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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi

Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi आज हम विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध हिंदी में लिखने वाले हैं. Discipline पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है.

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन अति आवश्यक होता है  हम इस निबंध की सहायता से बताएंगे कि विद्यार्थियों में अनुशासन का महत्व कितना होता है.

Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi

विद्यार्थी के लिए जितनी पढ़ाई-लिखाई आवश्यक है उतना ही अनुशासन होना जरूरी है क्योंकि बिना अनुशासन के पढ़ाई की कल्पना नहीं की जा सकती है. Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Bhut Adhik hota hai.

विद्यार्थी एक खाली कागज़ की तरह होता है जिसमें कुछ भी लिखा जा सकता है. अगर विद्यार्थी को उस समय सही शिक्षा और उचित संगत नहीं मिलती है तो वह अपने लक्ष्य से भटक सकता है और गलत कार्य की राह पकड़ सकता है इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की महत्वता और भी बढ़ जाती है.

Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi

विद्यार्थी की हमारे देश की भावी पीढ़ी है जो कि आगे जाकर हमारे देश का निर्माण करेगी. लेकिन विद्यार्थियों को अनुशासन में रहना नहीं पता होगा तो वे देश का निर्माण करने की वजह उसका नाश भी कर सकते है.

विद्यार्थी वर्ग देश की युवा शक्ति होता है अगर किसी देश की युवा शक्ति ही गलत रहा है और गलत संगत में हो तो उस देश का उद्धार होना संभव नहीं है.

Vidyarthi जीवन ही एक व्यक्ति के पूरे जीवन की आधारशिला होती है अगर यह आधारशिला ही कमजोर होगी तो आगे का भविष्य कठिनाइयों से भरा होगा और असफलता का मुंह भी देखना पड़ सकता है. यह जीवन की कड़वी सच्चाई है लेकिन आजकल लोग इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे है.

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वर्तमान समय में किसी भी व्यक्ति के पास एक दूसरे के लिए समय ही नहीं है अभिभावक भी अपनी नौकरी पेशा जिंदगी के कारण अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते है जिस कारण उनके बच्चे अकेले पड़ जाते है. और बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिए TV, मोबाइल, इंटरनेट का सहारा लेते है.

बच्चों को यह नहीं पता होता है कि TV, मोबाइल और इंटरनेट को काम में कैसे लिया जाता है इसलिए उनकी राय भटकने का और अनुशासनहीनता का खतरा बना रहता है. वर्तमान में यह स्थिति और भी भयावह हो गई है अभिभावकों और शिक्षकों के विद्यार्थियों पर सही से ध्यान नहीं देने के कारण विद्यार्थी को संगति में पड़ रहे है.

यह हमारे देश और समाज के लिए बहुत घातक है. विद्यार्थियों की सही प्रकार से देखभाल नही होने के कारण उनमे चिड़चिड़ापन बढ़ गया है और कुछ विद्यार्थी गुमसुम से अवसाद में रहने लगे है. यह सब सिर्फ अनुशासनहीनता के कारण हो रहा है.

Anushasan नहीं होने के कारण वर्तमान में आपने देखा होगा कि लोगों को किसी भी कार्य के लिए आसानी से भड़काया जा सकता है. उनमें अनुशासन नहीं होने के कारण हुई बिना किसी बात की सत्यता की परख किए बिना ही उसका विरोध करने लग जाते है. इन सब का कारण अनुशासन नहीं होना ही है.

विद्यार्थी के लिए अनुशासन का रूप यह है कि वह नियमित रूप से अपने विद्यालय जाए, अपने शिक्षकों का सदा आदर करें एवं उनकी कही हुई बातों को अमल में लाएं, विद्यालय के सभी विद्यार्थियों के साथ अच्छा व्यवहार करें उनके साथ मेलजोल बढ़ाकर प्रेम पूर्वक रहें. अपने से बड़े लोगों का हमेशा सम्मान करें, पढ़ाई करते समय अपना ध्यान कहीं और न लगाएं हमेशा एकाग्रता से पढ़ाई करें, अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनके कहे अनुसार कार्य करें.

विद्यार्थियों में हमेशा धैर्य और संयम होना चाहिए जोकि अनुशासन से ही आता है क्योंकि अगर Vidyarthi अपना कार्य समय पर करेंगे और नियमित रूप से करेंगे तो उन्हें हमेशा धैर्य और संयम बना रहेगा अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो वह हर कार्य को जल्दी निपटाना चाहेंगे जिससे उनमें धैर्य और संयम नहीं रह पाएगा जो कि आगे जाकर उनके जीवन के लिए हानिकारक होगा.

Vidyarthiyo को हमेशा अनुशासन में रहकर ही पढ़ाई करनी चाहिए अगर के अनुशासन का पालन नहीं करते हैं तो कुछ अनुशासनहीन विद्यार्थी उन्हें अपने साथ शामिल कर कर गलत प्रवृतियों में ले जाते है, जिस का आभास उनके माता-पिता को भी नहीं होता है.

और कुछ समय बाद वह विद्यार्थी इतने अनुशासनहीन हो जाते हैं कि वह विद्यालय आना छोड़ देते है और उनका भविष्य खराब हो जाता है इसलिए एक अच्छे विद्यार्थी को हमेशा पढ़ाई के ऊपर ध्यान रखना चाहिए और अपने से बड़ों की बातों का पालन करना चाहिए.

विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता के लिए कुछ हद तक हमारे देश की परिस्थितियां भी हैं क्योंकि हमारे देश में ज्यादातर स्कूलों में अधिक संख्या में विद्यार्थियों एक ही कमरे में पढ़ाया जाता है जिसके कारण शिक्षक सभी विद्यार्थियों पर ध्यान नहीं दे पाता है.

परिणाम स्वरुप आधे विद्यार्थी बातों में लगे रहते है जिसके कारण उनकी पढ़ाई नहीं हो पाती है और शिक्षक द्वारा दिया गया ज्ञान भी उन्हें नहीं मिल पाता है जिसके कारण वह अनुशासनहीन हो जाते है.

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विद्यार्थियों को बचपन से ही अनुशासन में रहना सिखाना चाहिए जिससे उनमें अच्छे गुणों का विकास हो सके और भविष्य में में किसी भी प्रकार की कठिनाई में हो और आगे जाकर वे एक सफल व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बना सकें.

अनुशासन के अभाव से हानियाँ – Anushasan Ke Abhav se Haniya

(1) अनुशासन के अभाव में विद्यार्थी एकाग्रता पूर्वक पढ़ाई नहीं कर पाता है. (2) अनुशासन के अभाव के कारण Vidyarthiचिड़चिड़ा रहने लगता है. (3) इसके कारण विद्यार्थी वह कुसंगति में पड़ जाता है जिससे उसका भविष्य खतरे में पड़ जाता है. (4) वह हर कार्य को जल्दी करना चाहता है बिना कुछ सोचे समझे उसमें धैर्य और संयम लगभग खत्म सही हो जाता है. (5) वह अपने से बड़े लोगों का आदर नहीं करता है. (6) वह बड़े-बड़े सपने तो देखता है लेकिन फोन में सफल नहीं हो पाता है क्योंकि अनुशासन के अभाव के कारण वह उस कार्य को कभी भी पूर्ण नहीं कर पाता है. (7) अनुशासन के अभाव के कारण विद्यार्थी काम चोरी करने लगता है इसका मतलब है कि वह विद्यार्थी को दिया जाने वाला कार्य नहीं करता है और बहाने बनाने लगता है. (8) अनुशासन के अभाव के कारण उसकी शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. (9) अनुशासन नहीं होने के कारण विद्यार्थी परीक्षा में सफल नहीं हो पाता है और निराश हो जाता है जिसके परिणाम बहुत बुरे हो सकते है. (10) अनुशासनहीनता के कारण वह उपद्रव प्रवृत्ति का बन जाता है. (11) अनुशासनहीन विद्यार्थी छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होने लग जाता है.

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अनुशासन के उपाय  – Anushasan Ke Upay

अगर विद्यार्थी को अनुशासन में रहना सिखाना है तो पहले स्वयं हमें अनुशासन में रहना होगा क्योंकि विद्यार्थी हमेशा देखकर ही सीखता है. विद्यार्थी को पढ़ने के लिए एक अच्छे विद्यालय में भेजना होगा. विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद और प्रतियोगिताओं में भी भाग लेने को प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि इन सभी कार्यों से एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण होता है जो कि एक विद्यार्थी के लिए बहुत आवश्यक है.

अभिभावकों को भी अपने बच्चों को टाइम देना होगा उसने अनुशासन सिखाना होगा क्योंकि आजकल के अभिभावक सिर्फ बच्चों को स्कूल भेजना और फिर उन्हें ट्यूशन भेजना ही अपना कर्तव्य समझते है. जिसके कारण एक बच्चा अलग-थलग पड़ जाता है.

और वह बुरी प्रवृत्तियां अपना लेता है आज के इस मोबाइल और टेक्नोलॉजी के युग में अभिभावकों को घर पर कम से कम मोबाइल का उपयोग करना होगा जिससे भी अपना बच्चों को टाइम दे सकें और उनका अच्छा भविष्य बना सकें.

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16 thoughts on “विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi”

thanks for suplying us this very valluable essay

welcome ATHARVA MITTAL

Thank you for this valuable essay

welcome Yash and thank you for appreciation.

Thank you Krishna for appreciation.

आपका शुक्रिया इतनी ज्ञानपूर्वक निभन्द के लिए ।

सराहना के लिए धन्यवाद कनिष्क ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

thank you for giving this information

Welcome karthika, keep visiting hindiyatra.

Thanks for doing this favor

Welcome Sthita Pragyan Swainkeep visiting hindi yatra.

Very informative Thanks A L O T !!!

Thank you kushagra for appreciation.

This is really amazing essay.thanks for giving this marvelous essay☺ thanks a lot 😍

Thank you Ritika varshney for appreciation.

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vidyarthi aur anushasan essay in hindi 100 words

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व निबंध– Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay In Hindi

In this article, we are providing Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay In Hindi विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व निबंध। Essay in 150, 200, 300, 500, 1000 words For Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students. Checkout article on Essay on Discipline in Hindi

Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay In Hindi

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व | Vidyarthi Jeevan | Chatra Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay in Hindi ( 250 words )

हर व्यक्ति के जीवन में अनुशासन महत्त्वपूर्ण होता हैं । विद्यार्थीयों के जीवन में तो अनुशासन बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं । जीवन में अनुशासन रखने से हमें जीवन में सफलता प्राप्त होती हैं । हिंदी में एक कहावत भी हैं की अनुशासन ही सफलता की कुंजी हैं । स्कुल में नियमित आना , शिक्षकों का और सभी छात्रों का सम्मान करना , समय से पढ़ाई करना , शिक्षक सिखाते समय अपना ध्यान पढ़ाई पर ही केंद्रित रखना यह विद्यार्थी जीवन के अनुशासन हैं । यह अनुशासनों का पालन करने से विद्यार्थीयों में नियमितता , धैर्य जैसे गुण आते हैं और विद्यार्थी जीवन में सफल होते हैं ।

अनुशासन ही विद्यार्थीयों को स्कुल में और समाज में सफलता देता हैं । अनुशासन के वजह से ही विद्यार्थी अपने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर पाते हैं । अनुशासन विद्यार्थी को जिम्मेदार बनाता हैं ‌। अनुशासन के वजह से विद्यार्थी बुरी संगत से दूर रहता हैं । विद्यालयों में छात्रों को अनुशासन का पालन करना सिखाया जाता हैं । विद्यार्थी जब अनुशासन का पालन करते हैं तभी वह आगे जाकर कुछ अच्छा करते हैं और उससे देश का विकास होने में मदद होती हैं । बिना अनुशासन देश का विकास संभव नहीं हैं । इसलिए देश का विकास होने के लिए विद्यार्थीयों को बचपन से ही विद्यालयों में अनुशासन सिखाया जाता हैं । अनुशासन से ही बहुत लोगों ने सफलता प्राप्त की हैं । इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण हैं ।

Adarsh Vidyarthi Par Nibandh

Vidyarthi Jeevan Par Nibandh

Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Nibandh ( 400 words )

अनुशासन का विद्यार्थी जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व है क्योंकि यह समय वह होता है जहाँ हम जो कुछ सीखते है वह हमारे जीवन भर काम आता है। अनुशासन के अंदर बड़ों का इज़्ज़त करना, समय का सही उपयोग, नियमों का पालन,अच्छे संस्कार का अनुसरण आदि आता है। जो विद्यार्थी अनुशासन हीन होता है उसके जीवन में असफलता आना पका है क्योंकि वो अपना जीवन नियम के अनुसार नही बल्कि भावना के अनुसार चलाएगा और भावना हमेशा धोखा देती है और इसके विपरीत जो विद्यार्थी नियम का पक्का होता है वे अपने उज्वल भविष्य को अपने आने वाले जीवन में ला सकता है।

अगर कोई विद्यार्थी अनुशासनहीन होगा तो न कोई उसे पसंद करेगा और साथ ही साथ वो बुरी आदत का शिकार हो जायेगा जैसे कि छूट बोलना,टीचर की बात न मानना, माता पिता का आदर न करना, बुरी संगत में रहना ऐसे बुरे आदत में फसकर अपने जीवन को बर्बाद कर लेता है इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व बहुत है।जो अनुशासित विद्यार्थी होते है वे जानते है कि उन्हें कौन सा काम सबसे पहले करना है और वह अपने प्रति बहुत ईमानदार है ऐशे ही अन्य विद्यार्थी को भी पता रहना चाहिए कि कौन सा काम उन्हें सबसे पहले करना है और कौन सा बाद में।

विद्यार्थी को अगर अच्छे से अनुशासन सीखना है तो वो प्रकृति से सिख सकते है जिस प्रकार से सूरज अपने नियमित समय पर उगता है और अपने नियमित समय पर ढल जाता है,नदियाँ हमेशा बहती है,गर्मी और ठंड के मौसम अपने नियमित समय पर आते जाते रहते है। ये सारे काम अपने नियमित रूप से चालू रहते है अगर प्रकृति ये सारे काम को नियमित रूप से ना करे तो मानव जाति का पतन हो जाएगा ठीक इसी तरह विद्यार्थी भी अपने काम को नियमित रूप से ना करे और अपने आप को अनुशासन में ना रखे तो विद्यार्थी के जीवन में बहुत कठिनाई आ जायेगी इसलिए विद्यार्थी को जीवन में अनुशासन होना जरूरी और साथ – साथ हर एक विद्यार्थी को समय को बर्बाद ना करके अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत करनी चाहिए |

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबन्ध- Essay on Student and Discipline in Hindi

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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध

Essay on Importance of Discipline in Students life in Hindi: हम यहां पर विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में छात्र जीवन में अनुशासन का महत्व (Chatra Jeevan Mein Anushasan ka Mahatva) के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध | Essay on Importance of Discipline in Students life in Hindi

विद्यार्थी जीवन और अनुशासन 150 शब्दों में निबंध (vidyarthi jeevan mein anushasan ka mahatva).

अनुशासन हर व्यक्ति के लिए जरूरी होता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन एक अलग ही महत्व रखता है। अनुशासन के जरिए ही विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता हासिल करता है। अनुशासन विद्यार्थी को सही रास्ता दिखाने में मदद करता है। ऐसे तो अनुशासन हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। लेकिन विद्यार्थियों के लिए यह अत्यधिक जरूरी इसलिए है क्योंकि विद्यार्थी के जीवन की शुरुआत स्कूल से होती है और स्कूल से ही विद्यार्थी यदि अनुशासन की पालना करता है।

तब विद्यार्थी ना सिर्फ सफलता हासिल करता है बल्कि विद्यार्थी आगे जाकर एक अच्छा और आदर्श नागरिक भी बन सकता है। विद्यार्थी यदि अनुशासन की पालना करता है तो विद्यार्थी के संस्कार की जड़े मजबूत हो जाती है जो भविष्य में और पूरे जीवन व्यक्ति को आदर्श इंसान बनाती है।

अनुशासन व्यक्ति को जीवन जीने का तरीका, बड़ों का सम्मान करना, माता-पिता का आदर करना, अध्यापकों का सम्मान करना, धैर्य रखना और परिश्रम करना सिखाता है। अनुशासन दो प्रकार के होते हैं। एक वह जो हम अपने आपसे सीखते हैं। उसे आत्म अनुशासन कहते हैं और दूसरा जो किसी अन्य को देखकर सीखते हैं उसे प्रेरित अनुशासन कहते हैं।

vidyarthi jeevan mein anushasan nibandh

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध 250 शब्दों में (Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Nibandh)

अनुशासन हमारे जीवन में काफी अहमियत रखता है। यह जीवन में क्रमबद्धता को संदर्भित करता है, जो किसी के भी जीवन में सफलता के लिए आवश्यक है। हर कोई अपने जीवन में अलग-अलग रूप में अनुशासन का पालन करता है। अनुशासन हमें ईमानदार, मेहनती, धैर्यवान, महत्वाकांक्षी, स्वतंत्र और समयनिष्ठ बनाता है। अनुशासन के बिना जीवन रडार के जहाज के समान है।

हम सब जानते है की विद्यार्थी राष्ट्र के भविष्य की संपत्ति हैं। विद्यार्थी जीवन पुरे जीवन की नींव का निर्माण करते हैं इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का काफी गहरा महत्व है। एक अनुशासित विद्यार्थी का जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण होता है। अनुशासन हमेशा विद्यार्थी के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक मार्गदर्शक का काम करता है। एक अनुशासित छात्र अपने लक्ष्य से कभी विचलित नहीं होता और इससे विद्यार्थी अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं।

अनुशासन के दो प्रकार है। पहला है प्रेरित अनुशासन और दूसरा है आत्म-अनुशासन। प्रेरित अनुशासन एक ऐसी चीज है जो दूसरे हमें सिखाते हैं या हम दूसरों को देखकर सीखते हैं। जबकि आत्म-अनुशासन भीतर से आता है और हम इसे अपने आप सीखते हैं। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के कई अनगिनत लाभ है। विद्यार्थी के सकारात्मक दिमाग और स्वस्थ शरीर के लिए अनुशासन जरुरी है। अनुशासन विद्यार्थी को तनाव मुक्त वातावरण प्रदान करना है।

अनुशासन विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के अन्य क्षेत्रों के प्रति एकाग्र और प्रेरित होना सिखाता है। एक अनुशासित विद्यार्थी अपनी शैक्षणिक संस्थान का गौरव होता है। समाज द्वारा हमेशा उनका सम्मान किया जाता है। अनुशासन के बिना हम एक सफल छात्र की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध 500 शब्दों में (Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan ka Mahatva Nibandh)

हिंदी में एक कहावत है कि अनुशासन ही सफलता की कुंजी है। अनुशासन जीवन में आवश्यक व्यवहारों में से एक है। लेकिन दुनिया में कुछ ही लोग अनुशासन से जीवन जीना पसंद करते है। वैसे तो अनुशासन हर उम्र की व्यक्ति के लिए जरुरी होता है लेकिन विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व अधिक होता है। क्योंकि विद्यार्थी जीवन हमारे पूरे जीवन की नींव होती है, जिस पर हमारी जिंदगी की इमारत बनती है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की कमी से बहुत भ्रम और विकार पैदा करते है, जो उनके आने वाले भविष्य को तहसनहस कर देते है। बिना अनुशासन के पढ़ाई करना और सफलता पाना बेहद मुश्किल है। अनुशासन जीवन को क्रमबद्धता प्रदान करता है।

अगर हम विद्यार्थी जीवन में ही अनुशासन का महत्व समझ जाते है तो हमें किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता। विद्यार्थी जीवन बाहरी अनुशासन के साथ साथ आत्म अनुशासन बहुत भी महत्वपूर्ण है, जो उनके सिर की इच्छाओं और जुनून को रोकने में मददगार साबित होता है।

वर्तमान समय में माता-पिता अपने व्यस्त करियर के कारण अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं, जिसके कारण बच्चे अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए टीवी, मोबाइल, इंटरनेट का सहारा लेते हैं और वो अनुशासन से जीना छोड़ देते है। देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना, अपने मित्रों के साथ पार्टी करना आजकल फैशन बन गया है, जो आने वाले समय के लिए खतरे की घंटी है। विद्यार्थी जीवन में अगर अनुशासन का अभाव हो तो उदासी, चिड़चिड़ापन, कुसंगति जैसे लक्षण का हमारी जिंदगी में प्रवेश हो जाता है।

विद्यार्थी के लिए अनुशासन का रूप यह है कि वह नियमित रूप से अपने स्कूल जाता है, हमेशा अपने शिक्षकों का सम्मान करता है और जो उसने कहा है उस पर अमल करता है, स्कूल के सभी छात्रों के साथ अच्छा व्यवहार करता है, उनका सामाजिककरण करके उनके साथ मित्रवत व्यवहार करता है।

हमेशा अपने से बड़े लोगों का सम्मान करें, पढ़ाई के दौरान अपना ध्यान कहीं और न लगाएं, हमेशा एकाग्रता से पढ़ाई करें, अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनके कहे अनुसार काम करें। अनुशासन की अवहेलना करने वालों की तुलना में अनुशासित बच्चा अपने करियर को अधिक आसानी से और स्वतंत्र रूप से चुन सकता है।

अनुशासन के द्वारा ही बच्चों में धैर्य, संयम, नियमितता जैसे गुण आते है, जो उनके जीवन में सफलता पाने के लिए बेहद जरुरी है। अनुशासन बच्चों के दिमाग पर बहुत प्रभाव डालता है। किसी भी व्यक्ति के बहेतर चरित्र का निर्माण केवल अनुशासन से ही हो सकता है। इसलिए विद्यार्थी को अनुशासन का महत्व समझना बेहद जरुरी है।

अनुशासन एक राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और समाज में शारीरिक और नैतिक कानूनों के प्रति सम्मान प्रदर्शित केवल अनुशासन के द्वारा ही हो सकता है। हम सभी जानते हैं कि विद्यार्थी राष्ट्र की भविष्य की संपत्ति हैं। राष्ट्र के एक सुनहरे भविष्य के लिए अगर हम विद्यार्थी जीवन में ही अनुशासन की नींव डाल देते है तो बच्चे आगे जाकर देश के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते है और देश को प्रगति के पथ पर ले जाते है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध (800 शब्द)

जीवन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। विद्यार्थी जीवन ही व्यक्ति के संपूर्ण जीवन का आधार होता है। किसी व्यक्ति का भविष्य जीवन की इस अवधि पर निर्भर करता है। यदि यह आधारशिला कमजोर हो तो भविष्य कठिनाइयों से भरा होगा और असफलता का सामना भी करना पड़ सकता है। इन सबके लिए अनुशासन एक बहुत जरूरी चीज है।

अनुशासन ही विद्यार्थी जीवन की सफलता की कुंजी है। सिर्फ अनुशासन ही विद्यार्थी को जीवन में एकाग्र, स्वतंत्र, समयनिष्ठ और महत्वाकांक्षी बनाता है। दूसरों का सम्मान करना और आज्ञाकारी रहना अनुशासन का सिद्धांत है। अनुशासन विद्यार्थी को तनाव मुक्त जीवन देता है और साथ साथ आत्मविश्वास को बढ़ाता है। 

अनुशासन का महत्व

अनुशासन वह प्रकृति है जो प्रकृति द्वारा बनाई गई हर चीज में मौजूद है। हमारा ब्रह्मांड भी अनुशासन को अनुसरण करता है। तारे, ग्रह, चंद्रमा और सूर्य  अपनी निश्चित धरी और गति पर ही घूमते है। यदि ब्रह्मांड की वस्तुएं कुछ नियमों के अनुसार काम करना बंद कर देती हैं तो चारों ओर अराजकता और अव्यवस्था फैल जाएगी।

अनुशासन हमारे जीवन को नियंत्रित करता है। यह हमारे जीवन को जीने लायक बनाता है। विद्यार्थियों को बचपन से ही अनुशासन में रहना सिखाया जाना चाहिए ताकि उनमें अच्छे गुणों का विकास हो सके और भविष्य में किसी भी प्रकार की कठिनाई में वे स्वयं को सफल व्यक्ति के रूप में पहचान सकें। सिर्फ अनुशासन लक्ष्य और सफलता के बीच एक पुल की तरह काम करता है।

अनुशासन के प्रकार

वैसे तो पुरे जीवन में अनुशासन के कई रूप होते है लेकिन  विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के दो प्रकार है। पहला है प्रेरित अनुशासन, जिस में विद्यार्थी दूसरों को देखकर सीखते हैं या किसी महान विभूति के जीवन से प्रेरणा लेकर सीखते है। दूसरा है आत्म-अनुशासन, जो हमारे भीतर से आता है और हम इसे अपने आप सीखते हैं। आत्म-अनुशासन सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करता है। व्यक्ति सही निर्णय लेता है और सकारात्मकता फैलाता है।

अनुशासन के लाभ

अनुशासन ही विद्यार्थी को श्रेष्ठता प्रदान करता है। उसे संस्थान और समाज में उत्तम स्थान दिलाने में सहायता करता है। अनुशासन विद्यार्थी को धैर्यवान और संयमित बनाता है। यह विद्यार्थी को शांत रहने में मदद करता है। अनुशासन की वजह से विद्यार्थी अपने निश्चित लक्ष्य को आसानी से हांसिल कर पाते है। अपने दैनिक जीवन में क्रमबद्धता सिर्फ अनुशासन से ही आती है ।

विद्यार्थी को अनुशासन से सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त होता है। इन में समझदारी का विकास होता है। समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। अनुशासन जीवन में ईमानदारी और नैतिकता जैसे गुणों का विकास करता है। अनुशासन के कारन विद्यार्थी कभी बुरी संगत में नहीं पड़ता। अनुशासन से विद्यार्थी में नेतृत्व के गुण विकसित कर सकते हैं। अनुशासन आपको जिम्मेदार होना सिखाता है।

विद्यार्थी के लिए किताबी शिक्षा के साथ साथ  शारीरिक शिक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। शारीरिक शिक्षा केवल अनुशासन से ही मिलती है। अनुशासन आत्म-नियंत्रण और समर्पण जैसी भावना का विकास होता है। जो खुद को नियंत्रित नहीं कर सकता वह दूसरों को नियंत्रित कभी नहीं कर सकता। यह आपके सहनशीलता के स्तर को भी बढ़ाता है।

अनुशासनहीनता के नुकसान

अनुशासन के अभाव में विद्यार्थी एकाग्रता का अध्ययन नहीं कर पाता है। अनुशासन की कमी के कारण विद्यार्थी चिड़चिड़े हो जाते हैं। विद्यार्थी को छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लगता है। अनुशासन के बिना विद्यार्थी में धैर्य और आत्म-संयम की कमी हो जाती है और वह हर कार्य को शीघ्रता से करना चाहता है।

वह अपने से बड़े लोगों का सम्मान नहीं करता है। विद्यार्थी बड़े सपने देखता है लेकिन अनुशासन की कमी के कारण उनमें सफल नहीं हो पाता। वह उस कार्य को कभी पूरा नहीं कर पाता। अनुशासन की कमी के कारण विद्यार्थी काम की चोरी करना शुरू कर देता है। वह उसे दिया गया काम कभी नहीं करता है और बहाने बनाने लगता है।

अनुशासन की कमी के कारण उनकी शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अनुशासन की कमी के कारण विद्यार्थी परीक्षा में सफल नहीं हो पाता और निराश हो जाता है, जिसका परिणाम बहुत ही खराब होता है। उसका भविष्य खतरे में पड़ जाता है।

विद्यार्थी एक कोरे कागज की तरह होता है, जिसमें कुछ भी लिखा जा सकता है। यदि छात्र को उचित समय पर सही शिक्षा नहीं मिलती है तो वह अपने लक्ष्य से भटक सकता है और गलत रास्ते पर जा सकता है, इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व ओर भी बढ़ जाता है। अनुशासन के बिना विद्यार्थी जीवन की कल्पना करना मूर्खतापूर्ण है।

विद्यार्थी हमारे देश की भावी पीढ़ी हैं, जो आगे बढ़कर हमारे देश का निर्माण करेंगे। अगर विद्यार्थी अनुशासन में रहना नहीं जानते हैं तो वे देश को तबाही की दिशा में ले जायेंगे। विद्यार्थी को अपने विद्यार्थी जीवन में काफी अनुशासित रहना चाहिए। जो अनुशासित होता है वह जीवन में ऊँचा उठता है। महापुरुषों का जीवन अनुशासन का उदाहरण है।

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Rahul Singh Tanwar

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Comments (5).

Sir Very Nice Essay

Inspirative essay 👍👍

Good nibandh sir

Best website for kids

Very nice nibandh

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Nibandh

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - अनुशासन का महत्व - विद्या-अध्ययन का काल - विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता के कारण - कर्तव्यों की तिलांजलि देकर अधिकारों की माँग - उचित मार्गदर्शन का अभाव और अनुशासनहीनता - दूषित वातावरण का प्रभाव - उपसंहार।

माता-पिता तथा गुरुजनों की आज्ञाएँ ज्यों की त्यों स्वीकार करना ही अनुशासन कहा जाता है। अनुशासन का शाब्दिक अर्थ शासन के पीछे चलना है, अर्थात् गुरुजनों और अपने पथ-प्रदर्शकों के नियन्त्रण में रहकर नियमबद्ध जीवनयापन करना तथा उनकी आज्ञाओं का पालन करना ही अनुशासन कहा जा सकता है। अनुशासन विद्यार्थी जीवन का प्राण है। अनुशासनहीन विद्यार्थी न तो देश का सध्य नागरिक बन सकता है और न अपने व्यक्तिगत जीवन में ही सफल हो सकता है। वैसे तो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन परमावश्यक है, परन्तु विद्याथी-जीवन के लिये यह सफलता की एकमात्र कुंजी है।

विद्यार्थी-जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्त्व होता है। छात्र को हर सुबह जल्दी जग जाना चाहिए। उसे अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए। उसे अपना अधिकांश समय अपने अध्ययन में देना चाहिए। उसे झूठ नहीं बोलना चाहिए। उसे कभी भी धोखा नहीं देना चाहिए। उसे कभी किसी के प्रति अशिष्ट नहीं होना चाहिए। उसे अच्छी संगति रखनी चाहिए। छात्र देश के भविष्य होते हैं। इसलिए उन्हें उचित रूप से अनुशासित होना चाहिए। संसार के प्रत्येक महान् व्यक्ति का जीवन अनुशासित रहा है। अनुशासन के बिना कोई व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। अनुशासन हमें हमेशा शानदार अवसर देता है जैसे, आगे बढ़ने का सही तरीका, जीवन में नई चीजें सीखने, कम समय के भीतर अधिक अनुभव करने, आदि। जबकि, अनुशासन की कमी से बहुत भ्रम और विकार पैदा होते हैं। अनुशासनहीनता के कारण जीवन में कोई शांति और प्रगति नहीं होती है, जिस कारण मनुष्य अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता और अपने जीवन से निराश होकर गलत कदम उठाने पर विवश हो जाता हैं।

'विद्यार्थी' का अर्थ है 'विद्याया: अर्थी' अर्थात्‌ विद्या की अभिलाबा रखने वाला। अनुशासन का अर्थ है शासन या नियंत्रण को मानना। अपनी उच्छ्खंल चेंष्टाओं को काबू में रखना। चार वर्ष से पच्चीस वर्ष तक की आयु विद्या-अध्ययन का काल मानी जाती है। इसमें इस अवस्था में विद्यार्थी पर न घर-बार का बोझ होता है, न सामाजिक दायित्व का और न आर्थिक चिन्ता का। वह स्वतन्त्र रूप से अपना शारीरिक, बौद्धिक व मानसिक विकास करता है। यह कार्य तभी सम्भव है, जन वह अनुशासन में रहे। यह शासन चाहे गुरुजनों का हो, चाहे माता-पिता का। इससे उसमें शील, संयम, ज्ञान-पिपासा तथा नग्रता की वृत्ति जागृत होगी।

विद्यार्थी में अनुशासन के विरोध की दुष्प्रवृत्ति कुछ कारणों से जन्म लेती है । एक डेढ़ वर्ष का शिशु दूरदर्शन देखने लगता है। देखने-देखते वह जैसे-जैसे बड़ा होता है, उसे दूरदर्शन को भाषा समझ में आने लगती है । पाँच वर्ष का होते-होते वह भाषा ही नहीं भावों को भी सही या गलत समझने लगता है। प्रेम और वासना के पश्चात दूसरी शिक्षा जो दूरदर्शन देता है, वह है विद्रोह और विध्वंस की । शिशु जब किशोरावस्था तक पहुँचता है तो विद्रोह के अंकुर परिवार में फूटने लगते हैं। उसे पारिवारिक अनुशासन से चिढ़ हो जाती है। रोकर घर की चीजें फेंककर, उलटकर अपना विद्रोह प्रकट करता है। टी.वी. की भाषा में माता-पिता या अग्रजों को गाली देता है। अनुशासनहीनता की प्रवृत्ति लेकर वह विद्यार्थी बनता है। दूसरी ओर, दुर्भाग्य से हमारे राजनीतिक नेताओं ने इस निश्चिन्त विद्यार्थी-वर्ग को अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए राजनीति में घसीटकर अनुशासनहीनता का मार्ग दिखा दिया है। लगता है यह अनुशासनहीनता न केवल अध्ययन-संस्थाओं को ही, अपितु सम्पूर्ण भारत को निगल जाएगी।

आज के विद्यार्थी और अनुशासन में ३ और ६ का सम्बन्ध है। वह कर्तव्यों को तिलांजलि (त्याग) देकर केवल अधिकारों की माँग करता है और येन-केन-प्रकारेण अपनी आकांक्षाओं की तृप्ति तथा अधिकारों की प्राप्ति के लिए संघर्ष पर उतर आया है। जलसे करना, जुलूस निकालना, धुआँधार भाषण देना, चौराहों या सार्वजनिक स्थान पर नेताओं की प्रतिमाएँ तोड़ना, अकारण (बिना किसी कारण) किसी की पिटाई करना, हत्या करना, मकान व दुकान लूटना, सरकारी सम्पत्ति को क्षति पहुँचाना, बसों को जलाना, ऐसे अशोभनीय कार्य हैं जो विद्यार्थी-वर्ग के मुख्य कार्यक्रम बन गए हैं।

वस्तुत: आज का विद्यार्थी विद्या का अर्थी अर्थात्‌ अभिलाषी नहीं, अपितु विद्या की अरथी निकालने पर तुला है। उसमें रोष, उच्छुंखलता, स्वार्थ और अनास्था घर कर गई है। पढ़ने में एकाग्रचित्तता के सथार पर विध्वंसात्मक उसके मस्तिष्क को खोखला कर रही है। रही-सही कसर फैशन-परस्ती और नशाखोरी ने पूरी कर दी।

अनुशासनहीनता के कारण विवेकहीन विद्यार्थी भस्मासुर की भाँति अपना ही सर्वस्व स्वाहा कर रहा है। मन की विनाशकारी प्रवृत्ति उसके अध्ययन में बाधक है। परिणामत: प्रश्न-पत्र ठीक तरह हल नहीं होंगे तो अंक अच्छे नहीं आएंगे। अगली कक्षाओं में प्रवेश में और जीवन की प्रगति में बाधाएँ आएँगी।

दूसरी ओर, माता-पिता के उचित संरक्षण एवं मार्ग-दर्शन के अभाव में बच्चे उत्तम संस्कार ग्रहण नहीं कर पाते । विद्यालय या महाविद्यालयों में प्रवेश करके ये मर्यादाहीन और उच्छृंखल बन जाते हैं। उनकी प्रतिभा का विकास अवरुद्ध हो जाता है, मन-मस्तिष्क पर विक्षोभ छा जाता है।

तीसरे, राजनीतिज्ञों की रट है कि 'वर्तमान शिक्षा दोषपूर्ण' है। नए-नए प्रयोगों ने विद्यार्थियों में वर्तमान शिक्षा-प्रणाली के प्रति अरुचि उत्पन कर दी है। अंगूठाटेक राजनीतिज्ञ जब विश्वविद्यालयों में भाषण करता है या अल्पज्ञ और अर्द्धशिक्षित नेता शिक्षा के बारे में परामर्श देता है तो माँ सरस्वती का सिर लज्जा से झुक जाता है।

चौथे, आज शिक्षक आस्थाहीन हैं शिक्षा-अधिकारी अहंकारी तथा स्वार्थी। परिणामस्वरूप शिक्षक और शिक्षा अधिकारी विद्यार्थी से व्यावसायिक रूप में व्यवहार करते हैं। विद्यार्थी के हृदय में इसकी जो प्रतिध्वनि निकलती है, वह 'आचार्यदेवो भव' कदापि नहीं होती।

नि:सन्देह यह बात माननी पड़ेगी कि आज के स्वार्थपूर्ण अस्वस्थ वातावरण में विद्यार्थी शान्त नहीं रह सकता। अस्वस्थ प्रवृत्ति के विरुद्ध विद्रोह उसकी जागरूकता का परिचायक है। उसका गर्म खून उसको अन्याय के विरुद्ध ललकारता है। जिस प्रकार अग्नि, जल और अणुशवक्ति का रचनात्मक तथा विध्वंसात्मक, दोनों रूपों में प्रयोग सम्भव है, उसी प्रकार विद्यार्थी के गर्म खून को रचनात्मक दिशा देने को आवश्यकता है। यह तभी सम्भव है जब प्राचीनकाल के गुरुकुलों का-सा शान्त वातावरण हो, चाणक्य जैसे स्वाभिमानी, स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा स्वामी विरजानन्द सदृश तपस्वी गुरु हों।

देश के विद्यार्थियों में अनुशासन स्थापित किये बिना देश का कल्याण नहीं हो सकता। आज का विद्यार्थी कल का सभ्य नागरिक नहीं हो सकता, इसके लिए हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करने होंगे। देश के नागरिकों का निर्माण अध्यापकों के हाथों में है। उन्हें भी अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। स्वतंत्रता के पहले बहुत-सी समस्याएँ नहीं थीं। लेकिन अब, हमारा देश भ्रष्टाचार, घूसखोरी, घोटाला, धोखेबाजी, आतंकवाद आदि-जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। कुछ युवा भ्रमित हो चुके हैं। सिर्फ शिक्षित और अनुशासित विद्यार्थी ही हमारे देश को उज्ज्वल भविष्य दे सकते हैं। अंत: यह कहना गलत नहीं होगा कि अनुशासन वह सीढ़ी है जिसके माध्यम से विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता की ऊँचाई की ओर चढ़ सकता है। यह उसे अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और उसे अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देता हैं। अनुशासन ही इन समस्याओं का एकमात्र समाधान है।

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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर हिंदी निबंध

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध (Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay In Hindi)

आज   हम विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध (Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay In Hindi) लिखेंगे। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर लिखा हुआ यह निबंध   आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध (Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay In Hindi)

सभी के जीवन में अनुशासन का बहुत ही महत्व रहता है। अनुशासन का पालन किए बिना हम कभी भी एक सफल व्यक्ति नहीं बन सकते। और जब बात आती है विद्यार्थी जीवन की, तो अनुशासन का महत्व और भी कई गुना बढ़ जाता है।

अगर कोई विद्यार्थी समय का सदुपयोग कर खुद को अनुशासित रखता है, तो वह अवश्य ही सफलता की सीढ़ी को चढ़ता है। अनुशासित रहकर विद्यार्थी नियमों का पालन करना भी सीखते हैं। अनुशासन का पालन करके ही आगे चलकर एक बच्चा आदर्श नागरिक बनता है।

आदर्श नागरिक बनने के बाद ही वह समाज के लिए एक अच्छा उदाहरण बन सकता है। इतना ही नहीं आदर्श नागरिक बनकर वह अपने देश को भी कई प्रकार से लाभ पहुंचाता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि हम अनुशासन के महत्व को समझें और इसे अपने जीवन में लागू करें। बिना अनुशासन से हमारे जीवन का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।

स्वयं को अनुशासित रखना बेहतरीन कलाओं में से एक है। अगर विद्यार्थी अपने जीवन में अनुशासन अपना लें तो वह अवश्य ही अपनी पढ़ाई को अच्छी तरह से पूरा कर पाएंगे और अच्छी तरह से शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे।

बिना अनुशासन के कोई भी विद्यार्थी अच्छे अंको से पास नहीं हो सकता है। उसे हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए बहुत जरूरी होता है कि एक विद्यार्थी खुद को अनुशासित करके रखें।

अनुशासन का अर्थ

अनुशासन शब्द के अर्थ का अनुमान हम इसे लिखे जाने के तरीके से ही लगा सकते हैं। यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, अनु + शासन। अनु का अर्थ होता हैं – पालन और शासन का अर्थ होता हैं – नियम। जिसका अर्थ होता हैं नियमों का पालन करना।

आसान शब्दों में कहें तो, अनुशासन का दूसरा अर्थ होता हैं, जो व्यक्ति अपने जीवन में नियमों का पालन करके अपना जीवन बिताता हैं उसे ‘अनुशासन’ कहा जाता हैं।

जीवन में अनुशासन का महत्व

जीवन में अनुशासन का महत्व उतना ही महत्वपूर्ण है, जिस प्रकार से चाय में चीनी का होना जरूरी होता है। बिना अनुशासन के मनुष्य पशु के समान हो जाता है। अनुशासन मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग है।

अनुशासन ही वह महत्वपूर्ण चारित्रिक विशेषता है, जो मनुष्य को पशुओं से अलग करती है। क्योंकि अनुशासन के बिना मनुष्य बिल्कुल जानवर की तरह हो जाता है। किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी रहता है कि हम अनुशासित रहकर उस काम के प्रति ध्यान लगाकर वह काम करें।

अगर हम बिना अनुशासन के उस काम को पूरा करने की कोशिश करेंगे, तो हम कभी भी वह कार्य पूरा नहीं कर पाएंगे। इसलिए हमें हमेशा यह कोशिश करनी चाहिए कि हम अनुशासन में रहें, क्योकि अनुशासन में रहकर ही हमें सफलता की प्राप्ति हो सकती है।

अगर हम अनुशासन में ना रहकर किसी काम को पूरा कर रहे हैं, तो हमें समझ लेना चाहिए कि हम अपनी असफलता की तैयारी कर रहे हैं।

अनुशासन और देश का विकास

किसी भी व्यक्ति के जीवन की शुरुआत सबसे पहले विद्यार्थी बनकर होती है। हम बचपन से ही 3 साल की उम्र में स्कूल जाना शुरू कर देते हैं और यही बच्चे आगे चलकर देश के नागरिक बनते हैं। तो जो कुछ भी हम इन बच्चों को सिखाते हैं और पढ़ाते हैं वह हमारे देश के भविष्य में योगदान देता है।

इसलिए बहुत जरूरी होता है कि हम विद्यार्थियों को अनुशासन का महत्व अच्छी तरह से सिखाएं। जिससे कि वह आगे चलकर देश के आदर्श नागरिक बने। अनुशासित व्यक्ति सही पद पर पहुंचकर उसका सही उपयोग करते हैं। अनुशासित व्यक्ति कभी भी समय का दुरुपयोग नहीं करते।

उन्हें जो भी कार्य दिया जाए वह समय पर पूरा करने की कोशिश करते हैं। वह अपने अनुशासन की कला का इस्तेमाल करके समाज और देश को लाभ पहुंचाते हैं। वास्तव में जो व्यक्ति अनुशासन में रहता है, वहीं देश के विकास में योगदान कर सकता है।

वह व्यक्ति जिसे अनुशासन का महत्व ही ना मालूम हो वह देश के लिए ज्यादा कारगर साबित नहीं होता। यह कहना गलत नहीं होगा कि वास्तव में एक अनुशासन शील व्यक्ति ही देश को प्रगति की ओर अग्रसर करता है। अनुशासन युक्त विद्यार्थी जीवन में देश को आगे बढ़ाता है।

अनुशासन के बिना विद्यार्थी जीवन

अनुशासन के बिना विद्यार्थी जीवन की कल्पना करना काफी कठिन है। विद्यालय जाने का महत्वपूर्ण कारण यही होता है कि एक बच्चे के अंदर अनुशासन का पालन करने की इच्छा उत्पन्न की जाए। अनुशासन में रहे विद्यार्थी ही अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं। ऐसे विद्यार्थी हर शिक्षक की नजर में रहते हैं और हर वक्त प्रशंसा पाते हैं।

अगर किसी विद्यार्थी या बच्चे को अनुशासन के बारे में सिखाया जाए, तो उसे अपने जीवन की समस्याओं को हल करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। वहीं दूसरी और जो विद्यार्थी बिना अनुशासन के चलते हैं उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

जो विद्यार्थी अनुशासन हीन होता है उसे कोई पसंद नहीं करता। अनुशासन हीन व्यक्ति जीवन में ईर्ष्या, अहिंसा, असत्य, बड़ों से झूठ बोलना, बड़ों का आदर ना करना, अपने गुरु का आदर ना करना, गलत संगत में फसना आदि से ग्रसित हो जाता हैं।

इस प्रकार से अनुशासन हीन विद्यार्थी अपने जीवन को बर्बादी की राह पर ले जाते हैं। अनुशासन हीन व्यक्ति बुरे गुणों के आदी हो जाते हैं।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। सभी अध्यापकों को अपने शिष्य को अनुशासन का महत्व जरूर सिखाना चाहिए। क्योंकि अगर एक बार किसी विद्यार्थी को अनुशासन में रहने की कला आ जाती है, तो उसका जीवन आसान हो जाता है और वह किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक कर लेता है।

इतना ही नहीं बल्कि घर पर माता-पिता को भी यह ध्यान देना चाहिए कि उनका बच्चा अनुशासन सीखें। उन्हें अपने बच्चे को अनुशासन युक्त व्यक्ति बनाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्हें अच्छे अच्छे गुण और अनुशासन का महत्व बताना चाहिए।

अगर बच्चा अनुशासन में रहेगा तो ही एक सफल जीवन की ओर अग्रसर होगा और बुरी संगति से हमेशा बचकर रहेगा। वास्तव में अनुशासन ही विद्यार्थियों के जीवन में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाता है।

इन्हे भी पढ़े :-

  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay In Hindi)
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तो यह था विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध , आशा करता हूं कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva)   आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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अनुशासन पर निबंध (Essay On Discipline In Hindi)- विद्यार्थी और अनुशासन के बारे में पढ़ें

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अनुशासन पर निबंध (Essay On Discipline In Hindi) – अनुशासन हर व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन कायम कर लेता है, वो व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त कर लेता है। अनुशासन का अर्थ (anushasan ka arth) की बात करें, तो ये दो शब्दों से अनु और शासन से मिलकर बना हुआ है जिसका अर्थ है नियंत्रण में रहना अथवा किसी भी काम के प्रति नियमों में रहना। विद्यार्थी और अनुशासन (vidyarthi aur anushasan) का नाता बहुत ही पुराना है। अगर विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व सिख लेते हैं, तो वे हर पड़ाव आसानी से पार कर लेते हैं। अनुशासन क्या है, अब तक आप समझ चुके होंगे। जीवन में अनुशासन का महत्व, अनुशासन के प्रकार और अनुशासन के लाभ बारे में जानने के लिए हमारा आर्टिकल पढ़ें।

अनुशासन पर निबंध (Essay On Discipline In Hindi)

आप इस आर्टिकल के माध्यम से आसान भाषा में अनुशासन पर निबंध (anushasan par nibandh) पढ़ सकते हैं। आपको अनुशासन पर निबंध हिंदी में (discipline essay in hindi) पढ़कर अनुशासन की पूरी जानकारी मिल जाएगी। इस पेज पर hindi essay on discipline को 1000 / 300 /100 शब्दों में लिखा गया है। तो चलिए नीचे फिर अनुशासन पर लेख (anushasan par lekh) देखते हैं।

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अनुशासन दो शब्दों अनु और शासन से मिलकर बना हुआ है जिसका अर्थ है नियंत्रण में रहना अथवा किसी भी काम के प्रति नियमों में रहना। एक सुखीपूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है और उससे भी ज्यादा जरूरी है अनुशासन को निभाना उसे पूर्ण रूप से जीवन में बनाए रखना। यह जीवन के एक अभिन्न अंग की तरह काम करता है। अनुशासन सफलता पाने की कुंजी है।

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अनुशासन का महत्त्व

अनुशासन का किसी एक कार्य में नहीं बल्कि जीवन के प्रत्येक हिस्से में महत्त्व है। अनुशासन हमारे भटकते जीवन को एक नई दिशा दिखाने का काम करता है। अनुशासन सफल जीवन की पहली राह है क्योंकि प्रगति की ओर बढ़ने में अनुशासन मुख्य रूप से सहयोगी होता है। समय किसी की नहीं सुनता, समय पर हर काम पूरा करना बेहद जरूरी होता है। यह अनुशासन के बिना असम्भव है। समय को अपने हाथों में संजो कर रखना अनुशासन के साथ ही हो सकता है। अगर हम अनुशासन को बचपन से या विद्यार्थी समय से ही जीवन में उतार लेते हैं, तो हमारा जीवन किसी स्वर्ग से कम नहीं कहलाता है। हमारी पृथ्वी सजग रूप से चल रही है, किस वजह से? इसमें अनुशासन की ही अहम भूमिका है; समय पर सूर्य का उगना और ढलना, मौसम में परिवर्तन, फसलों को समय पर उगाना और काटना। यदि हमें राष्ट्र का भी विकास सजग रूप से होते हुए देखना है, तो उसमें भी अनुशासन का पालन करते हुए सभी परिवर्तन समय से होना जरूरी है।

अनुशासन का लाभ और आवश्यकता

अनुशासन के लाभ:- यदि हम अपने जीवन में अनुशासन को अपना लेते हैं, तो उससे ना हमारे जीवन में बदलाव आएगा बल्कि हमारी बढ़ती हुई बढ़ोतरी की वजह से हमें हर जगह मान–सम्मान प्राप्त होगा। प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा आदर किया जाएगा। यदि कोई भी ऐसा काम हो कि ये हमें आज ही करना जरूरी है जिसकी पल भर देरी सभी खराब कर सकती है वहां सबसे ज्यादा हमें अनुशासन ही लाभ देगा। अनुशासन की विद्यालय, सेना, सरकार से जुड़े काम, जीवन की हर प्रक्रिया में जरूरत होती है।

अनुशासन का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है?

अनुशासन हमारे जीवन से जुड़े प्रत्येक कार्य में जरूरी होता है। अनुशासन अपनाए बिना जीवन जीने का कोई मूल्य नहीं। यदि हम कोई भी काम करते हैं, तो जब तक हम उसमें कोई समय निश्चित नहीं करेंगे, उससे जुड़े नियमों के प्रति अनुशासन में नहीं रहेंगे, तो वह काम कभी समय पर पूरा होगा ही नहीं, वह आज करने या कल करने पर ही चलता रहेगा। इससे जीवन की अर्थव्यवस्था हिल–डुल जाती है। प्रत्येक कार्यों में परिपक्वता बनाए रखने के लिए जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है। अनुशासन के बिना हमारा जीवन असफल है। अनुशासन को अपनाना शुरू में हमारे लिए बहुत ही मुश्किल होता है, क्योंकि एक ही बार में हम किसी भी कार्य के प्रति सजग नहीं होते है लेकिन अगर हम इसे पूर्ण रूप से अपना लेते हैं, तो उसका परिणाम हमारे लिए सबसे अधिक लाभप्रद होगा।

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का क्या महत्त्व है?

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन (vidyarthi jeevan mein anushasan):- विद्यार्थी जीवन में अनुशासन कई प्रकार से विद्यार्थी का सहयोगी होता है। यदि विद्यार्थी शुरू से ही अनुशासन को अपने जीवन में उतार लेता है, तो उसे हर पग पर सफलता पाने से कोई रोक नहीं सकता। इससे वह केवल स्वयं का नहीं बल्कि अपने परिवार, अपने राष्ट्र का भी उद्धार करेगा। एक विद्यार्थी के लिए अनुशासन उसकी पढ़ाई, खेल–कूद, करियर हर चीज़ में काम आता है। विद्यार्थी को अपने पूरी दिनचर्या में अनुशासन को बनाए रखना जरूरी होता है चाहे वह काम विद्यालय से जुड़ा हो या फिर घर से। उसे समय पर उठना, प्रतिदिन स्नान करना, समय से खाना खाना, अनुशासन में विद्यालय में जाना, सभी नियमों का पालन करना, विद्यालय द्वारा दिया गया कार्य समय से करना बहुत जरूरी माना जाता है। इस तरह की जीवनशैली ही जीवन को एक नई दिशा दे सकती है। हम ऐसे कई विद्यार्थी भी देख सकते हैं जो बिना पढ़े ही पास होना चाहते हैं, किसी भी तरह के प्रयत्न में उनका कोई ध्यान नहीं होता। वे अपने जीवन की दुर्दशा कर लेते है। सबसे पहले तो ऐसे विद्यार्थियो के लिए अनुशासन बहुत जरूरी होता है।

अनुशासन का पालन कैसे करना चाहिए?

हमें समय से उठकर, नियमित नहाकर, संतुलित आहार खाना चाहिए। हम जो भी काम करते हैं हमें ध्यान रखना चहिए कि वह काम समय से पूरा हो जाए। हमें इधर-उधर घूमकर व्यर्थ की बातों में समय नहीं गवाना चाहिए। ना ही ऐसी कोई आदत अपनानी चाहिए जो हमारे जीवन और अनुशासन पर गलत प्रभाव डाले।

अनुशासन कितने प्रकार के होते हैं?

अनुशासन के प्रकार मुख्य रूप से दो होते हैं:- 1. बाह्य अनुशासन और 2. आंतरिक अनुशासन। बाह्य रूप से अनुशासन का अर्थ है किसी के द्वारा थोपने पर अनुशासन को जीवन में उतारना जिसका कोई मोल नहीं; यह भी कुछ ही समय के लिए जीवन में चलता है। जबकि आंतरिक अनुशासन का ही जीवन में मोल होता है। क्योंकि जब तक हम किसी भी चीज़ को आंतरिक रूप से नहीं अपनाएंगे, वह बात और लक्ष्य कभी पूरा नहीं होगा।

अनुशासन का उद्देश्य क्या है?

अनुशासन का उद्देश्य है समाज में शांति बनाए रखना, सामाजिक या आर्थिक अर्थव्यवथा को नियंत्रण में रखना, शासन बनाए रखना, जीवन को सही दिशा में रखना, मनुष्य को जीवन के कर्म के प्रति प्रेरित करना। अनुशासन का दूसरा नाम क्या है:- अनुशासन के दूसरे नाम को हम विद्यार्थी जीवन से संबोधित कर सकते हैं। यह धारना त्रिभुवनेश भारद्वाज द्वारा मानी गई है।

अनुशासन कैसे बनाया जाता है?

हमें अपने जीवन में अनुशासन को बनाए रखने के लिए हर एक चीज़ का ध्यान रखना होगा कि कब हमें उठना है, किस समय खाना खाना है ऐसी दिनचर्या के साथ हमें सबसे पहले समय के महत्त्व को समझना है। हमें नियमों का सटीकता से पालन करना है। किसी भी काम को पूरा करने के लिए आत्मविश्वास बनाए रखना है। इसके साथ हमें सकारात्मक सोच भी रखनी है ताकि किसी भी काम में अगर हमें कोई हानि प्राप्त होती है, तो भी हम अनुशासन बनाते हुए आगे बढ़ सकें।

हम इसका यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यदि हम अपने जीवन में अनुशासन को नियमित रूप से मानने लगते हैं, तो यह हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। एक अनुशासित व्यक्ति को कोई पकड़ नहीं सकता, हर कोई उसके जैसा बनने की इच्छा रखेगा। अनुशासन के बिना जीवन जीने का कोई मतलब नहीं होता है। अनुशासन हमारे लिए जिंदगी सवारने जैसा होता है।

अनुशासन पर निबंध 100 शब्द

अनुशासन जीवन का एक मूल अंग है। इसके बिना कोई भी इंसान सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। हमें एक अच्छा इंसान बनना है तो हमें अपने जीवन में अनुशासन लाना बहुत ही जरूरी है। हर एक इंसान की सफलता के पीछे अनुशासन होता है। यदि आप छात्र हैं और आप एक अनुशासन के साथ अपनी पढ़ाई करते हैं, तो आपको परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता है। अगर आप एक निजी कंपनी में काम करते हो। उस काम को आप पूरे अनुशासन के साथ करते हो, तो आपको एक सफल इंसान बनाने से कोई नहीं रोक सकता है।

अनुशासन पर निबंध 300 शब्द

मेरे परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आए। क्या अपने अपनी पढ़ाई अनुशासन के साथ की थी?, सवाल इसलिए है क्योंकि अगर आप परीक्षा से पहले पूरे अनुशासन के साथ पढ़ाई करते तो आपके जरूर अच्छे अंक आते। जो विद्वान आज सफलता की सीढ़ी चढ़ रहें हैं, उसके पीछे केवल अनुशासन ही है। उन्होंने अपने सभी काम एक अनुशासन के साथ किये हैं। ऐसे दुनिया में अनेक लोग हैं जो अपना सभी काम अनुशासन के साथ करते हैं। अनुशासन के बिना हमारा जीवन असफल है। अनुशासन को अपनाना शुरू में हमारे लिए बहुत ही मुश्किल होता है, क्योंकि एक ही बार में हम किसी भी कार्य के प्रति सजग नहीं होते हैं लेकिन अगर हम इसे पूर्ण रूप से अपना लेते हैं, तो उसका परिणाम हमारे लिए सबसे अधिक लाभप्रद होगा।

हमें अपने जीवन में अनुशासन लाने के लिए हर प्रयास करने चाहिए। जैसे कि हमें सुबह कब उठना है, हमें किस समय पढ़ाई करनी है, किस समय लंच-डिनर करना है, हमें दिनचर्या को पूरे अनुशासन के साथ करना है। इसके साथ-साथ हमें एक सकारात्मक सोच भी रखनी है। यदि हम सकारात्मक सोच रखेंगे, तो हमारा पूरा काम आसान हो जायेगा।

अनुशासन हमारे लिए एक बहुत अच्छा अवसर पैदा करता है। जीवन में आगे बढ़ने का एक सही तरीका भी सिखाता है। अनुशासन के साथ हम कम समय में अपने जीवन को बहुत अच्छा बना सकते हैं। एक अनुशासित व्यक्ति जब समाज के लिए काम करता है, तो उसके सभी गुण एक मिसाल बन जाते हैं। अनुशासित व्यक्ति के साथ लोग अच्छे से पेश आते हैं। लेकिन अनुशासनहीन व्यक्ति के साथ न ही समाज और न ही लोग अच्छे से पेश आते हैं। इसलिए जीवन में हर व्यक्ति को अनुशासन का पालन कर एक अच्छा इंसान बनना चाहिए।

अनुशासन पर 10 लाइन

1. अनुशासन हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

2. हमें आज से ही अपने जीवन में अनुशासन का पालन करना होगा।

3. अनुशासन के बिना हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं।

4. अगर हमने अनुशासन का पालन नहीं किया, तो हमारा जीवन असफलता की तरफ जा सकता है।

5. अनुशासन हमें एक अच्छा इंसान बनाता है।

6. अनुशासन का पालन करना विद्वान का सबसे बड़ा गुण है।

7. जीवन में अनुशासन का न होना, हमें आलसी, बेपरवाह और लापरवाह बनाता है।

8. अनुशासन हमें जीवन में सम्मान दिलाता है।

9. जीवन में अनुशासन हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

10. अनुशासन के परिणाम हमारे लिए सबसे अधिक लाभदायक होंगे।

अनुशासन के निबंंध पर अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)

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प्रश्न- अनुशासन से क्या समझते हैं? उत्तर: अनुशासन हर इंसान के लिए बहुत जरूरी है जैसे इंसान के लिए खाना, पीना, रहना, सोना घूमना-फिरना आदि। अनुशासन का मतबल साफ है यदि अनुशासन नहीं तो जीवन में सफलता नहीं।

प्रश्न- जीवन में अनुशासन का क्या महत्व है? उत्तर: जैसे जीवन को जीने के लिए पानी बहुत जरूरी है वैसे ही जीवन में अनुशासन भी बहुत जरूरी है। अनुशासन का किसी एक कार्य में नहीं बल्कि जीवन के प्रत्येक हिस्से में महत्त्व है।

प्रश्न- विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का क्या महत्व है? उत्तर: विद्यार्थी जीवन में अनुशासन कई प्रकार से विद्यार्थी का सहयोगी होता है। यदि विद्यार्थी शुरू से ही अनुशासन को अपने जीवन में उतार लेता है, तो उसे हर पग पर सफलता पाने से कोई रोक नहीं सकता। इसलिए विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का बहुत ही महत्व है।

प्रश्न- अनुशासन कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर: अनुशासन के प्रकार मुख्य रूप से दो होते हैं:- बाह्य और आंतरिक अनुशासन। पूरी जानकारी ऊपर आर्टिकल से पढ़ें।

अनुशासन पर निबंध (anushasan essay in hindi) देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना है। आपको हमारे द्वारा दिए हुए अनुशासन पर निबंध (essay on anushasan in hindi) कैसा लगा? हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध हिंदी में Vidyarthi Jeevan And Anushasan Short Essay

Vidyarthi Aur Anushasan Short Essay |अनुशासन हीनता के कारण

मित्रों Vidyarthi Aur Anushasan विद्यार्थी और अनुशासन  पर हिंदी में निबंध प्रस्तुत है. यदि वर्तमान परिवेश में देखा जाये तो विद्यार्थी और अनुशासन Essay in Hindi , निबंध लेखन का एक महत्वपूर्ण विषय है. आप विद्यार्थी और अनुशासन पर हिंदी निबंध पढ़ें एवं अपने ज्ञान का वर्धन करें. हमें उम्मीद है कि विद्यार्थी और अनुशासन निबंध आपको अवश्य पसंद आएगा.   

दरअसल आपको यह बता दें कि नियमवद्ध एवं नियन्त्रण में रहकर कार्य करना अनुशासन कहलाता है। अनुशासन मानवजीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है। सूर्य का अस्त होना, ऋतुओं का परिवर्तन इस तथ्य के प्रमाण हैं। कोई भी जब अनुशासनहीन जाता है तो अव्यवस्था पूरी तरह से फैलती है। प्रत्येक मनुष्य अनुशासन में रहकर ही समाज के लिए बहुत ही उपयोगी हो सकता है। स्तिथियों में अनुशासन का होना बहुत अनिवार्य है क्योंकि उन्होंने आगे चलकर देश की बागडोर सम्भालनी है। शासन विद्यार्थी जीवन की सफलता की एक बहुत बड़ी कुंजी है।

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अनुशासन का महत्त्व

बता दें कि बिना अनुशासन के विद्यार्थी जीवन का निर्माण बिल्कुल भी नहीं कर सकता। जो विद्यार्थी अनुशासन में नहीं रहता उसे असफलता का मुँह देखना अवश्य पड़ता है। जिस सेना में अव्यवस्था हो वह सेना भी देश की रक्षा करने में पूरी तरह से असफल हो जाती है। जिस कारखाने में मजदूर अनुशासनहीन हो जाते हैं, वह शीघ्र ही अवनति के गड्डे में गिर जाता है।

कहा जाता है कि शिक्षा प्रांगण में राजनीति भी इसका एक कारण बना हुआ है। विद्यार्थी आज-कल नकारात्मक राजनीति भी करने पर उतारू है, झूठ, लड़ाई-झगड़े से चुनाव जीतना चाहते हैं। विद्यार्थी अपना यूनियन बनाकर बेतूकी बातें मनवाते हैं। परीक्षा भी परिश्रम से पास करने के बजाए नक़ल करने के नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं। शिक्षकों के प्रति उनके मन में कोई सम्मान की भावना नहीं होती। वर्तमान समय में उपयुक्त करने के अलावे अनेक कारण हैं, जिससे आज विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता दिखाई मिलती है।

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अनुशासनहीनता रोकने के उपाय

अनुशासनहीनता रोकने का पहला उपाय है-आत्मानुशासन में रहना। अगर मनुष्य अपने शासन में रहता है तो यह समस्या नहीं आती है। इसके अलावा छात्रों को नैतिक शिक्षा अवश्य दी जानी चाहिए। छात्रों के साथ मित्रवत व्यवहार करना, उनकी बातें सुनकर उनकी समस्या का निवारण करने से अनुशासनहीनता पूरी तरह से रोकी जा सकती है।

विद्यालय में एक आदर्श विद्यार्थी कहलाने के लिए अनुशासन का पालन बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए विद्यालय के नियमों, अपने अध्यापक एवं प्रधानाचार्य की आज्ञा का पालन करना अत्यावश्यक हो जाता है। इतना ही नहीं, विद्यालय की संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना और अपने आसपास साफ़-सफ़ाई रखना अनुशासन के ही अंग माने गये हैं। दुर्भाग्य से विद्यार्थी अनुशासनहीनता पर उतरकर अवांछनीय कार्यों में पूरी तरह से शामिल हो जाते हैं।

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आज की स्थिति

प्राचीनकाल में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर शिक्षा ही ग्रहण किया करते थे। वहाँ का वातावरण बडा अनुशासित होता था। विद्यार्थी अपने गुरुओं का पूरा सम्मान भी किया करते थे। वहाँ अमीर-गरीब, ऊँच-नीच का भेदभाव बिल्कुल भी न था। सभी विद्यार्थी इकट्ठे होकर एक ही गुरू के पास विद्या ग्रहण किया करते थे। भगवान् कृष्ण एवं सुदामा ने सदीपन ऋषि के आश्रम में इकट्ठे ही विद्या ग्रहण की। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के बिना सफल जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भारत में जीवन के प्रत्येक पहलू में अनुशासनहीनता दृष्टिगोचर हो रही है। विद्यार्थी की रुचि पढ़ाई की ओर नहीं। कभी एक विश्वविद्यालय में तो कभी दूसरे विश्वविद्यालय, कभी एक परीक्षा केन्द्र में तो कभी दूसरे परीक्षा केन्द्र में हड़ताल, मारपीट आदि समाचार प्रतिदिन का विषय अधिकतर बने हुए हैं। अपनों से बड़ोंका आदर करना, उनका कहा मानना तो विद्यार्थी एकदम से भूलता ही जा रहा है। शारीरिक दण्ड न होने के कारण अनुशासनहीनता बहुत तेजी से बढ़ती ही जा रही है। परीक्षाएं तो आजकल अध्यापकों के लिए सिर दर्द बन कर रह गई हैं। नकल करना विद्यार्थी अपना पूर्ण अधिकार समझते हैं।

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  • विद्यार्थी जीवन के अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं- अनुशासनहीनता का पहला कारण माता-पिता की ढील होती है। पहले तो माता पिता प्यार के कारण बच्चों को कुछ नहीं कहते परन्तु जब हाथ से निकल जाते हैं तो बहुत ही पश्चाताप करते हैं।
  • आजकल विद्यार्थी पढ़ाई में रुचि बिल्कुल भी नहीं रखते। वे केवल साज शृंगार, सुख, आराम का इच्छुक पाते हैं। उन्हें अनुशासन में रहने के नियमों पर चलने को कहा जाता है तो वे अनुशासनहीनता का सहारा एकदम से ले लेते हैं।
  • विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता का तीसरा कारण राजनीतिक पार्टियां होती हैं। राजनीतिक पार्टियां अपना स्वार्थ हल करने के लिए विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता पूरी तरह से फैलाती हैं।
  • अध्यापक की अपनी कमजोरी भी इसका एक बहुत ही बड़ा कारण है। जब अध्यापक अपने विषय का पूरा ज्ञाता नहीं होता तो विद्यार्थी शीघ्र ही उनकी कमजोरी को भांप लेते हैं तथा अपनी पढ़ाई में रुचि बिल्कुल भी नहीं रखते हैं।

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आपको यह भी बता दें कि विद्यार्थी जीवन एक अमूल्य हीरे के समान ही होता है। अगर इसे अनुशासित ढांचे में ढालोगे तो यह एक ओर चमक उठेगा। अनुशासन में रहकर ही जीवन की गाड़ी ठीक – ठाक ढंग से चलती है। अनुशासन केवल विद्यार्थी के लिए ही बहुत ही आवश्यक नहीं होता बल्कि प्रत्येक मानव एवं प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह अनिवार्य होता है। इससे समाज में शान्ति बनी रहती है एवं समाज समृद्धि की ओर एकदम से अग्रसर बना होता है।

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | vidyarthi aur anushasan par nibandh | 100-500 words.

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध || Vidyarthi Aur Anushasan Par Nibandh In Hindi

Vidyarthi Aur Anushasan Par Nibandh: तो फ्रेंड्स आप एक स्टूडेंट हो और आप किसी स्कूल में पढ़ते हो आपकी क्लास कोई भी हो सकती है पहली से बारहवीं तक आपको विद्यार्थी जीवन के अनुशासन के बारे में स्कूलों में सिखाया जाता है।

और यहां पर हम आप लोगों को विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध या अनुशासन का महत्व निबंध या जीवन में अनुशासन का महत्व निबंध देने वाले हैं।

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध || Vidyarthi Aur Anushasan Par Nibandh In Hindi

तो स्टूडेंट आपकी कोई भी एग्जाम हो त्रैमासिक अर्धवार्षिक या फिर वार्षिक हिंदी विषय में एक निबंध जरूर पूछा जाता है किसी न किसी टॉपिक पर तो हम यहां पर आप लोगों को विद्यार्थी और अनुशासन या अनुशासन का महत्व पर निबंध देने वाले हैं जो कि आप तैयारी करोगे तो आपकी आने वाली एग्जाम्स में लिख पाओगे।

तो फ्रेंड्स हमने यहां पर पूरा निबंध दिया है आप पूरी तरीके से इसको पढ़ लीजिएगा तो आपके परीक्षाओं के लिए कुछ अंक जरूर निश्चित हो जाएंगे।

  • विद्यार्थी और अनुशासन 
  • अनुशासन का महत्त्व
  • “शासक बनकर जीवन में गर करना चाहते हो शासन ।
  • विद्यार्थी जीवन से तपो और अपनाओ अनुशासन ॥”

Vidyarthi Aur Anushasan Par Nibandh Class 1-12Th

विस्तृत रूपरेखा- 

  • ( 1 ) प्रस्तावना , 
  • ( 2 ) अनुशासन की आवश्यकता , 
  • ( 3 ) अनुशासन के लाभ , 
  • ( 4 ) छात्रानुशासन , 
  • ( 5 ) उपसंहार ।

प्रस्तावना – अनुशासन शब्द अनु + शासन के योग से बना है । शासन का अर्थ है नियम , आज्ञा तथा अनु का अर्थ है – पीछे चलना , पालन करना । इस प्रकार अनुशासन का अर्थ शासन का अनुसरण करना है । किन्तु इसे परतन्त्रता मान लेना नितान्त अनुचित है । विकास के लिए तो नियमों का पालन आवश्यक है । अनुशासन आत्मानुशासन का ही एक अंग है । 

अनुशासन की आवश्यकता – जीवन की सफलता का मूलाधर अनुशासन है । समस्त प्रकृति अनुशासन में बँधकर गतिवान रहती है । सूर्य , चन्द्रमा , नक्षत्र , सागर , नदी , झरने , गर्मी , सर्दी , वर्षा एवं वनस्पतियाँ आदि सभी अनुशासित हैं ।

अनुशासन सरकार , समाज तथा व्यक्ति तीन स्तरों पर होता है । सरकार के नियमों का पालन करने के लिए पुलिस , न्याय , दण्ड , पुरस्कार आदि की व्यवस्था रहती है । ये सभी शासकीय नियमों में बँधकर कार्य करते हैं । सभी बुद्धिमान व्यक्ति उन नियमों पर चलते हैं तथा जो उन नियमों का पालन नहीं करते हैं , वे दण्ड के भागी होते हैं ।

सामाजिक व्यवस्था हेतु धर्म , समाज आदि द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करने वाले व्यक्ति सभ्य , सुशील तथा विनम्र होते हैं । जो लोग अनुशासनहीन होते हैं , वे असभ्य एवं उद्दण्ड की संज्ञा से अभिहित किये जाते हैं तथा दण्ड के भागी होते हैं । अनुशासन न मानने वाले व्यक्ति को समाज में हीन तथा बुरा माना जाता है । व्यक्ति स्वयं अनुशासित रहे तो उसका जीवन स्वस्थ , स्वच्छ तथा सामर्थ्यवान बनता है । वह स्वयं तो प्रसन्न रहता है , दूसरों को भी अपने अनुशासित होने के कारण प्रसन्न रखता है ।

ऋषि – महर्षि अध्ययन के बाद अपने शिष्यों को विदा करते समय अनुशासित रहने पर बल देते थे । वे जानते थे कि अनुशासित व्यक्ति ही किसी उत्तरदायित्व को वहन कर सकता है । अनुशासित जीवन व्यतीत करना वस्तुतः दूसरे के अनुभवों से लाभ उठाना है । समाज ने जो नियम बनाये हैं , वे वर्षों के अनुभव के बाद सुनिश्चित किये गये हैं । भारतीय मुनियों ने अनुशासन को अपरिहार्य माना , ताकि व्यक्ति का समुचित विकास हो सके ।

अनुशासन के लाभ – अनुशासन के असीमित लाभ हैं । प्रत्येक स्तर की व्यवस्था के लिए अनुशासन आवश्यक है । राणा प्रताप , शिवाजी , सुभाषचन्द्र बोस , महात्मा गाँधी आदि ने इसी के बल पर सफलता प्राप्त की । इसके बिना बहुत हानि होती है । सन् 1857 में अँग्रेजों के विरुद्ध लड़े गये स्वतन्त्रता संग्राम की असफलता का कारण अनुशासनहीनता थी । 31 मई को सम्पूर्ण उत्तर भारत में विद्रोह करने का निश्चय था , लेकिन मेरठ की सेनाओं ने 10 मई को ही विद्रोह कर दिया , जिससे अनुशासन भंग हो गया । इसका परिणाम सारे देश को भोगना पड़ा । सब जगह एक साथ विद्रोह न होने के कारण फिरंगियों ने विद्रोह को कुचल दिया ।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने शान्तिपूर्वक विशाल अँग्रेजी साम्राज्यवाद की नींव हिला दी थी । उसका एकमात्र कारण अनुशासन की भावना थी । महात्मा गाँधी की आवाज पर सम्पूर्ण देश सत्याग्रह के लिए चल देता था । अनेकानेक कष्टों को भोगते हुए भी देशवासियों ने सत्य और अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा । पहली बार जब कुछ सत्याग्रहियों ने पुलिस के साथ मारपीट तथा दंगा कर डाला , तो महात्माजी ने तुरन्त सत्याग्रह बन्द करने की आज्ञा देते हुए कहा कि “ अभी देश सत्याग्रह के योग्य नहीं है । लोगों में अनुशासन की कमी है । ” उन्होंने तब तक पुन : सत्याग्रह प्रारम्भ नहीं किया , जब तक उन्हें लोगों के अनुशासन के बारे में विश्वास नहीं हो गया । अतएव अनुशासन द्वारा लोगों में विश्वास की भावना पैदा की जाती है । अनुशासन विश्वास का एक महामन्त्र है ।

सेना की सफलता का आधार अनुशासन होता है । सेना और भीड़ में अन्तर ही यह है कि भीड़ में कोई अनुशासन नहीं होता , जबकि सेना अनुशासित होती है । नेपोलियन , समुद्रगुप्त तथा सिकन्दर आदि महान् कहे जाने वाले सेनानायकों ने जो विजय पर विजय प्राप्त कीं , उनके मूल में उनकी सेनाओं का अनुशासित होना ही था । 

यातायात , अध्ययन , वार्तालाप आदि में भी अनुशासन आवश्यक है । रेल ड्राइवर सिग्नल होने पर ही गाड़ी आगे बढ़ाता है । अनुशासन के द्वारा ही एक अध्यापक पचास – साठ छात्रों की कक्षा को अकेले पढ़ाता है । राष्ट्रपति से लेकर निम्नतम कर्मचारी तक सारी शासन – व्यवस्था अनुशासन से ही संचालित रहती है । शरीर में किंचित अव्यवस्था होते ही रोग लग जाता है । 

छात्रानुशासन – अनुशासन विद्यार्थी जीवन का तो अपरिहार्य अंग है । चूँकि विद्यार्थी देश के भावी कर्णधार होते हैं , देश का भविष्य उन्हीं पर अवलम्बित होता है । उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे स्वयं अनुशासित , नियन्त्रित तथा कर्त्तव्यपरायण होकर देश की जनता का मार्गदर्शन करें , उसे अन्धकार के गर्त से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाएँ । अत : उनके लिए अनुशासित होना आवश्यक है । अतः अनुशासन ही सफलता की कुँजी है । 

उपसंहार – निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि जीवन में महान् बनने के लिए अनुशासन आवश्यक है । बिना अनुशासन के कुछ भी कर पाना असम्भव है । अनुशासन से व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है तथा समाज को शुभ दिशा मिलती है । वस्तुत : अनुशासित जीवन ही जीवन है । अनुशासित जीवन के अभाव में हमारी जिन्दगी दिशाहीन एवं निरर्थक हो जाएगी ।

Final Words: तो फ्रेंड्स हमने आप लोगों को जीवन में अनुशासन का महत्व या विद्यार्थी और अनुशासन और अनुशासन का महत्व पर निबंध दिया ( Vidyarthi Aur Anushasan Par Nibandh ) है वह आप लोगों को आपकी आने वाली एग्जाम्स में हेल्पफुल साबित हो सकता है और आपने इसको सही तरीके से पढ़ा हो तो आपके आने वाले एग्जाम्स में आप कुछ मार्क जरूर निश्चित कर लोगे इन टॉपिक्स को पढ़कर और अगर आप लोगों को यह टॉपिक अच्छा लगा हो तो आप अपने फ्रेंड को भी शेयर कर सकते हो उनके व्हाट्सएप पर या फिर फेसबुक इंस्टाग्राम पर।

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi

अनुशासन विद्यार्थी के जीवन में महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह उनके शिक्षा में नियमितता, संयम और स्वयं-नियंत्रण की कला को विकसित करता है। अनुशासन के माध्यम से विद्यार्थी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में समर्थ होते हैं और समय प्रबंधन की कला सीखते हैं। इस पोस्ट के जरिए हम आपके समक्ष विद्यार्थी और अनुशासन ( Student and Discipline) विषय पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। जो कि प्रत्येक कक्षा Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11th और 12th तक के छात्र के लिए लिखा गया है। विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 300, 500, 600, और 1000 शब्दों में है।

vidyarthi aur anushasan par nibandh

Table of Contents (विषय सूची)

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (200, 300, 500, 600, 800 और 1000 शब्दों में) essay on student and discipline (short and long essay in hindi), विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (200 शब्दों में).

प्रस्तावना : अनुशासन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आवश्यक होता है। विद्यार्थी के जीवन में भी अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान है। अनुशासन से ही विद्यार्थी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकता है। अनुशासन विद्यार्थी को सही मार्ग पर चलने में मदद करता है, और नियमों का पालन करने की कला सिखाता है।

अनुशासन और विद्यार्थी: अनुशासन एक महत्वपूर्ण गुण है, जो विद्यार्थी को उनके शिक्षा संस्थानों में सही दिशा में ले जाता है। यह उन्हें समय प्रबंधन, स्वतंत्रता में सीमा और समर्पण सिखाता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन से ही उनकी पढ़ाई में प्रगति होती है और वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होते हैं।

अनुशासन का महत्व विद्यार्थी के लिए: विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व अत्यधिक है। यह उन्हें अपने स्टडी रूटीन को अनुसरण करने, प्रतिदिन की पढ़ाई में लगाव और संयमित रहने में मदद करता है। विद्यार्थी को समय प्रबंधन की कला सीखने में भी अनुशासन का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

उपसंहार : अनुशासन विद्यार्थी के जीवन में एक महत्वपूर्ण गुण है जो उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचने में मदद करता है। अनुशासन की पालना से विद्यार्थी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो सकता है और एक अच्छे नागरिक के रूप में समाज के लिए सहयोगी साबित हो सकता है।

विद्यार्थी और अनुशासन(Vidyarthi Aur Anushasan)- 300 शब्दों में

प्रस्तावना : अनुशासन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के लिए आवश्यक होता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का एक महत्वपूर्ण उल्लेख मिलता है। विद्यार्थी के लिए अनुशासन का विशेष महत्व है।अनुशासन के जरिए ही विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है। अनुशासन विद्यार्थी को सही मार्ग दिखाने में सहायता करता है। अनुशासन में अनु का अर्थ होता है पालन और शासन का अर्थ होता है नियम। संपूर्ण अर्थों में अनुशासन का अर्थ होता है नियमों का पालन करना। दूसरे अर्थ में हम कह सकते हैं कि जो व्यक्ति अपने जीवन में नियमों का पालन करके अपना जीवन बिताता है उसे अनुशासन कहा जाता है।

अनुशासन व विद्यार्थी : अनुशासन एक ऐसी कला है जो व्यक्ति को जीवन जीने का तरीका बताती है। बड़ों का सम्मान करना, माता-पिता का आदर करना, अध्यापकों का सम्मान करना, धैर्य रखना और लगातार परिश्रम करना यह सब अनुशासन की नीतियों के अंतर्गत आता है।हम कह सकते हैं कि अनुशासन भी दो प्रकार का होता है। एक वह जो हम अपने आपसे सीखते हैं उसे आत्मानुशासन कहते हैं। दूसरा वह जो किसी अन्य को देखकर सीखा जाता है उसे प्रेरित अनुशासन कहा जाता है।

विद्यार्थी के लिए अनुशासन का महत्व: विद्यार्थियों के लिए अनुशासन अत्यधिक जरूरी है। क्योंकि विद्यार्थी के जीवन की शुरुआत स्कूल से होती है और स्कूल से ही विद्यार्थी अनुशासन का पालन करता है तो वह अपने जीवन में सदा सफलता की ऊंचाइयों को छूता है। एक अनुशासित विद्यार्थी ही अच्छा और आदर्श नागरिक भी बन सकता है। विद्यार्थी और अनुशासन की पालना करता है तो विद्यार्थी के संस्कार की जड़ें मजबूत होती हैं और भविष्य में और पूरे जीवन व्यक्ति को एक आदर्श इंसान बनाए रखती हैं।

उपसंहार: इस प्रकार अनुशासन एक ऐसी क्रिया है जो अनुशासन में रहकर हर कार्य को करने के लिए हमें तैयार करती है। विद्यार्थियों के लिए और विद्यार्थी जीवन के लिए अनुशासन का होना बेहद जरूरी है। तभी वह एक अच्छे विद्यार्थी बन सकते हैं। इस प्रकार एक व्यक्ति को अपने जीवन में कभी अनुशासन को नहीं खोना चाहिए। अगर एक बार समय हाथ से निकल जाए तो वापस लौट कर नहीं आता है। इसी प्रकार विद्यार्थी जीवन भी आपका कभी वापस नहीं आएगा और इसी समय आप अनुशासन का अच्छी तरह से पालन करके अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

विद्यार्थी और अनुशासन महत्त्व पर निबंध (500 शब्दों में)-Vidyarthi Aur Anushasan Essay In Hindi

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु और शासन।अनु का अर्थ होता है पीछे या अनुकरण करना तथा शासन का अर्थ व्यवस्था या नियंत्रण करना होता है। इस प्रकार स्वयं को नियमानुसार ढालना या व्यवस्था का पालन करना या फिर अपने आचरण पर नियंत्रण रखना अनुशासन कहलाता है। अनुशासन को बड़ा होकर सीखना बहुत कठिन हो जाता है। इसी लिए आवश्यक है कि बच्चों को शुरुआती शिक्षा के साथ ही अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया जाए। इस देश के नवल उत्थान के लिए अनुशासन विद्यार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

अनुशासन का महत्व

अनुशासन का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व होता है। अनुशासन की आवश्यकता केवल विद्यार्थी जीवन के लिए ही नहीं बल्कि प्रत्येक मनुष्य के लिए भी होती है। विद्यार्थी जीवन में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि विद्यार्थी अनुशासित होता है तभी वह जीवन में उन्नति कर सकता है।अपना शारीरिक और बौद्धिक विकास भी वह अनुशासन के माध्यम से ही कर सकता है। हालांकि वर्तमान समय में जो विद्यार्थियों व अन्य लोगों में अनुशासनहीनता बढ़ रही है वह सोचनीय है।अनुशासन के बिना किसी भी व्यक्ति का जीवन पशु के समान हो जाता है। विद्यार्थी जीवन यह अनुशासित व्यक्ति का जीवन कहा जाता है।

विद्यार्थी में अनुशासनहीनता के कारण

आज बढ़ती हुई अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं। हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के बीच मधुर संबंधों का अभाव, कर्मचारियों एवं अधिकारियों की स्वार्थी भावना, कर्तव्य निष्ठा का अभाव, राजनीति में भ्रष्टाचार व स्वार्थी प्रवृत्ति का बोलबाला आदि अनेक ऐसे कारण हैं जिनसे हमारे सारे समाज और राष्ट्र का वातावरण दूषित हो रहा है। इन सभी कारणों से हमारे छात्र तथा युवा अनुशासन रहित हो रहे हैं। वे स्वतंत्रता का गलत अर्थ मानकर अनुशासन का पालन नहीं कर रहे हैं।

अनुशासन में सुधार हेतु सुझाव

प्रत्येक नागरिक में कर्तव्य भागना का जागरण, अपनों से बड़ों के प्रति आदर भावना, अनुशासन के विकास हेतु यह महत्वपूर्ण सुझाव है। हमें महापुरुषों एवं अपने आदर्श व्यक्तित्व के चरित्र को आदर्श मानकर उनका अनुकरण करना चाहिए।समाज के परिवारजनों को भी अपने बच्चों को अनुशासन में रहने की शिक्षा देनी चाहिए। तभी यह समाज बदल पाएगा और अनुशासन हर एक विद्यार्थी के जीवन में रह पाएगा।

अनुशासन एक ऐसी प्रवृत्ति या संस्कार है जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता है। अनुशासित रहकर प्रत्येक छात्र या प्रत्येक कर्मचारी या प्रत्येक नागरिक अपनी तथा देश की उन्नति में सहायक सिद्ध हो सकता है। हम कह सकते हैं त्रुटिपूर्ण शिक्षा प्रणाली और पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता को जन्म देती है। ऐसे में विद्यार्थियों को सही मार्ग दिखाने का कार्य शिक्षक और परिवार जन ही कर सकते हैं।

विद्यार्थी और अनुशासन- (600 शब्दों में)

विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का स्वर्णकाल होता है। इस समय शरीर में नई शक्ति का संचार होता है और मन में सुहाने सपने होते हैं। यह समय मन आशाओं के झूले जुड़ता है और संसार एक चिंताओं से मुक्त रहता है। जीवन का सर्वांगीण विकास करना ही विद्यार्थी जीवन का लक्ष्य होता है। विद्यार्थी जीवन में चरित्र निर्माण का विशेष महत्व होता है। अनुशासन, आज्ञा का पालन, संयम, नियमित्तता तथा आत्मनिर्भरता, कर्तव्यनिष्ठा, स्वच्छता, परिश्रम, सभ्यता आदि विद्यार्थी जीवन में भली-भांति सम्मिलित होने चाहिए। अनुशासन के लिए विद्यार्थी को इसलिए चुना गया है क्योंकि एक विद्यार्थी ही भविष्य का राष्ट्र का उत्थान कर सकता है।

अर्थ तथा अभिप्राय

विद्यार्थी का अर्थ होता है विद्या प्राप्त करने वाला विद्यार्थी। इसके अतिरिक्त अनुशासन शब्द से तात्पर्य होता है नियमों के अनुसार कार्य करना।विद्यार्थी जीवन में नियमों के अनुसार कार्य करना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। यही कारण है कि विद्यार्थी और अनुशासन एक दूसरे से संबंधित माने जाते हैं। अनुशासन का अर्थ तभी सिद्ध हो सकता है जब विद्यार्थी उसे अपने जीवन में उतारता है।इसीलिए इसके अर्थ को समझना ही काफी नहीं है बल्कि इसे अपने जीवन में उतारना भी एक विद्यार्थी का कर्तव्य है।

अनुशासन के प्रकार

अनुशासन की दो प्रकार का होता है। एक अनुशासन वह होता है जो किसी के ऊपर जबरदस्ती थोपा गया हो उसे बाहरी अनुशासन कहते हैं। इसके अतिरिक्त दूसरा अनुशासन वह होता है जो खुद की इच्छा से किया गया हो उसे आंतरिक अनुशासन कहा जाता है। आंतरिक अनुशासन मनुष्य मन से करता है। इस अनुशासन में कोई बोझ नहीं होता है और सभी नियमों का मन से पालन किया जाता है। इन दोनों अनुशासन के प्रकारों में आंतरिक अनुशासन सबसे अधिक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण माना जाता है। जब आप अपने मन से अनुशासन की प्रक्रिया में ढलते हैं तो आपका जीवन उज्जवल और लक्ष्य प्रेरित बन जाता है।

विद्यार्थी और अनुशासन का संबंध

विद्यार्थियों में अनुशासन का होना अनिवार्य है। इसके अभाव में विद्यार्थी अपने लक्ष्य पथ से भटक सकते हैं। विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के जीवन का वह उषाकाल होता है, जहां से ज्ञान की रश्मियां फुटकर संपूर्ण जीवन को अलौकिक बनाती हैं। जीवन के निर्माण काल में अगर अनुशासनहीनता हो तो भावी जीवन के रंगीन सपने पूरे नहीं हो सकते हैं। यदि विद्यार्थी अपने जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है तो बेशक उसे अनुशासन का पालन करना आवश्यक है। अनुशासन के साथ वह स्थाई हो जाएगा और अपने जीवन के लक्ष्य के प्रति निश्चित रहेगा।

अनुशासनहीनता के बढ़ते कारण

आज विद्यार्थी जीवन की जो दशा है उसके लिए समाज का कलुषित वातावरण उत्तरदाई है। विद्यार्थी जन्म से ही अनुशासन हीन नहीं होते हैं। वे अपने परिवेश के अनुसार ही अपने स्वभाव को बदलते हैं। आज की शिक्षा प्रणाली जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए प्रयास नहीं करती है।अध्यापकों की आचरण का भी विद्यार्थियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। वर्तमान समय में परिवार हो या विद्यालय अनुशासनहीनता बड़ों से ही छोटों के अंदर आती है। इस समाज में अनुशासनहीनता बड़ों से ही बच्चों के अंदर उपजी है। इसलिए इस अनुशासनहीनता का दोष सिर्फ विद्यार्थियों के सिर मड़ने से कुछ नहीं होगा।

वर्तमान समय में विद्यार्थियों की बढ़ती अनुशासनहीनता देश के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इससे सामाजिक शांति भंग हो सकती है और अपराध मुल्क घटनाओं में वृद्धि भी होगी। दिशाहीन युवा समाज अराजकता पर उतर आएगा। अतः विद्यार्थियों को अनुशासित करने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे। स्वयं विद्यार्थियों को अनुशासन की आवश्यकता समझते हुए सार्थक प्रयास करना जरूरी है। एक विद्यार्थी जब स्वयं अनुशासन का पालन करेगा तो उसका जीवन सफलता की ओर अग्रसर हो जाएगा। इसीलिए एक समझदार व्यक्ति अपने विद्यार्थी को और अपने छोटों को अनुशासन का पालन करना सिखाता है। साथ ही स्वयं भी अनुशासन की नीतियों पर चलता है।

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 800 से 1000 शब्दों में -Vidyarthi Aur Anushasan Essay In Hindi

जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुशासन की ज़रूरत है। चाहे वह स्कूल हो , दफ्तर या युद्धभूमि  अनुशासन के बैगर कहीं भी काम नहीं चल सकता है । अनुशासन के कारण ही नेपोलियन विश्व की बड़ी शक्तियों को हारने में कामयाब हुआ था। यदि स्कूल , समाज , परिवार सभी स्थानों में लोग अनुशासन का पालन करेंगे तब अपने कर्त्तव्य को अच्छी तरह से समझ पाएंगे। तब कार्य में कोई गड़बड़ी नहीं होगी। नियम तोड़ने से ही अनुशासनहीनता बढ़ती है तथा स्कूल , समाज में अव्यस्था उत्पन्न हो जाती है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व है।  इससे विद्यार्थी ना केवल एक सफल विद्यार्थी बनते है बल्कि आगे चलकर एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर अपना कार्य करते है। जितनी शिक्षा विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है , उतना ही अनुशासन ज़रूरी होता है। बच्चे को अनुशासन की आरंभिक शिक्षा घर से प्राप्त होती है। अभिभावकों को बच्चो को शुरुआत से अनुशासन का महत्व समझाना चाहिए। जैसे बच्चा जब पेंसिल पकड़ना सीखता है , उस वक़्त हम अक्षरों को सही ढंग से लिखना सिखाते है , वरना वह गलत मार्ग पर जा सकता है। ठीक वैसे ही , अनुशासन से विद्यार्थी अपने जीवन के लक्ष्य तक पहुँच सकता है।  हर चीज़ समय पर करना और सही तरीके से करना , अनुशासन कहलाता है।  सही तरीको को अपनाने के लिए सही नियमो का अनुकरण करना अनिवार्य है।

विद्यालय में अनुशासनहीनता की वजह से जो दशा बनी है , वह सभी के सामने है। आज देश में  चारो ओर स्वार्थ , हिंसा की भावना फैली हुयी है। यह अनुशासन की कमी के कारण है। शिक्षा के स्तर को ऊंचाई पर ले जाना होगा और  जिन्दगी को अनुशासित करना होगा  तभी विद्यार्थी  एक उन्नत देश का निर्माण कर पायेगा ।

विद्यालय में जाकर विद्यार्थी सही माईनो में अनुशासन का पाठ पढ़ता है। अच्छी और सही शिक्षा विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करना सिखाती है। अनुशासन का पालन करना विद्यार्थियों का परम कर्त्तव्य है। यह ना केवल उन्हें  सफल इंसान  बल्कि उसे एक बेहतर और अच्छा इंसान बनाता है। विद्यालय में जाकर अनुशासन की भावना का विकास होता है। अनुशासन  की भावना प्रत्येक मनुष्य के मन  में होनी चाहिए।

आजकल की इस व्यस्त जीवन में अभिभावक अपने बच्चो को घर पर समय नहीं दे पाते है। ऐसे में बच्चे चिड़चिड़े हो जाते है और टीवी , मोबाइल इत्यादि पर निर्भर हो जाते है। मोबाइल और इंटरनेट के अत्यधिक प्रभाव ने अनुशासनहीनता को बढ़ावा दिया है।  बच्चो को लगता है की वह अब बड़े हो गए है और अनुशासन में रहने की उन्हें ज़रूरत नहीं है। यह सोच विद्यार्थियों के लिए घातक हो सकती है और वे बुरे संगत में पड़ जाते  है।

अनुशासन के बिना वह सही और गलत में फर्क नहीं कर पाते है।  बिना सोचे समझे किसी भी चीज़ का अपनी इच्छा अनुसार विरोध करने लगते है। अच्छे और जिम्मेदार शिक्षक विद्यार्थियों को अनुशासन में रहना सिखाते है। समय से विद्यालय पहुंचना और और छोटे बड़े नियमो का पालन करना सिखाते है। अनुशासन के बिना मनुष्य जैसे इंजन के बैगर गाड़ी और ब्रेक के बिना इंजन। शिक्षक विद्यार्थियों को नियमो में रहना सिखाते है और वक़्त पर कक्षा कार्य करना सीखते है।  समय का सदुपयोग करना और अनुशासन का पालन करना यह शिक्षक द्वारा  सिखाया जाता है।

शिक्षक विद्यार्थियों को एकाग्र होकर पढ़ना सीखाते  है।  बड़ो का सम्मान करना और हर कार्य समय पर  शुरू और निर्दिष्ट समय पर समाप्त करना इत्यादि  अनुशासन संबंधित चीज़ें शिक्षक विद्यार्थियों को सीखाते है। विद्यार्थियों को अपने सहपाठियों के संग अच्छा व्यवहार करना चाहिए। समय पर रोज़ाना कक्षा में हाज़िर होना चाहिए और उनसे बड़े जो उन्हें कार्य करने के लिए कहते है , उसे स्वीकार करे और उनके आदेशों का पालन करे। शिक्षकों का सम्मान उन्हें एक आदर्श विद्यार्थी बनाता है।

अनुशासन का पालन करने से विद्यार्थी धैर्यशील और संयमी बनते है। विद्यार्थी अगर समय पर  अपना काम  रोज़ करते है , तो उनमे धैर्य जैसे गुण उतपन्न होते है। अगर वह रोज़ाना अपना कार्य सही तरीके से ना करे , तो वह अपना कार्य हड़बड़ी में पूरा करेंगे।  इससे  उनमे संयम जैसे गुण उत्पन्न नहीं होंगे। अनुशासनहीनता उनके जीवन में बढ़ जायेगी।

आदर्श विद्यार्थी अनुशासन का महत्व समझता है और अपने बड़ो की बातो को कभी नज़र अंदाज़ नहीं करता है। अनुशासनहीन विद्यार्थी अक्सर गलत और बुरी आदतों के शिकार बन जाते है। आम तौर पर ऐसे विद्यार्थी छूपकर यह सारी चीज़ें करते है और माता पिता को इसकी भनक नहीं पड़ती है।

ऐसे में वह बुरी संगत में पड़कर और अधिक बिगड़ जाते है। अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति का मन पढ़ने और अच्छे कार्यो की तरफ लगता है। अनुशासन का पालन ना करने से विद्यार्थी का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। सिर्फ विद्यार्थियों का साफ़ सुथरा  कपड़ा पहनना ही सबकुछ नहीं होता बल्कि इस जीवन में अनुशासन के हर पहलुओं को समझना ज़रूरी होता है।

विद्यार्थी कई बार बड़े बड़े लक्ष्यों को पाने के सपने देखता है , मगर अनुशासन का पालन नहीं कर पाता है। जिसके कारण उन्हें असफलता का सामना करना पड़ता है। अनुशासन का अभाव छात्रों की पढ़ाई पर बुरी तरीके से पड़ता है। विद्यार्थी कुसंगति में पढ़कर चोरी और गैर कानूनी कार्यो में पड़ जाता है। अनुशासन रहित जीवन के कारण वह किसी की बात नहीं सुनते है।

ऐसे अनुशासन हीन विद्यार्थी को किसी भी  बात पर क्रोध  आ  जाता है। कभी कभी वे हिंसक प्रवृति के हो जाते है।  ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चो के साथ समय बिताना चाहिए।  उन्हें अनुशासित जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। 

विद्यार्थियों को अनुशासन सिखाने से पूर्व , अभिभावकों को भी अनुशासन में अपनी सारी चीज़ें करनी चाहिए।  बच्चे जो देखते है , वहीं सीखते है। विद्यार्थी को हर कार्य और गतिविधियां समय पर करना सीखाना  होगा जैसे स्कूल , खेलकूद इत्यादि  | सभी प्रकार के गतिविधियों में भाग लेने से उनका व्यक्तिगत विकास होता है। अभिभावकों को अपने बच्चो को जीवन के हर मोड़ पर समझना होगा सिर्फ अच्छे स्कूल में दाखिला करवाना ही सब कुछ नहीं है। अभिभावकों को अपने बच्चो को एक निर्धारित समय के लिए टीवी और मोबाइल का उपयोग करने देना चाहिए। अभिभावकों को अपना कीमती खाली समय बच्चो को देना होगा।  यह ध्यान अभिभावकों को रखना चाहिए।

अनुशासन प्रिय विद्यार्थी बहुत परिश्रमी होते है। वह किसी भी काम को टालते नहीं है। वह आज का कार्य आज ही करते है।  ऐसे विद्यार्थी दूसरो की तुलना में अपना अलग मुकाम बनाते है। जीवन के  हर मुकाम पर अनुशासन की ज़रूरत  होती  है। कम उम्र से विद्यार्थी को इसका प्रशिक्षण देना ज़रूरी है , तभी उनकी आने वाली ज़िन्दगी सफल और सार्थक होगी।  विद्यार्थी आने वाले समय के युवा वर्ग होंगे , जिनके कंधो पर देश के  प्रगति की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए अनुशासन का माहौल उन्हें जिम्मेदार और सफल नागरिक बनाएगा।

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2 thoughts on “विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi”

इस निबंध को पढ़ने के बाद मुझमें बहुत बदलाव आए हैं। मै कभी अनुशासन में नहीं रहता था लेकिन इस निबंध को पढ़ने के बाद मैंने अनुशासन अपनाना शुरू कर दिया

Oh..me bhi ab anushasan ka paalan karungi..kyunki mujhe yeh pta chl gya ki Vidyarthi jeevan me anushasan ka hona bahut mahtvapooran hota hai..Yeh humain ek acha vyakti bna deta hai..Ab mujhe bhi anushasan me rh kr apna hr karya sampooran krna hai… Dhanyawad aapka bahut bahut shukriya mujhe yeh nibandh dene ke liye..kyunki maine is nibandh ko bahut jaghon pr dhoonda ki mujhe saral shabdon me mile pr nhi mil rha tha yaha pr mil gya…. Dhanyawad 😀😁😁

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Essay on vidyarthi aur anushasan in hindi छात्र और उनुशासन पर निबंध.

Essay on Vidyarthi Aur Anushasan. Write an essay on Vidyarthi Aur Anushasan in your own words and comment below. छात्र और उनुशासन पर निबंध।

hindiinhindi Essay on Vidyarthi Aur Anushasan

Essay on Vidyarthi Aur Anushasan in Hindi

विचार – बिंदु – • अनुशासन का अर्थ और महत्त्व • अनुशासन की प्रथम पाठशाला परिवार • व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के लिए अनुशासन आवश्यक • अनुशासन-एक महत्त्वपूर्ण जीवन – मूल्य।

अनुशासन का अर्थ है – नियम-व्यवस्था। स्वयं को लक्ष्य के अनुसार नियंत्रण में रखना आत्म-अनुशासन कहलाता है। इसके विपरीत, बाहरी नियमों को जबरदस्ती मानना बाहरी अनुशासन कहलाता है। अनुशासन की पहली पाठशाला है – परिवार। बच्चा अपने परिवार में जैसा देखता है, वैसा ही आचरण करता है। जो माता-पिता अपने बच्चों को अनुशासन में देखना चाहते हैं, वे पहले स्वय अनुशासन में रहते हैं। विद्यार्थी-जीवन में अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक है। जो छात्र विविध आकर्षणों से भरी जिंदगी को अनुशासित कर लेते हैं, वे सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते जाते हैं।

आज दुर्भाग्य से शिक्षण संस्थाओं में अनुशासनहीनता का बोलबाला होता जा रहा है। अधिकतर सरकारी विद्यालयों में किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं दिखाई देती। न अध्यापक कक्षा में पढ़ाने में रुचि लेते हैं, न अधिकारी अनुशासन को महत्त्व देते हैं। परिणामस्वरूप पढ़ाई न करना, अध्यापकों पर कीचड़ उछालना, आपस में लड़ाई-झगड़ा करना, छेड़छाड़ में रुचि लेना आम बातें हो गई हैं। इनके कारण विद्या-प्राप्ति का मूल लक्ष्य ही नष्ट होता जा रहा है। वास्तव में अनुशासन में रहना एक स्वाभाविक गुण है। यह एक स्वभाव है।

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi!

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । किसी समाज के निर्माण में अनुशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । अनुशासन ही मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करता है तथा उसे समाज में उत्तम स्थान दिलाने में सहायता करता है ।

विद्‌यार्थी जीवन में तो इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है क्योंकि यह वह समय होता है जब उसके व्यक्तित्व का निर्माण प्रांरभ होता है । दूसरे शब्दों में, विद्‌यार्थी जीवन को किसी भी मनुष्य के जीवनकाल की आधारशिला कह सकते हैं क्योंकि इस समय वह जो भी गुण अथवा अवगुण आत्मसात् करता है उसी के अनुसार उसके चरित्र का निर्माण होता है ।

कोई भी विद्‌यार्थी अनुशासन के महत्व को समझे बिना सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है । अनुशासन प्रिय विद्‌यार्थी नियमित विद्‌यालय जाता है तथा कक्षा में अध्यापक द्‌वारा कही गई बातों का अनुसरण करता है । वह अपने सभी कार्यों को उचित समय पर करता है । वह जब किसी कार्य को प्रारंभ करता है तो उसे समाप्त करने की चेष्टा करता है ।

अनुशासन में रहने वाले विद्‌यार्थी सदैव परिश्रमी होते हैं । उनमें टालमटोल की प्रवृत्ति नहीं होती तथा वे आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ते हैं । उनके यही गुण धीरे-धीरे उन्हें सामान्य विद्‌यार्थियों से एक अलग पहचान दिलाते हैं ।

अनुशासन केवल विद्‌यार्थियों के लिए ही आवश्यक नहीं है, जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग है लेकिन इसका अभ्यास कम उम्र में अधिक सरलता से हो सकता है । अत: कहा जा सकता है कि यदि विद्‌यार्थी जीवन से ही नियमानुसार चलने की आदत पड़ जाए तो शेष जीवन की राहें सुगम हो जाती हैं ।

ये विद्‌यार्थी ही आगे चलकर देश की राहें सँभालेंगे, कल इनके कंधों पर ही देश के निर्माण की जिम्मेदारी आएगी अत: आवश्यक है कि ये कल के सुयोग्य नागरिक बनें और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन धैर्य और साहस के साथ करें ।

वर्तमान में अनुशासन का स्तर काफी गिर गया है । अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं । बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के दौर में आज लोग बहुत ही व्यस्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं जिससे माता-पिता अपनी संतान को वांछित समय नहीं दे पाते हैं । इसी कारण बच्चों में असंतोष बढ़ता है जिससे अनुशासनहीनता उनमें जल्दी घर कर जाती है ।

इसी प्रकार विद्‌यालय के कुछ छात्र जब परीक्षा या किसी प्रतिस्पर्धा में असफल हो जाते हैं तो वे कुंठा से ग्रसित हो जाते हैं । उनका असंतोष दूसरे विद्‌यार्थियों के अनुशासन पर भी प्रभाव डालता है । देश में बढ़ती हुई जनसंख्या भी अनुशासनहीनता के लिए उत्तरदायी है ।

देश के कुछ विद्‌यालयों की स्थिति ऐसी हो गई है कि 35-40 की क्षमता वाली कक्षाओं में 150 विद्‌यार्थी पढ़ रहे हैं । कोई भी व्यक्ति स्वत: अनुमान लगा सकता है कि एक अध्यापक किस प्रकार सीमित समय में इतने बच्चों को ठीक ढंग से शिक्षा प्रदान कर सकता है ।

यह प्रामाणिक तथ्य है कि अनुशासन के बिना मनुष्य अपने उद्‌देश्य की प्राप्ति नहीं कर सकता है । विद्‌यार्थी जीवन में इसकी आवश्यकता इसलिए सबसे अधिक है क्योंकि इस समय विकसित गुण-अवगुण ही आगे चलकर उसके भविष्य का निर्माण करते हैं । अनुशासन के महत्व को समझने वाले विद्‌यार्थी ही आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर व ऊँचे पदों पर आसीन होते हैं ।

परंतु वे अनुशासनहीनता के पथ पर चलते हैं तो वे शीघ्र ही कुसंगति के कुचक्र में फँस जाते हैं और सच्चाई तथा न्याय के मार्ग से विचलित हो जाते हैं । फलस्वरूप जीवन में वे ईर्ष्या, लालच, घृणा, क्रोध आदि बुराइयों के अधीन होकर अपना भविष्य अंधकारमय बना लेते हैं ।

अनुशासनहीनता को अच्छी शिक्षा व उचित वातावरण देकर नियंत्रित किया जा सकता है । इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है ताकि विद्‌यार्थी उज्जल भविष्य की ओर अग्रसित हो सकें । अनुशासन में रहने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है ।

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Hindi Essay on “Vidyarthi Aur Anushasan”, “विद्यार्थी और अनुशासन”, Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

विद्यार्थी और अनुशासन

Vidyarthi Aur Anushasan

निबंध नंबर :- 01

अनुशासन मानव जीवन को सामाजिक नियमों से बाँधता है। मनुष्य को अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नियमों का पालन करना पड़ता है। पढ़ाई, खेल, मेल-मिलाप, क्लब इत्यादि सभी जगह के कुछ नियम हैं। इन्हीं नियमों में रहकर कार्य करना अनुशासन है।

विद्यार्थी समाज की नई पीढ़ी है। यही आगे चलकर देश के आकाश में तारों की तरह प्रकाशवान होंगे। अनुशासनहीन छात्र समाज की बुराइयों का शिकार हो जाता है। बड़ों का निरादर, अध्यापकों की बात न मानना, समय पर कार्य न करना, खेलते समय मित्रों से झगड़ना और अपने छोटे भाई-बहन से अपनी खेल वस्तुएँ न बाँटना, ये अनुशासित बच्चों के लक्षण नहीं हैं।

परिवार अनुशासन की पहली नींव रखता है। परिवार का अच्छा आचरण स्वयं ही बच्चों के अंदर आ जाता है। विद्यालय में भी बच्चों को मानसिक व शारीरिक विकास के अवसरों द्वारा अनुशापित बनाया जाता है।

अनुशासित छात्र समाज व देश के लिए उपयोगी बन उन्नति में सहायक होते हैं अनुशासन बाहरी नियंत्रण से कम और आत्मनियंत्रण से अधिक आता है। अनुशासन अपनी गंदी आदतों को दूर कर अच्छी आदतों को अपनाना है।

निबंध नंबर :- 02

Vidyarthi aur Anushasan

भूमिका- नियमवद्ध और नियन्त्रण में रहकर कार्य करना अनुशासन कहलाता है। अनुशासन मानवजीवन का। महत्त्वपूर्ण अंग है। सूर्य का अस्त होना, ऋतुओं का परिवर्तन इस तथ्य के प्रमाण हैं। कोई भी जब अनुशासनहीन जाता है तो अव्यवस्था फैलती है। प्रत्येक व्यक्ति अनुशासन में रहकर ही समाज के लिए उपयोगी हो सकता है। थियों में अनुशासन का होना बहुत जरूरी है क्योंकि उन्होंने आगे चलकर देश की बागडोर सम्भालनी है। शासन विद्यार्थी जीवन की सफलता की कुंजी है।

अनुशासन का महत्त्व- बिना अनुशासन के विद्यार्थी जीवन का निर्माण नहीं कर सकता। जा विद्यार्थी अनुशासन में नहीं रहता उसे असफलता का मुँह देखना पड़ता है। जिस सेना में अव्यवस्था हो वह सेना भी देश की रक्षा करने में असफल हो जाती है। जिस कारखाने में मजदूर अनुशासनहीन हो जाते हैं, वह शीघ्र ही अवनति के गड्डे में गिर जाता है।

आज की स्थिति- प्राचीनकाल में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे। वहाँ का वातावरण बडा अनुशासित होता था। विद्यार्थी अपने गुरुओं का पूरा सम्मान करते थे। वहाँ अमीर-गरीब, ऊँच-नीच का भेदभाव न था। सभी विद्यार्थी इकट्ठे होकर एक ही गुरू के पास विद्या ग्रहण करते थे। भगवान् कृष्ण और सुदामा ने सदीपन ऋषि के आश्रम में इकट्ठे ही विद्या ग्रहण की। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के बिना सफल जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भारत में जीवन के प्रत्येक पहलू में अनुशासनहीनता दृष्टिगोचर हो रही है। विद्यार्थी की रुचि पढ़ाई की ओर नहीं। कभी एक विश्वविद्यालय में तो कभी दूसरे विश्वविद्यालय, कभी एक परीक्षा केन्द्र में तो कभी दूसरे परीक्षा केन्द्र में हड़ताल, मारपीट आदि समाचार प्रतिदिन का विषय बने हुए हैं। अपनों से बड़ोंका आदर करना, उनका कहा मानना तो विद्यार्थी भूलता ही जा रहा है। शारीरिक दण्ड न होने के कारण अनुशासनहीनता बढ़ती ही जा रही है। परीक्षाएं तो आजकल अध्यापकों के लिए सिर दर्द बन गई हैं। नकल करना विद्यार्थी अपना अधिकार समझते हैं।

कारण- 1. विद्यार्थी जीवन के अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं- अनुशासनहीनता का पहला कारण माता-पिता की ढील है। पहले तो माता पिता प्यार के कारण बच्चों को कुछ नहीं कहते लेकिन जब हाथ से निकल जाते हैं तो पश्चाताप करते हैं।

  • आजकल विद्यार्थी पढ़ाई में रुचि नहीं रखते। वे केवल साज शृंगार, सुख, आराम का इच्छुक है। उन्हें अनुशासन में रहने के नियमों पर चलने को कहा जाता है तो वे अनुशासनहीनता का सहारा लेते हैं।
  • विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता का तीसरा कारण राजनीतिक पार्टियां हैं। राजनीतिक पार्टियां अपना स्वार्थ हल करने के लिए विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता फैलाती हैं।
  • अध्यापक की अपनी कमजोरी भी इसका एक कारण है। जब अध्यापक अपने विषय का पूरा ज्ञाता नहीं होता तो विद्यार्थी शीघ्र ही उनकी कमजोरी को भांप लेते हैं और पढ़ाई में रुचि नहीं रखते।

उपसंहार- विद्यार्थी जीवन एक अमूल्य हीरे के समान होता है। यदि इसे अनुशासित ढांचे में ढालोगे तो या ओर चमक उठेगा। अनुशासन में रहकर ही जीवन की गाड़ी ठीक ढंग से चलती है। अनुशासन केवल विद्यार्थी । लिए ही अनिवार्य नहीं होता अपितु प्रत्येक मानव और प्रत्येक प्राणी के लिए यह आवश्यक है। इससे समाज में शानि बनी रहती है और समाज समृद्धि की ओर अग्रसर होता है।

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Anushasan ka Mahatva | अनुशासन का महत्व कितना जरूरी है?

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  • Updated on  
  • नवम्बर 17, 2023

Anushasan ka Mahatva

अनुशासन का मूल्य वह करने का तरीका है जो करने की आवश्यकता है। अभ्यास न केवल व्यक्ति को सकारात्मक कार्य स्थापित करने की अनुमति देता है। यह हमारे दिमाग और शरीर को प्रशिक्षित करने में मदद करता है और हमें अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है। हर एक मनुष्य के जीवन में अनुशासन होना सबसे ज्यादा महत्व होता है। खुशहाल जीवन जीने के लिए अनुशासन होना बहुत ही आवश्यक है। कोई भी अवस्था हो, हमें अनुशासित रहना चाहिए। इस ब्लॉग में हम अनुशासन का महत्व (Anushasan ka Mahatva) विस्तार से जानेंगे।

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अनुशासन का अर्थ और महत्व, विद्यार्थी जीवन में anushasan ka mahatva, शिक्षा में अनुशासन का महत्व (anushasan ka mahatva), अनुशासन का मनुष्य के जीवन में महत्व, अनुशासित रहने के तरीके क्या हैं, अनुशासन के नियम/अनुशासित व्यक्ति के गुण, अनुशासन के प्रकार क्या हैं, anushasan ka mahatva par nibandh (100 शब्द), अनुशासन पर निबंध- 250 शब्द, अनुशासन का महत्व, हमारे जीवन में अनुशासन का महत्व, सफल होने के लिए अनुशासन का महत्व, अनुशासन का महत्व (anushasan ka mahatva) रूपरेखा सहित, अनुशासन के लाभ क्या हैं, अनुशासन पर सुविचार.

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु और शासन। अनु उपसर्ग है जो शासन से जुड़ा है और जिससे अनुशासन शब्द बना है। जिसका अर्थ है- किसी नियम के अधीन रहना या नियमों के शासन में रहना। हमारे जीवन के हर एक काम के लिए बेहतर अनुशासन की आवश्यकता होती है। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में तो कहीं ज्यादा अनुशासन की आवश्यकता होती है। यह एक कटु सच्चाई है कि अनुशासन के बिना सफलता नहीं हासिल की जा सकती। जिस देश के लोग अनुशासित हैं, जहां की सेना अनुशासित है, वह देश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहेगा, वह सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ता रहेगा।

अच्छे विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए। अच्छे विद्यार्थी के गुणों में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। अनुशासन का पालन करके ही एक अच्छा विद्यार्थी बना जा सकता है। अच्छे विद्यार्थी को माता पिता, शिक्षकों, बड़ों की आज्ञा हमेशा पालन करना चाहिए। जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। अनुशासन भी एक प्रकार की विद्या अपनी दिनचर्या, भजन चाल, रहन-सहन, सोच-विचार और अपने समस्त व्यवहार को व्यवस्थित करना ही अनुशासन है। अनुशासन का गुण बचपन में ही ग्रहण किया जाना चाहिए। अनुशासन जीवन के लिए परमावश्यक है तथा उसकी प्रथम पाठशाला है।

शिक्षा में Anushasan ka Mahatva बहुत ही ज्यादा है। स्टूडेंट्स लाइफ में व सामाजिक जीवन तथा हर जगह हमें अनुशासन के नियमों का पालन करना चाहिए। इससे ही हमारा जीवन सुखद बनता है और हम अपना व्यक्तित्व निखार कर सबके सामने पेश कर पाते हैं। शिक्षा में यदि हम अनुशासन का पालन करते हैं तो हमें शिक्षा के साथ-साथ आत्मविश्वास की भी प्राप्ति होती है। यदि हम पढ़ाई करते समय अनुशासन का पालन करते हैं तो हम अच्छे नंबर से उत्तीर्ण हो सकते हैं। विद्यालय में अनुशासन का पालन करने पर हम अध्यापक द्वारा पढ़ाए जाने वाला हर अध्याय अच्छे से समझ सकते हैं।

मनुष्य के जीवन में Anushasan ka Mahatva कितना आवश्यक है, हम प्वाइंट्स में जानेंगेः

  • हम किसी न किसी अनुशासन का किसी न किसी रूप में पालन करते हैं। हम भले जी कहीं भी हों स्कूल, घर, कार्यालय, संस्थान, कारखाने, खेल के मैदान, युद्ध के मैदान या अन्य किसी भी स्थान पर हों।
  • अनुशासन इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसा करने से काम शांति से और अच्छे से हो जाता है।
  • कई सफल व्यक्ति जिन्होंने अपने जीवन में काफी सफलता हासिल की हो वह अपनी इस सफलता का श्रेय अनुशासन को देते हैं। अनुशासन ने ही उन्हें वह सफलता दिलाई है।
  • अनुशासन हमारे व्यक्तिगत जीवन, करियर, काम, अध्ययन, जीवन शैली और यहां तक कि सामाजिक जीवन तक फैला हुआ है। इसलिए इसका महत्व भी हमारे जीवन के लिए बहुत अधिक है।
  • अनुशासन हमें आगे बढ़ने का सही तरीका, जीवन में नई चीजें सीखने, कम समय के अंदर अधिक अनुभव करने जैसे बहुत सारे अवसर प्रदान करता है।

हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैंः

  • एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना।
  • कार्यों को समय पर पूरा करने का हरसंभव प्रयास करना।
  • व्यर्थ के कार्यों से दूर रहना।
  • बुरी आदतों और कार्यों से दूरी बनाना।
  • अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना।

anushasan ka mahatva

हमें अपने जीवन को अनुशासित बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। अपने जीवन में Anushasan ka Mahatva जानना जरूरी है और इसके लिए इन नियमों का पालन करना चाहिए:

  • एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए।
  • अपने से छोटे और बड़े लोगों का सम्मान करना चाहिए।
  • अपने कार्यों को समय पर पूरा करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।
  • व्यर्थ के कार्यों से दूर रहना चाहिए अर्थात समय का सही उपयोग करना चाहिए।
  • बुरी आदतों और कार्यों से हमेशा दूर रहना चाहिए।
  • हर व्यक्ति के प्रति सकारात्मक सोच रखना चाहिए।
  • अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना चाहिए और हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए।
  • अपने जीवन में कोशिश करें कि हमेशा संयम से काम करें।

अनुशासन के विभिन्न लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार बताए गए हैं। नीचे इसके प्रकार दिए गए हैं-

  • सकारात्मक अनुशासन: सकारात्मक अनुशासन व्यवहार के सकारात्मक बिन्दुओं पर ध्यान केंद्रित करता है। यह व्यक्ति में एक तरह का सकारात्मक विचार उत्पन्न करता है, कि कोई व्यक्ति अच्छा या बुरा नहीं होता, बल्कि उसके व्यवहार अच्छे या बुरे होते हैं। किसी बच्चे के माता–पिता उन्हें समस्या सुलझाने के कौशल सिखाते हैं और साथ ही उन्हें विकसित करने के लिए उनके साथ काम करते हैं। माता–पिता अपने बच्चे को अनुशासन सिखाने के लिए शिक्षण संस्थाओं में भेजते हैं। यह सभी पहलू सकारात्मक अनुशासन को बढ़ावा देते हैं। और इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • नकारात्मक अनुशासन: नकारात्मक अनुशासन वह अनुशासन है जिसमें यह देखा जाता है, कि कोई व्यक्ति क्या गलत कर रहा है, जिससे उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। किसी व्यक्ति को आदेश देना एवं उन्हें नियमों और कानूनों को पालन करने के लिए मजबूर करना नकारात्मक अनुशासन होता है।
  • सीमा आधारित अनुशासन: सीमा आधारित अनुशासन सीमाएं निर्धारित करने और नियमों को स्पष्ट करने के लिए होता है। इस अनुशासन के पीछे एक सरल सिद्धांत है, कि जब एक बच्चे को यह पता होता है, कि यदि वे सीमा से बाहर जाते हैं, तो इसका परिणाम क्या होता है, तो ऐसे बच्चे आज्ञाकारी होते हैं। उनका व्यवहार सकारात्मक होता हैं और वे खुद को हमेशा सुरक्षित महसूस करते हैं।
  • व्यवहार आधारित अनुशासन: व्यवहार में संशोधन करने से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही परिणाम होते हैं। अच्छा व्यवहार प्रशंसा या पुरस्कार के साथ आता है, जबकि दुर्व्यवहारों के कारण नकारात्मक परिणामों को हवा मिलती है, इसलिए इससे काफी नुकसान भी होता है।
  • आत्म अनुशासन: आत्म अनुशासन का अर्थ है, अपने मन और आत्मा को अनुशासित करना जो बदले में हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं। इसके लिए हमें अपने आप को अनुशासित होने के लिए प्रेरित करना होगा. यदि हमारा दिमाग अनुशासित रहेगा, तो हमारा शरीर अपने आप ही अच्छे से कार्य करेगा।

अनुशासन का महत्व पर 100 शब्दों पर निबंध इस प्रकार लिख सकते हैंः

हर एक मनुष्य के जीवन में अनुशासन होना बहुत ही जरूरी है, जिस व्यक्ति में अनुशासन नहीं होता वह अनुशासनहीन कहलाता है। जीवन में सफल व्यक्ति बनने के लिए अनुशासन का महत्व होना बहुत ही आवश्यक है। जो भी कार्य हम सही समय पर करते हैं और जिस ढंग से करते हैं उस पर से हमारा अनुशासन का पता चलता है। बचपन से ही बच्चों में अनुशासन होना बहुत ही जरूरी है, विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व होता है। जीवन का मूल मंत्र अनुशासन का महत्व है। गांधीजी के जीवन में अनुशासन का महत्व बहुत ही था, वह जीवन में अपना  हर कार्य समय के साथ और दिनचर्या का कठोरता के साथ पालन करते थे।

“हम सभी को दो चीजें बर्दाश्त करनी पड़ती हैं: अनुशासन का कष्ट या पछतावे और मायूसी की पीड़ा।” – Jim Rohn

250 शब्दों में Anushasan Ka Mahatva Essay in Hindi इस प्रकार हैः

अनुशासन होना हर मनुष्य के जीवन में बहुत ही आवश्यक है, अनुशासित व्यक्ति  के अंदर आज्ञाकारी का गुण होता है। अनुशासन पूरे जीवन में बहुत ही महत्व का होता है और साथ ही सभी  कार्य में इसकी जरूरत होना बहुत ही आवश्यक है। किसी भी प्रोजेक्ट पर गंभीरता से कार्य करने के लिए अनुशासन होना बहुत ही आवश्यक है अगर हम अपने वरिष्ठ की आज्ञा का पालन नहीं करते तो, हमें आगे चलकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है और हमें असफलता प्राप्त होती है। यही वजह है कि Anushasan ka Mahatva हर मनुष्य की जिंदगी में होना जरूरी है।

जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए , अपने माता-पिता एवं शिक्षकों के आदेशों का पालन करना चाहिए। अनुशासन हमारे रोज की दिनचर्या में होना जरूरी है, सुबह जल्दी उठ कर, पानी पीकर, शौचालय जाना चाहिए फिर दांतों को साफ करके, नहाना चाहिए और नाश्ता करने के बाद स्कूल जाना चाहिए। साथ ही हमारे आसपास स्वच्छता और सफाई रखना बहुत ही आवश्यक है। 

अपने माता पिता को हमेशा खुश रखना चाहिए, उन्हें कभी भी  दुखी नहीं करना चाहिए। हमें स्कूल में समय पर पहुंच जाना चाहिए और अच्छे से यूनिफॉर्म और तैयार होकर जाना चाहिए।नियम के अनुसार प्रार्थना करना चाहिए और शिक्षकों की आज्ञा का पालन करना बहुत ही आवश्यक है। अपना कार्य खुद ही करना चाहिए और पाठ को अच्छे से याद रखना और लिखावट साफ सुथरी होना बहुत ही अनिवार्य है।

हमें हमेशा चौकीदार ,शिक्षक या हमसे बड़े लोगों के साथ अच्छे से बर्ताव करना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। हमेशा सफल इंसान बनने के लिए अनुशासन होना बहुत ही जरूरी है। जिस व्यक्ति में अनुशासन है वह जीवन में कहीं सारी उपलब्धियां प्राप्त कर सकता है।

anushasan ka mahatva

Anushasan Ka Mahatva Par Anuchchhed (500 शब्द)

अनुशासन का महत्व पर अनुच्छेद इस प्रकार लिख सकते हैंः

अनुशासन दो शब्दों का मिश्रण करके बना है: अनुशासन। अनुशासन का यह अर्थ है कि अपने विकास के लिए कुछ नियम निर्धारित करना और उस नियम का रोजाना पालन करना चाहे वह नियम हमें पसंद हो या ना हो इसी को हम अनुशासन का महत्व कहते हैं। अगर हम अपने जीवन में नियम के साथ नहीं जीते या चलते तो हमारा जीवन व्यर्थ है।

अनुशासन का महत्व सीखने के लिए सबसे बड़ा उदाहरण प्रकृति का है। सूरज हमेशा अपने नियमित समय पर उगता है और नियमित समय पर ही ढल जाता है, नदियां हमेशा बहती ही रहती है, गर्मी, ठंड या बारिश का मौसम अपने नियमित समय पर आते हैं और चले जाते हैं। अगर किसी भी रूप से प्रकृति अपने काम नियमित ना करें तो मानव जाति का विनाश हो जाएगा,  ठीक उसी तरह हमें भी अपने काम नियमित रूप से ना करे तो हमारा जीवन भी पतन हो जाएगा। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो समाज में रहता है और समाज में रहने के लिए अनुशासन का होना बहुत ही आवश्यक है।

अनुशासन हमारे जीवन में सफलता की सीढ़ी है जिस पर चढ़कर या उसके सहारे हम कोई भी मंजिल को अपने जीवन में हासिल कर सकते हैं। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का बहुत ही महत्व है क्योंकि यह वह पड़ाव है जहां वह जीवन में सब कुछ सीखते हैं, छोटू से प्यार, बड़ों का आदर, समय का पक्का ,नियम का पालन करना आदि। अनुशासन सबसे ज्यादा खेलों में अपनी भूमिका अदा करता है। अनुशासन कई लोगों के जीवन में जन्म से ही मौजूद होता है और कुछ लोगों को अपने जीवन में उत्पन्न करना पड़ता है। अनुशासन दो प्रकार का होता है : पहला जो किसी के जीवन में जबरदस्ती से  लाया जाए और लोगों पर धक्के से थोपा जाए यह बाहरी अनुशासन कहलाता है।

दूसरा अनुशासन वह है जो लोगों में पहले से ही विद्यमान होता है वह आंतरिक अनुशासन कहलाता है। जब भी कोई भी मनुष्य अपना हर काम समय से करेगा और व्यवस्थित तरीके से करेगा तो सफलता अवश्य उसके कदम चूमेगी और वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है। अनुशासन में रहने के तरीके: अपना किसी भी प्रकार के कार्य को आज ही पूरा करने का प्रयास करें कल करने के लिए ना छोड़े, रोज सही और अच्छी दिनचर्या का पालन करने का प्रयास करें, जीवन का हर एक कार्य पूरी लगन और मेहनत के साथ करें, बुरे कामों और बुरी आदतों से दूर रहे।

अनुशासन के बिना मनुष्य का जीवन आधा अधूरा है, जीवन में सफलता की कुंजी अनुशासन है। अनुशासन के आधार पर हमारे जीवन का भविष्य तय होता है। अनुशासन की राह पर चलना थोड़ा मुश्किल होता है ,परंतु इस राह पर चलने के बाद मिलने वाला फल बहुत ही स्वादिष्ट और मीठा होता है। अनुशासन बहुत डोर है, जो हमें आकाश की बुलंदियों को छूने के लिए मदद करती है।

संकेत बिंदु

  • प्रस्तावना 
  • विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व
  • अनुशासन का खत्म होना
  • अनुशासनहीनता के कारण एवं निवारण के उपाय

प्रस्तावना- अनुशासन शब्द दो शब्दों के मेल से बना है, जो है ‘अनु’ तथा ‘शासन’ । अनु का अर्थ-“अनुगमन करना” तथा शासन का अर्थ- “अर्थव्यवस्था या नियम” होता है। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि अनुशासन का अर्थ है नियम व्यवस्था का अनुसरण करना। अर्थात प्रशासनिक एवं राज सामाजिक व्यवस्था के विपरीत काम ना करना जिससे समाज में रहने वाले लोगों को कष्ट की प्राप्ति हो। पूरे ब्रह्मांड और प्रकृति का कण-कण अनुशासन से बाधित है तो मनुष्य अनुशासन बद्य क्यों नहीं रह सकता है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व- विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बहुत अधिक महत्व है। विद्यार्थियों से समाज बहुत अधिक अपेक्षा रखता है क्योंकि वे देश का भविष्य है। यह न केवल स्वयं का बल्कि अपने परिवार समाज तथा राष्ट्रीय का गौरव होते हैं। विद्यार्थी जीवन में मनमाना काम करने की इच्छा सफलता प्राप्ति में रुकावट होती है। इस समय में विद्यार्जन के साथ-साथ अच्छे संस्कार अपने तथा विकसित होने पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बिना अनुशासन के विद्यार्थी जीवन सफल नहीं हो सकता है।

अनुशासन का खत्म होना- प्राचीन काल में गुरुकुल में विद्या प्राप्ति की परंपरा थी ‌‌। वहां विद्यार्थी गुरुकुल के नियम का दृढ़ता से पालन करते थे। उनकी शिक्षा और दीक्षा का प्रमुख आधार अनुशासन ही था, परंतु आज के समय में विद्यार्थी उन शिष्यों की तरह नहीं है। आज के विद्यार्थी में सहनशीलता, आज्ञाकारिता, श्रद्धा और अनुशासन की बहुत अधिक कमी है। छात्रों में अहंकार तथा निरंकुशता का भाव उत्पन्न होता जा रहा है। उनकी बातों में शिष्टता और विनम्रता दोनों भाव विलुप्त होते जा रहे हैं ‌। इसलिए आज के विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करने की अधिक आवश्यकता है।

अनुशासनहीनता के कारण एवं निवारण के उपाय- अनुशासनहीनता का मुख्य कारण यह है कि अरुचिकर पाठ्यक्रम, पुरानी घिसी पिटी शिक्षा प्रणाली, भविष्य के प्रति अनिश्चितता, अध्यापक तथा अभिभावक का विद्यार्थी के प्रति व्यवहार। यदि हमें इस समस्या से निपटना है तो हमें इन कारणों को गहनता से समझने की आवश्यकता है। ताकि विद्यार्थियों या बच्चों में अध्यापक और अभिभावक के प्रति आदर भाव उत्पन्न हो सके। इसके अतिरिक्त शिक्षा प्रणाली को रुचिकर बनाने की आवश्यकता है। विद्यार्थी के साथ-साथ अध्यापक तथा उनके माता-पिता को भी अनुशासन को अपनाने की आवश्यकता है।

उपसंहार- आज का विद्यार्थी या बच्चे अपने भविष्य के प्रति जागरूक हैं। बस यह आवश्यक है कि वहां अपने मनमानी इच्छा को नियंत्रण में रखें यदि वह ऐसा करता है तो वह समाज में, परिवार में तथा और लोगों के बीच एक अच्छी छवि छोड़ता है।

अनुशासन हमें सही और सुखी जीवन जीने की कला को सिखाता है। अनुशासन के जरिए हमें अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अहम किरदार निभाता है। इसके जरिए हम टाइम मैनेजमेंट, हेल्दी लाइफ स्टाइल और नौतिका आदि सीख सकते हैं। इसके साथ ही कुछ मुख्य अनुशासन के लाभ इस प्रकार हैंः

  • अनुशासन हमारे व्यक्तित्व विकास में सहायक होता है।
  • इससे हम तनाव मुक्त रहते हैं।
  • इससे हमें समय के महत्व का पता चलता है जिससे हम अपने समय को सही तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • अनुशासन में रहने पर हम अपने साथ-साथ अपने समाज का भी विकास करते हैं।
  • अनुशासन में रहने पर हमें खुशहाली की प्राप्ति होती है।
  • यदि हम अनुशासन में रहते हैं तो हमें देखने वाले लोगों में भी अनुशासन अपनाने की इच्छा होती है।
  • अनुशासन में रहने पर हमें शिक्षा की सही प्राप्ति होती है।
  • अनुशासन से हमें उज्जवल भविष्य की प्राप्ति होती है।

अनुशासन पर सुविचार इस प्रकार हैं:

अनुशासन पढ़ना, सीखना, प्रशिक्षण लेना, और इसके तरीके को जीवन में लागू करना है।

अनुशासन कोई नियम, कानून या सजा नहीं है, और न ही समर्पण या कर्तव्य पालन, कठोर, बोरिंग या हमेशा एक ही काम करने वाला है। अनुशासन एक विकल्प है जो आपकी पसंद हो सकता है, और यह निर्णय लेने में भी बेहतर होता है।

अनुशासन वह प्रकृति है जो प्रकृति द्वारा बनाई गई हर चीज में मौजूद होता है।

एक अनुशासित मन सुख की ओर जाता है और एक अनुशासनहीन मन दुःख की ओर ले जाता है।

सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण चाबियों में से एक अनुशासन है, किन्तु यह जानते हुए भी हम इसका पालन करना पसंद नहीं करते है।

यह कोई जादू की छड़ी नहीं है जो हमारी समस्याओं को हल कर सके. समाधान हमारे काम और अनुशासन दोनों के साथ मिलता है।

अनुशासन लक्ष्य और सफलता के बीच एक पुल की तरह काम करता है।

नियमित रूप से आत्म अनुशासन और आत्म नियंत्रण से आप चरित्र की महानता को विकसित कर सकते हैं।

कोई भी व्यक्ति दूसरे को आदेश देने के लिए फिट नहीं है जब वह खुद को आदेश नहीं दे सकता है।

कुछ लोग अनुशासन को एक संस्कार मानते हैं, किन्तु मेरे लिए यह एक तरह का आदेश है जो मुझे उड़ान भरने के लिए स्वतंत्र करता है।

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु और शासन। अनु उपसर्ग है जो शासन से जुड़ा है और जिससे अनुशासन शब्द निर्मित हुआ है। जिसका अर्थ है- किसी नियम के अधीन रहना या नियमों के शासन में रहना। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है।

अनुशासन विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के अन्य क्षेत्रों के प्रति एकाग्र और प्रेरित होना सिखाता है। एक अनुशासित विद्यार्थी अपनी शैक्षणिक संस्थान का गौरव होता है। समाज द्वारा हमेशा उनका सम्मान किया जाता है। अनुशासन के बिना हम एक सफल छात्र की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

अनुशासित व्यक्ति ही समाज और जीवन में सम्मान पाते हैं। अनुशासन हमें वक्त की कदर करना सिखाता है, जो कि लक्ष्य प्राप्ति और राष्ट्र निर्माण व विकास में सहायक है। जीवन में प्रारम्भ से ही अनुशासन का विशेष महत्व रहा है। आज के संदर्भ में यदि बात करें तो अनुशासन सभी के जीवन का आवश्यक अंग होना चाहिए।

अनुशासन के प्रकार यह होते हैं – शिक्षक द्वारा आरोपित अनुशासन, समूह-आरोपित अनुशासन, आत्मारोपित अनुशासन, कार्य आरोपित अनुशासन, प्राकृतिक अनुशासन आदि।

अनुशासन चीजों को आसान बनाता है और हमारे जीवन में सफलता लाता है।

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अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay in Hindi)

अनुशासन

हर एक के जीवन में अनुशासन सबसे महत्पूर्ण चीज है। बिना अनुशासन के कोई भी एक खुशहाल जीवन नहीं जी सकता है। कुछ नियमों और कायदों के साथ ये जीवन जीने का एक तरीका है। अनुशासन सब कुछ है जो हम सही समय पर सही तरीके से करते हैं। ये हमें सही राह पर ले जाता है। हम अपने रोजमर्रा के जीवन में कई प्रकार के नियमों और कायदों के द्वारा अनुशासन पर चलते हैं।

अनुशासन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Discipline in Hindi, Anushasan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द) – अनुशासन.

अनुशासित व्यक्ति आज्ञाकारी होता है और उसके पास उचित सत्ता के आज्ञा पालन के लिये स्व-शासित व्यवहार होता है। अनुशासन पूरे जीवन में बहुत महत्व रखता है और जीवन के हर कार्यों में इसकी जरुरत होती है। यह सभी के लिये आवश्यक है जो किसी भी प्रोजेक्ट पर गंभीरता से कार्य करने के लिये जरुरी है। अगर हम अपने वरिष्ठों की आज्ञा और नियमों को नहीं मानेंगे तो अवश्य हमें परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और असफल भी हो सकते हैं।

अनुशासन का पालन

हमें हमेशा अनुशासन में होना चाहिये और अपने जीवन में सफल होने के लिये अपने शिक्षक और माता-पिता के आदेशों का पालन करना चाहिये। हमें सुबह जल्दी उठना चाहिये, निययमित दिनचर्या के तहत साफ पानी पीकर शौचालय जाना चाहिये, दाँतों को साफ करने के बाद नहाना चाहिये और इसके बाद नाश्ता करना चाहिये। बिना खाना लिये हमें स्कूल नहीं जाना चाहिये। हमें सही समय पर स्वच्छता और सफाई से अपना गृह-कार्य करना चाहिये।

हमें कभी भी अपने माता-पिता की बातों का निरादर, नकारना या उन्हें दुखी नहीं करना चाहिये। हमें अपने स्कूल में पूरे यूनिफार्म में और सही समय पर जाना चाहिये। कक्षा में स्कूल के नियमों के अनुसार हमें प्रार्थना करना चाहिये। हमें अपने शिक्षकों की आज्ञा का पालन करना चाहिये, साफ लिखावट से अपना कार्य करना चाहिये तथा सही समय पर दिये गये पाठ को अच्छे से याद करना चाहिये। हमें शिक्षक, प्रधानाध्यापक, चौकीदार, खाना बनाने वाले या विद्यार्थियों से बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिये।

हमें सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिये, चाहे वो घर, स्कूल, कार्यालय या कोई दूसरी जगह हो। बिना अनुशासन के कोई भी अपने जीवन में कोई भी बड़ी उपलब्धि प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिये अपने जीवन में सफल इंसान बनने के लिये हमें अपने शिक्षक और माता-पिता की बात माननी चाहिये।

निबंध 2 (300 शब्द) – अनुशासन: सफलता की चाबी

अनुशासन एक क्रिया है जो अपने शरीर, दिमाग और आत्मा को नियंत्रित करता है और परिवार के बड़ों, शिक्षकों और माता-पिता की आज्ञा को मानने के द्वारा सभी कार्य को सही तरीके से करने में मदद करता है। ये एक ऐसी क्रिया है जो अनुशासन में रह कर हर नियम-कानून को मानने के लिये हमारे दिमाग को तैयार करती है। हम अपने दैनिक जीवन में सभी प्राकृतिक संसाधनों में वास्तविक अनुशासन के उदाहरण को देख सकते हैं।

अनुशासन- सफलता की चाबी

सूरज और चाँद का सही समय पर उगना और अस्त होना, सुबह और शाम का अपने सही समय पर आना और जाना, नदियाँ हमेशा बहती है, अभिभावक हमेशा प्यार करते हैं, शिक्षक हमेशा शिक्षा देते है और भी बहुत कुछ। तो फिर क्यों हम अपने जीवन में पीछे हैं, बिना परेशानियों का सामना किये आगे बढ़ने के लिये हमें भी अपने जीवन में सभी जरुरी अनुशासन का पालन करना चाहिये।

हमें अपने शिक्षक, अभिभावक और बड़ों की बातों को मानना चाहिये। हमें उनके अनुभवों के बारे में उनसे सुनना चाहिये और उनकी सफलता और असफलता से सीखना चाहिये। जब भी हम किसी चीज को गहराई से देखना और समझना शुरु करते हैं, तो ये हमें जीवन में महत्वपूर्ण सीख देता है। मौसम अपने सही समय पर आता और जाता है, आकाश बारिश करता है और रुकता है आदि सभी सही समय होती हैं जो हमारे जीवन को संतुलित बनाती है।

इसलिये, इस धरती पर जीवन चक्र को कायम रखने के लिये हमें भी अनुशासन में रहने की जरुरत है। हमारे पास अपने शिक्षक, अभिभावक, पर्यावरण, परिवार, वातावरण और जीवन आदि के प्रति बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं। मानव होने के नाते हमारे पास सोचने-समझने का, सही-गलत के बारे में फैसला करने के लिये और अपनी योजना को कार्य में बदलने के लिये अच्छा दिमाग है। इसलिये, अपने जीवन में अनुशासन के महत्व और जरुरत को जानने के लिये हम अत्यधिक जिम्मेदार हैं।

अनुशासनहीनता की वजह से जीवन में ढेर सारी दुविधा हो जाती है और व्यक्ति को गैर-जिम्मेदार और आलसी बना देता है। ये हमारे विश्वास के स्तर को कम करती है और आसान कार्यों में भी व्यक्ति को दुविधाग्रस्त रखती है। जबकि अनुशासन में होने से ये हमें जीवन के सबसे अधिक ऊंचाईयों की सीढ़ी पर ले जाती है।

निबंध 3 (400 शब्द) – स्व-अनुशासन की जरुरत

अनुशासन कुछ ऐसा है जो सभी को अच्छे से नियंत्रित किये रखता है। ये व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करता है और सफल बनाता है। हम में से हर एक ने अपने जीवन में समझदारी और जरुरत के अनुसार अनुशासन का अलग-अलग अनुभव किया है। जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिये हर एक व्यक्ति में अनुशासन की बहुत जरुरत पड़ती है।

स्व-अनुशासन की जरुरत

अनुशासन के बिना जीवन बिल्कुल निष्क्रिय और निर्थक हो जाता है क्योंकि कुछ भी योजना अनुसार नहीं होता है। अगर हमें किसी भी प्रोजेक्ट को पूरा करने के बारे में अपनी योजना को लागू करना है तो सबसे पहले हमें अनुशासन में होना पड़ेगा। अनुशासन दो प्रकार का होता है एक वो जो हमें बाहरी समाज से मिलता है और दूसरा वो जो हमारे अंदर खुद से उत्पन्न होता है। हालाँकि कई बार, हमें किसी प्रभावशाली व्यक्ति से अपने स्व-अनुशासन आदतों में सुधार करने के लिये प्रेरणा की जरुरत होती है।

हमारे जीवन के कई पड़ावों पर बहुत से रास्तों पर हमें अनुशासन की जरुरत पड़ती है इसलिये बचपन से ही अनुशासन का अभ्यास करना अच्छा होता है। स्व-अनुशासन का सभी व्यक्तियों के लिये अलग-अलग अर्थ होता है जैसे विद्यार्थियों के लिये इसका मतलब है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और दिये गये कार्य को पूरा करना। हालाँकि काम करने वाले इंसान के लिये सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और ऑफिस के कार्य को ठीक ढंग से करना। हर एक में स्व-अनुशासन की बहुत जरुरत है क्योंकि आज के आधुनिक समय में किसी को भी दूसरों को अनुशासन के लिये प्रेरित करने का समय नहीं है। बिना अनुशासन के कोई भी अपने जीवन में असफल हो सकता है, अनुशासन के बिना कोई भी इंसान कभी भी अपने अकादमिक जीवन या दूसरे कार्यों की खुशी नहीं मना सकता।

स्व-अनुशासन की जरुरत हर क्षेत्र में होती है जैसे संतुलित भोजन करना (मोटापे और बेकार खाने को नियंत्रित करना), नियमित व्यायाम (इसके लिये एकाग्रता की जरुरत है) आदि। गड़बड़ और अनियंत्रित खाने-पीने से किसी को भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं इसलिये स्वस्थ रहने के लिये अनुशासन की जरुरत है। अभिवावक को स्व-अनुशासन को विकसित करने की जरुरत है क्योंकि उसी से वो अपने बच्चों को एक अच्छा अनुशासन सिखा सकते हैं। उन्हें हर समय अपने बच्चों को प्रेरित करते रहने की जुरुरत पड़ती है जिससे वो दूसरों से अच्छा व्यवहार करें और हर कार्य को सही समय पर करें। कुछ शैतान बच्चे अपने माता-पिता के अनुशासन को नहीं मानते हैं, ऐसे वक्त में अभिभावकों को हिम्मत और धैर्य के साथ अपने बदमाश बच्चों को सिखाना चाहिये।

प्रकृति के अनुसार अनुशासन को ग्रहण करने की सभी व्यक्ति का अलग समय और क्षमता होती है । इसलिये, कभी हार मत मानो और लगातार प्रयास करते रहो अनुशासन में होने को, छोटे-छोटे कदमों से ही बड़ी मंजिलें हासिल की जा सकती हैं।

निबंध 4 (600 शब्द) – जीवन में अनुशासन का महत्व

अनुशासन हमारे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बिना हमारा जीवन सुचारु रुप से नहीं चल सकता, खासतौर से आज के आधुनिक समय में अनुशासन बहुत ही आवश्यक है क्योंकि इस व्यस्तता भरे समय में यदि हम अनुशासन भरे दिनचर्या का पालन ना करें तो हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो जायेगा।

जीवन में अनुशासन का महत्व

अनुशासन कार्यों को क्रमबद्ध तथा संयमित तरीको से करने की एक विधि होती है, यदि हम नियमित रुप से अनुशासित दिनचर्या का पालन करें तो हम अपने जीवन स्तर को काफी अच्छा बना सकते हैं। यह हमें हमारे कार्यों को और भी अच्छी तरह से करने में हमारी सहायता करता है। शोधों में देखा गया है कि जो लोग अपने जीवन को अनुशासित तरीके से जीते हैं। वह अस्त-व्यस्त दिनचर्या का पालन करने वालों की अपेक्षा अपने समय तथा उर्जा का अधिक अच्छीतरह उपयोग कर पाते हैं। इसके साथ ही अनुशासन हमारे स्वास्थ्य और सामाजिक स्तर को सुधारने में भी हमारी सहायता करता है।

यही कारण है कि जीवन में अनुशासन का पालन करने वालों को अनुशासनहीनव्यक्तियोंकी अपेक्षा अधिक मान-सम्मान और सफलता प्राप्त होती है। वास्तव में अनुशासन का अर्थ, यह नहीं है कि हम दूसरों के बताये कार्यों का पालन करके अपने जीवन में अनुशासन लाने का प्रयास करें, इसके बजाय हमें अपने जीवन में स्वअनुशासन का पालन करना चाहिए क्योंकि स्वंय द्वारा पालित अनुशासन ही सर्वोत्तम होताहै, हर एक व्यक्ति का लक्ष्य तथा कार्यप्रणाली दूसरे से भिन्न होती है, इसलिए दूसरों द्वारा बताये गये अनुशासन के तरीकों को हमें अपने प्राथमिकता के आधार पर अपनाना चाहिए।

अनुशासित रहने के तरीके

हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं।

1.एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना।

2.कार्यों को समय पर पूरा करने का हरसंभव प्रयास करना।

3.व्यर्थ के कार्यों से दूर रहना।

4.बुरी आदतों और कार्यों से दूरी बनाना।

5.अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना।

अनुशासन का लाभ और आवश्यकता

जीवन में अनुशासन को अपनाने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। अनुशासित रहने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते हैं। सेना और रक्षा तथा अनुसंधान संगठनों में तो जीवन तथा कार्यों में अनुशासन को सर्वोपरिमाना गया है, क्योंकि इन क्षेत्रों में एक सेकेंड या मिनट भर की देरी या फिर एक छोटी सी चूक के कारण काफी बड़े नकरात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। यही कारण है कि इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुशासन को इतना महत्व दिया जाता है और अधिकतम कार्यों में इसका पूर्ण रुप से पालन किया जाता है।

इसके साथ ही विद्यार्थियों के लिये तो अनुशासन सफलता का सबसे महत्वपूर्ण अंग है,यदि कोई छात्र अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हुए अपना अध्ययन करता है, तो उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है। यही कारण है कि छात्र जीवन में अनुशासन को सफलता का आधार माना गया है।

ना सिर्फ विद्यार्थी जीवन में बल्कि कैरियर और घरेलू जीवन में भी अनुशासन का काफी महत्व है, जो लोग अपने जीवन में अनुशासन को अपना लेते हैं, वह कई तरह के परेशानियों से बच जाते हैं। इसके साथ ही जो व्यक्ति अनुशासन के साथ जीवन जीते हैं, उन्हें अनुशासनहीन व्यक्तियों कि अपेक्षा जीवन में कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। एक ओर जहाँ छात्रों के लिये यह उनके भविष्य को सुनहरा बनाने का कार्य करता है, वही दूसरी ओर नौकरीपेशा लोगों के लिये यह तरक्की के मार्ग भी खोलता है।

हम कह सकते हैं कि अनुशासन जीवन में सफलता की कुंजी है और जो व्यक्ति इसे अपने जीवन में अपनाता है, वह अपने जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त करता है। यही कारण है कि आज के इस आधुनिक युग में भी अनुशासन को इतना महत्व दिया जाता है।

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हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

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  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
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  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
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  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
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  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
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  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

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COMMENTS

  1. Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi

    Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi. विद्यार्थी के लिए जितनी पढ़ाई-लिखाई आवश्यक है उतना ही अनुशासन होना जरूरी है क्योंकि बिना अनुशासन के पढ़ाई की कल्पना नहीं की जा सकती है.

  2. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

    Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi: आज का हमारा आर्टिकल विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध के बारे में है। स्कूल में अनुशासन सिखाया जाता है।

  3. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबन्ध- Essay on Student and Discipline in Hindi

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  4. विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व निबंध- Vidyarthi Jeevan Mein

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  5. विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध

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  6. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

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  8. Vidyarthi Aur Anushasan Essay In Hindi

    विद्यार्थी और अनुशासन (Vidyarthi Aur Anushasan) - Student And Discipline. साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा ...

  9. अनुशासन पर निबंध (Essay On Discipline In Hindi)- विद्यार्थी और अनुशासन

    अनुशासन पर निबंध (Essay On Discipline In Hindi)- अनुशासन हर व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन कायम कर लेता है, वो व्यक्ति ...

  10. Vidyarthi Aur Anushasan Short Essay |अनुशासन हीनता के कारण

    मित्रों Vidyarthi Aur Anushasan विद्यार्थी और अनुशासन पर हिंदी में निबंध प्रस्तुत है. यदि वर्तमान परिवेश में देखा जाये तो विद्यार्थी और अनुशासन Essay in Hindi , निबंध लेखन का ...

  11. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

    विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Vidyarthi Aur Anushasan Par Nibandh | 100-500 Words अप्रैल 19, 2023 कक्षा 1 से कक्षा 10 के लिए निबंध / essay for class 1 to class 10

  12. अनुशासन पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में

    अनुशासन पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Essay on Discipline in Hindi. By Jiya Iman. आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं अनुशासन पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में ...

  13. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध || Vidyarthi Aur Anushasan Par Nibandh

    Final Words: तो फ्रेंड्स हमने आप लोगों को जीवन में अनुशासन का महत्व या विद्यार्थी और अनुशासन और अनुशासन का महत्व पर निबंध दिया ( Vidyarthi Aur Anushasan Par ...

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    विद्यार्थी और अनुशासन महत्त्व पर निबंध (500 शब्दों में)-Vidyarthi Aur Anushasan Essay In Hindi. प्रस्तावना. अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु और शासन।अनु ...

  15. Vidyarthi aur Anushasan in Hindi Essay विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

    Essay on Vidyarthi Aur Anushasan in Hindi. विचार - बिंदु - • अनुशासन का अर्थ और महत्त्व • अनुशासन की प्रथम पाठशाला परिवार • व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के लिए अनुशासन आवश्यक ...

  16. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

    विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi! मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । किसी समाज के निर्माण में अनुशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । अनुशासन ...

  17. निबंध लिखिए- विद्यार्थी और अनुशासन

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  18. Hindi Essay on "Vidyarthi Aur Anushasan", "विद्यार्थी और अनुशासन

    विद्यार्थी और अनुशासन . Vidyarthi Aur Anushasan. निबंध नंबर :- 01 . अनुशासन मानव जीवन को सामाजिक नियमों से बाँधता है। मनुष्य को अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नियमों ...

  19. Anushasan ka Mahatva

    अनुशासन का मनुष्य के जीवन में महत्व. मनुष्य के जीवन में Anushasan ka Mahatva कितना आवश्यक है, हम प्वाइंट्स में जानेंगेः. हम किसी न किसी अनुशासन का ...

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    अनुशासित रहने के तरीके. हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं।. 1.एक संतुलित और नियमित ...

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    विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध - (Vidyarthi Aur Anushasan Essay) मेरा प्रिय त्यौहार निबंध - (My Favorite Festival Essay) मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध - (My Favourite Book Essay)