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भारत में पर्यटन पर निबंध। Essay on Tourism in Hindi

पर्यटन पर निबंध, पर्यटन एक ऐसी क्रिया है जिसमें लोग स्थानों की यात्रा करते हैं, विभिन्न स्थानों को देखते हैं, उनकी संस्कृति, ऐतिहासिक महत्त्व, दर्शनीयता और उनके विविधता का आनंद लेते हैं। पर्यटन व्यक्तिगत आनंद, शिक्षा , व्यापार, और सामाजिक संबंधों के लिए भी महत्त्वपूर्ण होता है।

पर्यटन का अर्थ है नये स्थानों का अन्वेषण करना, उन्हें समझना और उनका अनुभव करना। यह एक संस्कृतिक, सामाजिक , और आर्थिक विनियामक हो सकता है जो व्यक्ति को नए दृष्टिकोण, अनुभव, और ज्ञान के साथ समृद्ध करता है।

इस पर्यटन के महत्त्वपूर्ण तत्वों में से एक संस्कृति का अध्ययन है। जब लोग विभिन्न स्थानों का दौरा करते हैं, तो उन्हें वहाँ की विविधता, भाषा, रीति-रिवाज, खाद्य, और स्थानीय लोगों का जीवन जीने का तरीका समझने का अवसर मिलता है।

इस प्रकार, पर्यटन न केवल मनोरंजन के लिए होता है, बल्कि इसका एक और महत्त्वपूर्ण पहलू है जो अर्थव्यवस्था और समाजिक विकास के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी लाभ प्रदान करता है।

पर्यटन का आधुनिकीकरण और यातायात के साधनों का विकास ने इसे सरल और सुगम बना दिया है, जिससे लोग अपने फुर्सत के समय में विभिन्न स्थानों का आनंद उठा सकते हैं। इससे लोगों को अनूठे और विविध संस्कृतियों, भोजन, और दृश्यों का अनुभव करने का मौका मिलता है।

संस्कृति, ऐतिहासिक स्थल, और प्राकृतिक सुंदरता के माध्यम से पर्यटन से लोगों को नये ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह समझने में मदद करता है कि हमारी दुनिया में अनेक विविधताएं हैं और हर स्थान अपनी अनोखी कहानी लेकर आता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

प्राचीन समय से ही यात्रा मानव जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रही है। यह न केवल खान-पान की तलाश के लिए थी, बल्कि ज्ञान, सांस्कृतिक विनियम, और सामाजिक जीवन के विकास में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्राचीन समय में यात्रा करने वाले लोग विभिन्न स्थानों की संस्कृति, भाषा, और जीवनशैली को समझने का प्रयास करते थे। यह साझा ज्ञान और अनुभव उन्हें अपनी सोच और संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद करता था। यात्रा के माध्यम से उन्हें नए विचारों, विचारधाराओं और नए तरीकों का पता चलता था।

इतिहास में उल्लेखित व्यक्तियों जैसे कि मेगस्थनीज, फाहियान, ह्वेन त्सांग ने अपनी यात्राओं के दौरान विभिन्न समाजों और संस्कृतियों का अध्ययन किया और ज्ञान प्राप्त किया। उनकी रिपोर्ट्स और लेखन के माध्यम से वे अपने समय की सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक स्थिति का विवरण प्रदान करते थे। इससे हमें वे विशेष जानकारी प्राप्त होती थी जो प्राचीन समाजों के बारे में हमें नहीं पता होती।

यात्रा ने मानव समाज को एक देश से दूसरे देश तक जोड़ा और समृद्धि, विकास, और साझेदारी की भावना को बढ़ावा दिया। इससे हमारे इतिहास में विश्वास, समरसता, और समानता की मानवीय भावना को प्रोत्साहित किया गया। पर्यटन पर निबंध

पर्यटन के लाभ

पर्यटन न केवल एक आनंददायक गतिविधि है, बल्कि यह एक सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक माध्यम भी है जो लोगों को संपर्क, समझौता और भाईचारे की भावना से भरपूर करता है। निम्नलिखित कुछ और पहलुओं को ध्यान में रखा जा सकता है:

  • सामर्थ्य और विकास: पर्यटन एक बड़ा आर्थिक स्रोत है जो रोजगार के अवसर प्रदान करता है, स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देता है, और समुदायों के विकास में मदद करता है।
  • सांस्कृतिक विनियमन: यात्रा से लोग अन्य संस्कृतियों और जीवन शैलियों से परिचित होते हैं, जो सांस्कृतिक समृद्धि और सामरस्य को बढ़ावा देता है।
  • शिक्षात्मक मूल्य: पर्यटन से जुड़े अनुभव लोगों को नई जानकारी, विश्वास और दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।
  • आत्मज्ञान और संतोष: नए स्थानों का दौरा करने से मानसिक संतोष, खुशी, और आनंद मिलता है जो व्यक्ति की मानसिक स्थिति को सुधारता है।
  • सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता : पर्यटन से लोग अन्य समाजों और देशों के सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक मामलों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, जो उनकी जागरूकता को बढ़ाता है।

पर्यटन का महत्व

पर्यटन वह सामाजिक गतिविधि है जो लोगों को अपने स्वभाविक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्त्व से परिचित कराती है। यह एक ऐसा माध्यम है जो व्यक्तियों को विभिन्न स्थानों का अन्वेषण करने, उनकी अनूठी सांस्कृतिक विविधता को समझने और नए अनुभवों से भरपूर होने का अवसर प्रदान करता है। पर्यटन व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों, शिक्षा, और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

  • संस्कृति का अध्ययन: पर्यटन वह सामाजिक गतिविधि है जो लोगों को अपने स्वभाविक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्त्व से परिचित कराती है। यह एक ऐसा माध्यम है जो व्यक्तियों को विभिन्न स्थानों का अन्वेषण करने, उनकी अनूठी सांस्कृतिक विविधता को समझने और नए अनुभवों से भरपूर होने का अवसर प्रदान करता है।
  • शिक्षा का स्रोत: पर्यटन का महत्वपूर्ण पहलू में से एक है संस्कृति का अध्ययन। जब लोग नए स्थानों का दौरा करते हैं, तो उन्हें वहाँ की भाषा, रीति-रिवाज, और स्थानीय लोगों का जीवन जीने का तरीका समझने का अवसर मिलता है। इसके माध्यम से लोग समझते हैं कि हर स्थान का अपना अनूठा चरित्र है और यह उनको विश्व की विविधता को समझने में मदद करता है।
  • व्यापार में सहायक: व्यापार के क्षेत्र में पर्यटन का महत्वपूर्ण स्थान है। यह विभिन्न स्थानों में होने वाले भ्रमण और विश्राम के लिए अवसर प्रदान करता है, जिससे स्थानीय व्यापारों को लाभ होता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि होती है।
  • शिक्षा का स्रोत: पर्यटन का महत्वपूर्ण पहलू में से एक है शिक्षा का स्रोत। व्यक्तियों को नए स्थानों का अन्वेषण करके विभिन्न विषयों में ज्ञान का विस्तार होता है। ऐतिहासिक स्थल, कला, और विज्ञान के क्षेत्र में नए अनुभव से उनकी शिक्षा में वृद्धि होती है।
  • सामाजिक संबंध: पर्यटन का महत्व सामाजिक संबंधों में भी है। जब लोग विभिन्न स्थानों पर यात्रा करते हैं, तो उन्हें वहाँ के लोगों से मिलकर उनके सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को समझने का अवसर मिलता है। इससे विभिन्न समुदायों के बीच एक-दूसरे के साथ मेलजोल और भाईचारा बढ़ता है।
  • आर्थिक विकास: अधिकांश मामलों में, पर्यटन न केवल व्यक्तिगत आनंद के लिए होता है, बल्कि यह एक सकारात्मक सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी डालता है। यह सुनिश्चित करता है कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो, स्थानीय सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा हो, और स्थानीय लोगों को नए रोजगार के अवसर मिलें। पर्यटन पर निबंध

आधुनिक युग में पर्यटन उद्योग का विकास

पर्यटन का मतलब है यात्रा करना। जब हम किसी अन्य स्थान पर जाते हैं और वहां की जगह, लोग और उनकी संस्कृति को देखते हैं, तो उसे पर्यटन कहते हैं। यह हमें नये चीजों के बारे में जानकारी देता है और हमारे जीवन में खुशी और मनोरंजन भी भरता है।

पर्यटन से लोगों को बहुत सारे लाभ होते हैं। यह उन्हें नए स्थानों का अनुभव करने का मौका देता है और साथ ही साथ उन्हें दूसरी संस्कृतियों और लोगों से मिलने का अवसर भी मिलता है। इससे लोगों का जीवन रंगीन होता है और वे नए ज्ञान को प्राप्त करते हैं।

भारत में भी पर्यटन को बड़ा महत्त्व मिलता है। इससे देश के अर्थव्यवस्था में भी मदद मिलती है, क्योंकि इससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और स्थानीय व्यापार को भी बढ़ावा मिलता है।

संक्षेप में, पर्यटन एक उन्नति का साधन है जो लोगों को नए स्थानों का अनुभव करने और अन्य संस्कृतियों से मिलने का अवसर देता है। इससे लोगों का जीवन बेहतर होता है और साथ ही साथ देश के विकास में भी मदद मिलती है। पर्यटन पर निबंध

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भारत देश का पर्यटन उद्योग

भारत एक खास देश है, जिसमें बहुत सारी सुंदर संस्कृतियाँ, धर्म और कलाएं हैं। इसकी प्राचीन संस्कृति और विशेष स्थानों को देखने के लिए लोग पूरी दुनिया से आते हैं।

इस प्रकार, भारत के प्राचीन स्थलों और इसकी कला-संस्कृति को देखकर लोगों को बहुत अच्छा लगता है। यहाँ के अलग-अलग मंदिर, पुराने महल और स्थानिक विरासत बहुत प्रसिद्ध हैं।

इसके साथ ही, पर्यटन से यहाँ की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है। पर्यटकों के आने से यहाँ के होटल, यात्रा सेवाएं, और स्थानीय व्यापार में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। इससे लोगों को नौकरियाँ भी मिलती हैं और विकास होता है।

इस प्रकार, भारत में पर्यटन न केवल देश को दुनिया में प्रसिद्ध बनाता है, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। पर्यटन पर निबंध

भारत देश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

जब कोई व्यक्ति किसी पर्यटन स्थल को देखने के लिए दूर से आता है, तो उसमें बहुत बड़ी रुचि होती है। ये स्थान अपनी खूबसूरती के लिए भी प्रसिद्ध होते हैं और लोगों को मनोरंजन भी प्रदान करते हैं।

भारत में भी कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। जैसे आगरा, जयपुर, नई दिल्ली, शिरडी, गोवा, मुंबई, वाराणसी, हैदराबाद, मैसूर, बद्रीनाथ, और अनेक हिल स्टेशन।

पर्यटन भारत में एक बड़ा उद्योग है और यह देश के अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं, जैसे “अतुल्य भारत योजना” और “आतिथेय देवो भव योजना”। इससे पर्यटन क्षेत्र में विकास हुआ है और देश की अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ है।

राज्य / केंद्रशासित प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल

आंध्र प्रदेशविशाखापत्तनम, तिरुपति बालाजी, विजयवाड़ा, अमरावती स्तूप, बादामी, ऐहोल, आदि ।
अरुणाचल प्रदेशपापुमपेर, दोईमुख, ईटानगर, आदि ।
असमकामाख्या मंदिर, काजीरंगा, मानस अभयारण्य, माजुली द्वीप, गुवाहाटी, आदि ।
बिहारवैशाली, पटना, राजगीर, बोधगया, नालंदा, पावापुरी, आदि ।
छत्तीसगढ़राजिम, सिरपु, भोरमदेव, चित्रकोट जलप्रपात, बस्तर, कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान, आदि ।
गोवाकैथेड्रल चर्च, चर्च ऑफ आवर लैडी ऑफ द रोजरी, समुद्र तट, झीलें, आदि ।
गुजरातसाबरमती आश्रम, स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर, द्वारकाधीश, कच्छ का रन, पावागढ़, लोथल, गिर वन, अहमदाबाद, आदि ।
हरियाणाकुरुक्षेत्र, पानीपत, भिवानी, कैथल, अगरोहा, पिंजौर, आदि ।
हिमाचल प्रदेशशिमला, कुल्लू-मनाली, रोहतांग दर्रा, धर्मशाला, डलहौजी, कसौली, स्पीति घाटी, आदि ।
श्रीनगर, गुलमर्ग, सोनमर्ग, कटरा, लेह, लद्दाख, हज़रतबल, आदि ।
झारखंडदेवघर, हुंडरू जलप्रपात, पारसनाथ पहाड़ी, आदि ।
कर्नाटकमैसूर, गोल गुंबज, बंगलूरू, हंपी, विरुपाक्ष मंदिर, बेल्लारी, ऐहोल, पट्टदकल, आदि ।
केरलमन्नार, कोवलम, वायनाड, फोर्ट कोच्चि, अलप्पुझा, आदि ।
मध्य प्रदेशपचमढ़ी, खजुराहो, साँची स्तूप, मांडू, उज्जैन, भेड़ाघाट, बाघ गुफाएँ, आदि ।
महाराष्ट्रमुंबई (गेटवे ऑफ इंडिया, एलिफेंटा गुफा), अजंता, एलोरा, नासिक, महाबलेश्वर, खंडाला, शिरडी, आदि ।
मणिपुरलोकटक झील, इंफाल, उखुल की पहाड़ियाँ, आदि ।
शिलॉन्ग, गारो-खासी-जयंतिया पहाडियाँ, आदि ।
मिजोरमआइजोल, चमफाई, वांटॉग जलप्रपात, आदि ।
नागालैंडकोहिमा, दीमापुर, आदि ।
ओडिशाकोणार्क, पुरी, चिल्का झील, उदयगिरी गुफा, भितरकणिका, आदि ।
पंजाबअमृतसर, जलियाँवालाबाग, बाघा बॉर्डर, लुधियाना, जालंधर, आदि ।
राजस्थानजयपुर, उदयपुर, जैसलमेर, माउंट आबू, जोधपुर, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, आदि ।
सिक्किमगंगटोक, कंचनजंगा पर्वत श्रेणी, बौद्ध मठ, आदि ।
तमिलनाडुकांचीपुरम, तंजावुर, रामेश्वरम, कन्याकुमारी, ऊटी, आदि ।
तेलंगानाहैदराबाद, आदिलाबाद, चारमीनार, हुसैनसागर झील, आदि ।
त्रिपुराअगरतला, जामपुई हिल, चाय बागान, आदि ।
उत्तराखंडनैनीताल, मसूरी, हरिद्वार, ऋषिकेश, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, देहरादून, आदि ।
उत्तर प्रदेशआगरा, लखनऊ, वाराणसी, मथुरा, झाँसी, इलाहाबाद, अयोध्या, आदि ।
अंडमान और निकोबारसेलुलर जेल, रॉस द्वीप, बैरन द्वीप, पोर्ट ब्लेयर, लिटिल अंडमान, डिगलीपुर, आदि ।
दिल्लीराष्ट्रपति भवन, संसद् भवन, लाल किला, पुराना किला, इंडिया गेट, कुतुब मीनार, जामा मस्जिद, आदि ।
दमन और दीवदीव, दमन, देवका बीच, आदि ।
लक्षद्वीपकवारत्ती, बंगाराम

निष्कर्ष ( पर्यटन पर निबंध )

भारत में विभिन्न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में अनेक पर्यटन स्थल हैं जो देश की समृद्ध धरोहर, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य को प्रतिनिधित करते हैं। यहाँ के विविधता, स्थानीय संस्कृति और विरासत का एक अद्भुत संगम है जो आकर्षण से भरपूर होता है। पर्यटन स्थलों का अनुभव उन्हें एक नए दर्शन, संवाद, और सीखने का मौका प्रदान करता है। इन स्थलों के अंतर्निहित सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्त्व ने भारत को विश्व भर में पर्यटकों का मनमोहन किया है।

इस तरह, भारतीय पर्यटन उद्योग देश के विकास में एक महत्त्वपूर्ण योगदान देता है और विभिन्न धरोहरों और संस्कृतियों को संजीवनी रूप में बनाए रखने में मदद करता है। यह उस अनमोल विरासत को संरक्षित करता है और समृद्धि के पथ पर देश को आगे बढ़ाता है। पर्यटन पर निबंध

पर्यटन एक गतिविधि है जिसमें लोग स्थानों की यात्रा करते हैं और उनके दर्शन, सांस्कृतिक अनुभव, और नए स्थानों का अन्वेषण करते हैं।

पर्यटन के कई प्रकार हैं, जैसे कि पर्यटन, आध्यात्मिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन, और विचारात्मक पर्यटन।

पर्यटन व्यक्तिगत आनंद, स्वास्थ्य लाभ, और नए अनुभवों का स्रोत है जो व्यक्तियों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की दिशा में लाभ पहुंचाता है।

पर्यटन से लोग नए स्थानों की सांस्कृतिक विविधता, भाषा, और ऐतिहासिक महत्व को समझ सकते हैं, जिससे उनकी शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि होती है।

पर्यटन स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि करके रोजगार के नए अवसर प्रदान करता है और स्थानीय व्यापारों को बढ़ावा देता है, जिससे आर्थिक विकास होता है।

पर्यटन से सामाजिक संबंध बढ़ते हैं, जो विभिन्न समुदायों के बीच एक-दूसरे के साथ जनसंग्रह और समरसता को प्रोत्साहित करता है।

पर्यटन से विभिन्न समुदायों के बीच जनसंग्रह बढ़ता है, जिससे सामाजिक सुधार और समरसता हो सकती है।

पर्यटन से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर, अपनी सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा, और आर्थिक लाभ हो सकता है।

पर्यटन से लोग नए दृष्टिकोण प्राप्त करते हैं, जिससे उनका आत्मविकास होता है और वे अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन कर सकते हैं।

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पर्यटन का महत्त्व निबंध- Essay on Importance of Tourism in Hindi

In this article, we are providing Essay on Importance of Tourism in Hindi. ( Paryatan Ka Mahatva )पर्यटन का महत्त्व निबंध,  पर्यटन एक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय उद्योग।

पर्यटन का महत्त्व निबंध- Essay on Importance of Tourism in Hindi

मानव स्वभाव से ही जिज्ञासु होता है। देश-विदेश की यात्रा की ललक के पीछे भी मनुष्य की जिज्ञासु प्रवृत्ति ही काम करती आई है। यदि मनुष्य चाहता तो वह घर बैठे ही पुस्तकों द्वारा यह जानकारी प्राप्त कर लेता। किंतु पुस्तकों से प्राप्त जानकारी का आनंद कछ ऐसा ही है जैसे किसी चित्र को देखकर हिमालय के सघन देवदार के वनों और हिमाच्छादित शिखरों के सौंदर्य, रूप गंध का अनुभव करना। महापंडित राहुल सांकृत्यायन के शब्दों में, ‘‘घुमक्कड़ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विभूति है इसलिए कि उसी ने आज की दुनिया को बनाया है। अगर घुमक्कड़ों के काफिले न आते-जाते तो सुस्त मानव-जातियाँ सो जातीं और पशु स्तर से ऊपर नहीं उठ पातीं।”

आज पर्यटन के पीछे भी मनुष्य की उसी पुरानी घुमक्कड़ प्रवृत्ति का प्रभाव है। आदिम घुमक्कड़ और आज के पर्यटक में इतना अंतर अवश्य है कि आज पर्यटन उतना कष्ट साध्य नहीं है, जितनी प्राचीन काल की घुमक्कड़ी थी। ज्ञान-विज्ञान के आविष्कारों, अन्वेषणों की जादुई शक्ति के प्रभाव से सुलभ साधनों के कारण पर्यटन अत्यंत सुलभ बन गया है। आज पर्यटन एक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय उद्योग के रूप में विकसित हो चुका है। इस उद्योग के प्रसार के लिए देश-विदेश में पर्यटन मंत्रालय बनाए गए हैं। विश्वभर में पर्यटकों की सुविधा के लिए बड़े-बड़े पर्यटन स्थल विकसित किए जा रहे हैं। पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार के आयोजन भी किए जाते हैं; जैसे- विदेशों में किसी देश के स्थान विशेष की कलाएँ, कलात्मक दृश्य, सांस्कतिक संस्थाओं की प्रदर्शनियाँ आदि। आनंद की प्राप्ति, जिज्ञासा की शांति, बढ़ती आय; इनके अतिरिक्त पर्यटन के और भी कई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ हैं।

पर्यटन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीयता की समझ जन्म लेती है: विकसित होती है। प्रेम और मानवीय भाईचारा बढ़ता है। सभ्यता-संस्कृतियों का परिचय मिलता है। पर्यटन से व्यक्ति अपने खोल से बाहर निकलना सीखता है। पर्यटन उस एकरसता से उत्पन्न ऊब का भी परिहार करता है जो एक ही स्थान पर एक जैसे ही वातावरण में लगातार रहने से उत्पन्न हो जाती है। इसलिए पर्यटन की प्यास रखनेवालों को महापंडित राहुल सांकृत्यायन की तरह महाकवि इकबाल के इस । ‘शेर’ को अपना पथ प्रदर्शक बनाना चाहिए, इकबाल लिखते हैं –

‘सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ,

जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ।’

जरूर पढ़े-

Essay on Parvatiya Yatra in Hindi

Kisi Yatra Ka Varnan

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पर्यटन: भारतीय परिप्रेक्ष्य में (निबन्ध) | Essay for Students on Tourism in Hindi

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पर्यटन: भारतीय परिप्रेक्ष्य में (निबन्ध) | Essay for Students on Tourism in Hindi |

प्रस्तावना:

भारत एक विशाल देश है । इस बात का परिचय हमें यहाँ विद्यमान पर्यटन स्थलों से मिलता है । पर्यटन यहाँ एक वृहत्तर उद्योग के रूप मे विकसित हो रहा है । यद्यपि इस उद्योग में कुछ समय पूर्व मन्दी रही क्योंकि आतंकवाद के कारण भारतीय परिस्थितियाँ खराब थी तथापि अब यह पुन: पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है ।

चिन्तनात्मक विकास:

प्रत्येक राज्य अथवा देश का अपना एक विशेष मानबीय एवं भौतिकीय सौन्दर्य होता है । वस्तुत: प्रत्येक देश का सौन्दर्य वहाँ का प्राकृतिक बातावरण, ऐतिहासिक स्थल, संस्कृति एवं सभ्यता अधिक होता है और इसी आकर्षण के बशीभूत ही लोग विभिन्न देशों अथवा राज्यों में भ्रमण हेतु जाते हैं ।

वास्तव में यही पर्यटन है । पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने के पश्चात् सरकार की मुख्य कोशिश रही है कि इससे अधिक से अधिक विदेशी मुद्रा कमाई जाए । उसने उदार नीति अपनाई और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अनेक रियायतें दी ।

इन रियायतों व सुविधाओं के मिलने पर अनेक उद्योगपति इस व्यापार की तरफ आकथित हुये और ? उन्होंने संसाधनों का अंधाधुंध दोहन शुरू कर दिया । परन्तु आज पर्यटन उद्योग की यह कामधेनु पर्यावरण को चरने वाली साबित हो रही है ।

स्थिति यह हो गई है कि सरकार को स्वयं नहीं मालूम कि पर्यटन उद्योग सम्बंधी रियायतों की सीमा क्या होनी चाहिए । पर्यटन पर्यावरण के साथ ही स्थानीय संस्कृति और परम्परा को नष्ट-भ्रष्ट कर रहा है । इस प्रकार पर्यटन औपनिवेशिक शोषण का ही नया माध्यम बन गया है ।

हमारे पास पर्यटकों को आकर्षित करने की तकनीक जरूर है किन्तु इससे भविष्य में उपजने वाली अनेकानेक समस्याओं का सामना करने और उनसे निपटने की तकनीक उपलब्ध नही है । सवाल यह है कि इस समस्या से उबरने के क्या उपाय हैं ? यह स्पष्ट हो चुका है कि इस समस्या के घनीभूत होने के कारण क्या हैं ? वहवाँ आवश्यकता इस बात की है कि पर्यटन के क्षेत्र में विद्यमान समस्याओं को दूर करने हेतु ठोस कदम उठाये जायँ ताकि पर्यटन के विकास के साथ-साथ मानव जीवन एवं पर्यावरण के सत्य खिलवाड़ न हो सके ।

मानव जीवन में सर्वदा पर्यटन के प्रति एक विशेष आकर्षण विद्यमान रहा है । प्राचीन समय में आवागमन के साधन दुर्लभ थे किन्तु पर्यटन के प्रति लोगों की मनोवृत्ति विशेषत: रोमांचक थी । पर्यटन मात्र एक शब्द ही नहीं है, अपितु अपने भीतर सम्पूर्णता को संजोये हुये है, चाहे वह संस्कृति- सभ्यता हो, इतिहास, भूगोल, राष्ट्रीय एकता, कला, उद्योग सम्बंधी समस्यायें अथवा सम्भावनायें इत्यादि हों ।

पर्यटन, शब्द के नाम से ही सम्पूर्ण मानव मस्तिष्क में न केवल अपने देश के अपितु विभिन्न देशों के प्राकृतिक सौन्दर्य, संस्कृति एवं कला की रूपरेखा उपस्थित हो जाती है । भारत एक विशाल देश है । इस बात की अनुभूति हमें यहाँ के विविध पर्यटक स्थलों के द्वारा होती है । भारत का ही नहीं वरन् प्रत्येक देश का अपना एक विशेष सौन्दर्य होता है ।

ADVERTISEMENTS:

भारत तो वैसे भी सौन्दर्य से परिपूर्ण देश है, चाहे वह सौन्दर्य मानवीय हो अथवा भौतिकीय । उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक भारत की अपनी खास विशेषताएँ हैं । पर्यटन से निश्चितरूपेण व्यक्ति ‘मैं’ से हम की ओर उन्मुख होता है, झुकता से मुक्त होता है, प्रांत, भाषा, जाति, मत, पंथ एवं सम्प्रदाय की संकीर्णताओं से दूर होता है ।

वह विकास की प्रक्रिया में पर्यटन के माध्यम से पूरे, देश के साथ एकात्म होता है । किसी भी पर्यटक को अपने देश, वहां के भिन्न अंचलों में व्याप्त लोक संस्कृति, जीवन शैली और ऐतिहासिक प्रगति से तालमेल बिठलाने में रचनात्मक भूमिका अदा करने के लिए सहायक होने के अर्थ में जिस तत्व की आवश्यकता है वही नदारद हे ।

किसी भी पर्यटक के लिए आज भारत की पहचान फकीरों, महाराजाओं, भिखारियों, सपेरों, खजुराहों की मूर्तियों, ताजमहल, कुतुबमीनार अथवा कार्बेट नेशनल पार्क की सरहद कब की पार कर चुकी है । आज न सिर्फ नौजवान बल्कि बच्चे, बूढे जिसे देखो वही अपने सीने में एक जुनून लिए दुनिया का चप्पा-चप्पा छानने को उतावला है ।

पर्यटन का अर्थ आज सिर्फ नयी-नयी जगहों की सैर करना नहीं बल्कि दुनिया जहान से अपने आपको जोड़ लेना है । उन्नत या साहसिक पर्यटन एक ऐसा आयाम है जो पर्यटन सुख के अलावा शरीर के साथ ही मस्तिष्क की समग्र गतिविधि निस्तारण में सहयोगी भूमिका अदा कर रहा है ।

भारत में भी यह मान्यता अब तेजी से फैलती जा रही है कि जहां यह जवां कुदरत मेहरबान न हो तो अपने ही जीवन और उद्यम से बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है । इस बात को समझने के लिए एक अकेला ही दृष्टांत काफी होगा । प्राकृतिक संपदा के दृष्टिकोण से उत्तर भारत में हरियाणा, देश के ही कुछ अन्य प्रांतों से बहुत पिछड़ा हुआ था ।

पड़ोसी राज्य राजस्थान से उसे रेगिस्तान और रेतीले मैदानों का सन्नाटा तो जरूर मिला पर ऐतिहासिक, पुरातात्विक विरासत नहीं । बावजूद उसके कुशल नेतृत्व, स्थानीय जनता के जीवट और उसकी लगन ने चद वर्षो में ही हरियाणा का समग्र कायाकल्प कर डाला ।

आज स्थिति यह है कि हरियाणा पर्यटन के दृष्टिकोण से देश में अचल है, जबकि दूसरी ओर उत्तर प्रदेश, हिमाचल, जम्यू-कश्मीर व सिक्किम तक तमाम प्राकृतिक उदारता के बावजूद या तो जस के तस बने हुए हैं या उत्तरोत्तर हाबान्श्रा हैं । यह आश्चर्यजनक तो है ही, अन्य प्रदेशों के लिए अनुकरणीय भी है ।

अथिति देवो भव; स्वा वसुधैव कुटुम्बवप्रम् की अवधारणा वाला भारत आज विश्व स्तर पर पर्यटन में लगातार पिछड़ रहा है । एकदम पुरातन पंथी अगर उसे साफ दकियानूसी न भी कहा जाये, ख्याल यह भी है कि भारत में पर्यटन उद्योग को सिर्फ विदेशी पर्यटकों के लिए आरक्षित एव संरक्षित मान लिया गया है जबकि देश में ऐसे लोगो की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, जो अपने ही देश के जाने-अनजाने हिस्सो, उनमें रह रहे जनों तथा उनकी लोकसंस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं ।

यही नहीं देश में पर्यटन का सर्वथा एकांगी अर्थ यह लगा लिया जाता है, जिसे हम णारत दर्शन’ का पर्याय मान ले तो गलत न होगा । यह अपने आप में कम बड़ा आश्चर्य नहीं कि कभी देश के लिए सर्वाधिक विदेशी मुद्रार्जन का स्रोत, पर्यटन उद्योग, आज खिसक कर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है जबकि तमाम सरकारी दावों और सरकार द्वारा ही पेश किये गये आकडो के आधार पर पर्यटन विकास की देश में दर दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ रही है ।

अगर इस स्थिति का वस्तुपरक मूल्यांकन किया जाए और कारणों को टटोला जाए तो यह निर्विवाद रूप से प्रमाणित हो जाएगा कि विश्व के अनेक छोटे-छोटे राष्ट्रों की तुलना में भी भारत में पर्यटन का विकास अपेक्षाकृत धीमा या साफ कहना चाहिए पिछडा हुआ, इसलिए भी है कि भारत में किसी भी अन्य विकासशील वस्तुस्थिति को प्राकृतिक तौर पर ‘टेकन फार ग्रांटेड’ वाले अर्थ में लेने की मानसिकता बेहद सहज है ।

प्राकृतिक सुषमा अथवा वैभव की पिटारी में अब न कोई नया माल बचा है और न हममें उस माल को बेचने की, ‘हर माल बिकेगा पांच आने’ वाली शैली में कोई ताजगी रही है । पर्यटन संवर्धन, विकास और विपणन से जुड़े वर्गो को यह भलीभांति समझ लेना चाहिए कि उस आयाम में भी एनरॉन अथवा केंटुकी फ्रांइड चिकिन प्रकरणों ने अपना प्रभाव छोड़ा है ।

‘सरकाय लो खटिया…’ की ही तर्ज पर ‘सर ! खाए लो भजिया…’ की फूहड परंतु बहुराष्ट्रीय मार्केटिंग तकनीक, दूनी कीमत पर भी उपभोक्ता को माल उपलब्ध करवाने के बावजूद, देश में भूजिया उद्योग की पूरी तरह बहुराष्ट्रीय हितों के हाल में जाने देने से रोकने के लिए विदेशी और स्वदेशी का भूत खड़ा किया जा रहा है ।

पर्यटन के संदर्भ में यह इसलिए आवश्यक हुआ कि देर-सवेर पर्यटन के भी चंद दरवाजे बहुराष्ट्रीय हितों को सौंपे जा सकते हैं और जाहिर है तब बहुत देर हो चुकी होगी । यह लिखने का यह प्रयोजन कदापि नहीं कि देश की जनता के हितों में, देश के पर्यटन उद्योग को, विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा लीज के आधार पर चलाये जाने से हमें कोई आपत्ति है, परंतु इसमें भी कोई दो राय नहीं कि भारत को किसी के लिए भी पेश करने के लिए भारत अथवा भारतीयों की ही भूमिका सर्वोत्कृष्ट हो सकती है ।

इस संदर्भ में यह और भी स्मरणीय है कि आज विश्व भर में पर्यटन की पारम्परिक अवधारणा मूलचूल बदल ही चुकी है । कभी माना जाता था:

”सैर कर दुनिया की गाफिल कि जिंदगानी फिर कहां , गर जिंदगानी है भी तो नौजवानी फिर कहाँ ?”

यह कहा जा सकता है कि ऐसा इसलिए भी हुआ कि वक्त रहते भारत पारंपरिक और अधुनातन पर्यटन के बीच का अंतर, जो गुणात्मक और व्यावहारिक दोनों ही था, ही नहीं समझा पाया और यही नहीं उसे यह लगा ही नही कि अध्यात्म, सपेरों, फकीरो, मिखमंगों, ताजमहल और महाराजा नवाबो के देश में कोई सैलानी सिर्फ मौज-मस्ती के लिए भी नहीं बल्कि साहसिक पर्यटन के लिए भी आ सकता है ।

भारत में हम बहुत सी बातों को रस्म अदारागी के तौर पर ही लेते हैं, जिसके चलते पर्यटन का भी वही हश्र होता जा रहा है जो राजभाषा अथवा राष्ट्रभाषा हिन्दी के साथ हुआ, दूसरे शब्दों में जैसे हिन्दी दिवस अथवा हिन्दी पखवाडा मनाने भर से हिन्दी भाषा आज भी हाशिए पर है ।

वैसे ही विश्व पर्यटन दिवस मनाने भर से देश में पर्यटन का विस्तार और उसकी लोकप्रियता मे उफान नहीं आ जाने वाला । हमें यह शायद महसूस ही नहीं हुआ कि तेजी से बदलते मूल्यों, मानदंडों और समीकरणो मे हमारी आज की सबसे बडी आवश्यकता पर्यटन ढांचे में जोड-घटाव करने के स्थान पर बेहतर विपणन अथवा मार्केटिग की है ।

आज भी हमारे यहाँ चारों धाम-यात्रा, शादी के पश्चात् थोड़ी मौज-मस्ती के साथ हनीमून मनाने और पर्यटन में, आज भी कोई फर्क नहीं माना जाता । बहुत हुआ तो यह समझ लिया जाता है कि पश्चिम की भौतिकीवादी अप-संस्कृति से त्रस्त पलायन कर रहा कोई व्यक्ति आत्मिक शांति के लिए जो भारत आया वही पर्यटक है ।

यहाँ यह सोचना जरूरी है कि बस वही पर्यटक नहीं है । पर्यटक तो वह है जो देश, जाति, धर्म से परे अपना पैसा मनोरंजन के नाम पर खर्च करने पहुंचा हो और इस संतोष के साथ स्वदेश लौटे कि जो भी अनुभव किया वह यादों की धरोहर एक पर्यटक के लिए पर्यटन का अर्थ एक नयी जगह, नये लोग, नया परिवेश, नयी परम्पराएँ और सैर-सपाटा भर होता है, जबकि किसी देश के पर्यटन मंत्रालय के लिये यह होता ऐविदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला सुनहरा माध्यम । इसी बात को ध्यान में रखकर भारत में भी पर्यटन को उद्योग का दर्जा दे दिया गया और इसके साथ अनंत सम्भावनाओं का पुलिंदा जोड़ दिया गया ।

उसके बाद भारतीय पर्यटन की सेहत पर नजर रखने का जो दौर शुरू हुआ, वह आज तक जारी अनगिनत भावी योजनाओं से भरपूर पर्यटन मंत्रालय ने यह दावा पेश किया कि भारत में पर्यटन का ग्राफ और उससे होने वाली आय तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ती चली जा रही है ।

मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 1992 में भारत में 18.7 लाख विदेशी पर्यटक आए और 1995 में 21 लाख । इस बीच पर्यटन से होने वाली विदेशी मुद्रा की आये भी दो हजार करोड़ से बढ्‌कर साढ़े चार हजार करोड़ रूपये से ऊपर पहुंच गयी है और अब हीरे-जवाहरात के बाद पर्यटन उद्योग, भारत का दूसरा सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा हासिल करने वाला उद्योग भी बन गया है ।

आकड़ों की इस रूखी-सूखी कवायद से अति उत्साहित होकर अब पर्यटन मंत्रालय ने वर्ष 1997 तक 50 लाख विदेशी पर्यटकों की आमद का लक्ष्य सामने रख दिया है । इस लक्ष्य के साथ ही जहां कई नयी योजनाओं पर विचार किया जा रहा है, वहीं पर्यटन मंत्रालय पर भी कई सवाल एक साथ उठ खड़े हुए हैं ।

आकडो के मुताबिक भारत में 1995 में 21 लाख विदेशी पर्यटक आए । फिर 1997 तक 50 लाख विदेशी पर्यटकों की आमद का लक्ष्य (दुगुने से भी अधिक) पर्यटन मंत्रालूय कैसे पूरा करेगा, यह काफी आश्चर्यजनक लगता है । दूसरा मुद्दा यह है कि थाईलैंड जैसे छोटे से देश में हर साल 50 लाख विदेशी पर्यटक आते रहै, जबकि असीम संभावनाओं से भरपूर भारत में विश्व भर में पर्यटन मात्र 0.5 प्रतिशत ही आता है ।

भारत में विदेशी पर्यटन की आमद में आ रहे ठहराव के लिए अक्सर आतंकवाद (कश्मीर, असम या फिर पंजाब) को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, जबकि एक कड़वी सच्चाई यह है कि ऐसी ही परिस्थितियों से गुजरने के बाधक इस्राइल में आज भी पर्यटन पूरे दमखम से जारी है और वहां काफी विदेशी मुद्रा भी अर्जित को जा रही है ।

यहां गौरतलब यह भी है कि हमारे यहां तकनीकी भाषा के मुताबिक विदेशी पर्यटक उसे माना जाना चाहिए जिसके पास विदेशी पासपोर्ट हो और भारत में सैर या फिर व्यापारिक मकसद से आया हो, लेकिन कडे प्रस्तुत करते वक्त अक्सर ऐसा नहीं किया जाता ।

ये आरोप उठे हैं कि मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत 21 लाख विदेशी पर्यटकों के आकड़ों में से करीब 175 पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए लोग हैं, जो कि पर्यटन उद्योग के लिए खास फायदेमंद नहीं होते । पड़ोसी देशों से आने वाले ये पर्यटक भारतीय आबोहवा से परिचित होते हैं और यहाँ आकर विदेशी मुद्रा खर्च करने के बजाय अपने परिचितो के पास रहना ज्यादा पसंद करते हैं ।

ऐसे में पर्यटन मंत्रालय के आय के पिटारे में इनका योगदान नाममात्र का होता है, लेकिन फिर भी इन्हें पर्यटन के ग्राफ में सगर्व शामिल कर दिया जाता है । इस तरह यह बात तो साफ है कि पर्यटन की दृष्टि से अति समृद्ध होने के बावजूद भारत में पर्यटन की सेहत अच्छी नहीं है । इसके कई कारण हैं, जैसे कि हमारे यहां विदेशी पर्यटकों के लिए सुविधाएं नाममात्र की और ठगी से भरपूर हैं ।

उन्हें एयरपोर्ट से ”मिस गाइड” किये जाने का जो सिलसिला शुरू होता है, वह उनके लौटने तक जारी रहता है । यहां यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उनमें से कई तो लौटते वक्त दुबारा कभी भी ‘इंडिया’ न आने की कसम भी खा लेते हैं । यानी तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद अक्सर नौबत यहाँ तक आ ही पहुंचती है । यहाँ यह भी महत्वपूर्ण है कि हमारे यहां विदेशी पर्यटकों के लिए समुचित आवास सुविधाएं नहीं हैं ।

ठहरने के लिए पंच सितारा तो भरपूर हैं और अति निम्न स्तर के भी खूब मिल जाते हैं, मगर मध्यवर्गीय पर्यटकों के लिए जेब के मुताबिक होटलों का सर्वथा अभाव है । यह माना गया है कि इस व्रक्त देश में 50 हजार से ज्यादा होटलों की कमी है । इसके अलावा पर्यटन क्षेत्रों की दुर्दशा भी पर्यटन के ठहरते से ग्राफ के लिए जिम्मेदार है ।

मसलन-ताजमहल के आसपास की गंदगी, अजंता एलोरा की गुफाओं में बढ़ती आर्द्रता, गोवा और कोवलम बीच में वेश्यावृत्ति, पुष्कर में मादक पदार्थो की तस्करी, चिलका जैसी झीलों पर बढ़ते प्रदूषण आदि से पर्यटन पर बुरा असर पड़ा है ।

पर्यटन क्षेत्रों के आसपास की जबरदस्त महंगाई, चोरी, पर्यटन क्षेत्रों में अनुशासन की कमी और नियमों की अनदेखी ने पर्यटन के चेहरे पर बदनुमा दाग लगा दिउया है । एक अन्य कारण घरेलू पर्यटन की तरफ बरती जाने वाली जबरदस्त उपेक्षा भी है । हमारे यहाँ करीब 10 करोड घरेलू पर्यटक हैं, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया जाता ।

फिर यह भी कि नये-नये पर्यटन क्षेत्रों को विकसित करते समय स्थानीय नागरिकों का न तो सहयोग लिया जाता है और न ही सलाह । पंच सितारा होटलों को अंजाम देते वक्त कई बार उनकी पुश्तैनी जमीनें तक छीन ली जाती हैं और बदले में उन्हें कुछ दिनों का रोजगार भी नहीं दिया जाता ।

इस क्षेत्र मे मोटी आय कमाने की गहन सोच में कहीं क्षेत्र के विकास का जिक्र तक नहीं आता । मसलन खजुराहों खे नकशे से आज भी हाई स्कूल और अस्पताल नदारद है । यानी स्थानीय लोगों की सुविधाओं और प्राकृतिक सपदा के एवज में पर्यटन मत्रालय स्वहित में तमाम तरह के आकर्षण तो जुटा लेता है, मगर स्थानीय लोगो काऊए कुछ भी हासिल नहीं होता ।

इसी तरह परिवहन सुविधाओ और विदेशों में समुचित प्रचार-प्रसार के अभाव जैसी कई कमियां भी हैं । बडी-बडी योजनाएं वातानुकूलित कमरों में बैठकर कागजो पर तय कर ली जाती हैं, जो अंतत: घाटे का सौदा साबित होती हैं । मसलन पिछले साल अक्तुबर में राजस्थान पर्यटन की शाही रेलगाड़ी बौद्ध गेज में परिवर्तित होने पर दो दर्जन से भी कम यात्रियों को लेकर रवाना हुई थी ।

इसी कड़ी में पर्यावरण से जुड़े तमाम नियमो को ताक पर रखकर गोल्फ क्षेत्र बना दिये जाते हैं, क्योंकि आम पर्यटक की तुलना में गोलस से पाच गुनी अधिक आमदनी होती है । यह माना जाता है कि गोल्फ क्षेत्र सिर्फ बंजर भूमि पर ही बनाए जाने चाहिए अन्यथा पर्यावरण पर बुरा-असर पड़ता है, मगर अक्सर ऐसे नियमों की परवाह नहीं की जाती है ।

नजरअंदाजी का आलम यह है कि पर्यटन धीरे-धीरे ‘प्रदूषण’ में तब्दील होता जा रहा है और इस श्रेणी में पर्वतराज हिमालय की चोटियां भी शामिल हो गयी हैं । कहा जा रहा है कि अनुशासनहीन पर्यटन की बदौलत आज वहां जिस तेजी से कूड़ा-करकट जमा हो रहा है, जो एक दिन एवरेस्ट पर्वत चोटी से भी ऊंचा हो जाएगा ।

मूल बात यह है कि पर्यटन उद्योग को पूर्णरूप से व्यावसायिकता का रूप दिया जा रहा है तो दूसरी और पर्यावरणवादियों ने पर्यटन उद्योग से पैदा खतरों की ओर इशारा करके इसमें निहित बुराइयों को दूर करने की ओर ध्यान दिलाया है । यानी यह बात तो तय है कि भारतीय पर्यटन के इस पिटारे में यदि झिलमिलाती हुई आय है तो कमियों का अंबार भी है, जिन्हें सरकारी तामझाम से नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति से दूर करने की जरूरत है ।

आज आवश्यकता इस बात की है कि पर्यटन तंत्र के विकास और सुव्यवस्था पर जोर दिया जाए । विविध विभागों व राज्य सरकारों में समन्वय एवम् सामंजस्य स्थापित किया जाए । सबसे अहम आवश्यकता राजनैतिक इच्छा शक्ति की है । वर्तमान समय में पर्यटन के विकास में उडान सेवा होटल और कम्प्यूटर की आवश्यकता बढ गई और साथ ही केबल टी.वी. का प्रसार बढ़ रहा है जो कि पर्यटन हेतु उपयोगी सिद्ध हो सकता है ।

ऐसा अनुमान है कि सन 2005 तक 3 करोड़ घरों में केबल टीवी. पहुँच जाएगा । इसे पर्यटन के लिए उपयोगी माध्यम बनाया जा सकता है । साथ ही पर्यटकों की सुविधाओं पर अधिक ध्यान देना होगा । इस क्षेत्र में पूंजी निवेश बढ़ाना होगा ।

विदेशी पर्यटकों हेतु बाजार की खोज करनी होगी । पर्यटन संस्कृति के दुष्परिणामों को दूर करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है क्योंकि स्वदेशी संस्कृति की रक्षा नहीं की जाएगी तो इसका विनाश भावी पीढी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है ।

अत: यह ध्यान रखना अत्यधिक आवश्यक है कि पर्यटन विकास के साथ भारतीय मान्यताओं एवं परम्पराओं का पतन न हो । हर भारतीय के लिए यह याद रखना जरूरी है कि ‘अतिथि देवीभव’ हमारी सांस्कृतिक परंपरा है और पर्यटन राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सद्‌भाव को बढ़ाने का एक अनूठा माध्यम है ।

ऐसे में यदि कभी कहीं राह चलते कोई मटका हुआ राहगीर नजर आ जाए तो मुंह न मोड़ें । कौन जाने हमारी एक नन्हीं-सी मदद उसकी दिक्कतों को कुछ कम कर दे । पर्यटन के चेहरे को निखारने की पहल बहरहाल हमें ही करनी होगी ।

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Cultural Tourism

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29. Vocab – TRIPTI PANDEY – PARICHAY

29. Transcript – TRIPTI PANDEY – PARICHAY

cultural tourism essay in hindi

पर्यटन का महत्व पर निबंध – Essay on importance of tourism in Hindi

पर्यटन का महत्व पर निबंध: पर्यटन एक महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र है जो विभिन्न देशों और क्षेत्रों को एक साथ जोड़ता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसका सांस्कृतिक आदान-प्रदान, अर्थव्यवस्था और मानवीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

पर्यटन का महत्व पर निबंध

प्रस्तावना – पर्यटन के लाभ – पर्यटन से ज्ञान – राष्ट्रीय एकता और पर्यटन – अर्थव्यवस्था और पर्यटन – भारत में पर्यटन – उपसंहार

एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा करने और उस स्थान को जानने की जिज्ञासा मानव मन में पर्यटन की प्यास जगाती है। पर्यटन जीवन की नीरसता से अस्थायी राहत दिलाता है। ऐसा करने से वह सुकून के पल का भरपूर आनंद उठा सकता है।

पर्यटन विश्व के विभिन्न कोनों से लोगों को एक ही स्थान पर आने-जाने की सुविधा प्रदान करता है। यह विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के बारे में जानने के लिए ज्ञान के सीमांकन में सहायक भूमिका निभाता है। जब कोई व्यक्ति पर्यटन के संपर्क में आता है तो वह जाति, धर्म, भाषा और वर्ण के भेदभाव के बिना विभिन्न देशों के विभिन्न लोगों से मिलता है। उस स्तर पर विभिन्न आकार, प्रकृति, विश्वास और प्रथाओं के विभिन्न आंदोलनों से जुड़े लोग पाए जा सकते हैं। पर्यटकों की भूमिका यहीं तक सीमित नहीं है। वह अलग-अलग स्वभाव, अलग-अलग शैली और अलग-अलग रीति-रिवाजों वाले लोगों से मिलते हैं। वह उनसे नए गुण और नए धर्म प्राप्त करना पसंद करता है। एक यात्री विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाकर स्वयं का विकास करता है।

paryatan ka mahatva par nibandh

पर्यटन के लाभ

पर्यटन हमें आनंद देता है। जब कोई व्यक्ति विभिन्न कार्यों में उलझ जाता है और बोझिल हो जाता है या बिना कुछ करने के लिए घर पर दिन बिताता है, तो वह बाहर जाकर कुछ देर आराम करना चाहता है। यात्रा हमारे मन की थकान को दूर करती है। यात्रा के दौरान लंबे समय से दूर रहने वाले अपने प्रियजनों और रिश्तेदारों से मिलना एक विशेष संबंध माना जाता है। ऐतिहासिक स्मारकों, सांस्कृतिक स्थलों, मठों, मंदिरों और प्रकृति की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद हम तब लेते हैं जब हम नए परिवेश में दूर-दूर तक यात्रा करते हैं, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह दुख से छुटकारा पाने के लिए एक अचूक दवा है।

पर्यटन से ज्ञान

पर्यटन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। यह हमारे ज्ञान की परिभाषा को बढ़ाता है। छात्र शहर या उप-शहरी क्षेत्रों में स्थित कला दीर्घाओं, कोयला खदानों, चिड़ियाघरों और विज्ञान पार्कों में जाकर बहुत कुछ सीखते हैं। इन सभी चीज़ों के बारे में, जो उन्हें स्कूल में किताबें पढ़कर नहीं मिल पातीं, यात्रा के दौरान वे अलग-अलग चीज़ें अपने दिमाग में रख सकते हैं। किताबें हमें कभी भी वह सारी ख़बरें नहीं दे सकतीं जो पर्यटन हमें प्रदान करता है। लेकिन जो आंखों से देखा जाता है, उसका प्रतिबिम्ब सदैव जीवित रहने वाले व्यक्ति के मन में बन जाता है। पर्यटन मानव अवलोकन और पर्यवेक्षण शक्तियों को बढ़ाता है। कम समय में कई स्थानों का भ्रमण करने के बाद मन और हृदय अत्यंत आनंद से उत्साहित हो जाता है। अप्रत्यक्ष रूप से यह हमारे ज्ञान को बढ़ाता है। पर्यटन का स्वास्थ्य पर प्रभाव काफी पड़ता है।

पर्यटन मानव अवलोकन और पर्यवेक्षण शक्तियों को बढ़ाता है। कम समय में कई स्थानों का भ्रमण करने के बाद मन और हृदय अत्यंत आनंद से उत्साहित हो जाता है। अप्रत्यक्ष रूप से यह हमारे ज्ञान को बढ़ाता है। पर्यटन का स्वास्थ्य पर प्रभाव काफी पड़ता है।

राष्ट्रीय एकता और पर्यटन

राष्ट्रीय एकता बनाये रखने में पर्यटन की भूमिका आवश्यक है। इस क्षेत्र में अलग-अलग लोग जाति, धर्म और जाति से ऊपर उठकर एक-दूसरे के प्रति मित्रता के सूत्र से बंधे होते हैं। ऐसा देखा गया है कि नए लोगों के संपर्क में आने से दूरदराज के इलाकों के लोगों को काफी फायदा होता है। यहां एक-दूसरे को भाईचारे के प्यार की डोर में बांधना आसान है।

अर्थव्यवस्था और पर्यटन

पर्यटन उद्योग का एक मजबूत स्तंभ। इसकी वृद्धि में होटल, परिवहन, फोटोग्राफी, हस्तशिल्प आदि व्यवसाय प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने की संभावना है। पर्यटन के कारण देश या राज्य की विभिन्न सेवाओं जैसे हवाई अड्डे, रेलवे, सड़क, बंदरगाह, बिजली, टेलीफोन, जल आपूर्ति आदि की मांग लगातार बढ़ रही है। यदि ये सभी बुनियादी ढाँचे विकसित नहीं किए गए तो पर्यटकों को यहाँ आने के लिए आकर्षित करना आसान नहीं है। पर्यटन के कारण कई क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या कुछ हद तक कम हो गई है। देश में जितने अधिक पर्यटक विदेशों से आएंगे, हमारी विदेशी मुद्रा आय उतनी अधिक होगी। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के सामान, मशीनरी या किसी अन्य निर्यात में कोई कठिनाई नहीं होगी।

भारत में पर्यटन

भारत में तीर्थयात्रा और पारिवारिक यात्राएँ बहुत लोकप्रिय हैं। पर्यटन के इतिहास में हमारे भारत में फाहियान और ह्वेनसांग का नाम सोने में अंकित है। कोलंबस ने भारत का दौरा किया और एक पूरी नई दुनिया की खोज की। वास्कोडागामा भी इसी उद्देश्य से भारत आया था।

पर्यटन ने आज अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य को पूरी दुनिया में फैला दिया है। विश्व शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र के नियमित सत्र में पूरे विश्व के नेता एक साथ आते हैं। वे विश्व सम्मेलनों में भी भाग लेते हैं। आर्थिक संबंध स्थापित करने के लिए समय-समय पर विभिन्न देशों का दौरा करना उनके लिए एक सामान्य नियम बन गया है।

पर्यटन हमें दुनिया में सामाजिक इंसान के रूप में स्थापित करता है। ऐसा लगता है मानो यह इंसान इतनी बड़ी दुनिया में एक परिवार की सीमा पर केवल एक ग्रंथि से बंधा हुआ है।

आपके लिए: –

  • पर्यटन पर निबंध
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तो दोस्तों ये पर्यटन का महत्व पर निबंध । हम सबको ये याद रखना होगा की पर्यटन एक महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग है जो समृद्धि, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है। इसलिए, हमारे लिए इसे समझना और समर्थन करना महत्वपूर्ण है ताकि हम एक सशक्त और समृद्ध समाज की ओर बढ़ सकें।

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पर्यटन का फायदा और नुकसान Advantages and Disadvantages of Tourism in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यटन का फायदा और नुकसान (Advantages and Disadvantages of Tourism in Hindi) के विषय में जानकारी दी गई है। इसमें पर्यटन का महत्त्व, भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल और पर्यटन के कुछ लाभ और हानि के बारे में विस्तार से बताया गया है।

Table of Content

पर्यटन का महत्त्व Importance of Tourism in Hindi

पर्यटन कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा हम प्राचीन भारतीय ग्रंथों से लगा सकते हैं। बड़े-बड़े ऋषि मुनियों और विद्वानों ने पर्यटन को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग बताया है। 

जिस प्रकार पुस्तकों के स्वाध्याय से ज्ञान की प्राप्ति होती है, उसी तरह पर्यटन ज्ञान प्राप्ति का सबसे सर्वश्रेष्ठ मार्ग होता है। विभिन्नता एक ऐसा शब्द है, जो इस पूरी दुनिया में सामान्य है। 

विभिन्न भाषाएं, संस्कृतियों, लोक साहित्य, इतिहास, स्थल, घटनाएं इत्यादि के विषय में जानने का सबसे अच्छा मार्ग पर्यटन है।

जब पूरे दुनिया में कोरोना महामारी फैली हुई थी, तब लगभग सभी पर्यटन स्थलों को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया था। यदि इसके कारण होने वाले कुल नुकसान की गणना की जाए, तो पर्यटन बंद पड़ जाने के कारण करोड़ों का नुकसान सारे देश को सहना पड़ा था। 

भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल Top Tourist Places in India

हमारा देश यूं तो नए विभिन्नताओं से भरा पड़ा है, जहां देखने योग्य अनगिनत सुंदर और ऐतिहासिक स्थल मौजूद है। आइए भारत के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जानते हैं-

औली (उत्तराखंड), शिमला (हिमाचल प्रदेश), डलहौजी (हिमाचल प्रदेश), मथुरा और वृंदावन, लेह लद्दाख (जम्मू और कश्मीर), स्पीति (हिमाचल प्रदेश), नई दिल्ली, आगरा (उत्तर प्रदेश), कुल्लू और मनाली (हिमाचल प्रदेश), हरिद्वार और ऋषिकेश (उत्तराखंड), श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर), अमृतसर (पंजाब), चंडीगढ़ (पंजाब), मसूरी (उत्तराखंड), पुष्कर, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर (राजस्थान), कच्छ (गुजरात), मुंबई (महाराष्ट्र), अजमेर इत्यादि।

मैसूर (कर्नाटक), कुर्ग (कर्नाटक), मुन्नार (केरल), ऊटी (तमिलनाडु), कुन्नूर (तमिलनाडु), कोडाइकनाल (तमिलनाडु), विथिरी (केरल), कुद्रेमुख (कर्नाटक), नंदी हिल्स (कर्नाटक), इडुक्की (केरल) इत्यादि।

पर्यटन का फायदा Advantages of Tourism in Hindi

रोज़गार का केन्द्र, अर्थव्यवस्था .

देश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान होता है। यदि पर्यटन को अर्थव्यवस्था से अलग कर दिया जाए, तो देश की कुल अर्थव्यवस्था भी ज्यादा विकास नहीं कर पाएगी। पर्यटन में प्रगति होने पर अर्थव्यवस्था में भी नए सकारात्मक बदलाव आते हैं।

मनोरंजन का सर्वश्रेष्ठ मार्ग

यात्रा करने से न केवल लोग चिंता मुक्त होते हैं, बल्कि साथ ही उनका मनोरंजन भी हो जाता है। नई जगह, नए लोग और नए वातावरण से अच्छा मनोरंजन और दूसरा कुछ नहीं हो सकता है।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा

जब एक देश के नागरिक दूसरे देशों में पर्यटन स्थलों की यात्रा करने जाते हैं, तो इससे न केवल व्यक्तित्व स्तर पर बल्कि उन देशों के बीच अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबंधों में सकारात्मक वृद्धि देखी जाती है। इस प्रकार राष्ट्रों में भी मित्रता की भावना विकसित होती है।

विविधताओं की जानकारी 

यह दुनिया अनगिनत जानकारियों से भरी पड़ी है। दुनिया के विस्तृत विविधताओं की जानकारी लेने के लिए पर्यटन अनिवार्य होता है। यह किसी भी चीज के विषय में जानने या सीखने के लिए सबसे प्रैक्टिकल मार्ग होता है।  

राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा

पर्यटन विभाग के द्वारा जितना योगदान देश की अर्थव्यवस्था में सम्मिलित किया जाएगा, उससे कुल मिलाकर राष्ट्र का ही विकास होता है। पर्यटकों के आवागमन से विकास के कई नए अवसर खड़े होते हैं, जिससे राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा मिलता है।

एकता को बढ़ावा

जाहिर सी बात है कि जब देश विदेश से लोग नए पर्यटन स्थलों पर जाते हैं और वहां का रुख करते हैं, तो स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच एकता की भावना अन्दर से प्रकट होती है। परिणामस्वरूप  यह अंतराष्ट्रीय एकता को भी बढ़ावा देता है।

स्वच्छता को प्रोत्साहन

पर्यटन का नुकसान disadvantages of tourism in hindi, पर्यावरणीय क्षति.

कई बार पर्यटक इतने बेफिक्र हो जाते हैं, कि उन्हें पर्यावरण का भान ही नहीं रहता और वे स्वच्छता का ख्याल भूल जाते हैं। इसके अलावा जितने पर्यटक विभिन्न देशों से यात्रा करके पर्यटन स्थल तक पहुंचते हैं, यातायात के साधनों के कारण भी पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचती है।

पर्यटकों का व्यवहार

विदेशी पर्यटकों के मामले में अक्सर यह देखा जाता है, कि वे स्थानीय लोगों के साथ जाने अनजाने में दुर्व्यवहार करते हैं। अपने आप को ऊंचा दिखाने के लिए कई बार यह पर्यटक अभद्रता पर भी उतर जाते हैं, जो पर्यटन का एक नकारात्मक पहलू माना जा सकता है।

स्थानीय संस्कृति पर प्रभाव

कई बार बाहर से आए हुए पर्यटकों के लिए स्थानीय संस्कृति को लेकर सम्मानजनक भावना नहीं रहती, जिसके कारण स्थानीय रीति रिवाज और परंपराओं का सम्मान न करने के कारण दो संस्कृतियों के बीच मतभेद उत्पन्न हो जाता है।

मौसमी नौकरियां

अर्थात यह पर्यटकों के ऊपर निर्भर होता है, कि रोजगार सफल होगा या विफल। ऐसे में कोई गारंटी नहीं रहती की लोगों से कब उनकी आजीविका चलाने का साधन छीन जाए।

छोटे व्यवसायों के लिए चुनौती

कुछ परिस्थितियों में छोटे व्यवसाय ऐसे स्पर्धा वाले क्षेत्रों में आ तो जाते हैं, लेकिन लंबे समय तक टिक पाना उनके लिए एक बडी चुनौती होती है।

इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी का अभाव 

आज भी ऐसे कई खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं, लेकीन अधिकार न तो वहां ढंग का इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद होता है और न ही अन्य आवश्यक सुविधाएं।

विदेशी व्यवसाय के स्वामी

यह एक बड़ी समस्या है कि पर्यटन स्थलों पर बेची जाने वाली वस्तुएं विदेशी व्यापारियों के प्रभुत्व में होती हैं। इसके कारण स्थानीय व्यापारियों को इतना मुनाफा नहीं मिल पाता और उनकी चीजें भी पर्यटकों द्वारा बहुत कम स्तर पर खरीदी जाते हैं। 

इसके अलावा लोगों में भी भारतीय प्रोडक्ट्स के लिए इतना विश्वास नही रहता, जितना की कोई अन्य प्रख्यात विदेशी वस्तुओं के लिए होता है।

अन्य क्षेत्रों की उपेक्षा

केवल पर्यटन क्षेत्र में निर्भर होने के कारण अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के विकास को अनदेखा किया जा रहा है। माना की अर्थव्यवस्था में पर्यटन बहुत बड़ा सहयोगी है, लेकिन इसके अलावा भी कई क्षेत्र हैं जो बढ़-चढ़कर अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं। 

उदाहरण स्वरूप किसी वैश्विक महामारी, युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के कारण बड़ी शीघ्रता से पर्यटन क्षेत्र का विनाश होता है।  यदि अन्य क्षेत्रों की उपेक्षा की जाती है, तो इससे अर्थव्यवस्था की नीव बुरी तरह से हील सकती है।

पर्यटन के दौरान लूट पाट का डर

पर्यटन से जुड़ी दूसरी समस्या यह भी है कि पर्यटकों को हर समय अपने वस्तुओं की सुरक्षा की चिंता सताती रहती है। जरूरी और कीमती सामानों के साथ यात्रा करने के दौरान पर्यटकों के साथ लूटमार या चोरी होने का बहुत ज्यादा डर रहता है।

कौशल का अभाव

यह तो सच बात है की पर्यटन अधिकतर मौसमी रोजगार प्रदान करता है। कई बार छोटे स्तर के व्यापारियों में कौशल की कमी के कारण उन्हें अपने व्यवसाय में घाटा सहना पड़ता है। अनस्किल्ड लेबर के कारण प्रगति नहीं हो पाती है।

निष्कर्ष Conclusion

cultural tourism essay in hindi

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उत्तराखंड के दर्शनीय व पर्यटन स्थल | Uttarakhand Tourism in Hindi

Uttarakhand Tourism / उत्तराखंड, उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण 9 नवंबर 2000 को कई वर्षों के आंदोलन के पश्चात भारत गणराज्य के राज्यों के रूप में किया गया था। यह एक उत्तर भारत में स्थित बहुत ही खूबसूरत और शांत पर्यटन केंद्र है। दून वैली पर बसा देहरादून इसकी राजधानी है, जो चारों ओर से प्राकृतिक दृश्यों से घिरा हुआ है। उत्तराखंड को ईश्वर की धरती या देवभूमि के नाम से जाना जाता है। हिंदुओं की आस्था के प्रतीक चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री यहीं स्थित हैं। उत्तराखंड अपने शांत वातावरण, मनमोहक दृश्यों और खूबसूरती के कारण पृथ्वी का स्वर्ग माना जाता है।

उत्तराखंड के पर्यटन स्थल की जानकारी | Uttarakhand Tourism in Hindi

उत्तराखंड के पर्यटन – Uttarakhand Tourist Place in Hindi

इस खूबसूरत राज्य के उत्तर में जहाँ तिब्बत है वहीँ इसके पूरब में नेपाल देश है। जबकि इसके दक्षिण में उत्तर प्रदेश और उत्तर पश्चिम में हिमाचल प्रदेश है। इस राज्य का मूल नाम उत्तरांचल था जिसे बदलकर जनवरी 2007 में  उत्तराखंड कर दिया गया था। राज्य में कुल 13 जिलें हैं जिन्हें प्रमुख  डिवीजनों, कुमाऊं और गढ़वाल के आधार पर बांटा गया है।

उत्तराखंड उन चुनिन्दा जगहों में है जो अपनी सुन्दरता के चलते दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। उत्तर का यह राज्य गंगा और यमुना समेत देश की प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल भी है। उत्तराखंड, वैली ऑफ फ्लॉवर (फूलों की घाटी) का भी घर है, जिसे यूनेस्को ने विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है।

नैनीताल, उत्तर-काशी, मसूरी और चमौली जैसे उत्तर भारत के लगभग सभी प्रमुख हिल स्टेशन उत्तराखंड में ही हैं। हरे-भरे और घने जंगल इसे 12 नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ अभ्यारण्यों के लिए आदर्श स्थान बनाते हैं। हिल स्टेशनों की सुरम्यता के साथ-साथ धार्मिक महत्व के स्थान होने के कारण देश और दुनियाभर के लोग यहां आते हैं। उत्तराखंड ट्रैकिंग, क्लाइंबिंग और वाटर राफ्टिंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स का केंद्र भी है और इस कारण युवाओं की पहली पसंद है।

उत्तराखंड के झीलों के जिले  के रूप में जाना जानेवाला, नैनीताल एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो की समुद्र तल से 1938 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। स्वर्ग का यह टुकड़ा अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1841 में खोजा गया था और एक हॉलिडे रिसोर्ट में बदल दिया गया। शब्द ‘नैनी’ हिंदू देवी नैनी के नाम से पड़ा, जिनका मंदिर झील के किनारे स्थित है।

नैनीताल आगंतुकों को नौका विहार, नौकायन और मछली पकड़ने के अवसर प्रदान करता है। नैनीताल के विभिन्न खूबसूरत पर्यटक स्थल दुनिया भर से पर्यटकों की एक बड़ी संख्या कोअपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन स्थानों में हनुमानगढ़ी, खुरपाताल, किलबरी, लारिअकंता, और लैंसडाउन शामिल हैं।

इस राज्य में विभिन्न वाइल्डलाइफ अभ्यारण्य और पार्क पाए जाते हैं। देहरादून जिले में मशहूर आसन बैराज भी है, जहां यमुना और आसन का संगम है। कस्तूरी मृग के संरक्षण के लिए स्थापित एस्काट कस्तूरी मृग अभयारण्य भी यहीं है। तेंदुआ, हिरण, भालू, जंगली बिल्ली, उदबिलाव जैसे कई जंगली जानवर यहां बहुलता से पाए जाते हैं। नैनीताल जिले में सबसे बड़ा और पुराना नेशनल पार्क ‘जिम कार्बेट नेशनल पार्क’ स्थित है। यह पार्क विभिन्न जंगली जानवरों के अलावा बाघों के लिए जाना जाता है। भारत सरकार यहां प्रोजेक्ट टाइगर अभियान चला रही है। उत्तरकाशी जिले में गोविंद वाइल्डलाइफ अभ्यारण्य लुप्तप्राय: जानवरों के लिए महत्वपूर्ण स्थान और शरणस्थली है। यहां आयुर्वेदिक से लेकर एलोपैथिक दवाओं से जुड़े पौधे और वनस्पतियां मिलती हैं। बर्फीला तेंदुआ भी यहां देखा जा सकता है।

भगवान शिव के और अनेक पवित्र मंदिरों के कारण उत्तराखंड हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों में गिना जाता है। बद्रीनाथ और केदारनाथ, दो ऐसे तीर्थस्थल हैं, जो यहां सदियों पहले से हैं। बद्रीनाथ चार धामों में से एक है और सबसे पवित्र स्थलों में से है। केदारनाथ भी बद्रीनाथ जितना ही पवित्र और दर्शनीय स्थल है। यहां प्राचीन शिव मंदिर है, जहां 12 ज्योर्तिलिंग में से एक शिवलिंग विराजमान हैं। गंगोत्री धरती का वह स्थान है, जिसे माना जाता है कि गंगा ने सबसे पहले छुआ। देवी गंगा यहां एक नदी के रूप में आई थीं। यमुनोत्री यमुना नदी का स्रोत है और इसके पश्चिम में पवित्र मंदिर है। हरिद्वार गंगा नदी के तट पर स्थित है। यह हिंदुओं का प्राचीन तीर्थस्थल है। ऋषिकेश सभी पवित्र स्थानों के लिए प्रवेश द्वार है।

यमुना ब्रिज, नाग टिब्बा, धनौल्टी, और सुरखंडा देवी मसूरीके आस पास के पर्यटक स्थल हैं। कौसानी कत्युरी घाटी , गोमती नदी और पंचचुली की बर्फीली चोटियों, नंदा कोट, नंदा देवी, त्रिशूल, नंदा घुंटी, चौखम्बा और केदारनाथ के लुभावने दृश्य प्रदान करता है। अनासक्ति आश्रम, पंत संग्रहालय, और लक्ष्मी आश्रम भी पर्यटकों में लोकप्रिय हैं।

कई तीर्थयात्री आदि कैलाश, अल्मोड़ा, अगस्त्य मुनि, बद्रीनाथ, देवप्रयाग, द्वारहाट, गंगनानी, गंगोलीहाट, गंगोत्री और गौरीकुंड जैसे स्थानों पर देवताओं के दर्शन हेतु उत्तराखंड आते हैं। अन्य प्रसिद्ध स्थलों हरिद्वार, केदारनाथ, रुद्रनाथ, कल्पेश्वर, और जागेश्वर शामिल हैं।

कैसे पहुंचे और कहा ठहरे –

उत्तराखंड में बड़ी संख्या में होटल, गेस्ट हाउस और रिसोर्ट हैं। यहां हर स्तर के व्यक्ति के लिए रहने-खाने की सुविधा उपलब्ध है। राज्य की पहचान पर्यटन के लिए है और यहां हर बजट के होटल उपलब्ध हैं। राज्य का सबसे महत्वपूर्ण हवाई अड्‌डा देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। यहां से दिल्ली के लिए नियमित उड़ानें हैं। राज्य में सिर्फ 345 किमी. रेलवे ट्रैक है। नैनीताल से 35 किमी. दूर काठगोदाम रेलवे स्टेशन है, जो उत्तर-पूर्वी रेलवे का करीब-करीब अंतिम स्टेशन है। यह नैनीताल को देहरादून, दिल्ली और हावड़ा से जोड़ता है। राज्य के पंतनगर, लालकुआं और हलद्वानी में भी रेल सुविधा उपलब्ध है। देहरादून और हरिद्वार राज्य के दो प्रमुख स्टेशन हैं, जो देश के अधिकतर शहरों और हिस्से से जुड़े हुए हैं। ऋषिकेश, रामनगर और कोटद्वार में भी रेल सुविधा उपलब्ध है। राज्य में सड़कों का जाल अच्छी तरह फैला हुआ है। यहां 28,508 किमी. सड़कों का जाल है। इसमें से 1,328 किमी. सड़क नेशनल हाइवे और 1,543 किमी. स्टेट हाइवे के अंतर्गत आता है। सड़क मार्ग के लिए उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन बसें चलाता है। निजी ऑपरेटर भी बस, टैक्सी जैसी सुविधाएं देते हैं। राज्य के हर प्रमुख स्थान तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।

गर्मियों के दिनों में राज्य में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है। लेकिन सर्दियों में यह बेहद ठंडा होता है। इस पहाड़ी राज्य में, देश के मुकाबले सामान्य या इससे अधिक बारिश होती है। उत्तराखंड में घूमने का सर्वश्रेष्ठ समय मार्च से जून के बीच और सितंबर-अक्टूबर का महीना होता है।

और अधिक लेख –

  • उत्तराखण्ड की जानकारी, तथ्य, इतिहास
  • आंध्र प्रदेश के पर्यटन स्थल की जानकारी
  • अरुणाचल प्रदेश पर्यटन स्थल की जानकारी

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1 thought on “उत्तराखंड के दर्शनीय व पर्यटन स्थल | uttarakhand tourism in hindi”.

cultural tourism essay in hindi

आप की पोस्ट बहुत अच्छी है उत्तराखंड की वादियां अद्भुत है राजस्थान भारत का सबसे प्रमुख पर्यटक स्थल हे राजस्थान के पर्यटक स्थलों के बारे में जाने।

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भारतीय पर्यटन उद्योग की विकास यात्रा.

  • 27 Sep, 2022 | अंकित कुमार साकेत

cultural tourism essay in hindi

जनसंख्या के दृष्टिकोण से भारत विश्व का दूसरा और क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से विश्व का सातवां बड़ा देश है। यहाँ पर प्राचीन समय से ही सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व भौगोलिक इत्यादि आधारों पर विविधताएँ पाई जाती हैं।

भारत में विविधता पर्यटन के संबंध में भी संभावनाओं को प्रस्तुत करती है। भारत में पर्याप्त ऐतिहासिक स्थल, भौगोलिक विविधताएँ, जलवायु भिन्नताएँ और प्राकृतिक उपहार उपलब्ध हैं। अतः भारत में पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं।

पर्यटन दिवस

प्रत्येक वर्ष 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत सर्वप्रथम वर्ष 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा की गयी थी, और तब से प्रत्येक वर्ष अलग-अलग देश विश्व पर्यटन दिवस की मेज़बानी करते हैं।

वर्ष 2022 में पर्यटन मंत्रालय 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तत्त्वावधान में राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मना रहा है, जो भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर 75 सप्ताह का भव्य उत्सव है।

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के लिए इस वर्ष का विषय 'ग्रामीण और सामुदायिक केंद्रित पर्यटन' है। राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के रूप में, केंद्र द्वारा तेलंगाना सरकार के सहयोग से सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

भारत में पर्यटन उद्योग का विकास

पर्यटन उद्योग के विकास के लिए पर्यटन नियोजन की आवश्यकता है। पर्यटन नियोजन पर्यटन विकास की प्रक्रिया है। पर्यटन योजना समस्या को सुलझाने और निर्णय लेने में मदद करती है जो योजनाकार को वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करती है।

पर्यटन क्षेत्र के लिए व्यापक आर्थिक नियोजन तकनीकों का उपयोग अपेक्षाकृत नया है। आय के स्रोत के रूप में पर्यटन का बढ़ता महत्त्व, रोज़गार सृजन, क्षेत्रीय विकास, विदेशी मुद्रा और कई देशों के लिए भुगतान संतुलन में प्रमुख कारक कई सरकारों के साथ-साथ आर्थिक विकास में रुचि रखने वाले अन्य लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है।

पर्यटन 20वीं सदी के सबसे बड़े वैश्विक उद्योग के रूप में उभरा है और 21वीं सदी में और भी तेजी से बढ़ने का अनुमान है।

पर्यटन नीति पर्यटन क्षेत्र को मजबूत करती है और देश में रोज़गार सृजन, पर्यावरण उत्थान, दूरदराज के क्षेत्रों के विकास और महिलाओं एवं अन्य वंचित समूहों के विकास में उत्प्रेरक बनाने की दिशा में नई पहल की परिकल्पना करती है।

भारत में पर्यटन नीति की उत्पत्ति

भारत में पर्यटन योजना की शुरुआत आजादी के बाद हुई थी। भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सचेत और संगठित प्रयास 1945 में किए गए थे। इसके बाद भारत में व्यवस्थित पर्यटन का विकास हुआ।

पर्यटन नियोजन दृष्टिकोण को द्वितीय और तृतीय पंचवर्षीय योजनाओं में विकसित किया गया। छठी पंचवर्षीय योजना में पर्यटन को आर्थिक विकास, एकीकरण और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के साधन के रूप में महत्त्व दिया गया है।

1980 के दशक के बाद पर्यटन गतिविधि ने रोज़गार सृजन, आय के स्रोत, विदेशी मुद्रा आय और एक उद्योग के रूप में गति प्राप्त की। पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

भारत पर्यटन विकास निगम

भारत पर्यटन विकास निगम अक्त्तूबर, 1966 में अस्‍तित्‍व में आया और इसने देश में पर्यटन के उत्तरोत्तर विकास, संवर्धन और विस्‍तार में प्रमुख भूमिका निभाई है।

भारत पर्यटन विकास निगम के उद्देश्य

होटलों का निर्माण, वर्तमान होटलों का अधिग्रहण और प्रबंध

परिवहन, मनोरंजन, खरीददारी और सम्‍मेलन सेवाएँ प्रदान करना

पर्यटक प्रचार सामग्री की प्रस्‍तुति एवं वितरण

भारत व विदेश में परामर्शी व प्रबंध सेवाएँ प्रदान करना

पर्यटन नीति 1982

भारत सरकार द्वारा पहली पर्यटन नीति की घोषणा नवंबर 1982 को की गई थी। पहली पर्यटन नीति का मिशन आर्थिक विकास, सामाजिक एकीकरण के साधन के रूप में स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देना और एक गौरवशाली अतीत वाले देश के रूप में विदेशों में भारत की छवि को बढ़ावा देना था।

पर्यटन नीति 1982 की विशेषताएँ

  • नीति व्यक्तियों को पर्यटन विकास में भाग लेने और स्थानीय युवाओं में रुचि पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
  • नीति पर्यटन विकास के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
  • पर्यटन विकास में स्वैच्छिक संस्थाओं और स्वयंसेवकों की भूमिका को नीति द्वारा मान्यता दी गई है।
  • नीति तकनीकी प्रगति को विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी को प्राथमिकता देने का सुझाव देती है।
  • नीति पर्यटन आर्थिक क्षेत्र, सर्किट और पर्यटन क्षेत्र बनाती है।

भारत के संविधान की समवर्ती सूची में पर्यटन क्षेत्र

जून, 1982 में भारत के योजना आयोग (वर्तमान नीति आयोग) द्वारा पर्यटन को एक उद्योग के रूप में मान्यता दी गई थी। नई नीति के तहत, पर्यटन को समवर्ती सूची में रखा जाएगा क्योंकि इस तरह के कदम से पर्यटन क्षेत्र को संवैधानिक मान्यता मिलेगी और केंद्र सरकार को गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले कानून लाने में सक्षम बनाकर पर्यटन के विकास को व्यवस्थित तरीके से सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।

पर्यटन पर राष्ट्रीय समिति

जून 1986 में, भारत के योजना आयोग (वर्तमान नीति आयोग) ने पर्यटन क्षेत्र के लिए परिप्रेक्ष्य योजना तैयार करने के लिए राष्ट्रीय पर्यटन समिति की स्थापना की। श्री मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता वाली समिति ने नवंबर 1987 में अपनी सिफारिश प्रस्तुत की। श्री मोहम्मद यूनुस की रिपोर्ट ने सिफारिश की कि मौजूदा पर्यटन विभाग को राष्ट्रीय पर्यटन बोर्ड से बदल दिया जाए और राष्ट्रीय पर्यटन बोर्ड के कामकाज की देखभाल के लिए भारतीय पर्यटन सेवा पर अलग संवर्ग बनाया जाए। इसने भारत सरकार के स्वामित्व वाली दो एयरलाइनों के आंशिक निजीकरण का प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया।

सातवीं पंचवर्षीय योजना के तहत पर्यटन नीति

सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-1990) के साथ भारतीय पर्यटन योजना में वृद्धि हुई। भारत में पर्यटन योजना के लिए सातवीं पंचवर्षीय योजना द्वारा समर्थित विभिन्न नीतियाँ हैं-

  • घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • समुद्र तट रिसॉर्ट बनाने पर अधिक जोर।
  • सम्मेलनों और शीतकालीन खेलों का आयोजन करना ताकि विदेशी पर्यटकों के लिए विभिन्न विकल्प उपलब्ध हों।

भारत में सातवीं पंचवर्षीय योजना की इन नीतियों ने भारत में पर्यटन योजना को बढ़ावा दिया।

आठवीं पंचवर्षीय योजना के तहत पर्यटन नीति

भारत में पर्यटन नियोजन को प्रोत्साहित करने के लिए आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-1997) ने इस बात पर जोर दिया कि निजी क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ानी चाहिए। केंद्र सरकार ने पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न सुविधाएं प्रदान की थी, जिसमें 1992 में पर्यटन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना की घोषणा शामिल थी। मई, 1992 में पर्यटन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना की घोषणा की गई थी। भारतीय पर्यटन में नियोजन के लिए इस कार्य योजना के निम्न उद्देश्य थे:

  • पर्यटन क्षेत्रों को सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित करना।
  • पर्यटन क्षेत्र में रोज़गार के अवसर को बढ़ाना।
  • बजट या अर्थव्यवस्था श्रेणी के लिए घरेलू पर्यटन का विकास करना।
  • पर्यावरण और राष्ट्रीय विरासत को संरक्षित करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • विश्व पर्यटन में भारत की हिस्सेदारी को बढ़ाना।
  • पर्यटन उत्पाद में विविधता लाना।

आठवीं पंचवर्षीय योजना इस बात पर जोर देती है कि पर्यटन क्षेत्र का विस्तार केवल निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से है।

राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 की घोषणा भारत में पर्यटन योजना में एक मील का पत्थर है। यह पर्यटन नीति 2002 एक बहुआयामी दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसमें एकीकृत पर्यटन पथ के पर्यटन परियोजना के विकास, आतिथ्य क्षेत्र में क्षमता निर्माण और नई विपणन रणनीतियों का तेजी से या त्वरित कार्यान्वयन शामिल है। राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को आर्थिक विकास के प्रमुख चालक के रूप में स्थापित करना है।

दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007) के तहत पर्यटन

राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 के अंतर्गत कार्य करते हुए दसवीं पंचवर्षीय योजना में होटल और खाद्य उद्योगों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर कौशल निर्माण को बढ़ावा दिया गया। दसवीं पंचवर्षीय योजना ने हिमालय में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा दिया, तटीय पर्यटन में समुद्र तट पर्यटन को बढ़ावा दिया।

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के तहत पर्यटन

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में पर्यटन विकास के लिए अधिक धनराशि आवंटित की गई। राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 के विस्तार के साथ, ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना केंद्र, राज्य सरकार और निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। वित्त पोषण के लिए कुछ क्षेत्रों का चयन किया गया है जिनमें श्रीरंगम, वेल्लोर किला (विरासत स्थल), पुदुचेरी में समुद्र तट और चेन्नई (समुद्री पर्यटन), केरल में वायनाड, तमिलनाडु में उदगमंडलम, मुदुमलाई और अन्नामलाई शामिल हैं।

12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत पर्यटन

12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) ने पर्यटन के योगदान को एक नया आयाम दिया। यह योजना गरीबों को पर्यटन से होने वाले शुद्ध लाभ को बढ़ाने के उद्देश्य से 'गरीब समर्थक पर्यटन' दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है और यह सुनिश्चित करती है कि पर्यटन विकास गरीबी को कम करने में योगदान देता है।

सरकार की पहलें

अतुल्य भारत अभियान

विश्व पर्यटन मानचित्र पर भारत को एक अंतिम पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा 2002 में अतुल्य भारत अभियान शुरू किया गया था। देश में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विश्व स्तर पर अतुल्य भारत अभियान चलाया गया। इसने भारतीय संस्कृति, इतिहास, आध्यात्मिकता और योग का प्रदर्शन करके भारत को एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में पेश किया।

अतिथि देवो भवः

अतिथि देवो भवः अतुल्य भारत अभियान के पूरक के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित एक कार्यक्रम है। मुख्य उद्देश्य पर्यटन के प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करना और हमारे देश की समृद्ध विरासत, संस्कृति, स्वच्छता और गर्मजोशी भरे आतिथ्य के बारे में लोगों को जागरूक करना है।

विजिट इंडिया 2009

विजिट इंडिया 2009 अभियान का मुख्य उद्देश्य 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक संकट के बाद आगंतुकों और पर्यटकों की आमद को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम की घोषणा पर्यटन मंत्रालय और विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद् द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी।

पर्यटन विकास और पर्यटन नीति निकट से संबंधित पहलू हैं। पर्यटन विकास काफी हद तक पर्यटन नीति पर निर्भर करता है। पर्यटन अर्थव्यवस्था का एक अत्यंत्त ही महत्त्वपूर्ण खंड है। किसी भी देश का आर्थिक विकास, चाहे वह विकासशील, विकसित या अविकसित देश हो, पर्यटन क्षेत्र से काफी प्रभावित होता है। इसलिए विश्व के हर देश ने पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए कई पर्यटन नीतियाँ तैयार की हैं। भारत सरकार ने घरेलू और विदेशी दोनों आगंतुकों को आकर्षित करने के लिए कई पहल किये हैं। पर्यटन के बुनियादी ढाँचे का विस्तार, पर्यटन स्थलों का विकास, नए पर्यटन उत्पादों का विकास और सार्वजनिक निजी भागीदारी आदि कुछ उपाय हैं। स्वतंत्र काल के बाद भारत सरकार के पर्यटन विभाग ने भारत में पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए कई नीतियां पेश की हैं। भारत के योजना आयोग (वर्तमान नीति आयोग) द्वारा पर्यटन को एक उद्योग के रूप में मान्यता दी गई थी। परिणामस्वरूप पर्यटन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और बड़ी संख्या में आगंतुकों को भारत की ओर आकर्षित कर रहा है एवं बड़े पैमाने पर रोज़गार और आय अर्जित करने के अवसर पैदा कर रहा है।

अंकित कुमार साकेत मध्यप्रदेश के सतना जिले से हैं। वर्तमान में वे विधि अंतिम वर्ष के छात्र हैं। अंकित हिंदी अनुवादन में कई वर्षों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने अपने ब्लॉग लेखन की शुरुआत दृष्टि आईएएस के साथ की है ।

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उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थल और घूमने की जानकारी – Tourist Places In Uttarakhand In Hindi

Tourist Places Of Uttarakhand In Hindi : उत्तराखंड भारत का एक खूबसूरत राज्य हैं और इसकी राजधानी देहरादून हैं। उत्तराखंड देवभूमि या देवों की भूमि के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश राज्य से काट कर एक अलग राज्य बनाया गया हैं, जिसे पहले उत्तरांचल के रूप में भी जाना जाता था। उत्तराखंड एक ऐसा स्थान है जो न केवल हिमालय की खूबसूरती का दावा करता हैं बल्कि एक सांस्कृतिक सभ्यता और लोकाचार की भावना को भी प्रकट करता हैं। राज्य में ओक, बिर्च, चांदी के फेयर और रोडोडेंड्रोन के साथ-साथ यहां की खड़ी पहाड़ी, ढलानों पर चढ़ने का खूबसूरत अनुभव भी पर्यटक ले सकते हैं।

यदि आप उत्तराखंड और यहां के पर्यटक स्थलों के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।

उत्तराखंड पर्यटकों के बीच क्यों खास हैं – What Is Special In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखंड में हिल स्टेशन – Hill Station In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखंड के पर्यटक स्थल – Uttarakhand Ke Tourist Place In Hindi

  • उत्तराखंड में ऋषिकेश पर्यटन स्थल – Rishikesh Tourism Place In Hindi
  • उत्तराखंड में नैनीताल पर्यटन स्थल – Nainital Tourist Place In Uttarakhand In Hindi
  • उत्तराखंड का पर्यटन स्थल मसूरी – Mussoorie Tourist Place In Uttarakhand In Hindi
  • उत्तराखंड का पर्यटन स्थल बद्रीनाथ – Badrinath Tourist Place In Uttarakhand In Hindi
  • उत्तराखंड का दर्शनीय स्थल हरिद्वार – Haridwar Tourist Place In Hindi
  • उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क – Jim Corbett National Park In Uttarakhand In Hindi
  • उत्तराखंड का पर्यटन स्थल यमुनोत्री – Yamunotri Tourist Place In Hindi
  • उत्तराखंड का पर्यटन स्थल केदारनाथ – Kedarnath Tourist Place In Uttarakhand In Hindi
  • उत्तराखंड का दर्शनीय स्थल गंगोत्री – Gangotri Tourist Place In Uttarakhand In Hindi
  • उत्तराखंड का पर्यटन स्थल औली – Auli Tourist Place In Uttarakhand In Hindi
  • उत्तराखंड का पर्यटन स्थल देहरादून – Dehradun Tourist Place in Uttarakhand In Hindi
  • रानीखेत उत्तराखंड का पर्यटन स्थल – Ranikhet Tourist Place In Uttarakhand In Hindi
  • उत्तराखण्ड का पर्यटन स्थल अल्मोड़ा –Almora Tourist Place In Uttarakhand In Hindi
  • उत्तराखंड में धनोल्टी पर्यटक जगह – Dhanaulti Tourist Place In Uttarakhand In Hindi
  • उत्तराखण्ड का टूरिस्ट प्लेस भीमताल – Bhimtal Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखण्ड घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखण्ड में होटल इन हिंदी – Hotel In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखण्ड में फेमस फूड – Uttarakhand Famous Food In Hindi

उत्तराखण्ड कैसे पहुंचे – How To Reach Uttarakhand In Hindi

  • फ्लाइट से उत्तराखंड कैसे पहुंचे – How To Reach Uttarakhand By Flight In Hindi
  • ट्रेन से उत्तराखंड कैसे पहुंचे – How To Reach Uttarakhand By Train In Hindi
  • बस से उत्तराखंड कैसे पहुंचे – How To Reach Uttarakhand By Bus In Hindi

उत्तराखंड की लोकेशन का मैप – Uttarakhand Location

उत्तराखंड की फोटो गैलरी – Uttarakhand Images

1. उत्तराखंड पर्यटकों के बीच क्यों खास हैं – What Is Special In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखंड पर्यटकों के बीच क्यों खास हैं - What Is Special In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखंड भारत का एक बहुत ही लोकप्रिय तीर्थ स्थल है और इसी राज्य से हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और पावन मानी जाने वाली नदियों में से दो नदियां गंगा और यमुना का उद्गम स्थल है। उत्तराखंड तीर्थो के चारो धाम हैं और हिन्दू धर्म के मुताबिक श्रद्धालुओं के सबसे पवित्र चार स्थल – केदारनाथ , गंगोत्री , यमुनोत्री और बद्रीनाथ उत्तराखंड राज्य की गोद में बसे हुए हैं।

2. उत्तराखंड में हिल स्टेशन – Hill Station In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखंड में हिल स्टेशन – Hill Station In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखंड राज्य में कई हिल स्टेशनहैं। जैसे – अल्मोड़ा , कौसानी, भीमताल , मसूरी, नैनीताल , धनोल्टी , लैंसडाउन , सटल और रानीखेत हैं। जोकि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। गर्मियों में ठंडा रहने की वजह और अन्य क्रियाकलापों के लिए भी इन हिल स्टेशन का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता हैं। पर्यटक गर्मी के मौसम और छुट्टियां बिताने के लिए यहां भारी संख्या में आते हैं।

3. उत्तराखंड के पर्यटक स्थल – Uttarakhand Ke Tourist Place In Hindi

उत्तराखंड के पर्यटक स्थल – Uttarakhand Ke Tourist Place In Hindi

उत्तराखंड राज्य पर्यटक के लिहाज से टूरिस्टों के लिए वेहद ही खास हैं। पर्यटक यहां भारी तादाद में आते हैं खासकर गर्मियों का मौसम पर्यटकों को बहुत अधिक लुभाता हैं। तो आइए हम आपको उतराखंड राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों की जानकारी देते हैं जहां आप घूमने जा सकते हैं।

3.1 उत्तराखंड में ऋषिकेश पर्यटन स्थल – Rishikesh Tourism Place In Hindi

Rishikesh Tourism images

ऋषिकेश पर्यटन स्थल उत्तराखंड राज्य में स्थित हैं और यह गंगा और चंद्रभागा के अभिसरण के साथ साथ हिमालय की तलहटी में कई प्राचीन और भव्य मंदिरों के लिए दुनिया भर में जाना जाता हैं। इसके अलावा यह जगह लौकप्रिय कैफे, योग आश्रम और साहसिक खेलों का केंद्र भी है। ऋषिकेश आध्यात्मिक और एड्रेनालाईन पंपिंग का एक अनौखा है। पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड लौकप्रिय पर्यटक स्थल ऋषिकेश को भारत के एडवेंचर स्पोर्ट्स के केंद्र के रूप में भी विकसित किया गया है। क्योंकि यहां व्हाइट वाटर राफ्टिंग, फ्लाइंग फॉक्स, माउंटेन बाइकिंग, बंजी जंपिंग आदि विकल्पों की शानदार भीड़ देखने को मिलती हैं।

और पढ़े: ऋषिकेश में घूमने वाली जगह और पर्यटन स्थल

3.2 उत्तराखंड में नैनीताल पर्यटन स्थल – Nainital Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

Nainital Tourist image

नैनीताल उत्तराखंड राज्य के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक हैं, जोकि कुमाऊं पहाड़ियों के बीच में स्थित एक विलक्षण पर्वतीय स्थल है। जिसे ‘नैनी झील’ के नाम से भी जाना जाता है। प्राकृतिक सुंदरता और झीलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध उत्तराखंड का नैनीताल बर्फ से ढकी पहाड़ियों और शांत झीलों के साथ एक आकर्षण उत्त्पन करता हैं। नैनीताल में साहसिक गतिविधियों को भी किया जा सकता हैं।

और पढ़े: नैनीताल में घूमने की जगह और पर्यटन स्थल की जानकारी 

3.3 उत्तराखंड का पर्यटन स्थल मसूरी – Mussoorie Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखंड का पर्यटन स्थल मसूरी - Mussoorie Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

मसूरी पर्यटक स्थल दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी खूबियों और विशेषताओं के लिए अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रहा हैं। गढ़वाल हिमालय पर्वत माला की तलहटी के बीचो बीच स्थित मसूरी पर्यटक स्थल जिसे “क्वीन ऑफ द हिल्स” के नाम से भी जाना जाता हैं। मसूरी की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 7000 फीट है। पूरे वर्ष एक शांत और सुखद जलवायु का अनुभव कराता है।

और पढ़े: मसूरी की यात्रा और पर्यटन स्थल 

3.4 उत्तराखंड का पर्यटन स्थल बद्रीनाथ – Badrinath Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

 Badrinath Tourist image

उत्तराखंड का पर्यटन स्थल बद्रीनाथ नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीचो बीच नीलकंठ पर्वत शिखर पर स्थित चारों धामों में से एक तीर्थ स्थल हैं। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित एक तीर्थस्थल है जो प्रतिबर्ष लाखों तीर्थ यात्रियों की मेजबानी करता है। बद्रीनाथ धाम का उल्लेख विभिन्न वेदों में भी किया गया है। उत्तराखंड का पर्यटन स्थल बद्रीनाथ हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेखित होने के कारण विशेष रूप से भगवान शिव से संबंधित है।

और पढ़े: बद्रीनाथ की यात्रा और इतिहास 

3.5 उत्तराखंड का दर्शनीय स्थल हरिद्वार – Haridwar Tourist Place In Hindi

Haridwar image

भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में शुमार हरिद्वार उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में गंगा नदी के तट पर स्थित एक खूबसूरत प्राचीन शहर है। हरिद्वार शहर के आश्रमों, मंदिरों और संकरी गलियों  से संपन्न शहर है। लाखों की संख्या में भक्त पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने आते हैं। प्रत्येक बारह वर्षों में एक बारहरिद्वार में विश्व प्रसिद्ध कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता हैं। कुम्भ के मेले में शामिल होने और उसका आनंद लेने के लिए पूरे भारत वर्ष से पर्यटक आते हैं। कुम्भ का मेला हरिद्वार के अलावा भारत के मात्र तीन शहर प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में लगता हैं।

और पढ़े: हरिद्वार में घूमने की जगह और दर्शनीय स्थल की जानकारी 

3.6 उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क – Jim Corbett National Park In Uttarakhand In Hindi

 Jim Corbett National Park image

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड राज्य में हिमालय की तलहटी के बीच में स्थित एक आकर्षित नेशनल पार्क हैं। भारत के सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यानो में से एक जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की स्थापना सन 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में गयी थी। जिम कार्बेट नेशनल पार्क में रॉयल बंगाल टाइगर की गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों का निवास स्थान बनाया गया हैं। हिमालय की तलहटी में रामगंगा नदी के किनारे स्थित जिम कार्बेट नेशनल पार्क में लगभग 580 पक्षी प्रजातियों, 50 प्रजातियों के पेड़ और जानवरों की लगभग 50 प्रजातिया,  25 सरीसृप प्रजातिया के साथ साथ 500 से अधिक वर्ग मीटर के क्षेत्र में विस्तृत है।

और पढ़े: जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की जानकारी 

3.7 उत्तराखंड का पर्यटन स्थल यमुनोत्री – Yamunotri Tourist Place In Hindi

उत्तराखंड का पर्यटन स्थल यमुनोत्री – Yamunotri Tourist Place In Hindi

उत्तराखंड का पर्यटन स्थल यमुनोत्री यमुना नदी की उत्पत्ति के रूप में श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष पर्यटन स्थल बन चुका हैं और यह छोटे चार धाम में से एक हैं। 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित योमुनोत्री धाम गढ़वाल हिमालय की गोद में बसा हुआ हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यम की बहन के रूप में यमुना को मौत के देवता के रूप में प्रतिष्ठित करती हैं। यह भी माना जाता है कि यमुना में स्नान करने से जीवन के अंतिम समय में मृत्यु दर्द रहित हो सकती है।

3.8 उत्तराखंड का पर्यटन स्थल केदारनाथ – Kedarnath Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

 Kedarnath Tourist image

उत्तराखंड का पर्यटन स्थल केदारनाथ अपने प्राचीन शिव मंदिर, तीर्थ स्थल, हिमालय पर्वतमाला और मन्त्र मुग्ध कर देने वाले परीदृश्यों के लिए लोकप्रिय है। केदारनाथ मंदिर चोराबाड़ी ग्लेशियर और केदारनाथ की चोटियों से घिरा हुआ है। केदारनाथ में बर्फ से ढकी चोटियों के साथ-साथ अनगिनत पर्वतमालाए है।

और पढ़े: केदारनाथ का इतिहास, जाने से पहले जरूर जान लें ये बातें 

3.9 उत्तराखंड का दर्शनीय स्थल गंगोत्री – Gangotri Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखंड का दर्शनीय स्थल गंगोत्री - Gangotri Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखंड का दर्शनीय स्थल गंगोत्री उत्तरकाशी में स्थित एक तीर्थस्थल हैं। यहां आने वाले पर्यटकों की लम्बी कतार लगी रहती हैं। पौराणिक कहानियों से पता चलता हैं कि सदियों पहले राजा भागीरथ की तपस्या के बाद देवी गंगा ने उनके पूर्वजों के पापों को धोने के लिए खुद को एक नदी के रूप में प्रवाहित किया। लेकिन ऊंचाई से गिरते हुए जल के वेग को कम करने के लिए भगवान शिव ने आपनी जटाओं में उस जल को समा लिया। गंगा नदी के उद्गम स्थान को भागीरथी भी कहा जाता हैं।

3.10 उत्तराखंड का पर्यटन स्थल औली – Auli Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

Auli image

उत्तराखंड का पर्यटन स्थल औली अपने यहां सेब के बाग, पुराने ओक और देवदार के पेड़ों के साथ साथ बिंदीदार औली में प्राकृतिक सुंदरता का धनी पर्यटक स्थल हैं। औली में स्कीइंग के अलावा आप गढ़वाल हिमालय की पहाड़ियों में भी कई ट्रेक के लिए जा सकते है। यहां के बर्फ से ढके पहाड़ों का खूबसूरत नजारा देखकर मंत्रमुग्ध होने का अनुभव भी आप ले सकते है। समुद्र तल से 2800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित औली एक मन्त्रमुग्ध कर देने वाला पर्यटन स्थल हैं।

और पढ़े: औली के 15 प्रमुख पर्यटन स्थल 

3.11 उत्तराखंड का पर्यटन स्थल देहरादून – Dehradun Tourist place in Uttarakhand in hindi

 Dehradun image

उत्तराखंड राज्य में दून घाटी के बीच स्थित देहरादून भारत के दर्शनीय स्थलों में से एक हैं। उतराखण्ड राज्य की राजधानी देहरादून पर्यटकों के मध्य बहुत ही लोकप्रिय हिल स्टेशन है। उतराखण्ड राज्य में गढ़वाल हिमालय की एक सुंदर चोटी पर स्थित देहरादून समुद्र तल से 1400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। देहरादून के सनसेट पॉइंट का आकर्षित नजारा देखते ही बनता हैं। देहरादून गुफाओं, झरनों और प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ स्थान हैं।

और पढ़े : देहरादून के प्रमुख पर्यटन स्थल और घूमने की जानकारी 

3.12 रानीखेत उत्तराखंड का पर्यटन स्थल – Ranikhet Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

Ranikhet Tourist image

उत्तराखंड राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों में एक रानीखेत प्रचीन मंदिरों के आसपास अंग्रेजो द्वारा विकसित किया गया एक ऐसा हिल स्टेशन है, जो हिमालय पर्वतमाला और जंगल को एक दूसरे से जोड़ता है। रानी खेत की शांत जलवायु और सरल प्राकृतिक सुंदरता यहां आने वाले टूरिस्टों अपनी ओर बहुत अधिक आकर्षित करती हैं। रानीखेत भारतीय सेना के कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय के लिए भी फेमस है और यहां एक कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर संग्रहालय बना हुआ है। इस संग्रहालय में हथियारों, फोटो आदि का बहुत ही खूबसूरत ढंग से प्रदर्शन किया गया है, जो अपनी सेना के ऐतिहासिक भव्यता और महत्व का परिचय देता है।

और पढ़े : रानीखेत के 5 प्रमुख दर्शनीय स्थल

3.13 उत्तराखण्ड का पर्यटन स्थल अल्मोड़ा – Almora Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखण्ड का पर्यटन स्थल अल्मोड़ा – Almora Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखण्ड का पर्यटन स्थल अल्मोड़ा हिमालय पर्वतमाला के जंगल में फैला हुआ एक विशाल शहर है और इसका आकार घोड़े जूते की तरह हैं। यह खूबसूरत हिल-स्टेशन जो पूर्व ब्रिटिश विरासत और एडिबल वाइब का दावा  प्रस्तुत करता है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, शानदार भोजन, शानदार वन्य जीवन के लिए यह स्थान प्रसिद्ध हैं। अल्मोड़ा एक कृषि प्रधान शहर हैं और यहां प्रवाहित होने वाली दो नदियों में कोशी (कौशकी) और सुयाल (सलमली) हैं।

3.14 उत्तराखंड में धनोल्टी पर्यटक जगह – Dhanaulti Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

 Dhanaulti Tourist image

भारत के पर्यटन राज्य उत्तराखण्ड में धनोल्टी नामक पर्यटक जगह हैं जो यहा आने वाले टूरिस्टों को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं। मसूरी से 62 किमी की दूरी पर स्थित यह शहर उत्तराखंड राज्य की शोभा बढ़ा रहा हैं। धनौल्टी की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 2200 मीटर है।

और पढ़े : धनोल्टी यात्रा की जानकारी और घूमने की 5 खास जगह

3.15 उत्तराखण्ड का टूरिस्ट प्लेस भीमताल – Bhimtal Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखण्ड का टूरिस्ट प्लेस भीमताल - Bhimtal Tourist Place In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखण्ड का टूरिस्ट प्लेस भीमताल समुद्र तल से 1370 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। भीमताल पहाड़ों के बीच में स्थित हैं और आसपास मंदिरों को भी देखा जा सकता हैं।उत्तराखंड में भीमताल पर्यटक जगह प्राचीन शहर प्रकृति की छाया के नीचे लेटने, अपनी आंखो को आराम देने और शांति का अनुभव करने के लिए आदर्श मानी जाती हैं।

उत्तराखण्ड के इन टूरिस्ट प्लेसो के अलावा भी यहां के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल घूमने जा सकते हैं जिनकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं।

  • वैली ऑफ फ्लावर्स
  • टिहरी गढ़वाल
  • राजाजी नेशनल पार्क
  • नौकुचियाताल
  • मध्यमहेश्वर मंदिर
  • नागेश्वर मंदिर
  • चोपता घाटी 

4. उत्तराखण्ड घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखण्ड घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit In Uttarakhand In Hindi

यदि आप भारत के प्रमुख पर्यटक राज्य उत्तराखण्ड घूमने जा रहे हैं तो हम आपको बता दें की आप जुलाई से लेकर अगस्त तक मानसून के मौसम में यहां की यात्रा न करे। मानसून मौसम के अलावा आप वर्ष भर उत्तराखण्ड घूमने जा सकते हैं। खास कर पर्यटक गर्मियों में यहां आना पसंद करते हैं।

5. उत्तराखण्ड में होटल इन हिंदी – Hotel In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखण्ड में होटल इन हिंदी – Hotel In Uttarakhand In Hindi

उत्तराखण्ड आने वाले पर्यटक यदि यहां होटल की तलाश में हैं। तो हम आपको बता दें कि उत्तराखण्ड में लो-बजट से लेकर हाई बजट तक होटल उपलब्ध हैं, तो आप अपनी सुविधानुसार होटल ले सकते हैं। तो आइयें हम आपको उत्तराखण्ड की कुछ होटलो के नाम बताते हैं।

  • रेड फॉक्स होटल उत्तराखण्ड
  • लेमन ट्री होटल, उत्तराखण्ड
  • होटल शिवा रेजीडेंसी, उत्तराखण्ड
  • द गोल्डन टस्क
  • होटल विष्णु पैलेस
  • मनु महारानी

6. उत्तराखण्ड में फेमस फूड – Uttarakhand Famous Food In Hindi

उत्तराखण्ड में फेमस फूड – Uttarakhand Famous Food In Hindi

उत्तराखण्ड घूमने वाला प्रत्येक पर्यटक यहां की प्रसिद्ध भोजन सामग्री का लुत्फ उठाना चाहता हैं, तो आइये हम आपको उत्तराखण्ड के कुछ प्रसिद्ध फूड की जानकारी देते हैं। आलू के गुटके, कॉफौली / कप्पा, भांग की चटनी, आलू टमाटर का झोल, फानु, बड़ी, चैनसू, कुमाउनी रायता, झंगोरा की खीर, सिंगोरी, अरसा और डुबक यहां की कुछ प्रसिद्ध भोजन सामग्री हैं इसके अलावा भी आपको उत्तराखण्ड में विभिन्न प्रकार की भोजन सामग्री मिल जाएगी।

7. उत्तराखण्ड कैसे पहुंचे – How To Reach Uttarakhand In Hindi

भारत के पर्यटक राज्य उत्तराखण्ड जाने के लिए आप हवाई मार्ग, ट्रेन और सड़क मार्ग में से किसी का भी चुनाव कर सकते है। क्योंकि उतराखण्ड सभी तरह की संचार व्यवस्था से परिपूर्ण हैं।

7.1 फ्लाइट से उत्तराखंड कैसे पहुंचे – How To Reach Uttarakhand By Flight In Hindi

फ्लाइट से उत्तराखंड कैसे पहुंचे - How To Reach Uttarakhand By Flight In Hindi

उत्तराखंड जाने के लिए यदि आपने हवाई मार्ग को चुना हैं तो हम आपको बता दें कि उत्तराखण्ड ने नजदीक ही दो हवाई अड्डे देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट और नैनीताल में पंतनगर एयरपोर्ट हैं। देहरादून हवाई अड्डे से देश के प्रमुख शहरों के लिए नियमित उड़ानें संचालित की जाती हैं जबकि पंतनगर हवाई अड्डे से सीमित उड़ानें ही हैं। देहरादून हवाई अड्डे से Uttarakhandकी दूरी लगभग 180 किलोमीटर हैं जबकि पंतनगर एयर पोर्ट से उतराखण्ड की दूरी 261 किलोमीटर हैं।

7.2 ट्रेन से उत्तराखंड कैसे पहुंचे – How To Reach Uttarakhand By Train In Hindi

ट्रेन से उत्तराखंड कैसे पहुंचे - How To Reach Uttarakhand By Train In Hindi

यदि आपने उत्तराखंड जाने के लिए ट्रेन का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि यहां के कुछ महत्वपूर्ण जंक्शन हैं। जैसे – हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश, नैनीताल, कोटद्वार, काठगोदाम, पौड़ी और ऊधम सिंह नगर शामिल हैं। ये सभी रेल्वे स्टेशन देश के अन्य शहरों जैसे दिल्ली, वाराणसी और लखनऊ से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। तो आप किसी भी स्टेशन का चुनाव अपनी सुविधानुसार कर सकते है।काठगोदाम और टनकपुर रेल्वे स्टेशन उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करते हैं।

7.3 बस से उत्तराखंड कैसे पहुंचे – How To Reach Uttarakhand By Bus In Hindi

बस से उत्तराखंड कैसे पहुंचे - How To Reach Uttarakhand By Bus In Hindi

उत्तराखंड भारत के प्रमुख शहरों से सडक मार्ग से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। इसलिए सड़क मार्ग से भी उत्तराखण्ड आसानी से पहुंचा जा सकता हैं।

और पढ़े: उत्तराखंड के प्रसिद्ध हिल स्टेशन लैंसडाउन यात्रा की पूरी जानकारी

इस आर्टिकल में आपने उत्तराखंड राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थल और उनकी यात्रा से जुडी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।

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8. उत्तराखंड की लोकेशन का मैप – Uttarakhand Location

9. उत्तराखंड की फोटो गैलरी – Uttarakhand Images

  • मनसा देवी मंदिर हरिद्वार
  • देवप्रयाग की यात्रा के
  • जागेश्वर धाम यात्रा की जानकारी
  • कौसानी के 5 प्रमुख दर्शनीय स्थल
  • पशुपतिनाथ मंदिर की यात्रा और रोचक तथ्यों की जानकारी 

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1 thought on “उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थल और घूमने की जानकारी – Tourist Places In Uttarakhand In Hindi”

में बहुत शुक्रगुजार हु आपने इतना सुन्दर ब्लॉग लिखा है ,में उत्तराखंड का निवासी हु आपने बहुत अच्छे से बताया है कौन से सबसे बढ़िया स्थान है उत्तराखंड में धन्यवाद में भी अपने वेबसाइट पर उत्तराखंड के बारे में जानकारी देता हु

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राजस्थान के पर्यटन स्थल पर निबंध Essay On Rajasthan Tourist Places In Hindi

Essay On Rajasthan Tourist Places In Hindi  प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत हैं आज हम  राजस्थान के पर्यटन स्थल पर निबंध आपके साथ साझा कर रहे हैं.

इसमें हम राजस्थान के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थानों की जानकारी इस निबंध में वर्तमान स्थिति, मुख्य पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी में शेयर कर रहे हैं.

राजस्थान के पर्यटन स्थल पर निबंध Essay On Rajasthan Tourist Places In Hindi

निबंध 1 (500 शब्द)

मनुष्य पर्यटन प्रेमी है.

मनुष्य सदा से ही पर्यटन प्रेमी रहा हैं. विश्व में धर्म, संस्कृति और ज्ञान विज्ञान के प्रचार, प्रसार में घुम्म्कड़ों का बहुत बड़ा योगदान रहा हैं.

सुंदर प्राकृतिक दृश्य, रहस्य, रोमांच, कलाकृतियों, घुम्म्कड़ों को सदा ही आकर्षित करती रही हैं. आज तो सारे संसार में पर्यटन की धूम सी मची हुई हैं.

पर्यटन में बढ़ती हुई रूचि

प्राचीन समय में पर्यटन एक साहस और जोखिम भरा कार्य था. रास्ते असुरक्षित थे तथा आवागमन के साधन सीमित थे. इस प्रकार लोग दूर देशों की यात्रा बहुत कम करते थे. आजकल मार्ग सुगम हो गये हैं.

अनेक प्रकार के वाहन उपलब्ध हैं. पर्यटन स्थलों पर सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं. इस कारण पर्यटन में लोगों की रूचि बढ़ गई हैं. लाखों लोग देश विदेश में पर्यटन के लिए जाते हैं.

राजस्थान के दर्शनीय स्थल

भारत के पर्यटन मानचित्र में राजस्थान का महत्वपूर्ण स्थान हैं. इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए चित्तौड़, जैसलमेर, हल्दीघाटी आदि स्थान हैं. धार्मिक रूचि वाले पर्यटकों के लिए यहाँ पुष्कर, बालाजी, महावीरजी, आबू, अजमेर आदि स्थल हैं.

इन स्थानों पर देश विदेश से अनेक धर्मावलम्बी लाखों की संख्या में आते रहते हैं. शिल्प तथा संस्कृति में रूचि रखने वाले पर्यटकों के लिए यहाँ प्राचीन हवेलियाँ महल और दुर्ग हैं. जयपुर का हवामहल और आबू के जैन मन्दिर शिल्प कला के बेजोड़ नमूने हैं.

प्राकृतिक सौन्दर्य के दर्शन के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए यहाँ सरिस्का और घना जैसे अभयारण्य हैं. इस प्रकार राजस्थान सभी रुचियों वाले पर्यटकों को आकर्षित करता हैं.

पर्यटन में बाधक तत्व

पर्यटन में बाधा डालने वाले तत्व भी हैं. पर्यटकों की सुरक्षा तथा उनके साथ सद्व्यवहार अत्यंत आवश्यक हैं. पर्यटकों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं प्रायः सुनने में आती हैं.

आतंकी घटनाओं का भी पर्यटन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं. यदपि सरकार ने पर्यटकों के लिए विशेष रेलगाड़ियाँ चला रखी हैं.

तथापि अबाध आवागमन तथा दर्शनीय स्थलों तक सुगमता से पहुचने में अनेक समस्याएं आती रहती हैं. इन बाधाओं को दूर करने से पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा.

पर्यटन को प्रोत्साहन

पर्यटन ने अब एक व्यवस्थित राष्ट्रीय उद्योग का रूप ग्रहण कर लिया हैं. इससे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती हैं तथा रोजगार और व्यवसाय के अवसर बढ़ते हैं.

अतः सरकारी स्तर पर पर्यटन को प्रोत्साहन मिलना आवश्यक हैं. प्रशासन को पर्यटकों की सुरक्षा के समुचित प्रबंध करने चाहिए.

परिवहन के साधन सुलभ करवाने चाहिए. होटल, धर्मशाला आदि की सुव्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए. पर्यटकों को ठगने वाले दलालों तथा महिला पर्यटकों के साथ दुर्व्यवहार करने वालों को कठोर दंड दिया जाना चाहिए.

सरकार के साथ ही राजस्थान के निवासियों को भी पर्यटकों को उचित सम्मान और सहानुभूति से पेश आना चाहिए.

पर्यटन का महत्व

पर्यटन सामाजिक हेल मेल और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सद्भाव के दूत होते हैं. वे जहाँ भी जाते हैं वहां की छवि को प्रसारित करते हैं.

अतः आर्थिक लाभ और देश या प्रदेश की छवि को ध्यान में रखते हुए इनको सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जानी चाहिए.

निबंध 2 (600 शब्द)

मनुष्य सचेतन प्राणी हैं ‘जिज्ञासा उसका स्वाभाविक गुण हैं वह अपनी जिज्ञासा के आधार पर इस बात के लिए उत्सुक रहता हैं कि कहाँ क्या हो रहा हैं और कहाँ क्या चीज देखने लायक हैं .

उसकी यही जिज्ञासा पर्यटन को जन्म देती हैं. राजस्थान अपने इतिहास, परम्परा, लोक-जीवन संस्क्रति आदि की द्रष्टि से इतना समद्ध हैं कि पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा हैं.

इसी कारण यहाँ सरकार ने पर्यटन को व्यवसाय का दर्जा देकर पर्यटन स्थलों (rajasthan tourism) को अधिक सुविधाएँ प्रदान की हैं. वेसे भी राजस्थान के पर्यटन स्थल देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने में किसी भी द्ष्टि से भी पीछे नहीं हैं.

पर्यटकों में पाये जाने वाली विभिन्न रुचियाँ जेसे प्राक्रतिक सोन्दर्य, ललित- कलाओं के प्रति आकर्षण, शिल्प वैशिष्ट्य, लोक नाट्य, लोकन्रत्य, निर्माण-कला, शूरवीरों की गाथाएँ, प्रोत्सव आदि को राजस्थान में विविधता में एकता की द्रष्टि से देखा जा सकता हैं यही कारण हैं कि देशविदेश के हजारो-लाखों पर्यटक प्रतिवर्ष राजस्थान में खींचें चले आते हैं.

राजस्थान के प्रमुख दर्शनीय स्थल (The main sightseeing of Rajasthan)

राजस्थान के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में जयपुर का संग्रहालय, हवामहल, सिटीपेलेंस, जन्तर-मन्तर, आमेर का किला, बिडलामन्दिर आदि प्रमुख रूप में प्रसिद्ध हैं.

वहीं उदयपुर में लेक पेलेंस, पिछोला, फतेहसागर झीलें सहेलियों की बाड़ी, कुम्भलगढ़ दुर्ग आदि दर्शनीय स्थलों की दृष्टि से अपना महत्व रखते है. माउंट आबू में दिलवाडा के जैन मन्दिर, टोंक रॉक, अचलगढ़ आदि.

जैसलमेर के मोती महल, विलास महल, पटवों की हवेली, सुनहरी बालू के स्पूत, अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, ढाई दिन का झोपड़ा, तीर्थराज पुष्कर, जोधपुर का सूर्य मन्दिर, बीकानेर का शीशमहल, चितोड़ के प्रसिद्ध दुर्ग, जौहर कुंड, मीरा मन्दिर, भरतपुर का घना पक्षी विहार एवं सवाईमाधोपुर का अभयारण्य आदि प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है.

इन सभी स्थानों का पर्यटन करने के लिए देशी विदेशी पर्यटकों में काफी उत्साह रहता है.

राजस्थान में पर्यटन सुविधाएं (Tourism facilities in Rajasthan)

राजस्थान सरकार ने पर्यटन को व्यवसाय का दर्जा प्रदान किया. इस कारण भी यहाँ पर्यटकों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध है.

पर्यटन की सुविधा की दृष्टि से राजस्थान राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा पर्यटकों के आवास, खाने की व्यवस्था, होटल, ट्यूरिस्ट, बंगले, यातायात के साधनों आदि का संचालन किया जा रहा है.

जगह जगह पर्यटकों की सुविधा के लिए पर्यटक विश्रामगृह और टूरिस्ट काम्प्लेक्स आदि का निर्माण किया जा रहा है. देशी विदेशी पर्यटकों के लिए एक विशेष रेल पैलेस ऑन व्हील भी चलाई जाती है.

यहाँ पर्यटन क्षेत्र में निजी पूंजी को बढ़ावा देने के लिए निगम में एकल सुविधा केंद्र की स्थापना की गई है. राज्य में हैरिटेज होटलों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. पर्यटन की इन सुविधाओं के कारण ही यहाँ पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है.

पर्यटकों से लाभ (Benefits from tourists)

पर्यटन एक प्रकार से संगठित व्यवसाय बन चूका है, पर्यटकों के आने से विदेशी मुद्रा की जहाँ प्राप्ति होती है, वही देशी कलात्मक वस्तुओं के व्यवसाय में भी वृद्धि होती जा रही है.

इसके साथ ही पर्यटन के माध्यम से विभिन्न देशवासियों के विचारों के आदान प्रदान के साथ ही सांस्कृतिक और व्यावसयिक संबंधो में भी वृद्धि होती है.

राजस्थान पर्यटन की दृष्टि से भारत का अग्रणी राज्य है. यहाँ पर्यटकों की सुख सुविधा और सुरक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है. यही कारण है कि यहाँ विदेशी सैलानी सर्वत्र घूमते हुए दिखाई देते है.

पर्यटन लोगो

राजस्थान राज्य पिछले कई वर्षो से पर्यटन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, राज्य सरकार भी इस दिशा में नित्य नये प्रयोग अपनाने जा रही है.

हाल ही में राजस्थान टूरिज्म डिपार्टमेंट ने राजस्थान का टूरिज्म Logo ‘जाने क्या दिख जाए से पधारों म्हारे देश से  कर दिया गया है. इस LOGO की झलक के साथ ही रंगीले राजस्थान की परम्परा को भी दिखाने का प्रयत्न किया गया है.

राजस्थान में पर्यटन सर्किट

राजस्थान में पर्यटन सर्किट प्रसिद्ध स्थान राजस्थान के दर्शनीय स्थल पधारों म्हारे देश, रंगीला राजस्थान, सुरंगों राजस्थान, अतिथि देवो भव और पधारो म्हारे देवरे के आकर्षक नारे देशी विदेशी पर्यटकों को राजस्थान आने का आमंत्रण देते हैं.

राजस्थान का नाम सुनते ही किले, गढ़, महल और इनसें जुड़ी वीरता की कहानियां, खनकती तलवारें, घोड़ों की टापे, धधकती ज्वालाओं का जौहर आँखों के सामने साकार होने लगता हैं.

यहाँ के वीरों और वीरांगनाओं की गाथाएं, पन्ना का त्याग और बलिदान, महाराणा प्रताप की आन बान, कुम्भा का कला प्रेम, पद्मिनी का सौन्दर्य, मीरा की भक्ति कीर्तिगाथाएं बरबस ही पर्यटकों को राजस्थान खींच लाती हैं. दूर तक पसरे रेत के धोरे, मन भाव झीलें, पग पग पर मंदिर और देवालय पर्यटकों को रोमांचित कर देते हैं.

यहाँ की सांस्कृतिक वैभव अतुलनीय है. कहीं मेले उत्सव, तीज त्योहारों की उमंग है तो कही कलाकारों द्वारा चित्रित जीवन की विविध पहलू मन को सहज ही छू लेते हैं.

कहीं लोक कलाओं की सतरंगी प्रकाश है तो कही धोरों पर गूंजती कलाकारों की स्वर लहरियां, वाद्य यंत्रों का सुरीला संगीत और नृत्य की मोहक अदाएं पर्यटक को पुनः राजस्थान की ओर खींच लाती हैं.

भारत में आने वाला हर तीसरा पर्यटक राजस्थान आता हैं. पर्यटन की जितनी विविधता राजस्थान में हैं उतनी किसी अन्य राज्य में नहीं हैं. विपरीत भौगोलिक परिस्थियों के बावजूद राजस्थान के पर्यटक स्थलों की संस्कृति मनों को जोड़ती है

और परस्पर समन्वय का भाव जगाती हैं. यहाँ सर्वत्र प्राचीन काल से ही अतिथि को देवता का दर्जा देकर उसका सम्मान सेवा सत्कार किया जाता रहा हैं.

राजस्थान की संस्कृति में ही पर्यटक के साथ अतिथि जैसा व्यवहार किया जाता हैं. अतः पर्यटन यहाँ की धरती में बसा हुआ हैं. राजस्थान में 1956 ई पर्यटन विभाग की स्थापना की गई और 1989 ई में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया. राजस्थान को पर्यटन की दृष्टि से दस सर्किटों में विभाजित किया गया हैं.

  • जयपुर, आमेर
  • अलवर, सिलीसेढ़, सरिस्का परिपथ
  • भरतपुर डींग धौलपुर परिपथ
  • जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर नागौर परिपथ
  • चुरू झुंझुनू, सीकर परिपथ
  • माउंट आबू, सिरोही पाली, जालौर परिपथ
  • उदयपुर, चित्तौड़गढ़, नाथद्वारा, कुम्भलगढ़, जयसमन्द, डूंगरपुर परिपथ
  • अजमेर, पुष्कर, मेड़ता, नागौर परिपथ
  • कोटा, बूंदी, झालावाड़ परिपथ
  • रणथम्भौर, टोंक परिपथ

इन विभिन्न सर्किटों की अपनी अलग अलग विशेषताएं है. कोई प्रदेश पहाड़ी है तो कोई मरुस्थलीय, कहीं ऐतिहासिक ईमारते व किले हैं तो कहीं राष्ट्रीय पार्क और अभ्यारण्य हैं. राजस्थान में पर्यटन में इस दस सर्किटों में सभी प्रसिद्ध स्थल आते हैं.

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Cultural Tourism in India

Last updated on August 1, 2024 by ClearIAS Team

Cultural tourism in India

What is Cultural tourism? Why Cultural tourism is significant in India? What is being done to promote cultural tourism in India? Read further to know more

India has a wide variety of attractions that showcase its extensive cultural heritage. India attracts tourists from all over the world because of its abundance of spectacular heritage monuments.

As a result of cultural tourism in India, people have visited historic temples, regal palaces, scenic beaches, and attractive hills.

Table of Contents

Present scenario of the tourism sector in India

With 1.52 million foreign visitors anticipated in 2021, India is one of the top tourism destinations in the globe. India’s foreign exchange revenues increased by roughly $8.8 billion as a result of this. There were also about 680 million domestic travellers.

India is a much-liked tourist destination thanks in large part to its distinct culture, history, and position as one of the world’s oldest civilizations, as well as its plethora of breathtaking natural attractions. As a result, there are 40 UNESCO world heritage sites (32 cultural, 7 natural & 1 mixed). With towns, forts, tombs, tunnels, rock shelters, and churches, India has a lot to offer tourists.

What is Cultural tourism?

Cultural tourism is a kind of tourism that enables visitors to take part in local cultural celebrations like festivals and traditions. The traveller can thus have genuine cultural contact with the people.

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Furthermore, because cultural tourism is a significant development engine, it enables local societies to embrace their culture. Communities, therefore, make a point of praising and supporting their culture since it sets them apart from other communities.

As nations recognise the value of cultural tourism and how it can boost local economies, they are focusing on developing cities and villages that will captivate tourists from across the world to experience and observe the culture in a way that has never been possible before.

Why Cultural tourism is significant in India?

  • Tourists travel to India to experience it for themselves because of the country’s well-known rich cultural legacy and mysticism.
  • Some of the most important civilizations and faiths in the world have their roots in India and were nurtured there. India is a popular travel destination because of its numerous World Heritage Sites and unparalleled cultural vibrancy.
  • Since time immemorial, India has been regarded as the land of ancient history, legacy, and culture, which is the main reason for its current stratospheric ascent in the tourism sector.
  • Over the years, India has had numerous kings, and each of them had an impact on Indian culture. Different cultures have left their mark on dance, music, celebrations, architecture, traditional customs, food, and languages.
  • The richness and diversity of India’s heritage and culture can be attributed to the influence of all these different cultures. This cultural wealth helps to project India as the top destination for cultural tourism, boosting that industry in India.
  • To promote cultural tourism in India, the Indian government established the Ministry of Tourism and Culture. The ministry recently launched the “Incredible India!” campaign, which has contributed to the expansion of India’s cultural tourism industry.

Various sites of cultural tourism centres in India

India’s diversity is a result of the country’s mixture of religious and cultural traditions. The nation is home to a large number of world historic monuments that have an enticing influence and have long drawn visitors from around the world. We would be delighted to familiarise ourselves with the many customs and civilizations that make up India’s cultural heritage.

The Pushkar fair (Rajasthan), Taj Mahotsav (Uttar Pradesh), and Suraj Kund mela are just a few of the fairs and festivals that travellers can attend in India (Haryana). sites include the Taj Mahal (Uttar Pradesh), the Hawa Mahal (Uttar Pradesh), Hampi (Karnataka), the Ajanta & Ellora caves (Maharashtra), and Mahabalipuram (Tamil Nadu) (Rajasthan).

Rajasthan is the most popular state in India for cultural tourism among the several states. Rajasthan is known for having a rich cultural legacy, which is the reason behind this. The state is well known for its numerous exquisite palaces and forts that highlight Rajasthan’s rich cultural heritage. Rajasthan’s rich cultural legacy is also reflected in the numerous folk songs and music. Rajasthan has many festivals and fairs, including the camel festival, the Marwar festival, and the Pushkar festival. All of these draw a lot of people to Rajasthan since they allow them to experience the state’s vibrant culture.

Tamil Nadu is renowned for cultural tourism in India as well because it exhibits Dravidian customs and culture. Its numerous temples reflect India’s rich cultural heritage. Numerous tourist attractions in Uttar Pradesh attest to the nation’s rich cultural heritage. The Taj Mahal in Agra is the most well-known structure. Many tourists also go to Uttar Pradesh cities like Varanasi, Allahabad, Vrindavan, and Ayodhya because they capture exquisite scenes from India.

In India, Uttaranchal is renowned for its cultural tourism industry. The Himalayas, known as the “abode of the Gods,” are located in this state. The Kumaon and Garhwal regions of the state are home to numerous historic temples.

Government initiatives to boost India’s cultural tourism

Some of the government initiatives to boost cultural tourism in India are:

PRASHAD Scheme

  • The Ministry of Tourism introduced the “National Mission on Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual Augmentation Drive (PRASAD)” in 2014–15 with the goal of holistically developing recognised pilgrimage places.
  • In October 2017, the program’s name, which had previously been PRASAD, was changed to “National Mission on Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual Heritage Augmentation Drive (PRASHAD)”.
  • The respective State/Union Territory Government shall implement the initiatives listed under this scheme through the designated agencies.
  • Under its provisions, the Ministry of Tourism offers State Governments Central Financial Assistance (CFA) for boosting tourism at predetermined locations.
  • The Central Government will contribute 100% of the funds needed for components covered by public funding under this programme.
  • It also tries to incorporate corporate social responsibility (CSR) and public-private partnerships (PPP) for the project’s increased sustainability.

HRIDAY scheme

  • The National Heritage City Development and Augmentation Yojana, an HRIDAY programme, was introduced on January 21, 2015, by the Ministry of Housing and Urban Affairs.
  • The goal of this programme is to protect and promote the nation’s rich cultural heritage. The HRIDAY programme seeks to preserve cultural assets while also promoting urban planning and historic cities’ economic development.
  • The National Heritage City Development and Augmentation Yojana places a strong emphasis on the heritage cities’ accessibility, security, safety, way of life, cleanliness, and quick service delivery.
  • Buddhist Tourism Circuit
  • The Buddhist circuit is a route that follows in the footsteps of the Buddha from Lumbini in Nepal where he was born, through Bihar in India where he attained enlightenment, to Sarnath and Kushinagar in Uttar Pradesh in India, where he gave his first teachings and his final resting place.
  • Kushinagar is the centre of the Buddhist circuit, which consists of pilgrimage sites at Lumbini, Sarnath, and Gaya.

Palace on Wheels

  • A luxurious tourist train is called The Palace on Wheels. To promote tourism in Rajasthan, it was started by the Indian Railways in collaboration with the Rajasthan Tourism Development Corporation. The name has since changed to Heritage Palace on Wheels.
  • In August 2009, the train service underwent renovations and was reopened with new furnishings, itineraries, and menus.
  • The idea for the Palace on Wheels came from the historical royal significance of the coaches, which were designed to serve as the private trains for the former kings of Rajputana, Baroda, the Nizam of Hyderabad, and primarily the Viceroy of British India.
  • Each saloon showcases the state’s cultural character through the use of furnishings, handicrafts, paintings, and other decorations. The interior of the train was designed by Rashmi Gupta, an architect from Jaipur.

What is being done to promote cultural tourism in India?

The tourist industry has been growing as a result of numerous causes. Let’s look at them now:

Hospitality and food

  • The Indian hospitality industry is a major contributor to this expansion. The public and commercial hospitality sectors have developed adequate resorts and hotels that offer excellent conventional and delectable options to tourists to accommodate and feed them.
  • Additionally, eating has given visitors to India another reason to go. This nation provides a wide variety of culinary delicacies that are practically unmatched.

Activities and events

  • Indian Council for Cultural Relations (ICCR) and MCT (Ministry of Culture & Tourism) have worked together to promote Indian culture throughout the world. To accomplish this, several Indian Cultural Centers on both the national and international levels organise a variety of programmes and events, including yoga coaching, music, dance, and language classes in Hindi and Sanskrit.
  • To promote the culture and variety of the nation, there are various activities like festival celebrations and art exhibitions. Through a Global Engagement Scheme, the Ministry of Culture also promotes Indian culture abroad. In this programme, Indian festivals are promoted and various cultural organisations abroad receive financial and infrastructural assistance.

Creation of world-class tourism infrastructure

  • The Swadesh Darshan programme , which was introduced by the Indian Tourism Ministry, has been another step done by the Indian government. It aided in the creation of theme-based circuits that cater to both mainstream tourist and specialist markets.
  • Under this programme, world-class infrastructure has been built to promote Indian culture and history. 27 projects totalling 2261.50 crores have been approved for 21 states and Union Territories since 2015.

Generation of tourism markets abroad

  • Through a marketing strategy and integrated campaigns using international media, the Indian Tourism Ministry has been pushing India as a top travel destination.
  • Since October 2021, the top 20 source markets abroad have seen all of these promotional activities carried out by the synergized combination of all the tourism offices abroad.
  • For instance, proposals for organising events with themes like Spirit of Gujarat in nations with a Gujarati Diaspora have been sent to the Indian government. Gujarat’s culture and heritage will be the main focus of this event.
  • Azadi Ka Amrit Mahotsav is another festival with a distinct subject that would be promoted on Independence Day and Republic Day of India. It would foster a sense of pride in one’s country and emphasise how the people contributed significantly to India’s independence.
  • Another instance of this project is the International Buddhist Conclave, which takes place every two years. This gathering celebrates Buddhist heritage .

Additional initiatives are taken by the Government of India

  • Issuing the Tourist e-Visa to a chosen few nations is another effective government measure that would help India’s tourism grow. Teams have been chosen by the Indian government to take part in significant travel shows and international tourism expos. Several roadshows have also been held to advertise India as a tourist destination.
  • In addition to all these activities, the government is also setting up training courses and workshops to attract qualified people to this profession. Here, providing a better experience is the goal.

Easy setup of tourism businesses

  • The Indian Ministry of Tourism has made conducting business easier and assisted in establishing Web-based Delivery Systems for the general population. To make the process of submitting business applications for government approval transparent, it recognises the Trade and Travel Service Providers and aids hotels and resorts in classifying under a single directory. With effect from January 2016, this was done online along with the integration of payment gateways.

Development of a mobile app

  • The Indian Tourism Ministry introduced the Swachh Paryatan mobile application in February 2016. This enables citizens to report any problems with sanitation and hygienic conditions at different national tourist attractions.

Scaling greater heights

  • The government’s measures will be essential moving ahead to build a sustainable system that will attract new participants to the cultural tourism sector while bolstering the performance of the current ones.
  • However, there is still much to learn about the enormous potential of India’s cultural tourism sector. If properly developed, this industry can increase its GDP contribution to India and increase employment possibilities there. To do this, it is necessary to stimulate related industries including transportation, infrastructure, lodging, and hospitality.

The Government of India under the Ministry of Culture has initiated the National Mission on Cultural Mapping (NMCM). The aims and Objectives of the Project are as under:

  • To create awareness about the strengths of cultural heritage and its interface with development and cultural identity.
  • Cultural Mapping of 6.5 Lakh villages along with their geographical, demographic profiles, and creative capitals.
  • Creation of National Registers of Artists and Art Practices.
  • Development of a web portal and mobile app to function as a National Cultural Work Place   (NCWP).

The project aims to cover all the inhabited villages of India which is marked as ‘village’, in the Census List, 2011 published by the Registrar General and Census Commissioner of India, including all the inhabited villages of Bihar.  Therefore, all the villages of Bihar will be covered under Cultural Mapping.

The government is paying attention to India’s expanding cultural tourism industry and taking the necessary steps to support it in maintaining this development. The industry, however, still has a lot of unrealized potentials. If appropriately utilised, this can increase the industry’s contribution to India’s GDP and provide job possibilities there.

By bringing revenue to historic sites, ruins and mausoleums, tourism has the potential to enhance and safeguard heritage and culture.

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Article written by Aseem Muhammed

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36 विदेशी द्वीपों का एक समूह, लक्षद्वीप अरब सागर में 32 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला एक केंद्र शासित प्रदेश है। यूटी के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसके संस्कृत और मलयालम अनुवादों का अर्थ एक लाख द्वीप है, और पुराने समय में इसे लैकाडिव द्वीप कहा जाता था। लक्षद्वीप के द्वीप समुद्र तट प्रेमियों और जल क्रीड़ा प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं! धूप से चूमते समुद्र तट, अनंत नीला आकाश, क्षितिज के लुभावने दृश्य और रहस्यमय जलीय जीवन लक्षद्वीप को एक असली छुट्टी गंतव्य बनाते हैं। कावारत्ती लक्षद्वीप की राजधानी है और 36 द्वीपों में से केवल 10 पर ही लोग रहते हैं।  

लक्षद्वीप का इतिहास  

लक्षद्वीप का प्राचीन इतिहास प्रलेखित नहीं है; इसलिए, केवल किंवदंतियाँ ही हमें द्वीपों के इन विदेशी समूहों के इतिहास और विरासत से जोड़ती हैं। इतिहासकारों के अनुसार, इन द्वीपों की खोज तब हुई जब खोज दल अंतिम केरल राजा चेरामन पेरुमल की खोज में निकले, जो समुद्री मार्ग से मक्का गए थे। 

लक्षद्वीप का इतिहास

7वीं शताब्दी में, सेंट उबैदुल्लाह (आर) नाम के एक संत मक्का में प्रार्थना करते समय सो गए और उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के बारे में सपना देखा, जिन्होंने उनसे दूर-दूर तक इस्लाम फैलाने के लिए कहा। इस सपने के बाद, सेंट उबैदुल्लाह (आर) जेद्दा गए और वहां से आगे की यात्रा के लिए जहाज ले गए। अपनी यात्रा के दौरान, वह एक तूफ़ान की चपेट में आ गया जिससे उसका जहाज़ बर्बाद हो गया और वह अमिनी द्वीप पर उतरा। उसे फिर से पैगंबर का सपना आया, जिसने उसे इस द्वीप पर धर्म का प्रचार करने के लिए कहा। सेंट उबैदुल्लाह (आर) ने ऐसा करना शुरू कर दिया, जिससे द्वीप का मुखिया क्रोधित हो गया। लेकिन कोई भी चीज उनकी भावना को कम नहीं कर सकी और उन्होंने ऐसा करना जारी रखा और यहां तक ​​कि एंड्रोट की यात्रा भी की और इस्लाम की शिक्षाओं का प्रसार किया। उन्होंने एंड्रोट में अंतिम सांस ली, जहां उनकी कब्र मौजूद है और आज एक पवित्र स्थान है।

इसके बाद, जब पुर्तगाली आए, तो उन्होंने कॉयर प्राप्त करने के लिए द्वीपों को लूटना शुरू कर दिया, लेकिन किंवदंतियों में कहा गया है कि निवासियों ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और पुर्तगाल के आक्रमण को समाप्त कर दिया। बाद में, चिरक्कल राजा ने अमिनी द्वीप समूह का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया, जो कन्नानोर के अरक्कल को दे दिया गया। 1799 में, द्वीपों पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने कब्ज़ा कर लिया। भारत की आजादी के बाद 1956 में इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया और 1973 में इसका नाम बदलकर लक्षद्वीप कर दिया गया।       

लक्षद्वीप की संस्कृति  

लक्षद्वीप की संस्कृति उसके समुद्र तटों की तरह ही जीवंत है। विशेष अवसरों और त्योहारों पर किए जाने वाले सबसे लोकप्रिय लोक नृत्य रूप कोलकाली, परीचकली और लावा हैं। एक अन्य पारंपरिक नृत्य शैली ओप्पाना है, जिसमें एक मुख्य गायक एक गीत गाता है और उसके साथ महिलाओं का एक समूह होता है। यह विवाहों में किया जाता है। लक्षद्वीप में बड़े उत्साह के साथ मनाए जाने वाले प्रमुख कार्यक्रम और त्यौहार हैं गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, मुहर्रम, ईद उल फितर, मिलाद-उल-नबी और बकरीद।  

लक्षद्वीप के बारे में बात करते हुए, इसका स्थानीय व्यंजन पूरी तरह से नारियल और समुद्री भोजन से युक्त है, जो द्वीप के उष्णकटिबंधीय वातावरण को दर्शाता है, जबकि इसके निवासी प्राकृतिक सुंदरता के बीच अपनी पारंपरिक प्रथाओं को बनाए रखते हैं।

लक्षद्वीप की परंपरा

लक्षद्वीप की परंपरा के बारे में बात करते हुए, यह गंतव्य जादू और समृद्धि के बारे में है। ये द्वीप मुख्य रूप से मुस्लिम और इस्लामी रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। कोलकाली और लावा जैसे पारंपरिक संगीत और नृत्य लक्षद्वीप द्वीपों में उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ईद-उल-फितर और ईद-उल-अधा जैसे त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं, जिसमें सामुदायिक प्रार्थनाएँ, दावतें और सांस्कृतिक प्रदर्शन शामिल होते हैं। 

लक्षद्वीप की कला और हस्तकला

लक्षद्वीप की कला और हस्तकला

लक्षद्वीप कॉयर उत्पादों के लिए लोकप्रिय है जिन्हें स्मृति चिन्ह के रूप में लिया जा सकता है और आपके रहने की जगह को सजाया जा सकता है। कॉयर वस्तुओं के अलावा, पर्यटक सीपियों, सीपों और मूंगों से बने हस्तनिर्मित आभूषण भी खरीद सकते हैं। आप इन सभी हस्तनिर्मित वस्तुओं को दुकानों या समुद्र तट के किनारे स्टालों पर देख सकते हैं।  

लक्षद्वीप का भोजन

लक्षद्वीप का भोजन

लक्षद्वीप का भोजन एक विस्तृत शाकाहारी और मांसाहारी थाली परोसता है जिसमें कई स्वादिष्ट तटीय और प्रामाणिक केरल व्यंजन शामिल हैं। कुछ सबसे लोकप्रिय व्यंजन जो आज़माने लायक हैं, वे हैं मुस कावाब, ऑक्टोपस फ्राई, सन्नाथ, मासू पोडिचथ, अवियल, टूना व्यंजन और कदलक्का। 

लक्षद्वीप में करने के लिए चीजें  

  • समुद्र तट पर टहलने का आनंद लें और पत्थर या गोले इकट्ठा करें।
  • साहसी पानी के खेल में शामिल होकर उत्साह की लहर का अनुभव करें।
  • यदि आपको आयुर्वेदिक मालिश के लिए साइन अप करना होगा लक्षद्वीप में घूमने की जगहें , क्योंकि यह आपके शरीर की प्रत्येक कोशिका को फिर से जीवंत कर देगा।
  • स्वादिष्ट समुद्री भोजन और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लें।
  • यदि आप कॉयर उत्पादों के प्रशंसक हैं, तो अमीनदीवी द्वीप पर जाएँ। 
  • सर्वश्रेष्ठ स्नॉर्कलिंग अनुभव के लिए, आप कल्पेनी द्वीप की यात्रा अवश्य करें . यह द्वीप उथले पानी और सुनहरी रेत के किनारे का घर है, जो सूरज की किरणों के गिरने पर चमकता है।
  • अगत्ती द्वीप की प्रवाल भित्तियाँ दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। 

लक्षद्वीप में करने के लिए चीजें

  • एक समुद्री संग्रहालय, मस्जिद और अलवणीकरण संयंत्र का घर कवारत्ती द्वीप बहुत सारी आकर्षक साइटें हैं जो मज़ेदार तत्व को कभी कम नहीं होने देंगी! 
  • में सबसे खूबसूरत लैगून का अन्वेषण करें अगत्ती द्वीप और मनोरम दृश्यों को अपने कैमरे में कैद करें। 
  • अपने पारंपरिक नृत्य रूप लावा और सबसे बड़े लैगून के लिए जाना जाने वाला, मिनिकॉय द्वीप आपके पूरे प्रवास के दौरान आपको बांधे और आश्चर्यचकित रखेगा। रंगीन रेस बोट झा धोनी की तस्वीर लेना न भूलें।
  • कावारत्ती द्वीप वह जगह है जहां आप साहसिक जल क्रीड़ाओं का आनंद ले सकते हैं और आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध हो सकते हैं क्योंकि यहां 50 से अधिक मस्जिदें हैं। आप समुद्री मछलीघर और डॉल्फ़िन गोता केंद्र का भी पता लगा सकते हैं। 

लक्षद्वीप हमेशा अपने प्राचीन समुद्र तटों और मोहक वाइब्स के लिए यात्रियों की सूची में आता है। पर्यटक कोच्चि से लक्षद्वीप के द्वीपों तक पहुंच सकते हैं क्योंकि यहां सभी समुद्री मार्ग और हवाई मार्ग मुख्य भूमि से निकलते हैं। कोचि . लक्षद्वीप की यात्रा रहस्यमय पानी के नीचे की दुनिया, प्रकृति को अपने सबसे अच्छे रूप में देखने और एक द्वीप पर जीवन का अनुभव करने का अवसर है।

लक्षद्वीप कैसे पहुंचे 

लक्षद्वीप अरब सागर में द्वीपों का एक खूबसूरत समूह है। थाई उष्णकटिबंधीय गंतव्यों तक हवाई और समुद्री यात्रा के संयोजन से आसानी से पहुंचा जा सकता है। लक्षद्वीप द्वीपों तक पहुँचने के लिए मार्गदर्शिका नीचे दी गई है। 

  • निकटतम प्रमुख शहर. कोच्चि
  • निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा। अगत्ती द्वीप हवाई अड्डा 
  • निकटतम बंदरगाह. मैंगलोर बंदरगाह 
  • कोच्चि से दूरी. 496 कि.मी
  • लक्षद्वीप द्वीप समूह एक प्रमुख हवाई अड्डे से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अगत्ती द्वीप हवाई अड्डा लक्षद्वीप द्वीप समूह तक पहुँचने के लिए प्राथमिक हवाई अड्डा है। आगे की यात्रा के लिए आप टैक्सी किराये पर ले सकते हैं या कैब बुक कर सकते हैं। 

हवाई अड्डे से दूरी. 62 कि.मी

  • लक्षद्वीप द्वीपों तक पानी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा प्रबंधित विभिन्न यात्री जहाज कोच्चि से लक्षद्वीप के विभिन्न द्वीपों तक संचालित होते हैं।  

लक्षद्वीप अपने प्राचीन समुद्र तटों और मनमोहक माहौल के लिए हमेशा यात्रियों की सूची में रहता है। पर्यटक कोच्चि से लक्षद्वीप के द्वीपों तक पहुंच सकते हैं, क्योंकि यहां के सभी समुद्री मार्ग और हवाई मार्ग मुख्य भूमि कोच्चि से निकलते हैं। लक्षद्वीप की यात्रा रहस्यमय पानी के नीचे की दुनिया, प्रकृति के सर्वोत्तम स्वरूप और एक द्वीप पर जीवन को देखने का अवसर है। तो, अभी adotrip.com से बुक करें और एक ही छत के नीचे A1 यात्रा सेवाओं का अनुभव लें।

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लक्षद्वीप के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. लक्षद्वीप कैसे जा सकते हैं भारतीय? ए1. भारतीय हवाई और जल मार्ग से लक्षद्वीप की यात्रा कर सकते हैं। लक्षद्वीप में प्रमुख हवाई अड्डे और बंदरगाह हैं, जो यात्रा को पहले से कहीं अधिक सुविधाजनक बनाते हैं। 

Q2. लक्षद्वीप क्यों प्रसिद्ध है?  ए2. लक्षद्वीप अपने धूप से नहाए समुद्र तटों, हरी-भरी हरियाली और मनोरम दृश्यों के कारण प्रसिद्ध है। 

Q3. लक्षद्वीप घूमने का सबसे अच्छा समय कौन सा है? ए3. अक्टूबर से मार्च के सर्दियों के महीनों में लक्षद्वीप की यात्रा करें। मौसम अपेक्षाकृत सुहावना है और जल क्रीड़ाओं तथा अन्य गतिविधियों के लिए उपयुक्त है। 

Q4. क्या भारतीयों को लक्षद्वीप के लिए वीज़ा की आवश्यकता है?  ए4. नहीं, भारतीयों को लक्षद्वीप द्वीपों की यात्रा के लिए वीज़ा की आवश्यकता नहीं है। हालाँकि, उन्हें वहां यात्रा करने से पहले परमिट की आवश्यकता हो सकती है। 

Q5. लक्षद्वीप में कौन सी मुद्रा प्रयोग की जाती है? ए5. भारतीय रुपया (INR) लक्षद्वीप द्वीपों में उपयोग की जाने वाली मुद्रा है।   

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cultural tourism essay in hindi

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