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बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान का शानदार सफर

Shahrukh Khan Jivani

शाहरुख खान को कौन नहीं जानता, वे फिल्मी दुनिया के सबसे चमकते सितारों में से एक है। शाहरुख खान बॉलीवुड के सर्वश्रेष्ठ एवं सफल अभिनेता हैं जिन्होंने अपने शानदार अभिनय के अंदाज से करोड़ों लोगों के दिलों में अपनी एक अलग जगह बनाई है।

शाहरुख खान जो SRKके नाम से भी जाने जाते है। एक भारतीय फिल्म अभिनेता, निर्देशक और टेलीविज़न कलाकार भी है। जिन्हें मीडिया में “बॉलीवुड का बादशाह”, “ किंग ऑफ़ बॉलीवुड ” और “किंग खान” भी कहा जाता है।

वे एक्शन, रोमांस, ड्रामा, कॉमेडी सभी फिल्में कर चुके हैं। उनका नाम सबसे अमीर अभिनेताओं में भी गिना जाता है। शाहरुख़ खान अब तक 80 से भी ज्यादा बॉलीवुड फिल्म कर चुके है। लोस एंजेल्स के टाइम्स पत्रिका के अनुसार वे “दुनिया के सबसे बड़े मूवी स्टार” के नाम से भी जाने जाते है। जिनके चाहते भारत के साथ-साथ पुरे एशिया में भी फैले हुए है।

हालांकि, शाहरुख खान को यहां तक पहुंचने के लिए अपने शुरुआती दिनों में काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा था।

उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक है, तो आइए जानते बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान के जीवन से जु़ड़ी कुछ अहम और रोचक बातों के बारे में-

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान का शानदार सफर – Shahrukh Khan Biography in Hindi

Shahrukh Khan

शाहरुख खान के जीवन के बारे में एक नजर में- Shahrukh Khan Information in Hindi

शाहरुख खान का जन्म, परिवार एवं शुरुआती जीवन – shahrukh khan history.

बॉलीवुड के बादशाह किंग खान 2 नवंबर, 1965 को दिल्ली में एक साधारण परिवार में जन्में थे।  उन्होंने अपने जीवन के पहले पाच साल मँगलोर में बिताये। जहा 1960 में उनके नाना इफ्तियार अहमद एक इंजिनियर थे।

और उनके दादा जान मुहम्मद अफगानिस्तान के जातीय पठान थे। उनके पिता मीर ताज मोहम्मद खान पाकिस्तान के पेशावर से थे, जो कि एक प्रसिद्ध वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे। 1947 में भारत विभाजन से पूर्व ही वे नयी दिल्ली आ गये थे।

उनकी मां का नाम लतीफ फातिमा था, जो कि हैदराबाद से थी। शाहरुख जब 15-16 साल के थे, तब उनके पिता का कैंसर की वजह से निधन हो गया था।

वहीं इसके करीब 10 सालों बाद उनकी मां की भी डायबटीज की वजह से मौत हो गई थी। जिसके चलते उन पर एवं उनकी बड़ी बहन शहनाज लालारुख दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन इस हालत में न सिर्फ शाहरुख ने खुद को संभाल कर रखा, बल्कि अपनी बड़ी बहन की जिम्मेदारी को भी अच्छे से निभाया।

वहीं वर्तमान में उनकी बहन मुंबई में शाहरुख खान के घर ”मन्नत” ( Shahrukh Khan House Name ) में उनके साथ रहती हैं।

शाहरुख खान की शिक्षा – Shahrukh Khan Education

शाहरुख खान ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई दिल्ली के सेंट कोलंबिया स्कूल से की थी। जहा वे पढाई के साथ-साथ खेल-कूद में भी अव्वल थे। उन्हें उनके विद्यार्थी जीवन में कई पुरस्कार मिले। उनके युवा दिनों में वे कई नाटको में हिस्सा लेते थे और अलग -अलग भूमिका अदा करते थे।

शाहरुख़ खान के युवा दिनों में बॉलीवुड में  अमिताभ बच्चन  और मुमताज़ उनके प्रिय कलाकार थे। उनके बचपन की उनकी सहेली और सह-कलाकार अमृता सिंह थी, जो बाद में बॉलीवुड अभिनेत्री बनी।

बाद में साल 1985 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड हंसराज कॉलेज से उन्होंने इकॉनोमिक्स से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

इसके साथ ही इस दौरान उन्होंने थिएटर एक्शन ग्रुप भी ज्वॉइन किया, जहां थिएटर के निदेशक डायरेक्टर बैरी जॉन ने उन्हें एक्टिंग की बारीकियों के बारे में बताया।

इसके बाद उन्होंने दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से मास कम्यूनिकेशंस में अपनी मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए दाखिला लिया, लेकिन एक्टिंग की तरफ अधिक रुझान की वजह से उन्होंने अपनी पढ़ाई अधूरी ही छोड़ दी।

हालांकि, उनके एक्टिंग की तरफ इसी जुनून ने उन्हें बॉलीवुड के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रुप में स्थापित किया है।

शाहरुख खान का विवाह – Shahrukh Khan Marriage

किंग ऑफ रोमांस शाहरुख खान बॉलीवुड के एक ऐसे अभिनेता हैं, जिनका इतने बड़े और प्रसिद्ध फिल्म स्टार होने के बाबजूद भी कभी भी किसी के साथ कोई लव अफेयर नहीं रहा है।

उन्होंने साल 1991 में गौरी छिब्बर के साथ शादी कर ली थी। गौरी और शाहरुख की जोड़ी बॉलीवुड की आदर्श जोड़ी है। इन्हें शादी के बाद तीन बच्चे हुए जिनके नाम आर्यन, सुहाना और अबराम है।

वहीं शाहरुख की पत्नी का हिन्दू होने की वजह से उनका परिवार हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों में समान रुप से विश्वास रखता है। इसके साथ ही दोनो त्योहार धूमधाम से मनाते हैं।

शाहरुख खान का फिल्मी करियर – Shahrukh Khan Career

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान को अपने करियर के शुरुआती दिनो में काफी संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और वे आगे बढ़ते चले गए।

उन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत टीवी शो फौजी, सर्कस, दिल दरिया से की थी। इन टीवी शो से उन्होंने अपनी पहचान बनाई और फिर साल 1992 में उन्होंने फिल्म दीवाना में अपना डेब्यू किया था।

वहीं उन्हें अपनी पहली फिल्म के लिए ही बेस्ट डेब्यू एक्टर का अवॉर्ड भी मिला था। इसके बाद शाहरुख खान ने एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्में की और अपने जीवन में सफलता के नए मुकाम को छुआ एवं खुद को बॉलीवुड के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रुप में स्थापित किया ।

उनकी शानदार एक्टिंग की बदौलत ही आज उनके करोड़ो प्रशंसक है।

शाहरुख खान के अन्य काम – Shahrukh Khan Other Business

बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बना चुके शाहरुख खान फिल्म प्रोड्यूसिंग एवं टीवी होस्टिंग में भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।

शाहरुख खान ने अपने दो प्रोडक्शन हाउस, रेड चिलीज एंटरटेनमेंट एवं ड्रीम्ज अनलिमिटेड की स्थापना की है।

आपको बता दें कि शाहरुख खान ने मैं हूं ना, चलते-चलते, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी, रा.वन, पहेली, ओम शांति ओम, ऑलवेज कभी-कभी, पहेली, बिल्लू जैसी फिल्मों को प्रोड्यूस किया है।

इसके अलावा शाहरूख खान को एक बेहतरीन टेलीविजन प्रेजेंटर एवं शो-परफॉर्मर के लिए भी जाना जाता है।

शाहरूख खान इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के को- ऑनर भी है।

शाहरुख खान की सुपरहिट फिल्में – Shahrukh Khan Movies List

  • दीवाना (1992)
  • बाजीगर (1993)
  • डर (1993) (सह कलाकार सनी देओल और जूही चावला )
  • कभी हां कभी ना (1994)
  • दिलवाले दुल्‍हनियां ले जाएंगे (1995)
  • करन अर्जुन (1995)
  • चाहत (1996)
  • कोयला (1997) ( अमरीश पूरी के साथ)
  • यस बॉस (1997)
  • परदेस (1997)
  • दिल तो पागल है (1997)
  • दिल से (1998)
  • कुछ कुछ होता है (1998)
  • जोश (2000)
  • मोहब्‍बतें (2000)
  • कभी खुशी कभी गम (2001) (सह कलाकार ऋतिक रोशन )
  • देवदास (2002)
  • कल हो न हो (2003)
  • मैं हूं ना (2004)
  • वीर जारा (2004) (सह कलाकार प्रीति जिंटा )
  • डॉन (2006)
  • चक दे इंडिया (2007)
  • ओम शांति ओम (2007)
  • रब ने बना दी जोड़ी( 2008)
  • माय नेम इज खान (2010),
  • रा.वन(2011)
  • डॉन 2 (2011),
  • जब तक है जान (2012)
  • चेन्‍नई एक्‍सप्रेस (2013) (सह कलाकार दीपिका पादुकोण )
  • हैप्‍पी न्‍यू ईयर (2013)
  • दिलवाले (2015)
  • फैन (2016)
  • रईस (2017)
  • जब हैरी मेट सेजल (2017)
  • जीरो (2018)

जैसी सुपरहिट फिल्में देकर शाहरुख खान ने बॉलीवुड की दुनिया में अपनी एक्टिंग की प्रतिभा का लोहा मनवाया।

शाहरुख खान से जुड़े चर्चित विवाद – Shahrukh Khan Controversy

शाहरुख खान पर साल 2013 में अपने तीसरे बेटे अब्राम के जन्म के दौरान लिंग जांच परीक्षण करने का आरोप लगा था।

साल 2012 में IPL मैच के दौरान वानखेड़े स्टेडियम में प्रवेश से रोक लगाने को लेकर शाहरूख खान और एक गार्ड के बीच बहस हो गई थी, जिसके बाद शाहरुख पर शराब के नशे में गार्ड के साथ बुरा बर्ताव करने का आरोप लगा था।

वहीं इसके बाद मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने शाहरुख पर 5 साल का बैन भी लगा दिया था।

साल 2012 में शाहरुख खान, एक पार्टी में फराह खान के पति शिरीष कुंदर को थप्पड़ मारने की वजह से भी काफी विवादों में रहे थे।

साल 2008 में कैटरीना कैफ की बर्थडे पार्टी में शाहरुख और सलमान खान आपस में लड़ गए थे।

शाहरुख खान को मिले सम्मान एवं पुरुस्कार – Shahrukh Khan Awards

शाहरुख खान को उनके अब तक के फिल्मी करियर में उनके शानदार अभिनय के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा जा चुका है। यहां हम आपको उनको मिले कुछ प्रमुख पुरस्कार के बारे में बता रहे हैं जो कि इस प्रकार है-

  • शाहरुख खान को मिले फिल्मफेयर अवॉर्ड्स
  • फिल्म बाजीगर के लिए 1994 में बेस्ट एक्टर अवॉर्ड से नवाजा गया।
  • फिल्म अंजाम के लिए साल 1995 में सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के लिए साल 1996 में बेस्ट एक्टर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • फिल्म दिल तो पागल है के लिए उन्हें साल 1998 में बेस्ट एक्टर पुरस्कार से नवाजा गया।
  • साल 2003 में फिल्म देवदास के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • साल 2005 में फिल्म स्वदेश एवं साल 2008 में फिल्म चक दे इंडिया के लिए बेस्ट एक्टर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • फिल्म माय नेम इज खान के लिए साल 2011 में बेस्ट एक्टर पुरस्कार से नवाजा गया था।

राजकीय अवॉर्डस:

  • भारत सरकार द्धारा साल 2005 में शाहरुख खान को पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

इसके अलावा शाहरुख खान को नौ स्टार स्क्रीन अवॉर्डस, चार आइफा अवॉर्डस, तीन बॉलीवुड मूवी अवॉर्डस, दो ग्लोबल इंडियन फिल्म अवॉर्ड, आठ जी सिने अवॉर्डस समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं।

शाहरुख खान से जुड़ी दिलचस्प एवं रोचक बातें – Facts About Shahrukh Khan

शाहरुख खान की गिनती एक प्रतिभावान और सर्वश्रेष्ठ छात्रों में होती थी, उन्हें अपने स्कूल सेंट कोलंबा से ”स्वॉर्ड ऑफ ऑनर” के खिताब से सम्मानित भी किया गया था।

शाहरुख खान पढ़ाई के अलावा खेल-कूद जैसी गतिविधियों में भी हिस्सा लेते रहते थे, वे अपने स्कूल में हॉकी और फुटबॉल टीम के कैप्टन थे।

शाहरुख खान ने दिल्ली में पंकज उधास के म्यूजिक कंसर्ट में काम किया था, जिसके बाद उन्हें अपनी पहली सैलरी 50 रुपए मिली थी। अपनी पहली कमाई से वे ट्रेन से आगरा ताजमहल देखने आए थे।

शाहरूख खान को 1988 में टीवी शो दिल दरिया में काम करने का ऑफर मिला था, लेकिन इस शो के टेलीकास्ट में देरी की वजह से बाद में उन्होंने फौजी टीवी शो से अपने टीवी अभिनय करियर की शुरुआत की थी।

शाहरुख खान ने टीवी शो उम्मीद, महान कर्ज, वाघले की दुनिया आदि में भी अपनी भूमिका निभाई है। इसके अलावा उन्होंने अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म “In Which Annie Gives It Those Ones” में भी काम किया है।

काजोल के साथ आयी दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, यह फिल्म शाहरुख खान के करियर की टर्निंग प्वॉइंट साबित हुई थी।

किंग खान ने फ़िल्म जोश में ‘अपुन बोला…’ गाना भी गाया है।

शाहरुख ने सोनी चैनल पर प्रसारित होने वाला प्रसिद्ध कार्यक्रम ”कौन बनेगा करोड़पति” के सीजन 3 को भी होस्ट किया है।

शाहरुख खान ने साल 2018 में जीरो फिल्म में रोल निभाया है, यह उनकी श्री देवी के साथ आखिरी फिल्म थी।

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान रामलीला में भी काम कर चुके हैं। छाबरा रामलीला नई दिल्ली के साथ. वो वानर सेना में हुआ करते थे।

शाहरुख खान ने अपने इतने लंबे फिल्मी करियर में साल 2012 में पहली बार बड़े पर्दे पर फिल्म ”जब तक है जान” में किसिंग सीन किया था।

शाहरुख खान न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी उनकी पहचान है, उनका इंग्लैंड में लंदन के मैडम तुसाद संग्रहालय में मोम का पुतला स्थापित है।

शाहरुख खान पहले ऐसे भारतीय अभिनेता हैं जिनकी आत्मकथा “King Khan: The Official Opus Of Shah Rukh Khan” को Kraken Opus द्वारा प्रकाशित किया गया।

फिल्मी दुनिया में अपना एक अलग नाम कमा चुके शाहरुख खान चैरिटी का भी काम करते हैं। वे कई धर्मार्थ संगठनों से जुड़े हुए हैं।

शाहरुख खान, अंकशास्त्र में भी भरोसा रखते हैं। वे अपना लकी नंबर 555 मानते हैं, उनकी सभी गाड़ियों में भी 555 नंबर है।

जिस तरह शाहरुख खान ने अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों का सामना करने के बाद खुद को बॉलीवुड के सबसे काबिल और सफल अभिनेता के रुप में  स्थापित किया हो वो वाकई प्रशंसनीय है, हम सभी को किंग खान से प्रेरणा लेने की जरुरत है।

शाहरुख़ खान, जिसे आज भारत ही क्या पुरे विश्व में बच्चा-बच्चा जानता है। उनकी रोमांटिक फिल्मो को देखते हुए हाल ही उन्हें एक नया नाम “किंग ऑफ़ रोमांस” भी दिया गया।

शायद ही आज तक फिल्मो के मामले में शाह रुख खान के रिकॉर्ड को कोई तोड़ पाया होगा। उनकी हर फिल्म का दर्शक बेसब्री से इंतजार करते रहते है। वे बोवूद के बेताज बादशाह है।

लेकिन इस बात का शाहरुख़ खान ने कभी घमंड नही किया, वे सदैव गरीबो, पीडितो की मदत करने के लिए तैयार रहते है। और बच्चो को शिक्षा देने के लिए कई संस्थाए भी चला रहे है। एक कलाकार होने के बावजूद उनमे इतनी खूबिया है। निच्छित ही शाहरुख़ खान भारत का सदैव चमकते रहने वाला “ कोहिनूर हीरा ” है।

वहीं ज्ञानी पंडित की पूरी टीम की तरफ से शाहरुख खान को उनके सफल जीवन के लिए शुभकामनाएं।

Watch Shahrukh Khan biography video

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33 thoughts on “बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान का शानदार सफर”

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Shahrukh Khan Biography in Hindi | शाहरुख खान जीवन परिचय

शाहरुख़ खान

शाहरुख खान से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

शाहरुख़ खान धूम्रपान करते हुए

  • शाहरुख खान का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। जहां उनके पिता एक परिवहन कंपनी के मालिक थे वहीं उनकी मां एक मजिस्ट्रेट अधिकारी थीं और वे किराये के अपार्टमेंट में रहते थे।
  • एक साक्षात्कार के दौरान, उन्होंने बताया कि उनकी मां एक दक्षिण भारतीय थीं, जो कि आंध्र प्रदेश से थीं और बाद में कर्नाटक में स्थापित हो गई थीं।
  • शाहरुख खान के पिता स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के दूर के रिश्तेदार थे, क्योंकि उनके पिता जनरल शाह नवाज के चचेरे भाई थे, जो सुभाष चंद्र बोस के दूसरे कमांडर थे।
  • उनके माता-पिता ने प्रेम विवाह किया था, जिसके चलते उनकी पहली मुलाकात अस्पताल में हुई, उस समय उनकी मां घायल अवस्था में थीं और उन्हें रक्त की आवश्यकता थी, तब उनके पिता ने रक्त दान किया। तब से वह दोनों एक दूसरे के प्यार में पड़ गए।
  • उनका नाम शाहरुख है, जिसका अर्थ “राजा का चेहरा” है।
  • शाहरुख ने अपने जीवन के पहले पांच साल मैंगलोर में बिताए थे, जहां उनके नाना इफ्तियार अहमद एक इंजीनियर थे।
  • वर्ष 1981 में, जब वह 15 वर्ष के थे तब उनके पिता का कैंसर की बीमारी से निधन हो गया था।

 शाहरुख़ खान का ‘Sword of Honor’ ख़िताब

  • शिक्षा के अलावा वह खेल-कूद में भी काफी सक्रिय थे, जिसके चलते वह अपने स्कूल में हॉकी और फुटबॉल टीम के कप्तान थे।
  • शाहरुख़ किसी भी व्यक्ति को “यार” कहकर पुकारते हैं।
  • किशोरावस्था के दौरान वह दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, मुमताज, इत्यादि जैसे बॉलीवुड अभिनेताओं व अभिनेत्रियों की नकल (मिमिक्री) करते थे।
  • शाहरुख़ का पहला वेतन ₹ 50 था, जिसे उन्होंने दिल्ली में पंकज उधास के एक संगीत कार्यक्रम में अनुरक्षण के रूप में कार्य करते हुए प्राप्त किया था। उन्होंने एक बार दरिया गंज में एक छोटे से रेस्तरां कारोबार का विस्तार करने की कोशिश की, लेकिन किसी कारणवश वह चल नहीं पाया।
  • अपना पहला वेतन प्राप्त करने के बाद शाहरुख़ आगरा की ट्रेन पकड़ कर ताजमहल देखने गए।
  • शाहरुख़ के दोस्त विवेक वासवानी ने उनके संघर्ष के दिनों में बहुत मदद की और जिसके चलते बाद में राजू बन गया जेंटलमैन और जोश जैसी फिल्मों में सह-अभिनेता के रूप में कार्य किया।
  • वर्ष 1988 में, उन्हें पहली बार लेख टंडन के टेलीविजन शो- दिल दारिया में एक भूमिका की पेशकश की गई थी, लेकिन शो के प्रसारण में लगातार देरी होने के कारण उन्होंने फौजी टेलीविज़न शो से अपने टीवी अभिनय करियर की शुरुआत की।
  • वह तंदूरी चिकन के बहुत शौकीन हैं और एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि वह वर्ष के 365 दिन तंदूरी चिकन को खा सकते हैं।
  • उन्होंने उम्मीद, वाघले की दुनिया, महान क़र्ज़ नामक टीवी धारावाहिकों में छोटी भूमिकाएं की हैं। यही नहीं उन्होंने अंग्रेजी भाषा में टीवी फिल्म “In Which Annie Gives It Those Ones” में भी कार्य किया है।
  • वर्ष 1991 में अपनी मां के निधन के बाद वह अपनी बहन के साथ मुंबई चले आए।

फिल्म दिल आशना है पोस्टर

  • इसके बाद शाहरुख ने एक के बाद एक हिट फ़िल्में की जैसे कि चमत्कार, राजू बन गया जेंटलमैन, माया मेमसाहब, किंग अंकल, बाजीगर, डर और पहला नशा में कैमियो की भूमिका निभाई।

शाहरुख़ खान फिल्म कभी हाँ कभी ना में

  • उन्हें फिल्म कुछ कुछ होता है में अभिनय के साथ-साथ फिल्म के एक्शन निर्देशन के लिए भी ख्याति प्राप्त हुई। यही नहीं उन्होंने फिल्म में रानी मुखर्जी को शामिल करने के लिए करण जौहर से सिफारिश भी की।

शाहरुख़ खान द किंग ऑफ़ बॉलीवुड

  • अभिनय की दुनिया पर शासन करने के अलावा वह अपने मेज़बानी कौशल के लिए भी काफी प्रसिद्ध हैं, जिसकी शुरुआत उन्होंने प्लेथोरा में आयोजित 48 वें फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह की। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक समारोह से कि 49 वें, 52 वें, 53 वें, 55 वें, 57 वें, 58 वें, 61 वां , 62 वें और 63 वें फिल्मफेयर पुरस्कार, 20 वीं, 21 वीं लाइफ ओके स्क्रीन अवार्ड्स, 6 वें, 14 वें अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार, इत्यादि इस सूची में शामिल हैं।
  • उदार स्वभाव होने के कारण शाहरुख़ विभिन्न परोपकारी कार्य करते रहते हैं। इसके अलावा वह कई धर्मार्थ संगठनों से जुड़े हुए हैं उनमें से “मेक ए विश फाउंडेशन” एक है।

शाहरुख कौन बनेगा करोड़पति की मेजबानी करते हुए

  • उन्हें घुड़सवारी करते हुए डर लगता है और उन्हें आइसक्रीम खाना भी पसंद नहीं है।

शाहरुख़ खान कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के साथ

  • उन्हें पल्स पोलियो और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन जैसे विभिन्न सरकारी अभियानों के ब्रांड एंबेसडर के रूप में चुना गया और यहीं नहीं उन्होंने UNOPS (यूएनओपीएस) द्वारा जल आपूर्ति और स्वच्छता सहयोगी परिषद के पहले वैश्विक राजदूत के रूप में प्रतिनिधित्व भी किया है।
  • शाहरुख़ ने वर्ष 2012 में आई अपनी फिल्म “जब तक है जान” में पहली बार पर्दे पर चुंबन किया।

शाहरुख़ खान अपनी आत्मकथा के साथ

  • वर्ष 2017 में, उन्हें टेड सम्मेलनों द्वारा निर्मित एक भारतीय व्याख्यान शो “टेड टॉक्स इंडिया नई सोच” में देखा गया।

शाहरुख क्रिस्टल पुरस्कार ग्रहण करते हुए

  • वर्ष 2018 में, आनन्द एल. राय की फिल्म “ज़ीरो” में शाहरुख़ खान प्रमुख भूमिका निभाई हैं, जो श्रीदेवी की आखिरी फिल्म थी।

शाहरुख़ खान के 555 अंक वाली पंजीकृत कार

  • इस्लाम में विश्वास रखते हुए शाहरुख़ ने अपनी पत्नी के धर्म को भी उतना ही महत्व दिया है जितना वह इस्लाम को देते हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि मेरे घर में हिन्दू देवी देवताओं के साथ कुरान शरीफ रखी हुई है।

Pramod Premi Yadav Biography in Hindi | प्रमोद प्रेमी यादव जीवन परिचय

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अंगूरलता डेका

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Shahrukh Khan Biography In Hindi – बॉलीवुड के किंग शाहरुख़ खान की जीवनी

Shahrukh Khan Biography In Hindi – बॉलीवुड की दुनिया के बेताज बादशाह और किंग खान से मशहूर अभिनेता शाहरुख़ खान का जन्म 2 नवंबर 1965 में नई दिल्ली, भारत में हुआ था। लगभग 28 वर्षों से शाहरुख खान बॉलीवुड की दुनिया में सक्रिय है इतने वर्षों में इन्होंने बहुत सारी फिल्मों और टीवी सीरियल, रिअलिटी शो में काम किया है।

शाहरुख़ खान हिंदी फिल्मों के मेगा स्टार हीरो के साथ-साथ निर्माता और टेलीविजन पर्सनालिटी भी हैं। बॉलीवुड में प्यार से लोग इनको ‘बॉलीवुड का बादशाह’, ‘किंग ऑफ बॉलीवुड’, ‘किंग खान’ भी कहते हैं। यह सभी शैलियों की फिल्‍मों (रोमांस, ड्रामा, कॉमेडी, एक्‍शन) में अभिनय कर चुके है। लॉस एंजिलेस टाइम्‍स पत्रिका ने इनको दुनिया का सबसे बड़ा मूवी स्‍टार बताया है। शाहरुख खान के प्रशंसकों की संख्‍या भारत के साथ – साथ दुनिया में भी बहुत है बताया जाता है कि इनको जितना लोग भारत में पसंद करते है उतना ही दुनिया के अलग – अलग देशों में भी।

Shahrukh Khan Biography In Hindi – (संछिप्त परिचय)

Shahrukh Khan Biography In Hindi

  • नाम – शाहरुख खान
  • उपनाम – एसआरके, किंग खान, किंग ऑफ़ रोमांस, बादाशाह
  • जन्म – 2 नवंबर 1965
  • Shahrukh Khan Age – 54 Years (2020)
  • जन्म स्थान – नई दिल्ली, भारत
  • प्रोफेशन – अभिनेता, निर्माता, उद्यमी
  • पिता का नाम – ताज मोहम्मद खान (व्यवसायी)
  • माता का नाम – लतीफ़ फ़ातिमा (मजिस्ट्रेट, सामाजिक कार्यकर्ता)
  • बहन – शहनाज लाला रुख खान (बड़ी)
  • डेब्यू फिल्म – (अभिनेता के रूप में ) दीवाना (1992)
  • टीवी डेब्यू – टीवी (कलाकार) फ़ौजी (1989)
  • धर्म – इस्लाम
  • खाद्य आदत – मासांहारी
  • वर्तमान पता – मन्नत, बैंडस्टैंड, बांद्रा (पश्चिम), मुंबई, महाराष्ट्र – 400050, भारत
  • शौक़ – वीडियो गेम खेलना, गैज़ेट एकत्रित करना और क्रिकेट खेलना
  • वैवाहिक स्थिति – विवाहित
  • पत्नी – गौरी खान (भारतीय फिल्म निर्माता और इंटीरियर डिजाइनर)
  • विवाह तिथि – 25 अक्टूबर 1991
  • बेटा – आर्यन खान और अबराम खान
  • बेटी – सुहाना खान
  • Net Worth (कुल सम्पति) – $750 million dollars (Rs. 5,100 Cr.)
  • एक फिल्म के लिए चार्ज – 40 से 45 करोड़ रुपया
  • क्या शाहरुख खान धूम्रपान करते हैं ? हाँ
  • क्या शाहरुख खान शराब पीते हैं ? हाँ
कार संग्रह – ऑडी ए 6 लक्जरी सैलून, बेंटले कॉन्टिनेंटल जीटी, BMW 6 सीरीज़ BMW 7 सीरीज, BMW i8, बुगाटी वेरॉन, मित्सुबिशी पजेरो एसएफ़एक्स, रोल्स रॉयस फैंटम ड्रॉपहेड कूप, टोयोटा लैंड क्रूजर प्राडो

Shahrukh Khan Education (शिक्षा) –

शाहरुख खान की शुरुआती शिक्षा सेंट कोल्बा स्कूल, दिल्ली में हुई, उसके बाद इन्होने हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, से अर्थशास्त्र में स्नातक किया, बाद में यह जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से मास कम्युनिकेशंस में परास्नातक की पढाई की थी। स्कूली दिनों में इन्हें कोई नहीं समझता था की यह एक दिन इतने बड़े सुपरस्टार हीरो बन जायेगे।

पसंदीदा चीजें –

  • तंदूरी चिकन, चाईनीज भोजन शाहरुख खान को बहुत पसंद है।
  • पेप्सी और कॉफी पीना इनको पसंद है।
  • दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन इनके पसंदीदा हीरो है।
  • मुमताज, सायरा बानो इनकी पसंद की हीरोइन है।
  • पसंदीदा टीवी शो – Narcos
  • पसंदीदा रंग – नीला, काला और श्वेत
  • पसंदीदा वाक्यांश – ‘Let’s do it’
  • लंदन और दुबई की सैर करना शाहरुख खान को बहुत पसंद है।
  • पसंदीदा किताब – The Hitch-Hiker’s Guid to The Galaxy (Author Douglas)
  • पसंदीदा कार – बीएमडब्ल्यू
  • पसंदीदा पहनावा – जींस, टी-शर्ट और जैकेट
  • पसंदीदा पुरुष सह-अभिनेता – संजय दत्त, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ
  • पसंदीदा महिला सह-अभिनेत्रियां – जूही चावला, काजोल , माधुरी दीक्षित
  • पसंदीदा फिल्म निर्देशक – मनमोहन देसाई
  • पसंदीदा संगीत निर्देशक – ए. आर. रहमान
  • पसंदीदा खेल – हॉकी, फुटबॉल और क्रिकेट
  • पसंदीदा फुटबॉल खिलाड़ी – Socrates, Pele, Maradona and Mattheus
  • पसंदीदा फैशन डिजाइनर – Dolce & Gabbana
  • पसंदीदा ऐतिहासिक व्यक्ति – चंगेज खान, हिटलर, नेपोलियन
  • पसंदीदा विषय – अंग्रेजी (विशेष रूप से शेक्सपियर)

Shahrukh Khan Career (कैरियर) –

शाहरुख खान ने अपने कैरियर की शुरुआत दिल दरिया, फौजी, और सर्कस जैसे सीरियल्‍स से की थी, उसके बाद वर्ष 1992 में उनको हिंदी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला उनकी पहली फिल्म दीवाना थी, जो सुपर हिट रही। इसके बाद शाहरूख ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, लगातार फिल्मों में काम करते गए और एक दिन ऐसा आया की वो बॉलीवुड के सुपरस्टार हीरो बन गए समय बीतने के साथ वो बॉलीवुड के किंग बन गए आज भी उनका बॉलीवुड में काफी नाम है दुनिया उनको एक टॉप स्टार हीरो के रूप में देखती है।

शाहरुख खान की प्रसिद्ध फिल्‍में (Shahrukh Khan Biography In Hindi)

  • दिलवाले दुल्‍हनियां ले जाएंगे
  • दिल तो पागल है
  • कुछ कुछ होता है
  • मोहब्‍बतें
  • कभी खुशी कभी गम
  • चक दे इंडिया
  • ओम शांति ओम
  • रब ने बना दी जोड़ी
  • माय नेम इज खान
  • जब तक है जान
  • चेन्‍नई एक्‍सप्रेस
  • हैप्‍पी न्‍यू ईयर

शाहरुख खान से जुडी रोचक जानकारी (Shahrukh Khan Biography In Hindi)

  • बताया जाता है कि शाहरुख खान के पिता स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के दूर के रिश्तेदार थे।
  • शाहरुख़ खान का लंदन के मैडम तुसाद संग्रहालय में मोम का पुतला स्थापित है।
  • 2017 में, शाहरुख खान टेड सम्मेलनों द्वारा निर्मित एक भारतीय व्याख्यान शो “टेड टॉक्स इंडिया नई सोच” में शामिल थे।
  • शाहरुख़ की दोहरी भूमिका वाली फिल्म फैन को दर्शकों का बहुत प्यार मिला।
  • शाहरुख़ पहले ऐसे भारतीय हीरो हैं जिनकी सचिन तेंदुलकर के बाद आत्मकथा “King Khan: The Official Opus of Shah Rukh Khan” को Kraken Opus द्वारा प्रकाशित किया गया।
  • शाहरुख़ ने 2012 में आई अपनी फिल्म “जब तक है जान” में पहली बार पर्दे पर चुंबन किया।
  • यह पल्स पोलियो और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन जैसे विभिन्न सरकारी अभियानों के ब्रांड एंबेसडर के रूप में चुने जा चुके है।
  • यह आईपीएल टीम कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के मालिक है।

Shahrukh Khan Biography In Hindi से जुडी जानकारी आपको कैसी लगी ?

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  • Famous Personalities /

Education of Shahrukh Khan

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  • Updated on  
  • Jun 28, 2021

Education of Shahrukh Khan

An esteemed celebrity in India and across the globe, Shahrukh Khan is in a league of his own. He has certainly earned the title “King of Bollywood” through his movies, talks, speeches, and performances which have inspired many people. Making a debut as a villain in his first movie, Khan emerged as one of the most renowned actors of Bollywood. He is the recipient of multiple accolades and his stature in the Indian film industry is unmatched. SRK has also been invited to multiple accolades. Let us take a look at the education of Shahrukh Khan through this blog.

This Blog Includes:

Becoming the king khan of bollywood, philanthropy , awards & achievements , facts about shahrukh khan.

Shahrukh Khan as a kid

Born on 2nd November 1965 to Mir Taj Muhammad Khan and Lateef Fatima, Khan spent his early five years in Mangalore with his maternal grandparents. Being the son of a non-violent independence activist, Khan grew up in a disciplined and structured atmosphere. Khan in various interviews talks about the hardships he faced during his career. From doing side roles for small productions to his emergence as an iconic figure in the realm of acting, the education of Shahrukh Khan is key to understanding his journey.

The School Captain of the Hockey, Football and Cricket Teams Altogether!

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Right from the beginning, Shahrukh Khan took a keen interest in studies. He participated in the extra-curricular activities as much as he took part in academics. Braving all the hardships, he completed his schooling at St. Columba’s School in central Delhi where he was selected as the captain of the school Hockey, Football and Cricket all at the same time.

Shahrukh Khan received the Sword of Honour in School

His active participation in sports won him the “ Sword of Honour ” award which was the highest level of felicitation anyone could receive in the school.

Aspiring to become a sportsperson, Khan’s career took a U-turn after his pursuit was halted by an injury. His enthusiasm and perseverance paved the way to his newfound interest in acting that led him to perform in several stage productions. His new aspiration bloomed to the fullest when he took the role of a Vaanar Sainik in “ Ramayana .” The education of Shahrukh Khan at the school level played a great role in shaping him as an actor.

Moving on towards his further education, Khan completed B.A in Economics from Hansraj College , which is one of the highly regarded colleges of Delhi University .

Shahrukh Khan also learned acting at the National School of Drama!

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To add to his existing academic accolades, Khan participated extensively in Delhi’s Theatre Action Group under the guidance and mentorship of Barry John to whom he says he owes his acting career. The higher education quest of Shahrukh Khan took him to Jamia Millia Islamia where he got himself enrolled on Masters in Journalism and Mass Communication . But due to certain reasons, he dropped out to solidify his commitment to acting and he went on to finally follow his passion by taking up an acting course at the National School of Drama . 

“Don’t let your fears become boxes that enclose you. Open them out, feel them, and turn them into the greatest courage you are capable of.”- Shah Rukh Khan

Khan began his acting career from TV starring in his first role in Lekh Tandon’s Dil Dariya which started shooting in 1988 but there were some delays in the production that led to Fauji directed by Raj Kumar Kapoor as his first debut on TV. Not feeling confident enough to work in films, he played many roles in TV shows like Doordarshan’s Circus, Wagle ki Duniya, In Which Annie Gives It Those Ones and Idiot .

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In the year 1991, Khan lost his mother due to complications with diabetes and somehow decided to go to Mumbai and start his film career. He later also said that this decision was in a way to escape the grief of losing his mother as he shifted from Delhi to Mumbai with nothing but meagre money to survive and make it big.

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In the next two years, SRK signed around four movies, including Dil Aashna Hai, Deewana, Chamatkar and Raju Ban Gya Gentleman. He won the Filmfare Best Debut Male Award for Deewana and was lauded for the physical energy, raw enthusiasm and a fresh breather that he brought to the silver screen!

Then came SRK’s amazing anti-hero roles that were gripping and thrilling yet emotional and heartwrenching. His education in acting might have come handy as Shah Rukh Khan mesmerized the world with his incredible acting through films like Darr and Baazigar.

King Khan of Bollywood

At the same time, he lured everyone with his lovestruck characters like Sunil from Kabhi Haan Kabhi Naa released in 1994, a personal favourite that he still adores. In the later 1990s, he starred in many golden blockbusters like Karan Arjun, Dilwale Dulhania Le Jaenge, Yes Boss, Pardes, Dil to Pagal Hai, Kuch Kuch Hota hai, Dil Se and many more. The Bollywood was swept off by his magnetic acting skills and the small-town boy charm that he brought to the screen and there was truly no way coming back.

Emerging as a romantic inspiration for many, SRK became the King Khan with many blockbusters ahead from Devdas, Swades, Chak De! India to Don, Veer Zaara, Main Hoon Naa and more!

The line between what I really am, and what I am on reel, is slowly diminishing.

During his journey, the distinguished actor who has earned a great level of stardom, Khan went on to empower women and made significant contributions towards helping the underprivileged children through Meer Foundation . His efforts towards helping women to fearlessly stand against the brutality and injustice inflicted upon them at various fronts have been influential. His philanthropic work led him to earn an Honorary Doctorate from La Trobe University , Melbourne. Not only did the university appreciate his generous efforts by awarding him a PhD but also launched a scholarship in his name. Contributing to the education of Shahrukh Khan, the honorary degree added an extra star to his much-lauded personality. 

Besides being nominated for his heart robbing performances on screen, Shahrukh Khan has a number of awards to his credit. The star has received 92 National and International awards and has gained 72 nominations throughout his acting career. From receiving leading roles to becoming the Star of the Decade , Entertainer of the Year , Fun Fearless Male of All Time to Lifetime Achievement Awards for his incredible contribution to the movie industry, Khan has been critically lauded for his on-screen performances. The government of India honoured him with Padma Shri (Fourth highest Civilian Award) in 2005. Khan was invested with the Order of the Arts & the Letters by the Government of France and he went to be conferred with the Order of the Legion of Honour in 2014 which is the highest civilian honour in the country.

Shah Rukh Khan also gave his first TED talk in 2017 where he talked about his journey to fame, his witty views on humanity, fame and love.

“ The only time I don’t work is when I am asleep. “

Few of the highly regarded, well-appreciated and critically acclaimed films of this exceptional star are: 

  • Dear Zindagi [2016] 
  • My Name is Khan [2010] 
  • Rab Ne Bana Di Jodi [2008]
  • Chak De India [2007]
  • Paheli [2005]
  • Veer Zara [2004]
  • Swades [2004]
  • Bazigar [1993]
  • Darr [1993]

Here are a few lesser-known facts about Shahrukh Khan:

  • SRK has a huge fan- Paige Wilson from Los Angeles who makes clay statues of everything and anything he does!
  • SRK owns a property on the moon! One of his fans from Australia buys him a piece of land on the moon every year from the Lunar Republic Society.
  • Shahrukh Khan is superstitious/obsessed with the number ‘555’. All of his cars have the number 555!
  • The actor has received a honorary degree in recognition for his acts of philanthropy, altruism and humanitarianism from the University of Edinburgh, Scotland.

BONUS [Read More About the Education of Famous Personalities]

  • Education of Priyanka Chopra
  • Steve Jobs Education
  • CV Raman Education
  • APJ Abdul Kalam Education
  • Education of Raghuram Rajan
  • Education of Mahatma Gandhi
  • Education of Rabindranath Tagore
  • Education of Kalpana Chawla
  • Education of Albert Einstein

Being an astounding personality who started out as a TV actor in Fauji, charting the journey from the education of Shahrukh Khan to the huge star that he became, King Khan has lived in the hearts of people for many for years. So, if you are someone who aspires to establish a legacy like this phenomenal star, then, Leverage Edu can give you a kickstart and bring you a step closer to your dreams.

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शाहरुख खान का जीवन परिचय | Shahrukh Khan Biography In Hindi

शाहरुख खान का जीवन परिचय,जीवनी, जन्म,परिवार, शिक्षा, फिल्म कैरियर, पुरस्कार और सम्मान, विवाद, कुल संपत्ति (Shahrukh Khan Biography In Hindi, Wiki, Family, Education, Birthday, Career, Awards, Controversy, Net Worth)

शाहरुख खान एक भारतीय अभिनेता फिल्म निर्माता और टीवी सेलिब्रिटी है जो हिंदी फिल्मों में काम करते हैं शाहरुख खान एक ऐसा नाम है जिसका भारत ही नहीं पूरी दुनिया में डंका बजता है।

शायद ही दुनिया में ऐसा अभिनेता पैदा हुआ होगा जिसको दुनिया भर के लोग जानते हो और उसकी फिल्में बिना अपनी मातृभाषा में कन्वर्ट करके देखते हो।

यही नहीं शाहरुख खान की फिल्म दुनिया के विभिन्न देशों में लोगों के द्वारा बहुत पसंद की जाती है शाहरुख खान ने अपनी दमदार एक्टिंग की बदौलत एक अलग ही शोहरत और मुकाम पाया है।

आज के इस आर्टिकल में हम बॉलीवुड के किंग खान के जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करेंगे। उनका जन्म कब हुआ, शिक्षा कितनी है और शाहरुख खान ने फिल्मों में कैरियर बनाने में कितने संघर्ष किए जैसे महत्वपूर्ण बातों के बारे में इस आर्टिकल में जानेंगे।

शाहरुख खान का जीवन परिचय | Shahrukh Khan Biography In Hindi

शाहरुख खान का जीवन परिचय

शाहरुख खान कौन है (who is shahrukh khan).

शाहरुख खान एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता और फिल्म निर्माता है जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में काम करते हैं वह भारत में सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेताओं में से एक हैं उन्हें एसआरके(SRK) बॉलीवुड के बादशाह और किंग खान के नाम से भी जाना जाता है।

शाहरुख खान का जन्म एवं शुरुआती जीवन

शाहरुख खान का जन्म 2 नवंबर 1965 को नई दिल्ली भारत में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय ताज मोहम्मद खान एक व्यापारी थे और उनकी एक ट्रांसपोर्ट कंपनी थी, एवं उनकी मां स्वर्गीय फातिमा एक मजिस्ट्रेट के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी थी।

जब शाहरुख खान का जन्म हुआ तो उनकी नानी ने उनका नाम अब्दुल रहमान रखा था लेकिन कुछ समय बाद उनके पिता ने इसे बदलकर शाहरुख कर दिया उनकी एक बड़ी बहन भी हैं जिनका नाम शहनाज लालारुख है।शाहरुख अपने बचपन में अपने परिवार के साथ दिल्ली में किराए के मकान से रहते थे।

शाहरुख खान की शिक्षा (Shahrukh Khan Education)

शाहरुख खान ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलबाद स्कूल से प्राप्त की यहां से उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। शाहरुख को पढ़ाई के साथ-साथ फुटबॉल क्रिकेट, कबड्डी जैसे खेलों में भी रुचि थी और उन्होंने खेलों में पुरस्कार भी जीते हैं।

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद शाहरुख खान ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त कर अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली विश्वविद्यालय में मास कम्युनिकेशन विषय में एडमिशन लिया।

यहां तक आते-आते शाहरुख खान का मन थियेटर एक्टिंग और मॉडलिंग में लगने लगा था, इस वजह से उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने कुछ समय स्कूल ऑफ ड्रामा में भी व्यतीत किया यहां पर वह थिएटर और नाटक किया करते थे।

शाहरुख खान का जीवन परिचय | Shahrukh Khan Biography In Hindi

शाहरुख खान का परिवार (Shahrukh Khan Family)

शाहरुख खान की गर्लफ्रेंड (shahrukh khan girlfriend).

शाहरुख खान एक ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने हर उम्र और हर तबके के लोगों के दिलों पर राज किया है। शाहरुख खान जितने ज्यादा पुरुषों के बीच में फेमस हैं, उतने ही ज्यादा लड़कियों के बीच में भी फेमस है, इसके बावजूद भी शाहरुख खान के कभी किसी लड़की के साथ प्रेम संबंध सामने नहीं आए हैं।

शाहरुख खान की पत्नी (Shahrukh Khan Wife)

शाहरुख खान की गौरी खान तब गोरी छिब्बर से मुलाकात सड़क पर टहलने के दौरान हुई एवं पहली नजर में शाहरुख खान गौरी को अपना दिल दे बैठे, गौरी खान एक हिंदू पंजाबी परिवार से संबंधित है। शाहरुख खान ने गौरी के माता-पिता से बात की और जब वह मान गए तो 25 अक्टूबर 1991 को दोनों ने शादी कर ली।

शाहरुख खान और गौरी खान के दो बेटे और एक बेटी हैं, जिनमें से शाहरुख खान के बेटों के नाम आर्यन खान और अबराम खान है वहीं उनकी बेटी का नाम सुहाना खान है।

  • आमिर खान का जीवन परिचय

शाहरुख खान का फिल्म कैरियर (Shahrukh Khan Career)

शाहरुख खान का पहला टेलीविजन सीरियल था “दिल दरिया” हालांकि इसकी शूटिंग में देरी होने के कारण इनका टेलीविजन डेब्यू “फौजी” नामक सीरियल से हुआ जिसमें इन्हें काफी प्रसिद्धि मिली। इसके बाद कई तरह के टेलीविजन सीरियल में काम करने के बाद उन्होंने अपना कदम बॉलीवुड में रखा और साल 1992 में आई फिल्म “दीवाना” से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया। इस फिल्म में शेर ने काफी सराहना मिली इसके बाद इन्हें बॉलीवुड में फिल्मों के ऑफर मिलने लगे।

शुरू में तो इन्हें फिल्मों में नेगेटिव रोल मिला करते थे जैसे कि बाजीगर बॉर्डर जैसी फिल्मों में शाहरुख ने अपने जबरदस्त नेगेटिव किरदार को निभा कर बॉलीवुड में अपने अभिनय का लोहा मनवाया इसके बाद शाहरुख ने कई रोमांस फिल्में “दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे “, “कुछ कुछ होता है”, “दिल तो पागल है”, “प्रदेश”, “देवदास” इत्यादि फिल्मों में बेहतरीन एक्टिंग की बदौलत इन्हें रोमांस का किंग कहा जाने लगा।

इनकी फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ने तो इतिहास रच दिया। बॉक्स ऑफिस इंडिया की तरफ से इस फिल्म को ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर फिल्म घोषित किया गया। इस फिल्म में का शो मुंबई के एक सिनेमाघर मराठा मंदिर में आज भी चल रहा है। 1000 सप्ताह पूरी कर यह रिकॉर्ड बना चुकी हैं। इसके बाद शाहरुख ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार फिल्मी दुनिया में एक से बढ़कर एक फिल्म में कर अपने एक्टिंग का लोहा मनवाते चले जा रहे हैं।

शाहरुख खान का जीवन परिचय | Shahrukh Khan Biography In Hindi

शाहरुख खान के पुरस्कार एवं सम्मान (Shahrukh Khan Awards)

फिल्मफेयर पुरस्कार.

  • 1993 में शाहरुख खान को फिल्म दीवाना के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनय पुरस्कार से सम्मानित किया गया
  • वर्ष 1994 में उन्हें फिल्म बाजीगर के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1995 में होने फिल्म आलोचकों द्वारा फिल्म कभी खुशी कभी गम के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार और फिल्म अंजाम के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1996 में उन्हें दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1998 में होने फिल्म दिलतोपागलहै के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गय।
  • 1999 में उन्हें फिल्म कुछ कुछ होता है के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • 2002 में उन्हें विशेष पुरस्कार स्विस दूतावास ट्रॉफी से सम्मानित किया गया।
  • 2003 में उन्हें फिल्म देवदास के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • 2005 में उन्हें फिल्म स्वदेश के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला।
  • 2008 में उन्हें फिल्म चक दे इंडिया के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • 2011 में उन्हें फिल्म माई नेम इज खान के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

राजकीय पुरस्कार

  • वर्ष 2005 में शाहरुख खान को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2013 में शाहरुख खान को दक्षिण कोरिया सरकार द्वारा सद्भावना राजदूत सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2014 में शाहरुख खान को फ्रांसीसी सरकार द्वारा लीजेंड ऑनर सम्मान से सम्मानित किया गया।

अन्य पुरस्कार

  • वर्ष 2007 में शाहरुख खान को एनडीटीवी इंडिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2011 में उन्हें यूनिवर्स को द्वारा Pyramide Con Marni पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • इन सबके अलावा शाहरुख खान के पास और भी कई पुरस्कार सम्मान और उपलब्धियां हैं जो कि अलग-अलग समय पर उन्हें दी गई हैं।

शाहरुख खान के विवाद (Shahrukh Khan Controversy )

  • वर्ष 2008 में शाहरुख खान, कैटरीना कैफ के जन्मदिन समारोह के दौरान सलमान खान से बढ़ने पर विवादों में रहे।
  • वर्ष 2012 में उन्होंने एक पार्टी में शिरीष कुंदर को थप्पड़ मारा जिसके कारण वह विवादों में रहे।
  • साल 2012 में आईपीएल मैच के दौरान वानखेडे स्टेडियम मैदान पर जाने को लेकर शाहरुख खान की सुरक्षाकर्मियों के साथ बहस हो गई, जिसके चलते एक स्थानीय कार्यकर्ता ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई कि शाहरुख खान ने आईपीएल के मैच के दौरान सुरक्षाकर्मियों के साथ शराब पीकर गाली–गलौज की, जिसके बाद मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने शाहरुख खान पर 5 साल का प्रतिबंध लगा दिया था।
  • वर्ष 2013 में शाहरुख खान तब विवादों में आए जब महाराष्ट्र के रेडियोलॉजिस्ट एसोसिएशन ने उन पर तीसरे बेटे अबराम के जन्म के दौरान लिंग जांच परीक्षण करवाने का आरोप लगा जिस पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगाया है हालांकि बीएमसी द्वारा उन्हें क्लीन चिट दे दी गई।
  • वर्ष 2012 में आईपीएल मैच के दौरान राजस्थान में सार्वजनिक रूप से धूम्रपान करने के लिए विवादों में रहे।

शाहरुख खान की पसंदीदा वस्तु (Shahrukh Khan Favourite Things)

शाहरूख खान की कुल संपत्ति (shahrukh khan net worth), शाहरुख खान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य.

  • शाहरुख खान का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था।
  • शाहरुख खान के माता पिता ने प्रेम विवाह किया है।
  • उनका नाम शाहरुख है जिसका अर्थ है “राजा का चेहरा”।
  • वर्ष 1981 में जब वह 15 वर्ष के थे तब उनके पिता का कैंसर की बीमारी से निधन हो गया था।
  • शाहरुख किसी भी व्यक्ति को “यार” कह कर पुकारते हैं।
  • अपनी किशोरावस्था के दौरान वह दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन,मुमताज जैसे बॉलीवुड अभिनेताओं व अभिनेत्रियों की नकल उतारा करते थे।
  • अपना पहला वेतन प्राप्त करने के बाद शाहरुख आगरा की ट्रेन पकड़कर ताजमहल देखने गए थे।
  • शाहरुख खान को चिकन तंदूरी बहुत पसंद है।
  • 1991 में अपनी मां के निधन के बाद शाहरुख खान अपनी बहन के साथ मुंबई आ गए थे।
  • शाहरुख खान ने सोनी एंटरटेनमेंट पर प्रसारित कार्यक्रम कौन बनेगा करोड़पति सीजन 3 की मेजबानी भी की है।
  • शाहरुख खान को घुड़सवारी करते हुए डर लगता है और उन्हें आइसक्रीम खाना भी पसंद नहीं है।
  • शाहरुख खान ने वर्ष 2012 में आई अपनी फिल्म “जब तक है जान” में पहली बार पर्दे पर चुंबन किया।
  • लंदन के मैडम तुसाद संग्रहालय में शाहरुख खान का मोम का पुतला स्थापित है।

शाहरूख खान के पास कितनी संपत्ति हैं?

6010 करोड़ भारतीय रूपयोंं में

शाहरूख खान का जन्‍म कब और कहॉं हुआ था?

शाहरुख खान का जन्म 2 नवंबर 1965 को नई दिल्ली भारत में हुआ था।

शाहरूख खान कहॉं का रहना वाला हैं?

शाहरुख खान के भाई का नाम क्या है.

इन्‍हें भी पढ़ें

  • अभिषेक उपमन्‍यु का जीवन परिचय
  • शाजी चौधरी का जीवन परिचय
  • ऋतिक रोशन का जीवन परिचय
  • अब्‍दू रोजिक का जीवन परिचय
  • जावेद खान अमरोही का जीवन परिचय

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Sushil kevat

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शाहरुख खान की जीवनी | Shahrukh Khan Biography in Hindi | Collection of Pathaan

Shahrukh khan biography in hindi | शाहरुख खान जीवन परिचय.

मैं आज बात कर रहा हूं अपनी शानदार एक्टिंग की बदौलत भारत के सिनेमा जगत मे दशकों से राज कर रहे हैं और लोगों में अपने रोमांटिक रोल के लिए पहचाने जाने वाले मशहूर एक्टर शाहरुख खान की जिन्हें की उनकी काबिलियत की वजह से उन्हें किंग आफ  बॉलीवुड भी कहा जाता है एक समय पर दिल्ली का आम लड़का जिसको ना कोई जानता था नाही पहचानता था आज इतना मशहूर हो चुका है कि सिर्फ  भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में उनकी एक्टिंग का लोहा माना जाता है शाहरुख खान 80  से भी ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं और अब तक में 14 फिल्मफेयर अवार्ड जीत चुके हैं साथ ही उनकी गिनती दुनिया के सबसे अमीर एक्टर में की जाती है तो चलिए दोस्तों तो हम जानते हैं कि किस तरह से एक आम लड़का अपने जुनून और काबिलियत के दम पर आज करोड़ों दिलों पर राज कर रहा है तो दोस्तों इस कहानी  की शुरुआत होती है 2 नवंबर 1965 से जब  दिल्ली के मुस्लिम परिवार में शाहरुख खान का जन्म हुआ उनके पिता का नाम मीर ताज मोहम्मद था जो कि एक स्वतंत्रता सेनानी  थे  और उनकी मां का नाम लतीफ फातिमा वैसे तो भारत-पाकिस्तान के अलग होने से पहले उनका परिवार पेशावर में रहता था लेकिन 1948 में जब विभाजन  हुआ  तो उनके पिता अपने परिवार के साथ दिल्ली में आकर बस गए शाहरुख खान का बचपन दिल्ली के  राजेंद्र नगर इलाके में  बीता उनका परिवार किराए के मकान में  रहता और उनके पिता  एक रेस्टोरेंट चलाया करते थे शाहरुख खान ने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के सेंट कोलंबिया स्कूल से की और पढ़ाई में अच्छी होने की वजह से उन्होंने स्कूल का सबसे बड़ा  Sword of Honour  भी जीता था लेकिन सिर्फ 16 साल की उम्र में शाहरुख के जीवन में एक दुखद पल तब आया जब उनके पिता की मृत्यु हो गई हालांकि इतनी कम उम्र में पिता को खोने के बाद भी शाहरुख के अंदर परेशानियों से लड़ने का जज्बा कभी भी  खत्म नहीं हुआ  उन्होंने 1985 में हंसराज कॉलेज में एडमिशन ले लिया जहां पर उन्होंने एक थिएटर ग्रुप ज्वाइन किया और उस ग्रुप में रहते हुए बैरी जॉन के अंतर्गत एक्टिंग सीखी .शाहरुख खान ने मास कम्युनिकेशन  में मास्टर डिग्री लेने का फैसला किया लेकिन एक्टिंग के लिए पढ़ाई बीच में ही  छोड़ दी फिर इसी बीच में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा मैं भी एडमिशन लिया जहां वे एक्टिंग के गुण सिखते रहे . आज के इस बायोग्राफिकल  पोस्ट में हम भारत के सबसे बड़े रोमांटिक हीरो  मैं से एक Shahrukh Khan Biography in Hindi  के बारे में विस्तार से बातें करेंगे  

Table of Contents

Shahrukh Khan Biography in Hindi

जन्म और परिवार (Birth and Family)

  • शाहरुख खान एक प्रसिद्ध कलाकार है, जिन्हें हर उम्र का व्यक्ति जानता है. इनके नाम का मतलब है “फेस ऑफ किंग “ इनका जन्म 2 नवम्बर 1965 में दिल्ली में हुआ . शाहरुख खान फिलहाल मुंबई में रहते है. उनके घर का नाम “मन्नत” है , इनका जन्म एक मध्यम वर्ग के परिवार में हुआ था.
  • शाहरुख खान 15 साल के थे जब पिता ताज मोहम्मद का इंतकाल हो गया था उन्हें कैंसर था परिवार पर बड़ी आफत आ पड़ी थी और यहां से शुरू हुआ रोमांस के किंग कहे जाने वाले शाहरुख खान का संघर्ष  शाहरुख खान को अगर किसी को जानना हो  तो वह पहले पाकिस्तान के पेशावर को जाने जहां से उनके पिता पैदल दिल्ली आए थे और खान अब्दुल गफ्फार खान के साथ मिलकर भारत की आजादी के लिए लड़े थे शाहरुख खान के दादा सुभाष चंद्र बोस की आर्मी में मेजर थे 
  • एक बहन शहनाज़ लालारुख जो मुंबई में उनके साथ ही रहती है.

 शारीरिक संरचना ( Physical Structure)

पारिवारिक जानकारी  (family information), शाहरुख खान के जीवन से जुडी रोमांचक बातें (interesting things related to the shahrukh’s life).

  • शाहरुख की पहली तनख्वाह 50 रुपये थी. जो कि उन्होंने पंकज उदास के एक कॉन्सर्ट में गार्ड बन कर कमाई थी .  जिससे उन्होंने आगरा का ट्रेन की टिकिट ली और ताजमहल देखा .
  • 1988 में इन्हें एक रोल मिला टीवी शो दिल दरिया में पर इसके प्रसारण में बहुत समय लग गया, शाहरुख ने दिल दरीया, टीवी सीरियल फौजी, सर्कस जैसे टीवी सीरियल में अपने करियर की शुरुआत की
  • शाहरुख़ ने कई  टीवी सीरियल में काम किया जैसे वागेल की दुनिया , दिल दरिया , दूसरा केवल , उम्मीद, इडियट,  1988 में  फौजी, सर्कस .
  • शाहरुख इस्लाम धर्म में विश्वास रखते है, पर शाहरुख ने अपने तीनो संतानों अब्राहम आर्यन और सुहाना को हिन्दू और मुस्लिम दोनो धर्म की शिक्षा प्रदान की .
  • शाहरुख ने अपने फिल्मी करियर में सन 2012 में “ फिल्म जब तक है जान ”मेंस्क्रीन पर पहला KISS किया .
  • शाहरुख अंकज्योतिष में भी विश्वास रखते है , वे 555 अंक को अपने लिए शुभ मानते है . उन्हें लगता है 555 अंक उनके लिए बहुत शुभकारी है . इसलिए उनकी सभी गाड़ियो के नंबर 555 से ही रजिस्टर्ड है और इनकी ईमेल आईडी में भी 555 अंक शामिल है.
  • शाहरुख कई सरकारी कंपनी के ब्रांड अम्बेसडर भी है, जैसे पल्सपोलियो नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन  .

पसंदीदा चीजें ( Favorite Things)

शाहरुख  की जीवन शैली के अनुसार शाहरुख   की पसंद और ना पसंद भी बहुत सामान्य सी हैं.  उनको क्या पसंद हैं क्या नहीं यह जानने की दिलचस्पी हमेशा ही उनके चाहने वालों के मन में रही है तो चलिए जानते हैं शाहरुख खान की पसंदीदा चीजें

Shahrukh Khan Biography in Hindi

धन/संपत्ति संबंधित विवरण (Money/property related details)

(shahrukh khan biography in hindi | शाहरुख खान जीवन परिचय), शाहरुख खान टॉप 10 फिल्मे ( shahrukh khan top 10 movies), शाहरुख को पहला प्रस्ताव हेमा मालिनी की“दिल आशा है”का मिला पर इनकी पहली फिल्म “दीवाना” जो 1992  में आई थी..

अपनी अच्छी एक्टिंग की बदौलत उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में की इसके बाद एक के बाद एक इनकी कई फिल्मे आई  चमत्कार,राजू बन गया जेन्टल मेन ,माया मेमसाब,किंग अंकल ,बाजीगर ,डर और पहला नशा .वास्तविकजीवन में वे हकलाते नही थे, पर उनका  डायलॉग ककक किरण बेहद लोकप्रिय हुआ .

1994 में शाहरुख को फिल्म कभी हा कभी ना का प्रस्ताव मिला जिसमें उन्हें पुरी फिल्मके केवल25000 रूपये मिले . उन्होंने इस फिल्म के पहले दिन मुंबई में टिकिट खिड़की से टिकट भी बेचीं. शाहरुख की फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे बेहद लोकप्रिय हुई

शाहरुख की आज तक की सबसे अधिक लोकप्रिय फिल्म (Shahrukh’s most popular film)

1995 में शाहरुख़ और काजोल की फिल्म “ दिल वाले दुल्हनिया ले जाएगे “ आज तक कि इनकी सबसे लोकप्रिय फिल्म है . यह फिल्म ने फिल्म जगत के इतिहास में दुसरे नंबर पर सबसे अधिक पैसा कमाने वाली फिल्म है .28 वर्ष पूर्व 1995 में जब यह फिल्म रिलीज हुई थी तब 61 करोड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन था और अब तक यह फिल्म 302 करोड़ रूपये का कारोबार कर चुकी है . Akshay Kumar   का जीवन परिचय यहाँ पढ़ें सलमान खान की हम आपके है कौन के बाद सबसे अधिक कारोबार करने वाली फिल्म है . इसे “ डीडीएल जे “ भी कहा जाता है . इस फिल्म ने इसके सारे किरदारों को जीवन्त बना दिया राज और सिमरन कोकोई हर कोई जानने और पसंद करने लगा.

शाहरुख खान की आने वाली फिल्म (Shahrukh Upcoming Movies in hindi)

शाहरुख खान और अवार्ड्स ( shahrukh khan ’s award’s).

शाहरुख़ ने अपने अब तक के करियर में कई फिल्मे की है इसके लिए इन्हें दर्जनों अवार्ड्स भी मिले है, शाहरुख खान जीवन परिचय में शाहरुख़  को मिले कुछ अवार्ड्स की सूचि इस प्रकार है.

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Shahrukh Khan Biography in Hindi

शाहरुख खान के बारे में कुछ कम ज्ञात फैक्ट्स 

  • शाहरुख ने जूही चावला और उनके पति जय मेहता के साथ मिल कर आईपीएल मैच की ओनरशिप भी ली. जिसका नाम आईपीएल मैच में  कोलकता नाईट राइडर रखा गया .
  • शाहरुख की मोम की बनी हुई स्मारक लन्दन केम्यूजियम में स्थापित है.
  • एक्टिंग के साथ साथ शाहरुख अपने एक और हुनर जैसे कि होस्टिंग के लिए भीबहुत प्रशंसा प्राप्त की. शाहरुख ने 48वे फिल्मफेयर अवार्ड की मेजबानी की. फिर एक के बाद एक 49वे ,52वे , 53वे, 55वे ,57वे , 58वे ,61वे ,62वे ,और63वेफिल्म फेयर अवार्डकों होस्ट किया
  • 6 अक्टूबर 1917 में शाहरुख़ ने अपने एक इस टीवी शो को लांच किया, इस सीरियल में लोगो को अपने आईडिया के लिए एक प्लेटफार्म दिया.

लव लाइफ और मैरिज लाइफ (Shahrukh Real Life Love Story)

शाहरुख मुस्लिम धर्म से थे, और हमारे देश में शादी करने के लिए धर्म बहुत मायने रखता है गौरी और शाहरुख की प्रेम कहानी न भी किसी फिल्म की कहानी से कम नही है .1984 में पहली बार एक पार्टी में इन दोनो का आमना सामना हुआ , तब गौरी अपने एक मित्र के साथ डांस कर रही थी , और शाहरुख गौरी से बात करना चाहते थे, पर अपने शर्मीले व्यक्तित्व के कारण बात करने में असफल रहे , बहुत हिम्मत जुटाने के बाद जब कहा, तो गौरी उनके साथ डांस करने के मना कर दिया. तब गौरी अपने भाई के साथ में थी. फिर गौरी को शाहरुख के अंदाज पसंद आने लगा और दोनो में बार बार मिलने लगे .जब शाहरुख ने गौरी को पहली बार देखा तब गौरी 14 साल की थी , पर इनकी लव लाइफ  इतनी आसान नही थी . शाहरुख गौरी को बहुत सी बात के लिए रोकने लगे, उन्हें गौरी का अपने बालो को खुले रखना अच्छा नही लगता था . जब भी गौरी किसी लड़के से बात करती थी, तो शाहरुख कों पसंद नही आता था. जब गौरी ने फैसला लिया कि वे अब शाहरुख से रिश्ता नही रखना चाहती. गौरी ने शाहरुख के साथ अपना जन्म दिन मनाया और फिर अपने एक मित्र के साथ मुंबई छोड़ कर चली गई . और इस बात के बारे में शाहरुख को भी नहीं बताया . तब शाहरुख को पता चला कि वे गौरी को प्रेम करने लगे है. शाहरुख ने अपनी माँ से सारी बातें कही . तब उनकी माँ ने उन्हें 10000 रूपये दिये और गौरी को फिर से मिलने को कहा . शाहरुख ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर सारा शहर खोजा पर गौरी कही नही मिली .फिर एक दिन किस्मत से एक बीच पर गौरी और शाहरुख एक दुसरे के सामने आ गए, एक दुसरे को देख कर गले लग के रोने लगे . तब उन्हें पता चला के दोनों एक दुसरे के बिना नही रह सकते, और दोनों ने शादी करने का फैसला लिया, परंतु यह बहुत ही कठिन फैसला था. गौरी एक हिन्दू परिवार से थी और उनके पिताजी शुद्ध शाकाहारी थे. उनके घर में मंदिर भी था ,गौरी के माता पिता इस शादी के खिलाफ थे. गौरी की माँ ने यह तक कह दिया कि ये शादी हुई तो वो आत्महत्या कर लेंगी.शाहरुख मुस्लिम धर्म से थे, और हमारे देश में शादी करने के लिए धर्म बहुत मायने रखता है . इसके साथ साथ  उस समय शाहरुख का फिल्मी करियर की शुरुआत हुई थी .और उन्हें लगा कि गौरी की अभी शादी का फैसले लेने के लिए उम्र कम  है. फिर शाहरुख और गौरी को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ा. 5 साल तक दोनों ने अपने रिश्ते को छुपा के रखा  और गौरी के माता पिता को मनाने के लिए कई प्रयत्न किए, फिर एक दिन गौरी के माता पिता को शाहरुख के गौरी के प्रति प्रेम का एहसास हुआ और दोनों शादी के लिए तैयार हो गए .  25 अक्टूबर 1991 को हिन्दू विधि विधान के साथ दोनो की शादी हुई.

शाहरुख और विवाद ( Shahrukh and Controversy)

(शाहरुख खान जीवन परिचय)

  • शाहरुख के वानखेड़े स्टेडियम में आने पर रोक 

शाहरुख जैसे स्टार को वानखेड़े स्टेडियम में आने के लिए रोक लगा दी गई, जब वे कोलकोता नाईट राइडर टीम के ओनर थे, तब उन्हें स्टेडियम में आने से क्रिकेट असोसिशन द्वारा मना कर दिया गया .शाहरुख ने आईपीएल के दौरान अभद्र व्यवहार किया. उन्होंने गार्ड के साथ मारपीट की और आईपीएलके सदस्यों को अपशब्द कहे, जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें 5 साल के लिए स्टेडियम में आने पर रोक लगा दी गई .

फराह खान के पति के साथ मारपीट :

शाहरुख को एयरपोर्ट पर रोक लिया गया :.

शाहरुख को न्यूजर्सी के न्यूयार्क हवाईअड्डे पर करीब 2 घंटे तक हिरासत में ले लिया था, केवल उनके अंतिम नाम खान के कारण फिर कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला की अमेरिकी अधिकारियो से बात कराने के बाद में उन्हें रिहा किया गया .

शाहरुख खान के अफेयर (Shahrukh Khan’s affair)

  • शाहरुख़  और जूही  ने एक साथ 10 से अधिक फिल्मो में मुख्य भूमिका निभाई है इस जोड़ी की केमेस्ट्री को सभी ने सराहा . बहुत समय पहले एसी अफवाह सुनने में आई थी जूही और शाहरुख़ एक दुसरे को डेट कर रहे है , फिर जूही ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात को गलत साबित कर इसकी पुष्ठीकी.
  • जब शाहरुख़ और प्रियंका की फिल्म डॉन 2 आई थी . शाहरुख़ ने ही फिल्म निर्माताओ को  प्रियंका को लेकर फिल्म बनाने की सिफारिश की पीसी का शाहरुख़ के घर मन्नत में आना जाना होने लगा ,  हर त्यौहार और पार्टी में प्रियका  ने भाग लिया  ,परगौरी ने इस बात को  गम्भीरता से नही लिया . और इस प्रेम कहानी का खुलासा हुआ दोनों ने इस बात से इनकार कर दिया था.

ताजा खबर ( Latest News)

Pathaan’ की जबरदस्त सफलता के बाद शाहरुख खान ने खरीदी लग्जरी कार, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश.

शाहरुख खान ने बेहतरीन कमबैक के बाद अब खुद को एक लग्जरी कार गिफ्ट की है। यह कोई ऐसी-वैसी आम कार नहीं बल्कि लग्जरी रोल्स रॉयस है जो देश में चुनिंदा लोगों के ही पास है। शाहरुख खान रविवार को Rolls-Royce Cullinan Black Badge में मन्नत के अंदर जाते नजर आए। शाहरुख खान के पास पहले से भी कई गाड़ियों का कलेक्शन है और इनमें से सभी कारें बेहद महंगी है लेकिन उनके कलेक्शन में अब यह बेहद खास कार भी जुड़ गई है। मिली जानकारी के मुताबिक इस कार की कुल कीमत 10 करोड़ रुपए है। इतना ही नहीं यह फिलहाल देश की सबसे महंगी एसयूवी कार में एक है।

Q. शाहरुख खान का जन्म कहां और कब हुआ था?

Ans: शाहरुख खान का जन्म नई दिल्ली में 2 नवंबर 1965 ईस्वी को हुआ था।

Q. शाहरुख खान के पास कुल कितनी संपत्ति है?

Ans: तकरीबन 700 मिलियन डॉलर

Q. शाहरुख खान के पिता कौन थे?

Ans: शाहरुख खान के पिता मीर ताज मोहम्मद खान एक सवतंत्रता सेनानी थे

Q. शाहरुख खान के कितने बच्चे हैं

Ans: शाहरुख खान के तीन बच्चे है दो बेटे आर्यन खान और अबराम खान और बेटी सुहाना खान

Q. शाहरुख खान की पहली फिल्म

Ans: दीवाना (1992)

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In the vast tapestry of Indian cinema, there emerges a figure whose influence transcends borders, captivating hearts and minds across the globe. Shah Rukh Khan, often hailed as the “Badshah of Bollywood,” has become an indelible part of the cultural zeitgeist. Born on November 2, 1965, in New Delhi, India, Shah Rukh’s journey from a middle-class upbringing to the pinnacle of global stardom is a saga of resilience, passion, and unyielding dedication.

Page Contents

Early Life and Education

Shah Rukh Khan was born to Meer Taj Muhammad Khan, a freedom fighter, and Latif Fatima, a magistrate and social worker. The Khan family lived in the Rajendra Nagar neighborhood of New Delhi, and young Shah Rukh grew up in a modest environment. His father’s tales of struggle during the Indian independence movement instilled in him a sense of resilience and a strong work ethic.

Educated at St. Columba’s School, Khan displayed early signs of his innate charisma and leadership skills. His flair for acting and love for the stage became evident during school plays and dramas. Despite the financial constraints of his family, Shah Rukh’s parents supported his passion for arts and encouraged him to pursue his dreams.

Transition to the Silver Screen

Shah Rukh Khan’s foray into acting wasn’t an overnight success. His journey began with television, where he appeared in shows like “Fauji” and “Umeed.” While these roles showcased his potential, it was the 1992 film “Deewana” that marked his debut in Bollywood. The film’s success catapulted him into the limelight, earning him the Filmfare Best Male Debut Award.

The early years of Khan’s career were marked by a series of romantic hits, including “Raju Ban Gaya Gentleman” (1992) and “Darr” (1993). However, it was his collaboration with director Yash Chopra in “Dilwale Dulhania Le Jayenge” (1995) that established him as the quintessential romantic hero of Indian cinema. The film not only became a cultural phenomenon but also cemented Shah Rukh’s status as the “King of Romance.”

Versatility and Range

While Khan gained widespread acclaim for his romantic roles, he refused to be typecast and demonstrated his versatility by taking on diverse characters. In “Baazigar” (1992), he played an anti-hero with chilling intensity, a departure from his romantic image. This ability to seamlessly transition between genres set him apart from his contemporaries.

In the late 1990s and early 2000s, Shah Rukh Khan delivered a string of critically acclaimed performances in films such as “Dil To Pagal Hai” (1997), “My Name is Khan” (2010), and “Chak De! India” (2007). These roles showcased his acting prowess and established him as more than just a romantic lead.

Entrepreneurial Ventures

Beyond the silver screen, Shah Rukh Khan’s entrepreneurial spirit has played a significant role in shaping his legacy. In 2001, he founded Red Chillies Entertainment, a production company that has been behind numerous successful films. Red Chillies not only produced Bollywood blockbusters but also ventured into international collaborations, further expanding Shah Rukh’s global footprint.

Khan’s foray into the Indian Premier League (IPL) with the Kolkata Knight Riders (KKR) in 2008 showcased his diverse business acumen. Despite initial challenges, KKR emerged victorious in the 2012 season, bringing unprecedented joy to Kolkata and solidifying Shah Rukh’s position as a shrewd businessman.

shahrukh khan education biography in hindi

Global Recognition and Cultural Impact

As the 21st century unfolded, Shah Rukh Khan’s influence transcended borders, earning him recognition on the global stage. He became a familiar face to international audiences through films like “My Name is Khan,” which addressed important social issues, including discrimination and Islamophobia. Khan’s nuanced portrayal of Rizwan Khan, a man with Asperger’s syndrome, earned him accolades for tackling a complex character with sensitivity and depth.

The “Badshah of Bollywood” has received numerous awards, including fourteen Filmfare Awards, and has been honored with the Padma Shri, India’s fourth-highest civilian award. In 2018, he was honored with the Crystal Award at the World Economic Forum in Davos for his leadership in championing women’s and children’s rights in India.

Shah Rukh Khan’s influence extends beyond the entertainment industry. His charm, wit, and charisma have made him a sought-after speaker at global events, including prestigious universities and international forums. His journey from a middle-class boy with big dreams to a global icon serves as an inspiration to millions.

Personal Life and Philanthropy

Amidst his glittering career, Shah Rukh Khan has maintained a balance between his professional and personal life. He married Gauri Khan in 1991, and the couple has three children—Aryan, Suhana, and AbRam. Despite the constant media scrutiny, the Khans have guarded their privacy fiercely, providing a sense of normalcy to their family life.

Shah Rukh Khan’s philanthropic efforts have been as significant as his cinematic achievements. He has been actively involved in various charitable causes, including child health and education. In 2011, Khan was appointed as the United Nations Children’s Fund (UNICEF) Goodwill Ambassador, furthering his commitment to advocating for the rights of children globally.

Challenges and Resilience

Shah Rukh Khan’s journey to superstardom has not been without its challenges. The actor faced setbacks and criticism, particularly during periods when some of his films did not perform well at the box office. However, his resilience and ability to bounce back with renewed vigor have been crucial to his enduring success.

The mid-2010s saw a series of films that did not meet the astronomical expectations associated with Khan’s name. However, instead of shying away from experimentation, he embraced diverse roles in films like “Fan” (2016) and “Raees” (2017), reaffirming his commitment to pushing creative boundaries.

Legacy and Future

As Shah Rukh Khan enters the fifth decade of his life, his influence remains unparalleled. The term “Bollywood” has become synonymous with his name for audiences around the world. His impact on Indian cinema, both as an actor and a producer, has reshaped the industry and opened new avenues for storytelling.

Beyond the cinematic realm, Shah Rukh Khan’s legacy is a testament to the power of dreams and the ability to break barriers. His journey from a middle-class boy in Delhi to a global icon mirrors the aspirations of millions who dare to dream big. As he continues to evolve as an actor, businessman, and philanthropist, Shah Rukh Khan remains an enduring symbol of inspiration for generations to come.

Shah Rukh Khan’s biography is not just a chronicle of a Bollywood superstar; it is a narrative of dreams materialized, challenges overcome, and a legacy etched in the annals of Indian cinema. From the streets of New Delhi to the glitzy world of Bollywood, Khan’s journey is a testament to the transformative power of passion, hard work, and resilience. As he continues to illuminate screens and hearts worldwide, Shah Rukh Khan remains an icon—an embodiment of the dreams that define the human spirit.

  • Shah Rukh Khan biography

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Shah Rukh Khan Biography

Shah Rukh Khan, also known as the ‘Badshah of Bollywood’ and the ‘King Khan’, is a leading star in the Indian film industry. With his romantic charm and immense talent, he has ruled the Indian cinematic world for decades. Despite facing obstacles and criticism, Shah Rukh’s passion and hard work have established him as one of the most renowned actors globally. He has an optimistic attitude towards life and firmly believes in God. Alongside his acting career, he is also a successful producer and owns a cricket team in the Indian Premier League. Despite his busy schedule, Shah Rukh always prioritizes his family.

Quick Facts

  • Indian Celebrities Born In November
  • Nick Name: SRK, King Khan
  • Also Known As: ShahRukh Khan
  • Age: 58 Years, 58 Year Old Males
  • Spouse/Ex-: Gauri Khan
  • Father: Taj Mohammed Khan
  • Mother: Lateef Fatima Khan
  • Siblings: Shehnaz Lalarukh Khan
  • Children: AbRam Khan, Aryan Khan, Suhana Khan
  • Born Country: India
  • Millionaires
  • Height: 5’7″ (170 cm), 5’7″ Males
  • City: New Delhi, India
  • Founder/Co-Founder: Dreamz Unlimited, Red Chillies Entertainment
  • Education: St. Columba’s School, Delhi, Jamia Millia Islamia, 1988 – Hans Raj College, National School of Drama
  • Humanitarian Work: Associated with ‘Make-A-Wish-Foundation’ and many other charitable organizations
  • Filmfare Award for Best Actor – 2011-2008-2005
  • Padma Shri Awards – 2005
  • Filmfare Award for Best Male Debut – 1993
  • Zee Cine Award for Best Actor – 2014-2011-2008
  • Stardust Award for Star of the Year – Male – 2014-2013
  • Star Guild Award for Best Actor in a Leading Role – 2010-2008
  • IIFA Award for Best Actor – 2011-2008-2005
  • Asianet Film Award for Icon of Indian Cinema – 2014
  • Filmfare Power Award – 2005-2004
  • Filmfare Critics Award for Best Performance – 1994
  • Stardust Award for Best Actor in a Thriller or Action – 2014
  • Filmfare Critics Award for Best Actor – 2001
  • Screen Award for Best Actor – 2008-2005-2003
  • Star Guild Award for Best Entertainer of the Year – 2014-2012-2011
  • Bollywood Movie Award – Best Actor – 2005-2003-1999
  • Global Diversity Award – 2014
  • Screen Award for Jodi No. 1 – 2012-2007-2005
  • Zee Cine Award for International Male Icon – 2013
  • Indian Telly Award for Best Anchor/s – 2007
  • Zee Cine Critics Award for Best Actor – Male – 2012
  • IIFA Award for Star of the Decade (Male) – 2009
  • Chevalier Sivaji Ganesan Award for Excellence in Indian Cinema – 2013
  • STAR Parivaar Award for Sabse Yaadgaar Pal (Non fiction) -2010
  • Filmfare Award for Best Villain – Tamil – 1995
  • Star Plus Entertainer of the Year – 2013
  • Asianet Film Award for Lifetime Achievement – 2012
  • Bollywood Movie Award – Most Sensational Actor – 1999
  • Zee Cine Award for Most Influential Bollywood Personality on Social Media – 2014
  • Vijay Award for Entertainer of Indian Cinema – 2014
  • GIFA Most Searched Male Actor on Internet – 2005
  • ITA Award for Best Anchor – Game/Quiz Show – 2008
  • BIG Star Most Entertaining Actor in a Romantic Role – Male – 2012
  • Global Indian Film Honours for Best Actor – Male – 2011
  • GIFA Best Actor Award – 2005
  • Zee Cine Award Superstar of the Year- Actor – 2004

shahrukh khan education biography in hindi

Childhood & Early Life

Shah Rukh Khan was born on November 2, 1965, in New Delhi, India. His parents are Meer Taj Mohammed Khan and Lateef Fatima. He attended St. Columba’s School in Delhi and excelled academically. He was also talented in sports and received the prestigious “Sword of Honour” from the school.

Khan went on to study Economics at Hansraj College in Delhi, where he also received acting training from Barry John of the Theatre Action Group. After completing his bachelor’s degree in 1988, he joined Jamia Millia Islamia University for post-graduate studies in Mass Communication. However, he dropped out to pursue a career in acting. He also attended the National School of Drama in Delhi before launching his acting career.

Khan got his first acting break in the television show “Dil Dariya” in 1988. He made his debut in the world of television with the series “Fauji” in 1989. He also appeared in other television series and telefilms during this time. In 1991, he traveled to Mumbai with the dream of joining the Indian film industry. He signed four films that year and started shooting for “Dil Aashna Hai,” directed by Hema Malini.

His film “Deewana” was released in 1992, marking the beginning of his Bollywood journey. He went on to play the protagonist in several films before venturing into the role of an anti-hero. In 1993, he played the anti-hero in the movies “Darr” and “Baazigar.” The following years saw the release of more successful films, including “Anjaam,” “Kabhi Haan Kabhi Naa,” and “Karan Arjun.”

In 1995, Khan starred in the blockbuster film “Dilwale Dulhania Le Jayenge,” which became one of the biggest hits in Indian cinema. He continued to act in successful films throughout the 2000s, including “Devdas,” “Kal Ho Naa Ho,” “Chak De! India,” and “Om Shanti Om.” He also established his production house, Red Chillies Entertainment, in 2004.

Khan has received numerous awards for his performances, including several Filmfare Awards for Best Actor. He has also been honored with the Padma Shri, one of the highest civilian awards in India. In addition to his acting career, Khan has hosted television shows and owns the Kolkata Knight Riders cricket team.

Major Works

One of the biggest hits of Shah Rukh Khan’s career is the film “Dilwale Dulhania Le Jayenge” (DDLJ), released in 1995. The movie is considered one of the biggest blockbusters in the history of Indian cinema and has been running in theaters since its release, completing 1000 weeks in 2014.

Personal Life & Legacy

Khan married Gauri Chibber in 1991, and they have three children together named Aryan, Suhana, and AbRam. He suffered a serious spinal injury in 2001, which required surgery and temporarily halted his career. Khan is known for his philanthropic work and is involved in various causes, including Pulse Polio and National AIDS Control Organization.

Shah Rukh Khan has an estimated net worth of $600 million, making him one of the richest actors in the world.

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Shah Rukh Khan

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shah rukh khan

  • https://economictimes.indiatimes.com/magazines/panache/shah-rukh-khan-gets-a-political-connection-cousin-noor-jehan-to-contest-elections-in-pakistan/articleshow/64508494.cms?from=mdr [ ↩ ]
  • https://www.forbesindia.com/blog/storyboard/the-resurgence-of-brand-shah-rukh-khan/ [ ↩ ]
  • https://www.tv9marathi.com/latest-news/bollywood-superstar-shahrukh-khan-driver-from-akola-mohan-dongare-dies-263431.html [ ↩ ]

Full Educations

Shah Rukh Khan Education: Unveiling the Journey of the Bollywood Superstar

Shah Rukh Khan, often referred to as the “King of Bollywood,” has captivated the hearts of millions with his exceptional acting prowess and charming personality. However, amidst his illustrious career, little is known about his education and the path that led him to stardom. This article aims to unveil the educational journey of the Bollywood superstar, Shah Rukh Khan, shedding light on his academic achievements, struggles, and how he overcame obstacles to become the icon he is today.

Shah Rukh Khan Education: Unveiling the Early Life

Shah Rukh Khan was born on November 2, 1965, in New Delhi, India. He grew up in a middle-class family with strong academic values. In his formative years, young Shah Rukh displayed a keen interest in both studies and extracurricular activities. His parents instilled in him the importance of education , which would later shape his approach towards learning and success.

LSI Keywords: Bollywood Superstar, Early Life, Academic Values

Academic excellence: shah rukh khan’s schooling years.

During his schooling years, Shah Rukh Khan attended St. Columba’s School in Delhi. He was an outstanding student, excelling not only in academics but also in sports and dramatics. His natural flair for acting was evident in various school plays and events. Shah Rukh’s charisma and ability to connect with the audience began to emerge during these early performances.

LSI Keywords: St. Columba’s School, Outstanding Student, Dramatics

Pursuing higher education: shah rukh’s transition to college.

After completing his schooling, Shah Rukh Khan enrolled in Hansraj College at the University of Delhi. He pursued a Bachelor’s degree in Economics, where he continued to shine in both academics and extracurricular activities. During his college years, he actively participated in theater groups and honed his acting skills further.

LSI Keywords: Hansraj College, University of Delhi, Economics, Theater Groups

The turning point: shah rukh’s decision to pursue acting.

While Shah Rukh was an exceptional student and had a promising future in academia, his heart was drawn to the world of acting. The allure of the silver screen and the desire to express himself creatively became too strong to resist. He made a tough decision to follow his passion for acting, which eventually led him to Mumbai, the heart of the Indian film industry.

LSI Keywords: Silver Screen, Mumbai, Indian Film Industry, Acting Passion

Struggles and triumphs: shah rukh khan’s journey in bollywood.

Shah Rukh Khan’s initial days in Mumbai were filled with challenges and struggles. Like many aspiring actors, he faced rejections and setbacks. However, his perseverance and dedication to his craft kept him going. His breakthrough came with the television series “Fauji,” where he portrayed the character of Lieutenant Abhimanyu Rai. This marked the beginning of his rise to stardom.

LSI Keywords: Challenges, Setbacks, Perseverance, Television Series “Fauji”

Climbing the ladder of success: shah rukh khan’s film career.

Following his success on television, Shah Rukh Khan transitioned to the big screen with the film “Deewana” in 1992. The movie was a commercial success, and Shah Rukh received critical acclaim for his performance. He quickly became the heartthrob of the nation and earned the title of “King Khan.” From there, his journey in Bollywood was an upward trajectory, with one successful film after another.

LSI Keywords: Big Screen, “Deewana,” Commercial Success, King Khan

Shah rukh khan’s philanthropic ventures: giving back to society.

Beyond his acting career, Shah Rukh Khan is known for his philanthropic endeavors. He is actively involved in various charitable causes, including healthcare, child welfare, and education. Through his foundation, Meer Foundation, he aims to create a positive impact on society and empower those in need.

LSI Keywords: Philanthropic, Charitable Causes, Meer Foundation

Also Read: Educational Qualification of Shahrukh Khan: A Comprehensive Overview

Shahrukh Khan Educational Qualification: The Journey of a Bollywood Superstar

FAQ’s

Q: how did shah rukh khan’s early education influence his career.

A: Shah Rukh Khan’s early education, coupled with his parents’ emphasis on academic values, instilled in him a strong work ethic and a thirst for success. It also allowed him to explore his passion for acting during his school and college years.

Q: Which college did Shah Rukh Khan attend for his higher education?

A: Shah Rukh Khan pursued his higher education at Hansraj College, affiliated with the University of Delhi, where he earned a Bachelor’s degree in Economics.

Q: What was Shah Rukh Khan’s breakthrough moment in the entertainment industry?

A: Shah Rukh Khan’s breakthrough moment came with the television series “Fauji,” where he played the role of Lieutenant Abhimanyu Rai. The show’s success opened doors for him in the entertainment industry.

Q: How did Shah Rukh Khan become known as “King Khan”?

A: Shah Rukh Khan earned the title “King Khan” due to his immense popularity, extraordinary acting skills, and an impressive list of successful Bollywood films.

Q: What charitable causes is Shah Rukh Khan actively involved in?

A: Shah Rukh Khan is actively involved in various charitable causes through his foundation, Meer Foundation. These causes include healthcare, child welfare, and education.

Q: How did Shah Rukh Khan’s philanthropic ventures impact society?

A: Shah Rukh Khan’s philanthropic ventures have had a significant positive impact on society by providing aid and support to those in need, thus contributing to various social causes.

The educational journey of Shah Rukh Khan, the Bollywood superstar, showcases the power of passion and determination. From his early days as an outstanding student to his rise in the film industry, Shah Rukh’s story is an inspiration to millions. Alongside his successful acting career, his dedication to philanthropy exemplifies his desire to give back to society. Shah Rukh Khan’s journey serves as a testament to the importance of following one’s dreams and making a difference in the world.

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Shah Rukh Khan – A Biography of the King of Bollywood

Shah Rukh Khan

Shah Rukh Khan, also known as the “King of Bollywood,” is one of the most successful actors in the Indian film industry. Born on November 2, 1965, in New Delhi, India, Khan began his acting career in the late 1980s and quickly rose to fame with his roles in romantic dramas.

Throughout his career, Khan has appeared in more than 80 Bollywood films, many of which have become massive box office hits. He is known for his versatility as an actor, as well as his charming personality and quick wit.

Khan’s success in the film industry has also led to significant wealth. According to Forbes, he has an estimated net worth of $750 million, making him the richest actor in India and one of the wealthiest actors in the world.

In addition to his acting career, Khan has also invested in a number of business ventures over the years. He co-owns a production company called Red Chillies Entertainment, which has produced some of the biggest Bollywood hits in recent years. He is also the co-owner of a cricket team called Kolkata Knight Riders, which competes in the Indian Premier League.

Khan’s success has also led to numerous endorsement deals with major brands, including Pepsi, Nokia, and Hyundai, among others. He is known for his charismatic persona and has become one of the most sought-after brand ambassadors in India.

Despite his immense wealth and success, Khan remains grounded and committed to his family and community. He is known for his philanthropic work and has supported a number of charitable causes over the years, including child health and education initiatives.

In conclusion, Shah Rukh Khan’s immense talent, charisma, and business acumen have made him one of the most successful actors in the Indian film industry. His net worth of $750 million is a testament to his hard work and dedication, as well as his ability to leverage his success into other business ventures.

Here is a timeline of Shah Rukh Khan’s life and career:

  • 1965 : Shah Rukh Khan is born on November 2 in New Delhi, India.
  • 1988 : Khan makes his acting debut in the television series “Fauji.”
  • 1992 : Khan makes his Bollywood debut in the film “Deewana,” which becomes a commercial success.
  • 1993 : Khan appears in the film “Baazigar,” which earns him his first Filmfare Award for Best Actor.
  • 1995 : Khan stars in the film “Dilwale Dulhania Le Jayenge,” which becomes one of the biggest Bollywood hits of all time and solidifies his status as a leading actor in the industry.
  • 1999 : Khan starts his own production company, Red Chillies Entertainment.
  • 2004 : Khan receives the Padma Shri, one of India’s highest civilian awards, for his contributions to Indian cinema.
  • 2008 : Khan becomes the co-owner of the Kolkata Knight Riders, a team in the Indian Premier League.
  • 2011 : Khan stars in the science-fiction film “Ra.One,” which becomes one of the most expensive Bollywood films ever made.
  • 2013 : Khan receives the Chubb Fellowship at Yale University in recognition of his leadership in championing women’s and children’s rights in India.
  • 2017 : Khan stars in the film “Jab Harry Met Sejal” and receives mixed reviews from critics and audiences.
  • 2019 : Khan appears in the film “Zero,” which receives mixed reviews and underperforms at the box office.
  • 2020 : Khan announces that he will not be acting in any new films for the time being to focus on his family and other business ventures.

This is a brief timeline of some of the major milestones in Shah Rukh Khan’s life and career.

5 Interesting Facts About Shah Rukh Khan:

  • Khan was initially named Abdul Rashid Khan but his father changed his name to Shah Rukh Khan after the Mughal Emperor Shah Rukh Khan.
  • He began his career in the entertainment industry as a television actor, before moving on to films.
  • Khan has a degree in Economics from Hansraj College and a Masters in Mass Communication from Jamia Millia Islamia.
  • In 2018, he was honored with the Crystal Award at the World Economic Forum in Davos for his leadership in championing women’s and children’s rights in India.
  • Khan is known for his philanthropic work and has supported a number of charitable causes, including child health and education initiatives.

5 Quotes From Shah Rukh Khan:

  • “Success is not a good teacher, failure makes you humble.”
  • “I’m like a Rolls Royce that’s been driven for too long, too many miles. I’m all run down.”
  • “I don’t want to be number one, I just want to be a part of the industry that entertains people.”
  • “I truly believe my job is to make sure people smile.”
  • “I’m a workaholic. I love working. I go to work happy. And if I’m not on the set, I’m not happy.”

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Shahrukh Khan

Shahrukh Khan Biography For Students

4to40.com August 16, 2020 Biographies for Kids 6,425 Views

As of 2015, Khan is co-chairman of the motion picture production company Red Chillies Entertainment and its subsidiaries, and is the co-owner of the Indian Premier League cricket team Kolkata Knight Riders. He is a frequent television presenter and stage show performer. The media often label him as “Brand SRK” because of his many endorsement and entrepreneurship ventures. Khan’s philanthropic endeavors have provided health care and disaster relief, and he was honored with UNESCO’s Pyramide con Marni award in 2011 for his support of children’s education. He regularly features in listings of the most influential people in Indian culture, and in 2008 Newsweek named him one of their fifty most powerful people in the world.

Shahrukh Khan: Early life and family

Khan was born on 2 November 1965, in Talwar Nursing Home (Rajinder Nagar) in New Delhi , India. He spent the first five years of his life in Mangalore, where his maternal grandfather, Ifthikar Ahmed, served as chief engineer of the port in the 1960s. According to Khan, his paternal grandfather, Jan Muhammad, was from Afghanistan. Khan’s father, Meer Taj Mohammed Khan, an ethnic Pashtun (Pathan), was an Indian independence activist from Peshawar, British India (present-day Pakistan). As of 2010, Khan’s paternal family was still living in Shah Wali Qataal area of Peshawar’s famous Qissa Khawani Bazaar. Meer was a follower of Khan Abdul Ghaffar Khan, and affiliated with the All Indian National Congress. He moved to New Delhi before the 1947 partition of India. Khan’s mother, Lateef Fatima, was the daughter of a senior government engineer. His parents met when his mother was involved in an auto accident, and his father rescued her, took her to the hospital and donated blood. They were married in 1959. Khan described himself on Twitter as “half Hyderabadi (mother), half Pathan (father), some Kashmiri (grandmother)”. His cousin in Peshawar, Maqsood Ahmed, claims that the family is actually of Hindkowan origin, and also contradicts the claim that his grandfather was from Afghanistan.

Khan grew up in the Rajendra Nagar neighborhood of Delhi. His father had several business ventures including a restaurant, and the family lived a middle-class life in rented apartments. Khan attended St. Columba’s School in central Delhi where he excelled in his studies and in sports such as hockey and football, and received the school’s highest award, the Sword of Honour. In his youth, he acted in stage plays and received praise for his imitations of Bollywood actors, his favorites of which were Mumtaz and Amitabh Bachchan . One of his childhood friends and acting partners was Amrita Singh, who became a Bollywood actress. Khan enrolled at Hansraj College (1985–88) to earn his Bachelor’s degree in Economics, but spent much of his time at Delhi’s Theatre Action Group (TAG), where he studied acting under the mentorship of theatre director Barry John. After Hansraj, he began studying for a Master’s degree in Mass Communications at Jamia Millia Islamia, but left to pursue his acting career. He also attended the National School of Drama in Delhi during his early career in Bollywood. His father died of cancer in 1980, and his mother died in 1991 from complications of diabetes. After the death of their parents, his older sister, Shahnaz Lalarukh, born in 1960, fell into a depressed state and Khan took on the responsibility of caring for her. Shahnaz continues to live with her brother and his family in their Mumbai mansion “ Mannat” .

Although Khan was given the birth name Shahrukh Khan, he prefers his name to be written as Shah Rukh Khan, and is commonly referred to by the abbreviation SRK. He married Gauri Chibber, a Punjabi Hindu, in a traditional Hindu wedding ceremony on 25 October 1991, after a six-year courtship. They have a son Aryan (born 1997) and a daughter Suhana (born 2000). In 2013, they became parents of a third child named AbRam, who was born through a surrogate mother. According to Khan, while he strongly believes in Islam , he also values his wife’s religion. At home, his children follow both religions; the Qur’an is situated next to the Hindu deities.

Ownership of IPL Cricket Team

In 2008, Khan, in partnership with Juhi Chawla and her husband Jay Mehta, acquired ownership rights for the franchise representing Kolkata in the Twenty20 cricket tournament Indian Premier League (IPL) for US$75.09 million, and named the team Kolkata Knight Riders (KKR). As of 2009, KKR was one of the richest teams in the IPL, with a brand value of US$42.1 million. The team was surrounded with controversy and performed poorly on the field during the first three years. Their performance improved over time, and they became the champions in 2012 and 2014.

Khan performed alongside Sunidhi Chauhan and Shriya Saran at the opening ceremony of the 2011 season, where they danced to Tamil songs. He appeared again in 2013 alongside Katrina Kaif, Deepika Padukone and Pitbull. In May of 2012, the Mumbai Cricket Association banned him from the Wankhede Stadium for five years for arguing with security guards and officials after a match between KKR and The Mumbai Indians. Khan later apologized to his fans after his team won the final match.

Shahrukh Khan: Awards

Khan is one of the most decorated Bollywood actors. He has received 14 Filmfare Awards from 30 nominations, including 8 for best actor; he is tied for the most in the category with Dilip Kumar. Khan has won the Filmfare best actor award for Baazigar (1993), Dilwale Dulhania Le Jayenge (1995), Dil To Pagal Hai (1997), Kuch Kuch Hota Hai (1998), Devdas (2002), Swades (2004), Chak De! India (2007) and My Name Is Khan (2010). At times, he has garnered as many as three of the five total Filmfare best actor nominations. Although he has never won a National Film Award, he was awarded the Padma Shri by the Government of India in 2005. The Government of France has awarded him both the Ordre des Arts et des Lettres (2007), and its highest civilian honour, the Légion d’honneur (2014).

Bollywood – Pakistan Connection – Shahrukh Khan’s Relations With Tony Ashai

Why Shahrukh Khan Joined Hands With ISI | Shahrukh Khan Has Close Links With Pakistan

Shahrukh Khan In Big Trouble Over His Business Deal With A Pakistani | Dr. Manish Kumar | Capital TV

BJP VP Puts Focus On Bollywood-Pak-Link | The Debate With Arnab Goswami

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शाहरुख खान का जीवन परिचय | shahrukh khan biography in hindi.

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शाहरुख खान, जिन्हें एसआरके के नाम से भी जाना जाता है, एक लोकप्रिय भारतीय फिल्म अभिनेता, निर्माता और टेलीविजन व्यक्तित्व हैं। उनका जन्म 2 नवंबर, 1965 को नई दिल्ली, भारत में हुआ था।

खान ने 1992 की फिल्म “दीवाना” में अपनी फिल्म की शुरुआत करने से पहले 1980 के दशक के अंत में टेलीविजन में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। वह जल्दी से प्रसिद्धि के लिए बढ़ा और भारतीय सिनेमा में सबसे सफल अभिनेताओं में से एक बन गया, जिसने अपनी लोकप्रियता और बॉक्स ऑफिस की सफलता के लिए “किंग खान” उपनाम अर्जित किया।

खान ने 80 से अधिक बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय किया है, जिनमें “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे,” “कुछ कुछ होता है,” “कभी खुशी कभी गम,” और “चेन्नई एक्सप्रेस” जैसी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्में शामिल हैं।

अभिनय के अलावा, खान ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के तहत कई फिल्मों का निर्माण भी किया है, और वह इंडियन प्रीमियर लीग की एक टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के सह-मालिक हैं।

खान ने अपने अभिनय के लिए कई पुरस्कार जीते हैं, जिसमें 14 फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी जाना जाता है और भारत में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए उनके नेतृत्व के लिए 2018 में विश्व आर्थिक मंच में क्रिस्टल अवार्ड से सम्मानित किया गया था

प्रारंभिक जीवन और परिवार

शाहरुख खान का जन्म 2 नवंबर, 1965 को नई दिल्ली, भारत में ताज मोहम्मद खान और लतीफ फातिमा के घर हुआ था। उनके पिता एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता थे जो एक सफल व्यवसायी बने, और उनकी माँ एक वरिष्ठ सरकारी इंजीनियर की बेटी थीं।

खान एक मध्यमवर्गीय परिवार में पले-बढ़े और उन्होंने नई दिल्ली के एक प्रतिष्ठित स्कूल, सेंट कोलंबा स्कूल में पढ़ाई की। उनके पिता की मृत्यु के बाद जब वह 15 वर्ष के थे, खान के परिवार को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, और उन्हें उनका समर्थन करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

ख़ान दिल्ली के हंसराज कॉलेज में पढ़ने के लिए गए, जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम में दाखिला लिया लेकिन अपने अभिनय करियर को आगे बढ़ाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी।

खान ने फिल्म निर्माता और इंटीरियर डिजाइनर गौरी खान से शादी की है और उनके तीन बच्चे आर्यन, सुहाना और अबराम हैं।

प्रारंभिक जीवन

शाहरुख खान का प्रारंभिक जीवन कई चुनौतियों और संघर्षों से भरा हुआ था। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार में पले-बढ़े और 15 साल की उम्र में अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्हें पालने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

खान ने नई दिल्ली के एक प्रतिष्ठित स्कूल, सेंट कोलंबा स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ उन्होंने खेल और शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वह स्कूल के थिएटर प्रोडक्शंस में भी सक्रिय रूप से शामिल थे और उन्होंने छोटी उम्र में ही अभिनय के लिए अपने प्यार का पता लगा लिया था।

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, खान ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। कॉलेज में रहते हुए, वह रंगमंच से जुड़ गए और नाटक टीम में शामिल हो गए। उन्होंने कई इंटर कॉलेज प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया और अपने प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार जीते।

अर्थशास्त्र में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद, खान ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम में दाखिला लिया, लेकिन अपने अभिनय करियर को आगे बढ़ाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी।

खान का स्टारडम का सफर आसान नहीं था, और उन्हें रास्ते में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने 1992 में फिल्म “दीवाना” से अपनी फिल्म की शुरुआत करने से पहले टेलीविजन धारावाहिकों और विज्ञापनों में काम करके मनोरंजन उद्योग में अपना करियर शुरू किया।

अभिनय कैरियर – 1988-1992: टेलीविजन और फिल्म की शुरुआत

शाहरुख खान ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1988 में टेलीविजन श्रृंखला “फौजी” से की, जिसमें उन्होंने लेफ्टिनेंट अभिमन्यु राय की भूमिका निभाई। शो एक बड़ी सफलता थी और खान के प्रदर्शन की व्यापक रूप से सराहना की गई थी। इसके बाद उन्होंने “सर्कस” और “इडियट” जैसे अन्य टेलीविजन धारावाहिकों में अभिनय किया।

1992 में, खान ने राज कंवर द्वारा निर्देशित फिल्म “दीवाना” से अपनी शुरुआत की। फिल्म एक व्यावसायिक सफलता थी, और खान ने अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष पदार्पण के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। इसके बाद उन्होंने “बाजीगर” और “डर” जैसी सफल फिल्मों की एक श्रृंखला में अभिनय किया, जिसने उन्हें भारतीय फिल्म उद्योग में एक बहुमुखी अभिनेता के रूप में स्थापित किया।

1993-1994: एंटी-हीरो

1990 के दशक की शुरुआत में, शाहरुख खान ने बड़े पर्दे पर कई तरह के किरदार निभाकर खुद को एक बहुमुखी अभिनेता के रूप में स्थापित किया। 1993 और 1994 में, उन्होंने कई नायक-विरोधी भूमिकाएँ निभाईं, जिन्होंने उनके अभिनय कौशल और बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया।

1993 की फिल्म “बाजीगर” में, अब्बास-मस्तान द्वारा निर्देशित, खान ने एक ऐसे युवक का किरदार निभाया, जो चालाकी से अपने पिता की मौत का बदला लेना चाहता है। फिल्म एक व्यावसायिक सफलता थी और खान को एक प्रतिभाशाली अभिनेता के रूप में स्थापित किया।

1994 में राहुल रवैल द्वारा निर्देशित फिल्म “अंजाम” में, खान ने एक ऐसे युवक की भूमिका निभाई, जो एक महिला के प्रति आसक्त हो जाता है और उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए अत्यधिक उपायों का सहारा लेता है। फिल्म में उनके प्रदर्शन की व्यापक रूप से प्रशंसा की गई, और उन्हें नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

इन फिल्मों में खान द्वारा नायक-विरोधी पात्रों का चित्रण उस समय बॉलीवुड अभिनेताओं द्वारा निभाई जाने वाली विशिष्ट रोमांटिक भूमिकाओं से अलग था। इन पात्रों में गहराई और जटिलता लाने की उनकी क्षमता ने एक अभिनेता के रूप में उनकी सीमा का प्रदर्शन किया और उन्हें अपने समकालीनों से अलग कर दिया।

इन फिल्मों की सफलता ने बॉलीवुड में एक उभरते सितारे के रूप में खान की स्थिति को भी मजबूत किया और आने वाले वर्षों में उनके लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं निभाने का मार्ग प्रशस्त किया।

1995-1998: रोमांटिक भूमिकाएँ

1990 के दशक की शुरुआत में अपने प्रदर्शन के साथ खुद को एक बहुमुखी अभिनेता के रूप में स्थापित करने के बाद, शाहरुख खान 1990 के दशक के मध्य में अपनी रोमांटिक भूमिकाओं के लिए जाने जाने लगे।

1995 में, खान ने आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्देशित ब्लॉकबस्टर फिल्म “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” (DDLJ) में अभिनय किया। फिल्म एक बड़ी व्यावसायिक सफलता थी और इसे भारतीय सिनेमा में एक कल्ट क्लासिक माना जाता है। खान ने राज मल्होत्रा ​​​​का किरदार निभाया, जो एक आकर्षक और रोमांटिक युवक है, जिसे यूरोप की यात्रा के दौरान सिमरन (काजोल द्वारा अभिनीत) से प्यार हो जाता है। फिल्म के प्रतिष्ठित संवाद, गाने और खान और काजोल के बीच की केमिस्ट्री ने इसे दर्शकों के बीच बहुत हिट बना दिया।

डीडीएलजे की सफलता के बाद, खान ने “करण अर्जुन,” “दिल तो पागल है,” और “कुछ कुछ होता है” जैसी फिल्मों में रोमांटिक भूमिकाएँ निभाना जारी रखा। आकर्षक और करिश्माई प्रेमियों के उनके चित्रण ने उन्हें बॉलीवुड में “रोमांस का राजा” उपनाम दिया।

1998 में, खान ने मणिरत्नम द्वारा निर्देशित “दिल से” में अभिनय किया। यह फिल्म उनकी विशिष्ट रोमांटिक भूमिकाओं से हटकर थी और एक अभिनेता के रूप में उनकी सीमा को प्रदर्शित करती थी। खान ने एक पत्रकार अमरकांत वर्मा का किरदार निभाया, जो भारत के पूर्वोत्तर में एक कहानी पर रिपोर्टिंग करते समय एक रहस्यमयी महिला के प्यार में पड़ जाता है। फिल्म में उनके प्रदर्शन की व्यापक रूप से प्रशंसा की गई, और इसे आलोचनात्मक प्रशंसा मिली।

कुल मिलाकर, 1990 के दशक के मध्य में खान की रोमांटिक भूमिकाओं ने उनके स्टारडम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्हें बॉलीवुड में सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं में से एक के रूप में स्थापित किया।

1999-2003: करियर में उतार-चढ़ाव

1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में, शाहरुख खान ने अपने करियर में उतार-चढ़ाव का अनुभव किया। इस दौरान उन्होंने कुछ सफल फिल्में कीं, लेकिन कई असफलताओं का भी सामना किया।

1999 में, खान ने अब्बास-मस्तान द्वारा निर्देशित फिल्म “बादशाह” में अभिनय किया। फिल्म एक व्यावसायिक सफलता थी, लेकिन समीक्षकों से मिश्रित समीक्षा प्राप्त हुई। अगले वर्ष, उन्होंने मंसूर खान द्वारा निर्देशित “जोश” में अभिनय किया। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक मध्यम सफलता थी, लेकिन उस वर्ष कई अन्य हाई-प्रोफाइल फिल्मों की रिलीज के कारण यह भारी पड़ गई थी।

2001 में, खान ने संतोष सिवान द्वारा निर्देशित फिल्म “अशोका” में अभिनय किया। खान के प्रदर्शन की व्यापक रूप से प्रशंसा किए जाने के बावजूद फिल्म आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से असफल रही। उसी वर्ष, उन्होंने करण जौहर द्वारा निर्देशित “कभी खुशी कभी गम” में भी अभिनय किया। फिल्म एक बड़ी व्यावसायिक सफलता थी, लेकिन समीक्षकों से मिश्रित समीक्षा प्राप्त हुई।

2002 में, खान ने संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित “ देवदास” में अभिनय किया। फिल्म एक महत्वपूर्ण और व्यावसायिक सफलता थी और इसकी छायांकन, संगीत और प्रदर्शन के लिए व्यापक प्रशंसा प्राप्त हुई थी। दुखद नायक देवदास मुखर्जी के खान के चित्रण ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना तीसरा फिल्मफेयर पुरस्कार अर्जित किया।

हालांकि, 2003 में, खान की फिल्मों “कल हो ना हो” और “चलते चलते” को उनके निर्माण के दौरान विवादों और असफलताओं का सामना करना पड़ा। “कल हो ना हो” को शुरू में करण जौहर द्वारा निर्देशित और यश जौहर द्वारा निर्मित करने की योजना थी, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के कारण, फिल्म को अंततः निखिल आडवाणी द्वारा निर्देशित किया गया और करण जौहर और शाहरुख खान की अपनी प्रोडक्शन कंपनी, रेड चिलीज द्वारा निर्मित किया गया। मनोरंजन। फिल्म एक व्यावसायिक सफलता थी, लेकिन मानसिक बीमारी के चित्रण के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। “चलते चलते” को निर्देशक के साथ रचनात्मक मतभेदों के कारण फिल्म की मूल महिला लीड ऐश्वर्या राय के बाद रानी मुखर्जी द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने के बाद उत्पादन समस्याओं का सामना करना पड़ा।

कुल मिलाकर, 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत शाहरुख खान के लिए करियर में उतार-चढ़ाव का दौर था, जिसमें सफल और असफल दोनों फिल्मों का मिश्रण था।

2004–2009: कमबैक

2000 के दशक की शुरुआत में शाहरुख खान को अपने करियर में मंदी का सामना करना पड़ा, कई फिल्मों के साथ जो बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रहीं। हालांकि, उन्होंने 2000 के दशक के मध्य में कई सफल फिल्मों के साथ वापसी की।

2004 में, खान ने फराह खान द्वारा निर्देशित फिल्म “मैं हूं ना” में अभिनय किया। फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही और खान को मेजर राम प्रसाद शर्मा के रूप में उनके प्रदर्शन के लिए आलोचनात्मक प्रशंसा मिली। उसी वर्ष, उन्होंने यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित “वीर-ज़ारा” में भी अभिनय किया। फिल्म एक बड़ी व्यावसायिक सफलता थी और इसने कई पुरस्कार जीते, जिसमें संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी शामिल है।

2007 में, खान ने शिमित अमीन द्वारा निर्देशित “चक दे! इंडिया” में अभिनय किया। यह फिल्म एक महत्वपूर्ण और व्यावसायिक सफलता थी और कबीर खान, एक पूर्व हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपने प्रदर्शन के लिए खान को व्यापक प्रशंसा मिली, जो भारतीय महिला राष्ट्रीय हॉकी टीम के कोच बन गए।

2008 में, खान ने आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म “रब ने बना दी जोड़ी” में अभिनय किया। फिल्म एक व्यावसायिक सफलता थी और खान ने दो अलग-अलग पात्रों, सुरिंदर साहनी नाम के एक शर्मीले, अंतर्मुखी व्यक्ति और उनके बदले अहंकार, तेजतर्रार राज कपूर के चित्रण के लिए आलोचनात्मक प्रशंसा अर्जित की।

2000 के दशक के मध्य में खान की वापसी ने बॉलीवुड में सबसे विश्वसनीय और बहुमुखी अभिनेताओं में से एक के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया। उन्होंने उद्योग के सबसे बड़े सितारों में से एक के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए, आने वाले वर्षों में सफल फिल्में देना जारी रखा।

2010-2014: माई नेम इज खान और एक्शन और कॉमेडी का विस्तार

2010 की शुरुआत में, शाहरुख खान ने एक्शन और कॉमेडी सहित फिल्मों के मिश्रण के साथ अपनी अभिनय रेंज का विस्तार करना जारी रखा।

2010 में, उन्होंने करण जौहर द्वारा निर्देशित फिल्म “माई नेम इज खान” में अभिनय किया। यह फिल्म आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही और खान ने एक ऑटिस्टिक व्यक्ति रिजवान खान के अपने चित्रण के लिए व्यापक प्रशंसा अर्जित की, जो राष्ट्रपति से मिलने और एक दुखद घटना के बाद अपने संदेह को दूर करने के लिए संयुक्त राज्य भर में यात्रा करता है।

2011 में, खान ने अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित एक साइंस-फिक्शन फिल्म “रा.वन” में अभिनय किया। फिल्म एक व्यावसायिक सफलता थी, लेकिन समीक्षकों से मिश्रित समीक्षा प्राप्त हुई। खान ने एक गेम डेवलपर शेखर की मुख्य भूमिका निभाई, जो अपने बेटे के प्यार को वापस पाने के लिए वर्चुअल रियलिटी गेम बनाता है।

2012 में, खान ने फरहान अख्तर द्वारा निर्देशित एक्शन फिल्म “डॉन 2” में अभिनय किया। यह फिल्म एक व्यावसायिक सफलता थी और खान ने एक अपराधी मास्टरमाइंड, डॉन के रूप में अपने प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण प्रशंसा अर्जित की।

2013 में, खान ने रोहित शेट्टी द्वारा निर्देशित एक कॉमेडी फिल्म “चेन्नई एक्सप्रेस” में अभिनय किया। फिल्म एक बड़ी व्यावसायिक सफलता थी और अब तक की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्मों में से एक बन गई। खान ने राहुल की मुख्य भूमिका निभाई, एक आदमी जो मीना नाम की एक महिला के प्यार में पड़ जाता है और उसकी अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए यात्रा पर निकल जाता है।

कुल मिलाकर, 2010 की शुरुआत में, शाहरुख खान ने नाटकीय, एक्शन और हास्य भूमिकाओं का मिश्रण करके एक अभिनेता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन जारी रखा।

2015-वर्तमान: कैरियर असफलता, अंतराल और पुनरुत्थान

2015 से वर्तमान तक, शाहरुख खान के करियर को सफलताओं और चुनौतियों के मिश्रण से चिह्नित किया गया है। करियर में असफलताओं का सामना करने और कुछ फिल्मों को मिली-जुली समीक्षा मिलने के बावजूद, खान कई सफल परियोजनाओं के साथ एक महत्वपूर्ण पुनरुत्थान करने में कामयाब रहे हैं।

  • 2015 में, खान रोहित शेट्टी द्वारा निर्देशित एक एक्शन-कॉमेडी “दिलवाले” में दिखाई दिए। हालाँकि फिल्म को मिश्रित समीक्षाएँ मिलीं, लेकिन यह आर्थिक रूप से लाभदायक साबित हुई और इसने ₹3.7 बिलियन (US$57.68 मिलियन ) की कमाई की। कुछ आलोचकों का मानना था कि खान और काजोल को दोबारा पेश करने की कोशिश का उल्टा असर हुआ, लेकिन फिल्म की बॉक्स ऑफिस सफलता निर्विवाद थी।
  • अगले वर्ष, 2016 में, खान ने मनीष शर्मा द्वारा निर्देशित “फैन” में एक अनूठी दोहरी भूमिका निभाई। उन्होंने एक सुपरस्टार और उसके जुनूनी हमशक्ल प्रशंसक दोनों की भूमिका निभाई। फ़िल्म को मिश्रित समीक्षाएँ मिलीं, कुछ आलोचकों ने एक जुनूनी प्रशंसक के रूप में खान के “डरावना” प्रदर्शन की प्रशंसा की। हालाँकि, इसने बॉक्स ऑफिस पर ख़राब प्रदर्शन किया, व्यापार पत्रकारों ने इसकी विफलता के लिए मुख्यधारा के फॉर्मूले के अनुरूप न होने को म्मेदार ठहराया।
  • उसी वर्ष, खान ने गौरी शिंदे की “ डियर जिंदगी “ में सहायक भूमिका निभाई, जहां उन्होंने एक चिकित्सक से लेकर एक महत्वाकांक्षी सिनेमैटोग्राफर की भूमिका निभाई, जिसे आलिया भट्ट ने निभाया था। इसने उनकी सामान्य अग्रणी भूमिकाओं से एक प्रस्थान को चिह्नित किया और विविध पात्रों का पता लगाने की उनकी इच्छा को प्रदर्शित किया।
  • 2017 में, खान ने राहुल ढोलकिया की “ रईस “ में मुख्य नायक की भूमिका निभाई – 1980 के दशक के गुजरात में एक शराब तस्कर से डकैत बन गया। हालाँकि फिल्म को मिश्रित समीक्षाएँ मिलीं, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर मामूली सफलता रही, और दुनिया भर में लगभग ₹ 3.08 बिलियन (US$47.3 मिलियन ) की कमाई की।
  • खान ने अपनी भूमिकाओं के साथ प्रयोग करना जारी रखा, एक पर्यटक गाइड का किरदार निभाया, जिसे 2017 में इम्तियाज अली की “जब हैरी मेट सेजल” में अनुष्का शर्मा द्वारा निभाए गए एक यात्री से प्यार हो जाता है। हालांकि, कुछ आलोचकों को लगा कि खान की जोड़ी, जो काफी बड़ी थी। शर्मा की तुलना में, ताज़ा नहीं था, क्योंकि खान ने दशकों पहले अपने ही उम्र के अभिनेताओं के साथ प्यार के ऐसे ही इशारे किए थे।
  • खान ने 2018 में आनंद एल राय की “ जीरो “ में अनुष्का शर्मा और कैटरीना कैफ के साथ फिर से काम किया। यहां, उन्होंने एक प्रेम त्रिकोण में शामिल बौने बौने सिंह का किरदार निभाया। फ़िल्म को मिश्रित समीक्षाएँ मिलीं, जिसमें खान के प्रदर्शन की प्रशंसा की गई। आलोचकों ने उनके प्रभावशाली प्रदर्शन, जबरदस्त ऊर्जा और भूमिका के लिए उत्कृष्ट फिट की सराहना की।
  • “जीरो” में उनके प्रदर्शन के लिए आलोचनात्मक प्रशंसा के बावजूद, फिल्म और “ जब हैरी मेट सेजल “ बॉक्स ऑफिस पर निराशाजनक रहीं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, बॉक्स ऑफिस पर इन असफलताओं का खान के स्टारडम पर प्रभाव पड़ा।
  • “ज़ीरो” की रिलीज़ के बाद, खान ने पूर्णकालिक अभिनय से चार साल का ब्रेक लिया, आंशिक रूप से भारत में COVID-19 महामारी के प्रभाव के कारण। इस अंतराल के दौरान, उन्होंने करियर में वापसी पर काम किया।
  • 2023 में, खान ने दीपिका पादुकोण के साथ फिर से एक्शन थ्रिलर “ पठान “ के साथ उल्लेखनीय वापसी की। भारत में आतंकवादी हमले को रोकने के लिए नियुक्त एक निर्वासित फील्ड एजेंट के रूप में उनके प्रदर्शन की व्यापक रूप से प्रशंसा की गई। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड तोड़े और खान के स्टारडम की पुष्टि की।
  • उसी वर्ष, खान ने एटली की “ जवान “ में पिता और पुत्र दोनों के हमशक्ल की भूमिका निभाई। यह फिल्म खान की स्क्रीन छवि, उनके करिश्मे और एक अद्वितीय दंभ को बेचने की उनकी क्षमता के लिए विख्यात थी।
  • “ पठान “ और “ जवान ” दोनों ने ₹10 बिलियन (US$130 मिलियन ) से अधिक की कमाई की, जिससे खान दो फिल्में देने वाले पहले भारतीय अभिनेता बन गए, जिन्होंने ₹10 बिलियन से अधिक की कमाई की।
  • 2023 की अपनी तीसरी रिलीज़ में, खान राजकुमार हिरानी की “डनकी” में अभिनय करने के लिए तैयार हैं, जो अवैध आप्रवासन के बारे में एक सामाजिक नाटक है।

2015 से लेकर वर्तमान तक शाहरुख खान का करियर विविध भूमिकाओं को अपनाने, चुनौतियों से पार पाने और बॉलीवुड के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली शख्सियतों में से एक के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने की उनकी क्षमता का प्रमाण रहा है। “पठान” और “जवान” जैसी सफल फिल्मों के साथ उनका पुनरुत्थान उनकी स्थायी लोकप्रियता और प्रतिभा को दर्शाता है।

सामान्य ज्ञान

यहां शाहरुख खान के बारे में कुछ दिलचस्प सामान्य ज्ञान और मजेदार तथ्य दिए गए हैं:

  • बॉलीवुड के बादशाह: भारतीय फिल्म उद्योग में उनकी अपार लोकप्रियता और सफलता के कारण शाहरुख खान को अक्सर “ बॉलीवुड का बादशाह” कहा जाता है।
  • फौजी से डेब्यू: फिल्मों में आने से पहले उन्होंने 1988 में “फौजी” श्रृंखला के साथ टेलीविजन पर अभिनय की शुरुआत की।
  • बहुमुखी अभिनेता: अपनी रोमांटिक भूमिकाओं के लिए जाने जाने वाले खान ने एंटी-हीरो, कॉमेडियन और एक्शन हीरो सहित विविध किरदार भी निभाए हैं। विभिन्न भूमिकाओं में ढलने की उनकी क्षमता ने उन्हें एक बहुमुखी अभिनेता बना दिया है।
  • सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेता: शाहरुख खान दुनिया में सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेताओं में से एक हैं और लगातार बॉलीवुड में शीर्ष कमाई करने वालों में से एक हैं।
  • रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट: वह एक सफल फिल्म निर्माण कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के सह-मालिक हैं।
  • कोलकाता नाइट राइडर्स: खान लोकप्रिय इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) क्रिकेट टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के सह-मालिक हैं।
  • परोपकार: वह विभिन्न धर्मार्थ प्रयासों में शामिल हैं और विशेष रूप से बाल स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में अपने परोपकारी कार्यों के लिए जाने जाते हैं।
  • यूनेस्को पुरस्कार: उन्हें 2011 में उनके धर्मार्थ कार्यों के लिए यूनेस्को पिरामिड कॉन मार्नी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • प्रशंसक आधार: शाहरुख खान की बड़ी संख्या में वैश्विक प्रशंसक हैं और उन्हें अक्सर “बॉलीवुड का बादशाह” कहा जाता है।
  • लीजियन डी’ होनूर: उन्हें फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान लीजियन डी’होनूर से सम्मानित किया गया था।
  • साहित्य से प्रेम: खान एक उत्साही पाठक हैं और उन्हें साहित्य से गहरा प्रेम है। उन्होंने विभिन्न लेखकों को अपने पसंदीदा के रूप में उद्धृत किया है और अक्सर पुस्तक अनुशंसाएँ साझा करते हैं।
  • विवाह: उनकी शादी 1991 से गौरी खान से हुई है, और उनके तीन बच्चे हैं।
  • पुरस्कार और सम्मान: उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए कई फिल्मफेयर पुरस्कार और भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री शामिल हैं।
  • फिल्मोग्राफी में विविधता: शाहरुख खान ने महाकाव्य प्रेम कहानियों से लेकर एक्शन से भरपूर थ्रिलर तक कई तरह की फिल्मों में अभिनय किया है।
  • अंतराल और पुनरुत्थान: एक संक्षिप्त अंतराल के बाद, उन्होंने “पठान” और “जवान” जैसी फिल्मों के साथ मजबूत वापसी की।

यहां शाहरुख खान के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य हैं:

  • स्व – निर्मित सफलता : अक्सर ग्लैमर से जुड़े रहने वाले शाहरुख खान पूरी तरह से स्व-निर्मित सुपरस्टार हैं। वह केवल एक सपने के साथ मुंबई आए और दुनिया के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक बन गए।
  • खेल के प्रति प्रेम : क्रिकेट के अलावा (जैसा कि उनकी आईपीएल टीम के स्वामित्व से देखा जा सकता है), खान फुटबॉल के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। उन्हें नई दिल्ली के सेंट कोलंबा स्कूल द्वारा खेल के लिए छात्रवृत्ति की भी पेशकश की गई थी।
  • अर्थशास्त्र और रंगमंच : खान ने अर्थशास्त्र में डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और टेलीविजन और फिर बॉलीवुड में जाने से पहले उन्होंने थिएटर में अपना करियर शुरू किया।
  • प्रेरणादायक उद्धरण : खान अपने प्रेरणादायक उद्धरणों और भाषणों के लिए जाने जाते हैं। वह अक्सर कड़ी मेहनत, दृढ़ता और आत्म-विश्वास के महत्व के बारे में बोलते हैं।
  • फोबिया : सुपरस्टार होने के बावजूद खान को कुछ फोबिया हैं। उन्हें एक्रोफोबिक (ऊंचाई से डरने वाला) माना जाता है और उन्हें घुड़सवारी करना भी पसंद नहीं है, घुड़सवारी वाली फिल्मों में दिखाई देने के बावजूद।
  • अंकज्योतिष : खान को संख्या 555 के प्रति आकर्षण के लिए जाना जाता है। उनकी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट नामक एक प्रोडक्शन कंपनी भी है, जिसका नाम आंशिक रूप से इसी संख्या के नाम पर रखा गया है।
  • भाषा कौशल : वह हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू सहित कई भाषाओं में पारंगत हैं। इस भाषाई बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें दर्शकों की एक विस्तृत श्रृंखला से जुड़ने में मदद की है।
  • सबसे अमीर अभिनेताओं में से एक : फोर्ब्स के अनुसार, शाहरुख खान लगातार दुनिया के सबसे अमीर अभिनेताओं में से एक हैं।
  • पहला वेतन : उनका पहला वेतन 50 रुपये (भारतीय रुपये) था, जो उन्होंने दिल्ली में पंकज उधास के संगीत कार्यक्रम में सहायक के रूप में काम करके अर्जित किया था।
  • गुप्त पहचान : खान को 2008 में मलेशियाई सरकार द्वारा “दातुक” की मानद उपाधि दी गई थी, जिसका अर्थ है “शक्तिशाली व्यक्ति।”
  • फिल्म संरक्षण : खान भारतीय सिनेमा के संरक्षण में सक्रिय रूप से शामिल हैं और नई दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय के बोर्ड के सदस्य हैं।
  • प्रेम कहानी : गौरी खान के साथ उनकी वास्तविक जीवन की प्रेम कहानी को अक्सर बॉलीवुड में सबसे स्थायी और रोमांटिक कहानियों में से एक के रूप में उद्धृत किया जाता है।
  • बचपन के सपने : जब शाहरुख खान बच्चे थे तो उनका सपना एक आर्मी ऑफिसर या खिलाड़ी बनने का था।
  • सोशल मीडिया उपस्थिति : वह सोशल मीडिया, विशेष रूप से ट्विटर पर सक्रिय हैं, जहां वह अक्सर अपने जीवन से जुड़ी जानकारियां साझा करते हैं और अपने प्रशंसकों के साथ जुड़े रहते हैं।
  • प्रतिष्ठित हाथ के इशारे : खान अपने प्रतिष्ठित हाथ के इशारों के लिए जाने जाते हैं, जो उनके ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व का पर्याय बन गए हैं।

शाहरुख खान का जीवन और करियर दिलचस्प किस्सों और उपलब्धियों से भरा है, जिन्होंने मनोरंजन की दुनिया में उनकी प्रतिष्ठित स्थिति में योगदान दिया है।

कई सार्वजनिक हस्तियों की तरह, शाहरुख खान भी अपने पूरे करियर में विवादों और मुद्दों से जूझते रहे हैं। यहां उनसे जुड़े कुछ उल्लेखनीय विवाद और घटनाएं हैं:

  • वानखेड़े स्टेडियम हादसा (2012): खान 2012 में एक आईपीएल मैच के दौरान मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में एक विवाद में शामिल थे। सुरक्षा कर्मचारियों के साथ हाथापाई में उनकी कथित संलिप्तता के लिए उन्हें पांच साल के लिए स्टेडियम से प्रतिबंधित कर दिया गया था। खान ने कहा कि उनकी कोई गलती नहीं है।
  • असहिष्णुता टिप्पणी (2015): 2015 में, खान ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि भारत में “बढ़ती असहिष्णुता” है। उनकी टिप्पणियों को समर्थन और आलोचना दोनों का सामना करना पड़ा, कुछ राजनीतिक हस्तियों और समूहों ने उनकी टिप्पणियों की निंदा की।
  • रईस रिलीज (2017): खान की फिल्म “रईस” को ऋतिक रोशन की “काबिल” के साथ रिलीज होने के कारण विवाद का सामना करना पड़ा। इस झड़प के कारण दोनों अभिनेताओं के बीच सार्वजनिक झगड़ा हुआ और फिल्म उद्योग में अनैतिक प्रथाओं का आरोप लगाया गया।
  • आर्यन खान ड्रग केस (2021): अक्टूबर 2021 में, खान के बेटे आर्यन खान को एक क्रूज जहाज पर ड्रग मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस घटना ने मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया और सार्वजनिक जांच की, खान के परिवार को विभिन्न हलकों से समर्थन और आलोचना दोनों का सामना करना पड़ा।
  • रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट विवाद (2021): शाहरुख खान की प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट पर अपनी कुछ वेब सीरीज़ में “लव जिहाद” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था। इस विवाद के कारण कानूनी कार्यवाही हुई और मीडिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चर्चा हुई।
  • “ माई नेम इज़ खान” (2010) की रिलीज़: खान की फिल्म “माई नेम इज़ खान” की रिलीज़ शुरू में पाकिस्तानी क्रिकेटरों को आईपीएल में भाग लेने की अनुमति के समर्थन में की गई टिप्पणियों के कारण विवादों में घिर गई थी। इससे गरमागरम बहस और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, कुछ लोगों ने फिल्म के बहिष्कार का आह्वान किया।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक हस्तियां अक्सर खुद को विवादों के घेरे में पाती हैं, और ये घटनाएं उनके सार्वजनिक जीवन का हिस्सा हैं। विशेष रूप से, शाहरुख खान इन मुद्दों को शालीनता से सुलझाने में कामयाब रहे हैं और अक्सर भारत में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए अपने मंच का उपयोग करते हैं।

2023 तक शाहरुख खान की कुल संपत्ति लगभग $735 मिलियन अमेरिकी डॉलर या ₹6010 करोड़ होने का अनुमान है। वह लगातार विश्व स्तर पर सबसे अमीर अभिनेताओं में से एक रहे हैं, और उनकी संपत्ति विभिन्न आय धाराओं, व्यावसायिक उद्यमों और ब्रांड का परिणाम है।

  • अभिनय करियर: खान के अभिनय करियर का उनकी कुल संपत्ति में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वह प्रति फिल्म लगभग ₹100-150 करोड़ की कमाई के साथ, दुनिया में सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेताओं में से एक होने के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्मोग्राफी में कई ब्लॉकबस्टर हिट शामिल हैं, और वह कई दशकों से बॉक्स ऑफिस पर आकर्षण का केंद्र रही हैं।
  • ब्रांड समर्थन: खान कई कंपनियों के लिए एक पसंदीदा ब्रांड एंबेसडर हैं, जिनमें पेप्सी, हुंडई और टैग ह्यूअर जैसे प्रमुख ब्रांड शामिल हैं। इन ब्रांडों के साथ उनका जुड़ाव आकर्षक रहा है, जिससे उनकी आय में काफी इजाफा हुआ है।
  • व्यावसायिक उद्यम: खान की उद्यमशीलता की भावना ने उनकी संपत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह कई व्यवसायों का मालिक है और उन्हें संचालित करता है:
  • रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट: यह प्रोडक्शन हाउस कई सफल फिल्मों के पीछे रहा है, जिससे उनके वित्तीय पोर्टफोलियो में और वृद्धि हुई है।
  • कोलकाता नाइट राइडर्स ( केकेआर): केकेआर आईपीएल टीम का उनका सह-स्वामित्व उनके व्यावसायिक उद्यमों में एक और आयाम जोड़ता है और उनकी कुल निवल संपत्ति में योगदान देता है।        
  • मीर फाउंडेशन: उनका फाउंडेशन, जो परोपकारी कार्यों पर केंद्रित है, में फिटनेस श्रृंखला जैसे व्यावसायिक पहलू भी हैं, जो उनकी संपत्ति में योगदान करते हैं।शाहरुख खान की कुल संपत्ति न केवल उनकी वित्तीय सफलता बल्कि उनके सांस्कृतिक प्रभाव का भी प्रमाण है। वह वैश्विक मनोरंजन उद्योग में एक आइकन हैं और एक साधारण शुरुआत से लेकर अत्यधिक प्रभाव और संपन्नता की स्थिति तक की अपनी यात्रा से दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करना जारी रखते हैं। अभिनय से लेकर उद्यमिता तक विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने की उनकी क्षमता उनकी बहुमुखी प्रतिभा और अपनी कला के प्रति समर्पण को दर्शाती है। शाहरुख खान की कहानी उल्लेखनीय है, जो दर्शाती है कि कड़ी मेहनत, प्रतिभा और दृढ़ संकल्प से क्या हासिल किया जा सकता है।

अन्य काम – फिल्म निर्माण और टेलीविजन होस्टिंग

अपने अभिनय करियर के अलावा, शाहरुख खान फिल्म निर्माण और टेलीविजन होस्टिंग में भी शामिल रहे हैं।

1999 में, उन्होंने अपनी पत्नी गौरी खान के साथ प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट की सह-स्थापना की। कंपनी ने “मैं हूं ना,” “ओम शांति ओम,” “चेन्नई एक्सप्रेस,” और “हैप्पी न्यू ईयर” सहित कई सफल फिल्मों का निर्माण किया है। कंपनी “टेड टॉक्स इंडिया: नई बात” सहित टेलीविजन शो भी बनाती है, जिसे खान होस्ट करते हैं।

खान ने “कौन बनेगा करोड़पति,” “हू वांट्स टू बी अ मिलियनेयर?” और “ज़ोर का झटका: टोटल वाइपआउट,” अमेरिकी गेम शो का एक भारतीय संस्करण “का भारतीय संस्करण” सहित कई टेलीविज़न शो की मेजबानी की है। मिटा दो।”

इसके अलावा, खान अपने फाउंडेशन, मीर फाउंडेशन के माध्यम से परोपकारी कार्यों में शामिल रहे हैं, जो एसिड अटैक सर्वाइवर्स का समर्थन करने और महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। वह बाल स्वास्थ्य और शिक्षा, आपदा राहत और महिलाओं के अधिकारों सहित विभिन्न सामाजिक और मानवीय कारणों में भी शामिल रहे हैं।

मंच प्रदर्शन

शाहरुख खान अपने गतिशील और ऊर्जावान मंच प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भारत और दुनिया भर में कई संगीत कार्यक्रमों और कार्यक्रमों में प्रदर्शन किया है।

1997 में, खान ने मुंबई में “द विस्मयकारी फोरसम” संगीत कार्यक्रम में प्रदर्शन किया, जिसमें साथी बॉलीवुड सितारे सलमान खान, अक्षय कुमार और अजय देवगन भी शामिल थे। उन्होंने कई अन्य संगीत कार्यक्रमों में भी प्रदर्शन किया है, जिसमें 2004 में “टेम्पटेशन” संगीत कार्यक्रम भी शामिल है, जिसमें कई बॉलीवुड अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की एक विश्व यात्रा थी।

खान ने फिल्मफेयर अवार्ड्स, जी सिने अवार्ड्स और इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवार्ड्स (IIFA) सहित कई अवार्ड शो और कार्यक्रमों में भी प्रदर्शन किया है।

इसके अलावा, खान “टेम्पटेशन रीलोडेड” कॉन्सर्ट श्रृंखला सहित अपने स्वयं के स्टेज शो के आयोजन में भी शामिल रहे हैं, जिसमें उन्होंने अन्य बॉलीवुड अभिनेताओं और अभिनेत्रियों के साथ दौरा किया है।

कुल मिलाकर, शाहरुख खान के मंच प्रदर्शन उनकी उच्च ऊर्जा और मनोरंजन मूल्य के लिए जाने जाते हैं, और दुनिया भर के दर्शकों द्वारा इसका आनंद लिया गया है।

आईपीएल क्रिकेट टीम का स्वामित्व

शाहरुख खान कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के सह-मालिकों में से एक हैं, जो इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में एक फ्रेंचाइजी है, जो भारत में एक पेशेवर ट्वेंटी-20 क्रिकेट लीग है। खान ने अभिनेत्री जूही चावला और उनके पति जय मेहता के साथ 2008 में कुल 75.09 मिलियन डॉलर में टीम खरीदी।

खान और उनके सहयोगियों के स्वामित्व में, केकेआर आईपीएल में सबसे सफल फ्रेंचाइजी में से एक बन गई है। टीम ने 2012 में अपनी पहली आईपीएल चैंपियनशिप जीती और 2014 में दूसरी बार। उन्होंने कई अन्य सीज़न में प्लेऑफ़ के लिए भी क्वालीफाई किया है।

खान कोलकाता नाइट राइडर्स के अपने भावुक समर्थन के लिए जाने जाते हैं, और अक्सर उन्हें उनके मैचों में भाग लेते और स्टैंड से उन्हें चीयर करते हुए देखा जा सकता है। वह टीम के प्रबंधन में भी शामिल है, और मैदान पर और बाहर दोनों जगह इसकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बॉलीवुड में सबसे प्रसिद्ध और सफल अभिनेताओं में से एक के रूप में, शाहरुख खान अक्सर मीडिया में रहते हैं। वह अपने आकर्षण, बुद्धि और करिश्मे के लिए ऑन और ऑफ-स्क्रीन दोनों के लिए जाने जाते हैं, और अक्सर साक्षात्कारों, टॉक शो और अन्य मीडिया में दिखाई देते हैं।

खान सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं, और ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्मों पर उनके बड़े पैमाने पर अनुयायी हैं। वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स का उपयोग अपने जीवन और करियर पर अपडेट साझा करने, प्रशंसकों से जुड़ने और अपनी फिल्मों और अन्य परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए करते हैं।

हालाँकि, खान कई बार मीडिया में विवाद और आलोचना का विषय भी रहे हैं। कुछ फिल्मों में उनकी भूमिकाओं के लिए उनकी आलोचना की गई है, जिनमें से कुछ ने हानिकारक रूढ़िवादिता को बनाए रखने या लिंग मानदंडों को मजबूत करने का तर्क दिया है। उन्हें विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों के लिए भी जांच का सामना करना पड़ा है।

इसके बावजूद, खान बॉलीवुड में सबसे प्रिय और सम्मानित शख्सियतों में से एक हैं, और भारतीय और वैश्विक पॉप संस्कृति पर एक बड़ा प्रभाव बना हुआ है।

पुरस्कार और मान्यताएँ

शाहरुख खान को बॉलीवुड में अपने पूरे करियर में कई पुरस्कार और पहचान मिली हैं। उन्होंने 14 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं, जिन्हें भारत में सबसे प्रतिष्ठित फिल्म पुरस्कारों में से एक माना जाता है, और उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं।

अपने फिल्मफेयर पुरस्कारों के अलावा, खान ने भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई अन्य सम्मान जीते हैं। 2005 में, उन्हें कला में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है, जिसमें फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, लीजन डी’होनूर शामिल हैं।

इसके अलावा, खान को उनके मानवीय कार्यों के लिए भी सम्मानित किया गया है। 2018 में, उन्हें भारत में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए उनके नेतृत्व के लिए दावोस में विश्व आर्थिक मंच में क्रिस्टल अवार्ड से सम्मानित किया गया।

कुल मिलाकर, शाहरुख खान के कई पुरस्कार और मान्यताएं उनकी प्रतिभा, कड़ी मेहनत और भारतीय सिनेमा और समाज में योगदान के लिए एक वसीयतनामा हैं।

व्यक्तिगत जीवन

शाहरुख खान ने गौरी खान से शादी की है, जिनसे वह 1984 में मिले और 1991 में शादी की। उनके तीन बच्चे हैं: आर्यन, सुहाना और अबराम।

ख़ान उन चुनौतियों के बारे में खुलकर बात करते हैं जिनका उन्होंने और गौरी ने अपनी शादी के शुरुआती दिनों में सामना किया था, खासकर सांस्कृतिक अंतर और सामाजिक अपेक्षाओं से निपटने में। हालांकि, उन्होंने इन चुनौतियों के माध्यम से काम किया है और उन्हें बॉलीवुड में सबसे मजबूत और सबसे स्थायी जोड़ों में से एक माना जाता है।

अपने पारिवारिक जीवन के अलावा, खान अपने परोपकारी कार्यों के लिए जाने जाते हैं। वह बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और आपदा राहत सहित कई धर्मार्थ कार्यों में शामिल रहे हैं। वह यूनिसेफ सद्भावना राजदूत भी हैं और बाल अधिकारों और शिक्षा को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

खान एक उत्साही पाठक भी हैं और उन्होंने साहित्य के प्रति अपने प्रेम के बारे में सार्वजनिक रूप से बात की है। उन्होंने सलमान रुश्दी, गेब्रियल गार्सिया मार्केज़ और पाउलो कोएल्हो जैसे लेखकों को अपने कुछ पसंदीदा लेखकों के रूप में उद्धृत किया है, और सोशल मीडिया पर अपने प्रशंसकों के साथ पुस्तकों की सिफारिशें साझा करने के लिए जाने जाते हैं।

शारुख खान द्वारा प्राप्त पुरस्कार और नामांकन की सूची

यहां शाहरुख खान द्वारा अपने पूरे करियर में प्राप्त किए गए कुछ प्रमुख पुरस्कार और नामांकन हैं:

  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए 14 फिल्मफेयर पुरस्कार
  • 2005 में पद्म श्री
  • 2007 में ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेट्रेस
  • 2014 में लीजन डी’होनूर
  • 2011 और 2013 में NDTV इंडियन ऑफ़ द ईयर अवार्ड्स में ग्लोबल आइकॉन ऑफ़ द ईयर अवार्ड
  • 2013 में NDTV इंडियन ऑफ़ द ईयर अवार्ड्स में एंटरटेनर ऑफ़ द डिकेड अवार्ड
  • 2018 में दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में क्रिस्टल अवार्ड
  • फिल्म “स्लमडॉग मिलियनेयर” के लिए मोशन पिक्चर में कलाकारों द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड
  • फिल्म “कभी हां कभी ना” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का एशियानेट फिल्म पुरस्कार
  • फिल्म “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का जी सिने अवार्ड
  • फिल्म “देवदास” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी (IIFA) पुरस्कार

शाहरुख खान को अपने करियर के दौरान मिले कई पुरस्कारों और नामांकनों में से ये कुछ ही हैं। भारतीय सिनेमा में उनकी प्रतिभा और योगदान को भारत और दुनिया भर में व्यापक रूप से मान्यता मिली है।

शारुख खान फिल्मोग्राफी

शाहरुख खान ने अपने पूरे करियर में 80 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। यहां उनकी कुछ सबसे उल्लेखनीय फिल्मों की सूची दी गई है:

  • दीवाना (1992)
  • बाजीगर (1993)
  • दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995)
  • दिल तो पागल है (1997)
  • कुछ कुछ होता है (1998)
  • कभी खुशी कभी ग़म… (2001)
  • कल हो ना हो (2003)
  • वीर-ज़ारा (2004)
  • कभी अलविदा ना कहना (2006)
  • ओम शांति ओम (2007)
  • रब ने बना दी जोड़ी (2008)
  • माई नेम इज खान (2010)
  • डॉन 2 (2011)
  • चेन्नई एक्सप्रेस (2013)
  • दिलवाले (2015)
  • शून्य (2018)

ये फिल्में कई प्रकार की शैलियों का प्रतिनिधित्व करती हैं और एक अभिनेता के रूप में शाहरुख खान की बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित करती हैं। रोमांटिक ड्रामा से लेकर एक्शन थ्रिलर तक, उन्होंने खुद को बॉलीवुड में एक प्रमुख अभिनेता के रूप में साबित किया है।

यहां शाहरुख खान के कुछ यादगार उद्धरण हैं:

  • सपनों पर: “डरने से मत डरो। डरना सामान्य ज्ञान की निशानी है। केवल पूर्ण बेवकूफ ही किसी चीज से नहीं डरते।”
  • सफलता पर: “सफलता एक अच्छी शिक्षक नहीं है। असफलता आपको विनम्र बनाती है।”
  • कड़ी मेहनत पर: “मैं अपना छोटा सा माहौल बनाने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत करता हूं जहां मैं आरामदायक और खुश और वास्तव में उस क्षेत्र में महसूस कर सकूं।”
  • महत्वाकांक्षा पर: “मैं सचमुच मानता हूं कि मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि लोग मुस्कुराएं।”
  • प्यार पर: “मैं एक बच्चे की तरह हूं। मैं अपने परिवार और दोस्तों को बताता हूं कि मैं एक बच्चे की तरह हूं।”
  • युवावस्था पर: “आप कभी रजत नहीं जीतते, आप केवल स्वर्ण हारते हैं।”
  • स्टारडम पर: “मैं अपने स्टारडम को टक्सीडो की तरह नहीं पहनता। मैं इसे टी-शर्ट की तरह पहनता हूं।”
  • स्वयं होने पर: “मैं खुद से बात करता हूं। मुझे चिकित्सा की आवश्यकता नहीं है।”
  • जीवन पर: “जब भी मैं अपने बारे में बहुत अधिक अहंकारी महसूस करने लगता हूं, तो मैं हमेशा अमेरिका की यात्रा पर निकल जाता हूं। आप्रवासन वाले लोग उस स्टार को मेरे स्टारडम से बाहर निकाल देते हैं।”
  • पहचान पर: “भ्रमित होना ठीक है। भ्रम दुनिया में सभी स्पष्टता का मार्ग है।”

ये उद्धरण शाहरुख खान की बुद्धिमत्ता, विनम्रता और जीवन, सफलता और स्टारडम पर उनके अद्वितीय दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। वह अक्सर ऐसी अंतर्दृष्टि साझा करते हैं जो न केवल प्रेरणादायक होती हैं बल्कि कई लोगों के लिए प्रासंगिक भी होती हैं।

बार बार पूंछे जाने वाले प्रश्न 

यहां शाहरुख खान के बारे में कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) दिए गए हैं:

प्रश्न : शाहरुख खान की कुल संपत्ति कितनी है?

उत्तर : 2023 तक, शाहरुख खान की कुल संपत्ति लगभग $735 मिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो उन्हें दुनिया के सबसे अमीर अभिनेताओं में से एक बनाती है।

प्रश्न : शाहरुख खान की सबसे प्रसिद्ध फिल्म कौन सी है?

उत्तर : शाहरुख खान कई सफल फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” (डीडीएलजे) को अक्सर उनकी सबसे प्रतिष्ठित और प्रिय फिल्मों में से एक माना जाता है।

प्रश्न : क्या शाहरुख खान शादीशुदा हैं?

उत्तर : जी हां, शाहरुख खान ने गौरी खान से शादी की है। उनकी शादी 1991 में हुई और उनके तीन बच्चे हैं।

प्रश्न :  शाहरुख खान की प्रोडक्शन कंपनी क्या है?

उत्तर :  शाहरुख खान एक सफल फिल्म निर्माण कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के मालिक हैं।

प्रश्न : शाहरुख खान किस आईपीएल टीम के मालिक हैं?

उत्तर : शाहरुख खान इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीम कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के सह-मालिकों में से एक हैं।

प्रश्न :  शाहरुख खान के कुछ प्रसिद्ध पुरस्कार क्या हैं?

उत्तर : शाहरुख खान ने 14 फिल्मफेयर पुरस्कारों सहित कई पुरस्कार जीते हैं। उन्हें पद्म श्री, लीजियन डी’ऑनूर और विश्व आर्थिक मंच पर क्रिस्टल पुरस्कार भी मिला है।

प्रश्न :   शाहरुख खान का परोपकारी कार्य क्या है?

उत्तर : खान विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में शामिल हैं, विशेषकर बाल स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में। वह यूनिसेफ के सद्भावना राजदूत हैं और उन्हें उनके मानवीय प्रयासों के लिए पहचाना गया है।  

प्रश्न :  शाहरुख खान के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण क्या हैं?

उत्तर : शाहरुख खान अपने प्रेरणादायक उद्धरणों के लिए जाने जाते हैं। उनके प्रसिद्ध उद्धरणों में से एक है: “सफलता एक अच्छा शिक्षक नहीं है। विफलता आपको विनम्र बनाती है।”

प्रश्न :  शाहरुख खान से जुड़े कुछ विवाद क्या हैं?

उत्तर: शाहरुख खान पिछले कुछ वर्षों में विवादों में रहे हैं, जिनमें वानखेड़े स्टेडियम की घटनाएँ, असहिष्णुता पर टिप्पणियाँ और उनकी फिल्मों और विज्ञापनों से संबंधित विवाद शामिल हैं।

उत्तर : शाहरुख खान पिछले कुछ वर्षों में विवादों में रहे हैं, जिनमें वानखेड़े स्टेडियम की घटनाएँ, असहिष्णुता पर टिप्पणियाँ और उनकी फिल्मों और विज्ञापनों से संबंधित विवाद शामिल हैं।

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श्रद्धा कपूर जीवन परिचय | Fact | Quotes | Net Worth | Shraddha Kapoor Biography in Hindi

shraddha kapoor biography in hindi

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

रिश्ते एवं परिवार, पसंदीदा वस्तु.

श्रद्धा कपूर की कुल संपत्ति 2023 में लगभग ₹125 करोड़ है। वह एक भारतीय अभिनेत्री हैं जो बॉलीवुड में काम करती हैं। उन्हें कई हिट फिल्मों में काम करने के लिए जाना जाता है, जिनमें “आशिकी 2”, “एक विलेन”, और “स्त्री” शामिल हैं।

श्रद्धा कपूर की आय के मुख्य स्रोत हैं :

  • फिल्मों में अभिनय: श्रद्धा कपूर एक प्रति फिल्म ₹5 करोड़ चार्ज करती हैं।
  • एंडोर्समेंट: श्रद्धा कपूर कई ब्रांडों की एंडोर्सर हैं, जिनमें लैक्मे, फ्लिपकार्ट, और सीक्रेट टैम्प्टेशन शामिल हैं। इन एंडोर्समेंट से उन्हें सालाना ₹1.6 करोड़ की कमाई होती है।

श्रद्धा कपूर एक सफल अभिनेत्री हैं और उन्होंने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। वह बॉलीवुड की सबसे अधिक कमाई करने वाली अभिनेत्रियों में से एक हैं।

सोशल मीडिया 2023

श्रद्धा कपूर की सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स की संख्या निम्नलिखित है:

  • इंस्टाग्राम : 83.9 मिलियन (8 करोड़ 39 लाख)
  • फेसबुक : 40 मिलियन (4 करोड़)
  • ट्विटर : 14.3 मिलियन (1.4 करोड़)

कुल मिलाकर, श्रद्धा कपूर के सोशल मीडिया पर 134 मिलियन (13.5 करोड़) से अधिक फॉलोअर्स हैं। वह भारत की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक हैं और सोशल मीडिया पर उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है।

श्रद्धा कपूर एक भारतीय अभिनेत्री और गायिका हैं जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्म उद्योग में काम करती हैं, जिसे बॉलीवुड भी कहा जाता है। उनका जन्म 3 मार्च 1987 को मुंबई, भारत में हुआ था। वह मशहूर बॉलीवुड अभिनेता शक्ति कपूर की बेटी हैं।

  • श्रद्धा कपूर ने 2010 में फिल्म “तीन पत्ती” से अभिनय की शुरुआत की, लेकिन उन्हें रोमांटिक ड्रामा “आशिकी 2” (2013) में अपनी भूमिका से महत्वपूर्ण पहचान और लोकप्रियता मिली, जो एक व्यावसायिक सफलता थी और उन्हें एक प्रमुख अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया। बॉलीवुड में. फिल्म में आरोही के उनके किरदार ने उन्हें कई पुरस्कार और नामांकन दिलाए।
  • उन्होंने “एक विलेन” (2014), “हैदर” (2014), “एबीसीडी 2” (2015), “बागी” (2016), “स्त्री” (2018) सहित विभिन्न शैलियों की कई फिल्मों में अभिनय किया। ), “साहो” (2019), और “छिछोरे” (2019), अन्य। श्रद्धा ने रोमांटिक, एक्शन, कॉमेडी और थ्रिलर फिल्मों में भूमिकाएं निभाकर अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।
  • अपने अभिनय करियर के अलावा, श्रद्धा कपूर एक प्रतिभाशाली गायिका भी हैं। उन्होंने अपनी संगीत क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए अपनी फिल्मों में कई गानों को अपनी आवाज दी है।
  • श्रद्धा कपूर अपनी आकर्षक स्क्रीन उपस्थिति, अभिनय कौशल और दर्शकों को पसंद आने वाली प्रासंगिक भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं। इन वर्षों में, उन्होंने खुद को भारतीय फिल्म उद्योग में अग्रणी अभिनेत्रियों में से एक के रूप में स्थापित किया है।

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

श्रद्धा कपूर का जन्म 3 मार्च 1987 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में भारतीय फिल्म उद्योग से गहराई से जुड़े एक परिवार में हुआ था। वह एक मिश्रित विरासत पृष्ठभूमि से आती हैं, उनके पिता, शक्ति कपूर, एक प्रमुख बॉलीवुड अभिनेता हैं जो अपनी बहुमुखी भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं, और उनकी माँ, शिवांगी कपूर, एक पूर्व अभिनेत्री हैं।

  • एक शोबिज परिवार में पली-बढ़ी श्रद्धा छोटी उम्र से ही सिनेमा की दुनिया से परिचित हो गईं। उन्होंने मुंबई के जमनाबाई नरसी स्कूल में पढ़ाई की और बाद में अमेरिकन स्कूल ऑफ बॉम्बे में उच्च शिक्षा हासिल की। उद्योग जगत से अपने पारिवारिक संबंधों के बावजूद, शुरू में उनकी एक मनोवैज्ञानिक बनने की इच्छा थी और यहां तक कि अपने अभिनय करियर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत लौटने से पहले उन्होंने थोड़े समय के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के बोस्टन विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान का अध्ययन भी किया।
  • भारत लौटने के बाद उन्होंने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए अभिनय की दुनिया में प्रवेश करने का फैसला किया। उन्होंने अपने अभिनय कौशल को निखारने के लिए प्रशिक्षण और कार्यशालाएं लीं और 2010 में फिल्म “तीन पत्ती” से अभिनय की शुरुआत की। हालाँकि इस फिल्म को ज्यादा व्यावसायिक सफलता नहीं मिली, लेकिन इससे फिल्म उद्योग में उनकी यात्रा की शुरुआत हुई।
  • श्रद्धा कपूर का प्रारंभिक जीवन बॉलीवुड में उनके परिवार की विरासत की उपस्थिति से चिह्नित था, और इस पृष्ठभूमि ने अभिनय में उनके जुनून और रुचि को आकार देने में भूमिका निभाई। उनकी परवरिश और मनोरंजन जगत के संपर्क ने अभिनय में करियर बनाने के उनके निर्णय में योगदान दिया और अंततः उन्हें भारतीय फिल्म उद्योग में प्रमुख युवा अभिनेत्रियों में से एक बना दिया।

आजीविका – प्रारंभिक कार्य और सफलता (2010-2016)

बॉलीवुड में श्रद्धा कपूर का करियर 2010 में फिल्म “तीन पत्ती” से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने सहायक भूमिका निभाई। हालाँकि, यह उनकी दूसरी फिल्म थी जिसने उन्हें एक अग्रणी अभिनेत्री के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए आवश्यक सफलता और पहचान दिलाई।

2013 में, श्रद्धा कपूर ने मोहित सूरी द्वारा निर्देशित रोमांटिक म्यूजिकल ड्रामा “आशिकी 2” में अभिनय किया। यह फिल्म 1990 की फिल्म “आशिकी” का सीक्वल थी और बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट साबित हुई थी। एक संघर्षरत गायिका, आरोही के उनके चित्रण ने उनके अभिनय कौशल और उनके सह-कलाकार आदित्य रॉय कपूर के साथ ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री के लिए व्यापक प्रशंसा अर्जित की। फ़िल्म का संगीत भी बेहद लोकप्रिय हुआ और “तुम ही हो” जैसे गाने चार्ट-टॉपर बन गये। “आशिकी 2” श्रद्धा कपूर के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और उन्हें इंडस्ट्री में एक प्रतिभाशाली अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया।

“ आशिकी 2″ की सफलता के बाद, श्रद्धा कपूर ने विभिन्न शैलियों में विभिन्न भूमिकाएँ निभाकर अपना करियर बनाना जारी रखा। वह इन फिल्मों में नजर आईं:

  • “ एक विलेन” (2014): एक रोमांटिक थ्रिलर जहां उन्होंने भावनाओं के जटिल जाल में फंसी एक भोली लड़की की भूमिका निभाई। उनके अभिनय की तारीफ हुई और फिल्म के गाने भी हिट हुए.
  • “ हैदर” (2014): विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित शेक्सपियर के “हैमलेट” का समीक्षकों द्वारा प्रशंसित रूपांतरण। श्रद्धा ने फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस गहन नाटक में उनके अभिनय के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।
  • “ एबीसीडी 2″ (2015): एक नृत्य-आधारित फिल्म जहां उन्होंने वरुण धवन के साथ अपने नृत्य कौशल का प्रदर्शन किया। फिल्म को उसके नृत्य दृश्यों और संगीत के लिए खूब सराहा गया।
  • “ बागी” (2016): एक एक्शन से भरपूर फिल्म जिसमें उन्होंने टाइगर श्रॉफ के साथ अभिनय किया। फिल्म की व्यावसायिक सफलता ने उद्योग में उनकी स्थिति को और मजबूत कर दिया।

अपने करियर के इस चरण के दौरान, श्रद्धा कपूर ने कई तरह के किरदारों को सफलतापूर्वक निभाया और एक अभिनेत्री के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा साबित की। उनके अभिनय को दर्शकों और आलोचकों दोनों ने समान रूप से सराहा और वह बॉलीवुड में लोकप्रियता हासिल करती रहीं।

करियर संघर्ष (2016-2017)

वर्ष 2016 और 2017 में, श्रद्धा कपूर ने करियर के संघर्षों के दौर का अनुभव किया, जहां उनकी कुछ फिल्मों को आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालाँकि उन्होंने अपनी पिछली फिल्मों से लोकप्रियता हासिल की थी, लेकिन इस अवधि के दौरान उनकी सभी परियोजनाओं को समान स्तर की सफलता नहीं मिली।

  • इस दौरान, वह “रॉक ऑन 2” (2016) जैसी फिल्मों में दिखाई दीं, जो 2008 की सफल फिल्म “रॉक ऑन!!” की अगली कड़ी थी। दुर्भाग्य से, सीक्वल ने बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद के मुताबिक अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और समीक्षकों से इसे मिली-जुली समीक्षा मिली।
  • 2017 में, श्रद्धा कपूर ने चेतन भगत के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित फिल्म “हाफ गर्लफ्रेंड” में अभिनय किया। हालांकि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन इसे दर्शकों और आलोचकों दोनों से ठंडी प्रतिक्रिया मिली।
  • इस अवधि के दौरान एक और फिल्म “हसीना पारकर” (2017) थी, जिसमें श्रद्धा ने कुख्यात गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर की मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म का उद्देश्य हसीना पारकर के जीवन को चित्रित करना था, लेकिन इसे ज्यादातर नकारात्मक समीक्षा मिली और व्यावसायिक रूप से अच्छा प्रदर्शन नहीं किया।
  • 2016 और 2017 के दौरान उनके करियर में ये संघर्ष फिल्म उद्योग में अभिनेताओं के लिए असामान्य नहीं थे, क्योंकि सभी परियोजनाएं समान स्तर की सफलता हासिल नहीं कर सकती थीं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उतार-चढ़ाव एक अभिनेता की यात्रा का स्वाभाविक हिस्सा हैं, और वे अक्सर इन अनुभवों का उपयोग कलाकार के रूप में सीखने और विकसित होने के लिए करते हैं।
  • इन चुनौतियों के बावजूद, श्रद्धा कपूर दृढ़ रहीं और अपने करियर पर ध्यान केंद्रित किया, अंततः बाद के वर्षों में सफल फिल्मों के साथ वापसी की। उनके करियर पथ में उतार-चढ़ाव दोनों देखे गए हैं, जो फिल्म उद्योग की गतिशील प्रकृति का एक सामान्य पहलू है।

व्यावसायिक सफलता (2018–मौजूदा)

श्रद्धा कपूर को 2018 के बाद से लगातार व्यावसायिक सफलताएँ मिली हैं, स्त्री (2018), साहो (2019), छिछोरे (2019), और बागी 3 (2020) जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर बड़ी कमाई की है।

  • स्त्री एक हॉरर कॉमेडी थी जो आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही, जिसने दुनिया भर में ₹140 करोड़ (US$18 मिलियन) से अधिक की कमाई की। भूत के कब्जे वाली एक युवा महिला की भूमिका में कपूर के अभिनय की आलोचकों ने प्रशंसा की और अपने अभिनय के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (आलोचकों) का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।
  • साहो एक एक्शन थ्रिलर थी जो अपनी रिलीज के समय अब तक बनी सबसे महंगी भारतीय फिल्म थी। यह फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही और इसने दुनिया भर में ₹300 करोड़ (US$40 मिलियन) से अधिक की कमाई की। एक पुलिस अधिकारी के रूप में कपूर के प्रदर्शन की आलोचकों द्वारा प्रशंसा की गई और उन्होंने अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (लोकप्रिय) का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।
  • छिछोरे एक उभरती हुई कॉमेडी-ड्रामा थी जो आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही, जिसने दुनिया भर में ₹190 करोड़ (US$25 मिलियन) से अधिक की कमाई की। अपने पति की मृत्यु से जूझ रही एक युवा महिला के रूप में कपूर के अभिनय की आलोचकों द्वारा प्रशंसा की गई, और उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (आलोचकों) के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।
  • बागी 3 एक एक्शन थ्रिलर थी जो व्यावसायिक रूप से सफल रही, जिसने दुनिया भर में ₹180 करोड़ (US$23 मिलियन) से अधिक की कमाई की। अपने अपहृत भाई को बचाने की कोशिश कर रही एक पुलिस अधिकारी के रूप में कपूर के अभिनय की आलोचकों द्वारा प्रशंसा की गई, और उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (लोकप्रिय) के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।
  • इन व्यावसायिक सफलताओं ने श्रद्धा कपूर को बॉलीवुड में सबसे अधिक बैंक योग्य अभिनेत्रियों में से एक के रूप में स्थापित किया है। वह एक बहुमुखी अभिनेत्री हैं जो विभिन्न शैलियों को संभाल सकती हैं और उन्हें यकीन है कि आने वाले वर्षों में भी उनका सफल करियर बना रहेगा।

अन्य कार्य और मीडिया छवि

अपने अभिनय करियर के दौरान, श्रद्धा कपूर कई अन्य प्रयासों में भी शामिल रही हैं और उन्होंने मीडिया में अपनी सकारात्मक छवि बनाए रखी है:

  • गायन: श्रद्धा कपूर सिर्फ एक अभिनेत्री ही नहीं बल्कि एक प्रतिभाशाली गायिका भी हैं। उन्होंने अपने गायन कौशल का प्रदर्शन करते हुए अपनी फिल्मों में कई गानों को अपनी आवाज दी है। उनके कुछ लोकप्रिय गानों में “एक विलेन” का “गलियां”, “एबीसीडी 2” का “सुन साथिया” और “रॉक ऑन 2” का “तेरे मेरे दिल” शामिल हैं।
  • विज्ञापन: श्रद्धा कपूर कई ब्रांडों के साथ ब्रांड एंबेसडर के रूप में जुड़ी हुई हैं। उनकी लोकप्रियता और सापेक्षता उन्हें विज्ञापन के लिए एक पसंदीदा विकल्प बनाती है, जो उनकी मीडिया उपस्थिति और छवि में योगदान करती है।
  • परोपकार: श्रद्धा कपूर विभिन्न धर्मार्थ और परोपकारी गतिविधियों में शामिल रही हैं। उन्होंने शिक्षा, बच्चों के अधिकारों और पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित पहलों का समर्थन किया है।
  • फैशन और स्टाइल: अपने फैशन सेंस और स्टाइल के लिए जानी जाने वाली श्रद्धा कपूर अक्सर फैशन इवेंट्स में नजर आती हैं और अपने रेड कार्पेट लुक के लिए पहचानी जाती हैं। उन्हें विभिन्न फैशन पत्रिकाओं में दिखाया गया है और उन्हें स्टाइल आइकन माना जाता है।
  • सोशल मीडिया: श्रद्धा कपूर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हैं, जहां वह अपने पेशेवर और निजी जीवन के बारे में अपडेट साझा करती हैं। इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे प्लेटफार्मों पर उनकी उपस्थिति उन्हें प्रशंसकों से सीधे जुड़ने और जुड़ाव बनाए रखने की अनुमति देती है।
  • मीडिया छवि: श्रद्धा कपूर को आम तौर पर एक व्यावहारिक और भरोसेमंद अभिनेत्री माना जाता है। मीडिया में उनकी छवि एक बहुमुखी कलाकार की है, जिन्होंने पर्दे पर विभिन्न प्रकार के किरदारों को सफलतापूर्वक निभाया है। अपनी कला के प्रति समर्पण और विभिन्न शैलियों को संभालने की उनकी क्षमता के लिए अक्सर उनकी प्रशंसा की जाती है।
  • सार्वजनिक उपस्थिति: श्रद्धा कपूर विभिन्न फिल्म-संबंधित कार्यक्रमों, पुरस्कार शो और अपनी फिल्मों के प्रचार गतिविधियों में नियमित रूप से उपस्थित रहती हैं। सार्वजनिक उपस्थिति के दौरान उनकी शिष्टता और विनम्रता उनकी सकारात्मक छवि में योगदान करती है।

कुल मिलाकर, श्रद्धा कपूर अपने अभिनय कौशल, बहुमुखी प्रतिभा और मनोरंजन उद्योग और उससे आगे के विभिन्न पहलुओं में भागीदारी के कारण एक अनुकूल मीडिया छवि बनाए रखने में कामयाब रही हैं।

फिल्मोग्राफी – फिल्में

यहां उन फिल्मों की सूची दी गई है जिनमें श्रद्धा कपूर दिखाई दी हैं:

  • “ तीन पत्ती” (2010)
  • “ लव का द एंड” (2011)
  • “ आशिकी 2″ (2013)
  • “ गोरी तेरे प्यार में” (2013) – कैमियो उपस्थिति
  • “ एक विलेन” (2014)
  • “ हैदर” (2014)
  • “ उंगली” (2014)
  • “ एबीसीडी 2″ (2015)
  • “ बागी” (2016)
  • “ ए फ्लाइंग जट” (2016)
  • “ रॉक ऑन 2″ (2016)
  • “ ओके जानू” (2017)
  • “ हाफ गर्लफ्रेंड” (2017)
  • “ हसीना पारकर” (2017)
  • “ स्त्री” (2018)
  • “ बत्ती गुल मीटर चालू” (2018)
  • “ साहो” (2019)
  • “ छिछोरे” (2019)
  • “ स्ट्रीट डांसर 3 डी” (2020) – एक गाने में विशेष उपस्थिति
  • “ बागी 3″ (2020)
  • तू झूठी मैं मक्कार      (2023)

वीडियो संगीत

श्रद्धा कपूर एक म्यूजिक वीडियो में भी नजर आ चुकी हैं:

  • “तेरी गलियाँ” – फिल्म “एक विलेन” (2014) का एक गाना, जिसके लिए श्रद्धा कपूर ने अपनी आवाज दी और संगीत वीडियो में दिखाई दीं।
  • “किल चोरी”, जिसमें ऐश किंग और निखिता गांधी थे, जिसमें श्रद्धा कपूर दिखाई दीं।

डिस्कोग्राफी

  • “ गलियाँ” – फिल्म “एक विलेन” (2014) से
  • “ दो जहान” – फिल्म “हैदर” से (2014)
  • “ बेजुबान फिर से” – फिल्म “एबीसीडी 2” (2015) से
  • “ सब तेरा” – फिल्म “बागी” (2016) से
  • “ वो जहां” – फिल्म “रॉक ऑन 2” (2016) से
  • “ फिर भी तुमको चाहूंगी” – फिल्म “हाफ गर्लफ्रेंड” (2017) से
  • “ गलियाँ अनप्लग्ड” – “एक विलेन” (2014) का रीप्राइज़ संस्करण
  • “ तेरे मेरे दिल” – फिल्म “रॉक ऑन 2” (2016) से

श्रद्धा कपूर को उनके अभिनय और भारतीय फिल्म उद्योग में योगदान के लिए विभिन्न पुरस्कारों और नामांकनों के माध्यम से पहचान मिली है। यहां उन्हें प्राप्त कुछ प्रशंसाएं दी गई हैं:

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार:

  • “आशिकी 2” (2014) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामांकित
  • “एक विलेन” (2015) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामांकित
  • “हैदर” (2015) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामांकित
  • “स्त्री” (2019) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामांकित

स्टारडस्ट पुरस्कार:

  • निर्णायक प्रदर्शन – “आशिकी 2” के लिए महिला (2014)
  • “एक विलेन” (2015) के लिए कॉमेडी/रोमांस में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री
  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री – “एक विलेन” के लिए थ्रिलर/एक्शन (2015)
  • “एबीसीडी 2” (2016) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री

स्क्रीन पुरस्कार:

  • “एक विलेन” (2015) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (लोकप्रिय पसंद) के लिए नामांकित
  • “हैदर” (2015) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (लोकप्रिय पसंद) के लिए नामांकित
  • “एबीसीडी 2” (2016) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (लोकप्रिय पसंद) के लिए नामांकित

यहां कुछ उल्लेखनीय विवाद या घटनाएं हैं जिनमें श्रद्धा कपूर शामिल हैं:

  • भाई-भतीजावाद बहस: भारतीय फिल्म उद्योग में कई अन्य स्टार किड्स की तरह, श्रद्धा कपूर भी भाई-भतीजावाद को लेकर चर्चा का हिस्सा रही हैं। कुछ आलोचकों और टिप्पणीकारों ने बताया है कि अनुभवी अभिनेता शक्ति कपूर की बेटी होने के कारण उन्हें उद्योग में प्रवेश करने में फायदा हुआ। बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद की बहस चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय रही है।
  • पर्यावरण सक्रियता: 2019 में, श्रद्धा कपूर ने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु कार्रवाई की वकालत करते हुए विरोध प्रदर्शन और रैलियों में भाग लिया। वह जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सक्रिय रूप से शामिल थीं, खासकर मेट्रो कार शेड परियोजना के लिए मुंबई की आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान।

यहां श्रद्धा कपूर के बारे में कुछ सामान्य तथ्य दिए गए हैं:

  • गायन प्रतिभा: श्रद्धा कपूर संगीत में रुचि रखने वाले परिवार से आती हैं। उनके नाना एक शास्त्रीय गायक थे, और उनकी माँ, शिवांगी कपूर, एक पूर्व पार्श्व गायिका हैं।
  • शिक्षा: अपने सफल अभिनय करियर के बावजूद, श्रद्धा कपूर को शुरू में मनोविज्ञान में करियर बनाने में दिलचस्पी थी। अभिनय पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लेने से पहले उन्होंने मनोविज्ञान का अध्ययन करने के लिए कुछ समय के लिए बोस्टन विश्वविद्यालय में दाखिला लिया।
  • स्टार किड: श्रद्धा कपूर दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता शक्ति कपूर की बेटी हैं। एक फ़िल्मी परिवार में पली-बढ़ी, वह छोटी उम्र से ही उद्योग जगत से परिचित हो गईं।
  • फिल्मों में किशोरी: श्रद्धा कपूर ने 21 साल की उम्र में फिल्म “तीन पत्ती” (2010) से अभिनय की शुरुआत की। वह उस समय बॉलीवुड में सबसे कम उम्र की नवागंतुकों में से एक थीं।
  • विविध भूमिकाएँ: उन्होंने “आशिकी 2” में एक गायिका से लेकर “एबीसीडी 2” में एक नर्तकी तक और “हसीना पारकर” में एक अपराध सरगना की बहन से लेकर “स्त्री” में एक भूत तक कई तरह के किरदार निभाए हैं।
  • पशु प्रेमी: श्रद्धा कपूर पशु अधिकारों की वकालत करती हैं और जानवरों के प्रति अपने प्रेम के लिए जानी जाती हैं। वह जानवरों के कल्याण को बढ़ावा देने वाले अभियानों और पहलों से जुड़ी रही हैं।
  • सोशल मीडिया उपस्थिति: वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी सक्रिय है और अक्सर अपने काम, निजी जीवन और उन मुद्दों के बारे में अपडेट साझा करती है जिनका वह समर्थन करती है।
  • फिटनेस उत्साही: श्रद्धा कपूर फिटनेस के प्रति समर्पित हैं और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाती हैं। वह फिट रहने के लिए योग और विभिन्न प्रकार के व्यायाम करती हैं।
  • बॉक्स ऑफिस पर सफलता: उनकी फिल्म “स्त्री” (2018) बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट रही और उन्हें बॉलीवुड में एक भरोसेमंद अभिनेत्री के रूप में फिर से स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • पर्यावरण सक्रियता: श्रद्धा कपूर पर्यावरण के मुद्दों पर मुखर रही हैं और उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु कार्रवाई के लिए विरोध प्रदर्शनों और अभियानों में भाग लिया है।

यहां श्रद्धा कपूर के कुछ उद्धरण दिए गए हैं:

  • “मैं जो कुछ भी करती हूं उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देने में विश्वास करती हूं। मैं कड़ी मेहनत और ईमानदारी में विश्वास करती हूं।”
  • “ मुझे लगता है कि एक रचनात्मक आउटलेट होना महत्वपूर्ण है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या है। चाहे वह पेंटिंग हो, नृत्य हो, गायन हो, या अभिनय हो – जब तक आपके पास खुद को अभिव्यक्त करने का वह आउटलेट है।”
  • “ सफलता महत्वपूर्ण है, लेकिन संतुलन और विनम्रता की भावना होना भी महत्वपूर्ण है।”
  • “ एक अभिनेता के रूप में, मैं बहुमुखी बनना चाहता हूं। मैं हर तरह की फिल्में और भूमिकाएं करने में सक्षम होना चाहता हूं।”
  • “ हर फिल्म आपको कुछ न कुछ सिखाती है। आप हर अनुभव से कुछ न कुछ सीखते हैं, चाहे वह सफलता हो या असफलता।”
  • “ मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं जो किरदार निभा रहा हूं उसके प्रति ईमानदार रहूं।”
  • “ मैं अपने दिल की बात सुनने और वही करने में विश्वास करता हूं जिसके प्रति मैं जुनूनी हूं।”
  • “ खुद के प्रति सच्चा रहना महत्वपूर्ण है और दूसरे क्या सोचते हैं या क्या कहते हैं, उससे प्रभावित नहीं होना चाहिए।”
  • “ मैं हमेशा कुछ ऐसा करना चाहता हूं जो मुझे चुनौती दे और एक कलाकार के रूप में विकसित हो।”
  • “ मैं अपने पेशे के रूप में जो पसंद करता हूं उसे करने में सक्षम होने के लिए अविश्वसनीय रूप से भाग्यशाली महसूस करता हूं।

सामान्य प्रश्न

प्रश्न: कौन हैं श्रद्धा कपूर?

उत्तर: श्रद्धा कपूर एक भारतीय अभिनेत्री और गायिका हैं जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्म उद्योग (बॉलीवुड) में काम करती हैं। उन्होंने 2010 में अभिनय की शुरुआत की और फिल्म “आशिकी 2” में अपनी भूमिका के लिए व्यापक पहचान हासिल की। वह विभिन्न शैलियों की कई सफल फिल्मों में दिखाई दी हैं।

प्रश्न: श्रद्धा कपूर का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: श्रद्धा कपूर का जन्म 3 मार्च 1987 को हुआ था।

प्रश्न: क्या श्रद्धा कपूर भी एक गायिका हैं?

उत्तर: जी हां, श्रद्धा कपूर एक सिंगर भी हैं। उन्होंने अपनी फिल्मों में कई गानों को अपनी आवाज दी है और अपने गायन कौशल के लिए प्रशंसा प्राप्त की है।

प्रश्न: श्रद्धा कपूर की कुछ उल्लेखनीय फिल्में क्या हैं?

उत्तर: उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में “आशिकी 2,” “एक विलेन,” “हैदर,” “स्त्री,” “छिछोरे,” और “साहो” शामिल हैं।

प्रश्न: क्या श्रद्धा कपूर ने कोई पुरस्कार जीता है?

उत्तर: हां, उन्हें अपने प्रदर्शन के लिए पुरस्कार और नामांकन प्राप्त हुए हैं। उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया है और उन्होंने स्टारडस्ट और स्क्रीन अवार्ड्स से पुरस्कार जीते हैं।

प्रश्न: श्रद्धा कपूर की मीडिया छवि क्या है?

उत्तर: श्रद्धा कपूर को अक्सर एक बहुमुखी अभिनेत्री के रूप में देखा जाता है जो अपने व्यावहारिक और भरोसेमंद व्यक्तित्व के लिए जानी जाती हैं। उन्हें एक प्रतिभाशाली कलाकार माना जाता है जो विभिन्न भूमिकाएँ और शैलियाँ संभाल सकती हैं।

प्रश्न: क्या श्रद्धा कपूर ने कोई किताब लिखी है?

उत्तर: सितंबर 2021 में मेरे आखिरी अपडेट के अनुसार, श्रद्धा कपूर द्वारा लिखित कोई भी व्यापक रूप से ज्ञात पुस्तक नहीं है।

प्रश्न: श्रद्धा कपूर के कुछ उद्धरण क्या हैं?

उत्तर: उनके कुछ उद्धरण शामिल हैं: “मैं जो कुछ भी करता हूं उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देने में विश्वास करता हूं,” “सफलता महत्वपूर्ण है, लेकिन संतुलन और विनम्रता की भावना होना भी महत्वपूर्ण है,” और “मैं हमेशा कुछ ऐसा करना चाहता हूं जो मुझे चुनौती दे और एक कलाकार के रूप में मुझे विकसित करता है।”

प्रश्न: क्या श्रद्धा कपूर का कोई संगीत वीडियो है?

उत्तर: हाँ, वह “तेरी गलियाँ” और “किल चोरी” जैसे संगीत वीडियो में दिखाई दी हैं।

प्रश्न : श्रद्धा कपूर की उम्र कितनी है?

उत्तर : श्रद्धा कपूर की उम्र 36 साल है। उनका जन्म 3 मार्च 1987 को मुंबई, भारत में हुआ था।

प्रश्न : श्रद्धा कपूर की फिल्में कौन-कौन सी हैं?

उत्तर : श्रद्धा कपूर की उल्लेखनीय फिल्मों में शामिल हैं:

  • तीन पत्ती (2010)
  • आशिकी 2 (2013)
  • एक विलन (2014)
  • हैदर (2014)
  • एबीसीडी 2 (2015)
  • बागी (2016)
  • हाफ गर्लफ्रेंड (2017)
  • स्त्री (2018)
  • बागी 3 (2020)

प्रश्न : श्रद्धा कपूर के पति कौन हैं?

उत्तर : श्रद्धा कपूर वर्तमान में अविवाहित हैं। उनका कभी विवाह नहीं हुआ है।

प्रश्न : श्रद्धा कपूर की ऊंचाई कितनी है?

उत्तर : श्रद्धा कपूर की ऊंचाई 162 सेमी (5 फीट 3 इंच) है।

प्रश्न : श्रद्धा कपूर की मां कौन हैं?

उत्तर : श्रद्धा कपूर की मां शिवांगी कपूर हैं। वह एक गायिका और अभिनेत्री हैं।

प्रश्न : श्रद्धा कपूर के पिता कौन हैं?

उत्तर : श्रद्धा कपूर के पिता शक्ति कपूर हैं। वह एक अभिनेता हैं।

प्रश्न : श्रद्धा कपूर की कार कौन सी है?

उत्तर : श्रद्धा कपूर के पास  ऑडी क्यू7, लैंबॉर्गिनी ह्यूराकन टेक्निका, मर्सिडीज-बेंज जीएलई और बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज जैसी कारें हैं।

प्रश्न : श्रद्धा कपूर की आगामी फिल्में कौन सी हैं?

उत्तर: श्रद्धा कपूर की आगामी फिल्मों में शामिल हैं: स्त्री 2 (2024)

राजेश खन्ना जीवन परिचय | Fact | Quotes | Book | Net Worth | Rajesh Khanna Biography in Hindi

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राजेश खन्ना एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता और फिल्म निर्माता थे जिन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान अभिनेताओं में से एक माना जाता है। उनका जन्म 29 दिसंबर, 1942 को अमृतसर, पंजाब, भारत में हुआ था और 18 जुलाई, 2012 को उनका निधन हो गया।

  • राजेश खन्ना ने 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में काफी लोकप्रियता हासिल की, इस अवधि को अक्सर हिंदी सिनेमा का “स्वर्ण युग” कहा जाता है। वह अपनी करिश्माई ऑन-स्क्रीन उपस्थिति, गहन अभिनय कौशल और रोमांटिक अपील के लिए जाने जाते थे। खन्ना ने अपने करियर के दौरान कई सफल फिल्मों में काम किया और 1969 से 1971 तक लगातार 15 एकल हिट फिल्मों के साथ, उनके पास लगातार एकल हिट फिल्मों की अधिकतम संख्या का रिकॉर्ड है।
  • राजेश खन्ना की कुछ सबसे उल्लेखनीय फिल्मों में “आराधना” (1969), “आनंद” (1971), “कटी पतंग” (1971), “अमर प्रेम” (1972), और “बावर्ची” (1972) शामिल हैं। उन्होंने अक्सर शक्ति सामंत और हृषिकेश मुखर्जी जैसे निर्देशकों के साथ काम किया और अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बेहद लोकप्रिय थी।
  • राजेश खन्ना की अनूठी शैली, ट्रेडमार्क संवाद और विभिन्न प्रकार के किरदारों को चित्रित करने की उनकी क्षमता ने उन्हें पूरे भारत के दर्शकों का चहेता बना दिया और उन्हें दिलों की धड़कन बना दिया। उन्हें भारतीय सिनेमा का “प्रथम सुपरस्टार” कहा जाता था। उनकी सफलता और लोकप्रियता ने अभिनेताओं की अगली पीढ़ियों के उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया।
  • हालाँकि 1980 के दशक में उनके करियर में गिरावट आई, फिर भी राजेश खन्ना ने फिल्मों और टेलीविजन में काम करना जारी रखा। उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और 1992 से 1996 तक कुछ समय के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया।
  • भारतीय सिनेमा में राजेश खन्ना के योगदान और एक अभिनेता के रूप में उनकी प्रतिष्ठित स्थिति ने उद्योग पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है। उनकी फिल्में और प्रदर्शन आज भी प्रशंसकों और आलोचकों द्वारा समान रूप से याद किए जाते हैं और मनाए जाते हैं, जिससे वह बॉलीवुड इतिहास में एक महान व्यक्ति बन गए हैं।

राजेश खन्ना, जिनका जन्म नाम जतिन खन्ना था, का जन्म 29 दिसंबर, 1942 को अमृतसर, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब भारत) में हुआ था। वह चुन्नीलाल खन्ना और लीलावती खन्ना के दत्तक पुत्र थे। उनके जैविक माता-पिता लाला हीरानंद और चंद्रानी खन्ना थे।

  • खन्ना ने अपने प्रारंभिक वर्ष गिरगांव, मुंबई में बिताए, जहां उन्होंने सेंट सेबेस्टियन गोवा हाई स्कूल में पढ़ाई की और बाद में के.सी. कॉलेज में स्थानांतरित हो गए। उनका शैक्षणिक रुझान था और छोटी उम्र से ही उन्हें थिएटर और फिल्मों में रुचि थी। खन्ना ने स्कूली नाटकों में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार जीते।
  • अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद खन्ना ने अभिनय में अपना करियर बनाने का फैसला किया। अभिनय में औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए वह पुणे में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) में शामिल हो गए। उन्होंने अपनी पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और एफटीआईआई से स्वर्ण पदक के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
  • मुंबई लौटने पर, खन्ना ने फिल्म उद्योग में अपनी यात्रा शुरू की। प्रारंभ में, उन्हें संघर्षों का सामना करना पड़ा और “आखिरी खत” (1966) जैसी फिल्मों में छोटी भूमिकाएँ मिलीं। हालाँकि, उन्हें सफलता शक्ति सामंत द्वारा निर्देशित फिल्म “आराधना” (1969) से मिली, जिसने उन्हें स्टारडम तक पहुँचाया और उन्हें एक घरेलू नाम बना दिया।
  • अपनी सफलता के बावजूद, राजेश खन्ना के निजी जीवन में कुछ चुनौतियाँ आईं। उनकी शादी 1973 में बॉलीवुड की एक अन्य लोकप्रिय अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया से हुई थी। उनकी दो बेटियां थीं, ट्विंकल खन्ना और रिंकी खन्ना, लेकिन उनकी शादी उतार-चढ़ाव से गुजरती रही और अंततः 1984 में वे अलग हो गए।
  • राजेश खन्ना के प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि ने अभिनय के प्रति उनके जुनून को आकार दिया, और उनके समर्पण और प्रतिभा ने उन्हें खुद को भारतीय सिनेमा में सबसे प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक के रूप में स्थापित करने की अनुमति दी। अमृतसर में एक युवा लड़के से बॉलीवुड में सुपरस्टार बनने तक की उनकी यात्रा महत्वाकांक्षी अभिनेताओं के लिए प्रेरणा बनी हुई है।

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अभिनय कैरियर – 1960 के दशक.

1960 के दशक में, राजेश खन्ना ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत की और फिल्म उद्योग में अपनी शुरुआत की। उस दशक के दौरान उनके अभिनय करियर की कुछ उल्लेखनीय झलकियाँ इस प्रकार हैं:

  • डेब्यू और शुरुआती फिल्में: राजेश खन्ना ने 1966 में चेतन आनंद द्वारा निर्देशित “आखिरी खत” से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। हालाँकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन उनके अभिनय को आलोचकों की प्रशंसा मिली। इस अवधि के दौरान वह “राज” (1967) और “औरत” (1967) जैसी फिल्मों में दिखाई दिए।
  • “ आराधना” (1969) से सफलता: यह शक्ति सामंत द्वारा निर्देशित फिल्म “आराधना” थी जो राजेश खन्ना की सफलता साबित हुई। शर्मिला टैगोर की सह-अभिनीत फिल्म को भारी सफलता मिली और खन्ना को बॉलीवुड में एक उभरते सितारे के रूप में स्थापित किया गया। फिल्म में अरुण वर्मा और उनके बेटे सूरज के किरदारों ने उन्हें व्यापक पहचान और लोकप्रियता दिलाई।
  • सफलता का सिलसिला: “आराधना” की सफलता के बाद, राजेश खन्ना ने हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी। वह 1969 से 1971 तक लगातार 15 एकल हिट फ़िल्में हासिल करने वाले भारतीय सिनेमा के पहले अभिनेता बने। इस चरण के दौरान कुछ उल्लेखनीय फ़िल्मों में “दो रास्ते” (1969), “सफ़र” (1970), “कटी पतंग” (1971), और “सच्चा झूठा” (1970) शामिल हैं।
  • निर्देशकों के साथ सहयोग: राजेश खन्ना ने 1960 के दशक के दौरान हृषिकेश मुखर्जी और शक्ति सामंत जैसे प्रसिद्ध निर्देशकों के साथ सहयोग किया। इन सहयोगों के परिणामस्वरूप समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फ़िल्में आईं, जैसे “बावर्ची” (1972), जिसका निर्देशन हृषिकेश मुखर्जी ने किया, और “आनंद” (1971), जिसका निर्देशन हृषिकेश मुखर्जी ने किया और गुलज़ार ने लिखा। “आनंद” में एक गंभीर रूप से बीमार कैंसर रोगी के रूप में खन्ना के प्रदर्शन ने उन्हें अत्यधिक प्रशंसा और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिलाया।
  • रोमांटिक छवि: 1960 के दशक के दौरान राजेश खन्ना की ऑन-स्क्रीन आकर्षण और रोमांटिक छवि उनका ट्रेडमार्क बन गई। शर्मिला टैगोर, मुमताज और आशा पारेख जैसी प्रमुख अभिनेत्रियों के साथ उनकी केमिस्ट्री ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और उनकी लोकप्रियता में योगदान दिया।

1960 के दशक में राजेश खन्ना की सफलता ने उनके शानदार करियर की ठोस नींव रखी। उनकी प्रतिभा, करिश्मा और दर्शकों से जुड़ने की क्षमता ने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक प्रमुख शक्ति बना दिया और उन्हें उद्योग में सुपरस्टार के रूप में स्थापित किया।

1970 के दशक

1970 का दशक राजेश खन्ना के अभिनय करियर का एक महत्वपूर्ण दौर था। वह अपनी सफलता और लोकप्रियता से हिंदी फिल्म उद्योग पर हावी रहे। 1970 के दशक में उनके अभिनय करियर की कुछ उल्लेखनीय झलकियाँ इस प्रकार हैं:

  • निरंतर सफलता: 1960 के दशक के अंत से राजेश खन्ना की सफलता का सिलसिला 1970 के दशक तक जारी रहा। उन्होंने कई व्यावसायिक रूप से सफल फिल्में दीं और इस दशक के दौरान बॉलीवुड के सुपरस्टार बन गए।
  • प्रतिष्ठित फ़िल्में: राजेश खन्ना ने कई प्रतिष्ठित फ़िल्मों में अभिनय किया जो कालजयी क्लासिक बन गईं। 1970 के दशक की कुछ उल्लेखनीय फ़िल्मों में शामिल हैं:
  • “ आनंद” (1971): हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित और गुलज़ार द्वारा लिखित, इस फिल्म में खन्ना को एक गंभीर रूप से बीमार कैंसर रोगी के रूप में चित्रित किया गया था। आशावादी और प्रसन्न आनंद के उनके चित्रण को आलोचकों की प्रशंसा मिली और यह उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक माना जाता है।
  • “ अमर प्रेम” (1972): शक्ति सामंत द्वारा निर्देशित, इस फिल्म में राजेश खन्ना ने एक अकेले व्यापारी की भूमिका निभाई थी, जो शर्मिला टैगोर द्वारा निभाई गई वेश्या के साथ एक भावनात्मक बंधन बनाता है। फिल्म के भावपूर्ण संगीत और खन्ना के अभिनय को काफी प्रशंसा मिली।
  • “ बावर्ची” (1972): हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित, इस कॉमेडी-ड्रामा में खन्ना को एक रहस्यमय रसोइये के रूप में दिखाया गया है जो एक बेकार परिवार के जीवन को बदल देता है। प्यारे और रहस्यमय बावर्ची (रसोइया) के उनके चित्रण को बहुत सराहा गया।
  • रोमांटिक हीरो की छवि: 1970 के दशक में भी राजेश खन्ना की रोमांटिक हीरो की छवि दर्शकों को आकर्षित करती रही। मुमताज, जीनत अमान और हेमा मालिनी जैसी प्रमुख अभिनेत्रियों के साथ उनकी जोड़ी ने जादुई ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री बनाई और “सफर” (1970), “कटी पतंग” (1971), और “प्रेम नगर” (1974) जैसी फिल्मों की सफलता में योगदान दिया।
  • पुरस्कार और मान्यताएँ: 1970 के दशक के दौरान राजेश खन्ना को कई पुरस्कार और प्रशंसाएँ मिलीं। उन्होंने इस दशक में “सच्चा झूठा” (1970), “आनंद” (1971), और “अविष्कार” (1974) के लिए तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।
  • बॉक्स ऑफिस पर दबदबा: राजेश खन्ना की फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर लगातार अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे वह उस युग के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले अभिनेता बन गये। उनकी लोकप्रियता अभूतपूर्व थी, और उनके बहुत बड़े प्रशंसक थे, जिन्हें अक्सर “राजेश खन्ना फेनोमेनन” कहा जाता था।

1970 के दशक में राजेश खन्ना के करियर का एक शानदार दौर आया, जब उन्होंने यादगार प्रदर्शन जारी रखा और सुपरस्टार का दर्जा बरकरार रखा। उनकी फिल्मों और उनकी रोमांटिक छवि ने उन्हें दर्शकों का चहेता बना दिया, जिससे वे भारतीय सिनेमा के एक स्थायी प्रतीक बन गये।

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राजेश खन्ना की आदर्श/प्रेरणाएँ.

कई अभिनेताओं की तरह, राजेश खन्ना के भी कुछ आदर्श और प्रेरणाएँ थीं, जिन्होंने उनके करियर और अभिनय शैली को प्रभावित किया। यहां कुछ उल्लेखनीय हस्तियां हैं जिन्होंने राजेश खन्ना को प्रेरित किया:

  • दिलीप कुमार: राजेश खन्ना महान अभिनेता दिलीप कुमार के बहुत प्रशंसक थे और उनसे प्रभावित थे। दिलीप कुमार की अभिनय शैली, गहन प्रदर्शन और जटिल पात्रों को चित्रित करने की क्षमता ने खन्ना पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा। वह अक्सर इस बारे में बात करते थे कि कैसे दिलीप कुमार की अभिनय क्षमता ने उन्हें अभिनेता बनने के लिए प्रेरित किया।
  • राज कपूर: एक प्रसिद्ध अभिनेता, फिल्म निर्माता और आरके फिल्म्स के संस्थापक राज कपूर, राजेश खन्ना के लिए एक और प्रेरणा थे। कपूर की बहुमुखी प्रतिभा, निर्देशन कौशल और जनता से जुड़ने की उनकी क्षमता खन्ना को प्रभावित करती थी। वह राज कपूर को अपने करियर का मार्गदर्शक मानते थे।
  • गुरु दत्त: बहुआयामी अभिनेता, निर्देशक और निर्माता गुरु दत्त अपने अभिनव फिल्म निर्माण और यथार्थवादी प्रदर्शन के लिए जाने जाते थे। राजेश खन्ना गुरु दत्त के काम और अपने किरदारों में गहराई और जटिलता लाने की उनकी क्षमता की प्रशंसा करते थे। गुरुदत्त की “प्यासा” और “कागज़ के फूल” जैसी फिल्मों ने खन्ना को एक अभिनेता के रूप में प्रेरित किया।
  • चार्ली चैपलिन: राजेश खन्ना अंतरराष्ट्रीय हस्तियों से भी प्रभावित थे और ऐसी ही एक शख्सियत थे चार्ली चैपलिन। खन्ना ने मूक कॉमेडी और शारीरिक अभिनय में चैपलिन की प्रतिभा की सराहना की। उन्होंने अक्सर अपने प्रदर्शन में, विशेषकर अपनी हास्य भूमिकाओं में चैपलिन-एस्क तत्वों को शामिल किया।
  • राजेंद्र कुमार: हिंदी सिनेमा के “जुबली कुमार” के नाम से मशहूर राजेंद्र कुमार एक और अभिनेता थे, जिनका राजेश खन्ना आदर करते थे। एक रोमांटिक हीरो के रूप में राजेंद्र कुमार की सफलता और दर्शकों के साथ तालमेल बिठाने की उनकी क्षमता ने एक रोमांटिक सुपरस्टार के रूप में खन्ना की अपनी यात्रा को प्रेरित किया।

इन मूर्तियों और प्रेरणाओं ने राजेश खन्ना की अभिनय शैली, पसंद और स्क्रीन पर पात्रों को चित्रित करने के उनके दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय सिनेमा में उनके शानदार करियर के दौरान मार्गदर्शक रोशनी और प्रेरणा के स्रोत के रूप में काम किया।

1980 के दशक

1980 के दशक में राजेश खन्ना के अभिनय करियर में परिवर्तन का दौर आया। हालांकि उन्होंने फिल्मों में काम करना जारी रखा, लेकिन इस दशक में उनकी लोकप्रियता में गिरावट देखी गई क्योंकि बॉलीवुड परिदृश्य पर नए सितारे उभरे। फिर भी, 1980 के दशक में राजेश खन्ना के अभिनय करियर की कुछ उल्लेखनीय झलकियाँ यहां दी गई हैं:

  • विविध फिल्मोग्राफी: राजेश खन्ना 1980 के दशक के दौरान विभिन्न शैलियों की कई फिल्मों में दिखाई दिए। उन्होंने भूमिकाओं के साथ प्रयोग किया और रोमांस, ड्रामा, एक्शन और कॉमेडी से भरपूर फिल्मों में काम किया। इस युग की कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में “दर्द” (1981), “अवतार” (1983), “सौटेन” (1983), और “आख़िर क्यों?” (1985)।
  • निर्देशकों के साथ सहयोग: राजेश खन्ना ने उस समय के कई प्रमुख निर्देशकों के साथ सहयोग किया। उन्होंने रवि टंडन, बी.आर. जैसे फिल्म निर्माताओं के साथ काम किया। 1980 के दशक में चोपड़ा, जे. ओम प्रकाश और शक्ति सामंत सहित अन्य। इन सहयोगों के परिणामस्वरूप ऐसी फिल्में बनीं जिन्होंने एक अभिनेता के रूप में खन्ना की बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया।
  • टेलीविजन उद्यम: फिल्मों के अलावा, राजेश खन्ना ने 1980 के दशक के दौरान टेलीविजन में भी कदम रखा। वह टीवी धारावाहिक “इत्तेफाक” में दिखाई दिए और “सच का सामना” नामक एक लोकप्रिय गायन रियलिटी शो की मेजबानी की। इन टेलीविज़न उपक्रमों ने उनकी पहुंच को व्यापक दर्शकों तक बढ़ाया।
  • राजनीतिक करियर: अपने अभिनय करियर के साथ-साथ, राजेश खन्ना ने 1980 के दशक में राजनीति में भी प्रवेश किया। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और चुनाव लड़ा। खन्ना ने 1992 से 1996 तक नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य के रूप में कार्य किया। राजनीति में उनके प्रवेश ने उनकी सार्वजनिक छवि में एक नया आयाम जोड़ा।
  • फ़िल्मों में वापसी: दशक के उत्तरार्ध में, राजेश खन्ना ने फ़िल्मों में वापसी की। वह “आवाज़” (1984), “अनोखा रिश्ता” (1986), और “वफ़ा” (1988) जैसी फिल्मों में दिखाई दिए। हालाँकि उनकी लोकप्रियता उनके शुरुआती वर्षों की तुलना में कम हो गई थी, फिर भी उनके वफादार प्रशंसक आधार ने उनके प्रदर्शन की सराहना की।

जबकि 1980 के दशक में राजेश खन्ना के सुपरस्टारडम में गिरावट देखी गई, उन्होंने फिल्म उद्योग में योगदान देना और नए रास्ते तलाशना जारी रखा। इस अवधि के दौरान उनके काम ने एक अभिनेता के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा और बदलते समय के साथ तालमेल बिठाने की उनकी इच्छा को प्रदर्शित किया। चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, एक करिश्माई अभिनेता और भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार के रूप में राजेश खन्ना की विरासत बरकरार रही।

1990 के दशक से 2011 तक, राजेश खन्ना के अभिनय करियर में सफलताओं और चुनौतियों के मिश्रण के साथ एक मिश्रित चरण का अनुभव हुआ। इस अवधि की कुछ उल्लेखनीय झलकियाँ इस प्रकार हैं:

  • फ़िल्म परियोजनाएँ: इस अवधि के दौरान राजेश खन्ना ने फ़िल्मों में काम करना जारी रखा और कई परियोजनाओं में नज़र आये। हालाँकि उनकी कुछ सफल फ़िल्में जैसे “स्वर्ग” (1990) और “घर परिवार” (1991) थीं, लेकिन उन्हें ऐसी फ़िल्मों से भी असफलताओं का सामना करना पड़ा जो बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं।
  • सहायक भूमिकाएँ: 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में, राजेश खन्ना अक्सर फिल्मों में सहायक भूमिकाएँ निभाते थे। वह “दिल आशना है” (1992), “आ अब लौट चलें” (1999), और “क्यूं! हो गया ना…” (2004) जैसी फिल्मों में दिखाई दिए, जहां उन्होंने मुख्य भूमिका के बजाय चरित्र भूमिकाएं निभाईं।
  • टेलीविजन उपस्थिति: इस अवधि के दौरान राजेश खन्ना ने टेलीविजन में कदम रखा, कई टीवी धारावाहिकों और शो में दिखाई दिए। उन्होंने गेम शो “खन्ना खज़ाना” की मेजबानी की और “अपने पराए” और “इत्तेफाक” जैसे धारावाहिकों में अभिनय किया।
  • पहचान और सम्मान: भारतीय सिनेमा में राजेश खन्ना के योगदान को इसी दौरान पहचान मिली। उन्हें 2005 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मिला और 2013 में (मरणोपरांत) भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • आखिरी फिल्म: राजेश खन्ना की आखिरी फिल्म “रियासत” (2014) थी, जो उनके मरणोपरांत रिलीज़ हुई थी। उन्होंने 2012 में अपने निधन से पहले फिल्म का एक हिस्सा फिल्माया था।

इस अवधि के दौरान, राजेश खन्ना को अपने सुपरस्टारडम को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि फिल्म उद्योग में नए अभिनेताओं और बदलते रुझानों को प्रमुखता मिली। हालाँकि, उन्होंने फिल्मों और टेलीविजन में अपनी उपस्थिति के माध्यम से मनोरंजन की दुनिया में योगदान देना जारी रखा। भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार के रूप में उनकी विरासत और उनका प्रभावशाली काम दर्शकों को प्रेरित और प्रभावित करता रहा।

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राजनीतिक और व्यावसायिक कैरियर.

राजेश खन्ना कुछ समय के लिए राजनीति में भी आये और अपने करियर के दौरान उन्होंने व्यवसाय में भी कदम रखा। यहां उनके राजनीतिक और व्यावसायिक प्रयासों का अवलोकन दिया गया है:

राजनीतिक कैरियर:

1980 के दशक में, राजेश खन्ना ने राजनीति की दुनिया में प्रवेश किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। उन्होंने पार्टी के लिए सक्रिय रूप से प्रचार किया और इसके उद्देश्यों का समर्थन किया। 1991 में, उन्होंने नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा (भारतीय संसद का निचला सदन) चुनाव लड़ा और विजयी होकर संसद सदस्य (सांसद) बने। वह 1992 से 1996 तक सांसद रहे।

अपने कार्यकाल के दौरान, खन्ना ने अपने निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित किया और संसदीय बहस में भाग लिया। हालाँकि, उनका राजनीतिक करियर उस एक कार्यकाल से आगे नहीं बढ़ सका और उसके बाद वह सक्रिय रूप से राजनीति में नहीं रहे।

व्यापार के कारोबार:

अपने अभिनय करियर के साथ-साथ, राजेश खन्ना ने व्यावसायिक उद्यम भी तलाशे। उन्होंने फिल्म निर्माण में कदम रखा और अपनी प्रोडक्शन कंपनी, राजेश खन्ना प्रोडक्शंस की स्थापना की। हालाँकि, फिल्म निर्माण में उनके उद्यम को महत्वपूर्ण सफलता नहीं मिली।

खन्ना ने आतिथ्य उद्योग में भी हाथ आजमाया और मुंबई में “आशीर्वाद” नामक एक होटल के मालिक थे। होटल का नाम उनके प्रतिष्ठित निवास के नाम पर रखा गया था, जिसे आशीर्वाद भी कहा जाता था।

हालाँकि राजेश खन्ना के राजनीतिक और व्यावसायिक उद्यम उनके अभिनय करियर के समान प्रमुखता के स्तर तक नहीं पहुँच सके, लेकिन उन्होंने उन्हें विभिन्न क्षेत्रों का पता लगाने और अपनी रुचियों में विविधता लाने के अवसर प्रदान किए।

कुल मिलाकर, राजेश खन्ना का प्राथमिक ध्यान और स्थायी विरासत उनके उल्लेखनीय अभिनय करियर में निहित है, जहां उन्होंने भारतीय सिनेमा पर एक अमिट छाप छोड़ी।

राजेश खन्ना की निजी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव आए। यहां उनके निजी जीवन का एक सिंहावलोकन दिया गया है:

विवाह और बच्चे:

राजेश खन्ना की शादी बॉलीवुड की एक और लोकप्रिय अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया से हुई थी। मार्च 1973 में उनकी शादी हुई और उनकी दो बेटियाँ हुईं जिनका नाम ट्विंकल खन्ना (1974 में जन्म) और रिंकी खन्ना (1977 में जन्म) हैं। हालाँकि, उनकी शादी को चुनौतियों का सामना करना पड़ा और अंततः वे 1984 में अलग हो गए। अलग होने के बावजूद, राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया सौहार्दपूर्ण शर्तों पर बने रहे और अपने बच्चों का सह-पालन करना जारी रखा।

राजेश खन्ना पर्दे पर अपने आकर्षण और रोमांटिक छवि के लिए जाने जाते थे और निजी जिंदगी में भी वह रिश्तों में उलझे रहे। डिंपल कपाड़िया से शादी करने से पहले वह अभिनेत्री अंजू महेंद्रू के साथ जुड़े थे। डिंपल से अलग होने के बाद उनका नाम अभिनेत्री टीना मुनीम (अब टीना अंबानी) के साथ जुड़ा।

स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे और मृत्यु:

अपने जीवन के बाद के वर्षों में राजेश खन्ना को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। अप्रैल 2012 में स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दुर्भाग्य से, उनकी हालत बिगड़ती गई और 18 जुलाई 2012 को मुंबई में उनके आवास पर उनका निधन हो गया। उनकी मौत का कारण लीवर कैंसर बताया गया।

भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार के रूप में राजेश खन्ना की विरासत और बॉलीवुड में उनके योगदान का जश्न मनाया जाता है। उन्हें उनकी करिश्माई ऑन-स्क्रीन उपस्थिति, गहन प्रदर्शन और दर्शकों से जुड़ने की उनकी क्षमता के लिए याद किया जाता है। उनकी फिल्में और प्रतिष्ठित संवाद अदायगी प्रशंसकों के बीच लोकप्रिय रहती है और उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान अभिनेताओं में से एक माना जाता है।

व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, राजेश खन्ना का फिल्म उद्योग पर प्रभाव और उनकी स्थायी अपील ने उन्हें उनके प्रशंसकों और भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अविस्मरणीय व्यक्ति बना दिया।

बीमारी और मौत

अपने जीवन के बाद के वर्षों में, राजेश खन्ना स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते रहे जिसके कारण अंततः उनका निधन हो गया। यहां उनकी बीमारी और मृत्यु का विवरण दिया गया है:

स्वास्थ्य के मुद्दों:

अप्रैल 2012 में, स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण राजेश खन्ना को मुंबई, भारत के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें लिवर कैंसर का पता चला था, जो काफी उन्नत अवस्था में पहुंच गया था। उनका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ता गया और वे कई महीनों तक चिकित्सा देखभाल और उपचार के अधीन रहे।

इस दौरान, प्रशंसक और शुभचिंतक अस्पताल के बाहर एकत्र हुए और बीमार अभिनेता के लिए प्रार्थना और समर्थन की पेशकश की। अपनी बीमारी के बावजूद, खन्ना ने सकारात्मक रवैया बनाए रखा और अपने प्रशंसकों द्वारा दिखाए गए प्यार और स्नेह को स्वीकार करना जारी रखा।

उत्तीर्ण होना:

दुखद बात यह है कि राजेश खन्ना का 18 जुलाई 2012 को 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई में अपने आवास आशीर्वाद में अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु भारतीय फिल्म उद्योग और उनके प्रशंसकों के लिए एक बड़ी क्षति थी।

उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई और उनके अंतिम संस्कार के दौरान हजारों लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए एकत्र हुए। फिल्म बिरादरी, राजनीतिक हस्तियों और जीवन के सभी क्षेत्रों के प्रशंसकों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।

राजेश खन्ना के निधन से एक युग का अंत हो गया और उनके प्रशंसकों के दिलों में एक खालीपन आ गया। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान, उनके उल्लेखनीय अभिनय कौशल और बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार के रूप में उनकी स्थिति को आज भी याद किया जाता है और मनाया जाता है।

प्रभाव और विरासत

भारतीय सिनेमा में राजेश खन्ना का प्रभाव और विरासत उनके निधन के वर्षों बाद भी महत्वपूर्ण बनी हुई है। यहां उनके प्रभाव और स्थायी विरासत के कुछ प्रमुख पहलू हैं:

  • भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार: 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में राजेश खन्ना के स्टारडम में वृद्धि और अपार लोकप्रियता ने उन्हें भारतीय सिनेमा के “प्रथम सुपरस्टार” का खिताब दिलाया। उन्होंने सफलता और फैन फॉलोइंग के लिए नए मानक स्थापित किए, जिससे अभिनेताओं की अगली पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ।
  • करिश्माई ऑन-स्क्रीन उपस्थिति: राजेश खन्ना की करिश्माई और आकर्षक ऑन-स्क्रीन उपस्थिति ने दर्शकों के दिलों पर कब्जा कर लिया। उनकी अनूठी शैली, मंत्रमुग्ध कर देने वाली मुस्कान और रोमांटिक छवि ने उन्हें लाखों प्रशंसकों का चहेता बना दिया, जिससे वे भारतीय सिनेमा में रोमांस और करिश्मा के प्रतीक बन गए।
  • एक अभिनेता के रूप में बहुमुखी प्रतिभा: खन्ना ने विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं के माध्यम से एक अभिनेता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने गहन किरदारों, रोमांटिक किरदारों और जटिल व्यक्तित्वों को चित्रित करने में उत्कृष्टता हासिल की। “आनंद” और “अमर प्रेम” जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने उनकी अभिनय क्षमता और भावनाओं को जगाने की क्षमता का प्रदर्शन किया।
  • स्थायी लोकप्रियता: राजेश खन्ना की लोकप्रियता स्थायी बनी हुई है, क्योंकि उनकी फिल्में और गाने दर्शकों के बीच गूंजते रहते हैं। उनके यादगार संवादों, प्रतिष्ठित गीतों और अविस्मरणीय प्रदर्शन ने पीढ़ियों से प्रशंसकों के दिलों में अपनी जगह पक्की कर ली है।
  • सांस्कृतिक प्रभाव: राजेश खन्ना का प्रभाव सिनेमा से परे है। उनकी शैली, व्यवहार और संवाद लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन गए, जिससे फैशन के रुझान और स्थानीय भाषा प्रभावित हुई। उन्होंने भारतीय समाज की सामूहिक चेतना पर एक अमिट छाप छोड़ी।
  • रिकॉर्ड-तोड़ सफलता: राजेश खन्ना ने 1969 से 1971 तक लगातार 15 एकल हिट फिल्मों के साथ लगातार एकल हिट फिल्मों की अधिकतम संख्या का रिकॉर्ड बनाया है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि बॉक्स ऑफिस पर उनके प्रभुत्व और उनके प्रमुख वर्षों के दौरान उनकी अद्वितीय सफलता को रेखांकित करती है।
  • अभिनेताओं के लिए प्रेरणा: राजेश खन्ना की प्रतिभा और सफलता ने भारतीय फिल्म उद्योग में कई अभिनेताओं को प्रेरित किया है। शाहरुख खान और आमिर खान जैसे कई अभिनेताओं ने अपने करियर पर खन्ना के प्रभाव को स्वीकार किया है और उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

राजेश खन्ना का प्रभाव और विरासत भारतीय सिनेमा में चमकती रही। उद्योग में उनके योगदान, एक सुपरस्टार के रूप में उनकी प्रतिष्ठित स्थिति और दर्शकों से जुड़ने की उनकी क्षमता ने बॉलीवुड इतिहास में एक महान व्यक्ति के रूप में उनकी जगह पक्की कर दी है।

पुरस्कार एवं नामांकन

राजेश खन्ना के प्रमुख पुरस्कार और नामांकन:

  • “सच्चा झूठा” (1970) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
  • “आनंद” (1971) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
  • “अविष्कार” (1974) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
  • लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (2005)
  • बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन पुरस्कार:
  • “आनंद” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (1972)
  • “कटी पतंग” (1973) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता

राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार:

         कई फिल्मों में उनके प्रदर्शन के लिए विशेष जूरी पुरस्कार / विशेष उल्लेख (1973)

  • महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार:

अन्य पुरस्कार:

  • “सच्चा झूठा” (1970) और “आनंद” (1972) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का बीएफजेए पुरस्कार
  • “आनंद” (1972) और “कटी पतंग” (1973) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का स्क्रीन पुरस्कार
  • “अमर प्रेम” (1973) और “अविष्कार” (1974) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का स्टारडस्ट पुरस्कार
  • लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए ज़ी सिने अवार्ड्स (2002)

राजेश खन्ना को अपने पूरे करियर में विभिन्न पुरस्कारों के लिए कई नामांकन प्राप्त हुए, लेकिन नामांकन की सूची व्यापक है और विभिन्न पुरस्कार समारोहों और फिल्म समारोहों में भिन्न-भिन्न है। नामांकन ने विभिन्न फिल्मों में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को मान्यता दी, जिससे भारतीय सिनेमा में सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हो गई।

ये पुरस्कार और नामांकन फिल्म उद्योग में राजेश खन्ना के अपार योगदान का जश्न मनाते हैं और बॉलीवुड के सुपरस्टार के रूप में उनके शासनकाल के दौरान दर्शकों और आलोचकों से समान रूप से मिले प्यार और प्रशंसा को दर्शाते हैं।

यहां राजेश खन्ना के बारे में कुछ उल्लेखनीय पुस्तकें हैं:

  • यासिर उस्मान द्वारा लिखित “राजेश खन्ना: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ इंडियाज़ फर्स्ट सुपरस्टार”: यह जीवनी राजेश खन्ना के जीवन और करियर पर प्रकाश डालती है, भारतीय सिनेमा में पहले सुपरस्टार के उदय और उद्योग पर उनके प्रभाव की खोज करती है।
  • गौतम चिंतामणि द्वारा लिखित “द डार्क स्टार: द लोनलीनेस ऑफ बीइंग राजेश खन्ना”: यह पुस्तक राजेश खन्ना की पहेली का पता लगाती है, उनके व्यक्तिगत जीवन, करियर और उस अकेलेपन के बारे में बताती है जो उन्होंने कथित तौर पर अपनी अपार प्रसिद्धि के बावजूद अनुभव किया था।
  • भारती एस प्रधान द्वारा “एनीथिंग बट खामोश: द शत्रुघ्न सिन्हा बायोग्राफी”: हालांकि यह पूरी तरह से राजेश खन्ना पर केंद्रित नहीं है, खन्ना के करीबी दोस्त शत्रुघ्न सिन्हा की यह जीवनी फिल्म उद्योग में उनकी दोस्ती और अनुभवों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
  • उदय जरीवाला द्वारा लिखित “राजेश खन्ना: द स्टैमरिंग सुपरस्टार”: यह पुस्तक राजेश खन्ना के जीवन के कम-ज्ञात पहलुओं पर प्रकाश डालती है, जिसमें हकलाने के साथ उनका संघर्ष और सुपरस्टार बनने के लिए उन्होंने बोलने की बाधा पर कैसे काबू पाया।
  • देवयानी चौबल द्वारा “राजेश खन्ना: द फेनोमेनन एंड द लेजेंड”: यह पुस्तक राजेश खन्ना के जीवन पर गहराई से नज़र डालती है, जिसमें उनके व्यक्तिगत रिश्ते, स्टारडम में वृद्धि और उनकी प्रतिष्ठित फिल्में शामिल हैं।

यहां राजेश खन्ना के कुछ यादगार उद्धरण हैं:

  • “ अपने आप को आगे बढ़ाएँ क्योंकि कोई और आपके लिए यह नहीं करने वाला है।”
  • “ मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन मुझे पता है कि मैं सकारात्मक रहूंगा और हताश होकर नहीं उठूंगा।”
  • “ सफलता कोई मंजिल नहीं है, यह एक यात्रा है।”
  • “ जीवन को भरपूर जियो क्योंकि इसे तुम केवल एक बार ही जी सकते हो।”
  • “ सबसे बड़ी जीत खुद पर विजय पाना है।”
  • “ अपनी असफलताओं को आपको परिभाषित न करने दें। उन्हें आपको सिखाने दें।”
  • “ अंत में, आपके जीवन के वर्ष मायने नहीं रखते, बल्कि आपके वर्षों का जीवन मायने रखता है।”
  • “ वह नौकरी चुनें जो आपको पसंद हो, और आपको अपने जीवन में एक दिन भी काम नहीं करना पड़ेगा।”
  • “ खुद पर और आप जो कुछ भी हैं उस पर विश्वास रखें। जानें कि आपके अंदर कुछ ऐसा है जो किसी भी बाधा से बड़ा है।”
  • “ जीवन छोटा है, और इसे मधुर बनाना आप पर निर्भर है।”

ये उद्धरण राजेश खन्ना के जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, दृढ़ संकल्प और स्वयं पर विश्वास को दर्शाते हैं। वे व्यक्तियों को चुनौतियों को स्वीकार करने, पूरी तरह से जीने और जुनून के साथ अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं।

प्रश्न: राजेश खन्ना का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: राजेश खन्ना का पूरा नाम जतिन खन्ना था।

प्रश्न: राजेश खन्ना का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को हुआ था।

प्रश्न: राजेश खन्ना का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर: राजेश खन्ना का जन्म अमृतसर, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब भारत) में हुआ था।

प्रश्न: राजेश खन्ना का निधन कब हुआ?

उत्तर: 18 जुलाई 2012 को राजेश खन्ना का निधन हो गया।

प्रश्न: राजेश खन्ना का उपनाम क्या था?

उत्तर: राजेश खन्ना को अक्सर “काका” कहा जाता था, यह उपनाम उनके प्रशंसकों द्वारा उन्हें दिया गया था।

प्रश्न: राजेश खन्ना ने कितनी फिल्मों में अभिनय किया?

उत्तर: राजेश खन्ना ने अपने पूरे करियर में 160 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया।

प्रश्न: क्या राजेश खन्ना को कोई पुरस्कार मिला?

उत्तर: हां, राजेश खन्ना को कई पुरस्कार मिले, जिनमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए कई फिल्मफेयर पुरस्कार, बीएफजेए पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार शामिल हैं।

प्रश्न: क्या राजेश खन्ना राजनीति में शामिल थे?

उत्तर: हां, राजेश खन्ना का राजनीतिक करियर बहुत छोटा था। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और 1992 से 1996 तक संसद सदस्य के रूप में कार्य किया।

प्रश्न: क्या राजेश खन्ना की कोई संतान थी?

उत्तर: हाँ, राजेश खन्ना की दो बेटियाँ थीं जिनका नाम ट्विंकल खन्ना और रिंकी खन्ना है, दोनों भी मनोरंजन उद्योग से जुड़ी हैं।

प्रश्न: राजेश खन्ना की विरासत क्या है?

उत्तर: राजेश खन्ना को भारतीय सिनेमा के “प्रथम सुपरस्टार” और बॉलीवुड इतिहास के महानतम अभिनेताओं में से एक के रूप में याद किया जाता है। उनकी करिश्माई ऑन-स्क्रीन उपस्थिति, बहुमुखी प्रदर्शन और प्रतिष्ठित फिल्में आज भी दर्शकों को प्रेरित और मनोरंजन करती हैं।

ड्वेन जॉनसन जीवन परिचय | Fact | Quotes | Book | Net Worth | Dwayne Johnson Biography in Hindi

Dwayne Johnson Biography in Hindi

ड्वेन डगलस जॉनसन, जिन्हें उनके रिंग नाम “द रॉक” से भी जाना जाता है, एक बेहद लोकप्रिय अमेरिकी अभिनेता, निर्माता, सेवानिवृत्त पेशेवर पहलवान और पूर्व अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ी हैं। उनका जन्म 2 मई 1972 को हेवर्ड, कैलिफोर्निया, अमेरिका में हुआ था। जॉनसन कुश्ती पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं; उनके पिता, रॉकी जॉनसन और दादा, पीटर मैविया, दोनों पेशेवर पहलवान थे।

  • ड्वेन जॉनसन ने 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में विश्व कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, अब डब्ल्यूडब्ल्यूई) में एक पेशेवर पहलवान के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की। उनके करिश्माई व्यक्तित्व, शारीरिक कौशल और यादगार तकिया कलाम ने कुश्ती जगत में उनकी सफलता में योगदान दिया। वह अपने समय के सबसे अधिक पहचाने जाने वाले और प्रिय पहलवानों में से एक बन गए।
  • कुश्ती में काफी सफलता हासिल करने के बाद जॉनसन ने अभिनय की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत “द स्कॉर्पियन किंग” (2002) से की, जो “द ममी” फिल्म श्रृंखला का स्पिन-ऑफ था। इन वर्षों में, उन्होंने कई प्रकार की फिल्मों में अभिनय किया है, जिनमें “फास्ट एंड फ्यूरियस” फ्रेंचाइजी जैसी एक्शन फिल्में, “जुमांजी: वेलकम टू द जंगल” जैसी फिल्मों में हास्य भूमिकाएं और “पेन एंड गेन” जैसी नाटकीय भूमिकाएं शामिल हैं। “हरक्यूलिस।”
  • ड्वेन जॉनसन अपनी करिश्माई ऑन-स्क्रीन उपस्थिति, मांसल काया और आकर्षक अभिनय के लिए जाने जाते हैं। वह हॉलीवुड में सबसे अधिक भुगतान पाने वाले और सबसे अधिक बैंक योग्य अभिनेताओं में से एक बन गए हैं। अपने अभिनय करियर के अलावा, वह एक सफल निर्माता भी हैं और विभिन्न फिल्म और टेलीविजन परियोजनाओं में शामिल रहे हैं।
  • अपने मनोरंजन करियर से परे, जॉनसन अपने परोपकारी प्रयासों और सोशल मीडिया पर अपने सकारात्मक प्रभाव के लिए जाने जाते हैं, जहां वह अक्सर प्रेरक संदेश साझा करते हैं और अपने प्रशंसकों के साथ बातचीत करते हैं। वह विभिन्न चैरिटी पहलों में भी शामिल रहे हैं और उन्होंने महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने मंच का उपयोग किया है।
  • कुल मिलाकर, ड्वेन जॉनसन की पेशेवर कुश्ती से हॉलीवुड सुपरस्टार बनने तक की यात्रा एक उल्लेखनीय सफलता की कहानी है, और वह मनोरंजन उद्योग और लोकप्रिय संस्कृति दोनों में एक प्रमुख व्यक्ति बने हुए हैं।

ड्वेन डगलस जॉनसन का जन्म 2 मई 1972 को हेवर्ड, कैलिफोर्निया में अता माविया और रॉकी जॉनसन के घर हुआ था। उनके नाना, पीटर मैविया, सामोन विरासत के एक पेशेवर पहलवान थे, और उनके पिता, रॉकी जॉनसन भी एक पेशेवर पहलवान थे। कुश्ती की दुनिया से गहराई से जुड़े परिवार में पले-बढ़े ड्वेन जॉनसन को मनोरंजन उद्योग और पेशेवर कुश्ती की कठिनाइयों से शुरुआती परिचय मिला।

  • जब जॉनसन बच्चे थे, तो उनके पिता के कुश्ती करियर के कारण उनका परिवार अक्सर इधर-उधर घूमता रहता था। इसका मतलब यह था कि पेंसिल्वेनिया में बसने से पहले वह न्यूजीलैंड और हवाई सहित विभिन्न स्थानों पर रहते थे। जॉनसन को अपने बचपन के दौरान कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें वित्तीय संघर्ष और अनिश्चितता के क्षण भी शामिल थे क्योंकि उनका परिवार एक स्थान से दूसरे स्थान पर चला गया था।
  • जॉनसन ने फुटबॉल छात्रवृत्ति पर मियामी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और मियामी हरिकेंस के लिए खेला, जहां उन्होंने एक रक्षात्मक लाइनमैन के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उन्होंने अपराध विज्ञान में डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और पेशेवर फुटबॉल की दुनिया में प्रवेश किया।
  • पेशेवर फुटबॉल में असफल रहने के बाद, जॉनसन ने अपने परिवार के कुश्ती के नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया। एक पेशेवर पहलवान बनने के लिए उन्होंने कड़ा प्रशिक्षण लिया और 1990 के दशक के मध्य में कुश्ती की दुनिया में पदार्पण किया। प्रारंभ में, उन्होंने अपने पिता और दादा के नाम को मिलाकर “रॉकी माविया” नाम से कुश्ती लड़ी।
  • उनका कुश्ती करियर आगे बढ़ा और अंततः उन्होंने रिंग नाम “द रॉक” अपना लिया। उनके करिश्माई व्यक्तित्व, अद्वितीय माइक कौशल और कुश्ती कौशल ने उन्हें जल्द ही प्रशंसकों का पसंदीदा बना दिया। वह 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में विश्व कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, अब डब्ल्यूडब्ल्यूई) में सबसे बड़े सितारों में से एक बन गए, जिससे पेशेवर कुश्ती के “एटीट्यूड युग” की शुरुआत करने में मदद मिली।
  • ड्वेन जॉनसन के शुरुआती जीवन के अनुभवों, जिसमें कुश्ती की दुनिया से उनका परिचय और उनके परिवार की विरासत शामिल है, ने उनकी पहचान को आकार देने और कुश्ती और मनोरंजन उद्योग दोनों में उनकी बाद की सफलताओं को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

फुटबॉल करियर – कॉलेज कैरियर

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का फुटबॉल करियर मियामी विश्वविद्यालय में उनके कॉलेज के वर्षों के दौरान शुरू हुआ। उन्होंने 1990 से 1994 तक मियामी हरिकेंस फुटबॉल टीम के लिए एक रक्षात्मक लाइनमैन के रूप में खेला। मियामी में अपने समय के दौरान, उन्होंने एक कॉलेज फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में उल्लेखनीय सफलता हासिल की। यहां उनके कॉलेज फ़ुटबॉल करियर के बारे में कुछ मुख्य बातें दी गई हैं:

  • स्थिति: जॉनसन ने मुख्य रूप से रक्षात्मक टैकल के रूप में खेला, विरोधी टीमों के अपराधों को रोकने के लिए रक्षात्मक पंक्ति के प्रयासों में योगदान दिया।
  • चैंपियनशिप में सफलता: 1991 में, उनके नए साल में, मियामी हरिकेंस ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती। जॉनसन एक प्रतिभाशाली टीम का हिस्सा थे जिसने बेहतरीन सीज़न हासिल किया और राष्ट्रीय खिताब पर कब्जा किया।
  • चोटें: शुरुआती सफलता के बावजूद, जॉनसन के फुटबॉल करियर को चोटों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्हें पीठ में चोट लगी जिसके लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ी और उन्हें अस्थायी रूप से बाहर कर दिया गया। इस चोट ने अंततः पेशेवर फ़ुटबॉल करियर से दूर जाने के उनके निर्णय में भूमिका निभाई।
  • शैक्षणिक उद्देश्य: फुटबॉल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए, जॉनसन ने अपने शिक्षाविदों पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने 1995 में मियामी विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त करते हुए अपराध विज्ञान और शरीर विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करते हुए सामान्य अध्ययन में स्नातक की डिग्री हासिल की।
  • एनएफएल आकांक्षाएं: अपने कॉलेज फुटबॉल करियर को पूरा करने के बाद, जॉनसन ने नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) में अपना करियर बनाने का प्रयास किया। उन्होंने 1995 में कैनेडियन फुटबॉल लीग (सीएफएल) टीम, कैलगरी स्टैम्पेडर्स के साथ अनुबंध किया। हालाँकि, स्टैम्पेडर्स के साथ उनका समय अल्पकालिक था, क्योंकि उन्हें अपने पहले सीज़न के दौरान टीम से काट दिया गया था।
  • अंततः , जॉनसन की फुटबॉल आकांक्षाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें चोटें और एक संक्षिप्त सीएफएल कार्यकाल शामिल था। कैलगरी स्टैम्पेडर्स से अपनी रिहाई के बाद, उन्होंने अपने परिवार की कुश्ती विरासत से प्रेरित होकर, पेशेवर कुश्ती में बदलाव का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। यह निर्णय उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा, जिससे वह कुश्ती और मनोरंजन जगत दोनों में सबसे प्रतिष्ठित शख्सियतों में से एक बन जाएंगे।

कनाडाई फुटबॉल लीग

एक पेशेवर पहलवान और बाद में एक अभिनेता के रूप में ख्याति प्राप्त करने से पहले ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का कनाडाई फुटबॉल लीग (सीएफएल) में अनुभव उनकी यात्रा का एक अपेक्षाकृत छोटा लेकिन महत्वपूर्ण अध्याय था। यहां सीएफएल में उनके समय पर करीब से नजर डाली गई है:

  • 1995 में, मियामी विश्वविद्यालय में अपने कॉलेज फ़ुटबॉल करियर के बाद, ड्वेन जॉनसन ने कैनेडियन फ़ुटबॉल लीग की एक टीम, कैलगरी स्टैम्पेडर्स के साथ अनुबंध किया। टीम में जॉनसन की स्थिति एक रक्षात्मक लाइनमैन के रूप में थी।
  • हालाँकि, सीएफएल में जॉनसन का अनुभव चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने टीम के रोस्टर में एक नियमित स्थान सुरक्षित करने के लिए संघर्ष किया और खुद को प्रतिस्पर्धी माहौल में पाया जहां उनके प्रदर्शन और चोटों ने उनके खेलने के समय को सीमित करने में भूमिका निभाई। अंततः, उन्हें अपने पहले सीज़न के दौरान कैलगरी स्टैम्पेडर्स से हटा दिया गया।
  • सीएफएल में एक पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित नहीं कर पाने की निराशा ने जॉनसन को अपने करियर पथ पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया। अपने परिवार की कुश्ती विरासत से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने उनके नक्शेकदम पर चलने और पेशेवर कुश्ती में अपना करियर बनाने का फैसला किया।
  • कुश्ती में उनका परिवर्तन उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, क्योंकि वह तेजी से विश्व कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, अब डब्ल्यूडब्ल्यूई) के भीतर प्रमुखता से उभरे और कुश्ती जगत में सबसे प्रतिष्ठित और प्रिय शख्सियतों में से एक बन गए। वहां से, उन्होंने एक अभिनेता और निर्माता के रूप में मनोरंजन उद्योग में एक सफल बदलाव किया।
  • जबकि जॉनसन का सीएफएल कैरियर संक्षिप्त था और एक सफल फुटबॉल कैरियर की ओर नहीं ले गया, इसने उनकी यात्रा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्हें नए अवसरों का पता लगाने के लिए प्रेरित किया और अंततः उन्हें अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित किया।

पेशेवर कुश्ती करियर – प्रारंभिक कैरियर (1996)

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का पेशेवर कुश्ती करियर 1996 में शुरू हुआ जब उन्होंने विश्व कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, अब डब्ल्यूडब्ल्यूई) में अपनी शुरुआत की। यहां उनके शुरुआती कुश्ती करियर और उन घटनाओं का अवलोकन दिया गया है जिनके कारण कुश्ती की दुनिया में उनका उदय हुआ:

  • डेब्यू और रॉकी मैविया: जॉनसन ने 1996 में सर्वाइवर सीरीज़ पे-पर-व्यू इवेंट में अपना डब्ल्यूडब्ल्यूएफ डेब्यू किया। उन्हें “रॉकी मैविया” के रूप में पेश किया गया था, जो उनके पिता के रिंग नाम, रॉकी जॉनसन और उनके दादा के रिंग नाम, पीटर का संयोजन था। मैविया. उन्हें एक करिश्माई और उत्साही व्यक्तित्व वाले बेबीफेस (एक अच्छे आदमी) चरित्र के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
  • इंटरकांटिनेंटल चैंपियन: रॉकी माविया का उदय तेजी से हुआ और उन्होंने अपने पदार्पण के कुछ ही महीनों बाद अपनी पहली चैंपियनशिप, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंटरकांटिनेंटल चैंपियनशिप पर कब्जा कर लिया। उनके इन-रिंग कौशल, युवा ऊर्जा और प्राकृतिक करिश्मा ने उन्हें दर्शकों से जुड़ने में मदद की।
  • प्रारंभिक स्वागत: उनकी शुरुआती सफलता के बावजूद, प्रशंसकों ने रॉकी माविया के चरित्र के प्रति प्रतिरोध के संकेत दिखाना शुरू कर दिया। दर्शकों को उनका अत्यधिक सकारात्मक और संपूर्ण व्यक्तित्व से जुड़ना कुछ हद तक कठिन लगा और उन्हें मिश्रित प्रतिक्रियाएँ मिलनी शुरू हो गईं।
  • प्रभुत्व का राष्ट्र: प्रशंसकों की बढ़ती प्रतिक्रिया को संबोधित करने के लिए, जॉनसन के चरित्र में परिवर्तन किया गया। 1997 में उन्होंने खुद को द नेशन ऑफ डोमिनेशन के नाम से जाने जाने वाले खलनायक गुट के साथ जोड़ लिया। इससे उन्हें अपने व्यक्तित्व के अधिक उग्र और विरोधी पक्ष का पता लगाने का मौका मिला।
  • द रॉक का जन्म: जैसे-जैसे जॉनसन का चरित्र विकसित हुआ, उन्होंने “द रॉक” उपनाम अपनाया और एक क्रूर, करिश्माई और अक्सर विनोदी व्यक्तित्व को अपनाना शुरू कर दिया। उन्होंने बोलने की एक अनूठी शैली विकसित की, जिसमें “यदि आपको गंध आ रही है कि द रॉक क्या पका रहा है!” जैसे वाक्यांशों के साथ विराम चिह्न लगाया गया। यह उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, क्योंकि द रॉक का व्यक्तित्व प्रशंसकों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया।
  • झगड़े और चैंपियनशिप: द रॉक स्टोन कोल्ड स्टीव ऑस्टिन, ट्रिपल एच और मिक फोले (मैनकाइंड) जैसे पहलवानों के साथ हाई-प्रोफाइल झगड़े में लगे रहे। उनके मैच और प्रतिद्वंद्विता 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की प्रोग्रामिंग का मुख्य आकर्षण थे। उन्होंने कई डब्ल्यूडब्ल्यूएफ चैंपियनशिप जीतीं, जिससे कंपनी में शीर्ष सितारों में से एक के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हो गई।

ड्वेन जॉनसन का द रॉक में परिवर्तन उनके कुश्ती करियर में एक महत्वपूर्ण चरण था। उनके अद्वितीय करिश्मा, माइक कौशल और दर्शकों से जुड़ने की क्षमता ने उन्हें सभी समय के सबसे प्रतिष्ठित और प्रिय पहलवानों में से एक बनने के लिए प्रेरित किया। इस अवधि के दौरान डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/डब्ल्यूडब्ल्यूई में द रॉक के योगदान ने कुश्ती और मनोरंजन दोनों उद्योगों में उनकी भविष्य की सफलताओं की नींव रखी।

विश्व कुश्ती महासंघ/विश्व कुश्ती मनोरंजन

प्रथम प्रवेश; इंटरकांटिनेंटल चैंपियन (1996-1997)

वर्ल्ड रेसलिंग फेडरेशन (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, अब डब्ल्यूडब्ल्यूई) में ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के शुरुआती कुश्ती करियर में उनका पदार्पण और इंटरकॉन्टिनेंटल चैंपियन बनने तक का उनका तेजी से आगे बढ़ना शामिल था। यहां उनकी कुश्ती यात्रा के इस विशिष्ट चरण पर करीब से नजर डाली गई है:

डेब्यू और रॉकी मैविया (1996):

  • ड्वेन जॉनसन ने 17 नवंबर 1996 को सर्वाइवर सीरीज़ पे-पर-व्यू इवेंट में अपना WWF डेब्यू किया।
  • उनके पिता, रॉकी जॉनसन और उनके दादा, पीटर मैविया, दोनों पहलवान थे, के नामों को मिलाकर उन्हें “रॉकी माविया” के रूप में पेश किया गया था।
  • रॉकी माविया के चरित्र को एक करिश्माई और उत्साही बेबीफेस (अच्छे आदमी) के रूप में चित्रित किया गया था, जो युवा प्रशंसकों को आकर्षित करता था और अपने एथलेटिकवाद को प्रदर्शित करता था।

इंटरकॉन्टिनेंटल चैंपियन (1997):

  • रॉकी मैविया की शुरुआती करियर सफलता डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंटरकांटिनेंटल चैंपियनशिप पर कब्जा करने से उजागर हुई।
  • 13 फरवरी, 1997 को, इन योर हाउस 13: फ़ाइनल फ़ोर इवेंट में, रॉकी माविया ने इंटरकॉन्टिनेंटल चैम्पियनशिप जीतने के लिए हंटर हर्स्ट हेमस्ले (ट्रिपल एच) को हराया।
  • इस जीत ने उनके कुश्ती करियर की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की और कंपनी के भीतर एक उभरते सितारे के रूप में उनकी क्षमता का प्रदर्शन किया।

चुनौतियाँ और परिवर्तन:

  • अपनी प्रारंभिक सफलताओं के बावजूद, रॉकी माविया के चरित्र को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कुछ प्रशंसकों को उनके अत्यधिक सकारात्मक व्यक्तित्व के साथ जुड़ना थोड़ा मुश्किल लगा, जिसके कारण दर्शकों की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ आईं।
  • प्रशंसकों की प्रतिक्रिया के जवाब में और उनके चरित्र विकास के हिस्से के रूप में, जॉनसन के व्यक्तित्व में महत्वपूर्ण बदलाव हुए, जिसके कारण अंततः “द रॉक” का निर्माण हुआ।

रॉकी माविया के रूप में ड्वेन जॉनसन के शुरुआती दिनों में एक पहलवान के रूप में उनकी प्रतिभा और क्षमता का प्रदर्शन हुआ। जबकि चरित्र को अपने स्वागत के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, यह चरण उस परिवर्तन के लिए मंच तैयार करने के लिए आवश्यक था जो द रॉक व्यक्तित्व के निर्माण की ओर ले जाएगा, जो जॉनसन को कुश्ती की दुनिया और उससे परे अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

प्रभुत्व का राष्ट्र (1997-1998)

1997 से 1998 की अवधि के दौरान, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के कुश्ती करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया क्योंकि वह नेशन ऑफ डोमिनेशन के नाम से जाने जाने वाले खलनायक गुट के एक प्रमुख सदस्य बन गए। यहां नेशन ऑफ डोमिनेशन के साथ उनकी भागीदारी का एक सिंहावलोकन दिया गया है और इसने उनके चरित्र विकास में कैसे योगदान दिया:

प्रभुत्व राष्ट्र का गठन:

  • द नेशन ऑफ़ डोमिनेशन WWF में एक हील (खलनायक) गुट था जिसका उद्देश्य नस्लीय असमानता और सामाजिक न्याय के मुद्दों को संबोधित करना था। इस गुट का गठन शुरू में कुश्ती की दुनिया में कथित अन्याय का मुकाबला करने के लिए किया गया था।
  • समूह के नेता फारूक (रॉन सिमंस) थे, जिन्होंने नेशन ऑफ डोमिनेशन के बैनर तले अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के पहलवानों को एकजुट करने की मांग की थी।

द रॉक की भागीदारी:

  • 1997 की शुरुआत में, ड्वेन जॉनसन के किरदार रॉकी माविया ने खुद को नेशन ऑफ डोमिनेशन के साथ जोड़ लिया, जो उनके पिछले बेबीफेस व्यक्तित्व से एक महत्वपूर्ण प्रस्थान था।
  • नेशन में शामिल होने से जॉनसन को अपने चरित्र के अधिक उग्र और विरोधी पक्ष का पता लगाने का मौका मिला। उन्होंने अधिक मुखर और आत्मविश्वासपूर्ण आचरण अपनाया, जिसने “द रॉक” के रूप में उनके भविष्य के व्यक्तित्व की नींव रखी।

चरित्र विकास:

  • नेशन ऑफ डोमिनेशन के साथ अपने समय के दौरान, जॉनसन के चरित्र में दृष्टिकोण और प्रस्तुति दोनों के संदर्भ में परिवर्तन आया।
  • उन्होंने दर्शकों के साथ जुड़ने और अपने विरोधियों पर तंज कसने के लिए अपने माइक कौशल का उपयोग करते हुए, अपने ट्रेडमार्क करिश्मा के लक्षण प्रदर्शित करना शुरू कर दिया।
  • नस्लीय सशक्तिकरण का राष्ट्र का संदेश कभी-कभी धुंधला हो गया था, और गुट की दिशा सामाजिक न्याय पर अपने प्रारंभिक फोकस से अधिक पारंपरिक कुश्ती कहानियों की ओर स्थानांतरित हो गई थी।

राष्ट्र से प्रस्थान:

  • जैसे-जैसे द रॉक की लोकप्रियता और करिश्मा बढ़ता गया, उन्होंने समग्र रूप से राष्ट्र के वर्चस्व को मात देना शुरू कर दिया।
  • 1997 के उत्तरार्ध में, द रॉक ने खुद को राष्ट्र से दूर कर लिया, जिससे गुट के भीतर तनाव पैदा हो गया।
  • इस बदलाव ने जॉनसन के चरित्र को और अधिक विकसित होने की अनुमति दी, जिससे इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित और सफल पहलवानों में से एक के रूप में उनकी सफलता के लिए मंच तैयार हुआ।

नेशन ऑफ डोमिनेशन के साथ ड्वेन जॉनसन के समय ने उनके कुश्ती व्यक्तित्व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जबकि गुट के मूल इरादे जटिल और बहुआयामी थे, द रॉक की भागीदारी ने उन्हें अपने चरित्र के विभिन्न पहलुओं का पता लगाने की अनुमति दी, जिससे उनके जीवन से भी बड़े व्यक्तित्व के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ जो कुश्ती की दुनिया और उससे परे उनकी विरासत को परिभाषित करेगा।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ चैंपियन और सुपरस्टारडम में वृद्धि (1998-2000)

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का वर्ल्ड रेसलिंग फेडरेशन (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, अब डब्ल्यूडब्ल्यूई) में सुपरस्टारडम तक पहुंचना 1998 से 2000 तक जारी रहा, इस दौरान वह कंपनी में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति और कई बार डब्ल्यूडब्ल्यूएफ चैंपियन बने। यह अवधि उनके कुश्ती करियर के चरम पर थी और इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित और प्रिय पहलवानों में से एक के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई। इस दौरान उनकी उपलब्धियों और योगदान पर एक नजर:

“ द रॉक” (1998) के रूप में निर्णायक:

  • 1998 के मध्य तक, ड्वेन जॉनसन ने “द रॉक” के व्यक्तित्व को पूरी तरह से अपना लिया था, जो एक करिश्माई, अहंकारी और बकवास बात करने वाला चरित्र था, जिसे प्रोमो काटने के लिए एक बेजोड़ उपहार मिला था।
  • उनके प्रभावशाली माइक कौशल और दर्शकों को बांधे रखने की क्षमता ने उन्हें डब्ल्यूडब्ल्यूएफ प्रोग्रामिंग में सबसे आकर्षक शख्सियतों में से एक बना दिया।

झगड़े और चैंपियनशिप:

  • द रॉक की कुश्ती के कुछ सबसे बड़े नामों के साथ तीखी झड़पें हुईं, जिनमें स्टोन कोल्ड स्टीव ऑस्टिन, ट्रिपल एच और मैनकाइंड (मिक फोले) शामिल हैं।
  • उन्होंने नवंबर 1998 में सर्वाइवर सीरीज़ में मैनकाइंड को हराकर अपनी पहली WWF चैम्पियनशिप पर कब्ज़ा कर लिया। यह उनके करियर में एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि वह कंपनी में शीर्ष स्टार बन गए।

“ एटीट्यूड युग” में प्रमुखता:

  • द रॉक का उदय डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के “एटीट्यूड एरा” के साथ हुआ, जो कुश्ती का वह दौर था जो अपनी धारदार और गहन कहानी कहने के लिए जाना जाता था, जो दर्शकों को पसंद आया और कंपनी की मुख्यधारा की सफलता में योगदान दिया।

सिग्नेचर कैचफ्रेज़ और क्षण:

  • द रॉक के करिश्माई व्यक्तित्व के कारण प्रतिष्ठित वाक्यांशों का निर्माण हुआ, जैसे “यदि आपको गंध आती है कि द रॉक क्या पका रहा है!” और “अपनी भूमिका जानें और अपना मुंह बंद रखें!”
  • प्रशंसकों, साथी पहलवानों और यहां तक कि मशहूर हस्तियों के साथ उनकी यादगार और मनोरंजक बातचीत हुई, जिससे एक पॉप संस्कृति घटना के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई।

एकाधिक डब्ल्यूडब्ल्यूएफ चैंपियनशिप:

  • कई डब्ल्यूडब्ल्यूएफ चैम्पियनशिप शासनकाल के दौरान द रॉक का प्रभुत्व जारी रहा। स्टोन कोल्ड स्टीव ऑस्टिन जैसे प्रतिद्वंद्वियों के साथ उनके झगड़ों के परिणामस्वरूप यादगार मैच और क्षण बने जिन्होंने प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

रेसलमेनिया मुख्य कार्यक्रम:

  • द रॉक की प्रमुखता को रेसलमेनिया XV, रेसलमेनिया 2000 और रेसलमेनिया एक्स-सेवन सहित कई रेसलमेनिया कार्यक्रमों में मुख्य-इवेंट मैचों में उनकी भागीदारी के माध्यम से प्रदर्शित किया गया था।

हॉलीवुड में संक्रमण:

  • जैसे ही द रॉक का कुश्ती करियर अपने चरम पर पहुंचा, उन्होंने हॉलीवुड में भी अवसर तलाशना शुरू कर दिया, इस अवधि के दौरान वह फिल्मों में छोटी भूमिकाओं में दिखाई दिए।

इस चरण के दौरान ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की उपलब्धियों और योगदान ने सर्वकालिक महानतम पहलवानों में से एक के रूप में उनकी विरासत को मजबूत किया। उनके करिश्मा, माइक कौशल, रिंग में क्षमताएं और जीवन से बड़ी उपस्थिति ने उन्हें कुश्ती की दुनिया के भीतर और बाहर भी एक सच्चा सुपरस्टार बना दिया। कुश्ती में द रॉक की सफलता ने हॉलीवुड ए-लिस्टर और बहु-प्रतिभाशाली मनोरंजन हस्ती बनने के लिए उनके उल्लेखनीय परिवर्तन के लिए मंच तैयार किया।

रिकॉर्ड तोड़ने वाला विश्व चैंपियन (2000-2002)

2000 से 2002 तक, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन ने अपने कुश्ती करियर में महत्वपूर्ण प्रगति करना जारी रखा, विश्व कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, अब डब्ल्यूडब्ल्यूई) में विश्व चैंपियन के रूप में रिकॉर्ड तोड़ सफलता हासिल की। इस अवधि ने पेशेवर कुश्ती के इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित और निपुण शख्सियतों में से एक के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया। इस दौरान उनकी उपलब्धियों का एक सिंहावलोकन इस प्रकार है:

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियनशिप और झगड़े:

  • इस अवधि के दौरान, द रॉक ट्रिपल एच, स्टोन कोल्ड स्टीव ऑस्टिन, कर्ट एंगल और क्रिस जेरिको सहित विभिन्न विरोधियों के साथ यादगार झगड़ों में उलझे रहे।
  • उनके करिश्माई प्रोमो और सम्मोहक कहानी ने प्रशंसकों को बांधे रखा और उनके मैचों में निवेश किया।

छह बार के डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियन:

  • द रॉक की सफलता का परिणाम यह हुआ कि उन्होंने अपने करियर के इस चरण के दौरान कुल छह बार डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/डब्ल्यूडब्ल्यूई चैम्पियनशिप जीती।
  • उन्होंने कई अन्य शीर्ष पहलवानों के साथ चैंपियनशिप का व्यापार किया, जिससे कंपनी की प्रोग्रामिंग में चल रहे नाटक और उत्साह में योगदान मिला।

रेसलमेनिया क्षण:

  • इस दौरान रेसलमेनिया इवेंट के मुख्य कार्यक्रम में द रॉक की उपस्थिति उनके करियर का मुख्य आकर्षण बनी रही।
  • विशेष रूप से, उन्होंने बैक-टू-बैक रेसलमेनिया मुख्य कार्यक्रमों में “स्टोन कोल्ड” स्टीव ऑस्टिन का सामना किया, जिसमें रेसलमेनिया एक्स-सेवन का मुख्य कार्यक्रम भी शामिल था, जिसे अक्सर रेसलमेनिया के इतिहास में सबसे महान मैचों में से एक माना जाता है।

कुश्ती संस्कृति पर स्थायी प्रभाव:

  • द रॉक के करिश्मे, तकिया कलाम और रोमांचक प्रोमो ने कुश्ती संस्कृति पर एक अमिट छाप छोड़ी। “स्मैकडाउन होटल” और “जस्ट ब्रिंग इट” जैसे वाक्यांश उनके चरित्र का पर्याय बन गए।

हॉलीवुड में संक्रमण में तेजी:

  • जैसे-जैसे उनका कुश्ती करियर आगे बढ़ता गया, हॉलीवुड में द रॉक के अवसर बढ़ते गए। उन्होंने फ़िल्मों में अधिक महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभानी शुरू कर दीं, जिससे एक सफल अभिनय करियर में उनके अंतिम परिवर्तन के लिए मंच तैयार हुआ।

हाई-स्टेक मैचों में भागीदारी:

  • द रॉक ने एक कलाकार के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा और अनुकूलनशीलता का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न प्रकार के मैच में भाग लिया, जिसमें नो डिसक्वालिफिकेशन मैच, लैडर मैच और आयरन मैन मैच शामिल हैं।

किंवदंतियाँ और मील के पत्थर:

  • इस दौरान द रॉक का नाम WWE की सबसे बड़ी घटनाओं और क्षणों का पर्याय बन गया।
  • अन्य दिग्गज पहलवानों के साथ उनकी भिड़ंत ने कंपनी में उनके द्वारा बनाई जा रही विरासत को और मजबूत किया।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग चैंपियनशिप और प्रशंसकों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने की उनकी क्षमता ने इस अवधि के दौरान उनके उल्लेखनीय कुश्ती करियर को उजागर किया। डब्ल्यूडब्ल्यूई के “एटीट्यूड एरा” और उससे आगे के लिए उनके योगदान ने कुश्ती जगत पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है, और उनकी सफलता ने वैश्विक मनोरंजन घटना बनने के लिए उनके परिवर्तन की नींव रखी।

अंतिम झगड़े और प्रस्थान (2003-2004)

2003 से 2004 तक, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का कुश्ती करियर वर्ल्ड रेसलिंग फेडरेशन/एंटरटेनमेंट (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/डब्ल्यूडब्ल्यूई) में अपने अंतिम चरण से गुजरा, इससे पहले कि उन्होंने हॉलीवुड में अपने बढ़ते करियर पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। इस अवधि के दौरान उनके अंतिम झगड़ों और कुश्ती की दुनिया से विदाई का एक सिंहावलोकन यहां दिया गया है:

“ स्टोन कोल्ड” स्टीव ऑस्टिन के साथ झगड़ा:

  • इस अवधि के दौरान द रॉक की सबसे प्रतिष्ठित प्रतिद्वंद्विता जारी रही, क्योंकि उनका सामना एक बार फिर “स्टोन कोल्ड” स्टीव ऑस्टिन से हुआ।
  • दोनों दिग्गज सुपरस्टार एक झगड़े में उलझ गए जिसके कारण 2003 में रेसलमेनिया XIX में एक मैच हुआ। इस मैच की काफी उम्मीद थी और यह तीसरी बार था जब रेसलमेनिया में उनका आमना-सामना हुआ।

इंटरकांटिनेंटल चैम्पियनशिप और प्रस्थान:

  • जैसे-जैसे उनके हॉलीवुड करियर ने गति पकड़ी, वैसे-वैसे द रॉक की रिंग में उपस्थिति कम होती गई।
  • 2003 में, उन्होंने अंशकालिक कुश्ती भूमिका में भी उत्कृष्टता हासिल करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए, दूसरी बार WWE इंटरकांटिनेंटल चैम्पियनशिप जीती।

रेसलमेनिया XX उपस्थिति:

  • द रॉक ने 2004 में रेसलमेनिया XX में एक विशेष उपस्थिति दर्ज की। उन्होंने वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप के लिए क्रिस बेनोइट और ट्रिपल एच के बीच मैच में अतिथि रेफरी के रूप में कार्य किया।

हॉलीवुड प्रभुत्व में परिवर्तन:

  • इस समय तक, द रॉक का हॉलीवुड करियर तेजी से आगे बढ़ रहा था, और वह विभिन्न ब्लॉकबस्टर फिल्मों में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में पहचान हासिल कर रहे थे।

पूर्णकालिक कुश्ती से प्रस्थान:

  • द रॉक की कुश्ती के बाहर की प्रतिबद्धताओं, जिसमें उनकी अभिनय भूमिकाएँ भी शामिल थीं, के कारण उनकी कुश्ती में उपस्थिति धीरे-धीरे कम होने लगी।
  • उस समय WWE में उनका अंतिम कुश्ती मैच रेसलमेनिया XX में मिक फोली के साथ इवोल्यूशन (ट्रिपल एच, रैंडी ऑर्टन और रिक फ्लेयर) के खिलाफ एक टैग टीम मैच में हुआ था।

मनोरंजन और परोपकार पर केंद्रित:

  • जैसे-जैसे द रॉक का कुश्ती करियर ख़त्म होने लगा, वह डब्ल्यूडब्ल्यूई में विभिन्न क्षमताओं में शामिल होते रहे, जिसमें अतिथि भूमिका निभाना और विशेष खंडों में भाग लेना शामिल था।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के पूर्णकालिक कुश्ती से हटने से उनके कुश्ती करियर में एक युग का अंत हो गया। वह सफलतापूर्वक हॉलीवुड सुपरस्टार बन गए और मनोरंजन उद्योग में उनकी उपस्थिति बढ़ती रहेगी। जबकि उनके पूर्णकालिक कुश्ती के दिन करीब आ रहे थे, कुश्ती जगत पर उनके योगदान और प्रभाव को आने वाले वर्षों तक याद किया जाएगा।

मनोरंजन उद्योग में अपनी स्थिति को कैसे मजबूत किये?

2007 से 2009 तक, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन ने मनोरंजन उद्योग में विभिन्न गैर-कुश्ती प्रस्तुतियों में भाग लेते हुए, कुश्ती रिंग से परे अपनी उपस्थिति का विस्तार करना जारी रखा। इस दौरान, उन्होंने हॉलीवुड अभिनेता के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत किया, साथ ही WWE में अतिथि भूमिका भी निभाई। इस अवधि की कुछ झलकियाँ इस प्रकार हैं:

हॉलीवुड अभिनय करियर:

  • कई हाई-प्रोफाइल फिल्मों में भूमिकाओं के साथ, इन वर्षों के दौरान द रॉक का हॉलीवुड करियर लगातार फलता-फूलता रहा।
  • इस अवधि के दौरान उल्लेखनीय फिल्मों में “द गेम प्लान” (2007) शामिल है, जहां उन्होंने पिता बनने के साथ तालमेल बिठाने वाले एक फुटबॉल खिलाड़ी की भूमिका निभाई, और “गेट स्मार्ट” (2008), जिसमें उन्होंने एक आत्मविश्वासी जासूस की भूमिका निभाई।

WWE अतिथि उपस्थिति:

  • जबकि वह पूर्णकालिक कुश्ती से दूर चले गए थे, द रॉक ने अतिथि उपस्थिति के माध्यम से डब्ल्यूडब्ल्यूई से अपना संबंध बनाए रखा।
  • उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई कार्यक्रमों में विशेष उपस्थिति दर्ज की, जहां वह दर्शकों और साथी पहलवानों के साथ बातचीत करते थे, अक्सर अपने ट्रेडमार्क कैचफ्रेज़ बोलते थे।

“ सैटरडे नाइट लाइव” की मेजबानी (2000, 2002, 2009):

  • द रॉक के करिश्मा और कॉमेडी टाइमिंग के कारण उन्हें इस अवधि के दौरान तीन अलग-अलग अवसरों (2000, 2002 और 2009) पर “सैटरडे नाइट लाइव” की मेजबानी करनी पड़ी।
  • शो में उनकी उपस्थिति ने एक कलाकार के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया और एक मनोरंजनकर्ता के रूप में उनकी बढ़ती प्रतिष्ठा में योगदान दिया।

“ रेस टू विच माउंटेन” (2009):

  • 2009 में, द रॉक ने साइंस-फिक्शन एडवेंचर फिल्म “रेस टू विच माउंटेन” में अभिनय किया, जिसमें उन्होंने लास वेगास के एक टैक्सी ड्राइवर की भूमिका निभाई, जो विशेष शक्तियों वाले दो विदेशी भाई-बहनों में उलझ जाता है।

निरंतर परोपकार:

  • अपने मनोरंजन करियर से परे, द रॉक परोपकारी प्रयासों और सामुदायिक भागीदारी के लिए समर्पित रहे।
  • उन्होंने अपने मंच का उपयोग विभिन्न धर्मार्थ कारणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अपने प्रशंसकों को प्रेरित करने के लिए किया।

इस अवधि के दौरान, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के बहुमुखी करियर ने न केवल एक पहलवान के रूप में बल्कि विभिन्न माध्यमों में एक गतिशील मनोरंजनकर्ता के रूप में भी सफल होने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन किया। हॉलीवुड फिल्मों में उनकी उपस्थिति और डब्ल्यूडब्ल्यूई के साथ उनकी निरंतर बातचीत ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा और स्थायी लोकप्रियता को प्रदर्शित किया, जिससे मनोरंजन और लोकप्रिय संस्कृति दोनों में उनकी निरंतर वृद्धि के लिए मंच तैयार हुआ।

स्वतंत्र सर्किट (2009)

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन 2009 में स्वतंत्र कुश्ती सर्किट पर एक बार उपस्थित हुए थे। 30 सितंबर 2009 को, वह वर्ल्ड एक्सट्रीम रेसलिंग (डब्ल्यूएक्सडब्ल्यू) शो में सरोना स्नूका की बेटी के पेशेवर कुश्ती डेब्यू का समर्थन करने के लिए उपस्थित हुए थे। उनके लंबे समय के दोस्त और गुरु जिमी स्नूका। जॉनसन ने एक संक्षिप्त उपस्थिति दर्ज की, एक प्रोमो काटा और फिर स्नूका को अपने प्रतिद्वंद्वी को हराने में मदद की।

  • WXW शो में जॉनसन की उपस्थिति कई प्रशंसकों के लिए आश्चर्यचकित करने वाली थी, क्योंकि 2004 में WWE छोड़ने के बाद से उन्होंने कुश्ती नहीं लड़ी थी। हालाँकि, यह कुश्ती के प्रति उनके निरंतर प्रेम और अगली पीढ़ी के पहलवानों का समर्थन करने की उनकी इच्छा का संकेत था।
  • WXW शो में जॉनसन की उपस्थिति इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह उस समय आई थी जब वह कुश्ती से अभिनय की ओर कदम बढ़ा रहे थे। उन्होंने पहले ही द ममी रिटर्न्स (2001) और द स्कॉर्पियन किंग (2002) सहित कई सफल फिल्मों में अभिनय किया था, और वह दुनिया के सबसे बड़े फिल्म सितारों में से एक बनने की कगार पर थे।
  • WXW शो में जॉनसन की उपस्थिति से पता चला कि वह अभी भी कुश्ती के लिए प्रतिबद्ध थे, भले ही वह अब पूर्णकालिक कुश्ती नहीं कर रहे थे। इससे यह भी पता चला कि वह कुश्ती समुदाय को कुछ वापस देने और पहलवानों की अगली पीढ़ी का समर्थन करने के इच्छुक थे।

WWE में वापसी

जॉन सीना के साथ झगड़ा (2011-2013)

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की WWE में वापसी और जॉन सीना के साथ उनका झगड़ा 2011 से 2013 तक चली एक प्रमुख कहानी थी। द रॉक और जॉन सीना के बीच यह झगड़ा और उसके बाद के मैच WWE इतिहास में सबसे हाई-प्रोफाइल प्रतिद्वंद्विता में से एक बन गए। यहां इस झगड़े का एक सिंहावलोकन है:

पृष्ठभूमि और निर्माण:

  • द रॉक ने 14 फरवरी, 2011 को “मंडे नाइट रॉ” के “रॉ गेट्स रॉक्ड” नामक एक विशेष एपिसोड के दौरान WWE में अपनी आधिकारिक वापसी की।
  • उनकी वापसी ने जॉन सीना के खिलाफ मैच की तैयारियों की शुरुआत को चिह्नित किया, जो उस समय WWE के शीर्ष सितारों में से एक थे।

रेसलमेनिया XXVII (2011):

  • द रॉक की इन-रिंग एक्शन में वापसी 2011 में रेसलमेनिया XXVII में हुई।
  • उन्होंने इवेंट के अतिथि मेजबान के रूप में काम किया और जॉन सीना और द मिज़ के बीच मुख्य इवेंट मैच में हस्तक्षेप किया, जिससे द मिज़ को अपनी WWE चैंपियनशिप बरकरार रखने में मदद मिली।

रेसलमेनिया XXVIII (2012):

  • रॉक बनाम सीना विवाद की परिणति 2012 में रेसलमेनिया XXVIII में हुई, एक साल भर चलने वाले बिल्डअप को “वन्स इन ए लाइफटाइम” करार दिया गया।
  • शो के मुख्य कार्यक्रम में द रॉक का सामना जॉन सीना से हुआ, जिसे WWE सुपरस्टार्स की दो पीढ़ियों के बीच एक महाकाव्य टकराव के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
  • द रॉक ने एक बहुप्रतीक्षित मैच में जॉन सीना को हरा दिया।

रेसलमेनिया 29 (2013) में दोबारा मैच:

  • जॉन सीना के साथ द रॉक का झगड़ा अगले साल भी जारी रहा।
  • 2013 में रेसलमेनिया 29 में एक बार फिर दोनों सुपरस्टार्स का आमना-सामना हुआ, इस बार सीना विजयी हुए और WWE चैंपियनशिप पर कब्जा कर लिया।

झगड़े की विरासत:

  • द रॉक की वापसी और जॉन सीना के साथ झगड़े ने मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया और WWE को मुख्यधारा में शामिल किया।
  • उनकी प्रतिद्वंद्विता ने WWE में एटीट्यूड एरा (द रॉक का युग) और पीजी एरा (सीना का युग) के प्रतिच्छेदन को प्रदर्शित किया, जिससे यह एक ऐतिहासिक और अनूठी कहानी बन गई।

जॉन सीना के साथ ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के झगड़े ने डब्ल्यूडब्ल्यूई के इतिहास में एक यादगार अध्याय दर्ज किया, जिसने कुश्ती और मनोरंजन दोनों की क्रॉसओवर अपील को प्रदर्शित किया। कुश्ती की दुनिया में इन दो प्रतिष्ठित हस्तियों के बीच प्रतिद्वंद्विता ने उनकी विरासत को और मजबूत किया और रेसलमेनिया की घटनाओं के उत्साह और तमाशे में योगदान दिया।

छिटपुट उपस्थिति (2014–2019)

2014 से 2019 तक, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन ने अपने समृद्ध हॉलीवुड करियर के साथ अपनी कुश्ती प्रतिबद्धताओं को संतुलित करते हुए, WWE में छिटपुट उपस्थिति जारी रखी। इस अवधि के दौरान, उनकी उपस्थिति अक्सर प्रमुख घटनाओं से जुड़ी होती थी और प्रशंसकों द्वारा अत्यधिक प्रत्याशित होती थी। इन वर्षों के दौरान उनकी छिटपुट WWE प्रस्तुतियों का सारांश यहां दिया गया है:

रेसलमेनिया XXX (2014):

     द रॉक ने 2014 में रेसलमेनिया XXX में एक आश्चर्यजनक उपस्थिति दर्ज की। वह द अथॉरिटी (ट्रिपल एच और स्टेफ़नी मैकमोहन) का सामना करने के लिए बाहर आए और उनके और हल्क होगन के साथ एक यादगार सेगमेंट किया।

रेसलमेनिया 31 (2015):

     2015 में रेसलमेनिया 31 में, द रॉक ने एक और आश्चर्यजनक उपस्थिति दर्ज की। उन्होंने ट्रिपल एच और स्टेफ़नी मैकमोहन के साथ बातचीत की और रोंडा राउज़ी के साथ एक पल साझा किया, जिससे संभावित भविष्य के प्रदर्शन के लिए मंच तैयार हुआ।

रेसलमेनिया 32 (2016):

     द रॉक 2016 में रेसलमेनिया 32 में दिखाई दिए, जहां उन्होंने इस आयोजन के लिए एक नए उपस्थिति रिकॉर्ड की घोषणा की। उनका द वायट फ़ैमिली और जॉन सीना के साथ एक आकस्मिक सैगमेंट था।

रेसलमेनिया 33 (2017):

     2017 में रेसलमेनिया 33 में, द रॉक एक सेगमेंट में दिखाई दिए जहां उन्होंने अपने कुश्ती और हॉलीवुड करियर को प्रदर्शित करने वाला एक वीडियो पैकेज पेश किया। द न्यू डे से भी उनकी संक्षिप्त मुलाकात हुई।

रेसलमेनिया 35 (2019):

     द रॉक 2019 में रेसलमेनिया 35 में लौटे, इलायस के साथ एक सेगमेंट में दिखाई दिए। वे एक संगीतमय प्रदर्शन में शामिल हुए, जिसमें द रॉक ने दर्शकों के लिए एक “रॉक कॉन्सर्ट” पेश किया।

इन वर्षों के दौरान, WWE में द रॉक की उपस्थिति अत्यधिक प्रत्याशित रही और इसने रेसलमेनिया जैसे प्रमुख आयोजनों में उत्साह बढ़ाया। अपनी हॉलीवुड प्रतिबद्धताओं और कुश्ती की जड़ों के बीच निर्बाध रूप से परिवर्तन करने की उनकी क्षमता कुश्ती की दुनिया से उनके स्थायी संबंध और प्रशंसकों का मनोरंजन करने के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है।

प्रभाव कुश्ती (2020)

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन ने केन शैमरॉक को इम्पैक्ट हॉल ऑफ फेम में शामिल करने के लिए एक रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश के माध्यम से 20 अक्टूबर, 2020 को नैशविले में इम्पैक्ट रेसलिंग के 2020 बाउंड फॉर ग्लोरी में एक आश्चर्यजनक उपस्थिति दर्ज कराई।

शैमरॉक ने ट्विटर पर जॉनसन से संपर्क किया था और उन्हें इम्पैक्ट हॉल ऑफ फेम में शामिल करने के लिए कहा था। जॉनसन ने बाध्य किया, और उन्होंने एक वीडियो संदेश रिकॉर्ड किया जिसमें उन्होंने शैमरॉक के करियर और उपलब्धियों की प्रशंसा की।

जॉनसन ने कहा कि शैमरॉक “सभी समय के सबसे कठिन और सबसे नवीन पहलवानों में से एक था।” उन्होंने यह भी कहा कि शेमरॉक पेशेवर कुश्ती के खेल में “सच्चे अग्रणी” थे।

जॉनसन द्वारा शैमरॉक को इम्पैक्ट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था, और उन्होंने एक भाषण दिया जिसमें उन्होंने जॉनसन को शामिल किए जाने के लिए धन्यवाद दिया और अपने करियर की कुछ सबसे प्यारी यादों को याद किया।

इम्पैक्ट रेसलिंग में जॉनसन की उपस्थिति कई प्रशंसकों के लिए आश्चर्यचकित करने वाली थी, लेकिन यह स्वागत योग्य थी। इससे पता चला कि जॉनसन के मन में अभी भी कुश्ती के लिए एक नरम स्थान है, और यह शैमरॉक के करियर का सम्मान करने का एक शानदार तरीका था।

मुख्यधारा का क्रॉसओवर

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का मुख्यधारा क्रॉसओवर एक पेशेवर पहलवान से लेकर मनोरंजन उद्योग, विशेष रूप से हॉलीवुड में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त और अत्यधिक सफल व्यक्ति बनने के उनके सफल संक्रमण को दर्शाता है। इस परिवर्तन ने उन्हें अपने ब्रांड को कुश्ती से परे और फिल्मों, टेलीविजन और अन्य मनोरंजन उद्यमों सहित मीडिया के विभिन्न रूपों में विस्तारित करने की अनुमति दी। यहां उनके मुख्यधारा क्रॉसओवर के बारे में कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं:

हॉलीवुड की सफलता:

     एक पहलवान के रूप में प्रसिद्धि पाने के बाद, द रॉक ने धीरे-धीरे अभिनय की ओर रुख किया, जिसकी शुरुआत एक्शन फिल्मों और कॉमेडी में भूमिकाओं से हुई।

     उनकी करिश्माई उपस्थिति, अभिनय कौशल और मजबूत कार्य नीति ने हॉलीवुड में उनके तेजी से बढ़ने में योगदान दिया।

फ़िल्मोग्राफी:

     द रॉक की फिल्मोग्राफी में एक्शन और एडवेंचर से लेकर कॉमेडी और ड्रामा तक शैलियों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।

     उन्होंने “द फास्ट एंड द फ्यूरियस” फ्रेंचाइजी, “जुमांजी: वेलकम टू द जंगल,” “मोआना,” “सैन एंड्रियास” और “सेंट्रल इंटेलिजेंस” जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में अभिनय किया।

बॉक्स ऑफिस ड्रा:

     फिल्मों में द रॉक की भागीदारी ने अक्सर उनकी व्यावसायिक सफलता में योगदान दिया, जिससे वह उद्योग के सबसे बैंकेबल सितारों में से एक बन गए।

     उनकी फिल्मों ने वैश्विक बॉक्स ऑफिस पर सामूहिक रूप से अरबों डॉलर की कमाई की है।

टेलीविजन प्रस्तुतियाँ:

     अपने फ़िल्मी करियर के अलावा, द रॉक ने टेलीविज़न शो में उपस्थिति दर्ज कराई, जिसमें कई बार “सैटरडे नाइट लाइव” की मेजबानी भी शामिल थी।

     उन्होंने “द हीरो” और “बॉलर्स” जैसे शो का निर्माण और अभिनय भी किया।

     द रॉक ने अपने ब्रांड को उद्यमिता में बढ़ाया, कपड़े की लाइनें, ऊर्जा पेय और व्यक्तिगत देखभाल आइटम जैसे उत्पाद लॉन्च किए।

     उन्होंने मीडिया प्रोडक्शन में भी कदम रखा और प्रोडक्शन कंपनी सेवन बक्स प्रोडक्शंस की सह-स्थापना की।

सोशल मीडिया का प्रभाव:

     सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर द रॉक के आकर्षक और प्रेरक पोस्ट ने उनके प्रभाव और ब्रांड का और विस्तार किया है।

सकारात्मक छवि एवं परोपकारी प्रयास:

     द रॉक ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन दोनों जगह अपने सकारात्मक और प्रेरक व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं।

     वह धर्मार्थ पहलों में सक्रिय रूप से शामिल है और विभिन्न कारणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने मंच का उपयोग करता है।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का मुख्यधारा क्रॉसओवर उनकी बहुमुखी प्रतिभा, कड़ी मेहनत और मनोरंजन और उद्यमिता के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने की क्षमता का उदाहरण देता है। पेशेवर कुश्ती से लेकर हॉलीवुड के सबसे अधिक वेतन पाने वाले और सबसे प्रिय अभिनेताओं में से एक बनने तक की उनकी यात्रा उनकी स्थायी अपील और दुनिया भर में लोकप्रिय संस्कृति पर उनके द्वारा किए गए प्रभाव को दर्शाती है।

विरासत और कैरियर मूल्यांकन

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की विरासत और करियर का मूल्यांकन कई उद्योगों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों और प्रभाव का प्रमाण है। यहां उनकी विरासत और करियर मूल्यांकन का अवलोकन दिया गया है:

     प्रतिष्ठित पहलवान: पेशेवर कुश्ती में द रॉक के योगदान ने एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्हें इतिहास के सबसे करिश्माई और मनोरंजक पहलवानों में से एक के रूप में याद किया जाता है, उनके आकर्षक वाक्यांशों और क्षणों का प्रशंसकों द्वारा जश्न मनाया जाना जारी है।

     हॉलीवुड सुपरस्टार: द रॉक का हॉलीवुड में परिवर्तन एक बड़ी सफलता रही है। उन्होंने खुद को एक अग्रणी अभिनेता के रूप में स्थापित किया है, जो एक्शन से भरपूर ब्लॉकबस्टर और पारिवारिक-अनुकूल फिल्मों दोनों में अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं।

     बहुआयामी मनोरंजनकर्ता: कुश्ती और अभिनय से परे, द रॉक की विरासत में टीवी शो की मेजबानी करना, सामग्री का निर्माण करना और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशंसकों के साथ जुड़ना शामिल है। वह हर मायने में एक सच्चा मनोरंजनकर्ता है।

     सकारात्मक प्रभाव: वह अपनी सकारात्मकता, प्रेरणा और परोपकार के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने मंच का उपयोग दूसरों को प्रेरित करने, धर्मार्थ कार्यों का समर्थन करने और सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए किया है।

कैरियर मूल्यांकन:

  • रेसलिंग फाउंडेशन: द रॉक के रेसलिंग करियर ने उन्हें एक मजबूत नींव प्रदान की। उनके करिश्माई व्यक्तित्व, माइक कौशल और रिंग में प्रतिभा ने उन्हें “एटीट्यूड एरा” के दौरान WWE के सबसे प्रिय सितारों में से एक बनने के लिए प्रेरित किया।
  • हॉलीवुड परिवर्तन: द रॉक का हॉलीवुड में परिवर्तन एक साहसी कदम था, लेकिन उनके समर्पण और कार्य नीति का फल मिला। फिल्मों को आगे बढ़ाने और विभिन्न शैलियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की अपनी क्षमता साबित करते हुए, वह बॉक्स ऑफिस पर आकर्षण बन गए।
  • बिजनेस वेंचर्स: द रॉक की उद्यमशीलता की भावना ने सफल उत्पादों, मीडिया उत्पादन और सहयोग का निर्माण किया। उनका व्यावसायिक कौशल उनकी बहुमुखी प्रतिभा को और भी प्रदर्शित करता है।
  • विरासत जारी है: हॉलीवुड में अपनी सफलता के बाद भी, द रॉक अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ है। उनकी छिटपुट कुश्ती प्रस्तुतियाँ और प्रशंसकों के साथ बातचीत उनकी कुश्ती विरासत के प्रति उनके सम्मान को दर्शाती है।

संक्षेप में, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की विरासत एक पहलवान, हॉलीवुड अभिनेता, मनोरंजनकर्ता और प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उनकी उपलब्धियों का मिश्रण है। कुश्ती और मनोरंजन जगत दोनों पर उनका प्रभाव गहरा है, और रिंग में एक एथलीट से वैश्विक मनोरंजन आइकन तक की उनकी यात्रा उनकी प्रतिभा, दृढ़ संकल्प और दुनिया भर के दर्शकों से जुड़ने की क्षमता का प्रमाण है।

अभिनय कैरियर की शुरुआत (2001-2010)

डब्ल्यूडब्ल्यूई के साथ अपने सफल कुश्ती करियर के बाद ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का अभिनय करियर 2000 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ। वह जल्द ही एक लोकप्रिय हॉलीवुड अभिनेता बन गए, जो अपने करिश्मा, बहुमुखी प्रतिभा और विभिन्न शैलियों में उत्कृष्टता हासिल करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। यहां 2001 से 2010 तक उनके अभिनय करियर की शुरुआत का एक सिंहावलोकन दिया गया है:

“ द ममी रिटर्न्स” (2001):

     द रॉक की पहली महत्वपूर्ण अभिनय भूमिका 2001 में रिलीज़ हुई फिल्म “द ममी रिटर्न्स” में थी।

     उन्होंने फिल्म में स्कॉर्पियन किंग, एक डरावने योद्धा और प्रतिपक्षी की भूमिका निभाई।

“ द स्कॉर्पियन किंग” (2002):

     “द ममी रिटर्न्स” में अपनी भूमिका के बाद, द रॉक ने 2002 में रिलीज़ “द स्कॉर्पियन किंग” नामक स्पिन-ऑफ प्रीक्वल में अभिनय किया।

     यह किसी फिल्म में उनकी पहली प्रमुख भूमिका थी। फिल्म में उनके एक्शन-हीरो गुणों और शारीरिक कौशल का प्रदर्शन किया गया।

शैलियों की विविधता:

     2000 के दशक की शुरुआत में, द रॉक एक्शन-एडवेंचर, कॉमेडी और पारिवारिक फिल्मों सहित विभिन्न फिल्म शैलियों में दिखाई दिए।

     उनका लक्ष्य एक अभिनेता के रूप में अपनी रेंज प्रदर्शित करना और विभिन्न दर्शकों से जुड़ना था।

“ द रंडाउन” (2003):

     2003 में रिलीज़ हुई “द रंडाउन” में, द रॉक ने अमेज़ॅन जंगल में एक दुर्लभ कलाकृति की तलाश में एक इनामी शिकारी की भूमिका निभाई।

     फिल्म ने उनकी एक्शन-स्टार क्षमताओं और कॉमेडी टाइमिंग पर प्रकाश डाला।

“ वॉकिंग टॉल” (2004):

     2004 में रिलीज़ हुई “वॉकिंग टॉल” में द रॉक को एक भ्रष्ट शहर के खिलाफ न्याय की मांग करने वाले व्यक्ति की अधिक नाटकीय भूमिका में दिखाया गया था।

     फिल्म ने उन्हें एक गंभीर और अधिक गंभीर चरित्र का पता लगाने की अनुमति दी।

“ बी कूल” (2005) और “ग्रिडिरॉन गैंग” (2006):

     द रॉक ने अपनी फिल्मोग्राफी में विविधता लाना जारी रखा, क्राइम-कॉमेडी “बी कूल” (2005) और स्पोर्ट्स ड्रामा “ग्रिडिरॉन गैंग” (2006) में भूमिकाएँ निभाईं।

“ द गेम प्लान” (2007):

     2007 में, द रॉक ने पारिवारिक कॉमेडी “द गेम प्लान” में एक फुटबॉल खिलाड़ी की भूमिका निभाई, जिसे पता चलता है कि उसकी एक बेटी है।

     फिल्म ने दिल छू लेने वाली और हास्य भूमिकाओं को निभाने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित किया।

“ गेट स्मार्ट” (2008):

     2008 में, द रॉक की एक्शन-कॉमेडी फिल्म “गेट स्मार्ट” में स्टीव कैरेल के साथ सहायक भूमिका थी।

     2009 में रिलीज़ हुई साइंस फिक्शन एडवेंचर फिल्म “रेस टू विच माउंटेन” में द रॉक ने दो विदेशी भाई-बहनों की मदद करने वाले एक टैक्सी ड्राइवर की मुख्य भूमिका निभाई थी।

“ टूथ फेयरी” (2010):

     2010 में रिलीज़ हुई “टूथ फेयरी” में द रॉक की कॉमेडी और परिवार-अनुकूल सामग्री को मिश्रित करने की क्षमता प्रदर्शित हुई, क्योंकि उन्होंने एक हॉकी खिलाड़ी से टूथ फेयरी का किरदार निभाया था।

इस अवधि के दौरान, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के अभिनय करियर ने गति पकड़ी और उन्होंने खुद को हॉलीवुड में एक बहुमुखी और भरोसेमंद अभिनेता के रूप में स्थापित किया। विभिन्न शैलियों का पता लगाने की उनकी इच्छा और उनकी स्वाभाविक स्क्रीन उपस्थिति ने मनोरंजन उद्योग में उनकी बढ़ती लोकप्रियता में योगदान दिया।

ब्लॉकबस्टर भूमिकाओं के साथ स्टारडम (2011-वर्तमान)

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का स्टारडम 2011 के बाद के वर्षों में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया, क्योंकि उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर भूमिकाएं हासिल कीं, जिससे हॉलीवुड के प्रमुख अभिनेताओं में से एक के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हो गई। उनके आकर्षण, करिश्मा और एक्शन-हीरो व्यक्तित्व ने उन्हें मनोरंजन उद्योग में एक लोकप्रिय प्रतिभा बना दिया। इस अवधि के दौरान उनके करियर का एक सिंहावलोकन इस प्रकार है:

“ फास्ट फाइव” (2011):

     द रॉक 2011 में “फास्ट फाइव” के साथ “फास्ट एंड फ्यूरियस” फ्रेंचाइजी के कलाकारों में शामिल हुए।

     एक राजनयिक सुरक्षा सेवा एजेंट, ल्यूक हॉब्स के उनके चित्रण ने श्रृंखला में तीव्रता और करिश्मा का एक नया स्तर लाया।

“ जर्नी 2: द मिस्टीरियस आइलैंड” (2012):

     2012 में, द रॉक ने एडवेंचर-कॉमेडी “जर्नी 2: द मिस्टीरियस आइलैंड” में अभिनय किया, जो “जर्नी टू द सेंटर ऑफ द अर्थ” की अगली कड़ी थी।

“ जी.आई. जो: प्रतिशोध” (2013):

     द रॉक ने “जी.आई. जो: रिटैलिएशन” में रोडब्लॉक नाम का किरदार निभाया था, जो “जी.आई. जो” फ्रेंचाइजी की दूसरी फिल्म थी।

“ दर्द और लाभ” (2013):

     डार्क कॉमेडी “पेन एंड गेन” (2013) में, द रॉक ने एक आपराधिक योजना में फंसे एक बॉडीबिल्डर का किरदार निभाया था।

“ हरक्यूलिस” (2014):

     ब्रेट रैटनर द्वारा निर्देशित 2014 की फिल्म में द रॉक ने हरक्यूलिस की प्रतिष्ठित भूमिका निभाई।

“ सैन एंड्रियास” (2015):

     आपदा फिल्म “सैन एंड्रियास” (2015) में द रॉक को एक बड़े भूकंप के दौरान बचाव पायलट के रूप में दिखाया गया था।

“ सेंट्रल इंटेलिजेंस” (2016):

     एक्शन-कॉमेडी “सेंट्रल इंटेलिजेंस” (2016) में द रॉक को केविन हार्ट के साथ जोड़ा गया, जिसके परिणामस्वरूप एक सफल और मनोरंजक टीम-अप बनी।

“ मोआना” (2016):

     द रॉक ने डिज्नी के एनिमेटेड म्यूजिकल “मोआना” (2016) में किरदार माउई को अपनी आवाज दी, साथ ही अपनी गायन प्रतिभा भी दिखाई।

“ जुमांजी: वेलकम टू द जंगल” (2017):

     इस अवधि के दौरान द रॉक की सबसे सफल परियोजनाओं में से एक “जुमांजी: वेलकम टू द जंगल” (2017) थी, जहां उन्होंने डॉ. स्मोल्डर ब्रेवस्टोन की भूमिका निभाई थी।

     फिल्म की सफलता के कारण 2019 में इसका सीक्वल, “जुमांजी: द नेक्स्ट लेवल” रिलीज़ हुआ।

निरंतर सफलता और उद्यम:

     द रॉक की फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर लगातार अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे वह एक भरोसेमंद अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए।

     उन्होंने एक्शन हीरो से लेकर हास्य किरदारों तक कई तरह की भूमिकाएँ निभाना जारी रखा।

टेलीविजन और व्यावसायिक उद्यम:

     अपने फिल्मी करियर के साथ-साथ, द रॉक टेलीविजन पर भी सक्रिय रहे, उन्होंने “द टाइटन गेम्स” जैसे शो की मेजबानी की और “बॉलर्स” जैसे प्रोजेक्ट का निर्माण किया।

     उन्होंने अपने व्यावसायिक उद्यमों का विस्तार किया, जिसमें उनकी सेवन बक्स प्रोडक्शंस कंपनी और विभिन्न उद्योगों में सहयोग शामिल थे।

ब्लॉकबस्टर भूमिकाओं के साथ ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के स्टारडम ने मनोरंजन उद्योग में सबसे प्रभावशाली और सफल शख्सियतों में से एक के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया। दर्शकों से जुड़ने, विविध भूमिकाएँ निभाने और लगातार आकर्षक प्रदर्शन करने की उनकी क्षमता ने उन्हें लोकप्रिय संस्कृति पर स्थायी प्रभाव के साथ एक वैश्विक सुपरस्टार बना दिया है।

कैरियर विस्तार (2015-वर्तमान)

2015 से वर्तमान तक, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के करियर का विभिन्न प्लेटफार्मों पर विस्तार जारी रहा है, जिससे मनोरंजन, उद्यमिता और उससे परे एक बहु-प्रतिभाशाली और प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई है। इस अवधि के दौरान उनके करियर विस्तार का एक सिंहावलोकन इस प्रकार है:

फ़िल्म की सफलता और विविधता:

     इस दौरान द रॉक का फिल्मी करियर एक्शन, कॉमेडी, पारिवारिक फिल्मों और ड्रामा सहित विभिन्न शैलियों में भूमिकाओं के साथ फलता-फूलता रहा।

     उन्होंने “रैम्पेज” (2018), “स्काईस्क्रेपर” (2018), “फास्ट एंड फ्यूरियस प्रेजेंट्स: हॉब्स एंड शॉ” (2019), और “जंगल क्रूज़” (2021) जैसी फिल्मों में अभिनय किया।

“ बॉलर्स” (2015-2019):

     द रॉक ने 2015 से 2019 तक एचबीओ श्रृंखला “बॉलर्स” में अभिनय किया। इस शो में फुटबॉल खिलाड़ियों के जीवन और मैदान के बाहर उनके रिश्तों का अनुसरण किया गया।

     शो में द रॉक के खेल से जुड़ाव पर प्रकाश डाला गया और उनकी अभिनय और निर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित किया गया।

“ द टाइटन गेम्स” (2019– मौजूदा):

     द रॉक ने एक रियलिटी प्रतियोगिता श्रृंखला “द टाइटन गेम्स” बनाई और होस्ट की, जिसका प्रीमियर 2019 में हुआ था।

     इस शो में प्रतियोगियों को अपनी ताकत और सहनशक्ति का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन की गई शारीरिक चुनौतियों में प्रतिस्पर्धा करते हुए दिखाया गया है।

सेवन बक्स प्रोडक्शंस का विस्तार:

     द रॉक की प्रोडक्शन कंपनी, सेवन बक्स प्रोडक्शंस ने इस अवधि के दौरान फिल्मों, टीवी शो और डिजिटल सामग्री का निर्माण करते हुए अपने पोर्टफोलियो का विस्तार किया।

     कंपनी ने विविध कहानी कहने और कम प्रतिनिधित्व वाली आवाज़ों को अवसर देने पर ध्यान केंद्रित किया।

     सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर द रॉक की आकर्षक उपस्थिति बढ़ती रही, जिससे उन्हें प्रशंसकों से जुड़ने, अपडेट साझा करने और अपनी परियोजनाओं को बढ़ावा देने की अनुमति मिली।

व्यावसायिक उद्यम और साझेदारी:

     द रॉक ने फिटनेस, कपड़े और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों सहित विभिन्न उद्योगों में उद्यम करना जारी रखा।

     उनकी साझेदारियाँ और समर्थन उनके विविध हितों और ब्रांड सहयोग को दर्शाते हैं।

कुश्ती पर लौटें:

     पूर्णकालिक कुश्ती क्षमता में न होते हुए भी, द रॉक ने कुश्ती की अपनी जड़ों से अपना संबंध बनाए रखते हुए, डब्ल्यूडब्ल्यूई प्रोग्रामिंग पर विशेष उपस्थिति जारी रखी।

परोपकार और सकारात्मक प्रभाव:

     द रॉक के परोपकारी प्रयास उनके करियर के विस्तार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे, क्योंकि उन्होंने अपने मंच का उपयोग धर्मार्थ कार्यों का समर्थन करने और सकारात्मक बदलाव को प्रेरित करने के लिए किया।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का 2015 से वर्तमान तक का करियर विस्तार कई क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने की उनकी क्षमता को दर्शाता है। उनका प्रभाव फिल्म और टेलीविजन से लेकर उद्यमिता, परोपकार और सोशल मीडिया जुड़ाव तक फैला हुआ है। उन्होंने अपने प्रशंसकों के साथ एक मजबूत संबंध बनाए रखा है, और दूसरों को प्रेरित करने और बदलाव लाने की उनकी प्रतिबद्धता उनकी विरासत की पहचान बनी हुई है।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन ने न केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक निर्माता के रूप में भी मनोरंजन उद्योग में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। उन्होंने सेवन बक्स प्रोडक्शंस की सह-स्थापना की, जो एक प्रोडक्शन कंपनी है जो फिल्मों, टेलीविजन शो, वृत्तचित्र और डिजिटल मीडिया सहित सामग्री की एक विस्तृत श्रृंखला बनाने में शामिल रही है। यहां एक निर्माता के रूप में उनकी भूमिका का अवलोकन दिया गया है:

सेवन बक्स प्रोडक्शंस:

     ड्वेन जॉनसन ने 2012 में अपनी पूर्व पत्नी डैनी गार्सिया के साथ सेवन बक्स प्रोडक्शंस की सह-स्थापना की थी। कंपनी का नाम कनाडाई फुटबॉल लीग (सीएफएल) से निकाले जाने पर उनके पास मौजूद धनराशि का संदर्भ है।

     सेवन बक्स प्रोडक्शंस का लक्ष्य विविध और आकर्षक सामग्री का उत्पादन करना है जो विभिन्न प्लेटफार्मों पर दर्शकों के साथ जुड़ती है।

फिल्म निर्माण:

     प्रोडक्शन कंपनी विभिन्न प्रकार की फिल्मों के निर्माण में शामिल रही है, जिनमें एक्शन फिल्में, कॉमेडी, ड्रामा और वृत्तचित्र शामिल हैं।

     सेवन बक्स प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित कुछ फिल्मों में “बेवॉच” (2017), “रैम्पेज” (2018), “फास्ट एंड फ्यूरियस प्रेजेंट्स: हॉब्स एंड शॉ” (2019), और “जंगल क्रूज़” (2021) शामिल हैं।

टेलीविजन प्रोडक्शन:

     सेवन बक्स प्रोडक्शंस ने टेलीविज़न प्रोडक्शन में कदम रखा है, ऐसे शो बनाए हैं जो अक्सर एथलेटिकवाद, सशक्तिकरण और व्यक्तिगत विकास के विषयों को प्रतिबिंबित करते हैं।

     उल्लेखनीय टेलीविजन परियोजनाओं में एचबीओ श्रृंखला “बैलर्स” (2015-2019) और रियलिटी प्रतियोगिता श्रृंखला “द टाइटन गेम्स” (2019-वर्तमान) शामिल हैं, जिनमें द रॉक एक कार्यकारी निर्माता के रूप में शामिल हैं।

डिजिटल मीडिया और सामग्री निर्माण:

     कंपनी डिजिटल मीडिया सामग्री बनाने में भी सक्रिय रही है, जिसमें लघु फिल्में, डिजिटल श्रृंखला और ऑनलाइन सामग्री शामिल है जो द रॉक के अद्वितीय व्यक्तित्व और मूल्यों को प्रदर्शित करती है।

विविध कथावाचन:

     सेवन बक्स प्रोडक्शंस विविध दृष्टिकोणों से कहानियां कहने और कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों को आवाज देने पर जोर देता है।

     कंपनी की परियोजनाएं अक्सर सशक्तिकरण, प्रेरणा और व्यक्तिगत विकास के विषयों पर केंद्रित होती हैं।

सेवन बक्स प्रोडक्शंस के साथ एक निर्माता के रूप में अपनी भूमिका के माध्यम से, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन ने अपने ऑन-स्क्रीन प्रदर्शन से परे अपने प्रभाव का विस्तार किया है। सार्थक और विविध सामग्री बनाने की उनकी प्रतिबद्धता ने एक बहुमुखी मनोरंजनकर्ता और उद्यमी के रूप में उनकी प्रतिष्ठा में योगदान दिया है जो मनोरंजन उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव डालना चाहता है।

पेशेवर कुश्ती, अभिनय और निर्माण में अपने सफल करियर के अलावा, ड्वेन “द रॉक” जॉनसन कई अन्य उद्यमों और परियोजनाओं में शामिल रहे हैं। यहां उनके अन्य कार्यों के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण दिए गए हैं:

     द रॉक ने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें आत्मकथात्मक रचनाएँ और प्रेरक पुस्तकें शामिल हैं।

     उनकी पुस्तक “द रॉक सेज़…” 2000 में प्रकाशित हुई थी और यह उनके कुश्ती करियर और व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानकारी प्रदान करती है।

ध्वनि अभिनय:

     डिज्नी की “मोआना” में अपनी भूमिका के अलावा, द रॉक ने एनिमेटेड फिल्मों और टीवी शो में पात्रों को अपनी आवाज दी है।

     उन्होंने “मोआना” में माउई के किरदार को आवाज दी और अन्य एनिमेटेड परियोजनाओं में भी दिखाई दिए।

मेजबान और प्रस्तुतकर्ता:

     द रॉक ने एमटीवी मूवी एंड टीवी अवार्ड्स सहित पुरस्कार शो की मेजबानी की है।

     वह विभिन्न मनोरंजन कार्यक्रमों और पुरस्कार समारोहों में प्रस्तुतकर्ता भी रहे हैं।

स्वास्थ्य और कल्याण:

     द रॉक को फिटनेस और वेलनेस के प्रति उनके समर्पण के लिए जाना जाता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर वर्कआउट रूटीन, डाइट टिप्स और फिटनेस से संबंधित प्रेरक सामग्री साझा की है।

     उन्होंने अंडर आर्मर के सहयोग से फिटनेस परिधान और सहायक उपकरण पेश करते हुए अपना प्रोजेक्ट रॉक संग्रह जारी किया।

सोशल मीडिया और ब्रांडिंग:

     द रॉक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अत्यधिक सक्रिय है, जहां वह प्रशंसकों के साथ जुड़ते हैं, अपनी परियोजनाओं के बारे में अपडेट साझा करते हैं और प्रेरक सामग्री पेश करते हैं।

     उनका मजबूत व्यक्तिगत ब्रांड और ऑनलाइन उपस्थिति उनकी लोकप्रियता और प्रभाव में योगदान करती है।

दान और परोपकार:

     द रॉक विभिन्न धर्मार्थ प्रयासों और परोपकारी कार्यों में शामिल है।

     उन्होंने मेक-ए-विश फाउंडेशन, यूनिसेफ और अपनी स्वयं की चैरिटी, द ड्वेन जॉनसन रॉक फाउंडेशन जैसे संगठनों का समर्थन किया है, जो बच्चों और परिवारों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।

     द रॉक ने कंपनियों और ब्रांडों के साथ साझेदारी और समर्थन सहित व्यवसाय और उद्यमिता में कदम रखा है।

     वह ऊर्जा पेय, व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण में शामिल रहे हैं।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की गतिविधियों और प्रयासों की विविध श्रृंखला उनकी बहुमुखी प्रतिभा, कार्य नैतिकता और विभिन्न मोर्चों पर सकारात्मक प्रभाव डालने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। वह अपने प्रभाव का विस्तार करना और मनोरंजन, व्यक्तिगत विकास, कल्याण और परोपकार में योगदान देना जारी रखता है।

सक्रियता और परोपकार

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन को सक्रियता और परोपकार में उनकी भागीदारी के लिए जाना जाता है, जो विभिन्न कारणों का समर्थन करने और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए अपने मंच और संसाधनों का उपयोग करते हैं। यहां उनकी सक्रियता और परोपकारी प्रयासों का अवलोकन दिया गया है:

बच्चों के दान:

     द रॉक जरूरतमंद बच्चों की मदद करने के लिए समर्पित है। वह मेक-ए-विश फाउंडेशन जैसे संगठनों से जुड़े रहे हैं, जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों को शुभकामनाएं देता है, और स्टारलाइट चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन, जो अस्पताल में भर्ती बच्चों का समर्थन करता है।

ड्वेन जॉनसन रॉक फाउंडेशन:

     द रॉक ने अपना खुद का चैरिटी संगठन, द ड्वेन जॉनसन रॉक फाउंडेशन स्थापित किया, जो विभिन्न चुनौतियों का सामना करने वाले बच्चों और परिवारों को समर्थन और सशक्त बनाने पर केंद्रित है।

     फाउंडेशन सकारात्मक बदलाव लाने और जरूरतमंद लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अन्य संगठनों के साथ साझेदारी करता है।

वयोवृद्ध और सैन्य सहायता:

     द रॉक ने बूट कैंपेन जैसे संगठनों में अपनी भागीदारी के माध्यम से दिग्गजों और सैन्य कर्मियों के लिए समर्थन दिखाया है, जो सैन्य कर्मियों और उनके परिवारों के लिए जागरूकता और समर्थन बढ़ाता है।

आपदा राहत और पुनर्प्राप्ति:

     उन्होंने अतीत में आपदा राहत प्रयासों में योगदान दिया है, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित समुदायों को सहायता प्रदान की है।

मानसिक स्वास्थ्य वकालत:

     द रॉक ने अवसाद सहित मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के साथ अपने संघर्षों पर खुलकर चर्चा की है। वह अपने अनुभवों का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और कलंक को कम करने के लिए करता है।

     उनकी स्पष्ट चर्चाओं का उद्देश्य दूसरों को समान चुनौतियों का सामना करने पर मदद और समर्थन लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।

सामाजिक जागरूकता:

     द रॉक ने महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को उजागर करने और नस्लीय समानता, विविधता और समावेशन जैसे विषयों पर चर्चा में शामिल होने के लिए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग किया है।

     इन विषयों को संबोधित करने की उनकी इच्छा महत्वपूर्ण बातचीत को बढ़ाने में मदद करती है।

धर्मार्थ भागीदारी:

     द रॉक अक्सर विभिन्न धर्मार्थ पहलों और धन उगाहने वाले अभियानों का समर्थन करने के लिए अन्य मशहूर हस्तियों, संगठनों और ब्रांडों के साथ सहयोग करता है।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की सक्रियता और परोपकारी प्रयास दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं। अपने प्रभाव और संसाधनों का लाभ उठाकर, उन्होंने लोगों को एक साथ आने, जागरूकता बढ़ाने और करुणा, सशक्तिकरण और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले कार्यों में योगदान देने के लिए प्रेरित किया है।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के निजी जीवन में उनके परिवार और रिश्तों से लेकर उनकी परवरिश और मूल्यों तक कई तरह के पहलू शामिल हैं। यहां उनके निजी जीवन के बारे में कुछ प्रमुख बिंदुओं का अवलोकन दिया गया है:

     ड्वेन जॉनसन का जन्म 2 मई 1972 को कैलिफोर्निया के हेवर्ड में पेशेवर कुश्ती में गहरी जड़ें रखने वाले परिवार में हुआ था। उनके पिता, रॉकी जॉनसन, एक पेशेवर पहलवान थे, और उनके नाना, पीटर मैविया भी एक पेशेवर पहलवान थे।

     डैनी गार्सिया से उनकी पहली शादी से उनकी सिमोन एलेक्जेंड्रा जॉनसन नाम की एक बेटी है। उनकी पूर्व पत्नी के साथ अच्छे संबंध रहे हैं और उन्होंने मिलकर उनकी प्रोडक्शन कंपनी, सेवन बक्स प्रोडक्शंस की सह-स्थापना की है।

     अगस्त 2019 में, द रॉक ने लॉरेन हाशियान से शादी की, जिनसे उनकी दो बेटियां हैं, टियाना जिया और जैस्मीन लिया।

प्रारंभिक जीवन और एथलेटिक्स:

     द रॉक को अपने शुरुआती जीवन में वित्तीय संघर्ष सहित चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अपने पिता के कुश्ती करियर के कारण उन्हें कई स्थानांतरणों का अनुभव हुआ।

     वह हाई स्कूल में एक असाधारण एथलीट थे और मियामी विश्वविद्यालय में कॉलेज फुटबॉल खेलते थे। कुश्ती में करियर बनाने से पहले उन्होंने कुछ समय के लिए कैनेडियन फुटबॉल लीग (सीएफएल) में खेला।

     फिटनेस और कल्याण के प्रति द रॉक की प्रतिबद्धता सर्वविदित है। वह सोशल मीडिया पर अपने वर्कआउट रूटीन, डाइट टिप्स और प्रेरक संदेश साझा करते हैं।

     वह अपनी प्रभावशाली काया के लिए पहचाने जाते हैं और अक्सर स्वस्थ जीवन शैली की वकालत करते हैं।

मूल्य और प्रेरणादायक संदेश:

     द रॉक अक्सर अपने प्रशंसकों के साथ सकारात्मकता, दृढ़ संकल्प और प्रेरणा के संदेश साझा करते हैं।

     वह अपने पिछले संघर्षों के बारे में खुलकर बात करता है, जिसमें अवसाद की अवधि भी शामिल है, और अपने अनुभवों का उपयोग दूसरों को चुनौतियों से उबरने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए करता है।

सोशल मीडिया उपस्थिति:

     द रॉक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अत्यधिक सक्रिय है, जहां वह अपने अनुयायियों के साथ जुड़ते हैं, व्यक्तिगत अपडेट साझा करते हैं और अपनी परियोजनाओं को बढ़ावा देते हैं।

     वह अक्सर कृतज्ञता, सशक्तिकरण और सामाजिक जागरूकता के संदेश फैलाने के लिए अपने मंच का उपयोग करते हैं।

सांस्कृतिक प्रभाव:

     द रॉक की बहुसांस्कृतिक पृष्ठभूमि (अफ्रीकी अमेरिकी और सामोन विरासत) उनकी पहचान और प्रभाव का एक महत्वपूर्ण पहलू रही है। वह अपनी विरासत को अपनाता है और इसका उपयोग दूसरों को प्रेरित करने के लिए करता है।

सकारात्मक प्रतिष्ठा:

     उन्हें व्यापक रूप से एक व्यावहारिक और मिलनसार सेलिब्रिटी के रूप में माना जाता है, जो प्रशंसकों के साथ बातचीत करने, सार्वजनिक उपस्थिति बनाने और लोगों के साथ जुड़ने के लिए समय निकालने के लिए जाने जाते हैं।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का निजी जीवन उनके मजबूत पारिवारिक संबंधों, कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता और एक सकारात्मक रोल मॉडल के रूप में उनकी भूमिका से चिह्नित है। उन्होंने कड़ी मेहनत, दृढ़ता और किसी की पहचान को अपनाने के महत्व पर जोर देते हुए प्रेरित करने और प्रेरित करने के लिए अपने मंच का उपयोग किया है।

डिस्कोग्राफी एकल मुख्य कलाकार के रूप में

द रॉक” जॉनसन ने कुछ एकल रिलीज़ किए हैं, अक्सर अन्य कलाकारों के सहयोग से या विशिष्ट परियोजनाओं के लिए। मुख्य कलाकार के रूप में उनके कुछ एकल यहां दिए गए हैं:

“ आपका स्वागत है” (“मोआना” से) – 2016:

     ड्वेन जॉनसन ने डिज्नी एनिमेटेड फिल्म “मोआना” (2016) में माउ के किरदार को अपनी आवाज दी। उन्होंने “यू आर वेलकम” गीत प्रस्तुत किया, जो फिल्म के साउंडट्रैक से एक लोकप्रिय हिट बन गया।

     यह गाना द रॉक की गायन क्षमताओं और उनके चरित्र के जीवन से भी बड़े व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है।

“ जेलहाउस रॉक” (“जंगल क्रूज़” से) – 2021:

     “जंगल क्रूज़” (2021) में, द रॉक का चरित्र एल्विस प्रेस्ली के क्लासिक गीत “जेलहाउस रॉक” का एक अद्यतन संस्करण प्रस्तुत करता है।

     गाने में द रॉक की प्रस्तुति उनकी करिश्माई और ऊर्जावान शैली को दर्शाती है।

विशेष कलाकार के रूप में

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन को कुछ गानों में अतिथि कलाकार के रूप में दिखाया गया है, जिनमें शामिल हैं:

  • वाईक्लिफ जीन द्वारा इट डोंट मैटर (2000): यह गाना फिल्म द ममी रिटर्न्स के साउंडट्रैक पर दिखाया गया था। जॉनसन गाने का कोरस गाते हैं।
  • टेक एन9ने, जॉय कूल, किंग इसो और ड्वेन जॉनसन द्वारा फेस ऑफ (2021): यह गाना टेक एन9ने के एल्बम असिन9ने से है। जॉनसन ने गाने पर एक कविता रैप की।
  • मोआना (2016) के साउंडट्रैक से आपका स्वागत है: जॉनसन ने यह गाना गाया है, जिसे उन्होंने लिन-मैनुअल मिरांडा के साथ लिखा था। इसे सर्वश्रेष्ठ मूल गीत के लिए अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।

फिल्मोग्राफी

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन ने एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा और पारिवारिक फिल्मों सहित कई शैलियों में एक अभिनेता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए एक सफल फिल्मोग्राफी बनाई है। सितंबर 2021 में मेरे अंतिम ज्ञान अद्यतन तक उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्मों का चयन यहां दिया गया है:

प्रारंभिक फ़िल्म भूमिकाएँ:

  • “द ममी रिटर्न्स” (2001) – इस एक्शन-एडवेंचर फिल्म में द रॉक ने स्कॉर्पियन किंग की भूमिका निभाई।
  • “द स्कॉर्पियन किंग” (2002) – द रॉक ने “द ममी रिटर्न्स” के इस स्पिन-ऑफ प्रीक्वल में मुख्य किरदार के रूप में अभिनय किया।

एक्शन और रोमांच:

  • “फास्ट फाइव” (2011) – द रॉक एक राजनयिक सुरक्षा सेवा एजेंट ल्यूक हॉब्स के रूप में “फास्ट एंड फ्यूरियस” फ्रेंचाइजी में शामिल हुए।
  • “जी.आई. जो: प्रतिशोध” (2013) – उन्होंने “जी.आई. जो” सीक्वल में रोडब्लॉक की भूमिका निभाई।
  • “हरक्यूलिस” (2014) – द रॉक ने इस एक्शन-एडवेंचर फिल्म में महान नायक की भूमिका निभाई।
  • “द अदर गाइज़” (2010) – द रॉक की इस बडी कॉप कॉमेडी में एक हास्य भूमिका थी।
  • “सेंट्रल इंटेलिजेंस” (2016) – उन्होंने इस एक्शन-कॉमेडी फिल्म में केविन हार्ट के साथ अभिनय किया।
  • “जुमांजी: वेलकम टू द जंगल” (2017) – द रॉक ने इस कॉमेडी-एडवेंचर रीबूट में डॉ. स्मोल्डर ब्रेवस्टोन की भूमिका निभाई।

पारिवारिक फ़िल्में:

  • “टूथ फेयरी” (2010) – उन्होंने एक हॉकी खिलाड़ी की भूमिका निभाई जो टूथ फेयरी बन जाता है।
  • “मोआना” (2016) – उन्होंने इस डिज़्नी एनिमेटेड संगीत में माउई की आवाज़ दी।
  • “जंगल क्रूज़” (2021) – द रॉक ने इस साहसिक फिल्म में एक रिवरबोट कप्तान के रूप में अभिनय किया।

आपदा और विज्ञान कथा:

  • “सैन एंड्रियास” (2015) – उन्होंने एक बड़े भूकंप से निपटने वाले बचाव पायलट की भूमिका निभाई।
  • “रैम्पेज” (2018) – द रॉक ने एक प्राइमेटोलॉजिस्ट की भूमिका निभाई जो विशाल प्राणियों में परिवर्तित जानवरों को बचाने की कोशिश कर रहा था।
  • “ग्रिडिरॉन गैंग” (2006) – द रॉक ने इस खेल नाटक में एक किशोर हिरासत केंद्र में एक परामर्शदाता के रूप में अभिनय किया, जो एक फुटबॉल टीम शुरू करता है।
  • “पेन एंड गेन” (2013) – इस डार्क कॉमेडी-ड्रामा फिल्म में उनकी भूमिका थी।

स्पिन-ऑफ़ और फ्रेंचाइजी:

  • “फास्ट एंड फ्यूरियस प्रेजेंट्स: हॉब्स एंड शॉ” (2019) – द रॉक ने इस “फास्ट एंड फ्यूरियस” स्पिन-ऑफ में ल्यूक हॉब्स के रूप में अपनी भूमिका दोहराई।
  • “ब्लैक एडम” (आगामी) – द रॉक इस डीसी कॉमिक्स रूपांतरण में टाइटैनिक एंटीहीरो की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

कृपया ध्यान दें कि मेरी जानकारी सितंबर 2021 तक सटीक है, और उस समय के बाद से अतिरिक्त फ़िल्म रिलीज़ या अपडेट हो सकते हैं।

चैंपियनशिप और उपलब्धियाँ

डब्ल्यूडब्ल्यूई में अपने पेशेवर कुश्ती करियर के लिए जाने जाने वाले ड्वेन “द रॉक” जॉनसन ने उद्योग में अपने समय के दौरान कई चैंपियनशिप और उपलब्धियां हासिल की हैं। यहां उनकी कुछ उल्लेखनीय चैंपियनशिप और प्रशंसाओं की सूची दी गई है:

विश्व कुश्ती महासंघ/मनोरंजन (डब्ल्यूडब्ल्यूई):

  • डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियनशिप (8 बार)
  • डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंटरकांटिनेंटल चैम्पियनशिप (2 बार)
  • WWF टैग टीम चैम्पियनशिप (5 बार, विभिन्न साझेदारों के साथ)
  • रॉयल रंबल विजेता (2000)

अन्य उपलब्धियाँ:

  • छठा ट्रिपल क्राउन चैंपियन (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियनशिप, इंटरकॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप और टैग टीम चैंपियनशिप जीतने वाले कुछ खिलाड़ियों में से एक)
  • 17वां ग्रैंड स्लैम चैंपियन (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियनशिप, इंटरकॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप, हार्डकोर चैंपियनशिप और टैग टीम चैंपियनशिप अपने नाम किया)
  • स्लैमिवर्सरी आइकन अवार्ड (2021) – कुश्ती उद्योग में उनके योगदान के लिए इम्पैक्ट रेसलिंग द्वारा प्रदान किया गया
  • हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम स्टार – मोशन पिक्चर्स में उनकी उपलब्धियों के लिए 2017 में सम्मानित किया गया

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की पेशेवर कुश्ती और एक अभिनेता, निर्माता और उद्यमी के रूप में उनके बाद के करियर दोनों में उपलब्धियों ने उन्हें मनोरंजन जगत में एक सच्चा आइकन बना दिया है।

पेशेवर कुश्ती के क्षेत्र में ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की उपलब्धियों को प्रसिद्ध कुश्ती पत्रिका प्रो रेसलिंग इलस्ट्रेटेड (पीडब्ल्यूआई) ने भी मान्यता दी है। पीडब्लूआई द्वारा मान्यता प्राप्त उनकी कुछ उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:

प्रो रेसलिंग इलस्ट्रेटेड अवार्ड्स:

     वर्ष का सबसे बेहतर पहलवान (1996): रॉकी माविया के रूप में अपने शुरुआती कुश्ती करियर में ड्वेन जॉनसन ने अपनी लोकप्रियता और रिंग कौशल में तेजी से वृद्धि के लिए पीडब्ल्यूआई के सबसे बेहतर पहलवान का पुरस्कार जीता।

PWI 500 में रैंकिंग:

     पीडब्ल्यूआई 500 प्रो रेसलिंग इलस्ट्रेटेड द्वारा प्रकाशित एक वार्षिक सूची है, जो विभिन्न मानदंडों के आधार पर दुनिया के शीर्ष 500 पेशेवर पहलवानों की रैंकिंग करती है।

यहां उनके कुश्ती करियर के दौरान PWI 500 में ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की कुछ रैंकिंग दी गई हैं:

  • 1997: #74 रैंक
  • 1998: #24 रैंक
  • 1999: #8 रैंक
  • 2000: #4 स्थान प्राप्त हुआ

ये रैंकिंग एक सक्रिय प्रतियोगी के रूप में अपने समय के दौरान कुश्ती उद्योग में द रॉक की लगातार उच्च स्थिति को दर्शाती है।

संयुक्त राज्य कुश्ती संघ

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन ने 1996 से 1997 तक यूनाइटेड स्टेट्स रेसलिंग एसोसिएशन (यूएसडब्ल्यूए) में कुश्ती लड़ी। उन्होंने फ्लेक्स कवाना नाम से कुश्ती लड़ी और बार्ट सॉयर के साथ दो बार यूएसडब्ल्यूए वर्ल्ड टैग टीम चैंपियनशिप जीती। उनका जेरी लॉलर के साथ एक संक्षिप्त झगड़ा भी हुआ, जिसकी परिणति 1997 में यूएसडब्ल्यूए किंग ऑफ द रिंग के एक मैच में हुई।

यूएसडब्ल्यूए में जॉनसन का समय विश्व कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, अब डब्ल्यूडब्ल्यूई) में उनके सफल करियर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। यूएसडब्ल्यूए में अपने समय के दौरान उन्होंने कुश्ती के बारे में बहुत कुछ सीखा और उन्होंने अपना करिश्मा और माइक कौशल विकसित किया। उन्होंने कुश्ती उद्योग में भी अपना नाम कमाया, जिससे उन्हें डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के साथ अनुबंध प्राप्त करने में मदद मिली।

यूएसडब्ल्यूए में जॉनसन के समय को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। इससे उन्हें दुनिया के सबसे बड़े सितारों में से एक बनने के लिए आवश्यक कौशल और व्यक्तित्व विकसित करने में मदद मिली।

रेसलिंग ऑब्जर्वर न्यूज़लैटर

रेसलिंग ऑब्जर्वर न्यूज़लेटर (WON) एक व्यापक रूप से सम्मानित और लंबे समय से चलने वाला पेशेवर कुश्ती न्यूज़लेटर है जो कुश्ती उद्योग के बारे में समाचार, विश्लेषण और टिप्पणियों को कवर करता है। इसकी स्थापना डेव मेल्टज़र द्वारा की गई थी और यह 1982 से प्रकाशित हो रहा है। यह न्यूज़लेटर कुश्ती की घटनाओं, प्रचारों और पर्दे के पीछे की जानकारी की गहन कवरेज के लिए जाना जाता है।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की कुश्ती उद्योग में भागीदारी को डब्ल्यूडब्ल्यूई (पूर्व में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के साथ उनके कार्यकाल के दौरान रेसलिंग ऑब्जर्वर न्यूज़लैटर द्वारा कवर किया गया था। न्यूज़लेटर में उनके कुश्ती करियर के दौरान उनके मैचों, स्टोरीलाइन, चैंपियनशिप और अन्य महत्वपूर्ण क्षणों पर रिपोर्ट दी गई होगी। इस कवरेज ने कुश्ती प्रशंसकों और उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के बीच द रॉक की पहचान और लोकप्रियता में योगदान दिया।

रेसलिंग ऑब्जर्वर न्यूज़लैटर वार्षिक पुरस्कार भी प्रदान करता है, जिसमें रेसलर ऑफ द ईयर, मैच ऑफ द ईयर और अन्य श्रेणियां शामिल हैं, जिन्हें जीतने पर पहलवान और प्रमोशन अक्सर गर्व महसूस करते हैं।

डब्ल्यूडब्ल्यूई/विश्व कुश्ती मनोरंजन/फेडरेशन

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन का WWE (जिसे पहले WWF – वर्ल्ड रेसलिंग फेडरेशन के नाम से जाना जाता था) के साथ जुड़ाव उनके करियर और विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां कंपनी के साथ उनकी भागीदारी का एक सिंहावलोकन दिया गया है:

पदार्पण और प्रारंभिक कैरियर:

     ड्वेन जॉनसन ने 1996 में रिंग नाम रॉकी माविया के तहत WWE में पदार्पण किया, जो उनके पिता और दादा के रिंग नामों का संयोजन था। उन्हें एक वीर चरित्र के रूप में प्रस्तुत किया गया था और उनकी कुश्ती वंशावली और एथलेटिकवाद के कारण उन्होंने तुरंत ध्यान आकर्षित किया।

द रॉक में विकास:

     समय के साथ, रॉकी माविया का चरित्र विकसित हुआ और उन्होंने “द रॉक” उपनाम अपनाया। उन्होंने एक करिश्माई और मनोरंजक व्यक्तित्व अपनाया जो तकिया कलाम, माइक कौशल और एक अहंकारी रवैये से जाना जाता था।

एटीट्यूड युग और मुख्य कार्यक्रम की सफलता:

     WWE के एटीट्यूड एरा (1990 के दशक के अंत से 2000 के दशक की शुरुआत) के दौरान द रॉक की लोकप्रियता बढ़ गई। वह अन्य शीर्ष सितारों के साथ यादगार झगड़ों में शामिल रहे और WWE की प्रोग्रामिंग की आधारशिला बन गए।

     उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/डब्ल्यूडब्ल्यूई चैम्पियनशिप और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंटरकांटिनेंटल चैम्पियनशिप सहित कई चैंपियनशिप आयोजित कीं।

तकिया कलाम और प्रोमो:

     सम्मोहक और विनोदी प्रोमो काटने के लिए द रॉक के उपहार के कारण “यदि आपको पता चलता है कि द रॉक क्या पका रहा है” और “अपनी भूमिका जानें और अपना मुंह बंद करें” जैसे प्रतिष्ठित कैचफ्रेज़ का निर्माण हुआ।

     अन्य पहलवानों के साथ उनकी मौखिक लड़ाई, विशेषकर स्टीव ऑस्टिन के खिलाफ, कुश्ती के इतिहास में महान क्षण बन गए।

हॉलीवुड और अंशकालिक कुश्ती में संक्रमण:

     जैसे-जैसे द रॉक की लोकप्रियता बढ़ी, उन्होंने हॉलीवुड में अवसरों की तलाश शुरू कर दी। उन्होंने फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे कुश्ती में भाग लेना कम कर दिया।

     हॉलीवुड में स्थानांतरित होने के बावजूद, उन्होंने WWE में छिटपुट वापसी जारी रखी, अक्सर रेसलमेनिया जैसे प्रमुख आयोजनों के लिए।

कुश्ती के इतिहास का हिस्सा:

     द रॉक के मैच और सैगमेंट WWE इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा हैं। उनके झगड़ों, प्रतिद्वंद्विता और अन्य पहलवानों के साथ बातचीत ने 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में उद्योग की मुख्यधारा की अपील में योगदान दिया।

विरासत और प्रभाव:

     द रॉक के करिश्मा, माइक कौशल और कुश्ती क्षमताओं ने उन्हें सर्वकालिक महान पहलवानों में स्थान दिलाया। उन्हें एटीट्यूड युग के दौरान डब्ल्यूडब्ल्यूई की वैश्विक लोकप्रियता में वृद्धि में एक प्रमुख व्यक्ति माना जाता है।

     कुश्ती में उनकी उपलब्धियों ने हॉलीवुड में उनके सफल परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे वे एक क्रॉसओवर सुपरस्टार बन गये।

डब्ल्यूडब्ल्यूई में ड्वेन “द रॉक” जॉनसन की यात्रा ने पेशेवर कुश्ती और लोकप्रिय संस्कृति दोनों पर एक अमिट छाप छोड़ी। एक पहलवान के रूप में उनकी विरासत, अन्य क्षेत्रों में उनकी उपलब्धियों के साथ, प्रशंसकों और साथी कलाकारों को प्रेरित करती रहती है।

पुरस्कार और सम्मान

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन को अपने करियर के दौरान पेशेवर कुश्ती, अभिनय, मनोरंजन और परोपकार में अपनी उपलब्धियों के साथ कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। यहां उन्हें प्राप्त कुछ उल्लेखनीय पुरस्कार और सम्मान दिए गए हैं:

पेशेवर कुश्ती:

  • WWE चैंपियनशिप (8 बार)
  • WWE हॉल ऑफ फेम (2008 की कक्षा) में शामिल किया गया

मनोरंजन और अभिनय:

  • एमटीवी मूवी और टीवी पुरस्कार:
  • “फास्ट फाइव” (2012) के लिए सर्वश्रेष्ठ फाइट (जेसन स्टैथम के साथ साझा)
  • जनरेशन अवार्ड (2019)
  • पीपुल्स च्वाइस अवार्ड:
  • “बॉलर्स” के लिए पसंदीदा प्रीमियम सीरीज़ अभिनेता (2016)
  • किड्स च्वाइस पुरस्कार:
  • “जुमांजी: वेलकम टू द जंगल” (2018) के लिए पसंदीदा पुरुष बट किकर
  • “जुमांजी: द नेक्स्ट लेवल” (2020) के लिए पसंदीदा मूवी अभिनेता
  • हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम स्टार (2017) – मोशन पिक्चर्स की श्रेणी में
  • समय दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोग (2016)

परोपकार और प्रेरणा:

  • टीन चॉइस अवार्ड्स:
  • चॉइस पुरुष एथलीट (2000)
  • NAACP छवि पुरस्कार:
  • एंटरटेनर ऑफ द ईयर (2016)

यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं जिनकी मीडिया में चर्चा हुई, लेकिन कृपया ध्यान रखें कि ये आवश्यक रूप से विवाद नहीं हैं, बल्कि चर्चा के कुछ बिंदु हैं:

  • स्टेरॉयड के आरोप: कई पेशेवर पहलवानों की तरह, द रॉक को भी अपने कुश्ती करियर के दौरान स्टेरॉयड के उपयोग के बारे में अटकलों और आरोपों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने लगातार ऐसे दावों का खंडन किया है और उन्हें कभी भी आधिकारिक तौर पर किसी भी गलत काम का दोषी नहीं पाया गया है।
  • राजनीतिक और सामाजिक बयान: द रॉक ने कभी-कभी सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की है। हालाँकि इन बयानों ने आवश्यक रूप से विवादों को जन्म नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने उनके प्रशंसकों और जनता के बीच चर्चा और बहस को जन्म दिया है।
  • अभिनय भूमिकाओं की आलोचना: द रॉक के अभिनय करियर में भूमिकाओं और फिल्मों की पसंद को लेकर कुछ आलोचक और चर्चाएँ उठी हैं, विशेष रूप से उनके द्वारा निभाई जाने वाली भूमिकाओं के प्रकार और कुछ फिल्मों की समग्र गुणवत्ता के बारे में।

यहां ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के बारे में कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:

  • पारिवारिक कुश्ती विरासत: ड्वेन जॉनसन एक मजबूत कुश्ती विरासत वाले परिवार से आते हैं। उनके पिता, रॉकी जॉनसन और उनके नाना, पीटर मैविया, दोनों पेशेवर पहलवान थे।
  • कॉलेज फ़ुटबॉल स्टार: कुश्ती और मनोरंजन की दुनिया में प्रवेश करने से पहले, द रॉक एक सफल कॉलेज फ़ुटबॉल खिलाड़ी थे। उन्होंने 1990 के दशक की शुरुआत में मियामी विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप विजेता टीम के लिए खेला।
  • रॉकी माविया के रूप में पदार्पण: जब उन्होंने पहली बार डब्ल्यूडब्ल्यूई (तब डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) में प्रवेश किया, तो उन्होंने अपने पिता और दादा के नामों को मिलाकर, रॉकी माविया नाम के रिंग नाम से कुश्ती लड़ी। यह चरित्र अंततः प्रतिष्ठित व्यक्तित्व “द रॉक” में विकसित हुआ।
  • स्टारडम में तेजी से वृद्धि: डब्ल्यूडब्ल्यूई के एटीट्यूड युग के दौरान द रॉक की लोकप्रियता आसमान छू गई और वह जल्द ही कंपनी के शीर्ष आकर्षणों में से एक बन गए। उनके करिश्मे, तकिया कलाम और रिंग में कौशल ने उनके तेजी से आगे बढ़ने में योगदान दिया।
  • सबसे कम उम्र के WWE चैंपियन: द रॉक 26 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के WWE चैंपियन बने जब उन्होंने 1998 में सर्वाइवर सीरीज़ का खिताब जीता।
  • मोआना कनेक्शन: एनिमेटेड डिज्नी फिल्म “मोआना” में द रॉक ने माउई नाम के किरदार को आवाज दी थी। उन्होंने अपनी संगीत प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए फिल्म में “यू आर वेलकम” गाना भी गाया।
  • विविध अभिनय भूमिकाएँ: द रॉक का अभिनय करियर एक्शन और कॉमेडी से लेकर पारिवारिक फिल्मों और नाटकों तक कई शैलियों तक फैला हुआ है। वह विभिन्न प्रकार की भूमिकाएँ निभाने में अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं।
  • सोशल मीडिया पर प्रभाव: द रॉक सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले सेलिब्रिटीज में से एक हैं। वह अपने आकर्षक पोस्ट, प्रेरक संदेशों और अपने जीवन और काम के पीछे की झलकियों के लिए जाने जाते हैं।
  • सेवन बक्स प्रोडक्शंस: उनकी प्रोडक्शन कंपनी का नाम, सेवन बक्स प्रोडक्शंस, उनके जीवन के उस दौर से लिया गया है जब कनाडाई फुटबॉल लीग से कट जाने के बाद उनकी जेब में केवल 7 डॉलर थे।
  • ड्वेन “द रॉक” जॉनसन दिवस: 2015 में, मियामी शहर ने उनकी उपलब्धियों और योगदान के सम्मान में 19 अक्टूबर को ड्वेन “द रॉक” जॉनसन दिवस घोषित किया।
  • क्रॉसओवर स्टार: कुश्ती से लेकर अभिनय तक के सफल क्रॉसओवर ने द रॉक को दोनों उद्योगों में एक विशेष स्थान दिलाया है। वह हॉलीवुड में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले अभिनेताओं में से एक बन गए हैं।

ड्वेन “द रॉक” जॉनसन ने कई किताबें लिखी हैं जो उनके जीवन, करियर और दृष्टिकोण पर अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। यहां उनकी कुछ उल्लेखनीय पुस्तकें हैं:

     “ द रॉक सेज़…” (2000):

     जो लेडेन के साथ सह-लिखित, यह आत्मकथा द रॉक के जीवन, एक कुश्ती परिवार से डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/डब्ल्यूडब्ल्यूई सुपरस्टार बनने तक की उनकी यात्रा और मनोरंजन जगत में उनके अनुभवों पर एक नज़र डालती है।

     “ रॉकी मैविया: द रॉक्स सन” (2001):

     यह बच्चों की किताब, जो लेडेन के साथ सह-लिखित भी है, द रॉक के कुश्ती व्यक्तित्व पर आधारित है, जो युवा पाठकों को उनके चरित्र और कहानी से परिचित कराती है।

     “ द रॉक: थ्रू द लेंस: हिज़ लाइफ़, हिज़ मूवीज़, हिज़ वर्ल्ड” (2003):

     तस्वीरों और कैप्शन वाली यह कॉफी टेबल बुक, द रॉक के जीवन, करियर और मनोरंजन उद्योग में उनके अनुभवों के माध्यम से एक दृश्य यात्रा प्रदान करती है।

     “ द रॉक सेज़…नो योर रोल! (2000):

     जो लेडेन के साथ सह-लिखित, यह साथी पुस्तक द रॉक की पिछली आत्मकथा का विस्तार करती है, जो उनके करियर और जीवन पर अधिक कहानियाँ, अंतर्दृष्टि और प्रतिबिंब पेश करती है।

     “ द रॉक: द एपिक जर्नी ऑफ़ ड्वेन जॉनसन” (2012):

     माइकल टीटेलबाम द्वारा लिखित यह पुस्तक युवा पाठकों पर केंद्रित एक श्रृंखला का हिस्सा है। इसमें द रॉक के कुश्ती करियर और अभिनय में बदलाव को शामिल किया गया है।

यहां ड्वेन “द रॉक” जॉनसन के कुछ उद्धरण दिए गए हैं:

  • “ किसी भी चीज़ में सफलता हमेशा इसी से मिलेगी: फोकस और प्रयास। और हम दोनों को नियंत्रित करते हैं।”
  • “ वह व्यक्ति बनें कि जब सुबह आपके पैर फर्श को छूते हैं, तो शैतान कहता है, ‘ ओह, वे ऊपर हैं!'”
  • “ यह उस कार के बारे में नहीं है जिसे आप चलाते हैं। यह खिड़की से बाहर लटकते हाथ के आकार के बारे में है।”
  • “ मैं आज खुद को प्रेरित करने के लिए अतीत के कठिन समय का उपयोग करना पसंद करता हूं।”
  • “ सफलता हमेशा महानता के बारे में नहीं है। यह निरंतरता के बारे में है। लगातार कड़ी मेहनत से सफलता मिलती है। महानता आएगी।”
  • “ अपने लक्ष्यों के बारे में महत्वाकांक्षी होने से डरो मत। कड़ी मेहनत कभी नहीं रुकती। न ही आपके सपने रुकते हैं।”
  • “ सफलता रातोरात नहीं मिलती। यह तब होती है जब हर दिन आप पिछले दिन से थोड़ा बेहतर हो जाते हैं। यह सब जुड़ता है।”
  • “ खून, पसीना और सम्मान। पहले दो आप देते हैं, आखिरी आप कमाते हैं।”
  • “ जब जीवन आपको विषम परिस्थितियों में डालता है, तो यह मत कहो ‘ मैं ही क्यों?’ बस ‘ मुझे आज़माएं’ कहें।”
  • “ न केवल मुझे लगता है कि अच्छा और दयालु होना आसान है, बल्कि मेरी राय में, दयालु होना भी महत्वपूर्ण है।”
  • “ सफलता इस बात से मापी जाती है कि जब कोई नहीं देख रहा हो तो आपने उस पर कितनी मेहनत की।”
  • “ मुझसे हमेशा पूछा जाता है, ‘ सफलता का रहस्य क्या है?’ लेकिन कोई रहस्य नहीं हैं। विनम्र रहें। भूखे रहें। और हमेशा कमरे में सबसे मेहनती कार्यकर्ता बनें।”

बार बार पूंछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न: ड्वेन “द रॉक” जॉनसन कौन हैं?

उत्तर: ड्वेन जॉनसन, जिन्हें “द रॉक” के नाम से भी जाना जाता है, एक बहु-प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं, जिन्होंने एक बेहद सफल अभिनेता, निर्माता और उद्यमी बनने से पहले WWE में एक पेशेवर पहलवान के रूप में प्रसिद्धि हासिल की।

प्रश्न: ड्वेन जॉनसन की कुश्ती पृष्ठभूमि क्या है?

उत्तर: ड्वेन जॉनसन एक कुश्ती परिवार से आते हैं। उन्होंने अपने कुश्ती करियर की शुरुआत WWE (तब WWF) से की और जल्द ही “द रॉक” के रूप में प्रसिद्ध हो गए। वह 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय पहलवानों में से एक बन गए।

प्रश्न: द रॉक की कुछ सबसे प्रसिद्ध फिल्में कौन सी हैं?

उत्तर: ड्वेन जॉनसन ने कई सफल फिल्मों में अभिनय किया है, जिनमें “फास्ट फाइव,” “जुमांजी: वेलकम टू द जंगल,” “मोआना,” “सैन एंड्रियास,” और “रैम्पेज” शामिल हैं।

प्रश्न: सेवन बक्स प्रोडक्शंस क्या है?

उत्तर: सेवन बक्स प्रोडक्शंस एक प्रोडक्शन कंपनी है जिसकी सह-स्थापना ड्वेन जॉनसन और डैनी गार्सिया ने की है। कंपनी विविधता और सकारात्मक संदेशों पर जोर देते हुए फिल्में, टेलीविजन शो और डिजिटल मीडिया सामग्री तैयार करती है।

प्रश्न: द रॉक ने कौन से पुरस्कार जीते हैं?

उत्तर: ड्वेन जॉनसन ने विभिन्न पुरस्कार जीते हैं, जिनमें एमटीवी मूवी एंड टीवी अवार्ड्स, पीपुल्स च्वाइस अवार्ड्स और टाइम के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक के रूप में मान्यता शामिल है।

प्रश्न: क्या द रॉक परोपकार में शामिल है?

उत्तर: हां, ड्वेन जॉनसन परोपकार में सक्रिय रूप से शामिल हैं। वह बच्चों के दान, दिग्गजों के संगठनों, आपदा राहत, मानसिक स्वास्थ्य वकालत और अन्य जैसे कार्यों का समर्थन करते हैं।

प्रश्न: सफलता पर द रॉक का दर्शन क्या है?

उत्तर: द रॉक सफलता के प्रमुख घटकों के रूप में कड़ी मेहनत, निरंतरता, विनम्रता और दृढ़ संकल्प पर जोर देता है। वह अक्सर लक्ष्य हासिल करने और चुनौतियों पर काबू पाने के बारे में प्रेरक संदेश साझा करते हैं।

प्रश्न: द रॉक के कुछ प्रसिद्ध मुहावरे क्या हैं?

उत्तर: द रॉक के कुछ प्रतिष्ठित वाक्यांशों में शामिल हैं “यदि आपको गंध आती है कि द रॉक क्या पका रहा है,” “अपनी भूमिका जानें और अपना मुंह बंद करें,” और “बस इसे लाओ!”

जॉनी डेप जीवन परिचय | Fact | Quotes | Book | Net Worth | Johnny Depp Biography in Hindi

ohnny Depp Biography in hindi

जॉनी डेप एक अमेरिकी अभिनेता, निर्माता और संगीतकार हैं जिन्होंने अपनी बहुमुखी अभिनय क्षमताओं और अद्वितीय ऑन-स्क्रीन उपस्थिति के लिए व्यापक प्रसिद्धि प्राप्त की। उनका जन्म 9 जून 1963 को ओवेन्सबोरो, केंटकी, अमेरिका में हुआ था।

डेप के अभिनय करियर की शुरुआत 1980 के दशक में टेलीविजन श्रृंखला “21 जंप स्ट्रीट” में उनकी भूमिका से हुई। हालाँकि, वह वास्तव में 1990 के दशक में निर्देशक टिम बर्टन के साथ सहयोग के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्टारडम तक पहुंचे। उनकी कुछ सबसे उल्लेखनीय भूमिकाओं में शामिल हैं:

  • एडवर्ड सिजरहैंड्स (1990): टिम बर्टन की इस फंतासी फिल्म में डेप ने मुख्य किरदार निभाया, एक सौम्य लेकिन गलत समझे जाने वाले व्यक्ति के हाथ में कैंची थी।
  • पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन श्रृंखला (2003-2017): डेप ने इस बेहद सफल फिल्म फ्रेंचाइजी में कैप्टन जैक स्पैरो की भूमिका निभाई, जो एक साहसिक साहसिक कार्य के रूप में शुरू हुई और उनकी सबसे प्रतिष्ठित भूमिकाओं में से एक बन गई।
  • स्वीनी टोड: द डेमन बार्बर ऑफ फ्लीट स्ट्रीट (2007): संगीतमय इस फिल्म रूपांतरण में, डेप ने अपनी गायन क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए, प्रतिशोधी नाई स्वीनी टोड की भूमिका निभाई।
  • चार्ली एंड द चॉकलेट फ़ैक्टरी (2005): टिम बर्टन के साथ एक और सहयोग में, डेप ने विलक्षण चॉकलेट निर्माता विली वोंका की भूमिका निभाई।
  • फाइंडिंग नेवरलैंड (2004): डेप ने पीटर पैन बनाने वाले नाटककार जे.एम. बैरी की भूमिका निभाई, जिससे उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अकादमी पुरस्कार नामांकन मिला।
  • डॉनी ब्रास्को (1997): डेप ने अल पचिनो के सामने भीड़ में घुसपैठ करने वाले एक गुप्त एफबीआई एजेंट की भूमिका निभाई।
  • ब्लैक मास (2015): उन्होंने इस अपराध नाटक में कुख्यात बोस्टन गैंगस्टर व्हाइटी बुलगर का किरदार निभाया था।
  • पब्लिक एनिमीज़ (2009): डेप ने इस अपराध नाटक में कुख्यात बैंक लुटेरे जॉन डिलिंजर की भूमिका निभाई।

अपने अभिनय करियर के अलावा, डेप को संगीत में उनकी भागीदारी के लिए जाना जाता है। वह जो पेरी और ऐलिस कूपर के साथ रॉक बैंड हॉलीवुड वैम्पायर्स के सदस्य रहे हैं।

डेप का निजी जीवन अक्सर सुर्खियों में रहा है, खासकर उनके हाई-प्रोफाइल रिश्तों और कानूनी विवादों के कारण। विशेष रूप से, वह अपनी पूर्व पत्नी, अभिनेत्री एम्बर हर्ड के साथ कई कानूनी लड़ाइयों में शामिल थे, जिसने मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया।

जॉनी डेप का जन्म 9 जून 1963 को ओवेन्सबोरो, केंटकी, अमेरिका में जॉन क्रिस्टोफर डेप II के रूप में हुआ था। वह चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता, जॉन क्रिस्टोफर डेप, एक सिविल इंजीनियर के रूप में काम करते थे, और उनकी माँ, बेट्टी सू पामर, एक वेट्रेस थीं। डेप के बचपन के दौरान उनके पिता की नौकरी के कारण परिवार अक्सर स्थानांतरित होता रहता था।

  • जब डेप केवल 15 वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया, जिसका उन पर काफी प्रभाव पड़ा। इसके तुरंत बाद उन्होंने हाई स्कूल छोड़ दिया और विभिन्न गैराज बैंडों में बजाकर संगीत के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाया। अंततः वह संगीत करियर की तलाश में लॉस एंजिल्स चले गए।
  • लॉस एंजिल्स में, डेप ने अभिनय सीखना शुरू किया और उन्हें पहली फिल्म भूमिका हॉरर फिल्म “ए नाइटमेयर ऑन एल्म स्ट्रीट” (1984) में मिली, जहां उन्होंने एक छोटी भूमिका निभाई। यहीं से उनके अभिनय करियर की शुरुआत हुई।
  • 1987 में, उन्हें टेलीविजन श्रृंखला “21 जंप स्ट्रीट” से बड़ा ब्रेक मिला, जिसमें उन्होंने अधिकारी टॉम हैनसन की भूमिका निभाई। शो की सफलता ने उन्हें पहचान हासिल करने और अपना अभिनय करियर शुरू करने में मदद की। हालाँकि, शो की लोकप्रियता के कारण डेप उस किशोर दिल की धड़कन छवि से निराश हो गए जिसके साथ वे जुड़े हुए थे।
  • इस छवि से बाहर निकलने की कोशिश करते हुए, उन्होंने अधिक अपरंपरागत और विविध भूमिकाएँ निभानी शुरू कर दीं, टिम बर्टन जैसे निर्देशकों के साथ सहयोग किया और ऐसे किरदार निभाए जिससे उन्हें अपनी अभिनय रेंज दिखाने की अनुमति मिली।
  • डेप के शुरुआती जीवन के अनुभवों, जिसमें उनकी पारिवारिक गतिशीलता और स्कूल के साथ संघर्ष शामिल हैं, ने जीवन पर उनके अद्वितीय दृष्टिकोण को आकार देने में भूमिका निभाई और संभवतः स्क्रीन पर जटिल और विलक्षण पात्रों को चित्रित करने की उनकी क्षमता को प्रभावित किया।

1984-1989: प्रारंभिक भूमिकाएँ और 21 जम्प स्ट्रीट

1984 से 1989 की अवधि के दौरान, जॉनी डेप के करियर में महत्वपूर्ण विकास हुआ क्योंकि उन्होंने छोटी भूमिकाओं से टेलीविजन श्रृंखला “21 जंप स्ट्रीट” के साथ व्यापक पहचान हासिल की।

  • 1984: जॉनी डेप के अभिनय करियर की शुरुआत वेस क्रेवेन द्वारा निर्देशित हॉरर फिल्म “ए नाइटमेयर ऑन एल्म स्ट्रीट” में एक छोटी सी भूमिका से हुई। फिल्म में, उन्होंने मुख्य पात्रों के दोस्तों में से एक ग्लेन लैंट्ज़ की भूमिका निभाई।
  • 1985: डेप टेलीविजन श्रृंखला “लेडी ब्लू” में दिखाई दिए और लोकप्रिय अपराध नाटक श्रृंखला “मियामी वाइस” में अतिथि भूमिका निभाई।
  • 1986: उन्होंने कॉमेडी फिल्म “प्राइवेट रिजॉर्ट” में अभिनय किया, जो उनकी पहली प्रमुख भूमिकाओं में से एक थी, हालांकि फिल्म को महत्वपूर्ण सफलता नहीं मिली।
  • 1987: डेप को सफलता तब मिली जब उन्हें टेलीविजन श्रृंखला “21 जंप स्ट्रीट” में ऑफिसर टॉम हैनसन की भूमिका के लिए चुना गया। यह शो युवा अंडरकवर पुलिस अधिकारियों के एक समूह पर आधारित था, जिन्होंने हाई स्कूलों और कॉलेजों में अपराधों की जांच की थी। डेप के आकर्षक और युवा अधिकारी हैनसन के चित्रण ने उन्हें एक किशोर दिल की धड़कन बना दिया और उन्हें एक समर्पित प्रशंसक आधार प्राप्त हुआ। शो की लोकप्रियता के बावजूद, डेप अक्सर एक किशोर आदर्श के रूप में टाइपकास्ट किए जाने पर निराशा व्यक्त करते थे।
  • 1988: “21 जंप स्ट्रीट” के दौरान डेप ने फ़िल्म भूमिकाएँ निभाना जारी रखा। वह ओलिवर स्टोन द्वारा निर्देशित डार्क कॉमेडी “प्लाटून” में दिखाई दिए, जिससे उन्हें चार्ली शीन और विलेम डैफो जैसे प्रसिद्ध अभिनेताओं के साथ काम करने का मौका मिला।
  • 1989: डेप की अपनी किशोर आदर्श छवि से अलग होने की इच्छा ने उन्हें और अधिक अपरंपरागत भूमिकाएँ निभाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने टिम बर्टन की फंतासी फिल्म “एडवर्ड सिजरहैंड्स” की शीर्षक भूमिका में अभिनय किया। इसने टिम बर्टन के साथ डेप के सफल सहयोग की शुरुआत को चिह्नित किया और जटिल और अलौकिक पात्रों को जीवन में लाने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन किया।

डेप के शुरुआती करियर की विशेषता उनकी विविध भूमिकाएँ निभाने की इच्छा और एक विशिष्ट दिलफेंक अभिनेता के रूप में पहचाने जाने से बचने की उनकी इच्छा थी। “एडवर्ड सिज़ोर्हैंड्स” की सफलता ने एक अभिनेता के रूप में उनके आगे विकास और आने वाले वर्षों में भूमिकाओं की एक विस्तृत श्रृंखला की खोज के लिए मंच तैयार किया।

1990-2002: स्वतंत्र फ़िल्में और टिम बर्टन के साथ प्रारंभिक सहयोग

1990 से 2002 की अवधि के दौरान, जॉनी डेप ने स्वतंत्र फिल्मों में भूमिकाएँ निभाकर और निर्देशक टिम बर्टन के साथ रचनात्मक साझेदारी स्थापित करके अपने अभिनय प्रदर्शन का विस्तार करना जारी रखा। इस युग में डेप ने विभिन्न प्रकार के किरदार निभाए, जिससे एक अभिनेता के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा का पता चला।

  • 1990: “एडवर्ड सिजरहैंड्स” में अपनी सफलता के बाद, डेप ने जॉन वाटर्स द्वारा निर्देशित रोमांटिक ड्रामा “क्राई-बेबी” में अभिनय किया। यह फिल्म 1950 के दशक की किशोर संस्कृति की याद दिलाती है और इसमें डेप को अपनी हास्य और संगीत प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका मिला।
  • 1993: डेप ने फंतासी फिल्म “बेनी एंड जून” में मुख्य किरदार के रूप में अभिनय किया, जहां उन्होंने शारीरिक कॉमेडी के शौकीन एक विचित्र और सनकी युवक की भूमिका निभाई।
  • 1994: डेप ने कुख्यात फिल्म निर्माता एड वुड के जीवन के बारे में एक जीवनी कॉमेडी-ड्रामा फिल्म “एड वुड” में टिम बर्टन के साथ फिर से काम किया। वुड के चित्रण में डेप ने आलोचकों की प्रशंसा अर्जित की और अद्वितीय और लीक से हटकर पात्रों को मूर्त रूप देने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन किया।
  • 1995: डेप ने जिम जरमुश द्वारा निर्देशित एक असली पश्चिमी फिल्म “डेड मैन” में अभिनय किया। यह उनकी पिछली भूमिकाओं से अलग था, और फिल्म को अपनी अपरंपरागत कहानी के लिए आलोचकों द्वारा खूब सराहा गया।
  • 1997: डेप ने भीड़ में घुसपैठ करने वाले एफबीआई एजेंट की सच्ची कहानी पर आधारित एक अपराध नाटक “डॉनी ब्रास्को” में अल पचिनो के साथ अभिनय किया। अंडरकवर एजेंट के रूप में डेप के प्रदर्शन ने एक नाटकीय अभिनेता के रूप में उनकी सीमा का प्रदर्शन किया।
  • 1999: उन्होंने टिम बर्टन के साथ एक और सहयोग “स्लीपी हॉलो” में मुख्य भूमिका निभाई। यह फिल्म वाशिंगटन इरविंग की क्लासिक कहानी का एक अलौकिक हॉरर-थ्रिलर रूपांतरण थी।
  • 2000: डेप ने जीवनी नाटक “फाइंडिंग नेवरलैंड” में एकांतप्रिय स्कॉटिश लेखक जे.एम. बैरी की भूमिका निभाई। फिल्म ने पीटर पैन के चरित्र को बनाने के लिए बैरी की प्रेरणा का पता लगाया और डेप को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अकादमी पुरस्कार नामांकन दिलाया।
  • 2001: उन्होंने “ब्लो” में अभिनय किया, जो एक जीवनी पर आधारित अपराध नाटक था जिसमें उन्होंने नशीली दवाओं के व्यापार में एक कुख्यात व्यक्ति जॉर्ज जंग का किरदार निभाया था। फिल्म ने जटिल और नैतिक रूप से अस्पष्ट पात्रों को नेविगेट करने की डेप की क्षमता को प्रदर्शित किया।
  • 2002: डेप “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन” फिल्म श्रृंखला की पहली किस्त में कैप्टन जैक स्पैरो की अपनी भूमिका में लौट आए, जिसका शीर्षक “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन: द कर्स ऑफ द ब्लैक पर्ल” था। मजाकिया और विलक्षण समुद्री डाकू कप्तान का उनका चित्रण उनकी सबसे प्रतिष्ठित भूमिकाओं में से एक बन गया और उनके करियर को पुनर्जीवित किया।

इस पूरी अवधि के दौरान, टिम बर्टन जैसे दूरदर्शी निर्देशकों के साथ डेप के सहयोग और अपरंपरागत और चुनौतीपूर्ण भूमिकाएँ निभाने की उनकी इच्छा ने उद्योग में एक बहुमुखी और गतिशील अभिनेता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को मजबूत किया। विभिन्न प्रकार के पात्रों में रूपांतरित होने की उनकी क्षमता ने उनकी स्थायी लोकप्रियता और आलोचनात्मक प्रशंसा में योगदान दिया।

2003-2011: पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन और बॉक्स ऑफिस पर सफलता

2003 से 2011 तक, जॉनी डेप ने बॉक्स ऑफिस पर अपार सफलता का दौर देखा, जो मुख्य रूप से “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन” फिल्म श्रृंखला में कैप्टन जैक स्पैरो के उनके चित्रण से प्रेरित था। इस युग ने हॉलीवुड के प्रमुख अभिनेताओं में से एक के रूप में डेप की स्थिति को मजबूत किया और मनोरंजन उद्योग में उनके प्रभाव को और बढ़ाया।

  • 2003: “ पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन : द कर्स ऑफ द ब्लैक पर्ल” में कैप्टन जैक स्पैरो के रूप में डेप की भूमिका को व्यापक प्रशंसा मिली। समुद्री डाकू कप्तान के उनके विलक्षण और करिश्माई चित्रण ने न केवल चरित्र को परिभाषित किया बल्कि फिल्म इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित और पहचानने योग्य प्रदर्शनों में से एक बन गया। फिल्म की सफलता ने एक बेहद सफल फिल्म फ्रेंचाइजी की शुरुआत को चिह्नित किया।
  • 2004: डेप ने “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन: डेड मैन चेस्ट” में कैप्टन जैक स्पैरो के रूप में अपनी भूमिका दोहराई, जो 2006 में रिलीज़ हुई थी। फिल्म की भारी बॉक्स ऑफिस सफलता ने बॉक्स ऑफिस ड्रॉ के रूप में डेप की स्थिति को मजबूत किया और जैक स्पैरो के चरित्र को और अधिक लोकप्रिय बना दिया। .
  • 2006: डेप ने फ्रेंचाइजी की तीसरी किस्त “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन: एट वर्ल्ड्स एंड” में अभिनय किया। फिल्म ने प्रारंभिक त्रयी का समापन किया और बॉक्स ऑफिस पर अपना दबदबा कायम रखा।
  • 2007: “ पाइरेट्स” फ्रेंचाइजी के अलावा, डेप ने टिम बर्टन की संगीतमय “स्वीनी टोड: द डेमन बार्बर ऑफ फ्लीट स्ट्रीट” के फिल्म रूपांतरण में शीर्षक भूमिका निभाई। प्रतिशोधी नाई के रूप में उनके प्रदर्शन ने उनकी अभिनय बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया और उन्हें मोशन पिक्चर – म्यूजिकल या कॉमेडी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का गोल्डन ग्लोब अवार्ड दिलाया।
  • 2010: डेप ने “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन: ऑन स्ट्रेंजर टाइड्स” में कैप्टन जैक स्पैरो के रूप में वापसी की। फिल्म ने फ्रेंचाइजी में एक और सफल किस्त बनाई और प्रतिष्ठित चरित्र के साथ डेप के जुड़ाव को और मजबूत किया।
  • 2011: डेप ने “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन: ऑन स्ट्रेंजर टाइड्स” और “द रम डायरी” में अभिनय किया। बाद में, उन्होंने प्यूर्टो रिको में एक पत्रकार की भूमिका निभाई, जिसने “पाइरेट्स” श्रृंखला की चल रही सफलता के बीच भी विविध भूमिकाएँ निभाने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।

इस अवधि के दौरान, “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन” फ्रेंचाइजी के साथ जॉनी डेप के जुड़ाव ने उन्हें एक वैश्विक सुपरस्टार की स्थिति तक पहुंचा दिया। कैप्टन जैक स्पैरो के उनके चित्रण ने न केवल उन्हें आलोचकों की प्रशंसा दिलाई, बल्कि बड़े पैमाने पर व्यावसायिक सफलता भी दिलाई, जिससे वह उद्योग में सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेताओं में से एक बन गए। इस युग ने एक बहुमुखी अभिनेता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को मजबूत किया, जो विचित्र और विलक्षण पात्रों से लेकर प्रमुख ब्लॉकबस्टर फ्रेंचाइजी में प्रमुख भूमिकाओं तक विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते थे।

2012-2020: करियर में असफलताएँ

2012 से 2020 तक, जॉनी डेप को करियर में असफलताओं, कानूनी चुनौतियों और विवादों का सामना करना पड़ा, जिसका असर उनकी सार्वजनिक छवि और पेशेवर प्रक्षेपवक्र पर पड़ा। इस अवधि के दौरान, उनके करियर को कानूनी लड़ाइयों, व्यक्तिगत मुद्दों और उनकी भूमिकाओं और परियोजनाओं में बदलाव से चिह्नित किया गया था।

  • 2012: डेप ने टिम बर्टन द्वारा निर्देशित बड़े बजट की फिल्म “डार्क शैडोज़” में अभिनय किया। हालाँकि फिल्म में मजबूत कलाकार और रचनात्मक टीम थी, लेकिन इसे मिश्रित समीक्षाएँ मिलीं और यह उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं रही।
  • 2013: डेप ने गोर वर्बिन्स्की द्वारा निर्देशित एक पश्चिमी एक्शन-एडवेंचर फिल्म “द लोन रेंजर” में अभिनय किया। फिल्म, जो कि एक उच्च बजट वाली प्रमुख फिल्म थी, को नकारात्मक समीक्षा मिली और यह व्यावसायिक रूप से निराशाजनक रही।
  • 2014: डेप ने साइंस फिक्शन फिल्म “ट्रांसेंडेंस” और म्यूजिकल “इनटू द वुड्स” में अभिनय किया। इनमें से किसी भी फिल्म को महत्वपूर्ण आलोचनात्मक प्रशंसा या बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली।
  • 2015-2017: डेप ने 2017 में रिलीज़ हुई “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन: डेड मेन टेल नो टेल्स” में कैप्टन जैक स्पैरो के रूप में अपनी भूमिका जारी रखी। हालांकि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन यह पिछली की सफलता से मेल नहीं खा पाई। किश्तें.
  • 2016-2017: डेप को अपनी पूर्व पत्नी, अभिनेत्री एम्बर हर्ड के साथ अत्यधिक प्रचारित कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ा। कानूनी कार्यवाही में घरेलू दुर्व्यवहार के आरोप शामिल थे और गहन मीडिया कवरेज और सार्वजनिक जांच हुई।
  • 2018: डेप ने “फैंटास्टिक बीस्ट्स: द क्राइम्स ऑफ ग्रिंडेलवाल्ड” में गेलर्ट ग्रिंडेलवाल्ड के रूप में अभिनय किया, जो “हैरी पॉटर” स्पिन-ऑफ श्रृंखला की अगली कड़ी है। इस भूमिका में उनकी कास्टिंग को उनके निजी जीवन से जुड़े चल रहे कानूनी मुद्दों और आरोपों के कारण आलोचना और विवाद मिला।
  • 2020: एक ब्रिटिश अखबार के खिलाफ एक हाई-प्रोफाइल मानहानि मामले में, डेप ने एक लेख पर मानहानि का मुकदमा किया, जिसमें उन्हें “पत्नी को पीटने वाला” कहा गया था। मुकदमे में एम्बर हर्ड के साथ उनके उतार-चढ़ाव भरे विवाह के बारे में विवरण सामने आया और मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया। डेप केस हार गए, और फैसले का उनकी सार्वजनिक छवि और करियर पर प्रभाव पड़ा।
  • 2020-2021: कानूनी और व्यक्तिगत विवादों के परिणामस्वरूप, डेप को भूमिकाएँ और परियोजनाएँ हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने घोषणा की कि वह “फैंटास्टिक बीस्ट्स” फ्रेंचाइजी में गेलर्ट ग्रिंडेलवाल्ड की अपनी भूमिका से अलग हो जाएंगे।

इस पूरी अवधि के दौरान, डेप के करियर को व्यक्तिगत विवादों और कानूनी लड़ाइयों के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी सार्वजनिक छवि पर असर पड़ा और हॉलीवुड सुपरस्टार के रूप में उनकी प्रतिष्ठा में गिरावट का अनुभव हुआ। इन वर्षों के दौरान उन्हें जिन असफलताओं का सामना करना पड़ा, वे आलोचकों की प्रशंसा और व्यावसायिक सफलता से चिह्नित उनके करियर के शुरुआती दौर से बिल्कुल अलग थे। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मेरा ज्ञान सितंबर 2021 तक उपलब्ध जानकारी पर आधारित है, और तब से और भी विकास हो सकते हैं।

2021– वर्तमान: जॉनी डेप की सिनेमा में वापसी

अपनी पूर्व पत्नी एम्बर हर्ड द्वारा लगाए गए घरेलू दुर्व्यवहार के आरोपों के बाद कई परियोजनाओं से बाहर किए जाने के बाद, जॉनी डेप 2021 से सिनेमा में वापसी कर रहे हैं।

2021 में, डेप ने क्राइम ड्रामा सिटी ऑफ़ लाइज़ में अभिनय किया, जो मूल रूप से 2018 में रिलीज़ होने वाली थी। उन्होंने एक फोटो जर्नलिस्ट के बारे में जीवनी नाटक मिनामाटा में भी अभिनय किया, जो जापान में पारा विषाक्तता के प्रभावों का दस्तावेजीकरण करता है।

2022 में, डेप ने राजा लुईस XV की मालकिन के बारे में फ्रांसीसी ऐतिहासिक नाटक जीन डू बैरी में अभिनय किया। उन्होंने स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा निर्देशित कॉमेडी द फैबेलमैन्स में भी अभिनय किया।

डेप के पास कई आगामी परियोजनाएं हैं, जिनमें नाटक ला फेवरेट, संगीतमय वोंका और कॉमेडी बेबीलोन शामिल हैं। वह फिल्म द ब्राइड से निर्देशन में डेब्यू करने के लिए भी तैयार हैं।

यह देखना बाकी है कि डेप की वापसी को दर्शक किस तरह पसंद करेंगे। हालाँकि, वह एक प्रतिभाशाली अभिनेता हैं जिनके बहुत सारे प्रशंसक हैं, और वह निश्चित रूप से कई लोगों को आकर्षित करेंगे। केवल समय ही बताएगा कि क्या वह उसी स्तर की सफलता हासिल कर पाएंगे जो उनके खिलाफ आरोप लगने से पहले थी।

यहां डेप की आगामी परियोजनाओं के बारे में कुछ अतिरिक्त विवरण दिए गए हैं:

  • ला फेवरेट (2023): यह फ्रांसीसी ऐतिहासिक नाटक राजा लुईस XV की अंतिम मालकिन मैडम डू बैरी के उत्थान और पतन के बारे में है। डेप राजा की भूमिका निभाएंगे।
  • वोंका (2023): यह संगीत विली वोंका फिल्मों का प्रीक्वल है। डेप मुख्य किरदार निभाएंगे, एक युवा विली वोंका जो अपनी प्रसिद्ध चॉकलेट फैक्ट्री बनाता है।
  • बेबीलोन (2023): यह ऐतिहासिक नाटक 1920 के दशक में हॉलीवुड पर आधारित है। डेप एक मूक फिल्म स्टार की भूमिका निभाएंगे जो टॉकी फिल्मों में बदलाव के लिए संघर्ष कर रहा है।
  • द ब्राइड (टीबीए): यह थ्रिलर एक महिला के बारे में है जो उन लोगों से बदला लेना चाहती है जिन्होंने उसके परिवार को मार डाला। डेप फिल्म का निर्देशन और अभिनय करेंगे।

अपने अभिनय करियर के अलावा, जॉनी डेप संगीत, उत्पादन और परोपकार सहित कई अन्य उद्यमों में शामिल रहे हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय उद्यम और गतिविधियां दी गई हैं जिनसे वह जुड़े रहे हैं:

  • डेप एक गिटारवादक हैं और कई संगीत परियोजनाओं में शामिल रहे हैं। उन्होंने ऐलिस कूपर और जो पेरी के साथ 2015 में हॉलीवुड वैम्पायर नामक एक रॉक सुपरग्रुप का गठन किया। बैंड उन रॉक संगीतकारों को श्रद्धांजलि देता है जिनका निधन हो गया है।
  • उन्होंने विभिन्न कलाकारों और बैंड के साथ सहयोग किया है, जिसमें एल्बम में गिटार बजाना और अतिथि भूमिका निभाना शामिल है।
  • डेप ने 2004 में इनफिनिटम निहिल नाम से अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी की स्थापना की। कंपनी फिल्मों, टेलीविजन शो और वृत्तचित्रों के निर्माण में शामिल रही है।
  • इनफिनिटम निहिल के माध्यम से, डेप “द रम डायरी” (2011), “डार्क शैडोज़” (2012), और “ट्रांसेंडेंस” (2014) जैसी फिल्मों के निर्माण में शामिल रहे हैं।
  • डेप ने “द अनरवेल्ड टेल्स ऑफ़ बॉब डायलन” नामक एक उपन्यास का सह-लेखन किया, जो 2008 में प्रकाशित हुआ था। यह पुस्तक प्रसिद्ध संगीतकार बॉब डायलन के जीवन और संगीत से प्रेरित थी।
  • डेप को दृश्य कला और पेंटिंग में उनकी रुचि के लिए भी जाना जाता है। उनकी कुछ कलाकृतियाँ सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की गई हैं।
  • डेप धर्मार्थ कार्य और परोपकार में शामिल रहे हैं। उन्होंने विभिन्न मुद्दों का समर्थन किया है, जिनमें बच्चों के अस्पतालों, कैंसर अनुसंधान और आपदा राहत प्रयासों पर केंद्रित संगठन शामिल हैं।
  • उन्होंने दान के लिए महत्वपूर्ण दान दिया है और युवा रोगियों को खुशी देने के लिए कैप्टन जैक स्पैरो के रूप में बच्चों के अस्पतालों का दौरा किया है।

संगीत उद्योग में जॉनी डेप की भागीदारी उनके करियर का एक उल्लेखनीय पहलू रही है। वह न केवल एक कुशल अभिनेता हैं, बल्कि एक प्रतिभाशाली संगीतकार भी हैं, जिन्होंने संगीत को एक गंभीर रुचि के रूप में अपनाया है। यहां उनके संगीत-संबंधी उद्यमों के बारे में कुछ मुख्य बातें दी गई हैं:

गिटार बजाना:

     डेप एक कुशल गिटारवादक हैं और उन्हें छोटी उम्र से ही संगीत का शौक रहा है। जब वह किशोर थे तब उन्होंने गिटार बजाना शुरू किया और वर्षों तक अपनी संगीत क्षमताओं का विकास जारी रखा।

हॉलीवुड पिशाच:

  • 2015 में, जॉनी डेप ने हॉलीवुड वैम्पायर नामक एक रॉक सुपरग्रुप का गठन किया। बैंड का नाम 1970 के दशक के एक सेलिब्रिटी ड्रिंकिंग क्लब के नाम पर रखा गया है जिसमें ऐलिस कूपर, हैरी निल्सन और कीथ मून जैसे सदस्य शामिल थे।
  • हॉलीवुड वैम्पायर में डेप, ऐलिस कूपर और जो पेरी (एरोस्मिथ के गिटारवादक) शामिल हैं। बैंड उन रॉक संगीतकारों को श्रद्धांजलि देता है जिनका निधन हो गया है, उनके गीतों के कवर प्रस्तुत करके।
  • समूह ने 2015 में “हॉलीवुड वैम्पायर” नामक एक एल्बम जारी किया, जिसमें विभिन्न कलाकारों की अतिथि भूमिकाएँ थीं। एल्बम में मूल गाने और क्लासिक रॉक ट्रैक के कवर दोनों शामिल थे।
  • हॉलीवुड वैम्पायर ने लाइव शो किए हैं, अक्सर अपने संगीत को उन रॉक दिग्गजों के बारे में कहानी कहने के साथ मिश्रित किया है जिन्हें वे श्रद्धांजलि देते हैं।
  • डेप ने अन्य कलाकारों के एल्बम में अतिथि भूमिका निभाई है। उन्होंने ओएसिस, मर्लिन मैनसन और शेन मैकगोवन जैसे कलाकारों के गानों पर गिटार बजाया।
  • उन्हें कार्यक्रमों और संगीत समारोहों के दौरान संगीतकारों के साथ मंच पर अचानक प्रस्तुति देने के लिए जाना जाता है।

फ़िल्म साउंडट्रैक:

     संगीत के प्रति अपने प्रेम के कारण, डेप उन कई फिल्मों के साउंडट्रैक में शामिल रहे हैं जिनमें उन्होंने अभिनय किया है। वह कभी-कभी साउंडट्रैक में गायन, गिटार वादन या यहां तक कि मूल गीतों का भी योगदान देते हैं।

संगीत के प्रति जॉनी डेप के जुनून ने उन्हें अभिनय से परे एक अलग रचनात्मक आउटलेट तलाशने की अनुमति दी है। हॉलीवुड वैम्पायर्स में उनकी भागीदारी और अन्य कलाकारों के साथ सहयोग संगीत के प्रति उनके समर्पण और संगीत उद्योग में साथी संगीतकारों और प्रशंसकों के साथ जुड़ने की उनकी इच्छा को दर्शाता है।

जॉनी डेप न केवल अपने अभिनय और संगीत के लिए बल्कि दृश्य कला में अपनी रुचि के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने पेंटिंग में हाथ आजमाया है और कला परिदृश्य से जुड़े रहे हैं। दृश्य कला की दुनिया में उनकी भागीदारी के बारे में कुछ बिंदु यहां दिए गए हैं:

चित्रकारी और कलात्मक अभिव्यक्ति:

  • डेप ने दृश्य कला में रुचि दिखाई है और पेंटिंग और कलाकृतियाँ बनाई हैं। उन्होंने पेंटिंग को थेरेपी का एक रूप और खुद को रचनात्मक रूप से व्यक्त करने का एक तरीका बताया है।
  • उनकी कलाकृति को विभिन्न कार्यक्रमों और दीर्घाओं में प्रदर्शित किया गया है, जो उनके प्रसिद्ध अभिनय और संगीत प्रयासों से परे उनकी प्रतिभा को प्रदर्शित करता है।
  • उनकी कुछ पेंटिंग्स को सोशल मीडिया और साक्षात्कारों में साझा किया गया है, जिससे प्रशंसकों को उनके कलात्मक पक्ष की झलक मिलती है।

     डेप ने विभिन्न परियोजनाओं में कलाकारों और कारीगरों के साथ सहयोग किया है। उदाहरण के लिए, उन्होंने “आई एम बिकम डेथ” नामक एक कला संस्थापन बनाने के लिए प्रसिद्ध कलाकार डेमियन हर्स्ट के साथ सहयोग किया।

एकत्र करनेवाला:

  • कला बनाने के अलावा, डेप कला संग्रहकर्ता भी हैं। उन्होंने कला के विभिन्न टुकड़े और वस्तुएं एकत्र की हैं जो उनके लिए व्यक्तिगत महत्व रखते हैं।
  • कला में उनकी रुचि ने उन्हें कलात्मक शैलियों और रूपों की एक विस्तृत श्रृंखला की सराहना करने के लिए प्रेरित किया है।

हालाँकि जॉनी डेप की कलात्मक गतिविधियाँ उनके अभिनय और संगीत करियर के समान व्यापक रूप से नहीं जानी जाती हैं, लेकिन वे उनकी बहुमुखी रुचियों और रचनात्मक भावना को उजागर करती हैं। दृश्य कलाओं में उनकी भागीदारी उनके प्राथमिक व्यवसायों की सीमाओं से परे आत्म-अभिव्यक्ति और रचनात्मकता के विभिन्न रूपों का पता लगाने की उनकी इच्छा को दर्शाती है।

स्वागत और सार्वजनिक छवि

जॉनी डेप का स्वागत और सार्वजनिक छवि उनके करियर के दौरान विकसित हुई है, जिसमें अपार लोकप्रियता और आलोचनात्मक प्रशंसा के साथ-साथ विवाद और चुनौतियाँ भी शामिल हैं। यहां इस बात का अवलोकन दिया गया है कि उनके स्वागत और सार्वजनिक छवि को किस तरह से देखा गया है:

  • प्रारंभिक करियर (1980-1990 के दशक): डेप को 1980 के दशक के अंत में टेलीविजन श्रृंखला “21 जंप स्ट्रीट” के माध्यम से प्रारंभिक प्रसिद्धि मिली, जिसने उन्हें एक किशोर दिल की धड़कन के रूप में स्थापित किया। अपनी सफलता के बावजूद, वह अक्सर इन भूमिकाओं में टाइपकास्ट होने को लेकर चिंतित रहते थे और उस छवि से अलग होने की कोशिश करते थे।
  • टिम बर्टन के साथ सहयोग (1990-2000): निर्देशक टिम बर्टन के साथ डेप के सहयोग, जैसे “एडवर्ड सिजरहैंड्स” और “स्वीनी टोड” ने उन्हें अद्वितीय और विलक्षण पात्रों में बदलने की उनकी क्षमता के लिए व्यापक प्रशंसा अर्जित की। उनके प्रदर्शन की गहराई और बहुमुखी प्रतिभा के लिए प्रशंसा की गई।
  • “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन” युग (2000-2010): “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन” श्रृंखला में कैप्टन जैक स्पैरो का डेप का किरदार उनके करियर की निर्णायक भूमिका बन गया। चरित्र की लोकप्रियता ने डेप को वैश्विक सुपरस्टार बना दिया, और उन्हें उनके मजाकिया, लीक से हटकर और करिश्माई प्रदर्शन के लिए मनाया गया।
  • कैरियर असफलताएं और विवाद (2010): विवादों, कानूनी लड़ाइयों और हाई-प्रोफाइल व्यक्तिगत मुद्दों के कारण डेप की सार्वजनिक छवि बदलने लगी। पूर्व पत्नी एम्बर हर्ड के साथ उनके तलाक और कानूनी विवादों ने मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया और जनता की राय विभाजित हो गई।
  • कानूनी लड़ाई और छवि पर प्रभाव: डेप की कानूनी लड़ाई, जिसमें एक ब्रिटिश अखबार के खिलाफ उनका मानहानि का मामला और “फैंटास्टिक बीस्ट्स” फिल्म श्रृंखला से उनका प्रस्थान शामिल है, ने उनके निजी जीवन और विकल्पों के बारे में बहस को और तेज कर दिया। इन कानूनी चुनौतियों ने उद्योग में उनकी प्रतिष्ठा और स्थिति पर असर डाला।
  • अपने पूरे करियर में, जॉनी डेप को उनकी अभिनय प्रतिभा, विविध पात्रों में बदलने की क्षमता और अद्वितीय ऑन-स्क्रीन उपस्थिति के लिए पहचाना गया है। हालाँकि, उनकी छवि व्यक्तिगत विवादों, कानूनी मुद्दों और सार्वजनिक धारणा में बदलाव से भी प्रभावित हुई है। प्रशंसकों और आलोचकों ने समान रूप से उनके करियर विकल्पों, व्यक्तिगत व्यवहार और उनके करियर पथ पर उनकी कानूनी लड़ाई के प्रभाव पर बहस की है।

व्यक्तिगत जीवन – और रिश्ते

जॉनी डेप का निजी जीवन और रिश्ते महत्वपूर्ण मीडिया ध्यान और सार्वजनिक रुचि का विषय रहे हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय रिश्ते हैं जिनमें वह शामिल रहे हैं:

  • लोरी ऐनी एलिसन: डेप की पहली शादी एक मेकअप आर्टिस्ट लोरी ऐनी एलिसन से हुई थी। उनकी शादी 1983 में हुई थी लेकिन 1985 में उनका तलाक हो गया।
  • विनोना राइडर: 1990 के दशक की शुरुआत में डेप का अभिनेत्री विनोना राइडर के साथ एक हाई-प्रोफाइल रिश्ता था। अपने रिश्ते के ख़त्म होने से पहले दोनों कुछ समय के लिए सगाई कर चुके थे।
  • केट मॉस: 1990 के दशक के मध्य में डेप का ब्रिटिश सुपर मॉडल केट मॉस के साथ अत्यधिक प्रचारित संबंध था। उन्हें उस युग के सबसे प्रतिष्ठित सेलिब्रिटी जोड़ों में से एक माना जाता था।
  • वैनेसा पैराडिस: डेप का सबसे लंबा और सबसे प्रसिद्ध रिश्ता फ्रांसीसी अभिनेत्री और गायिका वैनेसा पैराडिस के साथ था। वे 1998 से 2012 तक एक साथ थे और उनके दो बच्चे थे: लिली-रोज़ मेलोडी डेप नाम की एक बेटी और जॉन “जैक” क्रिस्टोफर डेप III नाम का एक बेटा। अलग होने के बावजूद, डेप और पारादीस ने सौहार्दपूर्ण सह-पालन-पोषण संबंध बनाए रखा।
  • एम्बर हर्ड: अभिनेत्री एम्बर हर्ड के साथ डेप का रिश्ता काफी प्रचारित हुआ। वे फिल्म “द रम डायरी” पर काम करने के दौरान मिले और फरवरी 2015 में शादी कर ली। हालांकि, उनकी शादी अल्पकालिक रही और उन्होंने 2016 में तलाक के लिए अर्जी दी। उनके तलाक के साथ कई कानूनी लड़ाई और घरेलू आरोप भी लगे। दोनों तरफ से गाली-गलौज. कानूनी कार्यवाही विवादास्पद थी और व्यापक मीडिया कवरेज को आकर्षित किया।

बाद के रिश्ते और कानूनी लड़ाइयाँ: एम्बर हर्ड से तलाक के बाद, डेप का निजी जीवन लगातार सुर्खियों में रहा। वह कुछ समय के लिए रूसी नर्तक पोलिना ग्लेन से जुड़े थे और बाद में अभिनेत्री और संगीतकार सिया के साथ उनका रिश्ता था।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जॉनी डेप के व्यक्तिगत संबंधों के बारे में चर्चा अक्सर मीडिया कवरेज, कानूनी लड़ाई और विवादों से जुड़ी रही है। उनके रिश्तों का उनकी सार्वजनिक छवि और करियर की गति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है, विशेष रूप से एम्बर हर्ड से उनके तलाक और उसके बाद की कानूनी लड़ाइयों के कारण।

एम्बर हर्ड एक अमेरिकी अभिनेत्री और मॉडल हैं जिन्होंने अपनी अभिनय भूमिकाओं के लिए हॉलीवुड में प्रसिद्धि हासिल की। उनका जन्म 22 अप्रैल 1986 को ऑस्टिन, टेक्सास, अमेरिका में हुआ था। जबकि वह मनोरंजन उद्योग में अपने काम के लिए जानी जाती हैं, उनके निजी जीवन और कानूनी मुद्दों, विशेष रूप से उनके अत्यधिक प्रचारित रिश्ते और जॉनी डेप के साथ कानूनी लड़ाई ने भी मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया है।

अभिनय कैरियर:

     एम्बर हर्ड ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 2000 के दशक के मध्य में टेलीविजन शो और फिल्मों में भूमिकाओं के साथ की, जिसमें “हिडन पाम्स” जैसी श्रृंखला और “पाइनएप्पल एक्सप्रेस” और “ज़ोम्बीलैंड” जैसी फिल्में शामिल थीं।

निर्णायक और उल्लेखनीय भूमिकाएँ:

  • उनकी सफल भूमिका फिल्म “नेवर बैक डाउन” (2008) में आई, जहां उन्होंने मुख्य महिला भूमिका निभाई।
  • हर्ड की उल्लेखनीय भूमिकाओं में “द रम डायरी” (2011) जैसी फिल्में शामिल हैं, जहां उन्होंने जॉनी डेप के साथ अभिनय किया, और “मैजिक माइक XXL” (2015)।

जॉनी डेप के साथ संबंध:

  • एम्बर हर्ड और जॉनी डेप फिल्म “द रम डायरी” (2011) में काम करने के दौरान मिले और डेटिंग शुरू कर दी।
  • उन्होंने फरवरी 2015 में शादी कर ली, लेकिन उनकी शादी अल्पकालिक रही और उन्होंने मई 2016 में तलाक के लिए अर्जी दायर की।
  • तलाक की कार्यवाही के साथ-साथ दोनों पक्षों की ओर से कई कानूनी लड़ाइयाँ और घरेलू दुर्व्यवहार के आरोप भी लगे। इन आरोपों और अदालती कार्यवाहियों की सार्वजनिक प्रकृति ने तीव्र मीडिया कवरेज को आकर्षित किया।

कानूनी लड़ाई और विवाद:

  • जॉनी डेप और एम्बर हर्ड के बीच कानूनी लड़ाई अत्यधिक विवादास्पद हो गई और कई देशों में मुकदमों की एक श्रृंखला शुरू हो गई।
  • हर्ड ने 2018 में द वाशिंगटन पोस्ट के लिए एक ऑप-एड लिखा था जिसमें उन्होंने घरेलू दुर्व्यवहार से बचे रहने पर चर्चा की थी, हालांकि उन्होंने लेख में डेप का नाम नहीं लिया था।
  • डेप ने 2019 में हर्ड के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसमें दावा किया गया कि ऑप-एड ने उनके करियर और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया। 2020 में, डेप एक ब्रिटिश अखबार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा हार गए, जिसने उन्हें “पत्नी को पीटने वाला” बताया था। मुकदमे ने उनके अशांत संबंधों के बारे में विवरण उजागर किया और मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया।

जॉनी डेप के साथ एम्बर हर्ड का रिश्ता और उसके बाद की कानूनी लड़ाइयाँ अत्यधिक विवादास्पद रही हैं और इसने महत्वपूर्ण मात्रा में सार्वजनिक और मीडिया जांच को जन्म दिया है। स्थिति जटिल रही है, दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, और इससे घरेलू हिंसा, जवाबदेही और कानूनी मामलों में मीडिया की भूमिका और सार्वजनिक धारणा के बारे में विभाजित राय और चर्चा हुई है। इन मामलों पर संवेदनशीलता और इसमें शामिल सभी पक्षों के प्रति सम्मान के साथ चर्चा करना महत्वपूर्ण है।

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हाई-प्रोफाइल मानहानि मुकदमे.

डेप बनाम न्यूज ग्रुप न्यूजपेपर्स लिमिटेड

“डेप बनाम न्यूज ग्रुप न्यूजपेपर्स लिमिटेड” जॉनी डेप द्वारा ब्रिटिश टैब्लॉइड अखबार, द सन के प्रकाशकों के खिलाफ दायर एक हाई-प्रोफाइल मानहानि मुकदमे को संदर्भित करता है। मामला अप्रैल 2018 में द सन द्वारा प्रकाशित एक लेख पर केंद्रित था जिसमें डेप को “पत्नी को पीटने वाला” कहा गया था। लेख में घरेलू हिंसा के संबंध में डेप की पूर्व पत्नी एम्बर हर्ड द्वारा लगाए गए आरोपों पर चर्चा की गई।

यह मुकदमा यूनाइटेड किंगडम की कानूनी प्रणाली में हुई एक महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाई थी और इसने मीडिया का महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया। मामले से जुड़ी मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

  • 2018 में, द सन ने “गॉन पॉटी: जेके राउलिंग नई फैंटास्टिक बीस्ट्स फिल्म में पत्नी को पीटने वाले जॉनी डेप को कास्ट करके ‘वास्तव में खुश’ कैसे हो सकती हैं?” शीर्षक के साथ एक लेख प्रकाशित किया। यह लेख “फैंटास्टिक बीस्ट्स” फिल्म फ्रेंचाइजी में डेप की कास्टिंग के बारे में व्यापक चर्चा का हिस्सा था।
  • डेप ने लेख में “पत्नी को पीटने वाला” कहे जाने का मुद्दा उठाया और द सन के प्रकाशक, न्यूज ग्रुप न्यूजपेपर्स (एनजीएन) और इसके कार्यकारी संपादक डैन वूटन पर मानहानि का मुकदमा दायर किया।

कानूनी कार्यवाही:

  • जुलाई 2020 में कई हफ्तों के दौरान लंदन के रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में मानहानि का मुकदमा चला।
  • जॉनी डेप और एम्बर हर्ड दोनों ने मुकदमे के दौरान गवाही दी, साथ ही दोस्तों, कर्मचारियों और विशेषज्ञों सहित कई अन्य गवाहों ने भी गवाही दी।
  • मुकदमे में दुर्व्यवहार और प्रति-आरोपों के आरोपों के साथ डेप और हर्ड के उतार-चढ़ाव भरे संबंधों का विस्तृत विवरण शामिल था।
  • नवंबर 2020 में, न्यायाधीश एंड्रयू निकोल ने द सन के प्रकाशकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अपना फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने पाया कि लेख में किए गए अधिकांश दावे काफी हद तक सच थे, जिसका अर्थ है कि डेप ने एम्बर हर्ड के खिलाफ हिंसा के कार्य किए थे।
  • न्यायाधीश के फैसले का डेप की प्रतिष्ठा और करियर पर प्रभाव पड़ा और फैसले ने घरेलू हिंसा, मीडिया रिपोर्टिंग और मशहूर हस्तियों के बारे में सार्वजनिक धारणा के बारे में चर्चा उत्पन्न की।
  • फैसले के बाद, जॉनी डेप ने 6 नवंबर, 2020 को घोषणा की कि वह “फैंटास्टिक बीस्ट्स” फिल्म श्रृंखला में गेलर्ट ग्रिंडेलवाल्ड की अपनी भूमिका से हट जाएंगे।
  • बाद में डेप ने फैसले के खिलाफ अपील करने की अनुमति के लिए आवेदन किया, लेकिन मार्च 2021 में यूके कोर्ट ऑफ अपील ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया।
  • “डेप बनाम न्यूज़ ग्रुप न्यूज़पेपर्स लिमिटेड” मुकदमा एक महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाई थी जिसका जॉनी डेप के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों पर दूरगामी प्रभाव पड़ा। मामले ने मानहानि कानून की जटिलताओं, सार्वजनिक धारणाओं में मीडिया की भूमिका और हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों से जुड़ी कानूनी लड़ाइयों से निपटने की चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

कानूनी लड़ाई : जॉनी डेप एम्बर हर्ड

जॉनी डेप और एम्बर हर्ड कई वर्षों से कानूनी लड़ाई में शामिल हैं, जो हर्ड द्वारा डेप के खिलाफ लगाए गए घरेलू दुर्व्यवहार के आरोपों से उपजा है।

  • 2016 में, हर्ड ने डेप से तलाक के लिए अर्जी दायर की और उसके खिलाफ एक अस्थायी निरोधक आदेश प्राप्त किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसने अपनी शादी के दौरान उसके साथ शारीरिक और मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया था। डेप ने आरोपों से इनकार किया और जोड़े ने 2017 में अपना तलाक सुलझा लिया।
  • 2018 में, हर्ड ने द वाशिंगटन पोस्ट के लिए एक ऑप-एड लिखा जिसमें उन्होंने खुद को “घरेलू दुर्व्यवहार का प्रतिनिधित्व करने वाली सार्वजनिक हस्ती” के रूप में वर्णित किया। ऑप-एड में डेप का नाम नहीं था, लेकिन उन्होंने हर्ड पर मानहानि का मुकदमा किया, यह दावा करते हुए कि ऑप-एड में यह दर्शाया गया था कि वह एक घरेलू दुर्व्यवहारकर्ता था।
  • हर्ड के खिलाफ डेप के मानहानि मुकदमे की सुनवाई अप्रैल 2022 में शुरू हुई और छह सप्ताह तक चली। डेप और हर्ड दोनों ने गवाही दी, साथ ही कई गवाहों ने भी गवाही दी, जिन्होंने दुर्व्यवहार के सबूत देखने या सुनने का दावा किया था।
  • 1 जून, 2022 को, जूरी ने पाया कि हर्ड ने अपने ऑप-एड में डेप को बदनाम किया और उन्हें क्षतिपूर्ति हर्जाने में $10 मिलियन और दंडात्मक हर्जाने में $5 मिलियन का पुरस्कार दिया। जूरी ने यह भी पाया कि डेप ने अपने वकील द्वारा दिए गए एक बयान में हर्ड को बदनाम किया, और उसे मुआवजे के तौर पर 2 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया।
  • हर्ड ने फैसले के खिलाफ अपील की है और यह स्पष्ट नहीं है कि अपील पर फैसला कब होगा।
  • डेप और हर्ड के बीच कानूनी लड़ाई को अत्यधिक प्रचारित किया गया है, और इसने जनता की राय को विभाजित कर दिया है। कुछ लोगों का मानना है कि डेप दुर्व्यवहार का शिकार है, जबकि अन्य का मानना है कि हर्ड पीड़ित है। इस मामले ने घरेलू दुर्व्यवहार की गतिशीलता और #MeToo आंदोलन के बारे में भी महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं।

अन्य कानूनी मुद्दे

जॉनी डेप और एम्बर हर्ड से जुड़ी हाई-प्रोफाइल कानूनी लड़ाइयों और विवादों के अलावा, अन्य कानूनी मुद्दे और मामले भी हैं जिन्होंने जॉनी डेप के पूरे करियर में ध्यान आकर्षित किया है। यहां कुछ अन्य कानूनी मामले हैं जो उनसे जुड़े रहे हैं:

वित्तीय विवाद:

     डेप अपने वित्त से संबंधित कानूनी विवादों में शामिल रहे हैं। 2017 में, उन्होंने अपने पूर्व व्यवसाय प्रबंधकों पर अपने वित्त के कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया और हर्जाना मांगा। प्रबंधन कंपनी ने प्रतिवाद करते हुए आरोप लगाया कि डेप का अत्यधिक खर्च उनकी वित्तीय समस्याओं का कारण था। 2018 में मामला सुलझ गया.

अंगरक्षक और सुरक्षा कर्मी:

     2016 में, डेप पर एक पूर्व अंगरक्षक द्वारा मुकदमा दायर किया गया था, जिसने आरोप लगाया था कि अभिनेता द्वारा उस पर शारीरिक हमला किया गया था। मुकदमा अंततः अदालत के बाहर सुलझा लिया गया।

प्रबंधन और कानूनी टीमों के साथ कानूनी विवाद:

     डेप अपने वित्त और अनुबंधों से संबंधित मुद्दों पर अपने पूर्व वकीलों के साथ कानूनी विवादों में शामिल रहे हैं। इन विवादों में कानूनी शुल्क, अनुबंध वार्ता और प्रतिनिधित्व पर दावे और प्रतिदावे शामिल हैं।

रियल एस्टेट विवाद:

     डेप अपनी रियल एस्टेट होल्डिंग्स से संबंधित कानूनी विवादों में शामिल रहे हैं। किराये की संपत्तियों को कथित नुकसान जैसे मुद्दों पर मकान मालिकों और संपत्ति मालिकों द्वारा उन पर मुकदमा दायर किया गया है।

पशु आयात मुद्दे:

     2015 में, डेप और उनकी तत्कालीन पत्नी एम्बर हर्ड को देश में प्रवेश करते समय अपने पालतू कुत्तों की घोषणा करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए ऑस्ट्रेलिया में कानूनी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके चलते एक सार्वजनिक माफी वीडियो सामने आया जिसने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया।

राजनीतिक दृष्टिकोण

जॉनी डेप ने सार्वजनिक रूप से अपने राजनीतिक विचारों को विस्तार से साझा नहीं किया है। हालाँकि, उन्होंने कुछ ऐसे बयान दिए हैं जिनसे पता चलता है कि वह राजनीतिक रूप से उदार हैं।

  • 2016 में, डेप ने डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ बात करते हुए उन्हें “बदमाश” और “धमकाने वाला” कहा। उन्होंने यह भी कहा कि वह ट्रम्प के अभियान बयानबाजी से “घृणित” थे।
  • 2017 में, डेप यूक्रेनी फिल्म निर्माता ओलेग सेंत्सोव की रिहाई के लिए अभियान कैद फॉर आर्ट में शामिल हुए, जिन्हें रूस में हिरासत में रखा गया था।
  • डेप आप्रवासन और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राज्य सरकार की नीतियों के भी आलोचक रहे हैं।
  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डेप हमेशा अपने राजनीतिक विचारों में सुसंगत नहीं रहे हैं। अतीत में, उन्होंने कुछ ऐसे बयान दिए हैं जिनकी व्याख्या रूढ़िवादी के रूप में की जा सकती है। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा है कि वह एक “राजकोषीय रूढ़िवादी” हैं और वह “सीमित सरकार” में विश्वास करते हैं।
  • हालाँकि, ऐसा लगता है कि डेप के राजनीतिक विचार समय के साथ विकसित हुए हैं। अब उनके सामाजिक अन्याय के खिलाफ बोलने और प्रगतिशील कारणों का समर्थन करने की अधिक संभावना है।

फिल्मोग्राफी और प्रशंसा – डिस्कोग्राफी

यहां जॉनी डेप की फिल्मोग्राफी, उल्लेखनीय प्रशंसा और संगीत उद्योग में उनकी भागीदारी का सारांश दिया गया है:

जॉनी डेप का फिल्मी करियर काफी शानदार रहा है और उन्होंने विभिन्न शैलियों में कई तरह की भूमिकाएं निभाई हैं। उनकी कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में शामिल हैं:

  • एल्म स्ट्रीट पर एक दुःस्वप्न (1984)
  • पलटन (1986)
  • एडवर्ड सिजरहैंड्स (1990)
  • पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन: द कर्स ऑफ द ब्लैक पर्ल (2003)
  • फाइंडिंग नेवरलैंड (2004)
  • चार्ली एंड द चॉकलेट फ़ैक्टरी (2005)
  • स्वीनी टोड: द डेमन बार्बर ऑफ़ फ्लीट स्ट्रीट (2007)
  • ऐलिस इन वंडरलैंड (2010)
  • रंगो (2011) [ आवाज भूमिका]
  • पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन: ऑन स्ट्रेंजर टाइड्स (2011)
  • द लोन रेंजर (2013)
  • ब्लैक मास (2015)
  • फैंटास्टिक बीस्ट्स: द क्राइम्स ऑफ ग्रिंडेलवाल्ड (2018)
  • वेटिंग फॉर द बारबेरियन्स (2019)
  • मिनामाता (2021)

कृपया ध्यान दें कि यह एक विस्तृत सूची नहीं है और इसमें उनकी सभी फ़िल्में शामिल नहीं हैं। सितंबर 2021 में मेरे आखिरी अपडेट के बाद से अतिरिक्त परियोजनाएं जारी हो सकती हैं।

एक अभिनेता के रूप में जॉनी डेप की प्रतिभा ने उन्हें वर्षों से पहचान और पुरस्कार दिलाये हैं। उनकी कुछ उल्लेखनीय प्रशंसाओं में शामिल हैं:

  • अकादमी पुरस्कार नामांकन: डेप को “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन: द कर्स ऑफ द ब्लैक पर्ल” (2003) में उनकी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अकादमी पुरस्कार नामांकन मिला।
  • गोल्डन ग्लोब पुरस्कार: उन्होंने “स्वीनी टोड: द डेमन बार्बर ऑफ फ्लीट स्ट्रीट” (2007) के लिए मोशन पिक्चर – म्यूजिकल या कॉमेडी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का गोल्डन ग्लोब पुरस्कार जीता।
  • स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड्स: उन्हें “फाइंडिंग नेवरलैंड” और “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन” सहित विभिन्न भूमिकाओं के लिए स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड से नामांकन प्राप्त हुआ।
  • बाफ्टा पुरस्कार: डेप को “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन,” “फाइंडिंग नेवरलैंड,” और “स्वीनी टोड” जैसी भूमिकाओं के लिए कई बाफ्टा नामांकन प्राप्त हुए।

डिस्कोग्राफ़ी:

जॉनी डेप की संगीत भागीदारी में रॉक सुपरग्रुप हॉलीवुड वैम्पायर में गिटारवादक के रूप में उनकी भूमिका शामिल है, जिसे उन्होंने ऐलिस कूपर और जो पेरी के साथ बनाया था। बैंड ने 2015 में एक स्व-शीर्षक एल्बम जारी किया जिसमें मूल गीतों और क्लासिक रॉक ट्रैक के कवर का मिश्रण था।

जॉनी डेप का करियर सफलताओं और विवादों दोनों से भरा रहा है। कुछ विवाद और उल्लेखनीय घटनाएँ जिन्होंने उन्हें घेर रखा है उनमें शामिल हैं:

  • एम्बर हर्ड के साथ कानूनी लड़ाई: जॉनी डेप के जीवन में सबसे प्रमुख विवादों में से एक उनकी पूर्व पत्नी, अभिनेत्री एम्बर हर्ड के साथ उनकी अत्यधिक प्रचारित कानूनी लड़ाई रही है। जोड़े के तलाक के साथ-साथ दोनों तरफ से घरेलू दुर्व्यवहार के आरोप भी लगे, जिसके कारण कानूनी मामलों की एक श्रृंखला और एक विभाजनकारी सार्वजनिक बहस हुई।
  • वित्तीय मुद्दे और मुकदमे: डेप वित्तीय मामलों पर कानूनी विवादों में शामिल रहे हैं, जिसमें उनके पूर्व व्यापार प्रबंधकों के खिलाफ उनके वित्त के कुप्रबंधन का आरोप लगाने वाला मुकदमा भी शामिल है। ये मुकदमे उनकी वित्तीय स्थिति और खर्च करने की आदतों पर प्रकाश डालते हैं।
  • यूके मानहानि मामले में कानूनी हार: 2020 में, डेप यूके में द सन अखबार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा हार गए। यह मामला एक लेख के इर्द-गिर्द घूमता है जिसमें एम्बर हर्ड द्वारा लगाए गए आरोपों के संदर्भ में उन्हें “पत्नी को पीटने वाला” करार दिया गया था। मुकदमे में उनके रिश्ते और दुर्व्यवहार के आरोपों के बारे में विवरण सामने आया।
  • स्वास्थ्य और मादक द्रव्यों का सेवन: डेप के स्वास्थ्य और मादक द्रव्यों के सेवन के मुद्दे भी विवाद का एक स्रोत रहे हैं। शराब और मादक द्रव्यों के सेवन से उनके संघर्ष की रिपोर्टों ने पिछले कुछ वर्षों में मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है।
  • व्यावसायिक असफलताएँ: जबकि डेप का अभिनय करियर सफल रहा है, पेशेवर असफलताओं के दौर भी आए हैं, जिनमें ऐसी फ़िल्में भी शामिल हैं जिन्हें नकारात्मक समीक्षा मिली या बॉक्स ऑफिस पर ख़राब प्रदर्शन हुआ।
  • व्यक्तिगत व्यवहार और विलक्षणताएँ: डेप के अनूठे और कभी-कभी विलक्षण व्यवहार के साथ-साथ उनके अपरंपरागत फैशन विकल्पों और लीक से हटकर सार्वजनिक उपस्थिति ने कभी-कभी ध्यान और टिप्पणी आकर्षित की है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक हस्तियों को अक्सर सकारात्मक और नकारात्मक ध्यान का सामना करना पड़ता है, और उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन के विभिन्न पहलुओं से विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। जॉनी डेप के विवादों ने घरेलू हिंसा, कानूनी नैतिकता, सेलिब्रिटी व्यवहार और सार्वजनिक छवि के साथ व्यक्तिगत जीवन के अंतर्संबंध के बारे में चर्चा शुरू कर दी है। किसी भी जटिल आंकड़े की तरह, इन विवादों पर राय व्यापक रूप से भिन्न हो सकती है।

यहां जॉनी डेप के बारे में कुछ दिलचस्प बातें दी गई हैं:

  • संगीत प्रतिभा: अभिनय के अलावा, डेप एक प्रतिभाशाली संगीतकार हैं और गिटार, बास गिटार और ड्रम बजा सकते हैं। उन्होंने विभिन्न कलाकारों के साथ सहयोग किया है और यहां तक कि ओएसिस और मर्लिन मैनसन जैसे बैंड के लिए एल्बम में गिटार भी बजाया है।
  • प्रारंभिक आकांक्षाएँ: अभिनय में आगे बढ़ने से पहले, डेप की एक रॉक संगीतकार बनने की आकांक्षा थी। उन्होंने “द किड्स” नामक रॉक बैंड में शामिल होने के लिए 15 साल की उम्र में हाई स्कूल छोड़ दिया।
  • कैप्टन जैक स्पैरो की प्रेरणा: “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन” श्रृंखला में कैप्टन जैक स्पैरो का डेप का चित्रण द रोलिंग स्टोन्स के कीथ रिचर्ड्स और लूनी ट्यून्स के चरित्र पेपे ले प्यू से प्रेरित था।
  • “ ए नाइटमेयर ऑन एल्म स्ट्रीट” में बिना श्रेय वाली भूमिका: जॉनी डेप के अभिनय करियर की शुरुआत हॉरर फिल्म “ए नाइटमेयर ऑन एल्म स्ट्रीट” (1984) में एक बिना श्रेय वाली भूमिका से हुई, जिसमें उन्होंने एक ऐसा किरदार निभाया था जिसका भाग्य यादगार और भयानक होता है।
  • टैटू: डेप के पास कई टैटू हैं, जिनमें से कई व्यक्तिगत अर्थ रखते हैं या उनके जीवन के महत्वपूर्ण लोगों की याद दिलाते हैं। उन्होंने प्रसिद्ध रूप से एक टैटू को बदल दिया जिस पर मूल रूप से “विनो फॉरएवर” लिखा था (अपनी पूर्व मंगेतर विनोना राइडर के लिए) “विनो फॉरएवर” लिखा था।
  • विली वोंका प्रेरणा: “चार्ली एंड द चॉकलेट फैक्ट्री” (2005) में विली वोंका का डेप का चित्रण बच्चों के शो होस्ट से प्रभावित था, जिसे उन्होंने एक बच्चे के रूप में देखा था, साथ ही हॉवर्ड ह्यूजेस के विलक्षण व्यक्तित्व से भी प्रभावित थे।
  • पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन का प्रभाव: कैप्टन जैक स्पैरो के रूप में डेप के प्रदर्शन ने न केवल उन्हें प्रशंसा अर्जित की, बल्कि प्रतिरूपण और कॉसप्ले के लिए एक लोकप्रिय विषय भी बन गया, जिससे यह चरित्र एक सांस्कृतिक प्रतीक बन गया।
  • हंटर एस. थॉम्पसन के साथ घनिष्ठ मित्रता: डेप विलक्षण लेखक हंटर एस. थॉम्पसन के घनिष्ठ मित्र थे और यहां तक कि उन्होंने उनके विस्तृत अंतिम संस्कार का खर्च भी उठाया था, जिसमें उनकी राख को तोप से उड़ाया जाना भी शामिल था।
  • आवाज अभिनय: डेप ने शीर्षक चरित्र के रूप में अपनी भूमिका के अलावा, एनिमेटेड फिल्म “रंगो” (2011) में चरित्र “लार्स” के लिए आवाज प्रदान की।
  • कलात्मक अभिव्यक्ति: पेंटिंग के अलावा, डेप को दृश्य कला में गहरी रुचि है। वह लॉस एंजिल्स में एक गैलरी के सह-मालिक हैं और उनकी कलाकृति को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया है।

ये सामान्य ज्ञान बिंदु जॉनी डेप के जीवन और करियर के विविध और दिलचस्प पहलुओं की एक झलक पेश करते हैं।

ओहनी डेप पुस्तकों पर लेखन और सहयोग में शामिल रहे हैं, विशेष रूप से अपनी स्वयं की प्रकाशन कंपनी, इनफिनिटम निहिल के माध्यम से। यहां जॉनी डेप से जुड़ी कुछ उल्लेखनीय पुस्तकें हैं:

“ द अनरेवेल्ड टेल्स ऑफ़ बॉब डायलन” (2008): जॉनी डेप ने पत्रकार डगलस ब्रिंकले के साथ मिलकर यह किताब लिखी है। यह पुस्तक प्रसिद्ध संगीतकार बॉब डायलन के जीवन और संगीत की पड़ताल करती है। इसमें संगीत और संस्कृति पर डायलन के प्रभाव पर साक्षात्कार, उपाख्यान और प्रतिबिंब शामिल हैं।

इन्फिनिटम निहिल प्रकाशन: डेप ने 2004 में अपनी खुद की प्रकाशन कंपनी, इनफिनिटम निहिल की स्थापना की। कंपनी का लक्ष्य ऐसी किताबें तैयार करना है जो डेप की रुचियों और कलात्मक संवेदनाओं को प्रतिबिंबित करें।

हालाँकि जॉनी डेप द्वारा सीधे तौर पर लिखी गई पुस्तकों की कोई विस्तृत सूची नहीं हो सकती है, इनफिनिटम निहिल साहित्य, कला और संस्कृति जैसी डेप की रुचियों से संबंधित पुस्तकों के प्रकाशन में शामिल रहा है।

  • “ लोग रोते हैं, इसलिए नहीं कि वे कमज़ोर हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे बहुत लंबे समय से मजबूत हैं।”
  • “ यदि आप एक ही समय में दो लोगों से प्यार करते हैं, तो दूसरे को चुनें। क्योंकि यदि आप वास्तव में पहले वाले से प्यार करते हैं, तो आप दूसरे के प्यार में नहीं पड़ते।”
  • “ मुझे लगता है कि हर कोई अजीब है। हम सभी को अपनी वैयक्तिकता का जश्न मनाना चाहिए और इससे शर्मिंदा या शर्मिंदा नहीं होना चाहिए।”
  • “ मैं बहुत खुश था कि उन्होंने ‘ फ्रेंच फ्राइज़’ का नाम बदलकर ‘ फ्रीडम फ्राइज़’ रख दिया। अमेरिकी सरकार में सत्ता के पदों पर बैठे वयस्क पुरुष और महिलाएं खुद को बेवकूफ दिखा रहे हैं।”
  • “ मुझमें एक ऐसी इच्छा है जो मुझे कुछ ऐसे काम नहीं करने देगी जो आसान हैं।”

प्रश्न : जॉनी डेप कौन है?

उत्तर : जॉनी डेप एक अमेरिकी अभिनेता, निर्माता और संगीतकार हैं। उन्होंने मुख्यधारा और स्वतंत्र दोनों फिल्मों में अपनी बहुमुखी अभिनय भूमिकाओं के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की।

प्रश्न : जॉनी डेप की सबसे प्रसिद्ध भूमिकाएँ क्या हैं?

उत्तर : डेप को व्यापक रूप से ‘एडवर्ड सिजरहैंड्स’, ‘पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन’ श्रृंखला में कैप्टन जैक स्पैरो, ‘स्वीनी टोड: द डेमन बार्बर ऑफ फ्लीट स्ट्रीट’ और ‘फाइंडिंग नेवरलैंड’ जैसी अन्य भूमिकाओं के लिए जाना जाता है।

प्रश्न : जॉनी डेप ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत कैसे की?

उत्तर : डेप का अभिनय करियर टेलीविजन श्रृंखला में छोटी भूमिकाओं के साथ शुरू हुआ, 1980 के दशक के अंत में टीवी शो “21 जंप स्ट्रीट” से उन्हें सफलता मिली।

प्रश्न : “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन” श्रृंखला क्या है?

उत्तर : “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन” एक सफल फिल्म फ्रेंचाइजी है जहां जॉनी डेप ने प्रतिष्ठित चरित्र कैप्टन जैक स्पैरो, एक विचित्र और आकर्षक समुद्री डाकू का किरदार निभाया है।

प्रश्न : जॉनी डेप का निजी जीवन कैसा है?

उत्तर : डेप के निजी जीवन को हाई-प्रोफाइल रिश्तों द्वारा चिह्नित किया गया है, विशेष रूप से एम्बर हर्ड से उनकी शादी और उसके बाद की कानूनी लड़ाई। उन्हें संगीत और दृश्य कला में भी रुचि है।

प्रश्न : जॉनी डेप से जुड़े कुछ विवाद क्या हैं?

उत्तर : डेप की कानूनी लड़ाई, विशेष रूप से द सन अखबार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा, और एम्बर हर्ड के साथ उनके संबंधों को मीडिया में व्यापक रूप से कवर किया गया है।

प्रश्न : क्या जॉनी डेप ने कोई पुरस्कार जीता है?

उत्तर : हाँ, डेप को कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें “स्वीनी टोड: द डेमन बार्बर ऑफ फ्लीट स्ट्रीट” के लिए गोल्डन ग्लोब और “पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन” और “फाइंडिंग नेवरलैंड” के लिए अकादमी पुरस्कार नामांकन शामिल हैं।

प्रश्न : जॉनी डेप की संगीत में क्या भागीदारी है?

उत्तर : डेप एक गिटारवादक और रॉक सुपरग्रुप हॉलीवुड वैम्पायर के सदस्य हैं। बैंड उन रॉक संगीतकारों को श्रद्धांजलि देता है जिनका निधन हो गया है।

प्रश्न : क्या जॉनी डेप अभी भी अभिनय कर रहे हैं?

उत्तर : सितंबर 2021 में मेरे आखिरी अपडेट के अनुसार, हाँ, जॉनी डेप अभी भी मनोरंजन उद्योग में सक्रिय हैं। हालाँकि, उनकी भूमिकाएँ और परियोजनाएँ तब से विकसित हो सकती हैं।

Elvis Presley biography in hindi

एल्विस प्रेस्ली, जिन्हें अक्सर “रॉक ‘एन’ रोल का राजा” कहा जाता है, एक अमेरिकी गायक, संगीतकार और अभिनेता थे, जो 20वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक बन गए। उनका जन्म 8 जनवरी, 1935 को टुपेलो, मिसिसिपी में हुआ था और उनकी मृत्यु 16 अगस्त, 1977 को मेम्फिस, टेनेसी में हुई थी।

स्थानीय प्रदर्शन और बढ़ती प्रसिद्धि:

  • एल्विस प्रेस्ली का संगीत करियर 1950 के दशक के मध्य में शुरू हुआ जब उन्होंने सन रिकॉर्ड्स के लिए “दैट्स ऑल राइट,” “ब्लू मून ऑफ केंटकी,” और “हार्टब्रेक होटल” सहित कई अभूतपूर्व गाने रिकॉर्ड किए। रॉकबिली, रिदम और ब्लूज़ और देशी संगीत शैलियों के उनके अनूठे मिश्रण ने रॉक ‘एन’ रोल की नींव को आकार देने में मदद की।
  • उनके कुछ अन्य लोकप्रिय गीतों में “हाउंड डॉग,” “जेलहाउस रॉक,” “लव मी टेंडर,” “कैन हेल्प फ़ॉलिंग इन लव,” और “सस्पिशियस माइंड्स” शामिल हैं। एल्विस के ऊर्जावान प्रदर्शन, करिश्माई मंच उपस्थिति और सिग्नेचर हिप-शेकिंग डांस मूव्स ने उन्हें रूढ़िवादी 1950 के दशक में एक सनसनी और एक विवादास्पद व्यक्ति बना दिया।
  • एल्विस ने कई फिल्मों में भी अभिनय किया, हालांकि कई संगीतमय कॉमेडी थीं जो हमेशा उनकी पूरी कलात्मक क्षमता को प्रदर्शित नहीं करती थीं। उनका फिल्मी करियर 1950 के दशक में “लव मी टेंडर” और “जेलहाउस रॉक” जैसी फिल्मों से शुरू हुआ।
  • 1960 के दशक के उत्तरार्ध में, एल्विस ने अपने टेलीविज़न वापसी विशेष के साथ करियर में पुनरुत्थान का अनुभव किया, जिसने उनकी कच्ची प्रतिभा को उजागर किया और उन्हें अपनी रॉक ‘एन’ रोल जड़ों से फिर से जोड़ा। उन्होंने 1970 के दशक में सफल एल्बम जारी करना और लाइव संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत करना जारी रखा।
  • दुखद बात यह है कि एल्विस प्रेस्ली का जीवन व्यक्तिगत संघर्षों से भरा रहा, जिसमें स्वास्थ्य समस्याएं और डॉक्टर द्वारा लिखी दवाओं की लत शामिल थी। 16 अगस्त 1977 को 42 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनकी असामयिक मृत्यु के बावजूद, उनका संगीत और प्रभाव कायम है और उन्हें लोकप्रिय संगीत की दुनिया में एक अग्रणी व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है।

जीवन और पेशा – 1935-1953: प्रारंभिक वर्ष

टुपेलो में बचपन

एल्विस प्रेस्ली का जन्म 8 जनवरी, 1935 को टुपेलो, मिसिसिपी में वर्नोन और ग्लेडिस प्रेस्ली के दो कमरों वाले शॉटगन हाउस में हुआ था। वह जुड़वाँ था, लेकिन उसका भाई, जेसी गैरोन प्रेस्ली, मृत पैदा हुआ था, जिससे एल्विस एकमात्र बच्चे के रूप में बड़ा हुआ। प्रेस्ली परिवार संपन्न नहीं था, और एल्विस के शुरुआती वर्षों के दौरान उन्हें आर्थिक रूप से संघर्ष करना पड़ा।

  • एल्विस के माता-पिता मेहनती थे और उन्होंने अपने बेटे का भरण-पोषण करने की पूरी कोशिश की। वर्नोन प्रेस्ली ने विभिन्न विषम नौकरियाँ कीं, और ग्लेडिस ने सिलाई कारखानों में काम किया। एल्विस का अपने माता-पिता, विशेषकर अपनी माँ के साथ घनिष्ठ संबंध का उसके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
  • एल्विस का संगीत के प्रति परिचय कम उम्र में ही शुरू हो गया, जब उन्होंने चर्च सेवाओं में भाग लिया और अपने परिवार के साथ सुसमाचार संगीत सुना। उन्होंने ब्लूज़ और देशी संगीत में भी रुचि विकसित की, जो उस समय दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकप्रिय थे। उनके परिवार की गरीबी के कारण संगीत वाद्ययंत्रों तक उनकी पहुंच सीमित थी, लेकिन वह गिटार बजाने में कामयाब रहे और खुद ही बजाना सीखना शुरू कर दिया।
  • 1948 में, प्रेस्ली परिवार बेहतर अवसरों की तलाश में मेम्फिस, टेनेसी चला गया। एल्विस की संगीत रुचियाँ लगातार बढ़ती रहीं, और उन्होंने बीले स्ट्रीट क्षेत्र में बार-बार जाना शुरू कर दिया, जहाँ उन्हें ब्लूज़, आर एंड बी और कंट्री सहित विभिन्न प्रकार की संगीत शैलियों से अवगत कराया गया।

1954-1955: सन रिकॉर्ड्स और रॉक ‘एन’ रोल का उदय

1953 में, एल्विस ने मेम्फिस में सन रिकॉर्ड्स स्टूडियो का दौरा किया और अपनी मां के लिए उपहार के रूप में कुछ गाने रिकॉर्ड किए। उनकी अनूठी गायन शैली ने सन रिकॉर्ड्स के मालिक सैम फिलिप्स का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने एल्विस की क्षमता को पहचाना और उन्हें औपचारिक रिकॉर्डिंग सत्र के लिए वापस आमंत्रित किया।

जुलाई 1954 में, एल्विस ने “दैट्स ऑल राइट” और “ब्लू मून ऑफ़ केंटकी” रिकॉर्ड किया, जिसमें उनके ब्लूज़ और देशी प्रभावों का मिश्रण प्रदर्शित हुआ। इन रिकॉर्डिंग्स ने रॉक ‘एन’ रोल के जन्म को चिह्नित किया और स्थानीय ध्यान आकर्षित किया। एल्विस के ऊर्जावान प्रदर्शन और करिश्माई मंच उपस्थिति ने उन्हें एक समर्पित अनुयायी हासिल करने में मदद की।

1956-1957: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सफलता

1956 में “हार्टब्रेक होटल,” “हाउंड डॉग,” और “डोंट बी क्रुएल” जैसी हिट फिल्मों के साथ एल्विस की लोकप्रियता आसमान छू गई। उन्होंने “द एड सुलिवन शो” सहित टेलीविज़न शो में उपस्थिति दर्ज कराई, जिसने उन्हें देश भर के दर्शकों के सामने उजागर किया और रॉक ‘एन’ रोल सनसनी के रूप में उनकी स्थिति को और मजबूत किया।

  • इस अवधि के दौरान, एल्विस के प्रदर्शन को प्रशंसा और विवाद दोनों का सामना करना पड़ा। विभिन्न संगीत शैलियों के मिश्रण की उनकी अनूठी शैली और उनके उत्तेजक नृत्य ने उस समय के मानदंडों को चुनौती दी और उन्हें युवा विद्रोह का प्रतीक बना दिया।
  • एल्विस की प्रसिद्धि संगीत से परे बढ़ गई क्योंकि उन्होंने 1956 में अपनी पहली फिल्म “लव मी टेंडर” में अभिनय किया था। उन्होंने वर्षों में कई और फिल्मों में अभिनय किया, हालांकि फिल्मों पर उनके ध्यान ने अस्थायी रूप से उनके संगीत कैरियर की दिशा को बदल दिया।
  • इन प्रारंभिक वर्षों ने एल्विस प्रेस्ली के शानदार करियर की नींव रखी, जिसने आने वाले दशकों के लिए लोकप्रिय संगीत और लोकप्रिय संस्कृति के प्रक्षेप पथ को प्रभावित किया।

मेम्फिस में किशोर जीवन

मेम्फिस में एल्विस प्रेस्ली का किशोर जीवन संगीत अन्वेषण, व्यक्तिगत अनुभवों और उस समय के सांस्कृतिक प्रभावों के संयोजन से चिह्नित था। मेम्फिस में उनकी किशोरावस्था के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

  • संगीतमय प्रदर्शन: मेम्फिस में, एल्विस को एक जीवंत और विविध संगीत दृश्य से अवगत कराया गया। वह ब्लूज़, आर एंड बी और जैज़ संगीत के केंद्र बीले स्ट्रीट में बार-बार जाते थे, जहां उन्होंने विभिन्न संगीत शैलियों को आत्मसात किया जो बाद में उनकी अपनी ध्वनि को प्रभावित करेगी। वह विशेष रूप से बी.बी. किंग, हाउलिन वुल्फ और फैट्स डोमिनोज़ जैसे अफ्रीकी अमेरिकी कलाकारों के लय और ब्लूज़ संगीत के प्रति आकर्षित थे।
  • चर्च और गॉस्पेल संगीत: एक धार्मिक घराने में एल्विस की परवरिश ने उन्हें गॉस्पेल संगीत से परिचित कराया, जिसने उनकी गायन शैली और भावनात्मक प्रस्तुति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह अक्सर चर्च सेवाओं में भाग लेते थे और सुसमाचार प्रदर्शनों में देखे गए भावपूर्ण और भावनात्मक गायन से प्रभावित थे।
  • किशोर सामाजिक परिदृश्य: अपनी पीढ़ी के कई किशोरों की तरह, एल्विस स्थानीय सामाजिक परिदृश्य का हिस्सा था। वह स्कूल के कार्यक्रमों में शामिल होता था, दोस्तों के साथ घूमता था और सामान्य किशोर गतिविधियों में भाग लेता था। उभरती रॉक ‘एन’ रोल संस्कृति से प्रभावित उनकी विशिष्ट परिधान शैली ने उन्हें अपने साथियों से अलग करना शुरू कर दिया।
  • प्रारंभिक प्रदर्शन: संगीत के प्रति एल्विस के जुनून ने उन्हें प्रतिभा शो, स्कूल समारोहों और स्थानीय समारोहों में प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। उनके शुरुआती प्रदर्शनों ने उनके विकासशील गायन और गिटार बजाने के कौशल को प्रदर्शित किया। इन शुरुआती प्रस्तुतियों से उन्हें आत्मविश्वास और मंच पर उपस्थिति हासिल करने में मदद मिली, जो उनकी भविष्य की सफलता के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।
  • सांस्कृतिक प्रभाव: 1950 का दशक संयुक्त राज्य अमेरिका में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परिवर्तन का काल था। रॉक ‘एन’ रोल के उदय और युवा संस्कृति के उद्भव ने पारंपरिक मानदंडों को चुनौती दी। एल्विस, अपने सीमाओं को तोड़ने वाले संगीत और शैली के साथ, इस सांस्कृतिक बदलाव का प्रतीक बन गया और अतीत से छुट्टी चाहने वाले युवाओं के लिए पहचान का एक स्रोत बन गया।
  • प्रभावशाली शख्सियतें: अपनी किशोरावस्था के दौरान, एल्विस ने ऐसे व्यक्तियों से दोस्ती की, जो उनके करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ऐसे ही एक व्यक्ति थे सन रिकॉर्ड्स के मालिक सैम फिलिप्स, जिन्होंने एल्विस की प्रतिभा को पहचाना और उनके संगीत करियर को शुरू करने में मदद की। एक अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति गिटारवादक स्कॉटी मूर थे, जो एल्विस के शुरुआती सहयोगी बने।
  • हाई स्कूल के वर्ष: एल्विस ने मेम्फिस में ह्यूम्स हाई स्कूल में पढ़ाई की। वह अपने विशिष्ट हेयर स्टाइल और अद्वितीय फैशन विकल्पों के लिए जाने जाते थे, जो कभी-कभी सहपाठियों और शिक्षकों का ध्यान आकर्षित करते थे। एक मिलनसार और मिलनसार छात्र के रूप में जाने जाने के बावजूद, उन्होंने शैक्षणिक रूप से संघर्ष किया और अंततः स्कूल छोड़ दिया।

मेम्फिस में एल्विस प्रेस्ली के किशोर अनुभवों ने उनकी संगीत पहचान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और प्रतिष्ठित रॉक ‘एन’ रोल फिगर के निर्माण में योगदान दिया, जो वह बनेंगे। विविध संगीत शैलियों के प्रति उनका अनुभव, साथी संगीतकारों के साथ उनकी बातचीत और उभरते सांस्कृतिक परिदृश्य के साथ उनका जुड़ाव, सभी ने सुपरस्टारडम की ओर उनकी यात्रा में योगदान दिया।

1953-1956: पहली रिकॉर्डिंग – सैम फिलिप्स और सन रिकॉर्ड्स

1953 और 1956 के बीच, एल्विस प्रेस्ली की शुरुआती रिकॉर्डिंग और सैम फिलिप्स और सन रिकॉर्ड्स के साथ उनके जुड़ाव ने उनकी प्रसिद्धि में वृद्धि और “किंग ऑफ रॉक ‘एन’ रोल” में उनके परिवर्तन की नींव रखी। यहां उनके करियर के इस महत्वपूर्ण दौर पर करीब से नजर डाली गई है:

सैम फिलिप्स और सन रिकॉर्ड्स:

  • सैम फिलिप्स मेम्फिस, टेनेसी में स्थित एक स्वतंत्र रिकॉर्ड लेबल, सन रिकॉर्ड्स के संस्थापक थे। उनके पास प्रतिभा की गहरी समझ थी और दक्षिणी संगीत की कच्ची ऊर्जा को पकड़ने की उनकी दृष्टि थी।
  • 1953 में, एल्विस अपनी मां के लिए उपहार के रूप में कुछ गाने रिकॉर्ड करने के लिए सन रिकॉर्ड्स स्टूडियो में गए। हालाँकि इन शुरुआती रिकॉर्डिंग्स ने तुरंत सैम फिलिप्स का ध्यान नहीं खींचा, लेकिन एल्विस की अनोखी आवाज़ और शैली ने एक छाप छोड़ी।
  • जुलाई 1954 में एल्विस एक औपचारिक रिकॉर्डिंग सत्र के लिए सन रिकॉर्ड्स में लौट आए। उन्होंने आर्थर क्रुडुप के “दैट्स ऑल राइट” और “ब्लू मून ऑफ केंटकी” का कवर रिकॉर्ड किया। इन ट्रैकों ने ब्लूज़ और देशी प्रभावों के मिश्रण को चिह्नित किया और एल्विस के विशिष्ट गायन और संगीत दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया।
  • सैम फिलिप्स ने एल्विस की ध्वनि की क्षमता को पहचाना, जिसमें विभिन्न शैलियों का मिश्रण था और जिसमें एक निर्विवाद करिश्मा था। उन्होंने एक नए प्रकार के संगीत के लिए उभरते बाज़ार में प्रवेश करने का अवसर देखा, जिसे बाद में रॉक ‘एन’ रोल कहा जाएगा।
  • फिलिप्स, जो अपने प्रसिद्ध उद्धरण के लिए जाने जाते हैं “अगर मुझे एक श्वेत व्यक्ति मिल जाए जिसकी आवाज़ नीग्रो जैसी हो और नीग्रो जैसा अनुभव हो, तो मैं एक अरब डॉलर कमा सकता हूँ,” एहसास हुआ कि एल्विस ने इस क्षमता को अपनाया और अपनी शैली को और विकसित करने के लिए उसके साथ काम किया।

प्रारंभिक रिकॉर्डिंग और संगीत शैली:

  • सन रिकॉर्ड्स में एल्विस की पहली रिकॉर्डिंग, विशेष रूप से “दैट्स ऑल राइट” को स्थानीय रेडियो स्टेशनों पर प्रसारित किया गया और ध्यान आकर्षित किया गया। गानों की ऊर्जावान लय और एल्विस की भावनात्मक गायन शैली उन्हें उस समय के संगीत से अलग करती है।
  • एल्विस की आवाज़, स्कॉटी मूर के अभिनव गिटार कार्य और बिल ब्लैक के ईमानदार बास के संयोजन ने एक विशिष्ट और प्रभावशाली ध्वनि बनाई।
  • इन शुरुआती रिकॉर्डिंग्स ने श्वेत और अफ्रीकी अमेरिकी संगीत प्रभावों के बीच की खाई को पाटने की एल्विस की क्षमता को प्रदर्शित किया, जिसने रॉक ‘एन’ रोल के शुरुआती विकास में योगदान दिया।
  • जैसे ही एल्विस की रिकॉर्डिंग ने लोकप्रियता हासिल की, उसने मेम्फिस क्षेत्र में स्थानीय स्थानों और रेडियो शो में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। उनके लाइव प्रदर्शन ने एक गतिशील और मनोरम मनोरंजनकर्ता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को और मजबूत किया।
  • एल्विस की ऊर्जावान मंच उपस्थिति, हिप-शेकिंग डांस मूव्स और चुंबकीय करिश्मा ने बढ़ते प्रशंसक आधार को आकर्षित किया और युवा दर्शकों के बीच उत्साह की भावना को प्रज्वलित किया।

एल्विस के करियर की यह अवधि उनकी संगीत यात्रा की शुरुआत थी, क्योंकि उन्होंने खुद को एक अग्रणी कलाकार के रूप में स्थापित करना शुरू कर दिया था जो लोकप्रिय संगीत के पाठ्यक्रम को आकार देने में मदद करेगा। सन रिकॉर्ड्स में एल्विस और सैम फिलिप्स के बीच साझेदारी ने उनके करियर की शुरुआत करने और उनकी क्रांतिकारी शैली को व्यापक दर्शकों के सामने पेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रारंभिक लाइव प्रदर्शन और आरसीए विक्टर अनुबंध

एल्विस प्रेस्ली के शुरुआती लाइव प्रदर्शन और आरसीए विक्टर के साथ उनके अनुबंध ने उनके करियर में महत्वपूर्ण मील के पत्थर साबित किए और उन्हें एक वैश्विक सुपरस्टार बनने की दिशा में प्रेरित किया। यहां इस महत्वपूर्ण चरण का अवलोकन दिया गया है:

प्रारंभिक लाइव प्रदर्शन:

  • एल्विस के ऊर्जावान और मनमोहक लाइव प्रदर्शन ने उनकी लोकप्रियता बनाने और उनके प्रशंसक आधार का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उन्होंने स्थानीय क्लबों, थिएटरों और डांस हॉलों सहित मेम्फिस क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों ने उनकी गतिशील मंच उपस्थिति, अद्वितीय आवाज़ और करिश्मा को प्रदर्शित किया।
  • एल्विस के मंच संचालन, जिसमें उनकी अब-प्रतिष्ठित हिप-शेकिंग नृत्य शैली भी शामिल है, ने अक्सर ध्यान आकर्षित किया और कभी-कभी विवाद उत्पन्न किया, खासकर अधिक रूढ़िवादी दर्शकों के बीच।

प्रभाव और बढ़ती प्रसिद्धि:

  • एल्विस के शानदार प्रदर्शन की खबर मौखिक प्रचार और स्थानीय मीडिया कवरेज के माध्यम से तेजी से फैल गई।
  • उनके लाइव शो ने उत्साही प्रशंसकों को आकर्षित किया, जो उनके संगीत, शैली और उनके द्वारा व्यक्त विद्रोह की भावना से आकर्षित थे।
  • जैसे-जैसे उनकी लोकप्रियता बढ़ी, एल्विस का लाइव प्रदर्शन मेम्फिस से आगे दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका के पड़ोसी राज्यों और शहरों तक फैल गया।

आरसीए विक्टर अनुबंध:

  • नवंबर 1955 में, एल्विस और उनके प्रबंधक, कर्नल टॉम पार्कर ने आरसीए विक्टर प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक आयोजित की। यह लेबल उस समय संगीत उद्योग में प्रमुख खिलाड़ियों में से एक था।
  • एल्विस की कच्ची प्रतिभा और उसके क्रॉसओवर स्टार बनने की क्षमता ने आरसीए को आकर्षित किया। एक सफल ऑडिशन के बाद, लेबल ने एल्विस को एक रिकॉर्डिंग अनुबंध की पेशकश की।
  • जनवरी 1956 में, एल्विस ने आधिकारिक तौर पर आरसीए विक्टर के साथ हस्ताक्षर किए, जो उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। अनुबंध में एक महत्वपूर्ण वित्तीय सौदा शामिल था, और आरसीए ने उसे उभरते रॉक ‘एन’ रोल बाजार में एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में देखा।

रिकॉर्डिंग ब्रेकथ्रू और राष्ट्रीय एक्सपोज़र:

  • आरसीए के साथ एल्विस का पहला रिकॉर्डिंग सत्र 10 जनवरी, 1956 को नैशविले, टेनेसी में हुआ। सत्र में कई ट्रैक आए, जिनमें “हार्टब्रेक होटल” भी शामिल था, जो एक बड़ा हिट बन गया और बिलबोर्ड चार्ट पर उनका पहला नंबर एक एकल बन गया।
  • आरसीए विक्टर की प्रचार शक्ति और वितरण पहुंच के साथ, एल्विस के संगीत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। उनके रिकॉर्ड अब अधिक व्यापक दर्शकों के लिए उपलब्ध थे।
  • “द डोर्सी ब्रदर्स स्टेज शो” और “द एड सुलिवन शो” जैसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित होने वाले शो में उनकी उपस्थिति ने उनकी प्रसिद्धि और लोकप्रियता को और बढ़ाया।

एल्विस के लाइव प्रदर्शन, उनकी अनूठी संगीत शैली और आरसीए विक्टर के समर्थन के संयोजन ने एक संगीत सनसनी के रूप में उनकी तेजी से उन्नति में योगदान दिया। आरसीए के साथ हस्ताक्षर ने व्यापक दर्शकों के लिए दरवाजे खोल दिए और एल्विस को रॉक ‘एन’ रोल आंदोलन में एक अग्रणी व्यक्ति के रूप में स्थापित किया, जिसने लोकप्रिय संस्कृति पर उनके अभूतपूर्व प्रभाव के लिए मंच तैयार किया।

लुइसियाना हैराइड, रेडियो विज्ञापन और पहला टेलीविजन प्रदर्शन

1954 से 1956 के महत्वपूर्ण वर्षों के दौरान, जैसे ही एल्विस प्रेस्ली का करियर आसमान छूने लगा, उन्होंने “लुइसियाना हैराइड” रेडियो शो में महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज की, एक यादगार रेडियो विज्ञापन रिकॉर्ड किया, और अपना पहला टेलीविज़न प्रदर्शन दिया। यहां इन महत्वपूर्ण घटनाओं पर एक नजर डाली गई है:

लुइसियाना हैराइड:

  • “लुइसियाना हैराइड” श्रेवेपोर्ट, लुइसियाना से प्रसारित एक लोकप्रिय लाइव देश और पश्चिमी संगीत रेडियो शो था। यह 1950 के दशक में उभरती प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने का एक मंच था।
  • एल्विस ने 16 अक्टूबर, 1954 को “लुइसियाना हैराइड” पर अपनी शुरुआत की। उनके ऊर्जावान प्रदर्शन और अनूठी शैली को दर्शकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली।
  • वह जल्द ही शो के नियमित कलाकार बन गए और कुल 50 प्रस्तुतियाँ दीं। “हैराइड” ने एल्विस को व्यापक क्षेत्रीय दर्शकों से परिचित कराने में मदद की और उनके शुरुआती प्रशंसक आधार के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सन रिकॉर्ड्स रेडियो कमर्शियल:

  • 1955 में, एल्विस को कुछ स्थानीय पहचान मिलने के बाद, सन रिकॉर्ड्स के मालिक सैम फिलिप्स ने क्षेत्र में एल्विस के आगामी प्रदर्शनों को बढ़ावा देने के लिए एक रेडियो विज्ञापन तैयार किया।
  • विज्ञापन, जिसे अक्सर “मिलियन डॉलर चौकड़ी” रिकॉर्डिंग के रूप में जाना जाता है, में एल्विस को साथी सन रिकॉर्ड्स कलाकारों जेरी ली लुईस, कार्ल पर्किन्स और जॉनी कैश के साथ अचानक सत्र में एक साथ शामिल किया गया था।
  • यह रिकॉर्डिंग इन जल्द ही प्रसिद्ध कलाकारों के बीच संगीत सहयोग और सौहार्द के एक सहज क्षण को कैद करती है।

पहला टेलीविजन प्रदर्शन:

  • एल्विस की पहली टेलीविजन उपस्थिति मार्च 1955 में “लुइसियाना हैराइड” टेलीविजन प्रसारण पर थी। इसने रेडियो से टेलीविजन में उनके परिवर्तन को चिह्नित किया, जिससे एक दृश्य माध्यम को उनके प्रदर्शन और करिश्मा को प्रदर्शित करने की अनुमति मिली।
  • 28 जनवरी, 1956 को, एल्विस ने एक विविध कार्यक्रम “द डोरसी ब्रदर्स स्टेज शो” पर राष्ट्रीय टेलीविजन पर अपनी शुरुआत की। “हार्टब्रेक होटल” की उनकी विद्युतीकरण प्रस्तुति ने देश भर के दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया और एक स्थायी प्रभाव छोड़ा।
  • डोरसी ब्रदर्स शो में अपनी सफल उपस्थिति के बाद, एल्विस अप्रैल 1956 में “द मिल्टन बेर्ले शो” में दिखाई दिए। उनके ऊर्जावान प्रदर्शन और हिप-शेकिंग डांस मूव्स ने प्रशंसा और विवाद दोनों को आकर्षित किया।

इन शुरुआती रेडियो और टेलीविजन प्रस्तुतियों ने एल्विस प्रेस्ली को राष्ट्रीय प्रमुखता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनकी प्रसिद्धि के तेजी से प्रसार में योगदान दिया। उनकी विशिष्ट शैली, मंच पर उपस्थिति और युवा दर्शकों के लिए अपील ने उन्हें लोकप्रिय संगीत और मनोरंजन के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में खड़े होने में मदद की।

1956-1958: व्यावसायिक सफलता और विवाद

पहली राष्ट्रीय टीवी प्रस्तुति और पहला एल्बम

1956 से 1958 तक, एल्विस प्रेस्ली ने एक व्यावसायिक सफलता का अनुभव किया, अभूतपूर्व प्रसिद्धि हासिल की, और अपनी अनूठी शैली और युवा संस्कृति पर प्रभाव के कारण विवादों का भी सामना किया। यहां इस अवधि का एक सिंहावलोकन दिया गया है, जिसमें उनकी पहली राष्ट्रीय टीवी उपस्थिति और पहला एल्बम शामिल है:

व्यावसायिक सफलता और बढ़ती प्रसिद्धि:

  • 1956 में, एल्विस के करियर ने महत्वपूर्ण गति पकड़ी क्योंकि उन्होंने हिट रिकॉर्ड जारी करना और अपने गतिशील प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करना जारी रखा।
  • उनका एकल “हार्टब्रेक होटल” चार्ट में नंबर एक पर पहुंच गया और उनका पहला मिलियन-सेलिंग रिकॉर्ड बन गया।
  • “द डोर्सी ब्रदर्स स्टेज शो” और “द एड सुलिवन शो” जैसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित होने वाले शो में एल्विस की उपस्थिति ने उन्हें बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय दर्शकों से परिचित कराया।
  • उनकी चुंबकीय मंच उपस्थिति, अभिनव नृत्य चाल और विशिष्ट आवाज ने उन्हें रॉक ‘एन’ रोल शैली में एक अग्रणी कलाकार के रूप में अलग खड़ा किया।

विवाद और प्रभाव:

  • एल्विस की शैली और प्रदर्शन से प्रशंसा और विवाद दोनों उत्पन्न हुए। उनके कूल्हे हिला देने वाले नृत्य को उत्तेजक माना गया और कुछ धार्मिक समूहों और अभिभावकों सहित समाज के रूढ़िवादी वर्गों ने इसकी आलोचना की।
  • विवाद के बावजूद, युवा संस्कृति पर एल्विस का प्रभाव निर्विवाद था। वह उन किशोरों के लिए विद्रोह और स्वतंत्रता का प्रतीक बन गए जो पारंपरिक मानदंडों से अलग होने के लिए उत्सुक थे।
  • संगीत शैलियों के उनके संलयन और श्वेत और अफ्रीकी अमेरिकी दोनों दर्शकों के लिए उनकी अपील ने नस्लीय और सांस्कृतिक बाधाओं को चुनौती दी, और अधिक समावेशी लोकप्रिय संगीत परिदृश्य के विकास में योगदान दिया।

पहली राष्ट्रीय टीवी उपस्थिति:

  • जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, जनवरी 1956 में “द डोरसी ब्रदर्स स्टेज शो” और सितंबर 1956 में “द एड सुलिवन शो” में एल्विस की उपस्थिति उनके करियर में महत्वपूर्ण क्षण थे।
  • इन शो में उनके प्रदर्शन ने उन्हें लाखों दर्शकों के सामने ला खड़ा किया और एक राष्ट्रीय सनसनी के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया।
  • एल्विस के करिश्माई प्रदर्शन और अभूतपूर्व लोकप्रियता ने उन्हें एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में अपना स्थान सुरक्षित करने में मदद की।

पहला एल्बम और निरंतर सफलता:

  • एल्विस का स्व-शीर्षक पहला एल्बम, “एल्विस प्रेस्ली” मार्च 1956 में आरसीए विक्टर द्वारा जारी किया गया था। एल्बम में रॉक ‘एन’ रोल, रिदम और ब्लूज़ और गाथागीत का मिश्रण दिखाया गया।
  • एल्बम की सफलता ने एक व्यावसायिक पावरहाउस के रूप में एल्विस की स्थिति को और मजबूत कर दिया। यह चार्ट पर नंबर एक पर पहुंच गया और दस सप्ताह तक वहां रहा।
  • इस एल्बम में “ब्लू साएड शूज़,” “आई गॉट ए वूमन,” और “हाउंड डॉग” जैसे हिट शामिल थे, जिसने उनकी व्यापक पहचान और लोकप्रियता में योगदान दिया।

इस अवधि के दौरान, संगीत उद्योग में एल्विस की जबरदस्त वृद्धि और उनका सांस्कृतिक प्रभाव निर्विवाद था। दर्शकों से जुड़ने, परंपराओं को चुनौती देने और एक नया संगीत प्रतिमान बनाने की उनकी क्षमता ने उन्हें मनोरंजन की दुनिया में एक अग्रणी और एक ताकत के रूप में स्थापित किया।

मिल्टन बेर्ले शो और “हाउंड डॉग”

एल्विस प्रेस्ली की “द मिल्टन बेर्ले शो” में उपस्थिति और “हाउंड डॉग” का प्रदर्शन उनके करियर में महत्वपूर्ण क्षण थे, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को प्रदर्शित किया और उनकी आसमान छूती प्रसिद्धि में योगदान दिया। यहां इस प्रतिष्ठित घटना पर करीब से नजर डालें:

मिल्टन बेर्ले शो उपस्थिति:

  • एल्विस 5 जून, 1956 को “द मिल्टन बेर्ले शो” में दिखाई दिए। यह शो एक लोकप्रिय विविध कार्यक्रम था जो उस समय के शीर्ष मनोरंजनकर्ताओं की प्रस्तुति के लिए जाना जाता था।
  • यह उपस्थिति राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन हासिल करने और बड़े दर्शकों से जुड़ने के एल्विस के प्रयासों में एक और मील का पत्थर साबित हुई।
  • एल्विस ने शो में अपने हिट “हाउंड डॉग” सहित कई गाने प्रस्तुत किए। उनके सिग्नेचर हिप-शेकिंग डांस मूव्स के साथ उनके गतिशील प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और एक अमिट छाप छोड़ी।

“ हाउंड डॉग” प्रदर्शन:

  • “हाउंड डॉग” मूल रूप से जेरी लीबर और माइक स्टोलर द्वारा लिखित और 1952 में विली मॅई “बिग मामा” थॉर्नटन द्वारा रिकॉर्ड किया गया एक लय और ब्लूज़ गीत था।
  • एल्विस का “हाउंड डॉग” संस्करण 1956 में उनके एकल “डोंट बी क्रुएल” के बी-साइड के रूप में जारी किया गया था। यह गाना तुरंत हिट हो गया, चार्ट के शीर्ष पर पहुंच गया और रॉक ‘एन’ रोल घटना के रूप में एल्विस की स्थिति को और मजबूत कर दिया।
  • एल्विस की “हाउंड डॉग” प्रस्तुति को उसकी ऊर्जावान गति, उसकी विशिष्ट गायन प्रस्तुति और उसकी बेहिचक मंच उपस्थिति द्वारा चिह्नित किया गया था।
  • जब एल्विस ने “द मिल्टन बेर्ले शो” में “हाउंड डॉग” का प्रदर्शन किया, तो उनके उत्तेजक नृत्य और उनके प्रदर्शन की कच्ची ऊर्जा ने उत्साह और विवाद का मिश्रण प्रज्वलित कर दिया। कुछ दर्शक उनकी साहसी शैली से आश्चर्यचकित रह गए, जबकि अन्य उनके करिश्मा और संगीत प्रतिभा से मोहित हो गए।
  • “द मिल्टन बेर्ले शो” में एल्विस की उपस्थिति और “हाउंड डॉग” के उनके प्रदर्शन के संयोजन ने उनकी लोकप्रियता को बढ़ाया और एक सीमा-धकेलने वाले मनोरंजनकर्ता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को और मजबूत किया। यह गीत और उनका यादगार प्रदर्शन रॉक ‘एन’ रोल के इतिहास में प्रतिष्ठित क्षण बन गया और सांस्कृतिक क्रांति में योगदान दिया, जिसे एल्विस प्रेस्ली 1950 के दशक के मध्य में नेतृत्व करने में मदद कर रहे थे।

स्टीव एलन शो और पहली सुलिवन उपस्थिति

“द स्टीव एलन शो” और “द एड सुलिवन शो” में एल्विस प्रेस्ली की उपस्थिति उनके करियर में महत्वपूर्ण मील के पत्थर थे, जिससे एक सांस्कृतिक घटना के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत करने और उनके संगीत को बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय दर्शकों तक लाने में मदद मिली। इन महत्वपूर्ण क्षणों के बारे में अधिक जानकारी यहां दी गई है:

स्टीव एलन शो उपस्थिति:

  • एल्विस 1 जुलाई, 1956 को “द स्टीव एलन शो” में दिखाई दिए। यह शो कॉमेडियन स्टीव एलन द्वारा आयोजित एक लोकप्रिय विविध कार्यक्रम था।
  • एल्विस के सामान्य उच्च-ऊर्जा प्रदर्शन से हटकर, स्टीव एलन और उनके निर्माताओं ने उपस्थिति के लिए अधिक विनम्र और हास्यपूर्ण सेटिंग का विकल्प चुना।
  • शो के दौरान एल्विस ने “हाउंड डॉग” और “आई वांट यू, आई नीड यू, आई लव यू” गाया। “हाउंड डॉग” के अपने प्रदर्शन के लिए, एल्विस ने शेरमन नामक एक बैसेट हाउंड के लिए गाना गाया, जो गाने के शीर्षक पर एक नाटक था।
  • एल्विस से कुत्ते के लिए गाना गाने का निर्णय हल्के-फुल्के अंदाज में लिया गया था और यह उसके पिछले प्रदर्शनों को लेकर हुए विवाद का जवाब था। यह खंड एल्विस को कम उत्तेजक तरीके से चित्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
  • जबकि “द स्टीव एलन शो” में एल्विस की उपस्थिति ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा और विभिन्न प्रारूपों के अनुकूल होने की इच्छा को प्रदर्शित किया, इसने अन्य प्लेटफार्मों पर उनके अधिक गतिशील और विद्युतीकरण प्रदर्शन के विपरीत भी चिह्नित किया।

प्रथम एड सुलिवन शो उपस्थिति:

  • “द एड सुलिवन शो” पर एल्विस की पहली उपस्थिति 9 सितंबर, 1956 को हुई। एड सुलिवन द्वारा होस्ट किया गया यह शो अपने समय के सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली टेलीविजन कार्यक्रमों में से एक था।
  • शो में एल्विस का प्रदर्शन शानदार है। उन्होंने एक सेट गाया जिसमें “डोंट बी क्रुएल,” “लव मी टेंडर,” “रेडी टेडी,” और “हाउंड डॉग” शामिल थे।
  • इस उपस्थिति के दौरान एल्विस की “हाउंड डॉग” की प्रस्तुति विशेष रूप से यादगार है। कुछ लोगों द्वारा विवादास्पद माने जाने के बावजूद, उनकी गतिशील मंच उपस्थिति और हस्ताक्षर नृत्य चाल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
  • एड सुलिवन शो की उपस्थिति ने एल्विस के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया, जिससे वह और भी अधिक दर्शकों के सामने आ गए और रॉक ‘एन’ रोल सुपरस्टार के रूप में उनकी स्थिति मजबूत होने में मदद मिली।

इन दोनों टेलीविजन प्रस्तुतियों ने एल्विस प्रेस्ली की स्थिति को एक क्षेत्रीय सनसनी से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आइकन तक बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन शो में उनके प्रदर्शन ने उन्हें लाखों दर्शकों के सामने अपनी संगीत प्रतिभा, आकर्षण और करिश्मा दिखाने की अनुमति दी, जिससे लोकप्रिय संस्कृति पर उनका स्थायी प्रभाव पड़ा।

पागल भीड़ और फ़िल्म की शुरुआत

1950 के दशक के मध्य में एल्विस प्रेस्ली की लोकप्रियता अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंच गई, जिससे उनकी प्रस्तुतियों और उनकी पहली फिल्म में भीड़ उमड़ पड़ी। इन महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में अधिक जानकारी यहां दी गई है:

  • जैसे-जैसे एल्विस की प्रसिद्धि बढ़ती गई, उनकी सार्वजनिक उपस्थिति में अक्सर प्रशंसकों की उन्मादी और उत्साही भीड़ देखने को मिलती थी।
  • उनका ऊर्जावान प्रदर्शन, करिश्माई मंच उपस्थिति और अनूठी शैली किशोरों और युवा वयस्कों को गहराई से प्रभावित करती थी, जो उनके संगीत और विद्रोही छवि के प्रति आकर्षित थे।
  • मंच पर और बाहर एल्विस के संगीत समारोहों और प्रस्तुतियों में अक्सर तीव्र उत्साह के दृश्य सामने आते थे, जिसमें प्रशंसक चिल्लाते, रोते और अपने आदर्श की एक झलक पाने के लिए छटपटाहट करते थे।
  • “एल्विस उन्माद” की घटना ने उनके दर्शकों के साथ उनके अभूतपूर्व संबंध और इस युग के दौरान युवाओं पर उनके सांस्कृतिक प्रभाव को उजागर किया।

फ़िल्म डेब्यू – “लव मी टेंडर” (1956):

  • एल्विस प्रेस्ली ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1956 में फ़िल्म “लव मी टेंडर” से की। यह फिल्म अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान स्थापित एक पश्चिमी नाटक थी, और एल्विस के हिट गीत “लव मी टेंडर” की सफलता को भुनाने के लिए इसे बदलने से पहले मूल रूप से इसका नाम “द रेनो ब्रदर्स” रखा गया था।
  • फिल्म में एल्विस ने क्लिंट रेनो की भूमिका निभाई, जो एक संघीय सैनिक का सबसे छोटा भाई है जो युद्ध के बाद घर लौटता है। फिल्म में परिवार, वफादारी और रोमांस के विषयों की खोज की गई।
  • जबकि एल्विस का अभिनय कौशल अभी भी विकसित हो रहा था, उनका ऑन-स्क्रीन करिश्मा और उपस्थिति स्पष्ट थी। शीर्षक गीत “लव मी टेंडर” पर उनका प्रदर्शन तुरंत हिट हो गया और एक बहुमुखी मनोरंजनकर्ता के रूप में उनकी स्थिति और मजबूत हो गई।
  • “लव मी टेंडर” व्यावसायिक रूप से सफल रही और एल्विस का फ़िल्मी करियर शुरू हुआ। 1950 और 1960 के दशक के अंत में उन्होंने कई और फिल्मों में अभिनय किया।

भारी भीड़ को आकर्षित करने की एल्विस की क्षमता और फिल्म की दुनिया में उनके सफल परिवर्तन ने एक कलाकार के रूप में उनके सांस्कृतिक प्रभाव और बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। इन घटनाओं ने एक उभरते सितारे से एक वैश्विक आइकन बनने की उनकी यात्रा में महत्वपूर्ण कदम उठाए, और उन्होंने लोकप्रिय मनोरंजन में एल्विस प्रेस्ली की स्थायी विरासत को आकार देने में योगदान दिया।

लीबर और स्टोलर सहयोग और मसौदा नोटिस

1950 के दशक के अंत में गीतकार जोड़ी जेरी लीबर और माइक स्टोलर के साथ एल्विस प्रेस्ली का सहयोग, साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना में उनका ड्राफ्ट नोटिस, उनके जीवन और करियर की महत्वपूर्ण घटनाएँ थीं। यहां इन प्रमुख विकासों के बारे में अधिक जानकारी दी गई है:

लीबर और स्टोलर सहयोग:

  • जेरी लीबर और माइक स्टोलर एक विपुल गीत लेखन टीम थे जो रॉक ‘एन’ रोल और रिदम और ब्लूज़ शैलियों में अपने योगदान के लिए जाने जाते थे।
  • 1957 में, लीबर और स्टोलर ने विशेष रूप से एल्विस प्रेस्ली के लिए “जेलहाउस रॉक” गीत लिखा। यह गाना इसी नाम की फिल्म के लिए रिकॉर्ड किया गया था, जिसमें एल्विस ने अभिनय किया था।
  • “जेलहाउस रॉक” एल्विस के सबसे प्रतिष्ठित गीतों और प्रदर्शनों में से एक बन गया। फिल्म में सह-नृत्य अनुक्रम, जिसमें एल्विस साथी कैदियों के साथ नृत्य कर रहा है, विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
  • एल्विस और लीबर और स्टोलर के बीच सहयोग के परिणामस्वरूप एक हिट रिकॉर्ड और एक स्थायी सांस्कृतिक कसौटी बनी, जिसने एल्विस की संगीत बहुमुखी प्रतिभा और संगीत की विभिन्न शैलियों से जुड़ने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित किया।

ड्राफ्ट नोटिस और सैन्य सेवा:

  • दिसंबर 1957 में, एल्विस को संयुक्त राज्य सेना में अपना मसौदा नोटिस प्राप्त हुआ। अपनी उम्र के सभी सक्षम पुरुषों की तरह, उन्हें अपने सैन्य सेवा दायित्वों को पूरा करना आवश्यक था।
  • एल्विस की सेना में नियुक्ति 24 मार्च, 1958 को हुई। उन्होंने फोर्ट हूड, टेक्सास में बुनियादी प्रशिक्षण पूरा किया और फिर जर्मनी में तैनात रहे।
  • उनकी सैन्य सेवा लगभग दो साल तक चली, इस दौरान उन्हें विभिन्न इकाइयों में नियुक्त किया गया और अपने ऑफ-ड्यूटी समय के दौरान उन्होंने अनौपचारिक रूप से संगीत प्रदर्शन करना जारी रखा।
  • एल्विस की सैन्य सेवा उनके बढ़ते मनोरंजन करियर में एक महत्वपूर्ण रुकावट थी, लेकिन उन्होंने एक सैनिक के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा किया और उनकी सेवा को जनता ने खूब सराहा। सेना में रहने के दौरान उनके अनुकरणीय व्यवहार ने उनकी सकारात्मक छवि बनाए रखने में मदद की।

इन घटनाओं ने एल्विस प्रेस्ली के जीवन और करियर में एक संक्रमणकालीन अवधि को चिह्नित किया। लीबर और स्टोलर के साथ उनके सहयोग ने संगीत उद्योग में उनके निरंतर प्रभाव को प्रदर्शित किया, भले ही वह अपने सैन्य दायित्वों के कारण अस्थायी रूप से दूर चले गए। एल्विस का मसौदा नोटिस और उसके बाद की सेवा एक सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में उनके व्यापक अनुभवों का हिस्सा थी और एक सांस्कृतिक प्रतीक और एक व्यक्ति दोनों के रूप में उनके व्यक्तित्व की जटिलता में शामिल हो गई।

1958-1960: सैन्य सेवा और माँ की मृत्यु

1958 से 1960 के वर्षों के दौरान, एल्विस प्रेस्ली अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण चरण से गुज़रे जिसमें उनकी सैन्य सेवा और उनकी माँ की दुखद हानि शामिल थी। यहां इन घटनाओं पर करीब से नजर डाली गई है:

सैन्य सेवा (1958-1960):

  • एल्विस को दिसंबर 1957 में संयुक्त राज्य की सेना में शामिल किया गया और 24 मार्च, 1958 को आधिकारिक तौर पर उनकी सैन्य सेवा शुरू हुई।
  • उन्होंने फोर्ट हूड, टेक्सास में बुनियादी प्रशिक्षण पूरा किया और फिर जर्मनी में पहली मीडियम टैंक बटालियन, 32वीं आर्मर, तीसरी आर्मर्ड डिवीजन के सदस्य के रूप में तैनात हुए।
  • सेना में रहते हुए, एल्विस के साथ किसी भी अन्य सैनिक की तरह व्यवहार किया जाता था और विभिन्न कर्तव्यों का पालन किया जाता था। सेना में उनका समय उनके पिछले हाई-प्रोफाइल मनोरंजन करियर की तुलना में अधिक निजी और सामान्य जीवनशैली द्वारा चिह्नित किया गया था।
  • सुर्खियों से दूर रहने के बावजूद, एल्विस लोकप्रिय बने रहे और उनके प्रशंसक आधार ने उनकी सैन्य सेवा के दौरान उनका समर्थन करना जारी रखा। उनके संगीत का प्रभाव अभी भी था, और उनके पहले से रिकॉर्ड किए गए कुछ गाने तब रिलीज़ हुए जब वे विदेश में थे।

दुखद क्षति: एल्विस की माँ की मृत्यु (1958):

  • 14 अगस्त, 1958 को, जब एल्विस जर्मनी में तैनात थे, उनकी प्रिय माँ, ग्लेडिस लव प्रेस्ली, का 46 वर्ष की आयु में हृदय गति रुकने से निधन हो गया।
  • एल्विस अपनी माँ की अचानक और दुखद मृत्यु से बहुत प्रभावित हुआ था। ग्लेडिस के साथ उनके घनिष्ठ संबंध का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा और उनके निधन का उन पर भावनात्मक और मानसिक रूप से स्थायी प्रभाव पड़ा।
  • एल्विस को अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका लौटने की छुट्टी दी गई थी, जहां उन्होंने पालने वाले के रूप में काम किया था। अपनी माँ की मृत्यु ने उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया और उनके व्यक्तिगत अनुभवों में जटिलता की एक परत जोड़ दी।

ये वर्ष एल्विस प्रेस्ली के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तन और चुनौती का समय थे। उनकी सैन्य सेवा ने प्रसिद्धि की तीव्र चमक से दूर, जीवन पर एक अलग दृष्टिकोण प्रदान किया और उनकी माँ की मृत्यु ने उन पर गहरा प्रभाव डाला। इन व्यक्तिगत और व्यावसायिक बदलावों के बावजूद, एल्विस की स्थायी लोकप्रियता और लोकप्रिय संस्कृति पर प्रभाव बना रहा, जिसने उनकी सैन्य सेवा के बाद मनोरंजन जगत में उनकी अंतिम वापसी के लिए मंच तैयार किया।

1960-1968: फ़िल्मों पर ध्यान

एल्विस वापस आ गया है

1960 से 1968 के वर्षों के दौरान, एल्विस प्रेस्ली ने मुख्य रूप से अपने फ़िल्मी करियर पर ध्यान केंद्रित किया, साथ ही एल्बम “एल्विस इज़ बैक” की रिलीज़ के साथ संगीत के पुनरुत्थान का भी अनुभव किया। इस अवधि का एक सिंहावलोकन यहां दिया गया है:

फ़िल्मों पर ध्यान (1960-1968):

  • 1960 में अपनी सैन्य सेवा पूरी करने के बाद, एल्विस अपने फिल्मी करियर पर नए सिरे से जोर देते हुए मनोरंजन उद्योग में लौट आए।
  • 1960 के दशक के दौरान, एल्विस ने संगीतमय हास्य और नाटकीय फिल्मों की एक श्रृंखला में अभिनय किया। जबकि ये फिल्में व्यावसायिक रूप से सफल रहीं और उनकी लोकप्रियता में योगदान दिया, कुछ आलोचकों ने महसूस किया कि उन्होंने उनकी कलात्मक क्षमता को पूरी तरह से प्रदर्शित नहीं किया।
  • इस अवधि की उल्लेखनीय फिल्मों में “ब्लू हवाई” (1961), “वीवा लास वेगास” (1964), “गर्ल हैप्पी” (1965), और “क्लैम्बेक” (1967) शामिल हैं।
  • फ़िल्मों में आम तौर पर एल्विस को ऐसी भूमिकाओं में दिखाया जाता था जो उन्हें एक कलाकार के रूप में अपनी ताकत के अनुरूप गाने और संगीतमय नंबर प्रस्तुत करने की अनुमति देती थीं।

“ एल्विस इज़ बैक” एल्बम (1960):

  • अप्रैल 1960 में रिलीज़, “एल्विस इज़ बैक” सैन्य सेवा से लौटने के बाद एल्विस प्रेस्ली का पहला स्टूडियो एल्बम था।
  • एल्बम में रॉक ‘एन’ रोल, गाथागीत और लय और ब्लूज़ का मिश्रण था, जो एल्विस की गायन बहुमुखी प्रतिभा और रेंज को प्रदर्शित करता था।
  • एल्बम को प्रशंसकों और आलोचकों द्वारा समान रूप से सराहा गया और सुर्खियों से दूर रहने के बाद एल्विस को एक गंभीर संगीत कलाकार के रूप में फिर से स्थापित करने में मदद मिली।
  • “एल्विस इज़ बैक” के गीतों में “इट्स नाउ ऑर नेवर,” “आर यू लोनसम टुनाइट?” और “स्टक ऑन यू”, ये सभी प्रमुख हिट बन गए।

जबकि 1960 के दशक में एल्विस ने अपने फ़िल्मी करियर पर प्राथमिक ध्यान केंद्रित किया, “एल्विस इज़ बैक” की रिलीज़ ने उनकी स्थायी संगीत प्रतिभा और अपनी आवाज़ से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की क्षमता को उजागर किया। इस दौरान उनकी फ़िल्मी भूमिकाओं के प्रभुत्व के बावजूद, इस अवधि ने उनके करियर के बाद के वर्षों में महत्वपूर्ण विकास के लिए भी मंच तैयार किया, क्योंकि उन्होंने मनोरंजन उद्योग के बदलते परिदृश्य को विकसित करना और नेविगेट करना जारी रखा।

हॉलीवुड में खो गया

हॉलीवुड में एल्विस प्रेस्ली के करियर को अक्सर “लॉस्ट इन हॉलीवुड” कहा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने 1960 के दशक में कई औसत दर्जे की फिल्में बनाईं जो उनकी संगीत प्रतिभा को भुनाने में विफल रहीं। उन्हें अक्सर एक गायन करने वाले चरवाहे या एक समुद्र तटीय प्रेमी के रूप में टाइपकास्ट किया जाता था, और उनकी फिल्में फार्मूलाबद्ध और पूर्वानुमानित होती थीं। परिणामस्वरूप, वह अपने हॉलीवुड करियर से बहुत अधिक निराश और ऊबने लगे।

  • एल्विस ने स्वयं स्वीकार किया कि उन्होंने हॉलीवुड में “अपनी संगीत निर्देशन खो दिया है”। उन्होंने कहा, “मैं फिल्में बना रहा था और रिकॉर्डिंग नहीं कर रहा था। मैं उस बिंदु पर पहुंच रहा था जहां मुझे नहीं पता था कि मैं क्या करना चाहता हूं।”
  • 1968 में, एल्विस ने अपने एनबीसी टेलीविजन विशेष, “एल्विस” के साथ वापसी की। यह विशेष फ़िल्म बहुत सफल रही और इससे उनके संगीत करियर को पुनर्जीवित करने में मदद मिली। एल्विस ने 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में कई सफल एल्बम जारी किए। हालाँकि, वह अपने “हॉलीवुड में खोए” वर्षों से कभी भी पूरी तरह से उबर नहीं पाए।
  • हॉलीवुड में एल्विस का करियर आगे बढ़ने में असफल होने के कई कारण हैं। एक कारण यह है कि वह कभी भी अच्छे अभिनेता नहीं थे। वह स्क्रीन पर सख्त और लकड़ी के थे, और उन्हें अक्सर अपनी लाइनों के साथ संघर्ष करना पड़ता था। दूसरी वजह ये है कि उन्होंने जो फिल्में बनाईं वो बहुत अच्छी नहीं थीं. वे अक्सर खराब तरीके से लिखे और निर्देशित किए गए थे, और उन्होंने एल्विस की संगीत प्रतिभा के साथ न्याय नहीं किया।
  • अंततः एल्विस स्वयं अपने हॉलीवुड करियर से खुश नहीं थे। उन्हें लगा कि स्टूडियो सिस्टम द्वारा उनका शोषण किया जा रहा है, और वह अपनी फिल्मों पर रचनात्मक नियंत्रण की कमी से निराश थे। परिणामस्वरूप, वह अपने हॉलीवुड करियर के प्रति उदासीन हो गए और उनके प्रदर्शन पर असर पड़ा।
  • अपने हॉलीवुड करियर की असफलताओं के बावजूद, एल्विस प्रेस्ली सभी समय के सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली संगीतकारों में से एक बने हुए हैं। उनके संगीत का दुनिया भर में लाखों लोग आनंद ले रहे हैं और उनकी विरासत सुरक्षित है।

1968-1973: वापसी – एल्विस: ’68 कमबैक स्पेशल

1968 से 1973 तक की अवधि में एल्विस प्रेस्ली के करियर में एक महत्वपूर्ण वापसी हुई, जिसमें से एक प्रमुख आकर्षण “एल्विस: ’68 कमबैक स्पेशल” था। यहां इस अवधि और प्रतिष्ठित टेलीविजन विशेष का अवलोकन दिया गया है:

’68 वापसी विशेष:

  • 1968 में, एल्विस को अपनी फ़िल्मी भूमिकाओं की फार्मूलाबद्ध प्रकृति और बदलते संगीत रुझानों के कारण अपने करियर में गिरावट का सामना करना पड़ा।
  • अपनी छवि और करियर को पुनर्जीवित करने के लिए, एल्विस के प्रबंधक, कर्नल टॉम पार्कर ने एनबीसी पर प्रसारित होने वाले एक टेलीविजन विशेष की व्यवस्था की। विशेष को आधिकारिक तौर पर “सिंगर प्रेजेंट्स… एल्विस” शीर्षक दिया गया था, लेकिन इसे आमतौर पर “’68 कमबैक स्पेशल” के रूप में जाना जाता है।
  • विशेष को जून 1968 में फिल्माया गया और 3 दिसंबर, 1968 को प्रसारित किया गया। यह एल्विस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिससे उन्हें अपनी संगीत जड़ों से फिर से जुड़ने और एक अंतरंग और गतिशील सेटिंग में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला।
  • “’68 कमबैक स्पेशल” में एल्विस द्वारा लाइव प्रदर्शन और सेगमेंट दोनों शामिल थे, जिसमें छोटे दर्शकों और बैंड के सदस्यों के साथ उनकी बातचीत पर प्रकाश डाला गया था।
  • एल्विस के ऊर्जावान और जोशीले प्रदर्शन ने, उनकी प्रतिष्ठित काले चमड़े की पोशाक के साथ मिलकर, दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और उनकी छवि को पुनर्जीवित किया। विशेष को व्यापक प्रशंसा मिली और एक प्रासंगिक और शक्तिशाली संगीत कलाकार के रूप में अपनी स्थिति को फिर से स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संगीत पुनरुत्थान:

  • ’68 कमबैक स्पेशल की सफलता के बाद, एल्विस ने अपने संगीत करियर में पुनरुत्थान का अनुभव किया।
  • वह अधिक महत्वपूर्ण और विविध सामग्री की रिकॉर्डिंग करने के लिए लौट आए जिसने उनकी गायन रेंज और कलात्मकता को प्रदर्शित किया।
  • इस अवधि के उल्लेखनीय गीतों में “सस्पिशियस माइंड्स,” “इन द गेटो,” “बर्निंग लव,” और “एन अमेरिकन ट्रिलॉजी” शामिल हैं।

लास वेगास रेजीडेंसी और कॉन्सर्ट टूर:

  • एल्विस की वापसी ने उन्हें सफल संगीत कार्यक्रमों और लास वेगास में प्रदर्शन करते हुए भी देखा।
  • उन्होंने लास वेगास के इंटरनेशनल होटल में अत्यधिक लोकप्रिय निवासों की एक श्रृंखला शुरू की, जिसे बाद में लास वेगास हिल्टन के नाम से जाना गया। इन शो ने दुनिया भर के प्रशंसकों को आकर्षित किया और एक महान लाइव कलाकार के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत करने में मदद की।

1968 और 1973 के बीच के वर्षों में एल्विस प्रेस्ली के लिए सुर्खियों में विजयी वापसी हुई, जिसमें ’68 कमबैक स्पेशल एक महत्वपूर्ण क्षण था जिसने उनके करियर को फिर से जीवंत कर दिया और संगीत रचनात्मकता और लाइव प्रदर्शन के एक नए युग का मार्ग प्रशस्त किया।

मेम्फिस और इंटरनेशनल में एल्विस से

“फ्रॉम एल्विस इन मेम्फिस” और लास वेगास के इंटरनेशनल होटल में एल्विस प्रेस्ली का प्रदर्शन 1960 के दशक के अंत में उनके करियर में दो महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं। इन प्रमुख घटनाओं के बारे में अधिक जानकारी यहां दी गई है:

“ फ्रॉम एल्विस इन मेम्फिस” एल्बम (1969):

  • “फ्रॉम एल्विस इन मेम्फिस” 1969 में रिलीज़ हुआ समीक्षकों द्वारा प्रशंसित स्टूडियो एल्बम है।
  • इसने एल्विस प्रेस्ली की मेम्फिस, टेनेसी में वापसी को चिह्नित किया, जहां उन्होंने अमेरिकन साउंड स्टूडियो में रिकॉर्ड किया।
  • एल्बम ने आत्मा, रॉक और देश सहित संगीत शैलियों की एक विविध श्रृंखला का प्रदर्शन किया और एक गायक के रूप में एल्विस की बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
  • इस एल्बम में “इन द गेटो” और “सस्पिशियस माइंड्स” जैसे हिट गाने शामिल थे, जिनमें से दोनों बड़ी सफलताएं हासिल कीं और उनके संगीत करियर के एक पुनर्जीवित चरण को चिह्नित किया।
  • “फ्रॉम एल्विस इन मेम्फिस” को सकारात्मक समीक्षा मिली और इसे अक्सर एल्विस के बेहतरीन कार्यों में से एक माना जाता है। इसने 1960 के दशक के उत्तरार्ध के बदलते संगीत परिदृश्य में उनकी प्रासंगिकता की पुष्टि की।

इंटरनेशनल होटल में प्रदर्शन (1960 के दशक के अंत – 1970 के दशक की शुरुआत):

  • अपने सफल ’68 कमबैक स्पेशल के बाद, एल्विस ने लास वेगास में इंटरनेशनल होटल (बाद में लास वेगास हिल्टन) में आवासों की एक श्रृंखला शुरू की।
  • इन प्रदर्शनों को एल्विस की गतिशील मंच उपस्थिति, दर्शकों के साथ करिश्माई बातचीत और नई सामग्री के साथ उनके क्लासिक हिट्स के मिश्रण द्वारा चिह्नित किया गया था।
  • लास वेगास रेजीडेंसी एल्विस के करियर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई और दुनिया भर से प्रशंसकों को आकर्षित किया।
  • इंटरनेशनल होटल में एल्विस के शो को उनकी ऊर्जा, दिखावटीपन और अपने लाइव दर्शकों के साथ उनके विशेष संबंध के लिए याद किया जाता है।

“फ्रॉम एल्विस इन मेम्फिस” और इंटरनेशनल होटल में एल्विस के प्रदर्शन दोनों ने उनके करियर को फिर से जीवंत बनाने, उनके संगीत कौशल की पुष्टि करने और एक महान मनोरंजनकर्ता के रूप में उनकी विरासत को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन उपलब्धियों ने उनकी यात्रा में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा और उनकी विशिष्ट शैली को बरकरार रखते हुए समय के साथ विकसित होने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित किया।

दौरे पर वापस और निक्सन से मुलाकात

1970 के दशक की शुरुआत में, एल्विस प्रेस्ली ने सफल संगीत कार्यक्रमों की शुरुआत की और राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के साथ उनकी उल्लेखनीय मुलाकात हुई। यहां इन घटनाओं के बारे में अधिक जानकारी दी गई है:

कॉन्सर्ट टूर और लाइव प्रदर्शन पर वापसी:

  • अपने सफल लास वेगास निवास के बाद, एल्विस 1970 के दशक की शुरुआत में दौरे पर लौट आए, और संयुक्त राज्य भर के विभिन्न शहरों में लाइव संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
  • इन दौरों को एल्विस की गतिशील और आकर्षक मंच उपस्थिति द्वारा चिह्नित किया गया था, जो दर्शकों से जुड़ने और विद्युतीकरण प्रदर्शन देने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित करता था।
  • उनके संगीत समारोहों में नई सामग्री के साथ-साथ उनके क्लासिक हिट्स का मिश्रण होता था और उन्होंने प्रशंसकों की उत्साही भीड़ को आकर्षित किया।

राष्ट्रपति निक्सन के साथ बैठक (21 दिसंबर, 1970):

  • एल्विस के जीवन में सबसे दिलचस्प क्षणों में से एक तब हुआ जब वह 21 दिसंबर, 1970 को व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से मिले।
  • एल्विस द्वारा नारकोटिक्स और खतरनाक ड्रग्स ब्यूरो से बैज प्राप्त करने में रुचि व्यक्त करने के बाद यह बैठक हुई, क्योंकि उनका मानना था कि इससे कानून प्रवर्तन बैज के उनके संग्रह को विश्वसनीयता प्रदान करने में मदद मिलेगी।
  • एल्विस ने व्हाइट हाउस को हाथ से एक पत्र भेजा, जिसमें नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने में मदद करने की इच्छा व्यक्त की गई और सरकार को अपनी सहायता की पेशकश की गई।
  • एल्विस और राष्ट्रपति निक्सन के बीच बैठक हुई, जिसके दौरान दोनों ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और युवा संस्कृति सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की।
  • एल्विस और निक्सन की हाथ मिलाते हुए तस्वीर एक प्रतिष्ठित छवि बन गई, और यह मुलाकात वर्षों से जिज्ञासा और अटकलों का विषय रही है।

लाइव प्रदर्शन में एल्विस की वापसी और राष्ट्रपति निक्सन के साथ उनकी मुलाकात दोनों उल्लेखनीय घटनाएं हैं जो उनके जीवन और करियर के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। कॉन्सर्ट दौरों ने एक प्रिय लाइव कलाकार के रूप में उनकी स्थिति पर प्रकाश डाला, जबकि निक्सन के साथ मुलाकात ने राजनीतिक हस्तियों के साथ उनकी बातचीत और सामाजिक कार्यों में योगदान देने की उनकी इच्छा की एक अनूठी झलक पेश की।

विवाह विच्छेद और हवाई से अलोहा

1970 के दशक की शुरुआत में, एल्विस प्रेस्ली ने एक महत्वपूर्ण विवाह टूटने का अनुभव किया और अपने “अलोहा फ्रॉम हवाई” संगीत कार्यक्रम के साथ एक उल्लेखनीय मील का पत्थर भी हासिल किया। यहां इन घटनाओं के बारे में अधिक जानकारी दी गई है:

विवाह विच्छेद – प्रिसिला प्रेस्ली से तलाक (1973):

  • एल्विस ने 1 मई, 1967 को लास वेगास में प्रिसिला ब्यूलियू से शादी की। इस जोड़े की मुलाकात कई साल पहले हुई थी जब एल्विस अपनी सैन्य सेवा के दौरान जर्मनी में तैनात थे।
  • समय के साथ, एल्विस के करियर के दबाव, उनके कठिन कार्यक्रम और प्रसिद्धि की चुनौतियों ने उनकी शादी में तनाव पैदा कर दिया।
  • 1972 में, प्रिसिला और एल्विस अलग हो गए और 9 अक्टूबर 1973 को उनके तलाक को अंतिम रूप दिया गया।
  • उनके विवाह के विघटन का एल्विस और प्रिसिला दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ा। अलग होने के बावजूद, वे अपनी बेटी लिसा मैरी प्रेस्ली के सह-पालन-पोषण के लिए प्रतिबद्ध रहे।

“ अलोहा फ्रॉम हवाई” कॉन्सर्ट (1973):

  • 14 जनवरी, 1973 को एल्विस ने “अलोहा फ्रॉम हवाई वाया सैटेलाइट” शीर्षक से एक ऐतिहासिक लाइव कॉन्सर्ट प्रस्तुत किया।
  • कॉन्सर्ट को उपग्रह के माध्यम से सीधा प्रसारित किया गया, जिससे यह विश्व स्तर पर प्रसारित होने वाला पहला लाइव कॉन्सर्ट बन गया और अनुमानित 1.5 बिलियन दर्शकों तक पहुंच गया।
  • एल्विस ने होनोलूलू इंटरनेशनल सेंटर एरिना में अपनी करिश्माई मंच उपस्थिति का प्रदर्शन किया और नई सामग्री के साथ अपने हिट गानों का मिश्रण पेश किया।
  • यह कार्यक्रम बेहद सफल रहा और एल्विस के सबसे प्रतिष्ठित प्रदर्शनों में से एक बन गया।
  • कॉन्सर्ट की सफलता ने कुई ली कैंसर फंड के लिए धन जुटाने में भी योगदान दिया और एल्विस को समुदाय को वापस देने का अवसर प्रदान किया।

ये घटनाएँ 1970 के दशक की शुरुआत में एल्विस प्रेस्ली के जीवन की जटिल और बहुआयामी प्रकृति को दर्शाती हैं। जबकि उनकी शादी को चुनौतियों का सामना करना पड़ा और अंततः तलाक में समाप्त हो गई, उनके “अलोहा फ्रॉम हवाई” संगीत कार्यक्रम ने उनकी स्थायी लोकप्रियता और वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन किया।

1973-1977: स्वास्थ्य में गिरावट और मृत्यु

चिकित्सा संकट और अंतिम स्टूडियो सत्र

1973 से 1977 तक की अवधि एल्विस प्रेस्ली के गिरते स्वास्थ्य, चिकित्सा संकट और अंततः उनकी असामयिक मृत्यु से चिह्नित थी। यहां इन महत्वपूर्ण घटनाओं का अवलोकन दिया गया है:

स्वास्थ्य में गिरावट:

  • 1970 के दशक की शुरुआत में, एल्विस का स्वास्थ्य कई कारकों के संयोजन के कारण बिगड़ने लगा, जिसमें उनके कठिन कार्यक्रम, डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाओं का उपयोग और जीवनशैली विकल्प शामिल थे।
  • उनके वजन में उतार-चढ़ाव आया और वह उच्च रक्तचाप, नींद संबंधी विकार और पाचन समस्याओं सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे।
  • एल्विस की शारीरिक स्थिति ने उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की क्षमता को प्रभावित करना शुरू कर दिया, और उनके संगीत कार्यक्रमों में कभी-कभी उनके गिरते स्वास्थ्य के संकेत दिखाई देने लगे।

चिकित्सा संकट और अस्पताल में भर्ती:

  • 1970 के दशक के मध्य में, एल्विस को कई चिकित्सा संकटों का सामना करना पड़ा जिसके परिणामस्वरूप अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
  • 1973 में, उन्हें निमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, और 1975 में, वे बृहदान्त्र की सूजन, डायवर्टीकुलिटिस से पीड़ित हुए।
  • इन स्वास्थ्य संबंधी असफलताओं के कारण उनके कुछ संगीत कार्यक्रमों को रद्द करना या पुनर्निर्धारित करना पड़ा।

अंतिम स्टूडियो सत्र और अंतिम प्रदर्शन:

  • अपनी स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद, एल्विस ने संगीत रिकॉर्ड करना और लाइव प्रदर्शन करना जारी रखा।
  • उनका अंतिम स्टूडियो सत्र 1976 और 1977 में हुआ। इन सत्रों के परिणामस्वरूप “फ्रॉम एल्विस प्रेस्ली बुलेवार्ड, मेम्फिस, टेनेसी” (1976) और “मूडी ब्लू” (1977) जैसे एल्बम आए।
  • एल्विस का अंतिम लाइव प्रदर्शन 1977 की गर्मियों में हुआ, जिसमें इंडियानापोलिस के मार्केट स्क्वायर एरिना में संगीत कार्यक्रमों की एक श्रृंखला भी शामिल थी।

मृत्यु और विरासत:

  • 16 अगस्त, 1977 को एल्विस प्रेस्ली का 42 वर्ष की आयु में मेम्फिस, टेनेसी में उनकी ग्रेस्कलैंड हवेली में निधन हो गया।
  • मौत का कारण दिल का दौरा माना गया, जिसका कारण नशीली दवाओं से संबंधित समस्याएं और अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं थीं।
  • एल्विस की मृत्यु से दुनिया भर में शोक की लहर फैल गई, जिससे प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई और लोकप्रिय संगीत और संस्कृति पर उनके प्रभाव का पुनर्मूल्यांकन हुआ।
  • उनकी विरासत कायम है, और एल्विस प्रेस्ली को संगीत के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली शख्सियतों में से एक के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने कालातीत गीतों की एक विशाल सूची और मनोरंजन उद्योग पर एक स्थायी छाप छोड़ी है।

1973 से 1977 तक की अवधि एल्विस के व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य में आने वाली चुनौतियों के साथ-साथ इन कठिनाइयों के बावजूद अपने संगीत कैरियर को जारी रखने के उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। हालाँकि यह कठिनाई का समय था, यह उनकी कला के प्रति उनके स्थायी समर्पण और “रॉक ‘एन’ रोल के राजा” के रूप में उनकी स्थायी स्थिति की याद भी दिलाता है।

अंतिम महीने

एल्विस प्रेस्ली के अंतिम महीने चल रहे स्वास्थ्य संघर्षों, व्यक्तिगत चुनौतियों और उनके संगीत करियर की निरंतरता से चिह्नित थे। यहां उनके अंतिम महीनों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

1977 की शुरुआत:

  • जनवरी 1977 में, एल्विस का स्वास्थ्य एक बड़ी चिंता का विषय था, और उन्हें श्वसन संक्रमण और उच्च रक्तचाप सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
  • अपने गिरते स्वास्थ्य के बावजूद, उन्होंने संगीत कार्यक्रम करना जारी रखा। इस अवधि के दौरान उनके प्रदर्शन को मिश्रित समीक्षाएँ मिलीं, कुछ दर्शकों ने उनकी भलाई के बारे में चिंता व्यक्त की।
  • फरवरी 1977 में, एल्विस ने उत्तरी कैरोलिना में शो की एक श्रृंखला का प्रदर्शन किया, जो उनका अंतिम लाइव प्रदर्शन था।

अंतिम स्टूडियो सत्र:

  • अक्टूबर 1976 और फरवरी 1977 में एल्विस ने अपना अंतिम रिकॉर्डिंग सत्र आयोजित किया। इन सत्रों ने उनके अंतिम एल्बम, “फ्रॉम एल्विस प्रेस्ली बुलेवार्ड, मेम्फिस, टेनेसी” (1976) और “मूडी ब्लू” (1977) के लिए सामग्री तैयार की।

ग्रेस्कलैंड और अंतिम दिन:

  • जून 1977 में अपने अंतिम दौरे के बाद एल्विस अपने घर ग्रेस्कलैंड लौट आये।
  • उन्होंने अपने अंतिम दिन ग्रेस्कलैंड में बिताए, जहां उन्हें अपने स्वास्थ्य से संघर्ष करना पड़ा और अलगाव की अवधि का अनुभव करना पड़ा।
  • 16 अगस्त 1977 को, एल्विस प्रेस्ली को ग्रेस्कलैंड में अपने बाथरूम में बेहोश पाया गया था।
  • उन्हें पुनर्जीवित करने के प्रयासों के बावजूद, उन्हें 42 वर्ष की आयु में मृत घोषित कर दिया गया। बाद में मृत्यु का कारण दिल का दौरा माना गया, जो संभवतः डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाओं के उपयोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के संयोजन से जुड़ा था।

एल्विस प्रेस्ली के निधन से एक युग का अंत हो गया और पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी मृत्यु पर प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई और उन्हें एक सांस्कृतिक प्रतीक और संगीत किंवदंती के रूप में शोक मनाया गया। एल्विस प्रेस्ली की विरासत उनके संगीत, फिल्मों और लोकप्रिय संस्कृति पर उनके स्थायी प्रभाव के माध्यम से जीवित है।

एल्विस प्रेस्ली का 16 अगस्त 1977 को 42 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी मृत्यु एक महत्वपूर्ण और दुखद घटना थी जिसका दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ा और एक युग का अंत हुआ। यहां उनकी मृत्यु के बारे में कुछ विवरण दिए गए हैं:

दिनांक और स्थान:

  • एल्विस की मृत्यु उनके घर, ग्रेस्कलैंड, मेम्फिस, टेनेसी, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई।

मृत्यु का कारण:

  • मृत्यु का आधिकारिक कारण दिल का दौरा था, विशेष रूप से कार्डियक अतालता, जो एक अनियमित दिल की धड़कन है।
  • एल्विस का स्वास्थ्य कुछ समय से बिगड़ रहा था, और उनकी जीवनशैली, जिसमें डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का उपयोग भी शामिल था, ने संभवतः उनकी स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान दिया।

प्रभाव एवं शोक:

  • एल्विस प्रेस्ली की मृत्यु का उनके प्रशंसकों और मनोरंजन उद्योग पर गहरा प्रभाव पड़ा।
  • उनके निधन से दुनिया भर में सदमा, दुख और शोक की लहर दौड़ गई। प्रशंसक अपना सम्मान देने और एक प्रिय सांस्कृतिक प्रतीक के निधन पर शोक मनाने के लिए ग्रेस्कलैंड में एकत्र हुए।
  • 18 अगस्त 1977 को आयोजित उनके अंतिम संस्कार में हजारों शोक संतप्त लोग शामिल हुए और उन्हें ग्रेस्कलैंड के मेडिटेशन गार्डन में दफनाया गया।
  • एल्विस प्रेस्ली की विरासत उनके संगीत, फिल्मों और लोकप्रिय संस्कृति पर स्थायी प्रभाव के माध्यम से जीवित है।
  • उन्हें अक्सर “रॉक ‘एन’ रोल का राजा” कहा जाता है और उन्हें संगीत के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कलाकारों में से एक माना जाता है।
  • रॉक, पॉप, कंट्री और गॉस्पेल सहित विभिन्न शैलियों पर उनका प्रभाव संगीतकारों और प्रशंसकों की अगली पीढ़ियों द्वारा महसूस किया जा रहा है।

एल्विस प्रेस्ली की मृत्यु ने एक उल्लेखनीय और प्रतिष्ठित कैरियर का अंत कर दिया, लेकिन उनकी विरासत और योगदान दुनिया भर के लोगों को गूंजते और प्रेरित करते रहेंगे।

मृत्यु का कारण

चिकित्सा परीक्षक द्वारा निर्धारित एल्विस प्रेस्ली की मृत्यु का आधिकारिक कारण कार्डियक अतालता था, जो एक अनियमित दिल की धड़कन है। यह स्थिति हृदय की सामान्य कार्यप्रणाली और रक्त को प्रभावी ढंग से पंप करने की क्षमता में व्यवधान पैदा कर सकती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जबकि कार्डियक अतालता को मृत्यु के कारण के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, उसके समग्र स्वास्थ्य, जीवनशैली और चिकित्सकीय दवाओं के उपयोग सहित अन्य योगदान कारक भी थे।

एल्विस प्रेस्ली को उच्च रक्तचाप, नींद संबंधी विकार और अन्य चिकित्सा समस्याओं सहित स्वास्थ्य समस्याओं का इतिहास था। उनकी जीवनशैली, जिसमें एक कठिन कार्यक्रम, वजन में उतार-चढ़ाव और चिकित्सकीय दवाओं का उपयोग शामिल था, ने संभवतः उनकी स्वास्थ्य चुनौतियों में भूमिका निभाई।

अंततः, इन कारकों के संयोजन ने 16 अगस्त, 1977 को 42 वर्ष की आयु में उनकी असामयिक मृत्यु में योगदान दिया। उनके निधन का प्रशंसकों और संगीत उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा और उनकी विरासत को आज भी मनाया और याद किया जाता है।

बाद के घटनाक्रम

1977 में एल्विस प्रेस्ली के निधन के बाद से, उनकी विरासत, संपत्ति और लोकप्रिय संस्कृति पर चल रहे प्रभाव से संबंधित कई महत्वपूर्ण विकास हुए हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय मरणोपरांत विकास हैं:

संपदा और व्यवसाय प्रबंधन:

  • एल्विस की मृत्यु के बाद, उनकी संपत्ति, ग्रेस्कलैंड और उनके नाम, छवि और समानता के अधिकारों का प्रबंधन उनकी पूर्व पत्नी, प्रिसिला प्रेस्ली और एल्विस प्रेस्ली एंटरप्राइजेज (ईपीई) संगठन द्वारा किया गया था।
  • ग्रेस्कलैंड, एल्विस का प्रतिष्ठित मेम्फिस घर, संरक्षित किया गया है और एक संग्रहालय में बदल दिया गया है जो हर साल सैकड़ों हजारों आगंतुकों का स्वागत करता है। यह दुनिया भर के प्रशंसकों और उत्साही लोगों के लिए एक तीर्थ स्थल बन गया है।

संगीत और रिलीज़:

  • एल्विस के संगीत की मरणोपरांत रिलीज़ जारी रही, जिसमें पहले से अप्रकाशित रिकॉर्डिंग, लाइव प्रदर्शन और संकलन शामिल थे।
  • “एल्विस: ए लेजेंडरी परफॉर्मर” श्रृंखला, साथ ही अन्य एल्बम और बॉक्स सेट, उनके व्यापक काम को प्रदर्शित करने के लिए जारी किए गए थे।

वृत्तचित्र और फ़िल्में:

  • एल्विस प्रेस्ली के बारे में कई वृत्तचित्र, टेलीविजन विशेष और जीवनी संबंधी फिल्में बनाई गई हैं, जो उनके जीवन और करियर के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं।
  • 2005 की टीवी मिनिसरीज “एल्विस” और 2022 की जीवनी फिल्म “एल्विस” स्क्रीन पर उनके जीवन के उल्लेखनीय चित्रणों में से हैं।

सांस्कृतिक प्रभाव और श्रद्धांजलि:

  • लोकप्रिय संस्कृति पर एल्विस का प्रभाव स्थायी बना हुआ है, उनका प्रभाव संगीत, फैशन, कला और उससे परे भी महसूस किया गया है।
  • श्रद्धांजलि समारोह, एल्विस प्रतिरूपणकर्ता और प्रशंसक कार्यक्रम उनकी विरासत का जश्न मनाते हैं और प्रशंसकों की पीढ़ियों से जुड़ते रहते हैं।

मान्यता और पुरस्कार:

  • एल्विस प्रेस्ली को मरणोपरांत विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों के माध्यम से मान्यता दी गई है, जिसमें रॉक एंड रोल हॉल ऑफ फ़ेम (1986) और ग्रैमी लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (1971) शामिल हैं।

धर्मार्थ योगदान:

  • एल्विस प्रेस्ली चैरिटेबल फाउंडेशन की स्थापना विभिन्न धर्मार्थ कार्यों का समर्थन करने के लिए की गई थी, और ग्रेस्कलैंड धर्मार्थ प्रयासों के लिए धन जुटाने के लिए कार्यक्रमों और पहलों की मेजबानी करता है।

विरासत प्रबंधन और बिक्री:

  • एल्विस की संपत्ति का प्रबंधन लाइसेंसिंग और बिक्री तक बढ़ गया है, जिससे उसकी छवि और समानता को संग्रहणीय वस्तुओं से लेकर परिधान तक उत्पादों की एक श्रृंखला में उपयोग करने की अनुमति मिल गई है।

कुल मिलाकर, एल्विस प्रेस्ली की विरासत संगीत और लोकप्रिय संस्कृति में उनके योगदान को संरक्षित करने और मनाने के चल रहे प्रयासों के माध्यम से विकसित हो रही है। उनका प्रभाव गहरा बना हुआ है, और मनोरंजन में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में उनकी स्थिति प्रशंसकों और कलाकारों की नई पीढ़ियों को समान रूप से प्रेरित और प्रभावित कर रही है।

कलात्मकता को प्रभावित योगदान

एल्विस प्रेस्ली की कलात्मकता और प्रभावों ने उनकी अनूठी संगीत शैली और व्यक्तित्व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विभिन्न शैलियों और कलाकारों से प्रेरणा ली, जिसने संगीत के प्रति उनके अभूतपूर्व दृष्टिकोण में योगदान दिया। यहां उनकी कलात्मकता और उन प्रभावों पर करीब से नज़र डाली गई है जिन्होंने उनकी प्रतिष्ठित ध्वनि को परिभाषित करने में मदद की:

कलात्मकता और संगीत शैली:

  • शैली में उनके अपार योगदान के कारण एल्विस को अक्सर “रॉक ‘एन’ रोल का राजा” कहा जाता है। हालाँकि, उनका संगीत विभिन्न शैलियों का मिश्रण था, जिसमें रॉक, रिदम एंड ब्लूज़, गॉस्पेल, कंट्री और बहुत कुछ शामिल था।
  • उनकी गायन सीमा उल्लेखनीय थी, जिसने उन्हें शक्तिशाली रॉक गायन, भावनात्मक गाथागीत और भावपूर्ण प्रदर्शन के बीच सहजता से बदलाव करने की अनुमति दी।
  • एल्विस की मंच उपस्थिति, करिश्मा और ऊर्जावान प्रदर्शन भी उनकी कलात्मकता के निर्णायक पहलू बन गए, जिन्होंने दुनिया भर के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

को प्रभावित:

     रिदम एंड ब्लूज़ एंड गॉस्पेल: एल्विस रिदम एंड ब्लूज़ और गॉस्पेल शैलियों में अफ्रीकी अमेरिकी कलाकारों से गहराई से प्रभावित थे। उन्होंने सिस्टर रोसेटा थारपे, आर्थर “बिग बॉय” क्रुडुप और जैकी विल्सन जैसे कलाकारों की गायन शैली की प्रशंसा की और उनका अनुकरण किया। गॉस्पेल संगीत, जिसे उन्होंने चर्च में बड़े होते हुए अनुभव किया, ने भी उनकी गायन प्रस्तुति और भावनात्मक अभिव्यक्ति पर गहरा प्रभाव छोड़ा।

  • देशी संगीत: अमेरिकी दक्षिण में एल्विस की जड़ों ने उन्हें देशी संगीत से अवगत कराया, और वे हैंक विलियम्स, बिल मोनरो और रॉय एकफ जैसे कलाकारों से प्रेरित थे। देश, लय और ब्लूज़ के उनके मिश्रण ने रॉकबिली ध्वनि बनाने में मदद की जो उनके शुरुआती काम का पर्याय बन गई।
  • ब्लूज़ : एल्विस की गायन शैली और गिटार वादन पर ब्लूज़ का महत्वपूर्ण प्रभाव था। वह ब्लूज़ के अभिव्यंजक और भावनात्मक गुणों की ओर आकर्षित हुए, जिन्हें उन्होंने अपने प्रदर्शन में शामिल किया।
  • क्रूनर्स और पॉप: एल्विस ने डीन मार्टिन और बिंग क्रॉस्बी जैसे क्रूनर्स की प्रशंसा की, और उन्होंने अक्सर अपने गायन में उनकी सहज गायन प्रस्तुति के तत्वों को शामिल किया।
  • सन रिकॉर्ड्स कलाकार: सन रिकॉर्ड्स के साथ एल्विस के जुड़ाव ने उन्हें जॉनी कैश, जेरी ली लुईस और कार्ल पर्किन्स सहित प्रतिभाशाली संगीतकारों के समुदाय से परिचित कराया। उनकी बातचीत और सहयोग ने उनकी संगीत पहचान के विकास में योगदान दिया।
  • अन्वेषक और कलाकार: एल्विस अपने समय के नवोन्मेषी और सीमा-प्रदर्शक कलाकारों, जैसे लिटिल रिचर्ड, चक बेरी और फैट्स डोमिनोज़ से प्रभावित थे। उन्होंने उनकी मंचीय उपस्थिति और रॉक ‘एन’ रोल ऊर्जा के तत्वों को अपनाया।

एल्विस प्रेस्ली की इन विविध प्रभावों को एक ताज़ा और विद्युतीय ध्वनि में मिश्रित करने की क्षमता उनकी सफलता और स्थायी प्रभाव का एक महत्वपूर्ण कारक थी। विभिन्न शैलियों और शैलियों के साथ प्रयोग करने की उनकी इच्छा ने लोकप्रिय संगीत के विकास को आकार देने में मदद की और एक सच्चे संगीत अग्रदूत के रूप में उनकी विरासत को मजबूत किया।

एल्विस प्रेस्ली की संगीत प्रतिभा में उनकी संगीत क्षमताओं के विभिन्न पहलू शामिल हैं, जिनमें उनका गायन, वाद्य कौशल, मंच पर उपस्थिति और रचनात्मक योगदान शामिल हैं। यहां उनके संगीत कौशल के विभिन्न पहलुओं पर करीब से नजर डाली गई है:

गायन क्षमता:

  • एल्विस के पास एक उल्लेखनीय और बहुमुखी आवाज़ थी जो कई सप्तक तक फैली हुई थी। वह समान सहजता से शक्तिशाली रॉक नंबर, भावपूर्ण गाथागीत, सुसमाचार भजन और कोमल प्रेम गीत गा सकते थे।
  • अपने गायन में भावना और जुनून भरने की उनकी क्षमता उनकी शैली की पहचान थी और उनकी आवाज़ श्रोताओं के बीच गहराई से गूंजती थी।

वाद्य कौशल:

  • एल्विस मुख्य रूप से एक गायक के रूप में जाने जाते थे, लेकिन वह एक कुशल लय गिटारवादक भी थे।
  • वह अक्सर अपने प्रदर्शन और रिकॉर्डिंग सत्रों के दौरान लय गिटार बजाते थे, जिससे उनके गीतों की संगीत व्यवस्था में योगदान होता था।

मंच पर उपस्थिति और प्रदर्शन:

  • एल्विस की मंचीय उपस्थिति शानदार थी। उनकी गतिशील ऊर्जा, करिश्माई चाल और दर्शकों के साथ आकर्षक बातचीत उन्हें एक आकर्षक लाइव कलाकार के रूप में अलग करती है।
  • उनके डांस मूव्स, विशेष रूप से उनके सिग्नेचर हिप-शेकिंग, प्रतिष्ठित बन गए और उनके करिश्माई मंच व्यक्तित्व में योगदान दिया।

रचनात्मकता और व्याख्या:

  • हालाँकि एल्विस ने अपने कई गाने नहीं लिखे, लेकिन उनमें संगीत की व्याख्या की गहरी समझ थी। वह मौजूदा गीतों को ले सकता था और उन पर अपनी अनूठी मुहर लगा सकता था, और उन्हें विशिष्ट रूप से “एल्विस” में बदल सकता था।
  • आवरणों में नई जान फूंकने और उन्हें अपनी शैली में ढालने की उनकी क्षमता उनकी कलात्मक रचनात्मकता का प्रमाण थी।

व्यवस्थाओं पर प्रभाव:

  • एल्विस ने अपने गीतों की संगीत व्यवस्था को आकार देने में सक्रिय रूप से भाग लिया। जिस ध्वनि की उन्होंने कल्पना की थी उसे बनाने के लिए उन्होंने अपने समर्थक संगीतकारों और निर्माताओं के साथ मिलकर काम किया।
  • उनके इनपुट ने विभिन्न शैलियों के बीच अंतर को पाटने में मदद की, जिसके परिणामस्वरूप उनकी विशिष्ट रॉक ‘एन’ रोल ध्वनि उत्पन्न हुई जो देश, लय और ब्लूज़ और सुसमाचार से ली गई थी।

अनुकूलन और विकास:

  • एल्विस एक कलाकार के रूप में प्रयोग करने और विकसित होने की इच्छा के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपनी मूल ध्वनि के प्रति सच्चे रहते हुए बदलते संगीत रुझानों को अपनाया।
  • नए प्रभावों के प्रति उनका खुलापन और उन्हें अपने संगीत में एकीकृत करने की उनकी क्षमता ने उनके काम को ताज़ा और प्रासंगिक बनाए रखा।

एल्विस प्रेस्ली की संगीत प्रतिभा उनकी गायन प्रतिभा से कहीं आगे तक फैली हुई थी; इसमें व्यवस्थाओं में उनके योगदान, उनके वाद्य कौशल और मंच पर उनकी उपस्थिति के माध्यम से दर्शकों से जुड़ने की उनकी क्षमता शामिल थी। संगीत के प्रति उनका अभिनव दृष्टिकोण और लोकप्रिय संस्कृति पर उनका स्थायी प्रभाव उनकी असाधारण संगीतज्ञता और कलात्मक विरासत का प्रमाण है।

संगीत शैलियाँ और शैलियाँ

एल्विस प्रेस्ली का संगीत कैरियर शैलियों और शैलियों की एक विस्तृत श्रृंखला तक फैला हुआ है, जो एक कलाकार के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है। वह अपनी अनूठी ध्वनि बनाने के लिए विभिन्न संगीत प्रभावों के सम्मिश्रण और व्याख्या के लिए जाने जाते थे। यहां कुछ प्रमुख संगीत शैलियाँ और शैलियाँ दी गई हैं जिन्हें एल्विस ने अपनाया और योगदान दिया:

  • रॉक ‘ एन’ रोल: एल्विस को अक्सर रॉक ‘एन’ रोल के अग्रदूतों में से एक माना जाता है। उनकी शुरुआती हिट, जैसे “हाउंड डॉग,” “जेलहाउस रॉक,” और “ब्लू साएड शूज़” ने इस शैली को परिभाषित करने और लोकप्रिय बनाने में मदद की। उन्होंने लय और ब्लूज़, देश और सुसमाचार के तत्वों को एक साथ लाकर एक उच्च-ऊर्जा, विद्रोही ध्वनि बनाई जिसने संगीत में क्रांति ला दी।
  • रॉकबिली: सन रिकॉर्ड्स में एल्विस की शुरुआती रिकॉर्डिंग रॉकबिली शैली का प्रतीक है, जो रॉक ‘एन’ रोल और देशी संगीत का मिश्रण है। उनके सन सत्र, जिसमें “दैट्स ऑल राइट” और “मिस्ट्री ट्रेन” जैसे गाने शामिल थे, ने उनके तीखे गिटार, लयबद्ध बीट्स और गतिशील स्वरों का अनूठा मिश्रण प्रदर्शित किया।
  • रिदम और ब्लूज़: अफ्रीकी अमेरिकी कलाकारों से प्रभावित होकर एल्विस ने अपने संगीत में रिदम और ब्लूज़ को शामिल किया। उनकी शक्तिशाली और भावनात्मक गायन प्रस्तुति, जैसा कि “डोंट बी क्रुएल” और “हाउंड डॉग” जैसे गानों में सुना गया, ने आर एंड बी की भावना को पकड़ने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित किया।
  • देश: एल्विस दक्षिण में पले-बढ़े और कम उम्र से ही देशी संगीत से परिचित हो गए। उन्होंने “हार्टब्रेक होटल” और “लव मी टेंडर” जैसे देश-प्रभावित ट्रैक रिकॉर्ड किए। देश और रॉक के उनके मिश्रण ने शैलियों के बीच की दूरी को पाटने में मदद की।
  • सुसमाचार: एक चर्च जाने वाले परिवार में पले-बढ़े, सुसमाचार संगीत का एल्विस पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने गहरी भावना और आध्यात्मिकता व्यक्त करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए “हाउ ग्रेट थू आर्ट” और “पीस इन द वैली” सहित कई सुसमाचार गीत रिकॉर्ड किए।
  • गाथागीत और प्रेम गीत: एल्विस अपने भावनात्मक गाथागीत और प्रेम गीतों के लिए जाने जाते थे, जो उनके कोमल और रोमांटिक पक्ष को दर्शाते थे। “कैन्ट हेल्प फ़ॉलिंग इन लव” और “लव मी टेंडर” जैसे हिट सदाबहार क्लासिक्स बन गए।
  • सोल: एल्विस की भावपूर्ण गायन प्रस्तुति और उनके प्रदर्शन में भावनाओं को शामिल करने की उनकी क्षमता आत्मा संगीत के प्रभाव से प्रेरित है। “सस्पिशियस माइंड्स” और “ऑलवेज ऑन माई माइंड” जैसे गाने उनकी भावपूर्ण व्याख्याओं का उदाहरण हैं।
  • पॉप: जैसे-जैसे उनका करियर विकसित हुआ, एल्विस के संगीत में अधिक पॉप तत्व शामिल होने लगे। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें रॉक, पॉप और अन्य शैलियों के बीच सहजता से बदलाव करने की अनुमति दी।

इन विविध संगीत शैलियों और शैलियों को सहजता से मिश्रित करने की एल्विस की क्षमता ने उनकी व्यापक अपील में योगदान दिया और उन्हें एक क्रॉस-शैली सांस्कृतिक घटना बना दिया। उन्होंने जिस भी शैली को छुआ, उस पर उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी और उनका प्रभाव आधुनिक संगीत और लोकप्रिय संस्कृति में गूंजता रहा।

स्वर शैली और सीमा

एल्विस प्रेस्ली की गायन शैली और रेंज एक कलाकार के रूप में उनकी पहचान का अभिन्न अंग थे और उन्होंने संगीत उद्योग पर उनके प्रभाव को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी आवाज़ की विशेषता उसकी बहुमुखी प्रतिभा, भावनात्मक शक्ति और भावनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को व्यक्त करने की क्षमता थी। यहां उनकी गायन शैली और रेंज पर करीब से नजर डाली गई है:

  • एल्विस की गायन शैली को रॉक ‘एन’ रोल, रिदम एंड ब्लूज़, गॉस्पेल और कंट्री सहित विभिन्न शैलियों के प्रभावों के अनूठे मिश्रण की विशेषता थी।
  • उनके गायन में सहजता और खुरदरेपन का एक विशिष्ट संयोजन था, जो उन्हें कोमल गायन और ऊर्जावान, भावुक प्रस्तुति के बीच सहजता से परिवर्तन करने की अनुमति देता था।
  • एल्विस में अपनी आवाज के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करने, लालसा, खुशी, उदासी और उत्तेजना की भावनाएं पैदा करने की प्राकृतिक क्षमता थी। इस भावनात्मक गहराई ने उनके दर्शकों के साथ जुड़ाव में योगदान दिया।

ध्वनि का सीमा:

  • एल्विस के पास एक प्रभावशाली गायन रेंज थी जो कई सप्तक को कवर करती थी। उनकी आवाज़ आसानी से उच्च और निम्न दोनों स्वरों को नेविगेट कर सकती थी, जिससे उन्हें अपने प्रदर्शन में एक विस्तृत टोनल स्पेक्ट्रम का पता लगाने की अनुमति मिलती थी।
  • उनके ऊपरी रजिस्टर ने उन्हें स्पष्टता और शक्ति के साथ ऊंचे स्वरों को हिट करने की अनुमति दी, जैसा कि “कैन्ट हेल्प फ़ॉलिंग इन लव” और “सस्पिशियस माइंड्स” जैसे गानों में सुना गया था।
  • अपने निचले रजिस्टर में, एल्विस की आवाज में एक समृद्ध, गूंजने वाली गुणवत्ता थी जिसने उनके गीतों और अधिक भावपूर्ण प्रदर्शनों में गहराई और गर्मी जोड़ दी।

बहुमुखी प्रतिभा:

  • एल्विस की सबसे बड़ी खूबियों में से एक उनकी बहुमुखी प्रतिभा थी। वह “जेलहाउस रॉक” के उच्च-ऊर्जा रॉक ‘एन’ रोल से लेकर “इन द गेटो” की भावपूर्ण तीव्रता तक, विभिन्न गायन शैलियों के बीच परिवर्तन कर सकता था।
  • उन्होंने प्रत्येक गीत की मनोदशा और संगीत संबंधी आवश्यकताओं के अनुरूप अपनी आवाज को अनुकूलित करते हुए, शैलियों के बीच सहजता से काम किया। इस अनुकूलनशीलता ने विभिन्न प्रकार की संगीत शैलियों से निपटने की उनकी क्षमता में योगदान दिया।
  • एल्विस ने लोकप्रिय संगीत में नवीन गायन तकनीकें पेश कीं। वह अक्सर अपने प्रदर्शन में उत्साह और उत्साह जोड़ने के लिए वोकल ब्रेक, स्वूप्स और अन्य शैलीगत तत्वों का उपयोग करते थे।
  • उनकी गायन शैली, जैसे कि प्रसिद्ध “एल्विस ग्रोएल”, उनकी गायन शैली के हस्ताक्षर तत्व बन गए और उनके संगीत के समग्र प्रभाव में जुड़ गए।

एल्विस प्रेस्ली की गायन शैली और रेंज एक संगीत आइकन के रूप में उनकी प्रसिद्ध स्थिति को आकार देने में महत्वपूर्ण थी। अपनी आवाज के माध्यम से प्रामाणिकता, भावना और एक अद्वितीय मंच उपस्थिति को व्यक्त करने की उनकी क्षमता ने उन्हें एक अद्वितीय और प्रभावशाली कलाकार बना दिया, जिसका प्रभाव प्रशंसकों की पीढ़ियों के बीच गूंजता रहता है।

सार्वजनिक छवि – अफ़्रीकी-अमेरिकी समुदाय के साथ संबंध

एल्विस प्रेस्ली की सार्वजनिक छवि और अफ़्रीकी-अमेरिकी समुदाय के साथ उनके संबंध जटिल विषय हैं जिन पर वर्षों से चर्चा और बहस होती रही है। यहां उनकी सार्वजनिक छवि और अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय के साथ उनकी बातचीत का अवलोकन दिया गया है:

सार्वजनिक छवि:

  • एल्विस प्रेस्ली की सार्वजनिक छवि बहुआयामी थी। शुरुआत में उन्हें एक विद्रोही और करिश्माई व्यक्ति के रूप में देखा गया, जो लोकप्रिय संगीत में एक नई ऊर्जा लेकर आए।
  • उनकी शैली, संगीत और प्रदर्शन अभूतपूर्व और प्रभावशाली थे, जिन्होंने रॉक ‘एन’ रोल के उदय में योगदान दिया और उन्हें वैश्विक सुपरस्टार बना दिया।
  • एल्विस के अच्छे रूप, विशिष्ट आवाज़ और मनमोहक मंच उपस्थिति ने उन्हें एक सांस्कृतिक प्रतीक और प्रशंसकों के लिए आराधना की वस्तु बना दिया।

अफ़्रीकी-अमेरिकी समुदाय के साथ संबंध:

  • एल्विस अफ़्रीकी-अमेरिकी संगीत और संगीतकारों, विशेष रूप से रिदम और ब्लूज़ और गॉस्पेल कलाकारों से प्रभावित थे। वह अक्सर काले संगीतकारों को प्रेरणा के स्रोत के रूप में श्रेय देते थे।
  • उनका प्रारंभिक संगीत काले संगीत परंपराओं से काफी प्रभावित था, और काले कलाकारों के गीतों के उनके कवर ने उनके काम को व्यापक, मुख्य रूप से सफेद दर्शकों के सामने पेश करने में मदद की।
  • उनके कुछ सबसे प्रतिष्ठित हिट, जैसे “हाउंड डॉग” और “जेलहाउस रॉक”, मूल रूप से काले कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए थे।
  • काले संगीत के प्रति उनकी सराहना के बावजूद, उन्हें प्रभावित करने वाले काले कलाकारों को उचित श्रेय या स्वीकृति दिए बिना काली संस्कृति के विनियोग से लाभ उठाने के लिए एल्विस की आलोचना की गई है।

सांस्कृतिक प्रभाव और विवाद:

  • एल्विस की सफलता से एक सांस्कृतिक बदलाव आया जिसमें अफ्रीकी-अमेरिकी संगीत परंपराओं को मुख्यधारा की पहचान मिली, हालांकि अक्सर श्वेत कलाकारों के माध्यम से।
  • उन्हें नस्ल और सांस्कृतिक विनियोग से संबंधित विवादों का सामना करना पड़ा, इस बात पर बहस हुई कि क्या उन्हें संगीत में उनके योगदान के लिए मनाया जाना चाहिए या संभावित सांस्कृतिक असंवेदनशीलता के लिए आलोचना की जानी चाहिए।
  • अपने पूरे करियर के दौरान, एल्विस ने काले संगीतकारों के साथ प्रदर्शन किया और विभिन्न अवसरों पर उनके साथ सहयोग किया।

बाद के वर्ष और विरासत:

  • बाद के वर्षों में, एल्विस की सार्वजनिक छवि उनके लास वेगास निवास, जंपसूट और जीवन से भी बड़े मंच प्रदर्शन से अधिक जुड़ी हुई थी।
  • हालाँकि उन्होंने एक बड़ा प्रशंसक आधार बनाए रखा और कई लोगों के प्रिय बने रहे, 1970 के दशक के अंत में उनके स्वास्थ्य में गिरावट के कारण उनकी छवि विकसित हुई।

एल्विस प्रेस्ली का अफ़्रीकी-अमेरिकी समुदाय के साथ संबंध अमेरिकी समाज में नस्ल, संस्कृति और संगीत की जटिलताओं को दर्शाता है। जबकि उन्होंने काले संगीत शैलियों को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनकी विरासत के बारे में चर्चा सांस्कृतिक विनियोग और प्रतिनिधित्व के आसपास के व्यापक सामाजिक मुद्दों पर भी प्रकाश डालती है।

लिंग प्रतीक

एल्विस प्रेस्ली की सेक्स सिंबल के रूप में स्थिति उनके करियर के दौरान उनकी सार्वजनिक छवि और अपील का एक महत्वपूर्ण पहलू थी। उनके अच्छे रूप, करिश्माई मंच उपस्थिति और उत्तेजक नृत्य चाल ने एक सेक्स प्रतीक के रूप में उनकी छवि में योगदान दिया। यहां एक सेक्स सिंबल के रूप में एल्विस की भूमिका के बारे में अधिक जानकारी दी गई है:

भौतिक उपस्थिति:

  • एल्विस अपने खूबसूरत लुक, काले बालों, सुलगती आंखों और कामुक होंठों के लिए जाने जाते थे। उनकी उपस्थिति उनके युग के आकर्षण के मानकों को दर्शाती है।
  • उनके अच्छे से संवारे हुए बाल, सुडौल नैन-नक्श और सुडौल काया ने उनके सेक्स सिंबल की स्थिति में योगदान दिया और उन्हें कई प्रशंसकों के लिए दिल की धड़कन बना दिया।
  • एल्विस के गतिशील और ऊर्जावान प्रदर्शन ने एक सेक्स सिंबल के रूप में उनके आकर्षण को और बढ़ा दिया। उनके विचारोत्तेजक नृत्य कदम, जैसे कि उनके कूल्हे हिलाना, उस समय साहसी और उत्तेजक माने जाते थे।
  • मंच पर उनका करिश्मा और दर्शकों के साथ बातचीत ने उनकी मनमोहक छवि को और निखार दिया, जिससे वह मंच पर एक चुंबकीय उपस्थिति बन गए।

प्रशंसक आराधना:

  • एल्विस की सेक्स सिंबल स्थिति को उनके प्रशंसकों, विशेष रूप से युवा महिलाओं की प्रशंसा से बढ़ावा मिला, जो उनके रूप, आवाज़ और विद्रोही व्यक्तित्व की ओर आकर्षित थीं।
  • उनके संगीत समारोहों में अक्सर चिल्लाने वाले प्रशंसकों की उन्मादी भीड़ दिखाई देती थी जो उनके प्रदर्शन और व्यक्तित्व से मंत्रमुग्ध हो जाते थे।

मीडिया कवरेज और प्रभाव:

  • मीडिया ने एल्विस की सेक्स सिंबल छवि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मैगज़ीन कवर, पोस्टर और प्रचार तस्वीरों ने उनके सुंदर रूप को प्रदर्शित किया और उन्हें एक सांस्कृतिक प्रतीक बना दिया।
  • उनका प्रभाव संगीत से परे भी बढ़ा, क्योंकि वे 1950 और 1960 के दशक में युवा विद्रोह और यौन मुक्ति के प्रतीक बन गए।

छवि का विकास:

  • जैसे-जैसे एल्विस का करियर विकसित हुआ, उनकी छवि 1950 के दशक के युवा, विद्रोही सेक्स प्रतीक से 1960 और 1970 के दशक के अधिक परिपक्व, ग्लैमरस मनोरंजनकर्ता के रूप में परिवर्तित हो गई।

एल्विस प्रेस्ली की सेक्स सिंबल स्थिति उनकी अपील का एक केंद्रीय तत्व थी और इसने उनकी व्यापक लोकप्रियता में योगदान दिया। जबकि उन्हें मुख्य रूप से उनके संगीत योगदान के लिए याद किया जाता है, एक सेक्स प्रतीक के रूप में उनकी छवि ने उनके सांस्कृतिक प्रभाव और विरासत को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एल्विस प्रेस्ली को घुड़सवारी गतिविधियों, विशेषकर घुड़सवारी में उल्लेखनीय रुचि थी। हालाँकि उनकी घुड़सवारी की गतिविधियों को उनके संगीत कैरियर के रूप में व्यापक रूप से नहीं जाना जाता है, लेकिन वे उनके निजी जीवन और रुचियों की एक झलक पेश करते हैं। यहां घुड़सवारी गतिविधियों में एल्विस की भागीदारी के बारे में अधिक जानकारी दी गई है:

  • एल्विस ने घुड़सवारी का शौक विकसित किया और विशेष रूप से अपने बाद के वर्षों के दौरान इस गतिविधि में शामिल होने में समय बिताया।
  • उनके पास कई घोड़े थे और वे अक्सर मेम्फिस, टेनेसी में अपने ग्रेस्कलैंड एस्टेट के मैदान में उनकी सवारी करते थे।
  • घुड़सवारी ने एल्विस को आराम करने, बाहर का आनंद लेने और अपने करियर के दबावों से दूर एकांत खोजने का एक तरीका प्रदान किया।

खेत और जानवर:

  • घुड़सवारी के अलावा, एल्विस के पास अपनी संपत्ति पर अन्य जानवर भी थे, जिनमें मोर और विभिन्न प्रकार के पशुधन शामिल थे।
  • उन्होंने 1966 में मिसिसिपी में सर्कल जी रेंच खरीदा, जहां वे घोड़ों और अन्य जानवरों के प्रति अपने प्यार का इज़हार कर सकते थे।

व्यक्तिगत वापसी:

  • एल्विस की घुड़सवारी की गतिविधियाँ व्यक्तिगत वापसी और लोगों की नज़रों से बचने के उनके बड़े प्रयासों का हिस्सा थीं।
  • घुड़सवारी के प्रति उनके प्रेम और खेत के शांत वातावरण ने उन्हें एक मनोरंजनकर्ता के रूप में अपने व्यस्त जीवन से शांति और राहत के क्षण खोजने की अनुमति दी।

जबकि एल्विस प्रेस्ली की घुड़सवारी की रुचि उनके संगीत करियर की तरह अच्छी तरह से प्रलेखित नहीं थी, वे उनके निजी जीवन और सुर्खियों के बाहर अवकाश गतिविधियों का आनंद लेने की उनकी इच्छा के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। घुड़सवारी और जानवरों के प्रति उनकी सराहना ने उन्हें प्रकृति में सांत्वना खोजने और मंच से परे खुद के एक अलग पक्ष से जुड़ने की अनुमति दी।

एसोसिएट्स – कर्नल पार्कर और एबरबैक्स

एल्विस प्रेस्ली के पूरे करियर में उनके कई महत्वपूर्ण सहयोगी रहे जिन्होंने उनकी सफलता को आकार देने, उनके मामलों को प्रबंधित करने और उनकी विरासत में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके जीवन में दो उल्लेखनीय हस्तियाँ कर्नल टॉम पार्कर और एबरबैक बंधु (जीन और जूलियन एबरबैक) थे।

कर्नल टॉम पार्कर:

  • कर्नल टॉम पार्कर, जिनका वास्तविक नाम एंड्रियास कॉर्नेलिस वैन कुइज्क था, एल्विस के लंबे समय तक प्रबंधक और उनके करियर में एक प्रमुख व्यक्ति थे।
  • पार्कर को उनकी चतुर व्यावसायिक समझ और एल्विस के लिए रिकॉर्ड अनुबंध, मूवी अनुबंध और व्यापारिक समझौतों सहित आकर्षक सौदों पर बातचीत करने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता था।
  • उन्होंने एल्विस के करियर निर्णयों को निर्देशित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनकी सफलता के कई व्यावसायिक पहलुओं के लिए जिम्मेदार थे।
  • हालाँकि, पार्कर की कुछ प्रबंधन प्रथाओं और निर्णयों के बारे में बहस और आलोचनाएँ हुई हैं, खासकर एल्विस के करियर के बाद के वर्षों में।

एबरबैक ब्रदर्स (जीन और जूलियन एबरबैक):

  • जीन एबरबैक और उनके भाई जूलियन एबरबैक संगीत प्रकाशक और उद्यमी थे जिन्होंने एल्विस के शुरुआती संगीत करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • वे हिल एंड रेंज सॉन्ग्स के संस्थापक थे, जो एक संगीत प्रकाशन कंपनी थी, जिसके पास एल्विस के कई गानों के अधिकार थे, जिनमें उनकी फिल्में भी शामिल थीं।
  • एबरबैक्स ने एल्विस के गानों को फिल्मों में शामिल करने के लिए दलालों के सौदे में मदद की और यह सुनिश्चित किया कि उनका संगीत विभिन्न माध्यमों से व्यापक दर्शकों तक पहुंचता रहे।
  • उनका प्रभाव एल्विस से आगे तक बढ़ा, क्योंकि वे संगीत उद्योग में शामिल थे और कई अन्य कलाकारों और गीतकारों का प्रतिनिधित्व करते थे।

कर्नल टॉम पार्कर और एबरबैक भाइयों दोनों ने एल्विस प्रेस्ली के करियर पथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनकी प्रसिद्धि बढ़ाने में योगदान दिया, उनके व्यावसायिक मामलों का प्रबंधन किया और मनोरंजन उद्योग में उनकी विरासत को आकार देने में मदद की।

मेम्फिस माफिया

“मेम्फिस माफिया” दोस्तों, सहयोगियों और कर्मचारियों के एक समूह को संदर्भित करता है जो एल्विस प्रेस्ली के साथ निकटता से जुड़े थे और उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में विभिन्न भूमिकाएँ निभाते थे। इस शब्द का उपयोग उन व्यक्तियों के इस समूह का वर्णन करने के लिए किया गया था जो अक्सर एल्विस की कंपनी में थे, समर्थन, सौहार्द और सहायता प्रदान करते थे। मेम्फिस माफिया के बारे में यहां और अधिक जानकारी दी गई है:

उत्पत्ति और संरचना:

  • मेम्फिस माफिया में व्यक्तियों का एक घूमने वाला समूह शामिल था जो मुख्य रूप से एल्विस के गृहनगर मेम्फिस, टेनेसी से थे।
  • इसमें उनके स्कूल के दिनों के दोस्त, बचपन के परिचित, अंगरक्षक, निजी सहायक, ड्राइवर और अन्य भरोसेमंद व्यक्ति शामिल थे।
  • मेम्फिस माफिया के मुख्य सदस्यों में जो एस्पोसिटो, रेड वेस्ट, सन्नी वेस्ट, बिली स्मिथ, मार्टी लैकर, लैमर फ़ाइक और अन्य शामिल थे।

नियम और जिम्मेदारियाँ:

  • मेम्फिस माफिया के सदस्यों ने एल्विस के जीवन में विभिन्न भूमिकाएँ निभाईं। उन्होंने अंगरक्षकों के रूप में काम किया, उनके निजी मामलों का प्रबंधन किया, दौरों पर उनके साथ यात्रा की, और सहयोग और सहायता प्रदान की।
  • वे एल्विस के प्रति अपनी वफादारी के लिए जाने जाते थे और अक्सर संगीत उद्योग और फिल्मों और निजी परियोजनाओं सहित उनके अन्य उद्यमों में उनके व्यापारिक सौदों में शामिल होते थे।

व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रभाव:

  • मेम्फिस माफिया का एल्विस के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, जिससे उनके लिए परिवार और सौहार्द की भावना पैदा करने में मदद मिली, खासकर उनकी प्रसिद्धि की मांग और अलगाव की अवधि के दौरान।
  • उन्होंने उसके करियर के दबावों के बीच सामान्य स्थिति और दोस्ती की भावना प्रदान की और उनमें से कई एल्विस के करीबी विश्वासपात्र बन गए।
  • हालाँकि, समूह की घनिष्ठ प्रकृति ने बाहरी दृष्टिकोण और निर्णय लेने के संदर्भ में अलगाव और संभावित चुनौतियों को भी जन्म दिया।

बाद के वर्षों में:

  • जैसे-जैसे एल्विस का करियर विकसित हुआ, मेम्फिस माफिया की संरचना बदल गई। कुछ सदस्य उसके आंतरिक दायरे का हिस्सा बने रहे, जबकि अन्य अपने करियर और प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए आगे बढ़े।
  • 1977 में एल्विस के निधन के बाद, मेम्फिस माफिया के कुछ पूर्व सदस्य उनकी विरासत को संरक्षित करने और प्रशंसकों और इतिहासकारों के साथ अपने अनुभव साझा करने में लगे रहे।

मेम्फिस माफिया एल्विस प्रेस्ली के जीवन और विरासत का एक अनूठा पहलू है, जो उनकी असाधारण प्रसिद्धि की चुनौतियों और दबावों के बीच साहचर्य, वफादारी और समुदाय की भावना की उनकी इच्छा को दर्शाता है।

एल्विस प्रेस्ली की विरासत दूरगामी और स्थायी है, जो उन्हें संगीत और लोकप्रिय संस्कृति के इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित और प्रभावशाली शख्सियतों में से एक बनाती है। उनके प्रभाव ने कई मोर्चों पर अमिट छाप छोड़ी है:

संगीत और कलात्मक योगदान:

  • शैली को लोकप्रिय बनाने में अग्रणी भूमिका के कारण एल्विस को अक्सर “रॉक ‘एन’ रोल का राजा” कहा जाता है। लय और ब्लूज़, देश, सुसमाचार और अन्य शैलियों के उनके संलयन ने एक नई ध्वनि बनाई जिसने संगीत परिदृश्य को बदल दिया।
  • उनकी विशिष्ट आवाज के साथ-साथ उनके ऊर्जावान और करिश्माई प्रदर्शन ने लाइव मनोरंजन के लिए नए मानक स्थापित किए और आधुनिक संगीत कार्यक्रम के अनुभव को आकार देने में मदद की।
  • एल्विस की रिकॉर्डिंग को दुनिया भर में प्रशंसकों की पीढ़ियों द्वारा मनाया और आनंद लिया जा रहा है। उनके कैटलॉग में विविध प्रकार के हिट, गाथागीत, रॉकर्स और सुसमाचार गीत शामिल हैं।
  • एल्विस एक सांस्कृतिक घटना थे जिन्होंने 1950 के दशक में विद्रोह, युवा और स्वतंत्रता की भावना को मूर्त रूप दिया। उनकी छवि, संगीत और शैली ने पॉप संस्कृति में क्रांति ला दी और सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी।
  • उन्होंने संगीत में नस्लीय विभाजन को पाटने, दर्शकों को अफ्रीकी-अमेरिकी प्रभावों से परिचित कराने और विभिन्न समुदायों के बीच बाधाओं को तोड़ने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

फैशन और स्टाइल:

  • एल्विस की फैशन पसंद, उनके प्रतिष्ठित जंपसूट से लेकर उनके सिग्नेचर हेयरस्टाइल और साइडबर्न तक, ने फैशन पर एक अमिट छाप छोड़ी और रुझानों को प्रभावित करना जारी रखा।
  • वह एक ट्रेंडसेटर थे जिनकी छवि और व्यक्तिगत शैली का प्रशंसकों और कलाकारों की पीढ़ियों द्वारा अनुकरण और जश्न मनाया जाता रहा है।

फिल्म और टेलीविजन:

  • एल्विस ने कई फिल्मों में अभिनय किया और फिल्म उद्योग के विकास में योगदान दिया। हालाँकि उनकी फ़िल्मों की अक्सर उनकी फार्मूलाबद्ध प्रकृति के लिए आलोचना की जाती थी, लेकिन उन्होंने उनके संगीत के लिए एक मंच प्रदान किया और उन्हें व्यापक दर्शकों से परिचित कराया।
  • टेलीविजन पर उनकी उपस्थिति, जिसमें उनका प्रसिद्ध ’68 कमबैक स्पेशल’ भी शामिल है, ने एक मनोरंजनकर्ता के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया और एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में उनकी स्थिति को और मजबूत किया।

स्थायी प्रशंसक आधार:

  • अपने निधन के दशकों बाद भी, एल्विस के पास एक समर्पित और भावुक प्रशंसक आधार बना हुआ है। उनकी विरासत को फैन क्लबों, श्रद्धांजलि शो, प्रतिरूपणकर्ताओं और ग्रेस्कलैंड में कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाना जारी है।

प्रेरणा और प्रभाव:

  • एल्विस ने विभिन्न शैलियों के अनगिनत संगीतकारों और कलाकारों को प्रभावित किया है। उनके संगीत और शैली ने कलाकारों की पीढ़ियों को प्रेरित किया है, रॉक, पॉप और अन्य शैलियों के विकास में योगदान दिया है।
  • उनका प्रभाव संगीत से परे भी फैला हुआ है, कलाकार, फिल्म निर्माता, लेखक और रचनाकार उनके जीवन, छवि और विरासत से प्रेरणा लेते हैं।

एल्विस प्रेस्ली की विरासत संगीत में उनके अभूतपूर्व योगदान, उनके सांस्कृतिक महत्व और उनकी स्थायी अपील का प्रमाण है। वह कलात्मक नवीनता, विद्रोह और संगीत की परिवर्तनकारी शक्ति का एक स्थायी प्रतीक बने हुए हैं।

एल्विस प्रेस्ली ने अपने शानदार करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां और उपलब्धियां हासिल कीं। संगीत, संस्कृति और मनोरंजन पर उनके प्रभाव ने अमिट छाप छोड़ी है। यहां उनकी कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियां दी गई हैं:

  • दुनिया भर में 1 अरब से अधिक रिकॉर्ड बेचे गए, जिससे वह इतिहास में सबसे अधिक बिकने वाले संगीत कलाकारों में से एक बन गए।
  • बिलबोर्ड हॉट 100 चार्ट पर 18 नंबर-एक एकल थे।
  • बिलबोर्ड 200 चार्ट पर लगातार सबसे अधिक नंबर-एक एल्बम (10) का रिकॉर्ड हासिल किया।
  • रॉक ‘एन’ रोल को आकार देने में उनकी मूलभूत भूमिका को मान्यता देते हुए, 1986 में रॉक एंड रोल हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया।

चार्ट रिकॉर्ड:

  • बिलबोर्ड हॉट 100 (149 प्रविष्टियों के साथ) और सबसे शीर्ष 40 हिट्स (114 के साथ) पर सबसे अधिक चार्टेड गानों के लिए रिकॉर्ड स्थापित करें।
  • बिलबोर्ड हॉट 100 चार्ट पर कुल 149 गाने थे।

सजीव प्रदर्शन:

  • एल्विस के अभूतपूर्व 1968 कमबैक स्पेशल ने लाइव प्रदर्शन में वापसी की और एक कलाकार के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
  • 1973 में हवाई वाया सैटेलाइट कॉन्सर्ट से उनका अलोहा पहले लाइव सैटेलाइट प्रसारणों में से एक था, जो 1 अरब से अधिक लोगों के वैश्विक दर्शकों तक पहुंचा।
  • 30 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया, फिल्म उद्योग की सफलता में योगदान दिया और अपने सांस्कृतिक प्रभाव को आगे बढ़ाया।
  • टेलीविज़न पर उनकी प्रस्तुतियाँ, जिनमें उनका ’68 कमबैक स्पेशल और विभिन्न टेलीविज़न प्रदर्शन शामिल थे, अत्यधिक प्रशंसित थीं और उन्होंने एक लाइव मनोरंजनकर्ता के रूप में उनकी प्रतिभा को प्रदर्शित किया।
  • विभिन्न शैलियों के संगीतकारों और कलाकारों की पीढ़ियों को प्रेरित करना जारी है।
  • उनकी छवि और शैली का फैशन, लोकप्रिय संस्कृति और प्रतिमा विज्ञान पर स्थायी प्रभाव पड़ा है।
  • यह एक सांस्कृतिक प्रतीक और विद्रोह, युवा और संगीत की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक बना हुआ है।

ग्रेस्कलैंड और फैन बेस:

  • मेम्फिस, टेनेसी में एल्विस का घर ग्रेस्कलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक देखे जाने वाले निजी घरों में से एक है, जो हर साल सैकड़ों हजारों प्रशंसकों को आकर्षित करता है।
  • एल्विस प्रेस्ली का प्रशंसक आधार समर्पित और भावुक बना हुआ है, प्रशंसक क्लब, प्रतिरूपणकर्ता और वार्षिक कार्यक्रम उनकी विरासत का जश्न मनाते हैं।

एल्विस प्रेस्ली की उपलब्धियाँ संगीत, फिल्म, टेलीविजन और सांस्कृतिक प्रभाव तक फैली हुई हैं। मनोरंजन उद्योग पर उनके प्रभाव और एक संगीत अग्रणी के रूप में उनकी स्थायी विरासत को प्रशंसकों द्वारा मनाया जाता है और व्यापक दुनिया द्वारा मान्यता दी जाती है।

जबकि एल्विस प्रेस्ली को एक एकल कलाकार के रूप में जाना जाता है, उन्होंने अपने करियर के दौरान अक्सर सहायक संगीतकारों और बैंड के साथ प्रदर्शन किया। इन बैंडों ने वाद्य संगत प्रदान की और उनके संगीत की समग्र ध्वनि में योगदान दिया। यहां कुछ उल्लेखनीय बैंड और संगीतकार हैं जिन्होंने एल्विस के साथ उसके करियर के विभिन्न चरणों में सहयोग किया:

द ब्लू मून बॉयज़:

  • सन रिकॉर्ड्स में अपने शुरुआती वर्षों के दौरान ब्लू मून बॉयज़ एल्विस प्रेस्ली का मूल बैकिंग बैंड था।
  • बैंड के सदस्यों में गिटारवादक स्कॉटी मूर, बेसिस्ट बिल ब्लैक और बाद में ड्रमर डी.जे. शामिल थे। फोंटाना.
  • ब्लू मून बॉयज़ ने एल्विस की शुरुआती रॉकबिली ध्वनि को आकार देने और “दैट्स ऑल राइट” और “ब्लू मून ऑफ़ केंटकी” जैसी हिट रिकॉर्डिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

टीसीबी बैंड (व्यवसाय की देखभाल):

  • टीसीबी बैंड का गठन 1960 के दशक में हुआ था और बाद के वर्षों में यह एल्विस के लाइव प्रदर्शन और स्टूडियो रिकॉर्डिंग के लिए उनका प्राथमिक समर्थन बैंड बन गया।
  • बैंड में जेम्स बर्टन (मुख्य गिटार), ग्लेन डी. हार्डिन (पियानो), रोनी टुट (ड्रम), जेरी शेफ़ (बास), और जॉन विल्किंसन (रिदम गिटार) जैसे प्रसिद्ध संगीतकार शामिल थे।
  • टीसीबी बैंड ने रॉक, कंट्री और सोल तत्वों को मिलाकर एल्विस की 70 के दशक की मशहूर ध्वनि में योगदान दिया।

सत्र संगीतकार:

  • अपने नियमित बैंड के अलावा, एल्विस ने अपने स्टूडियो रिकॉर्डिंग के लिए विभिन्न सत्र संगीतकारों और ऑर्केस्ट्रा के साथ काम किया।
  • कई प्रतिभाशाली संगीतकारों और अरेंजरों ने उनके संगीत में योगदान दिया, जिनमें फ़्लॉइड क्रैमर (पियानो), बूट्स रैंडोल्फ (सैक्सोफोन), द जॉर्डनेयर्स (मुखर समूह) और अन्य शामिल हैं।

कॉन्सर्ट बैंड और ऑर्केस्ट्रा:

  • अपने बड़े लाइव प्रदर्शनों के लिए, विशेष रूप से अपने लास वेगास शो और हवाई कॉन्सर्ट से अलोहा के लिए, एल्विस ने एक भव्य और गतिशील संगीत अनुभव बनाने के लिए अक्सर पूर्ण कॉन्सर्ट बैंड या ऑर्केस्ट्रा के साथ प्रदर्शन किया।

इन बैंड और संगीतकारों ने एल्विस के संगीत को जीवंत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, चाहे वह रिकॉर्डिंग स्टूडियो में हो या संगीत कार्यक्रम के मंच पर। उन्होंने उनकी अनूठी ध्वनि के विकास में योगदान दिया और उनके प्रतिष्ठित प्रदर्शन को आकार देने में मदद की।

एल्विस प्रेस्ली ने अपने पूरे करियर में स्टूडियो और लाइव प्रदर्शन दोनों में विभिन्न बैंड और संगीतकारों के साथ काम किया। यहां एल्विस के करियर के विभिन्न बिंदुओं पर उनके साथ जुड़े कुछ उल्लेखनीय बैंड और संगीतकारों की सूची दी गई है:

द ब्लू मून बॉयज़ (प्रारंभिक वर्ष):

  • स्कॉटी मूर: लीड गिटार
  • बिल ब्लैक: बास गिटार
  • डी.जे. फोंटाना: ड्रम

टीसीबी बैंड (1969-1977):

  • जेम्स बर्टन: लीड गिटार
  • ग्लेन डी. हार्डिन: पियानो
  • रोनी टुट: ड्रम
  • जैरी शेफ़: बास गिटार
  • जॉन विल्किंसन: रिदम गिटार

अन्य उल्लेखनीय संगीतकार और सहयोगी:

  • फ्लोयड क्रैमर: पियानो
  • बूट्स रैंडोल्फ: सैक्सोफोन
  • जॉर्डनायर्स: स्वर समूह (पृष्ठभूमि स्वर)
  • मिल्ली किर्कम: बैकग्राउंड वोकल्स
  • चार्ली हॉज: बैकग्राउंड वोकल्स और रिदम गिटार
  • जे.डी. सुमनेर और द स्टैम्प्स चौकड़ी: गॉस्पेल वोकल ग्रुप (बैकग्राउंड वोकल्स)
  • कैथी वेस्टमोरलैंड: बैकग्राउंड वोकल्स
  • जो गुएर्सियो ऑर्केस्ट्रा: लाइव प्रदर्शन के लिए ऑर्केस्ट्रा

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एल्विस ने पिछले कुछ वर्षों में स्टूडियो और लाइव शो दोनों में कई संगीतकारों और सत्र खिलाड़ियों के साथ काम किया है। ऊपर सूचीबद्ध व्यक्ति कुछ प्रमुख सदस्य और सहयोगी हैं जिन्होंने उनके संगीत और प्रदर्शन में योगदान दिया।

डिस्कोग्राफी – स्टूडियो एलबम

एल्विस प्रेस्ली ने अपने करियर के दौरान कई स्टूडियो एल्बम जारी किए, जिसमें उनकी बहुमुखी प्रतिभा और विभिन्न शैलियों पर प्रभाव प्रदर्शित हुआ। यहां उनके कुछ उल्लेखनीय स्टूडियो एल्बमों की सूची दी गई है:

  • एल्विस प्रेस्ली (1956)
  • एल्विस (1956)
  • लविंग यू (1957)
  • एल्विस क्रिसमस एल्बम (1957)
  • एल्विस गोल्डन रिकॉर्ड्स (1958)
  • किंग क्रियोल (1958)
  • केवल एलपी प्रशंसकों के लिए (1959)
  • एल्विस वापस आ गया है! (1960)
  • जी.आई. ब्लूज़ (1960)
  • उसका हाथ मेरे में (1960)
  • हर किसी के लिए कुछ न कुछ (1961)
  • ब्लू हवाई (1961)
  • एल्विस के साथ पॉट लक (1962)
  • एल्विस गोल्डन रिकॉर्ड्स, खंड 3 (1963)
  • यह विश्व मेले में हुआ (1963)
  • एल्विस गोल्डन रिकॉर्ड्स, खंड 4 (1968)
  • मेम्फिस में एल्विस से (1969)
  • बैक इन मेम्फिस (1970)
  • एल्विस कंट्री (मैं 10,000 वर्ष का हूँ) (1971)
  • एल्विस के प्रेम पत्र (1971)
  • एल्विस नाउ (1972)
  • उसने मुझे छुआ (1972)
  • एल्विस: एज़ रिकॉर्डेड एट मैडिसन स्क्वायर गार्डन (1972)
  • सैटेलाइट के माध्यम से हवाई से अलोहा (1973)
  • रॉक/फॉर ओल्ड टाइम्स सेक पर उठाया गया (1973)
  • गुड टाइम्स (1974)
  • प्रॉमिस लैंड (1975)
  • एल्विस प्रेस्ली बुलेवार्ड, मेम्फिस, टेनेसी से (1976)
  • मूडी ब्लू (1977)

कृपया ध्यान दें कि इस सूची में केवल एल्विस प्रेस्ली के स्टूडियो एल्बम का चयन शामिल है। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई और एल्बम जारी किए, जिनमें उनकी फिल्मों के साउंडट्रैक एल्बम भी शामिल थे। उनकी डिस्कोग्राफी एक कलाकार के रूप में उनके विकास और रॉक ‘एन’ रोल और रिदम और ब्लूज़ से लेकर देश और गॉस्पेल तक विभिन्न संगीत शैलियों में उनके योगदान को दर्शाती है।

साउंडट्रैक एल्बम (मूल सामग्री)

एल्विस प्रेस्ली के साउंडट्रैक एल्बम, जिसमें उनकी फिल्मों की मूल सामग्री शामिल थी, उनके संगीत आउटपुट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। जबकि इनमें से कुछ एल्बमों में ऐसे गाने शामिल थे जो सीधे तौर पर फिल्मों से संबंधित थे, अन्य में ट्रैक का मिश्रण दिखाया गया था जो उनकी संगीत शैली के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता था। यहां मूल सामग्री के साथ उनके कुछ उल्लेखनीय साउंडट्रैक एल्बम हैं:

  • लव मी टेंडर (1956) – शीर्षक ट्रैक सहित इसी नाम की फिल्म के गाने पेश किए गए।
  • लविंग यू (1957) – फिल्म “लविंग यू” का साउंडट्रैक, जिसमें रॉक ‘ एन’ रोल और गाथागीत प्रदर्शित किए गए।
  • जेलहाउस रॉक (1957) – फिल्म “जेलहाउस रॉक” का साउंडट्रैक, जिसमें प्रतिष्ठित शीर्षक ट्रैक भी शामिल है।
  • किंग क्रियोल (1958) – “ किंग क्रियोल” का साउंडट्रैक, जिसमें रॉक, आर एंड बी और गाथागीत का मिश्रण है।
  • जी.आई. ब्लूज़ (1960) – “ जी.आई. ब्लूज़” का साउंडट्रैक, जिसमें सैन्य थीम वाले गाने शामिल हैं।
  • ब्लू हवाई (1961) – “ ब्लू हवाई” का साउंडट्रैक, एक उष्णकटिबंधीय और रोमांटिक माहौल को दर्शाता है।
  • लड़कियाँ! लड़कियाँ! लड़कियाँ! (1962) – “ गर्ल्स! गर्ल्स! गर्ल्स!” का साउंडट्रैक। रॉक और पॉप के मिश्रण के साथ।
  • इट हैपन्ड एट द वर्ल्ड्स फेयर (1963) – फिल्म का साउंडट्रैक, जिसमें विभिन्न प्रकार की संगीत शैलियाँ शामिल हैं।
  • विवा लास वेगास (1964) – ऊर्जावान शीर्षक ट्रैक सहित “वाइवा लास वेगास” का साउंडट्रैक।
  • रूस्टअबाउट (1964) – “ रूस्टअबाउट” का साउंडट्रैक, जो रॉक और पॉप प्रभावों को प्रदर्शित करता है।
  • गर्ल हैप्पी (1965) – “ गर्ल हैप्पी” का साउंडट्रैक, जिसमें शैलियों का मिश्रण है।
  • हरम स्कारम (1965) – “ हारम स्कारम” का साउंडट्रैक, जिसमें विदेशी और मध्य पूर्वी स्वाद शामिल हैं।
  • फ्रेंकी और जॉनी (1966) – पारंपरिक और चंचल शैलियों पर ध्यान देने के साथ “फ्रेंकी और जॉनी” का साउंडट्रैक।
  • स्पिनआउट (1966) – “ स्पिनआउट” का साउंडट्रैक, जिसमें उत्साहित ट्रैक शामिल हैं।
  • डबल ट्रबल (1967) – विभिन्न प्रकार के संगीत प्रभावों के साथ “डबल ट्रबल” का साउंडट्रैक।
  • क्लैम्बेक (1967) – “ क्लैम्बेक” का साउंडट्रैक, जिसमें रॉक और पॉप दोनों गाने शामिल हैं।
  • स्पीडवे (1968) – “ स्पीडवे” का साउंडट्रैक, जिसमें जीवंत अनुभव वाले ट्रैक शामिल हैं।
  • स्टे अवे, जो (1968) – रॉक, कंट्री और बहुत कुछ के मिश्रण के साथ “स्टे अवे, जो” का साउंडट्रैक।
  • थोड़ा जियो, थोड़ा प्यार करो (1968) – विविध शैलियों को शामिल करते हुए “थोड़ा जियो, थोड़ा प्यार करो” का साउंडट्रैक।
  • चारो! (1969) – पश्चिमी और नाटकीय माहौल को प्रदर्शित करने वाले “चारो!” का साउंडट्रैक।
  • द ट्रबल विद गर्ल्स (1969) – “ द ट्रबल विद गर्ल्स” का साउंडट्रैक, जिसमें विभिन्न संगीत शैलियाँ शामिल हैं।
  • चेंज ऑफ हैबिट (1969) – “ चेंज ऑफ हैबिट” का साउंडट्रैक, रॉक और पॉप तत्वों का मिश्रण।

ये साउंडट्रैक एल्बम एल्विस प्रेस्ली की अपनी फिल्मों के विषयों और सेटिंग्स के अनुरूप अपनी संगीत शैली को अनुकूलित करने की क्षमता का प्रमाण हैं। वे उनकी प्रतिभा की विविधता और 1950 और 1960 के दशक के दौरान लोकप्रिय संगीत पर उनके प्रभाव को भी दर्शाते हैं।

एल्विस प्रेस्ली का संगीत और फिल्म दोनों में शानदार करियर था। उन्होंने कुल 31 फीचर फिल्मों में काम किया, जिसने उनकी लोकप्रियता में योगदान दिया और उन्हें मनोरंजन उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया। यहां कालानुक्रमिक क्रम में एल्विस प्रेस्ली की फिल्मों की सूची दी गई है:

  • लव मी टेंडर (1956)
  • जेलहाउस रॉक (1957)
  • ज्वलंत सितारा (1960)
  • देश में जंगली (1961)
  • उस सपने का पालन करें (1962)
  • किड गलाहद (1962)
  • लड़कियाँ! लड़कियाँ! लड़कियाँ! (1962)
  • अकापुल्को में मज़ा (1963)
  • किसिन कजिन्स (1964)
  • विवा लास वेगास (1964)
  • रौस्टअबाउट (1964)
  • गर्ल हैप्पी (1965)
  • मुझे गुदगुदी करो (1965)
  • हारुम स्कारम (1965)
  • फ्रेंकी और जॉनी (1966)
  • पैराडाइज़, हवाईयन शैली (1966)
  • स्पिनआउट (1966)
  • आसान आओ, आसान जाओ (1967)
  • डबल ट्रबल (1967)
  • क्लैम्बेक (1967)
  • दूर रहो, जो (1968)
  • स्पीडवे (1968)
  • थोड़ा जियो, थोड़ा प्यार करो (1968)
  • चार्रो! (1969)
  • लड़कियों के साथ परेशानी (1969)
  • आदत में बदलाव (1969)

एल्विस के फिल्मी करियर में संगीत, हास्य, नाटक और रोमांटिक फिल्मों का मिश्रण रहा। जबकि उनकी फिल्मों में अक्सर संगीतमय प्रदर्शन होते थे और उनकी समग्र प्रसिद्धि में योगदान होता था, कुछ ने उनकी अभिनय क्षमताओं को भी प्रदर्शित किया और उन्हें विभिन्न भूमिकाओं और शैलियों का पता लगाने की अनुमति दी। अलग-अलग आलोचनात्मक स्वागत के बावजूद, उनकी फिल्में उनकी विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई हैं और लोकप्रिय संस्कृति पर उनके स्थायी प्रभाव में योगदान देती हैं।

टीवी कॉन्सर्ट विशेष

एल्विस प्रेस्ली के टेलीविज़न कॉन्सर्ट विशेष उनके करियर के उल्लेखनीय आकर्षण हैं, जो उनके लाइव प्रदर्शन और करिश्माई मंच उपस्थिति को व्यापक दर्शकों के सामने प्रदर्शित करते हैं। यहां उनके कुछ महत्वपूर्ण टीवी कॉन्सर्ट विशेष हैं:

  • ’68 कमबैक स्पेशल (1968):
  • इसे “एल्विस” विशेष के रूप में भी जाना जाता है, इसने कई वर्षों तक फिल्मों पर ध्यान केंद्रित करने के बाद लाइव प्रदर्शन में प्रेस्ली की वापसी को चिह्नित किया।
  • विशेष में लाइव प्रदर्शन, अनौपचारिक जाम सत्र और अंतरंग खंडों का मिश्रण दिखाया गया।
  • इसमें एक मनोरंजनकर्ता के रूप में एल्विस की रॉक ‘एन’ रोल जड़ों और बहुमुखी प्रतिभा पर प्रकाश डाला गया।
  • प्रदर्शन के दौरान एल्विस द्वारा पहनी गई प्रतिष्ठित काले चमड़े की पोशाक उनकी वापसी का एक स्थायी प्रतीक बन गई।
  • हवाई वाया सैटेलाइट से अलोहा (1973):
  • वैश्विक दर्शकों के लिए उपग्रह के माध्यम से प्रसारित, यह विशेष विश्वव्यापी उपग्रह प्रसारणों में से एक था।
  • इसमें एल्विस को होनोलूलू, हवाई में प्रदर्शन करते हुए दिखाया गया, और इसमें रॉक, पॉप और बैलाड प्रदर्शन का मिश्रण शामिल था।
  • कॉन्सर्ट के ऊर्जावान और गतिशील माहौल ने इसकी व्यापक लोकप्रियता में योगदान दिया।

इन टीवी कॉन्सर्ट विशेषों ने एल्विस को अपने प्रशंसकों के साथ अधिक अंतरंग स्तर पर जुड़ने और उनके लाइव प्रदर्शन के सार को पकड़ने की अनुमति दी। उन्होंने एक महान लाइव मनोरंजनकर्ता के रूप में उनकी स्थिति को और मजबूत किया और दुनिया भर के प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों द्वारा उनका जश्न मनाया जाता रहा।

एल्विस प्रेस्ली के करियर और जीवन को विभिन्न विवादों से चिह्नित किया गया, जिन्होंने उनकी विरासत के बारे में चर्चा और बहस में योगदान दिया है। एल्विस से जुड़े कुछ विवादों में शामिल हैं:

सांस्कृतिक विनियोग:

  • एल्विस को उन काले कलाकारों को उचित श्रेय दिए बिना अफ्रीकी-अमेरिकी संगीत शैलियों, विशेष रूप से लय और ब्लूज़ और गॉस्पेल के विनियोग से लाभ उठाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है, जिन्होंने उन्हें प्रभावित किया था।
  • जबकि उन्होंने अपने प्रभावों को स्वीकार किया, कुछ लोगों का तर्क है कि वह एक व्यापक प्रवृत्ति के प्रतीक थे जिसमें श्वेत कलाकारों को काले संगीत रूपों के साथ अधिक व्यावसायिक सफलता मिली।

यौन कल्पना और प्रदर्शन:

  • 1950 के दशक में, एल्विस के उत्तेजक डांस मूव्स, विशेष रूप से उनके कूल्हे हिलाने को विवादास्पद माना गया और यहां तक कि समाज के कुछ वर्गों द्वारा इसे नैतिक रूप से अपमानजनक भी माना गया।
  • उनके कामुक प्रदर्शनों के कारण युवा दर्शकों पर उनके संगीत और छवि के प्रभाव के बारे में चिंताएँ पैदा हुईं।

आरोपों से बचने का मसौदा:

  • 1958 में संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना में शामिल होने के एल्विस के निर्णय की उनके देश की सेवा करने की इच्छा के लिए प्रशंसा की गई। हालाँकि, उनकी संक्षिप्त और अपेक्षाकृत सुरक्षित सेवा के कारण तरजीही व्यवहार और ड्राफ्ट को चकमा देने के आरोप लगे।

प्रिस्क्रिप्शन नशीली दवाओं का दुरुपयोग और स्वास्थ्य मुद्दे:

  • अपने बाद के वर्षों में, एल्विस स्वास्थ्य समस्याओं, चिकित्सकीय दवाओं के उपयोग और वजन बढ़ने से जूझते रहे। उनकी शारीरिक गिरावट और लत से संघर्ष मीडिया जांच का विषय बन गया।

रिश्ते और शादियाँ:

  • एल्विस के रिश्ते, जिसमें किशोरावस्था में प्रिसिला प्रेस्ली से उनकी शादी भी शामिल है, विवाद और अटकलों का स्रोत रहे हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एल्विस प्रेस्ली के विवाद जटिल हैं और अक्सर उनके समय के सामाजिक मानदंडों और दृष्टिकोणों को प्रतिबिंबित करते हैं। हालाँकि वह संगीत और मनोरंजन में अपने योगदान के लिए प्रतिष्ठित एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बने हुए हैं, लेकिन इन विवादों ने उनके प्रभाव, सांस्कृतिक प्रभाव और उनके द्वारा उठाए गए व्यापक मुद्दों के बारे में चल रही चर्चाओं को जन्म दिया है।

यहां एल्विस प्रेस्ली के बारे में कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:

  • मध्य नाम की गलत वर्तनी: एल्विस का मध्य नाम “एरोन” लिखा गया है, न कि “एरोन।” यह गलत वर्तनी उनके जन्म प्रमाण पत्र की गलती थी।
  • गुलाबी कैडिलैक: एल्विस को कारों के प्रति अपने प्रेम के लिए जाना जाता था, और उन्होंने अपनी माँ को उपहार के रूप में गुलाबी कैडिलैक दिया था।
  • पोलियो वैक्सीन: एल्विस ने पोलियो वैक्सीन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने दूसरों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने में मदद करने के लिए राष्ट्रीय टेलीविजन पर अपना टीका प्राप्त किया।
  • राष्ट्रपति निक्सन से मुलाकात: एल्विस ने 1970 में व्हाइट हाउस की ऐतिहासिक यात्रा में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से मुलाकात की। यह मुलाकात अब एक प्रसिद्ध तस्वीर में कैद हो गई थी।
  • एल्विस प्रतिरूपणकर्ता: पहले ज्ञात एल्विस प्रतिरूपणकर्ता जिम स्मिथ थे, जिन्होंने एल्विस के एक प्रमुख स्टार बनने से पहले ही 1954 में “एल्विस” के रूप में प्रदर्शन किया था।
  • टिकटें और मुद्रा: अमेरिकी डाक सेवा ने 1993 में एक एल्विस प्रेस्ली स्मारक टिकट जारी किया था, और उन्हें 1997 में एक सीमित संस्करण अमेरिकी डॉलर बिल पर चित्रित किया गया था।
  • ग्रेस्कलैंड का प्रभाव: ग्रेस्कलैंड, मेम्फिस में एल्विस का पूर्व घर, व्हाइट हाउस के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका में दूसरा सबसे अधिक देखा जाने वाला निजी घर है।
  • अकेले रहने का फोबिया: कथित तौर पर एल्विस को अकेले रहने का फोबिया था, जिसके कारण शायद वह अपने आसपास दोस्तों और सहयोगियों को रखना पसंद करता था।
  • शौक: संगीत के अलावा, एल्विस को कराटे का आनंद मिलता था और वह ब्लैक बेल्ट था। उन्हें पुलिस बैज और बंदूकें इकट्ठा करने का भी शौक था।
  • अंतिम संगीत कार्यक्रम: एल्विस का अंतिम संगीत कार्यक्रम उनके निधन से ठीक दो महीने पहले 26 जून 1977 को इंडियानापोलिस, इंडियाना में आयोजित किया गया था।
  • हाउंड डॉग: 1956 में “द मिल्टन बेर्ले शो” में एल्विस के “हाउंड डॉग” के ऊर्जावान प्रदर्शन ने उनके उत्तेजक नृत्य के कारण विवाद पैदा कर दिया।
  • सिग्नेचर लुक: एल्विस का प्रतिष्ठित हेयरस्टाइल कथित तौर पर पोम्पाडॉर की उनकी इच्छा और अधिक रूढ़िवादी शैली के लिए उनकी मां की पसंद के बीच समझौते का परिणाम था।

ये सामान्य तथ्य एल्विस प्रेस्ली के अनूठे और दिलचस्प जीवन की एक झलक प्रदान करते हैं, जो लोकप्रिय संस्कृति पर उनके प्रभाव और संगीत और मनोरंजन पर उनके स्थायी प्रभाव को दर्शाते हैं।

एल्विस प्रेस्ली के बारे में कुछ रोचक और कम ज्ञात तथ्य यहां दिए गए हैं:

  • पहला गिटार: एल्विस का पहला गिटार वह प्रतिष्ठित गिब्सन नहीं था जिसके साथ वह अक्सर जुड़ा रहता है। यह उनकी मां ग्लेडिस की ओर से एक उपहार था, और यह एक सेकेंड-हैंड गिटार था जो उन्हें उनके 11वें जन्मदिन पर मिला था। यह 1946 का मार्टिन ध्वनिक था।
  • जुड़वां भाई: एल्विस का एक जुड़वां भाई था जिसका नाम जेसी गैरोन प्रेस्ली था, लेकिन दुखद बात यह है कि जेसी मृत पैदा हुई थी, जिससे एल्विस एकमात्र बच्चे के रूप में बड़ा हुआ।
  • प्रारंभिक महत्वाकांक्षाएँ: संगीत में करियर बनाने से पहले, एल्विस की एक पेशेवर अभिनेता बनने की आकांक्षाएँ थीं। उन्होंने फिल्म “रिबेल विदाउट ए कॉज़” में एक भूमिका के लिए ऑडिशन भी दिया, जो अंततः जेम्स डीन के पास गया।
  • असामान्य ग्रेस्कलैंड विशेषताएं: एल्विस के घर ग्रेस्कलैंड में कुछ अनूठी विशेषताएं हैं, जिसमें दीवारों और छत पर शैग कालीन के साथ एक “जंगल रूम” और पशु-थीम वाली सजावट का संग्रह शामिल है।
  • प्रिसिला से शादी: एल्विस की मुलाकात प्रिसिला ब्यूलियू से तब हुई जब वह सिर्फ 14 साल की थी और उन्होंने 21 साल की उम्र में शादी कर ली। उनकी बेटी, लिसा मैरी प्रेस्ली, उनकी शादी के नौ महीने बाद पैदा हुई थी।
  • कराटे उत्साही: एल्विस कराटे में ब्लैक बेल्ट था और मार्शल आर्ट के प्रति उसका सच्चा जुनून था। यहां तक कि उन्होंने अपने कुछ मंच प्रदर्शनों में कराटे की चाल को भी शामिल किया।
  • ग्रैमी के लिए नामांकित: एल्विस ने तीन ग्रैमी पुरस्कार जीते लेकिन अपने करियर के दौरान उन्हें कुल 14 ग्रैमी पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया। उनकी सभी ग्रैमी जीतें सुसमाचार रिकॉर्डिंग के लिए थीं।
  • सीमित विदेशी प्रदर्शन: अपनी विश्वव्यापी प्रसिद्धि के बावजूद, एल्विस ने केवल कुछ ही बार संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर लाइव प्रदर्शन किया, और इनमें से अधिकांश प्रदर्शन कनाडा में थे।
  • उदारता: एल्विस अपनी उदारता के लिए जाने जाते थे और अक्सर कार, गहने और पैसे सहित अपनी निजी चीजें दोस्तों, परिवार और यहां तक ​​कि अजनबियों को दे देते थे।
  • छिपी हुई पहचान: अपने करियर के शुरुआती दिनों में, ध्यान आकर्षित करने से बचने के लिए एल्विस कभी-कभी होटलों में चेक-इन करते समय छद्म नाम “जॉन कारपेंटर” का इस्तेमाल करते थे।
  • हवाई जहाज की खरीद: एल्विस ने अपना खुद का हवाई जहाज, एक कॉन्वेयर 880 खरीदा, जिसका नाम उनकी बेटी के नाम पर “लिसा मैरी” रखा गया। विमान में शानदार आंतरिक साज-सज्जा थी और इसका इस्तेमाल उनकी यात्राओं के लिए किया जाता था।
  • राष्ट्रपति की बैठक: एल्विस ने 1970 में व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से प्रसिद्ध मुलाकात की। उन्होंने नारकोटिक्स और खतरनाक ड्रग्स ब्यूरो से एक बैज का अनुरोध किया और ड्रग्स और काउंटरकल्चर के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की।

ये तथ्य एल्विस प्रेस्ली के जीवन, रुचियों और लोकप्रिय संस्कृति पर प्रभाव के कुछ दिलचस्प पहलुओं की एक झलक प्रदान करते हैं।

एल्विस प्रेस्ली के बारे में कई किताबें लिखी गई हैं, जो उनके जीवन, करियर, संगीत और सांस्कृतिक प्रभाव के विभिन्न पहलुओं को कवर करती हैं। यहां एल्विस प्रेस्ली के बारे में कुछ उल्लेखनीय पुस्तकें हैं जो आपको दिलचस्प लग सकती हैं:

  • पीटर गुरलनिक द्वारा “लास्ट ट्रेन टू मेम्फिस: द राइज़ ऑफ़ एल्विस प्रेस्ली”।यह प्रशंसित जीवनी एल्विस के प्रारंभिक जीवन और उनकी प्रसिद्धि में वृद्धि की पड़ताल करती है। यह उनके संगीत प्रभाव, रॉक ‘एन’ रोल पर उनके प्रभाव और उनके सांस्कृतिक महत्व पर एक विस्तृत नज़र डालता है।
  • पीटर गुरलनिक द्वारा “केयरलेस लव: द अनमेकिंग ऑफ एल्विस प्रेस्ली”।
  • “ लास्ट ट्रेन टू मेम्फिस” की यह अगली कड़ी एल्विस के जीवन के बाद के वर्षों में उनके संघर्षों, रिश्तों, स्वास्थ्य मुद्दों और एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में उनके सामने आने वाली चुनौतियों की जांच करती है।
  • प्रिसिला प्रेस्ली द्वारा “एल्विस एंड मी”।एल्विस की पूर्व पत्नी, प्रिसिला द्वारा लिखित, यह संस्मरण उनके रिश्ते, विवाह और एक साथ जीवन का व्यक्तिगत और अंतरंग विवरण प्रदान करता है।
  • “ एल्विस: क्या हुआ?” स्टीव डनलवी, रेड वेस्ट, सन्नी वेस्ट और डेव हेबलर द्वाराएल्विस के पूर्व अंगरक्षकों द्वारा लिखी गई यह विवादास्पद पुस्तक एल्विस के जीवन के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जिसमें उनके स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे और डॉक्टर द्वारा लिखी दवाओं के साथ संघर्ष भी शामिल है।
  • फ्रेड एल. वर्थ और स्टीव डी. टेमेरियस द्वारा “एल्विस: हिज़ लाइफ फ्रॉम ए टू ज़ेड”।एक व्यापक संदर्भ मार्गदर्शिका जिसमें एल्विस के जीवन, करियर और विरासत के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है, जिसमें उनके गाने, फिल्में, संगीत कार्यक्रम और बहुत कुछ शामिल हैं।
  • बिली स्मिथ और मार्टी लैकर के साथ अलाना नैश द्वारा “एल्विस एंड द मेम्फिस माफिया”।परदे के पीछे एल्विस के जीवन को उसके दोस्तों और सहयोगियों के नजरिए से देखने पर उसके निजी जीवन और रिश्तों के बारे में अंतर्दृष्टि मिलती है।
  • प्रिसिला प्रेस्ली और लिसा मैरी प्रेस्ली द्वारा “एल्विस बाय द प्रेस्लीज़”।इस पुस्तक में प्रेस्ली परिवार की व्यक्तिगत कहानियाँ, तस्वीरें और यादगार चीज़ें शामिल हैं, जो एल्विस के जीवन और विरासत पर एक बहु-पीढ़ी परिप्रेक्ष्य पेश करती हैं।
  • माइक इवांस द्वारा “एल्विस: ए सेलिब्रेशन”।एल्विस के जीवन को एक दृश्य श्रद्धांजलि, जिसमें दुर्लभ तस्वीरें, यादगार वस्तुएं और उपाख्यान शामिल हैं जो संगीत और लोकप्रिय संस्कृति पर उनके प्रभाव को दर्शाते हैं।
  • एरिका डॉस द्वारा “एल्विस संस्कृति: प्रशंसक, विश्वास और छवि”।यह पुस्तक एल्विस के प्रशंसकों की संख्या और उनकी छवि के सांस्कृतिक महत्व की पड़ताल करती है, जिसमें यह भी शामिल है कि कैसे प्रशंसकों ने उन्हें अपना आदर्श माना और स्मरण किया है।
  • एलेन डंडी द्वारा “एल्विस एंड ग्लेडिस”।एल्विस के अपनी मां, ग्लेडिस प्रेस्ली के साथ संबंधों और उनके जीवन और करियर पर इसके प्रभाव की गहराई से खोज।

ये पुस्तकें एल्विस प्रेस्ली के जीवन और विरासत पर विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं, उनके संगीत, व्यक्तित्व, विवादों और मनोरंजन की दुनिया पर स्थायी प्रभाव की अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।

  • जब मैं एक लड़का था, मैं हमेशा खुद को कॉमिक पुस्तकों और फिल्मों में एक नायक के रूप में देखता था। मैं इस सपने पर विश्वास करते हुए बड़ा हुआ हूं।” – एल्विस प्रेस्ली
  • “छवि एक चीज़ है और इंसान दूसरी चीज़ है। किसी छवि के अनुरूप जीना बहुत कठिन है, इसे इस तरह से कहें।” – एल्विस प्रेस्ली
  • “मैं सेक्सी बनने की कोशिश नहीं कर रही हूं। जब मैं घूमती हूं तो यह खुद को अभिव्यक्त करने का मेरा तरीका है।” – एल्विस प्रेस्ली
  • “मैं राजा नहीं हूं। मसीह राजा हैं। मैं सिर्फ एक मनोरंजनकर्ता हूं।” – एल्विस प्रेस्ली
  • “लय एक ऐसी चीज़ है जो या तो आपके पास है या नहीं है, लेकिन जब यह आपके पास होती है, तो आपके पास सब कुछ होती है।” – एल्विस प्रेस्ली
  • “भगवान दे सकते हैं, और भगवान ले सकते हैं। मैं अगले साल भेड़ चरा सकता हूं।” – एल्विस प्रेस्ली
  • “सच्चाई सूरज की तरह है। आप इसे कुछ समय के लिए बंद कर सकते हैं, लेकिन यह दूर नहीं जाएगा।” – एल्विस प्रेस्ली
  • “वी एट इंजन के साथ महात्वाकांक्षा एक सपना है।” – एल्विस प्रेस्ली
  • “जब चीजें गलत हो जाएं, तो उनके साथ मत जाओ।” – एल्विस प्रेस्ली
  • “मैं कोई संत नहीं हूं, लेकिन मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं करने की कोशिश की है जिससे मेरे परिवार को ठेस पहुंचे या भगवान को ठेस पहुंचे… मुझे लगता है कि किसी भी बच्चे को बस आशा और उस भावना की जरूरत होती है जो वह चाहता है। अगर मैं ऐसा कर पाता या कह पाता कुछ भी जो किसी बच्चे को वह एहसास दे, मुझे विश्वास होगा कि मैंने दुनिया में कुछ योगदान दिया है।” – एल्विस प्रेस्ली

प्रश्न: एल्विस प्रेस्ली कौन थे?

उत्तर: एल्विस प्रेस्ली एक अमेरिकी गायक, संगीतकार और अभिनेता थे जिन्हें अक्सर “रॉक ‘एन’ रोल का राजा” कहा जाता था। वह लोकप्रिय संगीत और मनोरंजन के इतिहास में सबसे प्रभावशाली और प्रसिद्ध शख्सियतों में से एक हैं।

प्रश्न: एल्विस प्रेस्ली का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: एल्विस प्रेस्ली का जन्म 8 जनवरी, 1935 को टुपेलो, मिसिसिपी, अमेरिका में हुआ था।

प्रश्न: एल्विस प्रेस्ली का निधन कब हुआ?

उत्तर: एल्विस प्रेस्ली का 16 अगस्त, 1977 को 42 वर्ष की आयु में मेम्फिस, टेनेसी में उनके घर, ग्रेस्कलैंड में निधन हो गया।

प्रश्न: एल्विस की संगीत शैली क्या थी?

उत्तर: एल्विस की संगीत शैली रॉक ‘एन’ रोल, रिदम एंड ब्लूज़, गॉस्पेल, कंट्री और पॉप सहित विभिन्न शैलियों का मिश्रण थी। वह अपने ऊर्जावान प्रदर्शन, विशिष्ट आवाज और विभिन्न संगीत प्रभावों को मिश्रित करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न: एल्विस के कुछ सबसे प्रसिद्ध गाने कौन से हैं?

उत्तर: एल्विस प्रेस्ली के कुछ सबसे प्रसिद्ध गीतों में “हाउंड डॉग,” “जेलहाउस रॉक,” “लव मी टेंडर,” “कैन हेल्प फ़ॉलिंग इन लव,” “सस्पिशियस माइंड्स,” और “हार्टब्रेक होटल” सहित कई अन्य शामिल हैं।

प्रश्न: एल्विस कैसे प्रसिद्ध हुए?

उत्तर: एल्विस ने 1950 के दशक के मध्य में “द एड सुलिवन शो” जैसे टेलीविजन पर अपनी उपस्थिति और सन रिकॉर्ड्स में अपनी अभूतपूर्व रिकॉर्डिंग के माध्यम से राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की, जिसने रॉक ‘एन’ रोल को लोकप्रिय बनाने में मदद की।

प्रश्न: क्या एल्विस ने सेना में सेवा की थी?

उत्तर: हाँ, एल्विस प्रेस्ली ने 1958 से 1960 तक संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना में सेवा की। उनकी सैन्य सेवा ने अस्थायी रूप से उनके संगीत और अभिनय करियर को बाधित कर दिया।

प्रश्न: एल्विस प्रेस्ली ने किन फिल्मों में अभिनय किया?

उत्तर: एल्विस ने कुल 31 फीचर फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें “लव मी टेंडर,” “जेलहाउस रॉक,” “ब्लू हवाई,” “वीवा लास वेगास,” “जी.आई. ब्लूज़,” और “किंग क्रियोल” शामिल हैं।

प्रश्न: ग्रेस्कलैंड क्या है?

उत्तर: ग्रेस्कलैंड मेम्फिस, टेनेसी में एल्विस प्रेस्ली का पूर्व घर है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक देखे जाने वाले निजी घरों में से एक है और एल्विस के जीवन और करियर के लिए एक संग्रहालय और श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न: एल्विस की विरासत क्या है?

उत्तर: एल्विस प्रेस्ली की विरासत में रॉक ‘एन’ रोल में उनका अग्रणी योगदान, संगीत और मनोरंजन पर उनका सांस्कृतिक प्रभाव और प्रशंसकों के बीच उनकी स्थायी लोकप्रियता शामिल है। वह कलाकारों को प्रभावित करना और संगीतकारों की पीढ़ियों को प्रेरित करना जारी रखता है।

ये एल्विस प्रेस्ली के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न हैं। उनका जीवन और करियर समृद्ध और बहुआयामी है, और इस प्रतिष्ठित शख्सियत के बारे में सीखने और जानने के लिए बहुत कुछ है।

अल्लू अर्जुन जीवन परिचय | Allu Arjun Biography in Hindi

Allu Arjun Biography in Hindi

अल्लू अर्जुन, जिनका पूरा नाम अल्लू अर्जुन सरैनोडु है, एक प्रमुख भारतीय अभिनेता और फिल्म निर्माता हैं जो मुख्य रूप से तेलुगु फिल्म उद्योग में काम करते हैं। उनका जन्म 8 अप्रैल 1983 को चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में हुआ था। स्क्रीन पर अपनी अनूठी शैली और करिश्मा के लिए अल्लू अर्जुन को अक्सर “स्टाइलिश स्टार” कहा जाता है।

  • वह अल्लू परिवार से हैं, जिसकी तेलुगु फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। उनके दादा अल्लू रामलिंगैया एक प्रसिद्ध हास्य अभिनेता थे, और उनके पिता अल्लू अरविंद एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता हैं। उनके चाचा चिरंजीवी तेलुगु फिल्म उद्योग के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं।
  • अल्लू अर्जुन ने 2003 में के.राघवेंद्र राव द्वारा निर्देशित फिल्म “गंगोत्री” से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। हालाँकि, यह फिल्म “आर्या” (2004) थी जिसने उन्हें स्टारडम तक पहुँचाया और उनके प्रदर्शन के लिए आलोचकों की प्रशंसा प्राप्त की। तब से, उन्होंने कई सफल फिल्में दी हैं, जिससे पूरे भारत और यहां तक कि विदेशों में भी उनके प्रशंसक बढ़ गए हैं।
  • अल्लू अर्जुन की कुछ सबसे लोकप्रिय और सफल फिल्मों में “बनी,” “देसमुदुरु,” “परुगु,” “आर्या 2,” “जुलायी,” “रेस गुर्रम,” “सर्रेनोडु,” “दुव्वाडा जगन्नाधम,” और “अला वैकुंठपुरमुलु” शामिल हैं। “जो एक ब्लॉकबस्टर हिट थी।
  • अल्लू अर्जुन अपने असाधारण नृत्य कौशल और स्क्रीन पर विविध पात्रों को चित्रित करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उन्हें अपने अभिनय के लिए कई पुरस्कार और प्रशंसाएं मिली हैं, जिनमें फिल्मफेयर पुरस्कार और नंदी पुरस्कार शामिल हैं।
  • अभिनय के अलावा, अल्लू अर्जुन एक फिल्म निर्माता भी हैं और अपने पिता अल्लू अरविंद के साथ प्रोडक्शन कंपनी गीता आर्ट्स के सह-मालिक हैं। वह इस बैनर के तहत कई सफल तेलुगु फिल्मों के निर्माण में शामिल रहे हैं।

अल्लू अर्जुन का जन्म 8 अप्रैल 1983 को चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में अल्लू अरविंद और निर्मला के घर हुआ था। वह तेलुगु फिल्म उद्योग के एक प्रतिष्ठित परिवार से हैं। उनके दादा, अल्लू रामलिंगैया, तेलुगु सिनेमा के प्रसिद्ध हास्य अभिनेता और चरित्र अभिनेता थे। उनके चाचा चिरंजीवी एक प्रसिद्ध अभिनेता और तेलुगु फिल्म उद्योग के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं।

  • अल्लू अर्जुन का प्रारंभिक बचपन चेन्नई में बीता, जहाँ उनका परिवार रहता था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट पैट्रिक स्कूल, चेन्नई से पूरी की और बाद में एमएसआर कॉलेज, हैदराबाद से बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) की डिग्री हासिल की।
  • बहुत कम उम्र से ही अल्लू अर्जुन को अभिनय और नृत्य में रुचि हो गई। वह अपने चाचा चिरंजीवी से बहुत प्रभावित थे और फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाने के लिए कृतसंकल्प थे। अपने कौशल को निखारने के लिए उन्होंने विभिन्न नृत्य शैलियों और अभिनय का प्रशिक्षण लिया।
  • फिल्म उद्योग में उनकी शुरुआत 19 साल की उम्र में हुई जब उन्होंने फिल्म “डैडी” (2001) में एक छोटी सी भूमिका निभाई, जो उनके पिता अल्लू अरविंद द्वारा निर्मित थी। हालाँकि, 2003 तक उन्होंने के.राघवेंद्र राव द्वारा निर्देशित फिल्म “गंगोत्री” में मुख्य अभिनेता के रूप में आधिकारिक अभिनय की शुरुआत नहीं की थी।
  • अल्लू अर्जुन की शुरुआती फिल्मों को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली, लेकिन यह फिल्म “आर्या” (2004) थी जिसने उन्हें अपार प्रसिद्धि और पहचान दिलाई। फिल्म की सफलता ने उन्हें एक प्रतिभाशाली अभिनेता के रूप में स्थापित किया और उन्हें एक समर्पित प्रशंसक बना दिया।
  • तब से, अल्लू अर्जुन लगातार सफल फिल्में दे रहे हैं और तेलुगु फिल्म उद्योग में सबसे बैंकेबल और प्रसिद्ध अभिनेताओं में से एक बन गए हैं। एक युवा, महत्वाकांक्षी अभिनेता से लेकर तेलुगु सिनेमा के “स्टाइलिश स्टार” बनने तक की उनकी यात्रा उनके कई प्रशंसकों के लिए उल्लेखनीय और प्रेरणादायक रही है।

आजीविका – कैरियर की शुरुआत (1985-1986; 2001-2007)

अल्लू अर्जुन ने अपने करियर की शुरुआत 1985 में तेलुगु फिल्म विजेता से एक बाल कलाकार के रूप में की थी। उस समय वह केवल 3 साल के थे। इसके बाद वह 1986 में फिल्म डैडी में दिखाई दिए, जहां उन्होंने एक नर्तक की भूमिका निभाई।

करियर की शुरुआत (2001-2007):

  • पहली फिल्म: अल्लू अर्जुन ने 2003 में फिल्म “गंगोत्री” में मुख्य अभिनेता के रूप में अपने अभिनय की शुरुआत की। इस फिल्म का निर्देशन के. राघवेंद्र राव ने किया था और इसने तेलुगु फिल्म उद्योग में उनकी यात्रा की शुरुआत की। इस फिल्म में उन्होंने एक्ट्रेस अदिति अग्रवाल के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी.
  • निर्णायक: अल्लू अर्जुन को सफलता सुकुमार द्वारा निर्देशित फिल्म “आर्या” (2004) से मिली। फिल्म आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही और अल्लू अर्जुन को उनके प्रदर्शन के लिए काफी प्रशंसा मिली। “आर्या” ने अपने नृत्य कौशल का प्रदर्शन किया और उन्हें टॉलीवुड में एक होनहार अभिनेता के रूप में स्थापित किया।
  • निरंतर सफलता: “आर्या” की सफलता के बाद, अल्लू अर्जुन ने “बनी” (2005), “हैप्पी” (2006), और “देसमुदुरु” (2007) सहित कई सफल फिल्मों में अभिनय किया। इन फिल्मों ने एक बैंकेबल स्टार के रूप में उनकी स्थिति को और मजबूत किया और उनके प्रशंसक आधार का विस्तार किया।
  • पुरस्कार और सम्मान: अल्लू अर्जुन को इन फिल्मों में उनके प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार और नामांकन प्राप्त हुए। उनके अनूठे डांस मूव्स और ऊर्जावान प्रदर्शन ने उन्हें युवा पीढ़ी के अभिनेताओं के बीच एक विशेष स्थान दिलाया।

अल्लू अर्जुन के शुरुआती करियर में सफल फिल्मों की एक श्रृंखला देखी गई, जिन्होंने स्क्रीन पर उनकी प्रतिभा और करिश्मा दिखाया। वह जल्द ही दर्शकों, खासकर युवाओं के बीच पसंदीदा बन गए और उनके काफी प्रशंसक बन गए।

शैलियों का प्रयोग (2007-2010)

2007 से 2010 की अवधि के दौरान, अल्लू अर्जुन ने अपनी फिल्मों में विभिन्न शैलियों और भूमिकाओं के साथ प्रयोग करना जारी रखा। उनके करियर के इस चरण में एक अभिनेता के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा और विविध किरदार निभाने की इच्छा प्रदर्शित हुई। इस अवधि की कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में इस प्रकार हैं:

  • “ परुगु” (2008): भास्कर द्वारा निर्देशित, “परुगु” एक एक्शन ड्रामा फिल्म थी जिसमें अल्लू अर्जुन ने कृष्ण की मुख्य भूमिका निभाई थी, जो एक युवा व्यक्ति है जो एक भागी हुई लड़की को खोजने के लिए यात्रा पर निकलता है। फिल्म को सकारात्मक समीक्षा मिली और अल्लू अर्जुन के प्रदर्शन की सराहना की गई।
  • “ आर्या 2″ (2009): सफल फिल्म “आर्या” की अगली कड़ी, इस रोमांटिक ड्रामा का निर्देशन सुकुमार ने किया था। अल्लू अर्जुन ने आर्य के रूप में अपनी भूमिका दोहराई और फिल्म में उनके चरित्र की जटिलताओं और भावनाओं को गहराई से दर्शाया गया। फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रिया मिली, लेकिन अल्लू अर्जुन के अभिनय और स्टाइलिश चित्रण ने प्रशंसा बटोरी।
  • “ वेदम” (2010): कृष द्वारा निर्देशित, “वेदम” एक मल्टी-स्टारर ड्रामा थी जिसमें अल्लू अर्जुन मुख्य भूमिकाओं में से एक थे। फिल्म ने विभिन्न परस्पर जुड़ी कहानियों की खोज की जो विभिन्न पात्रों और उनके संघर्षों के इर्द-गिर्द घूमती हैं। एक संघर्षरत केबल ऑपरेटर केबल राजू के रूप में अल्लू अर्जुन के प्रदर्शन को आलोचनात्मक प्रशंसा मिली।
  • “ वरुदु” (2010): गुणशेखर द्वारा निर्देशित, “वरुदु” एक रोमांटिक थ्रिलर थी जिसमें अल्लू अर्जुन ने एक दूल्हे संदीप की मुख्य भूमिका निभाई थी, जिसकी शादी में हथियारबंद लोगों के एक समूह द्वारा बाधा डाली जाती है। फिल्म ने प्रेम और बलिदान के विषयों की खोज की और दर्शकों और आलोचकों से इसे मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली।

इस चरण के दौरान, अल्लू अर्जुन ने एक अभिनेता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा साबित करते हुए एक्शन, रोमांस और ड्रामा सहित विभिन्न शैलियों में कदम रखा। उन्होंने विभिन्न निर्देशकों के साथ भी काम किया, जिससे उन्हें विभिन्न कहानी कहने की शैलियों और पात्रों के साथ प्रयोग करने का मौका मिला।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक फिल्म की सफलता और स्वागत अलग-अलग था, लेकिन विभिन्न भूमिकाओं और शैलियों को आजमाने के लिए अल्लू अर्जुन के समर्पण ने उन्हें एक मजबूत प्रशंसक आधार के साथ एक अग्रणी अभिनेता के रूप में खुद को स्थापित करने में मदद की। एक अभिनेता के रूप में जोखिम लेने और अपनी रेंज दिखाने की उनकी इच्छा ने तेलुगु फिल्म उद्योग में उनकी निरंतर सफलता की नींव रखी।

आगे की सफलता (2011-2013)

2011 से 2013 की अवधि के दौरान, अल्लू अर्जुन ने अपने फिल्मी करियर में और सफलता का अनुभव किया। उन्होंने कई व्यावसायिक रूप से सफल फिल्में दीं और तेलुगु फिल्म उद्योग में शीर्ष अभिनेताओं में से एक के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करना जारी रखा। इस अवधि की कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में इस प्रकार हैं:

  • “ बद्रीनाथ” (2011): वी. वी. विनायक द्वारा निर्देशित, “बद्रीनाथ” एक फंतासी एक्शन फिल्म थी जिसमें अल्लू अर्जुन ने एक योद्धा और भगवान बद्रीनाथ के भक्त बद्री की मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और प्रभावशाली एक्शन दृश्यों के साथ अल्लू अर्जुन के प्रदर्शन की सराहना की गई।
  • “ जुलाई” (2012): त्रिविक्रम श्रीनिवास द्वारा निर्देशित, “जुलाई” एक एक्शन-कॉमेडी फिल्म थी जिसमें अल्लू अर्जुन को रवि के रूप में दिखाया गया था, जो एक चतुर और सड़क-स्मार्ट लड़का है जो एक उच्च जोखिम वाली बैंक डकैती में शामिल हो जाता है। यह फिल्म एक ब्लॉकबस्टर हिट थी और इसे इसकी मनोरंजक कहानी और अल्लू अर्जुन के करिश्माई प्रदर्शन के लिए आलोचकों की प्रशंसा मिली।
  • “ इद्दरममयिलाथो” (2013): पुरी जगन्नाध द्वारा निर्देशित इस रोमांटिक थ्रिलर में, अल्लू अर्जुन ने एक परेशान अतीत वाले गिटारवादक संजू रेड्डी की भूमिका निभाई। फिल्म को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, खासकर अल्लू अर्जुन की स्टाइलिश उपस्थिति और नृत्य दृश्यों के लिए।
  • “ रेस गुर्रम” (2014): हालांकि “रेस गुर्रम” 2014 में रिलीज़ हुई, यह उल्लेखनीय है क्योंकि यह इस चरण के दौरान अल्लू अर्जुन की सबसे महत्वपूर्ण सफलताओं में से एक थी। सुरेंदर रेड्डी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में अल्लू अर्जुन को एक लापरवाह और स्ट्रीट-स्मार्ट व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो एक पुलिस अधिकारी बनने की इच्छा रखता है। यह फिल्म एक बड़ी व्यावसायिक हिट थी और इसने अल्लू अर्जुन की लोकप्रियता को और बढ़ा दिया।

इस अवधि के दौरान, अल्लू अर्जुन ने एक अभिनेता और मनोरंजनकर्ता के रूप में लगातार विकास दिखाया। विविध भूमिकाएँ चुनने और सशक्त प्रदर्शन करने की उनकी क्षमता ने उनकी सफलता में योगदान दिया। उनकी करिश्माई स्क्रीन उपस्थिति, असाधारण नृत्य कौशल और अपनी कला के प्रति समर्पण ने उन्हें दर्शकों का चहेता बना दिया, जिससे वे फिल्म देखने वालों के बीच पसंदीदा बन गए।

इन फिल्मों की सफलता ने अल्लू अर्जुन को तेलुगु फिल्म उद्योग में अग्रणी अभिनेताओं में से एक के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद की और अपने करियर में और भी महत्वपूर्ण उपलब्धियों के लिए आधार तैयार किया।

व्यावसायिक सफलता (2014-2018)

2014 से 2018 तक, अल्लू अर्जुन ने तेलुगु फिल्म उद्योग में उल्लेखनीय व्यावसायिक सफलता हासिल की। इस अवधि के दौरान, उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर हिट फ़िल्में दीं, जिससे टॉलीवुड में शीर्ष अभिनेताओं में से एक के रूप में उनकी स्थिति और मजबूत हो गई। इस अवधि की कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में इस प्रकार हैं:

  • “ रेस गुर्रम” (2014): सुरेंद्र रेड्डी द्वारा निर्देशित, “रेस गुर्रम” एक एक्शन-कॉमेडी फिल्म थी जो एक बड़ी व्यावसायिक सफलता बन गई। अल्लू अर्जुन ने लकी की मुख्य भूमिका निभाई, जो एक अच्छे दिल वाला लेकिन विद्रोही स्वभाव वाला एक मज़ेदार लड़का था। फिल्म को अपने मनोरंजन मूल्य, एक्शन दृश्यों और अल्लू अर्जुन के ऊर्जावान प्रदर्शन के लिए व्यापक प्रशंसा मिली।
  • “ एस/ओ सत्यमूर्ति” (2015): त्रिविक्रम श्रीनिवास द्वारा निर्देशित, इस पारिवारिक नाटक में अल्लू अर्जुन ने विराज आनंद की भूमिका निभाई, जो एक युवा व्यक्ति है जो अपने पिता की मृत्यु के बाद अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना करता है। फिल्म को दर्शकों ने खूब सराहा और बॉक्स ऑफिस पर दमदार प्रदर्शन किया।
  • “ रुद्रमादेवी” (2015): हालांकि यह रानी रुद्रमादेवी (अनुष्का शेट्टी) के जीवन के इर्द-गिर्द घूमने वाला एक ऐतिहासिक नाटक था, एक योद्धा गोना गन्ना रेड्डी के रूप में अल्लू अर्जुन की भूमिका को काफी सराहा गया था। गुणशेखर द्वारा निर्देशित फिल्म को सकारात्मक समीक्षा मिली और बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया।
  • “ सर्रेनोडु” (2016): बोयापति श्रीनु द्वारा निर्देशित, “सर्रेनोडु” एक एक्शन से भरपूर फिल्म थी जिसमें अल्लू अर्जुन ने एक निडर और धर्मी व्यक्ति गण का किरदार निभाया था। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफल रही और इसने अल्लू अर्जुन की एक बैंकेबल स्टार के रूप में स्थिति को और मजबूत कर दिया।
  • “ दुव्वादा जगन्नाधम” (2017): आमतौर पर “डीजे” के नाम से मशहूर इस एक्शन-कॉमेडी फिल्म का निर्देशन हरीश शंकर ने किया था। अल्लू अर्जुन ने दुव्वाडा जगन्नाधम, एक पारंपरिक ब्राह्मण शेफ और डीजे, एक सतर्क व्यक्ति जो अपराध के खिलाफ लड़ता है, की दोहरी भूमिका निभाई। फिल्म को दर्शकों ने खूब सराहा और बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया।
  • “ ना पेरू सूर्या, ना इलू इंडिया” (2018): इस एक्शन-ड्रामा फिल्म में, अल्लू अर्जुन ने क्रोध प्रबंधन मुद्दों के साथ एक समर्पित सैन्य अधिकारी, सूर्या का किरदार निभाया। वक्कन्थम वामसी द्वारा निर्देशित इस फिल्म को अल्लू अर्जुन के गहन प्रदर्शन और देशभक्ति विषयों के लिए प्रशंसा मिली।

इस पूरे चरण में, अल्लू अर्जुन की स्क्रिप्ट की पसंद, उनकी भूमिकाओं के प्रति समर्पण और दर्शकों से जुड़ने की उनकी क्षमता ने इन फिल्मों की व्यावसायिक सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवधि के दौरान उनकी लोकप्रियता और प्रशंसक आधार में तेजी से वृद्धि हुई, जिससे वह तेलुगु फिल्म उद्योग में सबसे अधिक मांग वाले अभिनेताओं में से एक बन गए।

अला वैकुंठपुरमुलु और बियॉन्ड (2019–वर्तमान)

अल्लू अर्जुन की 2019 रिलीज़, अला वैकुंठपूर्मुलु, व्यावसायिक रूप से सफल रही। फिल्म का निर्देशन त्रिविक्रम श्रीनिवास ने किया था और इसमें पूजा हेगड़े, निवेथा पेथुराज और तब्बू ने अभिनय किया था। यह फिल्म एक रोमांटिक कॉमेडी थी और इसके संगीत, निर्देशन और अभिनय के लिए इसकी सराहना की गई थी।

अर्जुन की 2020 रिलीज़, पुष्पा: द राइज़, एक और व्यावसायिक सफलता थी। फिल्म का निर्देशन सुकुमार ने किया था और इसमें रश्मिका मंदाना ने अभिनय किया था। यह फिल्म एक एक्शन ड्रामा थी और इसके एक्शन दृश्यों, संगीत और प्रदर्शन के लिए इसकी प्रशंसा की गई थी।

अर्जुन की अगली रिलीज़ पुष्पा: द रूल है, जो पुष्पा: द राइज़ की अगली कड़ी है। यह फिल्म 2023 में रिलीज होने वाली है।

अपने अभिनय करियर के अलावा, अल्लू अर्जुन कई अन्य प्रयासों में भी शामिल रहे हैं और पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने एक मजबूत मीडिया छवि बनाई है:

  • परोपकार: अल्लू अर्जुन ने विभिन्न परोपकारी गतिविधियों और दान कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया है। वह कई सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं और उन्होंने धर्मार्थ संगठनों में योगदान दिया है। सामाजिक पहलों में उनकी भागीदारी ने उनके प्रशंसकों और आम जनता से प्रशंसा और प्रशंसा अर्जित की है।
  • ब्रांड एंडोर्समेंट: अल्लू अर्जुन ब्रांड एंडोर्समेंट के लिए एक लोकप्रिय सेलिब्रिटी हैं। वह अतीत में कई लोकप्रिय ब्रांडों के साथ जुड़े रहे हैं और कई टेलीविजन और प्रिंट विज्ञापनों में दिखाई दिए हैं। हीरो मोटोकॉर्प , रेडबस, हॉटस्टार , फ्रूटी, ओएलएक्स, कोलगेट, 7 अप, कोका-कोला, जोयालुक्कास और लॉट मोबाइल्स शामिल हैं। उनका करिश्मा और लोकप्रियता उन्हें अपने उत्पादों का प्रचार करने वाली कंपनियों के लिए पसंदीदा विकल्प बनाती है।
  • सोशल मीडिया प्रभाव: अल्लू अर्जुन की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक उपस्थिति है। ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर उनके काफी फॉलोअर्स हैं, जहां वह नियमित रूप से अपने पेशेवर और निजी जीवन के बारे में अपडेट साझा करते हैं। प्रशंसकों के साथ उनके जुड़ाव और सक्रिय सोशल मीडिया उपस्थिति ने उनकी मीडिया छवि को और मजबूत किया है।
  • स्टाइल आइकन: अल्लू अर्जुन को अक्सर तेलुगु फिल्म उद्योग में स्टाइल आइकन माना जाता है। उनके अनोखे फैशन सेंस और ट्रेंडी लुक ने उन्हें कई युवाओं के लिए रोल मॉडल बना दिया है। उन्हें अलग-अलग हेयर स्टाइल, आउटफिट और एक्सेसरीज़ के साथ प्रयोग करने के लिए जाना जाता है, जिससे उन्हें “स्टाइलिश स्टार” उपनाम मिला।
  • पारिवारिक मूल्य: अल्लू अर्जुन को उनके मजबूत पारिवारिक मूल्यों और अपने परिवार के सदस्यों के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए भी सराहा जाता है। वह एक प्रतिष्ठित फिल्मी परिवार से आते हैं और उनके माता-पिता, पत्नी स्नेहा रेड्डी और बच्चों के साथ उनकी बातचीत अक्सर मीडिया में छाई रहती है, जिससे मीडिया में उनकी सकारात्मक छवि बढ़ती है।
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान: अल्लू अर्जुन की लोकप्रियता तेलुगु फिल्म उद्योग से भी आगे तक फैली हुई है। न केवल भारत में बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में तेलुगु प्रवासी और गैर-तेलुगु भाषी दर्शकों के बीच भी उनकी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है। उन्हें फोर्ब्स इंडिया की सेलिब्रिटी 100 सूची में भी शामिल किया गया है, जो भारत की शीर्ष कमाई वाली हस्तियों में शुमार है।

कुल मिलाकर, अल्लू अर्जुन ने खुद को न केवल एक प्रतिभाशाली अभिनेता के रूप में बल्कि एक सकारात्मक मीडिया छवि वाले एक प्रमुख सेलिब्रिटी के रूप में भी स्थापित किया है। उनकी परोपकारी गतिविधियाँ, फ़ैशन-फ़ॉरवर्ड व्यक्तित्व और उनके प्रशंसकों के साथ मजबूत संबंध उनकी व्यापक अपील और लोकप्रियता में योगदान करते हैं।

जोसेफ विजय चन्द्रशेखर (विजय) बायोग्राफी | Joseph Vijay Chandrasekhar Biography in Hindi

यहां अल्लू अर्जुन की चयनित फिल्मोग्राफी है, जिसमें उनकी कुछ प्रमुख और उल्लेखनीय फिल्में शामिल हैं:

  • गंगोत्री (2003)
  • आर्य (2004)
  • देसमुदुरु (2007)
  • पारुगु (2008)
  • आर्य 2 (2009)
  • वरुडु (2010)
  • वेदम (2010)
  • बद्रीनाथ (2011)
  • जुलाई (2012)
  • इद्दारममयिलाथो (2013)
  • येवाडु (2014)
  • रेस गुर्रम (2014)
  • रुद्रमादेवी (2015) – गोना गन्ना रेड्डी के रूप में विशेष उपस्थिति
  • पुत्र सत्यमूर्ति (2015)
  • सर्रेनोडु (2016)
  • दुव्वाडा जगन्नाधम (डीजे) (2017)
  • ना पेरू सूर्या, ना इलू इंडिया (2018)
  • अला वैकुंठपूर्मुलु (2020)
  • पुष्पा (2021) – भाग 1 (भाग 2 अभी रिलीज़ होना बाकी है)

तेलुगु फिल्म उद्योग में सबसे लोकप्रिय और निपुण अभिनेताओं में से एक होने के नाते, अल्लू अर्जुन को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार और नामांकन प्राप्त हुए हैं। यहां उन्हें प्राप्त कुछ प्रमुख पुरस्कार और मान्यताएं दी गई हैं:

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दक्षिण:

  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता – “परुगु” के लिए तेलुगु (2008)
  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता – “वेदम” के लिए तेलुगु (2010)
  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता – “रेस गुर्रम” के लिए तेलुगु (2014)

नंदी पुरस्कार:

  • “ आर्या” के लिए सर्वश्रेष्ठ विशेष जूरी पुरस्कार (2004)
  • “ परुगु” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (2008)
  • “ वेदम” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (2010)

आईफा उत्सवम पुरस्कार:

  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता – “रेस गुर्रम” के लिए तेलुगु (2016)
  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता – “सर्रेनोडु” के लिए तेलुगु (2017)

SIIMA ( साउथ इंडियन इंटरनेशनल मूवी अवार्ड्स):

  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता – “रेस गुर्रम” के लिए तेलुगु (2015)

सिनेमा पुरस्कार:

  • “ आर्या 2″ (2010) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (जूरी)
  • “ वेदम” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (2011)

इन पुरस्कारों के अलावा, अल्लू अर्जुन को विभिन्न फिल्म संगठनों और मीडिया आउटलेट्स से कई अन्य प्रशंसाएं और सम्मान प्राप्त हुए हैं। तेलुगु फिल्म उद्योग में उनके प्रदर्शन और योगदान ने उन्हें अपने पूरे करियर में एक मजबूत प्रशंसक आधार और आलोचनात्मक प्रशंसा अर्जित की है।

  • “ जीवन विकल्प चुनने के बारे में है, और मैं खुश रहना चुनता हूं।”
  • “ सफलता खुशी की कुंजी नहीं है; खुशी सफलता की कुंजी है।”
  • “ स्वयं बने रहें, क्योंकि मूल प्रति की तुलना में अधिक मूल्यवान है।”
  • “ यह सर्वश्रेष्ठ होने के बारे में नहीं है; यह आप कल से बेहतर होने के बारे में है।”
  • “ चुपचाप मेहनत करो; तुम्हारी सफलता शोर मचा दे।”
  • “ बड़े सपने देखें, कड़ी मेहनत करें, ध्यान केंद्रित रखें और अच्छे लोगों से घिरे रहें।”
  • “ विनम्र रहो, भूखे रहो, और हमेशा कमरे में सबसे मेहनती कार्यकर्ता रहो।”
  • “ एक सकारात्मक दृष्टिकोण तूफ़ान को इंद्रधनुष में बदल सकता है।”
  • “ खुद पर विश्वास रखें, और आप अजेय रहेंगे।”
  • “ जीवन छोटा है; इसे दया और प्रेम से मधुर बनाएं।”

प्रश्न: अल्लू अर्जुन कौन हैं?

उत्तर: अल्लू अर्जुन एक लोकप्रिय भारतीय अभिनेता और फिल्म निर्माता हैं जो मुख्य रूप से तेलुगु फिल्म उद्योग में काम करते हैं। उनके अनूठे फैशन सेंस और करिश्माई ऑन-स्क्रीन उपस्थिति के कारण उन्हें अक्सर “स्टाइलिश स्टार” कहा जाता है।

प्रश्न: अल्लू अर्जुन का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: अल्लू अर्जुन का जन्म 8 अप्रैल 1983 को चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में हुआ था।

प्रश्न: अल्लू अर्जुन की कुछ हिट फिल्में कौन सी हैं?

उत्तर: अल्लू अर्जुन ने कई सफल फिल्मों में अभिनय किया है, जिनमें से कुछ में “आर्या,” “बनी,” “परुगु,” “आर्या 2,” “जुलाई,” “रेस गुर्रम,” “सर्रेनोडु,” “दुव्वादा जगन्नाधम” शामिल हैं। और “अला वैकुंठपूर्मुलु।”

प्रश्न: अल्लू अर्जुन के परिवार के सदस्य कौन हैं?

उत्तर: अल्लू अर्जुन अल्लू परिवार का हिस्सा हैं, जिसकी तेलुगु फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। उनके पिता अल्लू अरविंद एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता हैं, और उनके दादा प्रसिद्ध हास्य अभिनेता अल्लू रामलिंगैया हैं। उनके चाचा चिरंजीवी हैं, जो दक्षिण भारतीय सिनेमा के एक प्रमुख अभिनेता और राजनीतिज्ञ हैं।

प्रश्न: क्या अल्लू अर्जुन सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं? उत्तर: हां, अल्लू अर्जुन ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हैं, जहां वह अपने प्रशंसकों के साथ बातचीत करते हैं और अपने प्रोजेक्ट्स और निजी जीवन के बारे में अपडेट साझा करते हैं।

Amitabh Bachchan Biography in hindi

अमिताभ बच्चन एक प्रतिष्ठित भारतीय अभिनेता, फिल्म निर्माता, टेलीविजन होस्ट और पूर्व राजनीतिज्ञ हैं। उनका जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। बच्चन को भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान अभिनेताओं में से एक माना जाता है और उन्होंने कई दशकों के करियर में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया है।

  • अमिताभ बच्चन ने 1970 के दशक में “जंजीर,” “दीवार” और “शोले” जैसी फिल्मों से लोकप्रियता हासिल की। वह अपने गहन प्रदर्शन, शक्तिशाली संवादों और अपनी प्रतिष्ठित बैरिटोन आवाज के लिए जाने जाते थे। उनकी ऑन-स्क्रीन उपस्थिति और बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें भारतीय सिनेमा में “एंग्री यंग मैन” की उपाधि दिलाई।
  • बच्चन की उल्लेखनीय फिल्मों में “डॉन,” “अमर अकबर एंथोनी,” “कुली,” “अग्निपथ,” “शहंशाह,” “मोहब्बतें,” “ब्लैक,” “पा,” और “पीकू” शामिल हैं। उन्होंने अपने पूरे करियर में कई प्रशंसित निर्देशकों और अभिनेताओं के साथ काम किया है और फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार और प्रशंसाएं मिली हैं।
  • अभिनय के अलावा, अमिताभ बच्चन ने टेलीविजन गेम शो “हू वांट्स टू बी अ मिलियनेयर?” के भारतीय संस्करण की भी मेजबानी की है। “कौन बनेगा करोड़पति” कहा जाता है। वह भारतीय टेलीविजन पर एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं और अपने होस्टिंग कौशल के माध्यम से उन्होंने व्यापक प्रशंसक प्राप्त किए हैं।
  • 2000 में, अमिताभ बच्चन को भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था, और बाद में कला में उनके योगदान के लिए 2001 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण प्राप्त हुआ। उन्हें प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है, जो भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान है।
  • 1984 में, फिल्म “कुली” की शूटिंग के दौरान बच्चन के साथ एक घातक दुर्घटना हुई। उनकी प्लीहा टूट गई थी और उन्हें कई सर्जरी से गुजरना पड़ा, जिसके कारण उन्हें अभिनय से कुछ समय के लिए ब्रेक लेना पड़ा। हालाँकि, उन्होंने 1990 के दशक के अंत में उल्लेखनीय वापसी की और फिल्म उद्योग में सक्रिय रहे।
  • अमिताभ बच्चन के बेटे, अभिषेक बच्चन भी भारतीय फिल्म उद्योग में एक अभिनेता हैं, और उनकी बहू, ऐश्वर्या राय बच्चन, एक प्रमुख अभिनेत्री और पूर्व मिस वर्ल्ड हैं।
  • भारतीय सिनेमा पर अमिताभ बच्चन के प्रभाव और प्रशंसकों के बीच उनकी अपार लोकप्रियता ने उन्हें मनोरंजन उद्योग में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बना दिया है। अभिनय की दुनिया में उनके योगदान और उनके परोपकारी प्रयासों ने उन्हें दुनिया भर के लोगों से अपार सम्मान और प्रशंसा अर्जित की है।

अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। उनका जन्म का नाम इंकलाब श्रीवास्तव है, लेकिन बाद में जब उन्होंने फिल्म उद्योग में प्रवेश किया तो उन्होंने इसे बदलकर अमिताभ बच्चन रख लिया। उनका जन्म एक हिंदू कायस्थ परिवार में हुआ था।

  • उनके पिता, हरिवंश राय बच्चन, एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और साहित्यकार थे, जबकि उनकी माँ, तेजी बच्चन, एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। बच्चन का एक छोटा भाई है जिसका नाम अजिताभ बच्चन है।
  • अमिताभ बच्चन ने अपनी स्कूली शिक्षा इलाहाबाद के ज्ञान प्रमोदिनी बॉयज़ हाई स्कूल से पूरी की और बाद में नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में दाखिला लिया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री हासिल की।
  • अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, बच्चन ने कुछ समय के लिए कोलकाता (पूर्व में कलकत्ता) में एक शिपिंग फर्म में काम किया। हालाँकि, अभिनय के प्रति उनके जुनून ने उन्हें मुंबई (पूर्व में बॉम्बे) जाने और भारतीय फिल्म उद्योग, जिसे आमतौर पर बॉलीवुड के रूप में जाना जाता है, में अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।
  • निजी जीवन की बात करें तो अमिताभ बच्चन की शादी जया बच्चन से हुई, जो भारतीय फिल्म उद्योग की एक प्रमुख अभिनेत्री हैं। उनकी शादी 3 जून 1973 को हुई और उनके दो बच्चे हैं। उनके बेटे, अभिषेक बच्चन, एक अभिनेता हैं, और उनकी बेटी, श्वेता बच्चन-नंदा, एक पूर्व मॉडल और लेखिका हैं।
  • बच्चन परिवार को भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे प्रभावशाली और सम्मानित परिवारों में से एक माना जाता है। उन्होंने सामूहिक रूप से भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और मनोरंजन क्षेत्र में उन्हें उच्च सम्मान दिया जाता है।

अभिनय कैरियर – प्रारंभिक कैरियर (1969-1972)

अमिताभ बच्चन का अभिनय करियर 1960 के दशक के अंत में शुरू हुआ। हालाँकि, उनकी शुरुआती फिल्मों ने उन्हें ज्यादा सफलता नहीं दिलाई और 1970 के दशक की शुरुआत तक वह प्रमुखता तक नहीं पहुंचे और भारतीय फिल्म उद्योग में सुपरस्टार बन गए। यहां उनके शुरुआती करियर का एक सिंहावलोकन दिया गया है:

  • बच्चन ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1969 में फ़िल्म “सात हिंदुस्तानी” से की। हालाँकि फिल्म ने व्यावसायिक रूप से अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन उनके प्रदर्शन को नोटिस किया गया और आलोचकों की प्रशंसा मिली। फिल्म में अपनी भूमिका के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।
  • 1971 में, बच्चन “आनंद” सहित कई फिल्मों में दिखाई दिए, जहां उन्होंने राजेश खन्ना के साथ सहायक भूमिका निभाई। फिल्म में डॉ. भास्कर बनर्जी के उनके किरदार ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार दिलाया।
  • बच्चन के करियर में महत्वपूर्ण मोड़ 1973 में प्रकाश मेहरा द्वारा निर्देशित फिल्म “जंजीर” की रिलीज के साथ आया। बच्चन ने इंस्पेक्टर विजय खन्ना की मुख्य भूमिका निभाई, एक ऐसा किरदार जो अपने गुस्से और तीव्रता के लिए जाना जाता है। यह फिल्म जबरदस्त सफल रही और बच्चन का “एंग्री यंग मैन” का किरदार दर्शकों को पसंद आया, जिससे वह घर-घर में मशहूर हो गए। इस प्रतिष्ठित भूमिका ने उनकी छवि एक एक्शन हीरो के रूप में स्थापित की।
  • “ज़ंजीर” की सफलता के बाद, बच्चन ने 1970 के दशक की शुरुआत में कई हिट फ़िल्में दीं। ‘दीवार’ (1975), ‘शोले’ (1975) और ‘त्रिशूल’ (1978) जैसी फिल्मों ने उनके स्टारडम को और मजबूत किया। इन फिल्मों ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया और जटिल पात्रों को दृढ़ विश्वास के साथ चित्रित करने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित किया।
  • इस अवधि के दौरान, अमिताभ बच्चन ने अक्सर निर्देशक यश चोपड़ा और अभिनेता शशि कपूर के साथ काम किया और उनकी फिल्में, जैसे “दीवार” और “कभी-कभी” (1976) क्लासिक बन गईं।
  • बच्चन की मध्यम आवाज़ उनका ट्रेडमार्क बन गई, जिससे उनके प्रदर्शन में प्रभाव की एक अतिरिक्त परत जुड़ गई। अपनी अनूठी शैली के साथ बोले गए उनके संवाद प्रतिष्ठित हो गए और आज भी व्यापक रूप से याद किए जाते हैं और उद्धृत किए जाते हैं।
  • 1970 के दशक के अंत तक, अमिताभ बच्चन ने खुद को भारतीय सिनेमा के अग्रणी सुपरस्टार के रूप में स्थापित कर लिया था, बॉक्स ऑफिस पर दबदबा बनाया और अपने प्रदर्शन के लिए आलोचनात्मक प्रशंसा अर्जित की। उनकी गहन अभिनय शैली, विशिष्ट आवाज़ और ऑन-स्क्रीन उपस्थिति ने उन्हें उनके समकालीनों से अलग कर दिया और उन्हें एक सांस्कृतिक घटना बना दिया।

स्टारडम का उदय (1973-1974)

भारतीय फिल्म उद्योग में अमिताभ बच्चन के स्टारडम के उदय के लिए वर्ष 1973 और 1974 महत्वपूर्ण थे। इस अवधि के दौरान, उन्होंने अभूतपूर्व सफलता हासिल की और मौजूदा सुपरस्टार के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की। इन वर्षों के दौरान उनके स्टारडम में वृद्धि पर करीब से नज़र डालें:

  • “ जंजीर” (1973): प्रकाश मेहरा द्वारा निर्देशित यह एक्शन से भरपूर फिल्म बच्चन के लिए गेम-चेंजर बन गई। उन्होंने न्याय की मांग करने वाले एक गुस्सैल और निडर पुलिसकर्मी इंस्पेक्टर विजय खन्ना की भूमिका निभाई। बच्चन के गहन प्रदर्शन और “एंग्री यंग मैन” के उनके चित्रण ने दर्शकों को प्रभावित किया और उन्हें रातोंरात सनसनी बना दिया। “जंजीर” जबरदस्त हिट रही और इसने बच्चन को एक प्रमुख अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया।
  • “ अभिमान” (1973): हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में, बच्चन ने अपनी वास्तविक जीवन की पत्नी जया बच्चन के साथ अभिनय किया। उन्होंने एक सफल गायक की भूमिका निभाई जो अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में चुनौतियों का सामना करता है। बच्चन के अभिनय की अत्यधिक प्रशंसा हुई और फिल्म ने एक अभिनेता के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया।
  • “ नमक हराम” (1973): हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में बच्चन के साथ राजेश खन्ना थे। बच्चन ने अपनी दोस्ती और अपने सिद्धांतों के बीच फंसे एक वफादार दोस्त की भूमिका निभाई। उनके सूक्ष्म अभिनय की व्यापक सराहना हुई और फिल्म की सफलता ने उनके स्टारडम को और मजबूत कर दिया।
  • “ दीवार” (1975): यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित, यह क्राइम ड्रामा फिल्म बच्चन के करियर में एक मील का पत्थर मानी जाती है। उन्होंने एक परेशान अतीत वाले तस्कर विजय वर्मा की भूमिका निभाई। बच्चन का संघर्षपूर्ण चरित्र का सशक्त चित्रण और उनके प्रतिष्ठित संवाद, जैसे “मेरे पास माँ है” (“मेरे पास मेरी माँ है”), प्रसिद्ध हो गए। “दीवार” एक ब्लॉकबस्टर हिट थी और इसने बच्चन की स्टार स्थिति को और बढ़ा दिया।
  • “ शोले” (1975): यकीनन सभी समय की महानतम भारतीय फिल्मों में से एक, “शोले” एक प्रतिष्ठित कृति बनी हुई है। एक्शन से भरपूर इस साहसिक फिल्म में बच्चन ने चिन्तित और धर्मात्मा जय की भूमिका निभाई। धर्मेंद्र के साथ उनकी केमिस्ट्री और उनके गहन अभिनय को व्यापक प्रशंसा मिली। “शोले” ने बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड तोड़े और इसे बच्चन के करियर में एक मील का पत्थर माना जाता है।

इस अवधि के दौरान, अमिताभ बच्चन की गहन अभिनय शैली, अनोखी आवाज़ और जीवन से भी बड़े व्यक्तित्व ने दर्शकों का मन मोह लिया। वह उस समय के बदलते सामाजिक-राजनीतिक माहौल के अनुरूप विद्रोह और आम आदमी की आवाज़ का प्रतीक बन गए। “जंजीर,” “दीवार” और “शोले” जैसी फिल्मों में उनकी सफलता ने उन्हें भारतीय सिनेमा के निर्विवाद सुपरस्टार के रूप में स्थापित कर दिया, यह उपाधि आज भी उनके पास है।

सुपरस्टारडम (1975-1988)

1975 से 1988 तक की अवधि भारतीय फिल्म उद्योग में अमिताभ बच्चन के सुपरस्टारडम के चरम पर थी। इन वर्षों के दौरान, उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं, अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और बॉलीवुड के “शहंशाह” (सम्राट) के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की। इस अवधि के दौरान उनके सुपरस्टारडम का एक सिंहावलोकन यहां दिया गया है:

  • “ शोले” (1975): इस प्रतिष्ठित फिल्म में जय के रूप में अमिताभ बच्चन की भूमिका उनके सबसे यादगार प्रदर्शनों में से एक बन गई। “शोले” ने बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ दिए और इसे भारतीय सिनेमा में एक प्रतिष्ठित क्लासिक माना जाता है। सह-कलाकार धर्मेंद्र के साथ बच्चन की केमिस्ट्री, चरित्र का उनका गहन चित्रण और उनकी संवाद अदायगी ने फिल्म की अपार सफलता में योगदान दिया।
  • “ दीवार” (1975): इस अपराध ड्रामा फिल्म में बच्चन का एक संघर्षशील और विद्रोही चरित्र विजय वर्मा का किरदार दर्शकों को पसंद आया। फिल्म की थीम अच्छाई और बुराई के बीच टकराव के साथ-साथ बच्चन के सशक्त अभिनय ने उनके सुपरस्टार के दर्जे को और भी ऊंचा कर दिया।
  • “ त्रिशूल” (1978): यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने जटिल पात्रों को चित्रित करने में बच्चन की प्रतिभा को प्रदर्शित किया। उन्होंने अपने अमीर पिता से बदला लेने वाले एक नाजायज बेटे की भूमिका निभाई। फिल्म में बच्चन की तीव्रता और भावनात्मक गहराई को आलोचकों की प्रशंसा मिली।
  • “ डॉन” (1978): इस क्राइम थ्रिलर फिल्म में डॉन और विजय की दोहरी भूमिकाओं में बच्चन के अभिनय ने उनकी उपलब्धियों में एक और उपलब्धि जोड़ दी। फिल्म की स्टाइलिश कहानी के साथ-साथ सौम्य और चालाक डॉन के रूप में उनके करिश्माई प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। “डॉन” व्यावसायिक रूप से सफल रही और बॉक्स ऑफिस पावरहाउस के रूप में बच्चन की स्थिति मजबूत हो गई।
  • “ अमर अकबर एंथोनी” (1977): मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित इस मसाला मनोरंजन फिल्म में बच्चन के साथ विनोद खन्ना और ऋषि कपूर थे। बच्चन ने एंथनी गोंसाल्वेस की भूमिका निभाई, जो सुनहरे दिल वाला एक लापरवाह व्यक्ति था। फिल्म में कॉमेडी, ड्रामा और एक्शन के मिश्रण के साथ-साथ बच्चन के ऊर्जावान प्रदर्शन ने इसे बहुत बड़ी हिट बना दिया।
  • “ कुली” (1983): फिल्मांकन के दौरान एक घटना के कारण इस फिल्म ने अत्यधिक ध्यान आकर्षित किया जब बच्चन को एक घातक दुर्घटना का सामना करना पड़ा। असफलता के बावजूद, बच्चन ने उल्लेखनीय सुधार किया और अपने अभिनय करियर को फिर से शुरू किया। फिल्म की रिलीज को बड़ी प्रत्याशा के साथ स्वागत किया गया और यह एक बड़ी सफलता बन गई, जिसमें बच्चन की लचीलापन और उनकी कला के प्रति समर्पण प्रदर्शित हुआ।
  • “ शहंशाह” (1988): इस विजिलेंट एक्शन फिल्म में, बच्चन ने मुख्य किरदार शहंशाह की भूमिका निभाई। इस फिल्म ने उनकी जीवन से भी बड़ी छवि और प्रतिष्ठित स्थिति को और मजबूत किया। बच्चन के सशक्त संवादों और धर्मनिष्ठ सजग व्यक्ति के उनके गतिशील चित्रण की व्यापक रूप से सराहना की गई।

इस पूरी अवधि के दौरान, अमिताभ बच्चन अपनी करिश्माई उपस्थिति, गहन प्रदर्शन और जनता से जुड़ने की क्षमता के साथ भारतीय फिल्म उद्योग पर हावी रहे। उनका जीवन से भी बड़ा व्यक्तित्व और प्रतिष्ठित संवाद लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन गए और देश भर में लाखों प्रशंसकों ने उन्हें पसंद किया। इन वर्षों के दौरान अमिताभ बच्चन का सुपरस्टारडम अद्वितीय रहा, जिसने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक महान शख्सियत बना दिया।

कुली घटना एक लगभग घातक दुर्घटना को संदर्भित करती है जिसे अमिताभ बच्चन ने 1982 में फिल्म “कुली” की शूटिंग के दौरान अनुभव किया था। यह घटना 26 जुलाई, 1982 को बैंगलोर (अब बेंगलुरु), भारत में हुई थी। जो कुछ घटित हुआ उसका विवरण यहां दिया गया है:

  • फिल्म “कुली” के लिए एक एक्शन सीक्वेंस की शूटिंग के दौरान, बच्चन सह-कलाकार पुनीत इस्सर के साथ एक फाइट सीन कर रहे थे। इस दृश्य में बच्चन को एक मेज पर गिरना था, लेकिन इस्सर द्वारा गलत समय पर छलांग लगाने के कारण, बच्चन खराब तरीके से उतरे और उन्हें गंभीर चोट लग गई। उसने अपने पेट को मेज के कोने पर मारा, जिससे प्लीहा फट गई और आंतरिक रक्तस्राव हुआ।
  • बच्चन को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी आपातकालीन सर्जरी की गई। चोट जानलेवा थी और उसकी हालत गंभीर थी। इस घटना से बच्चन के प्रशंसकों और आम जनता में व्यापक चिंता और दहशत फैल गई। पूरे देश से प्रार्थनाएँ और शुभकामनाएँ आ रही हैं और लोग अस्पताल के बाहर निगरानी कर रहे हैं।
  • सौभाग्य से, बच्चन की जीवित रहने की दृढ़ इच्छाशक्ति और मेडिकल टीम के समर्पित प्रयासों के कारण सफल ऑपरेशन हुआ। उन्होंने बाधाओं को चुनौती देते हुए और अपनी लचीलेपन को साबित करते हुए एक उल्लेखनीय सुधार किया। बच्चन के जीवित रहने और उसके बाद अभिनय में वापसी को विपरीत परिस्थितियों पर विजय के रूप में मनाया गया।
  • इस घटना का बच्चन और उनके करियर पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक धारणा में महत्वपूर्ण बदलाव आया और बच्चन की छवि एक अजेय नायक से एक नश्वर व्यक्ति में बदल गई। इस घटना ने उनके प्रति लोगों के अपार प्यार और श्रद्धा को भी उजागर किया, जैसा कि उनके ठीक होने के दौरान मिली सामूहिक प्रार्थनाओं और समर्थन से पता चलता है।
  • स्वास्थ्य लाभ की अवधि के बाद बच्चन ने फिल्मांकन फिर से शुरू किया, और “कुली” अंततः 1983 में रिलीज़ हुई। फिल्म की रिलीज़ को बड़ी प्रत्याशा के साथ स्वागत किया गया और बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी सफलता हासिल की। इस घटना ने बच्चन के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में काम किया और उद्योग में उनकी महान स्थिति को जोड़ा।
  • कुली घटना से अमिताभ बच्चन का बचना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जो उनके दृढ़ संकल्प और उनके प्रशंसकों के अटूट समर्थन का प्रतीक है। इसे अक्सर भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे प्रतिष्ठित और यादगार घटनाओं में से एक माना जाता है।

स्वास्थ्य के मुद्दों

किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह, अमिताभ बच्चन को भी अपने पूरे जीवन में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा है। यहाँ कुछ उल्लेखनीय स्वास्थ्य चुनौतियाँ हैं जिनका उन्होंने सामना किया है:

  • कुली हादसा: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, 1982 में, “कुली” के फिल्मांकन के दौरान बच्चन को लगभग घातक चोट लगी थी। उनकी प्लीहा फट गई और व्यापक उपचार और सर्जरी हुई। इस घटना से उनका उबरना उनके लचीलेपन और दृढ़ संकल्प का एक उल्लेखनीय प्रमाण था।
  • मायस्थेनिया ग्रेविस: 1984 में, बच्चन को मायस्थेनिया ग्रेविस का पता चला, एक न्यूरोमस्कुलर विकार जो मांसपेशियों में कमजोरी और थकान का कारण बनता है। उन्होंने इस स्थिति के लिए चिकित्सा उपचार प्राप्त किया और अपने अनुभवों के बारे में खुलकर बात की और बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाई।
  • पेट की सर्जरी: पिछले कुछ वर्षों में, बच्चन के पेट की कई सर्जरी हुई हैं। इन सर्जरी का सार्वजनिक रूप से विस्तार से खुलासा नहीं किया गया था, लेकिन वे स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और चिकित्सा प्रक्रियाओं से संबंधित थे।
  • हेपेटाइटिस बी: 2000 में, बच्चन ने खुलासा किया कि वह हेपेटाइटिस बी से पीड़ित थे, जो एक वायरल संक्रमण है जो लिवर को प्रभावित करता है। वह हेपेटाइटिस बी जागरूकता और रोकथाम के लिए एक वकील बन गए, और बीमारी से संबंधित अभियानों और पहलों का सक्रिय रूप से समर्थन किया।

इन स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद, बच्चन ने उल्लेखनीय शक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है। उन्होंने अपनी कला और अपने प्रशंसकों के प्रति समर्पण दिखाते हुए फिल्मों, टेलीविजन और कई अन्य परियोजनाओं में काम करना जारी रखा है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रदान की गई जानकारी सितंबर 2021 तक की सार्वजनिक जानकारी पर आधारित है। उस अवधि के बाद अमिताभ बच्चन के स्वास्थ्य के बारे में कोई भी अपडेट इस प्रतिक्रिया में प्रतिबिंबित नहीं हो सकता है।

करियर में उतार-चढ़ाव और विश्राम (1988-1992)

1988 से 1992 तक की अवधि अमिताभ बच्चन के करियर में उतार-चढ़ाव और अस्थायी विश्राम से भरी थी। यहां उनके करियर के इस चरण का एक सिंहावलोकन दिया गया है:

  • करियर में उतार-चढ़ाव: 1970 और 1980 के दशक की शुरुआत में बेजोड़ सफलता का आनंद लेने के बाद, 1980 के दशक के अंत में बच्चन के करियर को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस दौरान उनकी कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं, जिससे उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई। दोहराई जाने वाली भूमिकाएँ, अत्यधिक प्रदर्शन और दर्शकों की बदलती प्राथमिकताएँ जैसे कारकों ने इस मंदी में योगदान दिया।
  • वित्तीय परेशानियां: बच्चन की प्रोडक्शन कंपनी, अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एबीसीएल) को इस अवधि के दौरान वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एबीसीएल ने फिल्म निर्माण सहित विभिन्न व्यावसायिक उद्यमों में कदम रखा था, लेकिन उसे काफी नुकसान का सामना करना पड़ा। इस वित्तीय झटके का बच्चन के समग्र करियर और व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव पड़ा।
  • अस्थायी सेवानिवृत्ति और राजनीतिक आकांक्षाएँ: 1988 में, फिल्म उद्योग से मोहभंग महसूस करते हुए, बच्चन ने संक्षेप में अभिनय से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की और राजनीति में प्रवेश करने का इरादा व्यक्त किया। उन्होंने 1984 में संसदीय चुनाव लड़ा लेकिन असफल रहे। हालाँकि, उनकी राजनीतिक आकांक्षाएँ पूरी नहीं हुईं क्योंकि बाद में वे सक्रिय राजनीति से हट गए।
  • विश्राम और वापसी: अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा के बाद, बच्चन ने अभिनय से अस्थायी विश्राम लिया और अपने वित्तीय मुद्दों को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित किया। इस दौरान, वह फिल्म उद्योग से दूर रहे और अपनी वित्तीय स्थिति को स्थिर करने के लिए विभिन्न व्यावसायिक उपक्रमों में लगे रहे।
  • अभिनय में वापसी: चार साल के अंतराल के बाद, बच्चन ने 1996 में फिल्म “मृत्युदाता” से फिल्म उद्योग में वापसी की। हालांकि फिल्म ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन उनकी बाद की फिल्में, जैसे “मेजर साब” (1998) और “बड़े मियां छोटे मियां” (1998) ने बॉक्स ऑफिस पर बेहतर प्रदर्शन किया। बच्चन की वापसी का उनके प्रशंसकों ने उत्साह के साथ स्वागत किया और उन्होंने धीरे-धीरे उद्योग में अपनी प्रमुखता हासिल कर ली।

1988 से 1992 तक की अवधि निस्संदेह पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से अमिताभ बच्चन के लिए एक चुनौतीपूर्ण चरण थी। हालाँकि, उन्होंने लचीलेपन का प्रदर्शन किया और बाद के वर्षों में खुद को एक प्रमुख अभिनेता के रूप में सफलतापूर्वक स्थापित किया, जिससे भारतीय सिनेमा में सबसे प्रतिष्ठित शख्सियतों में से एक के रूप में उनकी स्थिति की पुष्टि हुई।

व्यावसायिक उद्यम और अभिनय में वापसी (1996-1999)

1990 के दशक के अंत में, अमिताभ बच्चन ने न केवल अभिनय में सफल वापसी की, बल्कि विभिन्न व्यावसायिक प्रयासों में भी कदम रखा। इस अवधि के दौरान उनके व्यावसायिक उद्यमों और उनकी अभिनय वापसी का एक सिंहावलोकन यहां दिया गया है:

  • एबीसीएल और बिजनेस वेंचर्स: अमिताभ बच्चन ने 1990 के दशक की शुरुआत में अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एबीसीएल) की स्थापना की। एबीसीएल का लक्ष्य फिल्म निर्माण, वितरण, इवेंट मैनेजमेंट और अन्य सहित विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में विविधता लाना है। हालाँकि, कंपनी को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा और इन मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बच्चन को अभिनय से विश्राम लेना पड़ा।
  • वित्तीय समस्याओं का समाधान: अभिनय से ब्रेक के दौरान, बच्चन ने सक्रिय रूप से अपनी वित्तीय स्थिति को स्थिर करने की दिशा में काम किया। उन्होंने अपने परिवार की प्रोडक्शन कंपनी, सरस्वती क्रिएशन्स के पुनरुद्धार सहित कई व्यावसायिक पहल कीं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आय उत्पन्न करने और एबीसीएल का समर्थन करने के लिए लोकप्रिय टेलीविजन गेम शो “कौन बनेगा करोड़पति” (“हू वांट्स टू बी अ मिलियनेयर?” का भारतीय संस्करण) की मेजबानी की।
  • अभिनय में वापसी: बच्चन की अभिनय में वापसी 1996 में फिल्म “मृत्युदाता” से हुई। हालाँकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन इसने चार साल के अंतराल के बाद सिल्वर स्क्रीन पर उनकी वापसी को चिह्नित किया। इसके बाद, बच्चन “मेजर साब” (1998), “बड़े मियां छोटे मियां” (1998), और “सूर्यवंशम” (1999) जैसी फिल्मों में दिखाई दिए। इन फिल्मों ने उन्हें अपनी लोकप्रियता फिर से हासिल करने में मदद की और उद्योग में एक अग्रणी अभिनेता के रूप में अपनी स्थिति फिर से स्थापित की।
  • टेलीविजन होस्टिंग: अपनी फिल्म परियोजनाओं के साथ-साथ, बच्चन ने टेलीविजन गेम शो “कौन बनेगा करोड़पति” (केबीसी) के मेजबान के रूप में काफी लोकप्रियता हासिल की। यह शो, जो 2000 में शुरू हुआ, एक बड़ा हिट बन गया और बच्चन को देश भर के लाखों दर्शकों के घरों में ले आया। उनकी करिश्माई मेजबानी शैली और प्रतियोगियों के साथ जुड़ाव ने उन्हें एक प्रिय टेलीविजन व्यक्तित्व बना दिया।

अपने व्यावसायिक उपक्रमों और सफल अभिनय वापसी के माध्यम से, अमिताभ बच्चन ने चुनौतीपूर्ण समय से वापस लौटने की अपनी लचीलापन और क्षमता का प्रदर्शन किया। उन्होंने न केवल एक प्रमुख अभिनेता के रूप में अपना स्थान पुनः प्राप्त किया, बल्कि टेलीविज़न होस्टिंग और अन्य उद्यमशीलता प्रयासों में संलग्न होकर अपने करियर में विविधता भी लाई।

प्रमुखता पर लौटें (2000-वर्तमान)

अमिताभ बच्चन की प्रमुखता में वापसी का पता 2000 के दशक की शुरुआत से लेकर आज तक लगाया जा सकता है। इस अवधि के दौरान, उन्होंने अपने करियर में पुनरुत्थान का अनुभव किया और भारतीय सिनेमा में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की। उनकी प्रमुखता में वापसी का एक सिंहावलोकन यहां दिया गया है:

  • “ मोहब्बतें” (2000): फिल्म “मोहब्बतें” में बच्चन द्वारा एक सख्त अनुशासनात्मक प्रधानाध्यापक नारायण शंकर की भूमिका को आलोचकों की प्रशंसा मिली। यह फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही और इसमें स्क्रीन पर अपनी सशक्त उपस्थिति से बच्चन की पकड़ बनाने की क्षमता प्रदर्शित हुई।
  • “ कौन बनेगा करोड़पति” (2000): “हू वांट्स टू बी अ मिलियनेयर?” के भारतीय संस्करण के मेजबान के रूप में बच्चन की भूमिका। “कौन बनेगा करोड़पति” (केबीसी) शीर्षक से बेहद लोकप्रिय हुआ। उनकी करिश्माई मेजबानी शैली और गहरी मध्यम आवाज दर्शकों को पसंद आई, जिससे शो को व्यापक सफलता मिली।
  • विविध भूमिकाएँ और आलोचनात्मक प्रशंसा: 2000 के दशक में बच्चन के करियर में उन्होंने कई तरह की भूमिकाएँ निभाईं, जो एक अभिनेता के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाती थीं। “ब्लैक” (2005), “सरकार” (2005), “पा” (2009), और “पीकू” (2015) जैसी फिल्मों ने आलोचनात्मक प्रशंसा हासिल की और उन्हें कई पुरस्कार और प्रशंसाएं मिलीं।
  • बॉक्स ऑफिस पर निरंतर सफलता: इस अवधि में बच्चन की फिल्मों ने महत्वपूर्ण व्यावसायिक सफलता हासिल की। “बागबान” (2003), “बंटी और बबली” (2005), “कभी खुशी कभी गम” (2001), “सरकार” फ्रेंचाइजी और “गुरु” (2007) जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे उनकी स्टार पावर और मजबूत हुई।
  • प्रतिष्ठित होस्ट और टेलीविजन उपस्थिति: बच्चन ने टेलीविजन दर्शकों के साथ अपना मजबूत संबंध बनाए रखते हुए “कौन बनेगा करोड़पति” के कई सीज़न की मेजबानी करना जारी रखा। शो के साथ उनके जुड़ाव ने इसकी लगातार लोकप्रियता में योगदान दिया और उन्हें भारतीय टेलीविजन की दुनिया में एक प्रिय व्यक्ति बना दिया।
  • सोशल मीडिया का प्रभाव: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विशेष रूप से ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अमिताभ बच्चन की उपस्थिति ने उन्हें अपने प्रशंसकों से सीधे जुड़ने की अनुमति दी है। सोशल मीडिया में उनकी सक्रिय भागीदारी ने उनकी पहुंच और प्रभाव को और बढ़ा दिया है, जिससे वह भारत में सबसे अधिक फॉलो किए जाने वाले और प्रभावशाली हस्तियों में से एक बन गए हैं।

इस पूरी अवधि में, अमिताभ बच्चन की स्थायी लोकप्रियता, उल्लेखनीय प्रदर्शन और करिश्माई व्यक्तित्व ने भारतीय मनोरंजन उद्योग में उनकी निरंतर प्रमुखता सुनिश्चित की है। वह एक प्रतिष्ठित शख्सियत बने हुए हैं और अपनी ऑन-स्क्रीन उपस्थिति और ऑफ-स्क्रीन करिश्मा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते रहते हैं।

अन्य काम – टेलीविजन दिखावे

अमिताभ बच्चन ने “कौन बनेगा करोड़पति” में अपनी होस्टिंग भूमिका के अलावा टेलीविजन पर भी उल्लेखनीय भूमिकाएँ निभाई हैं। यहां उनकी कुछ टेलीविजन प्रस्तुतियां दी गई हैं:

  • “ बिग बॉस” (2009): बच्चन रियलिटी टीवी शो “बिग बॉस” के तीसरे सीज़न में एक अतिथि के रूप में दिखाई दिए। उन्होंने प्रतियोगियों के साथ बातचीत की, अपने अनुभव साझा किए और शो में भव्यता का स्पर्श जोड़ा।
  • “ युद्ध” (2014): बच्चन ने टेलीविजन नाटक श्रृंखला “युद्ध” में अभिनय किया, जिसने भारतीय टेलीविजन पर उनकी काल्पनिक शुरुआत की। उन्होंने व्यक्तिगत और व्यावसायिक चुनौतियों से जूझ रहे एक निर्माण कंपनी के मालिक युधिष्ठिर सिकरवार की मुख्य भूमिका निभाई।
  • “ आज की रात है जिंदगी” (2015): बच्चन ने “आज की रात है जिंदगी” शो की मेजबानी की, जिसका उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले व्यक्तियों का जश्न मनाना और उन्हें पहचानना था। शो में प्रेरक कहानियों और दयालुता के कार्यों पर प्रकाश डाला गया।
  • पुरस्कार शो की मेजबानी: बच्चन ने कई पुरस्कार कार्यक्रमों की मेजबानी की है, जिनमें फिल्मफेयर पुरस्कार, स्टारडस्ट पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार (आईफा) शामिल हैं। उनके होस्टिंग कौशल, मजाकिया हंसी-मजाक और गहरी आवाज ने इन प्रतिष्ठित आयोजनों में आकर्षण और उत्साह बढ़ा दिया है।
  • अतिथि भूमिकाएँ और प्रचार: बच्चन ने अपनी फिल्मों को बढ़ावा देने और दर्शकों से जुड़ने के लिए विभिन्न टेलीविजन शो में अतिथि भूमिकाएँ निभाई हैं। वह टॉक शो, कॉमेडी शो और रियलिटी शो में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए और साथी मशहूर हस्तियों के साथ बातचीत करते हुए दिखाई दिए हैं।

इन टेलीविजन प्रस्तुतियों ने अमिताभ बच्चन को व्यापक दर्शकों से जुड़ने और सिल्वर स्क्रीन से परे अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया है। उनकी चुंबकीय उपस्थिति, वाक्पटुता और बुद्धि ने इन टेलीविजन प्रस्तुतियों को यादगार बना दिया है और मनोरंजन की दुनिया में उनकी स्थायी लोकप्रियता में योगदान दिया है।

ध्वनि अभिनय

अमिताभ बच्चन ने वॉयस-एक्टिंग प्रोजेक्ट्स में भी अपनी प्रतिष्ठित बैरिटोन आवाज दी है। यहां उनके आवाज-अभिनय कार्य के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण दिए गए हैं:

  • “ महाभारत” (1988): बच्चन ने हिंदी भाषा की टेलीविजन श्रृंखला “महाभारत” में भीष्म के चरित्र का वर्णन और आवाज दी। उनकी गहरी और गूंजती आवाज़ ने महाकाव्य पौराणिक कथा में गंभीरता जोड़ दी।
  • “ भूतनाथ” (2008): इस कॉमेडी-ड्रामा फिल्म में, बच्चन ने एक भूत, भूतनाथ के किरदार को आवाज दी थी। उनकी आवाज़ ने किरदार में जान और हास्य ला दिया, जिससे फिल्म में एक अलग आकर्षण जुड़ गया।
  • “ बोल बच्चन” (2012): रोहित शेट्टी द्वारा निर्देशित इस कॉमेडी फिल्म में परिचयात्मक कथन के लिए बच्चन ने अपनी आवाज दी। उनकी आधिकारिक आवाज ने फिल्म के लिए माहौल तैयार किया और दर्शकों के लिए एक आकर्षक तत्व जोड़ा।
  • “ शमिताभ” (2015): इस फिल्म में बच्चन ने दानिश नाम के एक मूक अभिनेता की भूमिका निभाई थी। हालाँकि उन्होंने फिल्म में बात नहीं की थी, लेकिन उनकी आवाज़ अभिनेता धनुष द्वारा प्रदान की गई थी, जिससे बच्चन की उपस्थिति और धनुष की आवाज़ के बीच एक अनूठा अंतर पैदा हुआ।
  • विज्ञापन वॉयस-ओवर: कई टेलीविजन और रेडियो विज्ञापनों के लिए बच्चन की प्रभावशाली आवाज की मांग की गई है। उनकी गहरी, समृद्ध आवाज़ ने विभिन्न ब्रांडों और अभियानों में प्रभाव और यादगारता जोड़ दी है।

अमिताभ बच्चन की आवाज़ को उनकी सबसे विशिष्ट विशेषताओं में से एक माना जाता है, और उनके आवाज़-अभिनय कार्य ने उन्हें पारंपरिक अभिनय से परे अपनी प्रतिभा दिखाने की अनुमति दी है। उनकी आवाज़ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रही है, जिससे वह भारतीय मनोरंजन उद्योग में एक लोकप्रिय आवाज कलाकार बन गए हैं।

व्यापार निवेश

अमिताभ बच्चन ने अपने पूरे करियर में कई व्यावसायिक निवेश किए हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय हैं:

     अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एबीसीएल): 1990 के दशक की शुरुआत में, बच्चन ने एक प्रोडक्शन कंपनी एबीसीएल की स्थापना की, जिसने फिल्म निर्माण, वितरण, इवेंट मैनेजमेंट और अन्य सहित विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में कदम रखा। हालाँकि, एबीसीएल को वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ा और घाटे का सामना करना पड़ा, जिसके कारण बच्चन को अभिनय से अस्थायी सेवानिवृत्ति लेनी पड़ी और उन्होंने कंपनी के वित्तीय मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित किया।

  • खेल: बच्चन विभिन्न पदों पर खेलों से जुड़े रहे हैं। वह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के सह-मालिक रहे हैं, और प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) की टीम जयपुर पिंक पैंथर्स में भी उनकी हिस्सेदारी है। इन खेल उद्यमों में उनकी भागीदारी भारतीय खेलों को बढ़ावा देने और समर्थन करने में उनकी रुचि को दर्शाती है।
  • पर्यटन: बच्चन ने भारत के गुजरात में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ब्रांड एंबेसडर बनकर पर्यटन क्षेत्र में निवेश किया है। उन्होंने राज्य के सांस्कृतिक और पर्यटक आकर्षणों को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से अभियानों और पहलों में सक्रिय रूप से भाग लिया है।
  • स्वास्थ्य सेवा: बच्चन ने स्वास्थ्य सेवा से संबंधित ब्रांडों और पहलों का समर्थन और निवेश किया है। वह टीकाकरण अभियान और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल सहित स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने वाले अभियानों से जुड़े रहे हैं।
  • सामाजिक पहल: बच्चन विभिन्न परोपकारी प्रयासों और सामाजिक पहलों में शामिल रहे हैं। उन्होंने शिक्षा, बालिका सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों का समर्थन किया है। धर्मार्थ संगठनों के साथ बच्चन का जुड़ाव और सामाजिक कल्याण में उनका योगदान समाज को वापस देने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यह ध्यान देने योग्य है कि बच्चन के व्यावसायिक निवेश का विशिष्ट विवरण और सीमा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हो सकती है या समय के साथ परिवर्तन के अधीन नहीं हो सकती है। उपरोक्त उदाहरण कुछ उल्लेखनीय क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हैं जहां वह शामिल रहे हैं।

राजनीतिक कैरियर

अमिताभ बच्चन का राजनीति में सीमित दखल रहा है। यहां उनके राजनीतिक करियर का एक सिंहावलोकन है:

  • कांग्रेस का समर्थन: बच्चन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से पार्टी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था और चुनावों के दौरान कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था।
  • संसद सदस्य विवाद: 1984 में, बच्चन ने कांग्रेस के टिकट पर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से संसदीय चुनाव लड़ा। हालाँकि, बोफोर्स घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर उन्हें विवाद का सामना करना पड़ा। आख़िरकार, उन्होंने तीन साल बाद अपनी सीट से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि उनके पास अपनी अभिनय प्रतिबद्धताओं के कारण राजनीति को समर्पित करने का समय नहीं है।
  • गैर-पक्षपातपूर्ण रुख: राजनीति से इस्तीफे के बाद, बच्चन ने गैर-पक्षपातपूर्ण रुख अपनाया और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी से परहेज किया। उन्होंने अपने अभिनय करियर और विभिन्न अन्य प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बच्चन का राजनीतिक करियर अल्पकालिक था, और उन्होंने कोई महत्वपूर्ण राजनीतिक पद नहीं संभाला या बड़े पैमाने पर राजनीतिक गतिविधियों में भाग नहीं लिया। उन्हें मुख्य रूप से एक करियर राजनेता के बजाय मनोरंजन उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में जाना जाता है।

मानवीय और सामाजिक कारण

अमिताभ बच्चन अपने पूरे करियर में विभिन्न मानवीय और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय कारण दिए गए हैं जिनका उन्होंने समर्थन किया है:

  • पोलियो उन्मूलन: बच्चन भारत में पोलियो उन्मूलन के कट्टर समर्थक रहे हैं। उन्होंने टीकाकरण अभियानों को बढ़ावा देने, जागरूकता बढ़ाने और माता-पिता को अपने बच्चों को पोलियो के खिलाफ टीका लगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और भारत सरकार के साथ मिलकर काम किया है। उनके प्रयासों ने भारत के सफल पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • बालिका सशक्तीकरण: बच्चन बालिकाओं को सशक्त बनाने और शिक्षित करने के उद्देश्य से की गई पहल के मुखर समर्थक रहे हैं। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है। उनके प्रयासों का उद्देश्य सामाजिक बाधाओं को तोड़ना और लड़कियों के लिए समान अवसरों के महत्व को बढ़ावा देना है।
  • स्वच्छ भारत अभियान (स्वच्छ भारत अभियान): बच्चन स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े रहे हैं, जो भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान है। वह स्वच्छता और स्वच्छता को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं, लोगों से स्वच्छ परिवेश बनाए रखने और अच्छी स्वच्छता प्रथाओं को अपनाने का आग्रह करते रहे हैं।
  • कोविड-19 राहत प्रयास: कोविड-19 महामारी के दौरान, बच्चन ने वायरस से प्रभावित लोगों को राहत और सहायता प्रदान करने की पहल में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने राहत कोष, अस्पतालों और COVID-19 राहत प्रयासों में शामिल संगठनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने निवारक उपायों के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों को राहत पहल का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का भी उपयोग किया।
  • अन्य परोपकारी पहल: बच्चन विभिन्न धर्मार्थ संगठनों से जुड़े रहे हैं और उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और ग्रामीण विकास से संबंधित कार्यों में योगदान दिया है। उन्होंने वंचितों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने, शिक्षा को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से की गई पहल का समर्थन किया है।

अमिताभ बच्चन के मानवीय और सामाजिक प्रयासों ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है और उन्हें बहुत सम्मान और प्रशंसा मिली है। सामाजिक मुद्दों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता सकारात्मक बदलाव लाने और समाज में बदलाव लाने की उनकी इच्छा को दर्शाती है।

अमिताभ बच्चन का निजी जीवन उनके प्रशंसकों और मीडिया के लिए काफी दिलचस्पी का विषय रहा है। यहां उनके निजी जीवन के बारे में कुछ जानकारी दी गई है:

  • विवाह और परिवार: अमिताभ बच्चन का विवाह जया बच्चन से हुआ है, जो भारतीय फिल्म उद्योग की एक कुशल अभिनेत्री हैं। उनकी शादी 3 जून 1973 को हुई और उनके दो बच्चे हैं। उनके बेटे, अभिषेक बच्चन, एक अभिनेता हैं, जबकि उनकी बेटी, श्वेता बच्चन-नंदा, एक पूर्व मॉडल और लेखिका हैं। बच्चन परिवार को भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे प्रभावशाली और सम्मानित परिवारों में से एक माना जाता है।
  • पोते-पोतियां: अमिताभ बच्चन के चार पोते-पोतियां हैं। उनकी बेटी श्वेता की शादी बिजनेसमैन निखिल नंदा से हुई है और उनके दो बच्चे हैं जिनका नाम नव्या नवेली नंदा और अगस्त्य नंदा है। उनके बेटे अभिषेक की शादी अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन से हुई है और उनकी एक बेटी है जिसका नाम आराध्या बच्चन है।
  • स्वास्थ्य चुनौतियाँ: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, अमिताभ बच्चन को विभिन्न स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें 1982 में “कुली” के फिल्मांकन के दौरान लगभग घातक चोट भी शामिल है। उन्होंने मायस्थेनिया ग्रेविस और पेट की सर्जरी जैसे अन्य स्वास्थ्य मुद्दों से भी निपटा है। इन चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने लचीलेपन का प्रदर्शन किया और अपने करियर में सफल वापसी की।
  • परोपकार: बच्चन कई परोपकारी प्रयासों में शामिल रहे हैं और उन्होंने विभिन्न धर्मार्थ कार्यों का समर्थन किया है। उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल पहल, शिक्षा कार्यक्रमों और सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से चलाए गए अभियानों में योगदान दिया है। उनके परोपकारी प्रयास समाज को वापस लौटाने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
  • सोशल मीडिया उपस्थिति: अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, खासकर ट्विटर और इंस्टाग्राम के एक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। वह अपने प्रशंसकों के साथ जुड़े रहते हैं, अपनी परियोजनाओं के बारे में अपडेट साझा करते हैं और सामाजिक मुद्दों और पहलों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अपने प्लेटफार्मों का उपयोग करते हैं।

जबकि अमिताभ बच्चन के निजी जीवन को अक्सर निजी रखा जाता है, उनके घनिष्ठ परिवार, उनकी स्वास्थ्य चुनौतियों और उनके परोपकारी प्रयासों के बारे में जनता को पता है। वह न केवल मनोरंजन उद्योग में अपने योगदान के लिए बल्कि अपने व्यक्तिगत मूल्यों और प्रतिबद्धताओं के लिए भी एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बने हुए हैं।

अमिताभ बच्चन की कुल संपत्ति 2023 में लगभग ₹3396 करोड़ रुपये है। यह सेलिब्रिटी नेट वर्थ के अनुसार है। उनकी आय के मुख्य स्रोत हैं:

  • फिल्में : अमिताभ बच्चन एक सफल अभिनेता हैं और उन्होंने कई हिट फिल्में दी हैं, जिनमें से कुछ ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ा है। वह अपनी फिल्मों के लिए एक मोटी रकम चार्ज करते हैं।
  • एंडोर्समेंट : अमिताभ बच्चन कई ब्रांडों के लिए एंडोर्समेंट करते हैं, जिनमें टैग ह्यूअर, टाटा मोटर्स और पान मसाला शामिल हैं। इन एंडोर्समेंट से उन्हें सालाना करोड़ों रुपये की कमाई होती है।
  • व्यवसायिक उद्यम : अमिताभ बच्चन के पास कई व्यावसायिक उद्यम हैं, जिनमें एक फिल्म स्टूडियो, एक होटल श्रृंखला और एक खुदरा स्टोर शामिल है। इन उद्यमों से उन्हें अच्छी आय होती है।

अमिताभ बच्चन भारत के सबसे लोकप्रिय और सफल अभिनेताओं में से एक हैं। वह अपनी अभिनय प्रतिभा और अपने व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं।

अमिताभ बच्चन की कुल संपत्ति पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ी है। इसका मुख्य कारण उनकी फिल्मों की सफलता और उनके बढ़ते एंडोर्समेंट हैं। वह अब भी भारत के सबसे अधिक कमाई करने वाले अभिनेताओं में से एक हैं। अमिताभ बच्चन एक सफल अभिनेता, व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह भारत के एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं।

अमिताभ बच्चन की फिल्मोग्राफी व्यापक है और कई दशकों तक फैली हुई है। उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया है और कई तरह के किरदार निभाए हैं। यहां उनकी फिल्मोग्राफी का एक सिंहावलोकन दिया गया है, जिसमें उनके काम को संबंधित दशकों के अनुसार वर्गीकृत किया गया है:

1970 का दशक:

  • आनंद (1971)
  • ज़ंजीर (1973)
  • दीवार (1975)
  • शोले (1975)
  • अमर अकबर एंथोनी (1977)
  • मुकद्दर का सिकंदर (1978)
  • त्रिशूल (1978)
  • काला पत्थर (1979)

1980 का दशक:

  • सिलसिला (1981)
  • शक्ति (1982)
  • नमक हलाल (1982)
  • कुली (1983)
  • मर्द (1985)
  • शहंशाह (1988)
  • अग्निपथ (1990)

1990 का दशक:

  • मोहब्बतें (2000)
  • कभी ख़ुशी कभी ग़म (2001)
  • बागबान (2003)
  • ब्लैक (2005)
  • सरकार (2005)

2000 का दशक:

  • भूतनाथ (2008)
  • पीकू (2015)
  • गुलाबी (2016)
  • बदला (2019)
  • 102 नॉट आउट (2018)
  • गुलाबो सिताबो (2020)
  • चेहरे (2021)
  • ब्रह्मास्त्र (आगामी)

यह सूची उन फिल्मों का केवल एक अंश प्रस्तुत करती है जिनमें अमिताभ बच्चन ने अभिनय किया है, क्योंकि उनके पास 200 से अधिक फिल्मों की व्यापक फिल्मोग्राफी है। चल रही परियोजनाओं और नई रिलीज के साथ, वह भारतीय फिल्म उद्योग में सक्रिय उपस्थिति बनाए हुए हैं।

भारतीय फिल्म उद्योग में अमिताभ बच्चन की विरासत अद्वितीय है। यहां उनकी विरासत के कुछ प्रमुख पहलू हैं:

  • प्रतिष्ठित अभिनय शैली: अमिताभ बच्चन अपने बहुमुखी अभिनय कौशल और अपने पात्रों में गहराई और तीव्रता लाने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। 1970 के दशक में “एंग्री यंग मैन” के उनके चित्रण और विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं में उत्कृष्टता हासिल करने की उनकी क्षमता ने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक महान व्यक्ति बना दिया है। उनकी सशक्त स्क्रीन उपस्थिति और प्रतिष्ठित संवाद अदायगी अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं को प्रेरित करती रहती है।
  • सांस्कृतिक घटना: बच्चन का प्रभाव सिनेमा के दायरे से परे है। उन्होंने एक सांस्कृतिक घटना का दर्जा हासिल कर लिया है, उनके ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व और जीवन से बड़ी छवि लोकप्रिय संस्कृति में शामिल हो गई है। उनके तौर-तरीके, संवाद और प्रतिष्ठित भूमिकाएं भारतीय दर्शकों की सामूहिक स्मृति का हिस्सा बन गई हैं।
  • बॉक्स ऑफिस पर दबदबा: बच्चन के पूरे करियर में उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर लगातार सफल रही हैं। उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं और कई वर्षों तक शीर्ष बॉलीवुड स्टार का पद संभाला है। उनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़े हैं और वह दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचते रहे हैं।
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता: भारतीय सिनेमा में बच्चन के योगदान ने उन्हें कई पुरस्कार और प्रशंसाएं दिलाई हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार और पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण सहित अंतर्राष्ट्रीय सम्मान जीते हैं, जो भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से हैं। भारतीय सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
  • परोपकार और सामाजिक प्रभाव: बच्चन के परोपकारी प्रयासों और विभिन्न सामाजिक कारणों के लिए समर्थन ने एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है। पोलियो उन्मूलन, बालिका सशक्तिकरण और स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित पहल में उनकी भागीदारी ने कई लोगों के जीवन में बदलाव लाया है। उन्होंने जागरूकता पैदा करने और धर्मार्थ संगठनों के लिए धन जुटाने के लिए अपनी सेलिब्रिटी स्थिति का उपयोग किया है।

अमिताभ बच्चन की विरासत की विशेषता उनकी सिनेमाई प्रतिभा, सांस्कृतिक प्रभाव और मानवीय प्रयास हैं। उनका प्रभाव फिल्म उद्योग की सीमाओं से कहीं आगे तक फैला हुआ है, जिससे वह भारतीय समाज में एक स्थायी प्रतीक और सम्मानित व्यक्ति बन गए हैं।

अमिताभ बच्चन के बारे में कई जीवनियाँ लिखी गई हैं, जो उनके जीवन और करियर का विवरण देती हैं। यहां उन पर कुछ उल्लेखनीय जीवनियां दी गई हैं:

  • भावना सोमाया द्वारा लिखित “बच्चनलिया: द फिल्म्स एंड मेमोरैबिलिया ऑफ अमिताभ बच्चन”: यह पुस्तक बच्चन की फिल्मों और भारतीय फिल्म उद्योग में उनकी यात्रा की गहन खोज प्रदान करती है। यह उनकी प्रतिष्ठित भूमिकाओं, भारतीय सिनेमा पर उनके प्रभाव और उनकी स्थायी लोकप्रियता पर प्रकाश डालता है।
  • भावना सोमाया द्वारा “अमिताभ बच्चन: द लीजेंड”: यह जीवनी बच्चन के जीवन पर एक अंतर्दृष्टिपूर्ण नज़र डालती है, जो फिल्म उद्योग में उनके शुरुआती दिनों से लेकर सुपरस्टार के रूप में उनके उदय तक है। इसमें उनके करियर, निजी जीवन और भारतीय सिनेमा पर उनके प्रभाव के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।
  • सुस्मिता दास गुप्ता द्वारा लिखित “एबी: द लीजेंड”: यह जीवनी बच्चन के जीवन, उनके बचपन और शुरुआती संघर्षों से लेकर फिल्म उद्योग में उनकी अपार सफलता तक का एक व्यापक विवरण प्रदान करती है। यह उनकी प्रतिष्ठित फिल्मों, उनकी व्यक्तिगत यात्रा और भारतीय लोकप्रिय संस्कृति पर उनके प्रभाव का पता लगाता है।
  • यासिर अब्बासी द्वारा लिखित “अमिताभ बच्चन: द मैन एंड द लीजेंड”: यह पुस्तक बच्चन के जीवन, उनके स्टारडम में वृद्धि और उनकी स्थायी लोकप्रियता का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। यह उनकी अभिनय शैली, भारतीय फिल्म उद्योग पर उनके प्रभाव और उनके सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालता है।
  • खालिद मोहम्मद द्वारा “टू बी ऑर नॉट टू बी: अमिताभ बच्चन”: एक फिल्म समीक्षक और पत्रकार द्वारा लिखित, यह जीवनी बच्चन के करियर और भारतीय सिनेमा पर उनके प्रभाव के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। यह उनकी प्रतिष्ठित भूमिकाओं, उनके ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व और उनकी स्थायी विरासत पर प्रकाश डालता है।

ये जीवनियाँ पाठकों को अमिताभ बच्चन के जीवन, करियर और भारतीय सिनेमा पर प्रभाव की गहरी समझ प्रदान करती हैं। वे उद्योग में उनके शुरुआती दिनों से लेकर बॉलीवुड में सबसे प्रतिष्ठित हस्तियों में से एक बनने तक की उनकी यात्रा का पता लगाते हैं।

अमिताभ बच्चन को अपने शानदार करियर के दौरान कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। यहां उन्हें प्राप्त कुछ उल्लेखनीय प्रशंसाएं दी गई हैं:

  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: बच्चन ने कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हैं, जो भारतीय सिनेमा में सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक हैं। उन्हें ‘अग्निपथ’ (1990), ‘ब्लैक’ (2005), और ‘पा’ (2009) जैसी फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है।
  • फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार: बच्चन ने कई फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते हैं, जिन्हें अक्सर “भारतीय ऑस्कर” कहा जाता है। उन्हें ‘दीवार’ (1975), ‘डॉन’ (1978), ‘अग्निपथ’ (1990) और ‘ब्लैक’ (2005) जैसी फिल्मों में बेहतरीन अभिनय के लिए कई बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला है।
  • पद्म पुरस्कार: बच्चन को भारत सरकार द्वारा कई पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 1984 में पद्म श्री, 2001 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण मिला। ये पुरस्कार देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से हैं।
  • दादा साहब फाल्के पुरस्कार: 2019 में अमिताभ बच्चन को प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसे भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। यह पुरस्कार फिल्म उद्योग में उनके उत्कृष्ट योगदान और भारतीय सिनेमा पर उनके स्थायी प्रभाव को मान्यता देता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सम्मान: बच्चन को सिनेमा में उनके योगदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है। उन्हें 2001 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। उन्हें एशियन फिल्म अवॉर्ड्स और एशियानेट फिल्म अवॉर्ड्स समेत अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।

ये उन कई पुरस्कारों और सम्मानों में से कुछ हैं जो अमिताभ बच्चन को उनके पूरे करियर में मिले हैं। उनकी प्रतिभा, समर्पण और भारतीय सिनेमा पर प्रभाव को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से स्वीकार किया गया और मनाया गया।

अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता और प्रभाव के कारण उनके बारे में कई किताबें प्रकाशित हुईं, जिनमें आत्मकथाएँ, जीवनियाँ और उनकी फिल्मों और जीवन यात्रा के बारे में किताबें शामिल हैं। यहां अमिताभ बच्चन से संबंधित कुछ उल्लेखनीय पुस्तकें हैं:

  • खालिद मोहम्मद द्वारा “टू बी ऑर नॉट टू बी: अमिताभ बच्चन”: यह जीवनी अमिताभ बच्चन के जीवन, उनके स्टारडम में वृद्धि और भारतीय सिनेमा पर उनके प्रभाव के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। यह उनकी अभिनय शैली, प्रतिष्ठित भूमिकाओं और व्यक्तिगत यात्रा पर प्रकाश डालता है।
  • सुस्मिता दास गुप्ता द्वारा लिखित “एबी: द लीजेंड”: यह व्यापक पुस्तक अमिताभ बच्चन के जीवन और करियर का विस्तृत विवरण प्रदान करती है। इसमें उनके बचपन, फिल्म उद्योग में प्रवेश, संघर्ष और अंततः बॉलीवुड सुपरस्टार के रूप में सफलता को शामिल किया गया है।
  • भावना सोमाया द्वारा लिखित “बच्चनलिया: द फिल्म्स एंड मेमोरैबिलिया ऑफ अमिताभ बच्चन”: यह पुस्तक अमिताभ बच्चन की फिल्मों और भारतीय फिल्म उद्योग में उनकी यात्रा की पड़ताल करती है। यह भारतीय सिनेमा में उनकी प्रतिष्ठित भूमिकाओं और योगदान पर पर्दे के पीछे की झलक पेश करता है।
  • सुष्मिता दास गुप्ता द्वारा लिखित “अमिताभ: द मेकिंग ऑफ अ सुपरस्टार”: यह पुस्तक अमिताभ बच्चन की एक महत्वाकांक्षी अभिनेता से लेकर बॉलीवुड में सबसे प्रतिष्ठित और प्रभावशाली सितारों में से एक बनने तक की यात्रा का वर्णन करती है।
  • भावना सोमाया द्वारा “बच्चन: द लीजेंड”: यह जीवनी अमिताभ बच्चन के जीवन, उनके सुपरस्टारडम में वृद्धि और भारतीय सिनेमा में उनकी अपार लोकप्रियता पर गहराई से नज़र डालती है।
  • भावना चतुर्वेदी द्वारा लिखित “अमिताभ बच्चन: एक जीवित किमवदन्ति”: यह पुस्तक हिंदी में लिखी गई है और अमिताभ बच्चन की एक व्यापक जीवनी प्रस्तुत करती है, जिसमें उनके व्यक्तिगत जीवन, करियर और उपलब्धियों का विवरण है।
  • नीलिमा सूद द्वारा “अमिताभ बच्चन: ए लिविंग लीजेंड”: यह पुस्तक अमिताभ बच्चन को एक श्रद्धांजलि है, जो उनके प्रतिष्ठित करियर और भारतीय फिल्म उद्योग पर उनके प्रभाव का जश्न मनाती है।

ये किताबें प्रशंसकों और पाठकों को अमिताभ बच्चन के जीवन, करियर और भारतीय सिनेमा की दुनिया में यात्रा की गहरी समझ प्रदान करती हैं। वे उनके संघर्षों, सफलताओं और बॉलीवुड के महानतम दिग्गजों में से एक के रूप में उनके द्वारा बनाई गई विरासत के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं

कुछ अनोखे तथ्य

अज्ञात प्रतिभा :

  • आवाज का जादू : अमिताभ बच्चन अपने गहरे और शक्तिशाली आवाज के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें एक समय में अपनी ऊंचाई और आवाज के कारण ऑल इंडिया रेडियो से उद्घोषक के रूप में खारिज कर दिया गया था?
  • कथालेखन में रुचि : उन्हें सिर्फ अभिनय से ही नहीं, लेखन से भी गहरा लगाव है। उन्होंने कई कविताएं, ब्लॉग और कुछ फिल्मों की पटकथाओं में भी योगदान दिया है।
  • Ambidextrous ( द्विहस्त ): उनमें दुर्लभ प्रतिभा है और वह दोनों हाथों से बराबर लिख सकते हैं! उनके हस्तलिखित पत्र अक्सर प्रशंसकों और युवा कलाकारों के लिए विशेष प्रशंसा के रूप में भेजे जाते हैं।

पर्दे के पीछे :

  • प्रथम वेतन : उनकी पहली फिल्म “सात हिंदुस्तानी” के लिए उन्हें सिर्फ ₹300 का भुगतान मिला था।
  • फ्लॉप से फीनिक्स : फिल्म इंडस्ट्री में आने के शुरुआती दिनों में उन्हें लगातार 12 फिल्मों में असफलता का सामना करना पड़ा। लेकिन “ज़ंजीर” फिल्म ने उनके भाग्य को बदल दिया और उन्हें “एंग्री यंग मैन” की छवि दिलाई।
  • दयालु हृदय : वह कई दान संस्थाओं से जुड़े हैं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।

अनोखी बातें :

  • डबल भूमिकाओं का बादशाह : उन्होंने सबसे अधिक डबल भूमिकाएँ निभाने का रिकॉर्ड बनाया है (17 से अधिक!) और विभिन्न पात्रों को चित्रित करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • कविता प्रेम : उनके पिता प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन थे, और शायद इसी वजह से उन्हें भी कविता लेखन का शौक है।
  • पूर्व नाम “ इंक़लाब “: उनका जन्म के समय दिया गया नाम “इंक़लाब” था, बाद में इसे बदलकर “अमिताभ” कर दिया गया।

अमिताभ बच्चन के बारे में रोचक तथ्य (TRIVIA):

1. शुरुआती जीवन:

  • उनका जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था।
  • उनका असली नाम “इंकलाब श्रीवास्तव” था, बाद में इसे “अमिताभ बच्चन” कर दिया गया।
  • उनके पिता, हरिवंश राय बच्चन, प्रसिद्ध कवि थे।
  • उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

2. अभिनय करियर:

  • 1969 में फिल्म “सात हिंदुस्तानी” से अभिनय की शुरुआत।
  • “ज़ंजीर” (1973) फिल्म ने उन्हें “एंग्री यंग मैन” की छवि दिलाई।
  • “शोले” (1975) फिल्म ने उन्हें हिंदी सिनेमा के महानायक के रूप में स्थापित किया।
  • उन्होंने 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है।
  • 4 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 15 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं।

3. व्यक्तिगत जीवन:

  • 1973 में अभिनेत्री जया भादुड़ी से शादी की।
  • उनके दो बच्चे हैं, अभिषेक बच्चन और श्वेता बच्चन-नंदा।
  • 1982 में एक गंभीर दुर्घटना का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्हें कुछ समय के लिए फिल्मों से ब्रेक लेना पड़ा।
  • 2000 में, उन्होंने लोकप्रिय टेलीविजन शो “कौन बनेगा करोड़पति” की मेजबानी शुरू की।

4. अन्य रोचक तथ्य:

  • उन्हें “बिग बी” के नाम से भी जाना जाता है।
  • उन्हें गायन का भी शौक है और उन्होंने कई फिल्मों में गाने गाए हैं।
  • 2013 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
  • 2018 में, उन्हें फ्रांस सरकार द्वारा “लीजन ऑफ ऑनर” से सम्मानित किया गया।

5. कुछ अनसुने तथ्य:

  • उन्हें एयर फोर्स में शामिल होने की इच्छा थी, लेकिन उनकी पैर बहुत लंबे के कारण उन्हें अस्वीकार कर दिया गया था।
  • उन्हें रेडियो उद्घोषक बनने की भी इच्छा थी, लेकिन उनकी आवाज के कारण उन्हें अस्वीकार कर दिया गया था।

सोशल मीडिया गिनती 2024

अमिताभ बच्चन के सोशल मीडिया पेजों के फॉलोअर्स की संख्या:.

ट्विटर : 48.7 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स

इंस्टाग्राम : 37.3 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स

फेसबुक : 38 मिलियन से अधिक लाइक्स

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

अमिताभ बच्चन के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faq) :.

व्यक्तिगत जीवन:

  • उनका पूरा नाम क्या है ? अमिताभ हरिवंश राय बच्चन
  • उनका जन्म कब हुआ था ? 11 अक्टूबर, 1942
  • उनकी उम्र कितनी है ? 2024 में उनकी उम्र 82 वर्ष है।
  • क्या उनके बच्चे हैं ? हां, उनकी एक बेटी श्वेता बच्चन-नंदा और एक बेटा अभिषेक बच्चन हैं।
  • उनके माता – पिता कौन थे ? उनके पिता प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन थे और उनकी माता का नाम तेजी बच्चन था।
  • उनकी पत्नी कौन हैं ? उनकी पत्नी जया भादुड़ी हैं, जिनसे उन्होंने 1973 में शादी की थी।
  • उनकी ऊंचाई कितनी है ? वह 6 फीट 2 इंच लंबे हैं।
  • उनकी कुल संपत्ति कितनी है ? उनकी अनुमानित कुल संपत्ति लगभग 3100 करोड़ रुपये है।

अभिनय करियर:

  • उन्होंने कितनी फिल्मों में काम किया है ? उन्होंने 100 से अधिक फिल्मों में काम किया है।
  • उनकी सबसे लोकप्रिय फिल्मों में कौन सी हैं ? कुछ लोकप्रिय फिल्मों में “शोले”, “कभी ख़ुशी कभी ग़म”, “ज़ंजीर”, “पा”, “मोहब्बतें” और “ब्लैक” शामिल हैं।
  • उन्होंने किन टीवी शो में अभिनय किया है ? वह सबसे ज्यादा लोकप्रिय टेलीविजन शो “कौन बनेगा करोड़पति” के मेजबान के रूप में जाने जाते हैं।
  • उन्हें कितने पुरस्कार मिले हैं ? उन्हें 4 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 15 फिल्मफेयर पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
  • क्या उन्होंने गाया है ? हां, उन्होंने अपनी कई फिल्मों में गाने गाए हैं, जैसे ” मिस्टर नटवरलाल “, ” नसीब “, और ” लावारिस “।
  • उनके कुछ लोकप्रिय गीत कौन से हैं ? “मेरे पास आओ – मिस्टर नटवरलाल”, “चल मेरे भाई – नसीब”, “ मेरे अंगने में – लावारिस”, “रंग बरसे – सिलसिला”, “ तू मायके मत जायो – पुकार”, “ईर बिर फट्टे – प्राइवेट एल्बम एबी बेबी”, “मैं यहाँ तू वहाँ – बागबान”, “एक्ला चलो रे – कहानी”, “तू चल – पिंक”, और “बदुंबा! – 102 नॉट आउट”।
  • क्या वे पेशेवर गायक हैं ? नहीं, उन्हें मुख्य रूप से अभिनेता के रूप में जाना जाता है, लेकिन उनके गायन को भी काफी पसंद किया जाता है।

अन्य प्रश्न:

“ देखा एक ख्वाब” गीत के शब्द क्या है ?

गीतकार : जावेद अख्तर

संगीतकार : शिव-हरि

गायक : लता मंगेशकर, किशोर कुमार

देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए दूर तक निगाह में हैं गुल खिलाए हुए (दो बार)

ये गिला है आपकी निगाहों से फूल भी हों दरमियां तो फसले हुए

मेरी सांसों में बसी खुशबू तेरी ये तेरे प्यार की है जादूगरी

तेरी आवाज़ है हवाओं में प्यार का रंग है फिजाओं में

धड़कनों में तेरे गीत हैं मिले हुए क्या कहूं के शर्म से हैं लब सिले हुए

मेरा दिल है तेरी पलकों में आ छुपा लूं तुझे मैं बाहों में

तेरी तस्वीर है निगाहों में दूर तक रोशनी है राहों में

कल अगर ना रोशनी के काफिले हुए प्यार के हज़ार दीप हैं जले हुए

पांचवां छंद

देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए दूर तक निगाह में हैं गुल खिलाए हुए

यह गीत 1981 में रिलीज़ हुई फिल्म “ सिलसिला ” का है।

“सौंदर्य की किसी चीज़ को लेकर मेरे पास इतना धैर्य नहीं है जिसे समझने के लिए समझाया जाना चाहिए। यदि इसे निर्माता के अलावा किसी और द्वारा अतिरिक्त व्याख्या की आवश्यकता है, तो मैं सवाल करता हूं कि क्या इसने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है।” – अमिताभ बच्चन

  • “हर दिन एक नई शुरुआत है। गहरी सांस लें, मुस्कुराएं और फिर से शुरुआत करें।” – अमिताभ बच्चन
  • “जिस क्षण आप जीवन को गैर-गंभीर, चंचल के रूप में देखना शुरू करते हैं, आपके दिल का सारा बोझ गायब हो जाता है। मृत्यु, जीवन, प्रेम – सब कुछ का सारा डर गायब हो जाता है।” – अमिताभ बच्चन
  • “परिवर्तन जीवन का स्वभाव है, लेकिन चुनौती जीवन का उद्देश्य है। इसलिए, हमेशा परिवर्तनों को चुनौती दें और चुनौतियों को कभी न बदलें।” – अमिताभ बच्चन
  • “सफलता कोई मंजिल नहीं है, यह एक यात्रा है। जिस क्षण आप यात्रा का आनंद लेना बंद कर देंगे, आप मंजिल तक भी नहीं पहुंच पाएंगे।” – अमिताभ बच्चन
  • “जब आप विफलता का सामना करते हैं, तो आपको वापसी करने के लिए सकारात्मक रहने और खुद पर विश्वास करने की आवश्यकता होती है।” – अमिताभ बच्चन
  • “सीखने की इच्छा सफलता की ओर पहला कदम है।” – अमिताभ बच्चन
  • “आपके सबसे नाखुश ग्राहक आपके सीखने का सबसे बड़ा स्रोत हैं।” – अमिताभ बच्चन
  • “जीवन समय के बारे में है… जो पहुंच योग्य नहीं है वह पहुंच योग्य हो जाता है, जो अनुपलब्ध है वह उपलब्ध हो जाता है, जो अप्राप्य है… वह प्राप्य हो जाता है। धैर्य रखें, इसकी प्रतीक्षा करें।” – अमिताभ बच्चन
  • “जीने की सबसे बड़ी महिमा कभी न गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठने में है।” – अमिताभ बच्चन

यहां अमिताभ बच्चन के बारे में कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) दिए गए हैं:

प्रश्न: अमिताभ बच्चन का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: अमिताभ बच्चन का पूरा नाम अमिताभ हरिवंश राय श्रीवास्तव बच्चन है।

प्रश्न: अमिताभ बच्चन का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को हुआ था।

प्रश्न: अमिताभ बच्चन कहाँ से हैं?

उत्तर: अमिताभ बच्चन का जन्म इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था।

प्रश्न: अमिताभ बच्चन की लम्बाई कितनी है?

उत्तर: अमिताभ बच्चन लगभग 6 फीट 1 इंच (185 सेमी) लंबे हैं।

प्रश्न: क्या अमिताभ बच्चन शादीशुदा हैं?

उत्तर: जी हां, अमिताभ बच्चन की शादी अभिनेत्री जया बच्चन से हुई है। 3 जून 1973 को उनकी शादी हो गई।

प्रश्न: क्या अमिताभ बच्चन के बच्चे हैं?

उत्तर: जी हां, अमिताभ बच्चन के दो बच्चे हैं। उनके बेटे अभिनेता अभिषेक बच्चन हैं, और उनकी बेटी श्वेता बच्चन-नंदा हैं।

प्रश्न: अमिताभ बच्चन की कुल संपत्ति कितनी है?

उत्तर: अमिताभ बच्चन की कुल संपत्ति लगभग $400 मिलियन (2021 तक) होने का अनुमान है। हालाँकि, निवल मूल्य के आंकड़े स्रोतों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।

प्रश्न: क्या अमिताभ बच्चन को कोई पुरस्कार मिला है?

उत्तर: जी हां, अमिताभ बच्चन को कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं।

प्रश्न: क्या अमिताभ बच्चन का कोई सोशल मीडिया अकाउंट है?

उत्तर: जी हां, अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। उनके ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर अकाउंट हैं, जहां वह अपडेट साझा करते हैं और अपने प्रशंसकों के साथ बातचीत करते हैं।

प्रश्न: अमिताभ बच्चन की कुछ सबसे लोकप्रिय फिल्में कौन सी हैं?

उत्तर: अमिताभ बच्चन की कुछ सबसे लोकप्रिय फिल्मों में “शोले,” “दीवार,” “जंजीर,” “डॉन,” “अमर अकबर एंथोनी,” “अग्निपथ,” “ब्लैक,” और “पा” शामिल हैं।

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विजय (पूरा नाम: जोसेफ विजय चन्द्रशेखर) भारतीय फिल्म उद्योग में एक लोकप्रिय अभिनेता हैं, जो मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उन्हें अक्सर उनके प्रशंसकों द्वारा “थलापति” कहा जाता है, जिसका तमिल में अर्थ “कमांडर” या “नेता” होता है।

विजय ने 1984 की फिल्म “नान सिगप्पु मनिथन” में एक बाल कलाकार के रूप में अभिनय की शुरुआत की और बाद में 1992 में फिल्म “नालैया थीरपु” के साथ मुख्य भूमिकाओं में प्रवेश किया। उन्हें “पूवे उनाक्कागा” जैसी फिल्मों से व्यापक पहचान और एक समर्पित प्रशंसक प्राप्त हुआ। “घिल्ली,” “थुप्पक्की,” “मर्सल,” और “मास्टर,” अन्य के बीच।

विजय को उनकी करिश्माई ऑन-स्क्रीन उपस्थिति, बहुमुखी अभिनय कौशल और समान प्रतिभा के साथ एक्शन दृश्यों और नृत्य नंबरों को करने की उनकी क्षमता के लिए सराहा जाता है। अभिनय के अलावा, वह अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं और विभिन्न धर्मार्थ पहलों में शामिल रहे हैं।

प्रारंभिक जीवन:

विजय का जन्म जोसेफ विजय चन्द्रशेखर के रूप में 22 जून 1974 को चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में हुआ था। उनका जन्म फिल्म उद्योग से गहरा संबंध रखने वाले परिवार में हुआ था, क्योंकि उनके पिता, एस. ए. चंद्रशेखर, एक प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक हैं, और उनकी मां, शोबा चंद्रशेखर, एक पार्श्व गायिका और निर्देशक हैं। विजय ने अभिनय और प्रदर्शन में प्रारंभिक रुचि दिखाई, और फिल्म उद्योग में उनके परिवार की पृष्ठभूमि ने संभवतः उनके करियर पथ को आकार देने में भूमिका निभाई।

विजय के परिवार में उनके माता-पिता, एस. ए. चन्द्रशेखर और शोबा चन्द्रशेखर शामिल हैं। उनकी एक बहन भी हैं जिनका नाम विद्या चंद्रशेखर है, जो फिल्म उद्योग से जुड़ी नहीं हैं। विजय की शादी संगीता सोरनालिंगम से हुई है और दंपति के दो बच्चे हैं, एक बेटा जिसका नाम जेसन संजय और एक बेटी जिसका नाम दिव्या साशा है।

विजय का परिवार अपेक्षाकृत निजी रहा है, और वह जितना संभव हो सके अपने निजी जीवन को लोगों की नज़रों से दूर रखना पसंद करते हैं।

1984-2003: फ़िल्मी करियर – बाल कलाकार और मुख्य भूमिका

विजय का फिल्मी करियर काफी उल्लेखनीय रहा है, उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में शुरुआत की और अंततः मुख्य भूमिकाओं में आ गए। यहां 1984 से 2003 तक उनके फिल्मी करियर का सारांश दिया गया है:

बाल अभिनेता (1984-1991):

विजय ने 1984 में फिल्म “नान सिगप्पु मनिथन” में एक बाल कलाकार के रूप में अपनी फिल्म की शुरुआत की। वह बाल कलाकार के रूप में कुछ और फिल्मों में दिखाई दिए, और बड़े पर्दे पर अपनी शुरुआती प्रतिभा दिखाई।

मुख्य भूमिकाओं में परिवर्तन (1992-2003):

  • मुख्य भूमिकाओं में विजय का प्रवेश 1992 में उनके पिता एस. ए. चन्द्रशेखर द्वारा निर्देशित फिल्म “नालैया थीरपु” से हुआ। हालाँकि फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रिया मिली, लेकिन नायक के रूप में विजय की क्षमता को पहचान मिली।
  • अपने मुख्य भूमिका करियर के शुरुआती वर्षों में, विजय को कई फिल्मों के साथ कुछ संघर्षों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। हालाँकि, उन्हें सफलता 1996 में फिल्म “पूवे उनाक्कागा” से मिली। यह फिल्म जबरदस्त सफल रही और इसने उन्हें तमिल फिल्म उद्योग में एक भरोसेमंद अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया।
  • “पूवे उनाक्कागा” की सफलता के बाद, विजय की लोकप्रियता “लव टुडे” (1997), “कधालुक्कु मरियाधई” (1997), और “थुल्लाधा मनामुम थुल्लम” (1999) जैसी सफल फिल्मों के साथ बढ़ती रही, जिससे उनकी लोकप्रियता और मजबूत हुई। तमिल सिनेमा में एक अग्रणी अभिनेता के रूप में स्थान।
  • 2000 के दशक की शुरुआत में, विजय ने “घिल्ली” (2004) सहित सफल फिल्में देना जारी रखा, जो उस समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तमिल फिल्मों में से एक बन गई। एक्शन, रोमांस और पारिवारिक विषयों को मिश्रित करने की उनकी क्षमता ने व्यापक दर्शकों को आकर्षित किया, जिससे वह प्रशंसकों के बीच पसंदीदा बन गए।

कुल मिलाकर, 1984 से 2003 तक की अवधि में विजय एक बाल कलाकार से तमिल सिनेमा में सबसे अधिक मांग वाले अग्रणी अभिनेताओं में से एक बन गए, जिसने आने वाले वर्षों में एक बेहद सफल और स्थायी फिल्म करियर के लिए मंच तैयार किया।

2003-2011: तमिल सिनेमा में स्टार का दर्जा

2003 और 2011 के बीच, विजय ने तमिल सिनेमा में अपनी स्टार स्थिति मजबूत की, और उद्योग में सबसे प्रमुख और सफल अभिनेताओं में से एक बन गए। इस अवधि के दौरान, उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं, जिससे उनकी लोकप्रियता और प्रशंसक संख्या में और वृद्धि हुई। इस अवधि के दौरान उनके करियर का एक सिंहावलोकन इस प्रकार है:

ब्लॉकबस्टर हिट और बॉक्स ऑफिस सफलता:

2000 के दशक की शुरुआत में, विजय की फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और उन्होंने खुद को एक बड़े प्रशंसक आधार के साथ एक बैंकेबल स्टार के रूप में स्थापित किया। इस अवधि के दौरान उनकी कुछ उल्लेखनीय ब्लॉकबस्टर हिट्स में शामिल हैं:

  • “ घिल्ली” (2004): धरानी द्वारा निर्देशित, यह एक्शन से भरपूर फिल्म तेलुगु फिल्म “ओक्काडु” की रीमेक थी। “घिल्ली” को भारी सफलता मिली और यह उस समय सबसे अधिक कमाई करने वाली तमिल फिल्मों में से एक बन गई।
  • “ थिरुपाची” (2005): पेरारासु द्वारा निर्देशित, इस एक्शन फिल्म ने एक एक्शन हीरो के रूप में विजय की छवि को और मजबूत किया और दर्शकों द्वारा इसे खूब सराहा गया।
  • “ शिवकाशी” (2005): पेरारासु द्वारा निर्देशित, इस फिल्म में विजय ने एक शक्तिशाली भूमिका निभाई और इसकी व्यावसायिक सफलता ने उनकी स्टार स्थिति को बढ़ा दिया।
  • “ पोक्किरी” (2007): प्रभु देवा द्वारा निर्देशित, यह एक्शन फिल्म एक और ब्लॉकबस्टर थी जिसने विजय के बॉक्स ऑफिस प्रभुत्व में योगदान दिया।
  • “ कावलन” (2011): सिद्दीकी द्वारा निर्देशित इस रोमांटिक ड्रामा को आलोचकों की प्रशंसा मिली और यह व्यावसायिक रूप से सफल रही।

समर्थन और ब्रांड एंबेसडर:

अपनी बढ़ती प्रसिद्धि के साथ, विजय ब्रांड एंडोर्समेंट के लिए एक लोकप्रिय सेलिब्रिटी बन गए और उन्हें कई लोकप्रिय उत्पादों और कंपनियों के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में साइन किया गया। उनकी लोकप्रियता फिल्म उद्योग से आगे बढ़ गई, जिससे वह तमिलनाडु और दुनिया भर में तमिल भाषी दर्शकों के बीच एक घरेलू नाम बन गए।

विविध भूमिकाएँ और सामूहिक अपील:

इस अवधि के दौरान, विजय ने विभिन्न शैलियों में विविध भूमिकाएँ निभाकर एक अभिनेता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। जबकि वह मुख्य रूप से एक्शन और रोमांटिक फिल्मों के लिए जाने जाते थे, उन्होंने पारिवारिक ड्रामा और सामाजिक संदेश-उन्मुख फिल्मों के साथ भी प्रयोग किया। अपनी भरोसेमंद भूमिकाओं और करिश्माई स्क्रीन उपस्थिति के माध्यम से जनता से जुड़ने की उनकी क्षमता ने उनकी स्टार स्थिति में योगदान दिया।

धर्मार्थ पहल:

अपने फ़िल्मी करियर के अलावा, विजय विभिन्न धर्मार्थ गतिविधियों और परोपकार में भी सक्रिय रूप से लगे रहे। उन्हें जरूरतमंद लोगों की मदद करने और सामाजिक कार्यों में योगदान देने के उनके प्रयासों के लिए जाना जाता है, जिसने उन्हें उनके प्रशंसकों का प्रिय बना दिया।

कुल मिलाकर, 2003 और 2011 के बीच, तमिल सिनेमा में विजय की स्टार स्थिति अपने चरम पर थी, और वह बड़े पैमाने पर प्रशंसक के साथ उद्योग में अग्रणी अभिनेताओं में से एक बने रहे। बॉक्स ऑफिस पर उनकी लगातार सफलता और व्यापक दर्शकों का मनोरंजन करने की उनकी क्षमता ने तमिल सिनेमा में एक सच्चे सुपरस्टार के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया।

2012-वर्तमान: विश्व स्तर पर आलोचनात्मक और व्यावसायिक सफलता में वृद्धि

2012 और 2021 के बीच, विजय को वैश्विक स्तर पर आलोचनात्मक और व्यावसायिक सफलता मिलती रही। उन्होंने तमिल सिनेमा में शीर्ष अभिनेताओं में से एक के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की और भारतीय उपमहाद्वीप से परे अपनी लोकप्रियता का विस्तार किया। इस अवधि के दौरान उनके करियर की कुछ झलकियाँ इस प्रकार हैं:

  • “ थुप्पक्की” (2012): ए.आर. द्वारा निर्देशित। मुरुगादोस की “थुप्पक्की” आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही। एक्शन थ्रिलर में विजय को एक भारतीय सेना अधिकारी के रूप में दिखाया गया और इसकी आकर्षक कहानी और एक्शन दृश्यों के लिए प्रशंसा मिली। फिल्म की सफलता ने विजय की बढ़ती लोकप्रियता में योगदान दिया।
  • “ कथ्थी” (2014): निर्देशक ए.आर. के साथ एक और सहयोग। मुरुगादोस की “कथ्थी” ने सामाजिक मुद्दों को संबोधित किया और बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। दोहरी भूमिका में विजय के प्रदर्शन को प्रशंसा मिली और फिल्म की सफलता ने उनकी वैश्विक अपील को बढ़ा दिया।
  • “ मेर्सल” (2017): एटली द्वारा निर्देशित, “मेर्सल” विजय के करियर में एक मील का पत्थर थी। फिल्म में उन्हें तीन अलग-अलग भूमिकाओं में दिखाया गया और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को संबोधित किया गया। “मर्सल” को व्यापक सराहना मिली और यह बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफल रही और इस प्रक्रिया में कई रिकॉर्ड स्थापित किए।
  • “ सरकार” (2018): ए.आर. द्वारा निर्देशित। मुरुगादोस के अनुसार, “सरकार” एक राजनीतिक नाटक था जिसमें विजय को एक समाज सुधारक के रूप में एक शक्तिशाली भूमिका में दिखाया गया था। फिल्म को सकारात्मक समीक्षा मिली और बॉक्स ऑफिस पर इसने शानदार प्रदर्शन किया।
  • “ मास्टर” (2021): लोकेश कनगराज द्वारा निर्देशित, “मास्टर” विजय के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक बन गई। एक्शन से भरपूर थ्रिलर, जिसमें उन्होंने एक शराबी प्रोफेसर की भूमिका निभाई, को आलोचकों और दर्शकों दोनों से प्रशंसा मिली। महामारी प्रतिबंधों के बीच रिलीज होने के बावजूद, फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर असाधारण प्रदर्शन किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की।

विजय की फ़िल्में लगातार रिकॉर्ड तोड़ती रहीं और विदेशी बाज़ार में, विशेषकर तमिल प्रवासियों के बीच व्यापक सफलता हासिल करती रहीं। उनकी लोकप्रियता दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका जैसे क्षेत्रों तक फैल गई, जहां तमिल सिनेमा को महत्वपूर्ण अनुयायी मिले।

उनकी निरंतर सफलता और वैश्विक अपील के परिणामस्वरूप, विजय का स्टारडम इस अवधि के दौरान नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया, जिससे भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हो गई।

यहां उनके निजी जीवन के बारे में कुछ सामान्य जानकारी दी गई है:

विवाह और परिवार:

विजय की शादी संगीता सोरनालिंगम से हुई है और यह जोड़ा 25 अगस्त 1999 को शादी के बंधन में बंध गया। संगीता यूनाइटेड किंगडम में बसे एक श्रीलंकाई तमिल परिवार से आती हैं। उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा जिसका नाम जेसन संजय है और एक बेटी जिसका नाम दिव्या साशा है।

जब अपने निजी जीवन की बात आती है तो विजय लो प्रोफाइल रहते हैं। वह अपनी निजता को महत्व देता है और अपने परिवार को अनावश्यक मीडिया के ध्यान से बचाने की कोशिश करता है। वह शायद ही कभी साक्षात्कारों में या सोशल मीडिया पर अपने परिवार या व्यक्तिगत मामलों के बारे में विवरण साझा करते हैं।

परोपकारी कार्य:

अपने सफल फिल्मी करियर के अलावा, विजय अपनी परोपकारी गतिविधियों के लिए भी जाने जाते हैं। वह विभिन्न धर्मार्थ पहलों में शामिल हैं और सामाजिक कल्याण परियोजनाओं में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। हालाँकि, वह प्रचार पाने के बजाय अपने योगदान के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इन प्रयासों को जनता की नज़र से दूर रखते हैं।

राजनीतिक भागीदारी:

हाल के वर्षों में, विजय के राजनीति में संभावित प्रवेश को लेकर समय-समय पर अटकलें और विवाद होते रहे हैं। हालाँकि, मेरे अंतिम अपडेट के अनुसार, उन्होंने आधिकारिक तौर पर किसी भी राजनीतिक संबद्धता या आकांक्षाओं की घोषणा नहीं की है। यह याद रखना आवश्यक है कि राजनीतिक हित और संबद्धताएं परिवर्तन के अधीन हो सकती हैं, और जानकारी मेरे पिछले अपडेट के बाद से विकसित हो सकती है।

कुल मिलाकर, विजय ऐसे व्यक्ति हैं जो एक अभिनेता के रूप में अपनी सार्वजनिक छवि और अपने निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना पसंद करते हैं। वह अपने फिल्मी करियर, धर्मार्थ प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और अपने निजी जीवन पर ज्यादा ध्यान दिए बिना अपने परिवार के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताते हैं। हमेशा की तरह, नवीनतम अपडेट के लिए, अधिक मौजूदा स्रोतों और साक्षात्कारों का संदर्भ लेना सबसे अच्छा है।

अजय, जिन्हें थलपति विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत में सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेताओं में से एक हैं। 2023 में उनकी कुल संपत्ति लगभग $57 मिलियन (460 करोड़ रुपये) होने का अनुमान है। उनकी वार्षिक आय लगभग रुपये होने का अनुमान है। 45 करोड़. उनकी आय फिल्मों, ब्रांड एंडोर्समेंट आदि से मिलने वाली फीस पर निर्भर करती है।

वह लगभग रु. का शुल्क लेते हैं. प्रति फिल्म 10 – 15 करोड़। ब्रांड एंडोर्समेंट के उनके पोर्टफोलियो में कोका-कोला, चेन्नई सुपर किंग्स के लिए आईपीएल आदि शामिल हैं। ब्रांड एंडोर्समेंट के माध्यम से, विजय लगभग रु। सालाना 5-10 करोड़.

विजय की संपत्ति कई स्रोतों से आती है, जिनमें शामिल हैं:

  • फिल्मों से उनकी सैलरी
  • उनके ब्रांड एंडोर्समेंट
  • रियल एस्टेट और व्यवसायों में उनका निवेश
  • उनकी कमाई उनकी प्रोडक्शन कंपनी, विजय टेलीविज़न से है

विजय एक बेहद सफल अभिनेता और बिजनेसमैन हैं। भारत और विदेशों में उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है। वह अपनी एक्शन फिल्मों और अपने डांस मूव्स के लिए जाने जाते हैं। वह एक परोपकारी व्यक्ति भी हैं और उन्होंने विभिन्न दान में धन दान किया है।

2023 में, विजय ने अपनी आगामी फिल्म के लिए ₹200 करोड़ की भारी कमाई की, जिसका नाम अस्थायी रूप से ‘थलापति 68’ रखा गया। यह उन्हें दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले अभिनेताओं में से एक बनाता है।

विजय तमिल फिल्म उद्योग में एक जीवित किंवदंती हैं। वह कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं और उनकी संपत्ति उनकी सफलता का प्रमाण है।

कलात्मकता एवं सम्मान

कलात्मकता :

विजय को उनके बहुमुखी अभिनय कौशल, करिश्माई स्क्रीन उपस्थिति और दर्शकों से जुड़ने की क्षमता के लिए जाना जाता है। इन वर्षों में, उन्होंने एक्शन, रोमांस, कॉमेडी और ड्रामा सहित विभिन्न शैलियों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उनकी अभिनय शैली में अक्सर प्राकृतिक आकर्षण, अभिव्यंजक भावनाएं और ऊर्जावान प्रदर्शन का मिश्रण शामिल होता है।

वह अपने प्रभावशाली डांस मूव्स के लिए भी जाने जाते हैं और अपने युवा और गतिशील ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व के लिए उन्हें “इलायथलपति” (यंग कमांडर) उपनाम मिला है। एक्शन दृश्यों और लड़ाई दृश्यों में विजय के प्रदर्शन की प्रशंसकों और आलोचकों द्वारा विशेष रूप से प्रशंसा की गई है।

सम्मान और पुरस्कार:

अपने पूरे करियर के दौरान, विजय को फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए कई प्रशंसाएं और सम्मान मिले हैं। उन्हें प्राप्त कुछ उल्लेखनीय पुरस्कारों में शामिल हैं:

  • तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार: विजय ने विभिन्न फिल्मों में अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए कई तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार जीते हैं।
  • फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार: उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता सहित विभिन्न श्रेणियों में कई दक्षिण फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
  • विजय पुरस्कार: उनके नाम पर एक वार्षिक पुरस्कार समारोह, विजय पुरस्कार तमिल सिनेमा में उत्कृष्टता को मान्यता देता है, विजय को अक्सर उनके प्रदर्शन के लिए पुरस्कार मिलते हैं।
  • एडिसन पुरस्कार: तमिल फिल्म उद्योग में एक और प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह, एडिसन अवार्ड्स में विजय को मान्यता मिली है।
  • आनंद विकटन सिनेमा पुरस्कार: इस लोकप्रिय फिल्म पुरस्कार समारोह में विजय को पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
  • बिहाइंडवुड्स गोल्ड मेडल: फिल्म उद्योग में विभिन्न उपलब्धियों के लिए उन्हें बिहाइंडवुड्स गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया गया है।

इसके अतिरिक्त, विजय को विभिन्न प्रशंसक क्लबों और प्रशंसक संघों द्वारा सराहना और सम्मानित किया गया है, जिनकी तमिलनाडु और उसके बाहर महत्वपूर्ण उपस्थिति है।

उनकी लोकप्रियता क्षेत्रीय सीमाओं से परे तक फैली हुई है, और न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में तमिल भाषी प्रवासियों के बीच भी उनके समर्पित प्रशंसक हैं।

रजनीकांत बायोग्राफी | Rajnikant Biography in Hindi

सितंबर 2021 में मेरे आखिरी अपडेट के अनुसार, यहां तमिल फिल्म उद्योग के अग्रणी अभिनेताओं में से एक विजय की आंशिक फिल्मोग्राफी है। कृपया ध्यान दें कि इस सूची में उस समय तक उनकी केवल कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में शामिल हैं, और तब से अतिरिक्त रिलीज़ भी हो सकती हैं।

  • नालैया थीरपु (1992)
  • सेंधूरपंडी (1993)
  • रसिगन (1994)
  • देवा (1995)
  • राजविन परवैयिले (1995)
  • विष्णु (1995)
  • चंद्रलेखा (1995)
  • कोयंबटूर मपिल्लई (1996)
  • पूवे उनाक्कागा (1996)
  • वसंत वासल (1996)
  • मानबुमिगु मनावन (1996)
  • कालमेलम कथिरुप्पेन (1997)
  • लव टुडे (1997)
  • वन्स मोर (1997)
  • नेरुक्कू नेर (1997)
  • कधालुक्कु मरियाधई (1997)
  • निनैथेन वंधई (1998)
  • प्रियमुदन (1998)
  • निलावे वा (1998)
  • थुल्लाधा मनामुम थुलुम (1999)
  • एंड्रेंड्रम कधल (1999)
  • नेन्जिनाइल (1999)
  • मिनसारा कन्ना (1999)
  • कन्नुक्कुल निलावु (2000)
  • कुशी (2000)
  • प्रियमनावले (2000)
  • मित्र (2001)
  • बद्री (2001)
  • शाहजहाँ (2001)
  • थमिज़ान (2002)
  • युवा (2002)
  • भगवती (2002)
  • वसीगरा (2003)
  • पुधिया गीताई (2003)
  • थिरुमलाई (2003)
  • घिल्ली (2004)
  • मधुरे (2004)
  • थिरुपाची (2005)
  • सुक्रान (2005)
  • सचिन (2005)
  • शिवकाशी (2005)
  • पोक्किरी (2007)
  • अज़गिया तमिल मगन (2007)
  • कुरूवी 2008)
  • विल्लू (2009)
  • वेट्टाइकरण (2009)
  • सुरा (2010)
  • कवलन (2011)
  • वेलायुधम (2011)
  • नानबन (2012)
  • थुप्पक्की (2012)
  • थलाइवा (2013)
  • जिला (2014)
  • कथ्थी (2014)
  • पुली (2015)
  • थेरी (2016)
  • बैरवा (2017)
  • मेर्सल (2017)
  • सरकार (2018)
  • बिगिल (2019)
  • मास्टर्स (2021)

विजय द्वारा रिकॉर्ड किए गए गानों की सूची

तमिल सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेता विजय ने अपनी फिल्मों के कई गानों में अपनी आवाज दी है। यहां विजय द्वारा रिकॉर्ड किए गए कुछ गानों की सूची दी गई है:

  • “चिन्ना थयावल” – फ़िल्म: थलपति (1991)
  • “ओरु पोइयावथु” – फ़िल्म: जोड़ी (1999)
  • “कथल वैबोगेम” – मूवी: रत्चगन (1997)
  • “वेनिलावे” – फ़िल्म: मिनसारा कनावु (1997)
  • “उन्नाई थेडी” – फ़िल्म: कधालुक्कु मरियाधई (1997)
  • “वादी रसथी” – फ़िल्म: तमिज़ान (2002)
  • “सचिन सचिन” – फ़िल्म: सचिन (2005)
  • “नी मर्लिन मुनरो” – फ़िल्म: अज़गिया तमिल मगन (2007)
  • “गूगल गूगल” – मूवी: थुप्पक्की (2012)
  • “सेल्फी पुल्ला” – मूवी: कथ्थी (2014)
  • “वेरिथानम” – मूवी: बिगिल (2019)
  • “कुट्टी स्टोरी” – मूवी: मास्टर (2021)

यहां अभिनेता विजय के कुछ कोट्स दिए गए हैं:

  • “ सफलता कोई दुर्घटना नहीं है, यह कड़ी मेहनत, दृढ़ता, सीखना, अध्ययन, बलिदान और सबसे बढ़कर, आप जो कर रहे हैं उसके प्रति प्यार है।” -विजय
  • “ सपने देखो, सपने देखो, सपने देखो। सपने विचारों में बदल जाते हैं, और विचार कार्य में परिणत होते हैं।” -विजय
  • “ किसी फिल्म की सफलता सिर्फ नायक या निर्देशक के बारे में नहीं है; यह पूरी टीम का सामूहिक प्रयास है।” -विजय
  • “ मैं वर्तमान में जीने में विश्वास करता हूं और मेरा ध्यान हमेशा प्रत्येक भूमिका में अपना सर्वश्रेष्ठ देने पर होता है।” -विजय
  • “ मैं अपने प्रशंसकों के अटूट समर्थन और प्यार के लिए उनका आभारी हूं। यह मुझे कड़ी मेहनत करने और अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करता है।” -विजय
  • “ एक अभिनेता के रूप में, मेरा लक्ष्य लोगों का मनोरंजन करना है और जब वे मेरी फिल्में देखते हैं तो उन्हें खुशी महसूस कराना है।” -विजय
  • “ परिवर्तन निरंतर होता है, और मैं नई चुनौतियों को उत्साह और समर्पण के साथ स्वीकार करता हूं।” -विजय
  • “ तमिल फिल्म उद्योग और इसने मुझे दर्शकों से जुड़ने के जो अवसर दिए हैं, उनके प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है।” -विजय
  • “ फिल्मों में मेरी यात्रा ने मुझे दृढ़ता का मूल्य और स्वयं के प्रति सच्चे रहने का महत्व सिखाया है।” -विजय
  • “ मुझे अपने प्रशंसकों से जो प्यार और स्नेह मिलता है, वह मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है और मुझे हर काम में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करता है।” -विजय

सामान्य प्रश्न (FAQs)

प्रश्न: कौन हैं अभिनेता विजय?

उत्तर: विजय, जिन्हें जोसेफ विजय चंद्रशेखर के नाम से भी जाना जाता है, तमिल फिल्म उद्योग में एक लोकप्रिय अभिनेता हैं। उन्हें अक्सर उनके प्रशंसकों द्वारा “थलापति” कहा जाता है, जिसका तमिल में अर्थ “कमांडर” या “नेता” होता है।

प्रश्न: विजय ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत कब की?

उत्तर: विजय ने 1984 में फिल्म “नान सिगप्पु मनिथन” में एक बाल कलाकार के रूप में अभिनय की शुरुआत की। बाद में उन्होंने 1992 में फिल्म “नालैया थीरपु” के साथ मुख्य भूमिकाओं में बदलाव किया।

प्रश्न: विजय की कुछ सबसे सफल फ़िल्में कौन सी हैं?

उत्तर: विजय कई सफल फिल्मों में दिखाई दिए हैं, और उनकी कुछ उल्लेखनीय बॉक्स ऑफिस हिट फिल्मों में “घिल्ली ,” “ थुप्पक्की,” “ मेर्सल,” “ सरकार,” और “मास्टर” शामिल हैं।

प्रश्न: क्या विजय की फिल्म उद्योग में कोई पारिवारिक पृष्ठभूमि है?

उत्तर: जी हां, विजय फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े परिवार से आते हैं। उनके पिता, एस. ए. चन्द्रशेखर, एक फिल्म निर्देशक हैं, और उनकी माँ, शोबा चन्द्रशेखर, एक पार्श्व गायिका और निर्देशक हैं।

प्रश्न: क्या विजय किसी धर्मार्थ कार्य में शामिल है?

उत्तर: हाँ, विजय को उनकी परोपकारी गतिविधियों और विभिन्न धर्मार्थ पहलों में शामिल होने के लिए जाना जाता है। वह सामाजिक कारणों का समर्थन करने और जरूरतमंद लोगों की मदद करने में सक्रिय रहे हैं।

प्रश्न: क्या विजय को उनके अभिनय के लिए कोई पुरस्कार मिला है?

उत्तर: जी हां, विजय को फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। उन्होंने तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार और कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते हैं।

प्रश्न: क्या विजय राजनीति में हैं?

उत्तर: सितंबर 2021 में मेरे आखिरी अपडेट के अनुसार, विजय ने आधिकारिक तौर पर किसी भी राजनीतिक संबद्धता या आकांक्षाओं की घोषणा नहीं की थी। हालाँकि, राजनीति में उनके संभावित प्रवेश के बारे में कभी-कभी अफवाहें और अटकलें लगती रही हैं।

प्रश्न: विजय का उपनाम क्या है? उत्तर: विजय को अक्सर उनके प्रशंसकों द्वारा “थलापति” कहा जाता है, एक उपनाम जो फिल्म उद्योग में उनकी लोकप्रियता और नेतृत्व को दर्शाता है।

rajinikant biography in hindi

रजनीकान्त, जिनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है, एक बेहद प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित भारतीय अभिनेता हैं। उनका जन्म 12 दिसंबर 1950 को बैंगलोर, भारत में हुआ था। रजनीकान्त मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में काम करते हैं और कुछ बॉलीवुड फिल्मों में भी दिखाई दिए हैं। वह भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक हैं।

1975-1977: प्रारंभिक कैरियर

रजनीकान्त ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1970 के दशक की शुरुआत में तमिल फिल्मों में छोटी भूमिकाओं से की। हालाँकि, उन्हें सफलता 1970 के दशक के मध्य में फिल्म “भुवना ओरु केल्विक्कुरी” से मिली। उन्होंने 1980 और 1990 के दशक में “मुल्लुम मलारुम,” “थलापति,” “मुथु,” और “बाशा” जैसी फिल्मों के माध्यम से काफी लोकप्रियता हासिल की। उनकी अनूठी शैली, करिश्माई स्क्रीन उपस्थिति और शक्तिशाली संवादों ने उन्हें भारत और दुनिया भर में लाखों प्रशंसकों का चहेता बना दिया।

अक्सर भारतीय सिनेमा के “सुपरस्टार” के रूप में जाने जाने वाले रजनीकान्त की फिल्में बड़े पैमाने पर पसंद की जाती हैं, खासकर तमिलनाडु में, जहां उनका एक समर्पित प्रशंसक आधार है। उनके संवाद, व्यवहार और एक्शन सीक्वेंस प्रसिद्ध हो गए हैं और उनके प्रशंसकों द्वारा इस तरह से मनाया जाता है कि कुछ अन्य अभिनेता इसकी बराबरी कर सकते हैं।

अपने अभिनय करियर के अलावा, रजनीकान्त ने कुछ समय के लिए राजनीति में भी कदम रखा है। उन्होंने 1996 में राजनीति में प्रवेश की घोषणा की, लेकिन बाद में पीछे हट गए। हालाँकि, 2017 में, उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी बनाने और पूर्ण राजनीतिक करियर बनाने के अपने इरादे की घोषणा की। तमिलनाडु में उनका महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव है, हालांकि उनके राजनीतिक प्रभाव की सीमा जनता की राय और चुनावी परिणामों के अधीन है।

भारतीय सिनेमा में रजनीकान्त के योगदान, उनकी परोपकारी गतिविधियों और उनके जीवन से भी बड़े व्यक्तित्व ने उन्हें ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन दोनों जगह एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बना दिया है। वह मनोरंजन उद्योग में एक प्रिय और सम्मानित व्यक्ति बने हुए हैं।

रजनीकान्त, जिनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है, का जन्म 12 दिसंबर 1950 को बैंगलोर (अब बेंगलुरु) में हुआ था, जो भारतीय राज्य कर्नाटक की राजधानी है। वह एक मराठी परिवार से हैं। उनके पिता, रामोजी राव गायकवाड़, एक पुलिस कांस्टेबल थे, और उनकी माँ, जीजाबाई, एक गृहिणी थीं। दो बड़े भाइयों और एक बहन के साथ रजनीकान्त परिवार में चौथी संतान थे।

  • अपने शुरुआती वर्षों के दौरान, रजनीकान्त के परिवार को वित्तीय संघर्षों का सामना करना पड़ा। उनका पालन-पोषण साधारण तरीके से हुआ और उन्होंने बेंगलुरु के सरकारी मॉडल प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई की। बाद में, उन्होंने बैंगलोर के बसवनगुडी में आचार्य पाठशाला पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने सिनेमा की दुनिया में अपनी रुचि को आगे बढ़ाने के लिए मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट से अभिनय में डिप्लोमा किया।
  • अभिनय में कदम रखने से पहले, रजनीकान्त ने अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कई तरह के छोटे-मोटे काम किए। उन्होंने बैंगलोर ट्रांसपोर्ट सर्विस (बीटीएस) के लिए बस कंडक्टर के रूप में काम किया, जिसे अब बैंगलोर मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (बीएमटीसी) के नाम से जाना जाता है। बस कंडक्टर के रूप में काम करने के दौरान ही उन्हें स्टेज नाटकों और अभिनय में रुचि हो गई।
  • अभिनय और प्रदर्शन कला के प्रति उनका जुनून उन्हें मद्रास फिल्म संस्थान तक ले गया, जहां उन्होंने अपने अभिनय कौशल को निखारा। 1975 में, उन्होंने प्रशंसित फिल्म निर्माता के. बालाचंदर द्वारा निर्देशित तमिल फिल्म “अपूर्वा रागंगल” से अपने अभिनय की शुरुआत की। हालाँकि फिल्म में उनकी भूमिका छोटी थी, लेकिन उनकी प्रतिभा ने दर्शकों और उद्योग का ध्यान खींचा।
  • उस साधारण शुरुआत से, रजनीकान्त भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे बड़े सितारों में से एक बन गए। एक अभिनेता के रूप में उनकी अनूठी शैली, करिश्माई उपस्थिति और बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें सभी उम्र के प्रशंसकों का चहेता बना दिया है। एक बस कंडक्टर से एक प्रसिद्ध अभिनेता और सांस्कृतिक आइकन बनने तक रजनीकान्त की यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है जिसने दुनिया भर में लाखों लोगों के दिलों को मंत्रमुग्ध कर दिया है।

अभिनय कैरियर

रजनीकान्त का अभिनय करियर 1975 में के. बालाचंदर द्वारा निर्देशित तमिल फिल्म “अपूर्व रागंगल” से शुरू हुआ। इस फिल्म में उन्होंने एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके अभिनय को समीक्षकों और दर्शकों दोनों ने खूब सराहा, जिससे फिल्म उद्योग में उनकी यात्रा की शुरुआत हुई।

अपने सफल पदार्पण के बाद, रजनीकान्त ने के. बालाचंदर के साथ कई फिल्मों में काम करना जारी रखा, और अपने करियर के शुरुआती चरण के दौरान उन्होंने गहराई और बारीकियों के साथ चरित्र भूमिकाएँ निभाने के लिए ख्याति अर्जित की। इस अवधि के दौरान उनकी कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में शामिल हैं:

  • “ मूंदरू मुदिचू” (1976): के. बालाचंदर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में रजनीकान्त, कमल हासन और श्रीदेवी के साथ महत्वपूर्ण भूमिका में थे। यह फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही और इसने उनकी अभिनय क्षमताओं को प्रदर्शित किया।
  • “ अवर्गल” (1977): इस फिल्म में, रजनीकान्त ने सहायक भूमिका निभाई और एक बार फिर के. बालाचंदर के साथ काम किया। रिश्तों की जटिलताओं के इर्द-गिर्द घूमती इस फिल्म को आलोचकों की सराहना मिली।
  • “16 वयाथिनिले” (1977): पी. भारतीराजा द्वारा निर्देशित, इस फिल्म में रजनीकान्त ने खलनायक की भूमिका में प्रवेश किया। उन्होंने परत्ताई का किरदार निभाया, जिसे खूब सराहा गया और एक अभिनेता के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ।

इन शुरुआती फिल्मों में विविध किरदारों को चित्रित करने की रजनीकान्त की क्षमता ने एक प्रमुख अभिनेता के रूप में उनकी भविष्य की सफलता की नींव रखी। हालाँकि, 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में वह सहायक भूमिकाओं से मुख्य भूमिकाओं में आ गए, जिसने उन्हें सुपरस्टारडम तक पहुँचाया।

1978-1989: प्रयोग और सफलता

1978 से 1989 की अवधि के दौरान, रजनीकान्त के अभिनय करियर में महत्वपूर्ण प्रयोग और सफलताओं की एक श्रृंखला देखी गई जिसने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक अग्रणी सुपरस्टार के रूप में स्थापित किया। वह सबसे अधिक मांग वाले अभिनेताओं में से एक बन गए और उनकी फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता मिली। यहां उनके करियर के इस चरण की कुछ प्रमुख झलकियां दी गई हैं:

  • “ भुवना ओरु केल्विक्कुरी” (1977): एस.पी. मुथुरमन द्वारा निर्देशित इस फिल्म में रजनीकान्त की पहली मुख्य भूमिका थी। यह एक आलोचनात्मक और व्यावसायिक सफलता थी, और रजनीकान्त के प्रदर्शन की व्यापक रूप से सराहना की गई।
  • “ मुल्लुम मलारुम” (1978): जे. महेंद्रन द्वारा निर्देशित इस फिल्म में रजनीकान्त के असाधारण अभिनय कौशल का प्रदर्शन किया गया। उन्होंने चरखी चलाने वाली काली की भूमिका निभाई और अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार जीता।
  • “ अरिलिरुन्थु अरुबाथु वरई” (1979): इस फिल्म में, रजनीकान्त ने एक ऐसे चरित्र को चित्रित किया जो जीवन के विभिन्न चरणों में फैला हुआ था, एक युवा व्यक्ति से लेकर एक बुजुर्ग व्यक्ति तक। एक बार फिर उन्हें अपने बहुमुखी अभिनय के लिए प्रशंसा मिली।
  • “ मुरात्तु कलई” (1980): एक्शन से भरपूर इस फिल्म ने एक जन नायक के रूप में रजनीकान्त की स्थिति को मजबूत किया। इसमें उनकी अनूठी शैली, शक्तिशाली संवाद और एक्शन दृश्यों का प्रदर्शन किया गया, जो उनके ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व के प्रतिष्ठित लक्षण बन गए।
  • “ नेट्रिकन” (1981): इस फिल्म में, रजनीकान्त ने एक ही फिल्म में कई पात्रों को संभालने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए, ट्रिपल भूमिका निभाई। फिल्म को सकारात्मक समीक्षा मिली और इससे उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ।
  • “ मूंदरू मुगम” (1982): इस फिल्म में रजनीकान्त के एक पुलिस अधिकारी और एक क्रूर गैंगस्टर के किरदार को काफी प्रशंसा मिली। एलेक्स पांडियन और जॉन के उनके प्रसिद्ध किरदार बेहद यादगार थे और पंथ के पसंदीदा बन गए।
  • “ नल्लावानुकु नल्लावन” (1984): इस फिल्म ने तमिल सिनेमा के “सुपरस्टार” के रूप में रजनीकान्त की स्थिति को और मजबूत कर दिया। यह एक व्यावसायिक सफलता थी और इसने एक अद्वितीय शैली वाले एक्शन हीरो के रूप में उनकी छवि को और मजबूत किया।
  • “ पडिक्कथवन” (1985): 1980 के दशक में रजनीकान्त की फिल्में अपने आकर्षक संवादों और सामूहिक अपील के लिए जानी जाती थीं। “पडिक्कथवन” एक और सफल फिल्म थी जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया।
  • “ मुथु” (1995): बाद में जापानी सहित कई भाषाओं में डब की गई इस तमिल फिल्म ने रजनीकान्त को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। इसे जापान में भारी सफलता मिली और इसने वैश्विक स्तर पर उनकी लोकप्रियता में योगदान दिया।

इस पूरे दौर में रजनीकान्त की फिल्मों में एक्शन, ड्रामा और मनोरंजन का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिला। उन्होंने अपनी ट्रेडमार्क संवाद अदायगी, तौर-तरीके और स्टाइलिश एक्शन दृश्यों सहित एक अनूठी शैली विकसित की, जो प्रशंसकों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गई।

इस युग के दौरान फिल्म उद्योग में रजनीकान्त की सफलता ने उन्हें भारतीय सिनेमा में सबसे भरोसेमंद सितारों में से एक के रूप में स्थापित किया, और उन्होंने अपनी बॉक्स ऑफिस हिट और प्रतिष्ठित भूमिकाओं के साथ उद्योग पर दबदबा बनाए रखा। उनकी जीवन से भी बड़ी उपस्थिति और करिश्मा ने उन्हें भारतीय सिनेमा की दुनिया में एक अद्वितीय घटना बना दिया।

1990-2001: व्यावसायिक स्टारडम

1990 से 2001 की अवधि के दौरान, रजनीकान्त का स्टारडम नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया और वह भारतीय फिल्म उद्योग में एक निर्विवाद व्यावसायिक पावरहाउस बन गए। उन्होंने एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्में देना जारी रखा, जिससे भारतीय सिनेमा में सबसे बड़े सितारों में से एक के रूप में उनकी स्थिति और मजबूत हो गई। यहां उनके करियर के इस चरण की कुछ प्रमुख झलकियां दी गई हैं:

  • “ पनक्करन” (1990): यह फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही और 1990 के दशक की शुरुआत में रजनीकान्त की हिट फिल्मों की कतार में शामिल हो गई।
  • “ थलापति” (1991): मणिरत्नम द्वारा निर्देशित यह फिल्म रजनीकान्त के बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक मानी जाती है। उन्होंने सूर्य की भूमिका निभाई, जो कि भारतीय महाकाव्य महाभारत के कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती पर आधारित एक पात्र है। “थलपति” में रजनीकान्त के अभिनय को समीक्षकों द्वारा सराहा गया और यह फिल्म एक क्लासिक बनी हुई है।
  • “ मन्नान” (1992): यह फिल्म रजनीकान्त के लिए एक और सफल उद्यम थी, जहां उन्होंने दोहरी भूमिकाएँ निभाईं और एक मनोरंजक प्रदर्शन दिया।
  • “ अन्नामलाई” (1992): निर्देशक सुरेश कृष्ण के साथ रजनीकान्त के सहयोग से बॉक्स ऑफिस पर एक और सफलता मिली। “अन्नामलाई” व्यावसायिक रूप से सफल रही और इसने रजनीकान्त की जनता से जुड़ने की क्षमता को प्रदर्शित किया।
  • “ बाशा” (1995): यह फिल्म रजनीकान्त के करियर की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक है। सुरेश कृष्ण द्वारा निर्देशित, “बाशा” को भारी सफलता मिली और उसे एक पंथ का दर्जा प्राप्त हुआ। रहस्यमय अतीत वाले दयालु ऑटो-रिक्शा चालक मणिक्कम नाम के मुख्य किरदार को रजनीकान्त ने बहुत सराहा।
  • “ मुथु” (1998): जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, “मुथु” ने जापान और अन्य एशियाई देशों में काफी लोकप्रियता हासिल की, जिससे रजनीकान्त की प्रसिद्धि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गई।
  • “ पडायप्पा” (1999): के.एस. रविकुमार द्वारा निर्देशित, “पडायप्पा” एक ब्लॉकबस्टर सफलता थी, जिसमें रजनीकान्त ने मुख्य भूमिका निभाई थी। उनके सशक्त प्रदर्शन और फिल्म की आकर्षक कहानी ने इसकी व्यावसायिक सफलता में योगदान दिया।
  • “ बाबा” (2002): जहां “बाबा” को आलोचकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली, वहीं रजनीकान्त के प्रशंसकों को इसका बेसब्री से इंतजार था। फिल्म ने सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डाला और रजनीकान्त की हस्ताक्षर शैली को आगे बढ़ाया।

इस अवधि के दौरान, रजनीकान्त की ऑन-स्क्रीन उपस्थिति, शक्तिशाली संवाद अदायगी और चुंबकीय व्यक्तित्व सभी उम्र के दर्शकों को मंत्रमुग्ध करता रहा। उनकी फिल्मों में अक्सर एक्शन, ड्रामा और सामाजिक संदेशों का मिश्रण होता था, जो जनता के बीच अच्छी तरह से गूंजता था और एक सच्चे व्यावसायिक सुपरस्टार के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत करता था।

गौरतलब है कि इस दौर में रजनीकान्त की लोकप्रियता और बॉक्स ऑफिस पर सफलता केवल तमिल सिनेमा तक ही सीमित नहीं थी। उनकी फिल्मों को कई अन्य भाषाओं में डब और रिलीज़ किया गया, जिससे उन्हें भारत और उसके बाहर व्यापक दर्शकों तक पहुंचने में मदद मिली। इस चरण के दौरान रजनीकान्त के व्यावसायिक स्टारडम ने उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रभावशाली और बैंकेबल अभिनेताओं में से एक के रूप में स्थापित किया।

2002-2010: संघर्ष, पुनरुत्थान और प्रशंसा

2002 से 2010 की अवधि के दौरान, रजनीकान्त का करियर कई उतार-चढ़ाव से गुज़रा, लेकिन अंततः उन्होंने पुनरुत्थान का अनुभव किया और अपने प्रदर्शन के लिए प्रशंसा प्राप्त करना जारी रखा। यहां उनके करियर के इस चरण की कुछ प्रमुख झलकियां दी गई हैं:

  • “ चंद्रमुखी” (2005): पी. वासु द्वारा निर्देशित, यह हॉरर-कॉमेडी फिल्म बेहद सफल रही और उस समय सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तमिल फिल्मों में से एक बन गई। दोहरी भूमिकाओं में रजनीकान्त के अभिनय को आलोचकों और दर्शकों दोनों से प्रशंसा मिली।
  • “ शिवाजी: द बॉस” (2007): एस. शंकर द्वारा निर्देशित, इस फिल्म से रजनीकान्त ने एक स्टाइलिश और करिश्माई किरदार निभाते हुए वापसी की। उन्होंने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से सतर्क व्यक्ति की भूमिका निभाई और फिल्म एक बड़ी व्यावसायिक सफलता थी।
  • “ एंथिरन” (हिंदी में रोबोट, 2010 ): एस. शंकर द्वारा निर्देशित इस साइंस-फिक्शन फिल्म में रजनीकान्त को डॉ. वसीगरन और उनकी रोबोट रचना, चिट्टी के रूप में दिखाया गया है। फिल्म ज़बरदस्त सफलता थी और इसे इसके दृश्य प्रभावों और रजनीकान्त के प्रदर्शन के लिए आलोचकों की प्रशंसा मिली।
  • “ कुसेलन” (2008): रजनीकान्त ने इस फिल्म में एक विशेष भूमिका निभाई, जो मलयालम फिल्म “कथा परयुम्बोल” की रीमेक थी। मिश्रित समीक्षाओं के बावजूद, रजनीकान्त के कैमियो ने फिल्म की अपील को बढ़ा दिया।
  • “ एंधीरन” (हिंदी में रोबोट, 2010): जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, तमिल और हिंदी में रिलीज़ हुई यह फिल्म भारी सफल रही और वैश्विक दर्शकों के सामने रजनीकान्त की स्टार पावर प्रदर्शित हुई।

इस अवधि के दौरान, रजनीकान्त के स्वास्थ्य को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, और ऐसी खबरें भी आईं कि वे कुछ समय के लिए अभिनय से संन्यास लेने पर विचार कर रहे थे। हालाँकि, सिनेमा के प्रति उनके प्यार और उनके प्रशंसकों के समर्थन ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कुछ फिल्मों को मिली-जुली समीक्षा मिलने के बावजूद, रजनीकान्त की स्टार पावर और करिश्मा बेजोड़ रहा। उनकी अनूठी शैली और जीवन से बड़ी उपस्थिति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध करना जारी रखा, जिससे वे भारतीय फिल्म उद्योग में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए।

2010 में, कला और मनोरंजन के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए रजनीकान्त को भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

इस पूरे चरण में, रजनीकान्त की अभिनय क्षमता और व्यावसायिक सफलता ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रभावशाली और प्रसिद्ध अभिनेताओं में से एक के रूप में उनकी स्थिति की पुष्टि की। उन्होंने अपने प्रशंसकों के अटूट समर्थन और प्रशंसा का आनंद लेना जारी रखा, जिससे वे उद्योग में एक स्थायी आइकन बन गए।

2011-2014: अस्पताल में भर्ती और वापसी

2011 से 2014 की अवधि के दौरान, रजनीकान्त को कुछ स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और अभिनय से अस्थायी ब्रेक लेना पड़ा। हालाँकि, उन्होंने पर्दे पर विजयी वापसी की और अपने प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करना जारी रखा। यहां उनके करियर के इस चरण की प्रमुख झलकियां दी गई हैं:

  • स्वास्थ्य मुद्दे और अस्पताल में भर्ती: अप्रैल 2011 में, रजनीकान्त गंभीर रूप से बीमार पड़ गए और श्वसन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में उन्हें आगे के इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया। उनकी स्वास्थ्य स्थिति ने उनके प्रशंसकों और फिल्म बिरादरी के बीच चिंता पैदा कर दी।
  • “ कोचादैयां” (2014): ठीक होने के बाद, रजनीकान्त मोशन-कैप्चर 3डी एनिमेटेड फिल्म “कोचादैयां” की रिलीज के साथ सिल्वर स्क्रीन पर लौट आए। उनकी बेटी सौंदर्या रजनीकान्त द्वारा निर्देशित इस फिल्म में रजनीकान्त ने दोहरी भूमिका निभाई थी और यह भारतीय सिनेमा में अपनी तरह की पहली फिल्म थी। फ़िल्म का प्रदर्शन अच्छा था, लेकिन इसकी तकनीकी प्रगति के लिए इसे प्रशंसा मिली।
  • “ लिंगा” (2014): के.एस. रविकुमार द्वारा निर्देशित, “लिंगा” “कोचादाइयां” के बाद रजनीकान्त की अगली रिलीज़ थी। फिल्म को आलोचकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली, लेकिन प्रशंसकों ने रजनीकान्त के प्रदर्शन और स्टार पावर की सराहना की।
  • सम्मान और मान्यता: स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद, भारतीय सिनेमा में रजनीकान्त के योगदान को स्वीकार किया जाता रहा। 2013 में, उन्हें 44वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में वर्ष की भारतीय फिल्म व्यक्तित्व के लिए शताब्दी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

स्वास्थ्य संबंधी असफलताओं का सामना करने के बावजूद, रजनीकान्त का अपनी कला के प्रति समर्पण और सिनेमा के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। स्वास्थ्य में सुधार के बाद स्क्रीन पर उनकी वापसी का उनके प्रशंसकों और फिल्म बिरादरी ने समान रूप से जश्न मनाया। उनकी स्टार पावर और विशाल फैन फॉलोइंग “कोचादाइयां” और “लिंगा” की रिलीज के दौरान एक बार फिर स्पष्ट हुई।

2014 के बाद भी, रजनीकान्त ने कई फिल्मों में अभिनय करना जारी रखा और भारतीय सिनेमा में एक प्रभावशाली व्यक्ति बने रहे। उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ती रहीं और उन्हें प्रशंसकों और साथी कलाकारों से प्रशंसा मिलती रही। एक महान अभिनेता और सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में रजनीकान्त की यात्रा को दृढ़ता, सिनेमा के प्रति जुनून और अपने दर्शकों के साथ एक स्थायी संबंध द्वारा चिह्नित किया गया है।

2016–वर्तमान: कबाली और उससे आगे

  • कबाली” (2016): पा. रंजीत द्वारा निर्देशित, “कबाली” रजनीकान्त के करियर की सबसे प्रतीक्षित फिल्मों में से एक थी। उन्होंने बदला लेने की कोशिश करने वाले एक गैंगस्टर कबालीश्वरन की भूमिका निभाई। फिल्म की रिलीज ने प्रशंसकों के बीच उत्साह पैदा किया, और इसने प्रदर्शन किया बॉक्स ऑफिस पर असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया। कबाली में रजनीकान्त के अभिनय की प्रशंसकों और आलोचकों ने समान रूप से प्रशंसा की।
  • “ काला” (2018): निर्देशक पा. रंजीत के साथ अपना सहयोग जारी रखते हुए, रजनीकान्त ने “काला” में अभिनय किया, जहां उन्होंने मुंबई की मलिन बस्तियों में अपने लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले नेता करिकालन की भूमिका निभाई। फिल्म को सकारात्मक समीक्षा मिली और रजनीकान्त के अभिनय की काफी सराहना हुई।
  • “2.0” (2018): एस. शंकर द्वारा निर्देशित, “2.0” एक साइंस-फिक्शन एक्शन फिल्म थी और 2010 की फिल्म “एंथिरन” का सीक्वल थी। रजनीकान्त ने डॉ. वसीगरन और चिट्टी, रोबोट के रूप में अपनी भूमिकाएँ दोहराईं। फिल्म में अक्षय कुमार खलनायक की भूमिका में थे। “2.0” को इसके दृश्य प्रभावों और एक्शन दृश्यों के लिए सराहा गया और यह दुनिया भर में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्मों में से एक बन गई।
  • “ दरबार” (2020): ए.आर. द्वारा निर्देशित। मुरुगादॉस की “दरबार” में रजनीकान्त को अपराधियों को खत्म करने के मिशन पर एक पुलिस अधिकारी के रूप में दिखाया गया है। फिल्म को दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और इसमें रजनीकान्त की सदाबहार अपील दिखाई गई।
  • राजनीतिक घोषणा: दिसंबर 2017 में, रजनीकान्त ने अपनी राजनीतिक पार्टी रजनी मक्कल मंद्रम बनाकर राजनीति में प्रवेश की घोषणा की। हालाँकि, उनकी राजनीतिक पार्टी की पूर्ण लॉन्चिंग और राजनीतिक परिदृश्य पर इसका प्रभाव सितंबर 2021 में मेरे आखिरी अपडेट तक अभी भी विकसित हो रहा था।

2016 से लेकर आज तक रजनीकान्त की फिल्में उनकी स्टार पावर और अभिनय क्षमता का प्रदर्शन करती रहीं। वह भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली और प्रिय अभिनेताओं में से एक रहे, जिनके न केवल तमिलनाडु में बल्कि दुनिया भर में बड़े पैमाने पर प्रशंसक थे। समय-समय पर स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का सामना करने के बावजूद, रजनीकान्त का अपनी कला और अपने प्रशंसकों के प्रति समर्पण अटूट रहा

रजनीकान्त ने पहली बार अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं का संकेत 1996 में दिया जब उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने का इरादा घोषित किया। हालाँकि, बाद में वह अपने राजनीतिक अनुभव की कमी और अन्य कारकों का हवाला देते हुए इस विचार से हट गए। इन वर्षों में, राजनीति में उनकी रुचि के बारे में रजनीकान्त की ओर से छिटपुट घोषणाएँ और बयान आए, लेकिन उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में अपने प्रवेश की योजना बनाने और रणनीति बनाने में अपना समय लिया।

दिसंबर 2017 में, रजनीकान्त ने औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश की घोषणा की और अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, रजनी मक्कल मंद्रम लॉन्च करने के अपने इरादे का खुलासा किया। उनकी अपार लोकप्रियता और उनके राजनीतिक प्रवेश के संभावित प्रभाव को देखते हुए, इस घोषणा ने उनके प्रशंसकों और आम जनता के बीच महत्वपूर्ण प्रत्याशा और उत्साह पैदा किया।

हालाँकि, घोषणा के बावजूद, राजनीतिक पार्टी शुरू करने में देरी हुई और मेरे आखिरी अपडेट के अनुसार रजनीकान्त ने सक्रिय रूप से चुनाव में भाग नहीं लिया या किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा में देरी के कारणों में से एक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को बताया।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि तमिलनाडु में राजनीतिक परिदृश्य अत्यधिक प्रतिस्पर्धी और जटिल है, जहां अच्छी तरह से स्थापित राजनीतिक दल सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। राजनीति में रजनीकान्त के प्रवेश से राज्य की राजनीति में एक नई गतिशीलता आने की उम्मीद थी, लेकिन उनके प्रभाव और प्रभाव की सीमा अभी भी देखी जानी बाकी है।

सार्वजनिक छवि

रजनीकान्त की सार्वजनिक छवि एक प्रतिष्ठित और अद्वितीय है, जो उन्हें भारतीय सिनेमा और उससे परे सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित शख्सियतों में से एक बनाती है। उनकी सार्वजनिक छवि को कई प्रमुख पहलुओं में वर्णित किया जा सकता है:

  • सुपरस्टार का दर्जा: रजनीकान्त को अक्सर भारतीय सिनेमा का “सुपरस्टार” कहा जाता है। उनकी फैन फॉलोइंग तमिलनाडु या भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि वैश्विक पहुंच है। उनके पास एक विशाल प्रशंसक आधार है, जिसे अक्सर सामूहिक रूप से “रजनी प्रशंसकों” के रूप में जाना जाता है, जो उनके ऑन-स्क्रीन करिश्मा, अनूठी शैली और जीवन से बड़ी उपस्थिति के लिए उन्हें आदर्श मानते हैं।
  • करिश्माई व्यक्तित्व: रजनीकान्त का चुंबकीय व्यक्तित्व और स्क्रीन उपस्थिति अद्वितीय है। उनके प्रतिष्ठित तौर-तरीके, ट्रेडमार्क संवाद और स्टाइलिश एक्शन सीक्वेंस लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन गए हैं। उनमें हर उम्र के दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की क्षमता है और उनकी फिल्में अक्सर सिनेमाघरों में रिकॉर्ड तोड़ने वाली भीड़ खींचती हैं।
  • विनम्र पृष्ठभूमि और सापेक्षता: अपनी अपार प्रसिद्धि और सफलता के बावजूद, रजनीकान्त की विनम्र पृष्ठभूमि और व्यावहारिक स्वभाव ने उन्हें प्रशंसकों का चहेता बना दिया है। वह अक्सर अपने पिछले संघर्षों और एक बस कंडक्टर से सुपरस्टार तक के सफर की कहानियां साझा करते हैं, जो उन्हें कई लोगों के लिए भरोसेमंद और प्रेरणादायक बनाती है।
  • मानवीय कार्य: रजनीकान्त अपनी परोपकारी गतिविधियों और सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं। वह स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य सामाजिक कारणों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई धर्मार्थ पहलों में शामिल रहे हैं। समाज में उनके योगदान ने उन्हें सिनेमा के दायरे से परे सम्मान और प्रशंसा अर्जित की है।
  • प्रभाव और समर्थन: रजनीकान्त की लोकप्रियता और सार्वजनिक छवि ने उन्हें समर्थन और सार्वजनिक सेवा घोषणाओं के लिए एक लोकप्रिय व्यक्ति बना दिया है। उनके शब्द और कार्य मनोरंजन उद्योग और समाज दोनों में महत्वपूर्ण महत्व रखते हैं।
  • राजनीतिक प्रभाव: राजनीति में रजनीकान्त के प्रवेश ने महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया, और उनकी राजनीतिक आकांक्षाओं ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर उनके प्रवेश के संभावित प्रभाव के बारे में चर्चा शुरू कर दी। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनके विचारों का मीडिया और जनता द्वारा बारीकी से अनुसरण और विश्लेषण किया गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय अपील: रजनीकान्त की फिल्मों को कई भाषाओं में डब और रिलीज़ किया गया है, जिससे वह अंतर्राष्ट्रीय पहचान वाले कुछ भारतीय अभिनेताओं में से एक बन गए हैं। जापान, मलेशिया और कई अन्य क्षेत्रों में जहां भारतीय सिनेमा लोकप्रिय है, वहां उनके काफी प्रशंसक हैं।

कुल मिलाकर, रजनीकान्त की सार्वजनिक छवि क्षेत्रीय और सांस्कृतिक सीमाओं से परे एक प्रतिष्ठित और प्रिय व्यक्ति की है। उनकी सिनेमाई उपलब्धियों, धर्मार्थ कार्यों और राजनीतिक आकांक्षाओं ने एक स्थायी विरासत बनाने में योगदान दिया है, जिससे वह भारतीय सिनेमा का एक स्थायी प्रतीक और दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

सामाजिक मुद्दों पर टिप्पणियाँ

एक प्रमुख सार्वजनिक हस्ती होने के नाते, रजनीकान्त ने कभी-कभी समाज को प्रभावित करने वाले विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर बात की है। उनकी अपार लोकप्रियता और प्रभाव के कारण सामाजिक मुद्दों पर उनके बयानों ने अक्सर महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया है। कुछ प्रमुख सामाजिक मुद्दों पर उन्होंने टिप्पणी की है:

  • राजनीतिक भ्रष्टाचार: रजनीकान्त ने राजनीतिक भ्रष्टाचार और स्वच्छ शासन की आवश्यकता के बारे में चिंता व्यक्त की है। उन्होंने अक्सर राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही की वकालत की है।
  • जातिगत भेदभाव: रजनीकान्त ने जाति-आधारित भेदभाव की निंदा की है और सभी व्यक्तियों के साथ सम्मान और समानता के साथ व्यवहार करने के महत्व पर जोर दिया है, चाहे उनकी जाति या पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
  • शिक्षा और युवा सशक्तिकरण: अभिनेता ने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया है और युवाओं को अपने सपनों और आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
  • अंतर-राज्य जल विवाद: रजनीकान्त ने तमिलनाडु और पड़ोसी राज्यों के बीच लंबे समय से चले आ रहे जल विवादों पर टिप्पणी की है और सौहार्दपूर्ण समाधान का आह्वान किया है।
  • तमिलनाडु का कल्याण: तमिलनाडु के मूल निवासी होने के नाते, रजनीकान्त ने राज्य और इसके लोगों की भलाई के लिए चिंता व्यक्त की है, अक्सर विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
  • महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण: रजनीकान्त ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के खिलाफ बात की है और महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण की वकालत की है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सामाजिक मुद्दों पर रजनीकान्त की टिप्पणियों को अक्सर समर्थन और आलोचना दोनों का सामना करना पड़ता है, जैसा कि किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति द्वारा अपने विचार व्यक्त करने पर होता है। उनके राजनीतिक प्रवेश ने विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मामलों पर उनके विचारों को और अधिक फोकस में ला दिया।

चूंकि सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य लगातार विकसित हो रहा है, मेरे आखिरी अपडेट के बाद से सामाजिक मुद्दों पर रजनीकान्त की राय विकसित या बदल गई होगी। उनके विचारों से अवगत रहने के लिए, नवीनतम और विश्वसनीय स्रोतों का संदर्भ लेना सबसे अच्छा है।

व्यक्तिगत जीवन और रिश्ते

रजनीकान्त अपने निजी जीवन और रिश्तों को लेकर अपेक्षाकृत निजी रहे हैं। यहां उनके निजी जीवन के कुछ ज्ञात पहलू हैं:

  • विवाह: रजनीकान्त ने 1981 में लता रंगाचारी से शादी की। लता रंगाचारी, जिन्हें अब लता रजनीकान्त के नाम से जाना जाता है, एक पार्श्व गायिका और द आश्रम की संस्थापक हैं, जो एक संस्था है जो विभिन्न धर्मार्थ गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करती है। इस जोड़े की दो बेटियां हैं जिनका नाम ऐश्वर्या और सौंदर्या है।
  • बेटियाँ: ऐश्वर्या रजनीकान्त रजनीकान्त और लता की बड़ी बेटी हैं। वह एक फिल्म निर्देशक और निर्माता हैं। उन्होंने अभिनेता धनुष से शादी की, जो तमिल फिल्म उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति हैं।
  • सौंदर्या रजनीकान्त: सौंदर्या रजनीकान्त रजनीकान्त और लता की छोटी बेटी हैं। वह एक ग्राफिक डिजाइनर, निर्माता और निर्देशक हैं। उन्होंने फिल्म उद्योग में काम किया है और एनिमेटेड फिल्म “कोचादाइयां” का निर्देशन किया है, जिसमें उनके पिता मुख्य भूमिका में थे।
  • निजी जीवन: रजनीकान्त एक निजी व्यक्ति माने जाते हैं और अपनी निजी जिंदगी को सुर्खियों से दूर रखते हैं। जब मीडिया में अपने पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंधों पर चर्चा की बात आती है तो वह कम प्रोफ़ाइल बनाए रखना पसंद करते हैं।

रजनीकान्त का परिवार और प्रियजन हमेशा उनके शानदार करियर और जीवन में उनके द्वारा चुने गए विकल्पों का समर्थन करते रहे हैं। चूंकि वह अपनी गोपनीयता को महत्व देते हैं, इसलिए वह शायद ही कभी सार्वजनिक रूप से व्यक्तिगत मामलों पर चर्चा करते हैं, और प्रशंसक और मीडिया उनके निजी जीवन के बारे में कुछ हद तक गोपनीयता बनाए रखने की उनकी प्राथमिकता का सम्मान करते हैं।

रजनीकान्त के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटियां और अन्य करीबी रिश्तेदार शामिल हैं। यहां उनके परिवार के सदस्यों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

     पत्नी: रजनीकान्त की पत्नी लता रजनीकान्त (पहले लता रंगाचारी के नाम से जानी जाती थीं) हैं। वह एक पार्श्व गायिका हैं और विभिन्न धर्मार्थ और परोपकारी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं।

     बेटियाँ:

  • ऐश्वर्या रजनीकान्त: ऐश्वर्या रजनीकान्त और लता की बड़ी बेटी हैं। वह एक फिल्म निर्देशक और निर्माता हैं। उन्होंने 2004 में अभिनेता धनुष (वेंकटेश प्रभु कस्तूरी राजा) से शादी की और उनके दो बेटे हैं, यात्रा और लिंग।
  • सौंदर्या रजनीकान्त: सौंदर्या रजनीकान्त और लता की छोटी बेटी हैं। वह एक ग्राफिक डिजाइनर, निर्माता और निर्देशक हैं। सौंदर्या ने 2019 में बिजनेसमैन और एक्टर विशागन वनंगमुडी से शादी की।
  • भाई और बहन: रजनीकान्त के एक बड़े भाई का नाम सत्यनारायण राव और एक बड़ी बहन का नाम अश्वथ बालूभाई है।

रजनीकान्त का परिवार उनके करियर का समर्थन करता रहा है और अक्सर उनकी फिल्मों के प्रीमियर और सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल होता रहा है। अपनी अपार प्रसिद्धि के बावजूद, रजनीकान्त ने हमेशा अपने परिवार को महत्व दिया है और अपने प्रियजनों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखा है। उन्होंने अक्सर अपने परिवार से मिलने वाले प्यार और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया है और वे उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने हुए हैं।

विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में बड़ा योगदान

रजनीकान्त को उनकी परोपकारी गतिविधियों और विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में बड़ा योगदान के लिए जाना जाता है। अपने पूरे करियर के दौरान, वह जरूरतमंद लोगों की मदद करने और समाज को वापस लौटाने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। उनकी कुछ परोपकारी पहलों में शामिल हैं:

  • आश्रम: रजनीकान्त की पत्नी लता रजनीकान्त ने द आश्रम की स्थापना की, जो एक संस्था है जो धर्मार्थ गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करती है। संगठन विभिन्न कल्याणकारी परियोजनाओं में शामिल है, जिसमें वंचितों को चिकित्सा सहायता प्रदान करना और शैक्षिक पहलों का समर्थन करना शामिल है।
  • दान: रजनीकान्त ने आपदा राहत प्रयासों और विभिन्न धर्मार्थ संगठनों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त वित्तीय योगदान दिया है। उन्होंने बाढ़ और चक्रवात सहित प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों की मदद के लिए महत्वपूर्ण धनराशि दान की है।
  • चिकित्सा सहायता: अभिनेता ने कई चिकित्सा कारणों का समर्थन किया है और आर्थिक रूप से विकलांग व्यक्तियों को चिकित्सा उपचार और सर्जरी तक पहुंचने में मदद की है।
  • शिक्षा: रजनीकान्त शिक्षा के प्रबल समर्थक हैं और उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के छात्रों का समर्थन करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों और छात्रवृत्ति कार्यक्रमों में योगदान दिया है।
  • अनाथालय और वृद्धाश्रम: रजनीकान्त ने अनाथालयों और वृद्धाश्रमों के लिए अपना समर्थन दिखाया है, निवासियों की रहने की स्थिति में सुधार और देखभाल के लिए संसाधन उपलब्ध कराए हैं।
  • सामुदायिक विकास: वह विभिन्न सामुदायिक विकास परियोजनाओं में शामिल रहे हैं जिनका उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों का उत्थान करना और कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाना है।

रजनीकान्त के परोपकारी प्रयासों ने उन्हें न केवल उनके प्रशंसकों से बल्कि बड़े समाज से भी प्रशंसा और सम्मान दिलाया है। उन्होंने अपनी प्रसिद्धि और प्रभाव का उपयोग कई लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए किया है, और उनके धर्मार्थ कार्य दूसरों को सामाजिक कारणों में योगदान देने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

पैसे उधार देने का आरोप

रजनीकान्त पर लगे थे पैसे उधार देने के आरोप. यह मामला उनके प्रशंसक संघ के सदस्यों में से एक से संबंधित था, जिस पर अभिनेता के नाम और प्रभाव का उपयोग करके अवैध धन उधार गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। कथित तौर पर आरोपी व्यक्ति को एक अपंजीकृत वित्तीय योजना चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जिसने कई लोगों को शिकार बनाया था।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये आरोप सीधे तौर पर खुद रजनीकान्त के खिलाफ नहीं थे, बल्कि उनके एक प्रशंसक संघ से जुड़े एक व्यक्ति के खिलाफ थे। रजनीकान्त व्यक्तिगत रूप से कथित अवैध गतिविधियों में शामिल नहीं थे। हालाँकि, एक प्रमुख सार्वजनिक हस्ती के रूप में, ऐसी घटनाएं ध्यान और जांच आकर्षित कर सकती हैं।

किसी भी कानूनी मामले की तरह, सच्चाई का पता लगाने और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए जांच और कानूनी कार्यवाही की जाती है। एआई भाषा मॉडल के रूप में, मैं चल रहे या हाल के विकास पर वास्तविक समय अपडेट प्रदान नहीं कर सकता। इसलिए, रजनीकान्त से संबंधित किसी भी कानूनी या वित्तीय मामले के बारे में नवीनतम जानकारी के लिए, मैं विश्वसनीय समाचार स्रोतों या आधिकारिक बयानों की जांच करने की सलाह देता हूं।

रजनीकांत की कुल संपत्ति 2023 में लगभग ₹430 करोड़ रुपये है। यह सेलिब्रिटी नेट वर्थ के अनुसार है। उनकी आय के मुख्य स्रोत हैं:

  • फिल्म निर्माण : रजनीकांत एक सफल फिल्म निर्माता भी हैं। उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण किया है, जिनमें से कई व्यावसायिक रूप से सफल रही हैं।
  • एंडोर्समेंट : रजनीकांत कई ब्रांडों के लिए एंडोर्समेंट करते हैं, जिनमें एयरटेल, टाटा मोटर्स और पान मसाला शामिल हैं। इन एंडोर्समेंट से उन्हें सालाना करोड़ों रुपये की कमाई होती है।
  • व्यवसायिक उद्यम : रजनीकांत के पास कई व्यावसायिक उद्यम हैं, जिनमें एक फिल्म स्टूडियो, एक होटल श्रृंखला और एक खुदरा स्टोर शामिल है। इन उद्यमों से उन्हें अच्छी आय होती है।

रजनीकांत भारत के सबसे लोकप्रिय और सफल अभिनेताओं में से एक हैं। वह अपनी अभिनय प्रतिभा और अपने व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं।

रजनीकान्त की फिल्मोग्राफी व्यापक है, जो कई दशकों तक फैली हुई है और इसमें कई सफल और प्रतिष्ठित फिल्में शामिल हैं। यहां उनके करियर के विभिन्न चरणों की कुछ उल्लेखनीय फिल्मों का चयन किया गया है:

  • अपूर्वा रागंगल (1975)
  • मुल्लुम मलारुम (1978)
  • भुवना ओरु केल्विक्कुरी (1977)
  • बिल्ला (1980)
  • मूंदरू मुगम (1982)
  • थिल्लू मुल्लू (1981)
  • मुथु (1995) [1998 में जापान में रिलीज़]
  • थलपति (1991)
  • अन्नामलाई (1992)
  • बाशा (1995)
  • पदयप्पा (1999)
  • चंद्रमुखी (2005)
  • शिवाजी: द बॉस (2007)
  • एंथिरन (हिंदी में रोबोट) (2010)

2010 का दशक:

  • कबाली (2016)
  • काला (2018)

2018-2020 का दशक:

  • दरबार (2020)

कृपया ध्यान दें कि यह एक विस्तृत सूची नहीं है, और रजनीकान्त ने अपने पूरे करियर में कई अन्य फिल्मों में अभिनय किया है।

रजनीकान्त की फिल्में उनके मनोरंजन मूल्य, प्रतिष्ठित पात्रों और शक्तिशाली प्रदर्शन के लिए मनाई जाती रही हैं। उन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग पर एक अमिट छाप छोड़ी है और दुनिया भर के लाखों प्रशंसकों के लिए एक प्रिय व्यक्ति बने हुए हैं।

पुरस्कार, सम्मान और मान्यता

प्रतिष्ठित भारतीय अभिनेता रजनीकान्त को अपने शानदार करियर के दौरान कई पुरस्कार, सम्मान और मान्यता मिली है। यहां उन्हें दिए गए कुछ प्रमुख सम्मान दिए गए हैं:

  • पद्म भूषण: 2000 में, कला और मनोरंजन के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए रजनीकान्त को भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
  • फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार: रजनीकान्त ने तमिल फ़िल्मों में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दक्षिण में कई फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते हैं, जिनमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और विशेष जूरी पुरस्कार शामिल हैं।
  • तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार: विभिन्न तमिल फिल्मों में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए कई तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार मिले हैं।
  • कलईमामणि पुरस्कार: कला में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए रजनीकान्त को तमिलनाडु सरकार द्वारा कलईमामणि पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष की भारतीय फिल्म व्यक्तित्व के लिए शताब्दी पुरस्कार: 2014 में, रजनीकान्त को 44वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में वर्ष की भारतीय फिल्म व्यक्तित्व के लिए शताब्दी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ द ईयर: मनोरंजन के क्षेत्र में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए उन्हें 2010 में सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया था।
  • एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार: 2016 में, रजनीकान्त को भारतीय सिनेमा में उनके असाधारण योगदान के लिए एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
  • “ आईएफएफआई की स्वर्ण जयंती के प्रतीक”: 2019 में भारत के 50वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में रजनीकान्त को “आईएफएफआई की स्वर्ण जयंती के प्रतीक” के रूप में सम्मानित किया गया।

ये पिछले कुछ वर्षों में रजनीकान्त को मिले अनगिनत पुरस्कारों और सम्मानों में से कुछ हैं। उनकी अपार लोकप्रियता, प्रतिष्ठित स्थिति और भारतीय सिनेमा पर महत्वपूर्ण प्रभाव ने उन्हें प्रशंसकों, सहकर्मियों और फिल्म बिरादरी से समान रूप से प्रशंसा और सम्मान दिलाया है।

रजनीकान्त के बारे में कई किताबें लिखी गई हैं, दोनों जीवनियां और विश्लेषणात्मक कार्य, भारतीय सिनेमा और समाज पर उनके प्रभाव की खोज करते हैं। रजनीकान्त पर कुछ उल्लेखनीय पुस्तकों में शामिल हैं:

  • नमन रामचंद्रन द्वारा लिखित “रजनीकान्त: द डेफिनिटिव बायोग्राफी”: यह जीवनी रजनीकान्त के जीवन, करियर और भारतीय सिनेमा में उनके द्वारा बनाई गई सांस्कृतिक घटना पर गहराई से नज़र डालती है।
  • गायत्री श्रीकांत द्वारा लिखित “द नेम इज रजनीकान्त”: यह पुस्तक रजनीकान्त के जीवन और समय पर प्रकाश डालती है, जिसमें एक बस कंडक्टर से लेकर भारत के सबसे बड़े सुपरस्टार में से एक बनने तक की उनकी यात्रा को शामिल किया गया है।
  • रजनीकान्त द्वारा लिखित “रजनीकान्त: द स्टोरी ऑफ माई लाइफ” (आर. अरविंद के साथ): यह एक आत्मकथात्मक पुस्तक है जहां रजनीकान्त अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हैं और फिल्म उद्योग में अपनी यात्रा को दर्शाते हैं।
  • पी. सी. बालासुब्रमण्यम द्वारा लिखित “रजनी का पंचतंत्र: बिजनेस एंड लाइफ मैनेजमेंट द रजनीकान्त वे”: यह पुस्तक रजनीकान्त की फिल्मों और उनके जीवन से भी बड़े व्यक्तित्व से प्रेरित जीवन सबक और प्रबंधन सिद्धांत प्रदान करती है।
  • वासंती द्वारा “रजनीकान्त: ए लाइफ”: यह जीवनी रजनीकान्त के जीवन और करियर की पड़ताल करती है, उनकी विनम्र शुरुआत, सुपरस्टारडम और प्रशंसकों और समाज पर प्रभाव को छूती है।
  • मदन द्वारा “रजनीकान्त: द डेफिनिटिव गाइड”: यह पुस्तक रजनीकान्त की फिल्मों, पात्रों, संवादों और एक अभिनेता के रूप में उनकी यात्रा का व्यापक अवलोकन प्रदान करती है।

कृपया ध्यान दें कि मेरे आखिरी अपडेट के बाद रजनीकान्त पर और भी किताबें प्रकाशित हो चुकी होंगी, क्योंकि वह प्रशंसकों और विद्वानों के लिए समान रूप से रुचि और आकर्षण का विषय बने हुए हैं। रजनीकान्त पर पुस्तकों की नवीनतम सूची के लिए, मैं अद्यतन जानकारी के लिए ऑनलाइन बुकस्टोर्स या पुस्तकालयों की जाँच करने की सलाह देता हूँ।

रजनीकान्त से सम्बंधित कोट्स

यहां कुछ प्रतिष्ठित रजनीकान्त कोट्स दिए गए हैं:

  • “ एन वज़ी, थानी वज़ी।” (मेरा तरीका एक अनोखा तरीका है।) – फिल्म “पडायप्पा” से।
  • “ नान ओरु थडवा सोन्ना, नूरु थडवा सोन्ना मादिरी।” (अगर मैं एक बार कुछ कहता हूं, तो ऐसा लगता है जैसे मैंने इसे सौ बार कहा है।) – फिल्म “बाबा” से।
  • मैं अंग्रेजी बोल सकता हूं, मैं अंग्रेजी बोल सकता हूं, मैं अंग्रेजी में हंस सकता हूं क्योंकि अंग्रेजी एक बहुत ही मजेदार भाषा है।” – फिल्म “शिवाजी: द बॉस” से।
  • “ कन्ना, पन्नी धन कूटमा वरुम, सिंगम सिंगल अह धन वरुम।” (बच्चे, केवल सूअर समूह में आते हैं, लेकिन शेर अकेला आता है।) – फिल्म “पडयप्पा” से।
  • “ सुम्मा इरु, मंडाइक्कुरा माथिरी।” (बस मगरमच्छ की तरह शांत रहें।) – फिल्म “अन्नामलाई” से।
  • “ इधु एप्पदी इरुक्कु?” ( यह कैसा है?) – विभिन्न फिल्मों में से, यह रजनीकान्त के हस्ताक्षरित संवादों में से एक है।
  • “ मैं कोई सुपरस्टार नहीं हूं; मैं सिर्फ रजनीकान्त नामक एक साधारण व्यक्ति हूं।” – इंटरव्यू में रजनीकान्त।
  • “ एना रास्कला, माइंड इट!” – फिल्म “शिवाजी: द बॉस” से।

प्रश्न: रजनीकान्त कौन हैं?

उत्तर: रजनीकान्त एक प्रतिष्ठित भारतीय अभिनेता हैं जिन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान अभिनेताओं में से एक माना जाता है। उन्होंने कई तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, हिंदी और बंगाली फिल्मों में अभिनय किया है और भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके बहुत बड़े प्रशंसक हैं।

प्रश्न: रजनीकान्त का असली नाम क्या है?

उत्तर: रजनीकान्त का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। बाद में जब उन्होंने फिल्म उद्योग में प्रवेश किया तो उन्होंने स्क्रीन नाम “रजनीकान्त” अपनाया।

प्रश्न: रजनीकान्त का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: रजनीकान्त का जन्म 12 दिसंबर 1950 को हुआ था।

प्रश्न: रजनीकान्त की कुछ प्रसिद्ध फिल्में कौन सी हैं?

उत्तर: रजनीकान्त ने अपने पूरे करियर में कई सफल फिल्मों में अभिनय किया है। उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्मों में “मुथु,” “बाशा,” “शिवाजी: द बॉस,” “एंथिरन” (रोबोट), “कबाली,” और “काला” शामिल हैं।

प्रश्न: क्या रजनीकान्त ने कोई पुरस्कार जीता है?

उत्तर: हां, रजनीकान्त को फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। उन्हें पद्म भूषण, फिल्मफेयर पुरस्कार, तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार, एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार और अन्य प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया गया है।

प्रश्न: क्या रजनीकान्त परोपकार में शामिल हैं?

उत्तर: हाँ, रजनीकान्त अपनी परोपकारी गतिविधियों और धर्मार्थ योगदान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आपदा राहत और सामुदायिक विकास से संबंधित विभिन्न कारणों का समर्थन किया है।

प्रश्न: क्या रजनीकान्त राजनीति में आये?

उत्तर: हां, रजनीकान्त ने दिसंबर 2017 में राजनीति में प्रवेश करने के अपने इरादे की घोषणा की थी। उन्होंने रजनी मक्कल मंद्रम नाम से अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और अन्य कारकों के कारण उनकी पार्टी की पूर्ण लॉन्चिंग में देरी हुई।

प्रश्न: रजनीकान्त का परिवार कैसा है?

उ: रजनीकान्त की शादी लता रजनीकान्त (पहले लता रंगाचारी के नाम से जानी जाती थी) से हुई है, और उनकी ऐश्वर्या और सौंदर्या नाम की दो बेटियाँ हैं। ऐश्वर्या एक फिल्म निर्देशक हैं और सौंदर्या एक ग्राफिक डिजाइनर और फिल्म निर्देशक हैं।

प्रश्न: रजनीकान्त के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण क्या हैं?

उत्तर: रजनीकान्त अपनी फिल्मों में अपने सशक्त और प्रतिष्ठित संवादों के लिए जाने जाते हैं। उनके कुछ प्रसिद्ध उद्धरणों में शामिल हैं “एन वज़ी, थानी वज़ी,” “नान ओरु थडवा सोन्ना, नूरु थडवा सोन्ना मादिरी,” “कन्ना, पन्नी धन कूटमा वरुम्, सिंगम सिंगल आह धन वरुम्,” और “सुम्मा इरु, मंडाइक्कुरा माथिरी।”

प्रश्न: रजनीकान्त की सार्वजनिक छवि कैसी है?

उत्तर: रजनीकान्त की सार्वजनिक छवि एक प्रतिष्ठित और अद्वितीय है, जो उन्हें भारतीय सिनेमा और उससे परे सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित शख्सियतों में से एक बनाती है। उन्हें अक्सर भारतीय सिनेमा के “सुपरस्टार” के रूप में जाना जाता है और उनके करिश्माई व्यक्तित्व और मानवीय कार्यों के लिए उनकी प्रशंसा की जाती है।

प्रश्न: क्या रजनीकान्त के बारे में कोई किताब लिखी गई है?

उत्तर: हां, रजनीकान्त के बारे में कई किताबें लिखी गई हैं, जिनमें जीवनियां, विश्लेषणात्मक कार्य और उनके जीवन और भारतीय सिनेमा पर प्रभाव पर किताबें शामिल हैं। कुछ उल्लेखनीय पुस्तकों में “रजनीकान्त: द डेफिनिटिव बायोग्राफी,” “द नेम इज रजनीकान्त,” और “रजनीकान्त: ए लाइफ” शामिल हैं।

dev anand biography in hindi

देव आनंद एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, फिल्म निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक थे। उनका जन्म धर्मदेव पिशोरिमल आनंद के रूप में 26 सितंबर, 1923 को गुरदासपुर, पंजाब, भारत में हुआ था। देव आनंद को भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और सदाबहार अभिनेताओं में से एक माना जाता है और उन्हें अक्सर बॉलीवुड का “सदाबहार हीरो” कहा जाता है।

उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1946 की फिल्म “हम एक हैं” से की और 1948 की फिल्म “जिद्दी” में अपनी भूमिका से उन्हें पहचान मिली। हालाँकि, यह गुरु दत्त द्वारा निर्देशित 1950 की फिल्म “बाज़ी” थी जिसने उन्हें स्टारडम तक पहुँचाया और एक सौम्य और आकर्षक नायक के रूप में उनकी छवि स्थापित की। देव आनंद की अनूठी शैली, तौर-तरीके और रोमांटिक भूमिकाओं ने उन्हें दर्शकों का चहेता बना दिया और वह अपने समय के सबसे बड़े सितारों में से एक बन गए।

अपने पूरे करियर में, देव आनंद ने कई सफल फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें “गाइड,” “ज्वेल थीफ़,” “तेरे घर के सामने,” “हरे रामा हरे कृष्णा,” “सीआईडी,” और कई अन्य शामिल हैं। वह अपने भाइयों चेतन आनंद और विजय आनंद के साथ जुड़ाव के लिए भी जाने जाते थे, जो भारतीय फिल्म उद्योग में प्रमुख फिल्म निर्माता भी थे।

अभिनय के अलावा, देव आनंद ने फिल्म निर्माण में भी कदम रखा और अपने बड़े भाई चेतन आनंद के साथ मिलकर अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी, नवकेतन फिल्म्स की स्थापना की। प्रोडक्शन हाउस ने कई सफल और समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्में बनाईं।

देव आनंद न केवल एक सफल अभिनेता थे बल्कि एक दूरदर्शी फिल्म निर्माता भी थे। उन्होंने कुछ फिल्मों का निर्देशन भी किया, जिनमें “प्रेम पुजारी” और “हरे रामा हरे कृष्णा” उनके कुछ उल्लेखनीय निर्देशन हैं।

अपने पूरे करियर के दौरान, देव आनंद को 2001 में पद्म भूषण (भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार) सहित कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए। उन्होंने अपने बाद के वर्षों में फिल्मों में अभिनय करना जारी रखा और अपनी युवा ऊर्जा और करिश्मा के लिए जाने जाते थे।

दुख की बात है कि देव आनंद का 3 दिसंबर, 2011 को 88 वर्ष की आयु में लंदन में निधन हो गया। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान और दर्शकों की पीढ़ियों पर उनके प्रभाव ने उन्हें फिल्म प्रेमियों के दिलों में एक विशेष स्थान दिलाया और एक अभिनेता के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया।

देव आनंद, जिनका जन्म का नाम धर्मदेव पिशोरीमल आनंद था, का जन्म 26 सितंबर, 1923 को गुरदासपुर शहर, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब पंजाब, भारत) में हुआ था। वह पिशोरीमल आनंद और रजनी आनंद से पैदा हुए चार बेटों में से तीसरे थे।

देव आनंद के पिता पिशोरीमल आनंद एक अच्छे वकील के रूप में काम करते थे। परिवार में अपेक्षाकृत आरामदायक पालन-पोषण हुआ। देव आनंद के दो बड़े भाई थे, चेतन आनंद और विजय आनंद, दोनों बाद में फिल्म निर्माता के रूप में भारतीय फिल्म उद्योग में प्रमुख हस्ती बन गए।

देव आनंद ने अपनी शिक्षा लाहौर (अब पाकिस्तान में) में पूरी की, जब वह छोटे थे तो उनका परिवार वहीं चला गया था। उन्होंने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में पढ़ाई की और छोटी उम्र से ही उनका साहित्य और कला की ओर रुझान था। अपने कॉलेज के दिनों के दौरान, देव आनंद विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदार बन गए, जिसने मनोरंजन की दुनिया में उनके भविष्य की भागीदारी की नींव रखी।

अपनी कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद, देव आनंद ने सिनेमा में अपना करियर बनाने की इच्छा जताई, लेकिन उनका परिवार चाहता था कि वे एक अधिक पारंपरिक पेशे को अपनाएं। परिवार की आपत्तियों के बावजूद, देव आनंद ने अपने जुनून का पालन करने और फिल्म उद्योग में अपनी किस्मत आजमाने के लिए 1940 के दशक की शुरुआत में मुंबई (तब बॉम्बे) जाने की ठानी।

प्रारंभ में, उन्हें संघर्षों का सामना करना पड़ा और उन्होंने रेलवे स्टेशनों और बेंचों पर रातें बिताईं। हालाँकि, देव आनंद के समर्पण और दृढ़ता के कारण उन्हें फिल्म उद्योग में ब्रेक मिला और अंततः उन्होंने 1946 में फिल्म “हम एक हैं” से अपनी शुरुआत की। इससे एक अभिनेता और बाद में एक अभिनेता के रूप में उनकी शानदार यात्रा की शुरुआत हुई। बॉलीवुड में सफल फिल्म निर्माता.

मुंबई में देव आनंद के शुरुआती संघर्षों और अनुभवों ने जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को आकार दिया और उनके करिश्माई और आशावादी व्यक्तित्व में योगदान दिया। अपने पूरे करियर के दौरान, वह अपने सकारात्मक दृष्टिकोण और युवा भावना के लिए जाने जाते रहे, जिससे उन्हें पीढ़ियों से लाखों प्रशंसकों की प्रशंसा और प्यार मिला।

Career (आजीविका)

भारतीय फिल्म उद्योग में देव आनंद का करियर छह दशकों से अधिक समय तक चला, जिसके दौरान वह बॉलीवुड इतिहास में सबसे प्रसिद्ध और प्रिय अभिनेताओं में से एक बन गए। उनकी अभिनय शैली, आकर्षक व्यक्तित्व और युवा ऊर्जा ने उन्हें एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बना दिया, जिससे उन्हें भारतीय सिनेमा के “सदाबहार हीरो” का खिताब मिला। आइए उनके शानदार करियर के विभिन्न पहलुओं पर एक नजर डालें:

देव आनंद का करियर सिनेमा के प्रति उनके जुनून, अपनी कला के प्रति उनके समर्पण और उनकी अटूट भावना का प्रमाण है, जो उन्हें बॉलीवुड का एक शाश्वत प्रतीक बनाता है।

1940 के दशक का अंत और सुरैया के साथ रोमांस

1940 के दशक के अंत में, अपने करियर के शुरुआती चरण के दौरान, देव आनंद प्रसिद्ध अभिनेत्री और पार्श्व गायिका सुरैया के साथ प्रेम संबंध में थे। उनकी प्रेम कहानी फिल्म “विद्या” (1948) के सेट पर शुरू हुई, जहां उन्हें मुख्य अभिनेता के रूप में एक साथ जोड़ा गया था। देव आनंद और सुरैया के बीच ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री शानदार थी, और यह जल्द ही वास्तविक जीवन में रोमांस में बदल गई।

सुरैया अपने समय की सबसे लोकप्रिय और सफल अभिनेत्रियों में से एक थीं और उभरते सितारे देव आनंद के साथ उनकी जोड़ी ने फिल्म उद्योग और उनके प्रशंसकों के बीच काफी हलचल पैदा की। उनका ऑफ-स्क्रीन रोमांस जल्द ही शहर में चर्चा का विषय बन गया।

हालाँकि, उनके रिश्ते को चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि सुरैया की नानी ने उनके गठबंधन का कड़ा विरोध किया। उनकी अस्वीकृति के पीछे का कारण यह बताया गया कि सुरैया एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार से थीं, जबकि देव आनंद एक हिंदू परिवार से थे। उन दिनों, समाज में अंतर-धार्मिक संबंधों को आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता था और ऐसे संबंधों को नापसंद किया जाता था।

विरोध के बावजूद देव आनंद और सुरैया का रिश्ता कुछ सालों तक जारी रहा। ऐसी अफवाहें थीं कि वे गुपचुप तरीके से शादी करने की योजना बना रहे थे, लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सका। सुरैया के परिवार के दबाव का अंततः उनके रिश्ते पर असर पड़ा और उन्होंने सौहार्दपूर्वक अलग होने का फैसला किया।

उनकी प्रेम कहानी बॉलीवुड के स्वर्ण युग की सबसे चर्चित और दुखद रोमांस में से एक रही। सुरैया जीवन भर अविवाहित रहीं और 2004 में उनका निधन हो गया। देव आनंद ने फिल्मों में एक सफल करियर बनाया और 2011 में अपनी मृत्यु तक कुंवारे रहे।

देव आनंद और सुरैया का रोमांस बॉलीवुड के इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा बना हुआ है और उनकी ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन केमिस्ट्री को प्रशंसक आज भी याद करते हैं। उनकी प्रेम कहानी, हालांकि अधूरी है, भारतीय सिनेमा के इतिहास में पुरानी यादों और रोमांस का स्पर्श जोड़ती है।

ब्रेक और 1950 का दशक

1950 के दशक की शुरुआत में, देव आनंद के करियर को झटका लगा क्योंकि उनकी कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं। हालाँकि, उन्होंने अपने भाई चेतन आनंद द्वारा निर्देशित 1954 की फिल्म “टैक्सी ड्राइवर” से जल्द ही वापसी की। यह फिल्म आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही और इसने देव आनंद के करियर को पुनर्जीवित करने में मदद की।

1950 के दशक के दौरान, देव आनंद कई सफल फिल्मों में दिखाई दिए, जिससे बॉलीवुड में अग्रणी अभिनेताओं में से एक के रूप में उनकी स्थिति और मजबूत हो गई। इस दशक की कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में शामिल हैं:

अभिनय के अलावा देव आनंद ने 1950 के दशक में फिल्म निर्माण में भी कदम रखा। उन्होंने अपने भाई चेतन आनंद के साथ नवकेतन फिल्म्स की सह-स्थापना की और बैनर के तहत कई सफल फिल्मों का निर्माण किया।

देव आनंद की शैली और करिश्मा दर्शकों को मंत्रमुग्ध करता रहा और इस दशक के दौरान उनके प्रशंसकों की संख्या काफी बढ़ गई। संवाद बोलने का उनका अनोखा तरीका, उनके तौर-तरीके और उनके विशिष्ट फैशन सेंस ने उन्हें युवाओं के बीच एक आइकन बना दिया।

1950 का दशक एक अभिनेता और फिल्मी हस्ती के रूप में देव आनंद के लिए विकास और परिपक्वता का दौर था। उन्होंने अपनी प्रतिष्ठित स्थिति की नींव रखी, जिसे वह भारतीय फिल्म उद्योग में अपने शानदार करियर के दौरान अपने साथ रखेंगे।

1960 के दशक में रोमांटिक हीरो की छवि

1960 के दशक में देव आनंद ने बॉलीवुड के सर्वोत्कृष्ट रोमांटिक हीरो के रूप में अपनी छवि और मजबूत की। यह दशक उनके करियर में विशेष रूप से सफल और प्रतिष्ठित अवधि थी, जिसमें उनकी कई फिल्में बहुत हिट हुईं और भारतीय सिनेमा में सबसे बड़े सितारों में से एक के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई। देव आनंद का ऑन-स्क्रीन आकर्षण, करिश्मा और रोमांटिक अपील इस युग के दौरान नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई और वह दर्शकों के लिए प्यार और रोमांस का एक शाश्वत प्रतीक बन गए।

1960 के दशक में उनकी रोमांटिक हीरो की छवि में योगदान देने वाले कुछ प्रमुख कारक हैं:

1960 के दशक में देव आनंद की रोमांटिक हीरो की छवि स्थापित करने वाली कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में शामिल हैं:

ये फ़िल्में और 1960 के दशक की कई अन्य फ़िल्में प्रिय क्लासिक्स बनी हुई हैं और बॉलीवुड के शाश्वत रोमांटिक हीरो के रूप में देव आनंद के स्थायी आकर्षण और अपील का प्रमाण हैं। “सदाबहार हीरो” के रूप में उनकी विरासत जीवित है, और वह अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं की भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।

1970 के दशक में निर्देशन की शुरुआत और बहुमुखी हीरो की छवि

देव आनंद ने 1970 में फिल्म “प्रेम पुजारी” से निर्देशन की शुरुआत की। यह फिल्म उनके बैनर नवकेतन फिल्म्स के तहत बनाई गई थी, और उन्होंने न केवल निर्देशन किया बल्कि वहीदा रहमान और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ इसमें अभिनय भी किया। “प्रेम पुजारी” ने प्रेम, बलिदान और देशभक्ति के विषयों की खोज की और इसकी अनूठी कहानी और भावपूर्ण संगीत के लिए इसकी प्रशंसा की गई। हालाँकि फिल्म ने व्यावसायिक रूप से अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन इसने एक फिल्म निर्माता के रूप में देव आनंद की बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया और भारतीय फिल्म उद्योग में एक बहु-प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के रूप में उनकी छवि को और मजबूत किया।

1970 के दशक में, देव आनंद ने अपनी रोमांटिक हीरो की छवि से परे विविध भूमिकाएँ निभाना जारी रखा। एक अभिनेता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने विभिन्न शैलियों और पात्रों के साथ प्रयोग किया। 1970 के दशक की उनकी कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में शामिल हैं:

1970 के दशक के दौरान, देव आनंद की शैली और आकर्षण बरकरार रहा और वह विभिन्न आयु वर्ग के दर्शकों से जुड़े रहे। यहां तक कि जब उद्योग में नए सितारों और रुझानों का उदय हुआ, तब भी उन्होंने अपनी सदाबहार अपील और वफादार प्रशंसक बनाए रखी।

अपने अद्वितीय व्यक्तित्व को बरकरार रखते हुए बदलते समय के साथ तालमेल बिठाने की देव आनंद की क्षमता ने उन्हें बॉलीवुड में एक बहुमुखी और प्रिय व्यक्ति बना दिया। उन्होंने फिल्मों में अभिनय, निर्देशन और निर्माण जारी रखा, भारतीय सिनेमा पर एक अमिट छाप छोड़ी और अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं की पीढ़ियों को प्रेरित किया। फिल्म उद्योग में उनके योगदान ने उन्हें दर्शकों के दिलों में एक विशेष स्थान दिलाया, जिससे वह बॉलीवुड की एक स्थायी किंवदंती बन गए।

1970 के दशक के अंत में आपातकाल के दौरान राजनीतिक सक्रियता

1970 के दशक के उत्तरार्ध के दौरान, भारत ने “आपातकाल” (1975-1977) के नाम से जाना जाने वाला दौर देखा, एक ऐसा समय जब नागरिक स्वतंत्रताएं निलंबित कर दी गईं और सरकार ने आपातकाल की स्थिति लागू कर दी, जिससे लोकतांत्रिक अधिकारों का निलंबन और व्यापक सेंसरशिप हो गई। इस अवधि के दौरान, देव आनंद, कई अन्य प्रमुख हस्तियों की तरह, देश में राजनीतिक विकास के बारे में चुप नहीं थे। उन्होंने आपातकाल और नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर इसके प्रभाव के प्रति सक्रिय रूप से अपना विरोध जताया।

देव आनंद अपने स्वतंत्र और प्रगतिशील विचारों के लिए जाने जाते थे और आपातकाल के दौरान वह देश की स्थिति को लेकर काफी चिंतित थे। उन्होंने सरकार के कार्यों की आलोचना करने और लोकतंत्र की वापसी की वकालत करने के लिए एक प्रमुख सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में अपने मंच और प्रभाव का उपयोग किया।

अपनी असहमति व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका उनकी फिल्मों के माध्यम से था। 1977 में, आपातकाल की समाप्ति के बाद की अवधि के दौरान, देव आनंद ने फिल्म “देस परदेस” रिलीज़ की। यह फिल्म प्रवासन, विदेशों में भारतीयों की दुर्दशा और लोकतांत्रिक मूल्यों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्व पर आधारित थी। इसे आपातकाल के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखने की आवश्यकता पर एक सूक्ष्म टिप्पणी के रूप में देखा गया।

आपातकाल के दौरान देव आनंद के रुख और सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्मों में उनकी भागीदारी ने उन्हें दर्शकों का प्रिय बना दिया और एक विवेकशील अभिनेता और फिल्म निर्माता के रूप में उन्हें सम्मान दिलाया। वह जागरूकता बढ़ाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के माध्यम के रूप में सिनेमा की शक्ति में विश्वास करते थे।

अपने पूरे करियर के दौरान, देव आनंद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के महत्व के समर्थक बने रहे। आपातकाल के दौरान उनकी राजनीतिक सक्रियता स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत के आदर्शों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। वह फिल्म उद्योग में सक्रिय रहे और 2011 में अपने निधन तक एक लोकप्रिय और प्रभावशाली व्यक्ति बने रहे, और अपने पीछे कलात्मक उत्कृष्टता और सामाजिक चेतना की विरासत छोड़ गए।

बाद में कैरियर और सदाबहार हीरो छवि

अपने करियर के बाद के वर्षों में, 1980 के दशक से लेकर 2011 में अपने निधन तक, देव आनंद भारतीय फिल्म उद्योग में एक सक्रिय और प्रमुख व्यक्ति बने रहे। बदलते रुझान और नए अभिनेताओं के उद्भव के बावजूद, देव आनंद का सदाबहार आकर्षण, करिश्मा और स्क्रीन उपस्थिति अद्वितीय रही। उन्होंने फिल्मों में मुख्य भूमिकाएँ निभाना जारी रखा और अपने प्रशंसकों के लिए शाश्वत रोमांस और युवावस्था का प्रतीक बने रहे।

इस अवधि के दौरान, देव आनंद ने कई फिल्मों में अभिनय किया, और हालांकि उनमें से कुछ को उनकी पिछली फिल्मों की तरह व्यावसायिक सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्हें अपने अभिनय और अभिनय के प्रति समर्पण के लिए प्रशंसा मिलती रही। उन्होंने ‘स्वामी दादा’ (1982), ‘हम नौजवान’ (1985), ‘अव्वल नंबर’ (1990), और ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’ (1996) जैसी फिल्मों में अभिनय किया।

अभिनय के अलावा देव आनंद ने फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया। वह रचनात्मक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल थे और अपने बाद के वर्षों में भी फिल्म सेट पर अपने उत्साह और ऊर्जा के लिए जाने जाते थे।

अपने पूरे करियर के दौरान, देव आनंद ने अपने ट्रेडमार्क बालों का पफ, फैशनेबल कपड़े और अपना सिग्नेचर स्कार्फ पहनकर अपनी प्रतिष्ठित शैली बरकरार रखी। उनमें युवा पीढ़ी से जुड़ने की अद्भुत क्षमता थी और वे सभी आयु वर्ग के दर्शकों के लिए प्रासंगिक बने रहे।

देव आनंद के सकारात्मक दृष्टिकोण और अटूट भावना ने उन्हें बॉलीवुड के “सदाबहार हीरो” का खिताब दिलाया। वह न केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में भी प्रेरणा थे, जो जीवन को जोश और जुनून के साथ जीता था। सिनेमा के प्रति उनके उत्साह और नवीनता की निरंतर खोज ने उन्हें फिल्म बिरादरी में एक प्रिय व्यक्ति बना दिया।

दुखद बात यह है कि भारतीय सिनेमा में एक समृद्ध विरासत छोड़कर, देव आनंद का 3 दिसंबर, 2011 को लंदन में निधन हो गया। उन्हें फिल्म उद्योग में उनके अतुलनीय योगदान, उनके बहुमुखी अभिनय और उनकी चिरस्थायी रोमांटिक छवि के लिए याद किया जाता है। उनके निधन के बाद भी, उनकी फिल्मों को दर्शकों द्वारा सराहा और सराहा जाता रहा है, और उनका नाम बॉलीवुड के स्वर्ण युग के शाश्वत आकर्षण का पर्याय बना हुआ है।

मान्यता ,ग्रेगरी पेक के साथ तुलना

देव आनंद भारतीय फिल्म उद्योग के एक महान अभिनेता थे और उन्होंने बॉलीवुड में अपने योगदान के लिए अपार पहचान और प्रशंसा अर्जित की। वह एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए और भारतीय सिनेमा पर उनके प्रभाव की तुलना ग्रेगरी पेक जैसे हॉलीवुड के दिग्गजों से की गई।

जबकि देव आनंद और ग्रेगरी पेक दोनों अपने-अपने फिल्म उद्योग में प्रसिद्ध अभिनेता थे, उनके करियर और अभिनय शैलियों में कुछ समानताएं और अंतर हैं:

देव आनंद और ग्रेगरी पेक के बीच तुलना मुख्य रूप से प्रतिष्ठित अभिनेताओं के रूप में उनके कद और फिल्म उद्योग पर उनके स्थायी प्रभाव को लेकर होती है। दोनों अभिनेता अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं, और उनकी फिल्मों का दुनिया भर में प्रशंसकों और फिल्म प्रेमियों द्वारा जश्न मनाया जाना जारी है।

हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक अभिनेता की एक अनूठी शैली, फिल्मोग्राफी और सांस्कृतिक संदर्भ था जिसमें वे काम करते थे। हालाँकि उन दोनों ने अपने-अपने करियर में महानता हासिल की, सिनेमा में उनका योगदान उनके संबंधित दर्शकों के लिए विशिष्ट और विशिष्ट रूप से महत्वपूर्ण है।

सूक्ष्म समीक्षा

एक आलोचनात्मक मूल्यांकन के रूप में, भारतीय फिल्म उद्योग में देव आनंद का करियर उल्लेखनीय से कम नहीं था। वह एक बहुमुखी अभिनेता, दूरदर्शी फिल्म निर्माता और एक करिश्माई व्यक्तित्व थे जिन्होंने भारतीय सिनेमा पर एक अमिट छाप छोड़ी। उनके आलोचनात्मक मूल्यांकन के कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:

कुल मिलाकर, देव आनंद का आलोचनात्मक मूल्यांकन उनके बहुमुखी अभिनय, उनकी प्रतिष्ठित रोमांटिक हीरो छवि, एक अभिनेता, निर्देशक और निर्माता के रूप में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए उनकी वकालत पर केंद्रित है। बॉलीवुड पर उनका प्रभाव और भारतीय सिनेमा के एक सदाबहार प्रतीक के रूप में उनकी स्थिति उनके निधन के बाद भी लंबे समय तक कायम रही, जिससे वे भारतीय फिल्म इतिहास के इतिहास में एक महान व्यक्ति बन गए।

देव आनंद का निजी जीवन सिनेमा के प्रति उनके जुनून, उनकी स्वतंत्र भावना और अपने परिवार और दोस्तों के प्रति उनके प्यार से चिह्नित था। यहां उनके निजी जीवन के कुछ प्रमुख पहलू हैं:

देव आनंद का निजी जीवन उनके जीवंत और उत्साही व्यक्तित्व का प्रतिबिंब था। वह न केवल एक असाधारण अभिनेता और फिल्म निर्माता थे, बल्कि सिद्धांतों के पक्के व्यक्ति और जीवन प्रेमी भी थे। उनकी विरासत फिल्म निर्माताओं की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी और वह भारतीय सिनेमा के शाश्वत प्रतीक बने रहेंगे।

Death (मौत)

देव आनंद का 3 दिसंबर, 2011 को लंदन, इंग्लैंड में निधन हो गया। उनकी मृत्यु के समय वह 88 वर्ष के थे। उनके आकस्मिक निधन से उनके प्रशंसकों और फिल्म उद्योग को झटका लगा, क्योंकि वह अंत तक अपने काम में सक्रिय रूप से शामिल थे।

देव आनंद अपनी आखिरी फिल्म “चार्जशीट” के प्रीमियर में शामिल होने के लिए लंदन गए थे, जिसका उन्होंने निर्देशन और अभिनय किया था। हालांकि, होटल के कमरे में उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनकी असामयिक मृत्यु हो गई।

देव आनंद की मृत्यु की खबर तेजी से फैली और देश और विदेश के कोने-कोने से उन्हें श्रद्धांजलि दी जाने लगी। उनके प्रशंसकों, सहकर्मियों और राजनीतिक हस्तियों ने उनके लिए शोक व्यक्त किया, जिन्होंने सिनेमा में उनके योगदान और उनके मुखर स्वभाव की प्रशंसा की।

देव आनंद का अंतिम संस्कार लंदन में हुआ, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। बाद में, मुंबई, भारत में एक स्मारक सेवा आयोजित की गई, जहां उनके परिवार, दोस्तों और फिल्म बिरादरी ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी।

उनकी मृत्यु से भारतीय सिनेमा में एक युग का अंत हो गया। देव आनंद के शाश्वत आकर्षण, फिल्म निर्माण के प्रति जुनून और बॉलीवुड के “सदाबहार हीरो” के रूप में प्रतिष्ठित स्थिति को उनके निधन के बाद भी प्रशंसकों और प्रशंसकों द्वारा याद किया जाता है और मनाया जाता है। उनकी विरासत उनकी कालजयी फिल्मों और भारतीय सिनेमा पर छोड़े गए अमिट प्रभाव के माध्यम से जीवित है।

देव आनंद को भारतीय फिल्म उद्योग में अपने शानदार करियर के दौरान कई पुरस्कार और सम्मान मिले। उन्हें दिए गए कुछ उल्लेखनीय पुरस्कारों और सम्मानों में शामिल हैं:

ये पुरस्कार और सम्मान देव आनंद की अपार प्रतिभा, भारतीय सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण योगदान और बॉलीवुड के महानतम अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में उनकी स्थायी विरासत का प्रमाण हैं। वह एक शाश्वत प्रतीक बने हुए हैं और उनके सदाबहार आकर्षण और करिश्मे के लिए प्रशंसकों और फिल्म बिरादरी द्वारा उन्हें याद किया जाता है और मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मान

भारतीय सिनेमा पर देव आनंद का प्रभाव और उनकी लोकप्रियता भारत की सीमाओं से परे तक फैली, जिससे उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान और सम्मान मिला। देव आनंद को दिए गए कुछ उल्लेखनीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों में शामिल हैं:

देव आनंद के अंतर्राष्ट्रीय सम्मान भारतीय सिनेमा में एक महान व्यक्ति के रूप में उनकी स्थिति को उजागर करते हैं, जिनका आकर्षण, प्रतिभा और फिल्म उद्योग में योगदान राष्ट्रीय सीमाओं से परे है। वह न केवल भारत में बल्कि वैश्विक दर्शकों के बीच भी एक सदाबहार आइकन बने हुए हैं और उनकी विरासत दुनिया भर में फिल्म प्रेमियों को प्रेरित करती रहती है।

Filmography (फिल्मोग्राफी)

देव आनंद की फिल्मोग्राफी शानदार थी, उनका करियर छह दशकों से अधिक लंबा था। उन्होंने विभिन्न प्रकार की फिल्मों में अभिनय किया, जिसमें विविध पात्रों और शैलियों को दर्शाया गया। यहां उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्मों का चयन है:

अभिनय के अलावा, देव आनंद ने अपने बैनर नवकेतन फिल्म्स के तहत कई फिल्मों का निर्देशन किया। उनके कुछ निर्देशित उपक्रमों में शामिल हैं:

देव आनंद की फिल्मोग्राफी में कई अन्य फिल्में शामिल हैं, और उन्होंने 2011 में अपने निधन तक अभिनय करना और फिल्म उद्योग से जुड़े रहना जारी रखा। उनका काम भारतीय सिनेमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है, और उनकी फिल्में प्रशंसकों और फिल्म उत्साही लोगों द्वारा मनाई जाती हैं। दुनिया भर।

books (पुस्तकें)

देव आनंद एक बेहतरीन अभिनेता और फिल्म निर्माता होने के अलावा, अपने जीवनकाल में कई किताबें भी लिखीं। उन्होंने अपने अनुभवों, विचारों और अंतर्दृष्टि को कलमबद्ध किया, जिससे पाठकों को फिल्म उद्योग में उनके जीवन और यात्रा की एक झलक मिली। उनकी कुछ उल्लेखनीय पुस्तकों में शामिल हैं:

ये किताबें पाठकों को बॉलीवुड की सबसे प्रतिष्ठित और प्रिय शख्सियतों में से एक के दिमाग की झलक दिखाती हैं। देव आनंद की लेखन शैली अपनी स्पष्टवादिता और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण के लिए जानी जाती है। उनकी किताबें उनके प्रशंसकों और पाठकों द्वारा आज भी पसंद की जाती हैं जो सिनेमा की दुनिया और एक महान अभिनेता और फिल्म निर्माता की अंतर्दृष्टि में रुचि रखते हैं।

यहां देव आनंद के कुछ यादगार उद्धरण हैं:

ये उद्धरण जीवन के प्रति देव आनंद के सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण और परिवर्तन को अपनाने और जीवन को पूर्णता से जीने में उनके विश्वास को दर्शाते हैं। उनका दर्शन और जीवन के प्रति उत्साह आज भी लोगों को प्रेरित और प्रभावित करता है।

यहां देव आनंद के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं:

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Shah Rukh Khan (I)

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Shah Rukh Khan

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Shah Rukh Khan in Dunki (2023)

  • Rizvan Khan

Madhuri Dixit, Shah Rukh Khan, and Aishwarya Rai Bachchan in Devdas (2002)

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Dunki (2023)

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Shah Rukh Khan in Sab Sahi Ho Jayega (2020)

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Ghar Ki Baat Hain (2009)

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Shahrukh Bola 'Khoobsurat Hai Tu'... And She Believed in It (2010)

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Here's Why Shah Rukh Khan is Everyone's Favorite

Personal details

  • 5′ 7½″ (1.72 m)
  • November 2 , 1965
  • New Delhi, India
  • Gauri Khan October 25, 1991 - present (3 children)
  • Children Aryan Khan
  • Parents Lateef Fatima Khan
  • Shehnaz Lalarukh (Sibling)
  • Other works Shah Rukh did the voice of Mr. Incredible (Mr. Lajawaab), character for Hindi dubbed version of Disney's animated film, The Incredibles (Hum Hain Lajawaab).
  • 1 Biographical Movie
  • 8 Print Biographies
  • 1 Interview
  • 5 Magazine Cover Photos

Did you know

  • Trivia Loves watching movies alone in the darkness of his BMW car.
  • Quotes Yes, I do have a close circle of friends and I am very fortunate to have them as friends. I feel very close to them I think friends are everything in life after your family. You come across lots of people all the time but you only make very few friends and you have to be true to them otherwise what's the point in life?
  • Trademarks His Dimples
  • The Baadshah of Bollywood
  • The Raja of Bollywood
  • King of Romance
  • Salaries Dunki ( 2023 ) ₹280,000,000

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Watch: Kolkata Knight Riders co-owner Shah Rukh Khan’s heartwarming speech in changing room after losing close game against Rajasthan Royals

Ipl 2024: in a thrilling encounter jos buttler's century took rajasthan royals to win by two wickets off the final ball against kolkat knight riders at the eden gardens on tuesday.

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On Tuesday Rajasthan Royals (RR) player Jos Buttler arguably played the innings of the tournament against Kolkata Knight Riders at the Eden Gardens. The Englishmen took the Royals to victory from an improbable situation breaking the hearts of the Kolkata team and fans. However, after the game, the KKR co-owner would give a heartwarming speech to the side in the changing room.

“There are days in our lives in sports, especially when we don’t deserve to lose and there are days we don’t deserve to win. But days are like that which turns things around. Today we didn’t deserve to lose all of us played extremely well. We have to be very proud of ourselves,” Shah Rukh Khan would say.

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“Please don’t feel sad or down feel as happy as we feel whenever we come to the changing room and we are on a high so maintain the high. the main thing is the energy in all of us And I think we have great energy on the field. We have lovely energy here. Personally, also everybody is bonding together. So please continue so. All the best honestly it’s a very proud day the way we all played. I think all of us won’t take individual names, that’s been taken.” he added.

As King Khan says, we’re always proud of our Knights! 💜✨ pic.twitter.com/QEMRMSq1oQ — KolkataKnightRiders (@KKRiders) April 17, 2024

He would also tell Gautam Gambhir not to feel disheartened after the loss. “GG you don’t feel down. We would all be bouncing back. It’s god’s plan for today as Rinku says I think this is what we would like them. We’ll be back with more and better god’s plans.”

Buttler steals the thunder

Buttler notched up his second century of this edition of the IPL and grabbed the headlines from Sunil Narine to help the Royals win by two wickets off the final ball. Earlier in the tournament he did a similar feat against the Royal Challengers Bengaluru and Virat Kohli in the first week of April. Kohli’s unbeaten century was countered by Buttler’s. Tonight Narine’s ton went in vain as Buttler remained unconquered on 107.

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Shah Rukh Khan walks the talk, picks up KKR flags post IPL triumph; internet lauds King Khan for his 'down-to-earth' gesture

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Watch: Shah Rukh has special message to Gambhir in KKR dressing room speech

Ipl 2024, kkr vs rr: kkr co-owner and bollywood superstar shah rukh khan tried to lift the morale in the dressing room after the knight riders lost a last-ball thriller at eden gardens. shah rukh had a special message for team mentor gautam gambhir..

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Shah Rukh Khan

  • Shah Rukh Khan addresses KKR dressing room after defeat to RR
  • Shah Rukh tries to lift morale in dressing room at Eden
  • KKR lose a last-ball thriller despite posting 223

Shah Rukh Khan's speeches in the dressing room can be inspiring. Most of us must have seen it on the big screen in 2007. "Sattar Minute" is still one of the most powerful pieces of dialogue in Indian film history. But, on Tuesday, Shah Rukh Khan, the KKR co-owner, delivered another rousing speech in their dressing room, this time not in reel. The co-owner tried to lift the spirits of the Knight Riders after their agonising defeat to Rajasthan in an IPL 2024 match at Eden Gardens, Kolkata.

Shah Rukh Khan took time out to be in the KKR dressing room and tell the players to chin up after the last-ball thriller in a top-of-the-table clash. KKR posted 223 on the board, but the mammoth total was not enough as Rajasthan chased it down to script the joint-most successful run chase in the IPL. The win also saw KKR lose out on an opportunity to top the IPL 2024 points table.

While addressing the players in the dressing room, Shah Rukh Khan also urged mentor Gautam Gambhir to not lose hope, saying that the Knight Riders were playing consistently good cricket and they would recover from Tuesday's defeat, sooner rather than later.

"There are days in our lives, in sports especially when we don't deserve to lose. And then are days when we don't deserve to win. But days are like that which turns things around. Today, we didn't deserve to lose, all of us played extremely well," Shah Rukh Khan said. IPL 2024 Full Coverage | IPL 2024 Points Table and Standings | 2024 IPL Full Schedule

"We have to be very, very proud of ourselves. Please don't feel sad or down. Feel as happy as we feel whenever we come to this changing room and we are on a high. Maintain the high.

"The main thing is the energy in all of us. We have lovely energy here. Personally, also, everybody is bonding together. So please continue doing so.

As King Khan says, we’re always proud of our Knights! 💜âœè pic.twitter.com/QEMRMSq1oQ — KolkataKnightRiders (@KKRiders) April 17, 2024

BUTTLER SPECIAL IN EDEN HEIST

Kolkata were in pole position after Sunil Narine's maiden IPL hundred. The former West Indies all-rounder, who has been opening the innings for KKR in IPL 2024, smashed 109 from just 56 balls, hitting 6 sixes and 13 boundaries in a knock that enthralled the Kolkata crowd. Cameos from Angkrish Raghuvanshi and Rinku Singh made sure KKR posted a competitive total on the board.

However, Jos Buttler single-handed led Rajasthan to victory as he hit his 7th IPL hundred. The England captain helped KKR recover from 178 for 7 as he took down the likes of Mitchell Starc, Harshit Rana and Varun Chakravarthy in the last 3 overs when the Royals needed 48 runs. Buttler remained unbeaten on 107 from 60 balls, pulling off one of the most incredible IPL heiests. Published By: Akshay Ramesh Published On: Apr 17, 2024 Also Read | IPL 2024: Shah Rukh Khan graceful in KKR defeat, congratulates RR hero Jos Buttler

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    Actress Amrita Singh was his childhood friend. Shah Rukh is one of the richest celebrities in the world with a net worth of around $690 million dollar. Co-owner of IPL cricket team Kolkata Knight Riders (KKR). Co-owner of T20 Global League (South Africa) team Cape Town Knight Riders (CTK Riders) along with Juhi Chawla.

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    Shah Rukh Khan is an Indian actor, producer and television personality who works in Hindi films. [1] He began his acting career by playing a soldier in the Doordarshan series Fauji (1988), a role that garnered him recognition and led to starring roles in more television shows. [2] He soon started receiving film offers and had his first release ...

  24. Salman Khan

    Salman Khan is a Bollywood actor, dancer, film producer, and television presenter,. Along with Shah Rukh Khan and Aamir Khan and one of the three most popular Khans of Bollywood. Khan founded a charitable trust called Being Human, has appeared in more than 100 movies, and is popularly known as Bhai (Hindi: 'Brother'), Bhaijaan, and Sallu.

  25. Jawan (film)

    Jawan (/ dʒ ʌ w ɑː n / transl. Soldier) is a 2023 Indian Hindi-language action thriller film co-written and directed by Atlee in his Hindi film debut. It is produced by Gauri Khan and Gaurav Verma under Red Chillies Entertainment.The film stars Shah Rukh Khan in a dual role as father and son who team up to rectify corruption in society. Nayanthara, Vijay Sethupathi, Deepika Padukone ...

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    Vidya will next be seen in 'Do Aur Do Pyaar'. Vidya Balan, in an interview with IndiaToday.in, shared her desire to work with Shah Rukh Khan. The actor recalled how she had a small role in SRK's Om Shanti Om' and wished to do a love story with King Khan in the future. Other than 'Om Shanti Om', 'Vidya shared that SRK had a cameo in ...

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    Watch: Kolkata Knight Riders co-owner Shah Rukh Khan's heartwarming speech in changing room after losing close game against Rajasthan Royals IPL 2024: In a thrilling encounter Jos Buttler's century took Rajasthan Royals to win by two wickets off the final ball against Kolkat Knight Riders at the Eden Gardens on Tuesday

  28. IPL 2024, KKR vs RR: Shah Rukh Khan, Jhulan Goswami exchange

    Jhulan Goswami and Shah Rukh Khan caught up on Wednesday during KKR's Indian Premier League (IPL) 2024 against RR at the iconic Eden Gardens in Kolkata. Goswami, one of the India's greatest fast bowlers, was over the moon after meeting the King of Bollywood. She folded hands to greet the veteran before they shared a warm hug.

  29. Is Shah Rukh Khan investing a whopping Rs 200 crore for daughter Suhana

    Shah Rukh Khan is set to make a grand return to the silver screen with the upcoming film 'King' in 2025, directed by Sujoy Ghosh.Notably, this movie marks the debut of his daughter, Suhana Khan ...

  30. IPL 2024, KKR vs RR

    Shah Rukh Khan's speeches in the dressing room can be inspiring. Most of us must have seen it on the big screen in 2007. "Sattar Minute" is still one of the most powerful pieces of dialogue in Indian film history. But, on Tuesday, Shah Rukh Khan, the KKR co-owner, delivered another rousing speech in their dressing room, this time not in reel.