मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | My Unforgettable Trip Essay In Hindi

दोस्तों आपका स्वागत हैं My Unforgettable Trip Essay In Hindi में आपके साथ मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध साझा कर रहा हूँ,

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों को मेरी अविस्मरणीय यात्रा के वर्णन पर निबंध पूछा जाए आप मेरे इस निबंध की मदद ले सकते हैं.

My Unforgettable Trip Essay In Hindi

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | My Unforgettable Trip Essay In Hindi

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध Here Is best My Unforgettable Trip Long Essay Hindi Language

दोस्तों मैं राहुल मुझे बालपन से ही नई नई जगहों पर घूमने का शौक हैं. अब तक के मेरे जीवन में मैंने भारत के लगभग समस्त राज्यों के बड़े दर्शनीय स्थलों की यात्रा की हैं. जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तथा गुजरात से आसाम तक हर विख्यात शहर की मैंने यात्रा की हैं.

मेरी यात्राओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण यात्रा उड़ीसा के राजधानी शहर भुवनेश्वर की थी, जिन्हें मैं कभी भुला नहीं सकता हूँ. मेरी इस अविस्मरणीय यात्रा का वृन्तात आपकों बता रहा हु.

राजस्थान के अजमेर शहर से रेल के द्वारा हमारे दोस्तों का कारवाँ भुवनेश्वर के लिए रवाना हुआ. हम अगली सुबह दस बजे भुवनेश्वर शहर के रेलवे प्लेटफार्म थे. हमारे मित्र ने पूर्व ही स्टेशन के पास एक होटल में कमरें की बुकिंग करवा ली थी.

होटल पहुचने के बाद हमारें मित्र एक दिन के आराम और दूसरे दिन भुवनेश्वर की यात्रा की योजना बना रहे थे  मेरी व्याकुलता के कारण उन्होंने भी मेरी बात मान ली और अल्पकालीन विश्राम के बाद हम शहर के भ्रमण पर निकल पड़े.

भुवनेश्वर की यात्रा के बारे में जो सुना जो सोचा कही उससे अधिक हमें देखने को मिला. भारत के खूबसूरत उड़ीसा राज्य का यह राजधानी शहर, ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व का होने के कारण भी पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहता हैं.

अत्यधिक संख्या में मन्दिरों के कारण भुवनेश्वर को मन्दिरों की सिटी भी कहते हैं, यहाँ पुराने समय के 500 से अधिक प्रसिद्ध मन्दिर हैं. इस कारण इसे पूर्व का काशी उपनाम से भी जाना जाता हैं.

यह वहीँ शहर हैं जहाँ महान सम्राट अशोक ने कलिंग के युद्ध के पश्चात धम्म की दीक्षा को पाया, तथा यहाँ एक विशाल बौद्ध स्तूप बनाया गया, इस कारण यह बौद्ध धर्म से जुड़ा ऐतिहासिक तीर्थ स्थल भी हैं. मध्यकाल में यहाँ मन्दिरों की संख्या तकरी बन एक हजार के आस-पास थी, जो अब मात्र 500 रह गयी हैं.

हमारी होटल के पास में ही एक राजा रानी का भव्य प्राचीन मन्दिर हैं. जिनमें शिव पार्वती जी विराजमान हैं. इस मन्दिर को देखने के लिए हम निकल पड़े. 11 वीं शताब्दी में बना यह मन्दिर सुंदर भित्ति चित्रों एवं स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने के रूप में दर्शकों को रिझाता हैं.

राजा रानी मन्दिर से एक किमी की दूसरी पर मन्दिर समूह स्थित हैं, जहाँ बड़ी संख्या में मन्दिर बने हुए हैं. भुवनेश्वर के प्रसिद्ध मुक्तेश्वर और परमेश्वर मन्दिर यहाँ के दो बड़े मन्दिर हैं. सुंदर दीवारों की नक्काशी वाले इन मन्दिरों के निर्माण के सम्बन्ध में कहा जाता हैं कि ये सातवीं सदी के हैं.

मुक्तेश्वर के मन्दिर की भित्ति दीवारों पर पंचतन्त्र की सुंदर आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं. सुबह से निकले दिन ढल चुका था नीढल शरीर के साथ हम अपने होटल के कमरे तक आ गये. अगले दिन हमारा जत्था लिंगराज जी के प्रसिद्ध मन्दिरों के भ्रमण के लिए चल पड़ा.

185 फिट लम्बा यह मन्दिर भारत की पूरा शिल्प कला का बेजोड़ उदहारण हैं. 11 वी सदी में निर्मित इस मन्दिर के पास सैकड़ों की संख्या में हिन्दू देवी देवताओं के मन्दिर हैं इस कारण इसे लिंगराज मन्दिर कहा जाता हैं. हमारा अगला गन्तव्य स्थल शहर के मध्य में बना भुवनेश्वर संग्रहालय था.

पुराने जमाने की मूर्तियाँ, हस्तलिखित ताड़ पत्र एव पांडुलिपियाँ हमें इतिहास के उस दौर में ले गई. वैसे भी अब तक की हमारी यात्रा इतिहास के उन प्राचीन धरोहरों तक ही चल रही थी.

भुवनेश्वर का एक स्थान है धौली, कहते है आप भुवनेश्वर आए और धौली की यात्रा नहीं की तो आपने क्या देखा. प्राचीन धार्मक महत्व का यह स्थल बौद्ध स्तूपों के लिए जाना जाता हैं. यहाँ एक अशोक का स्तम्भ भी खुदा हुआ हैं जिस पर बौद्ध दर्शन एवं उनके जीवन को उकेरा गया हैं.

शहर से तकरीबन 5 किमी दूर स्थित उदयगिरी एव खंडगिरी हमारा अगला गन्तव्य स्थल था, जो पर्वतों को काटकर गुफाओं और चित्रों का रूप लिए थे. हालांकि समय की परत से चित्रकारी तो खत्म हो गयी मगर मूर्तियाँ का मूल स्वरूप आज भी विद्यमान हैं.

किसी रोचक यात्रा का वर्णन निबंध Kisi Yatra Ka Varnan Essay in Hindi

मानव जीवन में प्रत्येक तरह की यात्रा का अपना विशेष रोमांच व महत्व होता हैं. चाहे वह यात्रा रेल हो या बस द्वारा या अन्य किसी साधन द्वारा. यात्रा का नाम सुनते ही मन बाग़ बाग़ हो उठता हैं.

यदि यात्रा ऐतिहासिक स्थलों व तीर्थ स्थलों से संबंधित हो तो उनको देखने की उत्कृष्ट इच्छा मन में सहज रूप से जागृत हो जाती है और यात्रा का महत्व स्वतः ही बढ़ जाता हैं. कई दिनों से हमारा मन भी दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने की तलाश में था जिससे इन्हें देख सकू.

यात्रा का कार्यक्रम तथा तैयारी – मैं भरतपुर में एक सरकारी स्कूल में विद्याअध्ययन करता हूँ. अध्ययन के दौरांन एक दिन प्रसंग चल पड़ा कि दसवीं कक्षा के छात्रों को राजस्थान के ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा करवाई जाए. इच्छानुकुल समाचार सुनकर मन अत्यधिक खिल गया.

प्रधानाध्यापकजी ने सभी छात्रों के लिए विद्यालय की बस का प्रबध कर दिया. निश्चित समय व तिथि पर आवश्यक सामान लेकर बस में सवार हुए तथा यात्रा पर चल दिए.

यात्रा के लिए प्रस्थान – हमारी बस भरतपुर से रवाना हुई. यात्रा का कार्यक्रम हमारे साथ था. सर्वप्रथम हमने जयपुर जाने का कार्यक्रम बनाया.

मार्ग में हंसी मजाक में मनोविनोद करते हुए हंसते हंसते हम जयपुर आ गये. जयपुर में हमने नाहरगढ़ आमेर के महल, अजायबघर, जंतर मन्तर, हवामहल आदि कई दर्शनीय स्थल देखे.

यहाँ से हमारी बस रणथम्भौर के लिए रवाना हो गई. जयपुर से हमारी बस दौसा और लालसोट होती हुई सवाईमाधोपुर पहुंची.

यात्रा का अनुभव – सवाईमाधोपुर से आगे रणथम्भौर का मार्ग पहाड़ी हैं. पहाड़ को काटकर सड़क बनाई गई हैं. रास्ते में स्थान स्थान पर सुंदर झरने अतीव आकर्षक लगते हैं.

हमारी बस चली जा रही थी. बस जब रणथम्भौर के निचले पहाड़ी भाग में पहुची तो वहां एक तंग मोड़ था. रास्ता केवल इतना ही था कि गाड़ी पार हो सकती थी. एक तरफ पहाड़ था, दूसरी ओर गहरा नाला था,

जिसकी सतह को देखने के लिए शायद दूरदर्शक यंत्र की सहायता लेनी पड़े. गाड़ी चली कि अचानक तंग मोड़ पर एकदम रूक गई. चालक ने अपने कला कौशल का बहुत कुछ प्रयोग किया, परन्तु वह एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकी.

यात्रा की रोचकता – दो घंटे हो गये, कोई उपाय नहीं सूझ रहा था, तभी दूसरी ओर से एक व्यक्ति पैदल आ रहा था. ड्राईवर ने उससे कहा कि भाई बस खराब है, तुम्हे नीचे पहियों में कुछ दिखाई दे रहा हैं.

उस व्यक्ति ने झुककर नीचे देखा कि दो पहियों के मध्य में एक बेडौल पत्थर आड़ा फंसा हुआ हैं. यही कारण था कि पहिया जकड़ गया और हिल न सका.

उस व्यक्ति ने हमारी बस के पहिये का पत्थर निकाला. ड्राइवर ने पुनः अपनी जगह मोटर रवाना की. अबकी बार झटके के साथ मोटर आगे बढ़ी और धीरे धीरे गति लेती हुई किले के नीचे तक पहुची.

उपसंहार- इस प्रकार हम रणथम्भौर पहुंचे. किला देखा. वहां चित्तौड गये. फिर चित्तौड़ से वापस हम भरतपुर के लिए रवाना हो गये ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा की तो महत्वपूर्ण रही

परन्तु यात्रा के मध्य मोटरखराब होने की घटना वास्तव में अविस्मरणीय थी.अन्तः हम सब इस रोचक यात्रा से सकुशल अपने घरों को लौटने पर ईश्वर को धन्यवाद देने लगे.

  • मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध
  • गांव की यात्रा पर निबंध
  • पहाड़ी स्थल की यात्रा

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मेरी यात्रा पर निबंध

मेरी यात्रा पर निबंध | essay on my trip in hindi.

हम सब हर वर्ष गर्मी की छुट्टियों में कहीं न कहीं घूमने जाया करते हैं। स्कूल में गर्मी की छुट्टियां होने हम सब परिवार सहित कुछ दिनों के लिए किसी अच्छी जगह यात्रा पर जाते हैं। मेरे परिवार में मैं, मेरा छोटा भाई और माता-पिता है।

आज के दौर में हम अपने काम और करियर के पीछे इतना व्यस्त हो गए हैं कि हमें अपने और अपने परिवार के लिए समय निकालना दूभर हो रहा है। एक जगह पर रहने से यहां एक ही काम लगातार करने से हमारे शारीरिक और मानसिक दोनों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए यात्रा पर जाना बहुत ही आवश्यक है। इसके साथ ही हमें उस स्थान के बारे में बहुत कुछ जानने और सीखने को मिलता है, नए नए लोगों से बात करने का मौका मिलता है व नई नई जगह अन्वेषण कर सकते हैं।

इस वर्ष गर्मी की छुट्टियों में मैं और मेरा पूरा परिवार दिल्ली की यात्रा पर गए थे जो बहुत ही यादगार थी हमें इस यात्रा पर बहुत ही आनंद आया। हमने इस यात्रा के दौरान बहुत कुछ सीखा। तो आइए मैं बताती हूं आपको अपनी दिल्ली के सफर की कहानी।

जून के महीने में 15 तारीख को हम सब ने हमसफर एक्सप्रेस से दिल्ली के लिए प्रस्थान किया। 16 की सुबह हम सब दिल्ली पहुंच गए थे। दिल्ली में मेरे मामा जी रहते हैं तो हम सब रुकने के लिए उनके ही घर गए। मामा जी हमें लेने के लिए स्टेशन आए थे। घर पहुंचते ही मामी जी ने हमारा स्वागत किया। थोड़ी देर बाद हम सब ने स्नान करके नाश्ता किया और फिर बाहर घूमने गए जाने के लिए तैयार होने लगे। मेरा परिवार और मामा मामी हम सब मिलकर एक साथ घूमने के लिए निकले। दिल्ली शहर बहुत ही सुंदर व साफ सुथरा शहर है और बहुत बड़ा भी।

दिल्ली हमारे भारत देश की राजधानी है। यह बहुत बड़ी है और यह दो भागों में बटी है जिससे पुरानी दिल्ली और नई दिल्ली के नाम से जाना जाता है। यहाँ बहुत ही सुंदर और दर्शनीय स्थल है जिसे देखने के लिए विश्व भर से लोग आया करते हैं।

दिल्ली के कुछ खास दर्शनीय स्थल

India Gate

इंडिया गेट-  इंडिया गेट पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए सेनानियों की याद में बनाया गया था। यह जगह दिल्ली की विशेष दर्शनीय स्थल में से एक है। इंडिया गेट के पत्थरों पर शहीदों के नाम भी लिखे गए हैं। शहीदों की याद में अमर जवान ज्योति हर दिन, रात और दिन जलता रहता है। यहां हर दिन शाम को अनेक पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। इसके साथ ही वहां पार्क और खाने के बहुत से स्टॉल भी होते हैं जो मनोरंजन का केंद्र है। इंडिया गेट के ठीक सामने राष्ट्रपति भवन दिखता है।

Qutb Minar

क़ुतुब मीनार – कुतुब मीनार दिल्ली की सबसे ऊंची इमारतों में से एक है जो कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा बनवाई गई थी। कुतुब मीनार को यूनेस्को विश्व विरासत स्थल में भी शामिल किया गया है या बहुत ही ऐतिहासिक और हरियाली से भरी हुई जगह है।

Jama Masjid

जामा मस्जिद – जामा मस्जिद देश की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है जो कि शाहजहां के द्वारा बनाई गई थी। जामा मस्जिद बहुत ही सुंदर और शांतिपूर्ण स्थान है यहां ईद के समय पर लाखों लोग ईद की नमाज अदा करने आते हैं। जामा मस्जिद के आसपास की जगह खाने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। जामा मस्जिद पुरानी दिल्ली इलाके में स्थित है।

अक्षरधाम मंदिर-  अक्षरधाम मंदिर दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में से एक है, यह अपनी बहुत ही सुंदर कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है और विश्व के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर बहुत ही बड़ा है जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम व वाटर शो आदि शाम के समय में होते हैं। यह सुबह 9:30 बजे से शाम के 6:00 बजे तक खुला रहता है।

लोटस टेंपल-  लोटस टेंपल एक कमल के तरह दिखने वाला एक उपासना मंदिर है। यहां किसी विशेष भगवान की मूर्ति नहीं लगी है। कमल का फूल शांति और पवित्रता का प्रतीक होता है इसीलिए इसको कमल के रूप में निर्मित किया गया।

रेल म्यूजियम – नेशनल रेल म्यूजियम एक ऐसा म्यूजियम है जहां पुरानी रेल को विरासत के तौर पर रखा गया है। यहां आपको हर दौर की रेल देखने को मिलेगी। इसके साथ ही यहां आस-पास बहुत से अन्य चीज देखने और खाने को मिल जाएंगी। यह स्थान रोमांच से भरा हुआ है।

लाल किला- लाल किला मुगल शासक शाहजहां के द्वारा बनवाया गया था। यह भारत के इतिहास में बहुत महत्व रखता है। स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहरा कर देश वासियों को संबोधित करते हैं। यहां बहुत से कार्यक्रम होते हैं, यदि आप दिल्ली आए तो लाल किले जरूर देखने जाए यह बहुत ही सुंदर है और इसके पास मीना बाजार स्थित है जो बहुत ही प्रसिद्ध है।

जंतरमंतर – जंतर मंतर का निर्माण जयपुर के राजा जयसिंह द्वितीय ने कराया था। जंतर मंतर पर एक बहुत बड़ा डायल बना है जिससे प्रिंस ऑफ डायल के नाम से जाना जाता है। जंतर मंतर बहुत ही रोमांचक स्थान है, यहां बहुत सारे उपकरण है जो खगोलीय भ्रमण के रास्ते का ग्राफ बनाने में मदद करते हैं।

गुरुद्वारा बांग्ला साहिब – यह सिखों का धार्मिक स्थल है। यह स्थान बहुत ही सुंदर और शांति दायक है, गुरु नानक जयंती व गुरु पर्व के अवसर पर यह बहुत ही सुंदर तरह से सजाया जाता है और हजारों लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं।

Raj Ghat

राजघाट – यह दिल्ली का बहुत ही पवित्र स्थान है महात्मा गांधी जी की हत्या के दूसरे दिन उनका अंतिम संस्कार इसी जगह पर हुआ था। इस जगह पर लोग गांधीजी के स्मरण में और उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने जाते हैं।

कनॉट प्लेस – यदि आप दिल्ली जाए तो कनॉट प्लेस जरूर जाए, यह स्थान मनोरंजन का केंद्र है। वैसे तो यहां हर प्रकार की दुकानें मिल जाएंगी इसके साथ ही यहां बहुत सारी प्रसिद्ध खाने की चीजें भी मिलती है, यहां लोग शाम के समय में आकर बैठा करते हैं।

हुमायूं का मकबरा – जिसे हुमायूं टॉम्ब के नाम से जाना जाता है। इसे हुमायूं की पत्नी हाजी बेगम ने बनवाया था। यह मकबरा मुगल वास्तुकला का उदाहरण है। इसके चारों ओर हरियाली है और बड़े-बड़े पत्थर और दरवाजों से यह बहुत ही सुंदर तरीके से बना हुआ है।

इसके साथ ही दिल्ली में बहुत से अन्य जगह है जो खाने वह खरीदारी के लिए प्रसिद्ध है। जैसे चांदनी चौक, परांठे वाली गली, पालिका बाज़ार, सफदर मार्केट, खाँ मार्केट आदि खाने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है, इसके साथ ही खरीदारी के लिए दिल्ली एक केंद्र है।

करोल बाग, लाजपत नगर, सरोजिनी व चांदनी चौक में बहुत ही सुंदर और कम दाम पर कपड़े खरीदे जा सकते हैं। दिल्ली में बहुत ही बड़ी-बड़ी इमारतें है जिनमें होटल, क्लब है जो कि युवाओं के आकर्षण का केंद्र है।

इसके साथ दिल्ली में बहुत सारे सरकारी कार्यालय व संसद भवन आदि स्थित है। देश के सभी बड़े नेता दिल्ली में ही निवास करते हैं।

दिल्ली की यह यात्रा स्मरणीय रहेगी और निसंदेह मैं दोबारा दिल्ली जाना चाहूंगी। दिल्ली पढ़ाई के लिए भी बहुत अच्छा केंद्र है। देश भर में कोने कोने से छात्र यहां पढ़ाई करने व परीक्षा की तैयारी करने के लिए आते हैं।

हम सबको दिल्ली में बहुत मजा आया। हमने वहां बहुत सारी खरीदारी भी की, उसके बाद हम सब 20 तारीख को वापस अपने घर के लिए दिल्ली से रवाना हो गए। देश की राजधानी होने के साथ-साथ दिल्ली एक बहुत ही सुंदर स्थान है जहां हर देशवासियों को अपने जीवन में एक बार जरूर जाना चाहिए।

Loudspeaker

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my trip essay in hindi

आयशा जाफ़री, प्रयागराज

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मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | Meri Avismarniya Yatra Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on my unforgettable journey in Hindi

By: Amit Singh

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | Meri Avismarniya Yatra Essay in Hindi

“सैर कर दुनिया की गाफिल, जिन्दगानी फिर कहाँ,  जिन्दगानी गर रही तो, नौजवानी फिर कहाँ।”

मैं शुरू से ही घुमक्कड़ प्रवृत्ति का हूँ तथा राहुल सांकृत्यायन की तरह नवाज़िन्दा-याजिन्द्रा की लिखी उपरोक्त पंक्तियाँ मुझे भी घूमने हेतु प्रोत्साहित करती रही हैं। मुझे अगस्टीन की कही बात बिल्कुल सत्य प्रतीत होती है-“संसार एक महान पुस्तक है, जो घर से बाहर नहीं निकलते वे व्यक्ति इस पुस्तक का मात्र एक पृष्ठ ही पढ़ पाते हैं।” पिछले पाँच वर्षों में मैंने भारत के लगभग बीस शहरों की यात्रा की है, इनमें दिल्ली, मुम्बई, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गोवा आदि शामिल हैं।

इन शहरों में भुवनेश्वर ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया है। पिछले वर्ष ही गर्मी की सप्ताह भर की छुट्टी में मैं इस शहर की यात्रा पर था। यह यात्रा मेरे लिए अविस्मरणीय है।

मैं दिल्ली से रेल यात्रा का आनन्द उठाते हुए अपने सभी साथियों के साथ सुबह लगभग दस बजे भुवनेश्वर पहुँच गया था। हमने पहले ही होटल बुक करवा लिया था। वहाँ पहुँचकर सबसे पहले हम होटल में गए। मैं इस शहर के बारे में पहले ही काफी कुछ सुन चुका था। मेरे सभी दोस्त चाहते थे कि उस दिन आराम किया जाए, लेकिन मैं उनके इस विचार से सहमत नहीं था। मेरी व्याकुलता को देखते हुए सबने थोड़ी देर आराम करने के बाद तैयार होकर यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया। भुवनेश्वर के बारे में जैसा हमने सुना था, उससे कहीं अधिक दर्शनीय पाया।

भुवनेश्वर, भारत के खूबसूरत एवं हरे-भरे प्रदेश ओडिशा की राजधानी है। यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है। ऐतिहासिक ही नहीं धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह शहर भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। इसे ‘मन्दिरों का शहर’ भी कहा जाता है। यहाँ प्राचीनकाल के लगभग 600 से अधिक मन्दिर हैं, इसलिए इसे पूर्व का काशी’ भी कहा जाता है।

तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने यहीं पर कलिंग युद्ध के बाद धम्म की दीक्षा ली थी। धम्म की दीक्षा लेने के बाद अशोक ने यहाँ पर बौद्ध स्तूप का निर्माण कराया था, इसलिए यह बौद्ध धर्मा बलम्बियों का भी एक बड़ा तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में भुवनेश्वर में 7,000 से अधिक मन्दिर थे, इनमें से अब केवल 600 मन्दिर ही शेष बचे हैं।

हम जिस होटल में ठहरे थे, उसके निकट ही राजा-रानी मन्दिर है, इसलिए सबसे पहले हम उसी के दर्शनों के लिए पहुँचे। इस मन्दिर की स्थापना ग्यारहवीं शताब्दी में हुई थी। इस मन्दिर में शिव एवं पार्वती की भव्य मूर्तियाँ हैं। इस मन्दिर की दीवारों पर सुन्दर कलाकृतियाँ बनी हुई हैं। इस मन्दिर से लगभग एक किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर मन्दिर स्थित है। इसे ‘मन्दिर समूह’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ पर एक साथ कई मन्दिर हैं।

इन मन्दिरों में से दो मन्दिर अति महत्त्वपूर्ण है- परमेश्वर मन्दिर एवं मुक्तेश्वर मन्दिर । इन दोनों मन्दिरों की स्थापना 650 ई. के आस-पास हुई थी। इन दोनों मन्दिरों की दीवारों पर की गई नक्काशी देखते ही बनती है। मुक्तेश्वर मन्दिर की दीवारों पर पंचतन्त्र की कहानियों को मूर्तियों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। राजा-रानी मन्दिर एवं मुक्तेश्वर मन्दिर की सैर करते-करते हम थक गए थे। वैसे भी हम दोपहर के बाद सैर करने निकले थे और अब रात होने को थी। इसलिए हम लोग आराम करने के लिए अपने होटल लौट आए।

Meri Avismarniya Yatra Essay in Hindi

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अगली सुबह हम लोग जल्दी तैयार होकर लिंगराज मन्दिर समूह देखने गए। इस मन्दिर के आस-पास सैकड़ों छोटे-छोटे मन्दिर बने हुए हैं, इसलिए इसे ‘लिंगराज मन्दिर समूह’ भी कहा जाता है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था। 185 फीट लम्बी यह मन्दिर भारत की प्राचीन शिल्पकला का अप्रतिम उदाहरण है। मन्दिरों की दीवारों पर निर्मित मूर्तियाँ शिल्पकारों की कुशलता की परिचायक हैं।

भुवनेश्वर की यात्रा इतिहास की यात्रा के समान है। इस शहर की यात्रा करते हुए ऐसा लगता है मानो हम उस काल में चले गए हो, जब इस शहर का निर्माण किया जा रहा था। शहर के मध्य स्थित भुवनेश्वर संग्रहालय में प्राचीन मूर्तियों एवं हस्तलिखित ताड़पत्रों का अनूठा संग्रह इस आभास को और भी अधिक बल प्रदान करता है।

भुवनेश्वर के आस-पास भी ऐसे अनेक अप्रतिम स्थल हैं, जो ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्त्व रखते हैं और जिनकी सैर के बिना इस शहर की यात्रा अधूरी ही रह जाती है। ऐसा ही एक स्थान है-धौली। यहाँ दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित एक बौद्ध स्तूप है, जिसका जीर्णोद्वार हाल ही में हुआ है। इस स्तूप के पास ही सम्राट अशोक निर्मित एक स्तम्भ भी है, जिसमे उनके जीवन एवं बौद्ध दर्शन का वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त भगवान बुद्ध की मूर्ति तथा उनके जीवन से सम्बन्धित विभिन्न घटनाओं से सम्बद्ध मूर्तियाँ भी देखने लायक है। धौली के बौद्ध स्तूप के दर्शन के बाद हम लोग भुवनेश्वर शहर से लगभग 6 किमी दूर स्थित उदयगिरि एच खण्डगिरि की गुफाओं को देखने गए। इन गुफाओं को पहाड़ियों को काटकर बनाया गया है। इन गुफाओं में की गई अधिकांश चित्रकारी नष्ट हो चुकी है, किन्तु यहाँ निर्मित मूर्तियाँ अभी भी अपने प्रारम्भिक स्वरूप में ही विद्यमान है।

सैर के बाद हम लोगों ने ओडिशा के स्थानीय भोजन का आनन्द उठाया। पखाल भात, छलु तरकारी, महूराली चडचडी एवं चिगुडि ओडिशा की कुछ लोकप्रिय व्यंजन है। पखाल भात एक दिन पहले बने बाचल को आलू के साथ तलकर बनाया जाता है। छतु तरकारी एक तीखा भोजन है, जो मशरूम से बनता है। ओडिशा के लोगों को भी बंगालियों की तरह मछली खाने का बहुत शौक है। महूराली चडचडी छोटी मछली से बनी एक डिश है।

चिल्का झील में पाई जाने वाली झींगा मछली से चिगुडि नामक डिश बनाई आती है। भुवनेश्वर की यात्रा को अविस्मरणीय बनाने के लिए हमने जमकर फोटोग्राफी की थी, किन्तु फोटो के साथ-साथ हम यहाँ की कुछ प्रसिद्ध वस्तुएँ भी ले जाना चाहते थे। यहाँ पत्थर से निर्मित बड़ी खूबसूरत वस्तुएँ, जैसे-मूर्तियाँ, बर्तन, खिलौने इत्यादि मिलते हैं। यहाँ की ताड़ के पत्तों पर की गई चित्रकारी भी लोगों को खूब पसन्द आती है, जिसे पत्ता चित्रकारी’ कहते हैं। हम सबने कई प्रकार की वस्तुएँ खरीदी। ये वस्तुएँ हमें हमेशा भुवनेश्वर की प्राचीन कला की याद दिलाती है।

भुवनेश्वर की यात्रा मेरे लिए ही नहीं मेरे सभी साथियों के लिए भी एक अविस्मरणीय यात्रा बन गई वस्तुतः किसी भी व्यक्ति की यात्रा का उद्देश्य केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि मानसिक शान्ति प्राप्त करना भी होता है। सचमुच भुवनेश्वर के यातावरण में अजीब-सी पवित्रता घुली हुई है। इस यात्रा से हमारी मित्र मण्डली को जिस मानसिक शान्ति का अनुभव हुआ, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। इस अविस्मरणीय यात्रा से मैं भी डॉ. जॉनसन के इस कथन से पूर्णतः सहमत हो गया कि “यात्रा कल्पना को वास्तविकता में व्यवस्थित कर देती है।”

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | My Unforgettable Trip Essay in Hindi / meri aabismaraniye Yatra video

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यात्रा पर निबंध | Best 10 Essay on Travelling in Hindi for Students

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Essay on Travelling in Hindi: इस लेख में आप 1000 शब्दों में छात्रों और बच्चों के लिए यात्रा पर एक निबंध पढ़ेंगे। यह लघु निबंध हमें बताता है कि कैसे यात्रा करना भी जीवन का एक साहसिक अनुभव है।

  • 1 यात्रा पर निबंध (1000+ शब्द)
  • 2 यात्रा क्या है?
  • 3 लोग यात्रा करना क्यों पसंद करते हैं?
  • 4 आज के युग में पर्यटन
  • 5 यात्रा का महत्व
  • 6 पर्यटन संस्कृति और ज्ञान का अन्वेषण करें
  • 7 पर्यटन और यात्रा को कैसे बढ़ावा दें?

यात्रा पर निबंध (1000+ शब्द)

परीक्षा के लिए सर्वश्रेष्ठ यात्रा निबंध लिखने के लिए छात्र और बच्चे इस लेख की मदद ले सकते हैं।

यात्रा क्या है?

जब कोई व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है तो उसे यात्रा कहते हैं। यात्रा शब्द का प्रयोग अधिकतर तब होता है जब लोग एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं शहर .

मानव स्वभाव जिज्ञासु है। मनुष्य की जिज्ञासु प्रवृत्ति ने एक ही देश और विदेश में विभिन्न स्थानों की यात्रा करने की इच्छा के पीछे भी काम किया है। यात्रा के महत्वपूर्ण लाभों में से एक आंतरिक ताजगी बनाए रखना है।

लोग यात्रा करना क्यों पसंद करते हैं?

बहुत बार, लोग जीवन में, काम की दैनिक दिनचर्या, नींद, भोजन और जीवन में डूब जाते हैं। वे इतना अवशोषित करते हैं कि लोगों को थकान महसूस होती है।

इसका प्रभाव पड़ता है उनकी सेहत, खुशी, और भविष्य। क्या आप भी अपने दैनिक दिनचर्या के कामों से बोर महसूस कर रहे हैं? क्या आप तरोताजा और ऊर्जावान बनना चाहते हैं? यदि हां, तो यात्रा करना इसके लिए सबसे अच्छे समाधानों में से एक हो सकता है।

आज के युग में पर्यटन

आज पर्यटन भी मनुष्य की उसी पुरानी पैंतरेबाज़ी की प्रवृत्ति से प्रभावित हो रहा है। पहले के पर्यटक सुविधाओं और आज के समय में इतना ही अंतर है।

आज पर्यटन उतना कष्टदायक नहीं है जितना प्राचीन काल का घुमक्कड़। विज्ञान के आविष्कारों, अन्वेषण की जादुई शक्ति से सुलभ साधनों के कारण पर्यटन बहुत सुलभ हो गया है।

आप कुछ ही घंटों में एक देश से दूसरे देश की यात्रा कर सकते हैं। इसलिए, यात्रा करना अब चिंता की कोई बड़ी बात नहीं है।

आज, पर्यटन एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उद्योग के रूप में विकसित हो गया है। हवाई जहाज, ट्रेन, कार आदि की बुकिंग के लिए बहुत सारी ऑनलाइन सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इससे यात्रा आसान और आरामदायक हो जाती है। इस उद्योग को फैलाने के लिए देश-विदेश में पर्यटन मंत्रालय की स्थापना की गई है।

यात्रा का महत्व

दुनिया भर में पर्यटकों की सुविधा के लिए यात्रा के लिए महत्वपूर्ण स्थलों का विकास किया जा रहा है।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जैसे किसी देश के विशेष स्थान की कला, कलात्मक दृश्य, सांस्कृतिक संस्थानों की प्रदर्शनी आदि। आनंद की प्राप्ति, जिज्ञासा की शांति, बढ़ती आय, इनके अलावा और भी बहुत कुछ है। पर्यटन के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ।

अंतर्राष्ट्रीयता की समझ पर्यटन के माध्यम से पैदा होती है: विकसित होती है। प्यार और मानव भाईचारा फलता-फूलता है। सभ्यताओं और संस्कृतियों का परिचय देते हैं। पर्यटन व्यक्ति को अपने खोल से बाहर निकलना सीखता है।

अलग-अलग जगहों की यात्रा करने से एक ही जगह पर एक ही माहौल में लगातार रहने से होने वाली बोरियत भी दूर हो जाती है।

यात्रा और पर्यटन के महत्व को हर देश में मान्यता दी गई है। आधुनिक युग में पर्यटन की योजना प्रत्येक शिक्षा प्रणाली में समाहित हो रही है।

पर्यटन संस्कृति और ज्ञान का अन्वेषण करें

लोग अनादि काल से यात्रा के प्रेमी रहे हैं – मानव सभ्यता इसके प्रोटोटाइप से उत्पन्न होती है। जैसा कि नाम का तात्पर्य है, पर्यटन का अर्थ है राष्ट्रीय और विदेश में परिभ्रमण। पर्यटन वस्तुनिष्ठ नहीं है।

पर्यटन की प्रेरणा कई कारणों से राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, वाणिज्यिक, व्यवसाय आदि के लिए विकसित होती है। इनके अलावा, मनोरंजन, अनुसंधान, अध्ययन, पुनर्प्राप्ति, या अन्य व्यक्तिगत कारण भी पर्यटन के मूल हैं।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए दुनिया के सभी सभ्य देशों के बीच नागरिकों की यात्रा अब एक दैनिक दिनचर्या है। यह हम सभी के लिए सकारात्मक बात है।

एक देश के छात्र पढ़ाई के लिए दूसरे देश जाते हैं। इस तरह के दौरे व्यक्तिगत उद्देश्यों और राष्ट्रीय उद्देश्यों की पूर्ति भी करते हैं। पर्यटन में देश दर्शन की भावना का सर्वाधिक महत्व है।

प्रकृति की सुन्दर छटाओं को हृदय में चुराकर, मन और आंख को तृप्त करने के लिए नगरों, भवनों, वनों आदि की शोभा जीवन में आनंद देती है।

दूसरे दृष्टिकोण से भी यह हमारे लिए आवश्यक है। विकासशील देशों में यात्रा और पर्यटन को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

इसलिए भारत को पर्यटन को एक उद्योग के रूप में अपनाने और बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट अवसर मिला। भारत के पास एक विशाल पर्यटन भूमि है, और यहां यात्रा और पर्यटन के विकास की काफी संभावनाएं हैं।

पर्यटन और यात्रा को कैसे बढ़ावा दें?

भारत ने विदेशी पर्यटकों के लिए कई आकर्षण। पिछले कुछ वर्षों से विदेशी पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, फिर भी इसमें और वृद्धि होने की संभावना है। हालांकि, सीमित संसाधन पर्यटन के विकास में एक बाधा हैं जैसे आवास, परिवहन, मनोरंजन, सुरक्षा आदि।

यहां यात्रा नहीं बढ़ी। हालांकि, संगठित प्रयासों से इसे कम समय में दूर किया जा सकता है। सरकार पर्यटन स्थलों और अन्य आवश्यक स्थानों पर होटल बनाने और विस्तार करने की योजना बना रही है। दुनिया विशाल है, और अरबों लोग जो हर दिन अपना जीवन जीते हैं और उनके अपने अनूठे अनुभव हैं।

दूसरे देश की यात्रा करना, और यह देखना कि लोग अलग तरह से कैसे रहते हैं, अलग तरह से बोलते हैं, अलग दिखते हैं, यह सिर्फ एक बेहतर एहसास है। इस तरह यह समझ सकता है कि इसमें हमारी दुनिया कितनी बड़ी और दीवानी है।

इसके अलावा, यह एक व्यक्ति को दुनिया में रहने वाले विविध लोगों के बारे में जानने में सक्षम बनाता है। जब तक आप स्थानों और चीजों का दौरा नहीं करते तब तक आप कुशल हाथों से बनाई गई कला के काम की सराहना नहीं कर सकते।

उस स्थान की यात्रा करने से उत्कृष्ट स्थानों, लोगों, चीजों और लोगों की प्रकृति के बारे में व्यावहारिक ज्ञान मिलता है। जब आप कुछ स्मारकों पर जाते हैं तो अतीत की यादें दिमाग में दौड़ जाती हैं। साथ ही स्थानों पर जाने से व्यक्ति की दृष्टि में भी वृद्धि होती है, जैसे छोटी जगह पर बैठने से दृष्टि सीमित हो जाती है।

यात्रा करने का एक और लाभ यह है कि आप अपने देश को अलग तरह से देख रहे हैं। यह स्थानीय और विदेशी स्थान की तुलना करके संभव बनाया गया है। ज़रूर, यह केवल यात्रा करने से ही संभव है। अज्ञात स्थानों की यात्रा नए दृष्टिकोण और प्रेरणा पैदा करती है।

घर से दूर, लोगों को एहसास होता है कि “घर” क्या है और इसका क्या अर्थ है। इसका अनुभव करने वाले व्यक्ति के लिए यात्रा करना हमेशा फायदेमंद होता है। यात्रा एक व्यक्ति को सामान्य कार्यों और चीजों को करने के तरीकों से दूर, नियमित क्षेत्र से बाहर लाती है।

यह उन्हें साहसिक कार्य करने, एक पूर्ण जीवन जीने, इस बहुमूल्य अवसर का अधिकतम लाभ उठाने और नई चीजों की खोज करने और नए लोगों से मिलने के लिए समय देने की अनुमति देता है।

यात्रा सभी उम्र के लोगों के लिए उत्तम मनोरंजन है। साथ ही, यह लोगों को खुद को, अपने विश्वासों और अपने जीवन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।

हालाँकि, यह उस दुनिया को भी बेहतर ढंग से महसूस करता है जिसमें वे रहते हैं, भले ही वह उनके तत्काल परिवेश से बाहर हो। यह दुनिया में रहने वाले विभिन्न लोगों से जुड़ने वाले व्यक्ति की भी मदद कर सकता है।

यह यात्रा के रूप में उपयोगी है, पहली बार एक नई जगह देखने या अपने पसंदीदा पर लौटने की अनुमति दें। दुनिया भर से लोग, विभिन्न कारणों से राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर आते हैं – मुख्य रूप से एक पेशे, परिवार और मनोरंजक उद्देश्यों के लिए।

चाहे हवाई जहाज की तरह यात्रा करने के एक अलग तरीके से, ट्रेन से, नाव से या कार से। यात्रा करना आमतौर पर एक सुखद अनुभव होता है। उल्लेख करने और कोशिश करने के लायक अन्य यात्रा लाभ हैं।

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मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध

My Unforgettable Trip Essay In Hindi : अनादि काल से इंसान एक घुमक्कड़ जी रहा है, जिसे हर जगह घूमना पसंद है। घूमने की कला के वजह से ही इंसानों ने इतने कम समय में पृथ्वी के लगभग सभी इलाकों पर अपना वर्चस्व पा लिया है। जिन लोगों को घूमना पसंद होता है उनके जीवन में एक यात्रा ऐसी होती है, जिसे वह कभी नहीं भूल सकते।

आज हम आप सभी लोगों को मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध के विषय में बताने वाले हैं। यदि आप इसके लिए इच्छुक हैं, तो हमारे इस निबंध को अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि हमारा यहां निबंध विद्यार्थियों के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी होने वाला है क्योंकि ऐसे निबंध परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं, तो चलिए शुरू करते हैं।

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मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | My Unforgettable Trip Essay in Hindi

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध (250 शब्द).

लगभग सभी लोगों को अनोखे और विचित्र जगह पर घूमना पसंद होता है। घूमने से हमें उस क्षेत्र के बारे में जानकारी मिलती है। मुझे भी नए जगहों पर घूमना काफी पसंद है। इस वजह से मैं अक्सर विभिन्न जगहों पर घूमने जाता रहता हूं। हाल ही में मैंने उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर का सफर किया, जो मेरे लिए कभी ना भूलने वाला सफर रहेगा। 

अगर आप उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर जाएंगे तो सबसे पहले वहां के साफ-सफाई को देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे। भारत में जब से स्वच्छ भारत अभियान चला है, तब से भारत के सभी राज्य अपने आप को पहले से और ज्यादा खूबसूरत बनाने के लिए साफ-सफाई बड़ी जोरों से कर रहे है उसमें भुवनेश्वर भी पीछे नहीं है।

मैंने भुवनेश्वर का सफर अपने गृह शहर पटना से किया। पटना से भुवनेश्वर जाने की एक सीधी ट्रेन जाती है। हम अपने सभी मित्रों के साथ इस ट्रेन पर शाम को चल गए और अगले दिन सुबह भुवनेश्वर की स्टेशन पर उतरे। 

ऑनलाइन सुविधा आ जाने की वजह से हमने स्टेशन के पास एक ओयो कंपनी के कमरे को बुक कर लिया था। अपने सभी मित्रों के साथ हम कमरे में गए और कुछ देर विश्राम करने के बाद भुवनेश्वर शहर के ट्रिप पर निकले। जब आप इस शहर को घूमने निकलेंगे तो इसकी खूबसूरती आपको कुछ इस कदर चकाचौंध करेगी कि आप अपने पूरे जीवन यहां की खुशबू को भूल नहीं पाएंगे।

नीले आसमान में कोई फीट ऊंचे मंदिर पर शिल्पकार की बनाई हुई। एक खूबसूरत आकृति आपके मन को इस कदर उतर जाएगी कि आप उन आकृतियों में कहीं खो से जाएंगे और पुराने जमाने के लोग कितनी समझदारी और गंभीरता से काम कर सकते थे। उनकी यह काबिलियत देखकर आपके होश उड़ जाएंगे।  

शिल्प पर बनाई हुई आकृतियों की बात करें और सम्राट अशोक का याद ना आए ऐसा हो नहीं सकता। भारत के सर्वश्रेष्ठ राजाओं में हमेशा हम सम्राट अशोक को याद रखेंगे। इन की बनाई हुई शिल्प कारीगरी आज भी भुवनेश्वर के म्यूजियम में जीवित है। यहां के मंदिर और शिल्पकार इतनी प्रसिद्ध है कि भुवनेश्वर को पूर्व काशी की उपाधि मिली है। 

इन सभी ऊंचे ऊंचे मंदिर और शिल्प कारी को देखने के बाद वहां के कुछ स्वादिष्ट व्यंजनों को भी हमने चखा मसालेदार खाने है और हरे भरे इलाके खूबसूरत मंदिर ने हमारे मन को कुछ इस कदर लूट लिया कि भुवनेश्वर की खूबसूरती को हम कभी नहीं भूल पाएंगे। 

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध (500 शब्द)

लगभग हर व्यक्ति को घूमना बहुत पसंद होता है आखिर इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा होगा जो अनोखे और विचित्र जगहों को देखकर आश्चर्यचकित ना होता हो। मैं भी इस दुनिया के अन्य घुमक्कड़ लोगों में से एक हूं जो किसी ने जगह पर जाने की बात को सुनकर ही उत्साह से भर जाता हूं। एक बार अपने मित्रों के साथ मैंने कोलकाता जाने का मन बनाया। सभी को भारत के पूर्व राजधानी को देखने का काफी मन था इस वजह से कोलकाता जाने का प्लान बना। 

हम झारखंड की राजधानी रांची में निवास करते थे। यहां से सुबह एक ट्रेन कोलकाता के लिए थी जिस पर विराजमान होकर रात तक कोलकाता पहुंच गए। सबसे पहले तो कोलकाता के स्टेशन पर उतरते। हम बड़े आश्चर्य चकित और उत्साह से भर गए।

यह सोचकर ही आश्चर्य लगता है कि कोलकाता से आगे ट्रेन नहीं जाती। यह भारत की ट्रेन का अंतिम छोर है। कोलकाता भारत के उन गिने-चुने स्टेशनों में से है, जहां आपको स्टेशन पर पुल देखने को नहीं मिलेगा मगर ऐसा नहीं है कि पुल बनाने में कोलकाता पीछे है। स्टेशन से बाहर निकलते ही हावड़ा पुल को देखकर आपके होश उड़ जाएंगे। 

उसे स्टेशन की खूबसूरती और हावड़ा पुल को पार करते हुए हमने इन सब को निहारा और फिर पास ही एक होटल के कमरे में गए। कुछ देर विश्राम करने के बाद अगले दिन सुबह कोलकाता घूमने का निश्चय किया गया। इस जगह पर सबने एक्वा पार्क और जू के बारे में बहुत सुन रखा था मगर सबसे पहले रानी विक्टोरिया का महल देखने का निश्चय किया गया।

विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता के एक प्रसिद्ध महल में से एक है, जिसे देखकर आपके होश उड़ जाएंगे। वह बिल्कुल ताजमहल की तरह सफेद है मगर काफी बड़ा है। विक्टोरिया मेमोरियल के दरवाजे पर खड़े होकर बहुत देर तक हम इस बात के बारे में सोचते रहे कि आखिर वह कौन होगा जो इस महल में रहता होगा। 

वहां से आगे जाने के लिए हमने मेट्रो ट्रेन का सहारा लिया। जिसे हमारे मित्रों के समूह में बहुत सारे लोगों ने पहली बार इस्तेमाल किया था। हालांकि इसके बाद एक्वा पार्क और जू में जाकर हमने बहुत सारी मस्ती की। ऐसी एक से एक ऐसे झूले थे जिसपर बैठ कर हम उत्साह और खुशी से भर गए। इसके बाद हम वहा के काली मंदिर में जाने का विचार किया। 

कोलकाता की काली मंदिर में काली मां को देखकर ऐसा लगता था, जैसे वह मंदिर से बाहर आ रही है। मगर इन सबके बाद हम आपने सभी मित्रो के साथ इतने विभिन्न प्रकार के खाना को हमने खाया और कोलकाता के इतने खूबसूरत नजारे मस्ती देने वाले पार्क और एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट व्यंजन ने हमारे दिल को कुछ इस तरह लूटा कि हम अपने इस सफर को जीवन भर भूल ना पाए।

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध (850 शब्द)

घूमना हर किसी को पसंद है लेकिन कभी-कभी हम ऐसे विचित्र सफर पर चले जाते हैं, जिस सफर को हम कभी अपने जीवन में भूल नहीं पाते।  यह हमारे जीवन भर हमारी चाय के साथ हो हम से जुड़ा हुआ रहता है। मैं एक घुमक्कड़ किस्म का इंसान हूं। मैंने भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से मिजोरम तक की दूरी तय की है। मैंने भारत के विभिन्न राज्यों को काफी करीब से देखा है। मगर जब मैं कश्मीर घूमने गया था, तो अपने कश्मीर के सफर को कभी भूल नहीं पाया। 

धरती का स्वर्ग है कश्मीर

कश्मीर को भारतीय धरती का स्वर्ग कहा जाता है। इसी से इसकी खूबसूरती का अंदाजा लगा सकते हैं। चारों और इतने सफेद पहाड़ जिसे देखकर मानव लगता है कि जैसे उन पर कोई दूध उड़ेला रहा है। इतनी लाल सेब के बगीचे जिसे देख कर आप किसी गोरी के गाल को भूल जाएं। ना केवल वहां के बगीचे और पहाड़ बल्कि हरे भरे खेत खलिहान और उन में घूमते हुए गोरे चिट्टे लोग आपको अपना दीवाना बना लेंगे। 

वहां क्या क्या देखा?

इतना खूबसूरत पहाड़ और बगीचा हमने अपने पूरे जीवन में कभी नहीं देखा। बगीचा में सेब के पेड़ के नीचे सोकर हमने कहीं देर तक अपने मित्रों से बातें की। बर्फीले पहाड़ पर चढ़ाई की। वहां के खेत खलिहान को देखते हुए हम कश्मीर के कुछ गांव में भी गए, जहां लगे हुए मेले और उन मेलों में अखरोट और विभिन्न ड्राई फ्रूट के व्यंजन ने हमारी भूख के साथ-साथ हमारे दिल को भी असीम सुख का अनुभव करवाया। 

कश्मीर घूमना किसी सपने से कम नहीं था। हमने वहां डल झील को देखा जहां पानी के आरपार सभी जीव अमित साफ साफ दिखाई दे रहे होते है हाउसबोट का सफर तो बिल्कुल ऐसा लग रहा था। जैसे मानो हम अपने घर में बैठे हो और वह घर पानी में तैरने निकल पड़ा हो।

कश्मीर की वादियां और वहां की खूबसूरत नजारों की तारीफ करते हुए हमारे मस्तिष्क में उपमाओं की कमी हो जाएगी। मगर ऐसी कोई उपमा नहीं बनी, जो उस खूबसूरत शहर की खूबसूरती का परिचय दे सके। कश्मीर को घूमते वक्त लेह को भी जरूर घूमे। लेह गर्मी में घूमने लायक जगह है, जहां की खूबसूरत वादियां और पहाड़ आपको दीवाना बना देंगे।

घाटी और झील कुछ इतने प्रसिद्ध प्रसिद्ध झील हैं, जिनके आसपास के बगीचे और उन पर चल रहे वोट आपको दीवाना बना देंगे यहां हाउसबोट का सफर करना ना भूलें। 

डल झील कुछ गिने-चुने ऐसे जिलों में आता है जहां आपको पानी के अंदर की चीज है बिल्कुल साफ साफ बाहर से ही नजर आती हैं इस जगह पर भी जाना ना भूलें। 

इन सबके अलावा कारगिल की पहाड़ियां अपनी वीरता और पराक्रम की कहानियों की वजह से काफी प्रचलित है उस जगह को भी घूम आए और वहां की युद्ध की कहानियों को सुनें और वीरों को नमन कर के अपने सफर पर आगे बढ़े। 

कश्मीर का सफर कब करना चाहिए

केवल हम नहीं इस विश्व में शायद ही ऐसा कोई होगा जो कभी कश्मीर घूमने जाए और वह इस बात को भूल जाए। कश्मीर और वहां के लोग दोनों ही अपनी खूबसूरती के वजह से पूरे विश्व भर में प्रचलित है। इस जगह को सभी के लिए खूबसूरत कहा जाता है, जब आप गर्मी के दिन में यहां घूमने जाएं। गर्मी के दिन में आपको वहां सभी वादियां हरी-भरी दिखाई देंगी और वहां के सर्द मौसम कब सही मायने में लुफ्त उठा पाएंगे। 

कश्मीर घूमने लायक जगह है और इस सफर को हम भूल जाएं, इस सोच से ही हमारा मन इस प्रकार चिंतित हो जाता है। जैसे मानो अपनी जिंदगी के सबसे खूबसूरत पल को त्यागने के बारे में कोई कह रहा हो। इस वजह से मस्तिक से चाहकर भी कश्मीर की खूबसूरती यों को भूल नहीं पाता। कुछ सबसे सुनहरे पलों में से आपके जीवन का वह पल होगा ,जब आप कश्मीर की वादियों में खड़े होकर वहां के ड्राई फ्रूट की खुशबू लेते हुए बड़े-बड़े बर्फ से नहाते हुए पहाड़ को देखेंगे और अपने आप आपके मुंह पर एक मुस्कुराहट आ जाएगी। जो इस बात का प्रमाण होगी कि इस जगह की खूबसूरती ने आपके दिल को छू लिया है। 

मैंने कभी सोचा भी नही था की यह सफर मेरे जीवन में यादगार बन जायेगा। जब कभी भी इस सफर को अपने खाली पलों में याद करता हूँ, तब मेरा मन फिर से रोमांचित हो जाता है और शरीर में पूरी ऊर्जा भर जाती है।

आज के आर्टिकल में हमने मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध (My Unforgettable Trip Essay in Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है तो वह हमें कमेंट में पूछ सकते है।

  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध
  • मेरा प्रिय खिलौना पर निबंध
  • मेरा अच्छा दोस्त पर निबंध

Ripal

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My Journey Essay in Hindi – मेरी यादगार यात्रा पर निबंध

October 2, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में मेरी यादगार यात्रा पर निबंध मिलेगा। Here you will get Short My Journey Essay in Hindi Language for students of all Classes in 500 words.

My Journey Essay in Hindi – मेरी यादगार यात्रा पर निबंध : यात्रा में शैक्षणिक मूल्य है। यह हमारे ज्ञान को बढ़ाता है। यात्रा पर होने पर, एक व्यक्ति विभिन्न जातियों, क्षेत्रों, धर्म, जातियों के लोगों से मिलता है। एक व्यक्ति भी विभिन्न स्थानों का दौरा करता है। प्रत्येक स्थान का अपना महत्व है। शिक्षा संस्थान अपनी छुट्टियों के दौरान अपने छात्रों के लिए यात्रा कार्यक्रमों की व्यवस्था करते हैं। पश्चिमी देशों के छात्र अक्सर और दूर तक यात्रा करते हैं। यात्रा भी बहुत खुशी देते हैं। यह हमें पर्यावरण का परिवर्तन देता है। यह हमें दिन-दिन की चिंताओं से राहत देता है। यह विभिन्न आदतों और रिवाजों के साथ लोगों से मिलने का मौका देता है। उनका भोजन अलग-अलग हो सकता है इस प्रकार हम यात्रा पुस्तकों के माध्यम से विदेशी मौसम के लोगों के बारे में सीख सकते हैं। लेकिन जब हम व्यक्तिगत रूप से यात्रा करते हैं-यह एक फर्क पड़ता है।

हम इन देशों और लोगों के पहले हाथ ज्ञान प्राप्त करते हैं व्यक्तिगत स्पर्श हमें हमेशा के लिए याद करता है हम आगरा, गया, जयपुर, झांसी, हैदराबाद, नालंदा, मैसूर, उदयपुर जैसे ऐतिहासिक स्थानों पर जा सकते हैं। हम अजमेर, अमृतसर, बद्रीनाथ, हरद्वार, केदारनाथ, प्रयागराज, रामेश्वरम, तिरुपति, यू। जेन, वैष्णोदेवी, वाराणसी जैसे धार्मिक महत्व के स्थानों की भी यात्रा कर सकते हैं। यात्रा हमें गर्मी के दौरान या सर्दियों के खेलों के दौरान देश में पहाड़ी रिसॉर्ट में ले जा सकता है फ्रांसिस बेकन, अंग्रेजी गद्य लेखक ने कहा है: “युवा में यात्रा शिक्षा का एक हिस्सा है, पुराने में, अनुभव का एक हिस्सा है।

” यात्रा करने से युवा लोगों को भारी लाभ मिलता है। उनकी शिक्षा को परिष्कृत किया जाता है। यह विभिन्न लोगों के साथ मिश्रण करने और सामाजिक संबंधों के साथ बाध्य करने में सक्षम भी है। इससे हमें एक कुंआरे में गोल और गोल के चारों ओर एक मेंढक के विपरीत संकीर्ण विचारों से ऊपर उठने की अनुमति मिलती है। यात्रा हमारे क्षितिज को बढ़ाता है और हम नए विचारों के साथ वापस आते हैं। हमारा दृष्टिकोण बदलता है, हमारे पास बेहतर परिप्रेक्ष्य है। राष्ट्रीय एकात्मता और लोगों के संबंधों में यात्रा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अलग-अलग भाषा, ड्रेस और खाने की आदतों वाले विविध लोग एक साथ मिलते हैं। अन्य देशों के दौरे से, हमें पता चला कि अन्य लोगों ने कैसे प्रगति की है। हम उनकी संस्कृति और सभ्यता से परिचित हैं।

इन दिनों यात्रा, विशेष रूप से समूह यात्रा, अन्य देशों और महाद्वीपों को प्रोत्साहित किया जाता है। आकर्षक समूह यात्रा पैकेज प्रदान किए जाते हैं। इस प्रकार यात्रा एक प्रशंसनीय अनुभव है। यह यूसुरुधाता कुटंबकूम की भावना और अवधारणा में मदद करता है। पूरी दुनिया एक परिवार है। यह हमारे अवलोकन की भावना को सुधारता है और क्यूएस सामाजिक बनाता है। यह हमारे दिमाग को तेज करता है और हमारी आत्मा को ऊपर उठता है। यात्रा के लिए शौक और प्रेम, देश या विदेशों में, महान रिटर्न सुनिश्चित करता है और मानस में सुधार में परिणाम।

हम आशा करेंगे कि आपको यह निबंध ( My Journey Essay in Hindi – मेरी यादगार यात्रा पर निबंध ) पसंद आएगा।

meri avismarniya yatra in hindi| my unforgettable trip essay in hindi|

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मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | Essay on My Unforgettable Journey | Hindi

my trip essay in hindi

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध! Here is an essay on ‘My Unforgettable Journey’ in Hindi language.

“सैर कर दुनिया की गाफिल, जिन्दगानी फिर कहाँ

जिन्दगानी गर रही तो, नौजवानी फिर कहाँ ।”

मैं शुरू से ही घुमक्कड़ प्रवृत्ति का हूँ तथा राहुल सांकृत्यायन की तरह नवाजिन्दा-बाजिन्दा की लिखी उपरोक्त पंक्तियाँ मुझे भी घूमने हेतु प्रोत्साहित करती रही हैं । मुझे अगस्तीन की कही बात बिलकुल सत्य प्रतीत होती है- “संसार एक महान् पुस्तक है । जो घर से बाहर नही निकलते वे व्यक्ति इस पुस्तक का मात्र एक पृष्ठ ही पढ़ पाते हैं ।”

ADVERTISEMENTS:

पिछले पाँच वर्षों में मैंने भारत के लगभग बीस शहरों की यात्रा की है, इनमें दिल्ली, मुम्बई, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गोवा आदि शामिल हैं । इन शहरों में भुवनेश्वर ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया है ।

पिछले वर्ष ही गर्मी की सप्ताहभर की छुट्टी में मैं इस शहर की यात्रा पर था । यह यात्रा मेरे लिए अविस्मरणीय है । मैं दिल्ली से रेल यात्रा का आनन्द उठाते हुए अपने सभी साथियों के साथ सुबह लगभग दस बजे भुवनेश्वर पहुँच गया था । हमने पहले ही होटल बुक करवा लिया था ।

वहाँ पहुँचकर सबसे पहले हम होटल में गए । मैं इस शहर के बारे में पहले ही काफी कुछ सुन चुका था । मेरे सभी दोस्त चाहते थे कि उस दिन आराम किया जाए, लेकिन मैं उनके इस विचार से सहमत नहीं था ।

मेरी व्याकुलता को देखते हुए सबने थोड़ी देर आराम करने के बाद तैयार होकर यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया । भुवनेश्वर के बारे में जैसा हमने सुना था, उससे कहीं अधिक दर्शनीय पाया ।

भुवनेश्वर, भारत के खूबसूरत एवं हरे-भरे प्रदेश ओडिशा की राजधानी है । यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है । ऐतिहासिक ही नहीं धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह शहर भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है ।

इसे ‘मन्दिरों का शहर’ भी कहा जाता है । यहाँ प्राचीनकाल के लगभग 600 से अधिक मन्दिर हैं, इसलिए इसे ‘पूर्व का काशी’ भी कहा जाता है । तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने यहीं पर कलिंग युद्ध के बाद धम्म की दीक्षा ली थी ।

धम्म की दीक्षा लेने के बाद अशोक ने यहाँ पर बौद्ध स्तूप का निर्माण कराया था, इसलिए यह बौद्ध धर्मावलम्बियों का भी एक बड़ा तीर्थस्थल है । कहा जाता है कि प्राचीनकाल में भुवनेश्वर में 7,000 से अधिक मन्दिर थे, इनमें से अब केवल 600 मन्दिर ही शेष बचे हैं ।

हम जिस होटल में ठहरे थे, उसके निकट ही राजा-रानी मन्दिर है, इसलिए सबसे पहले हम उसी के दर्शनों के लिए पहुँचे । इस मन्दिर की स्थापना ग्यारहवीं शताब्दी में हुई थी । इस मन्दिर में शिव एवं पार्वती की भव्य मूर्तियाँ हैं ।

इस मन्दिर की दीवारों पर सुन्दर कलाकृतियाँ बनी हुई हैं । इस मन्दिर से लगभग एक किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर मन्दिर स्थित है । इसे ‘मन्दिर समूह’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ पर एक साथ कई मन्दिर हैं ।

इन मन्दिरों में से दो मन्दिर अति महत्वपूर्ण हैं- परमेश्वर मन्दिर एवं मुक्तेश्वर मन्दिर । इन दोनों मन्दिरों की स्थापना 650 ई. के आस-पास हुई थी । इन दोनों मन्दिरों कीं दीवारों पर की गई नक्काशी देखते ही बनती है ।

मुक्तेश्वर मन्दिर की दीवारों पर पंचतन्त्र की कहानियों को मूर्तियों के रूप में प्रस्तुत किया गया है । राजा-रानी मन्दिर एवं मुक्तेश्वर मन्दिर की सैर करते-करते हम थक गए थे । वैसे भी हम दोपहर के बाद सैर करने निकले थे और अब रात होने को थी ।

इसलिए हम लोग आराम करने के लिए अपने होटल लौट आए । अगली सुबह हम लोग जल्दी तैयार होकर लिंगराज मन्दिर समूह देखने गए । इस मन्दिर के आस-पास सैकड़ों छोटे-छोटे मन्दिर बने हुए हैं, इसलिए इसे ‘लिंगराज मन्दिर समूह’ कहा जाता है ।

इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था । 185 फीट लम्बा यह मन्दिर भारत की प्राचीन शिल्पकला का अप्रतिम उदाहरण है । मन्दिरों की दीवारों पर निर्मित मूर्तियाँ शिल्पकारों की कुशलता की परिचायक हैं ।

भुवनेश्वर की यात्रा इतिहास की यात्रा के समान है । इस शहर की यात्रा करते हुए ऐसा लगता है मानो हम उस काल में चले गए हों, जब इस शहर का निर्माण किया जा रहा था ।

शहर के मध्य स्थित भुवनेश्वर संग्रहालय में प्राचीन मूर्तियों एवं हस्तलिखित ताड़पत्रों का अनूठा संग्रह इस आभास को और भी अधिक बल प्रदान करता है । भुवनेश्वर के आस-पास भी ऐसे अनेक अप्रतिम स्थल हैं, जो ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व रखते हैं और जिनकी सैर के बिना इस शहर की यात्रा अधूरी ही रह जाती है ।

ऐसा ही एक स्थान है- धौली । यहाँ दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित एक बौद्ध-स्तूप है, जिसका जीर्णोद्धार हाल ही में हुआ है । इस स्तूप के पास ही सम्राट अशोक निर्मित एक स्तम्भ भी है, जिसमें उनके जीवन एवं बौद्ध-दर्शन का वर्णन किया गया है ।

इसके अतिरिक्त, भगवान बुद्ध की मूर्ति तथा उनके जीवन से सम्बन्धित विभिन्न घटनाओं से सम्बद्ध मूर्तियाँ भी देखने लायक हैं । धौली के बौद्ध-स्तूप के दर्शन के बाद हम लोग भुवनेश्वर शहर से लगभग 6 किमी दूर स्थित उदयगिरि एवं खण्डगिरि की गुफाओं को देखने गए ।

इन गुफाओं को पहाड़ियों को काटकर बनाया गया है । इन गुफाओं में की गई अधिकांश चित्रकारी नष्ट हो चुकी है, किन्तु यहाँ निर्मित मूर्तियाँ अभी भी अपने प्रारम्भिक स्वरूप में ही विद्यमान हैं ।

सैर के बाद हम लोगों ने ओडिशा के स्थानीय भोजन का आनन्द उठाया । पखाल भात, छतु तरकारी, महूराली-चडचडी एवं चिंगुडि ओडिशा की कुछ लोकप्रिय डिश हैं । पखाल भात एक दिन पहले बने चावल को आलू के साथ तलकर बनाया जाता है ।

छतु तरकारी एक तीखा भोजन है, जो मशरूम से बनता है । ओडिशा के लोगों को भी बंगालियों की तरह मछली खाने का बहुत शौक है । महूराली-चड़चड़ी छोटी मछली से बनी एक डिश है । चिल्का झील में पाई जाने वाली झींगा मछली से चिंगुडि नामक डिश बनाई जाती है ।

भुवनेश्वर की यात्रा को अविस्मरणीय बनाने के लिए हमने जमकर फोटोग्राफी की थी, किन्तु फोटो के साथ-साथ हम यहाँ की कुछ प्रसिद्ध वस्तुएँ भी ले जाना चाहते थे । यहाँ पत्थर से निर्मित बड़ी खूबसूरत वस्तुएँ, जैसे- मूर्तियाँ, बर्तन, खिलौने इत्यादि मिलती हैं ।

यहाँ की ताड़ के पत्तों पर की गई चित्रकारी भी लोगों को खूब पसन्द आती है, जिसे ‘पत्ता चित्रकारी’ कहते हैं । हम सबने कई प्रकार की वस्तुएँ खरीदीं । ये वस्तुएं हमें हमेशा भुवनेश्वर की प्राचीन कला की याद दिलाती हैं ।

भुवनेश्वर की यात्रा मेरे लिए ही नहीं मेरे सभी साथियों के लिए भी एक अविस्मरणीय यात्रा बन गई, वस्तुतः किसी भी व्यक्ति की यात्रा का उद्देश्य केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि मानसिक शान्ति प्राप्त करना भी होता है । सचमुच भुवनेश्वर के वातावरण में अजीब-सी पवित्रता घुली हुई है ।

इस यात्रा से हमारी मित्र-मण्डली को जिस मानसिक शान्ति का अनुभव हुआ, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता । इस अविस्मरणीय यात्रा से मैं भी डॉ. जॉनसन के इस कथन से पूर्णतः सहमत हो गया कि- “यात्रा कल्पना को वास्तविकता में व्यवस्थित कर देती है ।”

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मैसूर की मेरी यात्रा का वर्णन पर निबंध My trip to mysore essay in hindi

My trip to mysore essay in hindi.

Trip to mysore – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मैसूर की मेरी यात्रा का वर्णन पर निबंध बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर मैसूर की मेरी यात्रा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

My trip to mysore essay in hindi

Image source –  http://creative.sulekha.com/my-trip-to-mysore-first-day-trip_370491_blog

मैसूर की मेरी यात्रा के बारे में – नमस्कार दोस्तों मैं अरुण नामदेव आप लोगों को मेरी मैसूर की यात्रा के बारे में विस्तृत जानकारी देने जा रहा हूं । दोस्तों एक बार जब हम सभी दोस्त एक साथ बैठकर बातचीत कर रहे थे तब हम सभी दोस्तों ने यह विचार बनाया था कि हमें घूमने के लिए , पिकनिक मनाने के लिए अवश्य जाना चाहिए ।  हम सभी दोस्तों की सहमति से हमने मैसूर जाने का प्लान तैयार किया था और सभी ने यह निर्णय लिया था कि हम ट्रेन के माध्यम से बैंगलोर जाएंगे और बैंगलोर से मैसूर की यात्रा करेंगे । हम सभी लोगों ने बैंगलोर का टिकट रिजर्व करा लिया था ।

हम सभी रेल के माध्यम से बैंगलोर जा पहुंचे थे । जब हम रेल के माध्यम से बैंगलोर जा रहे थे तब हम सभी मित्रों ने रेल में बहुत इंजॉय किया था । हम सभी हंसते खेलते हुए रेल के माध्यम से बैंगलोर जा रहे थे । जब हम बैंगलोर पहुंचे तब रात हो गई थी । फिर सभी दोस्तों की सहमति से हमने यह विचार बनाया था कि हम रात के समय में बैंगलोर के ही किसी होटल में रुक जाएंगे और इसी विचार के साथ हम सभी दोस्त एक होटल में गए और वहां पर कमरे किराए पर लिए और हम सभी दोस्तों ने रात होटल में गुजारी थी । जब सुबह हुई तब हम सभी मित्र मैसूर की यात्रा करने के लिए तैयार थे ।

हम सभी फिर एक बस के माध्यम से मैसूर पहुंचे । मैसूर में स्थित इंफोसिस केंपस में गए और वहां पर हमने एक टूरिस्ट गार्ड को हायर किया । जो पूरे मैसूर को जानता  था । उसने हमें पूरा मैसूर घुमाया था । जब हम मैसूर पहुंचे तब हमें बड़ा आनंद आ रहा था क्योंकि वहां की हरियाली , वहां गार्डन देखने के लायक हैं । जब गार्डन में हम घूमने के लिए गए तब हमें खुशी का पल प्राप्त हो रहा था । हम यह सोच रहे थे कि हम पहले क्यों यहां पर घूमने के लिए नहीं आए । इस तरह से हम ने पूरा मैसूर घुमा और बहुत इंजॉय किया था ।

हम सभी मित्रों ने यह भी विचार बनाया कि हम अपने पूरे परिवार के साथ मैसूर घूमने के लिए अवश्य आएंगे क्योंकि मैसूर की सुंदरता देखने के लायक है । यहां के लोग बहुत ही अच्छे हैं । वैसे तो हम सभी लोगों ने मैसूर घूमने का प्लान इसलिए बनाया था क्योंकि हम कई बार सुन चुके थे कि मैसूर का दशहरा बहुत ही प्रसिद्ध है । मैसूर एक सुंदर जगह होने के साथ-साथ  मैसूर के दशहरे के लिए भी प्रसिद्ध है । जब हमने मैसूर की सुंदरता के चर्चे सुने तब हम सभी मित्रों ने वहां पर घूमने का प्लान बनाया था । जब हम मैसूर में पहुंचे तब हमें बहुत अच्छा लगा था ।

जब रात हो गई तब हम मैसूर का महल देखने के लिए थे । मैसूर के महल की सुंदरता इतनी अच्छी है कि उसको देखते ही रहने को मन करता है । मैसूर के महल के चारों तरफ खूबसूरत लाइट लगी हुई है । जब दूर से हम मैसूर की सुंदरता देखते हैं तब हमें हमारे जीवन में आनंद प्राप्त होता है और हम प्रतिवर्ष वहां पर जाने का विचार अपने मन में रखते हैं । इसके बाद जब रात हो गई तब हम वापस इंफोसिस केंपस पहुंचे और वहां पर हम ने रात रुकने का फैसला किया था ।  जब सुबह हुई तब हम वापस मैसूर से बैंगलोर की ओर रवाना हुए थेे ।

उसके बाद हम सभी मित्र बैंगलोर में बैंगलोर की सुंदर सुंदर जगह  पर  घूमने के लिए गए और हम सभी मित्रों ने बैंगलोर के मोल , बैंगलोर के गिरजाघर , बैंगलोर के गार्डन भी घूमने का फैसला किया था ।  हम पूरा 1 दिन बैंगलोर मे रहे थेे । जब बैंगलोर से हमें वापस घर पर आना था तब हम सभी ने ट्रेन का समय मालूम किया और जिस समय पर ट्रेन हमारे घर की ओर रवाना होना थी उस समय हम बैंगलोर रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए थे और वहां से हम ट्रेन के माध्यम से वापस अपने घर पर आ गए थे । तो दोस्तों जब मैं अपने सभी मित्रों के साथ मैसूर घूमने के लिए गया तब मैंने अपने जीवन में एक आनंद प्राप्त किया था ।

मैं आप सभी लोगों से कहना चाहता हूं कि आप अपने परिवार के साथ में बैंगलोर के पास में स्थित मैसूर घूमने के लिए अवश्य जाएं । जब आप वहां पर जाओगे तब आपको वहां की सुंदरता का पता चलेगा क्योंकि मैं भी पहले यही सोचता था कि ना जाने कैसा होगा मैसूर । जब मैं वहां पर पहुंचा तब मुझे पता लगा कि मैसूर की सुंदरता देखने के लायक है ।

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दा इंडियन वायर

शिमला पर निबंध

my trip essay in hindi

By विकास सिंह

essay on shimla in hindi

शिमला पर निबंध, essay on shimla in hindi -1

  • जब से मैंने अपनी कक्षाओं में शिमला के बारे में जाना, मैं उस जगह का दौरा करना चाहता था
  • मैं अपने परिवार के साथ शिमला की यात्रा पर जाना चाहता था
  • इस गर्मी की छुट्टी में, हमने शिमला की यात्रा की योजना बनाई
  • शिमला जाना एक अच्छा अनुभव था
  • हमने शिमला में मौसम का आनंद लिया क्योंकि यह एक पहाड़ी सैरगाह है

शिमला पर निबंध, essay on shimla in hindi -2

हम हर साल एक परिवार की छुट्टी की योजना बनाते हैं। इस साल, हमने प्रसिद्ध पहाड़ी रिसॉर्ट, शिमला जाने की योजना बनाई। शिमला भारत के आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। हमारे एक पारिवारिक मित्र ने हमें शिमला आने का सुझाव दिया क्योंकि वे उस जगह का बहुत आनंद लेते थे।

हमने एक यात्रा की योजना बनाई और एक सप्ताह के लिए शिमला में रहे। आवास बहुत ही शानदार था और हमने नींद लेने के बाद ट्रेकिंग के लिए शुरुआत की। हमने चाडविक फॉल्स, जाखू मंदिर, धनु देवता मंदिर और तारा देवी मंदिर का आनंद लिया। हमने फेमस गेयटी थियेटर का दौरा किया; शिमला में कई इमारतों की वास्तुकला विशिष्ट है। छुट्टी का सबसे अच्छा हिस्सा कुफरी में याक की सवारी है, जो शिमला से 16 किमी दूर है।

शिमला की यात्रा पर निबंध, essay on shimla trip in hindi -3

पारिवारिक छुट्टियां किसी भी वर्ष का सबसे अच्छा समय होता है। जब भी मेरी छुट्टियां शुरू होती हैं, मैं यह सोचना शुरू कर देता हूं कि कौन सी जगह इस छुट्टी की हमारी मंजिल बनने वाली है। इस बार, लंबी चर्चा के बाद मैंने गंतव्य को तय करने का मौका जीता। हमने अपने पसंदीदा गंतव्य शिमला की यात्रा की योजना बनाई।

शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है जो भारत में एक प्रसिद्ध हिल रिज़ॉर्ट है। मेरा एक दोस्त पिछले साल शिमला गया था। उसने मुझे शिमला घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें सुझाईं। हमने एक लंबी यात्रा की योजना बनाई और एक उचित समय निर्धारित किया ताकि हम हिल रिसॉर्ट में कोई भी मौज-मस्ती करने से न चूकें।

सबसे पहले, हम सबसे मजेदार फुल टॉय ट्रेन की सवारी का अनुभव करने गए जो कालका और शिमला के बीच हो रही है। इसके बाद, हमने कुछ मंदिरों में एक छोटी ट्रेकिंग के माध्यम से दौरा किया। ट्रेकिंग एक महान अनुभव था जिसने हमें एक दूसरे को समझने और ट्रेकिंग को पूरा करने में एक दूसरे की मदद की।

हमने कुफरी नामक जगह का भी भ्रमण किया जोकि शिमला से लगभग 16 किमी दूर है। इस जगह पर सुंदर प्राकृतिक उद्यान हैं और हमने कुफरी में याक की सवारी का भी आनंद लिया। शिमला में एक चीज़ जो हम मिस करते हैं वह है आइस स्केटिंग जो प्रमुख रूप से दिसंबर से फरवरी तक खुली रहती है।

हमने लक्कड़ बाजार में एक शाम का आनंद लिया। यह बाज़ार शिमला में एक लकड़ी का बाज़ार है जिसमें लकड़ी की बहुत सारी चीज़ें हैं जिनमें सुंदर लेख हैं जैसे कि छड़ी और सजावटी लेख। हमने वहां से घर के लिए कुछ ज़रूरी सामान खरीदे। शिमला की हमारी यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव था। काश हम इस अद्भुत हिल रिजॉर्ट का एक बार फिर से दौरा कर पायें।

शिमला की यात्रा पर निबंध, essay on shimla trip in hindi -4

मुझे अपने शहर शिमला से प्यार है, जो हरी-भरी झाड़ियों, बर्फ से ढंके पहाड़ों और खूबसूरत झीलों से समृद्ध है। यह दुनिया भर के लोगों के लिए पर्यटन स्थलों के लिए एक शानदार जगह है। यह हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। बस मेरे शहर में आओ और भूलभुलैया बाज़ारों, विक्टोरियन वास्तुकला और अभिनव इमारतों के माध्यम से एक लंबी सैर का आनंद लो। यह आपके जीवन में अविस्मरणीय क्षण लेकर आएगा।

शांत वातावरण, खुशनुमा माहौल और हरे भरे वातावरण के साथ एक खूबसूरत शहर जो हर कोई चाहता है। इस तरह, मैं अपने शहर में रहने के लिए बहुत भाग्यशाली हूं। यदि आप अपने जीवन का आनंद लेना पसंद करते हैं, तो बस आकर शिमला की सुंदरता का अनुभव करें।

मौसम की स्थिति और शिमला की जलवायु जम्मू और कश्मीर की तरह है। यह भारत के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है। यह हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक देखा जाने वाला पर्यटन स्थल भी है।

खूबसूरत पहाड़ी के साथ सुखद जलवायु इस शहर को ’क्वीन ऑफ हिल्स’ बनाती है। इसलिए, यहाँ ट्रेकिंग सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि हैं। पूरे साल मौसम की स्थिति मध्यम होती है; इसलिए कोई भी किसी भी मौसम में इस जगह की यात्रा कर सकता है।

रिज, जाखू पहाड़ी, माल रोड, कालका-शिमला रॉल, क्राइस्ट चर्च, समर हिल, कुफरी कुछ प्रमुख आकर्षण स्थल हैं। शिमला राज्य संग्रहालय शिमला के लोकप्रिय संग्रहालयों में से एक है, जो माउंट प्लेसेंट के शीर्ष पर स्थित है।

यह 1974 में बनाया गया था। यह सौंदर्य कला और वास्तुकला का महान इतिहास है। संग्रहालयों के अलावा, इसमें कई धार्मिक स्थल हैं जैसे काली बाड़ी मंदिर, तारा देवी मंदिर, मोचा मंदिर, शूटिंग मंदिर, कामदेव मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, लुटुरु महादेव मंदिर, कोही महा मंदिर, लंका वीर मंदिर और बहुत कुछ। शिमला आपकी छुट्टियों के लिए सबसे अच्छी जगह है। जब भी आप यहां हों, पार्क, अभयारण्य और ऐसे अन्य पर्यटन स्थलों को याद न करें।

शिमला की यात्रा पर निबंध, essay on shimla in hindi -5

पिछले साल गर्मियों की छुट्टी के दौरान, हमारे स्कूल ने शिमला की यात्रा का आयोजन किया। चिलचिलाती गर्मियों में, एक हिल स्टेशन की यात्रा वास्तव में एक राहत भरा अनुभव था। पिछले साल गर्मियों की छुट्टी के दौरान, हमारे स्कूल ने शिमला की यात्रा का आयोजन किया। चिलचिलाती गर्मियों में, एक हिल स्टेशन की यात्रा वास्तव में एक राहत भरा अनुभव है।

हम बीस छात्रों के एक समूह में कालका मेल के लिए रवाना हुए। हमारे गणित के शिक्षक राजदीप सिंह हमारे पर्यवेक्षक थे। हम सुबह 10 बजे कालका पहुँचे। वहाँ से मीटर गेज लाइन है जोकि कालका से शिमला तक जाती है। यह साठ किलोमीटर का पहाड़ी मार्ग है।

वहां तक ​​पहुंचने में आठ घंटे लगते हैं। ट्रेन ज़िग ज़ैग लाइनों पर बहुत धीमी गति से चलती है। इस लाइन पर जाने वाली ट्रेन में केवल 8 या 9 डिब्बे होते हैं। गति इतनी धीमी है कि कोई चलती ट्रेन से नीचे उतर सकता है। आसपास के वातावरण में सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं। ऊंचे पेड़ राजसी लगते हैं।

जैसे-जैसे हम शिमला के नजदीक पहुँचते हैं, हम तापमान में अंतर महसूस कर सकते हैं। दिल्ली के मैदानी इलाकों की परेशान करने वाली गर्मी बहुत पीछे रह गई थी और हमने खुद को कंबल में लपेट लिया था और ऊनी कपड़े पहन लिए थे। कालका से शिमला की यात्रा अपने आप में एक अद्भुत अनुभव था।

शिमला में डलहौजी रोड पर स्थित एक भव्य होटल में हमारा आवास था। यह होटल पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। इसकी गुणवत्ता सेवा के कारण इसे टूरिस्ट पैराडाइज के नाम से जाना जाता है। अगली सुबह, हमने एक बस किराए पर ली और अपने शिक्षक की देखरेख में हमने शिमला और उसके आसपास के सभी देखने लायक स्थानों का दौरा किया।

हमने शिमला में मॉल, लोअर बाज़ार, जाखू हिल और प्रसिद्ध कालीबानी मंदिर का दौरा किया। हम कुफरी और नालदेरा भी गए। ये स्थान इतने सुंदर हैं कि आगंतुकों पर इनकी स्थायी छाप है। शिमला भारत के सबसे खूबसूरत हिल स्टेशनों में से एक है। यह इसलिए है कि अंग्रेजों ने इसे भारत सरकार की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था। गवर्नर के लॉज को उन्नत अध्ययन केंद्र में बदल दिया गया है।

शिमला अब हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। जाखू एक पहाड़ की चोटी है जो चारों ओर से ऊंचे पेड़ों से घिरा है। यह खड़ी उड़ान के माध्यम से है कि हम जाखू तक पहुंच सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान हनुमान जाखू से लक्ष्मण के लिए संजीवनी ले गए थे।

चार दिनों के बाद, हमें वापस आना पड़ा। समय कैसे बीत गया हमें पता ही नहीं चला। स्थान इतने सुंदर थे कि हमें वापस जाने का मन नहीं था। हालाँकि, यात्रा बहुत ही रोचक और आनंददायक थी। हम हर गर्मियों में इसकी यात्रा करना चाहते हैं।

[ratemypost]

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Good.. Actually hai… 👌👌☺️

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मेरी यादगार यात्रा पर निबंध | Essay on My Memorable Tour in Hindi

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By Urooz Ali

यात्रा का अपना एक सुखद अनुभव होता है। हर यात्रा अपने में कई यादें समेटे होती है पर कुछ बहोत यादगार होती हैं । गर्मी की छुट्टियों में अधिकतर लोग घूमने जाते हैं और इस मौसम में पर्वतों की यात्रा अत्यधिक सुखद होती है।

पहली यात्रा:

हमारी पहली पर्वतीय यात्रा पिछले वर्ष गर्मी की छुट्टियों में हुई जब पिताजी के पुराने मित्र ने नैनीताल में अपने आवास पे एक समारोह रखा और पिताजी को आमंत्रित करने के साथ साथ ज़रूर आने का आग्रह भी किया।

my family adventours tour builder

पिताजी ने इस आग्रह का सम्मान करते हुए समारोह में जाने के लिए और साथ साथ नैनीताल घूमने के लिए पांच दिन की योजना बनायी। हमने 20 मई को नैनीताल के लिए रेल पकड़ी और अगले दिन सुबह 10 बजे वहां पहुँच गए। स्टेशन पे पिताजी के मित्र हमें लेने आये हुए थे।

हम उनके साथ उनके घर गए। उन्होंने पिताजी की योजना की सराहना करते हुए उन्हें आने के लिए धन्यवाद कहा और हमें नैनीताल घुमाने की जिम्मेदारी अपने ड्राइवर को सौंप दी। क्योंकि समारोह तीन दिन बाद था तो हम नैनीताल घूमने निकल गए। नैनीताल के रास्ते बहुत टेड़े मेढ़े थे और रास्ते के दोनों ओर घाटियों का मनमोहक दृश्य था। कहीं ये घाटियां अत्यंत सुन्दर थीं और कहीं इनकी गहरायी डरा देने वाली थी। पर्वतों पर पेड़ों की सुंदरता देखते ही बनती थी। गर्मी के मौसम में भी शीतल हवायें मन को अत्यंत सुख दे रही थीं। नगर की सड़कें स्वछ थीं और घर साफ़ सुथरे थे नैनीताल का नाम एक ताल के कारण पड़ा जो वहां पर है जिसका नाम भी नैनीताल है। इसी ताल के एक किनारे पे नयना देवी का मंदिर है। मंदिर के बहन अत्यंत खूबसूरत पर्वत हैं जो सबका मन मोह लेते हैं। उसके अलावा भी नैनीताल मैं कई स्थल हैं जो बेहद मनमोहक हैं। तीन दिन हम काफी घूमे। उसके बाद पिताजी के मित्र के यहाँ समारोह मैं सम्मिलित होकर हमने अगले दिन घर के लिए रेल पकड़ी।

नैनीताल की यह यात्रा मेरे लिए बहुत सुखद और यादगार रही। वहां की प्राकृतिक सुंदरता ने मन मोह लिया और वहां के दृस्यों को मैं कैमरे में कैद कर लिया। अवसर मिलने पर मैं एक बार फिर ऐसी सुखद यात्रा पे वहां अवश्य जाना चाहूंगा।

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Very nice and write more like these

grate mistake

just joking

Kya phaltu bakwas hai

You have not described the places which you have visited

IT IS VERY INFORMATIVE THANK U SO MUCH

It is written very nice

Thankyou sir bohot achha nibhand he👌👌

Nice not that much good

Really greatly written well. NICE

Silly mistakes

😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆

nice experience great

पर नैनीताल में रेलवे स्टेशन नहीं है

nice …

Bhut accha hai ……..

अच्छा लिखा है आप ने

Your comments and feedback are most important for us to write quality article.

Thank u .well written. Informative

बहुत मजेदार होती हैं कई यात्रायें.

ha ha ha very funny

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यात्रा पर निबंध – 10 lines (Travelling Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

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Travelling Essay in Hindi – शौक एक पसंदीदा शगल या गतिविधि है जिसे कोई व्यक्ति अपने खाली समय में मनोरंजन के लिए करना पसंद करता है। शौक कला और शिल्प जैसे ड्राइंग, पेंटिंग और फोटोग्राफी से लेकर लंबी पैदल यात्रा, स्कीइंग और पर्वतारोहण जैसी बाहरी गतिविधियों तक हो सकते हैं। कुछ लोगों के शौक में दुनिया के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करना, नई संस्कृतियों और दर्शनीय स्थलों की खोज करना भी शामिल है। हममें से कई लोगों के लिए यात्रा करना हमेशा आनंददायक होता है। आज हम यात्रा के बारे में विस्तार से जानेंगे।

यात्रा पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Travelling Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) यात्रा नई संस्कृतियों का अनुभव करने और विभिन्न जीवनशैली के बारे में जानने का एक शानदार तरीका है।
  • 2) यह यादें बनाने और मौज-मस्ती करने का एक शानदार तरीका है।
  • 3) यात्रा तनाव दूर करने और दूसरों के साथ जुड़ने का एक शानदार तरीका है।
  • 4) घर और रोजमर्रा की जिंदगी की दिनचर्या से दूर रहना तरोताजा और आनंददायक हो सकता है।
  • 5) दुनिया के ज्ञान को व्यापक बनाकर यात्रा करना शैक्षिक भी हो सकता है।
  • 6) यात्रा हमें अधिक स्वतंत्र और आत्मविश्वासी बनने में मदद करती है।
  • 7) नई जगहों पर जाने से वहां की संस्कृति के बारे में और अधिक जानने में मदद मिलती है।
  • 8) यह हमें नए लोगों से मिलने और नए दोस्त बनाने का अवसर देता है।
  • 9) यह हमें प्रकृति के संपर्क में आने में मदद करता है।
  • 10) यात्रा हमें जीवन के प्रति नए दृष्टिकोण प्राप्त करने में भी मदद करती है।

यात्रा पर निबंध 100 शब्द (Essay On Travelling 100 Words in Hindi)

मानव स्वभाव ऐसा है कि उसे नई-नई जगहें देखने की इच्छा होती है, वह एक जगह से दूसरी जगह देखने के लिए जाता है जिसे यात्रा कहते हैं।

काम के सिलसिले में या घूमने-फिरने के लिए यात्रा करने के कई उद्देश्य हो सकते हैं। यात्रा करने के कई माध्यम हैं जैसे बस, मोटरसाइकिल, ट्रेन, कार या हवाई जहाज आदि।

यात्रा के कई फायदे हैं. इससे मनुष्य का मन प्रसन्न रहता है। उसे नई जगह पर नए लोग देखने को मिलते हैं। किसी नई जगह पर जाने से व्यक्ति को वहां की संस्कृति के बारे में जानने का मौका मिलता है। वह वहां के लोगों की भाषा के बारे में सीखते हैं और वहां के लोगों के खान-पान और पहनावे के बारे में जानने का मौका मिलता है।

यात्रा के दौरान व्यक्ति को बहुत सी चीजें देखने को मिलती हैं जिनसे वह बहुत कुछ सीख सकता है और अपने जीवन में बहुत सारे बदलाव ला सकता है। कई नए लोग उसके दोस्त बन जाते हैं.

जब किसी व्यक्ति को जीवन में थकान महसूस होती है और मन नहीं लगता तो वह किसी नई जगह की यात्रा करके अपने दिमाग को तरोताजा कर सकता है।

यात्रा पर निबंध 200 शब्द (Essay On Travelling 200 Words in Hindi)

एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा करना यात्रा कहलाता है। इस दुनिया में, वास्तव में अच्छी परिवहन प्रणाली के कारण यात्रा करना वास्तव में लोकप्रिय रहा है। लोग आसानी से दुनिया भर में यात्रा कर सकते हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो अधिक से अधिक ज्ञान और अनुभव प्राप्त करने के लिए पूरी दुनिया की यात्रा कर रहे हैं।

अकादमिक अध्ययन से हम दुनिया के बारे में जान सकते हैं। लेकिन यह हमें कभी भी वास्तविक अनुभव नहीं देता, केवल यात्रा ही ऐसा कर सकती है। जब आप यात्रा करेंगे तो आपको किसी जगह की असली खूबसूरती और असली नजारा देखने को मिलेगा। लोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए पूरी दुनिया में यात्रा कर रहे हैं।

उनमें से कुछ मनोरंजन के लिए यात्रा कर रहे हैं, उनमें से कुछ व्यवसाय के लिए यात्रा कर रहे हैं और कुछ केवल सीखने और शिक्षा के उद्देश्यों के लिए यात्रा कर रहे हैं। यदि आप यात्रा करते हैं, तो आप बहुत सी चीजें सीख सकते हैं जो किसी किताब से सीखना संभव नहीं है, क्योंकि यह एक वास्तविक अनुभव है।

वास्तविक अनुभवों का हमेशा बेहतर मूल्य होता है। यदि आप किसी दूसरे देश के किसी शहर की यात्रा करते हैं, तो आप एक नई संस्कृति, नई भाषा, नई जीवन शैली और नए लोगों के बारे में सीख सकेंगे। यह वाकई किसी के लिए आश्चर्यजनक है. दुनिया को समझने, जीवित रहने के उद्देश्यों को समझने के लिए यात्रा आपका सबसे अच्छा शिक्षक हो सकती है।

यात्रा पर निबंध 300 शब्द  (Essay On Travelling 300 Words in Hindi)

यात्रा हमें तनावमुक्त और तरोताजा महसूस कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है और हमें जीवंत और सक्रिय रखता है। यात्रा हमें उन चीज़ों का व्यावहारिक अनुभव देती है जो हमने किताबों में पढ़ी हैं और इंटरनेट पर देखी हैं। इसलिए जो व्यक्ति बिल्कुल भी यात्रा नहीं करता उसे इंडिया गेट या गंगा नदी के नाम का कोई मतलब नहीं दिखता। हालाँकि, यदि उसने इन स्थानों की यात्रा की है, तो उसने जो कुछ भी अध्ययन किया है वह वास्तव में उसे बता सकता है और उस स्थान के प्रत्येक विवरण को हमेशा याद रखेगा।

आजकल, बहुत से लोग यात्रा करना पसंद करते हैं क्योंकि वे दुनिया का पता लगाना चाहते हैं और वह सब कुछ देखना चाहते हैं जिसके बारे में उन्होंने पढ़ा है। और यह बिल्कुल उचित प्रतीत होता है क्योंकि सैद्धांतिक ज्ञान की तुलना में व्यावहारिक ज्ञान कहीं अधिक आवश्यक और प्रभावी है। लोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मौजूद ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा करना और उनके बारे में जानकारी इकट्ठा करके किताबें और कहानियाँ लिखना पसंद करते हैं।

प्रौद्योगिकी और परिवहन में प्रगति के कारण यात्रा करना आसान हो गया है। पहले लोग सड़क या समुद्र मार्ग से यात्रा करते थे और एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने में कई दिन लग जाते थे, हालांकि, अब परिदृश्य बदल गया है और लोग दूर-दराज के स्थानों तक घंटों और मिनटों में यात्रा करते हैं – अच्छी तरह से निर्मित सड़कों और हवाई जहाजों की बदौलत। लोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए यात्रा करते हैं, कुछ शिक्षा के लिए यात्रा करते हैं जबकि अन्य आराम करने और आनंद लेने के लिए यात्रा करते हैं। बहुत से लोग अपने व्यस्त कार्यक्रम से छुट्टी लेकर छुट्टियों पर जाते हैं, इससे उन्हें आनंद का अनुभव होता है और स्फूर्ति भी मिलती है।

कई कवि, लेखक और चित्रकार प्रकृति की कुछ बेहतरीन चीज़ों को पकड़ने और उन्हें चित्रों या कविताओं के रूप में व्यक्त करने के लिए विभिन्न स्थानों की यात्रा करते हैं। लोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए भी यात्रा करते हैं ताकि अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकें और उससे लाभ प्राप्त कर सकें। छात्र शैक्षिक उद्देश्यों के लिए यात्रा करते हैं इसलिए हर किसी के पास यात्रा करने का एक अनूठा कारण होता है। इसलिए, यात्रा मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह ज्ञान पैदा करती है और मानव जाति को विभिन्न लाभ प्रदान करती है।

यात्रा पर निबंध 500 शब्द (Essay On Travelling 500 Words in Hindi)

यात्रा जीवन में बहुत सी चीजें सीखने का एक अद्भुत तरीका है। दुनिया भर में बहुत सारे लोग हर साल कई जगहों की यात्रा करते हैं। इसके अलावा, इंसानों के लिए यात्रा करना भी महत्वपूर्ण है। कुछ लोग अधिक जानने के लिए यात्रा करते हैं जबकि कुछ लोग अपने जीवन से विश्राम लेने के लिए यात्रा करते हैं। कारण चाहे जो भी हो, यात्रा हमारे लिए अपनी कल्पना से परे की दुनिया का पता लगाने और कई चीजों में शामिल होने का एक बड़ा द्वार खोलती है। इसलिए, यात्रा पर इस निबंध के माध्यम से, हम उन सभी चीज़ों के बारे में जानेंगे जो यात्रा को शानदार बनाती हैं।

हम यात्रा क्यों करते हैं?

यात्रा करने के बहुत सारे कारण हैं। कुछ लोग मनोरंजन के लिए यात्रा करते हैं तो कुछ शिक्षा के उद्देश्य से। इसी तरह, दूसरों के पास यात्रा करने के व्यावसायिक कारण होते हैं। यात्रा करने के लिए सबसे पहले अपनी वित्तीय स्थिति का अंदाजा लगाना चाहिए और फिर आगे बढ़ना चाहिए।

अपनी वास्तविकता को समझने से लोगों को यात्रा के बारे में अच्छे निर्णय लेने में मदद मिलती है। यदि लोगों को यात्रा करने के पर्याप्त अवसर मिले तो वे यात्रा पर निकल पड़ते हैं। शैक्षिक दौरों पर जाने वाले लोगों को पाठ में पढ़ी गई हर चीज़ का प्रत्यक्ष अनुभव मिलता है।

इसी तरह, जो लोग मौज-मस्ती के लिए यात्रा करते हैं उन्हें तरोताजा करने वाली चीजों का अनुभव और आनंद मिलता है जो उनके जीवन में तनाव कम करने वाले के रूप में काम कर सकता है। जगह की संस्कृति, वास्तुकला, भोजन और बहुत कुछ हमारे दिमाग को नई चीजों के लिए खोल सकता है।

यात्रा के लाभ

अगर हम इसके बारे में सोचें तो यात्रा करने के कई फायदे हैं। पहला, हमें नए लोगों से मिलना होता है। जब आप नए लोगों से मिलते हैं तो आपको नए दोस्त बनाने का अवसर मिलता है। यह कोई सहयात्री या स्थानीय व्यक्ति हो सकता है जिससे आपने दिशा-निर्देश मांगे हों।

इसके अलावा, नए युग की तकनीक ने उनके साथ संपर्क में रहना आसान बना दिया है। इस प्रकार, यह न केवल मानव स्वभाव को समझने का एक शानदार तरीका प्रदान करता है बल्कि आपकी यात्रा को आसान बनाने के लिए उन दोस्तों के साथ नई जगहों का पता लगाने का भी एक शानदार तरीका है।

इस लाभ के समान, यात्रा से लोगों को समझना आसान हो जाता है। आप सीखेंगे कि दूसरे लोग कैसे खाते हैं, बोलते हैं, रहते हैं और भी बहुत कुछ। जब आप अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलेंगे, तो आप अन्य संस्कृतियों और लोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जायेंगे।

एक और महत्वपूर्ण कारक जो हम यात्रा करते समय सीखते हैं वह है नए कौशल सीखना। जब आप पहाड़ी इलाकों में जाते हैं, तो सबसे अधिक संभावना है कि आप ट्रैकिंग करेंगे और इस प्रकार, ट्रैकिंग आपकी सूची में एक नया कौशल जुड़ जाएगा।

इसी तरह, यात्रा के दौरान स्कूबा डाइविंग या और भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। एक बहुत ही महत्वपूर्ण चीज़ जो यात्रा हमें सिखाती है वह है प्रकृति का आनंद लेना। यह हमें पृथ्वी की वास्तविक सुंदरता की सराहना करने में मदद करता है।

यात्रा पर निबंध का निष्कर्ष

कुल मिलाकर, यात्रा कर पाना किसी वरदान से कम नहीं है। बहुत से लोगों को ऐसा करने का विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। जिन लोगों को मौका मिलता है, यह उनके जीवन में उत्साह लाता है और उन्हें नई चीजें सिखाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यात्रा का अनुभव कैसा भी हो, चाहे अच्छा हो या बुरा, यह निश्चित रूप से आपको सीखने में मदद करेगा।

यात्रा पर निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: यात्रा करना क्यों लाभदायक है.

उत्तर 1: वास्तविक अनुभवों का हमेशा बेहतर मूल्य होता है। जब हम किसी दूसरे देश के किसी शहर की यात्रा करते हैं, तो यह हमें एक नई संस्कृति, नई भाषा, नई जीवनशैली और नए लोगों के बारे में जानने का मौका देता है। कभी-कभी, यह दुनिया को समझने के लिए सबसे अच्छा शिक्षक होता है।

प्रश्न 2: यात्रा करना क्यों आवश्यक है?

उत्तर 2: यात्रा जीवन का अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आपकी नीरस दिनचर्या को तोड़ने और जीवन को विभिन्न तरीकों से अनुभव करने का सबसे अच्छा तरीका है। इसके अलावा, यह तनाव, चिंता और अवसाद के लिए भी एक अच्छा उपाय है।

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मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध

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रूपरेखा: प्रस्तावना - मेरी प्रथम रेल यात्रा शिमला की - रेल गाड़ी के अंदर का दृश्य - रेल के बाहर पर्वतीय दृश्य - यात्रा का समापन - उपसंहार।

मनुष्य की जिज्ञासा कभी भी एक ही स्थान पर और एक ही उद्देश्य तक सीमित नहीं रहती है। किसी भी यात्रा का अपना अलग सुख होता है। यात्रा करना बहुत लोगों को पसंद होता है। स्थल यातायात में रेलगाड़ी का बहुत महत्व होता है। हमारे भारत में सारे देशों को रेल लाईनों से जोड़ा गया है। मैंने बस से तो कई बार यात्रा की है लेकिन रेलगाड़ी से एक बार भी यात्रा नहीं की है। लोगों से अधिक बच्चे अपनी पहली यात्रा पर उत्सुक होते हैं। लोगों को दूर की यात्रा में बस की जगह रेल अधिक आनंद देती है। बस में सोने, इधर-उधर फिरने की सुविधा नहीं होती है लेकिन रेल में सभी सुविधाएँ होती हैं।

रेलवे प्लेटफार्म से हम खाने-पीने और रोमांचक वस्तुएँ खरीद सकते हैं। प्लेटफार्म पर हम मेले जैसा अनुभव करते हैं। मेरी पहली यात्रा 2007 में पूरी हुई थी। उस समय मैं पांचवी कक्षा में पढ़ता था। मैं अपने परिवार के साथ ग्रीष्मकाल की छुट्टियों में शिमला गया था। यात्रा तो बहुत लोग करते हैं लेकिन पहली यात्रा का अनुभव बहुत खास होता है। रेल यात्रा करते समय हमारे दोस्त भी बन जाते हैं जो हमसे दूर रहते हैं क्योंकि यात्रा करने के लिए बहुत से लोग बहुत दूर-दूर से यात्रा करने के लिए आते हैं।

मेरे पिता जी एक सरकारी पुलिस अधिकारी हैं। उन्हें अपने बड़े अधिकारीयों द्वारा एक माह का अवकाश मिलता है। ग्रीष्म ऋतू के समय में मेरे पिता जी ने शिमला जाने का कार्यक्रम बनाया। इस सुनहरे अवसर पर हम सभी ने रेलगाड़ी द्वारा शिमला जाने की योजना बनाई थी। मैं बहुत आनंदित था कि मैं अपनी पहली यात्रा को पूर्ण करने जा रहा था। शिमला जाने के लिए हम सभी लोगों में तैयारी के लिए भाग-दौड़ शुरू हो गयी थी। पिताजी ने हमें बताया कि हमारे पास कम-से-कम दो-दो आधी बाजुओं के स्वेटर और दो-दो पुलोवर वश्य होने चाहिए। हमारी माता जी ने हमारे पहनने और खाने के लिए बहुत सा सामान रख लिया था।

रेलगाड़ी को शिमला के लिए प्रस्थान में अभी 10 मिनट थीं तो मैं अपने डिब्बे से बाहर आकर सामान्य डिब्बे की तरफ देखने लगा। वहाँ पर किसी मेले जितनी भीड़ थी जिसे देखकर मैं हैरान रह गया। मुंबई रेलवे स्टेशन पर बहुत चहल-पहल थी जो हमारी आँखों से थोड़ी सी देर में ही ओझल हो गयी थी। रेलगाड़ी अपनी दुत गति से लगातार आगे बढती जा रही थी। मेरी बर्थ के सामने मेरी ही उम्र का एक और लड़का बैठा हुआ था। मेरी तरह ही उसकी भी पहली रेलयात्रा थी। उसका नाम रिंकू था। हम सभी लोगों ने रात के समय साथ-साथ भोजन किया था और देर तक बातें भी की थीं।

फिर हम सभी ने अपनी-अपनी सीटों पर सूती चादर बिछाई और उस पर लेट गये। पिता जी ने पहले से ही दो तकियों को खरीद लिया था जिन्हें मैंने मुंह से हवा भरकर फुलाया था। जब मैंने अपनी आँखों को बंद किया तो रेलगाड़ी के चलने की लयात्मक ध्वनी को सुनकर मुझे बहुत आनंद मिल रहा था। कुछ देर बाद हमें नींद आ गयी।

हम सभी लोग अपनी पहली यात्रा को करते समय बहुत खुश थे। मैं अपनी निर्धारित जगह पर बैठकर रेलगाड़ी से बाहर के दृश्य का आनंद ले रहा था। खिड़की से बाहर सभी तरह के दृश्य सामने आ रहे थे और वो अपने दर्शन देकर पीछे दूर जाकर छिप जाते थे। उन दृश्यों को देखकर ऐसा लग रहा था मानो वे मेरे साथ आँख-मिचोली खेल रहे हों। मुझे अपनी पहली रेल यात्रा में बहुत आनंद आ रहा है। मुझे बाहर के दृश्य अत्यंत ही मोह लेने वाले लग रहे हैं। रेलगाड़ी से बाहर हरियाली से भरे खेतों का और महल तथा अट्टालिकाओं से भरे शहर का दृश्य बहुत ही मनमोहक लग रहा था।

हम एक पल खेतों से गुजर रहे होते हैं तो एक पल शहर से गुजर रहे होते हैं। इतने कम समय में इतनी विविधता मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। हमारी रेलगाड़ी बड़े-बड़े शहरों, नगरों, खेतों, नदियों, और जंगलों को पार करती हुई तीसरे दिन सुबह शिमला पहुंची थी।

हमारी रेलगाड़ी अपने स्थान पर पहुंच गयी थी। रेलगाड़ी के अच्छी तरह से रुक जाने की वजह से हम अपना सामान नीचे उतार सके। वहाँ पर सामान को उठाने के लिए कुलियों की व्यवस्था थी। प्लेटफार्म पर उसी तरह की चहल-पहल थी जिस तरह की मुंबई में थी। वहाँ पर भी रेलगाड़ियों के आने-जाने के विषय में घोषणाएं हो रही थीं। वहाँ पर चाय वाले, राशन वाले, नाश्ते वाले सामान को खरीदने के लिए विवश कर रहे थे। कुली हमारा सारा सामान प्लेटफार्म से बाहर ले आया और हमने सबसे पहले एक गाइड ढूंढा क्योंकि हमें शिमला का ज्ञान नहीं था। एक गाइड हमारे पास आया और हमने उसे अपनी योजना के विषय में बताया। तब उसने शिमला में हमारा मार्ग-दर्शन किया था। हमारी रेल यात्रा यहीं पर समाप्त हो गयी थी।

शिमला के लिए प्रस्थानयह मेरी पहली यात्रा का बहुत ही रोमांचक वर्णन है। मेरी पहली रेलयात्रा मेरे लिए जीवन भर अविस्मरणीय रहेगी। रेलयात्रा एक बहुत ही आनंदमय यात्रा होती है। हमारे देश में रेलगाड़ियों की संख्या तो बढ़ गयी है लेकिन फिर भी भीड़ में कोई कमी नहीं आई है। भीड़ पहले से भी अधिक हो गयी है। हमारी सरकार को रेल व्यवस्था में बहुत सुधार करने चाहिए और रेलगाड़ियों की संख्या में भी वृद्धि करनी चाहिए।

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यात्रा | Essay on Journey in Hindi Language

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Here is a compilation of Essays on ‘Journey’  for the students of Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12 as well as for teachers. Find paragraphs, long and short essays on ‘Journey’ especially written for School Students and Teachers in Hindi Language.

List of Essays on Journey in Hindi Language

Essay Contents:

  • निराशाजनक यात्रा पर निबंध । Essay on a Disappointing Journey in Hindi Language

1. यात्रा, एक शौक पर निबंध । Essay on Journey in Hindi Language

बेकन के अनुसार बचपन में यात्रा करना शिक्षा का एक भाग है, एवं बड़े होने पर यह अनुभव का एक भाग है । कुछ लोग अलग तरह से भी सोचते हैं उनके लिये चर्च एवं मठों में जाना, महल एवं किलों में जाना पुरातन एवं खंडहरों में एवं पुस्तकालय एवं विश्वविद्यालयों में जाना केवल समय ही बरबादी है ।

वह यह भी कहते हैं कि व्यक्ति इनके बारे में पढ़ सकता हैं अथवा तस्वीरें देख सकता है जिनमें विश्व की महत्वपूर्ण जगहों को देखा जा सकता है । किन्तु वह भूल जाते हैं कि सत्य को पास से देखने उसे छूने एवं महसूस करने से एक अलग प्रकार की सन्तुष्टि एवं रोमांच की अनुभूति होती है ।

यात्रा करना एक महंगा शौक है किन्तु यह वित्तीय घाटे की भरपाई करता है । अगर एक यात्री को जीवन में एवं इसके आविर्भाव में रुचि है तो वह अपने को व्यस्त एवं प्रसन्न रखने के लिये बहुत सी खोज कर सकता है ।

समाजशास्त्र का एक विद्यार्थी विश्व के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोगों के रीतिरिवाजों एवं धर्मिक अनुष्ठानों से बहुत कुछ प्राप्त कर सकता है । इतिहास का एक विद्यार्थी ऐतिहासिक स्मारकों से इतिहास का जीवत ज्ञान प्राप्त कर सकता है ।

एक इन्जीनियर वास्तुशिल्प की विभिन्न इमारतों को देख कर अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता है । वास्तव में यात्रा से व्यक्ति हर चीज पा सकता है जो उसके ऐन्द्रिय एवं बौद्धिक ललक को सन्तुष्ट करती है । यात्रा का शौक होने पर हम अपने खाली समय में व्यस्त रहते है ।

यह समय के सदुपयोग का सर्वोतम तरीका है । जब तक कोई व्यक्ति अपनी नीरस शारीरिक एवं मानसिक दिनचर्या को तोड़ता नहीं है उसे सन्तुष्टि नहीं मिल सकती । यात्रा से हम दिनचर्या की इस नीरसता को भंग कर सकते है । एक नयी जगह पर व्यक्ति कुछ जानने के लिये उत्सुक एवं ज्ञान अर्जित करने के लिये व्यस्त हो जाता है । रोमांचित एवं आश्चर्य चकित करने वाले स्थल उसके उत्साह को जागृत रखते है ।

यात्रा के समय हम भिन्न-भिन्न लोगों से मिलते हैं । मनोविज्ञान में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को दूसरों को समझने का अनुभव एवं दृष्टि प्राप्त होती है । मनुष्य के स्वभाव को समझ पाना सर्वोतम शिक्षा है ।

ADVERTISEMENTS:

यात्रा का शौक रखना बहुत लाभदायक है इससे हम व्यस्त रहते हैं, शिक्षा प्राप्त होती है एवं हमारे शरीर एवं मन को नयी ऊर्जा प्रदान होती है ।

2. पर्वतीय स्थल की यात्रा  पर निबंध | Essay on Journey to a Hill Station for Teachers in Hindi Language

प्रस्तावना:.

ऐतिहासिक स्थलों व धार्मिक स्थलों की यात्रा मैं कई बार कर चुका हूँ परन्तु पिछले ग्रीष्मावकाश में मुझे पर्वतीय स्थल की यात्रा करने का शुभ अवसर भी प्राप्त हुआ । मेरे पिता जी के एक मित्र नैनीताल में रहते हैं । मैंने कई बार अपने पिता जी से पर्वतीय स्थलो की यात्रा का आग्रह किया था ।

ग्रीष्मावकाश में उन्होंने नैनीताल अपने मित्र के पास जाने का निश्चय किया । उन्होने पहले अपने मित्र को पत्र द्वारा सूचित किया । उनके मित्र ने उन्हे सहर्ष नैनीताल आने का निमत्रण दिया । फिर हमने सपरिवार नैनीताल जाने का कार्यक्रम बनाया ।

यात्रा का शुभारम्भ:

विद्यालय से दृष्टियों पड़ने पर 20 मई को हमने दिल्ली से चलने का निश्चय किया । नैनीताल को प्रतिदिन उत्तर प्रदेश रोडवेज की बसे जाती रहती हैं परन्तु ग्रीष्म काल में नैनीताल जाने के लिए काफी भीड़ रहती है इसलिये वहाँ के लिए करीब पाँच दिन पूर्व हमने आरक्षण के द्वारा अपनी सीटें बुक करा ली थी । हम परिवार के चार सदस्य थे माता-पिता और हम दो भाई-बहिन ।

20 मई को प्रात: बजे हम अपने घर से टैक्सी द्वारा अन्तर्राज्यीय बस अड्‌डे के लिए चल पड़े । 10 बजे बस के प्रस्थान का समय था । हमारे पास सामान भी कुछ अधिक हो गया था क्योंकि मेरे पिता जी ने बताया कि वहीं गर्मियो में भी गरम कपड़ों की आवश्यकता पड़ती है । इसलिए हम अपने साथ सर्दी के कपड़े, बिस्तर आदि ले गये थे ।

अन्तर्राज्यीय बस अड्‌डे से ठीक 10 बजे नैनीताल के लिए बस चल पड़ी । गर्मी बहुत पड़ रही थी । बस मुरादाबाद होते हुए हलद्वानी-काठगोदाम पहुँची । काठगोदाम तक भीषण गर्मी के कारण लू चल रही थी क्योंकि काठगोदाम तक मैदानी भाग रहता है और वहाँ से पर्वतीय भाग शुरू हो जाते हैं ।

काठगोदाम, हलद्वानी से ही पर्वतमालाएँ आकाश को कती हुई दिखाई दे रही थी । कहा है : ”दूरतः पर्वता: रम्या ।” अर्थात् दूर से पर्वत बड़े सुन्दर लगते है । मैं दूर से एकटक होकर पर्वतों के रमणीय दृश्यों को देख रहा था । काठगोदाम से हमारी बस पहाड़ी के टेढ़े-मेढ़े सर्पाकार रास्तों पर चलने लगी । लेकिन वातावरण में एकदम परिवर्तन आ गया था ।

जहाँ थोड़ी देर पहले मैदानी भागो की भीषण गर्मी से हम झुलसे जा रहे थे अब वहाँ के पहाडों पर ठण्डी-ठण्डी हवा चलने लगी थी । पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मेरे पिता जी के मित्र वहाँ बस अड्‌डे पर हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे । कुली के द्वारा सामान लेकर हम अपने पिता जी के मित्र के घर चले गये ।

नैनीताल का वातावरण:

नैनीताल उत्तर प्रदेश की उत्तराखण्ड पर्वत माला में स्थित लगभग सात हजार फुट की ऊँचाई पर है । नैनीताल भारत का सबसे उत्तम दर्शनीय पर्वतीय स्थल है । यह स्थल अग्रेजों को बड़ा प्रिय था । वहाँ के वातावरण को देरवकर वे इसको छोटी विलायत कहते थे । सभी पर्वतीय स्थलो में नैनीताल की अपनी एक विशेषता है । यहाँ पर सात हजार फुट की ऊँचाई पर एक बहुत गहरा तालाब है ।

जिसकी लम्बाई एक किलोमीटर से अधिक व गहराई बहुत अधिक है । उसके निचले चोर को तल्लीताल व ऊपरी छोर को मल्लीताल कहते हैं । पहाड़ की चोटी पर इतना बड़ा ताल एक अद्‌भुत व अनुपम वस्तु है ।हमने दूसरे दिन नैनीताल मे घूमने का निश्चय किया ।

मेरे पिता जी के मित्र के भी दो सन्तान है एक लड़का व एक लड़की । वे भी हमारी आयु वर्ग के बालक हैं । उन्होने हमें नैनीताल में घुमाने का निश्चय किया ।

हम प्रात: उनके साथ घूमने के लिए निकल पड़े । मेरे मन में वहाँ घूमने की बड़ी उत्सुकता हो रही थी । हमने अपनी यात्रा तल्लीताल से शुरू की । मेरे मित्र ने कहा कि पहले तल्लीताल हनुमान गढ़ी देखेगे । हम वहाँ पहुंचे जो एक सुन्दर पहाड़ी टीले पर स्थित है ।

हनुमान गढ़ी पर हनुमान जी का एक मन्दिर है जहाँ से चारों ओर के दृश्य अत्यन्त मनोरम व चित्ताकर्षक दिखाई दे रहे थे । वहाँ से लौटने पर हम मल्लीताल जाना चाहते थे । उसके लिए पैदल, रिका ल गाव द्वारा जाया जा सकता है ।

मेरी इच्छा नाव द्वारा मल्लीताल जान को थी इसलिए हमने वहाँ से दो नावे ली और उन पर सवार होकर तालाब में नाव द्वारा मल्लीताल को चल पड़े । नाव मे बैठना मेरे लिये जीवन का प्रथम अवसर था । नाव द्वारा विहार करने में मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था । मल्लीताल पहुँच कर हमने वहाँ के कई दर्शनीय स्थल देखे ।

पर्वत प्रकृति का भूगार है । यह हमारा सौभाग्य है कि हमारे देश में अनेक पर्वतमालाएँ हैं । विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत हिमालय यहाँ पर स्थित है । सौभाग्य से मुझे वह अवसर प्राप्त हुआ जब हमने हिमालय को दूर से देखा । हमे ऐसे पवित्र रमणीय स्थलो की यात्रा कर आनन्द लेना चाहिए ।

3. हवाई जहाज की  यात्रा । Essay on an Aeroplane Journey for School Students in Hindi Language

पिछली गर्मियों में मैं काठमंडू गया । मैंने विमान द्वारा जाने का निश्चय किया और रॉयल नेपाल एयरलाइन्स द्वारा अपना आर क्षण एक सप्ताह पहले ही करा लिया । मेरे विमान ने इ॰ग॰अ॰ हवाई अड्‌डे से सुबह दस बजे उड़ान भरी । उड़ान से पूर्व हर तरह की पूरी जाँच पड़ताल हुई एवं सीटों पर बैठने के पश्चात यात्रीओं को बेल्ट पहन  के  निर्देश दिये   गये ।

अब विमान तीव्र ने ‘रन वे’ पर दौड़ना प्रारम्भ किया तो बहुत तेज आवाज हुई । पर कुछ ही समय में यह उड़ने लगा । यह मेरी प्रथम हवाई यात्रा थी जब विमान उड़ रहा था मुझे कुछ चक्कर से महसूस हुये । मेरे कान सुन हो  गये । किन्तु कुछ देर पश्चात् में सामान्य अनुभव करने लगा ।

अबविमान तीव्र गतिसे  उड़ रहा था । मैंने-खिड़की से नीचेदेखा तो शहरों और नगरों के मकान खिलौनों जैसे छोटे-छोटे दिखायी पड़ रहे थे । नीचे की दृश्यावली अत्यन्त मोहक थी । जंगल एवं वृक्ष छोटे-छोटे पौधों की तरह लग रहे थे ।

बड़ी नदी भी पानी की एक छोटी धारा प्रतीत हो रही थी जब मैं नीचे की ओर देख रहा था परिचारिका ने मुझे बुलाकर कॉफी एवं कुछ नाश्ता प्रस्तुत किया । मुझे नाश्ता अत्यन्त स्वाद लगा । हवाई जहाज के अन्दर यात्रियों को देखने में बहुत आन्नद आ रहा था । कुछ यात्री ऊँघ रहे थे तो कुछ खर्राटे भर रहे थे । कुछ को चक्कर से महसूस हो रहे थे कुछ असहज से थे ।

कुछ यात्री पत्र-पत्रिकाओं पर दृष्टि डाल रहे थे तो कुछ कोई अपना प्रिय उपन्यास पढ़ कर समय व्यतीत कर रहे थे । कई यात्री आपस में परिचय करने के पश्चात् बात-चीत में व्यस्त हो गये थे । साढ़े ग्यारह बजे हमारे विमान ने पटना में थोड़ी देर का विराम लिया ।

हमें पुन: हल्का नाश्ता दिया गया । कुछ यात्री समाचार पत्र एवं उपन्यास ले आये । और विमान ने अन्तत: नेपाल की राजधानी काठमंडू के लिये उड़ान भरी । जब हवाई जहाज उड़ रहा था मैंने रास्ते की रमणीय दृश्यावली का आनंद उठाया ।

कॉकपिट के मध्य से झाँकने एवं नीचे के दृश्यों को देखना वास्तव में बहुत अच्छा लगा । जब हमारा विमान नेपाल के पहाड़ी इलाकों पर उड़ान भर रहा था तो दृश्यावली और भी अधिक आकर्षक एवं आनददायक हो गयी ।

ऊँचे-ऊँचे पहाड़ विशाल जल-प्रपात संर्कीण-घाटी मार्ग एवं दर्रे घने जंगल पहाड़ों के ऊपर हरी वनस्पति एवं साइप्रस वृक्ष एक अदभुत दृश्य प्रस्तुत कर रह थे । काठमंडू घाटी का दृश्य भी अत्यन्त सुन्दर प्रतीत हो रहा था ।

पहाड़ों से घिरी काठमंडू घाटी को ऊपर से निहारना एक निराला अनुभव है । काठमंडु  की घाटी में मिनारें कँगूरे दार बुर्जों, पैगोडा एवं स्कूपों का सौन्दर्य अनुपम है । अन्तत: हमारा विमान दो बजे के लगभग काठमंडु हवाई अड्‌डे पर उतरा । उस समय सम्पूर्ण काठमंडू शहर सुनहली धूप से नहाया हुआ था । मैंने विमान से बाहर आ हवाई अड्‌डे पर एक रेस्तरा में कॉफी पी एवं एक टैक्सी करके अपने मित्र के घर चला गया ।

4. मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध | Paragraph on My First Train Journey for School Students in Hindi Language

स्थल यातायात में रेलगाड़ी का महत्त्वपूर्ण स्थान है । हमारे देश में सारे देश को रेल लाइनों से जोड़ दिया गया है । मै बस द्वारा तो कई बार यात्रा कर चुका था परन्तु रेल द्वारा यात्रा करने का अवसर मुझे कभी नहीं मिला था । विगत ग्रीष्मकालीन अवकाश में मैने प्रथम बार रेल द्वारा यात्रा की ।

बम्बई जाने का कार्यक्रम:

मेरे पिताजी सरकारी कर्मचारी हैं । उन्हे समय-समय पर अवकाश यात्रा की खूट मिलती है जिसको एल॰टी॰सी॰ कहते हैं । प्रत्येक सरकारी कर्मचारी समय-समय पर एल॰टी॰सी॰ पर यात्रा करते हैं । विगत ग्रीष्मावकाश पर मेरे पिताजी ने एल॰टी॰सी॰ पर बम्बई जाने का कार्यक्रम बनाया । इस अवसर पर हमने रेल द्वारा बम्बई जाने की योजना बनाई । यह मेरी प्रथम रेल यात्रा थी ।

ग्रीष्मावकाश पड़ने पर हम 20 मई को घर से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को चल पड़े । बिस्तरा व आवश्यक सामान लेकर हम टैक्सी द्वारा रेलवे स्टेशन पहुंचे । हमारी गाड़ी को प्लेटफार्म न. 10 पर खड़ा होना था । हम दस नम्बर प्लेटफार्म पर अपनी गाड़ी की प्रती क्षा के लिए बैच पर बैठ गए ।

हमारी गाड़ी ने प्रात: 7 बजे बम्बई को जाना था परन्तु ध्वनि प्रसारण यन्त्र से बताया गया कि बम्बई जाने वाली उक्त गाडी आज एक घण्टा विलम्ब से प्रस्थान करेगी । हम फिर अपने प्लेटफार्म पर इधर-उधर घूमने लगे । 8 बजे तक प्रतीक्षा करने के लिये समाचार-पत्र का अध्ययन करने लगे ।

प्लेटफार्म पर कई प्रकार की दुकाने उपलब्ध होती हैं । पत्र, पत्रिकाये व पुस्तक विक्रेता की दुकाने, फल वाले की दुकान, खाद्य सामग्री की दुकाने आदि । मैंने गाड़ी में पढ़ने के लिए एक पत्रिका ‘पराग’ व एक नन्दन खरीदी । 8 बजे क्षक-क्षक करते हुए रेलगाड़ी प्लेटफार्म दस पर पहुँच गयी ।

यात्रा का अनुभव:

हमारा पहले से ही आरक्षण था । अपने आरक्षित डिब्बे मे हम अपनी पूर्व निर्धारित सीट पर बैठ गए । हमारी ही तरह अन्य यात्री भी उस कम्पार्टमेट में अपनी-अपनी सीट पर आसीन होने लगे । अभी गाड़ी प्रस्थान में पन्द्रह मिनट शेष थे । मैने बाहर आकर सामान्य डिब्बे की ओर देखा । वहीं की भीड़ को देखकर मै दग रह गया ।

गार्ड ने सीटी बजाई और हरी झण्डी दिखाई । मैं फौरन अपने कम्पार्टमेट की ओर दौड़ पड़ा और अपनी सीट पर जा बैठा । गाड़ी शनै:-शनै: छुक-छुक करती हुई नई दिल्ली के स्टेशन से विदा हो गई । नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की वह चहल-पहल देखते-देखते मेरी निगाह से ओझल हो गई ।

केवल रेलगाड़ी अपनी हुत गति से आगे बढ रही थी । मैं गाड़ी की खिड़की के पास बैठकर बाहर के दृश्यो को देखने का आनन्द ले रहा था । सभी प्रकार के दृश्य सामने आ रहे थे और तुरन्त ही दर्शन देकर पीछे को भाग कर क्षप जाते थे । प्रत्येक दृश्य मानो मेरे साथ आंख-मिचौली का खेल खेल रहे थे । मुझे मेरी प्रथम रेल यात्रा बड़ी आनन्ददायक लग रही थी ।

मुझे बाहर के दृश्य अत्यन्त लुभावने लग रहे थे । अभी हम लहलहाते हरे-भरे खेतो के सामने से गुजर रहे थे । क्षण भर में सुन्दर भवनो व अट्टालिका से भरा हुआ शहर सामने आया । एक क्षण में हम शहर में होते थे तो दूसरे क्षण जगल मे पहुंच जाते थे ।

अल्प समय में ही इतनी विविधता मैने पहले नही देखी थी । बड़े-बड़े शहरों, नदियों, जगलों को पार करती हुई हमारी रेलगाड़ी दूसरे दिन प्रात: बम्बई पहुँच गई । रास्ते में हमने समय पर भोजन व नाश्ता लिया था । मेरी माता जी रास्ते में खाने के लिए कई अन्य पदार्थ भी लायी थी ।

यात्रा समाप्ति पर:

हमारी रेलगाड़ी हमारे गन्तव्य स्थल पर पहुंच गयी थी । गाड़ी के अच्छी प्रकार रुक जाने पर हम अपना सामान लेकर नीचे उतरे । कुली ने हमारा सामान उठाया प्लेटफार्म पर वही चहल-पहल थी जो दिल्ली में थी । वहाँ पर भी रेलगाड़ियों के आने-जाने की घोषणाएँ हो रही थीं । चाय वाले, नाश्ते वाले सामने आकर अपने-अपने सामान खरीदने को विवश कर रहे थे ।

कुली हमारा सामान प्लेटफार्म से बाहर लाया । हमने सबसे पहले गाइड दूढा क्योंकि हमे बम्बई शहर का अच्छी प्रकार ज्ञान नही था । तुरन्त एक गाइड हमारे पास आया हमने अपनी सारी योजना से उसको अवगत कराया । तब उसने बम्बई के लिए हमारा मार्ग-दर्शन किया । हमारी रेलयात्रा यही पर समाप्त हो गई ।

मेरी प्रथम रेलयात्रा मेरे लिए जीवन की एक अविस्मरणीय घटना थी । रेलयात्रा बड़ी आनन्ददायक यात्रा होती है । हमारे देश में रेल-गाड़ियों की सख्या काफी बढ़ी है परन्तु भीड़ में कोई कमी नहीं आई है ।

भीड़ विगत दिनों से अधिक ही बढ गई है । हमारी सरकार को रेल व्यवस्था में सुधार करना चाहिए व रेलो की संख्या बढ़ानी चाहिए ।

5. निराशाजनक यात्रा  पर निबंध  । Essay on a Disappointing Journey for Teachers in Hindi Language

बेकन ने कहा है कि बचपन में यात्रा करना शिक्षा अर्जित करना है । शायद उसके मन में एक यात्रा का संस्मरण रहा होगा जिससे अनुभव प्राप्त होता है  एवं हिम्मत बढ़ती है । हेनलिट ने अपने एक निबन्ध में कहा है कि यात्रा सुखद हो जाती है अगर उसमें यात्रा के पश्चात् एवं अच्छा भोजन सुखद आराम मिलने की आशा हो ।

वह आगे कहते हैं कि इस तरह की यात्रा सर्वाधिक प्रसन्नता प्रदान करती है । शायद उसे ऐसी किसी यात्रा का अनुभव नहीं होगा जो और भी अधिक शिक्षाप्रद हो सकती है । वह विफलताओं से भरा एक दिन

था । आशावादी होने के कारण मैंने अपशकुनों को अधिक महत्व नहीं दिया ।

सर्वप्रथम तो स्टेशन जाने के लिये मैंने जो टैक्सी ली वह अन्य गाड़ियों की अपेक्षा अधिक धूँआ फेंकती थी एवं अधिक शोर करती थी । चूंकि मेरे पास समय कम था मैंने उससे ही यात्रा करने का निर्णय लिया । थोड़ी दूर जाने के पश्चात् यह एक थके हुये राक्षस की भांति हाँफने लगी और अचानक रुक गयी । यह पहली निराशा थी ।

मैं तागा करके किसी तरह स्टेशन पहुँचा तो देखा वहा टिकट के लिये लम्बी पंक्ति लगी हुयी है । गाड़ी जाने में कुछ ही समय शेष था और टिकट की खिड़की तक पहुँचने की कोई उम्मीद नहीं थी । यह दूसरी निराशा थी । मैंने बिना टिकट यात्रा करने का निर्णय लिया और सोच लिया कि जुर्माना  भरुंगा ।

गाड़ी में सवार होना भी अपने आप में एक अनुभव था । हालांकि मैं स्वस्थ और हट्टे-कट्टे शरीर का मालिक हूँ लेकिन मुझे बैडमिंटन की शटल कॉक चिड़िया की तरह बाहर धकेल दिया गया एवं मेरा सामान पैरों में रोंद दिया गया ।  किसी तरह मैंने एक कोने में ठहरने की जगह बना ली ।

वहां कुछ लोग सिगरेट पी रहे थे । मैं न तो उस  गन्ध को सह पा रहा था न एक  इन्च भी वहां से हट पा रहा था । मैंने रुमाल से अपना नाक ढक लिया किन्तु उस गन्ध से मेरा दम घुटने लगा । जैसा कि प्रत्याशित था टिकट की जाँच करने वाला निरीक्षक आ गया एवं मैंने स्वयं उसे टिकट न ले पाने की बात बतायी । उसने मुझे अजनबी दृष्टि से देखा एवं डिब्बे के सभी यात्री मुझे घूरने लगे ।

टिकट निरीक्षक मुझे और यात्रा करने देने के पक्ष में नहीं था किन्तु मैंने विरोध किया एवं कहा कि अगर एक यात्री जुर्माना देने के लिये तैयार हो तो उसे यात्रा की अनुमति होनी चाहिये । बहुत बहस बाजी के पश्चात् मैंने उसे मना लिया एवं चैन की सांस ली ।

जब मैं अपनी मंजिल पर पहुँचा मैंने ईश्वर को धन्यवाद दिया । मैं सोच रहा था । मैं अपने चाचा एवं चाची से अच्छे  मूड़ में मुस्कुरा कर मिलूंगा और उनकी मेहमान नवाजी यात्रा की सारी थकावट मिटा देगी । मैं इसका स्वप्न ले रहा था और रिका वाला अर्धसुप्त अवस्था में रिका चला रहा था ।

वहां पहुँचने पर पता चला कि मेरे चाचा-चाची एक महीने के लिये शिमला गये हैं एवं घर पर ताला लगा है । यह सबसे बड़ी निराशा थी । मेरे पास वापसी के लिये पूरे पैसे भी नहीं थे । मैं उस विफल यात्रा को और अधिक याद नहीं करना चाहता क्योंकि वो सब याद करके मेरा मन उदास हो जाता है ।

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मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – My Unforgettable Trip Essay In Hindi

Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से essay को बताया गया है |

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – Essay On My Unforgettable Trip In Hindi

संकेत-बिंदु –

  • यात्रा की अविस्मरणीय बातें
  • यात्रा की तैयारी
  • अविस्मरणीय होने के कारण

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – मनुष्य आदिकाल से ही घुमंतू प्राणी रहा है। यह घुमंतूपन उसके स्वभाव का अंग बन चुका है। आदिकाल में मनुष्य अपने भोजन और आश्रय की तलाश में भटकता था तो बाद में अपनी बढ़ी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए। इनके अलावा यात्रा का एक और उद्देश्य है-मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धन। कुछ लोग समय-समय पर इस तरह की यात्राएँ करना अपने व्यवहार में शामिल कर चुके हैं। ऐसी एक यात्रा करने का अवसर मुझे अपने परिवार के साथ मिला था। दिल्ली से वैष्णों देवी तक की गई इस यात्रा की यादें अविस्मरणीय बन गई हैं।

यात्रा की तैयारी – वैष्णों देवी की इस यात्रा के लिए मन में बड़ा उत्साह था। यह पहले से ही तय कर लिया गया था कि इस बार दशहरे की छुट्टियों में हमें वैष्णों देवी की यात्रा करना है। इसके लिए दो महीने पहले ही आरक्षण करवा लिया गया था। आरक्षण करवाते समय यह ध्यान रखा गया था कि हमारी यात्रा दिल्ली से सवेरे शुरू हो ताकि रास्ते के दृश्यों का आनंद उठाया जा सके। रास्ते में खाने के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थ घर पर ही तैयार किए गए। चूँकि हमें सवेरे-सवेरे निकलना था, इसलिए कुछ गर्म कपड़ों के अलावा अन्य कपड़े एक-दो पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएँ टिकट, पहचान पत्र आदि दो-तीन सूटकेसों में यथास्थान रख लिए गए। शाम का खाना जल्दी खाकर हम अलार्म लगाकर सो गए ताकि जल्दी उठ सकें और रेलवे स्टेशन पहुँच सकें।

यात्रा की अविस्मरणीय बातें – दिल्ली से जम्मू और वैष्णों देवी की इस यात्रा में एक नहीं अनेक बातें अविस्मरणीय बन गई। हम सभी लगभग चार बजे नई दिल्ली से जम्मू जाने वाली ट्रेन के इंतजार में प्लेटफॉर्म संख्या 5 पर पहुँच गए। मैं सोचता था कि इतनी जल्दी प्लेटफॉर्म पर इक्का-दुक्का लोग ही होंगे पर मेरी यह धारणा गलत साबित हुई। प्लेटफार्म पर सैकड़ों लोग थे। हॉकर और वेंडर खाने-पीने की वस्तुएँ समोसे, छोले, पूरियाँ और सब्जी बनाने में व्यस्त थे। अखबार वाले अखबार बेच रहे थे। कुली ट्रेन आने का इंतज़ार कर रहे थे और कुछ लोग पुराने गत्ते बिछाए चद्दर ओढ़कर नींद का आनंद ले रहे थे।

ट्रेन आने की घोषणा होते ही प्लेटफार्म पर हलचल मच गई। यात्री और कुली सजग हो उठे तथा वेंडरों ने अपना-अपना सामान उठा लिया। ट्रेन आते ही पहले चढ़ने के चक्कर में धक्का-मुक्की होने लगी। दो-चार यात्री ही उस डिब्बे से उतरे पर चढ़ने वाले अधिक थे। हम लोग अपनी-अपनी सीट पर बैठ भी न पाए थे कि शोर उठा, ‘जेब कट गई’। जिस यात्री की जेब कटी थी उसका पर्स और मोबाइल फ़ोन निकल चुका था। हमने अपनी-अपनी जेबें चेक किया, सब सही-सलामत था। आधे घंटे बाद ट्रेन अपने गंतव्य की ओर चल पड़ी। एक-डेढ़ घंटे चलने के बाद बाहर का दृश्य खिड़की से साफ़-साफ़ नज़र आने लगा। रेलवे लाइन के दोनों ओर दूर-दूर तक धरती ने हरी चादर बिछा दी थी। हरियाली का ऐसा नजारा दिल्ली में दुर्लभ था। ऐसी हरियाली घंटों देखने के बाद भी आँखें तृप्त होने का नाम नहीं ले रही थीं। हमारी ट्रेन आगे भागी जा रही थी और पेड़ पीछे की ओर। कभी-कभी जब बगल वाली पटरी से कोई ट्रेन गुज़रती तो लगता कि परदे पर कोई ट्रेन गुज़र रही थी।

ट्रेन में हमें नाश्ता और काफी मिल गई। दस बजे के आसपास अब खेतों में चरती गाएँ और अन्य जानवर नज़र आने लगे। उन्हें चराने वाले लड़के हमें देखकर हँसते, तालियाँ बजाते और हाथ हिलाते। सब कुछ मस्तिष्क की मेमोरी कार्ड में अंकित होता जा रहा था। लगभग एक बजे ट्रेन में ही हमें खाना दिया गया। खाना स्वादिष्ट था। हमने पेट भर खाया और जब नींद आने लगी तब सो गए। चक्की बैंक पहुँचने पर ही हमारी आँखें शोर सुनकर खुली कि बगल वाली सीट से कोई सूटकेस चुराने की कोशिश कर रहा था पर पकड़ा गया। कुछ और आगे बढ़ने पर पर्वतीय सौंदर्य देखकर आँखें तृप्त हो रही थीं। जम्मू पहुँचकर हम ट्रेन से उतरे और बस से कटरा गया। सीले रास्ते पर चलने का रोमांच हमें कभी नहीं भूलेगा। कटरा में रातभर आराम करने के बाद हम सवेरे तैयार होकर पैदल वैष्णों देवी के लिए चल पड़े और दो बजे वैष्णों देवी पहुंच गए।

अविस्मरणीय होने के कारण – इस यात्रा के अविस्मरणीय होने के कारण मेरी पहली रेल यात्रा, प्लेटफॉर्म का दृश्य, ट्रेन में चोरी, जेब काटने की घटना के अलावा प्राकृतिक दृश्य और पहाड़ों को निकट से देखकर उनके नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद उठाना था। पहाड़ आकार में इतने बड़े होते हैं, यह उनको देखकर जाना। पहाड़ी जलवायु और वहाँ के लोगों का परिश्रमपूर्ण जीवन का अनुभव मुझे सदैव याद रहेगा।

उपसंहार – मैं सोच भी नहीं सकता था कि हरे-भरे खेत इतने आकर्षक होंगे और ट्रेन की यह यात्रा इस तरह रोमांचक होगी। पहाड़ी सौंदर्य देखकर मन अभिभूत हो उठा। अब तो इसी प्रकार की कोई और यात्रा करने की उत्सुकता मन में बनी हुई है। इस यात्रा की यादें मुझे सदैव रोमांचित करती रहेंगी।

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हवाई जहाज़ की यात्रा पर निबंध Essay on My first Aeroplane journey in Hindi

हवाई जहाज़ की यात्रा पर निबंध Essay on My first Aeroplane journey in Hindi

इस दुनिया के हर इंसान के जीवन मे कोई न कोई ऐसी घटना ज़रूर घटित हुई होती है जो उत्साह और रोमांच से भरी होती है। एक ऐसी ही घटना मेरे जीवन मे घटित हुई थी, जब मैनें पहली बार हवाई जहाज़ से यात्रा की थी। मेरे जीवन की यह सबसे रोमांचक यात्रा थी। आज शाम को जब मैं अपने घर की छत पर सुहाने मौसम का आनंद ले रहा था तभी मैंने एक हवाई जहाज़ को आसमान में उड़ते हुए देखा। इस हवाई जहाज़ को देखकर मेरे मन में  मेरी पहली हवाई जहाज़ से की हुई यात्रा की यादें अचानक से जीवित हो उठी।

मेरी प्रथम हवाई जहाज़ यात्रा पर निबंध My First Aeroplene Journey in Hindi

जब मैं एक अबोध बालक की अवस्था मे था तब इस विशाल नीले गगन में पक्षियों को उड़ते हुए देखकर मेरे मन में बहुत से सवाल जन्म लिया करते थे जैसे कि ये पंक्षी इस खुले आसमान में कैसे उड़ लेते है। इसके अलावा सबसे अहम और मुझे रोमांच से भर देने वाली बात जो मेरे ज़हन में आती थी “कि काश मैं भी इन पक्षियों की तरह इस खुले आसमान में उड़ पाता”, क्योंकि तब मुझे विज्ञान और टेक्नोलॉजी के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नही थी। 

मैने हवाई जहाज़ के बारे में सुना था लेकिन कभी देखा नही था परन्तु मेरे जीवन मे भी एक समय ऐसा आया जब मुझे हवाई जहाज़ से यात्रा करने का मौका मिला। यह मौका था जब मैंने चेन्नई से मालदीव की हवाई यात्रा करनी थी। लेकिन मुझे इस हवाई यात्रा के बारे में कोई जानकारी नही थी इसीलिए मैंने अपने एक मित्र से इसके बारे में पूछा क्योंकि मेरे मित्र ने कई बार हवाई जहाज़ से यात्रा की थी। 

उसी की मदद से मैंने एक ऑनलाइन पोर्टल से एयर टिकट को बुक किया। टिकट बुक करने के बाद उसने मुझे यह भी बताया कि टिकट बुक करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की हमारे द्वारा दी गयी सारी जानकारी सही हो और अपना मोबाइल नम्बर देना तो बिल्कुल भी नही भूलना चाहिए क्योंकि अगर जहाज़ की उड़ान में देरी होती है या जहाज़ के समय मे कोई बदलाव होता है तो एयरलाइंस कंपनी इसकी जानकारी एसएमएस के द्वारा या फिर हमें कॉल कर के देते है। 

उसने मुझे यह भी बताया कि एयरपोर्ट पर जाने से पहले अपने साथ एयर टिकट और एक पहचान पत्र भी अवश्य ले लूँ क्योंकि इसके बिना मुझे एयरपोर्ट के अंदर प्रवेश नही मिलेगा। इस सब के अलावा उसने मुझ को यह भी सुझाया कि जिस तरह हम बस या ट्रेन में सफर करने के लिए टिकट लेकर सीधे अपनी सीट पर बैठ जाते है, हवाई जहाज़ से यात्रा में ऐसा नही होता है। 

हवाई जहाज से यात्रा करने के लिए बुक किये गए हवाई टिकट को एयरपोर्ट पर मौजूद कर्मचारी को दिखाना होता है जिसके बाद वह हमें बोर्डिंग पास देता है। इसी बोर्डिंग पास को दिखा कर ही हम हवाई जहाज़ के अंदर प्रवेश कर सकते है। उसने यह भी बताया कि हवाई जहाज़ में यात्रा करने के लिए एक निश्चित वजन तक का ही सामान हम अपने साथ ले जा सकते है। 

अपने दोस्त से मिली इन सभी जानकारियों के बाद मैंने अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया और अगले दिन फ्लाइट की उड़ान से लगभग दो घंटे पहले मैं बुक की गई टिकट, अपने पहचान पत्र तथा अपने सामान के साथ एयरपोर्ट पर पहुँच गया। एयरपोर्ट पर सभी मानकों को पूरा करते हुए मैंने अपना बोर्डिंग पास हासिल किया। बोर्डिंग पास को लेने के बाद मैं हवाई जहाज़ के अंदर प्रवेश करने के आदेश होने का इंतजार करने के लिए एक बड़े से हाल में बैठ गया। 

इसके कुछ समय बाद जहाज़ में बैठने का आदेश हुआ। जहाज के अंदर जाने के लिए इसके पास एक सीढ़ी लगी हुई थी जिसकी मदद से सभी यात्रियों ने अंदर प्रवेश किया। हवाई जहाज़ के अंदर मुझ को खिड़की के बिल्कुल किनारे वाली सीट मिली थी। जिसकी वजह से मैं बाहर के दृश्यों को आसानी से देख सकता था।

अब हवाई जहाज़ से लगी सीढ़ी को हटाकर इसका दरवाज़ा बंद कर दिया गया। जहाज़ के अंदर यात्रियों की देखभाल करने और उनकी मदद करने के लिए एयर होस्टेस भी थी। उन्ही एयर होस्टेस में से एक ने यह सूचना दी कि कृपया सभी यात्रीगण अपनी अपनी सीट पर लगी हुई सुरक्षा पेटियां बांध लें परन्तु मुझ को सुरक्षा पेटी को बाँधना  नही आता था तो मैंने एक एयर होस्टेस से मदद मांगी। 

हवाई जहाज़ के अंदर पहली बार बैठने का अनुभव मुझे अंदर ही अंदर आनन्दित कर रहा था। अपने उस आनंद को शब्दों में व्यक्त कर पाना मेरे लिए असंभव है। रन-वे पर कुछ दूरी तय करने के बाद अब हवाई जहाज़ धीरे धीरे आसमान की बुलंदी की ओर बढ़ रहा था और कुछ ही समय बाद वह आकाश में बादलों के बीच मे उड़ने लगा था। यह सब मेरे लिए किसी सपने जैसा लग रहा था। 

मानो जैसे मैं खुद किसी आज़ाद पंक्षी की तरह इस खुले आकाश में उड़ रहा हूँ। ऊपर से नीचे देखने पर बड़ी बड़ी इमारतें इंसान और जानवर छोटे छोटे खिलौनें की तरह दिख रहे थे। जमीन पर मौजूद हरे भरे पेड़ -पौधे और नीला समुन्दर जहाज़ के अंदर से एक मनोरम प्राकृतिक दृश्य का चित्रण कर रहे थे। प्रकृति की इस खूबसरती को देखते-देखते समय का पता ही नही चला और अब मेरे हवाई जहाज़ के अपने निर्धारित स्थान पर उतर कर धरती को छूने के लिए तैयार थीं। 

अब हमें पुनः अपनी सुरक्षा पेटियों को बांधने के लिए कहा गया। हवाई जहाज ने रन-वे की पट्टी को छुआ तो हम सभी को हल्का सा झटका महसूस हुआ जिसके कुछ समय बाद जहाज रुक गया। अब फिर से जहाज के पास सीढ़ी लगा दी गयी। हम सभी एक-एक कर उतर कर फिर से हवाई अड्डे के अंदर आ गए। इस तरह मैंने हवाई अड्डे से टैक्सी पकड़ कर अपने गंतव्य पर पहुँच गया।

कुछ घंटों का मेरा यह यात्रा वृतांत मेरे जीवन की एक ऐसी घटना है जिसने न सिर्फ मेरे सपने को पूरा किया अपितु मैंने जीवन मे बहुत सारे अनुभव को भी प्राप्त किया।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
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  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
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  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
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  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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Sobhita Dhulipala looks over one shoulder as she poses for a portrait against a black wall. She pulls her curly hair aside dramatically to better regard the camera.

A Niche Indian Actress Is Thrust Into Hollywood’s Spotlight

Sobhita Dhulipala has taken on risky roles in her acting career, outside of India’s blockbuster hits. Now, she’s starring in Dev Patel’s “Monkey Man.”

Sobhita Dhulipala this week in Los Angeles — only her second time in the United States. Credit... Gabriella Angotti-Jones for The New York Times

Supported by

Anna Kodé

By Anna Kodé and Alisha Haridasani Gupta

  • April 6, 2024

Sobhita Dhulipala considers herself an outsider — wherever she is.

She grew up in the southern Indian state of Andhra Pradesh, making her an outsider in the country’s financial and fashion capital, Mumbai. Her native tongue is Telugu, making her an outsider in predominantly Hindi-speaking Bollywood.

And now, with the release on Friday of the high-octane, Jordan Peele-produced “Monkey Man,” in which she stars alongside Dev Patel, she is again an outsider, thrust into Hollywood’s limelight. In fact, the premiere of the film at South by Southwest in Austin, Texas, last month was the first time Ms. Dhulipala, 31, had ever set foot on American soil.

“In India, I’m South Indian,” Ms. Dhulipala, who lives in Mumbai, said in a video interview from her hotel room in Los Angeles. “When I come to America, I’m Indian.”

“It’s amazing that I get to come to this country with a film,” she added. “It’s like I come with an offering.”

Ms. Dhulipala, wearing an ornate, beaded garment and many rings and bangles, reclines in what appears to be a bathtub.

That real-life feeling of being an outsider is the undercurrent for many of her onscreen roles. In the Amazon Prime series “ Made in Heaven ,” Ms. Dhulipala’s character is a low-income nobody who schemes her way into upper-class circles. In “Monkey Man,” she plays Sita, a call girl whose business is the pleasure of powerful but despicable men.

To her, being able to make a career out of playing characters on the margins who defy easy categorization is a point of pride. “Those are really beautifully complex humans,” she said. “To be considered someone who can be trusted with characters like that is really an honor.”

Acting was never Ms. Dhulipala’s career plan. Her family was full of academics, including her mother, who was a middle-school science teacher, so she figured she would do something similar. “I didn’t grow up thinking that I would be an artist or some such — it was such an irresponsible thought,” she said. “Being creative was, like, an indulgent hobby.”

She was studying for a master’s degree in corporate law in Mumbai when she first dipped her toe in entertainment by taking on a hodgepodge of modeling gigs and TV commercials. In 2013, she entered and won the Miss Earth India pageant. As she started landing more jobs, she dropped out of her master’s program and, in 2016, starred in her first Bollywood film, the psychological thriller “Raman Raghav 2.0.” She then starred in several Tollywood films (Telugu films made in southern India) before being cast in “Made in Heaven,” which was released in 2019.

But it was before she was seeing any success in India, even before the release of her first film there, that she auditioned for the role of Sita in “Monkey Man,” she said. It took the team several years to get back to her — she had assumed they had moved on and found someone else — and when the call finally came, in 2019, Mr. Patel told her that he had decided that she would be perfect for the role from the moment he saw her audition.

Ms. Dhulipala said she had been drawn to “Made in Heaven” in part because the show addressed issues — including gay rights, colorism and the caste system — that weren’t typically touched on in mainstream Bollywood hits.

“If something inspires me or there’s some value I can bring to the story, I want to belong with it,” she said.

“Monkey Man” has just the sort of array of lightning rods that attracts Ms. Dhulipala: an enclave of combative transgender women, an anti-establishment sex worker and an anti-police plot. Working with Mr. Patel on his directorial debut could have been a risky move for a Hollywood unknown, but Ms. Dhulipala said the dynamic had felt especially collaborative. “It’s a different kind of relationship altogether,” she said. “There’s trust, fear, vulnerability, and you move as one pack, one team.”

“There’s a certain purity and passion there — working with a first-time filmmaker,” she added. “So I came on board, I jumped on board.”

Granted, in this film, she barely has a few dozen lines of dialogue, and her character would not pass even a generous version of the Bechdel test. (There’s something poetic, she claimed, in portraying “the moments between the words.”)

Her willingness to buck trends spills over into her style choices, too. Early in her career, she recalled being styled by a bunch of people “who probably did not get my vibe so much,” she said. “Because I didn’t really have that much of a voice, I’d just give in.”

But now, she often follows her instincts, leaning into Indian designers and traditional styles. At the “Monkey Man” premiere last month, she wore a stereoscopic dress designed by Amit Aggarwal , and last year, she walked the runway at India Couture Week in a bejeweled silver lehenga.

“I figured that I don’t have to rely on one person’s vision for me or a stylist’s psyche of what I should look like,” she said. “I can just try things I’m gravitating toward.” A lot of times, her interest in an outfit or look is laced with nostalgia. “I love a sari because maybe that’s my memory of my mother, my teachers in school. There’s a certain grace and dignity, but also sex appeal.”

DietSabya, an influential fashion and celebrity-focused Instagram account that has over 400,000 followers, named Ms. Dhulipala as one of its top picks for best dressed of 2023 . Her style is a hit with fans, too. A bodycon dress by Sabyasachi that she wore in the second season of “Made in Heaven” prompted the show’s audience to label it India’s equivalent of “ the revenge dress .”

Similarly, in what she said feels like another small act of rebellion, Ms. Dhulipala’s been embracing her natural curly hair. “In India, you’re just constantly wanting to look more homogenous. So everyone’s constantly trying to blow-dry, straighten — I’ve been through that journey as well,” she said. Now, she added: “I’m just like, I like my hair, the texture. Hair is history, right? It’s part of your identity.”

In keeping with her unconventional choices, Ms. Dhulipala has her eye on either sci-fi or more action movies in the future. But in the next film, she wants to do more of the action herself, she said. And perhaps a little more talking, too.

Anna Kodé writes about design and culture for the Real Estate section of The Times. More about Anna Kodé

Alisha Haridasani Gupta is a Times reporter covering women’s health and health inequities. More about Alisha Haridasani Gupta

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