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जनसँख्या पर निबंध (Population Essay in Hindi)

जनसंख्या एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले जीवों की कुल संख्या को दर्शाती है। हमारे ग्रह के कुछ हिस्सों में आबादी का तेजी से विकास चिंता का कारण बन गया है। जनसंख्या को आमतौर पर किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या के रूप में जाना जाता है। हालांकि यह उन जीवों की संख्या को भी परिभाषित करता है जो इंटरब्रिड कर सकते हैं। कुछ देशों में मानव जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इन देशों को मानव नियंत्रण उपायों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है।

जनसँख्या पर छोटे तथा लंबे निबंध (Short and Long Essay on Population in Hindi, Jansankhya par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द): जनसंख्या वृद्धि के कारण.

जनसंख्या एक जगह पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आबादी का घनत्व भिन्न-भिन्न कारणों से अलग-अलग होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण

धरती पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। जहाँ कुछ देश ऐसे हैं जो आबादी विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं वही कई देश कम आबादी वाले भी हैं। ऐसा सिर्फ मानव आबादी के मामले में नहीं है। यही बात जानवरों और अन्य जीवों के मामलों में भी देखी जाती है। कुछ जगहों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखाई देंगे जबकि कुछ जगहों पर आपको शायद ही कोई जानवर देखने को मिलेगा।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व प्रभावित करती हैं

किसी भी क्षेत्र में आबादी के घनत्व की गणना उस क्षेत्र की कुल संख्या को लोगों द्वारा विभाजित करके की जाती है। कई कारणों से जनसंख्या का घनत्व अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होता है। कुछ कारक जो किसी क्षेत्र में आबादी की घनत्व को प्रभावित करते हैं वे इस प्रकार हैं:

अत्यंत गर्म या ठंडे मौसम वाले स्थान बहुत कम आबादी के हैं। दूसरी ओर जिन स्थानों पर लोग मध्यम जलवायु का आनंद लेते हैं वे घनी आबादी वाले हैं।

तेल, लकड़ी, कोयले जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्रों में आबादी घनी होती है जहाँ इन बुनियादी संसाधनों की कमी होती है वे क्षेत्र कम आबादी वाले हैं।

  • राजनीतिक माहौल

जिन देशों में एक स्थिर सरकार और एक स्वस्थ राजनीतिक वातावरण है वे क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं। ये देश दूसरे इलाकों से आबादी को आकर्षित करते हैं जिससे उस क्षेत्र की आबादी में बढ़ोतरी होती है। दूसरी ओर गरीब या अस्थिर सरकार वाले देश के कई लोग किसी अच्छे अवसर की उपलब्धता को देखकर उस जगह को छोड़कर चले जाते हैं।

विकसित देशों जैसे यू.एस.ए. बहुत सारे आप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बहुत बेहतर पैकेज और एक अच्छा मानक जीवन प्रदान करते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोग ऐसे देशों में आकर बसते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में आबादी का घनत्व बढ़ रहा है।

भले ही दुनिया भर में कुछ जगहों में जनसंख्या का घनत्व कम हो फिर भी पिछले कुछ दशकों में देश की कुल जनसंख्या में वृद्धि हुई है और आने वाले समय में कई गुना बढ़ने की संभावना है।

निबंध 2 (400 शब्द) – भारत में बढ़ती जनसंख्या व जनसंख्या नियंत्रण

जनसंख्या का मतलब एक विशेष स्थान पर रहने वाले कुल जीवों की संख्या है। दुनिया के कई हिस्सों में मुख्य रूप से गरीब देशों में मानव आबादी का विकास चिंता का विषय बन गया है। दूसरी ओर ऐसे भी स्थान हैं जहां जनसंख्या की दर बहुत कम है।

बढ़ती जनसंख्या – भारत में एक बड़ी समस्या

भारत को बढ़ती आबादी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया की करीब 17% आबादी भारत में रहती है जिससे यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है। लगभग हर विकासशील देश की तरह भारत में जनसंख्या की वृद्धि के लिए कई कारण हैं। भारत में आबादी के विकास के मुख्य कारणों में से एक निरक्षरता है। अशिक्षित और गरीब वर्ग के लोग अधिक संख्या में बच्चों को जन्म देते हैं। इसके लिए दो कारण हैं।

सबसे पहले उनके लिए अधिक बच्चे काम करने और परिवार के लिए पैसे कमाने में मदद करते हैं। दूसरा उनमें से ज्यादातर जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में नहीं जानते हैं। प्रारंभिक विवाह के परिणामस्वरूप बच्चों की संख्या अधिक होती है। आबादी में वृद्धि की वजह से मृत्यु दर कम हो सकती है। विभिन्न बीमारियों के लिए इलाज़ और उपचार विकसित किए गए हैं और इस तरह मृत्यु दर में कमी आई है।

भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • न्यूनतम विवाहयोग्य आयु

सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल तय की है। हालांकि इस पर कोई कड़ी जांच नहीं है। देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में लोग अभी भी कम उम्र में अपने बच्चों की शादी करते हैं। सरकार को शादी की न्यूनतम उम्र में वृद्धि करना चाहिए और इसके लिए जांच भी कड़ी करनी चाहिए।

  • मुफ्त शिक्षा

भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के अधिकार के जरिए देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है निरक्षरता को समाप्त करना।

  • दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देना

भारत सरकार बच्चों को गोद लेने को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों की वजह से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है।

भारत में बढ़ती आबादी गंभीर चिंता का विषय है। हालांकि सरकार ने इस पर नियंत्रण रखने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन ये नियंत्रण पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। इस मुद्दे को रोकने के लिए कई अन्य उपाय किए जाने की आवश्यकता है।

निबंध 3 (500 शब्द) – मानव विज्ञान, प्रौद्योगिकी व जनसंख्या विस्फोट

जनसंख्या सामान्यतः एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। हालांकि आबादी शब्द का मतलब केवल मानव आबादी ही नहीं है बल्कि वन्यजीव आबादी और जानवरों तथा अन्य जीवित जीवों की कुल आबादी की पुनरुत्पादन करने की क्षमता है। विडंबना यह है कि जहाँ मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है तो जानवरों की आबादी कम हो रही है।

कैसे मानव विज्ञान और प्रौद्योगिकी मानव जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दिया है ?

कई कारक हैं जो पिछले कुछ दशकों से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रमुख कारकों में से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति है। जहाँ पहले जन्म दर और मनुष्य की मृत्यु दर के बीच एक संतुलन था चिकित्सा विज्ञान में प्रगति ने उसमें असंतुलन पैदा कर दिया है। कई बीमारियों का इलाज करने के लिए दवाएं और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों को विकसित किया गया है। इन की मदद से मनुष्य मृत्यु दर कम हो गई है और इससे जनसंख्या में वृद्धि हो गई है।

इसके अलावा तकनीकी विकास ने भी औद्योगीकरण को रास्ता दिखाया है। हालांकि पहले ज्यादातर लोग कृषि गतिविधियों में शामिल थे और उसी के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित करते थे पर अब कई अलग-अलग कारखानों में नौकरी करने की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे क्षेत्रों की आबादी, जहां इन उद्योगों की स्थापना की जाती है, दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

वन्यजीव जनसंख्या पर मानव जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव

जहाँ मानव आबादी विस्फोट के कगार पर है वहीं वन्यजीव आबादी समय गुज़रने के साथ कम हो रही है। पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों की आबादी काफी कम हो गई है जिसका केवल मनुष्य को ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इनमें से कुछ विवरण नीचे दिए गए हैं:

  • वनों की कटाई

वन्यजीव जानवर जंगलों में रहते हैं। वनों की कटाई का अर्थ है उनके आवास को नष्ट करना। फिर भी मनुष्य निर्दयता से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों को काट और नष्ट कर रहा है। जानवरों की कई प्रजातियों में भी कमी आई है और कई लोग अन्य अपने निवास की गिरती गुणवत्ता या नुकसान के कारण विलुप्त हो गए हैं।

  • बढ़ता प्रदूषण

बढ़ता हवा, पानी और भूमि प्रदूषण एक और प्रमुख कारण है कि कई जानवरों की कम उम्र में मृत्यु हो जाती है। पशुओं की कई प्रजातियां बढ़ते प्रदूषण का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें इसके कारण कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है और उसके घातक परिणामों का सामना करना पड़ता है।

  • जलवायु में परिवर्तन

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु काफी तेजी से बदल गई है। कई क्षेत्र जिनमें पहले मध्यम बारिश होती थी वहां अब हालात बाढ़ की तरह दिखाई देने लगे हैं। इसी तरह गर्मी के मौसम में हल्के गर्म रहने वाले क्षेत्र अब बेहद गर्म मौसम का अनुभव करते हैं। जहाँ मनुष्य ऐसी स्थितियों के अनुकूल होने के लिए तैयार होते हैं वहीं जानवर इसका सामना नहीं कर सकते।

मनुष्य ने हमेशा अपने पौधों, जानवरों और उनके आसपास के समग्र वातावरण पर प्रभाव की अनदेखी करते हुए अपने आराम और सुख के बारे में सोचा है। अगर मनुष्य इस तरह से व्यवहार करते रहे तो पृथ्वी मनुष्य के अस्तित्व के लिए अब फिट नहीं रहेगी। यह सही समय है कि हमें मानव आबादी को नियंत्रित करने और साथ ही हमारे ग्रह को बर्बाद कर रही प्रथाओं को नियंत्रित करने के महत्व को स्वीकार करना चाहिए।

Essay on Population in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – जनसंख्या नियंत्रण क्यों आवश्यक है व इसके उपाय क्या हैं

जनसंख्या एक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। यह न केवल मनुष्यों को संदर्भित करती है बल्कि जीवित जीवों के अन्य रूपों को भी संदर्भित करती है जिनमें पैदा करने और गुणा करने की क्षमता होती है। पृथ्वी के कई हिस्सों में जनसंख्या बढ़ रही है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकार विभिन्न तरीकों से इस मुद्दे को रोकने की कोशिश कर रही है लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करना होगा।

जनसंख्या को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है ?

आबादी की बढ़ती दर कई समस्याओं का कारण है। विकासशील देश विकसित देशों के स्तर तक पहुंचने में कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इन देशों में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि इस दिशा में मुख्य बाधाओं में से एक है। बढ़ती आबादी के कारण बेरोजगारी की समस्या उच्चतम स्तर पर है। नौकरियों की तलाश में कई लोग हैं लेकिन रिक्तियां सीमित हैं। बेरोजगारी गरीबी का कारण है जो एक और समस्या है। यह लोगों के बीच असंतोष पैदा करती है और अपराध को जन्म देती है। जो लोग अपनी वांछित नौकरियां प्राप्त नहीं कर पाते वे अक्सर पैसे कमाने के लिए अवांछित तरीके अपनाते हैं।

यह भी समझना चाहिए कि संसाधन सीमित हैं लेकिन लोगों की बढ़ती संख्या के कारण मांग बढ़ रही है। वनों को काटा जा रहा है और उनकी जगह विशाल कार्यालय और आवासीय भवन बनाए जा रहे हैं। क्यां करे? यह बढ़ती आबादी को समायोजित करने के लिए किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधन तेजी से कम हो रहे हैं क्योंकि अधिक संख्या में लोग उनका उपयोग कर रहे हैं। यह पर्यावरण में असंतुलन पैदा कर रहा है। लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पर्यावरण का क्षरण ही नहीं बल्कि जीवन की लागत भी बढ़ जाती है। इस प्रकार आबादी को नियंत्रित करना आज के समय की आवश्यकता बन गया है। पर्यावरण में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है। इससे लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित होगा।

मानव जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए संभावित कदम

मानव आबादी को नियंत्रित करने के लिए यहां कुछ संभावित कदम दिए गए हैं:

गरीब और अशिक्षित वर्गों के लोग अधिकतर परिवार नियोजन योजना नहीं बनाते हैं। वे महिलाओं को एक के बाद एक बच्चे पैदा करने की मशीन के रूप में देखते हैं। लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। सरकार को सभी के लिए शिक्षा आवश्यक बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

  • परिवार नियोजन

परिवार के नियोजन के महत्व के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाना सरकार के लिए आवश्यक है। यह रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट और संचार के अन्य रूपों के माध्यम से बार-बार किया जाना चाहिए।

  • मौद्रिक लाभ

सरकार को करों से छूट या उन परिवारों को अन्य मौद्रिक लाभ प्रदान करना चाहिए जिनके पास एक बच्चा है। चूंकि आज लोग पैसे के पीछे भाग रहे हैं इसलिए आबादी को नियंत्रित करने की दिशा में यह एक प्रभावी कदम होगा। कुछ देशों की सरकारें पहले ही ऐसी नीतियों को लागू कर चुकी हैं।

  • जुर्माना या दंड

जैसे सरकार उन लोगों को मौद्रिक लाभ प्रदान कर सकती है जो समुचित परिवार नियोजन करते हैं उसी तरह उन पर पैसों के रूप में जुर्माना भी लगा सकती है जो ऐसा नहीं करती है। दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

  • सख्त मॉनिटरिंग

सरकार को केवल उपर्युक्त बिंदुओं को लागू नहीं करना चाहिए बल्कि इनकी एकदम सही जांच भी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग उनका पालन करें।

लोगों को आबादी नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और जनसंख्या नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए उचित नियम और नीतियां बनानी चाहिए। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए दोनों सार्वजनिक और सरकार को एक साथ काम करने की आवश्यकता है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Population (जनसँख्या पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- वेटिकन सिटी

उत्तर- उत्तर प्रदेश की

उत्तर- शिक्षा एवं परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता।

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जनसंख्या पर निबंध 10 lines (Essay On Population in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

essay population in hindi

Essay On Population in Hindi – जनसंख्या एक बहुत ही दिलचस्प विषय है। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि किसी भी देश की जनसंख्या इस बात का बहुत मजबूत संकेतक है कि वह देश भविष्य में कैसे कार्य करेगा और एक राष्ट्र के रूप में उसकी क्षमताएं क्या हैं। दुनिया के नेता इसी कारण से अपने देश की जनसंख्या पर बहुत ध्यान देते हैं। जनसंख्या और उनके पास मौजूद कौशल शायद किसी भी देश के लिए सबसे आवश्यक संपत्तियों में से कुछ हैं। निम्नलिखित लेख जनसंख्या के विषय पर एक निबंध है और इसे इस तरह से संरचित किया गया है कि सभी उम्र के छात्र उन मुख्य बिंदुओं को सीख और समझ सकें जिनका उन्हें इस तरह का निबंध लिखते समय उल्लेख करने की आवश्यकता है। 

जनसंख्या पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Population Essay 10 Lines in Hindi) 100 – 150 शब्द

  • 1) जनसंख्या, सरल शब्दों में, दुनिया में लोगों की कुल गिनती है।
  • 2) जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है जिससे ग्रह को बहुत सारे नुकसान हो रहे हैं।
  • 3) जनसंख्या में वृद्धि से लोगों के लिए संसाधनों की संख्या सीमित हो जाती है।
  • 4) चीन दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है।
  • 5) भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में दूसरे स्थान पर है।
  • 6) जनसंख्या वृद्धि नकारात्मक भी हो सकती है और सकारात्मक भी।
  • 7) जनसंख्या की अधिकता को अतिजनसंख्या कहा जाता है।
  • 8) जनसंख्या वृद्धि पूरी दुनिया के लिए एक खतरनाक चिंता का विषय है।
  • 9) किसी भी राष्ट्र के सतत विकास के लिए जनसंख्या सीमा में होनी चाहिए।
  • 10) देशों में अधिक जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार कई कार्यक्रम चलाती है।

जनसंख्या पर 200 शब्द निबंध (200 Words Essay On Population in Hindi)

हाल के दशकों में वैश्विक जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व की जनसंख्या 2020 में 7.9 बिलियन तक पहुंच गई और 2050 तक लगभग 9.7 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। यह जनसंख्या वृद्धि दर देश और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है, कुछ क्षेत्रों में दूसरों की तुलना में उच्च वृद्धि दर का अनुभव होता है। विकासशील देशों में विकसित देशों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि दर अधिक होती है।

संसाधनों पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का संसाधनों पर काफी प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, भोजन, पानी और ऊर्जा की मांग बढ़ती है। इससे भोजन और पानी की कमी के साथ-साथ ऊर्जा संसाधनों पर दबाव जैसे मुद्दे पैदा हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या जंगलों और भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर भी दबाव डालती है, जिससे वनों की कटाई और भूमि क्षरण जैसे मुद्दे सामने आते हैं।

पर्यावरण पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का पर्यावरण पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे अपशिष्ट और प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ती है। इससे वायु और जल प्रदूषण जैसे मुद्दों के साथ-साथ महासागरों और नदियों जैसी प्राकृतिक प्रणालियों पर दबाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या जैव विविधता पर भी दबाव डालती है, जिससे प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्रों का नुकसान होता है।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है. जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे आवास, बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी सेवाओं की मांग भी बढ़ती है। इससे आवास और बुनियादी ढांचे की समस्याओं के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रणालियों पर दबाव जैसे मुद्दे पैदा हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या रोज़गार और नौकरी बाज़ारों पर भी दबाव डाल सकती है।

जनसंख्या पर 300 शब्द निबंध (300 Words Essay On Population in Hindi)

किसी स्थान पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए जनसंख्या आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से काफी भिन्न होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण

पृथ्वी पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। जबकि कुछ देश ऐसे हैं जो जनसंख्या विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं, अन्य देश बहुत कम आबादी वाले हैं। यह केवल मानव आबादी का मामला नहीं है, यह जानवरों और अन्य जीवों के लिए भी अच्छा है। कुछ स्थानों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखेंगे जबकि कुछ स्थानों पर आपको शायद ही कोई जानवर मिलेंगे।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती हैं

किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व की गणना कुल लोगों की संख्या को उस क्षेत्र से विभाजित करके की जाती है जिसमें वे रह रहे हैं। जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से अलग-अलग स्थानों में भिन्न होता है। किसी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कुछ कारक इस प्रकार हैं:

अत्यधिक गर्म या ठंडी जलवायु वाले स्थान कम आबादी वाले होते हैं। दूसरी ओर, जो मध्यम जलवायु का आनंद लेते हैं वे घनी आबादी वाले हैं।

तेल, लकड़ी, कोयला आदि जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं, जबकि जिन क्षेत्रों में इन बुनियादी संसाधनों की कमी है, वे विरल आबादी वाले हैं।

  • राजनीतिक माहौल

जिन देशों में स्थिर सरकार और स्वस्थ राजनीतिक वातावरण होता है, वहां घनी आबादी होती है। ये देश क्षेत्र को आबाद करके अन्य देशों के अप्रवासियों को वहां आकर्षित करते हैं। दूसरी ओर, गरीब या अस्थिर सरकार वाले देशों में बहुत से लोग किसी अच्छे अवसर की उपलब्धता पर कहीं और चले जाते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे प्रथम विश्व के देश बहुत सारे अप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बेहतर पैकेज और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग ऐसे देशों में प्रवास करते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ता जा रहा है।

भले ही दुनिया भर में कुछ स्थानों पर जनसंख्या का घनत्व कम है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में देश की कुल जनसंख्या में वृद्धि हुई है और आने वाले समय में इसके कई गुना बढ़ने की संभावना है।

जनसंख्या पर 500 शब्द निबंध (500 Words Essay On Population in Hindi)

जनसंख्या से तात्पर्य किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले प्राणियों की कुल संख्या से है। जनसंख्या हमें प्राणियों की संख्या का अनुमान लगाने और उसके अनुसार कार्य करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, यदि हम किसी शहर की विशेष जनसंख्या को जानते हैं, तो हम अनुमान लगा सकते हैं कि उसे कितने संसाधनों की आवश्यकता है। इसी तरह, हम जानवरों के लिए भी ऐसा कर सकते हैं। यदि हम मानव आबादी पर नजर डालें तो पाते हैं कि यह किस प्रकार चिंता का कारण बनती जा रही है। विशेषकर तीसरी दुनिया के देश जनसंख्या विस्फोट से सबसे अधिक पीड़ित हैं। चूँकि वहाँ संसाधन सीमित हैं और लगातार बढ़ती जनसंख्या इसे और बदतर बना देती है। वहीं दूसरी ओर कई क्षेत्रों में कम जनसंख्या की समस्या भी है.

भारत जनसंख्या संकट

बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत एक बड़े जनसंख्या संकट का सामना कर रहा है। अगर अनुमान लगाया जाए तो हम कह सकते हैं कि दुनिया की लगभग 17% आबादी अकेले भारत में रहती है। सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर है।

इसके अलावा, भारत भी कम साक्षरता दर वाले देशों में से एक है। यह कारक भारत में जनसंख्या विस्फोट में बड़े पैमाने पर योगदान देता है। आमतौर पर देखा जाता है कि अशिक्षित और गरीब वर्ग में बच्चों की संख्या अधिक होती है। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए होता है क्योंकि उन्हें जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है। इसके अलावा, एक परिवार में अधिक लोग अधिक मदद करने वाले हाथों के बराबर होते हैं। इसका मतलब है कि उनके पास कमाई के बेहतर मौके हैं।

इसके अलावा, हम यह भी देखते हैं कि ये वर्ग किस प्रकार शीघ्र विवाह का अभ्यास करते हैं। यह इसे अधिक जनसंख्या के प्रमुख कारणों में से एक बनाता है। लोग पैसों के लिए या अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त होने के लिए अपनी जवान बेटियों की शादी अपने से कहीं अधिक उम्र के पुरुषों से कर देते हैं। युवा लड़की कम उम्र से ही बच्चों को जन्म देती है और लंबे समय तक ऐसा करती रहती है।

चूँकि भारत संसाधनों की कमी का सामना कर रहा है, जनसंख्या संकट समस्या को और बढ़ा देता है। इससे प्रत्येक नागरिक के लिए संसाधनों का समान हिस्सा प्राप्त करना काफी कठिन हो जाता है। इससे गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर हो जाता है।

जनसंख्या विस्फोट का प्रभाव

मानव जनसंख्या विस्फोट न केवल मनुष्यों को बल्कि हमारे पर्यावरण और वन्य जीवन को भी प्रभावित करता है। हमने विभिन्न कारकों के कारण पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों को विलुप्त होते देखा है। चूँकि अधिक जनसंख्या को अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है, इसलिए वनों की कटाई तेजी से हो रही है जो इन जानवरों के घरों को छीन लेती है। इसी प्रकार, मानवीय गतिविधियों के कारण उनका निवास स्थान नष्ट हो रहा है।

इसके बाद, जनसंख्या विस्फोट के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक मनुष्य ऑटोमोबाइल खरीद रहे हैं, हमारी हवा प्रदूषित हो रही है। इसके अलावा, बढ़ती ज़रूरत के लिए औद्योगीकरण की तेज़ दर की आवश्यकता है। ये उद्योग हमारे जल और भूमि को प्रदूषित करते हैं, हमारे जीवन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं और उसका ह्रास करते हैं।

इसके अलावा, मानवीय गतिविधियों के कारण हमारी जलवायु में भी भारी बदलाव आ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन वास्तविक है और यह हो रहा है। यह हमारे जीवन पर बहुत हानिकारक प्रभाव डाल रहा है और अब इस पर नजर रखी जानी चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग जो मुख्यतः मनुष्यों की गतिविधियों के कारण होती है, जलवायु परिवर्तन के कारकों में से एक है।

मनुष्य अभी भी जलवायु का सामना करने और उसके अनुसार अनुकूलन करने में सक्षम हैं, लेकिन जानवर ऐसा नहीं कर सकते। इसी कारण वन्य जीव भी विलुप्त होते जा रहे हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो मनुष्य सदैव अपने भले के बारे में सोचता है और स्वार्थी हो जाता है। वह इस बात को नज़रअंदाज कर देता है कि वह आसपास के वातावरण पर क्या प्रभाव डाल रहा है। यदि जनसंख्या दर इसी गति से बढ़ती रही तो हम अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे। इसके साथ ही जनसंख्या वृद्धि के हानिकारक परिणाम सामने आते हैं। अत: हमें जनसंख्या नियंत्रण के उपाय अवश्य करने चाहिए।

जनसंख्या पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 विश्व की वर्तमान जनसंख्या कितनी है.

उत्तर. जुलाई 2021 तक विश्व की जनसंख्या 7.88 बिलियन होने का अनुमान है।

Q.2 चीन की जनसंख्या कितनी है?

उत्तर. जुलाई 2021 तक चीन की जनसंख्या लगभग 141.24 करोड़ है।

Q.3 जनसंख्या अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर. जनसंख्या वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक नौकरियां पैदा हो सकती हैं और आर्थिक विकास बढ़ सकता है।

Q.4 जनसंख्या वृद्धि को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?

उत्तर. जनसंख्या वृद्धि कई कारकों से प्रभावित होती है, जिनमें जन्म दर, मृत्यु दर, प्रवासन और संसाधनों तक पहुंच शामिल है।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

इस लेख में हमने बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध हिंदी में (Essay on Increasing Population in Hindi) लिखा है। जिसमें जनसंख्या वृद्धि का अर्थ, प्रकार, कारण. दुष्परिणाम. कानून और नियंत्रण के उपाय को आकर्षक रूप से शामिल किया गया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi)

किसी भी परिवार को एक आदर्श परिवार तब कहा जा सकता है जब वह सभी प्रकार से संतुलित हो। परिवार में संतुलन अर्थात संख्या संतुलन, आर्थिक संतुलन और व्यवहारिक संतुलन होता है।

लेकिन जब संख्या में लगातार बढ़ोतरी होना शुरू हो जाता है तो परिवार आर्थिक, सामाजिक तथा व्यावहारिक रूप से कमजोर हो जाता है। ठीक इसी प्रकार किसी भी देश की बढ़ती जनसंख्या उसके अविकसित रहने का कारण बनती है।

जनसंख्या वृद्धि यह एक प्राकृतिक परिस्थिति है। लेकिन इसका संतुलन मनुष्य के विवेक के ऊपर निर्भर होता है। अर्थात मनुष्य चाहे तो अपने परिवार को संतुलित रख राष्ट्र को संतुलित रख सकता है।

आबादी की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा देश चीन है। भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर मौजूद है। लेकिन जिस गति से भारत में जनसंख्या वृद्धि हो रही है वह दिन दूर नहीं जब भारत पूरी दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा।

संख्या में ज्यादा होने के कारण इंसानों को रहने तथा गुजर-बसर करने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए जिस देश में जनसंख्या असंतुलन होती है वहां गरीबी, भुखमरी, महंगाई तथा बेरोजगारी अधिक मात्रा में देखने को मिलती है।

इस विषय की गहराई के बारे में हर भारतवासी को सोचना होगा। साथ ही ऐसे कड़े कानून की व्यवस्था करनी पड़ेगी जिसके माध्यम से लापरवाह और असंतुलित लोगों पर शिकंजा कसा जा सके।

जनसंख्या वृद्धि की परिभाषा Definition of population growth in Hindi

एक निश्चित आंकड़े के बाद बढ़ी हुई आबादी को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है। सरल शब्दों में कहे तो किसी भी देश की भौगोलिक परिस्थिति, विकास के अवसर तथा धन के आधार पर तय किए गए जनसंख्या मानक से अधिक संख्या को बढ़ती हुई जनसंख्या का नाम दिया जाता है।

जनसंख्या वृद्धि में किसी भी व्यक्ति, समूह को शामिल नहीं किया जाता है। जिसके कारण लोग बिना सोचे समझे जनसंख्या बढ़ा रहे हैं।

कुछ विशेष नियमों के अंतर्गत जनसंख्या वृद्धि की परिभाषा में बदलाव हो सकता है। क्योंकि पिछली परिभाषा के अनुसार जाहिल और पिछड़ी मानसिकता वाले लोगों की पहचान कर पाना नामुमकिन होता था।

वर्तमान समय में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई कठोर कानून नहीं है, इसलिए ऐसे लोगों पर लगाम कस पाना बेहद मुश्किल कार्यों में से एक है।

जनसंख्या घनत्व वृद्धि के प्रकार Types of Population Density Growth in Hindi

भारत में राज्य स्तर पर उपलब्ध जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर जनसंख्या घनत्व को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता हैः अधिक घनत्व वाले क्षेत्र, मध्य घनत्व वाले क्षेत्र तथा कम घनत्व वाले क्षेत्र।

जहां जनसंख्या का घनत्व चार सौ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक होता है ऐसे जगह को ज्यादा घनत्व वाले जनसंख्या क्षेत्र कहते हैं। ऐसे क्षेत्र तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल राज्य में आते हैं। 

जिन क्षेत्रों का जनसंख्या घनत्व 100 से 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर के बीच होता है उन्हें मध्यम घनत्व वाले क्षेत्र कहते हैं। उदाहरण के तौर पर आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, उड़ीसा, जैसे राज्य मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य हैं।

जिन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व 100 व्यक्ति या उससे कम प्रति वर्ग किलोमीटर होता है ऐसे क्षेत्रों को निम्न जनसंख्या घनत्व वाला स्थान कहते हैं। जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम तथा अंडमान निकोबार दीप समूह।

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण Reason of Population increasing in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण देश में आर्थिक असंतुलन पैदा होता है। जिसके कारण देश का आर्थिक विकास दर बाधित होता है।

जनसंख्या वृद्धि का सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का होना है। क्योंकि ज्ञान के अभाव में ही लोग अपनी तथा देश के भले बुरे के बारे में दूरदर्शिता नहीं रख पाते।

अशिक्षा के कारण लोग जनसंख्या वृद्धि को रोकने का विकल्प नहीं खोज पाते। जिसके कारण उनका पारिवारिक, सामाजिक जीवन असंतुलित हो जाता है।

कम पढ़े लिखे होने के कारण कम आयु में विवाह करने का प्रचलन भी बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप परिवार संयोजन जैसे गंभीर विषयों पर सोचने लायक बुद्धि का विकास ही नहीं हो पाता। जिसके कारण जनसंख्या असंतुलन जैसे मुद्दे सामने आते हैं।

कम आयु अथवा कम समझ में विवाह हो जाने के कारण परिवार नियोजन के प्रति उदासीन भाव रखते हैं तथा विकल्पों को व्यर्थ की बात समझने लगते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारणों में सबसे मुख्य कारण चिकित्सा का अभाव भी होता है। जिसके माध्यम से लोगों को उनकी शारीरिक संरचना के प्रति आगाह किया जाता है। चिकित्सा के अभाव में जनसंख्या वृद्धि होना आज एक आम बात रह गई है।

इसके अलावा गरीबी और जनसंख्या विरोधाभास आदि ने जनसंख्या बढ़ाने में योगदान किया है। इसके कारण कुछ धर्म विशेष के लोग इन मुद्दों की गंभीरता को बिल्कुल भी नहीं समझते हैं तथा अंधविश्वास के कारण जनसंख्या वृद्धि को उनके ईश्वर की मर्जी मानते हैं।

आज अगर बढ़ती हुई आबादी को संतुलित करने के रास्ते न निकाले गए तो इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही नकारात्मक देखने को मिल सकते हैं।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम Bad Effects of Population Increasing in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण किसी भी देश में तकलीफों का बढ़ना आम बात है। जिसमें उस देश के सभी नागरिकों की हानि होती है साथ में देश आर्थिक रूप से कमजोर होता है।

जब किसी देश में लोगों की संख्या बेलगाम बढ़ने लगती है तो वहां के संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है। जो वहां के लोगों की प्रति ही खर्च हो जाता है और व्यवसाय के लिए नाम मात्र ही बचता है। 

उदाहरण के तौर पर चीन में अधिक जनसंख्या होने के कारण वह अपने देश में उगाए हुए चावल स्वयं ही उपयोग में लेता है।

मामूली सी बात है, कि जिस घर में खाने वाले अधिक तथा कमाने वाले कम होंगे वहां के लोगों का जीवन स्तर बहुत ही मामूली रह जाएगा। वर्तमान भारत के कई गांवों में आज निम्न स्तर के जीवन जीने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 

कहते हैं कि पैसा पैसे को खींचता है और गरीबी को। गरीबी का कुचक्र एक ऐसा चक्र है जिसमें लोग आजीवन फंसे रह जाते हैं तथा अपने हित व समाज के हित की बात सोच ही नहीं पाते। 

जब लोगों के जीवन का स्तर निम्न होगा जाहिर सी बात है कि देश का स्तर भी गिरेगा। इसलिए जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम को कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि समस्त राष्ट्र भुगतता है।

जनसंख्या वृद्धि के सबसे बड़े दुष्परिणाम के रूप में पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों की हानि के रूप में सामने आता है। जहां लोगों की वृद्धि होती है वहां उन्हें रहने के लिए अतिरिक्त जगह की आवश्यकता पड़ती है। जिसके कारण जंगलों तथा प्राकृतिक स्थानों का नाश किया जाता है।

इसके अन्य बहुत सारे दूरगामी दुष्परिणाम सामने आते हैं जैसे कि- बेरोजगार स्त्री पुरुषों की संख्या में बढ़ोतरी होना, प्रदूषण का बढ़ना , श्रम बाजार में प्रतिस्पर्धा का बढ़ना तथा आपराधिक प्रवृत्तियों में बढ़ोतरी होना इत्यादि।

जनसंख्या नियंत्रण कानून Population Regulation Bill in Hindi

जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने जबरदस्ती आपातकालीन लागू कर दिया था तब उन्होंने 60 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई थी। जिसके बाद लगभग दो हजार लोगों की मृत्यु हो गई थी।

विगत सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए बहुत से कानून बनाने के प्रयास किए। लेकिन वे सभी फाइलों में धूल खाती रह गई। 

सन 2000 में जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वर्गीय अटल बिहारी सरकार में गठित वेंकटचलैया आयोग ने कानून बनाने की सिफारिश की थी। वेंकटचलैया आयोग ने 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी।

इसके बाद सभी सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर अपने स्वार्थ साधना ही पूरी की। वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान लाल किले से जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को उठाया था।

2015 से 2018 तक विभिन्न लोगों ने अपने अपने रिसर्च और रिपोर्ट को उजागर किया था जिसमें गैर कानूनी तरीके से भारत में रह रहे लोगों का उल्लेख खुलकर किया गया था।

समय-समय पर अनेक राजनेताओं ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने के विषय को उठाया। लेकिन जनसंख्या नियंत्रण यह परिवार का व्यक्तिगत मामला होता है इसलिए वर्तमान सरकार ने जागरूकता पर अधिक जोर दिया है।

लेकिन जो मुद्दे राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता के लिए जरूरी होते हैं उन मुद्दों के लिए जबरजस्ती कानून बनाने की आवश्यकता हो तो ही बनाने चाहिए। क्योंकि एक बार परिस्थिति हाथ से निकल जाती है तो पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता। 

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के उपाय Measures to Control Population Growth in Hindi

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के लिए सबसे पहले लोगों में जागरूकता को फैलाना चाहिए। इसके लिए गांव देहातों में विभिन्न सभाओं व परिवार नियोजन संस्थाओं का निर्माण करना चाहिए।

शिक्षा के अभाव में लोग जनसंख्या वृद्धि को नजरअंदाज करते हैं। जिसके लिए लोगों को शिक्षित तथा अनुशासित करने का ताना-बाना बुनना चाहिए।

गैरकानूनी रूप से दाखिल हुए लोगों को बलपूर्वक देश के प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करना चाहिए तथा गैर कानूनी रूप से दाखिल हुए लोगों के लिए विशेष कानून बनाना चाहिए।

जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए कड़े कानून बनाना ही एकमात्र उपाय है। जिसके माध्यम से लोगों में संतुलन बनाए रखने की जागरूकता में वृद्धि होगी।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर 10 लाइन Best 10 lines on Population growth in Hindi

  • किसी भी देश के आर्थिक संपत्ति के मुकाबले अतिरिक्त जनसंख्या को बढ़ती हुई जनसंख्या कहते हैं।
  • जनसंख्या की दृष्टि से चीन दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है।
  • भारत यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आबादी वाला देश है।
  • एक रिसर्च के अनुसार 2048 तक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की जनसंख्या वर्ष 2064 में लगभग 9.7 बिलियन होने का अनुमान लगाया गया है।
  • समय के साथ किसी देश की बढ़ती आबादी को वृद्धि वक्र के द्वारा दर्शाया जाता है।
  • बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण देश का आर्थिक विकास भी अवरुद्ध होता है।
  • जनसंख्या वृद्धि के मुख्य सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का होना है।
  • तेजी से जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न होता है।
  • भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता बेहद ही अधिक है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध हिंदी में (Essay on Increasing Population in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर करें।

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Population Essay In Hindi

जनसँख्या पर निबंध – Population Essay In Hindi

जनसँख्या पर निबंध – essay on population in hindi.

भारत की बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर समस्या है। भारत जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरा देश है। अभी वर्तमान समय में अनुमानित एक सौ तीस करोड़ के आँकड़े को भी पार कर गई है।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

यदि इसी गति से बढ़ती गई, तो एक दिन चीन को भी पीछे छोड़ देगी। जनसंख्या वृद्धि की समस्या अत्यंत विकराल है। यह ऐसी समस्या है जो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अब तक लगातार बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान में यह समस्या गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण हैं, इनमें सबसे प्रमुख है भारतीयों की धार्मिक भावनाएँ, अंधविश्वास तथा अशिक्षा। भारत की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में रहती है। गाँवों में रहने वाले लोग अंधविश्वासी, अशिक्षित तथा धार्मिक मान्यताओं को मानने वाले होते हैं।

वे संतान को ईश्वर का दिया हुआ वरदान मानते हैं। परिवार नियोजन के साधनों को धर्म विरोधी तथा अनैतिक बताते हैं। इसीलिए गाँवों में जनसंख्या का विस्तार तेजी से हुआ है और हो रहा है। जनसंख्या की वृद्धि का अन्य कारण है बाल विवाह।

गाँवों में लड़कियों की शादी अल्पायु में यानी चौदह-पंद्रह वर्षों में कर दी जाती है। इस कारण वे जल्दी माँ बन जाती हैं। इससे उनको संतानोत्पत्ति के लिए लंबा समय मिल जाता है। पुत्र की चाहत में कई-कई बेटियाँ होना सामान्य बात है। जनसंख्या की वृधि के अनेक दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इसी के प्रभाव से बेकारी की समस्या बढ़ रही है।

बेकारी की समस्या बढ़ने के कारण इससे संबंधित अनेक प्रकार की समस्याएँ जैसे अपराध, भ्रष्टाचार, गरीबी, जीवन स्तर में कमी, कुपोषण आदि की समस्याएँ भी उपस्थित हो गई हैं। जनसंख्या की अधिकता के कारण गाँवों के लोगों का पलायन शहरों की ओर हो रहा है। आज महानगरों में बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए आवास योग्य भूमि का इतना अभाव हो गया है कि लोगों को झुगी-झोपड़ियों, स्लम आदि में रहने को विवश होना पड़ रहा है।

यद्यपि भारत ने औद्योगिक क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है, परंतु जनसंख्या की निरंतर वृद्धि के कारण यह प्रगति बहुत कम लगती है। बेरोजगारी को बढ़ाने में भी सर्वाधिक योगदान जनसंख्या की वृधि ही है। बेरोजगार होने के कारण युवकों में अपराध करने की प्रवृत्ति बढ़ती रहती है। जिससे देश में शांति और व्यवस्था भंग हो जाती है।

जनसंख्या की वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए गाँवों के लोगों में जागृति लाना आवश्यक है। उन्हें परिवार नियोजन के लिए प्रोत्साहित किया जाना अनिवार्य है। इसके लिए विवाह कानून को भी कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। इसके लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार बहुत आवश्यक है।

सरकार को इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे, एक या दो संतान वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। तथा अधिक संतान वालों पर कर आदि लगाकर या उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में कमी कर हतोत्साहित करना चाहिए।

Population Essay

essay population in hindi

जनसंख्या पर निबंध – Population Essay in Hindi

Population Essay in Hindi

जनसंख्या वृद्धि आज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, वहीं अगर इस समस्या पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो मनुष्य इस धरती पर रहना मुश्किल हो जाएगा और मनुष्य के जीवन जीने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं बचेंगे, जिससे वे भुखमरी का शिकार हो जाएंगे।

वहीं बढ़ रही जनसंख्या को लेकर लोगों को जागरूक करने के मकसद से हमारी सरकार द्धारा समय-समय पर अभियान भी चलाए जाते हैं जिससे लोग परिवार नियोजन के लिए अपने आगे कदम बढ़ा सके।

इसके साथ ही स्कूल/कॉलेज समेत अन्य संस्थानों में आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता में जनसंख्या के विषय पर निबंध ( Population Essay )लिखने के लिए भी कहा जाता है।

जिससे आज की युवा पीढ़ी जनसंख्या वृद्धि को लेकर जागरुक हो सके और जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जान सकें। वहीं आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में जनसंख्या पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Population Essay in Hindi

जनसंख्या वृद्धि किसी भी देश के विकास में तो बाधा बनती ही है, इसके साथ ही कई और बड़ी मुश्किलें भी पैदा करती हैं। वहीं भारत में काफी गंभीर और बड़ी समस्या बन चुकी है।

जनसंख्या वृद्धि -भारत की एक विकराल समस्या

आज हमारे देश भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से आज हमारा देश विकास के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे हैं।

भारत में जनसंख्या बढ़ने से गरीबी बढ़ रही है, बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां जरूरत से ज्यादा धीमी होती जा रही है, आर्थिक मंदी आ रही है।

यही नहीं वन, जंगल, वनस्पतियां, जल संसाधन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों का भी जमकर हनन हो रहा है और तो और खाद्य उत्पादन और वितरण भी, जनसंख्या के मुकाबले नाकाफी साबित हो रहा है। वहीं बढ़ती महंगाई भी जनसंख्या वृद्धि के सबसे मुख्य कारणों में से एक है।

प्राकृतिक संसाधनों का हनन तो हो ही रहा है साथ ही में मानव निर्मित संसाधन भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।

जनसंख्या वृद्धि के कारण ही आज हमें हर जगह घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ा रहा है, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, अस्पतालों, धार्मिक या सामाजिक समारोह पर इतनी भीड़ रहती है कि कई बार पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है।

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की आबादी 1 अरब से भी ज्यादा 1, 210, 193, 422 हैं। आबादी के मामले में भारत, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है।

वहीं अगर ऐसा ही रहा है तो विशेषज्ञों के मुताबिक साल 2025 तक भारत, सबसे अधिक आबादी वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार के प्रयास:

• भारत सरकार ने जनसंख्या पर काबू पाने के लिए लड़कों के लिए न्यूतनतम आयु 21 साल और लड़कियों के लिए न्यूनतम आयु 18 साल तय की है, लेकिन भारत के पिछड़े और ग्रामीण इलाकों में इस नियम का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है।

• भारत सरकार बच्चों को गोद लेने के लिए बढ़ावा दे रही है, लेकिन इससे भारतीयों की मानसिकता पर कोई असर नहीं पड़ रहा है, रुढ़िवादी सोच के चलते आज भी बच्चा गोद लेने से कतराते हैं।

• भारत सरकार द्धारा शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार के यह नियम-कानून लागू नहीं हो रहे हैं।

हम सभी भारतीयों को जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जागरूक होना चाहिए और इस पर नियंत्रण लगाने के लिए एकजुट होकर कदम उठाने चाहिए, नहीं तो आने वाले भविष्य में इसका बुरा नतीजा भुगतना पड़ सकता है।

जनसंख्या पर निबंध – Population Par Nibandh

जनसंख्या, किसी भी एक जगह में रहने वाले जीवों की संख्या है। वहीं दुनिया के कई हिस्सों में कुछ कारणों की वजह से जनसंख्या ज्यादा है, तो कई हिस्सों में आबादी का घनत्व बेहद कम हैं। वहीं विश्व में भारत, चीन समेत कुछ ऐसे देश हैं जहां आबादी इतनी बढ़ गई है कि यह गंभीर चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि जनसंख्या बढ़ने से खाने और रहने के स्त्रोतों की कमी पड़ने लगती है साथ ही जरूरत से ज्यादा आबादी किसी भी देश के विकास में बाधा पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणाम – Disadvantages of Population

बेरोजागारी:

देश में लगातार बढ़ रही जनसंख्या से बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, क्योंकि आबादी बढ़ने से अशिक्षित और अनपढ़ों की संख्या भी बढ़ रही है, जिससे बेरोजगारी की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है।

जाहिर सी बात है जब आबादी बढ़ती है तो, उसके हिसाब से साधन जुटा पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि एक सीमित मात्रा में ही हमें प्रकृति से संसाधन मिल पाते हैं। इसकी वजह से गरीबी की समस्या पैदा हो रही है।

आबादी बढ़ने की वजह से महंगाई की दर लगातार इसलिए बढ़ती जा रही है, क्योंकि उत्पादन सीमित है जबकि खपत ज्यादा है, इसलिए वितरण आबादी के मुताबिक नहीं हो पा रहा है और महंगाई सातवें आसमान को छू रही है।

प्रदूषण में वृद्धि:

बढ़ रही आबादी से उद्योंगों की संख्या भी बढ़ रही है। इसके साथ ही वाहनों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। वहीं इनसे निकलने वाली विषैली गैसें पर्यावरण को दूषित कर रही हैं।

जलवायु में बदलाव:

जाहिर है कि बढ़ती आबादी का सीधा प्रभाव प्रकृति पर पड़ता है, क्योंकि आजकल मनुष्य अपने ऐश और आराम के लिए प्रकृति का दोहन करने में नहीं चूक रहा है। जिसका सीधा असर जलवायु पर पड़ रहा है और इससे मौसम चक्र में भी परिवर्तन आ रहा है।

पर्यावरण पर प्रभाव:

लगातार बढ़ रही आबादी पर्यावरण पर बुरा असर डाल रही है, क्योंकि मनुष्य चंद लालच और सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का हनन करने से नहीं चूक रहा है और पेड़-पौधों को काट रहा है, जिसका बुरा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वन्यजीवों की प्रजातियों में कमी:

सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि आज, मानव की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जबकि वन्य जीवों की कई प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं, क्योंकि मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते वनों को नष्ट कर रहा है, जिसकी वजह से वन्य जीवन अपने निवास की गिरती गुणवत्ता और नुकसान की वजह से विलुप्त होते जा रहे हैं।

जीवन स्तर में कमी:

लगातार बढ़ रही आबादी से गरीबी, बेरोजगारी आदि की समस्याएं बढ़ रही हैं, जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आई है।

बढ़ रही आबादी तमाम समस्याओं को जन्म दे रही है, अगर समय रहते इस समस्या को काबू नहीं किया गया तो आने वाले भविष्य में न जाने कितने लोग घुटन और भुखमरी की वजह से मर जाएंगे। इसलिए हम सभी को इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने चाहिए।

जनसंख्या पर निबंध – Essay on Population

जाहिर है कि जनसंख्या किसी भी देश का मुख्य आधार होती है, जो वस्तुओं का उत्पादन करती है, वितरण करती है, साथ ही उपभोग भी करती है, इसलिए जनसंख्या को देश का साधन एवं साध्य दोनों माना जाता है लेकिन जरूरत से ज्यादा जनसंख्या किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास में रुकावट पैदा करती है साथ ही कई बड़ी समस्याएं पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण – Causes of Population Growth

शिक्षा का अभाव:

बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण शिक्षा की कमी है। क्योंकि शिक्षा से ही परिवार नियोजन के सही तरीके अपनाए जा सकते हैं, रुढिवादी विचारों से ऊपर उठा जा सकता है, कम उम्र में शादी और गरीबों जैसी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।

बढ़ती जन्म दरें:

चिकित्सा प्रणाली में सुधार होने की वजह से जन्म दरों में बढ़ोतरी हुई है। वहीं अगर आकंड़ों पर गौर करें तो 2016 में भारत में एक निश्चित समय अवधि में जन्म दर 19.3 प्रति 1000 थी, जबकि उतनी ही समय अवधि में 1000 लोगों के बीच 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है। जाहिर है कि हर पल लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

शिशु मृत्यु दर में कमी:

चिकित्सा विज्ञान ने इतनी अधिक तरक्की कर ली है कि शिशु मृत्यु दर में कमी आ गई है। वहीं यह भी जनसंख्या में बढ़ोतरी के प्रमुख कारणों में से एक है।

जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय – How to Control Population

परिवार नियोजन:

जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए परिवार नियोजन के सही तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

शिक्षा का प्रसार करना:

जब लोग शिक्षित होंगे तब वे रुढिवादी विचारधाराओं से ऊपर उठ सकेंगे, परिवार नियोजन के महत्व को समझेंगे साथ ही अपने बच्चों की पढ़ाई आदि पर ध्यान देंगे और कम बच्चे पैदा करेंगे जिससे जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सकेगी।

रुढ़िवादी मानसिकता को बदलना:

जाहिर है समाज की दकियानूसी और रुढिवादी सोच जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा दे रही है। आज भी कई परिवारों में महिलाओं को बच्चे पैदा करने की मशीन समझा जाता है। और बच्चों को भगवान की देन माना जाता है।

कम उम्र में शादी की अवधारणा को बदलना:

कम उम्र में भी लड़के-लड़की की शादी करना आबादी बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक हैं। हालांकि हमारी भारत सरकार ने इसके लिए कानून भी बनाया है, लेकिन ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में आज भी कम उम्र में ही लड़के-लड़की की शादी कर दी जाती है। जिस पर सख्त जांच होनी चाहिए।

बढ़ती आबादी के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलाना:

लगातार बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। इसके लिए टीवी, रेडियो, नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो,हमारा देश विकास के मामले में पिछड़ता जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी। वहीं सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए। ताकि हमारा देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके।

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Jansankhya Visfot Par Nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) कैसे लिखें और जानिए जनसंख्या विस्फोट पर निबंध पर आधारित सैंपल्स

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  • Updated on  
  • अप्रैल 20, 2023

Jansankhya Visfot Par Nibandh

भारत अब दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत ने जनसँख्या के मामले में चीन को पछाड़ पहला स्थान प्राप्त कर लिया है। एक साल में भारत की जनसंख्या में 1.56 फीसदी तक बढ़त देखी गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार अब भारत की आबादी 142.86 करोड़ तक पहुँच गई है जबकि 142.57 करोड़ के साथ चीन दूसरे नंबर पर खिसक चुका है। आईये इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानिए जनसंख्या विस्फोट पर निबंध, jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) पर आधारित सैंपल्स, जनसंख्या विस्फोट पर निबंध 300 शब्दों में। 

जनसँख्या विस्फोट किसे कहते हैं?

किसी विशेष क्षेत्र में मनुष्यों की जनसंख्या में अचानक निरंतर वृद्धि को जनसँख्या विस्फोट कहते हैं। यह किसी शहर या देश दोनों में हो सकता है। विश्व की मानव आबादी के सन्दर्भ में इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। जनसँख्या विस्फोट भारत में एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है क्योंकि जनसँख्या में वृद्धि से गरीबी और निरक्षरता में बढ़त देखी जा रही है। ऐसे में, देश की अर्थव्यवस्था संकट में पड़ सकती है। इस समस्या को पहचानते हुए, भारत सरकार और कई राज्य सरकारों द्वारा इसके निवारण के लिए कानून बनाए गए हैं।  

जनसँख्या विस्फोट पर निबंध कैसे लिखें?

Jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) लिखते समय इन बातों का ध्यान रखें –

  • निबंध की भाषा जनसँख्या विस्फोट विषय के अनुरूप होनी चाहिए।
  • जनसँख्या विस्फोट से संबंधित समस्त तथ्यों की चर्चा की जानी चाहिए।
  • विचारों में क्रमबद्धता एवं तारतम्यता होनी चाहिए।
  • वाक्यों की पुनरावृति से बचना चाहिए।
  • वर्तनी की अशुद्धियां नहीं होनी चाहिए।
  • निबंध के अंतिम अनुच्छेद या उप संहार के अंतर्गत पूरे निबंध का सारांश दिया होना चाहिए।
  • निर्धारित शब्द सीमा का ध्यान रखते हुए निबंध लिखा जाना चाहिए।

जनसँख्या विस्फोट से जुड़े कुछ तथ्य

Jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) लिखने से पहले जनसँख्या विस्फोट से जुड़े कुछ तथ्य जान लेना आवश्यक है। 

  • साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं। 
  • भारत में, पूरी आबादी में 48.04 प्रतिशत महिलाएं और 51.96 प्रतिशत पुरुष हैं।
  • उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। 
  • अरुणाचल प्रदेश सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है।
  • केरल राज्य में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक हैं। 
  • हरियाणा में यह अनुपात सबसे कम है। 

Jansankhya Visfot Par Nibandh

जनसँख्या विस्फोट के मुख्य कारण

जनसंख्या विस्फोट का प्रमुख कारण मृत्यु दर और जन्म दर के बीच बड़ा अंतर होता है, इसके अलावा, अन्य कारण भी हैं जिनसे जनसंख्या विस्फोट हुआ है जैसे:

  • चिकित्सा क्षेत्र में विकास के कारण, हमने जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि और साथ ही मृत्यु दर में कमी देखी है जो लोगों को लंबे समय तक जीने में मदद कर रही है।
  • अशिक्षा के कारण आम जनता में जानकारी और जागरूकता की कमी होने से जनसंख्या में वृद्धि देखी गई है।
  • शिक्षित लोग जन्म नियंत्रण- बर्थ कण्ट्रोल मेथड्स के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन देश में एक बड़ी आबादी के पास सेक्स एजुकेशन और उचित बर्थ कण्ट्रोल मेथड्स तक पहुंच नहीं है। 
  • पारंपरिक लोग जो संतान रूप में एक लड़की की अपेक्षा एक लड़के को पसंद करते हैं, परिवार में एक लड़के के पैदा होने तक बच्चे को जन्म देने की कोशिश करते हैं।
  • बाल विवाह भी जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के लिए एक आवश्यक कारक है।

जनसंख्या विस्फोट से बचने के कुछ उपाय

जनसँख्या विस्फोट से बचने के कुछ उपाय हैं –

  • जनसँख्या निवारण नीतियाँ- योजनाएँ 
  • जनसँख्या विस्फोट के बारे में जागरूकता फैलाना 
  • स्कूल लेवल से ही स्टूडेंट्स को सेक्स एजुकेशन देना 
  • जनसँख्या कानूनों का दृणता से पालन 
  • कानून का उलंघन करने वालों के प्रति कार्यवाही 
  • अलग से एक जनसँख्या मंत्रालय की स्थापना 
  • बाल विवाह प्रतिबंध 
  • परिवार नियोजन कार्यक्रम का ज़ोर-शोर से प्रचार- प्रसार 

Population Explosion Essay in Hindi 100 शब्दों में

जैसा कि आप सभी जानते हैं, भारत की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि होने के कारण भारत चीन को पछाड़कर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। यह एक ऐसी उपलब्धि होगी जिस पर गर्व करना संभव नहीं होगा। यही वजह है कि भारत में 2 चाइल्ड पालिसी को लागू करना कंसीडर किया जा रहा है। सरल शब्दों में कहा जाए तो जब किसी देश की जनसँख्या की मृत्यु दर में कमी होती है, बाल मृत्यु दर में कमी होती है और जन्मदर और जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) में वृद्दि होती है तो इन सबके कंबाइंड इफ़ेक्ट के कारण जनसंख्या में बहुत तेज़ी से बढ़ोत्तरी देखी जाती है। इसको ही जनसँख्या विस्फोट कहते हैं। 

यह अक्सर कम विकसित देशों में देखने को मिलता है। भारत में यह स्थिति 1970 के दशक में देखी गई थी। वर्तमान में, भारत की जनसँख्या वृद्धि दर में कमी आई है। भारत विश्व का सबसे युवा देश माना जाता है। 

यह था जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) 100 शब्दों में। 

जनसँख्या विस्फोट निबंध 250 शब्द

भारत के लिए जनसँख्या का विषय काफ़ी चिंताजनक बन चुका है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की हर 10 साल के अंतराल में जनगणना की जाती है। इस जनगणना में जनसँख्या वृद्धि दर, जनसँख्या घनत्व, जनसँख्या और उपभोक्ता, मृत्यु- दर, जन्म- दर के आंकड़े भी शामिल होते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि पिछली जनगणना 2011 में की गई थी। इसके बाद 2021 में अगली जनगणना आयोजित की जानी थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। जनसँख्या वृद्धी एक ओर जहाँ देश के विकास में सहायक साबित होती है वहीं यह शोषण का बहुत बड़ा कारण भी बनती है। 

जनसँख्या विस्फोट प्राकर्तिक संसाधनों और पर्यावरण की दृष्टि से बहुत हानिकारक है। जनसँख्या में वृद्धि होना, प्राकर्तिक संसाधनों की खपत में वृद्धि से सीधा सम्बंधित है। यह सभी जानते हैं कि चीन को पछाड़कर वर्तमान में सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाला देश भारत ही है। भारत दुनिया की 17.5% आबादी के साथ दुनिया के 2.4% भूमि क्षेत्र को घेरता है। आंकड़ों के अनुसार, दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय है। रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा अनुमानित है कि 2030 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। 

बाल विवाह, अशिक्षा, गरीबी, रूढ़िवादिता आदि जैसी समस्याओं के निवारण से ही भारत की बढ़ती जनसँख्या दर में रोकथाम संभव है। व्यग्तिगत स्तर पर हम सरकार से आग्रह कर सकते हैं कि जनसँख्या से जुड़े सख्त कानून बनाए जाएं और उनका दृणता से पालन किया जाए। इसके साथ ही हमें जन-जन तक जनसँख्या वृद्धि से सम्बंधित जागरूकता फैलानी चाहिए। 

तो यह था 250 शब्दों में जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) का हमारा सैंपल। 

जनसँख्या विस्फोट निबंध 400 शब्द

किसी भी चीज़ का विस्फोट होना तब कहा जाता है जब वह अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है। जब इस तरह इंसानों की जनसँख्या में वृद्धि होती है तो इसे जनसँख्या विस्फोट कहा जाता है। यह चिंताजनक बात है कि जनसँख्या 5 अरब के पार पहुँच चुकी है। इसके साथ ही स्त्री- पुरुष लिंगानुपात में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है। 

जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण शिक्षा की कमी, निरक्षरता, उचित सेक्स एजुकेशन की कमी, कर्मकांड, और अंधविश्वास है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार को देख लीजिए- यह दोनों राज्य देश के सबसे अधिक जनसँख्या वाले क्षेत्र हैं और यहीं पर सबसे अधिक अंधविश्वास का प्रचलन होता है। भविष्य में अधिक जनसंख्या संसाधनों के विकास और शोषण की कमी की ओर ले जाती है। भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक दुनिया में ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 

इस तरह की स्थिति में हमारा देश भारत 70 के दशक में फंस गया था। इसके ही कारण है भारत की नीति निर्माताओं द्वारा उस समय “हम दो हमारे दो” का नारा दिया था और जनसंख्या नियंत्रण के लिए नशबंदी अभियान चलाया गया था। 

इस प्रकार यह बात स्पष्ट होती है कि जनसँख्या विस्फोट की स्थिति सभी देशों के विकास में बाधक होती है। यह इस तरह की वृद्धि है जिस पर अल्प विकसित देशों को घमंड करने की वजाय शर्म आती है। दूसरी तरफ़ विश्व में जापान, रूस और फ़्रांस जैसे देश हैं जहाँ की जनसँख्या वृद्धि नकारात्मक दौर में पहुँच गयी है। ऐसे देशों की सरकारों द्वारा लोगों से जनसँख्या बढ़ाने की रिक्वेस्ट करी जा रही है और कुछ देशों में एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकार के द्वारा नागरिकों को पैसा भी दिया जा रहा है। 

जनसंख्या विस्फोट में बहुत नकारात्मक तत्त्व हैं और इसमें कुछ भी सकारात्मक देखने को नहीं मिलता है। इसका नियंत्रण करने के लिए हमें एक निश्चित नियम लाना चाहिए। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा कई लाभ प्रदान किए जाते हैं, फिर भी कई ऐसे हैं जो इसके बारे में जानते भी नहीं हैं। लोगों में इसके प्रति जागरूकता विकसित करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम और अभियानों को चलाया जाना चाहिए। इसके अलावा, जन जागरूकता बढ़ाकर और विभिन्न सख्त जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों का आयोजन करके इन समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। हमें व्यक्तिगत स्तर पर बस इतना करना है कि संभव उपाय करें और देश के अच्छे नागरिक बनें। 

तो यह था जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) पर 400 शब्दों में हमारा सैंपल। 

एक शोध के अनुसार भारत में प्रति मिनट 250 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, और हर साल औसतन 120 मिलियन बच्चे पैदा होते हैं।  साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं।

मृत्यु दर में तेज़ गिरावट भारत की जनसंख्या में वृद्धि की दर का मुख्य कारण देखा गया है। 

बेबी बूम- जनसँख्या विस्फोट का अच्छा उदाहरण है। अमेरिका में, 1946 और 1964 के बीच जन्म दर में वृद्धि; साथ ही, उस अवधि के दौरान अमेरिका में पैदा हुई पीढ़ी।

आशा करते हैं कि आपको Jansankhya Visfot par Nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) पर आधारित यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा। यदि आप हिंदी के इसी तरह के और भी आकर्षक ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं तो आप Leverage Edu Hindi Blogs इस लिंक के द्वारा पढ़ सकते हैं।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi

Essay on Population in Hindi : आज हम जनसंख्या वृद्धि पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, & 12 के विद्यार्थियों के लिए है।

बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए सभी देशों द्वारा मिलकर 11 जुलाई को world population day मनाया जाता है। जिसमें जनसंख्या की वृद्धि दर को नियंत्रित करने के लिए चर्चा की जाती है।

बढ़ती जनसंख्या वृद्धि दर हमारे देश के लिए बहुत विनाशकारी है इसीलिए स्कूलों में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए निबंध लिखने को दिए जाते हैं जैसे बच्चों में और उनके अभिभावकों में इसके प्रति जागरूकता लाई जा सके।

Essay on Population in Hindi

Get Some Essay on Population in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 & 12 Students.

Best Essay on Population in Hindi 500 words

प्रस्तावना –

जनसंख्या वृद्धि दर विकासशील देशों की एक अहम समस्या है इस समस्या से हमारा भारत देश भी जूझ रहा है।सबसे अधिक जनसंख्या हमारे पड़ोसी देश चीन में है उसके बाद दूसरा स्थान हमारे देश भारत का ही आता है।

लेकिन कुछ ही सालों में हम जनसंख्या के मामले में चीन को प्रचार ते हुए पहले पायदान पर होंगे। यह कोई उपलब्धि नहीं होगी क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण हमारे देश में बेरोजगारी, भूखमरी, गरीबी, भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं उत्पन्न होंगी।

जनसंख्या वृद्धि के कारण –

जनसंख्या वृद्धि के बहुत से कारण है जैसे अशिक्षित लोग, बाल विवाह, पुत्र मोह, रूढ़िवादी सोच, मृत्यु दर में कमी, जीवन प्रत्याशा में वृद्धि इत्यादि के प्रमुख कारण है जिसके कारण निरंतर जनसंख्या वृद्धि हो रही है।

और एक अन्य कारण यह भी है कि लोग परिवार नियोजन के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचते है उन्हें निरोध, गर्भनिरोधक औषधियां और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी नहीं होती है।

और कुछ लोग सोचते हैं कि जितनी अधिक संतान होगी उतना ही उनके परिवार को सहारा मिलेगा क्योंकि जितने लोग होंगे उतनी ही कमाई होगी लेकिन होता इसका हमेशा उल्टा ही है। अधिक संतान होने के कारण ज्यादातर लोग नरकीय जीवन यापन करते हैं।

जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव –

जनसंख्या वृद्धि का सबसे अधिक प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ता है जो कि हमारे भविष्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण हमें मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वच्छ जल, वायु, भोजन, चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिल पाती है।

आजकल अस्पतालों में मरीजों की लाइन लगी पड़ी रहती है लेकिन उन्हें देखने के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाते है क्योंकि जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ गई है कि उनकी प्रत्येक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं की जा सकती है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण ज्यादातर लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह कर रहे है इसके कारण देश के आर्थिक विकास की दर भी धीमी पड़ गई है।

अगर इसी तेजी से जनसंख्या वृद्धि होती रही तो इसके भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं क्योंकि पृथ्वी पर सीमित मात्रा में संसाधन उपलब्ध है और जनसंख्या वृद्धि के कारण उनका अत्यधिक दोहन हो रहा है

इसलिए आगे जाकर लोगों को स्वच्छ जल, हवा, भोजन नहीं मिल पाएगा और लोगों में हिंसा फैल जाएगी इसका परिणाम यह होगा कि पृथ्वी पर से जीवन विलुप्त भी हो सकता है।

जनसंख्या वृद्धि का समाधान –

जनसंख्या वृद्धि का एक ही समाधान है लोगों को शिक्षित किया जाए और उन्हें जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान के बारे में बताना चाहिए।

हमारी सरकार को जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कड़े कानूनों की व्यवस्था करनी चाहिए और परिवार नियोजन के बारे में प्रचार प्रसार करके लोगों को बताना चाहिए।

उपसंहार –

जनसंख्या वृद्धि एक धीमे जहर के समान है जोकि धीरे-धीरे हमारे रहने के स्थान पृथ्वी को नष्ट कर रही है। हमे स्वयं आगे बढ़कर जनसंख्या को नियंत्रित करना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग एक दूसरे को मारने पर उतारू हो जाएंगे और पूरी पृथ्वी जंग का मैदान बन जाएगी।

यह हमारी मानव सभ्यता और अन्य वन्यजीवों के लिए आवश्यक है। इसलिए आज ही अपने आसपास के क्षेत्र में लोगों को इसके बारे में जानकारी दें।

Long Essay on Population in Hindi

Best Essay on Population in Hindi for 8, 9, 10, 11, 12th class Student under 1500 words.

रूपरेखा –

जनसंख्या वृद्धि एक सीमित भू-भाग पर अधिक लोगों की संख्या को दर्शाती है। जनसंख्या के मामले में चीन के बाद हमारे भारत देश का ही नाम आता है।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार हमारे देश की जनसंख्या 24।39 करोड़ है। यह लगभग 18% की दर से बढ़ रही है जो कि बहुत अधिक है।

ज्यादातर जनसंख्या वृद्धि विकासशील देशों में ही देखी जा रही है और विकासशील देशों के लिए यह स्थिति भयावह है क्योंकि इतनी जनसंख्या के लिए स्वच्छ वातावरण, जल, भोजन, रोजगार इत्यादि उपलब्ध कराना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए जनसंख्या को नियंत्रित करना बहुत अधिक जरूरी है

(1) अशिक्षा – शिक्षा की कमी के कारण लोग बच्चे पैदा करते रहते हैं लेकिन उनकी परवरिश और भविष्य के बारे में नहीं सोचते है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती रहती है।

(2) बाल विवाह – कम उम्र में ही बच्चों का विवाह हो जाने के कारण बच्चों का जन्म भी जल्दी होता है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती को और अधिक बढ़ावा मिलता है।

(3) सामाजिक दबाव – कई बार विवाह होने के पश्चात शिक्षित लोग बच्चे का जल्द ही जन्म नहीं करना चाहते लेकिन सामाजिक आलोचनाओं के कारण उन्हें जल्दी बच्चे को जन्म देना पड़ता है जो की जनसंख्या बढ़ती का कारण बनता है।

(4) मृत्यु दर में कमी – हमारी विज्ञान और चिकित्सा पद्धति ने इतनी उन्नति कर ली है कि अब बड़ी बड़ी बीमारियों से भी बचा जा सकता है इसलिए लोग अधिक समय तक जीवित रहते है जो की जनसंख्या वृद्धि में अपनी भागीदारी निभाते रहते है।

(5) रूढ़िवादी सोच – अक्सर गांव के ज्यादातर लोग अपनी रूढ़िवादी सोच के कारण बच्चों को जन्म देते है वे सोचते हैं कि अगर बच्चे नहीं हुए तो उनका परिवार आगे कैसे बढ़ेगा। इसलिए वे अधिक बच्चों को जन्म देते हैं।

(6) बढ़ती जन्म दरें – पुरानी समय में चिकित्सा पद्धति के अधिक विकसित नहीं होने के कारण अक्सर जन्म के समय बच्चों की मृत्यु हो जाती थी लेकिन अब यह बहुत ही कम हो पाता है जिसके कारण जन्म दर बढ़ जाती है और जनसंख्या वृद्धि होती है।

(7) पुत्र मोह – अपने परिवार का कुल आगे बढ़ाने के लिए लोगों की ज्यादा इच्छा लड़के के जन्म की ही रहती है लेकिन अगर लड़की का जन्म हो जाता है,

तो वह दोबारा दूसरे बच्चे को जन्म देते हैं इसी तरह से ज्यादातर मामलों में लड़कियों का जन्म होता रहता है और लोग पुत्र मोह में बच्चों को जन्म देते रहते हैं जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती रहती है।

(8) जीवन प्रत्याशा में वृद्धि – जैसे-जैसे मानव के जीवन में सुविधाओं का विस्तार हुआ है और अच्छी शिक्षा, अच्छा भोजन, स्वच्छ जल, स्वच्छता की आदत और अच्छे पोष्टिक भोजन के कारण आज प्रत्येक वर्ग अच्छे से अपना जीवन निर्वाह कर रहा है जिसके कारण प्रत्येक व्यक्ति अच्छे से पोषित रहता है इसी कारण जनसंख्या बढ़ती है।

(9) वृद्धि हुई आप्रवासन – आप्रवासन निवृत्ति ज्यादातर जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण होती है यह समस्या अक्सर विकसित देशों में अधिक आती है क्योंकि वहां की जीवन शैली बहुत ही सरल होता है।

साथ ही वहां पर सभी प्रकार की सुविधाएं मिलती है और जीवन निर्वाह करने के लिए अच्छा वेतन भी मिलता है इसलिए विकासशील देशों के लोग वहां पर जाना अधिक पसंद करते है जो की जनसंख्या वृद्धि का एक कारण बनता है।

जनसंख्या वृद्धि के कुप्रभाव –

(1) गरीबी – निरंतर जनसंख्या वृद्धि के कारण एक व्यक्ति अपने पूरे परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाता है क्योंकि उसकी संतान अधिक होती हैं जिसके कारण उसका पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत होता है।

(2) कुपोषण – एक व्यक्ति के अधिक संतान होने के कारण वे उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं करा पाता है जिसके कारण हमे गरीब तबके के लोगों में कुपोषण जैसी समस्याएं देखने को मिलती है।

(3) प्रदूषित पर्यावरण – अगर किसी देश में अधिक जनसंख्या होगी तो वहां प्रत्येक वस्तु का अत्यधिक इस्तेमाल होगा जिसके कारण पूरा पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है, जनसंख्या वृद्धि के कारण अधिक कार्बन डाइऑक्साइड, दूषित जल, और रहने के लिए स्थान की आवश्यकता के कारण जंगलों की कटाई होती है जिससे जंगल भी खत्म होते हैं साथ ही वहां के प्राणी भी खत्म हो जाते हैं और वायु प्रदूषण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

(4) मूलभूत सुविधाओं की कमी – किसी भी देश के नागरिक को अपना जीवन व्यतीत करने के लिए मूलभूत सुविधाएं मिली जरूरी है जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, जल इत्यादि लेकिन यह सभी सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और जनसंख्या अधिक होगी तो इन सुविधाओं का मिलना मुश्किल होगा।

(5) बेरोजगारी – जिस तेजी से जनसंख्या वृद्धि हो रही है उस तेजी से उद्योग धंधों में वृद्धि नहीं हो रही है जिस कारण वर्तमान में ज्यादातर लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।

(6) देश का आर्थिक विकास रुकना – जिस देश की जनसंख्या अधिक होगी उस देश का आर्थिक विकास भी धीमा पड़ जाएगा क्योंकि सरकार जब भी विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएं बनाती है तो जनसंख्या को ध्यान में रखकर बनाती है।

लेकिन 5 वर्ष में जनसंख्या इतनी अधिक बढ़ जाती है कि उस योजना का प्रभाव देखने को नहीं मिलता है और देश में प्रत्येक वस्तु की खपत भी अधिक होती है जिसके कारण निर्यात में कमी आती है और आर्थिक विकास धीमा होता है।

(7) पोष्टिक आहार की कमी – बढ़ती हुई जनसंख्या की आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों द्वारा खेतों में अब यूरिया जैसी खादों का उपयोग किया जाता है क्योंकि दिन प्रतिदिन जनसंख्या तो बढ़ रही है लेकिन उनकी भोजन की व्यवस्था करने के लिए उपजाऊ जमीन सीमित मात्रा में उपलब्ध है।

इसलिए अधिक फसल उत्पन्न करने के लिए कीटनाशक और यूरिया खादों का उपयोग किया जाता है जिसके कारण वह कीटनाशक भोजन के साथ मिलकर हमारे शरीर को खराब करते है इसलिए हमें पोष्टिक आहार नहीं मिल पाता है।

(8) जीवन स्तर में कमी – जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में भी कमी आती है गरीब और गरीब होता जाता है और अमीर और अमीर हो जाता है क्योंकि अक्सर गरीब लोग अधिक संतान जन्म देने में विश्वास करते है।

वे सोचते है कि जितनी अधिक संतान होगी उतना ही हाथ होंगे जिससे अधिक कमाई होगी लेकिन वे यह सोचना भूल जाते है कि हर संतान के साथ एक पेट भी होता है जिसे भरने के लिए उतने ही भोजन की आवश्यकता होती है। इसी सोच के कारण जनसंख्या बढ़ती होती रहती है और लोगों को अपनी मूलभूत सुविधाओं में कटौती करके जीवन यापन करना पड़ता है।

(9) महंगाई बढ़ना – अगर किसी वस्तु की कमी होगी तो उसका मूल्य बढ़ना स्वाभाविक है इसलिए जैसे-जैसे जनसंख्या वृद्धि होती है वैसे-वैसे महंगाई भी बढ़ती है क्योंकि खपत बढ़ती है लेकिन उतनी मात्रा में वस्तु उत्पादन नहीं होती है इसीलिए आपने देखा होगा कि वर्तमान में महंगाई बहुत अधिक तेजी से बढ़ रही है।

जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय –

(1) शिक्षा – अगर हमें जनसंख्या को नियंत्रित करना है तो सबसे पहले हमें शिक्षा का प्रचार प्रसार करना होगा क्योंकि शिक्षा से ही लोगों की आंखों पर पड़ा अंधकार का पर्दा उठेगा और उन्हें ज्ञात होगा कि अधिक संतान के कारण उनके भविष्य के साथ-साथ उनकी संतान का भविष्य भी खराब हो जाता है इसलिए प्रत्येक गांव तक शिक्षा का पहुंचना बहुत आवश्यक है।

(2) जुर्माना या दंड – सरकार को जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए एक नियमित संख्या से ज्यादा संतान पैदा करने पर जुर्माना लगा देना चाहिए या फिर मुफ्त में मिलने वाली सरकारी सुविधाओं से वंचित कर देना चाहिए जिससे लोग जनसंख्या को नियंत्रित करने में सरकार का सहयोग करें।

(3) दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देना – आज के पश्चिमी सभ्यताओं के प्रभाव में युवक-युवतियां बिना शादी के संतान पैदा कर लेते हैं लेकिन फिर समाज के डर से वे उन्हें कचरे में फेंक देते है और कुछ लोग अपनी गरीबी के कारण अपने बच्चों को छोड़ देते हैं जो कि अनाथ हो जाते है।

लोगों को इन अनाथ बच्चों को अपना लेना चाहिए जिससे अनाथ बच्चों को उनके माता पिता मिल जाएंगे और जिनको संतान चाहिए उनको संतान मिल जाएगी इससे जनसंख्या वृद्धि भी रोकी जा सकेगी।

(4) परिवार नियोजन – हमारी सरकार द्वारा जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर परिवार नियोजन करने के लिए कई योजनाएं चलाई जाती है, लेकिन उनका इतना अधिक असर नहीं पढ़ पाता है क्योंकि लोगों को परिवार नियोजन के बारे में जानकारी नहीं होती है।

(5) न्यूनतम विवाह योग्य आयु – हमारे देश में बाल विवाह है एक सबसे बड़ी समस्या है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती तेजी से हो रही है अगर विवाह के लिए न्यूनतम आयु घोषित कर दी जाए तो जनसंख्या वृद्धि रोकी जा सकती है।

हमारे देश में विवाह के लिए न्यूनतम आयु लड़की के लिए 18 वर्ष और लड़के के लिए 21 वर्ष है अगर इसका सख्ती से पालन किया जाए तो जनसंख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है।

जनसंख्या वृद्धि एक चिंता का विषय है क्योंकि यह जितनी तेजी से बढ़ रही है उसके लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना नामुमकिन सा हो रहा है। जब तक देश का प्रत्येक नागरिक जनसंख्या नियंत्रण के महत्व को नहीं समझेगा तब तक जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाना मुश्किल है।

आज प्रत्येक नागरिक को समझने की जरूरत है कि अगर वह जनसंख्या पर नियंत्रण करते हैं तो उन्हें स्वच्छ पर्यावरण वायु, जल, स्वास्थ्य, भोजन मिलेगा जोकि उनके परिवार, देश के लिए और सबसे अधिक हमारी पृथ्वी का वातावरण भी संतुलित रहेगा।

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Population in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

5 thoughts on “जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi”

Chhote se chota nibhand bhejo

Ravindra jalon hum jald hi chota nibandh bhi likhnge

Yes I agree t hu e comment policy

Jansankya varadhi pr nibandh 400words me likhkar yha dalr

riya ji hum jald hi 400 word ka nibandh bhi likhenge.

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दा इंडियन वायर

विश्व में बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध

essay population in hindi

By विकास सिंह

essay on overpopulation in hindi

अत्यधिक जनसंख्या एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जहां किसी विशेष स्थान पर मनुष्यों की संख्या उस स्थान की वहन क्षमता से अधिक हो जाती है। व्यापक परिप्रेक्ष्य में, ओवरपॉपुलेशन शब्द का उपयोग ग्रह पृथ्वी के लिए भी किया जाता है, क्योंकि मानव आबादी में लगातार वृद्धि हुई है।

ओवरपॉपुलेशन के लिए जिम्मेदार विभिन्न कारक हैं जैसे – निम्न मृत्यु दर; बेहतर सार्वजनिक सुविधाएं; भोजन और आवास आदि की उपलब्धता। कुछ सामाजिक कारक जैसे अशिक्षा, गरीबी और कोई परिवार नियोजन भी विकासशील या अविकसित राष्ट्रों में अत्यधिक जनसंख्या के लिए जिम्मेदार हैं।

बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध, essay on overpopulation in hindi (200 शब्द)

मनुष्यों की अनियमित जनसंख्या वृद्धि के कारण अतिवृष्टि पृथ्वी की अधिकता है। कई आर्थिक और सामाजिक कारक हैं जो प्रमुख रूप से ओवरपॉपुलेशन के लिए अग्रणी हैं। यह कम मृत्यु दर, उच्च जन्म दर, अशिक्षा, परिवार नियोजन की कमी, बड़े पैमाने पर प्रवास आदि के परिणामस्वरूप हो सकता है। इसके अलावा, एक स्थान पर प्राकृतिक संसाधनों की कमी से किसी अन्य स्थान पर अतिवृष्टि होती है, जहां संसाधन प्रचुर मात्रा में होते हैं।

बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं में पिछली शताब्दी में सुधार से मृत्यु दर में गिरावट आई है, इस प्रकार जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और अगली शताब्दी तक बढ़ती रहेगी।

ओवरपॉप्यूलेशन, एक महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दा होने के बावजूद, इसका उचित विचार नहीं मिलता है। अभी भी दुनिया द्वारा बहुत कुछ नहीं किया जा रहा है, जनसंख्या को विनियमित करने या इसके प्रभावों का मुकाबला करने के लिए। ओवरपॉपुलेशन एक राष्ट्र के विकास को गंभीर रूप से बाधित कर सकता है, जैसे कि समस्याएं – बेरोजगारी, संसाधनों की कमी, आवास विनाश और कानून और दूसरों के बीच समस्या।

विश्व की जनसंख्या को नियंत्रण में रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि जनसँख्या वृद्धि से मनुष्य का अस्तित्व खतरे में नहीं आ जाये। उल्लिखित प्रभावों के साथ, ओवरपॉपुलेशन भी अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण को काफी हद तक प्रभावित करता है।

बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध, essay on overpopulation in india (300 शब्द)

प्रस्तावना:.

ओवरपॉपुलेशन दुनिया भर में चिंता का बढ़ता कारण है। यह एक विशिष्ट क्षेत्र में जनसंख्या में वृद्धि को संदर्भित करता है, इतना अधिक है, कि विशेष क्षेत्र अपनी प्राकृतिक क्षमता से परे, अति भीड़ हो जाता है। ओवरपॉपुलेशन के कई कारण हैं हम निबंध में आगे चर्चा करेंगे।

दुनिया में अत्यधिक जनसँख्या के कारण:

दुनिया में अतिवृष्टि के कारण विभिन्न हो सकते हैं। राजनीतिक, सांप्रदायिक या अन्य मुद्दों के कारण लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर बड़े पैमाने पर आव्रजन किसी विशेष स्थान पर अत्यधिक जनसँख्या का कारण हो सकता है। लोग अपनी खुद की धरती पर राजनीतिक उथल-पुथल या सैन्य संघर्ष से बचने के लिए पड़ोसी देश चले जाते हैं।

अविकसित या विकासशील देशों से विकसित राष्ट्रों में प्रवास की प्रवृत्ति भी है। अधिकतर, श्रमिक वर्ग बेहतर वित्तीय अवसरों की तलाश में इस तरह के प्रवास को अंजाम देता है। हालाँकि यह प्रवासन मेजबान राष्ट्र की आबादी को उजाड़ने का कारण बनता है।

एक और महत्वपूर्ण कारक जो दुनिया में जनसंख्या वृद्धि में योगदान कर रहा है, चिकित्सा विज्ञान में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं और विकास के कारण उच्च जीवन प्रत्याशा है। लोग, आज बीमारियों के कारण कम मर रहे हैं, पिछली सदी में उन लाखों लोगों का दावा किया गया था।

भारत और अन्य विकासशील देशों में अत्यधिक जनसंख्या के कारण:

भारत और इसी तरह के अन्य विकासशील देशों में अतिप्रसार के मुख्य कारण दुनिया से थोड़े अलग हैं। भारत में ओवरपॉप्यूलेशन गरीबी, अज्ञानता, परिवार नियोजन की कमी, बाल श्रम, और मृत्यु दर में कमी, अंतरराज्यीय आव्रजन आदि जैसे कारकों के कारण होता है।

भारत में गरीबी को ओवरपॉप्यूलेशन के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। गरीबी अशिक्षा और जागरूकता की कमी जैसे मुद्दों पर ले जाती है – गर्भनिरोधक उपयोग और परिवार नियोजन; इससे वंचित क्षेत्रों में अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि के लिए अग्रणी है।

निष्कर्ष:

दुनिया में अत्यधिक जनसँख्या कारण कई हैं और वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न होते हैं। एक स्थान पर प्रवास के कारण यह हो सकता है, दूसरी जगह पर यह गरीबी के कारण हो सकता है। जो भी कारण हो सकता है, हमें जनसंख्या को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध, essay on overpopulation in hindi (400 शब्द)

दुनिया में ओवरपापुलेशन के कई प्रभाव हैं। एक स्थान पर अतिवितरण उपलब्ध संसाधनों की कमी का कारण बनता है जो अभाव और गरीबी की ओर जाता है। इसके अलावा, यह बेरोजगारी का कारण भी बनता है, क्योंकि किसी विशेष नौकरी की आवश्यकता वाले व्यक्तियों की संख्या, बड़ी संख्या में वास्तविक रिक्तियों की कुल संख्या से अधिक है। ओवरपॉपुलेशन के सबसे सामान्य प्रभावों में से दो- सामाजिक और स्वास्थ्य की नीचे चर्चा की गई है।

दुनिया में ओवरपॉपुलेशन के प्रभाव

ओवरपॉपुलेशन के सामाजिक प्रभाव गरीबी, बेरोजगारी, खराब स्वास्थ्यकर स्थितियों और एक समुदाय के लिए संसाधनों की कमी आदि ओवरपॉपुलेशन के विभिन्न सामाजिक प्रभाव हैं। जब किसी विशेष क्षेत्र की जनसंख्या उस स्थान की नियत क्षमता से अधिक बढ़ जाती है, तो समाज में कई बदलाव देखे जाते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि ताजे पानी के संसाधन का उपयोग अधिक से अधिक लोगों द्वारा किया जा सकता है, तो यह स्थिर रह सकता है; तब ऐसी स्थिति में अक्सर संघर्ष होता है। संसाधनों के उपयोग को लेकर लोग आपस में लड़ते रहते हैं।

ओवरपॉपुलेशन भी भोजन और बेरोजगारी की कमी की ओर जाता है, जिससे बड़े पैमाने पर गरीबी, भूख और खराब स्वच्छता होती है।

स्वास्थ्य पर ओवरपॉपुलेशन के प्रभाव:

भोजन और अन्य संसाधनों की कमी के कारण व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। भोजन और अन्य संसाधन, जो बहुतायत में उपलब्ध थे, दुर्लभ हो जाते हैं, जब किसी स्थान की आबादी एक विशिष्ट सीमा से आगे बढ़ती है। इसके अलावा, ओवरपापुलेशन सीधे बेरोजगारी से संबंधित है और बाद में सीधे कुपोषण और स्वास्थ्य की खराब स्थिति से जुड़ा हो सकता है।

भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में रहने वाले कई लोग भी निवास स्थान को नष्ट कर देते हैं, हवा की गुणवत्ता और अन्य महत्वपूर्ण मापदंडों को खराब करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य की स्थिति खराब होती है। जैसा कि अधिक लोग एक क्षेत्र में रहना शुरू करते हैं, उनके लिए घर बनाने के लिए पेड़ों और स्पष्ट वनस्पति को काटना जरूरी हो जाता है। इस प्रकार, मानव के स्वास्थ्य और फिटनेस से समझौता करते हुए भौतिकवादी विकास का दुष्चक्र शुरू होता है।

आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अक्सर बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छ हवा और स्वच्छ पानी तक पहुंच न होने के साथ खराब स्वास्थ्य और स्वास्थ्य की स्थिति में रहते देखा जाता है।

क्षेत्र में क्षमता से अधिक जनसंख्या से व्यक्तियों और समाज पर संपूर्ण रूप से सामाजिक और स्वास्थ्य प्रभाव पड़ता है। खराब स्वास्थ्य और स्वच्छता की स्थिति से लेकर प्राकृतिक संसाधन की कमी, बेरोजगारी और आपराधिक गतिविधियों में वृद्धि – इन सभी प्रतिकूलताओं में ओवरपॉपुलेशन का हाथ है। इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम आबादी को निर्दिष्ट सीमा से परे जाने से पहले आवश्यक उपचारात्मक उपाय करें।

बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध, essay on overpopulation in india (500 शब्द)

ओवरपॉपुलेशन की समस्या गंभीर है, लेकिन जैसा कि हर समस्या का एक समाधान है, इसलिए ओवरपॉप्यूलेशन के भी समाधान हैं; हालाँकि, परिणाम स्पष्ट होने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन प्रयास इसके लायक होगा। नीचे, दुनिया, भारत और अन्य विकासशील देशों में ओवरपॉपुलेशन को कम करने के सरकार के प्रयासों के साथ-साथ ओवरपॉप्यूलेशन के समाधानों पर चर्चा की गई है।

विश्व में ओवरपॉपुलेशन के समाधान

दुनिया में ओवरपॉपुलेशन को खत्म करने के समाधान नीचे चर्चा की गई है। समझने की सुविधा के लिए, इस शीर्षक में हम विकसित देशों में केवल अतिपिछड़ों के मामले पर चर्चा करेंगे।

विकसित देशों में किसी विशेष क्षेत्र में जनसंख्या की एकाग्रता के पीछे मुख्य कारण संसाधनों की उपलब्धता और बेहतर विकास के अवसर हैं। लोग उस जगह पर ध्यान केंद्रित करते हैं जहां सिंचाई, पानी, बिजली और अन्य सुविधाएं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। संबंधित सरकार द्वारा अपने मूल निवास स्थान में लोगों को मूलभूत सार्वजनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक प्रयास किए जाने चाहिए।

किसी भी राजनीतिक या सैन्य संघर्ष को विश्व समुदाय के हस्तक्षेप द्वारा जल्दी से हल किया जाना चाहिए ताकि सीमा पार प्रवासन और अन्य स्थानों पर जनसंख्या जटिलताओं को रोका जा सके।

भारत और अन्य विकासशील देशों में अतिपिछड़ों का समाधान

भारत और अन्य देशों में अधिक जनसंख्या के मुख्य कारण गरीबी, अशिक्षा और परिवार नियोजन के बारे में बुनियादी ज्ञान की कमी है। भारत और अन्य विकासशील देशों में अधिकांश आबादी अभी भी गाँवों में निवास करती है, जहाँ उन्हें शहरों की तुलना में बुनियादी शिक्षा और अन्य सुविधाओं का अभाव है।

गाँवों में रहने वाले लोग अभी भी परिवार नियोजन जैसे मुद्दों पर बात करने से कतराते हैं और गर्भ निरोधकों का उपयोग करना वर्जित माना जाता है। इसलिए, शिक्षा के माध्यम से जागरूकता भारत जैसे विकासशील देश के लिए एकमात्र उचित समाधान है।

लोगों को परिवार नियोजन के महत्व के बारे में बताया जाना चाहिए और इससे दूर हटने से केवल उनका वित्तीय संकट बढ़ेगा और उनकी सामाजिक स्थिति कम होगी। यह छह या दस सदस्यों वाले परिवार की तुलना में चार के परिवार को खिलाने के लिए वास्तव में अधिक किफायती और व्यावहारिक है। साथ ही, उन्हें गर्भ निरोधकों का उपयोग करने के लिए जोर दिया जाना चाहिए और यह उनके परिवार के कल्याण और समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

ओवरपॉपुलेशन के बारे में सरकार क्या कर रही है?

ओवरपॉपुलेशन को खत्म करने के सरकार के एजेंडे में मूल कारणों पर काम करना शामिल है – शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल। इन दोनों क्षेत्रों में कई सुधार करने के बावजूद, सरकार लोगों को परिवार नियोजन के लिए जागरूक करने का प्रयास कर रही है।

देश भर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की एक प्रशिक्षित टीम लोगों को एक छोटे परिवार के फायदों और राष्ट्र के विकास पर इसके समग्र प्रभावों के बारे में शिक्षित कर रही है। वे गर्भधारण की संभावना को खत्म करने के लिए लोगों को गर्भ निरोधकों के उपयोग के बारे में भी सिखाते हैं। सरकार संस्थाओं के माध्यम से दूरस्थ स्थानों पर मुफ्त गर्भ निरोधकों का वितरण भी कर रही है।

ओवरपॉपुलेशन के सबसे महत्वपूर्ण समाधान लोगों की शिक्षा और जागरूकता है। जितने शिक्षित और जागरूक लोग हैं, उतने ही दूर-दराज के लोग अतिपिछड़ीकरण की संभावना करेंगे। सरकार ने जनसंख्या को नियंत्रण में रखने की दिशा में काफी प्रयास किए हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

विश्व में बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध, long essay on overpopulation in hindi (600 शब्द)

दुनिया में ओवरपॉप्यूलेशन एक वैश्विक घटना है और विकासशील और अविकसित देशों में अधिक स्पष्ट है। यहां तक ​​कि विकसित देश विकासशील और विकसित देशों से प्रवासी आबादी की एक बड़ी संख्या का गवाह बनते हैं। निम्नलिखित निबंध में हम ओवरपॉपुलेशन के कारणों, ओवरपॉपुलेशन की समस्याओं, भारत और अन्य विकासशील देशों में ओवरपॉपुलेशन की स्थिति और ओवरपॉपुलेशन के समाधान पर चर्चा करेंगे।

अत्यधिक जनसंख्या के क्या कारण हैं ?

1) निरक्षरता

दुनिया भर के किसी भी देश में निरक्षरता मुख्य कारणों में से एक है। शिक्षा के मोर्चे पर कमी वाले देशों में अन्य लोगों की तुलना में अधिक जनसंख्या वृद्धि है।

2) जागरूकता की कमी

परिवार नियोजन के मुद्दों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता का अभाव ओवरपॉपुलेशन के प्रमुख कारणों में से एक है। लोग अतिपिछड़ों के प्रभाव और समाज और राष्ट्र पर इसके प्रभावों के बारे में नहीं जानते हैं। अधिनियम अपने स्वयं के वित्तीय बाधाओं के प्रति अवहेलना है।

3) गरीब लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं

बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की खराब स्थिति भी ओवरपॉपुलेशन का एक प्रमुख कारण है। एक चिकित्सा पेशेवर की अनुपस्थिति और गर्भ निरोधकों की अनुपलब्धता, जनसंख्या में निरंतर वृद्धि की ओर ले जाती है।

ओवरपॉपुलेशन से संबंधित समस्याएं

1) संसाधन की कमी

ओवरपॉपुलेशन एक विशेष क्षेत्र पर संसाधनों की कमी का कारण बनता है। जैसे ही एक विशिष्ट संसाधन का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती है, इसके तेजी से खपत में तेजी से कमी आती है। भोजन और पानी जैसे महत्वपूर्ण संसाधन ओवरपॉपुलेशन के मामले में दुर्लभ हो जाते हैं। यहां तक ​​कि बुनियादी स्वास्थ्य और परिवहन सुविधाएं भी दुर्लभ हो जाती हैं।

2) बेरोजगारी

ओवरपॉपुलेशन के सबसे गंभीर परिणामों में से एक है बेरोजगारी। यदि किसी क्षेत्र में लोगों की संख्या सीमा से अधिक बढ़ जाती है; हालाँकि, विभिन्न क्षेत्रों में रिक्तियों की संख्या, बड़े और समान रहती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है। इस प्रकार, बेरोजगारी ओवरपॉपुलेशन का एक महत्वपूर्ण बीमार प्रभाव बन जाता है।

३) गरीबी

ओवरपॉपुलेशन के कारण बेरोजगारी का अगला परिणाम गरीबी है। हालाँकि, गरीबी का संबंध अल्पसंसाधन संसाधनों और स्वास्थ्य और शिक्षा की बुनियादी सुविधाओं से भी है, जो अतिपिछड़ों के कारण है। एक भीड़-भाड़ वाली जगह पर हमेशा गरीब रोजगार के अवसर होंगे, जिससे गरीबी होगी। इसे दुनिया के अर्थशास्त्रियों द्वारा जनसंख्या विस्फोट के सबसे प्रमुख परिणामों में से एक माना जाता है।

4) खराब कानून और व्यवस्था

गरीबी, बेरोजगारी, प्राकृतिक संसाधनों की कमी जैसे कारकों के कारण कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब होती है। लोग पानी और भोजन जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों पर एक दूसरे से लड़ते हैं। बेरोजगारी से लोगों को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लोगों को लूट और चोरी के अवैध व्यवसायों को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

भारत और अन्य विकासशील देशों में अधिक जनसंख्या

भारत और इसी तरह के विकासशील देशों में अतिवृष्टि चिंता का एक बड़ा कारण है, क्योंकि इसका राष्ट्र की प्रगति और विकास पर कई प्रतिकूल प्रभाव हैं। ओवरपॉपुलेशन के कारण सारा विकास अपनी चमक खो देता है। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और अन्य बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बड़ी संख्या में लोगों द्वारा उपयोग किए जाने के कारण जल्दी से खराब हो जाती है।

अत्यधिक जनसंख्या का समाधान

ओवरपॉपुलेशन के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करना बाद को खत्म करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। यह जागरूकता शिक्षा और विज्ञापन द्वारा संचार के विभिन्न तरीकों के माध्यम से लाई जानी चाहिए। जब लोग समझते हैं कि जीवन की गुणवत्ता परिवार के सदस्यों की कुल संख्या पर निर्भर करती है, और जितने कम सदस्य होंगे उतना अच्छा वित्त होगा; ओवरपॉपुलेशन के खिलाफ लड़ाई बहुत आसान हो जाएगी।

अत्यधिक जनसंख्या भिन्न सामाजिक, आर्थिक और विकासात्मक मुद्दों की ओर जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि दुनिया अतिपिछड़ों के मुद्दे पर एक साथ आए और इसे खत्म करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए। जब तक दुनिया की आबादी को नियंत्रण में नहीं रखा जाता, तब तक यह विकास संभव नहीं होगा जो दुनिया चाहती है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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जनसंख्या वृद्धि पर निबंध

Essay on Population Growth in Hindi

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध : Essay on Population Growth in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘जनसंख्या वृद्धि पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप जनसंख्या वृद्धि पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध : Essay on Population Growth in Hindi

प्रस्तावना :-

जनसंख्या का अर्थ किसी भी देश में रहने वाले लोगो की आबादी से होता है। किसी भी निश्चित स्थान पर रहने वाले प्राणियों की संख्या ही जनसंख्या होती है।

किसी भी देश की जनसंख्या उस देश की स्थिति पर प्रभाव डालती है। जनसंख्या देश की आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक स्थिति को प्रभावित करती है। आज जनसंख्या की समस्या से हमारा देश काफी परेशान है।

यह जनसंख्या देश के विकास में बाधा बनती है। आज दुनिया में जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है। जिस कारण से देशों को कईं तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण :-

  • शिक्षा का अभाव :- जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण अशिक्षा है। जब लोग अशिक्षित होते है, तो वें जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों को नहीं जान पाते है।
  • जन्म दर व मृत्यु दर :- किसी भी देश में निश्चित समय अवधि में पैदा होने वाले बच्चों व मरने वाले व्यक्तियों की संख्या ही जन्म दर व मृत्यु दर होती है। जब अधिक बच्चे पैदा होते है और कम लोगों की मृत्यु होती है, तो एक देश की जनसंख्या में वृद्धि होती है
  • प्रवास के कारण :- प्रवास का अर्थ एक निश्चित स्थान से दूसरे निश्चित स्थान में जाना होता है। जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर रहने लगते है, तो उस स्थान की जनसंख्या में वृद्धि होती है।
  • बाल विवाह :- कुछ लोग अशिक्षा के कारण छोटी उम्र में ही बालकों का विवाह कर देते है, जिस कारण उनकी छोटी उम्र में ही बच्चे हो जाते है। जिससे वह जल्दी बच्चे कर लेते है, इससे जनसंख्या में वृद्धि होती है।
  • नियमों के अभाव के कारण :- देश में बच्चों की संख्या के लिए कोई नियम नही है। नियम होने पर ही देश की बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान :-

  • बेरोजगारी :- जब किसी देश की जनसंख्या में वृद्धि होती है, तो उतने ही अधिक लोगों को रोजगार की भी आवश्यकता होती है, जिससे देश में बेरोजगारी बढ़ने लगती है।
  • भुखमरी :- जब देश की जनसंख्या में वृद्धि होती है, तो उतने ही अधिक लोगों के लिए खाना की पूर्ति की आवश्यकता होती है। जब भोजन की मात्रा खाने वालो के मुकाबले कम होती है, तो देश में भूखमरी फैलती है। एक साधारण व्यक्ति के लिए उसकी आधारभूत आवश्यकता की वस्तु भी महंगी हो जाती है।
  • महंगाई :- जब देश में लोगों की संख्या बढ़ती है, तो वस्तुओं की मांग भी बढ़ने लगती है। जिससे वस्तु की मांग पूर्ति से अधिक हो जाती है, जिस कारण महंगाई बढ़ने लगती है।
  • देश के आर्थिक विकास में कमी :- जब एक देश की जनसंख्या में वृद्धि होती है, तो उस देश में लोगों पर अधिक खर्चा होता है। जिससे देश की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती है।
  • गरीबी में बढ़ोत्तरी :- जब देश में जनसंख्या में वृद्धि होती है, तो एक निश्चित धनराशि में ही अधिक लोगों को अपना जीवनयापन करना पड़ता है। जिसमें वह अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ ही प्राप्त कर पाते है। इसी कारण देश में गरीबी बढ़ती है।
  • जंगलों की कटाई :- जब एक देश में जनसंख्या बढ़ती है, तो उन लोगों के रहने के लिए भी घर की आवश्यक होती है। जिससे उनके रहने के लिए घर बनाने के लिए जंगलों की कटाई कर दी जाती है। जहाँ पेड़-पौधे होने चाहिए थे, वहां आज इंसान अपना घर बनाकर बैठे है।

जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय :-

  • शिक्षा में वृद्धि करना :- देश में शिक्षा को बढ़ाने की आवश्यकता है। यदि लोग शिक्षित होंगे, तो जनसंख्या वृद्धि से होने वाले हानियां से अवगत रहेंगे। शिक्षा के द्वारा ही लोगों का विकास होगा, तभी वें जनसंख्या के महत्व को समझ पाएंगे।
  • नियमों में सख्ती :- यदि देश में जनसंख्या वृद्धि को रोकना है, तो सरकार को देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना होगा। तभी जाकर देश में जनसंख्या नियंत्रण हो पाएगा।
  • परिवार नियोजन के प्रति जागरूक :- लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है।
  • बाल विवाह को रोकना :- बाल विवाह भी इस देश के जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है, इसलिए सरकार को बाल विवाह को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
  • लोगों को जागरूक करना :- हमें जनसंख्या वृद्धि के प्रति लोगों के बीच जागरूकता फैलानी होगी । जब लोग इसके प्रति जागरूक होंगे, तभी जनसंख्या नियंत्रण संभव है।

आज हम सभी को जनसंख्या वृद्धि के बारे में जागरुक होने की जरूरत है। तभी हम देश की जनसंख्या को नियंत्रित कर सकते है। यदि ऐसे ही जनसंख्या बढ़ती रही तो एक दिन हमारा देश काफी गरीब हो जाएगा और लोगों के बीच भुखमरी फैल जाएगी।

इसलिए सरकार को अभी से इसके प्रति सख्य कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम बनाने चाहिए और उन नियमों की पालना भी सख्ती से होनी चाहिए। तभी जाकर इस समस्या का उपाय हो पाएगा।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ  फेसबुक  पर साझा अवश्य करें और हमारे  वेबसाइट  को सबस्क्राइब कर ले।

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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

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Essay on population in hindi जनसँख्या पर निबंध.

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Read long essay on Population in Hindi in 200, 500 and 1000 words

hindiinhindi Essay on Population in Hindi

Essay on Population in Hindi 200 Words

बढ़ती जनसंख्या का भयावह रूप – विचार – बिंदु – • जनसंख्या वृद्धि – एक भयावह समस्या • परिणाम • कारण और समाधान।

भारतवर्ष की सबसे बड़ी समस्या है – जनसंख्या वृद्धि। भारत की आबादी 109 करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के अनेक कारण हैं। पहला कारण है अनपढ़ता। दूसरा कारण है-अंधविश्वास। अधिकतर लोग बच्चे को भगवान की देन मानते हैं। इसलिए वे परिवार नियोजन को अपनाना नहीं चाहते। लड़के-लड़की में भेदभाव करने से भी जनसंख्या बढ़ती है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या आज हमारे सामने खड़ी है। कृषि योग्य भूमि का क्षय हो रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। भौगोलिक संतुलन बिगड़ रहा है। बेकारी बढ़ रही है। परिणामस्वरूप लूट, हत्या, अपहरण जैसी वारदातें बढ़ रही हैं। भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति दे। सरकार को चाहिए कि इस दिशा में कठोरता से नियम लागू करे अन्यथा आने वाली पीढ़ी को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।

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Essay on Population in Hindi 500 Words

रूपरेखा : बढ़ती जनसंख्या – भारत की प्रमुख समस्या, बढ़ती जनसंख्या –प्रगति में बाथक, जनसंख्या वृधि के दुष्परिणाम – साधनों में कमी, बेरोज़गारी, सामाजिक बुराइयों का जन्म, जनसंख्या नियंत्रण के प्रति चेतना, उपसंहार।

भारत को स्वतंत्र हुए आधी सदी बीत गई। इन वर्षों में देश ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की। कृषि, विज्ञान, उद्योग-धंधे आदि में हमारा देश बहुत तेज़ी से प्रगति कर रहा है, किंतु फिर भी उसका लाभ दिखाई नहीं पड़ रहा है। आम आदमी आज भी गरीब है। देश में आज भी कुछ लोग भूख से मर रहे हैं। बहुतों के पास तन ढकने के लिए पर्याप्त वस्त्र नहीं हैं। वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते है। सहज ही प्रशन उठता है कि इसका कारण क्या है? और इस प्रश्न का सीधा-सरल उत्तर है – भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या।

आज हमारी हर बड़ी समस्या के मूल में जनसंख्या की समस्या है। यातायात और परिवहन के साधनों में अपार वृधि हुई है। रेलों-बसों की संख्या अधिक है फिर भी भीड़-भाड़ दिखाई पड़ती है। आप शांति और सुविधा से यात्रा नहीं कर सकते। भीड़-भाड़ तो जैसे हमारी पहचान बन गई है। अस्पतालों में, प्लेटफ़ार्मों पर, विद्यालयों में, बाज़ारों में, कार्यालयों में, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर दृष्टि डालिए आपको लोगों के सिर ही सिर दिखाई पड़ेंगे।

इस भीड़-भाड़ का परिणाम यह है कि हमारी सारी आधारभूत सुविधाएँ, हमारे सारे संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं। अस्पताल जितने खोले जाते हैं, मरीज़ों की संख्या उससे कई गुना बढ़ जाती है। हर वर्ष हज़ारों नए विद्यालय खुलते हैं, पर अनेक छात्रों को मनचाहे विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलता। कक्षाओं में छात्रों की संख्या इतनी हो जाती है कि बैठने को पर्याप्त स्थान नहीं होता। यह दशा तब है जब आज भी लाखों बच्चे विद्यालय में प्रवेश नहीं लेते हैं।

बेरोज़गारी की समस्या जनसंख्या वृद्धि की समस्या की ही उपज है। अनेक प्रकार के उद्योग धंधे खुले हैं। कृषि क्षेत्र में आशा से बढ़कर प्रगति हुई है। नए रोज़गार के लाखों अवसर बने, फिर भी बेरोज़गारों की संख्या में कमी नहीं हुई, बल्कि बेरोज़गारी की समस्या और अधिक भयंकर होती जा रही है। बेरोज़गारी से अनेक सामाजिक बुराइयाँ जन्म लेती हैं। अपराध बढ़ते हैं, असामाजिक तत्त्व पनपते हैं। सुख-चैन और शांति भरा जीवन सपना हो जाता है।

हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से संसार का दूसरा सबसे बड़ा देश है। सारे विश्व की जनसंख्या का लगभग छठा भाग भारत में बसा है जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का लगभग 2.4 प्रतिशत ही है। आज हमारी जनसंख्या एक अरब से अधिक हो चुकी है। यदि इस पर शीघ्र ही अंकुश नहीं लगाया गया तो भीषण संकटों का सामना करना पड़ेगा।

जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिए कुछ ठोस उपाय करने होंगे। सबको इस समस्या के प्रति सजग करना होगा। देशवासियों को बताना होगा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकना क्यों आवश्यक है। जनसंख्या रोकना हमारा परम कर्तव्य है और इस कर्तव्य का पालन सच्ची देशभक्ति है।

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Essay on Population in Hindi 1000 Words

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसके सामने प्रदूषण, अशिक्षा और बढ़ती जनसंख्या आदि अनेक समस्याएँ हैं। इन समस्याओं में बढ़ती हुई जनसंख्या देश की प्रगति और विकास में सबसे बड़ी बाधक है, जिसके कारण सरकार की अच्छी-से-अच्छी योजनाएँ भी विफल होती जा रही हैं।

बढ़ती जनसंख्या के कारण देश के सभी नागरिकों को सर्वाधिक आवश्यक वस्तुएँ- अन्न, जल, वस्त्र और आवास आदि की सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पातीं। आज देश के लाखों लोगों को न भर पेट भोजन मिल पाता है, न पीने को स्वच्छ जल, न तन ढकने को वस्त्र और न रहने के लिए घर।

हमारे देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि, उद्योग और व्यवसाय आदि अनेक क्षेत्रों में आशातीत सफलता पाई है। देश की अधिकांश उपजाऊ भूमि पर खेती हो रही है। सिंचाई के लिए देश की अनेक नदियों का उपयोग किया जा रहा है। स्वतंत्रता के बाद भाखड़ा नंगल, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर और नाथपा घाकड़ी आदि अनेक बाँध बन चुके हैं, जो देश की कृषि को संपन्न बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

देश के अनेक भागों में नहरों का जाल बिछ गया है। किसानों को खेती के लिए ट्रैक्टर, नलकूप और पंपिंग सेट आदि नए-नए संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। वैज्ञानिकों ने नई-से-नई किस्म की खाद और बीज किसानों तक पहुँचाने का सफल प्रयास किया है। अनेक किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं और अपनी बुद्धि तथा परिश्रम के बल पर अधिक-से-अधिक अन्न भी उपजा रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद कृषि के लिए किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप ही देश में हरित क्रांति संभव हुई है। इतना सब होने पर भी बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण समस्त कृषि-संबंधी उपलब्धियाँ कम जान पड़ती हैं। कैसी विडंबना है, अन्न उत्पन्न करने वाला खेतिहार ही आज भूखा है। देश के कुछ भागों में तो जनता आज भी भूख के कारण दम तोड़ देती है।

स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में यातायात के साधनों का भी बहुत विकास हुआ है। साइकिल, स्कूटर, कार, बस, रेल आदि ने मनुष्य के आवागमन को गति प्रदान की है। देश की सड़कों पर लाखों स्कूटर, कारें और बसें दिन-रात दौड़ती हैं। फिर भी देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उस गति से देश में यातायात के संसाधन नहीं बढ़ पा रहे हैं। बसों और रेलगाड़ियों में लोगों को भयंकर भीड़ का सामना करना पड़ता है। नौकरी करने वालों को अनेक बार बसों और रेलगाड़ियों में यात्राएँ खड़े-खड़े ही करनी पड़ती है। विद्यालयों की संख्या भी दिन पर दिन बढ़ रही है, किंतु बढ़ती जनसंख्या के कारण लाखों बच्चों को विद्यालय में प्रवेश ही नहीं मिल पाता । शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। कोई भी देश जब शिक्षित बेरोज़गार नवयुवकों के लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं कर सकता, तो देश में अनेक सामाजिक बुराइयाँ पैदा हो जाती हैं, जो देश के लिए खतरा बन जाती हैं। देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ जो अन्य छोटी-छोटी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनके कारण देश की प्रगति में बाधा पड़ती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण ही हम अपने जीवन को सुखी नहीं बना पाते।

जनसंख्या की दृष्टि से आज हमारे देश का स्थान विश्व में दूसरा है। आज हमारे देश की आबादी एक अरब (सौ करोड़) से भी अधिक है। स्वतंत्रता के बाद देश की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। अत: देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर गंभीरता से विचार करे और ऐसे प्रयत्न करे कि आगे आने वाली पीढ़ियों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

अज्ञान के अंधकार में फँसे हमारे देश के अधिकांश नागरिक अपनी संतान के जीवन-स्तर को ऊँचा नहीं उठा पाते। अज्ञान ही अनेक प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को जन्म देता है। गली-सड़ी रूढ़ियों और अंधविश्वासों में फंसे लोग देश के विकास में सहायक नहीं हो सकते । पुत्र प्रप्ति की कामना और बहु-विवाह प्रथा भी जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं, जिन्हें समय रहते रोकना होगा।

उपर्युक्त अनेक समस्याओं का मुख्य कारण में बढ़ती जनसंख्या ही है। हमें जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए जन-आंदोलन चलाने होंगे। परिवार नियोजन और परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सफल बनाना होगा। बाल-विवाह प्रथाओं को रोकना होगा। सरकार ने देश के प्रत्येक प्रांत में लोगों को अधिकाधिक जानकारी देने के लिए तथा उन्हें जागरूक बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं। ताकि देश का प्रत्येक नागरिक इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हो सके। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रत्येक गाँव में सरकार की ओर से प्रशिक्षित कर्मचारी भी उपलब्ध हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेक योजनाओं से हमारी जनसंख्या वृद्धि दर में कुछ कमी आई है। सरकार को पूरी सफलता तभी प्राप्त हो सकती है, जब सरकारी योजनाओं को जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो।

बढ़ती जनसंख्या के कारण आम आदमी की आय में जो कमी आती जा रही हैं, उसे भी रोकना आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अब हमें युद्धस्तर पर काम करना होगा। प्रत्येक व्यस्क को इस योजना के प्रति जागरूक करना होगा। शिक्षित युवक और युवतियों को गाँवों, कस्बों और छोटे-बड़े शहरों में जाकर जनता को सचेत करना होगा, तभी हमें सफलता मिल सकेगी।

जनसंख्या वृद्धि आज के युग की सर्वाधिक गंभीर समस्या है। यदि हम अपना, अपने परिवार का, अपने समाज का और देश का कल्याण करना चाहते हैं। तो हमें जनसंख्या वृद्धि के राक्षस से लड़ना होगा। देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य भी है और धर्म भी कि वह जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जी-जान से जुट जाए। आज के युग में यही सच्ची देशभक्ति है।

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जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर निबंध Essay On Population Growth In Hindi

जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर निबंध Essay On Population Growth In Hindi  दुनिया की आधी से अधिक आबादी दक्षिण एशिया में बसती हैं विश्व की कुल जनसंख्या का 1/6 वाँ भाग हम भारतीय हैं.

तेजी से हो रहे जनसंख्या के विस्फोट के चलते नित्य नई समस्याएं हमारे सामने आ रही हैं. अधिकतर समस्याओं का मूल कारण तेज जनसंख्या वृद्धि  ही हैं.

आज हम भारत की Population Explosion पर निबंध (Essay) यहाँ साझा कर रहे हैं.

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध Essay On Population Growth In Hindi

जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर निबंध Essay On Population Growth In Hindi

Overpopulation In India In Hindi  प्रिय विद्यार्थियों आज हम आपके साथ जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर निबंध साझा कर रहे हैं.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए सरल भाषा में छोटा बड़ा हिंदी निबंध 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में Essay On Problem Of Population Growth In Hindi का निबंध बता रहे हैं.

जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर निबंध Population Problem in India in Hindi

प्रस्तावना – आज भारत की जनसंख्या एक अरब पच्चीस करोड़ से ऊपर जा पहुची हैं. महान भारत की इस उपलब्धि पर भी इतराने वाले कुछ विचार विमूढ़ हो सकते हैं.

हर बुद्धिमान व्यक्ति जानता हैं कि जनसंख्या का यह दैत्याकार रथ विकास के सारे कीर्तिमानों को रौदता हुआ देश के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा रहा हैं.

बढ़ती जनसंख्या की समस्या – भारत की जनसंख्या में अनियंत्रित वृद्धि सारी समस्याओं का मूल कारण बनी हुई हैं. गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, अपराध वृद्धि, तनाव, असुरक्षा सभी जनसंख्या वृद्धि के ही परिणाम हैं.

भारत के विश्व की महाशक्ति बनने के सपने जनसंख्या के प्रहार से ध्वस्त होते दिखाई दे रहे हैं. एक अनार सौ बीमार यह कहावत चरितार्थ हो रही हैं.

जनसंख्या वृद्धि के महा अश्वमेध का घोडा शेयर बाजार के उफान, मुद्रा कोष की ठसक, विदेशी निवेश की दमक सबको अंगूठा दिखाता आगे आगे दौड़ रहा हैं.

जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम – जनसंख्या और उत्पादन दर में चोर सिपाही का खेल होता रहता हैं. जनसंख्या वृद्धि आगे आगे दौड़ती हैं और पीछे पीछे उत्पादन वृद्धि, वास्तविकता यह हैं कि उत्पादन वृद्धि के सारे लाभ जनसंख्या की वृद्धि व्यर्थ कर देती हैं.

आज हमारे देश में यही हो रहा हैं. जनसंख्या वृद्धि सारी समस्याओं की जननी हैं. बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, कृषि भूमि की कमी, उपभोक्ता वस्तुओं का अभाव, यातायात की कठिनाई सबके मूल में यही बढ़ती जनसंख्या हैं.

नियंत्रण के उपाय – आज के विश्व में जनसंख्या पर नियंत्रित रखना प्रगति और समृद्धि के लिए अनिवार्यत आवश्यकत हैं. भारत जैसे विकासशील देश के लिए जनसंख्या नियंत्रण परम आवश्यक हैं.

जनसंख्या पर नियंत्रण के अनेक उपाय  हैं.  वैवाहिक आयु में वृद्धि करना एक सहज उपाय हैं. बाल विवाहों पर कठोर नियंत्रण होना चाहिए.

दूसरा उपाय संतति निग्रह अर्थात छोटा परिवार हैं. परिवार नियोजन के अनेक उपाय आज उपलब्ध हैं. तीसरा उपाय राजकीय सुविधाएं उपलब्ध कराना हैं.

परिवार नियोजन अपनाने वाले व्यक्तियों को वेतन वृद्धि देकर पुरस्कृत करके तथा नौकरियों में प्राथमिकता देकर भी जनसंख्या नियंत्रण को प्रभावी बनाया जा सकता हैं.

इनके अतिरिक्त शिक्षा के प्रसार द्वारा तथा धार्मिक और सामजिक नेताओं का सहयोग भी जनसंख्या नियंत्रण में सहायक हो सकते हैं.

ये सभी तो प्रोत्साहन और पुरस्कार से संबंधित हैं किन्तु कठोर दंड के भय के बिना विशेष सफलता नहीं मिल सकती, धर्म जाति के आधार पर भेदभावपूर्ण व्यवस्था के रहते हुए जनसंख्या पर नियंत्रण असम्भव हैं.

उपसंहार – आज देश के सामने जितनी समस्याएं हैं. प्रायः सभी के मूल में जनसंख्या वृद्धि ही मुख्य कारण दिखाई देता हैं जनता और सरकार दोनों ने ही इस भयावह समस्या से आँखें बंद कर रखी हैं.

इस खतरे की घंटी की आवाज को अनसुना किया जा रहा हैं कहीं ऐसा न हो कि यह सुप्त ज्वालामुखी एक दिन अपने विकट विस्फोट से राष्ट्र के कुशल क्षेम को जलाकर राख कर दे.

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध समस्या और समाधान सहित (Essay on Population problem in Hindi)

यदि यह कहा जाय कि बढ़ती जनसंख्या देश की सारी समस्याओ की जड़ है तो यह बात बहुत कुछ सच माननी पड़ेगी. बाजारों में चलना दुश्वार है, रेलों और बसों में मारामार है, मंहगाई से हाहाकार है,

राशन पानी, नोकरी के लिए लम्बी कतार है, एक खली जगह के लिए प्रार्थना पत्र हजारों हजार हैं. सिर्फ जनसंख्या वृद्धि के कारण सारे विकास कार्यो का बंटाढार है संक्षेप कहें तो ‘सौ बीमार हैं. और एक अनार है.

यह देश लगभग एक जनसंख्या व्रद्धी के कारण जनसंख्या में व्रद्धी के अनेक कारण है. धार्मिक अंधविश्वास इसका एक प्रमुख कारण हैं. सन्तान को इश्वर का वरदान मानने वाले लोग इसके लिए जिमेदार हैं. चाहे खिलाने के लिए रोटी, पहनाने के लिए वस्त्र पढाने को धन और रहने को छप्पर न हो.

लेकिन ये मूढ़ लोग भूखे, अधनंगे, अनपढ बच्चों की कतारे खड़ी करने में नही शरमाते. पुत्र को पुत्री से अधिक महत्व देना, गरीबी, बाल विवाह, असुरक्षा की भावना आदि अन्य कारण भी जनसंख्या को बढ़ाने वाले हैं.

बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम

जनसंख्या की अबाध वृद्धि ने संदेस में अनेक समस्याएँ खड़ी कर दी हैं. विकट बेरोजगारी, हाहाकार मचाती मंहगाई, गरीबी, अशिक्षा, बढ़ते अपराध, कुपोषण, बढ़ता प्रदूषण आदि जनसंख्या वृद्धि के ही कुपरिणाम हैं. बिजली, पानी, सड़क एंव स्वास्थ्य सेवाएँ दुर्लभ होते जा रहे है.

जनसख्या का यह विकराल देत्य सारे विकास कार्यो और प्रगति को हजम कर जाता है राजनेता भी इसके लिए कम जिमेदार नही है इस राष्ट्रीय समस्या पर भी उनका द्रष्टिकोण सम्प्रदायवादी हैं.

नियत्रण के उपाय –

जनसख्या पर नियत्रण किया जाना अत्यंत आवश्यक है इस समस्या के हल के लिए विवाह की न्युन्तम आयु में वृद्धि को सीमित रखने के उपायों का समुचित प्रसार होना चाहिए सरकार की और से छोटे परिवार वालो को प्रोत्साहन और विशेष सुविधाए मिलनी चाहिए मनोवेग्यानिक प्रसार भी बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है

किन्तु वह आज कल टीवी पर दिखाई जाने वाले भोंडे और अश्लील विज्ञापनों जैसा न हो. इसके अतिरिक्त कुछ कठोर उपाय भी अपनाने होगे.

दो बच्चों से अधिक पैदा करने वालो को रसं की सुविधा से वंचित किया जाए आरक्षण या छुट केवल दो या तीन बच्चों तक ही सीमित रहे धर्माचार्यो को भी अधवीश्वासो पर प्रहार करते हुए लोगों को सही मार्गदर्शन करना चाहिए.

बढ़ती जनसंख्या पूरी मानव जाती के लिए खतरे की घटीं हैं. यदि हम इसी तरह आखं बंद करके जनसंख्या बढ़ाते रहे तो हमारी धरती एक दिन भूखी –नंगी, उजाड़ और हिसक मनुष्यों की निवास स्थली बनकर रह जायेगी.

जनसंख्या वृद्धि समस्या पर निबंध | Population Problems Essay In Hindi

वर्तमान शताब्दी में विश्व अनेक समस्याओं से घिरा हुआ है. कही कही अकाल एवं जलाभाव की समस्या है, तो कही कुपोषण की समस्या, कही पड़ोसी देशों की कलह से अशांति का वातावरण विद्यमान है.

परन्तु इन सभी से प्रबल समस्या है, जनसंख्या की समस्या. जनसंख्या की असीमित वृद्धि से न केवल भारत, अपितु अन्य देश भी आक्रांत है. नवविकसित एवं विकासशील देशों में तो यह मुख्य समस्या बन गई है.

जनसंख्या वृद्धि एक समस्या (essay on population)

जब भारत स्वतन्त्र हुआ तो उस समय हमारे देश की कुल जनसंख्या लगभग तैतीस करोड़ थी परन्तु आज यह एक अरब से अधिक हो गई है जनसंख्या की इस असीमित वृध्दि से रोजगार के अवसर कम हुए है इस कारण बेरोजगारी बढ़ी है इसी समस्या के कारण खाद्यान्न की कमी हो रही है.

शहरों के समीप की उपजाऊ भूमि पर औद्योगिक उपनगर बस रहे है चारागाह भी उजाड़ रहे है वन काटे जा रहे है अधिक यातायात की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सड़को का निर्माण हो रहा है बाँध बनाये जा रहे है.

नये उद्योघ एव शिक्षण संस्थान खड़े किये जा रहे है इन सब पर देश का अपार धन व्यय हो रहा है इस प्रकार वर्तमान में हमारे देश में जीतनी भी अन्य समस्याएं है. उनके मूल में जनसंख्या वृद्धि ही समस्या है.

जनसंख्या वृद्धि के कारण (problems due to population growth)

जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण है. हमारे देश में स्वतंत्रता मिलने के तुरंत बाद जनसंख्या वृद्धि पर कोई नियन्त्रण नही था. उस समय परिवार नियोजन के साधन भी नही थे. अंधविश्वास और धार्मिक कट्टरता के कारण कुछ लोग अधिक सन्तान पैदा करने में ही अपना गौरव समझते थे.

निम्न वर्ग के लोग सोचते थे कि अधिक सन्तान होने से घर में कमाने वाले अधिक सदस्य हो जाएगे. कुछ लोग अधिक सन्तान का होना ईश्वरीय कृपा मानते है. इन सभी कारणों से नव स्वतंत्र भारत में जनसंख्या की विस्फोट वृद्धि हुई है.

जनसंख्या नियंत्रण के उपाय (population control measures in india)

जनसंख्या की तीव्रगति से वृद्धि को देखकर सरकार ने अनेक कदम उठाए है. प्रारम्भ में परिवार नियोजन के साधनों का प्रसार किया गया, फिर पुरुष एवं स्त्री नसबंदी कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया. जनता में परिवार नियोजन की चेतना जागृत की गई.

सरकारी नौकरियों में दो सन्तान से अधिक पर स्वैच्छिक प्रतिबंध लगाया गया है. कम उम्र में युवक युवतियों के विवाह को रोकने का भी कानून बनाया गया है. परिवार नियोजन के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी गई है. इस तरह के उपाय करने से जनसंख्या वृद्धि पर कुछ हद तक अंकुश लगा है.

जनसंख्या एक समस्या और इसका समाधान (population problem of india and its solution)

जनसंख्या की असीमित वृद्धि से हमारे देश की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई है. विकास की तीव्रगति भी लाभकारी दिखाई नही दे रही है.

जब प्रत्येक व्यक्ति परिवार नियोजन को प्राथमिकता देगा, तभी जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लग सकेगा. अपने समाज तथा देश की खुशहाली के लिए अब यह नियंत्रण जरुरी है.

जनसंख्या वृद्धि का पर्यावरण पर प्रभाव Impact Of Population Growth On Environment Essay In Hindi

भारत की भूमि का क्षेत्रफल विश्व की धरती का कुल 2.4% ही है. जबकि यहाँ की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का पांचवां भाग है. यहाँ हर वर्ष एक नया ऑस्ट्रेलिया बन जाता है. अतः यहाँ कृषी भूमि के लिए अभाव पैदा हो गया है.

इसके परिणामस्वरूप हजारों वर्षो से हमारी सुख सम्रद्धि में योगदान कर रहे वनों को काटा जा रहा है. आवास की बढ़ती हुई समस्या के कारण यहाँ हरे भरे वनों के स्थान पर कंक्रीट के जंगल बन गये है. इससे हमकों दोहरा नुक्सान हो रहा है.

एक तो खेती के लिए भूमि का अभाव हो रहा है. दूसरा जंगलो के काटने से प्रदूषण सुरसा की तरह मुँह फैला रहा है. हमारी अमूल्य वन संपदा का विनाश, दुर्लभ वनस्पतियों का अभाव, वर्षा पर घातक प्रभाव और दुर्लभ जंगली जंगलो के लोप का भय पैदा हो गया है.

जंगलो के काटने से हमारी प्राकृतिक आपदाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. हस्त शिल्प और कुटीर उद्योगों के चौपट होने के कारण ग्रामवासी आजीविका की खोज में गाँव छोड़कर शहरों में बसते जा रहे है.

इससे शहरों में कुपोषण अपराध और आवास की विकट समस्या खड़ी हो गई है. नगरो में भीषण गंदगी और अवैध बस्तियां का निर्माण हो रहा है. प्रदूषण रोगों में असाधारण वृद्धि, कमरतोड़ महंगाई तथा समुचित चिकित्सा सुविधाओं की कमी ने शहरी जीवन को नरकीय बना दिया है.

अधिक जनसंख्या के लिए अधिक मात्रा में खाद्यान की आवश्यकता होती है. धरती से अधिक उपज के लोभ में रासायनिक खादों का उपयोग किया जाता है. इस खादों के प्रयोग से एक ओर तो जहाँ अनाज और सब्जियों का जहाँ स्वाभाविक स्वाद खत्म हो गया है दूसरी तरफ खादों के रूप में विष पेट में जा रहा है.

यह विष नाना प्रकार के रोगों को जन्म देता है भारत में जनसंख्या वर्द्धि के अनेक कारण है. अज्ञानता शिक्षा की कमी तथा भाग्यवाद जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण है. जनसंख्या की वृद्दि के लिए सरकार की गलत नीतियाँ भी जिम्मेदार है.

भारत में इस समय 2 करोड़ बांग्लादेशी शरणार्थी डेरा डाले हुए है. ये विदेशी तस्करी और नशीले पदार्थो की तस्करी करते है. भारत सरकार की नीतियाँ वास्तव में उदार है. किन्तु उदार का मलतब विदेशियों के हित में सलग्न रहना तो नही है.

  • जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध
  • विश्व जनसंख्या दिवस पर भाषण
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जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi

इस अनुच्छेद में हमने जनसंख्या वृद्धि पर निबंध समस्या और समाधान (Essay on Population problem in Hindi) लिखा है। साथ ही हमने जनसंख्या की परिभाषा और भारत की बढती जनसंख्या के विषय में भी हमने इसमें जानकारी दी है। इसमें हमने जनसंख्या विस्फोट का कारण, प्रभाव और उपाय की पूरी जानकारी दी है।

Table of Content

जनसंख्या की परिभाषा? Definition of Population in Hindi

किसी देश, शहर या किसी जिले या क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या को जनसंख्या कहते हैं। जनसंख्या के ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने से देश और दुनिया के ऊपर कई प्रकार से प्रभाव पड़ता है। नीचे हमने जनसंख्या वृद्धि और विस्फोट के बारे मे विस्तार से जानकारी दी है।

जनसंख्या वृद्धि क्या है? ‎What is Population Problem in Hindi?

किसी देश, शहर और क्षेत्र की जनसंख्या का बढ़ना जनसंख्या वृद्धि कहलाता है। जनसंख्या बृद्धि ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर की एक बड़ी समस्या है। आबादी बढ़ने की समस्या के अभिशाप को हटाने के प्रयास केवल आंशिक रूप से प्रभावी हैं।

इसके परिणामस्वरूप आबादी की दर में गिरावट आई है, लेकिन इष्टतम जनसंख्या वृद्धि और स्वस्थ राष्ट्र के बीच संतुलन हासिल करना काफी दूर है अज्ञानता, निरक्षरता, अस्वच्छ जीवन और उचित मनोरंजन की कमी भारत में आबादी की समस्या के कारण बनी हुई है।

दोनों पुरुषों और महिलाओं को अधिक जनसंख्या के खतरों का एहसास होना चाहिए। अगर हम एक यादृच्छिक सर्वेक्षण करते हैं, तो हमें पता चलता कि अभी भी पुरुष और महिलाएं यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके कम बच्चे होना चाहिए।

टेलीविजन में एक छोटे, प्रबंधनीय परिवार की योग्यता के बारे में विज्ञापन और झाँकियों के माध्यम से निर्देश देता है लेकिन फिर भी ऐसे परिवार हैं, जो इतनी मुश्किलों के बाद भी इस अंधविश्वास से पीड़ित हैं, वे सोचते है कि बच्चे गोद लेना एक अपवित्र कार्य है। फिर भी पेशेवर वंश की  परंपरा भी दृढ़ता से चली आ रही है।

हमारे भारतीय समाज के एक बड़े अनुभाग में एक लोहार, एक बढ़ई, एक मेसन या एक दर्जी तुरंत अपने बच्चों को अपने पिता के व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करता है। सामान्यतः वे एक मनोवैज्ञानिक सोच रखते है कि ज़यादा बेटों के साथ वह बड़ा रोज़गार कर सकते है। जिस प्रकार एक मज़दूर अधिक पैदावार करता है तो इससे अधिक आय होती है

खुद लोगों को एक छोटे परिवार के गुणों का एहसास होना चाहिए। उनको निवारक जांच को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए – चेक जो जन्म दर को नियंत्रित करते हैं। विकास दर को प्रोत्साहित करने वाला एक और पहलू धर्म है।

किसी भी जनादेश या वैधानिक विधि के अनुसार जनसंख्या ब्रद्धि में रोक लगाना गलत नहीं है। भारत धर्म निरपेक्ष राज्य है, वह धार्मिक आधार पर किसी भी जांच या संयम का प्रयोग नहीं करता है।

जनसंख्या वृद्धि के लिए योगदान देने वाला एक बड़ा कारक शापित मतदान प्रणाली है यह संख्या पर आधारित है। दूसरी तरफ, विशेष रूप से उत्तरी भारत में मतदान पैटर्न, जाति पर आधारित है। स्वाभाविक रूप से, जाति जो कि अन्य जातियों को निर्विवाद वोटों में से निकालती है, शक्तियों के क्षेत्र में तुलनात्मक रूप से अधिक लाभ उठाने का आनंद लेती है।

प्रारंभिक विवाह- शीघ्र विवाह न केवल उच्च जनसंख्या की ओर जाता है बल्कि हमारी युवा जनसंख्या की प्रगति को विफल भी बनाता है, वे युवाओं के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा करते हैं। ज्यादातर युवा लड़कियां, इस उम्र में प्रसव के बोझ को सहन करने के लिए सक्षम नहीं होती हैं।

लोगों को एक उच्च स्तर के जीवन का महत्व दिमाग में रखना चाहिए। बेहतर रहने की स्थिति की आशंका स्वत: ही आबादी में भारी वृद्धि के लिए एक निवारक के रूप में काम करती है। यह जनसंख्या विस्फोट को प्रतिबंधित करता है।

मूलरूप से प्राकृतिक संपदा का अधिक न्यायसंगत वितरण ना हो पाना, धार्मिक कट्टरपंथियों पर प्रतिबंध लगाया जाये जो अनावश्यक जन्म से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे है शिक्षा की विधि द्वारा – ये अकेले आबादी समस्या पर एक प्रभावी नियंत्रण ला सकते हैं।

जनसंख्या विस्फोट क्या है? What is Population Explosion in Hindi?

जनसंख्या विस्फोट जनसंख्या के आकार में अचानक और तेज़ वृद्धि को दर्शाता है, विशेष कर मानव आबादी। यह मानवीय आबादी का अनियंत्रित विकास है जिसके परिणामस्वरूप:

  • बढती हुई जन्म दर
  • शिशु मृत्यु दर में कमी
  • बेहतर जीवन प्रत्याशा

सामान्य सीमा से अधिक आबादी में भारी वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। यह विकसित देशों की तुलना में कम विकसित और विकासशील देशों में अधिक प्रमुख है। जनसंख्या विस्फोट मुख्य रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जनसंख्या में वृद्धि के संदर्भ में आया है। हालांकि, भारत के प्रसंग में, यह आजादी के बाद जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।

जनसंख्या वृद्धि का कारण Causes of Population Explosion in Hindi

जनसंख्या विस्फोट के मुख्य कारण कुछ इस प्रकार हैं-

1. बढ़ती जन्म दरें (Rising birth rates)

जन्म नियंत्रण पद्धति का उपयोग ना करने और इसके सकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूकता की कमी के कारण जन्म दर में लगातार वृद्धि हुई है। यह बढती हुई जनसंख्या का एक मुख्य कारण है।

2. शिशु मृत्यु दर में कमी (Infant mortality rate)

चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सुधार, निवारक दवाओं (टीके) के व्यापक उपयोग ने शिशु मृत्यु दर में बहुत जी तेज़ी से कमी आई है। हलाकि यह एक सकारात्मक कदम है परन्तु पिछले कुछ दशकों के दौरान चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी सुधार होने के कारन जनसंख्या में वृद्धि हुई है।

3. जीवन प्रत्याशा में वृद्धि (Increase in life expectancy)

बेहतर रहने की स्थिति, बेहतर स्वच्छता और स्वच्छता की आदतों, बेहतर पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा आदि के कारण मानव आबादी की औसत जीवन प्रत्याशा में काफी सुधार हुआ है। अच्छी गुणवत्ता वाले भोजन की स्थिर आपूर्ति यह सुनिश्चित करती है कि जनसंख्या अच्छी तरह से पोषित होती है जनसंख्या बढ़ती है जब वे पर्याप्त रूप से पोषित होते हैं।

4. वृद्धि हुई आप्रवासन (Increased immigration)

आप्रवासन में वृद्धि अक्सर जनसंख्या विस्फोट में योगदान देती है। विशेष रूप से विकसित देशों में ऐसा तब होता है जब बड़ी संख्या में पहले से ही आबादी वाले स्थान पर स्थायी रूप से निवास करने के इरादे से दुसरे देशों से लोग आ जाते हैं और रहने लगते हैं। परन्तु अब इसके लिए भारत में CAA जैसे नए नियम आ चुके हैं।

5. आवश्यक से कम जगह (Less space than necessary)

कई देशों में जनसंख्या बहुत बढ़ जाती है परन्तु उन देशों में उतने लोगों के रहने की जगह नहीं होती है। ऐसे में उस देश और क्षेत्र के लोगों को कई प्रकार की परेशानियों को सामना करना पड़ सकते है। उदाहरण के लिए – खाना, पीने का पानी, बिजली आदि की कमी।

जनसंख्या बढ़ने के कारण Effect of Population Growth in Hindi

असामान्य जनसंख्या वृद्धि सामान्यतः भारत की गरीबी के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है। इस कारण लोग बहुत दयनीय स्थिति में रहते है। लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए भारत में प्रयास किए जा रहे हैं, अगर आबादी को नियंत्रित करने की अनुमति दी जाती है तो इससे कोई फलदायी परिणाम उठा सकता है।

स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय गतिविधियों को कृषि, व्यापार, वाणिज्य और उद्योगों के एकीकृत विकास के माध्यम से लोगों की बढ़ती संख्या को आजीविका के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराने के कार्य को निर्देशित किया जाता है।

इस प्रयोजन के लिए अपनाई गई योजनाओं को तब तक अमल नहीं किया जा सकता जब तक कि आबादी की समस्या को संतोषजनक ढंग से सामना नहीं किया जाएगा। हालांकि, यह भी एक तथ्य है कि हम जनसंख्या पर कोई प्रभावी जांच नहीं कर सकते, जब तक कि सामान्य लोगों के लिए जीवन स्तर के स्तर में कोई बढ़ोतरी न हो।

अधिक जनसंख्या, अर्थव्यवस्था को कई मामलों में कमजोर बनाती है। प्राकृतिक संसाधनों पर आबादी का बढ़ता दबाव आर्थिक प्रगति को रोक देगा और शिक्षा, धन, आवास, आदि के रूप में सामाजिक सेवाओं के लिए दायरे को कम से कम करना, इसलिए एक प्रगतिशील राज्य के लिए अनिवार्य रूप से आवश्यक है कि  हमारी अर्थव्यवस्था की योजना बद्ध वृद्धि को आबादी पर कुछ प्रभावी जांच की आवश्यकता है।

जनसंख्या वृद्धि के समाधान Solutions for Population Control in Hindi

सरकार द्वारा शुरू की गई परिवार नियोजन योजनाओं के लाभों को कई मायनों में जोर दिया जाए। फिर भी, आबादी के नियोजित विकास के लिए जनता की राय पूरी तरह जुटाई जाने से पहले इसे लगातार प्रचार प्रसार कार्य की आवश्यकता रूप से किये जिये है।

पारिवारिक नियोजन के तरीकों में आम जनता को शिक्षित करने के लिए हमें एक चहुँमुखी शिक्षा देना होगी। यह एक अच्छा संकेत है कि हमारे लोगों का एक वर्ग, जो विशेष रूप से मध्यम वर्ग से संबंधित हैं, धीरे-धीरे जनसंख्या जागरूक हो रहे हैं और आबादी नियंत्रण के लिए तैयार किए गए तरीकों में सक्रिय रुचि ले रहे हैं।

उच्च स्तर के रहने के लिए एक निश्चित अग्रिम बनाने के लिए जन्म दर को उचित सीमाओं में रखा जाना चाहिए, जो भारत की प्राथमिक जरूरत है। अगर लोगों को उच्च स्तर के जीवन जीने का मौका मिलता है तो यह काम बहुत आसान होगा। और तब यह जन्म नियंत्रण के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में काम करेगा।

निष्कर्ष Conclusion

आशा करते हों आपको जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi लेख अच्छा लगा होगा और पूर्ण जानकारी मिली होगी।

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Nibandh

जनसंख्या पर निबंध - Essay on Population in Hindi - Jansankhya Essay in Hindi - Jansankhya par Nibandh

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रूपरेखा : प्रस्तावना - जनसंख्या में वृद्धि - जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम - बेरोजागारी - गरीबी - महंगाई - शिक्षा का अभाव - जनसंख्या को रोकने के लिए सरकार के प्रयास - उपसंहार।

जनसंख्या में वृद्धि किसी भी देश के विकास में बाधा बनती है। भारत की यह बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय बन गई है क्योंकि हम प्रत्येक वर्ष एक करोड़ से अधिक व्यक्ति अपने पहले से ही बहुत बड़ी जनसंख्या में जोड़ देते हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या ने स्थान की समस्या उत्पन्न कर दी है। आवास की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। सड़कों पर भीड़ रहती है और ट्रैफिक जाम रहते हैं। इसलिए जनसंख्या को देश का साधन एवं साध्य दोनों माना जाता है लेकिन जरूरत से ज्यादा जनसंख्या किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास में रुकावट पैदा करती है।

आज हमारे देश भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से आज देश विकास के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे हो रहा हैं। भारत में जनसंख्या बढ़ने से गरीबी, बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां जरूरत से ज्यादा धीमी होती जा रही है, आर्थिक मंदी आ रही है। यही नहीं वन, जंगल, वनस्पतियां, जल संसाधन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों का भी कमी हो रही है और तो और खाद्य उत्पादन और वितरण भी, जनसंख्या के मुकाबले नाकामी साबित हो रहा है। वहीं बढ़ती महंगाई भी जनसंख्या वृद्धि के सबसे मुख्य कारणों में से एक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ही आज लोगों को हर जगह घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ा रहा है, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, अस्पतालों, धार्मिक या सामाजिक समारोह पर इतनी भीड़ रहती है कि कई बार पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है।

भारत में बढ़ती जनसंख्या का दुष्परिणाम यह है कि आज भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। पापी पेट की आग बुझाने के लिए भोजन नहीं, गर्मी में लू और सर्दी में हड्डियां चूर कर देने वाली शीत लहरों (हवाओं) से बचने के लिए वस्त्र नहीं। खुले नील गगन के नीचे फैली हुई भूमि ही उसका आवास-स्थल है।

हमारे देश में बेरोजगारी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । देश में लगातार बढती जनसंख्या के कारन जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे दुगने लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

देश में आबादी के बढ़ते, देश में लोगों के हिसाब से साधन जुटा पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि एक सीमित मात्रा में ही हमें प्रकृति से संसाधन मिल पाते हैं। इसकी वजह से गरीबी की समस्या पैदा हो रही है।

भारत में महंगाई के बढने के अनेक कारण हैं जैसे जनसंख्या का बढ़ना, उत्पादों की कम आपूर्ति होना, वस्तुओं और उत्पादों की कालाबाजारी करना, वस्तुओं और उत्पादों की कीमत बढ़ा देना, आदि । महंगाई की समस्या हमारे ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की एक बहुत ही गंभीर समस्या बन गयी है जो लगातार बढती जा रही है। जिस तरह से देश की जनसंख्या बढ़ रही है उस तरह से फसलों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। बिजली उत्पादन भी महंगाई को प्रभावित करता है। उपज की कमी से भी महंगाई बढती जाती है।

देश में उचित शिक्षा प्रणाली न होने के कारण से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। उचित शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगार उन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे। विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के साथ व्यापार का भी ज्ञान देना चाहिए जिससे आगे चलकर नौकरी ना मिलने पर स्वंय का व्यापार स्थापित कर सके।

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल तय की है। भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के अधिकार के जरिए देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है निरक्षरता को समाप्त करना। भारत सरकार बच्चों को गोद लेने को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों की वजह से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका साबित होता नजर आ रहा है।

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो, देश विकास के मामले में पिछड़ता जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी। लोगों को आबादी नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। वहीं सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए। ताकि देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके और देश में जनसंख्या को नियंत्रण में रह सकें।

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Essay on Population in Hindi – जनसंख्या की समस्या पर निबंध

October 4, 2017 by essaykiduniya

Paragraph and Short Essay on Population in Hindi Language. Here you will get Essay on The Population Problem in India in Hindi Language for Kids of all Classes in 200, 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में भारत में जनसंख्या की समस्या पर निबंध मिलेगा।

Essay on Population in Hindi – जनसंख्या की समस्या पर निबंध

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Short Essay on Population in Hindi Language – जनसंख्या की समस्या पर निबंध ( 200 words )

जनसंख्या का अभिप्राय किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या से है जो कि प्रत्येक क्षेत्र में अलग अलग होती है। कई क्षेत्र ऐसे है जहां पर जनसंख्या बहुत ही अधिक होती है और कुछ क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या बहुत ही कम होती है। पृथ्वी पर जनसंख्या असमान रुप से वितरित है चाहे वह मनुष्य की हो या फिर पशु और पक्षियों की। जनसंख्या को प्रभावित करने वाले बहुत से कारक है। अधिक गर्म और अधिक ठंड वाले क्षेत्रों में जनसंख्या कम होती है जबकि सामान्य जलवायु वाले क्षेत्र में लोगों की अधिक भीड़ होती है। जिन क्षेत्रों में संसाधन भरपूर मात्रा में होते हैं और राजनीतिक स्थिरता होती है वहाँ पर भी जनसंख्या अधिक होती है।

जनसंख्या देश की प्रगति को भी प्रभावित करने वाला अहम घटक है। पिछले कई दशकों में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई है जिससे बेरोजगारी, निर्धनता की समस्या उत्पन्न हुई है और साथ ही पशुओं के आवास स्थान में भी गिरावट आई है। बढ़ती हुई मानव जनसंख्या , पशु पक्षियों की प्रजाति के लुप्त होने का कारण है। जनसंख्या को नियंत्रित करना सभी की जिम्मेदारी है और सरकार को भी इसके लिए सख्त से सख्त कदम उठाने चाहिए।

Essay on Population in Hindi – जनसंख्या की समस्या पर निबंध ( 500 words )

भारत दुनिया में सातवां सबसे बड़ा देश है। इसमें लगभग 33 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र शामिल हैं भारत में दुनिया का केवल 2.5 प्रतिशत हिस्सा है, फिर भी उसे विश्व की 16% आबादी का समर्थन करना है। इसकी जनसंख्या एक खतरनाक दर से बढ़ रही है 2001 की जनगणना के मुताबिक, 1981 में 68.51 करोड़ की तुलना में भारत की आबादी लगभग 100 करोड़ थी। अब जनसंख्या 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। यह अनुमान लगाया गया है कि भारत 2020 ईस्वी तक दुनिया में चीन से आगे निकल और सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। । चीन ने एक बच्चे के आदर्श को लागू करके अपनी जनसंख्या वृद्धि को घटा दिया है; जबकि भारत का स्वैच्छिक परिवार कार्यक्रम दो-बाल आदर्शों पर आधारित है।

भारत अगस्त 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हो गया। और 1951 से, देश में कई पांच साल की योजनाएं हुईं। देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर है। अब, भारत दुनिया के दस औद्योगिक क्षेत्रों में से एक है। 1993-1994 में प्रति व्यक्ति आय 2,282 रुपये थी। प्रगति के बावजूद, लगभग एक-तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। पांच साल की योजनाओं के तहत आजादी के बाद जो कुछ भी प्रगति हुई है, वह जनसंख्या में अनियंत्रित वृद्धि से निष्कासित कर दिया गया है। भारत में जनसंख्या विस्फोट कई कारकों के कारण है हमारी आबादी का करीब 75 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में रहता है। हमारी जनसंख्या का लगभग 48 प्रतिशत निरक्षर है। ग्रामीण लोक अज्ञानी हैं और अंधविश्वासी हैं। उनका मानना है कि उनके वर्तमान सामाजिक और आर्थिक स्थिति के कारण है|

भाग्य के लिए और वे इसे बदल नहीं सकते हैं। वे यह भी मानते हैं कि बच्चे भगवान के आशीर्वाद हैं, और एक बार वे अस्तित्व में आते हैं, तो भगवान सब कुछ का ख्याल रखेंगे किसी भी मामले में ग्रामीणों ने उन्हें कृषि में मदद करने के लिए बच्चों के हाथों का स्वागत किया है। ग्रामीण इलाकों में, ग्रामीणों के पास मनोरंजन का कोई भी स्रोत नहीं है तो अधिक प्रजनन है कुछ समुदाय परिवार नियोजन की अवधारणा के विरोध में हैं भारतीयों के पास एक पुरुष बच्चा होने की तीव्र इच्छा होती है। कभी-कभी, एक बेटी मिलने की उम्मीद में युगल बेटी के बाद बेटी बनते हैं बाल विवाह भी बड़े आकार के परिवारों में परिणाम। भारत सरकार ने पहले से ही बाल विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया है और लड़कियों की शादी की आयु 18 कर दी है, और लड़कों की संख्या 21 हो गई है।

आधुनिक भारतीय परिवार आ रहे हैं रीटो का एहसास है कि छोटे परिवार खुश परिवार हैं-कम बच्चों को अच्छी तरह से देखभाल करनी है। यह उल्लेखनीय है कि भारत हर साल आबादी ऑस्ट्रेलिया के बराबर जोड़ रहा है। जनसंख्या में उच्च विकास एक समस्या बन जाता है और आर्थिक प्रगति को पीछे छोड़ देता है वर्तमान में, सरकार के परिवार नियोजन कार्यक्रम सशक्त विधियों के बजाय प्रेरक पर आधारित है। विवाहयोग्य आयु सीमा आगे बढ़ सकती है। प्रोत्साहन और डिंसेंटेंट्स ऑपरेशन में होना चाहिए। परिवार कल्याण शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए। परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता आवश्यक है आबादी की वृद्धि की जांच होनी चाहिए और उचित सीमाओं पर रखा जाना चाहिए। गरीबी को दूर करने और भारतीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने का यह एकमात्र तरीका है।

हम आशा करेंगे कि आपको यह निबंध ( Essay on Population in Hindi – जनसंख्या की समस्या पर निबंध ) पसंद आएगा।

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भारत में जनसंख्या की समस्या | Essay on The Population Problem in India in Hindi

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भारत में जनसंख्या वृद्धि और समस्या पर निबंध | Read These Two Essays on Population Growth and Problem of Population in India in Hindi.

#Essay 1: भारत में जनसंख्या की समस्या | Essay on The Population Problem in India in Hindi!

भारत में जनसंख्या- वृद्धि का सामान्य क्रम यह है कि हर पीढ़ी में वह दुगुनी होती रहती है । इस क्रम में सन् १९३०-३२ में भारत की आबादी ६० करोड़ थी, आज यह १ अरब से अधिक हो गई है ।

आज का समाज भौतिक क्षेत्र में विकास कर रहा है । जीवन-क्रम द्रुतगति से बदलता जा रहा है । प्राकृतिक साधनों का भी अधिकाधिक उपयोग हो रहा है, फिर भी जनसंख्या का संतुलन और उस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है । अर्थशास्त्र के नियमानुसार, जीवन-स्तर के निम्न होने पर जनसंख्या बढ़ती है । भारत शायद इसी दरिद्रता का शिकार बना हुआ है ।

जनसंख्या की वृद्धि की समस्या अन्य अनेक समस्याओं को पैदा करती है । प्रतिवर्ष उत्पादित खाद्यान्न अपर्याप्त हो जाता है और जो है, वह महँगा हो जाता है । इसी हिसाब से अन्य उपयोगी वस्तुओं के दाम भी बढ़ते हैं । सरकार के पास काम की कमी हो जाती है, अत: बेकारी भी बढ़ती जाती है ।

वैज्ञानिक प्रगति के कारण पूँजीवादी अथवा साम्राज्यवादी आधिपत्य मानव-श्रम को दिन-प्रतिदिन उपेक्षित करता जा रहा है । ऐसी स्थिति में जनसंख्या की स्थिरता आज की अनिवार्य माँग बन गई है । इसके लिए पाश्चात्य देशों में परिवार-नियोजन के अनेक तरीके अपनाए जाते हैं:

संतति नियंत्रण के साधनों में नसबंदी और नलबंदी भी शामिल है । भारत में भी इन साधनों का प्रचार होने लगा है । विवाह की उम्र बढ़ाने की प्रेरणा दी जाती है । भारत में संतानात्पप्न को ईश्वर की देन माना जाता है ।

इसका किसी भी रूप में निरोध ईश्वर के कर्मों में दखल माना जाता है । लेकिन अब स्थिति बदल रही है । शिक्षा के विकास के साथ भारतीय दंपती इम अच्छी तरह समझ रहे हैं और परिवार-नियोजन को अपना रहे हैं । माता के आरोग्य तथा सौंदर्य की रक्षा के लिए भी परिवार-नियोजन पर जोर दिया जाता है ।

आज यद्यपि जनसंख्या-वृद्धि देश की उन्नति में बाधक बनी हुई है तथापि इसके दूसरे पहलू पर विचार किया जा सकता है । जनसंख्या अथवा मानव-शक्ति किसी भी राष्ट्र की निधि मानी जाती है । जन-बल से सरकार अपनी निर्माण-योजनाएँ पूरी कर सकती है ।

ADVERTISEMENTS:

परिश्रमशील प्रजा के श्रमदान से राष्ट्रीय व्यय कम किया जा सकता है । देश के दुश्मनों को आतंकित करने के लिए भी प्रभूत प्रजा का होना बुरा नहीं माना जाता है । चीन आज जनसंख्या के बल पर ही विश्व में जूट राष्ट्र बना हुआ है ।

भारतीय स्वभावत: चिंतनशील होते हैं । कष्ट, सहिष्णुता, परिश्रम तथा न्याय यहाँ के निवासियों की परंपरागत विशेषताएँ हैं । इसके अलावा ये आदर्शवादी और समन्वयवादी होते हैं । सरल तथा संयमित जीवन जीना उनको आता है । ऐसे देश में जनसंख्या की वृद्धि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से उनकी विकट समस्या नहीं है जितनी कि अन्य देशों में ।

यहाँ की आबादी को स्वावलंबन की शिक्षा मिले तो जनसंख्या- वृद्धि भी की जा सकेगी । बढ़ती जनसंख्या को उपयोगी काम में लगाकर भारत भूमि को स्वर्ग बनाया जा सकता है । जनसंख्या को स्थायी रूप से नियंत्रित करना है, तो शिक्षा को अनिवार्य बनाना चाहिए ।

देखा गया है कि शिक्षितों की अपेक्षा अशिक्षितों की अधिक संतानें हैं । दो संतान से अधिक होने पर माता-पिता को सरकारी सेवा के अवसर से वंचिन कर देना चाहिए । सीमित परिवारवालों को सरकार द्वारा पुरस्कृत-प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।

#Essay 2: जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | Essay on Population Growth

सुप्रसिद्ध विचारक गार्नर का कहना है कि जनसंख्या किसी भी राज्य के लिए उससे अधिक नहीं होनी चाहिए, जितनी साधन-सम्पन्नता राज्य के पास है । इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है- जनसंख्या किसी भी देश के लिए बरदान होती है, परन्तु जब अधिकतम सीमा-रेखा को पार कर जाती है, तब बही अभिशाप बन जाती है ।

वर्तमान समय में जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है । हमारे सामने अभी जनसंख्या-विस्फोट की समस्या है । बढती हुई जनसंख्या का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत की जनसंख्या मात्र 36 करोड़ थी, जो अब वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बढ़कर 121 करोड़ से भी अधिक हो गई है ।

विश्व की लगभग 15% जनसंख्या भारत में निवास करती है, जबकि भू-भाग की दृष्टि से भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का मात्र 2.5% है । यह हमारे लिए बेहद चिन्ताजनक है ।

नोम चाम्सकी ने कहा है-

”आप बलपूर्वक अपनी जनसंख्या नियन्त्रित नहीं कर सकते,

मगर यह रोग द्वारा नियन्त्रित कर दी जाएगी ।”

महान् अर्थशास्त्री माल्थस ने भी कहा था कि जनसंख्या के अत्यधिक बढ़ जाने पर प्रकृति द्वारा महामारी आदि रूपों में उसका नियन्त्रण कर लिया जाता है । भारत में जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न महत्वपूर्ण कारणों में जन्म एवं मृत्यु दर में असन्तुलन, कम उम्र में विवाह, अत्यधिक निरक्षरता, धार्मिक दृष्टिकोण, निर्धनता, मनोरजन के साधनों की कमी, संयुक्त परिवार, परिवारों में युवा दम्पतियों में अपने बच्चों के पालन-पोषण के प्रति जिम्मेदारी में कमी तथा बन्ध्याकरण, ट्यूबेक्टॉमी एवं लूप के प्रभावों के विषय में गलत सूचना या सूचना का अभाव आदि उल्लेखनीय है ।

गरीबों के द्वारा अधिक बच्चे पैदा करना दर्शाता है कि गरीबी एवं जनसंख्या के बीच आन्तरिक सम्बन्ध है । गरीबी या निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का कारण भी है और प्रभाव भी ।  अधिक बच्चे पैदा करके अपने परिवार की बढ़ती आवश्यकताओं से जूझते माँ-बाप को बाध्य होकर उन्हें स्कूल जाने से रोकना पड़ता है, ताकि बे घर के खर्च में मदद कर सके और फिर अशिक्षित एवं अज्ञानी बच्चे अपने पिता के जैसे भाग्य के ही उत्तराधिकारी होंगे और अपने पिता की तरह ही आवश्यकता से अधिक सन्तानें चाहेंगे ।

धार्मिक दृष्टि से कहर एवं रूढ़िवादी लोग परिवार नियोजन के उपायों को अपनाने के विरुद्ध होते हैं । कई महिलाएँ यह तर्क देती हैं कि वे ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध नहीं जा सकती । भारतीय मुसलमानों में जन्म दर एवं उत्पादकता दर हिन्दुओं की अपेक्षा अधिक है ।

हाल ही में ऑपरेशन्स रिसर्च ग्रूप द्वारा मुसलमानों पर किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई हैं- यद्यपि अधिकतर पुरुष एवं स्त्री उत्तरदाता आधुनिक परिवार नियोजन के तरीकों को जानते थे, किन्तु या तो वे धार्मिक आधार पर उनका प्रयोग नहीं कर रहे थे या उनको उस बारे में सटीक जानकारी नहीं थी । जनसंख्या वृद्धि का प्रत्यक्ष प्रभाव लोगों के जीवन स्तर पर पड़ता है । यही कारण है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों में चमत्कारिक प्रगति के बाद भी हमारी प्रतिव्यक्ति आय में सन्तोषजनक वृद्धि नहीं हो पाई है ।

जनसंख्या वृद्धि एवं नियन्त्रण की सैद्धान्तिक व्याख्याओं के अन्तर्गत एक व्याख्या मानती है कि विकास जनन क्षमता की दर को कम कर देता है ।  यह भी कहा जाता है कि विकास मृत्यु दर को जन्म दर कीं अपेक्षा अधिक कम करता है, जिसका परिणाम जनसंख्या में वृद्धि है ।

सरकार की जनसंख्या नीति का उद्देश्य न केवल व्यक्तियों की संख्या की अनियन्त्रित वृद्धि पर अंकुश लगाना होना चाहिए, बल्कि जनसंख्या के अनियन्त्रित प्रसार को रोकना, शहरी क्षेत्रों में व्यक्तियों के बढ़ते हुए केन्द्रीकरण को रोकना और व्यक्तियों के पंचमेल मिश्रण के लिए पर्याप्त आवास, स्थान आकर्षक पर्यावरण उपलब्ध कराना भी होना चाहिए ।

इन लक्ष्यों को ऐसी नीतियों के सृजन और क्रियान्वयन से संयुक्त रूप से जोड़ देना चाहिए, जिनका उद्देश्य जनसंख्या नियन्त्रित करना और भौतिक एवं मानव संसाधनों को लाभप्रद कार्यों में लगाने की योजना बनाना हो ।  इस प्रकार, जनसंख्या वृद्धि अपने आप में भले ही समस्या न लगे, परन्तु यदि उसे संसाधनों की उपलब्धता से जोड़ दिया जाए, तो यह चिन्ता का विषय बन जाती है

यदि देश लगभग 15 करोड़ व्यक्तियों की प्रतिवर्ष की वृद्धि से बचना चाहता है, तो केवल एक ही मार्ग शेष है कि आवश्यक परिवार नियोजन एवं जनसंख्या हतोत्साहन की कड़वी घूँटी लोगों को पिलाई जाए ।  इसके लिए एक उपयुक्त जनसंख्या नीति की आवश्यकता है ।

परिवार नियोजन को उस दलदल से बचाना होगा, जिसमें बह फँसा हुआ है । इसके लिए कार्यक्रम को आन्तरिक रूप से और विकास की इकाई के रूप में देखा जाना चाहिए । परिवार नियोजन अभियान को फिर से खडा करने के लिए अनेक उपाय करने होंगे ।  थोड़ी हतोत्साहन (बाध्यता) के साथ प्रोत्साहन भी आवश्यक होगा ।

वैधानिक उपाय भी सहायक हो सकते है, लेकिन उत्तरदायी माता-पिता की भावना पैदा करने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि सामाजिक जागृति एवं भागीदारी अधिक-से-अधिक हो सबसे अधिक बल इस बात पर दिया जाना चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में बन्ध्याकरण की अपेक्षा फासले की विधि को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे इसके अनुरूप जनाकिकीय प्रभाव प्राप्त किया जा सके हमारे देश में लगभग पाँच में से तीन (57%) विवाहित स्त्रियाँ 30 वर्ष से कम आयु की हैं और दो या अधिक बच्चों की माँ है ।

‘बच्चियाँ ही बच्चे पैदा करें’ इस सच्चाई को बदलना होगा । यह केवल फासले की विधि तथा लडकियों का अधिक उम्र में विवाह को प्रोत्साहन देने से ही सम्भव हो सकेगा । परिवार नियोजन स्त्रियों की सामान्य परिस्थिति को सुधारने में भी सहायक होगा ।

वह स्त्री जिसके पास पालन-पोषण के लिए बच्चे हो और जो बार-बार प्रसव प्रक्रिया से गुजरती हो, वह अपना अधिक समय माँ एवं पत्नी के रूप में ही व्यतीत करती है और घर की चहारदीवारी में ही बन्द रहती है । वह समुदाय और समाज में कोई भूमिका अदा नहीं कर सकती, जब तक बह अपने परिवार के आधार को तर्कसमत न बना ले परिवार नियोजन न केवल परिवार कल्याण में सुधार करेगा, बल्कि सामाजिक समृद्धि तथा व्यक्तिगत सुख में भी योगदान करेगा ।

भारत जैसे विकासशील देश में बढती जनसंख्या पर नियन्त्रण पाना अत्यन्त आवश्यक है अन्यथा इसके परिणामस्वरूप देश में अशिक्षा, गरीबी, बीमारी, भूख, बेरोजगारी, आवासहीनता जैसी कई समस्याएँ उत्पन्न होगी और देश का विकास अवरुद्ध हो जाएगा । अतः जनसंख्या को नियन्त्रित करने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों के साथ-साथ देश के प्रत्येक नागरिक को इस विकट समस्या से लड़ना होगा ।

समाजसेवी संस्थाओं की भी इस समस्या के समाधान हेतु महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए । आज अन्ध परम्पराओं पर प्रतिबन्ध लगाने की आवश्यकता है । बालविवाह एवं बहुबिवाह पर कानूनन प्रतिबन्ध तो लगाया जा चुका है, परन्तु आम नागरिकों द्वारा भी इन कुरीतियों को किसी कीमत पर बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए ।

जनसंख्या वृद्धि रोकने हेतु शिक्षा का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है । महिलाओं के शिक्षित होने से विवाह की आयु बढ़ाई जा सकती है, प्रजनन आयु वाले दम्पतियों को गर्भ निरोधक स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है । उन्हें छोटा परिवार सुखी परिवार की बात समझाई जा सकती है ।

केन्द्रीय एवं राज्य स्तरों पर जनसंख्या परिषद स्थापित करना भी इस समस्या का उपयुक्त उपाय हो सकता, क्योंकि ऐसा करके न केवल विभिन्न स्तरों पर समन्वय का कार्य किया जा सकेगा, बल्कि अल्पकालीन व दीर्घकालीन योजनाओं का निर्धारण भी किया जा सकेगा । मीडिया को भी इस कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की आवश्यकता है ।

इन सब बातों पर ध्यान देकर जनसंख्या विस्फोट पर निश्चय ही नियन्त्रण पाया जा सकता है । विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘स्टीफन हॉकिंग’ ने हम मानवों को सावधान करते हुए कहा है- ”हमारी जनसंख्या एवं हमारे द्वारा पृथ्वी के निश्चित संसाधनों के उपयोग, पर्यावरण को स्वस्थ या बीमार करने वाली हमारी तकनीकी क्षमता के साथ घातीय रूप में बढ रहे है ।” आज प्रत्येक देशवासी को उनकी बातों से प्रेरणा लेकर देश को समृद्ध एवं विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेना चाहिए ।

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What Happened When India Pulled the Plug on TikTok

The United States has passed a law that could end in a ban. When India did it, people adjusted quickly, and Instagram and YouTube built big audiences.

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By Alex Travelli and Suhasini Raj

Reporting from New Delhi

In India, a country of 1.4 billion, it took TikTok just a few years to build an audience of 200 million users. India was its biggest market. Then, on June 29, 2020, the Indian government banned TikTok, along with 58 other Chinese apps, after a simmering conflict between India and China flared into violence at their border.

A popular form of entertainment, which had not been the subject of political debate, vanished overnight. Now, as the United States has enacted a law that could shut access for the 170 million Americans using TikTok, the example set by India gives a foretaste of what may come — and how audiences and other social media companies catering to them might respond.

TikTok, owned by ByteDance in Beijing, came to India early, establishing a wide base in 2017 in dozens of the country’s languages. Its content — short videos — tended to be homey and hyperlocal. An endless scroll of homemade productions, many of them shot in small towns or farms and set to popular music, helped while away the hours across the world’s cheapest and fastest-growing mobile-data network. As it has in the United States, TikTok became a platform for entrepreneurial extroverts to build businesses.

Veer Sharma was 26 when the music stopped. He had collected seven million followers on TikTok, where he posted videos of himself and friends lip-syncing and joking around to Hindi film songs. He was the son of a laid-off millworker from the central Indian city of Indore and barely finished formal schooling. His TikTok achievements filled him with pride. He felt “beyond happy” when people recognized him on the street.

They were happy to see him, too. Once, Mr. Sharma said, an “elderly couple met me and said they would watch my show before going to bed, for a laugh.” They told him that his “show was a way out of their daily life’s drudgery.”

With his new stardom, Mr. Sharma was earning 100,000 rupees, about $1,200, a month. He bought a Mercedes. After the ban in 2020, he barely had time to make one last video for his fans. “Our times together will be ending soon, and I don’t know how or when we will be able to meet again,” he told them.

“Then, I cried and cried,” he said.

Yet short videos, including many preserved from TikTok and uploaded to other sites that aren’t banned, continue to draw Indians.

A person films a group of people posing for a TikTok video outdoors in a brick courtyard.

India’s online life soon adapted to TikTok’s absence. Meta’s Instagram swooped in with its Reels and Alphabet’s YouTube with Shorts, both TikTok-like products, and converted many of the influencers and eyeballs that had been left idle.

The services were popular. But something was lost along the way, experts said. Much of the homespun charm of Indian TikTok never found a new home. It became harder for small-time creators to be discovered.

Nikhil Pahwa, a digital policy analyst in New Delhi, tracks the overall change to the departure from TikTok’s “algorithms, its special sauce,” which was “a lot more localized to Indian content” than the formulas used by the American giants that succeeded it.

Several Indian companies tried to get into the gap caused by the disappearance of Chinese competition. But America’s tech giants, with their deeper pockets and expanding global audiences, came to dominate India. The country is now the biggest market for both YouTube (almost 500 million monthly users) and Instagram (362 million), with roughly twice as many users as either has in the United States, though they earn far less revenue per consumer.

The decision by India to cut its population off from TikTok was as sudden as the American efforts, which began in 2020, were protracted. But the motivation was similar — and even more dramatic. Whereas the United States and China are engaged in a new kind of cold war over economic dominance, India and China have had troops standing off at their border since 1962. In 2020, that frozen conflict turned hot. In one night of brutal hand-to-hand combat , 20 Indian soldiers were killed, along with at least four Chinese, which China never officially confirmed.

Two weeks later, India switched off TikTok. The app disappeared from Google and Apple stores, and its website was blocked. By then, India was well practiced in blocking objectionable websites and even shutting down mobile data across whole regions, in the name of maintaining public order.

There were few other signs of retaliation by India, but this one action commanded the public’s attention. The list of Chinese apps that India has banned continues to grow, now to 509, according to Mr. Pahwa.

Until then, India’s internet had presented an open market to China. In contrast to India’s domestic media companies, tech start-ups were free to take investment from China and other countries. TikTok was only the most popular among dozens of Chinese-owned games and services distributed to Indians online.

Since at least 2017, after a similar border skirmish , the possibility that Chinese consumer technology might pose a risk to India’s sovereignty had been circulating in national security circles.

Indian officials had expressed concern that Chinese-owned apps could provide Beijing with a potent messaging tool within India’s raucous media environment. Just two months before the ban, India announced new restrictions on investments from any country “ sharing land border with India .” Technically, that would apply to Bangladesh, Bhutan, Nepal and Pakistan. But China was understood to be the real target.

On June 29, 2020, the official order that blocked TikTok and dozens of lesser-known Chinese services did not mention China explicitly, nor the bloody fight on the border. Instead, the measure was described as a matter of “data security and safeguarding the privacy” of Indian citizens from “elements hostile to national security and defense of India.”

In subsequent years, India’s government has used the rationale about maintaining the “safety and sovereignty of Indian cyberspace” to dictate terms even to American tech companies. It has complained to Apple and Twitter, as well as to Meta and Google, sometimes to prevent speech that is critical of Prime Minister Narendra Modi and his Bharatiya Janata Party.

But the government bore no grudge against TikTok’s influencers. After the ban went into effect, the B.J.P. reached out to Mr. Sharma , who said he had become depressed. Between losing his income and his fame, he felt his “world crashing down.” He had already been contacted by Moj, a Bangalore-based TikTok rival. Mr. Sharma’s career and income bounced back after he posted a clip with his state’s chief minister and started making promotional videos with other B.J.P. office holders. He feels proud now to be helping further Mr. Modi’s political agenda.

Another TikTokker who was temporarily “heartbroken” by the ban was Ulhas Kamathe, a 44-year-old dad from Mumbai. He somehow achieved a moment of international fame by devouring chicken platters while murmuring “chicken leg piece” with his mouth full, an instant meme. After losing his nearly seven million TikTok followers overnight, he says he has recovered — by finding five million on YouTube, four million on Instagram and three million on Facebook.

“In the past three years, I have rebuilt without any help — all by myself,” he said.

Alex Travelli is a correspondent for The Times based in New Delhi, covering business and economic matters in India and the rest of South Asia. He previously worked as an editor and correspondent for The Economist. More about Alex Travelli

Suhasini Raj is a reporter based in New Delhi who has covered India for The Times since 2014. More about Suhasini Raj

Smithsonian Voices

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SMITHSONIAN BOOKS

Explore Amazing Contributions Made by Asian Americans and Pacific Islanders with Four Smithsonian Stories

Celebrate Asian American, Native Hawaiian, and Pacific Islander Heritage Month with Smithsonian objects

Theodore S. Gonzalves

Smithsonian Voices Cover.jpg

Since 1997, the US Census Bureau has understood the need to identify the distinct experiences between Asian Americans (“person[s] having origins in any of the original peoples of the Far East, Southeast Asia, or the Indian subcontinent”) and Native Hawaiians or other Pacific Islanders (or “person[s] having origins in any of the original peoples of Hawai‘i, Guam, Samoa, or other Pacific Islands”). Their histories in the Americas have been centuries in the making, and Smithsonian Asian Pacific American History, Art, and Culture in 101 Objects offers a window into the expanse of those stories. Today, we invite you into its pages with four amazing objects and stories.

1. Duke Kahanamoku’s Surfboard

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Born to a prominent family with direct ties to Hawaiian royalty, Duke Paoa Kahinu Moke Hulikohola Kahanamoku (1890–1968) advanced the world’s knowledge about surfing, a Pacific Islander practice dating back at least 1,500 years. 

In his early twenties, Kahanamoku’s powerful swimming earned him an Olympic gold medal at the 1912 games in Stockholm for the 100-meter freestyle. Along with his two other Olympics appearances in 1920 and 1924, Kahanamoku would win a total of five medals—three gold and two silver. 

With his international visits, especially to Australia and the United States, he became a cultural ambassador for surfing, helping to popularize it throughout the world. During a period of legalized segregation, he encountered racist treatment during his trip to the American South, which he met with his characteristic dignity and grace. Kahanamoku’s presence couldn’t be contained by America’s race codes. His celebrity continued to grow, as offers came to appear in more than a dozen films.

A year before he won his first gold medal, Kahanamoku penned an essay titled “Riding the Surfboard” in the inaugural issue of Mid-Pacific Magazine . He used powerful imagery to ask the reader: “How would you like to stand like a god before the crest of a monster billow, always rushing to the bottom of a hill and never reaching its base, and to come rushing in for half a mile at express speed, in graceful attitude, of course, until you reach the beach and step easily from the wave to the strand?”

According to Paul Burnett, coauthor of Surfing Newport Beach: The Glory Days of Corona del Mar , this board is connected to a fantastic story. The dramatic event took place on June 14, 1925. The forty-foot fishing yacht, Thelma , capsized off the coast of Newport Beach, California. Kahanamoku and six others, including Vultee, jumped into action. While five persons drowned, twelve were rescued. Kahanamoku’s friends pulled four to safety while he was personally responsible for saving the lives of eight people over the course of three trips. A local police captain told the Los Angeles Times , “Duke’s performance was the most superhuman rescue act and the finest display of surfboard riding that has ever been seen in the world.” When asked how Kahanamoku accomplished the feat, Duke said: “I do not know. It was done. That is the main thing. By a few tricks, perhaps.” This board was used in what has come to be known as the Great Rescue of 1925. —Theodore S. Gonzalves

2. Stella Abrera's Ballet Shoes

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In 1996, at the age of seventeen, Abrera joined ABT as an apprentice after a successful audition. She would go on to rise in the ranks at ABT, earning the role of principal in 2015—the first Filipina American ballerina in the company to do so. However, Abrera’s journey to becoming principal was not conventional, nor was it easy. Abrera was promoted to soloist in 2001, but a serious sciatic nerve injury in 2008 took Abrera out of dancing for two years. Abrera recalls the difficulty of recovery and having to relearn the way she danced at the age of thirty.

Fortunately, Abrera was able to return as a soloist, and she saw her recovery as a miracle. She recalled in an interview that the announcement of her promotion to principal was “magic,” where all the struggles and triumphs she faced in the years leading up to that point were a “gift." Abrera remained with ABT until her retirement in 2020.

The ballet shoes shown here were worn by Abrera in an October 2017 production of Daphnis et Chloé. The shoes would have been worn for rehearsals for this show and likely for only one performance, perhaps two. They have been “pancaked” to match Abrera’s skin tone. Dancers often coat their pointe shoes with makeup, known as pancaking, when they are not wearing tights, in order for the shoes to match their skin color. The process varies for each dancer, but it usually involves applying a thin layer to the shoe to cover up the shine, which can take up to ten to fifteen minutes when done with care.

Abrera’s shoes are reflective of ABT’s effort to promote diversity in the company. Speaking about the significance of her role as principal to young Asian American women, Abrera mentions how much representation matters. People of different skin colors are actively being encouraged to be part of ballet, and companies continue to evolve to attract diverse performers and audiences. —Thanh Lieu

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Smithsonian Asian Pacific American History, Art, and Culture in 101 Objects

A rich and compelling introduction to the history of Asian Pacific American communities as told through 101 objects, from a fortune cookie baking mold to the debut Ms. Marvel comic featuring Kamala Khan

3. Hari Govind Govil's Patent

Govil’s 1937 patent would eventually allow Linotype machines to print Devanagari, a dominant script of South Asia that, by 1950, would be considered the official script of the Union of India. Newspaper articles hailed this development as a stride for increasing the literacy of one-sixth of the world’s population. Before the era of computers, machines like the Linotype were the key to advancing knowledge through the printed word. But before this achievement could take place, Govil had to embark on a journey far from home.

As a university student in Benares, Govil was ambitious, but unhappy with the traditional style of education in India. He decided to travel to the United States, hoping to benefit from what he viewed as a more flexible and innovative culture. In the process, his perspective on India and its connections to the West gained both depth and breadth.

The 1917 Immigration Act passed by Congress created a large “Asiatic barred zone” stretching from the Middle East to Southeast Asia in order to exclude South Asians from migrating to the United States. The act made exceptions for certain professions as well as for students, allowing Govil to make his way.

Soon after his arrival in the US in 1920, Govil began several years of correspondence with his hero back home, Mohandas Gandhi, who had been sharpening the tactics of nonviolent noncooperation against the British. In 1922, Gandhi provided encouragement to the young student: “Every worker abroad [such as yourself] who endeavors to study the movement and interpret it correctly helps it.”

Govil secured a position at the Mergenthaler Linotype Company in New York, and became fascinated with the technology—both its potential to enhance education and the written arts, and to facilitate cultural and political exchange. Govil designed his type with interchangeable parts, so that it could be used to compose text in related South Asian languages, such as Hindi, Gujarat, Bengali, Behari, Nepali, and Jaina.

Govil became a proponent for Indian nationalism. Soon after he received the note from Gandhi, Govil penned an editorial for an American audience, announcing that a new chapter of world history would be marked by the Indians’ adoption of Gandhian nonviolence.

In 1924, Govil established the India Society of America, Inc., in New York City, surrounding himself with support from an impressive cross section of advisors, including missionary/educator Sidney L. Gulick, ACLU cofounder Jane Addams, choreographer Ruth St. Denis, journalist Heywood Broun, NAACP cofounder Oswald Garrison Villard, and philosopher/education reformer John Dewey, among many others. With Govil at the helm, the society launched several well-publicized activities “to promote cultural relations between India and America,” including lectures, receptions, art exhibits, film screenings, radio programming, and publications.

Writing for the Hindustan Review at the society’s founding, a fellow Indian nationalist, V. V. Oak—also living in the United States at the time—suggested that Govil’s tactical use of culture and the arts was the right means to achieve the ends of Indian nationalism.

In 1929, Govil appeared to echo Oak’s sentiments by observing that India’s “spiritual achievement” was just as significant as any scientific achievement by the West. The creation of a simple font forged the link he sought. In the same year that Govil applied for his patent, the Times of India quoted his aims: to create a “uniform method of writing, and I think this would wield her [India] together.” —Theodore S. Gonzalves

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Their staple article of diet was boiled rice, but they were by no means averse to fish, flesh and fowl, when they could get them. Their cooking was generally performed in broad pans, which they turned one above the other, in case they wished to keep the steam inside. When their meals were ready they squatted on the ground, and performed some very lively work with their chopsticks. For an inexperienced person to eat rice with chopsticks is much like taking soup with a fork; but a Chinese finds no difficulty in getting a large quantity down his throat, and at a very rapid rate.

In the background of Becker’s image, two tents are set up with a person setting up a third. The cook is in the foreground, tending to two large woks, both set directly on the ground with fires beneath. One is covered, most likely to steam vegetables. The other appears to be filled with fish perhaps caught in a nearby lake, arranged in a single layer. He’s keeping an eye on his shallow frying, with a spatula in his left hand.

The skills that the cooks developed out on those remote camps became essential for the thousands of others who would continue their journeys across the Pacific. Decades later, many of those experiences were distilled into guidebooks published in Chinese American communities like Cui Tongyue’s Hua Ying Chu Shu Da Quan (Chinese English Comprehensive Cookbook). As historian Yong Chen explains, this was more than a travel guide for the casual visitor. A book like this functioned like an atlas for newcomers, including tips for how to travel by rail or steamship, recipes for American dishes, a glossary of food words, and simulated dialogues for how to negotiate a higher wage. For example, here’s an exchange from Tongyue’s “cookbook.”

A: “Twenty-five dollars. That is not enough for me.”

A: “Forty-five dollars.”

Smithsonian Asian Pacific American History, Art, and Culture in 101 Objects  edited by Theodore S. Gonzalves is available from Smithsonian Books. Visit  Smithsonian Books’ website  to learn more about its publications and a full list of titles. 

Excerpt from  Smithsonian Asian Pacific American History, Art, and Culture in 101 Objects  © 2023 by Smithsonian Institution

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