वन महोत्सव पर निबंध

यहाँ पर हम वन महोत्सव पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में वन महोत्सव से सम्बंधित सभी जानकारी का वर्णन किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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वन महोत्सव पर निबंध (200, 500 और 800 शब्दों में)

वन महोत्सव पर निबंध (200 शब्द).

बढ़ती जनसंख्या और आधुनिकरण का सीधा प्रभाव हमारे वनों पर पड़ा है, जिसके चलते वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। भारत में अब सिर्फ 20% ही वन बाकि रहे है। वनों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए वन महोत्सव देश में मनाया जाता है। वन महोत्सव को एक राष्ट्रीय त्यौहार घोषित किया गया है।

वन महोत्सव की शुरुआत साल 1950 में देश के कृषिमंत्री डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा की गई थी। वनमहोत्सव हर साल जुलाई महीने में प्रथम सप्ताह के दौरान मनाया जाता है। उस दिन देश के सभी विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, सरकारी दफ्तरों, कई संगठनों और संस्थाओं द्वारा पूरे देश में पौधे लगाने के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। काफी मात्रा में लोग इस महोत्सव में भाग लेते हैं।

वनों के साथ हमारे जीवन का गहरा रिश्ता जुड़ा हुआ है। वन हमें हमारे शरीर के लिए मूलयवान प्राणवायु, फल, फूल, दवाइयां और काफी कीमती जीवन जरुरी सामग्री प्रदान करते हैं। वनों की कटाई के कारण हमारा भविष्य जोखिम में पड़ सकता है।

वन महोत्सव के दिन हमें हर साल अधिक से अधिक पौधे लगाने की प्रतिज्ञा करती चाहिए। लोगों में वनों के प्रति जागरुकता फैलानी चाहिए, जिससे हमारा आनेवाला कल बहेतर और सुनहरा बन सके, क्योंकि वृक्ष है तो जीवन है।

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वनमहोत्सव पर निबंध (500 शब्द)

हमारे देश में पेड़ों को काफी ज्यादा महत्व दिया जाता है। लेकिन कई जगहों पर पेड़ों की कटाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। इसी के चलते देश में वन महोत्सव को मनाया जाता है। इस वन महोत्सव के माध्यम से देश में पेड़ों के महत्व को और अधिक समझने और पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है।

वन महोत्सव का मतलब

वन महोत्सव की शुरुआत सन 1950 में हुई थी। देशभर में वर्तमान समय में वन महोत्सव मनाने का मुख्य उद्देश्य जंगलों के संरक्षण और पेड़-पौधों का बचाव करना हैं। वन महोत्सव को शुरू करने के पश्चात पेड़ों के महत्व को लेकर जागरूकता देशभर में फैली है।

वनों की कटाई लगातार होने से पृथ्वी पर कई प्रकार के बुरे प्रभाव पड़ रहे हैं और उसी से बचाने के लिए वन महोत्सव की शुरुआत करके देश भर में और पूरी पृथ्वी पर जागरूकता फैलाने की एक अनूठी पहल की गई हैं।

वन महोत्सव की जरूरत

देश में वन महोत्सव के माध्यम से वृक्षों की कटाई पर रोक लगाने के साथ-साथ नए वृक्षों को लगाने में भी कई अभियान चलाए जा रहे हैं। वन महोत्सव के माध्यम से वृक्षों की कटाई कम करके जल की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है और बर्षा के चक्र को अनियंत्रित होने से बचाया जा रहा है।

वनों की कटाई की वजह से ही हर साल मनुष्य के द्वारा प्राकृतिक आपदाओं को निमंत्रण दिया जा रहा है। इसी प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए सरकार के द्वारा वन महोत्सव की एक अनूठी पहल की शुरुआत करके देश भर में नए वृक्ष लगाने के लिए और वृक्षों के महत्व के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है।

वन महोत्सव का महत्व समझने के लिए हमें वनों की कटाई से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जान लेना होगा। यदि वनों की कटाई ऐसे ही लगातार होती रही तो पृथ्वी का तापमान इतना अधिक हो जाएगा। हिमालय की सारी बर्फ पिघल जाएगी, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ जाएगा और बाढ़ जैसी विकट स्थिति पैदा हो जाएगी।

इसीलिए हमें वनों की कटाई पर रोक लगाकर, नए पेड़ों को लगाने पर जोर देना चाहिए। यह बात वन महोत्सव के माध्यम से देश भर के सभी लोगों के पास पहुंचाई जा रहे हैं।

वन महोत्सव का महत्व

सामान्य तौर पर देखा जाए तो हर दिन हमें नए पेड़ पौधे लगाने चाहिए और वनों को काटने से रोकना चाहिए। लेकिन वन महोत्सव के दिन मुख्य तौर पर देश के सभी जगह पर एक अभियान चलाया जाता है, जिसकी वजह से देश में लाखों नए पेड़ पौधे लगाए जाते हैं। प्रत्येक वर्ष वन महोत्सव के दिन लगाए जाने वाले लाखों की संख्या में पेड़-पौधे हमारे देश के भविष्य को सुरक्षित कर रहे हैं।

वन महोत्सव का महत्व भारत के सभी विश्वविद्यालयों, विद्यालय और सभी सरकारी दफ्तरों में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी विद्यालय और विश्वविद्यालय में बच्चों को वनों के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है और नए पेड़ पौधों को लगाने के कई अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम को आयोजित किया जाता है।

हमारे जीवन का पेड़ एक अभिन्न अंग है, इसके बचने से ही हमारा जीवन सुरक्षित रह पायेगा। पेड़ की कटाई से हमारे वातावरण पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, जिसमें बाढ़ आना, तूफान आना, गर्मी अधिक पड़ना आदि जैसी समस्याएँ पैदा हो सकती है।

इसलिए हमें पेड़ों को बचाने के लिए सभी को जागरूक करना चाहिए और नए पेड़ अधिक से अधिक लगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए, जिससे हम प्रकृति संरक्षण में अहम योगदान दे पायें।

वन महोत्सव पर निबंध (800 शब्द)

भारतीय संस्कृति के अधिकतर उत्सव हमेशा प्रकृति के साथ जुड़े हुए है। चाहे वो सामाजिक हो या धार्मिक। क्योंकि हम अपनी आवश्यता के लिए हमेशा प्रकृति पर निर्भर रहते है और उत्सवों के जरिये हम उनसे कृतज्ञता भाव अभिव्यक्त करते है। आज हम ऐसे ही एक उत्सव की बात करने जा रहे है, जिसका नाम है वन महोत्सव।

वन महोत्सव यानी कि ‘पेड़ों का त्योहार’। हमारे जीवन में वनों का काफी महत्व है। वन हमें प्राणवायु, फल-फुल, छाया देते है और बदले में हमसे कुछ नहीं मांगते। साथ साथ पेड़ हमें जीवन में नैतिकता, परोपकार और विनम्रता जैसे गुण सिखाते है। उनका यही अहेसान हम वन महोत्सव जरिये अभिवक्त करते है।

वन महोत्सव दिवस

भारत देश में वन महोत्सव बड़े धाम धूम से मनाया जाता है। सन 1950 में कृषि मंत्री डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा वन महोत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी। यह उत्सव प्रति वर्ष 1 जुलाई को वन महोत्सव दिवस के रूप में मनाया जाता है और एक सप्ताह तक चलता है। यह एक राष्ट्रीय महोत्सव है। इस समय के दौरान पूरे भारत देश में एक लाख से भी ज्यादा वृक्षारोपण किया जाता है।

वन महोत्सव की शुरुआत

कृषि मंत्री डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने देखा भारत में पेड़ों की कटाई ज्यादा हो रही है। इस विषय को लेकर वो काफी चिंतित हुए। लोगों में वनों के प्रति जागरूकता लाने के लिए उन्होंने समूह में वृक्षारोपण का कार्यक्रम बनाने का सोचा, जिससे लोग जंगल संरक्षण और नए पेड़ों के रोपण का महत्व समझ सके।

वन महोत्सव मनाने के लिए जुलाई महीने को चुना गया, क्योंकि जुलाई महीने में वर्षा ऋतू की शुरुआत होती है और इस समय पर पेड़ लगाना काफी फायदेमंद होता है।

वैसे तो वन महोत्सव की शुरुआत साल 1947 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू , डॉ राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रीय नेताओं द्वारा की गई थी, लेकिन साल 1950 में इसे कृषि मंत्री कन्हैया लाल मुंशी ने वन महोत्सव को राष्ट्रीय महोत्सव के रूप में घोषित किया।

वन महोत्सव दिवस का महत्व

वन प्राकृतिक संपत्ति है। पेड़ों के साथ हमारे जीवन का काफी गहरा रिश्ता रहा है। सदियों से पेड़ हमें फल, फूल और छाया देते आये हुए हैं और बदले में कुछ भी नहीं मांग रहे। लेकिन मनुष्य विकास के नाम पर जितने पेड़ काट रहे है, उतने नए पेड़ों का रोपण नहीं कर रहे और यह एक गंभीर समस्या है।

आज के बच्चे कल का भविष्य है। इसलिए भारत की विद्यालयों में, विश्वविद्यालयों में यह महोत्सव बड़ी धामधूम से मनाया जाता है। ताकि बच्चों में बचपन से ही वनों के प्रति जागरूकता पैदा हो। सरकारी दफ्तरों, कई संगठनों और संस्था के द्वारा भी समूह में पौधों लगाने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

वन और भारतीय संस्कृति

हमारी भारतीय संस्कृति का भी वनों के साथ काफी गहरा नाता है। हमारे ऋषि मुनि भी शांति और एकांत की तलाश में वन में रहते थे। हमारी प्राचीन परंपरा से हमें वक्षों की पूजा करना, व्रत रखना और जल चढना सिखाया जाता है।

प्राचीन समय में गुरूकुल भी जंगल में ही हुआ करते थे, क्योंकि शिक्षा लेते समय मन को एकाग्रता और शुद्ध वातावरण प्राप्त हो। हिन्दू संस्कृति में भी वृक्षों को भगवान का दर्जा दिया गया है। आपको तुलसी का एक पौधा हर घर में दिखने को मिलेगा।

वनों के अनगिनत लाभ है। सबसे अहम लाभ तो वो हमारे जीवन के लिए प्राणवायु देता है। शुद्ध और स्वस्छ वातावरण देता है। उनकी हरियाली देखकर हमारी आंखों की थकान दूर होती है और मन को शांति मिलती है। वनों अनेक प्राणी और पक्षी का आशियाना है।

वनों से हमें लकड़ियां, फल, फूल, दवाइयां, कागज, चन्दन की लकड़ियां जैसी कई मूल्यवान जीवन जरुरी सामग्री प्राप्त होती है। गर्मी में ठंडक देना और वर्ष ऋतु में बारिश लाने का काम भी तो वनों को ही आभारी है। वन धरती के कटाव को रोकता है, जिसके कारण उपजाऊ मिटटी नष्ट नहीं होती है।

वनों की कटाई

देश की आबादी बढ़ने पर सबसे पहला प्रश्न रहने और खाने का है, जिसके चलते वनों की अंधाधुन कटाई हो रही है। हमारे देश में सिर्फ 20% ही वन बचे है, जो एक गंभीर प्रश्न है। वनों की कटाई के कारण प्रदूषण काफी बढ़ गया है।

ग्लोबल वार्मिंग विश्व के लिए एक चुनौती बन गई है। वनों के कटने के कारण बारिश कम हो रही है और धरती का तापमान बढ़ रहा है। वनों की कटाई के कारण पृथ्वी पर कई जीवों की जातियाँ नामशेष हो गई है।

हमारा अस्तित्व वनों से ही जुड़ा है, इसलिए वनों की रक्षा करना हमारा अहम कर्तव्य है। वनों के महत्व को समझते हुए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। वन महोत्सव दिवस को बढ़ावा देना चाहिए। वनों से ही हमारी पृथ्वी की सुंदरता बढ़ती है। हमें अपनी भावी पीढ़ी को बेहतर वातावरण देने की कोशिश करनी चाहिए।

वन महोत्सव पर निबंध PDF

हमने यहाँ पर वन महोत्सव पर निबंध इन हिंदी को पीडीऍफ़ के रूप में उपलब्ध किया है, जिसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं और अपने प्रोजेक्ट आदि के रूप में उपयोग ले सकते हैं।

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  • पेड़ों के महत्त्व पर निबंध
  • प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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Essay on Van Mahotsav in Hindi – वन महोत्सव पर निबंध

वन हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक है और आज हमने वन महोत्सव पर हिंदी में निबंध लिखा है. Van Mahotsav in hindi पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि वनों की हमें कितनी जरूरत है और वन महोत्सव क्यों मनाया जाता है.  वन महोत्सव 2018 में 1 जुलाई से 7 जुलाई तक मनाया जाएगा.

पृथ्वी का बदलता वातावरण बहुत ही गंभीर विषय है इसका मुख्य कारण अंधाधुन पेड़ों की कटाई और सिकुड़ते वन क्षेत्र के कारण पृथ्वी का वातावरण गर्म हो रहा है.  

Essay on Van Mahotsav in Hindi

पेड़ों की कटाई के कारण आपने देखा होगा कि तापमान घटता बढ़ता है, बाढ़, आंधी तूफान सूखा और भूमि क्षरण जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो चुकी है. अगर जल्द ही हम इस विषय पर कुछ नहीं करते हैं तो अपने ही हाथों अपने घर (पृथ्वी) को नष्ट कर देंगे. मानव विकास करने की राह में इतना लालची हो गया है कि उसको जीवन देने वाले वनों और पेड़ पौधों की वह अंधाधुंध कटाई करने में लगा हुआ है

और अपना जीवन भोग-विलास में बिता रहा है.  यह बहुत ही चिंता का विषय है कि कोई कैसे अपने जीवन देने वाले जीवनदाता को ही मार काट रहा है. मानव प्रकृति की रक्षा नहीं कर रहा है इसलिए कभी-कभी प्रकृति भी अपना विकराल रूप दिखाती है और उसमें हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है.  यह प्रकृति का मानव को चेतावनी है कि अगर वह जल्द ही नहीं चेता तो पृथ्वी का नष्ट होना तय है.

Essay on Van Mahotsav in Hindi

Van Mahotsav Essay Hindi me School or College ke Student ke Liye.

Van Mahotsav in Hindi – वन महोत्सव

पर्यावरण के प्रति पुरातन काल में भी लोग बहुत सचेत थे जैसे कि गु प्तवंश, मौर्यवंश, मुगलवंश वनों को सुरक्षित रखने के लिए बहुत ही  सराहनीय प्रयास किए गए थे. लेकिन जैसे-जैसे हमारा देश तरक्की करता जा रहा है अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वह निरंतर वनों की कटाई करता जा रहा है. इस बात को सन 1947 में ही भाप लिया गया था कि अगर वनों को नहीं बचाया गया तो मानव सभ्यता का जीवन संकट में पड़ सकता है.

सन् 1947 में स्व. जवाहरलाल नेहरू, स्व. डॉ. राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के के संयुक्त प्रयास से जुलाई के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव मनाया जाता है . यह वन महोत्सव इसलिए मनाया जाता है जिससे लोगों में पेड़ लगाने के प्रति चेतना उत्पन्न हो और अधिक से अधिक वे पेड़ लगाएं.

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इस महोत्सव के दौरान सरकार द्वारा भी लाखों पेड़ लगाए जाते हैं और साथ ही कई ऐसी संस्थाएं भी होती हैं जो कि जगह जगह पर पौधारोपण करती है. वन महोत्सव का प्रमुख उद्देश्य यही है कि लोग पेड़ों का महत्व समय रहते ही समझ जाएं और अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करें.

लेकिन 1947 में Van Mahotsav का आयोजन सिर्फ अनौपचारिक रूप से ही किया गया था जिसके कारण यह है बड़ा रूप नहीं ले पाया लेकिन सन 1950 में तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी ने इस महोत्सव को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया . यह निर्णय मील का पत्थर साबित हुआ क्योंकि अगर यह निर्णय नहीं लिया जाता तो शायद आज भारत में 20% की जगह 10% ही वन पाए जाते.

वन महोत्सव क्या है – Van Mahotsav Kya hai

भारत में निरंतर वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था. और  जितने पेड़ों की कटाई की जा रही थी उसमें से आधे भी नहीं लगाई जा रहे थे. जिसके कारण वनों को बचाने के लिए सरकार द्वारा जुलाई माह में वन महोत्सव का आयोजन किया गया इसको Van Mahotsav नाम इसलिए दिया गया

ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग पेड़ लगाएं और एक दूसरे को इस बारे में सचेत करें कि पेड़ लगाना हमारे जीवन के लिए कितना आवश्यक हैं.

वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य ही यह है कि सभी जगह पेड़ पौधे लगाए जाएं और वनों के सिकुड़ते क्षेत्र को बचाया जाए. वन महोत्सव सप्ताह में हमारे पूरे देश में लाखों पेड़ लगाए जाते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश इनमें से कुछ प्रतिशत ही पेड़ बच पाते हैं क्योंकि इनकी देखभाल नहीं की जाती है जिसके कारण यह या तो जीव जंतुओं द्वारा खाली जाते हैं या फिर जल नहीं मिलने के कारण नष्ट हो जाते हैं.  

हमारे देश में वनों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन और अप्पिको आंदोलन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इन आंदोलनों के कारण ही वन क्षेत्रों की कटाई में थोड़ी कमी आई है.

वन महोत्सव की आवश्यकता क्यों पड़ी – Van Mahotsav ki Avashyakta Kyo Padi

पेड़ों की कटाई के कारण पृथ्वी का वातावरण दूषित होने के साथ-साथ बदल रहा है जिसके फलस्वरुप आपने देखा होगा कि हिमालय तेजी से निकल रहा है पृथ्वी का तापमान फिर से बढ़ने लगा है असमय वर्षा होती है कहीं पर बाढ़ आ जाती है और कहीं पर आंधी तूफान आ रहे हैं जो कि प्रकृति की साफ चेतावनी है कि अगर हम अभी भी सचेत नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी का विनाश हो जाएगा.

वर्तमान में गर्मियों का समय बढ़ गया है और सर्दियों का समय बहुत कम नाम मात्र का ही रह गया है. गर्मियों में तो राजस्थान में पारा 50 डिग्री तक पहुंच जाता है . इसका मतलब अगर इतनी तेज धूप में कोई व्यक्ति अगर आधे घंटे भी खड़ा हो जाए तो उसको हैजा जैसी  बीमारी हो सकती है या फिर उसकी मृत्यु भी हो सकती है.

भारत में जितनी तेजी से औद्योगिकरण हुआ है उतनी ही तेजी से वनों की कटाई भी हुई है, लेकिन हम लोगों ने जितनी तेजी से वनों की कटाई की थी पुनः वृक्षारोपण नहीं किया. वन नीति 1988 के अनुसार धरती के कुल क्षेत्रफल के 33% हिस्से पर वन होने चाहिए तभी प्रकृति का संतुलन कायम रह सकेगा. लेकिन वर्ष 2001 की रिपोर्ट में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए जिसके अनुसार भारत में केवल 20% प्रतिशत ही वन बचे रह गए है.

2017 की वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्षों की तुलना में 2017 में वनों में 1% की वृद्धि हुई है . लेकिन यह वृद्धि दर काफी नहीं है क्योंकि जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और साथ ही प्रदूषण भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है इस प्रदूषण को अवशोषित करने के लिए हमारे वन अब भी काफी कम है.

हमारे भारत देश में कुछ राज्यों में तो बहुत ज्यादा वन है जैसे कि लक्ष्यदीप, मिजोरम, अंडमान निकोबार द्वीप समूह मैं लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा वनों से ढका हुआ है. लेकिन हमारे देश में कुछ ऐसे राज्य भी हैं जो कि धीरे-धीरे रेगिस्तान बनते जा रहे हैं जैसे कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि ऐसे राज्य हैं.  

इन राज्यों में वन क्षेत्र को बढ़ाने की बहुत सख्त जरूरत है नहीं तो आने वाले दिनों में यहां पर भयंकर अकाल की स्थिति देखने को मिल सकती हैं.

वनों की कटाई के कारण – Vano ki Katai ke Karan

  • हमारी देश की बढ़ती हुई जनसंख्या वनों की कटाई का मुख्य कारण है क्योंकि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती जा रही है उस जनसंख्या को जगह और खाने पीने की वस्तुओं की जरूरत भी बढ़ गई है इसलिए वनों की कटाई करके इस सब की पूर्ति की जा रही है.
  • आजकल आपने देखा होगा कि आपके घरों में ज्यादातर गेट और खिड़कियां और अन्य घरेलू सामान लकड़ी से बनता है और जनसंख्या वृद्धि के साथ लकड़ी की मांग में वृद्धि हुई है इस वृद्धि को पूरा करने के लिए वनों की कटाई की जा रही है.
  • वनों से हमें कई प्रकार की जड़ी बूटियां प्राप्त होती है इन जड़ी बूटियों को हासिल करने के लिए मानव द्वारा वनों को नष्ट किया जा रहा है.
  • भारत में आजकल कई ऐसे अवैध उद्योग धंधे जिनमें लकड़ी का उपयोग ज्यादा मात्रा में किया जाता है उसकी पूर्ति के लिए पेड़ों की कटाई की जाती है.
  • वनों की कटाई का एक अन्य कारण यह भी है कि आजकल  लकड़ी के कई अवैध धंधे भी चल रहे हैं वे लोग बिना सरकार की मंजूरी के वनों से पेड़ों की कटाई करते हैं और अधिक मूल्य में लोगों को बेच देते हैं.
  • मानव अपनी भोग विलास की वस्तु की इच्छा को पूरा करने के लिए बेवजह पेड़ों की कटाई करता है.

वनों के लाभ – Benefits of forests

  • वनों के कारण हमारी पृथ्वी के वातावरण में समानता बनी रहती है.
  • वनों के कारण मिट्टी का कटाव नहीं होता है.
  • पेड़ पौधों से हमें ऑक्सीजन मिलती है जो कि प्रत्येक जीवित प्राणी के लिए बहुत आवश्यक है.
  • पेड़ पौधे कार्बनडाई जैसी जहरीली गैसों को अवशोषित कर लेते है.
  • वनों से हमें कीमती चंदन जैसी लकड़ियां प्राप्त होती है.
  • वनों से हमें बीमारियों को दूर भगाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां मिलती है.
  • पेड़ पौधों के कारण  वर्षा अच्छी होती हैं जिससे हर तरफ हरियाली ही हरियाली रहती है.
  • वनों के कारण आपातकालीन आपदा, सूखे की स्थिति, आंधी, तूफान और बाढ़ कम आती है.
  • वन अन्य जीव जंतुओं के रहने का घर है

वनों की कटाई के दुष्प्रभाव – Vano ki Katai ke Dusparbhav

वनों की कटाई के कारण केवल मान्यवर जाति पर ही प्रभाव नहीं पड़ा है इसका प्रभाव संपूर्ण पृथ्वी पर पड़ा है.  जिसके कारण आज ग्लोबल वॉर्मिंग की स्थिति पैदा हो गई है. आइए जानते हैं कि वनों की कटाई के कारण क्या क्या दुष्प्रभाव पड़ते है.

पृथ्वी के तापमान में वृद्धि –

वन क्षेत्र जैसे जैसे सीमित होता जा रहा है वैसे-वैसे पृथ्वी का तापमान में भी वृद्धि हो रही है आपने देखा होगा कि सर्दियों की ऋतु का मौसम में कुछ समय के लिए ही आता है और ज्यादातर समय गर्मियां ही रहती है. पिछले 10 सालों में पृथ्वी के तापमान में 0.3 से 0.6 डिग्री सेल्शियस की बढ़ोतरी हुई है. और हर साल इस में बढ़ोतरी ही हो रही है.

प्रदूषण का बढ़ना –

पेड़ पौधे उद्योग-धंधों एवं अन्य पदार्थों से निकलने  वाली जहरीली गैसों को अवशोषित कर लेते है. अगर इनकी कटाई कर दी जाएगी तो यह  जहरीली गैसें वातावरण में ज्यों की त्यों ही रहेंगी जिनके कारण हैं अनेक भयंकर बीमारियां जन्म लेंगी  और अगर इसी प्रकार वनों की कटाई चलती रही तो मानव को सांस लेने में भी दिक्कत होगी क्योंकि पेड़ों द्वारा ही ऑक्सीजन का निर्माण किया जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शोख लिया दिया जाता है.

अकाल –

वनों की कटाई के कारण अकाल की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है. क्योंकि पेड़ों से ही  अधिक वर्षा होती है. अगर पृथ्वी पर पेड़ ही नहीं रहेंगे तो वर्षा भी नहीं होगी. जिसके कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी.  भारत के कई ऐसे राज्य हैं जिनमें वन क्षेत्र कम पाए जाते हैं जैसे कि गुजरात और राजस्थान तो यहां पर अक्सर अकाल की स्थिति बनी रहती है. इन राज्यों में वन क्षेत्र कम होने के कारण जल की कमी भी पाई जाती है.

बाढ़ –

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण कई जगह अधिक वर्षा भी हो जाती है और वन क्षेत्र कम होने के कारण पानी का बहाव कम नहीं हो पाता है और जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

वन्य जीव जंतुओं का विलुप्त होना –

बढ़ती हुई आबादी के कारण वन क्षेत्र सीमित हो गए हैं जिसके कारण वनों में रहने वाले वन्यजीवों को रहने के लिए बहुत कम जगह मिल रही है और साथ ही कई ऐसे पेड़ों की कटाई कर दी गई है  जो कि कई वन्य जीव के जीने के लिए बहुत जरूरी थे. वनों की कटाई के कारण कई जीव जंतुओं की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और अगर ऐसे ही वनों की कटाई होती रही तो जल्द ही सभी वन्यजीवों की प्रजातियां विलुप्त हो जाएगी.

ग्लोबल वॉर्मिंग –

पृथ्वी के जलवायु में हो रहे परिवर्तन ग्लोबल वॉर्मिंग के अंतर्गत ही आते है. वर्तमान में आपने समाचार पत्र पत्रिकाओं में पढ़ा होगा कि गर्मियों के समय बर्फ गिर रही है, रेगिस्तान क्षेत्र में बाढ़ आ रही है, हिमालय पिघल रहा है  और साथ ही पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है यह सभी कारण ग्लोबल वॉर्मिंग के अंतर्गत आते है.

वन क्षेत्र बचाने के उपाय – Van Sanrakshan ke Upay

  • वन क्षेत्र को बचाने के लिए हमें लोगों में अधिक से अधिक है जागरूकता फैलाने होगी.
  • जनसंख्या वृद्धि दर को कम करना होगा.
  • हमें वन महोत्सव जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना होगा जिससे कि अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाए जा सके.
  • वनों को बचाने का काम सिर्फ सरकार का ही नहीं है यह काम हमारा भी है क्योंकि जब तक हम स्वंय  पेड़ नहीं लगाएंगे तब तक वन क्षेत्र नहीं बढ़ सकते है.
  • हमें अवैध वनों की कटाई करने वाले लोगों के लिए सख्त कानून का निर्माण करना होगा.
  • सभी लोगों को पेड़ पौधों के लाभ बताने होंगे जिससे कि वह अधिक से अधिक पेड़ लगाएं.
  • हमें लकड़ियों से बनी वस्तुओं का उपयोग कम करना होगा.

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20 thoughts on “Essay on Van Mahotsav in Hindi – वन महोत्सव पर निबंध”

nice essay …thanks

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बहुत अच्छा निबंध है आपका । इसे ही निबंध लाते रहिए। धन्यवाद

शिवांग जी सराहना के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद, हम ऐसे ही निबंध लिखते रहेंगे|

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Van Mahotsav Essay In Hindi: जानिए परीक्षाओं पूछे जाने वाले वन महोत्सव पर निबंध

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 9, 2023

Van Mahotsav Essay In Hindi

वन महोत्सव वनीकरण (afforestation) और वनों के संरक्षण को बढ़ाने के लिए मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। वन महोत्सव को समझने से छात्रों को पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और पेड़ों और जंगलों के महत्व के बारे में जागरूक होने में मदद मिलती है। वन महोत्सव के उपलक्ष में छात्र ऑक्सीजन, क्लाइमेट और बायोडायवर्सिटी के बारे में अधिक जान पाते हैं।इसलिए कई बार छात्रों को वन महोत्सव पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Van Mahotsav Essay In Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लोग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

वन महोत्सव पर निबंध सैंपल 1, वन महोत्सव पर निबंध सैंपल 2, वन महोत्सव का इतिहास, वन महोत्सव के उद्देश्य, देश में वन महोत्सव सप्ताह समारोह, वन महोत्सव का महत्व, वन महोत्सव पर 10 लाइन्स.

वन महोत्सव भारत में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम पेड़ लगाने के लिए समर्पित है और वर्ष 1950 में शुरू हुआ है। यह वनों की कटाई और बढ़ती कार्बन डाइऑक्साइड के कारण यह महोत्सव ओर भी महत्वपूर्ण हो गया है। हर साल, वन महोत्सव के दौरान देश भर में लाखों पौधे लगाए जाते हैं, जो आमतौर पर 1 से 7 जुलाई तक होता है।

वर्ष 1950 में केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री डॉ. के एम मुंशी ने लोगों को वनों के संरक्षण और अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करने के लिए इस उत्सव की शुरुआत की। तब से यह उत्सव पूरे भारत में फैल गया है।

वन महोत्सव का प्राथमिक लक्ष्य पेड़ों के महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है। यह ग्लोबल वार्मिंग से निपटने और प्रदूषण को कम करने में वृक्षारोपण पर अधिक जोर देता है।  

यह त्यौहार लोगों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देता है। साथ ही यह वृक्षारोपण और देखभाल में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। देश भर में मनाया जाने वाला वन महोत्सव हमारे जंगलों को संरक्षित करने और एक स्वस्थ ग्रह को बढ़ावा देने के महत्व को भी याद दिलाता है।

Van Mahotsav Essay In Hindi सैंपल 2 नीचे दिया गया है-

पेड़ प्रकृति के उपहार की तरह हैं, जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे पर्यावरण को संतुलित और स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। पेड़ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को समझना आवश्यक है।

पूरे विश्व में तापमान को नियंत्रित करने और बारिश कराने के लिए मौसम की स्थिति बनाने में पेड़ों का बड़ा काम है। वे कार्बन डाइऑक्साइड लेकर और ऑक्सीजन छोड़ कर हवा को भी साफ करते हैं, जो सभी जीव जंतुओं के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, पेड़ हमें लकड़ी, भोजन, ईंधन, कागज और बहुत कुछ प्रदान करते हैं, जिससे वे हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाते हैं। वे विभिन्न जानवरों और पक्षियों के लिए घर के रूप में भी काम करते हैं।

हम जिस बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं वह वनों की कटाई है, वर्तमान समय में बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जाते हैं।  इससे न केवल प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं बल्कि कई पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ हमेशा के लिए लुप्त हो जाती हैं।

अब, हमारे लिए अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेना महत्वपूर्ण है। हमें पृथ्वी की उसी तरह देखभाल करनी चाहिए जैसे वह हमारी देखभाल करती रही है। इसका समाधान सरल है: अपने ग्रह को एक बार फिर से सुंदर, हरा-भरा और स्वस्थ बनाने के लिए जितना हो सके उतने पेड़ लगाएं।

वन महोत्सव पर निबंध सैंपल 3

Van Mahotsav Essay In Hindi सैंपल 3 नीचे दिया गया है-

वन महोत्सव एक विशेष वृक्षारोपण उत्सव है जो प्रत्येक वर्ष जुलाई में पूरे भारत में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1950 में हुई जब डॉ. के एम मुंशी के द्वारा हुई थी। वे कृषि और खाद्य के प्रभारी थे। उन्होंने वन महोत्सव को एक राष्ट्रीय कार्यक्रम बना दिया। इस उत्सव के दौरान, लोग देश भर में पेड़ लगाने के लिए एक साथ आते हैं। इस दिन हम इस बात पर विचार करते हैं कि पेड़ कितने महत्वपूर्ण हैं और सभी को अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण की देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं। 

इस आंदोलन की शुरुआत 1947 में हुई जब पंजाबी वनस्पतिशास्त्री एमएस रंधावा ने 20 से 27 जुलाई तक वृक्षारोपण सप्ताह का आयोजन किया था। दिल्ली पुलिस आयुक्त खुर्शीद अहमद खान ने वनों की कटाई के प्रभाव पर जोर देते हुए 20 जुलाई 1947 को इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया था। जवाहरलाल नेहरू और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे नेताओं ने भारत के उद्घाटन वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया।

1950 में, कनैयाका मानेकलाल मुंशी ने इसे ‘वन महोत्सव’ नाम देकर एक राष्ट्रीय गतिविधि का दर्जा दिया और इसे जुलाई के पहले में मानने की घोषणा कर दी। डॉ. मुंशी ने वृक्षारोपण से कहीं अधिक की कल्पना की, उनका लक्ष्य ग्रह पर लोगों का वनों के प्रति योगदान का जश्न मनाना था। उनकी एक मात्र पहल से परे, ‘वन महोत्सव’ एक राष्ट्रव्यापी त्योहार बन गया। यह पर्यावरण के प्रति उत्साह और आपसी समझ को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देता है। यह उत्सव न केवल वृक्षारोपण का प्रतीक है, बल्कि लोगों के बीच जिम्मेदारी और उत्साह का भी प्रतीक है। 

वन महोत्सव, वनों को समर्पित एक दिन है। इस सप्ताह का उद्देश्य लोगों को वनों के महत्व के बारे में जागरूक करना और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है। महोत्सव के लिए डॉ. मुंशी के लक्ष्यों में फलों का उत्पादन बढ़ाना, बेहतर कृषि के लिए आश्रय-बेल्ट बनाना, जंगल की चराई को कम करने के लिए मवेशियों को चारा-पत्ती उपलब्ध कराना, मिट्टी के बांझपन को रोकना, मिट्टी के संरक्षण को बढ़ाना, छाया और सजावटी पेड़ों के साथ सौंदर्यशास्त्र जोड़ना और निर्माण की लकड़ी के खंभों की आपूर्ति करना शामिल है।  

इस उद्देश्य से जुड़ी इसी तरह की पहल में 28 जून से 12 जुलाई को मनाया जाने वाला संस्कृति मंत्रालय का संकल्प पर्व शामिल है। इस दौरान, मंत्रालय ने अपने कार्यालयों और संस्थानों से अपने परिसरों या आस-पास के क्षेत्रों में पेड़ लगाने का आग्रह करता है। ये प्रयास सामूहिक रूप से पर्यावरण को भलाई के लिए पेड़ों के महत्व पर जोर देते हैं।

भारत में मानसून का मौसम जुलाई के पहले सप्ताह के आसपास शुरू होता है, जो वन महोत्सव के उत्सव के साथ मेल खाता है। इस दौरान पौधे लगाने से अन्य महीनों की तुलना में पौधों के जीवित रहने की संभावना अधिक होती है।

इस त्योहार के दौरान, लोग आमतौर पर देशी पेड़ लगाते हैं, क्योंकि वे स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त होते हैं।  देशी पेड़ जानवरों, पक्षियों, कीड़ों और अन्य जीवित प्राणियों के लिए सबसे अच्छे आश्रय के रूप में काम करते हैं।

भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, स्थानीय अधिकारी और राज्य सरकारें स्कूलों, कॉलेजों, गैर सरकारी संगठनों और विभिन्न संस्थानों को पौधे वितरित करती हैं। वन महोत्सव न केवल व्यापक वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि चुने गए पेड़ पर्यावरण के साथ अच्छी तरह से मेल खाते हैं। ये एक स्वस्थ और अधिक टिकाऊ पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देते हैं।

पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए हरियाली बेहद जरूरी है। चूंकि पेड़ पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए उनकी रक्षा करना और स्वच्छ, प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी बन जाती है।

दुर्भाग्य से शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण पेड़ों को नियमित रूप से काटा जा रहा है, जिससे वनों की कटाई और पर्यावरण असंतुलन हो रहा है। ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच के अध्ययन के अनुसार 2019-2020 में, भारत ने लगभग 38,500 हेक्टेयर ट्रॉपिकल फारेस्ट खो दिया है, जो लगभग 14% वृक्ष आवरण का नुकसान है। इसके परिणामस्वरूप देश के कुल वृक्ष आवरण क्षेत्र में 0.67% की कमी आई और उष्णकटिबंधीय वनों वाले क्षेत्र में 0.38% की गिरावट आई।

पिछले दशक में, वनों की कटाई के कारण वन क्षेत्रों में 16% की कमी आई है।

यह स्पष्ट है कि मानवीय गतिविधियों से वनों को खतरा है।  वन महोत्सव भारत की बहुमूल्य वनस्पतियों को लुप्त होने से बचाने का एक मुख्य प्रयास है।

वन महोत्सव एक विशेष उत्सव है जो हमें हमारे ग्रह के लिए पेड़ों के महत्व की याद दिलाता है। पेड़ न केवल हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं बल्कि विभिन्न तरीकों से पर्यावरण को संतुलित भी रखते हैं। यह त्यौहार लोगों को एक साथ आने और अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है। साथ ही यह वनों की कटाई को रोकने और प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

वन महोत्सव के माध्यम से, हम सीखते हैं कि पर्यावरण की रक्षा में हममें से प्रत्येक की भूमिका है।  पेड़ लगाना एक आसान लेकिन शक्तिशाली कार्य है जो हरी और स्वच्छ पृथ्वी में योगदान देता है। हमें वन महोत्सव जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से पेड़ों के महत्व को याद रखना चाहिए। 

Van Mahotsav Essay In Hindi जानने के बाद अब वन महोत्सव पर 10 लाइन्स जानिए, जो नीचे दी गई हैं-

  • भारत में हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में वन महोत्सव मनाया जाता है।
  • यह वनों और उनके निवासियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक सरकारी पहल है।
  • कृषि मंत्री कन्हैया लाल मुंशी ने 1950 में इस महोत्सव की शुरुआत की थी।
  • इस दिन को वनों का त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है।
  • लोग हमारे जीवन में अपनी आवश्यक भूमिका को पहचानने के लिए इस दिन पेड़ लगाते हैं।
  • वन हमें ऑक्सीजन, औषधि, भोजन और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करते हैं।
  • उत्सव का उद्देश्य पौधों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना और पुनर्वनीकरण को बढ़ावा देना है।
  • पर्यावरण को बेहतर बनाने में पेड़-पौधे अहम भूमिका निभाते हैं।
  • पेड़ों के मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस उत्सव में सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
  • वन महोत्सव हमारे लिए प्रकृति के संरक्षण के प्रति अपना आभार और प्रतिबद्धता व्यक्त करने का समय है।

वन महोत्सव प्रतिवर्ष जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है।

भारत सरकार का लक्ष्य वार्षिक वृक्षारोपण अभियान के माध्यम से देश के वन क्षेत्र को बढ़ाना है।  उन्होंने इस परियोजना के लिए लगभग 0.2 बिलियन आवंटित किए हैं और 2030 तक लगभग 95 मिलियन हेक्टेयर वनों को कवर करने के लिए लक्ष्य बनाया है।

उत्तर प्रदेश ने वन महोत्सव सप्ताह 2021 के दौरान 27.9 करोड़ पौधे लगाकर एक प्रभावशाली रिकॉर्ड बनाया।  राज्य के वन विभाग ने सक्रिय रूप से भाग लिया और गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे 1.3 करोड़ पेड़ लगाए।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Van Mahotsav Essay In Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य कोर्स और सिलेबस से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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वन महोत्सव पर निबंध (1500+ शब्द) – van mahotsav essay in hindi

  • Post author: Sachin Rathi
  • Post published: April 6, 2023
  • Post category: Hindi essay
  • Post comments: 0 Comments

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नमस्कार मित्रो, इस आर्टिकल में हमने  वन महोत्सव  पर एक सुन्दर निबंध लिखा है। यह निबंध सभी स्कूल के छात्रों के साथ-साथ सभी तरह की competition परीक्षा के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। इस निबंध को पढ़ने के बाद आपको कही और  van mahotsav essay in hindi  खोजने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

van mahotsav essay in hindi (For class 1 to 8)

Table of Contents

जनसंख्या का सीधा प्रभाव हमारे वनों पर पड़ा रहा है, जिसके चलते वनों की बिना रूकावट के कटाई हो रही है। भारत में केवल 20 प्रतिशत ही वन बचे है। वनों के प्रति  सजगता लाने के लिए देश में वन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। वन महोत्सव की एक राष्ट्रीय त्योहार के रूप में घोषणा की जा चुकी है।

वन महोत्सव का आरंभ सन 1950 में देश के कृषिमंत्री डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने की थी। वन महोत्सव  जुलाई महीने के पहले सात दिनों में मनाया जाता है।  सारे स्कूलों, विश्वविद्यालयों, गर्वनमेंट ऑफिसों में कई समाजों द्वारा देश में पेड पौधे लगाने के प्रोग्रामो का आयोजन  किया जाता हैं। बहुत अधिक संख्या में लोग इस  में सम्मिलित होते हैं। जंगलो के साथ जिंदगी का एक अहम संबंध हो गया है। जंगलो से हमें शरीर के लिए बहुमूल्य प्राणवायु, फल, फूल, दवाइयां और अधिक महत्वपूर्ण   वस्तु मिलती हैं। जंगलो की कटाई से हमारी जिंदगी खतरे में  पडती जा रही़ है। वन महोत्सव के दिन हम ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने का दृढ़ संकल्प करना चाहिए। वनों के लिये हमें सावधान रहना चाहिए, हमारा आनेवाला समय  और अच्छा बन सके।

वन महोत्सव नाम के अनुरूप ही पर्यावरण  को बचाना है.। 

हर प्रोग्राम में पेड़  लगाने का संकल्प लेते है. तथा सभी लोग एक साथ पेड़ पौधे लगाते है। सोशल मिडिया के द्वारा  दूसरों तक पहुंचाते है. 

जंगल से हमें औषधि, भी मिलती है यह हमें लकड़ी फल और छाया देते है। सबसे आवश्यक बात यह है कि जीवन के लिए स्वच्छ हवा भी हमें वनों से मिलती है.। 

स्कूलों में हर १ जुलाई को वन महोत्सव आयोजन किया जाता है. छात्र छात्राओ के बीच निबंध, चित्रकला और भाषण  प्रतियोगिता का आयोजित कर वनों के प्रति सभी को जाग्रत किया जाता है।

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van mahotsav essay in hindi (For class 9 to 12)

वन महोत्सव का परिचय :.

स्कूलों में हर १ जुलाई को वन महोत्सव आयोजन किया जाता है. छात्र छात्राओ के बीच निबंध, चित्रकला और भाषण  प्रतियोगिता का आयोजित कर वनों के प्रति सभी को जाग्रत किया जाता है।

वन महोत्सव की शुरुआत :

वनों की हिफाजत के लिए मानव जाति की ओर से कठिन कदम उठाया जा रहा है। भारत में जितने साम्राज्य हुए उन सभी ने वनों के के संरक्षण के लिए मजबूत कदम उठाए।  हम जानते हैं भगवान महात्मा बुद्ध ने भी प्रवचन पेड़ के नीचे दिये थे और  वे तपस्या पेड़ के नीचे ही किया करते थे। 

वन महोत्सव की आरंभ किसने किया था ?

वन महोत्सव की शुरूआत स्व. जवाहरलाल नेहरू, स्व. डॉ. राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने सन 1947 में की थी। वन महोत्सव शुरू करने का सबसे पहला हक  कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी को जाता है। वह भारत देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और एक अच्छे राजनेता के नाम से जाने जाते थे। वन महोत्सव मनाने की शुरूआत सन 1950 में शुरू हुई थी जिसको लोग आज भी मनाते है।

वन महोत्सव क्या है ?

वन महोत्सव का शुभारंभ  1950 में हुआ था। इसे वनो के हिफाजत और उसे बचाने के लिए शुरू किया गया था। जंगलो की कटाई के बाद पृथ्वी इसका गलत असर पर पड़ रहा है। 

पुराने समय से ही गुप्त और मुगल वंशो ने  वृ़़़क्षो को सुरक्षित करने की पहल की थी। 

1947 से ही जंगलो को बचाने के प्रयास किये जा रहे है। वनो को बचाया नहीं गया तो मनुष्य का जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है। 

वन महोत्सव के समय सरकार के द्वारा लाखो वृक्ष लगाए जाते है। इसका केवल एक ही उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा वृक्ष प्रतिदिन लगाना और लोगो को जागरूक करना है कि वह अपने चारो तरफ पेड़ लगाए।  हमे इस तरह से अपनी चारो तरफ की खूबसूरती को खराब नहीं कर सकते है।

वर्ष 1947 में वन महोत्सव को अनौपचारिक रूप से मनाया  गया था। यह एक अच्छा और सकारात्मक कदम था।

वन महोत्सव का महत्व :

वन महोत्सव भारत सरकार द्वारा चलाया गया एक ऐसा  कदम है। वनों का हमारे जीवन मे बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।  वन हमारे जीवन में  कई तरह की वस्तुऐ प्रदान करते हैं। 

पहले हमारे देश के ऋषि लोग वन में जाकर तप किया करते थे।  वन हमेे धोखा नहीं देते हैं।  मानव जंगल को धोखा दे देते है।

वन को सूना़ करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। यह सबको मालूम है पेडो से़ हमें ऑक्सीजन के रूप में हवा मिलती हैं।  

वायुमंडल की ग्रीन हाउस गैस को वृक्ष अपनी ओर खींच लेते हैं। वन प्रकृति को साफ सुथरा बनाए रखते हैं। हम जितने अधिक पेड़ लगाएगे हैं उतनी ही अधिक नुकसान   मानव को पहुंचाते हैं। प्रकृति में संतुलन बनानेे के लिए वन महोत्सव को मनाना आवश्यक हो गया है। वन महोत्सव की वजह से लोग प्रकृति के प्रति के लिए जागरूक बनाते हैं।

वन महोत्सव की क्यों जरूरत है :

वन महोत्सव बहुत आवश्यक है। लगांतार पेड़ो की कटाई और खत्म न होने वाला प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बढ़ा रहा है। हिमालय में ग्लेशियर पिघल रहे है। बर्फ गलने के कारण नदी की गहराई  बढ़ती जा रही है। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। 

प्राकृतिक विपतियो को मनुष्य के इन चालो ने बढ़ावा दिया है। इससे जन धन की अधिक हानि होती है। वन महोत्सव को मनाना जरूरी है लोग अधिक से अधिक वृक्ष लगाए और उसकी देखरेख करे। 

वन की कटाई की वजह :

जिस हिसाब से जनसंख्या बढ़ रही है, वैसे ही उनकी जरूरतें भी बढती जा़ रही है।  लोगो के खाने और रहने के स्थानो की मांगे भी बढती जा़ रही है। यह भी एक वजह है जिसके कारण वनो की काटई की जा रही है। कुछ ऐसे गैरकानूनी लकड़ी के व्यापारी है जो सरकार की स्वीकृति के बिना वनो को काटते है। और उन लकड़ियों से  फर्नीचर बनाकर, लोगो को अधिक दामो में बेचते है। वनो से कई तरह की जड़ी बूटियां प्राप्त होती है, जिससे दवाईयां बनाई जाती है। जिस प्रकार से हर साल जनसंख्या  बढ़ रही है, उसी प्रकार से दवाईयों की मांग बढ़ रही है, जिसकी वजह से पेड़ो की कटाई की जा रही है।

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वनो को बचाना अति आवश्यक हो गया है। हमारा जीवन वनो पर ही आ़ि़श्रत रहता है। वनो की कटाई करने से पृथ्वी पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।  पृथ्वी और पर्यावरण पर इसका गलत असर पड़ रहा है। हम सभी को सावधान  हो जाना चाहिए वरना हम सब कुछ खो देंगें और प्रकृति अपना डरावना रूप ग्रहण कर लेगी।

 देश का हर व्यक्ति साल में एक बार पेड़ लगाएगा तो देश में कितने सारे पेड़ लग जायेंगे। 

हमारा जीवन तो वनों से ही जुड़ा है, इसलिए वनों की सुरक्षा करना हमारा अहम धर्म है। वनों के महत्व को देखते हुए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। वन उत्सव के रूप मे उस दिन को मनाना  चाहिए। जिससे धरती की खूबसूरती बढ़ने लगे। 

अंतिम शब्द – इस आर्टिकल में आपने van mahotsav essay in hindi पढ़ा। आशा करते है, आपको निबंध पसंद आया होगा। इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

FAQ’S

वन महोत्सव का शुभारंभ  1950 में हुआ था। इसे वनो के हिफाजत और उसे बचाने के लिए शुरू किया गया था। जंगलो की कटाई के बाद पृथ्वी इसका गलत असर पर पड़ रहा है। 

वन महोत्सव की शुरूआत स्व. जवाहरलाल नेहरू, स्व. डॉ. राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने सन 1947 में की थी।

वन महोत्सव की शुरूआत सन 1947 में की थी।

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Van Mahotsav Essay In Hindi | वन महोत्सव पर निबंध कक्षा 1-12

van mahotsav essay in hindi

नमस्कार दोस्तों। आज के इस आर्टिकल में हम वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Essay In Hindi) और इन से जुड़ी सारी जानकारी आप लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। वन हमारे लिए कितना जरूरी है, और इससे हमें किस तरह से लाभ मिलेगा यह सारी चीज इस आर्टिकल में पढ़ने को मिलेगा। जैसे-भारत में वन महोत्सव कब मनाया जाता है? वन महोत्सव मनाने का सबसे महत्वपूर्ण कारण, वन महोत्सव पर 10 वाक्य, वन महोत्सव पर 20 वाक्य, वन महोत्सव पर कविता और वन महोत्सव से आप क्या समझते हैं। यह सारी चीज आज के इस आर्टिकल में पढ़ने को मिलेगा। तो कृपया अंत तक बने रहें।

Table of Contents

वन महोत्सव पर निबंध हिंदी में कक्षा 1-12 के लिए | Van Mahotsav Essay In Hindi Class 1 – 5, 6, 7, 8, 9, 10

मानव जीवन में वन का बहुत बड़ा योगदान है। इंसान ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी और जीव-जंतु के लिए भी वन बहुत ही ज्यादा जरूरी है। वन हमारे पर्यावरण को साफ एवं सुरक्षित रखता है। यह हमारे लिए हर तरीके से फायदेमंद है। वन महोत्सव हर साल जुलाई महीने के पहले सप्ताह 1 से 7 के बीच में मनाया जाता है। जिसका तात्पर्य है अंधाधुंध पेड़ो की कटाई को रोकना, और ज्यादा से ज्यादा जितना हो सके पेड़ को लगाना।

इस महोत्सव के उपलक्ष्य में लाखों पेड़ लगाया जाता है। जो हमारे लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। इसका चलन सर्वप्रथम 1950 में के एम मुंशी द्वारा शुरू किया गया था। जो भारत में एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जो अभी भी भारत देश में मनाया जाता है। वन हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है। आईए जानते हैं, वन महोत्सव हिंदी में (Van Mahotsav Essay In Hindi) निबंध के माध्यम से।

वन हमें ऑक्सीजन देता है, यह हमारे वातावरण को साफ रखता है, और वातावरण को प्रदूषित होने से बचाता है। यह हमें खाने के लिए मीठे और ताजे फल देते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है। पेड़ हमें छाया देता है, और ठंडी हवा भी देता है। वन से पशु-पक्षी और जीव-जंतु को भी काफी लाभ मिलता है। वन पशु-पक्षी का घर होता है। उनको जिंदगी जीने का स्रोत होता है। अगर हम वन को ऐसे ही अंधाधुंध कटाई करेंगे। तो मानव जीवन से लेकर पशु और पक्षी यहां तक की हमारे पर्यावरण के लिए भी काफी नुकसानदेह है।

पहले के जमाने में लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं हुआ करता था। खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं हुआ करता था। तो लोग वन में ही अपना बसेरा किया करते थें, और उनके फल फूल तोड़कर खाया करते थें। गर्मी के दिनों में लोगो को वन काफी राहत देने का काम किया करता था, और सर्दी के दिनों में भी काफी लाभदायक होता था। गर्मी के दिनों में लोग पेड़ों के नीचे जाकर बैठा करते थें, और उनसे आने वाली ठंडी ठंडी हवा का आनंद लिया करते थें। सर्दी के दिनों में लोग इसके लकड़ियों का इस्तेमाल आग जलाने के लिए किया करता था।

ताकि खुद को गर्म रख सके और ठंड से खुद को बचाए रख सके। ऐसे ही वन पशु पक्षियों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होता था। क्योंकि मनुष्य तो अपना भोजन पका कर के भी खा लेते हैं, लेकिन पशु-पक्षी क्या करें उनको तो पकाने नहीं आता है। इसलिए वह उनके फल-फूल तोड़ कर खाते हैं, और पेड़ो पर रहते हैं। पक्षी अपना घोंसला बनाकर वन में रहते है। तथा जानवरों वन में मांद बना कर रहते हैं। वन हमारे प्राकृतिक का संतुलन बनाए रखने में भी काफी योगदान देता है।

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अगर वन नहीं होगा तो बरसात भी नहीं आयेगी, और हर जगह सूखा पड़ जाएगा। जिसके वजह से लोग पानी के लिए और खाने के लिए तरस जाएंगे। जमीन में दरार आ जाएगा, और किसान उस जमीन पर अन्न नहीं उगा पाएंगे। वन हमें कई आपदा से भी बचाता है। जैसे भूकंप आने से, सुखा पड़ जाने से, बाढ़ आने से, और पृथ्वी के ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से बचाती है। वनों की कटाई से कई बार सूखा पड़ जाता है। जिससे पर्याप्त मात्रा में किसी भी इंसान और जानवरों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, और वह मर जाते हैं।

जिस तरह से वन के अंधाधुंध कटाई हो रहा है, और उस जगहों पर फैक्ट्रियां बनायि जा रहे हैं। जो हमारे प्रकृति के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है। फैक्ट्रीयो की वजह से वातावरण प्रदूषित हो रहे हैं। जल और वायु प्रदूषित हो रहे हैं। जिसके वजह से हमें सांस लेने में काफी कठिनाई होता है। और दम घुटने लग जाता है। जिसकी वजह से कुछ लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। वन की कटाई से हमारे प्राकृतिक में रहने वाले पशु-पक्षी में भी काफी कमी हमे देखने को मिल रही है।

प्रदूषण होने की वजह से पशु-पक्षी मर रहे है, पशु-पक्षियों की वृद्धि में काफी कमी आ गई है। उनके कई प्रजाति भी विलुप्त हो गया है। क्योंकि पेड़ो को जिस तरह से काटा जा रहा है, और उस जगह पर बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां लगाई जा रही है। जिसके वजह से वातावरण काफी प्रदूषित हो रहा है। फैक्ट्रियां से निकलने वाली धुआं हवा को प्रदूषित कर रहा है, और उसे निकालने वाली गंदा पानी हमारे नदियों में मिल रहा है, जिसके पानी भी प्रदूषित हो रहा है। पशु-पक्षी नदी का ही पानी पीते है, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।

उन्हें पर्याप्त शुद्ध जल और शुद्ध ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। जिस वजह से वह मर जाते हैं। जो हमारे प्राकृतिक के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहा है। इसी सब को देखते हुए हमारे भारत में हर साल वन महोत्सव मनाया जाता है। हमें इस बात को अपने अंदर बैठा लेना है, कि अगर हम एक पेड़ को काटते हैं। तो उसके जगह पर दस पेड़ो को लगाए। क्योंकि जितना ज्यादा वातावरण साफ रहेगा, शुद्ध रहेगा, उतना ही हमारे लिए और हमारे आने वाले पीढ़ी के लिए काफी फायदेमंद होगा।

भारत में वन महोत्सव कब मनाया जाता है ? | Bharat Mein Van Mahotsav Kab Manaya Jata Hai

van mahotsav essay in hindi

वन महोत्सव का मतलब है वृक्षों का त्यौहार। यह त्यौहार वृक्षों को काटने और अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के लिए मनाया जाता है। भारत में वन महोत्सव जुलाई के पहले सप्ताह 1 से 7 तक के बीच में मनाया जाता है। वन महोत्सव की शुरुआत 1950 में सर्वप्रथम कि गई थी। यह त्यौहार पूरी एक सप्ताह तक चलता है। जिसकी शुरुआत कन्हैया लाल मानिक लाल मुंशी के द्वारा किया गया था। जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम की सेनानी, राजनेता, गुजराती एवं हिंदी के ख्यातनाम साहित्यकार तथा शिक्षाविद थे। इन्होंने भारतीय विद्या भवन का भी स्थापना किए थे।

इनका जन्म 30 दिसंबर 1887 भरूच में हुआ था। तथा इनका मृत्यु 8 फरवरी 1971 में मुंबई में हुआ था। जंगलों की कटाई को देखते हुए 2023 में भारतीय क्रिकेट खेल जगत के कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई के द्वारा एक बहुत बड़ा कदम उठाया गया था। 2023 में आईपीएल के दौरान बीसीसीआई ने घोषणा किया था, कि एलिमिनेटर मैच के दौरान जितने भी डॉट बॉल होगी यानी कि हर एक डॉट बॉल पर 500 वृक्ष लगाया जाएगा। जो हमारे देश के लिए काफी लाभदायक साबित हुआ था।

वन महोत्सव मनाने का सबसे महत्वपूर्ण कारण क्या है ? | Van Mahotsav Manane Ka Sabse Mahatvpurn Karan

देखा जाए तो भारत को एक त्योहारो का देश माना जाता है। भारत में बहुत सारे त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाये जाते है। परंतु जब हमारे मानव जाति, पशु-पक्षी और पृथ्वी को बचाने की बात आती है। तो इस तरह का त्योहार हमारे देश में बहुत कम ही मनाये जाते है। जिसमें से एक त्यौहार वन महोत्सव है। जो हमारे और हमारे आने वाले पीढ़ी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। वन महोत्सव को जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है। वन महोत्सव त्यौहार की खास बात यह है, कि लोगों के द्वारा इस त्यौहार को गंभीरता पूर्वक लेना शुरू कर दिया गया है।

क्योंकि अगर हमें जिंदा रहना है। तो हमें पृथ्वी को हरा-भरा और खुशहाल बना कर रखना होगा। इसलिए हमें पेड़ लगाने की महत्व को समझना होगा। और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे। हमारे देश में हर साल वन महोत्सव के दौरान हजारों पेड़ लगाया जाता है। जिससे हमें यह लाभ होगा कि हमारी पृथ्वी का ग्लोबल वार्मिंग कम हो जायेगा, और हम अपनी जिंदगी खुशहालपूर्वक बिता सकेंगे।

चिपको आन्दोलन

जंगलों के अंधाधुंध कटाई को देखते हुए सन 1973 में चिपको आंदोलन की शुरूआत कि गई थी। चिपको आंदोलन की शुरुआत चंडी प्रसाद भट्ट और गौरा देवी के द्वारा किया गया था। जिसका नेतृत्व भारत के महान पर्यावरण चिंतक सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा किया गया था। जिसका प्रमुख उद्देश्य था जंगलों की कटाई को रोकना। चिपको आंदोलन भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले के गोपेश्वर में हुआ था। इस आंदोलन के तहत सभी स्त्री और पुरुष पेड़ो की कटाई को रोकने के लिए पेड़ों से ही चिपक गए थे। इसलिए इस आंदोलन को चिपको आन्दोलन कहा गया।

वन महोत्सव पर 10 वाक्य | 10 Lines On Van Mahotsav

van mahotsav essay in hindi

  • वन हमारे पर्यावरण को साफ एवं सुरक्षित रखता है।
  • वन महोत्सव हर साल जुलाई महीने के पहले सप्ताह 1 से 7 के बीच में मनाया जाता है।
  • वन महोत्सव का तात्पर्य है। अंधाधुंध पेड़ो की कटाई को रोकना, और ज्यादा से ज्यादा जितना हो सके पेड़ को लगाना।
  • वन महोत्सव के उपलक्ष्य में लाखों पेड़ लगाया जाता है। जो हमारे लिए काफी फायदेमंद साबित होता है।
  • वन महोत्सव का चलन सर्वप्रथम 1950 में के एम मुंशी द्वारा शुरू किया गया था। जो भारत में एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
  • वन हमें ऑक्सीजन देता है। यह हमारे वातावरण को साफ रखता है, और वातावरण को प्रदूषित होने से बचाता है।
  • वन से पशु-पक्षी और जीव-जंतु को भी काफी लाभ मिलता है।
  • वन हमारे प्राकृतिक का संतुलन बनाए रखने में भी काम काफी योगदान देता है।
  • अगर वन नहीं होगा, तो बरसात भी नहीं आयेगी, और हर जगह सूखा पड़ जाएगा।
  • वन के बिना हमारी जिंदगी अधूरी है।

वन महोत्सव पर 20 वाक्य हिन्दी में | 20 Lines On Van Mahotsav In Hindi

  • वनों की कटाई से कई बार सूखा पड़ जाता है। जिससे पर्याप्त मात्रा में किसी भी इंसान और जानवरों को पानी नहीं मिल पाता है, और वह मर जाते हैं।
  • पेड़ो को जिस तरह से काटा जा रहा है, और उस जगह पर बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां लगाई जा रही है। जिसके वजह से वातावरण काफी प्रदूषित हो रहा है।
  • जंगलों की कटाई के वजह से पशु-पक्षी मर रहे है। पशु-पक्षियों की वृद्धि में काफी कमी आ गई है। उनके कई प्रजाति भी विलुप्त हो गया है।
  • हमे ये संकल्प लेना है, कि अगर हम एक पेड़ को काटते हैं। तो उसके जगह पर दस पेड़ो को लगाए।
  • जितना ज्यादा वातावरण साफ रहेगा, शुद्ध रहेगा, उतना ही हमारे लिए और हमारे आने वाले पीढ़ी के लिए काफी फायदेमंद होगा।
  • वन हमें कई आपदा से भी बचाता है। जैसे भूकंप आने से, सूखे आने से, बाढ़ आने से, और पृथ्वी के ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से बचाती है।
  • हर एक व्यक्ति को पेड़ लगाना चाहिए।
  • जंगल पशु-पक्षी का घर होता है।
  • वन की वजह से हमारा वातावरण मनमोहक होता है।
  • वनों की वजह से हमे शुद्ध ऑक्सिजन मिलता है।
  • वन महोत्सव को एक राष्ट्रीय त्यौहार घोषित किया गया है।
  • वनों से हमे कई तरह के औषधि भी मिलता है। जो हमारे उपचार के काम में आते है।
  • वन की वजह से वर्षा होता है। और पृथ्वी के तापमान को नियंत्रण में रखता है।
  • पृथ्वी पर रहने वाले 80% पौधे,पशु- पक्षी और कीड़े वनों में ही रहते है।
  • वन की अगर हम रक्षा करेंगे। तो, वन हमारे भविष्य की रक्षा करेगा।
  • वन हमारे अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाता है।
  • वन पर्यावरण को बेहतर बनाता है।
  • वन को जंगल भी कहा जाता है।
  • वनों के बिना जिंदगी जीना आसान नहीं है। इसलिए हमे वनों की कटाई को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाना होगा।
  • वन हमारे पिता सम्मान होते है।

वन महोत्सव पर कविता | Van Mahotsav Par Kavita

पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ फल फूलों के पेड़ लगाओ, पानी से सींचकर इन्हें बढ़ाओ पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ।

फूल ना तोड़ो पत्ते ना तोड़ो देखभाल में कोई कसर ना छोड़ो, पृथ्वी पर हरियाली लाओ जीवन में खुशहाली पाओ।

वन महोत्सव से आप क्या समझते है ? | Van Mahotsav Se Aap Kya Samajhte Hain ?

van mahotsav essay in hindi

वन महोत्सव हर साल जुलाई के पहले सप्ताह 1 से 7 जुलाई तक मनाया जाता है। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य है। वनों के बारे में लोगों का जागरूक करना। तथा जंगलों की कटाई को रोकना, और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना। वन महोत्सव एक वार्षिक वृक्षारोपण त्यौहार है। इस त्यौहार के दरमियान पूरे भारत देश में वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है। इस महोत्सव पर लोग काफी मात्रा में पेड़ लगाते हैं, और लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरुक करते हैं। और इस महोत्सव में भारी संख्या में भाग लेने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं।

वन महोत्सव पर निबंध हिंदी में (Van Mahotsav Essay In Hindi ) हम वन महोत्सव से संबंधित जानकारी आप लोग तो पहुंचने का प्रयास किया है। वन महोत्सव हमारे लिए कितना जरूरी है, और पेड़ों की कटाई से हमारे जीवन में क्या प्रभाव पड़ेगा। यह आप लोग को पता चल गया होगा। इसलिए हमें जितना हो सके पेड़ लगाना चाहिए। ताकि हमें अपने पृथ्वी को हरा भरा और खुशहाल रख सके। पेड़ लगाने से हमारा वातावरण और वायु प्रदूषित नहीं होगा। और हम अच्छे से सांस ले सकेंगे। पेड़ लगाने से हमारे पृथ्वी ग्लोबल वार्मिंग भी कम होगा।

Van Mahotsav FAQs:

वन महोत्सव भारत में कब मनाया जाता है .

वन महोत्सव हर साल भारत में जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है।

वन महोत्सव की शुरुआत कब हुई थी?

वन महोत्सव का शुरुआत सन् 1950 में हुई थी।

वन महोत्सव की शुरुआत किसने की ?

वन महोत्सव का शुरुआत कन्हैया लाल मानिक लाल मुंशी ने कि थी।

वन महोत्सव कितने दिनों तक चलता है ?

वन महोत्सव सात दिनों तक चलता है।

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको  वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Essay In Hindi)  से संबंधित सभी जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा करता हूं कि मेरा यह आर्टिकल आप सभी के लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। ऐसे ही और अन्य सभी जानकारी के लिए हमारे वेबसाइट  Suchna Kendra  से जुड़े रहे। और हमारे  Telegram Channel  को जरूर join करे।

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वन महोत्सव पर निबंध | van mahotsav essay in hindi 250-500 words.

Van Mahotsav Essay In Hindi

100 Words - 150 Words 

वन महोत्सव भारत में हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाने वाला एक विशेष उत्सव है । इसका उद्देश्य पर्यावरण के संरक्षण एवं वन्यजीवन को बढ़ावा देना है । इस उत्सव के दौरान लाखों पौधों के सप्लाई और वितरण के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है ।  

वन महोत्सव के माध्यम से मानवता को वन्यजीवन की अहमियत का बोध होता है और उसके संरक्षण के लिए सक्रिय योगदान का अनुरोध किया जाता है । पौधों के साथ-साथ वन्यजीवन जैसे पशु-पक्षियों के भी जीवन की रक्षा करना आवश्यक है ।  

वन महोत्सव एक सकारात्मक कदम है जो हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने और आने वाले पीढ़ियों को हरियाली से समृद्ध करने का संदेश देता है । इसे ध्यान में रखते हुए वन महोत्सव का सही उत्सर्जन करना हम सभी की जिम्मेदारी है ।  

200 Words - 250 Words 

वन महोत्सव भारत का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो वर्षावन्ती ऋतु के आगमन के साथ हर साल जुलाई महीने में मनाया जाता है। यह एक वन्यजीवन और पर्यावरण के संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित किया जाता है। इसे पहले 1950 में श्री कुलपति कमलानाथ बियानी ने शुरू किया था।  

वन महोत्सव के दौरान लोग नए वृक्षों को बगीचों, स्कूलों, गांवों, नगरपालिका क्षेत्रों, और वन्यजीव अभयारण्यों में लगाते हैं। वृक्षारोपण के माध्यम से वृक्षों की संख्या में वृद्धि होती है और इससे हमारे प्राकृतिक पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। यह पर्व लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाने, वन्यजीवन की रक्षा करने और वनों के महत्व को प्रोत्साहित करने के लिए एक अच्छा माध्यम प्रदान करता है।  

वन महोत्सव का उद्देश्य वृक्षारोपण के माध्यम से जनता को एकजुट करना और हर व्यक्ति को वृक्ष लगाने के महत्व को समझाना है। वृक्ष हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग हैं जो हमें शुद्ध वायु और शुद्ध जल प्रदान करते हैं और जलवायु को सुखद बनाने में मदद करते हैं।  

सारांशतः, वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवन को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है। यह उत्सव हर साल लोगों को जागरूक करता है कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करनी चाहिए और वृक्षारोपण के माध्यम से हम अपने आसपास के पर्यावरण का सम्मान कर सकते हैं।  

500 Words 

प्रस्तावना: वन महोत्सव भारत में विशेष रूप से हर वर्ष जुलाई के पहले सप्ताह को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण उत्सव है। यह उत्सव प्रकृति के साथ मिलने और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने का एक अच्छा मौका प्रदान करता है। वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य पेड़ों के पौधों के संरक्षण, उगाने, विकसित करने और पर्यावरण की सुरक्षा में जनता को सहयोग करना है। इस लेख में हम वन महोत्सव पर एक विस्तृत निबंध प्रस्तुत करेंगे, जो हिंदी भाषा में है और 500 शब्दों से कम नहीं है।  

परिचय: वन महोत्सव का आयोजन भारत सरकार द्वारा वर्ष 1950 में किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य पेड़ उगाने और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को लोगों के बीच जागरूकता फैलाना था। इस उत्सव का समय जुलाई के पहले सप्ताह में निर्धारित किया गया है क्योंकि यह अवसर बारिश के मौसम के साथ पेड़ों के उगाव के लिए अनुकूल होता है। यह उत्सव भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है और इसमें सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ लोग भी सहभागी होते हैं।  

पेड़ों के महत्व : पेड़ और पौधे पृथ्वी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। वे हमारे जीवन के लिए ऑक्सीजन प्रदान करते हैं जो हमारी श्वसन प्रक्रिया के लिए आवश्यक है। पेड़ हमारे आस-पास के वातावरण को शुद्ध करके वायु, पानी और मिट्टी का संतुलन बनाते हैं। वे बिजली को भी अवशोषित करके आसमान से आने वाली कड़कती धूप का भी संतुलन बनाते हैं। पेड़ों के नीचे बैठकर विश्राम करना हमारे मन को शांति देता है और मनोवैज्ञानिक रूप से भी यह साबित है कि पेड़ों से घिरे वातावरण में मनुष्य का मन शांत होता है।  

पेड़ों के कटाव की समस्या: दुर्भाग्यवश, आधुनिक युग में वन्य जीवन को बचाने की कवायद होती है, लेकिन बढ़ते विकास के चलते इंसानी ग्रीड ने पेड़ों के कटाव का सबसे बड़ा कारण बन दिया है। लोगों की लालसा और ज़मीन के मूल्य के कारण वे लकड़ी और अन्य वन्य उत्पादों के लिए पेड़ों काटते हैं। वन्यजनों के अस्तित्व को खतरे में डालते हुए, हम अपने जीवन के लिए भी खतरे में पड़ रहे हैं। पेड़ों के नष्ट होने से धरती की प्राकृतिक संतुलन प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है जिससे भूकंप, बाढ़, सूखे, तूफ़ान, आदि जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ गई हैं।  

पेड़ों के महत्व की जागरूकता : वन महोत्सव के दौरान, लोग विभिन्न जगहों पर पेड़ों को उगाने के लिए आते हैं और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाने वाले नाटक, कविता, गीत, सम्मेलन आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सरकार और गैर-सरकारी संगठन भी इस मौके पर पेड़ उगाने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए अपने-अपने कार्यक्रम आयोजित करते हैं। छोटे स्कूलों और कॉलेजों में भी वन महोत्सव के अवसर पर पेड़ उगाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिससे बच्चों में पेड़ों के प्रति जागरूकता बढ़ती है।  

पेड़ों के उगाने के लाभ: पेड़ों के उगाने के कई लाभ होते हैं जो पृथ्वी के पर्यावरण को संतुलित और स्वस्थ बनाते हैं। पेड़ ऑक्सीजन को निर्गत करके कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और वातावरण को शुद्ध करते हैं। इसके साथ ही, पेड़ों के निर्मित ऑक्सीजन धरती के वातावरण में वायुमंडल की रखरखाव करने में मदद करते हैं जो विश्व के जलवायु पर प्रभाव डालता है। पेड़ों की छाया में रहने से बुखार और तपती धूप के कारण होने वाली त्वचा संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं।  

संरक्षण के उपाय: पेड़ों के महत्व को समझकर और पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से हम उन्हें बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:  

-वन्यजीवन के संरक्षण के लिए वन्यजीवन संरक्षक क्षेत्रों को बढ़ावा देना चाहिए।  

-वन महोत्सव के अवसर पर अधिक से अधिक पेड़ उगाने और उन्हें संरक्षित करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए।  

-शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से लोगों को पेड़ों के महत्व को समझाना चाहिए।  

-पेड़ों के कटाव को रोकने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।  

-भूकंप और बाढ़ की समस्याओं को देखते हुए, हमें पेड़ों के कटाव से बचने के लिए वन्यजीवन संरक्षक क्षेत्रों की रखरखाव को मजबूत करने की जरूरत है।  

निष्कर्ष: वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो पेड़ उगाने और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को लोगों के बीच फैलाने के लिए आयोजित किया जाता है। पेड़ों का महत्व इस तथ्य को साबित करता है कि वे पृथ्वी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और हमारे जीवन को सुखी, स्वस्थ और समृद्ध बनाते हैं।

हमें उन्हें संरक्षित रखने और और पेड़ों के कटाव को रोकने के लिए संगठनित रूप से कदम उठाने की जरूरत है ताकि हम भविष्य में भी हरे-भरे पृथ्वी में रह सकें। वन महोत्सव के माध्यम से हम सभी एकजुट होकर पेड़ों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ सकते हैं और एक स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण के लिए साथ मिलकर काम कर सकते हैं।  

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Hindi Essay on "Van Mahotsav", "वन महोत्सव " for Students Complete Hindi Speech,Paragraph for class 5, 6, 7, 8, 9, and 10 students in Hindi Language

फूलहिं फलहिं बिटप विधि नाना,  मंजु बलितवर बेलि बिताना।

van mahotsav essay writing in hindi

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Essay on van mahotsav in hindi वन महोत्सव पर निबंध हिंदी में.

Read an essay on Van Mahotsav in Hindi language. वन महोत्सव पर निबंध। Know information about Van Mahotsav in Hindi language. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए वन महोत्सव पर निबंध हिंदी में। Essay on Van Mahotsav in Hindi for students. Learn more about an essay on Van Mahotsav in Hindi to score well in your exams.

hindiinhindi Van Mahotsav in Hindi

Van Mahotsav in Hindi

प्रकृति से जुड़ा वन महोत्सव प्रतिवर्ष जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। हमारे पूर्वज वृक्षों के महत्त्व को जानते थे। वे हरी-भरी प्रकृति के बीच रहना पसंद करते थे। नीम, पीपल, बरगद, आम जैसे वृक्षों की पूजा करते थे। किंतु आज ऐसा नहीं है। लोग अपने स्वार्थ के लिए वक्षों को काट रहे हैं। वन के वन नष्ट किए जा रहे हैं। यदि हमें मानव-जाति को बचाना है तो वनों की रक्षा करनी होगी तथा जहाँ वन काटे गए हैं वहीं फिर से वन लगाने होंगे। इसी उददेश्य को ध्यान में रखकर वर्षा ऋतु में यह उत्सव मनाया जाता है।

वृक्ष हमें शीतल छाया देते है जो तपती गर्मी में हमें सुख पहुँचाती है। पत्तियाँ पशुओं के चारे और खाद के काम आती है। वनों की गोद में न जाने कितने पशु-पक्षी अपना घर बनाते हैं जो हमारी पृथ्वी की शोभा हैं।

वन भूमि के कटाव को रोकते हैं। वृक्षों की जड़े मिट्टी को बाँधे रखती हैं, इससे पानी के बहाव का वेग कम हो जाता है। वन जल बरसाने में भी सहायक होते हैं। जहाँ घने वन होते हैं, वहाँ वर्षा अधिक होती है।

वनों से हमें फल-फूल, लकड़ी, ईंधन, जड़ी-बूटियाँ आदि मिलती हैं।

आजकल दिन-प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, इससे वायु दूषित होती जा रही है। वृक्ष वायु को शदध रखते हैं। वृक्ष वातावरण को विषैली गैसों से मुक्त कराते हैं।

हमारा कर्तव्य है कि वन महोत्सव के दिन हम एक पेड़ अवश्य लगाएँ। एक-एक पेड़ लगाने से करोड़ों पेड लग सकते हैं। बंजर भूमि फिर से हरी-भरी धरती में बदल सकती है। वास्तव में पेड़ मनुष्य का बहुत उपकार करते हैं। इसलिए पेड़ लगाना पुण्य का कार्य है।

आइए संकल्प करें कि वन महोत्सव के दिन हम एक पेड़ अवश्य लगाएँगे और धरती को स्वर्ग के समान सुंदर और सुखकर बनाएँगे।

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वन महोत्सव पर निबंध- Essay on Van Mahotsav in Hindi

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वन महोत्सव पर निबंध- Essay on Van Mahotsav in Hindi

Van Mahotsav Essay in Hindi- वन महोत्सव पर निबंध ( 150 to 200 words )

हमारे देश में पुराने जमाने में बहुत जंगल थे। वे अधिकतर काट लिये गये हैं। नये वृक्ष नहीं लगाये गये। हरियाली समाप्त हो गयी। वर्षा कम हो गयी। देश रेगिस्तिान बनने लगा । इस कमी को पूरा करने के लिए पौधे लगाने और वनों का विस्तार बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गयी। केन्द्र सरकार सन् 1950 से हर साल वन महोत्सव कार्यक्रम देश-भर मनाने लगी। आंध्रप्रदेश सरकार कुछ सालों से इस कार्यक्रम पर जोर दे रही है। विद्यार्थियों और नागरिकों को पौधे लगाने को प्रोत्साहित कर रही है।

वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य जनता को वनों का विस्तार बढ़ाने की आवश्यकता बताना है।

वनों से कई लाभ हैं – 1. पर्यावरण कलुष कम होता है। 2. वन में मिलनेवाली जड़ी-बूटियाँ दवाओं का काम करती हैं। 3. इंधन, कागज, पेंसिल, बक्स, डिब्बे आदि को बनाने के लिए आवश्यक लकड़ी मिलती है। 4. फल, फूल मिलते हैं। 5. बाढ़ रोकने में सहायक हैं। 6. परिसर प्रदेशों को समशीतोष्ण रखते हैं। 7. मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।

वन संरक्षण की आवश्यकता को दृष्टि में रखकर हरेक व्यक्ति कमसे-कम एक पौधा डालकर उसको सम्भाले। अपने घर के परिसरों में पौधे डालें और देखभाल के सम्बन्ध में भी श्रद्धा लें।

जरूर पढ़े- पेड़ों का महत्व निबन्ध- Essay On Importance Of Trees in Hindi

Essay on Van Mahotsav in Hindi ( 400 to 500 words )

वन का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। यह मनुष्य से लेकर पशु पक्षियों तक सबके लिए उपयोगी है। यह हमसे कभी कुछ नहीं माँगते सिर्फ हमें देते है। पेड़ हमें तपती धूप में छाया , फल फूल आदि प्रदान करते हैं।

हर साल जुलाई के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव मनाया जाता है। 1950 में पेड़ो की कटाई को रोकने के लिए इसकी शुरूआत की गई थी लेकिन उस समय यह सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया था और वनों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया था। यदि कुछ पेड़ लगाए भी गए थे तो उन्हें पानी नहीं दिया गया था जिस वजह से वह पूर्ण रूप से सुख गए थे।उसके बाद इंदिरा गाँधी के बेटे संजय गाँधी ने पेड़ लगाओ कार्यक्रम शुरू किया जिसमें लोगो को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने के लिए प्रोरित किया गया और बिना सरकार की अनुमति के पेड़ काटने पर पाबंधी लगाई गई । जुलाई अगस्त में वर्षा के समय पेड़ लगाए जाते हैं ताकि पेड़ो को पानी आसानी से मिल सके।

आज के युग में मनुष्य अपने आवास स्थान और उद्योगों को बनाने के लिए वनों को काटता जा रहा है। वह धीरे धीरे पेड़ो का महत्व भूलता जा रहा है। मनुष्य तकनीक की होड़ में भूलता जा रहा है कि पेड़ उसके परम मित्र है। पेड़ उन्हें आजीविका का साधन और ईंधन भी प्रदान करते हैं। पेड़ बहुत से वन्य जीवों का घर है। पेड़ो की कटाई की वजह से बहुत सी वन्य प्रजाति लुप्त होती जा रही है। प्राचीन काल से ही पेड़ मानव जीवन में अहम भूमिका निभाते आए हैं। यह पुजनीय है और इनसे ओषधि भी प्राप्त होती है।

वन महोत्सव मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगोम रो पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया जा सके जिससे कि प्रदुषण कम हो और श्वास लेने के लिए शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त हो सके। इस सप्ताह लोगोम को पेड़ो के गुण और पेड़ो को काटने से होने वाली हानियों के विषय में बताया जाता है। स्कूल और कॉलेजों में बच्चे मिलकर पौधे लगाते हैं। कुछ संगठन मुफ्त में भी पौधे वितरित करते है। हम सबको हर साल एक पौधा तो अवश्य लगाना चाहिए और उसे पानी देकर उसका विकास करना चाहिए। आज का लगाया हुआ पौधा हमें कल को बहुत लाभ देगा। पेड़ वर्षा कराने में भी सहायक है जो कि तपती धरती को लिए बहुत जरूरी है। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाओ और वातावरण को स्वच्छ बनाओ।

Essay on Tree Plantation in Hindi- वृक्षारोपण पर निबंध

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केंद्र एव राज्य की सरकारी योजनाओं की जानकारी in Hindi

वन महोत्सव दिवस 2023 पर निबंध | Van Mahotsav Diwas Essay in Hindi

Essay On Van Mahotsav Diwas

Essay On Van Mahotsav Diwas 2023: वन महोत्सव जुलाई के महीने में एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है। इस त्यौहार के दौरान पूरे भारत में हजारों पेड़ लगाए जाते हैं। 1950 में इसकी शुरुआत उस समय के केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री के.एम.मुंशी ने की थी। इसकी शुरुआत लोगों के मन में वनों के संरक्षण और नए पेड़ लगाने के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए की गई थी।वन महोत्सव को जीवन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भारत में इसे धरती माता को बचाने के लिए एक धर्मयुद्ध के रूप में शुरू किया गया था। वन महोत्सव नाम का अर्थ है ‘वृक्षों का त्योहार’। इसकी शुरुआत जुलाई 1947 में दिल्ली में एक समृद्ध वृक्षारोपण अभियान के बाद हुई, जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू जैसे राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया। यह त्यौहार भारत के कई राज्यों में एक साथ मनाया गया। तब से, स्थानीय लोगों और वन विभाग जैसी विभिन्न एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी से विभिन्न प्रजातियों के हजारों पौधे लगाए गए हैं।इस लेख में हम 300 शब्दों, 500 शब्दों, 700 शब्दों की विभिन्न शब्द सीमाओं में वन महोत्सव पर छोटे और लंबे निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। 1,2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्र को इन्हें स्कूल का काम पूरा करने में मदद मिल सकती है। इस  लेख को हमने पाइन्ट के आधार पर विभाजित किया है जैसे वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Diwas Essay In Hindi) वन महोत्सव दिवस पर निबंध (300 शब्द)| Van Mahotsav Day Short Essay in Hindi (300 शब्द)वन महोत्सव दिवस पर निबंध (500 शब्द) | Van Mahotsav Diwas Essay in Hindi (500 शब्द) वन महोत्सव दिवस पर निबंध (700 शब्द) | Essay on Van Mahotsav Diwas in Hindi (700 शब्द) वन महोत्सव दिवस पर निबंध in PDF,वन महोत्सव दिवस पर 10 वाक्य है।

वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Diwas Essay in Hindi)

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वन महोत्सव दिवस पर निबंध (300 शब्द)| Van Mahotsav Day Short Essay in Hindi (300 शब्द)

हमारे जीवन में जंगल का बहुत महत्व है। लोगों से लेकर जानवरों तक हर कोई इससे लाभान्वित हो सकता है। यह हमें कभी भी पूछताछ करने के लिए कुछ प्रदान नहीं करता है। जब सूरज गर्म होता है, तो पेड़ छाया, फल-फूल और अन्य लाभ प्रदान करते हैं।हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में वन महोत्सव मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1950 में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए की गई थी, लेकिन उस समय यह केवल कागजों में ही सिमट रहा था और जंगलों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। त्योहार के दौरान पेड़ लगाने से वैकल्पिक ईंधन की आपूर्ति, भोजन को बढ़ावा देने सहित कई उद्देश्य पूरे होते हैं। उत्पादन, मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध कराना, उत्पादकता में सुधार के लिए खेतों के आसपास आश्रय बेल्ट के निर्माण में सहायता करना और छाया और सुंदर वातावरण देना। अन्य बातों के अलावा, ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण से बचने के लिए मृदा क्षरण संरक्षण में सहायता प्रदान करता है।ऐसे आयोजनों के लिए सबसे अच्छा विकल्प लोगों को पेड़ों के बारे में सिखाना और ऐसे पेड़ लगाना और चित्रित करना है, जिनकी सभी को देखभाल की आवश्यकता होती है। वन महोत्सव के जीवन को एक महोत्सव के रूप में सम्मानित किया जाता है। इस भूमि की स्थापना भारत में मां के संरक्षण के प्रयास के रूप में की गई थी।

वन महोत्सव नाम का अर्थ है “वृक्ष उत्सव।” डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू उन राष्ट्रीय नेताओं में से थे जिन्होंने वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया, जो जुलाई 1947 में दिल्ली में उद्घाटन के बाद शुरू हुआ। यह आयोजन एक ही समय में कई भारतीय राज्यों में आयोजित किया गया था।स्थानीय लोगों और वन विभाग जैसे अन्य संगठनों की सक्रिय भागीदारी के कारण, तब से हजारों विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए गए हैं।वन महोत्सव का मुख्य लक्ष्य प्रदूषण को कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए लोगों को रोने वाले पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस सप्ताह पेड़ों की विशेषताओं और पेड़ों को काटने से होने वाले नुकसान पर चर्चा की जा रही है।

वन महोत्सव दिवस पर निबंध (500 शब्द) | Van Mahotsav Diwas Essay in Hindi (500 शब्द)

वनमहोत्सव का शाब्दिक अर्थ जंगल का त्योहार है। इस आधुनिक और औद्योगिक युग में इसका उत्सव इस अद्वितीय पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत मायने रखता है।वनमहोत्सव राष्ट्रव्यापी स्तर पर वृक्षारोपण का एक वार्षिक उत्सव है। इसकी शुरुआत 1950 में हुई थी। इसकी शुरुआत 21 अगस्त 1950 को केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री डॉ. केएम मुंशी ने लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए की थी। वन महोत्सव को पेड़ों का त्यौहार और जीवन का त्यौहार भी कहा जाता है। वर्ष के इस सप्ताह के दौरान पूरे भारत में लोगों द्वारा हजारों पौधे लगाए जाते हैं। वनमहोत्सव मनाने का विषय वृक्षारोपण के गुणों पर ध्यान केंद्रित करना है। वनमहोत्सव का उत्सव बरसात के मौसम की शुरुआत में शुरू होता है – आमतौर पर हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में। वनमहोत्सव सप्ताह आम पौधों जैसे बबूल, पीपल, आम, नीम, बांस आदि के पौधे लगाकर मनाया जाता है।

वनमहोत्सव सरकार के साथ-साथ आम लोगों द्वारा भी मनाया जाता है। भारत सरकार ने पूर्ण अखिल भारतीय ढाल स्थापित की है। सर्वश्रेष्ठ जिले के लिए राजेंद्र शील्ड, सर्वश्रेष्ठ गांव के लिए जवाहर, वृक्षारोपण में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय के लिए सरदार पटेल शील्ड। सरकार ने भी पेड़ों को काटने पर सख्त रोक लगा दी है।पेड़ मानव जाति को दिया गया सबसे अनमोल उपहार है और इसे बचाना हमारा कर्तव्य है। लेकिन मनुष्य अपनी स्वार्थी जरूरतों और स्वार्थों के लिए इसे नष्ट कर रहा है। वह पेड़ों को काट रहा है और हम लगातार विनाश की राह पर बढ़ रहे हैं। एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जहां न पेड़ होंगे और न ही जंगल। मैं जानता हूं कि इसकी कल्पना करना सचमुच कठिन है। प्रकृति से प्रेम के लिए हमें इसे बचाने और संरक्षित करने की जरूरत है।प्रतिदिन अधिक से अधिक पेड़ लगाकर और अधिक से अधिक लोगों को भी ऐसा करने के लिए कहकर वन महोत्सव मनाया जा सकता है।

  • -जंगलों को नष्ट करके पैदा किए गए या बनाए गए उत्पादों को खरीदना बंद कर सकते हैं और उनका उपयोग करने से बच सकते हैं।
  • -अपने घरों, स्कूलों, कार्यालयों और कॉलेजों में पेड़ लगाएं और विभिन्न जागरूकता अभियानों में भाग लें। पेड़ों के मुफ्त प्रसार जैसी पहल भी विभिन्न स्वयंसेवकों और संगठनों द्वारा की जा सकती है।
  • -बच्चों को पेड़ लगाने की आवश्यकता और यह ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और प्रदूषण को कम करने में कैसे मदद करता है, यह सिखाने के लिए स्कूलों में कार्यशालाएं आयोजित की जा सकती हैं।
  • -हम 3आर नियम का भी अभ्यास कर सकते हैं और पेड़ों और जंगलों से कच्चे माल की आवश्यकता को कम कर सकते हैं।

वन महोत्सव का मुख्य लक्ष्य प्रदूषण को कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए लोगों को रोने वाले पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस सप्ताह पेड़ों की विशेषताओं और पेड़ों को काटने से होने वाले नुकसान पर चर्चा की जा रही है।स्कूलों और विश्वविद्यालयों में बच्चे और पौधे मिलकर पौधे लगाते हैं। कुछ समूहों द्वारा पौधे निःशुल्क दिये जाते हैं। हम सभी को हर वर्ष एक पौधा तैयार कर उसे सींचना चाहिए और उसका विकास करना चाहिए।आज हमने जो पौधा लगाया है, वह हमें भविष्य में कई लाभ प्रदान करेगा। पेड़ वर्षा के संग्रहण में भी सहायता करते हैं, जो स्वस्थ मिट्टी के लिए महत्वपूर्ण है। अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और पर्यावरण को स्वच्छ बनाना चाहिए।

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वन महोत्सव दिवस पर निबंध (700 शब्द) | Essay on Van Mahotsav Diwas in Hindi(700 शब्द) 

वन महोत्सव एक वार्षिक अखिल भारतीय वृक्षारोपण उत्सव है, जो जुलाई के महीने में एक सप्ताह तक चलता है। इस कार्यक्रम के दौरान लाखों पेड़ लगाए जाते हैं। इसकी शुरुआत 1950 में तत्कालीन केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री के.एम. मुंशी द्वारा वनों के संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए जनता के मन में उत्साह पैदा करने के लिए की गई थी।वन महोत्सव के दौरान वृक्षारोपण का मुख्य उद्देश्य मिट्टी के संरक्षण में मदद करना और मिट्टी की उर्वरता में और गिरावट को रोकना है। लोगों में वृक्ष चेतना और वृक्षों के प्रति प्रेम पैदा करना है। खेतों, गांवों, नगरपालिकाओं और गांवों में वृक्षों के रोपण और देखभाल को लोकप्रिय बनाना है। सार्वजनिक भूमि को उनकी सौंदर्य संबंधी, आर्थिक और सुरक्षात्मक आवश्यकताओं के लिए। वनमहोत्सव जीवन का उत्सव है। भारत में इसकी शुरुआत धरती माता को बचाने के एक अभियान के रूप में की गई थी

वन महोत्सव का इतिहास

वन महोत्सव भारत में जबरदस्त उत्साह और तीव्रता के साथ मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। यह त्यौहार वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित है। यह एक सप्ताह तक चलने वाला कार्यक्रम है जो हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम की स्थापना 1950 के दशक में तत्कालीन भारतीय केंद्रीय कृषि मंत्री कुलपति डॉ. के.एम. मुंशी ने वनीकरण और पर्यावरण जागरूकता को प्रोत्साहित करने के लिए की थी। वन महोत्सव के दौरान, भारत भर में लोग अपने घरों, स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ लगाते हैं। वनीकरण में योगदान दें। यह महोत्सव देश के वन क्षेत्र को बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देने में सफल रहा है।

वन महोत्सव का महत्व

वन महोत्सव का महत्व पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की संस्कृति को बढ़ावा देने की क्षमता में निहित है। पेड़ लगाकर और उनका पालन-पोषण करके, लोग पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में योगदान देते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करते हैं। पेड़ स्वच्छ हवा, जल संरक्षण और मिट्टी की सुरक्षा सहित कई लाभ प्रदान करते हैं, जो उन्हें मानव अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं।इसके अलावा, वन महोत्सव में प्रकृति चित्रों और पेड़ों की पेंटिंग पर जोर देने से लोगों को प्राकृतिक दुनिया से जुड़ने और इसकी सुंदरता की सराहना करने में मदद मिलती है। कला के माध्यम से प्रकृति के महत्व को बढ़ावा देकर, यह त्योहार लोगों को पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक होने और पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है। वन महोत्सव का महत्व पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने और लोगों को पर्यावरण की रक्षा के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करने की क्षमता में निहित है। प्रकृति चित्रों और वृक्ष चित्रों पर अपने फोकस के माध्यम से, यह त्योहार लोगों को प्रकृति से जुड़ने और हमारे जीवन में इसके मूल्य को पहचानने में मदद करता है।

वन महोत्सव कैसे मनाया जाता है | Van Mahotsav Diwas Kaise Manaya Jata Hai

भारत में हजारों पौधे लगाकर वन महोत्सव मनाया जाता है123। यह एक ऐसा त्यौहार है जो भारत के नागरिकों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है। वन और पेड़ कार्बन पदचिह्न को कम करने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। जुलाई के पहले सप्ताह में वन महोत्सव का उत्सव भी मानसून की शुरुआत के साथ मेल खाता है1। लोग पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए वृक्षारोपण अभियान, सेमिनार, रैलियां और अन्य कार्यक्रम आयोजित करके वन महोत्सव मनाते हैं2। विभिन्न स्तरों पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, और विभिन्न संगठनों और स्वयंसेवकों द्वारा निःशुल्क वृक्ष वितरण जैसे नए प्रचार भी किए जाते हैं।वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के लिए पेड़ों और जंगलों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना, वनीकरण और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और मौजूदा जंगलों की रक्षा और संरक्षण करना है। वन महोत्सव के समर्थन से, देश के वन क्षेत्र में सफलतापूर्वक वृद्धि हुई है, और इसने पर्यावरण संरक्षण जागरूकता बढ़ाने में योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त, पर्यावरण को बेहतर बनाने और देश भर में हरियाली की मात्रा में वृद्धि करने में इस आयोजन की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

वन महोत्सव पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने में सफल रहा है, और इसके उत्सव के परिणामस्वरूप देश भर में हरित आवरण में वृद्धि हुई है। वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य वनों के संरक्षण और संरक्षण को बढ़ावा देना और महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना है पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने में पेड़ों का योगदान। महोत्सव का उद्देश्य लोगों को वृक्षारोपण गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें पर्यावरण और मानव कल्याण के लिए पेड़ों के लाभों के बारे में जागरूक करना है।

वन महोत्सव दिवस पर निबंध in PDF

इस पॉइन्ट के जरिए हम आपको लिए वन महोतस्व दिवसड पर निबंध in PDF लेकर आएं है जो आप PDF डाउनलोड कर सकते है। वहीं यह डाउनलोड की गई फाइल को अपने परिजनों के साथ शेयर कर सकते हैं।

वन महोत्सव दिवस पर 10 वाक्य | 10 Lines On Van Mahotsav Diwas

van mahotsav essay writing in hindi

  • भारत में हर साल वन महोत्सव एक सप्ताह का वृक्षारोपण उत्सव है जो 1 जुलाई से शुरु होता है और 7 जुलाई तक मनाया जाता है।
  • इस दिन को वन महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस दिन लोग पेड़-पौधे लगाते हैं।
  • वृक्षारोपण से हमारा पर्यावरण शुद्ध होता है।
  • यह दिन वृक्षारोपण के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।
  • भारतीयों को वृक्षारोपण और देखभाल के लिए प्रोत्साहित करके, उत्सव आयोजकों को देश में अधिक वन बनाने की उम्मीद है।
  • वृक्षारोपण वैकल्पिक ईंधन उपलब्ध कराता है, खाद्य संसाधनों का उत्पादन बढ़ाता है, उत्पादकता बढ़ाने के लिए खेतों के चारों ओर आश्रय-बेल्ट बनाएगा, मवेशियों के लिए भोजन और छाया प्रदान करता है, छाया और सजावटी परिदृश्य प्रदान करता है, सूखे को कम करेगा और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करेगा।
  • वन महोत्सव सप्ताह देश के ज्यादातर हिस्सों में पेड़ लगाने का सबसे उचित वक्त समय है क्योंकि यह मानसून के साथ मेल जोल खाता है।
  • इसलिए हमें इस दिन पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
  • साथ ही अपने अन्य मित्रों एवं परिजनों को भी पौधे लगाने के लिए प्रेरित करें।

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वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Essay In Hindi)

वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Essay In Hindi Language)

आज   हम वन महोत्सव पर निबंध (Essay On Van Mahotsav In Hindi) लिखेंगे। वन महोत्सव पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

वन महोत्सव पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Van Mahotsav In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

मनुष्य औद्योगीकरण और शहरीकरण इत्यादि के कारण पेड़ो की निरंतर कटाई कर रहा है। मनुष्य अपने आश्रय के लिए अपना आशियाना बना रहे है। उद्योगों के विकास और विद्यालय, शॉपिंग मॉल इत्यादि के निर्माण के लिए वनो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है।

पेड़ो के अत्यधिक कटाई के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। वन उन्मूलन एक बहुत बड़ी समस्या है। मनुष्य उन्नति की आड़ में वनो की लगातार कटाई कर रहा है, जिससे जीव जंतुओं को तकलीफो का सामना करना पड़ रहा है।

वृक्षों से मनुष्यो को औषधि, लकड़ी, फल, चन्दन और कई प्रकार के अनगिनत चीज़ें प्राप्त होती है। वनो को इस प्रकार काटने से प्राकृतिक आपदाओं को न्यौता मिल रहा है। वनो को काटने से पृथ्वी नष्ट हो रही है और अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन सब कुछ समाप्त भी हो जाएगा।

पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और इसका एक और कारण है निरंतर प्रदूषण। वृक्ष वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते है। वृक्षों से हमे ऑक्सीजन प्राप्त होता है। अगर वृक्ष नहीं होंगे तो ऑक्सीजन नहीं होगा, तो हम सब प्राणियों का जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा। अब भी समय है कि हम जागरूक हो जाए और वृक्षारोपण करे और वनो को संरक्षित करे।

वन महोत्सव क्या है?

पेड़ों के महत्व को समझते हुए वन महोत्सव को मनाया जाता है। वन महोत्सव की शुरुआत सन 1950 में हुयी थी। इसे जंगलों के संरक्षण और उसे बचाने के इरादे से किया गया था। वनों की कटाई के बुरे प्रभाव पृथ्वी पर पड़ रहे है। इसी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक बड़ी पहल की गयी थी।

आज भी यह पहल जारी है। वन महोत्सव को प्रत्येक वर्ष जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है। प्राचीन काल से ही गुप्त और मुगल वंशो ने पेड़ो को सुरक्षित करने के लिए पहल की थी। जैसे जैसे हमारा देश उन्नति कर रहा है, मनुष्य और अधिक स्वार्थी और लालची बन गया है।

वह यह भूल रहा है कि वह सिर्फ पर्यावरण को ही नहीं बल्कि खुद को भी नष्ट कर रहा है। सन 1947 से ही वनो को सुरक्षित रखने के प्रयत्न किये जा रहे है। वनो को अगर संरक्षित नहीं किया गया तो मानव जाति खतरे में पड़ जायेगी।

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम ने मिलकर वन महोत्सव को जुलाई के पहले हफ्ते में मनाना आरम्भ किया था। तभी से वन महोत्सव मनाया जाता है। कुछ संस्थाएं मिलकर वृक्षारोपण करके लोगो में जागरूकता फैलाने की कोशिशे कर रही है।

वन महोत्सव के दिन सरकार द्वारा लाखो वृक्ष लगाए जाते है। इसके पीछे का सिर्फ एक ही उद्देश्य है अधिक से अधिक पेड़ हर रोज़ लगाना और लोगो में जागरूकता फैलाना कि वह भी अपने आस पास पेड़ लगाए। जहां हर एक पेड़ काटा गया वहां दस पौधे अवश्य लगाने होंगे। हम इस तरह से अपने प्राकृतिक सुंदरता को नष्ट नहीं कर सकते है।

वर्ष 1947 में इस महोत्सव को अनौपचारिक रूप से लागू किया गया था। उसके पश्चात सन 1950 में इसे कृषि मंत्री कन्हैया लाल मुंशी ने आधिकारिक तौर पर जारी किया। यह एक सकारात्मक और नेक कदम था। अगर यह पहल ना की गयी होती तो जितने वन आज इस धरती पर मौजूद है उतने भी नहीं होते।

वन महोत्सव की अहमियत

मनुष्य जितना वृक्षों की कटाई कर रहा है, उतने वह लगा नहीं रहा है। वन नहीं होंगे तो हमे कई अमूल्य सामग्री प्राप्त नहीं होगी और सबसे अहम बात है वर्षा नहीं होगी। अगर वर्षा नहीं होगी तो जल की समस्या होगी और सूखा पड़ेगा।

हर साल मनुष्य प्राकृतिक आपदाओं को बुलावा देता है। इसलिए सरकार वनो को बचाने के लिए यह मुहीम चला रही है और वन महोत्सव मना रही है। सभी लोगो को अधिक वृक्ष लगाने चाहिए और एक दूसरे को सचेत करने की ज़रूरत है।

पेड़ो की देखभाल है आवश्यक

वन महोत्सव के उस हफ्ते में लाखो पेड़ लगाए जाते है, मगर कुछ ही पेड़ बच पाते है। लोग पेड़ तो लगा लेते है परन्तु उनकी देखभाल नहीं करते है। पेड़ लगाने के संग उनकी देखभाल करना भी ज़रूरी होता है। बिना पानी और देखभाल के पौधे जीवित नहीं रहते है। हमे गंभीरता पूर्वक इस मुहीम के साथ शामिल होकर अपना कर्त्तव्य निभाना चाहिए।

वन महोत्सव की ज़रूरत क्यों है?

वन महोत्सव बेहद आवश्यक है। निरंतर पेड़ो की कटाई और कभी ना खत्म होने वाला प्रदूषण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि कर रहा है। हिमालय में बर्फ पिघल रहे है। बर्फ पिघलने के कारण नदियों का जल स्तर बढ़ रहा है। इससे बाढ़ जैसी स्थिति प्रत्येक वर्ष हमारे देश के कई राज्यों को झेलनी पड़ रही है।

प्राकृतिक आपदाओं को मनुष्य के इन गतिविधियों ने बढ़ावा दिया है। इससे जान माल का काफी नुकसान होता है। इसलिए वन महोत्सव को मनाना ज़रूरी है ताकि लोग ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाए और उसकी देखभाल करे।

वनो का महत्व

वनो में अनगिनत वृक्ष होते है। वहां की हवा शुद्ध होती है। वन सिर्फ मानव के लिए ही नहीं बल्कि जीव जंतुओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। वनो से हमे कई मूल्यवान सामग्री प्राप्त होती है। पेड़ो से हमे छाया, फल और फूल मिलते है। वनो से प्राकृतिक सुंदरता में चार चाँद लग जाते है।

प्रकृति की सुंदरता वनो से कई गुना अधिक बढ़ जाती है। वन प्राकृतिक संसाधन है। पेड़ पौधे वातावरण में मौजूद जहरीली गैसों को सोख लेते है। वनो से चन्दन की लकड़ियां मिलती है। वन भूमि कटाव को रोकता है, जिससे उपजाऊ मिटटी नष्ट नहीं होती है।

वनो से ऑक्सीजन प्राप्त होता है। अगर वन होंगे तो प्राकृतिक आपदाएं कम हो जायेगी। पेड़ो से चारो तरफ हरियाली छायी रहती है। इसे सुरक्षित रखना हर मानव का कर्त्तव्य है।

पृथ्वी पर दुष्प्रभाव

वनो और पेड़ो की अधिक कटाई के कारण गंभीर हालात उत्पन्न हो रहे है। आंधी और तूफ़ान के कारण सब कुछ नष्ट हो जाता है। आज गर्मियों की अवधि में वृद्धि हो रही है और सर्दी का समय बेहद कम हो गया है।

कुछ राज्यों में गर्मी 47 डिग्री से 50 डिग्री तक पहुँच गयी है। इतनी गर्मी में मनुष्य की मौत हो सकती है। वनो के लगातार कटने से वनो में रहने वाले पशु पक्षी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।कई प्रजातियां समाप्त हो गयी है और कुछ विलुप्त होने के कगार पर खड़ी है।

प्रदूषण भी अपने चरम सीमा पर पहुँच गया है और इससे कई तरह की बीमारियां हो रही है। बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस लेने में भी मुश्किल हो रही है। सड़को पर लगातार गाड़ियाँ वायु को प्रदूषित कर रही है। वनो के कटने से वृक्ष की कमी हो रही है। वृक्ष होंगे तो प्रदूषण भी कम होगा। जितनी तेज़ी से उद्योगों के विकास के लिए हम वन काट रहे है, उतनी तेज़ी से हम वृक्ष लगा नहीं रहे है।

वनो की कमी एक गंभीर समस्या

वन नीति के मुताबिक धरती के कुल क्षेत्रफल में तेंतीस प्रतिशत भाग में वन होने चाहिए। मगर हमारे देश में मात्र बीस प्रतिशत ही वन रह गए है। तेज़ी से बढ़ती हुयी जनसंख्या के कारण भी लोग वनो को काट रहे है, ताकि घर बना सके।

खुद के घर बनाने के लिए वह वनो में रहने वाले प्राणियों का घर भी छीन रहे है। 2017 में वनो में सिर्फ एक प्रतिशत की वृद्धि हुयी है। यह वृद्धि दर बिलकुल कम है। प्रदूषण को अवशोषित और नियंत्रित करने के लिए हमे वनो का संरक्षण करना होगा। बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए हमारे पास वन बहुत कम है।

देश के कुछ राज्य जिनमे वन मौजूद है

अभी भी भारत के कुछ राज्यों में वन है। उन राज्यों के नाम है मिजोराम, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और उत्तरपूर्वी राज्यों के कुछ हिस्सों में वन पाए जाते है। देश के कुछ हिस्से ऐसे भी है जहां वन हुआ करते थे, मगर अभी वह मरुस्थल में परिवर्तित हो रहे है।

महाराष्ट्र और गुजरात में वनो को शहरीकरण के उद्देश्य से काटा जा चूका है। वनो को विकसित करने के लिए सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है। वरना आने वाले दिनों में हम वनो के लिए तरसते रह जाएंगे।

वनो को काटने की वजह

जिस तरीके से आबादी बढ़ रही है, उनकी ज़रूरतें भी बढ़ रही है। उनके खाने और रहने की जगहों की मांगे भी बढ़ रही है। यह एक वजह है जिसके लिए वनो को काटा जा रहा है। कुछ ऐसे अवैध लकड़ी के उद्योग है जो सरकार की अनुमति लिए बिना वनो को काटते है।

उन लकड़ियों से फिर फर्नीचर बनाकर, लोगो को ज़्यादा दाम में बेचते है। वनो से कई प्रकार की जड़ी बूटियां मिलती है, जिससे औषधि बनाई जाती है। जिस तरह से प्रत्येक वर्ष आबादी बढ़ रही है, दवाईयों की मांग बढ़ रही है, जिसके लिए पेड़ो को काटा जा रहा है।

वनो के कटाव को रोकने के उपाय

जनसंख्या वृद्धि दर को रोकना अनिवार्य है। वनो को संरक्षित करने के लिए लोगो को जागरूक करना आवश्यक है। सरकार अपनी तरफ से वनो को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है। हम सबको मिलकर वनो को सुरक्षित रखना होगा।

जो लोग अवैध रूप से वनो की कटाई कर रहे है, उन्हें सख्त सजा दी जानी चाहिए। हमे लकड़ियों से बने सामग्रियों का इस्तेमाल कम करना होगा, ताकि हम पेड़ो को कटने से बचा पाए।

वनो को बचाना बेहद आवश्यक है। हमारा अस्तित्व वनो पर निर्भर करता है। वनो को काटने से पृथ्वी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कई जीव जंतुओं की प्रजातियां विलुप्त हो रही है। पृथ्वी और पर्यावरण पर भयानक असर पड़ रहा है। समय रहते हम सभी को सचेत हो जाना चाहिए अन्यथा हम सब कुछ खो बैठेंगे और प्रकृति अपना विकराल रूप धारण कर लेगी।

हमे सरकार का साथ देते हुए वन महोत्सव को मनना चाहिए और कम से कम 1 पेड़ लगाकर उसकी देखभाल करनी चाहिए। यह हमे हर साल करना चाहिए। जब इस देश का हर व्यक्ति साल में एक पेड़ लगाएगा तो सोचिये कितने पेड़ लग जायेंगे।

इन्हे भी पढ़े :-

  • मेला पर हिंदी निबंध (Mela Essay In Hindi)
  • जंगल पर निबंध (Jungle Essay In Hindi)
  • पेड़ पर निबंध (Trees Essay In Hindi Language)
  • वृक्षारोपण पर निबंध (Vriksharopan Essay In Hindi)

तो यह था वन महोत्सव पर निबंध (Forest Festival Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि वन महोत्सव पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Van Mahotsav) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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वन महोत्सव पर निबंध | Van Mahotsav Essay In Hindi

वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण आयोजन है जो हर साल भारत में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पौधरोपण के लिए मनाया जाता है।

यह उत्सव एक ऐसा समय है जब लोग एकजुट होकर प्रकृति के संरक्षण के महत्व को समझते हैं और अपने योगदान के माध्यम से इसमें सहायक होते हैं।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम वन महोत्सव के महत्व पर विचार करेंगे और इसके उत्साही माहौल में बच्चों और युवाओं के लिए वन महोत्सव पर निबंध प्रस्तुत करेंगे।

यह हमारे भविष्य की संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, और हमें इसे समझने और समर्थन करने की आवश्यकता है।

वन महोत्सव: प्रकृति के संरक्षण का उत्सव

परिचय.

भारतीय समाज में वन महोत्सव का महत्वपूर्ण स्थान है।

यह एक ऐसा उत्सव है जो प्रकृति के संरक्षण और पौधरोपण को बढ़ावा देता है।

हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में वन महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

इस उत्सव में लोग नए पौधे लगाते हैं और प्रकृति के संरक्षण के महत्व को समझाते हैं।

उत्पत्ति

वन महोत्सव का आयोजन 1950 में प्रारंभिक रूप से किया गया था।

इसका मुख्य उद्देश्य प्रकृति के संरक्षण और पौधरोपण को बढ़ावा देना था।

इसके आयोजन में प्रमुख रूप से वन मंत्रालय, शिक्षा विभाग, और वन्य जीव संरक्षण संस्थान शामिल हैं।

महत्व

वन महोत्सव का आयोजन भारतीय समाज में प्राकृतिक संरक्षण के महत्व को समझाने और लोगों को प्रेरित करने का महत्वपूर्ण कदम है।

यह उत्सव प्राकृतिक संसाधनों की महत्वता को संजीवनी देता है और लोगों को वृक्षारोपण के महत्व को समझाता है।

उपलब्धियाँ

वन महोत्सव के अन्तर्गत अनेक योजनाएं चलाई जाती हैं जो प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा को स्थापित करती हैं।

इस उत्सव में नए पौधे लगाए जाते हैं और वार्षिक वृक्षारोपण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

स्लोक और उद्धरण

  • "वृक्षों के बिना जीवन अधूरा है, इसलिए वृक्षारोपण महत्वपूर्ण है।"
  • "वन महोत्सव का उत्सव मनाकर हम अपने जीवन के लिए अच्छी वातावरणिक स्थिति के लिए योगदान कर सकते हैं।"

महात्मा गांधी का उद्धरण

महात्मा गांधी ने कहा था, "जिस दिन से मनुष्य ने पेड़ों को काटना शुरू किया है, उसका जीवन बिना पेड़ों के नामुमकिन हो गया है।"

निष्कर्ष

वन महोत्सव का उत्सव मनाकर हमें प्रकृति के संरक्षण के महत्व को समझने और वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करता है।

इस उत्सव के माध्यम से हम अपने भविष्य के लिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

वन महोत्सव न केवल एक उत्सव है, बल्कि यह हमारे जीवन की एक महत्वपूर्ण शिक्षा भी है।

इसे ध्यान में रखते हुए हमें हर साल इसे उत्सव के रूप में मनाना चाहिए और प्रकृति के संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए।

वन महोत्सव निबंध हिंदी में 100 शब्द

वन महोत्सव हमें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के महत्व को समझाता है।

यह उत्सव हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है।

इसमें लोग नए पौधे लगाते हैं और प्रकृति की रक्षा के महत्व को समझाते हैं।

वन महोत्सव से हम वृक्षारोपण की महत्वता को समझते हैं और हरित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।

इसके माध्यम से हम प्रकृति के साथ मेल-जोल बनाए रखने का संदेश देते हैं।

वन महोत्सव हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण और उपयोगी उत्सव है।

वन महोत्सव निबंध हिंदी में 150 शब्द

वन महोत्सव भारत में प्रकृति के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है।

इस उत्सव के दौरान हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में लोग अनेक पौधे लगाते हैं।

वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना और वन्य जीवन को संरक्षित करना होता है।

यह उत्सव हमें वृक्षारोपण के महत्व को समझाता है और हरित पर्यावरण के लिए संवेदनशीलता बढ़ाता है।

वन महोत्सव के माध्यम से हम अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए अपना योगदान देते हैं और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने के लिए सक्रिय भागीदार बनते हैं।

इससे न केवल प्रकृति का संरक्षण होता है, बल्कि हमारे समाज का भी विकास होता है।

वन महोत्सव वास्तव में हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण और उपयोगी उत्सव है।

वन महोत्सव निबंध हिंदी में 200 शब्द

वन महोत्सव भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को समझाने का माध्यम है।

इस मौके पर लोग वृक्षारोपण के लिए समर्थ होते हैं और नए पौधे लगाते हैं।

इसके साथ ही, विभिन्न संगठन और सरकारी विभाग भी पौधरोपण के प्रोत्साहन में अपना योगदान देते हैं।

वन महोत्सव का महत्व प्राकृतिक संसाधनों की महत्वता को समझाने में है।

इसके माध्यम से लोग वृक्षों के महत्व को समझते हैं और हरित पर्यावरण के लिए जागरूक होते हैं।

वन महोत्सव के साथ ही, लोग अपने भविष्य के लिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।

इसके अलावा, वन महोत्सव एक सामाजिक उत्सव भी है, जो लोगों को साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाता है और एक भविष्य के लिए सही दिशा में प्रेरित करता है।

वन महोत्सव वास्तव में हमारे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और उपयोगी उत्सव है।

वन महोत्सव निबंध हिंदी में 300 शब्द

वन महोत्सव भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है।

इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करना और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना होता है।

वन महोत्सव के दौरान लोग वृक्षारोपण के लिए उत्साहित होते हैं और अपने आस-पास के इलाकों में पौधे लगाते हैं।

यह उत्सव प्रकृति के संरक्षण के महत्व को समझाने का भी माध्यम है।

वृक्षों का महत्व लोगों को बताता है और हरित पर्यावरण के लिए जागरूकता फैलाता है।

इसके साथ ही, वन महोत्सव के दौरान पेड़-पौधों के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जो लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने में मदद करते हैं।

वन महोत्सव के उत्साही माहौल में लोग पेड़ लगाने के लिए आते हैं, जिससे प्राकृतिक संसाधनों की वृद्धि होती है।

इसके अलावा, यह उत्सव लोगों को वृक्षारोपण के महत्व को समझाता है और उन्हें पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।

समाप्त में, वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो हमें प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के महत्व को समझाता है और हरित पर्यावरण के लिए जागरूकता फैलाता है।

इस उत्सव के माध्यम से हम अपने भविष्य के लिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं और साथ ही सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ा सकते हैं।

वन महोत्सव निबंध हिंदी में 500 शब्द

भारत में वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है।

यह उत्सव प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने का माध्यम होता है।

वन महोत्सव के दौरान लोग पेड़-पौधे लगाते हैं और प्रकृति के महत्व को समझाते हैं।

महत्व: वन महोत्सव का महत्व प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा को समझाने और हरित पर्यावरण के लिए जागरूकता फैलाने में है।

इस उत्सव में वृक्षारोपण के साथ-साथ जल, भूमि और हवा की संरक्षण की भी बात की जाती है।

यह उत्सव हमें वन्य जीवन की महत्वता को समझाता है और प्राकृतिक संसाधनों के लिए जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करता है।

प्रेरणा: वन महोत्सव एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव है जो लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाता है।

इस उत्सव के दौरान विभिन्न स्कूल, कॉलेज, संगठन और सरकारी विभाग समूहित होते हैं और पौधरोपण के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

इससे लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता और सहयोग का भाव विकसित होता है।

प्राकृतिक संरक्षण का उपहार: वन महोत्सव का उत्सव हमें प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के महत्व को समझाता है और हमें उनके संरक्षण में सक्रिय भागीदार बनाता है।

वृक्षारोपण के साथ-साथ इस उत्सव के दौरान जल, भूमि और हवा की संरक्षण की भी बात की जाती है, जो हमारे भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

समाप्ति: समाज में पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाने और उसमें सहयोग करने के लिए वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण कदम है।

इसलिए, हमें इस उत्सव को उत्साहित करना चाहिए और इसमें विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए अपना सहयोग देना चाहिए।

वन महोत्सव 5 लाइन निबंध हिंदी

  • वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो प्रकृति के संरक्षण को बढ़ावा देता है।
  • इस उत्सव में लोग पेड़-पौधे लगाकर प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हैं।
  • वन महोत्सव के माध्यम से हमें पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझाया जाता है।
  • इस उत्सव से हम अपने भविष्य के लिए हरित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।
  • वन महोत्सव हमें प्रकृति के साथ मिल-जुलकर रहने का संदेश देता है।

वन महोत्सव 10 लाइन निबंध हिंदी

  • वन महोत्सव भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है।
  • यह उत्सव प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और प्रकृति के संरक्षण को बढ़ावा देता है।
  • वन महोत्सव के दौरान लोग पेड़-पौधों के साथ-साथ वन्य जीवन की भी रक्षा करते हैं।
  • इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य हरित पर्यावरण को बढ़ावा देना है।
  • वन महोत्सव के माध्यम से लोग पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझते हैं।
  • इस उत्सव से हमारे भविष्य के लिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ते हैं।
  • वन महोत्सव के दौरान प्रदेश सरकारें भी पौधरोपण के कार्यक्रम आयोजित करती हैं।
  • यह उत्सव सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ाता है।
  • इस उत्सव के माध्यम से हम अपने जीवन में प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग का भी संदेश प्राप्त करते हैं।

वन महोत्सव 15 लाइन निबंध हिंदी

  • वन महोत्सव भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
  • यह उत्सव हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है और पेड़-पौधों के वृक्षारोपण का महत्व समझाता है।
  • वन महोत्सव के माध्यम से लोग प्राकृतिक संसाधनों के साथ मिल-जुलकर रहने का संदेश देते हैं।
  • इस उत्सव के दौरान प्रदेश सरकारें और स्थानीय संगठन पेड़ लगाने के कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
  • लोग वन्य जीवन की सुरक्षा के लिए भी पेड़ लगाते हैं ताकि वन्य प्राणियों का निवास स्थल बना रहे।
  • इस उत्सव में विभिन्न शैली और वैज्ञानिक पौधे लगाए जाते हैं जो प्राकृतिक वातावरण को सुंदरता और शांति प्रदान करते हैं।
  • वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य हरित पर्यावरण को बढ़ावा देना है जो मानव जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • इस उत्सव के माध्यम से लोगों को पेड़ों के महत्व को समझाया जाता है और उन्हें पेड़ों का सम्मान करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
  • वन महोत्सव हमें बिना किसी नुकसान के प्रकृति के साथ बिताए जाने का तरीका सिखाता है।
  • वन महोत्सव समाज में पेड़-पौधों के महत्व को समझाने में मदद करता है और हरित पर्यावरण की दिशा में लोगों को प्रेरित करता है।
  • इस उत्सव के माध्यम से लोग पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझते हैं और इसमें अपना योगदान देने के लिए प्रेरित होते हैं।
  • वन महोत्सव का महत्व उसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक आयाम में भी होता है जो लोगों को साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाता है।
  • इस उत्सव के दौरान पेड़ों के साथ-साथ लोगों के दिलों में भी एकता और सहयोग का भाव बढ़ता है।
  • वन महोत्सव के माध्यम से हम प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षण और संरक्षण के लिए अपना सहयोग दे सकते हैं।

वन महोत्सव 20 लाइन निबंध हिंदी

  • वन महोत्सव भारत में हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण उत्सव है।
  • इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य पेड़-पौधों के वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है।
  • वन महोत्सव के दौरान लोग पेड़ों के लगाव के लिए उत्साहित होते हैं।
  • यह उत्सव हरित पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा को समझाने का माध्यम है।
  • वन महोत्सव के दौरान अनेक स्कूल और संगठन पेड़ों के लगाव के कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
  • इस उत्सव से लोगों को पेड़ों के महत्व को समझाने का मौका मिलता है।
  • वन महोत्सव के माध्यम से लोग प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के महत्व को समझते हैं।
  • इस उत्सव से हमें अपने जीवन में प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग का संदेश प्राप्त होता है।
  • वन महोत्सव हमें पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाता है और हरित पर्यावरण की दिशा में हमें प्रेरित करता है।
  • इस उत्सव के माध्यम से हम जागरूकता फैलाते हैं कि पेड़-पौधों का हमारे जीवन में कितना महत्व है।
  • वन महोत्सव न केवल पेड़ों के लगाव का उत्साह बढ़ाता है, बल्कि जीवन को भी संतुलित बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • यह उत्सव हमें प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सजग और समर्पित बनाता है।
  • वन महोत्सव के दौरान पेड़ों के साथ-साथ वन्य जीवन की भी रक्षा होती है।
  • इस उत्सव के माध्यम से विभिन्न समाज संगठन लोगों को एक साथ आने का मौका प्रदान करते हैं।
  • वन महोत्सव सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ाता है।
  • इस उत्सव के दौरान लोगों के बीच अनुष्ठानों और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
  • वन महोत्सव से प्रेरित होकर लोग अपने घरों के आस-पास हरित पर्यावरण का समर्थन करते हैं।
  • इस उत्सव के द्वारा लोगों को वन्य जीवन की रक्षा के लिए भी प्रेरित किया जाता है।
  • वन महोत्सव का महत्व हमें प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के महत्व को समझाता है।
  • इस उत्सव से हमें पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाने और सहयोग करने का अवसर मिलता है।

वन महोत्सव एक ऐसा उत्सव है जो हमें प्राकृतिक संसाधनों की महत्वपूर्णता को समझाता है और हमें उनके संरक्षण में सहयोग करने के लिए प्रेरित करता है।

इस ब्लॉग पोस्ट में हमने देखा कि वन महोत्सव के माध्यम से हम अपने पर्यावरण को कैसे संरक्षित और सुरक्षित बना सकते हैं।

इस उत्सव के द्वारा हम वृक्षारोपण, पेड़-पौधों के संरक्षण, और प्राकृतिक संसाधनों की महत्वपूर्णता को समझते हैं।

वन महोत्सव हमें अपने पर्यावरण में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करता है और हमें एक स्वस्थ, हरित और समृद्ध समाज की दिशा में अग्रसर करता है।

इसलिए, हमें वन महोत्सव का उत्साह और उत्सव में भाग लेने का समय मिलना चाहिए, ताकि हम सभी मिलकर अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करें और एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण का आनंद उठा सकें।

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Hindi Essay on “Vriksharopan”, “Van-Mohotsav” , ”वृक्षारोपण”,”वन-महोत्सव” Complete Hindi Essay for Class 9, Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

वृक्षारोपण या वन-महोत्सव

Vriksharopan ya Van-Mohotsav

वृक्ष समस्त प्राणी जगत के श्रेष्ठ साथी और सहचर माने गए हैं। वृक्षों के समूह को वन, उपवन, जंगल कुछ भीकहकर पुकारा जा सकता है। वृक्षों को प्रकृति के राजकुमार और वनों, उपवनों या जंगलों को उनकी जन्मभूमि कह सकते हैं। दूसरे शब्दों में वृक्षों के समूह से ही वन बनते हैं और वन प्रकृति के जीवनदाययक सौंदर्य का साकार रूप हुआ  करते हैं। वृक्ष और वन हमें अनेक प्रकार के फल-फूल, छाया, लकड़ी हवा आदि तो देते ही हैं, जिसे हम प्राणवायु या जीवनदायिनी शक्ति कहते हैं, उसका स्त्रोत भी वास्तव में वन और वृक्ष ही हैं। इतना ही नहीं, धरती और उस पर स्थित अनेक रंग-रूपों वाली सृष्टि का आज तक जो संतुलन बना हुआ है, उसका मूल कारण भी वन और वृक्ष ही हैं। धरती पर लगे कल-कारखाने या अन्य प्रकार के तत्व जो अनेक प्रकार के प्रदूषित तत्व, गंदी हवांए, दमघोंटू गैसें या इसी प्रकार के अन्य विषैले तत्व उगलते रहते हैं, समस्त मानव-जीवन और प्राणी जगत की उन सबसे रक्षा भी निश्चय ही वन और वृक्ष ही कर रहे हैं। उनका अभाव सर्वनाश का कारण बन सकता है यह तथ्य सभी लेग मुक्तभाव से स्वीकार करते हैं।

वनों-वृक्षों का महत्व मात्र इतना ही नहीं है। हमारे लिए अन्न-जल की व्यवस्था सांस ले पाने का सुप्रबंध भी यही करते हैं। वर्षा का कारण भी ये वन-वृ़क्ष ही हैं जो धरती को हरियाली प्रदान कर, अन्न-जल का उत्पदान कर हमारा भरण-पोषण करते हैं। सोचिए, यदि वर्षा न हो तो एक दिन सारी नदियां, कुंए और पानी के स्त्रोत सूख जाएंगे। समुद्र तक अपना अस्तित्व खो बैठेगा। धरती बंजर और फिर धीरे-धीरे राख का ढेर बनकर रह जाएगी। स्पष्ट है कि वन और वृक्षों का अस्तित्व धरती और उस पर हने वाले प्राणी जगत के लिए कितना महत्वपूर्ण और आवश्यक है। उनका अभाव जो स्थिति ला सकता है, उसकी कल्पना अत्यंत लोमहर्षक है।

वनों, वृक्षों का महत्व जानते-समझते हुए भी आज हम कुछ पैसें के लोभ के लिए उन्हें काटकर जलाते, बेचते या अन्य तरह से प्रयोग करते जाते हैं। इससे नदियों, पर्वतों आदि का संतुलन तो बिगडृ ही रहा है प्रकृति ओर सारे जीवन का संतुलन भी बिगडक़र प्रदूषण का प्रकोप निरंतर बढ़ता जा रहा है। गीले पर्वतों और जल स्त्रोंतों के अपासपास उगे वनों-वृ़क्षों को काट डालने का यही परिणाम है कि अब बाढ़ों का प्रकोप कहीं अधिक झेलना पड़ता है। मौसम में वर्षा नहीं होती, जिससे सूखे के थपेड़े सहने पड़ते हैं। वन-वृक्ष अवश्य काटने और उनकी लकड़ी हमारे उपयोग के लिए ही है, पर हमारा यह भी तो कर्तव्य बन जाता हेह्व कि यदि एक वृक्ष काटते हैं तो उसके स्थान पर एक अन्य उगांए भी। परंतु हम तो वनों को मैदानों और बस्तियों के रूप में बदलते जा रहे हैं। आखिर ऐसा कब तक चल सकेगा? निश्चय ही अधिक चलने वाला नहीं, इस बात को आज के ज्ञानी-विज्ञानी मानव ने अच्छी प्रकार समझ लिया है। तभी तो आज न केवल हमारे देश बल्कि विश्व के सभी देशों में वृक्ष लगाने की प्रक्रिया वन महोत्सव के रूप में मनाई जाने लगी है। पेड़ उगा, वनों को फिर से उगा हम उन पर नहीं, बल्कि अपने पर ही कृपा करेंगे। अपनी भाव सुरक्षा को योजना ही बनाएंगे।

भारत में वनों-व़क्षों की कटाई अंधाधुंध हुई है। फलत: प्राकृतिक संतुलन बिगड़ चुका है। इसे जान लेने के बाद ही आज हमारे देश में प्रगति और विकास के लिए सरकारी या संस्थागत रूप में जो अनेक प्रकार के कार्यक्रम चल रहे हैं, वृक्ष उगाना और वन-संवर्धन भी उनमें से एक प्रमुख कार्य है। प्राय: हर वर्ष लाखों-करोड़ों की संख्या में वृक्षों वनों की पौध रोपी जाती है। पर खेद के साथ कहना पड़ता है पौध-रोपन के बाद हम अपना कर्तव्य भूल जाते हैं। रोपित पौध का ध्यान नहीं रखते। उसे या तो आवारा जानवर चर जाते हैं या पानी के अभाव में सूख-मुरझाकर समाप्त हो जाते हैं। यदि सचमुच हम चाहते हैं कि मानव-जाति और उसके अस्तित्व की आधार-स्थली धरती, प्रकृति का संतुलना बना रहे, तो हमें काटे जा रहे पेड़ों के अनुपात से कहीं अधिक पेड़ उगाने होंगे। उनके संरक्षण एंव संवद्र्धन का प्रयास भी करते रहना होगा। अनावश्यक वन-कटाव कठोरता से रोकना होगा। इसके सिवा समस्त प्राणी जगत रक्षा और प्रकृति का संतुलन बनाए रखने का अन्य कोई चारा या उपाय नहीं।

इस प्रकार वृक्ष रोपण या वन-महोत्सव का महत्व स्पष्ट है। हमने सार्थक रूप से वन-महोत्सव आज इसलिए मना और उसके साथ जुड़ी भावना को साकार करना है, ताकि मानव-जीवन भविष्य में भी हमेशा आनंद-उत्सव मना सकने योज्य बना रह सके। वह स्वंय ही घुटकर दम तोडऩे को बाध्य न हो जाए। सजग-साकार रहकर फल-फूल सके। प्रगति एंव विकास के नए अध्याय जोड़ सके और बन सके मानवता का नवीन, सुखद इतिहास।

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van mahotsav essay writing in hindi

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वन महोत्सव पर निबंध 2022 -23 Van Mahotsav Par Nibandh in Hindi – Van Mahotsav Day Essay for School Students & Teachers

वन महोत्सव पर निबंध

वन महोत्सव 2022 : वन हमारे लिए काफी ज़रूरी हैं क्योंकि वन हमारी प्रकृति और मनुष्य जीवन में सतुलन बनाये रखने में काफी अहम हैं| किसी ने सही ही कहा है की वन ही जीवन है| यह बहुत से जानवरो के लिए घर भी है इसलिए हमें वनो को बचाना चाहिए है जिससे प्रकृति में संतुलन बना रहे| अक्सर यह पूछा जाता है की वन महोत्सव कब शुरू हुआ? दोस्तों वन महोत्सव 1960 में शुरू हुआ जिसमे पेड़ो और वनो को बचने के लिए जागरूकता फैलाई जाती है| आइये जानें निबंध ों वन महोत्सव इन हिंदी, वन महोत्सव सप्ताह, वन महोत्सव एस्से इन हिंदी, Short Essay on Van Mahotsav in hindi, वन महोत्सव पर निबंध हिंदी, वन महोत्सव पर प्रतिवेदन, वन महोत्सव का महत्व, वन महोत्सव डे, Essay on Forest Festival in Hindi वन महोत्सव पर निबन्ध इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के वन महोत्सव पर वृक्षारोपण व निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

वन महोत्सव पर निबंध इन हिंदी

वन महोत्सव कब मनाया जाता है : वन महोत्सव सप्ताह भारत में 1 जुलाई 2020 से 7 जुलाई 2020  तक मनाया जाएगा| अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है वन महोत्सव सप्ताह पर निबंध लिखें| आइये देखें essay on van mahotsav, Van Mahotsav Shayari in Hindi , van mahotsav essay in kannada language,  Van Mahotsav Wishes , in odia, वन महोत्सव पर कविता , van mahotsav essay pdf, Van Mahotsav Speech in Hindi , van mahotsav essay in hindi language, van mahotsav essay in telugu, ppt, in kannada pdf, वन महोत्सव फोटो , van mahotsav essay in telugu language, Van Mahotsav Quotes in Hindi , in hindi pdf, van mahotsav essay in punjabi, Van Mahotsav Week हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं|

वन महोत्सव जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया भारत में एक वार्षिक पेड़ लगाकर त्योहार है . इस आंदोलन कृषि के लिए भारत के केन्द्रीय मंत्री , Kulapati Dr.KM मुंशी द्वारा वर्ष 1950 में शुरू किया गया था .यह पर्व अपार राष्ट्रीय महत्व प्राप्त की है और हर साल , पौधे के लाखों वन महोत्सव सप्ताह के अवलोकन में पूरे भारत भर में लगाए हैं . यह भारत के प्रत्येक नागरिक को वन महोत्सव सप्ताह में एक पौधा संयंत्र के लिए है कि उम्मीद है. यह घरों में पेड़ या पौधे लगाकर वन महोत्सव का जश्न मनाने trees.People के नीचे काटने की वजह से नुकसान के बारे में लोगों के बीच फैल जागरूकता में मदद करता है , कार्यालयों , आदि स्कूलों , कॉलेजों , जागरूकता अभियान विभिन्न स्तरों पर आयोजित की जाती हैं . पेड़ों के मुक्त संचलन जैसे उपन्यास प्रोन्नति भी विभिन्न संगठनों और स्वयंसेवकों से लिया जाता है . त्योहार के दौरान पेड़ों का रोपण वैकल्पिक ईंधन उपलब्ध कराने जैसे विभिन्न प्रयोजनों के कार्य करता है , खाद्य संसाधनों के उत्पादन में वृद्धि , मवेशियों के लिए भोजन उपलब्ध कराने , उत्पादकता बढ़ाने के लिए खेतों के चारों ओर आश्रय बेल्ट बनाने में मदद करता छाया और सजावटी परिदृश्य प्रदान करता है , आदि , मिट्टी गिरावट संरक्षण में मदद करता है पेड़ों ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और प्रदूषण को कम करने के लिए सबसे अच्छा उपाय कर रहे हैं जैसे त्योहार , लोगों के बीच पेड़ों की जागरूकता को शिक्षित और रोपण और पेड़ों के रखरखाव की जरूरत चित्रण. वन महोत्सव के जीवन का एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. भारत में यह धरती मां को बचाने के लिए एक अभियान के रूप में शुरू किया गया था . नाम वन महोत्सव ” पेड़ों के त्योहार ” का मतलब है. एक समृद्ध वृक्षारोपण ड्राइव डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू जैसे राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया , जिसमें दिल्ली में शुरू किए जाने के बाद यह जुलाई 1947 में शुरू हुआ . त्योहार एक साथ भारत में राज्यों की संख्या में मनाया गया. तब से, विभिन्न प्रजातियों के पौधे के हजारों वन विभाग की तरह स्थानीय लोगों और विभिन्न एजेंसियों के ऊर्जावान भागीदारी के साथ लगाए हैं .

Van Mahotsav Par Nibandh in Hindi

Van Mahotsav essay in hindi

हम लोग अपने जीवन में कई प्रकार से उत्सव मनाते हैं । पारिवारिक सामाजिक धार्मिक एवं राष्ट्रीय उत्सवों में लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं । परंतु वन महोत्सव इस सबसे बढ़कर ऐसा उत्सव है जो हमारे जीवन को सच्चा सुख प्रदान करता है । यह महोत्सव हमें प्रकृति से जोड़ता है । यह हमें याद दिलाता है कि हे मानव, वनों के बिना तेरा कल्याण नहीं है । वन समस्त प्राणी जगत् के उत्तम साथी हैं । वृक्षों का समूह जो कि वन कहलाता है हमारे जीवन के आधार हैं । वृक्षों के बदौलत ही हमारी धरती हरी-भरी है । वन, उपवन, बाग-बगीचे पृथ्वी पर जीवन और सौंदर्य के साकार रूप हैं । इनकी रक्षा के लिए प्रयत्न करना आवश्यक है । नए-नए वृक्षों को लगाकर वनों को घना करना वन क्षेत्र बढ़ाना वन महोत्सव का एक अंग है । जब हम वनस्पतियों के अस्तित्व के बारे में सोचते हैं तो असल में हम अपने अस्तित्व के लिए ही सोचते हैं । वृक्ष हमें फल-फूल छाया लकड़ी आदि देते हैं । ये हमें प्राणवायु और जीवनदायी शक्ति देकर हमें उपकृत करते हैं । हमारे देश में वनों के पेड़ों की बेहिसाब कटाई हुई है । वन अपनी प्राकृतिक शोभा खोते जा रहे हैं । यहाँ के कटे पेड़ चीख-चीखकर अपनी दर्दभरी दास्तान बता रहे हैं । वन्य पशु-पक्षी भी आहत हैं क्योंकि उनका प्राकृतिक आवास विकास की भेंट चढ़ चुका है । वनों को काटकर कृषि भूमि की तलाश की जाती है । झूम खेती इसी का एक वीभत्स रूप है । इतना ही नहीं जहाँ कभी घने वन थे वहाँ आज अट्टालिकाएँ हैं, कल-कारखाने हैं । यदि ऐसा ही होता रहा तो एक दिन स्थिति बहुत गंभीर हो जाएगी । धरती पर गरमी बढ़ेगी ऊँचे पहाड़ों के बरफ पिघलेंगे बाढ़ और सूखे की जटिल स्थितियों से हमें निरंतर जूझना पड़ेगा । वनों के अभाव में हमें अधिक प्रदूषित वायु में साँस लेना पड़ेगा । वर्षा का कारण भी ये वन-वृक्ष ही हैं । ये रेगिस्तानों का विस्तार रोकते हैं । वन महोत्सव एक युक्ति है प्राकृतिक सतुलन को बनाए रखने की । इसीलिए पर्यावरण प्रेमियों ने वृक्षारोपण को एक उत्सव का एक महोत्सव का नाम दिया । सामूहिक रूप से पेड़-पौधे लगाना वन महोत्सव का हिस्सा है । इस महोत्सव में आम लोगों की भागीदारी आवश्यक है । इस कार्य में उन लोगों का सहयोग भी अपेक्षित है जो वन क्षेत्र के आस-पास रहते हैं । ये लोग ही वनों की रक्षा मे सबसे अधिक सहयोग दे सकते हैं । हमारे देश में वन महोत्सव मनाया जाने लगा क्योंकि हमें पेड़-पौधों के महत्त्व का पता चल गया वन महोत्सव के माध्यम से वृक्षारोपण का नेक संदेश आम नागरिकों नक आसानी से पहुँचाया जा सकता है । वृक्ष लगाने की प्रक्रिया वन महान्मत्र क रूप में आरंभ की जा सकती है । हमारी आज की आवश्यकताएँ ही कुछ ऐसी है कि वन-वृक्षों की कटाई के बिना काम नहीं चल सकता । साथ-साथ हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि एक कटे पेड़ के स्थान पर दो पेड़ लगाए जाएँ, उनकी उचित देखभाल भी की जाए । अधिकांश रोपित पौधे जल के अभाव में सूख जाते हैं अथवा उन्हें पशु चर जाते हैं । ऐसे में पेड़ लगाने का लाभ भी समाप्त हो जाता है । इस पूरे घटनाक्रम को समझते हुए हमें वृक्षों के संरक्षण एव संवर्धन का दायित्व निभाना होगा । यदि हम अपना भविष्य सँवारना चाहते हैं और यदि भविष्य में भी आनंद-उत्सव मनाने की कामना करते हैं तो आज से ही वृक्षारोपण की प्रक्रिया आरंभ करनी होगी ।

Van Mahotsav short essay in hindi

वृक्ष हमारे जीवन में एहम भूमिका निभाते हैं यह हमारे द्वारा छोड़े गए कार्बनडाईऑक्साइड गैस को खींच लेते हैं और हमें ओक्सिजन देते हैं। मानव जीवन में वृक्षों का विशेष महत्व है। वन महोत्सव भारत में जुलाई महीने के पहले सप्ताह को मनाया जाता है इन दिनों देश भर में लाखों की संख्या में पेड़ -पौधे लगाए जाते हैं। कुछ वर्षों में जंगलों और वृक्षों की होती अँधा -धुंध कटाई के कारण वातावरण का संतुलन बिगड़ गया है और मौसम में काफी बदलाव आ गया है लगातार तापमान में बढ़ोतरी हो रही है को देखते हुए वृक्ष लगाना अनिवार्य हो गया है। वृक्षों की कटाई के कारण कुदरत इसका बदला हमसे ले रही है बाढ़ , सूखा ,फैलता हुआ प्रदूषण आदि के रूप में हमें परिणाम मिल रहे हैं। वन महोत्सव सन 1950 में शुरू किया गया था हमारे भारत देश में पेड़ों की विशेष रूप से पूजा की जाती है यहां के लोग पेड़ों को देवता के रूप में पूजते हैं कुछ पेड़ों की पत्तियां और टहनियों को तो विशेष पूजा में इस्तेमाल किया जाता है जिससे ज्ञात होता है के प्राचीन समय से ही मनुष्य पेड़ों की पूजा अर्चना करता आ रहा है। इसीलिए मनुष्य को वृक्षों के महत्व को समझना चाहिए ता जो वृक्षों की कटाई को रोका जा सके और हर वर्ष वन महोत्सव के दिनों में लाखों पेड़ -पौधे लगाकर लोगों को इनके प्रति जागरूक किया जाता है

Van mahotsav long essay

बन महोत्सव अथवा वृक्षारोपण या वन संरक्षण अथवा जीवन में वनो का महत्व 1.प्रस्तावना:- भारतवर्ष का मौसम और जलवायु देशों में सर्वश्रेष्ठ है, इसकी प्राकृतिक रमणीयता और हरित वैभव विख्यात है विदेशी पर्यटक यहां की मनोहारी प्राकृतिक सुषमा देखकर मोहित हो जाते हैं| 2.प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति में वृक्षों की महत्ता:- हमारे देश की प्राचीन संस्कृति में वृक्षों की पूजा और आराधना की जाती है|तथा नेतृत्व की उपाधि दी जाती है|बच्चों को प्रकृति ने मानव की मूल आवश्यकता से जोड़ा है| किसी ने कहा है कि- वृक्ष ही जल है, जल ही अन्न है,और अन्न ही जीवन है| यदि वृक्ष न होते तो नदी और आसमान ना होते वृक्ष की जड़ों के साथ वर्षा का जल जमीन के भीतर पहुंचता है, वन हमारी सभ्यता और संस्कृतिके रक्षक है|शांति और एकांत की खोज में हमारे ऋषि मुनि वनों में रहते थे, वहां उन्होंने तत्व ज्ञान प्राप्त किया और वह विश्व कल्याण के उपाय भी सोचते, वही गुरुकुल होते थे| जिसमें भावी राजा, दार्शनिक, पंडित आदि शिक्षा ग्रहण करते थे|आयुर्वेद के अनुसार पेड़ पौधों की सहायता से मानव को स्वस्थ एवं दीर्घायु किया जा सकता है| तीव्र गति से जनसंख्या बढ़ने तथा राष्ट्रों के ओद्योगिक विकास कार्यक्रमों के कारण पर्यावरण की समस्या गंभीर हो रही है| प्राकृतिक साधनों के अधिक और अधिक उपयोग से पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है|वृक्षों की भारी तादाद में कटाई से जलवायु बदल रही है|ताप की मात्रा बढ़ती जा रही है, नदियों का जल दूषित होता जा रहा है, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है, इसे भी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य को खतरा है| 3.वृक्षों की उपासना का प्रचलन:- वृक्षों के महत्व एवं गौरव को समझते हुए हमारी प्राचीन परंपरा में इनकी आराधना पर बल दिया गया है|पीपल के वृक्ष की पूजा करना, व्रत रखकर उसकी परिक्रमा करना एवं जल अर्पण करना और पीपल को काटना पाप करने के सामान है|यह धारणा वृक्षों की संपत्ति की रक्षा का भाव प्रकट करती है| प्रत्येक हिंदू के आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य में देखने को मिलता है| तुलसी पत्र का सेवन प्रसाद में आवश्यक माना गया है| बेल के वृक्ष, फल और बेलपत्र की महिमा इतनी है, कि वह शिवजी पर चढ़ाए जाते हैं| कदम वृक्ष को श्री कृष्ण का प्रिय पेड़ बताया है तथा अशोक के वृक्ष शुभ और मंगल दायक हैं| इन वृक्ष की रक्षा हेतु कहते हैं कि-हरे वृक्षों को काटना पाप है, श्याम के समय किसी वृक्ष के पत्ते तोड़ना मना है वृक्ष सो जाते हैं |यह सब हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक है| जिसमें वृक्षों को ईश्वर स्वरूप, वन को संपदा और वृक्षों को काटने वालों को अपराधी कहा जाता है| 4.वृक्षों से लाभ:- वृक्षों से स्वास्थ्य लाभ होता है क्योंकि मनुष्य के श्वास प्रक्रिया से जो दूषित हवा बाहर निकलती है, वृक्ष उन्हे ग्रहण कर, हमें बदले में स्वच्छ हवा देते हैं| आंखों की थकान दूर करने और तनाव से छुटकारा पाने के लिए विस्तृत वनों की हरियाली हमें शांति प्रदान कर आंखों की ज्योति को बढ़ाती है|वृक्ष बालक से लेकर बुजुर्गों तक सभी के मन को भाते है| इसलिए हम अपने घरों में छोटे छोटे से पौधे लगाते हैं|वृक्षों पर अनेक प्रकार के पक्षी अपना घोंसला बना कर रहते हैं और उनकी कल कल मधुर ध्वनि पर्यावरण में मधुरता घोलती है|वृक्षों से अनेक प्रकार के स्वाद भरे फल हमारे भोजन को रसमय और स्वादिष्ट बनाते हैं| इनकी छाल और जड़ों से दवाइयां बनाई जाती है|पशु वृक्षों से अपना भोजन ग्रहण करते हैं| इसलिए हमें अपनी धरती के आंचल को अधिक से अधिक हरा-भरा रखने के लिए पेड़ पौधे लगाने चाहिए| यह वर्षा कराने में सहायक होते हैं| मानसूनी हवाओं को रोककर वर्षा कराना पेड़ों का ही काम है|वृक्षों के अभाव में वर्षा नहीं होती है और वर्षा के अभाव में अन्न का उत्पादन नहीं हो पाता है| गृह कार्य में वृक्ष हमें सुखद छाया और मंद पवन देते हैं| सूखे ब्रक्ष ईंधन के काम आते हैं| गृह निर्माण, गृह सज्जा, फर्नीचर, के लिए हमें वृक्षों से ही लकड़ी मिलती है| आमला, चमेली का तेल, गुलाब, केवड़े का इत्र, खस की खुशबू यह सभी वृक्षों और उनकी जडो से ही बनाए जाते हैं| 5.उपसंहार:- वृक्षों से हमें नैतिकता, परोपकार और विनम्रता की शिक्षा मिलती है| फलों को स्वयं वृक्ष नहीं खाता है| वह जितना अधिक फल फूलों से लगा होगा उतना ही झुका हुआ रहता है| हम जब देखते हैं कि सूखा कटा हुआ पेड़ भी कुछ दिनों में हरा भरा हो जाता है जो जीवन में आशा का संचार का धैर्य और साहस का भाव भरता है| हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए| वृक्षारोपण करके ही हम अपनी भावी पीढ़ी के लिए जीवन उत्तरदाई वातावरण सृजित कर सकते हैं| यदि आज इस दृष्टि से वृक्षों का अस्तित्व मिटा दिया गया तो कल आने वाले समय में इस सृष्टि पर जीवन का होना संभव नहीं होगा|वृक्षों से ही जीवन संभव है, वृक्ष है तो सब कुछ है और यदि वृक्ष नहीं है, तो जीवन में कुछ भी नहीं है| इसलिए हम कह सकते है कि- “Trees Are Best Friend In Our Life”

Van Mahotsav essay in english

Van Mahotsava english essay is given below:

Van Mahotsav or the festival of trees is a festival celebrated in India in the first week of July. This celebration was started in 1950 by Dr. K.M. Munshi the Agriculture minister for India during the same year. As part of the celebrations, millions of saplings are planted by people of all age groups from all over the country in the Van Mahotsav week. All over the country, people are encouraged to plant trees. This practice is observed by schools all over the country. Schools usually declare this day to be a half day where classes are suspended and students are encouraged to plant trees. This helps in making the students better citizens and also spreads awareness as to the adverse effects of cutting trees. Awareness campaigns are held all over the country and various drives by NGO’s are organized to help people participate in the process of planting trees. This practice takes place every year and helps conserve the greenery of our country. The preservation of nature has become a very important part of our life due the acceleration in industrialization and the construction of so many factories, conservation of forests has become a point of major concern. Due to the celebration of this festival in the month of July which is also the onset of the monsoon season, planting trees proves to be beneficial. Planting of trees also serves other purposes like providing alternative fuel options, food for cattle, helps in soil conservation and more than anything offers a natural aesthetic beauty. Planting of trees also helps to avoid soil erosion which may cause floods. Also, planting trees can be extremely effective in slowing down global warming and trees also help in reducing pollution as they make the air cleaner. The constant felling of trees has been a problem for a long time now and as a result of that it is extremely important for us to create awareness for the same. And everyone must try and actively involve themselves in this practice as well. According to the forest department for every tree felled ten trees should be planted to regain the loss of one. The survival of plants and animals is also put in danger as each and every time a tree is felled or a forest is uprooted. Van Mahotsav is thus a widely celebrated festival and should be celebrated as more than a day of planting trees and celebrated as any other festival.

वन महोत्सव पर लेख – 250 words

आइये देखें 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 के collection के Short van mahotsav speech essay in hindi, van mahotsav Day Essay In Urdu, लेख एसेज, Van Mahotsav drawing , anuched, short paragraphs, pdf, Composition, Paragraph, Article हिंदी, yoga day theme, some lines on van mahotsav in hindi, 10 lines on van mahotsav in hindi, short essay on International Yoga Day in hindi font, few lines on van mahotsav in hindi निबन्ध (Nibandh) Sayings, Slogans, Messages, SMS, Quotes, Whatsapp Status, Words Character तथा भाषा Hindi font, hindi language, English, Urdu, Tamil, Telugu, Punjabi, English, Haryanvi, Gujarati, Bengali, Marathi, Malayalam, Kannada, Nepali के Language Font के 3D Image, Pictures, Pics, HD Wallpaper, Greetings, Photos, Free Download कर सकते हैं|

मानव जीवन में वृक्षों का विशेष महत्व है। वन महोत्सव भारत में जुलाई महीने के पहले सप्ताह को मनाया जाता है इन दिनों देश भर में लाखों की संख्या में पेड़ -पौधे लगाए जाते हैं। कुछ वर्षों में जंगलों और वृक्षों की होती अँधा -धुंध कटाई के कारण वातावरण का संतुलन बिगड़ गया है और मौसम में काफी बदलाव आ गया है लगातार तापमान में बढ़ोतरी हो रही है को देखते हुए वृक्ष लगाना अनिवार्य हो गया है। वृक्ष हमारे जीवन में एहम भूमिका निभाते हैं यह हमारे द्वारा छोड़े गए कार्बनडाईऑक्साइड गैस को खींच लेते हैं और हमें ऑक्सीजन देते हैं। इसीलिए भविष्य में वातावरण को संतुलन बनाए रखने के लिए वृक्ष लगाना आवश्यक है। वृक्ष ही भूमि को बंजर होने से रोकते हैं। वृक्षों से ही कई प्रकार की जड़ी बूटियां तैयार की जाती हैं। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए वन महोत्सव (Van Mahotsav) का मुख्य उदेश्य लोगों को पेड़ों के प्रति जागरूक करना है । वन महोत्सव (Van Mahotsav) सन 1950 में शुरू किया गया था हमारे भारत देश में पेड़ों की विशेष रूप से पूजा की जाती है यहां के लोग पेड़ों को देवता के रूप में पूजते हैं कुछ पेड़ों की पत्तियां और टहनियों को तो विशेष पूजा में इस्तेमाल किया जाता है जिससे ज्ञात होता है के प्राचीन समय से ही मनुष्य पेड़ों की पूजा अर्चना करता आ रहा है। परन्तु पेड़ों की अंधा -धुंध कटाई के कारण केवल पर्यावरण को ही नुक्सान नहीं हुआ बल्कि जीव जंतु खत्म हो गए पेड़ों पर रहने वाले पक्षी अलोप हो गए। इसीलिए वनों के मानव जाति को फायदे ही फायदे हैं वहीँ यदि मानव अपने स्वार्थ के लिए इसी तरह वृक्षों की कटाई करता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब मानव खुद अपने विनाश का कारण बनेगा। वृक्षों की कटाई के कारण कुदरत इसका बदला हमसे ले रही है बाढ़ , सूखा ,फैलता हुआ प्रदूषण आदि के रूप में हमें परिणाम मिल रहे हैं। इसीलिए मनुष्य को वृक्षों के महत्व को समझना चाहिए के वे उनके मित्र हैं जो सुख -दुख में उनकी मदद करेंगे और हमें सब को एक वृक्ष तो अवश्य लगाना चाहिए और उनकी देखभाल करें। भारत सरकार ने वृक्ष रक्षा हेतु कई कठोर नियम बनाये हैं ता जो वृक्षों की कटाई को रोका जा सके और हर वर्ष वन महोत्सव के दिनों में लाखों पेड़ -पौधे लगाकर लोगों को इनके प्रति जागरूक किया जाता है बस देर है हमें इनके महत्व को समझने की और हर वर्ष कम से कम एक पेड़ लगाने की।

वन महोत्सव पर निबंध संस्कृत में

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अस्मान् परितः यानि पञ्चमहाभूतानि सन्ति तेषां समवायः एव परिसरः अथवा पर्यावरणम् इति पदेन व्यवह्रीयते । अधुना पर्यावरणस्य समस्या न केवलं भारतस्य अपितु समस्तविश्वस्य समस्या वर्तते।

वन महोत्सव पर निबंध इन हिंदी

Van Mahotsav essay in kannada

ಚಾಮರಾಜನಗರ, ಜು.31: ಕಾಟಾಚಾರಕ್ಕೆ ಗಿಡನೆಟ್ಟು ಕ್ಯಾಮರಾ ಮುಂದೆ ಪೋಸ್ ನೀಡಿ ಪ್ರಚಾರ ಪಡೆದು ಮತ್ತೆ ಅತ್ತ ತಿರುಗಿ ನೋಡದ ಜನರ ನಡುವೆ ಶಾಲೆ ಆವರಣದಲ್ಲಿ ಗಿಡನೆಟ್ಟು ಅವುಗಳನ್ನು ಪೋಷಿಸಿ, ಬೆಳೆಸಿ ಅವುಗಳಿಗೆ ಹುಟ್ಟು ಹಬ್ಬ ಆಚರಿಸುವ ಮೂಲಕ ಪರಿಸರ ಕಾಳಜಿ ತೋರುತ್ತಿರುವ ಚಾಮರಾಜನಗರದ ಚನ್ನಿಪುರಮೋಳೆಯ ಸರ್ಕಾರಿ ಹಿರಿಯ ಪ್ರಾಥಮಿಕ ಶಾಲೆಯ ಮಕ್ಕಳು ಇತರರಿಗೆ ಮಾದರಿಯಾಗಿದ್ದಾರೆ. ಕ್ರೀಡಾ ವಾರ್ತೆ ಫೀಫಾ 2020: ಚಾಂಪಿಯನ್ನರಿಗೆ ‘ಶಾಪ’, ‘ಜರ್ಮನಿ’ ಹೊಸ ಸೇರ್ಪಡೆ ಫೀಫಾ 2020: ಚಾಂಪಿಯನ್ನರಿಗೆ ‘ಶಾಪ’, ‘ಜರ್ಮನಿ’ ಹೊಸ ಸೇರ್ಪಡೆ ಜರ್ಮನ್ ನಂತೆ ಮುಖಭಂಗ ಅನುಭವಿಸಿದ ಪ್ರಮುಖ ತಂಡಗಳಿವು! ಜರ್ಮನ್ ನಂತೆ ಮುಖಭಂಗ ಅನುಭವಿಸಿದ ಪ್ರಮುಖ ತಂಡಗಳಿವು! ಫೀಫಾ ಸೆಮಿಫೈನಲ್‌ಗೆ ಬರುವ ತಂಡಗಳು ಯಾವುವು? ವರಾಹ ಭವಿಷ್ಯ ಫೀಫಾ ಸೆಮಿಫೈನಲ್‌ಗೆ ಬರುವ ತಂಡಗಳು ಯಾವುವು? ವರಾಹ ಭವಿಷ್ಯ ಶಾಲೆಯ ಆವರಣದಲ್ಲಿ ಕಳೆದ ವರ್ಷ ನ್ಯಾಯಾಧೀಶರಾದ ಮಲ್ಲಪ್ಪ ಸಮಾಜ ಸೇವಕ ಎಲ್. ಸುರೇಶ್ ಕೊಡುಗೆಯಾಗಿ ನೀಡಿದ್ದ ಗಿಡಗಳನ್ನು ನೆಟ್ಟಿದ್ದರು. ಆ ಮೂಲಕ ವನ ಮಹೋತ್ಸವಕ್ಕೆ ಚಾಲನೆ ನೀಡಿದ್ದರು. ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಗಿಡಕ್ಕೂ ದೇಶದ ಮಹಾನ್ ನಾಯಕರ ಹೆಸರು ಇಡಲಾಗಿತ್ತು. ಆದರೆ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು ಗಿಡ ನೆಟ್ಟ ನಂತರ ಪ್ರತಿ ದಿನವೂ ಅವುಗಳಿಗೆ ನೀರು, ಗೊಬ್ಬರ ಹಾಕಿ ಪ್ರೀತಿ ಯಿಂದ ಬೆಳೆಸಿದ್ದರು. ಇದೀಗ ಗಿಡಗಳಿಗೆ ವರ್ಷ ತುಂಬಿದ್ದರಿಂದ ಹುಟ್ಟುಹಬ್ಬ ಆಚರಣೆಯ ಸಂಭ್ರಮ. ಶಾಲೆಯಲ್ಲಿ ಎಲ್ಲಿ ನೋಡಿದರಲ್ಲಿ ಹಬ್ಬದ ವಾತಾವರಣ… ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳಲ್ಲಿ ಏನೋ ಉತ್ಸಾಹ… ಗಿಡಗಳಿಗೆ ಹಸಿರು ತೋರಣ ಕಟ್ಟಿ ಹೂವಿನಿಂದ ಸಿಂಗರಿಸಿ… ಕೇಕ್ ಕತ್ತರಿಸಿ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಹಂಚುವ ಮೂಲಕ ಗಿಡಗಳಿಗೆ ನೀರು ಹಾಕಿದರು. ಶಾಲೆ ಮಕ್ಕಳ ಈ ಕಾಳಜಿ ಎಲ್ಲರಲ್ಲೂ ಮೂಡಿದ್ದೇ ಆದರೆ ವನಮಹೋತ್ಸವ ಆಚರಣೆಗೆ ಖಂಡಿತಾ ಅರ್ಥ ಬರುತ್ತದೆ.

10 Lines on Van Mahotsav in Hindi

बंजर धरती करे पुकार, पेड़ लगाकर करो सिंगार. वन उपवन कर रहे पुकार, देते हम वर्षा की बोछार. सर साटे रूख रहे, तो भी सस्तो जाण. कहते हे सब वेद-पुराण, एक वृक्ष दस पुत्र सामान. धरती पर स्वर्ग हे वहाँ, हरे भरे वृक्ष हे जहाँ. जहां हरयाली है, वहीं खुशहाली है. वृक्ष प्रदूषण-विष पी जाते, पर्यावरण पवित्र बनाते. पेड़ लगाएं, प्राण बचाएं. कड़ी धूप में जलते हैं पाँव, होते पेड़ तो मिलती छाँव. पेड़ो से वायु, वायु से आयु.

Few Lines on Van Mahotsav in Hindi

साँस के लिये ऑक्सिजन बनाते हैं. धूप की पीड़ा और ठंड के कष्ट से बचाते हैं. धरती का श्रृंगार कर सुंदर प्रकृति का निर्माण करते हैं. पथिकों विश्राम-स्थल, पक्षियों को नीड़, जीव जन्तुओं को आश्रय स्थल देते हैं. पेड़ अपना तन समर्पित कर गृहस्थों को इंर्धन, इमारती लकड़ी, पत्तो-जड़ों तथा छालों से समस्त जीवों को औषधि देते हैं. पत्ते, फूल, फल, जड़, छाल, लकड़ी, गन्ध, गोंद, राख, कोयला, अंकुर और कोंपलों से भी प्राणियों की अन्य अनेकानेक कामनाएँ पूर्ण करते है.

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वन महोत्सव पर निबंध (van mahotsav essay hindi) – जब से औद्योगिकीकरण ने धरती पर अपने पांव पसारे तब से मानो ऐसा लगता है जैसे कि हर जगह इंडस्ट्रीज की बौछार हो गई है। जहां देखो वहां पर पेड़ की जगह इंडस्ट्री जरूर देखने को मिल जाएगी। एक समय था जब पेड़ों की संख्या बहुत अधिक मात्रा में हुआ करती थी। मैं हमेशा इसी ख्याल में डूब जाती हूँ कि पुराने ज़माने में लोग कितने खुशकिस्मत हुआ करते थे जो इतनी हरियाली के बीच रहा करते थे। पहले के लोग वन और पेड़-पौधों को भगवान के रूप में देखते थे। आज के समय और पुराने समय में रात दिन का फर्क़ आ गया है।

आज मौसी के यहां पर नया फर्नीचर आने को था। मौसी और सभी परिवार वाले इस बात से बहुत खुश थे। जैसे ही फर्नीचर घर पर आया, सभी फर्नीचर को देखने के उमड़ पड़े। वह वाकई में बहुत सुंदर था। मेरी मौसी कह रही थी उनके घर का सारा फर्नीचर इको फ्रेंडली है। कि तभी मासी का बेटा तपाक से बोल पड़ा कि यह इको फ्रेंडली जरूर होंगे। परंतु इनको बनाने के लिए कितने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी जो हुई है। मेरे मासी के बेटे ने एकदम सही कहा था। आज के समय में हम घर में जितने भी फर्नीचर देखते हैं उनके लिए पेड़ों ने अपना खूब बड़ा बलिदान दिया है। प्रकृति तो हमेशा से ही मानवों के लिए अपना बलिदान देती आई है। परंतु हमने इसका हमेशा से दोहन ही किया है। तो आज का हमारा विषय वन महोत्सव पर आधारित है। आज हम जानेंगे कि वन महोत्सव का अर्थ क्या होता है। और वन महोत्सव का इतिहास और महत्व क्या है। तो आइये हम वन महोत्सव पर निबंध (Essay on van mahotsav in Hindi) हिंदी में पढ़ना शुरू करते हैं।

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बहुत साल पहले भगवान ने पृथ्वी को बनाया था। वह पृथ्वी जब भगवान को खाली सी लगने लगी तो ऐसे में भगवान ने धरती पर पेड़ पौधे और जंगल को बनाया। लेकिन अब भी भगवान को कुछ कमी लग रही थी इसलिए सोचा कि क्यों ना धरती पर मनुष्य भी उतार दिया जाए। भगवान ने ऐसा ही किया। पेड़ पौधे मनुष्य की जरूरत बन गए थे। उन्हें पेड़ों से खाना और फल फूल मिलने लगे। इंसान और पेड़ पौधें जंगलों में मिलजुल कर रह रहे थे।

लेकिन बदलते समय के साथ इंसानों को यह महसूस होने लगा कि उनकी रहने की जगह जंगल की बजाय कहीं और भी हो सकती है। यहां पर उनका लालच जाग उठा। फिर काफी विचार विमर्श के बाद इंसानों ने यह तय किया कि क्यों ना जंगल को काटकर ही आशियाना बनाया जाए। पेड़ पौधों ने इंसानों को जंगल को नष्ट करने से रोका। कहा कि अगर तुम हमसे धोखा करोगे तो एक दिन बहुत बड़ा नुकसान उठाओगे। पेड़ों की बात को अनसुना करके मनुष्य वनों को नुकसान पहुंचाते रहे। फिर एक दिन भंयकर बाढ़ आई जो आधे से ज्यादा मनुष्यों को अपने साथ बहाकर ले गई।

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वन महोत्सव क्या है?

ऊपर दी गई यह कहानी हम इंसानों पर एकदम सटीक बैठती है। वन के बिना हमारा जीवन ही अधूरा है। वन हम मनुष्यों का साथ कभी से निभाते आ रहे हैं। वन के बिना हमारा जीवन ही अधूरा है। वन हमें बिना कोई शिकायत के प्राकृतिक संसाधन प्रदान करते रहते हैं।

वन के चलते ही आज मानव का साँस लेना संभव है। वन से ही हमारा कल है। तो चलिए अब जानते हैं कि वन महोत्सव है क्या? यह हम सबको पता है कि हमारा देश त्यौहारों का देश माना जाता है। यहां पर आए दिन अलग अलग त्यौहार मनाए जाते हैं। हमारे देश में प्रकृति को लेकर भी एक त्यौहार मनाया जाता है। हम बात कर रहे हैं वन महोत्सव की। अन्य दूसरे त्यौहारों की ही तरह वन महोत्सव भी मनाया जाता है।

वन महोत्सव से तात्पर्य ऐसे त्यौहार से है जो वन को समर्पित होता है। हमारे देश में यह त्यौहार जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह उत्सव लगभग एक सप्ताह तक चलता है। मतलब यह 1 जुलाई को शुरू होता है और फिर 7 जुलाई तक लगातार चलता है। इस उत्सव को शुरू करने का श्रेय कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी को जाता है।

वन महोत्सव का महत्व

वन महोत्सव भारत सरकार द्वारा उठाया गया एक सार्थक कदम है। वनों का होना हमारे जीवन के लिए बहुत मायने रखता है। प्राचीनकाल से ही वन हमारे जीवन को कई तरह की चीजें प्रदान करते आए हैं। हमारे देश के जितने भी बड़े बड़े ऋषि मुनि हुए वह सब वन में जाकर ही तपस्या करते थे। वन हमेशा से ही हमारे मित्र की तरह रहे हैं। वन हमारे सुख-दुख में भी साथ खड़े रहते हैं। वन हमें कभी भी धोखा नहीं देते हैं। भले ही हम मानव जंगल को धोखा दे दे।

आज के समय में वन को उजाड़ कर हम अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। यह हम सभी को पता है कि पेड़ पौधों हमें ऑक्सीजन के रूप में अमृत प्रदान करते हैं। पर आज हम ही इन पेड़ों को खत्म भी कर रहे हैं। आज जिस बाढ़ का हम सामना कर रहे हैं वह सब पेड़ों की कमी के चलते हो रहा है।

वातावरण की ग्रीन हाउस गैस को भी पेड़ अपनी ओर खींच लेते हैं। पेड़ और वन प्रकृति को साफ सुथरा बनाए रखते हैं। हम जितने ज्यादा पेड़ लगाते हैं उतना ही फायदा वह मनुष्य को पहुंचाते हैं। इसलिए प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए वन महोत्सव को मनाना बहुत जरूरी हो जाता है। वन महोत्सव के चलते लोग प्रकृति के प्रति जागरूक बनते हैं।

वन महोत्सव की शुरुआत किसने की थी?

वनों के संरक्षण हेतु कदम मनुष्य कभी से उठाया जा रहा है। यह सदियों से चला आ रहा है। हमारे भारत में जितने भी साम्राज्य हुए उन सभी ने वनों और वन्यजीव के संरक्षण हेतु ठोस कदम उठाए। हम सभी यह भी हम जानते हैं कि महात्मा बुद्ध ने अपने प्रवचन पेड़ के नीचे ही देते थे। और तपस्या पेड़ के नीचे ही करते थे। वन को लेकर कोई ना कोई हमेशा जागरूक होता आया है।

अब यह सोचने वाली बात है कि आखिर वन महोत्सव की शुरुआत किसने की थी। यह माना जाता है कि वन महोत्सव मनाने की नींव स्व. जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अब्दुल क़लाम आज़ाद और स्व. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1947 में रखी थी। लेकिन वन महोत्सव शुरू करने का असली श्रेय तो कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी को जाता है। वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और एक अच्छे राजनेता थे। वन महोत्सव मनाने का सिलसिला 1950 के दशक में शुरू हुआ था जो आज भी कायम है।

वन का महत्व

हमारे जीवन में जितना धन है उतने ही अहम वन है। वन इंसानों के सबसे सच्चे दोस्त की तरह रहे हैं। जिस दिन वन नहीं रहेंगे समझो हम भी नहीं रहेंगे। वन के बिना हमारा जीवन ही अधूरा है। वन इतने सुंदर होते हैं कि वह किसी का भी मन मोह लेने में सक्षम होते हैं। वन हमें शुद्ध हवा प्रदान करते हैं। यह शुद्ध हवा ऑक्सीजन कहलाती है। वन मनुष्यों को फल-फूल, लकड़ी, जड़ी बूटियां उपलब्ध करवाती है। अधिक वन होने से वातावरण सही बना रहता है। पारिस्थितिकी संतुलन सही रहता है। वन्यजीव भी जंगलों पर ही निर्भर होते हैं। इसलिए जब वन की संख्या अधिक होती है तो वन्यजीव भी सुरक्षित रहते हैं। अधिक संख्या में वन होने से बाढ़ जैसी मुश्किलों का सामना भी नहीं करना पड़ता।

वन महोत्सव मनाने की जरूरत क्यों है?

आज आधुनिकीकरण और जनसंख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि चारों तरफ अंधाधुंध तरीके से वन और पेड़ काटे जा रहे हैं। आज ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के चलते वातावरण बहुत ज्यादा दूषित होता जा रहा है। यह सब चिंता का विषय बन चुके हैं। जैसे पृथ्वी के महत्व को दर्शाने के लिए हम अर्थ डे मनाते हैं ठीक उसी प्रकार वनों के महत्व को दर्शाने के लिए हम वन महोत्सव मनाते हैं। आज के समय में खूब पेड़ काटे जा रहे हैं। जिसके चलते वन भी बड़ी तेजी से खत्म हो रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ मानव का ही है।

मानवों की बढ़ती जनसंख्या ने पेड़ काटने को मजबूर कर दिया है। मानवों को सिर्फ अपना स्वार्थ दिख रहा है। वह यह नहीं जानते कि भविष्य में इसके कितने दुष्परिणाम होंगे। बस इसी चीज को ध्यान में रखते हुए वन महोत्सव को मनाने की बहुत जरूरत पड़ जाती है। वन महोत्सव को मनाने के पीछे का उद्देश्य यह है कि सभी लोग जागरूक होकर वृक्षारोपण करें। अगर वह एक काटे तो बदले में वह 10-20 पेड़ लगाने की हिम्मत रखें। वन महोत्सव में सक्रिय रूप से भागीदार बनकर हम अपने भविष्य के लिए लाखों के पेड़ बचा सकते हैं।

भवानी प्रसाद मिश्र की वन पर कविता

सतपुड़ा के घने जंगल

सतपुड़ा के घने जंगल। नींद मे डूबे हुए से ऊंघते अनमने जंगल।

झाड़ ऊंचे और नीचे, चुप खड़े हैं आंख मीचे, घास चुप है, कास चुप है मूक शाल, पलाश चुप है। बन सके तो धंसो इनमें, धंस न पाती हवा जिनमें, सतपुड़ा के घने जंगल ऊंघते अनमने जंगल।

चलो इनपर चल सको तो

सड़े पत्ते, गले पत्ते, हरे पत्ते, जले पत्ते, वन्य पथ को ढंक रहे-से पंक-दल में पले पत्ते। चलो इन पर चल सको तो, दलो इनको दल सको तो, ये घिनौने, घने जंगल नींद में डूबे हुए से ऊंघते अनमने जंगल।

पैर को पकड़ें अचानक

अटपटी-उलझी लताएं, डालियों को खींच खाएं, पैर को पकड़ें अचानक, प्राण को कस लें कपाएं। सांप सी काली लताएं बला की पाली लताएं लताओं के बने जंगल नींद में डूबे हुए से ऊंघते अनमने जंगल।

मकड़ियों के जाल मुंह पर, और सर के बाल मुंह पर मच्छरों के दंश वाले, दाग काले-लाल मुंह पर, वात-झन्झा वहन करते, चलो इतना सहन करते, कष्ट से ये सने जंगल, नींद मे डूबे हुए से ऊंघते अनमने जंगल।

अजगरों से भरे जंगल अगम, गति से परे जंगल सात-सात पहाड़ वाले, बड़े-छोटे झाड़ वाले, शेर वाले बाघ वाले, गरज और दहाड़ वाले, कम्प से कनकने जंगल, नींद मे डूबे हुए से ऊंघते अनमने जंगल।

इन वनों के खूब भीतर, चार मुर्गे, चार तीतर पाल कर निश्चिन्त बैठे, विजनवन के बीच बैठे, झोंपड़ी पर फूस डाले गोंड तगड़े और काले। जब कि होली पास आती, सरसराती घास गाती, और महुए से लपकती, मत्त करती बास आती, गूंज उठते ढोल इनके, गीत इनके, बोल इनके सतपुड़ा के घने जंगल नींद मे डूबे हुए से उंघते अनमने जंगल।

जागते अंगड़ाइयों में, खोह-खड्डों खाइयों में, घास पागल, कास पागल, शाल और पलाश पागल, लता पागल, वात पागल, डाल पागल, पात पागल मत्त मुर्गे और तीतर, इन वनों के खूब भीतर। क्षितिज तक फ़ैला हुआ-सा, मृत्यु तक मैला हुआ-सा, क्षुब्ध, काली लहर वाला मथित, उत्थित जहर वाला,मेरु वाला, शेष वालाशम्भु और सुरेश वाला एक सागर जानते हो, उसे कैसा मानते हो? ठीक वैसे घने जंगल, नींद मे डूबे हुए से ऊंघते अनमने जंगल।

धंसो इनमें डर नहीं है, मौत का यह घर नहीं है, उतर कर बहते अनेकों, कल-कथा कहते अनेकों, नदी, निर्झर और नाले, इन वनों ने गोद पाले। लाख पंछी सौ हिरन-दल लाख पंछी सौ हिरन-दल, चांद के कितने किरण दल, झूमते बन-फूल, फलियां,खिल रहीं अज्ञात कलियां, हरित दूर्वा, रक्त किसलय, पूत, पावन, पूर्ण रसमयसतपुड़ा के घने जंगल, लताओं के बने जंगल।

भवानी प्रसाद मिश्र

वन महोत्सव पर 10 लाइनें

1) वन महोत्सव को पेड़ों का त्यौहार माना जाता है।

2) वन महोत्सव मनाने की परंपरा कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी ने की थी।

3) भारत में आज के समय केवल 20% ही वन बचे हैं।

4) प्राचीनकाल से ही वन हमारे दोस्त की तरह रहे हैं।

5) वन ही हमारा भविष्य है। आज वन की वजह से ही हम सभी जिंदा हैं।

6) वन से हमें खाने का भोजन और फर्नीचर का सामान प्राप्त होता है।

7) वन महोत्सव को जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है।

8) वन महोत्सव 1 जुलाई से शुरू होता है और 7 जुलाई तक चलता है।

9) वन को अंग्रेजी में फॉरेस्ट कहते हैं।

10) वन महोत्सव पर लोग खूब पेड़ पौधे लगाते है। वन लगाने से हमारा देश हरा भरा बना रहता है।

वन महोत्सव पर 200 शब्दों में निबंध

वन महोत्सव हर साल जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह महोत्सव पर्यावरण को समर्पित होता है। इस दिन पर खूब सारे पेड़ पौधे उगाए जाते हैं। यह जुलाई के पहले सप्ताह में मनाए जाने वाला उत्सव है। मतलब यह उत्सव 1 जुलाई को शुरू होता है और 7 जुलाई तक चलता है। यह दिवस हमारे लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरूक किया जाता है।

आज के समय की यह मांग है कि हम अधिक से अधिक पेड़ उगाए। क्योंकि आज के समय में खूब पेड़ काटे जा रहे हैं। पेड़ों की घटती संख्या आज मुसीबत का कारण बनी हुई है। इसी कारण के चलते आज ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन बहुत तेजी से फैल रहा है। आज हर जगह प्राकृतिक घटनाएं देखने को मिल रही है।

आज तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। प्रकृति में उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। आज हम कभी बाढ़ का सामना कर रहे हैं तो कभी भयंकर सूखे का। आज के समय में मौसम के मिजाज का कुछ भी पता नहीं चलता है। इन सबके पीछे किसका हाथ है। इसका सीधा और सरल सा उत्तर है हम मनुष्य।

मनुष्यों की वजह से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। अब समय आ गया है कि हम मनुष्यों को चेत जाना चाहिए। हमारे देश में वन महोत्सव मनाने के पीछे का बड़ा कारण ही यह है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए और हमारी धरती को नष्ट होने से बचाए।

तो आज के हमारे इस निबंध के माध्यम से हमने यह जाना कि वन महोत्सव क्या होता है। हमने इसी निबंध के माध्यम से यह भी जाना कि वन महोत्सव मनाने के पीछे का महत्व क्या है। वन हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन से ही हमारा कल है। हमें अपने वनों की रक्षा हेतु जागरूक होना बहुत जरूरी है। हम यह आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह निबंध जरूर पसंद आया होगा।

FAQ’S

A1. वन महोत्सव एक प्रकार का उत्सव है जो हर साल जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह दिन प्रकृति को समर्पित होता है। इस उत्सव को मनाने की शुरुआत कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी की थी।

A2. भारत में छह प्रकार के वन पाए जाते हैं जैसे कि आर्द्र उष्णकटिबंधीय वन, शुष्क उष्णकटिबंधीय, पर्वतीय उप-उष्णकटिबंधीय, उप-अल्पाइन, उप शीतोष्ण और शीतोष्ण वन।

A3. वन महोत्सव हर साल जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव होता है। मतलब यह 1 जुलाई से 7 जुलाई तक चलता है।

A4. वन महोत्सव हर साल बारिश के मौसम में ही मनाया जाता है। इसको मनाने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि बारिश का मौसम पेड़ पौधों के लिए बहुत अच्छा समय होता है।

A5. फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून में स्थित है।

A6. भारत में फिलहाल 23.81% भाग पर वन है।

A7. भारत में सबसे अधिक वन मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है।

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Van Mahotsav

Van Mahotsav  is a pan-India tree planting festival celebrated in July every year. This initiative was nationally recognised in 1950 by Dr K M Munshi, who was the Union Minister for Agriculture and Food during that period. 

Apart from its modern-day observance, Van Mahotsav carries an inspiring history, which  UPSC 2022   aspirants must know about. 

The article discusses the main objective behind this initiative, its history and the significance that UPSC aspirants may find helpful.

Van Mahotsav [UPSC Notes]:- Download PDF Here

History of Van Mahotsav

The history of this movement traces back to the year 1947 when MS Randhawa, a Punjabi botanist, organised a tree plantation week from 20 to 27 July. Khurshid Ahmad Khan, who was the then Delhi Police Commissioner, took part in this event’s inauguration on 20 July 1947. This initiative’s main objective was to emphasise the impact of deforestation in the country. 

Renowned leaders like Jawaharlal Nehru and Dr Rajendra Prasad attended India’s first-ever tree plantation drive. 

After three years, i.e., in 1950, Kanaiyaka Maneklal Munshi proclaimed this movement as a national activity. Subsequently, he regarded this event as ‘Van Mahotsav’ and moved it to the first week of July.

Dr Munshi wanted this initiative to be more than just a tree plantation drive. He desired an exhibition of excitement amidst people as they came together to celebrate their contribution towards the planet.

Objectives of Van Mahotsav

Van Mahotsav day /week is celebrated to raise awareness among individuals regarding the importance of trees and inspire citizens to plant more of them. 

Some of the objectives of this festival, as envisioned by Dr Munshi are:

  • To increase fruit production
  • Help in the creation of shelter-belts across agricultural fields to increase productivity
  • Furnish fodder leaves for cattle to reduce grazing intensity upon reserved forests
  • Prevent soil infertility and boost soil conservation
  • Provide shade and decorative trees for added aesthetics to the landscape
  • Supply small poles and timber for fencing, agricultural implements and house constructions

Apart from Van Mahotsav, where other initiatives have been taken in the same direction. The Ministry of Culture had also taken up the initiative to celebrate Sankalp Parva from June 28 to July 12, 2020, where all its Subordinate Offices, Academies, Attached Institutions, Affiliated Institutions were expected to plant trees in their campus or the surrounding areas.

How Does the Country Celebrate Van Mahotsav Week?

The emergence of Monsoons in India typically begins during the first week of July. This is why the country celebrates Van Mahotsav during this particular month. It is also observed that a large number of saplings planted during this period have an increased survival rate than those planted during other months.

To commemorate this festival, people usually plant native trees, considering their adaptability to local conditions. Native trees are also an ideal choice because they provide shelter to animals, birds, insects and other organisms. 

For further encouragement, civic bodies and State Governments provide saplings to schools, colleges, NGOs and other institutions.

Importance of Van Mahotsav Day

Greenery, as a whole, helps in maintaining ecological balance. Since trees are such a vital part in the ecosystem, it is the duty of each and every individual to preserve vegetation and root for a healthy, pollution-free environment.

However, due to urbanisation and industrialisation, more and more trees are cut down every day. Deforestation is an emerging concern and  Van Mahotsav  week aims to combat the environmental imbalance caused due to this action.

Here are a few statistics that highlight the importance of this movement:

  • According to a study by The Global Forest Watch, in 2019-2020, India had to let go of around 38,500 hectares of tropical forest. This is an almost 14% tree cover loss. As a result, the entire tree cover area in the country decreased by 0.67%, and the region consisting of tropical forests fell by 0.38%.
  • Over the last decade, deforestation has caused a total of 16% loss in forest area.

It is evident that forests are under constant threat due to obnoxious human activities. Van Mahotsav is an exemplary move to prevent the country’s vegetation from fading away.

Topics related to environmental conservation, deforestation and trees are included in the UPSC Syllabus and questions based on the same are asked both in the prelims and mains examination.

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Frequently Asked Questions on Van Mahotsav

Q 1. when is van mahotsav 2022, q 2. what is the indian government’s aim regarding the annual tree plantation drive, q 3. during van mahotsav week 2021, which indian state set an outstanding record, leave a comment cancel reply.

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What is the best food in Sonipat? (Sonipat ka sabse acha khana kon sa hai)

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Sonipat ka sabse acha khana kon sa hai : हरियाणा के दिल में बसा सोनीपत एक ऐसा शहर है जो इतिहास, संस्कृति और जीवंत पाक परंपराओं में डूबा हुआ है। स्ट्रीट फूड स्टॉल से लेकर बढ़िया डाइनिंग रेस्तरां तक, सोनीपत स्वादिष्ट व्यंजनों की एक विविध श्रृंखला प्रदान करता है जो हर तालू को पूरा करते हैं। आइए सोनीपत के पाक परिदृश्य में उतरें और इस शहर में मिलने वाले सबसे अच्छे भोजन की खोज करें।

Sonipat ke sabse ache khane ki Dish kon si hai (What is the best food in Sonipat)

Paranthas at sukhdev dhaba murthal (sonipat).

सोनीपत के खाद्य परिदृश्य की कोई भी खोज मुरथल में प्रतिष्ठित ढाबों का उल्लेख किए बिना पूरी नहीं होती है। अपने मुँह में पानी लाने वाले पराठों के लिए जाने जाने वाले, ये सड़क के किनारे के भोजनालय विभिन्न प्रकार के भरे हुए पराठे परोसते हैं जिन्हें शुद्ध देसी घी में पूरी तरह से पकाया जाता है। चाहे आप आलू, पनीर, या मिश्रित शाकाहारी पराठे पसंद करें, मुरथल की यात्रा हर भोजन उत्साही के लिए जरूरी है।

Chole Bhature at Bhagat Ji (Sonipat)

एक हार्दिक और परिपूर्ण भोजन के लिए, सोनीपत में भगत जी के पास जाएँ, जहाँ आप शहर के सबसे अच्छे छोले भटूरे का स्वाद ले सकते हैं। मसालेदार और तीखे छोले के साथ जोड़े गए रूखे भटुरा एक स्वादिष्ट संयोजन बनाते हैं जो आपको और अधिक के लिए लालायित कर देगा। यह प्रतिष्ठित व्यंजन स्थानीय लोगों और आगंतुकों के बीच समान रूप से पसंदीदा है।

Samosas at Gulshan Sweets (Sonipat)

जब स्ट्रीट फूड की बात आती है, तो सोनीपत निराश नहीं करता है। गुलशन स्वीट्स में अपना रास्ता बनाएँ और उनके कुरकुरा और स्वादिष्ट समोसे का आनंद लें। चाहे आप उन्हें मसालेदार चटनी या तीखी इमली की चटनी के साथ पसंद करें, अच्छाई के ये सुनहरे पार्सल निश्चित रूप से एक त्वरित और स्वादिष्ट नाश्ते के लिए आपकी लालसा को संतुष्ट करेंगे।

Paneer Tikka at Spice Route (Sonipat)

यदि आप कुछ और बेहतर करने के मूड में हैं, तो सोनीपत के एक लोकप्रिय रेस्तरां स्पाइस रूट पर जाएं, जो अपने स्वादिष्ट उत्तर भारतीय व्यंजनों के लिए जाना जाता है। उनका रसीला पनीर टिक्का, सुगंधित मसालों के मिश्रण में मैरीनेट किया जाता है और पूरी तरह से ग्रिल किया जाता है, एक सच्चा भोजन आनंद है जो आपके स्वाद की कलियों को आकर्षित करेगा।

Lassi at Bikaner Sweet Shop (Sonipat)

सोनीपत में कोई भी भोजन बिना तरोताजा करने वाले लस्सी के गिलास के पूरा नहीं होता है। बीकानेर मिठाई की दुकान पर जाएँ और उनकी मलाईदार और झागदार लस्सी का आनंद लें, जो ताजे दही से बनाई जाती है और इलायची या गुलाब के अर्क से सुगंधित होती है। यह पारंपरिक पंजाबी पेय सोनीपत के माध्यम से आपकी पाक यात्रा को समाप्त करने का सही तरीका है।

Rajma Chawal at Prem Dhaba (Sonipat)

एक आरामदायक और घरेलू भोजन के लिए, प्रेम ढाबा जाएं और उनके स्वादिष्ट राजमा चावल का स्वाद लें। सुगंधित बासमती चावल के साथ मलाईदार किडनी बीन करी, एक क्लासिक संयोजन है जिसे स्थानीय लोगों और पर्यटकों द्वारा समान रूप से पसंद किया जाता है। एक अतिरिक्त सुखद स्पर्श के लिए ऊपर घी का एक टुकड़ा डालें।

Jalebis at Om Sweets (Sonipat)

सोनीपत की अपनी पाक कला की खोज को ओम स्वीट्स की गर्म और कुरकुरा जलेबी की थाली के साथ एक मीठे नोट पर समाप्त करें। मीठा के ये गहरे तले हुए, सिरप से लथपथ सर्पिल सोनीपत में एक लोकप्रिय मिठाई विकल्प हैं और एक कप मसाला चाय के साथ गर्म पाइपिंग का सबसे अच्छा आनंद लिया जाता है।

अंत में, सोनीपत एक पाक स्वर्ग है जो आपके स्वाद की कलियों को लुभाने के लिए मुँह में पानी लाने वाले व्यंजनों की एक विविध श्रृंखला प्रदान करता है। चाहे आप स्ट्रीट फूड के शौकीन हों या बढ़िया भोजन के शौकीन, इस शहर में सभी के लिए कुछ न कुछ है।

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वन महोत्सव पर निबंध – Van Mahotsav Essay In Hindi

नमस्कार दोस्तों Top Kro में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में हम “वन महोत्सव के बारे में ( van mahotsav essay in hindi ) पढेंगे। van mahotsav essay in hindi  की सहायता से विद्यार्थी वन महोत्सव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर पाएंगे है ओर वनों को बचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। 

इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि  वन महोत्सव का क्या अर्थ है, वन महोत्सव की शुरुआत कब हुई, वन महोत्सव की शुरुआत किसने की, वन महोत्सव की आवश्यकता क्यों पड़ी तथा वन महोत्सव मनाने का क्या उद्देश्य है इत्यादि के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। इस पोस्ट को हमने आसान भाषा मे लिखने का प्रयास किया है ताकि आपको सभी बातें आसानी से समझ आ सकें।

इस पोस्ट में आपको वन महोत्सव पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे वन महोत्सव एस्से इन हिंदी 100 शब्दों में, वन महोत्सव पर निबंध 300 शब्दों में, वन महोत्सव एस्से 1000 शब्दों में इत्यादि।

वन महोत्सव पर निबंध 100 शब्दों में – Van Mahotsav Par Nibandh

वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य वनों को बचाना है। अपनी सुख – सुविधाओं के लिए हमनें वनों को लगभग खत्म ही कर दिया है। वन महोत्सव मनाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि सभी जगह पेड़-पौधे लगाए जाएँ और वनों के सिकुड़ते क्षेत्र को बचाया जाए।

वन महोत्सव सप्ताह में पूरे देश में लाखों पेड़ लगाए जाते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश इनमें से कुछ प्रतिशत पेड़ ही बच पाते हैं क्योंकि इनकी देखभाल नहीं की जाती है जिसके कारण इन्हें या तो जीव जंतु खा जाते हैं या फिर जल नहीं मिलने के कारण नष्ट हो जाते हैं।

अगर पेड़ लगाए जाएं तो उनकी देखभाल भी होनी चाहिए। वन महोत्सव मनाने का मतलब सिर्फ पेड़ लगाने से नहीं बल्कि पेड़ लगाकर उनकी देखभाल भी की जानी चाहिए।

वन महोत्सव पर निबंध 300 शब्दों में

बढ़ती जनसंख्या और औधोगिक क्रांति का सीधा प्रभाव वनों पर पड़ा है। जिसके चलते वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। भारत में अब सिर्फ 20% ही वन रहे है। वनों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है। वन महोत्सव को एक राष्ट्रीय त्यौहार घोषित किया गया है।

वन महोत्सव यानी कि ‘ पेड़ों का त्योहार ’। हमारे जीवन में वनों का काफी महत्व है। वन हमें प्राणवायु, फल-फुल और छाया देते है और बदले में हमसे कुछ नहीं मांगते। लेकिन फिर भी हम वनों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं। हमें वनों का महत्व समझना होगा। इस प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने के लिए वनों का भी बहुत महत्व है।

वन महोत्सव की शुरुआत 1950 में देश के कृषिमंत्री डा. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा की गई थी। वनमहोत्सव हर साल जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह के दौरान मनाया जाता है। उस दिन देश के सभी विद्यालयों, विश्वविद्यालयों , सरकारी दफ्तरों, कई संगठनो और संस्थाओं द्वारा पौधे लगाने के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। काफी मात्रा में लोग इस महोत्सव भाग लेते है।

वन प्राकृतिक संपत्ति है। पेड़ों के साथ हमारे जीवन का काफी गहरा रिश्ता रहा है। सदियों से पेड़ हमें फल, फूल और छाया देते आये है और बदले में कुछ भी नहीं मांग रहे। लेकिन  मनुष्य विकास के नाम पर जितने पेड़ काट रहे है उतने नए पेड़ों  का रोपण नहीं कर रहे। और यह एक गंभीर समस्या है।

वन महोत्सव के दिन हमें हर साल अधिक से अधिक पौधे लगाने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए। लोगों में वनों के प्रति जागरुकता फैलानी चाहिए। जिससे हमारा आने वाला कल बेहतर और सुनहरा बन सके। क्योंकि वृक्ष है तो जीवन है।

हमारा अस्तित्व वनों से ही जुड़ा है इसलिए वनों की रक्षा करना हमारा अहम कर्तव्य है। वनों के महत्व को समझते हुए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और उनकी देखभाल भी करनी चाहिए।

वन महोत्सव पर लम्बा निबंध – Long Essay On Van Mahotsav In Hindi

आज औद्योगीकरण और शहरीकरण इत्यादि के कारण पेड़ो की निरंतर कटाई हो रही है। मनुष्य अपने आश्रय के लिए अपना आशियाना पेडों को काटकर बना रहे है। उद्योगों के विकास और विद्यालय, शॉपिंग मॉल इत्यादि के निर्माण के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है।

पेड़ो की अत्यधिक कटाई होने के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है। वन का कम होना एक बहुत बड़ी समस्या है। मनुष्य उन्नति की आड़ में वनों की लगातार कटाई कर रहा है जिससे जीव जंतुओं को तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है ओर प्रकृति का संतुलन भी लगातार बिगड़ता जा रहा है।

वनों से मनुष्यो को औषधि, लकड़ी, फल, चन्दन और कई प्रकार की महत्वपूर्ण चीज़ें प्राप्त होती है। वनों को इस प्रकार काटने से प्राकृतिक आपदाओं को खतरा बढ़ता जा रहा है। वनों को काटने से पृथ्वी नष्ट हो रही है और अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन सब कुछ समाप्त हो जाएगा।

पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और इसका एक और कारण है निरंतर प्रदूषण । वृक्ष वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते है। वृक्षों से हमे ऑक्सीजन प्राप्त होता है। अगर वृक्ष नहीं होंगे तो ऑक्सीजन नहीं होगा, तो हम सब प्राणियों का जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा। अब भी समय है कि हम जागरूक हो जाए और वृक्षारोपण की तरफ ध्यान दें और वनो को संरक्षित करे।

वन महोत्सव क्या है?

पेड़ों के महत्व को समझते हुए वन महोत्सव मनाया जाता है। वन महोत्सव की शुरुआत सन 1950 में हुयी थी। वन महोत्सव को जंगलों के संरक्षण और उन्हें बचाने के इरादे से शुरू किया गया था। वनों की कटाई के बुरे प्रभाव पृथ्वी ओर वातावरण पर पड़ रहे है। इसी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक पहल की गयी थी।

आज भी यह पहल जारी है। वन महोत्सव को प्रत्येक वर्ष जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है। प्राचीन काल में भी गुप्त और मुगल वंश के शासकों ने पेड़ो को सुरक्षित करने के लिए पहल की थी। जैसे – जैसे हमारा देश उन्नति कर रहा है वैसे – वैसे मनुष्य और अधिक स्वार्थी और लालची बन गया है।

वह यह भूल रहा है कि वह सिर्फ पर्यावरण को ही नहीं बल्कि खुद को भी नष्ट कर रहा है। सन 1947 से ही वनों को सुरक्षित रखने के प्रयत्न किये जा रहे है। वनो को अगर संरक्षित नहीं किया गया तो मानव जाति खतरे में पड़ जायेगी।

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम ने मिलकर वन महोत्सव को जुलाई के पहले हफ्ते में मनाना आरम्भ किया था। तभी से वन महोत्सव मनाया जाता है। इस सप्ताह में कुछ संस्थाएं मिलकर वृक्षारोपण करके लोगो में जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रही है।

वन महोत्सव के दिन सरकार द्वारा लाखो वृक्ष लगाए जाते है। इसके पीछे का सिर्फ एक ही उद्देश्य है अधिक – से – अधिक पेड़ लगाना और पेड़ों के महत्व के बारे में लोगो में जागरूकता फैलाना। जहां एक पेड़ काटा जाएगा वहां दस पौधे अवश्य लगाने होंगे। हम इस तरह से प्राकृतिक सुंदरता को नष्ट नहीं कर सकते है।

वर्ष 1947 में इस महोत्सव को अनौपचारिक रूप से लागू किया गया था। उसके पश्चात सन 1950 में इसे कृषि मंत्री कन्हैया लाल मुंशी ने आधिकारिक तौर पर लागू कर दिया। यह एक सकारात्मक और नेक कदम था। अगर यह पहल ना की गयी होती तो जितने वन आज इस धरती पर मौजूद है उतने भी नहीं रह पाते।

वन महोत्सव का महत्व

मनुष्य जितने वृक्षों की कटाई कर रहा है उतने वह लगा नहीं रहा है। वन नहीं होंगे तो हमे बहुत सारी बहुमुल्य सामग्री प्राप्त नहीं होगी और सबसे अहम बात है वर्षा नहीं होगी। अगर वर्षा नहीं होगी तो जल की समस्या होगी और सूखा पड़ेगा।

हर साल मनुष्य प्राकृतिक आपदाओं को बुलावा देता है। इसलिए सरकार वनों को बचाने के लिए यह मुहीम चला रही है और वन महोत्सव मना रही है। सभी लोगो को अधिक – से – अधिक वृक्ष लगाने चाहिए और उनकी देखभाल भी करनी चाहिए।

पेड़ों की देखभाल

वन महोत्सव के समय लाखो पेड़ लगाए जाते है मगर कुछ ही पेड़ बच पाते है। लोग पेड़ तो लगा लेते है परन्तु उनकी देखभाल नहीं करते। पेड़ लगाने के साथ – साथ उनकी देखभाल करना भी ज़रूरी होता है। बिना पानी और देखभाल के पौधे जीवित नहीं रहते। हमे गंभीरता पूर्वक इस मुहीम के साथ शामिल होकर अपना कर्त्तव्य निभाना चाहिए। पेड़ लगाना भी जरूरी है लेकिन उतना ही जरूरी है उनकी देखभाल करना।

वन महोत्सव मनाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?

वन महोत्सव बेहद आवश्यक है। लगातार पेड़ो की कटाई और कभी ना खत्म होने वाला प्रदूषण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि कर रहा है। हिमालय में बर्फ पिघल रही है तथा बर्फ पिघलने के कारण नदियों का जल स्तर बढ़ रहा है। इससे बाढ़ जैसी स्थिति प्रत्येक वर्ष हमारे देश के कई राज्यों को झेलनी पड़ रही है।

प्राकृतिक आपदाओं को मनुष्य की इन गतिविधियों ने बढ़ावा दिया है। इससे जान माल का काफी नुकसान होता है। इसलिए वन महोत्सव को मनाना ज़रूरी है ताकि लोग पेड़ों के महत्व को समझे और ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाए और उनकी देखभाल करे।

पृथ्वी पर दुष्प्रभाव

वनों और पेड़ो की अधिक कटाई के कारण गंभीर हालात उत्पन्न हो गए है। आंधी और तूफ़ान के कारण सब कुछ नष्ट हो जाता है। आज गर्मियों की अवधि में वृद्धि हो रही है और सर्दी का समय बेहद कम हो गया है।

कुछ राज्यों में गर्मी में तापमान 47℃ से 50℃ तक पहुँच जाता है। इतनी गर्मी में मनुष्य और जीव जंतुओं की मौत हो सकती है। वनों के लगातार कटने से वनो में रहने वाले पशु – पक्षियों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पक्षियों की कई प्रजातियां समाप्त हो गयी है और कुछ विलुप्त होने के कगार पर खड़ी है।

प्रदूषण भी अपने चरम स्तर पर पहुँच गया है और इससे कई तरह की बीमारियां हो रही है। बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस लेने में भी मुश्किल हो रही है। सड़को पर लगातार गाड़ियाँ वायु को प्रदूषित कर रही है। वनों के कटने से वृक्षों की कमी हो रही है। वृक्ष होंगे तो प्रदूषण भी कम होगा। जितनी तेज़ी से उद्योगों के विकास के लिए हम वन काट रहे है उतनी तेज़ी से हम वृक्ष लगा नहीं रहे है।

वनों की कमी एक गंभीर समस्या

वन नीति के मुताबिक धरती के कुल क्षेत्रफल के 33 प्रतिशत भाग में वन होने चाहिए। मगर हमारे देश में मात्र बीस प्रतिशत ही वन रह गए है। तेज़ी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण भी लोग वनों को काट रहे है ताकि घर बना सके और खेती के लिए जमीन का उपयोग कर सकें।

खुद के घर बनाने के लिए वह वनों में रहने वाले प्राणियों का घर भी छीन रहे है। 2017 में वनों में सिर्फ एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि दर बिलकुल कम है। प्रदूषण को अवशोषित और नियंत्रित करने के लिए हमे वनों का संरक्षण करना होगा। बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए हमारे पास वन बहुत कम है।

पेड़ों को काटने की वजह

जिस तरीके से आबादी बढ़ रही है वैसे – वैसे ज़रूरतें भी बढ़ रही है। पेड़ों को काटकर फिर फर्नीचर बनाना, पेड़ो को काटकर घर या उधोग लगाना इत्यादि के कारण पेड़ों को काटा जा रहा है। वनों से हमें कई प्रकार की जड़ी बूटियां मिलती है जिससे औषधि बनाई जाती है।

जिस तरह से प्रत्येक वर्ष आबादी बढ़ रही है वैसे – वैसे दवाईयों की मांग बढ़ रही है जिसके लिए पेड़ो को काटा जा रहा है। और ऐसे ही बहुत सारे कारण है जिनके कारण पेड़ों को काटा जा रहा है।

वनों के कटाव को रोकने के उपाय

जनसंख्या वृद्धि दर को रोकना भी बहुत जरूरी है तथा वनों को संरक्षित करने के लिए लोगो को जागरूक करना भी आवश्यक है। सरकार अपनी तरफ से वनों को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है। हम सबको मिलकर वनों को सुरक्षित रखना होगा।

जो लोग अवैध रूप से वनों की कटाई कर रहे है उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए। हमे लकड़ियों से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल कम करना होगा ताकि हम पेड़ो को कटने से बचा पाए।

वनों को बचाना बेहद आवश्यक है। हमारा अस्तित्व वनों पर निर्भर करता है। वनों को काटने से पृथ्वी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और पर्यावरण का संतुलन लगातार बिगड़ता जा रहा है। कई जीव जंतुओं की प्रजातियां विलुप्त हो रही है। समय रहते हम सभी को सचेत हो जाना चाहिए अन्यथा हम सब कुछ खो बैठेंगे और प्रकृति अपना विकराल रूप धारण कर लेगी।

हमे सरकार का साथ देते हुए वन महोत्सव को मनाना चाहिए और कम से कम 1 पेड़ लगाकर उसकी देखभाल करनी चाहिए। यह हमे हर साल करना चाहिए। जब इस देश का हर व्यक्ति साल में एक पेड़ लगाएगा तो सोचिये कितने पेड़ लग जायेंगे।

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उम्मीद करता हूं दोस्तों की “वन महोत्सव पर निबंध ( van mahotsav essay in hindi )” से सम्बंधित हमारी यह पोस्ट आपको काफी पसंद आई होगी। इस पोस्ट में हमनें वन महोत्सव से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां देने का प्रयास किया है। आशा है आपको पूर्ण जानकारी मिल पाई होगी।

अगर आप यह पोस्ट आपको अच्छा लगा तो आप अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर कर सकते हैं। अगर आपके मन मे कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं हम आपसे जल्द ही संपर्क करेंगे। अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।

FAQ About Van Mahotsav In Hindi

Q.1. वन महोत्सव क्यों मनाया जाता है.

Ans: वन महोत्सव वनों के सरंक्षण के लिए मनाया जाता है। वन महोत्सव मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पेड़ों के बारे में जागरूक करना है। वन महोत्सव मनाकर लोगों को जागरूक किया जाता है कि पेड़ हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण है।

Q.2. वन महोत्सव की शुरुआत कब हुई थी?

Ans: वन महोत्सव वर्ष 1950 में शुरू किया गया था। हर साल लाखों पौधे वन महोत्सव सप्ताह में पूरे भारत भर में लगाए जाते हैं। प्रत्येक वर्ष 1 से 7 जुलाई तक वन महोत्सव मनाया जाता है।

Q.3. वन महोत्सव के जन्मदाता कौन है?

Ans: यह 1960 के दशक में पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशील तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने वन महोत्सव का सूत्रपात किया था।

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Van Mahotsav Essay in hindi

Van Mahotsav Essay in hindi – वन महोत्सव निबंध

Last updated on November 4th, 2023 at 05:53 pm

Van Mahotsav Essay in hindi

प्रस्तावना –

भारत में निरंतर वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। और आज के समय में जितने भी पेड़ काटे जा रहे हैं उसमें से आधे भी नहीं लगाए जा रहे हैं।

पेड़ों के कटान की वजह से, वनों को बचाने के लिए सरकार द्वारा जुलाई माह में वन महोत्सव का आयोजन किया गया था।

इसको वन महोत्सव इसलिए नाम दिया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग पेड़ लगाएं और एक दूसरे को पेड़ के लाभ भी बताएं।

तो साथियों अगर आप Van Mahotsav Essay in hindi के बारे जानना चाहते हैं तो आप इस आर्टिकल Van Mahotsav Essay in hindi को लास्ट तक जरूर पढ़िए।

Table of Contents

Van Mahotsav Essay in hindi – वन महोत्सव निबंध हिंदी में

Van Mahotsav Essay in hindi वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य है कि सभी जगह पेड़ – पौधे लगाए जाएं और वनों के सिकुड़ते क्षेत्र को बचाया जाए।

वन महोत्सव सप्ताह में हमारे पूरे देश में लाखों पेड़ लगाए जाते हैं।

लेकिन दुर्भाग्यवश इनमें से कुछ प्रतिशत ही पेड़ बच पाते हैं।

क्योंकि इनकी देखभाल ठीक प्रकार से नहीं हो पाती है।

कारण यह है कि या तो जीव जंतुओं द्वारा खा लिए जाते हैं, या फिर पानी ना मिलने का कारण नष्ट हो जाते हैं।

हमारे देश में वनों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन बहुत महत्वपूर्ण है,

चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा हैं, चिपको आंदोलन के कारण ही वन क्षेत्रों की कटाई में थोड़ी सी कमी आई है।

वन महोत्सव की क्याआवश्यकता है?

पेड़ों की कटाई के कारण पृथ्वी का वातावरण बहुत ही दूषित होने लगा है

जिसके फलस्वरूप आपने देखा होगा कि हिमालय तेजी से निकल रहा है और पृथ्वी का तापमान फिर से बढ़ने लगा है।

असमय वर्षा होती है कहीं पर बाढ़ आ जाती है, तो कहीं पर आंधी तूफान आ रहे हैं।

जो की प्रकृति की साफ चेतावनी है कि अगर हम अभी भी सचेत नहीं हुए

तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी का विनाश हो जाएगा।

भारत में जितनी तेजी से औद्योगिकरण हुआ है उतनी ही तेजी से वनों की कटाई भी हुई है,

लेकिन हम लोग जितनी तेजी से वनों की कटाई कर रहे हैं

लेकिन उस से आधे भी पेड़ – पौधे नहीं लगा रहे हैं. वन नीति 1988 के अनुसार धरती के कुल क्षेत्रफल के 33% हिस्से पर पेड़ – पौधे होने चाहिए तभी प्रकृति का संतुलन कायम रहेगा।

जबकि 2001 की रिपोर्ट में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए

जिसके अनुसार भारत में केवल 20% ही वन बचे रह गए हैं।

पिछले वर्षों की तुलना में 2017 की वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार वनों की संख्या में 1% की वृद्धि हुई है।

लेकिन यह वृद्धि दर अधिक नहीं है, क्योंकि जनसंख्या निरंतर लगातार बढ़ रही है

और साथ ही प्रदूषण भी तेज गति से बढ़ रहा है। इस प्रदूषण को घटाने के लिए हमारे वन अभी बहुत कम है। और हमारे ही देश के कुछ राज्य में तो बहुत ही ज्यादा वन है

जैसे- कि अंडमान निकोबार दीप समूह, मिजोरम, लक्षद्वीप का लगभग 80% हिस्सा वनों से ढका हुआ है।

लेकिन हमारे ही देश में कुछ ऐसे भी राज्य हैं

जो कि धीरे-धीरे रेगिस्तान बनते जा रहे हैं जैसे – कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि ऐसे राज्य हैं,

उन क्षेत्रों में वन क्षेत्र बढ़ाने की सख्त जरूरत है,

नहीं तो आने वाले समय में यहां पर भयंकर अकाल की स्थिति भी देखने को मिल सकती है।

वनों की कटाई के कारण

“हमारे देश में बढ़ती हुई जनसंख्या वनों की कटाई का मुख्य कारण है”।

क्योंकि जैसे – जैसे जनसंख्या बढ़ती जा रही है तो उस जनसंख्या के निवास- स्थान और खाने-पीने की वस्तुओं की जरूरतें भी बढ़ गई है इसलिए वनों की कटाई करके इन सब की पूर्ति की जा रही है।

भारत में आजकल कई ऐसे अवैध उद्योग धंधे हो रहे हैं

जिनमें लकड़ी का उपयोग ज्यादा मात्रा में किया जा रहा है।

जिससे अन्य लोग सरकार की बिना अनुमति के वनों से पेड़ों की कटाई करते हैं।

और अधिक मूल्य में लकड़िया लोगों से बेचते हैं।

मानव अपनी सुख-सुविधाओं की वस्तु की इच्छा को पूरा करने के लिए बेवजह पेड़ों की कटाई करता है।

वनों से हमें क्या लाभ है?

वनों से सबसे बड़ा लाभ तो यह है – कि हमें पेड़ पौधों से ऑक्सीजन मिलती है.

जो कि हर एक प्राणी के लिए बहुत आवश्यक है। और पेड़ – पौधे कार्बन डाइऑक्साइड जैसी विषैली गैसअवशोषित कर लेते हैं।

वनों से हमें कीमती चंदन जैसी लकड़ियां प्राप्त होती हैं,

बीमारियों को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियां भी मिलती हैं,

पेड़ पौधों के कारण ही अच्छी वर्षा होती है

जिससे हमारी फसलें हरी – भरी रहती हैं और साथ ही धरती पर हरियाली भी बनी रहती है।

पेड़ पौधों के कारण ही हमारी पृथ्वी के वातावरण में समानता बनी रहती है

मिट्टी का कटाव नहीं होता है, आपदा,सूखे की स्थिति, आंधी, तूफान और बाढ़ कम आती है।

पशुओं का चारा भी पेड़ पौधों से ही प्राप्त होता है,

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वनों से हमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अनेक लाभ होते हैं।

तो साथियों आपको ये Van Mahotsav Essay in hindi

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वनों से होने वाली हानियां

आइए जानते हैं वनों की कटाई के कारण क्या – क्या दुष्परिणाम होते हैं –

तो हम आपको बता दें कि वनों की कटाई के कारण

केवल मानव जाति पर ही प्रभाव नहीं पड़ता है इसका प्रभाव संपूर्ण पृथ्वी पर पड़ता है। जैसे – जैसे वन क्षेत्र सीमित होता जा रहा है.

वैसे – वैसे पृथ्वी के तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है और

आपने देखा होगा कि सर्दियों के ऋतु का मौसम कुछ समय के लिए ही आता है।

और अधिकतर समय गर्मियां ही रहती हैं

पिछले 10 सालों में पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी हुई है। और हर साल बढ़ोतरी ही हो रही है।

प्रदूषण का बढ़ना –

पेड़ – पौधे उद्योग – धंधों पदार्थों एवं अन्य पदार्थों से निकलने वाली जहरीली गैसों को अवशोषित कर लेते हैं अगर इनकी कटाई कर दी जाएगी

तो जहरीली गैसें वातावरण में ज्यों की त्यों ही रहेंगी,

जिनके कारण अनेक भयंकर बीमारियां जन्म लेंगी

यदि इसी प्रकार वनों की कटाई निरंतर बढ़ती जाएगी

तो हम सभी को सांस लेने में दिक्कत होगी क्योंकि पेड़ों द्वारा ही ऑक्सीजन गैस सभी लोग ग्रहण करते हैं।

अकाल –

वनों की कटाई के कारण सूखे की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है।

क्योंकि पेड़ों से ही अधिक वर्षा होती है अगर पृथ्वी पर पेड़ ही नहीं रहेंगे तो वर्षा भी नहीं होगी।

जिसके कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

वन्य जीव जंतुओं का विलुप्त होना –

बढ़ती हुई आबादी के कारण वन क्षेत्र सीमित हो गए हैं।

जिसके कारण वनों में रहने वाले जीवो को बहुत कम जगह मिल रही है।

वनों की कटाई के कारण कई जीव – जंतुओं की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है।

और अगर ऐसे ही वनों कटाई होती रही तो जल्द ही सभी वन्य जीवों की प्रजातियां भी विलुप्त हो जाएंगी।

उप संहार – Van Mahotsav Essay in hindi

वन क्षेत्र को बचाने के लिए हमें अधिक से अधिक जागरूकता फैलानी होगी।

और जनसंख्या वृद्धि को भी कम करना होगा।

हमें वन महोत्सव जैसे कार्यक्रमों को भी बढ़ावा देना होगा

जिससे कि अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाए जा सकें।

वनों को बचाने का काम सिर्फ सरकार का ही नहीं, यह काम हम सभी का है।

क्योंकि जब तक हम स्वयं पेड़ नहीं लगाएंगे तब तक वन क्षेत्र नहीं बढ़ सकते।

और अवैध वनों की कटाई करने वाले लोगों के लिए सख्त कानून का निर्माण करना होगा।

सभी लोगों को पेड़ – पौधों के लाभ के बारे में जानकारी देना होगा,

जिससे कि वह सभी ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। तभी वन क्षेत्र को बचाया जा सकता है।

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हिन्दू धर्म पर निबंध essay on hinduism in hindi, वन महोत्सव पर निबंध | essay on van mahotsav in hindi.

वन महोत्सव पर निबंध | Essay on Van Mahotsav in Hindi

वन महोत्सव स्पीच इन हिंदी

वनों की कटाई पर भाषण वनों का महत्व पर निबंध प्रदूषण पर निबंध पेड़ पौधे का महत्व पर निबंध वायु प्रदूषण पर निबंध पेड़ की आत्मकथा.

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  1. वन महोत्सव पर निबंध (200, 500 और 800 शब्दों में)

    हमने यहाँ पर वन महोत्सव पर निबंध में शेयर किया है। आपकी सहायता के लिए शब्द सीमा 200, 500 और 800 शब्दों में और पीडीऍफ़ में उपलब्ध किया गया है।

  2. Essay on Van Mahotsav in Hindi

    Essay on Van Mahotsav in Hindi. पेड़ों की कटाई के कारण आपने देखा होगा कि तापमान घटता बढ़ता है, बाढ़, आंधी तूफान सूखा और भूमि क्षरण जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो चुकी है.

  3. Van Mahotsav Essay In Hindi: जानिए ...

    Van Mahotsav Essay In Hindi जानने के बाद अब वन महोत्सव पर 10 लाइन्स जानिए, जो नीचे दी गई हैं- भारत में हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में वन महोत्सव मनाया ...

  4. वन महोत्सव पर निबंध (1500+ शब्द)

    van mahotsav essay in hindi (For class 9 to 12) वन महोत्सव का परिचय : जनसंख्या का सीधा प्रभाव हमारे वनों पर पड़ा रहा है, जिसके चलते वनों की बिना रूकावट के कटाई हो ...

  5. Van Mahotsav Essay In Hindi

    आज के इस आर्टिकल में हम वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Essay In Hindi) और इन से जुड़ी सारी जानकारी आप लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

  6. वन महोत्सव पर निबंध

    मुख्यपृष्ठ Van Mahotsav Essay In Hindi वन महोत्सव पर निबंध | Van Mahotsav Essay In Hindi 250-500 Words जुलाई 26, 2023 कक्षा 1 से कक्षा 10 के लिए निबंध / essay for class 1 to class 10

  7. Hindi Essay on "Van Mahotsav", "वन महोत्सव " for Students Complete

    Hindi Essay on "Van Mahotsav", "वन महोत्सव " for Students Complete Hindi Speech,Paragraph for class 5, 6, 7, 8, 9, and 10 students in Hindi Language

  8. Essay on Van Mahotsav in Hindi

    Van Mahotsav in Hindi. वन-महोत्सव. प्रकृति से जुड़ा वन महोत्सव प्रतिवर्ष जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। हमारे ...

  9. वन महोत्सव पर निबंध- Essay on Van Mahotsav in Hindi

    Essay on Van Mahotsav in Hindi ( 400 to 500 words ) वन का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। यह मनुष्य से लेकर पशु पक्षियों तक सबके लिए उपयोगी है। यह हमसे कभी कुछ नहीं ...

  10. वन महोत्सव दिवस पर निबंध

    Essay On Van Mahotsav Diwas 2023: वन महोत्सव जुलाई के महीने में एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है। इस त्यौहार के दौरान पूरे भारत में हजारों पेड़ लगाए जाते हैं। 1950 में इसकी ...

  11. Hindi Essay, Paragraph, Speech on "Van Mahotsav ...

    Hindi Essay, Paragraph, Speech on "Van Mahotsav", "वन महोत्सव" Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

  12. वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Essay In Hindi)

    वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Essay In Hindi) प्रस्तावना. मनुष्य औद्योगीकरण और शहरीकरण इत्यादि के कारण पेड़ो की निरंतर कटाई कर रहा है। मनुष्य अपने आश्रय के लिए अपना ...

  13. Van Mahotsav Essay in Hindi: वन महोत्सव पर निबंध

    van mahotsav in hindi (100 words) लोगों को वनों का महत्व बताने के लिए हर साल जुलाई में वन महोत्सव मनाया जाता है। आधुनिक समय में जैसे-जैसे मनुष्य प्रगति ...

  14. वन महोत्सव पर निबंध

    वन महोत्सव पर निबंध | Van Mahotsav Essay In Hindi Robert E. Reynolds वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण आयोजन है जो हर साल भारत में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और ...

  15. Hindi Essay on "Vriksharopan", "Van-Mohotsav" , "वृक्षारोपण","वन

    Hindi Essay on "Vriksharopan", "Van-Mohotsav" , "वृक्षारोपण","वन-महोत्सव" Complete Hindi Essay for Class 9, Class 10, Class 12 and Graduation classes. ... Story Hindi Speech Informal Letters Job Guru Letter to Editor Moral Stories NSQF Paragraph Writing Personal Letter Precis Writing Solved PTE ...

  16. वन महोत्सव पर निबंध 2022 -23 Van Mahotsav Par Nibandh in Hindi

    Van Mahotsav essay in hindi. हम लोग अपने जीवन में कई प्रकार से उत्सव मनाते हैं । पारिवारिक सामाजिक धार्मिक एवं राष्ट्रीय उत्सवों में लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं । परंतु ...

  17. वन महोत्सव पर निबंध (Essay on van Mahotsav in Hindi)

    वन महोत्सव पर निबंध (van mahotsav essay hindi) - जब से औद्योगिकीकरण ने धरती पर ...

  18. van mahotsav essay in hindi

    van mahotsav essay in hindi | Essay Writing on Van Mahotsav in Hindi | वन महोत्सव पर हिन्दी निबंधAbout this videoIn this Video, you will learn how to ...

  19. Van Mahotsav 2021

    Van Mahotsav is a pan-India tree planting festival celebrated in July every year. This initiative was nationally recognised in 1950 by Dr K M Munshi, who was the Union Minister for Agriculture and Food during that period. Apart from its modern-day observance, Van Mahotsav carries an inspiring history, which UPSC 2022 aspirants must know about.

  20. Van Mahotsav Essay In Hindi (वन महोत्सव पर निबंध)

    बढ़ती जनसंख्या और आधुनिकीकरण का सीधा असर हमारे Van Mahotsav Essay In Hindi (वन महोत्सव पर निबंध) वनों पर पड़ा है, जिसके कारण वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है।

  21. वन महोत्सव पर निबंध

    वन महोत्सव पर लम्बा निबंध - Long Essay On Van Mahotsav In Hindi. प्रस्तावना. आज औद्योगीकरण और शहरीकरण इत्यादि के कारण पेड़ो की निरंतर कटाई हो रही है ...

  22. Van Mahotsav Essay in hindi

    Van Mahotsav Essay in hindi वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य है कि सभी जगह पेड़ - पौधे लगाए जाएं और वनों के सिकुड़ते क्षेत्र को बचाया जाए।. वन महोत्सव ...

  23. वन महोत्सव पर निबंध

    वन महोत्सव पर निबंध | Essay on Van Mahotsav in Hindi- लोग अपने स्वार्थीपन में न जाने कितना प्रकृति को नुकसान पहुंचाते है.बढती पापुलेशन और उद्योगों ने अपनी जरुरत को पूरा ...