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माँ पर निबंध – Essay on Mother in Hindi

Essay on Mother in Hindi : दोस्तों आज हम ने मां पर निबंध लिखा है मां का जीवन बड़ा ही अनमोल और समर्पण भाव से जुड़ा हुआ होता है वह हम बच्चों की सबसे पहली गुरु होती है वही हमारा संसार होती है इसलिए हमने मां को समर्पित निबंध लिखा है.

अक्सर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 और 12 के विद्यार्थियों को मां पर परीक्षाओं एवं भाषण देने के लिए के लिए कहा जाता है उनकी सहायता के लिए हमने यह निबंध लिखा है.

essay on mother in hindi

Get Some Essay on Mother in Hindi for student under 100, 250, 500 or 1000 words

10 lines Essay on Mother in Hindi

(1) मेरी मां दुनिया की सबसे अच्छी मां है.

(2) मां ने ही मुझे जन्म दिया है और मेरे लिए अनेक कष्ट सहे है फिर भी वह खुश रहती हैं

(3) मेरी मां मुझे बहुत प्यार करती है और रोज स्कूल जाने के लिए तैयार करती है.

(4) वह रोज मुझे सुबह शाम प्यार से खाना खिलाती है.

(5) मेरी मां मेरे साथ साथ पिताजी और उनके माता-पिता का भी ख्याल रखती है.

(6) मां मुझे रोज नई शिक्षाप्रद बातें बताती है साथ ही सही और गलत में फर्क करना भी सिखाती है.

(7) मां हमेशा परिवार की खुशी में ही खुश रहती है वह अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगती.

(8) वह घर में आने वाले सभी मेहमानों से अच्छा व्यवहार करती है.

(9) आधुनिक समाज वह नौकरी करने के साथ-साथ घर परिवार भी चलाती है.

(10) मेरी मां हर परिस्थिति से लड़ना जानती है वह बहुत ही दयालु और सबसे अच्छी मां है.

Short Essay on Mother in Hindi 100 words

मां भगवान की सबसे श्रेष्ठ रचना है उसके जितना त्याग और प्यार कोई नहीं कर सकता है. मां विश्व की जननी है उसके बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.

मां ही हमारी जन्मदाता होती है और वही हमारी सबसे पहली गुरु भी होती है वही सबसे ज्यादा हमें प्यार और दुलार करती है.

वह हमें जीवन में कठिनाइयों से लड़ते हुए आगे बढ़ने का संदेश देती है. वह हमारी प्रत्येक जरूरतों का ख्याल रखती है और स्वयं कष्ट सहकर भी हमें अच्छा जीवन प्रदान करती है.

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जिसके भी जीवन में मां होती है वह सदा खुश रहता है हमें हमेशा मां का आदर करना चाहिए और उन्हें हर खुशी देने का प्रयास करना चाहिए.

Meri Maa Essay in Hindi 250 words

मां ममता और वात्सल्य की मूरत है एक बच्चे की सबसे पहली दुनिया मां का आंचल ही होती है उसी की गोद में बैठकर वह दुनिया के नए रंग देखता है.

मां ही पहला गुरुकुल और पहला गुरु होती है और एक बच्चा सबसे पहला शब्द भी माँ ही कहता है. मां हमारी जीवन भर देखभाल करती है उसी की अच्छी परवरिश के कारण हम अच्छे इंसान बन पाते है.

हम चाहे कितने भी बड़े हो जाए लेकिन मां के लिए हमेशा बच्चे ही रहते है वह हर समय हमारी चिंता करती है और हमे सही राह दिखाती है.

मां हमारा हर सुख-दु:ख में साथ देती है जब हम बीमार होते हैं तो वही हमारे लिए रात भर जागती है भगवान से हमारे ठीक होने की प्रार्थना करती है.

वह हमारे लिए सब कुछ त्याग कर देती है, मां भूखी रहकर भी हमें भरपेट भोजन खिलाती है मां के जैसा त्याग और प्यार कोई नहीं कर सकता है.

यह भी पढ़ें – Best Mothers Day Poem in Hindi – माँ पर कविता

मां हमारी हर बात को समझती है चाहे हम उसे बताएं या नहीं वह हमारे हर आंसू की वजह पूछती है. अगर हम किसी कार्य को नहीं कर पाते है तो वह हमारा मार्गदर्शन करती है वह जीवन के हर एक मोड़ पर हमारे साथ खड़ी होती है.

मां अपने बच्चे से कभी रूठती नहीं है अगर वो रूठ भी जाती है तो ज्यादा देर तक रूठी हुई नहीं रह सकती है प्रेम और स्नेह का दूसरा नाम ही मां है. किसी भी व्यक्ति के अच्छे भविष्य के लिए मां का बहुत अधिक महत्व होता है.

Best Essay on Mother in Hindi 500 words

मां ईश्वर का दूसरा रूप है क्योंकि ईश्वर सभी जगह हमारी सहायता के लिए नहीं हो सकते इसीलिए उसने मां को बनाया है मां की ममता प्यार और स्नेह को प्राप्त करने के लिए तो ईश्वर भी धरती पर जन्म लेता है. मां से बड़ा दयालु और परोपकारी आज तक कोई नहीं हो पाया है और ना हो पाएगा.

मां वह धरा है जो खुद बंजर हो जाती है लेकिन अपने बच्चों का सही पालन-पोषण करके उनका अच्छा मार्ग दर्शन करके उन्हें उपजाऊ धरा के समान बनाती है.

Maa हमेशा हमारी खुशी मेरी खुश रहती है उसे कोई धन दौलत नहीं चाहिए उसे तो सिर्फ अपने बच्चों का प्यार चाहिए. मां हमेशा दिन-रात हमारे परिवार और हमारी सेवा में लगी रहती है लेकिन वह कभी नहीं कहती कि मैं थक गई या फिर मैं और काम नहीं कर सकती.

मां के जितना समर्पण और त्याग कोई अन्य व्यक्ति नहीं कर सकता है . मां हमारे जन्म से पहले से ही हमारा ख्याल रखना शुरू कर देती है हमारे जन्म के समय उसे असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता है फिर भी वह हमारी एक मुस्कान देखने के लिए सारी पीड़ा को खुशी खुशी सह जाती है.

“गम की चोटे फौलाद से ज्यादा क्या होगी और मां की दौलत दुनिया में औलाद ज्यादा क्या होगी”

बचपन में वह हमारा पालन पोषण करती है, हमारी हर नादानी को नजर अंदाज करके हमें माफ कर देती है. मां सुबह सबसे पहले उठती है, वह हमें समय पर भोजन देती है, समय पर स्कूल जाने के लिए तैयार करती है,

पूरे दिन भर घर का काम करती है, इसके बाद जब हम घर लौट कर आते हैं तो एक मुस्कान के साथ हमारा हाल-चाल पूछती है और हम सब को सुलाने के बाद वह सोती है. इतना बड़ा कार्य तो सिर्फ माँ ही कर सकती है.

संसार में पुरुषों को सबसे शक्तिशाली बताया जाता है लेकिन सबसे शक्तिशाली तो मां है जिसके साहस, स्नेह, निडरता, बुद्धिमता, दयालुता और प्रेम भाव के आगे कोई भी नहीं टिक पाता है. माँ ही है जो करते हुए आंसुओं को पूछती है और एक मिनट में हमारे चेहरे पर मुस्कान बिखेर देती है.

कभी सोचा है मां हमारे लिए यह सब कुछ क्यों करती है क्योंकि वह सिर्फ और सिर्फ हमसे प्यार करती है वह अन्य दुनिया की तरह नहीं है जो स्वार्थ के लिए आप से प्रेम भाव रखते है.

मां ही हमारा पहला गुरु होती है वह हमें अच्छी शिक्षा देती है और समाज का एक अच्छा नागरिक बनाती है वह असफलता और सफलता दोनों में हमारे साथ खड़ी हुई होती है हमारे निराश होने पर वह आशा की किरण बनकर हमारे साथ चलती है और हमारा मार्गदर्शन करती है.

मां जीवन भर हमारे लिए इतना सब कुछ करती है तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हमें भी मां के लिए कुछ करना चाहिए उनका हर समय खयाल रखना चाहिए उन्हें हर वह खुशी देने की कोशिश करनी चाहिए जो आज तक वो हमें देती आई है.

हमें प्रतिदिन मां का आशीर्वाद लेना चाहिए क्योंकि जब उसका आशीर्वाद मिल जाता है तब हमें किसी के आगे हाथ फैलाने नहीं पड़ते है.

आज आप हमारे साथ प्रण ले की जैसे मां ने आपका ख्याल रखा है वैसे ही आप भी उनका ख्याल रखेंगे और जो खुशियां उन्हें नहीं मिल पाई वो खुशियां उन्हें देंगे.

Essay on Mother in Hindi 1000 words

मां की व्याख्या करने की ताकत किसी भी कलम में नहीं है क्योंकि मां को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है फिर भी मैं मां के ऊपर आज कुछ लिखना चाहता हूं.

मां उस जल के समान है जो निरंतर बहता रहता है और दुनिया को जीवन देता रहता है मां उस अटल पहाड़ की तरह है जब मुसीबत आती है तो वह पहाड़ की तरह मजबूती से खड़ी रहती है.

मां नदी के समान है जो निरंतर निर्मल और परोपकार की भावना रखते हुए बहती रहती है. मा तपती धरती के समान है जो खुद त्याग करके अपने बच्चों की परवरिश करती है. मां में तो पूरा ब्रह्मांड समाया है क्योंकि उसके बिना इस धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है.

मां ईश्वर का सबसे अनमोल उपहार है जिसे मिलता है उसके जीवन से दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशियां ही खुशियां भर जाती है. वह जीवन की अंतिम पल तक हमारा साथ नहीं छोड़ती है भले ही हमने क्यों न उसका साथ छोड़ दिया हो.

जीवन में मां का महत्व –

मां का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि उसके बिना हमारा जीवन संभव नहीं हो पाता वही हमें इस दुनिया में लेकर आती है. हमारे जन्म के समय उसे असहनीय पीड़ा महसूस होती है लेकिन फिर भी वह हमारे लिए पीड़ा को सहन करके हमें जीवन प्रदान करती है.

मां हमारे बचपन से ही हमारा पालन-पोषण करती है हमारी हर जरूरतों को पूरा करती है वह स्वयं भूखी रह जाती है लेकिन हमें भरपेट भोजन कराती है. वह स्वयं गीली जगह पर सो जाती हैं लेकिन हमें हमेशा सूखे में सुलाती है.

मां हमारा पहला गुरुकुल और पहली गुरु होती है वही हमें सर्वप्रथम शिक्षा देती हैवह धीरे-धीरे है मैं अपने पैरों पर चलना सिखाती है. वह अपने पूरे जीवन का त्याग करके संपूर्ण जीवन हमें समर्पित कर देती है वह हमेशा अपने दुखों को भूलाकर हमारी खुशियों के बारे में सोचती है.

मां हमें बचपन में अच्छी शिक्षाप्रद कहानियां सुनाती है जिनसे हमारा जीवन और भी सुलभ हो जाता है. वह हमें जीवन जीने का तरीका बतलाती है. वह समाज की बुरी कुरूतियो से लड़ना सिखाती है.

जब हम खुश होते है तो वह बहुत खुश होती है. मां के जितना कोई निडर नहीं हो सकता क्योंकि जब हमारे ऊपर कोई भी मुसीबत आती है तो सबसे पहले वह हमारे आगे खड़ी होती है और हमारा बचाव करती है. मां हमेशा हमारे प्रति परोपकार की भावना रखती है वह कभी भी हमसे कुछ नहीं मांगती है हमेशा हमारे बिना मांगे हमारी जरूरतें पूरी करते है.

मां हमें समाज में जीने का तरीका बदल आती है वह हमें अच्छे और बुरे में भेद करना सिखाती है वह हमें लोगों का सम्मान करना सिखाती है हमें निरंतर बिना रुके चलना सिखाती है. मां जीवन भर हमारी सेवा करती रहती है हमें छोटी सी चोट लग जाने या फिर बीमार होने पर वह चिंतित हो जाती है और दिन रात जाग कर सेवा करती है.

ईश्वर से हमारी ठीक होने की मन्नतें और प्रार्थना करती है. वह सदा हमारे लिए ही प्रार्थना करती है कभी अपने लिए कुछ नहीं मांगती क्योंकि उसके लिए हम ही सब कुछ होते है.

हम चाहे कितने भी बड़े हो जाए लेकिन मां के लिए जीवन भर हम एक छोटे बच्चे के समान ही होते हैं जिस पर अगर थोड़ी सी भी मुसीबत आ जाए तो वह कहीं भी हो दौड़ी चली जाती है.

वह हमें चुनौतियों से लड़ना सिखाती है और अगर हम कभी निराश होते हैं तो आशा की किरण बनकर हमारा हौसला बढ़ाती है और जब तक हम सफलता प्राप्त नहीं कर लेते हमारा हाथ थामे साथ खड़ी रहती है.

मां का विश्वास और आर्शीवाद हमारे ऊपर सदा बना रहता है तभी हम जीवन में एक अच्छे इंसान बन पाते है और सफलता प्राप्त कर पाते है.

मां हमें हमेशा साहसी धैर्यवान और अच्छे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति बनाती है वह चाहती है कि हम इस दुनिया के लिए कुछ अच्छा करें और इस समाज पर एक अमिट और अच्छी छाप छोड़ें. मां सबसे बड़ा धन है जिसको यह मिल जाता है उसकी जिंदगी संवर जाती है.

मां और ईश्वर –

मां का दुलार और प्यार पाने के लिए ईश्वर भी धरती पर जन्म लेते है मां का प्यार होता ही ऐसा है जिसको पाने के लिए ईश्वर भी धरती पर चले आते है इसका एक स्पष्ट उदाहरण है भगवान श्री कृष्ण जिन्होंने मां की ममता पाने के लिए धरती पर जन्म दिया था.

भगवान श्री कृष्ण ने एक नहीं दो माताओं का प्यार और दुलार पाया था. इससे यह स्पष्ट होता है कि ईश्वर भी मां को प्रणाम करते है.

मां के प्रति हमारे कर्तव्य –

मां हमारे लिए पूरा जीवन समर्पित कर देती है और बदले में हम उन्हें दो वक्त की रोटी तक नहीं दे पाते है यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि जिस मां ने हमारे लिए पूरा जीवन कठिनाइयों और मुसीबतों को झेल कर हमें जीवन दिया, हमें दुनिया की हर एक खुशी दी और हमें एक अच्छा व्यक्ति बनाया.

अब हमारे बड़े होने पर मां के प्रति हमारे भी कुछ कर्तव्य बनते है. हमें मां की हर जरूरत को पूरा करना चाहिए. उनकी हर एक खुशी देनी चाहिए. वृद्धावस्था में उनकी सेवा करनी चाहिए. उनके पास बैठकर कुछ समय बिताना चाहिए.

सुबह शाम उनसे मिलकर उनका हाल-चाल पूछना चाहिए प्रतिदिन उनका आशीर्वाद लेना चाहिए क्योंकि मां की आशीर्वाद से बड़ा कोई धन नहीं होता है. उन्हें भी उतना ही प्यार करना चाहिए जितना उन्होंने हमें किया था.

मां को हमारे से कुछ नहीं चाहिए ना उसे धन चाहिए ना उसे बड़ा मकान चाहिए उसे तो सिर्फ अपने बच्चों का प्यार चाहिए और खुशियां चाहिए.

इसलिए हमें हमेशा उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए और हर संभव सेवा करनी चाहिए मां वह अनमोल धन है जो कि अगर एक बार खो जाए तो जिंदगी में दोबारा कभी नहीं मिलता है.

उपसंहार –

मां के जितना त्यागी, साहसी, धैर्यवान, निडर, तपस्वी, परोपकारी, जीवनदायी कोई नहीं हो सकता है . मां ईश्वर का ही दूसरा स्वरूप है जिसने हमें पृथ्वी पर जीवन दिया है.

इस अमूल्य जीवन का हम कभी भी कर्ज अदा नहीं कर सकते हैं इसलिए जितनी हो सके उतनी मां की सेवा करनी चाहिए उन्हें हर वह खुशी देनी चाहिए जिसके लिए उन्होंने अपने जीवन को हमारे व्यक्तित्व को निखारने के लिए समर्पित कर दिया.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Mother in Hindi  आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

30 thoughts on “माँ पर निबंध – Essay on Mother in Hindi”

Thank you hindi yatra for this legend essay.

Welcome Aarav Srivastava

what a good composition ! It is really very helpful!! Thank You!!!!!!!!!!!!!!!

Thank you Pracheta Das for appreciation

Hahta hu me ek choti si dunya ho Or jisme phle name meri maa ho

Shiv kashyap ji aap ne bahut accha likha hai.

It is a very nice essay and it helps me in my summer vacation homework…..I give this essay a five star rating…..I loved the essay very true and heartiest ♥️ lines have been written…..I loved it a lot… thanks for writing this type of good essay

Thank you Sandeep for appreciation and keep visiting hindi yatra.

thank you its very good for childern

Welcome sannvi and thank you for appreciation.

Yes it’s very much good for my dear mum

Thank you Krishna for appreciation.

Baht achha hai raise aur bhi nibandh mujhe chahiye

Sunny giri, Hame khushi hai ki aap ko nibandh pasnd aaya dhanyawad.

all best word of maa

Thank you kamlesh kumar deoria up for appreciation.

Like your essay very much one mistake in it but top essay like it very much . mother is nicely described in it.

Thank you Rohit Owandkar for appreciation.

All right…….

Thank you Mayank for appreciation.

Thanks for writing this type of good essay I Loved it alot😘

Welcome Ishika and thanks for appreciation.

please sir this essay send on my email. please sir and send my email

faizan sayyad, Aap yaha se copy kar sakte hai apne school project ke liye

Satik likha hai

Sarahna ke liye Dimple ji aap ka bhut bhut dhanyawad.

It is a very nice essay and it helps me in my summer vacation homework…..I give this essay a five star rating…..I loved the essay very true and heartiest ♥️ lines have been written…..I loved it a lot… thanks for writing this type of good essay

Shila Sarkar, We are grateful that you are like our content, thank you very much for the appreciation.

It is very nice essay an that’s line is very great thank u for write. This essay

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माँ पर निबंध 500 शब्दों में | My Mother Essay in Hindi

  • by Rohit Soni
  • Essay , Education

मेरी माँ पर निबंध 500 शब्दों में (My Mother Essay in Hindi) और माँ पर निबंध 10 लाइन में पढ़िए।

” चलती फिरती आंखों से, अजाँ देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी, लेकिन माँ देखी है। “

Table of Contents

माँ पर निबंध 10 लाइन – My Mother Essay in Hindi 10 lines

  • माँ अपने बच्चों से बहुत ज्यादा प्यार करती हैं।
  • माँ हमारी प्रथम गुरु भी होती है।
  • माँ की आंचल में रहकर हम चलना और बोलना सीखते है।
  • जब हमें नींद नहीं आती तो माँ हमें लोरी सुना कर सुलाती है।
  • माँ खुद भूखी रह सकती है परन्तु अपने बच्चों को कभी भूखा नहीं रखती है।
  • माँ अपने बच्चों की देखभाल बहुत ज्यादा करती है।
  • माँ की ममता का कोई भी मोल नहीं है।
  • माँ की ममता से भगवान भी छोटे है।
  • हमें अपने माता पिता को खूब सेवा करनी चाहिए।

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My Mother Essay in Hindi – माँ पर निबंध 500 शब्दों में

माँ पर निबंध 500 शब्दों में | My Mother Essay in Hindi (meri maa essay in hindi)

“माँ” केवल शब्द मात्र नहीं है अपितु इसमें पूरा संसार समाहित है। माँ की जितनी के बारे जितनी भी व्याख्या की जाए उतनी कम है। माँ के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। एक माँ जीवन दाता होने के साथ-साथ कई अन्य प्रकार के भी रोल निभाती है। जैसे- जन्म दाता है माँ, पालन हार है माँ, प्रथम गुरु है माँ, अच्छी दोस्त है माँ, रक्षक है माँ और हमारी कोच है माँ। और इसी प्रकार से जीवन के हर मोड़ में माँ अनेक प्रकार से हमारे साथ रहती है।

प्रथम गुरु माँ

माँ हमारी माता होने के साथ ही वह हमारी प्रथम गुरु भी होती है। माँ की आंचल में रहकर हम चलना और बोलना सीखते है। माँ हमें अच्छे संस्कार देती है। सही क्या है? और गलत क्या है? उसकी पहचान करना सिखाती है। हमें प्राथमिक ज्ञान अपनी माँ से ही मिलता है। हम जो भी कुछ सबसे पहले सीखते हैं वह माँ से ही तो सीखते हैं। इसलिए मैं इस बात को काफी गर्व के साथ कह सकता हूं कि मेरी माँ मेरी प्रथम गुरु है।

मेरी माँ मेरी प्रेरणा

मेरी माँ का पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ होता है। सुबह से शाम तक माँ के ऊपर विभिन्न प्रकार की जिम्मेदारियां होती है। फिर भी कभी हार नहीं मानती है। जिसको देखकर हमें संघर्षों से लड़ने की प्रेरणा मिलती है। मेरी माँ हमेशा मेरी सफलताओं के लिए कड़ी मेहनत करती है। जब भी हम कभी उदास होते हैं तो माँ हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। और जब हम कभी गलत रास्तों पर चले जाते हैं या फिर हमें कोई रास्ता समझ नहीं आता तो माँ हमें सही रास्ता दिखाती है। इसलिए मेरी माँ मेरी प्रेरणा स्रोत भी है।

मां का हमारे जीवन में स्थान

भगवान से भी ज्यादा महत्व माँ को होता है। भगवान भी माँ की ममता पाने के लिए तरसते हैं। जब भी हम किसी मुसीबत में होते हैं तो हमारी जबान पर भगवान से पहले माँ का नाम आता है। इसलिए माँ को सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है। एक माँ और बेटे का रिश्ता बहुत पवित्र होता है। एक माँ ही है जो अपने बच्चों के लिए दुनिया से लड़ जाती है परन्तु अपने बच्चों पर किसी भी प्रकार के संकट को बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसलिए मां का हमारे जीवन में सबसे ऊंचा स्थान है।

माँ के प्रति हमारे कर्तव्य

एक माँ बच्चों के लिए बहुत कुछ करती है। माँ बच्चे को जन्म देते समय असहनीय पीड़ा को सहन करके बच्चे को इस दुनिया में लाती है। और फिर हजारों कष्ट सहन करके बच्चों का पालन-पोषण करती है। तथा जीवन जीने की सही राह दिखाती है। इसलिए माँ के प्रति जो हमारे कर्तव्य हैं उसे हमें जरूर करना चाहिए-

  • हमें माता पिता के साथ समय बिताना चाहिए और उनकी सेवा कर उन्हें हमेशा खुश रखना चाहिए।
  • ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिसकी वजह से माँ की आंखों में आंसू आए।
  • एक माँ अपने बच्चों का कभी भी बुरा नहीं चाहती है। उनकी डांट के पीछे कहीं ना कहीं हमारी भलाई ही छुपी हुई होती है।
  • हमें माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा बनना चाहिए। जिस प्रकार से माँ बच्चों का ख्याल रखती है उसी प्रकार से हमें भी उनका ख्याल रखना चाहिए।

माँ पूजनीय है। माँ की ममता का इस जग में कोई मोल नहीं है। और माँ के बिना इस संसार की कल्पना नहीं की जा सकती है। मेरी माँ मेरी सुख-सुविधाओं के लिए अपने सुख-सुविधाओं का भी त्याग करने में कभी संकोच नहीं किया। मेरी सफलताओं के लिए उन्होंने ना जाने कितने कष्ट सहें हैं। उनके इस बलिदान का कर्ज हम कई जनम में भी नहीं चुका सकते हैं। जन्म देने वाली मेरी माँ को शत-शत नमन!

“ घुटनों से रेंगते-रेंगते, कब पैरो पर खड़ा हो गया। माँ तेरी ममता की छाँव में, न जाने कब बड़ा हो गया।। ” माँ पर शायरी

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हर बच्चा बनेगा बेहतर इंसान: माता पिता के साथ 11 व्यवहार के नियम

Faq my mother, q: मैं अपनी मां के बारे में निबंध कैसे लिखूं.

Ans: माँ के बारें में निबंध लिखना काफी सरल है। आप जो अपनी मां के बारे में जानते हैं। वह निबंध में लिख सकते हैं। जैसे- माँ के द्वारा किया गया संघर्ष, उनका परिवार और बच्चों के के लिये किया गया त्याग। और माँ की ममता-प्यार और भी ।

माँ शब्द भले ही सबसे छोटा है, लेकिन माँ पर लिखने के लिए शायद शब्द ही कम पड़ जाए।

Q: मां का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

Ans: मां का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है। माँ हमारे जीवन को सवारनें के लिए अपनी सारी जिन्दगी कुर्बान कर देती है। हमारे खुशी के लिए दुनिया की सभी चुनौतियों से अकेले ही लड़ने में सक्षम है। और क्या कहूँ मां का हमारे जीवन में कितना ज्यादा महत्व है। क्योंकि माँ के बिना तो हमारे जीवन की शुरुआत ही नही होती।

Q: माँ का पर्यायवाची शब्द

Ans: मैया, माई, अम्मा, अम्मी, जननी, मातु, जन्मदात्री, मातृ, मातरि, महतारी, माता, जनयित्री, जननी, वालिदा, महन्तिन, धात्री, प्रसू, मम्मी, अम्ब, अम्बिका।

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चंद्रयान 3 पर निबंध 100, 300, 500 शब्दों में | Chandrayaan 3 Essay in Hindi

Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya   पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके। View Author posts

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मेरी माँ पर निबंध | Essay on Mother in Hindi

Essay on Mother in Hindi : आज हम यहाँ  मेरी माँ पर निबंध  आपके लिए लिखा हैं. हर इंसान के जीवन में माँ का अहम योगदान होता हैं.

चाहकर भी माँ के ऋण की अदायगी एक जन्म में नहीं की जा सकती हैं. हमें इस दुनियां में लाने तथा संसार से परिचय माँ ही कराती हैं. अपनी माँ को समर्पित यह निबंध पढ़िये.

मेरी माँ पर निबंध Short Essay on Mother in Hindi

मेरी माँ पर निबंध | Essay on Mother in Hindi

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 और 12 के लिए यहाँ हम Essay on Mother in Hindi साझा कर रहे हैं. बच्चे इस निबंध की मदद से माँ पर कुछ अनुच्छेद निबंध इत्यादि लिख सकेगे. चलिए अब हम 100, 250, 500 or 1000 में निबंध जानते हैं.

10 Lines दस वाक्य

(1) मैं अपनी माँ को ईश्वर का उपहार मानता हूँ.

(2) मां ही वह जीवात्मा हैं जो हर समय अपनी सन्तान की फ़िक्र में रहती हैं.

(3) मेरी माँ हमेशा मेरा हाथ बंटाने का प्रयत्न करती हैं.

(4) वह दिन के तीनों वक्त परिवार के सभी लोगों के लिए भोजन तैयार करती हैं.

(5) मेरी मां मेरे घर के प्रत्येक सदस्य का ख्याल करती है तथा उन्हें सम्मान देती हैं.

(6) जीवन में क्या गलत हैं क्या सही इसकी परख माँ ही सिखलाती हैं.

(7) बिना शर्त मेरी माँ स्वयं खुश रहकर पूरे परिवार को खुश रखती हैं.

(8) हमारे घर आने वाले प्रत्येक मेहमान की खातिरदारी करती हैं.

(9) आज की माताएं नौकरी करके भी संतानों का पेट भरने के काबिल हैं.

(10) मेरी माताजी सह्रदय दयालु एवं धार्मिक विचारों की हैं वह मुशीबत में सबका साथ देती हैं.

100 words Essay On My Mother In English Language

mother is an important member of the family. my mother is a noble lady. her name is Mrs. Sudha she is a pious lady. she is b.a, b.e.d. she is a teacher. she is a religious lady. she says the prayer to god every day.

she cooks meals, washes clothes, and brings us up. she is active in her habits. he has a deep love for us. she is a kind lady. she believes in giving alms to the poor. she tells us stories from the Ramayana and Mahabharat.

we respect our mother. we feel her absence when she is out of the station. I am proud of my mother. may she live long?

मेरी माँ पर निबंध (100 शब्द)

मां परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। मेरी मां एक महान महिला है। उसका नाम श्रीमती सुधा है वह पवित्र दिल की महिला है। मेरी माँ बी.ए., बी.ई., विद्यालय शिक्षक है। वह एक धार्मिक महिला है। वह हर दिन भगवान से प्रार्थना करती है।

वह भोजन बनाती है, कपड़े धोती है और हमें जगाती है। वह अपने कामकाज में हर वक्त व्यस्त रहती है। उनके दिल में सभी सदस्यों के लिए गहरा प्यार है। वह एक दयालु महिला है। वह गरीबों को दान देने में विश्वास करती है। वह हमें रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाती है।

हम अपनी मां का सम्मान करते हैं। जब वह कभी घर से बाहर होती है तो हम उसकी अनुपस्थिति महसूस करते हैं। मुझे मेरी मां पर गर्व है। भगवान उनका आसरा सदा हम पर बनाए रखे.

Short Essay on Mother in Hindi 150 words

मेरी प्यारी माँ ‘मेरे जीवन का सबसे अहम है। वह हमारे लिए सब कुछ करती है। वह बहुत ही दयालु एवं ध्यान रखने वाली हैं. मेरी मां एक गृहिणी है वह उन लोगों में से एक हैं जिन्हें मैं सबसे ज्यादा सम्मान और प्यार करता हूं।

दिनभर काम में व्यस्त रहने के उपरान्त भी वह मेरे लिए वक्त निकाल कर पढ़ाई में मेरी मदद करती हैं वे हमारे साथ खेलती हैं वह संघर्षशील महिला हैं तथा मैंने अपनी माँ को कभी धैर्य खोते हुए नहीं देखा हैं. वह स्वयं पर भरोसा कर मुसीबत से लड़ने में विश्वास करती हैं.

माँ की दी यह सीख मुझे जीवन में बहुत काम आती हैं वाकई में परेशानी आने पर हथियार डाल देने की बजाय उससे लड़कर पार पाने में संतुष्टि मिलती हैं वह किसी और में नहीं हैं. हमें अपनी माँ को प्यार करना चाहिए तथा वृद्धावस्था में अपने माता पिता का ध्यान रखना एक सन्तान का दायित्व हैं.

Best Essay on Mother in Hindi 250 words

मुझे अच्छी तरह याद हैं, जब मैं अपनी माँ का हाथ पकड़कर उन्हें वैष्णो देवी की चढ़ाई पर ले गया था. तब मेरी उम्रः मात्र छः वर्ष की थी. मुझे वो दिन भी याद हैं, जब मेरे पिताजी मुझे अपने कंधे पर बिठाकर मेला दिखाने ले गये थे और मैंने झुला झुलाया था. तथा गुब्बारा भी दिलाया था.

मेरे माता-पिता मुझे बहुत प्यार करते हैं, जब मैं बीमार पड़ जाता तो माँ पिताजी दोनों रात रात जागते थे. तेज बुखार होने पर माँ मेरे माथे पर पानी में भिगोकर पट्टी बांधते थे तो माँ अपने पल्लू से मेरे हाथ व पैर के पजों को झाडती रहती थी ताकि मेरा बुखार जल्दी से उतर जाए.

मेरे ह्रदय में मेरे माता पिता के प्रति असीम आदर हैं. मैं नित्य सुबह उठकर अपने माता पिता के चरण स्पर्श करता हूँ. फिर वे मुझे आशीर्वाद देते हैं. मैं सोचता हूँ कि मेरे माता पिता की छत्रछाया मुझ पर सदैव बनी रहे.

ताकि मुझे हमेशा उनका आशीर्वाद और लाड दुलार मिलता रहे. मेरे मम्मी पापा मेरे लिए सब कुछ त्याग करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं और मैं भी उनकी हरेक इच्छा पूरी करने के लिए हमेशा तैयार रहता हूँ. मेरे आदरणीय माता पिता दुनियां के सबसे अच्छे माता पिता हैं.

Meri Maa Par Nibandh 500 Word

वैसे तो लोग कहते हैं कि नारी अबला होती है परंतु मेरी नजर में नारी अबला नहीं बल्कि बहुत ही शक्तिशाली होती है क्योंकि जो लोग नारी को अबला और कमजोर समझते हैं वह लोग नारी से ही पैदा होते हैं। नारी एक ऐसी शक्ति होती है जो एक नए जीव को इस धरती पर पैदा करती है।नारी को हम बहन, मां,पत्नी के रूप में जानते हैं।

मेरी मां भी एक नारी है, स्त्री है जो कमजोर नहीं है। हम अपनी मां को किसी भी प्रकार से कमजोर नहीं मान सकते क्योंकि एक मां अपने बच्चे पर संकट आने पर भगवान से भी लड़ सकती है।

मेरी मां का नाम सुनीता देवी है जो बहुत ही प्यारी है।जब हम आराम से सुबह सोते होते हैं,तो मेरी मां सबसे पहले हमारे घर में उठ जाती है और घर में सबसे पहले उठने के बाद वह पूरे घर की साफ सफाई करती है।

उसके बाद स्नान करती है और फिर भगवान की पूजा करती है और जब हम स्कूल जाने के लिए तैयार होते हैं तब वह स्कूल जाने के लिए तैयार होने में हमारी सहायता करती है और स्कूल ले जाने के लिए हमें टिफीन भी बना कर देती है।

मेरी मां मेरे पिताजी के अलावा मेरे दादा दादी की भी पूरी देखभाल करती है और उनकी हर सुख सुविधा का ख्याल रखती है। मेरी दादी कहती है कि मेरी मां उनकी सबसे पसंदीदा बहू है। मैं खुद भी अपनी मां की सारी बातें मानता हूं और वह भी मेरी सारी बातें मानती है।

अच्छी पढ़ी-लिखी होने के कारण मेरी मां घर का काम निपटाने के बाद नौकरी करने के लिए भी जाती है और वह घर के काम और ऑफिस के काम में अच्छा सामंजस्य बैठाकर चलती है।

मेरी मां का स्वभाव बहुत ही मिलनसार और हंसमुख है, इसीलिए हर कोई उनकी तरफ स्वाभाविक तौर पर अट्रैक्ट होने लगता है।

मेरी मां अपने काम को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाती है,इसीलिए ऑफिस में हर कोई उनकी तारीफ करता है। मेरी मां सिर्फ मेरी मां ही नहीं बल्कि वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी है।

अगर मुझसे किसी भी प्रकार की गलती हो जाती है तो मेरी मां मुझे मारती नहीं है बल्कि मुझे प्यार से समझाती है। 

जब मैं कभी दुखी हो जाता हूं तो बिना कुछ कहे ही मेरी मां को मेरे दुख के बारे में पता चल जाता है क्योंकि मां आखिर मां होती है और मां से ज्यादा अपनी संतान का दुख और कौन समझ सकता है।

जब मेरी मां मुझे प्यार से समझाती है,तब मैं अपने सारे दुख भूल जाता हूं और फिर से मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।

मेरी मां हमेशा मुझे और सभी बच्चों को अच्छी अच्छी बातें बताती हैं और वह कभी भी किसी बच्चे के बारे में कोई भी बुरी बात ना तो कहती हैं ना हीं सुनती है।

मेरी मां मेरे लिए एक आदर्श व्यक्ति है। वह हमें जिंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है,साथ ही जिंदगी में कभी भी किसी के साथ छल कपट ना करने के लिए भी कहती है और हमेशा हमें सही रास्ते पर चलने के लिए कहती हैं।

मैं अपनी मां से बहुत ज्यादा प्यार करता हूं और मैं भगवान का इस बात के लिए शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे इतनी अच्छी मा‌ दी।

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हम आशा करते हैं दोस्तों मेरी माँ पर निबंध Short Essay on Mother in Hindi का यह लेख आपकों अच्छा लगा होगा.

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Essay on Mother in Hindi : स्टूडेंट्स के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में माँ पर निबंध

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Essay on Mother in Hindi

माँ शब्द बहुत ही छोटा शब्द है, लेकिन इसकी गहराई को कोई नहीं माप सकता है। माँ कोई कुछ शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। मां के लिए हर एक व्यक्ति की अपनी परिभाषा है। माँ को हम भगवान के रूप में भी देखते है, या कहे वो भगवान का ही एक रूप है। माँ आप पर आई हर परेशानी को चुटकियों में एक जादू की तरह दूर करने वाली जादूगर होती है। माँ हमारी सबसे पहली गुरु होती है, माँ जो कुछ भी शती है वो अपने बच्चों तक नहीं आने देती है। माँ की जगह कोई नहीं ले सकता। हम जब स्कूल में पढते है तो बहुत सी कविता, कहानियां माँ से संबंधित पढ़ने को मिलती है। और कभी कभी बच्चों से माँ पर निबंध लिखने को भी कहा जाता है। तो ऐसे में बच्चों को कभी कभी समझ नहीं आता की वो शुरुआत कैसे करें या क्या लिखे, इसे देखते हुए आज हम इस ब्लॉग में माँ पर निबंध लिख रहे हैं। इस ब्लॉग में आप 100, 200 और 500 शब्दों में Essay on Mother in Hindi के बारे में जान पाएंगे।

This Blog Includes:

माँ पर निबंध 100 शब्दों में, माँ पर निबंध 200 शब्दों में, माँ में है जीवन का महत्व, जीवन की पहली टीचर माँ , सुपरवुमन होती है माँ , निष्कर्ष , मेरी माँ पर 10 लाइन .

100 शब्दों में Essay on Mother in Hindi का सैंपल नीचे प्रस्तुत है। 

एक माँ केवल एक बच्चों को जन्म नहीं देती है बल्कि उसे प्यार करने, देखभाल करने और बिना किसी शर्त के खुद को आजीवन समर्पण करने को तैयार रखती है। हर व्यक्ति के जीवन में माँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि वह सिर्फ अपने बच्चों को प्यार, दुलार करती है। बल्कि वह एक रक्षक, मित्र और साथ ही एक अनुशासन की भूमिका भी निभाती है। माँ एक निस्वार्थ, प्यार करने वाली देवी होती है, जिसके लिए त्याग और प्यार की कोई सीमा नहीं होती है। मेरी माँ मेरे दिल में एक विशेष स्थान रखती हैं। मेरे माँ ने मेरे लिए जो भी समर्पण किये है, मैं कितना भी कर लू उसके इस कर्ज को कभी नहीं चुकाने लायक बन सकता हूँ।  

यह भी पढ़ें : राष्ट्रीय बालिका दिवस पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंध, यहाँ देखें सैंपल

Essay on Mother in Hindi

200 शब्दों Essay on Mother in Hindi कुछ इस प्रकार है –

बचपन से ही ‘एक माँ की गोद किसी भी अन्य की तुलना में अधिक आरामदायक होती है’, मैं हर एक परिस्थिति मानता हूँ। मेरी माँ एक निस्वार्थ, समर्पित और प्यार करने वाली महिला का एक आदर्श उदाहरण हैं। वह सबसे मजबूत है और मेरे परिवार और मेरी खुशियों के लिए किसी भी हद तक खुद को समर्पित करती है। मेरी माँ निरंतर समर्थन और जीवन में आने वाले हर उतार-चढ़ाव के दौरान मेरे साथ खड़ी रहीं। मेरी माँ मेरी पहली शिक्षिका थीं जिन्होंने मुझे जीवन के हर कदम पर सिखाया और परिवार, समाज और बड़ों का आदर करना सिखया। उन्होंने कभी गलत के आगे न झुकना और गलती पर पहले आगे आकर माफ़ी माँगना सिखाया। जब मैं किसी चीज को लेकर बहुत परेशान हुआ तो उसने धैर्य रखना सिखाया। परिवार में मेरी माँ का योगदान मुझे हमेशा सही रास्ते पर चलते रहने के लिए प्रेरित करता है। मई अपनी माँ को एक जादूगर कहता हूँ, जो मेरे और मेरे परिवार के सभी दुखों को दूर कर देती हैं और बहुत सरे प्यार और देखभाल प्रदान करती हैं। मेरी माँ मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं जिन्होंने मुझे जीवन की सभी कठिनाइयों को पार करके अपने लक्ष्य हासिल करने, और बहादुर बनने की सीख दी।

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माँ पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों Essay on Mother in Hindi कुछ इस प्रकार है –

माँ एक परिवार में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है क्योंकि वह सभी के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है। मेरा मानना है की भगवान यदि इस धरती पर अब तक जो भी सबसे बेहतरीन मनुष्य बनाया है, वह मां के रूप में है, क्योंकि वह बिना किसी शर्त के अपने बच्चों और परिवार को प्यार करती है।

“माँ” सिर्फ एक शब्द नहीं है यह अपने आप में एक एहसास और प्यार है, जब हम माँ कहते हैं, तो हमारी कई समस्याएं कोई चमत्कार की तरह दूर हो जाती हैं। माँ एक पल के लिए भी निराश हुए बिना हमेशा खुश रखती है। माँ के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। माँ महत्व बचपन से बड़े होने तक रहता है, हम कितने भी बड़े हो जाये पर अपनी माँ के लिए हमेशा बच्चे ही रहते हैं।  

यह भी पढ़ें :  विश्व हिंदी दिवस पर निबंध

माँ हमें जितना प्यार करती है, उतना ही माँ हमें जीवन के हर उतार-चढ़ाव में आगये बढ़ने की प्रेरणा भी देती है। माँ ही अपने बच्चों को बहुत करीब और गहराई से जानती हैं। माँ की जरूरत हमें हमेशा होती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम जीवन में कहाँ हैं, चाहे वे स्कूल जाना शुरू कर रहे हों, विदेश जाने की सोच रहे हों या जिंदगी में किसी बड़ी कठिनाईयों से गुजर रहे हों, हमें हमेशा अपनी माँ की मदद की ज़रूरत होती है। माँ अपने बच्चों को स्कूल जाने से पहले ही एक टीचर की तरह सिख देती है। बच्चे अपनी माँ से जो सीखते हैं वो शिक्षा उन्हें कोई नहीं दे सकता है। इस लिए हमेशा मन जाता है, की एक माँ बच्चे की पहली शिक्षिका होती है। 

माँ सिर्फ अपने बच्चों नहीं बल्कि पूरे परिवार को बहुत सहजता से संभालती है। वो घर के कामों के साथ बाहर की भी चीजों में हाथ बटाती है। जब इस दुनिया में प्यार, ईमानदारी और सच्चाई के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले मां का चेहरा सामने होता है। माँ हमेशा मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहती हैं। मेरे जीवन में अगर किसी इंसान की महत्वपूर्ण भूमिका है वो सिर्फ मेरी माँ की है। वह हमेशा हमारी भलाई, खास कर हमारी स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य के बारे में अत्यधिक चिंतित रहती हैं। जब हमें कोई चीज खाने की इच्छा होती है तो वो बिना आलास किये हमारे लिए तुरंत उसे बनती है, कभी कभी तो वो खुद भूखी सो जाती है, लेकिन कभी ये नहीं कहती कि आज ये चीज नहीं है। उसके जैसा त्याग कोई नहीं कर सकता है। 

हम जैसे जैसे बड़े होते हैं एक माँ की चिंता और अधिक बढ़ने लगती है, उसकी चिंता अपने बच्चों के करियर, स्वस्थ और दूर जाने के लिए होती है। हम कितने भी बड़े क्यों न हो जाये पर अपनी माँ को हमेशा वही प्यार और सामान देना चाहिए और कभी ये नहीं भूलना चाहिए उसने हमारे जीवन के लिए क्या क्या त्याग किये हैं।   

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मेरी माँ पर 10 लाइन्स कुछ इस प्रकार हैं –

  • मेरी माँ मुझसे बहुत प्यार करती है।
  • बच्चे की पहली गुरु माँ ही होती है, बचपन में माँ द्वारा सिखाई गई हर बातों के अनुसार ही बच्चे को संस्कार मिलते हैं।
  • माँ ही बच्चे की पहली और सबसे अच्छी दोस्त होती है, जिससे हम बिना किसी झिझक के अपने दिल की हर बात बता देते हैं।
  • मां महेश परिवार का पूरा ख्याल रखती हैं, वह हमेशा परिवार की खुशियों के बारे में सोचती हैं।
  • माँ सुबह 4 बजे उठ जाती है और घर का सारा काम करती है।
  • माँ मुझे स्कूल के लिए तैयार करती है और फिर मुझे स्कूल छोड़ती है।
  • हर रविवार मेरी माँ मेरे लिए मेरा पसंदीदा खाना बनाकर मुझे खिलाती है।
  • मेरी माँ मुझे अच्छी बातें सिखाती है, जब भी कोई समस्या होती है तो मेरी माँ मुझे अच्छी सलाह देती है।
  • मेरी माँ मुझे हर शाम पढ़ाती है और मेरा होमवर्क पूरा करने में मदद करती है।
  • मेरी माँ सुबह से शाम तक घर का काम करती है और पूरे परिवार की देखभाल करती है, इतना काम करने के बाद भी वह अपनी समस्याएँ किसी को नहीं बताती।

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उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Mother in Hindi के बारे में विस्तृत जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य  ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स   पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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मेरी माँ पर निबंध (My Mother Essay in Hindi)

मेरी माँ पर निबंध (My Mother Essay in Hindi)

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मेरी माँ पर 10 लाइन (10 Lines On My Mother In Hindi)

मेरी माँ पर छोटा निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on my mother in hindi 200-300 words), मेरी माँ पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on my mother in hindi 400-600 words), मेरी माँ के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from a my mother essay), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs).

माँ शब्द अपने आप में ही एक संपूर्ण शब्द है। माँ शब्द में सारी दुनिया समा जाती है लेकिन माँ की सारी दुनिया उसका बच्चा होता है और शायद इसलिए एक माँ का दर्जा भगवान जैसा माना जाता है। जैसे किसी भी हाल में भगवान अपने बच्चों का साथ नहीं छोड़ते वैसे ही एक माँ किसी भी हाल में अपने बच्चे का साथ नहीं छोड़ती है। यह सफर तब से शुरू हो जाता है जब बच्चा माँ के गर्भ में आता है। एक माँ गर्भावस्था के दौरान हर हुई परेशानी को एक पल में भूल जाती है जब पहली बार वो अपने बच्चे को स्पर्श करती है, मानो वो दुनिया की सबसे संपूर्ण औरत है और यह अहसास उसका बच्चा उसे कराता है। माँ वो जज्बात है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। लेकिन बच्चे के जीवन में माँ की क्या भूमिका होती है, उसका बच्चे के जीवन में होने से कितना प्रभाव पड़ता है यह हम माँ पर निबंध के इस आर्टिकल में जानेंगे।

माँ पर तो एक किताब लिखी जा सकती है पर यहाँ हम मेरी माता पर 10 आसान वाक्य लिखकर बातएंगे। नीचे दी गई लाइन्स मेरी माँ पर 100 शब्दों के एक संक्षिप्त निबंध की तरह भी लिखा जा सकता है। आइए देखे हैं:

  • मेरी माँ मेरी प्रथम गुरु है।
  • वो रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान और पूजा पाठ करती है।
  • वह घर के सभी लोगों का बहुत ध्यान रखती है।
  • मेरी माँ बहुत पढ़ी-लिखी है और वही मेरी पढ़ाई में मदद करती है।
  • मेरी माँ अक्सर मेरे लिए नए-नए पकवान बनाती है।
  • मुझसे कोई गलती होने पर माँ मुझे प्यार से समझाती है।
  • मेरी माँ मेरे स्वास्थ्य का भी खास ध्यान रखती है।
  • माँ रोजाना रात में सोने से पहले मुझे एक कहानी सुनाती है।
  • मेरी माँ मुझे हमेशा सच बोलने और अनुशासन के साथ जीना सिखाती है।
  • मेरी माँ दुनिया की सबसे प्यारी माँ है।

बच्चे का सबसे ज्यादा समय अपनी माँ के साथ ही बीतता है इसलिए खासकर छोटी कक्षा जैसे क्लास 1, 2, 3, 4 और 5 तक के बच्चों को अक्सर ‘मेरी माँ’ विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। ऐसे में यह निबंध किस प्रकार लिखना है इसके लिए नीचे एक सैंपल दिया गया है। यह निबंध मेरी माँ पर पैराग्राफ के रूप में लिखा जा सकता है। आइए देखते हैं:

माँ को भगवान का दर्जा दिया जाता है। वो इसलिए क्योंकि एक माँ ही होती है जो सबकी खुशियों के आगे अपने गम को भुला देती है। वह बच्चे की खुशी के लिए कड़ी मेहनत करती है, परिवार को संभालती है। परिवार की जान होती है ‘माँ’। अगर माँ घर पर न हो तो घर की चीजों को संभालना मुश्किल हो जाता है। माँ परिवार में सभी का ध्यान रखती है। सबके लिए स्वादिष्ट खाना बनाती है। सबकी जरूरतों का ध्यान रखती है। माँ अपने सभी बच्चों को एक समान प्यार करती है और भेदभाव नहीं करती है। माँ, अपने बच्चे की गलती करने पर उसे डांटती है लेकिन बाद में दुलार भी दिखाती है। बच्चे की परीक्षा हो तो वह ज्यादा परेशान होती है। बच्चे के विकास में माँ का बहुत बड़ा योगदान होता है। वह माँ तो होती ही है लेकिन अपने बच्चे के लिए जरूरत पड़ने पर शिक्षक और उसकी अच्छी दोस्त भी बन जाती है। माँ चाहे गृहिणी हो या कामकाजी, वह अपने बच्चे और परिवार का खयाल रखना कभी नहीं भूलती। बच्चे के बीमार पड़ जाने पर दिन-रात वह उसका ख्याल रखती है। माँ के प्यार को समझाना मुश्किल है क्योंकि वह अपने बच्चे से नि:स्वार्थ प्रेम करती है और हर सुख-दु:ख में उसके साथ खड़ी रहती है।

 बच्चे की पढ़ाई में मदद करती मां

जिनके साथ हमारा समय अधिक बीतता है अगर उनके लिए आपको कुछ लिखने के लिए कहा जाए तो यह एक चुनौती जैसा लगने लगता है कि आखिर इस विषय क्या लिखें और कैसे लिखें? आपके इसी सवाल का उत्तर देते हुए नीचे यहाँ हिंदी में मेरी माँ पर लॉन्ग एस्से लिखने के लिए एक उदाहरण दिया गया है।

माँ कौन होती है? (Who Is Mother?)

माँ, वो है जो बच्चे का खयाल खुद से ज्यादा रखती है। माँ को परिवार की नींव माना जाता है, उसके बिना घर अधूरा और सूना-सूना लगता है। माँ बच्चे को स्कूल के लिए तैयार करती है। उसके लिए स्वादिष्ट खाना बनाती है। पढ़ाई में मदद करती है। माँ अपने बच्चे लिए जरूरत पड़ने पर उसकी टीचर बन जाती है और उसे उसकी गलती या फिर कमी पर समझाती है। वहीं कभी वह उसके लिए वो दोस्त बन जाती है, जो उसको समझ सके। माँ वो है जो अपने दु:ख और तकलीफ को भुलाकर बच्चे के लिए दिन रात एक कर देती है। किसी बच्चे को संभालना कितन मुश्किल होता है यह बात तो हर कोई जानता है, लेकिन माँ ये सारी मुसीबतें हंसते-हंसते झेल जाती है। बीमार पड़ने पर भी वह अपने बच्चे का खयाल रखना नहीं भूलती। माँ वो है, जिसके बिना बच्चे की जिंदगी अधूरी है।

माँ के गुण (Qualities Of Mother)

माँ के गुणों की गिनती करना वैसे तो संभव नहीं है, लेकिन उसके कुछ खास गुणों के बारे में हमनें उल्लेख किया है।

  • माँ परिवार में सबका खयाल रखती है।
  • माँ आपके लिए स्वादिष्ट खाना बनाती है।
  • मुसीबत के समय में माँ हमेशा साथ देती है।
  • माँ बच्चों के लिए अपने सुखों को त्याग देती है।
  • बच्चे से गलती होने पर उसे प्यार से समझाती है।
  • एक माँ अपने बच्चे के लिए सारी दुनिया से लड़ सकती है।
  • माँ हमारे अच्छे कार्य की सबसे ज्यादा प्रशंसा करती है।
  • माँ पूरे परिवार को एक साथ जोड़कर रखती है।

माँ का महत्व (Importance Of Mother)

माँ के होने से घर घर लगता है, माँ परिवार का सबसे खास हिस्सा है। माँ के बिना बच्चों का जीवन अधूरा है। माँ का प्यार डांट, हौसला, संस्कार, मिलकर एक बच्चे के चरित्र का निर्माण करते हैं। माँ बच्चे की हर जरूरत को उसके बिना कहे ही समझ जाती है, इसलिए माँ को एक बच्चे के जीवन में सबसे बुलंद दर्जा दिया गया है। बच्चे के जीवन में माँ का स्थान कोई भी नहीं ले सकता है। माँ आपके खाने, कपड़े से लेकर हर बात का खयाल रखती है। माँ वो छायादार पेड़ है जो बच्चे को हर मुश्किल और परेशानी से दूर रखती है।

मेरी माँ मेरी शिक्षक (My Mother My Teacher)

मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि मेरी माँ ही मेरी सबसे अच्छी शिक्षक है। उसने मुझे जीवन में वह हर बात सिखाई है, जो जरूरी और आदर्श है। उसने मुझे सच बोलना, ईमानदारी और आत्मविश्वास के साथ जीना सिखाया। अगर मैं कभी किसी काम में असफल हुआ तो उसने मेरा हौसला बढ़ाकर और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। उसने अपने जीवन के अनुभवों से सीख लेते हुए मेरे लिए रास्ता आसान बनाया। उसने मुझे सिर्फ हाथ में कलम लेकर लिखना ही नहीं सिखाया बल्कि यह भी बताया कि आपका व्यवहार और आचार-विचार किस तरह के होने चाहिए। उसने मुझे दुःख में संभाला, तकलीफों में सहारा दिया और खुशी व सफलता के समय भी अपने पाँव जमीन पर ही रहें, ऐसे शिक्षा दी है। यहीं कारण है कि मैं अपनी माँ को मेरे जीवन का आदर्श मानता हूं।

मेरी माँ निबंध से बच्चा अपनी माँ के अस्तित्व व उनकी बातों को गौर से समझने का प्रयास कर सकेगा। बच्चा यह समझ सकेगा कि उसकी माँ उसके लिए कितनी खास है। ऐसे निबंध बच्चे को अपनों के अधिक करीब आने और उन्हें समझने का मौका देते हैं। इसके अलावा बच्चा अपने हिंदी लेखन में सुधार करेगा और सही तरह से निबंध लिखना सीखेगा।

1. माँ शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

बच्चा जन्म लेने के बाद जब पहली बार रोता है तो उसके मुख से निकलने वाली ध्वनि को अगर आप ध्यान से सुनें तो माँ सुनाई देता है। इस प्रकार लोगों का मानना है माँ शब्द प्राकृतिक रूप से नवजात के मुख से निकलने वाला पहले शब्द है। हालांकि इस विषय पर लोगों की राय अलग हो सकती है। लेकिन दुनिया की लगभग हर भाषा में माता के लिए संबोधन वाले माँ, अम्मा, मॉम, मम्मी, ममा जैसे शब्द इस बात की पुष्टि करते हैं।

2. संस्कृत में माँ को क्या कहते हैं?

संस्कृत में माँ को ‘मातृ’ कहते हैं, लेकिन आमतौर पर लोग ‘माँ’ या ‘माता’ शब्द का प्रयोग ज्यादा करते हैं।

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मेरी माँ पर निबंध (Meri Maa Essay In Hindi) – आज जब मैं बड़ी हो गई हूं तो लगता है कि शायद मैं बहुत सी चीजों को आज पीछे छोड़ आई हूं। जब हम बच्चे थे तो हमें बचपन के वह प्यारे दिन बड़े ही उबाऊ और लंबे लगते थे। हम सोचते थे कि कब हम बड़े होंगे। हमें अपने मम्मी और पापा की नकल करने में आनंद की अनुभूति प्राप्त होती थी। बचपन के उन प्यारे दिनों को अब कुदरत भी नहीं लौटा सकती। बड़ी होने के बाद जिस शख्स को मैं सबसे ज्यादा याद करती हूं वह है मेरी माँ । एक माँ (mother) से बड़ा इंसान इस दुनिया में कोई होता ही नहीं है। आइये नीचे meri maa par nibandh पढ़ें।

ओ माँ माँ माँ

मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में

शीतल छाया दो दुःख के जंगल में

इस गाने के बोल को सुनते ही मैं पुराने दिनों में डूब जाती हूं। वह पुराने दिन कितने अलग हुआ करते थे। ना किसी बात की कोई फ्रिक थी ना ही चिंता। माँ सारा काम खुद संभाल लेती थी। मैं यही सोचती थी कि एक औरत ही पूरे घर की जिम्मेदारियों को कैसे अपने कंधे पर उठा लेती थी। सच में माँ जैसा कोई और दूसरा हो ही नहीं सकता। माँ भगवान का ऐसा अनमोल तोहफा है जो हर किसी को नसीब हो जाए यह जरूरी नहीं। माँ के बिना हम जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। तो आज का हमारा विषय मां (mother) पर आधारित है। आज हम इस निबंध के जरिए पढ़ेंगे माँ पर निबंध (essay about my mother in hindi) हिंदी में।

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मेरी माँ पर निबंध My Mother Essay In Hindi

इस धरती पर मनुष्य के रूप में नर और नारी दोनों ने ही जन्म लिया। परंतु फिर भी एक नारी को ही सम्मान ज्यादा क्यों मिला? क्या आपने कभी इस बात पर गहराई से सोचा है। दरअसल इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि नारी को ही जगत जननी का स्थान मिला हुआ है। आज एक नारी की वजह से ही हम सब को दुनिया में आने का मौका मिला है। नारी अपने जीवन में अनेकों पद ग्रहण करती है। पर जो पद वह मां बनकर प्राप्त करती है वह पद बेहद सम्मानजनक होता है। माँ को भगवान के रूप में पूजा जाता है। माँ हमें कभी भी तकलीफ में नहीं देख सकती है। जिसके पास माँ होती है वह बहुत भाग्यशाली होता है।

माँ हमें हर तरह की मुश्किलों से उबार लेती है। माँ हमें जीने की नई राह सीखाती है। माँ होती है तब हमें किसी बात की कोई चिंता नहीं रहती है। एक बच्चे के लिए माँ से बढ़कर और कोई प्रिय नहीं होता है। माँ ही अपने बच्चे को 9 महीन तक पेट में रखती है और फिर बच्चे को जन्म देने के बाद भी बिना कोई शिकायत के बच्चे को पाल पोस्को बड़ा भी वही करती है। हम सब यह भूल जाते हैं कि कैसे माँ हमारे बचपन के नखरों को सहन करती है। माँ ईश्वर का सच्चा रूप होती है। आज हम जिस किसी भी मुकाम पर है वह सब हमारी माँ की ही बदौलत है। केवल मनुष्य ही क्यों माँ की ममता तो हमें जानवरों में भी देखने को मिल जाती है। जानवर और पक्षी माताएं भी अपने बच्चों को मनुष्यों की माताओं की तरह ही प्रेम देती है।

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माँ का सही अर्थ क्या है?

माँ दुनिया की वह अनमोल चीज है जिसकी तुलना महंगे से महंगे हीरे जवाहरात से भी नहीं की जा सकती है। माँ अपने बच्चों के लिए भयंकर से भयंकर तुफान से भी टकरा जाती है। माँ माने कि मातृत्व। हमारे पुराणों में माँ को सबसे ऊंचा दर्जा प्राप्त है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है माता दुर्गा का। माता दुर्गा समस्त ब्रह्मांड की जननी मानी जाती है। यही एक बड़ा कारण है कि नारी को भी भगवान का रूप माना जाता है।

वह माँ बनकर सबसे बड़ा फर्ज निभाती है। मैया, माई, अम्मा, अम्मी, जननी, मातु, जन्मदात्री, मातृ, मातरि, महतारी, माता, जनयित्री, जननी, वालिदा, महन्तिन, धात्री, प्रसू, मम्मी, ममी, अम्ब और अम्बिका यह सब माता के पर्यायवाची शब्द है। माँ के अनेकों शब्द है। माँ से ही हमें प्यार की अनुभूति प्राप्त होती है। जो प्यार हमें माँ से प्राप्त होता है वह और कहीं से भी नहीं हो सकता है। माता हम सभी को बिना कुछ पाने के बदले में ताउम्र अपना प्रेम लुटाती रहती है। इस दौरान वह हर तरह की पीड़ा को सहन कर लेती है। वह एक शब्द भी अपने बच्चे के खिलाफ नहीं बोलती है।

माँ का प्यार कितना जरूरी है?

हम सभी के लिए माँ का प्यार मिलना बहुत ही जरूरी है। माँ के बिना बच्चा अधूरा होता है। जैसे ही बच्चा धरती पर जन्म लेता है तभी से ही उसका अपनी माँ के साथ एक अनोखा रिश्ता कायम हो जाता है। उस बच्चे के लिए किसी और चीज से भी ज्यादा उसकी माँ महत्वपूर्ण हो जाती है। डाॅक्टर्स की एक रिसर्च के मुताबिक एक बच्चे के पर खाना भी इतना ज्यादा असर नहीं करता है जितना असर उसकी माँ द्वारा मिला अथाह प्यार कर देता है। माँ के प्रेम में एक अनोखी ही ताकत होती है। माँ की ममता के अनेकों फायदे हैं जैसे कि

1) बच्चे को अच्छा महसूस होता है। और जब उसे अच्छा महसूस होता है तब वह अच्छा प्रदर्शन भी करता है।

2) माँ के प्रेम में इतनी शक्ति होती है कि वह बच्चे की इम्युनिटी पावर को बुस्ट कर देता है।

3) माँ के प्रेम के चलते ही बच्चे बड़ी से बड़ी बीमारी से भी उबर जाते हैं।

माँ का हमारे परिवार में महत्व

हमारे जीवन में माँ से बढ़कर कोई और है ही नहीं। माँ है तो हम है और उसी से यह सारा संसार है। माँ दुनिया का सबसे प्यारा शब्द है। माँ हर रूप में अपने दायित्वों का पालन बड़े ही सरलता के साथ करती है, चाहे वह माता का रूप हो, पत्नी, सास या फिर बहन का रूप हो। माता के बिना हमारा परिवार फल फूल नहीं सकता है। एक माँ को ही पता होता है कि उसे घर किस रूप से चलाना है। एक माता के रूप में वह अपने बच्चे की पढ़ाई और लालन पालन की जिम्मेदारी उठाती है।

वह एक पत्नी के रूप में अपने पति की जिम्मेदारियों को संभालती है। उसे यह पता होता है कि उसे कहां पर और कैसे खर्च करना है। हम सभी ने अपने घरों में यह देखा है कि एक माँ सवेरे जल्दी उठकर घर का काम करती है और अपने बच्चो, पति और सास-ससुर के लिए खाना बनाती है। उसका काम पूरे दिन चलता है। कामकाजी महिलाओं का दिन थोड़ा और कठिन होता है क्योंकि उनको अपने परिवार के साथ-साथ कमाई का काम भी करना होता है। इतनी व्यस्त दिनचर्या होने के वाबजूद भी वह उफ्फ तक नहीं करती है। क्योंकि वह अपने परिवार से निस्वार्थ भाव से प्यार करती है।

माता कितने प्रकार की होती है?

हम अक्सर यह सोचते हैं कि माता का रूप केवल हमारी माँ तक ही सीमित होता है। पर यह सच नहीं है। माताओं के भी कई प्रकार होते हैं। हमारे पुराणों में सोलह तरह की माताओं का वर्णन है। इन माताओं का नाम इस प्रकार है। दूध पिलाने वाली (धाय), गर्भ धारण करने वाली, भोजन देने वाली, गुरु पत्नी, ईष्ट देव की पत्नी, सौतेली माँ , सौतेली माँ की बेटी, सगी बड़ी बहन, स्वामी की पत्नी, सास, नानी, दादी, सगे बड़े भाई की पत्नी, मौसी, बुआ और मामी। यह सभी सोलह प्रकार की माताएं होती है। इन सभी माताओं का अपना महत्व होता है। यह सभी अलग-अलग प्रकार की भूमिका को निभाती है।

माँ पर कविता

शहीद की माँ

शहीद का जनाज़ा निकला था,

तिरंगे में लिपटा,

हज़ारों की भीड़ में।

काँधा देने की होड़ में

सैकड़ो के कुर्ते फटे थे,

पुट्ठे छिले थे।

भारत माता की जय,

इंकलाब ज़िन्दाबाद,

अंग्रेजी सरकार मुर्दाबाद

के नारों में शहीद की माँ का रोदन

डूब गया था।

उसके आँसुओ की लड़ी

फूल, खील, बताशों की झडी में

जनता चिल्लाई थी-

तेरा नाम सोने के अक्षरों में लिखा जाएगा।

गली किसी गर्व से

तीस बरस बाद

शहीद की माँ का जनाजा निकला है,

तिरंगे में लिपटा नहीं,

(क्योंकि वह ख़ास-ख़ास

लोगों के लिये विहित है)

केवल चार काँधों पर

राम नाम सत्य है

गोपाल नाम सत्य है

के पुराने नारों पर;

चर्चा है, बुढिया बे-सहारा थी,

जीवन के कष्टों से मुक्त हुई,

गली किसी राहत से छुई छुई।

-हरिवंश राय बच्चन

माँ पर शायरी

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है

मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

-मुनव्वर राना

दुआ को हात उठाते हुए लरज़ता हूँ

कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए

-इफ़्तिख़ार आरिफ़

अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा

मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है

माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में

मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में

-क़ैसर-उल जाफ़री

माँ की दुआ न बाप की शफ़क़त का साया है

आज अपने साथ अपना जनम दिन मनाया है

-अंजुम सलीमी

माँ के नाम समर्पित एक खास दिन

माँ सभी को प्यारी होती है। माँ से ही हमारे दिन और रात है। जिसके पास माँ नहीं है उसको माँ की कमी बहुत ज्यादा खलती है। माँ अपने बच्चे पर कभी भी आंच नहीं आने देती है। माँ बिना कोई शिकायत के अपने दायित्व और फर्ज को पूरा करती है। क्या आपको पता है कि माँ के नाम भी एक खास दिन समर्पित होता है? जी हां, दूसरे उत्सवों की ही तरह हर साल मई के दूसरे रविवार को इंटरनेशनल मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व सभी माओं के लिए बहुत खास होता है। इस दिन बच्चे अपनी माँ के लिए कुछ अलग ही करने की योजना बनाते हैं। इस दिवस को मनाने की परंपरा अमेरिका से शुरू हुई थी। एना जार्विस को इस दिवस को शुरू करने का श्रेय जाता है। उसने अपनी माँ के ही नाम अपना जीवन समर्पित कर दिया था। वह जीवनभर कुंआरी रही।

तो आज के इस निबंध के माध्यम से हमने माँ पर निबंध को समझा। हमारी माँ जैसा इस दुनिया में और कोई भी नहीं है। आज हमारी माँ अगर इस संसार में नहीं होती तो हमारा अस्तित्व भी आज नहीं होता। जैसे माँ हमारे पर निस्वार्थ भाव से प्यार लुटाती है ठीक वैसे ही उसे भी अपने बच्चों का प्यार चाहिए। हम आशा करते हैं कि आप सभी को हमारे द्वारा तैयार किया हुआ यह निबंध पसंद आया होगा।

मेरी माँ पर निबंध 100 शब्दों में

माँ को दुनिया सबसे उंचा दर्जा प्राप्त होता है। माँ से ही हमारा संसार है। माँ को हम सभी भगवान का दर्जा देते हैं। माँ की वजह से हम गुलाब की तरह महकते हैं। माँ हमारी दोस्त होती है। वह हमें सही राह पर चलना सिखाती है। उन बच्चों से जाकर पूछो कि उन्हें कैसा लगता है जिनकी कोई माँ ही नहीं होती है। वह माता के प्रेम से अनभिज्ञ रहते हैं। माँ हमारे अंदर हर तरह के संस्कार के बीज बोती है। माँ हमारी सुख-दुःख की घड़ी में सदा हमारे साथ खड़ी रहती है। माँ हमारे पर कोई भी तरह की आंच नहीं आने देती है। माँ के सहारे हम जीवन में अपने मुकाम को हासिल करते हैं।

मेरी माँ पर निबंध 200 शब्दों में

माँ बिना सब सूना है। माँ से ही हमारा संसार महकता है। माँ ही हमारी सच्ची दोस्त होती है। वह हमारी सर्वप्रथम गुरू भी होती है। उसके बिना हम दुनिया में कुछ भी नहीं सीख सकते हैं। हमारे जीवन का पहला अक्षर भी हम अपनी माँ से ही सीखते हैं। माँ के उचित मार्गदर्शन के बिना हमारा जीवन दिशाहीन हो जाता है। माँ से हमें हौसला मिलता है। माँ हमें जीवन के हर तरह के संकटों से उबार देती है। माँ का प्यार मिलना बहुत ही जरूरी होता है। इस प्यार से हमें एक अलग प्रकार के आनंद की प्राप्ति होती है। पहले के दौर में माँ की भूमिका केवल रसोईघर तक ही सीमित थी। लेकिन आज समय बदल गया है। आज के दौर की महिलाएं बखूबी से अपने करियर और बच्चे को अच्छे से संभाल रही है।

मेरी माँ पर 10 लाइनें

1) माँ ताउम्र हमपर ममता लुटाती है।

2) माँ के बिना हम अधूरे माने जाते हैं।

3) एक माँ घर की सारी जिम्मेदारी को अच्छे से संभालती है।

4) भगवान द्वारा दिया गया सबसे बेहतरीन तोहफा है हमारी माँ।

5) माँ को भगवान का दर्जा प्राप्त है।

6) माँ अपने पूरे जीवन को अपने बच्चों के लिए समर्पित कर देती है।

7) एक पुरानी कहावत है कि पूत कपूत हो सकते हैं पर माता कभी भी कुमाता नहीं हो सकती है।

8) हमें अपनी माँ की आज्ञा का पालन करना चाहिए।

9) माँ हमसे बिना कोई शर्त के प्रेम करती है।

10) मेरी माँ दुनिया की सबसे अच्छी माँ है।

A1. हमारे जीवन में माँ का होना बहुत ज्यादा जरूरी है। वह हमें सहारा देती है। वह हमारे मुश्किल से मुश्किल दिनों में भी हमारे साथ खड़ी रहती है। भले ही हमसे सारी दुनिया मुंह मोड़ ले परंतु माँ अपने बच्चे का साथ कभी भी नहीं छोड़ती है।

A2. विज्ञान के अनुसार माँ गर्भधारण करके बना जाता है।

A3. औरत कोई भी भूमिका में हो सकती है जैसे कि एक पत्नी की भूमिका, दादी, नानी, बहन, बेटी, ताई, चाची आदि। लेकिन माँ की भूमिका एकदम अलग होती है। माँ का दर्जा सबसे बड़ा होता है।

A4. एक माँ अच्छी माँ तभी बन सकती है जब वह पूर्ण रूप से कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने बच्चे की अच्छी देखभाल करें। अच्छी माँ हमेशा मुश्किल दिनों में भी धैर्य के साथ काम करती है। वह साहसी होती है। वह अपने बच्चों की सबसे बड़ी गुरू होती है।

A5. दूध पिलाने वाली (धाय), गर्भ धारण करने वाली, भोजन देने वाली, गुरु पत्नी, ईष्ट देव की पत्नी, सौतेली माँ , सौतेली माँ की बेटी, सगी बड़ी बहन, स्वामी की पत्नी, सास, नानी, दादी, सगे बड़े भाई की पत्नी, मौसी, बुआ और मामी। यह सभी सोलह प्रकार की माताएं होती है।

A6. माँ का प्यार बच्चे के लिए जादू की झप्पी की तरह काम करता है। वह बच्चे को बुरे हालातों से भी उबरने में मदद करता है। माँ का प्यार हमारे लिए सपोर्ट सिस्टम की तरह काम करता है। यह हमें हिम्मत और हौसला प्रदान करता है।

A7. दुनिया में सबसे बड़ी माता मां दुर्गा को कहा जाता है। माँ दुर्गा को समस्त ब्रह्मांड की माता के रूप में जाना जाता है। माता संपूर्ण संसार के दुखों को होती है।

A8. सिंगल मदर होने के फायदे भी है और नुकसान भी। हालांकि बदलते समय के साथ समाज में काफी परिवर्तन आया है। परंतु आज भी इस मॉर्डन दुनिया में सिंगल मदर को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वह अकेलेपन का जल्द शिकार हो जाती है।

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मेरी माँ पर निबंध और उनका मेरे जीवन में महत्व

शीर्षक: मेरी माँ पर निबंध –  Importance of Mother in Hindi

“माँ” एक ऐसा शब्द है जिसे दुनिया का हर बच्चा अपने मुंह से इस दुनिया में आने के बाद सबसे पहले लेता है।

पिता जी और माता जी इस दुनिया में भगवान के वो रूप हैं जो बिना किसी स्वार्थ के हमें पालते है, पढ़ाते लिखाते है, स्कूल कॉलेज भेजते है और हमेशा भगवान से यही मांगते हैं की हमारा बच्चे पर कोई आंच न आये और उसे हर कामयाबी मिले।

इसे भी पढ़े: मेरी प्यारी माँ पर कविताएं

माँ हमारे लिए इतना कुछ करती है, इसलिए आज मैंने अपनी माँ के लिए एक सुंदर सा माँ पर निबंध लिखा है जो इस प्रकार हैं:-

माँ पर निबंध हिंदी में – Essay on Mother in Hindi 200 Words

यहां मैंने Essay on My Mother in Hindi For Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए लिखा हैं।

Mother Day Essay in Hindi For School Students

माँ के बिना जीवन की उम्मीद नहीं की जा सकती अगर माँ न होती तो हमारा अस्तित्व ही न होता| इस दुनिया में माँ दुनिया का सबसे आसान शब्द है मगर इस नाम में भगवान खुद वास करते है.

जब नवजात शिशु इस दुनिया में आता है तो सबसे ज्यादा खुसी नवजात की माँ को होती है जैसे मानो की दुनिया की सबसे कीमती चीज उन्हें मिल गयी हो.

माँ अपने बच्चो के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती है| मनुष्य में ही नहीं हर प्रकार के जीव जंतु में यही होता है| अगर बच्चे पे आंच आने वाली होती है तो माँ सबसे पहले आगे आ जाती है.

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माँ अपने बच्चो के भविष्य के लिए सबसे ज्यादा चिंतित होती है और माँ से ज्यादा कोई बच्चे को प्यार नहीं करता है.

माँ अपने बच्चे से ज्यादा प्यार तो करती है मगर जब पता चलता है की बच्चा गलत रास्ते पर चल रहा है तो माँ एक गुरु की तरह उसे अपने पास बुला कर समझाती है और जरूरत पड़ने पर उसे दो हाथ भी लगा देती है.

माँ से बढ़ कर इस दुनिया में कोई नहीं होता है और यदि माँ न हो तो ये दुनिया सुखा रेगिस्तान के बराबर है। माँ को कभी ठेस नहीं पहुंचानी चाहिये.

माँ ही ऐसी होती है जो बच्चे की हर स्तिथि में बच्चे के साथ रहती है और उसका साथ देती है राह दिखाती है.

( Maa Shayari | Maa Quotes in Hindi )

10 Lines on Mother in English

Mother Day Essay in Hindi For School Students 250 Words

Best Speech on Mother in Hindi Language

“माँ” ये शब्द बड़ा अनमोल है। माँ शब्द ही नहीं बल्कि हमारे जीने का आधार है। बिना माँ के जीवन जीना बहुत मुश्किल है। जब सुबह सुबह आपकी आवाज न सुन लूँ तब तक ऐसा लगता है की सुबह हुई ही नही है या फिर लगता है की आज रविवार है।

माँ और भगवान में कौन बड़ा है ये सोच कर बड़ी असंजस में पड जाता हूँ, किसी के भी जीवन में एक माँ, सर्वश्रेष्ठ और सबसे महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि कोई भी उनके जैसा सच्चा और वास्तविक नहीं हो सकता। माँ हमेशा हमारे अच्छे और बुरे समय में साथ रहती है.

माँ के लिए उनके बच्चे बहुत किमती होते है। अपने जीवन में दूसरों से ज्यादा वो हमेशा हमारा ध्यान रखती है और प्यार करती है। अपने जीवन मे वो हमें पहली प्राथमिकता देती है और हमारे बुरे समय में उम्मीद की रौशनी जला देती है.

जिस दिन हम पैदा होते है वो माँ ही होती है जो सच में बहुत खुश हो जाती है। वो हमारे हर सुख-दुख में हमारा साथ देती हैं और कोशिश करती है कि हमारी सारी परेशानियाँ हल कर दें.

मुझे आज तक पता नहीं चल पाया है की जो मेरे मन में चल रहा होता है वो मेरी माँ को कैसे पता चल जाता है, माँ और बच्चों का रिश्ता बहुत ही अनमोल होता है जो कभी खत्म नहीं हो सकता है। कोई भी माँ कभी भी अपने प्यार और परवरिश में कमी नहीं लाती हैं.

“माँ” लोग कहते है की भगवान दिखाई नहीं देता लेकिन मैं कहता हूँ की आप ही मेरे भगवान हैं, माँ मैं आपके लिए दुनिया की हर ख़ुशी को आपके चरणों में ला दूंगा बस आप हमेशा मेरे साथ रहना मुझे कहीं छोड़ कर मत जाना।

  • मेरी प्यारी माँ पर कुछ प्रसिद्ध कविता
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Short Essay on Mother Day in Hindi 300 Words

“माँ” शब्द सिर्फ कहने में एक अक्षर का हो सकता है लेकिन कैसे बताऊँ मैं इस एक अक्षर के शब्द में कुटुंब समाया हुआ है। लोगों के जीवन में सबसे अहम किरदार सिर्फ माँ का ही होता है। किसी भी व्यक्ति के इस संसार में आने पर सबसे पहले एक ही शब्द निकलता है “माँ” ।

दुनिया की सबसे बड़ी गुरु माँ होती है, सही गलत का अर्थ माँ बचपन से ही बताती है, माँ ही होती है जो सबसे ज्यादा प्यार करती है, माँ भगवान का दूसरा रूप होती है, माँ का कहना जो मान लेता है वो सच में कामयाब हो जाता है।

जीवन में चाहे कितनी भी तरक्की पा लो, पैसा कमा लो, लेकिन सच मायने में केवल यही कहूँगा की यदि “माँ” खुश नहीं तो कितना भी पैसा कमा लो सब रद्दी है।

माँ-पिता का होना जीवन का सबसे अहम भाग होता है। हर किसी के माँ-पिता नहीं होते। लेकिन जिसके होते है वो सच में किसमत वाला होता है। एक दोस्त, एक बहन, एक भाई, एक गुरु, और कभी कभी एक पिता का अभिनय निभाती है जो उसे “माँ” कहते है।

जब जेब खाली होती है तब पिता से लड़ कर हमें पैसे देती है, हमारे मन की चीजें पहले ही जान लेती है वो होती है “माँ”।

कहने को इतने शब्द हैं मगर सिर्फ इतना ही कहूँगा की “माँ” चाहे कुछ भी हो जाए मुझे मत छोड़ना, मैं तुम्हारे बिना अकेला नही जी सकता इस दुनिया में।

“माँ” कुछ नही है मेरे पास फिर भी बहुत कुछ हैं मेरे पास जब तक तुम मेरे साथ हो। इस दुनिया से तो क्या भगवान से भी लड़ जाऊंगा मैं तुम्हारे लिए….।

“माँ” का रिश्ता केवल माँ ही निभा सकती है। माँ वो हैं जो खुद साधारण साड़ी पहनती है लेकिन अपने बच्चों को नए कपड़े दिलाती है। माँ वो होती है जो हमें जीवन जीने का तरीका सिखाती है। माँ के बिना जीवन अधूरा है। माँ के लिए कुछ अगर कह सकूँगा तो किस्मत वाला मानूँगा अपने आप को।

10 Lines on Mother in Hindi

Some lines on mother in hindi.

बुरे समय में जब सब साथ छोड़ देते है तब भी माँ का आशीर्वाद साथ होता है।
खुद गीले में सोकर अपने बच्चों को सूखे में सुलाती है।
थोड़ी सी तबीयत खराब होने पर पूरा घर सिर पर उठा लेती है मेरे “माँ”
माँ का प्यार किस्मत वालों को मिलता है।
खुशियों का भंडार होती है “माँ”

Essay On Mothers Day In hindi | माँ पर निबंध हिन्दी में

“माँ” जिन्हे हम जननी भी कह कर बुलाते है। माँ शब्द हर किसी के मुख पर होता है और माँ शब्द दुनिया का सबसे अनमोल शब्द है। इस दुनिया में भगवान का रूप ही होती है हमारी माँ। हम सभी के दिलों में अपनी माँ के लिए असीमित प्रेम होता है।

मातृ दिवस प्रत्येक बच्चे और उनकी माता के लिए अहम दिवस होता है। माँ पर दुनिया में सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है। एक माँ के लिए उनके बच्चों की मुस्कान ही सबसे ज्यादा कीमती होती है।

माँ हमेशा अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए पूजा पाठ करती है। ऐसे में मातृ दिवस प्रत्येक बच्चे के और उनकी माताओं के लिए बहुत ही खास होता है और इस दिन लोग अपनी माँ के लिए कुछ अच्छा करना चाहते है इसलिए मदर्स डे के लिए कुछ पंक्तियों को निबंध के रूप में लिखा गया है छोटे बड़े सभी मदर्स डे पर निबंध को अपने प्रयोग में ला सकते है।

मातृ दिवस पर छोटे और बड़े निबंध

जीवन में माँ का होना अत्यंत आवश्यक है जिस तरह एक मछ्ली के लिए पानी का होना बहुत जरूरी है उसी तरह एक माँ के लिए उनके बच्चे और बच्चों के लिए उनकी माँ अत्यंत प्रिय है। माँ न होती तो इस संसार की कल्पना करना सच में बहुत ही मुश्किल हो जाता। जीवन के सफर में माँ ही चलना सिखाती है।

माँ ही वो शख्स है जो अपने बच्चों को शुरू से अच्छे संस्कार देती है और माँ बिना स्वार्थ के हमेशा अपने बच्चों के भविष्य के प्रति चिंतित रहती हैं। सच में अगर माँ नहीं होती तो इस संसार में किसी को भी जन्म नही मिलता।

माँ-पिता उस आसमान की तरह होते है जो कभी कभी अपने बच्चों के लिए बरसते है और जरूरत पढ़ने पर धूप की तरह आंखे भी खोल देते है लेकिन आसमान की तरह कभी भी अपना साथ नहीं छोड़ते हैं।

माँ आसमान की तरह हर वक्त हमारे साथ रहती हैं, माँ हमेशा से अपने बच्चों की देखभाल पालन पोषण से लेकर उनकी कामयाबी तक अपना योगदान देती है, माँ अपने बच्चों की खुशी में ही अपनी खुशी खोज लेती है पता नहीं कैसे॥

माँ के इस प्रेम को हम सभी लोगों को धन्यवाद देना है। अब हमारा भी फर्ज बनता है कि हम भी अपनी माँ के सेवा करें और उनका ख्याल रखें।

Must Read: मातृ दिवस कविता: 2020 Mother’s Day Poems in Hindi

मेरी माँ पर निबंध हिंदी में – Best Speech on Mother in Hindi Language 600 Words

Happy Mothers Day Images with Name

माँ शब्द हम सब के जीवन का पहला वो शब्द होता है जिसे हम हर दुःख दर्द में सबसे पहले लेते है| भगवान का नाम भी इंसान दुःख दर्द में भूल जाता है मगर माँ का नाम लेना कभी नहीं भूलता.

“माँ और बेटे का इस जग में है बड़ा ही निर्मल नाता, पूत कपूत सुने है पर न सुनी कुमाता” ये वाक्य ही हमें माँ के बारे में बता देता है.

माँ हमारे जीवन का वो हिस्सा होती है जिसके बिना जीवन जीना बहुत मुश्किल हो जाता है, बेटे का प्यार माँ के लिए कम हो सकता है लेकिन माँ का प्यार अपने बच्चो के लिए कभी कम नहीं होता चाहे रात को माँ भूखी सो जाएँ मगर अपने बच्चों को कभी भूखा नहीं सुलाती ऐसी होती है माँ .

माँ अपने बच्चो से बहुत प्यार करती है चाहे खुद फटे पुराने कपडे पहन ले मगर अपने बच्चों के लिए नए कपडे खरीद कर देती है, खुद गिली जगह सो कर बच्चों को सूखे में सुलाती है माँ, माँ के बारे में कहना बहुत ही गर्व की बात है बड़े ही किस्मत वाले होते है जिनकी माँ होती है.

माँ हमेशा अपने बच्चो के साथ रहना चाहती है जब बच्चा स्कूल से आ जाता है तो माँ उसको खाना देती है उससे पूछती है की आज स्कूल में क्या क्या हुआ और खाना पूरा खाया की नहीं, और यदि आपको न पता हो तो मैं बता दूँ की एक माँ अपने बच्चो के लिए कुछ भी कर सकती है जैसे की मेमने (बकरी का बच्चा) के लिए उसकी माँ शेर से भी लड़ने की हिम्मत रखती है, और अपने बच्चे की रक्षा करती है.

माँ अगर बच्चे से नाराज हो जाये तो ज्यादा देर तक बिना बोले नहीं रह पाती हैं| माँ अपने बच्चो की खुशी के लिए निर्जल उपवास रखती है और बिना खाए पानी पिए पूरा दिन रह लेती हैं| पता नहीं चलता की भगवान ही माँ हैं या फिर माँ के रूप में भगवान आते हैं इस दुनिया में, हमारी रक्षा के लिए.

माँ मुझे नहीं पता की मैं आज क्या हूँ और कल क्या बनूँगा मगर में भगवान से हमेशा ही आपके लिए आपकी लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना करूँगा|

तुमने मुझे जन्म दिया है खुद की जान खतरे में डाल के हमें इस दुनिया में लाया है, मै कभी आपका कर्ज नहीं चुका पाऊँगा, मैं कभी आपकी आँखों में आंसू नहीं आने दूंगा, माँ कोई भी दुःख दर्द हो तो मुझे बताओ, माँ में आपके लिए यमराज से भी लड़ जाऊंगा.

आपके बिना कोई भी नहीं है मेरा साथी, आप हैं तो दुनिया की सारी ताकत मेरे हाथों मैं है| मैं कभी गरीब नहीं हो सकता जब तक आप मेरे साथ हो|

“माँ” मुझे अँधेरे से डर लगता है, मगर जब आप साथ होती हो तो मैं हमेशा बिना डरे सो जाता हूँ| “माँ”, माँ मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ और आपके लिए दुनिया की हर ख़ुशी आपके चरणों में रखता हूँ.

धन्यवाद माँ मुझे इस दुनिया में लाने के लिए मैं कसम खाता हूँ… की आपकी आँखों में कोई आंसू नहीं आने दूंगा.

वो बहुत अमिर होते है जिनकी माँ होती है| बिना माँ के ये दुनिया उजड़ी उजड़ी सी लगती है| मैं कभी कभी सोचता हूँ की माँ अगर तुम न होती तो मेरा क्या होता इस जालिम दुनिया में मुझे कोन लाड प्यार करता, मुझे कोन खाने के लिए बार-बार पूछता…

जब कोई मुझे पिटता तो कोन मेरे लिए उनसे लड़ने जाता और मुझे अपनी गोद में रख कर लाड दुलार करता….. i love you so much maa….

लेखक: Shanu Gupta (शानू गुप्ता)

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– Mother Essay in Hindi

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My Mother Essay in English 10 Lines

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मेरी माँ पर दस प्रसिद्ध वाक्य और निबंध

मेरी माँ पर दस प्रसिद्ध वाक्य और निबंध

शीर्षक: 10 Lines on Mother in Hindi. आज हम बात कर रहे हैं माँ के बारे में। जी हाँ, कहने को तो बहुत छोटा सा शब्द है लेकिन इसमें पूरा संसार समाया हुआ है। दुनिया में माँ का दर्जा भगवान से बढ़कर हैं क्योंकि भगवान भी माँ के सामने अपना सिर झुकाते हैं। माँ के…

10 Comments

Sir yah apka post bahut hi achha laga. Maa pr Nibandh aapne achha likaha hain sach me Maa to Maa Hoti hain. Sir is post ke liye bahut – bahut dhnyabad.

Thank God bless you ?❤️??

sir its so nice eassy for mom

Mom is best to all world

Mom is the medicine for me

आप हमेशा ही बहुत अच्छी जानकारी शेयर करते है यह जानकारी मेरे लिए बहुत ही फायदेमंद है इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार है

Sir i am a content writer now I am looking for new work if u have any work for me in content writing I am interested in that Waiting for ur reply

yes can you please email me regarding this

निबंध पढ़ने के बाद मुझे मां पर कुछ पंक्तियां याद आ गई, तो सुनिए : “माँ वह है जो हमारे सुख-दुःख की साथी होती है और हमेशा हमें पूरी दुनियां में सबसे अधिक प्यार करती है” 🥺. भाई आपके निबंध ने दिल छू लिया यार ♥️.

Regards, Jyotish

best ever this is a lot of thanks for this om

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मेरी माँ पर निबंध

Essay on My Mother in Hindi: माँ का ख्याल आते ही दिल प्यार के समंदर में गोते खाने लगता है। आखिर हमने कितने वर्ष उसकी कोमल प्यार भरी बांहों में बिताये, उसने हमें 9 महीने अपनी कोख में रखा, 2 साल तक अपनी ममता भरी गोद में रखा और उम्र भर अपने दिल में रखा।

उसके रहते हुए हमें कभी कोई सांसारिक कष्ट महसूस नही हुए और ना हुई उसने हमें कभी किसी भयानक दर्द से गुजरने दिया। एक शायर ने भी क्या खूब कहा है “तुम्हारी जिंदगी में जरा भी तकलीफ़, गम और दर्द ना होता अगर तुम्हारा नसीब तुम्हारी माँ ने लिखा होता।”

Essay on My Mother in Hind

वैसे हमारे जीवन में बाप की अहमियत भी कम नही होती। क्योंकि वही हमें इस दुनिया से लड़ने के काबिल बनाता है।

मगर जितनी जरूरत माँ के प्यार की जीवन में होती है, उतनी शायद किसी और व्यक्ति की नही होती। मेरी बातों को वो लोग अच्छे से समझ सकते हैं, जो अपनी माँ को खो चुके हैं।

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मेरी माँ पर निबंध (Essay on My Mother in Hindi)

यहां पर हम अलग-अलग शब्द सीमा में मेरी माँ पर निबंध (meri maa essay in hindi) शेयर कर रहे हैं यह निबन्ध हर कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

मेरी माँ पर निबंध 50 शब्दों में

मेरी जिंदगी की सबसे महत्वपूर्ण महिला मेरी प्यारी माँ हैं। वह स्वभाव से बहुत मेहनती और प्यार करने वाली है। मेरी माँ परिवार के हर सदस्य का अच्छे से ख्याल रखती है। वह सुबह-सुबह जल्दी उठ कर हम लोगों के लिए खाना तैयार करती है।

मेरे दिन की शुरूआत अक्सर मेरी माँ के साथ ही होती है, वो सुबह जल्दी उठ कर मुझे भी बिस्तर से जल्दी उठाती है। इसके बाद वह मुझे स्कूल के लिए तैयार करती है और बहुत ही स्वादिष्ट भोजन बनाती है।

इसके अलावा वह मेरा गृह कार्य करने में भी मदद करती है और वो मेरी सबसे अच्छी टीचर भी है। मैं अपनी माँ से बहुत प्यार करता हूँ और आशा करता हूँ कि मेरी माँ की उम्र बहुत लंबी हो।

मेरी माँ पर निबंध 100 शब्दों में

मेरे जीवन की सबसे प्रभावशाली व्यक्ति मेरी माँ है। इसलिए उनके प्रति मेरे दिल में बहुत प्रशंसा और इज़्ज़त है। वो मेरी जिंदगी की सबसे पहली और अच्छी टीचर है। वह मुझ से बहुत प्यार करती है और मेरी वजह से अपनी ख़ुशियों की कुर्बानी दे देती है। मेरी माँ अपने काम के प्रति बहुत समर्पित हैं और उनका मेहनती स्वभाव हमेशा मुझे बहुत लुभाता है।

मेरी माँ घर में सबसे पहले उठती है और हमेशा हमारे बिस्तर से उठने से पहले ही वो अपने काम-काज चालू कर देती है। मेरी माँ मेरे घर की प्रबंधक है।

वह हमारे घर की प्रत्येक चीज और जरूरत का बहुत ख्याल रखती है। वह हमारे घर के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाती है, ख़रीददारी करती है और ईश्वर से हमारे लिए प्रार्थना भी करती है।

इसके साथ ही वो हमारी हर छोटी बड़ी ज़रूरतों का भी बखूबी ध्यान रखती हैं। मेरी माँ मुझे और मेरे भाई/बहन को भी पढ़ाती है और होम वर्क भी पूरा करने में भी मदद करती है। इन्ही सभी योगदानों के कारण मेरी माँ हमारे घर की रीढ़ की हड्डी है।

Essay on My Mother in Hindi

मेरी माँ पर निबंध 150 शब्दों में

माँ सबसे उपयुक्त शब्द है जो मैंने अब तक सीखा है। मेरी माँ मेरी जिंदगी में मेरे लिए सबसे प्रभावशाली व्यक्ति हैं। मेरी माँ ना केवल एक मेहनती व्यक्ति है बल्कि अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं।

वह सुबह सूरज के उगने से पहले उठ जाती हैं और अपने प्रतिदिन के कार्यों को करना शुरू कर देती है। मेरी माँ एक बहुत ही सुंदर और दयालु दिल वाली महिला है जो हमारे घर में प्रत्येक चीज का ध्यान रखती है।

मैं अपनी माँ की बहुत इज़्ज़त करता है क्योंकि उन्होने ना केवल मुझे किताबी ज्ञान को सीखने में मदद की। बल्कि अपने अनुभवों की सीख से मुझे सही-गलत का अंदर सिखा कर मुझे एक अच्छा इंसान बनने में भी मदद की।

वह हमारे लिए खाना बनाती है, सभी का ध्यान रखती और घर के लिए ख़रीददारी करती है। इसलिए वो ज्यादातर समय व्यस्त रहती है।

उन्हे जब खाली समय मिलता है तो वो मेरे साथ खेलती हैं, मेरा गृह कार्य करने में मदद करती है और दूसरी जरूरी कामों में भी मदद करती है।

मेरी माँ मुझे कई तरह की चीजें सीखने में भी मदद करती है इसलिए मैं अपनी माँ से बहुत प्रेम करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि उनकी उम्र हो।

Essay on My Mother in Hindi

मेरी माँ पर निबंध 200 शब्दों में

माँ एक ऐसा शब्द है जिसको शब्दों में व्यक्त नही किया जा सकता, मेरी माँ ही मेरे दिल के सबसे करीब है। उसी ने मेरी जिंदगी को एक सही आकार देने में मदद की है। मेरी माँ एक बहुत दयालु दिल की सुन्दर महिला है जिसने मेरा जिंदगी के हर मोड़ पर साथ दिया।

उनकी व्यस्त दिनचर्या सूरज के उगने से पहली ही शुरू हो जाती है वो हमारे लिए ना केवल खाना तैयार करती है। बल्कि मेरे हर कार्य में भी पूरी मदद करती है।

जब मुझे अध्ययन में कोई परेशानी पेश आती है तो मेरी माँ टीचर बन कर मेरी समस्याओं को सुलझाने में मदद करती है और जब मैं बोर हो जाता हूँ तो मेरी दोस्त बन कर मेरे साथ खेलती है।

वह हमारे घर में दूसरा रोल निभाती है और जब कोई हमारे परिवार में बीमार पड़ जाता है तो वो पूरी रात जाग कर उसका ख्याल रखती है। हमारे परिवार के लिए वो अपनी ख़ुशियों की भी कुर्बानी हस्ते-हस्ते दे सकती है।

वैसे स्वभाव से मेरी माँ बहुत मेहनत करनी करने वाली महिला है। वो सुबह से शाम तक घर के सभी जरूरी कामों को करती हैं। 

उन्होने जिंदगी के हर मोड़ पर मेरा मार्गदर्शन किया है। निविदा उम्र में, मेरे लिए यह तय करना बहुत मुश्किल था कि क्या सही है और क्या गलत मगर मेरी मां मेरे जीवन में सही रास्ता दिखाने के लिए हर समय मौजूद रही।

Essay on My Mother in Hindi

यह भी पढ़े: मेरे पिता पर निबंध

मेरी माँ पर निबंध 250 शब्दों में

मेरी माँ मेरे लिए सब कुछ है। मैं उसी के कारण इस सुंदर संसार को देख पा रहा हूँ। उसी के प्यार और दयालूता ने मुझे इतना बड़ा किया और एक बेहतर इंसान बनने में मदद किया।

मेरे अनुसार माँ दुनिया की सबसे भरोसेमंद शख्स होती है जिससे आप अपने दिल की हर बात साझा कर सकते हैं। मेरी माँ मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी है।

मैं उसके साथ अपने सभी खूबसूरत लम्हे साझा कर सकता हूँ। मैंने अपने हर बुरे वक्त में अपनी माँ को सबसे करीब पाया। उसने मुझे उस बुरे समय में काफी सहारा भी दिया। इसलिए मेरे दिल में मेरी माँ के प्रति काफी प्रशंसा है।

मेरी माँ बहुत ज्यादा मेहनती है और अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित रहती है। मैंने उन्ही से सीखा है कि कोशिश कभी बेकार नही जाती तथा मेहनत से ही सफलता आती है। वह पूरे दिन चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ काम करती रहती है।

वह ना केवल अच्छा एवं स्वादिष्ट खाना बनाती है बल्कि घर के हर सदस्य की अच्छे से देखभाल भी करती है। वह हमारे परिवार के लिए काफी अच्छे निर्णय भी लेती है। कई बार तो पिता जी भी माँ के पास सलाह लेने के लिए आते हैं। क्योंकि वो निर्णय लेने में बहुत निपुण है।

हमारे परिवार में कुल-मिला कर चार सदस्य हैं, मेरे पिता, मेरी माँ, मैं और मेरी छोटी बहन, हम सभी की देखभाल हमारी मां करती है। उन्होने मुझे जिंदगी के नैतिकता के बारे में भी बताया।

जब मैं कभी गृह अध्ययन करते समय किसी समस्या में फँस जाता हूँ तो माँ एक टीचर के रूप में मेरी समस्याओं को सुलझाने में मदद करती हैं। इसलिए वो हर समय व्यस्त ही रहती है।

मेरी माँ एक दयालु दिल की महिला है जिसके प्यार की छतरी हमेशा मेरे सर पर रही है और मैं इस बात को भी जानता हूँ कि इस संसार में मेैं माँ जैसे प्यार को कहीं और नही तलाश कर सकता।

हर बच्चा अपनी माँ से प्यार करता है मगर माँ की असली अहमियत वही जानता है जिसकी जिंदगी में माँ नही है। मैं अपनी जिंदगी में अपनी माँ को हर समय मुस्काराते हुए देखना चाहता हूँ।

मेरी माँ पर निबंध 300 शब्दों में

माँ बच्चे के मुँह से निकलने वाला पहला शब्द होता है। मेरे लिए माँ ईश्वर के द्वारा दिया गया सबसे अच्छा और किमती तोहफा है। अपनी माँ के प्यार और उसके दयालूता भरे चरित्र को शब्दों में व्यक्ति करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है।

हर बच्चे के लिए उसकी माँ सबसे ज्यादा प्यार करने वाला और फिक्र करने वाला शख्य होती है। मुझे नही लगता कि कोई भी व्यक्ति माँ जैसे प्यार को कही और अनुभव कर सकता है। मेरी माँ में वो सभी काबिलियतें और गुण मौजूद है जो एक अच्छी माँ में होनी चाहिए।

मेरे परिवार में कुल 6 सदस्य है जिनमें मेरे दादा-दादी, मेरे माता-पिता और मैं तथा मेरी छोटी बहन है लेकिन केवल मेरी माँ के कारण ही हमारा घर एक और खुशहाल है।

वह सुबह जल्दी उठती है, उठने के बाद वो तैयार होती है और अपने प्रतिदिन के कार्य में जुट जाती है। वह हमारा पूरी तरह ख्याल रखती है और तरह-तरह के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ बनाती है। 

वो घर के हर सदस्य की पसंद और ना पसंद को काफी अच्छी तरह से जानती है और उन्हे यह भी पता रहता है कि कब मेरे दादा जी ने कितनी बार कौनसी दवा ली है। मेरे दादा जी मेरी माँ को घर का प्रबंधक कहते हैं। क्योंकि वो घर की हर चीज को प्रबंधित रखती हैं।

मैं अपनी मां की नैतिक शिक्षाओं के साथ बड़ा हुआ हूं। उन्होने मेरा जिंदगी के हर पड़ाव पर मार्गदर्शन किया है। वो मेरी भावनाओं को अच्छी तरह समझती हैं। उन्होने मुझे बुरे हालातों में हर बार सहारा दिया है और मुझे प्रेरित किया है।

मेरी माँ मुझे एक अनुशासित, समयनिष्ठ और भरोसेमंद व्यक्ति बनना सिखाती हैं। वह एक पेड़ की तरह है जो हमारे परिवार को अपने प्यार की छांव में रखती है। खैर वो बहुत सारा काम करती हैं मगर फिर भी वो एकदम शांत रहती हैं।

वह किसी भी बुरी परिस्थिति में अपना धैर्य नही खोती। मेरी माँ और मुझ में एक खास तरह का प्यार है और उन्होने मेरा हमेशा साथ दिया है। मैं भगवान से हमेशा दुआ करता हूँ कि मेरी माँ हमेशा स्वस्थ और खुश रहे।

मेरी माँ पर निबंध 600 शब्दों में

मां इस शब्द में कितना मिठास है। इस शब्द को पुकारते ही व्यक्ति का हर पीड़ा कम हो जाता है। मां भगवान से भी बड़ी होती है तभी तो व्यक्ति जब पीड़ा में होता है तो उसके मुख से सबसे पहले मां शब्द ही निकलता है। मां के द्वारा स्नेह और प्यार से हमारे ऊपर फेरे गए हाथ हमारी हर दर्द को कम कर देता है।

मेरी मां मेरी प्रेरणा है। मां मेरी प्रथम शिक्षक है, जिन्होंने मुझे बचपन से अच्छे संस्कार दिए जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी दुख सह कर भी उन्होंने मेरे खुशी को हमेशा प्राथमिकता दिया है। स्वयं से पहले वह मेरे बारे में पूछती है। मां ही तो है, जो हर घड़ी मेरा हालचाल पूछते रहती है।

दुनिया में एक मां ही तो है, जो निस्वार्थ रूप से प्यार करती है। वह हमेशा हमारे लिए करते रहती है लेकिन कभी भी हमसे उसका मूल्य नहीं मांगती।

मां ने मुझे हमेशा से ही दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार रखना सिखाया है, अपने कार्य के प्रति ईमानदार रहना सिखाया है। यही कारण है कि आज मां के कारण ही में एक सफल व्यक्ति बन सका हूं।

मामत्व ना केवल इंसानों में बल्कि जानवरों में भी देखने को मिलती है। हर जीव की मां भगवान के समान होती है। भगवान ने ही तो हर जीव को उत्पन्न किया है। भगवान एक समय हर एक जीवो के पास उपस्थित नहीं रह सकते, इसीलिए तो उन्होंने मां को उत्पन्न किया और हर एक जीव को मां दिया जो अपने बच्चों का ख्याल रखती है।

मां के आश्रय में हर दुख दूर हो जाता है। एक स्त्री बेटी पुत्री, बहू ना जाने कितने ही रुप में रिश्ते निभाती है। लेकिन उनमें से सबसे ऊपर मां का पद होता है। दुनिया में मां का पेशा ऐसा है, जिसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। मां का पद सबसे ज्यादा सम्मानीय होता है।

मां का पेशा सबसे बड़ा होता है, जिसकी कोई सैलरी निश्चित नहीं की जा सकती। मां के द्वारा दिए गए प्यार के लिए बच्चा अपने आप को भी समर्पित कर दें तो वह भी कम है। मां तो प्रेम और त्याग की मूर्ति है। मां चाहे तो अपने बच्चे की रक्षा के लिए बड़े से बड़े परेशानियों का भी सामना कर सकती हैं।

स्त्री होने के नाते उसके अंदर भले ही शक्ति हो या ना हो लेकिन मां के रूप में वह सर्वशक्तिमान होती है। मां शब्द के महत्व का अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता। सभी रिश्तो में मां का रिश्ता सबसे सर्वोपरि होता है।

मां पालनकर्ता भी होती है, मां शिक्षक भी होती है और मां शखा भी होती है। जरूरत पड़ने पर वह शिक्षक की तरह हमें शिक्षा देती है और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करती है।

वहीँ मुसीबत में दोस्त की तरह हमारे साथ खड़ी होती है और हमारे दुखों को कम करती है। खुद खाना भूल सकती है लेकिन अपने बच्चे को खिलाना कभी नहीं भूल सकती।

मां की ममता का कोई मोल नहीं चुका सकता। मां की ममता दुनिया की सबसे बड़ी कीमती वस्तु है और इसका महत्व वही समझ सकता है, जिसकी मां नहीं है।

एक बार ईश्वर हमसे नाराज हो सकते हैं लेकिन मां कभी भी हमसे नाराज नहीं हो सकती। मां के बिना तो जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। व्यक्ति कितना भी पूजा पाठ करें, वह चारों तीर्थ धाम क्यों ना चला जाए लेकिन जब तक वह मां का सम्मान नहीं करता तब तक यह हर चीज निरर्थक है।

भगवान गणेश अपने माता पिता भगवान शिव और पार्वती की परिक्रमा करके मानव जाति को इस बात का ज्ञान दिये कि दुनिया में सबसे बड़ा तीर्थ और पुण्य का काम मां बाप का सेवा करना ही होता है। मां के दिल दुखाने से बड़ा पाप जीवन में कुछ नहीं हो सकता।

इस पाप को व्यक्ति पवित्र नदियों में नहाकर या तीर्थ यात्रा करके नहीं धो सकता। बालक द्वारा की गई गलती पर जब तक मां क्षमा नहीं करती तब तक भगवान भी स्वयं उसके गलती के लिए क्षमा नहीं करते।

एक स्त्री दूसरी स्त्री या अन्य के प्रति ईर्ष्यालु हो सकती है, वह अन्य के प्रति दुष्ट हो सकती है लेकिन वह अपने बालक के प्रति कभी भी दुष्ट नहीं होती। इसीलिए हर एक बालक को चाहिए कि वह हमेशा ही अपने मां का सम्मान करें, कभी भी उनके दिल को ना दुखाए।

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मेरी माँ पर निबंध 1200 शब्दों में

दुनिया में हर शब्द का परिभाषा हो सकता है परंतु मां की परिभाषा देना बहुत कठिन है। क्योंकि इसकी एक परिभाषा नहीं बल्कि हजारों परिभाषा भी कम पड़ जाए। यह तो वह करुणा की मूर्ति है, जो अपने ममता से एक बालक के जीवन को हर खुशियों से भर देती है।

उसके लिए स्वयं से ज्यादा अपने बालक के जीवन का मोल होता है। तभी तो मां असहनीय पीड़ा सहने के बाद अपने बालक को जन्म देती है।

कहते हैं स्त्री कमजोर होती है लेकिन स्त्री से बड़ा शक्तिशाली और सहनशीलता कोई नहीं होता। मां के रूप में एक मां जितना दर्द सहती है, उतने दर्द से तो एक चट्टान भी फट जाए।

एक मां का समाज और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। क्योंकि मां चाहे तो अपने बालक को बिगाड़ भी सकती है और मां चाहे तो अपने बालक को महान व्यक्ति भी बना सकती है।

हर मां यही चाहती है, उसका बालक जीवन में महान व्यक्ति बने, वह एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बनाने में सफल हो सके। हालांकि एक बालक के जीवन में शिक्षक का काफी महत्व होता है सफलता पाने में।

लेकिन मां बच्चे की प्रथम शिक्षक होती है और जिंदगी भर वह शिक्षक की तरह अपने बच्चे को सही गलत का फर्क सिखाते हुए हर एक कठिन मार्ग पर उसे मार्गदर्शित करती है।

मां के मार्गदर्शन पर बालक कभी भी असफल नहीं हो सकता। हर एक व्यक्ति और जीव का अस्तित्व मां से जुड़ा हुआ है। भगवान ने मां के जरिए ही इस सृष्टि की रचना की है। मां को सम्मानित करने के लिए ही मदर डे मनाया जाता है।

लेकिन मां के सम्मान के लिए केवल एक विशेष दिन नहीं होना चाहिए बल्कि हर दिन हर पल मां को समर्पित होना चाहिए। क्योंकि मां के कारण ही तो यह जीवन है।

तो फिर मां के लिए किसी एक विशेष दिन को कैसे समर्पित कर सकते हैं, मां के लिए तो पूरा जीवन ही समर्पित है। इसीलिए जो व्यक्ति मदर डे को अपनी मां के लिए कुछ खास करते हैं, उन्हें हमेशा ही अपने मां को सम्मान देना चाहिए।

क्योंकि मां कभी भी अपने बच्चे को किसी एक विशेष दिन को प्यार या स्नेह नहीं देती बल्कि वह जिंदगी भर अपने बालक को प्यार और स्नेह देती है।

हमारे जीवन में कई रिश्ते होते हैं और हर रिश्ते में किसी गलतफहमी से कभी ना कभी दरार आ सकती है, हर रिश्ता जरूरत के समय धोखा दे सकता है। लेकिन मां के साथ का रिश्ता भगवान भी नहीं तोड़ सकता।

दुनिया आप पर विश्वास करें या ना करें लेकिन मां आप पर हमेशा विश्वास करती है। क्योंकि एक मां को अपने लालन-पालन पर पूरा विश्वास होता है। वह जानती है कि उसने अपने बालक को जो शिक्षा और संस्कार दिया है, उसके विपरित उसका बालक कुछ नहीं कर सकता।

मैं अपने मां के लिए जितना बोलू उतना ही कम है। आज भी जब किसी समस्या में रहता हूं तो सबसे पहले मां का ही विचार आता है। वह पल याद आ जाता है जब मां मेरे चेहरे को देख कर समझ जाती थी कि मैं किसी परेशानी में हूं।

ना जाने उनके पास कैसी कला थी, जिससे उन्हें पता चल जाता था कि मैं दुखी हूं और मुझे देख वह भी दुखी रहती थी। जब तक मैं खा नहीं लेता था तब तक वह भी नहीं खाती थी।

आज भी जब काम से घर लेट जाता हूं तो घर का हर सदस्य सो जाता है। लेकिन मां ही तो होती है, जिसका ध्यान दरवाजे पर रहता है कि कब उसका बेटा आएगा। घर पहुंचते ही सबसे पहले वही उठती है और खाने का पूछती है।

मेरे इंतजार में वह भी भूखी रहती है। उस पल को याद करके बहुत ज्यादा मां के प्रति प्यार उमड आता है जब बिमार पडा करता था तो मां रात भर बगल में बेठी मेरे सिर को फेरते रहती थी।

जब तक मैं ठीक ना हो जाता था तब तक उन्हें भी नींद नहीं आती थी। आज भी मां भगवान के सामने बस मेरी ही खुशी की प्रार्थना करती है।

मां अक्सर पूछा करती थी कि जब कमाने लगूंगा तब मां के लिए साड़ी लाऊंगा कि नहीं। मैंने तो उसी दिन ठान लिया था कि जब हाथ में पहली कमाई आएगी तो पूरी की पूरी कमाई मां के हाथ में धर दूंगा।

आज भी मुझे किसी जगह इतनी सुकून और शांति नहीं मिलती जितना मां के गोद में लेट कर मिलता है। उनके हाथों में न जाने कैसा जादू है, जिससे उनके हाथ फैराते ही मेरी सारी थकान दूर हो जाती है।

मुझे आज भी वह दिन याद है जब स्कूल के सभी बच्चे पिकनिक पर जा रहे थे लेकिन पिकनिक की फीस अधिक होने के कारण मुझे पिताजी को बोलने में संकोच हो रहा था फिर भी मैंने हिम्मत जुटाकर पिताजी को पिकनिक जाने की बात कही।

लेकिन उन्होंने यह बात कह कर मना कर दिया कि अभी उनके पास पैसे नहीं है। लेकिन मां को मेरे चेहरे की उदासी दिखी गई। दूसरे दिन मां स्कूल जाकर पिकनिक फीस जमा कर आई, जिसे उन्होंने लंबे समय तक जमा करके रखा था।

ताकि मैं पिकनिक जा सकूं और मेरे चेहरे पर दुबारा मुस्कान आ जाए। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि मां को अपने बच्चे की खुशी से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए होता है।

वह तो अपने बच्चे की खुशी के लिए दुनिया का हर धन दौलत भी कुर्बान कर देगी, उसे बस प्यार के बदले में प्यार ही चाहिए। वह अपने बच्चे को जीवन में बड़ा आदमी बनने की कल्पना तो जरूर करती है।

लेकिन वह कभी भी अपने स्वार्थ के लिए अपने बच्चे को सफलता दिलाने का नहीं सोचती बल्कि उसके मन में तो केवल अपने बच्चे की खुशी ही मात्र रहती हैं।

मुझे बहुत दुख होता है, उन लोगों का सोच कर जो अपने माता-पिता को बुढ़ापे में बेसहारा छोड़ देते हैं। जिस माता-पिता ने अपना पूरा जीवन अपने बच्चे को समर्पित कर दिया, वही मां-बाप बुढ़ापे में उस बच्चे के लिए बोझ बन जाते हैं। कितनी शर्म की बात है। मेरे अनुसार तो दुनिया में वृद्धाश्रम ही नहीं होना चाहिए।

क्या हर मां अपने बच्चे को यही उम्मीद से सब दुख दर्द साहकर अपने बच्चों को पालती है कि यह बच्चा बड़ा होकर मुझे वृद्धाश्रम में छोड़ देगा। कोई भी मां अपने बच्चे से यह कभी भी उम्मीद नहीं करती है।

यहां तक कि जो बच्चे अपने मां को बुढ़ापे में वृद्ध आश्रम में छोड़ देते हैं, उस वक्त भी मां के दिल से अपने बच्चे के लिए दुआ ही निकलता है।

बच्चा अपनी मां के साथ कितना ही गलत क्यों ना करें लेकिन मां अपने बच्चे के लिए कभी भी गलत नहीं करती। तभी तो मां को भगवान से भी बड़ा माना जाता है।

आज मुझे बहुत खुशी हुई मेरी मां के बारे में लिखकर। हालांकि मैंने मां के बारे में जितना भी लिखा कम ही है क्योंकि मां के बारे में कोई भी कभी कुछ पूरा नहीं लिख सकता।

जब भी आप कभी माँ के ऊपर कोई श्रेष्ठ निबंध लिखना चाहते हो तो आंखे बंद कर के अपनी माँ के सच्चे प्यार को महसूस करिये और दिल में जो विचार आए, उसे कलम के द्वारा कागज पर व्यक्त कर दिये। फिर जो लेख ऊभर कर आएग वो लोगों के दिल और दिमाग को पूरी तरह जीत लेगा।

तो इस तरह आप कुछ ही समय में एक अच्छा निबंध तैयार कर सकते हैं या फिर ऊपर दिये गए निंबधों में से अपनी जरूरत के हिसाब से कोई भी निबंध चुन सकते हैं।

इस लेख में हमारे जीवन के सबसे कीमती और प्यारे व्यक्ति यानी मेरी मां पर मेरी माँ हिंदी निबंध (essay on mother in hindi) के द्वारा बताया।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर पसंद आया तो कृपया इस लेख को अपने दोस्तों एवं प्रियजनों के साथ शेयर करना ना भूलें और यदि आपका कोई सवाल है या फिर कोई सुझाव है तो हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताए।

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Rahul Singh Tanwar

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Hindi Essay

मेरी माँ पर निबंध | Essay On My Mother In Hindi 500 Words | PDF

Essay on my mother in hindi & paragraph.

Essay On My Mother In Hindi 500 + Words (Download PDF) मेरी माँ पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – इस निबंध के माध्यम से हम जानेंगे कि अपने माँ के बारे में एक अच्छा निबंध कैसे लिखे तो शुरू करते है।

हर माँ अपने बच्चे को दुनिया की किसी भी चीज़ से ज्यादा प्यार करती है। हम सभी की माँएँ हैं और हमें अपनी माँओं से प्यार और सम्मान करना चाहिए। आज मैं अपनी माँ के बारे में बहुत सी बातें साझा करने जा रहा हूँ। एक माँ अपने बच्चे को आर्थिक , शारीरिक और भावनात्मक रूप से बड़ा करने के लिए सर्वश्रेष्ट प्रयास करती है |

कभी-कभी वे हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए अतिरिक्त काम करते हैं, लेकिन वे इसके लिए कभी बुरा नहीं मानते हैं। माताएं निस्वार्थ और गैर-शिकायत हैं, वे अपने जीवन के बारे में कभी शिकायत नहीं करती हैं। यह एक माँ के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात है। वे ज़िम्मेदारियाँ लेना और उन्हें पूरा करना करती हैं। माँ वह है; जिसकी वजह से हम इस दुनिया को देख रहे हैं। हमें कभी भी उन्हें निराश नहीं करना चाहिए। हमें उनसे प्यार और सम्मान करना चाहिए।

My mother essay in Hindi & paragraph

मेरी माँ का नाम कविता है और वह एक शिक्षिका हैं। वह पचास साल की है। वह हमारे परिवार में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उसका दिन बहुत सुबह शुरू होता है; वह उठती है और हम सभी के लिए खाना बनाती है। फिर वह पूरे घर की सफाई करती है और हमें स्कूल ले जाती है।

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स्कूल से वापस आने के बाद, खाना फिर से बनाती है, और हमें परोसती है । मुझे लगता है कि वह अब तक की सबसे अच्छी कुक है। वह वास्तव में स्वादिष्ट भोजन बनाती है। मेरी मां मेरी सबसे बड़ी समर्थक हैं। मैं जो भी करता हूं, वह प्रेरित करती है और एक मार्गदर्शक के रूप में मेरे पीछे खड़ी रहती है। मेरी पिछली विज्ञान परियोजना में, उसने मेरी सबसे अधिक मदद की और मैं प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर आया। जब मुझे कुछ भी सफलता मिलती है, तो वह उस समय सबसे खुश होती है।

माँ और बच्चे का संबंध:

एक माँ और बच्चे के बीच का संबंध वास्तव में अद्भुत है। हर बच्चे के लिए मां सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है और बच्चे माताओं की पहली प्राथमिकता होते हैं। यह रिश्ता दुनिया का सबसे शुद्ध रिश्ता है।

माँ बिना किसी अपेक्षा के अपने बच्चों के लिए सब कुछ करती है। वे सिर्फ अपने बच्चों के लिए एक बेहतर जीवन चाहती हैं। तो माँ और बच्चे के बीच की बॉन्डिंग मज़बूत होती है और कोई भी ताकत इस बॉन्डिंग को तोड़ नहीं सकती है।

वह मुझे कितना प्यार करती है:

कोई सीमा नहीं है या मैं उसके लिए मेरे प्यार को नहीं माप सकता। मुझे पता है कि वह मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करती है और मैं भी उससे बहुत प्यार करता हूं। केवल उसी के कारण घर को ‘गृह’ कहा जाता है। वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त और मार्गदर्शक है। वह मुझे सिखाती है कि दुनिया में कैसे जीवित रहना है।

माँ वह है जो कभी भी हमसे ज्यादा प्यार करते नहीं थकती। एक माँ का प्यार अलग है, अनोखा है और किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रतिस्थापित करना संभव नहीं है। हमें पूरी दुनिया में ऐसा कोई प्यार नहीं मिला जिसकी तुलना मां के प्यार से की जा सके।

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माँ की आवश्यकता

हम जहां भी हैं, माता का आशीर्वाद हमारे साथ है। माँ के आशीर्वाद के बिना जीना हमारी कल्पना से परे है। सुबह वह बच्चे को बड़े प्यार से उठाती है और रात के दौरान वह बच्चे को बड़े प्यार से कहानियां सुनाती है।

माँ अपने बच्चे को स्कूल के लिए तैयार होने में मदद करती है और बच्चे के लिए सुबह का नाश्ता और दोपहर का भोजन भी बनाती है। माँ दरवाजे पर खड़ी रहती है, दोपहर को बच्चे के स्कूल से आने का इंतज़ार करती है। मां बच्चे को होमवर्क करवाने में मदद करती है।

लेकिन साथ ही, वे उनके संस्कारों और उनके रीति-रिवाजों का भी दृढ़ता से पालन करते हैं। हमारे घर में सभी त्योहार पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाए जाते हैं। घर में आने वाले हर मेहमान का स्वागत करने के लिए मेरी मां बहुत अच्छा प्रयास करती है।

एक गाइड के रूप में:

एक मार्गदर्शक के रूप में मेरे जीवन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। मैं जो भी करता हूं, वह मुझे सही रास्ते पर ले जाती है। कभी-कभी, हम गलतियाँ करते हैं और वे हमें अभिभावक के रूप में सही बात शिखाती हैं। वह वह है जो हमें प्रकाश में लाता है और जीवन से सभी अंधकार को दूर करता है।

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निष्कर्ष :- मुझे अपनी माँ से बहुत प्यार है। मुझे लगता है कि वह दुनिया की सबसे अच्छी इंसान हैं। वह मेरी जिंदगी है; मैं उसके साथ हमारे लंबे जीवन की कामना करता हूं। उन लोगो को जिनके पास माँ कहने को नहीं है। वे एक माँ के मूल्य और महत्व को समझते हैं। इसलिए हमें अपने जीवन में उसकी उपस्थिति की सराहना करने की जरूरत है।

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FAQs. On My Mother In Hindi

आपके जीवन में माँ का क्या महत्व है.

उत्तर – यह बहुत पुरानी कहावत है कि भगवान हर जगह नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने एक ऐसी माँ बनाई जो अपने बच्चों से हर सुख और दुख में निस्वार्थ भाव से प्यार करती है। माँ के महत्व को शब्दों में नहीं बताया जा सकता है। यह समझने की बात है,

माँ आप के विचार से कैसी होनी चाहिए?

उत्तर – माँ कल्पना करने की चीज नहीं है। वह प्रेम की मूर्ति है, माँ जो भी है, वह अपने बच्चों की नज़र में सबसे खास है जिसे शब्दों में पिरोया नहीं जा सकता।

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Essay On My Mother in Hindi : दो हिन्दी निबंध

Meena Bisht

  • June 26, 2020
  • Hindi Essay

Essay On My Mother in Hindi : मेरी माँ पर दो हिन्दी निबंध

Essay On My Mother in Hindi 

मेरी माँ पर दो हिन्दी निबंध (400 words ).

Essay No -1  

Content /विषय सूची /सांकेतिक बिंदु 

प्रस्तावना 

“मां तुझ पर क्या लिखूं  , तूने ही मुझे लिखा है। मैं तेरी ही रचना हूं। तूने ही मुझे अपने खून पसीने से सींचा है”। मां शब्द में कितना अपनापन है , कितनी मिठास है। इस शब्द का उच्चारण करते ही वात्सल्य की जीती जागती मूर्ति आंखों के सामने खड़ी हो जाती है। इस छोटे से शब्द “माँ ” में ममता का पूरा भंडार व बच्चे की सारी दुनिया समायी हुई है।

मेरी मां एक साधारण गृहणी हैं। मेरी मां दिन भर कुछ ना कुछ काम करती रहती है। गृहस्थी की हर चीज पर उनकी पैनी नजर रहती है। घर की सफाई से लेकर घर को सजाना संवारना आदि उनके कामों में शामिल हैं। वह घर के प्रत्येक सदस्य का ध्यान रखती हैं। पिताजी के हर काम में वह उनकी सहायता करती है।दादा व दादी की खूब सेवा करती हैं जिससे वह काफी प्रसन्न रहते हैं।

मेरी मां स्वभाव से बहुत ही सरल व मिलनसार हैं। वह दयालु व ईश्वर पर अटूट विश्वास रखने वाली महिला हैं । वह घर आए रिश्तेदारों व परिचितों का स्वागत बहुत प्यार से करती हैं। वह मेरे मित्र व मेरी बहन की सहेलियों को खूब प्यार करती है। जब भी वो घर पर आते हैं। वह उनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं रखती हैं।

घर के नौकर चाकर भी मां को अपनी मां जैसा ही सम्मान देते हैं। मेरी पढ़ाई-लिखाई , भोजन , कपड़े आदि का इंतजाम मेरी मां की ही जिम्मेदारी है। मेरी मां धार्मिक विचारों की महिलाएं हैं। वह प्रतिदिन मंदिर जाती हैं। हमारे घर पर भी उन्होंने एक छोटा सा मंदिर बना रखा है। जहां वह सुबह शाम दिया-बाती कर भगवान की पूजा आराधना करती हैं। भगवान के चरणों में फूल चढ़ाती हैं। व हाथ जोड़कर भगवान से हमारे हमारे लिए दुआएं मांगती हैं

मेरी मां अंधविश्वासी या रूढ़िवादी विचारों की नहीं हैं। वह छुआछूत पर विश्वास नहीं करती। मेरी मां स्वभाव से बहुत ही उदार हैं। वह विशाल हृदय की मल्लिका हैं। 

वह खुद ज्यादा पढ़ी-लिखी तो नहीं है लेकिन पढ़ाई लिखाई का महत्व खूब समझती हैं। इसीलिए हमें खूब पढ़ाना चाहती हैं। उनकी इच्छा है कि हम पढ़ लिख कर योग्य बने और अपने पैरों पर खड़े होकर इमानदारी से अपना जीवन व्यतीत करें।  वह हमें देश का निर्भीक व स्वाभिमानी नागरिक बनाना चाहती है।

सच में मेरी मां स्नेह , ममता , कर्तव्य पालन व सद्भावना की जीती जागती प्रतिमूर्ति हैं। मेरे जीवन निर्माण का पूरा श्रेय मेरी मां को ही जाता है। मैं अपनी मां को बहुत प्यार करता हूं। सुबह उठकर सबसे पहले अपनी माता के चरण छूता हूं और उनका आशीर्वाद लेता हूं। मां की सेवा , प्यार व ममता का ऋण मैं कभी नहीं चुका सकता। मां तुझे सत सत नमन। ….

मेरी माँ पर दो हिन्दी निबंध (500 Words )

Essay No -2  ( Essay On My Mother)

“माता पिता गुरु देवता”।  इस दुनिया में माता का स्थान भगवान से भी पहले आता है क्योंकि हर इंसान का इस दुनिया से परिचय उसकी मां के माध्यम से ही होता है। नौ महीने अपनी कोख में रखकर मां एक बच्चे को न सिर्फ जन्म देती है। बल्कि उसके जीवन निर्माण में भी वह नींव का पत्थर सहायक होती है।

मैं अपनी मां के बारे में क्या कहूं। मेरी मां एक पढ़ी-लिखी महिला है। वो शहर के एक जाने-माने स्कूल में अध्यापन का कार्य करती हैं। बावजूद इसके वह घर गृहस्थी की जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाती हैं। और हम सब परिजनों का भी अच्छे से ध्यान रखती हैं। उन्होंने बड़ी कुशलता से अपने घर और काम के बीच में संतुलन बनाया हुआ है जिससे वो दोनों को बहुत अच्छे से निभा पाती हैं।

उनकी दिनचर्या सुबह 4:00 बजे से शुरू हो जाती है।वह सुबह 4:00 बजे उठकर अपने सुबह के कामों से निवृत्त होकर घर के प्रत्येक सदस्य के लिए नाश्ता बनाती हैं। मैं और मेरे भाई दोनों के स्कूल और पापा के ऑफिस जाने की तैयारी करती हैं। उसके बाद हम सबको नाश्ता कराने के बाद स्वयं भी नाश्ता कर स्कूल जाती है। वह एक अच्छी माँ होने के साथ साथ एक अच्छी शिक्षक भी हैं।

शाम को घर आकर माँ घर के कामों को निपटा कर मुझे और मेरे भाई को होमवर्क पूरा करने में मदद करती हैं। घर में सभी चीजों की व्यवस्था करना मां की ही जिम्मेदारी है जिसको मां बखूबी निभाती है। मेरी मां आधुनिक व पढ़ी-लिखी होने के कारण वह नए जमाने की अच्छी चीजों को बहुत जल्दी अपना लेती हैं।

लेकिन साथ ही अपने संस्कारों , अपने रीति-रिवाजों का भी बड़ी शिद्दत से पालन करती हैं। हमारे घर में सारे तीज त्यौहार पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाए जाते हैं। मेरी मां घर में आने वाले प्रत्येक मेहमान का बड़े प्रसन्न होकर स्वागत करती हैं।

मेरी मां मेरी शिक्षक , मार्गदर्शक व प्रेरक है। उन्होंने मुझे सर्वप्रथम अक्षर ज्ञान कराया , बोलना सिखाया ,अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया। सही और गलत में फर्क करना सिखाया।कई बार जब मैं सोचता हूं कि मैं यह काम नहीं कर सकता हूं। तो उस वक्त मां मेरे साथ मजबूती से खड़े होकर मुझे आगे बढ़ने के लिए और उस काम में सफल होने के लिए मेहनत करने को प्रेरित करती हैं।

मेरी माँ , मेरी सारी दुनिया हैं

माँ , इस दुनिया में सर्वप्रथम पूजनीय है , मां से ही बच्चों की सारी दुनिया है। माँ ही सहारा है। माँ ही किनारा हैं। मां भले खुद कष्ट या दुःख में रहे। लेकिन अपने बच्चों को वह कभी कष्ट में नहीं देख सकती। माँ अपने बच्चों को दुनिया की हर वह चीज देने की कोशिश करती हैं जो वह सोचती है कि उसके बच्चों को मिलनी चाहिए।

मेरी मां हमेशा हमें ईमानदारी , सच बोलने एवं कर्तव्यनिष्ठ रहने का पाठ पढ़ाती हैं। वह अक्सर कहती हैं कि हमें न सिर्फ अपने घर परिवार बल्कि अपने देश , समाज से भी प्यार करना चाहिए।  हमारा देश हमारे लिए सर्वोपरि होना चाहिए। इसीलिए हम सब को एक जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देती हैं।

मेरी मां सच में दुनिया की सबसे सुंदर व सबसे अच्छी मां है। हर रोज वह मेरे हर छोटे बड़े काम में मेरी मदद करती हैं। अब मुझे लगता है कि भगवान हर जगह नहीं होते। इसीलिए उन्होंने हर बच्चे को एक माँ दे दी। ताकि वह उस मां के जरिए हमेशा उसके पास रह सके। मेरी माँ भी मेरे लिए ईश्वर का दिया हुआ अनमोल उपहार हैं। माँ तुझे सत सत नमन। …

Two Essay on My Mother : मेरी माँ पर हिंदी निबन्ध 

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मेरी माँ पर निबंध (My Mother Essay In Hindi)

मेरी माँ पर निबंध (My Mother Essay In Hindi Language)

आज के इस लेख में हम मेरी माँ  पर निबंध (Essay On My Mother In Hindi) लिखेंगे। मेरी माँ पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

मेरी माँ पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On My Mother In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। अगर आपको इस विषय पर छोटा निबंध (Short Essay) चाहिए तो आप निचे दिए निबंध से अपने जरूरत के हिसाब से निबंध लिख सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

Table of Contents

प्रस्तावना 

माँ इस एक शब्द को सुनते ही हमारे मन में श्रद्धा और प्यार की भावनाएं उमड़ने लगती हैं, मानो जैसे इस एक शब्द में ही सारी दुनिया समाई हुई हो। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि माँ और बच्चे का रिश्ता ही इतना अटूट होता है, जिसे कोई चाह कर भी बयां नहीं कर सकता।

असहनीय पीड़ा सह कर के जीवन का सृजन करने वाली दया और करुणा की मूरत माँ के बारे में जितना कहें वो कम है। देखा जाये तो माँ की ममता और महिमा को शब्दों में जताया नहीं जा सकता।

माँ की भूमिका

माँ, जिसके माता, जननी आदि कई नाम होते हैं, लेकिन उनका अर्थ सिर्फ एक ही होता है, ममतामयी माँ। जिसका अस्तित्व एक बालक के साथ ही जन्म लेता है और बच्चों के जन्म के बाद और उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाता है।

बालक के जन्म के बाद माँ जैसे खुद को भूल जाती है और उसकी दुनिया सिर्फ उसके बच्चों से शुरू होकर उन्ही की अच्छी परवरिश में खत्म हो जाती है। अनेक कष्ट सहन करके वो अपने बच्चों का पालन पोषण करती है और उन्हें दुनिया की हर खुशी देने की कोशिश करती है।

वो हर सुख दुख में आजीवन हमारे साथ खड़ी रहती है और बिना किसी लोभ के निस्वार्थ भाव से हमें पालती है। बच्चे चाहे अपनी माँ को दुख भी पहुंचाए तब भी वो उनके साथ बुरा बर्ताव नहीं करती और पहले जैसी ही रहती है और अपनी पीड़ा का जिक्र भी नहीं करती है।

इसलिए कहा भी गया है – “कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति।”

अर्थात् पुत्र कुपुत्र हो सकता है परन्तु माता कभी कुमाता नहीं होती।

माता जो भी करती है उसमें उसके बच्चे का हित छुपा होता है। उसकी डांट में भी प्यार होता है। वो अपने बच्चों पर बिल्कुल आंच नहीं आने देती है, चाहे उसके लिए उसे पूरे जग से ही क्यों ना लड़ना पड़ जाए। माँ की भावनाएं और प्रेम निश्छल, निर्मल और पवित्र होता है।

इस संसार में दूसरा कोई ऐसा रिश्ता नहीं होता है, जैसा की एक माँ और उसके बालक का होता है।

ईश्वर का दूसरा रूप माता

एक बालक जब इस संसार में आता है, तो उसे जन्म देने के लिए माँ को कितनी अधिक पीड़ा सहनी पड़ती है इसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। माँ ही इस सृष्टि की रचना करती है, इसलिए माता को ईश्वर का दूसरा रूप भी कहा जाता है।

माँ अपनी परवाह किए बिना ही हर परिस्थिति में बच्चों के लिए उनके जीवन और भविष्य को संवारने की कोशिश में लगी रहती है। ईश्वर को हम देख नहीं सकते, लेकिन माँ जो ईश्वर का प्रतिरूप है, उनकी हर एक चेष्टा को हम देख और समझ सकते हैं।

लेकिन कई बार माँ संतान को दुख ना पहुंचे इसलिए अपने अंदर इतने रहस्य छिपा लेती है, जिसका पता हम आजीवन नहीं लगा सकते हैं। वह अपने बच्चों को भनक तक नहीं लगने देती है, कि वो किस परेशानी के दौर से गुज़र रही है।

जन्मदायिनी माँ का कार्य सिर्फ बच्चे को जन्म देकर पूरा नहीं हो जाता है, बल्कि दिन प्रतिदिन उसकी जिम्मेदारियां बढ़ती ही जाती हैं।

बालक की प्रथम गुरु माँ

बालक का वर्तमान और भविष्य कैसा होगा यह उसे घर से मिलने वाले संस्कारों पर निर्भर करता है। माता और पिता दोनों की ही अलग अलग जिम्मेदारियां और कार्य होते हैं, अतः पिता को धन कमाने के लिए घर से बाहर जाकर काम करना होता है।

ऐसे में बच्चों में अच्छे संस्कार माँ ही डालती है ताकि वे अपने जीवन में तरक्की कर सकें। अगर माँ को बाहर जाकर काम भी करना होता है, तब भी वह पहले अपने बच्चों के बारे में सोचती है और घर का या बाहर का कोई भी काम करने से पहले अपने बच्चों की देखभाल और उनकी जरूरतों का ही ध्यान रखती है।

माँ बच्चों को जीवन जीने की कला सिखाती है और उन्हें बताती है कि हर अच्छी और बुरी परिस्थिति में उन्हें कैसे स्थिर होकर रहना है। माँ बच्चों को सत्य के मार्ग पर चलना सिखाती है और उसे अच्छा इंसान बनाती है। बच्चे माँ की प्रेरणा पाकर जीवन की हर मुश्किल का सामना कर लेते हैं।

बालक विद्यालय जाने से पहले और बाद में भी अपनी माँ से जीवन जीने की शिक्षाएं ग्रहण करते हैं। वो सबसे अधिक भरोसा अपनी माँ पर ही करते हैं, इसलिए हर छोटी बड़ी बात, चाहे वो स्कूल की हो, घर की या फिर दोस्तों की सभी कुछ अपनी माँ के साथ बांटना पसंद करते हैं। और माँ उनकी उलझन को दूर करके उन्हें सही रास्ता दिखाती है।

इसीलिए कहा गया है – “गुरुणामेव सर्वेषां माता गुरुतरा स्मृता।”

अर्थात् सारे गुरुओं में सबसे श्रेष्ठ गुरु माता होती है।

सर्वगुण सम्पन्न माँ

माँ को गुणों की खान कहा जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि अलग अलग प्रकार की स्थिति में हर बार माँ का एक नया रूप देखने को मिलता है। माँ मोम जैसे कोमल मन और अति दयालु स्वभाव की होती है।

माँ के अंदर करुणा कूट कूट कर भरी होती है और बालक को जरा सी भी तकलीफ होने पर उसकी करुणा उमड़कर आंसुओं का रूप ले लेती है। लेकिन इतनी कोमल होकर भी उसमें अपार शक्ति होती है।

जब भी बच्चों के ऊपर कोई आपदा आती है या उन्हें कोई परेशान करता है, तो माता के क्रोध की ज्वाला दहक जाती है और वो हर किसी तरह से अपने बच्चों की रक्षा करती है। माँ अति सहनशील होती है, इसलिए संतान की खातिर सब कुछ सह जाती है और थोड़ी भी शिकन अपने आचरण से झलकने नहीं देती।

माँ कल्पवृक्ष की तरह बच्चों कि पसंद कि सारी वस्तुएं उनके सामने हाजिर कर देती है, या फिर उसके लिए हर संभव प्रयास करती है। बेटी हो या बेटा, छोटा हो या बड़ा हर बच्चे के साथ समान व्यवहार करती है और उन्हें समान रूप से शिक्षित करती है।

माँ खुद भूखी रहकर भी बच्चों का पेट भरती है और खुद लाख तकलीफें झेलकर भी बच्चों को हर सुविधा देती है। जब भी आप परेशान हों या विचलित हों, तो माँ की गोद जैसे जादू का काम करती है, क्योंकि उनकी गोद में सर रखकर सोने से हर चिंता दूर हो जाती है और मन को असीम शांति का अनुभव होता है।

बच्चा चाहे कितना भी छिपाए पर माँ पल में पहचान जाती है कि उसके बच्चे को क्या तकलीफ है और किस बात से वो खुश होगा। माँ का जीवन उसके बच्चों में ही बसता है और वो अपनी हर छोटी बड़ी खुशियां बच्चों की खुशी में ही तलाशती है।

उसका अप्रतिम प्रेम संतान के जीने का सहारा होता है। माँ जिंदगी के हर पहलू से वाकिफ होती है इसलिए संतान को हर पल जीवन में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करती है और खुद भी उसके साथ कर्तव्य पथ पर डटी रहती है।

माँ का हमारे जीवन में महत्व (Importance Of Mother In Hindi)

माँ का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व होता है, ना सिर्फ भावात्मक रूप से बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक रूप से भी माता हमें सुदृढ़ बनाती है। जब हमारा जन्म होता है तभी से लेकर माँ उनके हर क्षण अपने समय को हमसे जोड़ देती है और अन्य सभी कामों को  महत्व ना देकर सबसे पहले हमारी देखभाल को ही अपना महत्वपूर्ण काम समझती है।

माँ हमें अच्छे और बुरे कि पहचान कराती है, ताकि हम जीवन में सही रास्ता चुनकर कर्तव्य पथ पर आगे बढ़े। जिन बच्चों की माँ नहीं होती है उन्हें अपने जीवन में बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ता है और कई बार बिन माँ के बच्चे अपने जीवन में सही मार्गदर्शन ना मिलने के कारण रास्ते से भटक जाते हैं और बड़े होकर अपराधी भी बन जाते हैं।

माँ की ममता स्वाभाविक ही होती है और इसके लिए उसे किसी से शिक्षा नहीं लेनी होती। आपने देखा होगा, नन्हे नन्हे चिड़िया के बच्चे जब तक उड़ नहीं पाते हैं, उनकी माँ उनके लिए खाना लाकर उन्हें अपनी चोंच से खिलाती है।

उसी तरह गाय अपने बछड़ों को जीभ से चाट कर दुलार करती है। अतः माँ चाहे इंसान की हो या किसी जानवर कि वो संतान के लिए प्यार और दुलार का एक सागर है, जो कभी समाप्त नहीं होता।

माँ हमारी सबसे सच्ची और अच्छी दोस्त होती है, क्योंकि वो हमारा हर हाल में साथ निभाती है। हमारे अच्छे काम के लिए प्रोत्साहित करती है और हमारे बुरे काम करने पर रोकती है और हमें ईमानदार और कर्मठ बनाती है।

किसी कवि ने माँ के लिए बिल्कुल ठीक लिखा है –

“खुद सो कर के भूखा भर पेट खिलाती है,

पी कर के हर आंसू हर दम मुस्काती है,

हालत हो ऐसा भी मुझपर इतलाती है,

इस पुरे जगत में माँ मेरी सबसे निराली है,

कांटो से भरी बगियाँ फूलो से सवारी है।”

हमारी माँ तो हमारे लिए अपनी खुशियों को भी न्यौछावर कर देती है, लेकिन हम उन्हें क्या देते हैं। वैसे तो हम उनके त्याग और हमारे लिए सहन किए गए कष्टों का बदला नहीं चुका सकते हैं, परन्तु संतान होने के खातिर उन्हें खुश रखने की कोशिश हमें जरूर करनी चाहिए।

खुश रखने का मतलब ये नहीं कि हम मदर्स डे पर दो फोटोज़ अपनी माँ के साथ सोशल मीडिया पर आई लव यू मॉम लिख कर पोस्ट कर दें और हमारा कर्तव्य पूरा हो जाएगा, बिल्कुल नहीं हमें अपनी माँ को दिल से इज्जत, सम्मान और प्यार देना होगा, जिसकी वो हकदार है।

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माँ पर निबंध (Short Essay On My Mother In Hindi)

माँ ही हमे इस दुनियां में लाती है, माँ हमे बहुत प्यार से पालती हैं। मेरी माँ रोज सुबह में परिवार के सभी सदस्यो से पहले उठ जाती हैं और घर की साफ सफाई करने जुड़ जाती हैं। वो सभी के लिए स्वादिष्ट खाना बनाती है और परिवार के सभी सदस्यो का खाना खाकर हो जाने के बाद खाती हैं।

मेरी माँ घर के लगभग सभी काम को करती हैं, हमारे परिवार के सभी सदस्यों का बहुत अच्छे से ख्याल रखती हैं। जब भी हमे कोई दिक्कत होती हैं तो उसे पता चलने पर मेरी माँ जरूर पहुँच जाती हैं।

मेरी माँ से किसी का दुख देखा नही जाता। वो कभी नही चाहती कि हमें या हमारे परिवार के लोगों को कुछ दिक्कत या तकलीफ हो। मेरी माँ खाना खाने से पहले घर के भगवान को और घर मे लगे तुलसी की पूजा करती है ओर भगवन से हमारे परिवार के अच्छे स्वास्थ और शांति की कामना करती हैं।

वो स्कूल जाने से पहले हमारे लिए खाना बना कर टिपिन में रख देती हैं। मेरी माँ हमारे स्कूल के कपड़ो को हर दिन साफ करती है और हमारे लिए साफ कपडे तैयार रखती हैं। बचपन से लेकर आज तक मेरी माँ हमे सुरक्षित रखती हैं।

जब हम बच्चे थे तो वो हमें अपने हाथों से नहाती थी ओर अपने हाथों से खाना खिलाती थी, इसी लिए माँ के प्यार को भूलना असम्भव हैं। मेरी माँ हमारे घर का सही हिसाब रहती है और सभी काम के कागज को संभाल कर रखती हैं।

जब भी हमे किसी भी जरुरी कागज की जरूरत होती हैं, तो हम सबसे पहले अपने माँ से ही पूछते है। जो भी जरूरी समान होता है उसे मेरी माँ जरूर संभाल कर रखती हैं और जरूरत पड़ने पर समय से वो समान हमे दे देती हैं।

हमारे घर मे कब किस चीज की जरूरत हैं और कोनसे चीज की कमी हैं इन सब का मेरी माँ ध्यान रखती हैं । मेरी माँ मेरे पिता के सभी बातो को मानती हैं, उनकी कही हुई कोई भी बात मेरी माँ कभी भी नही टालती।

मेरी माँ मेरे पिता के कपड़ो को साफ करती हैं और उनका भी पूरा ख्याल रखती हैं। पापा जब कुछ गलत करते है तो उनको समझती भी है। वो हमारे घर के राशन का और किचन के सभी सामान का ध्यान रखती हैं, क्योंकि वो कभी नही चाहती कि खाना खाने समय घर के किसी भी सदस्य को किसी चीज की कमी आए।

साल में आने वाले अनेक तरह के त्योहार में मेरी माँ जरूर शामिल होती हैं और वो सभी भगवान की पुजा करती है। मेरी माँ हमारे परिवार के लिए खरीदारी भी करती है। जब हम कभी स्कूल बंद होने पर ज्यादा देर तक अपने गली या मुहल्ले में खेलते रहते हैं।

तो उस समय मेरी माँ  हमे खाना खाने के लिए आवाज लगाती हैं। मेरी माँ मेरे लिए हमेशा अच्छा ही सोचती हैं, वो कभी भी हमारे लिए बुरा नही सोच सकती। उनकी हमेशा यही सोच रहती हैं कि मेरा बच्चा कुछ अच्छा करे। मेरी माँ हमारे पढाई के लिए पैसो की बचत करती है ताकि हम अच्छे से पढ़ लिख सके और बड़े होकर अच्छी जिंदगी जिए।

जब हम कहीं जाते हैं तो मेरी माँ जरूर कहती हैं “अच्छे से जाना और सही समय से खाना खाना”। अगर हमे आने में थोड़ी भी देर होती है तो वो फ़ोन से या किसी तरह से पता लगाने लगती हैं की हम कहा हैं और कोई हमे कोई दिक्कत तो नही है।

जब हमें कोई भी चीज की या पैसो की जरूरत होती है ,तो हम उस चीज को अपने माँ से ही मांग लेते हैं। अगर हमारी मांगी हुई चीज मेरे माँ के पास होती है तो वो हमे कभी भी मना नही करती हैं। मेरी माँ हम से कितना भी दूर क्यों न रहती हो, लेकिन उसे मेरा ख्याल जरूर रहता हैं।

मेरी माँ हमे हमारे पढ़ाई में भी बहुत मदद करती हैं, वो हमें हमेशा कुछ ना कुछ अच्छा सिखाती रहती हैं। वो हमे हमेशा अच्छी बाते बताती और सिखाती रहती हैं और गलत काम करने से हमे बचाती और रोकती भी है।

हमारे जीवन में माँ का महत्व

बचपन से ले कर आज तक हमारे पढ़ाई से लेकर हमारे रहन सहन में मेरी माँ का बहुत बड़ा योगदान हैं। मेरी माँ हमारे लिए बहुत कष्ट उठाती हैं, वो जब अपने गर्व में नौ महीने हमे रखती हैं, तो उसी समय से वो हमारे लिए बहुत सारे दुख दर्द बरदाश्त करती हैं। इसी लिए हम सब को अपने जिंदगी में माँ को कभी दुख नही देना चाहिए।

जब मेरी माँ एक दिन के लिए किसी रिश्तेदार के यहां जाती है, तो हमारे घर में रौनक ही नही रहती। लगता है जैसे घर में कुछ कमी है। साथ ही घर मे कोई भी जरूरत का सामान वक़्त पर नही मिलता और  इसी से समझ में आता हैं कि हमारे जिंदगी में माँ का होना बहुत जरूरी हैं।

मेरी माँ हमारे लिए हमेशा भगवान की तरह हैं, जो कि सभी चीजों में हमे मदद करती है। वो हमेशा हमे सफलता की रास्ते पर ही लेकर जाती हैं और हमे सफल होने के लिए आशीर्वाद देती हैं।

जब मेरे बारे में मेरी माँ को कोई बुरा बताता है, तो मेरी माँ मेरे लिए उनसे बहस कर जाती है, मेरी माँ को हमारी बुराई बरदास्त नही होती और वो कभी किसी के सामने हमारी बुराई नही करती हैं। क्युकी किसी भी माँ के लिए उसका बच्चा दुनिया में सबसे प्यारा होता है।

हमे अपनी माँ की सभी बातों को मानना चाहिए, क्योकी वो कभी भी हमे गलत शिक्षा नही देती। हमे हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि उन्हें किसी भी चीज की दिक्कत नही हो और वो हमेशा खुश रहे और हस्ती रहे।

मैं हमेशा कोसिस करता हु की, मेरे माँ के सभी कामो में मैं अपना हाथ बटा सकू और आपको भी अपने माँ के कामो में हाथ बटाना चाहिए। इससे उन्हें बहुत खुशी मिलती हैं और उन्हें गर्व आप पर गर्व होता है।

तो यह था मेरी माँ पर निबंध, आशा करता हूं कि मेरी माँ पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On My Mother) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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मेरी प्यारी माँ पर निबंध | Essay on my mother (1800 words)

  • Post author: Sachin Rathi
  • Post published: September 11, 2022
  • Post category: Hindi essay
  • Post comments: 0 Comments

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Essay on my mother in Hindi – वैसे तो माँ के बारे क्या ही लिखा जा सकता है, माँ के बारे में जो लिखू वो भी काम है। \’मेरी माँ या मेरी प्यारी माँ\’ ये शब्द सुनते ही या कहते ही हमारा मन भर सा जाता है और एक अलग ही तरह का महसूस होता है। मेरे प्यारे दोस्तों आज हम आपके लिए मेरी प्यारी माँ पर निबंध ( Essay on my mother in Hindi) लेकर आए है वो भी बिल्कुल सरल भाषा में। जो निबंध हम आपको बताएँगे वो आपके स्कूल में, कॉलेज में, या अन्य किसी भी जगह काम जरूर आएगा या आप इसे केवल पढ़ने के लिए इस्तेमाल कर सकते है। जो बिना स्वार्थ के प्यार करती है वो होती है माँ। जो हमारी एक छींक पर हमें डॉक्टर के पास है वो होती है माँ। तो चलिए आज हम आपको मेरी माँ पर निबंध के बारे में बताते है।

Essay on my mother in Hindi for class 6,7,8,9,10

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essay on my mother

इस दुनिया में सबसे आसान और सबसे अनमोल शब्द है- माँ। माँ दुनिया का एक मात्र ऐसा शब्द है, जिसे किसी परिभासा की जरूरत नहीं है क्योकि यह शब्द नहीं एहसास है। माँ प्रेम, त्याग और सेवा की मूर्ति है। सचमुच, माँ ईश्वर का प्रतिरूप रूप है।

मेरी माँ का नाम ममता देवी है। मेरी माँ बहुत समंझदार, मेहनती और दयालु है। वह हर सुबह सबसे पहले उठ जाती है और घर का सभी काम संभालती है। मेरी प्यारी माँ हमारे परिवार का अच्छी तरह से ख्याल रखती है। वह हमारे बगीचे के पेड़-पौधे पर भी ध्यान देती है मेरी माँ एक साधारण सी महिला है, वह मेरे लिए सुपर डुपर हीरो है। मेरी माँ ने मेरे हर कदम पर मेरा साथ दिया और मेरा हौसला भी बढ़ाया। मेरे हर हालत में वह मेरे साथ रहती थी चाहे कैसे भी हालत हो। मेरी माँ का हर कार्य, भक्ति, लगन, समपर्ण, आचरण मेरे लिए प्रेरणा थी।

मेरी माँ का प्यार

मेरी माँ ईमानदारी, सच्चाई और प्रेम का है। मेरी माँ मुझे प्रतिदिन आशीर्वाद देती है जो की मेरे बहुत काम आता है। मेरी माँ हमें सब कुछ देती है लेकिन कभी बदले में कुछ भी नहीं लेती। जिस तरह मेरी माँ मेरे परिवार का ध्यान रखती है, वह मुझे भी भविष्य में ऐसा करनी की प्रेरणा देती है।

मेरी माँ का प्यार केवल अपने ही परिवार के लिए नहीं है बल्कि वह तो सभी जीव जानवरो, कुत्ते, बिल्ली, पेड़-पौधे सभी से प्यार से व्यव्हार करती है। इसी वजह से वह पर्यावरण और जानवरो के प्रति दयालु और समंझदार होती है।

निष्कर्ष conclusion: (Essay on my mother in Hindi)

हर माँ अपने बच्चो लिए बहुत खास होती है और माँ ही बच्चो के भगवान् के वरावर होती है। माँ ही बच्चो को अच्छी और बुरी शिक्षा देती है। माँ का आँचल पकड़कर बच्चा बड़ा होता है। माँ गर्व से लेकर बच्चे के बूढ़े होने तक सभी अच्छे बुरे काम करती है। एक माँ अपने बच्चो के साथ साथ पुरे परिवार का ध्यान रखती है। सिर्फ मेरी माँ ही नहीं बल्कि वो हर माँ जो अपने बच्चो के अपना पूरा जीवन न्योछावर कर देती है, सच में भगवान् है और भगवान् की पूजा करनी चाहिए।

मेरी प्यारी माँ पर निबंध: Essay on my mother in Hindi

Short Essay on my mother

मेरी प्यारी माँ इस दुनिया में प्यार, सच्चाई, ईमानदारी और सबसे बढ़कर मेरे लिए देवता की प्रतीक हैं। मेरी माँ एक अद्भुत और आत्मविश्वासी महिला हैं और मेरे लिए एक प्रेरणा भी हैं। मैं हमेशा अपनी माँ के स्व-निर्मित निर्णयों और उनके जीवन में उनकी निष्ठा के कारण उनकी प्रशंसा करता हूँ। उसका नाम ममता देवी है।

मेरी मां मेरे लिए गुड लक है, इसलिए मैं हमेशा अपने दिन की शुरुआत मां की मुस्कान से करता हु और हर दिन मैं उनका आशीर्वाद लेता हूं। यह मेरी बहुत मदद करता है और किसी भी काम को करना बहुत आसान बनाता है। और समस्याओं को भी बहुत जल्दी दूर करता है।

मेरी माँ हमेशा मेरी पढ़ाई को लेकर चिंतित रहती है और परीक्षा के समय मेरी मदद भी करती है। वह मुझे जीवन में एक अच्छा इंसान बनने और सही काम करने के लिए मार्गदर्शन करती रहती है, और हमेशा यही सुझाव देती है, कि मैं जीवन में सही निर्णय लेता रहुँ। जब भी हम बीमार पड़ते थे वह मेरे छोटे भाई और मेरा ख्याल रखती थीं। वह हम दोनों की सबसे अच्छी दोस्त है, और हमेशा हमें सबके साथ सहज बनाने की कोशिश करती है। मैं और मेरा भाई हमेशा अपनी माँ के साथ अपने रहस्य साझा करते हैं।

मेरी माँ हमेशा हमारी खुशी की परवाह करती है और हमेशा हमें सहज महसूस कराने की कोशिश करती है। वह हमारे लिए स्वादिष्ट खाना बनाती है। हर दिन वह नाश्ता बनाती है और हमें हमारे स्कूल के लिए लंचबॉक्स भी देती है। छुट्टियों में, वह हमेशा कुछ खास और स्वादिष्ट भोजन और स्वादिष्ट व्यंजन बनाती है। जिसे हमने अपने घर में इसका भरपूर आनंद लिया। कभी-कभी हम अपना वीकेंड मनाने के लिए बाहर भी जाते हैं और मस्ती करते हैं। जब भी हमें अपनी पढ़ाई से समय मिलता है, हम अपनी माँ के साथ बैठते हैं, और वह हमें हँसती हुई कहानियाँ, ज्ञानवर्धक कहानियाँ और अन्य बातचीत बताती हैं, जो हमें अपने जीवन में अनुसरण करने और अच्छे इंसान बनने में मदद करती हैं। वह मेरे जीवन में अब तक के सबसे दयालु लोगों में से एक है, और उसे अपने जीवन में किसी और की तुलना में बहुत अधिक प्यार करती है।

मैं कभी भी जीवन में कोई गलत काम नहीं करूंगा, जिसके लिए मेरी वजह से मेरी मां की इज्जत फीकी पड़ जाए।

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Essay on my mother in Hindi

Long Essay on my mother in hindi

हम सभी जानते हैं, कि माँ का स्थान सबसे ऊपर है क्योंकि वह ईश्वर से भी अधिक मूल्यवान है। माँ हर किसी के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण और खास व्यक्ति होती है। वास्तव में हम कह सकते हैं, कि माँ किसी के लिए भी ईश्वर का सबसे अनमोल उपहार होता है।

माँ हर बच्चे के लिए पहली शिक्षक(गुरु) होती है, जिससे बच्चा सम्मान करना, देखभाल करना, बोलना सीख सकता है, और बच्चा माँ के कारण ही दुनिया देख सकता है। वह उनके जीवन में उनके बच्चे के लिए एक दोस्त, माता-पिता, अभिभावक, कार्यवाहक और शिक्षक भी हो सकती है, माँ परिवार चलाने और घर को स्वर्ग के रूप में सुंदर बनाने की जिम्मेदारी लेती है। उसकी मुस्कान उसकी उपस्थिति, स्नेह और प्रेम से पूरे घर को रोशन कर देती है। हर इंसान या जीवित प्राणी का अपनी मां के साथ एक विशेष और भावनात्मक लगाव होता है।

इस दुनिया में सभी बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित और सबसे सुकून देने वाली जगह उनकी मां की गोद होती है।

एक माँ अपने परिवार और घर में रहने वाले लोगों की खुशी की पूरी जिम्मेदारी लेती है। वह सभी की मदद करती है और उनकी देखभाल भी करती है, चाहे वह व्यस्त क्यों न हो, बच्चे हों या दादा-दादी। वह इतनी दयालु और मददगार है, कि जरूरत पड़ने पर अपने पड़ोसियों और दोस्तों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती है। अपने परिवार में सभी के लिए उनका प्यार बिना शर्त और शुद्ध है। वह अपनी जिम्मेदारियों से कभी नहीं कतराती हैं और बिना एक भी शब्द बोले हमेशा घर की देखभाल करती हैं। बहुत सी माताएँ बहुक्रियाशील होती हैं, क्योंकि वे अपने घर की देखभाल करती हैं और व्यवसाय भी चलाती हैं, या कुछ अन्य गतिविधियाँ करती हैं। उनके पास अपने जीवन में चुनौतियों का सामना करने और उन्हें अवसरों में बदलने की अद्भुत क्षमता होती है। उनके पास व्यवसाय को संभालने और घर की देखभाल के रास्ते में आने वाली बाधाओं का प्रबंधन करने की भी क्षमता होती है। वह अपने हुनर ​​से सभी को हैरान कर देती हैं। वह मल्टीटास्किंग में बहुत अच्छी होती है, और वह बिना किसी झिझक के इसे आराम से संभाल सकती है।

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माँ प्रकृति इस दुनिया में अतुलनीय है। जो हमेशा अपने प्रियजनों को बिना किसी वापसी की उम्मीद किए बिना शर्त प्यार करती है। एक माँ, यह सिर्फ एक साधारण शब्द नहीं है। यह अपने आप में एक संपूर्ण ब्रह्मांड है। एक प्रसिद्ध लेखक ने एक बार कहा था, \”भगवान सभी के लिए हर जगह मौजूद नहीं हो सकते। इसलिए, उन्होंने माताओं को बनाया।

वास्तव में कोई भी \’माँ\’ शब्द का अर्थ परिभाषित नहीं कर सकता। हम सभी को हर साल छुट्टी का सप्ताहांत मिलता है, लेकिन एक माँ के पास कोई छुट्टी नहीं होती है। कोई सप्ताहांत नहीं होता है, और जब वह बीमार महसूस करती है तो वह एक भी छुट्टी के बिना पूरे साल लगातार काम करती है। वह अपने काम और देखभाल के बदले में कभी कुछ भी नहीं मांगती। उसके पास कई गुण हैं जो उसे देखभाल और प्रेम की मूर्ति बनाते हैं।

माँ हमेशा अपने प्रियजनों को उनकी गलतियों के लिए माफ कर देती है और हमेशा हमारी गलतियों को समझने और हमारी जिम्मेदारियों को समझने के लिए कुछ सख्त उपायों के साथ हमारी गलतियों को सुधारने की कोशिश भी करती है। वह हमेशा अपने बच्चों को उनके जीवन में एक जिम्मेदार व्यक्ति बनाने और एक आरामदायक जीवन के लिए आगे की सफलता हासिल करने के लिए कुछ त्याग करती है। वह एक निस्वार्थ इंसान हैं और हमें उनका सम्मान करना चाहिए।

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निष्कर्ष Conlusion:

माँ शब्द ही दुनिया का सबसे अनमोल अहसास है। हमारी माँ हमारे लिए सब कुछ करने लिए त्यार रहती है। अगर हम किसी भी चीज में जिद कर देते है, तो माँ वो चीज हमारे पास लेकर रख देती है। अगर आपको भगवान् को देखना है तो आप एक बार अपनी नजर भरकर अपनी माँ की तरफ देख लेना, आपको भगवान् नजर आ जायेगा।

1). माँ के बारे में क्या लिखे ?

वैसे तो माँ के बारे क्या ही लिखा जा सकता है, माँ के बारे में जो लिखू वो भी काम है। एक माँ अपने परिवार और घर में रहने वाले लोगों की खुशी की पूरी जिम्मेदारी लेती है।

2). आपके जीवन में माँ का क्या योगदान है ?

माँ हर बच्चे के लिए पहली शिक्षक(गुरु) होती है, जिससे बच्चा सम्मान करना, देखभाल करना, बोलना सीखता है, और बच्चा माँ के कारण ही दुनिया देख सकता है।

3). मेरी माँ मेरे लिए क्या क्या करती है ?

मेरी प्यारी माँ हमारे परिवार का अच्छी तरह से ख्याल रखती है। वह हमेशा कुछ खास और स्वादिष्ट भोजन और स्वादिष्ट व्यंजन बनाती है। जिसे हमने अपने घर में इसका भरपूर आनंद लिया।

4). क्यों माँ सबसे अच्छी होती है ?

माँ इस दुनिया में सबसे अच्छी होती है, क्योकि वह हमेशा बिना स्वार्थ हमसे बहुत प्यार करती है, और कभी बदले कुछ नहीं मांगती।

आशा करते है की आपको ये निबंध पसंद आया होगा। अगर आप भी अपनी माँ से दुसरो की मदद करना सीखे हो तो आप इसे जरूर अपने दोस्तों और अपने परिजनों को शेयर करना।

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Home » Essay Hindi » Essay On Mother In Hindi माँ का महत्व पर निबंध

Essay On Mother In Hindi माँ का महत्व पर निबंध

यह आर्टिकल Essay On Mother In Hindi माँ का महत्व पर निबंध (Maa Par Nibandh) पर है। “माँ” शब्द का महत्व दुनिया में सबसे प्यारा है। माँ की दुलार और ममता दुनिया के दो अनमोल रत्न है। 9 महीने अपने कोख में पालने वाली माँ पर निबंध लेखन के बारे में जानने का प्रयास इस पोस्ट “Importance Of Mother In Hindi” में करेंगे। माँ का महत्व हर धर्म की किताबों में मिल जाता है। माँ के पैरों तले जन्नत मानी गयी है। तो आइये दोस्तों, माँ के बारे में बात करते है।

किसी को घर मिला, किसी के हिस्से दुकान आयी। में घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से माँ आयी। – मुन्नवर राणा

माँ का महत्व पर निबंध Essay On Mother In Hindi

कोई औरत माँ ( Mother ) तब बनती है, जब उसे कोई “माँ” कहता है। माँ शब्द किसी भी स्त्री के लिए गौरव की बात होती है। जब बच्चा माँ कहकर बुलाता है, तो वो क्षण उसके जीवन में अनमोल होता है। माँ की ममता की तुलना ईश्वर से की जाती है। जो कष्ठ और पीड़ा माँ अपने बच्चे के लिए सेहती है, वो दुर्लभ है। माँ को मदर, मम्मी, अम्मी या माता भी कहा जाता है और हर शब्द से ममता ही बाहर आती है।

माँ के बारे में यह भी कहा जाता है कि ईश्वर हर एक के साथ नही रह सकता है, इसलिए उसने माँ बनाई। माँ का प्यार अनमोल होता है, जो खुशनसीब लोगो को मिलता है। बच्चें का रोना सुनकर माँ सहम जाती है और उसे अपने सीने से लगा लेती है।

दुनिया की नजर में आप सही या गलत हो सकते है लेकिन माँ की नजर में केवल आप सही ही होते है। अपने बचपन के दिन याद कीजिये जब आपकी माँ आपको लौरी गाकर सुनाती थी। आपकी हर छोटी मोटी जरूरत का ख्याल रखती थी। रात भर सिर्फ आपके लिए जगी रहती थी। आपके लिए दुनिया में किसी से भी लड़ने को तैयार रहती थी। बाप की डांट खाकर माँ की ममता भरी गोद में आप सो जाते थे। आज उसी माँ को कई बच्चे आश्रम छोड़कर आ जाते है।

यह सार्वभौमिक सत्य है की माँ (Mother) निःस्वार्थ भाव से अपने बच्चे को पालती है। बचपन में स्कूल जाने के लिए आपका टिफिन तैयार करती है। स्कूल के लिये तैयार होने में माँ भरपूर सहयोग करती है। बच्चा अपनी माँ के मार्गदर्शन में ही जीवन में आगे बढ़ता है। आपको अच्छे संस्कार माँ से ही मिलते है।

माँ का महत्व Importance Of Mother In Hindi –

माँ पर निबंध (Essay On Mother In Hindi) – दुनिया में हर इंसान का अस्तित्व माँ से ही है। प्रसव की भयंकर पीड़ा सहकर वो हमें जन्म देती है। हम बड़े होने पर माँ को पीड़ा पहुचाते है और हमे शर्म भी नही आती है।

किसी भी बच्चे के लिए माँ केवल माँ नही होती है वो एक शिक्षक और दोस्त भी होती है। किसी भी बच्चे के लिए उसकी पहली टीचर माँ होती है। हमारी परवरिश की जिम्मेदार माँ ही होती है। बचपन से लेकर अब तक हमारा लालन पालन माँ ही करती है। उसी के साये तले हम अच्छे और बुरे में फर्क करना सीखते है। हम बीमार होते है, तो हमारा ख्याल माँ ही रखती है। किसी ने भी क्या खूब कहा है कि –

मेने ईश्वर को नही देखा लेकिन माँ को देखा है। शायद ईश्वर ऐसा ही होगा।

सूर्योदय से पहले माँ उठ जाती है और घर का सारा काम करती है। आपके लिए चाय बनानी हो या खाना तैयार करना हो, माँ बिल्कुल भी काम से नही झिझकती है।

माँ पर निबंध Maa Par Nibandh –

Essay On Mother In Hindi माँ का महत्व पर निबंध – माँ त्याग की मूरत होती है। जब वो पत्नी बनकर ससुराल आती है, तो अपने घर का त्याग करती है। बच्चे के लिए अपने स्वार्थ और अहम का त्याग करती है। बच्चे के लिए ढाल बनकर हमेशा तैयार रहती है। कभी कभी माँ के प्यार और दुलार के साथ डांट भी मिलती है। वो डांट भी माँ का प्यार ही है जो हमें सही रास्ते पर लाता है।

माँ के दिल को कभी ठेस नही पहुंचानी चाहिए। माँ का कर्ज आप अपनी पूरी जिंदगी में भी नही चुका सकते है। ममता से भरी माँ के लिए पूरे साल में एक दिन मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है। आपके लिए हर दिन माँ का दिन होना चाहिए क्योंकि आपकी माँ भी आपसे हर दिन प्यार करती है। क्या माँ अपने बच्चे के लिए प्यार दर्शाने का एक दिन निश्चित करती है? माँ पूरी जिंदगी अपने बच्चों को देने में बिता देती है और बदले में कुछ भी नही मांगती। इसलिए माँ के प्रेम को निःस्वार्थ माना जाता है।

चलती फिरती आंखों से अजां देखी है, मैंने जन्नत तो नही देखी माँ देखी है। – मुन्नवर राणा

यह भी पढ़े – 

  • भारत देश पर निबंध
  • मेरा गाँव पर निबंध
  • माँ के बारे में रोचक तथ्य

नोट – इस पोस्ट Essay On Mother In Hindi में माँ का महत्व पर निबंध कैसा लगा। माँ पर निबंध (Maa Par Nibandh) पर यह आर्टिकल “Importance Of Mother In Hindi” अच्छा लगा हो तो इसे शेयर भी करे।

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माँ का महत्व पर निबंध – Essay on Mother in Hindi

माँ पर निबंध | माँ का महत्व पर निबंध | essay on mother in hindi.

Best Essay on Mother in Hindi - Maa

बच्चों , जब आपको चोट लगती है तो सबसे पहले जिसकी याद आती है वह कौन है ? और किसे सुनाई थी आपने अपनी तोतली जुबान में पहली कविता ? और कोई नहीं, वह माँ ही तो है। जरा सोचो, अगर माँ सुबह जल्दी आपको न उठाए तो आप स्कूल कैसे पहुँच पाएंगे।

माँ ही तो है जो आपकी हर छोटी से छोटी जरूरत के लिए कई – कई बार टोकती है। किस व्यक्ति या वस्तु के प्रति कैसा दृष्टिकोण होना चाहिए, कैसे लोगों का आदर सम्मान करना है यह आपको माँ ही तो बताती है। धार्मिक एवं नैतिक मूल्यों का ज्ञान भी सर्वप्रथम माँ से ही मिलता है। नैतिक मूल्यों की शिक्षा, सिद्धांतवादी बनना और अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा इत्यादि सभी ज्ञान माँ ही सबसे पहले देती है।

माँ के कारण ही आपमें आत्मसम्मान की भावना पनपती है। आपको अपनी विशेषता का पता चलता है। जिंदगी में आगे चलकर आप जो कुछ बनते हैं उसमें सबसे अहम् भूमिका माँ की ही होती है। सर्वप्रथम माँ ही आपकी आदर्श गुरु बनती है साथ ही जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पाठ अपनी अनुभव की किताब से माँ ही सिखाती है।

व्यापक संदर्भों में देखें तो प्रात: से सायं तक दैनिक चर्या मेें हमें नित्य सावधान रखने वाली माँ ही है। अपने असीम प्रेम से हमारे अवगुणों को गुणरूप में परिवर्तित करके माधुर्य और चन्दन का रूप देने वाली वात्सल्यमूर्ति उदार-हृदया माँ ही है। विषम परिस्थितियों में भी मेरु पर्वत के समान निश्चल रहकर धैर्य का पाठ पढ़ाने वाली वात्सल्यवारिधि माँ ही हैं। अपने आध्यात्मिक ज्ञान से मानव जीवन की प्रतिकूलताओं को अनुकूलता में बदलने की सदा शिक्षा देने वाली ज्ञानमूर्ति माँ ही हैं। इस धरती पर इन्सान के रूप में माता-पिता, भाई-बहन, गुरु एवं भगवान के रूप में निरंतर साथ रहने वाली माँ ही हैं।

मां प्राण है, मां शक्ति है, मां ऊर्जा है, मां प्रेम, करुणा और ममता का पर्याय है। मां केवल जन्मदात्री ही नहीं जीवन निर्मात्री भी है। मां धरती पर जीवन के विकास का आधार है। मां ने ही अपने हाथों से इस दुनिया का ताना-बाना बुना है। सभ्यता के विकास क्रम में आदिमकाल से लेकर आधुनिककाल तक इंसानों के आकार-प्रकार में, रहन-सहन में, सोच-विचार, मस्तिष्क में लगातार बदलाव हुए। लेकिन मातृत्व के भाव में बदलाव नहीं आया। उस आदिमयुग में भी मां, मां ही थी। तब भी वह अपने बच्चों को जन्म देकर उनका पालन-पोषण करती थीं। उन्हें अपने अस्तित्व की रक्षा करना सिखाती थी। आज के इस आधुनिक युग में भी मां वैसी ही है। मां नहीं बदली। विक्टर ह्यूगो ने मां की महिमा इन शब्दों में व्यक्त की है कि एक मां की गोद कोमलता से बनी रहती है और बच्चे उसमें आराम से सोते हैं।

माँ ही ईश्वर से जोड़ती है, गुरु से मिलाती है। इसीलिए माँ को भारतीय संस्कृति में देवी स्वरूप स्थान प्राप्त है। उसमें धैर्य है, करुणा है। अपनाने का साहस है। त्यागने का जज्बा है। देखा होगा अपने घर में कि सभी लोगों को खिलाने के बाद ही माँ खाती है। व्यंजन कितना भी स्वादिष्ट क्यों न हो, पर उसे खाने से पहले खिलाने में संतुष्टि मिलती है। तभी तो कहा गया है कि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं-

सदियों से कवियों और लेखकों द्वारा माँ कि ममता पर अनमोल कथन कविता और सुविचार कहें जाते रहें है जो ये बताता है कि माँ और उसकी ममता सभी के लिए एक जैसी होती है। माँ का कोई धर्म नहीं होता। वह हर एक के जीवन में बड़ी स्पेशल होती है और उसकी जगह कोई भी नहीं ले सकता है। वेदों और पुराणों में भी ये व्यक्त है कि सबसे ऊपर भगवान और गुरु होते हैं लेकिन उनसे भी ऊपर माता पिता होते हैं और उनमे “माँ” सर्वोपरि है । माँ – गुरु भी है और एक बच्चे के लिए भगवान भी और अगर ज़रूरत पड़ती है तो वो पिता की तरह लालन पालन करने में भी अपने आपको सक्षम बना लेती है। 

हर बच्चे के लिए उसकी मां लाइफलाइन होती है चाहे वह पांच महीने का हो या पचास साल का। मां पास हो या न हो उसका अहसास उसके दिल में रहता है। माँ से सदा प्यार व शक्ति दोनों मिलते रहते है । 

हमारे प्रसिद्ध धर्म शास्त्रों में मनुस्मृति का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है और इसके रचयिता राजऋषि मनु के विचार सर्वमान्य हैं। माँ की महिमा के संबंध में मनुस्मृति का (2/145) का यह श्लोक अनुकरणीय है- उपाध्यायान् दशाचार्य आचार्याणां शतं पिता। सहस्रं तु पितृन् माता गौरवेणातिरिच्यते। अर्थात दस उपाध्यायों से बढ़कर एक आचार्य होता है, सौ आचार्यों से बढ़कर पिता होता है और पिता से हजार गुणा बढ़कर माता गौरवमयी होती है। गीता में भी कहा गया है कि ‘‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।’’ अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।

इस दुनिया में किसी भी चीज को माँ की ममता से नहीं तोला जा सकता। मातृत्व दुनिया के लिए सबसे बड़ा वरदान है । माँ को बलिदान का प्रतीक माना जाता है और वह अपने बच्चों पर निस्वार्थ भाव से प्यार जताती है । वही तो है जो अपने गर्भ में पलने वाले शिशु को पूरे नौ माह तक ढ़ोती है और ग्रहस्थी का सारा काम करती है। संसार में माँ के सिवा कोई इतना धैर्यवान और सहनशील नहीं है इसलिए माँ से बढ़ कर इस संसार में कोई और नहीं। सचमुच! रिश्ता जन्म से मिलता है मगर माँ हमें पहले ही मिल जाती है।

माता ही प्रथम गुरु है :-

माँ और बच्चे का रिश्ता इस संसार में सबसे अधिक भावनाओं से भरा होता है। तभी तो माँ के पेट से जन्म लेने से पहले ही वह  बच्चे को तालीम देना शुरू कर देती है। और माएँ जो तालीम देती हैं, वह नंबर एक की तालीम होती है। और जब तक माँ मौजूद है, तब तक बच्चों को ज्ञान मिलता रहेगा। परेमश्वर की योजना ही ऐसी है बनी है कि जहाँ उसने बच्चे को भूख दी, वहाँ माँ के स्तन में दूध भी पैदा किया। बच्चे को भूख के साथ माँ को दूध पिलाने की प्रेरणा दी। इस तरह बचपन से माँ के जरिये प्रेम की तालीम दी जाती है।

बच्चों को मातृभाषा सिखाने के लिए सरकार कितने करोड़ रुपये खर्च करती है। लेकिन माँ तो दूध पिलाते-पिलाते बच्चे को मातृभाषा सिखाती है। दुनियाभर के बच्चे माँ से भाषा सिखते हैं। माँ बच्चे से कहती है कि ‘वह देखो चाँद !’ बच्चा सुनता है। माँ फिर उससे पूछती है कि ‘चाँद किधर है, बताओ।’ वह परीक्षा लेती है। बच्चा अँगुली से बताता है कि चाँद वहाँ है। बाद में वह बोलने लगता है। ‘च, च, च, न, द’ और फिर चाँद-चाँद कहता है। याने पहले वस्तु ग्रहण करता है, फिर बोलता है। यह जो सारा ज्ञान है, भाषा सीखने का ज्ञान है, क्या वह विद्यालयों की शिक्षा से कम है ? दो-ढाई साल में शून्य में से जो ज्ञान पैदा किया जाता है और माताएँ ही यह सब करती हैं।

शिक्षण-शास्त्री अनुभव और निरीक्षण से कहते हैं कि बच्चे को शुरू के साल-दो साल में जितना ज्ञान मिलता है, उतना ज्ञान आगे की सारी जिन्दगी में नहीं मिलता। इसलिए दुनियाभर के लोगों ने माना है कि माताएँ जब संस्कारवान बनेंगी, तभी दुनिया बचेगी। इसलिए सबसे प्रथम और सबसे श्रेष्ठतम गुरु तो माता है।

सदाचार की प्रतिमूर्ति :-

माताओं ने ही दुनिया में सदाचार जिन्दा रखा है, इसलिए उन पर बच्चों की जिम्मेवारी होती है। अच्छी आदतें डालना और प्रेम, सेवा, त्याग, अनुशासन सब कुछ बच्चे को उसकी मां ही सिखाती है। बच्चे के विकास में उसके पिता की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता। लेकिन मां सिर्फ़ दिमाग़ ही नहीं दिल के सहारे भी अपने बच्चे को संभालती है। इसलिए वह बच्चे के जीवन में दोस्त बन कर उसके सुख दुःख में शामिल होकर जीवन का पाठ पढ़ाती है।

बच्चे की सुरक्षा कवच :-

इस संपूर्ण संसार में विधाता के बाद अगर कोई सर्वश्रेष्ठ चीच बच्चें के लिए बनी है तो वो सिर्फ और सिर्फ माँ है। माता, जननी, माई, धात्री, महतारी एवं माँ के रूप में वह ईश्वर है या ईश्वर से भी बढ़कर है। कहते हैं कि ईश्वर हर जगह नहीं पहुंच सकता इसीलिए उसने मां बना दी। जो हर किसी की होती है, हर किसी के पास होती है। शारीरिक उपस्थिति मां के लिए मायने नहीं रखती। वह होती है तो उसकी ईश्वरीय छाया सुख देती है जब ‘नहीं’ होती है तब उसके आशीर्वादों का कवच हमें सुरक्षा प्रदान करता है।

एक माँ अपने बच्चे के लिए किस हद तक जा सकती है इसका अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि जब वो बच्चा इस दुनिया में भी नही आया होता है उसके पहले से ही उसकी माँ उसको अपने खून से सींच रही होती है। मां का प्यार दुनिया में सबसे सच्छा होता है और मां के प्यार में कभी भी धोखा नहीं मिलता ।

परन्तु आज के समय में मां की भूमिका और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है। बदलते परिवेश में अपने बच्चे को सही शिक्षा देना किसी चुनौती से कम नहीं। माएं कामकाजी हो रही हैं इसीलिए काम के साथ-साथ उसे अपने बच्चों का भी ख्याल रखना है। वह खुद तो कामकाजी हैं ही, अपनी बेटी को भी उसी कामयाबी और बुलंदी पर पहु्ंचाने की भरसक कोशिश में लगी रहती हैं। एक मां जिंदगी के आखिरी वक्त तक अपने बच्चों को हर खुशी और हर कामयाबी को छूने में मदद करती है।  हमारे बुरे समय में उम्मीद की झलक देती है। वो हमारे हर सुख-दुख का कारण जानती है और कोशिश करती है कि हम हमेशा खुश रहें। इसलिए वह त्यागमूर्ति, ममतामयी, पूजनीय कही जाती है।

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MY MOTHER ESSAY IN HINDI

मेरी प्यारी माँ पर सुंदर सा निबंध (MY MOTHER ESSAY IN HINDI)

 मेरी माँ पर निबंध (My Mother Essay in Hindi):   माँ शब्द से हर कोई रूबरू है। इस माँ शब्द का मतलब उसकी ममता है जो अपने बच्चों को देती है। क्योंकि माँ के द्वारा दिये गए हमारे जीवन का अर्थ सिर्फ माँ ही है।

आज हम मातृ दिवस पर दिये जाने वाले भाषण और निबंध को आपके लिए लेकर आए है जिसे आप अपने विद्यालय में प्रस्तुत कर सकते है। हमारे इस लेख में आपको Happy Mother’s Day Speech , Maa Par Kavita , Maa Shayari और मेरी माँ पर निबंध मिलेगा। ऊपर लिखे सभी विषय आपको इस लेख में सरल और मधुर शब्दों में मिल जाएगा जिसके लिए आपको हमारे दिये गए संपूर्ण लेख को पढ़ना होगा। तो चलिए माँ निबंध के इस लेख को पढ़ना शुरू करते हैं।

Mothers Day Kab Hai 2022

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  • मेरी माँ पर बड़े तथा छोटे निबंध
  • मेरे जीवन में मेरी माँ का महत्व पर निबंध
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  • My Mother Essay in Hindi 2022

My Mother Essay in Hindi

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कहते है की माँ भगवान का रूप होती है क्योंकि इस विश्व की रचना भगवान ने की है और धरती पर एक परिवार की रचना एक माँ करती है इसलिए तो माँ भगवान का रूप होती है। माँ एक बच्चे को नौ महीने अपनी गर्भ में रखती है और ध्यान रखती है की उसके बच्चे को गर्भ के अंदर भी किसी भी वजह से उसे पीड़ा ना पहुंचे। नौ महीने एक माँ उस पीड़ा को सहन करती है जो असहनीय होती है। कहते है उस माँ के अंदर सहने की क्षमता वो ईश्वर देता है और वो माँ अपने बच्चे को गर्भ में ही अपना संसार मानती है इसलिए जन्म से होने वाली असहनीय पीड़ा को वो सहन करती है।

इस दुनिया में आते ही बच्चा सबसे पहले अपनी माँ का चेहरा देखता है। जब वह बच्चा नौ महीने उस माँ की गर्भ में था तो उसे सिर्फ अपनी माँ की धड़कन का एहसास था और जब इस दुनिया में आया तो सबसे पहले वह अपनी माँ के गले लगता है और जब बच्चा रोता है तो माँ उसे गले लगाकर चुप कराती है क्योंकि माँ के गले लगाने पर बच्चा सबसे पहले चुप होता है। जब बच्चा गर्भ में था तो उसे अपनी माँ की धड़कन का एहसास था और वो अपनी माँ की धड़कन को सुनते ही चुप हो जाता है इसलिए माँ बच्चे के लिए भगवान होती है।

हमने आपके लिए माँ पर भाषण पेश किया है क्योंकि आप और हमारे जीवन में माँ का सबसे बड़ा महत्व है। हमारे जीवन का अस्तित्व है ‘माँ’ हमारे जीने की वजह है इसलिए जो भी माँ का महत्वपर निबंध हमने आपके लिए लिखा है वो बहुत ही महत्वपूर्ण और खास है इसलिए हमारे द्वारा लिखे गए इस my mother essay in hindi को आप अवश्य पढ़े। क्या पता शायद essay on my mother in hindi language में पढ़ने से आपको कुछ नया एहसास अपनी माँ के लिए हो। इसलिए हम आपसे इसे पढ़ने के लिए बोल रहे है तो देखते है कि इस निबंध, कहानी तथा माँ पर कविता में ऐसा क्या खास है।

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Essay on Mother in Hindi

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आज हम सब उस व्यक्ति की बात करने जा रहे है जो हमारे जीवन का अस्तित्व है। हमारी प्यारी माँ .

माँ, जिसने हमे जन्म देकर हमारा जीवन बनाया, वो माँ जिसने खुद धूप में रहकर अपने बच्चों को छाव दी वो माँ जो खुद गीले में रहकर अपने बच्चों को सूखे में सुलाती है.

वो माँ जो हमारे उदास रहने पर पूछती है क्या हुआ बेटा तू इतना उदास क्यों है?

वो माँ जो हमे कभी रोता नहीं देख सकती है, वो माँ जो हमे चोट लगने पर भागी – भागी डॉक्टर के पास जाती है। हाँ वो सिर्फ एक माँ कर सकती है.

मेरी माँ के होने से मेरा जीवन है। मेरी माँ के होने से मेरी साँसे चलती है। वो सिर्फ मेरी माँ ही हैं.

दोस्तों, आपकी हमारी और सबकी प्यारी माँ जिस माँ ने हमे ज़िंदगी दी है उस माँ की बात कर रहे है।

ये मैंने माँ पर लाइन उस माँ के लिए लिखी है जिसने अपना सारा जीवन हमेशा अपने बच्चों पर नियोछावर किया है।

माँ पहले अपने बच्चों को खाना खिलाकर बाद में खुद खाती है। वो माँ जब हमारे घर लेट आने पर खुद रात भर बैठकर इंतजार करती है। हम सब की माँ जो हमे जीवन का वरदान देती है.

Meri Maa Essay in Hindi

मेरी माँ पर निबंध (500 शब्द):  मां को ऐसे ही भगवान का रूप नहीं कहा जाता है क्योंकि पृथ्वी पर ईश्वर हर जगह नहीं उपलब्ध हो पाता है, इसलिए उसने अपनी मौजूदगी को दर्शाने के लिए मां को बनाया है और मां के अंदर भर भर के ममता प्यार और स्नेह दिया है, ताकि वह ईश्वर की अनुपस्थिति में अपनी संतान का ख्याल रख सके।

मां का दिल बहुत ही दयालु होता है। यह सिर्फ अपने संतान के प्रति दयालु नहीं होता है बल्कि दुनिया के अन्य जीवों के प्रति भी यह दयालु ही होता है। मां से बड़ा दुनिया में आज तक कोई परोपकारी ना तो पैदा हुआ है ना कभी पैदा होगा। इसलिए भगवान भी कहते है कि मेरे दर्शन जो लोग कर पाने में सक्षम नहीं है, वह अपने माता पिता की सेवा कर लेते है तो मेरा आशीर्वाद उन्हें अवश्य प्राप्त होता है क्योंकि कहीं ना कहीं माता-पिता भी भगवान का ही प्रतिबिंब होते हैं।

जिस प्रकार संसार को चलाने की जिम्मेदारी भगवान के ऊपर है, उसी प्रकार अपनी संतान को पालने की जिम्मेदारी माता-पिता के ऊपर होती है। इसलिए संतान के पालनहार को मां कहा जाता है।

माता को ना तो धन से मोह होता है ना ही दौलत से मोह होता है, उसे सिर्फ अपनी संतान से मोह होता है और वह यही चाहती है कि उसकी संतान हमेशा खुश रहे और जिंदगी में तरक्की करें तथा सफलता की ऊंचाइयों को छुए।

माता हमेशा अपने बच्चे की और अपने परिवार की सेवा में लगी हुई रहती है फिर चाहे दिन हो या रात, वह कभी भी यह नहीं कहती है कि उसे थकान लगी है या फिर वह काम नहीं कर सकती है। यहां तक की बीमारी की अवस्था में भी वह अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन करती है और घर के सभी सदस्यों को खुश रखने का प्रयास करती है। मां जितना समर्पण कर सकती है उतना अन्य कोई व्यक्ति नहीं कर सकता है। इसीलिए मां को समर्पण और त्याग की मूरत कहा गया है।

लोग पुरुष को सबसे शक्तिशाली कहते हैं परंतु मेरी नजर में सबसे शक्तिशाली मां होती है, जो अपनी निडरता, बुद्धिमता, साहस और प्रेम भाव से सभी लोगों का दिल जीत लेती है। कहा जाता है कि एक नारी जब अपने सही रूप पर आती है तो वह 100 मर्दों के बराबर होती है और इसीलिए जगत जननी महाकाली को दुष्ट विनाशक कहा जाता है , क्योंकि वह भी एक स्त्री है परंतु इसके बावजूद उन्होंने अकेले ही कई दुष्टों का संहार किया था।

हर सामान्य नारी भी महाकाली के समान ही होती है और उसका यह रूप तब दिखाई देता है जब उसके परिवार के ऊपर या फिर उसकी संतान के ऊपर कोई आच जाती है।

माँ हमेशा अपनी संतान की ढाल बन कर के रहती है और अपने संतान की हर प्रकार से रक्षा करती है और बदले में ना तो वह कुछ मांगती है ना ही कुछ कहती है, उसकी सिर्फ एक ही मांग होती है वह है अपनी संतान का प्यार और इस दुनिया में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो बिना स्वार्थ के इतना सब कर सकें।

मां हमारे पैदा होने से लेकर के हमारे चलने तक हमारा ख्याल रखती है। इसके अलावा जब तक वह जिंदा रहती है तब तक उसके दिल और दिमाग में हमारा ही ख्याल रहता है। वह हमेशा यही सोचती रहती है कि मेरे बच्चे ने खाना खाया होगा या नहीं, मेरा बच्चा स्वस्थ होगा या नहीं, इत्यादि। इसलिए मां के चरणों में हमें रोजाना नमस्कार अथवा प्रणाम करना चाहिए और हमारा साथ देने के लिए उन्हें धन्यवाद कहना चाहिए।

M aa Par Nibandh

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मेरे माननीय प्रधानाचार्य जी और सभी अध्यापक एवं भाई बहनों को मेरा नमस्कार…।

यह दिन हम सब के लिए बहुत बड़ा दिन है। इस महान दिवस पर हम सब यहाँ एकत्रित हुये है और में इसका हिस्सा बना मुझे इसकी बहुत प्रसन्नता है.

हम सब अपनी माँ को सम्मान देने के लिए और उनके सभी आदर्शो का पालन करके उनके लिए हम इस दिन को मातृ दिवस के रूप में मानते है। मैं इस दिन पर अपनी प्रिय माँ के लिए कुछ शब्द यहाँ बोलना चाहता हूँ.

10 Lines on Mother in Hindi For Class 4, 5, 6

मेरी माँ जो सबसे पहले मुझे प्यार से सुबह उठाती है और उसी मीठी सी आवाज से मुझसे कहती है “उठ जा मेरे बेटे सुबह हो गयी” और जब वो मुझे उठाती है तो मेरी सुबह और दिन दोनों मेरे लिए सुखमय होते है.

वो सबका ध्यान रखती है। सुबह जल्दी उठकर पापा के दफ्तर जाने के लिए खाना बनाती है। मेरी बहनों और मुझे स्कूल के लिए तैयार करती है.

मुझे स्कूल छोड़ने जाती है, सबको अपने हाथों से खाना बनाकर खिलाती है। लेकिन सबका ध्यान रखते रखते वो अपना ध्यान रखना और खाना खाना भूल जाती है.

अपनी प्रत्येक ज़िम्मेदारी को प्रसन्नता पूर्वक निभाती है, मेरी दादी बोलती है बेटा तेरी माँ मेरे घर की लक्ष्मी है। तब मुझे बहुत खुशी होती है.

पापा कहते है तुम सबका खयाल रखती हो पर अपना ख्याल रखना भूल जाती हो।

मैं अपनी माँ की हर बात का पालन करता हूँ, उनका सम्मान करता हूँ क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है…

कहते है माता – पिता भगवान का रूप होते है और मेरे घर में तो साक्षात भगवान का निवास है.

माँ को हम पूजते है वो ही दुर्गा, लक्ष्मी, काली सबका रूप होती है.

वो हमे अच्छी अच्छी सीख देती है और कहती है कि अपने से बड़ों का हमेशा पालन करो। जब मेरी बहन मुझसे लड़ती है तो माँ बोलती है तुम दोनों अच्छे बच्चे हो और अच्छे बच्चे कभी लड़ते नहीं है.

मेरी प्यारी माँ सबको हमेशा प्यार देती है और वो हमेशा मेरा ध्यान से होमवर्क कराती है और कहती है कि कभी भी गलत रास्ते पर नहीं चलना चाहिए हमेशा सत्य के रास्ते पर चलना चाहिए और हमेशा सत्य बोलना चाहिए इसलिए माँ भगवान का रूप होती है.

माँ पूरे परिवार को बनाती है और उसी माँ के बिना पूरा परिवार अधूरा है इसलिए अपनी माँ के सत्य वचनों और आदर्शों का पालन करे.

Maa Par Kavita Hindi Mein (Essay on Meri Maa in Hindi)

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मदर्स डे के लिए बहुत ही सुंदर और अनोखे शब्दों में हमने आपके लिए ये माँ पर कविताएं  लिखी है तो आप इसे जरूर पढ़े.

My Mother Poem in Hindi

भावुक कर देने वाली माँ पर कहानी.

आज मैं आपको माँ के ऊपर भावुक कर देने वाली कहानी सुनाने जा रहा हूँ। इस कहानी को आप पूरा पढ़े और शायद ये आपको भावुक भी कर सकती है.

एक माँ जिसका एक बेटा था जिसे वह बहुत प्यार करती थी उसका बच्चा छोटा था और उस बच्चे के पिता की मृत्यु हो गयी और उस छोटे बच्चे के सर से पिता का साया चला गया लेकिन पिता की कमी उसकी माँ ने पूरी की और बच्चे को अच्छी परवरिश देने के लिए पूरी मेहनत की.

पिता की मृत्यु होने के बाद उस बच्चे की माँ के पास पैसे नहीं थे पर फिर भी उस माँ ने घर घर में जाकर बर्तन धोना शुरू कर दिया और अपने बच्चे को पढ़ाया और उसे अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाया.

माँ अपने बच्चे और अपना पेट पालने के लिए रोज घरों में बर्तन धोया करती थी और बच्चे को इसी तरह पढ़ा लिखा कर बड़ा किया.

जब बच्चा धीरे धीरे बड़ा होने लगा तो उसे इस बात से बुरा लगने लगा की उसकी माँ घरों में जाकर बर्तन धोती है।

उसे अपने दोस्तों और लोगों के सामने यह बताने में शर्म आने लगी की यह उसकी माँ है।

लेकिन उसकी माँ को इस बात से कभी भी बुरा नहीं लगता था की उसका बेटा सबके सामने उसे अपनी माँ कहने में हिचकिचाता है इसलिए तो कहते है माँ जो कभी बच्चों की किसी भी बात पर नाराज नहीं होती है.

जब बेटा बड़ा हो गया उसके बेटे ने अपनी शादी कर ली उस माँ के लिए एक बहू आ गयी अब उसकी माँ बूढ़ी हो गयी थी और उस बूढ़ी माँ के लिए बहू तो आई लेकिन वो भी बहुत चालाक बहू थी.

बहू घर पर हमेशा आराम करती और उस बूढ़ी माँ से सारा काम करवाती थी।

उस माँ की उम्र हो चुकी थी लेकिन फिर भी बूढ़ी माँ धीरे धीरे सारा काम करती और सुबह उठकर झाड़ू, पोछा, बर्तन मांजना, नास्ता बनाना सब कुछ वही करती थी।

फिर भी उस बूढ़ी माँ को अपने बहू और बेटे से कोई शिकायत नहीं थी.

जब उस बूढ़ी माँ के बहू के बेटा हुआ तो वो बूढ़ी माँ बहुत खुश हुई।

वो बूढ़ी माँ जो दिन और दिन बूढ़ी होती जा रही थी जो अब ठीक से खड़े होने के लिए सहारा लेने लगी थी अब उस माँ के लिए और भी काम हो गया था इसलिए अपने बूढ़े शरीर की वजह से वो ठीक से काम नहीं कर पा रही थी.

उस बूढ़ी माँ का बेटा उससे कहता था तुम ठीक से कुछ भी काम नहीं करती हो और ना ही सुबह जल्दी खाना तैयार करती हो मुझे दफ्तर के लिए देर हो जाती है इस वजह से बहू ने भी माँ को डांट दिया.

उस बूढ़ी माँ की तबियत बहुत खराब थी और किसी को भी इस बात की कोई परवाह नहीं थी की वह बीमार है.

एक दिन अचानक उस बूढ़ी माँ का चश्मा गिर कर टूट गया जिसकी वजह से अब वह ठीक से देख भी नहीं पा रही थी। उन्होंने अपने बेटे से कहा मेरा चश्मा टूट गया है बेटा चश्मा बनवा दे।

बेटे ने कहा तुम्हारे फालतू खर्चे के लिए मेरे पास पैसे नहीं है और कह दिया और भी बहुत सारे काम है और वो बूढ़ी माँ बिना चश्मे के काम करती थी और एक दिन जब वह सीढ़ियों से उतर रही थी और अचानक गिर गयी.

अब इसकी वजह से वह चल फिर भी नहीं पा रही थी और बहू का उस बूढ़ी माँ का काम करना पड़ रहा था और बेटे का खर्चा बढ़ गया उसकी माँ के गिरने और बीमार पड़ने की वजह से अब वह बूढ़ी माँ उन दोनों को बोझ लगाने लगी.

पहले वह कम से कम घर का सारा काम कर देती थी लेकिन बहू और बेटे को उनका सारा काम करना पड़ रहा था।

उस बहू और बेटे ने उस माँ को मारने की साजिश बना ली और एक दिन जब रात में सब सो रहे थे तो उन दोनों ने अपनी माँ को मार दिया लेकिन उससे पहले बूढ़ी माँ ने पानी पीने के लिए गुजारिश की अपने बेटे से लेकिन उस ने उस बूढ़ी माँ को पानी तक नहीं पिलाया.

उन दोनों ने सबसे बड़ा अपराध किया था जिसकी उनको सजा भी मिली…

दोस्तों, कभी भी अपनी माँ के साथ ऐसा मत करना क्योंकि कभी कभी लोग अपना फर्ज भूल जाते हैं और अपने माता पिता की सेवा नहीं करते। आज की नयी युवा पीढ़ी ये भूलती जा रही है.

माँ और पिता बच्चे को जन्म देकर उनका पालन पोषण करते है उनको पैरो पर खड़े होने लायक बनाते है लेकिन बच्चे ही अपना फर्ज भूल जाते है.

हमने जो माँ पर कहानी बताई है क्या आपको उस कहानी में कुछ भी सत्य लगता हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताए.

मां के बारे में क्या लिखें

अपनी मां से काफी ज्यादा प्यार करता हूं, क्योंकि वह हमेशा किसी भी प्रकार की परिस्थिति में मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर के खड़ी रहती है और वह बिना किसी स्वार्थ के मुझे प्यार करती है। माँ ही मेरी पहली शिक्षक होती है जो मुझे जन्म से लेकर के तब तक सही राह दिखाती है, जब तक वह जिंदा होती है यानी कि हमारे साथ होती हैं।

मां हमें पैदा करने के लिए अनेक प्रकार के दर्द सहती है। यहां तक कि वह अपनी सुंदरता को भी हमारे लिए ही गवा देती है परंतु इसके बावजूद उन्हें जरा सा भी अफसोस नहीं होता है, बल्कि वह तो और भी खुश होती है कि उनकी कोख से कोई संतान पैदा हुई है।

जब हम पैदा होते है तो उसके पहले से ही मां हमारे खाने पीने का ध्यान रखती है और पैदा होने के बाद वह हमारा और भी ध्यान रखने लगती है। उसके दिल और दिमाग में हर दम हम ही रहते हैं। वह समय से हमारी सेवा करती है और हमारी मालिश करती है और अपने व्यस्त समय से टाइम निकाल कर के वह हमारा ख्याल रखती है। जब हम रात में सोते नहीं है तो वह हमें रात भर जागकर के लोरियां या फिर कहानियां सुना कर के सुलाने का प्रयास करती है और उसके बाद ही खुद सोती है। हमें हमेशा अपनी मां को खुश रखने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि उनसे बड़ा हितकारी हमारा दुनिया में दूसरा कोई नहीं है।

इस लेख में हमने आपको सब कुछ बताया है। इसमें आपके Speech on Mother in Hindi, Essay on my Mother in Hindi देने के समस्या तथा Maa Poem in Hindi के लिए होने वाली परेशानी को आसानी से दूर कर दिया। इसमें हमने आपको माँ के उन सभी फर्ज और कर्तव्य को बताया है जो एक माँ हमेशा निभाती है और आप भी अपने माँ तथा पिता के प्रति कर्तव्यों को निभाएंगे। मेरी माँ तो मेरे ज़िंदगी है आप अपनी माँ से कितना प्रेम करते है वो आप कमेंट में बताए और इस लेख को सभी के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करे।  ( MY MOTHER ESSAY IN HINDI )

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Mother’s Day Essay in Hindi: यहां देखें मातृ दिवस पर छोटे और बड़े हिंदी निबंध

Mother’s day 2024: मातृ दिवस पर छोटे और बड़े निबंध लिखने के लिए यहाँ देखें आसान और प्रभावशाली उदहारण। .

Gurmeet Kaur

Mother's Day Essay: मातृ दिवस पर निबंध

Mother’s day essay 10 lines (मातृ दिवस पर 10 पंक्तियाँ ).

1. अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस सभी माताओं के सम्मान और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।

2. हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है।

3. अमेरिका में सबसे पहले 1908 में मातृ दिवस मनाया गया था।

4. माँ हमारे जीवन का आधार होती हैं, जिसके प्यार और त्याग के बिना हम अधूरे हैं।

5. हम माँ के लिए सुंदर कार्ड बनाकर या उनकी पसंद का तोहफा देकर इस दिन को उनके लिए खास बना सकते हैं।

6. मातृ दिवस हमें माँ के महत्व को याद दिलाता है और उनके प्रति कृतज्ञता जताने का अवसर देता है।

7. माँ के हाथों से रोपे गए संस्कारों के बीज ही हमें एक अच्छा इंसान बनाते हैं।

8. हमें हमेशा माँ की बात माननी चाहिए और उनकी इच्छा का सम्मान करना चाहिए।

9. माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए सिर्फ एक दिन ही काफी नहीं बल्कि हमें अपना हर दिन माँ को समर्पित करना चाहिए

Mother’s Day Essay 100 Words: मातृ   दिवस   पर   निबंध   150 शब्द

“माँ” शब्दों में बयां नहीं हो पाने वाला स्नेह, त्याग और ममत्व का प्रतीक रिश्ता है। मातृ दिवस उन महान हस्तियों को समर्पित है जिन्होंने जीवन को जन्म दिया, उसे संवारा और अनंत प्रेम से सींचा।

“माँ शब्द में छिपा है अनंत प्रेम, 

जिसकी थाह ना पाए कोई गगन, धरती, तारक, सितारे।

माँ वो है जो देती है जीवन का आधार, 

हर सुख-दुःख में रहती है सदैव हमारे साथ।”

माँ का हृदय प्रेम का सागर है, त्याग का महासागर है, और ममत्व का ब्रह्मांड है। यह वो रिश्ता है जो जन्म के पहले से शुरू होकर, जीवन भर हमारा साथ निभाता है। माँ का स्पर्श ही वो जादू है जो हमारे हर ग़म को दूर करने का सामर्थ्य रखता है वह हर कदम पर हमारा मार्गदर्शन करती है और हमें सदैव सफलता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। माँ के हाथों का बना भोजन किसी स्वादिष्ट व्यंजन से कम नहीं होता।

Mother’s Day Essay 250 Words: मातृ   दिवस   पर   निबंध  2 50 शब्द

संसार में जितने भी रिश्ते हैं, उनमें माँ का रिश्ता सबसे पवित्र और अमूल्य है। "माँ" शब्द ही प्रेम, त्याग और ममत्व का पर्याय है। हमारे जन्म के पहले से शुरू होने वाला यह रिश्ता आखिरी सांस तक बना रहता है। माँ का प्यार अमृत के समान मीठा और जीवनदायी होता है।

माँ शब्द सुनते ही बचपन की वो मीठी यादें ताजा हो जाती हैं, जब माँ की गोद ही हमारा सारा संसार होती थी। माँ ही हमारे जीवन की पहली गुरु होती है, जो हमें चलना, बोलना और सही-गलत में अंतर करने का ज्ञान देती है। माँ के कोमल स्पर्श में हमारे हर ग़म को मिटाने का जादू है। जीवन के किसी भी चरण पर असफलता की ठोकर खाने पर माँ की प्यार भरी आँखों में हमें सहारा मिलता है और हर सफलता पर उसका गर्व ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

माँ का त्याग किसी सागर से कम नहीं होता। वह अपने सपनों को ताक पर रखकर सिर्फ हमारे सपनों को साकार करने के लिए निरंतर प्रयास करती है। वह बिना किसी स्वार्थ के हमारे सुख-दुःख में सदैव हमारे साथ खड़ी रहती है।

मेरे लिए, मेरी माँ मेरी सबसे बड़ी शिक्षिका और समर्थक हैं। वह जीवन की चुनौतियों से गुजरने में मेरा मार्गदर्शन करती हुई सदैव मेरे लिए मौजूद रही हैं।

हर साल आने वाला मातृ दिवस हमें माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक सुअवसर प्रदान करता है।  इस दिन हम कुछ खास करके, उन्हें प्यार से गले लगाकर या उनकी पसंद का कुछ करके उन्हें खुश कर सकते हैं। हालाँकि हमें हर दिन को मातृ दिवस की तरह मानाना चाहिए, और हमेशा अपनी माँ के प्यार और त्याग को संजोना और उनकी सराहना करनी चाहिए। आइए मातृ दिवस के इस शुभ अवसर पर दुनिया भर की सभी माताओं का सम्मान करें और उनके अटूट प्यार और समर्थन के लिए उनका धन्यवाद करें।

Mother's Day Poems in Hindi: मातृ दिवस पर छोटी और बड़ी कविताएं 

अपने भावों को और गहराई देने के लिए नीचे दी गयी पंक्तियों को अपने निबंध में शामिल करें:

1. तू धूप से छाँव,

तू रातों का दिया,

तेरे आशीर्वाद से,

हर सपना हुआ पूरा।

2. शाश्वत है प्रेम मां का कोई नहीं है जोड़ उसका, क्या लिखें शब्द नहीं हैं इतना है, आदर जिसका।

3. सर्द हवाओं के बीच, गुनगुनी धूप होती है। डूब रही मन की नौका, सबल पतवार होती है। पतझड़ में जो मधुमास खिला दे, वह जीवनदायिनी मां होती है।

4. हमारे हर मर्ज की दवा होती है माँ…. कभी डाँटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है माँ….. हमारी आँखोँ के आंसू, अपनी आँखोँ मेँ समा लेती है माँ….. अपने होठोँ की हँसी, हम पर लुटा देती है माँ…… हमारी खुशियोँ मेँ शामिल होकर, अपने गम भुला देती है माँ…. जब भी कभी ठोकर लगे, तो हमें तुरंत याद आती है माँ।

5. घुटनो से रेंगते रेंगते कब पैरो पर खड़ा हुआ तेरी ममता की छाव में ना जाने कब बड़ा हुआ

6. कष्टों से नहीं हारती मां दुःख-दर्द को नहीं दिखाती मां मुस्कुराती हरदम खटती है मां थकती है पर थकती नहीं मां बूढ़ी होती है पर बूढ़ी नहीं होती है मां मां के श्रम का मान करें, मनाएँ मां को कुछ पल आराम करें मां को ख़ुश करने का क्यों न कुछ काम करें।

7. प्यार की परिभाषा है मां जीने की अभिलाषा है मां हृदय में जिसके सार छुपा शब्दों में छिपी भाषा है मां इंद्रधनुष की रंगत है मां संतों की संगत है मां देवी रूप बसा हो जिसमें ज़मीं पर ऐसी जन्नत है मां

8. जरा सी ठोकर लग जाती तो मां दौड़ी हुई आती थी , जख्मों पर जब दवा लगाती आंसू अपने छुपाती थी। जब भी कोई जिद करते तो प्यार से वो समझाती थी,

9. जब-जब बच्चे रूठे मां उन्हें मनाती थी। खेल खेलते जब भी कोई वो भी बच्चा बन जाती थी, सवाल अगर कोई न आता टीचर बन के पढ़ाती थी।

10. सबसे आगे रहें हमेशा आस सदा ही लगाती थी , तारीफ अगर कोई भी करता गर्व से वो इतराती थी। होते अगर जरा उदास हम दोस्त तुरन्त बन जाती थी, हंसते रोते बीता बचपन मां ही तो बस साथी थी।

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Mother's Day Essay in English

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मदर टेरेसा पर निबंध (Mother Teresa Essay in Hindi)

मदर टेरेसा

मदर टेरेसा एक महान महिला और “एक महिला, एक मिशन” के रुप में थी जिन्होंने दुनिया बदलने के लिये एक बड़ा कदम उठाया था। उनका जन्म मेसेडोनिया में 26 अगस्त 1910 में अग्नेसे गोंकशे बोजशियु के नाम से हुआ था। 18 वर्ष की उम्र में वो कोलकाता आयी थी और गरीब लोगों की सेवा करने के अपने जीवन के मिशन को जारी रखा। कुष्ठरोग से पीड़ित कोलकाता के गरीब लोगों की उन्होंने खूब मदद की। उन्होंने उनको आश्वस्त किया कि ये संक्रामक रोग नहीं है और किसी भी दूसरे व्यक्ति तक नहीं पहुंच सकता। मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा के लिये उन्हें सितंबर 2016 में ‘संत’ की उपाधि से नवाजा जाएगा जिसकी आधिकारिक पुष्टि वेटिकन से हो गई है।

मदर टेरेसा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mother Teresa in Hindi, Mother Teresa par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द).

मदर टेरेसा एक महान महिला थी जिनको हमेशा उनके अद्भुत कार्यों और उपलब्धियों के लिये पूरे विश्वभर के लोगों द्वारा प्रशंसा और सम्मान दिया जाता है। वो एक ऐसी महिला थी जिन्होंने उनके जीवन में असंभव कार्य करने के लिये बहुत सारे लोगों को प्रेरित किया है। वो हमेशा हम सभी के लिये प्रेरणास्रोत रहेंगी। महान मनावता लिये हुए ये दुनिया अच्छे लोगों से भरी हुयी है लेकिन हरेक को आगे बढ़ने के लिये एक प्रेरणा की जरुरत होती है। मदर टेरेसा एक अनोखी इंसान थी जो भीड़ से अलग खड़ी दिखाई देती थी।

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसेडोनिया गणराज्य के सोप्जे में हुआ था। जन्म के बाद उनका वास्तविक नाम अग्नेसे गोंकशे बोजाशियु था लेकिन अपने महान कार्यों और जीवन में मिली उपलब्धियों के बाद विश्व उन्हें एक नये नाम मदर टेरेसा के रुप में जानने लगा। उन्होंने एक माँ की तरह अपना सारा जीवन गरीब और बीमार लोगों की सेवा में लगा दिया।

वो अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान थी। वो अपने माता-पिता के दान-परोपकार से अत्यधिक प्रेरित थी जो हमेशा समाज में जरुरतमंद लोगों की सहायता करते थे। उनकी माँ एक साधारण गृहिणी थी जबकि पिता एक व्यापारी थे। राजनीति में जुड़ने के कारण उनके पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। ऐसी स्थिति में, उनके परिवार के जीवनयापन के लिये चर्च बहुत ही महत्वपूर्ण बना।

18 वर्ष की उम्र में उनको महसूस हुआ कि धार्मिक जीवन की ओर से उनके लिये बुलावा आया है और उसके बाद उन्होंने डुबलिन के लौरेटो सिस्टर से जुड़ गयी। इस तरह से गरीब लोगों की मदद के लिये उन्होंने अपने धार्मिक जीवन की शुरुआत की। मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा के लिये उन्हें सितंबर 2016 में ‘संत’ की उपाधि से नवाजा जाएगा जिसकी आधिकारिक पुष्टि वेटिकन से हो गई है।

निबंध 2 (300 शब्द)

मदर टेरेसा एक बहुत ही धार्मिक और प्रसिद्ध महिला थी जो “गटरों की संत” के रुप में भी जानी जाती थी। वो पूरी दुनिया की एक महान शख्सियत थी। भारतीय समाज के जरुरतमंद और गरीब लोगों के लिये पूरी निष्ठा और प्यार के परोपकारी सेवा को उपलब्ध कराने के द्वारा एक सच्ची माँ के रुप में हमारे सामने अपने पूरे जीवन को प्रदर्शित किया। उन्हें “हमारे समय की संत” या “फरिश्ता” या “अंधेरे की दुनिया में एक प्रकाश” के रुप में भी जनसाधारण द्वारा जाना जाता है। मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा के लिये उन्हें सितंबर 2016 में ‘संत’ की उपाधि से नवाजा जाएगा जिसकी आधिकारिक पुष्टि वेटिकन से हो गई है।

उनका जन्म के समय अग्नेसे गोंकशे बोज़ाशियु नाम था जो बाद में अपने महान कार्यों और जीवन की उपलब्धियों के बाद मदर टेरेसा के रुप में प्रसिद्ध हुयी। एक धार्मिक कैथोलिक परिवार में मेसेडोनिया के सोप्जे में 26 अगस्त 1910 को उनका जन्म हुआ था। अपने शुरुआती समय में मदर टेरेसा ने नन बनने का फैसला कर लिया था। 1928 में वो एक आश्रम से जुड़ गयी और उसके बाद भारत आयीं (दार्जिलिंग और उसके बाद कोलकाता)।

एक बार, वो अपने किसी दौरे से लौट रही थी, वो स्तंभित हो गयी और उनका दिल टूट गया जब उन्होंने कोलकाता के एक झोपड़-पट्टी के लोगों का दुख देखा। उस घटना ने उन्हें बहुत विचलित कर दिया था और इससे कई रातों तक वो सो नहीं पाई थीं। उन्होंने झोपड़-पट्टी में दुख झेल रहे लोगों को सुखी करने के तरीकों के बारे में सोचना शुरु कर दिया। अपने सामाजिक प्रतिबंधों के बारे में उन्हें अच्छे से पता था इसलिये सही पथ-प्रदर्शन और दिशा के लिये वो ईश्वर से प्रार्थना करने लगी।

10 सितंबर 1937 को दार्जिलिंग जाने के रास्ते पर ईश्वर से मदर टेरेसा को एक संदेश (आश्रम छोड़ने के लिये और जरुरतमंद लोगों की मदद करें) मिला था। उसके बाद उन्होंने कभी-भी पीछे मुड़ के नहीं देखा और गरीब लोगों की मदद करने की शुरुआत कर दी। एक साधारण नीले बाडर्र वाली सफेद साड़ी को पहनने के लिये को उन्होंने चुना। जल्द ही, निर्धन समुदाय के पीड़ित व्यक्तियों के लिये एक दयालु मदद को उपलब्ध कराने के लिये युवा लड़कियाँ उनके समूह से जुड़ने लगी। मदर टेरेसा सिस्टर्स की एक समर्पित समूह बनाने की योजना बना रही थी जो किसी भी परिस्थिति में गरीबों की सेवा के लिये हमेशा तैयार रहेगा। समर्पित सिस्टरों के समूह को बाद में “मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी” के रुप में जाना गया।

Essay on Mother Teresa in Hindi

निबंध 3 (400 शब्द)

मदर टेरेसा एक महान व्यक्तित्व थी जिन्होंने अपना सारा जीवन गरीबों की सेवा में लगा दिया। वो पूरी दुनिया में अपने अच्छे कार्यों के लिये प्रसिद्ध हैं। वो हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी क्योंकि वो एक सच्ची माँ की तरह थीं। वो एक महान किंवदंती थी तथा हमारे समय की सहानुभूति और सेवा की प्रतीक के रुप में पहचानी जाती हैं। वो एक नीले बाडर्र वाली सफेद साड़ी पहनना पसंद करती थीं। वो हमेशा खुद को ईश्वर की समर्पित सेवक मानती थी जिसको धरती पर झोपड़-पट्टी समाज के गरीब, असहाय और पीड़ित लोगों की सेवा के लिये भेजा गया था। उनके चेहरे पर हमेशा एक उदार मुस्कुराहट रहती थी।

उनका जन्म मेसेडोनिया गणराज्य के सोप्जे में 26 अगस्त 1910 में हुआ था और अग्नेसे ओंकशे बोजाशियु के रुप में उनके अभिवावकों के द्वारा जन्म के समय उनका नाम रखा गया था। वो अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान थी। कम उम्र में उनके पिता की मृत्यु के बाद बुरी आर्थिक स्थिति के खिलाफ उनके पूरे परिवार ने बहुत संघर्ष किया था। उन्होंने चर्च में चैरिटी के कार्यों में अपने माँ की मदद करनी शुरु कर दी थी। वो ईश्वर पर गहरी आस्था, विश्वास और भरोसा रखनो वाली महिला थी। मदर टेरेसा अपने शुरुआती जीवन से ही अपने जीवन में पायी और खोयी सभी चीजों के लिये ईश्वर का धन्यवाद करती थी। बहुत कम उम्र में उन्होंने नन बनने का फैसला कर लिया और जल्द ही आयरलैंड में लैरेटो ऑफ नन से जुड़ गयी। अपने बाद के जीवन में उन्होंने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक शिक्षक के रुप में कई वर्षों तक सेवा की।

दार्जिलिंग के नवशिक्षित लौरेटो में एक आरंभक के रुप में उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की जहाँ मदर टेरेसा ने अंग्रेजी और बंगाली (भारतीय भाषा के रुप में) का चयन सीखने के लिये किया इस वजह से उन्हें बंगाली टेरेसा भी कहा जाता है। दुबारा वो कोलकाता लौटी जहाँ भूगोल की शिक्षिका के रुप में सेंट मैरी स्कूल में पढ़ाया। एक बार, जब वो अपने रास्ते में थी, उन्होंने मोतीझील झोपड़-पट्टी में रहने वाले लोगों की बुरी स्थिति पर ध्यान दिया। ट्रेन के द्वारा दार्जिलिंग के उनके रास्ते में ईश्वर से उन्हें एक संदेश मिला, कि जरुरतमंद लोगों की मदद करो। जल्द ही, उन्होंने आश्रम को छोड़ा और उस झोपड़-पट्टी के गरीब लोगों की मदद करनी शुरु कर दी। एक यूरोपियन महिला होने के बावजूद, वो एक हमेशा बेहद सस्ती साड़ी पहनती थी।

अपने शिक्षिका जीवन के शुरुआती समय में, उन्होंने कुछ गरीब बच्चों को इकट्ठा किया और एक छड़ी से जमीन पर बंगाली अक्षर लिखने की शुरुआत की। जल्द ही उन्हें अपनी महान सेवा के लिये कुछ शिक्षकों द्वारा प्रोत्साहित किया जाने लगा और उन्हें एक ब्लैकबोर्ड और कुर्सी उपलब्ध करायी गयी। जल्द ही, स्कूल एक सच्चाई बन गई। बाद में, एक चिकित्सालय और एक शांतिपूर्ण घर की स्थापना की जहाँ गरीब अपना इलाज करा सकें और रह सकें। अपने महान कार्यों के लिये जल्द ही वो गरीबों के बीच में मसीहा के रुप में प्रसिद्ध हो गयीं। मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा के लिये उन्हें सितंबर 2016 में संत की उपाधि से नवाजा जाएगा जिसकी आधिकारिक पुष्टि वेटिकन से हो गई है।

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मदर टेरेसा पर निबंध (Mother Teresa Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे -10 lines

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Mother Teresa Essay in Hindi – मदर टेरेसा दुनिया की अब तक की सबसे महान मानवतावादियों में से एक हैं। उनका पूरा जीवन गरीबों और जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए समर्पित था। गैर-भारतीय होने के बावजूद उन्होंने अपना लगभग पूरा जीवन भारत के लोगों की मदद करने में बिताया। मदर टेरेसा को अपना नाम चर्च से सेंट टेरेसा के नाम पर मिला। वह जन्म से ईसाई और आध्यात्मिक महिला थीं। वह अपनी पसंद से नन थीं। वह निःसंदेह एक पवित्र महिला थीं जिनमें कूट-कूट कर भरी दया और करुणा थी।  

मदर टेरेसा पर 10 पंक्तियों का निबंध (10 Lines Essay On Mother Teresa in Hindi)

  • 1) मदर टेरेसा एक रोमन-कैथोलिक चर्च की नन और एक परोपकारी महिला थीं।
  • 2) उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को ओटोमन साम्राज्य में हुआ था।
  • 3) बचपन से ही उनमें धार्मिक जीवन जीने की ललक थी।
  • 4) 1929 में वह भारत पहुंची और यहां की नागरिकता अपना ली।
  • 5) अपने जीवन के अंतिम दिनों में वह दिल के दौरे से पीड़ित थीं।
  • 6) भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1962 में पद्मश्री से सम्मानित किया।
  • 7) उन्हें 1980 में सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न भी मिला।
  • 8) 5 सितंबर 1997 वह दिन था जब उन्होंने आखिरी सांस ली।
  • 9) मदर टेरेसा गरीबों और बीमार लोगों के प्रति अपनी सेवा के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध थीं।
  • 10) उनके नाम पर सड़क, अस्पताल, हवाई अड्डे और सड़कों सहित वैश्विक वास्तुकलाएं हैं।

मदर टेरेसा पर 100 शब्द निबंध (100 words Essay On Mother Teresa in Hindi)

कैथोलिक नन मदर टेरेसा का जीवन पूरी दुनिया में गरीब और कमजोर लोगों की मदद करने के लिए समर्पित था। उनका जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कोप्जे, मैसेडोनिया में हुआ था। वह 18 साल की उम्र में नन बन गईं और 1929 में भारत आ गईं। वह सेंट मैरी हाई स्कूल में भूगोल पढ़ाने के लिए कलकत्ता आ गईं।

मदर टेरेसा वंचितों और झुग्गी-झोपड़ियों के निवासियों की दुर्दशा से व्यथित थीं। उन्होंने 1950 में अपने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। जरूरतमंदों की मदद के लिए उन्होंने “निर्मल हृदय” की शुरुआत की। उन्हें 1979 का नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 का भारत रत्न मिला। 5 सितंबर 1997 को 87 वर्ष की आयु में मदर टेरेसा का निधन हो गया।

मदर टेरेसा पर 200 शब्द निबंध (200 words Essay On Mother Teresa in Hindi)

मदर टेरेसा एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक शख्सियत हैं जो अपनी करुणा के लिए प्रसिद्ध हैं। जन्म के समय उसका नाम अंजेज़े गोंक्सहे बोजाक्सिउ रखा गया था। उनका जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कोप्जे, मैसेडोनिया में हुआ था और 18 साल की उम्र में, वह एक भिक्षुणी विहार में शामिल होने के लिए आयरलैंड चली गईं। 1929 में, 19 वर्ष की आयु में, मदर टेरेसा भारत के कलकत्ता आ गईं। वह समाज के वंचित और परित्यक्त सदस्यों की सहायता करना चाहती थी।

योगदान | जब मदर टेरेसा ने 1950 में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की, तो उन्होंने गरीबों, विकलांगों और असहायों की सेवा करने की पहल की। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज को लौटाने में बिताया। वह दुनिया भर में मानवतावादी उद्देश्य में अपने अद्वितीय योगदान के लिए जानी जाती हैं, जिसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि व्यक्तियों की उनके अंतिम दिनों में देखभाल की जाए और वे सम्मान के साथ इस ग्रह से बाहर निकलें।

सम्मान | मदर टेरेसा को कुछ सबसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए। भारत में उन्हें 1962 में पद्मश्री सम्मान दिया गया। 1979 में वह नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। 1980 में उन्हें देश का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न भी दिया गया। कलकत्ता की सेंट टेरेसा को 2016 में पोप फ्रांसिस द्वारा मरणोपरांत दिया गया था।

मदर टेरेसा ने अपने कार्यों से प्रेम और सद्भावना फैलायी। उन्होंने अपना सारा जीवन एक साधारण जीवन व्यतीत किया। उसके मन में अपने विश्वास के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता और यीशु मसीह के प्रति भावुक प्रेम था। मदर टेरेसा हर किसी के लिए दयालु होने और जरूरतमंद लोगों की देखभाल करने की प्रेरणा हैं।

मदर टेरेसा पर 300 शब्द निबंध (300 words Essay On Mother Teresa in Hindi)

मदर टेरेसा एक बहुत ही धार्मिक और प्रसिद्ध महिला थीं जिन्हें “गटर की संत” के नाम से भी जाना जाता है। वह दुनिया भर की महान हस्तियों में से एक हैं। उन्होंने भारतीय समाज के जरूरतमंद और गरीब लोगों को पूर्ण समर्पण और प्रेम की सेवा प्रदान करके एक सच्ची माँ के रूप में अपना पूरा जीवन हमारे सामने प्रस्तुत किया था। उन्हें लोकप्रिय रूप से “हमारे समय की संत” या “देवदूत” या “अंधेरे की दुनिया में एक प्रकाशस्तंभ” के रूप में भी जाना जाता है।

उनका जन्म नाम एग्नेस गोंक्सा बोजाक्सीहु था जो बाद में अपने महान कार्यों और जीवन की उपलब्धियों के बाद मदर टेरेसा के नाम से प्रसिद्ध हुईं। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को स्कोप्जे, मैसेडोनिया में एक धार्मिक कैथोलिक परिवार में हुआ था। मदर टेरेसा ने कम उम्र में ही नन बनने का निर्णय ले लिया था। वह वर्ष 1928 में एक कॉन्वेंट में शामिल हो गईं और फिर भारत (दार्जिलिंग और फिर कोलकाता) आ गईं।

एक बार, जब वह अपनी यात्रा से लौट रही थीं, तो कोलकाता की एक झुग्गी बस्ती में लोगों की उदासी देखकर उन्हें झटका लगा और उनका दिल टूट गया। उस घटना ने उसके मन को बहुत परेशान कर दिया और कई रातों की नींद हराम कर दी। वह झुग्गी बस्ती में लोगों की तकलीफें कम करने के लिए कुछ उपाय सोचने लगी। वह अपने सामाजिक प्रतिबंधों से अच्छी तरह परिचित थी इसलिए उसने कुछ मार्गदर्शन और दिशा पाने के लिए भगवान से प्रार्थना की।

अंततः 10 सितंबर 1937 को दार्जिलिंग जाते समय उन्हें भगवान से एक संदेश (कॉन्वेंट छोड़ने और जरूरतमंद लोगों की सेवा करने का) मिला। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और गरीब लोगों की सेवा करना शुरू कर दिया। उन्होंने नीले बॉर्डर वाली सफेद साड़ी की एक साधारण पोशाक पहनने का फैसला किया। जल्द ही, गरीब समुदाय के पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए युवा लड़कियाँ उनके समूह में शामिल होने लगीं। उन्होंने बहनों का एक समर्पित समूह बनाने की योजना बनाई जो किसी भी परिस्थिति में गरीबों की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहे। समर्पित बहनों का समूह बाद में “मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी” के नाम से जाना गया।

मदर टेरेसा पर 500 शब्दों का निबंध (500 words Essay On Mother Teresa in Hindi)

विश्व के इतिहास में अनेक मानवतावादी हैं। अचानक मदर टेरेसा लोगों की उस भीड़ में खड़ी हो गईं। वह एक महान क्षमता वाली महिला हैं जो अपना पूरा जीवन गरीबों और जरूरतमंद लोगों की सेवा में बिताती हैं। हालाँकि वह भारतीय नहीं थी फिर भी वह भारत के लोगों की मदद करने के लिए भारत आई थी। सबसे बढ़कर, मदर टेरेसा पर इस निबंध में हम उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने जा रहे हैं।

मदर टेरेसा उनका वास्तविक नाम नहीं था लेकिन नन बनने के बाद उन्हें सेंट टेरेसा के नाम पर चर्च से यह नाम मिला। जन्म से, वह एक ईसाई और ईश्वर की महान आस्तिक थी। और इसी वजह से वह नन बनना चुनती है।

मदर टेरेसा की यात्रा की शुरुआत

चूँकि उनका जन्म एक कैथोलिक ईसाई परिवार में हुआ था, इसलिए वह ईश्वर और मानवता में बहुत बड़ी आस्था रखती थीं। हालाँकि वह अपना अधिकांश जीवन चर्च में बिताती है लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन नन बनेगी। डबलिन में अपना काम पूरा करने के बाद जब वह भारत के कोलकाता (कलकत्ता) आईं तो उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। लगातार 15 वर्षों तक उन्हें बच्चों को पढ़ाने में आनंद आया।

स्कूली बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उन्होंने उस क्षेत्र के गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए भी कड़ी मेहनत की। उन्होंने अपनी मानवता की यात्रा एक ओपन-एयर स्कूल खोलकर शुरू की, जहाँ उन्होंने गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। वर्षों तक उन्होंने बिना किसी धन के अकेले काम किया लेकिन फिर भी छात्रों को पढ़ाना जारी रखा।

उसकी मिशनरी

गरीबों को पढ़ाने और जरूरतमंद लोगों की मदद करने के इस महान कार्य के लिए वह एक स्थायी स्थान चाहती हैं। यह स्थान उनके मुख्यालय और एक ऐसी जगह के रूप में काम करेगा जहां गरीब और बेघर लोग आश्रय ले सकेंगे।

इसलिए, चर्च और लोगों की मदद से, उन्होंने एक मिशनरी की स्थापना की, जहाँ गरीब और बेघर लोग शांति से रह सकते हैं और मर सकते हैं। बाद में, वह अपने एनजीओ के माध्यम से भारत और विदेशी देशों में कई स्कूल, घर, औषधालय और अस्पताल खोलने में सफल रहीं।

मदर टेरेसा की मृत्यु एवं स्मृति

वह लोगों के लिए आशा की देवदूत थी लेकिन मौत किसी को नहीं बख्शती। और यह रत्न कोलकाता (कलकत्ता) में लोगों की सेवा करते हुए मर गया। साथ ही उनके निधन पर पूरे देश ने उनकी याद में आंसू बहाये. उनकी मृत्यु से गरीब, जरूरतमंद, बेघर और कमजोर लोग फिर से अनाथ हो गये।

भारतीय लोगों द्वारा उनके सम्मान में कई स्मारक बनाये गये। इसके अलावा विदेशों में भी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई स्मारक बनाए जाते हैं।

निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि शुरुआत में गरीब बच्चों को संभालना और पढ़ाना उनके लिए एक कठिन काम था। लेकिन, वह उन कठिनाइयों को बड़ी ही समझदारी से संभाल लेती है। अपने सफर की शुरुआत में वह गरीब बच्चों को जमीन पर छड़ी से लिखकर पढ़ाती थीं। लेकिन वर्षों के संघर्ष के बाद, वह अंततः स्वयंसेवकों और कुछ शिक्षकों की मदद से शिक्षण के लिए आवश्यक चीजों की व्यवस्था करने में सफल हो जाती है।

बाद में, उन्होंने गरीब लोगों को शांति से मरने के लिए एक औषधालय की स्थापना की। अपने अच्छे कामों के कारण वह भारतीयों के दिल में बहुत सम्मान कमाती हैं।

मदर टेरेसा निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

मदर टेरेसा ने दुनिया को कैसे बदला.

मदर टेरेसा ने अपने विभिन्न मानवीय प्रयासों से दुनिया को बदल दिया और सभी को दान का सही अर्थ दिखाया।

मदर टेरेसा ने समाज में कैसे योगदान दिया?

मदर टेरेसा ने अपना जीवन मानव जाति की सेवा के लिए समर्पित कर दिया और उन्होंने गरीबों और बीमार लोगों की मदद के लिए मिशनरीज ऑफ चैरिटी, एक रोमन कैथोलिक मण्डली की स्थापना की।

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Mother Teresa Essay in Hindi- मदर टेरेसा पर निबंध

In this article, we are providing Mother Teresa Essay in Hindi. In this essay, you get to know about Mother Teresa in Hindi. इस निबंध में आपको मदर टेरेसा के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।

भूमिका- देश और काल की परिधि को तोड़कर, जात-पांत के बन्धनों से अलग ऊंच और नीच की भावना से रहित दिव्य आत्माएँ विश्व में दरिद्र-नारायण की सेवा कर परमपिता परमात्मा की सच्ची सेवा करते हैं। उनके जीवन का उद्देश्य साधारण मानवों की भान्ति निजी शरीर और जीवन नहीं होता, यश और धन की कामना उन्हें नहीं होती है अपितु वे विशुद्ध और नि:स्वार्थ हृदय से दीन-दुखियों, दलित और पीड़ितों की सेवा करते हैं। इस प्रकार की दिव्य-आत्माओं में आज ममतामयी मूर्ति मदर टेरेसा है जिन्हें अपनी अनथक सेवा, मानवता के लिए सेवा और प्यार भरे हृदय के कारण ‘मदर’ कहा जाता है क्योंकि वे उपेक्षितों अनाथों, असहायों के लिए ‘मदर हाउस’ बनवाती हैं और उन्हें आश्रय देती हैं।

जीवन परिचय- मदर टेरेसा का जन्म 27 अगस्त 1910 ई. को यूगोस्लाविया के स्कोपले नामक स्थान में हुआ था। इनके बचपन का नाम आगनेस गोंवसा बेयायू था। माता-पिता अल्बानियम जाति के थे। इनके पिता एक स्टोर में स्टोर कीपर थे। बारह वर्ष की अल्प अवस्था में जब इन्होंने मिशनरियों द्वारा किए गए परोपकार और सेवा के कार्यों के सम्बन्ध में सुना तो उनके बाल-हृदय ने यह कठोर और दृढ़ निश्चय कर लिया कि वह भी अपने जीवन का मार्ग लोक सेवा ही चुनेंगी। अठारह वर्ष की आयु में वे आईरेश धर्म परिवार लोरेटों में सम्मिलित हुई और इसके साथ ही आरम्भ हुआ उनके जीवन के महान् यज्ञ का आरम्भ जिसमें वे निरन्तर अनथक भाव से सेवा की आहुतियां दे रही हैं। दार्जिलिंग के सुरम्य पर्वतीय वातारवरण से वे बहुत प्रभावित हुई और सन् 1929 ई. में उन्होने कलकत्ता के सेण्टमेरी हाई स्कूल में शिक्षण कार्य आरम्भ कर दिया। इसी स्कूल में वे कुछ समय बाद  प्रधानाचार्य बनीं और स्कूल की सेवा करती रहीं। लेकिन स्कूल की छोटी सी चार दीवारी में उनका हृदय असीमित सेवा की बलवती भावना से व्याकुल रहता। वे अधिक से अधिक लोगों की सेवा के व्यापक क्षेत्र को अपनाना चाहती थी। आजीवन ही स्वयं को मानव की सेवा में समर्पित कर देने की भावना निरन्तर प्रबल और विशेष होती गई। फलस्वरूप, उन्हीं के शब्दों में-10 सितम्बर, सन् 1946 का दिन था जब मैं अपने वार्षिक अवकाश पर दार्जिलिंग जा रही थी-उस समय मेरी अन्तरात्मा से आवाज़ उठी कि मुझे सब कुछ त्याग कर देना चाहिए और अपना जीवन ईश्वर और दरिद्र नारायण की सेवा करके कंगाल तन को समर्पित कर देना चाहिए।

जीवन लक्ष्य- इस सेवा भाव की भावना और अन्तरात्मा की आवाज़ को वे प्रभु यीशु की प्रेरणा और इस दिवस को प्रेरणा दिवस’ मानती हैं। प्रभु-यीशु के इस पावन संदेश को उन्होंने जीवन का लक्ष्य मान लिया और पोप से कलकत्ता महानगर की उपेक्षित गन्दी बस्तियों में रहकर दलितों की सेवा करने का आदेश प्राप्त कर लिया। अब पूर्ण समर्पित दृढ़ प्रतिज्ञ और अविचल रहकर उन्होंने उपेक्षित, तिरस्कृत, दलितों और पीड़ितों की सेवा का कार्य आरम्भ कर लिया। उनकी धारणा है कि मनुष्य का मन ही बीमार होता है। अनचाहा, तिस्कृत एवं उपेक्षित व्यक्ति मन से रोगी हो जाता है और जब वह मन का रोगी हो जाता है तो शारीरिक रूप से कभी भी ठीक नहीं हो पाता। जो दरिद्र है, बीमार है, तिरस्कृत और उपेक्षित है, उन्हें प्रेम और सौहार्द की आवश्यकता है। उनके प्रति प्रेम करना ही ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम है। उन्होंने एक बार एक सभा में कहा था-“लोगों में 20 वर्ष काम करके मैं अधिकधिक यह अनुभव करने लगी हूँ कि अनचाहा होना सबसे बुरी बीमारी है जो कोई भी व्यक्ति महसूस कर सकता है।”

उनकी सेवा के परिणामस्वरूप कलकत्ता में एक ‘निर्मल हृदय होम स्थापित किया गया और स्लम विद्यालय खोला गया।

कलकत्ता में मौलाली क्षेत्र में जगदीश चन्द्र बसु सड़क पर अब मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी का कार्यालय है जो दिन रात चौबीसों घण्टे उन व्यक्तियों की सेवा में समर्पित है जो दु:खी हैं, अपाहिज हैं, जो निराश्रित और उपेक्षित हैं, वृद्ध हैं और मृत्यु के निकट है। जिन्हें कोई नहीं चाहता हैं उन्हें मदर टेरेसा चाहती हैं जिनको लोग उपेक्षित करते हैं उन्हें उनका प्यार भरा विशाल हृदय अपना लेता है।

सन् 1950 में आरम्भ किए गये ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी’ की आज विश्व के लगभग 83 देशों में 244 केन्द्र हैं जिनमें लगभग 3000 सिस्टर और ‘ब्रदर निरन्तर नियमित रूप में सेवा का कार्य कर रहे हैं। भारत में स्थापित लगभग 215 अस्पताल और चिकित्सा केन्द्रों में लाखों बीमार व्यक्तियों की नि:शुल्क चिकित्सा की जाती है। विश्व में गन्दी बस्तियों में चलाए जाने वाले स्कूलों में भारत में साठ स्कूल हैं। अनाथ बच्चों की देखभाल और पालन-पोषण के लिए 70 केन्द्र, वृद्ध व्यक्तियों की सेवा के लिए 81 घर संचालित किए जाते हैं। कलकत्ता के कालीघाट क्षेत्र में स्थापित ‘निर्मल हृदय’ जैसी अन्य संस्थाओं में लगभग पैंतालीस हजार वृद्ध लोग रहते हैं जो जीवन के दिवस की सन्धया को सुख और शान्ति से  गुजारते हैं। मिशनरीज़ आफ चैरिटी के माध्यम से सैकड़ों केन्द्र संचालित होते हैं जिनमें हज़ारों की संख्या में बेसहारों के लिए मुफ्त भोजन व्यवस्था की जाती है। इन सभी केन्द्रों से प्रतिदिन लाखों रुपए की दवाइयों और भोजन सामग्री का वितरण किया जाता है।

पुरस्कार एवं सम्मान- पीड़ित मानवता की सेवा के अखण्ड यज्ञ को चलाने वाली मदर टेरेसा को पुरस्कार और अन्य सम्मान सम्मानित नहीं करते अपितु उनके हाथों में और उनके नाम से जुड़ कर पुरस्कार और सम्मान ही सम्मानित होते हैं। उनके द्वारा किए गए इस कार्य के लिए उन्हें विश्व भर के अनेक संस्थानों ने उन्हें सम्मान दिए हैं। सन् 1931 में उन्हें पोपजान 23वें का शान्ति पुरस्कार प्रदान किया गया। विश्व भारती विश्वविद्यालय ने सर्वोच्च पदवी देशीकोत्तम’ प्रदान की। अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की उपाधि से उन्हें विभूषित किया। सन् 1962 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया। सन् 1964 में पोप पाल ने भारत यात्रा के दौरान उन्हें अपनी कार सौंपी जिसकी नीलामी कर उन्होंने कुष्ट कालोनी की स्थापना की। इस सूची में फिलिपाइन का रमन मैग साय पुरस्कार, पुनः पोप शान्ति पुरस्कार, गुट समारिटन एवार्ड, कनेडी फाउंडेशन एवार्ड, टेम्पलटन फाउंडेशन एवार्ड आदि पुरस्कार हैं जिनसे प्राप्त होने वाली धनराशि को उन्होंने कुष्ट आश्रम, अल्प विकसित बच्चों के लिए घर तथा वृद्ध आश्रम बनवाने में खर्च की। 19 दिसम्बर सन् 1979 में उन्हें मानव कल्याण के लिए किए गए कार्यों के लिए विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। सन् 1993 में उन्हें राजीव गांधी सद्भावन, पुरस्कार दिया गया। सेवा की साक्षात् प्रतिमा विश्व को रोता छोड़कर 6 सितम्बर, 1997 को देवलोक सिधार गई।

उपसंहार- देव-दूत, प्रभु-पुत्री, मदर टेरेसा का जीवन यज्ञ-समाधि की भान्ति है जो निरन्तर जलती है पर जिसकी ज्वाला से प्रकाश बिखरता है। मानवता की सेवा की नि:स्वार्थ साधिका ‘मदर’ माँ की ममता की ज्वलंत गाथा को प्रमाणित करती है। वह एक ही नहीं असंख्य लोगों को आश्रय और ममता, प्यार और अपनत्व देने वाली ममतामयी माँ है। ईश्वर की आराधना में वह विश्वास करती है, उसका ध्यान करती है परन्तु उसकी पूजा उसकी ही संतानों की सेवा के रूप में करती है। उनकी पवित्र प्रेरणा से प्रेरित होकर देश-विदेश से अनेक युवक और युवतियाँ उन के साथ इस सेवा-कार्य में जुट जाती हैं। आलौकिक शक्ति एवं तेज से सम्पन्न यह दिव्य आत्मा सदैव ही मानवता की सेवा के इतिहास का आकाशदीप बनी रहेगी।

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good mother essay in hindi

50 of the BEST Mother-Daughter Movies

Here is a list of 50 of the BEST Mother-Daughter movies to plan your best movie night!

Each of these movies listed below has some type of dynamic relationship and even conflict between mother and daughter.

Most of the list of movies are obvious but some are not.

This list is not in a particular order, but I am wondering if there are ones missing or ones that you feel don’t below.  Let me know what you think and we will continue to edit and add to the list.

  • Little Women (1994) – This adaptation of Louisa May Alcott’s classic novel follows the lives of the four March sisters as they navigate love, loss, and sisterhood under the guidance of their mother.
  • Lady Bird (2017) – A coming-of-age comedy-drama that explores the tumultuous relationship between a strong-willed teenager and her equally strong-willed mother as they navigate love, independence, and dreams.
  • Terms of Endearment (1983) – A heartfelt film that explores the complex relationship between a mother and her daughter as they face love, loss, and personal growth.
  • Stepmom (1998) – A poignant drama about a terminally ill mother (Susan Sarandon) and her ex-husband’s new partner (Julia Roberts) as they navigate the challenges of co-parenting and ultimately find common ground.
  • Mamma Mia! (2008) – A musical comedy that follows a bride-to-be as she tries to uncover the identity of her father among three potential candidates, with her mother’s past love life providing the backdrop.
  • Mermaids (1990) – Set in the 1960s, this comedy-drama follows a single mother and her two daughters as they navigate the challenges of love, growing up, and finding their place in the world.
  • Freaky Friday (2003) – A comedy film about a mother and daughter who magically switch bodies, leading to humorous and insightful moments as they gain a newfound understanding of each other’s lives.
  • Little Miss Sunshine (2006) – This indie comedy-drama revolves around a dysfunctional family as they embark on a road trip to support their young daughter’s dream of competing in a beauty pageant.
  • In Her Shoes (2005) – A dramedy that explores the complex relationship between two sisters (Cameron Diaz and Toni Collette) as they navigate their differences and ultimately find common ground.
  • The Parent Trap (1998) – Identical twin sisters, separated at birth and raised by different parents, meet at summer camp and devise a plan to reunite their long-divorced parents.
  • The Princess Diaries (2001) – A charming family film about an ordinary teenager (Anne Hathaway) who discovers she is a princess and must navigate the challenges of royal life with the support of her quirky grandmother (Julie Andrews).
  • The Joy Luck Club (1993) – Adapted from Amy Tan’s novel, this film delves into the lives of four Chinese-American women and their relationships with their mothers, exploring themes of cultural identity, sacrifice, and the power of storytelling.
  • The Blind Side (2009) – Based on a true story, this inspiring film follows a wealthy woman (Sandra Bullock) who takes in a homeless teenager (Quinton Aaron) and helps him realize his potential, showcasing the transformative power of love and motherly care.
  • Brave (2012) – An animated adventure film set in the Scottish Highlands, where a young princess named Merida must break a curse and reconcile with her mother while discovering the true meaning of bravery.
  • Now and Then (1995) – This nostalgic coming-of-age film follows four friends as they reminisce about their shared childhood experiences, reflecting on the impact of their mothers’ friendships and guidance.
  • Anywhere But Here (1999) – A drama about a free-spirited mother (Susan Sarandon) who uproots her daughter’s life to pursue her own dreams, leading to a journey of self-discovery for both of them.
  • 27 Dresses (2008) – While primarily a romantic comedy, this film explores the close bond between two sisters as one of them (Katherine Heigl) selflessly supports the other through various romantic entanglements.
  • Because I Said So (2007) – A romantic comedy that centers around the meddling, yet well-intentioned, efforts of a mother (Diane Keaton) to find the perfect man for her daughter (Mandy Moore).
  • The Secret Life of Bees (2008) – Set in the 1960s, this powerful drama follows a young girl (Dakota Fanning) as she escapes an abusive household and finds solace and a sense of belonging with a group of beekeeping sisters, led by the maternal figure played by Queen Latifah.
  • My Big Fat Greek Wedding (2002) – A romantic comedy about a young woman (Nia Vardalos) from a Greek-American family as she navigates her cultural traditions, family dynamics, and the pursuit of love.
  • Divine Secrets of the Ya-Ya Sisterhood (2002) – Based on the novel by Rebecca Wells, this film tells the story of a mother-daughter relationship strained by secrets, healing through the bond of a close-knit group of lifelong friends.
  • Nowhere Boy (2009) – A biographical drama about the teenage years of John Lennon (Aaron Taylor-Johnson) and his complex relationship with his mother, Julia Lennon (Anne-Marie Duff), who influences his musical journey.
  • The Help (2011) – Set in the 1960s, this film focuses on the relationships between African-American maids and the white families they work for, highlighting the motherly connections and shared struggles between the characters.
  • The Family Stone (2005) – A comedy-drama about the Stone family’s holiday gathering, where the eldest son brings his uptight girlfriend (Sarah Jessica Parker) home, leading to clashes, unexpected connections, and a deeper understanding of family bonds.
  • White Oleander (2002) – Based on the novel by Janet Fitch, this drama follows a young girl (Alison Lohman) who endures a series of foster homes while her incarcerated mother (Michelle Pfeiffer) exerts a lasting influence on her life.
  • Incredibles 2 (2018) – An animated superhero film that explores the dynamics of the Parr family as the mother, Helen/Elastigirl, takes the spotlight to save the world while her husband Mr. Incredible stays at home to care for their children.
  • The Sisterhood of the Traveling Pants (2005) – Four best friends discover a pair of magical jeans that fit them all perfectly, symbolizing their enduring friendship and providing support as they navigate their individual challenges.
  • An Unfinished Life (2005) – A drama about a troubled woman (Jennifer Lopez) who moves to her estranged father-in-law’s (Robert Redford) ranch with her daughter, leading to healing, forgiveness, and a deeper understanding of family.
  • For Keeps (1988) – A romantic comedy-drama that explores the challenges faced by a teenage couple (Molly Ringwald and Randall Batinkoff) when they unexpectedly become parents and must confront the realities of adulthood and parenthood together.
  • My Girl (1991) – Set in the 1970s, this coming-of-age film follows an 11-year-old girl (Anna Chlumsky) as she deals with the loss of her mother and forms an unlikely friendship with a boy (Macaulay Culkin) from a funeral home.
  • Jack & Diane (2012) – A romantic drama that delves into the passionate relationship between two teenage girls and the impact it has on their individual lives and the lives of their families.
  • Girl, Interrupted (1999) – Based on a memoir, this drama focuses on a young woman (Winona Ryder) who voluntarily commits herself to a mental institution, forming unexpected bonds and finding solace in the presence of other patients, including a motherly figure (Angelina Jolie).
  • The Duchess (2008) – A period drama based on the life of Georgiana Cavendish, Duchess of Devonshire (Keira Knightley), as she navigates the challenges of her loveless marriage and seeks independence, all while trying to be a loving mother.
  • Aquamarine (2006) – A teen fantasy film about two friends who discover a mermaid named Aquamarine and help her find true love while learning valuable lessons about friendship and growing up.
  • Whip It (2009) – A sports comedy-drama about a rebellious teenager (Ellen Page) who finds her passion in roller derby, with the support and encouragement of her unconventional mother (Marcia Gay Harden).
  • Mermaids (1990) – A comedy-drama about a single mother and her two daughters as they navigate the challenges of love, growing up, and finding their place in the world.
  • Anna Karenina (2012) – Based on Leo Tolstoy’s novel, this period drama follows the tragic love affair of Anna Karenina (Keira Knightley), a woman torn between her duty as a mother and her desires for love and freedom.
  • The Sisterhood of Night (2014) – A mystery drama that explores the consequences faced by a group of girls involved in a secret society, with their mothers and the community at large trying to unravel the truth.
  • Kit Kittredge: An American Girl (2008) – Set during the Great Depression, this family film centers around a resourceful young girl (Abigail Breslin) who dreams of becoming a journalist while her mother (Julia Ormond) teaches her valuable life lessons.
  • Little Secrets (2001) – A family film about a young girl who runs a secret business where she helps others keep their deepest secrets, all while facing her own challenges and learning important lessons from her mother.
  • The Guilt Trip (2012) – A comedy about an inventor (Seth Rogen) who embarks on a road trip with his overprotective mother (Barbra Streisand), leading to humorous and heartfelt moments as they confront their relationship and discover more about each other.
  • Divine Secrets of the Ya-Ya Sisterhood (2002) – This film tells the story of a mother-daughter relationship strained by secrets, healing through the bond of a close-knit group of lifelong friends.
  • 20th Century Women (2016) – Set in 1979, this drama explores the relationships between a single mother (Annette Bening), her teenage son, and the young women who influence his life, providing unique perspectives on womanhood and motherhood.
  • Riding in Cars with Boys (2001) – A dramedy based on the memoir of Beverly Donofrio, this film follows a young woman (Drew Barrymore) who becomes a teenage mother and must navigate the challenges of parenthood while pursuing her dreams.
  • Jackie & Ryan (2014) – A romantic drama about a single mother (Katherine Heigl) who forms a connection with a traveling musician (Ben Barnes) and finds inspiration and support in their relationship.
  • Elsa & Fred (2014) – A romantic comedy-drama about a widower (Christopher Plummer) who forms an unlikely friendship and romance with his eccentric neighbor (Shirley MacLaine), bringing newfound joy and spontaneity into both their lives.
  • Anywhere But Here (1999) – A drama about a free-spirited mother who uproots her daughter’s life to pursue her own dreams, leading to a journey of self-discovery for both of them.
  • Morning Glory (2010) – A comedy-drama that follows the career aspirations of a young television producer (Rachel McAdams) as she takes on the challenge of revitalizing a morning show, with her relationship with her mother (Diane Keaton) serving as an important source of support.
  • The Kids Are All Right (2010) – A comedy-drama about a same-sex couple (Annette Bening and Julianne Moore) whose family dynamic is challenged when their children seek out their biological father, leading to a thoughtful exploration of modern family dynamics and the bonds between mothers and their children.
  • Room (2015) – Based on the novel by Emma Donoghue, this intense drama follows a young mother (Brie Larson) and her son as they escape from captivity and adjust to life outside, highlighting the powerful and unconditional love between a mother and child.

How to plan a Mother-Daughter Movie Night!

  • Make a date with your mom or your daughter!
  • Plan snacks and popcorn and favorite beverages!
  • Keep it light-hearted and entertain the conversations during the movie!
  • More tips on Family Movie Nights .

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COMMENTS

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