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प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi

इस अनुच्छेद में हमने प्राकृतिक आपदा पर निबंध (Essay on Natural Disasters in Hindi) हिन्दी में लिखा है। इसमें हमने आपदा के कारण, प्रकार, प्रभाव और प्रबंधन के विषय में पूरी जानकारी दी है। इस निबंध में हमने सभी प्रकार के आपदाओं के विषय में 3000 शब्दों में पूरी जानकारी दी है।

सबसे पहले हम आपको बताते हैं प्राकृतिक आपदा क्या है? तो चलिए शुरू करते हैं – प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi

Table of Content

प्राकृतिक आपदा क्या है? What is Natural Disaster in Hindi?

ऐसी कोई भी प्राकृतिक घटना जिससे मनुष्य के जीवन या सामग्री को हानि पहुंचे प्राकृतिक आपदा कहलाता है। सदियों से प्राकृतिक आपदायें मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है।

जंगलो में आग, बाढ़, हिमस्खलन, भूस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवाती तूफ़ान, बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदायें बार-बार मनुष्य को चेतावनी देती है। वर्तमान में हम प्राकृतिक संसाधनो का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।

ये मनुष्य के मनमानी का ही नतीजा है। इन आपदाओं को ‘ईश्वर का प्रकोप या गुस्सा ‘ भी कहा जाता है। आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों, जंगलो, मैदानों, पहाड़ो, खनिज पदार्थो का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। उसी के परिणाम स्वरुप प्राकृतिक आपदायें दिन ब दिन बढ़ने लगी है।

हमे सावधानीपूर्वक प्राकृतिक संसाधनो का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसी आपदाओं के कारण भारी मात्रा में जान-माल की हानि होती है।

अगर हम भारत और आस पास के कुछ बड़े प्राकृतिक आपदाओं की बात ही करें तो –

  • 1999 में ओड़िसा में महाचक्रवात आया जिसमे 10 हजार से अधिक लोग मारे गये।
  • 2001 का गुजरात भूकंप कोई नही भूल सकता है। इसमें 20 हजार से अधिक लोग मारे गये। यह भूकंप 26 जनवरी 2001 में आया था। इसमें अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, गांधीनगर, कच्छ, जामनगर जैसे जिले पूरी तरह नष्ट हो गये।
  • 2004 में हिन्द महासागर में सुनामी आ गयी। इसमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया, दक्षिण भारत प्रभावित हुए। इसमें 2 लाख से अधिक लोगो की जान चली गयी।
  • 2014 में जम्मू कश्मीर में भीषण बाढ़ आई जिसमे 500 से अधिक लोग मारे गये।

प्राकृतिक आपदाओं के कई प्रकार हैं –

  • जंगलो में आग
  • बाढ़ और मूसलाधार बारिश
  • बिजली गिरना,
  • सूखा (अकाल)
  • हिमस्खलन, भूखलन
  • चक्रवाती तूफ़ान
  • बादल फटना (क्लाउड ब‌र्स्ट)

इस तरह की आपदायें कुछ समय के लिए आती है पर बड़ी मात्रा में नुकसान करती है। सभी मकानों, परिसरों, शहरो को नष्ट कर देती है और बड़ी मात्रा में जान-माल का नुकसान होता है। हर कोई इनके सामने बौना साबित होता है। निचे हमने इन सभी प्राकृतिक आपदाओं के विषय में विस्तार में बताया है।

प्राकृतिक आपदाओं का पर्यावरण पर प्रभाव Effect of Natural Disaster on Environment in Hindi

प्राकृतिक आपदा अपने साथ बहुत सारा विनाश लेकर आती है। इससे धन-जन का भारी नुकसान होता है। मकान, घर, इमारते, पुल, सड़के टूट जाती है। करोड़ो रुपये का नुकसान हो जाता है।

रेल, सड़क, हवाईमार्ग बाधित हो जाता है। वन्य जीव नष्ट हो जाते है, वातावरण प्रदूषित हो जाता है। वन नष्ट हो जाते है, परिस्तिथिकी तंत्र को नुकसान पहुचता है। जिस शहर, देश में भूकंप, बाढ़, सुनामी, तूफ़ान, भूस्खलन जैसी आपदा आती है वहां पर सब कुछ नष्ट हो जाता है।

लाखो लोग बेघर हो जाते हैं। फोन सम्पर्क टूट जाता है। जलवायु परिवर्तित हो जाती है। लाखो लोग अचानक से काल के गाल में समा जाते हैं। प्राकृतिक आपदा हमेशा अपने पीछे भयंकर विनाश छोड़ जाती है। शहर को दोबारा बनाने में फिर से संघर्ष करना पड़ता है।

करोड़ो रुपये फिर से खर्च करने पड़ते है। बाढ़, मूसलाधार बारिश, ओलावृष्टि जैसी आपदा सभी फसलों को नष्ट कर देती है जिससे देश में अनाज की कमी हो जाती है। लोग भुखमरी का शिकार हो जाते हैं। सूखा, महामारी जैसी प्राकृतिक आपदा आने से पूरे प्रदेश में बीमारी फ़ैल जाती है जिससे हजारो लोग मौत का शिकार बन जाते हैं।

1992-93 में इथोपिया में भयंकर सूखा पड़ा जिसमे 30 लाख से अधिक लोगो की मृत्यु हो गयी। आज भी हर साल हमारे देश में राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, मध्यप्रदेश में सूखा पड़ता रहता है।

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार और उनका आपदा प्रबंधन Types of Natural Disasters in Hindi with Management

अब आईये आपको हम एक-एक करके विस्तार में सभी प्राकृतिक आपदा के प्रकार और प्रबंधन के विषय में बताते हैं-

1. भूकंप किसे कहते हैं? What is Earthquake in Hindi? (पढ़ें: भूकंप की पूरी जानकारी )

पृथ्वी की सतह के अचानक हिलने को भूकंप या भूचाल कहते है। इसमें धरती में दरारें पड़ जाती है और तेज झटके लगते है। भूकंप आने से घर, मकान, इमारतें, पुल, सड़के सब टूट जाते है। इमारतों में दबने से हजारो लाखो लोगो की मौत हो जाती है।

पृथ्वी के अंदर की प्लेटो में हलचल और टकराने की वजह से भूकंप आते है। 26 जनवरी 2001 में गुजरात में विनाशकारी भूकंप आया था। इसमें 20000 से अधिक लोगो की जान चली गयी थी। अप्रैल 2015 में नेपाल में विनाशकारी भूकंप आया था जिसमे 8000 से अधिक लोग मारे गये। 2000 से अधिक लोग घायल हुए।

भूकंप प्रबंधन Earthquake management in Hindi

  • भूकंप आने पर इमारत, बिल्डिंग, मकान, ऑफिस से फ़ौरन बाहर खुले में आ जायें।
  • किसी भी इमारत के पास न खड़े हों।
  • किसी मेज के नीचे छिप जायें।
  • भूकंप के समय लिफ्ट का प्रयोग न करें। सीढ़ियों से नीचे उतरें।
  • जब तक भूकंप के झटके लगते रहे बाहर खुले स्थान में बैठे रहे।
  • अगर कार मे है तो किसी खुली जगह पर कार पार्क कर दें। कार से बाहर निकल आयें।

2. बिजली गिरना क्या है? What is Lightening in Hindi?

बिजली बारिश के मौसम में आसमान से जमीन पर गिरती है। हर साल विश्व में 24000 लोग आसमानी बिजली गिरने से मौत के शिकार हो जाते है। आसमान में विपरीत दिशा में जाते हुए बादल जब आपस में टकराते है तो घर्षण पैदा होता है।

इससे ही बिजली पैदा होती है जो जमीन पर गिरती है। चूँकि आसमान में किसी तरह का कोई कंडक्टर नही होता है इसलिए बिजली कंडक्टर की तलाश करते करते जमीन पर पहुच जाती है। बारिश के मौसम में बिजली के खम्भों के पास नही खड़े होना चाहिये। मूसलाधार बारिश होने पर बिजली गिरना आम बात है। हर साल सैकड़ो लोग बिजली गिरने से मर जाते है।

बिजली गिरने पर प्रबंधन Lightening Management in Hindi

  • जब भी मौसम खराब हो, आसमान में बिजली चमक रही हो कभी भी किसी पेड़ के नीचे न खड़े हो और कम से कम 5-6 मीटर दूर रहें। बिजली के खम्बो से दूर रहे।
  • धातु की वस्तुओं से दुरी बनाये रहे। बिजली के उपकरणों से दूर रहे। मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।
  • पहाड़ी की चोटी पर खड़े न हो।
  • पानी में न नहाये। ऐसा करके आप बिजली से बच सकते हैं।
  • बिजली गिरते समय अगर आपके आस पास कोई छुपने की जगह ना हो तो किसी गड्ढे जैसी जगह पर घुस कर चुप जाएँ या सर को नीचे करके, घुटनों को मोड़कर पंजों के सहारे नीचे बैठ जाएँ, और अपने दोनों पैर के एडियों को जोड़ें और कानों को उन्ग्लिओं से बंद कर दें।

3. सुनामी किसे कहते हैं? What is Tsunami in Hindi? (पढ़ें: सुनामी की पूरी जानकारी )

सुनामी की परिभाषा है “बन्दरगाह की तरंगे” समुद्र तल में हलचल, भूकंप, दरार, विस्थापन, प्लेट्स हिलने के कारण सुनामी की बेहद खतरनाक तरंगे उत्पन्न होती है। इस लहरों की गति 400 किमी/ घंटा तक हो सकती है। लहरों की उंचाई 15 मीटर से भी अधिक हो सकती है। सुनामी के कारण भारी धन-जन हानि होती है।

आसपास के क्षेत्रो, समुद्रतट, बंदरगाह, मानव बस्तियों को ये नष्ट कर देती है। 26 दिसम्बर 2004 को हिन्द महासागर में सुनामी आने से 11 देशो में 2.8 लाख लोग मारे गये। 10 लाख से अधिक लोग बेघर हो गये। करोड़ो रुपये का नुकसान हुआ। इस सुनामी में भारत का दक्षिणी छोर “इंदिरा पॉइंट” नष्ट हो गया।

सुनामी पर प्रबंधन Tsunami Disaster Management in Hindi

  • सुनामी से बचाव के लिए एक जीवन रक्षा किट बना लें। इसमें खाना, पानी, फोन, दवाइयां, प्राथमिक उपचार किट रखे।
  • सुनामी आने से पहले अपने स्थान से बाहर निकलने की ड्रिल एक दो बार कर लें। आपके पास एक अच्छा रास्ता होना चाहिये जिससे आप फ़ौरन उस स्थान से सुरक्षित स्थान पर जा सकें।
  • आपके पास शहर का एक नक्शा होना चाहिये क्यूंकि सुनामी आने पर हजारो की संख्या में लोग शहर से बाहर जाने लगते है।
  • सरकारी चेतावनी, मौसम विभाग की चेतावनी को आप ध्यानपूर्वक सुनते रहे। जादातर सुनामी भूकंप के बाद आती है।
  • यदि पशु अजीब व्यवहार करे, पक्षी स्थान छोड़कर जाने लगे तो ये सुनामी का संकेत हो सकता है।
  • सुनामी आने से पहले समुद्र का पानी कई मीटर पीछे चला जाता है, इस बात पर भी ध्यान देना बहुत आवश्यक है।
  • सुनामी से बचने के लिए समुद्र तट से दूर किसी स्थान पर चले जाएँ।

4. बाढ़ किसे कहते है? What is Flood in Hindi? (पढ़ें: बाढ़ की पूरी जानकारी )

किसी स्थान पर जब अचानक से ढेर सारी बारिश हो जाती है तो पानी जगह जगह भर जाता है। ऐसी स्तिथि में सड़के, रास्ते, खेत, नदी, नाले सभी भर जाते है। जीवन अवरुद्ध हो जाता है। इसी स्तिथि को बाढ़ कहते है। बारिश का यह पानी बहता रहता है।

बाढ़ आने पर निचले भागो में रहने वाले लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो जाते है। फसलों को बहुत नुकसान होता है। अधिक बाढ़ आ जाने से पशु-पक्षी पानी में डूबकर मर जाते है। लोगो का जीना मुश्किल हो जाता है। 2005 में मुंबई में भयानक बाढ़ आ गयी जिसमे 5000 लोग मारे गये। इसमें मुंबई शहर को पूरी तरह से रोक दिया था।

बाढ़ आपदा प्रबंधन Flood Disaster Management in Hindi

  • बाढ़ से बचने के लिए किसी ऊँची सुरक्षित जगह पर चले जाना चाहिये जहाँ पानी न हो।
  • अपने साथ में खाने-पीने का जरूरी सामान, दवाइयां, टोर्च, पीने का पानी, रस्सी, चाक़ू, फोन जैसा जरूरी सामान ले लें।
  • बाढ़ में घर का बिजली का मेंन स्विच बंद कर दें।
  • घर की कीमती वस्तुएं, कीमती कागजात को उपर वाली मंजिल में रख दें।
  • बहते बाढ़ के पानी में न चले। इससे आप बह सकते हैं।
  • गिरे हुए बिजली के तार से दूर रहे। आपको करेंट लग सकता है।

5. चक्रवाती तूफान क्या है? What is Cyclone in Hindi? (पढ़ें: चक्रवात )

हमारे देश में चक्रवात प्रायः बंगाल की खाड़ी में आते हैं। ये समुद्र की सतह पर निम्न वायु दाब के कारण उत्पन्न होते है। तेज हवायें बारिश के साथ गोलाकार रूप में दौड़ती है जो समुद्रतट पर जाकर भयंकर विनाश करती है।

यह रफ्तार के अनुसार श्रेणी 1 से लेकर श्रेणी 5 तक होते है। इनकी गति 280 किमी/ घंटा से अधिक हो सकती है। देश में 1839 में कोरिंगा चक्रवात आया था जिसमे 20000 से अधिक लोगो की मौत हो गयी। 1999 में ओड़िसा में 05B नाम का चक्रवात आया था जिसमे 15000 से अधिक लोग मारे गये थे।

चक्रवाती तूफान प्रबंधन Cyclone Disaster Management in Hindi

  • आंधी, तूफ़ान, चक्रवातीय तूफ़ान आने पर घर में ही रहना चाहिये। घर से बाहर नही निकलना चाहिये।
  • सभी खिड़की दरवाजे बंद कर लेना चाहिये। पक्के मकान में ही रहना चाहिये।
  • आंधी-तूफ़ान आने पर बिजली चली जाती है। इसलिए अपने पास बैटरी, टोर्च, ईधन, फोन, लालटेन, माचिस, खाना, पीने का पानी पहले से रखे।
  • प्राथमिक उपचार किट भी अपने पास रखे। स्थानीय रेडियो का प्रसारण सुनते रहे।

6. अकाल या सूखा पड़ना क्या है? What is Drought in Hindi?

सूखा में किसी स्थान पर कई महीनो, सालों तक कोई वर्षा नही होती है, जिसके कारण भूजल का स्तर गिर जाता है। इससे कृषि बुरी तरह प्रभावित होती है। पालतु पशुओ, पक्षियों, मनुष्यों के लिए पेयजल का संकट हो जाता है जिसके कारण पशु, जानवर, मनुष्य मर जाते है। सूखा के कारण कुपोषण, भुखमरी, महामारी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है।

सूखा के कारण उस स्थान पर किसी फसल की खेती नही हो पाती है। यह 3 प्रकार का होता है- मौसमीय सूखा, जलीय सूखा, कृषि सम्बन्धी सूखा। कई महीनों तक वर्षा नही होने से, भूजल का अत्यधिक दोहन, वनों की कटाई, जल चक्र का नष्ट होना, पहाड़ियों पर अत्यधिक खनन पेड़ो की अत्यधिक कटान ये सब कारण सूखा पड़ने के लिए उत्तरदाई है।

सूखे से निपटने के उपाय Drought solutions in Hindi

  • सूखे की समस्या से निपटने के लिए वर्षा के जल का संरक्षण टैंको और प्राकृतिक जलाशयों में करना चाहिये।
  • सागर जल अलवणीकरण किया जाना चाहिए जिससे समुद्र के जल को सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
  • अशुद्ध जल को पुनः शुद्ध करना चाहिये। अपशिष्ट जल का प्रयोग घर की सफाई, सब्जियाँ धोने, बगीचे को पानी देने, कार, वाहन सफाई में कर सकते है।
  • बादलो की सीडिंग करके अधिक वर्षा प्राप्त की जा सकती है।
  • सूखा की समस्या से बचने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिये।
  • जिन क्षेत्रो में सूखा की समस्या रहती है वहां लोगो को सीमित मात्रा में पानी इस्तेमाल करना चाहिये।
  • ऐसे क्षेत्रो में अधिक पानी का दोहन करने वाली फैक्ट्री, उद्योगों को बंद करना चाहिये।

7. जंगल में आग लगना What is Wildfire in Hindi?

गर्मियों के मौसम में अक्सर जंगलो में आग लग जाती है। इसके पीछे मानवीय और प्राकृतिक कारण जिम्मेदार होते हैं। कई बार मजदूर घास, पत्तियों में आग लगाकर छोड़ देते है जिससे आग पूरे जंगल में फ़ैल जाती है।

कई बार सूरज की गर्म किरणों से सूखी पत्तियों में आग लग जाती है। उतराखंड राज्य में चीड़ के जंगलो में अक्सर आग लगती रहती है।

जंगल में आग लगने पर प्रबंधन Management in Wildfire in Hindi

  • जंगल में आग लगने पर वन विभाग के कर्मचारियों को तुरंत सूचित करना चाहिये।
  • जंगल की आग बुझाना अत्यंत कठिन काम है। इसे अधिक स्टाफ और आधुनिक उपकरणों की सहायता से बुझाया जा सकता है।
  • हेलीकाप्टर के जरिये पानी का छिड़काव करके जंगल की आग बुझाई जा सकती है।
  • जंगल में आग लगने पर फौरन पुलिस को फोन करना चाहिये।
  • हानिकारक धुवें से बचने के लिए अपने मुंह पर कपड़ा बाँध लेना चाहिये।
  • किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिये।
  • जंगल के किनारे स्तिथ घर को खाली कर देना चाहिये। फायर फाइटर को फोन करना चाहिये।

8. हिमस्खलन किसे कहते हैं? What is Avalanche in Hindi?

पहाड़ो पर हिम (बर्फ), मलवा, चट्टान, पेड़ पौधे आदि के अचानक खिसकने की घटना को हिमस्खलन कहते हैं। बर्फ से ढके पहाड़ो पर इस तरह की प्राकृतिक आपदा जादा होती है। यह बहुत विनाशकारी होता है। अपने मार्ग में आने पर घर, मकानों, पेड़ पौधों को तोड़ देता है।

इसमें दबकर हर साल हजारो लोगो की जान चली जाती है। यह सड़को, पुलों, राजमार्गो को तबाह कर देता है। पहाड़ो को काटकर सड़के बनाना, मानवीय कार्य, लगातार बारिश, भूकंप, जमीन में कम्पन, अधिक बर्फबारी, डेल्टा में अधिक अवसाद का जमा होना- ये सभी कारणों की वजह से हिमस्खलन होता है।

हिमस्कलन पर आपदा प्रबंधन Disaster Management in Avalanche in Hindi

  • हिमस्खलन में गिरने वाले बर्फ को रोकने के लिए लोहे के तारो का जाल बनाकर पहाड़ो पर सड़कों की सुरक्षा की जा सकती है।
  • सोफ्टवेयर द्वारा पहाड़ी जगहों में ऐसे स्थानों का पता लगा सकते हैं जहाँ हिमस्खलन आ सकता है।
  • पहाड़ो पर अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, ढलानों को काटकर चबूतरा बनाकर, मजबूर दीवार बनाकर हिमस्खलन को रोका जा सकता है।

9. भूस्खलन किसे कहते हैं? What is Landslide in Hindi?

यह प्राकृतिक आपदा भूवैज्ञानिक घटना है। भूस्खलन के अंतर्गत पहाड़ी, पत्थर, चट्टान, जमीन खिसकना, ढहना, गिरना, मिटटी बहना जैसी घटनाये होती है। यह छोटी से बड़ी मात्रा में हो सकता है। छोटे भूस्खलन में छोटे-छोटे पत्थर नीचे की तरफ गिरते है।

बड़े भूस्खलन में पूरी की पूरी पहाड़ी ही नीचे गिर जाती है। इससे जान-मान, धन-जन की हानि होती है। यह भारी बारिश, भूकंप, धरातलीय हलचल, मानवीय कार्यों जैसे पहाड़ो पर पेड़ो की कटाई, चट्टानों को काटकर सड़क, घर बनाने, पानी के पाइपों में रिसाव से होता है।

भूस्खलन होने पर प्रबंधन Disaster Management for Landslide in Hindi

  • भूस्खलन होने पर फ़ौरन उस स्थान से निकल जाना चाहिये।
  • अपने साथ में एक सेफ्टी किट रखनी चाहिये जिसमे जरूरी सामान, फर्स्ट ऐड बोक्स, पीने का पानी हो।
  • रेडिओ, टीवी पर मौसम की जानकारी लेते रहे।
  • अगर आपका घर भूस्खलन के क्षेत्र में है तो जादा से जादा पेड़ चारो तरफ लगाइये। पेड़ पहाड़ो को बांधे रखते है।
  • अपने घर के आस पास की जगह की नियमित जांच करते रहिये।
  • जिस स्थान पर उपर से चट्टान गिरने का खतरा हो वहां से दूर रहे।
  • हेलिकॉप्टर या बचाव दल का फोन नम्बर हमेशा अपने पास रखे।

10. ज्वालामुखी फटना क्या है? What is Volcano eruption in Hindi?

ज्वालामुखी में पृथ्वी के भीतर से गर्म लावा, राख, गैस का तीव्र विस्फोट होता है। यह प्रकिया धीरे भी हो सकती है और तीव्र भी। यह प्राकृतिक आपदा 3 प्रकार का होता है- सक्रीय ज्वालामुखी, प्रसुप्त ज्वालामुखी, मृत ज्वालामुखी।

इसी वर्ष 2018 में ग्वाटेमाला में ज्वालामुखी विस्फोट होने से 33 लोगो की मौत हो गयी, 20 लोग घायल हुए और 17 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए। ज्वालामुखी का धुआं बहुत ही हानिकारक होता है। विस्फोट होने पर यह 100 किमी से अधिक के दायरे में आकाश में फ़ैल जाता है जिसके कारण हवाई जहाजो की उड़ाने रद्द करनी पड़ती है।

ज्वालामुखी फटने पर आपदा प्रबंधन Disaster management in Volcano eruption in Hindi

  • ज्वालामुखी फटने पर फ़ौरन घर का कीमती सामान अपने साथ लेकर सुरक्षित स्थान पर चले जायें।
  • अपने पालतु पशुओं को भी साथ ले जायें।
  • मौसम विभाग, स्थानीय रेडियो प्रसारण को सुनते रहे जिससे आपको नई जानकारी मिलती रहे।
  • स्थानीय मार्गो का एक नक्शा अपने पास रखे।
  • साथ में एक जीवन रक्षा किट भी साथ रखे जिसमे दवाइयाँ, टोर्च, पीने का पानी, अन्य सामान हो। अपने मित्रो और परिवार के साथ में रहे (अकेले न रहे)।
  • बचाव दल का नम्बर अपने पास रखे।
  • ज्वालामुखी राख से अपनी कारो, मशीनों को बचाने के लिए प्लास्टिक के कवर से ढंक दें।

11. महामारी किसे कहते है? What is Epidemic in Hindi?

किसी क्षेत्र विशेष में जब कोई बीमारी बड़े पैमाने पर फ़ैल जाती है तो उसे महामारी कहते हैं। यह संक्रमण के कारण हवा, छूने, पानी के माध्यम से फैलती है। कई बार यह पूरे देश में फ़ैल जाती है। 2009 में पूरे विश्व में एच1एन1 इंफ्लूएंजा (स्वाइन फ्लू) की बिमारी फ़ैल गयी। जल्द ही यह भारत में भी फ़ैल गयी थी। भारत में 2700 लोग स्वाइन फ्लू से मारे गये और 50 हजार से अधिक लोग बीमार हो गये।

वर्ष 2019 में चीन से शुरू हुए नोवेल कोरोना वायरस (nCOVID) की वज़ह से दुनिया भर में लाखों लोग इससे इन्फेक्टेड हो गए। जिसके कारण हजारों लोगों की जान इसमें चहली गयी।

महामारी फैलने पर आपदा प्रबंधन Epidemic Management tips in Hindi

  • महामारी (संक्रामक रोग) बरसात और ठंडे के मौसम में अधिक होते है। रोगाणु- विषाणु पानी के माध्यम से सबसे जल्दी फैलते है इसलिए साफ़ पानी पीना चाहिये। दस्त, पेचिस, हैजा, मियादी बुखार, पीलिया, पोलियो जैसे रोग अशुद्ध पानी के सेवन से फैलते हैं।
  • इनसे बचने के लिए ताज़ी कटी सब्जियों, फलों का सेवन करना चाहिये। भोजन करने से पहले हाथो को अच्छी तरह से धोइये। नियमित रूप से नाख़ून कांटे, दाढ़ी और बाल कटवाएं।
  • रोज साबुन और मलकर नहायें और खाना खाने के बाद-पहले अच्छे से हांथ धोएं।
  • किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर शांत रहे। अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकारी आदेशो का पालन करें, अकेले न रहे। अपने परिवार के साथ ही रहे।
  • अपने पास पुलिस, अस्पताल, अग्निशमन सेवा, एम्बुलेंस, बचाव दल का फोन नम्बर जरुर रखे।
  • अपने पास एक आपातकालीन किट जरुर रखे। इसमें माचिस,टोर्च, रस्सी, चाक़ू, पानी, टेप, बैटरी से चलने वाला रेडियो रखे।
  • अपने परिचयपत्र, कागजात, जरूरी कागज अपने पास रखे।

12. ओलावृष्टि क्या है? What is Hail in Hindi?

आसमान में जब बादलो में मौजूद पानी की बुँदे अत्यधिक ठंडी होकर बर्फ के रूप में जमकर जमीन पर गिरती है तो उसे ओलावृष्टि या वर्षण प्राकृतिक आपदा कहते है। इसे आम भाषा में ओला गिरना भी कहा जाता है। यह अक्सर गर्मियों के मौसम में दोपहर के बाद गिरते है। ओलावृष्टि अक्सर तब होती है जब बादलो में गडगडाहट और बिजली बहुत अधिक चमकती है।

ओलावृष्टि से सबसे अधिक नुकसान किसानो को होता है। अधिक ओलावृष्टि होने से फसलें बर्फ के गोलों से ढँक जाती है और नष्ट हो जाती है। यदि बर्फ के गोले बड़े हो तो मकान, खिड़की, कारो के शीशे तोड़ देते हैं। कुछ महीनो पहले हिमाचल प्रदेश में ओलावृष्टि होने से 2.5 करोड़ का नुकसान हुआ। सेब, नाशपाती की फसलें बर्बाद हो गयी थी।

13. बादल फटना किसे कहते हैं? What is Cloud Burst in Hindi?

इस प्राकृतिक आपदा मेघविस्फोट भी कहते है। जब बादल अधिक मात्रा में पानी लेकर चलते है और उनके मार्ग में कोई बाधा अचानक से आ जाती है तो बादल अचानक से फट जाते हैं। ऐसा होने से उस  स्थान पर करोड़ो लीटर पानी अचानक से गिर जाता है। पानी की विशाल मात्रा मजबूत पक्के मकानों, सडकों, पुलों, इमारतों को ताश के पत्ते की तरह तोड़ देती है।

उतराखंड, केदारनाथ, बद्रीनाथ, जम्मू-कश्मीर, जैसे राज्यों में बादलो के मार्ग में हिमालय पर्वत,पहाड़ियाँ, गर्म हवा आ जाने के कारण बादल फटने की घटनाये होती रहती हैं। 2013 में उतराखंड में बादल फटने से 150 से अधिक लोग मारे गये। धन-जन की भारी बर्बादी हुई।

निष्कर्ष Conclusion

आज के लेख में हमने आपको विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानकारी दी है। इससे बचने के उपाय अपनाकर आप भी इस आपदाओं से बच सकते हैं। आशा करते हैं आपको यह लेख प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi अच्छा लगा होगा।

पढ़ें: पर्यावरण संरक्षण पर जबरदस्त नारे

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नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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27 Comments

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प्राकृतिक आपदा निबंध | Natural Disaster Hindi Essay

by Editor January 18, 2019, 2:32 PM 12 Comments

प्राकृतिक आपदा निबंध | Natural Disaster Hindi Essay 

प्रकृति का विनाशक रूप हमें  प्राकृतिक आपदा के समय देखने को मिलता है। प्रकृति किसी ना किसी रूप में धरती पर विनाश भी लेकर आती है जो भारी मात्रा में जीवसृष्टि को प्रभावित करता है। आज हम ऐसी ही प्राकृतिक आपदाओं के बारे में हिन्दी निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। 

प्राकृतिक आपदा पर संक्षिप्त निबंध (150 शब्द)

प्राकृतिक आपदाएं अर्थात प्रकृति के द्वारा सर्जित विपत्तियाँ जो मानव जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करतीं हैं। इन आपदाओं में मुख्य रूप से बाढ़, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी फटना, अकाल, सूखा, भूस्खलन, हिमस्खलन, तूफान, आँधी और चक्रवात आदि शामिल हैं।

प्राकृतिक आपदाओं पर मानव का कोई अंकुश नहीं है और ना ही ऐसी आपदाओं के आने का कोई पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है जिसके कारण इन आपदाओं के कारण भारी मात्रा में लोगों की मृत्यु होती है, उनके माल-सामान को नुकसान पहुंचता है। ऐसी आपदाओं के कारण धरती पर निवास कर रही अन्य जीवसृष्टि का भी नाश होता है।

कुछ प्राकृतिक आपदाएं मानव सर्जित हैं और कुछ आपदाएं प्रकृति के नियम के अनुसार हैं। ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए हर देश में आपदा प्रबंधन गठित किया गया है जो प्रभावित लोगों के जीवन को बहाल करने, उन्हें बचाने का कार्य करता है। सावधानी और समझदारी ही हमें प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकती है।

प्राकृतिक आपदा पर निबंध (300 शब्द)

प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा है की आज धरती पर पूरी जीव सृष्टि को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण मानव जीवन तो प्रभावित होता ही है साथ ही अन्य जीव सृष्टि को भी इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी का फटना,सुनामी, बादल फटना, चक्रवात, तूफान, हिमस्खलन,भूस्खलन, सूखा, महामारी आदि ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ हैं जिनसे सदियों से धरती की जीवसृष्टि त्रस्त है। आए दिन  ऐसी आपदाएँ हमारे जीवन को प्रभावित करतीं रहतीं हैं।

प्राकृतिक आपदाओं के कारण कुछ मानव सर्जित हैं और कुछ प्रकृति के नियमों के अनुसार हैं। इन सभी आपदाओं को रोका नहीं जा सकता क्यूंकी प्रकृति सृजन भी करती है और विनाश भी। प्राकृतिक आपदाओं से हम केवल अपने जान-माल का संरक्षण कर सकते हैं और उसके प्रभाव से स्वयं को बचा सकते हैं।

दुनिया भर के देशों ने प्राकृतिक आपदा प्रबंधन का गठन अपने-अपने देशों में किया है जो ऐसी आपदाओं के समय लोगों को रक्षण प्रदान करता है। भारत देश में भी प्राकृतिक आपदा प्रबंधन का गठन किया है जिसका उद्देश्य इन आपदाओं के समय लोगों के जान-माल का रक्षण करना है।

प्राकृतिक आपदाओं के कारण कुछ मानव सर्जित भी हैं लगातार जंगलों की कटाई, बढ़ता प्रदूषण, खनन, नदियों के बहाव में हस्तक्षेप आदि से हमने प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाया है जिसके कारण ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ीं हैं।

कुछ प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाकर बचा जा सकता हैं जैसे की तूफान, चक्रवात, तेज वर्षा लेकिन कुछ आपदाएँ ऐसी हैं जिनके बारे में पूर्वानुमान नहीं लगा सकते जैसे की भूकंप, सुनामी, बादल फटना, हिमस्खलन, सूखा,महामारी आदि।

प्राकृतिक आपदाएँ प्रकृति का एक हिस्सा हैं अतः मानव का इस पर कोई बस नहीं है, यदि हम प्रकृति के कार्यों में अपना हस्तक्षेप बंद करें तो काफी हद तक हम इन आपदाओं को रोक सकते हैं, साथ ही साथ ऐसी आपदाओं का पूर्वानुमान लगाकर हम अपने जान-माल को बचा सकते हैं।

प्राकृतिक आपदा पर विस्तृत निबंध (1300+ शब्द)

प्रकृति यदि सृजन करती है तो प्राकृतिक आपदाओं को लाकर विनाश भी करती है। प्राकृतिक आपदा उसे कहते हैं जब प्रकृति अपना रौद्र रूप लेकर धरती पर तबाही मचा देती है और मानव जीवन के साथ-साथ अन्य जीव सृष्टि को प्रभावित करती है। इन आपदाओं के कारण लोगों के जान-माल का बहुत नुकसान होता ही है साथ साथ प्राकृतिक आपदा से प्रभवित देश को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।

प्राकृतिक आपदाएँ कुछ दशकों से बढ़ीं हैं जिनका मुख्य कारण मानव का प्रकृति से खिलवाड़ है। हमने जंगलों विनाश किया है, पहाड़ों को नष्ट किया है, खनन कर धरती को खोखला कर दिया है, प्रदूषण फैलाकर जमीन, जल, हवा को दूषित कर दिया है इन सभी कारणों की वजह से प्रकृति का संतुलन बिगड़ा है जिसका परिणाम प्राकृतिक आपदाओं के रूप में हमें भुगतना पड़ रहा है।

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार और कारण

प्राकृतिक आपदा कोई एक नहीं बल्कि प्रकृति अलग-अलग रूप में विनाश करती है। धरती पर प्राकृतिक आपदाओं का आना सामान्य है क्यूंकी यह प्रकृति का एक हिस्सा है। कुछ मुख्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना हमें आए दिन करना पड़ता है।

बाढ़ – जब अधिक वर्षा के कारण नदियों का जल स्तर बढ़ जाता है तब बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। भारत में हर साल बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा का हमें सामना करना पड़ता है। बाढ़ का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है अतः इसके प्रभाव से लोगों की जान तो बचाई जा सकती है लेकिन फिर भी भारी मात्रा में बाढ़ के कारण लोगों को जान-माल दोनों का नुकसान उठाना पड़ता है।

बाढ़ के कारण हर साल हजारों लोग बेघर हो जाते हैं, उन्हें आर्थिक समस्याएँ झेलनी पड़तीं हैं। बाढ़ के कारण किसी भी देश को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। नदियों के बहाव को रोककर, उस पर बांध बनाकर और उसके बहाव को बदलकर कई बार हम मनुष्य ही बाढ़ के आने का कारण बनते हैं।

भूकंप – धरती के निचले भाग में जब कंपन्न उत्पन्न होता है तब धरती की सतह हिलने लगती है और होता है महा विनाश। जहां भी भूकंप आता है वहाँ भारी विनाश होता है। भूकंप प्राकृतिक आपदा का सबसे विनाशक रूप है। भूकंप की वजह से बड़े-बड़े मकान व इमारतें धराशायी हो जातीं हैं। हजारों लोगों की मृत्यु इस आपदा के कारण हो जाती है। जहां भी भूकंप का प्रभाव होता है वहाँ सिर्फ विनाश ही देखने को मिलता है।

भूकंप का पूर्व अनुमान नहीं लगाया जा सकता अतः इससे बचने के लिए पूर्व आयोजन नहीं कर सकते। परिणाम स्वरूप भारी जान-माल का नुकसान इस प्राकृतिक आपदा के कारण होता है।

सुनामी – समुद्र की तल में जब भूकंप आता है तब समुद्र मे तीव्र हल-चल उत्पन्न होती है जो एक भीषण सुनामी का रूप धारण कर लेती है। समुद्र में उत्पन्न सुनामी के कारण ऊंची-ऊंची लहरें उठतीं हैं और आस-पास के समुद्री इलाकों को तबाह कर देतीं हैं। दुनिया ऐसी विनाशकारी सुनामी की साक्षी रही है जिसमे भारी मात्रा में लोगों को जान माल का नुकसान उठाना पड़ा।

December 26, 2004 के दिन सुमात्रा-अंडमान में आई भयंकर सुनामी ने 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी। ऐसी ही अनेक विनाशक सुनामी का इतिहास भरा पड़ा है।

तूफान और चक्रवात – समुद्र में आने वाले तूफान और चक्रवात की वजह से दुनिया के कई शहरों में हर साल विनाशक बाढ़ आती है। इस प्रकार के तूफान और चक्रवात के कारण बिन मौसम भारी बरसात होती है जिसके कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है, तेज हवाओं के कारण भारी मात्रा में सर्वनाश होता है। भारत में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में हर साल तूफान और चक्रवात आते हैं परिणाम स्वरूप भारी मात्रा में जान माल का नुकसान उठाना पड़ता है।

हिमस्खलन – हिमस्खलन अर्थात बर्फ का तूफान। बर्फीले प्रदेश में अक्सर हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता है। बर्फीले तूफान में ऊंचे-ऊंचे हिम पहाड़ों से बर्फ नीचे की ओर गिरती है और एक बर्फ के तूफान का रूप धारण कर लेती है। भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में हर साल ठंड के मौसम में बर्फीले तूफान की घटनाएँ देखने को मिलतीं हैं।

भूस्खलन – ऊंची चट्टानों, पहाड़ों और भूभागों से अक्सर भूस्खलन की स्थिति का निर्माण होता है जिसमे इन ऊचाई वाले स्थानों से भरी मात्रा में मिट्टी और पत्थरों का नीचे की तरफ स्खलन होता है जिसकी वजह से नीचे रह रहे लोगों को जान और माल दोनों का नुकसान होता है। 2014 में भारत के महाराष्ट्र के मालिन गाँव में भूस्खलन की घटना घटित हुई थी जिसमे कुल 151 लोगों की मृत्यु हुई थी।

बादल फटना – जब बरसात के बादल अचानक से भारी मात्रा में बरसात कर देते हैं तो इसे बादलों का फटना कहते हैं। बादल फटने के कारण बिलकुल कम समय में तेज बारिस होती है जिसके कारण बाढ़ की स्थिति बन जाती है। भारत के उत्तराखंड में हर साल बादल फटने की घटनाएँ देखने को मिलतीं हैं। 2013 में केदारनाथ में बादल फटने के कारण कुल 6000 लोगों की मृत्यु हुई थी और भारी मात्रा में आर्थिक नुकसान हुआ था।

ज्वालामुखी फटना – विश्व के कई देश हैं जहां बड़ी-बड़ी ज्वालामुखी विनाश का कारण बनतीं हैं। इन ज्वालामुखियों से निकलने वाला गरम लावा आस-पास के इलाकों को तबाह कर देता है। ज्वालामुखी के फटने से कई तरह की जहरीली गैसें वातावरण में घुलतीं है और वातावरण को प्रभावित करतीं हैं।

सूखा और अकाल पड़ना – सूखा और अकाल तब पड़ता है जब बरसात के मौसम में भी बिलुकल बरसात ना हो। भारत के कई राज्य ऐसे हैं जो सूखे और अकाल से ग्रसित हैं, जहां कई सालों से बरसात नहीं हुई है। सूखे और अकाल के कारण लोगों को पीने का पानी नहीं मिलता, भुखमरी की स्थिति खड़ी हो जाती है, फसल का नाश होता है और हरी भरी भूमि भी बंजर हो जाती है। सूखे और अकाल के पीछे कहीं ना कहीं मानव जिम्मेदार है जिसने जंगलों को काटकर बरसात में अवरोध उत्पन्न किया है।

महामारी फैलना – महामारी अर्थात अनेक प्रकार की बीमारियाँ जो अधिक संख्या में एक साथ लोगों को प्रभावित करतीं हैं। ऐसी महामारी भी एक प्राकृतिक आपदा है। महामारी फैलने के कारण हजारों की संख्या में हर साल लोगों की मृत्यु हो जाती है। ऐसी कई बीमारियाँ हैं जो हवा की तरह फैलतीं हैं और एक साथ सैकड़ों लोगों की जान ले लेतीं हैं।

प्राकृतिक आपदा प्रबंधन

प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता अतः ऐसी आपदाओं से जान-माल का कम से कम नुकसान हो इसलिए प्राकृतिक आपदा प्रबंधन का गठन किया गया है जिसका काम  ऐसी आपदाओं का सामना कर रहे लोगों की मदद करना है और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव से कम से कम नुकसान हो ऐसा प्रयत्न व योजनाओं के बारे में रूप रेखा तैयार करना है।

आपदा प्रबंधन प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना, उनका जीवन फिर से बहाल करना, जरूरी चीज-वस्तुओं को लोगों तक पहुंचाना, फंसे हुये लोगों को बचाना आदि कठिन कार्य करता है।

प्राकृतिक आपदा से बचने के उपाय

  • नदियों के किनारे निवास नहीं करना चाहिए क्यूंकी बाढ़ सबसे पहले किनारे रह रहे लोगों को प्रभवित करती है, यदि बाढ़ आने की स्थिति हो तो ऐसी जगह से पलायन करना ही उचित है।
  • भूकंप का अनुमान नहीं लगा सकते, अतः मकानों का निर्माण भूकंप निरोधी होना चाहिए।
  • आपदा की स्थिति में एक आपातकालीन किट को तैयार करें जिसमें महत्वपूर्ण दस्तावेजों, महत्वपूर्ण फोन नंबरों की एक सूची, जरूरी दवाएं,पानी, एक टॉर्च, माचिस, कंबल और कपड़े आदि को रखें जिससे की आपको किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।
  • यदि आप एक तटीय क्षेत्र में रहते हैं, तो अपने घर की खिड़कियों को कवर करने और बाहरी वस्तुओं को सुरक्षित करने के लिए योजना बनाएं। यदि कोई तूफान आ रहा है, तो सूचित रहने के लिए एक स्थानीय टीवी या रेडियो स्टेशन को सुनें और स्थान खाली करने के लिए तैयार रहें।
  • बाढ़ कहां हो रही है, इसकी जानकारी के लिए टीवी या रेडियो सुनें। अपने क्षेत्र में बाढ़ की चेतावनी के रूप में, आपको घर खाली करने की सलाह दी जा सकती है; इस मामले में, तुरंत ऐसा करें और तुरंत उच्च स्थान की तलाश करें।

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प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध 10 lines (Natural Disasters Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

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Natural Disasters Essay in Hindi – प्राकृतिक आपदाएँ मनुष्य के वश में नहीं हैं। कई अन्य देशों की तरह, भारत भी अपनी भौगोलिक स्थिति और पर्यावरण के कारण कई प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त है। पिछले कुछ दशकों में, भारतीय उपमहाद्वीप में तापमान में वृद्धि हुई है। एक प्राकृतिक आपदा को आपदा कहा जाता है जब यह बड़े पैमाने पर लोगों या संपत्ति को प्रभावित करती है। यहाँ ‘प्राकृतिक आपदा’ विषय पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

प्राकृतिक आपदाओं पर 10 लाइनें (10 Lines on Natural Disasters in Hindi)

  • 1. प्राकृतिक आपदा पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न एक बड़ी घटना है।
  • 2. इससे जान-माल का भारी नुकसान होता है।
  • 3. ऐसी आपदाओं में जितने लोग अपनी जान गंवाते हैं, उससे कहीं अधिक लोग बेघर और अनाथ होने के बाद जीवन का सामना करते हैं।
  • 4. आज पृथ्वी पर अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रतिवर्ष जान-माल का भारी नुकसान होता है।
  • 5. ये आपदाएं अचानक आती हैं और कुछ ही पलों में सब कुछ तबाह कर देती हैं। जब तक मनुष्य कुछ समझ पाता इस आपदा ने सब कुछ तहस-नहस कर डाला।
  • 6. इन आपदाओं से बचने के लिए न तो उसके पास कोई व्यावहारिक उपाय है और न ही कोई युक्ति।
  • 7. प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए वैज्ञानिकों को उन्नत वार्मिंग सिस्टम का आविष्कार करना चाहिए।
  • 8. निर्माण करते समय, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उक्त निर्माण भूकंप का सामना करने के लिए पर्याप्त मजबूत हो।
  • 9. ऐसी किसी भी आपदा के दौरान लोगों को निकासी के बारे में शिक्षित करना चाहिए।
  • 10. इस प्रकार कुछ सावधानियां बरत कर हम प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने और उसकी भरपाई करने का प्रयास कर सकते हैं।

प्राकृतिक आपदाओं पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Natural Disasters in Hindi)

मनुष्य जब तक पृथ्वी पर रहा है तब तक प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव के अधीन रहा है। आपदाएं, दुर्भाग्य से, हर समय हो रही हैं। अधिकांश प्राकृतिक आपदाएँ जो हम देखते हैं वे प्राकृतिक शक्तियों के कारण होती हैं। इसलिए, उन्हें होने से रोकना लगभग असंभव है। बाढ़, सूखा, भूस्खलन, भूकंप और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएँ पूरे विश्व में अक्सर आती रहती हैं। अक्सर, प्राकृतिक आपदाएं व्यापक प्रभाव छोड़ती हैं और क्षति को नियंत्रित करने में वर्षों लग सकते हैं। हालांकि, अगर उचित चेतावनी प्रणाली या नीतियों का उपयोग किया जाए तो इन प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नकारात्मक प्रभावों और नुकसान को काफी कम किया जा सकता है।

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प्राकृतिक आपदाओं पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Natural Disasters in Hindi)

Natural Disasters Essay in Hindi – प्राकृतिक आपदाएं ज्यादातर प्राकृतिक रूप से घटित होने वाली घटनाएं हैं जो मानव जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। हर साल दुनिया भर में प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई लोगों की जान चली जाती है। बहुत से लोग बिना घर या संपत्ति के रह गए हैं। वे अंतहीन रूप से पीड़ित हैं। कुछ प्राकृतिक आपदाएँ बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, तूफान, सूखा, जंगल की आग हैं। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब घनी आबादी वाले स्थान पर प्राकृतिक आपदा आ जाती है। दुर्भाग्य से, अधिकांश प्राकृतिक आपदाएँ होने से रोकी नहीं जा सकती हैं। हम केवल इन घटनाओं का पूर्वानुमान लगा सकते हैं और नुकसान को कम करने के लिए आवश्यक उपाय कर सकते हैं।

भारत अपनी अनूठी भूगर्भीय स्थिति के कारण प्राकृतिक आपदाओं के लिए सबसे कमजोर देशों में से एक है। भारत में हर साल विभिन्न तीव्रता के लगभग पांच चक्रवात आते हैं। हिमालय के पास भारत के कई उत्तरी भागों में गर्मियों में सूखा और हल्के से लेकर तेज़ भूकंप अक्सर अनुभव किए जाते हैं। भारत में पतझड़ और गर्मी के मौसम में जंगल में आग लगने की घटनाएं होती हैं। हमारा देश प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों के कारण नाटकीय जलवायु परिवर्तन और बड़े पैमाने पर ग्लोबल वार्मिंग भी देख रहा है। इस वजह से प्राकृतिक आपदाएं पहले की तुलना में बार-बार आ रही हैं।

प्राकृतिक आपदाओं से निपटना (dealing with natural disasters)

अधिकांश प्राकृतिक आपदाएँ हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं और अनियमित रूप से घटित हो सकती हैं। हालांकि, हम बस इतना कर सकते हैं कि जैसे ही आपदा होने वाली है, हम भविष्यवाणी करने में सक्षम होते ही आवश्यक सावधानी बरतते हैं। ग्लोबल वार्मिंग इन सभी चीजों का एक अहम कारण है। इसलिए, हमें अपने प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण करना चाहिए। आने वाली आपदाओं के बारे में लोगों को चेतावनी देना आवश्यक है। यदि आवश्यक हो तो एक अनिवार्य निकासी की जानी चाहिए। आपदा के बाद लोगों को आपदा से हुए नुकसान और नुकसान की भरपाई के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराई जाए।

प्राकृतिक आपदाओं पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Natural Disasters in Hindi)

Natural Disasters Essay in Hindi – एक प्राकृतिक आपदा एक अप्रत्याशित घटना को संदर्भित करती है जो पृथ्वी पर जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाती है। ये पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक हैं और पृथ्वी पर मौजूद जीवों के जीवन में भी तबाही मचा सकते हैं। विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ हैं जो वनस्पतियों और जीवों को अपने अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करती हैं। उनमें से कुछ में सुनामी, ज्वालामुखी, बाढ़, भूकंप और बहुत कुछ शामिल हैं। आइए विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करें:

भूकंप प्लेटों के विवर्तनिक संचलन के कारण पृथ्वी की सतह के हिलने को संदर्भित करता है। भूकंप कभी भी आ सकता है और मानव जाति को भारी तबाही मचा सकता है। कुछ भूकंपों की तीव्रता कम होती है और वे किसी का ध्यान नहीं जाते जबकि ऐसे भूकंप होते हैं जो इतने शक्तिशाली होते हैं और प्रतिकूल परिणाम देते हैं। भूकंप भी भूस्खलन और सुनामी का कारण बन सकते हैं और इसलिए इसे काफी खतरनाक और विनाशकारी माना जाता है।

भूस्खलन भी पृथ्वी की गति के कारण होता है। इसमें विशाल चट्टानें और पहाड़ एक ढलान से नीचे की ओर खिसकते हैं और प्राकृतिक और मानव निर्मित संपत्ति को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं। हिमस्खलन भूस्खलन के समान हैं, हालांकि, हिमस्खलन मूल रूप से ढलानों से बर्फ का टूटना है जिसके परिणामस्वरूप इसके रास्ते में आने वाली हर चीज को अत्यधिक नुकसान होता है। बर्फ से ढके पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को हमेशा हिमस्खलन का डर बना रहता है।

सुनामी भी बहुत खतरनाक और जानलेवा प्राकृतिक आपदाएँ हैं जो समुद्रों और महासागरों में होती हैं। ठीक है, यह समुद्र के नीचे पृथ्वी की गति के कारण होता है जिसके परिणामस्वरूप ऊंची लहरें उठती हैं जो बाढ़ का कारण बनती हैं और मानव जीवन को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं।

कई अन्य प्राकृतिक आपदाएँ हैं जो घातक साबित हुई हैं इसलिए यह समय की आवश्यकता है कि लोग और सरकार आपदा प्रबंधन दिशानिर्देशों को समझें जो पृथ्वी पर आपदाओं के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। आपात स्थिति के मामले में लोगों को एहतियाती कदम उठाने चाहिए जो उन्हें इससे बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं। सरकार और एनडीएमए को जवाबदेह कार्रवाई करनी चाहिए ताकि पृथ्वी पर विभिन्न जीवन को बचाया जा सके।

प्राकृतिक आपदाओं पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Natural Disasters in Hindi)

प्राकृतिक आपदाएँ ऐसी घटनाएँ हैं जो या तो जैविक गतिविधि या मानव निर्मित गतिविधि के कारण होती हैं। इसके होने के बाद लंबे समय तक मानव जीवन और संपत्ति प्रभावित होती है। दुनिया भर में हर दिन मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण है। भारत अपनी संवेदनशील भौगोलिक स्थिति के कारण प्राकृतिक आपदाओं से काफी पीड़ित है। इसके कारण हमारे देश को अभी भी एक उचित आपदा प्रबंधन इकाई की आवश्यकता है।

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार

भारत में विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ बहुत बार घटित होती हैं और लोगों के जीवन पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है।

भूकंप | भूकंप एक प्राकृतिक घटना है जब पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें अचानक खिसक जाती हैं और जमीन हिलने लगती है। इस झटकों से इमारतों और अन्य संरचनाओं को नुकसान हो सकता है, साथ ही जीवन की हानि भी हो सकती है। भूकंप किसी भी समय आ सकते हैं और बिना किसी चेतावनी के आ सकते हैं, जिससे वे एक भयावह और अप्रत्याशित घटना बन जाती हैं।

चक्रवात | एक चक्रवात एक प्रकार का तूफान है जो एक निम्न दबाव केंद्र और तेज हवाओं की विशेषता है जो अंदर और ऊपर की ओर सर्पिल होती है। चक्रवात भी टाइफून या हरिकेन होते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे किस क्षेत्र में आते हैं। चक्रवात गर्म समुद्र के पानी पर बनते हैं और आम तौर पर भूमि की ओर बढ़ते हैं, जहां वे व्यापक क्षति और विनाश का कारण बन सकते हैं। वे अक्सर भारी वर्षा के साथ होते हैं और बवंडर पैदा कर सकते हैं। एक चक्रवात की विनाशकारी शक्ति इसकी तेज हवाओं से आती है, जो 150 मील प्रति घंटे से अधिक की गति तक पहुंच सकती है। ये हवाएँ पेड़ों को उखाड़ सकती हैं, इमारतों को नुकसान पहुँचा सकती हैं, और तूफानी लहरें पैदा कर सकती हैं, बड़ी लहरें जो तटीय क्षेत्रों में बाढ़ ला सकती हैं।

जंगल की आग | एक जंगल की आग एक बड़ी, अनियंत्रित आग है जो एक प्राकृतिक आवास में होती है, जैसे जंगल, घास के मैदान या प्रेरी। वनाग्नि विभिन्न कारकों के कारण हो सकती है, जिसमें बिजली, मानव गतिविधि और चरम मौसम की स्थिति शामिल हैं। जब जंगल में आग लगती है, तो यह अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को जलाकर तेजी से फैल सकती है। जंगल की आग के पर्यावरण और लोगों पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, वे घरों और अन्य इमारतों और सड़कों और पुलों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नष्ट कर सकते हैं। वे क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए वायु प्रदूषण और श्वसन संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकते हैं।

मानवीय गतिविधियाँ और प्राकृतिक आपदाएँ

मानवीय गतिविधियाँ भूकंप, तूफान और जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं की घटना और गंभीरता में योगदान कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, वनों की कटाई, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन जैसी गतिविधियाँ इन घटनाओं की संभावना और प्रभाव को बढ़ा सकती हैं।

वनों की कटाई, जो एक क्षेत्र से वनस्पति को हटाती है, प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को बढ़ा सकती है। पेड़ और अन्य वनस्पतियां मिट्टी की ऊपरी परत को अपने स्थान पर बनाए रखती हैं, जो कटाव और भूस्खलन को रोकती हैं। जब इन पौधों को हटा दिया जाता है, तो जमीन भारी वर्षा या अन्य प्राकृतिक शक्तियों के बह जाने के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है।

शहरीकरण, या शहरों और कस्बों का विकास भी प्राकृतिक आपदाओं में योगदान कर सकता है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोग शहरी क्षेत्रों में जाते हैं, भूकंप, जंगल की आग और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, इमारतों और अन्य संरचनाओं का निर्माण प्राकृतिक परिदृश्य को बदल सकता है, जिससे यह भूकंप और अन्य घटनाओं से होने वाली क्षति के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।

जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी की सतह और वातावरण का लंबे समय तक गर्म होना, प्राकृतिक आपदाओं की संभावना और गंभीरता को भी बढ़ा सकता है। उच्च तापमान अधिक बार तीव्र गर्मी की लहरें, सूखा और जंगल की आग का कारण बन सकता है। समुद्र का जलस्तर बढ़ने से और भी गंभीर बाढ़ आ सकती है, खासकर तटीय क्षेत्रों में।

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प्राकृतिक आपदा पर निबंध- Essay on Natural Disaster in Hindi

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प्राकृतिक आपदा पर निबंध- Essay on Natural Disaster in Hindi

भूमिका- प्राकृतिक आपदा प्रकृति के द्वारा अचानक से होने वाली दुर्घटनाओं को कहा जाता है। प्राकृतिक आपदाओं पर मनुष्य का कोई जोर नहीं है और न हीं इनके विषय में पहले से पता लगाया जा सकता है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण मनुष्य को जान माल का नुकसान होता है। प्राकृतिक आपदाओं का हमें सामना करना चाहिए। प्राकृतिक आपदाओं के अंतर्गत भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भु संख्लन, बाढ़ आदि आते हैं।

प्राकृतिक आपदा के प्रकार ( Types of Natural Disasters in Hindi )

1. भूकंप- भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिससे भूमि के अंदर हलचल हो जाती है और बहुत ही ज्यादा हानि होती है।

2. ज्वालामुखी विस्फोट- ज्वालामुखी के विस्फोट होने से लावा निकलता है जिसमें बहुत सी हानिकारक गैसें होती है जो पर्यायवरण के लिए बहुत हानिकारक है।

3. बाढ़- किसी भी क्षेत्र में वर्षा की अधिकता के कारण पानी के स्तर में वृद्धि होना बाढ़ कहलाता है जिससे वहाँ पर रहने वाले लोगों का जीवन बहुत प्रभावित होता है।

4. भु संख्लन- किसी भी बड़े भूभाग का अपने स्थान से खिसक जाना भु संख्लन कहलाता है।

5. सुनामी- समुद्रों में तेजी से उठने वाली लहरों के कारण सुनामी आती है जिससे समुद्र के कारण रहने वाले लौगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

प्रभाव- प्राकृतिक आपदा के कारण पर्यायवरण और जीवम पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ते है। इनके कारण जलवायु में परिवर्तन हो रहे है जिससे रितु परिवर्तन निर्धारित समय पर नहीं होता है। कहीं पर अकाल की संभावना हो जाती है तो कहीं पर बाढ़ आती है जिससे जान और माल दोनों की हानि होती है। प्राकृतिक आपदा के कारण पर्यायवरण में गर्मी और प्रदुषण की मात्रा बढ़ती जा रही है और पशु पक्षियों और वनस्पति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

आपदा प्रबंधन- वैसे तो प्राकृतिक आपदाओं का पहले से पता नहीं लगाया जा सकता है लेकिन फिर भी हम इनसे बचने के लिए कुछ प्रबंध कर सकते हैं। अपने घर और दुकान आदि का बीमा करवा सकते हैं। अपने साथ हमेशा प्राथमिक चिकित्सा का सामान रखते हैं। वर्षा के समय में पानी की निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए और समुद्र के निकट रहने वाले लोगों को किसी और स्थान पर चले जाने चाहिए।

निष्कर्ष- प्राकृतिक आपदाओं को मनुष्य की गतिविधियों के कारण भी बढ़ावा मिला है और वह हमारे लिए विनाशकारी साबित हुई है। प्राकृतिक आपदाओं से बचने के तरीकों के बारे में बच्चों को पहले से ही सिखाया जाना चाहिए और इनसे डरने की बजाय इनका डटकर सामना करना चाहिए।

# प्राकृतिक आपदा कारण एवं निवारण पर निबंध

Essay on Earthquake in Hindi- भूकंप पर निबंध

सूखा या अकाल पर निबंध- Essay on Drought in Hindi

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ध्यान दें – प्रिय दर्शकों Essay on Natural Disaster in Hindi आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।

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इस निबंध मेरे लिए बहुत मददगार था।

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प्राकृतिक आपदा पर निबंध

Essay on Natural Disaster in Hindi : प्राकृतिक आपदा वह होती है, जो अपने आप कोई भी संकट आ पड़े। प्राकृतिक आपदाएं बहुत तरह की होती हैं। जैसे भूकंप, सुनामी, बाढ़, भूस्खलन, इत्यादि। हम यहां पर प्राकृतिक आपदा पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में प्राकृतिक आपदा के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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प्राकृतिक आपदा पर निबंध | Essay on Natural Disaster in Hindi

प्राकृतिक आपदा पर निबंध (250 शब्द).

आपदा जो प्रकृति के द्वारा उत्पन्न होती है। उन्हें हम प्राकृतिक आपदाएं कहते हैं। यह कई प्रकार की होती हैं। जैसे बाढ़, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी फ़टना, अकाल पढ़ना, सूखा पड़ना, भूस्खलन, तूफान, आंधी और भी कई प्रकार की आपदा इसमें शामिल है।

इन पर मनुष्य का कोई भी बस नहीं चलता है, और ना ही ऐसी आपदाओं का आने का हमें विशेष तौर पर पता होता है। जिसके कारण लोगों को बहुत ज्यादा नुकसान होता है। बहुत से लोगों की मृत्यु हो जाती है। बहुत से जान माल की हानी होती है। प्राकृतिक आपदाओं की वजह से अन्य जीव जंतु पशु पक्षी जानवर सभी को बहुत ही ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से सभी का जीवन खतरे में आ जाता है क्योंकि यह आपदाएं बिना बताए आती हैं।

कुछ आपदाएं ऐसी होती हैं, जो मानव के द्वारा प्रकट होती हैं, परंतु कुछ आपदाएं ऐसी होती हैं, जो प्रकृति की होती हैं। उनसे हमारा बस नहीं चल सकता है, लेकिन हम इससे बचने के कई उपाय कर सकते हैं। जिनसे हमारा जीवन प्रभावित होने से बचा सके। सरकार आए दिन प्रयत्न करती रहती है, ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए नए-नए काम करती रहती है। जिससे हम प्राकृतिक आपदाओं से बच सकें और हमें भी चाहिए कि हम जितना हो सके इनका ध्यान रखें और सावधानी और समझ के साथ इन आपदाओं का सामना करें।

जितना आजकल धरती को नुकसान हो रहा है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है। उसकी वजह से प्राकृतिक आपदाएं भी बढ़ती जा रही हैं, क्योंकि जितना यह सब बढ़ेगा उतनी आपदाएं भी आने की संभावना रहेगी। इसीलिए हमें चाहिए कि हम अपने आप को सुधारें और समझदारी के साथ सावधानी के साथ सभी काम करें।

प्राकृतिक आपदा पर निबंध (850 शब्द)

प्राकृतिक आपदा अर्थात ऐसी आपदाएं जो प्रकृति के द्वारा हमें मिलती हैं। जिसकी वजह से धरती पर तबाही मच जाती है। ऐसी आपदाओं को प्राकृतिक आपदा कहा जाता है। यह आपदाएं कई प्रकार की हो सकती हैं, इन आपदाओं की वजह से इंसान को ही नहीं बल्कि जान-माल को भी बहुत नुकसान पहुंचता है।

प्राकृतिक आपदा का सबसे मुख्य कारण है, हमारे द्वारा प्रकृति से खिलवाड़ करना। जिस तरह से लोग जंगलों को खत्म कर रहे हैं, पहाड़ों को तोड़ रहे हैं, धरती को खोखला कर रहे हैं, प्रदूषण बढ़ रहा है, जल, हवा को दूषित किया जा रहा है। इन सभी की वजह से प्रकृति का संतुलन बिगड़ता ही जा रहा है। जिसकी वजह से हमें प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है।

कुछ सामान्य तौर पर प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार और कारण

प्राकृतिक आपदाएं कई प्रकार की होती हैं। जिसकी वजह से धरती का विनाश हो रहा है। कुछ प्राकृतिक आपदाओं का हमें आए दिन सामना करना पड़ता है। आइए कुछ के बारे में हम बात करते हैं;-

बाढ़ – जब बहुत अधिक वर्षा होती है, जिसकी वजह से नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है, और वह बाढ़ के रूप में उभर जाती है। जिसकी वजह से हमें बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण लोगों को और जानमाल दोनों को ही नुकसान पहुंचता है। कई लोग इसकी वजह से बेघर हो जाते हैं।

भूकंप – धरती के निचले भाग में जब कंपन होता है। उसके पश्चात धरती की सतह हिलने लगती है। इसकी वजह से भूकंप पर आता है, भूकंप की वजह से बड़े-बड़े मकान इमारतें गिरने लगती हैं, इसकी वजह से हजारों लोगों की मौत हो जाती है।

सुनामी – जब समुद्र के अंदर भूकंप आता है, तो उसकी जल की हलचल बहुत ही ज्यादा तेज हो जाती है। जब अत्यधिक तेज हो जाती है, तो वह सुनामी का रूप ले लेती है। जिसकी वजह से आसपास के इलाकों में तबाही शुरू हो जाती है, और लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

तूफान एवं चक्रवात – समुंद्र में आने वाले तूफान और चक्रवात की वजह से दुनिया के कई शहर में बाढ़ आ जाती है। जब बिन मौसम अधिक बारिश होती है, तब तूफान और चक्रवात की संभावना बढ़ जाती है, और तेज हवाएं चलने लगती हैं। जिसकी वजह से लोगों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है।

हिमस्खलन – इसका मतलब होता है, बर्फ में तूफान आना। कई बार हमें बर्फीले इलाके में भी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ सकता है। जब ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से बर्फ नीचे गिरने लगती है, तब यह तूफान में बदल जाती है। सबसे बड़ा उदाहरण जम्मू कश्मीर मैं तूफान देखा जाता है।

भूस्खलन – जब ऊंची चट्टानों में पहाड़ों में और विभागों में भारी मात्रा में मिट्टी और पत्थरों का नीचे खिसकना भूस्खलन कहलाता है। जिसकी वजह से लोगों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है।

बादल फटना – जब अधिक मात्रा में बरसात होने लगती है। इसकी वजह से बादल फटने का डर रहता है। इस समय तेज बारिश हो जाती है। जिसकी वजह से बाढ़ की स्थिति भी अक्सर बढ़ जाती है। ऐसा उदाहरण उत्तराखंड में हर साल देखने को मिलता है।

ज्वालामुखी फटना – ज्वालामुखी कैसे होती है, जब धरती में से गर्म लावा निकलता है, इसकी वजह से भारी जनसंख्या में तबाही होती है। लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सूखा पड़ना / अकाल आना – कई जगहों पर बारिश बहुत ही कम होती है। जिसकी वजह से वहां पर पानी की कमी हो जाती है। सूखा पड़ने लगता है, तालाब नदियों में पानी खत्म हो जाता है, इसी वजह से फसल भी अच्छी नहीं होती है, भुखमरी बढ़ जाती है, ऐसे में लोगों को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

महामारी फैलना – महामारी बहुत तरह की होती हैं। ऐसे कई वायरस होते हैं, जिनकी वजह से हजारों की संख्या में लोगों की मौत होती है। हाल ही में कोरोनावायरस ऐसा एक वायरस आया है, इसके चलते बहुत से लोगों की मौत हुई है। ऐसी बीमारियों से हमें सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

प्राकृतिक आपदा मैं फंसे लोगों को कैसे बचाया जा सकता है

 प्राकृतिक आपदा को रोका तो नहीं जा सकता है, परंतु इसमें कई लोग बेघर हो जाते हैं। उन्हें हमें बचाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए प्रबंधन बनाए जाते हैं। जिसके चलते यह प्रयत्न करते हैं कि जान माल की हानि कम हो। लोगों की मदद की जाए, जो लोग आपदा में फंस जाते हैं, उनके लिए योजनाएं बनाई जाती हैं। प्रयास किए जाते हैं, जिससे उनको बचाया जा सके।

जहां पर आपदा आई होती है, वहां पर यही प्रयत्न किया जाता है, कि लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाए। लोगों तक जरूरी वस्तुएं पहुंचाई जाए। लोगों को फिर से नया जीवन दिया जाए। फंसे हुए लोगों की जितनी हो सके अधिक से अधिक मदद की जाए। उनके अधिकतर यही प्रयास रहते हैं।

प्राकृतिक आपदा से कैसे बचे

  • अधिकतर नदियों में बाढ़ आने की संभावना ज्यादा होती है, इसलिए हमें अपना निवास स्थान नदियों के पास नहीं बनाना चाहिए।
  • हमें यह नहीं पता होता है, कि भूकंप आने वाला है। इसीलिए हमें चाहिए कि, हम अपने मकान को भूकंप विरोधी बनाएं।
  • कोई भी प्राकृतिक आपदा अगर अचानक से आ जाए तो, इसके लिए हम एक किट तैयार रखनी चाहिए। जिसमें हमें जरूरत का सामान रखना चाहिए, जैसे कि फोन नंबरों की सूची, दवाइयां, टॉर्च, कंबल, कुछ कपड़े इत्यादि चीजों को समेट कर रखना चाहिए।
  • अगर आप समुद्री तट के पास रह रहे हैं, तो आपको चाहिए कि, आप ऐसे खिड़कियां दरवाजे बनाएं कि, अगर कोई भी आपातकालीन स्थिति हो तो आप वहां से निकल सके।

जिस तरह से मानव का बस नहीं चलता है, प्राकृतिक आपदाओं पर, उस तरह से हमें उतनी ही सावधानी बरतने की आवश्यकता है। अगर हम प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, तो अपने आप ही प्राकृतिक आपदाएं कम हो जाएंगे। जिससे हम को बहुत बड़ी राहत मिल सकती है। इसीलिए हमें चाहिए कि, हम ध्यान रखें और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाए। जिसकी वजह से किसी को भी दिक्कत ना हो और परेशानी का सामना ना करना पड़े, इसके लिए हमें निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

आज के हमारे इस लेख में हमने आपको प्राकृतिक आपदा पर निबंध ( Essay on Natural Disaster in Hindi ) के बारे में बताया है। आशा करते हैं, कि आप भी इसी तरह से सावधानियां बरतकर अपने आप को सुरक्षित रखेंगे। अगर आपको इससे संबंधित कोई और प्रश्न पूछना है, तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं। हम आपकी पूरी सहायता करने की कोशिश करेंगे।

  • यदि हिमालय नहीं होता तो क्या होता पर निबंध
  • बारिश पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध

Ripal

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Thanku so much this is a very good 👍 essay

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‘प्राकृतिक आपदा पर निबंध (Natural disaster Essay in Hindi)

‘आपदा’ का मतलब मनुष्य या कोई भी जानवर जीव जंतुओ पर आने वाले संकट को आपदा कहते हैं। प्राकृतिक आपदा का मतलब प्राकृतिक तथा नैसर्गिक तरीके से होने वाला नुकसान या संकट से मनुष्य जाति को होने वाली हानी को कहते हैं। सभी जातियों को जो हानि होती है,उसे प्राकृतिक आपदा कहते है। कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं है।भूकंप ,ज्वालामुखी,बाढ़ ,सूखा, वनों में आग लगणा, शीत लहर , समुद्र तूफान, तप लहर, सुनामी, बिजली गिरना, बादलों का फटना अन्य।

‘प्राकृतिक आपदा पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essay on Natural disaster in Natural disaster par Nibandh Hindi mein)

प्राकृतिक आपदा एक बहुत ही बड़ा संकट है, जिसे रोक पाना बहुत मुश्किल होता है। मतलब हम उसे रोक ही नहीं सकते। प्राकृतिक आपदा सभी के लिए खतरनाक होती है। वह पृथ्वी की प्राकृतिक में से ही उत्पन्न होती है। इससे सभी तरह का नुकसान होता है। आज पृथ्वी पर अनेक प्रकार की आपदाओं के कारण प्रतिवर्ष कई जाने जाती है ।उत्पन्न का भी नुकसान होता है।प्राकृतिक आपदा तबाही की अचानक होने वाली घटना है।

प्राकृतिक आपदा से पहले हमें कभी-कभी संदेश होता है। पर हम उस पर ज्यादा तौर पर ध्यान नहीं देते हैं। भूकंप होने से पहले जमीन हल्के से हिलने जैसी दिखती है।समुद्र में कोई आपदा आने से पहले समुद्र का पानी जो है, वह तेज होता दिखता है। बाढ़ में कई घर परिवार बहकर जाते हैं। वनों में आग लगने के कारण वृक्ष रोपण कम होता है। जीव जंतुओं के जान के लिए हानिकारक होती है। पानी की बारिश ज्यादा होने पर खेतों में फसल अच्छे से नहीं होती और कम होने पर फसल सूख सी जाती है।बिजली गिरने से कई नुकसान होता है। पर वहां पर कई साल तक कुछ भी नहीं उगता है।

जिस प्रकार से पूरी दुनिया में तेजी से विकास हो रहा है। उसके पीछे प्राकृतिक हानी एवं मानवीय हानी भी ज्यादा बढ़ती दिखती है। यह हमारे लिए एक चिंता का विषय है। हर रोज कुछ नहीं खबर सुनने को मिलती है।प्राकृतिक आपदाएं के कारण पुल बह जाते हैं। पेड़ गिरते हैं, घर टूट जाते हैं ,पर्यावरण ज्यादा तौर पर प्रदूषित हो रहा है। इसका कारण मानव के ज्यादा किए गए कुछ गलत काम भी हो सकते हैं।

जिसके कारण विश्व के सभी जीवों को भुगतना पड़ता है।जनसंख्या की तीव्र वृद्धि की वजह से भी पर्यावरण को दबाव होने के कारण प्राकृतिक आपदा होती है। हमें आपदा से पहले ही आपदा के बारे में जानकारी को एकत्र करनी चाहिए। जिससे हम उस पर कुछ उपाय कर सकेंगे। लोगों को जागरूक करेंगे, हम आपदा के समय वृद्ध और आपदा में फसे लोगों को खान-पान या उनका इलाज करने के लिए मदद कर सकते हैं। आपदा आने पर हम निर्भयता से उसका सामना करना चाहिए। दूसरों को भी प्रोत्साहन करना चाहिए। जहां पर बाढ़ नहीं आ सकती वहां की जगह हमें पहचान कर रखनी चाहिए क्योंकि बाढ़ के समय हम वहां जा सकते हैं। हमें अपना ध्यान रखना चाहिए और आपदा में फांसे अन्य जीव जंतु और लोगों की मदद करनी चाहिए। हमें अपना मानव जाति के हक्का जता कर उसक मान रखना चाहिए।अपने परिवार यानी,अपनी विश्व को बचाने के लिए हमें लोगोंको जागृत रहना चाहिए।

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Essay on Natural Disaster in Hindi – प्राकृतिक आपदा पर निबंध

June 14, 2018 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में प्राकृतिक आपदा पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Natural Disaster in Hindi Language for students of all Classes in 150, 250, 500 words.

Essay on Natural Disaster in Hindi – प्राकृतिक आपदा पर निबंध

Essay on Natural Disaster in Hindi

Short Essay on Natural Disaster in Hindi Language – प्राकृतिक आपदा पर निबंध ( 150 words )

एक ‘प्राकृतिक आपदा’ पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप एक प्रमुख घटना है। यह जीवन और संपत्ति का एक बड़ा नुकसान का कारण बनता है। यह सच है कि एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और हम इसे रोक नहीं सकते हैं लेकिन कुछ तैयारियां करके, हम जीवन और संपत्ति के नुकसान की परिमाण को कम कर सकते हैं। सबसे पहले हमें ग्लोबल वार्मिंग को कम करना चाहिए जो सभी समस्याओं का मूल कारण है।

हमारे पास बीमा पॉलिसी भी होनी चाहिए ताकि हम किसी भी आपदा के बाद हमारे जीवन को पुनर्निर्मित करने के लिए पर्याप्त धन प्राप्त कर सकें। वैज्ञानिकों को अग्रिम चेतावनी प्रणाली का आविष्कार करना चाहिए। निर्माण के दौरान हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह भूकंप का सामना करने के लिए पर्याप्त मजबूत है। हमें किसी भी आपदा के दौरान लोगों को निकासी के बारे में शिक्षित करना चाहिए। इसलिए, कुछ सावधानी बरतकर हम प्राकृतिक आपदाओं के साथ केप कर सकते हैं।

Essay on Natural Disaster in Hindi – प्राकृतिक आपदा पर निबंध ( 250 words )

प्रकृति में किसी भी तरीके से परिवर्तन होने से जो विपत्ति उत्पन्न होती है उसे प्राकृतिक आपदाएँ कहते है। यह अक्समात आती है और बहुत ही भयानक होती है। प्राकृतिक आपदाएँ मनुष्य के पर्यायवरण में परिवर्तन के कारण ही हो रही है। जब कभी भी कोई भी प्राकृतिक आपदा आती है वह मनुष्य जीवन से लेकर सभी वन्ज जीवों के जीवन को तहस नहस कर जाती है। प्राकृतिक आपदाएँ बहुत से प्रकार की हैं-

Essay on Prakritik Aapda in Hindi – Types of Natural Disaster in Hindi

1. भूकंप- यह धरती में आंतरिक असंतुलन के कारण उत्पन्न होता है और इस भूकंप के झटके से दुर दुर के क्षेत्र भी प्रभावित होते है। 2. बाढ- नहर और नदियों में जब बारिश के समय में पानी का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है तब बाढ़ आने का खतरा ओर भी बढ़ जाता है। 3. सुनामी- समुमद्र में उठने वाली उँची उँची लहरों को सुनामी कहते हैं। यह जब भी आती है अपने साथ लाखों करोड़ों लोगों की जिंदगी ले जाती है।

ज्वालामुखी फटने, तुफान और चक्रवात जैसी और भी बहुत सी प्राकृतिक आपदाएँ हैं। मनुष्य अपने विकास के चक्कर में प्रकृति को नुकसान पहुँचा रहा है। प्रकृति क्रोधित होकर उन्हें हानि पहुँचाती है और सब कुछ तबाह तर देती है। हमें चाहिए कि हम कोई भी ऐसा काम म करे जिससे पर्यायवरण को नुकसान हो और प्रकृति कंरोधित हो।

Essay on Natural Disaster in Hindi – प्राकृतिक आपदा पर निबंध ( 500 Words )

भूमिका-  प्रत्येक व्यक्ति, समाज और देश को समय समय पर बहुत सी आपदाओं का सामना करना पड़ता है जिसमें से कुछ समय के साथ आती है और कुछ प्राकृतिक होती है। प्राकृतिक आपदाएं वह होती है जो प्रकृति में किसी भी भौतिक और रसायनिक तत्वों में हलचल होने से होती है जो कि बहुत ही विनाशकारी है और इससे जान माल की हानि होती है। यह आपदाएं अकस्मात आती है और इन्हें रोका नहीं जा सकता है अपितु इनके आने का केवल अंदाजा लगाया जा सकता है और उचित सावधानी बरती जा सकती है।

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार-

प्राकृतिक आपदाएं जन जाति और वनस्पतियों को विभिन्न रुप में प्रभावित करते हैं और इसके विभिन्न प्रकार कुछ इस प्रकार से है-

1. भूकंप- पृथ्वी की भीतरी सतह में प्लेटो के हिलने से कंपन पैदा होता है जिसे भूकंप कहा जाता है। यह अपने साथ बहुत सी इमारतों को गिरा देता है और लाखों लोगों की जान जाने का कारण बनता है।

2. बाढ़- बाढ़ की स्थिति अत्यधिक वर्षा के कारण उत्पन्न होती है जो अपने साथ बहुत से नगरों और कस्बों को बहा कर ले जाती है।

3. सुनामी- समुद्र की लहरों में हलचल होने से और उनमें वेग उत्पन्न होने से सुनामी आती है।

4. चक्रवात- जब तेज हवाएँ वर्षा के साथ साथ गोल गोल घुमती हुई आगे बढ़ती है तो उन्हें चक्रवात कहा जाता है और यह ज्यादातर बंगाल की खाड़ी में आते हैं।

5. बिजली गिरना- बारिश के मौसम में बिजली का गिरना भी प्राकृतिक आपदा है और हर साल बिजली गिरने से लगभग 24000 लोगों की मौत हो जाती है।

प्राकृतिक आपदाओं से हानियाँ-

प्राकृतिक आपदाएं जब भी आती है पूरी तरह से सब कुछ तहस नहस कर जाता है। इसे जान माल का बड़ी मात्रा में नुकसान होता है। बाढ़ के समय में पानी भर जाने से लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में बहुत मुश्किलें आती है। आपदा के समय में सभी चीजों के दाम बढ़ा दिए जाते हैं। मनुष्य के साथ साथ प्राकृतिक आपदाएं पशु पक्षियों और वनस्पति को भी बुरी तरह से प्रभावित करते हैं।

उपाय-

प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता है पर उनसे सावधानी बरतने के उपाय किए जा सकते हैं। हमें बारिश के समय में सभी नदियों, नालों को साफ रखना चाहिए ताकि उनमें पानी भरकर बाहर न निकले और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न न हो। हमें ज्यादा ऊंची इमारतें नहीं बनानी चाहिए ताकि भूकंप के समय वह गिरे ना। हमें आने वाली प्राकृतिक आपदाओ की चेतावनी टेलीविजन और अखबारों के द्वारा दी जाती है जिसर हमें अमल करना चाहिए और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।

निष्कर्ष-

प्राकृतिक आपदा किसी भी गाँव, किसी भी नगर और किसी भी देश में कभी भी आ सकती है और इससे बचाव के लिए नागरिकों को सजग और सचेत रहना चाहिए। हमें प्राकृतिक आपदा के समय एक दुसरे की मदद भी करनी चाहिए और बिना डरे पूरी तैयारी के साथ इन आपदाओं का सामना करना चाहिएचाहिए और देश को भारी जान माल का नुकसान होने से बचाना चाहिए।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Prakritik Aapda in Hindi – Essay on Natural Disaster in Hindi – प्राकृतिक आपदा पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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Natural Disaster Essay In Hindi- Causes, Types & More

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हेलो दोस्तों, आपका StudyDev में स्वागत है। आज हम आपको Natural Disaster Essay In Hindi के बारे में बताने वाले है। हम आपको कुदरती करोपि की सारी जानकारी देने वाले है। जिसमे हम आपको इसकी किस्मों के बारे, यह कैसे होता है और इसे कैसे रोका जा सकता है। यह भारत में किस किस जगह पर जयादा पाया जाता है।

नेचुरल डिजास्टर एक ऐसी प्रकिर्या है जो कभी भी आ सकती है और यह हमें कभी भी कुछ बताकर नहीं होती है। यह सब कुछ वातावरण पर निर्भर करता है। कि हम पर्यावरण को किस तरह से रख रहे है। अगर कोई भी आदमी प्रकिरती से कोई हलचल करता है तो ऐसी आफत आना संभव है।तो आइये जानते है कुदरती हलचल के बारे में।

Table of Contents

प्राकृतिक आपदा पर निबंध-प्राकृतिक आपदा क्या है?

नेचुरल डिजास्टर को हम ऐसे समझ सकते है, यह एक ऐसी अनचाही घटना होती है जो के बिना बताए घटती है। यह मनुष्य जीवन के इलावा कुदरती संपत्ति को भी नुकसान देती है। कुदरती करोपी, एक ऐसी घटना  जो कि आर्थिक जीवन, मनुष्य जीवन और सेहत का नुकसान करती है। यह क्रोपियाँ दो तरह की हो सकती है। एक तो मनुष्य द्वारा और दूसरी कुदरत के द्वारा।

कुदरती आफत – यह कुदरत के द्वारा ही पैदा होती है, इस पर हमारा कोई भी कंट्रोल नहीं होता। यह कुदरत अपने अनुसार पैदा और कण्ट्रोल करता है। इसे हम कुदरती करोपी कह सकते है। इसमें भूचाल, बाढ़ और सोका जैसी आफ़ते शामिल है।

मनुष्य द्वारा आफत – ऐसी घटनाओं के लिए मनुष्य ही जिम्मेवार होता है। यह मनुष्य की लापरवाही के कारण ही होती है। इसमें कुदरत का कोई भी रोल नहीं होता। इससे भी बहुत जानी और माली नुकसान होता है।

natural disaster essay in hindi

प्राकृतिक आपदा कितने प्रकार की होती है?

प्राकृतिक आपदा कई प्रकार की हो सकती। हम आपको सभी प्राकृतिक आपदा के नाम बताने वाले है।

  • भूकंप (Earth-Quake)
  • सुनामी (Sunami)
  • सोका (Drought)
  • बाढ़ (Floods)
  • चक्रवात (Cyclones)
  • भूस्खलन (Landslides)

तो यह तो थी कुदरत के द्वारा पैदा होने वाली आपदाये।तो आइये जानते है इनको पूरा डिटेल से कि यह आपदा क्या है और कैसे फैलती है।

  • भूकंप –  जब भी धरती की निचली सतह पर कोई हलचल होती है तो इसे हम भूकंप कह सकते है। यह पृथ्वी की भीतर की हलचल से पैदा होता है। यह पूरी तरह से कुदरत के द्वारा ही होता है, इसके पीछे मनुष्य का कोई भी हाथ नहीं होता है। यह बहुत अधिक नुकसान करता है। भूकंप की कंबनी (Vibration) को हम सिस्मोग्राफ से नाप सकते है। आपको बतादे कि अब तक कोई भी ऐसा यंत्र नहीं बना है। जो भूकंप आने से पहले हमें सूचित कर सके।
  • सुनामी –  यह भी कुदरती आफत है, जो कि समुंदर में पैदा होती है। यह पानी की ऊंची ऊंची लहरें होती है जो कि लगभग 100 फ़ीट तक की ऊंचाई तक मर कर सकती है। भारत में कई जगह पर सुनामी आती है। यह जानी और माली दोनों तरह का नुकसान करती है।
  • सोका –  इसे हम ऐसे हम समझ सकते है कि जिस जगह पर पानी की कमी होती है। उस जगह पर ऐसी आपदा पैदा होती है। यह वह क्षेत्र होते है, जिसमें बहुत ही कम मात्रा में बरसात होती है। यह सोका (Drought) कई दिनों से लेकर कई सालों तक चल सकता है। इसके कारण कई पानी के स्रोतों में से पानी की कमी हो जाती है। भारत में ऐसे कुछ प्रांत पाए जाते है जिनमें सोका का जयादा प्रकोप देखने को मिलता है, जैसे कि राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तामिलनाडू और झारखंड आदि इसकी सबसे अधिक मार में आते है। यह वृक्षों की कटाई, उद्योगीकरण के कारण ही होते है।

natural disaster essay in hindi

  • बाढ़ –  कहते है कहीं सुका सुका और कहीं पानी पानी है। बाढ़ को हम हर जगह पर पानी पानी बिखरा हुआ कह सकते है। यह किसी इलाके में अधिक मात्रा में बारिश का होना है। यह बारिश जब निरंतर कई दिनों तक चलती है तो इसके कारण बाढ़ आने की संभावना जयादा होती है। भारत में उत्तराखंड राज्य में सबसे ज्यादा बाढ़ आते है। यह बाढ़ वहाँ के लोगों के घरों को बहुत ही नुकसान पहुंचाते है। यह जयादा वनों की कटाई, सड़कों का निर्माण, जल मार्गों का प्रबंध न होना आदि कारणों की वजह से ही यह आपदा होती है।

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  • चक्रवात – यह एक तरह का अंडाकार गोले जैसा होता है। यह मिटटी और तरह के पद्रार्थों से मिलकर पैदा होता है। इसका दायीरा 50 Km से लेकर 300 Km तक का होता है। इसमें वायु की रफ़्तार 120 Km फ्री घंटा से बढ़कर 250 Km फ्री घंटा होती है। भारत में यह चक्रवात बंगाल की खाड़ी और अरब सागर पर पैदा होता है। यह सागरों के ऊपर ही अधिक ताकतवर साबित होता है। जब यह वहाँ से आगे बढ़ते है तो इनका प्रकोप थोड़ा कम नज़र आता है। इसके कारण किसी इलाके में बादल और भारी बरसात होती है।
  • भूस्खलन –  यह किसी पहाड़ी इलाके में किसी चट्टान का खिसने के कारण नीचे गिरने को हम भूस्खलन कह सकते है। भूस्खलन कुछ तो कम गति वाले होते है दूसरी तरफ यह 300 Km प्रति घंटा की रफ़्तार के साथ आते है। यह बहुत अधिक नुकसान करते है। इनको उत्तरी और उत्तरी पूर्वी भारत में देखने को मिलते है। भूस्खलन अधिकतर भारी बरसात, बाढ़, चक्रवात और पहाड़ी इलाकों में जंगलों की सफाई के कारण ही पैदा होते है।

natural disaster essay in hindi

मनुष्य द्वारा होने वाली प्राकृतिक आपदा के नाम इस तरह है।

  • भूपाल गैस दुखांत
  • चर्नोबिल परमाणु दुखांत

प्राकृतिक आपदा से बचने के उपाय

प्राकृतिक आपदा एक ऐसी अनचाही घटना होती है। जिसे हम रोक तो नहीं सकते लेकिन इससे बचने के उपाय हम कर सकते जिससे हम अपने जान और माल का नुकसान को थोड़ा सा कम कर सके। यह हमें केंद्रीय, राज्य और ज़िला सत्तर पर करना चाहिए। इसको हम अपने घरों के दौरान भी कर सकते है। आज हम आपको प्राकृतिक आपदा पर निबंध में भूकंप, बाढ़ और कई तरह की प्राकृतिक आपदा से बचने के कुछ उपाय बताने जा रहा हूँ।

  • संचार –   यह किसी भी प्राकृतिक आपदा से बचने का सबसे आसान तरीका है। क्योंकि जब भी किसी जगह पर कोई भी प्राकृतिक आपदा होती है तो इसके बारे में सबसे पहले हमें संचार साधनों की मदद से ही सुचना प्रापत होती है। इससे हम होने वाले नुकसान को कम कर सकते है, क्योंकि हमें प्राकृतिक आपदा का पता चल जाता है।
  • मौसम की जानकारी – यह हमें प्राकृतिक आपदा से बचने का एक नया राश्ता बताता है। क्योंकि इससे हम मौसम की जानकारी पहले पता होने से हम कोई भी ऐसा काम आरंभ नहीं करते है जिससे हमें कोई भी नुकसान हो। भारत का Insat नाम का उपग्रह हमें मौसम की जानकारी देता रहता है।

मनुष्य की प्राकृतिक आपदा जैसे – बाढ़, चक्रवात, भूकंप और सुनामी में क्या क्या प्रकिर्या होती है अपना और दूसरों का बचाव करने में।

  • भूकंप के समय आदमी की भूमिका – जब कोई भूकंप आता है तो बाहर की ओर न भागे। अपने परिवार के सभी सदस्यों को अपने घर के भीतर ही रखे। उनको टेबल या किसी और मजबूत चीज के नीचे छुपा दे और अगर घर पर कोई बीमार आदमी हो तो उसके ऊपर किसी पलंग को रख दे। अगर घर से बाहर हो तो बिजली के खम्बों और ऐसी ऊंची इमारतों से दूर रहे जिनके गिर जाने का खतरा होता है।
  • घरों में बचाव –  जब हम अपने घरों में होते है तो अपने घर में चल रही किसी भी प्रकार की आग को बुझा दे, गैस सिलेंडर और हीटर को भी बंद कर दे। अगर आग बंद न हो और आग घर में लग जाये तो जल्दी जल्दी घर से बाहर निकल जाये। गैस के रिसाव को बंद करने के बाद भी अगर इसका प्रकोप हो तो फिर भी घर से बाहर चले जाये। ऐसी स्थिति में पानी को संभाल कर रखे। अपने घर में आपने जो भी जानवरों को रखा है उनको खुला छोड़ दे।
  • बाढ़ के समय आदमी की भूमिका –  इस तरह की प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए आपको सूचित रहना आवश्यक है। आप इसके लिए टेलीविज़न और रेडियो पर ऐसी ख़बरों को देख सकते है। जिससे आपको बाढ़ आने की सुचना पहले मिल सके। ऐसे में आप अपने घर के सामान जिनमें आपके कपड़ों को इलावा ऐसा सामान हो जिसकी आपको अधिक जरूरत हो। उसे पानी की मार से दूर रखे। यदि आपको ऐसी हालत में अपना घर छोड़ना पड़े तो अपने घर के सभी दरवाजे और खिड़कियाँ को बंद कर दे, ताकि आपके घर में पानी न जा सके। अपने घर की बिजली का कनेक्शन बंद कर दे। ऐसी जगह पर मत जाये जो कि बाढ़ से प्रभावित इलाके है।

अंतिम शब्द प्राकृतिक आपदा पर निबंध 

तो दोस्तों, हम अपने इस आर्टिकल को यहीं पर ख़तम करते है। हमने आपको इस पोस्ट में Natural Disaster Essay In Hindi के बारे में बताया है। हमने आपको इस निबंध में Natural Disaster से बचने के उपाय, यह कैसे फैलते है और Natural Disaster कितने प्रकार के होते है। सबके बारे में पूरी जानकारी दी, तो अगर आपको हमारी यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।

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Natural Disasters “प्राकृतिक आपदाएँ” Essay in Hindi, Best Essay, Paragraph for Class 8, 9, 10, 12 Students.

प्राकृतिक आपदाएँ, natural disasters.

मनुष्य तथा अन्य जीवों को विभिन्न प्रकार की आपदाओं का सामना करना पड़ता है । इनमें से कुछ आपदाएँ मानवीय तो कुछ प्राकृतिक होती हैं । भूकंप, बाढ़, चक्रवात, सुनामी लहर, सूखा आदि प्राकृतिक आपदाएँ हैं । प्राकृतिक आपदाओं पर मनुष्य का बहुत कम नियंत्रण होता है । परन्तु इनसे जान-माल की बहुत क्षति होती है । लाखों लोग बेघर हो जाते हैं । हजारों लोगों की जान चली जाती है । बहुत से लोग भुखमरी के शिकार हो जाते हैं। आपदा से हुई क्षति की भरपाई में वर्षों लग जाते हैं। गुजरात व जम्मू-कश्मीर का भूकंप तथा तटीय क्षेत्रों आई सुनामी लहरों की तबाही अभी भी हमें याद है । बिहार, असम, पं. बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आदि प्रदेशों में हर साल बाढ़ आती है। देश के किसी न किसी भाग में हर वर्ष सूखा पड़ता है । इन सबके नुकसान बहुत अधिक होते हैं । इसलिए देश में आपदा प्रबंधन का काम शुरू किया गया है । बाढ, सुखा आदि स्थितियों से निबटने। के लिए पहले ही उपाय किए जा रहे हैं। उचित उपायों से प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले । नुकसान को कम किया जा सकता है।

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आपदा प्रबंधन पर निबंध जानिए Disaster Management Essay in Hindi 500 शब्दों में

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  • Updated on  
  • मार्च 24, 2023

आपदा प्रबंधन पर निबंध

“आपदाएँ बताकर नहीं आतीं” भूकंप, सुनामी, भूस्खलन और चक्रवात आदि आपदाएँ अचानक से ही आ जाती हैं। इन आपदाओं को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन इसके इंजाम पहले से करके रखें जाएँ तो हम इससे होने वाले जान और माल के नुकसान को काफी हद तक कम ज़रूर कर सकते हैं। इस ब्लॉग में आपदा प्रबंधन में आपदा प्रबंधन से जुड़े कुछ निबंध सैंपल और आपदा प्रबंधन से जुड़ी जानकारियाँ दी जा रही हैं। पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

आपदा प्रबंधन क्या है, आपदा प्रबंधन क्यों ज़रूरी है , आपदा प्रबंधन के तत्व कौनसे हैं , आपदा प्रबंधन पर सैंपल निबंध (100 शब्दों में), आपदा प्रबंधन पर सैंपल निबंध (250 शब्दों में), आपदा प्रबंधन पर सैंपल निबंध (500 शब्दों में), आपदा से बचने के लिए आपदा प्रबंधन के उपाय , आपदा प्रबंधन पर 10 ज़रूरी बातें .

आपदा के समय प्रभावित लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने, आपदा प्रभावित क्षेत्र से लोगों को बचाकर  सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने जैसे  कार्यों को पूर्व नियोजित तरीके से करना ही आपदा प्रबंधन कहलाता है। 

आपदा प्रबंधन हमारे लिए निम्नलिखित रूप से ज़रूरी है : 

  • आपदा प्रबंधन ज़रूरी है क्योंकि यह मानव जीवन के सुरक्षित रखने और उसकी संपत्ति को बचाने का एक तरीका है। 
  • आपदाएं अकस्मात घटित होती हैं और उनसे बचना मुश्किल होता है, लेकिन आपदा प्रबंधन योजनाओं और उनके अनुपालन से संभव होता है। इससे हम अपनी संपत्ति को खोने से रोक सकते हैं, लोगों की जान बचा सकते हैं और जानवरों और पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं।
  • आपदा प्रबंधन इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि यह देश और समुदाय की रक्षा के लिए आवश्यक है। अच्छी आपदा प्रबंधन की योजनाओं के साथ, लोगों को आपदाओं से निपटने के लिए संचार करना चाहिए, उपयोगी संसाधनों के लिए तैयार होना चाहिए, सामूहिक जनता के साथ काम करना चाहिए और आपदा प्रबंधन प्रणाली के अनुभव से सीखना चाहिए। इससे देश और समुदाय अपनी सुरक्षा में मजबूत होते हैं। 

आपदा प्रबंधन के तत्व निम्नलिखित हैं : 

  •  जोखिम कम करना
  •  प्रत्‍युत्‍तर
  •  बहाली

आपदा प्रबंधन एक व्यवस्था है जो भूकंप, बाढ़, तूफान, आग जैसी प्राकृतिक या मानव द्वारा उत्पन्न आपदाओं से निपटने के लिए बनाई गई है। इसका उद्देश्य आपदा के समय तुरंत उत्तर करना होता है ताकि सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत नुकसान कम हों। आपदा प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण अंग संचेतना और जागरूकता है। लोगों को अपने आसपास की स्थिति का अवलोकन करना और आपदा के समय तुरंत कार्रवाई करना आना चाहिए। सरकारों को भी आपदा प्रबंधन योजनाओं को बनाना, संचालित करना और आपदा के समय में उचित कार्रवाई करना आना चाहिए। यह भी आपदा प्रबंधन का ही एक हिस्सा ही है। 

आपदा प्रबंधन एक प्रक्रिया है जिसमें हम अचानक होने वाली आपदाओं जैसे कि भूकंप, बाढ़, तूफान आदि के सामने संगठित होते हैं। इसका उद्देश्य लोगों की सुरक्षा, संपत्ति का संरक्षण, जीवन धारणा का सम्मान एवं अन्य सामाजिक और आर्थिक संरचनाओं का संरक्षण करना होता है।

आपदा प्रबंधन में संगठित होने से पहले, एक योजना तैयार की जाती है जिसमें आपदा से पूर्व और आपदा के दौरान के कार्यों की विस्तृत जानकारी होती है। इस योजना के अंतर्गत, संबंधित लोगों को अलर्ट किया जाता है, सुरक्षा उपकरणों की व्यवस्था की जाती है, सहायता सेवाएं तैयार की जाती हैं और संचार का विकास किया जाता है।

आपदा प्रबंधन की एक और महत्वपूर्ण चुनौती आपदा के दौरान संगठित होने वाली मुश्किलों का सामना करना होता है। इसमें अनुभव, दक्षता और विस्तृत ज्ञान का होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस लिए, सभी लोगों को नियमित रूप से प्रशिक्षित करना आवश्यक है। 

आपदा प्रबंधन की अवधारणा पहले भारत में नहीं थी। लेकिन 2001 में गुजरात में आए भीषण भूकंप और उसके बाद 2004 के तटीय क्षेत्रों में आए सुनामी तूफान ने भारत सरकार को इस बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया। भविष्य में ऐसी ही आपदाओं से बचने के लिए भारत सरकार ने न सिर्फ अलग से एक आपदा प्रबंधन विभाग बनाया बल्कि स्कूल और कॉलेज में इससे जुड़े विषयों को पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया। भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन के संबंध में उठाए गए इस महत्वपूर्ण कदम से ही हम जीवन में आपदा प्रबंधन का महत्व अच्छे से समझ सकते हैं। 

आपदा प्रबंधन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो संभवतः हर साल दुनिया भर में कई प्रकार की आपदाओं से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। आपदा कुछ ऐसा होता है जिसमें आपके पास संकट का सामना करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता है और इससे जीवन और संपत्ति का नुकसान होता है। इसलिए, आपदा प्रबंधन आवश्यक है ताकि आपको आपदाओं से निपटने के लिए अच्छी तैयारी और उचित सुविधाएं मिल सकें।

आपदा प्रबंधन के लक्ष्यों में से एक है कि वह लोगों को एक सुरक्षित और सुरक्षित स्थान प्रदान कर सके जहां उन्हें आपदाओं से बचने के लिए संभव होता है। इसके लिए, सरकार और अन्य संगठन आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करते हैं जो लोगों को आपदा से संबंधित संकटों से बचाने में मदद करती हैं।

आपदा प्रबंधन में अन्य लक्ष्यों में से एक है कि इससे आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके। इसके लिए, लोगों को उचित जागरूकता दी जाती है ताकि आने वाले समय में या भविष्य में कभी किसी प्रकार की आपदा की स्थिति में होने वाले संभावित जान और माल के नुकसान को कम से कम किया जा सके और राहत कार्यों में  तेज़ी लाई जा सके। 

आपदा प्रबंधन मुख्य रूप से एक तरीका है जिससे हम होने वाले खतरों को रोक तो नहीं सकते लेकिन इसकी वजह से होने वाले जान और माल के नुकसान को कम से कम ज़रूर कर सकते हैं। 

ज़रूरी नहीं कि आपदाएँ केवल प्राकृतिक ही हों, कुछ आपदाएँ मानव निर्मित भी होती हैं। जैसे बम विस्फोट,आतंकी हमला, किसी फैक्ट्री से कोई ज़हरीली गैस का लीक हो जाना। दिल्ली बम विस्फोट, मुंबई आतंकी हमला, भोपाल गैस कांड आदि ये सब मानव निर्मित आपदाओं के ही उदाहरण हैं। आपदा प्रबंधन न केवल प्राकृतिक आपदाओं के समय काम आता है बल्कि ऐसी मानव निर्मित आपदाओं के समय भी काम आता है। बम विस्फोट या किसी आतंकी हमले की स्थिति में आपदा प्रबंधन की मदद से घायलों तक जल्द से जल्द मदद पहुंचाई जा सकती है और उन्हें समय पर हॉस्पिटल पहुंचाया जा सकता है। 

आपदा प्रबंधन के तीन महत्वपूर्ण तत्व होते हैं : 

भारत में पहले आपदा प्रबंधन को गंभीर रूप से नहीं लिया जाता था। परंतु लगातार आने वाली आपदाओं ने भारत सरकार का ध्यान इस ओर खींचा। इसके बाद भारत सरकार ने एक विशेष बल एनडीआरएफ़ का गठन किया । इस फोर्स का काम आपदा के समय घायलों तक राहत पहुंचाना है। यह फोर्स न सिर्फ भारत में आपदा के समय काम करती है बल्कि भारत मानवता के नाते विदेशों में भी एनडीआरएफ के कर्मचारियों को आपदा के समय मदद करने के लिए भेजता है। अभी हाल ही में टर्की में आए भीषण भूकंप में राहत पहुंचाने के लिए भारत सरकार ने एनडीआरएफ़ को टर्की मदद के लिए भेजा था। इस मिशन का नाम ऑपरेशन दोस्त रखा गया था। टर्की में एनडीआरएफ़ के बचाव कार्यों की तारीफ टर्की के साथ साथ सारा विश्व कर रहा है। यह भारत में आपदा प्रबंधन के कार्यक्रम को बढ़ावा देने के कारण ही संभव हो पाया है। 

आपदा प्रबंधन उन सभी कार्यों को संबोधित करता है जो आपदा या अपदाओं से प्रभावित होने की संभावना वाले क्षेत्र में नियोजित किए गए होते हैं। आपदा प्रबंधन चार मुख्य उपायों के माध्यम से कार्य करता है:

  • प्रतिक्रिया: इस उपाय के अंतर्गत, आपदा के विविध पहलुओं के लिए तत्काल और समय पर जवाब दिया जाता है। इसमें आपदा से प्रभावित लोगों की आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है। इस उपाय में सेवा आपदा के बाद उपलब्ध होती है।
  • प्रतिबंध: इस उपाय में, आपदा से पहले ही उचित नीतियों, प्रक्रियाओं और सामग्रियों के माध्यम से आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए कार्य किया जाता है। यह अपदाओं को रोकने और उनसे बचाव के उपायों का विकास करता है। इसमें उपयोगी तकनीकियों और सामग्री का भी उपयोग किया जाता है।
  • प्रतिस्थापन: इस उपाय में, आपदा के बाद क्षतिग्रस्त संपत्ति, संरचनाएं और सामग्री को पुनर्स्थापित किया जाता है। इसके लिए विभिन्न सामाग्री को एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। 
  • सुरक्षा पहली प्राथमिकता है।  
  • अपने साथियों को संगठित रखें। 
  • संयम बनाएँ रखें।  
  • जागरूक रहें। 
  • अगर आपके इलाके में आपदा आती है तो उस स्थान को छोडने से पहले ज़रूरी सामान साथ में ले लें 
  • फ़र्स्ट एड बॉक्स अपने साथ रखें। 
  • अपने आस पास की स्थिति को जानें और अपनी सुरक्षा के लिए तैयार रहें।  
  • आपदा योजना का अभ्यास करते रहें। 
  • आपदा के समय यदि आप घायल नहीं है तो दूसरे लोगों की मदद करने का प्रयास करें। 

आपदा के समय प्रभावित लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने, आपदा प्रभावित क्षेत्र से लोगों को बचाकर  सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने जैसे  कार्यों को पूर्व नियोजित तरीके से करना ही आपदा प्रबंधन कहलाता है।

आपदा प्रबंधन के चार प्रकार हैं : शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया और पुन :प्राप्ति। 

आपदा से जान और माल की हानि होती है। 

आपदाएँ दो प्रकार की होती हैं : प्राकृतिक आपदाएँ और मानव निर्मित आपदाएँ 

आपदा प्रबंधन के द्वारा आपदा से बचा जा सकता है। 

उम्मीद है आपको पर आपदा प्रबंधन पर निबंध आधारित यह ब्लॉग पसंद आया होगा। यह ब्लॉग अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें। ऐसे ही अन्य रोचक, ज्ञानवर्धक और आकर्षक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। अंशुल को कंटेंट राइटिंग और अनुवाद के क्षेत्र में 7 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए ट्रांसलेशन ऑफिसर के पद पर कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने Testbook और Edubridge जैसे एजुकेशनल संस्थानों के लिए फ्रीलांसर के तौर पर कंटेंट राइटिंग और अनुवाद कार्य भी किया है। उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा से हिंदी में एमए और केंद्रीय हिंदी संस्थान, नई दिल्ली से ट्रांसलेशन स्टडीज़ में पीजी डिप्लोमा किया है। Leverage Edu में काम करते हुए अंशुल ने UPSC और NEET जैसे एग्जाम अपडेट्स पर काम किया है। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न कोर्सेज से सम्बंधित ब्लॉग्स भी लिखे हैं।

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प्राकृतिक आपदा प्रबंधन पर निबंध | Praakrtik Aapada Prabandhan Par Nibandh

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प्राकृतिक आपदा प्रबंधन पर निबंध | Praakrtik Aapada Prabandhan Par Nibandh. Read this excellent Essay on Natural Disaster Management in Hindi.

प्राकृतिक आपदाओं में अपार जन-धन की हानि होती है तथा पर्यावरण असन्तुलित होता है । सभी प्रकार की आपदाओं में जोखिम होता है तथा उनसे बचने के लिए संसाधन एवं सूचना तंत्र की आवश्यकता होती है ।

किन्तु प्राकृतिक आपदाएँ ऐसी होती हैं जिनको रोका नहीं जा सकता । उनकी सघनता को कम किया जा सकता है । साथ ही उनके होने पर समायोजन आवश्यक होता है । समायोजन भी प्रबन्धन का अंग है । सम्पूर्ण आपदा समायोजना को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जाता है ।

(i) हानि के स्वरूप में परिवर्तन:

सर्वप्रथम आपदा के पश्चात् उससे शिकार हुए लोगों को सहायता पहुँचाना होता है । इसके लिए बीमा योजनाओं का प्रावधान आवश्यक है । इन योजनाओं से नुकसान की भरपाई की जा सकती है तथा आपदा के पश्चात् सरकार एवं गैर सरकारी सहायता भी हानि की पूर्ति करने में सहायक होती है ।

(ii) आपदा घटनाक्रम में परिवर्तन:

अधिकाँशत: आपदा की प्रकृति को सही रूप में पहचाना नहीं जाता । इसको उचित रूप में समझ कर प्रारम्भिक समय में ही दबाया जा सकता है जो पर्यावरण प्रौद्योगिकी नियन्त्रण से सम्भव है । इसी प्रकार आपदा सहनीय संरचनाओं का निर्माण भी हानि को कम कर सकता है जैसा कि जापान में भूकम्परोधी संरचनाओं के निर्माण द्वारा किया जाता है ।

(iii) मानवीय भेद्यता में परिवर्तन:

ADVERTISEMENTS:

समायोजन में मानवीय समायोजन सबसे अधिक आवश्यक है । इसके लिए सभी प्रकार के कदम उठाए जाएँ जिससे कि जो हानि हो उससे समायोजन हो सके । यह मानवीय व्यवहार में परिवर्तन के कार्यक्रमों से सम्भव है जिसमें पूर्वानुमान एवं चेतावनी व्यवस्था और दीर्घकालीन योजनाएँ भी सम्मिलित हैं ।

आपदा प्रबन्धन वर्तमान में एक विशिष्ट विषय के रूप में उभर कर आया है जिसमें आपदाओं के प्रबन्धन का वैज्ञानिक विवेचन तथा उनके सामाजिक-आर्थिक पहलुओं का विश्लेषण किया जाता है ।

इससे सम्बन्धित दो महत्त्वपूर्ण पहलू हैं:

(i) आपदा से पूर्व का प्रबन्धन, और

(ii) आपदा के पश्चात् का प्रबन्धन

ये दोनों ही पक्ष समुचित प्रबन्धन के लिए आवश्यक हैं क्योंकि आपदा कभी भी, कहीं भी हो सकती है । इसके लिए उसके समस्त पक्षों को ध्यान में रखकर आपदा पूर्व की न केवल तैयारी की जाए, अपितु इसकी जानकारी भी जनमानस को दी जाए । इसी प्रकार आपदा के पश्चात् उससे हुई हानि का उचित प्रबन्धन होना चाहिए ।

इसमें पुनर्वास, चिकित्सा सहायता, खाद्य सहायता तथा अन्य आर्थिक सहायता के अतिरिक्त जो संरचना-सम्पति की हानि हुई है इसका जितना जल्दी पुनर्स्थापन होगा, वह ठीक होगा । आपदा प्रबन्धन के लिए जोखिम की पहचान, जोखिम को कम करना तथा जोखिम का स्थानान्तरण सम्मिलित हैं । जो क्षेत्र पर्यावरणीय आपदाओं से प्रभावित रहते हैं उनके लिए विशेष योजना तैयार करना आवश्यक है ।

उचित प्रबन्धन के लिए आवश्यक है:

(i) आपदा सहनीयता

(ii) सामुदायिक तैयारी

(iii) पूर्वानुमान एवं चेतावनी

(iv) भू-उपयोग आयोजना

(i) आपदा सहनीयता:

इसके अन्तर्गत इस प्रकार की संरचना को प्रचलित करना है जो आपदा को सहन कर सके । अनेक सार्वजनिक स्थल जैसे- बाँध, पुल, पाइप लाइन आदि को आपदा सहनीय बनाना आवश्यक है । यह कार्य कुशल इंजीनियरों द्वारा निरन्तर शोध से सम्भव है । इसी प्रकार के ढाँचागत सुधार उद्योगों, इमारतों एवं सामान्य आवास के लिए किये जाने चाहिएं क्योंकि आपदा से सर्वाधिक हानि इमारतों के गिरने से होती है ।

भूकम्प एवं तूफानों के लिए सहनीय ढाँचों का निर्माण होना आवश्यक है । भूकम्प सहनीय ढाँचों को बनाने के लिए भू-तकनीक इजीनियरों की मदद से वहाँ की चट्टानों, मृदा की बनावट के अनुरूप उपयुक्त तकनीक से इमारतों का निर्माण होना चाहिए ।

जो इमारतें कठोर चट्टानों पर बनी होती हैं वे मृदा आधारित इमारतों से अधिक सहनीय होती हैं । इसके लिए सूक्ष्म चट्टान में मृदा खण्ड मानचित्र तथा भूगर्भिक मानचित्रों को आधार बनाया जा सकता है । जापान द्वारा किए गए भूकम्परोधी ढाँचों के निर्माण का प्रयास इस दिशा में मार्गदर्शी हो सकता है । उन्हें सुरक्षित किया जा सकता है बाढ़ से बचाव के लिए दीवानें को मजबूत तथा बाढ़ सहनीय दरवाजे खिड़कियाँ आदि लगाकर उनकी क्षति कम की जा सकती है ।

(ii) सामुदायिक तैयारी:

आपदा के घटित होने या उसके पश्चात् के प्रबन्धन से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है, इसके सम्बन्ध में जनचेतना । इसके लिए सामान्य नागरिकों को आपदा प्रबन्धन की शिक्षा देना और चेतना जाग्रत करना आवश्यक है । आपदा पूर्व प्रशिक्षण एक ऐसा कार्यक्रम है जिससे न केवल व्यक्ति मनोवैज्ञानिक रूप से आपदा सहनीय बनता है अपितु वह आपदा के समय स्वयं को और अन्य को बचा सकता है तथा सम्पत्ति की हानि को रोक सकता है ।

इसके लिए ‘दीर्घकालीन सामुदायिक कार्यक्रम’ बनाना आवश्यक है । किसी भी आपदा प्रबन्ध योजना की सफलता के लिए जनभागीदारी अति आवश्यक है क्योंकि समस्या होने पर अधिकांश व्यक्ति उसे सहने की स्थिति में नहीं होते और डर तथा भयावहता को अधिक कर देते हैं । संचार माध्यम भी नियमित प्रसारणों से यह जागृति पैदा कर सकते हैं ।

इस सम्बन्ध में जो कार्यक्रम किए जाए एवं शिक्षा दी जाए वह वैज्ञानिक दृष्टि से उपयुक्त तथा प्रशिक्षितों द्वारा दी जानी चाहिए क्योंकि अधूरा ज्ञान इसमें हानिकारक हो सकता है । प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी भी प्रत्येक व्यक्ति को होनी आवश्यक है ।

(iii) पूर्वानुमान एवं चेतावनी:

वर्तमान समय में वैज्ञानिक एवं तकनीकी शोध के फलस्वरूप आपदाओं का अध्ययन-विश्लेषण किया जा रहा है । भूगर्भ विज्ञान, मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान, समुद्र विज्ञान, दूर संवेदन आदि के माध्यम से अनेक आपदाओं का पूर्वानुमान किया जाने लगा है । इसी के साथ सूचना और संचार तन्त्र भी अत्यधिक विकसित होने के कारण दुनिया के किसी भी भाग में चेतावनी देना सम्भव हो गया है इस सम्बन्ध में अनुमान पूर्वानुमान और चेतावनी दी जाती है ।

अनुमान सामान्यतया सांख्यिकी अथवा अन्य घटनाक्रम के सिद्धान्त के आधार पर होता है जो पूर्व की घटनाओं के आधार पर होता है तथा यह औसत सम्भावनाओं को प्रकट करता है । जबकि पूर्वानुमान अनेक आँकडों, मानचित्र एवं अन्य सूचनाओं के विश्लेषण पर आधारित होता है जिसमें घटना के विभिन्न क्रमों को दृष्टिगत रखकर पर्यावरण आपदा के सम्बन्ध में अनुमान लगाया जाता है । इनका पूर्णतया नियमित संचालन होता है ।

जैसे- वर्षा, तूफान, बाद आदि के सम्बन्ध में उपग्रह चित्रों के साथ, कड़ी का विश्लेषण कर वैज्ञानिक पूर्वानुमान लगाते हैं । चेतावनी सन्देश होता है जो जनसाधारण को आपदा के सम्बन्ध में प्रसारित किया जाता है जिससे उससे होने वाली हानि को कम किया जा सके । सभी चेतावनियाँ अनुमान एवं पूर्वानुमान पर आधारित होती हैं ।

वर्तमान में पूर्वानुमान तन्त्र सुदृढ़ होने से ये अधिक महत्त्वपूर्ण होती हैं । चेतावनी तन्त्र की तीन अवस्थाएं-विश्लेषण-मूल्यांकन प्रसारण और प्रतिक्रिया होती हैं । अर्थात् पहले सम्पूर्ण तथ्यों का वैज्ञानिक एवं तकनीकी विश्लेषण एवं मूल्यांकन किया जाता है, तत्पश्चात् उसको प्रचारित एवं प्रसारित किया जाता है और अन्त में उस पर प्रतिक्रिया जो लोगों एवं सुरक्षा एजेन्सियों द्वार दी जाती है । चेतावनी से उस क्षेत्र को खाली किया जा सकता है जिससे जन हानि न्यूनतम हो जाती है ।

(iv) भू-उपयोग आयोजना:

यह आपदा प्रबन्धन का एक व्यापक दृष्टिकोण है जिसका सम्बन्ध प्रादेशिक एवं स्थानीय नियोजन से है । इसमें आपदा सम्भावित क्षेत्रों का निर्धारण भी सम्मिलित है । इन क्षेत्रों के लिए विशेष योजना बनाना तथा वहाँ इस प्रकार के व्यवसायों को प्रोत्साहित करना होता है जो आपदा से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होते हों ।

इसका उद्देश्य नए रिहायशी, व्यापारिक एवं औद्योगिक क्षेत्रों के विकास की योजना बनाने में सहायता करना है । ये क्षेत्र आपदा सम्भावित क्षेत्रों से दूर रखे जाते हैं । उचित भू-प्रबन्धन भी आपदा प्रबन्धन का एक महत्वपूर्ण अंग है ।

उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि पर्यावरणीय आपदाएँ अधिकांशतः प्राकृतिक घटनाक्रम का परिणाम होती हैं जिन्हें मानवीय क्रियाएँ और अधिक विनाशकारी बना देती हैं । विश्व का प्रत्येक क्षेत्र आपदाओं से कम या ज्यादा प्रभावित रहता है ।

अत: इस दिशा में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सहायता आवश्यक होती है । आपदाओं से जन-धन की हानि कम हो तथा पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव न हो इसके लिए आपदा प्रबन्धन के साथ जनभागीदारी और चेतना भी आवश्यक है तथा इसके साथ सूचना तंत्र को प्रभावी बनाना और एक देश का दूसरे देश को वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग देना आवश्यक है । पर्यावरणीय आपदाओं को रोकना कठिन है किन्तु उचित प्रबन्धन से उनके द्वारा होने वाली हानि को कम अवश्य किया जा सकता है ।

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100 Words World Environment Day Essay in Hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (100 शब्द)

150 words world environment day essay in hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (150 शब्द), 200 words world environment day essay in hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (200 शब्द).

पर्यावरण के महत्व को रेखांकित करने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद 1973 में हुई थी। इस दिवस के ज़रिए पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी जैसी समस्याओं पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल एक अलग विषय चुना जाता है, जो किसी खास पर्यावरणीय चुनौती पर फोकस करता है। इस दिवस पर वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान, जागरूकता कार्यक्रम आदि का आयोजन किया जाता है।

250 Words World Environment Day Essay in Hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (250 शब्द)

पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद 1973 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा की गई थी। इस दिवस के ज़रिए पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी जैसी गंभीर समस्याओं पर वैश्विक चर्चा को बढ़ावा दिया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल एक अलग विषय चुना जाता है, जो किसी खास पर्यावरणीय चुनौती पर फोकस करता है। इस साल के विषय (वर्ष 2024 का विषय डालें) के ज़रिए (विषय से जुड़ी समस्या का संक्षिप्त वर्णन) पर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।

300 Words World Environment Day Essay in Hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (300 शब्द)

पृथ्वी हमारा एकमात्र घर है, जो जीवन को संभव बनाता है। हरे-भरे जंगल, स्वच्छ वायु, निर्मल जल और विविध जीव-जंतु मिलकर इस धरती को एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करते हैं। यह तंत्र ही हमारे अस्तित्व का आधार है। वायु हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्रदान करती है, पेड़ पौधे कार्बन डाईऑक्साइड सोखकर वायु को शुद्ध करते हैं, नदियाँ हमें जीवनदायी जल देती हैं और जीव-जंतु पारिस्थितिकी तंत्र की खाद्य श्रृंखला को बनाए रखते हैं।

दुर्भाग्यवश, आज हमारी पृथ्वी खतरे में है। प्रदूषण, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं लगातार गंभीर होती जा रही हैं। इन समस्याओं के कारण न सिर्फ पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है बल्कि जैव विविधता का भी तेजी से ह्रास हो रहा है। यदि हमने समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं ढूंढा तो इसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ेगा।

इसलिए विश्व पर्यावरण दिवस, जो हर साल 5 जून को मनाया जाता है, हमारे लिए एक महत्वपूर्ण जागरूकता दिवस है। इस दिन पर्यावरण की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा दिया जाता है। भारत सरकार भी पर्यावरण संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण पहल कर रही है। स्वच्छ भारत अभियान, नमामि गंगे परियोजना, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना आदि ऐसे ही कुछ प्रयास हैं।

व्यक्तिगत स्तर पर भी हम पर्यावरण को बचाने में योगदान दे सकते हैं। जल और बिजली की बचत, प्लास्टिक का कम से कम उपयोग, पेड़ लगाना, कचरे का निपटान सही तरीके से करना आदि छोटे-छोटे कदम पर्यावरण की रक्षा में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाकर हम दूसरों को भी इसमें शामिल कर सकते हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी हमारा अनमोल खजाना है। इसे बचाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। "हमारी धरती, हमारा भविष्य" विषय के साथ इस वर्ष का विश्व पर्यावरण दिवस हमें भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता पर ध्यान देने का संदेश देता है। आइए, हम सब मिलकर अपनी पृथ्वी को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने का संकल्प लें। यह न सिर्फ हमारे लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा।

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प्राकृतिक आपदा परिभाषा प्रकार कारण और प्रबंधन | Natural Disaster In Hindi

प्राकृतिक आपदा परिभाषा प्रकार कारण और प्रबंधन Natural Disaster Definition Types Cause and Rescue And Relief In Hindi : नमस्कार दोस्तों आज के लेख में आपका स्वागत हैं.

आज हम प्राकृतिक आपदा के इस आर्टिकल में जानेगे कि नेचुरल डिजास्टर क्या है इसका अर्थ परिभाषा प्रकार और प्रबंधन के उपायों के बारे में जानेगे.

प्राकृतिक आपदा परिभाषा प्रकार कारण प्रबंधन Natural Disasters In Hindi

प्राकृतिक आपदा परिभाषा प्रकार कारण प्रबंधन Natural Disasters In Hindi

उत्पति के आधार पर आपदाएं दो तरह की होती है. प्राकृतिक आपदाएं और मानव जनित आपदाएं. इन दोनों आपदाओं से अपार मात्रा में जन धन की हानि होती है. इस क्षति से बचाव, सुरक्षा व प्रबंध की दृष्टि से दोनों आपदाओ के प्रभाव को सिमित किया जा सकता है.

प्राकृतिक आपदा क्या है (What Is Natural Disaster In Hindi)

परिवर्तन प्रकृति की सतत प्रक्रिया है, ऐसा परिवर्तन जिनका प्रभाव मानव हित में होता है उन्हें प्रकृति का वरदान कहा जाता है. लेकिन परिवर्तनों का प्रभाव मानव समाज का अहित करता है तो इन्हें प्राकृतिक आपदा कहा जाता है.

प्राकृतिक आपदा प्रकृति में कुछ ही समय घट जाने वाली घटना या परिवर्तन है. ऐसी घटनाओं के घट जाने के बाद मानव समाज को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वे समस्याएं संकट मानी जाती है.

भारत में प्राकृतिक आपदा Natural Disasters In India In Hindi

आपदा प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों का परिणाम है जो जान और माल की गंभीर क्षति करके अचानक सामान्य जीवन को उस सीमा तक अस्तव्यस्त करता है.

जिसका सामना करने के लिए उपलब्ध सामाजिक तथा आर्थिक संरक्षण कार्यविधियां अपर्याप्त होती हैं अर्थात आशंकित विपत्ति का वास्तव में घटित होना आपदा है I

आपदा का अंग्रेज़ी शब्द “Disaster” फ़्रांसीसी शब्द है जो “Desastre” से आया है I यह दो शब्दों ‘Des’ एवं ‘Astre’ से बना है जिसका अर्थ है ‘ख़राब तारा’ I आपदा के अंग्रेजी शब्द ‘DISASTER’ का प्रत्येक अक्षर नकारात्मक और सकारात्मक अर्थ व्यक्त करता है.

आपदा आंतरिक और बाहरी कारकों के कारण प्रभाव से उत्पन्न होती है ,जो संयुक्त होकर घटना को भारी विनाशकारी घटना के रूप में परिवर्तित करती है I आपदा ‘संतुलन’ का बिगड़ना है जिसे नियंत्रणकारी नीतियों से पुनःस्थापित किया जा सकता है या दूर किया जा सकता है I

‘हॉफमैन’ और ‘ओलिवर स्मिथ’ के अनुसार ‘आपदा के व्यवस्था दृष्टिकोण ‘ के तहत आपदाओं के पारिस्थितिक और सामाजिक दृष्टिकोण को शामिल किया जाता है ,जहाँ आपदाओं को ऐसी सम्पूर्ण घटनाएँ माना जाता है.

जिनमें उस सामाजिक – संरचनात्मक रूपों के सभी आयामों का संगठित मानव क्रिया सहित पर्यावरणीय सन्दर्भ में शामिल करके जहाँ ये घटित होती है, अध्ययन किया जाता है I

आपदाओं का वर्गीकरण (natural disasters  types)

उत्पत्ति के अनुसार आपदाएं प्राकृतिक और मानव निर्मित होती हैं I प्राकृतिक आपदाओ को निम्नलिखित विभिन्न प्रकारों के रूप में देखा जा सकता है :-

1. वायुजनित आपदा – तूफान, चक्रवाती पवन, चक्रवात, समुद्री तूफानी लहर | 2. जलजनित आपदा – बाढ़, बादल का फटना, सुखा | 3. धरती जनित आपदा – भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, भूस्खलन | 4. संक्रामक रोग – प्लेग, डेंगु, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि |

वही मानव जनित आपदाओं के अंतर्गत औद्योगिक दुर्घटना, पर्यावरणीय ह्रास, विभिन्न युध्द, आतंकी गतिविधियों आदि को शामिल किया जा सकता है |

वर्तमान समय में धर्म और जिहाद के नाम पर अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु दहशत फ़ैलाने के उद्देश्य से विभिन्न आतंकवादी घटनाएँ एक महत्वपूर्ण मानवनिर्मित आपदा के रूप में सामने आई है |

इसके साथ युध्द के के विभिन्न रूपों के अंतर्गत जैविक युध्द के लिए अनुकूल वातावरण में विभिन्न जीवाणु और विषाणुओं के साथ साथ घातक कीटों का संवर्धन कर उन्हें डिब्बो में बंद कर शत्रु कैम्पों पर विमान से छोड़ दिया जाता है जो अंततः पर्याप्त क्षेत्र में फैलकर महामारी का रूप ले लेता है I

इसी प्रकार रसायन युध्द के तहत विषैली गैसों, बम, और क्लस्टर बम को शत्रु कैम्पों पर छोड़ा जाता है I वहीँ कुछ आपदाएं कंपनियों के संयंत्रों में लापरवाही या दोषपूर्ण रखरखाव के कारण होती है जिन्हें पर्यावरणीय त्रासदी कहा जाता है ,जैसे – भोपाल गैस त्रासदी, चेर्नोबिल नाभकीय आपदा, फुकुशिमा नाभकीय रिसाव आदि प्रमुख है I

अगस्त 1999 में जे. सी. पंत की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई थी जिसने लगभग तीस आपदाओं का निर्धारण किया और ये पांच श्रेणियों में वर्गीकृत हैं-

जल और जलवायु (Water and Climate) –

  • ओलावृष्टि (Hailstorms)
  • बादल का फटना (Cloudburst)
  • लू/ उष्ण्वेग और शीत लहर (Heat Wave and Cold Wave)
  • हिम सम्पात (Snow Avalanches)
  • सूखा (Droughts)
  • समुद्री अपरदन (Sea Erosion)
  • मेघ गर्जन और बिजली (Thunder and Lighting)

जैविक (biological) –

  • महामारी (Epidemics)
  • विनाशकारी कीटों का आक्रमण (Pest Attack)
  • पशु महामारी (Cattle Epidemics)
  • खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning)

रासायनिक , औद्योगिक और आणविक (Chemical, Industrial and Nuclear) –

  • रासायनिक और औद्योगिक आपदाएँ
  • आणविक आपदाएँ

भूवैज्ञानिक (Geological) –

  • विशाल अग्निकांड
  • खान/सुरंग अग्निकांड (Mine Fires)
  • भूस्खलन और पंक प्रवाह (Landslides and Mudflows)

दुर्घटनाएं (Accidental) –

  • हवाई, सड़क और रेल दुर्घटनाएँ
  • बड़े भवनों का ढह जाना

प्राकृतिक आपदाओं की उत्पति के कारण (Causes Of Natural Disasters In Hindi)

किसी भी प्राकृतिक आपदा के लिए एक नही अनेक कारण सयुक्त रूप से जिम्मेदार होते है. पृथ्वी की आंतरिक एवं बाह्य शक्तियों अथवा बलों का प्रभाव कुछ आपदाओं को सीधे तौर पर प्रभावित करता है, जैसे भूकम्प, ज्वालामुखी आदि.

मानव के अनवरत प्राकृतिक संसाधनो के अविवेक पूर्ण विदोहन तथा बढ़ती हुई जनसंख्या ने भूमि उपयोग के स्वरूप को विकृत किया है.

इसके फलस्वरूप वनों का विनाश, भूमि का क्षरण व जल संकट जैसी समस्याओं ने पर्यावरण को संकट में डाल दिया है. इससे ग्लोबल वार्मिग की समस्या पैदा होती जा रही है. जो कही न कही प्राकृतिक आपदाओं को उत्पन्न कर रही है.

मानव जीवन के उपभोक्तावादी दृष्टिकोण ने अंधाधुंध विकास के लिए प्राकृतिक संतुलन को हानि पंहुचा रहा है. मानव के ये कार्य प्राकृतिक आपदाओं को प्रत्यक्ष रूप से आमन्त्रण दे रहे है.

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार (Types Of Natural Disasters In Hindi)

उत्पति के आधार पर प्राकृतिक आपदाओं को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है.

  • स्थलाकृतिक आपदाएं (Topographical disasters) – इनमे वे प्राकृतिक आपदाएं सम्मिलित की जाती है. जो स्थलाकृतिक स्वरूप में अचानक परिवर्तन होने से उत्पन्न होती है, जैसे भूकंप, भूस्खलन, हिमस्खलन व ज्वालामुखी. भारत में ज्वालामुखी सक्रिय नही है.
  • मौसमी आपदाएं (Seasonal disasters) – इनमे वे  प्राकृतिक आपदाएं सम्मिलित की जाती है. जो मौसमी परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है. जैसे चक्रवात, सुनामी, अतिवृष्टि, अनावृष्टि आदि.
  • जीवों द्वारा उत्पन्न आपदाएं (Disasters caused by organisms)- इनमे वे प्राकृतिक आपदाएं सम्मिलित की जाती है जो जीवों व जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न होती है. जैसे टिड्डी दल का आक्रमण, महामारिया, मृत पशु, प्लेग मलेरिया आदि.

प्राकृतिक आपदाएं व प्रबन्धन (Natural Disasters And Management In Hindi)

प्रबन्धन से आशय है संकट से राहत पाने के लिए प्रत्येक स्तर पर जो जिम्मेदारी निर्धारित है उसके अनुसार समयबद्ध कर्तव्य का पालन किया जाना.

देश व समाज के चरित्र का परिचय प्राकृतिक आपदा के बाद मानव सेवा में उनके द्वारा किये गये कार्यों से मिलता है. प्रबन्धन को ये कारक प्रभावित करते है.

  • आर्थिक स्थति
  • व्यक्ति की सकारात्मक सोच
  • सहयोग की भावना
  • सामाजिक ईमानदारी व निष्ठा
  • भौगोलिक परिस्थतियाँ
  • परिवहन व संचार के साधनों की स्थति
  • जनसंख्या का घनत्व

भारत की प्रमुख प्राकृतिक आपदाएं (Major Natural Disasters In India In Hindi)

कश्मीर बाढ़ (kashmir flood 2014) .

2014 कश्मीर के बड़े क्षेत्र में तेज बारिश के चलते बहुत बड़ी प्राकृतिक आपदा बाढ़ के रूप में आई. इस घटना में लगभग 500 से ज्यादा लोग मारे गये. तथा हजारों लोगों के घर बह गये. कई दिनों तक लोगों को बिना पानी भोजन तथा घर के रहना पड़ा.

बड़ी संख्या में लोग जगह जगह फंस गये, जिन्हें निकालने का कार्य भारतीय सेना द्वारा सम्पन्न की गई, इस अतिशय घटना के नुकसान का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है.

कि इस बाढ़ के दौरान 2600 गाँव बाढ़ से प्रभावित हुए थे। कश्मीर के 390 गाँव पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे। तथा 50 से अधिक पुल ध्वस्त गये. एक सर्वेक्षण के अनुसार 5000 करोड़ से 6000 करोड़ का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा.

उत्तराखंड में भयानक बाढ़ 

साल 2013 में आई इस प्राकृतिक आपदा के दौरान गोविंदघाट, केदार धाम, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी नेपाल मुख्य रूप से प्रभावित क्षेत्र रहे. इस महाध्वश में पांच हजार से अधिक लोग मारे गये थे.

उत्तराखंड में गंगा नदी में बाढ़ और अतिरिक्त जल के चलते बाढ़ और भूस्खलन का शिकार कई गाँवों को शिकार होना पड़ा. इस बाढ़ की विभित्षा के बारे में अनुमान लगाने के लिए यह तथ्य काफी है,

कि 14 से 17 जून, 2013 को चार दिनों तक तबाही का तांडव मचाए रखा. भारत के इतिहास की सबसे बड़ी इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में लाखों केदारनाथ यांत्रि भी आ गये थे.

हिंद महासागर सुनामी

साल 2004 में आई इस सुनामी में अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया के क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी तबाही थी.

10 मिनट चले इस मौत के तांडव में तीन लाख से अधिक लोग मौत की भेट चढ़ गये. इस खतरनाक तूफ़ान का केंद्र हिन्द महासागर रहा इसकी तीव्रता 9.1 और 9.3 के मध्य मापी गई.

प्राकृतिक आपदाओं से खतरे में जीवन | Effects of Natural Disasters In Life in hindi

एक तरफ जहाँ विश्व कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है वहीँ दूसरी तरफ अंधाधुन विकास के कारण मानव प्रकृति पर ध्यान नहीं दे रहा जिससे समस्त प्राणियों को हो रही प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा।

भारत भी इन प्राकृतिक आपदाओं से अछूता नहीं है तभी तो भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में धरती हिल रही है, कभी स्थिति ऐसी उत्पन्न हो जाती हैं की गांव के गांव बाढ़ से डूबने को मजबूर हो जा रहे हैं, कभी आकाशीय बिजली से लोगों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ रहा है.

कभी निसर्ग और अम्फान जैसे तूफान भारत के अलग-अलग इलाकों में आकर तबाही मचा रहे हैं, अधिकायत मात्रा में ओला-वृष्टि हो जाने से किसानों को फ़सलों के खराब हो जाने से नुकसान उठाना पड़ रहा हैं.

कहीं इतनी बारिश हो रही है की लोगों के घर भी पानी से लबालब भर चुके हैं तो कभी टिड्डियों का दल किसानों की फ़सलों को नष्ट कर रहा है। ये विकास की आपाधापी में भूल चुके प्रकृति का तांडव मात्र है।

एक आकड़ों के अनुसार प्रथम जून से लेकर 8 जुलाई तक कुल 56 बार दिल्ली एनसीआर, मेघालय, म्यांमार सीमा, असम, कश्मीर, गुजरात और भारत के विभिन्न इलाकों में भिन्न-भिन्न दिनांकों को भूकंप से धरती काँपती रही।

भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक जोन 5 और 4 में आते हैं। जोन पाँच बहुत उच्च नुकसान का जोखिम क्षेत्र जिसमें कश्मीर का क्षेत्र, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारतीय क्षेत्र, कच्छ का रण और अंडमान और निकोबार समूह इस क्षेत्र में आते हैं।

जोन चार जहाँ जोन पाँच से कम तीव्रता के भूकंप आते हैं जिसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, भारत के मैदानी भागों (उत्तरी पंजाब, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी बंगाल, सुंदरवन) और दिल्ली – एनसीआर का क्षेत्र आता है, जोन चार में रिक्‍टर पैमाने पर आठ तीव्रता वाला भूकंप आ सकते हैं।

वही सिर्फ दिल्ली एनसीआर में अप्रैल से लेकर अब तक 15 से ज्यादे बार भूकंप आ चुके हैं। 80 मौसम तथा भू-वैज्ञानिकों ने पूर्वी दिल्ली में शोध कर एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें बताया की घनी आबादी वाले यमुना-पार समेत शाहदरा, मयूर विहार और लक्ष्मी नगर ज्यादे संवेदनशील इलाके हैं।

फ़रीदाबाद और गुरुग्राम भी ऐसे ही क्षेत्र में आते हैं। विशेषज्ञों की माने तो पूर्वी दिल्ली में बने लगभग हर घर अधिक तीव्रता वाले भूकंप की जद में आ सकते हैं, जिससे पूर्वी दिल्ली में अधिक नुकसान होने की आशंका बनी रहती है। बिहार के भारत और नेपाल की सीमा के पास रक्सौल जैसे क्षेत्र भी जोन नंबर 4 में ही आते हैं।

देखना दिलचस्प होगा कि दिन प्रतिदिन बढ़ती भूकंप की संख्याओं से केंद्र सरकार एवं अन्य राज्य सरकारें कितनी तैयारियाँ करती हैं, जिससे बड़े गंभीर परिणाम भुगतने ना पड़े।

प्रत्येक साल स्थिति ऐसी उत्पन्न होती है जिससे उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, गुजरात और असम में जुलाई, अगस्त में बाढ़ के प्रकोप कई गावों तथा शहरों को लील लेते हैं।

बाढ़ का सबसे ज्यादे प्रकोप आज़ादी के बाद 1987 में हुआ जब 1399 लोगों की दुखद मृत्यु हुई थी। 1988 में भी पंजाब की सभी नदियों के बढे जल-स्तर से आयी बाढ़ ने भी अपना अच्छा प्रकोप छोड़ा था।

1993 में आयी बाढ़ ने भारत के कुल सात-आठ राज्य बाढ़ की जद में आये जिसने 530 लोगों को अपने आगोश में लील लिया। प्रकृति का बीसवीं सदी से ज्यादे तांडव इक्कीसवीं सदी में देखने को मिला जब 26 जुलाई 2005 को मुंबई में मात्र बारिश होने से 1094 लोग मर गए थे।

उसके बाद बाढ़ और भारी बारिश से लोगों के मरने का सिलसिला हर साल जारी है। 2013 में आयी बाढ़ ने उत्तराखंड में ऐसी तबाही मचाई जिसे लोग सदियों तक नहीं भूल सकते, जिसमें लगभग 5700 लोगों ने अपनी जान गँवाई,

अनगिनत पशु पक्षियों को भी इस ताण्डवकारी बाढ़ में अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। गुजरात तथा तमिलनाडु में 2015 में आयी बाढ़ ने भी खूब तबाही मचाई।

असम में आयी बाढ़ ने 2016 में 1800 परिवारों को बेघर कर दिया था, सैकड़ों लोग मरे थे। 2017 में गुजरात में आयी बाढ़ से 200 लोग मरे फिर 2018 में केरल में आयी बाढ़ से 445 लोगों की दुखद मृत्यु हुई।

वहीँ 2019 में भारत के विभिन्न राज्यों में आयी बाढ़ से लगभग 1900 लोगों को अपनी जान से जान धोना पड़ा था, जिसमें से 382 लोग तो सिर्फ महाराष्ट्र से थे। देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र एवं राज्य की सरकारें 2020 को बाढ़ के प्रकोप से बचा पाने में कितनी सफल होंगी ये वक़्त ही बताएगा।

वहीँ आकाशीय बिजली गिरने से हर साल लोगों के मरने की दुखद घटना सुनने को मिलती है। आकाशीय बिजली गिरने की घटना इस साल भी बीते दिनों बिहार, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान से सुनने को मिली

जिसमें बिहार से 83 लोग तथा उत्तर प्रदेश से 24 लोग की मृत्यु एक दिन में ही हो गयी। इसीलिए जरूरी हो चला हैं कि सरकारें लोगों को आकाशीय बिजली से बचने का उपाय बताये।

विकास कि चकाचौंध में इंसान अँधा हो चुका, जिसने प्रकृति को ही नजर अंदाज़ कर दिया है। जिससे नज़रअंदाज़ हो रही प्रकृति भी अपने रौद्र रूप में तांडव कर रही है। मई 2019 में आये फैनी तूफान ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका में खूब तबाही मचाई थी जिससे 81 मौतें और 8.1 बिलियन का नुकसान हुआ था।

फैनी तूफान के ठीक बाद जून 2019 में आए वायु तूफान ने भारत, पाकिस्तान, ओमान और मालदीव में तबाही मचाई थी जिससे 8 मौतें और करोड़ो का नुकसान हुआ था।

इस साल 16 मई को आए अम्फान तूफान ने भी भारत के पूर्वोत्तर राज्य (पश्चिम बंगाल, ओडिशा, अंडमान), बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान में खूब तबाही मचाई जिसमें 128 जानें गयी 13.6 बिलियन का नुकसान हुआ।

वही 1 जून को आए निसर्ग तूफान ने भी महाराष्ट्र में अपना रौद्र रूप दिखाया जिसमें 6 लोगों कि जानें गयी। उधर पाकिस्तान में पनपे टिड्डियों के समूह ने भारत के उत्तरी राज्यों पर खूब कहर बरपाया जिससे बहुतायत मात्रा में किसानों के द्वारा डाले गए धान के बीज नष्ट हो गए।

इन टिड्डियों के समूह को अपने जिले से भागने के लिए प्रशासन को खूब मसक्कत करनी पड़ी। कहीं फायर बिग्रेड के द्वारा दवाइयों का छिड़काव करवाया जा रहा है तो कहीं घंटी, थाली बजा कर ध्वनि द्वारा टिड्डियों को भगाने की कोशिश की जा रही है।

वहीँ कुछ जिले में प्रशासन द्वारा ड्रोन के माध्यम से दवाइयों का छिड़काव कर टिड्डियों को भगाने की कोशिश अनवरत जारी है।

मानव विकास में इतना डूब चुका हैं कि उसे प्रकृति के बारे में कुछ भी सूझ नहीं रहा है, जिससे होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से जीवन खतरे में पहुंच गया है। आज के समय में मानव पूर्वजों के ज़माने कि उपजायी हरियाली को मिटा आलीशान बंगले बनवा लेने को विकास समझ बैठा है। 

जिन पेड़ों से हमारा तथा पशु, पक्षियों का जीवन है उसे मिटा हम मानव प्राकृतिक घटनाओं से निपटने कि योजनाओं को बनाने कि बजाय दूसरे ग्रहों पर जीवन ढूढ़ने के प्रयास में लगे हुए हैं।

जरुरत है सरकार विकास के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाये एवं उचित योजनाएं बनायें।

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सूखा पर निबंध (Drought Essay in Hindi)

सूखा वह स्थिति है जब लंबे समय तक वर्षा नहीं होती है। देश के कई हिस्सों में सूखा की घटना एक सामान्य बात है। इस स्थिति के परिणाम कठोर हैं और कई बार तो अपरिवर्तनीय हैं। सूखा की स्थिति तब होती है जब दुनिया के कुछ हिस्से महीनों के लिए बारिश से वंचित रह जाते हैं या फिर पूरे साल के लिए भी। ऐसे कई कारण हैं जो सूखा जैसी स्थितियों को विभिन्न भागों में पैदा करते हैं और स्थिति को गंभीर बनाते हैं।

सूखा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Drought in Hindi, Sukha par Nibandh Hindi mein)

सूखा पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

सूखा, मुख्य रूप से बारिश की कमी के कारण होता है, यह स्थिति समस्याग्रस्त है और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए घातक साबित हो सकती है। यह विशेष रूप से किसानों के लिए एक अभिशाप है क्योंकि यह उनकी फसलों को नष्ट कर देता है। सतत सूखा जैसी स्थिति में भी मिट्टी कम उपजाऊ हो जाती है।

सूखा के कारण

कई कारक हैं जो सूखा का आधार बनते हैं। यहां इन कारणों को विस्तार से देखें:

  • वनों की कटाई

वनों की कटाई को वर्षा की कमी के मुख्य कारणों में से एक कहा जाता है जिससे सूखा की स्थिति उत्पन्न होती है। पानी के वाष्पीकरण, भूमि पर पर्याप्त पानी की ज़रूरत और बारिश को आकर्षित करने के लिए भूमि पर पेड़ों और वनस्पतियों की पर्याप्त मात्रा की आवश्यकता है। वनों की कटाई और उनके स्थान पर कंक्रीट की इमारतों के निर्माण ने पर्यावरण में एक प्रमुख असंतुलन का कारण बना दिया है। यह मिट्टी की पानी की पकड़ की क्षमता को कम करता है और वाष्पीकरण बढ़ाता है। ये दोनों कम वर्षा का कारण है।

  • कम सतह जल प्रवाह

नदियां और झीलें दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में सतह के पानी के मुख्य स्रोत हैं। अत्यधिक गर्मियों या विभिन्न मानव गतिविधियों के लिए सतह के पानी के उपयोग के कारण इन स्रोतों में पानी सूख जाता है जिससे सूखा उत्पन्न होता है।

  • ग्लोबल वॉर्मिंग

पर्यावरण पर ग्लोबल वार्मिंग का नकारात्मक प्रभाव के बारे में सभी को पता है। अन्य मुद्दों में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन है जिसमें पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के परिणामस्वरूप वाष्पीकरण में वृद्धि हुई है। उच्च तापमान भी जंगल की आग का कारण है जो सूखा की स्थिति को बढ़ावा देता है।

इसके अलावा अत्यधिक सिंचाई भी सूखा के कारणों में से एक है क्योंकि यह सतह के पानी को खत्म कर देती है।

हालांकि सूखा का कारण काफी हद तक हम सभी को ज्ञात हैं और यह ज्यादातर जल संसाधनों और गैर-पर्यावरण अनुकूल मानव गतिविधियों के दुरुपयोग का परिणाम है। इस समस्या को रोकने के लिए कुछ ज्यादा नहीं किया जा रहा है। यह समय है कि इस वैश्विक मुद्दे को दूर करने के लिए विभिन्न देशों की सरकारों को हाथ मिलाना चाहिए।

सूखा पर निबंध – 2 (400 शब्द)

सूखा तब होता है जब किसी क्षेत्र को वर्षा की औसत मात्रा से कम या ना के बराबर पानी प्राप्त होता है जिसके कारण पानी की कमी, फसलों की विफलता और सामान्य गतिविधियों का विघटन है। ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई और इमारतों के निर्माण जैसे विभिन्न कारकों ने सूखा को जन्म दिया है।

सूखा के प्रकार

कुछ क्षेत्रों को लंबे समय तक बारिश के अभाव में चिह्नित किया जाता है, दूसरे क्षेत्रों को वर्ष में औसत मात्रा से कम मिलता है और कुछ हिस्सों में सूखा का सामना कर सकते हैं – इसलिए जगह और समय-समय पर सूक्ष्मता और सूखा का प्रकार स्थान से भिन्न होता है। यहां विभिन्न प्रकार के सूखों पर एक नज़र है:

  • मौसम संबंधी सूखा

जब किसी क्षेत्र में एक विशेष अवधि के लिए बारिश में कमी आती है – यह कुछ दिनों, महीनों, मौसम या वर्ष के लिए हो सकता है – यह मौसम संबंधी सूखा से प्रभावित होता है। भारत में एक क्षेत्र को मौसम संबंधी सूखा से प्रभावित तब माना जाता है जब वार्षिक वर्षा औसत बारिश से 75% कम होती है।

  • हाइड्रोलॉजिकल सूखा

यह मूल रूप से पानी में कमी के साथ जुड़ा हुआ है। हाइड्रोलॉजिकल सूखा अक्सर दो लगातार मौसम संबंधी सूखा का परिणाम होता है। ये दो श्रेणियों में विभाजित हैं:

  • सतह जल सूखा
  • मृदा की नमी का सूखा

जैसा कि नाम से पता चलता है इस स्थिति में अपर्याप्त मिट्टी की नमी शामिल है जो कि फसलों की वृद्धि को बाधित करती है। यह मौसम संबंधी सूखा का नतीजा है क्योंकि इससे मिट्टी में पानी की आपूर्ति कम हो जाती है और वाष्पीकरण के कारण अधिक पानी का नुकसान होता है।

जब मौसम संबंधी या हाइड्रोलॉजिकल सूखा एक क्षेत्र में फसल उपज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है तो इसे कृषि सूखा से प्रभावित माना जाता है।

यह सबसे गंभीर सूखा की स्थिति है। ऐसे क्षेत्रों में लोग भोजन तक पहुंच नहीं पाते हैं और बड़े पैमाने पर भुखमरी और तबाही होती है। सरकार को ऐसी स्थिति में हस्तक्षेप करने की ज़रूरत है और अन्य स्थानों से इन जगहों पर भोजन की आपूर्ति की जाती है।

  • सामाजिक-आर्थिक सूखा

यह स्थिति तब होती है जब फसल की विफलता और सामाजिक सुरक्षा के कारण भोजन की उपलब्धता और आय में कमी आती है।

सूखा एक कठिन स्थिति है खासकर अगर सूखा की गंभीरता ज्यादा है। हर साल सूखा की वजह से कई लोग प्रभावित होते हैं। जबकि सूखा की घटना एक प्राकृतिक घटना है हम निश्चित रूप से ऐसे मानवीय गतिविधियों को कम कर सकते हैं जो ऐसी स्थिति पैदा कर सकते हैं। इसके बाद के प्रभावों से निपटने के लिए सरकार को प्रभावी उपाय करने चाहिए।

सूखा पर निबंध – 3 (500 शब्द)

सूखा, ऐसी स्थिति जिसमें ना के बराबर या बहुत कम वर्षा होती है, को मौसम संबंधी सूखा, अकाल, सामाजिक-आर्थिक सूखा, हाइड्रोलॉजिकल सूखा और कृषि सूखा सहित विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। जिस भी तरह का सूखा हो, यह प्रभावित क्षेत्रों के सामान्य कामकाज को परेशान करता है।

सूखा का प्रभाव

सूखा से प्रभावित इलाकों में आपदा से उबरने के लिए पर्याप्त समय लगता है खासकर अगर सूखा की गंभीरता अधिक होती है। सूखा में लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी बिगड़ती है और विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। यहां नीचे बताया गया है कि इस प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन पर कैसे प्रभाव डालता है:

सूखा से कृषि और अन्य संबंधित क्षेत्रों पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है क्योंकि ये सीधे जमीन और सतह के पानी पर निर्भर होते हैं। फसल की पैदावार में कमी, पशुधन उत्पादन की कम दर, पौधे की बीमारी और हवा के क्षरण में वृद्धि सूखा के कुछ प्रमुख प्रभाव हैं।

  • किसानों के लिए वित्तीय नुकसान

सूखा से किसान सबसे प्रभावित होते हैं। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में फसलों का उत्पादन नहीं होता है और किसानों की एकमात्र आय खेती के जरिए उत्पन्न होती है। इस स्थिति से किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। अपनी जरूरतों को पूरा करने के प्रयास में कई किसान ऋण ले लेते हैं जिसे बाद में उनके लिए चुका पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति के कारण किसानों के आत्महत्या के मामले भी आम हैं।

  • वन्यजीवों का जोखिम

सूखा की वजह से जंगलों में आग के मामलों में वृद्धि हुई है और यह उच्च जोखिम वाले वन्यजीव आबादी को प्रभावित करता है। वनों को जलाने के कारण कई जंगली जानवर अपने जीवन से हाथ धो बैठते हैं जबकि कई अन्य अपना आश्रय खो देते हैं।

कम आपूर्ति और उच्च मांग के कारण विभिन्न अनाजों, फलों, सब्जियों की कीमतें बढ़ रही हैं। खाद्य पदार्थों जैसे कि जैम, सॉस और पेय पदार्थों विशेष रूप से फलों और सब्जियों से बने पदार्थों की कीमतें भी बढ़ जाती हैं। कुछ मामलों में लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए माल अन्य स्थानों से आयात किया जाता है। इसलिए कीमतों पर लगाए गए कर के मूल्य उच्च हैं। खुदरा विक्रेता जो किसानों को माल और सेवाओं की पेशकश करते हैं वे कम व्यापार के कारण वित्तीय नुकसान का सामना करते हैं।

  • मिट्टी का क्षरण

लगातार सूखा और इसकी गुणवत्ता में कमी के कारण मिट्टी में नमी कम हो जाती है। कुछ क्षेत्रों में फसलों को प्राप्त करने की योग्यता हासिल करने के लिए बहुत समय लगता है।

  • पर्यावरण पर समग्र प्रभाव

पर्यावरण में नुकसान पौधों और जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के कारण होता है। वहां परिदृश्य गुणवत्ता और जैव विविधता का विघटन होता है। सूखा के कारण हवा और पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। हालांकि इन स्थितियों में से कुछ अस्थायी अन्य लंबे समय तक चल सकते हैं या स्थायी भी हो सकते हैं।

  • दाँव पर सार्वजनिक सुरक्षा

भोजन की कमी और विभिन्न वस्तुओं की बढ़ती कीमतों ने चोरी जैसे अपराधों को जन्म दिया है और इससे सार्वजनिक सुरक्षा दांव पर लग गई है। इससे आम तौर पर लोगों के बीच तनाव पैदा करने वाले पानी के उपयोगकर्ताओं के बीच संघर्ष भी हो सकता है।

सूखा से प्रभावित देश

कुछ ऐसे देशों में जो सूखा से ग्रस्त हैं उनमें अल्बानिया, अफगानिस्तान, अर्मेनिया, बहरीन, ब्राजील का पूर्वोत्तर भाग, बर्मा, क्यूबा, ​​मोरक्को, ईरान, चीन, बांग्लादेश, बोत्सवाना, सूडान, युगांडा, सोमालिया, इर्र्शिया और इथियोपिया शामिल हैं।

सूखा सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। अकाल सूखा का सबसे गंभीर रूप है जो प्रभावित क्षेत्रों को मुख्यतः सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान पहुँचाता है।

Essay on Drought in Hindi

सूखा पर निबंध – 4 (600 शब्द)

सूखा एक ऐसी स्थिति है जब कुछ क्षेत्रों को कम या ना के बराबर वर्षा के कारण पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। भारत कई समस्याओं का कारण रहा है। देश में ऐसे कई क्षेत्र हैं जो हर साल सूखा से प्रभावित होते हैं जबकि अन्य लोगों को कभी-कभी इस स्थिति का सामना करना पड़ता है। सूखा का कारण वनों की कटाई, ग्लोबल वार्मिंग और अपर्याप्त सतह के पानी जैसे विभिन्न कारकों के कारण होता है और प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन पर और पर्यावरण के सामान्य संतुलन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

भारत में सूखा प्रभावित क्षेत्र

देश में कई प्रदेश सूखा से हर साल प्रभावित होते हैं। आंकड़े बताते हैं कि लगभग 12% जनसंख्या में रहने वाले देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग एक छठा हिस्सा सूखा प्रकोष्ठ है।

देश में सबसे अधिक सूखाग्रस्त राज्यों में से एक राजस्थान है। इस राज्य में ग्यारह जिले सूखा प्रभावित है। इन क्षेत्रों में कम या ना के बराबर बारिश होती है और भूजल का स्तर कम है। आंध्र प्रदेश राज्य में सूखा भी एक आम घटना है। हर साल यहां हर जिला सूखा से प्रभावित होता है।

यहां देश के कुछ अन्य क्षेत्रों पर एक नजर डाली गई है जो बार-बार सूखा का सामना करते हैं:

  • सौराष्ट्र और कच्छ, गुजरात
  • केरल में कोयम्बटूर
  • मिर्जापुर पठार और पलामू, उत्तर प्रदेश
  • कालाहांडी, उड़ीसा
  • पुरुलिया, पश्चिम बंगाल
  • तिरुनेलवेली जिला, दक्षिण वाइगई नदी, तमिलनाडु

सूखा के लिए संभव समाधान

  • बारिश के पानी का संग्रहण

यह टैंकों और प्राकृतिक जलाशयों में वर्षा जल इकट्ठा करने और संग्रहीत करने की तकनीक है ताकि इसे बाद में इस्तेमाल किया जा सके। सभी के लिए वर्षा जल संचयन अनिवार्य होना चाहिए। इसके पीछे का विचार है उपलब्ध पानी को इस्तेमाल करना।

  • सागर जल विलवणीकरण

सागर जल अलवणीकरण किया जाना चाहिए ताकि समुद्र में संग्रहीत पानी की विशाल मात्रा सिंचाई और अन्य कृषि गतिविधियों के प्रयोजन के लिए इस्तेमाल की जा सके। सरकार को इस दिशा में बड़ा निवेश करना चाहिए।

  • पानी को रीसायकल करना

पुनः प्रयोग के लिए अपशिष्ट जल शुद्ध और पुनर्नवीनीकरण किया जाना चाहिए। यह कई मायनों में किया जा सकता है। बारिश बैरल को स्थापित करने, आरओ सिस्टम से अपशिष्ट जल एकत्र करने, शॉवर की बाल्टी का उपयोग, सब्जियां धोने के पानी को बचाने और बारिश के बगीचे बनाने से इस दिशा में मदद कर सकते हैं। इन तरीकों से एकत्र पानी पौधों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

  • बादलों की सीडिंग

बादलों की सीडिंग मौसम को संशोधित करने के लिए की जाती है। यह वर्षा की मात्रा को बढ़ाने का एक तरीका है। पोटेशियम आयोडाइड, सिल्वर आयोडाइड और सूखी बर्फ बादल सीडिंग के प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किये गये कुछ रसायन हैं। सरकार को सूखा ग्रस्त इलाकों से बचने के लिए बादलों की सीडिंग में निवेश करना चाहिए।

  • अधिक से अधिक पेड़ लगायें

वनों की कटाई और कंक्रीट संरचनाओं का निर्माण दुर्लभ वर्षा के कारणों में से एक है। अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। यह सरल कदम जलवायु की स्थिति को बदल सकता है और पर्यावरण में अन्य सकारात्मक बदलाव भी ला सकता है।

  • पानी का सही उपयोग

प्रत्येक व्यक्ति को इस पानी की बर्बादी को रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए ताकि कम वर्षा के दौरान भी पर्याप्त पानी उपलब्ध हो। सरकार को पानी के उपयोग पर नज़र रखने के लिए कदम उठाने चाहिए।

  • अभियान चलाने चाहिए

सरकार को बारिश के पानी की बचत के लाभों के बारे में बताते हुए अभियान चलाना चाहिए, अधिक पेड़ लगाने चाहिए और अन्य उपाय करने चाहिए जिससे आम जनता सूखा से लड़ सके। यह जागरूकता फैलाने और समस्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है।

हालांकि सरकार ने कुछ सूखा राहत योजनाएं बनाई हैं पर ये सूखा की गंभीर समस्या को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इस समस्या से बचने के लिए मजबूत कदम उठाना महत्वपूर्ण है। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपना योगदान देना चाहिए।

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natural disaster essay in hindi

भूंकप पर निबंध – Essay on Earthquake in Hindi

Essay on Earthquake

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कि जीव-जन्तु, जलवायु, पेड़-पौधे, वनस्पति, पर्यावरण समेत समस्त मानव जीवन के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। भूकंप, जब भी आता है, धरती पर इतनी तेज कंपन होता है कि पल-भर में ही सब-कुछ तहस-नहस हो जाता है और तमाम मानव जिंदगियों एक झटके में बर्बाद हो जाती हैं।

अक्सर स्कूल के बच्चों को भूंकप पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसी दिशा में हम अपने इस पोस्ट में आपको भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसमें भूकंप से संबंधित सभी मुख्य तथ्य शामिल किए गए हैं, इस निबंध को आप अपनी जरुरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –

Essay on Earthquake in Hindi

भूकंप, जैसी अत्यंत विध्वंशकारी और भयावह आपदा जब भी आती है, धरती पर इतनी तेज कंपन हो उठता है कि पल भर में ही सब-कुछ नष्ट हो जाता है। भूकंप आने पर न सिर्फ सैकड़ों जिंदगियों का पल भर में विनाश हो जाता है, बल्कि करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति भी एक ही झटके में मलबे का ढेर बन जाती है।

तेज भूकंप आने पर न जाने कितनी इमारतें ढह जाती हैं, नदियों, जलाशयों में उफान आ जाता हैं, धरती फट जाती है और सुनामी का खतरा बढ़ जाता है, भूकंप को तत्काल प्रभाव से नहीं रोका जा सकता है।

भूकंप क्या है – What is the Earthquake

भूकंप शब्द – दो अक्षरों से मिलकर बना है- भू+कंप अर्थात, भू का अर्थ है भूमि, और कंप का मतलब कंपन से है तो इस तरह भूमि पर कंपन को ही भूकंप कहते हैं।

वहीं अगर भूकंप को परिभाषित किया जाए तो – भूकंप एक अत्यंत विध्वंशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से है, जिसमें अचानक से धरती सतह पर तेजी से कंपन होना लगता है, अर्थात धरती बुरी तरह हिलने-डुलने लगती है।

वहीं जब भूकंप की तीव्रता की गति अत्यंत तेज होती है, तो यह उस भयावह स्थिति को उत्पन्न करता है, जिसमें धरती फटने लगती हैं, नदियों, जलाशयों में तेजी से उफान आता है, जिससे भूस्खलन और सुनामी जैसे संकट का खतरा पैदा हो जाता है, और इससे बड़े स्तर पर जान-माल की हानि होती है, और इसके तत्काल प्रभाव पर काबू नहीं पाया जा सकता है।

भूकंप आने के कारण – Causes of Earthquake

प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों कारणों से भूकंप आ सकता है-

भूकंप आने के प्राकृतिक कारण – Natural Causes of Earthquake

क्रस्टल, मेनटल, इनर कोर और आउट कोर इन चार परतों से मिलकर धरती बनी हैं, इन परतों को टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है, वहीं जब ये प्लेट्स अपने स्थान से खिसकती हैं अर्थात हिलती-डुलती हैं तो भूकंप की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके साथ ही जब धरती की निचली सतह में तरंगें उत्पन्न होती हैं, तो भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा जन्म लेती हैं

धरती का तापमान बढ़ने से ज्वालामुखी फटते हैं, जिसके कारण भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा आती है।

धरती के अंदर की चट्टानों के खिसकने की वजह से भी भूकंप आते हैं, इसलिए धऱती पर दवाब होने की वजह से पहाड़ वाले स्थान पर भूकंप ज्यादा आते हैं।

भूकंप पर वैज्ञानिकों की आधुनिक शोध के तहत प्लेट टेक्टोनिस्क भी भूकंप का कारण हैं, इसके तहत जब पहाड़ों, महासागरों, मरुभूमियों और महाद्धीपों की अलग-अलग प्लेटें होती हैं, जो कि लगातार खिसकती रहती हैं, वहीं ऐसी प्लेटों के आपस में टकराने से या फिर अलग होने पर भी भूंकप आता है।

भूकंप आने के मानव निर्मित कारण – Man-made Causes of Earthquake

  • परमाणु परीक्षण।
  • नाभिकीय और खदानों के विस्फोट।
  • गहरे कुओं से तेल निकालना या फिर किसी तरह का अपशिष्ट या तरल पदार्थ भरना।
  • विशाल बांध का निर्माण।

रिक्टर स्केल से मापी जाती है भूकंप की तीव्रता:

रिक्टर स्केल से भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। आपको बता दें कि सिसमोमीटर द्धारा रिएक्टर स्केल में मापी गई भूकंप की तीव्रता 2-3 रिएक्टर में आती है, तो इसे सामान्य माना जाता है ,यानि कि इसके तहत हल्के झटकों का एहसास होता है।

इसमें ज्यादा नुकसान नहीं होता है, वहीं जब यह तीव्रता 7 से ज्यादा होती है, तो इस तीव्रता वाले भूकंप, बेहद खतरनाक और विनाशकारी होते हैं और सब-कुछ तहस नहस कर देते हैं।

भूकंप से नुकसान – Effects of Earthquake

  • भूकंप से कई जिंदगियां तबाह हो जाती हैं।
  • भीड़-भाड़ वाले इलाके में भूकंप से काफी नुकसान होता है, कई बड़ी इमारते पल भर में ढह जाती हैं, वहीं मलबों के नीचे भी कई लोग दब कर मर जाते हैं।
  • भूकंप से नदियों, जलाशयों के जल में उफान आ जाता है, जिससे सुनामी और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • अत्याधिक तेज कंपन से धरती फंटना शुरु हो जाती है, अर्थात भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

भूकंप आने पर अपनी सुरक्षा कैसे करें:

  • भूकंप जैसी भयावह आपदा पर काबू पाना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन भूकंप आने पर घबराने की बजाय अगर समझदारी के साथ नीचे लिखी कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो आप अपना बचाव कर सकते हैं –
  • ऐसे मकानों का निर्माण करवाना चाहिए जो कि भूकंप रोधी हों।
  • भूकंप के झटकों का एहसास होते ही, तुरंत घर से निकलकर खुले स्थानों पर जाएं, वहीं अगर घर से बाहर निकलने में टाइम लगे तो कमरे के कोने में या फिर किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे जाकर छिप जाएं।
  • भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।
  • घर में उपलब्ध बिजली के सारे उपकरण को बंद कर दें, और बिजली का मेन स्विच बंद कर दें।
  • कार चलाते वक्त तुरंत कार से बाहर निकलें।

भूकंप से बचने के उपाय:

भूकंप जैसी भयावह आपदा के प्रभाव को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, भूकंप से बचना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन अगर पहले से ही कुछ भूकंप मापने वाले यंत्र लगा दिए जाएं तो, पहले से ही भूकंप आने की जानकारी मिल सकेगी, जिससे लोगों को पहले से ही आगाह किया जा सकेगा।

अब तक आए सबसे बड़े भूकंप:

  • वाल्डिविया, चिली में 22 मई, 1960 को 9.5 की तीव्रता वाला भयंकर भूकंप आया था, जिसमें चिली समेत न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस ने भारी तबाही मचाई थी और लाखों जिंदगियां इस भूंकप से बर्बाद हो गईं थी।
  • दक्षिण भारत में 9.2 की तीव्रता वाला भूकंप 26 दिसंबर, साल 2004 में आया था, जिसमें कई हजार लोगों की जान चली गई थी।
  • गुजरात के भुज में 26 जनवरी, 2001 में 7.7 की तीव्रता वाला विध्वंशकारी भूकंप आया था, जिसमें करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी, और करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
  • हैती में 12 जनवरी, 2010 में 7 रिएक्टर की तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसमें करीब 1 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे।

भूकंप, जैसी भयावह और विध्वंशकारी आपदा को रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इसका पूर्वानुमान लगाकर, इससे प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है।

  • Water is Life Essay
  • Essay on Water Pollution
  • Essay on Science
  • Essay on Disaster Management

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11 बड़े भूकंप कब आए और कहाँ आए?

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भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)

[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake) पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Earthquake in Hindi]

[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake)

पृथ्वी की सतह के हिलने और कांपने को भूकंप के रूप में जाना जाता है। भूकंप को सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है क्योंकि वे जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। भूकम पे निबंध छोटे बच्चो और कॉलेज छात्रों के लिए निबंध प्रस्तुत किया गया है।

#1. [100-150 Words] भूकंप -भूचाल (Bhukamp)

धरती के अचानक हिलने की घटना भूकंप कहलाती है। जब पृथ्वी के आंतरिक गर्म पदार्थों के कारण हलचल उत्पन्न होती है, तो भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है। कभी भूकंप हल्की तो कभी भारी तीव्रता का होता है। कम तीव्रता वाला भूकंप आने पर क्षेत्र-विशेष में धरती केवल हिलती महसूस होती है लेकिन इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। अधिक तीव्रता वाला भूकंप कभी-कभी भारी क्षति पहुँचाता है। कच्चे और कमज़ोर मकान ढह जाते हैं, चल-अचल संपत्ति का भारी नुकसान होता है। सैंकड़ों मनुष्य मकान के मलबे में दबकर मर जाते हैं। हज़ारों घायल हो जाते हैं। लोग बेघर-बार होकर अस्थायी निवास में रहने के लिए विवश होते हैं। परिस्थितियों के सामान्य बनाने में कई महीने या कई वर्ष लग जाते हैं। भूकंप को रोका नहीं जा सकता परंतु सावधानियाँ बरतने से इससे होने वाली क्षति ज़रूर कम की जा सकती है। इससे बचाव के लिए भूकंपरोधी भवनों का निर्माण करना चाहिए। भूकंप आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि आवश्यक सावधानियाँ बरतनी चाहिए। भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, इसका मिल-जुलकर मुकाबला करना चाहिए।

#2. [400-500 Words] भूकंप पर निबंध-essay on earthquake in Hindi

भूमिका : भूकंप पृथ्वी का अपनी धुरी से हिलकर कम्पन करने की स्थिति को भूकम्प या भूचाल कहा जाता है। कभी-कभी तो यह स्थिति बहुत भयावह हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के ऊपर स्थित जड़-चेतन हर प्राणी और पदार्थ का या तो विनाश हो जाता है या फिर वह सर्वनाश की-सी स्थिति में पहुंच जाता है। जापान के विषय में तो प्रायः सुना जाता है कि वहां तो अक्सर भूकम्प आकर विनाशलीला प्रस्तुत करते ही रहते हैं। इस कारण लोग वहां लकड़ियों के बने घरों में रहते हैं। इसी प्रकार का एक भयानक भूकम्प बहुत वर्षों पहले अविभाजित भारत के कोटा नामक स्थान पर आया था। उसने शहर के साथ-साथ हजारों घर-परिवारों का नाम तक भी बाकी नहीं रहने दिया था।

अभी कुछ वर्षों पहले गढ़वाल और महाराष्ट्र के कुछ भागों को भूकम्प के दिल दहला देने वाले हादसों का शिकार होना पड़ा था। प्रकृति की यह कैसी लीला है कि वह मानव-शिशुओं के घर-घरौंदों को तथा स्वयं उनको भी कच्ची मिट्टी के खिलौनों की तरह तोड़-मरोड़कर रख देती है। पहले यह भूकम्प गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों में आया था, जहां इसने बहुत नुकसान पहुंचाया था। थोड़े दिन पश्चात् महाराष्ट्र के एक भाग में फिर एक भूकम्प आया जिसने वहां सब कुछ मटियामेट कर दिया था। महाराष्ट्र में धरती के जिस भाग पर भूकम्प के राक्षस ने अपने पैर फैला दिए थे वहाँ तो आस-पास के मकानों के खण्डहर बन गए थे। उन मकानों में फंसे लोग कुछ तो काल के असमय ग्रास बन गए थे, कुछ लंगड़े-लूले बन चुके थे। एक दिन बाद समाचार में पढ़ा कि वहां सरकार और गैर-सरकारी स्वयं-सेवी संस्थाओं के स्वयंसेवक दोनों राहत कार्यों में जुटे हुए थे। ये संस्थाएं अपने साधनों के अनुरूप सहृदयता का व्यवहार करती हुई पीड़ितों को वास्तविक राहत पहुंचाने का प्रयास कर रही थीं।

भूकम्प कितना भयानक था यह दूरदर्शन में वहां के दृश्य देखकर अन्दाजा हो गया था। जिन भागों पर भूकम्प का प्रकोप था वहां सब कुछ समाप्त हो चुका था। हल जोतने वाले किसानों के पशु तक नहीं बचे थे। दुधारू पशुओं का अन्त हो चुका था। सैकड़ों लोग मकानों के ढहने और धरती के फटने से मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। इस प्रकार हंसता-खेलता संसार वीरान होकर रह जाता है। सब ओर गहरा शून्य तथा मौत का-सा सन्नाटा छा जाता है। कभी-कभी मैं सोचता हूं कि जापान के लोग कैसे रहते होंगे जहां इस प्रकार के भयावह भूकम्प आए दिन आते रहते हैं।

26 जनवरी, 2001 को गुजरात सहित पूरे भारत ने भूकंप का कहर देखा। भुज सहित संपूर्ण गुजरात में भारी जान-माल का नुकसान हुआ। 8 अक्टूबर, 2005 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और उससे सटे भारतीय कश्मीर में दिल दहला देने वाला जो भूकंप आया उसमें जहाँ एक लाख से अधिक लोंग काल के गाल में समा गए, वहीं लाखों लोग घायल हुए। अरबों रुपए की संपत्ति की हानि हुई।

भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई उपकरण-यंत्र विकसित नहीं हुआ है, जिससे यह बात पता चल सके कि अमुक-अमुक क्षेत्रों में भूकंप आने वाला है। भूकंप के आते समय ‘रिक्टर स्केल’ पर सिर्फ उसकी क्षमता का ही माप लिया जा सकता है। जापान, पेरू व अमेरिका के कुछ राज्यों में जहां भूकंप के झटके अकसर महसूस किए जाते हैं, वहां के वैज्ञानिकों ने भूकंपरोधी मकानों (Earthquake Resistance) का निर्माण किया है। भारत के भूकम्प प्रमाणित क्षेत्रों में भी ‘भूकंपरोधी’ मकानों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार को कारगर नीति बनानी चाहिए।

#3. [600-700 Words] Bhukamp par nibandh भूकंप निबंध हिंदी में

भूमिका : प्रकृती उस ईशवर की रचना होने के कारण अजय है। मनुष्य आदि काल से प्रकृति की शक्तियों के साथ संघर्ष करता रहा है। उसने अपनी बुद्धि साहस एवं शक्ति के बल पर प्रकृति के अनेक रहस्य का उद्घाटन करने में सफलता प्राप्त की है लेकिन इस प्रकृति की शक्तियों पर पूर्ण अधिकार करने की सामर्थ्य मनुष्य में नहीं है। प्रकृति अनेक रूपो में हमारे सामने आती है। ये कभी अपना कोमल और सुखदायी रूप दिखाती है। तो कभी ऐसा कठोर रूप धारण करती है कि मनुष्य इसके सामने विवश और असहाय हो जाता है। आंधी तूफान, अकाल, अनावृष्टि अतिवृष्टि तथा भूकम्प ऐसे ही प्रकोप है।

भूकम्प क्या है: भूमि के हिलने को भूचाल, भूकंप की संज्ञा दी जाती है। धरती का कोई भी अंग ऐसा नहीं बचा जहां कभी ना कभी भूकंप के झटके ना आए हो, भूकंप के हल्के झटके से तो विशेष हानि नहीं होती है। लेकिन जब कभी जोर के झटके आते हैं तो वे प्रलय कारी दृश्य उपस्थित कर देते हैं। कामायनी के महाकाव्य के रचयिता श्री जयशंकर प्रसाद में प्रकृति का प्रकोप का वर्णन करते हुए लिखा है।

हा – हा – कार हुआ क्रंदनमय कठिन कुलिश होते थे चूर हुए दिगंत वाघेर, भीषण रव बार-बार होता था क्रूर।।

भूकंप का कारण: भूकंप क्यों आते हैं यह एक ऐसा रहस्य है जिसका उद्घाटन आज तक नहीं हो सका वैज्ञानिकों ने प्रकृति को मनुष्य के अनुकूल बनाने का प्रयत्न किया है । वह गर्मी तथा सर्दी में स्वयं को बचाने के लिए वातावरण को अपने अनुकूल बना सकता है। लेकिन भूकंप तथा बाढ़ आदि ऐसे देवी प्रकोप है जिनका समाधान मनुष्य जाति सैकड़ों वर्षों के कठोर प्रयोत्नो के बावजूद भी नहीं कर पाई है।

भूकंप के कारण के विभिन्न मत: भूकम्प को विषय में लोगों के भिन्न-भिन्न मत है, भुगर्भ शास्त्रियों का मत है कि धरती के भीतर तरल पदार्थ है, जब अंदर की गर्मी के कारण तीव्रता से फैलने लगते हैं तो पृथ्वी हिल जाती है। कभी-कभी ज्वालामुखी का फटना भी भूकम्प का कारण बन जाता है। भारत एक धर्म प्रधान देश है, यहां के लोगों का मत है कि जब पृथ्वी के किसी भाग पर अत्याचार और अनाचार बढ़ जाते हैं तो उस भाग में देवी प्रकोप के कारण भूकंप आते है। देहातो में तो यह कथा भी प्रचलित है कि शेषनाग ने पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर रखा है। उसके सात सिर है जब एक सिर पृथ्वी के बोझ के कारण थक जाता है। तो उसे दूसरे सिर पर बदलना है उसकी इस क्रिया से पृथ्वी हिल जाती है। और भूकंप आ जाता है, अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि जब पृथ्वी पर जनसंख्या जरूरत से अधिक बढ़ जाती है तब उसे संतुलित करने के लिए भूकम्प उत्पन्न करती हैं।

भूकंप से हानि: भूकंप का कारण कोई भी क्यों ना हो, पर इतना निश्चित है कि यह एक दैवी प्रकोप है जो अधिक विनाश का कारण बनता है यह जान लेवा ही नहीं बनता बल्कि मनुष्य की शताब्दीयो की मेहनत को भी नष्ट कर देता है। बिहार में बड़े विनाशकारी भूकंप देखे हैं हजारों लोग मौत के मुंह में चले गए भूमि में दरारें पड़ गई जिनमें जीवित प्राणी समा गए पृथ्वी के गर्भ से कई प्रकार की विषैली गैस उत्पन्न हूंई जिनमें प्राणियों का दम घुट गया। भूकंप के कारण जो लोग धरती में समा जाते हैं उनके मृत शरीरों को बाहर निकालने के लिए धरती की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं बड़े-बड़े भवन धराशाई हो जाते हैं लोग बेघर हो जाते हैं धनवान निर्धन बन जाते हैं और निर्धनों को जीने के लाले पड़ जाते हैं।

भूकंप का उल्लेख: सन 1935 में क्वेटा ने भूकंप का प्रलयकारी नृत्य देखा था। भूकंप के तेज झटकों के कारण देखते ही देखते एक सुंदर नगर नष्ट हो गया हजारों स्त्री पुरुष जो रात की सुखद नींद का आनंद ले रहे थे क्षण भर में मौत का ग्रास बन गए। मकान, सड़के ओर व्रक्ष आदि सब नष्ट हो गए सब कुछ बहुत दयनीय हो गया। बहुत से लोग अपंग हो गए। किसी का हाथ टूट गया तो किसी की टॉन्ग, कोई अँधा हो गया तो कोई बहरा। अनेक स्त्रियां विधवा हो गई। बच्चे अनाथ हो गए। भारत देश के गुजरात राज्य में सन 2001 का भूकंप ऐसा रहा कि जिससे हुई बर्बादी अभी तक किसी भी भूकम्प से हुई बर्बादी से अधिक है। आज भी जब उस भूकम्प की करुण कहानी सुनते है।तो ह्रदय कांप उठता है।

भूकंप क्यों आते हैं ? इस संबंध में भिन्न-भिन्न मत प्रचलित हैं। भूगर्भशास्त्रियों की राय है कि पृथ्वी के भीतर की तहों में सभी धातुएँ और पदार्थ आदि तरल रूप में बह रहे हैं। जब वे भीतर की गरमी के कारण अधिक तेजी से बहते और फैलते हैं तो धरती काँप उठती है। कभी-कभी ज्वालामुखी पर्वतों के फटने से भी भूकंप आ जाते हैं। एक अन्य मत यह भी प्रचलित है कि पृथ्वी के भीतर मिट्टी की तहों के बैठने (धसकने) से भी धरती हिल उठती है।

जापान आदि कुछ ऐसे देश है जहां भूकंप की संभावना अधिक रहती है यहां पर मकान पत्थर चुने तथा ईट के ना होकर लकड़ी तथा गत्ते के बनाए जाते हैं। ये साधन भूकम्प के प्रभाव को कम कर सकते हैं पर उसे रोक नहीं सकते है। भूकंप जब भी आता है जान और माल की हानि अवश्य होती है। टर्की में भी एक भीषण भूकंप आया था जिसके परिणाम स्वरूप हजारों मनुष्य दबकर मर गए थे भूकंप के हल्के झटके भी कम भयंकर नही होते उससे भवनों को क्षति पहुंचती है।

उपसंहार : आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है। पर विज्ञान देवी प्रकोप के सामने विवश है। भूकम्प के मनुष्य कारण क्षण भर में ही प्रलय का दृश्य उपस्थित हो जाता है। ईश्वर की इच्छा के आगे सब विवश है। मनुष्य को कभी भी अपनी शक्ति और बुद्धि का घमंड नहीं करना चाहिए उसे हमेशा प्रकृति तथा ईश्वर की शक्ति के आगे नतमस्तक रहना चाहिए। ईश्वर की कृपा ही मानव जाति को ऐसे प्रकोप से बचा सकती है।

#4. [800-1000 Words Long essay] प्राकृतिक आपदा भूकंप पर निबंध

प्रस्तावना : मनुष्य अपने स्वार्थ सिद्धि और तरक्की के कारण पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इसके कारण कई प्राकृतिक आपदाओं को इसने जन्म दिया है। भूकंप एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। यह एक भीषण संकट है। भूकंप जैसे ही आता है , यह जीव जंतु , मनुष्य सभी की जान ले लेता है। पेड़ पौधे नष्ट हो जाते है। बड़ी बड़ी इमारतें कुछ ही मिनटों में ताश के पत्तों की तरह ढह जाती है। भूमि पर दरार पड़ जाती है। अचानक धरती पर तीव्र गति से कम्पन होती है कि एक ही झटके में सब कुछ नष्ट हो जाता है। कई परिवार भूकंप की इस भयावह आपदा के शिकार हो जाते है। हर तरफ त्र्याही त्र्याही मच जाती है। भूकंप दो अक्षरों -भू + कम्प से बना है। भू मतलब धरती और कम्प का अर्थ है कम्पन। इस प्रकार भूमि यानी धरती पर अचानक आये कम्पन को भूकंप कहते है।

लोग बेघर हो जाते है और इस विनाशकारी आपदा की वजह से घायल हो जाते है। भूकंप के समक्ष मनुष्य की हालत दयनीय और असहाय हो जाती है। अपने चारो तरफ वह विनाश देखने को बेबस हो जाता है। भूकंप , बड़े उन्नत शहरों को खंडहरों में बदल कर रख देता है। मनुष्य ने हर क्षेत्र में प्रगति कर ली मगर भूकंप पर विजय पाने में असफल रहा है। ज़्यादातर भूंकम्प ज्वालामुखी विस्फोटो से आते है। जब ज्वालामुखी विस्फोट होता है , धरती में कम्पन पैदा हो जाता है। भूंकम्प आने पर चट्टानें टूट जाती है। जहाँ पर यह भूकंप आता है , वहां पर बसे गाँव और शहर नष्ट हो जाते है। जान माल की प्रचुर हानि होती है। कई बार दरारे इतनी गहरी पड़ती है कि लोग जिन्दा दफ़न हो जाते है। संचार और यातायात के सभी साधन भूकंप की वजह से नष्ट हो जाते है।

भूकंप पीड़ित जगहों पर कई वर्षो तक खुशहाली लौटती नहीं है। जीवन सामान्य होने में वक़्त लगता है। धरती को कृषि योग्य बनाने के लिए सैंकड़ो सालों से की गयी परिश्रम एक पल में नष्ट हो जाती है। भूकंप की वजह से सागर में भयानक लहरें उठती है जो वहां के क्षेत्रों में बसे लोगो पर कहर बरसाती है। भूकंप के समय समुद्र में तैर रही जहाजों का बचना नामुमकिन हो जाता है।

भारत में गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता से विनाशकारी भूकंप आया था। इस भूकंप में तीस हज़ार से ज़्यादा लोगो की जान चली गयी थी।

चार परतो से मिलकर धरती का निर्माण होता है। क्रस्टल , मेन्टल , इनर कोर , आउटर कोर इन चार परतो के नाम है। जब घरती के अंदर यह टेकटोनिक प्लेट हिलती है भूंकम्प आता है। धरती पर कभी कभार इतना अधिक दबाव पड़ता है कि पहाड़ खिसकने लगते है। टेकटोनिक प्लेट की तरह पहाड़ो , महासागरों की भी विभिन्न प्लेट होती है। भूकंप तब भी आ सकता , जब ऐसी प्लेट्स एक दूसरे के संग टकराती है।

भूकंप आने के कुछ कारण , मनुष्य का परमाणु परीक्षण , अनियमित प्रदूषण खदानों में विस्फोट , गहरे कुएं से तेल प्राप्त करना , जगह -जगह पर बाँध का निर्माण करवाना है । भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल में मापी जाती है। भूकंप को जिस उपकरण से मापा जाता है , उसे सिस्मोमीटर कहा जाता है। अगर दो से तीन तक की रिक्टर स्केल की भूकंप आती है ,तो यह भूकंप इतनी तीव्र नहीं होती है। अगर भूकंप की तीव्रता सात रिक्टर या उससे ज़्यादा होती है , तो भीषण विनाश ले आती है। ऐसे भूकंप में जान माल का बहुत नुकसान होता है।

जिस जगह में जनसंख्या का घनत्व अधिक होती है , वहां भूकंप से भयानक हानि होती है। शहरों में बड़ी इमारते होती है ,वो ढह जाती है जिसमे कई लोग दब कर मर जाते है। जब भूकंप आता है , तो नदियों और समुन्दरो में लहरें बढ़ जाती है। इससे बाढ़ का भय बढ़ जाता है।

अगर अतिरिक्त कम्पन होता है , धरती का बुरी तरीके से फटना शुरू हो जाता है। भूकंप आने पर चारो तरफ तनाव और भय का माहोल उतपन्न हो जाता है। मनुष्य को ऐसे घरो का निर्माण करना चाहिए ,जो भूकंप की चपेट को झेल सके। भूकंप रोधी घर होने चाहिए। जैसी ही लोगो को भूकंप के झटके महसूस होते है , उन्हें अपने मकान से निकलकर , खुले स्थान पर जाना चाहिए। अगर देर हो रही है , तो किसी सख्त फर्नीचर के नीचे छिप जाए । एक बात का ध्यान रखे , भूकंप के समय लिफ्ट का उपयोग बिलकुल ना करे। बिजली की मैन स्विच बंद कर दे। भूकंप की वजह से बड़े बड़े घरो और पाइपलाइनो में भयंकर आग लग सकती है। इससे और अधिक लोगो की जान जा सकती है। कई तरह के बिजली उपकरणों के कारण और अधिक भयंकर हादसा हो सकता है। इसलिए सावधानी बरतनी ज़रूरी है। समुद्र में जब भूकंप आता है ,तो वहां ऊँची लहरों का निर्माण होता है। यह सब विनाश भूकंप की ही देन है।

भूकंप आने से पूर्व मनुष्य को कोई चेतावनी नहीं मिलती है। लोगो को भूकंप के बारे में पहले से कुछ जानकारी नहीं मिलती है। कभी भूकंप की गति कम होती है , लोग इसे भूल जाते है। जब भूकंप अपने चरम सीमा पर होता है , तो गंभीर घाव दे जाता है। भूकंप अचानक दस्तक देती है और सब कुछ तहस नहस कर देती है।

यह सबसे घातक प्राकृतिक आपदा है। इससे लोगो की जिंदगी और संपत्ति सब लूट जाती है। भूकंप की उत्पत्ति जहां होती है , उसे भूकंप केंद्र कहा जाता है। भूकंप जैसे महाविनाश को रोकना असंभव है। मनुष्य को इसके प्रभाव को कैसे कम किया जाए , इस पर विचार करना चाहिए। मनुष्य भूकंप के कष्टों को कम ज़रूर कर सकता है। सामाजिक संस्थाएं ग्रसित जगहों में जाकर पीड़ित लोगो की मदद करती है। सरकार पीड़ित लोगो के पुनः स्थापना के लिए सरकारी अनुदान देती है। राहत कोष जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। मनुष्यो के औद्योगीकरण और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तीव्र गति की उन्नति ने इन भयानक प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दिया है। मनुष्य को इस पर नियंत्रण करना बहुत ज़रूरी है।

#सम्बंधित :- Hindi paragraph, Hindi Essay, हिंदी निबंध। 

  • प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध
  • बाढ़ का दृश्य पर निबंध
  • प्रकृतिक विपदा: सूखा पर निबंध
  • जीव जंतु हमारे लिए उपकारी पर निबंध
  • अपनी सुरक्षा अपना दायित्व
  • मानव और समाज पर निबंध
  • प्लास्टिक वरदान या अभिशाप
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध, Global warming
  • वृक्षारोपण पर निबंध
  • जल है तो कल है निबंध
  • निबंध- जल प्रदूषण दूर करने की सावधानियां
  • महान व्यक्तियों पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • सामाजिक मुद्दे पर निबंध
  • स्वास्थ्य पर निबंध
  • महिलाओं पर निबंध

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1 thought on “भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)”

Well l think u could have posted 200-300 words limitation too. Coz there situation in which we don’t need much words and of course least words.So for that situation 200-300 words is perfect. I just wanted to make u know about it……..

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Essay @ Natural Disasters | Hindi | India | Geography

natural disaster essay in hindi

Here is an essay on ‘Natural Disasters’ for class 5, 6, 7, 8, 9 and 10. Find paragraphs, long and short essays on ‘Natural Disasters’ especially written for school and college students in Hindi language.

Essay on Natural Disasters

Essay Contents:

  • Essay on Drought
  • Essay on Floods
  • Essay on Cyclones
  • Essay on Earthquakes
  • Essay on Tsunami
  • Essay on Cloudburst

Essay # 1. सूखा (Drought):

ADVERTISEMENTS:

विभिन्न भूगोलवेत्ताओं ने सूखे की अलग-अलग पी: रभाषाएं प्रस्तुत की हैं । भारत के जलवायु विभाग के अनुसार यदि लगातार 22 दिनों तक 0.25 से.मी. से कम वर्षा रिकॉर्ड की जाये तो सूखा घोषित कर दिया जाता है । परन्तु यह परिभाषा भारत के सभी भागों के लिए उपयुक्त नहीं । मेघालय के पठार, विशेषकर चेरापूंजी एवं मासिनराम में यदि 15 दिन में 0.25 से.मी. वर्षा रिकॉर्ड न की जाये तो सूखे की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है ।

भारत में प्रायः सूखा मानसून-फेल होने के कारण पड़ता है । 1982 तथा 2009 में जब अल-नीनो सबल था तो भारतीय मानसून विफल हुआ और देश के अधि कतर भागों में सूखा पड गया था । प्रत्येक पाँच वर्ष में दो साल सूखा पड़ता है । 

(i) राजस्थान के मरुस्थलीय तथा अर्द्ध-मरुस्थलीय क्षेत्र:

अरावली पर्वत के पश्चिम में थार का मरुस्थल फैला हुआ है । राजस्थान के मरुस्थल एवं निकटवर्ती अर्द्ध-मरुस्थलीय भागों में औसत वार्षिक वर्षा 15 सेन्टीमीटर से 60 सेन टीमीटर तक होती है । यहाँ वर्षा की विविधता 20 से 60 प्रतिशत से अधिक है । फलस्वरूप यह भारत का सबसे अधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र है ।

( ii) पश्चिमी घाट का पूर्वी वर्षा रहित क्षेत्र:

यह क्षेत्र आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के उत्तरी पश्चिमी भाग में फैला हुआ है । इस क्षेत्र में भी औसत वार्षिक वर्षा 60 सेन्टीमीटर से कम और वर्षा की वि. विधता 30 प्रतिशत से अधिक है । यहाँ भी प्रायः सूखे की परिस्थिति बनी रहती है ।

(iii) अन्य सूखाग्रस्त क्षेत्र:

ओडीशा के कालाहाण्डी प. बंगाल के पलिया-बांकुरा जिले बुन्देलखण्ड (यूपी.) बघेलखण्ड एमपी. लद्दाख तथा तमिलनाडु के मदुरई इत्यादि जिलों में प्रायः मानसून फेल होने पर सूखा पड़ जाता है ।

भारत में सूखे के कारण बहुत बार अकाल पड़े हैं , जिनमें से निम्नलिखित वर्षों में सूखे के कारण भारी जान-माल की हानि हुई थी:

1961-63 – बिहार एवं बंगाल का अकाल

1965-66 – महाराष्ट्र का अकाल

1966-67 – ओडीशा का अकाल

1982-83 – हरियाणा – राजस्थान

1987-88 – बोलनगिरि – कालाहांडी (ओड़ीशा)

2009-10 – भारत के अधिकतर भाग ।

सूखा-प्रबन्धन:

भारत सरकार ने सूखाग्रस्त क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया है तथा ऐसे क्षेत्रों के रहने वालों के लिये बहुत-सी राहत की योजनायें तैयार की हैं । 1987 से पहले सूखाग्रस्त क्षेत्रवासियों को अनाज-चारे की सहायता तथा रोजगार का प्रावधान किया जाता था । इस प्रकार की योजनाओं का भारत सरकार पर भारी वित्तीय दबाव पड़ता । 1987 के पश्चात सरकार ने ऐसे क्षेत्रों के लिये चौमुखी विकास की योजना तैयार की हैं ।

Essay # 2. बाढ़ ( Floods):

नदी का जलस्तर ऊँचा होकर (ऊपर उठकर) जब किनारों को पार करके आस-पास के क्षेत्रों में फैल जाये तो उसको बाढ़ कहते हैं ।

नदी में बाद निम्न कारणों से आती है:

1. अत्यधिक वर्षा,

2. बाँध का टूट जाना,

3. नदी मार्ग में यदि हिम का बांध बन गया हो और वह टूट जाए

4. ऊँचा ज्वार- भाटा, या;

5. चक्रवात के कारण सागर का जल? थल पर चढ़ जाये ।

भारत में अधिकतर बाढ़ अचानक अधिक वर्षा के कारण आते हैं । बाढ़ की भीषणता यद्यपि अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग होती है । भारत सरकार के राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के अनुमान के अनुसार भारत की 40 मिलियन हैक्टेयर भूमि बाढ़ के प्रकोप में आ सकती हैं ।

अधि कतर बाढ़ गंगा-ब्रह्मपुत्र के बेसिन में आती है । भारत के जिन राज्यों में बाढ़ की बारम्बारता अधिक है उनमें आन्ध्र प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, ओडीशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल उल्लेखनीय हैं । एक अनुमान के अनुसार भारत में बाद से प्रति वर्ष पाँच करोड़ लोग प्रभावित होते हैं तथा दो अरब रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान होता है ।

Essay # 3. चक्रवात ( Cyclones):

भारत में बंगाल की खाड़ी, खम्भात की खाड़ी और अरब सागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवात आते रहते हैं । अधिकांश चक्रवात प्रायः सितम्बर और अक्टूबर के महीनों में आते हैं । इन चक्रवातों की उत्पत्ति के बारे में अभी तक विश्वसनीय ज्ञान प्राप्त नहीं है ।

बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवातों से भारतीय पूर्वी तटीय मैदान पर भारी नुकसान होता है । खम्भात की खाडी के तटों पर भी इन से भारी नुकसान पहुँचता है । प. बंगाल तथा ओडीशा के तट पर अप्रैल और मई के महीनों में आने वाली तूफानी हवाओं को ”काल-बैसाखी” कहते हैं । 

natural disaster essay in hindi

Levels of Disaster

The severity or degree of damage can be further divided into three categories:

Small Scale Disasters: Small scale disasters are those that extend from 50 Kms. to 100 Kms. So this kind of disasters does not cause much damage.

Medium-scale disasters: Medium Scale disasters extend from 100 Kms to 500 Kms. These cause more damage than a small scale disaster. Moreover, they can cause greater damage if they occur in colonial states.

Large Scale Disasters: These disasters cover an area of more than 1000 Kms. These cause the most severe damage to the environment. Furthermore, these disasters can even take over a country if the degree is high. For instance, the wiping out of the dinosaurs was because of a large scale natural disaster.

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Types of Disasters

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Causes: These can cause of releasing of the energy. This release is from the core of the earth. Furthermore, the release of energy causes seismic waves. Rupturing of geological faults causes earthquakes. But other events like volcanic eruptions, landslides mine blasts can also cause it.

Landslides: Landslides is the moving of big boulders of rocks or debris down a slope. As a result, landslides occur on mountains and hilly areas. Moreover, landslides can cause destruction to man-made things in many ways.

Causes: Gravitational pull, volcanic eruptions , earthquakes can cause landslides. Moreover, soil erosion due to deforestation is also a cause of landslides.

Avalanches: Avalanches are like landslides. But instead of rocks thousand tons of snow falls down the slope. Moreover, this causes extreme damage to anything that comes in its way. People who live in snowy mountains always have fear of it.

Causes: Avalanches takes places when there is a large accumulation of snow on the mountains. Moreover, they can also occur from earthquakes and volcanic eruptions. Furthermore, the chances of surviving an avalanche are very less. This is because people die of hypothermia in it.

Tsunami: Tsunami is the production of very high waves in oceans and seas. Moreover, the displacement of the ground causes these high waves. A tsunami can cause floods if it occurs near shores. A Tsunami can consist of multiple waves. Moreover, these waves have a high current. Therefore it can reach coastlines within minutes. The main threat of a tsunami is if a person sees a Tsunami he cannot outrun it.

Causes: Tsunami is unlike normal eaves that occur due to the wind. But Tsunami is waves that occur by ground displacement. Thus earthquakes are the main causes of Tsunamis.

FAQs on Essay on natural disaster

Q1.What are natural disasters?

A1. Natural Disasters are unforeseen events that cause damage to the environment and the people.

Q2.Name some Natural disasters.

A2. Some Natural Disasters are earthquakes, volcanic eruptions, Landslides, floods, Tsunami, avalanches. Natural disasters can cause great damage to human society. But preventive measures can be taken to reduce the damage from these disasters.

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    सूखा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Drought in Hindi, Sukha par Nibandh Hindi mein) सूखा पर निबंध - 1 (250 - 300 शब्द)

  19. भूंकप पर निबंध

    भूंकप पर निबंध - Essay on Earthquake in Hindi. Essay on Earthquake. भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कि जीव-जन्तु, जलवायु, पेड़-पौधे, वनस्पति, पर्यावरण समेत समस्त ...

  20. चक्रवात पर निबंध

    Here is an essay on चक्रवात पर निबंध | 'Temperate and Tropical Cyclone' especially written for school and college students in Hindi language. 1. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Essay on Temperate Cyclone): ये गोलाकार, अंडाकार या V- आकार के होते हैं ...

  21. Earthquake

    [प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake) पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Earthquake in Hindi] [प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake) पृथ्वी की सतह के हिलने और कांपने को भूकंप के रूप में जाना ...

  22. भूकंप पर निबंध

    भूकंप पर निबंध | Essay on Earthquake in Hindi. Read this article in Hindi to learn about:- 1. भूकंप की परिभाषा (Definition of Earthquakes) 2. मरसेली महोदय का भूकंप प्रबलता मापक (Earthquake Intensity Scale of Mercalli Scale) 3. उत्पत्ति के कारण (Causes) 4 ...

  23. Essay @ Natural Disasters

    Here is an essay on 'Natural Disasters' for class 5, 6, 7, 8, 9 and 10. Find paragraphs, long and short essays on 'Natural Disasters' especially written for ...

  24. Natural Disasters Essay for Students & Children

    500+ Words Essay on Natural Disasters. A Natural disaster is an unforeseen occurrence of an event that causes harm to society. There are many Natural disasters that damage the environment and the people living in it. Some of them are earthquakes, cyclones, floods, Tsunami, landslides, volcanic eruption, and avalanches.Spatial extent measures the degree or severity of the disaster.