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रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध (Rabindranath Tagore Essay in Hindi)

रबीन्द्रनाथ टैगोर

रबीन्द्रनाथ टैगोर एक महान भारतीय कवि थे। उनका जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता के जोर-साँको में हुआ था। इनके माता-पिता का नाम शारदा देवी (माता) और महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर (पिता) था। टैगोर ने अपनी शिक्षा घर में ही विभिन्न विषयों के निजी शिक्षकों के संरक्षण में ली। कविता लिखने की शुरुआत इन्होंने बहुत कम उम्र में ही कर दी थी। वो अभी-भी एक प्रसिद्ध कवि बने हुए हैं क्योंकि उन्होंने हजारों कविताएँ, लघु कहानियाँ, गानें, निबंध, नाटक आदि लिखें हैं। टैगोर और उनका कार्य पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है। वो पहले ऐसे भारतीय बने जिन्हें “गीतांजलि” नामक अपने महान लेखन के लिये 1913 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वो एक दर्शनशास्त्री, एक चित्रकार और एक महान देशभक्त भी थे जिन्होंने हमारे देश के राष्ट्रगान “जन गण मन” की रचना की।

रबीन्द्रनाथ टैगोर पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Rabindranath Tagore in Hindi, Rabindranath Tagore par Nibandh Hindi mein)

रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

रबीन्द्रनाथ टैगोर, रबीन्द्रनाथ ठाकुर के नाम से भी जाने जाते थे और गुरुदेव के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे। वो एक महान भारतीय कवि थे जिन्होंने देश को कई प्रसिद्ध लेखन दिया। वो कालीदास के बाद दूसरे महानतम कवि हैं। आज, वो पूरी दुनिया में एक महानतम कवि और लेखक के रुप में प्रसिद्ध हैं।

जन्म और शिक्षा

उनका जन्म महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर (पिता) और शारदा देवी (माता) के घर 1861 में 7 मई को कलकत्ता के जोर-साँको में एक अमीर और सुसंस्कृत परिवार में हुआ था। 1875 में जब टैगोर 14 वर्ष के थे तभी इनकी माता का देहांत हो गया। अपने शुरुआती उम्र में ही इन्होंने कविता लिखने में रुचि को विकसित कर लिया था। वो एक चित्रकार, दर्शनशास्त्री, देशभक्त, शिक्षाविद्, उपन्यासकार, गायक, निबंध लेखक, कहानी लेखक और रचनात्मक कार्यकर्ता थे।

लेखन और संघर्ष

उपन्यास और लघु कथा के रुप में उनका महान लेखन मानव चरित्र के बारे में उनकी बुद्धिमत्ता, गहरे अनुभव और समझ की ओर इशारा करता है। वो एक ऐसे कवि थे जिन्होंने देश को बहुत प्यारा राष्ट्रगान “जन गण मन” दिया है। उनके कुछ महत्वपूर्ण कार्य हैं: “गीतांजलि, आमार सोनार बांग्ला, घेर-बेर, रबीन्द्र संगीत” आदि। “गीतांजलि” के उनके महान अंग्रेजी संस्करण लेखन के लिये 1913 में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वो पहले भारतीय और पहले एशियाई थे जिनको ये सम्मान प्राप्त हुआ। वो 1902 में शांति निकेतन में विश्व भारती यूनिवर्सिटी के संस्थापक थे।

जलियाँवाला बाग नरसंहार के ख़िलाफ़ एक विरोध में 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा दिये गये अवार्ड “नाइटवुड” को इन्होंने अपने देश और देशवासियों के प्रति प्यार के कारण वापस कर दिया। इनका महान लेखन आज भी देश के लोगों को प्रेरणा देता है।

यूट्यूब पर देखें: Rabindranath Tagore Essay in Hindi

निबंध 2 (300 शब्द)

रबीन्द्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध भारतीय कवि थे जो गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध थे। टैगोर का जन्म कलकत्ता के जोर-साँको में 7 मई 1861 को एक अमीर सुसंस्कृत परिवार में हुआ था। उनके अभिवावक महर्षि देवेन्द्रनाथ (पिता) और शारदा देवी (माता) थीं। वो बचपन से ही कविताएँ लिखने के शौक़ीन थे। एक महान कवि होने के साथ ही, वो एक मानवतावादी, देशभक्त, चित्रकार, उपन्यासकार, कहानी लेखक, शिक्षाविद् और दर्शनशास्त्री भी थे। वो देश के सांस्कृतिक दूत थे जिन्होंने पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति के ज्ञान को फैलाया है। वो अपने समय के एक प्रतिभासंपन्न बच्चे थे जिसने बहुत महान कार्य किये। कविता लेखन के क्षेत्र में वो एक उगते सूरज के सामान थे।

कविताओं या कहानी के रुप में अपने लेखन के माध्यम से लोगों के मानसिक और नैतिक भावना को अच्छे से प्रदर्शित किया। आज के लोगों के लिये भी उनका लेखन अग्रणी और क्रांतिकारी साबित हुआ है। जलियाँवाला बाग नरसंहार की त्रासदी के कारण वो बहुत दुखी थे जिसमें जनरल डायर और उसके सैनिकों के द्वारा अमृतसर में 1919 में 13 अप्रैल को महिलाओं और बच्चों सहित बहुत सारे निर्दोष लोग मारे गये थे।

वो एक महान कवि होने के साथ ही एक देशभक्त भी थे जो हमेशा जीवन की एकात्मकता और इसके भाव में भरोसा करता है। अपने पूरे लेखन के द्वारा प्यार, शांति और भाईचारे को बनाये रखने के साथ ही उनको एक रखने और लोगों को और पास लाने के लिये उन्होंने अपना सबसे बेहतर प्रयास किया।

अपनी कविताओं और कहानियों के माध्यम से प्यार और सौहार्द के बारे में उन्होंने अच्छे से बताया था। टैगोर के पूरे जीवन ने एक दूसरे से प्यार और सौहार्द के स्पष्ट विचार को भी उपलब्ध कराया। निम्न वक्तव्यों से उनका देश के प्रति समर्पण दिखायी देता है, “मेरा देश जो हमेशा भारत है, मेरे पितर का देश है, मेरे बच्चों का देश है, मेरे देश ने मुझे जीवन और मजबूती दी है”। और दुबारा, “मैं फिर से अवश्य भारत में पैदा होऊँगा”।

निबंध 3 (400 शब्द)

रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म भारत के कलकत्ता में 7 मई 1861 को देवेन्द्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के घर हुआ था। उनका जन्म एक समृद्ध और सुसंस्कृत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों के माध्यम से प्राप्त की और कभी स्कूल नहीं गये हालांकि उच्च शिक्षा के लिये इंग्लैंड गये थे। टैगोर 8 वर्ष की उम्र से ही कविता लिखने लगे थे। उनकी कविताएँ स्यूडोनिम भानुसिंहों के तहत प्रकाशित हुयी जब वो केवल 16 वर्ष के थे। कानून की पढ़ाई करने के लिये 1878 में वो इंग्लैंड चले गये हालांकि बिना पढ़ाई को पूरा किये वापस भारत लौट आये क्योंकि उन्हें एक कवि और लेखक के रुप में आगे बढ़ना था।

इंग्लैंड से लंबी समुद्री यात्रा के दौरान उन्होंने अपने कार्य गीतांजलि को अंग्रेजी में अनुवादित किया। जिस वर्ष गीतांजलि का प्रकाशन हुआ था उसी वर्ष के समय उन्हें साहित्य के लिये नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने लेखन में भारतीय संस्कृति की रहस्यवाद और भावनात्मक सुंदरता को दिखाया जिसके लिये पहली बार किसी गैर-पश्चिमी व्यक्ति को इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाज़ा गया।

एक प्रसिद्ध कवि होने के साथ ही साथ, वो एक प्रतिभाशाली लेखक, उपन्यासकार, संगीतकार, नाटक लेखक, चित्रकार और दर्शनशास्त्री थे। कविता और कहानी लिखने के दौरान कैसे भाषा पर नियंत्रण रखना है इसकी उन्हें अच्छे से जानकारी थी। वो एक अच्छे दर्शनशास्त्री थे जिसके माध्यम से स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भारतीय लोगों की बड़ी संख्या को उन्होंने प्रभावित किया।

भारतीय साहित्य के लिये उनका योगदान बहुत बड़ा और अविस्मरणीय है। उनके रबीन्द्रसंगीत में दो गीत बहुत प्रसिद्ध हुए क्योंकि वो दो देशों के राष्ट्रगान हैं “जन मन गण” (भारत का राष्ट्रगान) और “आमार सोनार बांग्ला” (बांग्लादेश का राष्ट्रगान)। उनकी रचनात्मक लेखन, चाहे वो कविता या कहानी के रुप में हों, आज भी उसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। शायद वो पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने असरदार लेखन से पूरब और पश्चिम के बीच की दूरी को कम कर दिया।

उनकी एक और रचना ‘पूरवी’ थी जिसमें उन्होंने सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक आदि जैसे बहुत सारे विषयों के तहत संध्या और सुबह के गीतों को दर्शाया है। 1890 में उनके द्वारा मनासी लिखा गया था जिसमें उन्होंने कुछ सामाजिक और काव्यात्मक कविताओं को संग्रहित किया था। उनके ज़्यादतर लेखन बंगाली लोगों के जीवन पर आधारित होते थे। उनकी एक दूसरी रचना ‘गलपगुच्छा’ थी जिसमें भारतीय लोगों की गरीबी, पिछड़ापन और निरक्षरता पर आधारित कहानियों का संग्रह था।

उनकी दूसरी कविता संग्रह जैसे सोनार तारी, कल्पना, चित्रा, नैवेद्या आदि और गोरा, चित्रांगदा और मालिनी, बिनोदिनी और नौका डुबाई, राजा और रानी आदि जैसे उपन्यास हैं। वो बहुत ही धार्मिक और आध्यात्मिक पुरुष थे जिन्होंने मुश्किल वक्त़ में दूसरों की बहुत मदद की। वो एक महान शिक्षाविद् थे इस वजह से उन्होंने एक शांति का निवास-स्थान, शांतिनिकेन नाम के एक अनोखी यूनिवर्सिटी की स्थापना की। भारत की स्वतंत्रता को देखे बिना ही रबीन्द्रनाथ टैगोर 7 अगस्त 1941 को दुनिया से चल बसे।

Essay on Rabindranath Tagore in Hindi

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Essay On Rabindranath Tagore in Hindi: जानिए रवीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन पर निबंध

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 26, 2023

Essay On Rabindranath Tagore In Hindi

रवीन्द्रनाथ टैगोर ने साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। टैगोर के कार्यों का अध्ययन सांस्कृतिक विविधता, रचनात्मकता और दार्शनिक दृष्टिकोण के बारे में जानकारी प्रदान करता है। शिक्षा पर उनके विचार बहुत प्रबल थे जैसे कि विश्वभारती विश्वविद्यालय शुरू करना, वे व्यक्ति की समग्र शिक्षा और व्यक्तिगत विकास पर जोर देते हैं, जो छात्रों के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करते हैं।  इसके अतिरिक्त, भारत के स्वतंत्रता आंदोलन पर टैगोर का प्रभाव और साहित्य में उनका नोबेल पुरस्कार उनके वैश्विक महत्व को भी उजागर करता है। वे एक ऐसे भारतीय थे जिसके बारे में प्रत्येक विद्यार्थी को जानकारी होनी चाहिए। Essay On Rabindranath Tagore in Hindi जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

रवीन्द्रनाथ टैगोर निबंध पर निबंध 100 शब्दों में , रवीन्द्रनाथ टैगोर निबंध पर निबंध 200 शब्दों में , रवीन्द्रनाथ टैगोर के कार्य और उपलब्धियाँ, रवीन्द्रनाथ टैगोर और भारतीय स्वतंत्रता, रवीन्द्रनाथ टैगोर निबंध पर 10 लाइन्स.

भारत के महानतम कवि और वैश्विक साहित्यकार माने जाने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता के एक सुसंस्कृत और संपन्न परिवार में हुआ था। पारंपरिक स्कूली शिक्षा के विपरीत, टैगोर की शिक्षा ज्यादातर घर पर ही हुई थी। वह एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, जो कविता, गीत, उपन्यास, कहानियां, निबंध और पत्रों में उत्कृष्ट थे।  उनकी उल्लेखनीय रचना ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला और बंगाली साहित्य पर उनका प्रभाव अतुलनीय है। जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्होंने अपनी नाइटहुड की उपाधि त्याग दी। 7 अगस्त, 1941 को उनकी मृत्यु ने साहित्य जगत ने एक महत्वपूर्ण व्यक्ति को खो दिया।

Essay On Rabindranath Tagore in Hindi निबंध 200 शब्दों में नीचे दिया गया है:

भारत के महान कवि और विश्व-प्रसिद्ध व्यक्ति रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता के एक अमीर परिवार में हुआ था। रवीन्द्रनाथ टैगोर के माता-पिता, देवेन्द्रनाथ टैगोर और सारदा देवी ने उनका पालन-पोषण अच्छे से किया। उनके दादा, द्वारकानाथ टैगोर शहर के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक थे। नियमित स्कूल जाने के बजाय, रवीन्द्रनाथ को ज्यादातर घर पर ही पढ़ाया जाता था।

टैगोर एक प्रतिभाशाली लेखक थे। वे कविता, गीत, उपन्यास, कहानियाँ, निबंध और पत्र जैसी विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट थे। उनकी एक असाधारण रचना ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला और बंगाली साहित्य पर उनका प्रभाव बहुत अधिक था। पारंपरिक शिक्षा से नाखुश होकर, उन्होंने सीखने के लिए अधिक ध्यान केंद्रित करते हुए, बोलपुर में शांतिनिकेतन, विश्व भारती की स्थापना की।

अपनी साहित्यिक गतिविधियों के अलावा, टैगोर एक सच्चे देशभक्त थे और उन्होंने 1905 में बंगाल के विभाजन का सक्रिय रूप से विरोध किया था। जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में, उन्होंने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के प्रति अपने मजबूत समर्पण को प्रदर्शित करते हुए, अपनी नाइटहुड की उपाधि त्याग दी थी। 7 अगस्त, 1941 को उनके निधन से साहित्य जगत में एक महत्वपूर्ण कमी आ गई, लेकिन उनकी विरासत पाठकों और लेखकों को पीढ़ियों तक प्रेरित करती रहेगी।

रवीन्द्रनाथ टैगोर निबंध पर निबंध 500 शब्दों में 

Essay On Rabindranath Tagore in Hindi निबंध 500 शब्दों में नीचे दिया गया है:

रवीन्द्रनाथ टैगोर, एक महान भारतीय कवि और एक उल्लेखनीय व्यक्ति थे। वह एक दार्शनिक, देशभक्त, चित्रकार और मानवतावादी व्यक्ति भी थे, जिन्हें अक्सर प्यार से गुरुदेव कहा जाता है। 7 मई, 1861 को कलकत्ता में जन्मे, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर विभिन्न शिक्षकों से प्राप्त की और कई विषयों में ज्ञान प्राप्त किया। सीखने की उनकी प्यास ने उन्हें इंग्लैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।

जो चीज़ टैगोर को अलग करती है, वह है कविता लिखने की उनकी शुरुआती शुरुआत, जिसमें उन्होंने बहुत कम उम्र से ही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उनके बहुआयामी व्यक्तित्व में विभिन्न भूमिकाएँ और प्रतिभाएँ समाहित थीं। गुरुदेव शब्द लोगों के मन में उनके प्रति गहरे सम्मान को दर्शाता है। उनकी इस प्रतिभावान साहित्यिक क्षमता, दार्शनिक के रूप में उनकी गहन अंतर्दृष्टि, अपने देश के प्रति उनके प्रेम और एक चित्रकार आदि इतनी अधिक कलाओं के कारण लोग उनका इतना सम्मान करते थे। साहित्य से परे भी टैगोर का असाधारण प्रभाव दुनिया में रहा।

रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सोलह साल की छोटी उम्र में नाटक की दुनिया में कदम रखा और बीस साल की उम्र में उन्होंने अपना मूल नाटक, वाल्मिकी प्रतिभा तैयार किया। विशेष रूप से, उनके कार्यों में भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करना अलग था। उनके असाधारण नाटकों में से एक है विसर्जन, जो 1890 में लिखा गया था, उनके सर्वश्रेष्ठ नाटकों में से एक माना जाता है।

सोलह वर्ष की छोटी उम्र से, टैगोर ने लघु कहानी लेखन में भी कदम रखा, उनकी पहली कहानी भिखारीनी थी।  उन्हें बंगाली लघु कथा शैली को आगे बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है, उनके संग्रह गलपागुच्छ में 1891 और 1895 के बीच लिखी गई प्रभावशाली 84 कहानियाँ शामिल हैं।

टैगोर उपन्यासों भी लिखते थे, उन्होंने आठ उल्लेखनीय उपन्यासों का निर्माण किया। गीतांजलि के साथ उनकी कविता नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई, जिससे उन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला। अन्य महत्वपूर्ण काव्य कार्यों में मानसी, सोनार तोरी और बालाका शामिल हैं।

टैगोर की संगीत विरासत में 2230 गाने शामिल हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से रवीन्द्रसंगीत के नाम से जाना जाता है।  उनकी रचनाएँ, प्रतिष्ठित आमार शोनार बांग्ला, भारतीय संस्कृति के बारे में है। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत का राष्ट्रगान, जन गण मन भी लिखा था।

साहित्य और संगीत से परे, टैगोर ने ड्राइंग और पेंटिंग में अपने कलात्मक कौशल का प्रदर्शन किया। टैगोर की बहुमुखी प्रतिभा ने विभिन्न कलात्मक क्षेत्रों पर एक अमिट छाप छोड़ी है, जिससे वे सांस्कृतिक इतिहास में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए हैं।

रवीन्द्रनाथ टैगोर ने राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रवादियों का पुरजोर समर्थन किया। उन्होंने कई देशभक्ति गीतों की रचना की, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए प्रेरणा को बढ़ावा दिया। टैगोर के लेखन को व्यापक प्रशंसा मिली, यहां तक कि उन्हे महात्मा गांधी से भी अनुमोदन प्राप्त हुआ।

टैगोर के राजनीतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण क्षण वह था जब उन्होंने 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में अपनी नाइटहुड की उपाधि त्याग दी, जिससे भारतीय स्वतंत्रता के मुद्दे के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई। रवीन्द्रनाथ टैगोर सिर्फ एक साहित्यिक दिग्गज नहीं थे, वह साहित्य, कला, संगीत और राजनीति में फैली विविध प्रतिभाओं वाले एक देशभक्त भारतीय थे। उनके बहुमुखी योगदान ने भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य पर एक स्थायी छाप छोड़ी है।

रवीन्द्रनाथ टैगोर अपने देश, मानवता और विशेषकर बच्चों से बहुत प्यार करते थे। वह ऐसे व्यक्ति थे जो शांति में विश्वास करते थे और परंपरावाद और चरम पश्चिमी सभ्यता दोनों का विरोध करते थे।

  उनकी काव्य कृति “गीतांजलि” ने प्रकृति, प्रेम और आध्यात्मिकता पर उनके गहन चिंतन को प्रदर्शित करते हुए उन्हें 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार दिलाया।  टैगोर के द्वारा संगीत का निर्माण भी किया गया, उन्होंने विविध विषयों पर कई गीतों को रचना की थी।  थिएटर के क्षेत्र में, “द पोस्ट ऑफिस” और “द होम एंड द वर्ल्ड” जैसे उनके नाटक सामाजिक मुद्दों और दार्शनिक विषयों पर प्रकाश डालते हैं।  इसके अतिरिक्त, उनकी लघु कहानियाँ, विशेष रूप से “द काबुलीवाला” संग्रह में, मानवीय रिश्तों में मार्मिक अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। टैगोर के साहित्यिक भंडार निबंध और गद्य शामिल हैं, जिसमें शिक्षा से लेकर राष्ट्रवाद तक के विषय शामिल हैं। वे एक कुशल चित्रकार भी थे, उनकी कलाकृतियों में सादगी और सुंदरता झलकती थी।  टैगोर की बहुमुखी रचनात्मकता ने साहित्य, संगीत, कला और सांस्कृतिक विमर्श पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जिसने उन्हें भारत के बौद्धिक और कलात्मक इतिहास में एक महान व्यक्ति बना दिया है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ लिखा। रवीन्द्रनाथ टैगोर भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे। 

रवीन्द्रनाथ टैगोर निबंध पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • प्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर, जिनका जन्म 7 मई, 1861 को बंगाल के जोरासांको में हुआ था।
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बचपन में कविताएँ लिखकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।  
  • उनके भाई, सत्येन्द्रनाथ ने 1864 में पहला आईसीएस चयन हासिल किया।
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर एक महान दार्शनिक, चित्रकार और देशभक्त व्यक्ति थे।
  • उनकी प्रतिभा के चलते लोगों ने उन्हें गुरुदेव की उपाधि दी तथा इसे अर्जित करते हुए उन्होने हमारे राष्ट्रगान की रचना की।  
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर को अक्सर “बंगाल का बार्ड” कहा जाता है।
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1901 में शांति निकेतन स्कूल की स्थापना की थी
  • टैगोर के द्वारा ही 1921 में विश्वभारती विश्वविद्यालय की भी स्थापना की गई थी। 
  • साहित्य के लिए 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित, टैगोर का योगदान विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है।  
  • 7 अगस्त, 1941 को रवीन्द्रनाथ टैगोर का निधन हो गया।

रवीन्द्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध भारतीय कवि, दार्शनिक, संगीतकार, लेखक और कलाकार थे। वह अपने साहित्यिक कार्यों, विशेष रूप से अपनी कविता के लिए जाने जाते हैं, और 1913 में “गीतांजलि” नामक कविता संग्रह के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता।

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को भारत के बंगाल में जोरासांको, आज के कोलकाता में हुआ था।

टैगोर की उल्लेखनीय साहित्यिक कृतियों में “गीतांजलि,” “द होम एंड द वर्ल्ड,” “द गार्डनर,” “काबुलीवाला” और नाटक “द पोस्ट ऑफिस” शामिल हैं।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Essay On Rabindranath Tagore in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य कोर्स और सिलेबस से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध 10 lines (Rabindranath Tagore Essay in Hindi) 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

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Rabindranath Tagore Essay in Hindi – रवींद्रनाथ टैगोर भारत के सबसे पोषित पुनर्जागरण शख्सियतों में से एक हैं, जिन्होंने हमें दुनिया के साहित्यिक मानचित्र पर रखा है। वे एक कवि के कवि थे और न केवल आधुनिक भारतीय साहित्य बल्कि आधुनिक भारतीय मानस के भी निर्माता थे। टैगोर असंख्य दिमाग वाले और एक महान कवि, लघु कथाकार, उपन्यासकार, नाटककार, निबंधकार, चित्रकार और गीतों के संगीतकार थे। एक सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और सौंदर्यवादी विचारक, शिक्षा में एक नवप्रवर्तक और ‘वन वर्ल्ड’ विचार के चैंपियन के रूप में उनकी दुनिया भर में प्रशंसा उन्हें एक जीवंत उपस्थिति बनाती है। गांधी ने उन्हें ‘महान प्रहरी’ कहा। वे गुरुदेव के नाम से भी प्रसिद्ध थे।

रवींद्रनाथ टैगोर निबंध 10 लाइन्स (Rabindranath Tagore Essay 10 Lines in Hindi) 100 – 150 Words

  • 1) रवींद्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध भारतीय कवि, दार्शनिक और नोबेल पुरस्कार विजेता थे।
  • 2) उनका जन्म 1861 में कलकत्ता में हुआ था और वे तेरह बच्चों में सबसे छोटे थे।
  • 3) उन्होंने कई कविताएँ, उपन्यास, लघु कथाएँ और निबंध लिखे।
  • 4) टैगोर ने अपनी पहली कविता आठ साल की उम्र में लिखी थी।
  • 5) उन्हें उनकी कविता गीतांजलि के लिए जाना जाता है।
  • 6) टैगोर एक संगीतकार भी थे, और उन्होंने दो हजार से अधिक गीतों की रचना की।
  • 7) उनके कुछ लोकप्रिय गीतों में “जन गण मन” और “अमर सोनार बांग्ला” शामिल हैं।
  • 8) उन्होंने 1921 में विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना की।
  • 9) उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
  • 10) रवींद्रनाथ टैगोर ने 7 अगस्त 1941 को अंतिम सांस ली।

रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध 200 शब्द (Essay on Rabindranath Tagore 200 words in Hindi)

रवींद्रनाथ टैगोर एक महान भारतीय कवि और अपने माता-पिता के सबसे छोटे पुत्र थे। वह उन्नीसवीं सदी, बंगाल में ब्रह्म समाज के एक नेता थे। रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही ग्रहण की लेकिन उच्च शिक्षा इंग्लैंड में ली। वह अपनी औपचारिक स्कूली शिक्षा के लिए सत्रह साल की उम्र में इंग्लैंड गए लेकिन पूरा नहीं कर सके। उनकी रुचि और आम मानवता के साथ घनिष्ठ संपर्क कुछ सामाजिक सुधार करने के लिए देश की ओर उनका ध्यान आकर्षित करता है। फिर उन्होंने शांतिनिकेतन में एक स्कूल शुरू किया जहां उन्होंने शिक्षा के उपनिषद आदर्शों का पालन किया।

उन्होंने खुद को भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में भी शामिल किया और अपने स्वयं के गैर-भावनात्मक और दूरदर्शी तरीकों का पालन किया। गांधी जी उनके एक समर्पित मित्र थे। देश के प्रति उनका अथाह प्रेम तब दिखा जब उन्होंने 1915 में देश में ब्रिटिश नीतियों के विरोध के रूप में ब्रिटिश सरकार द्वारा दिए गए सम्मान को वापस कर दिया।

वह एक अच्छे लेखक थे और अपने मूल बंगाल में लेखन में सफलता प्राप्त करते थे। लेखन में उनकी निरंतर सफलता ने उन्हें भारत की आध्यात्मिक विरासत की एक प्रसिद्ध आवाज बनने में सक्षम बनाया। मानसी, सोनार तारी, गीतांजलि, गीतिमल्या, बलाका आदि उनकी कविता के कुछ विषम खंड हैं। कविताओं के अलावा, वे नृत्य नाटक, संगीत नाटक, निबंध, यात्रा डायरी, आत्मकथाएँ आदि लिखने में भी प्रसिद्ध थे।

रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध 250 शब्द (Essay on Rabindranath Tagore 250 words in Hindi)

रवींद्रनाथ टैगोर एक भारतीय बहुश्रुत, कवि, संगीतकार और कलाकार थे जिन्होंने 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में बंगाली साहित्य और संगीत को फिर से आकार दिया। वह भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रीय गान के लेखक थे, और 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय थे।

टैगोर का प्रारंभिक जीवन

7 मई 1861 को उनका जन्म कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता एक प्रसिद्ध धार्मिक नेता और विद्वान थे। टैगोर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर प्राप्त की, मुख्य रूप से अपने पिता और अन्य निजी ट्यूटर्स से। वह कम उम्र से ही एक उत्साही पाठक थे, और साहित्य और कविता के प्रति आकर्षित थे। टैगोर को 1878 में उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा गया था, लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण वे डिग्री के बिना घर लौट आए।

टैगोर की साहित्यिक कृतियाँ जो हमें प्रेरित करती हैं

टैगोर का पहला कविता संग्रह, “भानुसिम्हा ठाकुरर पदबली,” 1877 में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने कविता, उपन्यास, नाटक और निबंध के कई और संग्रह प्रकाशित किए। टैगोर की रचनाएँ अक्सर अंधेरे और निराशा से बचने के विषयों का पता लगाती हैं, और उनकी रचनाएँ अक्सर आधुनिक दुनिया में आध्यात्मिकता के विचार का पता लगाती हैं। वह एक विपुल लेखक थे और उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

रवींद्रनाथ टैगोर बंगाली साहित्य, संगीत और कला में एक प्रभावशाली व्यक्ति थे। उनके कार्यों का बंगाली संस्कृति पर स्थायी प्रभाव पड़ा है और अभी भी भारत और बांग्लादेश में व्यापक रूप से पढ़ा और प्रदर्शित किया जाता है। वह साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय थे, और उन्हें अब तक के सबसे महान बंगाली लेखकों में से एक माना जाता है।

रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध 300 शब्द (Essay on Rabindranath Tagore 300 words in Hindi)

रवींद्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध भारतीय कवि थे, जिन्हें गुरुदेव के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म कोलकाता में 7 मई 1861 को एक समृद्ध और सांस्कृतिक परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता महर्षि देबेंद्रनाथ (पिता) और शारदा देवी (मां) थे। उन्हें बचपन से ही कविता लिखने का बहुत शौक था। वे एक महान कवि होने के साथ-साथ एक मानवतावादी, देशभक्त, चित्रकार, उपन्यासकार, कहानीकार, शिक्षाविद और दार्शनिक भी थे। वह देश के लिए एक सांस्कृतिक राजदूत थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति के ज्ञान को पूरी दुनिया में फैलाया। रवींद्रनाथ टैगोर अपने समय के एक प्रतिभाशाली और प्रतिभाशाली बच्चे थे जिन्होंने महान कार्य किए। वे कविता लेखन के क्षेत्र में उगते हुए सूर्य के समान थे।

उन्होंने कविता या कहानियों के रूप में अपने लेखन के माध्यम से लोगों की मानसिक और नैतिक भावना को अच्छी तरह दिखाया है। उनका लेखन आज के लोगों के लिए भी पथप्रदर्शक और क्रांतिकारी साबित हुआ है। वह जलियांवाला बाग में नरसंहार त्रासदी के कारण बहुत दुखी थे, जिसमें 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जनरल डायर और उनके सैनिकों द्वारा महिलाओं और बच्चों सहित कई निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई थी।

वे एक महान कवि होने के साथ-साथ एक देशभक्त भी थे जो हमेशा जीवन की एकता और उसकी अभिव्यक्ति में विश्वास करते थे। अपने लेखन के माध्यम से, उन्होंने प्रेम, शांति और भाईचारे को बनाए रखने के लिए लोगों को एकजुट करने के लिए बहुत करीब लाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने अपनी कविताओं और कहानियों के माध्यम से प्रेम और सद्भाव के बारे में अच्छी तरह से वर्णन किया है। उनका पूरा जीवन भी एक दूसरे को प्रेम और सदभाव का स्पष्ट दर्शन कराता है। अपने देश के प्रति उनकी भक्ति को निम्नलिखित कथन से दिखाया गया है, “मेरा देश जो हमेशा के लिए भारत है, मेरे पूर्वजों का देश, मेरे बच्चों का देश, मेरे देश ने मुझे जीवन और शक्ति दी है।” और फिर से, “मैं फिर से भारत में जन्म लूंगा।

रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध 500 शब्द (Essay on Rabindranath Tagore 500 words in Hindi)

रवींद्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध भारतीय कवि थे। इसके अलावा, वह एक महान दार्शनिक, देशभक्त, चित्रकार और मानवतावादी भी थे। लोग अक्सर उनके संबंध में गुरुदेव शब्द का प्रयोग करते थे। इस असाधारण व्यक्तित्व का जन्म 7 मई 1861 को कलकत्ता में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा विभिन्न शिक्षकों द्वारा घर पर ही हुई। साथ ही इस शिक्षा के द्वारा उन्हें अनेक विषयों का ज्ञान प्राप्त हुआ। उनकी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हुई। इन सबसे ऊपर, रवींद्रनाथ टैगोर ने बहुत कम उम्र से ही कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था।

रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाएँ

रवींद्रनाथ टैगोर ने सोलह वर्ष की आयु से ही नाटक लिखना शुरू कर दिया था। बीस वर्ष की आयु में, रवींद्रनाथ टैगोर ने मूल नाटकीय कृति वाल्मीकि प्रतिभा लिखी। सबसे उल्लेखनीय, रवींद्रनाथ टैगोर का काम भावनाओं पर केंद्रित है न कि कार्रवाई पर। 1890 में उन्होंने एक और नाटक विसर्जन लिखा। विसर्जन शायद रवींद्रनाथ टैगोर की सर्वश्रेष्ठ नाटक कृति है।

इसी तरह, सोलह वर्ष की उम्र से रवींद्रनाथ टैगोर ने लघु कथाएँ लिखना शुरू किया। उनकी पहली लघुकथा भिकारिणी थी। सबसे उल्लेखनीय, वह बंगाली भाषा की लघु कहानी शैली के संस्थापक हैं। टैगोर ने निश्चित रूप से 1891 से 1895 तक कई कहानियाँ लिखीं। साथ ही, इस अवधि की कहानियाँ गल्पगुच्छा के संग्रह का निर्माण करती हैं। यह 84 कहानियों का एक बड़ा संग्रह है।

रवींद्रनाथ टैगोर निश्चित रूप से उपन्यासों के भी संपर्क में थे। उन्होंने आठ उल्लेखनीय उपन्यास लिखे। इसके अलावा उन्होंने चार उपन्यास लिखे।

रवींद्रनाथ टैगोर की कविताओं का सबसे अच्छा संग्रह गीतांजलि है। सबसे उल्लेखनीय, रवींद्रनाथ टैगोर को 1913 में गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। इसके अलावा, उनकी अन्य महत्वपूर्ण काव्य रचनाएँ मानसी, सोनार तोरी और बलका हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर निश्चित रूप से गीतों में कम नहीं थे। आदमी को 2230 शक्तिशाली गाने लिखने की प्रतिष्ठा प्राप्त है। उपयोग में लोकप्रिय नाम रवींद्रसंगीत है, जो टैगोर के गीतों को संदर्भित करता है। उनके गीत निश्चित रूप से भारतीय संस्कृति को दर्शाते हैं। उनका प्रसिद्ध गीत अमर सोनार बांग्ला बांग्लादेश का राष्ट्रगान है। इन सबसे ऊपर उन्होंने भारत का राष्ट्रगान जन गण मन लिखा।

रवींद्रनाथ टैगोर को ड्राइंग और पेंटिंग में भी उत्कृष्ट कौशल प्राप्त था। शायद, रवींद्रनाथ टैगोर लाल-हरे रंग के वर्णान्ध थे। इसी वजह से उनकी कलाकृतियों में अजीबोगरीब रंग थीम होते हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर का राजनीति में योगदान

रवींद्रनाथ टैगोर राजनीति में सक्रिय थे। वह भारतीय राष्ट्रवादियों के पूर्ण समर्थन में थे। इसके अलावा, वह ब्रिटिश शासन के विरोध में थे। उनके काम Manast में उनके राजनीतिक विचार शामिल हैं। उन्होंने कई देशभक्ति गीत भी लिखे। रवींद्रनाथ टैगोर ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए प्रेरणा को बढ़ाया। उन्होंने देशभक्ति के लिए कुछ रचनाएँ लिखीं। ऐसे कार्यों के लिए जनता में अपार प्रेम था। यहां तक ​​कि महात्मा गांधी ने भी इन कार्यों के लिए अपना पक्ष दिखाया।

सबसे उल्लेखनीय, रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने नाइटहुड का त्याग किया था। इसके अलावा, उन्होंने 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड का विरोध करने के लिए यह कदम उठाया।

अंत में, रवींद्रनाथ एक देशभक्त भारतीय थे। वह निश्चित रूप से कई प्रतिभाओं का व्यक्ति था। साहित्य, कला, संगीत और राजनीति में उनका योगदान शानदार है।

रवींद्रनाथ टैगोर पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 रवींद्रनाथ टैगोर को अपनी प्रसिद्ध रचनाएँ लिखने के लिए किसने प्रेरित किया.

उत्तर. टैगोर की रचनाएँ काफी हद तक प्रकृति की उनकी टिप्पणियों, हिंदू दर्शन की शिक्षाओं और बंगाल की साहित्यिक विरासत से प्रेरित थीं। वे कबीर और रामप्रसाद सेन जैसे कई कवियों से भी प्रेरित थे।

Q.2 रवींद्रनाथ टैगोर के पालन-पोषण ने उनके लेखन को कैसे प्रभावित किया?

उत्तर. एक बड़े, बहु-सांस्कृतिक परिवार में रवींद्रनाथ टैगोर के पालन-पोषण ने उन्हें कई विविध संस्कृतियों और साहित्यिक कार्यों से अवगत कराया, जिसने उनके लेखन को बहुत प्रभावित किया।

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रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध – Essay on Rabindranath Tagore in Hindi

Essay on Rabindranath Tagore

भारत के राष्ट्र-गान जन-गण-मन के रचयिता, महान कवि और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित पहले भारतीय रबीन्द्र नाथ टैगोर एक विलक्षण प्रतिभा वाले महान कवि थे, जिन्होंने अपने महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व की अमिट छाप हर एक भारतीय पर छोड़ी है।

उनका साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में दिया गया योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनके महान जीवन पर प्रकाश डालने और उनके जीवन से प्रेरणा लेने के उद्देश्य से स्कूल/कॉलेजों में आयोजित परीक्षाओं और निबंध लेखन प्रतियोगिताओं पर रबीन्द्र नाथ टैगोर जी के विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसी उद्देश्य से आज हम अपने इस पोस्ट में अलग-अलग शब्द सीमा पर टैगोर जी पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं –

Essay on Rabindranath Tagore

प्रस्तावना-

रबीन्द्र नाथ जी की ख्याति एक महान कवि और ओजस्वी दार्शनिक के रुप में पूरे विश्व में फैली हुई है। भारत का राष्ट्रगान उन्हीं की देन है। रबीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी कई महान रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा प्रदान की है।

वे एक महान कवि होने के साथ-साथ एक मशहूर संगीतकार, प्रसिद्ध नाटककार एवं अच्छे कहानीकार और चित्रकार थे। रबीन्द्र नाथ जी का जीवन उपलब्धियों से भरा पड़ा है, उन्होंने जिस तरह अपने जीवन में अपने लक्ष्यों का हासिल किया।

वो वाकई प्रेरणा स्त्रोत है,जिससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है।

रबीन्द्र नाथ टैगोर का शुरुआती जीवन एवं शिक्षा – Rabindranath Tagore Life History

भारत के महान कवि और मानवता के पुजारी रबीन्द्र नाथ टैगोर 7 मई 1861, को कलकत्ता के एक समृद्ध और प्रतिष्ठित परिवार में जन्में थे। रबीन्द्र नाथ जी देवेन्द्र नाथ एवं शारदादेवी की सबसे छोटी संतान के रुप में पैदा हुए थे।

उनके परिवार में बचपन से ही शिक्षा का माहौल था, इसलिए उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा घर पर ही ग्रहण की थी। वहीं बाद में पिता के कहने पर वकालत की पढा़ई के लिए वे इंग्लैंड चले गए, हालांकि वहां से रबीन्द्र जी बिना डिग्री प्राप्त किए ही भारत लौट आए।

दऱअसल, रबीन्द्र नाथ टैगोर जी का शुरु से ही पढ़ाई की तरफ रुझान नहीं था, उन्हें किताबें पढना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। उनका मन चित्रकारी करने, संगीत सुनने, प्रकृति की सुंदरता को निहारने अथवा कविता एवं कहानियां लिखने में लगता था।

वहीं इसी वजह से ही उनमें साहित्यिक प्रतिभा भी जल्द ही विकसित होने लगी थी, उन्होंने महज 8साल की उम्र में ही अपनी पहली कविता लिख डाली थी और जब रबीन्द्र नाथ टैगोर जी 16 साल के थे तब उन्होंने अपनी लघु कथा लिख दी थी। इसके बाद उनके लेखन कार्य को काफी सराहना मिलने लगी और फिर उन्होंने जल्द ही प्रसिद्धि हासिल कर ली।

रबीन्द्र नाथ टैगोर जी का महान व्यक्तित्व – Great Personality Rabindranath Tagore

रबीन्द्र नाथ टैगोर जी ने अपनी महान रचनाओं के माध्यम से समूचे विश्व पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। रबीन्द्र नाथ टैगोर जी भारत की अनमोल विरासत थे। रबीन्द्र नाथ जी को उनके महान कामों की वजह से ”गुरुदेव” भी कहा जाता था।

रबीन्द्र नाथ टैगोर जी ने शिक्षण के क्षेत्र में भी अपना अपूर्व योगदान दिया है। उनका मानना था कि शिक्षा ही सिर्फ एक ऐसा माध्यम है जिससे देश की तस्वीर बदली जा सकती है। इसलिए उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक स्कूल की स्थापना भी की थी, जिसे बाद में विश्वविद्यालय का दर्जा मिला।

यहीं नहीं रबीन्द्र नाथ टैगोर प्रकृति से प्रेम करने वाले एक ऐसे महान यशस्वी साहित्यकार थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं में प्राकृतिक वातावरण की खूबसूरती और अद्भुत छटा का बेहद शानदार तरीके से वर्णन किया है।

उन्होंने अपनी महान सोच और अद्भुत विचारों से कई कविताएं, कहानियां, नाटक, उपन्यास, निबंध आदि लिखे थे। वे विश्व कवि होने के साथ-साथ एक शिक्षाशास्त्री, पत्रकार, चित्रकार, संगीतज्ञ, दार्शनिक भी थे, जिन्होंने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर डाला और वे कई युवाओं के लिए आदर्श बने।

उपसंहार –

विश्व कवि के रुप में अपनी पहचान कायम करने वाले रबीन्द्र नाथ जी ने अपनी अद्भुत रचनाओं के माध्यम से न सिर्फ प्रकृति के अद्भुत दृश्य को दर्शाया बल्कि, भारतीय संस्कृति के महत्व को पूरी दुनिया को बताया और भारतीय समाज में फैली तमाम बुराईयों को दूर करने की भी कोशिश की। टैगोर जी की रचनाएं आज भी पाठकों के दिल में एक नया जोश भरने का काम करती हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

रबीन्द्र नाथ टैगोर पर निबंध – Rabindranath Tagore Essay in Hindi

कलकत्ता में जन्मे टैगोर जी एक महान साहित्यकार, कवि और दार्शनिक थे, जिन्होंने अपने महान व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर डाला है और साहित्य में अपना महान योगदान दिया है, उनके जीवन से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है।

एक मशहूर कवि और साहित्यकार के रुप में रबीन्द्र नाथ टैगोर – Rabindranath Tagore as a Poet

अद्भुत और विलक्षण प्रतिभा के धनी रबीन्द्र नाथ टैगोर जी ने हिन्दी व बांग्ला साहित्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर, साहित्य को एक नई दिशा दी है। बचपन से ही कविताएं-कहानियां लिखने एवं साहित्य की तरफ उनके रुझान ने उन्हें एक प्रसिद्ध कवि के रुप में ख्याति दिलवाई।

इसके साथ ही उनकी गिनती साहित्य के महानतम कवियों में होने लगी। आपको बता दें कि रवीन्द्र नाथ टैगोर जी ने अपने महान विचारों के माध्यम से करीब 2 हजार 230 गीतों की रचना की थी। रबीन्द्र नाथ जी दुनिया के एक मात्र ऐसे रचनाकार थे, जिनकी दो रचनाएं, दो देशों का राष्ट्रगान बनी।

जिनमें से “जन-गण-मन” एवं बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान “आमार सोनार बांग्ला” हैं। उनकी इन रचनाओं की वजह से उन्हें आज भी याद किया जाता है।

इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि रबीन्द्र नाथ टैगोर जी द्दारा रचित उनका सबसे मशहूर एवं सर्वप्रिय काव्य “गीतांजली” है। जिसकी रचना उन्होंने बंगाली भाषा में की थी। उनकी यह रचना पाठकों द्धारा इतनी अधिक पसंद की गई की बाद में अंग्रेजी, फ्रैंच, जर्मन, रुसी, जापानी समेत देश-दुनिया की तमाम मुख्य भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया।

इस रचना की बदौलत उनकी ख्याति पूरे विश्व में फैल गई, यही नहीं उन्हें इस रचना के लिए नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

रबीन्द्र नाथ जी द्धारा रचित कहानियों के संग्रह में उनकी पोस्टमास्टर, मास्टर साहब, काबुलीवाला आदि रचनाएं काफी प्रसिद्ध हुईं, जिसमें कहानी के पात्रों का उन्होंने बड़े ही सजीवता से वर्णन किया है, जिसे लोग आज भी उतनी ही रुचि लेकर पढ़ते हैं।

रबीन्द्र नाथ टैगोर के जीवन की उपलब्धियां एवं ख्याति –

विश्व कवि रविन्द्र नाथ टैगोर जी को उनकी महानतम कृति “गीताजंली” के लिए साल 1913 में नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था। रबीन्द्र नाथ टैगोर जी एक यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय थे। इसके साथ ही उन्हें कलकत्ता यूनिवर्सिटी ने “डॉक्टर ऑफ लेटर्स” की उपाधि सम्मानित किया था। यही नहीं उन्हें “नाइट हुड” की उपाधि से भी सम्मानित किया जा चुका है।

रबीन्द्र नाथ टैगोर जी साहित्य के एक ऐसे कवि थे, जिन्होंने अपनी पहचान पूरी दुनिया के सामने बनाई और अपनी महान कृतियों के माध्यम से भावी और आधुनिक भारत का निर्माण किया। इसके अलावा उन्होनें न सिर्फ शिक्षा को विकास का आधार माना बल्कि इसे समाज की बुराइयों को दूर करने की प्रक्रिया समझते हुए इसका जमकर प्रचार-प्रसार किया।उनके अद्भुत विचारों की वजह से ही वे महान बन सके हैं, जिनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरुरत है।

रबीन्द्र नाथ टैगोर पर निबंध – Rabindranath Tagore par Nibandh

प्रस्तावना –

रबीन्द्र नाथ टैगोर जी एक ऐसे कवि थे, जो कि गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध थे, जिन्होनें अपने दर्शन और चिंतन से भारतीय संस्कृति के ज्ञान को पूरी दुनिया में फैलाया और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए शिक्षा के प्रचार-प्रसार करने में लगे रहे। इसके साथ ही उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों की मानिसक व्यथा दर्शायी और नैतिक भावनाओं को बखूबी प्रदर्शित किया।

“शांतिनिकेतन” की स्थापना – Shantiniketan

एक महान साहित्यकार के रुप में विश्व भर में ख्याति बटोरने वाले रबीन्द्र नाथ टैगोर जी एक महान शिक्षाशास्त्री भी थे, जिन्होंने शिक्षा को सवोत्तम माना और इसे विकास की प्रक्रिया बताया। उन्होंने शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए साल 1901 में पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव बोलपुर में शांतिनिकेतन में एक स्कूल की स्थापना की थी। आपको बता दें कि इस स्कूल की खास बात यह है कि यह बिना छत का स्कूल है, जहां विद्यार्थी प्रकृति की गोद में शिक्षा ग्रहण करते हैं।

रबीन्द्र नाथ जी द्धारा स्थापित स्कूल शांतिनिकेतन ने काफी प्रसिद्धि पाई और साल 1921 में यह विश्व भारती विश्व विद्यालय बन गया। इस अनूठे स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ संगीत, कला, आदि पर भी जोर दिया जाता है। वहीं आज भी इस स्कूल में कई बच्चे पढ़ रहे हैं और अपने भविष्य को संवार रहे हैं। वहीं इस अनूठी संस्था के माध्यम से इस महान शिक्षाशास्त्री का नाम हमेशा अमर रहेगा।

रबीन्द्र नाथ टैगोर जी का चित्रकारी का शौक – Rabindranath Tagore As A Painter

विश्व कवि और शिक्षाशास्त्री होने के साथ -साथ रबीन्द्र नाथ टैगोर जी एक प्रतिभावान चित्रकार भी थे, जो अपने महान और प्रेरणात्मक विचारों से अद्भुत चित्रकारी करते थे। उनकी चित्रकारी में उनकी दूरगामी सोच, एवं उनके कल्पना की शक्ति अलग दिखती थी। इसलिए उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण और अतिसृजनशील कलाकार भी माना जाता है।

रबीन्द्र नाथ टैगोर जी का अंतिम समय – Rabindranath Tagore Death

अपने जीवन भर महान काम करने वाले महान लेखक रबीन्द्र नाथ जी, अपने जिंदगी के अंतिम समय में काफी बीमार रहने लगे, जिससे उनका स्वास्थ्य काफी बिगड़ता चला गया, और फिर 7 अगस्त साल 1941 वे इस दुनिया को अलविदा कह गए। लेकिन अपनी मृत्यु के इतने सालों बाद भी वे आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं, उनके लिए लोगों के मन में अपार प्रेम, श्रद्धा और सम्मान है।

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित पहले भारतीय कवि रबीन्द्र नाथ टैगोर जी की साहित्य, दर्शन, कला, संगीत, लेखन आदि के क्षेत्र में अच्छी समझ होने की वजह से उनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैल गई और आज भी उनके महान कामों के लिए उन्हें याद किया जाता है, वहीं वे लाखों लोगों के प्रेरणास्त्रोत और आदर्श हैं।

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 रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय | Rabindranath Tagore Biography in hindi

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  रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय | Rabindranath Tagore Biography in hindi

भारत एक ऐसा महान देश है, जहां पर हमें कई महान पुरुष देखने को मिले जिन्होंने अपना पूरा जीवन प्रेरणा और शिक्षा देने में बिता दिया |

आज हम कुछ ऐसे ही महान पुरुष की बारे में बात करने वाले हैं जो आज हमारे बीच में जरूर नहीं है लेकिन उनके विचार उनकी कविताएं उनकी बातें उनके किस्से आज भी हमारे मन में हमारे दिलों में राज करते हैं .

साथ ही आज हम उन्हें पढ़ते हैं यही कारण है कि उन्हें भारत का एक असीम महान पुरुष कहा जाता है |

आज किस ब्लॉक में हम बात करने वाले हैं भारत के है कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के बारे में आज किस ब्लॉक में हम आपको रवींद्रनाथ टैगोर के Rabindranath Tagore Biography In Hindi, history ,Age, education ,First Novel ,poems ,Height, nobel prize ,Caste, family ,Career, bengali romantic quotes by rabindranath tagore , rabindranath tagore artist ,award ,Death और भी अन्य कई चीजों के बारे में आपको बताने वाले हैं|

Rabindranath Tagore Biography in hindi

 रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म (birth of rabindranath  tagore).

भारत के महा कवि,महान गुरु,महापुरुष रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म एक हिंदू मध्यवर्ती बंगाली परिवार में हुआ था रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाकों की ठाकुरबाड़ी में हुआ था|

रवींद्रनाथ टैगोर का धर्म हिंदू है रवींद्रनाथ टैगोर एक कवि, कथाकार , उपन्यासकार , नाटककार , निबन्धकार ,चित्रकार और कलाकार थे|

रवींद्रनाथ टैगोर का परिवार ( Rabindranath Tagore Family )

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म एक मध्यवर्ती हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कोलकाता में हुआ था. रवींद्रनाथ टैगोर का पूरा परिवार हिंदू संस्कृति से जुड़ा हुआ परिवार था |

रवींद्रनाथ टैगोर के पिता जी का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर था जो एक प्रसिद्ध बंगाली दार्शनिक और धार्मिक विद्वान हुआ करते थे जिन्होंने कई रचनाएं लिखी थी रवींद्रनाथ टैगोर के पिता जी ने ब्रह्मा धर्म की स्थापना भी की थी|

रवींद्रनाथ टैगोर के पिताजी एक यात्री व्यापारी थे. जो हमेशा देश विदेश और कई जगहों की यात्रा करते रहते थे और उनके बारे में जानते रहते हैं|

रवींद्रनाथ टैगोर के पिता जी का निधन 86 वर्ष की उम्र में 19 जनवरी 1950 को हो गया| रवींद्रनाथ टैगोर अपने माता-पिता के13 नंबर की संतान थी|

रवींद्रनाथ टैगोर की माता जी का नाम शारदा देवी था, हालांकि जब रवींद्रनाथ टैगोर छोटी उम्र के थे तब ही उनकी मृत्यु हो गई.

रवींद्रनाथ टैगोर के भाइयों का नाम द्विजेंद्रनाथ (सबसे बड़े भाई ) ,सत्येंद्रनाथ ,ज्योतिरिंद्रनाथ ,हेमेंद्रनाथ था वही रवींद्रनाथ टैगोर की बहनों का नाम सौदामिनी ( सबसे बड़ी बहन ) ,स्वर्णकुमारी ,सुकुमारी और शरतकुमारी था|

रवींद्रनाथ टैगोर का लालन-पालन उसके माता-पिता ने कम किया था क्योंकि उसकी माता जी का निधन बहुत ही छोटी उम्र में हो गया था वही उनके पिताजी एक यात्री व्यापारी थे|

जिसके कारण वह रवींद्रनाथ टैगोर का ध्यान नहीं रख पाते थे इसके कारण रवींद्रनाथ टैगोर का लालन-पालन नौकरों द्वारा किया गया|

Rabindranath Tagore Family

रवींद्रनाथ टैगोर की शिक्षा (rabindranath tagore education).

जैसा कि रवींद्रनाथ की रचनाओं, कविताओं, ग्रंथों से हमें मालूम होता है कि रवींद्रनाथ टैगोर कितने ज्ञानी थे रवींद्रनाथ टैगोर शिक्षा में बहुत ही माहिर थे और वह शिक्षा को बड़ा ही तवज्जो देते थे और उनका दिमाग भी शिक्षा के प्रति काफी शातिर था.

रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी शिक्षा कोलकाता से प्राप्त की रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता के प्रसिद्ध स्कूल सेंट जेवियर से प्राप्त की| रवींद्रनाथ टैगोर के पिता जी उन्हें बेरिस्टर यानी कि वकील बनाना चाहते थे लेकिन रवींद्रनाथ टैगोर की रूचि शुरू से ही साहित्य मैं रही है.

रवींद्रनाथ टैगोर को वकील बनाने के लिए उनके पिताजी ने 1878 मे उनका लंदन के विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलवाया लेकिन रवींद्रनाथ टैगोर की रूचि साहित्य में अधिक होने के कारण वह बिना डिग्री ही 18 को 80 में भारत वापस लौट आए|

भारत आने के बाद गया अपना पूरा ध्यान साहित्य रचना व कविताओं में लगाने लगे और उन्होंने कई रचनाएं और कविताएं साहित्य लिखें|

रवींद्रनाथ टैगोर का विवाह (Rabindranath Tagore marriage)

रवींद्रनाथ टैगोर का विवाह 1886 में 10 साल की उम्र की लड़की मृणालिनी देवी से हो गया था. रवींद्रनाथ टैगोर के 5 बच्चे भी थे जिनका नाम रेणुका टैगोर, शमींद्रनाथ टैगोर, मीरा टैगोर, रथिंद्रनाथ टैगोर और मधुरिलता टैगोर था|

हालांकि रवींद्रनाथ टैगोर के लिए सबसे दुखद साल 1902 क्योंकि 1902 में उनकी पत्नी और उनके बेटों का किन्ही कारणों की वजह से निधन हो गया जिसके बाद 1905 में उनके पिताजी का भी निधन हो गया |

शांतिनिकेतन की स्थापना  (  Rabindranath Tagore   santiniketan )

रवींद्रनाथ टैगोर को शिक्षा के प्रति काफी लगाव था रवींद्रनाथ टैगोर के पिताजी शांतिनिकेतन में जमीन खरीद कर रखे हुए थे और उनके पिताजी चाहते थे कि वे यहां पर स्कूल विद्यालय खोलें |

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जिसके बाद उन्होंने 1901 में शांति निकेतन की स्थापना कर दी और वहां पर एक आश्रम भी बना दिया| इस दौरान रवींद्रनाथ टैगोर चाहते थे कि शिक्षा की पद्धति पूरी तरह बदल जाए उन लोगों का शिक्षा के प्रति नजरिया बदल जाए|

इसके बाद उन्होंने शांतिनिकेतन में बच्चों को शिक्षा देना शुरू किया जहां पर रोज प्रार्थना हुआ करती थी और रोज पेड़ के नीचे कक्षा ली जाती थी|

रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाएँ (Works of Rabindranath Tagore)

रवीन्द्रनाथ टैगोर के उपन्यास (novels of rabindranath tagore), रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानियां (stories of rabindranath tagore).

  • भिखारिणी – 1877 और मुकुट – 1885 नामक कहानियों की भी रचना की है |

रवीन्द्रनाथ टैगोर की कवितायेँ (Poems of Rabindranath Tagore)

रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाटक (rabindranath tagore drama), रवीन्द्रनाथ टैगोर के यात्रा वृतान्त (travelogue of rabindranath tagore), रवीन्द्रनाथ टैगोर के प्रसिद्ध व्याख्यान (famous lectures of rabindranath tagore).

1.‘The Religion of man’ -वर्ष 1931 में Oxford University में दिया था |

2. ‘मानुषेर धर्म’  – वर्ष 1933 में दिया था |

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रवीन्द्रनाथ टैगोर के निबंध (Essays of Rabindranath Tagore)

रवींद्रनाथ टैगोर की उपलब्धिया (achievements of rabindranath tagore).

  • नवंबर 1913 में – नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • 20 दिसंबर 1915 को,- साहित्य के लिए डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया था।
  • 3 जून 1915 को,- ब्रिटेन ने नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया था, हालांकि जालियनवाला हत्याकांड के बाद उन्होंने इस उपाधि को त्याग कर दिया था।

 रवींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु (Rabindra Nath Tagore death)

रवींद्रनाथ टैगोर का अंतिम समय बहुत ही दुख दायक रहा उन्हें शरीर में कई प्रकार की बीमारियां हो गई जिसके बाद रवींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु 80 वर्ष की उम्र में हो गई |

रवींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु 7 अगस्त 1941 को हुई थी, रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन के 4 साल बहुत ही दुख दायक रहे क्योंकि इस दौरान वे काफी बीमारियों की वजह से परेशान रहे|

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Rabindranath Tagore biography questions in Hindi

Ques- रविंद्रनाथ टैगोर कौन थे? Ans- रविंद्रनाथ टैगोर कवि, साहित्यकार, नाटककार, संगीतकार और चित्रकार थे.

Ques- रविंद्रनाथ टैगोर को किसके लिए मिला था नोबेल पुरस्कार? Ans- गीतांजली के लिए उन्हें 1913 मिला था नोबेल पुरस्कार.

Ques- किस देश का कोई राष्ट्रगान नहीं है? Ans- ऑस्ट्रिया, बिना राष्ट्रगान वाला देश.

Ques- रविंद्रनाथ टैगोर की कविताएं हमें क्या समझाती हैं? Ans- रविंद्रनाथ टैगोर की कविताएं हमे साहस और आत्मबल सिखाती हैं.

Ques- रविंद्रनाथ टैगोर अपनी शिक्षा कहां से प्राप्त की? Ans- कोलकाता के प्रसिद्ध स्कूल सेंट जेवियर से उन्होंने अपनी प्रारंभिग शिक्षा प्राप्त की. उसके बाद बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए लंदन विश्विविधालय चले गए.

Ques- रविंद्रनाथ टैगोर की मृत्यृ कब हुई? Ans – उनका निधन 7 अगस्त 1941 को कोलकाला में हुआ.

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Essay on rabindranath tagore in hindi रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध.

Essay on Rabindranath Tagore in Hindi. रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध हिंदी में।

Essay on Rabindranath Tagore in Hindi – रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध

hindiinhindi Essay on Rabindranath Tagore in Hindi

Essay on Rabindranath Tagore in Hindi 200 Words

रविन्द्रनाथ टैगोर, रविन्द्रनाथ ठाकुर के नाम से भी जाने जाते थे। वह गुरूदेव के नाम से भी अधिक प्रसिद्व थे। वह एक महान भारतीय कवि थे जिन्होने देश में कई प्रसिद्ध लेखन दिए और कालिदास के बाद वे ही महान कवि थे। आज वह एक महान कवि और सभी दुनिया के लेखक के रूप में प्रसिद्व है। उनका जन्म 7 मई 1861 को देवेन्द्रनाथ टैगोर (पिता) और शारदा देवी (माता) के घर में एक समृद्ध और सुसंस्कृत परिवार में हुआ था। वह एक चित्रकार, उपन्यासकार, गायक, निबंध लेखक और देश भक्त थे।

उनके उपन्यास और छोटी कहानियाँ उनकी बुद्वि, गहरा अनुभव और मानव चरित्र के बारे में समझाते है। वह कवि थे जिन्होने राष्ट्र को एक बहुत ही सुंदर राष्ट्रगान ‘जन गण मन” दिया। उन्हे “गीतांजलि” का अपना महान अंग्रेजी संस्करण लिखने में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह इस सम्मान को प्राप्त करने वाले पहले एशियाई और पहले भारतीय थे। वे 1902 में शांतिनिकेतन में विश्वभारती विश्वविधालय के संस्थापक थे। उनके महान लेखन अभी भी देश के लोगों को प्रेरित करते है।

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Essay on Rabindranath Tagore in Hindi 300 Words

रवीन्द्रनाथ टैगोर को कई कारणों से जाना जाता है। वे पहले एशियाई हैं, जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। वे अकेले कवि हैं, जिन्होंने दो देशों का राष्ट्रगान लिखा है। अपनी सुंदर और दिल को छू जाने वाली कविताओं के कारण उन्हें राष्ट्रकवि कहा जाता है। उनका जन्म बंगाल में कोलकाता के एक जाने-माने परिवार में 6 मई, 1861 को हुआ। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था, जबकि माँ का नाम शारदा देवी था। उनकी पढ़ाई-लिखाई घर पर ही हुई।

वैसे तो उनकी पढ़ाई बाँग्ला में हुई, लेकिन दोपहर के समय उन्हें खास तौर से अग्रेजी पढ़ाने एक शिक्षक आया करते थे। उन्हें बचपन में ही कविताएँ पढ़ने का शौक लग गया था और आठ साल के होते-होते तो वे खुद ही कविताएँ लिखने लगे थे। उनके पिता चाहते थे कि वे वकील बनें, इसलिए पढ़ाई के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया गया। वापस लौटने पर उनकी शादी मृणालिनी देवी से हो गई। उनके चार बच्चे हुए पर अल्प आयु में मृणालिनी देवी स्वर्ग सिधार गईं।

रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी पढ़ाई किसी स्कूल की बजाय घर पर की थी। इसलिए उन्हें हमेशा लगता था कि पढ़ाई हमेशा खुले में ही की जानी चाहिए। इसलिए उन्होंने 1901 में कोलकाता के पास शांतिनिकेतन आकर वहाँ पेडों, पक्षियों और एक बगीचे के बीच शांतिनिकेतन आश्रम बनाया। 5 विद्यार्थियों और 5 शिक्षकों के साथ शुरू किए शांतिनिकेतन में आज भी देश-विदेश से छात्र-छात्राएँ आकर पढ़ते हैं।

रवीन्द्रनाथ टैगोर को खास तौर से उनकी कविताओं के लिए जाना जाता है, लेकिन उन्होंने नाटक, गीत, कहानियाँ सभी कुछ लिखा। उन्होंने करीब 2,230 गीत लिखे। हमारा राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ और बाँग्लादेश का राष्ट्रगानु ‘आमार सोनार बाँगला’ उन्होंने ही लिखा था।

इसके अलावा उनकी मुख्य रचनाएँ गीतांजलि, मानसी, चित्रा, सोनार तारी, क्षणिका आदि हैं। उन्होंने कुछ किताबों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया। 1913 में उन्हें उनकी रचना ‘गीतांजलि’ के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। वे एक अच्छे चित्रकार भी थे। 1941 में उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन वे लोगों के दिलों में आज भी जिंदा हैं।

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essay rabindranath tagore biography in hindi

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रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध

Essay On Rabindranath Tagore In Hindi: ऐसा कोई भी भारतीय नहीं होगा, जो रविंद्रनाथ टैगोर को नहीं जानता होगा। रविंद्रनाथ टैगोर जी को राष्ट्रीय कवि के नाम से भी जाना जाता है। ये ऐसे शख्सियत है जिन्होने कई कविताएं, उपन्यास, कहानी इत्यादि साहित्य के विभिन्न विद्याओं में अपनी उत्कृष्ट योगदान देकर संसार भर में ख्याति प्राप्त की।

अपनी साहित्य रचना के लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार द्वारा नवाजा भी जा चुका है। रविंद्रनाथ जी ने अपनी रचना से ना केवल हिंदी साहित्य के विकास में योगदान दिया बल्कि अनेकों कवियों और साहित्यकार को प्रोत्साहित किया है। यह ऐसे प्रकाश स्तंभ थे, जिन्होंने पूरे संसार को अपनी रचनाओं के माध्यम से आलोकित किया।

रविंद्रनाथ जी के रचनाओं का यही विशेषता था कि यह अपनी रचनाओं में मानविय दुखों और निर्बलता को बहुत ही कलात्मक ढंग से लिखते थे। अपनी सभी रचनाओं को मन और आत्मा से लिखते थे। यही कारण है कि उनकी ज्यादातर रचनाएं विश्व प्रसिद्ध हो गई।

Essay-On-Rabindranath-Tagore-In-Hindi-

हम यहां पर रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध (Rabindranath Tagore Essay in Hindi) शेयर कर रहे है। इस निबंध में रवींद्रनाथ टैगोर के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध | Essay On Rabindranath Tagore In Hindi

रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध (200 word).

7 मई 1861 को रवींद्रनाथ टैगोर जी का जन्म कोलकाता में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर जी के पिता जी का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था और माताजी का नाम शारदा देवी था। रवींद्रनाथ टैगोर को बहुत छोटी उम्र से ही कविताएं लिखने में बहुत रूचि थी। उन्होंने बहुत लोकप्रिय कहानियाँ, कविता, नाटक, निबंध, गीत, देशभक्त गीत आदि लिखे है। उनको देश भक्त गीत लिखने के साथ-साथ उनको राष्ट्र गीत गाने का भी बहुत शौक था।

टैगोर को 1913 में साहित्य और गीतांजलि के लिये नोबेल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है। रवींद्रनाथ टैगोर ने 2 भाषा में राष्ट्रीयगान लिखा था। एक राष्ट्रगान भारत के लिये ‘जन गण मन अधिनायक जय हो’ की रचना की थी और दूसरा राष्ट्रगान बांग्लादेश के लिए आमार सोनार बांग्ला की रचना की थी। कुछ लोग ऐसे भी कहते है कि राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर जी को माना जाता है।

रवींद्रनाथ टैगोर जी अपनी शुरुआत की पढ़ाई कोलकाता में की। उसके बाद उन्होंने वकील की पढ़ाई करने के लिये लन्दन गये और वकील की पढ़ाई में उनका मन नहीं लगा रहा था और वह बिना डिग्री प्राप्त किये इंडिया वापस आ गये। क्योंकि उनको बचपन से ही एक महान कलाकार कवि बनने में बहुत रूचि थी।

टैगोर जी के भाई सतेंद्र टैगोर सिविल परीक्षा पास करके एक अच्छी नौकरी करते थे और दूसरे भाई ज्योतिरेंद्रनाथ संगीतकार और नाटक के कवि थे। रवींद्रनाथ टैगोर की बहन को स्वर्णकुमारी उपन्यास लिखने में रूचि थी। रवींद्रनाथ टैगोर जी ने कुछ उपन्यास चार अध्याय, गोरा, नष्टनीड आदि उपन्यास की रचनाएँ की थी।

उन्होंने कुछ कविताओं -बनफूल, संध्या संगीत, प्रभात संगीत, भानुसिंह ठाकरेर पदावाली आदि की रचना की। रवींद्रनाथ टैगोर जी  द्वारा रचित कुछ नाटक: वाल्मीकि प्रतिभा, नालिनी, प्रतिशोध, मायार, गोड़ाय गलद, मालिनी आदि है।

Rabindranath Tagore Par Nibandh

रविंद्र नाथ टैगोर पर निबंध (400 शब्दों में)

भारत मैं साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न या साहित्यकार हुए, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश का नाम ऊंचा किया। उन्हीं में से एक महान और सुप्रसिद्ध रविंद्रनाथ टैगोर है, जिन्हें कवि गुरु भी कहा जाता है। इन्होंने अपने साहित्य रचनाओं के माध्यम से उन लोगों के पंक्ति में अपना स्थान बनाया, जिन्होने देश के नाम को पूरी दुनिया में अमर कर दिया। रविंद्रनाथ टैगोर जी ने ही भारत का राष्ट्रीय गान जना-गना-मना की रचना की थी।

रविंद्र नाथ टैगोर जी का जन्म भारत के पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के जोर-सांको को में 7 मई 1861 में हुआ था। इनके पिता का नाम महर्षि देवेंद्र नाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। इनके परिवार का हर सदस्य सुशिक्षित और कलाप्रेमी था और इन्हीं से इन्हें प्रोत्साहन भी मिली। माता की मृत्यु के बाद खेलकूद में इनकी रूचि घटने लगी और ये अकेले ही समय बिताना शुरू कर दिए।

अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए कई कविताएं लिखते थे और जिसके बाद इन्होंने साहित्य में अपना कदम रखा। बचपन से ही टैगोर जी बहुत ही बुद्धिमान बालक थे, इनकी प्रारंभिक शिक्षा निजी शिक्षकों के संरक्षण में हुई। बचपन से ही इन्हें साहित्य में काफी रूचि थी। यही कारण है कि बचपन से ही इन्होंने लिखना शुरू कर दिया था।

मात्र 13 साल की उम्र में ही इनकी पहली कविता अभिलाषा एक तत्व भूमि नाम की पत्रिका में छपी थी। रवीना टैगोर जी ने अपनी स्कूली शिक्षा 1874 तक पूरी कर ली थी, जिसके बाद में वकालत की पढ़ाई के लिए अपने भाई के साथ इंग्लैंड चले गए। लंदन के यूनिवर्सिटी में इन्होंने हेनरी मार्ले नामक अध्यापक से अंग्रेजी की शिक्षा ग्रहण की।

9 दिसंबर 1883 को इनका विवाह मृणालिनी देवी के साथ हुआ। समाज की कुरीतियों का यह हमेशा ही विरोध करते थे। यही कारण था कि अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद 1910 में अमेरिका से लौटने के बाद इन्होंने प्रतिमा देवी नाम की एक विधवा विवाह से शादी करके समाज में विधवा की खराब स्थितियों को खत्म करने की कोशिश की और विधवा विवाह को प्रोत्साहित करने की कोशिश की।

रविंद्र नाथ टैगोर जी ना केवल साहित्यकार बल्कि चित्रकार, अध्यापक, पत्रकार, तत्व ज्ञानी, संगीतज्ञ शिक्षा शास्त्री और दार्शनिक भी थे। इन्होंने अपने जीवन काल में कई लघु कथाएं, कविताएं, निबंध, गाने, नाटक इत्यादि लिखें, जिनमे से कई रचनाएं विश्व प्रसिद्ध हुए। इनके द्वारा लिखा गया गीतांजलि के लिए इन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

इनकी ज्यादातर रचनाएं बंगाली में लिखी गई थी हालांकि इनकी विभिन्न रचनाओं को पढ़ने में लोगों की बढ़ती रूचि के कारण विभिन्न भाषाओं में इनके कई रचनाओं का अनुवाद किया गया। बालकों को प्रकृति के बीच में रहते हुए शिक्षा प्राप्त करने के लिए शांतिनिकेतन की भी स्थापना की।

रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध (600 Word)

टैगोर एक महान भारत एक कवि थे, जिनका जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में हुआ था। इनके पिता जी का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर और इनकी माता जी का नाम शारदा देवी था। इन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन में शिक्षा निजी शिक्षकों के अधीन घर पर ली थी और कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन उच्च अध्ययन के लिए वह इंग्लैंड चले गए थे।

रवींद्रनाथ टैगोर ने 8 साल की कम उम्र में कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। उनकी कविता छद्म नाम भानुसिंघो (सूर्य सिंह) के तहत प्रकाशित हुई। जब वह सिर्फ सोलह वर्ष के थे, वह कानून का अध्ययन करने के लिए 1814 में इंग्लैंड चले गए। लेकिन एक कवि और लेखक के रूप में अपने भविष्य को पूरा करने के लिए पहले वह भारत लौट आए।

रवींद्रनाथ टैगोर की इंग्लैंड की लंबी समुद्री यात्रा

इंग्लैंड समुद्री यात्रा के माध्यम से जाते समय उन्होंने समुद्री यात्रा के दौरान गीतांजलि का अंग्रेजी में अनुवाद किया था। उनकी गीतांजलि के प्रकाशित होने के एक साल के भीतर ही उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रवींद्रनाथ टैगोर ने लेखन में भारतीय संस्कृति के रहस्यवादी का उल्लेख किया है, जिसके लिए पहली बार वह गैर पश्चिमी व्यक्ति को प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

रवींद्रनाथ टैगोर एक कवि के रूप में

टैगोर भारत के प्रसिद्ध कवि होने के साथ-साथ एक प्रतिभाशाली लेखक, उपन्यासकार, दक्षित कलाकार संगीत का नाटककार और एक दार्शनिक भी थे। वह अच्छी तरह से जानते थे कि कविता या कहानी लिखते समय भाषा का कैसे प्रयोग करना है। वह अच्छे दार्शनिक थे, जिसके माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय लोगों की विशाल श्रंखला को प्रभावित किया था।

भारतीय साहित्य के प्रति रवींद्रनाथ टैगोर का योगदान बहुत विशाल और अविस्मरणीय था। उनके संगीत में दो गीत अधिक प्रसिद्ध है, क्योंकि वह दोनों देश के राष्ट्रगान जैसे अमर शिरोमणि बांग्ला बांग्लादेश का राष्ट्रगान और जन गण मन भारत का राष्ट्रगान है।

इन दोनों की रचना रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा की गई रवींद्रनाथ टैगोर चाहे कविता हो या कहानी के रूप में आज भी प्रकाशित है। शायद वह पहले इंसान थे, जिन्होंने अपने प्रभावी लेखन के माध्यम से पश्चिम और पूर्व के बीच खाई को बांटा है।

रवींद्रनाथ टैगोर की महत्वपूर्ण रचनाएं

वैसे तो रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा कई विभिन्न विषयों पर रचनाएं की गई है। लेकिन उनकी एक रचना मानसी बहुत मशहूर थी, जिस में उन्होंने शाम के गीतों और सुबह के गीतों का उल्लेख सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनैतिक आदि कई विषयों के तहत किया गया था।

मानसी उनके द्वारा 1890 में लिखा गया था, जिसमें उन्होंने कुछ सामाजिक और कार्य कविताओं का संग्रह किया था। उनका अधिकांश लेखन बंगाल के लोगों के जीवन पर आधारित था। इसके अलावा रवींद्रनाथ टैगोर के कई अन्य काव्य संग्रह सोनार, तारि, चित्रांगदा और मालिनी बिनोदिनी और नौका दुबई, राजा और रानी, ​​आदि जैसे हैं।

वह बहुत ही धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति थे, जिससे उन्हें बहुत मदद मिली। वह एक महान शिक्षाविद् थे। उन्होंने शांति का निवास स्थान स्थापित किया, जो शांतिनिकेतन नामक एक अद्वितीय विश्वविद्यालय था। भारत की स्वतंत्रता को देखने से पहले 1941 में 7 अगस्त को कोलकाता में उनका निधन हो गया।

देश भर रवींद्रनाथ टैगोर का नाम आज भी लोकप्रिय है। देश में रवींद्रनाथ टैगोर के फोटो सरकारी कार्यालयों में बड़े-बड़े नेताओ के साथ लगाये जाते है। महान व्यक्तियों की सूचि में रवींद्रनाथ टैगोर का नाम शामिल है।

रवींद्रनाथ टैगोर ने देश के लिए बहुत संघर्ष किया और उन्होंने मुख्य रूप से कविताएं और कहानियों के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। साथ ही रविंद्र नाथ टैगोर ने देश का राष्ट्रगान जन गण मन भी दिया था, जिसे हम प्रतिदिन बोलते हैं और यह देश की शान भी माना जाता है।

रबीन्द्रनाथ टैगोर निबंध (800 शब्दों में)

रविंद्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध भारत के कवि थे, जो अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के कारण दुनिया भर में देश का नाम ऊंचा किया। रविंद्र नाथ टैगोर जी को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। इन्होने हिंदी साहित्य के विभिन्न विद्दाओं में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनकी ज्यादातर रचनाएं बंगाली भाषा में है। रविंद्रनाथ जी एक महान साहित्यकार के अतिरिक्त देशभक्त, मानवतावादी, चित्रकार, दर्शनशास्त्री और शिक्षक थे।

कलाओं के विभिन्न क्षेत्रो में यें प्रतिभा संपन्न थे। अपनी लेखन के माध्यम से इन्होंने लोगों के मानसिक और नैतिक भावनाओं को अच्छे से प्रदर्शित किया। इनकी कई रचनाएं अग्रणी और क्रांतिकारी साबित हुई। स्वतंत्रता की लड़ाई में भी इनकी रचनाओं ने क्रांतिकारियों को बहुत ही प्रभावित किया है।

रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म भारत के पश्चिम बंगाल राज्य की राजधानी कोलकाता के जोर-सांको में हुआ था। रविंद्र नाथ टैगोर जी अपने पिता के 15 संतानों में से 14 नंबर के थे। इनके पिता का नाम महर्षि देवेंद्र नाथ टैगोर था और माता का नाम शारदा देवी था।

इनके परिवार भी कला प्रेमी थे और माता-पिता दोनों ही सुशिक्षित थे। इन्हें बचपन से ही लिखने की रूचि थी और माता की मृत्यु के बाद अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए ये अक्सर कविताएं लिखा करते थे, जिसके बाद साहित्य के प्रति इनकी रुचि और भी ज्यादा बढ़ते गई।

रविंद्र नाथटैगोर जी की शिक्षा

रविंद्र नाथ टैगोर की शिक्षा के लिए इन्हें ओरिएंटल सेमिनरी स्कूल में इनका भर्ती कराया गया। लेकिन इनका वहां पर मन नहीं लगा जिसके बाद फिर घर में ही विभिन्न विषयों में निजी शिक्षकों के द्वारा उनकी शिक्षा हुई।

सर 1874 तक इनकी स्कूली शिक्षा पूरी हो गई, जिसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए ये इंग्लैंड चले गए। वहां पर इन्होंने लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज में अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त की।

रविंद्र नाथ टैगोर की साहित्य में योगदान

हिंदी साहित्य में इनका योगदान बहुत ही बड़ा और अविस्मरणीय है। मात्र 13 साल की उम्र में ही रविंद्र नाथ टैगोर जी की पहली कविता अभिलाषा एक तत्व भूमि नाम की पत्रिका में छपी। इंग्लैंड से वापस आने के बाद इन्होंने बंगाली भाषा में लिखना शुरू किया, इन्होंने कई साड़ी रचनाएं की जिनमें से कुछ बहुत सुप्रसिद्ध हुआ।

1877 तक उन्होंने अनेकों रचनाएं की और कई रचनाएं अनेकों पत्रिकाओं में छपी। 1842 में रविंद्र नाथ टैगोर जी ने हिंदू मुस्लिम एकता और घरेलू उद्योगों के विषय पर एक गंभीर लेख लिखा। 1960 में इन्होंने पहला उपन्यास गोरा लिखा। रविंद्र नाथ जी एक अच्छे लेखक के साथ-साथ एक अच्छे दर्शन शास्त्री भी थे जिसके माध्यम से इन्होंने कई रचनाओं का निर्माण किया और स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान बड़ी संख्या में भारतीय लोगों को प्रभावित किया।

बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी रविंद्र नाथ टैगोर के द्वारा ही लिखा गया है। अपनी असरदार लेखन से पूरब और पश्चिम के बीच की भी दूरी को कम कर दिया। रविंद्र नाथ जी ज्यादातर बंगाली लोगों के जीवन पर आधारित रचनाएं लिखते थे। इन्होंने अपने कई रचनाओं में समाज के तत्कालीन कुरीतियों, गरीबी और विभिन्न अवस्थाओं का भी चित्रण किये हैं। इनकी रचना गलपगुच्छा में भारत के गरीबी, निरक्षरता और पिछड़ापन पर आधारित अनेकों कहानियों का संग्रह है।

इनकी एक रचना पूरवी में इन्होंने संस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक, नैतिक और सामाजिक जैसे बहुत सारे विषयों के तहत संध्या और सुबह के गीतों को दर्शाया है। इन्होंने ना केवल अपनी लेखन के जरिए समाज की कुरीतियों को मिटाने की कोशिश की बल्कि स्वयं भी योगदान दिया। अपनी प्रथम पत्नी के देहांत के बाद इन्होंने मृणालिनी देवी नाम की एक विधवा औरत से विवाह किया और समाज में विधवा औरतों की खराब स्थिति को दूर करके विधवा विवाह को प्रोत्साहित करने की कोशिश की।

इसके अतिरिक्त इन्होंने कल्पना, सोनार तारी, गीतांजलि, आमार सोनार बांग्ला, घेर-बेर, रबीन्द्र संगीत, चित्रांगदा, मालिनी, गोरा, राजा और रानी जैसे ना जाने कितने ही उपन्यास, कविता और लघु कथाओं की रचना की। 1913 में इनकी रचना गीतांजलि के लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया।

शांतिनिकेतन की स्थापना

रविंद्र नाथ जी बड़े साहित्यकार होने के अतिरिक्त एक महान शिक्षा शास्त्री भी थे। इन्हें शिक्षा का सही अर्थ मालूम था। इनके अनुसार सर्वोत्तम शिक्षा वही है, जो संपूर्ण दुनिया के साथ-साथ हमारे जीवन का भी सामंजस्य स्थापित करती है। इनके अनुसार शिक्षा मनुष्य की शारीरिक, आर्थिक, बौद्धिक, व्यवसाय और आध्यात्मिक विकास का आधार है।

इनके अनुसार शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य बालक के समस्त इंद्रियों को प्रशिक्षित कर जीवन की वास्तविकता से उन्हें परिचित करवाना है, पर्यावरण की जानकारी देकर अनुकूलन स्थापित कराना है। बालक में आत्मानुशासन, नैतिक और आध्यात्मिक गुणों का विकास करना हैं।

रविंद्र नाथ जी मानते थे कि बच्चों को बंद कमरे में शिक्षा देने से ज्यादा अच्छा है, उन्हें खुले वातावरण में प्रकृति के बीच में बिठाकर शिक्षा दें। उनका मानना था कि प्रकृति के शांति भरे वातावरण में बच्चे प्रकृति का अवलोकन कर सकते हैं और उसका एक हिस्सा बन सकते हैं।

ऐसे माहौल में आसानी से सब कुछ समझ में आता है। मिट्टी पर खड़े पेड़ पौधे, बदलते मौसम, पंछियों का चहचहाना, विभिन्न जीव जंतुओं से भरे प्राकृतिक परिवेश बच्चों को कला की प्रेरणा देती है। इसीलिए इन्होंने कोलकाता शहर से दूर एक मनोहर स्थान पर 1901 को शांतिनिकेतन की स्थापना की।

रविंद्र नाथ जी महान साहित्यकारों में से एक थे, जिनकी रचनाओं में प्राकृतिक दृश्य और वातावरण का मनमोहक संसार ही केवल चित्रित नहीं होता बल्कि उसमें मानवता का भी उद्घोषणा होता है। साहित्य प्रतिभा इनकी सर्वोत्तमुखी थी। इन्होंने हिंदी साहित्य के विभिन्न विधाओं जैसे की कहानी, नाटक, निबंध, उपन्यास कविता इतिहास सभी में अपना योगदान दिया।

इनकी रचना में मानवीय दुखों और तत्कालिक परिस्थितियों का भी चित्रण देखने को मिलता है, जो पाठक को इनकी रचनाओं को पढ़ने में रुचि जागृत करता है। आज भले ही रविंद्र नाथ टैगोर जी हमारे बीच नहीं है लेकिन इनकी रचनाएं हमेशा ही अमर बनी रहेगी और आने वाली नई पिडियो को साहित्य के प्रति रुचि बनाने में मदद करेगी।

आज के आर्टिकल में हमने रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध (Essay On Rabindranath Tagore In Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है। तो वह हमें कमेंट में पूछ सकते है।

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Rahul Singh Tanwar

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By: savita mittal

जीवन परिचय | Rabindranath Tagore Essay in Hindi

शिक्षा में योगदान, रवींद्रनाथ टैगोर पर निबंध/essay on rabindranath tagore in hindi//essay on rabindranath tagore video.

मानव इतिहास में कुछ ऐसे लोग हुए हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से पूरे विश्य को आलोकित किया, रवीन्द्रनाथ टैगोर भी एक ऐसी ही प्रतिमा थे। गुरुदेव के नाम से मशहूर रवीन्द्रनाथ टैगोर दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनकी रचनाओं देश (भारत, बांग्लादेश) ने अपना राष्ट्रगान बनाया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कला के विभिन्न क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया।

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रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था। ीन्द्रनाथ ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने घर पर ही प्राप्त की। उन्हें स्कूली शिक्षा के लिए पास के एक स्कूल में मेजा गाथा पर स्कूल के वातावरण को वे सहन नहीं कर पाए, जिसके बाद उनके पिता ने घर पर ही उनकी पढ़ाई की पूरी व्यवस्था कर दी।

उनके घर पर देश के गणमान्य विद्वानों, साहित्यकारों और शिल्पकारों का आना-जाना लगा रहता था। यही कारण है कि औपचारिक रूप से स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाने के बावजूद उन्होंने अपने घर पर ही साहित्य, समीन एवं शिल्प का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया।विद्वानों की संगति के साथ-साथ 9 वर्ष की आयु से ही अपने पिता के साथ विभिन्न स्थलों के भ्रमण का प्रभाव उन पर कुछ इस तरह पड़ा कि बाल्यावस्था में ही उन्होंने कविता लिखना प्रारम्भ कर दिया।

Rabindranath Tagore Essay in Hindi

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बाद में अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए में 17 वर्ष की आयु में लन्दन गए और लन्दन विश्वविद्यालय में उन्होंने एक वर्ष तक अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने कहीं औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की, परन्तु साहित्य-सृजन के प्रति उनका लगाव बढ़ गया। साहित्यिक उपलब्धियाँ स्वीन्द्रनाथ ने 12 वर्ष की आयु से ही काव्य-सृजन शुरू कर दिया था. बाद में उन्होंने गद्य साहित्य की रचना भी शुरू की और अपनी अधिकतर रचनाओं का उन्होंने अंग्रेजी में अनुवाद भी किया।

अपनी प्रसिद्ध फाव्य पुस्तक ‘गीतांजलि’ के अंग्रेज़ी अनुवाद के लिए उन्हें वर्ष 1913 में साहित्य का ‘नोबेल पुरस्कार’ प्राप्त हुआ और वे यह पुरस्कार प्राप्त करने माले केवल भारत ही नहीं, बल्कि एशिया के मी प्रथम व्यक्ति बने। ‘गीतांजलि’ स्वीन्द्रनाथ ठाकुर की एक अमर काव्य कृति है। इसी के गीतों ने उन्हें ‘विश्वकवि’ के रूप में प्रतिष्ठित किया।

कुछ लोगों का यह मानना है कि इसका अनुवाद किसी अंग्रेज कवि ने किया था, किन्तु अब यह बात सिद्ध हो चुकी है कि यह अनुवाद किसी और ने नहीं, बल्कि स्वयं स्वीन्द्रनाथ टैगोर ने ही किया था। उन्होंने अपनी रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद कैसे प्रारम्भ किया? इसके पीछे एक छोटी-सी कहानी है। प्रारम्भ में ये केवल अपनी मातृभाषा बांग्ला में हो लिखते थे। जब वे लन्दन अंग्रेजी भाषा की शिक्षा प्राप्त करने गए थे, उस दौरान 17 वर्ष की आयु में उनकी मुलाकात अंग्रेज़ी के विश्वविख्यात रोमाटिक कवियों एवं लेखकों से हुई। उनमें से कई उनके अच्छे मित्र हो गए।

अपने उन मित्रों के साथ आयोजित काव्य गोष्ठियों में अपनी बाग्ला कविताओं को सुनाने के दृष्टिकोण से वे उनका अनुबाद अंग्रेजी में किया करते थे। उन कवियों एवं लेखकों ने उनके काव्य की काफी प्रशंसा की। इसके बाद से उन्होंने अपनी अधिकतर रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद प्रारम्भ कर दिया था। बाद में कवि कीट्स ने उनके अनुवाद की भूमिका लिखी।

ये किसी एक विचारधारा के कवि नहीं थे, चल्कि उनके काव्य में पूरी मानवता का समावेश था। यही कारण है कि पूरी दुनिया के लोगों के कषि होने के कारण उन्हें विश्वकवि की सज्ञा दी गई। कबि होने के साथ-ही-साथ वे कथाकार उपन्यासकार, नाटककार, निबन्धकार, संगीतकार और चित्रकार भी थे।

उनकी सभी चौरासी कहानियाँ गत्पगुच्छ की तीन जिल्दों में संगृहीत हैं। ये अपनी कहानियाँ ‘सबुज पत्र’ (हरे पत्ते) में छपयातें थे। टैगोर की कविताओं की पाण्डुलिपि को सबसे पहले विलियम रोथेनस्टाइन ने पढ़ा और ये इतने मुग्ध हो गए कि उन्होंने अंग्रेज़ी कवि कीट्स से सम्पर्क किया और पश्चिमी जगत के लेखकों, कवियों, चित्रकारों और चिन्तकों से टैगोर का परिचय कराया तथा इण्डिया सोसायटी से इसके प्रकाशन की व्यवस्था की।

विश्व की अनेक भाषाओं में उनकी रचनाओ के अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। महात्मा गाँधी ने उनकी प्रतिभा से अभिभूत होकर उन्हें ‘गुरुदेव’ की संज्ञा दी थी। भारत के राष्ट्रगान जन-गण-मन और बाग्लादेश के राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर ही हैं। उनका सपना था भारत में एक ऐसे शिक्षण संस्थान की स्थापना करना, जहाँ विद्यार्थी प्राकृतिक वातावरण में शिक्षा प्राप्त कर सके।

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नोबेल पुरस्कार के रूप में प्राप्त धनराशि की सहायता से उन्होंने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोलपुर में वर्ष 1921 में शान्ति निकेतन, जिसे विश्वभारती विश्वविद्यालय भी कहा जाता है. की स्थापना की। वर्ष 1951 में भारत सरकार ने इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया। विदेशी दासता के चंगुल में फंसे देश की मुक्ति के लिए शिक्षा के क्षेत्र में जिस क्रान्ति की आवश्यकता थी, उस दृष्टि से यह उनका एक महानतम योगदान था।

रवीन्द्रनाथ के प्रसिद्ध उपन्यासों में ‘चोखेर बाली’, ‘नौका डूबी’, ‘गोरा’ आदि उल्लेखनीय है। ‘राजा ओ रानी’. ‘बिसर्जन’ तथा ‘चित्रांगदा’ उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। इनमें उनकी नाटय प्रतिभा अपनी पूरी शक्ति के साथ प्रकट हुई है। उनके द्वारा सृजित संगीत को आज रवीन्द्र संगीत के रूप में एक अलग शास्त्रीय संगीत का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने लगभग * 2,230 गीतों की रचना की।

हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की ठुमरी शैली से प्रभावित ये गीत मानवीय भावनाओं केअलग-अलग रंग प्रस्तुत करते हैं। अपने जीवन के अन्तिम दिनों में उन्होंने चित्र बनाना भी शुरू किया था और अपने चित्रो से उन्हें एक चित्रकार के रूप में भी विश्वस्तरीय ख्याति मिली। उनके चित्रों में युग का संशय, मोह, क्लान्ति और निराशा के स्वर प्रकट हुए हैं। जब देश अपनी स्वतन्त्रता के लिए ब्रिटिश सरकार से संघर्ष कर रहा था, तब अपने सृजन से उन्होंने इस संघर्ष में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। यही कारण है कि जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के बाद उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई नाइट (सर) की उपाधि लौटा दी थी।

स्बीन्द्रनाथ ने साहित्य, संगीत, शिल्प, शिक्षा प्रत्येक क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। उनकी मृत्यु – अगस्त, 1941 को हुई। उनके निधन पर महात्मा गाँधी ने कहा था-“आज भारत के रवि का अस्त हो गया”, हालांकि टैगोर और महात्मा गाँधी के बीच राष्ट्रीयता और मानवता को लकर हमेशा वैचारिक मतभेद रहा। गाँधीजी राष्ट्रबाद को प्रथम स्थान पर रखते थे, वहीं टैगोर मानवता को राष्ट्रबाद से अधिक महत्त्व देते थे।

अपने जीवनकाल में टैगोर ने साहित्य जगत को इतनी विशाल सम्पदा दी कि उम्र पर अधिकार और उसमें पारंगत होना सबके लिए सम्भव नहीं है। उनके गीतों में जीवन का अमर संन्देश है, प्रेरणा है और ऐसी पूर्णता है, जो हृदय के सब जमायों को दूर करने में सक्षम है। वास्तव में, स्वीन्द्र के दर्शन में भारतीय संस्कृति के विविध अंगों का समावेश है। उनके बोत मनुष्य की आत्मा को आवेशों की लहरों में डूबने के लिए नहीं छोड़ देते, बल्कि उसे उन लहरों से खेलते हुए पार उतर जाने की शक्ति देते हैं।

Great Personalities

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध Essay On Rabindranath Tagore In Hindi And English

नमस्कार आज का निबंध रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध Essay On Rabindranath Tagore In Hindi And English पर दिया गया हैं. सरल भाषा में टैगोर के जीवन उनकी रचनाओं योगदान पर सरल भाषा में निबंध दिया गया हैं.

स्कूल स्टूडेंट्स के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा में रवीन्द्रनाथ टैगोर पर दिया गया निबंध उम्मीद करते है आपको पसंद आएगा.

रवीन्द्रनाथ टैगोर निबंध Essay On Rabindranath Tagore Hindi English

रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध Essay On Rabindranath Tagore In Hindi And English

Essay On Rabindranath Tagore biography, poems, books, works, information, life history, Wikipedia, family:

Indian national anthem Jan gan man and Bangladesh’s  anthem  Amar Sonar Bangla written by Rabindranath Tagore.

he is the great writer, Bangla poet, and painter also. he gets a noble prize in 1913 in Literature. here is giving short Rabindranath Tagore In Hindi & English for students and kids,

they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10. essay on Rabindranath Tagore in English giving 100, 150, 200, 250, 250, 300, 350 ,400 and 500 words. tagore essay Hindi translation giving blow for Hindi words.

Essay On Rabindranath Tagore In English

Rabindranath Tagore was a great son of India. he was a great patriot and poet. his father’s name was devindranath Tagore.

devindranath was a rich man. still, he was very simple. he was a lover of books. he had a good library of his own.

Rabindra Nath Tagore was brought up in a different way. he did not get clothes to wear. his food was also simple.

he could not move freely with of family. servants looked after him. they did not take care of him properly.

Tagore never liked to go to school. still, he was very intelligent. he got the highest marks at the normal school.

he was the lover of his country. when he heard jallianwala Bagh tragedy. he gave up his title to knight India can never forget such a man.

Essay On Rabindranath Tagore In Hindi

रवींद्रनाथ टैगोर भारतमाता के महान पुत्र थे. वो एक सच्चें देशभक्त कवि एवं अच्छें चित्रकार थे. इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था. देवेन्द्रनाथ एक अमीर व्यक्तित्व थे.

उनकें लिए सभी राहें आसान थी. इन्हें किताबों का बहुत शौक था. इसलिए उन्होंने एक निजी पुस्तकालय खोला, जिनमें दुनियाभर के प्रसिद्ध रचनाकारों की रचनाएं उपलब्ध थी.

रवीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन जीने का अपना एक अलग नजरिया था. वों बहुत कम कपड़े पहना करते थे, तथा आम इंसानों की तरह साधारण भोजन करते थे. हालांकि वों परिवार के सदस्यों तथा पिताजी की इच्छा में बंधे थे.

स्वतंत्र रूप से कुछ नही कर सकते थे. वकालत की पढाई के लिए रवींद्रनाथ टैगोर को विदेश भी भेजा गया, मगर मन न लगने के कारण एक साल में ही वापिस लौट आए.

रवींद्रनाथ टैगोर जैसा व्यक्ति कभी भी अपनी एकेडमिक पढाई के लिए विद्यालय नही गयें. फिर भी वों स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों से कही अधिक पढाई में तेज थे. इन्होनें सामान्य विद्यालय में सभी स्टूडेंट्स से अधिक अंक प्राप्त करते थे. वो महान देशभक्त थे.

जब उन्हें १९१९ के जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के बारे में पता चला तो उन्होंने अंग्रेजों द्वारा प्रदान की गईं नाईट की उपाधि लौटा दी. इस तरह भारत  रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान इन्सान को कभी नही भूल सकता.

रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध Essay On Rabindranath Tagore In Hindi

विश्व साहित्य में अद्वितीय योगदान देने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर को एक महान कवि उपन्यासकार और साहित्य के प्रकाश स्तम्भ के रूप में याद किया जाता है.

वे केवल लेखनी में ही नही वरन एक महान कवि संगीत रचयिता और एक प्रेरक शिक्षक के साथ साथ एक अनूठी शैली के चित्रकार भी थे.

इसके अलावा देश व् स्वाधीनता के प्रति उनके अनूठे द्रष्टिकोण ने महात्मा गांधी जैसे नेताओं को भी सुद्रढ़ आत्मबल प्रदान किया. सही अर्थो में वे एक ऐसे प्रकाश स्तम्भ थे जिन्होंने जिन्होंने अपने प्रकाश से विश्व को आलोकित किया.

7 मई 1861 के एतिहासिक दिन साहित्य और कला से ओत प्रेत तेजस्वी और समर्द्ध परिवार के युवक देवेन्द्रनाथ टैगोर की पत्नी शारदा देवी टैगोर ने अपनी चौहदवी सन्तान के रूप में एक शिशु को जन्म दिया.

प्यार से इस बालक का नाम रवि रखा गया था. यही रवि आगे चलकर संसार में रवीन्द्रनाथ टैगोर के रूप में विख्यात हुआ.

रवीन्द्रनाथ के बौधिक और काव्यात्मक विकास में उनके बड़े भाई ज्योतिरिन्द्रनाथ का बहुत प्रभाव पड़ा. वे एक कुशल स्वर सयोजक कवि नाटककार और संगीतज्ञ भी थे. स्कूली शिक्षा पद्दति से खिन्न होकर 1875 में रवीन्द्रनाथ ने स्कुल को अलविदा कह दिया.

भले ही उन्होंने स्कुल का त्याग कर दिया मगर वे जन्म से ही शिक्षा की देवी के पुजारक रहे थे. अतः स्कुल छोड़ने के बाद इन्होंने गहन चिन्तन मनन और स्व अध्ययन पर जोर दिया. और जीवन के इसी पड़ाव में रवीन्द्रनाथ में लेखनी का कार्य भी शुरू कर दिया.

उनकी विलक्ष्ण प्रतिभा को देखते हुए सत्येन्द्रनाथ ने इन्हें डॉक्टर अन्त राम के पास मुंबई भेज दिया, डॉक्टर अनंतराम की बेटी अन्ना ने रवि को व्यवाहरिक रूप से शिक्षित करने का भार अपने उपर ले लिया.

और दौ महीने तक इन्हें अपने सानिध्य में रखा. रवीन्द्रनाथ पहले अपनी पारिवारिक पत्रिका भारती के लिए लिखते थे. बाद में वे नई परिवारिक पत्रिका बालक के लिए भी शिशु गीत कविताएँ कहानियाँ नाटक और लघु उपन्यास लिखने लगे.

22 अगस्त 1880 को दुबारा उन्हें लन्दन भेज दिया गया. और 10 साल के प्रवास के बाद नवम्बर 1890 को रवीन्द्रनाथ वापिस भारत लौटे, प्रवास के इन 10 सालों में उनकी लेखनी में आश्चर्यजनक परिवर्तन आ चूका था.

अब उनकी लेखनी पाठकों के अंतर्मन को झंकझोर करने लगी थी. रवीन्द्रनाथ भले ही लेखन कार्य में प्रतिष्ठित हो चुके थे.

मगर उनके पिताजी चाहते थे कि परिवार और उनकी परिसम्पतियों का उतरदायित्व भी पूर्ण रूप से वहन करे. अतः पिता के निर्देश पर रवीन्द्रनाथ बीवी बच्चों के साथ सिलाइदह आ गये. यही से इन्होने विलक्षण नाटिका चित्रगंदा का स्रजन किया, जो बाद में अंग्रेजी में चित्रा के नाम से प्रकाशित हुई.

इस समय उन्होंने उदार जमीदार के रूप में केवल अपनी रैयत के असहाय और निर्बल लोगों की सहायता की, बल्कि उन्हें लेखन कला के दायरे में समेटकर आलिगनबद्ध करके प्यार भी किया. इसी समय इन्होने बाल कहानी डाकपाल और विश्व प्रसिद्ध कहानी काबुलीवाला की रचना की.

1909 से 1910 के बिच लिखे गीतों का संग्रह उन्होंने गीतांजली के माध्यम से बंगला भाषा में प्रकाशित करवाया. मार्च 1912 में रवीन्द्रनाथ को बहुत तेज ज्वर हो गया अतः ये आराम के लिए सिलाइड आ गये.

यही पर इन्होने गीतांजली का संस्कृत भाषा में अनुवाद किया. इस अंग्रेजी अनुवाद को इण्डिया सोसायटी ऑफ लंदन द्वारा नवम्बर 1912 में प्रकाशित किया गया था. गीतांजली के छपते ही रवीन्द्रनाथ का नाम अंग्रेजी पत्र पत्रिकाओं में छा गया और उनकी प्रसिद्धि की खुशबु समस्त विश्व में फैलने लगी.

13 नवम्बर 1913 के दिन उन्हें गीतांजली के लिए नोबल पुरस्कार देने की घोषणा की गई. उनके इस सम्मान से सारा भारत ख़ुशी से झूम उठा. मार्च 1915 में उनकी मुलाक़ात मोहनदास करमचन्द गांधी से हुई.

उस समय तक मोहनदास करमचन्द गांधी महात्मा की उपाधि तक नही पहुचे थे. 23 सितम्बर 1921 को शांति निकेतन के विश्व भारती विश्वविध्यालय का औपचारिक उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर टैगोर ने नोबल पुरस्कार की राशि और सभी कॉपीराइट शान्तिनिकेतन को सौप दिए.

1906 में रवीन्द्रनाथ का प्रकाशित नौका डूबी उपन्यास महान ग्रंथो में गिना जाता है. सही मायनों में यह उनका अनूठा उपन्यास है. जिसे विश्व साहित्य समाज से अपूर्ण गौरव मिला.

  • अबनिन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
  • वर्तमान युग में गांधीवाद की प्रासंगिकता
  • वृक्षारोपण पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध Essay On Rabindranath Tagore In Hindi And English का यह निबंध आपको आया होगा.

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Rabindranath Tagore Essay in Hindi

Rabindranath Tagore Essay in Hindi: रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध

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Rabindranath Tagore Essay in Hindi

यहां हम आपको “Rabindranath Tagore Essay in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Essay on Rabindranath Tagore तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए.

Rabindranath Tagore Essay in Hindi ( 150 words)

रवींद्रनाथ टैगोर भारत के एक महान कवि और लेखक थे। इनके द्वारा कई सारी कविताएं और किताबें लिखी गई हैं। रविंद्र नाथ टैगोर सबसे पहले भारतीय हैं, जिन्हें पुस्तक लिखने पर नोबेल पुरस्कार मिला था। वे टैगोर एक महान व्यक्तित्व के धनी थे। उनका जन्म कोलकाता में एक बड़े धनी परिवार में हुआ था। रविंद्र नाथ टैगोर को बचपन से ही कविताओं के प्रति काफी लगाव था।

Rabindranath Tagore Essay in Hindi

वे कवि होने के साथ-साथ एक समाज सुधारक, कलाकार, दार्शनिक भी थे। रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा गीतांजलि नामक एक महान पुस्तक लिखी गई है। इसके साथ ही उन्होंने कई सारी कहानियां, उपन्यास, कविताएं, नाटक और निबंध लिखे हैं, जो सभी काफी लोकप्रिय हुए। उसके बाद इनके द्वारा लिखी सभी रचनाओं का अनुवाद इंग्लिश में भी किया गया था। रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा ही हमारे देश का राष्ट्रगान जन गण मन लिखा गया है।

Rabindranath Tagore Short Essay in Hindi (200 words)

रविंद्र नाथ टैगोर एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें कई सारी कलाओं का ज्ञान था। बचपन से ही कला के प्रति रुझान होने के कारण उन्होंने कविता लेखन पुस्तक लेखन जैसी कलाओं में महारत हासिल की। रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। इनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर एवं माता का नाम शारदा देवी था। रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की।

उन्हें अलग-अलग निजी शिक्षकों द्वारा अलग-अलग विषय की शिक्षा दी गई। टैगोर जी ने काफी छोटी उम्र से कविता लिखना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे इनके द्वारा लिखी जाने वाली कविताएं लोगों में काफी लोकप्रिय हो गई। इसके बाद 1913 में रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखी गई पुस्तक गीतांजलि के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला।

रविंद्र जी शुरू से ही बहुत बड़े देशभक्त थे उन्होंने कई सारे राष्ट्रवादी आंदोलनों में भी हिस्सा लिया। इन्होंने देश के प्रति अपना प्रेम दिखाते हुए ब्रिटिश सरकार द्वारा दिए गए पुरस्कार को 1915 में वापस कर दिया। रविंद्र नाथ टैगोर भारत के एक रत्न थे जो भारत को स्वतंत्र देखना चाहते थे, लेकिन 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

Essay on Rabindranath Tagore in Hindi (300 words)

प्रस्तावना  .

रविंद्र नाथ टैगोर भारत के एक अनमोल रत्न थे। भारत में रविंद्र नाथ टैगोर को उनकी कविताओं और कहानियों के कारण काफी प्रसिद्ध थे। इन्होंने बहुत छोटी उम्र से कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे वे काफी महान लेखक बन गए। लेखक बनने के साथ-साथ रविनाथ टैगोर एक समाज सेवक के रूप में भी सबके सामने आए। उन्होंने देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए कई सारी राष्ट्रवादी योजनाओं में भाग लिया। लोगों को अहिंसा के मार्ग पर चलते रहने के लिए उनका मार्गदर्शन किया। रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा कविताएं कहानियां मुख्य रूप से बंगाली भाषा में लिखी जाती थी। 

कोरोना पर निबंध बेटी बचाओ बेटी पढाओ निबंध समाचार पत्र पर निबंध शरद ऋतु पर निबंध मेरी मां पर निबंध

रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म (Rabindranath Tagore Birthday)

रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म कोलकाता में देवेंद्र नाथ टैगोर के घर 7 मई 1861 को हुआ था। उनकी माता का नाम शारदा देवी था और रविंद्र नाथ टैगोर अपने माता-पिता की 14वी संतान थे। लेकिन रविंद्र जी अपने बाकी भाइयों बहनों से काफी अलग है। एक धनी परिवार में जन्म लेने के कारण इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही पूरी हुई, और घर से ही उन्होंने कविता लेखन शुरू कर दिया था। रविंद्र नाथ टैगोर बचपन से ही समाज और देश के लिए कुछ करना चाहते थे इसलिए उन्होंने 17 वर्ष की आयु से ही राष्ट्रवादी आंदोलनों में हिस्सा लेना प्रारंभ कर दिया।

रविंद्र नाथ टैगोर भारत के एक ऐसे रत्न थे, जिन्होंने भारत में पहला नोबेल पुरस्कार लाया। वे सबसे पहले भारतीय थे, जिन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया था। इन्होंने अपना पूरा जीवन कविता लेखन और भारत की स्वतंत्रता के लिए व्यतीत कर दिया। महात्मा गांधी और टैगोर जी काफी अच्छे मित्र थे। दोनों में ही देश प्रेम की भावना सर्वोपरि थी, इसलिए 1915 में रविंद्र नाथ टैगोर ने ब्रिटिश आर्मी का विरोध करते हुए नोबेल पुरस्कार वापस कर दिया। रविंद्र नाथ टैगोर भारत को स्वतंत्र करना चाहते थे, और भारत की अखंडता को दर्शाने के लिए उन्होंने जन-गण-मन राष्ट्रगान भी लिखा।

Rabindranath Tagore Essay in Hindi in 500 Word

 रवींद्रनाथ भारत के एक विश्व प्रसिद्ध कवि थे। उनकी नाथ टैगोर को उनकी कविताओं और कहानियों के कारण सारे विश्व में जाना जाता था। रविंद्र नाथ टैगोर को उनकी कविताओं और कहानियों के कारण गुरुदेव की उपाधि भी दी गई थी। उन्होंने भारतीय इतिहास में कई सारी महान कविता, कहानियों की रचना की है। टैगोर जी को दुनियां एक लेखक, शिक्षक, चित्रकार, दर्शन शास्त्री के रूप में जानती है। इसके साथ ही वे एक सच्चे देश प्रेमी भी थे। उन्होंने अपनी कविताओं से और कहानियों से कई सारे लोगों को प्रेरित किया।

रविंद्रनाथ टैगोर की शिक्षा 

रविंद्र नाथ टैगोर को प्रारंभिक शिक्षा के लिए सबसे पहले ओरिएंटल सेमिनरी स्कूल में दाखिल कराया लेकिन स्कूल में उनका मन ना लगने के कारण, उन्हें घर पर ही विभिन्न विषयों के निजी शिक्षकों द्वारा शिक्षा दी गई। 1874 तक रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर ली इसके बाद उन्हें उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया। इंग्लैंड जाकर उन्होंने लंदन के एक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त की। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वो वापस भारत आ गए।

रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं 

रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने पूरे जीवन में कई सारी कविताओं की रचना की। उनके द्वारा की गई रचनाओं की सूची किस प्रकार है उन्होंने कविताएं, उपन्यास ,लघु कथा, नाटक प्रबंध, समूह भ्रमणकथा जीवनमूलक ,पत्र संहिता संगीत चित्रकला के साथ-साथ कई बड़ी-बड़ी पुस्तकों का लेखन किया।

1913 में रघु नाथ टैगोर को उनके द्वारा लिखी गई गीतांजलि कविता के लिए नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। गीतांजलि शब्द गीत और अंजलि को मिलाकर बनाया हुआ था गीतांजलि में उन्होंने 103 कविताओं की रचना की थी। रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा और भी कई विश्व प्रसिद्ध कहानियों और कविताओं की रचना की गई है।

एक कवि और लेखक होने के साथ-साथ रविंद्र नाथ टैगोर एक सच्चे देशभक्त भी थे। उन्होंने काफी छोटी उम्र से ही राष्ट्रवादी आंदोलनों में हिस्सा लेना चालू कर दिया था और महात्मा गांधी से उनकी आखिरी अच्छी मित्रता थी। रविंद्र नाथ टैगोर ने 1915 में ब्रिटिश सेना के नियमों का विरोध करते हुए नोबेल पुरस्कार लौटा दिया था और अपनी देशभक्ति को प्रदर्शित किया।

रविंद्र नाथ टैगोर चाहते थे, कि समाज के सभी लोग एक साथ मिलकर देश को स्वतंत्र कराने का प्रयास करें। वे देश को स्वतंत्र देखना चाहते थे, लेकिन देश की स्वतंत्रता देखने से पहले ही 7 अगस्त 1941 को गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर का निधन हो गया।

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “ Rabindranath Tagore Essay in Hindi ” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Rabindranath Tagore Essay in Hindi  अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Rabindranath Tagore in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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Hindi Essay

रविंद्रनाथ टैगोर पर निबंध | Essay on Rabindranath Tagore in Hindi 1000 Words | PDF

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Essay on Rabindranath Tagore in Hindi (Download PDF) | रविंद्रनाथ टैगोर पर निबंध – रवींद्र नाथ टैगोर हमारे देश के महान साहित्यकारों, कवियों और नाटक लेखकों में से एक थे, जिनका साहित्य और व्यक्तित्व अद्भुत है। रवींद्र नाथ टैगोर हमारे देश का साहित्य पश्चिमी देशों से लाए और उन्होंने हमारे साहित्य का प्रचार-प्रसार किया।

उनकी कल्पना को जीवन के सभी क्षेत्रों में एक अनंत रूप देने की क्षमता, रवींद्रनाथ टैगोर की एक विशेष विशेषता थी। वे साहित्य के साथ एक महान दार्शनिक भी थे। अपने साहित्य और अपनी कविताओं के माध्यम से, उन्होंने लोगों के भीतर राष्ट्रीयता की भावना जागृत की और लोगों को एकजुट किया।

बचपन और शिक्षा

रविन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोरासांको में हुआ था। उनका जन्म एक धनी परिवार में हुआ था, उनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ ठाकुर और माता का नाम शारदा देवी था। रविन्द्र नाथ टैगोर जब 14 साल के थे तब उनकी माँ का देहांत हो गया।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर प्राप्त की। प्राथमिक शिक्षा के बाद, वह 1878 में इंग्लैंड चले गए क्योंकि उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा एक बैरिस्टर बने, रवींद्र नाथ टैगोर ने कॉलेज ऑफ लंदन यूनिवर्सिटी, ब्रिजस्टोन, इंग्लैंड में दाखिला लिया, जहां उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और बिना डिग्री के 1880 में भारत वापस लौटे ।

वह साहित्य में रुचि रखते थे और उसमें कुछ बहुत अच्छा करना चाहते थे। रवींद्र नाथ टैगोर ने 1883 में मृणालिनी देवी से शादी की थी, भारत लौटने के 3 साल बाद।

साहित्य के माध्यम से प्रोत्साहित करना

वह एक सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी भी थे। अपनी रचनाओं के माध्यम से, उन्होंने देश के लोगों में देशभक्ति का विकास किया और वे स्वयं एक बहुत ही देशभक्त थे। रवींद्र नाथ टैगोर ने अपने साहित्य से देश की स्वतंत्रता में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए बहुत ही अभूतपूर्व काम किया। टैगोर ने पहले गांधी जी को महात्मा कहा था। और नेताजी सुभाष चंद्र बोस रवींद्रनाथ टैगोर के कहने पर गांधीजी से मिले।

टैगोर ने 1898 के कैंप बिल का विरोध किया। 1919 में, रवींद्रनाथ ने जलियांवाला कांड की निंदा की और एक विरोध के रूप में वायसराय को ‘सर’ की उपाधि लौटा दी।

उन्होंने साहित्य और कविताओं के माध्यम से देश की समस्याओं को लोगों के सामने व्यक्त किया। रवींद्रनाथ ने सामाजिक कल्याण के काम भी बहुत अच्छे से किए। उन्होंने अपने साहित्य में देश के हर वर्ग के बारे में लिखा और अपने साहित्य और कविताओं और कहानियों के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

दुनिया की यात्रा

फरवरी 1873 में, रवींद्र नाथ टैगोर ने अपने पिता के साथ 11 साल की उम्र में भारत छोड़ दिया, कोलकाता में शांतिनिकेतन की संपत्ति छोड़कर अमृतसर हिमालयन हिल स्टेशन जैसे कई स्थानों पर गए, जहां उन्होंने वहां की संस्कृति और सभ्यता को समझा।

रवींद्र नाथ टैगोर अमृतसर में गुरबानी से बहुत प्रभावित थे और वे इसे सुनने के लिए हर दिन स्वर्ण मंदिर जाते थे। उन्होंने महज 16 साल की उम्र में 1877 में अपनी पहली लघु कहानी प्रकाशित की थी।

1920 और 1930 के दशक के दौरान टैगोर ने ईरान, मिस्र, यूरोप, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, जापान और चीन का दौरा किया। टैगोर ने अमेरिका, यूरोप और पूर्वी एशिया में लंबे समय तक बिताया। उस अवधि के दौरान, टैगोर ने भारतीय स्वतंत्रता के कारण के लिए एक प्रवक्ता के रूप में काम किया और 1932 में ‘द रिलीजन ऑफ मैन’ पर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिया।

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विश्वविद्यालय की नींव

रवींद्र नाथ महिलाओं की मुक्ति और शिक्षा के पक्ष में थे। उन्होंने महसूस किया कि भारत की समस्याओं का मूल कारण हमारे देश की गलत शिक्षा प्रणाली है। उन्होंने देश में साहित्य और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शांतिनिकेतन में स्कूल की नींव रखी।

टैगोर ने 1901 में केवल पाँच छात्रों के साथ पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की। इन पांच लोगों में उनका अपना बेटा भी शामिल था। आज उसी स्कूल को विश्व प्रसिद्ध शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है।

1921 में राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा पाने वाली विश्वभारती में वर्तमान में लगभग छह हजार छात्र अध्ययनरत हैं। शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में आज सभी प्रकार की शिक्षाएँ दी जाती हैं, जहाँ उन्होंने भारत और पश्चिमी परंपराओं को एक साथ लाने का प्रयास किया।

उनके द्वारा स्थापित शांति निकेतन को साहित्य, संगीत और कला की शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में एक आदर्श विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्राप्त है। आज हमारे देश के बच्चों का सपना है कि वे शांति निकेतन विश्वविद्यालय में दाखिला लें और वहां से पढ़ाई करें, इंदिरा गांधी जैसी कई प्रतिभाओं ने शांति निकेतन से शिक्षा प्राप्त की है।

हमारा राष्ट्रगान भी रवींद्र नाथ टैगोर ने लिखा था। 1911 में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार ‘जन गण मन’ गाया गया था। विभाजन विरोधी स्वदेशी आंदोलन के दौरान, उनके गीतों ने लोगों में देशभक्ति जगा दी। उन्होंने यह गीत हमारे देश के लोगों के भीतर एकता को जगाने के लिए लिखा था।

वह बंगला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना का कायाकल्प करने वाले एकमात्र कवि हैं, जिनकी रचनाएँ अभी भी दो देशों में राष्ट्रगान के रूप में गाई जाती हैं। भारत का राष्ट्रगान “जन गण मन” और बांग्लादेश का राष्ट्रगान “अमर सोनार बांग्ला” टैगोर की रचनाएँ हैं।

यह गीत भारत के लोगों को एकजुट करने के लिए लिखा गया था। इस गीत के माध्यम से, जब भी हम राष्ट्रगान गाते हैं, तब लोग को अंग्रेजों से लड़ने में बहुत ताकत मिला। इसके प्रति कुछ करने की हममें इच्छा जगी।

रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएँ ऐसी थीं कि उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से देश के लोगों को एकजुट किया और अपनी कविता के माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने देश की राजनीति में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, रवींद्रनाथ टैगोर पहले भारतीय थे जिन्होंने साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीता था।

पुस्तक की रचना

टैगोर ने लगभग 2,230 गीतों की रचना की है। रवींद्रनाथ का एक घर रचनात्मकता से भरा था। बहुत कम उम्र में, जब वह बारह साल के थे, तब उन्होंने छंद रचना शुरू की थी, उसकी पहली कविता एक पत्रिका में प्रकाशित होई । रवींद्र नाथ टैगोर साहित्य के सबसे बड़े गुरु थे, इसीलिए उन्हें पूरे देश में गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है और दुनिया उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जानती है।

रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखी गई कुछ प्रमुख कृतियाँ जैसे गीतांजलि, पूर्बी प्रवाहिनी, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिश, पीएस, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबली, कनिका, नैवेद्य मेयर खेला और पालिका आदि बहुत प्रसिद्ध हैं।

कुछ प्रसिद्ध उपन्यासों में गोरा, घरे बायर, नाका दुबी, चोखेर बाली, बुद्धकुंरिर हट, चतुरंगा, चिरध्याय, शेष कबीता और राजर्षि शामिल हैं।

उन्होंने भारतीय साहित्य को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया, टैगोर ने अपने जीवनकाल में कई उपन्यास निबंध, लघु कथाएँ, यात्रा वृत्तांत नाटक और हजारों गीत लिखे। रवींद्र नाथ टैगोर का छोटा गद्य बहुत लोकप्रिय है, रवींद्रनाथ टैगोर की अन्य प्रसिद्ध काव्य रचनाओं में सोनार तानी, पूरवी, शाम का संगीत आदि शामिल हैं।

टैगोर के यादगार नाटक हैं विसारंजा (1890), पोस्ट ऑफिस (1912), रक्षा कार्बी (1926) और चित्रांगदा (1936)। उनके गीतों को सामूहिक रूप से ‘रवीन्द्र संगीत’ के रूप में जाना जाता है, जिन्हें भारतीय संगीत और संस्कृति का एक अभिन्न अंग माना जाता है। इनके माध्यम से, उन्होंने लोगों को बहुत महत्वपूर्ण शिक्षा दी है और इस समाज और भारतीय साहित्य में बहुत ही अमूल्य छाप छोड़ी है।

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रवींद्र नाथ टैगोर साहित्य में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे, 1913 में, उनके कविता संग्रह ‘गीतांजलि’ के अंग्रेजी अनुवाद पर साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला । 1915 में, उन्हें किंग जॉर्ज पंचम द्वारा नाइटहुड की उपाधि दी गई। वह एशिया के पहले नोबेल प्राप्त करने वाले व्यक्ति हैं।

रवींद्र नाथ टैगोर एक सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद अपने नाइटहुड का खिताब लौटा दिया। उन्होंने अपनी कविता और अपनी रचनाओं के माध्यम से देशवासियों और देश की समस्याओं को प्रकट किया और देश की चेतना को जागृत किया। वह हमेशा देशवासियों के लिए खड़े रहे।

आज हमारा साहित्य इतना सम्पूर्ण है। उन्होंने पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया और भारतीय संस्कृति को पूरी दुनिया से परिचित कराया। आजादी से 6 साल पहले 7 अगस्त 1941 को टैगोर ने हम सबको छोड़ दिया, उनकी मृत्यु के कारण हमारे देश के साहित्य और देश के लोगों को बहुत नुकसान हुआ।

आज भी उन्हें उनके लेखन कार्य के लिए याद किया जाता है। टैगोर एक महान व्यक्ति थे, उन्होंने देश और देश के साहित्य और देश के लोगों के लिए एक नई पहचान बनाई। जिस घर में वह रहते थे उसे शांतिनिकेतन में एक संग्रहालय में बदल दिया गया है और इसका नाम रवींद्र भवन रखा गया है।

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FAQs. Rabindranath Tagore in Hindi

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ था.

उत्तर – उनका जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोरासांको में हुआ था। उनका जन्म एक धनी परिवार में हुआ था, उनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ ठाकुर और माता का नाम शारदा देवी था।

एशिया का पहला नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता कौन है?

उत्तर – रवींद्र नाथ टैगोर साहित्य में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे, 1913 में, उनके कविता संग्रह गीतांजलि ’के अंग्रेजी अनुवाद पर साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला ।

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Essay on Rabindranath Tagore in Hindi – रविन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको रविन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Rabindranath Tagore in Hindi के बारे में बताएंगे यानी की Rabindranath Tagore par Nibandh kaise Likhe इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे यानी की आपको Rabindranath Tagore par 1200 words का essay मिलेगा इसलिए ये आर्टिकल पूरा धेयान से पूरा पढ़ना है। आपके लिए हेलफुल साबित होगी।

रविंद्र नाथ टैगोर हमारे देश के महान साहित्यकार में से एक थे। रविंद्र नाथ टैगोर ने हमारे देश के साहित्य को पश्चिमी देशों में से लाया और उन्होंने हमारे साहित्य का प्रचार प्रसार किया रविंद्र नाथ टैगोर साहित्य के साथ बहुत ही बड़े दर्शनशास्त्र भी थे रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने साहित्य के साथ मिलकर देश की आजादी में बहुत ही अहम भूमिका निभाई।

Essay on Rabindranath Tagore in Hindi

उन्होंने अपने साहित्य और अपने कविताओं के जरिए लोगों के अंदर राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया और लोगों को एक किया उन्होंने देश के आजादी के लिए बहुत ही अभूतपूर्व कार्य किए। रविंद्र नाथ टैगोर अपने जमाने के सबसे बड़े साहित्यकार में से एक थे उन्होंने हमारे देश के संस्कृति साहित्य और फिलॉसफी को एक नई पहचान दी। 

Essay on Rabindranath Tagore in Hindi – रविन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध सरल भाषा में

Rabindranath Tagore ने समाज कल्याण कार्य को भी बहुत ही अच्छे से किया उन्होंने देश के हर एक वर्ग के बारे में अपने साहित्य में लिखा उन्होंने देश के समस्याओं को साहित्य और कविताओं के जरिए लोगों के सामने व्यक्त किया और अपने साहित्य और कविताओं और कहानियों के जरिए उन्होंने भारत के आजादी में बहुत ही अहम भूमिका निभाई।

हमारा राष्ट्रगान भी रविंद्र नाथ टैगोर ने ही लिखा था। यह गीत उन्होंने हमारे देश के लोगों के अंदर एकता को जागृत करने के लिए लिखा था और लोगों को एक बनाने के लिए इस गीत को लिखा गया था इसी गीत के जरिए लोगों को अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने में बहुत ही ताकत मिलती थी आज जब भी हम राष्ट्रगान गाते हैं। हमारे अंदर एक इसके प्रति कुछ करने की इच्छा जागती है।

Rabindranath Tagore की कविताएं ऐसे ही थी उन्होंने अपने कविताओं के जरिए देश के लोगों को एक किया और अपने कविता के जरिये ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ा उन्होंने देश की राजनीति में भी बहुत ही अहम भूमिका निभाई रवींद्रनाथ टैगोर पहले भारतीय थे जिन्होंने साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

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रविंद्र नाथ टैगोर की जीवनी (Biography of Ravindra Nath Tagore in Hindi)

रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में हुआ था। रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म एक धनी परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम रविंद्र नाथ टैगोर और माताजी का नाम शारदा देवी था रविंद्र नाथ टैगोर की माता का निधन तब हुआ जब रविंद्र नाथ टैगोर 14 वर्ष की आयु के थे।

उनका लालन-पालन अधिकतर उनके घर के नौकरों द्वारा हुआ क्योंकि उनके पिता काम के सिलसिले से हमेशा बाहर ही रहते थे Rabindranath Tagore पढ़ाई में पहले ही बहुत ही अच्छे थे। बचपन से रविंद्र नाथ टैगोर की रूचि साहित्य कविताएं थी उन्होंने अपने पहले कविता 8 वर्ष की आयु में लिखी थी। रविंद्र नाथ टैगोर के प्राथमिक शिक्षा उनके घर में ही हुई।

रविंद्र नाथ टैगोर के प्राथमिक शिक्षा के बाद 1878 में इंग्लैंड चले गए क्योंकि उनके पिताजी चाहते थे कि उनका बेटा एक बैरिस्टर बने और इसीलिए Rabindranath Tagore का दाखिला इंग्लैंड के ब्रिजस्टोन के लंदन विश्वविद्यालय के कॉलेज में हुआ जहां उन्होंने अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई की। लेकिन रविंद्र नाथ टैगोर की रूचि साहित्य में थी और वह इस समय बहुत अच्छा करना चाहते थे।

इसलिए वे कानून की पढ़ाई छोड़कर 1880 में देश वापस आए। रविंद्र नाथ टैगोर का परिवार एक बांग्ला साहित्य का प्रचार प्रसार करने वाला परिवार था जिसके कारण से उनके घरों में आए दिन बंगला और सांस्कृतिक पाठ कथाएं होती रहती थी रविंद्र नाथ टैगोर को साहित्य के साथ-साथ संगीत और दर्शनशास्त्र में भी बहुत ही रुचि थी।

भारत लौटने के 3 वर्ष बाद 1883 में रविंद्र नाथ टैगोर का विवाह मृणालिनी देवी के साथ हुआ। रविंद्र नाथ टैगोर एक बहुत ही बड़ी चित्रकार भी थे उनके अंदर हर एक हुनर कूट-कूट के भरा हुआ था।

उनके सबसे पसंदीदा विषय में थी चित्रकारी शरीर विज्ञान भूगोल और इतिहास साहित्य गणित संस्कृत अंग्रेजी इन सारे विषयों उन्होंने बहुत ही रुचि के साथ पड़ा और उन्होंने अपने अच्छे योगदान इन सारे विषय में दिया आज भारत की संस्कृति सभ्यता और साहित्य को नई पहचान दिलाने में रवीना टैगोर ने बहुत ही कठिन कार्य किए।

संभवत कालिदास के बाद रविंद्र नाथ टैगोर हमारे देश के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध साहित्यकार में से एक हुए। सिर्फ साहित्य में ही नहीं उन्होंने देश की राजनीति और देश के लोगों के लिए भी बहुत कार्य किया उन्होंने अपने साहित्य और कवि और कहानियों के जरिए देशवासियों को आजादी का पाठ पढ़ाया उनके अंदर आत्मविश्वास जगाया।

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रविंद्र नाथ टैगोर फरवरी 1873  में अपने पिता के साथ 11 वर्ष की आयु में ही भारत दौरे पर निकले उन्होंने कोलकाता में अपने सांतिनिकेतन संपत्ति को छोड़कर अमृतसर हिमालय पर्वतीय स्थल जैसे और कई जगहों पर घूमे लेकिन वहां पर उन्होंने वहां की संस्कृति और सभ्यता को समझा इस भ्रमण के दौरान ही उन्होंने जीवनी इतिहास भूगोल विज्ञान अध्ययन विज्ञान और संस्कृत का अध्ययन किया।

रविंद्र नाथ टैगोर अमृतसर में जब थे तब उन्हें गुरुद्वारे में सुप्रभात गुरबाणी से बहुत प्रभावित हुए और वे हर दिन उसे सुनने के लिए स्वर्ण मंदिर जाया करते थे। Rabindranath Tagore  ने अपनी पहली लघुकथा सिर्फ 16 वर्ष की आयु में 1877 में प्रकाशित की।

रविंद्र नाथ टैगोर साहित्य के सबसे बड़े गुरु थे इसीलिए पूरा देश में गुरुदेव कह कर भी पुकारते है और विश्व भी उन्हें गुरुदेव के नाम से जानता है। रविंद्र नाथ टैगोर भारतीय साहित्य के अलावा विदेश और साहित्य को भी अच्छे से पढ़ा और उनकी सारी जानकारी अपने अंदर समाहित किया।

उन्होंने भारतीय साहित्य को एक नए आयाम तक पहुंचाया रवीना टैगोर ने अपने जीवन काल में कई उपन्यास निबंध लघुकथाएं  यात्रावृतांत नाटक और हजारों गाने लिखे हैं उन्होंने अपने अधिकतर प्रभाव अपने पद और कविताओं के जरिए ही लोगों पर छोड़ा है। रविंद्र नाथ टैगोर को उनके छोटे गद्य के लिए भी बहुत ही याद किया जाता है।

उनके छोटे गद्य बहुत ही लोकप्रिय हैं उन्होंने इन छोटे कहानियों के जरिए बहुत ही महत्वपूर्ण शिक्षा लोगों तक पहुंचाई और बहुत ही अमूल्य छाप इस समाज में और भारतीय साहित्य में छोड़ा है।

रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखी गई कुछ प्रमुख रचना है जैसे कि गीतांजलि, पूरबी प्रवाहिनी, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष, पुनश्च, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबाली, कणिका, नैवेद्य मायेर खेला और क्षणिका आदि बहुत ही प्रसिद्ध है।

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रविंद्र नाथ टैगोर पहले भारतीय हैं जिन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला उन्हें अपनी रचना गीतांजलि के कारण साहित्य में 1913 में नोबेल पुरस्कार दिया गया सन 1915 में उन्हें राजा जॉर्ज पंचम ने नाइटहुड की पदवी दी।

रविंद्र नाथ टैगोर एक सच्चे देशभक्त है उन्होंने अपनी नाइटहुड की पदवी जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद वापस कर दी उन्होंने अपनी कविता और अपनी रचनाओं के द्वारा देशवासियों और देश की समस्याओं को प्रकट किया और देश की चेतना को जगाया वह हमेशा देशवासियों के लिए खड़े रहते थे।

रविंद्र नाथ टैगोर ने देश में साहित्य को बढ़ावा देने के लिए और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शांतिनिकेतन में आश्रम की नींव रखी आज वही आश्रम विश्वविख्यात शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में आज सभी प्रकार की शिक्षाएं दी जाती है।

आज हमारे देश के बच्चों का सपना होता है कि वह शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में दाखिला ले पाय और वहां से पढ़ाई कर सके उनके शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में एक उच्चस्तरीय पढ़ाई कराई जाती है और हर एक विषय की पढ़ाई वहां से कराई जाती है शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा भी आयोजित होती है।

Rabindranath Tagore आजादी से 6 वर्ष पूर्व 7 अगस्त 1941 में हम सभी को छोड़ कर चले गए उनके निधन के कारण हमारे देश के साहित्य और देश के लोगों को बहुत ही क्षति हुई। रविंद्र नाथ टैगोर टैगोर एक महान पुरुष थे उन्होंने देश को और देश के साहित्य को और देश के लोगों को एक नई पहचान दिलाई।

आज भी लोग Rabindranath Tagore कौन थे रचनाओं के द्वारा याद करते हैं और उनको श्रद्धांजलि देते हैं। आज हमारा साहित्य इतना संपूर्ण है। उन्होंने पूरे विश्व को भारत संस्कृति से मिलाया और भारतीय संस्कृति को पूरे विश्व को बताया।

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मुझे उम्मीद है की रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Rabindranath Tagore in Hindi के बारे में बताया यानी की Rabindranath Tagore par Nibandh kaise Likhe इसकी पूरी जानकारी दिया तो अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर।

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रबींद्रनाथ टैगोर की जीवनी Rabindranath Tagore Biography in Hindi

रबींद्रनाथ टैगोर की जीवनी Rabindranath Tagore Biography in Hindi

इस लेख में पढ़ें रबींद्रनाथ टैगोर की जीवनी (Rabindranath Tagore Biography in Hindi). वे भारतीय संस्कृति के प्रतीक थे। वह एक कवि, दार्शनिक, संगीतकार , लेखक और शिक्षाविद थे। रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार विजेता बनने वाले पहले एशियाई थे। उन्होंने 1913 में गीतांजलि के संग्रह के लिए नोबेल पुरस्कार जीता था।

उन्हें लोकप्रिय रूप से गुरुदेव कहा जाता था और उनके गीतों को लोकप्रिय रूप से रवींद्र संगीत कहा जाता था। उनके रबींद्र संगीत कैनन के दो गीत भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रीय गीत हैं: जन गण मन और आमार शोनार बांग्ला।

बचपन और प्रारंभिक जीवन Early Life of Rabindranath Tagore

रबींद्रनाथ ठाकुर (टैगोर) के पिता देविंदरनाथ टैगोर थे और माता का नाम शारदा देवी था। वे उनके तेरह बच्चों में से सबसे कम उम्र के थे। उनके पिता एक महान हिंदू दार्शनिक थे और, ‘ब्रह्मो समाज संस्थापकों में से एक थे’।

घर में उन्हें सभी रबी कहकर बुलाते थे। टैगोर बहुत ही युवा थे जब उनकी मां का निधन हो गया और उनके पिता ज्यादात्तर समय दूर रहते थे, उन्हें घरेलू मदद के लिए आगे आना पड़ा।

टैगोर कलात्मक प्रेरक थे, जो बंगाली संस्कृति और साहित्य पर अपने प्रभावशाली प्रभाव के लिए पूरे बंगाल में जाने जाते थे। उन्होने प्रारंभिक आयु से थिएटर की दुनिया, संगीत (क्षेत्रीय लोक और पश्चिमी दोनों) और साहित्य को पेश किया।

जब वह ग्यारह वर्ष के थे, वह पूरे भारत के दौरे पर अपने पिता के साथ थे।इस यात्रा के दौरान, उन्होंने मशहूर लेखकों के कामों को पढ़ा, जिस में कालिदास भी शामिल थे, वापस आने पर उन्होंने 1877 में मैथिली शैली में एक लंबी कविता बनाई।

वह कानून का अध्ययन करने के लिए, ब्राइटन, ईस्ट ससेक्स, इंग्लैंड चले गए। उन्होंने कुछ समय के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने शेक्सपियर के कार्यों का अध्ययन करना शुरू कर दिया। उन्होंने 1880 में बिना किसी डिग्री के बंगाल में लौटकर अपनी साहित्यिक रचनाओं में बंगाली और यूरोपीय परंपराओं के को लुभाया।

1882 में, उन्होंने अपनी सबसे प्रशंसित कविताओं में से एक ‘निर्जरर स्वप्नभंगा’ को लिखा था। 1890 जब शीलदाहा में उनकी पैतृक संपत्ति के दौरे के दौरान उनकी कविताओं का संग्रह ‘मानसी’ जारी किया गया था। 1891 और 1899 के बीच की अवधि फलदायी साबित हुई, जिसके दौरान उन्होंने लघु कथाओं का एक विशाल तीन खंड संग्रह ‘गलापागुचछा’ लिखा।

1901 में, वह शांतिनिकेतन में चले गए, जहां उन्होंने 1901 में प्रकाशित ‘नैवेद्य’ की रचना की, 1906 में खेय प्रकाशित किया। उसके बाद उनके कई काम प्रकाशित हुए और उन्होंने बंगाली पाठकों के बीच बेहद लोकप्रियता हासिल की।

1912 में, वह इंग्लैंड गए। वहां उन्होंने कुछ प्रमुख लेखकों वीलियम बटलर येट्स, एजरा पाउंड, रॉबर्ट ब्रिज, अर्नेस्ट रईज़ और थॉमस स्टर्गे मूरे समेत के सामने अपनी रचनाओं को पेश किया।

गीतांजलि के प्रकाशन के बाद अंग्रेजी बोलने वाले देशों में उनकी लोकप्रियता में कई गुना बढ़ी और बाद में 1913 में उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

1915 में, उन्हें ब्रिटिश क्राउन द्वारा नाइटहुड प्रदान किया गया था, जिसे बाद में उन्होंने 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद त्याग दिया। मई 1916 से अप्रैल 1917 तक, वह जापान और अमेरिका में रहे जहां उन्होंने ‘राष्ट्रवाद’ और व्यक्तित्व पर व्याख्यान दिया।

1920 और 1930 के दशक में, उन्होंने दुनिया भर में बड़े पैमाने पर यात्रा की; लैटिन अमेरिका, यूरोप और दक्षिण-पूर्वी एशिया का दौरे में अपने व्यापक पर्यटन के दौरान , उन्होंने अंतहीन प्रशंसकों को अर्जित किया। राजनीतिक दृष्टिकोण

टैगोर का राजनीतिक दृष्टिकोण थोड़ा अस्पष्ट था। हालांकि उन्होंने साम्राज्यवाद पर दबाव डाला, उन्होंने भारत में ब्रिटिश प्रशासन की निरंतरता का समर्थन किया।

उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा स्वदेशीय आंदोलन की आलोचना की, 1925 में ‘द कल्ल्ट ऑफ चारखा’ प्रकाशित किया गया। उन्होंने ब्रिटिश और भारतीयों के सह-अस्तित्व पर विश्वास किया और कहा कि भारत में ब्रिटिश शासन” राजनीतिक लक्षण और हमारी सामाजिक बीमारी” है उन्होंने कभी भी राष्ट्रवाद का समर्थन नहीं किया और इसे मानवता के सामने आने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक माना।

इस संदर्भ में उन्होंने एक बार कहा था “एक राष्ट्र वह है जो एक पूरी आबादी मानती है जब एक यांत्रिक उद्देश्य आयोजित किया जाता है”। फिर भी, उन्होंने कभी-कभी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन किया और जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद उन्होंने 30 मई 1919 को अपने नाइटहुड पुरुस्कार को त्याग दिया।

एक स्वतंत्र भारत का उनका विचार न सिर्फ विदेशी शासन से अपनी आजादी पर आधारित था, बल्कि नागरिकों के विचार, कार्रवाई और अंतःकरण की स्वतंत्रता पर आधारित था।

उनके कार्यों के विषय Major Works by Rabindranath Tagore

हालांकि वह एक कवि के रूप में अधिक प्रसिद्ध हैं, लेकिन टैगोर एक समान रूप से अच्छी लघु कहानी लेखक, गीतकार, उपन्यासकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार भी थे।

उनकी कविताओं, कहानियों, गीतों और उपन्यासों ने समाज में एक अंतर्दृष्टि प्रदान की, जो धार्मिक और सामाजिक सिद्धांतों के साथ प्रचलित थी और बाल-विवाह जैसी बीमारियों से पीड़ित थी।

उन्होंने स्त्रीत्व के सूक्ष्म, नरम और उत्साही पहलू को जोड़कर एक पुरुष-प्रभुत्व वाले समाज के विचार की निंदा की, जो मनुष्य की असंवेदनशीलता से कम हुआ।

जब हम उनके किसी भी काम को पढ़ते हैं एक निश्चित रूप से एक ही बात सामने आती है यह महान लेखक एक बच्चे के रूप में प्रकृति की गोद में बड़ा हुआ जिसने उस पर एक गहरी छाप छोड़ दी। जिससे स्वतंत्रता की भावना पैदा हुई, जो उन दिनों के प्रचलित सामाजिक रीति-रिवाजों से अपने मन, शरीर और आत्मा को मुक्ति देता था।

वह प्रकृति से कितना भी करीब थे पर वह कभी भी जीवन की कठोर वास्तविकताओं से दूर नहीं थे। उन्होंने जीवन और समाज को अपने चारों ओर देखा, कठोर रीति-रिवाजों और मानदंडों से तौला और रूढ़िवाद से ग्रस्त उनकी सामाजिक आलोचनाओं की आलोचना, उनके अधिकांश कार्यों का अंतर्निहित विषय है

‘गीतांजलि’, कविताओं का संग्रह, को उनकी सबसे अच्छी कविताओं में से एक माना गया है। यह पारंपरिक बंगाली बोली में लिखी गयी थी। जिसमें प्रकृति, आध्यात्मिकता और (मानव) भावनाओं और पैठों की जटिलता से संबंधित विषयों पर आधारित 157 कविताएं शामिल हैं।

रबींद्रनाथ टैगोर एक निपुण गीतकार थे, टैगोर ने 2,230 गाने लिखे, जिन्हें अक्सर ‘रवींद्र संगीत’ कहा जाता है। उन्होंने भारत के लिए राष्ट्रगान- जन गण मन – और बांग्लादेश- ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी लिखा, जिसके लिए हम हमेशा उनके लिए ऋणी बने रहेंगे।

गल्पागुचछाका ‘अस्सी कहानियों का संग्रह उनकी सबसे प्रसिद्ध लघु कहानीयों का संग्रह है जो बंगाल के ग्रामीण लोगों के जीवन के चारों ओर घूमती है। कहानियों में ज्यादातर गरीबी , निरक्षरता, विवाह, स्त्रीत्व आदि के विषय हैं और आज भी बहुत लोकप्रियता का आनंद देती है। पुरस्कार और उपलब्धियां

उनके महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी साहित्यिक कार्यों के लिए, 14 नवंबर 1913 को उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

उन्हें 1915 में नाइटहुड की उपाधि भी प्रदान की। जिसे बाद में उन्होंने 1919 में जलियांवाला बाग कत्तल के बाद त्याग दिया। 1940 में, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें शान्तिनिकेतन मे आयोजित एक विशेष समारोह में डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की उपाधि से सम्मानित किया।

निजी जीवन और विरासत Personal Life of Rabindranath Tagore

1883 में रबींद्रनाथ टैगोर ने मृणालिनी देवी से शादी की और पांच बच्चे पैदा किए। अफसोस की बात है कि उनकी पत्नी का 1902 में निधन हो गया था और बाद में उनकी दो संतान रेणुका (1903 में) और समन्द्रनाथ (1907 में) का भी निधन हो गया।

मौत Death of Rabindranath Tagore

रबींद्रनाथ टैगोर अपने जीवन के पिछले कुछ वर्षों के दौरान शारीरिक रूप से कमजोर हो गए थे । 80 वर्ष की उम्र में 7 August 1941 को उनका निधन हो गया ।

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essay rabindranath tagore biography in hindi

10 lines on Rabindranath Tagore in Hindi | रबीन्द्रनाथ टैगोर पर 10 लाइन निबंध

In this article, we are providing 10 Lines on Rabindranath Tagore in Hindi. In these few / some lines on Rabindranath Tagore, you will get information about Rabindranath Tagore in Hindi for students and kids for classes 2nd 3rd, 4th, 5th, 6th, 7th, 8th, 9th, 10th 11th, 12th. हिंदी में रवींद्रनाथ टैगोर जी पर 10 लाइनें, Short 10 lines essay on Rabindranath Tagore in Hindi.

10 Lines on Rabindranath Tagore in Hindi

Ten lines on Rabindranath Tagore in Hindi Essay | रबीन्द्रनाथ टैगोर पर 10 लाइन निबंध

1. रविंद्रनाथ जी एक महान कवि थे जिन्हे कविताये और कहानिया लिखने का बहुत शौक था।

2. रवीन्द्रनाथ टैगोर जी का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था।

3. इनके माता जी का नाम शारदा देवी तथा पिता जी का नाम देवेंद्रनाथ ठाकुर था।

4. रवीन्द्रनाथ टैगोर जी के घर में सभी लोग बहुत ही ज्यादा शिक्षित थे।

5. बचपन में रवींद्रनाथ टैगोर जी को उनके माता-पिता प्यार से “रबी” कहते थे।

6. रवींद्रनाथ टैगोर जी बहुत ही सादा जीवन जीना पसंद करते थे।

7. रवींद्रनाथ टैगोर जी पहले ऐसे भारतीय जिन्हे 1913 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

8. भारत देश का राष्ट्र-गान रविंद्रनाथ टैगोर जी ने ही लिखा है।

9. रवींद्रनाथ टैगोर जी एक महान कवि होने के साथ साथ एक देशभक्त भी थे।

10. रवींद्रनाथ टैगोर जी ने हमेशा अपने लेख के द्वारा लोगों के बीच प्यार और शान्ति प्रदर्शित की है।

10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi

10 lines on Swami Vivekananda in Hindi

1. रवींद्र नाथ टैगोर एक महान कवि साहित्यकार,शिक्षाविद और नाटककार थे ।

2. रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कोलकाता में हुआ था ।

3. रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित “ जन गण मन” भारत का राष्ट्रीय गान है । बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान “आमर सोना बांग्ला” भी टैगोर ने ही लिखा था ।

4. रविंद्र नाथ टैगोर को बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था ।

5. रविंद्र नाथ के माता-पिता का नाम शारदा देवी तथा पिता का नाम देवेंद्रनाथ ठाकुर था, इनकी माता शारदा देवी धार्मिक विचारों की महिला थी ।

6. 23 वर्ष की अवस्था में टैगोर का विवाह मूणालिनी नी देवी से हुआ ।

7. रविंद्र नाथ टैगोर ने ही गांधीजी को सर्वप्रथम महात्मा का विशेषण दिया था ।

8. रविंद्र नाथ टैगोर एक महान चित्रकार ओर देशभक्त थे ओर 1913 में “गीतांजलि” के लिए इन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था ।

9. काबुलीवाला, मास्टर साहब और भी ऐसी बहुत सारी उनकी लोकप्रिय कहानियां है ।

10. 7 अगस्त 1941 को रविंद्र नाथ टैगोर की मृत्यु हुई थी ।

10 Lines on Bhagat Singh in Hindi 10 Lines on APJ Abdul Kalam in Hindi

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Rabindranath Tagore Essay for Students and Children

500+ words essay on rabindranath tagore.

Essay on Rabindranath Tagore: Rabindranath Tagore was a legendary Indian poet. Furthermore, he was also a great philosopher , patriot , painter, and humanist. People often made use of the word Gurudev with regard to him. This exceptional personality was born on the 7th of May in 1861 at Calcutta. His early education took place at home by a variety of teachers. Also, through this education, he got knowledge of many subjects. His higher education took place in England. Above all, Rabindranath Tagore began writing poems from a very young age.

Rabindranath Tagore Essay

Works of Rabindranath Tagore

Rabindranath Tagore began to write drama from sixteen years of age. At the age of twenty, Rabindranath Tagore wrote original dramatic piece Valmiki Pratibha. Most noteworthy, Rabindranath Tagore works focused on feelings and not on action. In 1890 he wrote another drama work Visarjan. Visarjan is probably the best drama work of Rabindranath Tagore.

Similarly, from the age of sixteen Rabindranath Tagore began to write short stories. His first short story was Bhikarini. Most noteworthy, he is the founder of the Bengali-language short story genre. Tagore certainly wrote numerous stories from 1891 to 1895. Also, stories from this period form the collection of Galpaguchchha. It is a big collection of 84 stories.

Rabindranath Tagore was certainly in touch with novels as well. He wrote eight notable novels. Furthermore, he wrote four novellas.

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Rabindranath Tagore was certainly not short on songs. The man enjoys the reputation of writing a mighty 2230 songs. The popular name in usage is rabindrasangit, which refers to Tagore’s songs. His songs certainly reflect Indian culture . His famous song Amar Shonar Bangla is the national anthem of Bangladesh. Above all, he wrote the national anthem of India Jana Gana Mana.

Rabindranath Tagore also had excellent skills in drawing and painting. Probably, Rabindranath Tagore was red-green color blind. Due to this, his artworks contain strange color themes.

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Rabindranath Tagore’s contribution to politics

Rabindranath Tagore was active in politics. He was in total support of Indian nationalists. Furthermore, he was in opposition to British rule . His work Manast contains his political views. He also wrote a number of patriotic songs. Rabindranath Tagore increased the motivation for Indian independence. He wrote some works for patriotism. There was great love among the masses for such works. Even Mahatma Gandhi showed his favor for these works.

Most noteworthy, Rabindranath Tagore did renunciation of his knighthood. Furthermore, he took this step to protest the Jallianwala Bagh massacre in 1919.

In conclusion, Rabindranath was a patriotic Indian. He was certainly a man of many talents. His contribution to Literature, arts, music, and politics is brilliant.

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  • An Essay On Renown Poet Rabindranath Tagore

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Rabindranath Tagore Essay For Students And Children

Rabindranath Tagore is one of India’s most cherished renaissance figures, who has put us on the literary map of the world. He was a poet’s poet and a maker of not only modern Indian literature but also the modern Indian mind. Tagore was myriad-minded and a great poet, short story writer, novelist, dramatist, essayist, painter, and composer of songs. His worldwide acclaim as a social, political, religious and aesthetic thinker, an innovator in education and a champion of the ‘One World’ idea makes him a living presence. Gandhi called him the ‘Great Sentinel’. He was also renowned as Gurudev.

His Early Years

Rabindranath Tagore was born on May 6, 1861, in an affluent joint family at Jorasanko in Calcutta. His father Maharsi Debendranath Tagore was a religious reformer, scholar, and leader of Brahmo Samaj and his mother’s name was Sarada Devi. He was the youngest of thirteen children. He had spent most of his childhood with servants since his mother had passed away when he was very young. His home was the hub of literary and theatrical activities. In 1883, Rabindranath Tagore married Mrinalini Devi Raichaudhuri. He had two sons and three daughters.

In his childhood, Tagore never liked the school education within the four walls. He liked the outside world; the open sky overhead and the earth under his feet. So, he was educated at home by private tutors who taught him various subjects. English was his least favourite subject. His father guided him with Upanishads.

He extensively read the mystical and Vaishnav poets of India. From his early years, Rabindranath Tagore wrote poems. Some of his poems were published in periodicals when he was very young. He finished a long poem in Maithili style. His first short story in Bengali had the title, ‘Bhikharini’ (The Beggar Woman).

Tagore went to England for higher education but there also, he did not like the traditional system of education. He came back to India after a year. After he came back, he devoted himself completely to writing. Before he turned 18 years old, he had published more than 6000 lines of verse along with prose. He became an active member of the Bengal Literary Academy and frequently contributed to many periodicals. Bengal was swinging from the Renaissance in every field of religion, literature and politics when Rabindranath Tagore made his presence felt in the literary society.

He established a school named Shantiniketan at Bolpur (Birbhum district) in Bengal. In Shantiniketan, the teachers took classes under the trees with open sky overhead and green grass under the feet. The Gurukul pattern was followed in the school. Later, the school became a college and then a famous university under the name of “Visva-Bharati”. Today, students from different parts of the world come here to study. 

His Contributions

Rabindranath Tagore wrote not only poems but also short stories, drama, novels and essays. He was awarded the world-famous Nobel prize for Literature for his famous book of poetry called ‘Gitanjali’ in 1913. The British Crown awarded him the Knighthood. However, he returned the award to mark the protest against the inhumane massacre in Jallianwala Bagh. Tagore has 2230 songs in his collection, which he composed and they are known as ‘Rabindra Sangeet’. Till today, the Bengalis sing his composed songs with pride. His famous novels like ‘Gora’ ‘Ghare-Baire’, ‘Noukadubi’, ‘Chokher Bali’ and many have been made into movies, which have won accolades worldwide. 

Tagore also took up painting. He introduced a completely new form of art and his paintings were so exceptional that he won himself a very significant place among India’s

famous contemporary artists. 

Into Politics

Rabindranath Tagore was writing at a time when the entire country was thrown into the fever of the freedom struggle and he plunged with deep passion into the struggle. He took part in the freedom movements by opening a Swadeshi shop selling only Indian goods and by rejecting foreign goods. He also composed many patriotic songs and articles especially during the painful partition of Bengal in 1905. Those songs inspired the youth of the country. He gave us the National Anthem: “Jana Gana Mana”. He had also composed the National anthem of Bangladesh: “Amar Sonar Bangla”. He also wrote the lyrics of Sri Lanka’s National Anthem.

Tagore died on August 7, 1941, at Calcutta leaving behind a legacy of world-class literature. He is one of the most influential Indian writers and so not only the nation but also the entire intellectual community of the world suffered an irreparable loss. The nation lost a great poet, philosopher, social reformer, mystic and a greater human being. 

He was not only a representative of the nation but a wholesome product of Mother Earth, an amalgamation of Indian and modern values. Even though he is not among us, his presence can be felt through his vast works. His birthday is celebrated as Rabindra Jayanti in West Bengal. He will always be remembered as the source of inspiration for noble thoughts and great ideas for humanity. 

Descriptive Essay

A descriptive essay is one in which a person, place, thing, or any object is explained in detail. It vividly describes the experience of the five senses about the subject. The subject can be anything – a thing, an experience, a situation, or an emotion or feeling. A good descriptive essay has the power to paint a picture through words . It can make the reader experience the subject first-hand in his mind – such is the power of a good descriptive essay. Great writers can describe a thing with such vividity that it becomes a memorable piece of literature and becomes a classic.

Describing a Person

Writing an essay about a person is a kind of descriptive essay. The onus of bringing that person to life through words remains with the writer. We have memorable characters in books that were so well described in the literature that they appear to one like a real person. A good example is Sherlock Holmes, the creation of a doctor who wrote detective fiction while waiting for patients in his clinic. 

Hence, anyone can become good at describing a person. In a descriptive essay about a person, one needs to write about his life and death. The important events of his life have to be mentioned. His personality and characteristics that make him unique should be mentioned. With meticulous attention and creativity, a good picture of the subject’s life can be captured.

How to Begin a Descriptive Essay on a Person?

Usually, students are asked to write an essay about a historical figure. In that case, the facts of his life can be collected to form the base of the essay. There should be no fiction or imagined detail, though inferences can be included. Good research is required to write a descriptive essay on an actual person. Sometimes characters of a well-known story are the subject, in that case, the piece of fiction in which the character appears needs to be studied thoroughly. Essays by other people, often as part of character study, can also be read to gather material for the essay. Good research goes a long way into an informative and rich essay.

Body of a Descriptive Essay on a Person

The introduction of an essay about a person needs to mention how he was known as – his profession or quality that made him stand apart. In short essays, only his major life-works or unique quality can be discussed. In longer essays, his physical descriptions (if any) can also be used, along with other details of his life that formed the culture and society of his time.

Conclusion of a Descriptive Essay on a Person

The essay should mention the legacy the subject leaves behind after his death and how it affects future generations. For example, a great cultural and literary figure like Rabindra Nath Tagore would require a deep and heavy conclusion to do justice to his great personality.

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FAQs on An Essay On Renown Poet Rabindranath Tagore

1. When was Rabindranath Tagore born and who were his parents?

Rabindranath Tagore was born on 6th May 1861 to a very affluent Brahmin family to Maharsi Debendranath Tagore and Sarada Devi at Jorasanko in Calcutta. His father was a religious reformer, scholar and leader of Brahmo Samaj.

2. How did Tagore participate in the Movement for Freedom?

Tagore took part in the movement by opening a Swadeshi movement selling only Indian goods and rejecting foreign goods.

3. Mention a few of his Contributions to the World of Literature.

Tagore wrote poems, short stories and novels. He has composed 2230 songs, which are collectively called Rabindra Sangeet. His few novels like Gora, Ghare-Baire, Noukadubi, Chokher Bali and many more have been developed into cinemas. He was awarded the Nobel Prize for his poetry book, Gitanjali. He also composed our National Anthem – Jana Gana Mana. He also composed the National Anthem for Bangladesh and wrote the lyrics for the National Anthem for Sri Lanka.

4. What is Shantiniketan?

Shantiniketan is the school that he had established at Bolpur. He followed the Gurukul way of teaching in the open. It has now become a famous University called Vishwa- Bharati where students come to study from different parts of the world.

5. What is the difference between descriptive and narrative essays?

A descriptive essay talks about a noun. It describes a person, place, thing, emotion, or situation. A narrative essay talks about a happening or incident. It tells a story. There are a series of actions that happen in it.

6. How can we use creativity in an essay?

Creativity can be used brilliantly in essays of all kinds. Creativity means originality of thought or expression. It should not be confused with creative writing, which is the writing of fiction, or imagined stories.

7.  Why is Rabindranath Tagore the topic of the essay?

Rabindranath Tagore is a legendary historical figure. He is a part of Indian culture; his cultural presence is so immense. Therefore, studying his life would be a learning experience for any student.

8.  What is the use of a descriptive essay?

A descriptive essay paints the picture of anything and this kind of writing forms the base of any good book. All great writers have a knack for writing great descriptions, this is what makes their work memorable.

9. Can anecdotes from the life of the subject be included in a descriptive essay?

Generally, anecdotes do not form part of a small essay on a person. However, if the essay is longer and the anecdote affected his life in a major way or formed the crux of his personality development, it would need to be mentioned.

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