम, उदित नारायण ,कुमार सानू, अभिजीत भट्टाचार्य,गुरुदास मान, सोनू निगम आदि प्रमुख है। इसी प्रकार जाने : South Super Star Mahesh Babu Biography in Hindi । रील से रियल तक का सफर।
किस गीत पर रो पड़े प० जवाहर लाल नेहरू
यह बात उस समय की है,जब 1962 के युद्ध मे चीन ने भारत को बुरी तरह पराजित कर दिया था। देश का मनोबल नीचा था, ऐसे में दरकार थी, एक ऐसे जज्बे की,जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक,कच्छ के रण से अरुणाचल प्रदेश तक,देश को एक कर सके। आसमान में तिरंगे को लहराते देखकर,गर्व महसूस करा जा सके। ऐसे में ही राष्ट्र कवि प्रदीप ये शब्द-ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा याद आँख में भर लो पानी।जो शहीद हुए है ,उनकी जरा याद करो कुर्बानी। इन शब्दों को आवाज दी थी,लता जी ने। जो सदा सदा के लिए अमर हो गए।
इस गाने को पहली बार दिल्ली के लाल किले से हजारों लोगों के साथ,जब प्रधानमंत्री प० नेहरू ने सुना तो उनकी आँखें बरबस छलक उठी। तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ रो पड़ा पूरा वतन।लता जी की ज़ुबान से निकला ये देशभक्ति का गाना ही नही, बल्कि हिंदुस्तान का दर्द था।
यह बात भी मशहूर रही है। लता मंगेशकर इकलौती ऐसी गायिका है। जो गाने के लब्ज़ को सुनकर ही, गाने को record करती हैं। यदि कोई भी आपत्तिजनक शब्द हुआ। तो लता दी उस गाने को रिकॉर्ड करने से मना कर देती हैं। गजलें रही हो या रोमांटिक गाने। दर्द भरा गीत रहा हो या फिर सपनो भरा। हर जज़्बात को लता जी की आवाज मिली है। ऐसी आवाज सदियों में एक बार ही जन्म लेती है।हम सभी को उन पर गर्व के साथ, अभिमान है।
Lata Mangeshkar Awards लता मंगेशकर पुरस्कार
लता मंगेशकर का निधन कब हुआ lata mangeshkar death.
लता मंगेशकर जी को, उनकी तबीयत खराब होने के कारण 5 फरवरी बसंत पंचमी को मुंबई के ‘ब्रीच कैंडी अस्पताल’ में भर्ती किया गया। जहां उनकी हालत काफी नाजुक बनी हुई थी। वह काफी लंबे समय से करोना संक्रमित थी। इसके पहले भी 8 जनवरी को उन्हें भर्ती कराया गया था।
आज 6 फरवरी 2022 को उनका निधन मुम्बई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में हो गया। जो पूरे भारतवर्ष के लिए, एक अपार क्षति के समान है। जिसकी भरपाई, किसी भी रुप में संभव नहीं है। सुर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेश्कर जी 92 वर्ष की थी।
उ० 6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर निधन मुम्बई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में हो गया।
उ० लता मंगेशकर जी ने शादी नहीं की थी।
उ० गुलाम हैदर साहब ने 1948 में फ़िल्म ‘मजबूर’ का गीत ‘ दिल मेरा तोड़ा ‘ गवाया। जो उनके जीवन का पहला हिट गीत साबित हुआ।
उ० लता मंगेशकर जी ने कभी शादी नहीं की ।
उ० 6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर निधन हो गया था।
उ० लता मंगेशकर जी ने 2006 में फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में ‘ लुका छिपी ‘ गाना गाया था। यह उनके जीवन का आखरी गाना था
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3 thoughts on “lata mangeshkar biography in hindi | लता मंगेशकर का जीवन परिचय”.
Swar Kokila Lata ji ko Sadar Shradhanjali
Very beautiful and inspiring biography.
Hey Suneha, Thank you for your support and appreciation. Keep checking out my website for such more motivational content.
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लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi
आज हम इस आर्टिकल में आपको लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi के बारे में बताएंगे।
लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi
Lata Mangeshkar भारत की सबसे अनमोल गायिका है।
पूरी दुनिया उनकी आवाज की दीवानी हैं पिछले 10 दशको से भारतीय सिनेमा को अपनी आवाज दे रही लता मंगेशकर बेहद शांत स्वभाव की और प्रतिभा की धनी है. Lata Mangeshkar Biography Hindi
भारत के क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर उन्हे अपनी मां मानते हैं.
आज पूरी संगीत की दुनिया उनके आगे नतमस्तक है।
लता जी ने लगभग 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाए हैं।
लता जी हमेशा नंगे पावँ गाना गाती है।
लेकिन उनके पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्व गायक के रूप में रही है।
जन्म – लता मंगेशकर की जीवनी
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था।
इनका बचपन में नाम ‘हेमा’ था, लेकिन जब यह 5 वर्ष की थी तो इनके माता-पिता ने इनका नाम ‘लता’ रख दिया गया। इनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर और माता का नाम शेवंती मंगेशकर था।
इनका जन्म एक मराठा परिवार में हुआ था।
लता के पिता रंगमंच कलाकार और शास्त्रीय गायकार थे.
यह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी।
लता मंगेशकर के भाई बहनों के नाम इस प्रकार है- ह्रदयनाथ मंगेशकर, उषा मंगेशकर ,मीना मंगेशकर आशा भोसले ।
इन सभी ने अपनी आजीविका चलाने के लिए गायन को ही चुना।
लता मंगेशकर का जन्म इंदौर में हुआ था, लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई।
जब लता 7 साल की थी तब वह महाराष्ट्र आई।
लता मंगेशकर ने 5 साल की उम्र से ही अपने पिता के साथ एक रंगमंच कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया।
- 1942 में दीनानाथ मंगेशकर की मृत्यु हो गई। इस दौरान लता केवल 13 वर्ष की थी। नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और उनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) उनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनने में मदद की।
- पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ति हसाल के लिए गाया। लेकिन उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फिल्मों के लिए गए इसलिए गाने को फिल्म से निकाल दिया गया था। अपने पिता की मृत्यु के बाद लता मंगेशकर को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय करना बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असमय मृत्यु के कारण पैसों की कमी के कारण उन्हें अभिनय करना पड़ा और उन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर(1942) रही। जिसमें उन्होंने स्नेहाप्रभा प्रधान की छोटी बेटी के रूप में भूमिका निभाई। इसके बाद में उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया जिनमें से माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ(1944), बड़ी मां(1945), जीवन यात्रा(1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी(1952) शामिल थी लता मंगेशकर ने खुद की भूमिका के लिए गाने भी गाए और आशा के लिए पार्श्व गायन भी किया ।
1945 से 1949 तक – लता मंगेशकर की जीवनी
- 1945 में उस्ताद गुलाम हैदर अपनी आने वाली फिल्म के लिए लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गए जिसमें कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फिल्म के लिए पार्श्व गायन करें लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी।
- 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ में लता को गाना गाने का मौका दिया। इस फिल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने ‘मजबूर’ फिल्म के गानों “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का ना छोड़ा तेरे प्यार” ने जैसे गानों से अपनी स्थिति सुदृढ़ की। लेकिन इसके बावजूद भी लता को उसका खास हिट कि अभी भी तलाश थी।
- 1949 में लता को एक बार फिर ऐसा मौका फिल्म ” महल” के “आएगा आने वाला” गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया था। यह फिल्म काफी सफल रही थी और लता तथा मधु बाला दोनों के लिए यह बहुत ही शुभ साबित हुई। इसके बाद में लता जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
- फिल्म फेयर पुरस्कार 1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994 में
- राष्ट्रीय पुरस्कार- 1972, 1975 और 1990 में
- महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार 1966 और 1967 में
- पदम भूषण 1969
- 1976 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक रिकॉर्ड
- दादा साहेब फालके अवॉर्ड 1989 में
- फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 1993 में
- 1996 में स्क्रीन का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 1997 में राजीव गांधी पुरस्कार से नवाजा गया
- 1999 में एम. टी. आर. पुरस्कार, पदम विभूषण और जी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2000 में आई.आई.ए.एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2001 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा गया इसके साथ- साथ ही नूरजहां पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण, स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
निधन – लता मंगेशकर की जीवनी
लता मंगेशकर जी का निधन 92 वर्ष की आयु में हुआ .
उन्होंने 6 फरवरी 2022 को लेजेंड्री सिंगर लता मंगेशकर ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली.
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lata mangeshkar biography, लता मंगेशकर के जीवन परिचय शिक्षा एवं करियर के बारे में विस्तार.
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safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Fri, 08 Dec 2023 12:35 PM IST
लता मंगेशकर को अनेक प्रतिष्ठ नागरिक सम्मानों और संगीत पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। लता जी को मिले प्रमुख पुरस्कार एवं अलंकरणों की सूची इस प्रकार है। 1969 पद्म भूषण 1989 दादा साहब फाल्के पुरस्कार 1996 राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार 1999 पद्म विभूषण 2001 भारत रत्न
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लता मंगेशकर का प्रारंभिक जीवन
शुरुआती पढ़ाई, free daily current affair quiz- attempt now with exciting prize, गायकी में करियर, लता मंगेशकर को सम्मानित की गई पुरस्कारों के नाम, गायक के अलावा संगीत निर्देशक में काम, फिल्म निर्माता भी थी लता मंगेशकर .
उनकी बनाई फिल्मों की सूची इस प्रकार है- 1953 बादल 1953 झांझर 1955 कंचन 1990 लेकिन इनमें बादल फिल्म मराठी में थी, शेष सभी फिल्में हिन्दी भाषा में हैं। लता मंगेशकर की बनाई ‘लेकिन’ फिल्म रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी पर आधारित है और इसे खूब पसंद किया गया।
अविवाहित रही लता मंगेशकर
लता जी के प्रसिद्ध गीत, लता मंगेशकर जी से जुड़े एफएक्यू .
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Lata Mangeshkar
- Born September 28 , 1929 · Indore, Indore State, Central India Agency, British India
- Died February 6 , 2022 · Mumbai, Maharashtra, India (complications from COVID-19)
- Birth name Hema Mangeshkar
- The Nightingale of Bollywood
- Nightingale of India
- Queen Of Melody
- Lata Mangeshkar was born in Indore on September 28, 1929, and became, quite simply, the most popular playback singer in Bollywood's history. She sung for over 50 years for actresses from Nargis to Preity G Zinta , as well as recorded albums of all kinds (ghazals, pop, etc). Until the 1991 edition, when her entry disappeared, the Guinness Book of World Records listed her as the most-recorded artist in the world with not less than 30,000 solo, duet,and chorus-backed songs recorded in 20 Indian languages between 948 and 1987. Today that number may have reached 40,000! She was born the daughter of Dinanath Mangeshkar , the owner of a theater company and a reputed classical singer in his own right. He started giving Lata singing lessons from the age of five, and she also studied with renowned singers Aman Ali Khan Sahib and Amanat Khan. Even at a young age she displayed a God-given musical gift and could master vocal exercises the first time. Ironically, for someone of her stature, she made her entry into Bollywood at the wrong time - around the 1940s, when bass singers with heavily nasal voices, such as Noor Jehan and Shamshad Begum were in style. She was rejected from many projects because it was believed that her voice was too high-pitched and thin. The circumstances of her entry into the industry were no less inauspicious - her father died in 1942, the responsibility of earning income to support her family fell upon her, and between 1942 and 1948 she acted in as many as eight films in Hindi and Marathi to take care of economic hardships. She made her debut as a playback singer in the Marathi film Kiti Hasaal (1942) but, ironically, the song was edited out! However, in 1948, she got her big break with Ghulam Haider in the film Majboor (1948) , and 1949 saw the release of four of her films: Mahal (1949) , Dulari (1949) , Barsaat (1949) , and Andaz (1949) ; all four of them became runaway hits, with their songs reaching to heights of what was until then unseen popularity. Her unusually high-pitched singing rendered the trend of heavily nasal voices of the day totally obsolete and, within a year, she had changed the face of playback singing forever. The only two lower-pitched singers to survive her treble onslaught to a certain extent were Geeta Dutt and Shamshad Begum . Her singing style was initially reminiscent of Noor Jehan , but she soon overcame that and evolved her own distinctive style. Her sister, Asha Bhosle , too, came up in the late 1950s and the two of them were the queens of Indian playback singing right through to the 1990s. Her voice had a special versatile quality, which meant that finally music composers could stretch their creative experiments to the fullest. Although all her songs were immediate hits under any composer, it was the composers C. Ramchandra and Madan Mohan who made her sound her sweetest and challenged her voice like no other music director. The 1960s and 1970s saw her go from strength to strength, even as there were accusations that she was monopolizing the playback-singing industry. However, in the 1980s, she cut down her workload to concentrate on her shows abroad. Today, Lata sings infrequently despite a sudden resurgence in her popularity, but even today some of Hindi Cinema's biggest hits, including Dilwale Dulhania Le Jayenge (1995) , Dil To Pagal Hai (1997) , and Veer-Zaara (2004) feature her legendary voice. No matter which female playback singer breaks through in any generation, she cannot replace the timeless voice of Lata Mangeshkar. She was an icon beyond icons.... - IMDb Mini Biography By: Q. Leo Rahman
- Parents Dinanath Mangeshkar Shevanti Mangeshkar
- Relatives Asha Bhosle (Sibling) Usha Mangeshkar (Sibling) Meena Khadikar (Sibling) Hridaynath Mangeshkar (Sibling) nm13294690 (Niece or Nephew)
- A legendary playback singer in Indian movies, she recorded over 30,000 songs in 14 Indian languages, making her the most recorded voice in history.
- Mentioned in the song "Brimful of Asha" by Cornershop. (The title refers to her sister, Asha Bhosle , who is also mentioned in the song.).
- In an interview,Lata Mangeshkar herself disclosed on her 84th birthday in September,2013," Ghulam Haider is truly my Godfather.It was his confidence in me that he fought for me to tuck me into the Hindi Film Industry which otherwise had initially rejected me.Remembering her early rejection,Lata once said," Ghulam Haider was the first music director who showed complete faith in my talent.He introduced me to many film producers including S. Mukherji,a big name in film production,but when he said my voice was "too thin" to use in his film,Ghulam Haider was furious.Hence,finally he convinced Bombay Talkies,a banner bigger than S. Mukherji and introduced me through their movie Majboor (1948) .Lata's first big breakthrough film song,was "Dil mera tora,mujhe kaheen ka na chhora teray pyaar ne" lyrics by Nazim Panipati ,composed by Ghulam Haider.
- Was awarded the Bharatha Rathna, the highest civilian honor by the Government of India.
- Her contribution to Indian music industry in a career spanning seven decades gained her honorific titles such as the Nightingale of India, Voice of the Millennium and Queen of Melody.
- About singing for Veer-Zaara (2004) : "Madan Mohan was like my brother. Yashji's like my brother. I felt I had gone back in time."
- About her love of diamonds: "I've been fond of diamonds from childhood. As a child, my father used to design jewelry. But we couldn't afford them. He had a keen eye for jewelry and was fond of wearing precious stones. We kids were equally fascinated by jewels. But until I became a professional playback singer, I refused to wear jewelry. I had decided I'd wear only diamonds."
- About the number of her songs being remixed in music videos: "I don't like it. I don't like remix albums as a concept. On top of that, these girls dancing in itsy-bitsy clothes suggestively! From childhood we've been told that a woman's dignity is in the way she conducts herself in public. The less you reveal, the more attractive you appear. I must say that the songs that I considered vulgar in those days seem like bhajans [devotional music] compared with what's being sung these days! Yes, I've sung naughty songs, but "Kaanta Lagaa," for instance, had another context when I sang it. I feel sorry for the girl who was seen in the music video of "Kaanta Lagaa." I've heard she's from a decent family. Why wasn't she stopped by her family? Ambition? If she did it with their consent, then God help them. I struggled hard to get where I am - that's why I am still here."
- About music composition: "It doesn't suit me. Although I've done it in the past, now I don't feel like it. I don't think I've the patience."
- About the December 2004 tsunami: "This sort of calamity shakes our faith in every law of nature. Little children, women, and entire families have perished. We must help...yes we must."
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Lata Mangeshkar: A Brief Biography
After Dinanath’s untimely death in 1942, a 13 year-old Lata entered the film industry as her family’s sole bread-winner. In the early part of her career, she did bit roles in some Marathi and Hindi films. She recorded her first song ‘Naachu Yaa Gade Kheloo Saaree’ for a Marathi film Kiti Hasaal (1942). In Aap Ki Seva Mein (1947), she made her playback singing debut for Hindi films with the song ‘Paa Laagoo Kar Joree Re’. Even though she has sung approximately 6,500 songs in many different languages, her maximum output and best work is in Hindi, Marathi and Bengali.
As a singer, her main body of work comprises of film songs. The simplicity and easy accessibility of this musical form coupled with Lata’s matchless virtuosity and versatility have made her a national cultural icon who has stood the test of time. It is the class, creativity, critical acclaim and cultural impact, not to mention the consistent commercial success of her musical output that has set her apart from her contemporaries and has given her the status of ‘Melody Queen of India’.
Most of the stalwarts of Indian classical music have praised her role in popularizing their genre among the masses through her semi-classical film songs. The legendary classical singer Ustad Bade Ghulam Ali Khan had once affectionately called Lata ‘Ustaadon ki Ustaad’ (Master of Masters). Commercially speaking, various film soundtracks and non-film albums dominated by her songs have topped the charts for more than six decades and they have sold in the millions. From the time she first made her mark with the haunting rendition of ‘Aayegaa Aanewaalaa’ in the 1949 film Mahal, her songs have occupied pride of place in the music of almost all the top composers of Hindi film music. These songs have been associated with many important milestones in Indian cinema: Barsaat, Anarkali, Nagin, Mother India, Madhumati and Mughal-E-Azam being prime examples of the early ‘Golden era’ of the 1950s and 60s; Pakeezah, Bobby, Ek Duuje Ke Liye, Ram Teri Ganga Maili, Maine Pyar Kiya, Hum Aapke Hain Kaun, Dilwale Dulhaniya Le Jaayenge, Dil To Paagal Hai of the 70s, 80s and 90s, right up to post-millennium era blockbusters such as Lagaan and Veer Zaara.
Her emotional rendition of the patriotic song- ‘Aye Mere Watan Ke Logon’ after the culmination of the Indo-China war had moved the late Prime Minister Jawaharlal Nehru to tears. Many of her non-film albums like ‘Meera Bhajan’, ‘Chaala Vaahi Des’, ‘Lata sings Ghalib’, ‘Dnyaneshwar Mauli’, ‘Koli Geete’, ‘Ganpati Aarati’, ‘Abhang Tukayache’, ‘Shiv Kalyan Raja’, ‘Ram Shyam Gungaan’, ‘Sajda’ and ‘Shraddhanjali’ have carved a musical niche of their own.
She composed songs for a few Marathi movies in the 1950s and 60s, mostly under the pseudonym Anandghan . As a composer, her flair for melody and the ability to smoothly blend classical and folk music were apparent. She won the ‘Maharashtra State Award’ as the ‘Best Composer’ for the film ‘Saadhi Maanse’ (1965).
Every possible major musical and lifetime achievement award at the regional and national level has been bestowed on her at some time or the other. In 1989, she received the Dadasaheb Phalke award for her path-breaking contribution to Indian cinema. After earlier giving her the prestigious ‘Padma Bhushan’ (1969) and ‘Padma Vibhushan’ (1999) awards, the Indian government ultimately conferred upon her the highest civilian honour – the ‘Bharat Ratna’ in 2001. Later, she also went on to receive the prestigious ‘Legion of Honour’ award from the Government of France. Such is the cultural impact of her monumental musical contribution that three state governments – Madhya Pradesh, Maharashtra and Goa – have each separately instituted an annual ‘Lata Mangeshkar award’ for honouring senior artistes in popular music for lifetime achievement.
While choosing her as one of the four ‘Indians of the Twentieth Century’ along with Mahatma Gandhi, Swami Vivekanand and Dhirubhai Ambani, ‘The Times of India’ said: “All of them are self-made individuals; they did not have the advantage of wealth, aristocracy or caste; they fought adversity and believed in action - karmayogis in a true sense. They made India proud and gave the world new ideas, dreams and hopes.”
Nothing can describe Lata Mangeshkar, the legend, any better!
(*Source: Lata-Voice of the golden era by Dr. Mandar V. Bichu, Popular Prakashan )
May 16, 2024
Life Story of Famous People
Short Bio » Playback Singer » Lata Mangeshkar
Lata Mangeshkar
Lata Mangeshkar is one of the best playback singer in India . She was born in 28 September 1929 at Indore part of Madhya Pradesh, India . Lata was named “Hema” at her birth. Her parents later renamed her Lata after a female character, Latika , in one of her father’s plays, BhaawBandhan . She was born as the first of five children. Her parents were Pt. Dinanath Mangeshkar ,a classical singer and theater actor and Shudhhamati , Deenanath’s second wife. Lata Mangeshkar always sings barefoot. She began her career in 1942 with Kiti Hasaal . Lata has performed in more than 1000 films in 20 languages. Lata’s name is recorded in the Guinness Book of World Records for having sung the maximum number of songs in the world. She has sung for over 50 years for actresses from Nargis to Priyanka Chopra , as well as having recorded albums of all kinds (ghazals, pop, etc). Famous Indian singer Asha Bhosle is her sister. And brother Hridayanath Mangeshkar has also big names in the world of Indian music.
Name: Lata Mangeshkar Other Names: Didi, Nightingale of India Born: September 28, 1929 Star Sign: Libra Birth Place: Indore, Madhya Pradesh Height: 5 feet 6 inches Eye Color: Black Hair Color: Black Favorite Colour: White Education: Profession: Singer Years Active: 1942 to present Citizenship: Indian Language: Hindi
Family of Lata Mangeshkar
- Parents: Pt. Dinanath Mangeshkar, Shudhhamati
- Sister: Asha Bhosle, Usha Mangeshkar and Meena Mangeshkar
- Brother: Hridayanath Mangeshkar
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Lata Mangeshkar ([ləˈt̪aː məŋˈɡeːʃkər] ⓘ; born Hema Mangeshkar; 28 September 1929 - 6 February 2022) was an Indian playback singer and occasional music composer. She is considered to be one of the greatest and most influential singers of the Indian subcontinent. Her voice was one of the unifying elements of the people of India, Pakistan, Bangladesh and Nepal.
September 28, 2022. Lata Mangeshkar is one of the best playback singer in India. She was born in 28 September 1929 at Indore part of Madhya Pradesh, India. Lata was named "Hema" at her birth. Her parents later renamed her Lata after a female character, Latika, in one of her father's plays, BhaawBandhan. She was born as the first of five ...