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प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi

प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi

इस अनुच्छेद में हमने प्राकृतिक आपदा पर निबंध (Essay on Natural Disasters in Hindi) हिन्दी में लिखा है। इसमें हमने आपदा के कारण, प्रकार, प्रभाव और प्रबंधन के विषय में पूरी जानकारी दी है। इस निबंध में हमने सभी प्रकार के आपदाओं के विषय में 3000 शब्दों में पूरी जानकारी दी है।

सबसे पहले हम आपको बताते हैं प्राकृतिक आपदा क्या है? तो चलिए शुरू करते हैं – प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi

Table of Content

प्राकृतिक आपदा क्या है? What is Natural Disaster in Hindi?

ऐसी कोई भी प्राकृतिक घटना जिससे मनुष्य के जीवन या सामग्री को हानि पहुंचे प्राकृतिक आपदा कहलाता है। सदियों से प्राकृतिक आपदायें मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है।

जंगलो में आग, बाढ़, हिमस्खलन, भूस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवाती तूफ़ान, बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदायें बार-बार मनुष्य को चेतावनी देती है। वर्तमान में हम प्राकृतिक संसाधनो का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।

ये मनुष्य के मनमानी का ही नतीजा है। इन आपदाओं को ‘ईश्वर का प्रकोप या गुस्सा ‘ भी कहा जाता है। आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों, जंगलो, मैदानों, पहाड़ो, खनिज पदार्थो का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। उसी के परिणाम स्वरुप प्राकृतिक आपदायें दिन ब दिन बढ़ने लगी है।

हमे सावधानीपूर्वक प्राकृतिक संसाधनो का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसी आपदाओं के कारण भारी मात्रा में जान-माल की हानि होती है।

अगर हम भारत और आस पास के कुछ बड़े प्राकृतिक आपदाओं की बात ही करें तो –

  • 1999 में ओड़िसा में महाचक्रवात आया जिसमे 10 हजार से अधिक लोग मारे गये।
  • 2001 का गुजरात भूकंप कोई नही भूल सकता है। इसमें 20 हजार से अधिक लोग मारे गये। यह भूकंप 26 जनवरी 2001 में आया था। इसमें अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, गांधीनगर, कच्छ, जामनगर जैसे जिले पूरी तरह नष्ट हो गये।
  • 2004 में हिन्द महासागर में सुनामी आ गयी। इसमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया, दक्षिण भारत प्रभावित हुए। इसमें 2 लाख से अधिक लोगो की जान चली गयी।
  • 2014 में जम्मू कश्मीर में भीषण बाढ़ आई जिसमे 500 से अधिक लोग मारे गये।

प्राकृतिक आपदाओं के कई प्रकार हैं –

  • जंगलो में आग
  • बाढ़ और मूसलाधार बारिश
  • बिजली गिरना,
  • सूखा (अकाल)
  • हिमस्खलन, भूखलन
  • चक्रवाती तूफ़ान
  • बादल फटना (क्लाउड ब‌र्स्ट)

इस तरह की आपदायें कुछ समय के लिए आती है पर बड़ी मात्रा में नुकसान करती है। सभी मकानों, परिसरों, शहरो को नष्ट कर देती है और बड़ी मात्रा में जान-माल का नुकसान होता है। हर कोई इनके सामने बौना साबित होता है। निचे हमने इन सभी प्राकृतिक आपदाओं के विषय में विस्तार में बताया है।

प्राकृतिक आपदाओं का पर्यावरण पर प्रभाव Effect of Natural Disaster on Environment in Hindi

प्राकृतिक आपदा अपने साथ बहुत सारा विनाश लेकर आती है। इससे धन-जन का भारी नुकसान होता है। मकान, घर, इमारते, पुल, सड़के टूट जाती है। करोड़ो रुपये का नुकसान हो जाता है।

रेल, सड़क, हवाईमार्ग बाधित हो जाता है। वन्य जीव नष्ट हो जाते है, वातावरण प्रदूषित हो जाता है। वन नष्ट हो जाते है, परिस्तिथिकी तंत्र को नुकसान पहुचता है। जिस शहर, देश में भूकंप, बाढ़, सुनामी, तूफ़ान, भूस्खलन जैसी आपदा आती है वहां पर सब कुछ नष्ट हो जाता है।

लाखो लोग बेघर हो जाते हैं। फोन सम्पर्क टूट जाता है। जलवायु परिवर्तित हो जाती है। लाखो लोग अचानक से काल के गाल में समा जाते हैं। प्राकृतिक आपदा हमेशा अपने पीछे भयंकर विनाश छोड़ जाती है। शहर को दोबारा बनाने में फिर से संघर्ष करना पड़ता है।

करोड़ो रुपये फिर से खर्च करने पड़ते है। बाढ़, मूसलाधार बारिश, ओलावृष्टि जैसी आपदा सभी फसलों को नष्ट कर देती है जिससे देश में अनाज की कमी हो जाती है। लोग भुखमरी का शिकार हो जाते हैं। सूखा, महामारी जैसी प्राकृतिक आपदा आने से पूरे प्रदेश में बीमारी फ़ैल जाती है जिससे हजारो लोग मौत का शिकार बन जाते हैं।

1992-93 में इथोपिया में भयंकर सूखा पड़ा जिसमे 30 लाख से अधिक लोगो की मृत्यु हो गयी। आज भी हर साल हमारे देश में राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, मध्यप्रदेश में सूखा पड़ता रहता है।

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार और उनका आपदा प्रबंधन Types of Natural Disasters in Hindi with Management

अब आईये आपको हम एक-एक करके विस्तार में सभी प्राकृतिक आपदा के प्रकार और प्रबंधन के विषय में बताते हैं-

1. भूकंप किसे कहते हैं? What is Earthquake in Hindi? (पढ़ें: भूकंप की पूरी जानकारी )

पृथ्वी की सतह के अचानक हिलने को भूकंप या भूचाल कहते है। इसमें धरती में दरारें पड़ जाती है और तेज झटके लगते है। भूकंप आने से घर, मकान, इमारतें, पुल, सड़के सब टूट जाते है। इमारतों में दबने से हजारो लाखो लोगो की मौत हो जाती है।

पृथ्वी के अंदर की प्लेटो में हलचल और टकराने की वजह से भूकंप आते है। 26 जनवरी 2001 में गुजरात में विनाशकारी भूकंप आया था। इसमें 20000 से अधिक लोगो की जान चली गयी थी। अप्रैल 2015 में नेपाल में विनाशकारी भूकंप आया था जिसमे 8000 से अधिक लोग मारे गये। 2000 से अधिक लोग घायल हुए।

भूकंप प्रबंधन Earthquake management in Hindi

  • भूकंप आने पर इमारत, बिल्डिंग, मकान, ऑफिस से फ़ौरन बाहर खुले में आ जायें।
  • किसी भी इमारत के पास न खड़े हों।
  • किसी मेज के नीचे छिप जायें।
  • भूकंप के समय लिफ्ट का प्रयोग न करें। सीढ़ियों से नीचे उतरें।
  • जब तक भूकंप के झटके लगते रहे बाहर खुले स्थान में बैठे रहे।
  • अगर कार मे है तो किसी खुली जगह पर कार पार्क कर दें। कार से बाहर निकल आयें।

2. बिजली गिरना क्या है? What is Lightening in Hindi?

बिजली बारिश के मौसम में आसमान से जमीन पर गिरती है। हर साल विश्व में 24000 लोग आसमानी बिजली गिरने से मौत के शिकार हो जाते है। आसमान में विपरीत दिशा में जाते हुए बादल जब आपस में टकराते है तो घर्षण पैदा होता है।

इससे ही बिजली पैदा होती है जो जमीन पर गिरती है। चूँकि आसमान में किसी तरह का कोई कंडक्टर नही होता है इसलिए बिजली कंडक्टर की तलाश करते करते जमीन पर पहुच जाती है। बारिश के मौसम में बिजली के खम्भों के पास नही खड़े होना चाहिये। मूसलाधार बारिश होने पर बिजली गिरना आम बात है। हर साल सैकड़ो लोग बिजली गिरने से मर जाते है।

बिजली गिरने पर प्रबंधन Lightening Management in Hindi

  • जब भी मौसम खराब हो, आसमान में बिजली चमक रही हो कभी भी किसी पेड़ के नीचे न खड़े हो और कम से कम 5-6 मीटर दूर रहें। बिजली के खम्बो से दूर रहे।
  • धातु की वस्तुओं से दुरी बनाये रहे। बिजली के उपकरणों से दूर रहे। मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।
  • पहाड़ी की चोटी पर खड़े न हो।
  • पानी में न नहाये। ऐसा करके आप बिजली से बच सकते हैं।
  • बिजली गिरते समय अगर आपके आस पास कोई छुपने की जगह ना हो तो किसी गड्ढे जैसी जगह पर घुस कर चुप जाएँ या सर को नीचे करके, घुटनों को मोड़कर पंजों के सहारे नीचे बैठ जाएँ, और अपने दोनों पैर के एडियों को जोड़ें और कानों को उन्ग्लिओं से बंद कर दें।

3. सुनामी किसे कहते हैं? What is Tsunami in Hindi? (पढ़ें: सुनामी की पूरी जानकारी )

सुनामी की परिभाषा है “बन्दरगाह की तरंगे” समुद्र तल में हलचल, भूकंप, दरार, विस्थापन, प्लेट्स हिलने के कारण सुनामी की बेहद खतरनाक तरंगे उत्पन्न होती है। इस लहरों की गति 400 किमी/ घंटा तक हो सकती है। लहरों की उंचाई 15 मीटर से भी अधिक हो सकती है। सुनामी के कारण भारी धन-जन हानि होती है।

आसपास के क्षेत्रो, समुद्रतट, बंदरगाह, मानव बस्तियों को ये नष्ट कर देती है। 26 दिसम्बर 2004 को हिन्द महासागर में सुनामी आने से 11 देशो में 2.8 लाख लोग मारे गये। 10 लाख से अधिक लोग बेघर हो गये। करोड़ो रुपये का नुकसान हुआ। इस सुनामी में भारत का दक्षिणी छोर “इंदिरा पॉइंट” नष्ट हो गया।

सुनामी पर प्रबंधन Tsunami Disaster Management in Hindi

  • सुनामी से बचाव के लिए एक जीवन रक्षा किट बना लें। इसमें खाना, पानी, फोन, दवाइयां, प्राथमिक उपचार किट रखे।
  • सुनामी आने से पहले अपने स्थान से बाहर निकलने की ड्रिल एक दो बार कर लें। आपके पास एक अच्छा रास्ता होना चाहिये जिससे आप फ़ौरन उस स्थान से सुरक्षित स्थान पर जा सकें।
  • आपके पास शहर का एक नक्शा होना चाहिये क्यूंकि सुनामी आने पर हजारो की संख्या में लोग शहर से बाहर जाने लगते है।
  • सरकारी चेतावनी, मौसम विभाग की चेतावनी को आप ध्यानपूर्वक सुनते रहे। जादातर सुनामी भूकंप के बाद आती है।
  • यदि पशु अजीब व्यवहार करे, पक्षी स्थान छोड़कर जाने लगे तो ये सुनामी का संकेत हो सकता है।
  • सुनामी आने से पहले समुद्र का पानी कई मीटर पीछे चला जाता है, इस बात पर भी ध्यान देना बहुत आवश्यक है।
  • सुनामी से बचने के लिए समुद्र तट से दूर किसी स्थान पर चले जाएँ।

4. बाढ़ किसे कहते है? What is Flood in Hindi? (पढ़ें: बाढ़ की पूरी जानकारी )

किसी स्थान पर जब अचानक से ढेर सारी बारिश हो जाती है तो पानी जगह जगह भर जाता है। ऐसी स्तिथि में सड़के, रास्ते, खेत, नदी, नाले सभी भर जाते है। जीवन अवरुद्ध हो जाता है। इसी स्तिथि को बाढ़ कहते है। बारिश का यह पानी बहता रहता है।

बाढ़ आने पर निचले भागो में रहने वाले लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो जाते है। फसलों को बहुत नुकसान होता है। अधिक बाढ़ आ जाने से पशु-पक्षी पानी में डूबकर मर जाते है। लोगो का जीना मुश्किल हो जाता है। 2005 में मुंबई में भयानक बाढ़ आ गयी जिसमे 5000 लोग मारे गये। इसमें मुंबई शहर को पूरी तरह से रोक दिया था।

बाढ़ आपदा प्रबंधन Flood Disaster Management in Hindi

  • बाढ़ से बचने के लिए किसी ऊँची सुरक्षित जगह पर चले जाना चाहिये जहाँ पानी न हो।
  • अपने साथ में खाने-पीने का जरूरी सामान, दवाइयां, टोर्च, पीने का पानी, रस्सी, चाक़ू, फोन जैसा जरूरी सामान ले लें।
  • बाढ़ में घर का बिजली का मेंन स्विच बंद कर दें।
  • घर की कीमती वस्तुएं, कीमती कागजात को उपर वाली मंजिल में रख दें।
  • बहते बाढ़ के पानी में न चले। इससे आप बह सकते हैं।
  • गिरे हुए बिजली के तार से दूर रहे। आपको करेंट लग सकता है।

5. चक्रवाती तूफान क्या है? What is Cyclone in Hindi? (पढ़ें: चक्रवात )

हमारे देश में चक्रवात प्रायः बंगाल की खाड़ी में आते हैं। ये समुद्र की सतह पर निम्न वायु दाब के कारण उत्पन्न होते है। तेज हवायें बारिश के साथ गोलाकार रूप में दौड़ती है जो समुद्रतट पर जाकर भयंकर विनाश करती है।

यह रफ्तार के अनुसार श्रेणी 1 से लेकर श्रेणी 5 तक होते है। इनकी गति 280 किमी/ घंटा से अधिक हो सकती है। देश में 1839 में कोरिंगा चक्रवात आया था जिसमे 20000 से अधिक लोगो की मौत हो गयी। 1999 में ओड़िसा में 05B नाम का चक्रवात आया था जिसमे 15000 से अधिक लोग मारे गये थे।

चक्रवाती तूफान प्रबंधन Cyclone Disaster Management in Hindi

  • आंधी, तूफ़ान, चक्रवातीय तूफ़ान आने पर घर में ही रहना चाहिये। घर से बाहर नही निकलना चाहिये।
  • सभी खिड़की दरवाजे बंद कर लेना चाहिये। पक्के मकान में ही रहना चाहिये।
  • आंधी-तूफ़ान आने पर बिजली चली जाती है। इसलिए अपने पास बैटरी, टोर्च, ईधन, फोन, लालटेन, माचिस, खाना, पीने का पानी पहले से रखे।
  • प्राथमिक उपचार किट भी अपने पास रखे। स्थानीय रेडियो का प्रसारण सुनते रहे।

6. अकाल या सूखा पड़ना क्या है? What is Drought in Hindi?

सूखा में किसी स्थान पर कई महीनो, सालों तक कोई वर्षा नही होती है, जिसके कारण भूजल का स्तर गिर जाता है। इससे कृषि बुरी तरह प्रभावित होती है। पालतु पशुओ, पक्षियों, मनुष्यों के लिए पेयजल का संकट हो जाता है जिसके कारण पशु, जानवर, मनुष्य मर जाते है। सूखा के कारण कुपोषण, भुखमरी, महामारी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है।

सूखा के कारण उस स्थान पर किसी फसल की खेती नही हो पाती है। यह 3 प्रकार का होता है- मौसमीय सूखा, जलीय सूखा, कृषि सम्बन्धी सूखा। कई महीनों तक वर्षा नही होने से, भूजल का अत्यधिक दोहन, वनों की कटाई, जल चक्र का नष्ट होना, पहाड़ियों पर अत्यधिक खनन पेड़ो की अत्यधिक कटान ये सब कारण सूखा पड़ने के लिए उत्तरदाई है।

सूखे से निपटने के उपाय Drought solutions in Hindi

  • सूखे की समस्या से निपटने के लिए वर्षा के जल का संरक्षण टैंको और प्राकृतिक जलाशयों में करना चाहिये।
  • सागर जल अलवणीकरण किया जाना चाहिए जिससे समुद्र के जल को सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
  • अशुद्ध जल को पुनः शुद्ध करना चाहिये। अपशिष्ट जल का प्रयोग घर की सफाई, सब्जियाँ धोने, बगीचे को पानी देने, कार, वाहन सफाई में कर सकते है।
  • बादलो की सीडिंग करके अधिक वर्षा प्राप्त की जा सकती है।
  • सूखा की समस्या से बचने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिये।
  • जिन क्षेत्रो में सूखा की समस्या रहती है वहां लोगो को सीमित मात्रा में पानी इस्तेमाल करना चाहिये।
  • ऐसे क्षेत्रो में अधिक पानी का दोहन करने वाली फैक्ट्री, उद्योगों को बंद करना चाहिये।

7. जंगल में आग लगना What is Wildfire in Hindi?

गर्मियों के मौसम में अक्सर जंगलो में आग लग जाती है। इसके पीछे मानवीय और प्राकृतिक कारण जिम्मेदार होते हैं। कई बार मजदूर घास, पत्तियों में आग लगाकर छोड़ देते है जिससे आग पूरे जंगल में फ़ैल जाती है।

कई बार सूरज की गर्म किरणों से सूखी पत्तियों में आग लग जाती है। उतराखंड राज्य में चीड़ के जंगलो में अक्सर आग लगती रहती है।

जंगल में आग लगने पर प्रबंधन Management in Wildfire in Hindi

  • जंगल में आग लगने पर वन विभाग के कर्मचारियों को तुरंत सूचित करना चाहिये।
  • जंगल की आग बुझाना अत्यंत कठिन काम है। इसे अधिक स्टाफ और आधुनिक उपकरणों की सहायता से बुझाया जा सकता है।
  • हेलीकाप्टर के जरिये पानी का छिड़काव करके जंगल की आग बुझाई जा सकती है।
  • जंगल में आग लगने पर फौरन पुलिस को फोन करना चाहिये।
  • हानिकारक धुवें से बचने के लिए अपने मुंह पर कपड़ा बाँध लेना चाहिये।
  • किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिये।
  • जंगल के किनारे स्तिथ घर को खाली कर देना चाहिये। फायर फाइटर को फोन करना चाहिये।

8. हिमस्खलन किसे कहते हैं? What is Avalanche in Hindi?

पहाड़ो पर हिम (बर्फ), मलवा, चट्टान, पेड़ पौधे आदि के अचानक खिसकने की घटना को हिमस्खलन कहते हैं। बर्फ से ढके पहाड़ो पर इस तरह की प्राकृतिक आपदा जादा होती है। यह बहुत विनाशकारी होता है। अपने मार्ग में आने पर घर, मकानों, पेड़ पौधों को तोड़ देता है।

इसमें दबकर हर साल हजारो लोगो की जान चली जाती है। यह सड़को, पुलों, राजमार्गो को तबाह कर देता है। पहाड़ो को काटकर सड़के बनाना, मानवीय कार्य, लगातार बारिश, भूकंप, जमीन में कम्पन, अधिक बर्फबारी, डेल्टा में अधिक अवसाद का जमा होना- ये सभी कारणों की वजह से हिमस्खलन होता है।

हिमस्कलन पर आपदा प्रबंधन Disaster Management in Avalanche in Hindi

  • हिमस्खलन में गिरने वाले बर्फ को रोकने के लिए लोहे के तारो का जाल बनाकर पहाड़ो पर सड़कों की सुरक्षा की जा सकती है।
  • सोफ्टवेयर द्वारा पहाड़ी जगहों में ऐसे स्थानों का पता लगा सकते हैं जहाँ हिमस्खलन आ सकता है।
  • पहाड़ो पर अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, ढलानों को काटकर चबूतरा बनाकर, मजबूर दीवार बनाकर हिमस्खलन को रोका जा सकता है।

9. भूस्खलन किसे कहते हैं? What is Landslide in Hindi?

यह प्राकृतिक आपदा भूवैज्ञानिक घटना है। भूस्खलन के अंतर्गत पहाड़ी, पत्थर, चट्टान, जमीन खिसकना, ढहना, गिरना, मिटटी बहना जैसी घटनाये होती है। यह छोटी से बड़ी मात्रा में हो सकता है। छोटे भूस्खलन में छोटे-छोटे पत्थर नीचे की तरफ गिरते है।

बड़े भूस्खलन में पूरी की पूरी पहाड़ी ही नीचे गिर जाती है। इससे जान-मान, धन-जन की हानि होती है। यह भारी बारिश, भूकंप, धरातलीय हलचल, मानवीय कार्यों जैसे पहाड़ो पर पेड़ो की कटाई, चट्टानों को काटकर सड़क, घर बनाने, पानी के पाइपों में रिसाव से होता है।

भूस्खलन होने पर प्रबंधन Disaster Management for Landslide in Hindi

  • भूस्खलन होने पर फ़ौरन उस स्थान से निकल जाना चाहिये।
  • अपने साथ में एक सेफ्टी किट रखनी चाहिये जिसमे जरूरी सामान, फर्स्ट ऐड बोक्स, पीने का पानी हो।
  • रेडिओ, टीवी पर मौसम की जानकारी लेते रहे।
  • अगर आपका घर भूस्खलन के क्षेत्र में है तो जादा से जादा पेड़ चारो तरफ लगाइये। पेड़ पहाड़ो को बांधे रखते है।
  • अपने घर के आस पास की जगह की नियमित जांच करते रहिये।
  • जिस स्थान पर उपर से चट्टान गिरने का खतरा हो वहां से दूर रहे।
  • हेलिकॉप्टर या बचाव दल का फोन नम्बर हमेशा अपने पास रखे।

10. ज्वालामुखी फटना क्या है? What is Volcano eruption in Hindi?

ज्वालामुखी में पृथ्वी के भीतर से गर्म लावा, राख, गैस का तीव्र विस्फोट होता है। यह प्रकिया धीरे भी हो सकती है और तीव्र भी। यह प्राकृतिक आपदा 3 प्रकार का होता है- सक्रीय ज्वालामुखी, प्रसुप्त ज्वालामुखी, मृत ज्वालामुखी।

इसी वर्ष 2018 में ग्वाटेमाला में ज्वालामुखी विस्फोट होने से 33 लोगो की मौत हो गयी, 20 लोग घायल हुए और 17 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए। ज्वालामुखी का धुआं बहुत ही हानिकारक होता है। विस्फोट होने पर यह 100 किमी से अधिक के दायरे में आकाश में फ़ैल जाता है जिसके कारण हवाई जहाजो की उड़ाने रद्द करनी पड़ती है।

ज्वालामुखी फटने पर आपदा प्रबंधन Disaster management in Volcano eruption in Hindi

  • ज्वालामुखी फटने पर फ़ौरन घर का कीमती सामान अपने साथ लेकर सुरक्षित स्थान पर चले जायें।
  • अपने पालतु पशुओं को भी साथ ले जायें।
  • मौसम विभाग, स्थानीय रेडियो प्रसारण को सुनते रहे जिससे आपको नई जानकारी मिलती रहे।
  • स्थानीय मार्गो का एक नक्शा अपने पास रखे।
  • साथ में एक जीवन रक्षा किट भी साथ रखे जिसमे दवाइयाँ, टोर्च, पीने का पानी, अन्य सामान हो। अपने मित्रो और परिवार के साथ में रहे (अकेले न रहे)।
  • बचाव दल का नम्बर अपने पास रखे।
  • ज्वालामुखी राख से अपनी कारो, मशीनों को बचाने के लिए प्लास्टिक के कवर से ढंक दें।

11. महामारी किसे कहते है? What is Epidemic in Hindi?

किसी क्षेत्र विशेष में जब कोई बीमारी बड़े पैमाने पर फ़ैल जाती है तो उसे महामारी कहते हैं। यह संक्रमण के कारण हवा, छूने, पानी के माध्यम से फैलती है। कई बार यह पूरे देश में फ़ैल जाती है। 2009 में पूरे विश्व में एच1एन1 इंफ्लूएंजा (स्वाइन फ्लू) की बिमारी फ़ैल गयी। जल्द ही यह भारत में भी फ़ैल गयी थी। भारत में 2700 लोग स्वाइन फ्लू से मारे गये और 50 हजार से अधिक लोग बीमार हो गये।

वर्ष 2019 में चीन से शुरू हुए नोवेल कोरोना वायरस (nCOVID) की वज़ह से दुनिया भर में लाखों लोग इससे इन्फेक्टेड हो गए। जिसके कारण हजारों लोगों की जान इसमें चहली गयी।

महामारी फैलने पर आपदा प्रबंधन Epidemic Management tips in Hindi

  • महामारी (संक्रामक रोग) बरसात और ठंडे के मौसम में अधिक होते है। रोगाणु- विषाणु पानी के माध्यम से सबसे जल्दी फैलते है इसलिए साफ़ पानी पीना चाहिये। दस्त, पेचिस, हैजा, मियादी बुखार, पीलिया, पोलियो जैसे रोग अशुद्ध पानी के सेवन से फैलते हैं।
  • इनसे बचने के लिए ताज़ी कटी सब्जियों, फलों का सेवन करना चाहिये। भोजन करने से पहले हाथो को अच्छी तरह से धोइये। नियमित रूप से नाख़ून कांटे, दाढ़ी और बाल कटवाएं।
  • रोज साबुन और मलकर नहायें और खाना खाने के बाद-पहले अच्छे से हांथ धोएं।
  • किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर शांत रहे। अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकारी आदेशो का पालन करें, अकेले न रहे। अपने परिवार के साथ ही रहे।
  • अपने पास पुलिस, अस्पताल, अग्निशमन सेवा, एम्बुलेंस, बचाव दल का फोन नम्बर जरुर रखे।
  • अपने पास एक आपातकालीन किट जरुर रखे। इसमें माचिस,टोर्च, रस्सी, चाक़ू, पानी, टेप, बैटरी से चलने वाला रेडियो रखे।
  • अपने परिचयपत्र, कागजात, जरूरी कागज अपने पास रखे।

12. ओलावृष्टि क्या है? What is Hail in Hindi?

आसमान में जब बादलो में मौजूद पानी की बुँदे अत्यधिक ठंडी होकर बर्फ के रूप में जमकर जमीन पर गिरती है तो उसे ओलावृष्टि या वर्षण प्राकृतिक आपदा कहते है। इसे आम भाषा में ओला गिरना भी कहा जाता है। यह अक्सर गर्मियों के मौसम में दोपहर के बाद गिरते है। ओलावृष्टि अक्सर तब होती है जब बादलो में गडगडाहट और बिजली बहुत अधिक चमकती है।

ओलावृष्टि से सबसे अधिक नुकसान किसानो को होता है। अधिक ओलावृष्टि होने से फसलें बर्फ के गोलों से ढँक जाती है और नष्ट हो जाती है। यदि बर्फ के गोले बड़े हो तो मकान, खिड़की, कारो के शीशे तोड़ देते हैं। कुछ महीनो पहले हिमाचल प्रदेश में ओलावृष्टि होने से 2.5 करोड़ का नुकसान हुआ। सेब, नाशपाती की फसलें बर्बाद हो गयी थी।

13. बादल फटना किसे कहते हैं? What is Cloud Burst in Hindi?

इस प्राकृतिक आपदा मेघविस्फोट भी कहते है। जब बादल अधिक मात्रा में पानी लेकर चलते है और उनके मार्ग में कोई बाधा अचानक से आ जाती है तो बादल अचानक से फट जाते हैं। ऐसा होने से उस  स्थान पर करोड़ो लीटर पानी अचानक से गिर जाता है। पानी की विशाल मात्रा मजबूत पक्के मकानों, सडकों, पुलों, इमारतों को ताश के पत्ते की तरह तोड़ देती है।

उतराखंड, केदारनाथ, बद्रीनाथ, जम्मू-कश्मीर, जैसे राज्यों में बादलो के मार्ग में हिमालय पर्वत,पहाड़ियाँ, गर्म हवा आ जाने के कारण बादल फटने की घटनाये होती रहती हैं। 2013 में उतराखंड में बादल फटने से 150 से अधिक लोग मारे गये। धन-जन की भारी बर्बादी हुई।

निष्कर्ष Conclusion

आज के लेख में हमने आपको विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानकारी दी है। इससे बचने के उपाय अपनाकर आप भी इस आपदाओं से बच सकते हैं। आशा करते हैं आपको यह लेख प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi अच्छा लगा होगा।

पढ़ें: पर्यावरण संरक्षण पर जबरदस्त नारे

27 thoughts on “प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi”

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Natural Disasters in Hindi | प्राकृतिक आपदाओं के हिंदी में नाम

A natural disaster is a major adverse event resulting from natural processes of the Earth; examples include floods, hurricanes, tornadoes, volcanic eruptions, earthquakes, tsunamis, storms, and other geologic processes.

Below are the Hindi & English Names of Natural disasters

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Natural Disasters –

Also visit- Soil types names in Hindi and English

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प्राकृतिक आपदा क्या है? (निबंध)। Natural Disasters in Hindi

प्राकृतिक आपदा पर निबंध | Essay on Natural Disasters in Hindi

प्रकृति द्वारा लायी गई मुसीबतो को प्राकृतिक आपदा कहते है। जैसे- भूकम्प, ज्वालामूखी का फटना, बाढ, सूखा, तेज हवाये, इत्यादि। इस लेख मे हम प्राकृतिक आपदा (Natural Disasters in Hindi) पर लेख पढेंगे। और जानेंगे की प्राकृतिक आपदा कैसे आती है प्राकृतिक आपदा के कारण व निवारण ।

Natural Disasters in Hindi

वातावरण मे अप्राकृतिक बदलाव व पृथ्वी के आंतरिक हलचल के कारण उत्पन्न भयानक प्रभाव ही, प्राकृतिक आपदा का मुख्य कारण होते है या पर्यावरण मे ऐसे बदलाव जो जीवो के लिये हानिकारक हो उन्हे प्राकृतिक आपदा कहते है। प्राकृतिक आपदा का अर्थ प्रकृति द्वारा लायी गई मुसीबतो से होती है, इसका मुख्य कारण कही न कही मानव सभ्यता ही है, इस आधुनिक दुनिया मे मानव कई ऐसे कार्य कर रहे, जिससे मानव निर्मित आपदा व प्राकृतिक आपदा का जन्मदाता माना जा सकता है, कोरोना महामारी इसका मुख्य उदाहरण है।

प्राकृतिक आपदा के प्रकार

वैसे तो पुस्तको व अन्य लेखो मे प्राकृतिक आपदा का कोई जिक्र नही किया गया है, लेकिन कुछ निम्नलिखित प्रकार है, जिनके कारण “प्राकृतिक आपदा के प्रकार” को कई भागो मे बाटा जा सकता है।

स्वास्थ्य व रोग आपदा

अंतरिक्ष आपदा.

ऐसी प्राकृतिक आपदा जो जल के द्वारा लायी गई हो, उन्हे जलीय आपदा कहते है। मुख्य रुप से ये जल के किनारे बसे शहरो को अधिक प्रभावित करते है। जलीय आपदा जैसे – बाढ़ , सूनामी, इत्यादि Tips स्वास्थ्य कैसे रहे

  • बाढ़ = जब नदियो व महासागरो का जल स्तर अधिक हो जाता है तो बाढ़ जैसी समस्या उत्पन्न होती है, इसका मुख्य कारन अधिक वर्षा, बादल का फट जाना, हिमखंडो का पिघलना इत्यादि है। भारत के बिहार राज्य, बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित राज्य है, यहाँ की 76% से अधिक आबादी ऐसे स्थानो पर है जहाँ बाढ़ कभी भी तबाही मचा सकती है।
  • सूनामी= समुद्र मे उठे विनासकारी लहर को सूनामी कहते है। इसका मुख्य कारण, भुंकम्पा, ज्वालामुखी का फटना या किसी अन्य प्रकार विस्फोट, इत्यादि

भूमी के द्वारा लाये गये प्राकृतिक आपदा को भूमी आपदा कहते है। ये आपदा अन्य आपदो के मुकाबले ज्यादा हानिकारक होते है, इसका मुख्य कारण है की पृथ्वी पर रहने वाले अधिकत जीव-जंतु भूमी पर रहते है, जिसके कारण भूमी आपदा से अधिक नुकसान झेलना पद सकता है। भूमी आपदा जैसे-

  • ज्यालामुखी विस्फोट
  • भूस्खलन व मिट्टी का बहाव (इत्यादि)

मौसमी आपदा । वातावरण आपदा

मौसम के कारण उत्पन्न प्राकृतिक आपदा, मौसमी आपदा कहलाते है, अधिकतर ये किसी विशेष मौसम मे उत्पन्न होते है। इसका मुख्य कारण वातावरण मे परिवर्तन होता है। मौसमी आपदा जैसे-

  • बर्फानी तूफान
  • चक्रवाती तूफान

प्राकृतिक रुप से उत्पन्न सामूहिक स्वास्थ्य समस्या को प्राकृतिक स्वास्थ्य व रोग आपदा कहते है। अधितर एसी आपदाये मनुष्य को धीरे-धीरे करके मारती है। स्वास्थ्य आपदा जैसे-

  • स्पैनिश फ्लू
  • स्वाईन फ्लू
  • कोरोना वायरस

अधिकतर के कारण हुये विनाश को अंतरिक्ष आपदा कहते है, ये आपदा अधिकर काल्पनिक होती है, अर्थात अंतरिक्ष आपदा का मुख्य कारण अंतरिक्ष से गिरे चट्टानो की वजह होती है, जैसे- सौर भडकाव, सौर मण्डल से गिरे उल्कापिण्ड, इत्यादि, हालाकि एसी आपदा आना सम्भव नही, लेकिन ऐसी आपदाये समूचे जीव को खत्म करने मे सक्षम होती|

प्राकृतिक आपदा के नाम

प्राकृतिक आपदा के कारण

प्राकृतिक आपदा की परिभाषा: वातावरण मे अचानक बदलाव व पृथ्वी के आंतरिक हलचल के कारण उत्पन्न भयानक प्रभाव ही, प्राकृतिक आपदा का मुख्य कारण होते है। ये बदलाव पूरी मानवजाति को खत्म करने मे सक्षम होती है। अर्थात ऐसी प्राकृतिक आपदाओ से सभी प्रकार के जीव-जंतुयो को भारी नुकसान झेलना पड जाता है। प्राकृतिक आपदा जैसे- भुंकम्प, ज्वालामुखी का विस्फोट, सौर विस्फ़ोट, बाढ, सूनामी, अकाल, तेज तूफान, मुसलाधार बारिश, इत्यादि।

प्राकृतिक आपदा का परिणाम : प्राकृतिक आपदा का परिणाम अन्य आपदायो से अधिक भयानक होता है, इसके द्वारा लाये गये, भुकम्प, बाढ, ज्यालामुखी, विस्फोट, सूनामी जैसी अन्य आपदाये लाखो की संख्या मे जीवो की हत्या करती है, ये आपदाये सिर्फ मानव जीवन को ही नही बल्की पेड-पौधे, जीव-जंतु, पशु-पक्षियो को भी भारी नुकसान पहुचाती है। इन आपदाओ के कारण पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो व वस्तुयो का नुकसान होता है।

प्राकृतिक आपदा का प्रभाव : प्राकृतिक आपदा कुछ मिनटो मे सब कुछ तबाह कर देती है, और सभी जीवो पर भयानक प्रभाव छोड जाती है, इसके कारण मनुष्यो द्वारा बनायी गई वस्तुयो को भारी नुकसान होता है। जैसे- घर का गिर जाना, भोजन सामग्री डूब जाना, पेड-पौधो का गिरना, इत्यादी आसान भाषा मे समझे तो प्राकृतिक आपदा सभी जीवो को तहस-नहस कर देती है। ज्यादातर प्राकृतिक आपदाये अधिक मानव, जीव-जंतुयो व पशु-पक्षियो के मृत्यु का कारण बनती है।

इस लेख मे हमने प्राकृतिक आपदा को हिंदी (Natural Disasters in Hindi) मे जाना। प्राकृतिक अपादाओ के प्रकार जाना, यह लेख आप के लिये कितना मददगार साबित हुआ, हमे अवश्य बताये। साथ ही हमारे साथ जुडे- Join Now

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आपदाओं और आपदा प्रबंधन के उपाय | Disasters Management Measures in Hindi

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आपदा प्रबन्धन कई स्तर पर होते हैं

केन्द्रीय स्तर पर आपदा प्रबन्धन - उच्च अधिकार प्राप्त समिति (एच.पी.सी.) ने राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक एवं प्रभावी आपदा प्रबन्धन व्यवस्था व आपदा प्रबन्धन मन्त्रालय कठिन किया जाए जो कि बाढ़ में एन.सी.सी.एम. जैसे केन्द्रों और प्राधिकरणों सहित उचित सहायक निकायों का गठन कर सकता है अथवा सहायता के लिये वर्तमान केन्द्रों का उपयोग हो सकता है। आपदा प्रबन्धन हेतु केन्द्र सरकार द्वारा जो सर्वदलीय समिति का गठन किया गया है उसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं। इस योजना के संचालन हेतु एवं वैज्ञानिक एवं तकनीकी सलाहकार समिति भी उसकी सहायता करेगी। राज्य स्तर पर आपदा प्रबन्धन - हमारे देश में राष्ट्रीय आपदाओं से निपटने की जिम्मेदारी अनिवार्य रूप से राज्यों की है। केन्द्र सरकार की भूमिका भौतिक एवं वित्तीय संसाधनों की सहायता देने की है। अधिकतर राज्यों में राहत आयुक्त हैं जो अपने राज्यों में प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राहत एवं पुनर्वास कार्यों के प्रभारी हैं तथा पूर्ण प्रभारी मुख्य सचिव होता है तथा राहत आयुक्त उसके निर्देश एवं नियन्त्रण में कार्य करते हैं। आपदा के समय प्रभावित लोगों तक पहुँचने के प्रयासों में सम्मिलित करने के लिये राज्य सरकार, गैर सरकारी संगठनों तथा अन्य राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय संगठनों को आमन्त्रित करती है। जिलास्तर पर आपदा प्रबन्धन - आपदा प्रबन्धन हेतु सभी सरकारी योजनाओं और गतिविधियों के क्रियान्वयन के लिये जिला प्रशासन केन्द्र बिन्दु है। कम से कम समय में राहत कार्य चलाने के लिये जिला अधिकारी को पर्याप्त अधिकार दिये गये हैं। प्रत्येक जिले में आने वाली आपदाओं से निपटने के लिये अग्रिम आपात योजना बनाना जरूरी है तथा निगरानी का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट को है।

आपदा प्रबन्धन में महत्त्वपूर्ण क्षेत्र

1. संचार- संचार आपदा प्रबन्धन में अत्यधिक उपयोगी हो सकता है। संचार साधनों के माध्यम से जागरुकता, प्रचार-प्रसार तथा आपदा प्रतिक्रिया के समय आवास सूचना व्यवस्था के माध्यम से काफी सहायक हो सकता है। 2. सुदूर संवेदन- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आपदा के प्रभाव को कारगर ढंग से करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसका उपयोग- 1. शीघ्र चेतावनी रणनीति को विकसित करना 2. विकास योजनाएँ बनाने एवं लागू करने में 3. संचार और सुदूर चिकित्सा सेवाओं सहित संसाधन जुटाने में 4. पुनर्वास एवं आपदा पश्चात पुननिर्माण में सहायता हेतु किया जा सकता है। 3. भौगोलिक सूचना प्रणाली - भौगोलिक सूचना प्रणाली सॉफ्टवेयर भूगोल और कम्प्यूटर द्वारा बनाए गए मानचित्रों का उपयोग, स्थान आधारित सूचना के भण्डार के समन्वय एवं आकलन के लिये रहता है। भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग वैज्ञानिक जाँच, संसाधन प्रबन्धन तथा आपदा एवं विकास योजना में किया जा सकता है। आपदा नियन्त्रण में व्यक्ति की भूमिका - भूकम्प, बाढ़, आंधी, तूफान में एक व्यक्ति क्या प्रबन्धन कर सकता है। इसका आपदा के सन्दर्भ में निम्नलिखित भूमिका सुझायी गई है- भूकम्प के समय व्यक्ति की भूमिका - ऐसे समय में बाहर की ओर न भागें, अपने परिवार के सदस्यों को दरवाजे के पास टेबल के नीचे या यदि बिस्तर पर बीमार पड़े हों तो उन्हें पलंग के नीचे पहुँचा दें, खिड़कियों व चिमनियों से दूर रहें। घर से बाहर हों तो इमारतों, ऊँची दीवारों या बिजली के लटकते हुए तारों से दूर रहें, क्षतिग्रस्त इमारतों में दोबारा प्रवेश न करें। भूकम्प का भी पूर्वानुमान लग सकेगा - टी.वी. रेडियो, इन्टरनेट से जहाँ तक सम्भव हो जुड़े रहें, अधिक वर्षा और अकाल जैसी प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान के बाद अब भूकम्प की भी भविष्यवाणी की जा सकेगी लेकिन इसका पता कम्प्यूटर पर काम कर रहे व्यक्ति को सिर्फ कुछ सेकेण्ड पहले ही लग सकेगा। कैलीफोर्निया इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यू.एस. ज्योलॉजीकल सर्वे तथा कैलीफोर्निया के खनिज और भू-भागीय विभाग के भूकम्पशास्त्री लगातार भूकम्प की ऑन लाइन पर भविष्यवाणी कर सकने की कोशिश कर रहे हैं। यह आपातकाल में ऐसे आंकड़े भेजेगा। जिससे कम्प्यूटर यूजर्स तक इमेल भेजा जा सकेगा। ट्राइनेट का लक्ष्य है कि 600 शक्तिशाली गति सेंसर और 150 बड़े इंटरनेशनल मिलकर आने वाली भूकम्पों के बारे में लोगों को सूचित करें। अगर ट्राइनेट अपने प्रस्तावित कार्य को करने में समर्थ हुआ तो कैलिफोर्निया भूकम्प क्षेत्र का निरीक्षण कर सकने वाला पहला राज्य होगा इस प्रकार भूकम्प का पूर्वानुमान लगाने की क्षमताएँ विकसित हो चुकी हैं। संक्षेप में कैलीफोर्निया के खनिज और भूगर्भीय विभाग के प्रमुख जिम डेविड कहते हैं कि सेंसर पृथ्वी थरथराने जैसे घटना के तुरन्त बाद कम्प्यूटर के जरिए सूचना देने में सक्षम होगा। वाहन में हो - यदि कार या बस में सवारी करते समय आपको भूकम्प के झटके महसूस हों तो चालक से वाहन को एक तरफ करके रोकने को कहें, वाहन के भीतर ही रहें। घरों में हो - जितनी जल्दी हो सके चूल्हे आदि सभी तरह की आग बुझा दें, हीटर बन्द कर दें, यदि मकान क्षतिग्रस्त हो गया हो तो बिजली, गैस व पानी बन्द कर दें। यदि घर में आग लग गई हो और उसे तत्काल बुझाना सम्भव न हो तो तत्काल निकलकर बाहर जायें। यदि गैस बन्द करने के बाद भी गैस के रिसाव का पता चले तो घर से फौरन बाहर चले जायें। पानी बचायें आपातकालीन स्थिति के लिये सभी बर्तन भरकर रख लें। पालतू जानवरों को खोल दें। बाढ़ के समय व्यक्ति की भूमिका - बाढ़ की पूर्व सूचना और सलाह के लिये रेडियो सुनें। यदि आपको बाढ़ की चेतावनी मिल गयी हो या आपको बाढ़ की आशंका हो तो बिजली के सभी उपकरणों के कनेक्शन अलग कर दें तथा अपने सभी मूल्यवान और घरेलू सामान कपड़े आदि को बाढ़ के पानी की पहुँच से दूर कर दें। खतरनाक प्रदूषण से बचने के लिये सभी कीटनाशकों को पानी की पहुँच से दूर ले जायें। यदि आपको घर छोड़ना पड़ जाये तो बिजली व गैस बन्द कर दें। वाहनों, खेती के पशुओं और ले जा सकने वाले सामान को निकट के ऊँचे स्थान पर ले जायें, यदि आपको घर से बाहर जाना पड़े तो घर के बाहरी दरवाजे और खिड़कियाँ बंद कर दें। कोशिश करें की आपको बाढ़ के पानी में पैदल या कार से ना चलना पड़े। बाढ़ग्रस्त इलाकों में अपनी मर्जी से कभी भी भटकते न फिरें। चक्रवात या आंधी तूफान में व्यक्ति की भूमिका - पूर्व सूचना व सलाह के लिये टी.वी., रेडियो सुनें सुरक्षा के लिये पर्याप्त समय निकल जाने दें। चक्रवात कुछ ही घण्टों में दिशा, गति और तीव्रता बदल सकता है और मध्यम हो सकता है। इसीलिये ताजा जानकारी के लिये रेडियो, टी.वी. से निरन्तर सम्पर्क रखें। तैयारी - यदि आपके इलाके में तूफानी हवाओं या तेज झंझावात आने की भविष्यवाणी की गई तो खुले पड़े तख्तों, लोहे की नाली, चादरों, कूड़े के डिब्बों या खतरनाक सिद्ध होने वाले किसी भी अन्य सामान को स्टोर में रखें या कसकर बाँध दें, बड़ी खिड़कियों को टेप लगाकर बंद कर दें ताकि वे खड़खड़ाएं नहीं, निकटतम आश्रय स्थल पर पहुँचें या कोई जिम्मेदार सरकारी एजेन्सी आदि हो तो इलाके को खाली कर दें। जब तूफान आ जाये - घर के भीतर रहें तथा अपने घर के सबसे मजबूत हिस्से में शरण लें टी.वी., रेडियो या अन्य साधनों से दी जाने वाली सूचनाओं का पालन करें। यदि छत उड़ने शुरू हो तो घर की ओट वाली खिड़कियों को खोल दें, यदि खुले में हों तो बचने के लिये ओट लें तूफान के शान्त होने पर बाहर या समुद्र के किनारे न जायें। आमतौर से चक्रवातों के साथ-साथ समुद्र या झीलों में बड़ी-बड़ी तूफानी लहरें उठती हैं तथा यदि आप तटवर्ती इलाके में रहते हों तो बाढ़ के लिये निर्धारित सावधानियाँ बरतें। अवलोकित संदर्भ 1. चौहान, ज्ञानेन्द्र सिंह एवं पाहवा, एस.के. (2013) भारत में आपदा प्रबन्धन, रिसर्च जनरल ऑफ आर्टस, मैनेजमेंट एंड सोशल साइंसेज। 2. रामजी एवं शर्मा, शिवानाथ, प्राकृतिक आपदा-सूखा एवं बाढ़ की समस्या। 3. मामोरिया, चतुर्भुज, भौगोलिक चिन्तन, साहित्य भवन, आगरा। 4. नेगी, पी.एस. (2006-07) पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण भूगोल। 5. पाल, अजय कुमार, आपदा एवं आपदा प्रबन्धन। 6. आपदा प्रबन्धन राष्ट्रीय नीति-2005, भारत सरकार। 7. बवेजा, दर्शन, आपदा प्रबन्धन। 8. अवस्थी, एन.एम., पर्यावरणीय अध्ययन। असिस्टेंट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभागप्रताप बहादुर पी.जी. कॉलेज, प्रतापगढ़ सिटी, प्रतापगढ़[email protected] प्राप्त तिथि - 31.07.2016 स्वीकृत तिथि-14.09.2016

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  • DownToEarth
  • प्रदूषण वायु प्रदूषण जल प्रदूषण औद्योगिक प्रदूषण प्लास्टिक ध्वनि प्रदूषण
  • कृषि किसान व्यापार/मंडी खेती सरकारी योजनाएं
  • स्वच्छता स्वच्छ भारत मिशन कचरा प्रबंधन
  • जल जल संरक्षण भूजल जल संकट बूंदों की संस्कृति
  • विज्ञान रिसर्च तकनीक
  • जलवायु परिवर्तन जलवायु संकट ग्लोबल वार्मिंग ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन
  • प्राकृतिक आपदा सूखा बाढ़ भूकंप --> आंधी/तूफान/ चक्रवात
  • नदी गंगा यमुना नदी घाटी परियोजनाएं --> बांध
  • अर्थव्यवस्था ग्रामीण अर्थव्यवस्था रोजगार जीडीपी बाजार
  • हेल्थ बाल स्वास्थ्य महिला स्वास्थ्य संक्रामक रोग आयुष्मान भारत --> गैर संक्रामक रोग
  • फूड रेसिपी जीएम फूड --> खाद्य सुरक्षा
  • चुनाव मुद्दे आम चुनाव राज्य चुनाव पंचायत चुनाव
  • विकास सतत विकास मनरेगा ग्रामीण विकास शहरी विकास पंचायत -->
  • वन्य जीव एवं जैव विविधता वन वन्य जीव वन अधिकार आदिवासी जैव विविधता
  • मल्टीमीडिया वीडियो फोटो गैलरी इंफोग्राफिक्स
  • स्वच्छता स्वच्छ भारत मिशन कचरा प्रबंधन सीवरेज
  • मौसम मानसून लू / शीत लहर बर्फबारी -->
  • ऊर्जा सौर ऊर्जा थर्मल पवन ऊर्जा सरकारी नीति पन बिजली
  • बड़ी खबर डाउन टू अर्थ डाउन टू अर्थ डाउन टू अर्थ
  • जलवायु परिवर्तन

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रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि मसूरी में भूस्खलन की रोकथाम के लिए कार्य योजना तैयार की गई है

भारत में पश्चिमी विक्षोभों का बदल रहा मिजाज, अप्रैल-जुलाई में 65 फीसदी बढ़े तूफान

भारत में गर्मियों के दौरान पश्चिमी विक्षोभ अधिक बार सक्रिय हो रहे हैं, तूफान की आवृत्ति बढ़ने से बर्फबारी कम हो गई है और भारी बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

गर्म होती दुनिया में श्रेणी छह के तूफानों से कितना हो सकता है नुकसान, जलवायु वैज्ञानिकों ने लगाया पता

शोध के मुताबिक, श्रेणी छह के तूफानों का सबसे ज्यादा खतरा दक्षिण-पूर्व एशिया, फिलीपींस और मैक्सिको की खाड़ी में है

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर लगाम लगाने से कम हो सकता है बाढ़ का खतरा

भारी संख्या में पेड़ों को काटा जाना अधिक गंभीर, बार-बार आने वाली बाढ़ का कारण बनती है और ऐसी बाढ़ के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

मेडागास्कर से टकराया, 2024 का पहला चक्रवात 'अल्वारो'

इस चक्रवात की वजह से 16,000 से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। पांच लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 8,400 लोगों को विस्थापन की पीड़ा झेलनी पड़ी है

बाढ़ के पूर्वानुमान में सुधार से भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले लाखों की बच सकती है जान: शोध

शुष्क हवाओं की घुसपैठों के बाद शुष्क मौसम नहीं आया, बल्कि बारिश में वृद्धि हुई, औसतन 17 प्रतिशत और कुछ मामलों में, 100 प्रतिशत से अधिक बारिश देखी गई।

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प्राकृतिक आपदा परिभाषा प्रकार कारण और प्रबंधन | Natural Disaster In Hindi

प्राकृतिक आपदा परिभाषा प्रकार कारण और प्रबंधन Natural Disaster Definition Types Cause and Rescue And Relief In Hindi : नमस्कार दोस्तों आज के लेख में आपका स्वागत हैं.

आज हम प्राकृतिक आपदा के इस आर्टिकल में जानेगे कि नेचुरल डिजास्टर क्या है इसका अर्थ परिभाषा प्रकार और प्रबंधन के उपायों के बारे में जानेगे.

प्राकृतिक आपदा परिभाषा प्रकार कारण प्रबंधन Natural Disasters In Hindi

प्राकृतिक आपदा परिभाषा प्रकार कारण प्रबंधन Natural Disasters In Hindi

उत्पति के आधार पर आपदाएं दो तरह की होती है. प्राकृतिक आपदाएं और मानव जनित आपदाएं. इन दोनों आपदाओं से अपार मात्रा में जन धन की हानि होती है. इस क्षति से बचाव, सुरक्षा व प्रबंध की दृष्टि से दोनों आपदाओ के प्रभाव को सिमित किया जा सकता है.

प्राकृतिक आपदा क्या है (What Is Natural Disaster In Hindi)

परिवर्तन प्रकृति की सतत प्रक्रिया है, ऐसा परिवर्तन जिनका प्रभाव मानव हित में होता है उन्हें प्रकृति का वरदान कहा जाता है. लेकिन परिवर्तनों का प्रभाव मानव समाज का अहित करता है तो इन्हें प्राकृतिक आपदा कहा जाता है.

प्राकृतिक आपदा प्रकृति में कुछ ही समय घट जाने वाली घटना या परिवर्तन है. ऐसी घटनाओं के घट जाने के बाद मानव समाज को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वे समस्याएं संकट मानी जाती है.

भारत में प्राकृतिक आपदा Natural Disasters In India In Hindi

आपदा प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों का परिणाम है जो जान और माल की गंभीर क्षति करके अचानक सामान्य जीवन को उस सीमा तक अस्तव्यस्त करता है.

जिसका सामना करने के लिए उपलब्ध सामाजिक तथा आर्थिक संरक्षण कार्यविधियां अपर्याप्त होती हैं अर्थात आशंकित विपत्ति का वास्तव में घटित होना आपदा है I

आपदा का अंग्रेज़ी शब्द “Disaster” फ़्रांसीसी शब्द है जो “Desastre” से आया है I यह दो शब्दों ‘Des’ एवं ‘Astre’ से बना है जिसका अर्थ है ‘ख़राब तारा’ I आपदा के अंग्रेजी शब्द ‘DISASTER’ का प्रत्येक अक्षर नकारात्मक और सकारात्मक अर्थ व्यक्त करता है.

आपदा आंतरिक और बाहरी कारकों के कारण प्रभाव से उत्पन्न होती है ,जो संयुक्त होकर घटना को भारी विनाशकारी घटना के रूप में परिवर्तित करती है I आपदा ‘संतुलन’ का बिगड़ना है जिसे नियंत्रणकारी नीतियों से पुनःस्थापित किया जा सकता है या दूर किया जा सकता है I

‘हॉफमैन’ और ‘ओलिवर स्मिथ’ के अनुसार ‘आपदा के व्यवस्था दृष्टिकोण ‘ के तहत आपदाओं के पारिस्थितिक और सामाजिक दृष्टिकोण को शामिल किया जाता है ,जहाँ आपदाओं को ऐसी सम्पूर्ण घटनाएँ माना जाता है.

जिनमें उस सामाजिक – संरचनात्मक रूपों के सभी आयामों का संगठित मानव क्रिया सहित पर्यावरणीय सन्दर्भ में शामिल करके जहाँ ये घटित होती है, अध्ययन किया जाता है I

आपदाओं का वर्गीकरण (natural disasters  types)

उत्पत्ति के अनुसार आपदाएं प्राकृतिक और मानव निर्मित होती हैं I प्राकृतिक आपदाओ को निम्नलिखित विभिन्न प्रकारों के रूप में देखा जा सकता है :-

1. वायुजनित आपदा – तूफान, चक्रवाती पवन, चक्रवात, समुद्री तूफानी लहर | 2. जलजनित आपदा – बाढ़, बादल का फटना, सुखा | 3. धरती जनित आपदा – भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, भूस्खलन | 4. संक्रामक रोग – प्लेग, डेंगु, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि |

वही मानव जनित आपदाओं के अंतर्गत औद्योगिक दुर्घटना, पर्यावरणीय ह्रास, विभिन्न युध्द, आतंकी गतिविधियों आदि को शामिल किया जा सकता है |

वर्तमान समय में धर्म और जिहाद के नाम पर अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु दहशत फ़ैलाने के उद्देश्य से विभिन्न आतंकवादी घटनाएँ एक महत्वपूर्ण मानवनिर्मित आपदा के रूप में सामने आई है |

इसके साथ युध्द के के विभिन्न रूपों के अंतर्गत जैविक युध्द के लिए अनुकूल वातावरण में विभिन्न जीवाणु और विषाणुओं के साथ साथ घातक कीटों का संवर्धन कर उन्हें डिब्बो में बंद कर शत्रु कैम्पों पर विमान से छोड़ दिया जाता है जो अंततः पर्याप्त क्षेत्र में फैलकर महामारी का रूप ले लेता है I

इसी प्रकार रसायन युध्द के तहत विषैली गैसों, बम, और क्लस्टर बम को शत्रु कैम्पों पर छोड़ा जाता है I वहीँ कुछ आपदाएं कंपनियों के संयंत्रों में लापरवाही या दोषपूर्ण रखरखाव के कारण होती है जिन्हें पर्यावरणीय त्रासदी कहा जाता है ,जैसे – भोपाल गैस त्रासदी, चेर्नोबिल नाभकीय आपदा, फुकुशिमा नाभकीय रिसाव आदि प्रमुख है I

अगस्त 1999 में जे. सी. पंत की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई थी जिसने लगभग तीस आपदाओं का निर्धारण किया और ये पांच श्रेणियों में वर्गीकृत हैं-

जल और जलवायु (Water and Climate) –

  • ओलावृष्टि (Hailstorms)
  • बादल का फटना (Cloudburst)
  • लू/ उष्ण्वेग और शीत लहर (Heat Wave and Cold Wave)
  • हिम सम्पात (Snow Avalanches)
  • सूखा (Droughts)
  • समुद्री अपरदन (Sea Erosion)
  • मेघ गर्जन और बिजली (Thunder and Lighting)

जैविक (biological) –

  • महामारी (Epidemics)
  • विनाशकारी कीटों का आक्रमण (Pest Attack)
  • पशु महामारी (Cattle Epidemics)
  • खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning)

रासायनिक , औद्योगिक और आणविक (Chemical, Industrial and Nuclear) –

  • रासायनिक और औद्योगिक आपदाएँ
  • आणविक आपदाएँ

भूवैज्ञानिक (Geological) –

  • विशाल अग्निकांड
  • खान/सुरंग अग्निकांड (Mine Fires)
  • भूस्खलन और पंक प्रवाह (Landslides and Mudflows)

दुर्घटनाएं (Accidental) –

  • हवाई, सड़क और रेल दुर्घटनाएँ
  • बड़े भवनों का ढह जाना

प्राकृतिक आपदाओं की उत्पति के कारण (Causes Of Natural Disasters In Hindi)

किसी भी प्राकृतिक आपदा के लिए एक नही अनेक कारण सयुक्त रूप से जिम्मेदार होते है. पृथ्वी की आंतरिक एवं बाह्य शक्तियों अथवा बलों का प्रभाव कुछ आपदाओं को सीधे तौर पर प्रभावित करता है, जैसे भूकम्प, ज्वालामुखी आदि.

मानव के अनवरत प्राकृतिक संसाधनो के अविवेक पूर्ण विदोहन तथा बढ़ती हुई जनसंख्या ने भूमि उपयोग के स्वरूप को विकृत किया है.

इसके फलस्वरूप वनों का विनाश, भूमि का क्षरण व जल संकट जैसी समस्याओं ने पर्यावरण को संकट में डाल दिया है. इससे ग्लोबल वार्मिग की समस्या पैदा होती जा रही है. जो कही न कही प्राकृतिक आपदाओं को उत्पन्न कर रही है.

मानव जीवन के उपभोक्तावादी दृष्टिकोण ने अंधाधुंध विकास के लिए प्राकृतिक संतुलन को हानि पंहुचा रहा है. मानव के ये कार्य प्राकृतिक आपदाओं को प्रत्यक्ष रूप से आमन्त्रण दे रहे है.

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार (Types Of Natural Disasters In Hindi)

उत्पति के आधार पर प्राकृतिक आपदाओं को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है.

  • स्थलाकृतिक आपदाएं (Topographical disasters) – इनमे वे प्राकृतिक आपदाएं सम्मिलित की जाती है. जो स्थलाकृतिक स्वरूप में अचानक परिवर्तन होने से उत्पन्न होती है, जैसे भूकंप, भूस्खलन, हिमस्खलन व ज्वालामुखी. भारत में ज्वालामुखी सक्रिय नही है.
  • मौसमी आपदाएं (Seasonal disasters) – इनमे वे  प्राकृतिक आपदाएं सम्मिलित की जाती है. जो मौसमी परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है. जैसे चक्रवात, सुनामी, अतिवृष्टि, अनावृष्टि आदि.
  • जीवों द्वारा उत्पन्न आपदाएं (Disasters caused by organisms)- इनमे वे प्राकृतिक आपदाएं सम्मिलित की जाती है जो जीवों व जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न होती है. जैसे टिड्डी दल का आक्रमण, महामारिया, मृत पशु, प्लेग मलेरिया आदि.

प्राकृतिक आपदाएं व प्रबन्धन (Natural Disasters And Management In Hindi)

प्रबन्धन से आशय है संकट से राहत पाने के लिए प्रत्येक स्तर पर जो जिम्मेदारी निर्धारित है उसके अनुसार समयबद्ध कर्तव्य का पालन किया जाना.

देश व समाज के चरित्र का परिचय प्राकृतिक आपदा के बाद मानव सेवा में उनके द्वारा किये गये कार्यों से मिलता है. प्रबन्धन को ये कारक प्रभावित करते है.

  • आर्थिक स्थति
  • व्यक्ति की सकारात्मक सोच
  • सहयोग की भावना
  • सामाजिक ईमानदारी व निष्ठा
  • भौगोलिक परिस्थतियाँ
  • परिवहन व संचार के साधनों की स्थति
  • जनसंख्या का घनत्व

भारत की प्रमुख प्राकृतिक आपदाएं (Major Natural Disasters In India In Hindi)

कश्मीर बाढ़ (kashmir flood 2014) .

2014 कश्मीर के बड़े क्षेत्र में तेज बारिश के चलते बहुत बड़ी प्राकृतिक आपदा बाढ़ के रूप में आई. इस घटना में लगभग 500 से ज्यादा लोग मारे गये. तथा हजारों लोगों के घर बह गये. कई दिनों तक लोगों को बिना पानी भोजन तथा घर के रहना पड़ा.

बड़ी संख्या में लोग जगह जगह फंस गये, जिन्हें निकालने का कार्य भारतीय सेना द्वारा सम्पन्न की गई, इस अतिशय घटना के नुकसान का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है.

कि इस बाढ़ के दौरान 2600 गाँव बाढ़ से प्रभावित हुए थे। कश्मीर के 390 गाँव पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे। तथा 50 से अधिक पुल ध्वस्त गये. एक सर्वेक्षण के अनुसार 5000 करोड़ से 6000 करोड़ का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा.

उत्तराखंड में भयानक बाढ़ 

साल 2013 में आई इस प्राकृतिक आपदा के दौरान गोविंदघाट, केदार धाम, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी नेपाल मुख्य रूप से प्रभावित क्षेत्र रहे. इस महाध्वश में पांच हजार से अधिक लोग मारे गये थे.

उत्तराखंड में गंगा नदी में बाढ़ और अतिरिक्त जल के चलते बाढ़ और भूस्खलन का शिकार कई गाँवों को शिकार होना पड़ा. इस बाढ़ की विभित्षा के बारे में अनुमान लगाने के लिए यह तथ्य काफी है,

कि 14 से 17 जून, 2013 को चार दिनों तक तबाही का तांडव मचाए रखा. भारत के इतिहास की सबसे बड़ी इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में लाखों केदारनाथ यांत्रि भी आ गये थे.

हिंद महासागर सुनामी

साल 2004 में आई इस सुनामी में अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया के क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी तबाही थी.

10 मिनट चले इस मौत के तांडव में तीन लाख से अधिक लोग मौत की भेट चढ़ गये. इस खतरनाक तूफ़ान का केंद्र हिन्द महासागर रहा इसकी तीव्रता 9.1 और 9.3 के मध्य मापी गई.

प्राकृतिक आपदाओं से खतरे में जीवन | Effects of Natural Disasters In Life in hindi

एक तरफ जहाँ विश्व कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है वहीँ दूसरी तरफ अंधाधुन विकास के कारण मानव प्रकृति पर ध्यान नहीं दे रहा जिससे समस्त प्राणियों को हो रही प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा।

भारत भी इन प्राकृतिक आपदाओं से अछूता नहीं है तभी तो भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में धरती हिल रही है, कभी स्थिति ऐसी उत्पन्न हो जाती हैं की गांव के गांव बाढ़ से डूबने को मजबूर हो जा रहे हैं, कभी आकाशीय बिजली से लोगों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ रहा है.

कभी निसर्ग और अम्फान जैसे तूफान भारत के अलग-अलग इलाकों में आकर तबाही मचा रहे हैं, अधिकायत मात्रा में ओला-वृष्टि हो जाने से किसानों को फ़सलों के खराब हो जाने से नुकसान उठाना पड़ रहा हैं.

कहीं इतनी बारिश हो रही है की लोगों के घर भी पानी से लबालब भर चुके हैं तो कभी टिड्डियों का दल किसानों की फ़सलों को नष्ट कर रहा है। ये विकास की आपाधापी में भूल चुके प्रकृति का तांडव मात्र है।

एक आकड़ों के अनुसार प्रथम जून से लेकर 8 जुलाई तक कुल 56 बार दिल्ली एनसीआर, मेघालय, म्यांमार सीमा, असम, कश्मीर, गुजरात और भारत के विभिन्न इलाकों में भिन्न-भिन्न दिनांकों को भूकंप से धरती काँपती रही।

भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक जोन 5 और 4 में आते हैं। जोन पाँच बहुत उच्च नुकसान का जोखिम क्षेत्र जिसमें कश्मीर का क्षेत्र, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारतीय क्षेत्र, कच्छ का रण और अंडमान और निकोबार समूह इस क्षेत्र में आते हैं।

जोन चार जहाँ जोन पाँच से कम तीव्रता के भूकंप आते हैं जिसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, भारत के मैदानी भागों (उत्तरी पंजाब, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी बंगाल, सुंदरवन) और दिल्ली – एनसीआर का क्षेत्र आता है, जोन चार में रिक्‍टर पैमाने पर आठ तीव्रता वाला भूकंप आ सकते हैं।

वही सिर्फ दिल्ली एनसीआर में अप्रैल से लेकर अब तक 15 से ज्यादे बार भूकंप आ चुके हैं। 80 मौसम तथा भू-वैज्ञानिकों ने पूर्वी दिल्ली में शोध कर एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें बताया की घनी आबादी वाले यमुना-पार समेत शाहदरा, मयूर विहार और लक्ष्मी नगर ज्यादे संवेदनशील इलाके हैं।

फ़रीदाबाद और गुरुग्राम भी ऐसे ही क्षेत्र में आते हैं। विशेषज्ञों की माने तो पूर्वी दिल्ली में बने लगभग हर घर अधिक तीव्रता वाले भूकंप की जद में आ सकते हैं, जिससे पूर्वी दिल्ली में अधिक नुकसान होने की आशंका बनी रहती है। बिहार के भारत और नेपाल की सीमा के पास रक्सौल जैसे क्षेत्र भी जोन नंबर 4 में ही आते हैं।

देखना दिलचस्प होगा कि दिन प्रतिदिन बढ़ती भूकंप की संख्याओं से केंद्र सरकार एवं अन्य राज्य सरकारें कितनी तैयारियाँ करती हैं, जिससे बड़े गंभीर परिणाम भुगतने ना पड़े।

प्रत्येक साल स्थिति ऐसी उत्पन्न होती है जिससे उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, गुजरात और असम में जुलाई, अगस्त में बाढ़ के प्रकोप कई गावों तथा शहरों को लील लेते हैं।

बाढ़ का सबसे ज्यादे प्रकोप आज़ादी के बाद 1987 में हुआ जब 1399 लोगों की दुखद मृत्यु हुई थी। 1988 में भी पंजाब की सभी नदियों के बढे जल-स्तर से आयी बाढ़ ने भी अपना अच्छा प्रकोप छोड़ा था।

1993 में आयी बाढ़ ने भारत के कुल सात-आठ राज्य बाढ़ की जद में आये जिसने 530 लोगों को अपने आगोश में लील लिया। प्रकृति का बीसवीं सदी से ज्यादे तांडव इक्कीसवीं सदी में देखने को मिला जब 26 जुलाई 2005 को मुंबई में मात्र बारिश होने से 1094 लोग मर गए थे।

उसके बाद बाढ़ और भारी बारिश से लोगों के मरने का सिलसिला हर साल जारी है। 2013 में आयी बाढ़ ने उत्तराखंड में ऐसी तबाही मचाई जिसे लोग सदियों तक नहीं भूल सकते, जिसमें लगभग 5700 लोगों ने अपनी जान गँवाई,

अनगिनत पशु पक्षियों को भी इस ताण्डवकारी बाढ़ में अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। गुजरात तथा तमिलनाडु में 2015 में आयी बाढ़ ने भी खूब तबाही मचाई।

असम में आयी बाढ़ ने 2016 में 1800 परिवारों को बेघर कर दिया था, सैकड़ों लोग मरे थे। 2017 में गुजरात में आयी बाढ़ से 200 लोग मरे फिर 2018 में केरल में आयी बाढ़ से 445 लोगों की दुखद मृत्यु हुई।

वहीँ 2019 में भारत के विभिन्न राज्यों में आयी बाढ़ से लगभग 1900 लोगों को अपनी जान से जान धोना पड़ा था, जिसमें से 382 लोग तो सिर्फ महाराष्ट्र से थे। देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र एवं राज्य की सरकारें 2020 को बाढ़ के प्रकोप से बचा पाने में कितनी सफल होंगी ये वक़्त ही बताएगा।

वहीँ आकाशीय बिजली गिरने से हर साल लोगों के मरने की दुखद घटना सुनने को मिलती है। आकाशीय बिजली गिरने की घटना इस साल भी बीते दिनों बिहार, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान से सुनने को मिली

जिसमें बिहार से 83 लोग तथा उत्तर प्रदेश से 24 लोग की मृत्यु एक दिन में ही हो गयी। इसीलिए जरूरी हो चला हैं कि सरकारें लोगों को आकाशीय बिजली से बचने का उपाय बताये।

विकास कि चकाचौंध में इंसान अँधा हो चुका, जिसने प्रकृति को ही नजर अंदाज़ कर दिया है। जिससे नज़रअंदाज़ हो रही प्रकृति भी अपने रौद्र रूप में तांडव कर रही है। मई 2019 में आये फैनी तूफान ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका में खूब तबाही मचाई थी जिससे 81 मौतें और 8.1 बिलियन का नुकसान हुआ था।

फैनी तूफान के ठीक बाद जून 2019 में आए वायु तूफान ने भारत, पाकिस्तान, ओमान और मालदीव में तबाही मचाई थी जिससे 8 मौतें और करोड़ो का नुकसान हुआ था।

इस साल 16 मई को आए अम्फान तूफान ने भी भारत के पूर्वोत्तर राज्य (पश्चिम बंगाल, ओडिशा, अंडमान), बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान में खूब तबाही मचाई जिसमें 128 जानें गयी 13.6 बिलियन का नुकसान हुआ।

वही 1 जून को आए निसर्ग तूफान ने भी महाराष्ट्र में अपना रौद्र रूप दिखाया जिसमें 6 लोगों कि जानें गयी। उधर पाकिस्तान में पनपे टिड्डियों के समूह ने भारत के उत्तरी राज्यों पर खूब कहर बरपाया जिससे बहुतायत मात्रा में किसानों के द्वारा डाले गए धान के बीज नष्ट हो गए।

इन टिड्डियों के समूह को अपने जिले से भागने के लिए प्रशासन को खूब मसक्कत करनी पड़ी। कहीं फायर बिग्रेड के द्वारा दवाइयों का छिड़काव करवाया जा रहा है तो कहीं घंटी, थाली बजा कर ध्वनि द्वारा टिड्डियों को भगाने की कोशिश की जा रही है।

वहीँ कुछ जिले में प्रशासन द्वारा ड्रोन के माध्यम से दवाइयों का छिड़काव कर टिड्डियों को भगाने की कोशिश अनवरत जारी है।

मानव विकास में इतना डूब चुका हैं कि उसे प्रकृति के बारे में कुछ भी सूझ नहीं रहा है, जिससे होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से जीवन खतरे में पहुंच गया है। आज के समय में मानव पूर्वजों के ज़माने कि उपजायी हरियाली को मिटा आलीशान बंगले बनवा लेने को विकास समझ बैठा है। 

जिन पेड़ों से हमारा तथा पशु, पक्षियों का जीवन है उसे मिटा हम मानव प्राकृतिक घटनाओं से निपटने कि योजनाओं को बनाने कि बजाय दूसरे ग्रहों पर जीवन ढूढ़ने के प्रयास में लगे हुए हैं।

जरुरत है सरकार विकास के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाये एवं उचित योजनाएं बनायें।

  • प्राकृतिक संसाधन क्या है व इसके प्रकार
  • भारत में अकाल की समस्या
  • बाढ़ क्या है कारण प्रभाव उपाय

उम्मीद करता हूँ दोस्तों प्राकृतिक आपदा परिभाषा प्रकार कारण और प्रबंधन Natural Disaster In Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा. यदि प्राकृतिक आपदा इन हिंदी का लेख पसंद आया हो तो अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करें.

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‘Joker 2’ Trailer: Lady Gaga and Joaquin Phoenix Unleash Bad Romance in Thrilling First Footage

By Rebecca Rubin

Rebecca Rubin

Senior Film and Media Reporter

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Joker 2

The Clown Prince of Crime and Harley Quinn want you to know that what the world needs now is… love.

That’s the message of the first trailer for “ Joker: Folie à Deux ,” which sees Joaquin Phoenix reprise his Oscar-winning role as Arthur Fleck (who later becomes Batman’s notorious foe) and conspire with Lady Gaga as the equally twisted Harley Quinn.

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The first film served as a moody origin story for the Joker, who is portrayed in this cinematic universe a reclusive, struggling stand-up comedian and part-time clown. In the sequel, he takes his act on the road and performs on all kinds of stages with Harley Quinn as his demented muse — and she’s wearing his signature makeup, smeared lipstick and all. This time around, though, Arthur Fleck doesn’t seem so lonely.

“I’ll tell you what’s changed,” Joker says in the trailer. “I’m not alone anymore — that’s what we should be talking about!”

The trailer ends with Harley at Arkham Asylum as she draws a happy face with red lipstick on the glass partition between her and Joker. “I want to see the real you,” she tells him.

Director Todd Phillips debuted the footage at CinemaCon , the annual convention for movie theater owners. Although the original 2019 “Joker” was billed as a “one-off,” Phillips said he and Phoenix always talked about making a sequel.

“We loved the character of Arthur too much, but we didn’t want to jinx the [original] movie,” Phillips said. “We cast Gaga because she’s magic.”

“I like to say it’s a movie where music is an essential element,” says Phillips. “It doesn’t veer too far from the first film. Arthur has music in him. He has a grace to him.”

Before introducing the trailer, Phillips thanked the room of theater owners for playing “Joker” on the big screen despite reports that the gruesome, blood-soaked film would inspire violence.

“About a month before the first ‘Joker’ came out, the narrative on the film really turned and there [were] these bizarre warnings about the movie,” he said. “It was amazing that exhibitors didn’t budge an inch, and when the movie came out, it did huge business. That attitude was a huge reason for our success.”

As Phillips alluded, “Joker” became a massive blockbuster with $1 billion at the global box office. It became the first R-rated film to pass the billion-dollar mark and earned 11 Oscar nominations, including best picture.

“Joker 2” will debut on the big screen on Oct. 4, 2024 — exactly five years after the first film. The original cost $62.5 million to produce, an unusually conservative budget for a comic book adaptation. Given its runaway financial success, the follow-up was granted a much more substantial $200 million price tag.

The sequel will screen in the Imax 70mm format. Although it was shot with Imax-certified lenses that modify digital cameras and not its film cameras, the company has created at least 10 film prints of “Joker: Folie à Deux” to play in select worldwide locations.

Footage of “Joker” debuted as part of Warner Bros.’ presentation to exhibitors. The studio also has “Beetlejuice 2,” “Horizon: An American Saga” and “Mad Max” prequel “Furiosa” on its 2024 slate.

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