भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध – Indian Economy Essay in Hindi

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध: दुनिया में एक मजबूत और विकसित देश के रूप में देखी जाने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था बहुपक्षीय और विविध है। यहां हम एक निबंध के माध्यम से इस विषय पर विचार करेंगे।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध

वह नीति जो आय अर्जन की पद्धति अथवा स्थिति का निर्धारण करती है, अर्थव्यवस्था कहलाती है। भारतीय अर्थव्यवस्था के विशेष अध्ययन से पता चलता है कि यह बहुत पुरानी नहीं है। यह आज़ादी के दौरान भी रहा होगा और अब भी है। और आगे भी रहेगा।

इस बीच हमारी आजादी को 76 वर्ष बीत गये। यद्यपि हम धीरे-धीरे प्रगति कर रहे हैं, लेकिन हमारी आर्थिक क्षमता ने वैश्विक आर्थिक बाजार में काफी प्रतिष्ठा हासिल की है। हम एक उन्नत राष्ट्र से आर्थिक रूप से शक्तिशाली राष्ट्र बन गए हैं, भारत भी चीन की तरह एशियाई महाद्वीप में एक शक्तिशाली राष्ट्र बन गया है। यह अर्थव्यवस्था के कारण ही संभव होता है और अर्थव्यवस्था की सफलता विभिन्न स्तरों से प्राप्त होती है।

bhartiya arthvyavastha par nibandh

कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था

आजादी के पहले दशक में जब देश को विकास के रास्ते पर ले जाना जरूरी समझा गया तो राजनीतिक और आर्थिक दोनों दरवाजों से गुजरना पड़ा। केंद्रीय योजना के माध्यम से लागू की गई मिश्रित अर्थव्यवस्था ने आत्मनिर्भरता, सामाजिक न्याय और गरीबी उन्मूलन को प्रतिबिंबित किया। अनेक समस्याओं के बावजूद सकल घरेलू उत्पाद केवल 3.9 प्रतिशत की दर से बढ़ता रहा। ये 1950-51 से 1960-61 तक की तस्वीर थी। कृषि अधिक उत्पाद पैदा कर रही थी। उस समय देश में कृषि अपने सर्वोत्तम स्तर पर थी और कृषि पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता था, हालाँकि आज़ादी के बाद दूसरे दशक में भारी उद्योग पर ज़ोर दिया गया। सभी इस बात पर सहमत थे कि देश के तीव्र विकास के लिए उद्योग ही एकमात्र रास्ता है। भारत-चीन युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद कृषि क्षेत्र में पड़े भीषण सूखे ने हमारे विकासशील देश की कमर पूरी तरह तोड़ दी। इससे यह शिक्षा मिलती है कि देश को सदैव अन्न के भंडार से भरा रखना चाहिए तथा रक्षा के लिए पूंजी का संचय करके देश की पूर्ण रक्षा करनी चाहिए। इसलिए समस्या के समाधान के लिए जिस हरित क्रांति का आह्वान किया गया उसे स्वर्णिम परत कहा गया।

हरित क्रांति ने भारत की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लाया। उस समय 50 मिलियन टन खाद्यान्न आयात की जगह 100 मिलियन टन की मांग थी। स्वस्थ संस्थागत परिवर्तनों के साथ-साथ नए बीज, उर्वरक और सिंचाई प्रणालियाँ पेश की गईं। इस प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप अच्छा मुनाफा हुआ है। अर्थव्यवस्था विकास की राह पर है। यही वह समय था जब भारत एक गरीब खाद्य आयातक देश से बढ़कर एक अनाज समृद्ध देश बन गया।

बजट और आर्थिक नीतियां

हमारे देश के विकास को गति देने के लिए पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में लागू की गई थी। पाँचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-79) के समय तक योजना विकास दर को छूते हुए सफल आवंटन के बिंदु तक पहुँच चुकी थी। अभी तक पंचवर्षीय योजना समय-समय पर लागू की जाती रही है, लेकिन सभी योजनाएँ सफलतापूर्वक लागू की गई हैं और उनमें आर्थिक विकास ने मुख्य स्थान ले लिया है।

योजना की आयु 60 वर्ष से अधिक है। इस बीच देश में प्रगति का सिलसिला काफी तेज हो गया है। हमने धीरे-धीरे विकास में बाधा डालने वाली कई बाधाओं पर काबू पा लिया है। इससे अधिक खुशी की बात क्या हो सकती है? वर्तमान स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था को अविकसित अर्थव्यवस्था नहीं कहा जा सकता।

जैसे देश भर में राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई है, वैसे ही प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हुई है। यह बात कोई अर्थशास्त्री या आम आदमी नहीं कह सकता कि किसी अर्थव्यवस्था की समृद्धि के लिए पूंजी आवश्यक है। पूंजी निर्माण अर्थव्यवस्था की मूल प्रक्रिया है। अर्थशास्त्रियों का हमेशा से मानना ​​रहा है कि बचत में वृद्धि पूंजी निर्माण का प्राथमिक स्रोत है। बचत की राशि और दर पर जोर दिया जाता है।

उद्योग और औद्योगिक

कृषि विकास का उल्लेख पहले ही किया जा चुका है। अब आइए औद्योगिक विकास पर विचार करें। योजना के लागू होने से भारत में औद्योगिक विकास में तेजी से वृद्धि हुई है। योजना के 62 वर्षों के दौरान औद्योगिक क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहवर्धक होनी चाहिए। इस तरह के बदलाव पहली बार 1982 के बाद देखे गए थे। 1982-90 के दौरान आर्थिक विकास दर बहुत संतोषजनक थी। लेकिन 1990 के दशक के तेल संकट जिसके कारण खाड़ी युद्ध हुआ, ने कुछ वर्षों के लिए आर्थिक विकास को धीमा कर दिया। इससे विशेष रूप से विदेशी मुद्रा क्षेत्र प्रभावित हुआ। हालाँकि, 1990-2001 के प्रतिबंध के बाद से, हमने अब दीर्घकालिक व्यापार नियमों को अपना लिया तो, सबकुछ ठीक हो गया था। जीवाश्म ईंधन की कमी को दूर करने के लिए कई कदम उठाए गए।

आधारभूत संरचना का प्रभाव

भारत में अर्थव्यवस्था की सफलता काफी हद तक बुनियादी ढांचे के विकास पर निर्भर करती है। सामाजिक एवं आर्थिक संरचनात्मक विकास को आधारभूत संरचना विकास कहा जाता है। सामाजिक बुनियादी ढाँचा जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास आदि को चरणबद्ध किया जाता है। आर्थिक बुनियादी ढांचे में बैंकों का विकास, गैर-बैंकिंग प्रणाली, बीमा का विकास, बिजली उत्पादन, सिंचाई, रेलवे, सड़क, जलमार्ग, वायुमार्ग, संचार और विस्तार में सुधार शामिल हैं। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि भारत की अल्पविकास दर में उल्लेखनीय कमी आई है।

सामाजिक व्यवस्था में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल आपूर्ति आदि शामिल हैं। इसे अन्यथा मानव संसाधन विकास क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (DPEP) की शुरूआत से शिक्षा प्रणाली में काफी सुधार हुआ है। इसी प्रकार जल आपूर्ति के क्षेत्र में, हर गांव में ट्यूबवेल की व्यवस्था, स्वास्थ्य के क्षेत्र में, देश में अस्पतालों की संख्या में वृद्धि, स्वच्छता के क्षेत्र में, मानव संसाधन विकास में उल्लेखनीय सुधार हुआ है नगर पालिकाओं की प्रत्यक्ष स्वच्छता व्यवस्था के कारण।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार

अर्थव्यवस्था में आयात क्षेत्र की अपेक्षा निर्यात क्षेत्र पर अधिक जोर दिया जाता है। वित्तीय वर्ष 1950-51 में निर्यात केवल 606 करोड़ रुपये तक सीमित था। अब यह बढ़कर लाखों करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. जबकि कृषि उत्पादों, सूती वस्त्र, चाय और अन्य पारंपरिक निर्यात की मांग में गिरावट आई है लेकिन मशीनरी, लकड़ी के उत्पाद, कीमती आभूषण, इंजीनियरिंग सामग्री के निर्यात में मांग की दर से वृद्धि हुई है।

हमें मितव्ययिता से बहुत कुछ सीखना है क्योंकि हम आर्थिक सुधारों के माध्यम से जिस स्तर पर पहुंचे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में मौजूदा स्तर एक संतोषजनक स्तर कहा जा सकता है। कुछ वर्ष पहले हुए एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद के मामले में हम चौथे स्थान पर हैं और हमने लाखों करोड़ रुपये कमाए हैं। साथ ही हमने उस क्षेत्र में जितना संभव हो सके उतना खर्च करके वह मुकाम हासिल किया है। समायोजित कीमतों पर 2009-10 में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि 7.2 प्रतिशत थी। इस बार सेवा क्षेत्र में योगदान सबसे बड़ा रहा। यह लगभग 58.4 फीसदी होगा। इससे पता चलता है कि औद्योगिक क्षेत्र में 21.1 प्रतिशत पीछे रह गया है। ऐसा लगता है कि 17 प्रतिशत कृषि क्षेत्र से आया है। प्रति पूंजी को ध्यान में रखते हुए, 2007-08 और 2009-10 के बीच आय और व्यय में समग्र वृद्धि हुई प्रतीत होती है, हालांकि इस अवधि के दौरान विकास दर में निश्चित रूप से गिरावट आई है।

यहां कहने वाली बात यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था से हमें क्या मिलता है या क्या नहीं मिलता, यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, बड़ी चिंता की बात यह है कि हम अपनी वित्तीय अर्थव्यवस्था को औपनिवेशिक युग के ढांचे में अपने साथ एकीकृत करते जा रहे हैं। . जितनी जल्दी इस पर कानून प्रवर्तन का ध्यान जाएगा, उतना बेहतर होगा। इनमें क्षेत्रीय असमानताएं, गरीबी और असमानता के मुद्दे, बेरोजगारी, बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता, बारहमासी और मौसमी निर्भर क्षेत्र, बचत, पूंजी निर्माण, व्यापार के लिए नियामक ढांचे और विकास की गुणवत्ता शामिल हैं। हम अब बहुत आगे आ चुके हैं। अभी तक हमें सब कुछ आसान लग रहा होगा। लेकिन आने वाले दशक में हमें बेहद जटिल रास्ते से गुजरना होगा।

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ये था भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध । इस निबंध के माध्यम से हमने देखा कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक समृद्ध और विकसित राष्ट्र की ओर कदम बढ़ा रही है। और हमें याद रखना चाहिए की विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे प्रयासों एवं योजनाओं से हम सशक्त भारत की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

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भारतीय अर्थव्यवस्था: Essay in Hindi – निबन्ध

Essay in hindi – भारतीय अर्थव्यवस्था.

This essay in hindi has been written above the Indian economy, which focuses on unemployment, black money, poverty, inflation and other things!

आधार – बिंद 1. भूमिका: भारतीय अर्थव्यवस्था: चिंतनीय स्थिति 2. गरीबी एवं आर्थिक विषमता 3. बेरोजगारी 4. महंगाई और खाली होता राजकोष 5. विदेशी एवं स्वदेशी रेड की समस्याएं 6. हिनॉर्थ प्रबंधन की समस्या 7. काला धन 8. वैश्वीकरण का दबाव 9. उपसंहार: अर्थव्यवस्था को पुनरचित करने की चुनौती

भारतीय अर्थव्यवस्था चिंतनीय स्थिति स्वतंत्रता पूर्व की भारत की जड़ीभूत, गतिहिन अर्थव्यवस्था को आजादी के बाद योजनाबद्ध आर्थिक कार्यक्रम द्वारा गतिशील बनाने का प्रयास किया गया है | फलस्वरूप औद्योगिक संरचना का सुदृढ़ आधार तैयार हुआ है, विदेशी व्यापार में 90 गुना वृद्धि हुई है | कृषि में हरित क्रांति द्वारा उपज में तेजी से वृद्धि हुई है, परिवहन व संचार व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं | पिछले 13 वर्षों में लागू किए गए आर्थिक सुधारों से नवीन तकनीक का प्रयोग बढ़ा है | भारत के निर्यात एवं विदेशी पूंजी भंडार में वृद्धि हुई है और भुगतान संतुलन में अनुकूलता मिली है, इसके बावजूद आजादी की अर्ध शताब्दी गुजर जाने के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था की कुछ समस्याएं जवलंत बनी हुई है जिन पर प्रत्येक भारतीय को गंभीरता से विचार करना चाहिए | “गरीबी हटाओ” और “आत्मनिर्भरता” के सुखद सपनों के महल आर्थिक पेचीदगियों के झंझावातों में ढह रहे हैं | देश दिशा-शुंन्य स्थिति में बढ़ रहा है, हर व्यक्ति परेशान है, महंगाई, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, काले धन और भ्रष्टाचार से जन-जन परेशान है तथा शोषण, अधिनायकवाद, अराजकता एव अपराधीपन के कारण व्यापक असंतोष के लक्षण नजर आ रहे हैं | देश के अधिकतर नीति-निर्माता, सत्ता- लोलुप, भ्रष्ट और विवेकहिन है, अत: भारतीय अर्थव्यवस्था की न केवल दुर्दशा है बल्कि दिशाशुंन्यता भी है इसलिए हमारी अर्थव्यवस्था की समस्याओं का वस्तुगत विश्लेषण आवश्यक है | हमें विचार करना है कि ए.एम. खुसरो का यह कथन हमारे लिए कैसे सार्थक होकी “ 19 वी सदी ब्रिटेन की थी, 20 वी सदी अमेरिका की है और 21 वी सदी भारत के नाम लिखी जाएगी |”  दरअसल आज हमारी अर्थव्यवस्था की तत्कालीन चुनौतियों में सबसे ऊपर तो निरंतर बढ़ती – “बेरोजगारी” है | औद्योगिक मंदी हमें घेरती जा रही है, रुपया एक पतन सील मुद्रा के रूप में गिरता जा रहा है, निर्यात दर की गिरावट जारी है, ज़िद्दी राजकोषीय घाटा है, सैकड़ों फरमाइशो के साथ रूठे बैठे उद्योग चेंबर है और नियंत्रित मुद्रास्फीति के आंकड़ों के बावजूद क्रय-शक्ति के अभाव में जूझ रही गरीब जनता है | संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम रिपोर्ट के अनुसार हम 175 देशों में 124 वे से खिसककर 127 वे स्थान पर पहुंच गए हैं | दुनिया के सर्वाधिक लगभग 25 करोड़ भूखे लोग भारत में ही है, 4 करोड़ बच्चे शिक्षा से वंचित है | वैश्वीकरण और उदारीकरण की पैरवी करने वाले हमारे नीति-निर्धारकों के लिए अर्थव्यवस्था की यह तस्वीर उसके संपूर्ण ढांचे तथा समस्या के महत्वपूर्ण पक्षों को समझने की ओर संकेत करती है | You Read This Essay in Hindi on Lokhindi.com गरीब एवं आर्थिक विषमता हमने स्वराज चाहा था ताकि हम सूर्योदय कर सकें लेकिन आजादी के बाद हमारे द्वारा मिश्रित अर्थव्यवस्था अपनाने के बावजूद देशवासियों में आय व संपत्ति की विषमता निरंतर बढ़कर आज भयंकर रूप धारण कर चुकी है ०.5 % लोगों के पास देश की 10 % संपदा जमा है और ऊपर के 8% लोग 50% संपत्ति के मालिक हैं, जबकि नीचे 60% लोगों के पास कुल राष्ट्रीय आय का 10% भाग ही आता है | भूमि सुधारों के बावजूद भूमि वितरण को लेकर असमानता है, 39 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या के पास केवल 5% भूमि का स्वामित्व है, जबकि 8% संपन्न किसान 46% भूमि पर कब्जा जमाए हुए हैं | जहां बहुराष्ट्रीय कंपनियां एक प्रबंधक को एक करोड़ रुपए वार्षिक वेतन देती हैं वहां एक दैनिक वेतन भोगी मजदूर को 40 से 50 रूपए प्रतिदिन मजदूरी मिलती है | पिछले 40 वर्षों में टाटा बिरला की संपत्ति 40 गुना बढ़ी है, जबकि अभी भी 29.8 % लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं, जिन्हें भरपेट भोजन एवं पहनने को कपड़ा उपलब्ध नहीं है | इस प्रकार पंचवर्षीय योजना प्रारंभ करने के समय का यह सोच असिद्ध साबित हुआ है कि ‘योजनाबद्ध विकास समाजवादी प्रकृति का होगा, जिसमें सबसे गरीब तबके के विकास को प्राथमिकता मिलेगी |’ जिस प्रकार संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक विषमताओं की और दौड़ रही है तथा गरीब देशों और अमीर देशों के बीच विकास की खाई घटने के स्थान पर तेजी से बढ़ती जा रही हैं, उसी प्रकार भारत में अमीरों और गरीबों के बीच अंतर कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है | देश में चंद लोगों के पास अपार दौलत है तो दूसरी और गरीब लोगों के पास दरिद्रता, भूख, उत्पीड़न, अशिक्षा और बीमारी है | गरीबी से नीचे जीने वालों के लिए आधा पेट भोजन, मिट्टी के टूटे बर्तन, निकली हुई हड्डियां, पीली आंखें, सुखी खाल, फोड़े युक्त पैर, मुरझाए चेहरे और काली आंखों में गहरी दीनता व निराशा इनकी वास्तविक कहानी है | हमने आर्थिक विकास का लक्ष्य सकल राष्ट्रीय आय (जी.एन.पी) मैं वृद्धि माना; किंतु इससे सूर्योदय नहीं हुआ | भारत के विकासवादियो ने जो यह मान्यता स्थापित की की अधिकतम वृद्धि दर से देश का आर्थिक विकास हो जाएगा | वह हमें गरीबी, बेरोजगारी, आय-विषमता और शोषण से मुक्ति नहीं दिला सकी, बल्कि विपरीत दिशा की ओर बढ़ाती ले गई | अतः अब हमें भारतीय अर्थव्यवस्था के ढांचे पर गंभीरता के साथ पुनर्विचार करना है ताकि अर्थव्यवस्था में उत्पादन एवं वितरण को लेकर सबकी सहभागिता हो तथा आर्थिक विकास का प्रभाव सब लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और कुशलता आधारित रोजगार का सामर्थ्य बढ़ाने में नजर आए | इसके लिए न केवल समता आधारित बल्कि सवृद्धि और समानता के बीच सकारात्मक संबंध बिठाने वाले आर्थिक ढांचे को तलाशना होगा तथा इसके लिए राष्ट्रव्यापी सोच की आवश्यकता होगी | बेरोजगारी संसार के पांच आर्थिक राक्षस मनुष्य का दमन करने पर तुले रहते हैं – गरीबी, रोग, अज्ञानता, गंदगी और बेरोजगारी, परंतु इनमें सबसे भयंकर है– बेरोजगारी, क्योंकि वह व्यक्ति की आर्थिक सामर्थ्य को रक्त प्रदान करने वाली धमनी है | भारत में बेरोजगारी को दूर करने के प्रयत्न हुए हैं फिर भी आज देश की खुली बेरोजगारी, अदृश्य बेरोजगारी, अस्थिर बेरोजगारी, चक्रीय बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी एव तकनीकी बेरोजगारी आदि सभी विद्यमान है तथा किसी न किसी रूप में 25 करोड़ लोग बेरोजगार हैं | भारत की पंचवर्षीय योजनाओं में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए समय-समय पर नई नई नीतियों की घोषणा की गई और विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम भी संचालित किए गए; किंतु आज भी कुल श्रम शक्ति का एक तिहाई से भी अधिक भाग बेरोजगारी से ग्रस्त है जबकि सरकार ने 12 वी पंचवर्षीय योजना में रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है | योजना आयोग के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रतिवर्ष 4% रोजगार वृद्धि की जरूरत है, जबकि वर्तमान में यह वृद्धि दर 2.50 प्रतिशत है | अतः अब वृद्धि दर को बढ़ाना आवश्यक है यह तभी संभव है जब घरेलू उत्पाद दर 8 प्रतिशत हो, लेकिन आधुनिक, तकनीकों का उपयोग, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश के फलस्वरूप रोजगारोनमुख घरेलू उद्योगों के पतन, सार्वजनिक उपक्रमों से हो रही छंटनी के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ेगी | इसलिए आने वाले समय में बेरोजगारी के बढ़ने के आसार अधिक है | अतः एक और जनसंख्या पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है तो दूसरी ओर रोजगारोनमुख अर्थव्यवस्था को विकसित करना है, इसके लिए भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहराई से पुनचिंतन की आवश्यकता है | You Read This Essay in Hindi on Lokhindi.com

महंगाई और खाली होता राजकोष वर्ष 1991 में मुद्रास्फीति 16.4 प्रतिशत तक पहुंच गई थी | लेकिन आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के कारण अब यह 6 से 8 प्रतिशत के बीच झूलती रहती है | मुद्रास्फीति नियंत्रित हुई है, फिर भी महंगाई बढ़ रही है | जिसकी मुख्य मार गरीब लोगों पर पड़ती है | केंद्रीय सरकार एवं प्रादेशिक सरकारों का बजट घाटा भी सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में बढ़ता जा रहा है | इसी प्रकार सरकार का प्रतिवर्ष वित्तीय घाटा 5 करोड़ रुपए से भी अधिक तक पहुंचने लगा है | छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों का अत्यधिक वेतन बढ़ा कर उसमें 61% महंगाई भत्ते को वेतन में जोड़कर राजकोष को खाली करने, महंगाई बढ़ाने तथा विकास कार्यों के लिए देसी विदेशी कर्ज लेने के लिए हम विवश हो गए हैं | यह सब देश की अर्थव्यवस्था के कमजोर होने तथा आम आदमी के प्रतिकूल बनते जाने का संकेत है | इसलिए जहां एक और सकल उत्पादन के बढ़ाने के प्रशन हैं, वहीं दूसरी और उसे आत्मनिर्भर बनाने, पूंजीपति निवेश के बढ़ाने और अपव्यय को कठोरता से रोकने की चुनौती है | Essay in Hindi on Lokhindi.com

Essay in Hindi – भारतीय अर्थव्यवस्था: चिंतनीय स्थिति

विदेशी एवं स्वदेशी ऋण की समस्या हम सन 1957 में ही विदेशी मुद्रा भंडार को समाप्त कर चुके थे और उसके बाद हम विदेशी कर्ज को लगातार बढ़ाते ही गए | हमने हमारी योजनाओं में सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े उद्योगों को न केवल विदेशी तकनीक पर बल्कि विदेशी पूंजी पर आधारित बनाया और उसके लिए हम कर्ज-दर-कर्ज लेते गए | 1972-73 एव 1976-77 के अलावा विदेशी व्यापार में भुगतान संतुलन हमारे पक्ष में कभी नहीं रहा | 1996 में हमने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से ऋण मांगा | सन 2012 तक कुल विदेशी ऋण इतना हो गया है की जो जी.डी.पी के 20% से भी अधिक है | आज प्रत्येक भारतीय पर विदेशी ऋण के केवल ब्याज की अदायगी का भार 1000 रु. से अधिक है | इस प्रकार भारतीय वस्तुओं के निर्यात में अपेक्षाकृत वर्दी नहीं होना, रुपए का अवमूल्यन होना तथा विदेशी एवं स्वदेशी ऋण तथा बयाज के बढ़ते जाने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था एक ऋणग्रस्त तथा उत्पादन लाभ से वंचित गरीब व्यक्ति की तरह दुष्चक्र मैं फसी हुई है | सार्वजनिक स्तर पर कठोर वित्तीय अनुशासन, अनावश्यक उपभोग पर नियंत्रण तथा निर्यात के तेजी से बढ़ाने पर ही विदेशी एव स्वदेशी ऋण के दुष्चक्र से बचा जा सकता है | हिनॉर्थ प्रबंधन (Deficit Financing) की समस्या हम भारतीय पंचवर्षीय योजनाओं को अनुत्पादन कार्यों पर अपव्यय, सार्वजनिक वित्त में से भ्रष्टाचार द्वारा निश्चित राशि का अपहरण और इस प्रकार पूंजी की रहने वाली कमी से हमारे बजट घाटे की अर्थव्यवस्था पर आधारित होकर बनाते गए हैं | घाटे की अर्थव्यवस्था का यह वित्तीय प्रबंध अंततः मुद्रास्फीति, महंगाई आदि के दुष्चक्र को बढ़ाता है | अनुत्पादक क्षेत्रों में कठोर वित्तीय अनुशासन ही इसका उपाय हो सकता है, जो गहरी राजनीति इच्छा पर निर्भर करता | You Read This Essay in Hindi on Lokhindi.com काला धन आज भी अर्थव्यवस्था मुलत: काले धन पर विकसित हुई अर्थव्यवस्था है | जो हमारे नैतिक चरित्र के पतन का संकेत है | देश में चोरबाजारी, मुनाफाखोरी, भ्रष्टाचार, तस्करी तथा कर बचाने के कारण कालाधन इतना बढ़ चुका है कि बड़ी अर्थव्यवस्था तो काले धन पर ही चल रही है | आज देश में 40% से अधिक तो कालाधन ही है, जो कई लाख करोड़ रुपए से भी अधिक है | समय-समय पर इस काले धन को बाहर लाने के लिए सरकार ने योजनाएं घोषित की है; किंतु जिस गति से इसे नियमित धन में बदलने का प्रयास है उससे अधिक तेजी से कालेधन के बनते जाने की श्रंखला है | इस प्रकार काला धन देश के वित्तीय अनुशासन को, उसके अधिकाधिक उपयोग को प्रभावित करता है और अंततः पूंजी की कमी पैदा करता है | काले धन को कम करने के लिए नैतिक चरित्र का निर्माण एव बेहतर कराधान ही उपयुक्त उपाय है | मनी लांड्रिंग बिल भी इसी निमित्त में पारित किया गया है |  Essay in Hindi  वैश्वीकरण का दबाव आर्थिक सुधार के अंतर्गत भारत ने अपने द्वार विदेशी पूंजी और निवेशकों के लिए खोल दिए है | भारत विश्व व्यापार संगठन का सदस्य होने के नाते विदेशी कंपनियों के लिए सबसे बड़े बाजार के रूप में विकसित हुआ है | भारत पर लगातार विदेशी दबाव बना हुआ है | भारतीय बाजार पर अमेरिकी कंपनियों की कैसी गिद्ध दृष्टि है, इसका अंदाज निम, हल्दी और बासमती चावल के पेटेंट संबंधी विवादों से होता है | दरअसल हमें विश्व व्यापार संगठन के साथ किए गए अनुबंधन में संशोधन करने की आवश्यकता है, क्योंकि इसके अंतर्गत देश को अपनी कुल खाद्यान्न खपत का 3 प्रतिशत आयात करना आवश्यक है कि खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के विपरीत धारणा है | वर्तमान टैरिफ दरों में घरेलू उद्योगों के हित में बढ़ोतरी की समस्या पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है |  Essay in Hindi  अर्थव्यवस्था को पुनः रचित करने की चुनौती वस्तुतः आजादी के बाद हमने अर्थव्यवस्था के स्तर पर चहुंमुखी विकास किया है; किंतु देश के विद्यमान मानवीय एवं भौतिक संसाधनों को देखते हुए समता- उन्मुख, शोषण- रहित नैतिकता पर आधारित एक संतुलित अर्थव्यवस्था को विकसित नहीं कर सके हैं | हमने प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं मैं उलझ गए | इसके बाद हमने उदारीकरण पर आधारित अर्थव्यवस्था को अपनाया तथा पूंजी एवं विकसित तकनीक आधारित अर्थव्यवस्था के समक्ष झुके और समता एवं श्रम- आधारित सूर्योदयी अर्थव्यवस्था को पीतांजलि दे बैठे | इसलिए हमें भारतीय संसाधनों एवं वर्तमान में चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्याओं को देखते हुए गहराई के साथ पुनरचिंतन करने की आवश्यकता है | You Read This Essay in Hindi on Lokhindi.com यदि हम सरकारी खर्च में कमी करते हैं, अमरत्य सेन के सुझावों अनुसार शिक्षा एव स्वास्थ्य जैसी मानव विकास की सेवाओं में तेजी से सुधार करते हैं, कृषि एवं लघु उद्योगों को विशेष रूप से प्रोत्साहित करते हैं | सब्सिडी को कम करते हैं, उद्योगों में स्वस्थ प्रतियोगिता विकसित करते हैं, राजस्व वृद्धि हेतु अप्रत्यक्ष कर ढांचे में सुधार करते हैं तथा भ्रष्टाचार के स्थान पर देश में एक अनुशासित एवं इमानदार कार्य संस्कृति का निर्माण करते हैं तो हम देश की अर्थव्यवस्था के विकास में गति ला सकते हैं |  Essay in Hindi   

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नवीन अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और चुनौतियाँ पर निबन्ध | Essay on New International Economy in Hindi

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नवीन अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और चुनौतियाँ पर निबन्ध | Essay on New International Economy and Challenges in Hindi!

नवीन अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था (NIEO) की उद्‌घोषणा के मुख्य लक्ष्य थे-गरीब राष्ट्रों को उनके आर्थिक विकास में विकसित राष्ट्रों के सहयोग से मदद पहुँचाना तथा विश्व स्तर, राष्ट्रीय और व्यक्तिगत स्तर पर समानता को प्राप्त करना । ‘नीओ’ के उद्‌देश्यों को तीन भागों में बाँट सकते हैं:

१ . व्यापार संबंधी उद् ‌ देश्य : ‘ नीओ ‘ के अंतर्गत:

क. व्यापार को उत्तरोत्तर मुक्त कर विकसित राष्ट्रों के संरक्षणवाद को समाप्त किया जाना चाहिए जिससे कि विकासशील राष्ट्रों को अपनी वस्तुएँ निर्यात करने में अधिक कठिनाई न हो ।

ख. विकसित राष्ट्रों द्वारा अपनी आवश्यकता की अधिकाधिक वस्तुओं को विकासशील राष्ट्रों से आयात किया जाना चाहिए ।

ग. विकासशील राष्ट्रों को निर्यात- क्षम बनाने के लिए औद्योगिक राष्ट्रों द्वारा उनके (विकासशील राष्ट्रों के) औद्योगिकीकरण में सहयोग दिया जाना चाहिए ।

घ. व्यापार की उत्तरोत्तर बिगड़ती शर्तो, जो कि विकासशील राष्ट्रों के लिए लगातार घाटे की होती जा रही थीं, में सुधार करना ।

२ . सहयोग संबंधी उद् ‌ देश्य:

क. विकसित राष्ट्रों को विकासशील राष्ट्र की आर्थिक उन्नति और उनके पिछड़ेपन को दूर करने के लिए प्रौद्योगिक और मौद्रिक सहयोग दिया जाना चाहिए ।

ख. विकसित राष्ट्रों द्वारा पीर्सन कमेटी (१९६८) द्वारा प्रस्तावित राशि को विकासशील राष्ट्रों के विकास हेतु सहयोग राशि के रूप में प्रदान करना चाहिए । सन् १९६८ में पीयर्सन कमेटी ने यह सुझाव दिया था कि यदि विकसित राष्ट्र अपनी समग्र राष्ट्रीय आय का मात्र एक प्रतिशत भी गरीब राष्ट्र को दे दें तो इससे गरीब राष्ट्रों को अपने विकास में काफी मदद मिलेगी ।

ग. विकासशील राष्ट्रों को ऋण के भार से मुक्ति दिलाई जानी चाहिए ।

ADVERTISEMENTS:

घ. विकसित राष्ट्रों द्वारा विकासशील राष्ट्रों में कार्यरत अपने बहुराष्ट्रीय निगमों के कार्यकलापों पर रोक लगानी चाहिए ।

३ . मौद्रिक संबंधी उद् ‌ देश्य:

विकसित राष्ट्रों द्वारा संचालित, किंतु अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं, जिनके अर्द्ध-विकसित और विकासशील राष्ट्र भी सदस्य हैं, जैसे-विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष आदि के निर्वाचन ढाँचे में परिवर्तन किया जाना चाहिए तथा इन संस्थाओं द्वारा अधिकाधिक वित्त विकासशील राष्ट्रों को सस्ती दरों पर तथा आसान शर्तों पर दिया जाना चाहिए ।

द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् विकसित राष्ट्रों ने आपसी सहयोग द्वारा अपनी बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था को सुधारने का व्यक्तिगत और संस्थागत स्तर पर प्रयास करना शुरू कर दिया था । राजनीतिक क्षेत्र में विश्व शांति हेतु राष्ट्र संघ की स्थापना तथा व्यापार क्षेत्र में सहयोग हेतु ‘गैट’ (General Agreement on Trade and Tariffs) तथा मौद्रिक सहयोग हेतु अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (I.M.F) और विश्व बैंक की स्थापना सन् १९५० के पूर्व हो ही गई थी ।

किंतु इनके सदस्य मुख्यतया विकसित राष्ट्र ही थे । वास्तव में, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उपनिवेशवाद की समाप्ति का जो दौर शुरू हुआ, उससे विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में विकासशील राष्ट्रों की सदस्यता बढ़ती गई, किंतु इन संस्थाओं द्वारा वितरित की जानेवाली धनराशि किन देशों और किन उद्‌देश्यों तथा किन शर्त्तों पर वितरित की जाएगी, इस पर अमेरिका का लगभग एकाधिकार था ।

परिणामत: इन संस्थाओं को अमेरिका समयानुसार अपने आर्थिक और राष्ट्रीय हितों के लिए इस्तेमाल करता रहा तथा कुल मिलाकर ‘मुका आर्थिक व्यापार’ के सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए कुछ गिने-चुने राष्ट्र औद्योगिक स्तर पर सुदृढ़तर होते चले गए । इन सुदृढ़ औद्योगिक राष्ट्रों को ही हम आज ‘उत्तर’ के नाम से जानते हैं ।

दूसरी तरफ वे राष्ट्र थे, जो मुक्त व्यापार के सिद्धांत के कारण उत्तरोत्तर अमीर राष्ट्रों की अमीरी का साधन बनते रहे तथा आपसी स्पर्द्धा में अपने कच्चे माल को सस्ती दरों पर निर्यात करते रहे और स्वयं का कोई औद्योगिक ढाँचा न होने के कारण लगातार बद से बदतर स्थिति में चले गए ।

इन्हीं गरीब राष्ट्रों को हम आज ‘दक्षिण’ के नाम से जानते हैं और इनमें मुख्यतया एशियाई, लैटिन अमेरिकी और अफ्रीकी राष्ट्र हैं । इसके अतिरिक्त उत्तरोत्तर मुक्त व्यापार की दशाओं के कारण अमीर ‘उत्तर’ और गरीब ‘दक्षिण’ राष्ट्रों के बीच की खाई निरंतर बढ़ती रही ।

अपनी बढ़ती गरीबी और असमानता को दूर करने हेतु विकासशील राष्ट्रों ने फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा का सहारा लिया और सन् १९६४ में महासभा की विशेष इकाई संस्था के रूप में ‘अंकटाड’ (UNCTAD) की स्थापना हुई । सन् १९६४ की अंकटाड संस्था में विकासशील राष्ट्र प्रथम बार संगठित होकर सामने आए जिनकी संख्या उस समय मात्र 77 थी, उन्हें समूह-77 का नाम दिया गया ।

विशेषरूप से अंकटाड के भीतर रहकर कार्य करनेवाली यह संस्था तृतीय विश्व के आर्थिक मुद्‌दों के लिए सदैव एकजुट रही है । वास्तव में, सन् १९७४ में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘नीओ’ की उद्‌घोषणा, अंकटाड के अंदर कार्यरत् समूह और विश्व राजनीतिक मंच पर क्रियाशील निर्गुट राष्ट्र दोलन का प्रत्यक्ष परिणाम थी ।

विकासशील देशों के मुख्य निर्यातक मालों की कीमतें गिर गईं और दूसरी ओर पूँजीवादी शक्तियाँ तृतीय विश्व के विरुद्ध अधिक संरक्षणात्मक और भेदभावमूलक बाधाएँ खड़ी कर रही थीं । फलस्वरूप विकासशील राष्ट्रों की निर्यात आय घटती चली गई । निजी पूँजी बाजार कतिपय अफ्रीकी, एशियाई और लैटिन अमेरिकी राष्ट्रों की आर्थिक परियोजनाओं के लिए वित्त-पोषण का मुख्य बाह्य स्रोत तैयार हो गया है । उसकी कर्जदारी बढ़ती जा रही है और सरकारी आकड़ों के अनुसार अरबों डॉलर तक पहुँच गई है ।

भूतपूर्व उपनिवेश आर्थिक स्वाधीनता पाने तथा न्यायपूर्ण जनवादी आधार पर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों का पुनर्निर्माण करने के लिए अपने प्रयास तेज कर रहे हैं । इस परिस्थिति में, विकासशील देशों को पूँजीवाद की अपनी आर्थिक व्यवस्था में बनाए रखने के लिए अधीनता और उत्पीड़न के नए तरीके ढूँढने हैं ।

संयुक्त राष्ट्र के कतिपय नीतिगत दस्तावेजों में नवउपनिवेशवाद का विरोध करने तथा न्यायोचित अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों की स्थापना करने के मुख्य विचार अंकित किए गए । इन दस्तावेजों में शामिल हैं-राज्यों के आर्थिक अधिकारों और कर्तव्यों का घोषणा-पत्र तथा नवीन अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की स्थापना संबंधी घोषणा और अमली कार्यक्रम, जिन्हें सुपर ने प्रस्तुत किया था ।

ये प्रावधान बाद में सातवें गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा के ग्यारहवें विशेष अधिवेशन तथा व्यापार विकास संबंधी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के छठे अधिवेशन के प्रस्तावों में अनुपूरित और निर्दिष्ट किए गए थे । नवीन अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था संबंधी संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के कार्यान्वयन में विलंब हो रहा है, जिसका कारण है-पूँजीवादी शक्तियों की, सर्वप्रथम अमेरिका की व्यवधान उपस्थित करनेवाली नीति ।

विकासशील देश व्यापार-विकास और वित्तीय-मौद्रिक संबंधों के मुख्य प्रश्नों पर भू-मंडलीय वार्ताएं आयोजित करने की माँग करते हैं । इन समस्याओं पर विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श से नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की स्थापना को बल मिलेगा ।

यद्यपि पूँजीवादी शक्तियाँ ऐसी वार्त्ताओं के आयोजन के लिए सरकारी तौर पर सहमत तो हैं पर ऐसी शर्तें रख देती हैं, जिनसे उसका प्रारंभिक चरण ही अवरुद्ध हो जाता है । साम्राज्यवादी तत्त्व ताकत बनाए रखने के तरीके अपनाना जारी रखे हुए हैं, जिनका शीतयुद्ध के दिनों में व्यापक इस्तेमाल किया जाता था ।

अमेरिका के साथ-साथ अन्य साम्राज्यवादी सरकारें भी राष्ट्रीय मुक्ति आदोलनों को ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद’ के रूप में देखती हैं । अमेरिका विकासशील देशों में हर कीमत पर, यहाँ तक कि शस्त्र-बल के द्वारा भी, अपने हितों की उपयुक्त व्यवस्था कायम करने की दृष्टि से उनके आतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार ग्रहण कर लेता है ।

इसका प्रमाण है- ईरान- इराक युद्ध, लेबनान और ग्रेनाडा का युद्ध, अफगानिस्तान-निकारगुआ का अघोषित युद्ध, इराक और अमेरिका तथा उसके समर्थक देशों का युद्ध इत्यादि । ‘पारस्परिक आर्थिक सहायता परिषद्’ के सदस्य-देशों की शांति-रक्षा तथा अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग संबंधी घोषणा, जो जून १९८४ में मॉस्को में स्वीकृत हुई थी, कहा गया था कि उत्पीड़न के समस्त प्रकारों और अन्य राज्यों के आतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का दृढ़तापूर्वक विरोध करते हैं ।

पूर्व के औपनिवेशिक और पराधीन देशों तथा समाजवादी समुदाय के मध्य तीव्र गति से बढ़ते आर्थिक संबंध नवीन अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों और सिद्धांतों के कार्यान्वयन का एक महत्त्वपूर्ण और कारगर साधन हैं ।

सन् १९७१ से ११८२ के बीच विकासशील राष्ट्रों के साथ ‘पारस्परिक आर्थिक सहायता परिषद्’ के व्यापार में लगभग २१ प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि होती रही । लगभग १०० विकासशील देशों में, जिन्होंने ‘पारस्परिक आर्थिक सहायता परिषद्’ के सदस्य-राज्यों के साथ आर्थिक और प्रौद्योगिकी-सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, ६ हजार से ज्यादा प्रतिष्ठान बनाए गए हैं या बनाए जा रहे हैं । इनमें से अधिकांश प्रतिष्ठान विकासशील देशों की मुख्य आर्थिक शाखाओं और सार्वजनिक क्षेत्रों में हैं ।

विगत वर्षों के दौरान जो कुछ दिखाई दे रहा था, उसकी पुष्टि वाशिंगटन में संपन्न विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की बैठकों के द्वारा हो चुकी है । बुश-प्रशासन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष पर पूर्णत: यह दबाव डालने में सफल हो गया है कि ऋणी राष्ट्रों को उधार देने की नीति और वितरण को और कठोर बनाया जाए ।

इतना ही नहीं, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के बीच हुई बातचीत का भी स्पष्ट उद्‌देश्य यही था कि विश्व बैंक पर उसके आर्थिक विकास और कर्जों की शर्तों को कठोर बनाने के लिए दबाव डाला जाए । अमेरिकी ट्रेजरी सचिव ने घोषणा की थी कि ‘जरूरतमंद’ देश अपनी देखभाल स्वयं करें और ‘मुका बाजार’ के निजी क्षेत्र का अधिक सहारा लें, बजाय बहुराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा उनकी सहायता करने के ।

अमेरिकी प्रतिनिधि ने गरीब देशों की इस माँग को ठुकरा दिया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के ढाँचे पर विचार करने के लिए सभी देशों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया जाए और विश्व बैंक वर्तमान संपूर्ण मुद्रा-पद्धति पर पुनर्विचार करे ।

यह कोई छुपी बात नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक में लगभग सारे गैर-साम्यवादी देश हैं । अमेरिका का इनकी बैठकों में वर्चस्व रहता है । यही बात अन्य संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं के बारे में समीचीन है ।

परिणाम के तौर पर विकासशील देश, न केवल विश्व बैंक और मुद्राकोष से खाली हाथ लौटते हैं बल्कि अंकटाड और यूनिडो जैसी संस्थाओं से भी । स्थिति की गंभीरता का इस तथ्य से पता चलता है कि विकासशील देशों के फोरम- २४ सुप के ‘एक्यान प्रोग्राम’ में दिए गए सभी सुझावों को एक तरफ रख दिया गया था ।

विकासशील देशों में विकास-दर नकारात्मक है, प्रति व्यक्ति आय गिर रही है और कर्जों का भारी बोझ है । इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए ‘एक्यान कार्यक्रम’ ने अनेक बातें तुरंत उपायों के रूप में रखी हैं, जिनमें कोष के स्रोत में वृद्धि, विश्व बैंक की सामान्य पूँजी में वृद्धि, अधिक सरकारी विकास सहायता, ऋण-भार को हलका करने के लिए उपाय आदि ।

एक महत्त्वपूर्ण सुझाव यह भी दिया गया कि वित्तीय संस्थाओं के कुल मतदान में विकासशील देशों का भाग ५० प्रतिशत तक बढ़ाया जाए । इस समय पूरे विकासशील देशों का मतदान में हिस्सा केवल ३८ प्रतिशत है, अर्थात् सभी निर्णय विकसित देशों द्वारा ही ले लिये जाते हैं, क्योंकि मतदान में उनका भाग अधिक रहता है । अमीर देश इस स्थिति को बनाए रखना चाहते हैं, इसीलिए वे वर्तमान पद्धति में कोई परिवर्तन नहीं चाहते ।

आर्थिक सहायता और पूँजी – निवेश :

सर्दी, गरमी और बाढ़ से मरने तथा बेसहारा लोगों की खबरें आज साल-दर-साल का एक अटूट सिलसिला बन गई हैं । सहारा रेगिस्तान के दक्षिण के विशाल अफ्रीकी महाद्वीप में लाखों की संख्या में लोग वर्षों से भूख से तिल-तिलकर मरते आ रहे हैं ।

लैटिन अमेरिका संबंधी संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग के उच्च कार्य-सचिव एन. गोंजालेज द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, लैटिन अमेरिका की कुल ४० करोड़ की आबादी में लगभग १० करोड़ लोग घोर गरीबी के शिकार हैं ।

इस भुखमरी तथा गरीबी का मूल कारण है, पश्चिमी जगत् का पिछले जमाने का औपनिवेशिक शोषण और आज के युग में जारी नव-औपनिवेशिक दोहन । आर्थिक सहायता और ऋण, पूँजी-निवेश, व्यापार, अंतरराष्ट्रीय संपर्क का हर साधन इस दोहन का हथियार बना डाला गया है और इनमें भी ऋणों की भूमिका सर्वाधिक प्रत्यक्ष और कमर-तोड़ है ।

व्यापार में पश्चिमी देश और उनकी कंपनी कच्चे मालों, खनिजों और कृषि पैदावारों के दाम गिराकर, बीजक में माल की मात्रा कम दिखाकर अपने पक्के मालों के दाम बढ़ाकर, मात्रा ज्यादा दिखाकर तथा तरह-तरह की संरक्षणवादी युक्तियों का सहारा लेकर, अपनी पूँजी-निवेश के हर डॉलर पर ३ से ४ डॉलर का वार्षिक लाभ पैदा करती हैं ।

इससे विकासशील देशों के वित्तीय साधनों का क्षय होता जाता है और वे तरह-तरह के कर्ज लेने पर मजबूर होते हैं । इस कर्ज पर पश्चिमी बैंक, विशेषत: अमेरिकी बैंक ब्याज-दरें लगातार बढ़ाते रहे हैं । साथ ही डॉलर की कीमत भी बढ़ती जा रही है, जिससे ऋण की राशि अपने आप बढ़ जाती है ।

अब स्थिति यह है कि ब्याज पर दी गई पूँजी विकासशील देशों के आर्थिक शोषण का एक मुख्य साधन बन गई है । विकासशील देश कर्ज और सूद की अदायगी के लिए बार-बार कर्ज लेने के लिए विवश होते हैं, जिससे भुगतान की राशि बढ़ती जाती है ।

इस प्रकार यह एक दुम्बक्र का रूप धारण कर लेता है । लैटिन अमेरिकी देशों की ऋण ग्रस्तता ने तो मैक्सिको, ब्राजील तथा अर्जेंटीना में भी भूचाल ला दिया है । ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ के अनुसार लैटिन अमेरिकी देश अपने कच्चे माल के निर्यात से जितना कुछ अर्जित करते हैं, वह सबका सब कर्ज-अदायगी में चला जाता है, फलत: विकास-कार्य में पूँजी निवेश अवरुद्ध होते से दिख रहा है ।

‘अंत: अमेरिकी विकास बैंक’ के अनुसार, विकास बैंक की उपेक्षा के कारण लैटिन अमेरिकी देश में कुल घरेलू उत्पादन वृद्धि या स्थिर रहने की बजाय १० प्रतिशत गिर गया है । ब्राजील, मैक्सिको और चिली में बड़ी मात्रा में उत्पादन में गिरावट आई है ।

यह जानलेवा दुम्बक्र है । अब तो कच्चे माल की कीमतों में ही नहीं, उनके कुल उत्पादन में भी गिरावट आने लगी है । उधर, बैंक-दरें चढ़ती ही जा रही हैं । लैटिन अमेरिकी देशों पर कर्जदारी का यह शिकंजा कसता और उन्हें तीव्र गति से सर्वनाश की ओर धकेलता जा रहा है ।

इस स्थिति को ध्यान से देखते हुए ‘एक्तान कार्यक्रम’ में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा-पद्धति को सुधारने की बात कही गई थी, जिससे कि एक ओर विनिमय और मुद्रा की स्थिरता के उद्‌देश्य प्राप्त किए जा सकें, तो दूसरी ओर विकासशील देशों पर विशेष ध्यान दिया जा सके ।

इस ओर भी ध्यान दिलाया गया कि पहले सुधार के चरण में केवल फुटकर और आशिक प्रयत्न हुए हैं । जब से इन संस्थाओं का गठन हुआ था, तब से अब तक अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अनेक मूलभूत परिवर्तन हुए हैं और बहुत से स्वतंत्र विकासशील देशों का उदय हुआ है, इसीलिए कार्य-पद्धति में सुधार की नितांत आवश्यकता है ।

‘ग्रुप ऑफ २४’ ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि विश्व बैंक और क्षेत्रीय बैंकों के उधार देने के कार्यक्रम अपर्याप्त सिद्ध हुए हैं । निजी पूँजी का प्रवाह भी अस्थिर रहा है । इसी प्रकार सहायता प्रदान करने के लिए कोष की सामर्थ्य भी उसके स्रोतों के अपर्याप्त विकास के कारण अवरुद्ध रही है ।

कोष द्वारा ऋण प्राप्तकर्ताओं से तो उग्रता का व्यवहार किया जाता है और बड़े औद्योगिक देशों की नीतियों पर इसका कोई प्रभाव न होने से तालमेल की प्रक्रिया असंतुलित हो जाती है । अमेरिका को व्यापार और आर्थिक विकास विनिमय की वर्तमान प्रणाली से कोई शिकायत नहीं है, जिसके अंतर्गत मूल्य-कटौतियों में जारी वृद्धि के कारण विकासशील देशों से विपुल मुद्रा-दोहन जारी रखने की सुविधा है ।

इसके अतिरिक्त ब्याज-दर और डॉलर-दर में वृद्धि विकासशील देशों में उसके मुनाफों को दसियों अरब डॉलर तक बड़ा लेता है । इसमें तनिक भी आश्चर्य की बात नहीं है कि लैटिन अमेरिका, जो अंतरराष्ट्रीय बैंक के शिकंजे में छटपटा रहा है, से अमेरिका पहुँचने वाली पूँजी विगत बीस वर्षों में १५० अरब डॉलर से अधिक हो गई है ।

जहाँ तक समाजवादी और विकासशील देशों के बीच वित्तीय संपर्क-सूत्रों का संबंध है, यह बात याद रखनी चाहिए कि अधिकांश नवोदित राज्य किसी-न-किसी हद तक विश्व-पूँजीवादी अर्थतंत्र के घेरे में बने हुए हैं, इसीलिए नवोदित राज्यों के विकास के लिए समाजवादी देश, जो वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, उसके अधिकांश का भुगतान होता है और उसे लौटाया जाता है अन्यथा पश्चिम समाजवादी राष्ट्रों के यहाँ से संसाधन निकाल लेगा ।

ऋण समाजवादी देशों की वित्तीय सहायता का मुख्य रूप है, जिसका लक्ष्य है-नवोदित देशों के विकास को सरल बनाना । पिछले पैंतीस वर्षों में इन ऋणों की कुल रकम चालीस गुनी हो गई है । पश्चिम अपनी द्विपक्षीय सरकारी सहायता का एक छोटासा हिस्सा ही उद्योग और कृषि के लिए देता है ।

औद्योगिक पूँजीवादी देश इसके लिए भरसक कोशिश कर रहे हैं कि विकासशील राष्ट्रों को बढ़ते उद्योग का वित-पोषण निजी क्षेत्र में ही हो । पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय संगठन तृतीय विश्व को मिलनेवाली समाजवादी राज्यों की वित्तीय सहायता और पश्चिम की सरकारी विकास सहायता के बीच तुलना करने के लिए हिसाब की पक्षपातपूर्ण प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं ।

पश्चिम आरोप लगाता है कि समाजवादी देश, विकासशील देशों को उनकी आर्थिक समस्याओं का निराकरण करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम मदद देते हैं, किंतु संयुक्त राष्ट्र की सिफारिशों के आधार पर, जिन्हें पश्चिमी संगठन किसी-न-किसी कारण से ठुकरा देते हैं, नव-स्वतंत्र देशों के विकास में पूर्वी और पश्चिमी योगदान के वस्तुगत मूल्यांकन पर पहुँचा जा सकता है ।

ज्ञातव्य है कि नव-स्वतंत्र देश औद्योगिक पूँजीवादी राज्यों से जो ऋण प्राप्त करते हैं, उनका समाजवादी देशों की सहायता से कोई सामंजस्य नहीं है । औद्योगिक पूँजीवादी राज्यों द्वारा दिए जानेवाले ऋणों का ६० प्रतिशत से ज्यादा निजी बैंर्स्थ्यै प्राप्त होता है जो आजकल वार्षिक १०-१५ प्रतिशत और यहाँ तक कि २० प्रतिशत ब्याज वसूलते हैं ।

वस्तुत: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विरुद्ध संघर्ष हमारे युग का एक प्रमुख कार्य है । इस संघर्ष में विकासशील देश प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं । गुट निरपेक्ष दोलन के दस्तावेजों की एक शृंखला से पता चलता है कि अधिकांश विकासशील राष्ट्रों, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों की राष्ट्रीय स्वतंत्रता और सामाजिक प्रगति के लिए नव-उपनिवेशवाद के आसन्न संकटों से पूरी तरह से परिचित हैं ।

इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र में यह माँग रखी थी कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मनमानेपन तथा उनकी नव-उपनिवेशवादी नीतियों को समाप्त किया जाए । विकासशील देश इसका अनुभव करते हैं कि उनकी अधिकांश समस्याओं का मूल इस बात में है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उनकी राजनीतिक तथा आर्थिक स्वतंत्रता की न्यायोचित माँगों की उपेक्षा करती रहती हैं ।

उनकी माँग है कि ये बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उनकी राजनीतिक परिपाटियों का सम्मान करें और एक ‘मानकी कृत’ आदर्श थोपने के लिए उनका दमन न करें । इस प्रकार की आचार संहिता के प्रस्तावित प्रारूप पर बड़ी आशाएँ लगी हुई हैं ।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों की गतिविधियों पर नियंत्रण लगने कशिवकासशील देशों का संघर्ष, जिसे समाजवादी देशों का सक्रिय समर्थन भी प्राप्त है, एक नवीन अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था के न्यायोचित लोकतांत्रिक आधार पर निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों की संपूर्ण प्रक्रिया के पुनर्गठन की माँग कर रहा है ।

हथियारों की होड़ के परिणाम :

सैनिक तैयारियाँ खतरनाक ही नहीं हैं, बल्कि अपव्ययी भी हैं । संसार में वार्षिक सैनिक व्यय पहले से ही ८ खरब डॉलर से अधिक हो गया है, जिसमें एक खरब ३० अरब डॉलर विकासशील देशों द्वारा व्यय किए जाते हैं । यह उसके सैनिक-व्यय की तुलना में पाँच गुनी अधिक राशि है ।

जहाँ तक विकासशील देशों का संबंध है, उनके क्षेत्रों में अमेरिकी अड्‌डों तथा सैनिक स्थलों की स्थापना, अपने अर्थतंत्र को अमेरिका के लिए रणनीतिक महत्त्व के कच्चे माल की पूर्ति की दिशा में उन्मुख करना, उनपर व्यापार की भेदभावपूर्ण शर्तों का थोपा जाना, अमेरिका से शस्त्रास्त्रों को मँगाना आदि असंगत नीतियाँ देखने को मिलती हैं ।

हथियारों की होड़ न सिर्फ विकासशील देशों के संसाधनों को चट कर जाती है, अपितु उन्हें विदेशों से प्राप्त सहायता के परिमाण और कार्य-क्षमता को नकारात्मक रूप में प्रभावित भी करती है, साथ ही सहायता-राशि में वृद्धि करने के विचार के क्रियान्वयन में बाधा डालती है ।

बाह्य-आंतरिक सैन्यीकरण की शुरुआत हथियारों की होड़ का एक ऐसा चक्र आरंभ करेगी, जो क्षेत्र-विस्तार, लागत तथा संभावित विध्वंसक परिणामों की दृष्टि से अभूतपूर्व होगा । इससे ‘निरस्त्रीकरण’ की अवधारणा, तृतीय विश्व के दर्जनों देशों की विदेशी ऋण से मुक्त होने की आशाओं, अपने आर्थिक पिछड़ेपन को समाप्त करने की आशाओं, रोग एवं निरक्षरता से मुक्ति पाने के करोड़ों लोगों के स्वप्नों, नाभिकीय सर्वनाश की दिशा में तेजी से बढ़ते जाने आदि को रोकने के समस्त धरती के लोगों के विश्वास को गहरा आघात लगेगा ।

तथाकथित साम्राज्यवादी ताकतें विश्व स्तर पर हथियारों की होड़ शुरू करने के बाद एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के नए देशों को इसमें घसीट रही हैं । इसका मुख्य कारण है कि साम्राज्यवाद अपने लिए ऐसी स्थितियाँ चाहता है, जिनमें वह विकासशील देशों के अंदरूनी मामलों में मुका रूप से हस्तक्षेप कर सके, खनिज संपदा से घने इलाकों में अपना राजनीतिक, सैनिक और आर्थिक प्रभुत्व बनाए रखने तथा नवोदित देशों की जनशक्ति और प्राकृतिक संपदा का नव उपनिवेशवादी शोषण करता रहे ।

इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अमेरिका ने हस्तक्षेपकारी उड़न फौज और केंद्रीय कमान, जिसका कार्य- क्षेत्र उत्तर-पूर्व अफ्रीका और फारस की खाड़ी है, का गठन किया है और ‘नाटो’ की गतिविधियों का क्षेत्र बढ़ाने के लिए हर तरह की कोशिश कर रहा है ।

एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में हथियारों की होड़ का एक और बड़ा कारण यह है कि पश्चिमी देश राष्ट्रीय-मुक्ति आदोलन के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष का अधिकाधिक भार साम्राज्यवाद समर्थक देशों पर डालना चाहते हैं । ‘एशियार्ड’ के आर्थिक स्वरूप को बदलकर उसे सैनिक राजनीतिक मोरचे का रूप देने और साम्राज्यवाद के मार्ग पर चल रहे हिंद-चीन देशों के विरुद्ध उसके इस्तेमाल के लिए बड़ी कोशिश चल रही है ।

ईरान में शाह के पतन के बाद अमेरिका ने दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी एशिया में पुलिस की भूमिका पाकिस्तान को सौंप दी । अफगानिस्तान के विरुद्ध पाकिस्तान की धरती से अघोषित युद्ध में वृद्धि और भारत से लगी सीमा पर पाकिस्तान की सैनिक तैयारी से इसकी पुष्टि होती है ।

लाल सागर क्षेत्र में उपक्षेत्रीय सैनिक-गठजोड़ों के लिए कोशिश चल रही है । आंकड़े बता रहे हैं कि तृतीय विश्व की सामाजिक और आर्थिक समस्याएँ नितांत गंभीर हैं । ‘अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन’ के अनुसार ४५.५ करोड़ व्यक्ति बेरोजगार हैं ।

औद्योगिक पूँजीवादी देशों में बेरोजगारों के मुकाबले यह संख्या सतहत्तर गुना अधिक है । संयुक्त राष्ट्र संघ के अर्किडों के अनुसार, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में ८० करोड़ व्यक्ति गरीबी, भूख और कुपोषण का सामना कर रहे हैं; ७० करोड़ अशिक्षित हैं और डेढ़ अरब चिकित्साहीनता की स्थिति प्राप्त कर चुके हैं ।

अर्थव्यवस्था के सैन्यीकरण के परिणामों का विश्लेषण करने पर स्पष्ट हो जाता है कि नवोदित देशों में राज्य मुख्य आर्थिक शक्ति है और आवश्यक पूँजी-विनियोग में अधिकांश केंद्र सरकार के परिव्यय से प्राप्त होता है । इसलिए सैनिक-व्यय में वृद्धि का अर्थ है इन देशों की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में विनियोग की खासी कटौती ।

जो देश व्यापक स्तर पर हथियार नहीं बनाते, वे आयात करते हैं, जिससे व्यापार में घाटा होता है । एक बात यह भी है कि सैनिक आयात से प्राप्ति में बढ़ोतरी नहीं होती, निर्यात नहीं बढ़ता और इस कारण कर्ज की अदायगी संभव नहीं हो पाती ।

विकासशील देशों पर पश्चिमी देशों का ८१ हजार करोड़ डॉलर का कर्ज है । सैनिक साजो-सामान के आयात से साधनों की बरबादी होती है, क्योंकि न तो उपभोग बढ़ता है और न ही उत्पादन । तोहफे के तौर पर जब हथियार दिए जाते हैं तब भी गरीब देशों को रख-रखाव, मरम्मत और संबद्ध सेवाओं के लिए व्यय करना पड़ता है ।

अर्थव्यवस्था के सैन्यीकरण से मुद्रा-स्फीति बढ़ती है; सेना के रख-रखाव पर व्यय बढ़ता है और सीमित कुशल श्रम और वैज्ञानिक तकनीकी क्षमता असैनिक उद्योगों को नहीं मिल पाती, परिणामस्वरूप पश्चिम का सैनिक औद्योगिक तंत्र विकासशील देशों से ‘सैनिक सहयोग और भागीदारी’ से करोड़ों का लाभ प्राप्त करता है, उन देशों से खरीदे गए कच्चे माल पर हुए व्यय को पूरा करता है तथा ये देश कुछ वस्तुओं, सर्वोपरि तेल के मूल्य, जो यदा-कदा बढ़ा देते हैं, उसका बदला लेता है ।

इस प्रकार, सैन्यीकरण तृतीय विश्व के राष्ट्रीय विकास के कार्यों के विपरीत है, क्योंकि अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में साम्राज्यवाद द्वारा शुरू की गई हथियारों की होड़ का नकारात्मक परिणाम विश्व में गरीबी बनाए रखने तथा करोड़ों लोगों को भूख, अशिक्षा और बीमारी में बनाए रखने के इजारेदार पूँजी के ऐतिहासिक दायित्व की एक अभिव्यक्ति है ।

इन सबसे निष्कर्ष निकलता है कि अमीर देश गरीबों की कोई चिंता नहीं करते । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में वित्तीय संकट से मुख्यत: अविकसित देश प्रभावित होते हैं और इस प्रकार से आर्थिक संबंधों की वर्तमान पद्धति का दिवालियापन प्रकट करते हैं । इस घोर संकट का कारण अमेरिका द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् से अब तक अपनाई गई नीतियाँ हैं ।

उस समय सन् १९४४ में हुए ‘ग्रेट ब्रिटेन बुड् सम्मेलन’ में अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को स्वीकार किया गया था और सोने के मुकाबले इसे मुख्य अंतरराष्ट्रीय संपत्ति के रूप में स्वीकार किया गया था । इस प्रकार मुद्रा वित्तीय क्षेत्र में इस देश का वर्चस्व स्थापित हो गया था और उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक पर अपना वर्चस्व बना लिया था ।

इतना ही नहीं, अमेरिका ने अपनी व्याजदरों में वृद्धि कर न केवल विकासशील देशों को मुसीबत में डाल दिया है, प्रत्युत अमेरिका के व्यापारिक भागीदारों पर भी इसका कुछ प्रभाव पड़ा है । इस स्थिति से निबटने का केवल एक ही उपाय है कि बराबरी के आधार पर एक नई स्थायी और विश्वव्यापी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय तथा मुद्रा पद्धति की स्थापना की जाए जिसका उधार देने और मतदान करने का दृष्टिकोण जरूरतमंद देशों की वास्तविक सहायता करना हो, न कि उसके कुछेक सदस्यों की आर्थिक शक्ति का प्रदर्शन ।

नवीन पद्धति का उद्‌देश्य यह होना चाहिए कि विकासशील देशों का भुगतान संतुलन विकृत न होने पाए और उनकी आवश्यकताओं को वास्तविकता के धरातल पर लिया जाए । अब प्रश्न यह है कि उपर्युक्त वातावरण में तृतीय विश्व अथवा ‘दक्षिणी’ राष्ट्रों का आर्थिक भविष्य क्या होगा ? अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष विश्व बैंक और अंकटाड तीनों ने ही अपनी हाल की वार्षिक आख्याओं में, जहाँ यह इंगित किया है कि विकसित राष्ट्रों की बेरोजगारी और मंदी की समस्याएँ शनै शनै समाप्त हो रही हैं वहीं दूसरी ओर ये आख्याएँ विकासशील राष्ट्रों के भविष्य को लेकर बहुत आशान्वित नहीं हैं ।

दूसरे शब्दों में-जहाँ एक ओर विकसित राष्ट्रों की विकास-दर बढ़ने की संभावना है, वहीं आगामी कुछ वर्षों में विकासशील राष्ट्रों की विकास-दर घटने की भी संभावना है । स्पष्ट है कि आगामी वर्षों में ‘उत्तर-दक्षिण’ की असमानता और भी बढ़ेगी ।

इन परिस्थितियों में ‘गुट-निरपेक्ष आंदोलन’ द्वारा प्रस्तावित ‘सामूहिक आत्मनिर्भरता’ ही विकासशील राष्ट्रों के सामने विकल्प रह जाता है । इस दिशा में ‘दक्षिण-एशियाई क्षेत्रीय सहयोग’ जैसी अवधारणाओं को बढ़ावा देना चाहिए किंतु ये दक्षिणी राष्ट्र अपने आपसी मतभेद को भुलाकर एक-दूसरे के कितने निकट आएँगे अथवा प्रयास करेंगे, यह आनेवाला समय ही बताएगा ।

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दा इंडियन वायर

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध

essay on economy in hindi

By विकास सिंह

essay on indian economy in hindi

भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में तेज दर से बढ़ रही है। हमारे देश में कृषि, औद्योगिक और साथ ही सेवा क्षेत्र का विस्तार और सुधार समय के साथ हो रहा है और इस प्रकार यह आर्थिक विकास में योगदान कर रहा है। हालाँकि, अन्य विकासशील देशों की तरह, भारत की अर्थव्यवस्था भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध, essay on indian economy in hindi (200 शब्द)

भारत मुख्य रूप से एक कृषि अर्थव्यवस्था है। भारत का लगभग 50% कार्यबल कृषि गतिविधियों में शामिल है जो इसकी अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान देता है।

कृषि का अर्थ केवल फसलों का बढ़ना और बेचना ही नहीं है बल्कि अन्य समान गतिविधियों में मुर्गी पालन, मछली पालन, पशु पालन और पशुपालन भी शामिल है। भारत में लोग इनमें से कई गतिविधियों में शामिल होकर अपनी आजीविका कमाते हैं। ये गतिविधियाँ हमारी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं।

औद्योगिक क्षेत्र आगे आता है। औद्योगिक क्रांति के बाद से हमारे देश में कई उद्योग सामने आए हैं। पिछले कुछ दशकों में औद्योगिक क्षेत्र में विशेष रूप से तेजी देखी गई है। हमारे पास बड़े पैमाने पर   उद्योग हैं जैसे कि लोहा और इस्पात उद्योग, रसायन उद्योग, चीनी उद्योग, सीमेंट उद्योग और जहाज निर्माण उद्योग जो देश की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। हमारे पास लघु उद्योग भी हैं जैसे कि क्लॉथ उद्योग, प्लास्टिक उत्पाद उद्योग, जूट और कागज उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और खिलौना उद्योग। हमारे लघु उद्योग भी अर्थव्यवस्था को अच्छा बढ़ावा देते हैं।

इसके अलावा, हमारे पास सेवा क्षेत्र है जो भारतीय अर्थव्यवस्था में एक और योगदानकर्ता है। इस क्षेत्र में बैंकिंग क्षेत्र, होटल उद्योग, दूरसंचार क्षेत्र, बीमा क्षेत्र, परिवहन क्षेत्र और बहुत कुछ शामिल हैं। इंजीनियर, डॉक्टर और शिक्षक जैसे पेशेवर भी इस क्षेत्र में आते हैं।

सभी तीन क्षेत्रों में कुशल मजदूर / पेशेवर हैं जो देश की अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध, essay on indian economy in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना :.

भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले कुछ दशकों में एक बड़ी वृद्धि देखी है। इस उछाल का श्रेय काफी हद तक सेवा क्षेत्र को जाता है। कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों को भी वैश्विक मानकों से मेल खाने के लिए सुधारा गया है और विभिन्न खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि देखी गई है जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है। औद्योगिक क्षेत्र थोड़ा पीछे नहीं रहता है। हाल के दिनों में कई नए बड़े पैमाने के साथ-साथ लघु उद्योग स्थापित किए गए हैं और इनका भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव भी साबित हुआ है।

हाल के समय में भारत का आर्थिक विकास:

पिछले वर्ष के दौरान, खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के कारण भारत मुद्रास्फीति से पीड़ित था। हालांकि, यह नुकसान से उबर रहा है और आर्थिक स्थिति में इस साल सुधार होने की संभावना है।

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) ने भारत को सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में मान्यता दी है। यह अनुमान लगाया गया है कि यदि हम इस दर से बढ़ना जारी रखते हैं, तो हम संभवतः अगले एक या दो वर्षों में दुनिया की शीर्ष तीन आर्थिक शक्तियों में से एक बन जाएंगे।

आर्थिक विकास के कारक कारक:

भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए जिम्मेदार कुछ कारक यहां दिए गए हैं:

ऑटोमोबाइल्स, कंस्ट्रक्शन और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर सहित कई क्षेत्रों के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि हुई है। आईटी और परिवहन सहित कई क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। भारत में स्टार्ट अप की संख्या बढ़ रही है और इस प्रकार अधिक व्यापार और रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। देश का औद्योगिक क्षेत्र समृद्ध हो रहा है। भारत का व्यापारिक निर्यात और आयात अच्छी दर से बढ़ रहा है।

निष्कर्ष:

हमारे पास प्रतिभाशाली और रचनात्मक युवाओं का एक बड़ा समूह है जो मेहनती और महत्वाकांक्षी हैं। हमारी सरकार रोजगार और व्यवसाय के नए अवसरों को लाकर देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने की पहल भी कर रही है। कोई आश्चर्य नहीं कि हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी गति से बढ़ रही है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध, indian economy essay in hindi (400 शब्द)

प्रस्तावना:.

ब्रिटिश ने हमारे देश पर लगभग 200 वर्षों तक शासन किया। उन्होंने हमारे देश को लूटा और इसे खराब आर्थिक स्थिति में छोड़ दिया। हालांकि, हमारे कुशल राजनीतिक नेताओं ने, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता में एक प्रमुख भूमिका निभाई, ने स्थिति की जिम्मेदारी संभाली और अपनी सामाजिक आर्थिक प्रगति के लिए सामूहिक रूप से काम किया। देश की सरकार ने समस्याग्रस्त क्षेत्रों का आकलन किया और अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए नीति बनाई।

आर्थिक विकास में सरकार की भूमिका:

अधिकांश कामकाजी भारतीय आबादी अभी भी कृषि क्षेत्र में लगी हुई थी। बढ़ती फसलें, मछली पकड़ना, मुर्गी पालन और पशुपालन उनके द्वारा किए गए कार्यों में से थे। कई लोग कुटीर उद्योग में भी लगे थे। उन्होंने हस्तशिल्प वस्तुओं का निर्माण किया जो औद्योगिक वस्तुओं की शुरूआत के साथ अपना आकर्षण खो रहे थे। इन सामानों की मांग कम होने लगी। कृषि गतिविधियों ने भी पर्याप्त भुगतान नहीं किया।

सरकार ने देश की आर्थिक वृद्धि में बाधा के रूप में इन समस्याओं की पहचान की और उन्हें रोकने के लिए नीतियां स्थापित कीं। कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना, मजदूरों को उचित मजदूरी प्रदान करना और लोगों को आजीविका के पर्याप्त साधन मुहैया कराना देश की आर्थिक वृद्धि के लिए सरकार द्वारा निर्धारित कुछ नीतियां थीं।

औद्योगिक क्षेत्र का उदय:

भारत सरकार ने लघु और बड़े पैमाने पर उद्योग के विकास को भी बढ़ावा दिया क्योंकि यह समझ गया था कि अकेले कृषि देश के आर्थिक विकास में मदद नहीं कर पाएगी। स्वतंत्रता के बाद से कई उद्योग स्थापित किए गए हैं। बेहतर कमाई के प्रयास में बड़ी संख्या में लोग कृषि क्षेत्र से औद्योगिक क्षेत्र में स्थानांतरित हो गए।

आज, हमारे पास कई उद्योग हैं जो बड़ी मात्रा में कच्चे माल के साथ-साथ तैयार माल का निर्माण करते हैं। फार्मास्युटिकल उद्योग, लोहा और इस्पात उद्योग, रासायनिक उद्योग, कपड़ा उद्योग, मोटर वाहन उद्योग, लकड़ी उद्योग, जूट और कागज उद्योग ऐसे कुछ उद्योगों में से हैं, जिन्होंने हमारी आर्थिक वृद्धि में बहुत बड़ा योगदान दिया है।

सेवा क्षेत्र का विकास:

सेवा क्षेत्र ने हमारे देश के विकास में भी मदद की है। इस क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों में वृद्धि देखी गई है। बैंकिंग और दूरसंचार क्षेत्रों के निजीकरण का सेवा क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पर्यटन और होटल उद्योगों में भी धीरे-धीरे वृद्धि देखी जा रही है। हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, सेवा क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था के 50% से अधिक में योगदान दे रहा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था ने आजादी के बाद से कई सकारात्मक बदलाव देखे हैं। यह अच्छी गति से बढ़ रहा है। हालाँकि, हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्र अभी भी विकसित नहीं हैं। सरकार को इन क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रयास करने चाहिए।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध, essay on indian economy in hindi (500 शब्द)

भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर तेज गति से बढ़ रही है। विभिन्न विनिर्माण उद्योगों की बढ़ती संख्या में विनिर्मित वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि और बैंकिंग और दूरसंचार क्षेत्र के निजीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। भारत ने आजादी के बाद बहुत कठिन दौर देखा था जब देश की आर्थिक स्थिति में तीव्र गति से गिरावट आई थी। भारत सरकार के साथ-साथ प्रतिभाशाली युवाओं ने भी इसे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट:

भारत कभी देश में धन संचय के कारण स्वर्णिम गौरैया के रूप में जाना जाता था। यह विदेशी आक्रमणकारियों को आकर्षित करने वाले मुख्य कारणों में से एक है। ब्रिटिशों द्वारा उपनिवेशीकरण के बाद, भारत लगभग कुछ भी नहीं बचा था। अधिकांश भारतीय कुटीर उद्योगों में लगे थे।

हालांकि, उनके द्वारा निर्मित उत्पाद अब मांग में नहीं थे क्योंकि लोगों ने औद्योगिक वस्तुओं का उपयोग करना शुरू कर दिया था। इससे इन कारीगरों की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और परिणामस्वरूप देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई।

भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए सरकारी नीतियां:

देश की आर्थिक स्थिति को संभालना नवगठित भारत सरकार के लिए मुख्य चुनौतियों में से एक था। एक ऊपर की ओर ग्राफ सुनिश्चित करने के लिए, यह निम्नलिखित नीतियों के साथ आया:

  • देश के नागरिकों के लिए आजीविका का साधन आंप्ल है।
  • किसी भी लिंग पूर्वाग्रह के बिना समान काम के लिए समान वेतन।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य और जीवन स्तर में सुधार।
  • धन की एकाग्रता को रोकें।
  • समुदाय के भौतिक संसाधनों के स्वामित्व का वितरण।
  • श्रमिकों के लिए उचित मजदूरी ताकि वे एक सभ्य जीवन स्तर का वहन कर सकें।
  • राज्य द्वारा कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना।

भारत का आर्थिक विकास:

भारत सरकार के प्रयासों और आम जनता के कठिन परिश्रम ने भुगतान किया है। भारत सबसे तेजी से विकसित और विकासशील देशों में से एक बन गया है। हमारे देश ने पिछले कुछ दशकों के दौरान विभिन्न उद्योगों में अच्छी प्रगति की है और इसके कारण आर्थिक विकास हुआ है।

सूचना प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचा, खुदरा, वित्तीय सेवाएं, मोटर वाहन और स्वास्थ्य सेवा ऐसे क्षेत्रों में से हैं, जिन्होंने हाल ही में एक बड़ा उछाल देखा है। ये लगातार गति से बढ़ रहे हैं और देश की आर्थिक वृद्धि में प्रमुख योगदान दे रहे हैं।

हमारे देश की औसत जीडीपी लगभग 7 प्रतिशत है। जीडीपी की बात करें तो भारत दुनिया भर में सातवें स्थान पर है। हालाँकि, भारत ने भी इस कद को हासिल कर लिया है, लेकिन यह तस्वीर बिलकुल नहीं है। हमारे देश की मुख्य समस्या धन का असमान वितरण है।

जबकि हमारी आबादी का एक अच्छा हिस्सा अच्छी कमाई कर रहा है और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे रहा है, बहुत से लोग अभी भी अपने आप को संतुष्ट करने में सक्षम नहीं हैं। हमारे देश में अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। हमारे देश की आर्थिक वृद्धि अच्छी नहीं है अगर ऐसी चरम गरीबी अभी भी कायम है।

हमारे देश की सरकार ने आजादी के बाद से आर्थिक विकास और वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए कई पहल की हैं। इनमें से कई पहल फलदायी साबित हुई हैं और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है। भारतीय युवाओं की तेज मानसिकता और भारत सरकार द्वारा की गई कई पहलों ने सामूहिक रूप से आर्थिक विकास में योगदान दिया है। हालांकि, हमें अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध, essay on effect of gst on indian economy in hindi (600 शब्द)

विमुद्रीकरण की खबर हर भारतीय के लिए एक बड़ा सदमा देने वाली थी। नवंबर 2016 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन के संचय को कम करने के प्रयास में उच्च मूल्य के मुद्रा नोटों का विमुद्रीकरण करने की घोषणा की। निर्णय का उद्देश्य प्लास्टिक मनी के उपयोग को बढ़ावा देना भी था। हालांकि, इसने आम जनता के बीच बहुत असुविधा और असंतोष का आह्वान किया।

डिमोनेटाइजेशन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था:

सबसे ज्यादा प्रभावित ग्रामीण इलाकों में वे लोग थे, जिनके पास इंटरनेट और प्लास्टिक मनी नहीं थी। देश के कई बड़े और छोटे व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए। उनमें से कई को इसके परिणामस्वरूप बंद कर दिया गया था।

जबकि विमुद्रीकरण के अल्पकालिक प्रभाव विनाशकारी थे, इस निर्णय का एक दीर्घकालिक पक्ष था जब इसे दीर्घकालिक संभावित से देखा गया था। भारतीय अर्थव्यवस्था पर विमुद्रीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पर एक नज़र:

भारतीय अर्थव्यवस्था पर विमुद्रीकरण का सकारात्मक प्रभाव:

यहां वे तरीके बताए गए हैं जिनसे विमुद्रीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है:

काले धन का खात्मा : काला धन संचय देश की अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। भारत में कई व्यवसाय काले धन की शक्ति पर काम करते हैं। विमुद्रीकरण ने इन व्यवसायों को बंद करने और भारत के लोगों द्वारा जमा किए गए काले धन को नष्ट करने में मदद की, जिससे इसकी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

नकली मुद्रा नोटों में गिरावट:  देश में कई नकली नोटों का चलन चल रहा था, जो इसकी अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव डाल रहे थे। डिमोनेटाइजेशन ने उच्च मूल्य के नकली नोटों को दूर करने में मदद की।

बैंक जमा राशि में वृद्धि:  पुराने नोटों के चलन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया था। जिन लोगों के पास ये करेंसी नोट थे, उन्हें बैंकों में जमा करना था ताकि उनका पैसा बर्बाद न हो। खरबों रुपये की नकद राशि भारतीय बैंकों में जमा की गई और इसके कारण देश की जीडीपी में वृद्धि हुई।

रियल एस्टेट :  रियल एस्टेट एक ऐसा उद्योग है जो बड़े पैमाने पर काले धन पर चलता है। एक अच्छा खेल सुनिश्चित करने के लिए रियल एस्टेट सेक्टर में काले धन के प्रवाह को विमुद्रीकरण ने रोक दिया।

डिजिटल लेन-देन में वृद्धि:  बाजार में नकदी की कमी ने लोगों को डिजिटल लेनदेन करने के लिए प्रोत्साहित किया। देश में लगभग हर दुकान / क्लिनिक / संस्थान ने डेबिट / क्रेडिट कार्ड से भुगतान स्वीकार करने के लिए मशीनें लगाईं। समय के साथ-साथ लोग प्लास्टिक मनी का उपयोग करने के अधिक आदी हो गए। यह कर चोरी को ट्रैक करने और कंपनी की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का एक शानदार तरीका है।

आतंकवादी गतिविधियों के लिए मौद्रिक सहायता में कमी:  देश विरोधी आतंकवादी समूहों को मौद्रिक सहायता प्रदान करके देश में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं। इस पैसे का इस्तेमाल हथियार खरीदने और देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने के लिए किया जाता है।

विमुद्रीकरण ने काफी हद तक आतंकवादी समूहों को मुहैया कराए गए मौद्रिक समर्थन में कटौती करने में मदद की। इस प्रकार, इसने शांति को बढ़ावा दिया और देश को विभिन्न स्तरों पर समृद्ध बनाने में मदद की।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर विमुद्रीकरण का नकारात्मक प्रभाव:

विमुद्रीकरण के अधिकांश सकारात्मक प्रभावों को दीर्घकालिक कहा जाता है। हम अब से कुछ वर्षों में विमुद्रीकरण द्वारा लाए गए सकारात्मक बदलावों के साथ अपने देश की आर्थिक वृद्धि को देखना शुरू कर सकते हैं। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था पर विमुद्रीकरण के नकारात्मक नतीजे जबरदस्त रहे हैं।

हमारे कई उद्योग नकदी चालित हैं और अचानक होने वाले विमुद्रीकरण ने इन सभी उद्योगों को भूखा छोड़ दिया है। हमारे कई छोटे पैमाने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर विनिर्माण उद्योगों को भारी नुकसान हुआ, जिससे देश की अर्थव्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई। कई कारखानों और दुकानों को बंद करना पड़ा। इससे न केवल व्यवसायों बल्कि वहां कार्यरत श्रमिकों पर भी असर पड़ा। कई लोगों, विशेषकर मजदूरों ने अपनी नौकरी खो दी।

कृषि क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ सेवा क्षेत्र भी विमुद्रीकरण से बुरी तरह प्रभावित हुआ।

इस प्रकार, विमुद्रीकरण का देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़े। इस नीति के कार्यान्वयन को काफी हद तक त्रुटिपूर्ण बताया गया है। यदि इसे बेहतर तरीके से लागू किया गया होता, तो इससे आम जनता को कम असुविधा होती और आर्थिक विकास अधिक होता।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध | Essay on Indian Economy in Hindi

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध (250 शब्द).

हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत में 50% खेती के कार्यो से भारत की अर्थव्यवस्था सही रूप से चल रही है। भारत हमारी आजादी से पहले सोने की चिड़िया कहा जाता था। आज हमारा देश अर्थव्यवस्था के नाम विकासशील देशों की दौड़ में तीसरे नंबर पर आता है।

भारत की आजादी के बाद यहां पर सार्वजनिक उद्योगों को बहुत ज्यादा बढ़ावा दिया गया था।आप सब लोग जानते हैंपहले हमारा देश सोने की चिड़िया कहा जाता था। यहां पर सभी प्रकार के रोजगार उपलब्ध हुआ करते थे लेकिन अंग्रेजों ने भारतीयों के ऊपर अत्याचार करके यहां का सब कुछ लूट कर ले गए। अंग्रेजों ने भारत पर बहुत समय तक राज किया है।

 एक बार फिर से भारत को बहुत भारी आर्थिक संकटों का सामना सन 1993 में करना पड़ा । इसके बाद हमारे सरकार के विदेशों के साथ अच्छी नीतियों के द्वारा उन्होंने विदेशी बड़े-बड़े उद्योगपतियों को और उनकी कंपनियों में को भारत में अधिक से अधिक औद्योगिक क्षेत्र में विकास में योगदान करने के लिए कहा। सभी कंपनियों ने भारत में उधोगों को बढ़ाया और अपनी पूंजी को भारत के उधोगों में निवेश कर यहां की अर्थव्यवस्था में बहुत सुधार किया।

भारत की अर्थव्यवस्था के अंतर्गत आर्थिक रूप से सबसे अधिक नुकसान गरीब और बेसहारा लोगों को पहुंचता है। भारत की अर्थव्यवस्था को और अधिक अच्छा और मजबूत बनाने के लिए बहुत से घरेलू व्यवसाय को भी बढ़ावा दिया गया है। इसके साथ ही मुर्गी पालन, पशुपालन, फल सब्जियों की बिक्री आदि सभी छोटे-छोटे घरेलू उद्योगों को बहुत बढ़ावा दिया है। जिसके माध्यम से जो गरीब परिवार, बेसहारा लोग इधर उधर सड़को पर घूमते हैं।  वह अपना कम पैसे में काम इन उधोगों को करके अपने घर परिवार का पेट भर सके।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध- (1100 शब्द)

हमारे भारत में औद्योगिक क्षेत्र, कृषि कार्य और इसके साथ सार्वजनिक सेवा क्षेत्र का विस्तार आदि सभी क्षेत्रों में सरकार के द्वारा बहुत सहयोग मिल रहा है। इन सभी कार्यों में बहुत महत्वपूर्ण योगदान सरकार के द्वारा लोगो के आर्थिक विकास के लिए दिया जा रहा है। वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेज गति से बढ़ रही है। आज हमारा भारत अन्य विकासशील देशों की तरह से ही अर्थव्यवस्था के लिए बहुत सी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

उद्योगों को बढ़ावा अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए

हमारी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए औद्योगिक क्षेत्र सबसे आगे आता है। जब से भारत में औद्योगिक क्रांति हुई है, उसके बाद हमारे देश में बहुत से उद्योगों को भी बढ़ावा मिला है। पिछले कुछ समय से जिस गति से औद्योगिक क्षेत्र में तेजी देखने को मिली है, उसको देख कर लगता है कि हमारे देश में बहुत बड़े पैमाने पर उद्योग विकसित हुए हैं। इन सभी उद्योगों में लोहा और इस्पात उद्योग, रसायन उद्योग, चीनी उद्योग, सीमेंट उद्योग, जहाज निर्माण उद्योग, इन सभी उद्योगों के माध्यम से अर्थव्यवस्था के सुधार में बहुत बड़ा योगदान मिला है। इन सभी उद्योगों के माध्यम से लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं बेरोजगारी से मुक्ति मिली है।

इसके अलावा हमारे देश में बहुत से लघु उद्योग भी चलाए जा रहे हैं। उनमें कुछ प्रमुख कपड़ा उद्योग, प्लास्टिक उत्पादक उद्योग, जूट और कागज का उद्योग, खाद निर्माण उद्योग, खिलौना बनाने का उद्योग, इन सभी छोटे- छोटे लघु उद्योगों को बढ़ावा देकर भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने में बहुत अच्छा सहयोग मिल रहा है।

आर्थिक व्यवस्था सुधार में सरकार का योगदान

हमारे देश की आर्थिक व्यवस्था सबसे अधिक कृषि कार्यों पर ही निर्भर है क्योंकि भारत की आधी जनसंख्या आज भी कृषि क्षेत्र के काम में ही लगी हुई है। भारत सरकार ने कृषि नीतियों के नए-नए तरीकों के आधुनिकरण के द्वारा मुर्गी पालन, पशु पालन, मछली पालन इन पर भी विशेष ध्यान दिया है। इन सभी कृषि कार्यों के लिए कुछ नए कानून और नियम बनाए हैं जिसके द्वारा किसानों को बहुत मदद मिलती हैं ।

सरकार किसानों की समस्या के लिए जो कृषि के बहुत एक्सपर्ट किसान हैं, उनके द्वारा कृषि संबंधित समस्याओं का हल करने के लिए कुछ हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। सरकार हमें समय पर नए-नए कार्यक्रम चलाकर अपने द्वारा बनाई गई नीतियां किसानों के समक्ष रखते हैं ताकि किसान अपनी समस्याओं का आसानी से समाधान कर सकें।

इसके अलावा सरकार घरेलू कुटीर उद्योग, हस्तशिल्प उद्योग इन सभी को भी बहुत बढ़ावा दे रही है। इन सभी उद्योगों के माध्यम से गरीब और निम्न वर्ग के लोगो को रोजगार मिल रहा है। सरकार समय-समय पर भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए ,जनता के हित के लिए कुछ जरूरी कदम उठाती है।

कोरोना महामारी के कारण आम जनता पर आर्थिक संकट

संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी से परेशान हैं। कोरोना की वजह से हमारे देश की ही नहीं बल्कि विदेशों की अर्थव्यवस्था पर भी बहुत गहरा असर पड़ा है। हमारे देश में कोरोना महामारी के कारण पूरे देश में लॉकडाउन भी लगा दिया गया था। इस बीमारी की वजह से हमारे देश में बहुत बेरोजगारी बढ़ गई थी।  हमारे देश में जो छोटे-छोटे उद्योग पर भी ऐसे करो ना की वजह से बहुत असर हुआ है।

आज हमारे देश में सभी लोगों के रोजगार की पहली इकाई के छोटे-छोटे उद्योग ही है। लॉकडाउन की वजह से सब अपने घरों बंद हो गए थे। इसके अलावा स्ट्रीट फूड, फल, सब्जी आदि के व्यापारियों को भी बहुत नुकसान उठाना पड़ा। अब तक लोग इस बिगड़ती हुई अर्थव्यवस्था से उभर नहीं पा रहे है।

इसके अलावा हमारे औद्योगिक क्षेत्रों के सभी मजदूर वर्ग के लोग अपना सभी काम छोड़कर अपने-अपने गांव में चले गए।  इनकी वजह से भी उत्पादन की दर में बहुत गिरावट आई, और भारतीय बाजारों में जब उत्पादन की मांग बढ़ी तो उनकी आपूर्ति ठीक से नहीं हो पा रही थी। क्योंकि सभी मजदूर अपना काम छोड़कर गांव में चले गए थे तथा कुछ मजदूरों को तो इस बीमारी के चलते कंपनियों फैक्ट्रियों से निकाल दिया गया था। इस वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत खराब हो गई थी।

औद्योगिक क्षेत्र में नई क्रांति

भारत में जिस तेजी के साथ लघु उधोगों और बड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया है। वह बहुत ही सराहनीय कदम रहा है।हमारी सरकार को अब समझ में आ गया है कि कृषि कार्य के द्वारा हमारे देश की अर्थव्यवस्था को नहीं सुधारा जा सकता। भारत की आजादी के बाद में यहां पर बहुत ज्यादा उद्योगों को बढ़ावा मिला है।

आज हमारे देश में ऐसे ऐसे उद्योग है जिनमें कच्चे माल के साथ साथ नए-नए माल के निर्माण का कार्य भी किया जाता है। फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री, केमिकल, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, टिम्बर, जूट, पेपर मेकिंग आदि सभी इंडस्ट्रीज के माध्यम से हमारी आर्थिक ग्रोथ में भी बहुत सुधार हुआ है।

सेवा क्षेत्र में अर्थव्यवस्था का सहयोग

हमारे देश के विकास में सेवा क्षेत्र के द्वारा भी बहुत मदद मिलती है। पिछले बहुत समय से सेवा क्षेत्र के विकास में बहुत वृद्धि देखी गई है। बैंकिंग क्षेत्र में, दूरसंचार क्षेत्र, सेवा क्षेत्र का प्रभाव हमारे जीवन पर बहुत अच्छा पड़ रहा है। जब से हमारा भारत डिजिटल हुआ है, तब से भारत के संचार के और सेवा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का उदय हुआ है। इसके अलावा पर्यटन उद्योगों और होटल उद्योग में भी बहुत प्रगति देखी जा सकती है। अभी हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार हमारे देश की अर्थव्यवस्थ में 50% से अधिक योगदान सेवा क्षेत्र के द्वारा हो रहा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा प्रभाव नोटबंदी के दौरान देखने को मिला था। इससे हमारे देश में नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही प्रकार के प्रभाव लोगों के ऊपर पड़े थे। विमुद्रीकरण के दौरान आम जनता के लिए उस समय थोड़ी परेशानी तो हुई, लेकिन आज इसका फायदा हम सभी लोगों को बहुत मिल रहा है। पूंजीपतियों और बड़ी-बड़ी उद्योगपति, सरकारी अफसर,नेताओं का जमा हुआ काला धन  था, वो सब इस विमुद्रीकरण के कारण बाहर आ गया। हमारे देश के आर्थिक विकास में उस काले धन का उपयोग आम लोगों के लिए किया गया। हमारे देश के आर्थिक सुधार को ओर मजबूत बनाने के लिए नए- नए उद्योगों को बढ़ावा मिला।

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भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं Features of Indian Economy in Hindi

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं Features of Indian Economy in Hindi

इस लेख में हमने आपको भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं Features of Indian Economy पर सभी जानकारी विस्तार से दिया है। इसमे आप भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत के विषय मे भी चर्चा किया है। आईए इस लेख को शुरू करते हैं-

Table of Content

भारतीय अर्थव्यवस्था और जीडीपी Economy of India in Hindi and GDP of India

2020 के अनुसार भारत का कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP of India 2020) 3.202 ट्रीलियन डॉलर हो गया है। क्रय मूल्य शक्ति (PPP) के अनुसार भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुसार आज भारत अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन के बाद दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इसमें फ्रांस जैसे शक्तिशाली देश को पीछे छोड़ दिया है।

विकासशील देशों में भारत सबसे तेजी से विकास कर रहा है। यहां की अर्थव्यवस्था उभरती हुई अर्थव्यवस्था कही जाती है क्योंकि अभी यहां पर बहुत ही संभावनाएं बाकी हैं। भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को टककर देती है।

1. भारतीय मिश्रित अर्थव्यवस्था India’s Mixed Economy

भारतीय अर्थव्यवस्था, पूर्ण रूप से मिश्रित अर्थव्यवस्था है। सभी निजी और सार्वजनिक क्षेत्र एक साथ यहां मौजूद हैं और कार्य करते हैं। एक तरफ, सार्वजनिक क्षेत्र के तहत कुछ मौलिक और भारी औद्योगिक इकाइयां संचालित की जा रही हैं।

1991 में देश में उदारीकरण किया गया है। विदेशी कंपनियों के लिए देश में फैक्ट्री, उद्योग, धंधे लगाने का दरवाजा खोला गया है। उसके बाद से देश में निजी सेक्टर बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। कुछ बुनियादी चीजों जैसे रेलवे, हवाई जहाज, सैन्य हथियारों का निर्माण, रक्षा क्षेत्र से संबंधित उद्योगों में सरकारी सेक्टर को प्राथमिकता दी गई है।

2. भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान Role of Agriculture in Indian Economy

भारतीय में कृषि का सबसे अधिक व्यवसाय है और साथ ही साथ इसकी अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत की 70% आबादी गांव में निवास करती है जो कृषि का काम करती है। भारत की अर्थव्यवस्था पर कृषि का प्रभाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से पड़ता है। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 30% कृषि क्षेत्र से ही प्राप्त होता है।

कृषि को देश की रीढ़ भी कहा जाता है। फलों, सब्जियों, मसालों, वनस्पति तेलों, तम्बाकू, पशुओं के बाल आदि जैसे कृषि उत्पादों का निर्यात किया जाता है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि के साथ आर्थिक वृद्धि को भी जोड़ते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की बड़ी विशेषता है कि यहां कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों के बीच बेहतर संतुलन देखने को मिलता है।

3. कृषि और औद्योगिक क्षेत्र Agricultural and Industrial Area

पहले कृषि का प्रमुख योगदान हुआ करता था क्योंकि औद्योगिकीकरण उस समय कम था। परंतु अब औद्योगिक क्षेत्र मे बहुत तरक्की हुई है। लेकिन ऐसे भी कई व्यापारों को बढ़ावा मिल है जो कृषि के साथ मिल कर काम करते हैं। जैसे पशु आहार या दान बनाने वाली कॉम्पनियाँ, दूध पैकेट बनाने वाली कॉम्पनियाँ, या ऐसी कॉम्पनियाँ जो बाजारों से अच्छी क्वालिटी के फल, सब्जियां खरीद कर उन्हें पैक कर के दोबारा बेचती हैं।

4. तेजी से बढ़ते सेवा क्षेत्र Fast growing service sector

सेवा क्षेत्र में वृद्धि के कारण, भारतीय अर्थव्यवस्था मे बहुत तेजी आई है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र, बीपीओ, आदि जैसे तकनीकी क्षेत्रों में उच्च वृद्धि हुई है। इन क्षेत्रों में व्यापार ने न केवल अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है बल्कि व्यापार को गुना बढ़ाने में भी मदद की है। इन उभरते हुए सेवा क्षेत्रों ने देश को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने में मदद की है जिससे दुनिया भर में भारत अपनी शाखाएं शुरू कर चुका है।

5. उभरती हुए भारतीय बाजार और भारतीय अर्थव्यवस्था Growing Indian Markets

भारतीय अर्थव्यवस्था को उभरती हुई अर्थव्यवस्था कहते हैं क्योंकि अभी यहां बहुत सारे सेक्टर्स का विकास होने लगा है। इसलिए यहां बहुत अधिक संभावनाएं हैं। जबकि विकसित देशों में विकास पूरा हो चुका है और नए विकास की कोई संभावना नहीं है।

अब भारत मे लगभग दुनिया के सभी बड़ी कॉम्पनियाँ और देश अपना निवेश करने लगे हैं। सभी बड़ी कॉम्पनियों के ऑफिस आज भारत मे मौजूद हैं। बड़े-बड़े देश भी अब अपने संसाधन साँझ करके भारत और स्वयं के फ़ायदों को समझने लगें हैं क्योंकि भारत में कम निवेश और जोखिम वाले कारकों की एक उच्च क्षमता है। इसलिए यह दुनिया के लिए एक उभरता हुआ बाजार भी है।

6. तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था Fast growing economy

भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। 2018 के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था का सकल घरेलू उत्पाद विकास प्रतिशत (Indian Economy growth rate – GDP 2018) 7.3% था। जो विश्व के अन्य देशों की तुलना में काफी अच्छा रहा है। इससे यह संकेत मिलता है कि भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था बहुत आगे जाएगी।

7. भारतीय मे तकनीकी का कम उपयोग Lack of Technology

भारतीय अर्थव्यवस्था में तकनीकी का उपयोग कम मात्रा में हो रहा है। मानव जनित श्रम का इस्तेमाल अधिक हो रहा है जिससे वस्तुओं की लागत बढ़ जाती है। विश्व की दूसरी विकसित अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन में तकनीक का इस्तेमाल बढ़-चढ़कर किया जाता है। भारत को यदि विश्व में सर्वोच्च स्थान पाना है तो तकनीकी का उपयोग उद्योग धंधों और कृषि में बढ़ाना होगा।

8. असमान धन वितरण Economic Inequalities (Uneven distribution of income in India)

भारत की अर्थव्यवस्था में धन वितरण में असमानता देखने को मिलती है। अमीर और गरीब के बीच बड़ी खाई है। देश में मुट्ठी भर लोगों के पास बड़ी मात्रा में धन है, परंतु बाकी जनता गरीबी की समस्या से जूझ रही है। अमीर लोग और अमीर बनते जा रहे हैं। गरीब और गरीब होता जा रहा है। भारत के 1% जनसंख्या के पास देश का 53% धन है।

इससे समाज में गरीबी के स्तर में वृद्धि हुई है और अधिकतम प्रतिशत व्यक्ति इस प्रकार से गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के नीचे रह रहे हैं। आय के इस असमान वितरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में लोगों की विभिन्न श्रेणियों के बीच भारी अंतर और आर्थिक असमानता पैदा की है।

9. बढ़ती जनसंख्या Increasing Population

मई, 2020 के अनुसार भारत की आबादी 138 करोड़ से अधिक हो चुकी है। जनसंख्या के मामले में भारत चीन के बाद दूसरा बड़ा देश है। बड़ी मात्रा में लोगों को रोजगार देना एक बड़ी चुनौती है।

हालाँकि, इस जनसंख्या में युवाओं युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। जिसके कारण गरीबी और बेरोजगारी में भी बढ़ोतरी हो रही है। अगर जनसंख्या नियंत्रण पर कुछ नियम पारित किये जाए तो अर्थव्यवस्था में चमत्कारिक विकास के परिणाम सामने आ सकते हैं।

10. स्थिर मैक्रो अर्थव्यवस्था Stable Macro Economy

भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया भर में सबसे स्थिर मैक्रो अर्थव्यवस्था माना जाता है। भारत में कारोबार और व्यापार की अच्छी संभावनाएं हैं जिससे बाहरी देश आकर यहां उद्योग धंधे स्थापित कर रहे हैं।  भारत का सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर ( India GDP growth rate 2018) 7.3% है.

11. उचित बुनियादी ढांचे Proper infrastructure

भले ही पिछले कुछ दशकों में बुनियादी विकास में क्रमिक और उच्च स्तर पर सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी उसी की कमी है। देश में औद्योगिक विकास में वृद्धि के कारण बुनियादी ढाँचे में कमी है। जिस दर पर बुनियादी ढांचा बढ़ रहा है उसे विकास प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए उचित बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता है।

यह भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में कमी का मुख्य कारण रहा है। बाद में बुनियादी ढाँचे का समर्थन करने से अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी हो गई है, लेकिन निश्चित रूप से उचित बुनियादी ढाँचे के रूप में और विकास के समर्थन की आवश्यकता होगी।

12. भारत मे बेरोजगारी Unemployment in india

भारतीय अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। देश में 135 करोड़ की आबादी है जिसमें 60% आबादी युवा है और काम करने के योग्य है। पर इसके बावजूद देश में बड़ी मात्रा में बेरोजगारी है। 2017 में भारत में बेरोजगारी (unemployment in india 2017) 1.77 करोड़ थी।

13. बुनियादी ढांचे का अभाव Challenges of infrastructure in india

भारत की अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढांचे का अभाव है। पिछले कुछ वर्षों में तेजी से इसमें सुधार किया गया है, पर अभी भी बहुत से क्षेत्रों में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं है। भारत को यदि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है तो बुनियादी ढांचे में सुधार करना होगा। देश के बहुत से हिस्सों में बिजली , पानी, सड़क, सीजर, यातायात के संसाधन, शौचालय, घर जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

14. मूल्य अस्थिरता Inflation in India

देश में वस्तुओं के मूल्य में अस्थिरता है। आए दिन मूल्य घटता बढ़ता रहता है। मुद्रास्फीति के कारण वस्तुएं महंगी हो रही है। परंतु बेरोजगारी के कारण इसकी मार मध्यम वर्ग और गरीब लोगों पर पड़ रही है।

15. प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल नहीं हो पाया है Under-utilization of natural resources

भारत एक विशाल देश है जहां सभी तरह के प्राकृतिक संसाधन जैसे- जमीन, पानी, खनिज, वन, पेट्रोल, पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। पर इन सभी संसाधनों का सही तरह से इस्तेमाल नहीं हो पाया है।

निष्कर्ष Conclusion

यह सभी बिन्दु भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं (Features of Indian Economy in Hindi) हैं। भारत विभिन्न आर्थिक समूहों जैसे ब्रिक्स और जी -20 में भी एक सक्रिय सदस्य बन गया है। अब विश्व के सभी दिग्गज देश भारत को व्यापार का एक केंद्र समझ चुके हैं और अपना निवेश जोर-शोर से कर रहे हैं। कोरोना वायरस जैसे मुश्किलों की वजह से भले ही भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था पर भारी नुकसान हुआ है। परंतु तब भी भारत अपने अर्थव्यवस्था को सुधारने का सक्षम रखता है।

3 thoughts on “भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं Features of Indian Economy in Hindi”

Please give me short and sweet advantage and disadvantage of Indian economy

Basic Features of Indian economy 1.Low per capital income 2. Scarcity of capital 3. Unemployment in India 4. Regional inequalities 5. Predominance of agriculture 6. Low quality of life 7. High population growth rate 8. Lack of entrepreneurs 9. Lack of skilled labour and technical knowledge 10. Lack of infrastructure 11. Fastest growing economy 12. Poverty 13. Emerging market economy 14. Mixed economy 15. Reformed economy

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भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध | Essay on Indian Economy in Hindi | Indian Economy Essay in Hindi

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Updated on: December 19, 2023

 Indian Economy Essay in Hindi  :   इस लेख में हमने  भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध के बारे में जानकारी प्रदान की है। यहाँ पर दी गई जानकारी बच्चों से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं के तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी साबित होगी।

 भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध: सैकड़ों साल पहले, भारत दुनिया भर की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। भारत दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक था और चीन उसके करीब था। संयुक्त राज्य अमेरिका या यूनाइटेड किंगडम जैसी 21वीं सदी की तथाकथित “विश्व शक्तियाँ” उन दिनों कहीं नहीं देखी जा सकती थीं।

लेकिन भारत के लिए काले दिन तब शुरू हुए जब शासन और लालची शासकों ने मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक भारत पर आक्रमण करना शुरू कर दिया और उसकी संपत्ति लूट ली गई। अब हम आधुनिक अर्थव्यवस्था के साथ रह गए हैं और भारत चीन या संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी अन्य आर्थिक महाशक्तियों के साथ पकड़ने के लिए संघर्ष कर रहा है। इस भारतीय अर्थव्यवस्था निबंध में, हम अपनी अर्थव्यवस्था के इतिहास के बारे में बात करेंगे और यह कैसे विकसित हुआ है और भारतीय अर्थव्यवस्था के संभावित भविष्य के परिदृश्य क्या हैं।

आप विभिन्न विषयों पर  निबंध  पढ़ सकते हैं।

  • 1 भारतीय अर्थव्यवस्था पर लंबा निबंध (600 शब्द)
  • 2 भारतीय अर्थव्यवस्था पर लघु निबंध (150 शब्द)
  • 3 भारतीय अर्थव्यवस्था पर 10 पंक्तियाँ
  • 4 भारतीय अर्थव्यवस्था पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
  • 5 इन्हें भी पढ़ें :-

भारतीय अर्थव्यवस्था पर लंबा निबंध (600 शब्द)

भारत लगभग 140 करोड़ लोगों की आबादी वाला एक विविध देश है और यह संख्या हर दिन खतरनाक दर से बढ़ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति आमतौर पर देश के राजनीतिक और सामाजिक माहौल के अनुरूप होती है। आर्थिक विकास के मामले में भारत के उतार-चढ़ाव आए। जबकि भारत 10वीं और 11वीं शताब्दी में दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक था, इसने 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन की लूट के तहत पूरी तरह से नाकामी के साथ नीचे की ओर मोड़ लिया।

अंग्रेजों ने हमारे कारीगरों, बुनकरों और किसानों को लूटने के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया, जिससे भारत एक विनिर्माण केंद्र के बजाय एक बाजार बन गया। एक बार एक आत्मनिर्भर देश, ब्रिटिश शासन के तहत, भारत एक अत्यंत निर्भर और कमजोर देश बन गया। अनुचित व्यापार प्रथाओं और अतार्किक कर संरचनाओं के साथ, ब्रिटिश शासन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया और आज तक, कई विशेषज्ञों का सुझाव है कि ब्रिटिशों का भारत में अरबों डॉलर का प्रत्यावर्तन है। लेकिन इस भारतीय अर्थव्यवस्था निबंध में, हम 15 अगस्त, 1947 को भारत के अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे।

1947 में अंग्रेजों के देश छोड़ने के समय भारतीय अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मच गई थी। तब नेताओं को काउंटी की राजनीतिक स्थिति को नियंत्रित करना था, एक नवगठित देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को विकसित और प्रबंधित करना था और साथ ही देश की आर्थिक स्थिति में सुधार करना था। लोगों के लिए नए आर्थिक अवसर पैदा करते हुए। उस समय भारत मूल रूप से एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था था। हमारी अधिकांश आर्थिक गतिविधियाँ कृषि उत्पादों और पशुधन के उत्पादन, खेती, बिक्री और उपभोग से आती हैं। जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे हमारे देश के नेताओं के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण देश में औद्योगीकरण धीरे-धीरे शुरू हुआ।

दशकों के समाजवादी शासन के बाद 1992 में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था खोली। देश के अधिकांश उद्योगों का प्रबंधन सरकार द्वारा संचालित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों) द्वारा किया जाता था। लेकिन 1992 में अन्य देशों के लिए अर्थव्यवस्था के खुलने से भारत में लोगों के लिए वित्त और अधिक से अधिक आर्थिक अवसरों का प्रवाह हुआ। तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत प्रभाव पड़ा जो आज भी देखा जा सकता है। पश्चिम के बड़े निगमों ने भारतीय बाजार की वास्तविक क्षमता को देखना शुरू कर दिया। लाखों नौकरियों का सृजन हुआ जिसने भारत के क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) सूचकांक को और आगे बढ़ाया।

2000 के दशक की शुरुआत में, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था था। आईटी क्रांति के साथ जो दूरस्थ प्रौद्योगिकी और इंटरनेट क्रांति के कारण संभव था, भारत में लाखों आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) और आईटीईएस (सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएं) नौकरियां सदी के मोड़ पर डॉटकॉम बुलबुले के बाद पैदा हुईं। भारत दुनिया भर के आईटी दिग्गजों और निवेश बैंकों की गैर-प्रमुख गतिविधियों का केंद्र है। बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) और केपीओ (नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग) भारत में बहुत हैं जिन्होंने भारत की सिलिकॉन वैली, बेंगलुरु के जन्म को सक्षम बनाया है। बेंगलुरु में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। अर्थव्यवस्था के इस खुलेपन ने हमारे सामाजिक और राजनीतिक माहौल को भी सुधारने में मदद की।

पिछले कुछ वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी गई है, जिसके परिणामस्वरूप गिग इकॉनमी की बढ़ती क्षमता के कारण मांग में कमी आई है, जिसे रेंटल इकोनॉमी भी कहा जाता है। जब से COVID-19 महामारी का प्रकोप हुआ है, भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 0% से नीचे रहने का अनुमान है। महामारी ने दुनिया के हर देश की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है लेकिन भारत ने हाल के दशकों में कुछ सबसे कठोर लॉकडाउन देखे हैं। भले ही सरकार ने आर्थिक राहत पैकेजों की घोषणा की हो, लेकिन खर्च करने के व्यवहार को शुरू करने के लिए उपभोक्ता का विश्वास पैदा करना एक चुनौती है जो व्यवसायों और सरकार को समान रूप से सामना कर रही है। सरकार को अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने और 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को हासिल करने के लिए व्यवसायों और उपभोक्ताओं को आगे आना होगा और उन्हें प्रोत्साहित करना होगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर लघु निबंध (150 शब्द)

ब्रिटिश शासन से पहले और बाद की अपनी पूरी यात्रा में भारत ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 10वीं और 11वीं सदी के दौरान दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने से लेकर 19वीं सदी के मध्य में सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने और 21वीं सदी में वापस पटरी पर आने तक, यह पिछले कुछ वर्षों में देश के लिए एक रोलर कोस्टर की सवारी रही है।

आधुनिक भारत में अपने आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण मोड़ वर्ष 1992 में था जब बाजार खोले गए और मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की शुरुआत हुई। कोका कोला, माइक्रोसॉफ्ट, जनरल इलेक्ट्रिक और सोनी इंक जैसे वैश्विक निगमों ने भारतीय बाजार में प्रवेश किया। न केवल एक बाजार के रूप में, बल्कि एक विनिर्माण गंतव्य के रूप में भी भारत के पास जो क्षमता है, उसे दुनिया ने ध्यान से देखा। कई राज्य सरकारों ने, अर्थव्यवस्था के खुलने के बाद से, विभिन्न निगमों और विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया है।

पिछले 2 दशकों में देश में लाखों नौकरियां पैदा हुईं, यह सब प्रौद्योगिकी और उस क्रांति की बदौलत है जिसे इंटरनेट ने इसके साथ खरीदा है। भारत ने एशिया में 6% की उच्चतम जीडीपी विकास दर हासिल की। लेकिन कोरोनोवायरस महामारी के कारण लगाए गए कठोर लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था नखरे में है। भारत अपने दृष्टिकोण और लक्ष्य में आशावादी है और मानता है कि आने वाले दशकों में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर 10 पंक्तियाँ

  • भारतीय अर्थव्यवस्था देश के कोने-कोने में फैले सेवा क्षेत्र, कृषि क्षेत्र और विनिर्माण क्षेत्र से बनी है।
  • सेवा क्षेत्र भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में 60% से अधिक का योगदान देता है।
  • देश में कृषि क्षेत्र ग्रामीण भारत में सबसे अधिक रोजगार प्रदान करता है।
  • रु. 2.72 लाख करोड़ 2020 तक भारत का कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) है।
  • भारत की आबादी 135 करोड़ है और यह चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है।
  • भारत पूरी दुनिया में दूध, दाल और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • चावल और गेहूं की खपत और उत्पादन में भारत का स्थान सर्वोच्च है।
  • 2000 में डॉटकॉम बुलबुले के बाद भारत में आईटी और आईटीईएस क्रांति हुई।
  • भारत में विनिर्माण क्षेत्र से देश में 2022 तक 100 मिलियन रोजगार प्रदान करने की उम्मीद है।
  • नॉमिनल जीडीपी के मामले में भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध | Essay on Indian Economy in Hindi | Indian Economy Essay in Hindi

भारतीय अर्थव्यवस्था पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. भारत की कुल जीडीपी कितनी है?

उत्तर: भारत का कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.72 लाख करोड़ रुपये है।

प्रश्न 2. भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ ऐतिहासिक निर्णय क्या हैं?

उत्तर: 1992 में भारतीय अर्थव्यवस्था का उद्घाटन, विमुद्रीकरण और जीएसटी की शुरूआत भारतीय अर्थव्यवस्था के कुछ सबसे महत्वपूर्ण निर्णय हैं।

प्रश्न 3. मंदी का क्या अर्थ है?

उत्तर: मंदी का मतलब है कि एक नियमित नागरिक की खर्च करने की शक्ति कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार में मांग कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप सभी व्यवसायों में नौकरियों में कटौती होती है।

प्रश्न 4. मुद्रास्फीति का क्या अर्थ है?

उत्तर: जब वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि होती है, तो यह मुद्रास्फीति का कारण बनती है। मुद्रास्फीति एक शुद्ध आपूर्ति-मांग असंतुलन है।

इन्हें भी पढ़ें :-

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मैं इतिहास विषय की छात्रा रही हूँ I मुझे विभिन्न विषयों से जुड़ी जानकारी साझा करना बहुत पसंद हैI मैं इस मंच बतौर लेखिका कार्य कर रही हूँ I

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essay on economy in hindi

Essay on Indian Economy in Hindi | भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध हिंदी में

Essay on Indian Economy in Hindi

Essay on Indian Economy in Hindi: एक विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराती है जो मुख्य रूप से हमारी अर्थव्यवस्था से संबंधित है। यदि आप Essay on Indian Economy के बारे में जानना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए बेहद लाभदायक होगा। इसमें हम Indian Economy in hindi के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं।

Essay on Indian economy in hindi का अर्थ है भारतीय अर्थव्यवस्था। किसी भी देश के विकास में देश की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हाथ होता है। Indian economy विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं में से तीसरे नंबर पर है । 1991 में indian economy में आर्थिक सुधार की नीति अपनाई गई और उसके परिणामस्वरुप भारत एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया। 

Essay on Indian Economy in hindi के द्वारा आपको बता दें कि पूर्व काल में भारत सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। 10 वीं सदी तक indian economy विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली सदी में भारत का सिर्फ घरेलू उत्पादन विश्व के घरेलू उत्पादन का 32.9% था। ब्रिटिश काल में Indian economy को काफी तोड़ा गया। 

आजादी के बाद भारत में सार्वजनिक उद्योगों को बढ़ावा दिया गया, परंतु 1991 में भारत को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। अमेरिका इकोनामी संस्था के द्वारा वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के निर्देशन में Indian economy में काफी सुधार आया है। इसके पश्चात अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भी भारत में पूंजी निवेश शुरू किया।

वैसे देखा जाए तो GDP के संदर्भ में Indian economy दुनिया की सबसे बड़ी इकोनामी है। महत्वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्त करने की दृष्टि में भारत सरकार ने कई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाया है। बेरोजगारी कम करने के लिए भी भारतीय सरकार ने काफी कार्यक्रम चलाए हैं जिससे युवा लाभान्वित हुए। भारत सरकार ने आजादी के बाद पंचवर्षीय कार्यक्रमों का भी  क्रियान्वयन किया है। जिसमें Indian economy आज भारत में 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष रुप से निवेश हो रहा है। Essay on Indian economy in Hindi से पता चलता है कि 2019 में सर्वोच्च सेवा निर्यातकों में से भी भारत एक रहा है।

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Role of agriculture in Indian economy in Hindi:

भारत एक कृषि प्रधान देश है। Indian economy का बहुत बड़ा हिस्सा कृषि  से बंधा हुआ है| Essay on Indian Economy in hindi के अनुसार देखा जाए तो कृषि Indian economy की रीढ़ की हड्डी है| कृषि से ना केवल खाद्य आपूर्ति होती है बल्कि देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा  आमदनी के लिए भी इस पर निर्भर करता है।

सरकार भी कृषि पर काफी ध्यान देती है| विभिन्न नीतियों के द्वारा कृषि उत्पादन बढ़ाया जाता है | वर्ष 2010 -11  में 6 मिलियन का एक रिकॉर्ड खाद उत्पादन हुआ था| जिसके अंदर बेहतरीन गेंहू , मोटा अनाज व दालों का उत्पादन हुआ था | कृषि Indian economy का 22% जीडीपी प्रदान करता है| भारत में उत्पन्न किए गए अनाज आज कई देशों में निर्यात किए जाते हैं। यहां चावल और गेहूं के साथ-साथ तिलहन भी अधिक मात्रा में उत्पन्न किया जाता है।

भारत का ग्रामीण क्षेत्र मुख्य रूप से आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है| खाद्य सुरक्षा पर्यावरण तकनीकी ,मृदा संरक्षण संसाधन, प्रबंधन, कृषि समग्र भारतीय क्षेत्र के विकास के लिए अति आवश्यक है। Role of agriculture in Indian economy in hindi के अंतर्गत देखा जा सकता है कि हरित क्रांति, श्वेत क्रांति,  में विकास का एक बड़ा हाथ  रहा है | भारतीय सरकार ने कृषि नीतियों के आधुनिकीकरण के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन, नीति पर भी काफी ध्यान दिया है जिससे Indian economy में बढ़ोतरी हुई। 

सरकार द्वारा किसानों के लिए हेल्प लाइन नंबर आदि का भी इंतजाम किया गया है, जिसमें कृषि के एक्सपर्ट्स किसानों की समस्याओं का हल करते हैं| इसके अलावा Essay on Indian Economy in hindi के अनुसार कृषि विभाग सहकारिता मंत्रालय द्वारा वेबसाइट की भी सुविधा प्रदान कर दी गई है जिस पर समय-समय पर तरह तरह के कार्यक्रम व सरकार की नीतियों का अनावरण किया जाता है और वहां पर भी किसान अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।

राष्ट्रीय बीज परीक्षण प्रयोगशाला का भी सरकार ने निर्माण किया जिसके अंतर्गत युवा भी किसानों की मदद कर सकते हैं। सभी नीतियों से Indian economy की विकास दर में भारी इजाफा हुआ है।

Essay on present indian economy in hindi:

Indian economy इस समय काफी कमजोर है। Indian economy अपनी तेजी धीरे-धीरे कर रही है। आरबीआई के अनुसार Indian economy की जीडीपी ग्रोथ की दर घटकर 6.9% रह गई है। देश की कई बड़ी प्रभावशाली कंपनी इस आर्थिक मंदी को झेल रहे हैं, जैसे निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज बंद हो चुकी है | टेलीकॉम क्षेत्र की एक बड़ी सरकारी कंपनी बीएसएनएल भी अपना अस्तित्व खो रही है| 

वित्तीय वर्ष 2019 में भारतीय डाक सेवा का भी पंद्रह सौ करोड़ का घाटा हुआ| एचएएल जो कि रक्षा क्षेत्र की एक बहुत बड़ी कंपनी है उसे भी हजार करोड़ का कर्ज लेकर अपने कर्मचारियों का वेतन का भुगतान करना पड़ा| भारतीय  बैंकिंग क्षेत्र भी एनपीए की मार को झेल रहा है। वर्तमान स्थिति में कुल एनपीए 9,50,280 देखा गया है।

Impact of covid-19 on Indian economy:

कोरोना  एक वैश्विक महामारी है। कोरोना को Covid -19 के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय सरकार ने कोविड-19 को रोकने के लिए लॉकडाउन भी जारी किया। Essay on Indian Economy in hindi में देखा जाए तो इसने Indian economy पर बड़ा जबरदस्त वार किया। चीन से आयात करने के क्षेत्र में भारत की निर्भरता बहुत बड़ी है।  चीन के सामानों के आयात में भारत सबसे महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखता है। लगभग 65 परसेंट फार्मास्यूटिकल सामग्री और 90% मोबाइल फोन चीन से भारत में आते हैं। covid -19 से उद्योगों पर भारी नुकसान हुआ जिसके कारण उत्पाद क्षेत्रों में भारी गिरावट आई। covid-19 के कारण impact of covid-19 on Indian economy की जीडीपी दर गिरकर 3% रह गई है। विश्व बैंक के अनुसार देखा जाए तो Indian economy का परिदृश्य अच्छा नहीं है। काफी बड़ी प्रभावशाली कंपनियों के हालात बंदी तक पहुंच चुके हैं|

Effect of coronavirus on Indian economy: 

covid-19 के कारण देश में बेरोजगारी को बढ़ावा हुआ। लघु उद्योग जो Indian economy का बड़ा भाग है, वह भी बंदी की कगार पर पहुंच चुके हैं। अगर हम देखें तो स्ट्रीट फूड्स, फल, सब्जी इत्यादि के विक्रेताओं को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। मैरिज हॉल, होटल जो कि effect of coronavirus on indian economy के बड़े भाग थे। उनके कार्य पर काफी बुरा असर पड़ा। लोगों ने केवल जरूरी सामग्री पर पैसा खर्च करना शुरू कर दिया है। 

Essay on Indian Economy in hindi के अनुसार बाजार में मुद्रा दर गिर गई है जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर भारी गिरावट आई। कोविड-19 के कारण औद्योगिक क्षेत्रों में भी मजदूरों का पलायन हुआ, जिसके कारण उत्पादन दर में काफी गिरावट आई भारतीय बाजार में मांग कम होने के कारण आपूर्ति नहीं हो पा रही है। हीरों जैसी बड़ी कंपनी ने भी कोविड-19 में मंदी के बादलों को झेला। उसने अपने कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया और अपनी फैक्ट्री को बंद कर दिया।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की अधिकारी ने यह कहा है कि “शायद स्वतंत्रता के बाद भारत का यह सबसे बड़ा बुरा दौर है। लोगों के पास पैसा नहीं है। निवेशक भी निवेश की स्थिति में नहीं है।” वैश्विक अनुभवों के अनुसार देखा जाए तो जीडीपी की वृद्धि दर अप्रैल 2020 में मार्च 2021 के दौरान घटकर 0.8% रह जाएगी। यह इंडियन essay on Indian Economy in hindi पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालेगी। फार्मा फोटो कंज्यूमर ड्युरेबल्स वर्ल्ड टूरिज्म Indian Economy की रीढ़ की हड्डी माने जाते थे, उन पर भी आर्थिक मंदी का बहुत बड़ा असर हुआ है।

On get and its impact on Indian economy:

Essay on Indian economy in hindi में देखेंगे कि Indian economy पर इसका काफी बुरा असर पड़ा है। बेरोजगारी ने भारत में पहले ही पैर पसार रखे थे। कोविड-19 के कारण बेरोजगारी काफी बढ़ गई जो कि एक बड़ा चिंता का विषय है। उद्योगों में आई भारी गिरावट के कारण जीडीपी की दर गिर गई। वैश्विक स्तर पर भारत एक बहुत बड़ी परिस्थिति से गुजर रहा है।

Essay on Indian Economy in hindi में देखेंगे कि भारत का एक हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे का है जो कि अब बढ़ता जा रहा है। मंदी के कारण कंपनियों ने जिन कर्मचारियों को काम पर रखा हुआ है। उनको भी वह आधे ही वेतन दे रहे हैं जिसके कारण लोगों के पास मूलभूत जरूरतों के लिए भी पैसा पूरा नहीं बढ़ पा रहा है।

एक ओर देखा जाए तो impact on indian economy का सबसे बड़ा नुकसान रेलवे के बंद होने से है। आम लोगों की आवाजाही में कमी होने के कारण पर्यटन इत्यादि का भी संचार रुक गया। औद्योगिक व प्रौद्योगिक दोनों ही क्षेत्रों में आर्थिक मंदी की काफी मार पड़। गरीब और गरीब होता जा रहा है और अमीर भी अपने हाथों को रोकता जा रहा है। नई भर्तियों पर भी रोक लग गई है जिससे युवाओं में आक्रोश का भाव है।

Indian economy slowdown:

साल 2009 में वैश्विक मंदी में indian economy 3.1% की दर से बढ़ी थी। 2019 में आर्थिक विकास दर घटकर 5% बढ़ी थी। वैसे तो सभी देश आर्थिक मंदी को झेल रहे हैं परंतु भारत की हालत अधिक चिंताजनक है क्योंकि भारत के अंदर गरीबी दर काफी ज्यादा है। इससे पहले 2007 में indian economy slowdown को बहुत नुकसान पहुंचाया था। 1930 की मंदी के बाद यह सबसे अधिक चिंताजनक आर्थिक मंदी है।

जीडीपी तिमाही गिरावट की ओर बढ़ती जा रही है। आम जनता द्वारा दैनिक ज़रूरतों  का भी खपत रुक सी गई है। वाहनों की बिक्री का कम होना भी भारतीय अर्थव्यवस्था को गिरा रहा है क्योंकि अर्थशास्त्रियों के अनुसार जब गाड़ियों की बिक्री कम हो जाती है तो इसका सीधा संकेत है कि लोगों के पास पैसे की कमी हो रही है और जो कि उत्पादन कम होने के कारण कई सेवाओं पर असर पड़ रहा है। जैसे माल ढुलाई बीमा वितरण आदि सेवाओं पर सीधा असर पड़ रहा है। आम जनता का रुझान बचत की ओर बढ़ता जा रहा है जिससे पैसे का उपयोग निवेश में रुक गया है। अर्थव्यवस्था के लिए क़र्ज़ का आदान प्रदान  दोनों होना बहुत आवश्यक है।

शेयर बाजार में भी भारी गिरावट आ रही है। शेयर बाजार में उन्हीं कंपनियों का शेयर बढ़ता था  जिनका मुनाफा अधिक होता था, परंतु अब कंपनियों में मंदी होने के कारण मुनाफे की दर काफी गिर गई है जिससे शेयरों में भी कोई उछाल नहीं आ रहा है। आम जनता के अंदर इंडियन इकोनामी के गिरने का डर काफी अंदर तक पहुंच चुका है। बीते 5 सालों में स्लोडाउन को गूगल पर सर्च करने की दर 102% थी जो कि अब 85 % तक पहुंच चुकी है अर्थात आम जनता के अंदर भारतीय अर्थव्यवस्था के गिरने का डर काफी अंदर तक पहुंच चुका है।

Future of Indian economy in India:

ऐसा  नहीं है कि essay on Indian economy in Hindi में सब कुछ नकारात्मक ही है। जहां भारत की अर्थव्यवस्था गिर रही है वहीं कहीं ना कहीं इसका भविष्य उज्जवल है क्योंकि जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि लॉकडाउन के बाद माननीय प्रधानमंत्री जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की और आत्मनिर्भरता पर ध्यान दिया है, जिसके अंतर्गत हम छोटे छोटे लघु उद्योगों का कार्य कर सकते हैं।

Future of Indian Economy in india in hindi से पता चलता है कि सहायता के लिए बैंकों से कर्ज की भी घोषणा की गई है जिससे हमारे युवा दल जो बेरोजगार हैं या जो नौकरी की तलाश में है वह अपने दिमाग का अच्छा इस्तेमाल करके देश को आगे बढ़ा सकते है, जिससे भारत का पैसा भारत के अंदर ही घूमेगा और वह बाहर नहीं जाएगा। इससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, वह अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी । जब एक व्यक्ति अपना कोई भी उद्योग लगाएगा तो उसे और भी कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी जिससे रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। 

ह पता लगा कि हमारे देश में किसी भी चीज की कमी नहीं है जैसे जो वेंटीलेटर हमारे देश में चाइना से मंगवाई जाते थे उन वेंटिलेटर का निर्माण खुद से करना शुरू हुआ। हैंड सैनिटाइजर मास्क इत्यादि छोटी-छोटी चीजों का निर्माण भी हमारे देश के अंदर ही हुआ और इससे लोगों के उद्योगों को काफी फायदा मिला। जब आत्मनिर्भरता बढ़ेगी तो अवसरों की भी बढ़ोतरी होगी। आर्थिक मंदी का सीधा असर विदेशी पूंजी से भी होता है।

जब हमारे देश का पैसा हमारे ही देश में होगा तो हमें आर्थिक मंदी जैसी परेशानियों का कभी भी सामना नहीं करना पड़ेगा। कोरोना काल के महीने यदि देखा जाए तो हमें बहुत सारे रोजगार के अवसरों की प्राप्ति हुई।

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भारतीय अर्थव्यवस्था पर तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव पर निबंध (Effect of Rising Oil Prices on Indian Economy Essay in Hindi)

भारत में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा पेट्रोल एवं डीजल के दामों में रोजाना संशोधन होता रहता है तथा ये संशोधित कीमत (चाहे बढ़े या घटे) रिटेलर्स द्वारा प्रतिदिन अपडेट किया जाता है। पिछले कुछ सालों पर नजर डालते हैं तो हमें पता चलता है कि तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों ही रूपों में देखे जा सकते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव पर छोटे एवं बड़े निबंध (Short and Long Essays on Effect of Rising Oil Prices on Indian Economy in Hindi, Bhartiya Arthvyavastha par tel ki Badhati Kimaton ke Prabhav par Nibandh Hindi mein)

दोस्तों आज मैं आप लोगों को इस निबंध के माध्यम से बढ़ते तेल की कीमतों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के बारे में बताऊंगा। यह निबंध आपके लिए अति उपयोगी सिद्ध होगा, इसी कामना के साथ मैं इसे आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत रहा हूँ।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव पर छोटा निबंध – 300 शब्द

तेल आयातक देशों में भारत, चीन और अमेरिका के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है, भारत में तेल का सबसे अधिक आयात इराक एवं सऊदी अरब से किया जाता है। जिस देश में जितना अधिक तेल आयात होता है, उस देश की अर्थव्यवस्था उसपर उतनी ही निर्भर रहती है। इस कथन की पुष्टि आरबीआई की एक रिपोर्ट द्वारा होती है, जिसमें आरबीआई ने बताया था कि कच्चे तेल के दामों में प्रति बैरल $10 की वृद्धि से भारत सरकार को लगभग 12.5 बिलियन डॉलर का घाटा होता है। बढ़ते तेल की कीमत प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

बेतहाशा बढ़ते तेल की कीमतों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक गंभीर एवं नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि तेल के यही बढ़ते दाम भारतीय बाजारों में महंगाई के कारण बन सकते हैं, जिसके फलस्वरूप लोगों के कमाई के साथ – साथ उनके खर्च में भी गिरावट आ सकती है। कोरोना काल में लोगों की कमाई में पहले ही काफी कटौती हो चुकी है, ऊपर से तेलों के बढ़ते दाम ने इसके प्रभाव को दोगुना कर दिया है। कोरोना काल में आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से न चलने के कारण वित्तीय घाटे में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है।

कुछ निम्नलिखित उपायों के द्वारा हम इस समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं-

  • आपको तो पता ही होगा की सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखा है, अगर सरकार पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के अंदर लाती है तथा उसपर जीएसटी का सबसे उच्च दर (28 प्रतिशत) भी लागू करें तो भी पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में बहुत ज्यादा कमी आ सकती है।
  • गैर पेट्रोलियम वाहनों के विकास को बढ़ावा देकर, क्योंकि यह अब बेहद जरूरी हो चुका है कि ऊर्जा के नए विकल्पों की तलाश की जाए।
  • हाइड्रोजन ऊर्जा एवं सौर ऊर्जा आदि नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों पर काम, पेट्रोलियम पदार्थों पर हमारी निर्भरता को कम कर सकता है। इत्यादि

सरकार द्वारा जारी समस्त योजनाओं का खर्च, राजस्व से प्राप्त धन द्वारा ही वहन किया जाता है। कोविड-19 की वजह से देश की आर्थिक गतिविधियां काफी प्रभावित हुई है, जिसके कारण सरकार को मिलने वाले राजस्व में भी काफी कमी आयी है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव पर बड़ा निबंध – 600 शब्द

तेल किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारकों में से एक मुख्य कारक है। तेल की बढ़ती कीमत किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित करने के लिए काफी है, बढ़ती तेल की कीमतों ने लोगों को खूब परेशान कर रखा है, क्योंकि बढ़ती तेल की कीमत प्रति दिन अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते जा रही है। कच्चे तेल की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमी आने के बाद भी, देश में इनके दामों में कोई कमी होती नज़र नहीं आ रही है। देशवासी पेट्रोल एवं डीजल को उसके बेस प्राइज (Base Price) से तकरीबन तीन गुणा ज्यादा दाम पर खरीदने को मजबूर है।

पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव

  • ईंधन के खर्च पर प्रभाव

पेट्रोलियम पदार्थों के कीमतों में वृद्धि से दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले ईंधनों के मूल्यों में इजाफा हो जाता है, जिसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ता है। जो लोगों के अन्य जरूरतों को प्रभावित करता है।

  • आवश्यक वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि

डीजल-पेट्रोल के मूल्यों में वृद्धि के साथ मालवाहनों का किराया भी बढ़ जाता है, जिसके कारण आवश्यक वस्तुओं (जैसे- सब्जियां, फल, आदि) के मूल्यों में भी वृद्धि हो जाती है।

  • विदेश यात्रा, शिक्षा तथा व्यापार के खर्च में वृद्धि

डीजल-पेट्रोल के मूल्य में वृद्धि से परिवहन का खर्च बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप अप्रत्यक्ष रूप से उपरोक्त खर्चों में भी वृद्धि हो जाती है।

आम लोगों तक तेल की पहुंच

पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत कच्चे तेल के आधार पर तय नहीं की जाती क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार से इसे ग्राहक तक पहुंचने में कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है, जो निम्न हैं-

इसमें अंतरराष्ट्रीय बाजार से खरीदे कच्चे तेल से डीजल, पेट्रोल तथा अन्य पेट्रोलियम पदार्थ को अलग किया जाता है।

ये अपना मुनाफा बनाती है और पेट्रोल तथा डीजल को पेट्रोल पंप तक पहुंचाती है।

  • पेट्रोल पंप

पेट्रोल पंप का मालिक इसपर अपना तय कमीशन जोड़कर इसे ग्राहकों को बेचता है।

उपभोक्ता केंद्र तथा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित एक निश्चित एक्साइज ड्यूटी और वैट देकर तेल खरीदते हैं।

तेल की कीमत बढ़ने का कारण

लॉकडाउन के समय आवागमन के बाधित होने के कारण तेल की मांग घटकर लगभग 50-60 प्रतिशत ही रह गई थी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत कम हो गई थी तो केंद्र एवं राज्य सरकारों ने टैक्सेज़ बढ़ा दिए। अब लॉकडाउन के बाद तेल की मांग में वृद्धि हुई तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके कीमत में भी इजाफा हो गया। अब दोनों सरकारों द्वारा बढ़ाए गए टैक्सेज़ कम नहीं किए जा रहे हैं, यही कारण है कि तेल की कीमत में बढ़ोतरी आ रही है।

नोट- . केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स तथा तेल का मूल्य संयुक्त रूप से बेस प्राइस कहलाता है, बेस प्राइस के ऊपर राज्य सरकार द्वारा 25-30 फीसदी अपना टैक्स लगाया जाता है।

वर्ष 2014 के बाद बढ़ाये गए टैक्सेज़

  • साल 2014 में एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल पर 9.48 तथा डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर था।
  • इसके बाद नवंबर 2014 से लेकर जनवरी 2016 तक इसमें केंद्र सरकार द्वारा 9 बार इजाफा किया गया।
  • उसके पश्चात सिर्फ 15 सप्ताह में पेट्रोल पर 11.77 तथा डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर ड्यूटी बढ़ा दिया गया। जिसके फलस्वरूप केंद्र सरकार को 2016-17 में 2,42,000 करोड़ रुपये मिले, जो 2014-15 में मात्र 99000 करोड़ रुपये थे।
  • इसके बाद अक्टूबर 2017 में ड्यूटी में 2 रुपये की कमी तो जरूर हुई, परन्तु फिर एक साल बाद इसे 1.50 रुपये बढ़ा दिया गया।
  • उसके बाद पुनः इसे जुलाई 2019 में फिर से 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया गया।
  • 16 मार्च 2020 तथा 5 मई 2020 को दो किस्तों में 13 रुपये तथा 16 रुपये प्रति लीटर एक्साइज बढ़ाया गया।

पेट्रोलियम मानव के रोजमर्रा की जरूरतों में से एक है, जो प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। हालांकि इसकी बढ़ती कीमतों ने सभी वर्गों के जीवन शैली को प्रभावित किया है, परन्तु मध्यम वर्ग के लोगों पर इसने कुछ ज्यादा ही प्रभाव डाला है। ऐसे में सरकार को चाहिए की अपने राष्ट्र के नागरिकों के हित को समझे तथा पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दामों को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाए।

इन्ही चंद शब्दों के साथ मैं अपने विचारों को विराम देता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि उपरोक्त निबंध आपके लिए सहायक सिद्ध हुआ होगा तथा आपको पसंद भी आया होगा।

ये भी पढ़े:

  • भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध

भारतीय अर्थव्यवस्था पर तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions on Effect of Rising Oil Prices on Indian Economy)

उत्तर -विश्व में सबसे अधिक कच्चे तेल का आयात चीन है।

उत्तर – तेल आयात करने में भारत तीसरे स्थान पर है।

उत्तर -सबसे अधिक कच्चे तेल का उत्पादन अमेरिका में होता है।

उत्तर – ओपेक (OPEC- Organization of the Petroleum Exporting Countries)

उत्तर- वर्तमान में ओपेक 13 देशों का संगठन है।

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अर्थव्यवस्था क्या है, इसके प्रकार व विशेषताएं What Is The Economy In Hindi

अर्थव्यवस्था क्या है, इसके प्रकार व विशेषताएं What Is The Economy In Hindi :  नमस्कार फ्रेड्स आज का लेख इकोनोमी क्या होती है.

अर्थव्यवस्था क्या होती है इसका अर्थ परिभाषा और भारतीय इकोनोमी के बारे में सरल भाषा में इस आर्टिकल में जानकारी दी गई हैं. उम्मीद करते है ये लेख आपको पसंद आएगा.

अर्थव्यवस्था क्या है,प्रकार व विशेषताएं What Is Economy In Hindi

अर्थव्यवस्था क्या है, इसके प्रकार व विशेषताएं What Is The Economy In Hindi

प्रत्येक देश में व्यक्ति अपनी जीविकापार्जन के लिए विभिन्न प्रकार के आर्थिक क्रियाकलाप में संलग्न है. किसान हो या श्रमिक, उद्योगपति हो या दुकानदार, अध्यापक हो या डॉक्टर विभिन्न आर्थिक वर्गों द्वारा संपादित इन विभिन्न प्रकार के आर्थिक कार्यों के सम्पादन के लिए किसी सुव्यवस्थित व्यवस्था संगठन अथवा प्रणाली ( Economy)  की आवश्यकता होती है.

इस प्रणाली या व्यवस्था को ही अर्थव्यवस्था कहा जाता है. निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि एक ऐसी प्रणाली अथवा व्यवस्था जिसके द्वारा लोग अपना जीविकापार्जन करते है, अर्थव्यवस्था कहलाती है.

अर्थव्यवस्था एक ऐसा ढांचा है जिसमे विभिन्न वस्तुओं के उत्पादकों के बिच आपसी तालमेल व परस्पर सहयोग का जन्म होता है. अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है. जिसमे उत्पादन,विनिमय, वितरण आदि आर्थिक क्रियाएं निरंतर चलती रहती है.

सामान्यत यह कहा जा सकता है कि यह एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत किसी निश्चित क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों का संचालन होता है, अर्थव्यवस्था कहलाती है.

उदहारण के लिए शक्कर का उत्पादन शक्कर मिल द्वारा किया जाता है. शक्कर के उत्पादन के लिए उत्पादक गन्ना किसान से मशीनें व उपकरण उद्योगों से तथा बिजली उर्जा सयंत्रों से प्राप्त करता है.

उत्पादित शक्कर को देश के विभिन्न भागों में एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए परिवहन के साधनों (रेल, ट्रक, जहाज आदि) की आवश्यकता पडती है.

शक्कर उत्पादन हेतु विभिन्न उत्पादकों के मध्य परस्पर सहयोग व तालमेल का ढांचा ही अर्थव्यवस्था है.

अर्थव्यवस्था का वर्गीकरण (Classification of Economy)

  • आपके गाँव या कस्बें की अर्थव्यवस्था

सम्पूर्ण गाँव या कस्बे के निवासियों की अर्थव्यवस्था का अध्ययन

  • राज्य की अर्थव्यवस्था

राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के निवासियों के आर्थिक क्रियाकलापों का अध्ययन.

  • भारत की अर्थव्यवस्था

सम्पूर्ण देश के निवासियों के आर्थिक क्रियाकलापों का अध्ययन.

अर्थव्यवस्था के प्रकार (types of economy in hindi)

किसी भी देश में उत्पादन, उपभोग, विनिमय, वितरण आदि आर्थिक क्रियाओं का संचालन, अर्थव्यवस्था के स्वरूप पर निर्भर करता है. देश में आर्थिक क्रियाओं के संचालन में राज्य का हस्तक्षेप कितना होगा?

उत्पत्ति के साधनों पर स्वामित्व का आधार क्या होगा? आर्थिक क्रियाओं के संचालन का उद्देश्य क्या होगा? आदि आधारों पर विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को हम निम्न तीन भागों में विभाजित कर सकते है.

  • पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
  • समाजवादी अर्थव्यवस्था
  • मिश्रित अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था का इतिहास (History of economy)

अर्थव्यवस्था का सन्धि विच्छेद करने पर यह दो शब्दो से मिलने पर बनता है: अर्थ एवम व्यवस्था. जिसमें अर्थ का अर्थ धन अथवा माल या मुद्रा होता हैं वहीँ व्यवस्था शब्द का अर्थ कार्यप्रणाली से होता हैं.

वैसे तो इकोनोमिक्स अप्रत्यक्ष रूप से मानव सभ्यता के आरम्भिक रूप से चली आ रही हैं मगर इसका सर्वप्रथम प्रयोग आचार्य चाणक्य की पुस्तक अर्थशास्त्र में मिलता हैं जिसकी विषयवस्तु सम्पूर्ण रूप से अर्थ व्यवस्था पर आधारित नहीं थी मगर उसमें इसके बारें में भी बताया गया था.

अर्थव्यवस्था का प्राचीन इतिहास सुमेर राजवंश में चलन में दीखता हैं. इस वंश के शासनकाल में विनिमय प्रणाली प्रचलित थी. तथा मध्यकालीन सम्पूर्ण इतिहास में वस्तु विनिमय तथा मुद्रा विनिमय के आधार पर सम्पूर्ण व्यापार आधारित था.

20 वीं सदी आते आते सम्पूर्ण विश्व बाजार दो महाशक्तियों के अधीन हो गया, जिस दौड़ में अब चीन भी शामिल हो गया हैं.

विकास के आधार पर अर्थव्यवस्था के प्रकार

विकसित अर्थव्यवस्था:– यह अर्थव्यवस्था का विकसित स्वरूप हैं जो अपने उच्च स्तर को प्राप्त कर चुकी हैं. इस अर्थव्यवस्था वाले देश अपने विकास के लिए अधिकतम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर चुके हैं.

इन्हें अपने उत्पाद को बेचने के लिए बाजार की आवश्यकता रहती हैं यही वजह हैं कि आज अधिकतर विकसित देश नयें बाजारों की खोज में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन तथा चीन विकसित अर्थव्यवस्थाओं के उदाहरण हैं.

विकासशील अर्थव्यवस्था :- यह अर्थव्यवस्था का निम्न स्वरूप हैं जिन देशों की अर्थव्यवस्थाएं अपने निम्न स्तर पर अथवा पिछड़ी हुई अथवा अल्प विकसित हैं.

मुख्य रूप से वे देश जो उपनिवेशवाद का शिकार रहे अथवा अपने ससाधनों का उपयोग नहीं कर पाए हैं वे इसके अंतर्गत आते हैं भारत की अर्थव्यवस्था का स्वरूप विकासशील श्रेणी का हैं.

अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका | Role Of Currency In Economy In Hindi

अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका अपरिहार्य है. यदि यह कहा जाए कि मुद्रा के बिना अर्थव्यवस्था का अस्तित्व ही नहीं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

मुद्रा के सम्बन्ध में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किया जाने वाला यह विश्वास कि इसे अर्थव्यवस्था में अन्य सभी के द्वारा स्वीकार कर लिया जाएगा, मुद्रा की उपयोगिता स्वयं सिद्ध कर देता है.

वस्तुतः अर्थव्यवस्था में मुद्रा वह कोई भी वस्तु हैं जिसे वस्तुओं और सेवाओं के भुगतान की क्रिया हेतु सामान्य स्वीकृति प्राप्त हैं. यह सामान्य स्वीकृति ही अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका को प्रतिष्ठित स्थान प्रदान करती हैं.

अर्थव्यवस्था में मुद्रा के अनेक रूप है जो भुगतान के साधन के रूप में प्रयुक्त होते है. यदपि आम जनता के लिए मुद्रा का सामान्य अर्थ केवल करेंसी बैंक नोट और मुद्रा से है,

अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका धीरे धीरे होने वाले विकास तथा अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में अस्तित्व में आई अवधारणाओं के परिणामस्वरूप अपरिहार्य बनी.

वस्तु विनिमय से लेकर वर्तमान की साख मुद्रा तक मुद्रा विनिमय का माध्यम, खाते की इकाई या मूल्य मापक, मुद्रा का भंडार आदि बन गई है. इसके कारण अर्थव्यवस्था तीव्र गति से आगे बढ़ी है.

पूंजी को गतिशीलता प्रदान करना मुद्रा का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य हैं. अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका को और अच्छी तरह समझने के लिए निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा इसे समझते हैं.

  • लोककल्याणकारी अर्थव्यवस्था का मूल – इसके तहत बचतों को मुद्रा के रूप में वित्तीय संस्थाओं में जमा करवा दिया जाता है. यह बचत बचतकर्ताओं को उस समय मदद पहुचाती है, जब वह संकट में होता है,
  • निवेश योजनाओं का संचालन- मुद्रा के द्वारा निवेश योजनाओं का संचालन किया जाता हैं. वित्तीय संस्थाएं निर्धारित नियमों के अनुसार निवेश योजनाओं में हिस्सा बनती हैं.
  • राज्य के कल्याणकारी स्वरूप को बल प्रदान करना- राज्य या सरकार द्वारा नागरिकों के कल्याण हेतु अनेक प्रकार की योजनाएं संचालित की जा रही है. इन योजनाओं पर सरकार को बहुत अधिक व्यय करना पड़ता है. इसकी पूर्ति मुद्रा के माध्यम से ही संभव हो पाती हैं.
  • मुद्रा का क्षेत्र अत्यंत व्यापक – वर्तमान में मानव का विकास जिस स्तर पर पंहुचा है. वह मुद्रा के आविष्कार से ही संभव हुआ है, मनुष्य के जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ मुद्रा की कोई भूमिका न हो.

उपर्युक्त विवरण से अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका पूर्णतया स्पष्ट हो जाती हैं.

  • पूंजीवादी अर्थव्यवस्था क्या है
  • मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ विशेषताएं व विश्लेषण
  • भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध

आशा करते हैं दोस्तों आप समझ गये होंगे कि What Is The Economy In Hindi अथवा अर्थव्यवस्था क्या हैं अर्थ परिभाषा, निबंध, स्वरूप, विशेषताएं, प्रकार, भारत की अर्थव्यवस्था का स्वरूप आदि.

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Essay on Indian Economy for Students and Children

500+ words essay on indian economy.

India is mainly an agricultural economy . Agricultural activities contribute about 50% of the economy. Agriculture involves growing and selling of crops, poultry, fishing, cattle rearing, and animal husbandry. People in India earn their livelihood by involving themselves in many of these activities. These activities are vital to our economy. The Indian economy has seen major growth in the last few decades. The credit for this boom largely goes to the service sector. Agriculture and associated activities have also been improvised to match the global standards and the export of various food products has seen an upward trend thereby adding to the economic growth. The industrial sector does not lag behind a bit. A number of new large scale, as well as small scale industries, have been set up in recent times and these have also proved to have a positive impact on the Indian economy.

essay on indian economy

Government’s Role in Economic Growth

Majority of the working Indian population was and is still engaged in the agriculture sector. Growing crops, fishing, poultry and animal husbandry were among the tasks undertaken by them. They manufactured handicraft items that were losing their charm with the introduction of the industrial goods. The demand for these goods began to decline. The agricultural activities also did not pay enough.

The government identified these problems as hindering the economic growth of the country and established policies to curb them. Promotion of cottage industry, providing fair wages to the laborers and providing enough means of livelihood to the people were some of the policies laid by the government for the country’s economic growth.

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The Rise of the Industrial Sector

The government of India also promoted the growth of small scale and large scale industry as it understood that agriculture alone would not be able to help in the country’s economic growth. Many industries have been set up since independence. A large number of people shifted from the agricultural sector to the industrial sector in an attempt to earn better.

Today, we have numerous industries manufacturing a large amount of raw material as well as finished goods. The pharmaceutical industry, iron and steel industry , chemical industry, textile industry, automotive industry, timber industry, jute, and paper industry are among some of the industries which have contributed a great deal in our economic growth.

The Growth in Service Sector

The service sector has also helped in the growth of our country. This sector has seen growth in the last few decades. The privatization of the banking and telecom sectors has a positive impact on the service sector. The tourism and hotel industries are also seeing a gradual growth. As per a recent survey, the service sector is contributing to more than 50% of the country’s economy.

Indian Economy after Demonetization

The worst affected were the people in the rural areas who did not have access to internet and plastic money. This affects many big and small businesses in the country very badly. Several of them were shut down as a result of this. While the short term effects of demonetization were devastating, this decision did have a brighter side when looked at from long term perspective.

The positive impact of demonetization on the Indian economy is a breakdown of black money, the decline in fake currency notes, increase in bank deposits, demonetization stopped the flow of black money in the real estate sector to ensure a fair play, increase in digital transactions, cutting monetary support for terrorist activities.

Many of our industries are cash-driven and sudden demonetization left all these industries starving. Also, many of our small scale, as well as large scale manufacturing industries, suffered huge losses thereby impacting the economy of the country negatively. Many factories and shops had to be shut down. This did not only impact the businesses but also the workers employed there. Several people, especially the laborers, lost their jobs.

The Indian economy undergoes several positive changes since independence. It is growing at a good pace. However, the rural regions of our country are still under-developed. The government must make efforts to improve the economic condition of these areas.

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Economy Questions in UPSC Prelims in Hindi (आर्थिक और सामाजिक विकास)

2023: economy questions in upsc prelims.

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

कथन-I: आधारिक संरचना निवेश न्यासों (InvITs) में जमा (डिपॉजिट) से हुई ब्याज की आय, जो उनके निवेशकों में वितरित की जाती है, कर से छूट प्राप्त है, किन्तु लाभांश करयोग्य है। कथन- II : ‘वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002’ के अधीन InvITs को ऋणी के रूप में मान्यता प्राप्त है। उपर्युक्त कथनों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?

(a) कथन-1 और कथन II दोनों सही हैं तथा कथन- II, कथन-1 की सही व्याख्या है (b) कथन-1 और कथन – II दोनों सही हैं तथा कथन- II, कथन – I की सही व्याख्या नहीं है (c) कथन – I सही है किन्तु कथन- II गलत है। (d) कथन – I गलत है किन्तु कथन – II सही है।

2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

कथन – I : कोविड विश्वमारी के बाद के हाल के विगत काल में, पूरे विश्व में अनेक केन्द्रीय बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ा दी थीं। कथन- II : आमतौर पर केन्द्रीय बैंक मानते हैं कि उनके पास बढ़ती हुई उपभोक्ता कीमतों का, मौद्रिक नीति के उपायों से, प्रतिकार करने की सामर्थ्य है।

उपर्युक्त कथनों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?

(a) कथन-1 और कथन – II दोनों सही हैं तथा कथन – II, कथन – I की सही व्याख्या है (b) कथन-1 और कथन – II दोनों सही हैं तथा कथन- II, कथन – I की सही व्याख्या नहीं है (c) कथन – I सही है किन्तु कथन II गलत है (d) कथन- 1 गलत है किन्तु कथन II सही है

3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

कथन-I: ऐसी संभावना है कि कार्बन बाजार, जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक सबसे व्यापक साधन हो जाए। कथन-II कार्बन बाज़ार संसाधनों को प्राइवेट सेक्टर से राज्य को हस्तांतरित कर देते हैं।

(a) कथन – I और कथन – II दोनों सही हैं तथा कथन – II, कथन – I की सही व्याख्या है (b) कथन- I और कथन – II दोनों सही हैं तथा कथन- II, कथन – I की सही व्याख्या नहीं है (c) कथन- I सही है किन्तु कथन II गलत है (d) कथन – I गलत है किन्तु कथन II सही है

4. भारतीय रिज़र्व बैंक की निम्नलिखित में से किस एक गतिविधि को ‘बंध्यकरण (स्टेरिलाइजेशन)’ के एक भाग के रूप में माना जाता है?

(a) ‘खुला बाज़ार कार्रवाई’ का संचालन (b) निपटारा और भुगतान प्रणालियों की निगरानी (c) केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के लिए ऋण एवं रोकड़ प्रबंधन (d) गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों के कार्यों का विनियमन

5. निम्नलिखित बाज़ारों पर विचार कीजिए:

  • सरकारी बॉन्ड बाज़ार
  • शीघ्रावधि द्रव्य बाज़ार (कॉल मनी मार्केट)
  • कोषपत्र बाज़ार (ट्रेजरी बिल मार्केट)
  • स्टॉक बाजार

पूँजी बाज़ार में, उपर्युक्त में से कितने शामिल हैं?

(a) केवल एक (b) केवल दो (c) केवल तीन (d) सभी चार

6. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, ‘लघु कृषक बड़े खेत’ की संकल्पना का सर्वोत्तम वर्णन है ?

(a) युद्ध के कारण अपने देशों से बड़ी संख्या में विस्थापित लोगों का एक बड़ी खेतीयोग्य जमीन देकर, जिसमें वे सामूहिक खेती कर उपज को आपस में बाँटते हैं, पुनःस्थापन करना (b) किसी क्षेत्र के अनेक सीमांत कृषक अपने आपको समूहों में व्यवस्थित कर चुनिन्दा कृषि संक्रियाओं में समकालन और संगति लाते हैं। (c) किसी क्षेत्र के अनेक सीमांत कृषक मिलकर किसी निगमित निकाय के साथ संविदा कर अपनी जमीन उस निगमित निकाय को किसी नियत अवधि के लिए दे देते हैं, जिसके लिए वह निगमित निकाय कृषकों को एक सहमत राशि का भुगतान करता है। (d) कोई कम्पनी किसी क्षेत्र के कुछ संख्या में लघु कृषकों को ऋण, तकनीकी जानकारियाँ और सामग्री की निविष्टियाँ प्रदान करती है, ताकि वे कंपनी की विनिर्माण प्रक्रिया और वाणिज्यिक उत्पादन के लिए उसकी जरूरत के कृषि पण्य का उत्पादन करें

7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  • भारत सरकार काले तिल [ नाइजर (गुइजोटिया एबिसिनिका) ] के बीजों के लिए न्यूनतम समर्थन कीमत उपलब्ध कराती है।
  • काले तिल की खेती खरीफ की फसल के रूप में की जाती है।
  • भारत के कुछ जनजातीय लोग काले तिल के बीजों का तेल भोजन पकाने के लिए प्रयोग में लाते हैं।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

(a) केवल एक (b) केवल दो (c) सभी तीन (d) कोई भी नहीं

8. निम्नलिखित परिसंपत्तियों में निवेशों पर विचार कीजिए:

  • ब्रांड पहचान
  • बौद्धिक संपदा
  • ग्राहकों की डाक सूची

उपर्युक्त में से कितने अमूर्त निवेश माने जाते हैं?

9. वित्त के संदर्भ में, शब्द ‘बीटा’ किसे निर्दिष्ट करता है?

(a) अलग-अलग प्लेटफॉर्मों से, साथ-साथ किसी परिसंपत्ति को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया (b) किसी पोर्टफोलियो प्रबंधक की, जोखिम और प्रतिफल के बीच संतुलन लाने की, निवेश कार्यनीति (c) एक प्रकार का व्यवस्थागत जोखिम, जो वहाँ उत्पन्न होता है जहाँ पूर्ण प्रतिरक्षा संभव नहीं है। (d) एक संख्यात्मक मान, जो पूरे स्टॉक बाजार में होने वाले परिवर्तनों के प्रति किसी स्टॉक के विचलनों को मापता है

10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

  • स्वयं सहायता समूह [सेल्फ हेल्प ग्रुप (एस० एच० जी०) ] कार्यक्रम मूलतः भारतीय स्टेट बैंक द्वारा वित्तीय रूप से वंचितों को लघु ऋण प्रदान कर प्रारंभ किया गया था।
  • किसी एस० एच० जी० में, समूह के सभी सदस्य उस ऋण के लिए उत्तरदायित्व लेते हैं, जो ऋण कोई अकेला सदस्य लेता है।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक एस० एच० जी० को समर्थन देते हैं।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

11. निम्नलिखित भारी उद्योगों पर विचार कीजिए :

  • उर्वरक संयंत्र
  • तेलशोधक कारखाने
  • इस्पात संयंत्र

उपर्युक्त में से कितने उद्योगों के विकार्बनन में हरित हाइड्रोजन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने की अपेक्षा है?

12. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

कथन-I: वस्तुओं के वैश्विक निर्यात में भारत का निर्यात 3-2% है। कथन- II : भारत में कार्यरत अनेक स्थानीय कंपनियों एवं भारत में कार्यरत कुछ विदेशी कंपनियों ने भारत की ‘उत्पादन- आधारित प्रोत्साहन (प्रोडक्शन – लिंक्ड इंसेंटिव) ‘ योजना का लाभ उठाया है।

(a) कथन – I और कथन – II दोनों सही हैं तथा कथन- II, कथन – I की सही व्याख्या है। (b) कथन – I और कथन – II दोनों सही हैं तथा कथन- II, कथन-1 की सही व्याख्या नहीं है (c) कथन – I सही है किन्तु कथन II गलत है (d) कथन – 1 गलत है किन्तु कथन II सही है

13. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एम० एस० एम० ई० डी०) अधिनियम, 2006′ के अनुसार, ‘जिनके संयंत्र और मशीनरी में निवेश 15 करोड़ रुपये से 25 करोड़ रुपये के बीच हैं, वे मध्यम उद्यम हैं’।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को दिए गए सभी बैंक ऋण प्राथमिकता क्षेत्रक के अधीन अर्ह हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा /से सही है/हैं?

(a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1 और न ही 2

14. केन्द्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  • यू० एस० डॉलर या एस० डब्ल्यू० आई०एफ० टी० प्रणाली का प्रयोग किए बिना डिजिटल मुद्रा में भुगतान करना संभव है।
  • कोई डिजिटल मुद्रा इसके अंदर प्रोग्रामित प्रतिबंध, जैसे कि इसके व्यय के समय ढाँचे, के साथ वितरित की जा सकती है।

2022: Economy Questions in UPSC Prelims

1. “त्वरित वित्तीयन प्रपत्र (Rapid Financing Instrument)” और “त्वरित ऋण सुविधा (Rapid Credit फसिलिटी)”, निम्नलिखित में किस एक के द्वारा उधर दिए जाने के उपबंधों से सिबंधित है?

(a) एशियाई विकास बैंक (b) अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष (c) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम वित्त पहल (d) विश्व बैंक

2. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पे विचार कीजीए :

  • अंकित प्रभावी विनिमय दर (Nominal Effective Exchange Rate (NEER)) मे, वृद्धि रुपये की मूल्यवृद्धि को दर्शाता है।
  • वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (Real Effective Exchange Rate (REER)) मे, वृद्धि व्यापार प्रतिस्पर्धात्मक में सुधार को दर्शाता है।
  • अन्य देशों में मुद्रास्फीति के सापेक्ष घरेलू मुद्रास्फीति में बढ़ने की प्रवृत्ति NEER और REER के बीच में वर्धमान अपसरण उत्पन्न कर सकता है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 2 और (c) केवल 1 और 3 (d) 1, 2 और 3

3. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

  • यदि मुद्रास्फीति अत्यधिक है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) संभावित रूप से सरकारी प्रतिभूतियाँ खरीद सकता है।
  • यदि रुपये का तेजी से मूल्यह्रास हो रहा है, तो RBI बज में डॉलरों का संभावित रूप से विक्रय कर सकता है।
  • यदि USA या यूरोपीय संघ में ब्याज दरें गिरती होती, तो इससे संभावित रूप से RBI की डॉलरों की खरीद प्रेरित हो सकती है।

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1 और 3 (d) 1, 2 और 3

4. “g20 कॉमन फ्रेमवर्क” के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

  • यह g 20 और उसके साथ पेरिस क्लब द्वारा समर्थित पहल है ।
  • यह असाधरणीय ऋण वाले निम्न आय देशों को सहायता देने की पहल है।

(a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2

5. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, “मुद्रास्फीति-सहलग्न बॉन्ड (Inflation-Indexed Bonds (IIBs))” के क्या लाभ है?

  • सरकार IIBs के रूप में अपने ऋणग्रहण पर कूपन दरों को कम कर सकती है।
  • IIBs निवेशकों को मुद्रास्फीति के बारे में अनिश्चितता से सुरक्षा प्रदान करते है ।
  • IIBs पर प्राप्त ब्याज और साथ ही साथ पूंजीगत लाभ कर-योग्य नही होते।

6. भारत में कार्य कर रही विदेशी-स्वामित्व की e-वाणिज्य फ़र्मों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में कौन-से सही हैं?

  • अपने प्लेटफार्मों को बाजार-स्थान के रूप में प्रस्तुत करने के अतिरिक्त वे स्वयं अपने माल का विक्रय भी कर सकते हैं।
  • वे अपने प्लेटफार्मों पर किस अंश तक बड़े विक्रेताओ को स्वीका कर सकते है, यह सीमित है।

नीचे दिए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

7. निम्नलिखित में कौन-से कार्यकलाप अर्थव्यवस्था में वास्तविक क्षेत्रक (रियल सेक्टर) का निर्माण करते हैं?

  • किसानों का अपनी फसल काटना
  • कपड़ा मिलों का कच्चे कपास को कपड़े में बदलना
  • किसी वाणिज्यिक बैंक का किसी व्यापारी कंपनी को धनराशि उधार देना
  • किसी कॉर्पोरेट निकाय का विदेश में रुपया-अंकित मूल्य के बॉन्ड जारी करना

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 2 ,3 और 4 (c) केवल 1 ,3 और4 (d) 1, 2 3 और 4

8. भारत के संदर्भ में हाल ही में जनसंचार-माध्यमों में अक्सर चर्चित “अप्रत्यक्ष अंतरण” को निम्नलिखित में कौन-सी एक स्थिति सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करती है?

  • कोई भारतीय कंपनी, जिसने किसी विदेशी उद्यम में निवेश किया हो और अपने निवेश पर मिलने वाले लाभ पर उस बाहरी देश को कर अदा करती हो
  • कोई विदेशी कंपनी, जिसने भारत में निवेश किया हो और अपने निवेश से मिलने वाले लाभ पर अपने आधारभूत देश को कर अदा करती हो
  • कोई विदेशी कंपनी, जो किसी बाहरी देश में मूर्त सम्पति खरीदती है और उनका मूल्य बढ़ने पर उन्हे बेच देती है तथा प्राप्ति को भारत में अंतरित कर देती है
  • कोई विदेशी कंपनी शेयर अंतरित करती है और ऐसे शेयर भारत में स्थित परिसंपत्तियों से अपना वस्तुगत मूल्य व्युत्पन्न करते हैं

9. किसी संगठन या कंपनी द्वारा किए गए व्यय के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में कौन-से सही है?

  • नई प्रौद्योगिकी प्राप्त करना पूंजीगत व्यय है।
  • ऋण वित्तीयन को पूंजीगत व्यय माना जाता है, जबकि इक्विटी वित्तीयन को राजस्व व्यय माना जाता है।

नीचे दिए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :

10. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

  • घरेलू वित्तीय बचत का एक भाग सरकारी ऋणग्रहण के लिए जाता है ।
  • निलामी में बाजार-संबंधित दरों पर जारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ, आंतरिक ऋण का एक बड़ा घटक होती है ।

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा सही है ?

11. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजीए :

  • प्राइवेट अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों को इसे अवश्य अपनाना चाहिए।
  • चूंकि इसका लक्ष्य स्वास्थ्य की सार्वजनीन व्याप्ति है, अंततोगत्वा भारत के हर नागरिक को इसका हिस्सा हो जाना चाहिए ।
  • यह पूरे देश में निर्बाध रूप से लागू किया जा सकता है ।

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 3 (c) केवल 1 और 3 (d) 1, 2 और 3

1. US फ़ेडरल रिज़र्व की सख्त मुद्रा नीति पूँजी पलायन की ओर ले जा सकती है। 2. पूँजी पलायन वर्तमान विदेशी वाणिज्यिक ऋणग्रहण (External Commercial Borrowings (ECBs)) वाली फर्मों की ब्याज लागत को बढ़ा सकता है। 3. घरेलू मुद्रा का अवमूल्यन, ECBA से संबद्ध मुद्रा जोखिम को घटाता है

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं ?

13. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. भारत में, साख़ क्षमता निर्धारण एजेंसियाँ (क्रेडिट रेटिंग एजेंसीज़) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित होती हैं । 2. ICRA नाम से जानी जाने वाली क्षमता-निर्धारण एजेंसी एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी है।  3. ब्रिकवर्क रेटिंग्स एक भारतीय साख़ क्षमता निर्धारण एजेंसी है।

14. ‘बैंक बोर्ड ब्यूरो (BBB)’ के सन्दर्भ में, निम्नलिखित में कौन-से कथन सही हैं ?

1. RBI का गवर्नर BBB का चेयरमैन होता है। 2. BBB, सार्वजनिक क्षेत्रक बैंकों के अध्यक्षों के चयन के लिए संस्तुति करता है।  3. BBB, सार्वजनिक क्षेत्रक बैंकों को कार्यनीतियाँ और पूँजी-वर्धन योजनाओं को विकसित करने में मदद करता है।

 नीचे दिए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

15. परिवर्तनीय बॉन्ड के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

1. चूँकि बॉन्ड को ईक्विटी के लिए बदलने का विकल्प है, परिवर्तनीय बॉन्ड अपेक्षाकृत कम ब्याज दर का भुगतान करते हैं।  2. ईक्विटी के लिए बदलने का विकल्प बॉन्ड धारक को बढ़ती हुई उपभोक्ता कीमतों से सहलग्नता (इंडेक्सेशन) की मात्रा प्रदान करता है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं ?

16. भारत में, निम्नलिखित में कौन मुद्रास्फीति को निर्यात कर कीमत स्थिरता बनाए रखने के लिए उत्तरदायी है? 

(a) उपभोक्ता मामले विभाग (b) व्यय प्रबंधन आयोग (c) वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद् (d) भारतीय रिज़र्व बैंक

17. नॉन-फंजिबल टोकेंस (Non-Fungible Tokes (NFTs)) के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विच कीजिए :

1. वे भौतिक परिसंपत्तियों के अंकीय निरूप (डिजिटल रिप्रेज़ेंटेशन) को सुकर बनाते हैं।  2. वे अनन्य क्रिप्टोग्राफिक टोकेंस है जो किस ब्लॉकचैन में विद्यमान हैं। 3. उनका, तुल्यता पर, व्यापार या विनिमय किया जा सकता है और इसलिए उनका वाणिज्यिक लेन-दे के माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

18. भारत में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक कारखानों में श्रमिकों को रोजगार देने वाले औद्योगिक विवादों, बंद होने, छंटनी और छंटनी के बारे में जानकारी संकलित करता है?

  • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय
  • उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विभाग
  • श्रम ब्यूरो
  • राष्ट्रीय तकनीकी जनशक्ति सूचना प्रणाली

1. निम्नलिखित में से किससे किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा गुणक में वृद्धि होती है ?

  • बैंकों में आरक्षित नकदी निधि अनुपात में वृद्धि
  • बैंकों के संवोधिक चलनिधि अनुपात में वृद्धि
  • लोगों की बैंकिंग आदतों में वृद्धि
  • देश की जनसँख्या में वृद्धि

2. भारतीय अर्थव्यवस्था क्र सन्दर्भ में, मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति या उसमे वृद्धि निम्नलिखित किन कारणों से होती है?

  • विस्तारकारी नीतियाँ
  • राजकोषीय प्रोत्साहन
  • मुद्रास्फीति सुच्कंकं मजदूरी
  • उच्च क्रय शक्ति
  • बढती ब्याज दर

निचे दिए गये कूट का प्रयोग क्र सही उत्तर चुनिए।

(a) केवल 1,2 और ४ (b) केवल 3,4, और 5 (c) केवल 1,2,3, और 5 (d) 1, 2, 3, 4 और 5

3. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :

  • खुदरा निवेशक डीमेट खतों के माध्यम से प्राथमिक बाजार में ‘राजकोष बिल (ट्रेजरी बिल)’ और ‘भारत सरकार के ऋण बोंड’ में निवेश क्र सकते हें।
  • ‘बातचीत से टी लेनदेन पनाली- आर्डर मिलन (निगोशियेटेड डीलिंग सिस्टम-आर्डर मैचिंग )’ भारतीय रिजर्व बैंक का सरकारी प्रतिभूति व्यापारिक मंच है।
  • ‘सेन्ट्रल डिपेजीटरी सर्विसेज लिमिटेड’ का भारतीय रिजर्व बैंक एवं बम्बई स्टॉक एक्सचेंज द्वारा संयुक्त रूप से प्रवर्तन किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा सही है ?

(a) केवल 1 (b) 1 औए 2 (c) केवल 3 (d) 2 और 3

4. भारत में, ‘अंतिम उधारदाता (लेंडर आफ लास्ट रिसॉर्ट) के रूप में केन्द्रीय बैंक के कार्य में सामान्यत: निम्नलिखित में से क्या सम्मिलित है ?

  • एनी स्रोतों से ऋण प्राप्ति में विफल होने पर व्यापार एवं उद्योग निकतों को ऋण प्रदान करना
  • अस्थायी संकट के समय बैंकों के लिए चलनिधि उपलब्ध कराना
  • बजटीय घाटों के वित्तीयन के लिए सरकारों को ऋण देना

निचे दिए गये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

(a) 1 और 2 (b) केवल 2 (c) 2 और 3 (d) केवल 3

5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :

  • केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (आर० बी० आई०) के गवर्नर की नियुक्ति की जाती है।
  • भारतीय संविधान के कतिपय प्रावधान केन्द्र सरकार को जनहित में आर० बी० आई० को निर्देश देने काअधिकार है।
  • आर० बी० आई० का गवर्नर अपना अधिकार (पावर) आर० बी० आई० अधिनियम से प्राप्त करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन -सा सही है ?

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1 और 3 (d) 1,2 और 3

6. भारत में नियोजित अनियत मजदूरों के संदर्भ में, निम्न्लिहित कथनों पर विचार कीजिये :

  • सभी अनियत मजदूर, कर्मचारी भविष्य निधि सुरक्षा के हक़दार है।
  • सभी अनियत मजदूर नियमित कार्य-समय एवं समयोपरि भुगतान के हक़दार है।
  • सरकार अधिसूचना के द्वारा यह विनिर्दिष्ट कर सकती है की कोई प्रतिष्टां या उद्योग केवल अपने बैंक खतों के माध्यम से मजदूरी का भुगतान करेगा।

7. आर्थिक मंदी के समय, निम्नलिखित में से कौन-सा कदम उठाये जाने की सवाधिक संभावना होती है ?

  • कर की दरों में कटौती के साथ-साथ ब्याज दर में वृद्धि करना
  • सार्वजनिक परियोजनाओं पर व्यय में वृद्धि करना
  • कर की दरों में वृद्धि क्र साथ-साथ ब्याज दर में कमी करना
  • सार्वजनिक परियोजनाओं पर व्यय में कमी करना

8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :

  • अन्य बातें अपरिवर्तित रहने पर भी किसी वास्तु के लिए बाजार मांग बढ़ सकती है,
  • यदि इसकी अथानापन्न वास्तु की कीमत में वृद्धि हो
  • इसकी पूरक वस्तु की कीमत में वृद्धि होवास्तु घटिया किस्म की है और उपभोक्ताओं की आय में वृद्धि होती है
  • इसकी कीमत घटती है

(a) केवल 1 और 4 (b) 2,3 और 4 (c) 1,3 और 4 (d) 1,2 और 3

9. भारत में, शहरी सहकारी बैंको’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :

  • राज्य सरकारों द्वारा स्थापित स्थानीय मंडलों द्वारा उनका पर्यवेक्षण एवं विनिमय किया जाता है ।
  • वे इक्विटी शेयर और अधिमान शेयर जारी कर सकते है।
  • उन्हें वर्ष 1966 में एक संशोधन के द्वारा बैंककारी विनिमय अधिनियम, 1949 के कार्य-क्षेत्र में लाया गया था।

(a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1 और 3 (d) 1,2 और 3

10. भारतीय सरकारी बॉन्ड प्रतिफल निम्नलिखित में से किससे प्रभावित होता है ?

  • यूनाइटेड स्टेटस फेडरल रिजर्व की कार्यवाई
  • भारतीय रिजर्व बैंक की कार्रवाई
  • मुद्रास्फीति एवं अल्पावधि ब्याज दर

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 2 (c) केवल 3 (d) 1,2 और 3

11. निम्नलिखित पर विचार कीजिए :

  • विदेशी मुद्रा संपरिवर्तनीय बॉन्ड
  • कुछ शरटॉनन के साथ विदेशी संस्थागत निवेश
  • वैश्विक निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) प्राप्ति प्राप्तियाँ
  • अनिवासी विदेशी जमा

उपर्युक्त में से किसे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में सम्मिलित किया जा सकता है

(a) 1,2 और 3 (b) केवल 3 (c) 2 और 4 (d) 1 और 4

12. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

  • किसी मुद्रा के अवमूल्यन का प्रभाव यह है की वह अनिवार्य रूप से
  • विदेशी बाजारों मे घरेलू निर्यातों की प्रतिस्पर्धात्मक को बढ़ाता है
  • घरेलू मुद्रा के विदेशी मूल्य को बढ़ाता है
  • व्यापार संतुलन मे सुधार लता है

उपर्युक्त कथनों में से कौन -सा सही है

(a) केवल 1 (b) 1 और 2 (c) केवल 3 (d) 2 और 3

13. भारत में काले धन के सृजन के निम्नलिखित प्रभावों में से कौन -स भारत सरकार की चिंता का प्रमुख कारण है ?

  • स्थावर संपदा कर करे एयर विलसितयुक्त आवास में निवेश के लिए संसाधनों का अपयोजन
  • अनुत्पादक गतिविधियों में निवेश और जवाहरात, गहने, सोना इत्यादि का करे
  • राजनीतिक दलों को बड़े चंदे एवं क्षेत्रवाद का विकास
  • कर अपवंचन के कारण राजकोष में राजस्व की हानि

14. निम्नलिखित में से कौन -स अपने प्रभाव में स्वाधिक मुद्रास्फीतिकारक हो सकता है

  • सार्वजनिक ऋण की चुनौती
  • बजट घाटे के वित्तीयन के लिए जनता से उधर लेना
  • बजट घाटे के वित्तीयन के लिए बैंकों से उधार लेना
  • बजट घाटे के वित्तीयन के लिए नई मुद्रा का सृजन करना

1. भारत में फर्म के “ब्याज-व्याप्ति अनुपात (Interest Coverage Ratio)” पद का क्या महत्त्व

1. यह उस फर्म, जिसे बैंक ऋण देने जा रहा है, के वर्तमान जोखिम को समझने में मदद करता है। 2. यह उस फर्म, जिसे बैंक ऋण देने जा रहा है, के आने वाले जोखिम के मूल्यांकन में मदद करता 3. उधार लेने वाली फर्म का ब्याज-व्याप्ति अनुपात जितना अधिक होगा, उसकी ऋण समाशोधन क्षमता उतनी ही खराब होगी। नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 2 (c) केवल 1 और 3 (d) 1, 2 और 3

2. हाल के बीते दिनों में निम्नलिखित में से कौन-से कारक/कौन-सी नीतियाँ भारत में चावल के मूल्य को प्रभावित कर रही थीं ?

1. न्यूनतम समर्थन मूल्य 2. सरकार द्वारा व्यापार करना 3. सरकार द्वारा भण्डारण करना 4. उपभोक्ता सहायिकियाँ (subsidies) नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

(a) केवल 1, 2 और 4 (b) केवल 1, 3 और 4 (c) केवल 2 और 3 (d) 1, 2, 3 और 4

3. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अन्तर्गत. निम्नलिखित में से किन-किन उद्देश्यों के लिए कृषकों को अल्पकालीन ऋण समर्थन उपलब्ध कराया जाता है ?

1. फार्म परिसंपत्तियों के रख-रखाव हेतु कार्यशील पूंजी के लिए 2. कम्बाइन कटाई मशीनों, ट्रैक्टरों एवं मिनी ट्रकों के क्रय के लिए 3 फार्म परिवारों की उपभोग आवश्यकताओं के लिए 4. फ़सल कटाई के बाद के खचों के लिए 5. परिवार के लिए घर निर्माण तथा गाँव में शीतागार सुविधा की स्थापना के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

(a) केवल 1, 2 और 5 (b) केवल 1, 3 और 4 (c) केवल 2, 3, 4 और 5 (d) 1, 2, 3. 4 और 5

4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

1. खाद्य वस्तुओं का ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में भार (weightage) उनके ‘थोक मूल्य सूचकांक’ (WPI) में दिए गए भार से अधिक है । 2. WPI, सेवाओं के मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों को नहीं पकड़ता, जैसा कि CPI करता है । 3. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब मुद्रास्फीति के मुख्य मान हेतु तथा प्रमुख नीतिगत दरों के निर्धारण और परिवर्तन हेतु WPI को अपना लिया है । उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 2 (c) केवल 3 (d) 1, 2 और 3

5. भारत में, निम्नलिखित में से किन्हें कृषि में सार्वजनिक निवेश माना जा सकता है ?

1. सभी फसलों के कृषि उत्पाद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करना 2. प्राथमिक कृषि साख समितियों का कम्प्यूटरीकरण 3. सामाजिक पूँजी विकास 4. कृषकों को नि:शुल्क बिजली की आपूर्ति 5. बैंकिंग प्रणाली द्वारा कृषि ऋण की माफ़ी 6. सरकारों द्वारा शीतागार सुविधाओं को स्थापित करना नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

(a) केवल 1, 2 और 5 . (b) केवल 1, 3, 4 और 5 (c) केवल 2, 3 और 6 (d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

6. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

1. वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper)’ अल्पकालीन प्रतिभूति-रहित वचन-पत्र है। 2. ‘जमा प्रमाण-पत्र (Certificate of Deposit)’ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किसी निगम को निर्गत किया जाने वाला दीर्घकालीन प्रपत्र है। 3. ‘शीघ्रावधि द्रव्य (Call Money)’ अन्तरबैंक लेन-देनों के लिए प्रयुक्त अल्प अवधि का वित्त ‘शून्य-कूपन बॉण्ड (Zero-Coupon Bonds)’ अनुसूचित व्यापारिक बैंकों द्वारा निगमों को निर्गत किए जाने वाले ब्याज सहित अल्पकालीन बॉण्ड हैं। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 4 (c) केवल 1 और 3 (d) केवल 2, 3 और 4

7. वर्तमान में भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?

1. भारत के माल का निर्यात, माल के आयात से कम है। 2. भारत के लोहे व इस्पात, रसायनों, उर्वरकों और मशीनों के आयात में हाल के वर्षों में कमी आयी 3. भारत की सेवाओं का निर्यात, सेवाओं के आयात से अधिक है। 4. भारत को कुल मिलाकर व्यापार चालू खाते का घाटा हो रहा है। नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 2 और 4 (c) केवल 3 (d) केवल 1, 3 और 4

8. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से गैर-वित्तीय ऋण में सम्मिलित है/हैं ?

1. परिवारों का बकाया गृह ऋण 2. क्रेडिट कार्डों पर बकाया राशि 3. राजकोष बिल (Treasury bills) नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

(a) केवल 1 (b) केवल 1 और 2 (c) केवल 3 (d) 1, 2 और 3

9. व्यापार-संबंधित निवेश उपायों’ (TRIMS) के संदर्भ में. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

  • विदेशी निवेशकों द्वारा किए जाने वाले आयात पर ‘परिमाणात्मक निर्बधन’ निषिद्ध होते हैं । ,
  • ये वस्तुओं एवं सेवाओं दोनों के व्यापार से संबंधित निवेश उपायों पर लागू होते हैं ।
  • ये विदेशी निवेश के नियमन से संबंधित नहीं हैं । नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

10. यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा ?

1. वैधानिक तरलता अनुपात को घटाकर उसे अनुकूलित करना 2. सीमान्त स्थायी सुविधा दर को बढ़ाना 3. बैंक दर को घटाना तथा रेपो दर को भी घटाना नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

11. 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद की भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

1. शहरी क्षेत्रों में श्रमिक की उत्पादकता (2004 – 05 की कीमतों पर प्रति श्रमिक) में वृद्धि हुई जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इसमें कमी हुई। 2. कार्यबल में ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिशत हिस्सेदारी में सतत वृद्धि हुई। 3. ग्रामीण क्षेत्रों में, गैर-कृषि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई। 4. ग्रामीण रोज़गार की वृद्धि दर में कमी आई । उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 3 और 4 (c) केवल 3 (d) केवल 1, 2 और 4

1. कृषि क्षेत्र को अल्पकालीन साख परिदान करने के संदर्भ में, ‘जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक (DCCBs)’ ‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों’ एवं ‘क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की तुलना में अधिक ऋण देते हैं। 2. डी.सी.सी.बी. (DCCBs) का एक सबसे प्रमुख कार्य ‘प्राथमिक कृषि साख समितियों’ को निधि उपलब्ध कराना है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

13. यदि निकट भविष्य में दसरा वैश्विक वित्तीय संकट होता है, तो निम्नलिखित में से कौन-से कार्य/नीतियाँ, भारत को, सबसे अधिक संभावना के साथ, कुछ उन्मुक्ति प्रदान कर सकती है/हैं ?

1. अल्पकालीन विदेशी ऋणों पर निर्भर न रहना 2. कुछ और विदेशी बैंकों को प्रारंभ करना 3. पूँजी खाते में पूर्ण परिवर्तनीयता को बनाए रखना नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

14. यदि आप अपने बैंक के माँग जमा खाते (Demand Deposit Account) से ₹ 1,00,000 की नकद राशि निकालते हैं, तो अर्थव्यवस्था में तात्कालिक रूप से मुद्रा की समग्र पूर्ति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ?

(a) मुद्रा की समग्र पूर्ति में  1,00,000 की कमी आएगी (b) मुद्रा की समग्र पूर्ति में  1,00,000 की वृद्धि होगी (c) मुद्रा की समग्र पूर्ति में  1,00,000 से अधिक की वृद्धि होगी (d) मुद्रा की समग्र पूर्ति अपरिवर्तित रहेगी

1. सेवा क्षेत्र उपागम किसके कार्यक्षेत्र के अधीन कार्यान्वित किया गया था?

(a) एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (b) अग्रणी बैंक योजना (लीड बैंक स्कीम) (c) महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (d) राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन

2. भारत में किसी वाणिज्यिक बैंक की परिसंपत्ति में निम्नलिखित में से क्या शामिल नहीं है?

(a) अग्रिम (b) जमा (c) निवेश (d) माँग तथा अल्प सूचना मुद्रा (मनी ऐट कॉल ऐंड शॉर्ट नोटिस)

3. हाल ही में, भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा अंतर-ऋणदाता करार (इंटर-क्रेडिटर ऐग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर करने का क्या उद्देश्य था?

(a) भारत सरकार के राजकोषीय घाटे और चालू लेखा घाटे के वर्षानुवर्ष पड़ने वाले भार को कम करना (b) केन्द्रीय और राज्य सरकारों की आधारिक-संरचना परियोजनाओं को संबल प्रदान करना (c) ₹50 करोड़ या अधिक के ऋणों के आवेदनों के मामले में स्वतंत्र नियामक के रूप में कार्य करना । (d) ₹50 करोड़ या अधिक की दबावयुक्त परिसंपत्तियों (स्ट्रेस्ड ऐसेट्स) का, जो सह-संघ उधारी (कॉन्सॉर्टियम लेंडिंग) के अंतर्गत हैं, अधिक तेजी से समाधान करने का लक्ष्य रखना ।

. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अध्यक्षों का चयन कौन करता है ?

(a) बैंक बोर्ड ब्यूरो (b) भारतीय रिज़र्व बैंक (c) केंद्रीय वित्त मंत्रालय (d) संबंधित बैंक का प्रबंधन

5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

‘भुगतान प्रणाली आँकड़ों के भंडारण (स्टोरेज ऑफ पेमेंट सिस्टम डेटा)’ के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के हाल का निदेश, जिसे प्रचलित रूप से डेटा डिक्टेट के रूप में जाना जाता है, भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (पेमेंट सिस्टम प्रोवाइडर्स) को समादेशित करता है कि 1. वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके द्वारा संचालित भुगतान प्रणालियों से संबंधित समग्र आँकड़े एक प्रणाली के अंतर्गत केवल भारत में भंडारित किए जाएँ। 2. वे यह सुनिश्चित करेंगे कि इन प्रणालियों का स्वामित्व और संचालन सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम ही करें 3. वे कैलेंडर वर्ष की समाप्ति तक भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक को समेकित प्रणाली लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 (b) केवल 1 और 2 (c) केवल 3 (d) 1, 2 और 3

6 . किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा गुणक (मनी मल्टिप्लायर) निम्नलिखित में से किस एक के साथ-साथ बढ़ता है।

(a) आरक्षित नकदी (कैश रिज़र्व) अनुपात में वृद्धि (b) जनता की बैंकिंग आदतों में वृद्धि (c) सांविधिक नकदी अनुपात में वृद्धि (d) देश की जनसंख्या में वृद्धि

7 . भारतीय रुपए की गिरावट रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा एक सरकार/भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया जाने वाला सर्वाधिक संभावित उपाय नहीं है?

(a) गैर-ज़रूरी वस्तुओं के आयात पर नियंत्रण और निर्यात को प्रोत्साहन (b) भारतीय उधारकर्ताओं को रुपए मूल्यवर्ग के मसाला बॉन्ड जारी करने हेतु प्रोत्साहित करना। (c) विदेशी वाणिज्यिक उधारी से संबंधित दशाओं को आसान बनाना (d) एक प्रसरणशील मौद्रिक नीति का अनुसरण करना

8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

1. भारत का अधिकांश विदेशी ऋण सरकारी सत्वों के ऋणी होने के द्वारा है। 2. भारत का सारा विदेशी ऋण US डॉलर के मूल्यवर्ग में है। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) 1 और 2 दोनों (a) न तो 1, न ही 2

9. भारत के संदर्भ में, मुद्रा संकट के जोखिम को कम करने में निम्नलिखित में से किस/किन कारक/कारकों का योगदान है?

1. भारत के IT सेक्टर के विदेशी मुद्रा अर्जन का 2. सरकारी व्यय के बढ़ने का 3. विदेशस्थ भारतीयों द्वारा भेजे गए धन का नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए। (a) केवल 1, 2 (b) केवल 1 और 3 (c) केवल 2 (d) 1, 2 और 3

10. पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा उन विदेशी निवेशकों को, जो स्वयं को सीधे पंजीकृत कराए बिना भारतीय स्टॉक बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं, निम्नलिखित में से क्या जारी किया जाता है?

(a) जमा प्रमाण-पत्र (b) वाणिज्यिक पत्र (c) वचन-पत्र (प्रॉमिसरी नोट) (d) सहभागिता पत्र (पार्टिसिपेटरी नोट)

11. अटल नवप्रवर्तन (इनोवेशन) मिशन किसके अधीन स्थापित किया गया है?

(a) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (b) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (c) नीति (NITI) आयोग (d) कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय

12. एशियाई आधारिक-संरचना निवेश बैंक [एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (AIIB)] के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

1. AIIB के 80 से अधिक सदस्य राष्ट्र हैं। 2. AIIB में भारत सबसे बड़ा शेयरधारक है। 3. AIIB में एशिया से बाहर का कोई सदस्य नहीं है। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1 और 3 (d) 1, 2 और 3

13. निम्नलिखित में से कौन-सा एक विश्व बैंक के कारोबार सुगमता सूचकांक (ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स) का उप-सूचकांक नहीं है?

(a) कानून और व्यवस्था बनाए रखना (b) करों का भुगतान करना (c) संपत्ति का पंजीकरण कराना (d) निर्माण परमिट संबंधी कार्य करना

14. स्वतंत्र भारत में भूमि सुधारों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?

(a) हदबंदी कानून पारिवारिक जोत पर केंद्रित थे, न कि व्यक्तिगत जोत पर। (b) भूमि सुधारों का प्रमुख उद्देश्य सभी भूमिहीनों को कृषि भूमि प्रदान करना था। (c) इसके परिणामस्वरूप नकदी फसलों की खेती, कृषि का प्रमुख रूप बन गई। (d) भूमि सुधारों ने हदबंदी सीमाओं को किसी भी प्रकार की छूट की अनुमति नहीं दी।

15. भारतीय खाद्य निगम के लिए खाद्यान्नों की आर्थिक लागत में न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसानों को भुगतान किए गए बोनस (यदि कुछ है) के साथ-साथ और क्या शामिल है/हैं?

(a) केवल परिवहन लागत (b) केवल ब्याज लागत (c) प्रापण प्रासंगिक प्रभार तथा वितरण लागत (d) प्रापण प्रासंगिक प्रभार तथा गोदामों के प्रभार

16. भारत द्वारा आयातित कृषि जिंसों में, पिछले पाँच वर्षों में निम्नलिखित में से किस एक का मूल्य के आधार पर अधिकतम आयात् रहा है?

(a) मसाले (b) ताजे फल (c) दलहन (d) वनस्पति तेल

17.वैश्विक प्रतियोगित्व रिपोर्ट (ग्लोबल कंपिटिटिवनेस रिपोर्ट) कौन प्रकाशित करता है?

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
  • संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एण्ड डेवलपमेंट)
  • विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम)

18. किसी दिए गए वर्ष में भारत में कुछ राज्यों के आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं, क्योंकि

(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है। (b) कीमत-स्तर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है। (c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है। (d) सार्वजनिक वितरण की गुणता अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है।

19. निम्नलिखित में से कौन-सा देश पिछले पाँच वर्षों के दौरान विश्व में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है?

(a) चीन (b) भारत (c) म्यांमार (d) वियतनाम

20. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

1. भारत सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकण इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में किया गया था। 2. वर्तमान में, कोयला खंडों का आबंटन लॉटरी के आधार पर किया जाता है। 3. भारत हाल के समय तक घरेलू आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए कोयले का आयात करता था, किन्तु अब भारत कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर है। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 3 (d) 1, 2 और 3

21. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) केंद्रीय (संशोधन) नियम, 2018 के अनुसार 1. यदि नियत अवधि रोजगार के लिए नियमों को कार्यान्वित किया जाता है, तो फर्म/कंपनियों के लिए कामगारों की छंटनी करना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है। 2. अस्थायी कामगारों के मामलों में रोजगार समाप्त करने के लिए कोई नोटिस देना आवश्यक नहीं होगा। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2

22. भारत की पंचवर्षीय योजनाओं के संदर्भ में, निम्नलिखित – में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

1. दूसरी पंचवर्षीय योजना से बुनियादी तथा पूँजीगत वस्तु उद्योगों के प्रतिस्थापन की दिशा में निश्चयात्मक जोर दिया गया। 2. चौथी पंचवर्षीय योजना में संपत्ति तथा आर्थिक शक्ति के बढ़ते संकेंद्रण की पूर्व प्रवृत्ति के सुधार का उद्देश्य अपनाया गया। 3. पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में, पहली बार, वित्तीय क्षेत्रक को योजना के अभिन्न अंग के रूप में शामिल किया गया। नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए। (a) केवल 1 और 2 (b) केवल 2 (c) केवल 3 (d) 1, 2 और 3

23. किसी भी देश के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किसे उसे देश की सामाजिक पूँजी (सोशल कैपिटल) के भाग के रूप में समझा जाएगा?

(a) जनसंख्या में साक्षरों का अनुपात (b) इसके भवनों, अन्य आधारिक संरचना और मशीनों का स्टॉक (c) कार्यशील आयु समूह में जनसंख्या का आमाप (d) समाज में आपसी भरोसे और सामंजस्य का स्तर

24. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

1. क्रय शक्ति समता [परचेजिंग पावर पैरिटि (PPP)] विनिमय दरों की गणना विभिन्न देशों में एकसमान वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों की तुलना कर की जाती है। 2. PPP डॉलर के संदर्भ में, भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2

1. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के संचालन के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1. पिछले दशक में भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी के अंतर्वेशन में लगातार वृद्धि हुई है । 2. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सुव्यवस्थित करने के लिए मूल भारतीय स्टेट बैंक के साथ उसके सहयोगी बैंकों का विलय किया गया है ।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा से सही है/हैं ?

2. निम्नलिखित में से कौनसा एक कथन वैध मुद्रा (लीगल टेंडर मनी) के अर्थ को सही वर्णित करता है ?

(a) न्यायालय में विधिक मामलों के लिए फीस के चुकाने में जो मुद्रा दी जाती है। (b) वह मुद्रा जो कोई ऋणदाता अपने दावों के निपटाने में स्वीकार करने के लिए बाध्य होता है (c) चैक , ड्राफ्ट, विनिमय बिलोंआदि के रूप में बैंक मुद्रा (d) किसी देश में चलन में धातु मुद्रा

3- निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।

1. पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सी.ए.आर) वह राशि है। जिसे बैंकों को अपनी निधियों के रूप में रखना होता है जिससे वे, यदि खाताधारकों द्वारा देयताओं का भुगतान नहीं करने से कोई हानि होती है, तो उसका प्रतिकार कर सकें । 2. सी.ए.आरका निर्धारण प्रत्येक बैंक द्वारा अलगअलग किया जाता है ।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा से सही है हैं ?

4. कभीकभी समाचारों में आने वाले पद “व्यापारी छूट दर” (मवेंट डिस्काउंट रेट) को निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे सही स्पष्ट करता है ?

(a) यह किसी बैंक द्वारा किसी व्यापारी को उस बैंक के डेबिट कार्ड के माध्यम से भुगतान स्वीकार करने के लिए दिया जाने वाला प्रोत्साहन है । (b) यह बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को वस्तुओं और सेवाओं के क्रय हेतु वित्तीय लेनदेनों के लिए डेबिट कार्ड का प्रयोग करने पर वापस दी जाने वाली राशि है । (c) यह बैंक द्वारा किसी व्यापारी पर अपने ग्राहकों के डेबिट कार्ड से भगतान लेने पर लगाया जाने वाला शुल्क है । (d) यह सरकार द्वारा व्यापारियों को अपने ग्राहकों से पॉइंट ऑफ सेल(पी.ओ.एस) मशीनों और डेबिट कार्ड के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए दिया जाने वाला प्रोत्साहन

5. निम्नलिखित में से कौन भारत के सभी ATM को जोड़ता है ?

(a) भारतीय बैंक एसोसिएशन (b) राष्ट्रिय प्रतिभूति निक्षेप लिमिटेड ( नेशनल सेक्यूरिटीज लिमिटेड) (c) भारतीय राष्ट्रिय भुगतान निगम (नेशनल पेमेंट्स कॉपरेशन ऑफ़ इण्डिया) (d) भारतीय रिजर्व बैंक

6. निम्नलिखित मदों पर विचार कीजिए :

1. छिलका उतरे हुए अनाज 2. मुर्गी के अण्डे पकाए हुए 3. संसाधित और डिब्बाबंद मछली 4विज्ञापन सामग्री युक्त समाचारपत्र

7. यदि सरकार द्वारा कोई वस्तु जनता को निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है, तो

(a) विकल्प लागत शून्य होती है । । (b) विकल्प लागत की उपेक्षा की जाती है । (c) विकल्प लागत को उत्पाद के उपभोक्ता से कर देने वाली जनता को अंतरित कर दिया जाता है । (d) विकल्प लागत को उत्पाद के उपभोक्ता से शासन को अंतरित कर दिया जाता है ।

8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1. भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत सरकार की प्रतिभूतियों का प्रबंधन और प्रयोजन करता है किन्तु किसी राज्य सरकार की प्रतिभूतियों का नहीं । 2. भारत सरकार कोष-पत्र (ट्रेजरी बिल) जारी करती है और राज्य सरकारें कोई कोषपत्र जारी नहीं करतीं । 3. कोषपत्र ऑफर अपने सममूल्य से बट्टे पर जारी किए जाते हैं ।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है हैं ?

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 3 (c) केवल 2 और 3 (d) 1, 2 और 3

9. निम्नलिखित कथनो पर विचार कीजिये :

एक संकल्प के रूप में मानव पूंजी निर्माण की बेहतर व्याख्या उस प्रक्रिया के रूप में की जाती है , जिनके द्वारा

1. किसी देश के व्यक्ति अधिक पूंजी का संचय कर पाते है। 2. देश के लोगो के ज्ञान, कौशल स्तरों और क्षमताओं में वृद्धि हो पाती है। 3. गोचर धन का संचय हो पाता है। 4. अगोचर धन का संचय हो पाता है।

उपयुर्क्त कथनो में से कौन – सा/से सही है/हैं ?

(a) 1 और 2 (b) केवल 2 (c) 2 और 4 (d) 1,3 और 4

10. भारत में माल के भौगोलिक संकेत (रजिस्ट्रेशन और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को निम्नलिखित में से किससे संबंधित दायित्वों के अनुपालन के लिए’ लागू किया गया ?

(a) आईएलओ. (b) आईएमएफ. (c) यू.एन.सी.टी.ए.डी. (d) डब्ल्यू.टी.ओ.

11.भारत के संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईए.ई.ए)’ के अतिरिक्त नयाचार (एडीशनल प्रोटोकॉल)’ का अनुसमर्थन करने का निहितार्थ क्या है ?

(a) असैनिक परमाणु रिऐक्टर आईएईए. के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं । (b) सैनिक परमाणु अधिष्ठान आईएई.ए. के निरीक्षण के अधीन आ जाते हैं । (C) देश के पास नाभिकीय पूर्तिकर्ता समूह (एनएस.जी.) से यूरेनियम के क्रय का विशेषाधिकार हो जाएगा । (d) देश स्वतएनएसजी. का सदस्य बन जाता है ।

12. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिए :

1. ऑस्ट्रेलिया 2. कनाडा 3. चीन 4. भारत 5. जापान 6. यू.एस.ए.

उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (एएसइ.एएन) मुक्त व्यापार भागीदारों में से हैं ?

(a) 1, 24 और 5 (b) 3, 4, 5 और 6 (c) 1, , 4 और 5 (d) 2, 3, 4 और 6

13. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के 188 एवं 182 अभिसमय किससे संबंधित हैं ?

(a) बाल श्रम (b) कृषि के तरीकों का वैश्विक जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन (c) खाद्य कीमतों एवं खाद्य सुरक्षा का विनियमन (d) कार्यस्थल पर लिंग समानता

14. किसी देश के नाभिकीय पूर्तिकर्ता समूह के सदस्य बनने काके क्या परिणाम है हैं ?

1. इसकी पहुँच नवीनतम और सबसे कुशल परमाणु प्रौद्योगिकियों तक हो जाएगी । 2. यह स्वमेव ‘नाभिकीय आयुध अप्रसार संधि” (एनपी.टी.) का सदस्य बन जाता है ।

15. विधि का नियम सूचकांक” ( रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स) को निम्नलिखित में से किसके द्वारा जारी किया जाता है ?

(a) एमनेस्टी इंटरनेशनल (b) अंतराष्ट्रीय न्यायालय (c) सयुंक्त राष्ट्र मानव अधिकार आयुक्त कार्यालय (d) विश्व न्याय परियोजना

16. निम्नलिखित पर विचार कीजिए

1. सुपारी 2. जौ 3. कॉफ़ी 4. रागी 5. मूंगफली 6. तिल 7. हल्दी

उपर्युक्त में से किनके न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने की है ?

(a) केवल 1, 2, 3 और 7 (b) केवल 2, 5 और 6 (c) केवल 1, 3, 4, 5 और 6 (d) 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7

17. भारत में जैविक कृषि के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथों पर विचार कीजिए ?

1. जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (ए.पी.ओ.पी.) केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के मार्गदर्शन एवं निदेश के अधीन कार्य करता 2. एनपी.ओ.पी. के क्रियान्वयन के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) सचिवालय के रूप में कार्य करता 3. सिक्किम भारत का पहला पूरी तरह से जैविक राज्य बन गया है ।

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 8 (d) 1, 2 और 8

18. निरपेक्ष तथा प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP की वृद्धि आर्थिक विकास की ऊंची दर का संकेत नहीं करतीं, यदि।

(a) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथसाथ बढ़ने में विफल रह जाता है । । (b) कृषि उत्पादन औद्योगिक उत्पादन के साथसाथ बढ़ने में विफल रह जाता हैं । (c) निर्धनता और बेरोज़गारी में वृद्धि होती है । (d) निर्यातों की अपेक्षा आयात तेज़ी से बढ़ते हैं ।

19. उच्च बचत वाली अर्थव्यवस्था होते हुए भी एक किस कारण पूंजी निर्माण महत्वपूर्ण उत्पादन वृद्धि में परिणामित नहीं हो पाता है ?

(a) कमजोर प्रशासन तंत्र (b) निरक्षरता (c) उच्च जनसख्या घनत्व (d) उच्च पूंजी – उत्पादन अनुपात

1. खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 ने खाद्य अपमिश्रण की रोकथाम (प्रिवेंशन ऑफ फूड एडल्टरेशन) अधिनियमप्रतिस्थापित 1954 को किया । 2. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (फूड सेफ्टी एण्ड स्टैण्डर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) (एफएसएस.एआई) केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के प्रभार में है ।

21. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।

1. केवल वे ही परिवार सहायता प्राप्त खाद्यान्न लेने की पात्रता रखते हैं जो ‘गरीबी रेखा से नीचे। (बी.पी.एल) श्रेणी में आते हैं । 2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किए जाने के प्रयोजन से परिवार का मुखिया होगी । 3. गर्भवती महिलाएँ एवं दग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छ: महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं ।

(a) 1 और 2 (b) केवल 2 (c) 1 और 3 (d) केवल 3

22. अप्रवासी सत्वों द्वारा दी जा रही ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर भारत द्वारा 6% समकरण कर लगाए जाने के निर्णय के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है हैं ?

1. यह आय कर अधिनियम के भाग के रूप में लागू किया गया है । 2. भारत में विज्ञापन सेवाएँ देने वाले अप्रवासी सत्त्व अपने गृह देश में दोहरे कराधान से बचाव समझौते’ के अन्तर्गत टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकते हैं ।

निम्नलिखित छूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

23. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1. पिछले पाँच वर्षों में आयातित खाद्य तेलों की मात्रा, खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन से अधिक रही है । 2. सरकार विशेष स्थिति के तौर पर सभी आयातित खाद्य तेलों पर किसी प्रकार का सीमा शुल्क नहीं लगाती ।

(a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1,न ही 2

24. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार का/के डिजिटल इंडिया” योजना का/के उद्देश्य है हैं ?

1. भारत की अपनी इन्टरनेट कम्पनियों का गठन, जैसा कि चीन ने किया । 2. एक नीतिगत ढाँचे की स्थापना जिससे बड़े आंकड़े एकत्रित करने वाली समुद्रपारीय बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को प्रोत्साहित किया जा सके कि वे हमारी राष्ट्रीय भौगोलिक सीमाओं के अन्दर अपने बड़े डेटा केन्द्रों की स्थापना करें । 3. हमारे अनेक गाँवों को इन्टरनेट से जोड़ना तथा हमारे बहुत से विद्यालयों, सार्वजनिक स्थलों एवं प्रमुख पर्यटक केन्द्रों में वाईफाई (Wi-Fi) लाना ।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 3 (c) केवल 2 और 3 (d) 1.2 और 3

25. प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना के सन्दर्भ में,निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1. यह श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की फ्लैगशिप स्कीम 2यह, अन्य चीज़ों के साथसाथसॉफ्ट स्किल उद्यमवृत्ति, वित्तीय और डिजिटल साक्षरता में भी प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगी । 3. यह देश के अविनियमित कार्यबल की कार्यकुशलताओं को राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचा (नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क) के साथ जोड़ेगी ।

उपर्युक्त कथनों में से कौनसा/से सही है हैं ?

(a) केवल 1 और 3 (b) केवल 2 (c) केवल 2 और 3 (d) 1, 2 और 3

1. निम्नलिखित में से कौन राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में शामिल हो सकता है?

  • निवासी भारतीय नागरिक केवल
  • 21 से 55 साल की आयु के व्यक्ति केवल
  • सभी राज्य सरकार के कर्मचारियों ने संबंधित राज्य सरकारों द्वारा अधिसूचना की तारीख के बाद सेवाओं में शामिल होने के लिए
  • 1 अप्रैल 2004 को या बाद में सेवाओं में शामिल होने वाले सशस्त्र बलों सहित सभी केंद्रीय सरकार कर्मचारी

2. भारत में लघु वित्त बैंक (SFB) की स्थापना का उद्देश्य क्या है?

  • छोटे व्यवसाय इकाइयों को क्रेडिट आपूर्ति करने के लिए
  • छोटे और सीमांत किसानों को ऋण देने के लिए
  • युवा उद्यमियों को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसाय स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना

नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें: (a) 1 और 2 केवल (b) 2 और 3 केवल (c) 1 और 3 केव

3. निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:

  • भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI- National payment corporation of india) देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में मदद करता है
  • NPCI ने एक कार्ड भुगतान योजना रुपे (RUPAY) की शुरुआत की है,

दिए गए कथनों में से कौन सा है / सही है? (a)  केवल 1 (b)  2 केवल (c ) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1,न ही 2

4 ‘मौद्रिक नीति कमेटी (MPC)’ के बारे में निम्नलिखित बयानों में से कौन सा सही है?

  • यह आरबीआई की बेंचमार्क ब्याज दरें तय करता है।
  • यह आरबीआई के गवर्नर सहित 12 सदस्यीय निकाय है और हर साल पुनर्गठन किया जाता है।
  • यह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करता है।

नीचे दिए गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनें: (a) केवल 1 (b) 1 और 2 केवल (c) केवल (d) और 3 केवल

5. ‘बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम, 1988 (PBPT Act) का निषेध’ के संदर्भ में, निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:

  • एक संपत्ति लेनदेन को बेनामी लेनदेन के रूप में नहीं माना जाता है यदि संपत्ति के मालिक को लेनदेन के बारे में जानकारी नहीं है
  • जिन संपत्तियों का आयोजन बेनामी सरकार द्वारा जब्त के लिए उत्तरदायी है
  • यह अधिनियम जांच के लिए तीन अधिकारियों को प्रदान करता है लेकिन किसी भी अपीलीय तंत्र के लिए प्रदान नहीं करता है।

ऊपर दिए गए कथन में से कौन सा सही है / है? (a) केवल 1 (b) 2 केवल (c) 1 और 3 केवल (d) 2 और 3 के

6. ‘GST’ को लागू करने का सबसे अधिक संभावना क्या है?

  • यह कई  अनेक करों की जगह लेगा और इस प्रकार भारत में  भी एक बाजार का निर्माण करेगा।
  • यह भारत की ‘चालू खाता घाटे’ को काफी कम कर देगा और इसे अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में सक्षम करेगा।
  • यह भारत की अर्थव्यवस्था के विकास और आकार में काफी वृद्धि करेगा और निकट भविष्य में चीन को आगे बढ़ाएगा।

नीचे दिए गए उत्तर का चयन करें (a)  केवल 1 (b)  2 और 3 केवल (c)  1 और 3 केवल (d) 2 और 3 के

7.कभी-कभी समाचारों में दिखाई पड़ने वाले ‘धरेलू अंश आवश्यकता (डोमेस्टिक कंटेन्ट रिक्वयरमेंट)’ पद का संबंध किससे है ?

  • हमारे देश में सौर शक्ति उत्पादन का विकास करने से
  • हमारे देश में विदेशी टी. वी चैनलों को अनुज्ञप्त प्रदान करने से
  • हमारे देश के खाद्य उत्पादों को अन्य देशों को निर्यात करने से
  • विदेशी शिक्षा संस्थाओ को हमारे देश में अपने परिसर स्थापित करने की अनुमति देने से

8. ‘राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति’ के संदर्भ में, निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:

  • यह दोहा विकास एजेंडा और ट्रिप्स समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराता है।
  • औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों को विनियमित करने के लिए नोडल एजेंसी है।

उपरोक्त कथन कौन से / सही हैं? (a) केवल 1 (b) 2 केवल (c) 1 और 2 दोनों

9. ‘व्यापक-आधारयुक्त व्यापार और निवेश करार (BTIA)’ कभी-कभी भारत और भारत के बीच हुई बातचीत की खबरों में देखा जाता है

(a)  यूरोपीय संघ (b)  गल्फ़ कोपरेशन काउंसिल (c)  आर्थिक सहायक और विकास संगठन (d)  शंघाई कूपर संगठन

10. निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:

  • भारत ने WTO के के व्यापर सुकर बनाने के करर (TFA) का अनुसमर्थन किया है
  • TFA , WTO  के बाली मंत्रिस्तरीय पैकेज – 2013 का एक हिस्सा है
  • जनवरी 2016 में TFA लागू हुआ

दिए गए कथनों में से कौन सा है / सही है? (a)  1 और 2 केवल (b)  1 और 3 केवल (c)  2 और 3 केवल (d)  1, 2 और 3

11. ‘नेशनल इनवेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड’ के संदर्भ में, निम्नलिखित बयानों में से कौन सा सही है?

  • यह नीती प्रयोग का अंग है
  • इसमें वर्तमान में 4,00,000 करोड़ रुपये का एक संग्रह है।

नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें: (a) केवल 1 (b) 2 केवल (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1 और न ही 2

12- ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधा एक है

(a)  एशिया में बुनियादी ढांचे का उन्नयन करने के लिए एशियाई पहल और एशियन डेवलपमेंट बैंक से क्रेडिट द्वारा वित्त पोषित (b)  विश्व बैंक सहयोग जो कि निजी क्षेत्र और संस्थागत निवेशक पूंजी के जुड़ाव को सक्षम करने के लिए जटिल अवसंरचना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) की तैयारी और संरचना की सुविधा देता है। (c)  ओईसीडी के साथ काम कर रहे विश्व के प्रमुख बैंकों के बीच सहयोग और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के सेट को विस्तारित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो कि निजी व्यवसाय को जुटाने की क्षमता रखता है। (d)  UNCTAD वित्त पोषित पहल जो दुनिया में बुनियादी ढांचे के विकास को वित्त और सुविधा प्रदान करना चाहता है

13.स्मार्ट इंडिया हैकथॉन 2017 के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है / है?

  • यह हमारे देश के प्रत्येक शहर को एक दशक में स्मार्ट शहरों में विकसित करने के लिए एक केन्द्र प्रायोजित योजना है।
  • यह हमारे देश के सामने आने वाली कई समस्याओं को हल करने के लिए नई डिजिटल प्रौद्योगिकी नवाचारों की पहचान करने के लिए एक पहल है।
  • यह एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य एक दशक में पूरी तरह से डिजिटल हमारे देश में सभी वित्तीय लेनदेन करना है।

नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें: (a) 1 और 3 केवल (b) 2 केवल (c) 3 केवल (d) 2 और 3 केव

14. निम्नलिखित में से कौन सा ‘राष्ट्रीय पोषण मिशन’ के उद्देश्य हैं?

  • गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच कुपोषण से संबंधित जागरूकता पैदा करना।
  • छोटे बच्चों, किशोर लड़कियों और महिलाओं में एनीमिया की घटनाओं को कम करने के लिए बाजरा, मोटे अनाज और निर्जलित चावल की खपत को बढ़ावा देना।
  • मुर्गी अंडे की खपत को बढ़ावा देने के लिए

नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें: (a) 1 और 2 केवल (b) 1, 2 और 3 केवल (c) 1, 2 और 4 केवल (d) 3 और 4 केवल

15. ‘राष्ट्रीय कौशल योग्यता तंत्र (NSQF)’ के संदर्भ में, नीचे दिए गए बयानों में से कौन सा सही है?

  • NSQF के तहत, एक शिक्षार्थी औपचारिक शिक्षा के माध्यम से योग्यता के लिए प्रमाणीकरण प्राप्त कर सकता है।
  • NSQF के कार्यान्वयन से अपेक्षित परिणाम व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा के बीच गतिशीलता है।

नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें: (a)  केवल 1 (b)  2 केवल (c)  1 और 2 दोनों

16. विद्यांजली योजना का उद्देश्य क्या है?

  • प्रसिद्ध विदेशी शिक्षण संस्थानों को भारत में कैंपस खोलने में सहयता करना
  • निजी स्कूलों और समुदाय से सहायता लेकर सरकारी स्कूलों में उपलब्ध कराई गई शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए
  • प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के लिए आधारभूत सुविधाओं में सुधार के लिए निजी व्यक्तियों और संगठनों से स्वैच्छिक मौद्रिक योगदान को प्रोत्साहित करना।

नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें: (a)  2 केवल (b)  3 केवल (c)  1 और 2 केवल

17.  ‘उन्नत भारत अभियान’ का उद्देश्य क्या है?

(a)  स्वैच्छिक संगठनों और सरकार की शिक्षा प्रणाली और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के द्वारा 100% साक्षरता हासिल करना। (b)  उचित प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विकास चुनौतियों के समाधान के लिए स्थानीय समुदायों के साथ उच्च शिक्षा के संस्थानों को जोड़नना।

(c)  भारत को एक वैज्ञानिक और तकनीकी शक्ति बनाने के लिए भारत के वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों को मजबूत करना (d)  ग्रामीण और शहरी गरीबों की स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के लिए विशेष धन आवंटित करके और उनके लिए कौशल विकास कार्यक्रमों और व्यावसायिक प्रशिक्षण का आयोजन करके मानव पूंजी का विकास करना।

18. ‘राष्ट्रीय करियर सर्विस’ के संबंध में निम्नलिखित पर विचार करें:

  • राष्ट्रीय कैरियर सेवा कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार के एक पहल है।
  • देश के अशिक्षित युवाओं को रोजगार के अवसरों में सुधार के लिए एक मिशन मोड में राष्ट्रीय कैरियर सेवा शुरू की गई है।

उपरोक्त कथन कौन से / सही हैं? (a)  केवल 1 (b)  2 केवल (c)  1 और 2 दोनों (d)  न तो 1 और न ही 2

19.निम्नलिखित में से कौन, विश्व के देशों के लिए ‘सार्वभौम लैंगिग अंतराल सूचकांक (ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स)’ का श्रेणीकरण प्रदान करता है?

  • विश्व आर्थिक मंच
  • UN मानव अधिकार परिषद
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन

20. समाचारों मे आने वाला ‘डिजिटल एकल बाजार कार्यनीति (डिजिटल सिंगल मार्केट स्ट्रेटजी)’ पद किस निर्दिष्ट करता है?

21- खबरों में कभी-कभी उल्लेख किया जाता है

(a) पारंपरिक श्रमिकों के माध्यम से निर्माण श्रमिकों के माध्यम से प्राप्त कौशल को प्रमाणित करना। (b) दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में छात्रों को नामांकित करना।

(c) ग्रामीण और शहरी गरीब उद्यमों में कुछ कुशल नौकरियों को सुरक्षित रखें

(d) राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षुओं द्वारा प्राप्त कौशल को प्रमाणित करना।

22- ‘भारत की गुणवत्ता परिषद (QCI)’ के संदर्भ में, निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:

  • QCI को भारत सरकार और भारतीय उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित किया गया था।
  • सरकार के लिए उद्योग की सिफारिशों पर प्रधान मंत्री द्वारा क्यूसीआई के अध्यक्ष का नियुक्त किया जाता है।

उपरोक्त कथन कौन से / सही हैं? (a) केवल 1 (b) 2 केवल (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1 और न

23.  ‘राष्ट्रीय कृषि बाजार’ योजना को लागू करने के क्या  लाभ हैं?

  • यह कृषि वस्तुओं के लिए अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है।
  • यह किसानों को राष्ट्रव्यापी बाजार तक पहुंच प्रदान करता है, जिनके मूल्य उनके उत्पादों की गुणवत्ता के अनुरूप हैं।

24. 1991 में भारत में आर्थिक नीतियों के उदारीकरण के बाद भारत में निम्नलिखित में से कौन सा हुआ है?

  • जीडीपी में कृषि के क्षेत्र में भारी वृद्धि हुई है
  • विश्व व्यापार में भारत के निर्यात का हिस्सा
  • एफडीआई प्रवाह बढ़ गया
  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बहुत बढ़ गया है

नीचे दिया गया कोड नीचे दिया गया है: (a)  1 और 4 केवल (b)  2, 3 और 4 केवल (c)  2 और 3 केवल (d)  1, 2, 3 और 4

25. निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:

  • पिछले दशक में भारत के GDP के  प्रतिशत के रूप में कर राजस्व में सतत वृद्धि हुई है।
  • पिछले दशक में भारत की GDP के  प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटे में सतत वृद्धि हुई है।

दिए गए कथनों में से कौन सा / सही है? (a)  केवल 1 (b)  2 केवल (c)  1 और 2 दोनों (d)  या तो 1 न 2

26. हाल ही में समाचार में देखा गया निम्न में से कौन से कथनों में ‘दबाव परिसंपत्तियों के धारणीय संरचना पद्धति – Scheme for sustainable structuring of stressed assets  (S4A)’ के लिए  सबसे अच्छा वर्णन है?

(a)  यह सरकार द्वारा तैयार की गई विकास योजनाओं के पारिस्थितिक लागतों पर विचार करने की एक प्रक्रिया है। (b)  वास्तविक कठिनाइयों का सामना करने वाली बड़ी कंपनियों की वित्तीय संरचना का पुनर्गठन करने के लिए यह आरबीआई की एक योजना है। (c)  यह केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के संबंध में सरकार का विनिवेश योजना है। (d)  यह हाल ही में सरकार द्वारा लागू दि ‘दिवालियापन और दिवालिएपन संहिता’ में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है।

1. भारत में वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से ‘भुगतान बैंकों (पेमेंट बैंक्स)’ की स्थापना की जा रही है। इस दृष्टि से निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

1- जिन मोबाइल टेलीफोन कंपनियों और सुपर-बाजार श्रृंखलाओं का स्वामित्व एवं नियंत्रण भारतीय व्यक्तियों के पास है, वे भुगतान बैंकों के प्रवर्तक होने के योग्य हैं। 2- भुगतान बैंक क्रेडिट कार्ड एवं डेबिट कार्ड दोनों जारी कर सकते हैं। 3- भुगतान बैंक ऋण देने के कार्यकलाप नहीं कर सकते हैं।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही कार्यकलाप नही कर सकते हैं।

(a) केवल 1 और 2 (b) केवल 1 और 3 (c) केवल 2 (d) 1, 2 और 3

2. ‘कोर बैंकिंग समाधान (Core Banking Solutions)’ पद कभी-कभी समाचारों में देखा जाता है। निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से इस पद का सही वर्णन करता है/करते हैं?

1- यह बैंक की शाखाओं का वह तंत्र है जो उपभोक्ताओं को अपने खातों का संचालन बैंक की किसी भी शाखा से कर सकने की सुविधा देता है चाहे उन्होंने अपना खाता कही भी खोल रखा हो। 2- यह व्यावसायिक बैंकों पर कम्म्पयूटरीकरण के माध्यम से RBI का बढ़ाने का एक प्रयास है 3- यह एक विस्तृत प्रक्रिया है जिसके द्वारा विशाल अनर्जक (नॉन-परफॉमिंग) परिसम्पति वाले बैंक का अधिग्रहण दूसरे बैंक द्वारा कर लिया जाता है।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उतर चुनिए।

(a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1 और 3 (d) 1, 2 और 3

3. RBI द्वारा घोषित ‘कोषों की सीमांत लागत पर आधारित उधारी दर (Marginal Cost of Funds based Lending Rate ‘CMLR’) का/के उद्देश्य क्या है/हैं?

1- ये दिशानिर्देश उधारों की ब्याज दरें निर्धारित करने हेतु बैंकों द्वारा अपनाई गई विधि में पारदÆशता बढ़ाने में मदद करते हैं। 2- ये दिशानिर्देश बैंक शाखा की उपलब्धता ऐसी ब्याज दरों पर सुनिश्चि करने में मदद करते हैं जो ऋण लेने वाले एवं बैंक के लिए न्यायसंगत हैं।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

(a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) 1 और 2 दोनो (d) न तो 1, न ही 2

4. ‘वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद् (Financial Stability and Development Council) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः

1- यह नीति आयोग का एक अंग है 2- संघ का वित्त मंत्री इसका प्रमुख होता है। 3- यह अर्थव्यवस्था के समष्टि सविवेक (मेक्रो-प्रूडेंशियल) पर्यवेक्षण का अनुवीक्षण (मॉनिटरिंग) करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः

1- न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना एन-पी-ई-सी द्वारा की गई है। 2- न्यू डेवलपमेंट बैंक का मुख्यालय शंघाई में हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

6. ‘अटल पेंशन योजना’ के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

1- यह एक न्यूनतम गारंटित पेंशन योजना है, जो मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को लक्ष्य बनाती है। 2- परिवार का केवल एक ही व्यक्ति इस योजना में शामिल हो सकता है 3- अभिदाता (सब्स्क्राइबर) की मृत्यु के पश्चात् जीवनसाथी को आजीवन पेंशन की समान राशि गारंटित रहती है।

नीच दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

(a) केवल 1 (b) कवेल 2 और 3 (c) केवल 1 और 3 (d) 1, 2 और 3

7. साल दर-साल लगातार घाटे का बजट रहा है। घाटे को कम करने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित में से कौन-सी कार्रवाई/कार्रवाईयां की जा सकती है/है?

1- राजस्व व्यय को घटाना 2- नवीन कल्याणकारी योजनाओं को प्रारम्भ करना 3- सहाकियी (सब्सिडी) को युक्तिसंगत बनाना 4- आयात-शुल्क को कम करना

(a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1 और 3 (d) 1, 2, 3 और 4

8. निम्नलिखित में से किसको/किनको भारत सरकार के पूंजी बजट में शामिल किया जाता है?

1- सड़कों, इमारतों, मशीनरी आद जैसी परिसंपतियों के अधिग्रहण पर व्यय 2- विदेशी सरकारों के प्राप्त ऋण 3- राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों को अनुदत ऋण और अग्रिम

9. सामाचारों में कभी-कभी देखे जाने वाले ‘आधार क्षय एवं लाभ स्थानान्तरण’ पद का क्या संदर्भ है?

(a) संसाधन-संपन्न किन्तु पिछड़े क्षेत्रों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा खनन कार्य (b) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा किय जाने वाले कर-अपवंचन पर प्रतिबंध लगाना। (c) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किसी राष्ट्र के आनुवंशिक संसाधनों का दोहन (d) विकास परियोजनओं की योजना एवं कार्यान्वयन में पयावरणनीय लागतों के विचारों का अभाव

10. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कभी-कभी समाचारों में ‘ऐम्बर बॉक्स, ब्लू बॉक्स और ग्रीन बॉक्स’ शब्द देखने को मिलती हैं?

(a) WTO मामला (b) SAARC मामला (c) UNFCCC मामला (d) FTA पर भारत EU वार्ता

11. कभी-कभी समाचारों में दिखने वाले ‘आइ-एफ-सी-मसाला बॉन्ड (IFC Masals Bonds)’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

1- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (इंरनैशनल फाइनेंस कॉपरेशन), जो इन बॉन्डों को प्रस्तावित करता है, विश्व बैंक की एक शाखा है। 2- ये रूपया अंकित मूल्य वाले बॉन्ड (rupee-denominated bonds) हैं और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रक के ऋण वित्तीयन के स्रोत हैं।

12. निम्नलिखित में से कौन-सा, कभी-कभी समाचारों में दिखने वाले पद ‘आयात आवरण (इम्पोर्ट कवर)’ का सर्वोतम वर्णन् करता है?

(a) यह किसी देश के आयात मूल्य एवं सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात को बताता है (b) यह किसी देश के एक वर्ष में आयात के कुल मूल्य को बताता है (c) यह दो देशों के बीच निर्यात एंव आयात के मूल्यों के अनुपात को बताता है। (d) यह उन महीनों की संख्या को बताता है जितने महीनों के आयात का भुगतान देश के अंतर्राष्ट्रीय रिजर्व द्वारा किया जा सकता है।

13. सरकार की ‘सम्प्रभु स्वर्ण योजना’ एवं ‘स्वर्ण मुद्रीकरण योजना’ का/के उद्देश्य क्या है/हैं?

1- भारतीय गृहस्थों के पास निष्क्रिय पड़े स्वर्ण को अर्थव्यवस्था में लाना 2- स्वर्ण एवं आभूषण के क्षेत्र में एफ-डी-आई-को प्रोत्साहित करना 3- स्वर्ण-आयात पर भारत की निर्भरता में कमी लाना

14. समाचारों में कभी-कभी देखे जाने वाला ‘यूरोपीय स्थिरता तंत्र क्या है?

(a) मध्य-पूर्व से लाखों शरणार्थियों के आने के प्रभाव से निपटने के लिए EU द्वारा बनाई गई एक एजेंसी (b) EU की एक एजेंसी, जो यूरोक्षेत्र (यूरोजोन) के देशों को वित्तिय सहायता उपलब्ध कराती है (c) सभी द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय व्यापार समझौते को सुलझाने के लिए EU की एक एजेंसी (d) सदस्य राष्ट्रों के बीच मतभेद सुलझाने के लिए की EU एक एजेंसी

15. निम्नलिखित में से कौन-सा, सरकार की योजना UDAY का एक प्रयोजन है?

(a) उर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के क्षेत्र में नव-प्रयासी (स्टार्ट-अप) उद्यमियों को तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना (b) 2018 तक देश में हर घर में बिजली उपलब्ध कराना (c) एक समयावधि के अंदर कोयला-आधारित शक्ति संयंत्रें के स्थान पर प्राकृतिक गैस, नाभिकीय, सौर, वायु एवं ज्वारीय शक्ति संयंत्र स्थापित करना (d) विद्युत वितरण कंपनियों के वित्तीय कायापलट और पुनरूत्थान का प्रबंध करना

16. निम्नलिखित में से कौन-सा/से वह/वे सूचक है/हैं, जिसका/जिनका प्थ्च्त्प् द्वारा वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) रिपोर्ट बनाने में उपयोग किया गया है।

1- अल्प-पोषण 2- शिशु-वृद्धिरोधन 3- शिशु मृत्यु-दर

(a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) 1, 2 और 3 (d) केवल 1 और 3

17. भारत सरकार की एक पहल SWAYAM का लक्ष्य क्या है?

(a) ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं-सहायता समूहों को प्रोत्साहित करना (b) युवा नव-प्रवासी उद्यमियों को वित्तीय तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराना (c) किशोरियों की शिक्षा एवं उनके स्वास्थ्य का संवर्धन करना (d) नागरिकों को वहन करने योग्य एवं गुणवता वाली शिक्षा निःशुलक उपलब्ध कराना

18. ‘रीजनल काम्प्रिहेन्सिव इकानॉमिक पार्टनरशिप (Comprehensive Economic Partnership)’ पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है?

(a) G20 (b) ASEAN (c) SCO (d) SAARC

19. हाल ही में IMF के SDR बास्कोट में निम्नलिखित में से किस मुद्रा को जोड़ने का प्रस्ताव दिया गया है?

(a) रूबल (b) रैंड (c) भारतीय रूपया (d) रेनमिनबी

20. अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय समिति (International Monetary and Financial Committee ‘IMFC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः

1- IMFC विश्व अर्थव्यवस्था से सरोकार रखने वाले विषयों पर चर्चा करता है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को उसके कार्य की दिशा पर सलाह देता है 2- IMFC की बैठकों में विश्व बैंक प्रेक्षक की भांति भाग लेता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं:

21. ‘व्यापार करने की सुविधा का सूचकांक’ में भारत की रैंकिंग समाचार-पत्रें में कभी-कभी दिखती है। निम्नलिखित में से किसने इस रैकिंग की घोषण की है?

(a) आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (b) विश्व आर्थिक मंच (c) विश्व बैंक (d) विश्व व्यापार संगठन (WTO)

22. ‘वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट’ किसके द्वारा तैयार की जाती है?

(a) यूरोपीय केंद्रीत बैंक (b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (c) अंतर्राष्ट्रीय पुनÆनर्माण एवं विकास बैंक (d) आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन (Organisation for Economic Cooperation and Development)

23. ‘स्टैंड अप इंडिया स्कीम (Stand Up India Scheme)’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों से कौन-सा/से सही है/हैं?

1- इसका प्रयोजन SC/ST एवं महिला उद्यमियों में उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है। 2- यह SIDBI के माध्यम से पुनविर्तत का प्रावधान करता है।

24. प्रधानमंत्री MUDRA योजना का लक्ष्य क्या है?

(a) लघु उद्यमियों की औपचारिक वित्ती प्रणाली में लाना (b) निर्धन कृषकों को विशेष फ़सलों की कृषि के लिए ऋण उपलब्ध कराना (c) वृद्ध एवं निस्सहाय लोगों को पेंशन देना (d) कौशल विकास एवं रोजगार सृजन में लगे स्वयंसेवी संगठनों का निधीयन करना

25. ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः

1- इस योजना के अंतर्गत कृषकों को वर्ष के किसी भी मौसम में उनके द्वारा किसी भी फसल की खेती करने पर दो प्रतिशत की एक समान दर से बीमा किश्त का भुगतान करना होगा। 2- यह याजना, चक्रवात एवं गैर-मौसमी वर्षा से होने वाले कटाई-उपरांत घाटे को बीमाकृत करती है।

26 . ‘गहन कदन्न संवर्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा हेतु पहल’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

1- इस पहल का उद्देश्य उन्नत उत्पादन और कटाई-उपरांत प्रौद्योगिकियों को निदर्शित करना है, एवं समूह उपागम (क्लस्टर अप्रोच) के साथ एकीकृत रीति से मूल्य वर्धन तकनीकों को निदर्शित करना है 2- इस योजना में निर्धन, लघु, सीमांत एवं जनजातीय किसानों की बड़ी हितधारिता है 3- इस योजना का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य वाण्ज्यिकि फसलों के किसानों को, पोषकों के अत्यावश्यक निवेशों के और लघु सिचाई उपकरणों के निःशुल्क किट प्रदान कर, कदन्न की खेती की और प्रोत्साहित करना है।

(a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1 और 2 (d) 1, 2 और 3

1. ‘प्रधानमंत्री जन-धन योजना’ निम्नलिखित में से किसके लिए प्रारम्भ की गई है?

(a) गरीब लोगो को अपेक्षाकृत कम ब्याज-दर पर आवास-ट्टण प्रदान करने के लिए (b) पिछड़े क्षेत्रें में महिलाओं के स्वयं-सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए (c) देश में वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इंक्लूजन) को प्रोत्साहित करने के लिए (d) उपांतिक (मार्जिनलाइज्ड) समुदायों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए

2. जब भारतीय रिजर्व बैंक सांविधिक नकदी अनुपात (स्टैटयूटरी लिक्विडिटि रेशियो) को 50 आधार अंक (बेसिस पॉइंट) कम कर देता है, तो निम्नलिखित में से क्या होने की संभावना होती है?

(a) भारत की जीडीपी विकास दर प्रबलता से बढ़ेगी (b) विदेशी संस्थागत निवेशक हमारे देश में और अधिक पूंजी लाएंगे। (c) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक अपने उधार देने की दर को घटा सकते है (d) इससे बैंकिंग व्यवस्था की नकदी (लिक्विडिटि) में प्रबलता से कमी आ सकती है

3. समाचारों में प्रायः आने वाला ‘बासल 3 (BASEL 3) समझौता’ या सरल शब्दों में ‘बासल 3’

(a) जैव विविधता के संरक्षण और धारणीय (सस्टेनेबल) उपयोग के लिए राष्ट्रीय कार्यनीतियाँ विकसित करने का प्रयास करता है। (b) बैंकिंग क्षेत्रें के, वित्तीय और आर्थिक दबावों का सामना करने के सामर्थ्य को उन्नत करने तथा जोखिम प्रबंधन को उन्नत करने का प्रयास करता है। (c) ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का प्रयास करता है किन्तु विकसित देशों पर अपेक्षाकृत भारी बोझ रखता है। (d) विकसित देशों से निर्धन देशों को प्रौद्योगिकी के अंतरण का प्रयास करता है ताकि वे प्रशीतन में प्रयुक्त होने वाले क्लोरोफ्रलुओरोकार्बन के स्थान पर हानिरहित रसायनों का प्रयोग कर सकें

4. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित पर विचार कीजिएः

1- बैंक-दर 2- खुली बाजार कार्रवाई (ओपेन मार्केट ऑपरेशन) 3- लोक ट्टण (पब्लिक डेब्ट) 4- लोक राजस्व (पब्लिक रेवेन्यू)

उपर्युक्त में से कौन-सा/से मौद्रिक नीति का/के घटक है/हैं?

(a) केवल 1 (b) 2, 3 और 4 (c) 1 और 2 (d) 1, 3 और 4

5. चौदहवें वित्त आयोग के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनो में से कौन-सा /से सही है /हैं ?

1- इसने केन्द्रीय विभाज्य पूल में राज्यों को मिलने वाला हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया है। 2- इसने विशेष तौर पर सेक्टरों से जुड़े (सेक्टर-स्पेसिफिक) अनुदानों से सम्बन्धित सिपफ़ारिशें की हैं।

6. किसी देश की, कर से GPD के अनुपात में कमी क्या सूचित करती है?

1- आर्थिक वृद्धि-दर धीमी होने 2- राष्ट्रीय आय का कम साम्यिक (एक्विटेबल) वितरण

7. वर्ष-प्रतिवर्ष निरंतर घाटे का बजट रहा है। घाटे को कम करने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित में से कौन-सी कार्रवाई/कार्रवाइयाँ की जा सकती है/हैं?

1- राजस्व-व्यय में कमी लाना 2- नई कल्याणकारी योजनाएँ आरंभ करना 3- उपदानों (सब्सिडीज) का युक्तिकरण करना 4- उद्योगों का विस्तार करना

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः

(a) केवल 1 और 3 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1 (d) 1, 2, 3 और 4

8. ‘ऐग्रीमेंट ऑन ऐग्रीकल्चर (Agreement on Agriculture)’ ऐग्रीमेंट ऑन दि ऐप्लीकेशन ऑफ सैनिटरी ऐंड फाइटोसैनिटरी मेजर्स (Agreement on Application of Sanitary and Phytosanitary Measures)’ और ‘पीस क्लॉज (Peace Clause)’ शब्द प्रायः समाचारों में किसके मामलों के संदर्भ में आते हैं?

(a) खाद्य और कृषि संगठन (b) जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का रूपरेखा सम्मेलन (c) विश्व व्यापार संगठन (d) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

9. रूपये की परिवर्तनीयता से क्या तात्पर्य है?

(a) रूपये के नोटों के बदले सोना प्राप्त कर सकना (b) रूपये के मूल्य को बाजार की शक्तियों द्वारा निर्धारित होने देना (c) रूपये को अन्य मुद्राओं में और अन्य मुद्राओं को रूपये में परिवर्तित करने की स्वतंत्र रूप से अनुज्ञा प्रदान करना (d) भारत में मुद्राओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार विकसित करना

10. अर्न्तराष्ट्रीय नकदी (लिक्विडिटि) की समस्या निम्नलिखित में से किसी अनुपलब्धता से संबंधित है?

(a) वस्तुएँ और सेवाएँ (b) सोना और चांदी (c) डॉलर और अन्य दुर्लभ मुद्राएँ (हार्ड करेंसीज) (d) निर्यात-योग्य बेशी (सरप्लस)

11. भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

1- यह एक पब्लिक लिमिटेड सरकारी कम्पनी है। 2- यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी है।

12. ‘विश्व आर्थिक संभावना (ग्लोबल इकनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्रस)’ रिपोर्ट आवधिक रूप से निम्नलिखित में से कौन जारी करता है?

(a) एशिया विकास बैंक (b) यूरोपीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (यूरोपियन बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एण्ड डेवलपमेंट) (c) यू-एस-फेडरल रिजर्व बैंक (d) विश्व बैंक

13. भारत में मुद्रास्फीति के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?

(a) भारत में मुद्रास्फीति का नियंत्रण केवल भारत सरकार का उत्तरदायित्व है (b) मुद्रास्फीति के नियंत्रण में भारतीय रिजर्व बैंक की कोई भूमिका नहीं है। (c) घटा हुआ मुद्रा परिचलन (मनी सर्कुलेशन), मुद्रास्फीति के नियंत्रण में सहायता करता है (d) बढ़ा हुआ मुद्रा परिचलन, मुद्रास्फीति के नियंत्रण में सहायता करता है।

14. निम्नलिखित में से कौन ‘औद्योगिक कर्मकारों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स नम्बर फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स)’ निकालता है?

(a) भारतीय रिजर्व बैंक (b) आर्थिक कार्य विभाग (c) श्रम ब्यूरो (d) कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग2013

15. निम्नलि1खित कथनों पर विचार कीजिएः

1- मुद्रास्फीति ऋणियों को लाभ पहुंचाती है। 2- मुद्रास्फीति बॉण्ड-धारकों को लाभ पहुंचाती है।

16. सामान्य कीमत-स्तर में बढ़ोतरी निम्नलिखित में से किस/किन कारण/कारणों से हो सकती है/हैं?

1- द्रव्य की पूर्ति में वृद्धि 2- उत्पादन के समग्र स्तर में गिरावट 3- प्रभावी माँग में वृद्धि

(a) केवल 1 (b) केवल 1 और 2 (c) केवल 2 और 3 (d) 1, 2 और 3

17. द्रव्य की पूर्ति यथावत् रहने पर यदि द्रव्य की माँग में वृद्धि होती है, तो

(a) कीमत-स्तर में गिरावट आ जाएगी (b) ब्याज की दर में वृद्धि हो जाएगी (c) ब्याज की दर में कमी हो जाएगी (d) आय और रोजगार के स्तर में वृद्धि हो जाएगी

18. निम्नलिखित में से किस एक का अपने प्रभाव में सर्वाधिक स्फीतिकारी होने की संभावना है?

(a) लोक ऋण की चुकौती (b) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए जनता से ऋणादान (c) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए बैंकों से ऋणादान (d) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए नई मुद्रा का सृजन

19. ‘आठ मूल उद्देश्यों के सूचकांक (इंडेक्स ऑफ एट कोर इंडस्ट्रीज)’ में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्व दिया गया है?

(a) कोयला उत्पादन (b) विद्युत उत्पादन (c) उर्वरक उत्पादन (d) इस्पात उत्पादन

20. गन्ने की उचित एवं लाभप्रद कीमत (FRP) को निम्नलिखित में से कौन अनुमोदित करता/करती है?

(a) आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्डलीय समिति (b) कृषि लागत और कीमत आयोग (c) कृषि मंत्रलय का विपणन और निरीक्षण निदेशालय (d) कृषि उत्पाद विपणन समिति

21. भारत में कृषि उत्पादों के बाजार को किसके अधीन विनियमित किया जाता है?

(a) आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (b) राज्यों द्वारा अधिनियमित कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम (c) कृषि उत्पाद (श्रेणीकरण एवं चिन्हांकन) अधिनियम, 1937 (d) खाद्य उत्पाद आदेश, 1956 एवं मांस तथा खाद्य उत्पाद आदेश, 1973

22. कृषि उत्पादन में काष्ठ के हलो के स्थान पर इस्पात के हलों का उपयोग निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है?

(a) श्रम बढ़ाने वाली प्रौद्योगिकीय (टेक्नोलॉजिकल) प्रगति (b) पूँजी बढ़ाने वाली प्रौद्योगिकीय प्रगति (c) पूँजी घटाने वाली प्रौद्योगिकीय प्रगति (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

23. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः

1- पिछले दशक में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगातार बढ़ती रही है। 2- पिछले दशक में बाजार कीमतों पर (रूपयों में) सकल घरेलू उत्पाद लगातार बढ़ता रहा है।

1. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से ‘सांविधिक आरक्षित आवश्यकताओं’ का/के उद्देश्य है/हैं?

1- केन्द्रीय बैंक को, बैंकों द्वारा निर्मित की जा सकने वाली अग्रिम राशियों पर नियंत्रण रखने की सक्षमता प्रदान करना 2- बैंकों में जनता की जमा राशियों को सुरक्षित व तरल खाना 3- व्यावसायिक बैंकों को अत्यधिक लाभ कमाने से रोकना 4- बैंकों को दिन-प्रतिदिन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोष्ठ नकदी (वॉल्ट कैश) रखने को बाध्य करना

(a) केवल 1 (b) केवल 1 और 2 (c) केवल 2 और 3 (d) 1, 2, 3 और 4

2. शाखारहित क्षेत्रें में व्यावसायिक संवाददाताओं (बैंक साथी) की सेवाओं द्वारा लाभार्थियों को कौन-सी सुविधा/सुविधाएँ प्राप्त होती है/हैं?

1- यह लाभार्थि यों को अपने गाँव में अपने साहाम्य और सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त करने योग्य बनाती है। 2- यह ग्रामीण क्षेत्रें में लाभार्थियों को धनराशि जमा करने वह आहरण करने योग्य बनाती है।

3. ‘सीमान्त स्थायी सुविधा दर’ तथा ‘निवल माँग और सावधि देयताएँ’ पदबन्ध कभी-कभी समाचार में आते रहते हैं। उनका प्रयोग किसके संबंध में किया जाता है?

(a) बैंक कार्य (b) संचार नेटवर्किंग (c) युद्ध कौशल (d) कृषि उत्पादों की पूर्ति एवं माँग

4. किसी अर्थव्यवस्था में यदि ब्याज की दर को घटाया जाता है, तो वह

(a) अर्थव्यवस्था में उपभोग व्यय घटाएगा (b) सरकार के कर-संग्रह को बढ़ाएगा (c) अर्थव्यवस्था में निवेश व्यय को बढ़ाएगा (d) अर्थव्यवस्था में कुल बचत को बढ़ाएगा

5. संघ के बजट के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से गैर-योजना व्यय के अधीन आता है/आते हैं?

1- रक्षा व्यय 2- ब्याज अदायगी 3- वेतन एवं पेंशन 4- उपदान

(a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) 1, 2, 3 और 4 (d) कोई नहीं

6. भुगतान सन्तुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से किससे/किनसे चालू खाता बनता है?

1- व्यापार सन्तुलन 2- विदेशी परिसम्पत्तियाँ 3- अदृश्यों का सन्तुलन 4- विशेष आहरण अधिकार

(a) केवल 1 (b) 2 और 3 (c) 1 और 3 (d) 1, 2 और 4

7. जोखिम पूँजी से क्या तात्पर्य है?

(a) उद्योगों को उपलब्ध कराई गई अल्पकालीन पूँजी (b) नये उद्यमियों को उपलब्ध कराई गई दीर्घकालीन प्रारम्भिक पूँजी (c) उद्योगों को हानि उठाते समय उपलब्ध कराई गई निधियाँ (d) उद्योगों के प्रतिस्थापन एवं नवीकरण के लिए उपलब्ध कराई गई निधियाँ

8. भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के संदर्भ में विभिन्न फसलों की ‘बीज प्रतिस्थापन दरों’ को बढ़ाने से भविष्य के खाद्य उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करेन में मदद मिलती है। किन्तु इसके अपेक्षाकृत बड़े/विस्तृत कार्यान्वयन में क्या बाध्यता है।बाध्यताएँ हैं?

1- कोई भी राष्ट्रीय बीज नीति नहीं बनी है। 2- निजी क्षेत्र की बीज कम्पनियों की, उद्यान-कृषि फसलों की रोपण सामग्रियों और सब्जियों के गुणता वाले बीजों की पूर्ति में कोई सहभागिता नहीं है। 3- निम्न मूल्य एवं उच्च परिमाण वाली फसलों के मामले में गुणता वाले बीजों के बारे में माँग-पूर्ति अंतराल है।

(a) 1 और 2 (b) केवल 3 (c) 2 और 3 (d) कोई नहीं

1. निम्नलिखित में से कौन-से मामलों में भारतीय रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को नियंत्रित करता है?

1- परिसम्पत्तियों की तरलता 2- शाखा विस्तार 3- बैंकों का विलय 4- बैंकों का समापन

(a) केवल 1 और 4 (b) केवल 2, 3 और 4 (c) केवल 1, 2 और 3 (d) 1, 2, 3 और 4

2. बैंक दर में वृद्धि सामान्यतः इस बात का संकेत है कि

(a) ब्याज की बाजार दर के गिरने की संभावना है (b) केन्द्रीय बैंक अब वाणिज्यिक बैंकों को कर्जे नहीं दे रहा (c) केन्द्रीय बैंक सस्ती मुद्रा नीति का अनुसरण कर रहा है (d) केन्द्रीय बैंक महंगी मुद्रा नीति का अनुसरण कर रहा है

3. निम्नलिखित तरल परिसम्पत्तियों पर विचार कीजिएः

1- बैंकों के पास माँग जमा 2- बैंकों के पास सावधिक जमा 3- बैंकों के पास बचत जमा 4- करेन्सी

इन परिसम्पत्तियों का, तरलता के घटते हुए क्रम में, सही अनुक्रम है

(a) 1-4-3-2 (b) 4-3-2-1 (c) 2-3-1-4 (d) 4-1-3-2

4. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, ‘खुला बाजार प्रचालन’ किसे निर्दिष्ट करता है?

(a) अनुसूचित बैंकों द्वारा RBI से ऋण लेना (b) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उद्योग और व्यापार क्षेत्रें को ऋण देना (c) RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय और विक्रय (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

5. भारत में बैंकों द्वारा प्राथमिक क्षेत्र ऋणदान से तात्यर्प किसको ऋण देने से है?

(a) कृषि (b) लघु (माइक्रो) एवं छोटे उद्यम (c) दुर्बल वर्ग (d) उपर्युक्त सभी

6. ग्रामीण परिवारों को निम्नलिखित में से कौन सीधी ऋण सुविधा प्रदान करता है/करते हैं?

1- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक 2- कृषि और ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक 3- भूमि विकास बैंक

7. भारत में घाटे की वित्त व्यवस्था किसके लिए संसाधनों को बढ़ाने के लिए उपयोग की जाती है?

(a) आर्थिक विकास के लिए (b) सार्वजनिक ऋण चुकाने के लिए (c) भुगतान शेष का समायोजन करने के लिए (d) विदेशी ऋण कम करने के लिए

8. किसी देश का भुगतान संतुलन किसका व्यवस्थित अभिलेख है?

(a) किसी निर्धारित समय के दौरान, सामान्यत एक वर्ष में, किसी देश का समस्त आयात और निर्यात का लेन-देन (b) किसी वर्ष में एक देश द्वारा निर्यात की गई वस्तुएँ (c) एक देश की सरकार और दूसरे देश की सरकार के बीच आर्थिक लेन-देन (d) एक देश से दूसरे देश को पूंजी का संचलन

9. निम्नलिखित में से कौन-सा पूँजीगत लेखा की रचना करते हैं?

1- विदेशी ऋण 2- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 3- निजी प्रेषित धन 4- पोर्टफोलियो निवेश

(a) 1, 2 और 3 (b) 1, 2 और 4 (c) 2, 3 और 4 (d) 1, 3 और 4

10. भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मदसमूह सम्मिलित है?

(a) विदेशी मुद्रा परिसम्पत्ति, विशेष आहरण अधिकार (एस-डी-आर-) तथा विदेशों से ऋण (b) विदेशी मुद्रा परिसम्पत्ति, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण तथा विशेष आहरण अधिकार (एस-डी-आर) (c) विदेशी मुद्रा परिसम्पत्ति, विश्व बैंक से ऋण तथा विशेष आहरण अधिकार (एस-डी-आर-) (d) विदेशी मुद्रा परिसम्पत्ति, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण तथा विश्व बैंक से ऋण

11. भारत में निम्नलिखित उद्योगों में से कौन-सा एक, पानी का सबसे बड़ा उपभोक्ता है?

(a) अभियांत्रिकी (b) कागज एवं लुगदी (c) वस्त्रेद्योग (d) ताप शक्ति

1. प्रच्छन्न बेरोजगारी का सामान्यतः अर्थ होता है कि

(a) लोग बड़ी संख्या में बेरोजगार रहते हैं (b) वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध नही है (c) श्रमिक की सीमांत उत्पादकता शून्य है (d) श्रमिकों की उत्पादकता नीची है

2.देश में आर्थिक संवृद्धि अनिवार्य रूप से होगी, यदि

  • विश्व अर्थव्यवस्था में तकनीकी प्रगति होती है
  • x में जनसंख्या वृद्धि होती है
  • x में पूंजी निर्माण होता है
  • विश्व अर्थव्यवस्था में व्यापार की मात्रा बढ़ती है

3. किसी दी गई अवधि के लिए एक देश की राष्ट्रीय आय

(a) नागरिकों द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य के बराबर होगी (b) कुल उपभोग और निवेश व्यय के योग के बराबर होगी (c) सभी व्यक्तियों की वैयक्तिक आय के लोग के बराबर होगी (d)उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के बराबर होगी

1. निम्नलिखित पर विचार कीजिए:

1- होटल तथा रेस्तराँ 2- मोटर परिवहन उद्योग 3- समाचार-पत्र प्रतिष्ठान संस्थान 4- निजी चिकित्सा संस्थान

उपयुक्त में से किस इकाई/किन इकाइयों के कर्मचारी राज्य बीमा योजना के अन्तर्गत ‘सामाजिक कर्मचारी’, ‘कर्मचारी राज्य बीमा योजना’ के अन्तर्गत ‘सामाजिक सुरक्षा’ कवच प्राप्त कर सकते है?

(a) केवल 1, 2 ओर 3 (b) केवल 4 (c) केवल 1, 3, 4 (d) 1, 2, 3, और 4

2. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकरों के बैंको (केन्द्रीय बैंक) के रूप में कार्य करता है। इसका अर्थ निम्नलिखित में से कौन-से है?

1- अन्य बैंक RBI के पास अपनी जमा संचित रखते हैं। 2- आवश्यकता के समय RBI वणिज्यिक बैंको को देता है। 3- RBI वणिज्यिक बैंको को मौद्रिक विषयों पर परामर्श देता है।

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिएः

(a) केवल 2 और 3 (b) केवल 1 और 2 (c) 1 केवल 3 (d) 1, 2, और 3

3. लीड बैंक योजना का प्रमुख उद्देश्य है कि

(a) बड़े बैंक प्रत्येक जिले में अपने कार्यालय खोलने का प्रयास करें (b) विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंको में कडी प्रतिस्पर्धा हो (c) प्रत्येक बैक सघन विकास के लिए पृथक-पृथक जिलों को अपनाएँ (d) सभी बैकों अपने पास जमा राशि जुटाने के लिए गहन प्रयास करें

4 . निम्नलिखित में से कौन-सी अनुशंसा/अनुशंसाएँ तेरहवें वित्त आयोग की सुस्पष्ट विशिष्टता/विशिष्टाएँ हैं/हैं?

1- वस्तुओं व सेवाओं पर कर (टैक्स) लगाए जाने का अभिकल्प तथा इस प्रस्तावित अभिकल्प के संपालन से सम्बद्ध क्षतिपूर्ति पैकेज 2- भारत के जनांकिकीय लाभांश के अनुरूप अगले दस वर्षों में लाखों नौकरियाँ सृजन करने की योजना 3- केंद्रिय करों के निश्चित अंश का स्थानीय निकायों को अनुदान के रूप में हस्तान्तरण

(a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1, और 3 (d) 1, 2 और 3

5. निम्नलिखित में से किस/किन परिस्थिति/परिस्थितियों में ‘पूँजीगत लाभ’ हो सकता है?

1- जब किसी उत्पाद के विक्रय में बृद्धि हो 2- जब किसी सम्पत्ति के मूल्य में प्राकृतिक वृद्धि हो 3- जब आप कोई रंगचित्र खरीदें और उसकी लोकप्रियता बढ़ने के कारण उसके मूल्य में वृद्धि हो

(a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 2 (d) 1, 2, और 3

6. निम्नलिखित में से कौन-सी बातें भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में समाविष्ट होंगी?

1- भारत में विदेशी कम्पनियों की सहायक कम्पनियाँ 2- भारतीय कम्पनियों में बहुसंख्यक विदेशी इक्किटी धारण 3- विदेशी कम्पनियों द्वारा अनन्य रूप से वित्त-पेषित कंपनियाँ 4- पोर्टफोलियो निवेश

(a) 1, 2, 3 और 4 (b) केवल 2 और 4 (c) 1 और 3 (d) केवल 1, 2, और 3

7.निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-

किसी मुद्रा का अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मूल्य

  • विश्व बैंक निर्धारित करता है
  • संबंधित सेश द्वारा प्रदत्त वस्तुओं/सेवाओं की कितनी मांग है, से निर्धारित होता है
  • संबंधित देश की सरकार की स्थिरता से निर्धारित होता है
  • संबंधित देश की आर्थिक संभाव्यता से निर्धारित होता है

उपर्युक्त में से कौन-से कथं सही हैं?

(a) 1, 2, 3 और 4 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 3 और 4 (d) केवल 1 और 4

8. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने कौन सी नई नीतिगत पहल की है/है?

1- राष्ट्रीय निवेश तथा विनिर्माण क्षेत्रें की स्थापना 2- एकल खिड़की मंजूरी (सिगल विडो क्लीयेंस) की सुविधा प्रदान करना 3- पौद्योगिकी अधिग्रहण तथा विकास कोष की स्थापना

9. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन’ ग्रामीण क्षेत्रीय निर्धनों के आजीविका विकल्पों को सुधारने का किस प्रकार प्रयास करता है?

1- ग्रामीण क्षेत्रें में बड़ी संख्या में नए विनिर्माण उद्योग तथा कृषि व्यापार केन्द्र स्थापित करके 2- ‘स्वयं सहायता समूहों’ को सशत्तफ़ बनाकर और कौशल विकास की सुविधाएँ प्रदान करके 3- कृषको को निःशुल्क बीज, उर्वरक, डीजल पम्प-सेट तथा लघु-सिचाईं संयंत्र देकर

(a) केवल 1, 2, और (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1,और 3 (d) 1, 2 और 3

10. भारत में औद्योगिक उत्पादन सकल सूचकांक मे आठ मूल उघोगों के सूचकांको का संयुक्त भार 37-90% है । निम्नलिखित मे से कौन से उद्योग उन आठ मूल उद्योगों में सम्मिलित है?

1- सीमेन्ट 2- उर्वरक 3- प्राकृतिक गैस 4- रिफाइनरी उत्पाद 5- वस्त्रेद्योग

(a) केवल 1 और 5 (b) केवल 2, 3 और 4 (c) केवल 1, 2, 3, और 4 (d) 1, 2, 3, 4, और 5

11. जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (DRDAs) भारत में- ग्रामीण निर्धनता को कम करने में कैसे मदद करते है?

1- DRDAs देश के कुछ विनिर्दिष्ट पिछड़े क्षेत्रें में पंचायती राज संस्थाओं के रूप में कार्य करते हैं। 2- DRDAs विनिर्दिष्ट क्षेत्रें में निर्धनता और कुपोषण के कारणों का वैज्ञानिक अध्ययन करते हैं और उनके समाधान के विस्तृत उपाय तैयार करते हैं। 3- DRDAs निर्धनता-रोधी कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु अन्तरक्षेत्रय (इंटर-सेक्टोरल) तथा अन्तरविभागीय समन्वयन और सहयोग सुरक्षित करते है। 4- DRDAs निर्धनता-रोधी कार्यक्रमों के लिए मिले कोष पर निगरानी रखते हैं कि उनका प्रभावी उपयोग हो।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1, 2, और 3 (b) केवल 3 और 4 (c) केवल 4 (d) 1, 2, 3 और 4

12. निम्नलिखित उपायों में से किसके/किनके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि होगी?

1- केन्द्रीय बैंक द्वारा लोगों से सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय 2- लोगों द्वारा वणिज्यिक बैंको में जमा की गई करेंसी 3- सरकार द्वारा केन्द्रीय बैंक से लिया गया ऋण 4- केन्द्रीय बैंक द्वारा लोगों को सरकारी प्रतिभूतियों का विक्रय

(a) केवल 1 (b) केवल 2 और 4 (c) 1 और 3 (d) 2, 3 और 4

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है तथा विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की गतिविधि से इन विषयों पर छात्रों के ज्ञान के दायरे का विस्तार होता है जो कि शिक्षा के अहम उद्देश्यों में से एक है। हिंदी में निबंध या लेख लिखने से विषय के बारे में समालोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही अच्छा हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने पर अंक भी अच्छे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हिंदी निबंध (hindi nibandh) किसी विषय से जुड़े आपके पूर्वाग्रहों को दूर कर सटीक जानकारी प्रदान करते हैं जिससे अज्ञानता की वजह से हम लोगों के सामने शर्मिंदा होने से बच जाते हैं।

आइए सबसे पहले जानते हैं कि हिंदी में निबंध की परिभाषा (definition of essay) क्या होती है?

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) और भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए हैं। स्कूली छात्रों (कक्षा 1 से 12 तक) एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हिंदी निबंध (hindi nibandh), भाषण तथा कविता (useful essays, speeches and poems) से उनको बहुत मदद मिलेगी तथा उनके ज्ञान के दायरे में विस्तार होगा। ऐसे में यदि कभी परीक्षा में इससे संबंधित निबंध आ जाए या भाषण देना होगा, तो छात्र उन परिस्थितियों / प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।

महत्वपूर्ण लेख :

  • 10वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
  • 12वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
  • क्या एनसीईआरटी पुस्तकें जेईई मेन की तैयारी के लिए काफी हैं?
  • कक्षा 9वीं से नीट की तैयारी कैसे करें

छात्र जीवन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के सबसे सुनहरे समय में से एक होता है जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वास्तव में जीवन की आपाधापी और चिंताओं से परे मस्ती से भरा छात्र जीवन ज्ञान अर्जित करने को समर्पित होता है। छात्र जीवन में अर्जित ज्ञान भावी जीवन तथा करियर के लिए सशक्त आधार तैयार करने का काम करता है। नींव जितनी अच्छी और मजबूत होगी उस पर तैयार होने वाला भवन भी उतना ही मजबूत होगा और जीवन उतना ही सुखद और चिंतारहित होगा। इसे देखते हुए स्कूलों में शिक्षक छात्रों को विषयों से संबंधित अकादमिक ज्ञान से लैस करने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों के जरिए उनके ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इन पाठ्येतर गतिविधियों में समय-समय पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) या लेख और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना शामिल है।

करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :

  • डॉक्टर कैसे बनें?
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बनें
  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति ही निबंध है।

अन्य महत्वपूर्ण लेख :

  • हिंदी दिवस पर भाषण
  • हिंदी दिवस पर कविता
  • हिंदी पत्र लेखन

आइए अब जानते हैं कि निबंध के कितने अंग होते हैं और इन्हें किस प्रकार प्रभावपूर्ण ढंग से लिखकर आकर्षक बनाया जा सकता है। किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) के मोटे तौर पर तीन भाग होते हैं। ये हैं - प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार।

प्रस्तावना (भूमिका)- हिंदी निबंध के इस हिस्से में विषय से पाठकों का परिचय कराया जाता है। निबंध की भूमिका या प्रस्तावना, इसका बेहद अहम हिस्सा होती है। जितनी अच्छी भूमिका होगी पाठकों की रुचि भी निबंध में उतनी ही अधिक होगी। प्रस्तावना छोटी और सटीक होनी चाहिए ताकि पाठक संपूर्ण हिंदी लेख (hindi me lekh) पढ़ने को प्रेरित हों और जुड़ाव बना सकें।

विषय विस्तार- निबंध का यह मुख्य भाग होता है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें इसके सभी संभव पहलुओं की जानकारी दी जाती है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) के इस हिस्से में अपने विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करने की खूबी का प्रदर्शन करना होता है।

उपसंहार- निबंध का यह अंतिम भाग होता है, इसमें हिंदी निबंध (hindi nibandh) के विषय पर अपने विचारों का सार रखते हुए पाठक के सामने निष्कर्ष रखा जाता है।

ये भी देखें :

अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन

अग्निपथ योजना एडमिट कार्ड

अग्निपथ योजना सिलेबस

अंत में यह जानना भी अत्यधिक आवश्यक है कि निबंध कितने प्रकार के होते हैं। मोटे तौर निबंध को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जाता है-

वर्णनात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें त्योहार, यात्रा, आयोजन आदि पर लेखन शामिल है। इनमें घटनाओं का एक क्रम होता है और इस तरह के निबंध लिखने आसान होते हैं।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है। अक्सर ये किसी समस्या – सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत- पर लिखे जाते हैं। विज्ञान वरदान या अभिशाप, राष्ट्रीय एकता की समस्या, बेरोजगारी की समस्या आदि ऐसे विषय हो सकते हैं। इन हिंदी निबंधों (hindi nibandh) में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार व्यक्त किया जाता है और समस्या को दूर करने के उपाय भी सुझाए जाते हैं।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है। इनमें कल्पनाशीलता के लिए अधिक छूट होती है। भाव की प्रधानता के कारण इन निबंधों में लेखक की आत्मीयता झलकती है। मेरा प्रिय मित्र, यदि मैं डॉक्टर होता जैसे विषय इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं।

इसके साथ ही विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

ये भी पढ़ें-

  • केंद्रीय विद्यालय एडमिशन
  • नवोदय कक्षा 6 प्रवेश
  • एनवीएस एडमिशन कक्षा 9

जिस प्रकार बातचीत को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए लोग मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविताओं आदि की मदद लेते हैं, ठीक उसी तरह निबंध को भी प्रभावी बनाने के लिए इनकी सहायता ली जानी चाहिए। उदाहरण के लिए मित्रता पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखते समय तुलसीदास जी की इन पंक्तियों की मदद ले सकते हैं -

जे न मित्र दुख होंहि दुखारी, तिन्हिं बिलोकत पातक भारी।

यानि कि जो व्यक्ति मित्र के दुख से दुखी नहीं होता है, उनको देखने से बड़ा पाप होता है।

हिंदी या मातृभाषा पर निबंध लिखते समय भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाएगा-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

प्रासंगिकता और अपने विवेक के अनुसार लेखक निबंधों में ऐसी सामग्री का उपयोग निबंध को प्रभावी बनाने के लिए कर सकते हैं। इनका भंडार तैयार करने के लिए जब कभी कोई पंक्ति या उद्धरण अच्छा लगे, तो एकत्रित करते रहें और समय-समय पर इनको दोहराते रहें।

उपरोक्त सभी प्रारूपों का उपयोग कर छात्रों के लिए हमने निम्नलिखित हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तैयार किए हैं -

सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता थे और बाद में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसके माध्यम से भारत में सभी ब्रिटिश विरोधी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी। बोस ब्रिटिश सरकार के मुखर आलोचक थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई की वकालत करते थे। विद्यार्थियों को अक्सर कक्षा और परीक्षा में सुभाष चंद्र बोस जयंती (subhash chandra bose jayanti) या सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध (subhash chandra bose essay in hindi) लिखने को कहा जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस पर 100, 200 और 500 शब्दों का निबंध दिया गया है।

भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के सम्मान में स्कूलों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सभी स्कूलों, सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में झंडोत्तोलन होता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। मिठाईयां बांटी जाती है और अवकाश रहता है। छात्रों और बच्चों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणतंत्र दिवस पर निबंध पढ़ें।

26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया, इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण (रिपब्लिक डे स्पीच) देने के लिए हिंदी भाषण की उपयुक्त सामग्री (Republic Day Speech Ideas) की यदि आपको भी तलाश है तो समझ लीजिए कि गणतंत्र दिवस पर भाषण (Republic Day speech in Hindi) की आपकी तलाश यहां खत्म होती है। इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक बनाने और उनके ज्ञान को परखने के लिए गणतत्र दिवस पर निबंध (Republic day essay) लिखने का प्रश्न भी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से Gantantra Diwas par nibandh लिखने में भी मदद मिलेगी। Gantantra Diwas par lekh bhashan तैयार करने में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद लें और अच्छा प्रदर्शन करें।

मोबाइल फ़ोन को सेल्युलर फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल आज आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक अहम हिस्सा है जिसने दुनिया को एक साथ लाकर हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। मोबाइल में इंटरनेट के इस्तेमाल ने कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। मनोरंजन, संचार के साथ रोजमर्रा के कामों में भी इसकी अहम भूमिका हो गई है। इस निबंध में मोबाइल फोन के बारे में बताया गया है।

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दिन की याद में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस लेख में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बारे में चर्चा की गई है।

मकर संक्रांति का त्योहार यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा करके दान करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड, चिउड़ा-दही खाने का रिवाज है। प्रयागराज में इस दिन से कुंभ मेला आरंभ होता है। इस लेख में मकर संक्रांति के बारे में बताया गया है।

पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते समय ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अक्सर होती है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध वैश्विक तापमान में वृद्धि से है। इसके अनेक कारण हैं। इनमें वनों का लगातार कम होना और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन प्रमुख है। वनों का विस्तार करके और ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण करके हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध- कारण और समाधान में इस विषय पर चर्चा की गई है।

भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। समाचारों में अक्सर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले प्रकाश में आते रहते हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। अलग-अलग एजेंसियां भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करती रहती हैं। फिर भी आम जनता को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। हालांकि डिजीटल इंडिया की पहल के बाद कई मामलों में पारदर्शिता आई है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कम हुए है, समाप्त नहीं हुए हैं। भ्रष्टाचार पर निबंध के माध्यम से आपको इस विषय पर सभी पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

समय-समय पर ईश्वरीय शक्ति का एहसास कराने के लिए संत-महापुरुषों का जन्म होता रहा है। गुरु नानक भी ऐसे ही विभूति थे। उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर दिया। गुरु नानक की तर्कसम्मत बातों से आम जनमानस उनका मुरीद हो गया। उन्होंने दुनिया को मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। भारत, पाकिस्तान, अरब और अन्य जगहों पर वर्षों तक यात्रा की और लोगों को उपदेश दिए। गुरु नानक जयंती पर निबंध से आपको उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी मिलेगी।

कुत्ता हमारे आसपास रहने वाला जानवर है। सड़कों पर, गलियों में कहीं भी कुत्ते घूमते हुए दिख जाते हैं। शौक से लोग कुत्तों को पालते भी हैं। क्योंकि वे घर की रखवाली में सहायक होते हैं। बच्चों को अक्सर परीक्षा में मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। यह लेख बच्चों को मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने में सहायक होगा।

स्वामी विवेकानंद जी हमारे देश का गौरव हैं। विश्व-पटल पर वास्तविक भारत को उजागर करने का कार्य सबसे पहले किसी ने किया तो वें स्वामी विवेकानंद जी ही थे। उन्होंने ही विश्व को भारतीय मानसिकता, विचार, धर्म, और प्रवृति से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानने के लिए आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। यह लेख निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन करेगा।

हम सभी ने "महिला सशक्तिकरण" या नारी सशक्तिकरण के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से सभी के लिए सहायक होंगे।

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए बहुत कम उम्र में ही अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। देश के लिए उनकी भक्ति निर्विवाद है। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके निधन से पूरे देश में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया गया था। वह हमेशा हमारे बीच शहीद भगत सिंह के नाम से ही जाने जाएंगे। भगत सिंह के जीवन परिचय के लिए अक्सर छोटी कक्षा के छात्रों को भगत सिंह पर निबंध तैयार करने को कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आपको भगत सिंह पर निबंध तैयार करने में सहायता मिलेगी।

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है।

गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। ना सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। ऐसे में विद्यालयों में गाय को लेकर निबंध लिखने का कार्य दिया जाना आम है। गाय के इस निबंध के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में पूछे जाने वाले गाय पर निबंध को लिखने में भी सहायता मिलेगी।

क्रिसमस (christmas in hindi) भारत सहित दुनिया भर में मनाए जाने वाले बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का महत्व समझाने के लिए कई बार स्कूलों में बच्चों को क्रिसमस पर निबंध (christmas in hindi) लिखने का कार्य दिया जाता है। क्रिसमस पर एग्जाम के लिए प्रभावी निबंध तैयार करने का तरीका सीखें।

रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरी तरह से भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को कोई तोहफा देने के साथ ही जीवन भर उनके सुख-दुख में उनका साथ देने का वचन देते हैं। इस दिन छोटी बच्चियाँ देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) आधारित इस लेख से विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के त्योहार पर न सिर्फ लेख लिखने में सहायता प्राप्त होगी, बल्कि वे इसकी सहायता से रक्षाबंधन के पर्व का महत्व भी समझ सकेंगे।

होली त्योहार जल्द ही देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। होली पर हिंदी में निबंध (hindi mein holi par nibandh) को पढ़ने से होली के सभी पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी और यदि परीक्षा में holi par hindi mein nibandh लिखने को आया तो अच्छा अंक लाने में भी सहायता मिलेगी।

दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बच्चों को विद्यालयों में दशहरा पर निबंध (Essay in hindi on Dussehra) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे पूर्ण जानकारी भी मिले। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख में हम देखेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

हमें उम्मीद है कि दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Diwali Festival) के सार को सही ठहराने के लिए अपनी ओर से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध से कुछ सीख कर लाभ उठा सकते हैं कि वाक्यों को कैसे तैयार किया जाए, Class 1 से 10 तक के लिए दीपावली पर निबंध हिंदी में तैयार करने के लिए इसके लिंक पर जाएँ।

बाल दिवस पर भाषण (Children's Day Speech In Hindi), बाल दिवस पर हिंदी में निबंध (Children's Day essay In Hindi), बाल दिवस गीत, कविता पाठ, चित्रकला, खेलकूद आदि से जुड़ी प्रतियोगिताएं बाल दिवस के मौके पर आयोजित की जाती हैं। स्कूलों में बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए उपयोगी सामग्री इस लेख में मिलेगी जिसकी मदद से बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस के लिए निबंध तैयार करने में मदद मिलेगी। कई बार तो परीक्षाओं में भी बाल दिवस पर लेख लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। इसमें भी यह लेख मददगार होगा।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत देश अनेकता में एकता वाला देश है। अपने विविध धर्म, संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ, भारत के लोग सद्भाव, एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, हिंदी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर भाषण के लिए उपयोगी जानकारी इस लेख में मिलेगी।

हिन्दी में कवियों की परम्परा बहुत लम्बी है। हिंदी के महान कवियों ने कालजयी रचनाएं लिखी हैं। हिंदी में निबंध और वाद-विवाद आदि का जितना महत्व है उतना ही महत्व हिंदी कविताओं और कविता-पाठ का भी है। हिंदी दिवस पर विद्यालय या अन्य किसी आयोजन पर हिंदी कविता भी चार चाँद लगाने का काम करेगी। हिंदी दिवस कविता के इस लेख में हम हिंदी भाषा के सम्मान में रचित, हिंदी का महत्व बतलाती विभिन्न कविताओं की जानकारी दी गई है।

15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत 200 सालों के अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। यही वजह है कि यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया और इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते तो हैं ही और साथ ही इसके बाद वे पूरे देश को लालकिले से संबोधित भी करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री का पूरा भाषण टीवी व रेडियो के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा देश भर में इस दिन सभी कार्यालयों में छुट्टी होती है। स्कूल्स व कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी जो निश्चित तौर पर आपके लिए लेख लिखने में सहायक सिद्ध होगी।

प्रदूषण पृथ्वी पर वर्तमान के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ और बहुत ही तेजी के साथ किए जाने की जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध के ज़रिए हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution) से इस समस्या को जहाँ समझने में आसानी होगी वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पहलुओं के बारे में भी जान सकेंगे। इससे स्कूली विद्यार्थियों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध से परीक्षा में बेहतर स्कोर लाने में मदद मिलेगी।

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। पृथ्वी ग्रह का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, इसे स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन पर निबंध के जरिए छात्रों को इस विषय और इससे जुड़ी समस्याओं और समाधान के बारे में जानने को मिलेगा।

हमारी यह पृथ्वी जिस पर हम सभी निवास करते हैं इसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना और साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया।

आज के युग में जब हम अपना अधिकतर समय पढाई पर केंद्रित करने का प्रयास करते नजर आते हैं और साथ ही अपना ज़्यादातर समय ऑनलाइन रह कर व्यतीत करना पसंद करते हैं, ऐसे में हमारे जीवन में खेलों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। खेल हमारे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु हमारे सर्वांगीण विकास का एक माध्यम भी है। हमारे जीवन में खेल उतना ही जरूरी है, जितना पढाई करना। आज कल के युग में मानव जीवन में शारीरिक कार्य की तुलना में मानसिक कार्य में बढ़ोतरी हुई है और हमारी जीवन शैली भी बदल गई है, हम रात को देर से सोते हैं और साथ ही सुबह देर से उठते हैं। जाहिर है कि यह दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है और इसके साथ ही कार्य या पढाई की वजह से मानसिक तनाव पहले की तुलना में वृद्धि महसूस की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब हमारे जीवन में शारीरिक परिश्रम अधिक नहीं है, तो हमारे जीवन में खेलो का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है, जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि सबसे पहली गुरु माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही बड़ा और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना भी उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़को पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था जिन्होंने 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।

हम उम्मीद करते हैं कि स्कूली छात्रों के लिए तैयार उपयोगी हिंदी में निबंध, भाषण और कविता (Essays, speech and poems for school students) के इस संकलन से निश्चित तौर पर छात्रों को मदद मिलेगी।

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बाल श्रम को बच्चो द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें बाल श्रम या फिर कहें तो बाल मजदूरी पर निबंध।

एपीजे अब्दुल कलाम की गिनती आला दर्जे के वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रभावी नेता के तौर पर भी होती है। वह 21वीं सदी के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं। कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, अपने कार्यकाल में समाज को लाभ पहुंचाने वाली कई पहलों की शुरुआत की। मेरा प्रिय नेता विषय पर अक्सर परीक्षा में निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें अपने प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध।

हमारे जीवन में बहुत सारे लोग आते हैं। उनमें से कई को भुला दिया जाता है, लेकिन कुछ का हम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। भले ही हमारे कई दोस्त हों, उनमें से कम ही हमारे अच्छे दोस्त होते हैं। कहा भी जाता है कि सौ दोस्तों की भीड़ के मुक़ाबले जीवन में एक सच्चा/अच्छा दोस्त होना काफी है। यह लेख छात्रों को 'मेरे प्रिय मित्र'(My Best Friend Nibandh) पर निबंध तैयार करने में सहायता करेगा।

3 फरवरी, 1879 को भारत के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार ने सरोजिनी नायडू का दुनिया में स्वागत किया। उन्होंने कम उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज और गिर्टन, दोनों ही पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की। जब वह एक बच्ची थी, तो कुछ भारतीय परिवारों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हालाँकि, सरोजिनी नायडू के परिवार ने लगातार उदार मूल्यों का समर्थन किया। वह न्याय की लड़ाई में विरोध की प्रभावशीलता पर विश्वास करते हुए बड़ी हुई। सरोजिनी नायडू से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

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Frequently Asked Question (FAQs)

किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- ये हैं- प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार (conclusion)।

हिंदी निबंध लेखन शैली की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

वर्णनात्मक हिंदी निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।

विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

निबंध में समुचित जगहों पर मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविता का प्रयोग करके इसे प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। हिंदी निबंध के प्रभावी होने पर न केवल बेहतर अंक मिलेंगी बल्कि असल जीवन में अपनी बात रखने का कौशल भी विकसित होगा।

कुछ उपयोगी विषयों पर हिंदी में निबंध के लिए ऊपर लेख में दिए गए लिंक्स की मदद ली जा सकती है।

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति निबंध है।

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Data Administrator

Database professionals use software to store and organise data such as financial information, and customer shipping records. Individuals who opt for a career as data administrators ensure that data is available for users and secured from unauthorised sales. DB administrators may work in various types of industries. It may involve computer systems design, service firms, insurance companies, banks and hospitals.

Bio Medical Engineer

The field of biomedical engineering opens up a universe of expert chances. An Individual in the biomedical engineering career path work in the field of engineering as well as medicine, in order to find out solutions to common problems of the two fields. The biomedical engineering job opportunities are to collaborate with doctors and researchers to develop medical systems, equipment, or devices that can solve clinical problems. Here we will be discussing jobs after biomedical engineering, how to get a job in biomedical engineering, biomedical engineering scope, and salary. 

Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

GIS officer work on various GIS software to conduct a study and gather spatial and non-spatial information. GIS experts update the GIS data and maintain it. The databases include aerial or satellite imagery, latitudinal and longitudinal coordinates, and manually digitized images of maps. In a career as GIS expert, one is responsible for creating online and mobile maps.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Database Architect

If you are intrigued by the programming world and are interested in developing communications networks then a career as database architect may be a good option for you. Data architect roles and responsibilities include building design models for data communication networks. Wide Area Networks (WANs), local area networks (LANs), and intranets are included in the database networks. It is expected that database architects will have in-depth knowledge of a company's business to develop a network to fulfil the requirements of the organisation. Stay tuned as we look at the larger picture and give you more information on what is db architecture, why you should pursue database architecture, what to expect from such a degree and what your job opportunities will be after graduation. Here, we will be discussing how to become a data architect. Students can visit NIT Trichy , IIT Kharagpur , JMI New Delhi . 

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Product manager.

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Operations Manager

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Stock Analyst

Individuals who opt for a career as a stock analyst examine the company's investments makes decisions and keep track of financial securities. The nature of such investments will differ from one business to the next. Individuals in the stock analyst career use data mining to forecast a company's profits and revenues, advise clients on whether to buy or sell, participate in seminars, and discussing financial matters with executives and evaluate annual reports.

A Researcher is a professional who is responsible for collecting data and information by reviewing the literature and conducting experiments and surveys. He or she uses various methodological processes to provide accurate data and information that is utilised by academicians and other industry professionals. Here, we will discuss what is a researcher, the researcher's salary, types of researchers.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Safety Manager

A Safety Manager is a professional responsible for employee’s safety at work. He or she plans, implements and oversees the company’s employee safety. A Safety Manager ensures compliance and adherence to Occupational Health and Safety (OHS) guidelines.

Conservation Architect

A Conservation Architect is a professional responsible for conserving and restoring buildings or monuments having a historic value. He or she applies techniques to document and stabilise the object’s state without any further damage. A Conservation Architect restores the monuments and heritage buildings to bring them back to their original state.

Structural Engineer

A Structural Engineer designs buildings, bridges, and other related structures. He or she analyzes the structures and makes sure the structures are strong enough to be used by the people. A career as a Structural Engineer requires working in the construction process. It comes under the civil engineering discipline. A Structure Engineer creates structural models with the help of computer-aided design software. 

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Field Surveyor

Are you searching for a Field Surveyor Job Description? A Field Surveyor is a professional responsible for conducting field surveys for various places or geographical conditions. He or she collects the required data and information as per the instructions given by senior officials. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Pathologist

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Veterinary Doctor

Speech therapist, gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Are you searching for an ‘Anatomist job description’? An Anatomist is a research professional who applies the laws of biological science to determine the ability of bodies of various living organisms including animals and humans to regenerate the damaged or destroyed organs. If you want to know what does an anatomist do, then read the entire article, where we will answer all your questions.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Photographer

Photography is considered both a science and an art, an artistic means of expression in which the camera replaces the pen. In a career as a photographer, an individual is hired to capture the moments of public and private events, such as press conferences or weddings, or may also work inside a studio, where people go to get their picture clicked. Photography is divided into many streams each generating numerous career opportunities in photography. With the boom in advertising, media, and the fashion industry, photography has emerged as a lucrative and thrilling career option for many Indian youths.

An individual who is pursuing a career as a producer is responsible for managing the business aspects of production. They are involved in each aspect of production from its inception to deception. Famous movie producers review the script, recommend changes and visualise the story. 

They are responsible for overseeing the finance involved in the project and distributing the film for broadcasting on various platforms. A career as a producer is quite fulfilling as well as exhaustive in terms of playing different roles in order for a production to be successful. Famous movie producers are responsible for hiring creative and technical personnel on contract basis.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Individuals who opt for a career as a reporter may often be at work on national holidays and festivities. He or she pitches various story ideas and covers news stories in risky situations. Students can pursue a BMC (Bachelor of Mass Communication) , B.M.M. (Bachelor of Mass Media) , or  MAJMC (MA in Journalism and Mass Communication) to become a reporter. While we sit at home reporters travel to locations to collect information that carries a news value.  

Corporate Executive

Are you searching for a Corporate Executive job description? A Corporate Executive role comes with administrative duties. He or she provides support to the leadership of the organisation. A Corporate Executive fulfils the business purpose and ensures its financial stability. In this article, we are going to discuss how to become corporate executive.

Multimedia Specialist

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Process Development Engineer

The Process Development Engineers design, implement, manufacture, mine, and other production systems using technical knowledge and expertise in the industry. They use computer modeling software to test technologies and machinery. An individual who is opting career as Process Development Engineer is responsible for developing cost-effective and efficient processes. They also monitor the production process and ensure it functions smoothly and efficiently.

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

Information Security Manager

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

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An Automation Test Engineer job involves executing automated test scripts. He or she identifies the project’s problems and troubleshoots them. The role involves documenting the defect using management tools. He or she works with the application team in order to resolve any issues arising during the testing process. 

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House Approves $95 Billion Aid Bill for Ukraine, Israel and Taiwan

After months of delay at the hands of a bloc of ultraconservative Republicans, the package drew overwhelming bipartisan support, reflecting broad consensus.

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House Speaker Mike Johnson surrounded by members of the news media in the Capitol.

By Catie Edmondson

Reporting from the Capitol

The House voted resoundingly on Saturday to approve $95 billion in foreign aid for Ukraine, Israel and Taiwan, as Speaker Mike Johnson put his job on the line to advance the long-stalled aid package by marshaling support from mainstream Republicans and Democrats.

In four back-to-back votes, overwhelming bipartisan coalitions of lawmakers approved fresh rounds of funding for the three U.S. allies, as well as another bill meant to sweeten the deal for conservatives that could result in a nationwide ban of TikTok.

The scene on the House floor reflected both the broad support in Congress for continuing to help the Ukrainian military beat back Russia, and the extraordinary political risk taken by Mr. Johnson to defy the anti-interventionist wing of his party who had sought to thwart the measure. Minutes before the vote on assistance for Kyiv, Democrats began to wave small Ukrainian flags on the House floor, as hard-right Republicans jeered.

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How the House Voted on Foreign Aid to Ukraine, Israel and Taiwan

Here’s how each member of the House voted on the foreign aid bills.

The legislation includes $60 billion for Kyiv; $26 billion for Israel and humanitarian aid for civilians in conflict zones, including Gaza; and $8 billion for the Indo-Pacific region. It would direct the president to seek repayment from the Ukrainian government of $10 billion in economic assistance, a concept supported by former President Donald J. Trump, who had pushed for any aid to Kyiv to be in the form of a loan. But it also would allow the president to forgive those loans starting in 2026.

It also contained a measure to help pave the way to selling off frozen Russian sovereign assets to help fund the Ukrainian war effort, and a new round of sanctions on Iran. The Senate is expected to pass the legislation as early as Tuesday and send it to President Biden’s desk, capping its tortured journey through Congress.

“Our adversaries are working together to undermine our Western values and demean our democracy,” Representative Michael McCaul, Republican of Texas and the chairman of the Foreign Affairs Committee, said Saturday as the House debated the measure. “We cannot be afraid at this moment. We have to do what’s right. Evil is on the march. History is calling and now is the time to act.”

“History will judge us by our actions here today,” he continued. “As we deliberate on this vote, you have to ask yourself this question: ‘Am I Chamberlain or Churchill?’”

The vote was 311 to 112 in favor of the aid to Ukraine, with a majority of Republicans — 112 — voting against it and one, Representative Dan Meuser of Pennsylvania, voting “present.” The House approved assistance to Israel 366 to 58; and to Taiwan 385 to 34, with Representative Rashida Tlaib, Democrat of Michigan, voting “present.” The bill to impose sanctions on Iran and require the sale of TikTok by its Chinese owner or ban the app in the United States passed 360 to 58.

“Today, members of both parties in the House voted to advance our national security interests and send a clear message about the power of American leadership on the world stage,” Mr. Biden said. “At this critical inflection point, they came together to answer history’s call, passing urgently needed national security legislation that I have fought for months to secure.”

Minutes after the vote, President Volodymyr Zelensky of Ukraine thanked lawmakers, singling out Mr. Johnson by name “for the decision that keeps history on the right track.”

“Democracy and freedom will always have global significance and will never fail as long as America helps to protect it,” he wrote on social media. “The vital U.S. aid bill passed today by the House will keep the war from expanding, save thousands and thousands of lives, and help both of our nations to become stronger.”

Outside the Capitol, a jubilant crowd waved Ukrainian flags and chanted, “Thank you U.S.A.” as exiting lawmakers gave them a thumbs-up and waved smaller flags of their own.

For months, it had been uncertain whether Congress would approve new funding for Ukraine, even as momentum shifted in Moscow’s favor. That prompted a wave of anxiety in Kyiv and in Europe that the United States, the single biggest provider of military aid to Ukraine, would turn its back on the young democracy.

And it raised questions about whether the political turmoil that has roiled the United States had effectively destroyed what has long been a strong bipartisan consensus in favor of projecting American values around the world. The last time the Congress approved a major tranche of funding to Ukraine was in 2022, before Republicans took control of the House.

With an “America First” sentiment gripping the party’s voter base, led by Mr. Trump, Republicans dug in last year against another aid package for Kyiv, saying the matter should not even be considered unless Mr. Biden agreed to stringent anti-immigration measures. When Senate Democrats agreed earlier this year to legislation that paired the aid with stiffer border enforcement provisions, Mr. Trump denounced it and Republicans rejected it out of hand.

But after the Senate passed its own $95 billion emergency aid legislation for Ukraine, Israel and Taiwan without any immigration measures, Mr. Johnson began — first privately, then loudly — telling allies that he would ensure the U.S. would send aid to Kyiv.

In the end, even in the face of an ouster threat from ultraconservative members, he circumvented the hard-line contingent of lawmakers that once was his political home and relied on Democrats to push the measure through. It was a remarkable turnabout for a right-wing lawmaker who voted repeatedly against aid to Ukraine as a rank-and-file member, and as recently as a couple of months ago declared he would never allow the matter to come to a vote until his party’s border demands were met.

In the days leading up to the vote, Mr. Johnson began forcefully making the case that it was Congress’s role to help Ukraine fend off the advances of an authoritarian. Warning that Russian forces could march through the Baltics and Poland if Ukraine falls, Mr. Johnson said he had made the decision to advance aid to Kyiv because he “would rather send bullets to Ukraine than American boys.”

“I think this is an important moment and important opportunity to make that decision,” Mr. Johnson told reporters at the Capitol after the votes. “I think we did our work here and I think history will judge it well.”

Mr. Johnson structured the measures, which were sent to the Senate as one bill, to capture different coalitions of support without allowing opposition to any one element to defeat the whole thing.

“I’m going to allow an opportunity for every single member of the House to vote their conscience and their will,” he had said.

In a nod to right-wing demands, Mr. Johnson allowed a vote just before the foreign aid bills on a stringent border enforcement measure, but it was defeated after failing to reach the two-thirds majority needed for passage. And the speaker refused to link the immigration bill to the foreign aid package, knowing that would effectively kill the spending plan.

His decision to advance the package infuriated the ultraconservatives in his conference who accused Mr. Johnson of reneging on his promise not to allow a vote on foreign aid without first securing sweeping policy concessions on the southern border. It prompted two Republicans, Representatives Thomas Massie of Kentucky and Paul Gosar of Arizona to join a bid by Representative Marjorie Taylor Greene of Georgia to oust Mr. Johnson from the top job.

Ms. Greene claimed the Ukraine aid bill supported “a business model built on blood and murder and war in foreign countries.”

“We should be funding to build up our weapons and ammunition, not to send it over to foreign countries,” she said before her proposal to zero out the money for Kyiv failed on a vote of 351 to 71.

Much of the funding for Ukraine is earmarked to replenish U.S. stockpiles after shipping supplies to Kyiv.

Since Russia’s invasion in 2022, Congress has appropriated $113 billion in funding to support Ukraine’s war effort. $75 billion was directly allocated to the country for humanitarian, financial and military support, and another $38 billion in security assistance-related funding was spent largely in the United States, according to the Institute for Study of War , a Washington-based research group.

Hard-right Republican opposition to the legislation — both on the House floor and in the critical Rules panel — forced Mr. Johnson to rely on Democrats to push the legislation across the finish line.

“If Ukraine does not receive this support that it requires to defeat Russia’s outrageous assault on its sovereign territory, the legacy of this Congress will be the appeasement of a dictator, the destruction of an allied nation and a fractured Europe,” said Representative Rosa DeLauro of Connecticut, the top Democrat on the Appropriations Committee. “Gone will be our credibility, in the eyes of our allies and of our adversaries. And gone will be the America that promised to stand up for freedom, democracy, and human rights, wherever they are threatened or wherever they are under attack.”

Thirty-seven liberal Democrats opposed the $26 billion aid package for Israel because the legislation placed no conditions on how Israel could use American funding, as the death toll in Gaza has reached more than 33,000 and the threat of famine looms. That showed a notable dent in the longstanding ironclad bipartisan backing for Israel in Congress, but was a relatively small bloc of opposition given that left-wing lawmakers had pressed for a large “no” vote on the bill to send a message to Mr. Biden about the depth of opposition within his political coalition to his backing for Israel’s tactics in the war.

“Sending more weapons to the Netanyahu government will make the U.S. even more responsible for atrocities and the horrific humanitarian crisis in Gaza which is now in a season of famine,” said Representative Jonathan L. Jackson, Democrat of Illinois.

Carl Hulse , Annie Karni , and Kayla Guo contributed reporting from Washington and Marc Santora from Kyiv.

Catie Edmondson covers Congress for The Times. More about Catie Edmondson

2024 Ageing Report. Economic and Budgetary Projections for the EU Member States (2022-2070)

Description.

This report presents the projections showing the economic and budgetary impact of an ageing population over the long term.

Information and identifiers

Institutional Paper 279. April 2024. Brussels. PDF. 358pp. Tab. Graph. Bibliogr. Free.

KC-BC-24-006-EN-N ISBN 978-92-68-13780-2 (online) ISSN 2443-8014 (online) doi:10.2765/022983 (online)

JEL classification : J10, J11, J18, J21, J26, I0, O4, H55

European Economy Institutional Papers are important reports analysing the economic situation and economic developments prepared by the European Commission's Directorate-General for Economic and Financial Affairs, which serve to underpin economic policy-making by the European Commission, the Council of the European Union and the European Parliament. Views expressed in unofficial documents do not necessarily represent the views of the European Commission.

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  3. भारत बना विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

    सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एक विशिष्ट समय अवधि में देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक या बाज़ार मूल्य है।

  4. भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध (Essay on Indian Economy in Hindi)

    यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता तो निबंध. यदि साइकिल मुझसे बोलने लगी तो पर निबंध. यदि पेड़ न होते तो पर निबंध. यदि रात न होती पर निबंध. यदि ...

  5. भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध

    हड़ताल पर निबंध - Essay on Strike in Hindi; अहिंसा परमो धर्मः पर निबंध; भारत में डिजिटल लाइब्रेरी पर निबंध; स्टार्टअप इंडिया पर निबंध - Start Up India Hindi Essay

  6. भारतीय अर्थव्यवस्था: Essay in Hindi

    This essay in hindi has been written above the Indian economy, which focuses on unemployment, black money, poverty, inflation and other things! आधार - बिंद 1.

  7. नवीन अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और चुनौतियाँ पर निबन्ध

    विकासशील देश व्यापार-विकास और वित्तीय-मौद्रिक संबंधों के मुख्य प्रश्नों पर भू-मंडलीय वार्ताएं आयोजित करने की माँग करते हैं । इन समस्याओं पर ...

  8. Essay on indian economy in hindi, article, paragraph: भारतीय

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  9. भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध : Essay on indian economics

    भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध : Essay on indian economicsअर्थव्यवस्था का अर्थ ...

  10. भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध

    Essay on Indian Economy in Hindi : हम यहां पर भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध शेयर कर ...

  11. भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं Features of Indian Economy in Hindi

    भारतीय अर्थव्यवस्था और जीडीपी Economy of India in Hindi and GDP of India. 2020 के अनुसार ...

  12. भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध

    Indian Economy Essay in Hindi : इस लेख में हमने भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध के ...

  13. भारत का आर्थिक विकास पर निबंध

    भारत का आर्थिक विकास पर निबंध! Here is an essay on 'Economic Development in India' in Hindi language. विगत ...

  14. आर्थिक विकास: अर्थ और परिभाषा

    आर्थिक विकास: अर्थ और परिभाषा | Read this article in Hindi to learn about the meaning, definition and trends of economic development. आर्थिक विकास की परिभाषाओं (Meaning and Definition of Economic Development): आर्थिक वृद्धि से अभिप्राय है ...

  15. Essay on Indian Economy in Hindi

    Essay on present indian economy in hindi: Indian economy इस समय काफी कमजोर है। Indian economy अपनी तेजी धीरे-धीरे कर रही है। आरबीआई के अनुसार Indian economy की जीडीपी ग्रोथ की दर घटकर 6.9% ...

  16. भारतीय अर्थव्यवस्था पर तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव पर निबंध

    स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi) गणतंत्र दिवस पर 10 वाक्य (10 Lines on Republic Day 2024 in Hindi) गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध (Republic Day Parade Essay in Hindi)

  17. आर्थिक गुणगान: वित्त मंत्रालय का अर्थव्यवस्था का 10-वर्षीय लेखा-जोखा

    Hindi translation of The Hindu editorial on the Finance Ministry's 10-year review of the economy . India World Elections Sport e-Paper Menu; Cricket Data

  18. अर्थशास्त्र

    आर्थिक प्रणाली ( (Economic Systems)) एक ऐसी प्रणाली है जिसके अन्तर्गत विभिन्न व्यवसायों में काम करके लोग अपनी जीविका कमाते है। आर्थिक क्रियाओं ...

  19. भारत में आय असमानता के कारण

    भारत में आय असमानता | income inequality in india statistics pdf Hindi me, कारण, प्रभाव, उपाय और अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों संबंधी यूपीएससी नोट्स यहां पढ़ें!

  20. भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध

    भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध | Essay on Indian Economy in Hindi. Essay # 1. भारतीय ...

  21. कैशलेस इकोनोमी पर निबंध हिन्दी में

    कैशलेस इकोनोमी पर निबंध हिन्दी में Cashless Economy essay in Hindi निबंध लेखन essay in Hindi how to write essay in ...

  22. अर्थव्यवस्था क्या है, इसके प्रकार व विशेषताएं What Is The Economy In Hindi

    गिनती पर कविता | Counting Poems In Hindi For Kids; अशोक गोदारा का जीवन परिचय Ashok Godara Biography In Hindi; श्री राम नवमी पर भाषण निबंध 2024 Speech Essay On Ram Navami In Hindi

  23. Essay on Indian Economy for Students and Children

    500+ Words Essay on Indian Economy. India is mainly an agricultural economy. Agricultural activities contribute about 50% of the economy. Agriculture involves growing and selling of crops, poultry, fishing, cattle rearing, and animal husbandry. People in India earn their livelihood by involving themselves in many of these activities.

  24. Economy Questions in UPSC Prelims in Hindi (आर्थिक और सामाजिक विकास)

    निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिएः. (a) केवल 1 (b) केवल 2 और 4 (c) 1 और 3 (d) 2, 3 और 4. In this article, You will read the Economy Questions in UPSC Prelims in Hindi (आर्थिक और सामाजिक विकास).

  25. हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi)

    हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी ...

  26. What to read about India's economy

    AS INDIA GOES to the polls, Narendra Modi, the prime minister, can boast that the world's largest election is taking place in its fastest-growing major economy. India's GDP, at $3.5trn, is now ...

  27. House Approves $95 Billion Aid Bill for Ukraine, Israel and Taiwan

    The House voted resoundingly on Saturday to approve $95 billion in foreign aid for Ukraine, Israel and Taiwan, as Speaker Mike Johnson put his job on the line to advance the long-stalled aid ...

  28. 2024 Ageing Report. Economic and Budgetary Projections for the EU

    European Economy Institutional Papers are important reports analysing the economic situation and economic developments prepared by the European Commission's Directorate-General for Economic and Financial Affairs, which serve to underpin economic policy-making by the European Commission, the Council of the European Union and the European ...