टेलीविजन पर निबंध / Essay on Television in Hindi
टेलीविजन पर निबंध / Essay on Television in Hindi!
टेलीविजन को विज्ञान का एक अदभुत आविष्कार माना जाता है । इसको हिन्दी में दूरदर्शन कहा जाता है क्योंकि इसके द्वारा दूर की वस्तुओं के दर्शन होते हैं । दूरदर्शन पर दृश्यों को देखकर लगता है कि घटनाएँ दूर नहीं बल्कि आँखों के सामने घट रही हैं । जनता का मनोरंजन करने वाला तथा देश-दुनिया की खबर बताने वाला यह उपकरण आज बहुत लोकप्रिय हो गया है ।
टेलीविजन का आविष्कार वैज्ञानिक जे.एल.बेयर्ड ने किया था । शुरू-शुरू में इस पर केवल श्वेत-श्याम चित्र देखे जाते थे । अब इस पर रंग-बिरंगे चित्र भी देखे जा सकते हैं । लिया गया चित्र जिस रंग में है हमें वह चित्र उसी रंग में देखने को मिलता है । टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण इसके केन्द्र से होता है जो विभिन्न प्रसारण कर्त्ताओं द्वारा स्थान-स्थान पर बनाए गए हैं । इन केन्द्रों को स्टूडियो कहा जा सकता है । टेलीविजन पर कार्यक्रमों के प्रसारण में संचार उपग्रहों की मदद की जाती है । आजकल प्रसारण डिजिटल हो गए हैं जिससे दर्शकों को साफ-सुथरे चित्र देखने को मिलते हैं ।
टेलीविजन दर्शकों के लिए मनोरंजक कार्यक्रमों का एक बड़ा पैकेट लेकर आता है । दूसरे शब्दों में यह इतने तरह के मनोरंजक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करता है कि दर्शक दुविधा में होते हैं कि किसे देखें और किसे छोड़ दें । यह दुविधा इसलिए कि पहले जहाँ एक ही चैनल सरकारी दूरदर्शन था वहीं अब सौ-दो सौ चैनल हैं । हर चैनल पर रात-दिन कुछ-न-कुछ चलता ही रहता है । कोई फिल्म दिखा रहा होता है तो कोई धारावाहिक । किसी पर मदारियों का खेल चल रहा है तो किसी पर नुक्कड़ शो । कोई सर्कस तो कोई जादू दिखा रहा है । किसी पर नाच-गाना चल रहा है तो किसी पर खेल का आँखों देखा हाल । समाचार सुनाने एवं दिखाने वाले भी कई चैनल हैं । एक ही खबर बार-बार सुनते-सुनते ऊब सी होने लगती है ।
टेलीविजन के आने से मनोरंजन की दुनिया में हलचल मच गई । जो लोग पहले सिनेमाघरों पर खिड़कीतोड़ भीड़ लगाते थे अब घर में टेलीविजन के सामने बैठकर फिल्मों का आनंद लेने लगे । बच्चों की तो चाँदी हो गई । वे कामिक्स के कार्टूनों से नजरें हटाकर टेलीविजन पर कार्टून धारावाहिक देखने लगे । गृहणियाँ दुपहरी में पड़ोसिनियों से मनोरंजक वार्ता छोड्कर टेलीविजन के सामने बैठकर सास-बहू की सीरियल देखने लगीं ।
छात्र एन.सी.इ.आर.टी. के शैक्षिक कार्यक्रमों को घर बैठे देखकर पाठ्य-क्रमों की समझ बढ़ाने लगे । बौद्धिक मिजाज के लोगों को मनोरंजक अंदाज
ADVERTISEMENTS:
में प्रस्तुत की गई खबरों के प्रति लौ लग गई । वृद्ध टेलीविजन के माध्यम से आध्यात्मिक जगत में पहुँच गए । उनकी धार्मिक आस्था मजबूत दिखाई देने लगी ।
तात्पर्य यह कि टेलीविजन पर हर कोई अपने लायक कार्यक्रमों को ढूँढ ही लेता है ।
दैनिक जीवन में अनेक समस्याएँ हैं । कामकाजी व्यक्ति दिनभर की उलझनों को सुलझाते थक जाता है । शाम को कुछ देर टेलीविजन देखकर वह अपना मनोरंजन करता है । विद्यार्थियों को इसके माध्यम से ज्ञान की अनेक बातें सीखने को मिलती हैं । किसानों को मौसम की खबर मिलती है । वे अच्छी फसल प्राप्त करने की विधियाँ सीखते हैं । गृहणियाँ गृह-कौशल की तकनीकें सीखती हैं । टेलीविजन पर आम महत्त्व की सूचनाएँ प्रसारित की जाती हैं । इसके माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलती है । ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों तथा अन्य महत्त्वपूर्ण खेलों की प्रतियोगिताओं को देखकर युवा खेलों के प्रति आकर्षित होते हैं ।
टेलीविजन अब घर-घर की जरूरी वस्तु बन गई है । टेलीविजन के सेट के साथ अब केबल जोड़ा जाता है जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार के चैनलों को देखा जा सकता है । इस सेवा के बदले उपभोक्ताओं से मासिक फीस वसूली जाती है । वैसे लोग अब एक कदम और आगे बढ्कर डी.टी.एच. के युग में प्रवेश कर गए हैं । डी.टी.एच. अर्थात् ‘ डायरेक्ट टु होम ‘ सेवा से बिना केबल के ही विभिन्न चैनलों को देखने की व्यवस्था की जाती है । इसके लिए घर में एक सैट टॉप बॉक्स लगाना पड़ता है ।
टेलीविजन के अनेक लाभ हैं तो कुछ हानियाँ भी हैं । यह लोगों को मनोरंजन की अधिकता के युग में ले गया है । अधिक टेलीविजन देखने से आँखों की तथा दिमाग संबंधी अनेक परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। बैठे-बैठे घंटों टेलीविजन देखना शारीरिक थकान एवं सुस्ती को जन्म देता है । लोगों का जो समय पहले सामाजिक कार्यों में व्यय होता था वह अब टेलीविजन की भेंट चढ़ रहा है । बच्चे खेल खेलने के बजाय टेलीविजन से चिपककर बैठे देखे जा सकते हैं । इसलिए किसी प्रकार की अति से बचकर लोगों को निर्धारित समय पर ही टेलीविजन देखना चाहिए ।
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टेलीविज़न पर निबंध | Essay on Television in Hindi
हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में टेलीविज़न पर निबंध हिंदी में (Television essay in Hindi) पड़ेंगे जो कि आपको Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। टेलीविज़न पर निबंध के अंतर्गत हम टेलीविज़न से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।
[Essay 1] टेलीविज़न पर लेख (Short Essay on Television in Hindi)
टेलीविजन को विज्ञान का अद्भुत आविष्कार कहा जाता है। इसे हिंदी में दूरदर्शन और अंग्रेजी में इसे टेलीविजन कहते हैं। इसे संक्षिप्त में टीवी (TV) कहते हैं। TV full form – Television होता है। इसके द्वारा हम दूर की वस्तुओं का दर्शन घर बैठे कर सकते हैं इसलिए इसे दूरदर्शन नाम दिया गया है। दूरदर्शन पर दृश्यों को देखकर ऐसा लगता है मानो यह घटनाएं कहीं दूर नहीं बल्कि आंखों के सामने घट रही हो। मनोरंजन करने तथा देश दुनिया की खबरें से अवगत कराने वाला यह आविष्कार आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुका है।
प्रारंभ में टेलीविजन पर सिर्फ श्वेत-श्याम चित्र देखे जा सकते थे परंतु वर्तमान समय में इस पर रंग-बिरंगे चित्र देखी जा सकती है। आजकल प्रसारण डिजिटल हो गया है। जिस वजह से दर्शकों को सभी चलचित्र साफ-सुथरे मिलते हैं। टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण इसके केंद्र से किया जाता है। जिसके लिए भिन्न-भिन्न स्थानों पर प्रसारण केंद्र बनाया गया है। जहां से प्रसारण कर्ताओं द्वारा प्रसारण चालू किया जाता है। इन केंद्रों को स्टूडियो (Studio) कहा जाता है। टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण संचार उपग्रह (Communication Satellite) की मदद से किया जाता है।
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टेलीविज़न को विज्ञान की अद्भुत उपलब्धियों में से एक माना जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, टेलीविज़न दूर के दर्शन कराने में सहायक है। रेडियो से हम केवल सुनकर ही अपनी ज्ञानवृद्धि अथवा मनोरंजन करते हैं जबकि टेलीविज़न द्वारा हम कार्यक्रमों तथा घटनाओं को देखते भी हैं।
जन-जन में है महान
टेलीविज़न एक सामाजिक वरदान,
खेल-कूद हो या असीम ज्ञान,
गीत-संगीत, राजनीति या हो विज्ञान,
मन-मन में बहा मनोरंजन का तूफ़ान।।
यदि यह कहा जाए कि आधुनिक युग में टेलीविज़न लोगों के मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन है तो ग़लत न होगा। टेलीविज़न के द्वारा प्रत्येक वर्ग तथा क्षेत्र के लोगों के लिए अनेक प्रकार के मनोरंजक व शिक्षाप्रद कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं जिनके द्वारा मनोरंजन के अतिरिक्त हमें देश की सामाजिक, राजनीतिक व अन्य समस्याओं का पता चलता है।
ऐतिहासिक कार्यक्रमों में हमें अपने देश के इतिहास की झाँकी मिलती है। धार्मिक कार्यक्रमों द्वारा हमें यह ज्ञात होता है कि मूल रूप से सभी धर्म अहिंसा, करुणा, मैत्री और परोपकार आदि गुणों पर ही बल देते हैं। अतः धर्म के आधार पर एक दूसरे के प्रति वैरभाव रखना मूर्खता है।
भारतीय संस्कृति एवं नृत्य व संगीत के कार्यक्रमों में शास्त्रीय संगीत, गज़लें, मुशायरा, पाश्चात्य संगीत और प्रत्येक कक्षा के बच्चों के लिए कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। किसानों से सम्बन्धित “कृषि दर्शन” में बच्चों, युवा वर्ग और बड़े-बूढ़े लोगों के लिए विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। बहुत से कार्यक्रमों में महत्त्वपूर्ण पदों पर आसीन व्यक्तियों के विचार जनता के समक्ष रखे जाते हैं तथा जनता के विचार उनके समक्ष रखे जाते हैं। इस प्रकार एक दूसरे के विचारों का आदान-प्रदान होता है।
लगभग सभी समाचार चैनलों में दर्शकों की समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए जाते हैं तथा देश में समाज सेवकों द्वारा की जा रही सेवाओं से जनता को अवगत कराया जाता है। हिन्दी तथा अंग्रेज़ी के अतिरिक्त देश की अन्य भाषाओं में भी कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। खेलों से सम्बन्धित कार्यक्रम तथा स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाता है।
समाचारों के प्रसारण के समय टेलीविज़न पर सम्बन्धित समाचारों के दृश्य भी दिखाए जाते हैं। सामयिक विषयों से सम्बन्धित चर्चाएँ, जिनमें देश-विदेश की सामाजिक तथा आर्थिक स्थितियों का विश्लेषण किया जाता है, सुनने से ज्ञान में वृद्धि होती है। व्यापारियों के लिए यह वरदान है। वे अपने-अपने उत्पादित माल का लुभावना प्रदर्शन कर माल की शीघ्र बिक्री के लिए द्वार खोल लेते हैं तथा उधर दर्शकों को भी अच्छी-अच्छी तथा नई-नई वस्तुओं की जानकारी मिल जाती है।
Discovery Channel में बर्फ से ढके पर्वत शिखर, भोजपत्रों के वन, झरने का निर्मल जल, खुला नीला वातावरण, खुली प्रकृति और पशु-पक्षी देखकर हमारा ज्ञान बढ़ता ही है। “आस्था” आदि धार्मिक चैनलों पर प्रसारित कार्यक्रमों द्वारा वेदों और उपनिषदों आदि के विषय में जानकारी मिलती है।
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सर्वविदित है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के टेलीविज़न के कार्यक्रमों में विज्ञान, अंग्रेजी, गणित आदि विषयों का शिक्षण बहुत ही रुचिकर एवं स्पष्ट ढंग से किया जा रहा है जिससे विद्यार्थियों में इन विषयों को सीखने की उत्कट भावना जागृत हो रही है।
टेलीविज़न द्वारा सामान्य ज्ञान से सम्बन्धित कार्यक्रमों का भी प्रसारण किया जाता है जिससे दर्शकों के सामान्य-ज्ञान में वृद्धि होती है।फ़िल्में, नाटक व धारावाहिक टेलीविज़न के अत्यन्त लोकप्रिय कार्यक्रम हैं। आज के व्यस्त जीवन में हम घर बैठे फ़िल्म या नाटक देख सकते हैं जिससे समय तथा धन की बचत होती है, कहीं जाने का झंझट भी नहीं रहता। धारावाहिकों में संसार की श्रेष्ठ साहित्यिक रचनाओं को भी दिखाया जाता है। संगीत व नृत्य के कार्यक्रम हमारे मन को आह्लादित करते हैं। अन्त्याक्षरी के आयोजनों को भी लोग बहुत चाव से देखते हैं।
अनेक कार्यक्रम हास्य-व्यंग्य से भरपूर होते हैं। टेलीविज़न पर महिलाओं एवं बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। इनमें मनोरंजन के साथ-साथ अन्य चैनलों के समान सामयिक समस्याओं पर भी चर्चा होती है। इसी प्रकार विभिन्न उद्योगों के सम्बन्ध में भी कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। आजकल केवल नगरों में ही नहीं अपितु कस्बों तथा गाँवों में भी टेलीविज़न के कार्यक्रम देखे जाते हैं। इसके लिए सरकार ने सारे भारत में प्रसारण सेवाएँ उपलब्ध करायी हैं।
टेलीविजन के अनेक लाभ हैं। परंतु उनके साथ कुछ हानिया भी यह लोगों को मनोरंजन करने की सुविधा तो देता है परंतु अधिक टेलीविजन देखने से आंख और दिमाग से संबंधित अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होने की समस्या होती है। यहां तक कि घंटों टेलीविजन देखने से शारीरिक थकान और सुस्ती आ जाती है। लोगों का जो समय पहले सामाजिक कार्यों में व्यतीत होता था अब वह समय टेलीविजन देखने में जाने लगा है। बच्चे खेलने के बजाय टेलीविजन में चिपक कर कार्टून देखना पसंद करते हैं इसलिए एक निर्धारित समय तक ही लोगों को टेलीविजन देखना चाहिए।
युवाओं में अत्यधिक टीवी देखने की आदत ने उन्हें गलत दिशा में ले गई है। कई वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं का मानना है कि अपराध के उपायों को उन्होंने टीवी के माध्यम से सीखा है। यह एक सरासर बुरा परवाह है। अच्छे बुरे में फर्क करने की ताकत टेलीविजन कभी-कभी खत्म कर देता है। आप उतना ही सोच सकते हैं जितना आपको व टेलीविजन दिखाता है। अत्यधिक टेलीविजन देखने से सिर्फ गलत काम ही नहीं बल्कि आपके समय की बर्बादी भी है। अंत में, निम्न पंक्तियों के साथ मैं अपने विचारों की इतिश्री करना चाहता हूँ।
“पूर्व युग सा आज का जीवन नहीं लाचार,
आ चुका है दूर द्वापर से बहुत संसार।”
अर्थात् आज का जीवन प्राचीन समय के पिछड़ेपन से बहुत आगे निकल गया है तथा द्वापर युग को बहुत पीछे छोड़ चुका है।
[ Essay 2] दूरदर्शन पर निबंध (Essay Writing on Television)
परिचय (Television Introduction)
दूरदर्शन अंग्रेजी शब्द टेलीविजन का हिन्दी पर्याय है। टेलीविजन’ (Television) अंग्रेजी के दो शब्दों ‘Tele’ और ‘vision’ से मिलकर बना है। Tele का अर्थ है ‘दूर’ और vision का अर्थ है ‘देखना’ अर्थात् ‘दूरदर्शन’। विज्ञान के जिन चमत्कारों ने मनुष्य को आश्चर्यचकित कर दिया है, उनमें टेलीविजन भी मुख्य है। इस यन्त्र के द्वारा दूर से प्रसारित ध्वनि चित्र सहित दर्शक के पास पहुंच जाती है।
भारत में दूरदर्शन का आगमन 15 सितम्बर, 1959 से ही समझना चाहिए, जब कि तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्रप्रसाद ने आकाशवाणी के टेलीविजन विभाग का उद्घाटन किया था। 500 वाट शक्ति वाला ट्रांसमीटर दिल्ली से 25 कि.मी. की दूरी तक कार्यक्रम प्रसारित कर सकता था। 1965 से एक News Bulletin के साथ नियमित रूप से प्रतिदिन एक घंटे का प्रसारण शुरू हुआ। टेलीविजन सेवा का बम्बई में विस्तार 1972 में ही हो पाया। 1975 तक कलकत्ता, चेन्नई, श्रीनगर, अमृतसर और लखनऊ में भी टेलीविजन केन्द्र स्थापित किए जा चुके थे।
प्रगति का एक पग और बढ़ा। 1 अगस्त, 1975 से अमेरिकी उपग्रह द्वारा 6 राज्यों के 2400 गाँवों की 25 लाख जनता दूरदर्शन से लाभान्वित हुई।
15 अगस्त, 1982 को भारतीय उपग्रह “INSAT-1 A” के माध्यम से विभिन्न दूरदर्शन केन्द्रों से एक ही कार्यक्रम दिखाना सम्भव हुआ। दूसरी ओर इन्सेट-1बी’ उपग्रह के सफल स्थापन के बाद सितम्बर, 1983 से न केवल भारत के विभिन्न दूरदर्शन-केन्द्रों में सामंजस्य स्थापित हो सका, अपितु देश के कोने-कोने में बसे हुए गाँव भी दूरदर्शन कार्यक्रम से लाभान्वित होने लगे। यही कार्य अब ‘इन्सेट-डी’ कर रहा है।
1981-1990 के दशक में ट्रांसमीटरों की संख्या 19 से बढ़कर 519 हो गई। अनेक शहरों में स्टूडियो भी खोले गए। दूरदर्शन ने 1993 में चार नए चैनल शुरू किए थे, किन्तु 1994 में परिवर्तन करके भाषानुसार कर दिए। 1995 इन्सेट 2-सी के प्रक्षेपण के बाद दूरदर्शन की नीति हर प्रांत के क्षेत्रीय चैनल बढ़ाने की रही।
15 अगस्त 1984 को सारे देश में एक साथ प्रसारित किए जाने वाले दैनिक राष्ट्रीय कार्यक्रमों का शुभारम्भ हुआ। 1987 में दैनिक प्रात:कालीन समाचार बुलेटिन का प्रसारण आरम्भ हुआ। 20 जनवरी 1989 को दोपहर का प्रसारण आरम्भ हुआ। जनवरी 1986 से दूरदर्शन की विज्ञापन-सेवा आरम्भ हुई। परिणामतः उसके राजस्व में बहुत अधिक वृद्धि हुई।
डी-डी 2 मैट्रो चैनल 1984 में शुरू हुआ। यह सेवा 46 शहरों में उपलब्ध है, किन्तु डिश एंटीना के जरिए देश के अन्य भागों में भी इसके कार्यक्रम देखे जा सकते हैं।
1995 से दूरदर्शन का अन्तरराष्ट्रीय चैनल शुरू हुआ। पी.ए.एस.-4 के द्वारा इसके प्रसारण एशिया, अफ्रीका तथा यूरोप के पचास देशों में पहुँच चुके हैं। अमरीका और कनाडा के लिए इसके प्रसारण पी.ए.एस.-1 मे किए जा रहे हैं।
नए चेनलों में खेल चेनल’ तथा अगस्त 2000 से पंजाबी चैनल शुरू हुआ जो 24 घंटे कार्यक्रम प्रसारित करेगा। दूरदर्शन पर सरकारी नियंत्रण था। उसके विकास का दायित्व सरकार पर होता था। 23 नवम्बर 1997 से इसका कार्यभार प्रसार-भारती (स्वायत्त प्रसारण परिपद्) ने संभाल लिया है।
दूरदर्शन मन को स्थिर करने का साधन है, एकाग्रचित्तता का अभ्यास है। इसके कार्यक्रम देखते हुए हृदय, नेत्र और कानों की एकता दर्शनीय है। जरा-सा भी व्यवधान साधक को बुरा लगता है । दूरदर्शन के कार्यक्रम के मध्य अन्य कोई व्यवधान दर्शक को बेचैन कर देता है, क्रोधित कर देता है।
दूरदर्शन मनोरंजन, ज्ञानवर्धन, शिक्षा तथा विज्ञापन का सुलभ और सशक्त माध्यम है। फीचर फिल्म, टेलीफिल्म, चित्रहार, चित्रमाला, रंगोली, नाटक-एकांकी-प्रहसन, लोकनृत्य-संगीत, शास्त्रीय-नृत्य-संगीत, मैजिक-शा, अंग्रेजी धारावाहिक, हास्य फिल्में, ये सभी दूरदर्शन के मनोरंजक कार्यक्रम ही तो हैं। ये दिनभर के थके-हारे मानव के मन को गुद्गुदा कर स्वस्थ और प्रसन्न करते हैं, स्फूर्ति और शक्ति प्रदान करते हैं।
टेलीविजन का उपयोग (use of television) जीवन और जगत् के विविध पहलुओं के कार्यक्रम दर्शक का निःसन्देह ज्ञानवर्धन करते हैं। बातें फिल्मों की’ जैसे कार्यक्रम जहाँ फिल्म-जगत् की पूरी जानकारी देते हैं, वहाँ यू.जी.सी. के कार्यक्रम वैज्ञानिक प्रगति का सूक्ष्म-परिचय भी देते हैं। टेलीविजन द्वारा शरीर के कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए डॉक्टरी सलाह दी जाती है, तो कानून की पेचीदगियों को समझाने के लिए चर्चा की जाती है। प्रकृति के रहस्य, समुद्र की अतल गहराई नभ की अनन्तता, विभिन्न देशों का सर्वांगीण परिचय, भारत तथा विश्व की कला एवं संस्कृति की विविधता की जानकारी, सभी ज्ञानवर्धन के कार्यक्रम हैं।
व्यापार की समृद्धि प्रचार पर निर्भर है। वस्तु विशेष का जितना अधिक प्रचार होगा, उतनी ही अधिक उसकी मांग बढ़ेगी। दूरदर्शन Advertisement का श्रेष्ठ माध्यम है, वस्तु-विशेष की माँग पैदा करने का उत्तम उपाय है। दूरदर्शन के विज्ञापन दर्शक के हृदय पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं, जो जरूरतमन्दों को वस्तु-विशेष खरीदते समय प्रचारित वस्तु खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं।
जैसे-जैसे मानव की व्यस्तता बढ़ेगो, मानसिक तनाव बढ़ेंगे, जीवन में मनोरंजन की अपेक्षाएँ बढ़ेगी, वैसे-वैसे दूरदर्शन अपने में गुणात्मक सुधार उत्पन्न कर मनोरंजन का सशक्त साधन सिद्ध होता जाएगा।
[Essay 3] दूरदर्शन और मनोरंजन (Essay on Television in Hindi Language)
मनोरंजन जीवन के लिए अनिवार्य तत्त्व है। इसके अभाव में प्राणिमात्र मानसिक विकारों से ग्रस्त हो जाता है। टेलीविजन का महत्व हमारे जीवन में ( role of Television in our life) उतना ही महत्वपूर्ण हो गया है। जितना कि हमारी और भी दिनचर्या की चीजें हैं। ऐसा लगता है मानो इसके बिना आपके स्वभाव में रुखाई और चिड़चिड़ापन आ जाता है; जीवन का संतुलन बिगड़ जाता है तथा जीवन नीरस हो जाता है।
बीसवीं शताब्दी की छठी दशाब्दी से पूर्व मनोरंजन के प्रमुख साधन थे-चित्रपट, आकाशवाणी, पॉकिट उपन्यास, सरकस, रंगमंचीय नाटक । ताश, कैरम, शतरंज, नौकाविहार तथा पिकनिक में भी मानव ने पर्याप्त आनन्द लूटा। जीवन में जूझते मानव को समय के अभाव की प्राचीर लाँघना कठिन हो रहा था। समय के अभाव में चित्रपट का सशक्त साधन प्रतिदिन उसका मनोरंजन करने में असमर्थ था। आकाशवाणी का मनोरंजन, सुलभ और सशक्त तो था, किन्तु मात्र ध्वनि पर आधारित था। नयनों का सुख उसमें कहाँ था? उधर, ताश और कैरम के लिए साथी चाहिएँ।
दूरदर्शन चित्रपट का संक्षिप्त रूपान्तर चित्रपट देखने के लिए टिकट खरीदने की परेशानी, सिनेमा-घर तक पहुंचने के लिए! मन का झंझट, हॉल के दमघोटू वातावरण की विवशता, अनचाहे और अनजाने व्यक्ति क अनायास दर्शन, समाज-द्रोही दर्शकों की अश्लील-हरकतें, सबसे छुट्टी मिली। घर बैठे चित्रपट का आनन्द प्रदान किया दूरदर्शन ने।
अहर्निश व्यापार के झंझटों से बेचैन व्यापारी, दिन भर दफ्तरी-फाइलों से सिर मारता लिपिक, बच्चों को पढ़ाते-पढ़ात सिरदर्द मोल लेने वाला शिक्षक, कठोर परिश्रम से क्लांत मजदूर और दिन-भर गृहस्थी के झंझटों से पीड़ित गृहिणी, मनोरंजन के लिए जब टेलीविजन खोलते हैं, तो थकान रफू-चक्कर हो जाती है, सिर-दर्द तिरोहित हो जाता है; मानव मनोरंजन-लोक में डूबकर रोटी-पानी भी भूल जाता है।
खेलना-कूदना बच्चों का स्वभाव है। गली के असभ्य साथियों से स्वभाव में विकृति आती है। गालियाँ और गंदा व्यवहार सीखता है। दूरदर्शन ने कहा, ‘भोले बालक! खेलकूद के मनोरंजन को छोड़ मुझसे दोस्ती का हाथ बढ़ा। मैं तेरा ज्ञानवर्धन भी करूंगा और आनन्द भी प्रदान करूँगा।
रोगी एक ओर रोग से बेचैन है और दूसरी ओर सेवाधारियों के व्यवहार से परेशान। बिस्तर पर लेटे-लेटे समय कटता नहीं। ऊपर से ‘मूड’ खराब) दूरदर्शन ने सुझाव दिया-तन का उपचार डॉक्टर करेगा और मन का मैं करूँगा। तू अपना टी.वी. ऑन कर और देख ‘मूड’ ठीक होता है नहीं।
दूरदर्शन के सर्वाधिक प्रिय कार्यक्रम हैं-फिल्म और उसके गीत । प्रसार-भारती टी.वी. के अतिरिक्त अन्य टी.वी. चेनल जैसे सोनी टी.वी., जी.टी.वी., स्टार मूवी प्रतिदिन 2-2, 3-3 चित्र दिखाते हैं। आपको एक चित्र पसंद नहीं, चेनल बदलिए दूसरी देख लीजिए। ‘तू नहीं, और सही, और नहीं, और सही।’
सिने गीत का करिश्माती मनोरंजन की जादू की छड़ी बन गया है। चित्रहार, रंगोली, ऑल दी बैस्ट, हंगामा अनलिमिटेड, अन्त्याक्षरी आदि दसियों नामों से यह जादुई छड़ी घूमती रहती है। आपको रसगुल्ले-सा मिठास देती है। गोल-गप्पों-सा चटपटा स्वाद देती है। आलू की टिकिया या समोसे-सा जायका प्रदान करती है। इनके अतिरिक्त प्राइवेट अलबम के गीत सोने में सुहागा सिद्ध होते हैं।
आज का तथाकथित सभ्य समाज अभिनेता-अभिनेत्रियों के दर्शन कर अपने को कृतार्थ समझाता है। उनके मुख से निकले शब्दों को वेद-वाक्य मानता है। उनके जीवन की विशेषताओं और स्वभाव की रंगीनी को देखकर उसका मन भी रंग जाता है । दूरदर्शन के विभिन्न चैनल, अपने विविध कार्यक्रमों द्वारा किसी न किसी अभिनेता-अभिनेत्री का दर्शकों से परिचय करवाते रहते हैं। साक्षात्कार के समय उनके जीवन से सम्बन्धित फिल्म के अंशों को प्रमाण रूप में दिखाकर उस साक्षात्कार को अधिक रसीला बना देते हैं।
सुप्रसिद्ध उपन्यासों तथा कहानियों पर बने एपीसोड दूरदर्शन मनोरंजन को द्विगुणित करते हैं। प्राय: आधा-आधा घंटे के ये एपीसोड दर्शक की रुचि को विभिन्न व्यंजनों से तृप्त करते रहते हैं। ‘न्याय’, ‘बंधन’ जैसे सोप ओपरा तो प्रतिदिन धारा-प्रवाह में बहकर नदी स्नान का-सा आनन्द प्रदान करते हैं। ये एपीसोड काल्पनिक ही हों, ऐसा नहीं। सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक एपीसोड भी जीवन को तरंगित करते रहते हैं। ‘रामायण, महाभारत’ और ‘चाणक्य’ की शृंखलाओं ने तो दर्शकों की चाहत कीर्तिमान ही तोड़ दिए थे और अब भी पुनः-पुनः देखकर मन नहीं भरता।
उपन्यासों के अतिरिक्त देश-विदेश की विभिन्न भाषाओं के नाटक तथा एकांकी भी अभिनीत होते हैं। ये नाटक-एकांकी भी भरपूर मनोरंजन से युक्त होते हैं।
नृत्य-संगीत में लोक नृत्य, शास्त्रीय नृत्य, पॉप नृत्य, तथा पाश्चात्य शैली के नृत्यों के साथ-साथ उभरता संगीत मन को मोह लेते हैं। खेल-प्रेमियों के लिए खेलों की दुनिया का मनोरंजन फिल्म के मनोरंजन से कम रोचक नहीं होता। क्रिकेट, हॉकी, बालीबाल, फुटबॉल, टेनिस, तैराकी, कुश्ती आदि खेलों के मैच जब दूरदर्शन पर आते हैं तो दर्शक उन्मत्त हो टी.वी. पर आँख गड़ाए रहते हैं। एशियाड तथा ओलम्पिक खेलों के करिश्में देखने को तो आँखें तरसती हैं। आँखों का टी.वी. पर आँख गड़ाना, तरसना दूरदर्शनीय मनोरंजन का प्रमाण ही तो है।
मनोरंजन अर्थात् मन का रंजन जिससे हो, वह मनोरंजन। दूरदर्शन मनोरंजन का सर्वश्रेष्ठ साधन ही नहीं, मनोरंजन का विश्वकोश है, जिसके हर पृष्ठ पर रंजन है, हास्य झलकियाँ हैं, हृदय को गुदगुदाने की शक्ति है।
[Essay 4] दूरदर्शन और ज्ञानवर्धन
चेतन अवस्था में इन्द्रियों और मन द्वारा बाहरी वस्तुओं, विषयों आदि का सन को होने वाला परिचय या बोध ज्ञान है। किसी बात या विषय के संबंध में होने वाली वह तथ्यपूर्ण, वास्तविक और संगत जानकारी या परिचय जो अध्ययन, अनुभव, निरीक्षण और प्रयोग आदि के द्वारा प्राप्त होता है, ज्ञान है। कुछ जानने, समझने आदि की योग्यता, वृत्ति या शक्ति ज्ञान है। ज्ञान की वृद्धि या विकास ज्ञानवर्धन है।
ज्ञान अज्ञान को दूर करता है। अच्छे-बुरे की पहचान करवाता है। सत्य से साक्षात्कार करवाता है। जीवन में आने वाले शारीरिक और मानसिक तापों के हरण का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्नति, प्रगति और उज्ज्वल जीवन के लिए पथ-प्रदर्शित करता है। इसलिए जीवन में ज्ञान का महत्त्व है, उसका वर्धन मानव का दायित्व है।
ज्ञानवर्धन के चार मार्ग बताए जाते हैं-अध्ययन, अनुभव, निरीक्षण और प्रयोग। कुछ जानने, समझने आदि की योग्यता, वृत्ति इन चारों बातों पर निर्भर है। दूरदर्शन वह चौराहा है, जहाँ ज्ञान के चारों मार्ग मिलते हैं। इसलिए दूरदर्शन ज्ञानवर्धन की गंगोत्री है। जिस प्रकार गंगोत्री से निकलकर गंगा भारत-भूको तृप्त करती है, पवित्र करती है, उसी प्रकार दूरदर्शन जनमानस में ज्ञान की गंगा बहाकर पवित्र करता है। इसी जीवन में ज्ञान के कपाट खोलकर सत्, चित् और आनन्द के दर्शन करवाता है।
जीवन में उम्र के बढ़ने के साथ-साथ जो वस्तु मिलती है, उसका नाम है अनुभव। जिस जीवन से आप गुजरे नहीं, जिस कष्ट को आपने भोगा नहीं, जो गलतियाँ आपने की नहीं, उसका अनुभव आपको नहीं होगा।बाँझ को प्रसववेदना का क्या अनुभव? लघुजीवन में अतिलघु अनुभव द्वारा ज्ञान से परिचय कैसे हो।अकबर इलाहाबादी तो अनुभव की कमी पर रो पड़े- कह दिया मैंने हुआ तजर्बा मुझको तो यही।
तजर्बा हो नहीं चुकता है कि मर जाते हैं। संसार के दो महत्त्वपूर्ण अंग है-सृष्टि और प्रकृति। इन दोनों का पूर्ण तो क्या सामान्य निरीक्षण भी इस जीवन में असम्भव है, दुर्लभ है।अतः निरीक्षण से ज्ञान प्राप्ति बहुत सीमित है।
ज्ञान का चौथा स्रोत है प्रयोग। कोई नई बात ढूंढ निकालने के लिए की जाने वाली कोई परीक्षणात्मक क्रिया अथवा उसका साधन प्रयोग है। किसी प्रकार की क्रिया का प्रत्यक्ष रूप से होने वाला साधन प्रयोग है। प्रयोग बहुत दुस्साहपूर्ण होता है और जीवन में रिस्क (दुस्साहस) लेने से आदमी कतराता है। फिर कितने रिस्क लेकर आदमी कितना ज्ञान प्राप्त करेगा? अत्यन्त सीमित।
दूरदर्शन ज्ञान का विश्व-कोश है । हर बुराई और अच्छाई का व्याख्याता है। करणीयअकरणीय को बताने वाला दार्शनिक है। जीवन के पुरुषार्थों के कार्यान्वयन का प्रेरक है। प्रकृति के रहस्यों और सृष्टि के समाचारों की मुँह बोलती तस्वीर है।
नगर ही नहीं प्रांत, देश, विदेश; पृथ्वी ही नहीं पाताल और अंतरिक्ष; भू की ही नहीं अन्यलोकों की;मानव ही नहीं प्राणि मात्र की अद्यतन, नवीनतम खबरों की जानकारी देकर दूरदर्शन करेण्ट नॉलिज’ (अद्यतन ज्ञान) प्रदान करता है । करेन्ट को अधिक करेन्ट बनाने के लिए हर 60 मिनिट बाद अपना कर्तव्य पूरा करता है। साथ ही अपनी खबरों के सत्यापन के लिए तत्सम्बन्धी चित्र भी दिखाता है। इससे अधिक प्रामाणिक और करेन्ट (सद्य) ज्ञान कहाँ से मिलेगा? राष्ट्र या विश्व में कोई अनहोनी घटना घटित हो जाए तो दूरदर्शन अपना कार्यक्रम रोक कर भी उस घटना की सूचना दर्शक को देता है । जैसे-इन्दिरा जी की हत्या की सूचना।
समाचार अफवाह भी हो सकते हैं, असत्य भी। पर जब आप अपनी आँखों से समाचारों सम्बन्धी घटनाओं को देख रहे हैं तो फिर प्रत्यक्षं किम् प्रमाणम् ?’ शेयर बाजारों के सूचकांक, दैनिक तापमान के उतार-चढ़ाव, गुमशुदा व्यक्तियों के बारे में सचित्र विवरण, ‘नौकरी के लिए स्थान खाली हैं’ के लाभों (नियोजन) की सूचना देना, करों के भुगतान का स्मरण करवाना भी दूरदर्शन द्वारा ज्ञानवर्धन में शामिल है।
देश का एक बड़ा भाग ग्रामों में बसता है। खेतीबाड़ी उसका व्यवसाय है। गाँव और खेती की छोटी-से-छोटी बात को विस्तारपूर्वक समझा कर यह कृषकों का ज्ञानवर्धन करता है। सच तो यह है ग्राम-विकास में दूरदर्शन का बहुत बड़ा योगदान है।
हमारा देश दर्शनीय स्थलों का आगार है। कला-कृतियों का भण्डार है। विश्व का महान् आश्चर्य ‘ताजमहल’ हमारे राजपूत राजाओं का करिश्मा है । इन सबको देख पाना इस जीवन में सामान्य व्यक्ति के लिए सम्भव नहीं। दूसरे, आप देखने भी गए तो उसका ऊपरी दर्शन मात्र कर सकेंगे। उसके निर्माण का रहस्य, कला का रोमांच, पृष्ठभूमि का इतिहास आप नहीं जान पाएंगे। मंदिर हो या मठ, ताजमहल हो या कश्मीर स्थित अमरनाथ का मंदिर, दक्षिणी-समुद्र-स्थित विवेकानन्द-शिला हो या अमृतसर का स्वर्ण मन्दिर दूरदर्शन इनके पूरे इतिहास के साथ-साथ कला विशेषताओं का दिग्दर्शन करवाएगा।
विदेश-भ्रमण कितने लोग कर पाते हैं। विश्व की कला-कृतियों को कितने लोग देख पाते हैं ? उत्तर है मुट्ठीभर । दूरदर्शन विश्व के प्रत्येक राष्ट्र के दर्शन करवाएगा, उनके रहनसहन, रीति-रिवाज़, आस्थाओं-मान्यताओं, सभ्यता और संस्कृति का विस्तार से सचित्र परिचय करवाएगा।ज्ञान बढ़ाएगा आपका।घोड़ी नहीं चढ़े तो बारात तो देखी है की कहावत सिद्ध करेगा।
स्वस्थ रहने के गुर जनता को देकर दूरदर्शन उनके स्वास्थ्य की चिंता करता है ।व्यायाम की उपयोगिता और योग के लाभ बताता है। भोजन द्वारा स्वास्थ्य की शिक्षा देता है। प्रकृति के रहस्य-रोमांच का ज्ञान पुस्तकों में मिलता है या उन शूरवीरों को है जिन्होंने जान की बाजी लगाकर वहाँ तक पहुँचने की चेष्टा की है। दूरदर्शन न केवल प्रकृति के श्रृंगार पहाड़ (एंवरेस्ट, नीलकंठ) और जलनिधि समुद्र के रहस्य-रोमांचों के दर्शन तथा परिचय करवाता है अपितु अन्य लोकों (चन्द्रलोक, मंगललोक) के दर्शन भी करवा कर हमारे ज्ञान को विस्तृत करता है। डिस्कवरी अर्थात् अनुसन्धान द्वारा समस्त भूमण्डल के सागरों, पर्वतों, वनों और उनमें रहने वाले अनदेखे जीवों के दर्शन कराता है।
महापुरुष किसी भी राष्ट्र की धरोहर हैं। उनकी जयन्तियाँ तथा पुण्यतिथियाँ मनाना राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पण है। दूरदर्शन महापुरुषों के जीवन पर प्रकाश डालकर, गोष्ठियाँ आयोजित कर जनता को उनके द्वारा किए गए महान् कार्यों की जानकारी देता है। उन्हें उन जैसा बनने की प्रेरणा देता है।
सच तो यह है कि दूरदर्शन स्रष्टा से सृष्टि तक, जीवन से लेकर मृत्यु तक, आविष्कार से लेकर उपयोग तक, परिवार से लेकर समाज तक, धर्म से लेकर राजनीति तक, कला से लेकर विज्ञान तक, विश्व से लेकर ब्रह्माण्ड तक, सबका ज्ञान परोसने वाला अद्भुत यान्त्रिक साधन है।
[Essay 5] दूरदर्शन का जीवन पर प्रभाव
दूरदर्शन का भारतीय पारिवारिक जीवन पर अद्भुत तथा आश्चर्यजनक अमिट प्रभाव पड़ रहा है। वह सुखद भी है और दुःखद भी। एक ओर बहू के चूंघट का लम्बा परदा उठा है तो देवर-जेठ-ननदोई में भाई तथा ससुर में पिता के दर्शन कर मन की बात कहने का साहस प्रकट हुआ है। शिशुओं के पालन-पोषण, परिवार के खान-पान, रहन-सहन और जीवन-शैली में गुणात्मक सुधार हुआ है तो पर्व-त्योहारों के मनाने के प्रति आस्था बढ़ी है। धार्मिक अंध-विश्वास के प्रति अनास्था जगी है। आडम्बर और कपटपूर्ण प्रतीकों से विश्वास हिला है।
दूरदर्शन ने अपने विविध कार्यक्रमों द्वारा ज्ञान का जो प्रकाश फैलाया है, उससे पारिवारिक जीवन प्रकाशित हुआ है। उससे व्यक्ति के सोच-समझ का दायरा बढ़ा है। अच्छे-बुरे की पहचान बनी है। तन से स्वस्थ और मन से प्रसन्न रखने की तथ्यपूर्ण संगत जानकारी से परिवार परिचित हुआ है। सामाजिक बुराइयों से बचने लगा है।
पुरुष और नारी की परस्पर सहमति, अनुशासन, आत्मसमर्पण तथा कर्तव्यपालन पारिवारिक जीवन में सुख, शांति और उन्नति के सोपान हैं। औरों को खिलाकर खाना, मर्यादित काम और शृंगार, शिखर पुरुष (परिवार प्रमुख) का आदरपूर्ण अनुशासन, नैतिकता के प्रति आग्रह, परम्पराओं का सम्मान, पारस्परिक सहयोग से चलने की प्रेरणा में पारिवारिक जीवन का सौन्दर्य है। दूरदर्शन के अनेक कार्यक्रमों से इन बातों पर अच्छा प्रभाव भी पड़ा है।
दूसरी ओर, दूरदर्शन आज यथार्थ के नाम पर या खुलेपन के नाम पर परिवार को जो कुछ परोस रहा है उसका प्रभाव विष से भी अधिक विषाक्त है, नीम से भी अधिक कडुआ है और साइनोमाइड से भी अधिक मारक है। उसके अधिकांश कार्यक्रम पारिवारिक व्यूहरचना को तोड़ने की शिक्षा देते-देते परिवार के नैतिक मूल्यों को बेरहमी से रौंदते हैं। अनुशासन के प्रति विद्रोह के बीज बोते हैं तथा शालीनता, मान-मर्यादा की पावन भावना को कुचलते हैं। परिवार के प्रत्येक घटक में उसके अहं को तीव्र कर पारिवारिक सोच, समझ, समर्पण और समझौते की अन्त्येष्टि करते हैं। वासना और नग्नता का गन्दा नाला बहाकर, जीवन को कलुषित करते हैं।
दूरदर्शन जब अश्लील तथा कामुक दृश्यों, गीतों, संवादों की चासनी खुलेआम परोसता है तो विश्वामित्र की तपस्या भी भंग हो जाती है। नारद का हृदय भी डोल जाता है। नारी काअर्ध-नग्न क्या लगभग नग्न (केवल नितम्ब और स्तनों पर हलका-सा आवरण) शरीर, विविध रूप की उत्तेजनात्मक मुद्रा से वक्षों की मादक थिरकन, मदभरे नयनों का कटाक्ष, कूलहे मटकाने की शैली, शयन-दृश्य पारिवारिक जीवन में बची लाज की चिंदी-चिंदी उघाड़ चुके हैं। चेहरों से शर्म का परदा उतार चुके हैं। बहिन, भाभी, साली-सलहज तथा मित्रों के प्रति वासनात्मक लालसा-पिपासा दूरदर्शन द्वारा प्रदत्त मूल्यों की देन है।
इतना ही नहीं, जब दूरदर्शन सुपरहिट मुकाबला के नाम पर अश्लील गीतों का प्रदर्शन बार-बार करता है तो अबोध बालक भी अनजाने ‘चोली के पीछे क्या है ?’, ‘दरवाजा बंद कर दो’, चुम्मा चुम्मा दे दे’ गाने लगता है। कामसूत्र कंडोम का विज्ञापन देखता है तो संभोग-क्रिया से अनभिज्ञ बालक-बालिका भी माता-पिता से पूछ बैठते हैं, ‘यह निरोध क्या चीज है? किस काम आता है?’
नग्नता चाहे दृश्य की हो या गीत की जब तथाकथित कलात्मक रूप में प्रस्तुत होती है तो वह सृजनात्मकता का रूप लेती है, लेकिन जब वह प्रकृतवादी रूप में (ज्यों की त्यों) अभिव्यक्त होती है तो वह उससे भी अश्लील हो जाती है। घृणित होते हुए भी इसकी उपेक्षा इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि उसका सीधा प्रभाव परिवार जन के चेतन अथवा अचेतन मन पर पड़ता है। इस प्रकार दूरदर्शन अश्लीलता को पारिवारिक मान्यता दिला रहा है।
दूरदर्शन की पारिवारिक जीवन को महत्त्वपूर्ण देन है ‘अहम्।’ अहम् अपने आप में गर्वपूर्ण तत्त्व है पर परिवार-जनों की यह धारणा कि मेरी भी कुछ सत्ता है’, पूरे परिवार को विद्रोह के कगार पर खड़ा कर देती है। अपनी सत्ता का भान कर्तव्य से शून्य अधिकार की माँग करता है। अधिकार–पूर्ति न होने पर परिवार में मन-मुटाव होता है। आज दूरदर्शन की अनुकम्पा से घर-घर महाभारत मचा है। परिवार के शिखर-पुरुष के अनुशासन की अवहेलना हो रही है।
तृष्णाओं की जागृति दूरदर्शन का विनाशकारी प्रसाद है। परिवार-जन जो कुछ दूरदर्शन पर देखते हैं, उसे प्राप्त करने तथा वैसा बनने की चेष्टा करते हैं। आय कम, साधन अपर्याप्त हों तो इच्छा पूर्ति किस प्रकार हो सकती है ? झूठ बोलना, प्रवंचना देना, चोरी करना, गलत काम करना, पापवृत्ति से पैसा कमाना, दुष्प्रवृत्ति में पड़ना दूरदर्शन-शैली में लालसा पूर्ति का परिणाम है। परिवार-जीवन की यह विडम्बना दूरदर्शन की ही देन है।
दूरदर्शन के आकर्षण से विद्यार्थी के अध्ययन में बाधा पड़ती है। घर के काम की उपेक्षा होती है। माता-पिता की आज्ञा की अवहेलना होती है। समयोचित कार्य करने में अनिच्छा होती है। महत्त्वपूर्ण कार्य की प्राथमिकता रुक जाती है। आलस्य और प्रमाद जीवन पर हावी होते हैं।
नैतिकता को तोड़ता दूरदर्शन, अंकुश-विहीन अनुशासन को जन्म देता है। फैशनी सौन्दर्यप्रियता को उच्छृखल काम-विलासिता में डुवोता है। चकाचौंध की दुनिया में घसीट कर विवेक के नेत्रों को फोड़ देता है।
दूरदर्शन ने अपने कार्यक्रमों द्वारा पारिवारिक जीवन में एक हलचल पैदा करके उसे जबरदस्त तरीके से बदला है। इस बदलाव का प्रभाव हमारे पारिवारिक मूल्यों पर निःसन्देह पड़ रहा है। अच्छा कम और बुरा ज्यादा।
दूसरी ओर, दूरदर्शन का उपयोग विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई के समकक्ष (advantage of television in education) बहुत ही महत्वपूर्ण कहा जा सकता है क्योंकि दूरदर्शन के माध्यम से हम समाचार सुनकर वर्तमान में अपने देश या फिर विदेश में चल रही घटनाओं के बारे में जान सकते हैं। विश्व में कहां कौन सा खेल खेला जा रहा है। ओलंपिक ने किसने कितना पदक जीता। यह जानकारी प्राप्त करके प्रतियोगी परीक्षा में तैयारी करने वाले विद्यार्थी इसका उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखकर अच्छा अंक प्राप्त कर सकते हैं। जिससे उनके जीवन मैं नौकरी का आगमन हो सके और इसके अलावा वह देश विदेश की खबरें जो कि वर्तमान समय में चल रही है उससे वह अवगत रह सकें।
[Essay 6] दूरदर्शन : एक अभिशाप (Disadvantages of Television)
दूरदर्शन का प्रारम्भ भारत में 15 सितम्बर, 1959 से समझना चाहिए, जब तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्रप्रसाद ने आकाशवाणी के दूरदर्शन विभाग का उद्घाटन किया था। चार दशक की यात्रा में दूरदर्शन का विकास इस तेजी से हुआ है कि आज करीब छह करोड़ टी. वी. सेट, साढ़े छह सौ लघु शक्ति ट्रांसमीटर, तीन-सौ सैटलाइट, करीब एक लाख डिश एंटेना और केबल के तंत्र ने मिलकर भारत का चेहरा ही नहीं बदला, बल्कि रोटी, कपड़ा और मकान की तरह, यह भी जीवन की आवश्यकता बन गया है।
चौबीस घंटे मनोरंजन देने की विवशता के कारण टी. वी. के नए खुलते चैनल तथा विदेशी चैनलों ने टी. वी. के विकास की विविधता तथा टेक्नोलॉजी में उत्तरोत्तर प्रगति की है। उपग्रह से सम्बद्धता ने टी. वी. के विकास में अनुपम सहयोग दिया है, प्रसारण की क्षमता ने अद्भुत शक्ति प्रदान की है, पर यह वरदान कम, अभिशाप अधिक बन रहा है। टी.वी. के प्रिय कार्यक्रम का समय है। मेहमान आ गए। बच्चों पर इसका प्रभाव (effect of television on children) और परिवारजनों का मुँह उतर गया। मन ही मन दुआ माँग रहे होते हैं कि यह खिसके तो कार्यक्रम का आनन्द लें। कान में फुसफुसाहट शुरू हुई। ‘टी.वी. लगा लूँ, मैच आ रहा है।’ बेशरम हुए तो बिना पूछे टी. वी. ‘ऑन’ कर देंगे। आज पूरी की पूरी पीढ़ी टी. वी. के मादक नशे से झूम रही है।
परिणामत: विद्यार्थी अध्ययन में कम, टी. वी. में ज्यादा ध्यान केन्द्रित करता है। पुत्रपुत्रियाँ टी. वी. के कारण माता-पिता की आज्ञा की अवहेलना करती हैं। सिनेमा-गृहों को टी. वी. ने खाली करवाया तो नाट्य-शालाओं के दर्शनों को अवरुद्ध किया। साहित्यिक, सांस्कृतिक पत्रिकाओं को तो जीवन-निकाला ही दे दिया। दैनंदिन-जीवन में टी. वी. के संक्रामक विषाणुओं ने जीवन की सोच, समझ, सभ्यता और संस्कारों को ही बदल दिया।
आज टी. वी. का इतना प्रभाव है कि साप्ताहिक, पाक्षिक, व्यावसायिक और साहित्यिक पत्रिकाओं की बात छोड़िए, दैनिक समाचार-पत्रों में एक पूरा रंगीन पृष्ठ छोटे-बड़े पर्दे के कारनामों को उजागर करता है।
माया नगरी के इस जादूगर के पिटारे में जो सम्मोहक रंग हैं, उसके प्रति आकर्षण क्यों न हो? जब छोटे-परदे से झरती हिंसा, मुक्त यौनाचार और विवाहेतर संबंधों की नईनई व्याख्या प्रस्तुत होती हों। उन्मुक्त काम दृश्य, युवतियों के निर्वस्त्र तन और वैसी भाषा खुले आम टी. वी. के जरिए घर में प्रवेश कर रही हो। वासनापूर्ण संवाद तथा कामोत्तेजक संगीत और गाने मन को गुंजारित कर रहे हों।
सूर्यबाला जी का मत है, ‘मनोरंजन के नाम पर यौन और हिंसा का अबोध बालकों के मन पर जिस तरह घोर कामुक मुद्राओं और चेष्टाओं का विषाक्त नशा पिलाया जा रहा है, उससे तो यही लगता है हँसते-खेलते, उम्र की दहलीज चढ़ते मासूम बच्चों को जैसे वेश्याओं के कोठों पर ला बिठाया गया है। सेक्स और हिंसा की ओवर डोज’ पाए हुए किशोर और युवा, आज भयावह और रोंगटे खड़े कर देने वाली अपराधी वृत्तियों की ओर धड़ल्ले से बढ़े रहे हैं।’
सुदर्शना द्विवेदी जी का मानना है, ‘जिस किस्म के बदतमीज, बदजबान, असंस्कारों और चरित्रशून्य किशोरों की उपस्थिति इन तमाम धारावाहिकों में दर्ज हो रही है, उससे दोहरा असर हो रहा है। एक ओर मूल्यहीनता की पढ़ाई ये किशोर बेहद तत्परता से पढ़ रहे हैं और नजीर (प्रमाण) के तौर पर इनके वाक्यों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। दूसरी ओर अभिभावकों को दिखाया जा रहा है कि यही है असली किशोर और अगर आपका किशोर इनसे कुछ बेहतर है यानी गीता और संगीता से इश्क लड़ाने और मुक्का मार कर पड़ोस के राजू की आँख फोड़ने के अलावा कुछ पढ़ भी लेता है तो आप अपने भाग्य सराहें।’
परिणामत: युवक-युवतियाँ कॉलिजों में पढ़ने कम दोस्ती-दुश्मनी, प्यार-मोहब्बत निभाने ज्यादा जाते हैं। सिगरेट और ड्रग्स, बियर और पब, छात्र-जीवन के जीवनदायी टॉनिक हैं। इससे आप खुद पता लगा सकते हैं कि टीवी देखना आपके लिए अच्छा है या बुरा।
स्थिति की भयावहता जिस तेजी से खतरे के बिंदु को पार करती जा रही है, उसमें दूरदर्शन के विज्ञापन भी कम दोषी नहीं हैं। तथाकथित साहसिक कारनामों और भयप्रद दृश्यों तथा सुरा-सुन्दरी के अश्लील चित्रों का जो एलबम विज्ञापन प्रस्तुत कर रहे हैं, उससे प्रेरित होकर किशोर-किशोरियाँ अपने जीवन से खेल रहे हैं। मृत्यु का आह्वान कर रहे हैं।
भाषा के नाम पर हिन्दी को विकृति और खिचड़ी भाषा का प्रश्रय तथा धारावाहिकों के परिचय में मुख्यत: अंग्रेजी भाषा का प्रयोग राष्ट्रभाषा का अपमान है।अकारण ही अंग्रेजी की गुलामी ओढ़ाने की चाल है। जाति-समाज की संस्कृति, आचार-विचार और जीवनमूल्य व्यवस्था नकारने की साजिश है।
अन्त्याक्षरी हमारी काव्य-सम्पदा का अंग है। उसका फूहड़ रूप जो सिनेमा गीतों में उतरा है, वह नई पीढ़ी को साहित्य से दूर करने का भयंकर षड्यंत्र है।
दूरदर्शन और बच्चों (television and children) का संबंध जैसे लगता है अन्योन्याश्रित संबंध बन गया हो। आजकल के बच्चे टीवी के बगैर ना खाना खाना पसंद करते हैं और ना ही टीवी के बिना रह सकते हैं। वह हमेशा अपना कार्टून नेटवर्क जमाए रहते हैं। जिनसे उनके आंखों के साथ-साथ उनकी बुद्धि पर भी असर पड़ता है। आप खुद सोच सकते हैं कि टीवी हमारे लिए जितना लाभदायक है उतना हानिकारक भी हो सकता है।
माता-पिता, प्रौढ़जन तथा शिष्ट व्यक्तियों पर संवादों द्वारा जो अपमानित प्रहार किए जाते हैं, वे मानव-मूल्यों को तिरस्कृत करके विद्रोह पैदा करते हैं। आज की युवा पीढ़ी का वृद्ध माता-पिता से विद्रोह टी.वी. प्रभाव का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
भारत की 80 प्रतिशत जनसंख्या मध्यमवर्ग या निम्न मध्यमवर्ग का जीवन जी रही है। फैशन, प्रेम, सेक्स, शराब, ड्रग्स और हिंसा के दृश्यों को जब वह प्रतिदिन बार-बार देखती है तो ये सभी.तत्त्व उसके रक्त में समा जाते हैं। कारण, सजीव दृश्यों का मानवमन पर अधिक और स्थिर प्रभाव पड़ता है। इन दृश्यों को जीवन में भोगने के लिए चाहिए पैसा। मन की इच्छा पूरी करने के लिए वह टी.वी. शैली में रिश्वत लेता है, चोरी करता है, डाके डालता है, गुंडागिरी, अपहरण, बलात्कार और हत्या करता है। तस्करी और स्मग्लिग के लिए अपराध-जगत् की शरण लेता है। इस प्रकार दूरदर्शन समाज-द्रोह और राष्ट्र-द्रोह की पाठशाला बन गया है।
दूरदर्शन अप-संस्कृति का प्रतीक बन गया है। मुसलमान बादशाह और अंग्रेजीसाम्राज्य अपने सैंकड़ों वर्षों के शासन-काल में जिस भारतीय संस्कृति को नष्ट नहीं कर सके, जिन उदात्त भारतीय परम्पराओं, मान्यताओं और सिद्धान्तों को खंडित नहीं कर सके, वह काम करने में दूरदर्शन सफलता की सीढ़िया चढ़ रहा है। टी. वी. के कुसंस्कारों के सम्मुख भारतीय-संस्कृति असहाय खड़ी है। भारत माता चीत्कार करते कह रही है-
मैं क्या दूँ वरदान तुम्हें?
आत्मा मेरी अभिशाप दे रही।
मैं क्या हूँ?
Frequently Asked Questions
उत्तर: सितंबर, 1928 में
उत्तर: WGY Television
उत्तर: जर्मनी, 1929 में
उत्तर: फिलो टेलर फ़ार्नस्वर्थ (Philo Taylor Farnsworth)
उत्तर: वी शिवकुमारन, 1950 में
उत्तर: 1948 से 1959 के बीच
उत्तर: 30 सितंबर, 1929
उत्तर: BBC ने
उत्तर: हम लोग
उपसंहार (Conclusion of Television)
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इन्हें भी पढ़ें :
- विश्व बैंक क्या है? इसके उद्देश्य और कार्य क्या-क्या है?
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- Essays in Hindi /
Essay on Television in Hindi: जानिए टेलीविजन पर परीक्षाओं में पूछे जाने वाले निबंध
- Updated on
- नवम्बर 22, 2023
टेलीविजन, जिसे आम बोल-चाल में “इडियट बॉक्स” या “छोटी स्क्रीन” कहा जाता है। यह हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। शुरुआत से ही टेलीविजन लोगों के लिए मनोरंजन के साथ जानकारी के एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में भी काम कर रहा है। टेलीविजन ने पिछले कुछ दशकों में एक उल्लेखनीय परिवर्तन किया है। टेलीविजन के महत्व के साथ इसके कुछ नुकसान भी हैं जो लोगों को ध्यान में रखने चाहिए। टेलीविजन लगभग प्रत्येक घर में पाया जाता है और इतना अधिक उपयोगी साधन होने के कारण कई बार विद्यार्थियों से टेलीविजन पर निबंध तैयार करने के लिए दिया जाता है। यदि आप Essay on Television in Hindi के बारे में जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
This Blog Includes:
टेलीविजन पर निबंध सैंपल 1, टेलीविजन पर निबंध सैंपल 3, टेलीविजन को देखने के फायदे, टेलीविजन को अत्याधिक देखने से युवाओं को किस प्रकार नुकसान होता है, टेलीविजन पर 10 लाइन्स.
आज टेलीविज़न के समय में प्रत्येक घर में पाया जाता है। यह एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में कार्य करता है जो लोगों का मनोरंजन करता है, शिक्षित और सचेत करता है और उन्हें सूचना उपलब्ध करवाता है। शुरुआत के समय में ब्लैक एंड व्हाइट इमेज बॉक्स होने से लेकर आज की हाई-डेफिनिशन, इंटरनेट से जुड़ी स्क्रीन तक, टेलीविजन ने एक ट्रांसफॉर्मेटिव यात्रा की है। यह वैश्विक घटनाओं और विविध संस्कृतियों के बारे में जानकारी देता है। चाहे वह समाचार हो, खेल हो, डॉक्यूमेंट्री फिल्म हो, या काल्पनिक नाटक हो, टेलीविजन विविध प्रकार की रुचियों को पूरा करता है। हालाँकि, इसका प्रभाव मनोरंजन के अलावा भी है; टेलीविजन पब्लिक ओपिनियन को आकार देता है और कल्चरल कंजर्वेशन को बढ़ावा देता है। टेलीविजन सामान्य जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है, जो सोशल ट्रेंड्स को दर्शाता है और दुनिया भर के दर्शकों के लिए एक साझा अनुभव प्रदान करता है।
टेलीविजन पर निबंध सैंपल 2
टेलीविज़न, जो एक समय सीमित चैनलों को प्रसारित करने वाला एक साधारण बॉक्स था। आज के समय में एक डायनेमिक पावर के रूप में विकसित हुआ है जो मनोरंजन को लोगों को मनोरंजन के अलावा भी जानकारी उपलब्ध करावाता है। आज डिजिटल युग में, यह न केवल दर्शकों कर लिए है बल्कि हमें दुनिया से जोड़ने वाले एक मध्य रूप में भी काम करता है। स्मार्ट टीवी और स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म के आने से ने देखने के अनुभव को बदल दिया है, जो लोगों के लिया ढेर सारा कंटेंट पेश करता है।
टेलीविजन को एक स्टोरी टेलर भी कह सकते हैं, जो स्टोरीज के माध्यम से लोगों को एक साथ ला रहा है। इससे हम नई संस्कृतियों, आस पास दृश्यों और दृष्टिकोणों से परिचित होते हैं जो हमारी पहुंच से परे हैं। ऑन-डिमांड प्रोग्रामिंग के बढ़ने के साथ, दर्शक अपने कंटेंट को क्यूरेट कर सकते हैं।
इसके अलावा, टेलीविजन ने सोशल नेरेटिव्स को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समाचार चैनल सूचना प्रसारित करने और जनमत तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सामाजिक मुद्दों और वैश्विक घटनाओं को बहुत कम समय में फोकस में लाया जाता है। जागरूकता को बढ़ावा दिया जाता है।
टेलीविजन का इतना अधिक उपयोग इसके प्रभाव के बारे में चिंता पैदा करता है। लेकिन साथ ही टेलीविजन आवश्यक जानकारी और मनोरंजन प्रदान करके हमारे जीवन को समृद्ध बनाता है। इस चीज पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि यह ध्यान भटकाने के बजाय ज्ञान का स्रोत बना रहे।
Essay on Television in Hindi पर निबंध सैंपल 3 नीचे दिया गया है-
टेलीविज़न लोगों के बीच में सबसे लोकप्रिय उपकरणों में से एक है। इसका उपयोग पूरी दुनिया में मनोरंजन के लिए किया जाता है। शुरुआत से आज तक परिवार के सभी सदस्यों के बीच इसका उपयोग किया जाता है और लगभग हर घर में एक टेलीविजन सेट होता है। जब यह शुरुआत में उपयोग में लिया गया था, हम देखते थे कि लोगों के द्वारा कैसे इसे ‘इडियट बॉक्स’ कहा जाता था। ऐसा ज्यादातर इसलिए था क्योंकि उन दिनों, यह सब मनोरंजन के बारे में था। इसमें उतने सूचनाप्रद चैनल नहीं थे जितने अब हैं। लेकिन आज के समय में यह लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग। मूवीज से लेकर न्यूज तक और कार्टून से लेकर क्रिकेट तक, कई चीजें देखने के लिए इसका आज भी व्यापक रूप उपयोग किया जाता है।
टेलीविज़न के आविष्कार से कई लाभ हुए हैं, जिससे आम आदमी को मनोरंजन का एक किफायती स्रोत उपलब्ध हुआ। इसके सामर्थ्य ने इसे सभी के लिए सुलभ बना दिया, जिससे टेलीविजन कार्यक्रमों का बहुत बड़े स्तर पर आनंद लिया जा सका।
इसके अलावा, टेलीविजन सूचना प्राप्त करने के लिए एक मूल्यवान स्रोत के रूप में कार्य करता है, जो हमें ग्लोबल इवेंट्स पर अपडेट रखता है। एजुकेशनल प्रोग्राम हमारे ज्ञान में योगदान करते हैं, विज्ञान और वन्य जीवन जैसे विषयों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
टेलीविजन प्रेरणा और कौशल विकास में भी भूमिका निभाता है। मोटिवेशनल स्पीकर वाले कार्यक्रमों के साथ, यह व्यक्तियों को सुधार के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अतिरिक्त, यह विभिन्न खेलों, राष्ट्रीय आयोजनों और बहुत कुछ को कवर करके हमें उनके बारे में जानकारी देता है।
इन फायदों के बावजूद, टेलीविजन का एक नकारात्मक पहलू भी है। यह युवाओं के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिस विषय पर हम अधिक विस्तार से विचार करेंगे।
कई बार टेलीविजन अनुचित सामग्री प्रसारित करता है जो हिंसा और छेड़छाड़ जैसी विभिन्न सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा देता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करता है, आंखों की रोशनी कमजोर करता है और उन लोगों के लिए गर्दन और पीठ में दर्द पैदा करता है जो अत्यधिक घंटे देखने में बिताते हैं।
इसके अलावा, टेलीविजन लत को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति खुद को सामाजिक मेलजोल से अलग कर लेते हैं। यह लोगों के सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है क्योंकि वे खुद को एकांत स्थानों तक सीमित कर लेते हैं और सिर्फ अपने टीवी कार्यक्रमों को बहुत गंभीरता से लेते हैं।
सबसे खतरनाक पहलू समाचार चैनलों और अन्य मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से फर्जी सूचनाओं का प्रसार है। कई चैनल अब सरकारी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, जिससे हमारे सौहार्दपूर्ण समुदाय में विभाजन पैदा हो रहा है।
इसलिए, टीवी देखने को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। माता-पिता को अपने बच्चों के स्क्रीन समय को सीमित करना चाहिए, बाहरी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। दर्शकों के रूप में, हमें टीवी पर आने वाली हर बात को निर्विवाद रूप से सच नहीं मानना चाहिए। उपलब्ध जानकारी का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना, अनुचित प्रभाव से मुक्त होकर, विवेकपूर्ण और स्वतंत्र रूप से कार्य करना आवश्यक है।
टेलीविजन दर्शकों के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह, इस पर चर्चा बहुत बड़ी हो सकती है। फिर भी आपको यह बात ध्यान में रखना आवश्यक है कि कोई उपकरण स्वयं न तो स्वाभाविक रूप से अच्छा है और न ही बुरा; टेलीविजन बस एक उपकरण है। इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति इसका उपयोग कैसे करते हैं। टेलीविजन का विवेकपूर्ण उपयोग करके और अपने देखने के समय का प्रबंधन करके, हम इसकी कमियों को कम करते हुए इसके लाभों का उपयोग कर सकते हैं।
Essay on Television in Hindi जानने के बाद अब जानिए टेलीविजन पर 10 लाइन्स, जो नीचे नीचे दी गई हैं-
- आज केसमय में टेलीविजन मनोरंजन और दुनिया के बारे में जानकारी के सबसे लोकप्रिय स्रोतों में से एक है।
- टेलीविज़न नाम के इस शब्द को प्राचीन ग्रीक शब्द “टेली” से आया है, जिसका अर्थ है दूर और लैटिन शब्द “विज़ियो” जिसका अर्थ है दृष्टि।
- TV नाम को वर्ष 1948 में टेलीविज़न के संक्षिप्त रूप के कहां जाने लगा।
- शुरुआत के समय टेलीविजन में CRT मॉनिटर का उपयोग किया जाता था। आधुनिक टेलीविजन LED या LCD का उपयोग करते हैं।
- कलर टीवी का आविष्कार के जॉन लोगी बेयर्ड ने 1937 में किया गया था।
- पुराने टेलीविज़न साधारण एंटेना के द्वारा या केबल से उपलब्ध नेटवर्क पर संचालित होते थे।
- मॉडर्न टीवी स्मार्ट हैं और मोबाइल फोन के समान हैं।
- टेलीविज़न दशकों से लोगों के लिए मनोरंजन उपलब्ध करवाने का कार्य कर रहा है।
- टेलीविजन के फायदे और नुकसान दोनों हैं।
- BARC के अनुसार, 2018-2020 के बीच 6.9% अधिक भारतीय परिवारों के पास टीवी है।
टेलीविज़न चलती छवियों और ध्वनि को प्रसारित करने का एक टेलीकम्युनिकेशन माध्यम है। यह शब्द टेलीविज़न सेट, या टेलीविज़न प्रसारण के माध्यम को बताता है। टेलीविजन विज्ञापन, मनोरंजन, समाचार और खेल का एक जन माध्यम है।
फिलो फ़ार्नस्वर्थ जो की एक अमेरिकी आविष्कारक जिन्होंने पहली पूर्ण-इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन प्रणाली विकसित की।
फोटो सिस्टम के डेवलप होने के बाद ऐसे माध्यम की खोज शुरू हुई जिसमें चल चित्र देखें जा सकते थे, अंत में टेलीविजन का निर्माण हुआ। टेलीविज़न का आविष्कार संभवतः घर में निजी देखने की सुविधा के लिए किया गया था। साथ में लोगों को अपने प्रियजनों के साथ भी समय बिताने का मौका मिला।
आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Essay on Television in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य कोर्स और सिलेबस से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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Essay on Television in Hindi | टेलीविजन पर निबंध
Essay on Television in Hindi : इस आर्टिकल के माध्यम से आप आसानी से टेलीविजन पर निबंध लिख सकते है | इस आर्टिकल के माध्यम से टेलीविज़न की भूमिका , विशेषता, महत्व, शिक्षा का विशेष माध्यम, चेतना-प्रसार का साधन, उपसंहार आदि के बारे में जान सकते है |
टेलीविजन पर निबंध in Hindi | Essay on Television in Hindi
सचमुच में विज्ञान ने हम सब कुछ प्रदान किए हैं | उसने हमारे ज्ञान को विज्ञान प्रदान करने के लिए हमें हर क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के संसाधनों को सुलभ किए हैं | इनमें कैमरा रेडियो चलचित्र टेलीविजन , प्रिंटर आदि है | इनमें टेलीविजन का भी नाम बहुत महत्वपूर्ण है |
टेलीविजन शब्द अंग्रेजी का शब्द है | यह टेली और विजन इन दो शब्दों से बना है | टेली शब्द का अर्थ होता है ‘दूर’ और विजन शब्द का अर्थ होता है दर्शन | इस प्रकार टेलीविजन शब्द का हिंदी रूपांतर दूरदर्श है | इस दूरदर्शन के जनक है महोदय बेयर्ड|
टेलीविजन के कार्य स्वरूप दो है एक यह है कि रेडियो की तरह आवाज को सुनता है और दूसरा यह है कि दूसरे चित्रों को प्रदर्शित करता है | आवाज सुनने का कार्य आकाशवाणी की सामान्य होता है | केंद्र में माइक्रोफोन के प्रयोग से आवाज को विधुत स्थानों में बदल दिया जाता है |
इसके बाद इन स्पंदो को आकाश द्वारा अधिक शक्तिशाली बना लिया जाता है | प्रसारण के लिए इन्हें रेडियो तरंगों पर केंद्र के एंटीना के द्वारा वायुमंडल में बिखेर दिया जाता है |हमारा आकाशवाणी यंत्र इन तरंगों को पहले पकड़ लेता है इसके बाद ध्वनि को विधुत स्पंदो को अलग कर देता है | इसके वह स्पीकर में इन्हें भेज देता है | यह स्पीकर उन सभी को फिर असली ध्वनि में परिवर्तित कर डालता है |
इस प्रकार की प्रक्रियाओं के द्वारा चित्रों को विभिन्न प्रकार के विभाजितकर एक-एक भाग को विधुत स्पंदो में बदल दिया जाता हैटेलीविजन प्रसारण का प्रभाव क्षेत्र टेलीविजन केंद्र के एंटीना की ऊंचाई पर निर्भर करता है |
दूरदर्शन हमारे जीवन का एक आवश्यक अंग बन गया है | यह एक प्रकार की हमारे पारिवारिक गतिविधियों का दर्पण हो गया है | परिवार का कोई भी सदस्य इसके बिना चैन से नहीं रह सकता इस प्रकार यह हमारे जीवन के प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने वाला विज्ञान का अद्भुत अविष्कार है |
हमारे जीवन उपयोगी सभी प्रकार के वस्तुओं के विज्ञापन उनके उपयोग और उनके प्रभाव को दूरदर्शन बखूबी प्रदर्शित करके हमारा सच्चा मार्गदर्शन करता है | इस प्रकार हम इन्हीं वस्तुओं को खरीदने और प्रयोग में लाते हैं जिनको दूरदर्शन हमें जानकारी देता है |
मनोविनोद का साधन
दूरदर्शन से प्रसारित होने वाले विभिन्न प्रकार के धारावाहिक को सहित अन्य कार्यक्रम हमारे थके-मांदे और जिंदगी को अपनी सरलता संस्था और माधुरी हास्य सुखमय और उत्साह वर्धन बनाने का भरसक प्रयास करते हैं | दूरदर्शन के विभिन्न चैनल अपने रंग-बिरंगे कार्यक्रमों के द्वारा हमारे तनावपूर्ण जिंदगी को सहज और रुचि-प्रद बनाने में अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं |
श्रीमान श्रीमती जी, तेरे घर के सामने, जान भी दो, पारो,आदि धारावाहिक हमारे लिए हंसी के बहुत बड़े खजाने हैं | मनोरंजन की दृष्टि से ज़ी टीवी स्टार प्लस होम टीवी सोनी स्टार स्पोर्ट्स आदि चैनल अत्यधिक लोकप्रिय हो रहे हैं |इसके अतिरिक्त दूरदर्शन अपने विशेष कार्यक्रम के द्वारा नृत्य संगीत आदि से हमारा खूब मनोरंजन किया करता है|
शिक्षा का विशेष माध्यम
दूरदर्शन का वरदान शिक्षा का विशेष माध्यम के रूप में भी बहुत बड़ा है | दूरदर्शन के द्वारा शिक्षा के प्रसार प्रचार का कार्यक्रम बहुत ही संस्था और सफलता के साथ-साथ समझ में आते हैं | इससे शिक्षा के स्तर को उठाने और इसके महत्व प्रभाव को रखने में बड़ी सुविधा होती है |
इस दृष्टि से दूरदर्शन की सफलता और सार्थकतर निश्चय ही सिद्ध होता है समय-समय पर शिक्षा की उपयोगिता और उसकी आवश्यकता तो स्पष्ट करने के लिए दूरदर्शन विभिन्न कार्यक्रमों को जाने-माने शिक्षण बिंदु और शिक्षा शास्त्रियों के माध्यम से आयोजित करके अपनी भूमिका का निर्वाह करता है |
चेतना-प्रसार का साधन
दूरदर्शन हमारी चेतना को प्रसारित करने का एक बहुत बड़ा साधन है इस प्रकार यह हमारे राजनीतिक धार्मिक सामाजिक और वैज्ञानिक चेतना प्रसार का एक विशेष प्रकार महत्वपूर्ण साधन है जिन कार्यों को हमारे शिक्षक उपदेश और समाज सुधारक सफलतापूर्वक करने में पूर्ण रूप से समय समर्थ नहीं हो पा रहे थे | अपनी पूरी सफलता को अर्जित कर दिया है |
इसलिए चेतन जोड़ करके हमारे जीवन को संपूर्णता प्रदान करती है इसे आज हम विश्व परिवार का एक अभिन्न सदस्य बन गए हैं इस प्रकार इससे धीरे-धीरे हमारे जीवन चिंतन और चेतन को पल्लवित पुष्पित और स्थापित करने में कमर कस ली है |
दूरदर्शन हमारे जीवन का सबसे घनिष्ठ मित्र है यह हमारा पथ प्रदर्शक है | यही यही नहीं यह जीवन प्राण विकसित हो चुका है | हमारा यह एक ऐसा शहर है जिससे हम बोल सकते हैं जिससे हंस सकते हैं और जिसे हम कुछ कह सकते हैं परस्पर अभाव में हम दोनों निष्पादन होकर रह जाएंगे यह नितांत आवश्यक है कि हम हर कोशिश करके जीवन वरदायक दूरदर्शन की सभी कर इसकी श्रेष्ठ को अपने जीवन में उतारते चले |
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टेलीविज़न के फायदे और नुक्सान Advantages and Disadvantages of Television in Hindi
आईये जानते हैं टेलीविज़न के फायदे और नुक्सान Advantages and Disadvantages of Television in Hindi. अगर आप टेलीविज़न के लाभ और हानि पर निबंध पढ़ना चाहते हैं तो इस लेख को पढ़ सकते हैं। इस लेख मे हमने टीवी के सही उपयोग के बारे मे पूरी जानकारी हमने दी है?
Table of Content
प्रस्तावना Introduction
क्या आप जानते हैं दोस्तों कि टीवी देखने का भी एक समय होना चाहिए?
दिन ब दिन घर-घर में टेक्नोलॉजी बढ़ते चले जा रहा है। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी का क्षेत्र बढ़ रहा है जिससे मनुष्य को बहुत सारी सुविधाएँ मिल रही हैं। वहीँ दूरी तरफ प्रौद्योगिकी का क्षेत्र धीरे-धीरे मनुष्य के लिए नुकसानदायक भी बनते जा रहा है। आज हर घर में टेलीविज़न जगह ले चुका है और लोग मनोरंजन के लिए इसका सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं।
परंतु क्या आप टेलीविज़न के फायदे और नुकसान के बारे में जानते हैं? टेलीविज़न मनोरंजन का सबसे आसान माध्यम बन चुका है पर कई लोग टेलीविज़न को एक आदत बना चुके हैं और इसकी वजह से यह मनुष्य जीवन के लिए एक हानि भी बन चुका है।
आईए एक-एक करके जानते हैं टेलीविज़न के लाभ और हानी (Advantages and Disadvantages of Television in Hindi) क्या हैं?.. .
टेलीविज़न के फायदे / लाभ Advantages of Television in Hindi
1. मनोरंजन का सबसे बेहतर ज़रिया best thing for entertainment.
आज के इस आधुनिक युग में टेलीविज़न एक सबसे बढ़िया और सस्ता मनोरंजन है। आजकल टेलीविज़न में सभी उम्र के लोगों के लिए अच्छे प्रोग्राम और मनोरंजन के सीरियल आप देख सकते हैं। मेरी बात से तो आप सहमत ही होंगे क्योंकि आज के दिन में शायद ही ऐसा कोई घर होगा जिसमें टेलीविज़न ना हो। चाहे बच्चे हो या बूढ़े सब के लिए अलग-अलग प्रकार के चैनल आप टीवी पर देख सकते हैं।
मेरी बेटी जो बस 3 साल की है उसे कार्टून चैनल देखना बहुत अच्छा लगता है और पापा को क्रिकेट या कॉमेडी शो देखना अच्छा लगता है। तो इस बात में कोई शक ही नहीं है कि टीवी सभी उम्र के लोगों के लिए मनोरंजन का सबसे आसान माध्यम बन चुका है।
2. खली समय आसानी से बीतता है Pass The Free Time Easily
जो लोग छुट्टी पर हैं या जो अब रिटायरमेंट पर घर पर हैं उनके लिए खाली समय को बिताना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे मैं उन लोगों के लिए टेलीविज़न खाली समय को बिताने का एक अच्छा उपकरण है। जो महिलाएं घर पर काम करती हैं खाना बनाने के बाद या अपने फ्री समय में अपना पसंदीदा धारावाहिक देख कर अपना समय बिताते हैं। टेलीविज़न उनके दिन भर के काम से हुए मानसिक तनाव को दूर करने में उनकी मदद करता है।
3. विश्व भर की जानकारी प्राप्त होती है We get News from around The World
टेलीविज़न के माध्यम से हम विश्व भर की सभी जानकारियाँ प्राप्त कर पाते हैं तथा इससे हमको कई प्रकार का ज्ञान भी मिलता है। इस व्यस्त दुनिया में हम जब अपने पड़ोसियों के बारे में पूरी जानकारियाँ नहीं रख पा रहे हैं।
वही घर बैठे टेलीविज़न पर समाचार के माध्यम से हम अपने मुहल्ले से लेकर राज्य, तथा राज्य से लेकर विश्व तक के हर ख़बर के विषय में जान पा रहे हैं। हालांकि हम जानकारियाँ समाचार पत्र, रेडियो और इंटरनेट के माध्यम से भी पढ़ सकते हैं परंतु टेलीविज़न पर देखने का इसका एक अलग ही मज़ा होता है।
4. मन को आराम मिलता है Relax our Mind
जो लोग हमेशा काम में व्यस्त रहते हैं उनके लिए आराम करना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में अपने काम से लौटने के बाद टेलीविज़न उनके लिए एक बेहतरीन मन को आराम देने का माध्यम होता है। लोग हमेशा पैसे के पीछे रात-दिन भाग रहे हैं पर मन की शांति भी जरूरी होती है।
कुछ लोग टेलीविज़न पर फिल्म या गीत सुनकर आनंदित होते हैं तो कुछ लोग रात के समय के रियलिटी शो देख कर मज़े लेते हैं। दिन भर के हैरानी के बाद टीवी शरीर और मन को आराम देता है।
5. बहुत कुछ सिखने को मिलता है People can Learn a Lot
टेलीविज़न के माध्यम से भी लोग बहुत कुछ सीख सकते हैं। टीवी पर कई प्रकार के ज्ञान वर्धक प्रोग्राम भी टेलीकास्ट किये जाते हैं जिससे बच्चों और बड़ों दोनो का कई प्रकार के टॉपिक पर ज्ञान बढ़ता है।
आजकल तो स्कूली शिक्षा के लिए भी कई प्रकार के नए चैनल लॉन्च हो चुके हैं जो परीक्षा की तैयारी करवाते हैं। इन चैनल पर आप घर बैठे अपने विषय के अनुसार परीक्षा के लिए तैयारी कर सकते हैं।
ना सिर्फ स्कूली शिक्षा बल्कि खाना बनाना, खेल, प्रश्न-उत्तर और साइंस वाले जनरल नॉलेज का ज्ञान भी अलग-अलग चैनल के माध्यम से मिलता है। ना सिर्फ बड़े बच्चे बल्कि छोटे बच्चों को भी बच्चों के लर्निंग चैनल से बहुत कुछ सीखने को मिलता है जिससे वह स्कूल की तुलना में जल्दी खेलते-खेलते सीखते हैं।
6. अंग्रेजी सीखने में मदद Helps in English Language Learning
सभी लोगों के लिए अंग्रेजी सिखना उतना आसान नहीं होता है। लेकिन बहुत सारे लोग टेलीविज़न देख कर बहुत आसानी से अंग्रेजी सीख लेते हैं। हमें हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी का सम्मान करना चाहिए परंतु हमें यह भी मानना होगा कि आज के इस आधुनिक युग में अंग्रेजी बोलना-लिखना सीखना बहुत ज़रूरी है। आज टेलीविज़न पर कई प्रकार के ऐसे अंग्रेजी चैनल हैं जिनको देखकर आप आसानी से कुछ ही दिनों में अंग्रेजी बोलना सीख सकते हैं।
7. परिवार के साथ समय Spend time with Family
परिवार को एकजुट होकर समय बिताने में टेलीविज़न सबसे ज्यादा मदद करता है। दोपहर या रात के समय जब सभी परिवार के लोग अपने काम से थोड़ा आराम करने के लिए समय निकालते हैं उस समय परिवार के लोग मिलजुल कर टीवी देखते हैं जो कि एक अच्छी बात है। अपने बाकी काम-धाम के साथ साथ परिवार को भी समय देना चाहिए जिसमें टेलीविज़न एक अच्छा उपकरण माना गया है।
टेलीविज़न के नुकसान / हानि Disadvantages of Television in Hindi
1. समय की बर्बादी spoil the time.
जैसे कि हमने आपको बताया कि टेलिविज़न समय बिताने का एक बेहतरीन उपकरण है पर अगर टेलीविज़न देखना आदत बन जाए तो यह आपका महत्वपूर्ण समय भी बर्बाद कर सकता है।
ना सिर्फ बड़े बल्कि बच्चे भी टेलीविज़न की लत का शिकार बन जाते हैं जिसके कारण वह अपने पढ़ाई के समय पर भी टीवी देखने लगते हैं जिससे उनके शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए टेलीविज़न देखने का एक निर्धारित समय तय किया जाना चाहिए जिसके कारण यह आपकी आदत ना बन सके।
2. आंखों के लिए बुरा Not Good For Eyes
भले ही आपके घर पर पुराने जमाने का टेलीविज़न हो या आधुनिक युग का टेलीविज़न, ज्यादा देखने पर आँखो पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। एक ही वस्तु पर ज़्यादा ध्यान से देखने पर आँखो पर दबाव पड़ता है।
कई शोधकर्ताओं ने पाया है कि लंबे समय तक टेलीविज़न देखने से आंखे खराब भी हो सकती हैं इसलिए टेलीविज़न देखने का भी एक निर्धारित समय होना चाहिए। सभी लोगों को टेलीविज़न को एकदम पास बैठ कर नहीं देखना चाहिए। किसी भी टेलीविज़न को देखने की सही दूरी कम से कम टेक्नोलॉजी बढ़ते होती है।
3. बच्चों के लिए सभी प्रोग्राम सही नहीं Some Shows Are Not Good For Childrens
टेलीविज़न जितना बच्चों के लिए अच्छा, उतना ही ज्यादा खतरनाक भी है। कुछ ऐसे टेलीविज़न शो होते हैं जो बच्चों के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालते हैं। कुछ ऐसे +18 TV चैनल या शो, कुछ क्राइम से जुड़े शो या कुछ ऐसे विज्ञापन जो बच्चों के लिए बिलकुल सही नहीं है खुले आम टीवी पर चल रहे हैं।
हमें यह समझना होगा कि टेलीविज़न पर क्या बच्चों के लिए सही है और क्या बुरा क्योंकि इससे बच्चों का व्यवहार बदल सकता है और उनके मन पर बहुत ही बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है। इसीलिए आजकल बहुत सारे टेलीविज़न या सेट टॉप बॉक्स पर चैनल लॉक की सुविधा दी गई है जिसमें अगर आप चाहें तो कुछ ऐसे चैनल्स को लॉक कर सकते हैं जो बच्चों के देखने के लिए सही नहीं हैं।
4. स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव Health Problems
टेलीविज़न जरूरत से ज्यादा देखने पर कई प्रकार के बुरे प्रभाव शरीर पर पड़ते हैं। जैसे की हम पहले एक बता चुके हैं ज्यादा नज़दीक से टेलीविज़न देखने से आँखो पर दवाब पड़ता है और आँखें कमजोर हो जाते हैं। कुछ लोग टेलीविज़न के आदी हो जाते हैं जिसके कारण वह अपने खाने, पीने और सोने का समय भी भूल जाते हैं। ऐसे में अनिद्रा , अपचन, और कई प्रकार के मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियाँ होने का खतरा रहता है ।
कुछ लोग टीवी देखते हुए खाना खाते हैं जिसके कारण वह जरुरत से ज्यादा खा लेते हैं और वही उनके मोटापे का कारण बनता है। कई देर तक एक ही मुद्रा में बैठने से भी हायपरटेंशन या ह्रदय रोग होने का खतरा रहता है।
5. परिवार को समय ना देना No Time for Family
जैसे की हम आपको बता चुके हैं टेलीविज़न परिवार के साथ समय बिताने का एक बेहतरीन ज़रिया है, परंतु कुछ ऐसे लोग होते हैं जो टेलीविज़न देखने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उनके पास अपने परिवार के लिए समय होता ही नहीं है।
यह वह लोग होते हैं जिन पर टेलीविज़न पूरी तरीके से हावी हो चुका होता है ऐसे लोगों को टेलीविज़न के लगभग सभी प्रकार के नुकसान झेलने पड़ते हैं चाहे वह स्वास्थ्य से जुड़े हो या फिर कोई अन्य।
Conclusion निष्कर्ष
अगर हम आसान शब्दों में सोचें तो टेलीविज़न मात्र उन लोगों के लिए एक सही उपकरण है जो कुछ समय इसका इस्तेमाल करके मन को शांत या आराम देना चाहते हैं। परंतु यह उन लोगों के लिए बिलकुल सही नहीं है जो इसे अपनी आदत बना रहे हैं। अगर आप भी धीरे-धीरे टेलीविज़न देखने मैं व्यस्त होते जा रहे हैं इसके नुकसानों को समझे और टेलिविज़न देखने का एक निर्धारित समय तय करें।
आशा करते हैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ जरूरी जानकारी मिली होगी। अगर आपको हमारा यह पोस्ट ‘टेलीविज़न के फायदे और नुक्सान Advantages and Disadvantages of Television in Hindi’ अच्छा लगा तो अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर करें और हमें सपोर्ट करें।
नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।
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29 Comments
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टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi
अगर आप टेलीविजन पर निबंध (Essay on Television in Hindi) की तलाश कर रहे हैं, तो आप सही जगह पर हैं। इस लेख में हमने दूरदर्शन के ऊपर आकर्षक निबंध लिखा है।
जिसमें टेलीविजन के अर्थ, इतिहास, महत्व तथा लाभ हानियों को सरल रूप समझाया है। निबंध के अंत में दिया गया टेलीविजन के ऊपर 10 वाक्य इस लेख को और भी बेहतरीन बनाते हैं।
Table of Contents
प्रस्तावना (टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi)
प्राचीन काल के मनुष्य अपने मनोरंजन और ज्ञान वृद्धि के लिए तीर्थाटन और खेलों का सहारा लिया करते थे। लेकिन आधुनिक काल में इंसान ने हर क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति कर ली है।
विज्ञान ने रेडियो का आविष्कार किया जिससे लोगों को समाचार, ज्ञान तथा मनोरंजन का श्राव्य रूप प्राप्त हुआ।
टेलीविजन इंसान के उन्हीं आविष्कारों में से एक है जिस पर वह गर्व कर सके। इस यांत्रिक मशीन की परिकल्पना अगर प्राचीन काल का कोई मनुष्य करता तो उसे पागल करार दे दिया जाता।
ईथर में लगातार तैरते इलेक्ट्रिक तरंगों को एक रिसीवर के माध्यम से पकड़ा जाता है जिसे उपग्रहों द्वारा इंसानों तक पहुंचाया जाता है। जिसे टेलीविजन के पीछे का विज्ञान भी कह सकते हैं।
हिंदी में टेलीविजन को दूरदर्शन कहा जाता है जिसका अर्थ होता है दूर के दृश्यों को अपने समीप घटते हुए देखना। इसकी खोज ने मनोरंजन के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति ला दी है जो इंसानी इतिहास में बड़ी क्रांतियों में से एक मानी जाती है।
टेलीविजन क्या है? What is Television in Hindi?
टेलीविजन एक ऐसी मशीन है जो ध्वनि और चित्र के साथ एक विशेष प्रकार के मशीनी सतह पर प्रसारित होती है। टेलीविजन शब्द लैटिन और यूनानी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है दूर दृष्टि।
जब इसका आविष्कार किया गया था तब यह मुख्य रूप से ब्लैक एंड वाइट होती था फिर कुछ वर्षों के बाद यह रंगीन टीवी में बदल गया जो लोगों के द्वारा बहुत ही ज्यादा पसंद किया जाने लगा।
टीवी एक मनोरंजन का साधन है जिसमें हर कोई अपने पसंद की चीजों को देख वह सुन सकता है। उदाहरण स्वरूप संगीत प्रेमियों के लिए इसमें खासकर संगीत चैनल भी होते हैं तथा समाचार और ज्ञान के लिए विशेष प्रकार के चैनल होते हैं जिन्हें रिमोट द्वारा लगाया और बदला जाता है।
टेलीविजन का इतिहास History of Television in Hindi
टेलीविजन का आविष्कार एक अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड ने सन 1927 में किया था। पहले यह आकार में बहुत ज्यादा बड़ा और डीसी करंट के द्वारा चलता था।
लगभग 7 सालों की मेहनत के बाद टेलीविजन को इलेक्ट्रिक से चलाने के लायक बनाया गया। इस प्रकार सन 1934 में टेलीविजन को पूरी तरह से शुरू कर दिया गया।
टेलीविजन बनाने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी कि उसके लिए स्टेशन को खड़ा करना। यह काम भी दो वर्षों में पूरा हो गया और आधुनिक टेलीविजन स्टेशन की स्थापना हुई।
टेलीविजन के आविष्कार के बाद पूरी दुनिया के अमीर लोग इसे बहुत ही ज्यादा पसंद करने लगे लेकिन मध्यम व गरीब वर्ग के लोगों के लिए यह खरीद पाना मुश्किल था।
जिसके कारण इसे भारत पहुंचते-पहुंचते सोलह वर्ष लग गए। सन 1950 में भारत के एक इंजीनियरिंग छात्र ने विज्ञान मेला में टेलीविजन का एक प्रारूप पेश किया।
लगभग 9 सालों बाद 15 सितंबर सन 1959 को पहला सरकारी प्रसारक दूरदर्शन की स्थापना की गई। शुरुआत में इस पर बहुत ही कम कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता था। 1965 तक इस क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ और इस पर दैनिक कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाने लगा।
टेलीविजन के बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और थियेटर का प्रचलन भी बहुत जोरों शोरों से बढ़ गया। जिसके परिणाम स्वरूप भा रत में हिंदी फिल्में भी अधिक स्तर पर बनाई जाने लगी।
यूनाइटेड नेशंस के द्वारा 21 नवंबर सन 1996 को वर्ल्ड टेलीविजन फोरम की स्थापना की गई थी जिसके कारण 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलीविजन डे के रूप में भी मनाया जाता है।
विश्व टेलीविजन फॉर्म की स्थापना का उद्देश्य लोगों के लिए एक ऐसा माध्यम उपलब्ध करवाना था जहां टेलीविजन के महत्व पर बातचीत की जा सके और लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
पहले विश्व टेलीविजन दिवस के दिन टेलीविजन का वैश्विक प्रचार करने के लिए वैश्विक स्तर की बैठक हुई थी तथा कुछ खास कार्यक्रमों का प्रसार भी किया गया था।
भारत में 80 के दशक में टेलीविजन का सबसे अधिक विकास हुआ। दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत जैसे कार्यक्रमों ने विश्व के कई रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया। 1997 में टेलीविजन चैनलों का सारा कामकाज प्रसार भारती कंपनी को सौंप दिया गया जिसके बाद इस पर रोज न्यूज़ बुलेटिन प्रसारित होने लगा।
आज के समय में टेलीविजन का पूरी तरह से परिवर्तन हो चुका है जहां पहले टेलीविजन का आकार और कीमत बहुत ही ज्यादा हुआ करती थी वहीं अब यह बहुत पतले और हल्के (LED Television) के रूप में लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है।
टेलीविजन का महत्व Importance of Television in Hindi
मानव जीवन में टेलीविजन का महत्व बेहद ही अधिक है। क्योंकि एक तरफ यह लोगों के मनोरंजन का साधन है तो दूसरी तरफ पूरी दुनिया का समाचार भी इससे ही मिल पाता है।
पहले किसी भी स्थान का समाचार एक जगह से दूसरी जगह पहुंचते-पहुंचते महीनों लग जाते थे वही टेलीविजन से यह प्रक्रिया मिनटों में रूपांतरित हो चुका है।
टेलीविजन के सबसे बड़े महत्व के रूप में यह विद्यार्थियों को विश्व तथा विज्ञान से जोड़े रखने में एक सहायक की भूमिका अदा कर रहा है जिसके माध्यम से बच्चों का बौद्धिक विकास पहले से बेहतर हो रहा है।
इसके माध्यम से लोगों को संसार की भौगोलिक रचना का ज्ञान बड़े आसानी से हो जाता है तथा कई जिज्ञासाओं का समाधान इसके दर्शन से स्वतः ही हो जाता है।
भारत सरकार द्वारा टेलीविजन पर एनसीईआरटी के पाठ्यपुस्तक की सामग्रियों को प्रचारित किया जाता है जिससे गरीब बच्चों को पढ़ने में सहायता होती है।
टेलीविजन पर कृषि से जुड़े हुए बहुत से प्रश्नों के उत्तर साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है जिससे कृषक को सहायता मिलती है।
टेलीविजन के लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Television in Hindi
जहां एक तरफ टेलीविजन से पूरी दुनिया में क्रांति आ चुकी है और लोगों के पास कोई भी जानकारी चुटकियों में पहुंच जाती है। तो वहीं दूसरी तरफ इसके दूरगामी दुष्परिणाम भी सामने आते हैं।
टेलीविजन के सबसे बड़े लाभ के रूप में इसका मनोरंजक होना है। लेकिन जब इसकी अधिकता होती है तो यह बुरी लत में परिवर्तित हो जाती है जिससे शारीरिक और मानसिक क्षमता का नाश भी होता है।
आज छोटे-छोटे बच्चों को चश्मा लग जाता है। जिसका एक कारण इनके द्वारा टीवी तथा अन्य उपकरणों के साथ बिताए जाने वाली समय की अधिकता है।
टेलीविजन के अनेकों लाभ है उदाहरण स्वरूप 80 के दशक में रामायण और महाभारत के द्वारा लोगों में जनजागृति और सकारात्मकता फैलाने का कार्य टेलीविजन के द्वारा ही संभव हो पाया था।
लेकिन आधुनिक समय में टेलीविजन पर ऐसे नकारात्मक तत्व धड़ल्ले से प्रसारित किए जा रहे हैं जिससे मनुष्य का वैचारिक और चारित्रिक हनन बड़े स्तर पर होता है।
टेलीविजन के माध्यम से मार्केटिंग ने जन्म लिया है जिसके कारण बाजार पद्धति में भी स्पर्धा कई गुना बढ़ चुकी है। लेकिन फिर भी आए दिन लोगों को लूटने वाले विज्ञापन टेलीविजन पर बेझिझक दिखाए जाते हैं।
कहते हैं कि किसी भी समाज का दर्शन उनके साहित्य में छुपा होता है। टेलीविजन के माध्यम से संगीत, साहित्य, कला, ज्ञान सभी को प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।
टेलीविजन पर 10 लाइन Few lines on Television in Hindi
नीचे पढ़ें टेलिविज़न पर 10 लाइन-
- टेलीविजन का आविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन लोगी बेयर्ड ने 1927 में किया था।
- पहली बार इसे 1934 में इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप दिया गया।
- भारत में पहली बार टेलीविजन का प्रचार 1950 में एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने किया था।
- 15 सितंबर 1959 को पहला टेलीविजन प्रयोग दूरदर्शन केंद्र दिल्ली में किया गया।
- भारत में टेलीविजन का पहला रंगीन प्रसारण 15 अगस्त सन 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के भाषण के साथ शुरू हुआ था।
- अस्सी से लेकर नब्बे के दशक में भारतीय सीरियल रामायण और महाभारत ने विश्व के कई रिकॉर्ड ध्वस्त किए थे।
- सन 1997 में टेलीविजन का सारा कामकाज प्रसार भारती को सौंप दिया गया था इसके बाद न्यूज़ बुलेटिन की शुरुआत हुई।
- 21 दिसंबर सन 1996 को संयुक्त राष्ट्र ने विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में घोषित किया।
- 21वीं सदी की शुरुआत में रंगीन टीवी और पतली टीवी का प्रचलन शुरू हुआ जो आज तक चल रहा है।
- भारत सरकार द्वारा एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को टेलीविज़न के माध्यम से दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में अपने टेलीविजन पर निबंध हिंदी में (Essay on Television in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको सरल तथा आकर्षक लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।
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टेलीविजन पर निबंध – Television Essay in Hindi
Television Essay in Hindi
टेलीविजन, विज्ञान की सबसे अच्छी खोजों में से एक है, टेलीविजन न सिर्फ मनुष्य के मनोरंजन करने का एक सशक्त साधन है, बल्कि यह मनुष्य के ज्ञान को बढ़ावा देने और देश-दुनिया में घटित हो रही घटनाओं से अपडेट रखने में भी अपनी अहम भूमिका निभाता है, टेलीविजन, को विज्ञान के सबसे शानदार उपलब्धि मानते हुए कई बार स्कूल- कॉलेजों में बच्चों को इस पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।
इसलिए आज हम अपने इस पोस्ट में टेलीविजन जैसे अतिसृजनात्मक विषय पर अलग-अलग शब्द सीमा में निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं, साथ ही इसके उपयोगिता, महत्व, लाभ और इससे पड़ने वाले दुष्परिणामों को अपने बच्चों को समझा सकते हैं –
मनोरंजन और ज्ञान-विज्ञान के प्रचार का सबसे सशक्त माध्यम टेलीविजन, विज्ञान की एक अनूठी, अतिमहत्वपूर्ण और शानदार खोजों में से एक है। टेलीविजन मनुष्य की इस भागदौड़ भरी जिंदगी की थकान को मिटाकर उसे मानसिक रुप से शांति प्रदान करता है, और व्यक्ति को फिर से तारो-ताजा कर फिर से काम करने की ऊर्जा भरता है।
इसके माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने का हाल व्यक्ति पल भर में जान लेता है, साथ ही टेलीविजन पर प्रसारित कई धारावाहिकों के माध्यम से अपनी संस्कृति और सभ्यता के महत्व को जानने में सहायता मिलती है और समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का मौका मिलता है।
इसके साथ ही टेलीविजन में खेल जगत, सिनेमा जगत, राजनीति, सामाजिक, अध्यात्मिक, धर्म, ज्योतिष,शिक्षा, ज्ञान आदि सभी विषयों का समावेश है, जिसे लोग अपनी रुचि और जरूरत के मुताबिक देख सकते हैं और इसका आनंद उठा सकते हैं।
टेलीविजन का अर्थ, उत्पत्ति और विस्तार – Television Meaning
टेलीवजिन दो शब्दों से मिलकर बना है -टेली और विजन। जिसका अर्थ होता है दूर के द्श्यों अथवा तमाम सुंदर और विचित्र चित्रों का आंखों के सामने उपस्थित होना।
इसीलिए इसे हिन्दी में दूरदर्शन कहते हैं। वहीं टेलीविजन को रेडियो की तकनीक का विकसित रुप मानते हैं, जिस तरह रेडियो में व्यक्ति देश-दुनिया की सभी खबरों से खुद को अप टू डेट रख सकता है और रेडियो में प्रसारित होने वाले कई तरह के जोक्स और गानों को सुनकर अपना मनोरंजन कर सकता है, उसी तरह टेलीविजन के माध्यम भी व्यक्ति मनोरंजन के साथ-साथ अपने ज्ञान टीवी में देखकर और सुनकर बढ़ा सकता है।
आपको बता दें साल 1925 में ब्रिटेन के जॉन एल. बेयर्ड ने इस शानदार खोज टेलीविजन का पहली बार प्रयोग किया था।
इसके बाद साल 1926 में उन्होंने टीवी की खोज की, वहीं भारत में पहली बार साल 1959 को दूरदर्शन का प्रसारण किया गया था, शुरुआत में यह काफी मंहगा था, लेकिन अब इसकी पहुंच हर घर तक हो गई है, और अब किफायती दरों में भी टेलीविजन को अपनी जरूरत के मुताबिक खरीदा जा सकता है। यही वजह है कि अब टेलीविजन की जड़े पूरी दुनिया में फैली हुईं और अब ये हर घर की एक जरूरत बन चुकी है।
जो लोग टेलीविजन एक तय समय के लिए ही देखते हैं तो ऐसे लोगों के लिए टेलीविजन मन की शांति और आराम प्रदान करता है, वहीं जो लोग टेलीविजन देखने के आदि हो चुके हैं और टेलीविजन देखने के कारण अपने अमूल्य समय को नष्ट करते हैं, ऐसे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी तमाम नुकसान भी भुगतने पड़ते हैं। इसलिए टेलीविजन देखने के लिए एक निश्चत समय का निर्धारित करना चाहिए, तभी वास्तविक रुप से हम सब इसका आनंद ले सकेंगे।
टेलीविजन पर निबंध नंबर – Essay on TV in Hindi
प्रस्तावना-
ब्रिटेन के जॉन एल. बेयर्ड द्धारा किया गए टेलीविजन के अविष्कार से मनोरंजन जगत में एक नई क्रांति आई है। टेलीविजन से न सिर्फ फिल्म जगत तरक्की कर रहा है, बल्कि टेलीविजिन आज मनोरंजन का और मनुष्य के ज्ञान के प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम बन चुका है।
टेलीविजन की बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों के लिए अलग-अलग उपयोगिता हैं, वहीं अब टेलीविजन हर घर में अपना स्थान बना चुका है, वहीं दूसरे शब्दों में कहें तो, टेलीविजन आज मनुष्य की जरूरत बन चुका है।
टेलीविजन के लाभ – Advantages of Television
टेलीविजन के लाभ इस प्रकार हैं-
देश-दुनिया की खबरों से अपडेट रखने का एक बेहतर जरिया:
टेलीविजन, में कई ऐसे न्यूज चैनलों का प्रसारण होता है, जो कि हमें देश -दुनिया में घटित हो रहे सभी समाचारों से अपडेट रखते हैं। जिसमें किसी विशेष व्यक्ति, छोटी-बडी़ संस्थान से जुड़ी खबरें, खेल जगत, मौसम जगत, अपराधिक घटनाएं, देश-विदेश के विकास,आर्थिकी समेत अन्य तमाम खबरें शामिल हैं।
मनोरंजन का सबसे सशक्त माध्यम:
टेलीविजन, मनोरंजन का सबसे बेहतर, सस्ता और अच्छा साधन है, टेलीविजन के माध्यम से सभी उम्र वर्गों के लोग, अपनी-अपनी रुचि और जरूरत के मुताबिक प्रोग्राम देखकर अपना मनोरंजन कर सकते हैं।
मनुष्य के ज्ञान को बढ़ाने का बेहतर माध्यम:
आजकल टीवी चैनलों में कई ज्ञानवर्धक प्रोग्राम का प्रसारण किया जाता है, इसके साथ ही बच्चों को इंग्लिश स्पीकिंग क्लासेस भी दी जाती है, कॉ्म्पटीटिव एग्जाम आदि के पाठ्यक्रमों के टॉपिक वाइज दिखाया जाता है, जिससे बच्चों को कई टॉपिक को समझने में सहायता मिलती और वे अपनी जानकारी बढ़ा सकते हैं।
मानसिक तनाव को दूर करने में करता है सहायता:
दिन-भर की भागदौड़ करने के बाद जब इंसान घर आता है तो टेलीविजन देखकर कुछ पल अपनी सभी परेशानियों और तकलीफों को भूल जाता है और जिससे वह फ्रेश फील करता है, और उसे अपने मानसिक तनाव को दूर करने में सहायता मिलती है, इसके साथ ही टेलीविजन मनुष्य के खाली वक्त का भी एक अच्छा मित्र है।
घर बैठे देख सकते हैं स्टेडियम की तरह लाइव मैच:
टेलीविजन में कई स्पोर्ट्स चैनलों का टेलीकास्ट किया जाता है, जिससे घर बैठे-बैठे देश-दुनिया में हो रहे क्रिक्रेट मैच, फुटबॉल मैच, बैडमिंटन आदि खेलों का लाइव प्रसारण देख कर लुफ्त उठा सकते हैं।
इसके अलावा बच्चों के लिए कई कार्टून टीवी चैनलों का भी प्रसारण किया जाता है, इसके साथ ही बुजुर्गों को अध्यात्मिक दुनिया में पहुंचाने का भी यह एक अच्छे माध्यम के तौर पर उभरा है।
दरअसल कई धर्म और आस्था से जुड़े टीवी चैनलों का प्रसारण किया जाता है, जिसमें कई धार्मिक प्रोग्राम्स का टेलीकास्ट किया जाता है। इसके अलावा कृषि से जुड़े भी कई कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है, जिससे किसानों को मौसम जगत और अच्छी फसल उगाने की जानकारी प्राप्त होती है।
टेलीविजन के कई और लाभ भी है, जिसका फायदा इंसान अपनी-अपनी जरुरत के मुताबिक उठा सकता है।
टेलीविजन के दुष्परिणाम – Disadvantages of Television
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी तरह टेलीविजिन के भी है, इसके दुष्परिणामों के बारे में नीचे लिखा है –
आंखों की रोशनी कम होने का खतरा:
जरुरत से ज्यादा टीवी देखने पर इसका आंखों पर बुरा असर पड़ता है, जिससे मनुष्य की आंखों की रोश्नी कम होने का खतरा भी बढ़ जाता है, इसलिए बहुत पास से टीवी नहीं देखना चाहिए।
ज्यादा टीवी देखना देता है बीमारियों को दावत:
जो लोग हरदम टेलीविजन से चिपके रहते हैं और एक ही मुद्रा पर बैठकर टीवी देखते रहते हैं, तो ऐसे लोगों को हार्ट संबंधी रोग और हायपरटेंशन होने का खतरा बढ़ जाता है।
वहीं टीवी देखने के वक्त कई लोग अपने भोजन के समय को याद नहीं रखते, जिससे उनका खान-पान अनियमित हो जाता है, और वे कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इसके साथ ही टीवी देखते-देखते खाना खाने की आदत व्यक्ति के मोटापे का कारण बनती है, क्योंकि टीवी देखते समय लोग ज्यादा खा लेते हैं।
समय की बर्बादी:
खाली वक्त में टीवी देखना तो सही है, लेकिन कुछ लोग अपने पसंदीदा टीवी प्रोग्राम या फिर फिल्म देखने के कारण अपने महत्वपूर्ण काम भी नहीं कर पाते हैं। तो वहीं कई छात्र एग्जाम के वक्त भी टीवी से चिपके रहते हैं, जिससे काफी समय की बर्बादी होती है।
कुछ टीवी प्रोग्राम बच्चों पर डालते हैं बुरा प्रभाव:
टेलीविजन पर कई ऐसी फिल्में और टीवी प्रोग्राम प्रसारित किए जाते हैं, जिनसे बच्चों के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है और अपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही कुछ ऐसे विज्ञापन दिखाए जाते हैं जो बच्चों के लिए बिल्कुल भी सही नहीं होते।
टेलीविजन, वास्तव में विज्ञान का एक बेहद अच्छा अविष्कार है, लेकिन जब तक लोगों को इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि अति हर चीज की बेकार होती है, वैसे ही टेलीविजन की भी है, टेलीविजन ज्यादा देखने पर आंखों पर तो बुरा प्रभाव पड़ता है, साथ ही कीमती समय की भी काफी बर्बादी होती है, जिसके चलते मनुष्य को इसका नुकसान उठाना पड़ता है।
इसलिए हम सभी तो टेलीविजन देखने के लिए एक निर्धारित समय तय करना चाहिए, और ऐसे प्रोग्राम चुनने चाहिए जो हमारे मन को अच्छे लगें और मस्तिष्क को शांति प्रदान करें।
टेलीविजन पर निबंध – Television par Nibandh
टीवी के इस महान अविष्कार से न सिर्फ व्यक्ति को मनोरंजन का एक सशक्त माध्यम मिला है, बल्कि यह एक बड़ा उद्योग के रुप में भी उभरा है। पिछले कुछ सालों में इससे प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों मे तो बढ़ोतरी हुई ही है, साथ ही कई चैनलों, प्रोडक्शन हाउस, स्टूडियो, एक्टिंग एकेडमी आदि की संख्या भी बढ़ गई है।
वहीं टेलीविजन के माध्यम से अब व्यक्ति को घर बैठे-बैठे देश-दुनिया के बारे में जानने में आसानी हुई है और खुद को अपडेट रखने में सहायता मिली है।
टेलीविजन का महत्व – Importance of Television
टेलीविजन का हर किसी के लिए अलग-अलग महत्व है। बच्चों के द्धारा कार्टून चैनल पर प्रसारित किए जाने वाले प्रोगाम्स काफी पसंद किए जाते हैं, अब इन प्रोग्राम के कैरेक्टर्स ने कॉमिक्स बुक के कार्टून कैरेक्टर की जगह ले ली है तो वहीं छात्रों के लिए यह शिक्षा ग्रहण करने का बेहतर माध्यम से हैं, क्योंकि अब टेलीविजन पर कई ऐसे शैक्षणिक प्रोग्राम प्रसारित किए जाते हैं, जिससे छात्र शिक्षा ग्रहण कर अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं, इसके साथ ही उन्हें टेलीविजन के माध्यम से कई कठिन से कठिन टॉपिक को आसानी से समझने में भी सहायता मिलती है।
युवाओं के लिए टेलीविजन का अपना एक अलग महत्व है, ज्यादातर युवा टीवी पर प्रसारित होने वाली फिल्में, टीवी शो आदि का आनंद लेते हैं, इसके साथ ही इसे देखकर अपने मानसिक तनाव को दूर करते हैं।
वहीं टेलीविजन का बड़े-बुजुर्गों के लिए एक अलग महत्व है, वे अपने खाली वक्त में टेलीविजन देखकर अपने मन को बहलाते हैं, साथ ही इस पर प्रसारित होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से अध्यात्मिकता की ओर बढ़ते हैं।
टेलीविजन के माध्यम से हर क्षेत्र की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है, साथ ही किसी भी देश की संस्कृति और परंपरा से जुडे़ कार्यक्रमों को दिखाकर लोगों को जागरूक किया जा सकता है,और लोगों का इसके माध्यम से सही मार्गदर्शन करने में भी सहायता मिलती है।
वहीं टेलीविजन के एक बड़े उद्योग के रुप में विकसित होने से देश की आर्थिकी को भी बढ़ावा मिला है और रोजगार के नए विकल्पों का निर्माण हुआ है, इसके कई सारे फायदे हैं, लेकिन इसे अपनी जरूरत के मुताबिक ही देखना चाहिए, अन्यथा इसका स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।
- Who Invented Television
- Who Invented the Telephone
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1 thought on “टेलीविजन पर निबंध – Television Essay in Hindi”
Thak you so so much!:)
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