Hindi Essay on “Bharat Mein Media Ka Vikas”, “भारत में मीडिया का विकास” Complete Paragraph, Speech for Students.

भारत में मीडिया का विकास, bharat mein media ka vikas.

1990 के बाद टी.वी के निजी चैनलों के कार्यक्रमों ने दूरदर्शन के एकरसता और उबाऊपन को चैलेंज करते हुए दर्शकों के बीच अपनी पैठ बनानी शरू की। ये चैनल दर्शकों की रुचि और मिजाज के हिसाब से कार्यक्रम पेश करने लगे तो दर्शकों ने इनको सराहा। विश्लेषण के स्तर पर इन निजी संस्थानों के चैनलों का विरोध इस आधार पर शुरू हुआ कि ये चैनल टी.वी को एक मनोरंजन उद्योग की शक्ल में बदलने की कोशिश में लगे हैं। ये चैनल समाज को उपभोक्ता समाज में बदलने की फिराक में हैं। मनोरंजन पैदा करने की गरज से सूचना देने खेतीबाडी के लिए टिप्स बताने और रामायण और महाभारत दिखाकर भक्ति में शक्ति बताने वाले माध्यम के भीतर जैसे ही पोस्ट मैरिटल रिलेशनशिप, वस्तु आधारित मनोरंजन और ज्यादा से ज्यादा विज्ञापनों के बीच कार्यक्रमों को दिखाना शुरू किया तब मीडिया विश्लषकों का रहा-सहा भरोसा भी टूट गया और इन चैनलों को लेकर पहले से बनी उनकी राय और भी मजबूत हुई। यह अलग बात है कि इन सबके बावजूद टी.वी. की लोकप्रियता और पहुंच पहले से कई गुना बढ़ती चली गयी।

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Essay on media in hindi मीडिया पर निबंध.

Read an essay on Media in Hindi language for students. Media क्या है। Media क्यों ज़रूरी है। Explain the importance of media in Hindi. Most people find difficult to write an essay on media in Hindi language.

hindiinhindi Essay on Media in Hindi

Essay on Media in Hindi

मीडिया और लोकतंत्र

मीडिया को लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ और मूलाधार कहकर संबोधित किया गया है। यह बात जहाँ एक ओर भारतीय समाज में मीडिया के महत्वपूर्ण स्थान को उजागर करने वाली है वहीं दूसरी ओर यह कथन भारतीय समाज में मीडिया की एक अत्यंत वांछित भूमिका को भी प्रत्यक्षतः रेखांकित करता है। अभिप्राय यहाँ अत्यंत स्पष्ट और सीधा है कि मीडिया को जहाँ भारतीय लोकतंत्र व्यवस्था में निरीक्षक का स्थान प्रदान किया गया है, वहीं उससे एक गहरी सामाजिकता और देश हित की प्रगाढ़ भावना की भी मांग की जाती रही है।

यह बात पूर्णत: सही और उपयुक्त कही जा सकती है कि भारतीय समाज में मीडिया को एक लोकतान्त्रिक स्थान प्राप्त हुआ है। किन्तु हम जिस तीव्र गति से उदारीकरण और भूमण्डलीकरण की स्थितियों और जीवन-परिस्थितियों को ग्रहण करते जा रहे हैं, मीडिया भी अपनी सामाजिकता की भूमिका को शनैः शनैः छोड़ने लगा है। अथवा यह बात कुछ इस प्रकार से भी कही जा सकती है कि इस व्यावसायिक और पूर्णत: व्यावहारिकता की मांग करने वाले समय और समाज में मीडिया के मूलभूत तत्वों के स्वरूप में भी परिवर्तन उभरने लगे हैं। इस बात को प्राय: आपने भी यदा-कदा अनुभव अवश्य किया होगा कि हमारा मीडिया अपनी गहरी सामाजिकता को छोड़ कर और बनावटी सामजिकता को आज लक्ष्य और अपना उद्देश्य बनाता जा रहा है।

इस बात से कोई भी समझदार इंसान अपनी असहमति कभी भी नहीं रख सकता कि हमारे समाज को जाग्रत और मुद्दों, समस्याओं एवं स्थितियों-परिस्थितियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने में हमारा मीडिया अपनी एक प्रधान और प्रभावशाली भूमिका अवश्य रखता है। किन्तु अगर वह अपनी इस महनीय भूमिका का निर्वाह पूरी सजगता और कर्तव्यबोध के साथ निरन्तर करता रहता है, तभी वह समाज के लिए अपना कोई उपयोगी मूल्य रखता है। अन्यथा उसका महत्व व्यावहारिक स्तर पर इस समाज के लिए शून्य ही रहेगा।

आज वैश्विक परिस्थितियां निरन्तर अति तीव्र गति से परिवर्तित हो रही हैं। पूंजीवादी मनोवृत्ति मानवीय संबंधो में लगातार धंसती चली जा रही है। इस परिवर्तित परिस्थिति ने मीडिया के सामाजिक चरित्र को भी कहीं न कहीं और किसी न किसी रूप से प्रभावित तो किया ही है।व्यावसायिकता का मीडिया जगत में इधर कुछ वर्षों से लगातार बोलबाल ही बढ़ता चला जा रहा है। इससे खबरें और मीडिया द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली रिर्पोटे प्राय: किसी न किसी रूप में प्रभावित होती रहती हैं। इससे मीडिया चैनलों के धन्नासेठों को अनेक आर्थिक और राजनैतिक फायदे तो अवश्य होते हैं, किन्तु समाज में जिन में मीडिया के प्रति गम्भीरता से लगाव और आकर्षण होता है, भ्रांतिया पैदा होती हैं। उनमें भटकाव और समस्याओं एवं युद्धों के प्रति एक प्रकार की दूषित मनोदृष्टि और हानिकारक दृष्टिकोण पैदा होता है। वस्तुत: आज हमारे समाज का कुछ एक मीडिया इसी प्रकार के कार्य कर रहा है।

अनेकसमाजशास्त्रियों और बुद्धिजीवियों ने सामाजिक जागरूकता एवं परिवर्तन की व्यापक भूमिका के निर्वाह के संदर्भ में मीडिया की अविस्मरणीय भूमिका और उपयोगिता को स्वीकार किया है।

आज का संचार का युग है। सारा विश्व किसी एक ही सूत्र में पिरोया हुआ प्रतीत होने लगा है। इस कार्य को करने में मीडिया की भी एक उल्लेखनीय भूमिका रही है। उन्होंने बृहद समाज को इसके लिए अपने-अपने स्तर पर अनुकूलित करने का महनीय कार्य संपन्न किया है। किन्तु जैसा कि कहा जा चुका है कि व्यावसायिकता और पूंजीवादी-मनोवृति की अविस्मरणीय रूप से उदघाटित होती केन्द्रीयता से आज मीडिया के सामाजिक-चरित्र और सामान्य जनता के प्रति उसकी पक्षधरता का निरन्तर स्खलन होता जा रहा है। आज मीडिया इस प्रकार के मुद्दों और समस्याओं का चयन और संकलन करने पर बल देने लगा है, जिनसे विसंगतियों और कुरीतियों की जड़ें और मजबूत होने लगी हैं। जबकि मीडिया की जिम्मेदारी और उसका नैतिक कर्तव्य सामाजिक जीवन को सुन्दर बनाना होना चाहिए।

अत: आज मीडिया को स्वयं अपने चरित्र का आत्म विश्लेषण करना होगा, और अपनी सामाजिकता की रक्षा किसी भी प्रकार से करनी ही होगी, तब जाकर उसका पद ‘लोकतंत्र का स्तम्भ’ कहलाने लायक बना रह सकेगा।

मीडिया की नई धार

मीडिया पिछले पन्द्रह वर्षों में अपने आप में जबरदस्त बदलाव लाया है। इसने अपने शक्ल और विषय वस्तु में ही नहीं अपितु उद्योग में भारी परिवर्तन किये हैं।

मीडिया जगत का स्वरूप पहले एक छोटे व्यवसाय और लघु उद्योग की तरह था, लेकिन आज के समय में यह शेयर बाजार का खिलाड़ी बन गया है। सन् 2000 में जो अखबार विज्ञापन के लिए तरस रहे थे, जिनकी तरफ कोई विशेष ध्यान नहीं देता था, वे आजकल खुद बड़े पैमाने पर विज्ञापनदाता बन गए हैं। इस साल जब जी और भासकर वालों का अखबार डीएनए और हिन्दुस्तान टाइम्स का मुंबई से प्रकाशन शुरू हुआ, तो सभी ने बहुत जोर से विज्ञापनबाजी की। जिस व्यवसाय का प्रबंधन परिवार से जुड़े हुए पुराने व्यवस्थापकों के हाथों में होता था, वे आजकल देश के सबसे बड़े कन्जूमर्स मल्टीनेशनल्स से अपने मैनेजरों को प्रशिक्षित कर रहे हैं और भारतीय प्रबंधन संस्थान जैसी संस्थाओं से अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं।

पिछले साल एचटी मीडिया लिमिटेड कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई। उससे पहले, 2004 में, आंध्रप्रदेश की डेक्कन क्रोनिकल। और अब 2006 में दैनिक जागरण की माह कंपनी, जागरण प्रकाशन ने आईपीओ जारी किया हैं। टीवी में सिर्फ प्रसारण कंपनियां ही नहीं, बालाजी टेलीफिल्म्स जैसी सॉफ्टवेयर उत्पादक कंपनियाँ भी शेयर बाजार में उतर रही हैं।

इसका प्रमुख कारण प्रतिस्पर्धा में हो रही वृधि है। प्रतिस्पर्धा में वृद्धि की वजह से बिना विस्तार के जिंदा रहना मुश्किल हो गया है। और विस्तार के लिए अधिक पैसा सूचीबद्ध होकर ही इकट्ठा किया जा सकता है।

आजकल मीडिया कंपनियों के शेयरों को स्टॉक मार्केट में बहुत अच्छा मूल्य मिल रहा है। शेयर बेचकर निवेश के लिए पैसे का जुगाड़ करना आसान हो गया है। पर आर्थिक रूप से मजबत कंपनियां ही सूचीबद्ध हो सकती हैं। जो मीडिया कंपनियां लाभ नहीं कमा पाईं। उनके लिए यह विकल्प नहीं है। इस साल कुछ टीवी चैनलों ने ज्यादा लाभ नहीं कमाया, पर उनके शेयर बाजार में बहुत तेजी पर हैं। आश्चर्य की एक और बात यह है कि टीवी कंपनियों की ऊंची टीआरपी का शेयर मूल्य से कोई सीधा ताल्लुक नहीं।

आज से अगर बीस साल पहले देखा जाए तो अखबार अपनी कीमत रियल स्टेट या जमीन और राजनीतिक प्रभाव से आंकते थे। इंडियन एक्सप्रेस के रामनाथ गोयनका पर आधारित किताब ‘वारियर आफ दि फोर्थ स्टेट’ पढ़कर यह स्पष्ट होता है कि रामनाथ जी बहुत पहले समझ गए थे कि रियल स्टेट अखबार वालों के लिए कितना महत्व रखता है। उन्होंने कई बड़े शहरों में जमीन खरीदीं और जब मुश्किल सामने आई, जैसे आपातकाल के दौरान, तो इन पर बनी इमारतों के किराए से गुजारा हुआ। लेकिन अब जमाना बदल गया है, और उसके साथ मीडिया उद्योग बदल रहा है। जब मीडिया शेयर बाजार का खिलाड़ी बन जाता है, तो पत्रकारिता पर पड़ने वाले असर का कई जवाब हो सकता है। अगर आपको अच्छे परिणाम दिखाने हैं, तो खुब विज्ञापन मिलना चाहिए और अगर विज्ञापन पर जोर है, तो ज्यादा विज्ञापन करने वाली कंपनियों के बारे में प्राय: कुछ नकारात्मक नहीं लिखा या दिखाया जा सकता है।

समाचार हासिल करने का स्वस्थ तरीका है, तेज तराई रिपोर्टिंग करो और अगर लोग बड़ी तादाद में चैनल देख रहे हैं, तो विज्ञापन आएगा और शेयर बाजार में कीमत बढ़ेगी।

मीडिया का ‘वाई’ फैक्टर

फैशन का ग्लैमरस शो – यह शीर्षक हिंदी के एक अखबार की एक खबर का था। इस शीर्षक में सिर्फ एक शब्द का हिंदी का है। मसला मिर्फ शीर्षक का नहीं है। सिर्फ खबर की भाषा ही नहीं इंगलिशिया रही है। वेलेंटाइन डे करीब दस साल पहले मीडिया के लिए कोई खास मौका नहीं हुआ करता था। अब टीवी मीडिया के लिए तो वेलेंटाइन डे विशिष्ट दिवस है। प्रिंट मीडिया भी इसकी लपेट से नहीं बचा है। पूरे पेज के मैसेज छपेंगे, कई अखबारो में । जिसमें प्रेमिका प्रेमी से कुछ कहेगी और प्रेमी प्रेमिका से कुछ कहेगा।

बात सिर्फ अंग्रेजी अखबारों की नहीं हो रही है। तमाम अखबार जैसे बेटों और बेटियों के हो गये हैं, पापाओं और मम्मियों को उनसे समायोजन करने में थोड़ी सी दिक्कत आ रही है। यही तो मीडिया का ‘वाई’ कारक है। वाई अर्थात यूथ यानी युवा, तब मीडिया के लिए वाई तत्व महत्वपूर्ण क्यों हो रहा है, इसका जवाब भारतीय जनसंख्या के ढाँचे में छिपा है। इस देश की करीब 54 प्रतिशत जनसंख्या अभी 25 साल की उम्र के बीच हैं। मार्केटिंग के हिसाब से देखें, तो अखबारों पर युवा-प्रिय होने के ठोस दबाव हैं। मीडिया मार्केटिंग का तर्क बताता है कि मीडिया चाहे प्रिंट हो अथवा टीवी, एक आदत की तरह होता है। जिनकी उम्र करीब चालीस साल है उन्हें अगर कोई अखबार अथवा टीवी चैनल अपना ग्राहक बनाये, तो औसत तौर पर यही उम्मीद कर सकता है कि करीब बीस साल तक वह उनका ग्राहक रहेगा। अर्थात् साठ की औसत आयु में वह ग्राहक ऊपर पहुँच जायेगा। चालीस के व्यक्ति को ग्राहक बनाने का प्रतिफल बीस साल मिलेंगे। बीस साल के नौजवान को अगर ग्राहक बनाया जाये, तो वह अखबार के साथ करीब चालीस साल तक रह सकता है।

यह अनायास नहीं है कि अब से करीब दस साल पहले ही कुछ अखबारों ने आठ-दस साल के बच्चों को भी अपना लक्ष्य बनाना शुरू किया था। तमाम स्कूलों में लगभग मुफ्त अखबार वितरण नीति सामने आयी। आठ साल का बच्चा अगर चार साल तक मुफ्त अखबार देखे, तो अखबार उसकी आदत बन सकता है। आठ साल के बच्चे को पकड़ो, तो वह अखबार का ग्राहक ज्यादा लंबे समय तक बना रह सकता है। बेटे टाइप अखबार क्या हैं? बेटे-बेटी टाइप खबरें क्या हैं? कुछ मौज-मसाला हो। कुछ फड़कते हुए एसएमएस हों। कुछ फैशन के ग्लैमरस शो हों। कुछ पॉप शो हों। कुछ युवा केन्द्रित रियलटी शो हों। वैलेंटाइन की मैसेजबाजी हो। रोज ही मैसेज करने का स्कोप हो। भाषा ऐसी हो जो समझ में आए। शुद्ध हिंदी नहीं, इंगलिश और क्षेत्रीय भाषा मिश्रित हिंदी। तमाम महानगरों और छोटे नगरों में पब्लिक स्कूलों और कॉनवेंट स्कूलों की करामत से ऐसे बच्चे और नौजवान तैयार हुए हैं, जिन्हें अंग्रेजी के दरवाजे से दाखिल हिंदी ही समझ में आती है, ऐसी समझ रखने वालों को अब अपमार्केट कहा जाता है। ऐसा अपमार्केट ही विज्ञापनदाता का अभीष्ट है।

ऐसा नहीं है कि सारे अखबार इन सारे तत्वों का ध्यान रखते हैं। पर जो ध्यान नहीं रखते, वे देर-सबेर नंबर वन अथवा मुख्य धारा की दौड़ में नहीं रहेंगे। बेटा टाइप अखबार का मतलब यह कि खबर और भाषा ऐसी हो, जो युवाओं को आकर्षित कर सके। यानी ऐसी भाषा का अखबार ‘सीपी में फेस्ट’ अर्थात कनॉट प्लेस में फेस्टीवल। युवा अधीर है। फेस्टीवल पुरा बोलने में दिक्कत है। फेस्ट काफी है।

भविष्य का शीर्षक यह हो सकता है- ‘पीएम का सेंटी स्पीच’ अर्थात प्राइममिनिस्टर ने सेंटीमेंटल भाषण दिया। एसएमएस ने संक्षिप्तीकरण की नयी स्वीकार्य पद्धति विकसित कर दी है।

युवा के पास टाइम नहीं है। खबरें, लेख संक्षिप्त से संक्षिप्ततर होते जा रहे हैं। अंग्रेजी के एक अति गंभीर अखबार ने लेखकों के लिए निर्देश लिखे हैं कि 1500 शब्दों के लंबे लेख हम नहीं छाप सकते। 1500 शब्दों का लेख अब लंबा हो गया है। सात सौ आठ सौ शब्दों से ज्यादा का मामला नहीं चलेगा। आगामी पांच सालों में यह सीमा पाँच सौ शब्दों तक सिकुड़ सकती है। यह मीडिया का वाई तत्व है।

इस देश में छोटे शहरों में रहने वाले ऐसे नौजवानों की तादाद बहुत ज्यादा है। जिनका वेलेंटाइन डे, तमाम किस्म की फेस्टीवलबाजी से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि उनके पास पैसा नहीं है। आज की सच्चाई यह है कि जिनकी जेब में पैसा नहीं है। ऐसे युवा मीडिया के वाई तत्व के दायरे में नहीं आते।

Essay on television in Hindi

Essay on Newspaper in Hindi

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media ka mahatva essay in hindi

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सोशल मीडिया का प्रभाव निबंध

सोशल मीडिया का प्रभाव पर निबंध , social media ka prabhav nibandh.

आजकल के युग को डिजिटल युग कहना गलत ना होगा। पूरे विश्व में संचार का सबसे विशाल  माध्यम सोशल मीडिया बन गया है। आजकल के लोग खासकर युवा सोशल मीडिया के बिना अपने ज़िन्दगी की कल्पना तक  नहीं कर सकते है।  इंटरनेट से जुड़ाव लोगो का अधिक बढ़ गया है।  लोग आजकल एक दूसरे से संपर्क सोशल मीडिया के माध्यम से करते है। फेसबुक , व्हाट्सप्प , इंटाग्राम , you tube जैसे लोकप्रिय माध्यम है जिसकी एक झलक के बैगर लोग जी नहीं सकते है। सोशल मीडिया मनुष्य की रोज़ाना  जिन्दगी का  एक अभिन्न हिस्सा  है। सोशल मीडिया द्वारा  कोई भी व्यक्ति अपने छोटे से छोटा अनुभव लोगो के साथ साझा करता है , जिससे बहुत से लोगो को जीवन में सीखने का मौका मिलता है।

आजकल हर प्रकार की जानकारी सोशल मीडिया द्वारा लोगो को प्राप्त हो जाता है। आजकल टीवी ट्रेलर हो या मूवी हो , उनका प्रचार प्रसार टीवी पर नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर किया जाता है। सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और व्हाट्सप्प पर हम मैसेज , फोटोज इत्यादि लोगो के साथ साझा कर सकते है।  इन सोशल मीडिया ऐप्प द्वारा ना केवल हम एक दूसरे को मैसेज कर सकते है , बल्कि वीडियो कॉल जैसे सुविधा भी प्राप्त कर पाते है।

पहले मनुष्य चिट्ठी भेजते थे , उसे पहुँचने में कई दिन और महीने लग जाते थे।  सोशल मीडिया ने हमारी इस कठिनाई को सुलझा दिया है। हम जैसे ही सन्देश भेजते है , चंद मिनटों में वह अपने गंतव्य स्थान तक पहुँच जाता है। पहले के ज़माने में कोई भी घटना का  पता हमे महीनो बाद चलता था ।  अब वक़्त बदल गया है , जैसे ही कोई घटना विश्व के किसी भी कोने में घटती है , उसकी जानकारी लोगो को तुरंत मिल जाती है।

आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से लोग  अपने विचारो को खुल कर सबके सामने रखते है।  अगर किसी भी प्रकार का अन्याय विश्व में कहीं पर भी हुआ हो , लोग उसके विरुद्ध आवाज़ सोशल मीडिया के माध्यम से उठाते है। सोशल मीडिया द्वारा ऐसे कई जन  आंदोलन किये गए है। सोशल मीडिया ने लोगो की ज़िन्दगी को सरल और सुविधाजनक बनाया है। यह सब इंटरनेट के कारण संभव हो पाया है।  इंटरनेट कनेक्शन काफी सस्ता हो गया है , जिसके कारण आपको प्रत्येक घर में लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए नज़र आ जाएंगे।

आज कल के युग में लोगो को फोटोज खींचने और वीडियोस बनाने  का बड़ा शौक है।  यह टेक्नोलॉजी के कारण संभव हुआ है। लोग इन फोटोज और वीडियोस को फेसबुक , इंस्टाग्राम जैसे मंच पर शेयर करते है।  उनको कितने लोगो के लाइक मिले है ,  इसे जानने में भी उनकी काफी रूचि रहती है। जन्मदिन , पिकनिक और पार्टी इत्यादि के फोटोज लोग अपने सोशल मीडिया पर डालना नहीं भूलते है। सोशल मीडिया के ज़रिये हम दुनिया के सारे अच्छे बुरे खबर तुरंत प्राप्त कर लेते है। ऑनलाइन रोजगार के सुअवसर हमे सोशल मीडिया द्वारा प्राप्त हो रहे है , जो कि एक सकारात्मक प्रभाव है। सोशल मीडिया द्वारा लोग कई प्रकार की शिक्षा प्राप्त कर सकते है।

सोशल मीडिया के माध्यम से लोग ऑनलाइन कई प्रकार के व्यवसाय कर रहे है।  इनमे सबसे अच्छी बात है कि इसके लिए उन्हें लोगो के घरो तक जाने की ज़रूरत नहीं है।  फेसबुक पेज पर अपने व्यवसाय का पेज बनाकर ,अपने व्यवसाय का प्रमोशन कर सकते है और कम समय में ज़्यादा ग्राहकों तक पहुँच सकते है।  सोशल मीडिया मार्केटिंग , एफिलिएट मार्केटिंग  और डिजिटल मार्केटिंग इन सब के उदाहरण है। हम इन सभी मार्केटिंग तकनीक के ज़रिये घर बैठे पैसे कमा सकते है।

आजकल लोग अपनी प्रतिभा सोशल मीडिया द्वारा लोगो के समक्ष रखते है और रातो रात लोकप्रियता हासिल कर लेते है। you tube वीडियोस के ज़रिये लोग लोकप्रिय बनने के संग पैसा कमा रहे है।  सोशल मीडिया ने हर चीज़ को मुमकिन कर दिया है।

हम अपने दूर बैठे परिजनों से आसानी से  बात कर सकते है , यह सब सोशल मीडिया के आशीर्वाद से संभव हो पाया है।आजकल लोग अपने परिजनों  से मिलने में नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर अपना समय व्यतीत करते है। लोग त्योहारों की मुबारक बात और शुभकामनायें सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सप्प इत्यादि पर मैसेज भेज कर करते है। सोशल मीडिया लोगो के जिन्दगी में अहम भूमिका निभा रहे है। सोशल मीडिया के लाभ और नुकसान दोनों  है। लोग अत्यधिक समय सोशल मीडिया पर बिताते है , जिसकी वजह से वह अपनों से कहीं ना कहीं कट रहे है।  सोशल मीडिया के आकर्षण के समक्ष युवा और बच्चे अपनी पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते है , जो गलत है।  सीमित मात्रा में हर किसी का उपभोग करना चाहिए वरना  वह नुकसान देह हो सकता है।

सोशल मीडिया का उपयोग सामाजिक विकास और लोगो में कई विषयो को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए किया जाता है। सोशल मीडिया का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है और उनके सोच को प्रभावित करता है। सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव बच्चो पर पड़ते है , इसलिए अभिभावकों को इसकी निगरानी हमेशा करनी चाहिए। लगातार इसका उपयोग करने से  , बच्चो की मनोदशा पर प्रभाव पड़ता है। सोशल मीडिया के कारण बच्चे खेल कूद में दिलचस्पी कम ले रहे है जिसका असर उनके सेहत पर पड़ रहा है।

कई लोग सोशल मीडिया का गलत उपयोग करते है।  ऐसे चीज़ो से हमे सतर्क रहना चाहिए और सोच समझ कर इसका उपयोग करना चाहिए। साइबर क्राइम के तहत कई लोग गलत तरीको से लोगो को परेशान करते है।  इसकी शिकायत लोगो को साइबर ब्यूरो में करनी चाहिए। अगर सोशल मीडिया का इस्तेमाल सही इरादे से की जाए तो यह निश्चित रूप से वरदान से कम नहीं है।

हमारे देश के युवा सबसे ज़्यादा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते है। इसका प्रभाव उनके भविष्य पर पड़ रहा है। आज कल के युवा तक़रीबन 72  घंटे प्रति हफ्ते अपना समय सोशल मीडिया पर बिता रहे है। वह अपना समय शिक्षा और बाकी गतिविधियों में कम इस्तेमाल कर रहे है। हमे इसके प्रति उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक करना होगा।

अत्यधिक सोशल मीडिया के उपयोग करने की वजह से , युवाओ के ध्यान और फोकस पर बुरा असर पड़ा है। वह मानवीय संबंधो से दूर सोशल मीडिया के दुनिया में कहीं खो गए है। कई युवा सोशल मीडिया द्वारा गलत अपराधों जैसे हैकिंग , पासवर्ड को चुराना में संलग्न हो जाते है। सोशल मीडिया आपके निजी ज़रूरी जानकारी  यानी इत्यादि के चोरी होने का खतरा रहता है। आपके पहचान की चोरी करके लोग गलत कार्य , जैसे फिशिंग इत्यादि अपराध कर सकते है।  हमे इन सबसे सावधान रहने की आवश्यकता है।

घंटो लोग रात में जागकर सोशल मीडिया पर सक्रीय रहते है।  इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और आँखों पर दबाव भी पड़ता है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल मनुष्य मोबाइल , कंप्यूटर , लैपटॉप द्वारा कर सकता है। सोशल मीडिया द्वारा कुछ ही क्षणों में छोटी से छोटी खबरों को फैलाया जा सकता है।  सोशल मीडिया एक ताकतवर साधन है और लोगो को  विचार विमर्श करके इसका सही उपयोग करना चाहिए। सोशल मीडिया का उपयोग  ज़्यादातर लोग अपने दोस्तों और परिजनों से संपर्क स्थापित करने के लिए करते है। सोशल मीडिया का सही उपयोग मनुष्य को सही मार्ग और अधिक उन्नति की ओर अवश्य ले जाएगा

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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Loktantra me Media ka Dayitva”, “लोकतंत्र में मीडिया का दायित्व” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

लोकतंत्र में मीडिया का दायित्व

Loktantra me Media ka Dayitva

                मीडिया को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ माना गया है। लोकतंत्र में जहाँ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका है, वहीं मीडिया की भी भूमिका महत्वपूर्ण है। लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व मीडिया पर भी है।

                अब हम मीडिया के स्वरूप और कार्यों पर चर्चा कर लें। मीडिया के दो रूप हैं- प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया। प्रिंट मीडिया में समाचारपत्र-पत्रिकाएँ आदि आते हैं जबकि इलेक्ट्राॅनिक मीडिया में टी.वी., रेडियो, इंटरनेट आदि सम्मिलित है। अब मीडिया केवल समाचारों मे सीमित होकर नहीं रह गया है। वह स्टिंग आपरेशन चलाकर सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है। इससे लोकतंत्र मजबूत बनता है। मीडिया का काम लोगों को राजनैतिक दृष्टि से जागरूक भी बनाना है। वह लोगों को उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों का अहसास कराता है।

                लोकतंत्र में लोगों की इच्छा सर्वोपरि होती है। मीडिया लोगों की इच्छा एवं भावनाओं को सरकार तक पहुँचाता है। इसके लिए मीडिया का निष्पक्ष होना बहुत आवश्यक है। जब मीडिया जनता की आवाज को निष्पक्षता के साथ उठाता है तब उसका सकारात्मक परिणाम अवश्य निकलता है। लोकतंत्र की सफलता के लिए जहाँ भूमि, सरकार और संप्रभुता की आवश्यकता होती है, वहीं जनत्व भी उसका महत्वपूर्ण अंग है। इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। मीडिया इसी उतरदायित्व का निर्वाह करता है। अतः कहा जा सकता है कि लोकतंत्र में मीडिया का दायित्व बहुत अधिक है।

                लोकतंत्र मे मीडिया को चैथा स्तंभ माना गया है। मीडिया लोकतंत्र की रक्षा करता है। लोकतंत्र में जनता की आवाज को सरकार तक पहुँचाने का काम मीडिया ही करता है। मीडिया सरकार की कमियों को उजागर करता है। उन पर अपनी टिप्पणी देकर राय प्रकट करता है। यदि मीडिया अपना काम भलीपूर्वक ने करे तो सरकारी भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ ही नहीं होने पाए। राजशाही एवं नौकरशाही पर मूीडिया की तलवार लटकी रहती है तो वे ठीक प्रकार से काम करते हैं अन्यथा वे निरंकुश हो जाते हैं। यह भी सत्य है कि कई बार मीडिया की तलवार लटकी रहती है तो वे ठीक प्रकार काम करते हैं, अन्यथा वे निरंकुश हो जाते हैं। यह भी सत्य है कि कई बार मीडिया छोटी सी बात को बहुत तूल दे देता है, पर इससे भूमिका उपयोगिता समाप्त नहीं हो जाती।

                अब प्रश्न उठता है कि मीडिया लोकतंत्र मे अपनी भूमिका का निर्वाह किस प्रकार करे? मीडिया का भयमुक्त होकर कार्य करना अत्यंत आवश्यक है। उसे किसी दबाव में आकर कोई काम नहीं करना चाहिए। प्रिंट मीडिया मे समाचारपत्रों की भूमिका विशिष्ट हो जाती है। समाचारपत्र के संपादक को बिना किसी का पक्ष लिए स्पष्ट रूप से सत्य बात कहनी चाहिए। तभी वे लोकतंत्र की रक्षा कर सकेंगे। सरकार विज्ञापन का प्रलोभन देकर उन पर अनावश्यक दबाव बनाने की कोशिश तो करती है, पर उन्हें इससे बचना होगा। समाचारपत्र सरकार विज्ञापन का प्रलोभन देकर उन पर अनावश्यक दबाव बनाने की कोशिश तो करती है, पर उन्हें इससे बचना होगा। समाचारपत्र की पहुँच जन-तक होती है तथा इसकी खबर हो सबूत के तौर पर प्रस्तुत किया जा सकता है। अतः इसका महत्व अधिक है।

                इलैक्ट्रोनिक मीडिया का प्रसार निरंतर बढ़ता जा रहा है। इसके दर्शकों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है। अतः लोकतंत्र की सफलता का दायित्व उन पर काफी है। यह मीडिया लोगों को अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक कर सकता है। लोकतंत्र की सफलता जिम्मेदार नागरिकों पर निर्भर है। जिम्मेदार नागरिक बनाने का काम मीडिया बखूबी निभा सकती है और काफी हद तक वह यह काम कर भी रहा है। मीडिया को अभी और जिम्मेदार बनना होगा। सस्ती लोकप्रियता पाने का मोह से स्वंय को बचाना होगा।

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media ka mahatva essay in hindi

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
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  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
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  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
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  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
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  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
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  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

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हिंदी का महत्व ( Importance of Hindi )

आज के युग में हम हिंदी के महत्व को उजागर करने जा रहे हैं। हिंदी के उद्भव , विकास और प्रसिद्धि इन सभी बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा करने की कोशिश करेंगे। यह लेख हिंदी भाषी तथा गैर हिंदी भाषी लोगों के लिए भी लाभदायक है , जिसके माध्यम से वह हिंदी को और विस्तार पूर्वक समझ सकेंगे।

यह लेख हिंदी के महत्व को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। जिसके माध्यम से आपके ज्ञान की वृद्धि और जिज्ञासा की शांति हो सके। ऐसा इस लेख का उद्देश्य  है –

Table of Contents

हिंदी का महत्व ( निबंध के रूप में प्रस्तुत )

पृष्ठभूमि – हिंदी की प्रसिद्धि आज देश ही नहीं अभी तो विदेश मे भी है। हिंदी का सरलतम रूप आज समाज में व्याप्त है।  हिंदी का अध्ययन देश ही नहीं अपितु विदेश में भी किया जा रहा है। हिंदी भाषी क्षेत्रों का दायरा व्यापक और विस्तृत होता जा रहा है , जिसमें संभावनाएं असामान्य रूप से बढ़ती जा रही है।

खड़ी बोली को पीछे छोड़कर हिंदी भाषा में एक नया रूप धारण किया , जिसमें इसके पाठकों और श्रोताओं का साथ मिलता गया। हिंदी भाषी लोग भारत में बेहद ज्यादा संख्या में उपलब्ध है , जिसके कारण भारतीय साहित्य में हिंदी भाषा ने अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली। वर्तमान शोध में यह पाया गया है कि इंटरनेट की दुनिया में गुणात्मक रूप से वृद्धि करने वाली भाषा हिंदी है।

जिसके अध्ययन के लिए विदेशी लोग भी लालाहित हैं।

माना जाता है हिंदी का जन्म उर्दू , अरबी और फारसी भाषाओं से हुआ है। मेरा ऐसा मानना है काफी शब्द उनसे ग्रहण किया गया है , किंतु संस्कृत का यह सरलतम रूप है। हिंदी मे  , संस्कृत और उर्दू के शब्दों भाषा के शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है।

हिंदी भाषा के उद्भव के कारण

हिंदी के उद्भव से पूर्व की जो भाषाएं भारत में प्रचलित थी वह सामान्य जनमानस की भाषा नहीं थी। संस्कृत पढ़े लिखे और विद्वानों की भाषा मानी जाती थी।  इस भाषा का प्रयोग सामान्य जीवन में नहीं किया जाता था। जिसके कारण इस भाषा से सामान्य जन परिचित नहीं थे। भारत की अधिकतर आबादी गांव में निवास करती थी , जहां के लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा में बातचीत किया करते थे। इन ग्रामीणों को बैंक अथवा कार्यालय में हिंदी भाषा का प्रयोग करने में सुविधा होती है। अतः ऐसे क्षेत्र बहुतायत संख्या में है जहां कार्यालय भाषा हिंदी है।

हिंदी के शब्द सरल और सुविधाजनक माने जाते हैं। इस प्रकार यह लोग सम्मानीय की भाषा बनती है। हिंदी का साहित्य में आगमन एक क्रांतिकारी चरण है। हिंदी से पूर्व प्राकृत , अपभ्रंश , खड़ी बोली आदि का प्रयोग था जो बेहद ही जटिल भाषा मानी जाती है। इसको लिखना और बोलना बेहद कठिन माना जाता है।

अतः नवजागरण काल में हिंदी भाषा का चलन आरंभ हुआ।

भारतेंदु हरिश्चंद्र और उनकी सहयोगी टोलियों ने हिंदी भाषा के क्षेत्र में बेहद सराहनीय कार्य किया। भारतेंदु को हिंदी भाषा के विकास का श्रेय दिया जाता है इससे पूर्व खड़ी बोली प्रचलन में थी।

जनसामान्य की रुचि को ध्यान में रखते हुए भारतेंदु ने हिंदी भाषा का चलन आरंभ किया।

तत्काल समय में कविता नाटक और उपन्यास की रचना हिंदी में की गई जिसे लोगों ने खूब सराहा और धीरे-धीरे मध्यमवर्गीय पाठकों का उदय हुआ। इन पाठकों की प्रमुख भाषा हिंदी थी।

अतः उन्होंने हाथों-हाथ इन उपन्यास और साहित्य को अपनाया।

हिंदी भाषी क्षेत्र की जानकारी

हिंदी भाषा का क्षेत्र आज व्यापक हो गया है , पूर्व समय में उत्तर भारत का संपूर्ण भाग हिंदी भाषी माना जाता था। जिसमें प्रमुख मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , बिहार आदि है। इन प्रदेशों में अधिक आबादी और संख्या होने के कारण हिंदी भारत में लोकप्रिय भाषा बन गई।  आज वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा उभर कर सामने आई है। वर्तमान समय में देश ही नहीं अपितु विदेश में भी हिंदी भाषा की सराहना की जा रही है। हिंदी भाषा इतनी सरल है कि जो शब्द का उच्चारण होता है वही शब्द लिखित रूप में होता है।

जबकि अन्य भाषाओं में शब्द का उच्चारण और लेख विभिन्न होते हैं।

विदेशी पाठक भी हिंदी का अध्ययन कर रहे हैं और इस क्षेत्र में उभरती संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं।

इंटरनेट पर हिंदी भाषी लोगों का निरंतर गुणात्मक रूप से वृद्धि हो रही है।

जिसका यही कारण है कि हिंदी सरल और सुगम भाषा बनती जा रही है। यह एक विशाल समूह की भाषा है जो सरल और सुगम मानी गई है।

वैश्विक स्तर पर हिंदी का महत्व – Hindi ka mahatva vaishvik star par

भारत सदैव से विश्व गुरु माना गया है , बीच में कुछ कालखंड ऐसे रहे जहां भारत अपनी राजनीतिक परिस्थितियों में घिर गया था। किंतु वह आज भी विश्व गुरु बनने की राह में पीछे नहीं है। भारत में वैदिक गुरुकुल और शिक्षा को ग्रहण करने के लिए देश-विदेश से शिक्षार्थी आया करते थे यहां के गुरुकुल की शिक्षा दुर्लभ थी। नालंदा विश्वविद्यालय इसका एक प्रमुख उदाहरण है।

  • भारत ने ही विश्व को वेद और योग तथा विज्ञान की शिक्षा दी।
  • भारतीय वेद पुराणों में निहित विज्ञानों को आज के वैज्ञानिक खोज कर रहे हैं।
  • जबकि उन सभी को भारतीय वेद पुराण में लिखा जा चुका था।

इसको आप झुठला नहीं सकते।

ठीक इसी प्रकार हिंदी की पकड़ विश्व स्तर पर हो गई है। इसके पाठकों के माध्यम से हिंदी भाषा का विस्तार हो रहा है। आज विदेशी लोग भी व्यापार करने के लिए भारत की ओर ताक रहे हैं। ऐसी स्थिति में वह हिंदी भाषा का गहन अध्ययन कर रहे हैं। आए दिन शोध में यह पाया जा रहा है कि भारतीय हिंदी भाषा का निरंतर गुणात्मक रूप से विकास हो रहा है। अतः इनकी आबादी और पाठकों की संख्या बेहद अधिक है ऐसे में विदेशी भी भारत की ओर अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।

इंटरनेट पर इंग्लिश और चाइना भाषा के बाद हिंदी ही सबसे लोकप्रिय भाषा मानी जा रही है। देश विदेश के लोग हिंदी सीखने के लिए मोटी रकम खर्च कर रहे हैं।

हिंदी के साहित्य

हिंदी के साहित्य का वर्तमान में वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ गई है। हिंदी के साहित्य व्यक्ति के जीवन से जुड़े होते हैं। उसमें हर्ष , विषाद , संवेदना सभी प्रकार के भाव निहित होते हैं। हिंदी साहित्य मानवीय संवेदनाओं को प्रकट करने में सक्षम है। आप इन साहित्य को पढ़कर यह महसूस करेंगे कि यह हूबहू आपके सामने आपके आंखों के दृश्य को प्रकट कर रहा है। हिंदी से पूर्व खड़ी बोली और अवधी भाषा का प्रचलन जोर पर था।

किंतु इन साहित्य को पढ़ने में उनके शब्दों को समझने में काफी कठिनाई का अनुभव करना पड़ता था। तत्कालीन लेखकों और कवियों ने इस पर विचार विमर्श कर हिंदी भाषा में साहित्य का रूपांतरण और रचना आरंभ की। जयशंकर प्रसाद , भारतेंदु हरिश्चंद्र , प्रेमचंद , आदि प्रमुख कवियों ने सामाजिक जीवन को हूबहू हिंदी साहित्य में पाठक के सामने प्रकट किया है।

यही कारण है कि प्रेमचंद को कलम का सिपाही माना जाता है।

उनकी रचना ग्रामीण परिवेश से जुड़ी हुई थी , यह साहित्य ग्रामीण जीवन को प्रकट करने का सामर्थ्य रखती थी। इन कवियों के साहित्य को ग्रामीण जीवन का महाकाव्य भी माना गया है।

हिंदी साहित्य जनसामान्य का साहित्य है।

इस साहित्य के पाठक का दायरा बेहद विस्तृत और व्यापक है।

शब्द और उच्चारण

हिंदी विश्व की एक इकलौती ऐसी भाषा है जो शब्द उच्चारण किए जाते हैं वही शब्द लिखे जाते हैं। हिंदी के अतिरिक्त अन्य सभी भाषाओं में उच्चारण और लेखन में बेहद ही अंतर देखने को मिलता है।

कई बार शब्दों को पढ़कर उसके उच्चारण में अस्पष्टता होती है।

हिंदी को इन्हीं सभी कठिनाइयों को ध्यान में रखकर विस्तार मिला। हिंदी जन सामान्य और मध्यम वर्ग की सशक्त भाषा है। इस भाषा में अनेक भाषाओं के शब्दों को समाहित किया गया है।

जिसमें प्रमुख अरबी , फारसी , उर्दू , संस्कृत आदि भाषाएं शामिल है।

इंटरनेट पर भी हिंदी का प्रयोग इसलिए प्रसिद्ध है , क्योंकि इसके शब्दों का लिखना और उच्चारण करना पाठकों के लिए सुलभ है। दिन – प्रतिदिन इसी सुगमता के कारण हिंदी का निरंतर विकास होता जा रहा है।

वह दिन दूर नहीं जब हिंदी विश्व स्तर की सर्वश्रेष्ठ भाषा कहलाई जाएगी।

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5 thoughts on “हिंदी का महत्व ( Importance of Hindi )”

हिंदी का महत्व सिर्फ वही व्यक्ति समझ सकता है जो इसमें छुपे रास को ग्रहण कर सकने की क्षमता रखता है। आपका लेख वाकई काबिले तारीफ है। आशा है आपसे इसी प्रकार के लेखन की।

धन्यवाद शुभाष जी। हमें इस बात की ख़ुशी है कि ये लेख आपको अच्छा लगा।

आज के जमाने में हिंदी का महत्व बढ़ता ही जा रहा है और इसलिए मेरा सभी से अनुरोध है की हिंदी विभाग की सहायता लेकर अपनी हिंदी मजबूत करें और अपने आप को बेहतर बनाएं।

बहुत अच्छा लेख तैयार किया है आपने, हिंदी का महत्व बहुत है अगर सामने वाला समझना चाहे तो

राष्ट्रपती रामनाथ कोविन्द जी ने कहा है.. “हिंदी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है। हिंदी मौलिक सोच की भाषा है।”

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महिला शिक्षा पर निबंध | Essay On Women Education In Hindi

Essay On Women Education In Hindi  प्रिय विद्यार्थियों आज हम  महिला शिक्षा पर निबंध  आपके साथ साझा कर रहे हैं. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स तथा बच्चों के लिए सरल भाषा में  Essay On Women Education In Hindi  लिखा गया हैं.

इस निबंध को आप 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400 और 500 शब्दों में  Nari Shiksha ka mahatva essay in hindi  के रूप में भी पढ़ सकते हैं. चलिए  नारी शिक्षा महत्व एस्से  आरम्भ करते हैं.

Essay On Women Education In Hindi

नमस्कार दोस्तों आज नारी शिक्षा पर निबंध लेकर आए हैं. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए भारत में नारी शिक्षा महत्व, आवश्यकता, इतिहास पर शोर्ट निबंध, भाषण अनुच्छेद यहाँ 400 और 500 वर्ड्स में दिया गया हैं.

चलिए  Woman Education Essay in Hindi  पढ़ना आरम्भ करते है.

Get Here Short And Big Length Essay On Women Education In Hindi For Students & Kids For Free In Pdf.

नारी शिक्षा के महत्व पर निबंध

भारतीय समाज में नारी शिक्षा की स्थिति-  आधुनिक पुरुष प्रधान समाज में नारी को पुरुष के मुकाबले कमतर आँका जाता हैं. इस मानसिकता के चलते नारी शिक्षा के मामले में भी समाज में उदासीनता रहती है जबकि पुरुषों को शिक्षा में सुअवसर मिलते रहे हैं.

नारी को पुरुष प्रधान समाज में पहले बेटी फिर बहू और माँ के रूप में जीवन की इन भूमिकाओं का निर्वहन करना पड़ता हैं. उनका स्थान इतना महत्वपूर्ण होने के उपरान्त भी वह शिक्षा की दायरे से अभी भी बाहर ही स्वयं को पाती हैं.

प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल तक महिला शिक्षा के कोई विशेष प्रबंध व सुविधाएं नहीं थी, मगर आजादी के बाद से केंद्र सरकार, राज्य सरकारे तथा समाज नारी शिक्षा में उन्नति की ओर बढ़ा है फिर भी औसतन नारी आज भी साक्षरता से वंचित हैं. आज भी पुरुषों की तुलना में नारी साक्षरता बेहद कम हैं.

शिक्षित नारी का समाज में स्थान – एक साक्षर इन्सान स्वयं के भौतिक एवं बौद्धिक विकास में सबल होता हैं. इस लिहाज से यदि नारी शिक्षित हो तो वह एक गृहणी, माँ अथवा पत्नी के रूप में बेहतर परिवार का संचालन, बच्चों की देखभाल कर सकती हैं. वह अपनी सन्तान में उत्तम संस्कार तथा अच्छे गुणों को जन्म दे सकती हैं.

सदाचार, अनुशासन तथा ईमानदारी जैसे गुण तभी समाज पैदा किये जा सकते है जब प्रत्येक नारी साक्षर हो. एक पढ़ी लिखी नारी विविध भूमिकाओं में यथा माँ के रूप में उत्तम शिक्षिका, पत्नी के रूप में श्रेष्ठ भागीदार, बहिन के रूप में अच्छी मित्र और पथप्रदर्शक हो सकती है.

एक शिक्षित नारी समाज सेवा में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं दे सकती हैं. वकील, चिकित्सक, प्रशासनिक अधिकारी, सलाहकार के रूप में अपने दायित्वों को पूरा कर पाएगी.

महिला अपनी दोहरी भूमिकाओं को लेखिका, कवयित्री, अभिनेत्री, प्रशासिका तथा कुशल गृहणी के रूप में अपनी सेवाएं परिवार तथा समाज को दे सकती हैं. नारी शिक्षा से समाज और देश के विकास को दुगुनी गति मिल सकेगी तथा उनका सकारात्मक योगदान तरक्की में सहायक हो सकेगा.

शिक्षित नारी आदर्श गृहणी-  ज्ञान अर्थात शिक्षा ही मनुष्य के ज्ञान चक्षु खोलती हैं. अतः एक गृहणी नारी का शिक्षित होना अति आवश्यक हैं. वह अपने घर, परिवार, बच्चों के हित अहित सही गलत के फैसले सही तरीके से कर सकेगी तथा परिवार के विकास में एक स्तम्भ बनकर साबित होगी.

गृहस्थी के भार का वहन शिक्षित पति पत्नी उतना आसानी से कर सकते है जिससे परिवार में सुख शान्ति व सम्रद्धि का वातावरण रहता है जो बच्चों के संतुलित विकास के लिए भी जरुरी हैं.

एक अशिक्षित नारी की तुलना में शिक्षित नारी परिवार के आय व्यय का लेखा जोखा अच्छी तरह से रख सकती है अपव्यय से बचा सकती हैं.

वह परिवार की प्रतिष्ठा को बनाएं रखने में सहयोग कर सकती है तथा हस्त उद्योग यथा सिलाई, बुनाई जैसे कार्य में भी अपना योगदान दे सकती हैं. घर की स्वच्छता तथा सजावट में रूचि रखने वाली शिक्षित नारी घर को स्वर्ग का रूप दे सकती हैं.

वह अन्धविश्वास तथा आडम्बरों से मुक्त रहने के साथ ही परिवार में इस तरह के विचारों को रोकने में प्रभावी होती हैं. वह विभिन्न तरीको से अपने परिवार को सुखी एवं सम्पन्न बनाने में पति के अर्द्धांगिनी बन सकती हैं.

नारी शिक्षा का महत्व – भारतीय संस्कृति में नारी को हमेशा से सम्मानित स्थान प्राप्त था. प्राचीन काल में नारियो को देवी का स्वरूप मानकर उन्हें पूजनीय कहा गया था.

उस दौर में भी नारियां परम्परागत शिक्षा प्राप्त कर पुरुष के समान जिम्मेदारियों को पूरा कर समाज कल्याण में सहयोगिनी हुआ करती थी. आज भी बिना नारी के सहयोग के पुरुष के समस्त कार्य अप्रभावी हैं यही वजह है कि नारी का एक अन्य नाम अर्द्धांगिनी है दोनों से मिलकर समाज बनता है

एक गाड़ी के चलने के लिए जिस प्रकार दोनों पहियों का सम्वत चलना जरुरी है उसी भांति गृहस्थी को चलाने के लिए भी स्त्री पुरुष को समान भागीदारी से आगे बढना जरुरी हैं. परिवार में आत्मीयता तथा एकता की स्थापना में शिक्षित नारी अधिक कारगर साबित हो सकती हैं.

वह अपने निजी व्यवहार में सभी सदस्यों के साथ संतुलन बनाए रखती हैं. इससे परिवार का वातावरण हल्का रहता है तथा सुख सम्रद्धि से पूर्ण रहता हैं, जिसका सीधा असर समाज व देश पर पड़ता हैं.

उपसंहार-  अंत में यही कहा जा सकता है कि एक नारी अच्छी एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पाकर न केवल अपने सुचरित्र का निर्माण करती है बल्कि वह अपने परिवार तथा समाज में भी अपने विचारों की छाप छोड़ती हैं.

एक शिक्षित नारी आदर्श पत्नी, कुशल गृहिणी, आदर्श माँ, बहिन किसी भी रूप में देश व समाज की अशिक्षित नारी की तुलना में बेहतर एवं कुशल रूप में अपनी सेवाएं दे सकती हैं.

जिस समाज व देश की नारियां सुसंस्कृत होती है वह हमेशा तरक्की के शिखर पर आरूढ़ होता है इसकी कारण कहा गया है शिक्षित नारी सुख सम्रद्धिकारी.

Short Essay On Women Education In Hindi 400 Words

भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आदर का भाव प्राचीन काल से ही रहा है| शिक्षा की भूमिका स्त्रियों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण रही है|

आजादी के बाद से,विशेष रूप से पिछले दो -ढाई दशको से केंद्र सरकार तथा विभिन्न राज्य सरकारों द्धारा चलाए जा रहे सतत साक्षरता अभियान तथा 6 से 14 वर्ष सभी बालक -बालिकाओं (importance of girl education) को प्राथमिक शिक्षा दिलाने की अनिवार्यता ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है. साथ ही प्रोढ़ शिक्षा कार्यक्रम में भी इसमे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं.

यदि हम देखे तो पायेगे कि भारत के अतीत में विशेष रूप से वैदिक काल उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों को पुरुषो के समान ही शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार प्राप्त था. गार्गी, मैत्रेयी, लोपमुद्रा आदि कतिपय विदुषी नारियां स्त्री शिक्षा के सर्वोतम उदहारण हैं, जिनका उल्लेख प्राचीनतम साक्ष्यो में मिलता हैं.

इसी क्रम में बौधकाल में भी स्त्रियों को संघ में प्रवेश लेने व शिक्षा प्राप्ति का अधिकार था. कालान्तर में अनेक विदेशी आक्रंताओ के आने से स्त्री सुरक्षा का प्रश्न स्त्री शिक्षा की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया. तथा स्त्रियों पर बहुत से सामाजिक बंधन बढ़ने लगे.

परिणाम स्वरूप समाज में स्त्रियाँ हर क्षेत्र में पिछड़ गईं तथा समाज पुरुष प्रधान हो गया जिससे शिक्षा की द्रष्टि से स्त्रियों और पुरुषो में विषमता फ़ैल गईं. पर्दा प्रथा, सती प्रथा, दास प्रथा आदि कुरीतियों ने स्त्रियों की स्थति में गिरावट लाने का ही काम किया.

आधुनिक काल में भारत में आए सामाजिक नवजागरण के साथ ही स्त्रियों की शिक्षा व्यवस्था का नया सूत्रपात हुआ. तथा राजा राममोहन राय, स्वामी द्यान्न्त सरस्वती जैसे समाज सुधारको की प्रेरणा से तथा साथ ही कुछ मशीनरियो द्वारा बालिका शिक्षा के लिए कुछ विद्यालय स्थापित किये.

1904 में श्रीमती एनीबेसेंट ने बनारस में केन्द्रीय हिन्दू बालिका विद्यालय की स्थापना की. आजादी के बाद भारतीय सविधान में सभी जाति धर्म सम्प्रदाय के स्त्री-पुरुषो को समान रूप से शिक्षा प्रदान करने का अधिकार सभी नागरिको को दिया गया.

तथा स्त्री शिक्षा के प्रचार के लिए राष्ट्रिय महिला शिक्षा समिति राष्ट्रिय महिला शिक्षा परिषद हंसा मेहता समिति आदि का गठन कर स्त्री शिक्षा के क्षेत्र महत्वपूर्ण कार्य हुआ.

आज ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रो में समान रूप से बालिका शिक्षा का प्रतिशत उल्लेखनीय रूप से बढ़ रहा हैं. सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रो जैसे चिकित्सा, अभियांत्रिकी, तकनिकी, विज्ञान, खेल, प्रबंध, भूगर्भ, विज्ञान, अन्तरिक्ष विज्ञान, राजनीति तथा समाज सेवा के क्षेत्रो में अनेक शिक्षित महिलाओं ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए,

राष्ट्र के निर्माण में योगदान दिया हैं. कहते हैं, एक पुरुष के शिक्षित होने केवल एक व्यक्ति शिक्षित होता हैं. जबकि एक महिला के शिक्षित होने पर पूरा परिवार शिक्षित होता हैं. हमारी वर्तमान भारत सरकार ने भी बालिका शिक्षा को लेकर कई उपक्रम चलाए हैं

तथा अनेक शिक्षण संस्थान स्त्रियों के लिए विशेष रूप से स्थापित किये गये हैं. आज शिक्षा के हर क्षेत्र में स्त्रिया पुरुषो से आगे निकल रही हैं.

Long Essay On Women Education In Hindi In 500 Words

हमारे समाज में पुरुष की अपेक्षा नारी को कम महत्व दिया जाता हैं. इस कारण पुरुष को शिक्षा प्राप्त करने का सुअवसर मिलता हैं. परन्तु महिला को परिवार की परिधि में कभी कन्या, कभी नववधू या पत्नी तो कभी माता के रूप में जकड़ी रहती हैं. और उसकी शिक्षा पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता हैं.

प्राचीन काल एवं मध्य काल में महिला शिक्षा की पर्याप्त सुविधाएं नहीं थी. परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार नारी शिक्षा पर ध्यान दे रही हैं. फिर भी अभी शिक्षित महिलाओं का प्रतिशत बहुत ही कम हैं.

शिक्षित महिला का समाज में स्थान-  शिक्षित महिला अपने बौद्धिक विकास और भौतिक व्यक्तित्व का निर्माण करने में सक्षम होती हैं.

गृहणी के रूप में वह अपने घर परिवार का संचालन कुशलता से कर सकती हैं. वह अपनी सन्तान को वीरता, त्याग, उदारता, कर्मठता, सदाचार, अनुशासन आदि के ढाँचे में आसानी से ढाल सकती हैं.

सुशिक्षित नारी माँ के रूप में श्रेष्ठ गुरु, पत्नी के रूप में आदर्श गृहणी, बहिन के रूप में स्नेही मित्र और मार्गदर्शिका होती है. यदि महिला शिक्षित है तो वह समाज सेविका, वकील, डॉक्टर, प्रशासनिक अधिकारी, सलाहकार और उद्यमी आदि किसी भी रूप में सामाजिक दायित्व का निर्वाह कर सकती हैं.

वह कवयित्री, लेखिका, अभिनेत्री, प्रशासिका और साथ ही श्रेष्ठ गृहणी भी हो सकती हैं तथा अपने समाज व देश का अभ्युदय करने में अतीव कल्याणकारी और सहयोगिनी बन सकती हैं.

शिक्षित महिला आदर्श गृहिणी-  प्रत्येक आदर्श गृहिणी के लिए सुशिक्षित होना परम आवश्यक हैं. शिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति को कर्तव्य- अकर्तव्य एवं अच्छे बुरे का ज्ञान होता हैं. गुणों और अवगुणों की पहचान इसी से ही होती है. गृहस्थी का भार वहन करने के लिए सुशिक्षित गृहिणी अधिक सक्षम रहती हैं.

वह परिवार की प्रतिष्ठा का ध्यान रखती है सिलाई बुनाई कढाई आदि कार्यों में दक्ष होती है. स्वच्छता सजावट में रूचि रखती है. अंधविश्वासों और ढोंगों से मुक्त रहती है तथा हर प्रकार से और हर उपाय से अपनी गृहस्थी को सुख सम्रद्धशाली बनाने की चेष्टा करती हैं.

शिक्षा और महिला सशक्तिकरण-  शिक्षित नारियों से समाज और देश का गौरव बढ़ता हैं. परन्तु वर्तमान में महिलाओं के अधिकार का हनन हो रहा है. उनके साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता है. तथा अनेक तरह से शोषण उत्पीड़न किया जाता हैं. ऐसे में शिक्षित नारी अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती है.

समाज का हित भी स्त्री सशक्तिकरण से ही हो सकता है. इसके लिए स्त्री शिक्षा की तथा जन जागरण की जरूरत है. वस्तुतः शिक्षित एवं सशक्त नारी ही घर परिवार में संतुलन बनाए रख सकती है. देश की प्रगति के लिए नारी सशक्तिकरण जरुरी हैं.

उपसंहार-  संक्षेप में कहा जा सकता कि उचित व अनुकूल शिक्षा प्राप्त करके महिला अपने व्यक्तित्व का निर्माण तो करती ही है, वह अपने समाज, घर परिवार में सुख का संचार करती है.

शिक्षित नारी आदर्श गृहिणी, आदर्श माता, आदर्श बहिन और आदर्श सेविका बनकर देश के कल्याण के लिए श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण करती है. इसी कारण शिक्षित नारी सुख सम्रद्धिकारी कहा गया हैं.

Essay on Women Education in India in Hindi Language- भारत में महिला शिक्षा पर निबंध

प्राचीन काल में महिला शिक्षा-  भारत के अतीत में ऐसा लम्बा दौर रहा जिनमें पुरुषों को तो शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार था मगर नारियों को इस अधिकार से वंचित रखा जाता था.

इन सबके बावजूद अपने मानसिक कौशल के दम पर विश्वतारा, घोष, लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी जैसी विदुषी महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई.

भारत में बौद्ध धर्म के उद्भव के समय नारी शिक्षा के द्वार कुछ समय के लिए अवश्य खुले जिनमें स्त्रियों की शिक्षा के लिए अलग से बौद्ध संघ बनाए गये थे. मगर मध्यकाल आते आते नारी शिक्षा बिलकुल चौपट सी हो गई.

मुस्लिम आक्रान्ताओं के इस दौर में कुछ बड़े परिवार की लड़कियों को छोड़कर किसी को शिक्षा पाने का न कोई अधिकार था न उस समय इस तरह की कोई पुख्ता शिक्षा व्यवस्था थी.

इस अन्धकार भरे दौर में भी कुछ महिलाओं ने इतिहास पर अपनी छाप छोड़ी जिनमें रजिया बेगम, नूरजहाँ, जहांआरा, जेबुनिस्सा, मुक्ताबाई, जीजाबाई, गुलबदन मुमताज महल आदि का नाम लिया जाता हैं.

मुगलों का दौर खत्म होने के बाद भारत में अंग्रेजों के शासन की स्थापना में भी महिलाओं की शिक्षा के लिए कोई ख़ास व्यवस्थाएं नहीं थी. हाँ कुछ ईसाई मशिनिरिज अवश्य थी जो धर्म बदल चुकी महिलाओं के लिए खोली गई थी.

मगर सार्वजनिक तौर पर सभी महिलाओं के लिए शिक्षा के द्वार खुलने की शुरुआत बाकी थी. भारत में पहली बार डेविड हेयर ने पहला बालिका स्कूल खोला.

इसके बाद 1882 आते आते अंग्रेजी सरकार की ओर से भी इस दिशा में कुछ अहम कदम उठाएं गये. श्रीमती एनी बेसेंट ने वाराणसी में केन्द्रीय हिन्दू बालिका विद्यालय खोला.

इसके बाद महात्मा गांधी ने भी बालिका शिक्षा के लिए लोगों में जन जागरण की अहम भूमिका निभाई. उन्ही के प्रयासों की बदौलत 1927 में अखिल भारतीय स्त्री शिक्षा सम्मेलन आयोजित हुए जिसमें नारी शिक्षा की मांग प्रबल स्वर में उठाई गई थी.

भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद सभी स्कूलों में बालक बालिकाओं के लिए समावेशी शिक्षा के प्रावधान किये गये.

essay on women education in hindi language महिला शिक्षा निबंध

essay on importance of women education in hindi : कहा जाता हैं यदि एक पुरुष शिक्षित होता हैं तो केवल वहीँ शिक्षित होता हैं किन्तु एक स्त्री शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता हैं.

इससे स्त्री शिक्षा के महत्व का अनुमान लगाया जा सकता हैं यूँ भी समाज में जो परिवर्तन की लहर बह रही हैं, उसे देखते हुए यह जरुरी हो गया हैं कि हर क्षेत्र में स्त्री को समान अधिकार मिले.

यह स्त्री शिक्षा के बल पर ही संभव हैं.   हालांकि सामाजिक विधानों ने महिलाओं को राजनीतिक,  आर्थिक, सामाजिक  और धार्मिक अधिकार दिये हैं. लेकिन मात्र अधिकार प्राप्त होना,  उन्हें इन अधिकारों के लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित नहीं कर सकता.

कानून उन्हें चुनाव में वोट देने का अधिकार,  चुनाव लड़ने और  राजनीतिक पद  ग्रहण करने का अधिकार भले ही दे, लेकिन यह उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता.

पर कितनी स्त्रियाँ इन अधिकारों के प्रयोग करने के लिए जोर डालती है. इसका कारण हैं अशिक्षा. वे जागरूक नहीं. परम्परागत मूल्यों से चिपकी हुई हैं. साहस की कमी उन्हें साहसिक कदम उठाने से रोकती हैं.

इसलिए शिक्षा ही उन्हें उदार व व्यापक दृष्टि कोण से सम्पन्न व्यक्तित्व की स्वामिनी बनाएगी तथा उनकी अभिरुचियों, मूल्यों एवं भूमिका विषयक विचारों को बदलेगी.

भारत में वुमेन एड्यूकेशन (women education in india essay) : सामान्य अनुभव यह बताता है कि शैक्षिक अवसरों में भेदभाव लिंग के आधार पर सर्वाधिक था.

लेकिन अब स्त्री शिक्षा ने बड़े लम्बे डग भरे हैं आज विश्वविद्यालयों में कई विभागों और संभागों में युवकों की अपेक्षा युवतियां अधिक दिखाई देती हैं.

लेकिन  शिक्षा व्यवस्था में प्रवेश करने वाली अधिकतर शहरी युवतियाँ सफेदपोश परिवारों की हैं. ग्रामीण आवास, निम्न जाति और निम्न आर्थिक स्तर निश्चित रूप से लड़कियों को शिक्षा के अवसरों से वंचित कर देते हैं. स्त्रियों की शिक्षा में भागीदारी सुनिश्चित करने और उसमें सुधार के लिए निम्नलिखित विशिष्ट कदम उठाएं गये हैं.

स्त्री शिक्षा के उपाय (hindi essays on women education)

  • ओपरेशन ब्लेक बोर्ड के अंतर्गत सरकार ने प्राथमिक स्कूल अध्यापकों का पद स्रजन किया हैं, जिनमें अधिकांश महिला शिक्षिकाएं ही होगी.
  • लड़कियों के लिए गैर औपचारिक शिक्षा केन्द्रों की संख्या में वृद्धि.
  • महिला समाख्या परियोजना प्रारम्भ की गई, जिसका उद्देश्य है प्रत्येक सम्बन्धित गाँव में महिला संघ के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने के लिए महिलाओं को तैयार करना.
  • सजग कार्यवाही द्वारा नवोदय विद्यालयों में लड़कियों का प्रवेश 28 प्रतिशत तक सुनिश्चित किया गया हैं.
  • प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों में स्त्रियों के प्रवेश पर विशेष ध्यान दिया गया हैं.
  • ग्रामीण प्रकार्यात्मक साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा में नामांकित लोगों में अधिकांश महिलाएं शामिल करना.

स्त्री शिक्षा क्यों आवश्यक है (essay on stri shiksha in hindi language) : शिक्षा के बिना स्त्री पुरुष समानता के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता. लेकिन कानून किसी स्त्री को स्वयं को शिक्षित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता.

न ही माता पिता को अपनी पुत्रियों को स्कूल भेजने के लिए बाध्य किया जा सकता हैं इसलिए समाज के सभी सदस्यों को स्त्रियों की शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता हैं.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 भी स्त्री पुरुष समानता के लिए शिक्षा पर बल दियाजो नवीन मूल्यों को विकसित करेगी प्रस्तावित नीति में स्त्रियों के विकास के लिए सक्रिय कार्यक्रम बनाने हेतु शैक्षिक संस्थाओं को प्रोत्साहन देने, स्त्रियों की निरक्षरता खत्म करने, प्रारम्भिक शिक्षा तक स्त्रियों की पहुच सम्बन्धी बाधाओं को हटाने तथा व्यावसायिक, प्राविधिक एवं पेशेवर शिक्षा पाठ्य क्रम में लिंग रुढियों के स्थिर रूपों को समाप्त करने के लिए गैर भेदभाव नीति अपनाने आदि पर जोर दिया गया हैं.

नारी शिक्षा का भारत में इतिहास (nari shiksha essay in hindi language)  : यदि हम भारतीय समाज के इतिहास पर दृष्टि डाले तो देखते हैं कि कुछ अंधकारमयकालखंड को छोड़कर सामान्यतया स्त्री की शिक्षा एवं संस्कार को महत्व दिया गया. ऋग्वैदिक काल तथा उपनिषद काल में नारी शिक्षा का पर्याप्त विकास था.

उच्च शिक्षा के लिए पुरुषों की भांति स्त्रियाँ भी शैक्षिक अनुशासन के अनुसार ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर शिक्षा ग्रहण करती थी. शास्त्रों की रचना करने वाली नारियों को ब्रह्मावादिनी कहा गया हैं.

इनमें कोमशा, लोपामुद्रा, घोषा, इंद्राणी आदि के नाम प्रसिद्ध हैं. पुस्तक रचना, शास्तार्थ तथा अध्ययन कार्य के द्वारा नारी उच्च शिक्षा का उपयोग करती थी. शास्त्रार्थ प्रवीण गार्गी का नाम जगत प्रसिद्ध हैं.

पतंजली ने जिस शाक्तकी शब्द का प्रयोग किया हैं. वह भाला धारण करने वाली अर्थ का बोधक हैं. इससे प्रतीत होता हैं कि नारियों को सैनिक शिक्षा भी दी जाती थी. इसके अतिरिक्त स्त्रियों को विशेष रूप से ललित कला, नृत्य, संगीत आदि विधाओं की शिक्षा दी जाती थी.

स्त्री शिक्षा वाद विवाद (debate on nari shiksha in hindi) : मध्यकाल में मुस्लिम सभ्यता एवं संस्कृति में व्याप्त पर्दे की प्रथा के कारण स्त्री शिक्षा लगभग लुप्तप्राय हो गई थी. केवल अपवाद के रूप में सम्रद्ध मुसलमान परिवार की महिलाएं ही घर पर शिक्षा ग्रहण करती थी.

इनमें नूरजहाँ, जहाँआरा, जेबुन्निसां आदि के नाम प्रसिद्ध हैं. लेकिन सामान्यतया महिलाओं की स्थिति मध्यकाल में सबसे दयनीय थी. हिन्दू समाज में भी बाल विवाह, सती प्रथा जैसी अनेक कुरीतियों के कारण बहुसंख्यक नारियां शिक्षा से वंचित रहीं.

19 वीं शताब्दी ने नवजागरण चेतना ने भारतीय समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों को समाप्त करने की कोशिश की. भारत में तेजी से हुए सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन ने कुप्रथाओं को दूर करके स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन दिया.

ईश्वर चन्द्र विद्या सागर ने बंगाल में कई विद्यालय लड़कियों की शिक्षा के लिए खुलवाएं. सन 1882 के भारतीय शिक्षा आयोग के द्वारा भारत सरकार की ओर से शिक्षण प्रशिक्षण का प्रबंध हुआ.

आयोग ने स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में अनेक उत्साहवर्धक सुझाव प्रस्तुत किये, लेकिन रूढ़िवादिता के कारण वे अधिक प्रभावी तरीके से कार्यान्वित नहीं हो सके.

नवजागरण की चेतना या लहर चूँकि समूचे विश्व में व्याप्त थी, इसीलिए वैश्विक स्तर पर स्त्री शिक्षा के सन्दर्भ में उल्लेखनीय प्रगति हुई, भारत भी इससे अछूता नहीं रहा.

उच्च शिक्षा की दृष्टि से 1916 महत्वपूर्ण हैं. क्योंकि इस समय दिल्ली मर लेडी होर्डिंग कॉलेज एवं समाजसुधारक डी के कर्वे द्वारा बम्बई में लड़कियों के लिए विश्वविद्यालय खोला गया.

इस समय भारतीय मुसलमान स्त्रियों ने भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पर्दापण किया. स्त्रियों की प्राविधिक शिक्षा में कला, कृषि, वाणिज्य आदि विषयों का समावेश हुआ और नारी सहशिक्षा की ओर अग्रसर हुई.

तब से लेकर आजतक स्त्री शिक्षा के स्तर एवं आयाम में निरंतर वृद्धि होती जा रही हैं. स्त्रियाँ अपने अधिकारों से परिचित होकर पुरुषों के समकक्ष स्वयं को सिद्ध करने के लिए शिक्षा के महत्व की अपरिहार्यता को समझने लगी हैं.

उन्हें एहसास हो गया हैं कि प्रगतिशील एवं शिक्षित समुदाय बनने से स्त्री पुरुष का भेद स्वतः ही मिट जाएगा.

Short essay on importance of women’s education in hindi Language

female education essay in hindi: भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आदर का भाव प्राचीन काल से ही रहा हैं. शिक्षा की भूमिका स्त्रियों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं.

आजादी के बाद से पिछले दो ढाई दशकों से केंद्र सरकार तथा विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे सतत साक्षरता अभियान तथा 6 से 14 वर्ष के सभी बालक बालिकाओं को प्राथमिक शिक्षा दिलाने की अनिवार्यता ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया हैं.

साथ ही प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं. यदि हम देखे तो पाएगे कि भारत के अतीत में विशेष रूप से वैदिक काल तथा उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों को पुरुषों के समान ही शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार प्राप्त था, गार्गी मैत्रेयी, लोपमुद्रा कतिपय विदुषी नारियाँ स्त्री शिक्षा के सर्वोत्तम उदाहरण हैं.

जिनका उल्लेख प्राचीनतम साक्ष्यों में मिलता हैं. इसी क्रम में बौद्धकाल में भी अनेक स्त्रियों को संघ में प्रवेश लेने व शिक्षा प्राप्ति का अधिकार था.

कालान्तर में अनेक विदेशी आक्रान्ताओं के आने से स्त्री सुरक्षा का प्रश्न स्त्री शिक्षा की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया तथा स्त्रियों पर बहुत से सामाजिक बंधन बढ़ने लगे.

परिणामतः समाज में स्त्रियाँ हर क्षेत्र में पिछड़ गई तथा समाज पुरुष प्रधान हो गया, जिससे शिक्षा की दृष्टि से स्त्रियों और पुरुषों में विषमता फ़ैल गई. पर्दा प्रथा, सती प्रथा, दास प्रथा आदि कुरीतियों ने स्त्रियों की स्थिति में गिरावट लाने का काम किया.

आधुनिक काल में भारत में आये सामाजिक नवजागरण के साथ ही स्त्रियों की शिक्षा व्यवस्था का नया सूत्रपात हुआ. तथा राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे समाज सुधारकों की प्रेरणा से तथा साथ ही कुछ मिशनरियों द्वारा बालिका शिक्षा के लिए कुछ विद्यालय स्थापित किये. 1904 में श्रीमती एनीबेसेण्ट ने बनारस में केंद्रीय हिन्दू बालिका विद्यालय की स्थापना की.

आजादी के बाद भारतीय संविधान में सभी जाति, धर्म, सम्प्रदाय के स्त्री पुरुषों को समान रूप से शिक्षा प्रदान करने का अधिकार सभी नागरिकों को दिया गया तथा स्त्री शिक्षा के प्रसार के लिए राष्ट्रीय महिला शिक्षा समिति, राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद्, हंसा मेहता समिति आदि का गठन कर स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुआ.

आज ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में समान रूप से बालिका शिक्षा का प्रतिशत उल्लेखनीय रूप से बढ़ रहा हैं. सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे चिकित्सा, अभियांत्रिकी, तकनीक, विज्ञान, खेल, प्रबंधन, भूगर्भ विज्ञान, अन्तरिक्ष विज्ञान, राजनीति तथा समाज सेवा के क्षेत्रों में अनेक शिक्षित महिलाओं ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए राष्ट्र के निर्माण में योगदान किया हैं.

कहते है एक पुरुष के शिक्षित होने पर केवल एक व्यक्ति ही शिक्षित होता है, जबकि एक महिला के शिक्षित होने पर पूरा परिवार शिक्षित होता है.

हमारी वर्तमान भारत सरकार ने भी बालिका शिक्षा को लेकर कई उपक्रम चलाए है तथा अनेक शिक्षण संस्थान स्त्रियों के लिए विशेष रूप से स्थापित किये गये हैं. आज शिक्षा के क्षेत्र में हर क्षेत्र में स्त्रियाँ पुरुषों से आगे निकल रही हैं.

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शिक्षा का महत्व पर निबंध | Essay On Shiksha Ka Mahatva in Hindi, 10 Lines (कक्षा-1 से 10 के लिए)

Essay On Shiksha Ka Mahatva in Hindi

शिक्षा का महत्व पर निबंध: Essay On Shiksha Ka Mahatva in Hindi: शिक्षा ज्ञान, कौशल, मूल्य, नैतिकता, विश्वास और आदतों को सीखने या प्राप्त करने की एक प्रक्रिया है। शिक्षा प्राप्त करने और प्रदान करने की पूरी प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं। इसमें शिक्षण, प्रशिक्षण, चर्चा, अनुसंधान, कहानी सुनाना और इसी तरह की अन्य इंटरैक्टिव गतिविधियाँ शामिल हैं। शिक्षण पद्धति जिसे शिक्षाशास्त्र कहा जाता है के माध्यम से शिक्षा औपचारिक और अनौपचारिक दोनों हो सकती है। औपचारिक शिक्षा प्रीस्कूल, प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों जैसे शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से प्राप्त की जाती है। हालाँकि, अनौपचारिक शिक्षा स्व-निर्देशित शिक्षा, साक्ष्य-आधारित शिक्षा, खुली शिक्षा और इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा से आती है। शिक्षा किसी भी रूप में व्यक्ति और समग्र रूप से समाज के जीवन में सुधार लाती है। 

निबंध लेखन और निबंध प्रतियोगिता , आज कल आम बात है। आए दिन निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, वहीं स्कूली बच्चों के पढ़ाई में निबंध लेखन एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस लेख के जरिए हम आपके लिए शिक्षा का महत्व पर निबंध लेकर आएं है, यह एक ऐसा टॉपिक है जिस पर निबंध लेखन आम बात है। इस लेख के जरिए जो निबंध हम आपके सामने परोसने जा रहे है, वह आप कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10 से लेकर किसी भी तरह के बड़े निबंध प्रतियोगिता में काम में लिया जा सकता हैं। इस लेख को हमने सरल भाषा में तैयार किया है जिसके कारण इसका उपयोग स्कूली प्रोजेक्ट और निबंध प्रतियोगिता में लिया जा सकता हैं। इस लेख में कई पॉइन्ट्स हमारे द्वारा जोड़े गए है, जिसके चलते इसमें आपको छोटे और बड़े दोनों तरह के निबंध मिल जाएंगे। इस लेख में कई तरह के पॉइन्ट्स जोड़े गए है जैसे कि शिक्षा का महत्व पर निबंध हिंदी में Essay On Importance of Education in Hindi, शिक्षा का महत्व पर निबंध (300 शब्द) | Essay On Importance of Education in Hindi,शिक्षा का महत्व पर निबंध (500 शब्द) | समाज में शिक्षा का महत्व निबंध,शिक्षा का महत्व पर निबंध (750 शब्द) | विद्यार्थी जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध,शिक्षा का महत्व पर निबंध PDF Download | शिक्षा का महत्व पर निबंध हिंदी में,शिक्षा का महत्व 10 लाइन हैं। इस लेख (Essay On Shiksha Ka Mahatva in Hindi) को पूरा पढ़े और हमारे द्वारा लिखे गए निबंध को अपने उपयोग में ले और दूसरों को भी पढ़ाएं।

शिक्षा का महत्व पर निबंध | Essay On Importance of Education in Hindi

Essay On Shiksha Ka Mahatva in Hindi: जीवन में शिक्षा का महत्व बहुत अधिक है। यह लोगों को जीवन भर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा प्रदान करता है। यह ज्ञान, विश्वास, कौशल, मूल्यों और नैतिक आदतों को विकसित करता है। यह जीवन जीने के तरीके में सुधार करता है और व्यक्तियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाता है। शिक्षा जीवन को बेहतर और अधिक शांतिपूर्ण बनाती है। यह व्यक्तियों के व्यक्तित्व को बदल देता है और उन्हें आत्मविश्वासी महसूस कराता है। नेल्सन मंडेला द्वारा कहा गया था कि “दुनिया को बदलने के लिए शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है”। विस्तार से कहें तो यह समाज की नींव है जो आर्थिक समृद्धि, सामाजिक समृद्धि और राजनीतिक स्थिरता लाती है। यह लोगों को अपने विचार रखने और अपनी वास्तविक क्षमता दिखाने की शक्ति देता है। यह नागरिकों को शासन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उपकरण प्रदान करके लोकतंत्र को मजबूत करता है। यह सामाजिक एकता और राष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत शक्ति के रूप में कार्य करता है।

भारत में शिक्षा प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। इसलिए किसी भी आयु वर्ग, धर्म, जाति, पंथ और क्षेत्र के लोग शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। एक शिक्षित व्यक्ति का हर जगह सम्मान होता है और समाज में उसके साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है। बचपन में हर बच्चा डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, अभिनेता, खिलाड़ी आदि बनने का सपना देखता है। ये सपने शिक्षा के माध्यम से सच हो सकते हैं। इसलिए, शिक्षा में निवेश सबसे अच्छा रिटर्न देता है। अच्छी तरह से शिक्षित लोगों के पास बेहतर नौकरी पाने के अधिक अवसर होते हैं जिससे वे संतुष्ट महसूस करते हैं। स्कूलों में, शिक्षा को विभिन्न स्तरों में विभाजित किया गया है, अर्थात, प्रीस्कूल, प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक। स्कूली शिक्षा में पारंपरिक शिक्षा शामिल होती है जो छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करती है। हालाँकि, अब स्कूली पाठ्यक्रम में कई प्रयोगों, व्यावहारिक और पाठ्येतर गतिविधियों को जोड़कर इनबिल्ट एप्लिकेशन-आधारित शिक्षा स्थापित करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। छात्र पढ़ना, लिखना और दूसरों के सामने अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करना सीखते हैं। साथ ही, डिजिटल शिक्षा के इस युग में, कोई भी अपनी उंगलियों पर आसानी से ऑनलाइन जानकारी प्राप्त कर सकता है। वे नए कौशल सीख सकते हैं और अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं।

ये भी पढ़ें:- डॉ. राधाकृष्णन सर्वपल्ली का जीवन परिचय

शिक्षा का महत्व पर निबंध (300 शब्द) | Essay On Importance of Education in Hindi

Nibandh On Importance of Education : शिक्षा किसी के जीवन को बेहतर बनाने का एक हथियार है। यह संभवतः किसी के जीवन को बदलने का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है। एक बच्चे की शिक्षा घर से शुरू होती है। यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है जो मृत्यु के साथ समाप्त होती है। शिक्षा निश्चित रूप से किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करती है। शिक्षा व्यक्ति के ज्ञान, कौशल में सुधार करती है और व्यक्तित्व और दृष्टिकोण का विकास करती है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि शिक्षा लोगों के लिए रोजगार की संभावनाओं को प्रभावित करती है। एक उच्च शिक्षित व्यक्ति को अच्छी नौकरी मिलने की संभावना बहुत अधिक होती है। शिक्षा के महत्व पर हम आपको जीवन और समाज में शिक्षा के मूल्य के बारे में बताएंगे।

शिक्षा सबसे पहले पढ़ने-लिखने की क्षमता सिखाती है। पढ़ना-लिखना शिक्षा की पहली सीढ़ी है। अधिकांश जानकारी लिखकर दी जाती है। इसलिए लेखन कौशल की कमी का अर्थ है बहुत सी जानकारी से चूक जाना। परिणामस्वरूप, शिक्षा लोगों को साक्षर बनाती है।सबसे बढ़कर, रोजगार के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। यह निश्चित रूप से एक सभ्य जीवन जीने का एक शानदार अवसर है। यह शिक्षा द्वारा प्रदान की जाने वाली उच्च वेतन वाली नौकरी के कौशल के कारण है। जब नौकरियों की बात आती है तो अशिक्षित लोगों को संभवतः भारी नुकसान होता है। ऐसा लगता है जैसे कई गरीब लोग शिक्षा की मदद से अपना जीवन सुधारते हैं।

बेहतर संचार शिक्षा में एक और भूमिका है। शिक्षा व्यक्ति की वाणी को निखारती एवं परिष्कृत करती है। इसके अलावा, व्यक्ति शिक्षा के साथ संचार के अन्य साधनों में भी सुधार करते हैं।शिक्षा व्यक्ति को प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोगकर्ता बनाती है। शिक्षा निश्चित रूप से प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल प्रदान करती है। इसलिए, शिक्षा के बिना, आधुनिक मशीनों को संभालना शायद मुश्किल होगा।

शिक्षा की सहायता से लोग अधिक परिपक्व बनते हैं। शिक्षित लोगों के जीवन में परिष्कार का प्रवेश होता है। सबसे बढ़कर, शिक्षा व्यक्तियों को अनुशासन का मूल्य सिखाती है। पढ़े-लिखे लोगों को भी समय की कीमत का एहसास कहीं अधिक होता है। शिक्षित लोगों के लिए समय पैसे के बराबर है।अंततः, शिक्षा व्यक्तियों को अपने विचार कुशलतापूर्वक व्यक्त करने में सक्षम बनाती है। शिक्षित व्यक्ति अपनी राय स्पष्ट तरीके से बता सकते हैं। इसलिए, शिक्षित लोग लोगों को अपनी बात मनवाने में काफी सक्षम होते हैं।

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शिक्षा का महत्व पर निबंध (500 शब्द) | समाज में शिक्षा का महत्व निबंध

Shiksha PR Nibandh: शिक्षा लोगों का नेतृत्व करना आसान बनाती है, लेकिन चलाना कठिन बनाती है; शासन करना आसान है लेकिन गुलाम बनाना असंभव है।”उपरोक्त उद्धरण शिक्षा के महत्व को स्पष्ट रूप से प्रमाणित करता है। शिक्षा में ज्ञान का शिक्षण और सीखना, उचित आचरण और तकनीकी योग्यता दोनों शामिल हैं। सीखने में नैतिक मूल्यों और चरित्र में सुधार और दिमाग की ताकत बढ़ाने के तरीके शामिल हैं।

शिक्षा चरित्र का निर्माण करती है, मन को मजबूत करती है, ज्ञान बढ़ाती है और हमें स्वतंत्र बनाती है। शिक्षा अज्ञानता को दूर करती है। शिक्षा हमें अपनी क्षमताओं का अधिकतम उपयोग करने का अवसर देती है। शिक्षा मानव मस्तिष्क का सुधार है। शिक्षा के बिना मानव मस्तिष्क का प्रशिक्षण अधूरा है। मानव मस्तिष्क प्रशिक्षित होने के लिए बना है और शिक्षा के बिना व्यक्ति अधूरा है। शिक्षा व्यक्ति को सही विचारक और सक्षम निर्णय लेने वाला बनाती है। और यह केवल शिक्षा द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है जो एक व्यक्ति को उसके आस-पास और उससे परे की दुनिया के ज्ञान से परिचित कराती है, उसे तर्क करना सिखाती है और उसे इतिहास से परिचित कराती है, ताकि एक व्यक्ति वर्तमान का बेहतर न्यायाधीश बन सके।

शिक्षा के बिना, मनुष्य उस व्यक्ति के समान है जो एक बंद कमरे में कैद है, जहां बाहर निकलने या प्रवेश के लिए कोई जगह नहीं है और बाहरी दुनिया से पूरी तरह से बंद है। लेकिन शिक्षा मनुष्य को खुली दुनिया में ले जाती है। एक अशिक्षित व्यक्ति पढ़-लिख नहीं सकता और इसलिए वह किताबों और अन्य माध्यमों से प्राप्त होने वाले सभी ज्ञान और ज्ञान से वंचित रहता है। अशिक्षित या कम शिक्षित लोगों को अपनी पसंद का जीवन जीने का अवसर कम मिलता है।

एक व्यक्ति जो शिक्षा प्राप्त करता है वह अपनी पसंद के जीवन के रास्ते के लिए अधिक खुला होगा। एक शिक्षित व्यक्ति एक बेहतर नागरिक और सक्षम निर्णय लेने वाला होगा। यही कारण है कि लोग रोज़गार के लिए हमेशा एक अशिक्षित या कम शिक्षित व्यक्ति की तुलना में एक शिक्षित या अधिक शिक्षित व्यक्ति को प्राथमिकता देते हैं, यहाँ तक कि ऐसी नौकरी करने के लिए भी जिसके लिए बहुत अधिक शिक्षा की आवश्यकता नहीं होती है, जैसे कि कार्यालय परिचारक या घरेलू नौकर।

प्रत्येक व्यक्ति की समझ और सीखने का स्तर अलग-अलग होता है लेकिन शिक्षा उन्हें निखारती और निखारती है।इस प्रकार, शिक्षा के महत्व को कभी भी कम नहीं आंका जा सकता। दुनिया भर में लोग इस बात से सहमत हैं कि शिक्षा स्वस्थ दिमाग और सफल जीवन की कुंजी है।विश्व की 82% साक्षरता दर के विपरीत भारत की साक्षरता दर 61% है। 2001 की जनसंख्या जनगणना के अनुसार महिला साक्षरता दर 54.16% है। ये आंकड़े न सिर्फ शर्मनाक हैं बल्कि चिंताजनक भी हैं।कुछ लोग अपनी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के कारण शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं और कुछ अन्य संसाधनों की कमी के कारण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, लेकिन कुछ अन्य लोग शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता की कमी के कारण शिक्षा लेने से बचते हैं।

शिक्षा का महत्व सर्वविदित है, इसीलिए राष्ट्रीय नीति के रूप में शिक्षा को सदैव प्राथमिकता दी जाती है। सरकार निरक्षरता के मूल कारण पर सही निशाना साध रही है और निरक्षरता को खत्म करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। सरकार विभिन्न साक्षरता कार्यक्रम चला रही है जैसे वयस्क साक्षरता कार्यक्रम, सतत शिक्षा कार्यक्रम, सप्ताहांत और अंशकालिक अध्ययन कार्यक्रम, मध्याह्न भोजन कार्यक्रम, मुफ्त शिक्षा कार्यक्रम आदि। इन कार्यक्रमों की सफलता दर निरंतरता लेकिन क्रमिक है।

जिम्मेदार और जागरूक नागरिक होने के नाते यह हमारा भी कर्तव्य है कि हम सरकार की मदद करें और इस तरह अपने देश को 100% साक्षरता का सपना साकार करने में मदद करें। हम न केवल शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैला सकते हैं बल्कि हम अशिक्षित लोगों को उनकी पढ़ाई के लिए धन और सहायता देकर शिक्षा प्राप्त करने में भी मदद कर सकते हैं।

एक सुशिक्षित राष्ट्र एक महान राष्ट्र बनता है। हम अपने जीवन में ‘हर कोई एक को पढ़ाए’ के आदर्श वाक्य को अपना सकता है। हम अपने आस-पास के अशिक्षित लोगों को पढ़ा सकते हैं, क्योंकि किसी भी दिन अनौपचारिक शिक्षा भी बिना शिक्षा के रहने से बेहतर है। आइए हम अशिक्षितों को शिक्षा के प्रकाश की ओर ले जाएं और अपने राष्ट्र का गौरव बढ़ाएं।आइए अपने देश को ज्ञान की शक्ति, यानी शिक्षा द्वारा और अधिक शक्तिशाली बनाएं, फ्रांसिस बेकन के शब्दों में: “ज्ञान ही शक्ति है।”

इंटरनेट पर निबंध

शिक्षा का महत्व पर निबंध | विद्यार्थी जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध (750 शब्द)

आज के समाज में हमें कई कठोर निर्णयों का सामना करना पड़ता है। सबसे कठिन निर्णयों में से एक यह तय करना है कि हाई स्कूल स्नातक करने के बाद क्या करना है। कुछ लोग स्नातक हो जाते हैं और सीधे कॉलेज चले जाते हैं जबकि अन्य निर्णय लेते हैं कि वे कार्यबल में जाना चाहते हैं और तुरंत पैसा कमाना चाहते हैं। हर किसी को यह समझने की जरूरत है कि शिक्षा महत्वपूर्ण है, चाहे आप कहीं भी जाएं या कोई भी रास्ता चुनें। यह कुछ लोगों के लिए कठिन हो सकता है, जिन्हें यह पता नहीं है कि जब उनके करियर की बात आती है तो वे क्या करना चाहते हैं, लेकिन ऐसे हैं यदि वे समय निकालें और किसी प्रमुख या करियर पथ को चुनने से पहले खुद पर ध्यान दें तो कई अवसर उनका इंतजार कर रहे हैं। शिक्षा के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हर किसी के लिए दरवाजे खोलती है, चाहे स्थिति कोई भी हो।

शिक्षा का उद्देश्य क्या है?

शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान, कौशल और दक्षताएं प्रदान करना है जो व्यक्ति को अपने वांछित करियर पथ में सफल होने के लिए आवश्यक हैं। जिन व्यक्तियों में ये गुण हैं उनके पास रोजगार के अधिक अवसर होंगे और उनके पास ये गुण नहीं होने वालों की तुलना में अधिक वेतन होगा।शिक्षा संस्थानों की एक प्रणाली है जो मानव ज्ञान और विशेषज्ञता में सुधार के लक्ष्य के साथ शिक्षा प्रदान करती है। दुनिया भर में, 16 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य है। शिक्षा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोगों को नए कौशल विकसित करने और उन चीजों के बारे में सीखने में मदद करती है जो वे पहले नहीं जानते थे। सच्चाई यह है कि किसी भी प्रकार की शैक्षिक पृष्ठभूमि व्यक्ति की रुचियों और जुनून के आधार पर सफलता की ओर ले जा सकती है। मुख्य बात यह नहीं है कि आप क्या पढ़ते हैं, बल्कि यह है कि आप उसमें कितनी मेहनत करते हैं।यह लोगों को जीवन में बेहतर नौकरी पाने या विज्ञान और गणित जैसे विभिन्न विषयों पर अपने ज्ञान का विस्तार करने जैसे अधिक अवसर भी देता है। हालाँकि कुछ लोगों का तर्क है कि शिक्षण कोई भी कर सकता है, अध्ययनों से पता चलता है कि सभी शिक्षक समान नहीं बनाए गए हैं; कुछ शिक्षक एक ही सामग्री को पढ़ाने में दूसरों की तुलना में बहुत बेहतर काम करते हैं क्योंकि वे अपने व्यक्तिगत व्यक्तित्व गुणों और शक्तियों के आधार पर इसे एक-दूसरे से अलग तरीके से देखते हैं।

समाज के लिए शिक्षा का महत्व

समाज के लिए शिक्षा के महत्व को कभी भी कम नहीं आंका जा सकता। यह साबित हो चुका है कि एक शिक्षित आबादी समृद्ध होती है, और इसलिए सरकार के लिए मुफ्त शिक्षा प्रदान करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, लोगों को स्कूल के बाहर भी शैक्षिक अवसरों तक पहुंच मिलनी चाहिए ताकि उन्हें उन विषयों पर ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिल सके जो उनके स्कूल या विश्वविद्यालय स्तर पर पेश नहीं किए जाते हैं। सरकार को इन संसाधनों को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराकर इसका समर्थन करना चाहिए ताकि सभी लोगों को आत्म-सुधार और सफलता का मौका मिले!

ये भी पढ़ें: जल का महत्व पर निबंध

शिक्षा एक प्रक्रिया है?

किसी व्यक्ति और राष्ट्र की प्रगति के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण कारक है। यह ज्ञान इकट्ठा करने और यह सीखने के बारे में है कि समस्याओं को हल करने के लिए कैसे सोचा जाए और ज्ञान को कैसे लागू किया जाए। आधुनिक दुनिया में, जहां जानकारी रोजमर्रा की जिंदगी पर हावी है, दुनिया को समझने के लिए शिक्षित होना महत्वपूर्ण है। अच्छी शिक्षा के माध्यम से हम अच्छी नौकरियाँ प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन की गुणवत्ता और सामाजिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं। जीवन में सफल होने में शिक्षा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

शिक्षित व्यक्ति किसी भी राष्ट्र की संपत्ति होते हैं। इनके माध्यम से, एक राष्ट्र आगे बढ़ता है क्योंकि शिक्षा मानसिकता की बाधा को दूर करती है, ज्ञान और जानकारी प्रदान करती है, और एक व्यक्ति को एक अच्छा श्रोता और अच्छे व्यवहार वाला बनाती है। यह व्यक्ति को जीवन में एक अद्वितीय मानक प्रदान करता है और उन्हें किसी भी पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं को हल करने के लिए तैयार करता है। शिक्षा वित्तीय और मानसिक स्थिरता और आत्म-निर्भरता में मदद करती है। यह व्यक्ति में आत्मविश्वास पैदा करता है जो सफलता के बेहतरीन पहलुओं में से एक है और आत्म-विश्वास को भी बढ़ाता है।

ये भी पढ़ें: विश्व साक्षरता दिवस पर निबंध | Speech, 10 Lines (कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10)

शिक्षा का महत्व पर निबंध PDF Download

इस पॉइन्ट में हम आपको शिक्षा का महत्व पर निबंध  PDF Download कि सुविधा उपलब्ध करा रहे है, जिसे आप निबंध की पीडीएफ को डाउनलोड कर सकते है और कभी भी डाउनलोड किए गए इस निबंध को आप पढ़े सकते हैं। इसके साथ ही अपने परिजनों और दोस्तों को पढ़ा सकते हैं।

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शिक्षा का महत्व 10 लाइन | Shiksha Ka Mahatva 10 Lines

media ka mahatva essay in hindi

  • हर किसी को आगे बढ़ने और जीवन में सफलता पाने के लिए बेहतर शिक्षा बहुत जरूरी है।
  • यह आत्मविश्वास विकसित करता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में मदद करता है।
  • स्कूली शिक्षा हर किसी के जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है।
  • संपूर्ण शिक्षा को तीन विभागों में विभाजित किया गया है
  • प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा।
  • शिक्षा के सभी विभागों का अपना-अपना महत्व एवं लाभ है।
  • प्राथमिक शिक्षा वह आधार बनती है जो जीवन भर मदद करती है।
  • माध्यमिक शिक्षा आगे की पढ़ाई का मार्ग तैयार करती है।
  • उच्चतर माध्यमिक शिक्षा भविष्य और संपूर्ण जीवन का अंतिम मार्ग तैयार करती है।
  • हमारी अच्छी या बुरी शिक्षा यह तय करती है कि हम भविष्य में किस तरह के इंसान बनेंगे।

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समय के महत्व पर निबंध 1 (100 शब्द)

मानव जीवन नदी की धारा के समान होता है। जिस तरह से नदी की धारा ऊँची नीची भूमि को पार करती हुई लगातार आगे बढती है उसी प्रकार जीवन की धारा सुख-दुःख रूपी जीवन के अनेक संघर्षों को सहते-भोगते आगे बढती रहती है। आगे बढने में जो मदद करता है वह समय कहलाता है।

जो भागते हुए समय को पकडकर इसके साथ-साथ चल सकते हैं, जिस किसी ने भी समय के महत्व को पहचाना है और उसका सदुपयोग किया है, वह उन्नति की सीढियों पर चढ़ता चला गया है। लेकिन जिसने इसका तिरस्कार किया है समय ने उसे बर्बाद कर दिया है। समय का सदुपयोग ही विकास और सफलता की कुंजी है।

समय के महत्व पर निबंध 2 (200 शब्द)

हमारे लिए सबसे कीमती वस्तु समय ही है। इस युग मे सभी कार्य समय पर निर्भर होते है। इसलिए किसी ने कहा है। कि अपना टाइम आएगा। प्रत्येक कार्य करने के लिए समय की जरूरत होती है। समय गरीब को अमीर तथा अमीर को गरीब मे बदल सकता है। यदि हम अपने समय को बर्बाद कर रहे है। तो यह बड़ा पाप है।

हम समय को बर्बाद करते है। तो समय हमे बर्बाद कर देता है। इसलिए खुद को बर्बादी से बचाने के लिए समय को बर्बाद नहीं करें। समय की बर्बादी से हमारे भविष्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। समय ही हमारा सबसे श्रेष्ठ धन है। इससे बढ़कर कुछ भी नहीं है। जो लोग समय को ज्यादा महत्व देते है समय भी उन्हे ज्यादा महत्व देता है। कई लोग ऐसे होते है।

जिन पर मुसीबत आने पर वे अपना धैर्य खो देते है। और अपना अमूल्य समय को गंवा देते है। समय की महता जो नहीं मानता समय उसकी भी महता नहीं जनता है। समय को हम न तो खरीद सकते है। और न उसे बेच सकते है। हर रोज सुबह होती है। और फिर शाम होती है। ये इसका नित्यकर्म है। हमे भी समय की तरह अपने नित्यकर्म का टाइम-टेबल बनाकर चलना चाहिए।

समय के महत्व पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका :  मानव जीवन नदी की धारा के समान होता है। जिस तरह से नदी की धारा ऊँची नीची भूमि को पार करती हुई लगातार आगे बढती है उसी प्रकार जीवन की धारा सुख-दुःख रूपी जीवन के अनेक संघर्षों को सहते-भोगते आगे बढती रहती है। जीवन का उद्देश्य लगातार आगे बढना होता है इसी में सुख है, आनंद है।

छात्रवास में समय का महत्व :   छात्रवास में समय का बहुत अधिक महत्व होता है। किसान अपने खेत में अलग-अलग ऋतुओं में अलग-अलग प्रकार की फसल उगाता है। अगर बीज बोने का निश्चित समय किसी प्रकार से बीत जाता है तो वह फसल पैदा नहीं हो सकती है। ठीक यही दशा छात्रों के जीवन की भी होती है। विद्यार्थी जीवन वह समय होता है जब मनुष्य सारे जीवन भर के लिए तैयार होता है।

इसीलिए इस अवस्था में उसे समय के महत्व को जानना और उसका उपयोग करना उसके लिए बहुत आवश्यक होता है। छात्र की जीवन रूपी भवन की नींव भी इसी समय पर बनती है।

जिस तरह से एक बहुत बड़ी पुस्तक को लिखने के लिए एक-एक अक्षर लिखना पड़ता है और तब एक पुस्तक लिखी जाती है इसी तरह विद्यार्थियों को एक-एक सैकेंड का उपयोग करके इतनी बड़ी किताबों को पढना पड़ता है केवल तभी वह उसके ज्ञान को प्राप्त कर सकता है।

उपसंहार :  अगर हम समय के महत्व को समझकर समय का सदुपयोग करते हैं तो सफलता हमसे कभी भी दूर नहीं होती है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने बचे हुए समय का सदुपयोग करें और अपने राष्ट्र के भविष्य को उन्नति की ओर ले जाएँ। हमे हमेशा अपने काम को निश्चित रूप से समय पर ही पूरा करना चाहिए।

समय के महत्व पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : एक आम और सही कहावत है कि, “समय और ज्वार-भाटा किसी का इंतजार नहीं करते हैं”, जिसका अर्थ है कि, समय किसी का भी इंतजार नहीं करता है, सभी को समय के साथ-साथ चलना चाहिए। समय आता है और हमेशा की तरह चला जाता है पर कभी भी रुकता नहीं है।

समय सभी के लिए निःशुल्क होता है, लेकिन कोई भी इसे कभी भी न तो बेच सकता है, न ही खरीद सकता है। यह अबंधनीय है, अर्थात् कोई भी इसकी सीमा निर्धारित नहीं कर सकता है। यह समय ही है, जो सभी को अपने चारों ओर नचाता है। अपने जीवन में कोई भी न तो इसे हरा सकता है, और न ही इससे जीत सकता है।

समय अमूल्य है : समय पर सबसे अच्छी कहावत है “समय और ज्वार किसी का इंतजार नहीं करते।” सभी को समय के मूल्य और महत्व को समझना चाहिए। लोग अक्सर पैसे को अपना सबसे मूल्यवान संसाधन मानते हैं, जबकि धन की तुलना में समय अधिक मूल्यवान है।

समय आंशिक रूप से इस कारण से है कि हम सभी को हमारे जीवन में केवल एक निश्चित समय आवंटित किया जाता है, और इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि, हम इसे बुद्धिमानी से उपयोग करें।

समय का माप :   समय अमाप है। समय का कोई आरंभ और अंत नही है। समय अविभाज्य और अतुलनीय है।समय को सेकंड, मिनट, घंटे, दिन, सप्ताह, महीने, साल, दशक और सदियों में बांटा गया है। समय  हमेशा आगे की ओर बढ़ता जाता रहता है, वो कभी पीछे मुड़कर नही देखता।

उपसंहार : समय का सदुपयोग हमारे जीवन की उन्नति की कुंजी है वह लोग जीवन में सफल बनते हैं जो समय का सही तरीके से प्रयोग करते हैं जिससे हमारे जीवन में समन्वय बना रहता है संत महात्मा और संसार के जितने भी महान व्यक्ति थे उनका हम कई यूगो के बाद भी याद करते हैं क्योंकि वह समय के मूल्य को पहचानते थे।

उन्होंने हर कार्य को समय पर करने की प्रेरणा दी जो घड़ी हम हाथ में बांध कर चलते हैं वह हमसे कहती है कि मेरे साथ चलो भले ही आगे चलो पर मेरे से पीछे हो कर नहीं चलना क्योंकि साथ चलने से सदा जीवन सुखी रहता है और समय सोने से भी अधिक मूल्यवान है और इसकी कीमत समय पर ही समझना जरूरी है।

समय के महत्व पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका :  आगे बढने में जो मदद करता है वह समय कहलाता है। जो भागते हुए समय को पकडकर इसके साथ-साथ चल सकते हैं, जिस किसी ने भी समय के महत्व को पहचाना है और उसका सदुपयोग किया है, वह उन्नति की सीढियों पर चढ़ता चला गया है। लेकिन जिसने इसका तिरस्कार किया है समय ने उसे बर्बाद कर दिया है। समय का सदुपयोग ही विकास और सफलता की कुंजी है।

मानव जीवन में समय का बहुत महत्व होता है। जब समय के मूल्य को पहचान लिया जाता है तो वही समय का सदुपयोग होता है। बीता हुआ समय कभी भी वापस लौट कर नहीं आता है। समय किसी का भी दास नहीं होता है। समय किसी पर भी निर्भर नहीं होता है वह अपनी गति से चलता है। जो व्यक्ति समय के महत्व को नहीं समझ पाता है वह कभी भी अपने जीवन को सफल नहीं बना सकता है।

आलस्य का त्याग :  जब समय बीत जाता है तब हमें समय के महत्व का एहसास होता है। जब समय का दुरूपयोग किया जाता है तब दुःख और दरिद्रता के अलावा कुछ प्राप्त नहीं होता है। समय का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य होता है। आलस्य जीवन का एक कीड़ा होता है। अगर वह जीवन में लग जाता है तो जीवन नष्ट हो जाता है। जब लखपति समय से चूक जाता है तो वह भी निर्धन हो जाता है।

सुखों की प्राप्ति :  जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है केवल वही सभी सुखों को प्राप्त कर पाता है। जो व्यक्ति अपने काम को समय पर कर लेता है उसे कोई भी व्यग्रता नहीं होती है। जो व्यक्ति अपने काम को समय पर करता है वह केवल अपना ही भला नहीं करता है बल्कि अपने परिवार गाँव, और राष्ट्र की उन्नति का कारण भी बनता है।

समय सिमित :  भगवान ने प्रत्येक मनुष्य को एक निश्चित उद्देश्य और निश्चित समय के साथ पृथ्वी पर भेजा है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में नपा-तुला समय होता है। जब हम ज्यादातर समय को बेकार के कामों में व्यतीत कर देते हैं तब हमें होश आता है। समय के महत्व पर एक कहावत भी कही गई है – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

उपसंहार :   अगर हम समय के महत्व को समझकर समय का सदुपयोग करते हैं तो सफलता हमसे कभी भी दूर नहीं होती है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने बचे हुए समय का सदुपयोग करें और अपने राष्ट्र के भविष्य को उन्नति की ओर ले जाएँ। हमे हमेशा अपने काम को निश्चित रूप से समय पर ही पूरा करना चाहिए।

हम सभी भारत देश के निर्माता हैं। हमें हमेशा अपने देश की उन्नति के लिए अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए। अगर हम काम को निश्चित समय पर पूरा करते हैं तो इससे समय भी बच जाता है जिसका प्रयोग हम समाज के कल्याण के लिए भी कर सकते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि कभी भी समय व्यर्थ न हो सके। समय का पूरा उपयोग करना चाहिए और समय के महत्व को समझाना चाहिए।

समय के महत्व पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका : अपने जीवन के हर मिनट का आनंद लेना सीखें। अभी में खुश रहो। भविष्य में आपको संतुष्ट करने के लिए खुद से बाहर किसी चीज़ का इंतज़ार न करें। इस बात पर विचार करें कि आपके पास कितना कीमती समय है, चाहे वह काम पर हो या आपके परिवार के साथ। हर मिनट का आनंद और स्वाद लेना चाहिए।

समय को घंटों, दिनों, वर्षों और इसी प्रकार मापा जाता है। समय हमें अपनी दैनिक गतिविधियों को व्यवस्थित और संरचित करने की एक अच्छी आदत बनाने में मदद करता है। कोई भी समय को रोक नहीं सकता है। समय के साथ साथ हमारी उम्र और अनुभव भी बढ़ते जाते हैं !

समय का सदुपयोग : हा ये आवश्यक है कि हम समय रहते ही अगर समय का महत्व समझ जाते हैं । और समय की महत्व या समय का सदुपयोग कर लेते है तो उसे हम समय को खरीदने जैसा समझ सकते हैं। अगर वक विद्यार्थी समय रहते मन लगाकर अच्छी शिक्षा ग्रहण कर लेता हैं।

तो समय हमेशा उसे खुशी प्रदान करता रहेगा। वही अगर विद्यार्थी अपनी लापरवाही के कारण समय बर्बाद करता रहता है। तो ये निश्चित ही है कि भविष्य में उसे अनेक कष्ट मिलने तय हैं। अतः समय का सदुपयोग करना बहुत जरूरी होता हैं।

विद्यार्थी जीवन में समय का महत्व :   बूँद-बूँद से सागर बनता है। इसी प्रकार छोटे-छोटे क्षणों से हमारा जीवन बनता है, छात्र जीवन हमारे जीवन की प्रारंभिक अवस्था है। यह व्यक्तित्व निर्माण की अवस्था कही गई है। यदि छात्र शुरुआती अवस्था में ही समय का महत्व सीख जाते हैं तो अपना बाकी का जीवन सुख व समृद्धि के साथ जीते हैं।

समय की शक्ति :  पिछले समय में कई राजा खुद को अपनी उम्र के शासक और सभी के रूप में घोषित करते हैं। लेकिन, वे भूल जाते हैं कि उनके पास सीमित समय है। दुनिया में समय ही एकमात्र ऐसी चीज है जो असीम है। समय आपको सेकंड के एक आंदोलन में एक राजा या भिखारी बना सकता है।

समय बर्बाद :  जो व्यक्ति समय के महत्व ( समय के महत्व को समझता हैं। वो फालतू बिन किसी मतलब के इधर से उधर टहलता नज़र नहीं आएगा। अनेक ऐसे लोग नज़र आ जाएंगे जो पत्ते खेलने में घंटो व्यतीत कर देते है या कहे कि समय बर्बाद कर देते हैं। वो आने समय का सदुपयोग म करके दुरुपयोग कर रहे होते हैं।

समय का प्रभावी उपयोग :  कोई भी व्यक्ति अगर समय का सही उपयोग करना सीख गया तो निश्चित सफलता उनके कदम चूमेगी। समय का सदुपयोग कर जीवन को नयी दिशा प्रदान की जा सकती है। समय एक प्रेरक शक्ति है। इससे जीवन में कुछ हासिल करने की ललक आती है।

विद्यार्थी के जीवन में समय का काफी योगदान होता है। अगर विद्यार्थी ने समय का सदुपयोग करना सिख गया तो निश्चित वह जीवन में अपने लक्ष्यों तक आसानी से पहुंच सकता है। समय का सदुपयोग कर जीवन को नयी दिशा प्रदान की जा सकती है।

समय की पाबंदी :   हर किसी को जीवन के हर मोड पर समय की पाबंदी के साथ चलना चाहिए । समय की पाबंदी का अर्थ है, एक व्यक्ति के लिए निश्चित समय पर कार्य करना या दिए हुए समय पर किसी भी कार्य को पूरा करना। यह बेहतर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।

यदि हम जीवन के हर काम में समय के पाबंद रहें , तो कोई भी हमारे लिए कुछ भी गलत नहीं कह सकता है।  छात्रों को स्कूल समय पर जाना चाहिए। यदि वे समय पर होंगे, तो सजा से बचेंगे और हमेशा शिक्षकों नज़रों में वह एक प्रभावशाली विद्यार्थी रहेगा।

उपसंहार : हमारी दैनिक दिनचर्या; जैसे- स्कूल का कार्य, गृह कार्य, सोने के घंटे, जागने का समय, व्ययाम, भोजन करना आदि योजना अनुसार और समय के अनुसार आयोजित होनी चाहिए। हमें कठिन परिश्रम करने का आनंद लेना चाहिए और कभी भी अपनी अच्छी आदतों को बाद में करने के लिए टालना नहीं चाहिए। हमें समय के महत्व को समझना चाहिए और इसी के अनुसार रचनात्मक ढंग से प्रयोग करना चाहिए, ताकि हम समय से धन्य हो न कि नष्ट हो।

समय के महत्व पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

भूमिका : मानव जीवन नदी की धारा के समान होता है। जिस तरह से नदी की धारा ऊँची नीची भूमि को पार करती हुई लगातार आगे बढती है उसी प्रकार जीवन की धारा सुख-दुःख रूपी जीवन के अनेक संघर्षों को सहते-भोगते आगे बढती रहती है। जीवन का उद्देश्य लगातार आगे बढना होता है इसी में सुख है, आनंद है।

आगे बढने में जो मदद करता है वह समय कहलाता है। जो भागते हुए समय को पकडकर इसके साथ-साथ चल सकते हैं, जिस किसी ने भी समय के महत्व को पहचाना है और उसका सदुपयोग किया है, वह उन्नति की सीढियों पर चढ़ता चला गया है। लेकिन जिसने इसका तिरस्कार किया है समय ने उसे बर्बाद कर दिया है। समय का सदुपयोग ही विकास और सफलता की कुंजी है।

समय सिमित : भगवान ने प्रत्येक मनुष्य को एक निश्चित उद्देश्य और निश्चित समय के साथ पृथ्वी पर भेजा है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में नपा-तुला समय होता है। जब हम ज्यादातर समय को बेकार के कामों में व्यतीत कर देते हैं तब हमें होश आता है। समय के महत्व पर एक कहावत भी कही गई है – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

इसी वजह से हर बुद्धिमान व्यक्ति समय के महत्व को समझता है। हमारा जीवन समय से जुड़ा हुआ होता है। भगवान ने हमें जितना भी समय दिया है उसमे एक पल की भी वृद्धि होना असंभव है। जिस राष्ट्र के व्यक्ति समय के महत्व को समझ जाते हैं वही राष्ट्र समृद्ध हो सकता है। समय के सदुपयोग से ही मनुष्य निर्धन, अमीर, निर्बल, सबल, मुर्ख और विद्वान् बन सकता है।

समय अमूल्य वस्तु : समय एक अमूल्य वस्तु के साथ-साथ अमूल्य धन भी होता है। समय की कीमत धन से बहुत अधिक होती है इसीलिए समय अमूल्य होता है। धन आज है कल नष्ट हो जाएगा परसों वापस आ जाएगा लेकिन एक बार समय अतीत की गर्त में समा जाता है तो वह चाहकर भी वापस नहीं आता है।

हमारा कर्तव्य होता है कि हमें दिन में जो भी काम करना है उसे सुबह ही निश्चित कर लेना चाहिए। दिन में उस काम को करके समाप्त कर देना चाहिए। विद्यालय से जो भी समय बचता है उसका प्रयोग अन्य कलाओं को सीखने में करना चाहिए। बेकार की बातों में समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए लेकिन जीवन में थोडा मनोरंजन भी होना चाहिए। आज के काम को कभी भी कल पर नहीं छोड़ना चाहिए।

मनुष्य के जीवन का हर पल उसकी दुर्लभ संपत्ति होती है क्योंकि अगर धन-दौलत न रहे तो उसे दुबारा परिश्रम करके प्राप्त किया जा सकता है लेकिन समय वह संपत्ति होती है जो एक बार चले जाने से दुबारा नहीं आती है। इसी वजह से समय का सदुपयोग मनुष्य के लिए बहुत जरूरी होता है।

जब सही समय पर सही काम किया जाता है तभी समय का सदुपयोग होता है। समय बहुत बलवान होता है यह किसी के लिए नहीं रुकता और न ही किसी का इंतजार करता है यह लगातार चलता ही रहता है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कोई-न-कोई लक्ष्य होता है जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें समय के महत्व को जानना होगा।

जो मनुष्य आज के काम को कल पर छोड़ देता है वह कभी भी सफल नहीं हो पाता है। लेकिन जो मनुष्य आज के काम को आज ही समाप्त कर देता है वह मनुष्य जीवन में हमेशा सफलता प्राप्त करता है। भाग्य भी ऐसे मनुष्यों का साथ देता है वे अपने जीवन में उच्च से उच्चतर लक्ष्य की तरफ बढ़ते जाते हैं।

समय का महत्व : समय के सदुपयोग का बहुत महत्व होता है। अगर समय पर काम नहीं होता है तो समय का सदुपयोग नहीं हो पाता है जिससे जीवन अभिशाप बन जाता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति करने की इच्छा रखता है। वह हमेशा अपने जीवन में धनवान, बलवान और विद्वान् बनना चाहता है। जब मनुष्य ऐसी इच्छा रखता है तो उस के समय के महत्व को समझना बहुत जरूरी होता है।

जिस किसी ने भी समय के सदुपयोग को समझा है वह उन्नति के शिखर पर पहुंच चुका है। बहुत से महान पुरुषों ने भी समय के महत्व को समझकर ही सफलता प्राप्त की थी। जो व्यक्ति समय का सम्मान करता है समय भी उसका सम्मान करता है। जो समय को बर्बाद करता है समय उसे बर्बाद कर देता है।

गाँधी जी ने भी बहुत ही सावधनी और बुद्धिमानी से समय का सदुपयोग किया था इसी वजह से वे महान पुरुष बने थे। महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन अपने बचपन में सब्जी बेचकर पैसे कमाते थे। उनके अध्यापक उन्हें बहुत बुद्धिमान समझते थे। वे जीवन में कठोर-से-कठोर परिस्थितियों का सामना करने के लिए डटे रहते थे। उन्होंने समय के महत्व को समझ लिया था इसलिए समय को व्यर्थ नहीं गंवाते थे।

वे लगातार परिश्रम करते रहे जिसकी वजह से आज वे एक महान वैज्ञानिक बन गए। उन्होंने रेडियम की खोज करके पूरे जगत को रोशन किया है। प्रत्येक मनुष्य को समय के सही मूल्य को पहचानना चाहिए समय निकलने पर काम करने वालों को अक्सर पछताना ही पड़ता है।

एक-एक बूंद के एकत्रित रूप विशाल सागर को देखा जा सकता है और जब एक-एक बूंद टपकती है तो बड़े-से-बड़ा बर्तन भी खाली हो जाती है। कुछ इसी तरह से जीवन भी पल और क्षण के मिलने से बना होता है। जितने भी पल और क्षण बीत जाते हैं वे कभी वापस लौटकर नहीं आते हैं।

समय बीतते हुए अनुमान नहीं होता है लेकिन इन क्षणों के बीतने से दिन, सप्ताह, मास और साल बीतते जाते हैं। समय के बीतने के साथ ही जीवन के दिन भी बीत जाते हैं। जो लोग समय की गति को नहीं जानते और इसके महत्व को नहीं समझते हैं, समय को नष्ट करते हैं समय भी ऐसे लोगों को नष्ट कर देता है।

सुखों की प्राप्ति : जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है केवल वही सभी सुखों को प्राप्त कर पाता है। जो व्यक्ति अपने काम को समय पर कर लेता है उसे कोई भी व्यग्रता नहीं होती है। जो व्यक्ति अपने काम को समय पर करता है वह केवल अपना ही भला नहीं करता है बल्कि अपने परिवार गाँव, और राष्ट्र की उन्नति का कारण भी बनता है।

जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है वह धनवान, बुद्धिमान और बलवान बन सकता है। माता लक्ष्मी भी उसकी सखी बन सकती हैं। ऐसे व्यक्ति की संतान कभी भी पैसे की वजह से दुखी नहीं होती है। अगर हम बहुत ही ध्यानपूर्वक देखते हैं तो हमें पता चलता है कि आज तक जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं वे सभी समय के सदुपयोग को जानते थे इसी वजह से महान कहलाए थे।

कार्य की सफलता : समय का हर पल, हर क्षण और हर साँस ही जीवन होता है। जो अपने जीवन के एक-एक पल का सदुपयोग करता है उसका जीवन सफल हो जाता है लेकिन जो एक पल भी व्यर्थ कर देता है उसका जीवन निरर्थक बन जाता है। कार्य की सफलता कार्य की कुशलता से अधिक कार्य की तत्परता पर निर्भर करती है। समय ही सत्य होता है।

समय का सदुपयोग ही सफलता और समृद्धि के प्रतीक और परिचायक होते हैं। समय का सदुपयोग करने के लिए मनुष्य को नियमित जीवन जीना चाहिए। हमारे देश में समय का बहुत अधिक दुरूपयोग होता है। बेकार की बातों में समय को बेकार किया जाता है। समय का सबसे अधिक दुरूपयोग मनोरंजन के नाम पर किया जाता है। समय को खोकर कोई भी व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता है।

आलस्य का त्याग : जब समय बीत जाता है तब हमें समय के महत्व का एहसास होता है। जब समय का दुरूपयोग किया जाता है तब दुःख और दरिद्रता के अलावा कुछ प्राप्त नहीं होता है। समय का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य होता है। आलस्य जीवन का एक कीड़ा होता है। अगर वह जीवन में लग जाता है तो जीवन नष्ट हो जाता है। जब लखपति समय से चूक जाता है तो वह भी निर्धन हो जाता है।

अगर हमें स्टेशन पहुंचने में 5 मिनट देरी हो जाती है तो ट्रेन हाथ से छूट जाती है। अगर छात्र को परीक्षा के लिए देरी हो जाती है तो उसकी परीक्षा छूट जाती है। आज के समय में बहुत से युवक अवकाश के दिनों में व्यर्थ घर में बैठे रहते हैं अथवा बुरी संगति में पड़कर समय को बर्बाद करते रहते हैं। समय का दुरूपयोग एक पाप के समान होता है और जो भी इस पाप के कीच में गिर जाता है उसका कभी भी उद्धार नहीं हो सकता है। हमें सदैव समय के दुरूपयोग से बचना चाहिए।

छात्रवास में समय का महत्व : छात्रवास में समय का बहुत अधिक महत्व होता है। किसान अपने खेत में अलग-अलग ऋतुओं में अलग-अलग प्रकार की फसल उगाता है। अगर बीज बोने का निश्चित समय किसी प्रकार से बीत जाता है तो वह फसल पैदा नहीं हो सकती है। ठीक यही दशा छात्रों के जीवन की भी होती है। विद्यार्थी जीवन वह समय होता है जब मनुष्य सारे जीवन भर के लिए तैयार होता है।

इसीलिए इस अवस्था में उसे समय के महत्व को जानना और उसका उपयोग करना उसके लिए बहुत आवश्यक होता है। छात्र की जीवन रूपी भवन की नींव भी इसी समय पर बनती है। जिस तरह से एक बहुत बड़ी पुस्तक को लिखने के लिए एक-एक अक्षर लिखना पड़ता है और तब एक पुस्तक लिखी जाती है इसी तरह विद्यार्थियों को एक-एक सैकेंड का उपयोग करके इतनी बड़ी किताबों को पढना पड़ता है केवल तभी वह उसके ज्ञान को प्राप्त कर सकता है।

जो छात्र अपनी रोज की पढाई को पूरा नहीं कर पाता है उस छात्र को परीक्षा के समय में अपनी पढाई एक विशाल पहाड़ की तरह लगती है। जब परीक्षा की तैयारी पूरी नहीं होती है तो वे गलत तरीकों से परीक्षा को उत्तीर्ण करने की कोशिश करते हैं। इन गलत तरीकों से उन्हें असफलता मिलती है और इन कामों से उनका समाज में सिर नीचा हो जाता है।

उन्हें बाद में बहुत पछतावा होता है लेकिन बाद में पछताने से कोई फायदा नहीं होता है। समय का सदुपयोग करने वाला छात्र अपने जीवन में एक सफल नागरिक बन जाता है लेकिन जो विद्यार्थी समय को बातों में या इधर-उधर घूमने-फिरने में व्यर्थ करता है, वह अंत में रोता है, पछताता है लेकिन वह चाहकर भी उस समय को वापस नहीं ला सकता है। भगवान एक बार में केवल एक ही पल देते हैं तथा दूसरे पल से पूर्व पहले पल को छीन लेते हैं।

उपसंहार : अगर हम समय के महत्व को समझकर समय का सदुपयोग करते हैं तो सफलता हमसे कभी भी दूर नहीं होती है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने बचे हुए समय का सदुपयोग करें और अपने राष्ट्र के भविष्य को उन्नति की ओर ले जाएँ। हमे हमेशा अपने काम को निश्चित रूप से समय पर ही पूरा करना चाहिए।

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Shiksha ka Mahatva Essay in Hindi

Shiksha ka Mahatva Essay in Hindi: शिक्षा का महत्व पर निबंध

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Shiksha ka Mahatva Essay in Hindi

यहां हम आपको “Shiksha ka Mahatva Essay in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Importance of Education Essay in Hindi तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए. 

Shiksha Ka Mahatva Essay In Hindi 100 Words  

शिक्षा इंसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। जो व्यक्ति शिक्षित होता है, वह अपना जीवन काफी सरल और अच्छा बना लेता है। प्राचीन काल से ही भारत को शिक्षा का केंद्र कहा जाता है। हर व्यक्ति को समाज में जीने के लिए और समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए शिक्षित होने की आवश्यकता होती है। शिक्षा ही व्यक्ति को जीवन जीने का तरीका सिखाती है। शिक्षक व्यक्ति हमेशा खुद के एवं समाज के विकास में अपना योगदान देता है। सभी व्यक्ति को अपने जीवन में शिक्षा ग्रहण जरूर करना चाहिए। शिक्षा व्यक्ति के जीवन के हर पड़ाव पर साथ देती है।

Essay on Time Waste Is Life Waste in Hindi रक्षाबंधन पर निबंध गणेश चतुर्थी पर निबंध शिक्षक दिवस पर निबंध जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में जल ही जीवन है पर निबंध विज्ञान के चमत्कार निबंध

Shiksha ka Mahatva Essay in Hindi 150 Words

शिक्षा जीवन में आगे बढ़ने के लिए सबसे शक्तिशाली माध्यम मानी जाती है। मनुष्य अपने जीवन के हर पड़ाव पर कुछ ना कुछ सीखना ही रहता है। वह हमेशा नई-नई कठिनाइयों का सामना कर नई-नई चीज सीखना है। शिक्षा भी इंसान को कठिनाइयों से लड़ना सिखाती है। जो व्यक्ति शिक्षित होता है, वह मुसीबत के समय अपने ज्ञान और कौशल से मुसीबत से जल्दी छुटकारा पा लेता है।

शिक्षा एक व्यक्ति के जीवन में विकास के कई सारे दरवाजे खोलती है। समाज में मौजूद हर व्यक्ति और महिला को शिक्षा ग्रहण करना चाहिए। क्योंकि इससे उन्हें जीवन के उद्देश्य के बारे में पता चलता है। शिक्षा एक इंसान को उसके जीवन का उद्देश्य बताती है और उसे आगे बढ़ाने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करती है। शिक्षित लोगों के समाज में सभी लोगों के बीच समानता की भावना रहती है। सभी लोग एकजुट होकर देश के विकास में अपना योगदान देते हैं।

Shiksha ka Mahatva Essay in Hindi 200 Words 

शिक्षा पुरुष और महिला दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण होती है। बिना शिक्षा के एक व्यक्ति का जीवन अधूरा होता है। जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में शिक्षा का महत्व समझ लिया उसने जीवन जीने का तरीका समझ लिया। शिक्षा एक सार्वजनिक गुण है जिसे हर किसी को ग्रहण करना चाहिए क्योंकि समाज के विकास हर वर्ग के लोगों का योगदान होता है। समाज में मौजूद पुरुष और महिला दोनों का शिक्षित होना अनिवार्य है क्योंकि शिक्षित नागरिक ही देश के विकास की नींव बनते हैं।

शिक्षा ही व्यक्ति को बाकी लोगों से अलग बनाती है। जो व्यक्ति शिक्षा का महत्व समझ कर उसे ग्रहण करता है वह जीवन में सबसे आगे चलता है। शिक्षित व्यक्ति के अंदर अन्य व्यक्तियों की तरह क्रोध, छल कपट नहीं होता। वह हमेशा अच्छे विचारों से परिपूर्ण रहता है। शिक्षा ही समाज में मौजूद विविधताओं को दूर कर सकती है। आज के इस युग में व्यक्ति शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं, उन्हें शिक्षा का महत्व समझ नहीं आ रहा है। इस आधुनिक युग में शिक्षा के कई सारे नए-नए उपकरण उत्पन्न हो गए हैं जिससे लोगों का ध्यान वास्तविक शिक्षा और उसके महत्व से  हटता जा रहा है। शिक्षा चाहे कितनी ही कठिन क्यों न हो व्यक्ति को सच्चे मन से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए।

Shiksha ka Mahatva Essay in Hindi 300 Words 

हम सभी जानते हैं, की हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ अलग करना चाहता है। वह कुछ अलग तरीके से सफलता प्राप्त कर खुद को एक सफल व्यक्ति बनाना चाहता है। लेकिन सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति का शिक्षित होना वह जरूरी है। जो व्यक्ति शिक्षा का महत्व समझकर शिक्षा को सच्चे मन से ग्रहण करता है। वह व्यक्ति जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों को पार कर आगे अवश्य निकलता है। व्यक्ति अपने जीवन में जो भी शिक्षा ग्रहण करता है वह उसका साथ हमेशा देती है। शिक्षा जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह जीवन में आगे बढ़ने के लिए निरंतर संभावना उत्पन्न करती है। शिक्षा समाज में मौजूद सभी व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनती है। शिक्षा का महत्व प्राचीन काल से ही सबसे ज्यादा रहा है।

भारत को ज्ञान और शिक्षा का केंद्र माना जाता है क्योंकि यहां पर सदियों से गुरुकुल चले आ रहे हैं, जो परंपरागत रूप से लोगों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। वर्तमान युग में भी व्यक्ति शिक्षित है, लेकिन वह शिक्षा का सही मतलब नहीं समझ पा रहे। आज के इस युग में शिक्षित होने का एकमात्र उद्देश्य है, जीवन में पैसा कमाना और आगे बढ़ना। शिक्षा का महत्व यह नहीं होता कि आप पैसा कमाए और अपना फायदा देखें शिक्षा का महत्व होता है, कि आप एक अच्छे नागरिक बने, आपके मन में सभी के लिए समान भावना होना चाहिए। आप कभी भी किसी के प्रति द्वेष, क्रोध, जलन की भावना ना रखें। आपको अपने जीवन के साथ-साथ दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने में उनकी मदद करना चाहिए।

शिक्षा का असली महत्व यही होता है, कि व्यक्ति अच्छे विचारों के साथ अपने जीवन में आगे बढ़े। जो व्यक्ति अपने जीवन में शिक्षा ग्रहण नहीं करता वह समाज में मौजूद बाकी लोगों से काफी पीछे रह जाता है। अशिक्षित व्यक्ति का जीवन कठिनाइयों से भरा होता है, क्योंकि उसे ज्ञान की कमी होने के कारण जगह-जगह से असफलता प्राप्त होती है। आज के इस आधुनिक युग में व्यक्ति को सफल होने के लिए शिक्षा का सहारा लेना ही पड़ता है। इसीलिए जो व्यक्ति शिक्षा का महत्व समझता है वह सबसे पहले शिक्षा ग्रहण करता है। के विकास के लिए और समाज में अच्छे नागरिक का कर्तव्य निभाने के लिए व्यक्ति को शिक्षा का महत्व समझना ही चाहिए।

शिक्षा का महत्व पर निबंध 500 Words 

शिक्षा हम सभी को उज्जवल भविष्य प्रदान करती है।उज्जवल भविष्य प्राप्त के लिए शिक्षा हमारा एक महत्वपूर्ण उपकरण है। हर व्यक्ति को अपने जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का अच्छा उपयोग कर खुद को एक शिक्षित और समझदार इंसान बनना चाहिए। समाज में व्यक्ति की पहचान उसके ज्ञान के कारण ही होती है। जो व्यक्ति जितना ज्ञानी और सरल होता है, वह समाज में उतना ही प्रिय और सम्माननीय होता है। व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का समय व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होता है।शिक्षा एक व्यक्ति के अंदर अच्छी सोच को विकसित करती है। समाज में मौजूद अलग-अलग वर्ग के लोग जैसे कि मध्यमवर्गीय, ग्रामीण,  शहरी सभी लोगों के लिए शिक्षा का महत्व एक सामान्य होता है। हर व्यक्ति को स्वयं को विकसित करने के लिए और समाज को एक बेहतर समाज बनाने के लिए शिक्षा ग्रहण करना चाहिए।

शिक्षा क्या है?

शिक्षा व उपकरण है, जो एक व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने में सहायता करती है। शिक्षा ही व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों से लड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। शिक्षा सभी लोगों को सकारात्मक विचार देती है एवं नकारात्मक विचारों से दूर रखती है। एक व्यक्ति को शिक्षा के प्रति जागरूक करना काफी जरूरी होता है। जब बालक छोटा होता है, तो उसके माता-पिता द्वारा उसे शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाता है और उसके मस्तिष्क को शिक्षा की ओर ले जाया जाता है। एक व्यक्ति अपने जीवन में अलग-अलग तरह की शिक्षा ग्रहण करता है। वह जीवन के पहले पड़ाव में सरल शिक्षा ग्रहण कर खुद को एक योग्य व्यक्ति बनाता है। उसके बाद वह सामाजिक शिक्षा ग्रहण कर खुद को समाज के अनुसार बनता है। शिक्षा से ही एक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता है, बिना शिक्षा के व्यक्ति का सफल होना संभव है।

शिक्षा की मुख्य भूमिका

आज के इस आधुनिक युग में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान में आधुनिकता आने के कारण शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के काफी सारे तरीके उत्पन्न हो चुके हैं। प्राचीन शिक्षा प्रणाली और शिक्षा का तंत्र पूरी तरह से बदल चुका है। अब व्यक्ति अपनी उम्र के अनुसार थोड़ा-थोड़ा ज्ञान अर्जित कर जीवन में आगे बढ़ता है। जब वह पूरी तरह शिक्षित हो जाता है, तो अपने ज्ञान के माध्यम से खुद को आत्मनिर्भर बनता है। एक व्यक्ति के जीवन में शिक्षा काफी अहम भूमिका निभाती है क्योंकि शिक्षा ही व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनने लायक हुनर प्रदान करती है। अब सभी के पास शिक्षा के काफी माध्यम उपलब्ध है। व्यक्ति किसी भी विद्यालय या विश्वविद्यालय में प्रवेश लेकर शिक्षा ग्रहण कर सकता है। व्यक्ति ग्रहण की गई शिक्षा से स्वयं में ही नहीं बल्कि पूरे समाज में बदलाव ला सकता है।

हर व्यक्ति का जीवन में कुछ ना कुछ बनने का सपना अवश्य होता है। कोई व्यक्ति अपने जीवन में डॉक्टर, इंजीनियर, पायलट, शिक्षक या फिर साइंटिस्ट बनना चाहता है। व्यक्ति को अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए शिक्षा का सहारा लेना ही पड़ता है। यदि व्यक्ति उचित शिक्षा प्राप्त नहीं करता तो वह अपने निर्धारित लक्ष्य से पीछे रह जाता है, क्योंकि शिक्षा ही उसे लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने में सहायता करती है। प्राचीन काल में शिक्षा काफी कठिन हुआ करती थी। शिक्षा का स्तर प्राचीन काल में काफी उच्च रहा करता था, क्योंकि उसे वक्त सामाजिक शिक्षा के साथ-साथ एक विद्यार्थी को युद्ध की शिक्षा, अर्थव्यवस्था की शिक्षा भी दी जाती थी। वर्तमान में शिक्षा का स्तर काफी आसान हो चुका है। अब हर वर्ग के लोगों को शिक्षा ग्रहण कर खुद को एक शिक्षित व्यक्ति बनना चाहिए।

शिक्षा का महत्व पर निबंध 1000 Words

जन्म के बाद से ही एक व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करना शुरू कर देता है, जैसा कि हम सभी जानते हैं एक व्यक्ति अपने बाल्यकाल में सबसे पहले अपने माता-पिता से शिक्षा ग्रहण करता है। माता पिता एवं अन्य अभिभावकों द्वारा बालक को कुछ सामाजिक ज्ञान दिया जाता है। उम्र के साथ-साथ बालक विद्यार्थी जीवन में विद्यालय में प्रवेश लेकर शिक्षा का वास्तविक अर्थ समझता है। जो व्यक्ति शिक्षा की महत्वता को समझ लेता है, वह अपने जीवन का पहला उद्देश्य शिक्षित होना तय करता है। एक व्यक्ति जीवन में नियमित रूप से क्रमबद्ध शिक्षा ग्रहण करता है एवं धीरे-धीरे जीवन में आगे बढ़ता है। व्यक्ति अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर डिग्री की ओर बढ़ता है, जहां वहां अपने हाथों का कौशल विकसित कर खुद को आत्मनिर्भर बनाता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

शिक्षा का महत्व सभी लोगों के लिए एक समान होता है। लेकिन एक व्यक्ति शिक्षित तभी हो पता है जब उसे सही मार्गदर्शन प्राप्त हो जैसा कि हम सभी जानते हैं,  बचपन से ही हमारे माता-पिता और शिक्षकों के प्रयास के बाद हम शिक्षित व्यक्ति बन पाते हैं। हमारे माता-पिता वास्तव में हमारे शिक्षित तक होते हैं, जो हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा जैसे उपकरण का सहारा देते हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अधिकतर संख्या अशिक्षित है, जिसका कारण लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता ना होना सही मार्गदर्शन ना होना हो सकता है। वर्तमान में शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए काफी तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं इन योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को शिक्षा का महत्व बताकर उन्हें शिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।

गरीबों और माध्यम वर्ग के लिए शिक्षा

प्राचीन काल में शिक्षा काफी काफी चुनिंदा वर्ग के लोगों को दी जाती थी।  इसका अर्थ यह नहीं कि वहां जात-पात का भेदभाव किया जाता था बल्कि व्यक्ति स्वयं अपनी इच्छा से शिक्षित होता था। पहले शिक्षा प्रणाली का स्तर काफी कठिन हुआ करता था। लोग शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे समय बदलता गया और शिक्षा प्रणाली भी पूरी तरह बदल गई। वर्तमान में शिक्षा प्रणाली काफी आसान हो चुकी है। अब हर वर्ग के लोगों को शिक्षित होने का पूरा अधिकार प्रदान किया जा रहा है।

अब एक गरीब और मध्यमवर्गी व्यक्ति भी उच्च से उच्च स्तर की शिक्षा काफी आसानी से प्राप्त कर सकता है। शिक्षा के नए-नए साधन उपलब्ध हो चुके हैं जिससे व्यक्ति कम से कम लागत में अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकता है। शिक्षा को सभी के लिए समान बनाने के लिए सरकार द्वारा भी कई तरह के नियम बनाए गए हैं। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य मध्य एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षा प्रदान कर उन्हें अच्छा जीवन प्रदान करना है। क्योंकि यह हम सभी भालीवती जानते हैं कि शिक्षित होने के बाद ही व्यक्ति आत्मनिर्भर बनकर स्वयं एवं देश के विकास में अपना योगदान दे सकता है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली

शिक्षा ही एक व्यक्ति को उसके जीवन का उद्देश्य प्राप्त करती है। जो व्यक्ति शिक्षा ग्रहण करता है,  उसे अपने जीवन का उद्देश्य प्राप्त होता है, जैसे कि व्यक्तिगत उन्नति को बढ़ावा देना, समाज को बढ़ावा देना, आर्थिक विकास देश की प्रगति इत्यादि। हम शिक्षा की सहायता से अपने जीवन के लक्ष्य को निर्धारित कर उसकी प्राप्ति के लिए प्रयास कर सकते हैं। वर्तमान में शिक्षा और प्रणाली काफी दुरुस्त हो चुकी है, आजकल शिक्षा प्रणाली को बहुत आसान और साधारण बना दिया गया है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली आज समाज में मौजूद जातिवाद, भेदभाव को हटाने में पूरी तरह सक्षम है।यह आधुनिक शिक्षा प्रणाली शिक्षा को दूर कर सभी को समानता प्रदान करती है।

उज्ज्वल भविष्य के लिए शिक्षा

उज्जवल भविष्य प्राप्त करने के लिए शिक्षा एक आवश्यक उपकरण होती है। जो व्यक्ति अपने जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का इस्तेमाल स्वयं के विकास के लिए करता है,  वह समाज के अन्य लोगों से काफी आगे होता है। शिक्षा व्यक्ति को समाज और परिवार में एक अलग पहचान प्रदान करती है। शिक्षित व्यक्ति अपना जीवन अक्सर लोगों की भलाई के लिए व्यतीत करना पसंद करते हैं, क्योंकि शिक्षा व्यक्ति के मन में सद्भावना को उत्पन्न करती है। जो व्यक्ति अशिक्षित रह जाते है या समय पर शिक्षा का महत्व नहीं समझ पाते वे समाज से काफी पीछे रह जाते हैं। उन्हें जीवन में आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक जैसी कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक व्यक्ति स्वयं को सभी परेशानियों से तभी दूर रख सकता है जब उसके पास उच्च ज्ञान हो। ज्ञानी व्यक्ति स्वयं के जीवन के साथ-साथ अन्य लोगों के जीवन में भी बदलाव ला सकता है।

शिक्षा से सिर्फ लोगों का मस्तिष्क ही नहीं विकसित होता बल्कि उनके अंदर सही गलत को परखने का ज्ञान भी उत्पन्न होता है। शिक्षा एक व्यक्ति के मन में से जातिवाद भेदभाव जैसी असमानताओं को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यह व्यक्ति की सूझबूझ को विकसित करती है इसके अलावा यहां इंसान को अच्छा अध्ययनकर्ता बनाती है। शिक्षा व्यक्ति हमेशा समाज को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है वह सभी इंसानों को उनके व्यक्तिगत और सामाजिक अधिकारों के बारे में बता कर उन्हें प्रेरित करता है। शिक्षा व्यक्ति को उसके कर्तव्य के बारे में बताती है। शिक्षा वह ढांचा होती है जो एक वास्तविक अच्छे इंसान का निर्माण करती है। जिन लोगों ने शिक्षा के महत्व को समझकर शिक्षा ग्रहण करने में अपना जीवन व्यतीत किया है वह हमेशा समाज में तारे की तरह चमकते नजर आए हैं। शिक्षा ही आपको एक उज्जवल भविष्य प्रदान कर सद्गुणों का धनी बन सकती है।

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Shiksha ka Mahatva Essay in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Importance of Education Essay in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Shiksha ka Mahatva Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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