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वर्ल्ड एड्स डे पर निबंध हिंदी में | Essay On World Aids Day in Hindi (कक्षा-3 से 10 के लिए)

Essay on World Aids in Hindi

Aids Diwas Per Nibandh Hindi Me | Essay On Aids in Hindi | वर्ल्ड एड्स डे पर निबंध : 1 दिसंबर पूरी दुनिया में विश्व एड्स दिवस (World Day Divas) के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन सभी लोगों को इस घातक बीमारी के प्रति सचेत किया जाएगा। जैसा कि आप लोग जानते हैं किएड्स एक बहुत ही जानलेवा बीमारी हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का जीवनकाल काफी छोटा हो जाता है, यही वजह है कि 1988 में एड्स दिवस मनाने की परंपरा शुरू की गई थी। हालांकि इसको मान्यता 1995 में संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा दी गई थी। ऐसे में अगर आप एक छात्र हैं एड्स (Essay On AIDS) के ऊपर बेहतरीन निबंध लिखना चाहते हैं, लेकिन उसकी शुरुआत कैसे करेंगे उसके बारे में अगर आप नहीं जानते हैं, तो आज के आर्टिकल में हम आपको  Aids Diwas Per Nibandh in Hindi | Essay on Aids in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे आप हमारे साथ आर्टिकल पर बने रहे आईए जानते हैं..!!

एड्स पर डे निबंध (300 शब्द) | Essay On Aids in Hindi 300 Words 

दुनिया में ऐसे तो कई प्रकार के जानलेवा बीमारी है लेकिन जैसे लोग एड्स का नाम सुनते हैं उनके हाथ पांव ठंडा हो जाते हैं क्योंकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है सबसे भयानक बीमारियों में से एक एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम है। दुनिया में अब तक कुल मिलाकर 20 मिलियन से अधिक लोग एड्स बीमारी से मारे जा चुके हैं, AIDS मानव शरीर की रोगप्रतिरोधक प्रणाली को कमजोर कर देता है, जिसके कारण व्यक्ति दूसरे प्रकार के बीमारी के संपर्क में आ जाता है। वहीं कुछ दिनों के अंदर उसके इम्यून सिस्टम पूरी तरह से बेकार हो जाता है। व्यक्ति की काफी दर्दनाक तरीके से मौत भी हो जाती है। यही वजह है कि इस बीमारी का नाम सुनने के बाद लोगों के होश उड़ जाते हैं। एड्स संपर्क से फैलता है। कोई भी व्यक्ति एचआईवी या एड्स रोगी व्यक्ति के रक्त संपर्क में आने से हो जाता है। इसके अलावा अगर आप कोई भी एचआईवी व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थापित करते हैं तो आप भी AIDS  बीमारी के रोगी हो सकते हैं। 

एक बार संक्रमित होने के बाद पहले दो हफ्तों के भीतर एड्स के लक्षण दिखाई देने लगेंगे। एड्स होने के बाद व्यक्ति का जीवन काफी निराशाजनक हो जाता है। लोग उससे दूरी बनाकर चलते हैं जिसके कारण कई लोगों को देखा गया है कि वह मानसिक रोग की बीमारी भी हो जाते हैं। इसलिए पीड़ित व्यक्ति से दूरी नहीं बना चाहिए, बल्कि उसका मनोबल ऊंचा करना चाहिए.अगर हम एड्स संक्रमित व्यक्ति को प्यार, विश्वास और उनके प्रति सकारात्मक अभिगम दिखाएँ तो मरीज ठीक हो सकता है और स्वस्थ जीवन जी सकता है।

यह भी पढ़ें:- वर्ल्ड एड्स डे पर स्लोगन के जरिए लोगों में फैलाएं जागरूकता

एड्स पर निबंध (500 शब्द) | Aids Essay 500 Words

प्रस्तावना .

एड्स जिसे एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम के नाम से जानते हैं जो एचआईवी या ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस के के कारण फैलता है। इस बीमारी का दुनिया में कोई इलाज नहीं है हालांकि इस धीमा करने के लिए कई प्रकार की दवाइयां और थेरेपी मौजूद हैं, लेकिन उसके द्वारा आप इसे केवल नियंत्रित कर सकते हैं, इसका उपचार नहीं  फिर भी समझ में इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए कई प्रकार के सरकारी और गैर सरकारी संगठन लगातार काम कर रहे हैं ऐसे में अगर हम सभी लोग मिलकर इस बीमारी का उन्मूलन करना होगा तभी हम लोग AIDS को समाप्त पाएंगे |

एड्स कि उत्पत्ति और इतिहास (Origin and History of AIDS)

ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस यानि (एचआईवी) सबसे पहले पश्चिम और मध्य अफ्रीका में गैर मानव प्राइमेट्स में उत्पन्न हुआ था। 1920 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एचआईवी-1 नामक वायरस का सबसे गंभीर प्रकार खोजा गया था। 1970 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका में यह कई मौतों का कारण बन रही थी | इसलिए 1981 में अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्र ने आधिकारिक तौर पर एक महिला में पाए जाने पर एड्स संक्रमण को मान्यता दी |

विश्व एड्स दिवस क्या है? World AIDS Day Kya Hai

What is World AIDS Day 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में नामित किया गया है, जो एक अंतरराष्ट्रीय दिन है जो एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए है। हालांकि, यह एकमात्र कारण नहीं है जो इस दिन को मनाया जाता है। यह एचआईवी पॉजिटिव लोगों के सहयोग का समर्थन करता है ताकि उन्हें एक बेहतर ज़िन्दगी दी जा सके। यह एक ऐसा दिन भी है जब अंततः बीमारी के शिकार लोगों को याद किया जाता है। यह वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे के लिए समर्पित पहला दिन है।

विश्व एड्स दिवस का महत्व | Importance Of World AIDS Day

इस तथ्य से कोई इनकार नहीं करता है कि एड्स का प्रसार उतना बड़ा नहीं है जितना कि एक बार हुआ था। जागरूकता अभियानों, वैज्ञानिक प्रगति और नए उपचारों की बदौलत हम इस बीमारी को बेहतर तरीके से समझ और उसका मुकाबला कर सकते हैं। हालांकि, इस तथ्य से कोई परहेज नहीं है कि लगभग 37 मिलियन लोग इस बीमारी के साथ रह रहे हैं |

इसके अलावा, एड्स वाले लोग अभी भी भेदभाव के अधीन हैं और इस कलंक के डर से जीते हैं कि समाज के लोग उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करेंगे इन सभी विचारधारा को बदलने के लिए1 दिसंबर पूरी दुनिया में विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस बीमारी के पति सचेत किया जा सके और जो भी इस बीमारी के रोगी है उनके साथ आपका व्यवहार कैसा होना चाहिए उसकी भी सटीक जानकारी आपको दी जाती है ताकि आपके आसपास अगर कोई व्यक्ति इस बीमारी का रोगी है तो आप उसके प्रति सहानुभूति की भावना रखें ताकि उसका मनोबल ऊंचा रहे |

एड्स पर निबंध (800 शब्द) Aids Essay 800 Words 

एड्स क्या है aids kya hai :.

एड्स दुनिया के एक जानलेवा बीमारी है जिसका फुल फॉर्म एड्स या एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम, होता है यह मुख्य तौर पर एचआईवी नामक वायरस के कारण होता है, जो किसी भी व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है जिसके कारण भी कई प्रकार के दूसरे बीमारी की चपेट में भी व्यक्ति आ जाता है एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में 30 मिलियन से अधिक लोग की जान जा चुकी है  सरकारी और गैर-सरकारी संगठन दोनों ही लोगों को एड्स के बारे में जागरूक करने और खुद को बचाने के तरीके के बारे में जागरूक करने के लिए  लगातार काम कर रही है ताकि इस बीमारी को प्रसार होने से रोका जा सके |

एड्स के कारण और प्रसार (Causes and Spread of AIDS)

एड्स मुख्य रूप से एचआईवी नामक वायरस के कारण होता है, जिसका पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस है। सके द्वारा ही  प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर जाती है और वह कई प्रकार के दूसरे बीमारी का रोजी हो जाता है, इसके अलावा  चोट लगने जैसी साधारण चीज़ों को ठीक होने में लंबा समय लगता है, और कभी-कभी घाव ठीक से ठीक नहीं होते हैं। एचआईवी तीन तरीके से फैलता है रक्त के माध्यम से संक्रमित माता और पिता से और असुरक्षित यौन संबंध से इसलिए अगर आपको एचआईवी से बचाना है तो हमारे द्वारा जो भी ऊपर चीज बताई जा रही है जिसके माध्यम से एड्स बीमारी होता है उसके प्रति आप  जागरूक रहे हैं तभी जाकर आप AIDS  से बच सकते हैं |

एड्स के सिंपटम्स  (Symptoms of Aids)

एड्स बीमारी अगर किसी को हो जाता है तो उसके शरीर में निम्नलिखित प्रकार के लक्षण आपको दिखाई पड़ेंगे इसके माध्यम से आप आसानी से जान पाएंगे कि वह व्यक्ति एड्स का रोगी हो चुका है जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं:- 

  • अधिक थकान महसूस होना
  • वजन कम होना
  • सूजी हुई गांठें
  • यीस्ट संक्रमण और हर्पीस ज़ोस्टर
  • रात को पसीना,
  • असामान्य त्वचा पर चकत्ते और मुंह में घाव।

एड्स का ट्रीटमेंट और प्रिवेंशन 

एड्स बीमारी का अभी तक कोई इलाज मेडिकल के क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है हालांकि इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है  इसके लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी का इस्तेमाल होता है | हालांकि इस थेरेपी के द्वारा इस बीमारी को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है | इसके अलावा अगर कोई भी व्यक्ति एचआईवी से पीड़ित है तो अपने पार्टनर के साथ कोई भी यौन संबंध स्थापित न करें और सबसे पहले अपनी जांच करवाई क्योंकि यह बीमारी आपके पार्टनर को भी हो सकती है इसके अलावा बड़े-बड़े हेल्थ एक्सपर्ट के द्वारा इस बात का सुझाव दिया गया है कि व्यक्ति को यौन संबंध स्थापित करते समय कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।

ताकि वह इस बीमारी से बच सकें नशे की लत वाले पदार्थों और दवाओं से बचना भी एड्स को रोकने रुकने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है | संयुक्त राष्ट्र, स्थानीय सरकारों और गैर-लाभकारी संस्थाओं जैसे संगठनों के एड्स जैसी घातक बीमारी को रोकने के लिए जागरूकता अभियान का संचालन किया जा रहा है ताकि इस बीमारी को रोका जा सके

एड्स पर निबंध PDF Download | Aids Essay PDF Download

एड्स दिवस के ऊपर निबंध लिखना चाहते हैं तो हमने आपको आर्टिकल में उसके बारे में जानकारी उपलब्ध करवाई है और अगर आप इसका पीडीएफ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आर्टिकल में उसका लिंक हम आपको उपलब्ध करवा देंगे जिस क्लिक करके आप अपने मोबाइल में AIDS पर निबंध का पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं |

एड्स पर स्पीच | Aids Speech

मंच पर उपस्थित हमारे सभी प्यारे सहपाठी और प्रधानाध्यापक को तहे दिल से मैं शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि मुझे AIDS जैसे गंभीर विषय पर बोलने का अवसर प्रदान किया गया है  हर साल1दिसंबर को विश्व एड्स डे मनाया जाता है। इसकी शुरुआत सन् 1988 से हुई। इस दिवस को मनाने का मकसद लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता लाने, एड्स से पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति और जो लोग एड्स जैसी बीमारी से मर गए हैं उनको याद करने के लिए एड्स दिवस 1 दिसंबर को मनाया जाता है | एड्स के शुभ अवसर पर सरकारी गैर सरकारी संगठन और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विभिन्न प्रकार के अवेयरनेस प्रोग्राम संचालित किए जाते हैं ताकि लोगों को AIDS होने का क्या कारण है रोकथाम और नियंत्रण के बारे में शिक्षित किया जाता हैएड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम है जो HIV वायरस के के कारण फैलता है।

एड्स एक संचालित बीमारी है यानी इसका प्रसारण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के अंदर तेजी के साथ होता है AIDS  होने का प्रमुख अच्छा कोई मतलब यानि किसी व्यक्ति का दूसरे एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थापित करने, संक्रामक सुई का प्रयोग करने या खून के आदान-प्रदान से  तेजी के साथ फैलता है 

एड्स से पीड़ित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर जाता है जिसके कारण दूसरे प्रकार की बीमारी जैसे जिससे वह कई प्रकार की बीमारियां जैसे सर्दी, जुकाम, क्षय रोग (टीबी) जैसी बीमारी हो जाती है और अगर आप इस बीमारी के लिए दवाई खाते हैं तो दवाई का कोई असर नहीं होगा  आज के परिवेश में हम सभी को हर तबके हर वर्ग को एड्स के बारे में जागरूक करते हैं।  ताकि इस बीमारी को समझ में फैलने से रोका जा सके

एड्स 10 लाइन | 10 Lines On Aids Day

  • एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसे ‘एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम’ कहा जाता है।
  •  मनुष्यों में एड्स एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) नामक वायरस के कारण होता है।
  •  एचआईवी वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है और शरीर को पूरी तरह से कमजोर कर देता है।
  • एड्स संक्रमित सुई और रक्त, संक्रमित मां से उसके बच्चे आदि के कारण हो सकता है।
  • एड्स लाइलाज बीमारी है, केवल कुछ दवाओं के सेवन से ही इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
  •  जिन लोगों को एड्स होता है उन्हें समाज में सम्मान नहीं मिलता और हर जगह उन्हें अपमान का सामना करना पड़ता है।
  •  एड्स प्रभावित लोगों के अपमान का तात्पर्य यह है कि समाज में जानकारी का अभाव है।
  • एड्स से लड़ने का एकमात्र तरीका लोगों के बीच जानकारी और जागरूकता फैलाना है।
  •  सरकार और गैर सरकारी संगठनों ने समाज में जागरूकता पैदा करने और फैलाने के लिए अभियान शुरू किया है।
  • विभिन्न अस्पताल और क्लीनिक एड्स के संबंध में निःशुल्क चिकित्सा जांच भी प्रदान कर हैं |

और भी जानने के लिए यहां क्लिक करें

FAQ’s: Essay On Aids in Hindi

Q. वर्ल्ड एड्स डे क्यों मनाते हैं.

Ans. हर साल 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे दिवस मनाती है।  दुनिया भर में लोग एचआईवी से पीड़ित और  प्रभावित व्यक्तियों के प्रति हम लोग सहानुभूति और समर्थन व्यक्त करते हैं |

Q. एड्स के फैलने की अवधि क्या है?

Ans. एचआईवी संक्रमण और एड्स के लक्षण प्रकट होने का समय कल अलग-अलग होता है कई बार या कई सालों के बाद आपके सामने आप आता है कि आप एड्स बीमारी के रोगी हो गए हैं |

Q. AIDS किसकी वजह से होता है?

Ans. एड्स के संक्रमण के तीन मुख्य कारण हैं:- असुरक्षित यौन संबंधो, रक्त के आदान-प्रदान तथा माँ से शिशु में संक्रमण द्वारा।

Q. AIDS का पूरा नाम क्या?

एड्स/एचआईवी क्या है? एड्स से तात्पर्य एक्वार्ड इम्यून डेफिशियेंसी सिंड्रोम है।

Q. भारत में एड्स कब आया?

भारत में एचआईवी का पहला मामला 1986 में सामने आया। इसके पश्चात यह पूरे देश भर में तेजी से फैल गया |

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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World AIDS Day 2023 Date And Theme: कब और क्यों मनाया जाता है विश्व एड्स दिवस? HIV/AIDS में अंतर, लक्षण, कारण, उपचार और बहुत कुछ

दीक्षा मिश्रा

World Aids Day 2023 Date And Theme:  हर साल दिसंबर की पहली तारीख यानि 1 दिसंबर को दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है जो हमें HIV वायरस से फैलने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक करता है. लेकिन आज भी यह एक गंभीर बीमारी बनी हुई है और दुनियाभर के लाखों लोगों को प्रभावित करती  है.  विश्व एड्स दिवस 2023 का उद्देश्य एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) के बारे में जागरूकता बढ़ाना और एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) से पीड़ित व्यक्तियों को सहायता प्रदान करना है.

विश्व एड्स दिवस 2023 कब है? (W hen Is World AIDS Day Celebrated)

हर साल 1 दिसंबर को दुनियाभर में World AIDS Day मनाया जाता है. 

विश्व एड्स दिवस क्यों मनाते हैं? (Why We Celebrate World AIDS Day)

विश्व एड्स दिवस क्यों मनाते हैं? (Why We Celebrate World AIDS Day) / istock

विश्व एड्स दिवस HIV/AIDS के खिलाफ लड़ाई में हुई प्रगति को दर्शाता है. पिछले कुछ सालों में मेडिकल रिसर्च. जागरूकता और अच्छे उपचार ने इस बीमारी के परिदृश्य को बदल दिया है. हालांकि यह दिन हमें एड्स जैसी जानलेवा बीमारी पर खुलकर बातचीत करने और एड्स से जुड़े मिथकों को खत्म करने और प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है. 

विश्व एड्स दिवस 2023 थीम (World AIDS Day 2023 Theme)

विश्व एड्स दिवस 2023 थीम (World AIDS Day 2023 Theme)/istock

#WorldAIDSDay 2023 का थीम " एड्स से प्रभावित समुदायों को नेतृत्व करने देना" है.  HIV/AIDS पर  UNAIDS ने कहा कि बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके प्रसार को रोकने में समुदायों के महत्व को उजागर करने के लिए विश्व एड्स दिवस 2023 की थीम को चुना गया है. 

यूएनएड्स ने कहा कि 2030 तक एड्स के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाने के लिए हमें इस अभियान में समुदायों को पूरी तरह से शामिल करना होगा और उन्हें नेतृत्व करने के लिए फंड देना होगा. वहीं UNAIDS के कार्यकारी निदेशक Winnie Byanyima के अनुसार,"एड्स का अंत संभव है; यह हमारी समझ में है."

विश्व एड्स दिवस 2023 कैसे मनाया जाता है? (How To Celebrate World Aids Day 2023)

विश्व एड्स दिवस 2023 थीम (World AIDS Day 2023 Theme)/ istock

विश्व एड्स दिवस का समर्थन करने के लिए, लोग इस दिन अपने बाजू पर लाल रिबन पहनते हैं. यह रिबन बल्ड का प्रतिनिधित्व करता है साथ ही यह एड्स पीड़ित लोगों को भेदभाव के बिना समाज में सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने देने के लिए भी समर्थन प्रकट करता है. 

विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य HIV प्रभावित लोगों को नई दवाओं के साथ-साथ अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का समर्थन करना और जुटाना है. आज भी कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय NGO बीमारी और इसके लक्षणों के बारे में सार्वजनिक ज्ञान बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं. आप इंटरनेट के माध्यम से उन संस्थाओं से जुड़ सकते हैं और उनकी मदद कर सकते हैं. 

इसके अलावा विश्व एड्स दिवस के मौके पर कुछ संस्थान बीमारी से अपनी जान गंवाने वाले लोगों की याद में कैंडल मार्च भी निकालते हैं. 

HIV क्या है? (What Is HIV?)

HIV क्या है? (What Is HIV?)/istock

Human immunodeficiency virus, HIV  एक यौन संचारित संक्रमण है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे आपके शरीर की वायरस और बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है. आमतौर पर HIV असुरक्षित यौन संबंध के कारण, संक्रमित रक्त, सुई साझा करने/नशीली दवाओं के उपयोग, मां से बच्चे में गर्भावस्था के दौरान, प्रसव या स्तनपान के माध्यम से भी फैल सकता है.

अगर आप HIV का उपचार नहीं करते हैं तो यह एड्स को जन्म दे सकता है. यह बीमारी अभी भी जानलेवा बनी हुई है और इसका प्रभावी इलाज दुनियाभर में नहीं है. हालांकि HIV संक्रमित लगो लंबे समय तक एचआईवी की दवाएं लेकर एक अच्छा जीवन जी सकते हैं. 

एड्स क्या है? (What Is AIDS)

एड्स क्या है? (What Is AIDS)/  Adobe Stock

Acquired immunodeficiency syndrome  यानि AIDS है. एड्स HIV संक्रमण की लास्ट स्टेज होती है जिसमें बचने की संभावना ना के बराबर होती है. दरअसल हमारे शरीर में White Blood Cells होती है और यह HIV वायरस इन कोशिकाओं को खत्म कर देता है. मगर आपको बता दें कि HIV होने का मतलब यह नहीं है कि आपको AIDS है. अमेरिका में हुई स्टडी से पता चला है कि AIDS प्रभावित लोग लगभग 3 साल तक जीवित रहते हैं. 

HIV/AIDS के लक्ष्ण क्या हैं? (Symptoms of HIV/AIDS)

HIV/AIDS के लक्ष्ण क्या हैं? (Symptoms of HIV/AIDS)/ canva

HIV से संक्रमित होने के बाद लोग ज्यादा बीमार पड़ने लगते हैं और उन्हें हफ्ते में बुखार, सिरदर्द और गले में खराश जैसी बीमारियां होने लगती हैं. हालांकि उन्हें लक्ष्णों का पता नहीं चल पाता है. फिर जब संक्रमण बढ़ने लगता है तो आपका वजन कम होने लगता है, बुखार, दस्त, मुंह में घाव, लसीका ग्रंथियों में सूजन, रात में पसीना आने लगता है. जब आप इस बीमारी का इलाज नहीं करते हैं तो आपको टीबी, संक्रमण और कैंसर जैसे रोग भी हो सकते हैं. 

HIV/AIDS का इलाज कैसे होते हैं? (HIV/AIDS Treatment)

HIV/AIDS का इलाज (HIV/AIDS Treatment)/istock

1966 में एड्स से लड़ने के लिए एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी या आर्ट (ART) सामने आई थी जिसकी मदद से आप जल्दी होने वाली मौत को रोक सकते हैं. अगर ART थेरेपी करवाते हैं तो आपके शरीर में वायरस पहुंचने की संभावना कम हो जाती है और आज कई देशों में लगभग 80 लाख HIV से प्रभावित लोग ART के जरिए अपना इलाज करा रहे हैं. 

HIV/AIDS को फैलने से कैसे रोकें? (How To Prevent The Spread Of HIV/AIDS)

HIV/AIDS को फैलने से कैसे रोकें? (How To Prevent The Spread Of HIV/AIDS)/canva

इस जानलेवा बीमारी को फैलने से रोकने के लिए आपको अपने साथा की प्रति वफादार होना होगा. आपको यौन संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल करना होगा.

अगर कोई व्यक्ति HIV संक्रमित है तो उसे ब्लड डोनेट नहीं करना होगा. UAS हेल्ड एंड सर्विस डिपार्टमेंट के मुताबिक, मां के दूध में भी HIV वायरस हो सकते हैं इसलिए अगर किसी मां को यह बीमारी है तो उसे स्तनपान नहीं कराना चाहिए. 

HIV/AIDS में क्या खाना चाहिए? (What Should Be Eaten In HIV/AIDS?)

HIV वायरस आपके शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है इसलिए आपको विटामिन, फाइबर और मिनरल्स युक्‍त फल-सब्जियां, आलू, रोटी और ब्राउन राइस, प्रोटी के लिए मीट, मछली, अंडे और फलियां, डेयरी प्रोडक्ट्स में दूध, दही और पनीक और बिना शुगर वाला खाना ही खाना चाहिए.

AIDS का फुल फॉर्म क्या है? ( What is the full form of AIDS?)

AIDS का फुल फॉर्म एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम (acquired immunodeficiency syndrome) है.

भारत में AIDS कब आया? ( The Woman Who Discovered India's First HIV Cases)

istock

1981 में डॉक्टर सुनीति सोलोमन में विदेश में काफी समय तक शोध और सेवाएं देने के बाद भारत की तरफ रुख किया. वह मद्रास मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर बनकर भारत लौटी. उस वक्त सुनीति एड्स को लेकर हो रहे सभी रिसर्च से जुड़ी हुई थीं. HIV की खोज और तकनीक आने के बाद 1986 में सुनीति ने अपने अपने स्टूडेंट डॉक्टर सेल्लप्पन निर्मला के साथ मिलाकर भारत में HIV/AIDS के खतरे की जांच करने का सोचा. 

दोनों ने मिलकर 1986 में चेन्नई के रेड लाइट एरिया में जाकर करीब 200 वैश्याओं के ब्लड सैंपल लिए. उस वक्त AIDS की जांच करना आसान नहीं था. इसलिए सैंपल को वैल्लूर लैब में भेजा गया जहां उसकी जांच हुई. इसके अलावा सुनीति ने इन सैंपल्स को अमेरिका की यूनिवर्सिटी में भेजा और जांच में HIV की पुष्टि हो गई. 

तब पहली बार भारत में एड्स मरीज का पता चला था और इसके बाद HIV प्रभावित लोगों के बारे में मेडिकल रिसर्च काउंसिल को बताया गया था. फिर तत्कालीन पीएम राजीव गांधी को सूचना दी गई थी और इसके कुछ सालों बाद भारत में एड्स के जानलेवा बीमारी की तरह फैल गई. 

एड्स का खोजकर्ता कौन है? (Who First Discovered AIDS?)

एड्स का खोजकर्ता कौन है? (Who First Discovered AIDS?)/Canva

1983 में फ्रांस के वायरोलाजिस्ट लुक मोंटैग्नियर (Luc Montagnier) के नेतृत्व वाली टीम ने HIV के वायरस की पहचान की थी. स्टडी से पता चलता है कि HIV 1800 के दशक के अंत में चिंपैंजी से इंसानों में फैला था. दरअसल उस वक्त इंसान मांस के लिए इन चिंपैंजी का शिकार करते थे, जिसकी वजह से यह बीमारी इंसान में फैल गई. 

एड्स सर्वप्रथम कहां पाया गया? (Where Did HIV Come From?)

WHO के अनुसार, 1981 में एड्स का पहला मामला डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो की राजधानी किन्शासा शहर में पाया गया था. कहा जाता है कि उस वक्त किन्शासा बुशमीट का सबसे बड़ा मार्केट था और वहीं से संक्रमित ब्लड के संपर्क में आने के बाद बीमारी इंसानों तक पहुंच गई. 

एड्स का कितने दिन में पता चल जाता है?

एड्स सर्वप्रथम कहाँ पाया गया? (Where Did HIV Come From?)/ istock

आमतौर पर AIDS संक्रमण में आने के 3 महीने बाद जांच कराने पर ही HIV रिपोर्ट आती है. 

एड्स की जांच के लिए कौन सा टेस्ट किया जाता है? ( What Test Can Confirm AIDS?)

WHO कहता है कि 13 से लेकर 64 साल की उम्र के बीच हर किसी को HIV संक्रमण के लिए कम से कम एक बार जरूर टेस्ट कराना चाहिए. एड्स की जांच के लिए HIV EIA, HIV CLIA, HIV स्क्रीनिंग टेस्ट, थर्ड जेनरेसन एंटीबॉडी टेस्ट और एंटीजन टेस्ट होते हैं. 

एड्स से शरीर का कौन सा अंग प्रभावित होता है? ( Which Area Is Affected By AIDS?)

HIV संक्रमण हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम पर सबसे पहले हमला करता है. 

एचआईवी कितने प्रकार के होते हैं? (Types of HIV)

एचआईवी 2 प्रकार के होते हैं. 

कितनी बार करने से AIDS होता है?

यह केवल एक मिथक है अगर आप अपने पार्टनर के साथ वफादार हैं और आप असुरक्षित यौन संबंध, समलैंगिक यौन संबंध और रेड लाइट एरिया जाकर यौन संबंध नहीं बनाते हैं तो एड्स की संभावना कम होती है. 

एचआईवी और एड्स में क्या अंतर है? ( Difference Between AIDS and HIV)

एचआईवी और एड्स में क्या अंतर है? (Difference Between AIDS and HIV) / istock

HIV एक वायरस है जो आपके इम्यून सिस्टम पर हमला करता है. वहीं एड्स HIV संक्रमण की लास्ट स्टेज होती है. 

पुरुष में एड्स के लक्षण क्या हैं? (HIV Symptoms in Men)

पेनिस पर अल्सर पुरुषों में HIV संक्रमण का नॉर्मल लक्षण है, इसके अलावा Erection Problems, शुक्राणुओं की संख्या में कमी, शरीर में बालों का झड़ना, गाइनेकोमेस्टिया, यूरीन पास करते समय दर्द और जलन महसूस होना, पीठ के नीचे दर्द होना, मलाशय में सूजन आदि लक्षण है. 

मुंह में एचआईवी लक्षण क्या दिखाई देते हैं?

HIV प्रभावित इंसान की जीभ सफेद और मुंह में दाद या खुजली होने लगती है. इस बीमारी में मुंह के अंदर घाव या छाले होने लगते हैं. मुंह के आस-पास गुलाबी, सफेद य ग्रे मस्से निकलने लगते हैं. 

HIV AIDS को लेकर लोगों ने पूछे हैं ये सवाल (Frequently Asked Questions Related To HIV AIDS)

Q1: क्या कंडोम लगाने के बाद भी एड्स हो सकता है?

HIV Symptoms in Men)/ istock

डॉक्टर का कहना है कि HIV या एड्स से बचाव के लिए पुरुषों को कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसे करने से 90 फीसदी सुरक्षा सुनिश्चित हो जाती है. जबकि फीमेल कंडोम 70-80 फीसदी तक सेफ होते हैं. 

Q2: एचआईवी पहले क्या नष्ट करता है?

HIV वायरस सबसे पहले शरीर में मौजूद CD4 कोशिकाओं को खत्म करता है जिसे टी सेल कहा जाता है. 

Q3: एड्स की दवा क्या है?

फिलहाल एड्स या HIV को खत्म करने वाली कोई दवा दुनियाभर में उपलब्ध नहीं है. लेकिन इस वायरस को कंट्रोल करने के लिए कई दवाएं बनाई जा चुकी है. इन दवाओं को एंटीरेट्रोवाइरल उपचार या ART कहा जाता है.

Indiatimes में SEO राइटर के तौर पर काम कर रहीं दीक्षा मिश्रा का डिजिटल मीडिया में 6 सालों से अधिक का अनुभव है. एंटरटेनमेंट, ऐतिहासिक घटनाएं, लाइफस्टाइल, गूगल वेब स्टोरीज़,एस्ट्रोलॉजी उनकी विशेषज्ञता है. उन्होंने जागरण इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन से जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया है. अभी तक वह कई डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म से लेकर एडवरटीजमेंट जैसी संस्थानों में काम कर चुकी हैं.

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विश्व एड्स दिवस पर निबंध – World AIDS Day Essay in Hindi

World Aids Day Information, Essay, Nibandh in Hindi – विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) हर साल 1 दिसंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है. इस विशेष दिवस का मकसद लोगों को इस खतरनाक बीमारी के प्रति जागरूक करना है ताकि लोगों को इस बीमारी के संक्रमण से बचाया जा सके. 

यह बीमारी आमतौर पर असुरक्षित यौन संबंध बनाने और HIV संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए जाने वाले इंजेक्शन या उपकरण साझा करने से फैलती है. 

एड्स का सबसे बड़ा कारण Human Immunodeficiency Virus यानी HIV है. HIV एक प्रकार का virus है जो हमारे रक्त में जाकर श्वेत रक्त कोशिकाओं (White blood cells) को नष्ट कर देता है.

वर्तमान में, दुनिया भर के किसी भी देश में AIDS का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. अगर इस बीमारी का इलाज समय रहते नहीं किया गया तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है.

यही वजह है कि विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) के मौके पर केंद्र और राज्य सरकारें लोगों को जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान (AIDS awareness campaign) चलाती हैं.

इसके साथ ही विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) के अवसर पर सरकारी व गैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा AIDS के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विद्यालयों, महाविद्यालयों व अन्य शिक्षण संस्थानों में भाषण प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता व अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है.

ऐसे में यदि आपने भी निबंध प्रतियोगिता में भाग लिया है तो यह लेख आपके लिए अवश्य ही मददगार साबित होगा.

Table of Contents

वैज्ञानिकों के अनुसार AIDS का पहला मामला 19वीं सदी में जानवरों में देखा गया था. वहीं, AIDS रोग की पहचान पहली बार 1981 में Center for Disease Control and Prevention द्वारा की गई थी.

विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) 1988 से हर साल 1 दिसंबर को HIV संक्रमण के प्रसार के कारण होने वाली एड्स महामारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी से मरने वालों के लिए शोक मनाने के उद्देश्य से मनाया जाता है.

इस अभियान का मकसद पूरी दुनिया में लोगों को इस खतरनाक जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूक करना है.

यह बीमारी आमतौर पर असुरक्षित यौन संबंध बनाने और HIV संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए जाने वाले इंजेक्शन या उपकरण साझा करने से फैलती है.

AIDS का पूर्ण रूप Acquired Immunodeficiency Syndrome है और यह एक प्रकार का virus है, जिसका नाम HIV (Human Immunodeficiency Virus) है.

यह वायरस शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है, जिससे व्यक्ति एक के बाद एक दूसरी बीमारियों का शिकार होता जाता है.

जब व्यक्ति HIV positive हो जाता है या उसे AIDS हो जाता है तो स्वस्थ शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता नष्ट हो जाती है.

AIDS से ग्रसित रहते हुए यदि कोई अन्य रोग हो जाए तो उसका इलाज भी असंभव हो जाता है. 

AIDS के विशिष्ट हल्के लक्षण HIV transmission के कुछ सप्ताह के भीतर प्रकट होते हैं, लेकिन महत्वपूर्ण लक्षण कुछ महीनों या वर्षों के बाद प्रकट होते हैं.

HIV का निदान होते ही अगर शुरूआती स्टेज में ही इसका इलाज कर लिया जाए तो काफी हद तक व्यक्ति इस बीमारी से बच सकता है, जबकि आखिरी स्टेज में पहुंचने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है.

सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि इस खतरनाक बीमारी की चपेट में आने के बाद व्यक्ति एक के बाद एक दूसरी बीमारियों की चपेट में आ जाता है. 

डॉक्टरों के मुताबिक AIDS के ज्यादातर मरीज AIDS की वजह से नहीं बल्कि दूसरी बीमारियों के संक्रमण की वजह से अपनी जान गंवाते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 4 करोड़ से अधिक लोग AIDS से पीड़ित हैं. वहीं, भारत में एड्स के मरीजों की कुल संख्या करीब 23.5 लाख बताई जाती है.

दुनिया भर एड्स से हर साल करीब दस लाख लोगों की मौत होती है.

AIDS अभी तक एक इलाज योग्य बीमारी नहीं है, लेकिन दुनिया भर के वैज्ञानिक इस घातक बीमारी के इलाज (Treatment) के लिए टीका (Vaccine) खोजने या अन्य उपचार खोजने के लिए लगातार शोध कर रहे हैं.

भले ही AIDS के अधिकांश मामले यौन संचरण (Sexual transmission) के कारण होते हैं, लेकिन यह HIV प्रसार का एकमात्र तरीका नहीं है.

HIV फैलने के सबसे आम तरीकों में से एक संक्रमित व्यक्ति से किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में रक्त या शरीर के तरल पदार्थ जैसे वीर्य या योनि तरल पदार्थ के अंतर्ग्रहण के माध्यम से होता है.

HIV संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शन से HIV फैल सकता है. HIV गर्भावस्था, प्रसव, या स्तनपान के दौरान मां से उसके बच्चे में भी फैल सकता है.

अफ्रीका में एड्स से प्रभावित लोगों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है.

———————–//

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World Aids Day in Hindi : विश्व एड्स दिवस क्यों मनाया जाता है और कहां से हुई थी इसकी शुरुआत

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  • Updated on  
  • नवम्बर 21, 2023

World Aids Day in Hindi

भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कुछ दिनों का विशेष महत्व होता है। हर माह के कई दिन ऐसे होते हैं जब हम अलग-अलग आयोजनों के साथ काफी-कुछ सीखते हैं, जिनमें विश्व एड्स दिवस भी शामिल है। हर वर्ष 1 दिसंबर को दुनिया विश्व एड्स दिवस मनाती है। इस दिन दुनियाभर के लोगों को जागरूक किया जाता है और इस दिन के बारे में स्टूडेंट्स को भी पूरी जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं में दिवस से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए इस ब्लाॅग में हम World Aids Day in Hindi के बारे में विस्तृत जानेंगे।

This Blog Includes:

विश्व एड्स दिवस क्या है, विश्व एड्स दिवस का इतिहास क्या है, विश्व एड्स दिवस थीम 2023, विश्व एड्स दिवस का महत्व क्या है, विश्व एड्स दिवस क्यों मनाते हैं, विश्व एड्स दिवस कैसे मनाते हैं, विश्व एड्स दिवस पर 10 लाइन्स, विश्व एड्स दिवस से जुड़े रोचक तथ्य.

ऐसा माना जाता है कि आज के समय में एड्स सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, इसलिए दुनिया में हर वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। यह दिन अलग-अलग थीम के आयोजित होता है। World Aids Day in Hindi पर एड्स के बारे में जागरूकता के अलावा इस बीमारी से अपनी जान गंवाने वाले लोगों को याद किया जाता है। 

यह भी पढ़ें- Infant Protection Day in Hindi : इस महत्व के साथ मनाया जाता है शिशु संरक्षण दिवस, साथ ही जानिए इतिहास

World Aids Day in Hindi जानने के साथ ही विश्व एड्स दिवस का इतिहास समझना जरूरी है, जोकि इस प्रकार बताया गया हैः

  • 1987 में जेम्स डब्ल्यू बन और थॉमस नेटर इस महामारी का निरीक्षण करने और इसके बारे में जागरूकता फैलाने वाले पहले व्यक्ति थे।
  • 1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दो सार्वजनिक सूचना अधिकारियों ने वैश्विक महामारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में विश्व एड्स दिवस की स्थापना की थी।
  • हर वर्ष संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राज्य सरकार और दुनिया भर के समाज के संगठन HIV/एड्स के एक अलग विषय पर अभियान चलाते हैं।

यह भी पढ़ें – विश्व सांख्यिकी दिवस 2023 

किसी भी दिवस की थीम उसके आयोजन की सफलता में काफी भूमिका निभाती है। विश्व एड्स दिवस पर भी हर वर्ष अलग थीम निर्धारित की जाती रही है और इस बार यानी 2023 में World Aids Day in Hindi के लिए ‘लेट कम्युनिटीज़ लीड’ रखी गई है।

दुनिया में दिवसों के आयोजनों का काफी महत्व है। यहां World Aids Day in Hindi का महत्व बताया जा रहा हैः

  • विश्व एड्स दिवस HIV/एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए है।
  • एड्स से बचाव और लड़ने के लिए यह दिन अंतरराष्ट्रीय एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाता है।
  • यह दिन दुनिया भर में एड्स की रोकथाम और देखभाल में प्रगति को प्रोत्साहित करने का अवसर है। 
  • विश्व एड्स दिवस पर धन जुटाने, जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा में सुधार के अलावा एड्स से जान गंवाने वालों की संख्या पर ध्यान दिया जाता है।

यह भी पढ़ें- National Education Day in Hindi : राष्ट्रीय शिक्षा दिवस क्या है और यह क्यों मनाया जाता है, जानें इसका इतिहास व महत्व

हर वर्ष 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाया जाता है, जिससे इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलती है। इस दिन लोगों और सरकारों को याद दिलाया जाता है कि HIV एक समस्या बनी हुई है। इस दिन दुनिया भर के लोगों के पास एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होने का अवसर होता है। यह दिन बीमारी के प्रति जागरूक करने में मदद कर सकता है और अनगिनत लोगों को बचा सकता है। 

World Aids Day in Hindi कैसे मनाते हैं के बारे में हम यहां जानेंगेः

  • इस दिन एड्स के बारे में जागरूक किया जाता है। 
  • प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक करने और बीमारी से बचाने के लिए कार्यक्रम और अभियान आयोजित किए जाते हैं।
  • विश्व एड्स दिवस मनाने का सबसे सरल तरीका लाल रिबन पहनना है। 
  • लाल रिबन HIV और एड्स से पीड़ित लोगों के लिए जागरूकता फैलाना है।
  • HIV और एड्स को रोकने के लिए और खतरे के बारे में बात करने के लिए थीम को निर्धारित कर रिसर्च और अन्य नई गतिविधियां शुरू की जाती हैं।

विश्व एड्स दिवस पर 10 लाइन्स इस प्रकार दी जा रही हैं, जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिएः

  • एड्स एक वायरस जनित रोग है।

हर वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।

  • विश्व एड्स दिवस पहली बार 1988 में घोषित किया गया था।
  • एड्स गंभीर संक्रमण और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, जिसके लिए यदि दवा न ली जाए और उचित उपचार न लिया जाए तो रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
  • एड्स का इलाज संभव नहीं है, लेकिन इसके प्रभाव को दवाओं और उपचारों के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
  • विश्व एड्स दिवस के अभियानों द्वारा फैलाई गई जागरूकता तथ्यों का उपयोग करके लोगों को एड्स के बारे में मार्गदर्शन करना है।
  • कई गैर सरकारी संगठन एड्स रोगियों की स्थिति सुधारने और उनकी मदद करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
  • रिसर्च और रिपोर्ट्स के अनुसार, विश्व में हर वर्ष लगभग 10 लाख लोग एड्स के कारण मर जाते हैं।
  • एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसे ‘एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम’ कहा जाता है।
  • मनुष्य को एड्स HIV (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) नामक वायरस से होता है।

विश्व एड्स दिवस से जुड़े रोचक तथ्य इस प्रकार हैंः

  • सबसे भयावह बीमारियों में से एक एड्स या एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम का कोई स्थायी इलाज नहीं है।
  • एड्स से पीड़ित जिन लोगों को इलाज नहीं मिलता, वे आमतौर पर लगभग 3 साल तक जीवित रहते हैं।
  • यूनाइटेड किंगडम (यूके) सरकार ने 2030 तक HIV संचरण को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। 
  • एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं से एड्स का इलाज करने से एड्स के विकास को रोका जा सकता है।
  • यदि उपचार न किया जाए तो HIV से पीड़ित अधिकांश लोगों में 8 से 10 वर्षों के भीतर एड्स के लक्षण विकसित हो जाते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, HIV एक प्रमुख वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसने अब तक 40.1 मिलियन लोगों की जान ले ली है।
  • 2021 में 1.5 मिलियन लोगों को HIV हुआ था। 
  • ऐसा माना जाता है कि HIV से पीड़ित 7 में से एक व्यक्ति को यह पता नहीं होता है कि उन्हें यह बीमारी है।

भारत में HIV का पहला मामला 1986 में सामने आया।

विश्व एड्स दिवस लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको World Aids Day in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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स्टडी अब्राॅड प्लेटफाॅर्म Leverage Edu में सीखने की प्रक्रिया जारी है। शुभम को 4 वर्षों का अनुभव है, वह पूर्व में Dainik Jagran और News Nib News Website में कंटेंट डेवलपर रहे चुके हैं। न्यूज, एग्जाम अपडेट्स और UPSC में करंट अफेयर्स लगातार लिख रहे हैं। पत्रकारिता में स्नातक करने के बाद शुभम ने एजुकेशन के अलावा स्पोर्ट्स और बिजनेस बीट पर भी काम किया है। उन्हें लिखने और रिसर्च बेस्ड स्टोरीज पर फोकस करने के अलावा क्रिकेट खेलना और देखना पसंद है।

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विश्व एड्स दिवस पर निबंध 2022 -23 World Aids Day Essay in Hindi & English Pdf Download

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World aids day 2022: लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करने व इस गंभीर बीमारी से बचने के लिए हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है | इस दिन लोगों को जागरूक किया जाता है वो इस बीमारी से बचने के लिए उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सकें की इस बीमारी के क्या लक्षण होते हैं, इससे बचाव किस प्रकार किया जा सकता है और इस बीमारी के क्या-क्या कारण होते हैं |

इन्ही सब जानकारियों के लिए अलग-अलग अभियान भी चलाये जाते हैं, जिससे एचआइवी से पीड़ित लोगों की सहायता की जा सके |

इस दिन पर बहुत से लोग बैनर पर स्लोगन या quotes लिखकर नारे लगते है| इस दिन को मनाने का कारण आज के युथ को एक महत्वपूर्ण message देना है|

विश्व एड्स दिवस – निबंध

हर साल एक दिसंबर को विश्‍व एड्स दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करना है। जागरूकता के तहत लोगों को एड्स के लक्षण, इससे बचाव, उपचार, कारण इत्यादि के बारे में जानकारी दी जाती है और कई अभियान चलाए जाते हैं जिससे इस महामारी को जड़ से खत्म करने के प्रयास किए जा सकें। साथ ही एचआईवी एड्स से ग्रसित लोगों की मदद की जा सकें। 1 दिसंबर 2011 में विश्‍व एड्स दिवस की थीम ‘गैटिंग जीरों’ पर केंद्रित है। जिसके तहत कैंपेन, इंट्रैक्टिव एक्टिविटीज की जाती है जिससे लोगों को एड्स के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दी जा सकें। दरअसल, ‘गैटिंग टू जीरों’ का उद्देश्य है कि कोई भी एचआईवी एड्स से नया व्यक्ति ना तो पीडि़त हो और ना ही एड्स के कारण किसी की मृत्यु हो। यानी एचआईवी संक्रमण की दर को रोकते हुए शून्‍य स्‍तर तक लाना। ‘गैटिंग टू जीरों’ की थीम को 2015 तक चलाने के लिए कारगार कदम उठाएं जा रहे हैं। भारत में भी एड्स अपने पैर पसारे हुए है लेकिन देश में इसका इलाज होना बहुत मुश्किल होता है। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे- एचआईवी पॉजीटिव लोगों के साथ भेदभाव करना, लोगों में जागरूकता की कमी होना, लोगों के मन में एड्स को लेकर तरह-तरह के भ्रम होना, लोगों का असुरक्षित यौन संबंध बनाना इत्‍यादि। भारत जैसे घने आबादी वाले देश में एड्स ग्रसित मरीजों की अधिक संख्या का कारण है लोगों का लापरवाही युक्त व्यवहार। यानी लोग सबकुछ जानते हुए भी या तो अंजान बनते हैं या फिर असुरक्षित यौन संबंधों को बढ़ावा देते हैं जो कि एड्स का एक महत्वपूर्ण कारक है। जरूरी नहीं कि सिर्फ असरुक्षित यौन संबंध बल्कि किसी संक्रमित रोग से ग्रसित होने के कारण भी ऐसा होता है और संक्रमण के कारण भी एड्स का खतरा बरकरार रहता है। हालांकि नए आंकड़ों के मुताबिक, एड्स पीडि़तों में कमी आई है। यदि आप एड्स जैसी महामारी से बचना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि आप सावधानियां बरतें और एड्स से बचाव के उपायों को अपनाएं। सेक्स संबंध बनाते हुए सुरक्षित सेक्स को प्राथमिकता दें ताकि भविष्य में होने वाले खतरे को टाल सकें। गौरतलब है कि विश्व एड्स दिवस की शुरूआत 1 दिसंबर 1988 को हुई थी जिसका मकसद, एचआईवी एड्स से ग्रसित लोगों की मदद करने के लिए धन जुटाना, लोगों में एड्स को रोकने के लिए जागरूकता फैलाना और एड्स से जुड़े मिथ को दूर करते हुए लोगों को शिक्षित करना था। दरअसल, विश्‍व एड्स दिवस आपको याद कराता है कि ये बीमारी अभी भी हमारे-आपके बीच है और इसे लगातार खत्म की कोशिशों में आपको भी आगे आना होगा। यूएनएड्स के मुताबिक, कि अब तक 34 मिलियन लोग एड्स से ग्रसित हैं और 2010 तक 2.7 मिलियन लोग इस इंफेक्शन के संपर्क में आए हैं, जिसमें से 3 लाख 90 हजार बच्चे भी इसकी चपेट में आएं। इतना ही नहीं पिछले पांच सालों में यानी 2010 तक एड्स से ग्रसित लगभग 1.8 मिलियन लोगों की मौत हो चुकी है। आमतौर पर देखा गया है कि एड्स अधिकतर उन देशों में है जहां लोगों की आय बहुत कम है या जो लोग मध्यवर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। बहरहाल, एचआईवी एड्स आज दुनिया भर के सभी महाद्वीपों में महामारी की तरह फैला हुआ है जो कि पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के जीवन के लिए एक बड़ा खतरा है और जिसे मिटाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

Essay on world aids day in hindi

आप ये essay/ speech जानकारी हिंदी, इंग्लिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या एस्से प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

विश्व एड्स दिवस की पहली बार कल्पना 1987 में अगस्त के महीने में थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न द्वारा की गई थी। थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न दोनों डब्ल्यू.एच.ओ.(विश्व स्वास्थ्य संगठन) जिनेवा, स्विट्जरलैंड के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे। उन्होंने एड्स दिवस का अपना विचार डॉ. जॉननाथन मन्न (एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के निदेशक) के साथ साझा किया, जिन्होंने इस विचार को स्वीकृति दे दी और वर्ष 1988 में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रुप में मनाना शुरु कर दिया। उनके द्वारा हर साल 1 दिसम्बर को सही रुप में विश्व एड्स दिवस के रुप में मनाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने इसे चुनाव के समय, क्रिसमस की छुट्टियों या अन्य अवकाश से दूर मनाने का निर्णय लिया। ये उस समय के दौरान मनाया जाना चाहिए जब लोग, समाचार और मीडिया प्रसारण में अधिक रुचि और ध्यान दें सकें। एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम, जो यूएन एड्स के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 1996 में प्रभाव में आया और दुनिया भर में इसे बढ़ावा देना शुरू कर दिया गया। एक दिन मनाये जाने के बजाय, पूरे वर्ष बेहतर संचार, बीमारी की रोकथाम और रोग के प्रति जागरूकता के लिये विश्व एड्स अभियान ने एड्स कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ष 1997 में यूएन एड्स शुरु किया। शुरु के सालों में, विश्व एड्स दिवस के विषयों का ध्यान बच्चों के साथ साथ युवाओं पर केन्द्रित था, जो बाद में एक परिवार के रोग के रूप में पहचाना गया, जिसमें किसी भी आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित हो सकता है। 2007 के बाद से विश्व एड्स दिवस को व्हाइट हाउस द्वारा एड्स रिबन का एक प्रतिष्ठित प्रतीक देकर शुरू किया गया था।

Essay 400 words

एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशियेन्सी सिन्ड्रोम (एड्स) के बारे में आज शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। एड्स किस वजह से होता है इसके बारे में अभिनेत्री शबाना आजमी ने विज्ञापन द्वारा जितनी सहजता व खूबसूरती से समझाया है उससे जागरूकता आई है। सरकार और समाजसेवी संस्थाओं द्वारा समय-समय पर विभिन्न तरीकों से एड्स के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है पर विडंबना यह है कि लोग जानकर भी अनजान बने हुए हैं। हर साल की तरह आज भी वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाएगा। जिसके तहत विभिन्न स्थानों पर समारोह में लोगों को जागरूक किया जाएगा। पर एक सच यह भी है कि आज भी हमारे देश में, हमारे शहर में एड्स के चक्रवात में फँसे लोगों की स्थिति बेहतर नहीं है। आखिर इसकी क्या वजह है, स्थिति में कितना सुधार है, किन संस्थाओं द्वारा इस क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है इसी पर आधारित रिपोर्ट। हमारे देश में आज भी जिन्हें एड्स है वे यह बात स्वीकारने से कतराते हैं। इसकी वजह है घर में, समाज में होने वाला भेदभाव। कहीं न कहीं आज भी एचआईवी पॉजीटिव व्यक्तियों के प्रति भेदभाव की भावना रखी जाती है। यदि उनके प्रति समानता का व्यवहार किया जाए तो स्थिति और भी सुधर सकती है। World Aids Day Image बात अगर जागरूकता की करें तो लोग जागरूक जरूर हुए हैं इसलिए आज इसके प्रति काउंसलिंग करवाने वालों की संख्या बढ़ी है। पर यह संख्या शहरी क्षेत्र के और मध्यम व उच्च आय वर्ग के लोगों तक ही सीमित है। निम्न वर्ग के लोगों में अभी भी जानकारी का अभाव है। इसलिए भी इस वर्ग में एचआईवी पॉजीटिव लोगों की संख्या अधिक है। जबकि बहुत सी संस्थाएँ निम्न आय वर्ग के लोगों में इस बात के प्रति जागरूकता अभियान चला रही हैं। लोग कारण को जानने के बाद भी सावधानियाँ नहीं बरतते। जिन कारणों से एड्स होता है उससे बचने के बजाए अनदेखा कर जाते हैं। इसमें अधिकांश लोग असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित रक्त के कारण एड्स की चपेट में आते हैं। एड्स के खिलाफ आज शहर में अनेक समाज सेवी और सरकारी संस्थाएँ कार्य कर रही हैं। इनका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना, एड्स के साथ जी रहे लोगों को समाज में उचित स्थान दिलाना, उनका उपचार कराना आदि है। इन संस्थाओं में से कुछ हैं फेमेली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया, विश्वास, भारतीय ग्रामीण महिला संघ, मध्यप्रदेश वॉलेन्ट्री हेल्थ एसोसिएशन, जिला स्तरीय नेटवर्क, वर्ल्ड विजन आदि। इसके अलावा एमवाय अस्पताल, जिला अस्पताल, लाल अस्पताल में एड्स की काउंसलिंग, टेस्ट और पोस्ट काउंसलिंग की जाती है। फेमेली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया, इंदौर शाखा सेक्सुअलिटी एजुकेशन, काउंसलिंग, रिसर्च, ट्रेनिंग/थैरेपी (एसईसीआरटी) परियोजना के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रही है। संस्था किशोर बालक-बालिकाओं एवं युवाओं को किशोरावस्था, एड्स आदि के बारे में जानकारी देकर जागरूक बनाने का कार्य कर रही है। कार्यक्रम अधिकारी राजेन्द्र व्यास ने बताया कि संस्था को बने 50 वर्ष हो चुके हैं और एड्स के लिए करीब 10 सालों से कार्य किया जा रहा है। जागरूकता अभियान के तहत स्कूल-कॉलेज तो चुने ही जाते हैं पर जो लोग स्कूल-कॉलेज नहीं जाते उनके लिए कम्युनिटी प्रोग्राम या नुक्कड़ नाटक कर समझाया जाता है। ब्रांच मैनेजर प्रतूल जैन बताते हैं एड्स की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास तब ही सफल होंगे जब सरकार, जनता और समाजसेवी संस्थाएँ मिलकर प्रयास करें। ‘विश्वास’ पवित्र आत्मा सेविका संघ की मानवीय पहल है। इसका उद्देश्य है एचआईवी मुक्त समाज। 2003 में बनी यह संस्था न केवल एड्स के साथ जी रहे लोगों के स्वास्थ्य लिए कार्य करती है वरन्‌ उनके आर्थिक स्वावलंबन, काउंसलिंग के अलावा समाज या परिवार की मुख्यधारा में जोड़ने व संगठित करने का कार्य भी करती है। विश्वास संस्था की निदेशक सिस्टर जैसा एंथोनी ने बताया कि समय-समय पर इसमें नए प्रोजेक्ट के साथ इसी विषय पर कार्य किया गया। प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर ज्योति शिपणकर बताती हैं कि 2008 में विश्वास कम्युनिटी केयर सेंटर शुरू हुआ जो एड्स के इलाज के अलावा संबंधित व्यक्ति व उसके परिवार को रोजगार भी दिलाता है और उसके बच्चों को शिक्षा का अधिकार भी देता है।

इस दिन पर बहुत से स्कूल एवं विश्विद्यालय में essay और speech compatition होता है|

‘एड्‌स’ एक जानलेवा बीमारी है जो धीरे-धीरे समूचे विश्व को अपनी गिरफ्त में लेती जा रही है । दुनियाभर के चिकित्सक व वैज्ञानिक वर्षों से इसकी रोकथाम के लिए औषधि की खोज में लगे हैं परंतु अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिल सकी है । पूरे विश्व में ‘एड्‌स’ को लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ हैं । सभी बेसब्री से उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं जब वैज्ञानिक इसकी औषधि की खोज में सफल हो सकेंगे । एड्‌स का पूरा नाम ‘ऐक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिन्ड्रोम’ है । वैज्ञानिक सन् 1977 ई॰ में ही इसके प्रति सचेत हो गए थे जब विश्व भर के 200 से भी अधिक वैज्ञानिकों का एक सम्मेलन अमेरिका में हुआ था । परंतु वास्तविक रूप में इसे मान्यता सन् 1988 में मिली । तभी से 1 दिसंबर को हम ‘एड्‌स विरोधी दिवस’ के रूप में जानते हैं । वे सभी व्यक्ति जो एड्‌स से ग्रसित हैं उनमें एच॰ आई॰ वी॰ वायरस अर्थात् विषाणु पाए जाते हैं । आज विश्वभर में एड्‌स से प्रभावित लोगों की संख्या चार करोड़ से भी ऊपर पहुँच गई है । अकेले दक्षिण व दक्षिण-पूर्व एशिया में ही लगभग एक करोड़ लोग एच॰ आई॰ वी॰ से संक्रमित हैं । अकेले थाईलैंड में ही हर वर्ष लगभग 3 से 4 हजार लोग एड्‌स के कारण काल का ग्रास बन रहे हैं । अधिक गहन अवलोकन करें तो हम पाते हैं कि विश्व भर में प्रति मिनट लगभग 25 लोग एड्‌स के कारण मरते हैं । एड्‌स प्रमुखत: निम्नलिखित कारणों से फैलता है: 1. किसी स्त्री या पुरुष द्‌वारा एच॰ आई॰ वी॰ संक्रमित स्त्री या पुरुष के साथ संभोग से । 2. दूषित सुई के प्रयोग से । 3. दूषित रक्त संचरण से । 4. एच॰ आई॰ वी॰ संक्रमित महिला के गर्भ से । उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त किसी भी अन्य कारण से एड्‌स नहीं फैलता है । जो व्यक्ति एड्‌स से पीड़ित हो गए हैं उनके अंदर धीरे-धीरे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त होती चली जाती है । एड्‌स हाथ मिलाने अथवा छूने से नहीं फैलता है । एड्‌स से ग्रसित लोग हमारी तरह सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं । अत: हमें उनके प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए । भारत में भी यह रोग अपने पैर जमा चुका है । हम सब की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि हम पूरी सावधानी बरतें तथा इसके प्रति सभी को जागरूक बनाने का प्रयास करें। भारत सरकार भी इसे काफी प्रमुखता दे रही है । दूरदर्शन, समाचार-पत्रों तथा अन्य संचार माध्यमों के द्‌वारा एक साथ अभियान छेड़ा गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसके बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकें । जगह-जगह एड्‌स सलाहकार केंद्र स्थापित किए गए हैं जहाँ से लोग अपने प्रश्नों का उत्तर प्राप्त कर सकते हैं । अस्पतालों में केवल ‘डिस्पोजेबल’ सुई का प्रयोग किया जा रहा है । एड्‌स का फैलाव चूँकि मुख्य रूप से महानगरीय संस्कृति के कारण अधिक हो रहा है, अत: महानगरों में स्वयंसेवी संस्थाओं द्‌वारा और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है । देह-व्यापार के केंद्रों पर जाकर काम करना, वहाँ चेतना फैलाना हमारे समाज के उत्थान के लिए तथा इस रोग से बचाव के लिए अपरिहार्य बन गया है । आशा है कि शीघ्र ही वैज्ञानिक इस जानलेवा बीमारी का निदान ढूँढ लेंगे जिससे जल्द ही विश्व को एड्‌स मुक्त किया जा सकेगा । हाल ही में भारत की कुछ कंपनियों ने एड्‌स की कुछ ऐसी दवाइयाँ विकसित की हैं जिनसे रोगियों की पीड़ा काफी कम हो सकती हे । भारतीय कंपनियों द्‌वारा निर्मित दवाइयाँ सस्ती और कारगर भी हैं जिन्हें विश्व भर में मान्यता मिल रही है । कुछ भारतीय औषधियों की इसी कारण विश्व में माँग बढ़ती जा रही है । परंतु इस क्षेत्र में अभी बहुत अनुसंधान की आवश्यकता है ।

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विश्व एड्स दिवस कब मनाया जाता है:  विश्व एड्स दिवस हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता है | आइये अब हम आपको world aids day essay, world aids day essay in hindi, world aids day essay contest, वर्ल्ड एड्स डे एस्से, essay on world aids day in english, आदि की जानकारी किसी भी भाषा जैसे Hindi, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font , 100 words, 150 words, 200 words, 400 words में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

एड्‌स ‘ एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएन्सी सिंड्रोम ‘ का संक्षिप्त नाम है । यह एक असाध्य बीमारी है, जिसे पिछली सदी के अस्सी के दशक के पूर्व कोई भी नहीं जानता था । इस बीमारी का आभास सर्वप्रथम 1981 ई. में अमेरिका में हुआ, जब पाँच समलिंगी पुरुषों में इस अनोखी बीमारी के लक्षण पाए गए । यद्‌यपि इसका आरंभ अमेरिका में हुआ, परंतु इसकी जानकारी के लगभग आठ वर्ष पश्चात्, 1989 ई. में ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ की एक गणना के अनुसार 1,40,000 से भी अधिक लोग इस बीमारी के शिकार पाए गए । 1997 ई. में यह संख्या बढ्‌कर 1,5,44,067 हो गई । आज केवल भारत में ही लगभग पचास लाख एच. आई. वी. संक्रमित व्यक्ति निवास कर रहे हैं । एड्‌स मूलत: एच. आई. वी. अर्थात् ‘ह्‌यूमन एम्यूनो डेफिसिएन्सी वायरस’ से होती है । आज वास्तविकता यह है कि जिस रफ्तार से इसके जीवाणुओं से विश्वभर में लोग बाधित हो रहे हैं यह निकट भविष्य में मानव सभ्यता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है । प्रतिदिन लगभग 7000 से भी अधिक लोग इस जीवाणु से ग्रसित हो सकते हैं । एड्‌स वास्तविक रूप में किसी एक बीमारी का नाम नहीं है अपितु यह अनेक प्रकार के रोगों का समूह है जो विशिष्ट जीवाणुओं के द्‌वारा मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट करने से उत्पन्न होती है । यह आवश्यक नहीं है कि ‘एच. आई. वी.’ से ग्रसित सभी मनुष्य एड्‌स के रोगी हैं । इस जीवाणु से ग्रसित लोगों में ‘एड्‌स’ को पूर्णत: विकसित होने में 7 से 10 वर्ष तक लग सकते हैं । विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में ‘एड्‌स’ का रोग जल्दी विकसित होता है क्योंकि इन देशों के नागरिकों का खान-पान व स्वास्थ्य का स्तर अत्यंत निम्न है । केवल आयरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, चीन और भारत में विश्व के 80% से भी अधिक ‘एच. आई. वी.’ ग्रसित लोग पाए जाते हैं । मनुष्यों में ‘एच. आई. वी.’ अथवा ‘एड्‌स’ कुछ प्रमुख कारणों से ही फैलता है । एच. आई. वी. प्रमुखत: अवैध यौन संबंधों से फैलता है । किसी भी युग्म का एक सदस्य यदि ‘एच. आई. वी.’ बाधित है तो यौन संबंधों द्‌वारा दूसरा सदस्य भी बाधित हो जाता है । स्त्रियों में इस रोग के फैलने की संभावना पुरुषों की अपेक्षा अधिक होती है । इसके अतिरिक्त ‘एच. आई. वी.’ जीवाणुओं से ग्रसित सुई के द्‌वारा अथवा बाधित स्त्रियों के गर्भ से होने वाली संतान में भी इस रोग के लक्षण हो सकते हैं । उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त किसी भी अन्य कारण, जैसे- ‘एच. आई. वी.’ अथवा एड्स से ग्रसित व्यक्ति के साथ बैठने, खाने अथवा उसकी देखरेख करने आदि से एड्स नहीं फैलता है । ‘एड्‌स’ अभी तक एक लाइलाज बीमारी है जिससे सामाजिक असंतुलन का नया खतरा उत्पन्न हो गया है । यह प्राय: मनुष्य में उस समय प्रविष्ट होती है जब उसमें सबसे अधिक ऊर्जा होती है । एक बार मनुष्य इस जीवाणु से ग्रसित होता है तब धीरे-धीरे उसकी ऊर्जा व प्रतिरोधक क्षमता विलीन होती जाती है । एड्‌स से बचाव ही इसका उपाय है । इसके लिए आवश्यक है कि इस रोग के फैलने के कारणों की जानकारी जन-जन तक पहुँचे । शिक्षा के द्‌वारा समाज में सुरक्षित यौन संबंधों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए । सुरक्षित यौन संबंधों के लिए ‘कंडोम’ अथवा निरोधक रक्तदान अथवा सुरक्षित सुई का प्रयोग कर हम एड्‌स के विस्तार को नियंत्रित कर सकते हैं । ‘एड्‌स’ जैसे असाध्य रोगों का स्थायी समाधान ढूँढ निकालने के लिए विश्वभर के वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य कर रहे हैं । इसे रोकना विश्व के समस्त लोगों, समाज, परिवार, स्वयंसेवी संस्थानों व अन्य वर्गों की जिम्मेदारी है । व्यक्ति को स्वयं अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए कि वह इसके बचाव का हरसंभव उपाय करेगा । समाज ‘एच. आई. वी.’ अथवा एड्‌स बाधित व्यक्ति के बाहिष्कार के बजाय उसके प्रति सकारात्मक व सहानुभूतिपूर्ण बर्ताव रख सकता है । इसके अतिरिक्त सभी पत्र-पत्रिकाएँ व संचार के साधन इसके नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं । ‘एड्‌स’ संबंधी जानकारी के लिए भारत सरकार समय-समय पर प्रचार माध्यमों द्‌वारा अनेक कार्यक्रम जारी करती रहती है । इसके अतिरिक्त ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्‌वारा किए गए प्रयास सराहनीय हैं । सारांशत: हम कह सकते हैं कि ‘एड्‌स की जानकारी ही इससे बचाव है’ । हम स्वयं एड्‌स के बारे में सभी जानकारियाँ ग्रहण करें तथा अन्य लोगों को भी इनसे बचाव हेतु प्रेरित करें । एड्‌स के प्रचार-प्रसार में सही जानकारी का न होना मुख्य कारण रहा है, अत: हमारा सर्वाधिक जोर इस बाधा को दूर करना होना चाहिए ।

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एड्स पर निबंध हिंदी में Essay On Aids In Hindi

Essay On Aids In Hindi एड्स पर निबंध: एड्स/एचआईवी घातक बिमारी हैं जिसकी चपेट में आकर हर साल लाखों लोग अपनी जान गवां देते हैं.

इस एड्स दिवस पर निबंध में हम जानेगे कि एड्स क्या है लक्षण कारण उपचार के बारे में जानकारी बता रहे हैं. यहाँ स्टूडेंट्स के लिए सरल शब्दों में छोटा बड़ा निबंध यहाँ दिया गया हैं.

एड्स पर निबंध हिंदी में Essay On Aids In Hindi

विज्ञान की सहायता से मानव प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं. किन्तु इस प्रगति के लिए उसने पर्यावरण प्रदूषण एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी भयंकर बीमारियों को भी न्यौता दिया हैं.

इनमें से कुछ बीमारियाँ ऐसी हैं जिनका अस्तित्व पहले कभी नहीं था. एड्स भी एक ऐसी ही बीमारी हैं. इसकी पहचान सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमेरिका में सन 1981 में की गई थी.

वैज्ञानिक शोधों से पता चला कि यह महामारी अमेरिका एवं अफ्रीका सहित विश्व के अलग अलग हिस्सों में लगभग एक ही समय में प्रारम्भ हुई.

एड्स पर निबंध

एड्स (Aids) जिसका पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम हैं. एच आई वी अर्थात ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस नामक विषाणु के कारण फैलती हैं.

यदपि अब तक यह सुनिश्चित नहीं किया जा सका हैं कि एच आई वी संक्रमित व्यक्ति को एड्स हो ही जाएगा. यह विषाणु इतना सूक्ष्म होता हैं कि इसे सामान्य तथा नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता, इसको सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जाना संभव हैं.

ये विषाणु दो प्रकार के होते हैं एच आई वी 1 एवं एच आई वी 2. यह विषाणु मानव शरीर में प्रवेश कर उसकी रोग से लड़ने की क्षमता अर्थात रोगप्रतिरोधक क्षमता को धीरे धीरे खत्म कर देता हैं.

इसके कारण शरीर कमजोर होता चला जाता हैं. एवं अन्तः मनुष्य के लिए घातक स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं. अनुमानतः विश्व भर के लगभग चार करोड़ से अधिक व्यक्ति एच आई वी विषाणु से संक्रमित हैं. इस विषाणु से संक्रमित बच्चों की संख्या भी करोड़ो में हैं.

जहाँ तक एड्स के फैलने की बात है, तो एक एच आई वी संक्रमण असुरक्षित यौन सम्बन्धों,  संक्रमित हुई सुईयों,  सीरिजों   के प्रयोग से एवं संक्रमित रक्त से फैलता हैं.

एच आई वी संक्रमित गर्भवती महिला से होने वाले नवजात शिशु के साथ भी एच आई वी संक्रमित का भी खतरा बना रहता हैं. एच आई वी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध के दौरान निकलने वाले वीर्य, रक्त अथवा योनिस्राव के सम्पर्क में आने से एच आई वी से संक्रमित होने का खतरा बना रहता हैं.

वह व्यक्ति जो मादक दवाओं के सेवन के लिए सुई/सीरिजों का साझा प्रयोग करते हैं, उनको एच आई वी संक्रमण की संभावना अधिक रहती हैं. संक्रमित रक्त व रक्त अवयवों के प्रयोग से एच आई वी फैलता हैं.

यदि गर्भवती महिला एचआईवी से संक्रमित हैं तो गर्भावस्था के दौरान जन्म के समय या स्तन पान के परिणामस्वरूप नवजात शिशु को एच आई वी संक्रमण हो सकता हैं.

एच आई वी संक्रमण होते ही एच आई वी विषाणु रक्त में प्रवाहित हो जाता हैं जो एंटीबॉडी टेस्ट की पहचान में आने के लिए दो से तीन महीने का समय ले सकता हैं.

एच आई वी से संक्रमित होने के दो से तीन महीने के बाद रक्त के एंटी बॉडी टेस्ट माध्यम से उसकी पहचान की जा सकती हैं. एच आई वी एड्स संक्रमित व्यक्तियों में एड्स के लक्षण उत्पन्न होने में 8 से 10 वर्ष तक का समय लग सकता हैं.

एड्स पॉजिटिव व्यक्ति कई वर्षों तक बिना किसी बीमारी के लक्षण के भी रह सकता हैं. एच आई वी विषाणु के संक्रमित होने के संक्रमित होने के लक्षण निम्न प्रकार हैं.

  • किसी भी व्यक्ति का वजन बिना कारण महीने में दस किलो तक कम हो जाना
  • एक दो महीने तक लगातार शरीर में बुखार का रहना, थकान होना, पसीना आना.
  • एक महीने से ज्यादा तक दस्त होना और दवाइयों से आराम न होना
  • गर्दन, बगल व जाँघों की ग्रंथियों में सूजन आना
  • मुहं में तथा जीभ पर सफेद छाले पड़ना
  • शरीर में खुजली या दाने होना
  • लगातार दवाई लेने पर भी किसी दवाई का ठीक न होना

एड्स पर निबंध Essay On Aids 500 Words In Hindi

एड्स के सन्दर्भ में कई प्रकार की भ्रांतियां फैली हुई हैं. इसलिए यह जानना आवश्यक हैं कि किन कारणों से एड्स नहीं फैलता हैं. किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में एड्स का संक्रमण केवल उसी दशा में संभव हैं.

जब एच आई वी पॉजिटिव व्यक्ति के शारीरिक द्रव दूसरे व्यक्ति के शारीरिक द्रव के सम्पर्क में आते हैं. एड्स संक्रमित व्यक्ति के साथ सामान्य काम करते हुए संक्रमित होने का कोई खतरा नहीं होता.

एड्स संक्रमित व्यक्ति के साथ समान्य काम करते हुए संक्रमित होने का कोई खतरा नहीं होता. एड्स संक्रमित व्यक्ति के लार/ थूक, मल मूत्र एवं आंसू से भी एच आई वी एड्स विषाणु फैलने का खतरा नहीं होता.

एड्स संक्रमित रक्त के संदर्भ में एक बात ध्यान रखने योग्य यह हैं. कि कम मात्रा में रक्त होने की स्थिति में सूखने के बाद एच आई वी विषाणु निष्क्रिय हो जाता हैं.

एड्स के बारे में कहा जाता हैं कि सावधानी ही इसका इलाज हैं, क्योंकि यह एक ऐसी बीमारी है जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका हैं.

इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इससे बचने का प्रयास करनी चाहिए. एड्स की रोकथाम के लिए निर्मित नई दवाएँ एंटी रिट्रो वायरस ड्रग्स एच आई वी के कारण प्रतिरोधक क्षमता में होने वाली कमी को धीमा कर सकती हैं.

ये दवाएँ शरीर में एच आई वी एड्स के विषाणुओं की संख्या घटाकर व्यक्ति के जीवनकाल एव गुणवत्ता में वृद्धि करती हैं. सुरक्षित यौन सम्बन्धों के बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर एवं कुछ सावधानियां बरत कर एड्स से बचा जा सकता हैं.

सुरक्षित यौन सम्बन्ध के दृष्टिकोण से प्रत्येक यौन सम्पर्क के दौरान सही प्रयोग करना चाहिए. यदि रक्त की आवश्यकता हो तो सदैव सरकारी या लाइसेंस शुदा रक्त कोष से ही लेना चाहिए.

शिशु के जन्म से पहले एड्स पॉजिटिव तथा नवजात शिशुओं को एंटी रिट्रो वायरस दवा देने से नवजात शिशु को एच आई वी एड्स से बचाया जा सकता हैं.

इसलिए एड्स पॉजिटिव गर्भवती महिला को स्त्री रोग विशेयज्ञ चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए कि किस प्रकार उसके बच्चें को एच आई वी एड्स के संक्रमण से बचाया जा सकता हैं.

सामान्यतया एच आई वी एड्स संक्रमित व्यक्ति को एड्स का प्रभाव कम करने के लिए पौष्टिक आहार तथा स्वच्छ पानी ग्रहण करना चाहिए. पूरी नीद लेनी चाहिए,  व्यायाम एवं  ध्यान करना चाहिए  तथा   पेशेवर परामर्शदाता  से सेवा लेनी चाहिए.

उसे चाहिए कि वह अपने सभी व्यसनों का त्याग कर दे एवं किसी अन्य को इस बीमारी से संक्रमित न होने दे.  उसे असुरक्षित  यौन सम्बन्धों से भी बचना चाहिए. किसी भी एच आई वी संक्रमित व्यक्ति को रक्त दान की इजाजत नहीं दी जाती हैं.

अंधविश्वास एवं भ्रांतियां के कारण कुछ लोग एच आई वी संक्रमित लोगों से दुर्व्यवहार करते हैं. भारत में संवैधानिक मौलिक अधिकार बिना किसी भेदभाव के सभी व्यक्तियों के लिए समान हैं.

इसलिए एच आई वी एड्स संक्रमित को पढ़ाई, रोजगार स्वास्थ्य, विवाह, यात्रा, मनोरंजन, गोपनीयता सामाजिक सुरक्षा आदि सभी प्रकार के अधिकार हैं. एच आई वी संक्रमन के कारण किसी व्यक्ति के रोजगार को समाप्त करना पूर्णतया अमानवीय एवं असंवैधानिक हैं.

एच आई वी परिक्षण पूर्णतया स्वैच्छिक है, जो कि व्यक्तिगत सहमति के बाद ही होता हैं. किसी भी व्यक्ति को एच आई वी परीक्षण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

एड्स के नियंत्रण में सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण हैं सभी सरकारी अस्पतालों में एच आई वी की जांच एवं इससे सम्बन्धित दवाएँ मुफ्त में दी जाती हैं.

एच आई वी पॉजिटिव पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति की पहचान को अस्पताल गोपनीय रखता हैं.  एच आई वी  संक्रमित व्य क्तियों के साथ   हमें भी सामान्य व्यवहार करना चाहिए.

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आशा करता हूँ दोस्तों Essay On Aids In Hindi का यह निबंध आपकों पसंद आया होगा. विश्व एड्स दिवस पर निबंध Essay on World AIDS Day in Hindi में दी गयी जानकारी पसंद आई  हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे.

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विश्व एड्स दिवस के लिए भाषण – World Aids Day Speech

  • November 22, 2021

विश्वभर में 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स दिवस के रूप दिवस के रूप दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर को हम लाये हैं विश्व एड्स दिवस पर भाषण, Speech on World Aids Day in Hindi 2021 .

इस लेख में प्रदान किया गया जो भी भाषण आपको पसंद आता है, उसे आप एड्स दिवस के दिन आयोजित होने वाले किसी भी कार्यक्रम में काम में ले सकते हैं जैसे किसी स्कूल, कॉलेज या मेडिकल संस्थान में।

World Aids Day Speech in Hindi 2021

World aids day speech in hindi 2021

विश्व एड्स दिवस पर भाषण

मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों तथा यहां पधारे सभी महानुभावों का मैं तहे दिल से हार्दिक अभिनंदन और स्वागत करता हूं।

आज हम यहां एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक पर बात कर रहे हैं। यह एक ऐसा मुद्दा या बीमारी है जिसके बारे में समाज के हर वर्ग को जानकारी होनी चाहिए।

आप सभी इस बात से विदित होंगे कि आज 1 दिसंबर है। 1 दिसंबर को समूचे विश्व में वर्ल्ड एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। एड्स एक ऐसी बीमारी है जो किसी व्यक्ति के एचआईवी नामक वायरस के संक्रमण में आने से होती है। सामान्यत: इसको एचआईवी या एचआईवी ऐड्स के नाम से जाना जाता है।

एचआईवी को लाइलाज बीमारी की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि अभी तक इस बीमारी का कोई प्रभावी इलाज या उपचार नहीं खोजा गया है इसलिए एड्स के बारे में जानकारी देने जागरूकता बढ़ाने तथा इससे जुड़ी बढ़ाने तथा इससे जुड़ी सावधानियों को रखने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स दिवस के रूप में मनाए जाने जाने दिवस के रूप में मनाए जाने जाने का निर्णय लिया गया।

हम आपको बताते चलें कि सबसे पहले 1987 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड हुए एड्स के ग्लोबल कार्यक्रम में जेम्स डब्ल्यू बुन तथा थॉमस नेटर द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एड्स दिवस को मनाने का प्रस्ताव रखा गया। इस प्रस्ताव को एड्स के ग्लोबल कार्यक्रम निदेशक डॉक्टर जोनाथन मन्न द्वारा स्वीकार कर लिया गया।

इस प्रकार 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाने की शुरुआत दिवस मनाने की शुरुआत हुई। हर साल इस दिवस को सार्थक बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई स्वास्थ्य संस्थाएं और एजेंसियां एड्स से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करने लगी।

एड्स दिवस को हर साल एक टीम के आधार पर मनाया जाता है जिसका उद्देश्य अलग-अलग तरह से लोगों को एड्स के बारे में जागरूक करना है। विश्व एड्स दिवस 2019 की थीम “Communities Make the Difference” हैं।

आइए हम सब भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस मुहिम में अपना हाथ बढ़ाएं और विश्व को एड्स मुक्त बनाने का प्रयास करें।

मैं अपने भाषण का समापन इन पंक्तियों के साथ करना चाहूंगा…

लोगों के बीच एड्स के बारे में जागरूकता लाएं, आओ हम सब मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए।
रहो अपने स्वास्थ्य और रिश्तो के प्रति जिम्मेदार, नहीं बनोगे एड्स जैसी बीमारी के भागीदार।
जिम्मेदार रहो और सुरक्षा युक्तियां अपनाओ, ऐड्स को दूर भगाओ।
हे इंसान मत बन लापरवाह, कर ले अपनी प्यारी जिंदगी की परवाह।

धन्यवाद…।।

World Aids Day Speech for School Students in Hindi

यह एड्स दिवस के लिए छोटा भाषण (short speech) है। आप इसे school, college के किसी कार्यक्रम में प्रयुक्त कर सकते है

हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स डे मनाया जाता है। इसकी शुरुआत सन् 1988 से हुई। इस दिवस को मनाने का मकसद लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता लाने, एड्स से पीड़ित लोगों के प्रति सद्भावना जगाने तथा इस बीमारी के कारण मौत होने वाले लोगों को याद करने के लिए मनाया जाता है।

इस दिन दुनिया भर में सरकारी, गैर सरकारी संगठनों तथा स्वास्थ्य विभागों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित कर एड्स के कारण, रोकथाम, नियंत्रण तथा तथ्यों के बारे में लोगों को शिक्षित किया जाता है।

एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम है जो ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) के कारण फैलता है। यह एक संक्रामक रोग है यानि किसी व्यक्ति का दूसरे एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थापित करने, संक्रामक सुई का प्रयोग करने या खून के आदान-प्रदान से यह रोग हो सकता है।

एड्स से पीड़ित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम (प्रतिरोधात्मक तंत्र) धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है जिससे वह कई प्रकार की बीमारियां जैसे सर्दी, जुकाम, क्षय रोग (टीबी) से पीड़ित हो जाता है और उस पर दवाइयां काम करना बंद कर देती है।

आइए हम युवा शक्ति समाज के हर तबके हर वर्ग को एड्स के बारे में जागरूक करते हैं। धन्यवाद।

यह भी पढ़ें – World Aids Day का इतिहास

हम सबकी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम लोगों को इस बारे में जानकारी प्रदान कराएं। एड्स एचआईवी वायरस के कारण होने वाला रोग है हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसको एचआईवी है, उसे ऐड्स हो।

सही समय पर एचआईवी वायरस का इलाज करवाकर एड्स के खतरे को कम किया जा सकता है. अधिक जानकारी के लिए आप hiv.gov वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।

अगर आपको यह विश्व एड्स दिवस के लिए भाषण पसंद आए हैं तो आप इन्हें सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं।

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एड्स पर निबंध

Essay on Aids in Hindi: हर साल 1 दिसंबर को पूरी दुनिया में एड्स दिवस मनाया जाता है, जिसे विश्व एड्स दिवस कहा जाता है। एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफ़िशियेंसी सिंड्रोम है और ये एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफ़िशियेंसी वायरस) के कारण फैलता है।

इस दिन सभी सरकारी संगठन, गैर सरकारी संगठन, स्वास्थ्य कार्यालय में स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा एड्स से संबंधित भाषण या चर्चा का आयोजन किया जाता है, इसके साथ एड्स जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाता है।

Essay on Aids in Hindi

हमने यहां पर इस निबन्ध में एड्स कैसे होता है हिंदी में जानकारी के साथ ही इसके बारे में विस्तार से बताया है। यह निबंध सभी कक्षाओं 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और उच्च कक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।

यह भी पढ़े:   हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

Essay on World AIDS Day in Hindi, एचआईवी पर निबंध, Essay on HIV in Hindi

एड्स पर निबंध हिंदी में (Aids Essay in Hindi) – 250 शब्दों में

वैसे तो दुनिया में कई प्रकार की घातक बीमारियां है लेकिन एड्स बीमारी का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग सुन्न पड़ जाते है। यह एक जानलेवा बीमारी है। टेक्नोलॉजी बढ़ने के बाद भी इस बीमारी का इलाज़ ना तो वैज्ञानिक ढूंढ पाये है न डॉक्टर। 20वीं सदी की सबसे भयानक बीमारियों में से एक एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम है। दुनिया में अब तक एड्स की वजह से लगभग 20 मिलियन लोगों ने अपनी जान गवाई है।

एड्स एचआईवी या ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस के कारण होता है, जो मानव शरीर की रोगप्रतिरोधक प्रणाली पर हमला करता है और उन्हें कमजोर बना देता है। एड्स संपर्क से फैलता है। कोई भी व्यक्ति एचआईवी या एड्स रोगी व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आता है तो उस व्यक्ति में इस वायरस को आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है।

जब कोई व्यक्ति एचआईवी वाले व्यक्ति के साथ संबंध बनाता है तो वो व्यक्ति भी इस रोग से संक्रमित हो सकता है। एक बार संक्रमित होने के बाद पहले दो हफ्तों के भीतर एड्स के लक्षण दिखाई देने लगेंगे।

एड्स के होने के बाद व्यक्ति के लिए जीवन नरक बन जाता है। एड्स की वजह से व्यक्ति पर सामाजिक कलंक लग जाता है और लोग उनसे दूरी बना लेते है। लेकिन आज कल एड्स के बारे में लोगो में काफी जागरूकता फैल गई है। अगर हम एड्स संक्रमित व्यक्ति को प्यार, विश्वास और उनके प्रति सकारात्मक अभिगम दिखाएँ तो मरीज ठीक हो सकता है और स्वस्थ जीवन जी सकता है।

aids par nibandh

Read Also: विश्व एड्स दिवस पर नारे (स्लोगन)

एड्स पर निबंध (Essay on Aids in Hindi) – 1000 शब्दों में

अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने साल 1995 में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाने के लिए एक आधिकारिक घोषणा की जिसका अनुसरण सारे देशों में किया गया। विश्व एड्स दिवस के दिन स्वास्थ्य संगठन के कर्मचारी लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने और रोकथाम के उपायों पर चर्चा करते है। मोटे तौर पर ये बात सामने आई है कि, 1981-2007 में करीब 25 लाख लोगों की मृत्यु एचआईवी संक्रमण की वजह से हुई थी।

एड्स का इतिहास

विश्व एड्स दिवस का ख्याल पहली बार 1987 में अगस्त के महीने में थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न के दिमाग में आया। थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न दोनों डब्ल्यू.एच.ओ.(विश्व स्वास्थ्य संगठन) जिनेवा, स्विट्जरलैंड के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे। उन्होंने एड्स दिवस का अपना विचार डॉ. जॉननाथन मन्न (एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के निदेशक) के साथ साझा किया, जिन्होंने इस विचार को स्वीकृति दे दी और वर्ष 1988 में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रुप में मनाना शुरु कर दिया।

एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम, जो यूएन एड्स के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 1996 में प्रभाव में आया और दुनिया भर में इसे बढ़ावा देना शुरू कर दिया गया। एक दिन मनाये जाने के बजाय, पूरे वर्ष बेहतर संचार, बीमारी की रोकथाम और रोग के प्रति जागरूकता के लिये विश्व एड्स अभियान ने एड्स कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ष 1997 में यूएन एड्स शुरु किया।

शुरु के कुछ सालों में, विश्व एड्स दिवस के विषयों का ध्यान बच्चों के साथ-साथ युवाओं पर केन्द्रित था, जो बाद में एक परिवार के रोग के रूप में पहचाना गया, जिसमें किसी भी आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित हो सकता है। 2007 के बाद से विश्व एड्स दिवस को व्हाइट हाउस द्वारा एड्स रिबन का एक प्रतिष्ठित प्रतीक देकर शुरू किया गया था।

एड्स क्या है?

एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफ़िशियेंसी सिंड्रोम है, जिसका मतलब होता है किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा बीमारी का फैलना और सीधे ही अगले व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता को समाप्त करना। यह बीमारी एचआईवी के वजह से शरीर में फैलता है। यह रोग पहली बार 1981 में देखा गया और उस रोग का एड्स नाम 27 जुलाई 1982 में दिया गया।

एचआईवी एक वायरस है, यह रोग प्रतिरक्षा प्रणाली की टी-कोशिकाओं पर हमला करता है और जिसके कारण एक रोग होता है जो एड्स के रूप में जाना जाता है। यह मानव शरीर के तरल पदार्थों में पाया जाता है। दूषित सुई का इंजेक्शन लगाने से भी एड्स फैलता है। यह प्रसव के दौरान या स्तनपान के माध्यम से गर्भवती महिलाओं से बच्चों में भी फैल सकता है। जो कि एड्स के कारण में शामिल है।

ये पश्चिम-मध्य अफ्रीका के क्षेत्र में 19 वीं और 20 वीं सदी में हुआ था। असल में इसका कोई भी इलाज नहीं है, लेकिन हो सकता है कि कुछ उपचारों के माध्यम से कम किया जा सके।

एड्स के लक्षण या संकेत

वैसे तो इस रोग में शुरुआत में कई वर्षों तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देते है, जिसके कारण एचआईवी वायरस अपना काम आसानी से करता रहता है। जिसके बाद कुछ प्रारम्भिक लक्षण दिखाई देते है जो निम्नलिखित है-

बुखार, ठंड लगना, गले में खराश, रात के दौरान पसीना, वजन घटना, थकान, दुर्बलता, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द, लाल चकते और बढ़ी हुई ग्रंथियाँ।

लेकिन संक्रमित व्यक्ति आखिरी चरण में पहुँच जाता है तब उन मे निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते है-

रात में पसीना, दस्त, सूखी खाँसी, साँसों में कमी, निमोनिया, धुंधली दृष्टि, स्थायी थकान, तेज बुखार, गर्भाशय ग्रीवा, मलाशय, सिर, गर्दन के कैंसर और लिम्फोमा का कैंसर और टोक्सोप्लाज़मोसिज़ यानि मस्तिष्क का संक्रमण।

essay on world aids day in hindi

इनके अलावा समाज में एड्स के बारे में कुछ भ्रांतियाँ फैली हुई है जैसे कि एड्स हाथ मिलने, गले लगाने, छींकने या एक ही शौचालय के उपयोग करने से फैलता है। जो कि सरासर गलत है। एड्स की रोकथाम ही एड्स से बचाव है।

विश्व एड्स दिवस की थीम या विषय

यूएन एड्स विश्व एड्स दिवस के दिन वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष वार्षिक विषयों के साथ आयोजन करती है। सभी वर्षों की विषय सूची निम्नलिखित है-

और इस साल 2020 का विषय “एचआईवी/एड्स महामारी समाप्त करना: लचीलापन और प्रभाव” है।

पूरे विश्व भर में लोग आज के दिन यानि 1 दिसंबर को लाल रीबन पहनकर एड्स से पीड़ित व्यक्तियों के प्रति अपनी भावनात्मकता व्यक्त करते है। ऐसा लोगों में इस मुद्दे के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही इस रोग से लड़ रहे लोगो के लिए सहायता राशि जुटाने के लिए भी लोग इस लाल रीबन को बेचते हैं।

इसी तरह यह, इस बामारी से लड़ते हुए अपनी जान गवानें वाले लोगों के प्रति श्रद्धांजलि प्रदान करने का भी एक जरिया है।

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर किया गया यह एड्स पर निबंध (ads per nibandh) आपको पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह एड्स दिवस पर निबंध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar

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विश्व एड्स दिवस पर भाषण Speech on World AIDS Day in Hindi

विश्व एड्स दिवस पर भाषण Speech on World AIDS Day in Hindi

हेल्लो दोस्तों, आज के इस लेख में हमने विश्व एड्स दिवस पर भाषण प्रस्तुत किया है Speech on world AIDS Day मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को मेरा ये भाषण पसंद आएगा।

Table of Content

पढ़ें : एड्स का इलाज कैसे करें?

सम्मानित प्रिंसिपल,  शिक्षकों और मेरे प्रिय मित्रों आप सभी मेरा नमस्कार,

मेरा नाम —- है और मैं 12 वीं कक्षा में पढता हूँ और मैं जीव विज्ञान का छात्र हूँ। आज 1 दिसम्बर को हम सभी विश्व एड्स दिवस को मनाने के लिए उपस्थित हुए है। हम सभी जानते है कि इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगो को जागरूक करना है। आप में से बहुत से लोगो को इसके बारे में पता होगा लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होंगे जिन्हें इसके बारे में ज्यादा जानकारी नही होगा। आज में इस भाषण के माध्यम से आप सभी को एड्स के प्रति जागरूक करने की कोशिश करूँगा।

हम सभी जानते है कि पूरी दुनिया भर में एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए हर साल 1 दिसम्बर को एड्स दिवस मनाया जाता है। आज के दिन हर गैर सरकारी, सरकारी संगठनों, संगठनों,  नागरिक समाज और अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लोगो को जागरुक करने के लिए कई आयोजन किये जाते है, जिससे लोग एड्स के प्रति और भी जागरूक रहे। 

हर साल की तरह इस साल भी 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जायेगा। हर बार की तरह इस बार भी एड्स दिवस को एक नये थीम के साथ मनाया जायेगा।

पढ़ें : विश्व एड्स दिवस पर निबंध

World AIDS Day Theme 2019 (in Hindi)

  • इस बार इसकी थीम ‘एचआईवी / एड्स महामारी समाप्त: समुदाय से समुदाय तक’ (World Aids Day Theme  2019 –  Ending the HIV/AIDS Epidemic: Community by Community रखा गया है।
  • इससे पहले वर्ष 2018 में इसकी थीम का नाम – नो योर स्टेटस (Know your status)  था।

दोस्तों, आज भी बहुत से ऐसे लोग है जो ग्रामीण और बहुत ही पिछड़े इलाके से आते है जिन्हें एड्स के बारे में जानकारी नही है। क्या आप को नही लगता है कि हमें और आप को मिलकर लोगो जागरूक करना चाहिए। अगर हमें इसके बारे में लोगो को जागरूक करना है तो उसके लिए पहले हमें ये जानना होगा कि आखिर एड्स फैलता कैसे है।

क्या आप को पता है कि एड्स कैसे फैलता है? मैं बताता हूँ।  अगर एड्स की बात करें, तो  ये HIV यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस के संक्रमण से फैलने वाली एक जानलेवा बीमारी है। इससे पुरुष और महिला के साथ बच्चे भी इससे प्रभावित हो रहे है। अगर HIV की बात करें तो ये वायरस मनुष्य के शरीर मे किसी तरल पदार्थ जैसे वीर्य, रक्त, स्तन के दूध से हो सकता है। लेकिन एड्स होने का सबसे मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध बनाने से होता है। 

दोस्तों, सबसे जरूरी बात यह है कि इसके लक्षण बिलकुल ही सामान्य होते है। जो समस्या एक सामान्य मनुष्य को होती है। इसके कई मुख्य लक्षण है जैसे – लंबे समय तक ख़ासी रहना, लंबे समय तक बुखार रहना, सिरदर्द रहना, शारीरिक कमज़ोरी आना, तेजी से वजन घटना, गले में खराश होना, बार-बार सांस फूलना, मांसपेशियों में दर्द रहना, सोते समय पसीना आना, लगातार दस्त होना, मुंह के छालें, गर्दन पर सूजन लिम्फ ग्रंथियां, धुंधला दिखाई देना जैसे लक्षण हो सकते है। जो बहुत ही सामान्य लक्षण है।  इन लक्षणों को देख कर बहुत से लोग इसे एक सामान्य बीमारी समझने की गलती कर देते है। जिससे हर साल लाखों लोगों की एड्स के कारण मृत्यु हो जाती है।

हो सकता है कि आप में कुछ लोग को लगता हो एड्स छूने या एड्स से संक्रमित व्यक्ति के साथ बात करने से फैल सकता है। तो मैं आप को बता दूँ कि एड्स असुरक्षित यौन संबंध बनाने, ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने या फिर दूषित सुई से इंजेक्शन लगाने या एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं के द्वारा उनके शिशुओं में या संक्रमित मां से बच्चे को स्तनपान कराने से फैल सकता है।

दोस्तों, अगर हम एड्स के इतिहास की बात करें, तो इसकी कल्पना सबसे पहले थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न के द्वारा 1987 में किया गया था। इन्होंने अपने इस सोच को डॉक्टर जोनाथन मन को बताया, जो ग्लोबल एड्स प्रोग्राम के डायरेक्टर थे। उन्हें दोनों की बात पसंद आई और उन्होंने साल 1988 में 1 दिसंबर को हर साल विश्व एड्स दिवस मनाने की घोषणा कर दी। वर्ष 2007 में विश्व एड्स दिवस को एक लाल क्रॉस रिबन का प्रतीक दिया गया। जिसकी शुरुआत व्हाइट हाउस में सबसे पहले की गई थी।  

अगर हम एड्स के आंकड़ों की बात करें, तो आज भी लगभग 36 मिलियन लोग एड्स के साथ जी रहे है। जिनमे 1.6 मिलियन संक्रमण 15 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में था और 0-14 आयु वर्ग के बच्चों में लगभग 160,000 बच्चों को संक्रमण हुआ था।

वर्ष 2018  में पूरी दुनिया में एड्स से संबंधित बीमारियों से लगभग 770,000 लोग मारे गए, जबकि 2010 में 1.2 मिलियन और 2004 में 1.7 मिलियन लोगो की मृत्यु एड्स से हुआ था।

अगर पिछले आंकड़ों को देखा जाए, तो इसमें पहले से बहुत सुधार हुआ है। इससे पता चलता है कि बहुत से लोग इससे जागरूक हुए है लेकिन इन आंकड़ों को देखते हुए हम कह सकते है कि आज भी बहुत से ऐसे लोग है जिन्हें एड्स के बारे में पूरी जानकारी नही है। इसके लिये हम सभी को आगे आने की जरुरत है।

दोस्तों, हम सभी को पता है कि विश्व एड्स दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्व स्तर पर एड्स के लिए रोकथाम और नियंत्रण के उपायों को बढ़ाने के लिए,  एड्स के इलाज,  परीक्षण, तथा एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी के लिये तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना तथा लोगो को एड्स के  प्रति जागरूक करके इसके खिलाफ लड़ने में सहायता के साथ कई अन्य उद्देश्य भी है।

क्या आप को पता है कि किन सावधानियों से आप एड्स जैसे जानलेवा बीमारी से बच सकते है।  हम आप को बता दें कि इससे बचने के लिए आप को क्या करना चाहिए।

  • आपको इसके इन्फेक्शन से बचने के लिए यौन संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • यदि आप कभी इंजेक्शन लेते या देते है तो उसके लिए नये सिरिंज का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • यदि आपके आस पास किसी को एड्स है तो उसके साथ भेदभाव न करे। क्योंकि एचआईवी वायरस हाथ मिलाने, साथ खाना खाने और साथ रहने से नही फैलता है।
  • किसी भी HIV रोगी के एक्सीडेंट के समय सावधानियां बरतें। जैसे ग्लोव का उपयोग करें।
  • एड्स रोगियों को समझाएं की उन्हें एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी अपने नजदीकी ART सेण्टर या स्वास्थ्य केंद्र जा कर शुरू करवाना चाहिए जिससे वह एक सुखी और पूर्ण जीवन जी सकते हैं।
  • किसी भी व्यक्ति का उपयोग किया हुआ ब्लेड उपयोग नहीं करना चाहिए।

इसी के साथ मैं अपने भाषण का समापन कर रहा हूँ। अंत मैं आप से यही कहूँगा कि दोस्तों, हम सभी को मिलकर एड्स के प्रति लोगो को और भी ज्यादा जागरूक करना चाहिए। जिससे की लोग इसके विषय में और जागरूक बन सकें और यह बीमारी जड़ से मिट सके। इसी के साथ ही में अपना भाषण समाप्त करता हु धन्यवाद। 

https://www.hiv.gov/hiv-basics/overview/data-and-trends/global-statistics https://www.unaids.org/en/resources/campaigns/WAD_2019

3 thoughts on “विश्व एड्स दिवस पर भाषण Speech on World AIDS Day in Hindi”

Bahut badiyaa speech jai aadarniye saabh

जो ऐड्स से बचेगा वो पूरा जीवन गर्व के साथरहेगा

Bhut dhmakedar speech

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विश्व एड्स दिवस पर 10 वाक्य (10 Lines on World Aids Day in Hindi)

बीमारियों का नाम सुन अच्छे से अच्छा धुरंधर भी सिहर उठता है। आज हम खुद को स्वस्थ रखने के लिए लाख जतन करते हैं फिर भी बीमारियां किसी न किसी रूप में हम पर हावी हो ही जाती हैं। बीमारियां कुछ ऐसी हैं जो बहुत जल्दी ठीक हो जाती हैं तो कुछ ऐसी जो काफ़ी लम्बे समय तक अपना असर दिखाती हैं, कुछ ऐसी जिनके तमाम इलाज हैं तो कुछ लाइलाज। एड्स उन्हीं कुछ लाइलाज बीमारियों में एक है। हर साल लाखों जानें लेने वाली इस बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया है। इसके रोकथाम के लिए उचित जागरूकता को मद्देनज़र रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हर वर्ष विश्व एड्स दिवस मनाने का फैसला लिया।

विश्व एड्स दिवस पर 10 लाइन (Ten Lines on World Aids Day in Hindi)

आज इस लेख के माध्यम से हम विश्व एड्स दिवस के बारे में जानेंगे। आशा करता हूँ कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी हो।

Vishwa AIDS Divas par 10 Vakya – Set 1

1) एड्स एक लाइलाज महामारी है जो HIV नाम के खतरनाक वायरस के कारण फैलता है।

2) हर साल 1 दिसंबर को वैश्विक रूप में सभी देशों के आपसी सहमति और सहयोग से विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।

3) एड्स दिवस पर विश्व भर में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

4) लोगों को इस बीमारी से जागरूक करने के लिए विश्व एड्स दिवस सन् 1988 से संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के बाद मनाया जा रहा है।

5) रेड रिबन (Red Ribbon or Red Cross) एड्स दिवस का प्रतीकात्मक चिन्ह है।

6) लाल रिबन एचआईवी से पीड़ित लोगों के लिए जागरूकता और समर्थन का प्रतीक है।

7) हर साल एक नए थीम के साथ विश्व भर में एड्स दिवस के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

8) वर्ष 2020 में एड्स रोकथाम के लिए ‘एचआईवी/एड्स महामारी का अन्त: लचीलापन और प्रभाव’ के थीम पर एड्स दिवस मनाया गया था।

9) एड्स बीमारी के प्रति बड़े स्तर के साप्ताहिक कार्यक्रम की शुरुआत सैन फ्रांसिस्को द्वारा 1984 में किया गया था।

10) बहुत से देशों में 1 दिसंबर विश्व एड्स दिवस के आसपास 1 हफ्ते का एड्स जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है।

Vishwa AIDS Divas par 10 Vakya – Set 2

1) एड्स दिवस दुनिया में लोगों को इस बीमारी की रोकथाम, उपाय और एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

2) भारत में 1986 में एड्स का पहला मामला सामने आया था और 1990 के बाद एड्स रोगियों की संख्या में काफी वृद्धि हो गई।

3) भारत में एड्स की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको-NACO) नामक संस्था का गठन किया गया है।

4) यह संगठन विश्व विद्यालयों में युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं और युवाओं ने मिलकर रेड रिबन क्लब की स्थापना किया है।

5) विश्व एड्स दिवस मनाने की कल्पना सबसे पहले WHO में कार्यरत जेम्स डब्ल्यू बन और थॉमस नेटर द्वारा 1987 में की गई थी।

6) रेड रिबन क्लब युवाओं का एक सामूहिक संगठन है जिसके तहत विश्व भर में युवाओं द्वारा एड्स जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं।

7) इस क्लब से अधिक से अधिक युवा जुड़ते हैं और क्षेत्रीय स्तर पर लोगों में एड्स के रोकथाम और जागरूकता फैलाने का प्रयास करते हैं।

8) भारत में एड्स पर रोकथाम के उद्देश्य से 1992 में ‘राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम’ की शुरूआत की गई थी।

9) शुरुआत में एड्स दिवस के कार्यक्रम केवल बच्चों से संबंधित थे पर बाद में यह कार्यक्रम सभी वर्गों के लिए होने लगा।

10) कई समाजसेवी संस्थाएँ हैं जो एड्स रोगियों के उपचार और सहायता के लिए कार्य करते हैं।

World Aids Day

एड्स जैसी बीमारी से लड़ने के लिए सभी देशों को एक साथ कार्य करना होगा और यह सभी कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर होना चाहिए। इस महामारी से निपटने के लिए बहुत से प्रयास किए भी जा रहें हैं और हाल के कुछ वर्षों में काफी अच्छे परिणाम भी देखने को मिले हैं। एड्स के सबसे ज्यादा रोगी भारत के महाराष्ट्र राज्य में हैं। पिछले कुछ साल के आँकड़े थोड़े संतोषजनक है क्योंकि धीरे-धीरे ही सही पर भारत में एड्स पर नियंत्रण किया जा रहा है।

आशा करता हूँ विश्व एड्स दिवस पर 10 लाइन (10 Points on World Aids Day) आपको पसंद आया होगा और आपने अच्छे से इसे समझा होगा।

विश्व एड्स दिवस पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न : Frequently Asked Questions on World Aids Day

उत्तर– 2020 के अन्त तक विश्व भर में लगभग 79 मिलियन लोग एच.आई.वी. से पीड़ित हुए और लगभग 36 मिलियन लोगों की मृत्यु हो गई।

उत्तर– आंकड़ों के मुताबिक लगभग 152 देशों में एड्स से पीड़ित मरीज पाए गए हैं।

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Essay on aids in hindi एड्स पर निबंध.

Read an importance essay on aids in Hindi language for students of class 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. What is Aids in Hindi? उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण। Know more about aids in Hindi. The essay on aids in Hindi will help you cure and let to know the effects of aids. एड्स पर निबंध।

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एड्स पर निबंध

एड्स एक घातक रोग और महामारी है जिसका प्रकोप सारे संसार में अत्यन्त तीव्र गति से हो रहा है। एड्स, एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेन्सी सिंड्रोम (Acquired Deficiency Syndrome) का संक्षिप्त रूप है। इस महामारी से कोई देश, प्रदेश या प्रांत अछूता नहीं बचा है। संसार के सभी भागों में इसका विनाशकारी प्रकोप देखा जा सकता है। यह रोग बच्चों, बूढों, युवकों, नारियों आदि सभी को होता है। इसके इतने तीव्र प्रसार ने सब को हतप्रभ कर दिया है। लेकिन यह उन लोगों में सबसे ज्यादा पाया जाता है जो नशा करते हैं, समलिंगी हैं, ट्रक चलाते हैं, चकलों तथा सैक्स वर्कर्स के पास जाते रहते हैं या फिर ढाबों आदि स्थानों में रहते हैं। एड्स की समस्या एक विश्व व्यापी समस्या है और बहुत गंभीर व जटिल भी। दुःख की बात यह है कि अभी तक इसका कोई उपचार नहीं पाया गया है। अपार धनराशि इसके उपचार खोजने में खर्च की जा रही है परन्तु अभी तक यह लाईलाज ही है। हां लगातार और बहुत मंहगी दवाइयों के सेवन से एड्स से होना वाली मृत्यु को कुछ समय के लिए टाला अवश्य जा सकता है।

एड्स का विषणु या वायरस एच-आई-वी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिंशियेन्सी) कहलाता है। इससे प्रभावित व्यक्ति की रोगों से लड़ने की शक्ति समाप्त हो जाती है । परिणाम स्वरुप इस व्यक्ति पर अनेक रोगों का आक्रमण हो जाता है और रोगी तिल-तिल दम तोड़ता हुआ मर जाता है। पिछले २०-25 वर्षों में लाखों लोग एड्स के कारण काल के गाल में समा चुके हैं और लाखों मरने की कगार पर हैं। समझा जाता है कि एड्स के विषाणु अफ्रीका के एक विशेष बंदर (चिपांजी) से मनुष्यों में फैले हैं। लेकिन यह वायरस बंदरों में कोई गंभीर रोग नहीं फैला सका। पहले बंदरों ने कुछ मनुष्यों को अपने दांतों से काट लिया या पंजों से घाव कर दिये और ये लोग एड्स के शिकार हो गये। फिर दूसरे लोगों में एड्स उनके संपर्क में आने से फैल गया। प्रारंभ में एड्स का रूप इतना घातक नहीं था। अफ्रीका में इस रोग के फैलने का मुख्य कारण वहां की जनजातियों में मुक्त यौन-संबंध रहा होगा। वहां से यह विश्व के सभी द्वीपों और महाद्वीपों में बड़ी तीव्र गति से फैल गया। जब तक इसके बारे में पता चला, बहुत विलम्ब हो चुका था और लाखों लोग इससे प्रभावित हो चुके थे।

मुक्त यौन-संबंधों, समलैंगिक यौनाचार के अतिरिक्त एड्स दूषित रक्त के प्रयोग, नशे के लिए एक ही सूई के विभिन्न लोगों द्वारा प्रयोग से भी यह महामारी फैलती है। इस रोग से प्रभावित माता-पिता के बच्चे भी इस रोग को लिये हुए ही पैदा होते हैं। एड्स के विषाणु शरीर और रक्त में प्रवेश करके हमारे रक्त को विषाक्त और दूषित कर देते हैं जिससे हमारी महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली नष्ट हो जाती है। सबसे खतरनाक बात यह है कि इन विषाणुओं के प्रभाव का शरीर में प्रवेश कर जाने के कई वर्षों बाद पता लगता है। इसका अर्थ यह है कि एड्स के स्पष्ट लक्ष्ण दिखाई देने में लगभग पांच वर्ष का समय लग जाता है। इस अवधि में प्रभावित व्यक्ति अनजाने में ही दूसरे लोगों में यह रोग फैलाता रहता है। कई मामलों में तो एड्स के स्पष्ट लक्ष्ण प्रकट होने में दस वर्ष तक का समय लग सकता है और इस लम्बी अवधि में यह रोग कई गुणा फैल सकता है।

जब इस एड्स का पता लगता है तब तक सर्वनाश हो चुका होता है और उपचार की कोई संभावना नहीं रह जाती। इसके परिणामस्वरूप दूसरी घातक बीमारियां जैसे टीबी, मलेरिया, डायरिया आदि भी आ घेरती हैं। अत: एड्स से पीड़ित व्यक्ति प्राय: एक एड्स से नहीं कई बीमारियों से ग्रसित पाया जाता है। इससे उपचार बहुत जटिल और महंगा हो जाता है। रोगी को प्रायः जीवनपर्यंत अनेक दवाइयां बहुत अधिक मात्रा में खानी पड़ती हैं। बीच में तनिक भी व्यवधान आने पर घातक परिणामों से बचना कठिन हो जाता है। अतः एड्स से पीड़ित व्यक्ति मानसिक दृष्टि से भी नितांत असहाय और पंगु हो जाता है। उसे हताशा और निराशा आ घेरती है। फिर ऐसे रोगी की सहायता, सेवा-सुश्रूषा के लिए भी कोई तैयार नहीं होता।

जानता है कि जैसे ही लोगों, सम्बन्धियों आदि को इस सत्य का पता लगेगा, वे उससे नफरत करने लगेंगे और उसके निकट नहीं आयेंगे। लोग सब तरह से उसका बहिष्कार कर देंगे। इस प्रकार इस रोग के सामाजिक, पारिवारिक तथा आर्थिक पहलू भी बड़े भंयकर हैं। एड्स को लेकर भ्रांतियां भी बहुत है। एड्स से प्रभारित मनुष्य से बातचीत करने, उसके साथ उठने-बैठने या हाथ मिलाने से यह रोग दूसरों में नहीं फैलता। एड्स के रोगियों में हताशा, निराशा और कुंठा के अतिरिक्त पाप भावना भी घर कर जाती है और कई बार एड्स का रोगी आत्महत्या भी कर लेता है।

एड्स के रोगी कई बार अनजाने में या फिर जान-बूझकर विवाह कर लेते हैं। या दूसरों से यौन संबंध स्थापित कर लेते हैं। वे सोचते हैं कि वे क्यों इन सुखों से वंचित रहें और इस तरह बीमारी के प्रचार-प्रसार में सक्रिय योगदान देते हैं। यह सब बडी विषम स्थितियां हैं और इन पर नियंत्रण पाना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है।

एड्स जैसी घातक, दुखदाई, सर्वनाशक व भयंकर बीमारी दूसरी कोई नहीं है। इससे बचाव ही इसका एक मात्र उपाय है। तात्यर्प यह है कि इसे पैदा ही नहीं होने दिया जाए। जिसके लिए आवश्यक है कि सुरक्षित यौन संबंध हो, समलैंगिकता और नशों से बचा जाए। कभी रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़े तो पूरी तरह और जांचा-परखा, शुद्ध और एच-आई-वी मुक्त रक्त ही चढ़ाया जाए। अनजान व अनेक लोगों से सैक्स संबंध इस दृष्टि से सचमुच खतरनाक हैं। सावधानियों के साथ-साथ संयम इस मामले में बहुत आवश्यक है।

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