kasturba gandhi short biography in hindi

देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कस्तूरबा गांधी की जीवनी

Kasturba Gandhi Jivan Parichay

कस्तूरबा गांधी जी को वैसे तो सभी गांधी जी की पत्नी के रुप में जानते हैं। दरअसल, गांधी जी एक ऐसी शख्सियत थे, जिनकी उपलब्धियों के आगे कस्तूरबा गांधी के सभी प्रयास ढक गए, लेकिन कस्तूरबा गांधी देश के प्रति निष्ठावान और समर्पित रहने वाले व्यक्तित्व की एक प्रभावशाली महिला थीं, जो कि अपनी निर्भीकता के लिए पहचानी जाती हैं।

कस्तूरबा गांधी ने न सिर्फ एक आदर्श पत्नी की तरह अपने पति गांधी जी के सभी अहिंसक प्रयासों में बखूबी साथ दिया, बल्कि उन्होंने देश की आजादी के लिए एक वीरांगना की तरह लड़ाई लड़ी और इस दौरान उन्हें कई बार जेल की कड़ी सजा भी भुगतनी पड़ी।

कस्तूरबा गांधी, आजादी के आंदोलन के दौरान महिलाओं की रोल मॉडल साबित हुईं। आइए जानते हैं कस्तूरबा गांधी जी के प्रेरणात्मक जीवन के बारे में-

देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कस्तूरबा गांधी की जीवनी – Kasturba Gandhi in Hindi

कस्तूरबा गांधी जी की जीवनी एक नजर में – kasturba gandhi information in hindi, कस्तूरबा गांधी का जन्म, शुरुआती जीवन एवं विवाह – kasturba gandhi biography in hindi.

कस्तूरबा गांधी 11 अप्रैल सन् 1869 में पोरबंदर के कठियावाड़ में एक व्यापारी के घर गोकुलदास कपाड़ियां के यहां जन्मीं थीं। जब वे महज 13 साल की थी, उस दौरान उनके पिता ने प्रचलित बाल विवाह प्रथा के तहत उनका विवाह अपने सबसे अच्छे दोस्त कर्मचंद गांधी के बेटे और आजादी के महानायक कहलाने वाले महात्मा गांधी जी से साल 1882 में कर दिया था।

कस्तूरबा की शादी तो हो गई थी, लेकिन पढ़ाई-लिखाई के नाम पर वे जीरो यानि कि अनपढ़ थीं, उन्हें ठीक तरह से अक्षरों का ज्ञान तक नहीं था। दरअसल उस वक्त लड़कियों को पढ़ाने का चलन नहीं था।

‘बा” पर बापू की भी न चली:

कस्तूरबा को शादी के बाद अपनी निरक्षरता को लेकर थोड़ा संघर्ष करना पड़ा। दरअसल, महात्मा गांधी उनके अनपढ़ होने की वजह से उनसे खुश नहीं रहते थे और उन्हें ताने भी देते थी।

यही नहीं महात्मा गांधी को कस्तूरबा का ज्यादा सजना, संवरना एवं घर से बाहर निकलना तक पसंद नहीं था।

बापू ने उन पर शादी के बाद शुरुआती दिनों से ही उनके बाहर निकलने पर अंकुश लगाने की कोशिश की थी, लेकिन गांधी जी की इन सब बातों का कस्तूरबा पर ज्यादा कोई प्रभाव नहीं पड़ता था, बल्कि वे जहां जाना जरूरी समझती थी, चली जाती थी। इस तरह बापू जी भी उन पर अंकुश लगाने में नाकामयाब रहे।

लेकिन, बाद में गांधी जी ने ही कस्तूरबा को पढना-लिखना सिखाया था। जिसके बाद उन्हें हिन्दी और गुजराती का अच्छा ज्ञान हो गया था। हालांकि, शादी के बाद घरेलू जिम्मेदारियों के बोझ के तले वे दब गईं थीं और ज्यादा नहीं पढ़ पाईं थी।

कस्तूरबा गांधी का ग्रहस्थ जीवन और बच्चे – Kasturba Gandhi History in Hindi

शादी के करीब 6 साल बाद साल 1888 में कस्तूरबा गांधी ने अपने सबसे  बड़े बेटे हरिलाल को जन्म दिया। हालांकि इस दौरान गांधी जी अपनी लॉ पढ़ाई के लिए लंदन गए हुए थे, जिसके चलते कस्तूरबा गांधी ने अकेले ही अपने बेटे की परिवरिश की।

इसके बाद जब गांधी जी वापस अपनी भारत लौटे तब 1892 में उन्हें मणिलाल नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई। फिर इसके बाद महात्मा गांधी जी को अपनी वकालत की प्रैक्टिस के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा, लेकिन इस बार वे अपने साथ कस्तूरबा गांधी जी को भी ले गए।

इस दौरान कस्तूरबा गांधी ने एक आदर्श पत्नी की तरह अपने पति का हर कदम पर साथ दिया। फिर इसके 5 साल बाद 1897 में कस्तूरबा ने अपने तीसरे बेटे रामदास को जन्म दिया और सन् 1900 में कस्तूरबा ने अपनी चौथी संतान देवदास को जन्म दिया।

दक्षिण अफ्रीका के संघर्ष में कस्तूरबा ने बखूबी साथ निभाया:

दक्षिण अफ्रीका में कस्तूरबा जी ने गांधी जी का बखूबी साथ दिया। कस्तूरबा गांधी एक दृढ़इच्छा शक्ति वाली अनुशासित एवं कर्मठ महिला थीं। वे दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों की दशा के विरोध में किए आंदोलन में न सिर्फ शामिल हुईं, बल्कि इस दौरान उन्होंने अनशन और भूख हड़ताल कर अधिकारियों को अपने सामने झुकने के लिए मजबूर कर दिया।

दरअसल, 1913 में जब कस्तूरबा गांधी ने निर्भीकता से दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मजदूरों की स्थिति पर सवाल खड़े किए, तब उन्हें इसके लिए तीन महीने की कड़ी सजा के साथ जेल की सलाखो के पीछे बंद कर दिया गया।

जेल की इस कड़ी सजा के दौरान अधिकारियों ने कस्तूरबा गांधी जी को डराने-धमकाने की भी कोशिश की लेकिन उनके दृढ़ स्वभाव के आगे अधिकारियों की सभी कोशिशें नाकाम साबित हुईं।

स्वतंत्रता आंदोलन में कस्तूरबा जी की भूमिका – Kasturba Gandhi Contribution Freedom Struggle

कस्तूरबा गांधी जी ने भी भारत की आजादी का सपना देखा था और इसी के चलते उन्होंने तमाम घरेलू जिम्मेंदारियों के बाबजूद भी महात्मा गांधी जी द्धारा पराधीनता की बेड़ियों से स्वाधीनता पाने  के लिए चलाए गए आंदोलनों में अपनी बढ़चढ़ भूमिका निभाई।

वहीं स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान जब-जब गांधी जी जेल गए कस्तूरबा गांधी ने अपने महान और नेतृत्व गुणों का परिचय दिया और लोगों को प्रोत्साहित कर उनके अंदर आजादी पाने की अलख जगाने का काम किया।

वे भी गांधी जी के अहिंसक आंदोलन के दौरान उनके साथ जाती थीं और लोगों को सफाई, शिक्षा और अनुशासन आदि के महत्व को समझाती थी। यही नहीं उस दौरान जब महिलाओं को सिर्फ घर की चार दीवारों में ही कैद कर रखा जाता था, उस दौर में कस्तूरबा गांधी महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करती थी।

यही नहीं स्वतंत्रता सेनानियों की तरह ‘बा’ को भी इस दौरान कई बार क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिए जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी, लेकिन वे कभी भी पीछे नहीं हटी और वीरांगनाओं की तरह देश की आजादी के खातिर लड़ती रहीं।

बापू जी को मानती थी अपना आदर्श:

कस्तूरबा गांधी जी अपने पति महात्मा गांधी जी को अपना आदर्श मानती थी और वे उनसे इतना अधिक प्रभावित थीं कि बाद में उन्होंने भी अपने जीवन को गांधी जी की तरह बिल्कुल साधारण बना लिया था। यह तो सभी जानते हैं कि गांधी जी पहले कोई भी काम खुद करते थे, इसके बाद वे किसी और से करने के लिए कहते थे।

वहीं उनके इस स्वभाव से कस्तूरबा गांधी जी काफी प्रसन्न रहती थीं और उनसे सीखती थी। वहीं कस्तूरबा गांधी और महात्मा गांधी जी से जुड़ा हुआ एक काफी चर्चित प्रसंग भी है। दरअसल, जब कस्तूरबा बीमार रहने लगीं थी, तब गांधी जी ने उनसे नमक छोड़ने के लिए कहा।

इस बात को लेकर कस्तूरबा ने पहले तो नमक के बिना खाना बेस्वाद लगने का तर्क दिया, लेकिन जब गांधी जी को उन्होंने खुद नमक छोड़ते हुए देखा तो वे काफी प्रभावित हुईं और उन्होंने नमक छोड़ दिया एवं अपना जीवन भी गांधी जी तरह जीना शुरु दिया। वे उन्हें अपना प्रेरणास्त्रोत मानती थीं।

बा’ की कार्यक्षमता और कर्मठता के बापू भी थे मुरीद:

जब कस्तूरबा गांधी अपने पति गांधी जी के साथ दक्षिण अफ्रीका में साथ रह रहीं थी, उस दौरान गांधी जी ने कस्तूरबा गांधी के अंदर छिपी सामाजिक, राजनैतिक क्षमता का अंदाजा लगाया और तभी उन्हें उनकी देशभक्ति का एहसास हुआ।

वहीं जिस तरह कस्तूरबा गांधी अपने घर का कामकाज करने में निपुण थीं और एक आदर्श मां की तरह बच्चों का पालन -पोषण करती थीं।

वे उतनी ही सिद्धत के साथ गांधी जी के सभी का्मों में हाथ बंटाती थी और स्वतंत्रता आंदोलन में भी एक वीरांगना की तरह लड़ती थी, साथ ही गांधी जी के आश्रमों की भी देखभाल करती थी और सत्याग्राहियों की सेवा भी पूरे मनोभाव से करती थीं। इसी वजह से उन्हें लोग ‘बा’ कहकर भी पुकाते थे।

गांधी जी ने कस्तूबा जी की कर्मठता से अत्याधिक प्रभावित हुए और फिर उन्होंने आजादी की लड़ाई में कस्तूरबा गांधी को महिलाओं की रोल मॉडल के तौर पर पेश किया क्योंकि वे आजादी की लड़ाई में महिलाओं के जोड़ने का महत्व जानते थे।

वहीं कस्तूरबा गांधी जी ने भी उस दौरान आजादी की लड़ाई में उनके अंदर जोश भरने का काम किया और महिलाओं को उनके महत्व को बताया। कस्तूरबा गांधी ने बहुत सी महिलाओं को प्रेरित किया और स्वतंत्रता आंदोलन को नया आयाम प्रदान किया।

कस्तूरबा गांधी की मृत्यु – Kasturba Gandhi Death

कस्तूरबा गांधी अपने जीवन के आखिरी दिनों में काफी बीमार रहने लगीं थी। 1942 में गांधी जी के ”भारत छोड़ो आंदोलन” के दौरान जब गांधी  जी को गिरफ्तार कर लिया था। उस दौरान कस्तूरबा गांधी ने मुंबई के शिवाजी पार्क में खुद भाषण देने का फैसला लिया।

दरअसल पहले वहां गांधी जी भाषण देने वाले थे। लेकिन कस्तूरबा गांधी जी के पार्क में पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, उस दौरान वे बीमार थी और इसके बाद उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया।

साल 1944 में उन्हें दो बार हार्ट अटैक भी पड़ा और फिर फरवरी, 1944 में बा इस दुनिया को अलविदा कहकर हमेशा के लिए चलीं गईं।

इस तरह कस्तूरबा गांधी ने उस दौरान स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनीं, जिस दौरान महिलाओं को घर से बाहर निकलने तक की इजाजत नहीं थी।

कस्तूरबा गांधी जी का अपना एक अलग दृष्टिकोण था, उन्हें आज़ादी का मोल, पता था। उन्होंने हर क़दम पर अपने पति मोहनदास करमचंद गाँधी का साथ निभाया था।

वहीं ‘बा’ जैसा आत्मबलिदान वाला व्यक्तित्व अगर गांधी जी के साथ नहीं होता तो शायद गांधी जी के सारे अहिंसक प्रयास इतने कारगर नहीं होते। कस्तूरबा गांधी जी अपने नेतृत्व के गुणों का परिचय देते हुए स्वाधीनता संग्राम के सभी अहिंसक प्रयासों में अग्रणी बनी रहीं।

कस्तूरबा गांधी जी के त्याग, बलिदान और समर्पिण को हमेशा याद किया जाता रहेगा।

कस्तूरबा वह महिला थी जिसने जीवन भर अपने पति का साथ दिया। जबकि स्वतंत्रता के दिनों में महिलाओ को इतना महत्त्व नहीं दिया जाता था, उस समय महात्मा गांधीजी ने कभी कस्तूरबा को समाजसेवा करने से नहीं रोका।

कम उम्र में शादी होने के बाद भी कस्तूरबा अपनी जवाबदारियो से नहीं भागी, वो अंत तक अपने कर्तव्यो का पालन करती रही, और अपने समाज की सेवा करती रही।

निच्छित ही कस्तूरबा आज के महिलाओ की प्रेरणास्त्रोत है।

पढ़े : Mahatma Gandhi Biography

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4 thoughts on “देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कस्तूरबा गांधी की जीवनी”

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Kasturba gandhi to aamrarh anshan me mrityu kr gyi thi

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Every women read and do some work for the nation as devices given by kasturba Gandhi. Role of women for development of nation is requirement of time

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Hame Kasturba Gandhi ke wisay me jankari dene ke liye aapka Sukriya…DHANYAWAD

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kya kasturba gandhi ke keval char bachhe hi the.maine to purane logo se suna hai ki unke 6 bachhe the.

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कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय | Kasturba Gandhi Biography in Hindi

Katurba Gandhi Biography Hindi

कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय | Kasturba Gandhi   History Biography, Birth, Education, Earlier Life, Death, Role in Independence in Hindi

खुशी तब होती है जब आप क्या सोचते हैं, आप क्या कहते हैं, और आप क्या करते हैं सद्भाव में हैं. – Kasturba Gandhi

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में न सिर्फ पुरुषों ने अंग्रेज़ो के खिलाफ जंग लड़ी, बल्कि महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ के अपना योगदान दिया था. इन्ही महिलाओं में मौजूद थी ‘कस्तूरबा गांधी’ जो ‘बा’ के नाम से विख्यात है. और वह मोहनदास करमचंद गांधी यानि पूजनीय महात्मा गांधी की धर्मपत्नी थी. तो चलिए इस लेख में आगे चलकर कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय विस्तार से जानते है.

प्रारम्भिक जीवन | Kasturba Gandhi Early Life

कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को गुजरात में काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में हुआ था. उनके पिता का नाम गोकुलदास मकनजी एक साधारण व्यापारी थे. उनकी माता का नाम व्रजकुंवरबा कपाडिया था, जो एक गृहिणी थी. कस्तूरबा उनके माता-पिता की तीसरी संतान थी.

उस जमाने में लड़कियों को पढाई करने केलिए इजाजत नहीं दी जाती थी और काफ़ी अल्पवय में उनका विवाह कर दिया जाता था. अल्पवय में विवाह करने की भारतीय प्रथा को ‘बालविवाह’ कहते है. इसी प्रथा के अनुसार कस्तूरबा गांधी का विवाह सात साल की उम्र में महात्मा गांधी के साथ कर दिया गया. कहा जाता है कि, कस्तूरबा, महात्मा गांधी से आयु में छह मास बड़ी थी.

गांधीजी के साथ जीवन | Kasturba’s Life with Gandhiji

1888 तक दोनों साथ ही रहे. महात्मा गांधी जब इंग्लैंड से भारत लौट आये उसके बाद लगभग बारह वर्षो तक दोनों ने अलग अलग दिन गुजारे. उसके बाद गांधीजी को आफ्रिका जाना पड़ा था. 1896 में वे भारत लौट आये, उस समय वे बा को भी अपने साथ लेकर चले गए. इस समय से वह गांधीजी के साथ रहने लगी थी. बापू के हर फैसले में साथ देना, यह बा ने अपना परम कर्त्तव्य माना था. वे बापू के हर महाव्रतों में सदैव उनके साथ रहीं.

दक्षिण अफ्रीका में भारतियों की दशा के विरोध में जब वो आन्दोलन में शामिल हुईं तब उन्हें तीन महीनों केलिए गिरफ्तार कर दिया गया था. 1915 में कस्तूरबा भी महात्मा गाँधी के साथ भारत लौट आयीं. चंपारण सत्याग्रह के दौरान उन्होंने भी लोगों को सफाई, अनुशासन, पढाई आदि के महत्व के बारे में बताया. इसी दौरान कस्तूरबा ने गांव गांव घूमकर दवाइयाँ वितरण का कार्य किया था.

1922 में जब गांधी जी को गिरफ्तारी हुई, इस समय कस्तूरबा ने गुजरात के गावों का दौरा किया. क्रान्तिकारी गतिविधियों के कारण 1932 और 1933 में उनका अधिकांश समय जेल में ही गुजरा. 1939 में उन्होंने राजकोट रियासत के राजा के विरोध में भी सत्याग्रह में भाग लिया.

निधन | Kasturba Gandhi Death

1944 में जनवरी में उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा. उनके निवेदन पर सरकार ने आयुर्वेद के डॉक्टर का प्रबंध भी कर दिया और कुछ समय के लिए उन्हें थोडा आराम भी मिला पर 22 फरवरी, 1944 को उन्हें एक बार फिर भयंकर दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गयी.

अनमोल विचार | Kasturba Gandhi Thoughts

  • जहाँ प्यार है, वहाँ जीवन है.
  • हमे वो बदलाव लाना चाहिए जिसे हम देखना चाहते है.
  • खुशी तब होती है जब आप क्या सोचते हैं, आप क्या कहते हैं, और आप क्या करते हैं सद्भाव में हैं.
  • मेरा जीवन मेरा संदेश है.
  • यह काफ़ी ज़्यादा है. जीवन की तेज़ी को बड़ाने के लिए.
  • अपनी दोस्त की बात नही सुने. जब वह अंदर से कहता हो. ऐसा मत करो.
  • शक्ति दो प्रकार का होता है पहली सज़ा का डर और दूसरी प्रेम की कला से. प्यार पर आधारित सकती हज़ार गुना ज़्यादा कारगर और स्थाई है.

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It's Hindi

कस्तूरबा गाँधी.

जन्म : 11 अप्रैल, 1869

निधन : 22 फ़रवरी, 1944

कार्य : स्वतंत्रता सेनानी

अगर हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम की बात करें तो हमारे मस्तिष्क में अनेकों महिलाओं का नाम प्रतिबिंबित होता है पर वो महिला जिनका नाम ही स्वतंत्रता का पर्याय बन गया है वो हैं ‘कस्तूरबा गाँधी’। ‘बा’ के नाम से विख्यात कस्तूरबा गाँधी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की धर्मपत्नी थीं और भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। निरक्षर होने के बावजूद कस्तूरबा के अन्दर अच्छे-बुरे को पहचानने का विवेक था। उन्होंने ताउम्र बुराई का डटकर सामना किया और कई मौकों पर तो गांधीजी को चेतावनी देने से भी नहीं चूकीं। बकौल महात्मा गाँधी, “जो लोग मेरे और बा के निकट संपर्क में आए हैं, उनमें अधिक संख्या तो ऐसे लोगों की है, जो मेरी अपेक्षा बा पर कई गुना अधिक श्रद्धा रखते हैं”। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन अपने पति और देश के लिए व्यतीत कर दिया। इस प्रकार देश की आजादी और सामाजिक उत्थान में कस्तूरबा गाँधी ने बहुमूल्य योगदान दिया।

प्रारंभिक जीवन

कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल सन 1869 में काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में हुआ था। कस्तूरबा के पिता ‘गोकुलदास मकनजी’ एक साधारण व्यापारी थे और कस्तूरबा उनकी तीसरी संतान थी। उस जमाने में ज्यादातर लोग अपनी बेटियों को पढ़ाते नहीं थे और विवाह भी छोटी उम्र में ही कर देते थे। कस्तूरबा के पिता महात्मा गांधी के पिता के करीबी मित्र थे और दोनों मित्रों ने अपनी मित्रता को रिश्तेदारी में बदलने का निर्णय कर लिया था। कस्तूरबा बचपन में निरक्षर थीं और मात्र सात साल की अवस्था में उनकी सगाई 6 साल के मोहनदास के साथ कर दी गई और तेरह साल की छोटी उम्र में उन दोनों का विवाह हो गया।

कस्तूरबा का शुरूआती गृहस्थ जीवन बहुत ही कठिन था। उनके पति मोहनदास करमचंद गाँधी उनकी निरक्षरता से अप्रसन्न रहते थे और उन्हें ताने देते रहते थे। मोहनदास को कस्तूरबा का संजना, संवरना और घर से बाहर निकलना बिलकुल भी पसंद नहीं था। उन्होंने ‘बा’ पर आरंभ से ही अंकुश रखने का प्रयास किया पर ज्यादा सफल नहीं हो पाए।

गाँधी जी के साथ जीवन

विवाह पश्चात पति-पत्नी सन 1888 तक लगभग साथ-साथ ही रहे परन्तु मोहनदास के इंग्लैंड प्रवास के बाद वो अकेली ही रहीं। मोहनदास के अनुपस्थिति में उन्होंने अपने बच्चे हरिलाल का पालन-पोषण किया। शिक्षा समाप्त करने के बाद गाँधी इंग्लैंड से लौट आये पर शीघ्र ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। इसके पश्चात मोहनदास सन 1896 में भारत आए और तब कस्तूरबा को अपने साथ ले गए। दक्षिण अफ्रीका जाने से लेकर अपनी मृत्यु तक ‘बा’ महात्मा गाँधी का अनुसरण करती रहीं। उन्होंने अपने जीवन को गाँधी की तरह ही सादा और साधारण बना लिया था। वे गाँधी के सभी कार्यों में सदैव उनके साथ रहीं। बापू ने स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान अनेकों उपवास रखे और इन उपवासों में वो अक्सर उनके साथ रहीं और देखभाल करती रहीं।

दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने गांधीजी का बखूबी साथ दिया। वहां पर भारतियों की दशा के विरोध में जब वो आन्दोलन में शामिल हुईं तब उन्हें गिरफ्तार कर तीन महीनों की कड़ी सजा के साथ जेल भेज दिया गया। जेल में मिला भोजन अखाद्य था अत: उन्होंने फलाहार करने का निश्चय किया पर अधिकारियों द्वारा उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिए जाने पर उन्होंने उपवास किया जिसके पश्चात अधिकारियों को झुकना पड़ा।

सन 1915 में कस्तूरबा भी महात्मा गाँधी के साथ भारत लौट आयीं हर कदम पर और उनका साथ दिया। कई बार जन गांधीजी जेल गए तब उन्होंने उनका स्थान लिया। चंपारण सत्याग्रह के दौरान वो भी गाँधी जी के साथ वहां गयीं और लोगों को सफाई, अनुशासन, पढाई आदि के महत्व के बारे में बताया। इसी दौरान वो गाँवों में घूमकर दवा वितरण करती रहीं। खेड़ा सत्याग्रह के दौरान भी बा घूम-घूम कर स्त्रियों का उत्साहवर्धन करती रही।

सन 1922 में गाँधी के गिरफ्तारी के पश्चात उन्होंने वीरांगनाओं जैसा वक्तव्य दिया और इस गिरफ्तारी के विरोध में विदेशी कपड़ों के परित्याग का आह्वान किया। उन्होंने गांधीजी का संदेश प्रसारित करने के लिए गुजरात के गाँवों का दौरा भी किया। 1930 में दांडी और धरासणा के बाद जब बापू जेल चले गए तब बा ने उनका स्थान लिया और लोगों का मनोबल बढाती रहीं। क्रन्तिकारी गतिविधियों के कारण 1932 और 1933 में उनका अधिकांश समय जेल में ही बीता। सन 1939 में उन्होंने राजकोट रियासत के राजा के विरोध में भी सत्याग्रह में भाग लिया। वहां के शासक ठाकुर साहब ने प्रजा को कुछ अधिकार देना स्वीकार किया था परन्तु बाद में वो अपने वादे से मुकर गए।

बिगड़ता स्वास्थ्य और निधन

‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन के दौरान अंग्रेजी सरकार ने बापू समेत कांग्रेस के सभी शीर्ष नेताओं को 9 अगस्त 1942 को गिरफ्तार कर लिया। इसके पश्चात बा ने मुंबई के शिवाजी पार्क में भाषण करने का निश्चय किया किंतु वहां पहुँचने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और पूना के आगा खाँ महल में भेज दिया गया। सरकार ने महात्मा गाँधी को भी यहीं रखा था। उस समय वे अस्वस्थ थीं। गिरफ्तारी के बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही गया और कभी भी संतोषजनक रूप से नहीं सुधरा।

जनवरी 1944 में उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा। उनके निवेदन पर सरकार ने आयुर्वेद के डॉक्टर का प्रबंध भी कर दिया और कुछ समय के लिए उन्हें थोडा आराम भी मिला पर 22 फरवरी, 1944 को उन्हें एक बार फिर भयंकर दिल का दौरा पड़ा और बा हमेशा के लिए ये दुनिया छोड़कर चली गयीं।

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  • Jivan Parichay (जीवन परिचय) /

Kasturba Gandhi Biography in Hindi : कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय

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  • Updated on  
  • फरवरी 16, 2024

Kasturba Gandhi Biography in Hindi

Kasturba Gandhi Biography in Hindi : कस्तूरबा गांधी को राष्ट्रपिता ‘ महात्मा गांधी ’ की पत्नी के अलावा एक स्वतंत्रता सेनानी और महान समाज सेविका के रूप में भी जाना जाता है। गांधी जी की तरह ही उन्होंने भी अपना संपूर्ण जीवन भारतीय स्वतंत्रता और जन कल्याण के लिए समर्पित किया था। बता दें कि आश्रम जीवन में ढल जाने के बाद महात्मा गांधी कस्तूरबा को ‘बा’ कहकर पुकारते थे। 

कस्तूरबा गांधी की मृत्यु 74 वर्ष की आयु में पूना में ब्रिटिश हुकूमत के कारागार में हुई थी। इस वर्ष कस्तूरबा गांधी की 155वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। आइए अब हम कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय (Kasturba Gandhi Biography) के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

This Blog Includes:

गुजरात के काठियावाड़ जिले में हुआ था जन्म , घर में ही प्राप्त की शिक्षा , राजनीतिक जीवन की शुरुआत, पूना की जेल में हुआ निधन , कस्तूरबा गांधी पर लिखी कुछ किताबें , पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय .

भारत की महान स्वतंत्रता सेनानी कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ जिले में एक संपन्न व्यापारी परिवार में हुआ था। जब वह मात्र 13 वर्ष की थीं उस दौरान ही उनका विवाह गुजरात के पोरबंदर में ‘ मोहनदास करमचंद गांधी ’ से हुआ। बता दें कि कस्तूरबा गांधी जी से आयु में कुछ माह बढ़ी थी। 

अल्प आयु में विवाह होने के कारण कस्तूरबा गांधी की औपचारिक शिक्षा पूर्ण नहीं हो सकी। हालांकि बाद में उन्होंने घर पर रहकर ही शिक्षा प्राप्त की। किंतु गांधी जी अपनी वकालत की पढ़ाई करने के लिए विदेश गए और अपनी शिक्षा पूर्ण की। 

माना जाता है कि कस्तूरबा गांधी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1904 में दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी के साथ ही हुई। भारत लौटने के उपरांत उन्होंने गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कई राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लिया। वर्ष 1913 में ब्रिटिश हुकूमत का पुरजोर विरोध करने के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इसके बाद वह स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने हेतु कई बार जेल गई और उन्हें ब्रिटिश हुकूमत द्वारा कड़ा दंड भी दिया गया। 

किंतु जेल में रहते हुए भी कस्तूरबा गांधी ने अहिंसा का दामन नहीं छोड़ा। यहाँ भी उन्होंने महिलाओं को एकत्रित किया और उन्हें प्रार्थना का महत्व बताया। इसलिए गांधी जी के बाद लोग भी उन्हें ‘बा’ कहकर पुकारने लगे। 

कस्तूरबा गांधी ने स्वराज के लिए कई राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लिया। वहीं अपना संपूर्ण जीवन जनकल्याण और देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया। जब वर्ष 74 वर्ष की थीं उस दौरान उन्हें ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज़ उठाने के जुर्म में पूना के कारागार में रखा गया। इस बीच उनका स्वास्थ्य बहुत खराब था और वह बहुत समय से हृदयरोग से पीड़ित थीं।

इस बीच कस्तूरबा गांधी का स्वास्थ्य लगातार गिरता चला गया। लेकिन अंग्रेजों ने उनकी रिहाई नहीं की जिसके कारण उनका उचित उपचार न हो सका और 22 फरवरी, 1944 को उनका पूना के कारावास में निधन हो गया। बता दें कि गांधी जी के साथ कस्तूरबा गांधी का वैवाहिक जीवन कुल 62 सालों का रहा। वहीं गांधी की मृत्यु से चार साल पहले ही उन्होंने दुनिया से विदा ले ली। 

यहाँ कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय (Kasturba Gandhi Biography in Hindi) के साथ ही उनके जीवन पर लिखी कुछ प्रमुख किताबों के बारे बताया जा रहा है, जो कि इस प्रकार हैं:-

यहाँ कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय (Kasturba Gandhi Biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ जिले में हुआ था।

मोहनदास करमचंद गांधी उनके पति थे। 

उनके पिता का नाम गोकुलदास कपाड़िया था। 

22 फरवरी, 1944 को उनका पूना के कारावास में निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय (Kasturba Gandhi Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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कस्तूरबा गांधी की जीवनी –  Kasturba Gandhi biography in Hindi

कस्तूरबा गांधी की जीवनी –  Kasturba Gandhi biography in Hindi कस्तूरबा गाँधी साहस और तप की एक मिसाल हैं. कस्तूरबा गाँधी महात्मा गाँधी की पत्नी थी.

कस्तूरबा गाँधी (Kasturba Gandhi) या कस्तूरबाई गाँधी एक सफल गृहिणी होने के साथ साथ एक महिला स्वतंत्रता सेनानी और राजनितिक कार्यकर्त्ता थी. 

इस निबंध में हम यह भी जानेंगे कि किस तरह कस्तूरबा गाँधी ने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी भूमिका निभाई.

कस्तूरबा गांधी की जीवनी -  Kasturba Gandhi biography in Hindi

कस्तूरबा गाँधी एक अनपढ़ महिला थी, लेकिन महात्मा गाँधी ने उनको शिक्षित किया. इसके साथ गांधीजी ने कस्तूरबा गाँधी को स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाया.

शायद यहीं कारण था की कस्तूरबा गाँधी पूरे जीवन भर महात्मा गाँधी के साथ एक सक्रिय नेता के रूप में भूमिका निभाती रही. इस बात को आप आगे और अच्छे तरीके से समझ पाएंगे.

कस्तूरबा गाँधी का जीवन परिचय

कस्तूरबा गोकुलदास कपाड़िया का जन्म 11 अप्रैल 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले में हुआ था. कस्तूरबा गाँधी के पिता का नाम गोकुलदास कपाड़िया और माता का नाम वृजकुवरंबा कपाड़िया था. कस्तूरबा गाँधी का परिवार बनिया जाति से संबंधित था.

कस्तूरबा गाँधी अपने बचपन में कभी स्कूल नहीं गयी थी. इसीलिए शुरूआत में वे केवल सजना, संवरना और घूमना पसंद करती थी.

गोकुलदास कपाड़िया एक अमीर व्यापारी थे. गोकुलदास और करमचंद गाँधी दोनों अच्छे मित्र थे. इसी कारण से दोनों ने अपने बच्चों की आपस में सादी करवा दी.

महात्मा गाँधी और कस्तूरबा गाँधी का प्रारम्भिक जीवन

महात्मा गाँधी उम्र में कस्तूरबा गाँधी से 175 दिन छोटे थे. महात्मा गाँधी और कस्तूरबा गाँधी की सादी 13 वर्ष की उम्र में कर दी गयी थी.

कस्तूरबा गाँधी के अनपढ़ होने के कारण महात्मा गाँधी उनको ज्यादा पसंद नहीं करते थे. विवाह के बाद कस्तूरबा गाँधी को श्रृंगार करना और बाहर घूमना फिरना पसंद था. अनपढ़ होने के कारण महात्मा गाँधी अक्सर कस्तूरबा गाँधी को ताना मारा करते थे, और उनसे दूर रहने का प्रयास करते थे.

कस्तूरबा गाँधी बातें करने और किसी का दिल जीतने में माहिर थी. इसीलिए सादी के कुछ समय बाद महात्मा गाँधी कस्तूरबा गाँधी के प्रेम में खो गए. महात्मा गाँधी कस्तूरबा के प्रेम में इतने खो गए कि वे कभी कभी स्कूल भी नहीं जाते थे.

महात्मा गाँधी और कस्तूरबा गाँधी का विवाह एक बाल विवाह था. महात्मा गाँधी ने अपनी पुस्तक में लिखा हैं कि – जब हमारी सादी हुई तो हमें इसके बारे में ज्यादा कुछ ध्यान नहीं था, सादी करना हमारे लिए नए वस्त्र पहनना, मिठाई खाना और दोस्तों के साथ मजे करने जैसा था.

कस्तूरबा गाँधी की संतान

1885 में जब, कस्तूरबा गाँधी सत्रह साल कि थी तब उनकी पहली संतान हुई. कस्तूरबा गाँधी की पहली संतान एक लड़की थी लेकिन वह कुछ दिन तक ही जीवित रही.

जब गांधीजी 1888 में लन्दन से बेरिस्टर की पढाई के बीच वापस भारत लौटे थे, तब  कस्तूरबा गाँधी और गांधीजी के संयोग से एक लड़का हुआ जिनका नाम हरिलाल(1888) था.

इसके बाद जब गांधीजी पढाई पूरी करके लौटे थे तब 1891 में उनकी दूसरी संतान मणिलाल हुए थे. इसके बाद दो पुत्र और हुए जिनके नाम देवदास और रामदास थे.

कस्तूरबा गांधी की विदेश यात्रा

1996 में जब गांधीजी अफ्रीका से भारत लौटे थे तो वे कस्तूरबा गांधी को अपने साथ अफ्रीका ले गए थे. वहां कस्तूरबा गांधी ने गांधीजी के साथ मिलकर काम किया. जब गांधीजी रंगभेद नीति के खिलाफ लड़ रहे थे तो उसके दौरान कस्तूरबा गाँधी भी उनके साथ खड़ी रही.

अफ्रीका में कस्तूरबा गाँधी को भी तीन महीनो के लिए जेल में रहना पड़ा था. तीन महीनो के दौरान कस्तूरबा गाँधी ने किसी भी तरह का अन्न ग्रहण नहीं किया था, केवल फलों के आहार पर तीन महीने जेल में रही.

कस्तूरबा गाँधी का स्वतंत्रता के लिए योगदान

हालाँकि राजकोट(अपने पति के घर) आने से पहले कस्तूरबा गाँधी अनपढ़ थी. महात्मा गाँधी ने उनको कुछ पढना लिखना सिखाया. कस्तूरबा को पढ़ाने लिखाने के अलावा देश प्रेम की भावना भी गांधीजी ने ही जगाई. इसीलिए कस्तूरबा गाँधी महात्मा गांधी के प्रति बहुत वफादार थी और हर कदम उनके साथ रहने का प्रयास करती.

1915 में गांधीजी और कस्तूरबा वापस भारत लौट आये थे. तब से कस्तूरबा गाँधी ने बिलकुल सादा जीवन अपना लिया था, और गांधीजी के साथ आंदोलनों और सत्याग्रहों में भाग लेने लगी. जब जब गांधीजी को जेल हो जाती थी तो बा उनका स्थान ले लेती. बा ने कई गांवों के दौरे भी किये और महिलओं का उत्साहवर्धन का काम भी किया.

महात्मा गाँधी एक सक्रीय नरम दल के स्वतंत्र सेनानी थे. आपको याद होगा कि महात्मा गाँधी अक्सर अपनी बातों को मनवाने के लिए अनसन किया करते थे. इसीलिए अक्सर उनको जेल हो जाया करती थी. एसी स्थिति में कस्तूरबा गाँधी उनका स्थान ले लेती और उन आन्दोलनों को जारी रखती.

इस तरह से कस्तूरबा गाँधी भी एक महिला स्वतंत्रता सेनानी और राजनीयिक कार्यकर्त्ता थी. अब आगे हम आपको यह बताएँगे कि किस तरह से कस्तूरबा गाँधी ने एक स्वतंत्रता सेनानी की तरह अपनी भूमिका निभाई.

कस्तूरबा गाँधी द्वारा आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी

1917 में जब बिहार में चंपारण आन्दोलन शुरू हुआ तब कस्तूरबा गाँधी ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई. कस्तूरबा गाँधी ने महिलाओं के कल्याण पर काम किया, गरीब बच्चों को पढना लिखना सिखाया. इसके अलावा जब गांधीजी नील के कर को लेकर संघर्ष कर रहे थे, तब कस्तूरबा गाँधी ने पीछे रहकर वहां साफ सफाई, अनुशासन, मिल झुलकर रहने का सन्देश दिया. इसके साथ गरीब लोगों का इलाज करने में और घर घर जाकर दवा वितरण करने में सहयोग दिया.

1922 में जब गांधीजी को जेल हो गई तो बा एक महिला क्रांतिकारी बनकर सामने आई और लोगो को विदेशी कपड़ा के बहिष्कार करने और परित्याग करने का निवेदन किया. इसके लिए बा दूर दूर तक गाँवो में गई और गांधीजी के सन्देश को फैलाती रही.

1930 में गांधीजी को एक बार फिर से जेल हो गयी और बा को सामने आना पड़ा था, बा ने लोगो को जागरुक करना जारी रखा. निरंतर क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के कारण 1932 में कस्तूरबा गाँधी को जेल हो गयी थी. 1932 और 1933 का अधिकांश समय कस्तूरबा गाँधी का जेल में ही बिता.

सन 1942 में कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गए भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया. इस आन्दोलन में उनकी एक बार गिरफ़्तारी हुई और उनको जेल जान पड़ा.

कस्तूरबा गाँधी की मृत्यु कैसे हुई

बचपन से ही कस्तूरबा गाँधी क्रोनिक ब्रोंकाइटिस से पीड़ित थीं. इस वजह से उनका स्वास्थ्य 1908 से ही ख़राब होने लगा था. इसके अलावा गाँधीजी के साथ कस्तूरबा गाँधी ने कई बार जेल की यात्रायें की, कई उपवास कियें. ये भी एक कारण हैं की उनकी स्वास्थ्य समस्या और बढती गयी.

जनवरी 1944 में कस्तूरबा गाँधी को दो बार दिल का दौरा पड़ा था. इसके बाद कस्तूरबा गाँधी बिस्तर में ही रहने लगी. बिस्तर में भी राहत नहीं मिलने पर उनका आयुर्वेदिक चिकित्सक से इलाज भी करवाया गया, जिससे उनको कुछ समय के लिए राहत मिली.

लेकिन यह भी ज्यादा दिन तक नहीं चला, आखिरकार 22 फरवरी 1994 शाम 7.35 बजे 74 वर्ष की आयु में पूना के आगा खां पैलेस में कस्तूरबा गाँधी की मौत हो गई.

कस्तूरबा गाँधी की याद में राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट कोष की स्थापना की गयी. इस ट्रस्ट का उपयोग भारत की महिलाओं और बच्चों की मदद के लिए किया जाता हैं.

कस्तूरबा गाँधी के बारें में रोचक तथ्य

हर एक सफल इन्सान के पीछे एक औरत का हाथ होता हैं – ये लाइन आपने सुन रखी होगी. महात्मा गाँधी और कस्तूरबा गाँधी के जीवन पर भी यह बात कुछ फिट बैठती हैं. जब दोनों की सादी हुई तब महात्मा गाँधी कुछ बुरी सांगत में पड़ गए थे. तब गांधीजी को सुधारने के लिए कस्तूरबा ने अपनी नारी शक्ति का प्रदशर्न किया था.

कस्तूरबाई गाँधी महात्मा गाँधी से उम्र में बड़ी थी. अगर आपने इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ा होगा तो आप इस बात को पहले ही जान गए होंगे कि महात्मा गाँधी और बा की सादी घर के बुजुर्गों ने तय की थी. कस्तूरबाई गाँधी महात्मा गाँधी से उम्र में 175 दिन बड़ी हैं.

जब कस्तूरबा गाँधी महात्मा गाँधी के साथ पहली बार अफ्रीका गयी तो महात्मा गाँधी ने घर के काम के लिए एक नौकर रखा. दरअसल वह नौकर अछूत था. इस विचार पर कस्तूरबा ने गांधीजी से बहस शुरू कर दी की वह नौकर के रूप में एक अछूत को नहीं रखे.

इस बहस पर गांधीजी ने कस्तूरबा का हाथ पकड़ कर उनको घर से बाहर कर दिया. इसी घटना के बाद कस्तूरबा में उदार दृष्टिकोण पैदा हुआ और छुआछूत और जातिवाद की निंदा की.

1906 में गांधीजी ने आजीवन ब्रह्मचर्य और शुद्धता पालन की शपत ली. कस्तूरबा गाँधी अपने पति के इस फैसले के साथ खड़ी रही और कभी इसकी शिकायत नहीं की. इस शपथ के बाद इस जोड़े ने कभी कोई यौन संबंध नहीं बनाए.

साबरमती आश्रम की स्थापना होने के बाद कस्तूरबा सभी की सेवा में लग गयी. वहां से उनको ‘बा’ की उपाधि मिली. कस्तूरबा गाँधी बचपन से एनीमिया से पीड़ित थी, इसके बावजूद वे हमेशा सेवा के कदमो में आगे बढती रही.

जब कभी गांधीजी को जेल हो जाती तो लोग बा को अपने नेतृत्व के लिए बुलाते. कस्तूरबा गाँधी ने कभी इसके लिए अपने कदम पीछे नहीं हटाये.

कस्तूरबा गाँधी जीवनी (Kasturba Gandhi Essay in Hindi) में आपने क्या सीखा….

  • महात्मा गांधी पर कविता
  • महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्य
  • वर्तमान युग में गांधीवाद की प्रासंगिकता
  • गांधीवाद विचारधारा क्या है
  • गांधी जयंती निबंध
  • महात्मा गांधी का जीवन परिचय

कस्तूरबा गाँधी के जीवन(Kasturba Gandhi in hindi) से सम्बंधित इस निम्बंध में हमने सरल भाषा में कस्तूरबा गाँधी के जीवन को समझाने का प्रायस किया हैं.

यह आर्टिकल विधार्थियों के लिए और सामान्य ज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं. इस आर्टिकल को सफल बनाने के लिए हमने कुछ मजेदार तथ्य भी जोड़े हैं.

अगर कस्तूरबा गाँधी की जीवनी (Kasturba Gandhi biography in hindi) आपको अच्छी लगी हो तो इस लेख को आगे शेयर जरूर करें.

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कस्तूरबा गांधी की जीवनी Biography of Kasturba Gandhi in Hindi

कस्तूरबा गांधी की जीवनी Biography of Kasturba Gandhi in Hindi

कस्तूरबा मोहनदास गांधी यानी कि महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल, 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था। कस्तूरबा गांधी के पिता गोकुलदस कपाड़िया थे। कस्तूरबा गांधी को अधिकांश लोगों द्वारा केवल महात्मा गांधी की पत्नी के रूप में जानते हैं।

कस्तूरबा के जीवन की ऐसी उपलब्धियां भी हैं जिनसे कि वे खुद की एक अलग पहचान रखने का माद्दा रखती हैं, लेकिन गांधी जी की शख्सियत का आकार इतना बड़ा होने के कारण, वे सभी उपलब्धियां अक्सर ढक जाती हैं। 

जिस तरह महात्मा गांधी को पूरे देश में बापू के नाम से जाना जाता था , उसी तरह गांधी की पत्नी होने के नाते , और कॉंग्रेस में एक मजबूत महिला प्रतिनिधि होने के नाते , पूरा देश कस्तूरबा को “बा” पुकारता था । बा का अर्थ होता है गुजराती में मां । 

Table of Content

प्रारंभिक जीवन

कस्तूरबा गांधी का जन्म एक व्यापारी परिवार में हुआ था। उनके पिता गोकुलदास कपाड़िया एक व्यापारी थे और महात्मा गांधी के पिता के बेहद अच्छे दोस्त थे । कर्मचंद गांधी से दोस्ती के कारण ही उन्होंने अपनी बेटी कस्तूरबा का विवाह मोहनदास गांधी के साथ करने का निर्णय लिया था।

महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी का विवाह 13 साल की उम्र में ही हो गया था। उन्नीसवीं शताब्दी के दौर में बाल विवाह एक सामान्य बात थी। शादी के शुरुआती सालों में दोस्तों की तरह साथ खेलने वाले, मोहनदास और कस्तूरबा ने ज़िन्दगी के साठ सालों तक एक दूसरे का बखूबी साथ दिया। 

शादी के बाद का जीवन

महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की शादी साल 1982 में हुई थी। शादी के वक़्त दोनों की उम्र काफी कम थी और वे दोनों ही काफी कम पढ़े लिखे थे। शादी के वक़्त कस्तूरबा गांधी अनपढ़ थीं और उन्हे ठीक से अक्षरों का ज्ञान भी नहीं था।

कस्तूरबा गांधी को साक्षर बनाने का जिम्मा खुद महात्मा गांधी ने लिया और उन्होने कस्तूरबा गांधी को आधारभूत शिक्षा, जैसे लिखना और पढ़ना सिखाया। हालांकि कस्तूरबा घरेलू जिम्मेदारियों के कारण ज्यादा नहीं पढ़ पाईं। 

कस्तूरबा और महात्मा गांधी जी के पहले बेटे , हरिलाल   का जन्म 1888 में हुआ था । यह वही वर्ष था जब महात्मा गांधी लंदन में वकालत की पढ़ाई करने गए थे । वकालत करके लौटने के बाद गांधी जी को 1892 में पुत्रप्राप्ति हुई , जिनका नाम मणिलाल रखा गया । 1897 में गांधी दम्पति के तीसरे बेटे रामदास का जन्म हुआ । 

तीन बेटों के जन्म के बाद कस्तूरबा एक माँ के पात्र में थीं और घरेलू कार्यकाजों में पूरी तरह से रम गईं थीं। वहीं दूसरी ओर गांधी जी के दौर की यह शुरुआत ही थी। 1888 में गांधी जी के पहले बेटे के जन्म के कारण कस्तूरबा उनके साथ लंदन तो नहीं जा पाईं थीं ।

पर जब 1897 में महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका जाकर वकालत का अभ्यास करने का निर्णय लिया, तब कस्तूरबा ने उनका परस्पर साथ दिया। गौरतलब है कि गांधी दम्पति को उनके चौथे पुत्र की प्राप्ति 1900 में हुई, जिनका नाम देवदास रखा गया। 

राजनीतिक दौर और आंदोलन में भूमिका

कस्तूरबा गांधी भले ही घरेलू संसार में अत्यधिक समय तक रहीं हों, लेकिन वे गांधी जी के विचारों से काफी ज्यादा प्रभावित थीं और उनका कंधे से कंधा मिलाकर साथ देतीं थीं। गौरतलब है कि गांधी जी जहां अपनी राजनीतिक व्यस्तता के कारण अपने पुत्रों को समय नहीं दे पा रहे थे, वहीं कस्तूरबा ने डोर के दोनों ही सिरों को बड़ी बारीकी से पकड़ा हुआ था। कस्तूरबा गांधी एक अच्छी कार्यकर्ता होने के साथ साथ एक अच्छी माँ बनने के लिए भी एड़ी चोटी लगाकर प्रयत्न कर रहीं थीं।

दक्षिण अफ्रीका से ही महात्मा गांधी ने अपने आंदोलन का आधार बनाया था, और यहाँ पर कस्तूरबा ने उनका बखूबी साथ दिया था। कस्तूरबा गांधी अन्य सभी कार्यकर्ताओं की तरह ही अनशन और भूख हड़ताल करके सरकार की नाक में दम कर देतीं थीं। 

गौरतलब है कि सन 1913 में पहली बार उन्हे भारतीय मजदूरों की दक्षिण अफ्रीका में स्थिति के बारे में सवाल खड़े करने पर जेल में डाल दिया गया था। तीन महीने की मिली इस सजा के दौरान इस बात का बारीकी से ध्यान रखा गया था कि यह सजा कड़ी हो और कस्तूरबा दुबारा आवाज उठाने की हिम्मत न करें, लेकिन कस्तूरबा को डराने की कोशिश पूर्णतः नाकाम रही। 

महात्मा गाँधी का भारत वापसी Return of Mahatma Gandhi to India

1915 में महात्मा गांधी वापस भारत आ गए। गांधी जी ने यहां पर आते ही लोगों को जागरूक करने के प्रयत्न शुरू कर दिए। कस्तूरबा ने इस दौर में भी गांधी जी का पूरा साथ दिया। कस्तूरबा गांधी ने लोगों को जागरूक करने के लिए भरसक प्रयत्न किए और इस दौरान वो शिक्षा, समाज और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों से भी जुड़ी रहीं। 

महिलाओं के लिए रोल मॉडल Role model for Indian Womens

गांधी जी साल दर साल राजनीति और देश के लिए अत्यधिक समर्पित हो गए। इस दौरान कस्तूरबा एक स्तंभ की तरह गांधी जी के साथ खड़ी रहीं और उन्हे समर्थित किया। उस दौर मे कस्तूरबा गांधी के सिवाय और उंगलियों पर गिनी जा सकें केवल इतनी ही महिलाएं राजनीति और देशसेवा में संलग्न थीं। उस दौर की सोच इस तरह थी कि यदि महिलाएं ये सब कुछ करेंगी तो घरेलू कामों को सही ढंग से नहीं कर पाएंगी, या करना छोड़ देंगी।

कहीं न कहीं देश की महिलाओं के मन भी यह सारी चीजें घर कर गईं थीं। महात्मा गांधी देश की महिलाओं को आजादी की लड़ाई में जोड़ने का महत्व जानते थे। उन्होने कस्तूरबा को एक रोल मॉडल के तौर पर हमेश पेश किया जिससे कि यह समझा जा सके कि घर चलाना और देश के लिए लड़ना, साथ में किया जा सकता है। कस्तूरबा गांधी ने बहुत सी महिलाओं को प्रेरित किया और आंदोलन को नया आयाम प्रदान किया। 

जब “बा” चलीं गईं Death

महात्मा गांधी के साथ तरह तरह के आंदोलन में जुड़े रहने के दौरान कई बार कस्तूरबा गांधी को जेल जाना पड़ा । शादी के साठ सालों तक महात्मा गांधी जी का साथ देने के बाद “बा” थक चुकीं थीं और काफी ज्यादा बीमार हो चुकीं थीं । सन 1942 से ही उन्हे बीमारी ने जकड़ लिया था और 1944 की जनवरी में दो बार दिल का दौरा सहने के बाद , फरवरी   में बा ने आखिरी सांसे लीं । 

आज़ादी के तीन साल पहले , आजादी का सपना देखने वाली आँखे बंद हो चुकीं थीं । लेकिन अपने पीछे उन्होने ऐसी कई सारी कहानियां छोड़ रखी हैं , जिन्हे जानकर काफी ज्यादा प्रभावित हुआ जा सकता है । 

Featured Image –  https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Post_card_of_Kasturba_Gandhi.jpg

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kasturba gandhi short biography in hindi

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कौन थी वो जिसके बिना गांधीजी स्कूल के दिनों में भी नहीं रह पाते थे ?

एक ऐसी महिला, जो बिलकुल अनपढ़ थी। पढ़ी-लिखी। जीवन जीने का सलीका सीखी। और अपने पति के साथ घूम-घूम कर लोगों के सेवा में तल्लीन हो गई। वाकई में जीवन जीना इसे ही कहते है। अपने जीवन की कमियों को पूरा करते हुए दूसरों के जीवन को पूर्ण करने में सहयोग देना। ऐसी ही थी Mohandas Karmachand Gandhi ‘s Wife Kasturba Gandhi ।   फ्रेंड अब इस Hindi Biography द्वारा Kasturba Gandhi की Life की झलकियों को करीब से जानेंगे।     

Kasturba Gandhi Hindi Biography (Wiki)

Kasturba gandhi का early life & family.

कस्तूरबा गांधी का जन्म पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनकी बचपन का नाम Kastur Kapadia  था। वह बचपन से ही बड़ी सीधी-सदी और धार्मिक थी। उनकी पिता Gokuldas Banerjee  पोरबंदर में Business किया करते थे और उनकी माँ व्रजकुनवेरबा कपाड़िया एक House wife थी। पुरानी विचारधारा के कारण उनकी शिक्षा-दीक्षा नहीं हो सकी और मात्र 14 साल की छोटी उम्र में 13 साल के मोहनदास करमचंद गांधी जी से विवाह करा दिया गया।

सीधी-सादी कस्तूरबा ससुराल से ज्यादा मायके में रहती थी।

जिस बारे में गांधीजी कहते है

मैं कस्तूरबा से बहुत प्यार करता था। स्कूल के दिनों में उसकी यादें मुझे बहुत सताया करती थी। शादी के 5 वर्षों बाद कहीं जाकर एक साथ लंबे समय तक रहे।

इस लंबे समय में गांधीजी ने उन्हें पढ़ाया-लिखाया और अनुशासन सिखाया।

जब गांधीजी वकालत की पढ़ाई के लिए London जा रहे थे। तब उन्हें भारत में ही रहकर अपने नवजात बच्चे का पालन-पोषण करना पड़ा।

(Quick Fact) Kasturba Gandhi Date of Birth (DoB) – April 11, 1869

  • Read Also: डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम : सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको सोने ना दें।

South Africa मेँ संघर्ष

1897 में वो गांधीजी के साथ South Africa गई। जहां उन्होंने गांधीजी की पूर्ण साथ देते हुए भारतीयों पर हो रहे जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाई और 3 महीने की कठोर सजा भी पाई। पर वो हार नहीं मानी और विजयश्री हुई।

India मेँ सेवा

भारत में नील-किसानों पर बढ़ रहे अत्याचार को देखते हुए गांधीजी ने कस्तूरबा के साथ 1915 में भारत लौटने का निश्चय किया।

कस्तूरबा गांधी महात्मा गांधी के साथ पश्चिम चंपारण आकर लोगों को पढ़ना, लिखना सिखाई। उन्हें से स्वास्थ्य से रिलेटिड़ बातों से भी जागरूक करती थी।

(Quick Fact) Kasturba Gandhi’s Sons -Harilal Gandhi, Manilal Gandhi, Devdas Gandhi, Ramdas Gandhi

Death of Kasturba Gandhi

इस तरह कस्तूरबा गांधी ने पग-पग पर महात्मा गांधी का साथ दिया। और 22 फरवरी 1944 को दिल का दौरा पड़ने से वो सदा के लिए स्वर्गवासिनी हो गई।

  • Read Also: कौन हो सकता है ? पिता की मृत्यु होने के बावजूद भी, अपनी टीम को जीता कर ही दम लेता है

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Kasturba Biography In Hindi In Hindi Me Janakari - Thebiohindi

Kasturba Biography In Hindi – कस्तूरबा गांधी की जीवनी

हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज Kasturba Biography In Hindi में,महात्मा गांधीजी के धर्म पत्नी यानि  कस्तूरबा गाँधी का जीवन परिचय देने वाले है। 

कस्तूरबा गांधी को सब गांधीजी की पत्नी के रुप में जानते हैं। दरअसल वह गांधी जी एक ऐसी शख्सियत थे, जिनकी उपलब्धियों के आगे कस्तूरबा गांधी के सभी प्रयास ढक गए। आज हम ,kasturba gandhi information में जिस व्यक्ति के नाम से, kasturba gandhi poshan sahay yojna ,kasturba gandhi kanya vidyalaya और kasturba gandhi road rajkot नाम दिया गया उस महा मानव कस्तूरबा गांधी के जन्म से मौत तक की सभी बाते बताने वाले है। 

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  2. Gandhi Jayanti: Rohini Hattangadi on playing Kasturba in the iconic film

  3. महात्मा गांधी जयंती पर कविता हिंदी/ mahatma gandhi par kavita hindi / poem on mahatma gandhi hindi

  4. ഹരിലാൽ ഗാന്ധി , അബുദുള്ളാ ഗാന്ധിയായി,#shorts #short #shortvideo

  5. Kasturba Gandhi School Madhupur Deoghar March

  6. Story of Gautam Buddha (गौतम बुधा) in Hindi

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  1. कस्तूरबा गांधी

    कस्तूरबा गांधी. कस्तूरबा गांधी (1869-1944), महात्मा गांधी की पत्नी जो भारत में बा के नाम से विख्यात है। कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल सन् ...

  2. कस्तूरबा गांधी जी की जीवनी

    कस्तूरबा गांधी जी की जीवनी एक नजर में - Kasturba Gandhi Information in Hindi. पूरा नाम (Name) कस्तूरबा गाँधी 'बा'. जन्म (Biography) 11 अप्रैल सन् 1869, काठियावाड़, पोरबंदर ...

  3. कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय

    हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास. धर्म. हिन्दू. Kasturba Gandhi Early Life. कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को गुजरात में काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में ...

  4. कस्तूरबा गाँधी की जीवनी

    कस्तूरबा गाँधी. Dharmendra Singh. on July 30, 2015 at 10:15 am. Kasturba Gandhi Biography in Hindi. स्वतंत्रता सेनानी. जन्म: 11 अप्रैल, 1869. निधन: 22 फ़रवरी, 1944. कार्य: स्वतंत्रता सेनानी. अगर ...

  5. Kasturba Gandhi Biography in Hindi

    Kasturba Gandhi: A Biography: B M Bhalla: Kasturba Gandhi : Giriraj Kishore, Manisha Chaudhry: The Lost Diary of Kastur, My Ba: Tushar Gandhi: Kasturba: Wife of Gandhi: Sushila Nayyar: Kasturba Gandhi: A Complete Biography: A. K. Gandhi: The Secret Diary of Kasturba: Neelima Dalmia Adhar

  6. कस्तूरबा गांधी की जीवनी

    June 24, 2023 Kanaram siyol BIOGRAPHY. कस्तूरबा गांधी की जीवनी - Kasturba Gandhi biography in Hindi कस्तूरबा गाँधी साहस और तप की एक मिसाल हैं. कस्तूरबा गाँधी महात्मा गाँधी की ...

  7. कस्तूरबा गांधी की जीवनी Biography of Kasturba Gandhi in Hindi

    कस्तूरबा गांधी की जीवनी Biography of Kasturba Gandhi in Hindi. कस्तूरबा मोहनदास गांधी यानी कि महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल, 1869 को ...

  8. Kasturba Gandhi Biography, Son, Gandhi Wife, Wiki in Hindi, कस्तूरबा गांधी।

    Kasturba Gandhi Hindi Biography (Wiki) Kasturba Gandhi का Early Life & Family. कस्तूरबा गांधी का जन्म पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनकी बचपन का नाम Kastur Kapadia था। वह बचपन से ही बड़ी सीधी-सदी और धार्मिक थी ...

  9. कस्तूरबा गांधी की जीवनी

    कस्तूरबा गांधी की जीवनी | Kasturba Gandhi Kee Jeevanee | Biography of Kasturba Gandhi in Hindi! 1. प्रस्तावना । 2. उनका आदर्श चरित्र । 3. उपसंहार । 1. प्रस्तावना: कस्तूरबा गांधी उन भारतीय नारियों में ...

  10. कस्तूरबा गांधी जीवनी

    कस्तूरबा गांधी जीवनी - Biography of Kasturba Gandhi in Hindi Jivani. 9 अगस्त सन् 1942 ई. को बापू के गिरफ़्तार हो जाने पर कस्तूरबा गाँधी ने, शिवाजी पार्क, मुंबई में ...

  11. कस्तूरबा गांधी || Biography and Life Story of Kasturba Gandhi in Hindi

    Kasturbai "Kasturba" Mohandas Gandhi was an Indian political activist. She married Mohandas Gandhi in 1883. In association with her husband and son, she was ...

  12. Kasturba Biography In Hindi

    कस्तूरबा गांधी की मृत्यु - Kasturba Gandhi Death. Kasturba Biography - कस्तूरबा गांधी अपने जीवन के आखिरी दिनों में काफी बीमार रहने लगीं थी। 1942 में गांधी जी के ...

  13. Kasturba Gandhi

    Kasturba Gandhi (born April 11, 1869, Porbandar, India—died February 22, 1944, Pune) Indian political activist who was a leader in the struggle for civil rights and for independence from British rule in India.She was the wife of Mohandas Karamchand Gandhi.. Kasturba Kapadia was born to Gokuladas Kapadia, a wealthy merchant, and his wife, Vrajkunwerba, in the city of Porbandar (now in Gujarat ...

  14. Kasturba Gandhi

    Kasturbai Mohandas Gandhi (listen ⓘ, born Kasturbai Gokuldas Kapadia; 11 April 1869 - 22 February 1944) was an Indian political activist who was involved in the Indian independence movement during British India.She was married to Mohandas Gandhi, commonly known as Mahatma Gandhi. National Safe Motherhood Day is observed in India annually on April 11, coinciding with Kasturba's birthday.

  15. PDF Kasturba Gandhi

    Kasturba was a woman of courage and in her early years resisted the domination of her husband. As Gandhi said, "She was a woman always of strong will which in early days, I used to mistake for obstinacy. But that strong will enabled her to become unwittingly my teacher in the practice of non-violent non-cooperation."

  16. Kasturba Gandhi, the larger than life shadow of Mahatma Gandhi

    In 1914 when Gandhi and Kasturba permanently returned to India, and Gandhi entered the Indian political scene in 1917, she became more of a political actor. Gandhi in his own biography spoke about it, "According to my earlier experience, she was very obstinate. In spite of all my pressure she would do as she wished.

  17. कस्तूरबा गाँधी का इतिहास Kasturba Gandhi Biography in Hindi

    Kasturba Gandhi History in Hindi-. कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था, उनके पिता का नाम गोकुलदास और माता का नाम व्रजकुणवार था ...

  18. Kasturba Gandhi, the larger than life shadow of Mahatma Gandhi

    Born in 1869, in Porbandar, Kasturba was the daughter of Gokuldas and Vrajkunwar and she had two brothers. A leading merchant, her father was dealing in grains and cloth and cotton markets in ...

  19. कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय

    कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय- महात्मा गांधी की धर्मपत्नी कस्तूरबा का जन्म 1869 में पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था। ये उम्र में गांधी जी से कुछ

  20. Kasturba Gandhi Biography in Hindi कस्तूरबा गाँधी का इतिहास

    Kasturba Gandhi Biography in Hindi कस्तूरबा गाँधी का इतिहासKasturba Gandhi History and Biography in Hindi Language कस्तूरबा ...

  21. Kasturba: A Life

    Kasturba: A Life. Kasturba. : Arun Gandhi. Penguin Books, 2000 - Biography & Autobiography - 315 pages. Foreword By Lord Richard Attenborough. I Learned The Lesson Of Nonviolence From My Wife. Her Determined Resistance To My Will On The One Hand, And Her Quiet Submission To The Suffering My Stupidity Involved On The Other Hand, Ultimately Made ...

  22. महात्मा गांधी

    प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें. गाँधी जी द्वारा मौलिक रूप से लिखित पुस्तकें चार हैं-- हिंद स्वराज, दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास ...

  23. Kasturba Gandhi

    Kasturba Gandhi. Kasturba Gandhi was born to a prosperous businessman Gokuladas Makharji of Porbandar on April 11, 1869. She got married to Mohandas Gandhi, when she was just thirteen years old. At the time of her marriage, Kasturba was an absolute illiterate. Gandhi taught her how to read and write.

  24. Harry Potter's Tom Felton & more join the cast of Hansal Mehta's Gandhi

    The series has been referred to as India's equivalent to The Crown in the past and the major part of the scenes that showcase Gandhi's early life will be shot in London.