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फूड पॉइजनिंग के कारण, लक्षण, निदान, दवा और इलाज – food poisoning in Hindi

फूड पॉइजनिंग के कारण, लक्षण, निदान, दवा और इलाज - food poisoning in Hindi

Food poisoning in Hindi फूड पॉइजनिंग (विषाक्त भोजन) एक आम समस्या है लेकिन कुछ मामलों में यह बहुत गंभीर भी हो सकती है जिसके कारण व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। गर्मी एवं बरसात के मौसम में भोजन बहुत तेजी से दूषित (contaminate) होते हैं और इनमें बैक्टीरिया एवं सूक्ष्म जीव पनप जाते हैं और भोजन को दूषित कर देते हैं। ऐसा भोजन करने से व्यक्ति फ़ूड पॉइजनिंग का शिकार हो जाता है। इस लेख में आप जानेंगे जानें फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के लक्षण, कारण, उपचार इलाज और परहेज के तरीकों के बारे में।

मांस और अंडे सहित अन्य खाद्य वस्तुएं बहुत तेजी से बैक्टीरिया द्वारा दूषित होती हैं। इन्हें खाने से शरीर में फूड पॉइजनिंग के कई लक्षण दिखायी देते हैं जिसका शीघ्र उपचार (treatment) न कराने पर स्थिति गंभीर हो जाती है।

1. फूड पॉइजनिंग क्या है – What is food poisoning in Hindi 2. फूड पॉइजनिंग के कारण – Food poisoning Causes in Hindi

बैक्‍टीरिया के कारण फूड पॉइजनिंग होना – Food poisoning due to bacteria in Hindi

  • परजीवी के कारण फूड पॉइजनिंग होना – Food poisoning due to parasite in Hindi

वायरस के कारण फूड पॉइजनिंग होना – Food poisoning due to virus in Hindi

3. फूड पॉइजनिंग के लक्षण – Food poisoning Symptoms in Hindi 4. फूड पॉइजनिंग का निदान – Food poisoning Diagnosis in Hindi 5. फूड पाइज़निंग का इलाज – Treatment of food poisoning in Hindi 6. फूड पॉइजनिंग से बचाव – Prevention of food poisoning in Hindi

फूड प्वाइजनिंग क्या है – What is food poisoning in Hindi

भोजन से उत्पन्न बीमारी को फूड पॉइजनिंग कहा जाता है। फूड पॉइजनिंग आमतौर पर दूषित भोजन करने से होता है। दूषित भोजन के माध्यम से शरीर में बैक्टीरिया, परजीवी और विभिन्न तरह के वायरस संक्रमण उत्पन्न कर देते हैं जिसके कारण फूड पॉइजनिंग होना सामान्य बात है। भोजन में संक्रमण (infection) फैलाने वाले जीव भोजन को तभी संक्रमित करते हैं जब भोजन को सही तरीके से पकाया न गया हो या जिस बर्तन में पकाया जा रहा हो वह साफ न हो। इसके अलावा हाथ साफ न होने एवं भोजन को खुला रखने पर भी सूक्ष्म जीव भोजन को संक्रमित कर देते हैं जिसके कारण वह भोजन दूषित हो जाता है और कोई व्यक्ति जब वह भोजन करता है तो उसे फूड पॉइजनिंग हो जाती है।

(और पढ़े –  मानव पाचन तंत्र कैसा होता है, और कैसे इसे मजबूत बनायें )

फूड पॉइजनिंग के कारण – Food poisoning Causes in Hindi

food poisoning /फूड पॉइजनिंग अमूमन दूषित भोजन के कारण होता है। इस बीमारी को उत्पन्न करने में सूक्ष्म जीव(microorganisms) जिम्मेदार होते हैं। फूड पॉइजनिंग के कारण बहुत से लोगों की मौत भी हो जाती है। फूड पॉइजनिंग का संक्रमण तीन प्रकार के जीवों से फैलता है।

आमतौर पर बैक्‍टीरिया के कारण सबसे अधिक फूड पॉइजनिंग की समस्या होती है। फूड पॉइजनिंग उत्पन्न करने में ई. कोलाई (E. coli), लिस्टेरिया(Listeria) और सालमोनेला (Salmonella) नाम के विभिन्न बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं। इनमें से सालमोनेला बैक्टीरिया के कारण सबसे गंभीर फूड पॉइजनिंग की समस्या होती है। बीफ(beef) में 46 प्रतिशत ई कोलाई बैक्टीरिया, बीज और सब्जियों में 18 प्रतिशत सालमोनेला बैक्टीरिया और डेयरी प्रोडक्ट में 66 प्रतिशत केम्फिलोबैक्टर होता है जिन्हें खाने के बाद फूड पाइजनिंग की समस्या हो जाती है।

परजीवी के कारण फ़ूड पॉइजनिंग होना – Food poisoning due to parasite in Hindi

बैक्टीरिया की अपेक्षा परजीवियों के माध्यम से फूड पॉइजनिंग कम होता है। लेकिन भोजन के माध्यम से पेट में पहुंचे परजीवी बहुत खतरनाक होते हैं। टोक्सोप्लाज्मा (Toxoplasma) एक ऐसा परजीवी है जिसके जरिए सबसे अधिक फूड पॉइजनिंग होती है। परजीवी हमारे शरीर के पाचन तंत्र (digestive tract) में मौजूद होते हैं जिसका पता हमें कई सालों तक नहीं चल पाता है। ये हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देते हैं और इसलिए परजीवी युक्त भोजन करने से फूड पॉइजनिंग हो जाती है।

फूड पॉइजनिंग की समस्या वायरस के कारण भी होती है। नोरो वायरस(norovirus) जिसे नोरवॉक वायरस (Norwalk virus) भी कहते हैं, प्रति वर्ष फूड पॉइजनिंग के सबसे अधिक मामले इन्हीं वायरस के कारण होते हैं। कुछ दुर्लभ स्थितियों में ये वायरस बहुत घातक होते हैं। सैपो वायरस (Sapovirus) रोटावायरस, एस्ट्रो वायरस (astrovirus) भी इसी तरह के लक्षण उत्पन्न करते हैं जो कि आमतौर पर भोजन के माध्यम से ही शरीर में पहुंचते हैं।

फूड पॉइजनिंग के लक्षण – Food poisoning Symptoms in Hindi

आमतौर पर फूड पॉइजनिंग के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि इंफेक्शन किस चीज से हुआ है। लेकिन इस समस्या के लक्षण दूषित भोजन (contaminated food) करने के कुछ ही घंटों बाद और अचानक दिखाई देने लगते हैं। फूड पॉइजनिंग होने पर व्यक्ति को सबसे पहले उल्टी महसूस होती है। फूड पॉइजनिंग के मुख्य लक्षण निम्न हैं।

  • पेट में मरोड़ (cramps)
  • हल्का बुखार

फ़ूड पॉइजनिंग होने पर इसके लक्षणों से व्यक्ति कई दिनों तक परेशान रह सकता है। जैसे फूड पॉइजनिंग के कारण उत्पन्न डायरिया तीन दिन से अधिक रह सकती है, बुखार 101.5° फारेनहाइट से अधिक हो सकता है और देखने एवं सुनने में कठिनाई हो सकती है। फूड पॉइजनिंग के मुख्य लक्षणों में शरीर में गंभीर रूप से पानी की कमी हो जाना जिसके कारण मुंह सूखने और पेशाब न होने की भी समस्या हो सकती है।

फूड पॉइजनिंग का निदान – Food poisoning Diagnosis in Hindi

फ़ूड पॉइजनिंग के निदान के लिए इस समस्या के लक्षण ही पर्याप्त होते हैं। लेकिन यदि व्यक्ति को कुछ दिनों से पतली डायरिया हो रही हो या इसमें खून आ रहा हो तो डॉक्टर समस्या के निदान के लिए मल की जांच (stool test) करके यह पता लगाते हैं कि फूड पॉइजनिंग परजीवी के कारण है या बैक्‍टीरिया के कारण। कुछ मामलों में रोटा वायरस का पता लगाने के लिए विशेष (specific) टेस्ट कराया जाता है। इसके अलावा फूड पॉइजनिंग के निदान के लिए ब्लड टेस्ट भी किया जाता है और यदि फूड पॉइजनिंग के कारण डिहाइड्रेशन की समस्या उत्पन्न हो गई हो तो डॉक्टर मरीज को पेशाब की जांच (urine test) कराने की भी सलाह देते हैं।

फ़ूड पोइज़निंग ट्रीटमेंट इन हिंदी – food poisoning Treatment in Hindi

Food poisoning\फूड पॉइजनिंग का इलाज आमतौर पर घर पर ही किया जा सकता है और ज्यादातर यह 3 से 5 दिनों के अंदर ठीक भी हो जाता है। आइये जानते हैं कि घर पर फूड पॉइजनिंग का इलाज कैसे करें।

फूड पॉइजनिंग की समस्या होने पर लगातार शरीर को हाइड्रेट करते रहना जरूरी होता है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो और ऐसा करने से कुछ दिनों में यह समस्या ठीक हो जाती है।

(और पढ़े –  डिहाइड्रेशन से बचने के घरेलू उपाय, जानलेंगें तो कभी नहीं होगी पानी की कमी )

स्पोर्ट्स ड्रिंक में उच्च मात्रा में इलेक्ट्रोलाइट होता है जिसका सेवन फूड पॉइजनिंग के उपचार में बहुत प्रभावी (effective) होता है। इसके अलावा फलों के रस और नारियल पानी का भी सेवन किया जा सकता है। इसमें पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट होता है जो फूड पॉइजनिंग के कारण उत्पन्न थकान को दूर करता है।

फ़ूड पॉइजनिंग होने पर कुछ जड़ी बूटियां कैमोमाइल (chamomile), पिपरमिंट और डंडेलियॉन का चाय पीने पर पेट को राहत मिलती है। खराब पेट को ठीक करने के लिए यह एक बेहतर उपाय है।

फूड पॉइजनिंग होने पर पर्याप्त आराम करने से भी राहत (relief) मिलती है।

लेकिन यदि आप फूड पॉइजनिंग को ठीक करने के लिए दवाएं खाना चाहते हैं तो इमोडिएम (Imodium) और पेप्टो-बिस्मोल (Pepto-Bismol) डायरिया और जी मिचलाने की समस्या को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इन दवाओं का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

फ़ूड पॉइजनिंग के कुछ गंभीर मामलों में मरीज के शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए अस्पतालों में इंट्रावेनस (intravenous) या आईवी(IV) नामक तरल पदार्थ(fluids) दिया जाता है।

(और पढ़े –  क्या आप जानतें है आपको रोज कितना पानी पीना चाहिए )

फूड पॉइजनिंग से बचाव – Prevention of food poisoning in Hindi

फ़ूड पॉइजनिंग से बचने सबसे आसान तरीका यह है कि हम अपने भोजन को अधिक सुरक्षित रखें। आइये जानते हैं कि फूड पॉइजनिंग से कैसे बचा जा सकता है।

किचन में साफ-सफाई न रखने से फूड पॉइजनिंग की समस्या किसी भी समय हो सकती है इसलिए किचन को हमेशा साफ-सुथरा रखें।

पर्याप्त आंच और तापमान पर भोजन को सही तरीके से पकाएं ताकि भोजन में मौजूद सभी बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं। पके हुए मांस और अंडे की जर्दी में बैक्टीरिया की जांच करने के लिए थर्मोमीटर (thermometer) का भी प्रयोग किया जा सकता है।

पके हुए भोजन को कच्चे फल,सब्जियां या कच्चे भोजन के पास न रखें अन्यथा पके हुए भोजन में भी बैक्टीरिया पहुंच सकता है।

भोजन को नमी (moisture) वाले स्थानों पर न रखें अन्यथा इसमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं।

खाने-पीने के बर्तनों को बिल्कुल साफ रखें और अपने हाथ को भी लगातार साफ करते रहें, विशेषरूप से तब जब आप हाथ से अपने मुंह को छूते हैं या हाथ से कच्चे मांस या अंडे को छूते हैं।

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गर्मी बढ़ने के साथ बढ़ते जा रहे हैं फूड पॉइजनिंग के मामले, जानिए क्या हैं इसके कारण और इससे निपटने के उपाय

food poisoning ke karan blood poisoning ho sakta hai.

फूड पॉइजन ( Food Poisoning) की समस्या गर्मियों में अधिक बूढ़ जाती है। इस मौसम में खाने की सड़ने की समस्या भी बहुत अधिक होने लगती है। फूड कंटैमिनेशन की समस्या भी इस मौसम में काफी अधिक बढ़ जाती है। गर्मियों के मौसम में बाहर का तला हुआ खाना शरीर के अंदर और अधिक गर्मी बढ़ा देता है जिसके कारण फूड पॉइजन की समस्या और अधिक बढ़ जाता है।

फूड पॉइजनिंग की समस्या खाद्य जनित बीमारी या फूड पॉइजन के साथ, आपके शरीर में एक बाहरी जीव या विष प्रवेश करता है। आप ऐसे लक्षणों का अनुभव करना शुरू करते हैं जो या तो हानिकारक रोगाणु से आपके गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रणाली की सीधी जलन या आपके शरीर द्वारा इसे बाहर निकालने की अपनी प्रतिक्रिया के कारण होते हैं।

क्या है फ़ूड पॉइज़निंग (What is Food Poisoning) 

हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार फ़ूड पॉइज़निंग एक पाचन तंत्र में होने वाली जलन या संक्रमण है, जो किसी खाद्य या पेय पदार्थ के सेवन से होता है। यह आमतौर पर वायरस, पैरासाइट्स या बैक्टीरिया से दूषित खाद्य या पेय पदार्थों के कारण होता है। हालांकि, कई बार हानिकारक रसायन भी फ़ूड पॉइज़निंग का कारण बन सकते हैं।

kyun or kaise hota hai food contamination

आम तौर पर, फ़ूड पॉइज़निंग के लक्षण तेजी से विकसित होते हैं और अपेक्षाकृत जल्दी ठीक हो जाते हैं, और अधिकांश व्यक्ति बिना किसी चिकित्सा के ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में, फ़ूड पॉइज़निंग लंबे समय तक बनी रह सकती है या कुछ व्यक्तियों के लिए गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकती है।

खाद्य विषाक्तता यानी फूड पॉइजनिंग के लक्षण और कारण (Sign of Food Poisoning)

बेचैनी – पेट में दर्द होना और ऐसा महसूस होना कि आपको उल्टी हो सकती है।

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उल्टी – आपने जे खाया है उसको बाहर निकलाने के लिए आपको उल्टी करने का मन हो सकता है।

दस्त – बार-बार, पानी जैसा मल त्याग होता है। इसमें आपको बार बार मल त्यागने की जरूरत हो सकती है।

पेट में दर्द और ऐंठन – आपके पेट में तेज या हल्का दर्द हो सकता है।

बुखार – शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जो अक्सर बैक्टीरिया के कारण होने वाले फूड पॉइजनिंग के साथ होता है।

कमजोरी और थकान – थका हुआ और सुस्त महसूस कर सकते है, जिसकी वजह से आपको कई काम करने में परेशानी हो सकती है।

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भूख न लगना – भूख न लगना या खाने की इच्छा कम होना।

फूड पॉइजनिंग को कैसे ठीक करें (How to treat Food Poisoning)

हाइड्रेटेड रहें.

उल्टी और दस्त से तरल पदार्थ की कमी के कारण डिहाइड्रेशन फ़ूड पॉइज़निंग की एक आम जटिलता है। बहुत सारा पानी, इलेक्ट्रोलाइट घोल या स्पोर्ट्स ड्रिंक पीकर खोए हुए तरल पदार्थों की पूरा करने की कोशिश करें। पूरे दिन धीरे-धीरे और बार-बार तरल पदार्थ पीने से डिहाइड्रेशन को रोकने और रिकवरी को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।

food Adulteration se kaise bachain

भरपूर आराम करके अपने शरीर को आराम करने और ठीक होने दें। ज़ोरदार गतिविधियों से बचें और ऊर्जा बचाने और उपचार प्रक्रिया में सहायता के लिए आराम करने पर ध्यान दें। झपकी लेना और पर्याप्त नींद लेना आपके शरीर को संक्रमण से अधिक प्रभावी ढंग से लड़ने में मदद कर सकता है।

BRAT आहार का पालन करें

फ़ूड पॉइज़निंग से उबरने के शुरुआती चरणों के दौरान, BRAT आहार के रूप में जाना जाने वाला एक हल्का आहार लेने की सलाह दी जाती है, जिसका मतलब है केला, चावल, सेब का रस और टोस्ट। ये खाद्य पदार्थ पेट के लिए हल्के होते हैं और पचाने में आसान होते हैं, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी मार्ग में और अधिक जलन को कम करते हुए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

प्रोबायोटिक्स का सेवन करें

प्रोबायोटिक्स गुड बैक्टीरिया होते हैं जो गट के माइक्रोबायोटा में संतुलित करने और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। दही, केफिर, सौकरकूट या किमची जैसे प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन या प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स लेने से फ़ूड पॉइज़निंग के लक्षणों को कम करने और ठीक होने की प्रक्रिया में सहायता मिल सकती है।

ये भी पढ़े- पोषण की कमी भी बन सकती है मूड स्विंग का कारण, जानिए इस समस्या से कैसे उबरना है

संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ... और पढ़ें

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food poisoning presentation in hindi

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  • फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन)

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) हेल्थ सेंटर

food poisoning presentation in hindi

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) - Food Poisoning in Hindi

Dr. nadheer k m (aiims) mbbs september 11, 2018, december 18, 2023.

फूड पाइजनिंग

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) क्या है?

फूड पाइजनिंग को खाद्य जनित बीमारी (फूडबोर्न इलनेस) के नाम से भी जाना जाता है, जो दूषित खाद्य पदार्थों का सेवन करने से होती है। संक्रामक जीव जैसे बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी आदि या उनके द्वारा दूषित किए गए भोजन का सेवन करना फूड पाइजनिंग का सबसे सामान्य कारण होता है।

संक्रामक जीव या उनके विषाक्त पदार्थ, खाद्य पदार्थों को उत्पादन करने से बनाने तक किसी भी समय दूषित कर सकते हैं। अगर भोजन को ठीक तरीके से बनाया या संभाला ना जाए तो भी वह दूषित हो सकता है।

फूड पाइजनिंग के लक्षण विषाक्त भोजन करने के कुछ घंटे बाद शुरू हो जाते हैं, जिनमें मुख्यत: दस्त , मतली और उल्टी आदि शामिल हैं।

फूड पाइज़निंग का उपचार आम तौर पर घर पर ही किया जाता है, और इसके ज्यादातर मामलों में यह 3 से 5 दिनों के अंदर ही ठीक हो जाता है। जिन लोगों को फूड पाइजनिंग है उनका पूरी तरह से हाईड्रेट रहना जरूरी होता है। ज्यादातर फूड पाइजनिंग के मामले हल्के रहते हैं, जो बिना उपचार के ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों को उपचार के लिए अस्पताल जाने की जरूरत पड़ जाती है।

(और पढ़ें -  पतले दस्त रोकने के घरेलू उपाय )

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के लक्षण और संकेत - Food Poisoning Symptoms in Hindi

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फूड पाइजनिंग ( विषाक्त भोजन) के लक्षण और संकेत क्या होते हैं?

भोजन को दूषित करने वाले स्त्रोत के अनुसार फूड पाइजनिंग के लक्षण भी अलग अलग होते हैं। ज्यादातर फूड पाइजनिंग के मामलों में एक से ज्यादा लक्षण देखे जाते हैं। जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • पतला दस्त (और पढ़ें -  नवजात शिशु को उल्टी होने का कारण )
  • पेट में दर्द व ऐंठन
  • बुखार  (और पढ़ें - बुखार में क्या खाना चाहिए )

दूषित भोजन खाने के 2 से 3 घंटों के बाद फूड पाइजनिंग के संकेत व लक्षण शुरू हो जाते हैं, कई बार लक्षण दिखने में कुछ दिन भी लग सकते हैं। दूषित भोजन से होने वाली अस्वस्थता कुछ घंटे से कुछ दिनों तक रह सकती है।

डॉक्टर को कब दिखना चाहिए ?

अगर किसी व्यक्ति में नीचे दिए गए लक्षण दिखने लगते हैं, तो तुरंत मेडिकल जांच करवानी चाहिए:

  • बार-बार उल्टी आना
  • शरीर के अंदर कोई भी तरल ना रख पाना
  • उल्टी तथा मल में खून आना
  • 3 दिन से ज्यादा दस्त
  • पेट में अत्यधिक दर्द और गंभीर ऐंठन महसूस होना (और पढ़ें -  पेट दर्द का इलाज )
  • शरीर के अंदर का तापमान 101.5 F से भी उपर होना (और पढ़ें -  गर्भावस्था में बुखार का उपचार )
  • तंत्रिका संबंधी लक्षण जैसे धुंधला दिखना, मांसपेशियों में कमजोरी और बाहों में झुनझुनी महसूस होना आदि। (और पढ़ें -  मांसपेशियों की कमजोरी का इलाज )
  • डिहाइड्रेशन के लक्षण जैसे अधिक प्यास लगना, मुंह सूखा रहना, पेशाब बंद पड़ना या बेहद कम आना, अत्यधिक कमजोरी महसूस होना और सिर में चक्कर आना आदि।

(और पढ़ें -  कमजोरी दूर करने के उपाय )

भोजन में विषाक्तता के कारण क्या हैं?

अन्न उपजाने से लेकर उसकी कटाई, भंडारण और यहां तक कि भोजन बनाते हुए किसी भी समय वह दूषित हो सकता है। अक्सर भोजन के दूषित होने का मुख्य कारण क्रॉस कोंटामिनेशन होता है, इसमें हानिकारक जीव एक सतह से दूसरी सतह पर फैलते रहते हैं। विशेष रूप से ये कच्चे खाए जाने वाले या खाने के लिए पहले से तैयार खाद्य पदार्थों को प्रभावित करते हैं, जैसे सलाद व अन्य उपज। क्योंकि ये खाद्य पदार्थ पकाए नहीं जाते, और इनमें मौजूद हानिकारक जीव भोजन में नष्ट नहीं हो पाते।

ज्यादातर फूड पाइजनिंग के लिए 3 मुख्य कारण उत्तरदायी है: 

  • बैक्टीरिया  - फूड पाइजनिंग की वजहों में बैक्टीरिया बहुत प्रचलित कारणों में से एक है।, इ. कोली (E. coli), लिस्टेरिया (Listeria), और साल्मोनेला (Salmonella) आदि फूज पाइजनिंग फैलाने वाले सबसे मुख्य बैक्टीरिया हैं। (और पढ़ें -  बैक्टीरिया संक्रमण का इलाज )
  • परजीवी  - इस से फूड पाइजनिंग होना बैक्टीरिया की तरह समान बात नहीं है, पर भोजन के माध्यम से फैले परजीवी बहुत खतरनाक हो सकते हैं। पैरासाइट्स पाचन तंत्र में सालों तक रह सकते हैं, जिनको पहचाना भी नहीं जा सकता। हालांकि, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग और गर्भवती महिलाओं कि आंतों में अगर पैरासाइटस स्थान बना लें, तो उसके खतरनाक दुष्प्रभाव हो सकते हैं। (और पढ़ें -  पाचन शक्ति कैसे बढाये )
  • वायरस – फूड पाइजनिंग वायरस के कारण भी हो सकती है, फूड पाइजनिंग के लिए नोरोवायरस (norovirus) सबसे आम वायरस होता है। इसके अलावा सेपोवायरस (sapovirus), रोटावायरस (Rotavirus) और एस्ट्रोवायरस (Astrovirus) भी फूड पाइजनिंग का कारण बन सकते हैं, मगर ये नोरोवायरस की तरह आम नहीं हैं। हेपेटाइटिस-ए (Hepatitis-A ) भी एक गंभीर स्थिति है, जो भोजन के माध्यम से फैलती है।

(और पढ़ें -  हेपेटाइटिस का इलाज )

फूड पाइजनिंग का खतरा कब बढ़ जाता है?

दूषित भोजन खाने से बीमार पड़ना आपके, उम्र, स्वास्थ्य, जीवों के प्रकार और संक्रमण की मात्रा पर निर्भर करता है। इनमें से उच्च जोखिम समूह जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • वृद्धावस्था – किसी व्यक्ति के बूढ़े होने के साथ-साथ उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर होती रहती है, और पहले के मुकाबले संक्रामक जीवों के विरूद्ध कम प्रतिक्रिया दे पाती है।
  • गर्भवती महिलाएं – गर्भावस्था के दौरान चयापचय और रक्त परिसंचरण में कई बदलाव आते हैं, जिनसे फूड पाइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान इसकी स्थिती और गंभीर हो सकती है। कुछ दुर्लभ मामलों में गर्भ में शिशु भी बीमार पड़ जाता है। (और पढ़ें -  गर्भधारण करने के तरीके )
  • शिशु और छोटे बच्चें – इनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं होती, इसलिए इनके लिए फूड पाइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें -  शिशु की देखभाल )
  • पुरानी बीमारियों से ग्रसित लोग – डायबिटीज , लिवर संबंधी रोग और एड्स जैसी बीमारीयों से ग्रसित लोगों में भी फूड पाइजनिंग की समस्या हो सकती है। इसके अलावा जो लोग कैंसर के लिए कीमोथेरेपी या रेडिएशन लेते हैं, उनकी भी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया क्षमता कम होती है। एेसे में इन लोगों को भोजन विषाक्तता आसानी से घेर लेती है। डायबिटीज में नए दृष्टिकोण: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और नवीनतम उपचारों के साथ एक सकारात्मक जीवनशैली अपनाएं। myUpchar Ayurveda डायबिटीज टैबलेट आज ही आर्डर करे।

(और पढ़ें -  प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने के उपाय )

फूड पाइजनिंग से कैसे बचें?

घर पर फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) की रोकथाम के लिए इन तरीकों को अपनाएं:-

  • अपने हाथ, बर्तन और भोजन बनाने की सतहों को अच्छे से धो लें  - खाना बनाने से पहले अपने हाथों को साबुन के साथ गुनगुने पानी में अच्छे से धो लें। भोजन के बर्तन, बोर्ड व अन्य सतहों को साबुन के साथ गर्म पानी में धोएं।
  • तैयार भोजन को कच्चे भोजन से दूर रखें  - खरीददारी करते समय कच्चे मांस, चिकन और मछली आदि को, अन्य खाद्य पदार्थों से दूर रखें, क्योंकि इससे क्रॉस कोन्टामिनेशन (cross-contamination) होता है।
  • भोजन को सुरक्षित तापमान में पकाएं  - सामान्य तापमान पर पकाने से ज्यादातर खाद्य पदार्थों के हानिकारक जीव मर जाते हैं। भोजन को पकाने के लिए सुरक्षित तापमान का पता लगाने के लिए. फूड थर्मोमीटर का प्रयोग किया जा सकता है।
  • जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को तुरंत फ्रीज में रखें  - ऐसे खाद्य पदार्थों को खरीदने या बनाने के 2 घंटे से ज्यादा बाहर ना रखें। अगर बाहर का तापमान 32.2 C है, तो इन्हें 1 घंटे से ज्यादा समय तक बाहर ना रखें।
  • खाद्य पदार्थों को सुरक्षित तरीके से डीफ्रॉस्ट करें-  खाद्य पदार्थों को रेफ्रिजरेटर के बाद सीधे बाहरी वातावरण में ना पिघलने दें, उन्हें बाहर निकालने से पहले फ्रिज में डीफ्रोस्ट फीचर का इस्तेमाल करें। फ्रिज के बाद माइक्रोवेव में खाना रखने से पहले उन्हें फ्रिज में ही डीफ्रोस्ट करें या माइक्रोवेव में 50 प्रतिशत पावर के साथ गर्म करें। साथ ही यह सुनिश्चित कर लें कि इस खाद्य पदार्थ को तुरंत ही पकाया और खाया जाना चाहिए। (और पढ़ें -  टायफाइड में क्या खाना चाहिए )
  • संदेह की स्थिती में ना खाएं - अगर आप निश्चित नहीं है, कि भोजन को सुरक्षित तरीके से बनाया और रखा गया है, तो ऐसे स्थिती में ना खाएं। बाहरी तापमान में ज्यादा देर तक खाद्य पदार्थों को रखने से उनमें बैक्टीरिया और अन्य विषाक्त पदार्थ पैदा हो सकते हैं, जिनको पकाने पर भी नष्ट नहीं किया जा सकता। खाद्य पदार्थों पर आपको यदि संदेह हो कि ये खराब हो गए हैं तो उस स्थिति में उसे भी नहीं चाहिए बल्कि बाहर फेंक देना चाहिए। यहां तक कि अगर आपको खूशबू अच्छी आ रही हो लेकिन संदेह हो तब भी उसे खाना नहीं चाहिए।

फूड पाइजनिंग विशेष रूप से वृद्धों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो उनके लिए एक गंभीर और जीवन के लिए खतरनाक स्थिती बन सकती है। इन स्थिति वालें लोगों को निम्न चीजों का सेवन न करके फूड पाइजनिंग से सावधानी बरतनी चाहिए:

  • पॉल्ट्री और कच्चा मीट
  • कच्ची और अधपकी मछली  (और पढ़ें -  मछली के तेल के फायदे ) 
  • कच्चे या अधपके अंडे , और इनसे युक्त खाद्य पदार्थ
  • कच्ची अंकुरित चीजें जैसे, अल्फाल्फा (एक प्रकार का पौधा जो पशुओं के चारे के काम में आता है) (और पढ़ें -  अल्फाल्फा के फायदे )
  • अनपॉश्चुराइज्ड जूस
  • अनपॉश्चुराइज्ड दूध और उसके उत्पाद
  • कुछ प्रकार के चीज ( पनीर )

(और पढ़ें -  एंटीऑक्सीडेंट के फायदे )

फूड पाइजनिंग की जांच के लिए क्या टेस्ट किये जाते हैं?

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) का निदान अक्सर पिछली विस्तृत जानकारीयों के आधार पर किया जाता है, जिसमें बीमारी की अवधि, खाई गई विशिष्ट चीजों की जानकारी और लक्षण शामिल हैं। डिहाईड्रेशन के संकेत देखने के लिए डॉक्टर शारीरिक परिक्षण भी कर सकते हैं।

लक्षण और पिछले स्वास्थ्य की जानकारी के आधार पर ही डॉक्टर नैदानिक टेस्ट कर सकते हैं, जैसे खून और मल की जांच या परजीवियों के लिए परिक्षण आदि।

(और पढ़ें -  स्टूल टेस्ट क्या है )

मल के परिक्षण में आपके डॉक्टर आपके मल में से एक सैंपल लैबोरेट्री में भेज सकते हैं, वहां पर विशेषज्ञ मल में से संक्रामक जीवों की पहचान करने की कोशिशें करेंगे। संक्रामक जीव की पहचान होने पर डॉक्टर स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को सूचित करेंगे, ताकि यह तय किया जा सके कि फूड पाइजनिंग किसी प्रकोप से तो नहीं जुड़ा हुआ है और व्यापक रुप से तो नहीं फैलने वाला। 

कुछ मामलों में फूड पाइजनिंग के कारण का पता ही नहीं चल पाता।

(और पढ़ें -  हाइपोथर्मिया का इलाज )

फूड पाइजनिंग के उपचार:-

फूड पाइजनिंग का उपचार, बीमारी के स्त्रोत और लक्षणों की गंभीरता के आधार पर किया जाता है। ज्यातार लोगों में फूड पाइज़निंग बिना किसी इलाज के अपने आप ठीक हो जाता है, जबकी कुछ लोगों में इसके लिए मेडिकल उपचार की जरूरत पड़ सकती है।

फूड पाइजनिंग के उपचारों में निम्न शामिल हैं:

खत्म हुए तरल पदार्थ का प्रतिस्थापन करना  - इलेक्ट्रोलाइट्स व मिनरल्स जैसे सोडियम , पोटेशियम और कैल्शियम जो शरीर में तरल पदार्थ के संतुलन को बनाए रखते हैं। कई बार दस्त के कारण शरीर में इनकी कमी हो जाती है, और इनका प्रतिस्थापन करने की जरूरत पड़ती है। कुछ बच्चे व वयस्क जिनमें तीव्र दस्त व उल्टी समस्या होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। अस्पताल में उनकी नसों से माध्यम से उनके शरीर में द्रव व अन्य तरल भेजकर डिहाईड्रेशन की रोकथाम और उसका उपचार किया जाता है। 

(और पढ़ें -  इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के लक्षण )

एंटीबायोटिक्स  - अगर मरीज को कुछ प्रकार के बैक्टिरिया के कारण फूड पाइजनिंग हुआ है, और उसके लक्षण भी गंभीर हैं ऐसे में डॉक्टर उसके लिए कुछ एंटीबायोटिक्स लिख सकते हैं। लिस्टेरिया वायरस से होने वाले फूड पाइज़निंग का इलाज अस्पताल में भर्ती करके इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स की मदद से किया जाता है। फूड पाइजनिंग का इलाज जितना जल्दी हो बेहतर रहता है। गर्भावस्था के दौरान शीघ्र एंटीबायोटिक्स से इलाज बंच्चे को संक्रमित होने से बचाता है।

वयस्क जिनके दस्त में खून नहीं है, और ना ही बुखार है उन्हें लेपोरामाइड (Imodium A-D) या बिसमथ सबसेलीसिलेट (Pepto-Bismol) दवाएं लेने से आराम हो जाता है। हालांकि इन दवाओं का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि उल्टी और दस्त का उपयोग शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने के लिए भी किया जाता है। साथ ही इन दवाओं का इस्तेमाल बीमारी की गंभीरता को छिपा सकता है, जिससे सही उपचार ढूंढने में अधिक समय लग सकता है। (और पढ़ें -  शिशु को दस्त का इलाज )

कैफीन से बचें, क्योंकि यह पाचन तंत्र को प्रभावित करता है, कैमोमाइल , पुदीना और सिंहपर्णी से बनी डिकैफिनेटेड चाय पेट की समस्या शांत करके आराम प्रदान करती हैं। फलों के रस और नारियल पानी , कार्बोहाइड्रेट की कम हुई मात्रा को फिर से पर्याप्त कर सकते हैं, जिससे थकान दूर हो जाती है। फूड पाइज़निंग के मरीजों को खूब आराम करना बहुत जरूरी होता है।

(और पढ़ें -  थकान दूर करने के उपाय )

फूड पाइजनिंग के गंभीर मामलो में, मरीजों को अस्पताल में भर्ती करके इंट्रावेनस द्रव (नसों द्वारा) से उसे फिर हाईड्रेशन किया जाता है। फूड पाइजनिंग के और बुरे और बिगड़े हुए मामलों में जब तक मरीज पूरी तरह से ठीक ना हो जाए उसे एक लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता पड़ सकती है।

(और पढ़ें -  डिहाइड्रेशन के उपाय )

  • Europe PubMed Central. Bacteriocins: modes of action and potentials in food preservation and control of food poisoning . European Bioinformatics Institute. [internet].
  • Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Prevent Food Poisoning
  • Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Food Poisoning Symptoms
  • Centre for Health Protection. Food Poisoning . Department of Health, Hong Kong. [internet].
  • Healthdirect Australia. Food poisoning . Australian government: Department of Health

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के डॉक्टर

Siddhartha Vatsa

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फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Food Poisoning in Hindi

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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फूड पॉइजनिंग, लक्ष्ण, प्रकार, बचाव और उपचार | Food Poisoning in Hindi

क्यों होती है फूड पॉइजनिंग , क्या है इसके लक्षण और कारण || why does food poisoning happen, what are its symptoms and causes.

खाना हमारे शरीर के विकास के लिए कितना जरूरी है इस बारे में हम सभी अच्छे से जानते हैं। लेकिन काफी बार आहार हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी बन जाता है। खाने की वजह से कई शारीरिक समस्याएँ हो जाती है जिसमे फूड पॉइजनिंग सबसे आम और सबसे गंभीर समस्या है। सभी इस बारे में जानते हैं कि फूड पॉइजनिंग एक गंभीर समस्या है , लेकिन इसके बारे में लोगो को बहुत कम जानकारी है। अगर आप खुद को फूड पॉइजनिंग के खतरे से दूर रखना चाहते हैं तो आपको इसके लिए यह लेख आखिर तक पूरा पढ़ना चाहिए और फूड पॉइजनिंग से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।  

फूड पॉइजनिंग क्या है ? What is Food Poisoning? 

फूड पाइजनिंग पेट से संबंधित एक संक्रमण है जो कि स्टैफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया , वायरस या अन्य जीवाणुओं के चलते हो सकता है। यह बैक्टीरिया , वायरस या अन्य जीवाणु हमारे खाने के साथ पेट में चले जाते हैं जिसकी वजह से फूड पाइजनिंग जैसी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। खाने के अलावा गंदा पानी पीने , ज्यादा पानी पीने से या कोई अन्य ड्रिंक लेने की वजह से भी फूड पाइजनिंग की समस्या हो जाती है , जिसकी वजह लगातार उल्टियाँ आने जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है।  

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क्या फूड पॉइजनिंग की समस्या कई तरह की होती है  ? Are there many types of food poisoning problems ?

हाँ , फूड पॉइजनिंग की समस्या कई तरह की हो सकती है। लेकिन इसके मुख्य 7 प्रकार है , जिन्हें कई बार कारण की श्रेणी में भी रखा जाता है। फूड पॉइजनिंग के सात मुख्य प्रकार निम्न वर्णित है :- 

1. ई . कोलाई E. coli 

2. साल्मोनेला Salmonella 

3. लिस्टेरिया Listeria 

4. ट्रिचिनोसिस Trichinosis 

5. स्टेफिलोकोकस Staphylococcus

6. कैम्पिलोबैक्टर Campylobacter

7. क्लोस्ट्रीडियम Clostridium      

ई . कोलाई या एस्चेरिचिया कोलाई , एक जीवाणु है जो कि हमेशा से ही मनुष्यों और जानवरों के पाचन तंत्र में रहता है। पाचन तंत्र में पहले से मौजूद ई . कोलाई जीवाणु मनुष्यों के लिए हानिकारक नहीं होता , लेकिन जब यह जीवाणु बाहर से शरीर में प्रवेश करता है तब यह हानिकारक होता है। ई . कोलाई जीवाणु इतना हानिकारक हो सकता है कि इससे मनुष्य की जान तक भी जा सकती है। मनुष्य के अंदर ई . कोलाई जीवाणु तकरीबन पशु या मानव मल के संपर्क में आने से होता है। यह आमतौर पर तब होता है जब दूषित पानी या भोजन का सेवन किया जाता है। खुले खाने पर बैठी मक्खियां ई . कोलाई जीवाणु को सबसे ज्यादा फैलाती है जिससे फ़ूड पॉइजनिंग जैसी गंभीर समस्या हो सकती है।  

साल्मोनेला संक्रमण (Salmonellosis) एक सामान्य जीवाणु रोग है जो कि पाचन तंत्र की आंतों के मार्ग को प्रभावित करता है। साल्मोनेला बैक्टीरिया आमतौर पर जानवरों और मनुष्यों की आंतों में पहले से ही रहते हैं जो कि मल के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन जब दूषित पानी या भोजन के माध्यम से यह जीवाणु वापिस पेट में आता है तो इससे गंभीर संक्रमण हो सकता है। छोटे बच्चों , वरिष्ट नागरिकों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग साल्मोनेला बैक्टीरिया के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।   आमतौर पर , साल्मोनेला संक्रमण वाले लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं। लेकिन जब यह संक्रमण गंभीर होता है तो संक्रमित को 72 घंटों के भीतर दस्त , बुखार और पेट में ऐंठन जैसी समस्याएँ हो सकती है। अधिकांश स्वस्थ लोग विशिष्ट उपचार के बिना कुछ दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं। काफी बार साल्मोनेला संक्रमण कारण रोगी को दस्त की वजह से गंभीर निर्जलीकरण का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा , यदि संक्रमण रोगी की आंतों से परे फैलने लगता है तो रोगी को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जिनकी वजह से रोगी की मृत्यु तक भी हो सकती है।  

लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स बैक्टीरिया है जो कि तेजी से फ़ूड पॉइजनिंग का कारण बनता है। इस जीवाणु से संक्रमण होने पर रोगी को बुखार , मांसपेशियों में दर्द और कई लोगों में दस्त की समस्या हो सकती है। गंभीर संक्रमण से सिरदर्द , दिमागी बुखार , आक्षेप (convulsions) और मृत्यु हो सकती है। लिस्टेरिया बैक्टीरिया मिट्टी , पानी , धूल , जानवरों के मल और अन्य पदार्थों में रह सकता है। लिस्टेरिया संक्रमण से स्वस्थ लोग बहुत कम बीमार पड़ते हैं , लेकिन गर्भवती महिलाएं , बच्चे , वृद्धों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वालों के लिए यह संक्रमण गंभीर हो सकता है।  

ट्राइकिनोसिस एक राउंडवॉर्म जीवाणु है जो कि दुसरे के शरीर में प्रजनन करता है। यह जीवाणु आमतौर पर मांस खाने वाले जानवरों में पाया जाता है। इन जानवरों में सूअर , मुर्गा , वालरस , लोमड़ी , भालू , और जंगली सूअर शामिल है। अगर इन जानवरों का कच्चा या अधपका मांस खा लिए जाए यह जीवाणु व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह जीवाणु पूर्ण विकसित और अंडे के रूप में व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है , जिससे यह आँतों में रहकर विकसित होता है , जिससे व्यक्ति को कई गंभीर सस्याओं का सामना करना पड़ता है। जो लोग सूअर का मांस ज्यादा खाते हैं उन्हें इस जीवाणु से ज्यादा खतरा होता है , वहीं बहुत ही कम लोगो को इस बारे में जानकारी है कि सूअर मनुष्य की भांति ही शाकाहारी और मांसाहारी दोनों होते हैं।  

स्टैफिलोकोकस ऑरियस एक प्रकार का रोगाणु है जो लगभग 30% लोगों और जानवरों की नाक के अंदर और लोगों की त्वचा पर होता है। ज्यादातर समय , स्टाफ कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है ; हालांकि , कभी - कभी स्टैफ संक्रमण का कारण बनता है। लेकिन अगर यह रोगाणु खाने या पानी के साथ पेट में चला जाए तो इससे एक से छः घंटे के भीतर शारीरिक समस्याएँ होना शुरू हो जाती है जो कि अपने आप दो से तीन दिनों में ठीक हो जाती है। यह संक्रमण भले ही हमारी नाक और त्वचा पर होता है लेकिन यह एक से दुसरे व्यक्ति पर नहीं फैलता। इसकी वजह से व्यक्ति को फूड पॉइजनिंग के अलावा , पेट और शरीर में गर्मी , सूजन , और त्वचा संबंधित समस्याएँ हो सकती है।  

कैम्पिलोबैक्टीरियोसिस , कैम्पिलोबैक्टर बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक संक्रमण है जो कि दूषित पानी और दूषित खाने की वजह से होता है। कैम्पिलोबैक्टीरियोसिस संक्रमण होने की वजह से व्यक्ति को दस्त , अपच और उल्टियाँ आने की समस्या हो सकती है। यह फूड पॉइज़निंग होने के सबसे बड़े कारणों में से एक है। यह संक्रमण अपने आप भी ठीक हो जाता है , लेकिन गंभीर होने पर इसके लिए चिकत्सक से बात करना काफी जरूरी होता है।  

7. क्लोस्ट्रीडियम Clostridium 

क्लोस्ट्रीडियम एक ऐसा जीवाणु है जो कि मनुष्य और जानवरों के पाचन तंत्र में होता है। कम मात्रा में यह हमारे लिए हानिकारक नहीं होता , लेकिन इसकी शरीर में मात्रा बढ़ने के कारण यह पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बनता है। इसकी वजह से पाचन तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित होता है और इससे पेट दर्द से लेकर पेट में सूजन जैसी समस्या भी हो सकती है। इस संक्रमण का खतरा माँसाहारी व्यक्तियों को ज्यादा रहता है , इससे बचने के लिए पूरी तरह से पका हुआ मांस ही खाना चाहिए।  

फूड पॉइजनिंग होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं  ? What are the symptoms of food poisoning ?  

अगर कोई व्यक्ति फूड पॉइजनिंग की गंभीर समस्या से जूझता है तो उसे पाचन के साथ - साथ अन्य कई शारीरिक समस्याएँ हो सकती है जो कि निम्नलिखित है :- 

  • पेट में दर्द
  • पेट में मरोड़
  • दस्त होना  
  • मल में खून आना  
  • ठंड लगना और बुखार आना
  • लगातार सिरदर्द होना
  • मतली और उल्टी होना
  • कमजोरी ( गंभीर हो सकती है ) 

उपरोक्त बताए गये लक्षणों के अलावा फूड पॉइजनिंग गंभीर होने पर रोगी में सामान्य लक्षणों के साथ - साथ निम्नलिखित लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं :-

  • गंभीर निर्जलीकरण होना
  • पेशाब में खून आना  
  • पेट में एसिड की मात्रा बढ़ना
  • देखने या बोलने में कठिनाई
  • पेशाब कम आना या पेशाब न आना
  • दस्त होना जो 3 दिनों से अधिक समय तक रहता है
  • 102°F (38.9°C) से अधिक बुखार होना
  • पेट में असहनीय दर्द होना ( सामान्यतया पेट के मध्य )

यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं , तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। वहीं , हर रोगी में दुसरे रोगी से भिन्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं , क्योंकि दुसरे रोगी में फूड पॉइजनिंग होने का कारण भिन्न हो सकता है।  

फूड पॉइजनिंग होने के क्या कारण है ? What are the causes of food poisoning ? 

फूड पॉइजनिंग होने के सामान्य कारणों के आलावा इस गंभीर समस्या के होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं लेकिन हम इसे मुख्य तौर पर तीन हिस्सों में विभाजित कर सकते हैं , जिसमे :  बैक्टीरिया , परजीवी (Parasites) और वायरस शामिल है। हम ऊपर बैक्टीरिया के कारण होने वाली फूड पॉइजनिंग के बारे में बात कर चुके हैं जिसे फूड पॉइजनिंग के प्रकार के रूप में भी जाना जाता है। अन्य कारणों के अलावा बैक्टीरिया की वजह से होने वाली फूड पॉइजनिंग की समस्या सबसे ज्यादा गंभीर होती है। चलिए अब फूड पॉइजनिंग के बाकी के कारणों के बारे में जानते हैं।  

परजीवी (Parasites) :- फूड पॉइजनिंग पैरासाइट यानि परजीवी की वजह से भी हो सकती है , हालाँकि यह काफी दुर्लभ होता है। यह मुख्यतौर पर दूषित पानी और दूषित भोजन के जरिये हमारे पाचन तंत्र में दाखिल होता है और फिर उससे फूड पॉइजनिंग जैसी गंभीर समस्या होना शुरू हो जाती है। अगर फल और सब्जियों को ठीक से न धोया जाए तो इस फूड पॉइजनिंग के होने की आशंका ज्यादा बनी रहती है।  

वायरस :- फूड पॉइजनिंग की समस्या वायरस के कारण से भी हो सकती है। रोटावायरस , एस्ट्रोवायरस , और हेपेटाइटिस ए वायरस फूड पॉइजनिंग होने के पीछे के मुख्य वायरस है। पैरासाइट की तरह यह भी फूड पॉइजनिंग का एक दुर्लभ कारण है।  

फूड पॉइजनिंग होने के सामान्य कारण :- 

आमतौर पर फूड पॉइजनिंग की समस्या आहार से जुड़ी सफाई न रखने की वजह से होती है। मुख्य रूप से फूड पॉइजनिंग निम्नलिखित कारणों से होती है :- 

  • बिना धुले हुए बर्तनों का उपयोग करने से – अगर खाना बनाने के लिए ठीक से साफ़ न हुए बर्तनों का इस्तेमाल किया जाए तो उससे भी फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। क्योंकि ऐसे में संभव है कि कई तरह के जीव बर्तनों से गुजरे हों ( उदाहरण के लिए कोकरोच ) ।
  • खराब डेयरी उत्पाद लेने से – अगर आप खराब डेयरी उत्पादों का सेवन करते हैं तो उससे भी फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। इसमें बासी दही , खराब होने की कगार पर आया दूध और बटर शामिल है।  
  • समुद्री आहार लेने से – अगर आप समुद्री आहार लेने के ज्यादा शौक़ीन है तो आपको इसे अच्छे से साफ़ कर के ही पकाना चाहिए और यह सुनुचित करना चाहिए कि आपकी मछली या अन्य कोई समुद्री आहार साफ़ पानी से आया है।  
  • बिना हाथ धोए खाना बनाने या खाना लेने से – यदि आप बिना हाथ धोए खाना बनाते हैं या खाना लेते हैं तो जीवाणु खाने के साथ पेट में जा सकते हैं जिसकी वजह से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है।  
  • साफ़ पानी न लेने से – साफ़ पानी न लेने की वजह से फूड पॉइजनिंग होने की समस्या सबसे ज्यादा होती है। फूड पॉइजनिंग की यह समस्या सबसे ज्यादा विकाशील देशों में सबसे ज्यादा है। कोशिश करें कि आप साफ़ पानी ही लें , लेकिन अगर आप कुएं , तालाब या नदी से पीने का पानी लेते हैं तो आपको उसे पीने से पहले उबाल कर ठंडा करके ही उसे पीना चाहिए।  
  • बिना धूलि सब्जी या फल लेने से – अगर आप अपनी फल या सब्जियों को बिना ठीक से धोए आहार में शामिल करते हैं तो उससे भी आपको फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। ऐसे में पैरासाइट आपके पाचन तंत्र में दाखिल हो सकते हैं।  
  • कच्चा मांस लेने से – अगर आप मांसाहार अधिक लेते हैं तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि जो भी आप मांस ले रहे हैं वह पूरी तरह से पका हुआ होना चाहिए। अगर आप अधपका मांस या अंडा भी लेते हैं तो इससे आपको फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। अक्सर कच्चे मांस में कई तरह के जिवाश्व्म पनप रहे होते हैं।  
  • वंशानुगत होने के कारण – अन्य गंभीर बीमारियों के अलावा फूड पॉइजनिंग भी एक वंशानुगत रोग (hereditary disease) हो सकता है। अगर आपके परिवार में पहले फूड पॉइजनिंग की समस्या रही है तो आपको भी यह समस्या हो सकती है।   
  • कमजोर पाचन तंत्र – जिन व्यक्तियों का पाचन तंत्र कमजोर होता है उन्हें भी अक्सर फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है जो कि सासामान्यतया अपने आप ठीक हो जाती है।  

फूड पॉइजनिंग से कैसे छुटकारा पाया जाए ? How to get rid of food poisoning ? 

किसी भी रोग से छुटकारा पाने का एक ही तरीका है कि आप जल्द से जल्द उसकी पहचान करें और उसका उपचार लेना शुरू करें। अगर आप फूड पॉइजनिंग से जूझ रहे हैं तो आप इसके लिए चिकित्सक से उपचार ले सकते हैं और साथ ही आप निम्नलिखित कुछ उपायों को अपना कर भी इस गंभीर समस्या से जल्द छुटकारा पा सकते हैं :- 

  • ओ . आर . एस लें (ORS) – फ़ूड पॉइजनिंग के दौरान शरीर में पानी की कमी हो जाती है , इसी कमी को दूर करने के लिए समय - समय पर ओ . आर . एस लेना चाहिए। अगर रोगी को सादे पानी की जगह इसका सेवन करता है तो उसे जल्द से आराम मिल सकता है।  
  • सादा भोजन लें – फ़ूड पॉइजनिंग होने का सबसे प्रमुख कारण खराब और ज्यादा मसालेदार खाना होता है। ऐसे में अगर रोगी सादा खाना लेता है तो वह जल्द हो सकता है। फूड पॉइजनिंग होने पर रोगी को तेल , मसालों और ज्यादा मिर्च से दूर ही रहना चाहिए। रोगी ऐसे में दलिया , खिचड़ी , रोटी और सादी सब्जी को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।  
  • दही और छाछ का इस्तेमाल करें – अगर आप फूड पॉइजनिंग से जूझ रहे हैं तो आपको अपने आहार दही या छाछ को शामिल करना चाहिए। इससे पेट में ठंढक पहुँचती है और पेट में पानी की कमी दूर होती है।  
  • सफाई का ध्यान रखें – फ़ूड पॉइजनिंग होने पर रोगी के आसपास साफ़ - सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए , क्योंकि यह फूड पॉइजनिंग होने के कारणों में से एक है। हाथ - पैरों को साफ़ करने की सफाई करने के साथ - साथ बर्तनों की सफाई का भी खास ध्यान रखें।  

नोट :- आहार में कोई भी परिवर्तन करने से पहले या कोई भी औषधि लेने से पहले रोगी अपने चिकत्सक की सलाह जरूर लें।  

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Food Poisoning: फूड पॉइजनिंग क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya

Priyanka Srivastava द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

फूड पॉइजनिंग क्या है? what is Food poisoning

फूड पॉइजनिंग के सामान्य लक्षण क्या हैं what are the common symptoms of food poisoning, फूड पॉइजनिंग के कारण causes of food poisoning, निदान और उपचार, जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार.

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फूड पॉइजनिंग (Food poisoning) जिसे फूड बॉर्न इलनेस भी कहते हैं दूषित भोजन के कारण होती है। दूषित खाने में बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट होते हैं, जो खाने को टॉक्सिक बनाते हैं। ज्यादातर मामलों यह गंभीर नहीं होता है और लोग बिना इलाज के ही कुछ दिन में ठीक हो जाते हैं।

फूड पॉइजनिंग कितनी सामान्य है? How common is food poisoning?

फूड पॉइजनिंग काफी आम है और यह किसी भी ऐज में कभी भी हो सकती है। इसके रिस्क फैक्टर्स को कम करके इसके खतरे को कम किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

और पढ़ें:  फूड पॉइजनिंग और स्टमक इंफेक्शन में क्या अंतर है? समझें इनके कारणों को

फूड पॉइजनिंग

अगर आपको फूड पॉइजनिंग (Food poisoning) है तो इसकी संभावना है कि आपको इसके लक्षण अपने आप ही दिखाई देने लगेंगे। लक्षण बीमारी के संक्रमण पर निभर करते हैं। इसके साथ ही बीमारी के सामने आने की समय सीमा भी इंफेक्शन के प्रकार पर निर्भर करती है।

फूड पॉइजनिंग के लक्षणों के सामने आने की समय सीमा 1 घंटे से लेकर 28 दिनों तक हो सकती है।

सामान्य फूड पॉइजनिंग में कम से निम्नलिखित में से 3 लक्षण जरूर दिखाई देते हैं

  • मितली, उल्टी, लूजमोशन (loose motion) होना 
  • पेट में दर्द और पेट में ऐंठन होना 
  • कमजोरी और एनर्जी की कमी
  • भूख कम लगना 
  • मसल्स पेन होना 

और पढ़ें:  क्या आप फूड बोर्न डिजीज और फूड प्वाइजनिंग को एक समझते हैं, जानें दोनों में अंतर

ऊपर बताए गए लक्षणों के अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। यदि आपको इनमें से कोई लक्षण नजर आता है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

कुछ मामलों में फूड पॉइजनिंग जानलेवा भी हो सकती है। इन लक्षणों में शामिल हैं –

  • 3 दिन से अधिक समय से दस्त लगना
  • 101 से अधिक का बुखार होना
  • देखने और बोलने में मुश्किल होना
  • गंभीर डिहाइड्रेशन के लक्षण (Symptoms of severe dehydration) जिसमें मुंह का सूखना, थोड़े से लेकर बिल्कुल भी पेशाब न आना और शरीर में तरल पदार्थ को बनाए रखने में मुश्किल आना
  • पेशाब में खून आना

अगर आपको इनमें से किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर या आपातकालीन कक्ष से संपर्क करें।

मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको निम्न में से कोई भी परेशानी है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:

  • लगातार उल्टी होना
  • स्टूल और उल्टी में ब्लड आना
  • तीन दिन से अधिक समय तक दस्त
  • पेट में अत्यधिक दर्द और ऐंठन
  • 101.5 F (38.6 C) से अधिक ओरल टेम्प्रेचर होना
  • बहुत ज्यादा प्यास लगना, मुंह सूखना, कम यूरिनेशन, कमजोरी और चक्कर आना
  • धुंधली नजर, मांसपेशियों में कमजोरी और हाथ में झुनझुनी

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यदि आप दूषित भोजन खाते हैं या दूषित पानी पीते हैं तो आपको फूड पॉइजनिंग हो सकती है। खाना प्रारंभिक अवस्था से लेकर पकने तक कभी भी दूषित हो सकता है।

जैसे कि उसे काटना , रखरखाव, शिपिंग और कुकिंग। जब आप कुछ ऐसा खाते हैं जो ठीक से पका नहीं होता है तो उसमें पाए जाने वाले हानिकारक वैक्टीरिया नष्ट नहीं होते और खाना टॉक्सिक हो सकता है।

फूड पॉइजनिंग के लिए कई बैक्टीरियल, वायरल या परजीवी एजेंट भी जिम्मेदार हैं। वायरस से ज्यादा बैक्टीरिया इसका कारण बनते हैं।

बैक्टीरिया (bectria)

बैक्टीरिया फूड पॉइजनिंग होने का सबसे प्रचलित कारण है। जब कभी किसी खतरनाक बैक्टीरिया की बात होती है तो सबसे पहले ई. कोली, लिस्टेरिया और साल्मोनेला नाम दिमाग में आते हैं।

साल्मोनेला फूड पॉइजनिंग होने का सबसे सामान्य बैक्टीरिया माना जाता है। इसके बाद कैम्पिलोबैक्टर और सी. बोटुलिनम ऐसे दो बैक्टीरिया हैं जो कम सामन्य होते हैं लेकिन अत्यधिक घातक होते हैं।

बैक्टीरिया के कारण होने वाली फूड पोइजनिंग के मुकाबले पैरासाइट के कारण होने वाली फूड पोइजनिंग कम सामान्य होती है। लेकिन यह खाने के जरिए फिर भी फैल सकती है और अधिक खतरनाक होती है।

टोक्सोप्लासमाइस एक ऐसा पैरसाइट है जिसके कारण सबसे अधिक फूड पोइजनिंग के मामले सामने आते हैं। यह सबसे अधिक बिल्लियों के खाने में पाए जाते हैं। पैरासाइट आपकी पाचन प्रणाली में कई सालों तक बिना किसी लक्षण के जीवित रह सकते हैं।

हालांकि, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में पैरसाइट के अधिक गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इन परिस्थितियों में पैरसाइट आंतों के अंदर अपना घर बना लेते हैं।

वायरस (Virus)

फूड पॉइजनिंग (food poisoning) वायरस के कारण भी हो सकती है। नोरावायरस को नॉरवॉक वायरस के नाम से भी जाना जाता है और इसके कारण फूड पॉइजनिंग के दुनिया भर में 1 करोड़ 90 लाख से भी अधिक मामले सामने आ चुके हैं। बेहद दुर्लभ मामलों में यह जानलेवा साबित हो सकता है।

सैपोवायरस, रोटावायरस और एस्ट्रोवायरस के लक्षण बेहद सामने होते हैं लेकिन इसके ज्यादा मामलें सामने नहीं देखे गए हैं।  हेपेटाइटिस ए वायरस एक गंभीर स्थिति होती है जो खाने के जरिए संचारित हो सकती है।

टॉक्सिन भी इसका कारण बनते हैं यह या तो बैक्टीरिया या भोजन, पौधों जानवरों, मछली या अन्य जीवों द्वारा उत्पादित हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ रसायन भी टॉक्सिक हो सकते हैं जिनसे फूड पॉइजनिंग होती है।

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बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट के प्रकार, लक्षण और संचारित आहार

आप यह तो जान ही चुके हैं कि पैरसाइट, वायरस और  बैक्टीरिया के कारण फूड पॉइजनिंग हो सकती है। आज हम आपको यह भी बताएंगे की किस वायरस, बैक्टीरिया और पैरासाइट के लक्षण कितने दिनों में दिखाई देते हैं और वह किस आहार से आ सकते हैं।

कैम्पीलोबैक्टर – यह बैक्टीरिया मांस और मुर्गे के पालन के जरिए फैलता है। जब जानवर मांस के संपर्क में आता है तो मल के जरिए वह संक्रमित हो सकता है। इसके अलावा इस बैक्टीरिया के फैलने का खतरा अनपैशराइज्ड दूध और प्रदूषित खाने से भी बड़ सकता है। इस बैक्टीरिया से ग्रस्त होने पर लक्षण 2 से 5 दिन में दिखाई देने लगते हैं।

बोटुलिनम – घर पर पैक कर के रखे जाने वाले आहार जिनमें एसिडिटी की मात्रा कम होती है उनसे इस बैक्टीरिया के फैलने का जोखिम होता है।

इसके अलावा इस बक्टेरिया के फैलने का खतरा सही ढंग से पैक न किए गए खाने, स्मोक्ड या नमकीन मछली, एल्यूमीनियम फॉयल में बेक किए गए आलू और अन्य आहार जिन्हें कम तापमान में लंबे समय तक रखा जाता है। बोटुलिनम बैक्टीरिया की चपेट में आने पर लक्षण 12 से 72 घंटों में दिखाई देने लग जाते हैं।

हेपेटाइटिस ए –  प्रदूषित पानी की शैलफिश, कच्चे मांस या रेडी-टू-ईट आहार खाने से इस वायरस के फैलने का जोखिम रहता है। यह किसी संक्रमित व्यक्ति के जरिए अन्य व्यक्ति में संचारित हो सकता है।

हेपेटाइटिस ए वायरस के संपर्क में आने के 28 दिन बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

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जोखिम कारक (risk factors)

फूड पॉइजनिंग

निम्नलिखित कारणों से इसका खतरा बढ़ सकता है। जैसे-

  • उम्र : जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है इंफेक्शन के प्रति इम्यून सिस्टम कमजोर होता जाता है।
  •  प्रेग्नेंट महिला: प्रेग्नेंसी से मेटाबॉलिज्म में परिवर्तन होते हैं, जो फूड पॉइजनिंग के खतरे को बढ़ा देते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान इसकी संभावना ज्यादा होती है।
  •  छोटे बच्चे : छोटे बच्चे का इम्यून सिस्टम ठीक से विकसित नहीं हुआ होता है। इसलिए वे इससे जल्दी प्रभावित हो सकते हैं। जिन्हें कोई पुरानी बीमारी होती है जैसे कि डायबिटीज , एड्स या लिवर की बीमारी ।

खाना संक्रमित कैसे होता है? (How is food infected?)

पैथोजन लगभग मनुष्य के हर आहार में पाया जा सकता है। हालांकि, खाने को अच्छे से गर्म या पक्का कर खाने से पैथोजन थाली तक आने तक नष्ट हो जाते हैं। कच्चा खाना फूड पॉइजनिंग का सबसे सामान्य कारण होता है क्योंकि वह पकाने की प्रक्रिया से होकर नहीं गुजरता है।

आमतौर पर खाना जीवों के संपर्क में मल के रूप में आता है। ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति खाना पकाते समय अपने हाथों को अच्छे से नहीं धोता है।

मांस, अंडे और दूध के उत्पादक अधिक दूषित होते हैं। पानी में ऐसे विषाक्त पदार्थों से संक्रमित हो सकता है जिसके कारण व्यक्ति बीमार पड़ सकता है।

प्रदान की गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

फूड पॉइजनिंग का कैसे पता लगाएं? How to diagnose food poisoning?

फूड पॉइजनिंग का पता लगाने के लिए डॉक्टर डीटेल हिस्ट्री मांगेंगे जैसे आप कब से बीमार हैं? लक्षण और अपने क्या खाया है? डॉक्टर डीहाइड्रेशन का पता लगाने के लिए बॉडी का परीक्षण करेंगे। साथ ही रोग का स्पष्ट पता लगाने के लिए कुछ और टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट , स्टूल टेस्ट किए जा सकते हैं जिससे रोग के कारण का पता चल सके।

स्टूल सैंपल (मल) मिलने के बाद, डॉक्टर उसे लैब (प्रयोगशाला) में भेजेंगे। कुछ मामलों में फूड पॉइजनिंग का कारण का पता नहीं चल पता।

कैसे करें फूड पॉइजनिंग का उपचार? How to treat food poisoning?

ज्यादातर लोगों में यह बीमारी बिना इलाज के कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन, कुछ में यह लंबे समय तक रहती है। यदि आप अपने आप ठीक नहीं हो पाते तो बीमारी के कारण और लक्षणों के आधार पर डॉक्टर आपका इलाज करते हैं।

डॉक्टर आपको रिकवर करने के लिए इलेक्ट्रोलाइट, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम युक्त फ्लूइड लेने की सलाह देते हैं।

एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बैक्टीरियल फूड पॉइजनिंग जिसके लक्षण गंभीर हों के लिए किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करके बच्चे को संक्रमण से बचा सकते हैं।

यदि आपके स्टूल में खून नहीं आ रहा है और बुखार भी नहीं है तो ऐसे में डॉक्टर आपको लोपरामाइड (Imodium A-D) या बिस्मथ सबसलिसलेट ( पेप्टो-बिस्मोल ) लेने की सलाह दे सकते हैं।

निम्नलिखित जीवनशैली में बदलाव (lifestyle changes) कर आप इस परेशानी से बच सकते हैं। जैसे-

  • अपने पेट को आराम दें, जिसके लिए आपको कुछ घंटों तक खाना-पीना नहीं चाहिए ।
  • बर्फ चूसें या पानी के छोटे -छोटे सिप लेते रहें। ऐसे में क्लियर सोडा या नॉन कैफीनेटेड स्पोर्ट्स ड्रिंक लेते रहे जिसके लिए गेटोरेड एक अच्छा विकल्प है।
  • ऐसे में आपको लो फैट और आसानी से पचने वाले भोजन की सलाह दी जाती है। जैसे जिलेटिन, केले और चावल।
  • बीमारी और डीहाइड्रेशन आपको कमजोर और थका हुआ बना सकता है, इसलिए आपको आराम करने की आवश्यकता है।
  • अदरक के सेवन से सूजन और मिचली को कम करने का काम करती है। कुछ रिसर्च के अनुसार इसमें मौजूद केमिकल खासकर पेट और आंतो के लिए काम करते हैं। इसके अलावा ये केमिकल्स दिमाग और नर्वस सिस्टम पर भी असर डालते हैं जिसकी वजह से मिचली को नियंत्रित किया जाता है।
  • एप्पल साइडर विनेगर (Apple Cider Vinegar) जिसे सेब का सिरका भी कहते हैं। यह सेब के फर्मेंटेशन से बनता है। एप्पल साइडर विनेगर सेहत के लिए कई तरह से लाभदायक होने के साथ ही वजन कम करने के लिए भी काफी उपयोगी किया जाता है। इसलिए ज्यादातर लोग इसका सेवन करते हैं लेकिन, अगर आपको फूड पॉइजनिंग की परेशानी है तो खाना खाने के पहले गर्म पानी में इसे मिलाकर पीने से अच्छा महसूस होता है।
  • फूड पॉइजनिंग होने पर तुलसी का सेवन किया जा सकता है। दरअसल इसके लाभकारी गुणों की वजह से आयुर्वेद में इसे जड़ी बूटियों की रानी कहा जाता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-पायरेटिक, एंटी-सेप्टिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण होते हैं।

उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

फूड पॉइजनिंग की सबसे सामान्य और गंभीर जटिलता डिहाइड्रेशन होती है। इस स्थिति में शरीर में तरल पदार्थ की कमी के साथ जरूर पोषक तत्व और नमक का नुकसान होता है।

अगर आप एक स्वस्थ वयस्क हैं जो उल्टी या डायरिया (Diarrhea) होने पर शरीर से निकले पानी को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीकर पूरा कर लेते हैं तो आपके लिए घबराने की कोई बात नहीं है।

नवजात शिशु, अधिक उम्र वाले वयस्कों और कमजोर इम्यून सिस्टम व पुरानी बीमारी से ग्रसित लोगों में अत्यधिक तरल पदार्थ के नुकसान के कारण डिहाइड्रेशन होने का खतरा सबसे अधिक रहता है। ऐसे में उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाने की भी स्थिति उतपन्न हो सकती है।

अस्पताल में मरीज को नसों के जरिए तरल पदार्थ चड़ाया जाता है। बेहद गंभीर मामलों में डिहाइड्रेशन (Dehydration) जानलेवा बीमारी बन सकती है।

जहां एक तरफ फूड पॉइजनिंग (Food poisoning) असुविधाजनक हो सकती है वहीं दूसरी ओर इसको लेकर अधिक घबराने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके ज्यादातर मामलें अपने आप ही सही डायट की मदद से 48 घंटे में ठीक हो जाते हैं।

फूड पॉइजनिंग के बाद का आहार बेहद महत्वपूर्ण होता है उसे बिलकुल भी नजरअंदाज न करें। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक फूड पॉइजनिंग बेहद दुर्लभ मामलों में जानलेवा होती है।

अगर आप फूड पॉइजनिंग से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Food poisoning/ http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/food-poisoning/basics/definition/con-20031705/ Accessed on 10/01/2020

Food Poisoning Symptoms/ https://www.cdc.gov/foodsafety/symptoms.html /Accessed on 10/01/2020

Food Poisoning/ https://www.foodsafety.gov/food-poisoning /Accessed on 10/01/2020

Clinical approach and management of food poisoning/ https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/17175601/#:~:text=Abstract,are%20susceptible%20for%20food%20poisoning /Accessed on 15/09/2020

Current Version

Priyanka Srivastava द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore

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Food Poisoning Symptoms: फूड पॉइजनिंग के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

Satish Pandey

फूड पॉइजनिंग गंभीर समस्या नहीं है और ज्यादातर मामलों में आप घरेलू उपाय द्वारा इसका इलाज कर सकते हैं। हालांकि , समय रहते इसका ठीक से इलाज ना कराया जाए तो यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। गर्मी और बरसात के दिनों में लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। इसकी वजह से पेट दर्द, उल्टी, मतली जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको आहार विषाक्तता (फूड पॉइजनिंग) क्या है, फूड पॉइजनिंग के लक्षण (Food Poisoning Symptoms), कारण, बचाव सहित फूड पॉइजनिंग के घरेलू इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

अगर आप खुद को फूड पॉइजनिंग के खतरे से दूर रखना चाहते हैं तो यह लेख आपको पूरा पढ़ना चाहिए। तो चलिए अब इस पोस्ट को शुरू करते हैं। 

Food Poisoning Symptoms in Hindi

विषाक्त भोजन (फूड पॉइजनिंग) क्या है? (Food poisoning meaning in Hindi)

फूड पॉइजनिंग ( Food poisoning in Hindi) जिसे हिंदी भाषा में आहार विषाक्तता कहा जाता है, भोजन से पैदा हुई एक बीमारी है जो दूषित भोजन खाने या पानी पीने से होती है। इस बीमारी के लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं और ज्यादातर लोग कुछ ही दिनों में घरेलू इलाज से ही ठीक हो जाते हैं। फूड पॉइजनिंग के ज्यादातर मामलों में भोजन या पानी, बैक्टीरिया (Bacteria) द्वारा दूषित होता है, जिसमें साल्मोनेला ( Salmonella )   या एस्चेरिचिया कोलाई ( Escherichia coli ) प्रमुख हैं।

हालांकि कुछ मामलों में फूड पॉइजनिंग वायरस (Virus) द्वारा भी देखा गया है, जैसे हेपेटाइटिस A वायरस ( Hepatitis A  virus) और नोरोवायरस ( Norovirus )। फूड पॉइजनिंग से आमतौर पर पेट में ऐंठन होती है। हालांकि, फूड पॉइजनिंग के सबसे आम लक्षणों में मतली (Nausea), उल्टी (Vomiting) और दस्त (Diarrhea) शामिल हैं।

और पढ़ें –  जानिए ओमेगा-3 की कमी से होने वाले रोग और उनके लक्षण 

फूड पॉइजनिंग का कारण क्या है? (C auses of Food poisoning in Hindi)

फूड पॉइजनिंग (आहार विषाक्तता) का कारण  रोगाणुओं (Microbes) द्वारा भोज्य पदार्थों को दूषित करना है।  अक्सर, लोगों को पशु-आधारित खाद्य (Animal-based food) पदार्थों – जैसे मांस, मुर्गी पालन, अंडे, डेयरी उत्पाद और समुद्री भोजन के सेवन से खाद्य विषाक्तता (Food poisoning in hindi) हो जाती है। परन्तु बिना धुले फल, सब्जियां और अन्य कच्चे खाद्य पदार्थ भी कीटाणुओं द्वारा दूषित हो सकते हैं और लोगों को बीमार कर सकते हैं। यहां तक कि दूषित पानी भी फूड प्वाइजनिंग का कारण बन सकता है।  ज्यादातर फूड पॉइजनिंग (विषाक्त भोजन) के लिए 3 मुख्य रोगाणु उत्तरदायी है जिसमें बैक्टीरिया (Bacteria), परजीवी (Parasites) और वायरस (Virus) शामिल हैं।

1. बैक्टीरिया द्वारा फूड पॉइजनिंग (Food poisoning by bacteria)

अधिकांश मामलों में बैक्टीरिया, फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं जिनमें निम्न प्रकार बैक्टीरिया शामिल हो सकते हैं 

a. साल्मोनेला ( Salmonella )

भारत में साल्मोनेला फूड पॉइजनिंग का प्रमुख कारण है। ये बैक्टीरिया आमतौर पर जानवरों के मल (Feces) के संपर्क में आने पर खाद्य पदार्थों (Foodstuffs) में मिल जाते हैं। साल्मोनेला विषाक्तता ( Salmonella  Poisoning )  का मुख्य कारण डेयरी उत्पाद और अधपका (Undercooked) मांस है जो अच्छी तरह से धोएं नहीं गए होते हैं ।

b. ई. कोलाई ( E. coli )

ई. कोलाई जानवरों की आंतों में पाए जाने वाले एक प्रकार के बैक्टीरिया है। यह आमतौर पर जानवरों के मल के संपर्क में आने पर भोजन या पानी में मिल जाते हैं और उन्हें दूषित कर देते हैं । भारत में लोगों को ई. कोलाई विषाक्तता ( E. coli Poisoning) होने का सबसे आम कारण बिना पाश्चुरीकृत दूध (Unpasteurized milk/ Raw milk), स्प्राउट्स और अधपका बीफ  (Undercooked beef) का सेवन करना है।

c. लिस्टेरिया ( Listeria )

ये बैक्टीरिया ज्यादातर अनपश्चुराइज्ड (Unpasteurized) डेयरी उत्पादों, सीफूड और प्रोसेस्ड मीट जैसे हॉट डॉग और लंच मीट (Lunch meats) में पाए जाते हैं। फल और सब्जियां  लिस्टेरिया बैक्टीरिया से दूषित हो सकती हैं, हालांकि यह कम आम है। लिस्टेरिया के संक्रमण से गर्भवती महिलाऐं भी संक्रमित हो सकती हैं जिसकारण उन्हें फ्लू जैसे लक्षण होते हैं जिसमें थकान और मांसपेशियों में दर्द होना आम है। गर्भावस्था के दौरान लिस्टेरिया के अधिक संक्रमण (Infection) से गर्भ में नवजात शिशुओं की मृत्यु भी हो सकती है। 

d. कैम्पिलोबैक्टर ( Campylobacter )

ये बैक्टीरिया आमतौर पर मांस, मुर्गी पालन और बिना पाश्चुरीकृत दूध को संक्रमित करते हैं।  कैम्पिलोबैक्टर भी पानी को दूषित कर सकता है। अन्य प्रकार के जीवाणुओं की तरह, यह भी संक्रमित जानवरों के मल के संपर्क में आने से खाद्य पदार्थों में मिल जाते हैं।

e. स्टैफिलोकोकस ऑरियस ( Staphylococcus aureus )

ये बैक्टीरिया मीट, तैयार सलाद और दूषित डेयरी उत्पादों से बने खाद्य पदार्थों में पाए जा सकते हैं। यह बैक्टीरिया हाथ के संपर्क, छींकने या खांसने से भी फैल सकता है। इसका मतलब है कि जो लोग खाना बनाते या पैक करते हैं, वे संक्रमित होने पर संक्रमण फैला सकते हैं।

f. शिगेला ( Shigella )

शिगेला बैक्टीरिया समुद्री भोजन या कच्चे फलों और सब्जियों को संक्रमित कर सकता है।

2. परजीवी द्वारा फूड पॉइजनिंग (Food poisoning by parasites)

फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning in hindi) का दूसरा प्रमुख कारण परजीवी का होना है। टोक्सोप्लाज्मा परजीवी (Toxoplasmosis Parasite) खाद्य विषाक्तता के मामलों में सबसे अधिक बार देखा गया है। यदि भोज्य पदार्थ इस परजीवी से दूषित हो जाए तो यह पाचन तंत्र (Digestive system) को खराब कर सकता है।कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग और गर्भवती महिलाओं को इसके गंभीर दुष्प्रभाव होने का खतरा ज्यादा रहता है। यह परजीवी आमतौर पर बिल्लियों में मिलता है।  यदि घर में बिल्ली को तो आप सतर्क रहिये और हमेशा खाना बनाते समय और खाते समय हाथ धोएं। 

3. वायरस द्वारा फूड पॉइजनिंग (Food poisoning by virus)

वायरस भी फूड पॉइजनिंग का कारण हो सकता है। नोरोवायरस ( Norovirus ), जिसे नॉरवॉक वायरस भी कहा जाता है, हर साल 19 मिलियन से अधिक मामलों में फूड पॉइजनिंग का कारण बनता है। हेपेटाइटिस A ( Hepatitis A ) वायरस एक गंभीर स्थिति है जिसे भोजन के माध्यम से शरीर में आ सकता है।  

भोजन खराब होने के कारण (Causes of food spoilage in Hindi)

  • भोजन तैयार करने या संभालने वाले लोग बाथरूम का उपयोग करने के बाद अपने हाथ ठीक से ना धोते हों।
  • भोजन तैयार करते समय उपयोग में लाये जाने वाला पानी पशु या मानव मल (Poop) से संक्रमित हो,
  • भोज्य पदार्थ गलत तापमान में बहुत लंबे समय तक रखे गई हों,
  • खाना बनने से पहले हाथ ना धोये गए हों या अशुद्ध बर्तन या कटिंग बोर्ड का इस्तेमाल किया गया हो, 
  • प्रोसेसिंग या शिपिंग के दौरान मांस या समुद्री भोजन कीटाणुओं के संपर्क में आ गए हों,
  • ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाए जो ठीक से बंद या सील ना किये गए हों,
  • कच्चा (या अधपका) मांस और अंडे का सेवन किया जाए,
  • डेयरी उत्पाद और फलों के रस जिन्हें पाश्चुरीकृत (Pasteurized) ना किया गया हो। 

फूड पॉइजनिंग के लक्षण और संकेत क्या हैं? (Food Poisoning Symptoms in Hindi)

फूड पॉइजनिंग,आहार विषाक्तता

  • पेट में ऐंठन – Stomach cramps
  • दस्त – Diarrhea
  • उल्टी – Vomiting
  • भूख में कमी – Loss of appetite
  • हल्का बुखार और ठण्ड लगना  – Mild fever and chills
  • सीने में जलन – Heartburn
  • जी मिचलाना – Nausea
  • सिर दर्द – Headache

खाद्य पदार्थ जो फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं (Foods That Can Cause Food Poisoning in Hindi)

फूड पॉइजनिंग का कारण

सभी खाद्य पदार्थ फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं यदि उन्हें ठीक से पकाया या रखा ना जाए। हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिसमें बैक्टीरिया आसानी से विकसित हो जाते हैं ऐसे खाद्य पदार्थों को उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थ (High risk foods) की श्रेणी में रखा जाता है। उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थों के उदाहरणों में शामिल हैं:

उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थ में शामिल हैं –.

  • डेयरी उत्पाद (दूध, आइस क्रीम, पनीर और दही)
  • अंडे और अंडे के उत्पाद
  • मांस या मांस उत्पाद
  • मुर्गी पालन
  • मछली और समुद्री भोजन
  • पके हुए चावल और पास्ता
  • तैयार सलाद जैसे कोलेस्लो, पास्ता सलाद और चावल का सलाद
  • कटे हुए फलों का सलाद
  •  सैंडविच, रोल और पिज़्ज़ा

क्या हैं फूड पाइजनिंग से बचाव के उपाय? (What is the prevention tips of food poisoning in Hindi)

1. फूड पाइजनिंग से बचाव के लिए हाथ धोएं, 2. वर्कटॉप, चाकू और बर्तन धोएं, 3. रसोई में इस्तेमाल होने वाला कपड़ा साफ रखें, 4. कच्चा मांस और पका हुआ भोजन अलग रखें, 5. खाना अच्छी तरह से पकाएं, 6. एक्सपायरी वाला खाना न खाएं, फूड पॉइजनिंग का घरेलू इलाज क्या है (food poisoning home remedies in hindi).

Food Poisoning Treatment in Hindi

  • ठीक से हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है। हाइड्रेटेड का मतलब खूब पानी पीने से है। हाइड्रेटेड रहने के लिए आप इलेक्ट्रोलाइट्स (ग्लूकोस और ओआरएस) से भरपूर कोई भी ड्रिंक पी सकते हैं। फलों का रस और नारियल पानी भी हाइड्रेटेड रहने में मदद करते हैं। 
  • कैमोमाइल , पुदीना या रोज़हिप टी जैसी हर्बल चाय , फूड पॉइजनिंग के समय कुछ हद तक पेट को सहारा दे सकती हैं। 
  • हालांकि, फूड पॉइजनिंग के समय कैफीन से बचें (कॉफी और चाय), जो पाचन तंत्र को और भी अधिक परेशान कर सकता है। 
  • फूड पॉइजनिंग में काफी कमजोरी आ जाती है इसलिए फूड पॉइजनिंग के दौरान भरपूर आराम करें।  
  • फूड पॉइजनिंग के इलाज में सिरके का इस्तेमाल करना काफी अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
  • केला फूड प्वाइजनिंग में फायदेमंद है।
  • सेब का सेवन फूड प्वाइजनिंग में असरदार होता है। सेब के सिरके में मेटाबालिज्म रेट को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। खाली पेट इसका सेवन करने पर यह पेट में मौजूद खराब बैक्टीरिया को मारने में मदद कर सकता है।
  • नींबू का सेवन फूड पॉइजनिंग में काफी असरदार होता है ऐसा इसलिए क्योंकि नींबू में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं। नींबू को आप निचोड़ कर गुनगुने पानी में डालकर पी सकते हैं।   
  • अगर फूड पॉइजनिंग में आपकी स्थिति में सुधर नहीं हो रहा हो तो डॉक्टर के अनुसार दवाइयां शुरू करें। एंटीबैक्टीरियल जैसी दवाएं दस्त को नियंत्रित करने और मतली को दबाने में मदद कर सकती हैं। हालांकि, इन दवाओं का उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

फूड पाइजनिंग के बाद क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? (What to eat and avoid after Food Poisoning in Hindi)

1. फ़ूड पोइज़निंग में क्या खाएं (foods to eat in food poisoning in hindi).

  • दाल का पानी 
  • ओट का दलिया
  • उबली हुई सब्जियां
  • पतला फलों का रस
  • इलेक्ट्रोलाइट पेय
  • दही या छाछ 
  • फल और सब्जियों के जूस
  • रिफाइंड आटे से बनाई गई रोटी 
  • कम कार्बोहाइड्रेट्स और फैट वाला मीट, अंडे, फिश या चिकन (अच्छे से पके हुए)

2. फूड पाइजनिंग में क्या नहीं खाए? (Foods to avoid in food poisoning in Hindi)

  • डेयरी उत्पाद, विशेष रूप से दूध, आइसक्रीम और चीज
  • वसायुक्त खाना (तला हुआ चिकन और  फ्रेंच फ्राइज़)
  • अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ
  • उच्च चीनी सामग्री वाला भोजन
  • चटपटा खाना (मसालेदार भोजन)
  • तले हुए खाद्य पदार्थ
  • ड्राई फ्रूट्स
  • कैफीन (सोडा, ऊर्जा पेय, कॉफी)

फूड पॉइजनिंग के उच्च जोखिम वाले समूह (High-risk groups for food poisoning in Hindi)

कुछ लोग दूसरों की तुलना में फूड पॉइजनिंग के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। इन लोगों को भोजन खरीदते, संग्रहीत करते और बनाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इन कमजोर समूहों में शामिल हैं:

1. प्रेग्नेंट महिलाऐं (Pregnant women)

गर्भावस्था के दौरान, चयापचय (Metabolism) और परिसंचरण (Circulation) में परिवर्तन से खाद्य विषाक्तता का खतरा बढ़ता है। जो आपके शिशु पर भी नकरात्मक प्रभाव डाल सकता है। 

और पढ़ें –  प्रेगनेंसी के बाद डिप्रेशन : जानिए लक्षण, कारण, इलाज और बचाव 

2. 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्क (Older adults)

3. पांच साल से कम उम्र के बच्चे (infants and young children), 4. पुरानी बीमारी वाले लोग (people with chronic disease), डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए (when to see a doctor).

  • दस्त (Diarrhea) तीन दिनों से अधिक समय तक बने रहना – Diarrhea persisting for more than three days
  • 101.5°F से अधिक बुखार होना – Fever over 101.5°F
  • देखने या बोलने में कठिनाई होना, – Difficulty with speech
  • गंभीर निर्जलीकरण के लक्षण, जिसमें शुष्क मुँह, पेशाब कम आना या पेशाब न आना – Severe dehydration
  • कुछ भी खाते ही उल्टी होना – Vomiting after eating
  • यूरिन में खून आना – Blood in urine
  • मांसपेशियों में कमजोरी – Muscle weakness
  • धुंधली नज़र – Blurry vision
  • भ्रम की स्थिति – Confusion,
  • गर्भवती महिलाओं में दस्त या फ्लू जैसी बीमारी – Diarrhea or flu-like illness
  • पीलिया (पीली त्वचा), जो हेपेटाइटिस ए का संकेत हो सकता है – Jaundice (yellow skin)

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Food Poisoning FAQs in Hindi)

सवाल: भोजन में नष्ट होने के क्या कारण हैं.

जवाब : फूड पॉइजनिंग का कारण रोगाणुओं द्वारा भोज्य पदार्थों को दूषित करना है। जिसमें  बैक्टीरिया, परजीवी और वायरस शामिल हैं।  

सवाल : क्या फूड पाइजनिंग में बुखार आ सकता है?

जवाब : जी हां, फूड पाइजनिंग में बुखार आ सकता है। 

सवाल : प्रदूषित भोजन से कौन सी बीमारी होती है

जवाब : पेट में ऐंठन, दस्त, उल्टी, भूख में कमी, हल्का बुखार, जी मिचलाना, सिर दर्द आदि जैसे रोग हो सकते हैं। 

सवाल : क्या विषाक्त भोजन के कारण सिरदर्द हो सकता है?

जवाब : जी हां, विषाक्त भोजन के कारण सिरदर्द हो सकता है। इसके अलावा पेट खराब, पेट दर्द और उलटी भी हो सकती है।    

सवाल : फूड पॉइजनिंग और पेट फ्लू में क्या अंतर है ?

जवाब : फूड पॉइजनिंग के लक्षण जल्द (2 घंटे के अंदर) नज़र आ जाते हैं जबकि पेट वायरस के लक्षणों को पनपने में थोड़ा समय लग सकता है।  इसलिए यदि किसी व्यक्ति को काफी लंबे समय तक पेट दर्द हो रहा हो और किसी भी दवाई से ठीक नहीं हो रहा हो, तो समझ जाइये कि यह पेट फ्लू है।

सवाल : फूड पाइजनिंग के लिए अच्छी दवा क्या है?

जवाब : फूड पाइजनिंग को रोकने के लिए सबसे अच्छी दवा एंटी -डायरिया और एंटी बैक्टीरियल है। हालांकि, इन दवाओं का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

सवाल : फूड पॉइजनिंग कितने समय तक रहता है?

जवाब : अधिकांश लोग 12 से 48 घंटों के भीतर सबसे सामान्य प्रकार के भोजन विषाक्तता से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। कुछ प्रकार की भोजन विषाक्तता गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकती है।

सवाल : फूड पॉइजनिंग से तुरंत राहत कैसे पाएं?

जवाब : जितना हो सके आराम करें। जब आपका मन करे तब खाएं – शुरुआत में छोटे, हल्के और कम फैटी भोजन ही लें (जैसे- टोस्ट, चावल और केले जैसे नरम खाद्य पदार्थ अच्छे विकल्प हैं)। हालांकि, शराब, कैफीन, फ़िज़ी पेय और मसालेदार और वसायुक्त भोजन से बचें।

सवाल : क्या फूड पॉइजनिंग में चाय अच्छी है?

जवाब : पुदीने की चाय भी खराब पेट को शांत करने में मदद कर सकती है। कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा पानी पियें। कैफीन युक्त पेय से बचना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये पेट में जलन पैदा कर सकते हैं।

ये हैं फूड पॉइजनिंग के लक्षण, कारण, बचाव और इलाज की पूरी जानकारी। कमेंट में बताएं आपको Food Poisoning Symptoms in Hindi पोस्ट कैसी लगी। अगर यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें। 

Disclaimer :   ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें।

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सन्दर्भ (References)

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  • Causes of food poisoning
  • Food poisoning
  • Home remedies for food poisoning
  • Symptoms of Food Poisoning
  • Treatments of food poisoning

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Food Poisoning in Hindi

खाद्य विषाक्तता – Food Poisoning in Hindi

Admin

Food Poisoning in Hindi | दूषित भोजन निगलने वाले किसी भी व्यक्ति को खाद्य विषाक्तता या खाद्य जनित बीमारी हो सकती है. अधिकांश लोग अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं. यदि आप गर्भवती हैं, 65 वर्ष से अधिक उम्र की हैं या आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है तो आपको जोखिम अधिक है. छोटे बच्चों को भी अधिक ख़तरा होता है, विशेषकर निर्जलीकरण से.

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  • गैस्ट्रोएंटेराइटिस – Gastroenteritis in Hindi
  • कार्पल टनल सिंड्रोम – Carpal Tunnel Syndrome in Hindi
  • अमाइलॉइडोसिस – Amyloidosis in Hindi

खाद्य विषाक्तता क्या है? – What is Food Poisoning in Hindi?

खाद्य विषाक्तता दूषित भोजन खाने या दूषित पानी पीने के कारण होने वाली स्थिति है. भोजन सूक्ष्म जीवों, छोटे कीड़ों या ऐसे किसी भी रोगजनकों द्वारा दूषित हो सकता है. यह शरीर की विभिन्न प्रणालियों को प्रभावित करता है, लेकिन जठरांत्र प्रणाली सबसे अधिक प्रभावित होती है.

  • जिआर्डियासिस – Giardiasis in Hindi
  • एंटरोस्कोपी – Enteroscopy in Hindi

खाद्य विषाक्तता के मुख्य लक्षण क्या हैं? – What are the main symptoms of Food Poisoning in Hindi?

खाद्य विषाक्तता के सामान्य लक्षण हैं :-

  • पेट में दर्द
  • भूख में कमी

इसके अतिरिक्त, व्यक्ति को ठंड लगना, चक्कर आना और अत्यधिक पसीना आना भी महसूस हो सकता है. स्थिति पैदा करने वाले कारक के आधार पर, लक्षण दूषित भोजन या तरल पदार्थ के सेवन के तुरंत बाद या कुछ दिनों के बाद दिखाई दे सकते हैं.

खाद्य विषाक्तता के मुख्य कारण क्या हैं? – What are the main causes of Food Poisoning in Hindi?

कोई भी बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी भोजन या पानी को दूषित कर सकता है और ऐसे भोजन या तरल पदार्थ का सेवन करने से भोजन विषाक्तता हो सकती है.

अस्वास्थ्यकर बढ़ती परिस्थितियों, दोषपूर्ण खाना पकाने, प्रसंस्करण या पैकेजिंग के कारण भोजन इन एजेंटों द्वारा दूषित हो सकता है.

आम बैक्टीरिया जो खाद्य विषाक्तता और गैस्ट्रो-आंत्र असुविधा का कारण बनते हैं उनमें साल्मोनेला टाइफी, विब्रियो हैजा, क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल, स्टैफिलोकोकस ऑरियस और कैम्पिलोबैक्टर शामिल हैं.

रोटावायरस और हेपेटाइटिस ए वायरस भी भोजन को दूषित कर सकते हैं.

दूषित पानी फूड प्वाइजनिंग का सबसे बड़ा कारण है. यह साफ पानी के साथ सीवेज के पानी के मिश्रण, पानी के अनुचित शुद्धिकरण या दोषपूर्ण परिवहन के कारण हो सकता है.

खाद्य विषाक्तता का निदान और उपचार कैसे किया जाता है? – How is Food Poisoning diagnosed and treated in Hindi?

निदान में निम्नलिखित शामिल हैं :-

  • खाद्य विषाक्तता का निदान आपके लक्षणों और आपने हाल ही में क्या खाया है इसके विस्तृत इतिहास पर आधारित है.
  • विषाक्तता पैदा करने वाले रोगज़नक़ को जानने के लिए स्टूल कल्चर जैसी जाँचें की जाती हैं.
  • रक्त परीक्षण भी संक्रमण का संकेत देता है, यदि कोई संक्रमण मौजूद है तो श्वेत रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) की उच्च संख्या दर्शाता है.
  • हेपेटाइटिस वायरस के लिए विशिष्ट रक्त परीक्षण का भी आदेश दिया जा सकता है.

खाद्य विषाक्तता के उपचार में निम्नलिखित शामिल हैं :-

  • खाद्य विषाक्तता के उपचार में लक्षणों में सुधार और कारण को खत्म करना शामिल है.
  • शरीर से विशेष रोगज़नक़ को ख़त्म करने के लिए एंटीबायोटिक्स निर्धारित की जाती हैं.
  • जीव के आधार पर, एक विशिष्ट एंटीबायोटिक निर्धारित किया जाता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि शरीर से सूक्ष्म जीव पूरी तरह से निकल गए हैं, सलाह के अनुसार एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स पूरा करना महत्वपूर्ण है.
  • निर्जलीकरण का इलाज द्रव प्रतिस्थापन चिकित्सा और इलेक्ट्रोलाइट्स द्वारा किया जाता है.
  • खूब पानी, नींबू पानी, ताज़ा जूस, नारियल पानी या छाछ पीने से मौखिक पुनर्जलीकरण बेहद महत्वपूर्ण है.

यहां तक कि आधुनिक, विकसित देशों में जहां भोजन संभालने की प्रथाएं अपेक्षाकृत स्वच्छतापूर्ण हैं, भोजन विषाक्तता अभी भी आम तौर पर होती है. यदि आप विदेश यात्रा करते हैं तो आपको और भी अधिक जोखिम हो सकता है. अधिकांश भाग के लिए, हमारी प्रतिरक्षा प्रणालियाँ कभी-कभार होने वाले संक्रमण से निपटने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं.

हालाँकि, कुछ संक्रमण गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं, खासकर हमारे बीच अधिक असुरक्षित लोगों में. यदि आप चिंतित हैं या आपकी प्रतिरक्षा कमजोर है, या यदि आपको गंभीर या असामान्य लक्षण हैं, तो परीक्षण और उपचार के लिए अपने डॉक्टर से मिलने में संकोच न करें.

(डिस्क्लेमर : लेख के इस भाग में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। सटीक निदान करने के लिए सभी परिणामों को रोगी के डेटा के साथ चिकित्सकीय रूप से सहसंबद्ध होना चाहिए।)

  • PMC, E. (Internet) Bacteriocins: modes of action and potentials in food preservation and control of food poisoning. , Europe PMC. 
  • Food poisoning (2023) healthdirect. 
  • Cdc (2017) Prevent food poisoning , Centers for Disease Control and Prevention. 
  • Food poisoning symptoms (2023) Centers for Disease Control and Prevention.
  • Centre for Health Protection, Department of Health – Food Poisoning (Internet) Centre for Health Protection.  

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फूड पॉइजनिंग हो सकती है जानलेवा, जानिए लक्षण और बचने के उपाय

फूड पॉइजनिंग का प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्या और गलत खान-पान है। कच्ची सब्जियां, अधपका मांस, कच्चा दूध या उससे बनी चीजें, अंकुरित अनाज, समुद्री खाद्य पदार्थ आदि खाते हैं, तो आप फूड पॉइजनिंग की गिरफ्त....

फूड पॉइजनिंग हो सकती है जानलेवा, जानिए लक्षण और बचने के उपाय

फूड पॉइजनिंग का प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्या और गलत खान-पान है। कच्ची सब्जियां, अधपका मांस, कच्चा दूध या उससे बनी चीजें, अंकुरित अनाज, समुद्री खाद्य पदार्थ आदि खाते हैं, तो आप फूड पॉइजनिंग की गिरफ्त में आ सकते हैं। बैक्टीरिया और वायरस फूड पॉइजनिंग के मुख्य कारक हैं। थोड़ी सावधानी बरतकर आप इससे बचे रह सकते हैं। जानकारी दे रहीं हैं नीलम शुक्ला

अकसर आपने लोगों को फूड पॉइजनिंग की शिकायत करते देखा होगा। दरअसल, फूड पॉइजनिंग में भोजन के जरिये विषैले तत्व आपके शरीर में प्रवेश करते हैं, जिससे आप बीमार हो जाते हैं। इस बीमारी का कारक वायरस भी हो सकता है और बैक्टीरिया भी। अपोलो हॉस्पिटल के फिजिशियन डॉ. अभिषेक शुक्ला कहते हैं कि ज्यादातर लोग अपने जीवन में कम से कम एक बार फूड पॉइजनिंग से जरूर पीड़ित होते हैं।

इसमें उल्टी आना, जी मिचलाना, सिर दर्द, चक्कर आना, पेट में मरोड़ और दस्त लगने की समस्या हो सकती है। फूड पॉइजनिंग को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खुले में या देर तक रखा खाना आपके पेट को संक्रमित कर सकता है। सामान्य फूड पॉइजनिंग में आमतौर पर तीन दिन में व्यक्ति ठीक हो जाता है। अगर स्थिति गंभीर हो जाए, तो जटिलताएं हो सकती हैं। अगर आप कच्ची सब्जियां या कम पका हुआ मांस खाते हैं या कच्चा दूध पीते हैं या अंकुरित अनाज आदि खाते हैं, तो फूड पॉइजनिंग की गिरफ्त में आ सकते हैं।

फूड पॉइजनिंग के कारक फूड पॉइजनिंग की समस्या संक्रमण के कारण होती है, जिसमें कुछ सामान्य जीवाणु और खाद्य पदार्थों के वायरस अहम भूमिका निभाते हैं। सबसे आम सूक्ष्मजीव एंटअमीबा (एक आम परजीवी, जिसके कारण पेचिश हो सकती है), जिआर्डिया (एक ऐसा परजीवी, जो दस्त का कारण बनता है), कैंपाइलोबैक्टर, शिगेला, साल्मोनेला, ई कोलाई, लिस्टेरिया और नोरोवायरस (ऐसा बैक्टीरिया, जो टाइफाइड का कारण बनता है) हैं।

कैसे होती है फूड पॉइजनिंग फूड पॉइजनिंग के कई कारण होते हैं। यह आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस के कारण होती है। ये बैक्टीरिया या वायरस कई तरह से हमारे पेट में पहुंच सकते हैं, जैसे अधपका खाना खाने से या गंदे बर्तनों में पकाया गया खाना खाने से। ऐसे डेयरी उत्पाद, जिन्हें उचित तरीके से फ्रिज में न रखा गया हो या लंबे समय तक उन्हें फ्रिज से बाहर रखा गया हो, भी फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं। ऐसा ठंडा खाना खाने से भी फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है, जिसे फ्रिज से निकालने के बाद दोबारा गर्म किए बगैर खाया गया हो। दो-तीन दिनों का रखा बासी खाना तो किसी भी मौसम में नुकसान पहुंचाता है और इस मौसम में और अधिक नुकसानदेह हो जाता है। खासकर इस मौसम में फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोए बगैर बिल्कुल भी नहीं खाएं, क्योंकि वे भी आपकी सेहत खराब कर सकते हैं। और इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि पीने का पानी बिल्कुल साफ हो।

क्या हैं फूड पॉइजनिंग के लक्षण फूड पॉइजनिंग चाहे बैक्टीरिया के कारण हुआ हो या वायरस के कारण, लक्षण आमतौर पर समान ही होते हैं। पेट दर्द, जी मिचलाना, दस्त, बुखार और शरीर में दर्द के लक्षण दिख सकते हैं। इसमें न सिर्फ पेट मरोड़ के साथ दर्द करता है, बल्कि डायरिया, उल्टी आदि की समस्याएं नजर आने लगती हैं। अगर आपका खाया खाना लंबे समय तक पच नहीं रहा है, पेट फूला-सा महसूस हो रहा है या लगातार पेट दर्द के साथ उल्टियां हो रही हैं, तो ये सब पेट के संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। अगर किसी को सूक्ष्मजीव एंटम्यूबा का संक्रमण हुआ हो, तो पेचिश के कारण हल्के रक्त के साथ पतले दस्त आते हैं। भले ही फूड पॉइजनिंग के अधिकांश मामलों की अवधि 5-7 दिनों की होती है, लेकिन कई बार यह जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। खासकर बुजुर्ग, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों, गर्भवती महिलाओं और एचआईवी संक्रमण वाले लोगों को फूड पॉइजनिंग के मामले में लापरवाही बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए।

फूड पॉइजनिंग से बचें - कच्ची सब्जियों और फलों को नमक वाले पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। - रसोईघर को साफ रखना चाहिए। चाकू और कटिंग बोर्ड को रोज साबुन से धोना चाहिए। - फ्रिज को अंदर से साबुन के पानी से साफ करना चाहिए। फ्रिज में अगर कोई जूस या खाद्य पदार्थ गिर जाये, तो तुरंत साफ करें। - मांस को हमेशा अच्छे से साफ करके ठीक तरह से पकाना जरूरी है। - पके हुए खाने को बहुत देर तक फ्रिज में न रखें। - ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें, जिनमें कच्चा दूध होता है। - खासकर इस मौसम में सी फूड के सेवन से बचें। - बाहर का खाना न खाएं। अकसर ऐसे खाने को ढक कर भी नहीं रखा जाता। - खराब खाना या काफी देर से रखा खाना तो बिल्कुल न खाएं। - साफ पानी पिएं। - किसी भी संक्रमित या गंदी चीज को छूने के बाद साबुन और पानी से हाथ धोएं। मैले कपड़े या घर की गंदगी साफ करते समय दस्ताने पहनें।

संक्रमण होने पर क्या करें - जब हमारा शरीर फूड पॉइजनिंग से पीड़ित होता है, तो इन टॉक्सिन को बाहर निकालने के लिए अधिक पानी का इस्तेमाल करता है। इसलिए इस दौरान अधिक पानी का सेवन करके अपने शरीर में पानी की प्रचुरता बनाए रखें।

- यदि आपको उल्टी और दस्त हो रहे हैं, तो सिर्फ तरल पदार्थों का सेवन करें और ऐसे भोजन का सेवन न करें, जिन्हें चबाना पड़े।

- गुनगुना पानी पिएं तथा यथासंभव कम मसाले का खाना खाएं। पेट का दर्द असहनीय हो तो शीघ्र किसी विशेषज्ञ डॉक्टर के परामर्श से अल्ट्रासाउंड कराएं।

- डायरिया और उल्टी की वजह से शरीर से पानी के साथ-साथ सोडियम, पोटैशियम और अन्य मिनरल भी कम हो जाते हैं। इसलिए पानी के साथ इलेक्ट्रल पाउडर लें।

- नमक और चीनी का घोल भी ऐसे में काफी फायदेमंद साबित होता है। स्पोर्ट्स ड्रिंक पीने से बचें।

- भोजन एवं दिनचर्या के नियमों का ठीक से पालन करें। समय पर खाना खाएं।

- लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों जैसे शराब, दर्द निवारक दवाओं, बुखार की दवा आदि का इस्तेमाल तत्काल बंद कर दें और अपने लिवर की जांच कराएं।

ये उपाय हैं असरदार - दोपहर और रात के खाने के बाद एक कप अदरक की चाय का सेवन करें। यह सीने में जलन, जी मिचलाने जैसे फूड पॉइजनिंग के अनेक लक्षणों को दूर करती है।

- सेब के सिरके का हमारे शरीर के अन्दर अल्काइन इफेक्ट होता है और यह फूड पॉइजनिंग के कई लक्षणों को दूर करता है। इसलिए दो चम्मच सेब के सिरके को एक कप गर्म पानी में घोलकर, खाने से पहले सेवन करें।

- मेथी के बीज पेट की गड़बड़ी को दूर करने में मदद करते हैं। मेथी के बीज और दही के संयोजन से आपको पेट दर्द और उल्टी में तुरंत लाभ मिलेगा।

- नीबू में एसिड होता है, जो बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है। एक चम्मच नीबू के रस में एक चुटकी चीनी डालकर सेवन करें। ऐसा दिनभर में दो बार करें।

- फूड पॉइजनिंग में तत्काल राहत के लिए तुलसी की पत्तियों को पीसकर जूस तैयार करें और इसमें शहद मिलाकर दिनभर में दो से तीन बार सेवन करें। अपनी चाय में भी तुलसी डालें। इससे चाय का स्वाद भी बढ़ेगा और आपको लाभ भी होगा।

- लहसुन में भी स्ट्रोंग एंटीवायरस और एंटीफंगल पदार्थ होते हैं। इसलिए यह भी फूड पॉइजनिंग से लड़ने में मददगार है। यह दस्त और पेट दर्द से भी राहत दिलाने में फायदेमंद है। लहसुन की एक कली को पानी के साथ गटक लें। इसका जूस बनाकर भी पी सकते हैं।

- केला खाने से पेट साफ रहता है, क्योंकि यह आसानी से पच जाता है। केले में अत्यधिक मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है, जो दस्त और उल्टी के कारण शरीर में हुई पोटैशियम की कमी को दूर करता है। सिर्फ एक केला खाने से आपके शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है। आप केले का जूस बनाकर भी पी सकते हैं।

- फूड पॉइजनिंग के कारण पेट में हुई गड़बड़ी को जीरा आसानी से ठीक कर देता है। एक चम्मच जीरे को एक कप पानी में गर्म करें। जीरा और हींग को मिलाकर हर्बल ड्रिंक भी तैयार कर सकते हैं। इसे भी दिन में दो बार सेवन करें। यह आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर आपको शांति प्रदान करेगा।

- लौंग शरीर में छोटे से छोटे बैक्टीरिया को जड़ से खत्म कर देती है। पेटके संक्रमण में यह काफी असरदार है।

- शुद्ध शहद को दालचीनी पाउडर के साथ मिलाकर खाने से पेट से जुड़ी हर समस्या ठीक हो जाती है। यह नुस्खा गैस की समस्या से भी राहत दिलाने में कारगर है।

- पेट के संक्रमण से निजात पाने के लिए एक जार में एक चम्मच हल्दी पाउडर और 6 छोटे चम्मच शहद मिलाकर रख दें और उसे बंद कर दें। दो दिन बाद रोज आधा-आधा चम्मच दिनभर में दो तीन बार खाएं, बहुत जल्दी आराम होगा।

- पेट के कीड़े की समस्या है, तो सुबह खाली पेट पानी के साथ जरा-सी हींग का सेवन करें, लाभ होगा।

(अपोलो अस्पताल के डॉ. अभिषेक कुमार शुक्ला व नोएडा स्थित वैदिक ग्राम के डॉ. पियूष जुनेजा से की गई बातचीत पर आधारित)

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फूड पाइजनिंग के कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपाय- Food Poisoning Symptoms and Home Remedies in Hindi

Dr. Zeel Gandhi is an Ayurvedic doctor with 7 years of experience and an expert at providing holistic solutions for health problems encompassing Internal medicine, Panchakarma, Yoga, Ayurvedic Nutrition, and formulations. She graduated as a... read full bio

सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक व प्रिंट म... read full bio

स्ट्रीट फूड खाने का अपना ही मजा है। गली-नुक्कड़ पर मिलने वाली चाट-पकौड़ी का कहना ही क्या। इस स्वाद के चक्कर में लोग सेहत की अनदेखी कर देते हैं। इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता कि स्ट्रीट फूड को किस तरह से बनाया जाता है। ऐसे में बार-बार फूड पॉइजनिंग को झेलना पड़ सकता है। फूड पाइजनिंग होने पर जी-मिचलाना, उल्टी व दस्त की समस्या हो सकती है, जिसका उपचार समय रहते न किया जाए, तो इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम विषाक्त भोजन करने से होने वाली फूड पॉइजनिंग के लक्षण और कारणों पर ही चर्चा करेंगे। साथ ही हम फूड पॉइजनिंग का घरेलू इलाज भी बताएंगे।

आइए शुरू करें लेख

इससे जुड़ी अन्य जानकारी से पहले जानिए कि फूड पाइजनिंग क्या होता है।

फूड पॉइजनिंग क्या होती है?

फूड पाइजनिंग एक तरह का संक्रमण है, जो स्टैफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया, वायरस या अन्य जीवाणु के कारण हो सकता है। जब स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया किसी खाद्य पदार्थ को खराब कर देता है, तो उसे खाने से फूड पॉइजनिंग हो सकती है। इस कारण उल्टी और डायरिया जैसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा, फूड पाइजनिंग की समस्या ई.कॉली बैक्टीरिया के कारण भी हो सकती है। यह गंदा पानी पीने से शरीर में आ सकता है ( 1 )।

आगे है और सूचना

लेख के अगले भाग में जानिए फूड पाइजनिंग कैसे होती है।

फूड पाइजनिंग के कारण – Causes of Food Poisoning Hindi

फूड पाइजनिंग विभिन्न तरीकों और कारणों से हो सकती है, जिसके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है ( 2 )।

जब कीटाणु खाने के जरिए शरीर में आते हैं, तो उसे कंटैमिनेशन कहा जाता है। ऐसा विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे –

  • प्रोसेसिंग के समय मीट या पोल्ट्री में बैक्टीरिया पनप सकते हैं।
  • खेती के दौरान सिंचाई के लिए ऐसे पानी का इस्तेमाल करना, जिसमें पशु या मानव मल शामिल हो।
  • किराना स्टोर, रेस्टोरेंट या घर में खाने-पीने की चीजों को गंदे हाथ लगाए गए हों या साफ-सफाई का ध्यान न रखा गया हो।

फूड पॉइजनिंग निम्न कारणों से सभी हो सकती है, जैसे :

  • बिना हाथ धोए खाना बनाने से।
  • बिना धुले हुए बर्तनों या किचन के अन्य वस्तुओं का उपयोग करने से।
  • डेयरी उत्पाद या मायोनीस युक्त खाद्य पदार्थों को ज्यादा देर तक फ्रिज से बाहर रखने पर।
  • आवश्यक तापमान पर न रखे गए खाद्य पदार्थों से।
  • कच्ची मछली या सीप से।
  • कच्चे फल या सब्जियां, जिन्हें अच्छी तरह से धोया नहीं गया हो।
  • अनपॉश्चरीकृत डेयरी उत्पाद, कच्ची सब्जियों या फलों के रस का सेवन करने से।
  • अधपके मांस या अंडे खाने से।
  • कुएं, तालाब या कहीं और का अशुद्ध पानी पीने से।

कई तरह के बैक्टीरिया भी इसका कारण बन सकते हैं, जैसे :

  • कैम्पिलोबैक्टर एंटरटाइटिस (Campylobacter enteritis)
  • कॉलरा (Cholera)
  • खराब या सड़ी हुई फिश या शेलफिश में मौजूद विषाक्ता
  • स्टेफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus)
  • साल्मोनेला (Salmonella)
  • शिगेला (Shigella)

नीचे तक करें स्क्रॉल

लेख के अगले भाग में आप जानेंगे कि फूड पाइजनिंग के लक्षण क्या होते हैं।

फूड पाइजनिंग के लक्षण – Symptoms of Food Poisoning in Hindi

भोजन की विषाक्तता के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं ( 2 )।

  • पेट में दर्द/मरोड़
  • डायरिया (साथ में खून आ सकता है)
  • ठंड लगना और बुखार आना
  • मतली और उल्टी
  • कमजोरी (गंभीर हो सकती है)

पढ़ते रहें यह लेख

विषाक्त भोजन लक्षण जानने के बाद आप जानिए कि घर में फूड पाइजनिंग को कैसे ठीक करें।

फूड पाइजनिंग के घरेलू उपाय – Home Remedies for Food Poisoning in Hindi

भले ही फूड पॉइजनिंग तकलीफदायक होती है, लेकिन घरेलू उपाय करने से यह समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है। विषाक्त भोजन के लिए घर उपचार अपनाने से इसके लक्षणों को कम तो किया जा सकता है, लेकिन ये इसका डॉक्टरी इलाज नहीं है। इसलिए, गंभीर अवस्था में सिर्फ डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए। नीचे विस्तार से जानिए फूड पॉइजनिंग के घरेलू उपाय के बारे में।

1. सेब का सिरका

  • एक से दो चम्मच बिना फिल्टर किया सेब का सिरका
  • एक गिलास गुनगुना पानी

क्या करें ?

  • एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच सेब का सिरका डालें।
  • इसे अच्छी तरह मिलाकर पी लें।
  • इसका सेवन दिन में दो बार किया जा सकता है।

यह कैसे काम करता है ?

जैसा कि हम बता चुके हैं कि कई तरह के बैक्टीरिया विषाक्त भोजन के कारण होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इससे आराम पाने के लिए किसी ऐसे उपाय का उपयोग किया जाए, जो इन कीटाणुओं को खत्म कर सके। यहां सेब के सिरके का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। माना जाता है कि इसमें मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण फूड पाइजनिंग का कारण बनने वाले बैक्टीरिया ई.कॉली को खत्म कर सकता है और फूड पाइजनिंग के लक्षण को कम करने में मदद कर सकता है ( 3 )।

2. नींबू का रस

  • एक गिलास पानी
  • शहद (वैकल्पिक)
  • एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़ लें और इस पानी को पी लें। आप इसमें स्वाद के लिए शहद मिला सकते हैं।
  • इसका सेवन सुबह और शाम एक-एक बार किया जा सकता है।

कुछ मामलों में प्रोसेसिंग के समय मीट या पोल्ट्री में बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जिस कारण यह फूड पाइजनिंग का कारण बन सकता है। ऐसे में, नींबू का उपयोग करने से फूड पाइजनिंग का इलाज किया जा सकता है। एक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि नींबू फूड पाइजनिंग का कारण बनने वाले कॉलरा को मारने में सहायक हो सकता है ( 4 )। साथ ही, मीट बनाते समय कुछ देर के लिए उस पर नींबू का रस लगाकर रख देने से मदद मिल सकती है। ऐसा करने से मीट पर ई.कॉली बैक्टीरिया को पनपने का मौका नहीं मिलता ( 5 )।

  • तुलसी का एसेंशियल ऑयल
  • एक कप पानी में तुलसी के तेल की एक-दो बूंद डालकर इसका सेवन करें।
  • फूड पाइजनिंग के लक्षण को कम करने के लिए इस प्रयोग को दिन में दो बार कर सकते हैं।

फूड पॉइजनिंग का घरेलू इलाज करने के लिए तुलसी के एसेंशियल ऑयल का भी उपयोग किया जा सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) द्वारा प्रकाशित एक लेख में यह पाया गया है कि इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं। तुलसी के ये गुण फूड पॉइजनिंग का कारण बनने वाले कीटाणु को खत्म करने में मदद कर सकते हैं ( 6 )।

  • लहसुन की दो से तीन छिली हुई कलियां
  • लहसुन की कलियों को सीधा चबा सकते हैं।
  • लहसुन की कलियों में शहद मिलाकर भी खा सकते हैं।
  • इसका प्रयोग दिन में एक बार कर सकते हैं।

हो सकता है कि आपने लसहुन के फायदों के बारे में बहुत सुना हो, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इसका उपयोग फूड पाइजनिंग का इलाज करने के लिए भी किया जा सकता है। दरअसल, लसहुन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण विषाक्त भोजन का कारण बनने वाले कैम्पिलोबैक्टर बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकता है ( 7 )। सब्जी या दाल बनाते समय उसमें लसहुन का उपयोग करने से भी फूड पाइजनिंग से बचा जा सकता है ( 8 )।

5. अदरक और शहद

  • एक से दो इंच अदरक का टुकड़ा
  • थोड़ा-सा शहद
  • एक पैन में पानी डालकर उसमें अदरक का टुकड़ा डालें और उबाल लें।
  • पांच मिनट तक अदरक को पानी में ही रहने दें, फिर पानी को छान लें।
  • अब इसे हल्का-सा ठंडा करें और फिर शहद मिलाकर तुरंत पी जाएं।
  • अदरक के टुकड़े को शहद में भिगोकर सीधा भी चबाया जा सकता है।
  • ऐसा दिन में दो बार किया जा सकता है।

पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए अदरक के फायदे में बारे में हम सभी सुनते आ रहे हैं। इसी तरह अदरक का इस्तेमाल फूड पाइजनिंग का इलाज करने के लिए भी किया जा सकता है। इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो फूड पाइजनिंग के लक्षण जैसे मतली व पेट दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। शहद में भीगा हुआ अदरक चबाने से मतली से आराम मिल सकता है। वहीं, अदरक की चाय पेट दर्द से आराम दिला सकती है। इस प्रकार अदरक के जरिए फूड पॉइजनिंग का घरेलू इलाज किया जा सकता है ( 9 )।

6. एसेंशियल ऑयल

  • थाइम या धनिया का एसेंशियल ऑयल
  • थोड़े-से पानी में एक-दो बूंद थाइम या धनिया का एसेंशियल ऑयल डालकर अच्छी तरह से मिलाएं।
  • इस मिश्रण को दिन में दो बार पिएं।

फूड पॉइजनिंग का घरेलू इलाज करने के लिए प्रभावी एंटीबैक्टीरियल सामग्री की जरूरत होती है। जैसा कि फूड पाइजनिंग क्या होता है में हम बता चुके हैं कि यह एक तरह का बैक्टीरियल संक्रमण होता है। इस कारण इसका इलाज करने के लिए विभिन्न एसेंशियल ऑयल का उपयोग किया जा सकता है। बताया जाता है कि थाइम और कोरिएंडर (धनिया) के एसेंशियल ऑयल में एंटीबैक्टीरियल प्रभाव होते हैं, जिनकी मदद से फूड पाइजनिंग के लक्षण से आराम मिल सकता है ( 6 )।

7. विटामिन-सी

  • विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थ या सप्लीमेंट
  • फूड पॉइजनिंग का घरेलू इलाज करने के लिए नियमित रूप से विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थ या सप्लीमेंट का सेवन करें।

फूड पोइजनिंग ट्रीटमेंट के लिए विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे आम, पपीता, अनानास, बैरी (स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी और क्रैनबेरी) का भी सेवन किया जा सकता है ( 10 )। यहां विटामिन-सी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण काम करते हैं। ये गुण बैक्टीरिया पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के प्रभाव को बढ़ाते हैं, जिसकी मदद से इन बैक्टीरिया से आराम मिल सकता है। इन्हें नॉन-टॉक्सिक तरीके से फूड पाइजनिंग का इलाज करने में सक्षम पाया गया है ( 11 )।

  • दो उबले अंडे
  • नाश्ते में दो अंडे खा सकते हैं।

विभिन्न तरह की समस्याओं के लिए जब डॉक्टर के पास जाते हैं, तो वो कुछ खास तरह के खान-पान की सलाह देते हैं। इसी तरह डॉक्टर फूड पाइजनिंग के लिए भी डाइट बताते हैं, जिसका नाम ब्लांड डाइट है। इस डाइट में अंडों को भी शामिल किया गया है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली पर अभी और शोध की आवश्यकता है ( 12 )। फूड पोइजनिंग ट्रीटमेंट के लिए अंडों का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि उन्हें स्वच्छ जगह से लेकर अच्छी तरह साफ करके, उबाला गया हो। कुछ मामलों में अंडे भी विषाक्त भोजन के कारण होते हैं ( 13 )।

9. ग्रेपफ्रूट सीड एक्सट्रेक्ट

  • ग्रेपफ्रूट सीड एक्सट्रेक्ट
  • एक गिलास पानी में पांच से छह बूंद ग्रेपफ्रूट सीड एक्सट्रेक्ट डालें और उसे पी लें।
  • फूड पॉइजनिंग का घरेलू इलाज करने के लिए इसका सेवन दिन में दो बार किया जा सकता है।

जब यह पूछा जाए कि फूड पाइजनिंग कैसे होती है, तो स्टेफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया को इसका प्रमुख कारण माना जाता है। ऐसे में इसका उपचार करने में ग्रेपफ्रूट के बीज का अर्क काम आ सकता है। यह अर्क पॉलीफेनोल्स से समृद्ध होता है और बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है। इस कारण यह कहा जा सकता है कि स्टेफिलोकोकस युक्त विषाक्त भोजन के प्रभाव को सुरक्षित रूप से कम करने के लिए ग्रेपफ्रूट के बीज के अर्क का उपयोग किया जा सकता है ( 14 )।

विषाक्त भोजन के लिए घर उपचार जानने के बाद अब पता करते हैं कि इस समस्या में क्या खाया जा सकता है।

फूड पाइजनिंग में क्या खाना चाहिए – Foods to Eat in Food Poisoning in Hindi

फूड पाइजनिंग के दौरान ब्लांड डाइट लेने की सलाह दी जाती है ( 12 )। इस डाइट में नीचे बताई गई खाद्य सामग्रियों का सेवन किया जा सकता है ( 15 )।

  • दही या छाछ कम फैट या फैट मुक्त डेयरी उत्पाद और दूध
  • अच्छी तरह पकी हुई सब्जियां
  • फल और सब्जियों के जूस
  • रिफाइंड आटे से बनाई गई ब्रेड, सीरियल व रोटी आदि
  • कम कार्बोहाइड्रेट्स और फैट वाला मीट, फिश या चिकन (ध्यान रखें इसे अच्छी तरह पकाएं)
  • क्रीमी पीनट बटर

आगे है और जानकारी

आगे जानिए कि फूड पाइजनिंग का उपाय करते समय किन चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।

फूड पाइजनिंग में क्या नहीं खाना चाहिए – Foods to Avoid in Food Poisoning in Hindi

फूड पाइजनिंग के घरेलू उपाय करने के लिए ब्लांड डाइट करते समय कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है। इनके बारे में नीचे बताया गया है ( 15 )।

  • ज्यादा फैट वाला दूध, डेयरी उत्पाद या आइसक्रीम
  • कच्ची सब्जियां और सलाद
  • ऐसे पदार्थ जिनसे गैस हो सकती है, जैसे ब्रोकली, गोभी, फूलगोभी, ककड़ी, हरी मिर्च और मकई के दाने
  • ड्राई फ्रूट्स
  • साबुत अनाज और उससे बने ब्रेड, सीरियल, व रोटी आदि
  • ज्यादा मसाले-मिर्च वाले खाद्य पदार्थ
  • ज्यादा शक्कर वाले खाद्य पदार्थ
  • फ्राई किया खाद्य पदार्थ
  • शराब युक्त पेय पदार्थ
  • ज्यादा कैफीन वाले खाद्य पदार्थ

अंत तक पढ़ें लेख

लेख के अगले भाग में जानिए फूड पोइजनिंग ट्रीटमेंट के बारे में।

फूड पाइजनिंग का इलाज – Treatment of Food Poisoning in Hindi

आमतौर पर विषाक्त भोजन के लिए किसी मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत नही होती और यह कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो सकता है। इस दौरान ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। मूल रूप से फूड पाइजनिंग का इलाज करने के लिए शरीर से डिहाइड्रेशन हटाई जाती है। इसके लिए तरल पदार्थ का अधिक सेवन करने के लिए कहा जाता है, लेकिन कुछ मामलों में ड्रिप चढ़ाकर किया जा सकता है। इसके अलावा, अगर मरीज की हालत गंभीर है और फूड पाइजनिंग के लक्षण बढ़ रहे हैं, तो उसे अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है। बच्चों को खासकर निगरानी में रखना जरूरी है। निम्नलिखित परिस्थितियों में दवा दी जा सकती है ( 9 ):

  • उल्टी और डायरिया की अवस्था में।
  • बुखार आने पर।
  • कुछ दुर्लभ परिस्थितियों में एंटीबायोटिक दी जा सकती है।
  • मशरूम विषाक्तता या कीटनाशकों के साथ विषाक्त खाद्य पदार्थ खाने के मामले में एंटीडोट दी जा सकती है।

पढ़ना जारी रखें

आगे जानिए कि इस समस्या में डॉक्टर से परामर्श कब करना चाहिए।

डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?

नीचे बताई गई परिस्थितियों में डॉक्टर से परामर्श करें ( 2 ) :

  • मल के साथ पस या खून आने पर।
  • डायरिया और उल्टी व मतली के कारण तरल पदार्थ न ले पाना।
  • वयस्कों को 101 डिग्री और बच्चों को 100.4 डिग्री से ज्यादा बुखार होने पर।
  • निर्जलीकरण के लक्षण (प्यास, चक्कर आना व सिर घूमना)।
  • हाल ही में कहीं बाहर से आने के बाद डायरिया होने पर।
  • वयस्कों में 5 दिन और शिशुओं में 2 दिन के बाद डायरिया ठीक न होकर और गंभीर हो गया हो।
  • बच्चे को 12 घंटे से ज्यादा देर तक उल्टी होने पर।
  • खाद्य विषाक्तता जो मशरूम (संभावित घातक), मछली या अन्य समुद्री भोजन खाने से हो या फिर बोटुलिज्म से हो।

आगे है रोचक जानकारी

फूड पाइजनिंग के लिए कुछ और टिप्स – Other tips for Food Poisoning in Hindi

फूड पाइजनिंग के दौरान घर में कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखने से सहायता मिल सकती है ( 9 ) :

  • थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें।
  • ज्यादा उल्टी होने पर साबुत खाद्य आहार न लें।
  • कैफीन और शराब युक्त पेय पदार्थ का सेवन न करें।
  • उल्टी और मतली का एहसास बंद हो जाने के बाद हल्का खाना लेना शुरू करें।
  • फूड पॉइजनिंग के लिए बताए गए खाद्य पदार्थ का सेवन करें, जैसे – चावल, गेहूं, ब्रेड, आलू, कम चीनी अनाज, कम वसा वाला मीट और चिकन।

फूड पॉइजनिंग के बचाव से जुड़ी जानकारी आपको मिलेगी लेख के अगले भाग में।

फूड पाइजनिंग से बचाव – Prevention Tips for Food Poisoning in Hindi

नीचे बताई गई बातों को ध्यान में रखकर विषाक्त भोजन से बचा जा सकता है ( 16 ) :

  • कुछ भी खाने से पहले अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं।
  • कच्चे मीट को छूने या साफ करने के बाद हाथों को साबुन से धोएं।
  • कच्चे मीट, मछली व अंडों के लिए उपयोग किए गए बर्तनों को अच्छी तरह साफ करें।
  • नॉन-वेज को पूरी तरह पकाएं। किसी भी तरह से इसे कच्चा या अधपका खाने से बचें।
  • पके हुए मीट को कच्चे मीट वाले बिना धुले बर्तन में न रखें।
  • रेफ्रिजरेटर को लगभग 40 ° F (4.4 ° C) और अपने फ्रीज़र को 0 ° F (-18 ° C) या उससे नीचे के तापमान पर रखें।
  • मांस, चिकन या मछली न खाएं, जो 1-2 दिन से अधिक समय तक बिना पके हुए फ्रिज में रखे हो।
  • उन खाद्य पदार्थों का उपयोग न करें जिनकी गंध असामान्य या स्वाद खराब हो।
  • कुएं, तालाब या अन्य जगहों से दूषित पानी न पिएं।

विषाक्त भोजन खाने से ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है, जिसका समय रहते इलाज न किया गया, तो यह घातक साबित हो सकती है। इस स्थिति में आप फूड पॉइजनिंग का घरेलू इलाज इस्तेमाल कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि इस लेख के जरिए आपको यह समझ आ गया होगा कि फूड पाइजनिंग कैसे होती है और फूड पाइजनिंग में क्या करें। अगर इसके बाद भी आराम नहीं आता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। उम्मीद है इनमें से कोई न कोई फूड पाइजनिंग का उपाय आपके काम आएगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

फूड पाइजनिंग के लिए सबसे अच्छी दवा क्या है?

अमूमन फूड पाइजनिंग का इलाज ज्यादातर तरल पदार्थ का सेवन करने से किया जाता है ( 2 )।

फूड पाइजनिंग की समस्या कितने दिन में ठीक हो सकती है?

विषाक्त भोजन का प्रभाव अपने आप कुछ ही दिनों में ठीक हो सकता है। यह व्यक्ति के इम्यून सिस्टम और विषाक्ता के कारण पर भी निर्भर करता है ( 2 )।

क्या फूड पाइजनिंग में बुखार आ सकता है?

जी हां, फूड पाइजनिंग के लक्षण में बुखार आना भी शामिल है ( 2 )।

क्या विषाक्त भोजन के कारण सिरदर्द हो सकता है?

जी हां, भोजन की विषाक्तता के लक्षण में एक सिरदर्द भी है ( 2 )।

फूड पाइजनिंग और स्टमक वायरस में क्या फर्क है?

स्टमक वायरस कई तरह के हो सकते हैं, जबकि फूड पाइजनिंग भी एक तरह का स्टमक वायरस है ( 17 )।

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फूड पॉइज़निंग - लक्षण, उपचार और कारण

आखिरी अपडेट : May 15, 2024

फूड पॉइज़निंग क्या है?

फूड पॉइज़निंग काफी आम है और चरम मामलों में भी घातक हो सकती है। भोजन से उत्पन्न जीवों के साथ संक्रमण से कोई लक्षण नहीं दिख सकता है या पेट की असुविधा या खूनी दस्त और गंभीर निर्जलीकरण के रूप में प्रकट हो सकता है। संक्रमण के प्रकार के आधार पर फूड पॉइज़निंग से मृत्यु हो सकती है। 250 से अधिक विभिन्न प्रकार की बीमारियों से फूड पॉइज़निंग हो सकती है। साल्मोनेला, कैंपिलोबैक्टर, ई कोलाई, बोटुलिज्म, नोरोवायरस और लिस्टरिया जैसे जीवाणुओं के कारण कुछ सामान्य बीमारियां संक्रमण हैं।

कैम्पिलोबैक्टर

तीव्र दस्त कैंपिलोबैक्टर का संकेत हो सकता है। संक्रमित पानी, दूध या भोजन का सेवन कैंपिलोबैक्टर संचारित कर सकता है। संक्रमित जानवरों से संपर्क भी इसे फैल सकता है। यदि आप इम्मुनोकंप्राइजड हैं तो यह गंभीर हो सकता है। तंत्रिका तंत्र की समस्याओं और प्रतिक्रियाशील गठिया जैसी कुछ अतिरिक्त जटिलताओं भी हो सकती है। ये समस्या आमतौर पर तब शुरू होती है जब दस्त बंद हो जाता है। यदि आप कैंपिलोबैक्टर संक्रमण से प्रभावित हो सकते हैं तो अपने डॉक्टर से जांचें। मल निदान बैक्टीरिया की उपस्थिति दिखा सकता है। यदि कोई संक्रमण पाया जाता है, तो रिकवरी उपचार के बिना शुरू होती है और लक्षण 5 दिनों के भीतर दूर जाने लगते हैं। निर्जलीकरण को रोकने के लिए बहुत सारे तरल पदार्थ पीएं। बीमारी की अवधि को कम करने के लिए संक्रमण की शुरुआत में एंटीबायोटिक्स (जैसे एरिथ्रोमाइसिन) लिया जा सकता है।

साल्मोनेला संक्रमण कुछ लोगों में प्रतिक्रियाशील गठिया का कारण बन सकता है। अधिकांश सैल्मोनेला संक्रमण के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, भले ही वसूली अवधि कुछ महीनों का हो। दर्द , जोड़ों में दर्द और आंख की जलन, सभी लक्षण हैं। जोड़ों में दर्द गठिया में बदल सकता है। शायद ही कभी साल्मोनेला घातक हो सकता है। बुजुर्गों, शिशुओं और जो इम्यूनोकंप्राइजड हैं, में मौत की संभावना अधिक है।

फीस आमतौर पर शिगेला के प्रसार के लिए ज़िम्मेदार होती है, जो एक जीवाणु है। यह खसरा, एक आंत संक्रमण होता है जिसके परिणामस्वरूप गंभीर दस्त होता है। यह आमतौर पर एक उष्णकटिबंधीय बीमारी है और भीड़ वाले स्थानों में अधिक आम है, जहां पारस्परिक और व्यक्तिगत स्वच्छता पीड़ित होती है। अगर आपको लगता है कि एक शिगेला एक्सपोजर रहा है तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें। इस बैक्टीरिया की उपस्थिति की जांच के लिए मल का परीक्षण किया जा सकता है। शिगेला संक्रमण के हल्के मामलों में विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं है। निर्जलीकरण से बचने के लिए बहुत सारे तरल पदार्थ पीना आवश्यक है। गंभीर मामलों में एंटीबायोटिक दवाओं और निर्जलीकरण के लिए निवारक कदमों की आवश्यकता हो सकती है। यदि स्वच्छता खराब है तो संक्रमित मल बैक्टीरिया को अन्य लोगों तक पहुंचा सकती है। डायपर बदलने या बैक्टीरिया फैलाने के लिए वाशरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को धोना आवश्यक है।

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  • दस्त और सूजन
  • निर्जलीकरण और चक्कर आना
  • Food Poisoning- TeensHealth from Nemours [Internet]. kidshealth.org 2018 [Cited 30 July 2019]. Available from: https://kidshealth.org/en/kids/food-poisoning.html
  • Food Poisoning- U.S. Department of Health & Human Services [Internet]. foodsafety.gov 2019 [Cited 30 July 2019]. Available from: https://www.foodsafety.gov/food-poisoning
  • Be Food Safe: Protect Yourself from Food Poisoning- CDC, Centres for Disease Control and Prevention [Internet]. cdc.gov 2019 [Cited 30 July 2019]. Available from: https://www.cdc.gov/Features/BeFoodSafe/

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(विषाक्त भोजन की परिभाषा) Food Poisoning Definition in Hindi !!

  • Post author: Ankita Shukla
  • Post published: September 28, 2020
  • Post category: Gyan

विषाक्त भोजन की परिभाषा | Definition of Food Poisoning in Hindi !!

फूड पॉइजनिंग, जिसे फूडबोर्न बीमारी भी कहा जाता है, दूषित भोजन खाने से होने वाली एक प्रकार की बीमारी है। संक्रामक जीव – जिनमें बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी शामिल हैं.

संक्रामक जीव या उनके विषाक्त पदार्थ प्रसंस्करण या उत्पादन के किसी भी बिंदु पर भोजन को दूषित कर सकते हैं। यदि भोजन गलत तरीके से संभाला जाता है या पकाया जाता है तो घर पर संदूषण भी हो सकता है।

खाद्य विषाक्तता के लक्षण, जो दूषित भोजन खाने के कुछ घंटों के भीतर शुरू हो सकते हैं, अक्सर मचली, उल्टी या दस्त शामिल होते हैं। सबसे अधिक बार, भोजन की विषाक्तता हल्के होती है और उपचार के बिना हल हो जाती है। लेकिन कुछ लोगों को अस्पताल जाने की जरूरत पड़ जाती है।

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Ankita Shukla

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जानिए फूडपाइजनिंग (विषाक्त भोजन) क्या है। Food Poisoning in Hindi

Food poisoning meaning in hindi..

फूडपाइजनिंग को हिंदी में विषाक्त भोजन कहते है। शरीर के लिए भोजन और पानी बहुत जरुरी होता है। किंतु दूषित पानी व दूषित भोजन का सेवन करने से हमारे शरीर में जीवाणु, बैक्टीरिया का प्रवेश हो जाता है। इससे शरीर दूषित हो जाता है। इस समस्या को फूडपाइजनिंग (विषाक्त भोजन) कहते है। यह एक तरह की बीमारी होती है। जो शरीर को कमजोर बना देती है। इसमें व्यक्ति को पेट में दर्द व उल्टी जैसी समस्या होने लगती है। चलिए विस्तार से Food Poisoning के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

फूडपाइजनिंग (विषाक्त भोजन) क्या है ? (What is Food Poisoning in Hindi)

फूडपाइजनिंग (विषाक्त भोजन) होने के कारण क्या है (what are the causes of food poisoning in hindi).

  • फूडपाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के लक्षण क्या है ? (What are the Symptoms of Food Poisoning in Hindi)

फूडपाइजनिंग (विषाक्त भोजन) का इलाज क्या है ? (What are the Treatments for Food Poisoning in Hindi)

फूडपाइजनिंग (विषाक्त भोजन) से बचाव कैसे करें (how to prevent food poisoning in hindi).

फूडपाइजनिंग एक खाद्य जनित बीमारी है। जिसे फूडबोर्न इलनेस के नाम से जाना जाता है। जो दूषित पदार्थो के सेवन करने से होती है। जीवाणु, संक्रामक जीव, वायरस, परजीवी, बैक्टीरिया आदि उनके द्वारा दूषित किये गये भोजन का सेवन करना फूडपाइजनिंग का सामान्य कारण होता है। यदि भोजन को ठीक से सभाला ना जाये तो यह भोजन भी दूषित हो सकते है। Food Poisoning होने के कुछ घंटो में व्यक्ति को उल्टी, दस्त, चक्कर आने जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। ( और पढ़े – चक्कर क्यों आते है और चक्कर का इलाज क्या हैं )

फूडपाइजनिंग होने के बहुत से कारण होते है। जैसे:-

  • बासी खाना खाने से।
  • भोजन बनाते समय अगर दूषित पानी का उपयोग किया तो फूडपाइजनिंग हो सकता है।
  • खाने को ठीक से ढक के नहीं रखने पर उसपर गंदे मक्खी बैठ जाती है और खाने को संक्रमित कर देती है। यह फूडपोइजनिंग का भी एक कारण हो सकता है। ( और पढ़े – मलेरिया बुखार क्या है )
  • यदि लंबे समय तक घर में इस्तेमाल की जाने वाली पानी के टैंक की सफाई नहीं हुई हो। तो यह पानी दूषित हो जाता है। इस पानी का उपयोग पीने या खाना बनाने में करने से फूडपाइजिंग की समस्या हो सकती है।
  • 10 से 15 मिनट के अंतराल में उल्टी आना।
  • सिरदर्द होना। ( और पढ़े – माइग्रेन क्या है )
  • पेट में अधिक दर्द होना।
  • दस्त या लूजमोशन होना।
  • अधिक थकावट महसूस करना। ( और पढ़े – थकावट क्यों होती है और थकावट होने के कारण क्या है )
  • भोजन का पांचन ठीक से नहीं होने के कारण बार बार उल्टी के रूप में बाहर आ जाती है।
  • फूडपाइजनिंग का इलाज करने से पहले कुछ परिक्षण किये जाते है। जिसमे पिछले विस्तृत जानकारियों के आधार पर जांच की जाती है। यह जांच डीहाइड्रेशन के लक्षणो को समझने के लिए किया जाता है।
  • फूडपाइजनिंग का इलाज करने के लिए मरीज के गंभीर लक्षणो को देखा जाता है। इसके आधार पर दवाइयों को देने के लिए निश्चित किया जाता है।
  • कुछ लोगो में बिना इलाज के ही फूडपाइजनिंग की बीमारी ठीक हो जाती है। लेकिन कुछ लोगो को दवाइयों की सहायता लेनी पड़ती है।
  • फूडपाइजनिंग में मरीज के शरीर में तरल पदार्थ की कमी आ जाती है। जिसे बढ़ाने के लिए डॉक्टर WHO का पाउडर पीने के लिए कहते है। इस पाउडर में सोडियम, पोटैशियम जैसे Minerals होते है। जो शरीर में तरल पदार्थ का प्रतिस्ठापन करते है।
  • कुछ मामलो में मरीज को कुछ एंटीबायोटिक दवाइयों की खुराक देते है। जिससे मरीज जल्दी ठीक हो जाता है।
  • खाना बनाने के पहले या खाना खाने के पहले अपने हाथो को अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
  • भोजन को हमेशा ढक कर रखे तथा देर तक खुले हुए भोजन का सेवन करने से बचें।
  • भोजन हमेशा साफ़ बर्तनो में बनाये ताकि किसी प्रकार का संक्रमण,जीवाणु का भोजन में प्रवेश ना हो।
  • शौचालय आने के बाद व पालतू जानवर को स्पर्श करने के बाद अपने हाथो को अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
  • यात्रा के दौरान घर का बना हुआ ताजा भोजन ले जाए।
  • पैकेट वाली वस्तुओं को खाने से पहले उसकी एक्सरपायर डेट जरूर देख ले। इसके अलावा खाने में खराब महक आ रही है तो उस भोजन को नहीं करना चाहिए।
  • कच्ची हरी-सब्जियों को पकाने से पहले अच्छी तरह से धो लेना चाहिए ताकि मिट्टी, धुल, बैक्टीरिया बाहर निकल जाये।

अगर फूडपाइजनिंग के बारे में अधिक जानकारी एव इलाज करवाना हो तो तुरंत जनरल फिजिशियन डॉक्टर ( General Physician ) से संपर्क करें।

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