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परिश्रम का महत्व पर निबंध-Importance Of Hard Work Essay In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

परिश्रम का महत्व-importance of hard work in hindi.

essay in hindi parishram ka mahatva

परिश्रम का महत्व पर निबंध 1 (100 शब्द)

जीवन के उत्थान में परिश्रम का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जीवन में आगे बढ़ने के लिए, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्रम ही आधार है। परिश्रम से कठिन से कठिन कार्य संपन्न किए जा सकते हैं, जो परिश्रम करता है उसका भाग्य भी उसका साथ देता है जो सोता रहता है उसका भाग्य सोता रहता है। श्रम के बल अगम्य पर्वत चोटियों पर अपनी विजय का पताका पहरा दिया।

श्रम हर मनुष्य अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है। अथक परिश्रम ही जीवन का सौंदर्य है। श्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने आपको महान बना सकता है। परिश्रम ही मनुष्य के जीवन को महान बनाने वाला है। परिश्रम ही वास्तव में ईश्वर की उपासना है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 2 (200 शब्द)

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है । इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्‌ध होना अत्यंत कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्‌वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं । उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं । ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का हल ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते ।

दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं । अपनी कमियों व दोषों के निदान के लिए प्रयास न कर वह भाग्य का दोष मानते हैं । उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन सब में ईश्वर की इच्छा है । वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है । वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है परंतु सुख किसी मृगतृष्णा की भाँति सदैव उससे दूर बना रहता है । किसी विद्‌वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है ।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति के कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।

परिश्रम का महत्व :   देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

उपसंहार : जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

आज के देश में जो बेरोजगारी इतनी तेजी से फैल रही है उसका एक कारण आलस्य भी है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए परिश्रम एक बहुत ही अच्छा साधन है। मनुष्य परिश्रम करने की आदत बचपन या विद्यार्थी जीवन से ही डाल लेनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है। परिश्रम ही किसी भी देश की उन्नति का रहस्य होता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है। परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया था । उनके अनुसार: ”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

परिश्रम और भाग्य :  क्या भाग्य ही सब कुछ है? क्या भाग्य के आगे परिश्रम का कोई महत्व नही है? कई लोगो द्वारा भाग्य को ही सब कुछ मान लिया जाता है और उसे ही अत्याधिक महत्व देते हैl ऐसे लोग भाग्य पर निर्भर होने के कारण जीवन में बड़ा हासिल नही कर पाते और भाग्य के सहारे ही जीवन जीते है और आलस का दामन थाम लेते है जबकि परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

परिश्रम के लाभ : परिश्रम करने से आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है, हृदय पवित्र होता है, सच्चे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा मनुष्य उन्नति की पराकाष्ठा पर पहुँचता है। हमारा इतिहास उद्यमी लोगों की सफलता के गुणगानों से भरा पड़ा है। अमेरिका तथा जापान जैसे देशो की सफलता का रहस्य उनके द्वारा किया जाने वाला अनवरत परिश्रम ही है।

परिश्रम करने से मनुष्य के अन्तः करण की शुद्धि होती है तथा सांसारिक दुर्बलताएँ तथा वासनाएँ उसे नहीं सताती। परिश्रमी व्यक्ति को यश तथा धन दोनों मिलते हैं। यदि शारीरिक श्रम करने वाला व्यक्ति शारीरिक तौर पर चुस्त-तन्दुरुस्त रहता है तो मानसिक श्रम करने वाला व्यक्ति भी पीछे नहीं रहता। बीमारी ऐसे व्यक्तियों के पास भी नहीं भटकती।

उपसंहार : परिश्रम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है, परिश्रम दो प्रकार के होते हैं एक मानसिक परिश्रम और दूसरा शारीरिक परिश्रम कई कामों में दोनों तरह के परिश्रम ओं का इस्तेमाल किया जाता है परिश्रम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और किसी भी प्रकार की बीमारियां नहीं होती है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका : सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है। वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो पुरुष दृढ प्रतिज्ञ होते हैं उनके लिए विश्व का कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। वास्तव में बिना श्रम के मानव जीवन की गाड़ी चल नहीं सकती है। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है। परिश्रम और प्रयास की बहुत महिमा होती है। अगर मनुष्य परिश्रम नहीं करता तो आज संसार में कुछ भी नहीं होता। आज संसार ने जो इतनी उन्नति की है वह सब परिश्रम का ही परिणाम है।

परिश्रम की विजय :  किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है।

जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

महापुरुषों के उदाहरण :  हमारे सामने अनेक ऐसे महापुरुषों के उदाहरण हैं जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अनेक असंभव से संभव काम किये थे। उन्होंने अपने राष्ट्र और देश का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का नाम रोशन किया था। अब्राहिम लिकंन जी एक गरीब मजदूर परिवार में हुए थे बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था लेकिन फिर भी वे अपने परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गये थे।

उपसंहार :  जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। हर प्राणी के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति का कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है|

सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं।

परिश्रम का महत्व :  परिश्रम का मनुष्य जीवन में बहुत महत्व है वैसे तो यह जीवन मनुष्य का भगवान के द्वारा दिया गया एक उपहार है, परंतु इस जीवन को सार्थकता प्रदान करना ही हमारा धर्म है। परिश्रम से मनुष्य कुछ भी कर सकता है परिश्रम ही राजा को रंक और दुर्बल को सबल बनाती है। परिश्रम का हमारे जीवन पर ही नहीं बल्कि हमारे देश पर भी असर होता है।

जिस देश के नागरिक पढ़े लिखे एवं परिश्रमी वह देश बड़ी ही तेजी से विकास एवं उन्नति करता है। वैसे तो सभी व्यक्ति के अपने-अपने विचार होते हैं एवं सभी लोगों का अपना एक सपना होता है लोग अपने जीवन में तरह-तरह की कल्पनाएं करते हैं परंतु केवल कल्पना मात्र करने से हमें सफलता नहीं मिलेगी उसके लिए केवल एक ही उपाय करना होगा वह है – परिश्रम।

आलस्य से हानियाँ :  आलस ही असफलता का कारण होता है, जो व्यक्ति आलसी हो जाता है उसका विकास रुक जाता है और सफलता पाना उसके लिए नमुमकिन हो जाता हैl जबकि परिश्रमी व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता हैl विद्यार्थी को परिश्रम करना चाहिए जिससे वह परीक्षा में सफल होकर जीवन में भी सफल हो सके।

इस प्रकार परिश्रम का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है l मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है, कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर अपनी रचनाओं से देश को मंत्रमुग्ध किया है।

परिश्रम की आवश्यकता : जीवन में सफलता की कुंजी परिश्रम ही है, इसलिए हर क्षण हमें परिश्रम की आवश्यकता होती है। खाना भी मुँह में स्वयं नहीं चला जाता, चबाना पड़ता है। लेकिन जो व्यक्ति कोई भी कार्य करना ही नहीं चाहता, ऐसा आलसी, अनुद्योगी तथा अकर्मण्य व्यक्ति कहीं भी सफलता नहीं पा सकता। उसी मानव का जीवन सार्थक माना जा सकता है, जिसने अपने तथा अपने राष्ट्र के उत्थान हेतु परिश्रम किया हो। अनेक संघर्षों तथा उद्यमों के पश्चात् ही सफलता मनुष्य के कदम चूमती है।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप : किसी को अपने जीवन में कब परिश्रम करना चाहिए? इसका सही समय क्या होना चाहिए? इत्यादि उलझनों में हम घेरे रहते हैं। परिश्रम का वास्तविक स्वरूप यह है कि हमें बिना फल के कर्म करते रहना चाहिए।

भगवान कृष्ण ने भी गीता में यही कहा था कि कर्म करते रहो फल की इच्छा ना करो। अगर आपको कुछ भी चाहिए तो आप उसके लिए परिश्रम करते रहिए। कभी ना कभी वह आपको जरूर हासिल होगा।

उपसंहार : अत: उन्नति विकास एवं समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि सभी मनुष्य परिश्रमी बनें । परिश्रम वह कुंजी है जो साधारण से साधारण मनुब्ध को भी विशिष्ट बना देती है । परिश्रमी लोग सदैव प्रशसा व सम्मान पाते हैं । वास्तविक रूप में उन्नति व विकास के मार्ग पर वही व्यक्ति अग्रसर रहते हैं जो परिश्रम से नहीं भागते ।

भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

परिश्रम और भाग्य :  कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। वे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।

भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

जो व्यक्ति आलसी होते हैं वे केवल भगवान के लिखे हुए पर आश्रित होते हैं। हम सभी के मन में हीनता की भावना पैदा हो गई है लेकिन जैसे-जैसे हमने परिश्रम के महत्व को समझा तो हमने पराधीनता की बेड़ियों को तोडकर स्वतंत्रता की ज्योति जलाई थी। कायर व्यक्ति हमेशा कहते रहते हैं कि हमें भगवान देगा। अगर परिश्रम करने के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती है तो हमे इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे परिश्रम में क्या कमी थी।

परिश्रम का महत्व : परिश्रम का बहुत अधिक महत्व होता है। जब मनुष्य के जीवन में परिश्रम खत्म हो जाता है तो उसके जीवन की गाड़ी रुक जाती है। अगर हम परिश्रम न करें तो हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना भी संभव भी नहीं हो पायेगा। अगर मनुष्य परिश्रम न करे तो उन्नति और विकास की कभी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। आज के समय में जितने भी देश उन्नति और विकास के स्तर पर इतने ऊपर पहुंच गये हैं वे भी परिश्रम के बल पर ही ऊँचे स्तर पर पहुँचे हैं।

परिश्रम से अभिप्राय होता है वो परिश्रम जिससे विकास और रचना हो। इसी परिश्रम के बल पर बहुत से देशों ने अपने देश को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा दिया है। जो परिश्रम व्यर्थ में किया जाता है उसका कोई अर्थ नहीं होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में आलस भरा होता है वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते हैं। आज मनुष्य ने परिश्रम से अपने जीवन को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा लिया है। परिश्रम के बिना किसी भी प्राणी का जीवन व्यर्थ होता है।

परिश्रम की विजय :  किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है। जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

जिस तरह से बिल्ली के मुंह में चूहे खुद ही आकर नहीं बैठते है उसी तरह से मनुष्य के पास बिना परिश्रम के उन्नति और विकास खुद ही नहीं हो जाते हैं। परिश्रम के बिना कभी भी मनुष्य का काम सफल नहीं हो सकता है। जब मनुष्य किसी काम को करने के लिए परिश्रम करता है तभी मनुष्य को सफलता मिलती है। मनुष्य कर्म करके अपना भाग्य खुद बनाता है। जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है केवल वही अपने जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाईयों पर परिश्रम से विजय प्राप्त कर सकता है।

परिश्रम के लाभ :   परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। जब मनुष्य जीवन में परिश्रम करता है तो उसका जीवन गंगा के जल की तरह पवित्र हो जाता है। जो मनुष्य परिश्रम करता है उसके मन से वासनाएं और अन्य प्रकार की दूषित भावनाएँ खत्म हो जाती हैं। जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं उनके पास किसी भी तरह की बेकार की बातों के लिए समय नहीं होता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है।

परिश्रम करने से जीवन में विजय और धन दोनों ही मिलते हैं। अक्सर ऐसे लोगों को देखा गया है जो भाग्य पर निर्भर नहीं रहते हैं और थोड़े से धन से काम करना शुरू करते हैं और कहाँ-से-कहाँ पर पहुंच जाते है। जिन लोगों के पास थोडा धन हुआ करता था वे अपने परिश्रम से धनवान बन जाते हैं। जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं उन्हें जीवित रहते हुए भी यश मिलता है और मरने के बाद भी। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठा सकता है। जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति कर सकता है। जिस देश के नागरिक आलसी और भाग्य पर निर्भर होते हैं वह देश किसी भी शक्तिशाली देश का आसानी से गुलाम बन जाता है।

बहुत से ऐसे महापुरुष थे जो परिश्रम के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं। लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल पर भारत को स्वतंत्र कराया था। डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्ण जी अपने परिश्रम के बल पर ही राष्ट्रपति बने थे। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान व्यक्ति बने थे।

आलस्य से हानियाँ :  आलस्य से हमारा जीवन एक अभिशाप बन जाता है। आलसी व्यक्ति ही परावलम्बी होता है। आलसी व्यक्ति कभी-भी पराधीनता से मुक्त नहीं हो पाता है। हमारा देश बहुत सालों तक पराधीन रह चुका है। इसका मूल कारण हमारे देश के व्यक्तियों में आलस और हीन भावना का होना था। जैसे-जैसे लोग परिश्रम के महत्व को समझने लगे वैसे-वैसे उन्होंने अपने अंदर से हीन भावना को खत्म कर दिया और आत्मविश्वास को पैदा किया। ऐसा करने से भारत देश एक दिन पराधीन से मुक्त होकर स्वतंत्र हो गया और लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम भाव रखने लगे।

परिश्रम से ही कोई व्यक्ति छोटे से बड़ा बन सकता है। अगर विद्यार्थी परिश्रम ही नहीं करेगा तो वह परीक्षा में कभी-भी सफल नहीं हो सकता है। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है वह संसार के लिए सडकों, भवनों, मशीनों और डैमों का निर्माण करता है। बहुत से कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर ही अपनी रचनाओं से देश को वशीभूत किया है। अगर आज देश के लोग आलस करते है तो आज हमे जो विशेष उपलब्धियां प्राप्त हैं वे कभी प्राप्त नहीं होते।

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essay in hindi parishram ka mahatva

परिश्रम का महत्व पर निबंध – Parishram ka Mahatva

Parishram ka Mahatva Essay in Hindi

परिश्रम अर्थात मेहनत, कर्म एवं क्षम के बिना कोई भी काम संभव नहीं है। जीवन में किसी भी काम को करने के लिए परिश्रम की आवश्यकता होती है और परिश्रमी एवं स्वावलंबी व्यक्ति ही अपने जीवन में सफलता हासिल कर पाता है, लेकिन इसके लिए परिश्रम सही दिशा में और सही तरीके से किया जाना बेहद जरूरी है।

वहीं जो लोग सिर्फ किसी काम करने की फिक्र करते हैं और उसके बारे में सोचते रहते हैं, लेकिन उसके लिए मेहनत अथवा प्रयास नहीं करते, ऐसे लोग कभी अपनी जिंदगी में सफल नहीं हो पाते हैं –

वहीं संस्कृत के इस श्लोक में भी परिश्रम के महत्व को बताया गया है –

“आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः! नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति!!”

जिसका अर्थ है, आलस्य, इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है,जबकि परिश्रम मनुष्य का सबसे बड़ा दोस्त होता है क्योंकि जो लोग मेहनत करते हैं वे कभी दुखी नहीं रहते और अपने जीवन के लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं।

Parishram ka Mahatva

परिश्रम का महत्व पर निबंध – Parishram ka Mahatva

हर किसी के जीवन में परिश्रम में बहुत अधिक महत्व होता है, क्योंकि परिश्रम के बिना मनुष्य की जिंदगी व्यर्थ होती है। मेहनत के बिना कुछ भी संभव नहीं है।

अर्थात, परिश्रम मनुष्य की जिंदगी का अहम हिस्सा है, जिस पर ही मनुष्य की जिंदगी का पहिया आगे बढ़ता है, अगर मनुष्य मेहनत करना छोड़ देता है तो उसका विकास रुक जाता है, अर्थात उसकी जिंदगी नर्क के सामान हो जाती है, क्योंकि परिश्रम से ही मनुष्य अपने जिंदगी के लिए जरूरी सभी कामों को कर पाता है।

वहीं हिन्दू धर्म के पवित्र महाकाव्य गीता में भी श्री कृष्ण ने अर्जुन को परिश्रम अथवा कर्म का महत्व को नीचे दिए गए इस उपदेश द्धारा समझाया था-

”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन:।”

अर्थात कर्म अथवा मेहनत ही मनुष्य की असली पूजा है और कर्म ही मनुष्य के सुखी जीवन का आधार है।

वहीं कर्महीन व्यक्ति हमेशा दुखी और दूसरों पर निर्भर रहता है इसके साथ ही वह दूसरों के अंदर बुराइयों को ढूंढता रहता है और दोषारोपण अथवा आरोप मड़ना उसकी आदत में शुमार हो जाता है, जबकि परिश्रमी व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्य को पाने के लिए सदैव मेहनत करता रहता है और मुश्किल समय में भी हर समस्या का हल ढूंढ लेता है और सुखी जीवन व्यतीत करता है।

परिश्रम का समझो महत्व और आलस का करो त्याग:

जो व्यक्ति आलसी होते हैं, और किसी परिश्रम नहीं करना चाहते हैं, ऐसे लोगों का जीवन दुख और कष्टों में बीतता है।

वहीं जो मनुष्य कार्य-कुशल और परिश्रमी होते हैं और सदैव अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रयास और मेहनत करते रहते हैं और एक दिन वे जरूर सफलता हासिल करते हैं इसलिए मनुष्य को आलस का त्याग कर अपने कर्मों को करना चाहिए।

वहीं आलस्य किस तरह मनुष्य के जीवन का विनाश कर देता है, इस संस्कृत के श्लोक द्धारा बताया गया है –

अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रं, अमित्रस्य कुतः सुखम् – -योगवासिष्ठ

अर्थात अगर आलस्यरूपी अनर्थ न होता तो इस संसार में कोई भी व्यक्ति अमीर और विद्धान नहीं होता, क्योंकि आलस्य की वजह से ही यह दुनिया गरीब, निर्धन और अज्ञानी पुरुषों से भरी हुई है।

अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ते रहो:

जो व्यक्ति अपने कर्म पर भरोसा रखते हैं और अपने जीवन के कर्तव्यों को भली प्रकार से निभाते है। वही अपने जीवन में सफल हो पाते हैं। जो व्यक्ति कर्म नहीं करता और न ही अपने दायित्वों को पूरा करते हैं।

ऐसे व्यक्ति को जिंदगी जीने का कोई अधिकार नहीं होता है। हिन्दू धर्म के महाकाव्य गीता में भी कर्म के महत्व को बताया गया है। इसके अलावा बड़े-बड़े महापुरुषों ने भी अपने महान विचारों द्धारा परिश्रम और कर्म के महत्व को बताया है।

परिश्रम से बदलो अपना भाग्य, भाग्य के भरोसे कभी मत रहो:

जो लोग परिश्रम नहीं करते और सफलता नहीं प्राप्त होने पर अपने भाग्य को कोसते रहते हैं, ऐसे लोग हमेशा ही दुखी रहते हैं और अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों का सामना करते हैं।

क्योंकि भाग्य की वजह से मनुष्य को सफलता तो मिल सकती है, लेकिन यह स्थाई नहीं होती, जबकि परिश्रम कर हासिल की गई सफलता स्थाई होती है और मेहनत के बाद सफलता हासिल करने की खुशी और इसका महत्व भी अलग होता है।

परिश्रम के बिना भाग्य सिद्ध नहीं होता है, इसको संस्कृत के इस श्लोक द्धारा बखूबी समझाया गया है जो कि इस प्रकार है –

यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्! एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति!!

अर्थात –

जिस तरह कोई भी रथ बिना पहिए के एक कदम की दूरी भी नहीं तय कर सकता है, उसी तरह बिना मेहनत अथवा पुरुषार्थ किये किसी भी मनुष्य का भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है।

उपसंहार

हम सभी को अपने जिंदगी में परिश्रम अथवा कर्म के महत्व को समझना चाहिए, क्योंकि कर्म करके ही हम अपने जीवन में सुखी रह सकते हैं और अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं।

वहीं ईमानदार, परिश्रमी व्यक्ति ही न सिर्फ अपने कर्म से अपने भाग्य को बदल लेता है और सफलता हासिल करता है बल्कि वह अपने परिवार और देश के विकास की उन्नति में भी सहायता करता है।

  • Importance Of Hardwork
  • Hard Work Quotes

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Parishram ka Mahatva

परिश्रम का महत्त्व पर निबंध (जहाँ चाह, वहाँ राह) मन के हारे हार है, मन के जीते जीत!

कोई भी मनुष्य हारता तभी है, जब उसका मन हार जाता है, जब उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता है। हार या पराजय का मनोविज्ञान यही है। निराशा और भय, हार जाने का डर, मार्ग के विघ्न और बाधाओं का खौफ ही मनुष्य को पराजित करता है। ‘ परिश्रम का महत्व पर निबंध ‘ के माध्यम से आज हम मन की शक्ति और Importance of Hard Work in Hindi के बारे में बात करेंगे।

श्रम संसार में सफलता प्राप्त करने का महत्त्वपूर्ण साधन है। परिश्रम करके हम जीवन की ऊँची-से-ऊँची आकांक्षा पूरी करने का प्रयास करते हैं। संसार कर्म क्षेत्र है, अतः कर्म करना ही हम सबका धर्म है । किसी भी कार्य में हमें सफलता तब मिलती है, जब हम परिश्रम करते हैं।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध

श्रम ही जीवन को गति प्रदान करता है। यदि हम श्रम की उपेक्षा करते हैं, तो हमारे जीवन की गति रुक जाती है। अकर्मण्यता की स्थिरता हमें ऐसी मजबूती से घेर लेती है कि उसके घेरे से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। परिश्रमी व्यक्ति सभी प्रकार की कठिनाइयों से जूझ कर स्वतंत्र वातावरण में साँस ले सकता है।

परिश्रमी व्यक्ति ही जीवन में लक्ष्मी का कृपा पात्र बनता है। वह भाग्य का सहारा छोड़ कर यथाशक्ति पुरुषार्थ करता है। प्रयत्न करने पर भी परिश्रमी व्यक्ति को यदि सफलता नहीं मिलती है तो वह निराश नहीं होता। वह यह जानने के लिए सचेष्ट रहता है कि कार्य में सफलता क्यों नहीं मिली, क्योंकि वह जानता है कि बिना परिश्रम के केवल इच्छा मात्र से सफलता नहीं मिलती।

मोती ढूँढने वाला गोताखोर सागर की गहराइयों और लहरों से डर जाय, तो वह कभी मोती नहीं पा सकता। मोती – चाहत की मंजिल, उद्देश्य का साफल्य – तो गहरे अतल में छिपा होता है – उसे खोजने, ढूँढने में प्राणों को संकट में डालना ही पड़ता है। साहस और आत्मविश्वास – यही दो चीजें है – जो मनुष्य को अपनी मंजिल पर पहुंचाते हैं। आत्मविश्वास के साथ परिश्रम ही जीवन को सफल बनाती है।

जहाँ चाह, वहाँ राह

असफलता की कोख से ही सफलता का जन्म होता है। मनुष्य प्रयास करता है, असफल होता है। जो व्यक्ति, असफलता को अपनी नियति नहीं मानते, वे हार कर पुनः दोगुने-चौगुने आत्मविश्वास एवं उत्साह से कर्म में प्रवृत्त होते हैं और अन्त में अपना लक्ष्य पाकर ही दम लेते हैं।

इस कहावत में बहुत दम है – “Where there is will, there is a way” अर्थात् जहाँ चाह, वहाँ राह। जहाँ दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है सच्चा संकल्प होता है, घना आत्मविश्वास होता है, वहाँ सफलता की राह खुद-ब-खुद बन जाती है।

मनुष्य को जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए। यह पंक्ति से आपने सुनी ही होगी – ‘ नर हो, न निराश करो मन को। ‘ इस संसार में मनुष्य को आघात लगता ही रहता है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि वह हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाय। जीवन में निराशावादी दृष्टिकोण का परित्याग और आशावादी दृष्टिकोण का स्वीकार ही मनुष्य को यही आत्मविश्वास उसे सफलता और यश के उच्च शिखर पर आसीन करता है।

Importance of Hard Work in Hindi

संसार में हमें प्रत्येक पथ पर संघर्ष करके अपना मार्ग स्वयं बनाना पड़ता है। यदि हम परिश्रम करते हैं, तब जीवन के संघर्ष में हमें विजय मिल पाती है। हम जितने भी शक्तिशाली और साधन-संपन्न हों पर यदि श्रम करने से जी चुराते हैं, तो हमारी शक्ति और साधन सम्पन्नता अकेले हमें लक्ष्य की ओर नहीं ले जा सकती।

श्रम का असली रूप तो सारी प्रकृति में देखने को मिलता है । पशु-पक्षी, जीव-जंतु सभी निरंतर श्रम में लगे रहते हैं। रंगीन तितलियाँ धूप में उड़ती फिरती हैं और सुगंधित सुमनों के सौरभ का पान करके सुखी होती हैं। मधुमक्खियों को फूलों के कोष से मधु निकाल कर संचित करने में कम श्रम नहीं करना पड़ता।

यदि चींटी की भाँति हम भी अपने जीवन में श्रम के महत्त्व को समझें तो कर्म में हमारी आस्था दृढ़ होती है। कर्म से तो मनुष्य को कभी छुटकारा मिलने वाला नहीं। फिर जब कर्म करना ही है, तो फिर श्रम से उस पर पूर्ण अधिकार क्यों न किया जाए। एक महापुरुष का कहना है कि मोची होना बुरा नहीं, मोची होकर खराब जूता सीना बुरा है।

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जीवन में श्रम का महत्व पर निबंध

हमारे समाज में बहुत से लोग भाग्यवादी होते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज की प्रगति में बाधक होते हैं। आज तक किसी भाग्यवादी ने संसार में कोई महान कार्य नहीं किया। बड़ी-बड़ी खोजें, बड़े-बड़े आविष्कार और बड़े-बड़े निर्माण श्रम के द्वारा ही संपन्न हो सके हैं।

हमारे साधन और हमारी प्रतिभा हमें केवल उत्प्रेरित करते हैं और हमारा पथ प्रदर्शन करते हैं, पर लक्ष्य तक हम श्रम से ही पहुँचते हैं। श्रम करके ही प्रतिभासंपन्न कलाकारों ने अपने छेनी हथोड़े के द्वारा अजंता-एलोरा की बनाई भव्य गुफाओं को मूर्तिमान किया।

सामान्य व्यक्तियों ने अपने श्रम से बड़े-बड़े साम्राज्य खड़े कर दिए हैं। बाबर, शेरशाह, नेपोलियन सभी आरंभ में सामान्य व्यक्ति थे पर अपने श्रम से उन्होंने इतिहास में अपने नाम को अमर बना दिया । अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए, परिश्रम से नौकाओं का संचालन करके कोलंबस ने अमरीका को खोज निकाला।

श्रम-साधना करने वालों को यश भी प्राप्त होता है और वैभव भी। एक गरीब परिवार का बालक श्रम से अध्ययन करता है। उच्चशिक्षा प्राप्त करके वह किसी उच्च पद पर आसीन होता है और अपने परिवार की स्थिति ही बदल देता है। हमारे अनेक साहित्यकार ऐसे हैं, जिन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा नहीं मिली । श्रम से उन्होंने अध्ययन किया। अपनी शक्तियों को विकसित किया और सफलता से उच्च कोटि के साहित्य का सृजन किया । अनेक व्यापारी थोड़ी-सी संपत्ति से अपना व्यापार आरंभ करते हैं और दो-चार वर्षों में वे धनवान बन जाते हैं।

जब हम अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए श्रम करते हैं तो हमारे मन को अलौकिक आनंद मिलता है। अंतःकरण का सारा कलुष घुल जाता है और पूर्ण संतोष का अनुभव होता है।

हम उस किसान के जीवन को देखें जो दिन भर परिश्रम से अपना खेत जोतता है और सायंकाल अपनी झोपड़ी में आकर आनंद मग्न कोई ग्राम-गीत अलापता है उस समय उसके स्वरों में उस स्वर्गीय संगीत की सृष्टि होती है। जब कोई विद्यार्थी दिनभर परिश्रम से अध्ययन करता है तब वह सायंकाल खेलने में आनंद का अनुभव करता है।

परिश्रम करने के फ़ायदे 

  • शारीरिक श्रम से मनुष्य को संतोष तो मिलता ही है उसका शरीर भी स्वस्थ रहता है।
  • श्रम से उसकी मांसपेशियाँ सुदृढ़ हो जाती हैं ।
  • जो लोग श्रम नहीं करते आलसी बने पड़े रहते हैं, उनका तो भोजन भी नहीं पचता और उनके शरीर को अनेकों व्याधियाँ घेरे रहती हैं।
  • शारीरिक श्रम हर एक व्यक्ति के लिए आवश्यक है।
  • शारीरिक श्रम करने वाले लोग दीर्घजीवी होते हैं।
  • श्रम के साथ-साथ ही मानसिक श्रम करने वाले का ही बौद्धिक विकास होता है। वह गंभीर-से-गंभीर तथ्य सहज ही ग्रहण कर लेता है।
  • विषम परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाने पर भी घबराता नहीं बल्कि साहस से उनका सामना कर लेता है। वह हर एक समस्या का आसानी से समाधान खोज लेता है।
  • मानसिक श्रम के महत्व को समझ कर हमारे ऋषि-मुनि चिंतन में लीन रहते थे और चिन्तन के लिए लोगों को उत्साहित करते थे। हमारा उपनिषद् साहित्य हमारे मानसिक श्रम का ही परिणाम है।

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Parishram ka mahatva essay in hindi परिश्रम का महत्व पर निबंध.

Hello, guys today we are going to write Parishram Ka Mahatva essay in Hindi. परिश्रम का महत्व पर निबंध। As many students know the importance of handwork in Hindi. But they find difficulties in writing about Parishram. Parishram ka mahatva essay in Hindi can be asked in two ways parishram hi safalta ki kunji hai or Hard work is the key to success in Hindi which means one and the same thing.

hindiinhindi parishram ka mahatva essay in hindi

Parishram Ka Mahatva Essay in Hindi 300 Words

परिश्रम का महत्व पर निबंध

मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। परिश्रम मानव जीवन का वह हथियार है जिसके बल पर वह भारी से भारी संकटों पर भी जीत हासिल कर सकता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है। विश्व में कोई भी कार्य बिना परिश्रम के सफल या संपन्न नहीं हो सकता। इसलिए ऐसा कहा गया है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है वह सदैव दुःखी और दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

जीवन की दौड़ में परिश्रम करनेवाला हमेशा विजयी होता है लेकिन आलसी लोगों को हमेशा हर जगह पर हार का मुँह देखना पड़ता है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो। इसलिए हमें परिश्रमशील और कर्मठ बनना चाहिए। परिश्रम करके हम अपने भाग्य को भी बदल सकते हैं। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है।

जीवन में कुछ लोग केवल अपने भाग्य पर निर्भर होते हैं। ऐसे लोग परिश्रम की जगह भाग्य को बहुत अधिक महत्व देते हैं। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य के भरोसे रहना जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य मनुष्य के जीवन लिए एक अभिशाप है, जो उन्हें परिश्रम करने से हमेशा रोकता रहता है। इसलिए हमें भाग्य के भरोसे न रहकर कठिन परिश्रम करके जीवन में सफलता रास्ता चुनना चाहिए। परिश्रम से कोई भी व्यक्ति अपने भाग्य को बदल सकता है।

जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार और स्वावलम्बी होते हैं। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है। वह संसार के लिए सड़क, भवन, मशीन और बाँध (डैम) इत्यादि का निर्माण करता है। अगर हम अपने जीवन, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति देखना चाहते हैं तो हम सभी को भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। सच्ची लगन और निरंतर परिश्रम से सफलता हमें अवश्य मिलती है। निरंतर परिश्रम करने वाला व्यक्ति कोई भी क्षेत्र में आसानी से सफलता पा सकता है। जीवन में सफलता पाने के लिए लगन और कठिन परिश्रम अति आवश्यक है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 700 Words

श्रम ही जीवन का मूल है

किसी ने ठीक ही लिखा है: “श्रम ही सों सब मिलत है, बिनु श्रम मिलै न काहि।”

संसार की समस्त उँचाइयों, उपलब्ध्यिों और शिखरों को आदमी अपने सतत् श्रम से ही प्राप्त करता है। बिना अथक श्रम के इनकी उपलब्धि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सारा मानव-इतिहास, मानवीय श्रम का ही इतिहास है। जो भी आज हमें दिखलायी पड़ता है या फिर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हमें प्राप्त होता है उसी के द्वारा वह सब कुछ अर्जित किया गया है।

श्रम ही मानवीय-जीवन का सार है। भृतहरि ने इस शाश्वत सत्य की अभिव्यक्ति निम्नोक्त पंक्तियों में की है।

“उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी: दैवे न देशमिति का पुरुषाः वदन्ति। दैवं निहत्य कुरूपौरुषमात्मशक्त्या, यत्ने कृते यदि न सिद्धमति कोत्र दोष॥”

अर्थात् लक्ष्मी उसी पुरुष को प्राप्त होती है, जो उद्योगी या परिश्रमी होता है। हर वस्तु की प्राप्ति की आकांक्षा वे ही करते है जो कायर ओर श्रमहीन होते हैं। सफलता श्रम पर ही निर्भर करती है। यदि श्रम के बाद भी किसी विशेष कार्य में हमें सफलता की प्राप्ति नहीं होती, तब दु:खी और कुण्ठित होने के स्थान पर यह विचारना चाहिए कि उस कार्य की प्रक्रिया में वांछित श्रम करने से चूक कहाँ हुई है। भर्तृहरि की उपरोक्त पंक्तियाँ हमें निश्चित रूप से यह अवबोधित कराती है कि मानव-जीवन की निरन्तरता में एक ही शाश्वत वस्तु है, जिसे श्रम कहा जाता है। ऐसा नहीं है कि श्रम की यह वास्तविकता मात्र मानव-जगत की ही विशेषता है, श्रम की वास्तविकता समस्त गोचर जगत में परिलक्षित होती है। इस प्रसंग में एक साधारण जीव चींटी का उदाहरण लिया जा सकता है। हम सभी ने प्रायः इस तथ्य का अनुभव किया है कि एक साधारण सी, अतिसामान्य सी चींटी निरन्तर, बिना थके, अपने काम में लगी रहती है। वह अपनी शारीरिक क्षमता से बहुत ज्यादा काम प्रतिदिन सम्पन्न करती है। यह वैज्ञानिक सत्य भी है। इसी तरह जब हम पशु-पक्षियों को देखते हैं तो उन्हें भी श्रमयुक्त देख पाते हैं। वस्तुतः समस्त प्रकृति ही किसी न किसी रूप में सदैव श्रमशील रहती है। यही उसकी जीवटता और सजीवता का कारण और परिणाम है। अर्थात् वास्तविकता यही है कि श्रम की साधना करने वाले कभी भी असफल नहीं होते। वे सदैव उच्च शिखर का संधान करते हैं।

जैसा कि हम जानते हैं, मानव सभ्यता का विकास उसके अथक श्रम का परिणाम है। आज भी अपने कठोर श्रम का उपयोग अपनी सभ्यता को नये-नये रूपों में विकसित करने के लिए कर रहा है। वह इसके लिए किसी दैवीय चमत्कार की आशा नहीं रखता। एक अंग्रेजी कहावत इस बात को बेहद प्रमाणिक रूप से अभिव्यक्त करती है: ‘God helps those who help themselves’ यानि ईश्वर भी उन्ही की सहायता करता है जो स्वयं अपनी मदद करना जानते हैं।

मनुष्य ने परिचित, अपरिचित, ज्ञात और अज्ञात प्रकृति को अपने श्रम के द्वारा ही अपने अनुकूल बनाया है। उसने अनेकानेक रूपों में, मानव हित में, प्रकृति का उपयोग संभव किया। है। किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है कि मानव-सभ्यता का सम्पूर्ण इतिहास मानव और प्रकृति के द्वन्द्व का ही फलित रूप है। प्रकृति की शक्ति किसी से छिपी हुई नहीं है। प्रकृति के अस्तित्व के सामने मनुष्य का अस्तित्व अत्यंत लघु है। किन्तु लघु होते हुए भी उसने अपने श्रम बल के माध्यम से प्रकृति को अपने अनुकूल बनाया और अपने हितार्थ उसका बहुआयामी उपयोग भी किया है।

भारतीय संस्कृति श्रम और कर्म की ही संस्कृति है। ‘गीता’ कर्मवाद का सिद्धांत प्रस्तुत करने वाला भारतीय संस्कृति का एक पवित्र ग्रंथ है। श्रीकृष्ण का यह गीता-उपदेश प्राचीन समय से ही समस्त मानव जाति को किसी न किसी रूप से सदैव गतिशील करता आया है। यथा:

“माम् अनुस्मर युद्धय च”

अर्थात जीवन में निरन्तर संघर्ष करो, युद्ध करो ताकि सफलता पा सको। श्री कृष्ण का यह आप्तवाक्य श्रम की सार्वभौम-महत्ता को उद्घाटित और रेखांकित करता है।

श्रम जीवन को सम्पूर्णता और समृद्धि प्रदान करता है। वह मनुष्य को समय का सदुपयोग करते हुए अपने जीवन के साथ-साथ अपने देश और समाज से हर प्रकार की अभावग्रस्तता को दूर कराने का प्रबल साधन बनता है। श्रम मनुष्य के आंतरिक और वाह्य खालीपन को भरता है, उसकी हर प्रकार की जरुरतों को पूरा करता है। अतः अपने व्यापक अर्थ में श्रम मनुष्य जाति के विकास और सार्थक होने का एकमात्र विराट साधन है। इसीलिए, किसी विद्वान कवि ने श्रम को एक कठोर साधना कहते हुए ठीक ही लिखा है।

“जितने कष्ट संकटों में हैं, जिनका जीवन सुमन खिला। गौरव-ग्रन्थ उन्हें उतना ही, यत्र-तत्र, सर्वत्र मिला।”

परिश्रम का महत्व पर निबंध 800 Words

जीवन में परिश्रम ही सब कुछ है। बिना परिश्रम जीवन व्यर्थ और नि:स्सार है। संसार में जो कुछ स्थाई, श्रेष्ठ, महान् और हितकारी है, वह हमारे अथक परिश्रम का ही फल है। हमारी इतनी समृद्ध संस्कृति, सभ्यता और वैज्ञानिक विकास सभी कुछ इस परिश्रम की ही देन है। हमारे चाँद पर पहुँचने, एवरेस्ट पर विजय पाने, संचार क्रांति आदि सभी के पीछे परिश्रम खड़ा दिखाई देता है। पुरुषार्थ को ही लक्ष्मी और सरस्वती जैसी देवियाँ अपनी वरमाला पहनाती हैं। सफलता उद्यमी और कर्मवीर का ही वरण करती हैं। कर्मयोग के द्वारा ही सिद्धियाँ, मोक्ष और स्वर्ग प्राप्त किये जा सकते हैं। कर्महीन व्यक्ति नपुसंक होते हैं। वे पृथ्वी पर भार होते हैं और मानवता के लिए अभिशाप भी।

श्रम ही सफलता और सुख की सीढ़ी है। यही वह कुंजी है जिससे समृद्धि, श्रेय, यश और महानता के खजाने खोले जा सकते हैं। इतिहास और हमारा सारा जीवन ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है। इब्राहम लिंकन, महाकवि कालिदास, तुलसीदास, लालबहादुर शास्त्री, नेपोलियन बोनापार्ट, महात्मा गाँधी; मदर टेरेसा आदि के उदाहरण हम ले सकते हैं। इन सभी व्यक्तियों ने अपने खून-पसीने और श्रम से ही महानता प्राप्त की।

यह सभी श्रेष्ठता के उच्चतम शिखर तक पहुंचे इतिहास रचा और अमर हो गये। लिंकन का जन्म एक अत्यन्त निर्धन किसान परिवार में हुआ था। उसका परिवार एक लकड़ी की झोंपड़ी में रहता था। जब वह नौ वर्ष का था तभी उसकी माता का देहांत हो गया। उसे खेत और घर पर कठोर परिश्रम करना पड़ता था और वह शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूल नहीं जा सकता था। उसने डाकिये के पद पर काम किया और वहां जो समाचार-पत्र आदि आते थे उन्हें उनके पतों पर पहुंचाने से पहले लिंकन उन्हें जल्दी से स्वयं पढ़ लेता था। उसने लोगों से पुस्तकें पढ़ी और इस तरह विद्या का अध्ययन किया। अपनी गहरी लग्न, अथक परिश्रम और पुरुषार्थ से लिंकन निरन्तर आगे ही आगे बढ़ता रहा और अपनी मेहनत के बलबूते अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश का महान् राष्ट्रपति बना।

हमारी सभ्यता, संस्कृति, आर्थिक और वैज्ञानिक समृद्धि के मूल आधार ये ही स्त्री-पुरुष हैं। इन्हीं कर्मवीरों के हम सचमुच ऋणी हैं। उदाहरण के लिए हम कालिदास के जीवन को ले सकते हैं। शुरु-शुरु में कालिदास बिल्कुल मूर्ख था। वह इतना मूर्ख था कि जिस डाली पर बैठा हुआ था, उसी को काट रहा था। कुछ लोगों ने चालाकी से उसका विवाह प्रतिभा सम्पन्न राजकुमारी विद्योत्तमा से करवा दिया। जब विद्योत्तमा को सच्चाई का पता चला तो उसने दु:ख से अपना सिर पीट लिया और कालिदास को घर से निकाल दिया।

इस अपमान, निरादर और ताड़ना से कालिदास तड़प उठा, उसकी नींद खुल गई। वह काशी चला गया और वहां संस्कृति का अध्ययन किया, काव्य-सृजन सीखा और प्रकांड पंडित होकर अवंती लौटा। उसकी प्रखर प्रतिभा को देखकर विद्योतमा और दूसरे सभी दरबारी लोग आश्चर्यचकित रह गये। कालिदास ने अपने अथक और निरन्तर परिश्रम से वह कर दिखाया जो असंभव था। महामूर्ख से महापंडित की यह यात्रा परिश्रम का एक अद्भुत वस्तुपाठ है। हमें इससे शिक्षा लेनी चाहिये। इसका अनुसरण करना चाहिये तथा कर्मयोग को अपनाना चाहिये।

परिश्रम के अभाव में प्रतिभा का भी कोई महत्त्व नहीं। प्रतिभाशाली व्यक्ति को भी कड़े परिश्रम और पुरुषार्थ की आवश्यकता होती है। सफलता में यदि 10 प्रतिशत भाग प्रतिभा का मान लिया जाए तो 90 प्रतिशत भाग परिश्रम के ही खाते में जाता है। सच्चाई तो यह है कि श्रम का कोई विकल्प नहीं। श्रम का ही दूसरा नाम श्रेष्ठता, सफलता और महानता है। परिश्रम की पहुंच से बाहर कुछ भी नहीं, न स्वर्ग, न मोक्ष, न सफलता, न श्रेष्ठता और न ही महानता। हीरा अमूल्य होता है। यह प्रकृति की एक अनुपम देन है। राजा-महाराजाओं के ताज इससे सुशोभित होते हैं। विश्व की सुन्दरतम नारियों का श्रृंगार बनता है। देवताओं का इससे अलंकरण किया जाता है। परन्तु हीरा मूलतः एक अनगढ़ पत्थर का टुकड़ा ही होता है। कारीगर अपने कठोर परिश्रम से कांट-छांट कर उसे हीरे का रूप देता है। उसे अपने श्रम और पसीने से चमकाता है। इस कठोर परिश्रम के पश्चात् ही हीरे का वास्तविक मूल्य और उपयोगिता प्रकट होती है।

मनुष्य अपनी नियति और भाग्य का स्वयं निर्माता है। नियति कभी पूर्वनिर्धारित या निश्चित नहीं होती। ग्रह-नक्षत्र हमारे भाग्यविधाता नहीं होते। हमारे पूर्व जन्मों के कर्म फल ही हमें भाग्य के रूप में दिखाई देते हैं। हम स्वयं ही अपने मित्र या शत्रु हैं। हमारे कर्म ही हमारी नियति निश्चित करते हैं। यह सारा संसार और इसके कार्य व्यापार कर्म प्रधान हैं। कर्मवीर अपने भाग्य का स्वयं निर्माण करते हैं।

मनुष्य का कर्म पर ही अधिकार है, उसके फल पर नहीं। मनुष्य स्वभाव से ही कर्मशील है। हमें कठोर परिश्रम करना चाहिये। काम से जी चुराना हमें शोभा नहीं देता। आलसी विद्यार्थी असफल रहते हैं और जीवन में कभी कुछ अच्छा नहीं कर पाते। इसके विपरीत परिश्रमी छात्र सफल होते हैं। वे पुरस्कार प्राप्त करते हैं और अपने विद्यालय का नाम रोशन करते हैं और जीवन में ऊँचे तथा महत्त्वपूर्ण पद प्राप्त करते हैं। कर्महीन और आलसी व्यक्ति ही भाग्य की दुहाई देते हैं। वे वस्तुओं और स्थितियों में दोष निकालते हैं और अपने दुर्भाग्य का रोना रोते हैं।

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essay in hindi parishram ka mahatva

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परिश्रम का महत्व पर निबंध | Hard Work Essay in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध – परिश्रम हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। अपने करियर, अपनी नौकरी, व्यवसाय आदि में सफल होने के लिए बहुत अधिक मेहनत की आवश्यकता होती है। बैठना और आराम करना असंभव है, और यदि आप परिश्रम करते हैं, तो आप दिन के अंत में सफल होंगे। सरल शब्दों में, खाली बैठने वाले व्यक्ति को कुछ भी प्राप्त नहीं होता है।

मेहनत की कीमत को समझना जरूरी है। आप को समझना चाहिए कि समय कितना महत्वपूर्ण है और एक बार जब यह पार हो जाता है तो सब कुछ आपके हाथ से निकल जाता है। परिश्रम पर निबंध लिखने से पहले अपने संदर्भ के लिए नीचे दिए गए नमूने देखें।

परिश्रम का महत्व पर निबंध | Hard Work Essay in Hindi

Table of Contents

परिश्रम का महत्व पर निबंध 100 शब्‍दों में

जीवन के उत्थान में परिश्रम का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जीवन में आगे बढ़ने के लिए, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्रम ही आधार है। परिश्रम से कठिन से कठिन कार्य संपन्न किए जा सकते हैं, जो परिश्रम करता है उसका भाग्य भी उसका साथ देता है जो सोता रहता है उसका भाग सोता रहता है। श्रम के वल अगम्य पर्वत चोटियों पर अपनी विजय का पताका पहरा दिया ।

श्रम हर मनुष्य को अपनी मंजिल पर पहुंचा देता है। अथक परिश्रम ही जीवन का सौंदर्य है। श्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने आपको महान बना सकता है। परिश्रम ही मनुष्य के जीवन को महान बनाने वाला है। परिश्रम ही वास्तव में ईश्वर की उपासना है।

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा – अर्चना है। इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी – समृद्ध होना अत्यंत कठिन है। वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी हुआ दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 250 शब्दों में

हमारे जीवन में परिश्रम का उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना जीवित रहने के लिए भोजन। परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। आज तक इतिहास में किसी भी व्यक्ति को देखा जाए तो वह अपने आप अचानक से सफल नहीं होता। सफल होने के लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है।

परिश्रम दो मुख्य प्रकार के होते हैं एक परिश्रम वह होता है, जो हम आमतौर पर शरीर के द्वारा करते हैं, जिसे हम शारीरिक परिश्रम करते हैं। अधिकतर यह परिश्रम मजदूर वर्ग के लोगों में देखा जा सकता है।

दूसरा परिश्रम वह होता है, जिसमें हम अपनी मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करते हैं। वह मानसिक परिश्रम कहलाता है। किसी भी नई चीज के शुरुआत करने के लिए शारीरिक और मानसिक परिश्रम दोनों ही बहुत जरूरी है।

देखा जाए तो परिश्रम के बिना मनुष्य का जीवन पशु के समान है। एक पशु भी अपने भोजन के लिए भी परिश्रम करता है। यदि हम भी सिर्फ इतने के लिए ही परिश्रम करेंगे तो सिर्फ में और जानवर में कोई अंतर नहीं रह जाएगा।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 500 शब्दों में (Parishram ka Mahatva Per Nibandh 500 Words)

अगर हम जीवन में सफलता और खुशी चाहते हैं तो इसका हमारे पास एकमात्र तरीका है परिश्रम करना। परिश्रम से संबंधित भर्तृहरि जी ने एक श्लोक कहा है।

उद्यमें नहि सिध्‍यंति, कार्याणि ना मनोरथि । न हीं सुप्‍तस्‍य सिंहस्‍य, प्रविशांति मुखे मृगा।।

क्या है परिश्रम? (What is Parishram)

शारीरिक व मानसिक रूप से किया गया काम परिश्रम कहलाता है। ऐ काम हम अपनी इच्छा के अनुसार चुनते हैं जिसे लेकर हम अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। पहले श्रम का मतलब सिर्फ शारीरिक श्रम होता था जो मजदूर या लेबर वर्ग करता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है, श्रम डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, राजनैतिज्ञ, अभिनेता – अभिनेत्री, टीचर, सरकारी व प्राइवेट, दफ्तरों में काम करने वाला हर व्यक्ति श्रम करता है।

परिश्रम का महत्व

देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

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परिश्रम और भाग्य

कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। बे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।

भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

जो व्यक्ति आलसी होते हैं वे केवल भगवान के लिखे हुए पर आश्रित होते हैं। हम सभी के मन में हीनता की भावना पैदा हो गई है लेकिन जैसे जैसे हमने परिश्रम के महत्व को समझा तो हमने पराधीनता के बेड़ियों को तोड़कर स्वतंत्रता की ज्योति जलाई थी। कायर व्यक्ति हमेशा कहते रहते हैं कि हमें भगवान देगा। अगर परिश्रम करने के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती है तो हमें इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे परिसर में क्या कमी थी।

परिश्रम के फायदे / लाभ

  • आपको जीवन की सारी सुख सुविधा मिलेगी लक्ष्मी की प्राप्ति होगी आज के समय में धन जिसके पास है वह दुनिया की हर सुख सुविधा खरीद सकता है।
  • परिश्रम से मानसिक व शारीरिक चुस्ती मिलती है। आज के समय में परिश्रम नहीं करने पर बहुत सी बीमारियां शरीर में घर कर लेती हैं। इसलिए फिर तंदुरुस्ती स्फूर्ति के लिए शारीरिक श्रम करने को बोला जाता है। जिस वजह से लोग फिर जिम में भी समय बिताने लगते हैं। मानसिक विकास के लिए उसका परिश्रम करते रहना बहुत जरूरी है इसी के द्वारा लोगों ने नए नए अनुसंधान दुनिया में किए हैं।
  • परिश्रम से हमारे जीवन में व्यस्ता रहती है। जिससे किसी भी तरह की नकारात्मक बातें हमारे जीवन में नहीं आ पाती व इससे मन अंदर से शांति महसूस करता है।
  • परिश्रमी व्यक्ति हमेशा सफलता की ओर अग्रसर रहता है और समय-समय पर उसे सफलता का स्वाद चखने को मिलता है।

परिश्रमी व्यक्ति के गुण

एक मेहनती व्यक्ति होने का मतलब है कि आप अपने काम के लिए प्रतिबद्ध और कभी भी कुछ भी अपने रास्ते में नहीं आने देते हैं।

चाहे वह किसी प्रोजेक्ट पर काम करना हो होमवर्क खत्म करना हो या परिवार के कामों में समय से आगे निकलना हो हर कोई ऐसा व्यक्ति चाहता है जो अच्छा काम कर सके और आसानी से घर नमन।

आप सोच सकते हैं कि यह करना एक आसान काम है लेकिन ऊर्जा और प्रेरणा के सामान स्तर को बनाए रखना हमेशा आसान नहीं होता है।

जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, इमानदार, परिश्रमी और स्वावलंबी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोड़कर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

आज के देश में जो बेरोजगारी इतनी तेजी से फैल रही है उसका एक कारण आलस्य भी है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए परिश्रम एक बहुत ही अच्छा साधन है। मनुष्य परिश्रम करने की आदत बचपन या विद्यार्थी जीवन से ही डाल लेनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है।परिश्रम ही किसी भी देश की उन्नति का रहस्य होता है।

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आज के आर्टिकल में हमने परिश्रम का महत्व पर निबंध (Hard Work Essay in Hindi) के बारे में बात की है मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा।

Suneel

नमस्‍कार दोस्‍तों! Hindigrammar.in.net ब्‍लॉग पर आपका हार्दिक स्‍वागत हैं। मैं Suneel Kevat इस ब्‍लॉग का Writer और Founder हूँ. और इस वेबसाइट के माध्‍यम से Hindi Grammar, Essay, Kavi Parichay, Lekhak Parichay, 10 Lines Nibandh and Hindi Biography के बारे में जानकारी शेयर करता हूँ।

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essay in hindi parishram ka mahatva

परिश्रम का महत्व पर निबंध- Parishram Ka Mahatva Essay in Hindi

In this article, we are providing Parishram Ka Mahatva Essay in Hindi. परिश्रम का महत्व पर निबंध/ essay on the importance of hard work in Hindi.

परिश्रम का महत्व पर निबंध- Parishram Ka Mahatva Essay in Hindi

मानव जीवन में परिश्रम का विशेष महत्व है। मानव तो क्या, प्रत्येक प्राणी के लिए परिश्रम का महत्व है। चींटी का छोटा-सा जीवन भी परिश्रम से पूर्ण है। मानव परिश्रम द्वारा अपने जीवन की प्रत्येक समस्या को सुलझा सकता है। यदि वह चाहे तो पर्वतों को काटकर सड़क निकाल सकता है, नदियों पर पुल बाँध सकता है, काँटेदार मार्गों को सुगम बना सकता है और समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। ऐसा कौन-सा कार्य है जो परिश्रम से न हो सके। नेपोलियन ने भी अपनी डायरी में लिखा था-‘असंभव जैसा कोई शब्द नहीं है। कर्मवीर तथा दृढ़-प्रतिज्ञ महापुरुषों के लिए संसार का कोई भी कार्य कठिन नहीं होता।

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भाग्य पर निर्भर रहकर श्रम को छोड़ देते हैं। वे भाग्य का सहारा लेते हैं परंतु भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और यह आलस्य जीवन को अभिशापमय बना देता है। आलसी व्यक्ति दूसरों पर निर्भर रहता है। ऐसा व्यक्ति हर काम को भाग्य के भरोसे छोड़ देता है। हमारा देश इसी भाग्य पर निर्भर रहकर सदियों तक गुलामी को भोगता रहा। हमारे अंदर हीनता की भावना घर कर गई लेकिन जब हमने परिश्रम के महत्व को समझा। तब हमने स्वतंत्रता की ज्योति जलाई और पराधीनता की बेड़ियों को तोड़ डाला। संस्कृत के कवि भर्तृहरि ने ठीक ही कहा है-

उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः दैवेन देयमिति का पुरुषा वदन्ति ।

दैवं निहत्य करु पौरुषमात्माशक्तया, यत्ने कृते यदि न सिध्यति कोऽत्र दोषः॥

अर्थात् उद्यमी पुरुष को लक्ष्मी प्राप्त होती है। ‘ईश्वर देगा ऐसा कायर आदमी कहते हैं। दैव अर्थात् भाग्य को छोड़कर मनुष्य को यथाशक्ति पुरुषार्थ करना चाहिए। यदि परिश्रम करने पर भी कार्य सिद्ध न हों तो सोचना चाहिए कि इसमें हमारी क्या कमी रह गई है।

केवल ईश्वर की इच्छा और भाग्य के सहारे पर चलना कायरता है। यह अकर्मण्यता है। मनुष्य अपने भाग्य का विधाता स्वयं है। अंग्रेजी में भी कहावत है- “God helps those who help themselves” अर्थात भगवान् भी उन्ही की सहायता करता है जो अपनी सहायता आप करते हैं। कायर और आलसी व्यक्ति से तो ईश्वर भी घबराता है। कहा भी गया है-दैव-दैव आलसी पुकारा’।

संस्कृत की ही उक्ति है-‘श्रमेव जयते’ अर्थात् परिश्रम की ही विजय होती है। वस्तुत: मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। वह स्वयं ईश्वर का प्रतिरूप है। संस्कृत का एक श्लोक है

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कायणि न मनोरथैः ।

न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥ 

इसका अर्थ यह है कि उद्यम से ही मनुष्य के कार्य सिद्ध होते हैं, केवल इच्छा से नहीं। जिस प्रकार सोए हुए शेर के मुँह में मृग स्वयं नहीं प्रवेश करते, उसी प्रकार से मनुष्य को भी कर्म द्वारा सफलता मिलती है। कर्म से मानव अपना भाग्य स्वयं बनाता है। एक कर्मशील मानव जीवन की सभी बाधाओं और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर लेता है।

परिश्रम से मनुष्य का हृदय गंगाजल के समान पावन हो जाता है। परिश्रम से मन की सभी वासनाएँ और दूषित भावनाएँ बाहर निकल जाती हैं। परिश्रमी व्यक्ति के पास बेकार की बातों के लिए समय नहीं होता। कहा भी गया है-‘खाली मस्तिष्क शैतान का घर है।” यही नहीं, परिश्रम से आदमी का शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है। उसके शरीर को रोग नहीं सताते। परिश्रम से यश और धन दोनों प्राप्त होते हैं। ऐसे लोग भी देखे गए हैं जो भाग्य के भरोसे न रहकर थोड़े-से धन से काम शुरु करते हैं और देखते-ही-देखते धनवान बन जाते हैं। परिश्रमी व्यक्ति को जीवित रहते हुए भी यश मिलता है और मरने के उपरांत भी। वस्तुत: परिश्रम द्वारा ही मानव अपने को, अपने समाज को और अपने राष्ट्र की ऊँचा उठा सकता है। जिस राष्ट्र के नागरिक परिश्रमशील हैं, वह निश्चय ही उन्नति के शिखर को स्पर्श करता है लेकिन जिस राष्ट्र के नागरिक आलसी और भाग्यवादी हैं, वह शीघ्र ही गुलाम हो जाता है।

हमारे सामने ऐसे अनेक महापुरुषों के उदाहरण हैं जिन्होंने परिश्रम द्वारा अपना ही नहीं अपितु अपने राष्ट्र का नाम भी उज्ज्वल किया है। अब्राहिम लिंकन का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था लेकिन निरंतर कर्म करते हुए वे झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक पहुँचे। भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री, भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, महामना मदन मोहन मालवीय, नेता जी सुभाषचंद्र बोस आदि महापुरुष इस बात के साक्षी हैं कि परिश्रम से ही व्यक्ति महान बनता है।

यदि हम चाहते हैं कि अपने देश की, अपनी जाति की और अपनी स्वयं की उन्नति करें तो यह आवश्यक है कि हम भाग्य का सहारा छोड़कर परिश्रमी बनें। आज देश के युवाओं में जो बेरोज़गारी और आलस्य व्याप्त है, उसका भी एक ही इलाज है-परिश्रम।

ध्यान दें – प्रिय दर्शकों परिश्रम का महत्व पर निबंध आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।

1 thought on “परिश्रम का महत्व पर निबंध- Parishram Ka Mahatva Essay in Hindi”

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Thanks mere bahut kam aaya ya easy

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Parishram Ka Mahatva in Hindi – परिश्रम का महत्व पर निबंध

जीवन में परिश्रम के महत्व पर हिंदी में निबंध पढ़ें? Essay on the Importance of Labor in Hindi – Parishram Ka Mahatva in Hindi (परिश्रम का महत्व पर निबंध)

अत्यन्त छोटे-से जीव चीटियों को हम सभी देखते है। शायद ही किसी ने चीटियों को सोते या आराम से बैठे देखा हो। चीटियों का लघुतम जीवन परिश्रम से भरा हुआ होता है।

वे अनवरत श्रम करती है। वे जीवन की समस्याओ को अपने श्रम से सरलता से सुलझा लेती है। चीटियों का जीवन हमारे लिए आदर्श उदाहरण है। ऐसा कौन-सा कार्य है जो परिश्रम-साध्य न हो।

नेपोलियन की डायरी में असंभव जैसा कोई शब्द नहीं था। कर्मवीर, दृढ़-प्रतिज्ञ महापुरुषों के लिए संसार का कोई भी प्राप्तव्य कठिन नहीं होता। परिश्रमी व्यक्ति निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होता रहता है।

उसके संकल्प कभी ठंडे नहीं होते, प्राकृतिक कारण भी विघ्न बनकर उसके मार्ग को अवरुध्द नहीं कर सकते। सफलता उसी मनुष्य का वरन करती है, जिसने उसकी प्राप्ति के लिए श्रम किया हो।

Parishram Ka Mahatva in Hindi – परिश्रम का महत्व पर निबंध

प्रथम श्रेणी उन्ही विद्यार्थियों को गले लगाती है, जो उसकी प्राप्ति के लिए पूरे वर्ष श्रमपूर्वक अध्ययन करते है। भर्तृहरि के अनुसार,

उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैती लक्ष्मीः दैवेन देयमिति कापुरुषः वदन्ति। दैवं निहित्य कुरुपौरुषमात्मशक्त्या, यत्ने कृति यदि न सिध्दयति को&त्र दोषः।।

अर्थात उद्योगी पुरुष को ही लक्ष्मी प्राप्त होती है। दैव को छोड़कर मनुष्य को यथाशक्ति पुरुषार्थ करना चाहिए। यदि प्रयत्न करने पर भी कार्य-सिध्दि न हो तो यह विचार करना चाहिए कि हमारे प्रयास में क्या कमी रह गई।

जीवन में यदि सफलता प्राप्त करनी है यो परिश्रमी होना नितान्त आवश्यक है। आलसी, अनुद्योगी, अकर्मण्य व्यक्ति जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं होता। गति का ही दूसरा नाम जीवन है जिस मनुष्य के जीवन में गति नहीं है।

वह आगे नहीं बढ़ सकता। मानव-जीवन संघर्षो के लिए है, संघर्ष के पश्चात उसे सफलता मिलती है। जो व्यक्ति संघर्षो से, श्रम से डर गया, वह मानव नहीं पशु है, उसका जीवन व्यर्थ है।

केवल इच्छा करने से ही कार्य की सिध्दि नहीं होती, उद्योग और कठिन परिश्रम से ही कार्य की सिध्दि संभव है। अंग्रेजी में एक कहावत है-”God helps those who help themselves.”अर्थात ईश्वर उन्ही की सहायता करता है, जो अपनी सहायता स्वयं करने में समर्थ होते है।

परिश्रम करने से मनुष्य को आत्मिवक शांति प्राप्त होता है। उसका ह्रदय पवित्र होता है, उसके संकल्पो में दिव्यता आती है, उसे सच्चे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। परिश्रम से मनुष्य को यश और धन दोनों ही प्राप्त होते है। परिश्रमी व्यक्ति जीवन में ही यश प्राप्त नहीं करता, मृत्यु के पश्चात वह अपना आदर्श भी छोड़ जाता है।

Final Thoughts –

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परिश्रम का महत्व पर निबंध। Parishram ka Mahatva Essay in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध। Parishram ka Mahatva Essay in Hindi : विश्व में कोई भी कार्य बिना परिश्रम के सफल या संपन्न नहीं हो सकता। वस्तुतः परिश्रम की सफलता की कुंजी है। जिस प्रकार सूरज अपने प्रकाश से अंधकार को दूर भगा दैता है ठीक उसी प्रकार परिश्रम से मानव-जीवन सुखमय हो जाता है और परिश्रमी व्यक्ति का भविष्य उच्चवल हो जाता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध। Parishram ka Mahatva Essay in Hindi

sir ak jha pari8m likha hua ha plzz correct it

or sir kai jha spelling mistake ha plzzz cirrect it

Thank you @neha for pointing out my mistake. I will immediately correct it.

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जीवन में परिश्रम का महत्व पर निबंध

जीवन में परिश्रम का महत्व importance of hard work essay in hindi.

प्रस्तावना : परिश्रम का जीवन में अत्यंत महत्व है। इसे जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता बतलाते हुए भर्तृहरि ने तो इसे जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता बतलाते हुए कहां है-

“उद्यमे नहि सिध्यंति कार्याणि ना मनोरथि :। न हीं सुप्तस्य सिहंसय, प्रविशन्ति मुखे मर्गा।।

अर्थात कोई भी कार्य केवल मनोरथ से ही पूरे नहीं हो जाते हैं। अपितु उनको पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी बहुत आवश्यक होती है सिंह के मुंह में पशु स्वम् प्रवेश नहीं कर लेते हैं इसके लिए तो सिंह को विशेष प्रयास करना ही पड़ता है।

श्रम का महत्व: श्रम का महत्व निश्चय ही असीमित है। परिश्रमी व्यक्ति संभव से संभव से असंभव से संभव कर सकते हैं। सर्वथा समर्थ होता हैं। इतिहास के आदिकाल से परिश्रम के महत्व को सभी स्वीकारते रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि श्रम से ना केवल लाभ प्राप्त होता है बल्कि सुयश भी। इससे सुख वैभव ओर आनंद प्राप्त होता ही है, साथ ही परिश्रमी व्यक्ति समाज और राष्ट्र की प्रगति का बहुत बड़ा आधार बन जाता है। उससे समाज राष्ट्र को अपेक्षित दिशा निर्देश और सहयोग प्रेरणा प्राप्त होती है। इस प्रकार हम आए दिन यह देखते हैं कि श्रम- साधक अपनी कठिन तप साधना के द्वारा मनवांछित यश और वैभव को प्राप्त करके अपने आसपास के समाज को प्रेरित करता है। जिस तरह एक निर्धन छात्र अपने घोर परिश्रम से न केवल परीक्षा में अव्वल अंकों को हासिल करता है, अपितु उच्चपद पर पहुँच करके अपने परिवार-समाज के मस्तक को भी ऊँचा करके सबका आदर्श बनता है।

सच्चा परिश्रमी व्यक्ति यदि असफल हो जाए तो उसे पश्चाताप नहीं होता उसके मन में इतना संतोष अवश्य रहता है कि उसमें जितनी अधिक शक्ति थी उसने उतना प्रयत्न किया उसका फल देना या ना देना तो ईश्वर के ऊपर था। मनुष्य का कर्तव्य तो केवल कार्य करना है परिश्रमी व्यक्ति के विपरीत आलसी व्यक्ति होता है। वह अपनी असफलता का दोष ईश्वर को देता है लेकिन वह नहीं समझ पाता है कि भाग्य भी परिश्रमी व्यक्ति का साथ देता है। ऐसा इसलिए कि भाग्य बिना परिश्रम के साथ नहीं देता इसलिए भाग्य तो पुरुषार्थ परिश्रम के अनुसार बनता है इस संदर्भ में कविवर श्रीरामधारी सिंह दिनकर ने स्पष्ट रूप में लिखा है।

” प्रकृति नहीं डरकर झुकती है, कभी भाग्य के बल से, सदा हारती वह मनुष्य के उधम से ,श्रम जल् से”।।

परिश्रम के विविध उदाहरण : इतिहास में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं जो इस बात के गवाह है कि परिश्रम से ही सफल होते है बाबार, शेर शाह नेपोलियन, सिकंदर आदि सभी आरंभ में सामान्य व्यक्ति ही थे। लेकिन अपने परिश्रम से उन्होंने बड़े -बड़े साम्राज्य खड़े कर दिए थे। इस प्रकार इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया। कोलंबस ने अपने कठोर और घोर परिश्रम की बदौलत ही अमेरिका की खोज की थी। शिवाजी की सफलता का रहस्य उनकी घोर परिश्रम शीलता ही थी। इसके विपरित उनका पुत्र संभाजी आलस के कारण ही असफल रहा। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सफलता का सेहरा परिश्रम शीलता ही थी। संपूर्ण आजादी की संदर्भ के फल स्वरुप हम भारतीयों ने सेकड़ो वर्षो की गुलामी की बेड़ी को खंड- खंड कर डाला।

तप तथा परिश्रम के कारण नछुष इंद्रासन का अधिकारी बना था। घोर परिश्रम अथवा तप के प्रभाव से रावण लंका का अधिपति, कालिदास विश्वकवि, मैडम क्यूरी तथा एडिशन महान वैज्ञानिक हुए और अब्राहम लिंकन अमेरिका का राष्ट्रपति बना विश्व के महान लेखकों , कवियों, वैज्ञानिको, आदि की सफलता का रहस्य भी उनकी घोर परिश्रम शीलता ही है। विशव के सात महान आशचर्य मनुष्य के अटूट परिश्रम के ही परिणाम है। अमेरिका, जापान, रूस, जर्मनी, आदि देशों की उन्नति की नींव अटूट परिश्रम ही है। मनुष्य की चंद्रमा सहित अन्य ग्रहों की यात्रा के मूल में उनके निरंतर परिश्रम ही है। इस तरह कठिन और बारंबार परिश्रम का ही यह फल है। इस तरह कठिन और बारंबार परिश्रम का ही यह फल है।

उपसंहार: जहां प्रगति है वहां परिश्रम है। दूसरे शब्दों में परिश्रम विकास का जनक है। परिश्रम से जी चुराने वाला कभी सुख को प्राप्त नहीं कर सकता है। वह तो भाग्य के सहारे रहते हुए और कुछ करना जानता ही नहीं है। वास्तव में श्रम ही सुखमय जीवन का आधार है। यही सर्जन की कुंजी है। जीवन की सच्चाई केवल परिश्रम है।

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Hindi Essay on “Parishram ka Mahatva”, “परिश्रम का महत्त्व”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

परिश्रम का महत्त्व, parishram ka mahatva.

2 Hindi Essay on “Parishram ka Mahatva”

Essay No. 01

मानव जीवन में परिश्रम का बहुत महत्त्व है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। जीवन में अगर हमें सफलता प्राप्त करनी है तो उसके लिए कठोर परिश्रम का मार्ग अपनाना होगा।

कठोर परिश्रम अर्थात् जी जान से किसी कार्य को पूरा करने के लिए मेहनत करना। एक दोहे के अनुसार-

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।

रसिर आवत जात् ते सिल पर परत निशान।।

अर्थात् परिश्रम करने से तो रस्सी भी पत्थर पर निशान डाल सकती है। फिर मनुष्य की तो बात ही कुछ निराली है वह अगर मेहनत करे तो क्या कुछ नहीं कर सकता। परिश्रम तो असंभव को भी संभव बना देता है।

हर व्यक्ति के जीवन का कोई न कोई लक्ष्य होता है। उसे अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूरा परिश्रम करना चाहिए। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने लिए, परिवार के लिए और देश के लिए कुछ भी कर सकता है।

एक विद्यार्थी के जीवन में तो इसका बहुत महत्त्व है। एक विद्यार्थी जब तक अपनी पढ़ाई पूरी मेहनत से नहीं करता तब तक वह कक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सकता। परीक्षा में वही विद्यार्थी असफल होते हैं जो आलसी व कमजोर होते हैं। मेहनती बच्चे अपनी मेहनत से अपना भाग्य खुद बनाते हैं।

हमें हमेशा कोशिश करते रहनी चाहिए। अगर कोई मनुष्य किसी कार्य में असफल हो जाता है तो उसे हार नहीं माननी चाहिए बल्कि सफलता प्राप्ति के लिए फिर से परिश्रम करना चाहिए। तब वह एक दिन जरूर सफल होगा।

परिश्रम के द्वारा सभी कार्य सफल हो जाते हैं। अतः सभी को परिश्रमी होना चाहिए।

Essay No. 02

Importance of Labour

रूप – रेखा

परिश्रम से सफलता मिलती है , इससे हर काम बनता है , शेर भी शिकार करके खाता है , श्रम आलस्य और उदासी दूर करता है , श्रम से लाभ , आजादी के लिए किए गए श्रम का उदाहरण , श्रम से धन और यश मिलता है , महापुरुषों का उदाहरण ।

परिश्रम सफलता प्राप्त करने का मूलमंत्र है । श्रम करके हम अपने जीवन की अभिलाषा को पूरा कर सकते हैं । परिश्रम से हम उन सुखों को भी प्राप्त कर सकते हैं जो हमारे भाग्य में नहीं है। यह संसार कर्मक्षेत्र है। यहाँ कर्म ही प्रधान है। बिना श्रम किए कुत्ते-बिल्लियों को भी भोजन प्राप्त नहीं होता है । संस्कृत के एक श्लोक में कहा गया है :

“ उद्यमेन ही सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः

न हि सप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः। ”

अर्थात् उद्ययम (श्रम) से ही कार्य की सिद्धि होती है । केवल इच्छा करने से सफलता नहीं मिल सकती । सोये हुए सिंह के मुख में हिरण अपने-आप नहीं चला आता । उसे शिकार के लिए थोड़ी मेहनत करनी ही पड़ती है । हिरण की आशा में घात लगाकर बैठना पड़ता है । चतुराई दिखाकर उस पर अचानक हमला करना पड़ता है । इसी तरह प्रत्येक कार्य उचित श्रम की माँग करता है । बुद्धिमानीपूर्वक किए गए लगातार श्रम से कार्य पूरा हो जाता है।

श्रम हमारे जीवन को गतिमान रखता है। यदि हम श्रम को नकारते हैं तो हमारे जीवन की गति रुक जाती है। हमारा जीवन आलस्य और उदासी से घिर जाता है । मन में निराशा उत्पन्न हो जाती है । हम भाग्यवादी बन जाते हैं । तब कोई भी कार्य मन से नहीं किया जाता । तुलसीदास जी कहते हैं: “ दैव – दैव आलसी पुकारा। “ आलसी व्यक्ति खुद कुछ नहीं करना चाहते और हर समय ईश्वर से सहायता की याचना करते हैं । लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ईश्वर उसी की सहायता करते हैं जो मेहनती होते हैं।

परिश्रम करने से मनुष्य को बहुत लाभ होता है । उसे भीतरी शांति प्राप्त होती है। उसका हृदय निर्मल हो जाता है । उसके संकल्प दढ होने लगते हैं। उसके अंदर का विश्वास मजबूत बनता है । जीवन में उन्नति के लिए लोग बुरे से बुरा काम करते हैं । परिश्रम से बचने के लिए शार्ट कट रास्ता अपनाते है । यदि वह परिश्रम को अपने हाथ में ले ले तो धीरे-धीरे उन्नति करते हए विकास के शिखर पर चढ़ता जाता है । संसार में लोग उसका नाम आदर के साथ लेते हैं।

भारत के लोगों की लंबी गुलामी का कारण यही था कि यहाँ के निवासियों ने परिश्रम को भुला दिया था । लोग आलसी और निष्क्रिय हो गए थे। आज भी हम आलसी बने रहे तो फिर से अपनी आजादी खो देंगे । पर यदि हम परिश्रम करते रहे तो एक दिन भारत विकसित देश बन जाएगा।

परिश्रम से मनुष्य को धन और यश दोनों ही मिलता है । धन कमाने का सबसे आसान तरीका परिश्रम करना है । परिश्रम के बल पर कितने ही गरीब लोग अमीर बन गए हैं । जहाँ तक यश की बात है तो वह व्यक्ति को जीवित रहते हुए भी मिलता है और मृत्यु के बाद भी । अपनी मृत्यु के बाद . वह लोगों के लिए एक आदर्श छोड जाता है । प्रेमचन्द, महात्मा गाँधी, सुभाषचन्द्र बोस, जवाहर लाल नेहरू आदि महापुरुषों का संसार में बहुत सम्मान किया जाता है । इन लोगों ने अपने जीवन में बहुत श्रम किया था । इनके संघर्षों की कथा आज भी पढ़ी और सुनी जाती है । परिश्रम का महत्त्व बताते हुए कवि हरिऔध जी ने लिखा है:

“ देखकर बाधा विविध बहुविन घबराते नहीं ,

रह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं ॥ ”

इसलिए हमें भाग्य भरोसे न रहकर कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करना चाहिए । परिश्रम से बाधाएँ दूर हो जाती हैं।

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परिश्रम का महत्त्व पर लेख, निबंध

परिश्रम का महत्त्व पर लेख , निबंध Importance (Mahatva) of efforts Article Essay in hindi

सफतला की पहली कुंजी श्रम है, इसके बिना सफलता का स्वाद कभी भी नहीं चखा जा सकता है. जिंदगी में आगे बढ़ना है, सुख सुविधा से रहना है, एक मुकाम हासिल करना है, तो इन्सान को श्रम करना होता है. भगवान ने श्रम करने का गुण मनुष्यों के साथ साथ सभी जीव जंतुओं को भी दिया है. पक्षी को भी सुबह उठकर अपने खाने पीने का इंतजाम करने के लिए बाहर जाना पड़ता है, उसे बड़े होते ही उड़ना सिखाया जाता है, ताकि वह अपना पालन पोषण खुद कर सके. दुनिया में हर जीव जंतु को, अपने पेट भरने के लिए खुद मेहनत करती पड़ती है. इसी तरह मनुष्यों को भी बचपन से बड़े होते ही, श्रम करना सिखाया जाता है. चाहे वह पढाई के लिए हो, या पैसे कमाने के लिए या नाम कमाने के लिए. मेहनत के बिना तो रद्दी भी हाथ नहीं आती.

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परिश्रम का महत्त्व पर लेख , निबंध Importance of efforts Article in hindi

देश दुनिया के प्रसिध्य लोगों ने अपनी मेहनत परिश्रम के बल से ही दुनिया को ये अद्भुत चीजें दी है. आज हमारे महान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को ही देखिये, ये हफ्ते में सातों दिन 17-18 घंटे काम  करते है, ये न कभी त्योहारों, न पर्सनल काम के लिए छुट्टी लेते है. देश का इतना बड़ा आदमी जिसे किसी को छुट्टी के लिए जबाब न देना पड़े, वह तक परिश्रम करने से पीछे नहीं हटता है. देश को आजादी दिलाने के लिए महात्मा गाँधी ने जी जान रात दिन एक करके मेहनत की और आज इसका फल है कि हम आजाद है. कड़ी मेहनत एक कीमत है, जो हम सफलता पाने के लिए भुगतान करते है और जिससे जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ आती है.

Parishram

क्या है परिश्रम (What is parishram

शारीरिक व मानसीक रूप से किया गया काम परिश्रम कहलाता है. ये काम हम अपनी इच्छा के अनुसार चुनते है, जिसे लेकर हम अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते है. पहले श्रम का मतलब सिर्फ शारीरिक श्रम होता था, जो मजदूर या लेबर वर्ग करता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है, श्रम डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, राजनैतिज्ञ, अभिनेता-अभिनेत्री, टीचर, सरकारी व प्राइवेट दफ्तरों में काम करने वाला हर व्यक्ति श्रम करता है.

परिश्रम की परिभाषा (definition of parishram)-

कामयाब व्यक्ति के जीवन से हम परिश्रम के बारे में अधिक जान सकते है, उनके जीवन से हमें इसकी सही परिभाषा समझ आती है. तो चलिए हम आज आपको कुछ बातें बता रही है, जो मेहनती व्यक्ति अपने जीवन में अपनाता है, और सफलता का स्वाद चखता है. यही बातें/आदर्श हम अपने जीवन में उतार कर सफल हो सकते है.

  • समय की बर्बादी न करें – कई लोग आलस का दामन थामे रहते है, वे लोग परिश्रम करने की जगह आराम से धीरे-धीरे काम करके जीवन बिताना चाहते है. परिश्रमी व्यक्ति कभी भी समय की बर्बादी में विश्वास नहीं रखता, वह निरंतर काम करते रहने में विश्वास रखता है. समय की बर्बादी आलसी, लोगों की निशानी है. कई बार ऐसा भी होता है कि परिश्रम करते रहने से भी मन मुताबित फल नहीं मिलता है, या फल मिलने में देरी होती है. लेकिन इस बात से हार मानकर नहीं बैठना चाहिए. परिश्रम व काम पर विश्वास से सही समय पर सही चीज मिल ही जाती है.
  • धन के पीछे न भागें – परिश्रम का ये मतलब नहीं है कि, पैसा कमाने की होड़ में लगे रहें. धन हमारी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा है, लेकिन धन ही ज़िन्दगी नहीं होती है. धन के पीछे परिश्रम करने से दुनिया की सुख सुविधा तो मिलती है, लेकिन कई बार मन की शांति नहीं मिलती. परिश्रम का ये मतलब नहीं कि आप ज़िन्दगी जीना छोड़ दें, और पैसे कमाने में लग जाएँ. परिश्रम करते हुए, अपने लोगों को साथ लेकर जीवन में आगे बढ़े. ज़िन्दगी जीने का नाम है, यहाँ हर वक्त खुश, मौज मस्ती करते रहें|
  • इच्छा अनुसार ही काम चुने – कुछ लोग बेमन से काम करते है, जिससे वे अपना 100% उस काम में नहीं देते है. ऐसे लोग किसी और की इच्छा के अनुसार ये काम चुन लेते है, जिससे उन्हें एक दबाब महसूस होता है, और वे लोग काम में परिश्रम करने की जगह बस नाम के लिए ऐसे ही काम करते है. हमें अपनी इच्छा के अनुसार ही काम करना चाहिए, तभी उसे पुरे मन व लगन से कर पायेंगें. काम में मन लगेगा तभी हम खुद से परिश्रम करने की भी इच्छा रखेंगें.
  • असफलता से हार न माने – सफल व्यक्तियों के जीवन को देखें तो जानेगें, उन्हें पहली बार में ही सफलता नहीं मिली थी. निरंतर प्रयास से वे अपने मुकाम तक पहुंचे थे. उदाहरण के तौर पर अगर शाहरुख़ खान फिल्मों में आने से पहले ही ये सोच लेता कि उसे यहाँ काम मिलेगा ही नहीं तो वह आज इतना बड़ा स्टार न बनता. अगर धीरुभाई अम्बानी उस छोटी सी कुटिया में बस बैठे रहते, मेहनत न करते तो आज इतना बड़ा अम्बानी का कारोबार न होता. अगर अब्राहम लिंकन परिश्रम न करता, स्ट्रीट लाइट में बैठकर पढाई न करते तो वे अमेरिका के राष्ट्रपति कभी न बन पाते. नरेंद्र मोदी जी परिश्रम न करते तो आज चाय की ही दुकान में बैठे होते.

ये महान हस्तियाँ हमें यही सिखाती है कि हार कर घर नहीं बैठो, बल्कि उठो आगे बढ़ो, क्यूंकि हर सुबह उम्मीद की एक नयी किरण लाती है. हमें नया दिन मिला है, मतलब परमेश्वर के पास अभी भी हमारे लिए एक अच्छी योजना है, जो हमारे भलाई के लिए है, न कि हमें नष्ट करने के लिए. परिश्रम के बल पर दुनिया में हर चीज संभव है.

  • परिश्रम से एक न एक दिन सफलता जरुर मिलती है – आज हम अगर विज्ञान के इतने चमत्कार देख पा रहे है, तो ये मानव जाति के परिश्रम का ही फल है. विज्ञान की तरक्की की वजह से आज हम चाँद में अपना कदम रख चुके है, व मंगल गृह पर अपना घर बसाने वाले है. देश विदेश में तरक्की भी वहां रहने वाले नागरिकों की वजह से होती है. पूरी दुनिया में विकसित व विकासशील देश है. ये सब परिश्रमी व्यक्तियों की वजह से ही यहाँ तक पहुँच पायें है. अमेरिका, चीन, जापान जैसे देशों के साथ आज हमारे भारत का नाम भी लिया जाता है, जो जल्द ही विकसित देशों की लिस्ट में आने लगेगा. जापान में हुए परमाणु बम विस्फोट के बाद, कुछ साल पहले आये विशाल भूकंप के बाद उसके अपने आप को फिर खड़ा किया, ये सब परिश्रम की वजह से संभव हो सका है.

परिश्रम के फायदे/लाभ (Parishram benefits) –

  • आपको जीवन की सारी सुख सुविधा मिलेंगी, लक्ष्मी की प्राप्ति होगी. आज के समय में धन जिसके पास है, वो दुनिया की हर सुख सुविधा खरीद सकता है.
  • परिश्रम से मानसिक व शारीरिक चुस्ती मिलती है. आज के समय में परिश्रम नहीं करने पर बहुत सी बीमारियाँ शरीर में घर  कर लेती है. इसलिए फिर तंदरुस्ती, स्फूर्ति के लिए शारीरिक श्रम करने को बोला जाता है, जिस वजह से लोग फिर जिम में भी समय बिताने लगते है. मानसिक विकास के लिए उसका परिश्रम करते रहना बहुत जरुरी है, इसी के द्वारा लोगों ने नए नए अनुसन्धान दुनिया में किये है.
  • परिश्रम से हमारे जीवन में व्यस्ता रहती है, जिससे किसी भी तरह की नकारात्मक बातें हमारे जीवन में नहीं आ पाती, व इससे मन अंदर से शांति महसूस करता है.
  • परिश्रमी व्यक्ति हमेंशा सफलता की ओर अग्रसर रहता है, और समय समय पर उसे सफलता का स्वाद भी चखने को मिलता है.

परिश्रम नहीं करने से क्या होगा

जीवन में परिश्रम करना बहुत जरूरी है अगर हम आलस करते है और परिश्रम से दूर भागते है तो अपने जीवन में कभी हम सफल नही हो पायेंगे. हमें हमेशा गरीबी में ही अपना जीवनयापन करना पड़ेगा और हो सकता है एक दिन हम भूख से मर जाएँ. हमें अनेक ग्रन्थों में लिखा हुआ मिलता है की परिश्रम ही सफलता की कुंजी है, अगर हम परिश्रम नहीं करेंगे तो एक दिन हमारा आस्तित्व खत्म हो जाएगा. लोग हमसे बात करना नहीं चाहेंगे और हो सकता है आपको दुनिया के तानो से तंग आकर अपने आप को मिटाना पड़ें, यानि ख़ुदकुशी करनी पड़े. इसलिए अपने जीवन में सफलता पाने के लिए परिश्रम बहुत जरूरी है.

आलसी व्यक्ति हमेंशा दुखी, परेशान होता है, वह अपने जीवन को कोसता ही रहता है. वह यहाँ वहां की शैतानी बातें सोचकर दुखी रहता है. वह अपने हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पसंद करता है, उसे लगता है, कोई और उसकी जगह मेहनत कर दे. लेकिन ये दुनिया का सबसे बढ़ा सच है कि अपना बोझ व्यक्ति को स्वयं उठाना पड़ता है, उसे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए खुद ही परिश्रम करना होगा, इसमें उसकी मदद कोई भी नहीं सकता. परिश्रमी के जीवन में प्रसन्नता, शांति, सफ़लता बनी रहती है.

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परिश्रम का महत्व पर निबंध |Essay on the Importance of Hard Work in Hindi

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परिश्रम का महत्व पर निबंध |Essay on Importance of Hard Work in Hindi!

परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है ।

परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया था । उनके अनुसार:

”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

ADVERTISEMENTS:

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है । इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्‌ध होना अत्यंत कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्‌वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं । उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं । ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का हल ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते ।

दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं । अपनी कमियों व दोषों के निदान के लिए प्रयास न कर वह भाग्य का दोष मानते हैं । उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन सब में ईश्वर की इच्छा है । वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है । वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है परंतु सुख किसी मृगतृष्णा की भाँति सदैव उससे दूर बना रहता है ।

किसी विद्‌वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है । आज यदि हम देश-विदेश के महान अथवा सुविख्यात पुरुषों अथवा स्त्रियों की जीवन-शैली का आकलन करें तो हम यही पाएँगे कि जीवन में इस ऊँचाई या प्रसिद्‌धि के पीछे उनके द्‌वारा किए गए सतत अभ्यास व परिश्रम का महत्वपूर्ण योगदान है ।

अमेरिका, चीन, जापान आदि विकसित देश यदि उन्नत देशों में हैं तो इसलिए कि वहाँ के नागरिकों ने अथक परिश्रम किया है। द्‌वितीय विश्वयुद्‌ध में भारी नुकसान के बाद भी आज यदि जापान न विश्व जगत में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है तो उसका प्रमुख करग यही है कि वहाँ के लोगों में दृढ़ इच्छाशक्ति व अथक परिश्रम की भावना कूट-कूटकर भरी हुइ है ।

परिश्रमी व्यक्ति ही किसी समाज में अपना विशिष्ट स्थान बना पाते हैं । अपने परिश्रम के माध्यम से ही कोई व्यक्ति भीड़ से उठकर एक महान कलाकार, शिल्पी, इंजीनियर, डॉक्टर अथवा एक महान वैज्ञानिक बनता है ।

परिश्रम पर पूर्ण आस्था रखने वाले व्यक्ति ही प्रतिस्पर्धाओं में विजयश्री प्राप्त करते हैं । किसी देश में नागरिकों की कर्म साधना और कठिन परिश्रम ही उस देश व राष्ट्र को विश्व के मानचित्र पर प्रतिष्ठित करता है ।

“विश्वास करो,

यह सबसे बड़ा देवत्व है कि –

तुम पुरुषार्थ करते मनुष्य हो

और मैं स्वरूप पाती मृत्तिका ।”

अत: उन्नति विकास एवं समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि सभी मनुष्य परिश्रमी बनें । परिश्रम वह कुंजी है जो साधारण से साधारण मनुब्ध को भी विशिष्ट बना देती है । परिश्रमी लोग सदैव प्रशसा व सम्मान पाते हैं । वास्तविक रूप में उन्नति व विकास के मार्ग पर वही व्यक्ति अग्रसर रहते हैं जो परिश्रम से नहीं भागते ।

भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध

Essay on Parishram Ka Mahatva in Hindi : नमस्कार दोस्तों, परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। परिश्रम मनुष्य के जीवन को आवाज बनाता है। परिश्रम के बिना मनुष्य का जीवन फिजूल है। बिना परिश्रम ना तो सफलता मिलती है ना ही मनुष्य आगे बढ़ता है।

परिश्रम ही मनुष्य को कठोर और सफल बनाता है और परिश्रम से मिली हुई सफलता लंबे समय तक टिकती है। जिन लोगों को परिश्रम नहीं करना है, वह लोग किस्मत के भरोसे बैठे रहते हैं। लेकिन कर्म करने वालों की कभी हार नहीं होती।

Essay-on-Parishram-Ka-Mahatva-in-Hindi

आज हम बात करने जा रहे हैं परिश्रम के महत्व के बारे में। परिश्रम का अर्थ होता है मेहनत करना। परिश्रम से ही हम अपने भोजन की व्यवस्था कर सकते हैं। आइए इससे जुड़ी कुछ बातें जानते हैं। हम यहां पर परिश्रम का महत्व पर निबंध शेयर कर रहे है।

इस निबंध में परिश्रम का महत्व (parishram ka mahatva nibandh) के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध | Essay on Parishram Ka Mahatva in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध 250 शब्द में (parishram ka mahatva par nibandh).

हमारे जीवन में परिश्रम का उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना जीवित रहने के लिए भोजन। परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। आज तक इतिहास में किसी भी व्यक्ति को देखा जाए तो वह अपने आप अचानक से सफल नहीं होता। सफल होने के लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है।

आसान शब्दों में कहा जाए तो परिश्रम का अर्थ है किसी काम को करने में हमारे द्वारा किया जाने वाला श्रम ही परिश्रम कहलाता है। देखा जाए तो हर व्यक्ति ही परिश्रम करता है लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि कौन अधिक परिश्रम करता है और कौन कम परिश्रम करता है। परिश्रम ही तय करता है कि हम कितना सफल हो पाएंगे।

परिश्रम दो मुख्य प्रकार के होते हैं एक परिश्रम वह होता है, जो हम आमतौर पर शरीर के द्वारा करते हैं, जिसे हम शारीरिक परिश्रम कहते हैं। अधिकतर यह परिश्रम मजदूर वर्ग के लोगों में देखा जा सकता है।

दूसरा परिश्रम वह होता है, जिसमें हम अपनी मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करते हैं। वह मानसिक परिश्रम कहलाता है। किसी भी नई चीज के शुरुआत करने के लिए शारीरिक और मानसिक परिश्रम दोनों ही बहुत जरूरी है।

देखा जाए तो परिश्रम के बिना मनुष्य का जीवन पशु के समान है। एक पशु भी अपने भोजन के लिए ही परिश्रम करता है। यदि हम भी सिर्फ इतने के लिए ही परिश्रम करेंगे तो फिर हम में और जानवर में कोई अंतर नहीं रह जाएगा।

parishram ka mahatva essay in hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध 500 शब्दों में (Parishram ka Mahatva Essay in Hindi)

हर मनुष्य परिश्रम से ही सफलता हासिल करता है। किस्मत से सफलता किसी को नहीं मिलती और यदि किसी को मिल जाती है तो वह लंबे समय तक नहीं दिखती है। परिश्रम से हासिल की गई सफलता जिंदगी को आबाद बना देती है। मनुष्य की असली दुनिया परिश्रम यह है। परिश्रम के जरिए ही मनुष्य अपने व्यक्तित्व को महान बनाता है।

परिश्रम किसे कहते हैं और इसका क्या महत्व है?

किसी भी मनुष्य और व्यक्ति द्वारा किया गया शारीरिक और मानसिक रूप से कार्य परिश्रम कहलाता है। परिश्रम जो मनुष्य के जीवन के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण इकाई है। आज के समय में परिश्रम सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं रहा है। मानसिक रूप से किया गया परिश्रम भी मनुष्य को अत्यंत महत्वपूर्ण सफलता दिलाता है।

पुराने जमाने में सिर्फ लोगों के पास शारीरिक परिश्रम ही एक विकल्प था और उसी के सहारे लोगों की जिंदगी निकलती थी। लेकिन आज के समय में शारीरिक परिश्रम से ज्यादा मानसिक परिश्रम की जरूरत है। हर मनुष्य के लिए परिश्रम बहुत जरूरी है।

हर व्यक्ति को अपने जीवन में परिश्रम करके जीवन को सरल और संगीन बनाना चाहिए। इस धरती पर ऐसा कोई भी काम नहीं है, जो परिश्रम करने के बावजूद भी नहीं हो पाए या ऐसी कोई सफलता नहीं है। जो परिश्रम के बावजूद भी नहीं मिल पाए परिश्रम है तो सब मुमकिन है।

हिंदी में एक कहावत भी है “मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती” यह पूरी तरह से इसी पर आधारित कहावत है।

परिश्रम करना क्यों जरूरी है?

हर मनुष्य को अपने जीवन में परिश्रम करते रहना चाहिए। परिश्रम करना ही मनुष्य के लिए एक उत्तम कार्य होता है और इसी से व्यक्ति आगे बढ़ता है। परिश्रम करने से आलस्य दूर होता है।

निरंतर परिश्रम करने से व्यक्ति को सफलता मिलती है और नए-नए रास्ते मिलते हैं। परिश्रम करने से व्यक्ति को स्किल सीखने का मौका मिलता है। हर क्षेत्र में रिजल्ट परिश्रम के बाद ही मिलता है, इसलिए परिश्रम करना जरूरी है।

परिश्रम नहीं करने से क्या होगा?

यदि व्यक्ति अपने जीवन में परिश्रम नहीं करता है और किस्मत के भरोसे बैठा रहता है तो उस व्यक्ति को कभी सफलता नहीं मिलती और सफलता नहीं मिलने की वजह से व्यक्ति और ज्यादा हताश हो जाता है।

लेकिन परिश्रम के बिना सफलता मिलना असंभव है। परिश्रम नहीं करने से व्यक्ति अपने लेवल को नहीं बढ़ा सकता है। परिश्रम नहीं करने से व्यक्ति को ना तो नए रास्ते मिलेंगे और ना ही कोई नई स्कील सीखने का मौका मिलेगा।

व्यक्ति के लिए जितना भोजन करना जरूरी है। उतना ही परिश्रम करना जरूरी है। परिश्रम दो प्रकार का होता है। पहला शारीरिक परिश्रम और दूसरा मानसिक परिश्रम और यदि दोनों परिश्रम साथ हो तो व्यक्ति को सफलता मिलने से कोई नहीं रोक सकता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 850 शब्द में (Parishram ka Mahatva Per Nibandh)

अगर हम जीवन में सफलता और खुशी चाहते हैं तो इसका हमारे पास एकमात्र तरीका है परिश्रम करना। परिश्रम से संबंधित भर्तृहरि जी ने एक श्लोक कहा है।

उद्यमें नहि सिध्यंति कार्याणि ना मनोरथि न हीं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशांति मुखे मृगा

इसका मतलब है सिर्फ मन में कामना कर लेने भर से कोई कार्य संपन्न नहीं हो जाता है, उसके लिए हमें कठिन परिश्रम करना पड़ता है। ठीक उसी तरह जैसे सोते हुए शेर के मुख में हिरण खुद नहीं आ जाता।

परिश्रम का महत्व

देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

परिश्रम से सिर्फ धनसंपदा की प्राप्ति नहीं होती बल्कि साथ में यश कीर्ति सुख और आनंद की भी प्राप्ति होती है। इसी के साथ परिश्रमी व्यक्ति सिर्फ अपना ही भला नहीं करता है बल्कि अपने साथ-साथ समाज और देश का भी भला करता है।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप

देखा जाए तो हम सब इसी उलझन में रहते हैं कि आखिर परिश्रम का वास्तविक स्वरूप क्या है? किसी को अपने जीवन में कब परिश्रम करना चाहिए? इसका सही समय क्या होना चाहिए? इत्यादि उलझनों में हम घेरे रहते हैं।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप यह है कि हमें बिना फल के कर्म करते रहना चाहिए। भगवान कृष्ण ने भी गीता में यही कहा था कि कर्म करते रहो फल की इच्छा ना करो। अगर आपको कुछ भी चाहिए तो आप उसके लिए परिश्रम करते रहिए। कभी ना कभी वह आपको जरूर हासिल होगा।

परिश्रम के लाभ

सब लोग यही चाहते हैं कि हमें सफलता पाने का कोई भी आसान सा तरीका मिल जाए। लेकिन सफलता सिर्फ परिश्रम से ही पाई जा सकती है। इसीलिए आपको निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए।

आजकल के लोगों का रहन सहन बहुत ही आरामदायक हो गया है, जिससे लोग आलसी स्वभाव के बन गए हैं। लेकिन युवाओं को यह समझाना चाहिए कि परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती है। परिश्रम से होने वाले कुछ लाभ निम्नलिखित हैं।

नई चीजें सीखते हैं

हमें पता है आज कल का जो दौर है, वह प्रतिस्पर्धा का दौर है। आए दिन हर कार्य में यहां पर दौड़ लगी हुई है। अगर हम मेहनत करके वह चीज सीख लेते हैं तो हमें भी नई चीज़ सीखने को मिलती है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति किसी जगह पर तभी तक स्थाई रह सकता है जब तक वह उस जगह के लायक होगा।

इसके लिए जरूरी है कि वह खुद को हमेशा और बेहतर बनाने की कोशिश करता रहे। खुद में नए बदलाव लाने के लिए और वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी है कि हम परिश्रम करने के लिए तैयार रहे।

स्थाई सफलता मिलती है

कहते हैं ना किस्मत के बल पर ही सब कुछ नहीं मिल सकता है। अगर हमें कुछ वाकई जिंदगी में कुछ चाहिए तो हमें परिश्रम करना ही होगा। परिश्रमी व्यक्ति कभी भी अपनी और सफलता का दोषी किस्मत को नहीं मानता। वह खुद की कमियों को देखता है, जिनकी वजह से वह सफल हो रहा है।

उसके बाद इन पर काम करता है और सफलता मिले तो कोशिश करता रहता है। यदि परिश्रम करने के बाद भी कोई व्यक्ति और सफल हो रहा है तो उसे निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि हमारे द्वारा की गई मेहनत का परिणाम कभी न कभी हमें जरूर मिलेगा।

नए अवसर बनते हैं

परिश्रमी व्यक्ति कभी भी अवसर आने का इंतजार नहीं करता है, बल्कि वह अपने लिए खुद अवसर बनाता है। अच्छे अवसर की तलाश में बैठे रहना यह आलसी प्रवृत्ति के लोगों का काम है, जो लोग वाकई में मेहनत करना चाहते हैं। वह अपने लिए नए नए अवसर खोजते रहते हैं।

सकारात्मकता बनी रहती है

परिश्रमी व्यक्ति के जीवन में भले ही कितनी बड़ी मुश्किल क्यों ना आ जाए। वह परेशान नहीं होता है वह थोड़ी देर के लिए परेशान हो सकता है लेकिन उस परिस्थिति में भी सकारात्मक ही बना रहता है।

अच्छे चरित्र का निर्माण होता है

मेहनत करने से व्यक्ति के अंदर अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। मेहनती व्यक्ति मेहनत के महत्व को समझता है, इसलिए वह कभी किसी के साथ धोखा नहीं करता। सफलता पाने के लिए कोई भी गलत तरीका नहीं अपनाता और सिर्फ उतनी ही चीजों पर अपना अधिकार जताता है, जितना उसने अपनी मेहनत से हासिल किया है।

परिश्रम से सफलता प्राप्ति के कुछ उदाहरण

इतिहास में हमें बहुत से ऐसे उदाहरण देखने को मिलेंगे, जिनकी हम ने कल्पना भी नहीं की होगी। धरती पर कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया है, जिनमें से कुछ के उदाहरण इस प्रकार हैं।

  • डॉक्टर ए . पी . जे . अब्दुल कलाम

डॉक्टर कलाम को मिसाइल मैन कहां जाता है। इन्होंने ही देश में मिसाइल के प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इनका बचपन अभावों में बीता था। एक समय ऐसी स्थिति आई थी, जब कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए 1000 रुपए भी नहीं थे, परंतु उन्होंने परिश्रम करके अपने आप को इस काबिल बनाया कि वह जाने माने वैज्ञानिक भी बने और देश के राष्ट्रपति भी बने।

  • जे . जे . थॉमसन

जे. जे. थॉमसन बचपन से ही मंदबुद्धि थे। इस वजह से उनको स्कूल में से भी निकाल दिया गया था, परंतु जे. जे. थॉमसन ने इतना परिश्रम किया कि उन्होंने बल्ब का आविष्कार किया। वह बल्ब बनाने में 1000 बार फेल हुए आखिरकार उन्होंने सफलता पाई। इसीलिए कहते हैं परिश्रम करने से सफलता अवश्य मिलती ही है।

कहते हैं भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं, जो कर्म हीन है। जो कर्म नहीं करना चाहते हैं, वह अपनी किस्मत का सहारा ही ले सकते हैं।

अतः हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु, अपने देश और समाज के नाम को ऊंचाई पर ले जाना चाहिए और निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए।

आज के आर्टिकल में हमने   परिश्रम का महत्व पर निबंध (Essay on Parishram Ka Mahatva in Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है तो वह हमें कमेंट में पूछ सकते है।

  • बुद्धिमता की माप ही परिवर्तन की क्षमता निबंध
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध
  • भारतीय किसान पर निबंध
  • मेरा प्रिय खेल पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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परिश्रम का महत्व निबंध – Parishram Ka Mahatva Essay In Hindi

नमस्कार दोस्तों Top kro में आपका स्वागत है। आज की पोस्ट में हम बात करेंगे parishram ka mahatva essay in hindi के बारे में। आज के वक्त में अगर आपको अपने जीवन में सफल होना है तो आपको कठिन परिश्रम करना होगा I

तभी जाकर आप जीवन में एक सफल व्यक्ति बन पाएंगे I हमारे जीवन में परिश्रम का विशेष महत्व है अगर आप भी परिश्रम के महत्व के ऊपर निबंध लिखना चाहते हैं लेकिन आपको मालूम नहीं है की इस पर निबंध कैसे लिखें तो हम आपसे अनुरोध करेंगे कि आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

इस पोस्ट में आपको परिश्रम के महत्व पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे परिश्रम का महत्व निबंध 100 शब्दों में, परिश्रम का महत्व निबंध 300 शब्दों में, Parishram ka mahatva par nibandh 500 शब्दों में तथा परिश्रम का महत्व 10 लाइन इत्यादि।

परिश्रम का महत्व निबंध 100 शब्दों में – Parishram ka mahatva essay in hindi

जो व्यक्ति अपने जीवन में परिश्रम करता है वह कठिन से कठिन लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकता है क्योंकि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको दिन-रात परिश्रम की आग में अपने आप को होगा तभी जाकर आप जीवन में सफलता प्राप्त कर पाएंगे I

ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति परिश्रम करता है भाग्य उसका भी साथ देता है क्योंकि भाग्य ऐसे लोगों का साथ नहीं देता है जो सोए रहते हैं और समझते हैं कि जीवन में सफल हो जाएंगे तो उनसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं होगा I परिश्रम के तपोबल से व्यक्ति हिमालय की चोटियों सकता है और रेगिस्तान में भी पानी का स्रोत खोज सकता है I

परिश्रम के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में मान सम्मान को कमा सकता है I परिश्रम करना ईश्वर की उपासना करने के समान है इसलिए हर एक व्यक्ति को अपने जीवन में परिश्रमी होना आवश्यक हैI

परिश्रम का महत्व पर निबंध 300 शब्दों में – Parishram ka mahatva nibandh

प्रस्तावना: पृथ्वी पर निवास करने वाला प्रत्येक प्राणी अपने जीवन में परिश्रम करता है उदाहरण के तौर पर चींटी अगर परिश्रम ना करें तो उसे भोजन की प्राप्ति नहीं होगी इसके अलावा जंगल में रहने वाले जितने भी प्राणी भी भोजन प्राप्त करते हैं I उनके लिए भी उनको परिश्रम करना पड़ता है I

इस ब्रह्मांड में सूरज, चांद, समुन्द्र, नदिया, वनस्पति जितने भी चीज है वह सभी परिश्रम करते हैं तभी जाकर हमारा ब्रह्मांड अच्छी तरह से संचालित हो पाता है I परिश्रम के बिना कोई भी प्राणी इस पृथ्वी पर जीवित नहीं रह सकता है I इसलिए परिश्रम करते रहना प्रत्येक प्राणी का परम कर्तव्य है I

पृथ्वी सबसे समझदार प्राणी मनुष्य होता है और जो मनुष्य अपने जीवन में सदा परिश्रम करता है I उसे जीवन में यश, कृति, मान – सम्मान सभी चीजों की प्राप्ति होती है और वह जीवन में हमेशा एक ऊंचे पायदान पर खड़ा रहता है I

इसके अलावा जो व्यक्ति अपने जीवन में भाग्यवादी बनकर रहता है और परिश्रम से बचता है I उसका जीवन अंधकार में खो जाता है और वह जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाता है इसलिए मनुष्य के जीवन में परिश्रम का वैसा ही महत्व है जैसा अगर आप पानी ना पिए तो व्यक्ति का जीवित रहना संभव नहीं है I ठीक उसी प्रकार जो व्यक्ति अपने जीवन में परिश्रम ना करता हो उसका जीवन बेकार व्यर्थ हो जाता है I

इतिहास के पन्नों में ऐसे कई महापुरुष आपको मिल जाएंगे जिनमें अपने परिश्रम के द्वारा अपने आप को इतिहास के पन्नों में अंकित करवाया है और अगर उन्होंने परिश्रम ना किया होता तो आज उनका नाम सभी लोग आदर और सम्मान के साथ ना लेते I

परिश्रम करने से व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत और सशक्त बनता है I इतिहास के पन्ने में आपको जितने भी बड़े लोग मिलेंगे उन सब ने अपने परिश्रम के माध्यम से देश और दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बनाया था I परिश्रम करने वाला व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है I उसे किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं होती है इसके अलावा उसके मन का शुद्धिकरण भी परिश्रम के माध्यम से होता है I

परिश्रम का महत्व निबंध 500 शब्दों में – Essay on parishram ka mahatva

परिश्रम करना आवश्यक क्यों है?

इस ब्रह्मांड में रहने वाले प्रत्येक प्राणी को परिश्रम करना आवश्यक है क्योंकि बिना परिश्रम के आप अपने जीवन का कोई भी काम पूरा नहीं कर सकते हैं I उदाहरण के तौर पर अगर आपको खाना खाना है तो इसके लिए आपको खाना बनाना पड़ेगा और खाना बनाने में भी परिश्रम की जरूरत पड़ती है I इसलिए हमारे दैनिक जीवन से जुड़े हुए सभी कामों को पूरा करने में परिश्रम किया सकता है I

मनुष्य योनि में अगर आप ने जन्म लिया है और आप मनुष्य के जीवन को सार्थक देना चाहते हैं तो आपको अपने जीवन में परिश्रम करना चाहिए नहीं तो आपका मनुष्य जीवन बेकार और व्यर्थ माना जाएगा I सबसे बड़ी बात है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में परिश्रम करता है सफलता उसके कदम चूमती है I

परिश्रम भाग्य से बड़ा कैसे हैं?

दुनिया में ऐसे कई व्यक्ति मिल जाएंगे जो भाग्यवादी होते हैं जिन्हें लगता है कि उनके भाग्य में लिखा ही नहीं है कि वह इस जीवन में सफल हो पाएंगे ऐसे लोग हमेशा भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं दूसरी तरफ से भी होते हैं जो अपने परिश्रम और समाज के द्वारा अपने भाग्य को भी पलटने की क्षमता रखते हैं ऐसे व्यक्ति भाग्यवादी नहीं होते हैं बल्कि कर्म वादी होते हैं अथवा कर्म पर विश्वास करते हैं कर्म वादी व्यक्ति हमेशा अपने परिश्रम के द्वारा जीवन के दुर्गम लक्ष्य को भी प्राप्त कर लेते हैं I

परिश्रम करने वाले व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने अनुकूल परिस्थिति में बदल सकता है I इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि हमारा देश 200 वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा कई लोगों के मन में यह बात पूरी तरह से बैठ गई थी कि हमारे भाग्य में गुलामी की जिंदगी जीना ही लिखा है I

इसलिए उन्होंने परिश्रम करना ही छोड़ दिया था लेकिन जब लोगों को परिश्रम का महत्व और उसके शक्ति के बारे में मालूम चला तो सब ने मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ बिगुल फूंक दिया और आखिर में अंग्रेजों को देश छोड़कर भागना ही पड़ा और हमारा देश आजाद हो गया

महापुरुषों के उदाहरण

इतिहास के पन्नों में ऐसे आपको अनेकों महापुरुष मिल जाएंगे जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अपना व्यक्तित्व महानता और सम्मान के लायक बनाया I इसका सबसे बड़ा उदाहरण है- हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जिन्होंने एक गरीब परिवार में जन्म दिया और उनका पालन पोषण काफी कठिनाइयों में हुआ I जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर देश के प्रधानमंत्री बने I

अगर आप उनके जीवन के बारे में पड़ेंगे तो आपको समझ में आएगा कि एक व्यक्ति किस प्रकार परिश्रम के तपोबल से अपने आपको इस लायक बना सकता है कि उसका जीवन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाएगा और लोग उसके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे I

आसान शब्दों में हम कहे तो अगर किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना है तो उसका एकमात्र माध्यम परिश्रम इसके द्वारा ही वह जीवन के सभी लक्ष्य और उद्देश्यों को पूर्ति कर सकता है I

विद्यार्थी के जीवन में परिश्रम का महत्व

विद्यार्थी के जीवन में परिश्रम का सबसे ज्यादा महत्व है क्योंकि विधार्थी अगर अपने विधार्थी काल में परिश्रम नहीं करता है तो उसका भविष्य अंधकामय हो जाएगा I जो विधार्थी साल भर निरंतर परिश्रम के द्वारा अपना पाठ्यक्रम पूरा करता है I

ऐसे विधार्थी की परीक्षा में अव्वल आते हैं I ऐसे विद्यार्थी जीवन के हर मोड़ पर सफल होते हैं और जीवन में उनका जो भी लगता है उसे प्राप्त आसानी से कर लेते हैं इसके अलावा जो विद्यार्थी सालभर खेलकूद और बिना मतलब के कामों में उलझे रहते हैं और वह परीक्षा के समय पढ़ाई करते हैं तो ऐसे विद्यार्थी को सफलता प्राप्त नहीं होती है और वह जीवन में हमेशा असफल ही साबित होते हैं इसलिए विधार्थी को अपने जीवन में परिश्रम करना चाहिए ताकि उसका भविष्य बन सके I

परिश्रम के द्वारा आप अपने जीवन में धन यश दोनों की प्राप्ति कर सकते हैं I जिस देश के व्यक्ति परिश्रमी होते हैं उस देश का विकास काफी तेजी के साथ होता है इसलिए विकास और उन्नति जैसे लक्ष्य को पूरा करने के लिए आपको परिश्रम की जरूरत पड़ेगी I

परिश्रम का महत्व 10 पंक्तियां – Parishram ka mahatva 10 line

  • परिश्रम सफलता की कुंजी है I
  • जो विद्यार्थी परिश्रम करते हैं वह हमेशा परीक्षा में अव्वल आते हैं I
  • परिश्रम के द्वारा ही आप अपने जीवन में सफल हो पाएंगे I
  • परिश्रम ना करने वाला व्यक्ति हमेशा जीवन में असफल होता है I
  • भगवान उसी का साथ देता है जो परिश्रम करता है I
  • परिश्रम करने वाला व्यक्ति चरित्रवान और स्वावलंबी होता है I
  • परिश्रम ना करने वाला व्यक्ति कई प्रकार के गंभीर बीमारी से पीड़ित हो जाता है I
  • परिश्रम के द्वारा आपका तन और मन दोनों स्वस्थ रहेगा I
  • परिश्रम दो प्रकार के होते हैं मानसिक शारीरिक।
  • परिश्रम के माध्यम से आप अपने जीवन के सभी लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे I

इन्हें भी पढ़ें:-

  • पेडों के महत्व पर निबंध
  • मेरे जीवन के लक्ष्य पर निबंध
  • आत्मनिर्भर भारत पर निबंध

उम्मीद करता हूं दोस्तों की “परिश्रम के महत्व पर निबंध ( Parishram ka mahatva essay in hindi )” से सम्बंधित हमारी यह पोस्ट आपको काफी पसंद आई होगी। इस पोस्ट में हमनें परिश्रम से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां देने का प्रयास किया है। आशा है आपको पूर्ण जानकारी मिल पाई होगी।

अगर आप यह पोस्ट आपको अच्छा लगा तो आप अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर कर सकते हैं। अगर आपके मन मे कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं हम आपसे जल्द ही संपर्क करेंगे। अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।

FAQ About Parishram Ka Mahatva In Hindi

Q: परिश्रम करने से क्या होता है.

Ans: परिश्रम करने से आपको जीवन में सफलता और मान-सम्मान की प्राप्ति होगी।

Q: विधार्थी अगर परिश्रम ना करे तो क्या होगा?

Ans: जो विद्यार्थी जीवन में परिश्रम करते हैं वह परीक्षा में सफल नहीं होते हैं इसके अलावा उनका जीवन भी अंधकार में खो जाता है।

Q: परिश्रम से कठिन कार्य को पूरा करना क्या संभव है?

Ans: परिश्रम के द्वारा आप कठिन काम को भी पूरा कर सकते हैं।

Q: परिश्रम मनुष्य के जीवन में क्या महत्व है?

Ans: परिश्रम का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व इसके माध्यम से जीवन के सभी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है क्योंकि परिश्रम के द्वारा मनुष्य सफलता की ऊंचाई पर तो हो सकता है I

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Essay on Parishram ka Mahatva परिश्रम का महत्व पर निबंध

हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on Parishram ka Mahatva पर पुरा आर्टिकल लेकर आया हु। परिश्रम करना बहुत ही जरुरी है क्योकि बिना परिश्रम के कोई चीज़ नहीं मिलती। इस आर्टिकल में हम आपके लिए लाये है परिश्रम का महत्व की पूरी जानकारी जो आपको अपने बच्चे का होमवर्क करवाने में बहुत मदद मिलेगी।

Essay on Parishram ka Mahatva

  • Essay on Parishram ka Mahatva

जीवन में परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। परिश्रम के बिना तो खाना भी नहीं पचता। परिश्रम के बिना कोई भी व्यक्ति मंजिल तक नहीं पहुँच सकता। इतिहास गवाह है कि हमने आज जो कुछ भी प्राप्त किया है, परिश्रम द्वारा ही प्राप्त किया है। विज्ञान के नए-नए अविष्कार, परिश्रम द्वारा ही संभव हुए हैं।

परिश्रम के प्रकार :

हर व्यक्ति अपने जीवन में दो प्रकार के परिश्रम करता है-बोद्धिक तथा शारीरिक। दोनों ही श्रम अपना-अपना विशेष महत्व रखते हैं। केवल शारीरिक-श्रम ही परिश्रम नहीं है, अपित् जो व्यक्ति पर दिन ऑफिस में बैठकर फाइलों के साथ माथापच्ची करता है, वह भी श्रम ही है। मानसिक श्रम हमारे बौद्धिक विकास के लिए लाभदायक है, तो शारीरिक श्रम करने से हमारा शरीर चुस्त रहता है, पाचन क्रिया ठीक रहती है तथा आलस्य भी दूर रहता है। आज जितने भी वकील, डॉक्टर इत्यादि, जो केवल मानसिक श्रम करते हैं, अपने शारीरिक विकास के लिए प्राणायाम, प्रातःकालीन भ्रमण इत्यादि क्रियाएँ करते हैं, इससे उनका मन तथा शरीर दोनों तंदुरुस्त रहते हैं।

परिश्रम के लाभ :

जो मनुष्य पुरुषार्थी होता है तथा पूरे लगन से तन, मन, धन तथा कर्म से कठोर परिश्रम करता है, उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है। आलसी व्यक्ति जीवन में कुँए के मेंढक की भाँति होता है और उसका जीवन निरर्थक चला जाता है। कठोर परिश्रम, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, मनुष्य को निराशाओं से दूर रखकर आशा तथा उत्साह से भरा जीवन जीना सिखाता है। इतिहास साक्षी है कि जितने भी देश आज विकसित हैं, वे सब उस देश के मनुष्यों की मेहनत का ही परिणाम है। अमेरिका तथा जापान इसके सबसे ज्वलंत उदाहरण हैं। ये देश आज धन-धान्य से परिपूर्ण हैं तथा साथ ही नई से नई तकनीकों द्वारा अच्छा धन कमा रहे हैं। महाकवि तुलसीदास ने सच कहा है-‘सकल पदार्थ है जग माहीं। कर्महीन नर पावत नाही।’ अर्थात् इस संसार में सभी पदार्थ, सुख-सुविधाएँ, धन-दौलत सब कुछ है लेकिन उन्हें आलसी व्यक्ति प्राप्त नहीं कर सकता। परिश्रम से ही सभी कुछ प्राप्त किया जा सकता है।

कुछ परिश्रमी व्यक्तियों के उदाहरण :

संसार के सभी महापरुषों ने परिश्रम से ही सफलता प्राप्त की है। बालगंगाधर तिलक, नेपोलियन, जॉर्ज वॉशिंगटन, अब्राहिम लिंकन, महात्मा गाँधी, हिटलर, इंदिरा गाँधी, मदर टेरेसा सभी ने प्रसिद्धि की ऊँचाईयों को केवल परिश्रम करके ही छआ था।

परिश्रम की शक्ति :

परिश्रम में अपार शक्ति होती है जिस व्यक्ति ने इसे प्राप्त कर लिया, उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। परिश्रम से मूर्ख विद्वान बन जाता है, निर्बल बलवान बन जाता है। सफलता परिश्रमी व्यक्ति के कदमों में स्वयं आकर गिर जाती है, तभी तो कहा भी गया है-‘पुरुष सिंहभुषैति लक्ष्मी।

वास्तव में सिंह के समान वीर पुरुष ही धन लक्ष्मी पाता है। सिंह भी तो परिश्रम करके अपना शिकार स्वयं ही ढूँढता है। अतः यदि हमें अपने जीवन में कुछ पाना है, आगे बढ़ना है, तो हमें परिश्रम के महत्व को समझना चाहिए।

  • परिश्रम का महत्व पर निबंध

परिश्रम से अभिप्राय उस प्रयल से है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है। मनुष्य की उन्नति का एकमात्र साधन उसके द्वारा किया गया परिश्रम ही है। सभी प्रकार की धन-सम्पत्तियाँ और सफलताएँ निरन्तर किए गए परिश्रम से ही प्राप्त हुआ करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि “उद्योगिनम् पुरुष सिंहनुपैत्ति लक्ष्मीः” अर्थात् उद्योग या परिश्रम करने वाले पुरुष सिंहों का ही लक्ष्मी वरण किया करती है। यह कटु सत्य है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।

निरन्तर परिश्रम व्यक्ति को चुस्त-दुरुस्त रख कर सजग तो बनाता ही है, निराशाओं से दूर रखकर आशा-उत्साह भरा जीवन जीना भी सिखाया करता है। उद्यमी या परिश्रमी व्यक्ति जो भी चाहे कर सकते हैं। जो मनुष्य पुरुषार्थी हैं और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मन, वचन और कर्म से लगातार कठोर परिश्रम करते रहते हैं, सफलता उनके कदम चूमती है। उसके विपरीत जो व्यक्ति परिश्रम नहीं करते हैं उनका जीवन दुःखी बना रहता है। संसार का इतिहास साक्षी है कि जो जातियाँ आज उन्नति के शिखर पर हैं, उनकी उन्नति का एकमात्र रहस्य उनका परिश्रमी होना है।

अमेरिका तथा जापान देशों के उदाहरण हमारे सम्मुख हैं। ये देश आज धन-धान्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हैं।

परिश्रम किसी भी प्रकार का हो, शारीरिक या मानसिक, दोनों ही प्रकार के परिश्रम गौरव प्राप्त करने के कारण हैं। प्रायः देखा गया है कि रस्सी की लगातार रगड़ से कुएँ का भारी-से-भारी पत्थर भी घिस जाता है। यह भी परिश्रम का एक उत्तम उदाहरण है। संसार में अनेकों ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्होंने कठोर परिश्रम द्वारा अपने जीवन को उज्ज्वल बनाया है।

उनमें से बाल गंगाधर तिलक, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, जार्ज वाशिंगटन, नेपोलियन बोना पार्ट, हिटलर, अब्राहिम लिंकन आदि महापुरुषों के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

महाकवि तुलसीदास जी ने ठीक ही कहा है – ‘सकल पदारथ हैं जग माहीं. कर्महीन नर पावत नाहीं।’ अर्थात् इस संसार में सभी प्रकार के पदार्थ मौजूद हैं, जो लोग कर्म नहीं करते, इन्हें नहीं पा सकते। परिश्रम के सामने तो प्रकृति भी झुक जाती है और दासी की तरह कार्य करने लगती है। परिश्रम ही ईश्वर की सच्ची उपासना है। इससे हमारा लोक-परलोक भी सुधर जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि परिश्रम करने वाले के सामने कभी कोई बाधा नहीं टिक सकती।

अतः यदि हम अपने जीवन पथ पर निर्बाध गति से आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमें निरन्तर परिश्रम करते रहना चाहिए। दृढ़ निश्चय करके परिश्रम करने वाले व्यक्ति ही सदैव असफलताओं और पराजयों को पीछे ढकेल कर विजय का आलिंगन करते हैं।

  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • अनुशासन पर निबंध
  • बाल श्रम पर निबंध

कभी मानव जंगलों में जानवरों के समान विचरण किया करता था। आज वह गगनचुंबी इमारतों में सुविधा सम्पन्न जीवन व्यतीत कर रहा है। आदिकाल से मानव-समाज निरन्तर उन्नति की ओर बढ़ रहा है। आज मानव पृथ्वी से अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा है।

इस उन्नति की मानव ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। लेकिन मानव को यह सफलता अकस्मात् नहीं मिली है। यह उसके निरन्तर परिश्रम का परिणाम है, जो आज मानव-समाज सभ्य है, शिक्षित है, नयी-नयी सफलताएँ प्राप्त कर रहा है। वास्तव में बिना परिश्रम के मनुष्य जीवन के किसी भी मंच पर सफल नहीं हो सकता। परिश्रम को इसीलिए सफलता की कुंजी अर्थात सफलता का द्वार खोलने वाली चाबी माना जाता है।

एक किसान खेतों में हल चलाता है, बीज बोता है, अपनी फसल की सिंचाई करता है। दिन-रात के कड़े परिश्रम के उपरान्त उसे फसल प्राप्त होती है। मनुष्य को जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए निरन्तर परिश्रम करना पड़ता है।

आज मानव-समाज की उन्नति उसके निरन्तर परिश्रम के कारण ही सम्भव हो सकी है। आज हम जो ऊँची-ऊँची इमारतें, बड़े-बड़े कारखाने, यातायात के आधुनिक साधन, संचार की नयी-नयी सुविधाएँ देख रहे हैं, इनके पीछे मनुष्य का अनवरत परिश्रम लगा हुआ है।

वास्तव में परिश्रम के बिना मनुष्य के लिए बड़ी सफलता प्राप्त करना तो दूर, अपने परिवार का पालन-पोषण करना भी सम्भव नहीं है। एक आलसी व्यक्ति, जिसे हाथ-पैर हिलाने में शर्म महसूस होती है, अपने सगे-सम्बंधियों के लिए भी बोझ बन जाता है। अपने पेट की भूख शान्त करने के लिए मनुष्य को न चाहकर भी परिश्रम करना पड़ता है। महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों को तो अपनी आकांक्षा पूर्ण करने के लिए निरन्तर संघर्ष करना पड़ता है।

इस पृथ्वी पर मनुष्य ने जो नये-नये कारनामे करके दिखाए हैं, वह उसके निरन्तर परिश्रम से ही सम्भव हो सके हैं। इसीलिए परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। परिश्रमी व्यक्तियों को प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती हो, यह आवश्यक नहीं है। परन्तु परिश्रमी व्यक्ति असफलताओं से घबराते नहीं हैं।

अज्ञानतावश अथवा अनुभवहीनता के कारण प्रायः परिश्रम का सुखद परिणाम नहीं मिलता। परन्तु जिन व्यक्तियों के लिए सफलता ही उनके जीवन का लक्ष्य होता है, वे असफल होने पर अपनी गलतियों का आकलन करके उनमें सुधार करते हैं और पुनः उत्साहित होकर प्रयत्नशील हो जाते हैं। वास्तव में जीवन के किसी भी क्षेत्र में मनुष्य को तत्काल सफलता प्राप्त नहीं होती। मनुष्य निरन्तर अभ्यास से योग्यता प्राप्त करता है। योग्य व्यक्ति सही दिशा में प्रयत्न करता है, इसलिए अपने कार्य को पूर्ण करने में उसे अधिक कठिनाई नहीं होती। कई बार योग्य व्यक्ति भी जाने-अनजाने में भूल कर बैठता है और सफलता उससे दूर हो जाती है।

वास्तव में मनुष्य के सफल होने के अन्य भी कई कारण होते है। अनुकूल परिस्थितियों में सफलता सरल होती है, जबकि प्रतिकूल परिस्थितियाँ बना बनाया काम बिगाड़ देती हैं। आंधी-तूफान और तेज वर्षा से तैयार खड़ी फसल नष्ट हो जाती है और किसान का परिश्रम व्यर्थ चला जाता है। परन्तु सफलता के लिए मनुष्य को पुनः परिश्रम करने की आवश्यकता पड़ती है। आलसी एवं कामचोर व्यक्तियों को इस जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं होती। मानव-समाज ने जो भी उन्नति की है, वह मनुष्य के निरन्तर परिश्रम से ही सम्भव हो सकी है। मनुष्य के परिश्रम ने पर्वतों को काटकर सड़के बनाई हैं, विशाल नदियों पर ऊँचे पुलों का निर्माण किया है, समुद्र की गहराई में जाकर मूल्यवान मोतियों को खोजकर निकाला है।

मनुष्य के निरन्तर परिश्रम ने ही अनुसंधान के द्वारा वैज्ञानिक उन्नति की है। सत्य यही है कि बिना परिश्रम के मनुष्य सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। जो व्यक्ति शीघ्र ही हार मानकर बैठ जाते हैं, उन्हें कदापि सफलता का सुखद अनुभव प्राप्त नहीं होता। सफलता के लिए मनुष्य को अथक परिश्रम करना ही पड़ता है।

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सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम आवश्यक है। बिना परिश्रम के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। मेहनत कर विशेष रूप से मन लगाकर किया जाने वाला मानसिक या शारीरिक श्रम परिश्रम कहलाता है। सृष्टि की रचना से लेकर आज की विकसित सभ्यता मानव परिश्रम का ही परिणाम है। जीवन रूपी दौड़ में परिश्रम करने वाला ही विजयी रहता है। इसी तरह शिक्षा क्षेत्र में परिश्रम करने वाला ही पास होता है। उद्यमी तथा व्यापारी की उन्नति भी परिश्रम में ही निहित है।

मानव जीवन में समस्याओं का अम्बार है। जिन्हें वह अपने परिश्रम रूपी हथियार से दिन-प्रतिदिन दूर करता रहता है। कोई भी समस्या आने पर जो लोग परिश्रमी होते हैं वे उसे अपने परिश्रम से सुलझा लेते हैं और जो लोग परिश्रमी नहीं होते वह यह सोचकर हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते हैं कि समस्या अपने आप सुलझ जायेगी। ऐसी सोच रखने वाले लोग जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते। परिश्रमी व्यक्ति को सफलता मिलने में हो सकता है देर अवश्य लगे लेकिन सफलता उसे जरूर मिलती है। यही कारण है कि परिश्रमी व्यक्ति निरन्तर परिश्रम करता रहता है।

सृष्टि के आदि से अद्यतन काल तक विकसित सभ्यता मानव के परिश्रम का ही फल है। पाषाण युग से मनुष्य वर्तमान वैज्ञानिक काल में परिश्रम के कारण ही पहुंचा। इस दौरान उसे कई बार असफलता भी हाथ लगी लेकिन उसने अपना परिश्रम लगातार जारी रखा। परिश्रम से ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। आजकल के समय में जिसके पास लक्ष्मी है वह क्या नहीं पा सकता। परिश्रम से शारीरिक तथा मानसिक शक्तियों का विकास होता है। कार्य में दक्षता आती है। साथ ही साथ मानव में आत्मविश्वास जागृत होता है।

परिश्रम का महत्व जीवन विकास के अर्थ में निश्चय ही सत्य और यथार्थ है। आज विज्ञान प्रदत्त जितनी भी सुविधाएं मानव भोग रहा है वे परिश्रम का ही फल है। विज्ञान की विभिन्न सुविधाओं के द्वारा मनुष्य जहां चांद पर पहुंचा है वहीं वह मंगल ग्रह पर जाने का प्रयास किये हुए है। यदि परिश्रम किया जाय तो किसी भी इच्छा को अवश्य पूरा किया जा सकता है। यह बात अलग है कि सफलता मिलने में कुछ समय लग जाय। वर्तमान में विश्व के जो राष्ट्र विकासशील या विकसित हैं उनके विकासशील होने या विकसित होने के पीछे उनके परिश्रमी व कर्मठ नागरिक हैं।

इन कर्मठ व परिश्रमी नागरिकों के कारण ही वे राष्ट्र विश्व में अपनी प्रतिष्ठा बनाये हुए हैं। जरूरी नहीं कि शारीरिक कार्य करने में ही परिश्रम होता है। इंजीनियर, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ भी परिश्रम करते हैं। ये लोग परिश्रम शारीरिक रूप से न करके मानसिक रूप से करते हैं।

अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी, चीन आदि राष्ट्रों की महानता अपने-अपने परिश्रमी नागरिकों के कारण ही बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम के कारण जापान के हिरोशिमा व नागासाकी क्षेत्र ध्वस्त होकर नेस्तोनाबोद हो गये थे। लेकिन वहां के परिश्रमी लोगों ने परिश्रम कर आज जापान को विश्व के विशिष्ट राष्ट्रों की गिनती में ला खड़ा किया है। परिश्रमी व्यक्ति को जीवन में हमेशा सफलता मिलती है। इसलिए कहा जा सकता है जीवन में सफलता के लिए परिश्रम का महत्वपूर्ण स्थान है।

जीवन में सुख और शान्ति पाने का एक मात्र उपाय परिश्रम है। परिश्रम रूपी पथ पर चलने वाले मनुष्य को जीवन में सफलता संतुष्टि और प्रसन्नता प्राप्ति होती है। वह हमेशा उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। आलसी व्यक्ति जीवन भर कुण्ठित और दुःखी रहता है। क्योंकि वह सब कुछ भाग्य के भरोसे पाना चाहता है।

वह परिश्रम न कर व्यर्थ की बातें सोचता रहता है। ठीक इसके विपरीत परिश्रम करने वाला व्यक्ति अपना जीवन स्वावलंबी तो बनाता ही है श्रेष्ठता भी प्राप्त करता है।

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जीवन में परिश्रम का महत्व पर निबंध Parishram ka mahatva nibandh in hindi

Parishram ka mahatva nibandh in hindi.

jeevan mein parishram ka mahatva essay in hindi-दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल जीवन में परिश्रम का महत्व पर निबंध आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल है हमारे जीवन में परिश्रम का बड़ा ही महत्व होता है परिश्रम करने से हम जीवन की ऊंचाइयों पर पहुंच सकते हैं जिन ऊंचाइयों पर पहुंचने के हम सपने देखते हैं।

चाहे वह कोई विद्यार्थी हो या कोई बिजनेस मैन या कोई कर्मचारी अगर आप परिश्रम करते हैं तो आपको उसका फल जरूर मिलता है, आप अपने काम में सफल जरूर होते हैं। परिश्रम करने से मुश्किल से मुश्किल काम में सफलता अर्जित की जा सकती है क्योंकि परिश्रम मनुष्य की एक ऐसी शक्ति होती है जिसके द्वारा कुछ भी किया जा सकता है।

Parishram ka mahatva nibandh in hindi

एक विद्यार्थी अपने कठिन परिश्रम और मेहनत से अपने कॉलेज, यूनिवर्सिटी में सबसे उच्च श्रेणी हासिल कर सकता है और अपने परिश्रम के दम पर अपने परिवार वालों, गुरुजनों का मान बढ़ा सकता है। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है वह अपने परिश्रम से अपने लिए एक घर बना सकते हैं वह अपनी मेहनत के दम से वह सब कुछ कर सकते हैं जो एक सफल इंसान बनने के लिए जरूरी होता है। एक बिजनेसमैन परिश्रम करके एक सफल बिजनेसमैन बन सकता है क्योंकि जीवन में परिश्रम का महत्व सबसे ज्यादा होता है इसी के साथ एक कर्मचारी जीवन में परिश्रम करके अपनी सच्ची लगन और मेहनत से उच्च स्तर प्राप्त कर सकता है।

दुनिया में जितने भी परिश्रम किया है वह कभी भी असफल नहीं हुआ है जीवन में परिश्रम का बड़ा ही महत्व होता है यह हमारी शक्ति है जो हमें कुछ भी पा लेने का मौका देती है। परिश्रम से दुनिया के लोगों ने मुश्किल से मुश्किल कार्यों को कर दिखाया है दशरथ मांझी जिसने अकेले ही परिश्रम करके 22 साल में वह कर दिखाया था कि बहुत सारे लोग भी मिलकर शायद वह नहीं कर सकते थे उनकी सफलता के पीछे उनके परिश्रम का हाथ है।

  • परिश्रम ही सफलता की कुंजी है पर निबंध

हम सभी को जीवन में फल की चिंता ना करते हुए परिश्रम करना चाहिए क्योंकि परिश्रम का जीवन में बहुत ही महत्व है अगर हम किसी चीज को हासिल करने के लिए बार-बार परिश्रम करते हैं तो वह चीज हमें जरूर प्राप्त होती है हम सभी जीवन में परिश्रम करने से एक सफल इंसान बन सकते हैं जो हम सोचते हैं वह हम पा सकते हैं लेकिन एक बात यह भी है कि आपको परिश्रम सही जगह पर करना चाहिए, सही क्षेत्र में करना चाहिए तभी वह आपके लिए कारगर साबित हो सकता है।

आपको परिश्रम करने से डरना नहीं चाहिए जब भी हम किसी चीज को पाने के लिए या किसी काम को करने के लिए परिश्रम करते हैं तो बहुत सी बाधाएं जरूर आती हैं हम अगर उन बाधाओं का सामना करते हैं तो हम वाकई में हमारे अनुसार परिणाम भी प्राप्त कर सकते हैं जिसके हम सपने देखते हैं लेकिन इन बाधाओं के बीच में अगर आप परिश्रम करना भूल जाते हैं तो आपके हाथ में कुछ भी नहीं आएगा इसलिए बाधाओं को दूर कीजिए और लगातार परिश्रम कीजिए। कुछ समय बाद ही आप देखोगे कि आपकी सारी बाधाएं खत्म हो जाएंगी और आप जीवन में सफल हो जाओगे।

परिश्रम दुनिया की एक ऐसी शक्ति है जिससे कुछ भी किया जा सकता है ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन में परिश्रम किया है जिन्होंने विश्वास के दम पर ही बहुत कुछ करके दिखा दिया है थॉमस एडिसन ने बल्ब का आविष्कार करने से पहले 9999 बार परिश्रम किया था तभी वह बल्ब का आविष्कार कर पाए थे उन्होंने इस दुनिया में अपना एक ऐसा नाम छोड़ दिया है जिसको दुनिया जब तक रहेगी तब तक याद करती रहेगी यह सब उन्होंने अपने परिश्रम के दम पर ही किया है।

  • thomas edison biography in hindi थॉमस एडिसन की जीवनी

बात करें हम भारत के बहुत बड़े बिजनेसमैन धीरूभाई अंबानी जो आज भले ही दुनिया में नहीं है फिर भी लोग उन्हें याद करते हैं क्योंकि उन्होंने परिश्रम के जरिए वह सब प्राप्त किया है जो हर एक इंसान नहीं प्राप्त कर सकता। अगर कोई इंसान सफलता प्राप्त नहीं करता तो सबसे बड़ा दोष उसके द्वारा ना किया गया परिश्रम ही है क्योंकि वह अपने जीवन में लक्ष्य पाने के लिए परिश्रम नहीं कर पाता है और मुसीबतों से थक जाता है। अब्राहम लिंकन 15 बार चुनाव हारने के बाद बहुत सारी परेशानियों का सामना करने के बाद भी अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में परिश्रम किया था उन्होंने अपने जीवन में कभी भी बहानों का सहारा नहीं लिया था।

हमें जीवन में परिश्रम का महत्व समझना चाहिए और कभी भी हार नहीं मानना चाहिए क्योंकि हार के आगे ही जीत होती है और जीतने वाले के पास सब कुछ होता है। अगर जीवन में सफल होना है तो परिश्रम करना होगा क्योंकि सफलता बिना परिश्रम के कभी भी नहीं मिलती। अगर हम किसी कार्य के लिए परिश्रम करते हैं और हम उसमें सफलता प्राप्त नहीं करते या हमारे कुछ दोस्त हमें उस कार्य के प्रति नकारात्मक बातें करते हैं तो थोड़ी बहुत नकारात्मक सोच आ सकती है.

अगर आपको वाकई में आगे बढ़ना है तो इस नकारात्मक विचार को या भटकाव को अपने अंदर से निकाल दीजिए क्योंकि यह सोच आपको आपकी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ने देगी,आपकी जिंदगी वहीं की वहीं रह जाएगी। जीवन में लगातार परिश्रम करते रहिए और अपना लक्ष्य प्राप्त कीजिए क्योंकि जीवन में परिश्रम का सबसे ज्यादा महत्व है।

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