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शिक्षा पर निबंध

Essay on Education in Hindi

शिक्षा पर निबंध : Essay on Education in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘शिक्षा पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है। यदि आप शिक्षा पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

शिक्षा पर निबंध : Essay on Education in Hindi

प्रस्तावना :-

शिक्षा सिर्फ पुस्तकों का ज्ञान ही नहीं होती है बल्कि, हमारे आसपास की प्रत्येक वस्तु के बारे में जानना भी शिक्षा ही होती है। शिक्षा हमें एक अच्छा जीवन जीने में सहायता करती है। शिक्षा एक ऐसा रास्ता है, जिस पर चलकर हम काफी ज्ञान प्राप्त करते है।

शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक होती है, जो व्यक्ति को उसके जीवन में सफलता दिलाती है। शिक्षा मनुष्य का मानसिक रूप से विकास करती है। भारत में प्राचीनकाल से ही शिक्षा का प्रचलन रहा है लेकिन, पहले सिर्फ सीमित लोग ही शिक्षा प्राप्त कर पाते थे।

लेकिन, अब यह शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति की पहुंच में आ गई है। समय के बदलने के साथ-साथ शिक्षा का स्वरूप भी बदल गया है और इसके महत्व में भी काफी अधिक परिवर्तन आ गया है।

शिक्षा के महत्व :-

मनुष्य के जीवन में शिक्षा का काफ़ी अधिक महत्व है। शिक्षा ही हमें शेष जीवों से समझदार बनाती है। शिक्षा मनुष्य का मानसिक विकास करती है और उसकी सोच का दायरा बढ़ाने का कार्य करती है, जिससे मनुष्य का विकास होता है।

तभी वह नई-नई तकनीकी की खोज कर पाता है। आज हमारे आसपास जो भी परिवर्तन एवं तकनीकी आई है, वह इस शिक्षा का ही नतीजा है। शिक्षा न सिर्फ उस व्यक्ति का विकास करती है बल्कि, उसके पूरे देश का विकास करती है।

शिक्षा से ही एक व्यक्ति जागरूक एवं आत्मनिर्भर बनता है। एक व्यक्ति को योग्य बनने के लिए शिक्षा की आवश्यकता होती है। शिक्षा मनुष्य के व्यवहार में भी परिवर्तन लाती है और उसे विनम्र बनाती है।

अच्छी शिक्षा मनुष्य को सफलता की तरफ ले जाती है। शिक्षा न सिर्फ उस व्यक्ति को योग्य बनाती है बल्कि, इसके साथ-साथ उसके पूरे परिवार को भी सफलता की तरफ ले जाती है। उसकी सोच का दायरा भी बढ़ाती है।

शिक्षा का अधिकार :-

भारत के स्वतंत्र होने के बाद संविधान का निर्माण किया गया। जिसके अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को कुछ मौलिक अधिकार दिए गए है, जिनमें शिक्षा को भी सम्मिलित किया गया है।

भारत के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, चाहे वह किसी भी धर्म व जाति का हो। उसके साथ शिक्षा के लिए किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। वह अपनी इच्छा से कोई भी शिक्षा प्राप्त कर सकता है।

शिक्षा के अधिकार में व्यक्ति किसी भी प्रकार की शिक्षा प्राप्त कर सकता है। इसके लिए उसे किसी से इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है। इसे प्राप्त करना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।

शिक्षा की विशेषता :-

  • शिक्षा मनुष्य को सजग व जागरूक बनाती है।
  • शिक्षा से मनुष्य आत्मनिर्भर बनता है और अपने परिवार को भी आत्मनिर्भर बनाता है।
  • शिक्षा से ही मनुष्य को जीवनयापन के लिए रोजगार प्राप्त होता है।
  • शिक्षा मनुष्य का विकास करती है और उसके जीवनशैली में परिवर्तन लाती है।
  • शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का भी विकास करती है।
  • शिक्षा मनुष्य को विकारों से दूर रखती है

आधुनिक शिक्षा :-

इस समाज में शिक्षा का काफी अधिक महत्व है। इसका पीढ़ी दर पीढ़ी विकास होता रहा है। इस आधुनिक समय में साधारण शिक्षा का महत्व कम होकर आधुनिक शिक्षा शिक्षा का महत्व बढ़ गया है।

आधुनिक शिक्षा में मनुष्य को वैज्ञानिक एवं तकनीकी शिक्षा प्रदान की जाती है। मनुष्य के सार्वभौमिक विकास पर ध्यान दिया जाता है। इसमें शिक्षा का स्तर भी काफी बढ़ाया जाता है।

इसमें किताबी ज्ञान को ही नहीं बल्कि, सामाजिक ज्ञान को भी महत्व दिया जाता है। इसमें व्यक्ति को कुशल बनाया जाता है ताकि, वह हर परिस्थिति में खड़ा रह सके। आधुनिकरण में शिक्षा के पहलुओं एवं उसके तरीकों में बदलाव किया जा रहा है।

शिक्षा सिर्फ किताबों तक ही सीमित नहीं होती है बल्कि, अपने आसपास का ज्ञान ग्रहण करना भी शिक्षा ही कहलाता है। आज शिक्षा को सिर्फ परीक्षा एवं रोजगार तक ही सीमित कर दिया गया है।

लोगों ने शिक्षा को सिर्फ रोजगार प्राप्त करने का साधन बना लिया है जबकि, शिक्षा का महत्व इससे काफी अधिक है। शिक्षा आज प्रत्येक मनुष्य की जरूरत बन गई है। इसके बिना समाज में रहना भी काफी अधिक मुश्किल हो गया है।

अशिक्षित व्यक्ति के मुकाबले शिक्षित व्यक्ति को इस समाज में अधिक सम्मान दिया जाता है। इसलिए, सरकार भी इसे तेज़ी से देश के प्रत्येक कोने तक पहुँचाने का काम कर रही है।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ  फेसबुक  पर साझा अवश्य करें और हमारे  वेबसाइट  को सबस्क्राइब कर ले।

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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

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भाई आपने बहुत सुन्दर लेख लिखा है, मैं इस लेख को आपको नाम से अपने स्तर पर भी प्रकाशित करूंगा। जिस से आपके लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों पर पहुंचा सकू ।

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शिक्षा का उद्देश्य पर निबंध | Essay On The Purpose Of Education In Hindi

नमस्कार दोस्तों शिक्षा का उद्देश्य पर निबंध Essay On The Purpose Of Education In Hindi में आपका स्वागत हैं. आज का निबंध जीवन में शिक्षा के महत्व और उद्देश्य को लेकर दिया गया हैं. सरल भाषा में एजुकेशन के इम्पोर्टेंस पर दिया एस्से पढ़ते हैं.

शिक्षा का उद्देश्य निबंध Essay On The Purpose Of Education In Hindi

शिक्षा का उद्देश्य निबंध Essay On The Purpose Of Education In Hindi

किसी भी व्यक्ति की उन्नति और विकास के लिए शिक्षा का बड़ा महत्व हैं. शिक्षा के बिना प्रगति संभव नही हैं, यदि आप जिन्दगी में बहुत आगे बढना चाहते हैं. अथवा सफल होना चाहते हैं.

शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसके बिना किसी व्यक्ति के आगे बढ़ने की कल्पना करना व्यर्थ हैं. भारत में शिक्षा के उद्देश्य और महत्व पर में इसके कुछ पहलुओ पर चर्चा करेगे. आखिर शिक्षा  क्या सही अर्थ क्या हैं. व समग्र शिक्षा के उद्देश्य क्या होने चाहिए जिनकी प्राप्ति में आगे कदम बढ़ाएं जाने चाहिए.

‘सा विद्या या विमुक्तये’ अर्थात विद्या अथवा शिक्षा वही हैं जो हमे मुक्ति दिलाती हैं.

यह मुक्ति अन्धकार से, अज्ञान से तथा अकर्मण्यता से हैं. बालक जन्म से लेकर जीवन पर्यन्त कुछ न कुछ सीखता रहता हैं किन्तु औपचारिक शिक्षा प्राप्ति के उद्देश्य उसके सामने स्पष्ट होने जरुरी हैं. आज हमारी शिक्षा निति केवल जीवन निर्वाह की शिक्षा व्यवस्था ही दे रही हैं.

जबकि होना यह चाहिए. कि शिक्षा जीवन निर्वाह की अपेक्षा जीवन निर्माण का उद्देश्य पूरा करे. शिक्षा किसी भी राष्ट्र की मेरुदंड कही जा सकती हैं.

शिक्षा का महत्व (importance of education)

जो संस्कारवान, स्वस्थ, श्रमनिष्ट, संस्कृतंनिष्ट, साहसी एवं कुशल नागरिकों का निर्माण कर सके, इसलिए शिक्षा एक तरफ व्यक्ति निर्माण का कार्य करती हैं तो दूसरी ओर राष्ट्र निर्माण का भी अप्रत्यक्ष रूप से कार्य करती हैं.

यदि किसी राष्ट्र का समुचित विकास तथा उसके नागरिकों का सही व्यक्तित्व का निर्माण करना हैं तो उसकी शिक्षा के उद्देश्य का होना आवश्यक हैं. शिक्षा वस्तुतः कोई पाठ्यक्रम या डिग्री प्राप्त करना भर नही हैं.

बल्कि जीवन में चलने वाली सतत प्रक्रिया हैं. जो कुछ न कुछ सिखाती रहती हैं. शिक्षा से ही व्यक्ति और राष्ट्र के चरित्र का निर्माण होता हैं. यदि किसी देश की शिक्षा व्यवस्था उद्देश्यपूर्ण और अच्छी होगी तो उसके नागरिको का चरित्र भी अच्छा होगा.

भारत में शिक्षा के उद्देश्य (The purpose of education in India)

गांधीजी भी शिक्षा को चरित्र निर्माण के लिए अनिवार्य मानते थे. वे कहते थे शिक्षा के सही उद्देश्य चरित्र निर्माण होना चाहिए.

आज के शिक्षा स्वरूप व शिक्षा प्रणाली में आई गिरावट के कारण ही अपने संचित ज्ञान तथा देश की महान परम्पराओं के प्रति उपेक्षा के भाव, माता-पिता व गुरुजनों के प्रति आदर भाव में कमी, विलासिता व सुविधाओं की ओर बढ़ता आकर्षण, प्रदर्शन प्रियता व उपभोक्तावाद आदि का प्रभाव जीवन में बढ़ रहता हैं.

सत्य, अहिंसा, करुणा, अपरिग्रह, सहिष्णुता, ईमानदारी तथा उदारता जैसे महान मानवीय मूल्य जीवन से लुप्त हो रहे हैं. मूलत: शिक्षा वह नही हैं जो हमने सीखी हैं बल्कि शिक्षा तो वह हैं जो हमे योग्य बनाती हैं

‘ नास्ति विद्या सम चक्षु’ अर्थात विद्या के समान कोई दूसरा नेत्र नही हैं. शिक्षा ही वह नेत्र हैं जो जीवन सघर्ष को जीतना सिखाता हैं.

विद्यार्थी जीवन में शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of education in student life)

आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में शिक्षा का बड़ा महत्व हैं, आज के समय में शिक्षा अच्छी नौकरी और पद हासिल करने का एक माध्यम बन चूका हैं. मगर शिक्षा का सही उद्देश्य व्यक्ति के आगे बढ़ने के लिए रास्तों का निर्माण करना हैं.

हमारी शिक्षा का स्तर ही हमे बौद्धिक और मानसिक स्तर से मजबूत बनाने का कार्य करता हैं. आज के समय में प्रत्येक विद्यार्थी अपने जीवन में कुछ सबसे अच्छा करने का सपना पालता हैं, जिनके माता पिता भी अपने बेटे को डोक्टर या इंजिनियर बनाना चाहते हैं, उनका एक ही जरिया होता हैं. उद्देश्य पूर्ण व गुणवता युक्त शिक्षा.

ऐसा नही हैं डोक्टर या इंजिनियर या अध्यापक बनने वाले ही विद्यार्थी शिक्षा अर्जित करते हैं, बल्कि अन्य क्षेत्र जैसे खेल, संगीत, फिल्म किसी भी क्षेत्र में जाने वाला विद्यार्थी निरंतर शिक्षा अर्जित करने की कोशिश करती हैं.

यही शिक्षा उन्हें अपने प्रोफेशन को बेहतर ढंग से करने का आत्मविश्वास पैदा करती हैं. देश भर में लगभग सभी राज्यों के अपने शिक्षा बोर्ड हैं, जो विशेष लक्ष्य के साथ राज्य के सभी विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करते हैं. अंत में इतना ही कहना उचित होगा, सब पढ़े सब बढे.

शिक्षा का उद्देश्य और महत्व पर निबंध Essay On Purpose And Importance of Education In Hindi

भाषा और साहित्य, काव्य और कला हर एक विषय में हमे मनुष्य को उनके विचार और कार्य की भूले नही बतानी चाहिए, वरन उन्हें वह मार्ग दिखा देना चाहिए, जिनमे वह इन सब बातों को और भी सुचारू रूप से कर सके.

विद्यार्थी की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा में परिवर्तन होना चाहिए. अतीत जीवन की हमारी प्रवृतियों को गढ़ा है इसलिए विद्यार्थी को उनकी प्रवृतियों के अनुसार मार्ग दिखाना चाहिए. जो जहाँ पर है उसे वही से आगे बढाओं. हमने देखा है कि जिनकों हम निकम्मा समझते थे उनको भी श्रीराम कृष्णदेव ने किस प्रकार उत्साहित किया और उनके जीवन का प्रवाह एकदम बदल दिया.

उन्होंने कभी भी किसी मनुष्य की विशेष प्रवृतियों को नष्ट नही किया. उन्होंने अत्यंत पतित मनुष्यों के प्रति भी आशा और उत्साहपूर्ण वचन कहे और उन्हें उपर तक उठा दिया.

शिक्षा का महत्व (importance of education essay)

स्वाधीनता ही विकास की पहली शर्त है. यदि कोई यह कहने का दुसाहस करे कि ” मै इस नारी या बालक के उद्धार का उपाय करुगा” तो वह गलत है, हजार बार गलत है. दूर हट जाओं. वे अपनी समस्याओं को स्वयं हल कर लेगे. तुम सर्वज्ञता का दम्भ भरने वाले कौन होते हो?

तुम्हारे ऐसे दुस्साहस का विचार कैसे आया कि ईश्वर पर भी तुम्हारा अधिकार है. क्या तुम नही जानते कि प्रत्येक आत्मा ईश्वर का ही स्वरूप है. हर एक को भगवत स्वरूप समझों. तुम केवल सेवा कर सकते हो.

प्रभु की इच्छा से तुम किसी इन्सान की सेवा कर सको तो सचमुच तुम धन्य हो. तो धन्य हो कि तुम्हे यह सौभाग्य मिला है और दूसरे उससे वचित रहे है. उस कार्य को पूजा की भावना से करो.

 शिक्षा क्या है (What is education)

शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नही है जो तुम्हारे मस्तिष्क में ढूस दिया गया है और वहां आजन्म पड़ा रहकर गड़बड़ मचाया करता है. हमे उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है.

जो जीवन निर्माण में मनुष्य निर्माण में तथा चरित्र निर्माण में सहायक हो वास्तव में उसे ही शिक्षा की संज्ञा दी जा सकती है.

यदि तुम केवल पांच ही परखे हुए विचार आत्मसात कर उनके अनुसार अपने जीवन और चरित्र का निर्माण कर लेते हो, तो तुम एक पुरे ग्रन्थालय को कठ्स्थ करने वाले की अपेक्षा अधिक शिक्षित हो.

यदि शिक्षा का अर्थ जानकारी ही होता, तब तो पुस्तकालय संसार में सबसे बड़े संत हो जाते और विश्वकोष महर्षि बन जाते.

  • शिक्षा का अर्थ महत्व व परिभाषा
  • सह शिक्षा का अर्थ व परिभाषा
  • भारत में प्राथमिक शिक्षा पर निबंध

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Importance of Education in Hindi | शिक्षा का महत्व क्या है

शिक्षा पर निबंध, शिक्षा क्या है.

शिक्षा का महत्व ( importance of education ) हमारे जीवन में हमे बहुत प्रेरित करती है और आगे बढ़ने में मदद करती है। यह हमे समाज में बेहतर स्तिथि बनाने में मदद करती है। शिक्षा हमे अधिक सभ्य और बेहतर शिक्षित बनाती है।

शिक्षा लोगों की सोच को सकारात्मक विचार लाकर बदलती है और नकारात्मक विचारों को खत्म करती है. बचपन में ही हमारे माता-पिता हमारे मस्तिष्क को शिक्षा से ओर ले जाने का प्रयास करते हैं.

वे एक अच्छे विद्दालय में हमारा दाखिला करा कर हमें अच्छी से अच्छी शिक्षा प्रदान करने का हर संभव प्रयास करते हैं.

यह हमे जीवन में एक काबिल इंजीनियर, अधिकारी, डॉक्टर, शिक्षक, पायलट आदि बनाने में सक्षम बनाता है। शिक्षा का अर्थ सभी के जीवन में बहुत कुछ है क्योंकि यह हमारे सीखने और ज्ञान को सुविधाजनक बनाता है।

यह भी पढ़ें: जीवन क्या है   

 शिक्षा का महत्व – Importance of Education in Hindi

आज के समय में शिक्षा का महत्व बहुत बढ़ चुका है. शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि एक व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके.

हमे जीवन में अन्य लक्ष्यो की तुलना में शिक्षा को महत्व देना चाहिए क्योंकि यह हमारे जीवन में ढेर सारी खुशियां लाने का तरीका है। अच्छी तरह से शिक्षित लोग देश के भविष्य को आगे बढ़ाते है।

शिक्षा वह उपकरण है जो जीवन, राष्ट्र और समाज में हर असंभव चीज को संभव बना देता है । अपने अंदर निखार लाना शिक्षा का मकसद है.

दोस्तो, आज मैं आपको शिक्षा के महत्व importance of education के बारे में कुछ टिप्पणी दूंगा.  मुझे यकीन है कि यह पढ़ने के बाद आप में शिक्षा को लेके जागरूकता आएगी और इसके महत्व को अच्छे से समझ भी पाएंगे। तो आइए शुरू करते है:–

importance of education in hindi

★ शिक्षा हमारे अंदर आत्म विश्वास विकसित करती है व्यक्ति के व्यक्तित्व में निर्माण करने में मदद करता है। अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए और सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा बहुत आवश्यक है।

★ शिक्षा अवधि के दौरान प्राप्त ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को उनके जीवन के बारे में आश्वस्त करता है। जीवन में सफल होने के लिए और एक मुकाम हासिल करने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण उपकरण है।

यह जीवन की कठिन चुनौतियों को कम करने में बहुत योग्य है।

★ एक उज्जवल भविष्य पाने के लिए एक आवश्यक उपकरण यह है कि शिक्षा पुरुषो और महिलाओं के लिए समान रूप से होनी चाहिए क्योंकि यह दोनो एक साथ एक स्वस्थ और शिक्षित समाज बना सकते है।

यह देश के विकास और प्रगति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

★ यह मन को जीवन में सकारात्मकता की ओर मोड़ता है

और सभी मानसिक समस्याओं और नकारात्मकता को दूर करता है। हम में से कोई भी किसी भी सूरत में जीवन के शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता है।

आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व

★ हालांकि, वर्तमान में शिक्षा के पूरे विषय को एक बड़े स्तर पर बदल दिया गया है। जिन लोगो तक शिक्षा नही पहुंचती थी, उनके सबसे ज्यादा लगन होती है पढ़ाई करके कुछ बनकर दिखाने की।

शिक्षा का असली महत्व तो छोटे शहरों तथा गांव में रहने वाले लोग ही जानते है। परंतु अब भारत सरकार द्वारा शिक्षा हर क्षेत्र में उपलब्ध हो गई है।

यह भी पढ़ें: पर्सनालिटी डेवलपमेंट कैसे करें

★ शिक्षा आधुनिक तकनीकी दुनिया में एक महत्व भूमिका निभाता है। शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के कही तरीके है। शिक्षा के पूरे मानदंड अब बदल दिए गए है। शिक्षा हमारे लिए इतनी लाभदायक है कि 12वी कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से अध्ययन कर सकते है।

importance of education in hindi

★ आज के समय में शिक्षा का महत्व बहुत बढ़ चुका है। शिक्षा के उपयोग तो बहुत है पर उसे नई दिशा देने की आवश्यकता है। शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि एक व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके। शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक बहुत ही आवश्यक साधन है।

★ दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विद्यालय में बहुत कम नंबर से प्रवेश ले सकते है। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे है। इसलिए शिक्षा का मोल जानिए और सही कदम से चलिए।

★ अच्छी शिक्षा जीवन में बहुत से उद्देश्यों को प्रदान करती है जैसे व्यक्तिगत उन्नति को बड़ावा देना, आर्थिक प्रगति, राष्ट्र की सफलता, जीवन में लक्षयो को निर्धारित करना, हमे सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक करना और पर्यावरण समस्याओं को सुलझाने के लिए हाल प्रदान करना।

★ विद्या एक ऐसा धन है जो न तो कोई चुरा सकता है और न ही कोई छीन सकता है। यह एक मात्र ऐसा धन है जो बाटने पर कम नहीं होता बल्कि इसके विपरित बढ़ता ही जाता है।

हर व्यक्ति चाहता है कि वह एक साक्षर हो, प्रशिक्षित हो इसलिए आज के समय में हमारे जीवन में पढ़ाई का बहुत अधिक महत्व हो गया है।

शिक्षा का महत्व कहानी – Story on importance of education in hindi

importance of education in hindi

स्वामी विवेकानंद , एक दिन एक विद्यालय के कुछ छात्रों से बातचीत कर रहे थे और उन से प्रश्न भी पूछ रहे थे और उनके प्रश्नों के उत्तर भी दे रहे थे.

बातचीत के दौरान स्वामी जी ने उन बच्चों से पूछा, “क्या तुम लोग जानते हो कि शिक्षा क्या होती है? तुममे से कोई मुझे समझा सकता है क्या?”

एक छात्र ने आगे बढ़ कर कहा, “स्वामीजी, विद्या ग्रहण करने को ही शिक्षा कहा जाता है.”

स्वामी जी ने फिर पूछा, “अच्छा अब बताओ कि शिक्षा का उद्देश्य क्या होता है?”

सभी विद्दार्थियों ने अपने अपने विचार रखने शुरू कर दिए. स्वामी जी ने हर एक छात्र के विचार को बड़े ध्यान से सुना और फिर कहा, “जिस चीज़ से मनुष्य की शक्तियों का विकास होता है, वही शिक्षा होती है.

शब्दों को कंठ कर लेना ही शिक्षा नहीं होता है. शिक्षा से मनुष्य की मानसिक शक्तियों का इस तरह विकास होता है कि वो स्वंय सवतंत्रता से कुछ कर सकता है.”

तभी एक विद्यार्थी बोला, “स्वामी जी, शिक्षा से हम नई-नई बातें भी तो सीखते हैं.”

यह भी पढ़ें: जिंदगी बदल देने वाली कहानियां 

यह सुन कर स्वामी जी बोले, “तुम्हारी बात ठीक है बालक, लेकिन नई जानकारी का अर्थ यह नहीं कि उस में अधकचरी ऐसी बातें हों, जिन्हें तुम पचा ही ना पाओ.

शिक्षा जीवन निर्माण करती है. चरित्र सुगठित करती है, विचारों में सामंजस्य पैदा करती है और दुर्भावनाओं पर नियंत्रण करना भी सिखाती है.

शिक्षा तभी सार्थक होती है जब विपरीत परिस्थिति में भी शिक्षा का सही प्रयोग करके विजय प्राप्त की जाए. व्यक्ति शिक्षा का सदुपयोग कर ना केवल अपना और अपने परिवार का बल्कि पूरे देश का भला करता है.

स्वामी जी की बातें सुन कर वहां उपस्थित विद्यार्थी एक स्वर में बोले, “स्वामी जी, आज से हम भी शिक्षा ग्रहण कर हर अशिक्षित व्यक्ति को शिक्षित करने का प्रयास करेंगे.

जो गलत और रूढ़िवादी बातें लोगों में भ्रम बनकर फैली हैं, उन्हें दूर करेंगे.”

विद्यर्थियों की बाते सुनकर स्वामी जी बोले, “अगर तुम सब आज से ही ऐसा करना प्रारंभ कर दोगे तो वह दिन दूर नहीं  जब भारत में तकनिकी ज्ञान भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होगा और तकनिकी स्तर पर भी भारत विश्व के सामने नई नजीर पेश करेगा.”

शिक्षा का महत्व हिंदी कविता

importance of education in hindi

पढ़ना है, बढ़ना है, श्रेष्ठ शिक्षा पानी है, गुणवत्ता को लक्ष्य बनाकर, पढ़ते बढ़ते जाना है। दादा जी ने हमें सिखाया, समझदारी से मेहनत करना, आज भी उनकी उन बातों में, देखो कितनी सच्चाई है।

पढ़ना है बढ़ना है, सच्चा इंसान बनना है, अच्छाई का हाथ थामकर, संसार को बदलना है। नए दौर के नए पथों पर, कामयाबी से चलना है, सबको खुश कर देना है, पढ़ना है बढ़ना है।

शिक्षा जो सम्मीलित और समावेशी, उम्र भर सिखने की हो दूरंदेशी, न्यायसंगत न्यायोजित रहना है, ऐसी शिक्षा प्रणाली बढ़ाना है, पढ़ना है, बढ़ना है।

यह भी पढ़ें: सेल्फ मोटिवेशन poems   

खोजो सिक्षा से विन्मुख, दूर दराज में कोई बच्चे , उन्हें साक्षर करना है, गुणवत्ता के साथ, कौशल्य भी निखारना है, पढ़ना है, बढ़ना है।

सिक्षा ये वो दीपस्तंभ है, दिशाहीन जो नहीं समझता, हर किसी की अपनी नौका, संसार सागर तरना है, पढ़ना है, बढ़ना है।

ऐसी शिक्षा सपना हमारा, जो माध्यमिक तक मुफ्त मिले, सबको सब जगह मिले, शिक्षा दर्जेदार मिले। शिक्षा सिर्फ स्कूलों में नहीं, जीवन से भी मिलती शिक्षा, अनंत विराट ना खत्म हो, ऐसे रत्न भंडार है शिक्षा, उसे हासिल करना है, पढ़ना है, बढ़ना है।

शिक्षा प्रणाली में तरक्की हो, ये भी हमें देखना होगा, नवाचार के परिणामों को, समय समय पर जांचना होगा। समुचित नवीनतम जानकारी हो, संगणक मॉडलिंग का साथ हो। तन में निर्णय की क्षमता हो, और मन में शिक्षा का ध्यास हो। ऐसी श्रेष्ठतम शिक्षा, गाँव गाँव में लानी है, पढना है, बढ़ना है।

अब हर कोई देखो शिक्षित हो , बच्चे माँ से दीक्षित हो। दूर दराज में प्रतिभा चमके, आत्मविश्वास मन में दमके, ऐसी शिक्षा दीप्तीमान हो।

शिक्षा समझ देती है गुणों की, अवगुणों को रोके शिक्षा। महानता के क्षितिज परे भी, देख सकती है ये शिक्षा। उससे कदम मिलाने हैं, पढ़ना है बढ़ना है।

शिक्षा से मिलता सम्मान, शिक्षा से होता है ज्ञान, शिक्षा जो अधिकार सिखलाती, कर्तव्यबोध, विवेक जगाती, सुसंगती उससे धरनी है, पढ़ना है बढ़ना है।

शिक्षा लोगो के मस्तिष्क को उच्च स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है और समाज में लोगो के बीच सभी भेदभाव को मिटाने में मदद करती है। यह हमारे जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ बूझ को विकसित करती है। यह सभी देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में भी हमारी सहायता करता है। इसलिए शिक्षा को हमेशा अपने जीवन में सबसे ऊपर रखे और लगन के साथ पढ़ लिखकर अपने नाम रोशन करे।

दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपको यह शिक्षा का महत्व ( importance of education ) समझ में आया होगा, अगर आपको यह पसंद आया हो तो कमेंट कर के ज़रूर बताएं।

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भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध Essay on Education System in India (Hindi)

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध Education system in India Hindi

इस लेख में आप भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध (Essay on Indian Education System in Hindi) पढ़ेंगे। जिसमें भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली के विषय में, भारतीय शिक्षा व्यवस्था का विकास, शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष को आसान भाषा में समझाया गया है।

Table of Content

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली Current Education System of India in Hindi

किसी भी देश का भविष्य उसकी शिक्षा प्रणाली पर ही निर्भर करता है। जिस देश में साक्षरता दर जितनी अधिक रहेगी वह देश उतना ही विकसित होगा। जीवन में शिक्षा का महत्व उतना ही होता है, जितना जीवित रहने के लिए भोजन का होता है। शिक्षा के विषय में एक प्रसिद्ध कहावत है, कि शिक्षा स्वयं शक्ति होती है।

भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली पूरे विश्व में विख्यात थी। पूरी दुनिया ही भारत की प्राचीनतम शिक्षा पद्धति की कायल रही है।

हम जानते हैं, कि सोने की चिड़िया कहीं जाने वाली हमारी भारत माता को कई विदेशी आक्रमणकारियों ने बंधी बनाया है। सभी ने अपने अपने अनुसार बदलाव करके भारतीय संस्कृति में शिक्षा का नक्शा ही बदल कर रख दिया है।

वर्तमान समय में यदि भारतीय शिक्षा पद्धति की बात करें तो यह पहले जैसे बिल्कुल भी नहीं रही है। वास्तव में हमने वह हीरा गंवा दिया है, जिस पर हमारा एकाधिकार हुआ करता था। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बहुत सारी त्रुटियां उत्पन्न हो गई है, जो भारत के विकास में काफी हद तक  बाधा डाल रही हैं।

एक ऐसा समय हुआ करता था जब दूसरे देश के लोग हमारे गुरुकुल प्रणाली से शिक्षा ग्रहण करने आया करते थे। लेकिन आज हमारे ही लोगों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए कैंब्रिज और ऑक्सफर्ड जैसे दूसरे देशों की विश्वविद्यालयों में जाना पड़ता है।

गरीबी , भ्रष्टाचार , गुनाह, चोरी-डकैती इत्यादि जितने भी अपराध वर्तमान में हम देखते हैं, वे सभी निरक्षरता की ही देन है।

वर्तमान की भारतीय शिक्षा प्रणाली युवाओं के खासियत के बदले उनके परीक्षा परिणाम और सर्टिफिकेट ग्रेडिंग जैसे चीजों पर ज्यादा यकीन करते हैं। आज के समय में भारतीय कई देशों में फैले हुए हैं और वे विदेशों में बड़े वरिष्ठ पदों पर अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं।

हिंदुस्तान के हर गली कूचे में श्रेष्ठ विशेषताओं वाले लोग मिल ही जाते हैं, लेकिन तथाकथित शिक्षा का कोई सर्टिफिकेटना ना होने अथवा भारत की खराब शिक्षा प्रणाली के कारण उन्हें देश में कोई नाम नहीं मिल पाता है।

भारतीय शिक्षा व्यवस्था का विकास Development of Indian Education System in Hindi

भारतीय शिक्षा का वास्तविक स्त्रोत वैदिक काल से ही मिलता है। यह वह काल था, जहां बड़े-बड़े गणितज्ञ, ज्योतिष, वैज्ञानिक, चिकित्सक आदि ने न केवल भारत अपितु पूरे दुनिया को शिक्षा का एक नया आयाम दिखाया था। जब मुग़ल आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किया था, तो उसके साथ ही उन्होंने शिक्षा के लगभग सारे स्त्रोतों को मिटा दिया था।

विश्व की पहली सुविधा युक्त नालंदा विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी द्वारा जला दिया गया था। ऐसा माना जाता है, कि हमारे कई धार्मिक ग्रंथों को मुगल आताताईयों द्वारा चुरा लिया गया था और जिसे वह अपने साथ ले जाने में असफल रहे थे, उन सभी शिक्षा स्त्रोतों को जला दिया गया था।

जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत को गुलाम बनाया गया था, उसी दौरान भारत में एक नई शिक्षा पद्धति का विकास भी हुआ था।

इस समय भारत में लोगों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए एक बार फिर से प्रयत्न किए गए थे। सर्वप्रथम कोलकाता मदरसा नामक शिक्षा संस्थान वारेन हेस्टिंग्स द्वारा 1781 में स्थापित किया गया था।

वही हिंदू धर्म के लोगों के लिए 1791 में बनारस में संस्कृति कॉलेज का निर्माण जोनाथन डंकन के जरिए किया गया था। इससे यह पता चलता है, कि अंग्रेजों ने  भारत को गुलाम बना कर लूटने के अलावा  आधुनिकता के लिए प्रेरित कर कुछ अच्छे कार्य भी किए थे।

यदि देखा जाए तो भारत में शिक्षा का विकास करने के लिए अंग्रेजों में कोई भी रुचि नहीं थी। अंग्रेज जानते थे कि यदि उन्हें भारत में एक लंबे समय तक राज करना है तो उन्हें भारतीयों के साथ अपने संबंध स्थापित करने होंगे ताकि वे अंग्रेजों की तरफ से कार्य करके लोगों तक संदेश पहुंचाएं। वर्तमान भारत में जिस ढांचे की शिक्षा पद्धति आज विस्तृत रूप ले चुकी है, वह अंग्रेजों की ही देन है।

भारत में गुलामी के समय गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक द्वारा बंगाल और बिहार में शिक्षा व्यवस्था को स्थापित करने के लिए कई ईसाई धर्म प्रचारक विद्यालयों और विश्वविद्यालयों को भी स्थापित किया गया था। इन सभी शिक्षण संस्थाओं में नए नए पाठ्यक्रम को शामिल किया जाता था।

सन 1835 में गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक के समक्ष लॉर्ड मेकाले द्वारा एक परिषद में अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम 1835 नामक एक शिक्षण कानून को पारित किया गया था।

आपको बता दें कि लॉर्ड मेकाले वर्तमान भारत में पाश्चात्य शिक्षा पद्धति के जनक माने जा सकते हैं। इसके बाद भारतीय शिक्षा पद्धति में बदलाव करने के लिए कई योजनाएं और समितियां बनाई गई थी।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के गुण Features of Education System in India (Hindi)

यदि प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की बात की जाए तो वहां कोई विद्यालय या विश्वविद्यालय नहीं हुआ करते थे।

शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरुकुल प्रणाली होती थी, जो वाकई में स्वयं में ही एक अद्भुत शिक्षा पद्धति थी।  सदियों पहले चलने वाली हमारी गुरुकुल शिक्षा पद्धति इतनी विख्यात थी जहां प्रत्येक स्वदेशी तथा विदेशी लोग भी आया करते थे।

हिंदुस्तान के महान गणितज्ञ आर्यभट्ट , नागार्जुन, महर्षि सुश्रुत , महर्षि चरक , पतंजलि ऋषि इत्यादि न जाने कितने महान लोगों ने दुनिया को नए अविष्कार दिए हैं। प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की ही देन है, जिससे हमारा भारत विश्व गुरु के नाम से जाना जाता था।

अंग्रेजों द्वारा दिया गया शिक्षा पद्धति भी काफी हद तक आधुनिक भारत के लिए एक अच्छा उपहार माना जा सकता है। वर्तमान शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है। जाति, धर्म, रंग रूप, लिंग आदि बिना किसी ऊंच-नीच का अंतर किए बिना सभी को शिक्षा दिया जाता है।

विद्यालयों में विद्यार्थियों को काफी कुछ सीखने को मिलता है। पूरे अनुशासन और नियम कानून के साथ बच्चों को शिक्षा के माध्यम से एक अच्छा नागरिक बनाने का प्रयत्न किया जाता है। शैक्षणिक संस्थानों के जरिए ही बच्चों का सर्वांगीण विकास हो पाता है।

आज के समय में सभी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा होती हैं। जब विद्यार्थी कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से समझ कर पढ़ता है तो उसे बहुत कुछ जानने और समझने को मिलता है।

वर्तमान समय के भारतीय शिक्षा प्रणाली का पाठ्यक्रम दूसरे देशों के पाठ्यक्रमों से मिलता जुलता है। समान पाठ्यक्रम होने से विद्यार्थियों को दूसरे देश की संस्कृति और व्यवस्थाओं को समझने में काफी मदद मिलती है।

लोगों को शिक्षा के प्रति आकर्षित और प्रेरित करने के लिए अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद काफी सारे इनाम भी रखे जाते हैं। यदि विद्यार्थी गण परीक्षाओं में अच्छे अंको से पास होते हैं, तो उन्हें निशुल्क शिक्षा भी उपलब्ध कराई जाती है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के दोष Defects of Education System in India (Hindi)

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली भले ही आधुनिकता से परिचित है, लेकिन शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों को इसका कोई खास फायदा नहीं होता है।

यदि स्वर्ण के बदले पत्थरों को प्राप्त करके संतोष कर लिया जाए, तो यह एक मूर्खता है। हम भारतीयों के साथ ऐसा ही अन्याय हुआ है, क्योंकि हमारी श्रेष्ठतम शिक्षा प्रणाली को नष्ट करके हम पर पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली को जबरदस्ती थोप दिया गया है।

आज की शिक्षा पद्धति हमें विकास की तरफ ले जाने के बदले पीछे धकेल रही है, जिसे हम अपना सौभाग्य समझ रहे हैं। अंग्रेजों ने जिस शिक्षा पद्धति को भारत में लागू किया था, उससे काफी नकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

यदि वास्तव में शिक्षा के संदर्भ में बात किया जाए तो आज विद्यार्थियों को केवल किताबी कीड़ा बनने का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। पाठ्यक्रम को रट कर कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

यह वास्तविकता है, कि परीक्षा के बाद कुछ ही ऐसे विद्यार्थी होते हैं, जिन्हें वह रटा हुआ पाठ्यक्रम लंबे समय तक याद रह सके। पढ़ाई करने का सही तरीका जनना बहुत जरूरी है।

भारत में ग्रेडिंग सिस्टम को बढ़ावा दिया जाता है, जहां विद्यार्थियों के बुद्धिमता को केवल परीक्षा में प्राप्त हुए  अंको से मापा जाता है। माता-पिता जाने अनजाने में अपने बच्चों पर हमेशा पढ़ाई करने के लिए जोर देते रहते हैं, बगैर यह जाने कि उनका बच्चा किसी दूसरे क्षेत्र में रुचि रखता है या नहीं।

आज के सभी स्कूल कॉलेजों में पढ़ाई के लिए बच्चों पर इतना अधिक बोझ बनाया जाता है, कि उससे विद्यार्थियों की मनोस्थिति पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे कई खबर हमें सुनने को मिल जाएंगे कि किसी विद्यार्थी ने अच्छे अंक प्राप्त ना करने के कारण अथवा फेल हो जाने के कारण आत्महत्या कर ली हो।

यह आज की विफल शिक्षा पद्धति ही है, जिसके परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों को अपने जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण परीक्षा में पास होना लगता है।

यदि कोई विद्यार्थी स्कूल और कॉलेजों में शिक्षा के लिए ढेर सारे पैसे खर्च करने के बाद भी एक छोटी सी नौकरी से ही अपना जीवन निर्वाह करने पर मजबूर हो, तो यह वर्तमान शिक्षा की विफलता नहीं तो और क्या है।

कई बार तो उच्च शैक्षणिक संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात भी लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है। जो यह दर्शाता है कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में कितना पीछे हो गया है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने हिंदी में भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध (Essay on Education System in India Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो और जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

4 thoughts on “भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध Essay on Education System in India (Hindi)”

It’s really give me a good chance to know about education system in India

Sir ya mem aap jo bhi h apne dil khush kr diya bakai m aap desh ki condition samjhte h Thank you

Sir jo bhi aap nibandh ke jariye kaha hai bilkul sahi hai thank sir

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Modern Education System Essay In Hindi

वर्तमान शिक्षा प्रणाली – Modern Education System Essay In Hindi

वर्तमान शिक्षा प्रणाली – essay on modern education system in hindi.

मानव जीवन में शिक्षा का विशेष महत्त्व है। शिक्षा ही वह आभूषण है जो मनुष्य को सभ्य एवं ज्ञानवान बनाता है, अन्यथा शिक्षा के बगैर मनुष्य को पशु के समान माना गया है। शिक्षा के महत्व को समझते हुए ही प्रायः शैक्षणिक गतिविधियों को वरीयता दी जाती है। भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली स्कूल, कॉलेजों पर केंद्रित एक व्यवस्थित प्रणाली है।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

भारत की जो वर्तमान शिक्षा प्रणाली है, वह प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली से मेल नहीं खाती है। भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली का ढाँचा औपनिवेशिक है, जब कि प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली गुरुकुल आधारित थी। वर्तमान शिक्षा प्रणाली एक संशोधित एवं अद्यतन शिक्षा प्रणाली तो है ही यह ज्ञान-विज्ञान के नए-नए विषयों को भी समाहित करती है। कंप्यूटर शिक्षा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है जिसने मानव जीवन को सहज, सुंदर एवं सुविधाजनक बनाया है।

इस शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत देश में नए-नए विश्वविद्यालयों, कॉलेजों एवं स्कूलों की स्थापना की गई और यह प्रक्रिया अनवरत जारी है। इसमें शिक्षा का प्रचार-प्रसार बढ़ाने के साथ-साथ साक्षरता दर में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2011 की जनगणना के आकड़ों के अनुसार इस समय देश की कुल साक्षरता दर 73.0 प्रतिशत है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें महिला साक्षरता की तरफ विशेष ध्यान दिया गया है। महिला साक्षरता बढ़ने से आज समाज में महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ हुई है। वर्तमान में महिलाओं की साक्षरता दर 64.6 प्रतिशत है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली की खूबियों एवं विशेषताओं के साथ-साथ इसकी कुछ कमजोरियाँ भी हैं जिसका हमारे समाज एवं देश पर बुरा प्रभाव दिखाई पड़ रहा है। जैसे-आज संयुक्त परिवार टूटकर एकाकी परिवारों में और एकाकी परिवार नैनो फेमिली के रूप में विभाजित हो रहे हैं।

अब परिवारों में बड़े बुजुर्गों का स्थान घटता जा रहा है जो बच्चों को कहानियों एवं किस्सों द्वारा नैतिक शिक्षा देते थे। दादी, नानी की कहानियों का स्थान टी. वी., कार्टून, इंटरनेट और सिनेमा ने ले लिया है। जहाँ से मानवीय मूल्यों की शिक्षा की उम्मीद करना बेमानी बात है।

विद्यालयों में ऐसी शिक्षा जो बच्चों के चरित्र का निर्माण कर उनमें सामाजिक सरोकार विकसित करे उसका स्थान व्यावसायिक शिक्षा ने ले लिया है, जिसके अंतर्गत हम एक आत्मकेंद्रित, सामाजिक सरोकारों और मूल्यों से कटे हुए एक इंसान का निर्माण कर रहे हैं, जिससे समाज में बिखराव की स्थिति पैदा हो रही है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली का एक बड़ा दोष यह भी है कि यह रोजगारोन्मुख नहीं है अर्थात इसमें कौशल और हुनर का अभाव है। स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय डिग्रियाँ बाँटने वाली एजेंसियाँ बन गई हैं।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली को व्यावहारिक, सफल, एवं आदर्श स्वरूप प्रदान करने के लिए इसमें बदलाव एवं सुधार की आवश्यकता है। जिससे यह जीवन को सार्थकता प्रदान करने एवं आजीविका जुटाने में सक्षम हो सके।

Essay On Modern Education System

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ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध- Essay on Online Education in Hindi

In this article, we are providing an Essay on Online Education in Hindi ऑनलाइन शिक्षा का महत्व पर निबंध | Nibandh in 200, 300, 500, 600, 800, 1000 words For Students. Online Shiksha Ka Mahatva Par Nibandh

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध- Essay on Online Education in Hindi

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ऑनलाइन शिक्षा का महत्व- Online Shiksha Ka Mahatva Par Nibandh

प्रस्तावना- Introduction

ऑनलाइन शिक्षा क्या है- What is Online Education

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ऑनलाइन शिक्षा अर्थात नए समय की डिजिटल शिक्षा है, जहां लोगों को कम समय में और कम पैसे में घर बैठे अच्छी से अच्छी शिक्षा दी जा सकती है। ऑनलाइन शिक्षा अभी तक स्कूलों और कॉलेज में एक विकल्प है लेकिन भविष्य में ऑनलाइन शिक्षा को प्राथमिकता भी दी जा सकती है।

ऑनलाइन शिक्षा के बारे में जानकारी- Information about online education

समय बदला और कुछ ही समय में पूरी दुनिया पर स्मार्टफोन और इंटरनेट ने अपना कब्जा जमा लिया। इंटरनेट ने मानव की सहूलियत के लिए बहुत सारे काम किए जिसमें से एक काम है ऑनलाइन शिक्षा (online education), जिसने दुनिया के पढ़ने के तरीको को ही बदल दिया। जो शायद कुछ समय पहले सोचना भी नामुमकिन था वो परिवर्तन आया है ऑनलाइन शिक्षा के बाद। कोरोना महामारी के दौरान सम्पूर्ण दुनिया के थम जाने के बाद भी शिक्षा के माध्यम नहीं रुके और हर घर में ऑनलाइन शिक्षा ने बता दिया कि हम तैयार हैं हर परेशानी से निपटने के लिए।

ऑनलाइन शिक्षा का महत्व- Online Shiksha Ka Mahatva

कोरोना महामारी से पहले तक ज्यादातर शिक्षा सिर्फ कॉलेजों और स्कूलों की चारदीवारी में बंद थी लेकिन अब शिक्षा सार्वजनिक तरीके से उपलब्ध है सबके लिए वो भी आसानी से, बिना कहीं जाए घर पर बैठे-बैठे ही। वैसे तो ऑनलाइन शिक्षा हमारे पास एक विकल्प था, लेकिन कोरोना महामारी के बाद ऑनलाइन शिक्षा ही हमारे लिए सिर्फ एक अकेला विकल्प बचा है।

लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शिक्षा के जरिए हमने हमारी शिक्षा व्यवस्था को रोकने नही दिया जिसका ही परिणाम हे की बच्चो का शिक्षा के छेत्र में काफी नुकसान होने से बच गया और इसही वजह से हमने अपने ऑफ़लइन एजुकेशन (offline education) को ऑनलाइन एजुकेशन (online education) में परिवर्तित कर लिया है।

आज के समय में मध्यम वर्ग के बच्चों के पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि वह दूसरे शहर में जाकर अपनी पढ़ाई कर सकें लेकिन ऑनलाइन शिक्षा के विकल्प के आ जाने के बाद बच्चे अपने घर पर रहकर एक अच्छी क्वालिटी (quality) एजुकेशन का लाभ उठा सकते है और साथ ही साथ अपने समय और पैसे की परेशानी को भी कम कर सकते है वही दूसरी तरफ ऑनलाइन शिक्षा से पहले तक ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के कम विकल्प थे, लेकिन ऑनलाइन शिक्षा के बाद ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित बच्चे भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।

ऑनलाइन शिक्षा से प्राइवेट शिक्षण संस्थानों की मनमानी फीस पर भी कुछ हद तक अंकुश लगा है। ऑनलाइन शिक्षा में फीस की कमी के साथ ही पढ़ाई के बेहतर विकल्प भी निकलकर सामने आए हैं।

ऑनलाइन शिक्षा के साधन- Online education tools

ऑनलाइन शिक्षा के लिए दो मत्वपूर्ण कड़ी है  जिसमे ” इंटरनेट ” और इंटरनेट डिवाइसेस सामिल हैं। इंटरनेट के माध्यम से मोबाइल या कंप्यूटर में  यूट्यूब, गूगल मीट, टेलीग्राम, लाइव वीडियो जैसे साधनों द्वारा घर बैठे शिक्षा को प्राप्त किया जा सकता है इसी शिक्षा को ऑनलाइन शिक्षा भी कहते हैं ।

ऑनलाइन शिक्षा के फायदे- Advantage of Online Education in Hindi

  • बच्‍चे ऑनलाइन क्लासेस की वजह से  वीडियो चैट से क्‍लास कर रहे हैं, जिससे वो तकनीकी तौर पर निपुण हो रहे हैं। यही वजह है कि आज की तारीख में तकरीबन सभी बच्‍चों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट(electronic gadget) की अच्छी खासी जानकारी है।
  • शिक्षक और विद्यार्थी अपनी सहूलियत के समय का चुनाव करके ऑनलाइन से जुड़ सकते है और साथ ही ऑनलाइन एजुकेशन के आने से टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ा है और शिक्षण व्यवस्था में भी काफी बदलाव देखने को मिला है।
  • ऑनलाइन शिक्षा के द्वारा किसी भी कर्फ्यू या लॉकडाउन की स्थिति में विद्यार्थी पर शिक्षा की कोई भी बाध्यता नही आ सकता है।
  • ऑनलाइन शिक्षा के द्वारा बच्चे क्लासरूम से निकल कर उनके पसंदीदा डिवाइस (स्मार्टफोन, लैपटॉप) में पढ़ाई कर सकते हैं जिससे उनका पढ़ाई में भी लगाव बढ़ेगा।

ऑनलाइन शिक्षा के नुकसान- Disadvantage of Online Education in Hindi कहते हैं ना हर किसी के दो पक्ष होते हैं एक अच्छा और एक बुरा, ऑनलाइन शिक्षा में भी गुणों के साथ कुछ दोष भी हैं जैसे कि-

  • ऑनलाइन शिक्षा कंप्यूटर डेस्कटॉप या मोबाइल स्क्रीन पर प्रसारित होती है, जिससे लगातार नजर गढ़ाए रखने से आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • ऑनलाइन शिक्षा में विद्यार्थी का मूल्यांकन ठीक ढंग से नही किया जा सकता है और विधार्थी के अनुसाशन पर भी फर्क पड़ता है।
  • ऑनलाइन शिक्षा के जरिए सिलेबस को पूरा कराने में अधिक समय लगता है और कभी कभी किसी टेक्निकल प्रॉब्लम   (techniquel problem) की वजह से क्लास अच्छे से नही हो पाती हैं।
  • ऑनलाइन परीक्षा के दौरान धोखाधड़ी की  संभावना बहुत होती है और कभी कभी विद्यार्थी को उतना अच्छे से समझ नहीं आता है जितना कि क्लास रूम में बैठकर समझ आता है।

ऑनलाइन शिक्षा में भविष्य की उपलब्धियां- Future achievements In Online Education

मनुष्य अपने जीवन मे बहुत व्यस्त हो गया है जिससे भविष्य में उसके पास समय की बहुत कमी होगी। ऑनलाइन शिक्षा भविष्य के लिए एक बेहद सटीक कदम है। जिससे बच्चों का समय बचेगा और कम समय में अलग-अलग तरह की शिक्षा आसानी से प्राप्त की जा सकेगी और काफी लोग कहीं भी कभी भी और कुछ भी सीख सकेंगे।

आने वाले भविष्य में डिजिटल सिस्टम होगा जिसके लिए शिक्षा के डिजिटल रूप को भी तैयार किया जा रहा है। कहते हैं न ” आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है ” कोरोना महामारी के कारण जब दुनिया थम गई है तब समय की जरूरत ने कुछ ही समय मे ऑनलाइन शिक्षा को हम सब के सामने एक मजबूत विकल्प के रूप में खड़ा कर दिया है।

इसी के साथ ऑनलाइन शिक्षा नए रोजगार की दृष्टि से भी अपना एक मार्केट बना रहा है, भारत में ऑनलाइन शिक्षा का मार्किट वर्ष 2017 तक  लगभग $ 240 मिलियन डॉलर तक ही था, लेकिन वर्ष 2021 के अंत तक इसके $1.90 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अंदेशा है और भविष्य में कई बड़ी कंपनियों के ऑनलाइन शिक्षा के मार्किट में आने की संभावनाएं भी दिख रहीं हैं।

उपसंहार- Conclusion

मुश्किल समय दुनिया को बहुत कुछ सिखा के जाता है, वहीं कोरोना महामारी ने दुनिया को बहुत कुछ सिखाया और उसके साथ ही हम सबके सामने बहुत से ऐसे विकल्पों को कुछ महीनों में तैयार कर दिया जिन्हें वास्तविकता में आने में कई साल लग जाते। ऑनलाइन शिक्षा उनमें से ही एक विकल्प है, आशा है भविष्य में ऑनलाइन शिक्षा दुनिया में कई बड़े परिवर्तन करेगी।

———————————–

दोस्तों आपके इस लेख के ऊपर (Online Education) पर क्या विचार है? हमें नीचे comment करके जरूर बताइए।

‘ऑनलाइन शिक्षा’ ये हिंदी निबंध class 1,2,3,4,5,7,6,8,9 10,11,और 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है और वो लोग भी जो जानना चाहते है कि Online education क्या होता है । यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

Advantages and Disadvantages of Online Classes in Hindi

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ऑनलाइन शिक्षा क्या है।

ऑनलाइन शिक्षा का महत्व।

Essay Importance of online education in Hindi

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 1000 शब्दों में।

Advantages and Disadvantages of Internet in Hindi

Essay on Internet in Hindi

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है तथा विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की गतिविधि से इन विषयों पर छात्रों के ज्ञान के दायरे का विस्तार होता है जो कि शिक्षा के अहम उद्देश्यों में से एक है। हिंदी में निबंध या लेख लिखने से विषय के बारे में समालोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही अच्छा हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने पर अंक भी अच्छे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हिंदी निबंध (hindi nibandh) किसी विषय से जुड़े आपके पूर्वाग्रहों को दूर कर सटीक जानकारी प्रदान करते हैं जिससे अज्ञानता की वजह से हम लोगों के सामने शर्मिंदा होने से बच जाते हैं।

आइए सबसे पहले जानते हैं कि हिंदी में निबंध की परिभाषा (definition of essay) क्या होती है?

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) और भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए हैं। स्कूली छात्रों (कक्षा 1 से 12 तक) एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हिंदी निबंध (hindi nibandh), भाषण तथा कविता (useful essays, speeches and poems) से उनको बहुत मदद मिलेगी तथा उनके ज्ञान के दायरे में विस्तार होगा। ऐसे में यदि कभी परीक्षा में इससे संबंधित निबंध आ जाए या भाषण देना होगा, तो छात्र उन परिस्थितियों / प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।

महत्वपूर्ण लेख :

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  • 12वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
  • क्या एनसीईआरटी पुस्तकें जेईई मेन की तैयारी के लिए काफी हैं?
  • कक्षा 9वीं से नीट की तैयारी कैसे करें

छात्र जीवन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के सबसे सुनहरे समय में से एक होता है जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वास्तव में जीवन की आपाधापी और चिंताओं से परे मस्ती से भरा छात्र जीवन ज्ञान अर्जित करने को समर्पित होता है। छात्र जीवन में अर्जित ज्ञान भावी जीवन तथा करियर के लिए सशक्त आधार तैयार करने का काम करता है। नींव जितनी अच्छी और मजबूत होगी उस पर तैयार होने वाला भवन भी उतना ही मजबूत होगा और जीवन उतना ही सुखद और चिंतारहित होगा। इसे देखते हुए स्कूलों में शिक्षक छात्रों को विषयों से संबंधित अकादमिक ज्ञान से लैस करने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों के जरिए उनके ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इन पाठ्येतर गतिविधियों में समय-समय पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) या लेख और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना शामिल है।

करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :

  • डॉक्टर कैसे बनें?
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निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति ही निबंध है।

अन्य महत्वपूर्ण लेख :

  • हिंदी दिवस पर भाषण
  • हिंदी दिवस पर कविता
  • हिंदी पत्र लेखन

आइए अब जानते हैं कि निबंध के कितने अंग होते हैं और इन्हें किस प्रकार प्रभावपूर्ण ढंग से लिखकर आकर्षक बनाया जा सकता है। किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) के मोटे तौर पर तीन भाग होते हैं। ये हैं - प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार।

प्रस्तावना (भूमिका)- हिंदी निबंध के इस हिस्से में विषय से पाठकों का परिचय कराया जाता है। निबंध की भूमिका या प्रस्तावना, इसका बेहद अहम हिस्सा होती है। जितनी अच्छी भूमिका होगी पाठकों की रुचि भी निबंध में उतनी ही अधिक होगी। प्रस्तावना छोटी और सटीक होनी चाहिए ताकि पाठक संपूर्ण हिंदी लेख (hindi me lekh) पढ़ने को प्रेरित हों और जुड़ाव बना सकें।

विषय विस्तार- निबंध का यह मुख्य भाग होता है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें इसके सभी संभव पहलुओं की जानकारी दी जाती है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) के इस हिस्से में अपने विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करने की खूबी का प्रदर्शन करना होता है।

उपसंहार- निबंध का यह अंतिम भाग होता है, इसमें हिंदी निबंध (hindi nibandh) के विषय पर अपने विचारों का सार रखते हुए पाठक के सामने निष्कर्ष रखा जाता है।

ये भी देखें :

अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन

अग्निपथ योजना एडमिट कार्ड

अग्निपथ योजना सिलेबस

अंत में यह जानना भी अत्यधिक आवश्यक है कि निबंध कितने प्रकार के होते हैं। मोटे तौर निबंध को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जाता है-

वर्णनात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें त्योहार, यात्रा, आयोजन आदि पर लेखन शामिल है। इनमें घटनाओं का एक क्रम होता है और इस तरह के निबंध लिखने आसान होते हैं।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है। अक्सर ये किसी समस्या – सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत- पर लिखे जाते हैं। विज्ञान वरदान या अभिशाप, राष्ट्रीय एकता की समस्या, बेरोजगारी की समस्या आदि ऐसे विषय हो सकते हैं। इन हिंदी निबंधों (hindi nibandh) में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार व्यक्त किया जाता है और समस्या को दूर करने के उपाय भी सुझाए जाते हैं।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है। इनमें कल्पनाशीलता के लिए अधिक छूट होती है। भाव की प्रधानता के कारण इन निबंधों में लेखक की आत्मीयता झलकती है। मेरा प्रिय मित्र, यदि मैं डॉक्टर होता जैसे विषय इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं।

इसके साथ ही विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

ये भी पढ़ें-

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जिस प्रकार बातचीत को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए लोग मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविताओं आदि की मदद लेते हैं, ठीक उसी तरह निबंध को भी प्रभावी बनाने के लिए इनकी सहायता ली जानी चाहिए। उदाहरण के लिए मित्रता पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखते समय तुलसीदास जी की इन पंक्तियों की मदद ले सकते हैं -

जे न मित्र दुख होंहि दुखारी, तिन्हिं बिलोकत पातक भारी।

यानि कि जो व्यक्ति मित्र के दुख से दुखी नहीं होता है, उनको देखने से बड़ा पाप होता है।

हिंदी या मातृभाषा पर निबंध लिखते समय भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाएगा-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

प्रासंगिकता और अपने विवेक के अनुसार लेखक निबंधों में ऐसी सामग्री का उपयोग निबंध को प्रभावी बनाने के लिए कर सकते हैं। इनका भंडार तैयार करने के लिए जब कभी कोई पंक्ति या उद्धरण अच्छा लगे, तो एकत्रित करते रहें और समय-समय पर इनको दोहराते रहें।

उपरोक्त सभी प्रारूपों का उपयोग कर छात्रों के लिए हमने निम्नलिखित हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तैयार किए हैं -

दुनिया के कई देशों में मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर वर्ष 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे लेबर डे, श्रमिक दिवस या मई डे भी कहा जाता है। श्रम दिवस एक विशेष दिन है जो मजदूरों और श्रम वर्ग को समर्पित है। यह मजदूरों की कड़ी मेहनत को सम्मानित करने का दिन है। ज्यादातर देशों में इसे 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रम दिवस का इतिहास और उत्पत्ति अलग-अलग देशों में अलग-अलग है। विद्यार्थियों को कक्षा में मजदूर दिवस पर निबंध लिखने, मजदूर दिवस पर भाषण देने के लिए कहा जाता है। इस निबंध की मदद से विद्यार्थी अपनी तैयारी कर सकते हैं।

सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता थे और बाद में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसके माध्यम से भारत में सभी ब्रिटिश विरोधी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी। बोस ब्रिटिश सरकार के मुखर आलोचक थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई की वकालत करते थे। विद्यार्थियों को अक्सर कक्षा और परीक्षा में सुभाष चंद्र बोस जयंती (subhash chandra bose jayanti) या सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध (subhash chandra bose essay in hindi) लिखने को कहा जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस पर 100, 200 और 500 शब्दों का निबंध दिया गया है।

भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के सम्मान में स्कूलों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सभी स्कूलों, सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में झंडोत्तोलन होता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। मिठाईयां बांटी जाती है और अवकाश रहता है। छात्रों और बच्चों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणतंत्र दिवस पर निबंध पढ़ें।

26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया, इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण (रिपब्लिक डे स्पीच) देने के लिए हिंदी भाषण की उपयुक्त सामग्री (Republic Day Speech Ideas) की यदि आपको भी तलाश है तो समझ लीजिए कि गणतंत्र दिवस पर भाषण (Republic Day speech in Hindi) की आपकी तलाश यहां खत्म होती है। इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक बनाने और उनके ज्ञान को परखने के लिए गणतत्र दिवस पर निबंध (Republic day essay) लिखने का प्रश्न भी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से Gantantra Diwas par nibandh लिखने में भी मदद मिलेगी। Gantantra Diwas par lekh bhashan तैयार करने में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद लें और अच्छा प्रदर्शन करें।

मोबाइल फ़ोन को सेल्युलर फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल आज आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक अहम हिस्सा है जिसने दुनिया को एक साथ लाकर हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। मोबाइल में इंटरनेट के इस्तेमाल ने कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। मनोरंजन, संचार के साथ रोजमर्रा के कामों में भी इसकी अहम भूमिका हो गई है। इस निबंध में मोबाइल फोन के बारे में बताया गया है।

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दिन की याद में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस लेख में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बारे में चर्चा की गई है।

मकर संक्रांति का त्योहार यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा करके दान करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड, चिउड़ा-दही खाने का रिवाज है। प्रयागराज में इस दिन से कुंभ मेला आरंभ होता है। इस लेख में मकर संक्रांति के बारे में बताया गया है।

पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते समय ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अक्सर होती है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध वैश्विक तापमान में वृद्धि से है। इसके अनेक कारण हैं। इनमें वनों का लगातार कम होना और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन प्रमुख है। वनों का विस्तार करके और ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण करके हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध- कारण और समाधान में इस विषय पर चर्चा की गई है।

भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। समाचारों में अक्सर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले प्रकाश में आते रहते हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। अलग-अलग एजेंसियां भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करती रहती हैं। फिर भी आम जनता को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। हालांकि डिजीटल इंडिया की पहल के बाद कई मामलों में पारदर्शिता आई है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कम हुए है, समाप्त नहीं हुए हैं। भ्रष्टाचार पर निबंध के माध्यम से आपको इस विषय पर सभी पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

समय-समय पर ईश्वरीय शक्ति का एहसास कराने के लिए संत-महापुरुषों का जन्म होता रहा है। गुरु नानक भी ऐसे ही विभूति थे। उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर दिया। गुरु नानक की तर्कसम्मत बातों से आम जनमानस उनका मुरीद हो गया। उन्होंने दुनिया को मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। भारत, पाकिस्तान, अरब और अन्य जगहों पर वर्षों तक यात्रा की और लोगों को उपदेश दिए। गुरु नानक जयंती पर निबंध से आपको उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी मिलेगी।

कुत्ता हमारे आसपास रहने वाला जानवर है। सड़कों पर, गलियों में कहीं भी कुत्ते घूमते हुए दिख जाते हैं। शौक से लोग कुत्तों को पालते भी हैं। क्योंकि वे घर की रखवाली में सहायक होते हैं। बच्चों को अक्सर परीक्षा में मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। यह लेख बच्चों को मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने में सहायक होगा।

स्वामी विवेकानंद जी हमारे देश का गौरव हैं। विश्व-पटल पर वास्तविक भारत को उजागर करने का कार्य सबसे पहले किसी ने किया तो वें स्वामी विवेकानंद जी ही थे। उन्होंने ही विश्व को भारतीय मानसिकता, विचार, धर्म, और प्रवृति से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानने के लिए आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। यह लेख निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन करेगा।

हम सभी ने "महिला सशक्तिकरण" या नारी सशक्तिकरण के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से सभी के लिए सहायक होंगे।

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए बहुत कम उम्र में ही अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। देश के लिए उनकी भक्ति निर्विवाद है। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके निधन से पूरे देश में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया गया था। वह हमेशा हमारे बीच शहीद भगत सिंह के नाम से ही जाने जाएंगे। भगत सिंह के जीवन परिचय के लिए अक्सर छोटी कक्षा के छात्रों को भगत सिंह पर निबंध तैयार करने को कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आपको भगत सिंह पर निबंध तैयार करने में सहायता मिलेगी।

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है।

गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। ना सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। ऐसे में विद्यालयों में गाय को लेकर निबंध लिखने का कार्य दिया जाना आम है। गाय के इस निबंध के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में पूछे जाने वाले गाय पर निबंध को लिखने में भी सहायता मिलेगी।

क्रिसमस (christmas in hindi) भारत सहित दुनिया भर में मनाए जाने वाले बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का महत्व समझाने के लिए कई बार स्कूलों में बच्चों को क्रिसमस पर निबंध (christmas in hindi) लिखने का कार्य दिया जाता है। क्रिसमस पर एग्जाम के लिए प्रभावी निबंध तैयार करने का तरीका सीखें।

रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरी तरह से भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को कोई तोहफा देने के साथ ही जीवन भर उनके सुख-दुख में उनका साथ देने का वचन देते हैं। इस दिन छोटी बच्चियाँ देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) आधारित इस लेख से विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के त्योहार पर न सिर्फ लेख लिखने में सहायता प्राप्त होगी, बल्कि वे इसकी सहायता से रक्षाबंधन के पर्व का महत्व भी समझ सकेंगे।

होली त्योहार जल्द ही देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। होली पर हिंदी में निबंध (hindi mein holi par nibandh) को पढ़ने से होली के सभी पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी और यदि परीक्षा में holi par hindi mein nibandh लिखने को आया तो अच्छा अंक लाने में भी सहायता मिलेगी।

दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बच्चों को विद्यालयों में दशहरा पर निबंध (Essay in hindi on Dussehra) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे पूर्ण जानकारी भी मिले। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख में हम देखेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

हमें उम्मीद है कि दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Diwali Festival) के सार को सही ठहराने के लिए अपनी ओर से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध से कुछ सीख कर लाभ उठा सकते हैं कि वाक्यों को कैसे तैयार किया जाए, Class 1 से 10 तक के लिए दीपावली पर निबंध हिंदी में तैयार करने के लिए इसके लिंक पर जाएँ।

बाल दिवस पर भाषण (Children's Day Speech In Hindi), बाल दिवस पर हिंदी में निबंध (Children's Day essay In Hindi), बाल दिवस गीत, कविता पाठ, चित्रकला, खेलकूद आदि से जुड़ी प्रतियोगिताएं बाल दिवस के मौके पर आयोजित की जाती हैं। स्कूलों में बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए उपयोगी सामग्री इस लेख में मिलेगी जिसकी मदद से बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस के लिए निबंध तैयार करने में मदद मिलेगी। कई बार तो परीक्षाओं में भी बाल दिवस पर लेख लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। इसमें भी यह लेख मददगार होगा।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत देश अनेकता में एकता वाला देश है। अपने विविध धर्म, संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ, भारत के लोग सद्भाव, एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, हिंदी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर भाषण के लिए उपयोगी जानकारी इस लेख में मिलेगी।

हिन्दी में कवियों की परम्परा बहुत लम्बी है। हिंदी के महान कवियों ने कालजयी रचनाएं लिखी हैं। हिंदी में निबंध और वाद-विवाद आदि का जितना महत्व है उतना ही महत्व हिंदी कविताओं और कविता-पाठ का भी है। हिंदी दिवस पर विद्यालय या अन्य किसी आयोजन पर हिंदी कविता भी चार चाँद लगाने का काम करेगी। हिंदी दिवस कविता के इस लेख में हम हिंदी भाषा के सम्मान में रचित, हिंदी का महत्व बतलाती विभिन्न कविताओं की जानकारी दी गई है।

15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत 200 सालों के अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। यही वजह है कि यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया और इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते तो हैं ही और साथ ही इसके बाद वे पूरे देश को लालकिले से संबोधित भी करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री का पूरा भाषण टीवी व रेडियो के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा देश भर में इस दिन सभी कार्यालयों में छुट्टी होती है। स्कूल्स व कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी जो निश्चित तौर पर आपके लिए लेख लिखने में सहायक सिद्ध होगी।

प्रदूषण पृथ्वी पर वर्तमान के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ और बहुत ही तेजी के साथ किए जाने की जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध के ज़रिए हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution) से इस समस्या को जहाँ समझने में आसानी होगी वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पहलुओं के बारे में भी जान सकेंगे। इससे स्कूली विद्यार्थियों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध से परीक्षा में बेहतर स्कोर लाने में मदद मिलेगी।

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। पृथ्वी ग्रह का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, इसे स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन पर निबंध के जरिए छात्रों को इस विषय और इससे जुड़ी समस्याओं और समाधान के बारे में जानने को मिलेगा।

हमारी यह पृथ्वी जिस पर हम सभी निवास करते हैं इसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना और साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया।

आज के युग में जब हम अपना अधिकतर समय पढाई पर केंद्रित करने का प्रयास करते नजर आते हैं और साथ ही अपना ज़्यादातर समय ऑनलाइन रह कर व्यतीत करना पसंद करते हैं, ऐसे में हमारे जीवन में खेलों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। खेल हमारे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु हमारे सर्वांगीण विकास का एक माध्यम भी है। हमारे जीवन में खेल उतना ही जरूरी है, जितना पढाई करना। आज कल के युग में मानव जीवन में शारीरिक कार्य की तुलना में मानसिक कार्य में बढ़ोतरी हुई है और हमारी जीवन शैली भी बदल गई है, हम रात को देर से सोते हैं और साथ ही सुबह देर से उठते हैं। जाहिर है कि यह दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है और इसके साथ ही कार्य या पढाई की वजह से मानसिक तनाव पहले की तुलना में वृद्धि महसूस की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब हमारे जीवन में शारीरिक परिश्रम अधिक नहीं है, तो हमारे जीवन में खेलो का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है, जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि सबसे पहली गुरु माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही बड़ा और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना भी उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़को पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था जिन्होंने 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।

हम उम्मीद करते हैं कि स्कूली छात्रों के लिए तैयार उपयोगी हिंदी में निबंध, भाषण और कविता (Essays, speech and poems for school students) के इस संकलन से निश्चित तौर पर छात्रों को मदद मिलेगी।

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बाल श्रम को बच्चो द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें बाल श्रम या फिर कहें तो बाल मजदूरी पर निबंध।

एपीजे अब्दुल कलाम की गिनती आला दर्जे के वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रभावी नेता के तौर पर भी होती है। वह 21वीं सदी के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं। कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, अपने कार्यकाल में समाज को लाभ पहुंचाने वाली कई पहलों की शुरुआत की। मेरा प्रिय नेता विषय पर अक्सर परीक्षा में निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें अपने प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध।

हमारे जीवन में बहुत सारे लोग आते हैं। उनमें से कई को भुला दिया जाता है, लेकिन कुछ का हम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। भले ही हमारे कई दोस्त हों, उनमें से कम ही हमारे अच्छे दोस्त होते हैं। कहा भी जाता है कि सौ दोस्तों की भीड़ के मुक़ाबले जीवन में एक सच्चा/अच्छा दोस्त होना काफी है। यह लेख छात्रों को 'मेरे प्रिय मित्र'(My Best Friend Nibandh) पर निबंध तैयार करने में सहायता करेगा।

3 फरवरी, 1879 को भारत के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार ने सरोजिनी नायडू का दुनिया में स्वागत किया। उन्होंने कम उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज और गिर्टन, दोनों ही पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की। जब वह एक बच्ची थी, तो कुछ भारतीय परिवारों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हालाँकि, सरोजिनी नायडू के परिवार ने लगातार उदार मूल्यों का समर्थन किया। वह न्याय की लड़ाई में विरोध की प्रभावशीलता पर विश्वास करते हुए बड़ी हुई। सरोजिनी नायडू से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

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Frequently Asked Question (FAQs)

किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- ये हैं- प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार (conclusion)।

हिंदी निबंध लेखन शैली की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

वर्णनात्मक हिंदी निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।

विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

निबंध में समुचित जगहों पर मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविता का प्रयोग करके इसे प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। हिंदी निबंध के प्रभावी होने पर न केवल बेहतर अंक मिलेंगी बल्कि असल जीवन में अपनी बात रखने का कौशल भी विकसित होगा।

कुछ उपयोगी विषयों पर हिंदी में निबंध के लिए ऊपर लेख में दिए गए लिंक्स की मदद ली जा सकती है।

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति निबंध है।

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what is education essay in hindi

नई शिक्षा नीति पर निबंध (New Education Policy Essay in Hindi)

राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए 34 वर्षों के अंतराल के बाद; जुलाई 2020 में हमारी केन्द्रीय सरकार द्वारा एक नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों की सोच और रचनात्मक क्षमता को बढ़ाकर सीखने की प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाना। नई शिक्षा नीति में स्कूल स्तर के साथ-साथ उच्च शिक्षा में कई बदलाव शामिल हैं। नई शिक्षा नीति पर मैंने यहाँ पर अलग अलग शब्द सीमा में आपके लिए कुछ निबंध उपलब्ध कराये हैं जो आपको इस विषय के बारे में विस्तार से समझने में मदद करेंगे।

नई शिक्षा नीति पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on New Education Policy in Hindi, Nayi Shiksha Niti par Nibandh Hindi mein)

नई शिक्षा नीति पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

29 जुलाई 2020 को कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता में नई शिक्षा नीति बनाई गई। यह शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा की गई उत्कृष्ट पहल है। वर्ष 2030 तक इस नीति को पूर्ण रूप से लागू करने की आशा है। उचित बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।

नई शिक्षा नीति की विशेषताएँ

नई शिक्षा नीति सीखने के लिए पुस्तकों का बोझ बढ़ाने के बजाय व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ाने पर ज्यादा केंद्रित है। छात्रों को पाठ्यक्रम के विषयों के साथ-साथ सीखने की इच्छा रखने वाले पाठ्यक्रम का चयन करने की भी स्वतंत्रता होगी, इस तरह से कौशल विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।यह 10+2 सिस्टम को 5+3+3+4 संरचना के साथ बदल देता है, जिसमें 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की प्री-स्कूलिंग होती है।

नई शिक्षा नीति का उद्देश्य

नई शिक्षा निति का मुख्य उद्देश्य एक बच्चे को कुशल बनाने के साथ-साथ, जिस भी क्षेत्र में वह रुचि रखता हैं, उसी क्षेत्र में उन्हें प्रशिक्षित करना है। इस तरह, सीखने वाले अपने उद्देश्य, और अपनी क्षमताओं का पता लगाने में सक्षम होते हैं। नई शिक्षा नीति में शिक्षक की शिक्षा और प्रशिक्षण प्रक्रियाओं के सुधार पर भी जोर दिया गया है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली वर्ष 1986 की मौजूदा शिक्षा नीति में किए गए परिवर्तनों का परिणाम है। इसे शिक्षार्थी और देश के विकास को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है। नई शिक्षा नीति बच्चों के समग्र विकास पर केंद्रित है। इस नीति के तहत वर्ष 2030 तक अपने उद्देश्य को प्राप्त करने का लक्ष्य है।

निबंध 2 (400 शब्द) – नई शिक्षा नीति: नजरिया और लाभ/नुकसान

उचित बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। सुखी जीवन जीने के लिए तैयार होने के लिए एक बच्चे के विकास में शिक्षा बेहद महत्वपूर्ण तत्व है। 21वीं सदी में 1986 के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव जुलाई 2020 में हुआ और यह नई शिक्षा नीति 2020 के रूप में सामने आई।

नई शिक्षा नीति का नजरिया

नई शिक्षा नीति पहले की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पुनर्मूल्यांकन है। यह नई संरचनात्मक रूपरेखा द्वारा शिक्षा की संपूर्ण प्रणाली का परिवर्तन है।

नई शिक्षा नीति में रखी गई दृष्टि प्रणाली को एक उच्च उत्साही और ऊर्जावान नीति में बदल रही है। शिक्षार्थी को उत्तरदायी और कुशल बनाने का प्रयास होना चाहिए।

नई शिक्षा नीति 2020 के फायदे और नुकसान

  • नई शिक्षा नीति शिक्षार्थियों के एकीकृत विकास पर केंद्रित है।
  • यह 10+2 सिस्टम को 5+3+3+4 संरचना के साथ बदल देता है, जिसमें 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की प्री-स्कूलिंग होती है, इस प्रकार बच्चों को पहले चरण में स्कूली शिक्षा का अनुभव होता है।
  • परीक्षाएं केवल 3, 5 और 8वीं कक्षा में आयोजित की जाएंगी, अन्य कक्षाओं का परिणाम नियमित मूल्यांकन के तौर पर लिए जाएंगे। बोर्ड परीक्षा को भी आसान बनाया जाएगा और एक वर्ष में दो बार आयोजित किया जाएगा ताकि प्रत्येक बच्चे को दो मौका मिलें।
  • नीति में पाठ्यक्रम से बाहर निकलने के अधिक लचीलेपन के साथ स्नातक कार्यक्रमों के लिए एक बहु-अनुशासनात्मक और एकीकृत दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है।
  • राज्य और केंद्र सरकार दोनों शिक्षा के लिए जनता द्वारा अधिक से अधिक सार्वजनिक निवेश की दिशा में एक साथ काम करेंगे, और जल्द से जल्द जीडीपी को 6% तक बढ़ाएंगे।
  • नई शिक्षा नीति सीखने के लिए पुस्तकों का भोझ बढ़ाने के बजाय व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ाने पर ज्यादा केंद्रित है।
  • एनईपी यानी नई शिक्षा निति सामान्य बातचीत, समूह चर्चा और तर्क द्वारा बच्चों के विकास और उनके सीखने की अनुमति देता है।
  • एनटीए राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालयों के लिए एक आम प्रवेश परीक्षा आयोजित करेगा।
  • छात्रों को पाठ्यक्रम के विषयों के साथ-साथ सीखने की इच्छा रखने वाले पाठ्यक्रम का चयन करने की भी स्वतंत्रता होगी, इस तरह से कौशल विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • सरकार एनआरएफ (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) की स्थापना करके विश्वविद्यालय और कॉलेज स्तर पर अनुसंधान और नवाचारों के नए तरीके स्थापित करेगी।
  • भाषा का कार्यान्वयन यानि क्षेत्रीय भाषाओं में जारी रखने के लिए 5वीं कक्षा तक पढ़ाना एक बड़ी समस्या हो सकती है। बच्चे को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जाएगा और इसलिए अंग्रेजी भाषा के प्रति कम दृष्टिकोण होगा, जो 5वीं कक्षा पूरा करने के बाद आवश्यक है।
  • बच्चों को संरचनात्मक तरीके से सीखने के अधीन किया गया है, जिससे उनके छोटे दिमाग पर बोझ बढ़ सकता है।

मौजूदा शिक्षा नीति में बदलाव की आवश्यकता थी जिसे 1986 में लागू किया गया था। परिणामस्वरूप परिवर्तन नई शिक्षा नीति का ही नतीजा है। नीति में कई सकारात्मक विशेषताएं हैं, लेकिन इसे केवल सख्ती से ही हासिल किया जा सकता है। लेआउट के लिए केवल विचार काम नहीं करेगा बल्कि कार्यों को कुशलता से करना होगा।

निबंध 3 (600 शब्द) – नई शिक्षा नीति में संरचनात्मक परिवर्तन

भारत सरकार द्वारा 2030 तक नीतिगत पहलुओं को प्राप्त करने के उद्देश्य से नई शिक्षा नीति तैयार की गई है। यह मौजूदा शिक्षा नीति में पूर्ण परिवर्तन है जिसे अंतिम बार 1986 में लागू किया गया था। यह विद्यार्थी की आत्म-क्षमताओं और अवधारणा पर आधारित सीखने की प्रक्रिया है न कि रटने वाली प्रक्रिया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ढांचा

  • वर्तमान नीति, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की जगह ले चुकी है।
  • नई शिक्षा नीति के बारे में चर्चा जनवरी 2015 में कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमणियन के नेतृत्व में समिति द्वारा शुरू की गई थी और 2017 में समिति द्वारा एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।
  • 2017 की रिपोर्ट के आधार पर बनाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक मसौदा, 2019 में पूर्व इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) प्रमुख कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में नई टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जनता और हितधारकों के साथ परामर्श के बाद मसौदा नई शिक्षा नीति की घोषणा की गई थी।
  • नई शिक्षा नीति 29 जुलाई, 2020 को अस्तित्व में आई।

नई शिक्षा नीति में संरचनात्मक परिवर्तन

विद्यालय शिक्षा

10+2 मापांक को 5+3+3+4 मॉडल द्वारा बदल दिया गया है। यह निष्पादन कुछ इस प्रकार से किया जाएगा:

  • फाउंडेशनल स्टेज – इसमें तीन साल की प्री-स्कूलिंग अवधि शामिल होगी।
  • प्रारंभिक चरण – यह 8-11 वर्ष की आयु के साथ, कक्षा 3-5 का गठन करता है।
  • मध्य चरण – यह 11-14 वर्ष की आयु के साथ , कक्षा 6-8 का गठन करेगा।
  • माध्यमिक चरण – यह 14-19 वर्ष की आयु के साथ, कक्षा 9-12 का गठन करेगा। इन चार वर्षों को बहु-विषयक अध्ययन के लिए विकल्प के साथ जोड़ा जाएगा। अब केवल एक अनुशासन में अध्ययन करना आवश्यक नहीं होगा।
  • छात्रों को केवल तीन बार, यानी कक्षा 3, कक्षा 5 कक्षा 8वीं में परीक्षाएं देनी होंगी।
  • “परख”, निकाय की स्थापना की जायेगी जो छात्रों के प्रदर्शन का आकलन करेगा।

उच्च शिक्षा

  • स्नातक कार्यक्रम एक लचीले निकास के साथ 4 साल का कार्यक्रम होगा। जिसमे एक वर्ष का पाठ्यक्रम समाप्त कर लेने के बाद छात्र को प्रमाणपत्र प्रदान किया जायेगा, इसके अलावा 2 वर्ष समाप्त कर लेने के बाद डिप्लोमा की डिग्री, स्नातक की डिग्री 3-वर्ष के बाद और 4-वर्ष पूरा कर लेने पर शोध कार्य और अध्ययन किए गए विषय से संबंधित खोज के साथ एकीकृत किया जाएगा।
  • विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को धन और वित्त प्रदान करने के लिए उच्च शिक्षा अनुदान परिषद रहेगी। यह एआईसीटीई और यूजीसी की जगह लेगा।
  • एनईईटी और जेईई आयोजित कराने के साथ-साथ विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के लिए आम प्रवेश परीक्षा के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी की जिम्मेदारी होगी।
  • मास्टर ऑफ फिलॉसफी पाठ्यक्रम बंद कर दिया जायेगा, क्योंकि यह परास्नातक और पीएचडी के बीच एक मध्यवर्ती पाठ्यक्रम था।
  • अनुसंधान और नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरए) विकसित किया जाना है।
  • विदेशी विश्वविद्यालय के परिसर हमारे देश में और उनके देश में हमारे परिसर स्थापित करेंगे।

शिक्षकों की शिक्षा और भर्ती

  • शिक्षकों के लिए 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड कार्यक्रम को अनिवार्य बना दिया।
  • विभिन्न शिक्षण सहायक सामग्री के संबंध में शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की जानी चाहिए।
  • शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता होनी चाहिए क्योंकि छात्रों के विकास के लिए एक शिक्षक ही केंद्रीकृत भूमिका में हैं।

नई शिक्षा नीति के लाभकारी प्रभाव

  • यह सीखने वाले की आत्म-क्षमता, संज्ञानात्मक कौशल पर जोर देता है। यह एक बच्चे को अपनी प्रतिभा विकसित करने में मदद करेगा यदि वे जन्मजात प्रतिभावान हैं तो।
  • पहले छात्रों के पास अध्ययन के लिए केवल एक ही विषय चुनने का विकल्प था, लेकिन अब अलग-अलग विषय चुन सकते हैं, उदाहरण के लिए – गणित के साथ-साथ कला और शिल्प का भी विकल्प चुन सकते हैं।
  • हर विषय पर समान रूप से व्यवहार करने पर जोर।
  • इस नीति का मुख्य उद्देश्य छात्रों के बीच नवीन विचारों के समावेश के साथ सहभागिता, महत्वपूर्ण सोच और तर्क करने की क्षमता को विकसित करना है।
  • स्नातक पाठ्यक्रमों में कई निकास विकल्प छात्रों को अनुभव से लाभान्वित करने और इस बीच कहीं काम करने से कौशल प्राप्त करने और फिर बाद में जारी रखने का अवसर प्रदान करेंगे।
  • नई शिक्षा नीति किसी भी विषय को सीखने के व्यावहारिक पहलू पर केंद्रित है, क्योंकि यह अवधारणा को समझने का एक बेहतर तरीका माना जाता है।
  • 2040 तक सभी संस्थान और उच्च शिक्षण संस्थान बहु-विषयक बन जाएंगे।

नई शिक्षा नीति कई उपक्रमों के साथ रखी गई है जो वास्तव में वर्तमान परिदृश्य की जरूरत है। नीति का संबंध अध्ययन पाठ्यक्रम के साथ कौशल विकास पर ध्यान देना है। किसी भी चीज के सपने देखने से वह काम नहीं करेगा, क्योंकि उचित योजना और उसके अनुसार काम करने से केवल उद्देश्य पूरा करने में मदद मिलेगी। जितनी जल्दी एनईपी के उद्देश्य प्राप्त होंगे, उतना ही जल्दी हमारा राष्ट्र प्रगति की ओर अग्रसर करेगा।

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Indore Girl, Who Stood Third At A Global Poetry Event, Scores 98.8% In Class 10 Board Exams

Curated By : Education and Careers Desk

Local News Desk

Last Updated: May 14, 2024, 17:26 IST

Delhi, India

Khushi Mishra got 98 in Science and 99 in Social Science.

Khushi Mishra got 98 in Science and 99 in Social Science.

Indore’s Khushi Mishra scored 98.8 per cent marks in her 10th class board examination. She scored 96 in English, 98 in Hindi and 100 in Mathematics.

The Central Board of Secondary Education recently released the results for the class 10th board exams soon after the board announced the results of the 12th class board examination. In the 10th class board examination around 93.60 per cent of the students passed the examination. This year around 22 lakh students appeared for the CBSE 10th class examination.

Indore’s Khushi Mishra scored 98.8 per cent marks in her 10th class board examination. Besides studying, Khushi also has a passion for writing poetry. Talking about her studies, she said that she maintained a routine to equally focus on all the subjects. She mentioned that she used to study for at least 3-4 hours daily. She also said that she used to solve NCERT sample papers to make her preparations better.

When asked about her hobby Khushi mentioned that she loves writing poetry which also helped her to score in language papers. While talking about her family she mentioned that her father is an advocate while her mother is a homemaker. She shared, “My mother and father always motivated me and supported me in every way possible, which helped me to reach this level today.”

When asked about her plans, Khushi mentioned that she wants to pursue commerce with mathematics as she aims to crack the CLAT examination. She said that she had already started to prepare for the CLAT examination. Khushi is also a good poetry writer. With her talent, she also won the 3rd prize at a global poetry event. Sharing her marks in different subjects she said, “I scored 96 in English, 98 in Hindi, 100 in Mathematics, 98 in Science, 99 in Social Science and 99 in Artificial Intelligence.”

This year, around 5.91 per cent of students are set to appear for the CBSE 10th class compartment examination. According to reports around 94.75 per cent of girls have passed the examination while around 92.71 per cent of the boys have passed the examination. The CBSE is yet to release the merit list and the list of toppers.

Stay ahead with all the exam results updates on News18 Website .

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 100, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे (Online Education Essay in Hindi)

what is education essay in hindi

Online Education Essay – देश में COVID के हिट होने के बाद ऑनलाइन शिक्षा वैश्विक शिक्षा उद्योग में बड़े बदलावों में से एक है। इस प्रकार के शिक्षण के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। सीखने के इस रूप को नई और बेहतर तकनीकों के साथ आसान बना दिया गया है। उच्च शिक्षा संस्थान भी ऑनलाइन शिक्षा के पक्ष में हैं। ऑनलाइन शिक्षा के बारे में संक्षिप्त और विस्तृत लेखों में, यह लेख छात्रों को इसके लाभों और परिणामों के बारे में सूचित करेगा।

शिक्षा केवल कक्षाओं में भाग लेने और चीजों को सीखने के लिए किताबें पढ़ने से कहीं अधिक है। यह सभी प्रतिबंधों से अधिक है। सीखना एक किताब के पन्नों से परे फैली हुई है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हम ऐसे समय में रह रहे हैं जहां सीखने की सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध है। हाँ! हम अपने बच्चों को और खुद को अपने घरों में बैठकर ही शिक्षित कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए ऑनलाइन शिक्षा एक अच्छा विकल्प है। सभी जरूरतमंद बच्चे जो स्थानीय स्कूलों में दाखिला लेने में असमर्थ हैं, अब ऑनलाइन शिक्षा की बदौलत शिक्षा तक उनकी पहुंच है।

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 10 लाइन (Online education Essay 10 lines in Hindi) (100 words)

  • 1) ऑनलाइन शिक्षा कुशलतापूर्वक अध्ययन करने की एक नई तकनीक है।
  • 2) ऑनलाइन शिक्षा का तात्पर्य इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा से है।
  • 3) विद्यार्थी इंटरनेट के माध्यम से कभी भी, कहीं से भी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
  • 4) जो लोग स्कूल नहीं जा सकते उनके लिए ऑनलाइन शिक्षा एक अच्छा विकल्प है।
  • 5) ऑनलाइन शिक्षा लचीली है क्योंकि यह सभी के शेड्यूल में फिट बैठती है।
  • 6) ऑनलाइन सीखने के लिए बुनियादी आवश्यकता इंटरनेट एक्सेसिबिलिटी वाला एक उपकरण है।
  • 7) कुछ ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म मुफ्त हैं जबकि कुछ पैसे चार्ज कर सकते हैं।
  • 8) दुनिया भर में उडेमी, अनएकेडमी, बायजू आदि जैसे विभिन्न ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं।
  • 9) ऑनलाइन शिक्षा शारीरिक रूप से स्कूलों या संस्थानों में जाने के समय, धन और प्रयास को बचाती है।
  • 10) हालांकि, ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान लंबे समय तक लैपटॉप या अन्य उपकरणों को देखना हमारे स्वास्थ्य खासकर आंखों के लिए हानिकारक है।

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छात्रों और बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा पर लघु निबंध (Short Essays on Online Education for Students and Children in Hindi)

शिक्षा लोगों के जीवन का अभिन्न अंग है; यह या तो उन्हें बनाएगा या उनके करियर के आधार पर उन्हें तोड़ देगा। 1950 के दशक की तुलना में शिक्षा आज व्यापक रूप से विविध है क्योंकि शिक्षण विधियों में प्रगति और अन्य प्रमुख आविष्कार जो अधिक स्पष्ट शिक्षण तकनीकों को लागू करते हैं।

ई-लर्निंग में छात्र घर या किसी अन्य स्थान से अध्ययन करते हैं, जो उनके लिए सबसे सुविधाजनक होता है। वे ऑनलाइन शिक्षण सामग्री प्राप्त कर सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षा में अध्ययन सामग्री टेक्स्ट, ऑडियो, नोट्स, वीडियो और इमेज हो सकती है। हालाँकि, अध्ययन की पद्धति के अपने लाभ और विभिन्न कमियाँ भी हैं।

ऑनलाइन शिक्षा उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो एक या दूसरे कारण से पारंपरिक शिक्षा पद्धति का दौरा नहीं कर सकते हैं या प्राप्त नहीं कर सकते हैं। लगभग 6.1 मिलियन कॉलेज छात्र वर्तमान में ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में भाग ले रहे हैं, और यह संख्या लगभग 30 प्रतिशत सालाना बढ़ रही है।

ऑनलाइन शिक्षा लोगों के साथ-साथ कंपनियों के लिए असंख्य लाभ प्रदान करती है क्योंकि यह दूसरों के बीच लचीलेपन की अनुमति देती है। ऑनलाइन शिक्षा से अधिक लाभ उठाने का एक शानदार तरीका ऑनलाइन शिक्षा और शिक्षण के पारंपरिक तरीकों को समेकित करना है।

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 200 शब्द (Online education Essay 200 words in Hindi)

इन दिनों, प्रौद्योगिकी ने शिक्षा सहित हर उद्योग को प्रभावित किया है। इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने का सबसे नया तरीका ऑनलाइन शिक्षा है। सीखने के लिए अपने स्मार्टफोन, लैपटॉप या टैबलेट का उपयोग करना एक मजेदार और उत्पादक तरीका है। शिक्षक और छात्र दोनों इससे बहुत लाभान्वित हो सकते हैं, लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं। ऑनलाइन शिक्षा के साथ कहीं से भी सीखना लचीला है।

गैर-समयबद्धता एक और लाभप्रद गुण है। आपको एक सामान्य स्कूल की तरह सुबह से दोपहर के भोजन तक बैठने की ज़रूरत नहीं है। अपनी पसंद के अनुसार आप दिन हो या रात ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं। समय और स्थान के लचीलेपन के अलावा, ऑनलाइन सीखने की कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है। आप ऑनलाइन शिक्षा का उपयोग करके उन विषयों और कौशलों को चुन सकते हैं जिन्हें आप सीखना चाहते हैं। ऐसे कई संस्थान हैं जो अपनी डिग्री और पाठ्यक्रम ऑनलाइन प्रदान करते हैं। नतीजतन, स्कूलों या विश्वविद्यालयों में शारीरिक रूप से आए बिना खुद को शिक्षित करना एक अधिक व्यावहारिक विकल्प है। इसके अतिरिक्त, यह आपको परिवहन और अन्य खर्चों पर पैसे बचाने में मदद करता है।

हालांकि, खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग ऑनलाइन सीखने के लिए संघर्ष करते हैं। ऑनलाइन शिक्षा का मूल इंटरनेट है। यदि आप उपकरणों के सामने अधिक समय बिताते हैं तो आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। स्वयं को अनुशासित करने की क्षमता रखने वालों को ही इस पर विचार करना चाहिए।

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 250 शब्द (Online education Essay 250 words in Hindi)

ऑनलाइन होने वाली कोई भी शिक्षा प्रभावी निर्देशात्मक वितरण प्रणाली का एक हिस्सा है जिसे ऑनलाइन शिक्षा के रूप में जाना जाता है। ऑनलाइन शिक्षा उन छात्रों की मदद करती है जिन्हें अपने शेड्यूल पर और अपनी गति से काम करने की आवश्यकता होती है और शिक्षकों को उन छात्रों से जुड़ने में सक्षम बनाती है जो पारंपरिक कक्षा पाठ्यक्रम में नामांकन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।

हर विषय में ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा की डिग्रियों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है। अब ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने वाले अधिक कॉलेज और संगठन हैं। ऑनलाइन डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को ईमानदार होना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका शोध एक प्रतिष्ठित और मूल्यवान विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाता है।

शिक्षार्थी तब अधिक प्रभावी ढंग से सीखता है जब प्रत्येक व्यक्ति संवाद और दूसरों के कार्य पाठ्यक्रमों पर टिप्पणियों के माध्यम से अपनी बात या राय व्यक्त करता है। यह विशिष्ट लाभ एक आभासी सीखने के माहौल में प्रदर्शित होता है जो शिक्षार्थी पर केंद्रित होता है और जिसमें अकेले ऑनलाइन सीखने का प्रारूप योगदान दे सकता है।

हमें ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए पूरे शहर या लंबी दूरी की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है। जब हम ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से अपने करियर को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं तो हम यथावत बने रह सकते हैं और अपनी वर्तमान नौकरियों को बनाए रख सकते हैं। जो लोग तकनीकी रूप से सुसज्जित या मोबाइल जीवन शैली बनाए रखते हैं – डिजिटल खानाबदोश – ऑनलाइन स्कूली शिक्षा से भी लाभान्वित होते हैं। हम व्याख्यान देख सकते हैं और अपना काम पूरा कर सकते हैं चाहे हम कहीं भी हों।

चाहे हम अंशकालिक या पूर्णकालिक ऑनलाइन शिक्षार्थी हों, समय सारिणी ऑनलाइन सीखने के साथ अधिक प्रबंधनीय है। ऑनलाइन शिक्षा की कम लागत ने इसकी व्यापक अपील में योगदान दिया है। सच्चाई यह है कि संस्थानों या स्कूलों में प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रमों की तुलना में ऑनलाइन पाठ्यक्रम कम खर्चीले हैं। एक विश्वविद्यालय में भाग लेने के दौरान, हमें परिवहन, आवास और भोजन जैसी चीजों के लिए भुगतान करने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन ऑनलाइन शिक्षा शायद नहीं।

ऑनलाइन शिक्षा के प्रमुख लाभों में से एक इसका अंतर्निहित लचीलापन है, लेकिन इसमें एक पेंच है: व्यक्ति को असाधारण रूप से आत्म-प्रेरित होना चाहिए। शीर्ष ऑनलाइन छात्र अपनी अध्ययन परियोजनाओं के साथ अद्यतित रहने के लिए कई रणनीतियाँ बनाते हैं। अध्ययन के लिए प्रत्येक सप्ताह अलग से समय निर्धारित करना और कुछ ध्यान भटकाने वाले कार्यक्षेत्र को डिजाइन करना दोनों ही बहुत फायदेमंद हो सकते हैं।

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 300 शब्द (Online education Essay 300 words in Hindi)

ऑनलाइन शिक्षा एक शब्द है जिसका उपयोग ऑनलाइन होने वाली शिक्षा का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ऑनलाइन पाठ्यक्रम दुनिया भर के लाखों छात्रों को अपने घरों में आराम करते हुए सीखने की अनुमति देते हैं। ऑनलाइन शिक्षा के कई अलग-अलग रूप हैं, जिनमें इंटरनेट का उपयोग करते समय शिक्षक के साथ लैपटॉप पर आमने-सामने निर्देश, शैक्षिक वेबिनार और वीडियो, और यहां तक ​​कि दूरस्थ शिक्षा भी शामिल है। अपने लचीलेपन के कारण, ऑनलाइन शिक्षा व्यक्तियों और व्यवसायों दोनों को व्यापक लाभ प्रदान करती है। इससे पता चलता है कि समान ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर सभी भौगोलिक क्षेत्रों के लोग समान डिग्री की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।

जबकि छात्र अपने व्यस्त जीवन में सीखने के समय को समायोजित कर सकते हैं, प्रशिक्षक सीखने के कार्यक्रम की कालातीतता और एकाग्रता को अधिकतम करते हैं। एक पूर्वानुमेय कार्यक्रम, छात्र सुधार के अवसर, और शैक्षिक पहुंच और पसंद में वृद्धि करके, ऑनलाइन शिक्षा छात्रों को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है।

हम ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न सलाहकारों और शिक्षकों से सीख सकते हैं, जो हमारे ज्ञान और दृष्टिकोण को व्यापक बनाता है। छात्रों की चिंता कम हो जाती है क्योंकि वे पारंपरिक कक्षाओं की तुलना में ऑनलाइन सीखने के दौरान अधिक संवाद कर सकते हैं। जब तक किसी व्यक्ति के पास इंटरनेट से जुड़े गैजेट तक पहुंच है, वे लगभग कहीं से भी सीख सकते हैं।

चूंकि कोई समय सीमा नहीं है, ऑनलाइन शिक्षा आम तौर पर हमें अपनी गति से सीखने की अनुमति देती है। पारंपरिक कक्षा सेटिंग्स की तुलना में ऑनलाइन पाठ्यक्रम आमतौर पर अधिक आरामदायक और मनोरंजक होते हैं। रोजाना एक ही जगह के चक्कर लगाने की परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।

ऑनलाइन शिक्षा आमतौर पर सस्ती होती है। इसके अतिरिक्त, पारंपरिक शैक्षिक विधियों की तुलना में, ऑनलाइन शिक्षा कम खर्चीली है। पारंपरिक विश्वविद्यालय कार्यक्रमों के द्वारा, छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने परिवहन, पाठ्यपुस्तकों और जिम, पुस्तकालयों और स्विमिंग पूल जैसी संस्थागत सुविधाओं के साथ-साथ विश्वविद्यालय शिक्षा की कीमत बढ़ाने वाले अन्य खर्चों को कवर करें। दूसरी ओर, ऑनलाइन शिक्षा केवल ट्यूशन और अन्य आवश्यक लागतों के लिए शुल्क लेती है। इस प्रकार, ऑनलाइन शिक्षा अमीरों और वंचितों दोनों के लिए अवसर प्रदान करती है।

इंटरनेट के माध्यम से नई रणनीतियाँ हासिल करना संभव है, जो किसी को अधिक कुशल बनने में मदद करती हैं। पारंपरिक शैक्षिक विधियों की तुलना में, पाठ्यक्रम में समायोजन तुरंत ऑनलाइन किया जा सकता है।

ऑनलाइन शिक्षा में सफल होने के लिए, संभावित नियोक्ता द्वारा अस्वीकार किए जा सकने वाले कई संदिग्ध संस्थानों से दूर रहने के लिए, उनके लिए सर्वश्रेष्ठ कॉलेज और कार्यक्रम का चयन करना चाहिए। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करना है कि किसी को स्कूल के प्रोफेसरों और अन्य विद्यार्थियों के संपर्क में रहने की आवश्यकता है। कुंजी प्रभावी समय प्रबंधन है, जो हमें अपने समय का प्रबंधन करने में मदद कर सकती है और नियत कार्यों को समय पर पूरा करने और पूरा करने में मदद कर सकती है।

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ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 500 शब्द (Online education Essay 500 words in Hindi)

परिचय : ऑनलाइन शिक्षा एक आसान निर्देशात्मक वितरण प्रक्रिया है जिसमें इंटरनेट के माध्यम से होने वाली कोई भी शिक्षा शामिल है। ऑनलाइन शिक्षण शिक्षकों को उन छात्रों के साथ संवाद करने में सक्षम बनाता है जो पारंपरिक कक्षा पाठ्यक्रम में नामांकन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं और उन छात्रों की सहायता करते हैं जिन्हें अपने समय पर और अपनी गति से काम करने की आवश्यकता होती है।

हर विषय में उल्लेखनीय गति के साथ दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन डिग्री प्रदान करने की मात्रा में वृद्धि दर्ज की जा रही है। ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों और संस्थानों की संख्या भी बढ़ रही है। ऑनलाइन विधियों के माध्यम से डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को यह सुनिश्चित करने में सावधानी बरतनी चाहिए कि उनका पाठ्यक्रम एक मूल्यवान और विश्वसनीय विश्वविद्यालय के माध्यम से पूरा हो।

ऑनलाइन शिक्षा को तालमेल का लाभ देने के लिए जाना जाता है। यहां नियोजित प्रारूप छात्रों और शिक्षकों के बीच गतिशील संचार के लिए जगह बनाता है। इन संचारों के माध्यम से, स्रोत साझा किए जाते हैं, और एक सीखने की प्रक्रिया के माध्यम से एक ओपन एंडेड तालमेल विकसित होता है। जब प्रत्येक व्यक्ति दूसरों के कार्य पाठ्यक्रम पर चर्चा और टिप्पणियों के माध्यम से एक दृष्टिकोण या राय देता है, तो इससे छात्र को बेहतर सीखने में लाभ होता है। यह अनूठा लाभ एक छात्र-केंद्रित आभासी सीखने के माहौल में प्रकट होता है जिसमें अकेले ऑनलाइन सीखने का प्रारूप योगदान दे सकता है।

ऑनलाइन कक्षाओं के साथ, हमें किसी दूसरे शहर की यात्रा करने या लंबी दूरी तय करने की आवश्यकता नहीं है। हम जहां हैं वहीं रह सकते हैं और ऑनलाइन डिग्री के साथ अपने करियर को बेहतर बनाने की दिशा में काम करते हुए अपनी वर्तमान नौकरी को बनाए रख सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षा डिजिटल खानाबदोशों की भी मदद करती है – कोई ऐसा जो प्रौद्योगिकी-सक्षम या स्थान-स्वतंत्र जीवन शैली का समर्थन करता है। हम कहीं भी हों, लेक्चर देख सकते हैं और अपना कोर्सवर्क पूरा कर सकते हैं।

चाहे हम पूर्णकालिक या अंशकालिक ऑनलाइन छात्र हों, ऑनलाइन शिक्षा का अनुभव बहुत अधिक प्रबंधनीय कार्यक्रम प्रदान करता है। सस्ते होने के कारण ऑनलाइन शिक्षा को काफी मान्यता मिली है। यह सच है कि ऑनलाइन पाठ्यक्रम स्कूलों या कॉलेजों में पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों की तुलना में अधिक किफायती हैं। विश्वविद्यालयों में अध्ययन करते समय हमें कुछ पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं जैसे परिवहन, आवास और भोजन, ऑनलाइन शिक्षा के लिए इस तरह के खर्चों की आवश्यकता नहीं हो सकती है।

ऑनलाइन सीखने के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक इसका अंतर्निहित लचीलापन है, हालांकि, इसमें एक पेंच है, व्यक्ति को बेहद आत्म-प्रेरित होना पड़ता है। सर्वश्रेष्ठ ऑनलाइन छात्र अपने शोध के बारे में अप टू डेट रहने के लिए विभिन्न दृष्टिकोण विकसित करते हैं। पढ़ाई के लिए हर हफ्ते अलग समय निर्धारित करने और कम से कम विकर्षण के साथ कार्यक्षेत्र बनाने जैसी चीजें बहुत मदद कर सकती हैं।

ऑनलाइन शिक्षा निबंध पर निष्कर्ष

ऑनलाइन शिक्षा के संभावित लाभों में शैक्षिक पहुंच में वृद्धि शामिल है; यह एक उच्च गुणवत्ता वाला सीखने का अवसर प्रदान करता है, छात्रों के परिणामों और कौशल में सुधार करता है, और शैक्षिक विकल्प विकल्पों का विस्तार करता है। इसलिए, ऑनलाइन शिक्षा के कारण डिग्री पाठ्यक्रम या उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्थान, समय और गुणवत्ता को अब कारकों के रूप में नहीं माना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

भारत सरकार द्वारा कौन सा शिक्षण मंच शुरू किया गया है.

स्वयं (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव-लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स) भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म है।

भारत में सीखने का सबसे बड़ा मंच कौन सा है?

Unacademy को भारत में सबसे बड़ा सीखने का मंच माना जाता है।

ऑनलाइन शिक्षा छात्रों को कैसे प्रभावित करती है?

ऑनलाइन सीखने से छात्रों को वास्तविक दुनिया में अपना रास्ता बनाने से पहले स्वतंत्र शिक्षार्थी बनने में मदद मिली है।

क्या छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं अच्छी हैं?

ऑनलाइन कक्षाओं का महत्व यह है कि वे पारंपरिक शिक्षण प्लेटफार्मों की तुलना में अधिक सुविधाजनक और लचीले हैं।

छात्र ऑनलाइन सीखना क्यों पसंद करते हैं?

बहुत कम बजट में ऑनलाइन पाठ्यक्रम आसानी से उपलब्ध हैं। सुविधा और लागत के अलावा, बड़ी संख्या में छात्र ऑनलाइन शिक्षण पाठ्यक्रमों की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि वे सीखने का एक बेहतर तरीका बन गए हैं।

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Tips to answer multiple-choice, short-answer, and essay-type questions in exams

E xams are a stressful affair and they require smart strategies and techniques to excel. While in-depth learning is crucial, different types of questions demand specific strategies and approaches for solving.

Exams may appear in several formats including multiple choice questions, short answers and essays, each requiring different techniques of answering.

Below is a comprehensive guide to solving exams with different types of question patterns:

TIPS TO ANSWER MULTIPLE CHOICE QUESTIONS

  • The first and foremost thing to do is to read the questions properly. Often, students miss out on important details due to a lack of focus. Paying attention to each and every piece of information and reading with attention is crucial.
  • After reading the question, try to predict the answer without referring to the given options. This increases your chances of selecting the correct answer through educated guessing.
  • Using the process of elimination can do wonders. In this method, you eliminate the options you believe are incorrect. This narrows down your choices and aids in identifying the correct response.
  • Paying attention to words such as 'always,' 'never,' 'sometimes,' 'most,' 'only,' 'many,' 'but,' and 'often' can help us better understand the sentence. These words tend to alter the meaning of the sentence and hence should be paid attention to and read properly.
  •  Understanding concepts thoroughly enables you to grasp the context of questions accurately and answer them correctly.

TIPS TO ANSWER SHORT QUESTIONS

  • Read the question properly and comprehend it well. Understand whether you need to give a definition, provide examples, write a brief summary or offer comparisons.
  • Write the answer to the point, avoiding unnecessary explanations and using keywords. This increases your chances of scoring higher.
  • Use simple language and avoid complex terms, as they can confuse the examiner. The simpler your answer, the higher your score.
  • Write your answers in a logical and organised manner. Structure your answers with separate paragraphs, bullet points, flowcharts, tables, etc., as this makes it easier for the examiner to read and understand your answer.
  • During the preparatory phase, use colourful pens, flashcards, charts, and drawings to learn concepts well. This method helps in recollecting the answers during exams.
  • Indulge in self-testing methods by practicing sample question papers, demo tests, and solving previous year question papers to understand the probable questions and the exam pattern.
  • Having a time management strategy in place is important. Allocate time for different types of questions and try to solve them within the given time frame.

TIPS TO WRITE ESSAYS

  • Understand the topic well and follow the instructions.
  • Brainstorm ideas on the topic and plan the points you intend to include.
  • Begin with an informative yet concise introduction, followed by a detailed body and a conclusion that summarizes your essay.
  • Ensure the essay is well-structured and divided into a minimum of 3-4 paragraphs.
  • Use quotations and examples to support the information you have written.
  • Adhere to the specified time and word limits.
  • Ensure your essay is written in simple and clear language.
  • Always remember to proofread the essay to eliminate grammatical and spelling errors.
  • Make reading a regular practice to enhance language proficiency and facilitate a smoother flow of thoughts.

By implementing such strategic approaches, you can efficiently answer your questions. It is important to study diligently and practice with sample papers.

During the exam, take the time to read the question paper properly during the allocated reading time and manage your time effectively.

- Article by Nischal Narayanam, mathematical child prodigy, winner of the National Child Award (Gold Medal), youngest double Guinness World Record holder in memory power, first Indian to win the World Memory Championship title, youngest CA, and Founder and Mentor at Nischals

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Tips to answer multiple-choice, short-answer, and essay-type questions in exams

दा इंडियन वायर

शिक्षा का महत्व पर निबंध

what is education essay in hindi

By विकास सिंह

essay on importance of education in hindi

शिक्षा का महत्व हमें अपने जीवन में शिक्षा का मूल्य बताता है। शिक्षा का अर्थ सभी के जीवन में बहुत कुछ है क्योंकि यह हमारे सीखने, ज्ञान और कौशल को सुविधाजनक बनाता है। यह हमारे दिमाग और व्यक्तित्व को पूरी तरह से बदल देता है और हमें सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद करता है।

विषय-सूचि

शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on importance of education in hindi (100 शब्द)

जीवन में आगे बढ़ने और सफलता पाने के लिए सभी के लिए बेहतर शिक्षा बहुत आवश्यक है। यह आत्मविश्वास विकसित करता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करता है।

स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में एक महान भूमिका निभाती है। पूरी शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा जैसे तीन प्रभागों में विभाजित किया गया है।

शिक्षा के सभी प्रभागों का अपना महत्व और लाभ है। प्राथमिक शिक्षा आधार तैयार करती है जो जीवन भर मदद करती है, माध्यमिक शिक्षा आगे के अध्ययन के लिए रास्ता तैयार करती है और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा भविष्य और पूरे जीवन का अंतिम रास्ता तैयार करती है।

हमारी अच्छी या बुरी शिक्षा यह तय करती है कि हम भविष्य में किस प्रकार के व्यक्ति होंगे।

हमारे जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on value of education in hindi (150 शब्द)

ऐसी प्रतिस्पर्धी दुनिया में, सभी के लिए अच्छी शिक्षा होना आवश्यक है। अच्छी नौकरी और पद पाने के लिए उच्च शिक्षा का महत्व बढ़ गया है। उचित शिक्षा भविष्य में आगे बढ़ने के बहुत सारे रास्ते बनाती है। यह हमारे ज्ञान स्तर, तकनीकी कौशल और नौकरी में अच्छी स्थिति को बढ़ाकर हमें मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से मजबूत बनाता है।

हर बच्चे के जीवन में कुछ अलग करने का अपना सपना होता है। कभी-कभी माता-पिता अपने बच्चों को डॉक्टर, आईएएस अधिकारी, पीसीएस अधिकारी, इंजीनियर और अन्य उच्च स्तरीय पदों के लिए सपने देखते हैं। सभी सपनों का एक ही तरीका है जो अच्छी शिक्षा है।

जो छात्र खेल, खेल, नृत्य, संगीत आदि जैसे अन्य क्षेत्रों में रुचि रखते हैं, वे डिग्री, ज्ञान, कौशल और आत्मविश्वास के लिए अपनी विशिष्टताओं के साथ अपने आगे के अध्ययन को जारी रखते हैं। शिक्षा के कई बोर्ड हैं जैसे कि यूपी बोर्ड, बिहार बोर्ड, आईसीएसई बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड, आदि। शिक्षा एक बहुत अच्छा साधन है जो जीवन में सभी को लाभ देता है।

विद्यार्थी जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध, importance of education essay in hindi (200 शब्द)

जीवन में सफल होने और कुछ अलग पाने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण उपकरण है। यह जीवन कठिन जीवन की चुनौतियों को कम करने में बहुत मदद करता है। शिक्षा अवधि के दौरान प्राप्त ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को उनके जीवन के बारे में आश्वस्त करता है।

यह जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के अवसरों के लिए विभिन्न द्वार खोलता है ताकि कैरियर के विकास को बढ़ावा मिले। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के मूल्य को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए हैं। यह समाज में सभी लोगों के बीच समानता की भावना लाता है और देश के विकास और विकास को बढ़ावा देता है।

शिक्षा आधुनिक तकनीकी दुनिया में एक सर्वोपरि भूमिका निभाता है। अब-एक दिन, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के कई तरीके हैं। शिक्षा के पूरे मानदंड अब बदल दिए गए हैं। हम नौकरी के साथ 12 वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से अध्ययन कर सकते हैं।

शिक्षा इतनी महंगी नहीं है, कम पैसे वाला कोई भी व्यक्ति लगातार अध्ययन कर सकता है। हम दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कम फीस वाले बड़े और लोकप्रिय विश्वविद्यालयों में प्रवेश पा सकते हैं। अन्य छोटे प्रशिक्षण संस्थान विशेष क्षेत्र में कौशल स्तर को बढ़ाने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on importance of education in hindi (250 शब्द)

शिक्षा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान रूप से होनी चाहिए क्योंकि दोनों एक साथ एक स्वस्थ और शिक्षित समाज बनाते हैं। यह उज्ज्वल भविष्य पाने के लिए एक आवश्यक उपकरण है और साथ ही देश के विकास और प्रगति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

देश के नागरिक देश के बेहतर भविष्य और विकास के लिए जिम्मेदार बनते हैं। उच्च शिक्षित लोग विकसित देश का आधार बनते हैं। इसलिए, उचित शिक्षा व्यक्ति और देश दोनों का उज्ज्वल भविष्य बनाती है। यह केवल शिक्षित नेता हैं जो राष्ट्र का निर्माण करते हैं और इसे सफलता और प्रगति की ऊंचाई तक ले जाते हैं। शिक्षा लोगों को यथासंभव परिपूर्ण और श्रेष्ठ बनाती है।

अच्छी शिक्षा जीवन को कई उद्देश्य देती है जैसे व्यक्तिगत उन्नति, सामाजिक स्थिति में वृद्धि, सामाजिक स्वास्थ्य में वृद्धि, आर्थिक प्रगति, राष्ट्र को सफलता, जीवन के लक्ष्य निर्धारित करना, हमें कई सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक करना और पर्यावरण को हल करने के लिए समाधान देना समस्याओं और अन्य संबंधित मुद्दों।

दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के कारण, अब-एक दिन, शिक्षा बहुत सरल और आसान हो गई है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली विभिन्न जाति, धर्म और जाति के लोगों के बीच अशिक्षा और असमानता के सामाजिक मुद्दों को दूर करने में पूरी तरह से सक्षम है।

शिक्षा लोगों के दिमाग को एक बड़े स्तर पर विकसित करती है और समाज के सभी मतभेदों को दूर करने में मदद करती है। यह हमें एक अच्छा सीखने और जीवन के हर पहलू को समझने में सक्षम बनाता है। यह देश के प्रति सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझने की क्षमता प्रदान करता है।

शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on importance of education in hindi (300 शब्द)

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक आवश्यक उपकरण है। हम शिक्षा के उपकरण का उपयोग करके जीवन में कुछ भी अच्छा हासिल कर सकते हैं। उच्च स्तर की शिक्षा लोगों को सामाजिक और पारिवारिक सम्मान और अद्वितीय पहचान अर्जित करने में मदद करती है।

व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से सभी के लिए शिक्षा का समय जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक व्यक्ति को जीवन और कल्याण की भावना में एक अनूठा मानक प्रदान करता है। शिक्षा किसी भी बड़े सामाजिक और पारिवारिक और यहां तक ​​कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं को हल करने की क्षमता प्रदान करती है।

हममें से कोई भी हर सूरत में जीवन में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता है। यह मन को जीवन में सकारात्मकता की ओर मोड़ता है और सभी मानसिक समस्याओं और नकारात्मकता को दूर करता है।

यह सकारात्मक विचारों को लाकर और नकारात्मक विचारों को हटाकर लोगों की सोच को बदल देता है। हमारे माता-पिता बचपन से शिक्षा के प्रति हमारे मन को बदलने में एक महान भूमिका निभाते हैं। वे हमें लोकप्रिय शिक्षण संस्थानों से अच्छी शिक्षा देने की पूरी कोशिश करते हैं।

यह हमें तकनीकी और उच्च कुशल ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ पूरी दुनिया में अपने विचारों को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। कौशल और ज्ञान के स्तर को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका समाचार पत्र पढ़ने, टीवी पर शैक्षिक कार्यक्रमों को देखने, अच्छे लेखकों की किताबें पढ़ने आदि का अभ्यास करना है।

शिक्षा हमें अधिक सभ्य और बेहतर शिक्षित बनाती है। यह हमें समाज में बेहतर स्थिति बनाने में मदद करता है और नौकरी में सपने की स्थिति को प्राप्त करता है। यह हमें जीवन में एक अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, अधिकारी, पायलट, शिक्षक, आदि बनने में सक्षम बनाता है। नियमित और उचित अध्ययन हमें जीवन का लक्ष्य बनाकर सफलता की ओर ले जाता है।

पहले शिक्षा प्रणाली इतनी सख्त थी और सभी जातियों के लोग अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। उच्च लागत की वजह से महाविद्यालयों में प्रवेश लेना बहुत कठिन था। लेकिन अब शिक्षा में आगे बढ़ना इतना सरल और आसान हो गया है।

शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on importance of education in hindi (400 शब्द)

घर शिक्षा का पहला स्थान है और माता-पिता सभी के जीवन में पहले शिक्षक हैं। बचपन में, हमें अपने घर से शिक्षा का पहला आभास मिलता है, विशेष रूप से हमारी माँ का।

हमारे माता-पिता हमें जीवन में अच्छी शिक्षा का महत्व बताते हैं। जब हम तीन या चार साल के हो जाते हैं, तो हम उचित, नियमित और अनुक्रमिक अध्ययन के लिए स्कूल भेजते हैं, जहाँ हमें कई परीक्षाएँ देनी होती हैं और फिर हमें एक कक्षा के लिए एक पास प्रमाणपत्र मिलता है।

धीरे-धीरे हम 12 वीं कक्षा तक सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने तक अपनी एक कक्षा को पास करके आगे बढ़ते हैं। फिर तकनीकी या पेशेवर डिग्री में प्रवेश पाने के लिए तैयारी शुरू करें जिसे उच्च अध्ययन कहा जाता है। जीवन में अच्छी और तकनीकी नौकरी पाने के लिए सभी के लिए उच्च अध्ययन बहुत आवश्यक है।

हम अपने माता-पिता और शिक्षकों के प्रयासों से जीवन में एक शिक्षित व्यक्ति बन जाते हैं। वे हमारे वास्तविक शुभचिंतक हैं जो हमें अपने जीवन को सफलता की ओर ले जाने में मदद करते हैं। अब-एक दिन, शिक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए कई सरकारी कार्यक्रम लागू किए गए हैं ताकि सभी को उचित शिक्षा प्राप्त हो सके।

टीवी और समाचारों पर बहुत सारे विज्ञापन दिखाए जाते हैं और लोगों को शिक्षा के लाभों और महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में क्योंकि पिछड़े या ग्रामीण क्षेत्रों में लोग शिक्षा के प्रति गरीब और अनुचित समझ के कारण अध्ययन नहीं करना चाहते हैं।

पहले शिक्षा प्रणाली इतनी सख्त और महंगी थी, 12 वीं कक्षा के बाद गरीब लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। लोगों में समाज में बहुत मतभेद और असमानता थी। उच्च जाति के लोग अच्छी तरह से अध्ययन कर रहे थे और निम्न जाति के लोगों को स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने की अनुमति नहीं थी।

हालाँकि वर्तमान में, शिक्षा के पूरे मानदंड और विषय को एक बड़े स्तर पर बदल दिया गया है। भारत सरकार द्वारा शिक्षा प्रणाली को सभी स्तर के लोगों के लिए सुलभ और कम खर्चीली बनाने के लिए कई नियम और कानून बनाए गए हैं और उन्हें लागू किया गया है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों ने उच्च अध्ययन को इतना सरल और सस्ता बना दिया है कि पिछड़े क्षेत्रों के लोग, गरीब लोग और अच्छी जिंदगी जीने वाले लोग भविष्य में शिक्षा और सफलता तक समान पहुंच प्राप्त कर सकते हैं। अच्छी तरह से शिक्षित लोग देश के स्वस्थ स्तंभ बनाते हैं और भविष्य में इसे आगे बढ़ाते हैं। तो, शिक्षा वह उपकरण है जो जीवन, समाज और राष्ट्र में हर असंभव चीज को संभव बना सकता है।

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मूल्य शिक्षा का महत्व

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  • Updated on  
  • मार्च 10, 2023

मूल्य शिक्षा

मूल्य शिक्षा हमारे अंदर नैतिक मूल्यों का विकास करती है। ये सीखने के साथ-साथ हमारे व्यक्तित्व में भी विकास करती है। अमेरिकी मनोवैज्ञानिक लॉरेंस कोहलबर्ग का मानना था कि बच्चों को एक ऐसे माहौल में रहने की जरूरत है जो दिन-प्रतिदिन के संघर्षों की खुली और सार्वजनिक चर्चा के लिए अनुमति देता है। Value Education की महत्ता हमारे पर्सनालिटी डेवलपमेंट में सहायक है तथा विद्यार्थी के गुणों में विकास करता है। यह हमारे जीवन में अनुशासन के महत्व को भी बताता है। इतना ही नहीं यह हमारे अंदर समय के महत्व को समझने की क्षमता को विकसित करता है। खेल के महत्व को समझना, भी मूल्य शिक्षा को समझने तथा रोचक ढंग से व्यक्तित्व के विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है। इस ब्लॉग में मूल्य शिक्षा के बारे में विस्तार से जानते हैं।

This Blog Includes:

मूल्य शिक्षा क्या है, मूल्य शिक्षा की परिभाषाएं, इसके क्या फायदे हैं, 21 वीं सदी में मूल्य शिक्षा का महत्व और आवश्यकता, मूल्य शिक्षा के उद्देश्य, मूल्य शिक्षा में शिक्षक की भूमिका, जीवन मूल्य शिक्षा का महत्त्व, मूल्य शिक्षा के कुछ सिद्धांत, मूल्य शिक्षा की विशेषताएं, स्कूल सिलेबस में मूल्य शिक्षा का महत्व, मूल्य शिक्षा का महत्व पर निबंध , मूल्य शिक्षा पर निबंध ppt, प्रारंभिक आयु नैतिक और मूल्य शिक्षा, युवा कॉलेज के छात्र (प्रथम या द्वितीय वर्ष के ग्रेजुएट्स), वयस्कों के लिए कार्यशालाएँ, छात्र विनिमय कार्यक्रम, सह पाठ्यक्रम गतिविधियां.

मूल्य शिक्षा व्यक्तियों के व्यक्तित्व विकास पर जोर देती है ताकि उनका भविष्य संवर सके और कठिन परिस्थितियों से आसानी से निपटा जा सके। यह बच्चों को ढालता है, ताकि वे अपने सामाजिक, नैतिक और लोकतांत्रिक कर्तव्यों को कुशलतापूर्वक संभालते हुए बदलते वातावरण से जुड़ जाएं।

  • Value Education की महत्ता शारीरिक और भावनात्मक पहलुओं को विकसित करता है।
  • यह आपको ढंग सिखाता है और भाईचारे की भावना विकसित करता है।
  • यह देशभक्ति की भावना पैदा करता है।
  • मूल्य शिक्षा धार्मिक सहिष्णुता को भी विकसित करता है।

मूल्य शिक्षा को लेकर कई प्रकार की परिभाषाएं देखने को मिलती है जिनमें से कुछ नीचे दी गई है:

  • लेविन (1964) के अनुसार  “लालच की भावना में उच्चतम रुकावट सकारात्मक रूप में शारीरिक दण्ड की प्रक्रिया से है और नकारात्मक रूप से विचार और तर्कशक्ति की प्रक्रिया है।” 
  • गुरुराजा (1978)  के अनुसंधान में पाया कि “नैतिक मूल्यों का ज्ञान, अभिप्राय पूर्णता से प्रभावित होता है।”
  • बरटोन (1961) के अनुसार-  “नैतिक विकास एवं संयुक्त घटना है, न कि पृथक्-पृथक् प्रक्रिया।”

मूल्य शिक्षा के फायदे क्या हैं, यह नीचे बताए गए हैं-

  • यह जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने और सफल होने के लिए आवश्यक किरदारों को विकसित करने में मदद करता है।
  • यह आपकी पर्सनालिटी को आकार देता है, आपको जीवन और उसके संघर्षों के प्रति विनम्र और आशावादी बनाता है।
  • आपको हर स्थिति में सही और सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर आकार देता है और आने वाली चुनौतियों और प्रतिस्पर्धा के लिए आपको मजबूत बनाता है।
  • यह छात्रों को उनके जीवन के उद्देश्य को जानने में मदद करता है और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सही रास्ता चुनने में मदद करता है।
  • यह छात्रों को दूसरों के प्रति अधिक जिम्मेदार और समझदार बनाता है। वे मनुष्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए दूसरों की स्थितियों को समझने और उनके प्रति अधिक संवेदनशील बनने में सक्षम होते हैं।
  • यह आने वाली चुनौतियों और कम्पटीशन के लिए आपको मजबूत करता है।
  • यह करैक्टर का निर्माण करता है जो छात्रों को सफलता और आध्यात्मिक विकास की दिशा में मूल्यांकन करेगा।

मूल्य शिक्षा को एक अलग अनुशासन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, लेकिन शिक्षा प्रणाली के अंदर शामिल होना चाहिए। केवल समस्याओं को हल करना उद्देश्य नहीं होना चाहिए, इसके पीछे के स्पष्ट कारण और मकसद के बारे में भी सोचा जाना चाहिए। नीचे 21 वीं सदी में Value Education और आवश्यकता को प्रदर्शित करने वाले प्रमुख बिंदु दिए गए हैं-

  • मूल्य शिक्षा का महत्व कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने में मदद करता है जिससे निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।
  • उम्र के साथ जिम्मेदारियों की एक विस्तृत श्रृंखला आती है। यह कई बार अर्थहीनता की भावना को विकसित कर सकता है और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों, मध्य-करियर संकट और किसी के जीवन के साथ बढ़ते असंतोष को जन्म दे सकता है। मूल्य शिक्षा का उद्देश्य कुछ हद तक लोगों के जीवन में शून्य भरना है।
  • मूल्य शिक्षा का महत्व जिज्ञासा जगाने और मूल्यों और हितों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह आगे कौशल विकास में मदद करता है।
  • इसके अलावा, जब लोग समाज और उनके जीवन में मूल्य शिक्षा का अध्ययन करते हैं, तो वे अपने लक्ष्यों और जुनून के प्रति अधिक उत्साहित और बंधे हुए होते हैं। इससे जागरूकता का विकास होता है जिसके परिणामस्वरूप विचारशील और पूर्ण निर्णय लेते हैं।
  • मूल्य शिक्षा का मुख्य महत्व मूल्य शिक्षा के क्रियान्वयन और इसकी महत्ता को अलग करने पर प्रकाश डाला गया है। यह ‘अर्थ’ की भावना को पीछे छोड़ देता है, जो किसी को करना है और इस प्रकार व्यक्तित्व विकास में सहायक है ।

समकालीन दुनिया में, मूल्य शिक्षा का महत्व कई गुना है। हमारे लिए जानना आवश्यक हो जाता है जाता कि मूल्य शिक्षा एक बच्चे की स्कूली यात्रा में शामिल है और उसके बाद भी यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे नैतिक मूल्यों के साथ-साथ नैतिकता को भी आत्मसात करें। यहाँ मूल्य शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य दिए गए हैं-

  • शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक पहलुओं के संदर्भ में बच्चे के व्यक्तित्व विकास के लिए एक सभी दृष्टिकोण सुनिश्चित करना।
  • देशभक्ति की भावना के साथ-साथ एक अच्छे नागरिक के मूल्यों में वृद्धि।
  • छात्रों को सामाजिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाईचारे के महत्व को समझने में मदद करना।
  • अच्छे शिष्टाचार और जिम्मेदारी और सहकारिता का विकास करना।
  • रूढ़िवादी विवरण की ओर जिज्ञासा और जिज्ञासा की भावना को बढ़ावा देना।
  • नैतिक सिद्धांतों के आधार पर ध्वनि निर्णय लेने के तरीके के बारे में छात्रों को सिखाना।
  • सोच और जीने के लोकतांत्रिक तरीके को बढ़ावा देना।
  • सहनशीलता और विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक विश्वासों के प्रति सम्मान के महत्व के साथ छात्रों को लागू करना।

माता-पिता के बाद गुरु का को ही सबसे ऊपर माना गया है। गुरु अर्थात शिक्षक उस कुम्हार के समान है जो मिट्टी रूपी विद्यार्थी को एक बरतन का आकार देकर एक योग्य व उपयोगी पात्र बना देता है। गुरू किसी भी छात्र को ऐसी शिक्षा देकर एक बेहतर मनुष्य बना देता है। एक शिक्षक ही विद्यार्थी को समाज के प्रति उसके उत्तरदायित्वों से रुबरु कराता है। एक शिक्षक का सबसे मुख्य काम यह है कि वह अपने  विद्यार्थी को वर्तमान और भविष्य को ध्यान में रखकर शिक्षा दे। शिक्षा में परंपरा और नवीनता का मिश्रण होना चाहिये। वो विद्यार्थी को केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित न रखे बल्कि उसे जीवन के व्यवहारिक ज्ञान की भी शिक्षा दे। विद्यार्थी तो एक गीली मिट्टी से समान होता है शिक्षक उसे जैसा ढालेगा वैसा ढल जायेगा। यहाँ पर शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है। नैतिक मूल्यों की जो शिक्षा वो विद्यार्थी को देगा उसका प्रभाव विद्यार्थी पर जीवन पर्यंत बना रहेगा। यहीं से उसके चरित्र निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होगी। अतः नैतिक मूल्यों के उत्थान में शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

हमारे जीवन में जीवन मूल्य शिक्षा का बहुत महत्व है। मूल्य शिक्षा के माध्यम से हम व्यक्ति समाज में सकारात्मक मूल्यों के क्षमताओं और अन्य प्रकार के व्यवहार को विकसित करता है जिसमें वह रहता है’। मूल्य शिक्षा का अर्थ है, दैनिक जीवन में कौशल, व्यक्तित्व के सभी दौरों को समझना। इसके माध्यम से छात्र जिम्मेदारी, अच्छी या बुरी दिशा में जीवन का महत्व, लोकतांत्रिक तरीके से जीवन यापन, संस्कृति की समझ, महत्वपूर्ण सोच आदि को समझ सकते हैं। मूल्य शिक्षा का मुख्य उद्देश्य अधिक नैतिक और लोकतांत्रिक समाज बनाना है।

मूल्य शिक्षा के कुछ सिद्धांत इस प्रकार हैं:

  • सभी का सम्मान
  • स्वास्थ्य की देखभाल करें
  • मूल्य आधारित शिक्षा के प्रकार

यदि शिक्षा का अर्थ निकालना, ग्रहण करना या अर्जित करना है, तो मूल्याधारित शिक्षा का अर्थ होगा जो मूल्य यानि कि सार या महत्व है, उसको निकालना या अर्जित करना। शिक्षा में व्यक्ति, समाज तथा राज्य के अनिवार्य तत्त्वों को शामिल किये जाने की आवश्यकता रहती है। तब ही वह समग्र तथा पूर्ण शिक्षा हो पाती है। वास्तव में शिक्षा व्यक्तित्व तथा चरित्र निर्माण का सर्वाधिक सशक्त साधन है।

मूल्य शिक्षा की विशेषताएं नीचे दी गई हैं-

  • मूल्य शिक्षा से छात्रों में सहयोग, समानता, साहस, प्रेम एवं करुणा, बन्धुत्व, श्रम-गरिमा वैज्ञानिक दृष्टिकोण, विभेदीकरण करने की क्षमता आदि गुणों का विकास होता है।
  • मूल्य शिक्षा छात्रों को एक उत्तरदायी नागरिक बनने के लिए प्रशिक्षित करती है।
  • मूल्यों के सम्बन्ध में तीसरा तथ्य यह है कि ये समाज द्वारा स्वीकृत होते हैं।
  • मूल्य समाज के अनेक विश्वास, आदर्श, सिद्धान्त, नैतिक नियम और व्यवहार के मानदण्ड होते हैं, व्यक्ति इनमें से कुछ को अधिक महत्त्व देता है और कुछ को अपेक्षाकृत कम। वह जिन्हें जितना ज्यादा महत्त्व देता है, वह उसके लिए उतने ही अधिक शक्तिशाली मूल्य होते हैं।
  • मूल्य व्यक्ति के व्यवहार को नियन्त्रित एवं दिशा निर्देशित करते हैं।

स्कूल के सिलेबस में मूल्य शिक्षा की आवश्यकता है और महत्वपूर्ण है क्योंकि यह छात्रों को बुनियादी बुनियादी नैतिकताएं सीखने में मदद करता है जो उन्हें एक अच्छा नागरिक बनने के साथ-साथ मानव बनने के लिए आवश्यक हैं। नीचे इसके महत्व के बारे में बताया गया है-

  • मूल्य शिक्षा उनके भविष्य को आकार देने और जीवन में उनके सही उद्देश्य को खोजने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • चूंकि स्कूल हर बच्चे के सीखने की नींव रखता है, इसलिए स्कूल सिलेबस में मूल्य आधारित शिक्षा को जोड़ने से उन्हें अपनी शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत से सबसे महत्वपूर्ण मूल्यों को सीखने में मदद मिल सकती है।
  • स्कूल में एक अनुशासन के रूप में मूल्य शिक्षा भी उच्च स्कोर के लिए अवधारणाओं, सूत्रों और सिद्धांतों को रटने के बजाय मानवीय मूल्यों को सीखने पर अधिक केंद्रित हो सकती है। इस प्रकार, मूल्य शिक्षा में कहानी का उपयोग करना भी छात्रों को मानवीय मूल्यों की अनिवार्यता सीखने में मदद कर सकता है। 
  • शिक्षा निश्चित रूप से अधूरी होगी यदि इसमें Importance of Value Education के अध्ययन को शामिल नहीं किया गया है जो हर बच्चे को अधिक दयालु, और सशक्त व्यक्ति बनने में मदद कर सकता है और इस तरह हर बच्चे में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का पोषण कर सकता है।

मूल्य शिक्षा बच्चों के  संपूर्ण विकास में योगदान देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।हमारे बच्चों में मूल्यों को एम्बेड किए बिना, हम उन्हें अच्छी नैतिकता के बारे में नहीं सिखा पाएंगे, क्या सही है और क्या गलत है साथ ही दयालुता, सहानुभूति और करुणा जैसे प्रमुख लक्षण भी Importance of Value Education में  हैं। प्रौद्योगिकी की उपस्थिति और इसके हानिकारक उपयोग के कारण 21वीं सदी में मूल्य शिक्षा की आवश्यकता और महत्व कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। बच्चों को आवश्यक मानवीय मूल्यों के बारे में पढ़ाने से, हम उन्हें सर्वोत्तम डिजिटल कौशल से घटाया जा सकता है और उन्हें नैतिक व्यवहार और करुणा के महत्व को समझने में मदद कर सकते हैं। मूल्य शिक्षा छात्रों को जीवन के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है और उन्हें एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करती है, उन लोगों की मदद करती है, उनके समुदाय का सम्मान करने के साथ-साथ अधिक जिम्मेदार और समझदार बनाती है।

मूल्य शिक्षा के प्रकार

प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा से लेकर तृतीयक शिक्षा तक विभिन्न स्तरों पर मूल्य शिक्षा को कैसे शामिल किया गया है, इसका पता लगाने के लिए, हमने कुछ महत्वपूर्ण चरणों और मूल्य शिक्षा के प्रकारों के बारे में बताया है जो एक छात्र के संपूर्ण विकास को सुनिश्चित करने के लिए इसे शामिल करना चाहिए।

भारत सहित दुनिया भर में मध्य और उच्च विद्यालय के सिलेबस में नैतिक विज्ञान या मूल्य शिक्षा का एक पाठ्यक्रम है। हालांकि, ये पाठ्यक्रम शायद ही कभी जीवन में मूल्यों के विकास और महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बल्कि नैतिकता और स्वीकार्य व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करते हैं। प्रारंभिक बचपन की शिक्षा के स्तर पर मूल्य शिक्षा के कुछ प्रकार को शामिल करना रचनात्मक हो सकता है।

कुछ विश्वविद्यालयों ने पाठ्यक्रम शामिल करने या आवधिक कार्यशालाओं का आयोजन करने का प्रयास किया है जो Importance of Value Education को सिखाते हैं। उनके करियर के लक्ष्य क्या हैं और दूसरों और पर्यावरण के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता के बारे में पुनर्विचार करने वाले छात्रों के संदर्भ में सफलता का उत्साहजनक स्तर रहा है।

चिंताजनक रूप से, जो लोग अपने पेशेवर करियर में केवल 4 से 5 साल तक रहे हैं, वे नौकरी की थकावट, असंतोष और निराशा के लक्षण दिखाना शुरू करते हैं। वयस्कों के लिए मूल्य शिक्षा का महत्व तेजी से बढ़ा है। कई गैर-सरकारी फाउंडेशनों ने स्थानीय कार्यशालाओं का संचालन करना शुरू कर दिया है ताकि व्यक्ति अपने मुद्दों से निपट सकें और इस तरह के सवालों का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर सकें।

यह छात्रों के बीच रिश्तेदारी की भावना पैदा करने का एक और तरीका है। न केवल छात्र विनिमय कार्यक्रम संस्कृतियों की एक सारणी का पता लगाने में मदद करते हैं, बल्कि देशों की शिक्षा प्रणाली को समझने में भी मदद करते हैं।

स्कूल में सह-पाठयक्रम गतिविधियों के माध्यम से मूल्यपरक शिक्षा प्रदान करना बच्चों में शारीरिक, मानसिक और अनुशासनात्मक मूल्यों को बढ़ाता है। इसके अलावा, कठपुतली , संगीत और रचनात्मक लेखन भी  पूरे विकास में सहायता करते हैं।

शिक्षण मूल्यों की अवधारणा पर सदियों से बहस होती रही है। असहमति इस बात पर हुई है कि मूल्य शिक्षा को पहाड़ी आवश्यकता के कारण स्पष्ट रूप से पढ़ाया जाना चाहिए या क्या इसे शिक्षण प्रक्रिया में निहित किया जाना चाहिए। ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कक्षाएं या पाठ्यक्रम शिक्षण मूल्यों में सफल नहीं हो सकते हैं, लेकिन वे निश्चित रूप से Importance of Value Education को सिखा सकते हैं। यह छात्रों को उनके आंतरिक जुनून और रुचियों की खोज करने और उनकी ओर काम करने में मदद कर सकता है। शिक्षक मूल्यों की प्रकृति की व्याख्या करने में छात्रों की सहायता कर सकते हैं और इसके लिए काम करना क्यों महत्वपूर्ण है। इस वर्ग / पाठ्यक्रम का स्थान, यदि एक होना है, तो अभी भी भयंकर बहस चल रही है।

यदि आप मूल्य शिक्षा या एक प्रस्तुति के महत्व पर एक भाषण के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो यहां एक स्लाइडशेयर पीपीटी है जिसे आप देख सकते हैं:

मूल्य शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति क्षमताओं, दृष्टिकोण, मूल्यों के साथ-साथ उस समाज के आधार पर सकारात्मक मूल्यों के व्यवहार के अन्य रूपों को विकसित करता है।

शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और नैतिक पहलुओं में अपने व्यक्तित्व विकास के लिए दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए मूल्य शिक्षा आवश्यक है। यह छात्रों को उनके भविष्य को आकार देने के लिए एक सकारात्मक दिशा प्रदान करता है, जिससे उन्हें अधिक जिम्मेदार और समझदार बनने और अपने जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद मिलती है।

मान अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमें विकसित होने और हमारी मान्यताओं, दृष्टिकोण और व्यवहार को विकसित करने और मार्गदर्शन करने में मदद करते हैं। हमारे मूल्य हमारे निर्णय लेने में परिलक्षित होते हैं और हमें जीवन में अपना वास्तविक उद्देश्य खोजने में मदद करते हैं और एक जिम्मेदार और विकसित व्यक्ति बन जाते हैं।

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IOE Master’s student awarded the Harry Hodson Prize for essay on language preservation in Gibraltar

13 May 2024

Sophie Macdonald (Intercultural Communication MA) has been named a joint winner of the 2023 Harry Hodson Prize of The Round Table journal for her essay on Llanito, the local language variety of Gibraltar.

Sophie Macdonald, 2023 Harry Hodson prize winner. Image permission: Sophie Macdonald.

Her piece was titled ‘In defence of Llanito: Gibraltar in a state of linguistic transition’. 

Sophie's research interests lie in language endangerment, decolonisation and translingualism – stemming from a desire to protect Llanito from language loss in Gibraltar, her birthplace. 

Before her time at IOE, Sophie studied English at the University of Cambridge, where her dissertation explored the use of Llanito in Gibraltarian literature. 

Sophie’s essay will be published in a future issue of The Round Table. 

The Round Table was founded in 1910 and is the oldest English-language international affairs journal. It analyses and provides commentary on aspects of international affairs, including policy issues concerning the contemporary Commonwealth. 

The prize is named after Harry Hodson, the journal’s editor in the 1930s, and is awarded annually to candidates under 30 writing on any aspect of the Commonwealth.

We asked Sophie...

Your winning essay discusses llanito in gibraltarian literature, why did you choose to write about this can you talk about the significance of language endangerment / language loss in your research.

When I was studying towards my undergraduate (UG) degree in English at Cambridge, I came across a lot of South American literature and African literature, which uses a lot of local varieties as expressions of identity. Being from Gibraltar, I began to think about how Llanito, our own local variety, is used an identity marker in our literature. 

After researching this, which included interviewing politicians, I found there was increasing concern that Llanito is dying out among younger generations. From this, an interest in language loss and endangerment spurred and has been present in my research since!

Tell us about your field of study. What do you find interesting about it and what inspires you?

Intercultural Communication allows me to keep writing about Llanito and to help raise academic awareness about its loss. Efforts for language preservation inspire me, and it's been fascinating to study them and see how they could be applied to Gibraltar.

What did your journey to IOE look like, and why did you choose to study here? How has the experience developed your practice?

I chose to study here because of its rankings on the league tables and because London is such an exciting hub. IOE has helped to expose me to interesting new theories and practices and has changed my way of thinking about languages and Englishes.

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  • Intercultural Communication MA
  • Department of Culture, Communication and Media
  • More about the Harry Hodson prize

Permission via Sophie Macdonald.

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I was accepted to Yale. Here's everything I included in my successful Ivy League application.

  • I got into Yale University after submitting a successful college application.
  • I included my SAT score and high GPA in the application, along with an essay about my culture.
  • Ultimately, I tried to highlight all the ways I would be a benefit to the Yale community.

Insider Today

I recently reviewed my Yale admissions file after being a student there for three years. It was strange but enlightening to read what the admissions officers really thought of my application.

Since then, many people have respectfully requested to hear about my stats, extracurriculars , and essays.

I believe that everyone's college application journey is unique and that mine is just one sample, but I equally understand the urge to hear about other people's experiences. I devoured hundreds of college decision reactions on YouTube just three years ago, hoping to find that secret formula.

So, I'm now sharing a deeper look into my college application. But I want to first emphasize that as complicated and stressful as the process of applying to college may be, the best application you can ever show others will be the one you enjoy writing the most. I know I enjoyed every second of writing mine.

My GPA and standardized test scores were important factors in my application

With colleges such as Yale and Dartmouth reinstating standardized testing requirements , the reality is that academics will always be the first line of assessment for admission.

The GPA I submitted to Yale was 98.23/100. An admissions officer commended my GPA in the context of my financially underprivileged upbringing.

I also tried to take the most rigorous workload possible while also prioritizing my mental health , ultimately sending in six AP test scores. My SAT score was 1590.

I credit a lot of my academic achievements to the fact that I surrounded myself with peers who were very serious about their education.

My pre-calculus teacher's recommendation — the one that the admissions team rated higher — emphasized that I held the second highest grade in her class over her 20-year teaching career.

I tried to highlight my passions in my extracurriculars

My activities were a confusing mosaic of interests and impulses, but one that perfectly captured this 17-year-old boy who was still very unsure about who he was and what he wanted.

I researched human visual perception at a local community college , I performed spoken word poetry, and I hit about 80% of the notes in the choir (on a good day).

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My primary extracurricular, however, was the one I connected with most. At the start of the pandemic, I founded a language-learning program for children called "Spanish Meets You." I used the proceeds I made from the program, which featured tutoring and pen-palling services, to host community giveaways of essential health supplies — such as masks, face shields, and hand sanitizer.

"Spanish Meets You" evolved from my experience growing up in Sunset Park, Brooklyn, which was predominantly Hispanic and Asian. I loved going to cookouts and finding a diligent spread of both spicy tamales and fried rice. Despite our cultural differences , the two groups were united in our challenges and our respect for each other.

When I submitted my application, I worried that I didn't have a coherent theme for my extracurriculars, nor enough leadership — but based on the admissions team's comments, my genuine passion for one or two activities mattered in the end.

I wanted to capture who I truly am in my college essay

When I started drafting my essay, I knew I wanted to capture what was unextractable from my résumé: my curiosity, thick skin, and mistakes.

I decided to make the topic of my college essay about Chinese New Year, a holiday I celebrated with my 14 floormates in this tiny Brooklyn apartment building that we all called home for two decades. Every year, I would wait for my father by the door with mandarins, only to be disappointed by his absence.

Ultimately, however, I learned to enjoy this holiday — even if my celebration was unorthodox. My 14 floormates and I are unrelated by blood, but I remember we would gather over food every holiday, tell stories, and play a game of JENGA. Their laughter still ricochets in my ears hundreds of miles away as I now sit in my college dorm room , wrapping up my junior year.

I tried not to overthink the other essay questions

I would jot down whatever came to mind in the first 30 seconds, asking myself: "How would 7-year-old Brian answer this?"

Whenever I took too long to craft a response, it was a sign that I was probably sacrificing genuineness to make a false good impression.

One of the essays asked about my favorite intellectual concept. Instead of showing off by detailing some obscure scientific theory, I moved forward with writing about the diversity of motherhood in the animal kingdom, tying it back to my close relationship with my own mother.

My application was focused on proving how I would fit into the Yale community

Colleges are searching for those who will enrich the lives of their peers in different ways.

Therefore, in my application, I tried to highlight all the parts of me that would prove to Yale I would benefit their campus and their students. In doing so, I was accepted and met students doing just that.

One of my friends, for instance, is studying law. She also loves to rap and surprise her friends with midnight ice cream. Another is a science journalist who gives the best dating advice .

I would say Yale wouldn't be home even if one of them were missing. Everyone is here; everyone ends up where they are.

For students applying to Ivy League schools , I implore you to tell your dynamic, unique story — to think about how your rhythm will fold into a community's song.

Watch: How the Latin Kings gang actually works, according to a former member

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