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जैव विविधता पर निबंध (Biodiversity Essay in Hindi)

जैव विविधता

जैव विविधता से तात्पर्य विस्तृत रूप से उन विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पति से है जो संसार में या किसी विशेष क्षेत्र में एक साथ रहते है। जैव विविधता की समरसता को बनाये रखने के लिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है की हम अपनी धरती की पर्यावरण संबंधित स्थिति  के तालमेल को बनाये रखे। जैव विविधता का संबंध, जिसे हम जैविक विविधता भी कह सकते है, मुख्य रूप से अलग अलग तरह के पेड़ पौधों और पशु पक्षियों का धरती पर एक साथ अपने अस्तित्व को बनाये रखने से है।यह बहुत ही जरुरी है की ऊँचे स्तर की जैव विविधिता को बनाये रखने के लिए हम अपने प्राकृतिक परिवेश की अवस्था सही तरीके से बना के रखे।

जैव विविधता पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Bio-Diversity in Hindi, Jaiv Vividhata par Nibandh Hindi mein)

जैव विविधता पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

जैव विविधता मुख्य रूप से एक मापदंड है जिसमें अलग-अलग तरह के पेड़-पौधे और पशु-पक्षी एक साथ रहते है। हर किस्म की वनस्पति और पशुवर्ग पृथ्वी के वातावरण को बेहतर बनाने में अपना अमूल्य योगदान देते है जिससे आख़िरकार पृथ्वी पर जीवन समृद्धशाली बनता है। ये सभी प्रजातियां एक दूसरे की मूलभूत जरूरतों को पूरा करती है जिससे एक समृद्धशाली जैव विविधिता का निर्माण होता है।

जैव विविधता का पतन कैसे हुआ?

हालाँकि पिछले कई सालों से जैव विविधता को समृद्ध बनाये रखने पे जोर दिया जा रहा है परंतु फिर भी कुछ समय से इसकी गरिमा में गिरावट देखी गयी है जिसकी आने वाले समय में और भी ज्यादा गिरने की आंशका जताई जा रही है। इसके पीछे मुख्य कारण है औद्योगिक फैक्टरियों से लगातार निकलता प्रदूषण। इस प्रदूषण के कारण ही कई वनस्पतियों की और जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हो गयी है और कई होने की कग़ार पर है। इस बदलाव का एक संकेत तो साफ़ है की आने वाले समय में हमारे गृह पृथ्वी पे बहुत ही भयंकर संकट खड़ा हो जायेगा। इससे जैव विविधता का संतुलन तो निश्चित रूप से बिगड़ेगा ही तथा मनुष्य के साथ साथ जीवजंतुओं के जीवन पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जायेगा।

जैव विविधता को समृद्ध कैसे बनाये?

सबसे पहले यह जरुरी है की हम वातावरण संबंधी मुसीबतों के प्रति अत्यंत संवेदनशील हो। कई देशों की सरकार लोगों के बीच जैव विविधता के बिगड़ते संतुलन को लेकर जागरूकता फैला रही है और कोशिश कर रही है की इस पर जल्दी काबू पाया जाये। यह आम आदमी की भी जिम्मेदारी है की वह इस नेक कार्य में हिस्सा ले और वातावरण को शुद्ध बनाने में सरकार का सहयोग करे।

मनुष्य के तकनीक के प्रति बढ़ते प्रेम को कम करने की जरुरत है। वह तकनीक और नए नए अविष्कार करने में इतना मग्न हो गया है की उसे अपने आसपास के वातावरण के बढ़ते प्रदूषण से कोई लेना देना ही नहीं है। मनुष्य को इस तरफ सोचना होगा की दूषित होते वातावरण से सिर्फ उसका ही नुकसान हो रहा है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Jaiv Vividhata

Biodiversity par nibandh – निबंध 2 (250 शब्द)

जैव विविधता जिसे जैविक विविधता भी कहते है, अलग-अलग तरह की वनस्पतियों एवं जानवरों का संग्रह है जो एक ही विशेष क्षेत्र में रहते या फैले हुए है। जैव विविधता जितनी समृद्ध होगी उतना ही सुव्यवस्थित और संतुलित हमारा वातावरण होगा। अलग-अलग तरह की वनस्पति तथा जीव-जंतु भी धरती को रहने के योग्य बनाने के लिए अपना योगदान देते है। इंसान के जीवन के पीछे भी जैव विविधता का ही हाथ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग जंतु और पेड़-पौधे ही मिलकर मनुष्य की मूलभूत जरूरतें पूरी करने में सहायता करते है।

एक अनुमान के मुताबिक पृथ्वी पर लगभग 3,00,000 वनस्पति तथा इतने ही जानवर है जिसमें पक्षी, मछलियां, स्तनधारी, कीड़े, सींप आदि शामिल है। हमारे गृह पृथ्वी की खोज लगभग 450 करोड़ साल पहले हुई थी और ऐसा वैज्ञानिकों का मानना है की पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत 350 करोड़ साल पहले हुई थी।

पिछली कुछ शताब्दियों में कई वनस्पति एवं जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हो गयी है और आने वाले समय में कई लुप्त होने की कग़ार पर है। यह जैव विविधता के लिए ख़तरे का संकेत है।

पिछले कुछ समय से मनुष्य का तकनीक की तरफ इतना ज्यादा झुकाव हो गया है की वह इसके दुष्परिणाम को भी नहीं समझना चाहता। शुद्धता की नज़र से देखा जाये तो कई नए अविष्कार मनुष्य एवं जैव विविधता के प्रति नकरात्मक प्रभाव डाल रहे है। मनुष्य के लिए यह बिलकुल सही समय है की वो इस संकट को गंभीरता से ले और वातावरण को शुद्ध बनाने का संकल्प ले। साफ़ सुथरा वातावरण ही समृद्ध जैव विविधता को बढ़ावा दे सकता है जिससे मानव जाति को अपना जीवनयापन में किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े।

जैव विविधता पर निबंध – 3 (400 शब्द)

भिन्न-भिन्न प्रकार की वनस्पति एवं जीव जन्तुओ के एक साथ रहने को ही जैव विविधता का नाम दिया गया है। इसने प्रजातीय समृद्धि और प्रजातीय विविधता जैसे शब्दों के अर्थ को ही बदल के रख दिया है।

जैव विविधिता – जैविक किस्मों के प्रति एकीकृत दृष्टिकोण

जैव विविधिता को स्पष्ट करने के लिए और भी कई शब्दावली है जिसमें मुख्य है पारिस्थितिक विविधता (पारिस्थितिक तंत्र से उत्पन्न), वर्गीकरण विविधता (वर्गीय तंत्र से उत्पन्न), कार्यात्मक विविधता (कार्य तंत्र से उत्पन्न) और रूपात्मक विविधता (आनुवंशिक विविधता से उत्पन्न)। जैव विविधता इन सभी के प्रति एक नई सोच को दर्शाती एवं एकत्रित करती है।

जैव विविधता क्यों महत्वपूर्ण है?

जैव विविधता के महत्वपूर्ण होने के पीछे तर्क है की यह पारिस्थितिकीय प्रणाली के संतुलन को बना के रखती है। विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा वनस्पति एक दूसरे की जरूरतें पूरी करते है और साथ ही ये एक दूसरे पर निर्भर भी है। उदाहरण के तौर पर मनुष्य को ही ले लीजिए। अपनी मूलभूत आवश्यकता जैसे खाने, रहने के लिए वह भी पशु, पेड़ और अन्य तरह की प्रजातियों पर आश्रित है। हमारी जैव विविधता की समृद्धि ही पृथ्वी को रहने के लिए तथा जीवन यापन के लायक बनाती है।

दुर्भाग्य से बढ़ता हुआ प्रदूषण हमारे वातावरण पर गलत प्रभाव डाल रहा है। बहुत से पेड़-पौधे तथा जानवर प्रदूषण के दुष्परिणाम के चलते अपना अस्तित्व खो चुके है और कई लुप्त होने की राह पर खड़े है। अगर ऐसा ही रहा तो सभी प्रजातियों के सर्वनाश का दिन दूर नहीं है।

जैव विविधता को कैसे बचाये?

सबसे पहले इंसान को जैव विविधता के महत्व को समझना होगा। सड़को पे दौड़ते बड़े बड़े वाहन बड़े पैमाने पे प्रदूषण फैला रहे है जो मनुष्य जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वातावरण की शुद्धता को बचाने के लिए इन वाहनों पर अंकुश लगाना होगा ताकि ये वातावरण को और दूषित न कर पाए। फैक्टरियों से निकलता दूषित पानी जल जीवन को ख़राब कर रहा है। पानी में रहने वाले जीवों की जान पर संकट पैदा हो गया है। इस निकलते दूषित पानी का जल्दी से जल्दी उचित प्रबंध करना होगा ताकि ये बड़ी आपदा का रूप न ले ले। इसी तरह से ध्वनि प्रदूषण पर भी लगाम लगानी होगी।

वनों की कटाई भी एक बहुत बड़ी वजह है जैव विविधता में होती गिरावट का। इससे न सिर्फ पेड़ो की संख्या घटती जा रही है बल्कि कई जानवरों एवं पक्षियों से उनका आशियाना भी छिनता जा रहा है जो उनके जीवन निर्वाह में एक बड़ी मुसीबत बन चुका है। वातावरण की दुर्गति को देखते हुए इस पर तुरंत प्रभाव से नियंत्रण करना होगा।

हर एक वनस्पति तथा जीव का वातावरण को रहने के योग्य बनाने में अलग-अलग उद्देश्य है। इसलिए अगर हमें अपने वातावरण की शुद्धता को ऊँचे स्तर तक पहुँचाना है तो हमें जैव विविधता के संतुलन को बनाये रखने पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा।

Essay on Biodiversity in Hindi

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जैव विविधता और संरक्षण

पृथ्वी पर पाए जाने वाले पौधों, जानवरों, कवकों और सूक्ष्मजीवों सहित जीवन अन्य सभी रूपों की विस्तृत श्रृंखला में काफी अधिक विविधता पाई जाती है. इसी विविधता को जैव विविधता कहा जाता है. जीवन के अलावा इसमें उस पर्यावरण को भी शामिल किया जाता है, जो इन जीवों का आवास है. यह हमारे ग्रह के स्वास्थ्य और कार्यक्षमता का एक महत्वपूर्ण पहलू है. जैव विवधता पारिस्थितिक तंत्र को बरकार रखने में दवा का काम कर इसे स्वस्थ्य बनाए रखता है. यह हमें प्राकृतिक ‘ सांस्कृतिक मूल्य ‘ भी प्रदान करता है.

जैव विविधता को आनुवंशिक , प्रजाति विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के विविधता में वर्गीकृत किया गया है. जैव विविधता प्राकृतिक दुनिया और पृथ्वी पर जीवन के स्वास्थ्य में अद्वितीय भूमिका निभाता है. लेकिन, जीवों के प्राकृतिक आवास के विनाश और जलवायु परिवर्तन जैसे नकारात्मक खतरों से कई प्रजातियों के विलुप्ति का संकट पैदा हुआ है. कई तो विलुप्त हो गए है या होने के करीब है. इसलिए जैव विविधता के संरक्षण का सामूहिक प्रयास जरुरी है.

बढ़ते प्रदुषण , बढ़ती जन आबादी, प्रकृति में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप, घटते वन और मानव द्वारा अन्य जीवों के आवास के अतिक्रमण से कई जीव-जंतुओं, पौधों, पक्षी और सूक्ष्मजीवों के अस्तित्व पर गहरा संकट पड़ा है. इससे धरती के जैविक विविधता को नुकसान हुआ है और इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है. पृथ्वी पर जीवन और जीवधारियों पर आए इस संकट को ही जैव विविधता संकट कहा जाता है.

जैविक विविधता पर कन्वेंशन (Convention on Biodiversity – CBD) और साइट्स (CITES – Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) जैसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और संधियों का संबंध जैव विविधता संरक्षण से है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपने दशकीय और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में एकीकरण जैसी पहलों के माध्यम से भी जैव विविधता को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है.

परिचय और इतिहास (Introduction and History)

जैव विविधता (Biodiversity) दो शब्दों – जैविक (Biological) और विविधता (Diversity) – से बंना है. इस शब्द के प्रथम प्रयोग के बारे में विवाद है. विकिपीडिया के अंग्रेजी संस्करण के अनुसार, 1980 में थॉमस लवजॉय ने एक किताब में वैज्ञानिक समुदाय के लिए जैविक विविधता (Biological Diversity) शब्द पेश किया. इसके बाद इस शब्द का व्यापक इस्तेमाल सामान्य होते चला गया.

एडवर्ड ओ. विल्सन (Edward O. Wilson) के अनुसार, 1985 में जैव विविधता का अनुबंधित (Contracted) रूप डब्ल्यू. जी. रोसेन (W. G. Rosen) द्वारा गढ़ा गया था. इसके तर्क में उन्होंने कहा कि “जैव विविधता पर राष्ट्रीय मंच” की कल्पना वाल्टर जी.रोसेन ने की थी. इसी दौरान उन्होंने जैव विविधता (Biodiversity) शब्द के उपयोग की शुरुआत की. इसलिए जैव विविधता का प्रथम इस्तेमाल करने का श्रेय वाल्टर जी. रोसेन को दिया जा सकता है.

जैव विविधता क्या है(What is Biodiversity in Hindi)?

अलग-अलग विद्वानों ने ‘ जैव विविधता ‘ शब्द का कई परिभाषाएँ दी है. इसे किसी क्षेत्र के जीन, प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र की समग्रता’ के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है. इसमें प्रजातियों के भीतर, प्रजातियों के बीच और पारिस्थितिक तंत्र की विविधता शामिल है.

जैव विविधता को विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में मौजूद जीवों के बीच सापेक्ष विविधता के माप के रूप में भी देखा जाता है. इस परिभाषा में, विविधता में प्रजातियों के भीतर और प्रजातियों के बीच भिन्नता और पारिस्थितिक तंत्र के बीच तुलनात्मक विविधता शामिल है.

गैस्टन और स्पाइसर (2004) के अनुसार, यह ‘ जैविक संगठन के सभी स्तरों पर जीवन की विविधता ‘ है.

1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के अनुसार, “ जैव विविधता समस्त स्रोतों, यथा-अंतर्क्षेत्राीय, स्थलीय, सागरीय एवं अन्य जलीय पारिस्थितिक तंत्रों के जीवों के मध्य अंतर और साथ ही उन सभी पारिस्थितिक समूह, जिनके ये भाग हैं, में पाई जाने वाली विविधताएँ हैं. इसमें एक प्रजाति के अंदर पाई जाने वाली विविधता, विभिन्न जातियों के मध्य विविधता तथा पारिस्थितिकीय विविधता सम्मिलित है. “

जैविक विविधता पर कन्वेंशन (ग्लोका एट अल, 1994) के अनुसार, “ जैव विविधता को सभी स्रोतों से जीवित जीवों के बीच परिवर्तनशीलता के रूप में परिभाषित किया गया, जिसमें अन्य चीजें, स्थलीय, समुद्री और अन्य जलीय पारिस्थितिक तंत्र और पारिस्थितिक परिसर शामिल हैं; जिनका वे हिस्सा हैं “.

जैव विविधता के स्तर (Levels of Biodiversity in Hindi)

Levels of Biodiversity

जैव विविधता को तीन स्तरों में विभाजित किया जा सकता है. ये तीनों मिलकर पृथ्वी पर जीवन के संभावनाओं को साकार करते है. ये है:

  • आनुवंशिक विविधता
  • प्रजाति विविधता
  • पारिस्थितिकी तंत्र विविधता

1. आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity in Hindi)

एक प्रजाति के भीतर वंशानुगत जानकारी (जीन) की बुनियादी इकाइयों में विविधता को आनुवंशिक विविधता कहा जाता है. जीनोम किसी जीव की आनुवंशिक सामग्री (यानी, डीएनए) का पूरा सेट है.

यह एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में हस्तांतरित होता है. मतलब कोई संतान अपने माता-पिता से इस गुण को प्राप्त करता है. इसी के कारण एक जीव का अगला पीढ़ी अपने पिछले पीढ़ी के समान गुण का होता है. किसी प्रजाति के दो जीवों के गुणों, बनावट, खानपान व व्यवहार में अंतर् का कारण भी आनुवंशिक विविधता ही है. इसी कारण दो मनुष्यों के चेहरे, रंगरूप व गुणों में अंतर होते है. वास्तव में, आनुवंशिक विविधता ही जैव विविधता का मूल स्त्रोत है और विभिन्न प्रजातियों का आधार है.

एक ही प्रजाति के पक्षियों के स्वर, पंखों के रंग, सेब और अन्य खाद्य पदार्थों के रंग, स्वाद और बनावट इत्यादि अलग-अलग होने का कारण आनुवंशिक विविधता ही है.

आनुवंशिक विविधता यह निर्धारित करता है कि कोई जीव अपने पर्यावरण के प्रति किस हद तक अनुकूलन कर सकता है. धरती पर जलवायु परिवर्तन के इतिहास को देखते हुए, यह अनुकूलन उक्त जीव के अस्तित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. लेकिन जानवरों के सभी समूहों में आनुवंशिक विविधता समान नहीं होती है. आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करने के लिए, एक प्रजाति की विभिन्न आबादी को संरक्षित किया जाना चाहिए.

इस तरह बदलते पर्यावरण और मौसम के कारण आनुवंशिक गुण व जीन प्रकृति के लिए महत्वपूर्ण हो जाते है. इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व में जीनों को संरक्षित करने के प्रयास भी किए जा रहे है. ग्लोबल जीनोम इनिशिएटिव एक ऐसा ही प्रोजेक्ट है. जीनोम के नमूनों को एकत्रित व संरक्षित कर पृथ्वी की जीनोमिक जैव विविधता को बचाना ही इसका लक्ष्य है.

2. प्रजातीय विविधता (Species Diversity in Hindi)

प्रजाति विविधता से तात्पर्य किसी पारिस्थितिक तंत्र में विभिन्न प्रजातियों की विविधता से है. दो प्रजाति समान नहीं होते है, जैसे इंसान और चिम्पांजी. दोनों के जीन में 98.4 प्रतिशत का समानता होता है. लेकिन दोनों अलग-अलग जीवधारी है. यहीं अंतर प्रजति विविधता कहलाता है.

दूसरे शब्दों में, किसी प्रजाति की आबादी के भीतर या किसी समुदाय की विभिन्न प्रजातियों के बीच पाई जाने वाली परिवर्तनशीलता ही प्रजातीय विविधता है. प्रजाति किसी जीव का बुनियादी इकाई होता है, जिसका उपयोग जीवों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है. इसका इस्तेमाल जैव विविधता का वर्णन करने में सबसे अधिक होता है. इसी से किसी प्रजाति के समुदाय के समृद्धि, प्रचुरता और पर्यावरण से अनुकूलता का पता चलता है.

यदि प्रजातियों की संख्या और प्रकार के साथ ही प्रति प्रजाति अधिक आबादी से जैविक विविध परिस्थिति का पता चलता है. प्रजातीय विविधता को 0 से एक के बीच मापा जाता है. 0 सबसे अधिक विविधता को दर्शाता है, जबकि 1 सबसे कम विविधता को दर्शाता है. यदि किसी परिस्थिति में प्रजातीय विविधता 1 है तो माना जाता है कि उक्त जगह सिर्फ एक प्रजाति निवास कर रहा है.

किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में प्रजातीय विविधता कायम होना उसके सुरक्षा के लिए नितांत जरुरी है. उदाहरण के लिए, नाइट्रोजन चक्र में बैक्टीरिया, पौधे और केंचुए भाग लेते है. इससे मिटटी को उर्वरता प्राप्त होता है. यदि इनमें कोई एक जीव विलुप्त हो जाए तो नाइट्रोजन चक्र समाप्त हो जाएगा. इससे मिटटी के उर्वरता के साथ-साथ मानव खाद्य श्रृंखला भी प्रभावित होगी.

3. पारिस्थितिकीय विविधता (Ecological Diversity in Hindi)

पारिस्थितिकी तंत्र जीवन के जैविक घटकों का एक समूह है जो आपस में और पर्यावरण के निर्जीव या अजैविक घटकों के साथ परस्पर सम्बन्धित होते है. मतलब, पारिस्थितिकी तंत्र जीवों और भौतिक पर्यावरण का एक साथ पारस्परिक क्रिया है. पारिस्थितिकी तंत्र के उदाहरण में ग्रेट बैरियर रीफ, मकड़ी का जाल, तालाब, पहाड़, रेगिस्तान, समुद्र तट और नदी शामिल है. यहां अलग-अलग प्रकार के जीव निवास करते है.

इसलिए पारिस्थितिक तंत्र विविधता , आवासों की विविधता है, जहां जीवन विभिन्न रूपों में पाए जाते है. ऐसे स्थानों पर ख़ास प्रकार के जीव स्वाभाविक रूप से पाए जाते है. जैसे रेगिस्तान में कैक्टस, ऊँचे पर्वतों पर शंकुधारी वृक्ष, तालाबों में जलकुम्भी व मीठे जल की मछली इत्यादि, पारिस्थितिकीय विविधता का उदाहरण है.

जैव विविधता प्रवणता (Biodiversity Gradients in Hindi)

जलवायु जनित परिस्तिथियों के कारण बायोमास और प्रजातियों की संख्या में क्रमिक कमी जैव विविधता प्रवणता कहलाता है. इसके कारण जीवन के सघनता में निम्न प्रकार से बदलाव देखा जाता है-

  • उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों (ध्रुवों से भूमध्य रेखा) में जाने पर जीवों की संख्या और जैव विविधता में कमी पाया जाता है.
  • पर्वतीय क्षेत्रों में ऊंचाई के साथ ही विविधता में कमी होते जाता है.
  • टुंड्रा व टैगा जलवायु क्षेत्रों में विषुवतीय व उष्णकटिबंधीय वर्षावन वाले क्षेत्रों के तुलना में कम विविधता होता है.

इसके अलावा सागरीय पारिस्थितिकी भी जैव विविधता प्रवणता से प्रभावित होता है. समुद्र की गहराई बढ़ने के साथ-साथ जानवरों की संख्या कम हो जाती है, लेकिन प्रजातियों की विविधता बहुत अधिक होती है. सतह के करीब वाले समुद्री हिस्से अधिक उत्पादक होते हैं, क्योंकि उन्हें निचली गहराई की तुलना में अधिक प्रकाश प्राप्त होता है. यह उच्च उत्पादकता उन्हें विभिन्न प्रकार के जीवन रूपों का समर्थन करने की अनुमति देती है.

उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बायोमास और अत्यधिक जनसंख्या के निम्नलिखित कारण है-

  • मैदानी व उष्णकटिबंधीय इलाकों में जीवन आसान होता है, जबकि टुंड्रा जैसे ठन्डे और पहाड़ों के चोटी पर जीवन कठिन होता है.
  • भूमध्य रेखा पर धुप की किरणे सीधी पड़ती है, इससे पौधों को अधिक ऊर्जा प्राप्त होता है. अधिक पौधें शाकाहारी जीवों के विकास में योगदान देते है और मांसभक्षियों की संख्या भी बढ़ जाती है.

जैव विविधता मापन के घटक (Components of Biodiversity Measurement in Hindi)

measurement of biodiversity alpha beta and gama

किसी स्थान में जैव विविधता के समृद्धि या एकरूपता का पता लगा के लिए विभिन्न तरीकों अपनाया जाता है. समुदाय और पारिस्थितिकी तंत्र के स्तर पर विविधता 3 स्तरों पर मौजूद है. पहली है अल्फा विविधता (सामुदायिक विविधता के भीतर), दूसरी है बीटा विविधता (समुदायों की विविधता के बीच) और तीसरी है गामा विविधता (कुल परिदृश्य या भौगोलिक क्षेत्र में आवासों की विविधता). इनकी व्याख्या इस प्रकार है:

1. अल्फा ( α ) विविधता (Alpha Diversity in Hindi):

किसी पारिस्थितिकी तंत्र में प्रजातियों की विविधता को मापती है. इसे आम तौर पर उस पारिस्थितिकी तंत्र में प्रजातियों की संख्या से व्यक्त किया जाता है. अल्फा विविधता एक समुदाय के भीतर छोटे पैमाने पर या स्थानीय स्तर पर प्रजातियों की विविधता का वर्णन करती है, आमतौर पर एक पारिस्थितिकी तंत्र के आकार की. जब हम लापरवाही से किसी क्षेत्र में विविधता की बात करते हैं, तो अक्सर इसका तात्पर्य अल्फा विविधता से होता है.

2. बीटा ( β ) विविधता (Beta Diversity in Hindi):

दो समुदायों या दो पारिस्थितिक तंत्रों के बीच प्रजातियों की विविधता में परिवर्तन का माप बीटा विविधता कहलाता है. यह आवासों या समुदायों की एक प्रवणता के साथ जातियों के विस्थापन दर से संबंधित है. यह जीवों की विविधता मापने का बड़ा पैमाना है और दो अलग-अलग अवयवों के बीच प्रजातियों की विविधता की तुलना करता है. ये अक्सर नदी या पर्वत श्रृंखला जैसी स्पष्ट भौगोलिक बाधा से विभाजित होती हैं.

3. गामा ( γ ) विविधता (Gama Diversity in Hindi):

एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र की समग्र जैव विविधता को मापती है. यह एक क्षेत्र में विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों के लिए समग्र विविधता का माप है. गामा विविधता में विविधता का अध्ययन बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है. जैसे एक बायोम, जहां कई पारिस्थितिक तंत्रों के बीच प्रजातियों की विविधता की तुलना की जाती है. यह किसी पर्वत की संपूर्ण ढलान, या समुद्र तट के संपूर्ण तटीय क्षेत्र तक विस्तृत हो सकता है.

α, β और γ विविधता का महत्त्व (Importance of α, β and γ Diversity)

Alpha Beta and Gama Diversity Diagram for UPSC and Other State PCS Competitive Examination

विविधता के एक या दो स्तरों पर मानवीय हस्तक्षेप के काफी बढ़ गया है. इससे समग्र गामा विविधता में गिरावट हो रही है. इंसानों ने अपने आवश्यकताओं के पूर्ति के लिए प्रकृति का भरपूर दोहन किया है. जंगल के जगह खेत, शहर, सड़के और अन्य मानवीय संरचनाओं का निर्माण हुआ है, जो पारिस्थितिक तंत्र के सिकुड़ने का कारण बन गया.

इन छोटे तंत्रों में सड़कों और शहरों के अवरोध उत्पन्न हुए है. यह दो समुदायों के सम्पर्क में बाधा के तौर पर उभरा है. साथ ही, एक तरह के जैवीय वातावरण बना है, जिससे बीटा विविधता में वृद्धि हुई है.

इसके साथ ही दुनियाभर में गामा विविधता में गिरावट देखा जा रहा है. अल्फा विविधता स्थिर हो या मामूली रूप से कम हो रही है या बीटा-विविधता में उतार-चढ़ाव हो, दुनिया के विभिन्न स्थानों पर बड़े पैमाने पर जीवों की विलुप्ति गामा विविधता में कमी का स्पष्ट प्रमाण है.

जैव विविधता सूचकांक (Biodiversity Index in Hindi)

ये सूचकांक किसी पारिस्थितिकी तंत्र की जैव विविधता का मूल्य है. चूँकि कोई एक सूचकांक जैव विविधता के सभी पहलुओं का आकलन नहीं कर पाता है. इसलिए अनुसंधानकर्ताओं द्वारा विविधता का मूल्यांकन के लिए कई प्रकार के सूचकांकों का इस्तेमाल किया जाता है. यह मूल्यांकन मुख्यतः निम्नलिखित दो कारकों पर निर्भर होता है:

  • प्रचुरता (Richness)
  • समानता (Evenness)

1. प्रचुरता (Richness)

किसी सैंपल में उपलब्ध प्रजातियों की संख्या जितनी अधिक होगी, उसे उतना ही प्रचुर कहा जाएगा. विविधता के गणना के लिए प्रजाति के जीवों की संख्या का गणना नहीं किया जाता है. उदाहरण के लिए, किसी सैंपल में उपलब्ध आम के 5 पेड़ और कटहल के 25 पेड़ों को दो प्रजाति माना जाता है.

सैंपल में प्रजाति के जिस जीव या पौध का संख्या कम हो उसे अधिक भार दिया जाता है. उपरोक्त उदाहरण में आम के 5 पेड़ों को कटहल के 25 पेड़ों के तुलना में अधिक भार दिया जाएगा.

2. समानता (Evenness)

किसी सैंपल में विभिन्न प्रजातियों की सापेक्षिक उपलब्धता को सैंपल का समानता कहा जाता है. इसे आसानी से समझने के लिए नीचे दिए गए तालिका पर गौर करें:

इस उदारहरण में पहला सैंपल अधिक समान है, क्योंकि इसमें तीनों प्रजातियों की संख्या लगभग समान है. इसलिए इसे अधिक विविध माना जाएगा.

जिस सैंपल में अत्यधिक प्रचुरता और समानता का गुण हो, उसमें उतना ही अधिक विविधता होता है.

जैव विविधता के अन्य सूचकांक (Other Indices of Biodiversity in Hindi)

विभिन्न जीव विज्ञानियों द्वारा अलग-अलग सूचकांक विकसित किए गए है. इनके माध्यम विविधता के सम्बन्ध में कई प्रकार के जानकारियां आसानी से प्राप्त हो जाते है. इनमें कुछ प्रमुख और विख्यात सूचकांक इस प्रकार है:

1. सिम्पसन विविधता सूचकांक (Simpson’s Diversity Index)

इसमें सूचकांक में समानता और प्रचुरता, दोनों का ध्यान रखा गया है. प्रचुरता और समानता, दोनों के लिए एक अंक निर्धारित किया गया है. सिम्पसन विविधता सूचकांक जैव विविधता को मापने के लिए काफी उपयोगी है. विविधता मापने के लिए कई अन्य सूचकांक भी है. अन्य सूचकांक, जैसे कि स्पीशीज़ समृद्धि और स्पीशीज़ समानता, कभी-कभी अधिक उपयुक्त होते हैं.

सिम्पसन विविधता सूचकांक का सूत्र निम्नलिखित है:

D = 1 – Σ n(n-1)/N(N-1)

D = सिम्पसन विविधता सूचकांक n = समुदाय में ख़ास प्रजाति के जीवों की संख्या N = समुदाय में सभी प्रजातियों के जीवों की संख्या

इस सूचकांक का मान 0 से 1 के बीच होता है. 0 का मतलब समुदाय में केवल एक प्रजाति के मौजूद होने का संकेत देता है, जबकि 1 का मान समुदाय में सभी प्रजातियों की समान प्रचुरता को दर्शाता है.

मतलब विविधता का मान उच्च होना प्रजातियों के विस्तृत श्रृंखला के उपस्थिति को दर्शाता है. यह प्रत्येक जीव की आनुपातिक तौर पर पर्याप्त प्रचुरता होना निर्धारित करता है. दूसरी तरफ,संख्या का मान कम होने का मतलब है समुदाय में प्रजाति की संख्या और प्रचुरता कम है.

सिम्पसन विविधता सूचकांक का उपयोग अक्सर जैव विविधता के नुकसान को ट्रैक करने के लिए किया जाता है. जैसे-जैसे प्रजातियां विलुप्त होती हैं, समुदाय में प्रजातियों की संख्या और प्रचुरता कम होते जाता है.विविधता में कमी के अनुसार सिम्पसन विविधता सूचकांक भी कम हो जाता है. इससे किसी ख़ास क्षेत्र के विविधता में हो रहे बदलाव का पता चल जाता है.

सिम्पसन विविधता सूचकांक का उदाहरण

यहाँ सिम्पसन फॉर्मूले में Σ n(n-1) और N का मान रखने पर हमें विविधता का मान 0.7 प्राप्त होता है. यह एक के करीब है, इसलिए यह इलाका समान और प्रचुर विविधता के करीब माना जा सकता है.

सिम्पसन सूचकांक के लाभ और हानि (Advantages and Disadvantages of Simpson Index)

सिम्पसन विविधता सूचकांक के कुछ लाभ और नुकसान निम्नलिखित हैं:

लाभ (Advantages):

  • यह एक सरल और समझने में आसान सूचकांक है.
  • यह समुदाय में प्रजातियों की संख्या और प्रचुरता दोनों को ध्यान में रखता है.

नुकसान (Disadvantages):

  • यह प्रजातियों के आकार या वितरण को ध्यान में नहीं रखता है.
  • यह प्रजातियों के बीच संबंधों को ध्यान में नहीं रखता है.

2. शेनॉन-वीनर सूचकांक (Shannon-Weiner Index in Hindi)

यह सूचकांक मूलतः क्लाउड शेनॉन (Claude Shannon) द्वारा 1948 में प्रस्तुत किया गया था. यह सूचकांक सबसे अधिक प्रचलित है. इसमें प्रचुरता और समानता दोनों तरह के विविधता का ध्यान रखा गया है. इस सूचकांक का सबसे बड़ा खासियत इसका लॉग (Log) पर आधारित होना है, जो क्लाउड ई. शैनन और नॉर्बर्ट वीनर द्वारा विकसित सूचना के सिद्धांतों पर आधारित है.

सूचकांक का सूत्र निम्नलिखित है:

H’ = -\sum_{i=1}^{S} p_i \log_e p_i

H’ = शेनॉन – वीनर सूचकांक p_i = समुदाय में iवीं प्रजाति की प्रचुरता S = समुदाय में प्रजातियों की कुल संख्या

सिम्पसन सूचकांक के भांति शेनॉन-विनर सूचकांक का मान भी 0 से 1 के बीच होता है. 0 का मान पूर्ण रूप से एकल समुदाय को दर्शाता है. मललब इलाके में सिर्फ एक ही प्रजाति मौजूद है. वहीं, 1 का मान पूर्ण रूप से विविध समुदाय को दर्शाता है. मतलब इलाके में विभिन्न प्रजातियों के जीव समान रूप से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.

इस सूचकांक का उपयोग विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक समुदायों, जैसे कि वन, घास के मैदान, झीलें और महासागरों में प्रजातियों की विविधता को मापने के लिए किया जाता है. यह सूचकांक हमें यह समझने में मदद करता है कि प्रजातियों की विविधता को कैसे संरक्षित किया जाए. इसलिए यह पारिस्थितिकीय संरक्षण के लिए भी उपयोगी है.

खासियत और खामी

शेनॉन – वीनर सूचकांक के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं:

  • यह सूचकांक सरल और आसानी से समझने योग्य है.
  • यह विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक समुदायों में प्रजातियों की विविधता को मापने के लिए उपयोग किया जा सकता है.
  • यह हमें यह समझने में मदद करता है कि प्रजातियों की विविधता को कैसे संरक्षित किया जाए.

शेनॉन – वीनर सूचकांक के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • यह प्रजातियों की प्रचुरता के आकार पर निर्भर करता है.
  • यह प्रजातियों के आकार या आवास के प्रकार जैसे अन्य कारकों को ध्यान में नहीं रखता है.

जीवीय विविधता के महत्व (Importance of Biological Diversity in Hindi)

मानव अपने जीवन को बनाए रखने के लिए प्रकृति से कई प्रकार के वस्तुएं प्राप्त करता है. इसलिए मानव जीवन के लगभग सभी पहलुओं में जैव विविधता का अत्यधिक महत्व है. जैव विविधता के विविध उपयोगों में शामिल हैं:

1. उपभोग्य उपयोग (Consumptive Uses):

जैव विविधता के उपभोग का अर्थ जीवीय उत्पादों की कटाई और उपभोग से है, जैसे ईंधन, भोजन, औषधियाँ, औषधियाँ, रेशे आदि. जंगली पौधे और जानवरों की एक बड़ी संख्या मनुष्यों के भोजन का स्रोत हैं. दुनिया की लगभग 75% आबादी दवाओं के लिए पौधों या पौधों के अर्क पर निर्भर है.

उदाहरण के लिए, एंटीबायोटिक के रूप में उपयोग की जाने वाली दवा पेनिसिलिन, पेनिसिलियम नामक कवक से प्राप्त होती है. वहीं टेट्रासाइक्लिन एक जीवाणु से प्राप्त होता है. मलेरिया का इलाज के लिए जरूरी कुनैन भी सिनकोना पेड़ की छाल से प्राप्त किया जाता है.

विनब्लास्टिन और विन्क्रिस्टिन नाम की दो कैंसर रोधी दवाएं कैथरैन्थस पौधे से प्राप्त की जाती हैं. इसके अलावा इंसान जंगलों का उपयोग सदियों से ईंधन की लकड़ी के लिए करते रहे है. जीवाश्म ईंधन कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस भी जैव विविधता के उत्पाद हैं.

2. उत्पादक उपयोग (Productive Use)

इसका तात्पर्य पशु उत्पाद जैसे कस्तूरी मृग से कस्तूरी, रेशमकीट से रेशम, भेड़ से ऊन, कई जानवरों से प्राप्त फर, लाख के कीड़ों से प्राप्त लाख आदि इत्यादि के व्यापार से है. इसके अलावा, कई उद्योग विविध जीव के उत्पादक उपयोग पर निर्भर हैं, जैसे, कागज और लुगदी, प्लाईवुड, रेलवे स्लीपर, कपड़ा, चमड़ा और मोती उद्योग इत्यादि.

3. सामाजिक महत्व (Social Value)

लोगों के सामाजिक जीवन, रीति-रिवाज, धर्म, मानसिक-आध्यात्मिक इत्यादि पहलू प्रकृति से जुड़े होते है. मतलब, जैव विविधता का अलग-अलग समाजों में विशिष्ट सामाजिक मूल्य होता है. उदाहरण के लिए बिश्नोई समाज के लोग काले हिरण को अपने गुरु जंबाजी उर्फ जंबेश्वर भगवान का रूप मानते है. भगवान् बुद्ध को भी बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ है. हिन्दू धर्म में भी तुलसी, पीपल, आम, कमल आदि कई पौधों को पवित्र माना जाता है और पूजा भी जाता है. कई पौधों के पत्तियों, सूखे टहनियों, फलों या फूलों का उपयोग पूजा में किया जाता है. आदिवासियों का सामाजिक जीवन, गीत, नृत्य और रीति-रिवाज वन्य जीवन से जुड़े हुए हैं. इस प्रकार जीवीय विविधता का समाज में विशेष महत्व होता है.

4. नैतिक या अस्तित्व मूल्य (Ethical or Existence Value)

यह ‘जियो और जीने दो’ की अवधारणा पर आधारित है. मतलब मानव जीवन के सुरक्षा के लिए पृथ्वी का विविधता बचाए रखना जरुरी है. इसलिए धरती पर सभी प्रकार के जीवन को सुरक्षित किया जाना चाहिए.

5. सौन्दर्यपरक मूल्य (Aesthetic Value)

सौंदर्यपूर्ण पर्यावरण का उपयोग पर्यटन और मनोरंजन के लिए किया जाता है. लोग प्राकृतिक सुंदरता और विविधता का आनंद लेने के लिए दूर-दूर तक का सफर तय करते है. इसमें उनके बड़ा धन खर्च होता है और समय की बर्बादी भी होती है. लेकिन, इससे प्राप्त होने वाला ताजगी मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है. इसलिए जैव विविधता का सौंदर्य संबंधी महत्व बहुत अधिक है.

6. पारिस्थितिकी तंत्र सेवा मूल्य (Ecosystem Service Values in Hindi)

मानव कल्याण और निर्वाह के लिए अपरिहार्य वस्तुओं और सेवाओं के समुच्चय को पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ (ESs) कहा जाता है. वहीं, पारिस्थितिकी तंत्र कार्यप्रणाली (Ecosystem Function) इसके भीतर होने वाली प्रक्रियाओं और घटकों को संदर्भित करता है. ‘पारिस्थितिकी तंत्र सेवा मूल्य (ESVs)’ पारिस्थितिकी तंत्र की वस्तुओं और सेवाओं और उसके कार्यों को आर्थिक मूल्य निर्धारित करने और निर्दिष्ट करने का एक दृष्टिकोण है.

हमे पारिस्थितिक तंत्र द्वारा कई प्रकार के सेवाएं और लाभ प्राप्त होते है. उदाहरण के लिए, मिट्टी के कटाव को रोकना, बाढ़ की रोकथाम, मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना, पोषक तत्वों का चक्रण, नाइट्रोजन का स्थिरीकरण, पानी का चक्रण, प्रदूषक अवशोषण और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को कम करना इत्यादि में पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न घटकों द्वारा प्राप्त लाभ है.

बढ़ती मांग और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और कार्यप्रणाली गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं. इसलिए विविधता का संरक्षण आवश्यक हो जाता है.

पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का वर्गीकरण चार प्रकार में किया गया है:

  • खाद्य : फसल, पशुधन, मछली
  • पानी : जलाशय, नदियां, झीलें
  • लकड़ी : इमारती लकड़ी, कागज
  • दवाएं : औषधीय पौधे, जंतु उत्पाद
  • बाढ़ नियंत्रण: नदी के किनारों पर पेड़, जंगल
  • मिट्टी संरक्षण: वन, घास के मैदान
  • जलवायु नियमन: वन, समुद्री वनस्पति
  • रोग नियंत्रण: परभक्षी, रोगाणुरोधी पौधे
  • कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन
  • पर्यटन, मनोरंजन
  • वन्यजीव अवलोकन
  • शिक्षा, अनुसंधान
  • आध्यात्मिक मूल्य
  • मनोवैज्ञानिक लाभ
  • सांस्कृतिक पहचान

इसके अलावा जैव विविधता द्वारा संचालित वे कार्य जो जैव विविधता, पोषण चक्र तथा अन्य सेवाओं को यथावत कायम रखने में सहायक हो, सहायक सेवा कहा जा सकता है.

7. जैव विविधता का कृषि में महत्व

कृषि कार्य में जैव विविधता का काफी अहम योगदान होता है. राइजोबियम, एज़ोटोबैक्टर और साइनोबैक्टीरिया जैसे जीवाणु नाइट्रोजन स्थिरीकरण में हिस्सा लेकर जमीन में नाइट्रोजन का मात्रा बढ़ाते है. वहीं, केंचुआ मिटी को मुलायम और भुरभुरी बनाए रखने में मदद करता है. इसलिए केंचुए को किसान का मित्र कहा जाता है.

दुनिया में करीब 1400 प्रकार के पौधों को खाद्य उत्पाद के लिए उगाया जाता है. इनमें 80 फीसदी को परागण का जरूरत होता है. मधुमक्खियाँ, भृंग, तितलियाँ, चींटियाँ, हमिंगबर्ड, चमगादड़, कृंतक, नींबू, छिपकली, ततैया, पतंगे और स्लग इसमें मदद करते है.

विविधता में ह्रास के कारण उपरोक्त जीवों के संख्या में ह्रास हुआ है. बढ़ती आबादी को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करवाने के लिए आधुनिक कृषि प्राद्यौगिकी व उत्पाद का इस्तेमाल किया जाने लगा है. इनमें कीटनाशकों व रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल भी शामिल है. इससे कृषि में सहायक जीवों के जीवन पर खतरा उत्पन्न हुआ है.

प्रदुषण से भी कृषि पादपों के प्रजाति पर असर हुआ है. अनुमानतः 940 के करीब कृषि प्रजातियों पर संकट मंडरा रहा है.

8. वैज्ञानिक और विकासवादी मूल्य (Scientific and Evolutionary Values)

प्रत्येक प्रजाति का विशेषता मिलकर ये बताने में सक्षम होते है कि पृथ्वी पर जीवन कैसे विकसित हुआ और कैसे विकसित होता रहेगा. जीवन कैसे कार्य करता है और पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में प्रत्येक प्रजाति की भूमिका क्या है, जैसे मुद्दों को भी विविधता द्वारा समझा जा सकता है. इसके अलावा भी जैव विविधता के अन्य कई अन्य महत्व है.

जैव विविधता हानि के कारण (Causes of Biodiversity Loss in Hindi)

पृथ्वी पर जैव विविधता का नुकसान हमारे ग्रह और इसके लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है. जैव विविधता के नुकसान के कारणों को समझकर ही हम अपनी प्राकृतिक दुनिया की रक्षा के लिए कदम उठा सकते है. इसलिए इन कारणों को समझना जरुरी है. जैव विविधता के हानि का कारण या तो प्राकृतिक या फिर मानवीय हो सकता है.

A. प्राकृतिक

  • प्राकृतिक आपदाएँ : भूकंप, भू-स्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी, तूफान, बाढ़-सुखाड़ और जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आवासों को नष्ट कर सकती हैं और बड़ी संख्या में पौधों और जानवरों को मार सकती हैं.
  • जलवायु परिवर्तन : जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान, वर्षा और समुद्र के स्तर में परिवर्तन हो रहा है. इससे कई प्रजातियों के लिए प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियां उत्पन्न होते है. इससे पारिस्थितिक तंत्र बाधित होता है और प्रजातियों के नुकसान का कारण बन जाता है.
  • आक्रामक प्रजातियाँ : आक्रामक प्रजातियाँ गैर-देशी प्रजातियाँ हैं. जब ये नए वातावरण में प्रवेश करते है तो यहाँ इनका कोई प्राकृतिक शिकारी या प्रतिस्पर्धी नहीं होता है. इसके कारण ये तेजी से फैलकर देशी और स्थानीय प्रजातियों को विस्थापित कर सकती हैं, जिससे स्थानीय विविधता का नुकसान हो सकता है.
  • सहविलुप्तता : जब एक प्रजाति विलुप्त होती है तब उस पर आधारित दूसरी जंतु व पादप जातियाँ भी विलुप्त होने लगते है. उदाहरण के लिए, जब एक परपोषी मत्स्य जाति विलुप्त होती है तब उसके विशिष्ट परजीवि भी विलुप्त होने लगते है. दूसरा उदाहरण सह-उद्भव व विकास (Co – evolution and Development ), परागण (Pollination) और सहोपकारिता (Mutualism) का है. परागण में पौधों के विलोपन से किट-पतंगों का भी विनाश होने लगता है.

B. मानव निर्मित

i) प्रत्यक्ष

  • पर्यावास का विनाश : पर्यावास का विनाश जैव विविधता हानि का सबसे प्रमुख कारण है. मनुष्य कृषि, विकास और अन्य उद्देश्यों के लिए जंगलों, घास के मैदानों और अन्य प्राकृतिक आवासों को साफ़ करते है. यह पौधों और जानवरों के घरों को नष्ट कर देता है, जिससे उन्हें नए क्षेत्रों में जाना पड़ता है अन्यथा भोजन के अभाव में अपना जीवन त्यागना पड़ता है.
  • अतिशोषण : अतिशोषण जानवरों और पौधों के उपभोग के उस दर से होती है जो क्रमशः उनके प्रजनन और रोपण के तुलना में तेज़ होती है. इससे आबादी का पतन होता है और यहां तक कि विलुप्ति भी हो सकती है.
  • प्रदूषण : प्रदूषण आवासों को दूषित कर सकता है और उन्हें पौधों और जानवरों के लिए अनुपयुक्त बना सकता है. यह सीधे तौर पर पौधों और जानवरों के लिए जहर का काम भी कर सकता है. औद्योगिक कचरे, प्लास्टिक, जल में औद्योगिक रसायन द्वारा प्रदुषण इत्यादि इसके उदाहरण है.

ii) अप्रत्यक्ष

  • जलवायु परिवर्तन : जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण होता है. जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, जलवायु परिवर्तन का जैव विविधता पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है.
  • आक्रामक प्रजातियों का परिचय : मनुष्य अक्सर व्यापार, यात्रा और अन्य गतिविधियों के माध्यम से अनजाने में आक्रामक प्रजातियों को नए वातावरण में पेश करता है. उदाहरण के लिए, ज़ेबरा मसल्स को 1980 के दशक में उत्तरी अमेरिका में लाया गया था और तब से यह ग्रेट लेक्स में एक प्रमुख आक्रामक प्रजाति बन गई है.
  • रोग : मनुष्य जंगली पौधों और जानवरों में बीमारियाँ फैला सकते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर मृत्यु और विलुप्ति हो सकती है. उदाहरण के लिए, चेस्टनट ब्लाइट कवक 1900 के दशक की शुरुआत में उत्तरी अमेरिका में लाया गया था और इसने अरबों अमेरिकी चेस्टनट पेड़ों को नष्ट कर दिया था.

जैव विविधता संरक्षण (Conservation of Biodiversity in Hindi)

Methods of Biodiversity Conservation in Hindi for UPSC Infographics 1

जैव विविधता संरक्षण क्या है (What is Biodiversity Conservation in Hindi)?

सतत विकास के लिए प्रकृति से संसाधन प्राप्ति को उस प्रकार प्रबंधित करने से है जिससे जैव विविधता को कम से कम या नहीं के बराबर हानि हो, जैव विविधता का संरक्षण है. इस तरह विविधता संरक्षण का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग से है.

जैव विविधता संरक्षण के तीन मुख्य उद्देश्य हैं:

  • प्रजातियों की विविधता को संरक्षित करना.
  • प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्र का सतत उपयोग को बरकरार रखना.
  • पृथ्वी के जीवन-सहायक प्रणालियों और आवश्यक पारिस्थितिक प्रक्रियाओं को बनाए रखना.

जैव विविधता संरक्षण के रणनीतियां (Strategies of Biodiversity Protection)

प्रकृति में विविधता बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते है:

  • जीवों के प्राकृतिक आवास को न तो नष्ट करना चाहिए और न ही इनमें कोई बदलाव किया जाना चाहिए.
  • जीवन के लिए जरूरी मृदा, जल, हवा और ऊर्जा को सुरक्षित रखना चाहिए, ताकि सभी जीवों के लिए यह सुलभ हो.
  • सभी प्रकार के जीवों को प्राकृतिक आवास में ही सुरक्षा मिले. यदि ऐसा संभव न हो तो चिड़ियाघर या जंतु शाला (Zoological Park) में इन्हें संरक्षित किया जा सकता है.
  • असुरक्षित, संकटापन्न या विलुप्तप्राय जीवों के संरक्षण के लिए विशेष क़ानूनी प्रावधान होना चाहिए. यदि प्राकृतिक आवास पर इन्हें संरक्षित नहीं किया जा सके तो कृत्रिम आवास में इन्हें संरक्षित करना चाहिए.
  • जंगलों का सीमांकन स्पष्ट होना चाहिए और विविधता के दृश्कों से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बाह्य प्रवेश निषिद्ध होना चाहिए.
  • पशुओं के आहार, जलाशय, विश्राम स्थल और प्रजनन पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
  • पारिस्थितिकी तंत्र का सिमित उपभोग करना चाहिए. साथ ही उपयोग उत्पादन दर के अनुरूप होना चाहिए.
  • असुरक्षित प्रजातियों के व्यापार पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबन्ध होना चाहिए.
  • एक जीव के स्थान पर सम्पूर्ण पारिस्थितिक तंत्र के सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए, ताकि संतुलन बना रहे.
  • जीवों के शिकार पर प्रतिबन्ध हो.
  • अत्यधिक प्रवणता वाले क्षेतों को संरक्षित घोषित करने से बड़े पैमाने पर जैव विविधता का संरक्षण किया जा सकता है. यदि यह प्रयास वैश्विक स्तर पर हो तो परिणाम कई गुना फलित होंगे.
  • समाज में जागरूकता होने से संरक्षण की संभावना बढ़ती है. शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में जैव विविधता के महत्व और सुरक्षा के उपायों को शामिल करके भी जागरूकता फैलाया जा सकता है.

जैव विविधता संरक्षण के तरीके (Methods of Biodiversity Conservation in Hindi)

जैव विविधता से तात्पर्य पृथ्वी पर जीवन की परिवर्तनशीलता से है. इसे निम्नलिखित तरीकों से संरक्षित किया जा सकता है:

  • स्वस्थाने संरक्षण (In-situ Conservation)

अस्थानिये संरक्षण (Ex-situ Conservation)

1. स्वस्थाने संरक्षण (in-situ conservation).

यह प्राकृतिक आवास के भीतर प्रजातियों के संरक्षण का तरीका है. इस विधि से सम्पूर्ण प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र का रखरखाव एवं संरक्षण किया जाता है. इस रणनीति में उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्र का पता लगाया जाता है. ये वैसे क्षेत्र है जिसमें पौधे और जानवर बड़ी संख्या में मौजूद हो. इस उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्र को प्राकृतिक पार्क, वन्यजीव अभयारण्य, जीव मंडल आरक्षित क्षेत्र आदि के रूप में कवर किया किया जाता है. इस प्रकार जैव विविधता को मानवीय गतिविधियों से बचाकर उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षित किया जा सकता है.

इस प्रकार के संरक्षण से अधिक लाभ होता है, जो इस प्रकार है.

  • यह सुविधाजनक और सस्ता तरीका है.
  • इस प्रकार के संरक्षण में लक्षित जीवों के साथ ही अन्य जीवों का सुरक्षा भी हो जाता है. इससे संरक्षित जीवों की संख्या बढ़ जाती है.
  • प्राकृतिक परिवेश में जीवों को जीवन से जुड़े बाधाओं से झूझना पड़ता है. इससे इनका बेहतर विकास होता है. साथ ही, विभिन्न वातावरण में समायोजित होने का गुण भी बरकरार रहता है.

भारत सरकार द्वारा इस विधि का उपयोग करते हुए निम्नलिखित आरक्षित क्षेत्र बनाए गए है:

1. राष्ट्रीय उद्यान (National Parks)

ये सरकार द्वारा संरक्षित छोटे क्षेत्र है. इसकी सीमाएँ अच्छी तरह से सीमांकित हैं और चराई, वानिकी, आवास और खेती जैसी मानवीय गतिविधियाँ निषिद्ध हैं. उदाहरण के लिए, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, और बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान.

2. वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuary)

ये वे क्षेत्र हैं जहां केवल जंगली जानवर पाए जाते हैं. लकड़ी की कटाई, खेती, लकड़ियों और अन्य वन उत्पादों का संग्रह जैसी मानवीय गतिविधियों को तब तक अनुमति दी जाती है जब तक वे संरक्षण परियोजना में हस्तक्षेप नहीं करते हैं. पर्यटकों को इन इलाकों में आने दिया जाता है.

3. बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserve)

बायोस्फीयर रिजर्व बहुउद्देश्यीय संरक्षित क्षेत्र हैं, जहां वन्य जीवन, निवासियों की पारंपरिक जीवनशैली और पालतू पौधों और जानवरों की रक्षा की जाती है. यहां पर्यटक और अनुसंधान गतिविधियों की अनुमति है.

सरक्षण के इस तकनीक में जैव विविधता को प्राकृतिक आवास के बाहर कृत्रिम पारिस्थितक तंत्र में संरक्षित किया जाता है. चिड़ियाघर, नर्सरी, वनस्पति उद्यान, जीन बैंक आदि इसके उदाहरण है. इसमें आनुवंशिक संसाधनों के साथ-साथ जंगली और खेती या प्रजातियों का संरक्षण शामिल है. इसके लिए विभिन्न तकनीकों और सुविधाओं का उपयोग किया जाता है.

अस्थानिये संरक्षण के निम्नलिखित लाभ हैं:

  • जीवों को भोजन, पानी और आवास के लिए कम संघर्ष करना पड़ता है. इससे उन्हें प्रजनन और आराम के लिए लम्बा समय मिलता है.
  • कैदी प्रजातियों को जंगल में फिर से बसाया जा सकता है.
  • लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए आनुवंशिक तकनीकों का उपयोग हो सकता है.
  • ऐसे कृषि बीज, जो प्रकृति में सुरक्षित नहीं रह सकते को जीन में सुरक्षित किया जा सकता.
  • जीन बैंक में सुरक्षित बीजों का उपयोग भविष्य में अनुसंधान और रोपण कार्य किया जा सकता है.
  • पुरे दुनिया में करीब 60 करोड़ लोग हरेक वर्ष चिड़िया घर व अन्य संरक्षित पार्क घूमने जाते है.

अस्थानिये जैव विविधता संरक्षण निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है:

  • जीन बैंक बनाकर : इसमें बीज, शुक्राणु और अंडाणु को बेहद कम तापमान और आर्द्रता पर संग्रहित किया जाता है.
  • शुक्राणु और अंडाणु बैंक, बीज बैंक इत्यादि बहुत कम जगह में पौधों और जानवरों की बड़ी विविधता वाली प्रजातियों को बचाने में बहुत मददगार है.
  • चिड़ियाघर और वनस्पति उद्यान का निर्माण : अनुसंधान उद्देश्य के लिए और जलीय जीवों, चिड़ियाघरों और वनस्पति उद्यानों के लिए जीवित जीवों को इकट्ठा कर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना.
  • इन विट्रो प्लांट टिश्यू और माइक्रोबियल कल्चर का संग्रह.
  • जंगल में फिर से प्रवेश करवाने के उद्देश्य के साथ जानवरों का बंदी प्रजनन और पौधों का कृत्रिम प्रसार.

जैव विविधता का संरक्षण क्यों करें (Why to Protect Biodiversity)?

प्रजातियों के अधिक सघनता वाले क्षेत्र विविधता के दृष्टिकोण से अधिक स्थिर होते है. हम कई प्रकार से सजीवों से प्राप्य उत्पादों पर निर्भर है. साथ ही, यह हमें आर्थिक, औषधीय, सांस्कृतिक, नैतिक व सौंदर्य लाभ प्रदान करता है. इसलिए इनका संरक्षण जरुरी है.

इसे भी पढ़ें – भारत के 6 जैव विविधता हॉटस्पॉट

“जैव विविधता और संरक्षण” पर 2 विचार

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जैव विविधता परिभाषा पृथ्वी पर पाए जाने वाले पौधों, जानवरों, कवकों और सूक्ष्मजीवों सहित जीवन अन्य सभी रूपों की विस्तृत श्रृंखला में काफी अधिक विविधता पाई जाती है. इसी विविधता को जैव विविधता कहा जाता है. जीवन के अलावा इसमें उस पर्यावरण को भी शामिल किया जाता है, जो इन जीवों का आवास है. यह हमारे ग्रह के स्वास्थ्य और कार्यक्षमता का एक महत्वपूर्ण पहलू है. जैव विवधता पारिस्थितिक तंत्र को बरकार रखने में दवा का काम कर इसे स्वस्थ्य बनाए रखता है. यह हमें प्राकृतिक ‘सांस्कृतिक मूल्य’ भी प्रदान करता है.

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Very very very nice contant of biodiversity,I am very happy to read this contant

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जैव विविधता पर निबंध Essay on Biodiversity in Hindi

जैव विविधता पर निबंध Essay on Biodiversity in Hindi

इस लेख में हिन्दी में जैव विविधता पर निबंध (Biodiversity Essay in Hindi) लिखा गया है। 

Table of Content

इसमें जैव विविधता का अर्थ, महत्व, जैव विविधता के 3 स्तर, जैव विविधता के संरक्षण और इसकी भूमिका इत्यादि के विषय में चर्चा किया गया है।

जैव विविधता क्या है? What is Biodiversity in Hindi?

विभिन्न पहलुओं को मिलाकर पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है, उनमें जैव विविधता भी एक महत्वपूर्ण कारण है। जैव विविधता पृथ्वी पर जीवन की विविधताओं व समृद्धि के विषय में बताता है। 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसंधान के मुताबिक जैव विविधता पृथ्वी पर उपस्थित समस्त प्रजातियां और अनुवांशिक पारिस्थितिकी तंत्र का मापदंडन करती हैं। 

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में निवास करने वाले विभिन्न जीवों के आंकड़े और उनकी प्रजातियों में विविधता को जैव विविधता कहा जाता है। पूरे सौरमंडल में पृथ्वी को एक अलग पहचान देने में इसकी प्रमुख विशेषता रही है।

प्राकृतिक चक्र को उचित ढंग से कार्य करने में जैव विविधता का सबसे बड़ा योगदान होता है। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। 

यह एक तरह का ऐसा प्राकृतिक संसाधन है, जो जीवन जीने के लिए अनिवार्य होता है। यदि जैव विविधता की कड़ी डगमगा जाती है, तब पृथ्वी पर विनाश जैसी परिस्थितियां प्रकट होने लगती हैं। 

इसके साथ ही हजारों तरह की प्रजातियां विलुप्त होना शुरू हो जाती हैं। आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहां प्राकृतिक चक्र में दखल अंदाज करने की वजह से इसका भीषण परिणाम हमें साफ दिखाई दे रहा है।

जैव विविधता के जनक कौन हैं? Who is the Father of Biodiversity?

विश्व विख्यात हार्वर्ड विश्वविद्यालय के महान जीवविज्ञानी लोगों में से ईओ विल्सन (EO Wilson) को जैव विविधता का जनक कहा जाता है। वे एक प्रसिद्ध खोजकर्ता थे, जिन्हें उनके बेमिसाल कार्यों के लिए पुलित्जर पुरस्कार और अन्य कई सम्मान दिए जा चुके हैं।

जैव विविधता का महत्व Importance of Biodiversity in Hindi

पाषाण काल से ही जैव विविधता ने समस्त मानव समुदाय को और विभिन्न संस्कृतियों को फलित होने में बेहद बड़ा योगदान दिया है। आज विश्व जिस भी परिस्थिति में है, वह जैव विविधता का ही परिणाम है, यह कहना बिल्कुल उचित रहेगा।

वैसे तो जैव विविधता के अनगिनत महत्व और विशेषताएं हैं, किंतु कई अधिकारिक अनुसंधान के अनुसार पारिस्थितिक वैज्ञानिक तथा आर्थिक प्रकार की विशेषताएं बेहद खास मायने रखती हैं।

पारिस्थितिकीय महत्त्व

यह तो सभी जानते हैं कि प्रत्येक क्रिया के पीछे प्रतिक्रिया अवश्य रहती है। कोई भी घटना या क्रिया स्वयं नहीं हो सकती। पारितंत्र में सभी जीवों का विकास एक दूसरे से कड़ी की तरह जुड़ा हुआ है। 

यहां उपस्थित प्रत्येक जीव जिंदा रहने के लिए दूसरे जीवो पर निर्भर रहता है। अर्थात पोषक तत्वों के चक्र के कारण ऊर्जा का संचालन स्वयं होता जाता है।

वायुमंडलीय गैसों को स्थिरता प्रदान करने में भी जैव  विविधता का बड़ा योगदान है। वायुमंडल में जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण गैसों की उपस्थिति बनी रहे इसके लिए पारिस्थितिकी भूमिका अदा करता है।

अध्ययनों के अनुसार पृथ्वी पर जितनी अधिक जैवविविधता विकसित होगी उतना ही यहां रहने अथवा जीवन की संभावना बनी रहेगी। 

यदि किसी भी तरह से इन विविधताओं को थोड़ी भी क्षति पहुंचती है, तो पूरा पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो सकता है। इसके अलावा पर्यावरण में होने वाले सभी तरह के बदलावों को एक सरखा बनाए रखने में भी यह आवश्यक हो जाता है।

वैज्ञानिक महत्व 

जैव विविधता के महत्व को उचित ढंग से समझने के लिए हमें इसके वैज्ञानिक तर्क को समझना होगा। हमारे जीवन को बनाए रखने में दूसरी प्रजातियों का क्या योगदान है।  

वह किस तरह से अन्य प्रजातियों के विकास में सहायता करती हैं, यह सर्वप्रथम समझना होगा। हम जानते हैं कि पृथ्वी पर इंसानों का ही राज चलता है, लेकिन उनके अधिकारों का दुरुपयोग करने के कारण परिणाम यह निकला है कि बहुत सारी ऐसी प्रजातियां हैं, जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं। 

जैव विविधता हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसके लिए हमें इसके महत्व को समझते हुए विवेक पूर्वक इसका प्रयोग करना चाहिए। 

यदि मानव इसी तरह प्रकृति चक्र में दखल अंदाज करता रहेगा, तो अब तक हमने जैव विविधता के परिणाम स्वरूप जो कुछ भी हासिल किया है वह सब एक प्रकृति के बदलाव के साथ नष्ट हो जाएगा।

आर्थिक महत्व

प्रकृति ने हमें जीने के लिए बहुत कुछ दिया है। देखा जाए तो यह किसी खजाने के भंडार से कम नहीं है। दैनिक जीवन स्थिर ढंग से चलाने के लिए भी यह महत्वपूर्ण है। 

हम भोजन के लिए प्राकृतिक संसाधनों अथवा कृषि पर निर्भर रहते हैं। प्राचीन काल से ही इन्हीं प्राकृतिक संसाधनों की सहायता से विभिन्न प्रकार की औषधियां, खाद्य पदार्थ और न जाने कितने तरह के वस्तुएं बनाए जाते रहे हैं। 

इन विभिन्न भेटों का उपयोग करने के साथ ही हमने जैव विविधता के परिणाम स्वरूप प्राप्त सभी चीजों का व्यापारिकरण करना प्रारंभ कर दिया। 

आज के समय में करोड़ों लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं। यह जैव विविधता का आर्थिक महत्व को प्रकट करता है।

जैव विविधता के 3 स्तर 3 Levels of Biodiversity in Hindi

1. अनुवांशिक जैव विविधता.

समस्त मानव समुदाय को वैज्ञानिक भाषा में ‘होमोसेपियन’ प्रजाति कहा जाता है, क्योंकि अनुवांशिक विविधता के अनुरूप सभी इंसानों का दिखावटी शारीरिक संरचना, कद, रंग इत्यादि बेहद विभिन्न होते हैं। 

इसी प्रकार एक जैसे भौतिक गुणों वाले जीवो के कुल समूह को अलग प्रजातियों में रखा जाता है। इस तरह करोड़ों प्रजातियां पृथ्वी पर निवास करती हैं। 

हम जानते हैं कि किसी भी जीव के निर्मित होने में जीन एक महत्वपूर्ण इकाई है तथा अनुवांशिक रूप से सभी प्राणियों में विभिन्न जीन पाए जाते हैं, जो जैव विविधता को दर्शाता है।

2. प्रजातीय जैव विविधता

यह प्रजातियों की विशेष संख्या के विषय में बताता है। ऐसे प्रजातियों को समृद्ध और सुरक्षित माना जाता है, जिनकी अधिकता रहती है। जो प्रजातियां संख्या में दिन-ब-दिन घट जाते हैं, वह विलुप्त होने वाले प्राणियों के दर्जे में डाल दिए जाते हैं। 

भौगोलिक रूप से जिन निश्चित इलाकों में प्रजातियों की अधिक संख्या होती है, वह विविधता को प्रदर्शित करते हुए हॉटस्पॉट की सूची में डाल दिए जाते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह विभिन्नता को प्रदर्शित करने वाले प्रजातीय जैव विविधता को निर्धारित करता है।

2. पारितंत्रीय जैव विविधता

पारितंत्रीय जैव विविधता को सीमित करके एक परिभाषा में समझाना बहुत कठिन है। पारितंत्रीय की सीमाओं और विभिन्न तरह की प्रजातियां के बीच की कोई निश्चित सीमा ना होने के कारण इसे संदर्भित करना थोड़ा मुश्किल है। 

इनके व्यापक विभिन्नताओं तथा अलग-अलग प्रकार के पारितंत्रीय की आवासों व क्रियाओं में बहुत अधिक विभिन्नता देखी जाती है।

जैव विविधता के संरक्षण Conservation of Biodiversity in Hindi

लोगों में जागरूकता.

जीवो और प्रकृति की मैत्री हजारों साल से चली आ रही है। लेकिन आधुनिक समय में कुछ ऐसी विकास के नाम पर गतिविधियां अपनाई जा रही हैं, जिनसे प्रकृति और हमारा संबंध बिगड़ने के कगार पर है। 

हमें समझना होगा यदि जैव विविधता का अस्तित्व रहेगा, तभी हम जीवित रह पाएंगे। लोगों को इस विषय में जागरूक करने की बहुत जरूरत है, जिससे जैव विविधता को संरक्षण प्राप्त हो सके।

स्थानीय स्तरों पर संस्थाओं का विकास

जैव विविधता के संरक्षण में प्रत्येक व्यक्ति को उसका भागीदार बनना पड़ेगा, तभी हम साथ मिलकर इस समस्या का हल ढूंढ सकेंगे। 

इसके लिए स्थानीय क्षेत्रों में संस्थाओं को स्थापित करके लोगों में निरंतर पर्यावरण के संदर्भ में जागृति संचालन होता रहेगा।

शिक्षा के पाठ्यक्रमों में जानकारी

आज के बच्चे व युवा पीढ़ी ही कल का भविष्य हैं। प्रारंभिक स्तर पर जो भी शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षाएं दी जाती हैं, उनमें अनिवार्य रूप से जैव विविधता के संरक्षण के बारे जानकारी प्रदान करना चाहिए। 

पाठ्यक्रम में ही नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से क्रियाकलापों में भी जैव विविधता के महत्व का संदेश सभी तक पहुंचाना चाहिए।

प्रभावी योजनाएं

देश के विकास के लिए तो ढेरों योजनाएं प्रतिदिन तैयार की जाती हैं, लेकिन मानव अस्तित्व के लिए यह सबसे आवश्यक है की सरकारें जैव विविधताओं के संरक्षण में प्रभावकारी योजनाओं का निर्माण भी करें। 

यदि इन योजनाओं को सभी लोगों का समर्थन प्राप्त हो जाता है, तो इससे जैव विविधता के संरक्षण में काफी सहायता मिल जाएगी।

कड़े नियम कानून

आज किस गति से लोग अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का अंधाधुन शोषण कर रहे हैं यह तो सभी जानते हैं। अन्य अपराधों की तरह प्रकृति का दोहन करने वाले अपराधियों के लिए भी सरकार को कड़े नियम कानून बनाने चाहिए, जिससे जैव विविधता की सुरक्षा हो सके।

अभयारण्य/राष्ट्रीय उद्यान का विकास  

ऐसे सुरक्षित स्थानों का विकास करना बेहद महत्वपूर्ण है, जहां विभिन्न प्रजातियां सुरक्षित रूप से निवास कर सके। हमें अपने देश में विभिन्न राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य की संख्या में बढ़ोतरी करने के लिए ध्यान देना चाहिए।

प्रजातियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना

अवैध रूप से विभिन्न प्रजातियों के व्यापार के कारण आज कई तरह के जीव विलुप्त होने की कगार पर है। हमें ऐसे नियमों की सख्त आवश्यकता है, जो विभिन्न प्रजातियां और लुप्त होने वाले अन्य जीवो की सुरक्षा का जिम्मा उठा सके।

जंगलों का विस्तार

जिस गति से हम विकास कर रहे हैं, उसका अंदाजा जंगलों की घटती संख्याओं से लगाया जा सकता है। तमाम प्रकार के वृक्षों की अवैध तस्करी और जंगलों को बिना किसी सरकारी प्रमाण के अनुचित ढंग से इस्तेमाल करने वाले लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए।

हमें चाहिए की अब जितने भी जंगल शेष हैं, उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो ना कि वे एक-एक करके कम होते जाएं।

जैव विविधता की भूमिका Role of Biodiversity in Hindi

  • पारिस्थितिकी तंत्र को संचालित करने में यह सबसे प्रमुख होता है।
  • पृथ्वी पर संतुलन बनाकर जीवन संभव होने का श्रेय जैव विविधता को भी जाता है। यदि इसे थोड़ी भी क्षति पहुंचेगी, तो समस्त जीवो के अस्तित्व पर ही संकट आ सकता है
  • हमारी पृथ्वी को वायुमंडल में सबसे खूबसूरत ग्रह कहा जाता है, क्योंकि यहां पर जैव विविधता है। करीब 300000 से भी ज्यादा वनस्पति और प्रजातियों के विभिन्नताओं के कारण हमारा ग्रह इतना खूबसूरत दिखाता है। इसलिए प्रकृति के सौंदर्यता में भी जैव  विविधता अपनी भूमिका अदा करता है।
  • भारतीय संस्कृति में जैव  विविधताओं के महत्व को संदर्भित किया गया है। हमारी संस्कृति केवल प्रकृति के कारण जीवित ही नहीं बल्कि समस्त जैव विविधताओं के प्रति सम्मान और आभार की भावना रखती है। इसीलिए धार्मिक दृष्टि से भी जैव विविधता हमारे लिए बहुत जरूरी है।
  • तमाम प्रकार के प्राणियों के जरिए इसके अलावा कृषि के उत्पादन से हमें जो आर्थिक लाभ प्राप्त होता है, वह भी जैव विविधता के कारण ही संभव हो पाता है। औद्योगिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टि से यह हमारे लिए बहुत जरूरी है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने जैव विविधता पर निबंध (Essay on Biodiversity in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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जैव विविधता पर निबंध Jaiv Vividhata Par Nibandh | Essay on Biodiversity in Hindi

essay on biodiversity in hindi

जैव विविधता पर निबंध Jaiv Vividhata Par Nibandh | Read this comprehensive Essay on Biodiversity in Hindi for school and college students.

  • जैव विविधता क्षरण/जैव विविधता पर संकट (Depletion or Threats to Biodiversity)

1. जैव विविधता का परिचय (Introduction to Biodiversity):

पृथ्वी पर विविध प्रकार का जीवन विकसित हुआ है जो मानव के अस्तित्व में आने के साथ ही उसकी आवश्यकताओं को पूर्ण करता रहा है और आज भी कर रहा है । प्रकृति में अनेकानेक प्रकार के पादप एवं जीव-जन्तु हैं जो परिस्थितिक तन्त्र के अनुरूप विकसित एवं विस्तारित हुए हैं और उनका जीवन चक्र क्रमिक रूप से चलता रहता है जब तक पर्यावरण अनुकूल रहता है ।

जैसे ही पर्यावरण में प्रतिकूलता आती है, पारिस्थितिक चक्र में व्यतिक्रम आने लगता है । जीव-जन्तुओं एवं पादपों पर संकट आना प्रारम्भ हो जाता है । यही कारण है कि वर्तमान विश्व में अनेक जैव प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं और अनकों संकटग्रस्त हैं ।

इसी कारण आज जैव विविधता के प्रति विश्व सचेष्ट है और अनेक विश्व संगठन तथा सरकारें इनके संरक्षण में प्रयत्नशील हैं । यह आवश्यक है क्योंकि पारिम्स्थितिक चक्र में जीव एवं पादप आपसी सामंजस्य एवं सन्तुलन द्वार ही न केवल विकसित होते हैं अपितु सम्पूर्ण पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करते हैं ।

यदि इस चक्र में व्यवधान आता है अथवा कुछ जीव विलुप्त हो जाते हैं तो सम्पूर्ण चक्र में बाधा आ जाती है जो पर्यावरण में असन्तुलन का कारण होती है और मानव सहित सम्पूर्ण जीव-जगत के लिए संकट का कारण बनती है । जैव विविधता पर वर्तमान में सर्वाधिक संकट हो रहा है तथा प्रतिवर्ष हजारों प्रजातियाँ विलुप्त होती जा रही हैं । इस कारण जैव विविधता के विविध पक्षों की जानकारी इसके संरक्षण हेतु आवश्यक है ।

2. जैव विविधता की परिभाषा (Definition of Biodiv ersity):

जैव विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिकी कीट विज्ञानी इ.ओ विल्सन द्वारा 1986 में ‘अमेरिकन फोरम ऑन बायोलोजिकल डाइवर्सिटी’ में प्रस्तुत रिपोर्ट में किया गया । यह शब्द दो शब्दों अर्थात् ‘और का समूह है जो हिन्दी में भी’ ‘जैव’ तथा ‘विविधता’ द्वारा व्यक्त किया जाता है, जिसका साधारण अर्थ जैव जगत में व्याप्ति विविधता से है । कुछ विद्वानों द्वारा जैव विविधता को निम्न प्रकार से परिभाषित किया गया है ।

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i. ”जैव विविधता एक वृहत् समूह है जिसमें जंगली एवं विकसित प्रजातियाँ सम्मिलित हैं जो अपने स्वरूप एवं कार्यों में सुन्दरता एवं उपयोगिता में कल्पना से परे हैं ।” -इलटिस

ii. ”एक शब्दावली जो एक पारिस्थितिक तन्त्र के जीव-जन्तुओं एवं पादपों की विविधता को वर्णित करती है ।” – जॉन स्माल एवं माइकल विदरिक

iii. ”जैव विविधता, जीन्स, जातियों, जाति समूहों एवं पारिस्थितिक तन्त्र का संगठन है जो बायोम का निर्माण करती है ।” – हैगेट, लिण्डले, गेविन और रिचर्डसन

iv. ”जैव विविधता प्रकृति का वह भाग है जिसमें जातियों की आनुवंशिक भिन्नता तथा विभिन्न स्तरों पर पादप एवं जीव-जन्तुओं की विविधता एवं समृद्धता सम्मिलित है ।” -भरूचा

v. ”जैव विविधता का साधारण अर्थ है पृथ्वी पर जीवन की विविधता ।” -रिचार्ड, टीराइट

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है जैव विविधता से आशय जीवधारियों (पादप एवं जीवों) की विविधता से है जो प्रत्येक क्षेत्र, देश, महाद्वीप अथवा विश्व स्तर पर होती है । इसके अन्तर्गत सूक्ष्म जीवों से लेकर समस्त जीव जगत सम्मिलित है ।

जैव विविधता का प्रमुख कारण भौगोलिक पर्यावरण में विविधता है और यह करोडों से हजारों वर्षों की अवधि में चलने वाली अनवरत प्रक्रिया का प्रतिफल है । इस पृथ्वी पर लगभग 20 लाख जैव प्रजातियों का अस्तित्व है और प्रत्येक जीव का पारिस्थितिक तन्त्र में महत्व होता है ।

प्रकृति के निर्माण और इसके अस्तित्व हेतु जैव विविधता की प्रमुख भूमिका है । अतः यदि इसका ह्रास होता है तो पर्यावरण चक्र में गतिसेध आता है और उसका जीवों पर भी विपरीत प्रभाव पडने लगता है । वर्तमान में जैव विविधता के प्रति सचेष्ट होने का कारण जैव विविधता की तीव्र गति से हानि होना है ।

एक अनुमान के अनुसार विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 10000 से 20000 प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं । इस प्रकार की हानि सम्पूर्ण विश्व के लिए हानिकारक है । अतः इसके समुचित स्वरूप की जानकारी कर इसका संरक्षण करना अति आवश्यक है ।

ADVERTISEMENTS: (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); 3. जैव विविधता के प्रकार ( Types of Biodiversity):

जैव विविधता को आनुवांशिक , कार्यिकी के आधार पर तीन वर्गों में विभक्त किया गया है:

(i) आनुवंशिक विविधता

(ii) प्रजातीय विविधता

(iii) पारिस्थितिकी विविधता

(i) आनुवांशिक विविधता:

जीवों एवं पादपों में प्रत्येक आनुवांशिक आधार पर अन्तर होता है जो ‘जीन’ के अनेक समन्वय के आधार पर होता है और वही उसकी पहचान होती है, जैसा कि प्रत्येक मनुष्य एक दूसरे से भिन्न होता है । यह आनुवंशिक विविधता प्राजातियों के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक होती है । यदि आनुवंशिकता के स्वरूप में परिवर्तन होता है अथवा ‘जीन’ स्वरूप बिगडता है तो अनेक विकृतियाँ आती हैं और वह प्रजाति समाप्त भी हो सकती है ।

प्रजातियों की विविधता का ‘जीन भण्डार’ होता है । उसी से हजारों वर्षों से फसलें और पालतू जानवर विकसित होते हैं । वर्तमान में नई किस्मों के बीज बीमारी मुक्त पौधे एवं उन्नत पशु विकसित किए जा रहे हैं जो आनुवंशिक शोध का प्रतिफल है । किसी भी जाति के सदस्यों में आनुवंशिक भिन्नता जितनी कम होगी उसके विलुप्त होने का खतरा अधिक होगा, क्योंकि वह वातावरण के अनुसार अनुकूलन नहीं कर सकेगी ।

(ii) प्रजातीय विविधता:

एक क्षेत्र में जीव-जन्तुओं और पादपों की संख्या वहाँ की प्रजातीय विविधता होती है । यह विविधता प्राकृतिक पारिस्थितिक तन्त्र और कृषि पारिस्थितिक तंत्र दोनों में होती है । कुछ क्षेत्र इसमें समृद्ध होते हैं जैसे कि उष्ण कटिबन्धीय वन क्षेत्र, दूसरी ओर एकाकी प्रकार के विकसित किए गए वन क्षेत्र में कुछ प्रजातियाँ ही होती हैं ।

वर्तमान सघन कृषि तन्त्र में अपेक्षाकृत कम प्रजातियाँ होती हैं जबकि परम्पवगत कृषि पारिस्थितिक तंत्र में विविधता अधिक होती है । एक वंश की विभिन्न जातियों के मध्य जो विविधता मिलती है, वह जातिगत जैव विविधता होती है तथा किसी क्षेत्र में एक वश की जातियों के मध्य जितनी भिन्नता होती है, वह जाति स्तर की जैव विविधता होती है ।

(iii) पारिस्थितिक तन्त्र:

पारिस्थितिक तन्त्र विविधता-पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तन्त्र हैं जो विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के आवास स्थल हैं । एक भौगोलिक क्षेत्र के विविध पारिस्थितिक तन्त्र हो सकते हैं, जैसे पर्वतीय, घास के मैदान, वनीय, मरुस्थलीय आदि तथा जलीय जैसे नदी, झील, तालाब, सागर आदि । यह विविधता विभिन्न प्रकार के जीवन को विकसित करती है जो एक तन्त्र से दूसरे में भिन्न होते हैं । यही भिन्नता पारिस्थितिक भिन्नता कहलाती है ।

उपर्युक्त जैव विविधता के अतिरिक्त कुछ विद्वान विकसित जैव विविधता तथा सूक्ष्म जीव जैव विविधता का भी वर्णन करते हैं । विकसित जैव विविधता मानवीय प्रयासों से विकसित होती हे जैसे कृषि के विविध स्वरूप, पालतू जानवों की विविधता, वानिकी की विविधता आदि । जबकि सूक्ष्म जीव विविधता में अति सूक्ष्म जीवाणुओं जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फॅगस, आदि सम्मिलित हैं जो जैव-रसायन चक्र में महत्वपूर्ण होते हैं । यद्यपि ये दोनों प्रकार उपर्युक्त श्रेणियों में सम्मिलित हैं ।

क्षेत्रीय विस्तार के आधार पर जैव विविधता के निम्न प्रकार हैं:

(i) स्थानीय जैव विविधता

(ii) राष्ट्रीय जैव विविधता

(iii) वैश्विक जैव विविधता

स्थानीय जैव विविधता का विस्तार सीमित होता है । यह छोटे क्षेत्र का भौगोलिक प्रदेश हो सकता है । इस क्षेत्र में मिलने वाले जीवों एवं पादपों की विविधता को स्थानीय जैव विविधता कहते हैं । इस विविधता का कारण क्षेत्र का भौगोलिक स्वरूप होता है । एक ही जलवायु प्रदेश में भी क्षेत्रीय भिन्नता होती है ।

जैसे राजस्थान के अरावली, हाड़ौती, मरुस्थली एवं मैदानी क्षेत्र में भी जैव भिन्नता है । मरुस्थली क्षेत्र में, सिंचित और असिंचित क्षेत्रों में जैव विविधता होती है । हाड़ौती में चम्बल क्षेत्र, मुकन्दरा क्षेत्र, वनीय क्षेत्र और कृषि क्षेत्र में जैव विविधता है ।

राष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता स्वाभाविक हैं क्योंकि एक देश में उच्चावच, जलवायु, मृदा, जलराशियों, बन आदि में भिन्नता जैव विविधता का कारण होती है । राष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता का अध्ययन इसके संरक्षण में महत्वपूर्ण होता है क्योंकि नीतिगत निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर लिये जाते हैं ।

वैश्विक जैव विविधता का सम्बन्ध सम्पूर्ण विश्व से होता है । सम्पूर्ण विश्व के स्थल एवं जलीय भाग पर लाखों प्रजाजियाँ जीवों पादपों एवं सूक्ष्म जीवों की हैं । विश्व स्तर पर विभिन्न बायोम पारिस्थितिक तन्त्र हैं उनमें जैव विविधता अत्यधिक है जो सम्पूर्ण पारिस्थतिक तन्त्र को परिचालित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।

4. जैव विविधता का महत्व ( Importance of Biodiversity):

जैव विविधता प्रकृति का अभिन्न अंग है और यह पर्यावरण को सुरक्षित रखने तथा पारिस्थितिक तन्त्र को परिचालित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है । आक्सीजन का उत्पादन, कार्बन डॉई-ऑक्साईड में कमी करना, जल चक्र को बनाए रखना, मृदा को सुरक्षित रखना और विभिन्न चक्रों को संचालित करने में इसकी महती भूमिका है ।

जैव विविधता पोषण के पुन: चक्रण, मृदा निर्माण, जल तथा वायु के चक्रण, जल सन्तुलन आदि के लिए महत्त्वपूर्ण है । मानव की अनेक आवश्यकताएँ जैसे भोजन, वस्त्र, आवास, ऊर्जा, औषधि, आदि की पूर्ति में भी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देती है, इसी कारण इसका आर्थिक महत्व भी है । जैव विविधता से युक्त प्राकृतिक स्थल सौंदर्यबोध कराते हैं तथा मनोरंजन स्थल के रूप में भी उपयोगी होते हैं ।

सामान्यता जैव विविधता का महत्व निम्न रूपों में हैं:

(i) उपभोगात्मक महत्व:

जैव विविधता का प्रत्यक्ष उपयोग लकड़ी, पशु आधार, फल-फूल, जड़ी-बूटियों आदि के लिए होता है । इमारती लकड़ी और ईंधन के लिए वनस्पति का उपयोग सदैव से होता रहा है, यद्यपि इसका व्यापारीकरण विनाश का कारण भी बनता है । पशुओं के लिए चार, शहद, मांस-मछली के लिए तथा औषधि के लिए इनका उपयोग स्थानीय स्तर पर होता रहा है । यद्यपि अत्यधिक उपभोक्तावादी प्रवृत्ति और स्वार्थपरता इसके विनाश का कारण है ।

(ii) उत्पादक महत्व:

वर्तमानमें जैव तकनीशियन एवं वैज्ञानिक आनुवंशिकता के आधार पर नए-नए पादपों का विकास करने लगे हैं । उच्च उत्पादकता वाले कृषि बीजों का विकास तथा बीमारी प्रतिगेध क्षमता वाले पौधों का विकास कृषि क्षेत्र में क्रान्ति ला रहे हैं ।

इसी प्रकार हाइब्रीड पशुओं द्वारा अधिक दूध एवं ऊन आदि प्राप्त किया जाता है । औषधि विज्ञान में प्रगति के साथ अनेक औषधीय पौधों का उपयोग दवाओं के बनाने में हो रहा है । भारतीय चिकित्सा में आयुर्वेद का आधार ही प्रकृति की जड़ी-बूटियाँ हैं ।

वानिकी के माध्यम से वनों से अनेक पदार्थ प्राप्त किये जाते हैं विश्व का 90 प्रतिशत खाद्यान्न 20 पादप प्रजातियों से प्राप्त होता है । जैव विविधता वर्तमान में आर्थिक और औद्योगिक विकास के लिए भी आवश्यक है, अनेक उद्योग विशेषकर फार्मेसी उद्योग इस पर निर्भर है ।

(iii) सामाजिक महत्व:

जैव विविधता सामाजिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है । विश्व में आज भी अनेक जातियाँ और समुदाय प्राकृतिक वातावरण में सामंजस्य स्थापित कर जीवनयापन करते हैं तथा जैव विविधता का अपनी सीमित आवश्यकताओं के लिए इस प्रकार उपयोग करते हैं कि उनको हानि नहीं पहुँचती ।

अनेक क्षेत्रों में जैव विविधता परम्पसगत समुदायों द्वारा ही सुरक्षित है । वे इसका उपयोग भी करते हैं किन्तु इतना कि वे पुन: विकसित हो सकें । इसके साथ उनकी सांस्कृतिक और धर्मिक भावनाएँ भी जुड़ी रहती हैं ।

(iv) नीतिपरक एवं नैतिक महत्व:

जैव विविधता को संरक्षित करने में मानव के नैतिक मूल्यों का महत्त्वपूर्ण योग है । सभी धार्मिक ग्रन्थों में जीव जगत की सुरक्षा का सन्देश है और यह माना जाता है कि प्रत्येक जीव का पृथ्वी पर महत्व है और उसे जीने का अधिकार है । भारत में पेड़- पौधों, जंगली जानवरों एवं जीवों को धार्मिक आस्था से इतना अच्छी प्रकार से जोड़ा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति उनकी सुरक्षा करता है ।

यहाँ वृक्षों में देवता का वास मानकर पूजा की जाती ऐपीपल, बड़, तुलसी, आदि वृक्षों की नियमित पूजा सामान्य है । इसी प्रकार विभिन्न जीवों को देवता का वाहन अथवा प्रिय स्वीकार कर उनको सम्मान देने की यहाँ परम्परा है । जैव विविधता के संरक्षण का इससे अच्छा उदारण क्या हो सकता है । जैन धर्म का अहिंसा सिद्धान्त एवं गांधी का अहिंसावाद भी जैव विविधता के संरक्षण का नीतिगत स्वरूप है ।

(v) सौदर्न्यगत महत्व:

प्रकृति सदैव से सीदर्न्यपरक रही है और इस सौंदर्य में जैव विविधता की महती भूमिका होती है । वनों से आच्छादित प्रदेश, फूलों से लदे पेड़, पर्वतीय एवं घाटी स्थल हों या समुद्र तटीय क्षेत्र, मरुस्थली प्रदेश हों या झील प्रदेश सभी का अपना सौन्दर्य वहाँ की जैव विविधता से है ।

जंगली जीवों से युक्त अभयारण, पक्षियों के क्षेत्र तथा विशेष पादपीय प्रदेश सभी को आकर्षित करते हैं । राष्ट्रीय उद्यान, पक्षी विहार, अभयारण्य, विशेष जानवरों के स्थल जैसे टाईगर, हाथी, चीते, आदि के स्थल हों या सागरीय जीवों के क्षेत्र सभी का सौन्दर्य विशेष होता है । इसी कारण जैव विविधता से युक्त प्रदेश पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र होते हैं ।

(vi) पारिस्थितिक महत्व:

विविध प्रजातियों द्वारा पारिस्थितिक तन्त्र परिचालित होता है, इसमें एक जीव दूसरे पर निर्भर रहता है । एक प्रजाति के नष्ट हो जाने से दूसरे जीवों पर भी संकट आ जाता है । उदाहरण के लिए एक वृक्ष का केवल आर्थिक महत्व ही नहीं होता अपितु उस पर अनेक पक्षी एवं सूक्ष्म जीवों का निवास निर्भर करता है और यह मृदा एवं जल के लिए भी महत्वपूर्ण होता है ।

अतः यदि इसे नष्ट किया जाता है तो इन सभी पर न केवल प्रभाव पड़ेगा अपितु कुछ जीव नष्ट भी हो जाएंगे । उत्पादक, उपभोक्ता एवं अपघटक के रूप में सम्मिलित प्रत्येक पादप एवं जीवों का पारिस्थितिक महत्व होता है ।

5. वैश्विक जैव विविधता (Global Biodiversity):

विश्व में अत्यधिक जैव विविधता है । इस सम्बन्ध में जीव विज्ञानियों ने अनेक अनुमान लगाए हैं और उनमें पर्याप्त अन्तर भी है । सामान्य अनुमान के आधार पर विश्व में 17.5 लाख प्रजातियाँ वर्णित की गई हैं, और भी अनेकों हो सकती हैं ।

सामान्यतया एक प्रजाति समूह में कितनी अधिक विविधता हो बकती है इसके प्रति अनभिज्ञता है । पुष्पी पादप समूह में ही 2,70,000 तथा जीवाणु समूह में 9,50,000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं । वर्गीकरण विज्ञानी निरन्तर नवीन प्रजाति एवं उनके समूहीकरण को वर्णित करते हैं । पक्षी, स्तनधारी, मछली, पौधों की प्रजातियों को अधिक वर्णित किया गया है जबकि सूक्ष्म जीवाणुओं, बैक्टीरिया, फंगस आदि का कम । अधिकांशतः जैव विविधता के अनुमान उष्ण कटिक-धीय वर्षा वाले वनों में किए गए शोध पर आधारित हैं ।

विश्व में अनेक क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ वृहत् जैव विविधता देखी जा सकती है । इस प्रकार के क्षेत्रों को ‘वृहत जैव विविधता क्षेत्र’ कहा जाता है । विश्व में 12 देशों को वृहत् जैव विविधता देश के रूप में चिन्हित किया गया है, वे हैं- ब्राजील, कोलम्बिया, इक्वेडोर, पेरु, मेक्सिको, जायरे, मेडागास्कर, चीन, इण्डोनेशिया मलेशिया, भारत और ऑस्ट्रेलिया ।

6. भारत में जैव विविधता (Biodiversity in India):

भारत एक विशाल देश है, जहाँ अत्यधिक भौगोलिक एवं पर्यावरणीय विविधता पाई जाती है । भारत विश्व का क्षेत्रीय विस्तार की दृष्टि से सातवां बड़ा देश है जो उत्तर से दक्षिण 3214 किमी और पूर्व से पश्चिम 2933 किमी. में विस्तृत है । इसके एक ओर हिमालय की सर्वोच्च श्रेणियां हैं तो दूसरी ओर समुद्रतटीय मैदान ।

नदियों के वृहत् मैदान दक्षिण का पठार, मरुस्थली प्रदेश के अतिरिक्त प्रत्येक वृहत् प्रदेश में भौगोलिक विविधता है । तात्पर्य यह है कि यहाँ अनेक पारिस्थितिक तन्त्र हैं, इसी कारण यह अत्यधिक जैव विविधता क्षेत्र में सम्मिलित किया जाता है ।

7. विश्व जैव विविधता के तप्त स्थल (Hot-Spots of Biodiversity in the World):

विश्व के सर्वाधिक जैव विविधता के संवेदनशील क्षेत्रों को जैव विविधता तप्त स्थल कहा जाता है । ये ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ जैव विविधता अत्यधिक है किन्तु इनमें जैव विविधता निरन्तर घट रही है, अतः इन स्थलों पर ध्यान देना और संरक्षित करना आवश्यक है ।

सर्वप्रथम नोर्मन मेयर ने 1988 में ‘हॉट स्पाट’ (तप्त स्थल) की अवधारणा प्रस्तुत की और विश्व के अनेक स्थलों को चिन्हित किया । इसके पश्चात् अनेक विद्वानों ने इस अवधारणा को न केवल पुष्ट किया अपितु अनेक नवीन स्थलों को भी चिन्हित किया ।

इस प्रकार के स्थलों के चयन के दो प्रमुख आधार हैं, प्रथम- जहाँ जैव विविधता आधिक हो और दुर्लभ प्रजातियाँ मिलती हों और द्वितीय-इन प्रजातियों पर विलुप्त होने का संकट हो । विश्व के तप्त स्थलों में अधिकांश उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में हैं ।

विश्व के प्रमुख जैव विविधता के तप्त स्थल हैं:

(i) भू-मध्य सागरीय बेसिन

(ii) केरीबियन द्वीप समूह

(iii) मेडागास्कर क्षेत्र

(iv) सुण्डा लैण्ड (इण्डोनेशिया)

(vi) पोलीनेशिया एवं माइक्रोनेशिया (प्रशान्त महासागरीय द्वीपों का समूह)

इनके अतिरिक्त हैं:

(i) कैलीफोर्निया,

(ii) मध्य अमेरिका,

(iii) उष्ण कटिबन्धीय ऐण्डीज,

(iv) मध्य चिली,

(v) ब्राजील एवं अटलांटिक वन क्षेत्र,

(vi) गिनी तट,

(vii) केप क्षेत्र,

(viii) काकेशस,

(ix) पश्चिमी घाट,

(x) द.प चीन का पर्वतीय क्षेत्र,

(xi) इण्डी-बर्मा

(xii) द.प ऑस्ट्रेलिया,

(xiii) न्यूजीलैण्ड ।

उपुर्यक्त सभी क्षेत्रों में अनेक प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं और अनेक विलुप्त भी हो चुकी हैं । विश्व जैव विविधता के संरक्षण के लिए इन क्षेत्रों पर सर्वाधिक ध्यान देना आवश्यक है । इन प्रमुख क्षेत्रों के अतिरिक्त प्रत्येक देश/प्रदेश में इस प्रकार के स्थल हो सकते हैं, उन्हें चिन्हित करना और इनके संरक्षण के उपाय करना आवश्यक है ।

8. जैव विविधता क्षरण/जैव विविधता पर संकट ( Depletion or Threats to Biodiversity):

यह सर्वविदित तथ्य है कि जैव विविधता संकटग्रस्त है और इसका निरन्तर क्षरण होने से विलोपन भी ही रहा है । विश्व संरक्षण एवं नियन्त्रण केन्द्र के अनुसार लगभग 88,000 पादप एवं 2000 जन्तु प्रजातियों पर यह खतरा मंडरा रहा है ।

प्रति 100 वर्ष लगभग 20 से 25 स्तनधारी एवं पक्षी विलुप्त हो रहे हैं । इसके अतिरिक्त 24 प्रतिशत जन्तु एवं 12 प्रतिशत पक्षी प्रजातियाँ विश्व स्तर पर खतरे में हैं । अन्य प्रजाति समूहों पर भी खतरा निरन्तर है किन्तु इनका समुचित अध्ययन नहीं किया गया है ।

इस प्रकार क्षरण अधिकांशतः मानवीय क्रियाओं द्वारा है । कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि प्रति वर्ष 4000 से 17000 प्रजातियाँ समाप्त हो रही हैं । इनके आँकड़ों की सत्यता पर न जाकर यह देखना आवश्यक है कि किस प्रकार इनका संरक्षण किया जाए । इस सन्दर्भ में अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने 1974 एवं 1977 में जैव विविधता की दृष्टि से प्रजातियों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया है, वे हैं-

इनमें जो जातियाँ लुप्त हो चुकी हैं उनके सम्बन्ध में केवल जानकारी जुटायी जा सकती है, जबकि संकटग्रस्त एवं सम्भावित संकटग्रस्त जातियों को बचाने के लिए विश्वव्यापी एवं देशव्यापी योजना बनाना आवश्यक है । प्रश्न है- क्यों जैव विविधता विलुप्त होती है अथवा इसके क्षरण/संकटग्रस्त होने के क्या कारण हैं?  जैव विविधता का क्षरण किसी एक कारण से न होकर अनेक कारणों के सम्मिलित प्रभाव के कारण होता है ।

संक्षेप में जैव विविधता विलोपन के निम्न कारण हैं:

(i) आवास स्थलों का विनाश :

मानव जनसंख्या में वृद्धि तथा विकास के साथ-साथ जीवों के प्राकृतिक आवास समाप्त होते जाते हैं जो जैव विविधता क्षति का प्रमुख कारण है । मानव अधिवास अर्थात् ग्राम एवं नगर्से का बसाव और फैलाव, सड़कों का निर्माण, उद्योगों का विकास, कृषि क्षेत्रों का विस्तार, खनिज, खनन बाँधों का निर्माण आदि कार्यों से वन क्षेत्र अथवा अन्य जीव आवासीय क्षेत्रों को हानि पहुँचती है । एक बड़े बाँध के निर्माण से हजारों हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाती है और वहाँ स्थित पादप, पशु-पक्षी तथा अन्य जीव-जन्तुओं का विनाश हो जाता है ।

इसी प्रकार खनिज खनन पूर्णतया जीव आवासों को नष्ट कर देता है । आवास स्थलों का विनाश लगभग 36 प्रतिशत जैव विविधता के विनाश का कारण रहा है । UNEP और ICUN की रिपोर्ट के अनुसार उष्ण कटिबन्धीय एशिया में वन्य जीवों के 65 प्रतिशत आवास नष्ट हो चुके हैं ।

(ii) आवास विखण्डन:

प्रारम्भ में प्राकृतिक आवास स्थल विस्तृत क्षेत्रों में फैले हुए थे जिससे जीवों जैसे वन्य जीव, पक्षियों तथा अन्य जीवों को स्वक्ट विचरण करने का अवसर मिलता था । अब इनका विखण्डन हो रहा है, कहीं रेल मार्ग तो कहीं सड़क, नहर या पाइप लाइन द्वारा ।

आवास विखण्डन से भूमि का स्वरूप परिवर्तित हो रहा है, वाहनों आदि के गुजरने से प्रदूषण अधिक हो रहा है तथा दुर्घटनाओं में भी जीव मारे जा रहे हैं । आवास विखण्डन के फलस्वरूप अनेक जीवों के प्राकृतिक स्थल भी बँट जाते हैं, उनमें पृथकता होने लगती है जो जैव विविधता को हानि पहुँचाते हैं ।

(iii) कृषि एवं वानिकी की परिवर्तित प्रवृत्ति:

कृषि की पद्धति और प्रारूप में परिवर्तन भी जैव विविधता को हानि पहुँचा रहा है । पहले विभिन्न प्रकार की फसलों को क्रम से उगाया जाता था जिससे भूमि की क्षमता, फसलों की कीट प्रतिसेधक क्षमता बनी रहती थी । अब अधिकांशतः व्यापारिक प्रवृत्ति के कारण एकाकी फसल की प्रकृति हो गई । साथ ही अत्यधिक ग्रसायनिक उर्वरकों का उपयोग तथा कीटनाशकों के प्रयोग से कृषि क्षेत्र के सूक्ष्म जीवों का विनाश हो रहा है । जो न केवल कृषि अपितु पर्यावरण को भी हानि पहुँचा रहा है ।

इसी प्रकार वनीय क्षेत्रों में व्यापारिक उपयोग हेतु एकाकी वृक्षों का रोपण किया जा रहा है । अनेक प्राकृतिक स्थलों में यूकेलिप्टिस, विदेशी बबूल लगाया जा रहा है । कहीं व्यापारिक उपयोग हेतु अन्य वनों को काट कर केवल सागवान टीका ओक, वालेट के वृक्ष लगाये जा रहे हैं । दूसरी ओर वन क्षेत्रों को समाप्त कर विभिन्न प्रकार से कृषि करना भी जैव विविधता क्षरण तथा अन्त में प्रजाति विलुप्तीकरण का कारण है ।

(iv) नवीन प्रजातियों का प्रभाव:

स्थानीय प्रजातियाँ जो सदियों से वहाँ पनप रही हैं उनके स्थान पर नवीन प्रजातियों को लाना भी जैव विविधता पर आक्रमण है और इसको हानि पहुँचा रहा है । जैसे चकत्ते वाला हिरण को अण्डमान-निकोबार द्वीपों में ब्रिटिश द्वार लाया गया जो वहाँ के वन पादपों एवं खेतों को निरन्तर हानि पहुँचा रहा है ।

इसी प्रकार विदेशी पौधों का आगमन स्थानीय पौधों को हानि पहुँचा रहा है । इसका प्रत्यक्ष उदाहरण यूकेलिप्टिस का भारत में विस्तृत क्षेत्रों पर सेपण है जिसने स्थानीय वनस्पति को समाप्त कर दिया है । हरित क्रान्ति द्वारा देश में नवीन कृषि बीजों के प्रचलन से देशी पौधों को अत्यधिक हानि पहुँची है ।

इसी प्रकार गाय, भेड़, सुअर, मुर्गी की विदेशी प्रजातियाँ देशी प्रजातियों के लिए खतरा बन रही हैं । देशी प्रजातियाँ पर्यावरण सामंजस्य वाली होती हैं, दूसरी ओर विदेशी नस्ल के संकर जीव यद्यपि अधिक उत्पादन देते हैं किन्तु स्थानीय जैव- विविधता के लिए संकट का कारण बनते हैं ।

(v) व्यापारिक उपयोग हेतु अति शोषण:

खुला-अमानव द्वार अनेक प्रजातियों का इतना अधिक शोषण किया गया है कि वे संकटग्रस्त हो गई हैं अवैध शिकार और तस्करी अनेक जीवों के न केवल संकट का कारण अपितु विलुप्त होने का कारण भी है । शेर, चीता, हाथी, का शिकार उनकी खाल, बाल, दाँत, हड्डियों आदि के लिए किया जाता है ।

अनेक फर वाले जानवर, साँप तथा पक्षियों को मास जाता है या जिन्दा पकड़ कर तस्करी की जाती है । यह कार्य स्थानीय एवं प्रादेशिक स्तर पर नहीं अपितु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होता है । अनेक जल जीवों का अत्यधिक शोषण हो रहा है इस प्रकार अनेक पादपों का अतिशय शोषण होने से वे समाप्त हो रहे हैं । अनेक दुर्लभ औषधीय पौधों को निर्दयता से समाप्त किया जा रहा है । वर्तमान में अवैध शिकार, तस्करी तथा अतिशोषण जैव विविधता को सर्वाधिक हानि पहुँचा रहा है ।

(vi) प्रदूषण:

मृदा, जल और वायु प्रदूषण पारिस्थितिकी चक्र को प्रभावित करता है और इसका प्रभाव जैव विविधता पर पड़ता है । प्रदूषण अनेक जीवों और पादपों को समाप्त कर देता है । अनेक प्रकार के हानिकारक रसायन जिनका प्रयोग कीटनाशकों के लिए होता है ।

उदाहरण के लिए अमेरिका कृषि क्षेत्र मिसीसीपी नदी द्वारा मैक्सिको की खाड़ी में जो रसायन गिरते हैं उनसे लगभग 7,700 वर्ग मील के क्षेत्र में मृत क्षेत्र बन गया है जहाँ 20 मीटर गहराई तक ऑक्सीजन समाप्त हो गई है उससे समस्त जल जीव मर जाते हैं ।

यह किसी एक क्षेत्र की कहानी नहीं अपितु समस्त क्षेत्रों की है । केवलादेव सष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर (राजस्थान) में सरसों में कीटनाशकों के अवशिष्ट अधिक पाये जाते हैं तथा कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान में डीडीटी. जैसे खतरनाक कीटनाशक अनेक जीवों की मृत्यु का कारण हैं । समुद्र में तेल का रिसाव तथा उद्योगों का रसायन नदी, झीलों में वहाँ के जीवों के लिए घातक है । विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में निरन्तर वृद्धि हो रही है जो जैव विविधता के लिए संकट है ।

(vii) वैश्विक जलवायु परिवर्तन:

विश्व की जलवायु में परिवर्तन आ रहा है । ओजोन परत की विरलता तथा हरित गृह प्रभाव से विश्व के तापमान में वृद्धि हो रही है । यही नहीं अपितु वनोश्वन, विभिन्न गैसों का उत्सर्जन, अम्लीय वर्षा भी जलवायु तन्त्र को प्रभावित कर रहा है ।

जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव विभिन्न प्रजातियों पर होता है, वे नवीन परिस्थितियों से सामंजस्य न कर पाने के कारण विलुप्त होने लगती हैं । विश्व तापमान में वृद्धि से जीवों का स्थानान्तरण होता है । द्वीपीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अधिक होता है । जलवायु परिवर्तन केवल जीवों को ही नहीं अपितु पादपों को भी प्रभावित करता है । इससे फसल क्रम एवं फसल उत्पादन भी प्रभावित होता है ।

(viii) प्राकृतिक आपदाएँ:

प्राकृतिक आपदाएं जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, भूकम्प, भू-स्खलन भी जीव जगत को हानि पहुंचती हैं । इसी प्रकार बाढ़, सूखा, आगजनी तथा महामारी भी जैव विविधता को हानि पहुंचाते हैं । वनों में लगने वाली आग से अनेक जीव-जन्तु एवं पादप नष्ट हो जाते हैं, कभी- कभी इस प्रकार की आग विस्तृत क्षेत्रों में लगती है जिससे जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है ।

उपर्युक्त कारणों के अतिरिक्त जैव विविधता के क्षरण में:

(a) जनसंख्या वृद्धि,

(b) परम्परागत ज्ञान से अनभिज्ञता,

(c) विधि तंत्र की विफलता,

(d) लापरवाही आदि के कारण भी योग देते हैं । तात्पर्य यह है कि वर्तमान में हम जैव विविधता विलोपन के संकट से जूझ रहे हैं, इसका संरक्षण प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए ।

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जैव विविधता के महत्व पर निबंध। Essay on Biodiversity in Hindi

जैव विविधता के महत्व पर निबंध। Essay on Biodiversity in Hindi : जीवन की विविधता (जैव विविधता) धरती पर मानव के अस्‍ति‍त्‍व और स्‍थायित्‍व को मजबूती प्रदान करती है। संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा 22 मई को अंतर्राष्‍ट्रीय जैव विविधता दिवस (आईडीबी) घोषित किए जाने के बादजूद, यह जरूरी है कि प्रतिदिन जैव विविधता से सम्‍बद्ध मामलों की समझ और उनके लिए जागरूकता बढ़ाई जाए। समृद्ध जैव विविधता अच्‍छी सेहत, खाद्य सुरक्षा, आर्थिक विकास, अजीविका सुरक्षा और जलवायु की परिस्‍थितियों को सामान्‍य बनाए रखने का आधार है। विश्‍व में जैव विविधता का सालाना योगदान लगभग 330 खरब डालर है। हालांकि इस बहुमूल्‍य प्राकृतिक सम्‍पदा का तेजी से हृास होता जा रहा है।

Essay on Biodiversity in Hindi

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जैव विविधता पर निबंध

Essay on Bio-Diversity in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हम आप सभी लोगों को अपने इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से शेयर करने जा रहे हैं, जैव विविधता पर निबंध। जैव विविधता मनुष्य एवं जीव जंतुओं के साथ-साथ पेड़ पौधों के लिए भी बहुत ही आवश्यक है।

Essay on Bio Diversity in Hindi

जय विविधता ही एक ऐसी पहचान है, जिसके माध्यम से हम जीवो और मनुष्य में अंतर पहचान पाते हैं। जैव विविधता पर निबंध विद्यार्थियों के लिए परीक्षा के दृष्टिकोण से बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, तो चलिए शुरू करते हैं, जय विविधता पर निबंध।

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जैव विविधता पर निबंध | Essay on Bio-Diversity in Hindi

जैव विविधता पर निबंध (250 शब्दों में).

हमारी पृथ्वी पर अनेकों प्रकार के जीवन विकसित हुए हैं, जो कि मानव के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। संपूर्ण पृथ्वी पर अनेकों ऐसे पादप और जीव जंतु हैं, जोकि एक दूसरे से पारिस्थितिक तंत्र के अनुरूप भिन्न है। जीवन चक्र की क्रमिक रूप से बदलाव होती रहती है और इस बदलाव को ही जैव विविधता का नाम दिया जाता है।

वर्तमान समय में जैव विविधता के प्रति विश्व सचेत है और अनेक विश्व संगठन तथा सरकारें मिलकर इनके संरक्षण के लिए प्रार्थना कर रही हैं। यदि हम कहें, तो जैव विविधता एक प्रकार से सामान जातियों में जातियों में अंतर है। वर्तमान समय में जैव विविधता पर बहुत ही ज्यादा संकट आन पड़ा है तथा संपूर्ण विश्व में बहुत सी ऐसी जातियां हैं, जो कि प्रतिवर्ष विलुप्ती की ओर अग्रसर हो रही है।

जैव विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अमेरिका के कीट वैज्ञानिक ई. ओ. विल्सन ने वर्ष 1986 में “अमेरिकन फोरम ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी” पर एक रिपोर्ट में प्रस्तुत किया। जैव विविधता दो शब्दों से मिलकर बना है, जैव और विविधता। जैव का अर्थ होता है, जीवन और विविधता का अर्थ विभिन्नता होता है, अतः इसका शाब्दिक अर्थ जैव जगत में व्याप्त जीवो में विभिन्नताए हैं।

इल्टीस के कथन अनुसार “जैव विविधता एक वृहद समूह है जोकि जंगली एवं विकसित जातियों को स्वयं में समावेशित करता है यह साथियों अपने स्वरूप एवं कार्यों में सुंदरता एवं उपयोगिता से कल्पना पूर्ण होते हैं।” जैव विविधता पूर्ण रूप से पूर्वजों पर निर्भर करती है। जय विविधता को ज्यादातर नुकसान पूर्वजों के आलस्य पन को माना जाता है।

जय विविधता पर निबंध (800 शब्दों में)

जैव विविधता पृथ्वी पर जीवो के पहचान को व्यक्त करने की एक महत्वपूर्ण निशानी है। जैव विविधता के कारण ही मानव और जानवरों में फर्क किया जाता है। वर्तमान समय में बहुत से ऐसे जीव हैं, जोकि धीरे-धीरे विलुप्ति के कगार पर पहुंच रहे हैं, इनके विलुप्ति के कगार पर पहुंचने का एकमात्र कारण मनुष्यों के द्वारा उपयोग किए जाने वाले यंत्र और उनसे निकलने वाली गर्मी है।

मनुष्य के द्वारा उपयोग किए जाने वाले यंत्रों से काफी गर्मी और उसमें निकलती है जो कि जीवो के लिए अनुकूल वातावरण को बदल देती है और यही वातावरण उनके लिए प्रतिकूल हो जाते हैं, अतः वेद धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ने लगते हैं, जो जीव इन वातावरण में स्वयं को ढाल लेते हैं, वही आगे अपना जीवन यापन कर पाते हैं, अन्यथा वह जीव जो स्वयं को वातावरण के प्रति ढाल नहीं पाते वह विलुप्त हो जाते हैं।

जैव विविधता के संबंध में अलग अलग वैज्ञानिकों के द्वारा दी गई परिभाषाएं

वैज्ञानिक माइकल विदारिक और जॉन स्माल के अनुसार “एक ऐसी शब्दावली जो एक पारिस्थितिक तंत्र के सभी जीव जंतुओं एवं पादपों की विभिन्नता को वर्णित करता है उसे ही जैव विविधता कहते हैं।”

वैज्ञानिक रीचार्ड और टीराईल के अनुसार “जैव विविधता का साधारण अर्थ पृथ्वी पर उपस्थित जीवो के मध्य विभिन्नता है।”

वैज्ञानिक भरूचा के कथन के अनुसार “जैव विविधता संपूर्ण पर्यावरण का वह भाग है, जिसमें जातियों के आनुवंशिकता, विभिन्नता तथा विभिन्न स्तरों पर पादपों एवं जीवो की विभिन्नताओ एवं समृद्धता को सम्मिलित किया गया है।”

वैज्ञानिक रिचर्ड्सन लिंडले गोविंद और हैगेट के अनुसार “जैव विविधता जाति जींस जाति समूह और पारिस्थितिक तंत्र का एक संगठन है, जोकि मिलकर के एक बायोम का निर्माण करती है, जिसके कारण जीवो में विभिन्नताये स्पष्ट हो जाती हैं।”

जैव विविधता के प्रकार

जैव विविधता को तीन भागों में विभक्त किया गया है, जो कि नीचे कुछ इस प्रकार से दिया गया है:

  • प्रजातीय विविधता: प्रजातीय जैव विविधता के अनुसार एक क्षेत्र में जीव जंतु और पादपो की संख्या को ही उस क्षेत्र की प्रजातिय विविधता कहते हैं। कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जो कि इससे समृद्ध हैं और इसी के विपरीत कुछ ऐसे हैं, जो कि इससे असमृद्ध हैं। वर्तमान समय में पहले की अपेक्षा जातियां बहुत ही ज्यादा कम हो गई हैं। एक वंश में विभिन्न जातियों के मध्य जो विविधताएं मिलती हैं, वह जातिगत जैवविविधता ही होती है।
  • अनुवांशिकी विविधता: जीव जंतु एवं पादपों के मध्य प्रत्येक अनुवांशिक आधार पर कुछ ना कुछ अंतर अवश्य होता है, यह अंतर उनके जिन के अनेक समन्वय के आधार पर निर्धारित होता है। जीन के मध्य के समन्वय के कारण ही उस व्यक्ति की पहचान बनती है, यदि उदाहरण के तौर पर देखें, तो प्रत्येक मनुष्य के एक दूसरे से भिन्न होने का कारण जीन है। यदि जब कभी भी अनुवांशिकता के स्वरूप में परिवर्तन आता है, या फिर जिन में किसी प्रकार की स्वरूप में त्रुटि आती है, तो इसमें अनेकों प्रकार की विकृतियां उत्पन्न हो सकती हैं।
  • पारिस्थितिकी विविधता: पारिस्थितिकी तंत्र व्यवस्था पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवो के मध्य निर्धारित किया जाता है। पारिस्थितिक तंत्र विभिन्न प्रकार की जातियों और आवास स्थल का एक रैखिक प्रारूप है। अनेकों मत के अनुसार एक भौगोलिक क्षेत्र के विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र हो सकते हैं, जैसे कि मैदानी, मरुस्थलीय, जलीय, सागरीय, पर्वतीय, वनीय इत्यादि। विकसित जैव विविधता मानवीय प्रयासों से विकसित होती है।

भारत में जैव विविधता

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं, कि भारत एक बहुत ही विशाल देश है, भारत में बहुत ही अधिक भौगोलिक एवं पर्यावरणीय विविधताएं पाई जाती हैं। यदि हम संपूर्ण विश्व में भारत की क्षेत्रीय विस्तार के रूप में देखें, तो हमें यह पता चलेगा, कि हमारा भारत संपूर्ण विश्व में क्षेत्रीय विस्तार की दृष्टि से सातवां स्थान रखता है। हमारे भारत एक छोर से दूसरे छोर की लंबाई उत्तर से लेकर दक्षिण तक 3214 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम तक लगभग 2935 किलोमीटर है। वर्तमान समय में भारत में कुल 91 हजार पशुओं की प्रजातियां ज्ञात है जो कि संपूर्ण विश्व का लगभग 6.5% है।

ना केवल हमारे देश से बल्कि संपूर्ण विश्व से धीरे धीरे जीवो की प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं। ऐसे में संपूर्ण देश अपने-अपने देश में जीवो के विलुप्त को रोकने के लिए अनेकों प्रकार के प्रयास कर रही है। यदि जैव विविधता को संरक्षित नहीं किया गया तो आने वाले समय में बहुत सी ऐसी प्रजातियां है, जो भी विलुप्त हो जाएंगी और हमारे आने वाली पीढ़ी को इनके बारे केवल किताबों में ही जानकारियां जानने को मिलेंगी, इन सभी का निष्कर्ष यह निकलता है, कि हमें जैव विविधता को संरक्षित करना चाहिए।

हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख “जैव विविधता पर निबंध (Essay on Bio-Diversity in Hindi)” अवश्य ही पसंद आया होगा, तो कृपया इसे अवश्य शेयर करें, यदि आपके मन में इसलिए को लेकर किसी भी प्रकार का सवाल या फिर सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।

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Rahul Singh Tanwar

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जैव विविधता पर निबंध,कविता व नारे Biodiversity Essay, Poem, Slogan in Hindi

Jaiv vividhata in hindi.

दोस्तों नमस्कार आज हम आपके लिए लाए हैं जैव विविधता पर हमारे द्वारा लिखित निबंध, कविता और नारे आप इन्हें जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के इस आर्टिकल को।

Biodiversity Essay, Poem, Slogan in Hindi

जैव विविधता को हम जैविक विविधता भी कहते हैं जिससे तात्पर्य विभिन्न प्रकार के जीव जंतु, पेड़-पौधों का इस संसार में या किसी स्थान विशेष में एक साथ रहना है इस संसार में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, विभिन्न प्रकार के जीव जंतु, मनुष्य, पशु पक्षी आदि निवास करते हैं वास्तव में यह सभी धरती पर एक साथ रहकर अपने अस्तित्व को बनाए रखते हैं। जैव विविधता हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है आज हम देखें तो हमारे पर्यावरण में हमारे द्वारा फैलाए जा रहे है प्रदूषण की वजह से कई समस्याएं हैं इन समस्याओं की वजह से जैव विविधता को काफी नुकसान होता है हम सभी को जैवविविधता बनाए रखने के लिए काफी प्रयत्न करने की जरूरत है।

जैविक विविधता महत्वपूर्ण क्यों है

आज हम देखें तो हर एक मनुष्य, जीव जंतु एक दूसरे पर निर्भर है मनुष्य अपने भोजन के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों, फसलों एवं जीव जंतु पर निर्भर है यदि जैव विविधता नहीं होगी तो मनुष्य अपने भोजन की पूर्ति कैसे कर पाएगा.हर कोई कई अन्य पशु पक्षी एवं पेड़ पौधों आदि पर निर्भर रहता हैं अगर जैव विविधता खत्म हो जाए तो वास्तव में हमारे जीवन का कोई अस्तित्व ही नहीं होगा इन सारे जीव जंतुओ का भी कोई अस्तित्व नहीं होगा. हम सभी को इसके महत्व को समझना चाहिए और पर्यावरण में फैले प्रदूषण को दूर करने का हम सभी को प्रयत्न करना चाहिए।

किन प्रदूषणों से जैव विविधता को नुकसान होता है

दरअसल आज हम देखें तो इस आधुनिक युग में मनुष्य के क्रियाकलापों की वजह से हमारे पर्यावरण में कई तरह के प्रदूषण फैले हुए हैं जैसे कि वायु प्रदूषण. आज हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए वाहनों का उपयोग करते हैं जिस वजह से वाहनों से निकलने वाला हानिकारक धुआ पर्यावरण को प्रदूषित करता है जिससे मानव, पशु पक्षियों, पेड़ पौधों सभी को नुकसान होता है इसके अलावा जल प्रदूषण भी जैव विविधता को नुकसान पहुंचाता है .

दरअसल आज मनुष्य अपने कई क्रियाकलापों से एवं कई फैक्ट्रियों के हानिकारक पदार्थों से जल प्रदूषण कर रहा है जिस वजह से कई जलीय जीव जंतु, पेड़ पौधे, जानवर यहां तक कि मनुष्य के जीवन को भी काफी खतरा होता है हम सभी को जल प्रदूषण को रोकने की जरूरत है तभी हम जैव विविधता को नुकसान होने से बचा पाएंगे। हम सभी को चाहिए कि हम अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएं क्योंकि पेड़ पौधे हमारे लिए, जीव जंतु के लिए, हमारे स्वच्छ वातावरण के लिए अति आवश्यक है यदि हम इस ओर विशेष ध्यान दें तो वास्तव में हम जैवविविधता बनाए रखेंगे और अपने अस्तित्व को बनाए रखेंगे।

poem on biodiversity in hindi

हम जैवविविधता बनाए रखें

पेड़ पौधों जन्तुओ का अस्तित्व बचाए रखें

पर्यावरण को प्रदूषण से बचाए चले

जीवन में खुशहाल जीवन जीते चले

जल को प्रदूषित होने से बचाए चलें

वायु प्रदूषण को रोकने चलें

पेड़ पौधे हम लगाते चलें

हम जैव विविधता बनाए चलें

इस संदेश को आगे बढ़ाएं चलें

सभी के अस्तित्व को बचाए चलें

हम जेव विविधता बनाए रखें

पेड़ पौधों और जंतुओं का अस्तित्व बचाए रखें

slogan on biodiversity in hindi

  • जैव विविधता से जीवन है इसके बिना न जीवन है
  • पर्यावरण प्रदूषण को रोकने जाएं हम जैव विविधता को बचाते जाएं
  • इस प्रकृति में हम आए हैं सबका मिलजुल कर सहयोग करते जाएं हैं
  • जैव विविधता से जीवन बचाएं जीवन में कुछ कर दिखाएं
  • जैव विविधता महत्वपूर्ण है हर जीव जंतु वनस्पति के लिए महत्वपूर्ण है
  • जीव विविधता को बचाएं जीवन को बचाएं
  • पेड़ों के महत्व पर कविता व नारे Importance of trees poem, slogan in hindi
  • पेड़ बचाओ पर कविता Ped bachao kavita in hindi

दोस्तों आप हमे कमेंट्स के द्वारा बताये की Biodiversity Essay in Hindi आपको कैसा लगा.

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kamlesh kushwah

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Bahut hi badhiya posts aapne share kiya hain sir Thanks.

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दा इंडियन वायर

जैव विविधता किसे कहते हैं?

essay on biodiversity in hindi

By अपूर्वा सिंह

biodiversity in hindi

जीवित जीवों की परत यानी बायोस्फीयर अपने अनगिनत पौधों, जानवरों, और सूक्ष्मजीवों की सामूहिक मेटाबोलिक गतिविधियों के माध्यम से, पर्यावरण प्रणाली में वायुमंडल, भू-भाग, और हाइड्रोस्फीयर को रासायनिक रूप से एकजुट करती है, जिसमें मानवों सहित लाखों प्रजातियां बढ़ी हैं।

सांस लेने योग्य हवा, पीने योग्य पानी, उपजाऊ मिट्टी, उत्पादक भूमि, समुद्र, पृथ्वी के हाल के इतिहास का न्यायसंगत वातावरण, और अन्य पारिस्थितिकी तंत्र सेवाए जीवन के कार्यकलापों की अभिव्यक्ति हैं।

जैव विविधता की परिभाषा (Definition of Biodiversity)

essay on biodiversity in hindi

जैव विविधता को “सभी स्रोतों, स्थलीय, समुद्री और अन्य जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों और पारिस्थितिक परिसरों सहित जीवित जीवों के बीच परिवर्तनशीलता के रूप में परिभाषित किया जाता है; इसमें प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्रों के बीच प्रजातियों के भीतर विविधता शामिल होती है”। इस परिभाषा का महत्व यह है कि यह जैव विविधता के कई आयामों पर ध्यान आकर्षित करता है।

यह स्पष्ट रूप से मान्यता देता है कि प्रत्येक बायोटा को इसकी टैक्सोनोमिक, पारिस्थितिकीय, और अनुवांशिक विविधता द्वारा विशेषता दी जा सकती है और जिस तरह विविधता के ये आयाम स्पेस और समय पर भिन्न होते हैं ये जैव विविधता की एक प्रमुख विशेषता है। इस प्रकार जैव विविधता का केवल एक बहुआयामी मूल्यांकन जैव विविधता में परिवर्तन और पारिस्थितिक तंत्र के कार्य करने और पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं में परिवर्तन के बीच के संबंधों में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

जैव विविधता में सभी प्रबंधित या अप्रबंधित पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। कभी-कभी जैव विविधता को केवल अप्रबंधित पारिस्थितिक तंत्र, जैसे वन्यभूमि, प्रकृति संगरक्षण, या राष्ट्रीय उद्यानों की एक प्रासंगिक विशेषता माना जाता है। लेकिन यह गलत है। प्रबंधित प्रणाली में -वृक्षारोपण, खेत, फसल भूमि, जलीय कृषि स्थल, रेंजलैंड, या यहां तक कि शहरी पार्क और शहरी पारिस्थितिक तंत्र भी हैं- इनकी अपनी जैव विविधता है।

कई औजारों और डेटा स्रोतों के बावजूद, जैव विविधता को सटीक मात्रा में मापना मुश्किल है। जैव विविधता की स्थितियों और प्रवृत्तियों का आकलन करने के लिए या तो विश्व स्तर पर या उप-वैश्विक स्तर पर, वर्गीकरण (जैसे कि प्रजातियों की संख्या) का उपयोग करके अंतरिक्ष और समय पर सभी जीवों की बहुतायत को मापना आवश्यक है। वर्तमान में, यह अधिक सटीकता के साथ करना संभव नहीं है क्योंकि इसमे डेटा की कमी है।

जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति, सेवाओं, या परिवर्तन की चालक है, लेकिन कोई भी पारिस्थितिक सूचक जैव विविधता के सभी आयामों को कैप्चर करता है।

जैव विविधता के प्रकार (Types of Biodiversity)

essay on biodiversity in hindi

1. जेनेटिक विविधता (Genetic Diversity)

आबादी के भीतर प्रत्येक व्यक्ति में आमतौर पर genes के थोडे अलग रूप होते हैं जो उन्हें अपने अद्वितीय गुण देते हैं। आनुवंशिक विविधता या जेनेटिक डाइवर्सिटी किसी भी प्रजाति के लिए प्रजनन व्यवहार्यता, बीमारी के प्रतिरोध, और बदलती स्थितियों को अनुकूलित करने की क्षमता को बनाए रखने के लिए जरूरी है। वे व्यक्ति जो इन अनुकूल genes पर जीवित रहने और पुन: उत्पन्न करने में सक्षम हैं। इन्हें प्राकृतिक चयन के रूप में जाना जाता है।

जलवायु बदलने और मानव दबाव में वृद्धि के इस समय में, प्रजातियों के निरंतर अस्तित्व के लिए अनुकूलन और जीवित रहने की क्षमता महत्वपूर्ण है। और यदि एक प्रजाति गायब हो जाती है, तो एक संपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र पर उसका फर्क पड़ सकता है।

2. प्रजाति विविधता (Species Diversity)

प्रजाति विविधता एक पारिस्थितिक समुदाय में विभिन्न प्रजातियों की संख्या और उनके सापेक्ष बहुतायत का एक उपाय है। प्रजातियों की पहचान और वर्गीकरण को टैक्सोनोमी के रूप में जाना जाता है।

पारिस्थितिकी तंत्र में प्रत्येक प्रजाति की भूमिका होती है, जो कि कई अन्य लोगों के बीच शिकारी, शिकार, पोलिनेटर या सीड डिस्परसर वाला होता है। यदि एक प्रजाति विलुप्त हो जाती है, तो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि मधुमक्खियां विलुप्त हो गई, तो इसमें फल और सब्जियां अगली हो सकती हैं, और फिर जानवर जो इनपर फीड करते हैं।

3. सामुदायिक विविधता (Community Diversity)

यह किसी विशेष क्षेत्र के भीतर विभिन्न प्रजातियों के संयोजनों की संख्या है।

सामुदायिक विविधता उचित पारिस्थितिक तंत्र में कार्य करने की निरंतरता का समर्थन करती है, जो लोगों को महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करती है। इनमें पीने और कृषि , के लिए स्वच्छ पानी, बाढ़ नियंत्रण, मिट्टी के कटाव से संरक्षण, हवा की फ़िल्टरिंग, जलवायु स्थिरता, प्रदूषण अवशोषण, औषधीय संसाधन, आदि शामिल है।

जैव-विविधता की जरूरत (Importance of Biodiversity)

पृथ्वी पर आज जैव विविधता लगभग 3.5 अरब वर्षों के विकास का परिणाम है। मनुष्यों के उदय तक, पृथ्वी भूगर्भीय इतिहास में किसी भी अन्य अवधि की तुलना में अधिक जैव विविधता का समर्थन करती है। हालांकि, मनुष्यों के प्रभुत्व के बाद, जैव विविधता में तेजी से गिरावट शुरू हो गई है, और एक प्रजाति के बाद एक अन्य प्रजाति विलुप्त होने लगी हैं। निम्नलिखित कारणों से जैव विविधता का रखरखाव महत्वपूर्ण है:

1. पारिस्थितिक स्थिरता

प्रत्येक प्रजाति एक पारिस्थितिक तंत्र के भीतर एक विशेष कार्य करती है। वे ऊर्जा को कैप्चर और स्टोर कर सकते हैं, आर्गेनिक पदार्थों का उत्पादन कर सकते हैं, आर्गेनिक पदार्थों को विघटित कर सकते हैं, पूरे पारिस्थितिक तंत्र में चक्र के पानी और पोषक तत्वों में मदद कर सकते हैं, क्षरण या कीटों को नियंत्रित कर सकते हैं, वायुमंडलीय गैसों को ठीक कर सकते हैं, या जलवायु को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

पारिस्थितिक तंत्र उत्पादन और सेवाओं को समर्थन प्रदान करते हैं जिसके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकते हैं। इनमें मिट्टी की प्रजनन क्षमता, पौधों के पोलिनेटर्स, प्रेडेटर्स, अपशिष्टों का अपघटन, वायु और पानी का शुद्धिकरण, स्थिरीकरण और जलवायु में संयम, बाढ़ , सूखे और अन्य पर्यावरणीय आपदाओं में कमी शामिल है।

शोध से पता चलता है कि एक पारिस्थितिक तंत्र जितना अधिक विविध होगा, उतना ही यह पर्यावरणीय तनाव का सामना कर सकेगा और उतना ही अधिक उत्पादक होगा।

2. मनुष्यों के लिए आर्थिक लाभ

सभी मनुष्यों के लिए, जैव विविधता पहले दैनिक जीवन के लिए एक संसाधन है। इस तरह की ‘फसल विविधता’ को कृषि जैव विविधता भी कहा जाता है।

अधिकांश लोग खाद्य, फार्मास्यूटिकल और कॉस्मेटिक उत्पादों के निर्माण के लिए संसाधनों के जलाशय के रूप में जैव विविधता को देखते हैं। इस प्रकार संसाधन की कमी जैव विविधता के क्षरण से संबंधित हो सकती है। कुछ वस्तुएं जैसे- खाद्य, चिकित्सा, कपड़ा उद्योग, पर्यटन आदि।

3. नैतिक कारण

जैव विविधता की भूमिका अन्य जीवित प्रजातियों, अधिकारों, कर्तव्यों और शिक्षा के साथ नैतिक दृष्टिकोण के साथ हमारे संबंधों का दर्पण होता है। यदि मनुष्य मानते हैं कि प्रजातियों को अस्तित्व का अधिकार है, तो वे स्वेच्छा से उनके विलुप्त होने का कारण नहीं बन सकते हैं। इसके अलावा, जैव विविधता कई संस्कृतियों की आध्यात्मिक विरासत का भी हिस्सा है।

[ratemypost]

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

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जैव विविधता मानव जीवन के हिस्सा जो प्रकृति है। जहां एक बीज का निर्माण से जुड़े तत्व शामिल एक प्रकार का ऊर्जा प्रकाश है। जल वाष्प के रूप में बादल बनकर उड़ता बारिश, बहता पानी समुद्र खारा है। हम ऑक्सीजन ग्रहण करते कार्बन डाइऑक्साइड हैं जो एक जीव के रूप में पर्याप्त संसाधन है। मैं जितना फायदेमंद चीजें और जीवों को जानता हूं उतना ही नुकसान दायक मेरे वह जीव भी परिस्थिति का तंत्र है। मेरे बारे में वह काम करते हैं एक जीव विज्ञान हुं। मैं पढ़ता हूं उन्हें जो एक बीज से रूपांतरण पौधा के रूप में बड़ा वृक्ष है। जो जीवित प्रणाली में मृत शरीर को जलाने के उपयोग में वह सुखा लकड़ी है। हम काट रहे हैं उन पेड़ों को जिनसे आयु काल है। मैं जानता हूं उन्हें जो हमारे तत्व निर्माण कार्य करते मनुष्य शरीर का निर्माण कार्य रक्त समूह वीर्य है।

Very nice👍👍

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200, 250, 300, 350, 400, & 500 Word Essay on Biodiversity in English & Hindi

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Table of Contents

200 Word Essay on Biodiversity In English

Introduction:.

Life and diversity are the two words that make up the term biodiversity. Biodiversity is a term used to describe the variety of life on earth. There are many living species on the planet, including plants, animals, microbes, and fungi.

Types of biodiversity:

Genetic diversity refers to variation in genes and genotypes within a species, e.g., every human looks different. 

The diversity of species within a habitat or region is known as species biodiversity. A community’s biodiversity is its diversity.

Biological biodiversity refers to the variation in plant and animal species living together and connected by food chains.

Importance of biodiversity:

Cultural identity is rooted in biodiversity. In order to maintain cultural identity, human cultures must co-evolve with their environment. Medicinal purposes are served by biodiversity.

Vitamins and painkillers are among the medicinal plants and animals. Climate stability is enhanced by it. As a result, it contributes to reducing greenhouse gas emissions and controlling climate change. 

Food resources are increased as a result of biodiversity. Among its many functions are soil creation and maintenance, pest control, and wildlife habitat provision. Industry and biodiversity are interconnected. There are a variety of materials that are obtained from biological sources, such as rubber, cotton, leather, food, and paper.

The benefits of biodiversity are numerous from an economic perspective. Pollution can also be controlled by biodiversity. A healthy ecosystem depends on biodiversity. In addition to being a source of recreation, biodiversity also serves as a source of food. The presence of biodiversity contributes to the improvement of soil quality, along with other factors.

250 Word Essay on Biodiversity In English

There are a variety of species of plants and animals on earth, which is known as biodiversity. Additionally, it is also known as biological diversity because it refers to the variety of plant and animal species. Earth’s balance is maintained by biodiversity.

Methods to Increase Biodiversity :

Connecting wildlife spaces with wildlife corridors. Animals are therefore unable to cross huge barriers. This prevents them from migrating and breeding across the barrier. Wildlife corridors can be created using a variety of engineering techniques. Assist animals in moving from one place to another.

You can increase biodiversity by planting gardens in your house. This is one of the easiest ways. A balcony or yard can be used to grow different kinds of plants and animals. Furthermore, this would improve the air quality in the home.

Zoos and wildlife sanctuaries are protected areas that conserve biodiversity. Plants and animals are maintained in their natural habitats, for example. Moreover, these places are not inhabited by humans. Because of this, fauna and flora are able to thrive in a well-maintained ecosystem.

Our country has a large number of wildlife sanctuaries that now cover a vast area. In addition, these areas are responsible for the survival of some species of animals. As a result, there should be more protected areas around the world.

There has been a lot of damage done over the course of centuries, which requires rewilding. Further, rewilding refers to the introduction of extinct species into extinct habitats. Human activities like hunting and cutting down trees have threatened biodiversity over the past few years. To conserve our wildlife and plants, we must take the necessary measures.

It is extremely important to maintain biodiversity in order to maintain the ecological system. One of the most significant things to note is that many plants and animals are interdependent.

As a result, if one becomes extinct, the others will follow suit. As a result, plants and animals are also important for humans, as our survival depends on them. Plants provide us with the food that we need to survive, for example. It is impossible to grow crops if the earth does not provide us with a favorable environment. Our ability to sustain ourselves on this planet will be limited as a result.

Flora and fauna biodiversity is of the utmost importance. To prevent the reduction of endangered species, various countermeasures need to be taken. It is also necessary to reduce vehicle pollution. For the sake of animals’ health. Also, it will decrease global warming, which is a major cause of extinction.

300 Word Essay on Biodiversity In English

There are many species and kinds of life on this planet, which is called biodiversity. The biodiversity of a particular place is comprised of all types of plants, animals, reptiles, insects, and aquatic life. There isn’t a uniform distribution of biodiversity across the planet, with more biodiversity found in forests and undisturbed areas.

Importance of Biodiversity:

The ecological balance of our planet depends on every species found on it. All living species, including humans.

The extinction or disappearance of one species affects others as well. Birds, for instance, contribute greatly to biodiversity preservation. They scatter seeds over the ground after feeding on fruits. As a result, new plants grow, continuing the cycle.

The biodiversity of the area would be affected if birds were to become extinct. As a result, fewer plants would germinate. The biosphere is also vital to the supply of food for humans, to a large extent. The gifts of biodiversity to the human race include food, crops, fruits, underground water, and many other things. If biodiversity is destroyed, our planet will become lifeless and uninhabitable.

Threats to Biodiversity:

Several human activities threaten biodiversity today. Biodiversity is threatened by the following factors:

⦁ Encroachment

Commercial construction of mammoth proportions is an encroachment on a forested area. Biodiversity is permanently destroyed by buildings, houses, factories, etc. Due to concrete construction, biodiversity has no chance of surviving.

⦁ Agricultural Activities

Biodiversity is also threatened by agricultural activities. As the number of people continues to increase, the demand for food production is increasing rapidly. This, in turn, leads to the encroachment of forests. As a result, biodiversity is lost in the area cleared for agricultural activities.

⦁ Roads and Railways

One of the main reasons for the loss of biodiversity is the construction of roads and railway lines through forests. It requires the clearing of a large area of forest land for both projects. As a result, the biodiversity of the area is also disturbed by regular transport through these modes.

⦁ Environmental Pollution

A region’s biodiversity is also threatened by environmental pollution. All forms of pollution have their own causes and consequences, including water pollution, air pollution, soil pollution, etc.

In today’s world, pollution poses the greatest threat to biodiversity and life as we know it. It threatens all forms of life in the affected area. As a result of pollution, the planet’s biodiversity reserves are under threat. Conservation of biodiversity would be difficult if pollution wasn’t contained effectively.

Conclusion:

Life on earth cannot exist without biodiversity. The planet would become a lifeless ball of dry and parched land without its biodiversity reserves. If one species becomes extinct in a biodiversity reserve, then sooner or later others will follow. Thus, all biodiversity reserves must be protected at all costs.

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350 Word Essay on Biodiversity In English

Our environment is home to an abundance of a variety of animals and plants. In order for our planet to survive, biodiversity must be conserved. Many species have become extinct due to man’s carelessness. Destruction of forests and endangered species of animals and microorganisms endangers the planet.

Diverse organisms in their environments are referred to as biodiversity or biological diversity. Sea creatures, land animals, and aquatic species are examples of these creatures. It is pertinent to recognize how these species play a role in the larger world as part of biodiversity. Nature is characterized by diversity. 

It is not only the presence of diverse species on Earth that makes biodiversity so valuable. In addition to being important on a national and political level, it is also extremely important economically.

Nature’s balance depends on biodiversity. In order to sustain the food chain, this is important. Through this food chain, one species may provide food for another, and different species are related to one another. The scientific interest in biodiversity extends beyond this.

In the case that these animals cease to exist, it would not be possible to carry out research and breeding projects. Furthermore, the majority of medications and medicines used for the treatment of many diseases come from plants and animals.

Plants and animals, such as fish and other marine animals, produce all of the food we consume. Also, they provide the raw material for new crops, pesticides, and agricultural practices. For industrial usage, biodiversity is also significant.

Fur, honey, leather, and pearls are just a few of the items we get from animals. In addition, we procure wood for plants that produce a paper that we use in our everyday lives. Tea, coffee and other beverages, dried fruits, and our daily fruits and vegetables are all obtained from various plants.

Loss of Biodiversity:

There is a serious decline in biodiversity on Earth, which poses a significant danger to humans. Biological organisms are being wiped out due to many factors, with human behavior being the most influential. People destroy forests for the construction of houses and offices. Plants and animals are being destroyed by deforestation due to human activity. All new technological advances.

Noise pollution has made it impossible to even find bird species today. Biodiversity loss is also caused by global warming. The number of coral reefs is declining as a result of global warming.

Conservation of Biodiversity:

Biodiversity has been protected by governments around the world for many years now. National parks, for instance, are designated to safeguard wild animals and plants from human interference. Many wildlife management initiatives have been implemented to protect fragile and endangered species. Our country has taken steps to increase the tiger population through projects such as Project Tiger.

A number of regulations make killing vulnerable and endangered species a criminal offense. UNESCO (United Nations Educational, Science and Cultural Organization) and IUCN (International Union for the Conservation of Nature and Natural Resources) have also implemented several projects to conserve different species at an international level.

400 Word Essay on Biodiversity In English

Biodiversity provides many economic benefits. Many regions of the world benefit economically from biodiversity. Tourism and recreation are made possible by biodiversity. It has a lot of benefits for nature reserves and national parks. Ecotourism, photography, painting, filmmaking, and literary works take place in forests, wildlife, biosphere reserves, and sanctuaries.

As a result of biodiversity, the composition of the atmosphere’s gaseous composition is maintained, waste materials are broken down, and pollutants are removed from the environment.

The importance of biodiversity for human existence can be attributed to the complex interactions between all life forms and the multiple effects one disturbance can have on another. Plants, animals, and the environment can be endangered, along with human life, if we do not protect our biodiversity.

Therefore, protecting our biodiversity is essential. Biodiversity can be preserved by teaching people to adopt more environmentally friendly methods and activities and fostering a more empathic and harmonious relationship with the environment. Communities should be involved and cooperate. It is imperative that biodiversity is protected continuously.

At the Earth Summit, the Government of India signed a convention to protect biodiversity with 155 other nations. In accordance with the summit, endangered species should be protected. 

It is important to preserve wildlife and manage it properly. It is important to preserve food crops, animals, and plants. It is recommended to use as few food crops as possible. Ecosystems and habitats need to be protected by every country. 

A variety of species have been protected, preserved, and propagated by the Government of India through the Wild Life Protection Act 1972. National parks and sanctuaries are also protected by the government.

Mega Diversity Centres are found in 12 countries, including Mexico, Columbia, Peru, Brazil, Ecuador, the Democratic Republic of Congo, Madagascar, India, China, Malaysia, Indonesia, and Australia. Many of the world’s species can be found in these tropical countries.

The vegetation has been protected by several hotspots. In order to conserve biodiversity, a variety of methods can be used. 

If biodiversity conservation is not carried out efficiently, a lack of appetite and hunger will eventually lead to extinction. For the last few decades, this scenario has been a big concern, and many endangered species have already disappeared. Several species are still at risk of extinction due to a lack of biodiversity protection.

500 Word Essay on Biodiversity In English

What is biodiversity.

There are many different life forms inhabiting the earth at this time, including bacteria, plants, animals, and humans, as well as the environment in which they live. We do not know why life manifests itself in so many different forms, but we know that they are all interdependent and exist together.

Why is biodiversity important?

Defining biodiversity is not enough. There is more to it than that. Since I learned best when I had an example, I’ll give you an example of biodiversity’s importance based on my experience as a student.

Before Yellowstone Park became a national park and a natural reserve, it was just another forest that men hunted in. In the region, wolves lived in large numbers on the plains, and they were hunted to extinction for generations. As the coyotes gained more space and started consuming smaller mammals, the population of eagles in the area decreased, but the most significant change came from the deer.

Due to the lack of wolves in the park for fifty years, roe deer no longer feared open grasslands since they no longer had natural predators. When they started grazing extensively, the grass on the shore of the Yellowstone River was depleted and the soil became loose. A lot of soil was taken away by the river and deposited in other places, flooding certain areas and causing droughts in others.

A decade of planning and diligent work led biologists to restore one pack of wolves to the park after a decade of planning. In the aftermath of the pack’s arrival, the deer returned to the forest, the coyotes’ population dropped since they couldn’t compete with the wolf, and the small rodents increased. This allowed carnivores’ great birds to return. Grazing on the river edge stopped, and the Yellowstone river resumed its natural flow after a few years.

This story is completely true and I love to use it as an example of the importance of maintaining biodiversity. There are many regions in the world that have similar problems. If we do not do our duty to conserve biodiversity, we could be looking at similar or even worst natural catastrophes.

Most things are mass-produced by people. The same is true for animal farming; they will destroy a forest of tens of thousands of life forms for one plantation. We often lose sight of the small details that make a system function as a whole, in our quest to be productive all the time.

We see that the balance and wealth biodiversity contributes to the planet is not something that can easily be compensated once we remove an insignificant thing like a bug or a wolf pack from the picture.

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Nibandh

जैव विविधता संरक्षण पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - जैव विविधता क्या है - जैव विविधता के प्रकार - भारत में कितने जैव विविधता हॉटस्पॉट है - जैव विविधता संरक्षण के उपाय - जैव विविधता संरक्षण क्यों आवश्यक है - विश्व जैव विविधता दिवस - उपसंहार।

जैव विविधता संदर्भित रूप से उन विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पति से है जो संसार में या किसी विशेष क्षेत्र में एक साथ रहते है। जैव विविधता की समरसता को बनाये रखने के लिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है की हम अपनी धरती की पर्यावरण संबंधित स्थिति के तालमेल को स्थिर बनाये रखे। जैव विविधता जितनी समृद्ध होगी उतना ही सुव्यवस्थित और संतुलित हमारा वातावरण होगा। जैविक विविधता मुख्य रूप से अलग अलग तरह के पेड़ पौधों और पशु पक्षियों का धरती पर एक साथ अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए कहते है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग जंतु और पेड़-पौधे ही मिलकर मनुष्य की मूलभूत जरूरतें पूरी करने में सहायता करते है।

जैव विविधता जिसे जैविक विविधता भी कहते है, किसी दिये गये पारिस्थितिकी तंत्र, बायोम, या एक पूरे ग्रह में जीवन के रूपों की विभिन्नता का परिमाण है। जैव विविधता जीवन और विविधता के संयोग से निर्मित शब्द है जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है। जैव विविधता किसी जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है। पृथ्वी पर जीवन आज लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में उपस्थित हैं। जैव विविधता एक प्राकृतिक संसाधन है जिससे हमारी जीवन की सम्पूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।

जैव विविधता जिसे जैविक विविधता भी कहते है, जीवन और विविधता के संयोग से निर्मित शब्द है जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन जैसे जीव-जंतु, वनस्पति, पेड़ पौधों, पशु पक्षियों आदि की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है। जैव विविधता तीन प्रकार की होती है-

  • आनुवंशिक विविधता
  • प्रजातीय विविधता तथा
  • पारितंत्र विविधता

अनुवांशिक विविधता - एक ही प्रजाति के जीवों में होने वाली विविधताओं को अनुवांशिक विविधता कहते हैं। प्रजातीय विविधता - जिसमें एक ही प्रजाति के जीव एक दूसरे से काफ़ी समानता रखते हैं उसे प्रजातीय विविधता कहते हैं। पारितंत्र विविधता - जो आवास एवं जैव समुदाओं के अंतर को प्रदर्शित करती है उसे पारिस्थितिकी विविधता अथवा पारितंत्र विविधता कहते हैं।

भारत मे जैव मंडल आरचित छेत्र नीलगिरी है। वर्तमान में भारत में चार हाटस्पाँट क्षेत्र है। भारत मे जैव मंडल आरचित छेत्र नीलगिरी है । भारत जैव विविधता हॉटस्पॉट-

  • पश्चिमी घाट
  • पूर्वी हिमालय
  • सुण्डालैण्ड

पृथ्वी को बचाने के लिए हमें जैव विविधता अथवा जैविक विविधता को बचाना होगा। उसके लिए सबसे पहले इंसान को जैव विविधता के महत्व को समझना होगा। जैव विविधता संरक्षण के उपाय क्या-क्या है जिसे इस प्रकार लिखा गया है।

  • सड़को पर दौड़ते वाहन बड़े पैमाने पे प्रदूषण फैला रहे है जो मनुष्य जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वातावरण की शुद्धता को बचाने के लिए इन वाहनों पर अंकुश लगाना होगा ताकि ये वातावरण को और दूषित न कर पाए।
  • फैक्टरियों से निकलता दूषित पानी जल जीवन को ख़राब कर रहा है। पानी में रहने वाले जीवों की जान आज खतरे में नजर आ रहे है। इस निकलते दूषित पानी का जल्दी से जल्दी उचित प्रबंध करना होगा ताकि ये बड़ी आपदा का रूप न ले ले तथा पानी को दूषित करने वाले लोगों को कड़ी क़ानूनी करवाए कर उन्हें दंड देना होगा।
  • इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण पर भी लगाम लगानी होगी।
  • वनों की कटाई के वजह से आज जैव विविधता में गिरावट बढ़ती जा रही है। इससे न सिर्फ पेड़ो की संख्या घट रही है बल्कि कई जानवरों एवं पक्षियों से उनका आशियाना भी छिनता जा रहा है जो उनके जीवन निर्वाह में एक बड़ी मुसीबत बन चुका है।
  • वातावरण की दुर्गति को देखते हुए इस पर तुरंत प्रभाव से नियंत्रण करना होगा। जैव विविधता की समरसता को बनाये रखने के लिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है की हम अपनी धरती की पर्यावरण संबंधित स्थिति के तालमेल को स्थिर बनाये रखे।

मानव जीवन में जैव विविधता का बड़ा महत्व है। इस संसार में सभी जीवन को स्थिर बनाये रखने में जैव विविधता एक अहम योगदान निभाती है। यह पारिस्थितिकीय प्रणाली के संतुलन को बना के रखती है। विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा वनस्पति एक दूसरे की जरूरतें पूरी करते है और साथ ही ये एक दूसरे पर निर्भर भी है। उदाहरण के तौर पर मनुष्य को ही ले लीजिए। अपनी मूलभूत आवश्यकता जैसे खाने, रहने के लिए वह भी पशु, पेड़ और अन्य तरह की प्रजातियों पर आश्रित है। हमारी जैव विविधता की समृद्धि ही पृथ्वी को रहने के लिए तथा जीवन यापन के लायक बनाती है। दुर्भाग्य से बढ़ता हुआ प्रदूषण हमारे वातावरण पर गलत प्रभाव डाल रहा है। बहुत से पेड़-पौधे तथा जानवर प्रदूषण के दुष्परिणाम के चलते अपना अस्तित्व खो चुके है और कई लुप्त होने की राह पर खड़े है। अगर ऐसा ही रहा तो सभी प्रजातियों के सर्वनाश का दिन दूर नहीं है। इसीलिए मनुष्य को इसके महत्व के बारे में अवगत कराना होगा ताकि वे इसे गंभीरता से समझे और इसे संतुलन बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास करे।

लोगों को जैव विविधता के प्रति जागरूक कराने के लिए तथा इसका हमारे जीवन में कितना महत्व रखता है ये बताने के लिए प्रत्येक वर्ष 22 मई को "विश्व जैव विविधता दिवस" मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर, 2000 को 22 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस’ के रूप में घोषित किया था। इसके पीछे यूएनओ का मुख्य उद्देश्य यह था की विश्व में सभी लोगो को जैव विविधता के प्रति सतर्क किया जाये जिससे विश्व की जैव विविधताओं को बनी रहे और उसका संरक्षण किया जा सके। इसे सबसे पहले साल 1993 में मनाया गया था। उस समय यह 29 दिसंबर को मनाया गया था। इसके बाद साल 2001 से यह हर साल 22 मई को मनाया जाता है।

विश्व के बारह चिन्हित मेगा बायोडाइवर्सिटी केन्द्रों में से भारत एक है। जैव विविधता, किसी दिये गये पारिस्थितिकी तंत्र, बायोम, या एक पूरे ग्रह में जीवन के रूपों की विभिन्नता का परिमाण है। हर एक वनस्पति तथा जीव का वातावरण को रहने के योग्य बनाने में अलग-अलग उद्देश्य है। इसलिए अगर हमें अपने वातावरण की शुद्धता को ऊँचे स्तर तक पहुँचाना है तो हमें जैव विविधता के संतुलन को बनाये रखने पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। जैव विविधता तीन प्रकार की होती है आनुवंशिक विविधता, प्रजातीय विविधता तथा पारितंत्र विविधता। लोगों को जैव विविधता के प्रति जागरूक कराने के लिए तथा इसका हमारे जीवन में कितना महत्व रखता है ये बताने के लिए विश्व जैव विविधता दिवस अथवा अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता हैं।

Nibandh Category

'UK school art curriculum should reflect diversity efforts in our institutions'

Research by the runnymede trust found that only 2.3% of artists named in gcse art papers over the last five years were black or asian.

essay on biodiversity in hindi

In the UK, we have recently enjoyed a wealth of long-overdue solo and group exhibitions celebrating the rich and varied practices of minority ethnic artists at the heart of our shared visual culture. However, our research with Runnymede Trust exposed that the picture of this visual culture presented in schools looks like a different universe. Only 2.3% of artists named in GCSE art papers over the last five years were Black or Asian, and some exams did not reference a single non-white artist. Over three years, we spoke to teachers, students and artists across England to understand what and how young people are taught in art lessons, and why this narrow curriculum is so disconnected from the ideas and practices flourishing in the sector.

Addressing the class

Beyond the stark absences in GCSE papers, we met art teachers preparing students for these exams whilst themselves desperately lacking in confidence and support. Only four out of ten surveyed felt sure of the correct language to use when discussing minority ethnic artists and their work, and a third had never encountered the practices of any minority ethnic artists in their own education and training. Suffocated and beleaguered by years of underfunding, mismanagement, devaluing of their subject and risk-averse cultures, art teachers are leaving the profession in record numbers. Those who remain discussed with us the struggle to realise the broad, inspiring curriculum to which they aspired.

Black and Asian students in particular facing parental pressure to ‘focus on other subjects’ at four times the rate of their white peers.

Art as luxury

Equally, our research uncovered the bleak reality of a generation of young people educated to see visual art as an archaic luxury with no currency in the real world. Only 6% of students surveyed felt they could relate to artists introduced in the classroom, and less than 10% that art helped them understand their own lives. This preconception extended beyond students to families unable to see a value to studying Art & Design, with Black and Asian students in particular facing parental pressure to ‘focus on other subjects’ at four times the rate of their white peers. Against this desolate landscape, the voices of contemporary artists reflecting on the impact of their own art education illuminated the transformative potential of the subject, and how far current experiences are falling short. In the "artist's voices" section of the report, alongside Simeon Barclay, Rana Begum, Chila Burman, Hardeep Pandhal, Rene Matic and Keith Piper, Harold Offeh spoke of a state school art education that “was relevant and vital, equipping me with tools to reflect on my place in the world, communicate and contribute to it. I was empowered to make, think, play and do.”

Role of the art world

The message from both students and teachers was clear: today’s art education is unfit for purpose. Everyone suffers the consequence of a woefully narrow and uninspiring curriculum, and minority ethnic students experience an intersectional impact of these failings. 66% of students across all ethnicities (80% of Black students) asked for more diverse artists in their lessons, and 90% of teachers would welcome additional support to deliver this. We as a cultural sector have a responsibility to act now to support them in this change.

The message from both students and teachers was clear: today’s art education is unfit for purpose.

Runnymede Trust has set out clear practical recommendations toward enacting this much-needed shift in art education. Some, such as redressing the diversity of exams, are already underway, with two providers (Pearsons and Eduqas) having committed to a target of at least 25% minority ethnic artists in all papers from 2025. Some will be less immediate, working toward structural change in how art education is taught, and its value understood across society; but they are nonetheless urgent and, I believe, achievable. The art sector has a vital role also, in connecting teachers and schools with the full breadth of practices and ideas through meaningful, innovative programmes that go beyond formulaic museum visits. Freelands Foundation hopes to work with partners across the field to move this change forward: artists come from, and represent, an increasingly diverse society and we must all play our part to ensure that art education reflects this.

• Henry Ward is the director of Freelands Foundation

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