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वायु प्रदूषण पर निबंध Essay On Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण पर निबंध Essay On Air Pollution in Hindi: वायु में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा, प्रकाशसंश्लेषी क्रियाविधि का ही परिणाम है.

शुष्क वायु में लगभग 79% नाइट्रोजन, 20.9% ऑक्सीजन, 0.03% कार्बन डाई ऑक्साइड व शेष भाग अन्य गैसें नियोन, हीलियम, क्रिप्टोन आदि होती है.

जीवों में श्वसन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन तथा प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक CO2 (कार्बनडाई ऑक्साइड) का मुख्य स्रोत वायुमंडल ही है. वायुमंडलीय प्रदूषण का मुख्य कारण मानव ही है.

वायु प्रदूषण पर निबंध Essay On Air Pollution in Hindi

कार्बन मोनोक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, हाइड्रो कार्बन मिश्रण व वायु में निलंबित सूक्ष्म कालिख, धुआ व धूल के कण वायु के मुख्य प्रदूषक (Air pollutants) है.

इन सभी प्रदूषकों का स्रोत उद्योगों व घरों में कोयला, पेंट्रोल, गैस का भट्टियों, चूल्हों व अंगीठियों तथा स्वचालित वाहनों में डीजल का जलना है.

वायु प्रदूषण क्या है अर्थ व परिभाषा (What is air pollution Meaning and Definition)

मानव के लिए शुद्ध वायु का महत्व है. वायु के बिना मनुष्य तथा जीव जन्तु अधिक समय तक जीवित नही रह सकते, शुद्ध सूखी वायु जो पृथ्वी के सभी जीवों के आवश्यक है.

परिभाषा-  वे अवयव जो कणीय, द्रवीय तथा गैसीय अवस्था में वायुमंडल में पर्याप्त मात्रा में उपस्थित होते है, एवं जिनके द्वारा उत्पन्न वनस्पति, मानव व अन्य जीवों तथा द्रव्यों पर उत्पन्न हानिकारक प्रभावों को स्पष्ट रूप से आँका जा सकता है, उसे वायु प्रदूषण कहते है.

वायु प्रदूषण मुख्यतः निम्न प्रकार से वर्गीकृत किये जा सकते है.

  • एयरोसोल-  बेहद सूक्ष्म आकार के ठोस तथा गैस कणों के गैसीय माध्यम में उपस्थित होने से निर्मित बादल वायु विलय एयरोसोल कहलाता है. जैसे धुआं.
  • कोहरा-  यह द्रव कणों के संघनित होने के फलस्वरूप निर्मित होने वाला वायु विलय है, जिसे हम आसानी से देख सकते है.
  • सूक्ष्म बूंद-  यह द्रव की कम घनत्व एवं सूक्ष्म आकार की बूंदे होती है जो वायु के स्थिर होने पर या तो नीचे गिर सकती है, किन्तु हवा के बहने पर यह हवा में ही रहती है, जिससें वायु प्रदूषण बढ़ता है.
  • कण-  ये एस पी एम भी कहलाते है तथा ठोस अथवा द्रव की सूक्ष्म असंतत संहति में रहते है.
  • वाष्प-  वह पदार्थ जो द्रवीय अथवा ठोस अवस्था में रह सकते है, वाष्पीकरण होने पर वाष्प कहलाते है.
  • धूम-  जो पदार्थ द्रवीय या ठोस अवस्था में रहते है एवं वाष्पीकरण के फलस्वरूप गैसीय अवस्था ग्रहण करते है वे गैसीय अवस्था संघनित होने पर धूम कहलाते है.
  • धूलि-  वायु में उपस्थित कुछ ठोस कण जो अस्थाई रूप से विद्यमान रहते है, धूलि कहलाते है.

वायु प्रदूषण के कारण (causes of air pollution in Hindi)

वायु प्रदूषण के मुख्यत दो स्रोत होते है.

  • प्राकृतिक-  वायु में प्रदूषण काफी कम मात्रा में पाया जाता है. प्राकृतिक प्रदूषण का मुख्य कारण आंधी, तूफ़ान, अनूप एवं दलदली स्थलों पर छाई धूल, वनों में लगने वाली आग तथा जैविक व रासायनिक प्रतिक्रियाओं के फलस्वरूप निष्काषित गैसें तथा ज्वालामुखी के फटने से निकलने वाली गैसें व राख परागकण इत्यादि होते है.
  • मानवीय स्रोत-  वर्तमान में मानव के क्रियाकलापों से वायु प्रदूषण दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है.

वायु प्रदूषण के अन्य मुख्य कारण (Other major causes of air pollution)

धुआं (smoke causes of air pollution in hindi)-.

कोयले व अन्य प्राकृतिक इंधनों के जलने से निकलने वाले धुंए के साथ सल्फर (गंधक) के कई ऑक्साइड निकलते है. सल्फर डाई ऑक्साइड (SO2) एक हानिकारक प्रदूषक है

यह नेत्र, फुक्फुस व गले की श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित कर कई रोग पैदा करती है. SO2 पौधों में रन्धों द्वारा प्रवेश कर जल के साथ H2 SO4 बनाता है, यह अम्ल पर्णहरित को विघटित करता है.

लाइकेन व ब्रायोफाईट पादप SO2 से शीघ्र प्रभावित होते है. यह गैस उन्हें मार देती है, लाइकेन को इस प्रदूषक का सूचक (INDICATOR) माना जाता है.

धुँआ कुहरे के साथ मिलकर धूम कुहरा (SMOG) बनाता है. इसमें SO2, O2 से अभिक्रिया कर SO4 बनाती है, जो जल के साथ H2 SO4 (गंधक का अम्ल ) बन जाता है.

यह अम्ल इमारतों के पत्थरों व दीवारों को संक्षारित (CORRODE) करता है. मथुरा में पेंट्रोल शोधन कारखाने स्थापित होने से इस अम्ल से ताजमहल के संगमरमर (MARBLE) के सक्षारित होने की आशंका बढ़ गईं है.

प्राकृतिक इंधनों के जलने से निकली ऑक्सीकृत NO3 बनाती है. यह NO3 जल के साथ मिलकर हानिकारक HNO3 (नाइट्रिक अम्ल ) बनाती है, जो वर्षा के जल के साथ भूमि पर आ जाता है. यह वर्षा अम्लीय वर्षा (ACID RAIN) होती है.

अम्लीय वर्षा से मृदा की अम्लीयता बढ़ जाती है, जो मृदा के उपजाऊपन को नष्ट करती है. यह इमारतों, रेल पटरियों, स्मारकों, मूर्तियों को संक्षारित कर क्षति पहुचाती है. ईधन के अपूर्ण दहन से CO (कार्बन मोनोक्साइड) बनाती है. वायुमंडलीय कुल प्रदूषकों का लगभग 50% CO है. 

श्वास के साथ यह विषाक्त गैस मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर रुधिर के हीमोग्लोबिन से संयोजित हो जाती है. इस संयोजन की दर हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन संयोजन की दर से 210 गुणा अधिक है. परिमाणत मनुष्य के शरीर में O2 की कमी हो जाती है.

धुंए के अन्य कणीय अंश जैसे कि कालिख (SHOOT) टार, धूलकण आदि प्रकाश को कम कर देते है. ये भूमि पर धीरे धीरे जमते है और पशु व मनुष्य के शरीर में श्वसन द्वारा जाकर श्वासनली व फेकड़ों के रोग पैदा करते है. ये धातु, पेंट की हुई सतहों, वस्त्रों, कागज व चमड़े को क्षति पहुचाते है.

स्वचालित वाहन रेचन (AUTOMOBILE EXHAUST causes of air pollution in Hindi)

वाहनों में पेंट्रोल व डीजल के जलने से निकलने वाली वे सभी गैसें है, जिनका अध्ययन हमने धुंए के अंतर्गत किया है. वायु प्रदूषण के 60 प्रतिशत प्रदूषण के यही विरेचक उत्तरदायी है.

औसत 1000 गैलन पेंट्रोल के जलने से लगभग 3200 पाउंड CO, 200- पाउंड कार्बनिक अम्ल, 2 पाउंड अमोनिया व 0.3 पाउंड ठोस कार्बन कण निकलते है.

हाइड्रोकार्बन के अपूर्ण दहन से बनने वाला 3-4 बैंजिपायरिन, फुक्फुस कैंसर का कारण है. नाइट्रोजन के ऑक्साइड आँखों में जलन, नाक व श्वास नली के रोग उत्पन्न करते है.

वायु प्रदूषण का प्रभाव (Side Effects of Air Pollution in Hindi)

वातावरण में वायु प्रदूषकों की उपस्थिति से वायुमंडल की स्वच्छ एवं शुद्ध वायु के गुणधर्मों में काफी बदलाव आ जाते है. मुख्य असर जो हमें दिखाई देता है. वह कोहरा और आद्रता की उपस्थिति है.

इससे वातावरण की पारदर्शिता काफी कम हो जाती है तथा इसका असर मानव, जीव जन्तुओं तथा वनस्पति की वृद्धि पर पड़ता है. कोहरे की उपस्थिति के कारण द्र्श्यता कम हो जाती है तथा शहरों में दुर्घनाओं का खतरा बढ़ जाता है.

वायु प्रदूषण का एक और मुख्य प्रभाव धरती पर आने वाली सूर्य की किरणों का प्रदूषकों की उपस्थिति के कारण पृथ्वी पर कम मात्रा में पहुचना है. शहरी सीमा में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में सूर्य की किरणों से उत्पन्न ताप का स्पष्ट अंतर देखा जा सकता है.

वायु प्रदूषण का आर्थिक पक्ष यह है कि कई भव्य इमारते नष्ट हो रही है. कलात्मक कार्यों की क्षति हो रही है. तथा इनके रखरखाव के लिए प्रतिवर्ष काफी अधिक धन खर्च करना पड़ता है.

वायु की उपस्थित प्रदूषक वनस्पति, जीव जन्तुओं तथा मानव पर घातक प्रभाव डालते हैं. पेड़ पौधों में अनेक बीमारियों को उत्पन्न करते है. तथा उनकी वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डालते है.

कुछ पौधें हालांकि काफी संवेदनशील एवं ग्राही होते है तथा वायु प्रदूषण रोकने में अहम भूमिका निभाते है. नगरीय इलाकों में जहाँ वायु प्रदूषण का प्रभाव अधिक होता है वहां हरित पट्टी लगाने तथा उसे विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है.

वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव (Air Pollution Effect on Human Life/Health)

कल कारखानों में काम करने वाले कर्मिकों में पायी जाने वाली कुछ मुख्य बीमारियाँ इस प्रकार है- फेफड़े की बीमारी, लंग फाइब्रोसिस, अस्थमा, गले का दर्द, निमोनिया.

इनका कारण है कि वायु में उपस्थित बेन्जोपाईरिन या बहुकेन्द्रित हाइड्रोकार्बन जो वायुमंडल में मुक्त अणु के रूप में रहता है.

कोयले की खदान में काम करने वालों को आटे की चक्की पर काम करने वालों को भी न्यूमोकोनिओसिस हो जाता है. हवा में उपस्थित so2 तथा नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की अधिकता होने से मनुष्यों में ह्रदय रोग, कैंसर, मधुमेह आदि की बीमारियाँ दिन प्रतिदिन बढ़ रही है.

वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय (prevention and control of air pollution)

  • वाहनों को शीशा रहित पेंट्रोल तथा cng जैसे इंधनों से चलाना चाहिए.
  • वायु प्रदूषण के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जानी चाहिए.
  • हमे अपनी ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति के लिए जीवाश्म ईधन के स्थान पर वैकल्पिक ईधन को अपनाने की आवश्यकता है. ये वैकल्पिक ईधन सौर ऊर्जा, जल ऊर्जा और पवन ऊर्जा हो सकते है.
  • अधिकाधिक वृक्षारोपण विशेष कर उद्योगों के आस-पास सघन वृक्षारोपण किया जाना चाहिए.
  • वाहनों की प्रदूषण सबंधी नियमित जांच होनी चाहिए.
  • उद्योगों की चिमनी अधिक ऊँचाई पर रखवाना.
  • उद्योगो की स्थापना बस्ती से दूर तथा वर्ष भर चलने वाली वायु की दिशा के अनुरूप हो.
  • घरों से निकला कचरा तथा दूषित खाद्य सामग्री पशुओं का अपशिष्ट बस्ती से दूर ले जाकर गड्डों में डालकर ढक देना चाहिए तथा इसके निस्तारण की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. उद्योगों से निकलने वाली गैसों को शुद्ध करने हेतु संयंत्र लगाने चाहिए.
  • देश के मिलियन प्लस शहरों में सीएएक्यूएम स्टेशन-  केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता मानीटरिंग स्टेशनों (CAAQM Continuous Ambient Air Quality Monitoring Station) की स्थापना करके परिवेशी वायु गुणवत्ता मोनिटरिंग नेटवर्क का सुद्रढीकरण कार्य प्रारम्भ किया है. इस नेटवर्क के दायरे में 46 मिलियन प्लस शहर शामिल किये गये है.
  • राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) – लोगो तक वायु की शुद्धता व गुणवत्ता की जानकारी प्रभावी तरीके से पहुचाने के लिए औजार के रूप में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  वर तैयार किया गया. इसमें 6 श्रेणियां बनाई गईं है व 8 प्रदूषकों पर विचार किया जाता है. यह सूचकांक 6 अप्रैल 2015 को जारी किया गया.

  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
  • वायु पर निबंध
  • प्रदूषण नियंत्रण पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों वायु प्रदूषण पर निबंध Essay On Air Pollution in Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा,

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वायु प्रदूषण पर निबंध – Essay on Air Pollution in Hindi

Essay on Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) : हम सब जानते है कि देश के विकास के साथ-साथ प्रदूषण भी काफी ज्यादा बढ़ रहा है, क्योंकि विकास में पेड़-पौधे कम हो रहे है और गाड़ीयों व फैक्ट्रीयों का प्रदूषण बढ़ रहा है। इसलिए हमें यह समझना होगा कि वायु प्रदूषण क्या है, इसके कारण क्या है और इसे कैसे रोक सकते है।

मैने इस आर्टिकल में Essay On Air Pollution In Hindi 200 Words, 500 words और 1000 word में लिखा हैं। इसके अलावा मैने वायु प्रदूषण पर निबंध 10 लाइनें भी लिखी है। यह आर्टिकल Class 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 सभी के लिए Helpful है।

वायु प्रदूषण पर निबंध निम्नलिखित प्रकार से लिख सकते हैं।

वायु प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में (Essay On Air Pollution In Hindi 200 Words)

आज के समय में वायु प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक समस्या बनता जा रहा है, जिससे हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। अगर इस प्रदूषण को सही समय पर नही रोका गया तो आने वाले समय में बहुत सारी बीमारियां फैल जाएगी, और सभी जीव-जंतु खत्म होने लगेंगे।

वायु प्रदूषण क्या है , जब वायुमंडल में हानिकारक पदार्थों का उत्सर्जन किया जाता है, तो उसे वायु प्रदूषण ( Air Pollution) कहा जाता है। यह हानिकारक पदार्थ उद्योग के धुंओं और गाड़ियों के धुंओं से सबसे ज्यादा उत्सर्जित होते है। इस वायु प्रदूषण से पूरे पर्यावरण को खतरा होता है।

जैसे-जैसे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बीमारियां फैल रही है और जीवों की आयु कम होती जा रही है। वायु प्रदूषण से अनेक तरह की गंभीर बीमारियां फैल रही हैं, जैसे- खांसी, श्वास लेने में कठिनाई, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग, स्ट्रोक, मृत्यु का खतरा, कैंसर, जन्म दोष, प्रजनन क्षमता में कमी, अस्थमा, मधुमेह, मनोवैज्ञानिक समस्याएं आदि।

अगर हमें पृथ्वी पर जीवन बचाना है तो हमें वायु प्रदूषण कम करना होगा। उदाहरण के लिए हमें वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए। हमें जीवाश्म ईंधनों की जगह स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल विद्युत ऊर्जा। इसके अलावा औद्योगिक धुंए को कार्बन में बदला जाना चाहिए।

Essay on Air Pollution in Hindi से हम वायु प्रदूषण के कारणों को समझ सकते है और इस रोकने का प्रयास कर सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में  (Essay On Air Pollution In Hindi 500 Words)

प्रस्तावना.

वायु प्रदूषण प्रकृति के लिए एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या बनती जा रही है। यह औद्योगीकरण और शहरीकरण का एक घातक परिणाम है। अगर समय रहते वायु प्रदूषण को नही रोका गया तो पृथ्वी पर जीवन संकट में आ सकता है। वायु प्रदूषण से पृथ्वी का पूरा पारस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो सकता है, जिसके बहुत सारे दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

वायु प्रदूषण किसे कहते है

Air Pollution, जब स्वच्छ वायु में रसायनिक कण, धूल कण, विषैली गैसे, जैविक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड आदि मिल जाते हैं तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है। यह वायु प्रदूषण अनेक कारणों से होता है, जैसे- जीवाश्म ईंधन के दहन से, गाड़ियों के धुंए से, औद्योगिक फैक्ट्रियों के धुंए से, कृषि कार्यों में कीटनाशकों और उर्वरकों से इत्यादि।

वायु प्रदूषण के कारण

Air Pollution के अनेक कारण हैं, जिनमें से मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  • औद्योगिकरण वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है, क्योंकि औद्योगिकरण प्रक्रिया में अनेक रासायनिक पदार्थ निकलते हैं।
  • पैट्रोल और डीजल वाहन भी वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत है। क्योंकि वाहनों से कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक पदार्थ निकलते हैं।
  • जीवाश्म ईंधनों का उपयोग भी वायु प्रदूषण को काफी ज्यादा बढ़ाता है। जीवाश्म ईंधन जैसे- बिजली संयंत्र कोयला, तेल, या प्राकृतिक गैस।
  • कृषि में कीटनाशकों के उपयोग से और फसलों को जलाने से भी वायु प्रदूषण होता है।

इसके अलावा और कई कारण है जिससे वायु प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण के दुषप्रभाव

वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या है क्योंकि इसका दुषप्रभाव पूरी प्रकृति पर पड़ता है। इससे काफी सारी गंभीर बीमारियां फैलती हैं, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है, जैसे- अस्थमा, कैंसर, गर्भपात, जन्म दोष, हृदय रोग, खांसी, फेंफड़ो से संबंधित रोग आदि।

Air Pollution का नकारात्मक प्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ता हैं, जैसे- जलवायु में परिवर्तन, जल प्रदुषित होना, वनस्पति और जीवों को नुकसान पहुंचना, पारस्थितिकी तंत्र असंतुलित होना।

वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय

हमारे लिए वायु प्रदूषण को कम करना एक बहुत बड़ी चुनौति है, लेकिन हमें मिलकर प्रयास करना होगा। हमें पेट्रोल या डिजल वाहनों का कम से कम उपयोग करना होगा। हमें जीवाश्म ईंधनों का कम उपयोग करना होगा। इसके अलावा कल कारखानों को बंद करना होगा, और जो कल कारखाने ज्यादा जरूरी हैं, उनकी चिमनीयों की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए, ताकि हमारा वायुमंहल कम प्रदुषित हो।

हम सभी मिलकर ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाकर वायु प्रदूषण को कम कर सकते है। हमें सरकार द्वारा बनाए गए वायु प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन करना चाहिए।

उपसंहार

अगर वायु प्रदूषण को सही समय पर नही रोका गया तो यह भविष्य में जानलेवा साबित हो सकता है। आने वाले कुछ ही वर्षों में पृथ्वी पर जीवन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। इसलिए हमें वायु प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लेना होगा, और इसे खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। अगर हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो आने वाले कुछ सालों हमारा पर्यावरण दोबारा स्वच्छ हो सकता है।

आप Essay on Air Pollution in Hindi में कुछ इस प्रकार लिख सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 1000 words  (Essay On Air Pollution In Hindi 1000 Words)

वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। लेकिन यह समस्या भारत के लिए काफी बड़ी है। क्योंकि भारत में लगातार जनसंख्या बढ़ रही हैं, और इसके साथ-साथ आवश्यकताएं भी बढ़ रही है, जो प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मनुष्य अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगातार प्रदूषण को बढ़ा रहा है। उदाहरण के लिए पेट्रोल या डिजल वाहनों का बहुत ज्यादा उपयोग करना। औद्योगिकीकरण की प्रक्रियाओं का बढ़ना, जिससे कई हानिकारक गैसे, सुक्ष्म कण, और रासायन आदि का उत्सर्जन होना।

अगर हमें अपने देश को बचाना है तो हमें वायु प्रदूषण को कम करना होगा, और जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा।

वायु प्रदूषण क्या है

पृथ्वी पर जीवन के लिए वायु एक महत्वपूर्ण कारक है। एक शुद्ध वायु में ऑक्सीजन होती है, जो जीवन का आधार है, और इसी से वनस्पति को कार्बन-डाई-ऑक्साइड मिलती है, जो वनस्पति का पोषण है। यह वायुमंडल प्रकृति की एक बहुत बड़ी देन है।

वायु प्रदूषण क्या है , जब वायु में विषैली गैसे (कार्बन डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, जमीन स्तरीय ओजोन, सरल्फर डाई ऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर आदि), रसायन, सुक्ष्म कण, धूल, जैविक पदार्थ आदि मिल जाते है, तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है।

हमारे वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड और शेष 0.97% आर्गन, नियोन, सल्फर डाईऑक्साइ, कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन के कण, धूल मिट्टी और जलवाष्प होते है। लेकिन प्रदूषण की वजह से ऑक्सीजन कम हो रही है, और कार्बनिक पदार्थ ज्यादा बढ़ रहे है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।

वायु प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं, मतलब जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। इसी तरह वायु प्रदूषण को भी कई आधारों पर वर्गीकृत किया गया है। वायु प्रदूषण के मुख्य दो प्रकार हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • प्राकृतिक प्रदूषण – वह प्रदूषण जो मानवीय गतिविधियों की बजाय प्राकृतिक प्रक्रियाओं से होता है, जैसे- ज्वालामुखी विस्फोट से, जंगल की आग से, धूल भरे तूफान से, मवेशियों के दहन से आदि।
  • मानव निर्मित प्रदूषण – यह वह प्रदूषण है जो मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होता है, जैसे- औद्योगिक कल कारखाने, पेट्रोल व डीजल वाहन, जीवाश्म ईंधन, दावानल आदि। इसके अलावा और भी अनेक कारण है जिससे वायु प्रदुषण फैलता है।

वायु प्रदूषण आंतरिक और बाह्य प्रकार के भी होते हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण प्राथमिक ( उदाहरण – सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड) और द्वितीयक ( उदाहरण – सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड) प्रकार के भी होते हैं।

वायु प्रदूषण प्राकृतिक और मानवीय कारणों की वजह से होते हैं, जो निम्नलिखित हैं।

प्राकृतिक कारण:

  • ज्वालामुखी वायु प्रदूषण का एक बहुत बड़ा प्राकृतिक कारण है, क्योंकि ज्वालामुखी के फटने पर जहरीली गैसे और लावा बाहर निकलता है।
  • कई बार जंगलों में गर्मीयों की वजह से आग लग जाती है, जिससे अधिक मात्रा में धुंआ निकलता है और वायु प्रदूषण फैलता है।
  • तूफान भी वायु प्रदूषण का एक प्राकृतिक कारण है, क्योंकि तूफान से धूल मिट्टी उड़ती है।
  • वायु में कई सुक्ष्म बैक्टेरिया भी होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते है। ऐसे बैक्टेरिया भी वायु को प्रदूषित करते है।
  • पृथ्वी के चारों ओर कई धूमकेतु और उल्का पिंड घूमते रहते है, जो कभी-कभी पृथ्वी से टकरा जाते है। इससे धूली मिट्टी और कुछ गैसे वायु में मिल जाती है।
  • पशुओं से छोड़ी जाने वाली मिथेन गैस से भी वायु प्रदुषण होता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है।

मानवीय कारण:

  • बड़े-बड़े औद्योगिक कल कारखानों से निकलने वाले धुएं और हानिकारक गैसों से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है।
  • वनों की अंधाधुन कटाई से भी वायु प्रदूषण काफी बढ़ रहा है। क्योंकि पैड़-पौधे न होने की वजह से कार्बन डाईऑक्सान बड़ रही है, और ऑक्सीजन कम हो रही है।
  • जनसंख्या वृद्धि वायु प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है, क्योंकि अधिक लोगों के लिए अधिक संसाधनों की जरूरत पड़ती है, और इससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
  • किसान फसलों को काटने के बाद डंठल को जला देते है, जिससे जहरीले कीटनाशक रसायन जलने के साथ वायुमंडल में आ जाते है, और वायु प्रदूषण फैलाते है।
  • पैट्रोल व डीजल वाहनों से निकलने वाले धूंए की वजह से भी वायु प्रदूषण फैलता है।
  • जीवाश्म ईंधन जैसे पैट्रोलियम उत्पाद, कोयला और प्राकृतिक गैस के दहन से भी वायु प्रदूषण होता है।
  • लोगों द्वारा किए जा रहे धूम्रपान से भी वायु प्रदूषण काफी ज्यादा हो रहा है।

पर्यावरण पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव

वायु प्रदूषण से प्रकृति पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता हैं। ये दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  • वायु प्रदूषण से वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्सान (CO2) लगातार बढ़ रही है, जिससे ओजोन परत पतली होती जा रही है। इससे से प्रकृति और मानव सभी को खतरा है।
  • वायु प्रदूषण से वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा 24% से कम होकर 22% हो गयी है।
  • Air Pollution की वजह से पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
  • वायु प्रदूषण की वजह से प्राकृतिक आपदाएं भी आती रहती हैं।
  • वायु प्रदूषण से पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है। और ऋतुओं का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
  • Air Pollution से अम्लीय वर्षा भी होती है, जिससे प्रकृति को काफी नुकसान होता है।

मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव

प्रदूषित वायु मानव के स्वास्थ्य को काफी हद तक प्रभावीत करती है। इससे अनेक तरह की गंभीर बीमारियां भी फैलती हैं, जैसे-

  • श्वासनीय रोग- सांस की एलर्जी, घबराहट, अस्थमा, खांसी और ब्रोंकाइटिस।
  • हृदय रोग- हृदय की गति बढ़ना, रक्तचाप का बढ़ना, स्ट्रोक, और अन्य हृदय रोग।
  • प्रजनन संबंधित रोग – गर्भपात, जन्म दोष और अन्य प्रजनन संबंधित रोग।
  • कैसर रोग – वायु प्रदूषण से कैंसर की बीमारी।

इस तरह वायु प्रदूषण से अनेक तरह रोग फैलते है, जो कई बार जानलेवा भी साबित हो जाते है।

वायु प्रदूषण को कम करने के तरीके

भारत में वायु प्रदूषण काफी हद तक बढ़ रहा है, जिसे रोकना काफी ज़रूरी है। हम वायु प्रदूषण को निम्न तरीके से रोक सकते है।

  • वायु प्रदूषण को रोकने का सबसे आसान और अच्छा तरीका पेड़-पौधे लगाना है।
  • अगर हम जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित कर ले, तो वायु प्रदूषण कम हो सकता है।
  • अधिक मात्रा में प्रदूषण फैलाने वाले कल कारखानों को बंद करना चाहिए।
  • हमे सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए, और कोयले व परमाणु ऊर्जा का कम उपयोग करना चाहिए।
  • कंस्ट्रक्शन के कार्य को कपड़े से ढ़ककर किया जाना चाहिए, ताकि ज्यादा धूल मिट्टी के कण न उड़े।
  • हमें वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए, ताकि गाड़ियों से निकलने वाला धुआ कम हो।
  • वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा बनाए गए वायु प्रदूषण कानून (1981) का अच्छे पालन करना चाहिए।
  • हमें लोगों को ज्यादा से ज्यादा वायु प्रदूषण के बारे में जागरूक करना चाहिए।

आज के समय में वायु प्रदूषण केवल भारत के लिए नही बल्कि पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है। अगर इस समस्या को पूरी तरह से खत्म करना है तो हम सभी को जागरूक होना होगा, और इसे कम करने के लिए साथ-साथ कदम उठाने होंगे।

अगर हमने अभी प्रयास नही किए तो आने वाले समय में पृथ्वी से सभी जीव का नामों निशान खत्म हो जाएगा। इसलिए सभी को वायु प्रदूषण के संकट को लेकर जागरूक होना चाहिए।

हम 1000 शब्दों में Essay on Air Pollution in Hindi में कुछ इस प्रकार से लिख सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन

  • वायु में जब हानिकारक और विषैले पदार्थ मिल जाते है, तो उसे वायु प्रदुषण कहा जाता है।
  • वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है।
  • आज के समय में वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या है।
  • अभी के समय में वायु प्रदूषण को रोकना बहुत जरूरी है, अन्यथा हमारा भविष्य संकट में आ सकता है।
  • वायु प्रदूषण उत्पति के आधार पर मुख्य दो प्रकार हैं- प्राकृतिक वायु प्रदूषण और मानव निर्मित वायु प्रदूषण।
  • वायु प्रदूषण के मुख्य कारण कल कारखाने, वाहन, जनसंख्या वृद्धि, जीवाश्म ईंधन है।
  • वायु प्रदूषण से पर्यावरण पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते है, जैसे- जलवायु परिवर्तन, अम्लीय वर्षा, ग्लेशियरों का पिघलना।
  • वायु प्रदूषण से अनेक तरह की बीमारियां फैलती हैं, जैसे- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, उच्च रक्तचाप, हर्ट अटैक, कैंसर आदि।
  • वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय- पेड़-पौधे लगाना, वाहनों का उपयोग कम करना, कल कारखानों को बंद करना, जनंसख्या वृद्धि पर नियंत्रण आदि।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार अगर तेजी से Air Pollution बढता रहा तो 2050 तक पृथ्वी का तापमान 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा, जिससे पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएंगे और भंयकर बाढ़ आएगी। इससे पूरी पृथ्वी पर जीवन खत्म हो जाएगा।

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वायु प्रदूषण पर निबंध essay on air pollution in hindi.

Essay on Air Pollution in Hindi. वायु प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए वायु प्रदूषण पर निबंध हिंदी में।

Essay on Air Pollution in Hindi – वायु प्रदूषण पर निबंध

Hindiinhindi essay on air pollution in hindi

Essay on Air Pollution in Hindi 300 Words

पदार्थ जो मानव शरीर के लिए हानिकारक होते है, वे वातावरण में कई साधनो से जोड जाते है तो वह वायु प्रदूषण के रूप में जाने जाते है। यह अस्थमा, एलर्जी और मनुष्यों की मौत जैसी बीमारियों का भी कारण बन सकता है। यह इमारतों को भी नुक्सान पहुँचा सकता है। मानव गतिविधियों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं दोनों ही वायु प्रदूषण का कारण बन सकते है। वायुमंडल में मिलकर यह गैसे, जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड इत्यादि वायु प्रदूषण का कारण बनती है। जीवाश्म ईंधन की जलन वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड जारी करती है जो की एक ग्रीनहाउस। गैस है और ग्रीनहाउस गैस की मात्रा में वृद्वि के कारण ही ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव बहुत ही खतरनाक है। जैसे कि बर्फ का पिघलना, ओजोन परत की कमी, जलवायु परिवर्तन इत्यादि जैसी समस्याएं पैदा कर रही है। जब उधोगों द्वारा सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसों को हवा में छोड़ दिया जाता है तो यह बादलों में पानी के साथ मिलकर एसिड की बारिश करके इमारतों और यहाँ तक की मिटटी को भी प्रदूषित करने का कारण बनती है।जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण वाहनों का उपयोग मी ज्यादा मात्रा में हो रहा है जिसकी वजह से प्रदूषण की मात्रा भी बड़ी हद तक बढ रही है । इस तरह मानव गतिविधियाँ हवा को प्रदूषित करती है। कार पुंलिंग, पेड़ लगाकर, जीवाश्म ईधन को जलने से। बचाने से वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है । यह सही समय है जब हम वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाये, अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

English Icon

प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। आज विश्व की अधिकतर आबादी प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है। ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) लिखने के लिए अक्सर स्कूलों में कहा जाता है। छात्र इस प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) के माध्यम से प्रदूषण जैसी विशाल समस्या के बारे में जानने के साथ-साथ इसकी विषय की संवेदनशीलता का भी पता लगा सकते हैं तथा कैसे ये भयंकर रूप में अब हमारे समक्ष प्रकट हुई है, इसके स्तर का भी अनुमान प्राप्त कर सकते हैं। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

प्रदूषण देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ज्वलंत समस्या का रूप धारण कर चुकी है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता होगी। प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से देश के भविष्य छात्रों में जागरूकता आएगी तथा प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से उनको प्रदूषण की समस्या को दूर करने में अपना योगदान देने में आसानी होगी। इस लेख से प्रदूषण क्या है और प्रदूषण के कितने प्रकार का होता है - वायु, जल, ध्वनि, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Pollution in Hindi) ऑनलाइन सर्च कर रहे विद्यार्थियों को प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution) लिखने में सहायता मिलेगी।

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (essay on world environment day) लिखने में भी इस लेख की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा कई ऐसे छात्र भी होते हैं जिनकी हिंदी विषय/भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) विशेष इस लेख से उन्हें निबंध लिखने के तरीके को समझने व लिखने में सहायता प्राप्त होगी।

ये भी पढ़ें :

होली पर निबंध पढ़ें । हिंदी में निबंध लिखने का तरीका जानें ।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण क्या है? (What is Pollution)

प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है। पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण (eassay on pollution in hindi) कहलाता है।

अन्य लेख पढ़ें-

  • हिंदी दिवस पर कविता
  • गणतंत्र दिवस पर भाषण
  • दिवाली पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण का वर्तमान परिदृश्य

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान हेतु एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करे।

  • हिंदी दिवस पर भाषण
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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index (AQI)) एक सूचकांक है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है ताकि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। जैसे-जैसे एक्यूआई (AQI) बढ़ता है, इसका मतलब है कि एक बड़ी जनसंख्या गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का अनुभव करने वाली है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों के लिए एक्यूआई (AQI) की गणना करती है, जिसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किए गए हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण के प्रकार

मूल रूप से प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है -

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

यह भी पढ़ें -

  • डॉक्टर कसे बनें
  • एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में कैसे संवारें अपना भविष्य

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - आइए एक करके प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों तथा उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा रहता है।

मृदा प्रदूषण : भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। ये सभी कारक मिट्टी को विषाक्त बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।

ध्वनि प्रदूषण : वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है।

इसके अलावा, पटाखे, कारखानों के कामकाज, लाउडस्पीकर की आवाज (विशेष रूप से समारोहों के मौसम में) आदि भी ध्वनि प्रदूषण में अपनी भूमिका निभाते हैं। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।

अक्सर, दिवाली के त्योहार के अगले दिन मीडिया में यह बताया जाता है कि कैसे पटाखों की वजह से भारत के प्रमुख शहरों में ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है।

हालाँकि ये चार प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं, जीवनशैली में बदलाव के कारण कई अन्य प्रकार के प्रदूषण भी देखे गए हैं जैसे कि रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण अन्य। यदि किसी स्थान पर अधिक या अवांछित मात्रा में मानवनिर्मित प्रकाश पैदा किया जाता है, तो यह प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है। आजकल, कई शहरी क्षेत्र अधिक मात्रा में अवांछित प्रकाश का सामना कर रहे हैं।

हम परमाणु युग में जी रहे हैं। चूंकि बहुत से देश अपने स्वयं के परमाणु उपकरण विकसित कर रहे हैं, इससे पृथ्वी के वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। रेडियोधर्मी पदार्थों का संचालन और खनन, परीक्षण, रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में होने वाली छोटी दुर्घटनाएँ रेडियोधर्मी प्रदूषण में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख कारण हैं।

उपयोगी लिंक्स -

  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज
  • नीट के बिना मेडिकल कोर्स
  • भारत की टॉप यूनिवर्सिटी

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारक है। धरती के चारों ओर गर्मी को फंसाने वाले प्रदूषण की परत ही मुख्य कारण है, जो आजकल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बढ़ा रही है। जैसे मनुष्य जब जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, प्लास्टिक जलाते हैं, वाहन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जंगल अधिक स्तर पर जलाए जाते हैं, तो इनसे खतरनाक गैस का उत्सर्जन होता है।

एक बार जब यह गैस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है, तो अंततः यह पूरे विश्व में फैल जाती है। नतीजतन, गर्मी फिर से उत्सर्जित होने के बाद अगले 50 या 100 सालों तक पृथ्वी के चारों ओर फंस जाती है। सबसे गंभीर बात यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस का स्तर खतरनाक दर से बढ़ा है। इससे आने वाली पीढ़ी सैकड़ों वर्षों तक ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभावों को महसूस करेगी।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम

पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों ने कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल : भारत सरकार ने भारत में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए NGT की स्थापना की थी। 2010 से जब कई उद्योग एनजीटी के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, तो इसने ऐसे उद्योगों पर भारी जुर्माना लगाया। इसने कई प्रदूषित झीलों को साफ करने में भी मदद की है। इसने गुजरात में कई कोयला आधारित उद्योगों को बंद करने का भी आदेश दिया, जिससे वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा था।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत : पिछले कुछ वर्षों से, भारत सरकार लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। तमिलनाडु राज्य के निवासियों के लिए अपनी छतों पर सौर पैनल और वर्षा जल संचयन प्रणाली रखना अनिवार्य है। वैकल्पिक ऊर्जा के अन्य स्रोत जैव ईंधन, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा आदि हैं।

BS-VI ईंधन : भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद देश अब BS-VI (भारत चरण VI) ईंधन का उपयोग करने में सक्षम है। इस नियम अस्तित्व में आने के बाद, वाहनों से सल्फर के होने वाले उत्सर्जन में 50% से अधिक की कमी आने की संभावना है। यह डीजल कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% और पेट्रोल कारों में 25% तक कम करता है। इसी तरह, कारों में पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन में 80% की कमी आएगी।

वायु शोधक: वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लोग अब वायु शोधक विशेष रूप से इनडोर में इस्तेमाल किए जाने वाले का उपयोग कर रहे हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर को साफ करते हैं, हानिकारक बैक्टीरिया को हटाते हैं और हवा की गुणवत्ता में काफी हद तक सुधार करते हैं।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने में यूएनओ की भूमिका

अपने बैनर के तहत, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की शुरुआत की गई थी। इसने जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरण प्रशासन, संसाधन दक्षता आदि जैसे कई मुद्दों की तरफ आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसने कई सफल संधियों को मंजूरी दी है, जैसे कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) जो गैसों के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए सुरक्षात्मक ओजोन परत को पतला कर रहे थे, जहरीले पारा आदि के उपयोग को सीमित करने के लिए मिनामाता कन्वेंशन (2012) यूएनईपी प्रायोजित 'सौर ऋण कार्यक्रम' जहां विभिन्न देशों के लाखों लोगों को सौर ऊर्जा पैनल प्रदान किए गए थे।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विभिन्न तरीके

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि वे इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें : जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें : वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें : एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग - कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक से बने दैनिक उपयोग की वस्तुएं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें या तो इन्हें ठीक से डिकम्पोज करना होगा या इसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजना होगा। आजकल सरकार प्लास्टिक को रिसायकल करने के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है, जहां नागरिक न केवल अपने प्लास्टिक के कचरे को दान कर सकते हैं, बल्कि अन्य वस्तुओं के बदले में इसका आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।

पेड़ लगाएं : कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका हमें जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है, ताकि मनुष्य व अन्य जीव जन्तु, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे के समाधान के लिए सुझाए गए उपायों का पालन करें। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने घर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएं। पृथ्वी को जीवित रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित करना बंद करना होगा।

Frequently Asked Question (FAQs)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index) दैनिक आधार पर वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट करने के लिए एक सूचकांक है।

प्रदूषण पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए आप इस लेख को संदर्भित कर सकते हैं। इस लेख में प्रदूषण पर निबंध से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं, जिन्हे वायु प्रदूषण (Air Pollution), जल प्रदूषण (Water Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay), मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) के रूप में जाना जाता है। 

पटाखों के इस्तेमाल पर कमी, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, वाहनों के उपयोग पर कमी और अपने आस-पास स्वच्छता रखकर प्रदूषण में कमी की जा सकती है। 

सांविधिक संगठन, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वर्ष 1974 में गठित किया गया था।

पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण है। प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया गया है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi)

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण वर्तमान समय पूरे विश्व में विशेषरुप से औद्योगिकीकरण के कारण बड़े शहरों में सबसे बड़ी समस्या है। पर्यावरण में धूंध, धुआं, विविक्त, ठोस पदार्थों आदि का रिसाव शहर के वातावरण को संकेन्द्रित करता है जिसके कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी खतरनाक बीमारी हो जाती हैं। लोग दैनिक आधार पर बहुत सा गंदा कचरा फैलाते हैं, विशेषरुप से बड़े शहरों में जो बहुत बड़े स्तर पर शहर के वातावरण को प्रदूषित करने में अपना योगदान देता है। मोटर साइकिल (बाइक), औद्योगिक प्रक्रिया, कचरे को जलाना आदि के द्वारा निकलने वाला धुआं और प्रदूषित गैसें वायु प्रदूषण में में अपना योगदान देती हैं। कुछ प्राकृतिक प्रदूषण भी जैसे पराग-कण, धूल, मिट्टी के कण, प्राकृतिक गैसें आदि वायु प्रदूषण के स्त्रोत है।

वायु प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Air Pollution in Hindi, Vayu Pradushan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

वायु प्रदूषण की परिभाषा

हमारे जीवन के लिए अनिवार्य वायु का, दूषित हो जानावायु प्रदुषण कहलाता है।वायु प्रदूषण के मानव निर्मित साधन उद्योग, कृषि, ऊर्जा सयंत्र, स्वचलित वाहन, घरेलू स्त्रोत आदि है। मानव निर्मित साधनों से कुछ वायु प्रदूषण जैसे धूम्रपान, धूल, धुएं, पार्टिकुलेट पदार्थ, रसोई से गैस, घरेलू ऊष्मा, विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशकों का उपयोग, खर-पतवार को मारने के लिये प्रयोग की जाने वाली विषाक्त गैसें, ऊर्जा संयत्रों से निकलने वाली ऊष्मा, फ्लाई ऐश आदि से होता है।

वायु प्रदूषण के कारण और प्रभाव

फैक्टरियों , वाहनों आदि से निकलने वाला धुआँ वायु प्रदुषण का एक प्रमुख कारण है। ओज़ोन परत का क्षय होना और पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई भी वायु प्रदुषण का कारन है। वायु हमारे श्वसन के लिए अनिवार्य है। वायु का दूषित होना हमारे लिए संकट खड़ा कर सकता है। 

वायु प्रदूषण पर नियंत्रण

बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लहणे चाहिए। हमें पेट्रोलियम की जगह प्राकृतिक गैसों का इस्तेमाल करना चाहिए।औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।

वायु प्रदूषण को जड़ से खत्म करना हम सब का दायित्व है। वायु प्रदुषण एक विकराल समस्या है , जो हमारे अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह है। अतः सरकार के साथ ही साथ प्रत्येक नागरिक को इस प्रदुषण से निजाद पाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Air Pollution in Hindi

निबंध 2 (300 शब्द)

जब शुद्ध ताजी हवा धूल, धुआं, विषैली गैसों, मोटर वाहनों, मिलों और कारखानों आदि के कारण प्रदूषित होती है, तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, ताजी हवा स्वस्थ्य जीवन का बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है, हमें यह सोचने की जरुरत है, तब क्या होगा जब पूरे वातावरण की वायु गंदी हो जायेगी। सबसे पहले वायु प्रदूषण पूरी मानव जाति के लिये बड़े खेद की बात है। वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख बड़े कारकों में भोले किसानों को द्वारा अपनी फसल की ऊपज को बढ़ाने के लिये विषैले उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग है। इन उर्वरकों से रासायनिक और खतरनाक गैसें (अमोनिया) निकलती हैं, और वायु में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनती है।

जीवाश्म ईधन का जलना जैसे; कोयला, पैट्रोलियम जिसमें अन्य कारखानों के जलावन भी शामिल है, आदि वायु प्रदूषण के मुख्य कारक हैं। मोटर वाहनों और स्वचलित वाहनों से निकलने वाला विभिन्न प्रकार का धुआं जैसे कारों, बसों, बाइक, ट्रक, जीप, ट्रेन, हवाई जहाज आदि भी वायु प्रदूषण का कारण हैं। उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण विषैले औद्योगिक धुएं और हानिकारक गैसें (जैसे कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बनिक यौगिकों, हाइड्रोकार्बन, रसायन, आदि) कारखानों तथा मिलों में से पर्यावरण में छोड़ी जाती हैं। कुछ घरेलू गतिवधियाँ जैसे सफाई करने के लिये अज्ञानतावश सफाई उत्पादकों का प्रयोग करना, कपड़े धोने का पाउडर, पेंट आदि भी बहुत से विषैले रसायनों को वायु में छोड़ता है।

लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने इसके सजीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभावों को भी बढ़ाया है। वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है क्योंकि वातावरण का तापमान ग्रीन हाउस गैसों के स्तर के बढ़ने के कारण ही बढ़ रहा है। ये ग्रीन हाउस गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव और बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर, ग्लेशियर का पिघलना, मौसम का बदलना, जलवायु का बदलना आदि को फिर से बढ़ाती हैं। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण कई घातक रोगों (कैंसर, हार्टअटैक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गुर्दें की बीमारियाँ आदि) और मृत्यु का कारण बन रहा है। बहुत से महत्वपूर्ण पशुओं और पेड़-पौधों की प्रजातियाँ इस ग्रह से पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ना अम्लीय वर्षा और ओजोन परत के क्षरण का कारण बन रहा है।

निबंध 3 (400 शब्द)

वातावरण की ताजी हवा में हानिकारक और विषैले पदार्थों का लगातार बढ़ना वायु प्रदूषण का कारण है। विभिन्न बाह्य तत्वों, विषाक्त गैसों और अन्य मानवीय क्रियाओं के कारण उत्पन्न प्रदूषण ताजी हवा को प्रभावित करता है जो प्रतिकूलता से फिर मानव जीवन, पेड़-पौधों और पशुओं को प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण का स्तर उन सभी प्रदूषणों पर निर्भर करता है जो विभिन्न स्त्रोतों से निकलता है। स्थलाकृति और मौसम की स्थिति प्रदूषण की निरंतरता को बढ़ा रही हैं। उद्योगों में विनिर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के कच्चे माल से हानिकारक गैसों के उत्सर्जन की मात्रा बढ़ती जा रही है। बढ़ता हुआ जनसंख्या घनत्व और अधिक औद्योगिकीकरण की मांग कर रहा है, जो आखिरकार वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

वायु प्रदूषण हानिकारक तरल बूंदों, ठोस पदार्थों और विषाक्त गैसों (कार्बन ऑक्साइड, हलोगेनटेड और गैर- हलोगेनटेड हाईड्रोकार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर गैसें, अकार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक और कार्बनिक अम्ल, बैक्टीरिया, वायरस, कीटनाशक आदि) का मिश्रण है, जो सामान्यतः ताजी हवा में नहीं पाये जाते और पेड़-पौधों और पशुओं के जीवन के लिये बहुत खतरनाक है। वायु प्रदूषण दो प्रकार का होता है जोकि प्राकृतिक और मानव निर्मित स्त्रोत है। वायु प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्रोतों जैसे, ज्वालामुखी विस्फोट, ज्वालामुखी (राख, कार्बन डाइऑक्साइड, धुआं, धूल, और अन्य गैसें), रेत संकुचन, धूल, समुद्र और महासागर की लवणीयता, मिट्टी के कण, तूफान, जंगलों की आग, ब्रह्मांडीय कण, किरण, क्षुद्रग्रह सामग्री की बमबारी, धूमकेतु से स्प्रे , पराग अनाज, कवक बीजाणु, वायरस, बैक्टीरिया आदि है।

वायु प्रदूषण के मानव निर्मित साधन उद्योग, कृषि, ऊर्जा सयंत्र, स्वचलित वाहन, घरेलू स्त्रोत आदि है। मानव निर्मित साधनों से कुछ वायु प्रदूषण जैसे धूम्रपान, धूल, धुएं, पार्टिकुलेट पदार्थ, रसोई से गैस, घरेलू ऊष्मा, विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशकों का उपयोग, खर-पतवार को मारने के लिये प्रयोग की जाने वाली विषाक्त गैसें, ऊर्जा संयत्रों से निकलने वाली ऊष्मा, फ्लाई ऐश आदि से होता है। वायु प्रदूषण की संख्या बढ़ने के कारण इसे दो प्रकार में बांटा गया, प्राथमिक प्रदूषण, और द्वितीयक प्रदूषण। प्राथमिक प्रदूषण वो है जो प्रत्यक्ष रुप से ताजी हवा को प्रभावित करता है और धुआं, राख, धूल, धुएं, धुंध, स्प्रे, अकार्बनिक गैसों, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, नाइट्रिक ऑक्साइड और रेडियोधर्मी यौगिकों से उत्सर्जित होता है। द्वितीयक प्रदूषक वो हैं जो वायु को अप्रत्यक्ष रुप प्राथमिक कारकों के साथ रासायनिक क्रिया करके जैसे सल्फर ट्राई ऑक्साइड, ओजोन, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, आदि से प्रभावित करते हैं।

पूरी दुनिया के लोगों के सामूहिक प्रयासों के द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये (फिल्टर और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर्स के साथ), छोटे तापमान सूचकों के स्थान पर उच्च तापमान संकेतकों को प्रोत्साहन, ऊर्जा के अज्वलनशील स्रोतों का उपयोग करना, पैट्रोल में गैर-नेतृत्वकारी एन्टीनॉक ऐजेंट के प्रयोग को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और भी बहुत से सकारात्मक प्रयासों को करना।

Essay on Air Pollution in Hindi

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प्रदूषण पर निबंध – Pollution / Pradushan Essay in Hindi Pdf Download

Pradushan Essay in Hindi

प्रदूषण तब होता है जब पर्यावरण में कुछ जीवित चीजों को हानिकारक या जहरीला तत्त्व आ जाते है। जल निकायों में प्रदूषित पानी या कचरा प्रदूषण का एक प्रकार है। दूसरे शब्दों में, प्रदूषण का मतलब कार्बन मोनोऑक्साइड आदि जैसे प्रदूषकों के उत्सर्जन के कारण पर्यावरण में अचानक परिवर्तन होता है। पीने के पानी में सीवेज एक और प्रकार का प्रदूषण है, जिसमें रोगाणु होते हैं और वायरस। 3 प्रकार के प्रदूषण हैं: जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, और शोर प्रदूषण। अगर आपको भी pradushan par nibandh in hindi, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध, पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध इन हिंदी, आदि की जानकारी देंगे|

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में

प्रस्तावना : विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं। प्रदूषण का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं – वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण । वायु-प्रदूषण : महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है। जल-प्रदूषण : कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल-प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है। ध्वनि-प्रदूषण : मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है। प्रदूषणों के दुष्परिणाम: उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है। प्रदूषण के कारण : प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है। सुधार के उपाय : विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।

निबंध in hindi

प्रस्तावना वर्तमान युग में तरक्की के कारण पृथ्वी वह मुख्य समस्या बनकर उभरा है जो पृथ्वी के वातावरण को प्रभावित कर रहा है। इसमें कोई शक नही है कि प्रदूषण हमारे पर्यावरण और समान्य जीवन स्तर को प्रभावित कर रहा है। हमारा प्राकृतिक पर्यावरण हमारे मूर्खतापूर्ण कार्यों के कारण दिन-प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है, जिससे हम खुद भी प्रभावित हो रहे है। प्रदूषण के प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण कुछ ऐसे मुख्य प्रदूषण है, जिनके कारण पर्यावरण दिन-प्रतिदिन प्रभावित होता जा रहा है। इन्हीं मुख्य प्रदूषणों के विषय में नीचे विस्तार से जानकारी दी गयी है। जल प्रदूषण जल प्रदूषण वह बड़ी समस्या है जो प्रत्यक्ष रुप से जलीय जीवन को प्रभावित करता है क्योंकि जलीय जीव अपने आहार तथा पोषण के लिए पूर्ण रुप से पानी पर निर्भर करते है। लगातार जलीय जीवों के विलुप्त होने कारण मनुष्यों के रोजगार और भोजना श्रृंखला पर भी खतरा मंडराने लगा है। कारखानों से निकला हानिकारक रसायन, सीवेज, फार्म से निकले कचरों को सीधे तौर पर नदियों, झीलों और समुद्र जैसे जल स्त्रोंतों में निस्तारित कर दिया जाता है। जिससे यह पानी दूषित हो जाता है और कई तरह की बीमारियां उत्पन्न करता। भूमि प्रदूषण भूमि प्रदूषण काफी ज्यादे मात्रा में कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के कारण होता है। इनके उपयोग से पैदा होने वाली फसलों का सेवन करने से सेहत पर कई तरह के हानिकारक प्रभाव उत्पन्न होते है। ध्वनि प्रदूषण हैवी मशीनरी, टेलीवीजन, रेडियों और स्पीकर आदि ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत है। जिसके कारण बहरेपन की भी समस्या हो सकती है, ध्वनि प्रदूषण के कारण बुजुर्ग व्यक्ति सबसे अधिक प्रभावित होते है और इसके कारण उनमें हृदयघात और तनाव जैसी बीमारियां भी उत्पन्न हो जाती है। निष्कर्ष हर प्रकार का प्रदूषण हमारे लिए काफी खतरनाक होता है और हमें इसके काफी गंभीर परिणाम भुगतने होते है। इसके अलावा हमें पर्यावरण का ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि हम प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बनाये रख सके। इस समस्या से निपटने के लिए हम सबको संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता है, जिससे हम पृथ्वी पर स्वच्छ और अप्रदूषित वातावरण बनाये रख सके। इस प्रदूषण को रोककर हम अपने ग्रह पर निवास करने वाले कई सारे मासूम जीवों के लिए वातावरण को उनके अनुकूल बनाकर उन्हें बचा पायेंगे।

प्रदूषण की समस्या पर निबंध

The environmental pollution essay

प्रस्तावना आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुका है। इसने हमारे पृथ्वी को पूर्ण रुप से बदल कर रख दिया है और दिन-प्रतिदिन पर्यावरण को क्षति पहुंचाते जा रहे है, जोकी हमारे जीवन को और भी ज्यादे मुश्किल बनाते जा रहा है। कई तरह के जीव और प्रजातियां प्रदूषण के इन्हीं हानिकारक प्रभवों के कारण धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहीं है। प्रदूषण को इसके प्रकृति के आधार पर कई वर्गों में बांटा गया है, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण हमारे ग्रह को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचा रहे है। इन्हीं प्रदूषणों के प्रकार, इनके कारणों, प्रभावों और रोकथाम के विषय में नीचे चर्चा कि गयी है। प्रदूषण के प्रकार यह है मुख्य प्रकार के प्रदूषण उनके कारण तथा उनके द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभाव, जोकि हमारे पर्यावरण और दैनिक जीवन को कई तरह से प्रभावित करते है। 1.वायु प्रदूषण वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है। वायु प्रदूषण का प्रभाव सिर्फ मानव स्वास्थ्य तक ही सीमित नही है बल्कि की पर्यावरण पर भी इसके काफी विपरीत प्रभाव होते है, जिससे की ग्लोबल वार्मिंग जैसी भयावह समास्याएं उत्पन्न हो जाती है। 2.जल प्रदूषण उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है। यह प्रदूषक पानी में मिलकर हमारे स्वास्थ्य को भी खराब करते है। इसके साथ ही जल प्रदूषण की यह समस्या जलीय जीवन के लिए भी एक गंभीर समस्या बन गयी है, जिसके कारण प्रत्येक दिन कई सारे जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है। 3.भूमि प्रदूषण वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है। इसके साथ ही भारी मात्रा में उत्पन्न होने वाले कचरे से भूमि विषाक्त भी हो जाती है। लगातार कीटनाशकों और दूसरे रसायनों का इस्तेमाल करने के कारण भी भूमि प्रदूषण में वृद्धि होती है। इस तरह के प्रदूषण को भूमि प्रदूषण के नाम से जाना जाता है। 4.ध्वनि प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है। 5.प्रकाश प्रदूषण प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। 6.रेडियोएक्टिव प्रदूषण रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है। रेडियोएक्टिव तत्व पर्यावरण को काफी हानिकारक रुप से नुकसान पहुंचाते है, यह प्रदूषक जल स्त्रोतों में मिलकर उन्हें प्रदूषित कर देते हैं, जिससे यह हमारे उपयोग योग्य नही रह जाते है। 7.थर्मल प्रदूषण थर्मल प्रदूषण का तात्पर्य जल स्त्रोतों के तापमान में एकाएक होने वाले परिवर्तन से है। यह कोई मामूली परिवर्तन नही है क्योंकि यह पूरे पर्यावरण तंत्र का संतुलन बिगाड़ने की क्षमता रखता है। कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। शीतलक के रुप में इस्तेमाल किया गया यह पानी जब एकाएक जल स्त्रोतों में वापस छोड़ा जाता है, तब यह पानी में मौजूद आक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है क्योंकि गैसे गरम पानी में कम घुलनशील होती है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। 8.दृश्य प्रदूषण मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि। दृष्य प्रदूषण के लगातार संपर्क में आने से आंखों की थकान, तनाव, अवसाद जैसी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। इसी अनियोजित और अनियमित निर्माण के कारण दृश्य प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है। विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

The environmental pollution essay

Introduction In the modern world of technological advancement, pollution has become a serious environmental issue affecting the lives on earth. Pollution is undoubtedly affecting the whole environment and ecosystem and thus the normal quality of life. Our naturally beautiful environment on the earth is deteriorating day by day just by the foolish acts of human beings and the irony is that they themselves are getting affected by their deeds. Types of Pollution Some of the most important types of the pollution are air pollution, water pollution, soil pollution and noise pollution. Major types of pollution are given as below: Air Pollution The main cause of air pollution is the heavy emissions of harmful and poisonous gases coming from the increasing number of vehicles, factories and open burning. Most of the air pollution is carried out by the transportation system on daily basis. Carbon dioxide and carbon monoxide are the toxic gases polluting the air and reducing the oxygen level in the environment. Some other habits like open burning of household garbage and leftovers of crops etc are also worsening the air quality. Air pollution causes respiratory disorders including lung cancer among human beings. Water Pollution Water pollution is also a big issue directly affecting the marine life as they only depend on the nutrients found in the water for their survival. Gradual disappearance of the marine life would really affect the livelihood of human beings and animals. Harmful wastes from factories, industries, sewage systems, farms etc are directly dumped into the main sources of water like rivers, lakes and oceans making the water contaminated. Drinking contaminated water can cause various water borne diseases. Soil Pollution Soil pollution is caused by the excessive use of fertilizers, fungicides, herbicides, insecticides and other chemical compounds. This contaminates the crop produced on the soil and this when consumed can cause severe health hazards. Noise Pollution The source of noise pollution is the noise created from the heavy machinery, vehicles, radio, TV, speakers etc which causes hearing problems and sometimes deafness. Noise pollution highly affects the elderly people and might also lead to heart attacks and depression. Conclusion Each and every type of pollution is dangerous and might result in a very serious consequence. We should take care of our environment to maintain the natural ecosystem. It requires a joint effort from everyone to get control over the issue of pollution so that we can get a healthy and unpolluted environment. Preventing pollution is also very important to save other innocent species on earth and make the environment suitable for them.

Pollution essay in english

Environmental pollution occurs when pollutants contaminate the natural surroundings. Pollution disturbs the balance of our ecosystems, affect our normal lifestyles and gives rise to human illnesses and global warming. Pollution has reached its peak due to the development and modernization in our lives. With the development of science and technology, there has been a huge growth of human potentials. People have become prisoners of their own creations. We waste the bounties of our nature without a thought that our actions cause serious problems. We must deepen our knowledge of nature`s laws and broaden our understanding of the laws of the human behavior in order to deal with pollution problems. So, it is very important to know different types of pollutions, their effects and causes on humanity and the environment we live in. Types, causes, and effects of pollution Air pollution is one of the most dangerous forms of pollution. A biological, chemical, and physical alteration of the air occurs when smoke, dust, and any harmful gases enter into the atmosphere and make it difficult for all living beings to survive as the air becomes contaminated. Burning of fossil fuels, agriculture related activities, mining operations, exhaust from industries and factories, and household cleaning products entail air pollution. People release a huge amount of chemical substances in the air every day. The effects of air pollution are alarming. It causes global warming, acid rains, respiratory and heart problems, and eutrophication. A lot of wildlife species are forced to change their habitat in order to survive. Soil pollution occurs when the presence of pollutants, contaminants, and toxic chemicals in the soil is in high concentration that has negative effect on wildlife, plants, humans, and ground water. Industrial activity, waste disposal, agricultural activities, acid rain, and accidental oil spill are the main causes of soil pollution. This type of contamination influence health of humans, affects the growth of plants, decreases soil fertility, and changes the soil structure. Water pollution is able to lead our world on a path of destruction. Water is one of the greatest natural resources of the whole humanity. Nothing will be able to live without water. However, we do not appreciate this gift of nature and pollute it without thinking. The key causes of the water pollution are: industrial waste, mining activities, sewage and waste water, accidental oil leakage, marine dumping, chemical pesticides and fertilizers, burning of fossil fuels, animal waste, urban development, global warming, radioactive waste, and leakage from sewer lines. There is less water available for drinking, cooking, irrigating crops, and washing. Light pollution Light pollution occurs because of the prominent excess illumination in some areas. Artificial lights disrupt the world`s ecosystems. They have deadly effects on many creatures including mammals, plants, amphibians, insects, and birds. Every year many bird species die colliding with needlessly illuminated buildings. Moreover, artificial lights can lead baby sea turtles to their demise. Noise pollution takes place when noise and unpleasant sounds cause temporary disruption in the natural balance. It is usually caused by industrialization, social events, poor urban planning, household chores, transportation, and construction activities. Noise pollution leads to hearing problems, health issues, cardiovascular issues, sleeping disorders, and trouble communicating. Moreover, it affects wildlife a lot. Some animals may suffer from hearing loss while others become inefficient at hunting. It is very important to understand noise pollution in order to lower its impact on the environment. Radioactive pollution is the presence of radioactive substances in the environment. It is highly dangerous when it occurs. Radioactive contamination can be caused by breaches at nuclear power plants or improper transport of radioactive chemicals. Radioactive material should be handled with great care as radiation destroys cells in living organisms that can result in illness or even death.

जल प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या है । प्रकृति और पर्यावरण के प्रेमियों के लिए यह भारी चिंता का विषय बन गया है । इसकी चपेट में मानव-समुदाय ही नहीं, समस्त जीव-समुदाय आ गया है । इसके दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहे हैं । प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है-गंदगी । वह गंदगी जो हमारे चारों ओर फैल गई है और जिसकी गिरफ्त में पृथ्वी के सभी निवासी हैं उसे प्रदूषण कहा जाता है । प्रदूषण को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण । ये तीनों ही प्रकार के प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं। वायु और जल प्रकृति-प्रदत्त जीवनदायी वस्तुएँ हैं । जीवों की उत्पत्ति और जीवन को बनाए रखने में इन दोनों वस्तुओं का बहुत बड़ा हाथ है । वायु में जहाँ सभी जीवधारी साँस लेते हैं वहीं जल को पीने के काम में लाते हैं । लेकिन ये दोनों ही वस्तुएं आजकल बहुत गंदी हो गई हैं । वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण इसमें अनेक प्रकार की अशुद्ध गैसों का मिल जाना है । वायु में मानवीय गतिविधियों के कारण कार्बन डायऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसे प्रदूषित तत्व भारी मात्रा में मिलते जा रहे हैं । जल में नगरों का कूड़ा-कचरा रासायनिक पदार्थों से युक्त गंदा पानी प्रवाहित किया जाता रहा है । इससे जल के भंडार; जैसे-तालाब, नदियाँ,झीलें और समुद्र का जल निरंतर प्रदूषित हो रहा है । ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है – बढ़ती आबादी के कारण निरंतर होनेवाला शोरगुल । घर के बरतनों की खट-पट, मशीनों की खट-पट और वाद्‌य-यंत्रों की झन-झन दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है । वाहनों का शोर, उपकरणों की चीख और चारों दिशाओं से आनेवाली विभिन्न प्रकार की आवाजें ध्वनि प्रदूषण को जन्म दे रही हैं । महानगरों में तो ध्वनि-प्रदूषण अपनी ऊँचाई पर है । प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में विचार करें तो ये बड़े गंभीर नजर आते हैं । प्रदूषित वायु में साँस लेने से फेफड़ों और श्वास-संबंधी अनेक रोग उत्पन्न होते हैं । प्रदूषित जल पीने से पेट संबंधी रोग फैलते हैं । गंदा जल, जल में निवास करने वाले जीवों के लिए भी बहुत हानिकारक होता है । ध्वनि प्रदूषण मानसिक तनाव उत्पन्न करता है । इससे बहरापन, चिंता, अशांति जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है । आधुनिक वैज्ञानिक युग में प्रदूषण को पूरी तरह समाप्त करना टेढ़ी खीर हो गई है । अनेक प्रकार के सरकारी और गैर-सरकारी प्रयास अब तक नाकाफी सिद्ध हुए हैं । अत: स्पष्ट है कि जब तक जन-समूह निजी स्तर पर इस कार्य में सक्रिय भागीदारी नहीं करता, तब तक इस समस्या से निबटना असंभव है । हरेक को चाहिए कि वे आस-पास कूड़े का ढेर व गंदगी इकट्‌ठा न होने दें । जलाशयों में प्रदूषित जल का शुद्धिकरण होना चाहिए । कोयला तथा पेट्रोलियम पदार्थों का प्रयोग घटा कर सौर-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, बायो गैस, सी.एन.जी, एल.पी.जी, जल-विद्‌युत जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों का अधिकाधिक दोहन करना चाहिए । हमें जंगलों को कटने से बचाना चाहिए तथा रिहायशी क्षेत्रों में नए पेड़ लगाने चाहिए । इन सभी उपायों को अपनाने से वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को घटाने में काफी मदद मिलेगी । ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ ठोस एवं सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है । रेडियो, टी.वी. , ध्वनि विस्तारक यंत्रों आदि को कम आवाज में बजाना चाहिए । लाउडस्पीकरों के आम उपयोग को प्रतिबंधित कर देना चाहिए । वाहनों में हल्के आवाज वाले ध्वनि-संकेतकों का प्रयोग करना चाहिए । घरेलू उपकरणों को इस तरह प्रयोग में लाना चाहिए जिससे कम से कम ध्वनि उत्पन्न हो । निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रदूषण को कम करने का एकमात्र उपाय सामाजिक जागरूकता है । प्रचार माध्यमों के द्वारा इस संबंध में लोगों तक संदेश पहुँचाने की आवश्यकता है । सामूहिक प्रयास से ही प्रदूषण की विश्वव्यापी समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है ।

वायु प्रदूषण पर निबंध

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भूमिका : मनुष्य प्रकृति की एक सर्वश्रेष्ठ रचना है। जब तक मनुष्य प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करता है तब तक उसका जीवन सभी और सहज बना रहता है। लेकिन विज्ञान के इस युग में मानव को जहाँ पर कुछ वरदान मिले हैं वहीं पर अभिशाप भी दिए हैं। प्रदुषण प्राणी के लिए एक ऐसा अभिशाप है जो विज्ञान की कोख से जन्मा है जिसे सहने के लिए ज्यादातर लोग मजबूर हैं। प्रदुषण आज के समय की एक गंभीर समस्या बन चुकी है। जो लोग प्रकृति और पर्यावरण प्रेमी हैं उनके लिए यह बहुत ही चिंता का विषय है। प्रदुषण से केवल मनुष्य समुदाय ही नहीं बल्कि पूरा जीव समुदाय प्रभावित हुआ है। इसके दुष्प्रभावों को चारो तरफ देखा जा सकता है। पिछले कुछ सालों से प्रदुषण बहुत अधिक मात्रा में बढ़ा है कि भविष्य में मनुष्य जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल हो जायेगा। प्रदुषण का अर्थ एवं स्वरूप : प्रदुषण का अर्थ होता है – गंदगी या प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। स्वच्छ वातावरण में ही जीवन का विकास संभव होता है। जब हमारे वातावरण में कुछ खतरनाक तत्व आ जाते हैं तो वे वातावरण को दूषित कर देते हैं। यह गंदा वातावरण हमारे स्वास्थ्य के लिए अनेक तरह से हानिकारक होता है। इस तरह से ही वातावरण के दूषित होने को ही प्रदुषण कहते हैं। औद्योगिक क्रांति की वजह से पैदा होने वाले कूड़े-कचरे के ढेर से प्रथ्वी की हवा और जल प्रदूषित हो रहे हैं। वायु प्रदुषण :- वायु हमारे जीवन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्त्रोत होती है। जब वायु में हानिकारक गैसें जैसे कार्बन-डाई-आक्साइड और कार्बन-मोनो-आक्साइड मिलते हैं तो वायु को प्रदूषित कर देते हैं इसे ही वायु प्रदुषण कहते हैं। बहुत से कारणों से जैसे- पेड़ों का काटा जाना , फैक्ट्रियों और वाहनों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदुषण होता है। वायुप्रदुषण की वजह से अनेक तरह की बीमारियाँ भी हो जाती हैं जैसे – अस्थमा , एलर्जी , साँस लेने में समस्या होना आदि। जब मुम्बई की औरतें धुले हुए कपड़ों को छत से उतारने के लिए जाती हैं तो उन पर काले-काले कणों को जमा हुआ देखती हैं। जब ये कण साँस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं जिसकी वजह से मनुष्य को असाध्य रोग हो जाते हैं। वायु प्रदुषण को रोकना बहुत ही आवश्यक है। जल प्रदुषण : जल के बिना किसी भी प्रकार से जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जब इस जल में बाहरी अशुद्धियों की वजह से दूषित हो जाता है इसे ही जल प्रदुषण कहते हैं। जब बड़े-बड़े नगरो और शहरों के गंदे नालों और सीवरों के पानी को नदियों में बहा दिया जाता है और यही पानी हम पीते हैं तो हमें हैजा, टाइफाइड , दस्त जैसे रोग हो जाते हैं।

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वायु प्रदूषण पर निबंध | Air Pollution Essay On Hindi

वायु प्रदूषण, एक समस्या जो हमारे प्राकृतिक सौंदर्य को खतरे में डाल रही है और मानव स्वास्थ्य को भी धीरे-धीरे गंभीर खतरे के रूप में उभर रही है।

आजकल, वायुमंडल में बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण हवा में मिले हुए विषाणु, धूल, और अन्य कणों का स्तर चरम सीमा तक पहुँच गया है, जिससे हमारे आसपास का वातावरण अस्वस्थ हो रहा है।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम वायु प्रदूषण के विषय पर चर्चा करेंगे और इस समस्या के प्रमुख कारणों, प्रभावों और समाधानों को जानेंगे।

वायुमंडल में बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए हमें सामूहिक उपायों की ओर कदम बढ़ाना होगा ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ और हरित पर्यावरण में आनंद लेने का अवसर दे सकें।

इस ब्लॉग पोस्ट में वायु प्रदूषण के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें और हम सभी को इस समस्या के समाधान में योगदान करने के लिए एकजुट होने का संकल्प करें।

वायु प्रदूषण: एक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय संकट

प्रस्तावना:

आधुनिक युग में हमारे जीवन को अनगिनत सुविधाएं मिली हैं, लेकिन इसके साथ ही हम एक और समस्या का सामना कर रहे हैं - वायु प्रदूषण।

वायु प्रदूषण ने हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को बड़े प्रमाण में प्रभावित किया है, और इस समस्या का समाधान करने की आवश्यकता हमें एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।

वायु प्रदूषण का अर्थ:

वायु प्रदूषण वह स्थिति है जब वायुमंडल में विभिन्न विषाणु, धूल और कणों का संचार होता है, जिससे हवा में नकारात्मक प्रभाव पैदा होता है।

यह प्रदूषण सबसे अधिक उच्चाधिक क्षेत्रों में होता है, जहां उच्चतम सांद्रता में विषाणुओं का संचार होता है।

यह नकारात्मक प्रभाव स्वास्थ्य, जीवों, और पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

वायु प्रदूषण के कारण:

उद्योगिक क्रियाएं: उद्योगों का तेजी से बढ़ता हुआ उपयोग और उनके उत्पादों के निर्माण में उपयोग होने वाली ऊर्जा स्रोतों का अत्यधिक उपयोग वायु प्रदूषण को बढ़ा देता है।

वाहनों का प्रदूषण: बढ़ती जनसंख्या के साथ ही वाहनों की संख्या भी बढ़ रही है, जिससे वाहनों द्वारा उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है।

कृषि और उपयोगिता: कृषि में उपयोग होने वाले औषधियों, उर्वरकों, और पेस्टिसाइड्स का अत्यधिक प्रयोग भी वायु प्रदूषण का कारण बन सकता है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव:

स्वास्थ्य प्रभाव: वायु प्रदूषण के कारण विभिन्न श्वासयंत्रों और बीमारियों का अधिक खतरा होता है, जो मानव स्वास्थ्य को बड़े प्रमाण में प्रभावित कर सकता है।

पर्यावरण प्रभाव: वायु प्रदूषण से पर्यावरण को भी नुकसान होता है, जिससे पेड़-पौधों को सुरक्षित रहने में कठिनाई होती है और जीवों के लिए उपयोगी प्रदान होने वाली ऊर्जा का स्रोत भी कम हो जाता है।

वायु प्रदूषण के समाधान:

सामूहिक जागरूकता: लोगों को वायु प्रदूषण के प्रभावों के बारे में जागरूक करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सामूहिक जागरूकता के माध्यम से ही हम समस्या का समाधान कर सकते हैं।

पर्यावरण के प्रति सजगता: लोगों को पर्यावरण के प्रति सजग बनाने के लिए हमें अपने उपायों को सही तरीके से बदलना होगा, जैसे कि अपनी गाड़ी का सही से देखभाल करना, बाइक और कार की बजाय सार्थक सार्थक यात्रा करना आदि।

नए ऊर्जा स्रोतों का उपयोग: नए और साफ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके हम वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, और हाइब्रिड वाहनों का प्रयोग इस मामले में मददगार हो सकता है।

सुरक्षात्मक स्लोक:

"पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी का धर्म है, इसे सुरक्षित बनाएं और स्वस्थ जीवन बिताएं।"

"प्रदूषण को कम करने के लिए हमें संयमित जीवन जीना होगा, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को एक हरित पर्यावरण मिल सके।"

"स्वच्छ वायु, स्वस्थ जीवन - हम सभी की जिम्मेदारी है इसे बनाए रखना।"

समाप्ति:

इस निबंध के माध्यम से हमने वायु प्रदूषण की समस्या को गहराई से जाना है और इसके समाधान के लिए कुछ कदम सुझाए हैं।

हमें सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना होगा, लेकिन यह हमारे आने वाले पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आइए हम सभी मिलकर इस समस्या के समाधान में योगदान करें और एक सुंदर और स्वस्थ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं।

वायु प्रदूषण निबंध हिंदी 100 शब्द

वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है।

उद्योग, वाहनों, और अन्य गतिविधियों से निकलने वाले विषाणु, कण, और धूल के कारण हवा में प्रदूषण हो रहा है।

यह हमारी सांसों को बुरा प्रभावित करके अस्तित्व को खतरे में डाल रहा है।

हमें सभी को सजग बनना और साफ हवा की रक्षा के लिए उपायों को अपनाना चाहिए।

नई ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग और सजीव जीवन की रक्षा में सहयोग करना हमारी जिम्मेदारी है।

वायु प्रदूषण निबंध हिंदी 150 शब्द

वायु प्रदूषण एक चिंताजनक समस्या है जो हमारे पर्यावरण को अस्तित्व से खतरे में डाल रही है।

उद्योग, वाहन, और अन्य असुविधाजनक कारणों से वायुमंडल में विषाणु, कण, और धूल का मिश्रण हो रहा है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

यह सांसों के रासायनिक स्तर को बढ़ाकर अस्तित्व को खतरे में डाल रहा है और बच्चों और बूढ़ों को खासकर प्रभावित कर रहा है।

हमें एक सामूहिक प्रयास के माध्यम से स्वच्छ और स्वस्थ हवा की रक्षा के लिए कदम उठाना होगा।

सड़कों पर वाहनों की प्रबंधन, और नई ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

वायु प्रदूषण निबंध हिंदी 200 शब्द

वायु प्रदूषण: सुरक्षित हवा की दिशा में कदम बढ़ाना

उद्योग, वाहनों, और अन्य उपयोगिताओं के कारण हवा में विषाणु, कण, और धूल का मिश्रण हो रहा है, जिससे वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ रहा है।

इससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं, और पेड़-पौधे भी प्रभावित हो रहे हैं।

हमें इस समस्या का समाधान करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।

नई ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग, सड़क पर वाहनों की प्रबंधन, और जनजागरूकता के माध्यम से हम सभी मिलकर इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।

हमें अपने उपायों में सुधार करके और प्रदूषण को रोकने के लिए सकारात्मक योजनाएं बनाकर साफ और स्वस्थ हवा की दिशा में कदम बढ़ाना होगा।

आइए हम सभी मिलकर वायु प्रदूषण के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन चलाएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ और सुरक्षित हवा का संरक्षण करें।

वायु प्रदूषण निबंध हिंदी 300 शब्द

आधुनिक जीवनशैली ने अनगिनत सुविधाएं दी हैं, लेकिन इसके साथ ही वायु प्रदूषण ने हमारे पर्यावरण को खतरे में डाल रखा है।

उद्योग, वाहनों, और अन्य उपयोगिताओं से निकलने वाले विषाणु, कण, और धूल का मिश्रण हवा में प्रदूषण का कारण बन रहा है।

वायु प्रदूषण के कारण व्यक्तियों को सांस लेने में मुश्किल हो रही है, और यह सांस की बीमारियों को भी बढ़ा रहा है।

स्वास्थ्य के प्रति नकारात्मक प्रभाव के अलावा, वायु प्रदूषण ने पर्यावरण को भी बुरी तरह प्रभावित किया है।

पेड़-पौधों को नुकसान हो रहा है, और जीवों के लिए सहारा बना रहने वाली ऊर्जा स्रोतों की कमी हो रही है।

इस समस्या का समाधान करने के लिए हमें सकारात्मक योजनाएं बनानी चाहिए।

नई ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग करना, वाहनों की प्रबंधन में सुधार करना, और जनजागरूकता फैलाना इसमें मदद कर सकते हैं।

हमें अपनी जिम्मेदारी समझकर इस समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठाना होगा।

इससे हम न केवल अपने स्वास्थ्य की रक्षा करेंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण भी प्रदान करेंगे।

हम सभी को मिलकर एक बेहतर भविष्य की दिशा में काम करना होगा ताकि हम आने वाले पीढ़ियों को स्वच्छ और हरित पर्यावरण में आनंद लेने का अवसर दे सकें।

वायु प्रदूषण निबंध हिंदी 500 शब्द

आधुनिक युग में हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए हमने अनेक विकासात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन इसके साथ ही हम ने एक और समस्या का सामना करना शुरू किया है - वायु प्रदूषण।

वायुमंडल में होने वाले विषाणु, कण, और धूल के बढ़ते स्तरों के कारण हमारी हवा बन रही है विषैली, जिससे हमारा स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं।

उद्योगिक और उपयोगिताएँ: बढ़ती औद्योगिकीकरण ने उद्योगों का तेजी से बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण में भी वृद्धि हो रही है।

कृषि और उपयोगिता: खेती में उपयोग होने वाले औषधियों, उर्वरकों, और पेस्टिसाइड्स का अत्यधिक प्रयोग भी वायु प्रदूषण का कारण बन सकता है।

वायु प्रदूषण 5 लाइन निबंध हिंदी

  • पर्यावरण का खतरा: वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जो हमारे पर्यावरण को बहुत ज्यादा प्रभावित कर रही है।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: यह हमारी स्वास्थ्य को बिगाड़ता है और बीमारियों को बढ़ावा देता है, विशेषकर श्वास और ह्रदय संबंधी समस्याएं।
  • उद्योग और वाहनों से उत्पन्न: उद्योगों और वाहनों के अधिक प्रयोग के कारण वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
  • जलवायु पर प्रभाव: वायु प्रदूषण ने जलवायु पर असर डालकर अधिकतम तापमान में वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
  • समाधान की आवश्यकता: हमें समृद्धि और योजनाबद्धता के साथ नए ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग करके और सार्थक यातायात प्रणालियों को बदलकर इस समस्या का समाधान करने की आवश्यकता है।

वायु प्रदूषण 10 लाइन निबंध हिंदी

  • पर्यावरण की सबसे बड़ी चुनौती: वायु प्रदूषण एक महत्वपूर्ण पर्यावरण समस्या है जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों को खतरे में डाल रही है।
  • उद्योग और वाहनों का योगदान: उद्योगों और वाहनों की बढ़ती संख्या ने वायु प्रदूषण को बढ़ावा दिया है, जिससे हमारी हवा प्रदूषित हो रही है।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: वायु प्रदूषण से उत्पन्न कण, गैसें, और विषाणुओं के कारण व्यक्तियों को सांस लेने में मुश्किल हो रही है, जिससे स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
  • जलवायु पर बुरा प्रभाव: वायु प्रदूषण ने जलवायु पर भी बुरा प्रभाव डाला है, जिससे आत्मसमर्पण की तापमान में वृद्धि हो रही है।
  • पेड़-पौधों की सुरक्षा: वायु प्रदूषण के कारण पेड़-पौधों को नुकसान हो रहा है, जिससे उनका संरक्षण करना मुश्किल हो रहा है।
  • सड़क परिवहन का सुधार: सार्थक यातायात और सार्थक परिवहन के साधनों का प्रयोग करके हम वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं।
  • नए ऊर्जा स्रोतों का उपयोग: नए और साफ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना और उन्हें प्रोत्साहित करना हमारी समस्या का समाधान करने में मदद कर सकता है।
  • जनजागरूकता का महत्व: लोगों को वायु प्रदूषण के प्रभावों के बारे में जागरूक करना और सही दिशा में कदम उठाने में जनजागरूकता का महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • प्रदूषण नियंत्रण मार्ग: सड़कों पर परिवहन की प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण के मार्गों को मजबूत करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
  • साजगी और सहयोग: हमें सभी को मिलकर साजगी बनाए रखना और समस्या का समाधान करने में सहयोग करना होगा, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण मिले।

वायु प्रदूषण 15 लाइन निबंध हिंदी

  • प्रस्तावना: आजकल का युग वायु प्रदूषण के खिलाफ एक लड़ाई का है, जिसमें हम सभी को योगदान देना होगा।
  • प्रदूषण के कारण: उद्योग, वाहन, और अन्य उपयोगिताओं से उत्पन्न विषाणु, कण, और धूल का मिश्रण हमारे वायुमंडल में बढ़ रहा है।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जिससे विभिन्न श्वासयंत्रों की समस्याएं बढ़ रही हैं।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: इससे पेड़-पौधों को हानि हो रही है और जीवों के लिए स्वास्थ्यकर ऊर्जा स्रोतों की कमी हो रही है।
  • वायु प्रदूषण के समाधान: नए ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग करना, सार्थक यातायात प्रणालियों को बदलना, और सामूहिक जागरूकता फैलाना इस समस्या का समाधान हो सकता है।
  • सार्थक यातायात: व्यक्तिगत और सार्थक यातायात का प्रोत्साहन करना और वाहनों की प्रबंधन में सुधार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • उपयोगिताओं का सही तरीके से प्रबंधन: उद्योगिक और उपयोगिता उद्योगों को सही तरीके से प्रबंधन करने के लिए कदम उठाना चाहिए।
  • जनजागरूकता: लोगों को वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
  • नए ऊर्जा स्रोतों की खोज: नए और साफ ऊर्जा स्रोतों की खोज करना और इन्हें बढ़ावा देना वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है।
  • योजनाबद्ध सामूहिक प्रयास: सामूहिक रूप से योजनाबद्धता और सहयोग करके हम वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं।
  • प्रदूषण नियंत्रण के कदम: प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न प्रयासों को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक है।
  • शिक्षा का महत्व: विभिन्न आयोजनों और शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को वायु प्रदूषण के खतरों के बारे में शिक्षित करना हमें जल्दी होना चाहिए।
  • संगठन और सरकार का समर्थन: सरकारों को इस समस्या के समाधान के लिए संगठनों और लोगों का समर्थन करना चाहिए।
  • तकनीकी उन्नति: तकनीकी उन्नति के माध्यम से हमें वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नए और सुरक्षित तरीके मिल सकते हैं।
  • समर्पितता: हम सभी को वायु प्रदूषण के खिलाफ समर्पित होकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण मिले।

वायु प्रदूषण 20 लाइन निबंध हिंदी

  • प्रस्तावना: वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रही है।
  • कारण: उद्योग, वाहन, और उपयोगिताएं वायुमंडल में विषाणु, कण, और धूल को मिलाकर प्रदूषित कर रही हैं।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: वायु प्रदूषण के कारण बढ़ रहे विषाणुओं से हमारे स्वास्थ्य को कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • पेड़-पौधों का हानि: वायु प्रदूषण की वजह से पेड़-पौधों को नुकसान हो रहा है और जंगलों का संरक्षण करना मुश्किल हो रहा है।
  • जलवायु पर प्रभाव: इससे तापमान में वृद्धि हो रही है और अधिकतम तापमान से जलवायु पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
  • वायुमंडल की धूल और कण: उद्योगों की धूल और वायुमंडल में उत्पन्न कण ने साफ और प्रदूषणमुक्त वायु को धूप के पर्यावरण से दूर कर दिया है।
  • प्रदूषण की घातकता: वायु प्रदूषण ने समुद्रों को गर्म कर रहा है, जिससे आंवलें बढ़ रही हैं और बर्फ घटकर तापमान में वृद्धि हो रही है।
  • सार्थक यातायात: शहरों में सार्थक यातायात और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बजाए व्यक्तिगत यात्रा को कम करने के लिए उत्साहित किया जा रहा है।
  • नए ऊर्जा स्रोत: सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, और हाइब्रिड वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए नए ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना हमारे लक्ष्य की दिशा में है।
  • प्रबंधन में सुधार: उद्योगों और वाहनों के प्रबंधन को और भी सुधारित करने की आवश्यकता है ताकि उनका प्रदूषण कम हो सके।
  • शिक्षा का महत्व: लोगों को वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें इसके बुरे प्रभावों के बारे में पता चले।
  • समर्पण और सहयोग: समृद्धि के लिए हमें सभी को समर्पित होकर सहयोग करना होगा ताकि वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
  • तकनीकी उन्नति: तकनीकी उन्नति का उपयोग करके और नई तकनीकों को शामिल करके हम वायु प्रदूषण को कम करने में सक्षम हो सकते हैं।
  • सुरक्षात्मक स्लोगन: "स्वच्छ वायु, स्वस्थ जीवन - हम सभी की जिम्मेदारी है इसे बनाए रखना।"
  • सामूहिक प्रयास: समृद्धि के लिए समूहों को एक साथ मिलकर काम करना हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण बनाए रखने में मदद करेगा।
  • गरीबी का प्रभाव: वायु प्रदूषण से गरीब लोगों को अधिक प्रभावित हो रहा है, उन्हें स्वस्थ जीवन बिताने के लिए सामूहिक समर्थन की आवश्यकता है।
  • जलवायु संरक्षण: वायु प्रदूषण को नियंत्रित करके हम जलवायु संरक्षण में भी योगदान कर सकते हैं और अपने भविष्य को सुरक्षित बना सकते हैं।
  • नागरिक सहभागिता: हमारे नागरिक समाज को भी इस मुद्दे में सहभागी बनाना हमारी समृद्धि की दिशा में मदद करेगा।
  • साझेदारी: अन्य देशों के साथ भी हमें वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में साझेदारी करनी चाहिए।
  • सतत प्रयास: वायु प्रदूषण के खिलाफ सतत प्रयास करके हम सभी मिलकर एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

इस ब्लॉग पोस्ट में हमने वायु प्रदूषण के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की है और इस समस्या के समाधान की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का प्रयास किया है।

वायु प्रदूषण ने हमारे पर्यावरण को प्रभावित किया है और स्वास्थ्य से लेकर जलवायु तक कई क्षेत्रों में उभरती समस्याएं पैदा की हैं।

हमने इसके कारणों, प्रभावों, और समाधानों के बारे में जानकारी प्रदान की है।

इससे साथ ही, हमने विभिन्न समाधानों की बात की है, जैसे कि सार्थक यातायात, नए ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग, सामूहिक जागरूकता, और सरकारी सहयोग।

इन पहलुओं को समझकर हम सभी मिलकर इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।

इस ब्लॉग पोस्ट का उद्देश्य लोगों को वायु प्रदूषण के प्रभावों से अवगत कराना है और समृद्धि की दिशा में सचेत करना है।

इसके लिए सभी को एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है, क्योंकि हमारा साझा प्रयास ही हमें स्वस्थ और हरित पर्यावरण की दिशा में आगे बढ़ने में सफल होगा।

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay In Hindi)

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay In Hindi Language)

आज के इस लेख में हम वायु प्रदूषण   पर निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi) लिखेंगे। वायु प्रदूषण पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

वायु प्रदूषण पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

मनुष्य सभ्यता को आज सबसे बड़ा खतरा प्रदूषण से है। मनुष्य के आस पास का समस्त वातावरण उसके प्रयोग में आने वाला सम्पूर्ण जल भंडार, उसके सांस लेने के लिए वायु, अन्न पैदा करने वाली धरती और यहाँ तक कि अंतरिक्ष का सारा विस्तार भी स्वय मनुष्य द्वारा दूषित कर दिया गया है।

मनुष्य अपने आनंद ओर उल्लास के लिए प्रकृतिक साधनों का पूर्णतया दोहन कर लेना चाहता है। यही कारण है कि प्रदूषण की समस्या विकराल रूप में आ खड़ी हुई है। अतएव प्रदूषण की विभिन्न समस्याओं और कारकों पर प्रकाश डालना आवश्यक प्रतीत हो रहा है। जो इस प्रकार है:-

हमारा वातावरण और वायु प्रदूषण

ओधोगिकीकरण की इस अंधी दौड़ में संसार का कोई भी राष्ट पीछे नहीं रहना चाहता है। विलासिता के साधनों का उत्पादन भी खूब बढ़ाया जा रहा है। धरती की सारी सम्पदा को उसके गर्भ में उलीच कर बाहर लाया जा रहा है।

वह दिन भी आएगा, जब हम सृष्टि की सारी प्राकृतिक संपदाओं से हाथ धो चुके होंगे। यह दिन मनुष्य जाति के लिए निश्चय ही बड़ा मनहूस होगा। परन्तु इससे भी बढ़कर हानि यह होंगी की धरती के भीतर का सारा खनिज, तेल, कोयला तथा सब धातुएं गैसों के रूप में वायुमण्डल में प्रवेश कर, धरती पर रहने वाले प्राणियों का जीना ही दूभर कर देंगे।

नदियां ओर समुद्र हानिकारक तत्वों से भरे पड़े है। दिन-रात चलने वाले कारखानों का करोडों -अरबों गेलन गन्दा पानी नदियों तथा समुद्रों में जा रहा है।

हम कुछ समय तक भोजन के बिना जीवित रह सकते है। परंतु वायु के बिना तो हम कुछ क्षण भी जीवित नहीं रह सकते है। यह साधारण तथ्य हमें बताता हैं कि स्वच्छ वायु हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है।

आप यह जानते है कि वायु गैसों का मिश्रण आकलन के अनुसार इस मिश्रण का लगभग 78% नाइट्रोजन, तथा लगभग 21% ऑक्सीजन का और कार्बनडाइआक्साइड, आर्गन, मेथेन है, तथा जल वाष्प भी वायु में अल्प मात्रा में उपस्थित है।

वायु प्रदूषण किसे कहते है ?

वायु मंडल में धुँए की मात्रा में अंतर है। क्या आप बता सकते है कि यह धुँआ कहां से आता है। इस प्रकार के पदार्थो से जैसे उधोगो व स्वचालित वाहनों से निकले धुँए के मिल जाने से भिन्न-भिन्न स्थानों के वायुमंडल की प्रकृति एवं संघटन में बदलाव आ जाता है। जब वायु कुछ अनचाहे पदार्थो के द्वारा संदूषित हो जाती है जो सजीव तथा निर्जीव दोनों के लिए हानिकारक है, तो इसे वायु प्रदूषण कहते है।

सच्चाई यह है कि वायु- प्रदूषण सबसे बड़ा और कुप्रभवशाली प्रदूषण है। इसका प्रभाव सबसे पहले ओर सबसे अधिक समय तक पड़ता है। भूमि-प्रदूषण और जल प्रदूषण दोनों ही वायु में निरंतर फैलते रहते है। फलतः शुद्ध और ताजी वायु का मिलना असम्भव नही, तो कठिन अवश्य हो जाता है।

वायु -प्रदूषण का एक कारण जनसंख्या का अत्यंत तेजी से बढ़ना भी है। एक अनुसंधान के अनुसार लगभग कार्बनडाइआक्साइड पांच अरब टन प्रतिवर्ष दर से बढ़ रही है। मनुष्य के साथ पशु-पक्षी ओर अन्य प्राणी भी वायु-प्रदूषण के कारण शुद्ध वायु के लिए छटपटा रहे है।

वैज्ञानिको की यह खोज है कि वायु -प्रदूषण से समुद्रतटीय-क्षेत्र दुष्प्रभावित होने लगे है। अंटाक्राटीका जैसा शांत क्षेत्र भी अब तूफानों की गिरफ्त में आ गया है। सी.एफ.सी. गैस का बढ़ना जारी है।

इसके ही दुष्प्रभाव से आज ओजोन की परत पतली होती जा रही है। इसके कारण पराबैगनी किरणे सीधे धरती पर आती है, जो अंतः कैंसर जैसे आदि भयानक बीमारियों का कारण बनती जा रही है।

वायु -प्रदूषण का मुख्य कारण ओधोगिक इकाइयां है, वही परमाणु ऊर्जा पर आधारित बिजलीघर ओर कारखाने भी है। इनसे वायु मंडल में रेडियोधर्मी लहरें दुष्प्रभावित होती है। इनमें बाहर निकलने वाली गैसे वायुमण्डल को प्रदूषित करती रहती है।

इसके साथ-साथ वायु-प्रदूषण का भयानक चाप तो परमाणु-परीक्षण-विस्फोट, परमाणु-शक्ति-संचालित अंतरिक्ष अभियान भी प्रमुख कारण है। इनमें वायुमंडल अब अधिक प्रदूषित होकर आंदोलित होने लगा है।

वायु प्रदूषित कैसे होती है ?

जो पदार्थ वायू को संदूषित करते है उन्हें वायु प्रदूषक कहते है। कभी-कभी ये प्रदूषक प्रकृतिक स्त्रोतों जैसे ज्वालामुखी का फटना, वनों में लगने वाली आग से उठा धुँआ अथवा धूल द्वारा आ सकते है।

मानवीय क्रियाकलापों के द्वारा भी वायु में प्रदूषक मिलते है। इन वायु प्रदूषक के स्त्रोत फैक्ट्री, विद्युत् यंत्र, स्वचालित वाहन, निर्वातक, जलावन लकड़ी तथा उपलों के जलने से निकलने वाला धुँआ हो सकता है। बहुत सी शवसन समस्याएं भी वायू प्रदूषण के कारण ही होती है।

वायु में उपस्थित प्रदूषित तत्व

आप तो जानते ही है कि वायु में कितने खतरनाक तत्व निहित है। शहरों में कितनी तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ रही है। वाहनों से अधिक मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन आक्ससीड, तथा धुँआ उतपन्न होता है।

पेट्रोल और डीजल जैसे ईधनों के अपूर्ण दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है। यह एक विषैली गैस है। यह रुधिर में ऑक्सीजन वाहक क्षमता को घटा देती है।

धूम कोहरा वायु में प्रदूषण का कारण

वायु मंडल में दिखने वाली कोहरे जैसी मोटी परत तो आपको याद ही होंगी, आप शायद नहीं जानते कि ये धूम कोहरा जो धुँए ओर कोहरे से मिलकर बनता है। इस धुँए में नाइट्रोजन आक्ससीड उपस्थित हो सकते है।

जो अन्य वायु प्रदूषकों तथा कोहरे के संयोग से धूम कोहरा बनाते है। इसके कारण दमा, खासी, तथा बच्चों में साँस के साथ ही हरहराहट उत्पन्न होती हैं।

उधोगो से बढ़ता प्रदूषण

बहुत से उधोग भी वायु प्रदूषण के लिए उत्तरदायी है। पेट्रोलियम ,परिकरन शालाएं, सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, जैसे गैसीय प्रदूषकों के प्रमुख स्त्रोत है।विधुत संयंत्रों में कोयला जैसे ईंधन के दहन से सल्फर डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। जो फेफड़ों को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त करने के साथ-साथ स्वसन समस्याये भी उतपन्न कर सकता है।

अन्य प्रकार के प्रदूषण

क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) है जिसका उपयोग रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर तथा एरो के साथ फुहार में होता है। CFCs के द्वारा वायुमण्डल की ओजोन परत पतली होती जा रही है। जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैगनी किरणों से हमें बचातीं है। परंतु अब CFCs के स्थान पर कम हानिकारक रसायनों का प्रयोग होने लगा है, जो अच्छी बात है।

इन गैसों के अतिरिक्त डीजल तथा पेट्रोल के दहन से चलने वाले स्वचालित वाहनों द्वारा अत्यंत छोटे कण भी उत्तपन्न होते है। जो अत्यधिक समय तक वायु में रहते है और ये किसी भी चीज पर चिपक कर उसकी सुंदरता भी कम कर सकते है।

सांस लेने पर ये शरीर के भीतर पहुंचकर रोग उत्पन्न करते है। ये कण इस्पात निर्माण तथा खनन जैसे ओधोगिक परकर्मो द्वारा भी उतपन्न होते है। विधुत सयंत्रो से निकलने वाली राख के अति सूक्ष्म कण भी वायुमण्डल को प्रदूषित करते है।

इसका एक उदाहरण, पिछले दो दशक से अधिक समय से पर्यटकों को सर्वाधिक आकर्षित करने वाला भारत का आगरा शहर का ताजमहल चिंता का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञ ने यह चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण इसके सफेद संगमरमर को बदरंग कर रहा है। अतः वायु प्रदूषण द्वारा केवल सजीव ही नही अपितु निर्जीव चीजे भी प्रभावित हो रही है।

प्रदूषण रोकने के उपाय

प्रदूषण के विकराल कालमुखी दुष्प्रभाव को रोकने के लिए यह नितांत आवश्यक है कि प्रदूषण के कारणों का गलाघोंट दिया जाए। दूसरे शब्दों में भूमि-प्रदूषण की रोक के लिए यह आवश्यक है, कि बाँधो के लगातार निर्माण, वेशुमार वन कटाव ओर रासायनिक उर्वरकों का सीमित ओर अपेक्षित प्रयोग हो।

जल-प्रदूषण की रोक-थाम के लिए यह आवश्यक है कि उधोग के प्रदूषित जल को स्वच्छ जल से बचाये। वायु प्रदूषण की रोक तभी सँभव है जब उधोग -धंधो की दूषित वायु को वायुमण्डल में फैलने ना दे।

इसके लिए उधोगों की चिमनिया पर उपयुक्त फिल्टरों को लगाना चाहिए। इसके अतिरिक्त परमाणु उर्जा से उतपन्न होने वाले वायु प्रदूषण की रोक के लिए अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा-संघ के नियमो का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। पर्यावरण- प्रदूषण की रोक जनसंख्या- व्रद्धि पर अंकुश लगा कर ही कि जा सकती है।

वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सरकार   द्वारा किये जा रहे उपाय

(1) राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों ओर उधोगों के लिए क्षेत्र विशिष्ट उत्सर्जन ओर प्रवाह मानकों की अधिसूचना जारी किया गया है।

(2) वायु प्रदूषण निवारण एवम नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दिशा ;निर्देश जारी किया गया है।

(3) अत्यधिक प्रदूषणकारी ओधोगिक क्षेत्रो की निगरानी के लिए ऑनलाइन उपकरणों की स्थापना की गई है।

(4) परिवेश वायु गुणवत्ता के आकलन के लिए निगरानी नेटवर्क की स्थापना की गई है।

(5) CNG, LPG आदि जैसे स्वच्छ गैस ईंधन को बढ़ावा देना और पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा बढाना।

(6) राष्टीय वायु गुणवत्ता सूचकांक की शुरुआत की गई, जसके तहत सभी वाहनों के लिए BS-4 मानक अपनाना अनिवार्य कर दिया गया है।

(7) बायोमास जलाने पर प्रतिबंध।

(8) पटाखे छोड़ने पर भी प्रतिबंध।

(9) सभी इंजन चालित वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया गया है।

(10) सार्वजनिक परिवहन नेटवर्को को बढ़ावा दिया जा रहा है। सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क को बढ़ावा देना।

(11) दिल्ली और NCR के लिए श्रेणीबद्ध प्रतिकिर्या की करवाई योजना चलाई जा रही है।

सरकार द्वारा चलाये गए उपायों का हमे सख्ती के साथ ओर अपने स्वयम के प्रति सतर्क रहते हुए नियमो का पालन करना अति आवश्यक है।

वायु प्रदूषण हमारे लिए प्राण घातक है। यह सृष्टि ओर प्रकृति के प्रति सरासर अन्याय और दुःसाहस है। इसलिए अगर इस के प्रति हम समय रहते हुए कोई गम्भीर कदम नहीं उठाते है।तो यह कुछ समय बाद हमारे वश में नहीं रहेगा। फिर हमारे कठिन से कठिन प्रयासों को यह ठेंगा दिखाते हुए हमारी जीवन को देखते-देखते ही समाप्त कर देगा।

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तो यह था वायु प्रदूषण पर निबंध, आशा करता हूं कि वायु प्रदूषण पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Air Pollution) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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वायु प्रदूषण पर निबंध | air pollution Essay in Hindi

मानव द्वारा पृथ्वी पर फैलाए गए प्रदूषण के कारण मानव को ही नित नए-नए रोगों से सामना करना पड़ता है। दिन प्रतिदिन पर्यावरण की ताजी हवा विविक्त, जैविक अणुओं, और अन्य हानिकारक सामग्री के मिलने का कारण प्रदूषित हो रही है। वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है जिस पर ध्यान देने के साथ ही सभी के सामूहिक प्रयासों से सुलझाने की आवश्यकता है। इस लेख में हम Air Pollution Essay in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध | air pollution Essay in Hindi

Table of Contents

वायु प्रदूषण पर निबंध 150 words

वातावरण की ताजी हवा में हानिकारक और विषैले पदार्थों का लगातार बड़ना वायु प्रदूषण का कारण है। विभिन्न बाहृय तत्वों विषाक्त गैसों और अन्य मानवीय क्रियाओं के कारण उत्पन्न प्रदूषण ताजी हवा को प्रभावित करता है जो प्रतिकूलता से फिर मानव जीवन, पेड़ पौधों और पशुओं को प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण का स्तर उन सभी प्रदूषण पर निर्भर करता है जो विभिन्न स्त्रोतों से निकलता है। स्थलाकृति और मौसम की स्थिति प्रदूषण की निरंतरता को बढ़ा रही है। उद्योगों में विनिर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के कच्चे माल से हानिकारक गैसों के उत्सर्जन की मात्रा बढ़ती जा रही है। बढ़ता हुआ जनसंख्या घनत्व और अधिक औद्योगिकीकरण की मांग कर रहा है जो आखिरकार वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

वायु प्रदूषण हानिकारक तरल बूंदों, ठोस पदार्थों और विषाक्त गैसों का मिश्रण है जो सामान्यतः ताजी हवा में नहीं पाए जाते और पेड़ पौधों और पशुओं के जीवन के लिए बहुत खतरनाक है। वायु प्रदूषण दो प्रकार का होता है जो कि प्राकृतिक और मानव निर्मित स्त्रोत है। वही प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्त्रोतों जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, ज्वालामुखी, रेत संकुचन, धूल, समुद्र और महासागर की लवणीयता, मिट्टी के कण, तूफान, जंगलों के आग, बृहृमांडीय कण, किरण, क्षुद्रगृह सामग्री की बमबारी, धूमकेतु से स्प्रे, पराग अनाज, कवक बीजाणु, वायरस, बैक्टीरिया आदि है।

पूरी दुनिया के लोगों के सामूहिक प्रयासों के द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लंबी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिए छोटे तापमान सूचको के स्थान पर उच्च तापमान संकेतकों को प्रोत्साहन, ऊर्जा के उज्वलनशील स्रोतों का उपयोग करना, पेट्रोल में गैर नेतृत्वकारी एंटीनॉक एजेंट के प्रयोग को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और भी बहुत से सकारात्मक प्रयासों को करना।

वायु प्रदूषण पर निबंध 200 शब्‍दों में

वायु प्रदूषण पूरी वायुमंडलीय हवा में बाह्य तत्वों का मिश्रण है। उद्योगों और मोटर वाहनों से उत्सर्जित हानिकारक और विषैली गैसें मौसम पेड़ पौधों और मनुष्य सभी को बहुत हानि पहुंचाती है। कुछ प्राकृतिक और कुछ माननीय संसाधन वायु प्रदूषण के कारक है। हालांकि सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मानव गतिविधियों के कारण होता है जैसे जीवाश्म, कोयला और तेल का जलना, हानिकारक गैसों को छोड़ना और कारखानों और मोटर वाहनों के पदार्थ आदि।

इस तरह के हानिकारक रासायनिक तत्व जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, ठोस पदार्थ आदि ताजी हवा में मिश्रित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण का स्तर बहुत बड़े स्तर पर बड़ा है, जिसका कारण पिछली शताब्दी में मोटर वाहनों की बढ़ती हुई आवश्यकता है, जिससे 69% तक वायु प्रदूषण में वृद्धि की है।

वायु प्रदूषण के अन्य स्त्रोतों में लैंडफिल में कचरे का अपघटन और ठोस पदार्थों के निराकरण की प्रक्रिया से मिथेन गैस का निकालना है। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या, औद्योगिकीकरण, स्वचालित वाहनों के प्रयोग में वृद्धि, हवाई जहाज आदि ने इस मुद्दे को गंभीर पर्यावरण का मुद्दा बना दिया है।

जिस हवा को हम सांस के द्वारा प्रत्येक क्षण लेते हैं, वो पूरी तरह से प्रदूषित है जो हमारे फेफड़ों और पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण के माध्यम से जाती है और अनगिनत स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनती है। प्रदूषित वायु पेड़ पौधों, पशुओं और मनुष्य के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से नष्ट करने का कारण बनती है। यदि पर्यावरण को सुरक्षित करने वाली नीतियों का गंभीरता और कड़ाई से पालन नहीं किया गया तो वायु प्रदूषण का बढ़ता हुआ स्तर आने वाले दशकों में 1 मिलियन टन वार्षिक के आधार पर बढ़ सकता है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi)

जल शुद्ध ताजी हवा धूल, धुआं, विषैली गैसों, मोटर वाहनों, मिलों और कारखानों आदि के कारण प्रदूषित होती है तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। जैसा की हम सभी जानते हैं कि ताजी हवा स्वास्थ्य जीवन का बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है, हमें यह सोचने की जरूरत है, तब क्या होगा जब पूरे वातावरण की वायु गंदी हो जायेंगी। सबसे पहले वायु प्रदूषण पूरी मानव जाति के लिए बड़े खेद की बात है। वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख बड़े कारकों में भोले किसानों को द्वारा अपनी फसल की ऊपज को बढ़ाने के लिए विषैले उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग है। इन उर्वरकों से रासायनिक और खतरनाक गैसें (अमोनिया) निकलती है, और वायु में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनती है।

जीवाश्म ईंधन का जलना जैसे; कोयला, पेट्रोलियम जिसमें अन्य कारखानों के जलावन भी शामिल है, आदि वायु प्रदूषण के मुख्य कारक हैं। मोटर वाहनों और स्वचलित वाहनों से निकलने वाला विभिन्न प्रकार का धुआं जैसे कारों, बसों, बाइक, ट्रक, जीप, ट्रेन, हवाई जहाज, आदि भी वायु प्रदूषण का कारण है। उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण विषैले औद्योगिक धुएं और हानिकारक गैसें (जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बनिक योगिकों, हाइड्रोकार्बन, रसायन, आदि) कारखानों तथा मिलों में से पर्यावरण में छोड़ी जाती है। कुछ घरेलू गतिविधियां जैसे सफाई करने के लिए अज्ञानतावश सफाई उत्पादकों का प्रयोग करना, कपड़े धोने का पाउडर, पेंट आदि बहुत से विषैले रसायनों को वायु में छोड़ता है।

लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने इसके सजीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभावों को भी बढ़ाया है। वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है क्योंकि वातावरण का तापमान ग्रीन हाउस गैसों के स्तर के बढ़ने के कारण ही बढ़ रहा है। ये ग्रीन हाउस गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव और बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर, ग्लेशियर का निकालना, मौसम का बदलना, जलवायु का बदलना आदि को फिर से बढ़ाती है। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण कई घातक रोगों (कैंसर, हार्टअटैक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गुर्दे की बीमारियां आदि) और मृत्यु का कारण बन रहा है। बहुत से महत्वपूर्ण पशुओं और पेड़-पौधों की प्रजातियां इस ग्रह से पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ना अम्लीय वर्षा और ओजोन परत के क्षरण का कारण बन रहा है।

वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। वायु प्रदूषण के कारण ओजोन परत भी बहुत अधिक प्रभावित हो रही है जो पर्यावरण में गंभीर व्यवधान का कारण बन रही है। मनुष्य की हमेशा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उनकी आवश्यकता में भी वृद्धि हो रही है जो प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मनुष्य की दैनिक गतिविधियां बहुत से खतरनाक रसायनों, वातावरण को गंदा करने का कारण होती है, जो जलवायु में नकारात्मक परिवर्तन के लिए मजबूर करती हैं। औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया में कई हानिकारक गैसों, कणों, पेंट और बैटरीओ का आक्रामक संचालन, सिगरेट, आदि कार्बन मोनो ऑक्साइड, परिवहन के साधन कार्बन डाइ ऑक्साइड और अन्य जहरीली पदार्थों को वातावरण में छोड़ते हैं।

सभी तरह के प्रदूषण पर्यावरण से जुड़े हुए हैं जो ओजोन परत को हानि पहुंचाकर सूर्य की हानिकारक किरणों पर पृथ्वी पर आमंत्रित करते हैं। वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए हमें दैनिक आधार पर अपनी क्रिया-कलापों में बड़े स्तर पर परिवर्तन लाने होंगे।

वायु प्रदूषण क्या है?

सबसे पहले हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि वायु प्रदूषण है क्या? दरअसल वायु प्रदूषण हमारे पर्यावरण और पूरी वायुमंडलीय हवा में बाहरी तत्वों से मिलकर बनता है। यह तत्व छोटे बड़े उद्योगों और अनगिनत मोटर वाहनों से पैदा होते हैं। यह खतरनाक, हानिकारक और जहरीली गैस ही हमारे मौसम, पेड़ पौधों, जानवरों, पक्षियों और मनुष्यों के ऊपर अपना दुष्प्रभाव डालती हैं। मानवीय संसाधन वायु प्रदूषण के मुख्य कारकों में से एक है। सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होने का कारण इंसानों द्वारा की जाने वाली गतिविधियां हैं। ये गतिविधियां तेल का जलना, गंदा कचरा डालना, प्लास्टिक जलाना, हानिकारक गैसों को छोड़ना, कारखानों, मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआं आदि में सम्मिलित होती है।

वायु प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण होने के मुख्य दो कारण सामने आते हैं, पहला प्राकृतिक कारण और दूसरा मानव निर्मित कारण। इन दोनों कारणों की वजह से ही वायु प्रदूषण पैदा होता है। लेकिन अगर तुलना की जाए, तो सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मानव निर्मित कारण की वजह से ही बड़ा है। वह आयु प्रदूषण के अन्य कारण निम्नलिखित हैं।

  • ज्वालामुखी से निकलने वाली जहरीली गैस और लावा
  • प्राकृतिक रूप में जंगलों में लगने वाली आग
  • वातावरण में हर समय उड़ती हुई धूल और मिट्टी
  • तेज हवा, आंधी और तूफान
  • बड़े उद्योगों और कारखानों से निकलने वाली दूषित गैस
  • वनों की कटाई
  • जनसंख्या वृद्धि
  • परमाणु परीक्षण से निकलने वाले जहरीले तत्व
  • गंदे कचरे से उड़ने वाली भयंकर बदबू
  • किसानों द्वारा पराली जलाना

वायु प्रदूषण के ये वो सभी कारण हैं जिनसे हम सभी अवगत हैं और जिनकी हम पहचान कर सकते हैं। इन कारणों को पहचानने के बावजूद हमें इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं और इन्हें भूलकर चुपचाप बैठ जाते हैं। लेकिन अब जरूरत है कि वायु प्रदूषण के कारणों की समय पर पहचान करते हुए इसका तुरंत हल निकाला जाए और प्रदूषण की समस्या को खत्म किया जाए।

वायु प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण प्रदूषण के प्रकारों में से ही एक है, लेकिन वायु प्रदूषण के अपने भी कुछ प्रकार है, जैसे-

विविक्त प्रदूषण-

हवा में कई तरह के प्रदूषक ठोस रूप में उड़ते हुए पाए जाते हैं। इस तरह के प्रदूषकों में धूल, राख आदि शामिल होते हैं। इसके कण बड़े और चौडे आकार के होते हैं, जो पृथ्वी की सतह पर फैलकर प्रदूषण फैलाते हैं। इस तरह के प्रदूषण को विविक्त प्रदूषण कहा जाता है।

गैसीय प्रदूषण-

जो कि्याए मानव करता है उससे कई तरह की गैसों का निर्माण होता है और इस निर्माण में कई तरह के प्राकृतिक तत्व भी मौजूद होते हैं। हवा में ऑक्साइड और नाइट्रोजन के जलने पर जो धुआं मिल जाता है, उसे ही गैसीय प्रदूषक कहा जाता है।

रासायनिक प्रदूषण-

वर्तमान में चलने वाले आधुनिक उद्योगों में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है। इन उद्योगों से जो गैस और धुआं निकलता है, वो वायूमंडल में विषैली रसायनिक गैसें होती हैं जो हवा को दूषित करती है।

धुआं और धुंध प्रदूषण-

हमारे वायुमंडल में धुआं (स्मोक) और कोहरा (फॉग) यानी की हवा में पाई जाने वाली जलवाष्प और जल की बूंदों के छोटे-छोटे कणों से धुंध (स्मांग) का निर्माण होता है। इसी धंधे से वायुमंडल में घुटन पैदा होती है और दृश्यता काफी कम हो जाती है।

FAQ: वायु प्रदूषण पर महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न

वायु प्रदूषण क्‍या हैं.

मनुष्‍यों और अन्‍य जीवित प्राणियों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिप्रद ऐसे तत्‍व प्रदूषक कहलाते हैं जो प्राकृतिक तौर पर वायु में नहीं पाए जाते। वायु में इन प्रदूषकों के मिलने से वायु प्रदूषण होता हैं। वायु में प्रदूषक तत्‍वों के उपस्थिति होने की स्थिति में वायु प्रदूषण होता हैं।

वायु प्रदूषण के प्रकार कितने है?

गैसीय प्रदूषण- जो कि्याए मानव करता है उससे कई तरह की गैसों का निर्माण होता है और इस निर्माण में कई तरह के प्राकृतिक तत्व भी मौजूद होते हैं। हवा में ऑक्साइड और नाइट्रोजन के जलने पर जो धुआं मिल जाता है, उसे ही गैसीय प्रदूषक कहा जाता है। रासायनिक प्रदूषण- वर्तमान में चलने वाले आधुनिक उद्योगों में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है। इन उद्योगों से जो गैस और धुआं निकलता है, वो वायूमंडल में विषैली रसायनिक गैसें होती हैं जो हवा को दूषित करती है।

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Suneel

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वायु प्रदूषण पर निबंध-Essay On Air Pollution In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

वायु प्रदूषण पर निबंध-essay on air pollution in hindi.

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वायु प्रदूषण पर निबंध 1 (100 शब्द)

वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। वायु प्रदूषण के कारण ओज़ोन परत भी बहुत अधिक प्रभावित हो रही है जो पर्यावरण में गंभीर व्यवधान का कारण बन रही है। मनुष्य की हमेशा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उनकी आवश्यकता में भी वृद्धि हो रही है जो प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मनुष्य की दैनिक गतिविधियाँ बहुत से खतरनाक रसायनों, वातावरण को गंदा करने का कारण होती है, जो जलवायु में नकारात्मक परिवर्तन के लिये मजबूर करती है। औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया में कई हानिकारक गैसों, कणों, पेंट और बैट्रियों का आक्रामक संचालन, सिगरेट, आदि कार्बन मोनो ऑक्साइड, परिवहन के साधन कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य ज़हरीली पदार्थों को वातावरण में छोड़ते हैं।

वायु प्रदूषण पर निबंध 2 (200 शब्द)

वायु प्राणियों के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मानव जीवन के लिए वायु का होना बहुत ही आवश्यक होता है। बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है। पिछले कई सालों से हर नगर में कारखानों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जिसकी वजह से वायुमंडल बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। प्रदूषण की वजह से 2015 में 11 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है।

जब हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है। हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना है जिससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण फैले, और वायु प्रदूषण ही नहीं और भी प्रदूषण जैसे कि जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को कम करें क्योंकि सभी प्रदूषण से पृथ्वी के जीवन को खतरा ही है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका : वायु प्राणियों के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मानव जीवन के लिए वायु का होना बहुत ही आवश्यक होता है। बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।

वायु प्रदूषण का अर्थ :   वायु प्रदूषण का अर्थ होता है वायु में अनावश्यक रूप से कुछ तत्वों के मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना। जब किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ जैसे – रसायन, सूक्ष्म पदार्थ या फिर जैविक पदार्थ वातावरण में मिलते हैं तो वायु प्रदूषण होता है।

जब वायु में धूल, धुआं, विषाक्त, गैस, रासायनिक वाष्पों, वैज्ञानिक प्रयोगों की वजह से आंतरिक संरचना प्रभावित हो जाती है अथार्त विजातीय पदार्थों की अधिकता होने पर जब वायु, मनुष्य और उसके पर्यावरण के लिए हानिकारक हो जाते हैं तो इस स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं।

उपसंहार: वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावर्णीय समस्याओं में से एक है जिस पर ध्यान देने के साथ ही सभी के सामूहिक प्रयासों से सुलझाने की जरूरत है। उपयोगितावाद के हाथों से प्राकृतिक साधनों का अँधा-धुंध दोहन हुआ है जिसकी वजह से वातावरण में लगातार प्रदूषण बढ़ता गया है।

कहने को तो सभी प्रदूषण का प्रभाव हानिकारक होता है लेकिन वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत अधिक व्यापक होता है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हमें अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने होंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है। पिछले कई सालों से हर नगर में कारखानों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जिसकी वजह से वायुमंडल बहुत अधिक प्रभावित हुआ है।

प्रदूषण की वजह से 2015 में 11 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है। जब हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है।

जन जागरण की आवश्यकता : किसी भी प्रकार के प्रदूषण पर हमें अगर नियंत्रण पाना है, तो लोगों को प्रदूषण के बारे में पता होना चाहिए। हमें रेलिया निकालकर प्रदूषण के बारे में लोगों को सचेत तथा जागरूक करना चाहिए। स्कूलों में प्रदूषण के बारे में पाठ्यक्रम शामिल होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो की किस काम को करने से प्रदूषण फैलता है।

हमें गांवों में जाकर नुक्कड़-नाटकों की सहायता से लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। तब जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते हैं।

वायु प्रदूषण के नुकसान :  वायु प्रदूषण के बहुत ही ज्यादा नुकसान है अगर वायु प्रदूषण बढ़ जाता है तो सभी जीव जंतुओं का सांस लेना मुश्किल हो जाएगा और पेड़ पौधे भी खत्म होने लगेंगे वायु प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होंगी जिनका इलाज हो पाना मुश्किल होगा और जब जीव जंतुओं का इलाज नहीं हो पाएगा तो उनकी मृत्यु हो जाएगी।

वर्तमान समय में भी कई शहरों में इतना ज्यादा प्रदूषण हो गया है की खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है जैसे कि हमारे भारत देश के दिल्ली में बहुत ही ज्यादा  प्रदूषण हो गया है।

उपसंहार: प्रदूषण की समस्या पर अच्छे-अच्छे निबंध, लेख, भाषण, स्लोगन आदि लिखने से या बच्चों के सामने बड़ी-बड़ी बाते करने से प्रदूषण की समस्या का इलाज नहीं किया जा सकता है।

प्रदूषण का इलाज तभी संभव है जब हम खुद जागरूक होंगे और अपने से ही इसे खत्म करने की शुरुआत करेंगे। जमीनी स्तर पर कार्य करके ही हम अपनी प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा कर पाएंगे और आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य दे पाएंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध 5 (500 शब्द)

वायु प्रदूषण का कारण : वायु प्रदूषण के इतना अधिक बढने का कारण उद्योगों का व्यापक प्रसार, धुआं छोड़ने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि और घरेलू उपयोगों के लिए ऊर्जा के स्त्रोतों का अधिक मात्रा में दोहन होना है। पर्यावरण की ताजी हवा दिन-प्रतिदिन विभिक्त, जैविक अणुओं, और कई प्रकार के हानिकारक सामग्री के मिलने की वजह से दूषित हो रही है।

संसार की बढती हुयी जनसंख्या ने प्राकृतिक संसाधनों का अधिक प्रयोग किया है। औद्योगीकरण की वजह से बड़े-बड़े शहर बंजर बनते जा रहे हैं। वाहनों और कारखानों से जो धुआं निकलता है उसमें सल्फर-डाई-आक्साइड की मात्रा होती है जो पहले सल्फाइड और बाद में सल्फ्यूरिक अम्ल में बदलकर बूंदों के रूप में वायु में रह जाती है।

वायु प्रदूषण की रोकथाम :  वायु से दूषित करने वाले तत्वों को हटाकर वायु को दूषित होने से बचाया जा सकता है। हम वन संरक्षण और वृक्षारोपण से भी वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं। जलाऊ लकड़ी की जगह पर ऊर्जा के अन्य विकल्पों को ढूँढना चाहिए। कचरे का उपयुक्त विधि से निवारण करना चाहिए।

सरकारी वनरोपण को प्रोत्साहन देना चाहिए। औद्योगिक संस्थानों को आवासी जगहों से दूर बसाना चाहिए। वाहन को चलाते समय मास्क या चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। सरकार को घर पर बैठकर काम करने वाली नीतियों का प्रयोग करना चाहिए। जितना हो सके उतना साइकिल का प्रयोग करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण न हो।

वायु प्रदूषण की संकेतात्मक प्रक्रिया :  हमारी वायु में नाइट्रोजन, आक्सीजन, कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनों आक्साइड आदि बहुत सी गैसे विद्यमान होती हैं। वायुमंडल में इनकी मात्रा निश्चित होती है। धूम्र सूचकांक की सहायता से वायु को एक कागज के टेप पर गुजारते हैं और विद्युत् प्रकाशीय मापी से हम घनत्व का पता लगा सकते हैं।

निलंबित और वायु में तैरते हुए पदार्थों की विधि से वातावरण में धूल और कालिख की मात्रा को नापा जा सकता है। वायु में पदार्थों की सहायता से वायु संरचना की स्थिति को ज्ञान किया जा सकता है। गैसों की मात्रा में अगर इनके अनुपात के संतुलन में कोई परिवर्तन होता है तो वायुमंडल अशुद्ध हो जाता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषित हो जाती है।

उपसंहार: हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना है जिससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण फैले, और वायु प्रदूषण ही नहीं और भी प्रदूषण जैसे कि जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को कम करें क्योंकि सभी प्रदूषण से पृथ्वी के जीवन को खतरा ही है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका :  वायु से हमारा तात्पर्य हवा या पवन से है। वायु से ही हमें ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो पृथ्वी पर जीवन यापन के लिए सबसे ज़रूरी है। फिर चाहे वह कोई मनुष्य हो, पेड़-पौधे हों या जीव-जन्तु हों। सभी को जीवित रहने के लिए शुद्ध और स्वस्च्छ वायु की ज़रूरत है। लेकिन क्या आज हम साफ हवा में सांस ले पा रहे हैं? हमें क्यों पेड़-पौधों से मिलने वाली प्राकृतिक ऑक्सीजन के बावजूद भी सिलेंडर वाले ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है।

वायु प्रदूषण का अर्थ : वायु पृथ्वी पर जीवन का एक आवश्यक तत्व है। इसी से प्राणियों एवं जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो जीवन का आधार है और इसी से वनस्पति को कार्बन-डाई-ऑक्साइड मिलती है जिससे उसका पोषण होता है। वायु मण्डल एक कम्बल के समान है, जिसके न होने से तापमान अधिक या अति न्यून हो जाएगा। वायु मण्डल ही हमारी अल्ट्रावायलेट किरणों से रक्षा करता है और उल्काओं को जला कर नष्ट कर देता है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव :  हवा दूषित होने की वजह से कई दुष्परिणाम भी है जिनमें सबसे प्रमुख सांस लेने में होने वाली समस्याएं हैं। यह पूरी तरह से जीवन को प्रभावित करती है। जीव जंतु और मनुष्य के जीने और मरने की वजह होती है।

दूषित हवा सांस के रूप में लेने से इंसान गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, बहुत ही जहरीली गैस हैं जो हवा में मिल जाने से सभी जीव जंतुओं के लिए बहुत हानिकारक है।

स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव : वायु प्रदूषण के कारण होने वाले स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का बिगड़ना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर अधिक प्रभाव पड़ता है।

वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है।

वायु प्रदूषण के सबसे आम स्रोतों में निलंबित कण, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड आदि आते हैं। घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण की स्थिति के कारण होने वाली कुल मौतों को देखते हुए विकासशील देशों में रहने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

वायु प्रदूषण की प्रकृति : जीव मण्डल का आधार वायु है। वायु में उपस्थित ऑक्सीजन पर ही जीवन निर्भर है। प्राणी वायुमण्डल से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन-डाई-ऑक्साइड निष्कासित करते हैं, जिसे हरे पौधे ग्रहण कर लेते हैं और एक संतुलित चक्र चलता रहता है।

किंतु इस संतुलन में उस समय रुकावट आ जाती है जब उद्योगों, वाहनों एवं अन्य घरेलू उपयोगों से निकलता धुआँ एवं अन्य सूक्ष्म कण, विभिन्न प्रकार के रसायनों से उत्पन्न विषैली गैस, धूल के कण, रेडियोधर्मी पदार्थ आदि वायु में प्रवेश करके, स्वास्थ्य के लिये ही नहीं अपितु समस्त जीव-जगत् के लिए हानिकारक बना देते हैं। यही वायु प्रदूषण या वायु मण्डलीय प्रदूषण कहलाता है।

प्रदूषण रोकने के उपाय : वायु प्रदूषण को अगर समय रहते अनियंत्रित ना किया गया तो यह पूरी मानव सभ्यता के लिए घातक साबित हो जाएगी हम जो इंधन इस्तेमाल करते हैं अगर उससे प्रदूषित गैस निकलती है तो इसे कम से कम जलाने की कोशिश करनी चाहिए।

कचरे को जलाने से अच्छा है कि उसे जमीन में किसी जगह में दफना दिया जाए। निजी वाहनों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे नियंत्रण करना जरूरी है। इसकी जगह अगर लोग पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन का इस्तेमाल करें वह ज्यादा बेहतर होगा।

उपसंहार : प्रदूषण की समस्या पर अच्छे-अच्छे निबंध, लेख, भाषण, स्लोगन आदि लिखने से या बच्चों के सामने बड़ी-बड़ी बाते करने से प्रदूषण की समस्या का इलाज नहीं किया जा सकता है। प्रदूषण का इलाज तभी संभव है जब हम खुद जागरूक होंगे और अपने से ही इसे खत्म करने की शुरुआत करेंगे। जमीनी स्तर पर कार्य करके ही हम अपनी प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा कर पाएंगे और आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य दे पाएंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है। पिछले कई सालों से हर नगर में कारखानों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जिसकी वजह से वायुमंडल बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। प्रदूषण की वजह से 2015 में 11 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है। जब हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है।

वायु प्रदूषण का अर्थ : वायु प्रदूषण का अर्थ होता है वायु में अनावश्यक रूप से कुछ तत्वों के मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना। जब किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ जैसे – रसायन, सूक्ष्म पदार्थ या फिर जैविक पदार्थ वातावरण में मिलते हैं तो वायु प्रदूषण होता है।

कुछ रासायनिक गैसे वायुमण्डल में पहुंचकर वहाँ के ओजोन मंडल से क्रिया करके उनकी मात्रा को कम कर देते हैं जिसकी वजह से भी वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। अगर वायुमंडल में लगातार कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनो-आक्साइड, नाईट्रोजन, आक्साइड, हाईड्रोकार्बन इसी तरह से मिलते रहंगे तो वायु प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर पहुंच जायेगा।

वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कपड़ा बनाने के कारखाने, रासायनिक कारखाने, तेल शोधक कारखाने, चीनी बनाने के कारखाने, धातुकर्म और गत्ता बनाने वाले कारखाने, खाद और कीटनाशक कारखाने होते हैं। इन कारखानों से निकलने वाले कार्बन-डाई-आक्साइड, नाईट्रोजन, कार्बन-मोनो-आक्साइड, सल्फर, सीसा, बेरेलियम, जिंक, कैडमियम, पारा और धूल सीधे वायुमंडल में पहुंचते हैं जिसकी वजह से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।

वायु प्रदूषण का एक कारण बढती हुयी जनसंख्या और लोगों का शहरों की तरफ आना भी है। लोगों के रहने के स्थान की व्यवस्था और आवास की व्यवस्था के लिए वृक्षों और वनों को लगातार काटा जाता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है। जब सार्वजनिक और व्यक्तिगत शौचालयों की समुचित सफाई नहीं होती है जिससे क्षेत्र विशेष में वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ जाता है।

जब जानवरों की खाल को निकालकर उनके मृत शरीर को खुली जगह पर डाल दिया जाता है और उसके शरीर के सड़ने की वजह से बदबू वायु में फैलती है जिससे वायु प्रदूषण होता है। आणविक ऊर्जा, अंतरिक्ष यात्रा, परमाणु तकनीक के विकास की वजह से अथवा शोधकार्य के लिए किये जाने वाले विस्फोट या क्रिया से वातावरण को दूषित करती है।

वायु प्रदूषण की संकेतात्मक प्रक्रिया : हमारी वायु में नाइट्रोजन, आक्सीजन, कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनों आक्साइड आदि बहुत सी गैसे विद्यमान होती हैं। वायुमंडल में इनकी मात्रा निश्चित होती है। धूम्र सूचकांक की सहायता से वायु को एक कागज के टेप पर गुजारते हैं और विद्युत् प्रकाशीय मापी से हम घनत्व का पता लगा सकते हैं।

वायु प्रदूषण की समस्या या प्रभाव : वायु प्रदूषण के परिणाम बहुत ही घातक होते हैं क्योंकि वायु का सीधा संबंध पृथ्वी की जीवन प्रणाली से होता है। लोग अशुद्ध वायु को साँस के द्वारा अंदर लेकर अनेक तरह की बिमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। शहरों की स्थिति गांवों की अपेक्षा बहुत ही भयानक रूप ले चुकी है। इस प्रकार की दूषित वायु से स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं, बीमारी और मृत्यु का कारण हो सकती हैं।

प्रदूषण पूरे पारिस्थितिक तंत्र को लगातार नष्ट करके पेड़-पौधों और पशुओं के जीवन को बहुत ही प्रभावित किया है और अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है। वायु में उपस्थित सल्फर-डाई-आक्साइड की वजह से दमा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। जब सल्फर-डाई-आक्साइड बूंदों के रूप में वर्षा के समय भूमि पर गिरती है तो उससे भूमि की अम्लता बढ़ जाती है और उत्पादन क्षमता घट जाती है।

ओजोन मंडल सूर्य की हानिकारक किरणों से हमारी रक्षा करता है लेकिन जब ओजोन मंडल की कमी हो जाएगी तो त्वचा कैंसर की संभावना बढ़ जाएगी। वायु प्रदूषण के कारण लोगों की मृत्यु की संख्या में चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर है। वायु प्रदूषणों की वजह से भवनों, धातुओं, और स्मारकों का क्षय होता है।

जब वायु में आक्सीजन की कमी हो जाएगी तो प्राणियों को साँस लेने में तकलीफ होगी। जब कारखानों से निकलने वाले पदार्थों का अवशोषण वृक्षों के द्वारा किया जायेगा तो प्राणियों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव महानगरों पर पड़ता है।

वायु प्रदूषण की वजह से मनुष्य को श्वसन, दमा, ब्रोंकाइटिस, सिरदर्द, फेफड़े का कैंसर, खांसी, आँखों में जलन, गले में दर्द, निमोनिया, ह्रदय रोग, उल्टी, जुकाम जैसे रोगों का सामना करना पड़ता है। सल्फर-डाई-आक्साइड की वजह से एम्फायसीमा नामक रोग होने की संभावना होती है। वायु प्रदूषण का सबसे गहरा प्रभाव जीव-जंतुओं पर गंभीर रूप से पड़ता है। इसकी वजह से जीव-जंतुओं का श्वसन तंत्र और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।

वायु प्रदूषण का समाधान : वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत जल्द ही कुछ कदम उठाने होंगे। हमें घरों, कारखानों, फैक्ट्रियों और वाहनों के धुएं को उनकी सीमा में रखना होगा और पटाखों के प्रयोग को कम करने के लिए कोशिश करनी होगी। कूड़े-कचरे को जलाने की जगह पर नियमित स्थान पर डालना होगा।

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सभी कानूनों का सख्ती से पालन करना होगा। निजी वाहनों की संख्या को कम करना होगा। सार्वजनिक वाहनों की प्रणाली की समुचित सुविधाओं पर नियंत्रण करना होगा। प्रदूषण नियंत्रण संबंधी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता और वायु कानून का पालन करना होगा।

पर्यावरण के संरक्षण के लिए निजी संस्थानों को बाध्य करने पर नियंत्रित करना होगा। पैट्रोल, डीजल की जगह पर सौर, जल, गैस और विद्युत ऊर्जा से चलने वाले वाहनों का आविष्कार और उत्पादन करना होगा। सीसा रहित पेट्रोल के प्रयोग पर नियंत्रण करना होगा। वाहनों के दुरूपयोग पर नियंत्रण करना होगा। जंगलों की कटाई को हितोत्साहित करना होगा।

वायु प्रदूषण की रोकथाम : वायु से दूषित करने वाले तत्वों को हटाकर वायु को दूषित होने से बचाया जा सकता है। हम वन संरक्षण और वृक्षारोपण से भी वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं। जलाऊ लकड़ी की जगह पर ऊर्जा के अन्य विकल्पों को ढूँढना चाहिए। कचरे का उपयुक्त विधि से निवारण करना चाहिए।

अपने घरों के आस-पास के पेड़ों की देखभाल और रक्षा करनी चाहिए। जब ज्यादा जरूरत न हो बिजली का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जहाँ पर आपको जरूरत है वहीं पर कूलर या पंखा चलाना चाहिए बाकि स्थानों का पंखा या कूलर बंद कर देना चाहिए। सूखे पत्तों को जलाने की जगह पर उनका खाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए।

अपनी गाड़ी का प्रदूषण हर तीन महीने में जाँच जरुर करवानी चाहिए। हमेशा सीसायुक्त पेट्रोल का प्रयोग करना चाहिए। बाहर की जगह पर घर में प्रदूषण का प्रभाव बहुत कम होता है इसी वजह से जब बाहर प्रदूषण अधिक हो जाये तो घरों के अंदर चले जाना चाहिए।

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi)- प्रदूषण के सभी प्रकारों में से वायु प्रदूषण सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है क्योंकि यह एक ही समय में पर्यावरण, प्रकृति, प्राकृतिक संसाधनों, मनुष्य, पेड़-पौधों, जानवरों, पशु-पक्षियों, वायु, जल आदि सभी को एक साथ बहुत तेजी से प्रभावित कर सकता है। वायु प्रदूषण मानव जीवन पर कई तरह से अपने दुष्प्रभाव छोड़ता है और आने वाले समय के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है। समय रहते अगर इसका समाधान नहीं निकाला गया, तो यह धीरे-धीरे प्रकृति को नष्ट कर देगा।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi)

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वायु प्रदूषण पर निबंध Air Pollution Essay In Hindi

वायु से हमारा तात्पर्य हवा या पवन से है। वायु से ही हमें ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो पृथ्वी पर जीवन यापन के लिए सबसे ज़रूरी है। फिर चाहे वह कोई मनुष्य हो, पेड़-पौधे हों या जीव-जन्तु हों। सभी को जीवित रहने के लिए शुद्ध और स्वस्च्छ वायु की ज़रूरत है। लेकिन क्या आज हम साफ हवा में सांस ले पा रहे हैं? हमें क्यों पेड़-पौधों से मिलने वाली प्राकृतिक ऑक्सीजन के बावजूद भी सिलेंडर वाले ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है। ये समय क्यों आ गया है कि हमें बाहर निकलते वक्त अपने मुँह को किसी कपड़े या मास्क के ढककर निकलना पड़ रहा है। इसका कारण सिर्फ एक है और वो है तेजी से अपने पैर पसारता हुआ “प्रदूषण”। प्रदूषण ने ना सिर्फ प्रकृति को नुकसान पहुँचाया है बल्कि महामारियों को भी जन्म दिया है।

यह निबंध भी पढ़ें-

वायु प्रदूषण क्या है?

सबसे पहले हम ये जानने की कोशिश करते हैं कि वायु प्रदूषण है क्या? दरअसल वायु प्रदूषण हमारे पर्यावरण और पूरी वायुमंडलीय हवा में बाहरी तत्वों से मिलकर बनता है। यह तत्व छोटे-बड़े उद्योगों और अनगिनत मोटर वाहनों से पैदा होते हैं। यह खतरनाक, हानिकारक और जहरीली गैसें ही हमारे मौसम, पेड़-पौधों, जानवरों, पक्षियों और मनुष्यों के ऊपर अपना दुष्प्रभाव डालती हैं। मानवीय संसाधन वायु प्रदूषण के मुख्य कारकों में से एक हैं। सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होने का कारण इंसानों द्वारा की जाने वाली गतिविधियाँ हैं। ये गतिविधियाँ तेल का जलना, गंदा कचरा जलाना, प्लास्टिक जलाना, हानिकारक गैसों को छोड़ना, कारखानों, मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआँ आदि में सम्मिलित होती हैं।

वायु प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण होने के मुख्य दो कारण सामने आते हैं, पहला प्राकृतिक कारण और दूसरा मानव निर्मित कारण। इन दोनों कारणों की वजह से ही वायु प्रदूषण पैदा होता है। लेकिन अगर तुलना की जाए, तो सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मानव निर्मित कारण की वजह से ही बढ़ा है। वायु प्रदूषण के अन्य कारण निम्नलिखित हैं-

  • ज्वालामुखी से निकलने वाली जहरीली गैस और लावा
  • प्राकृतिक रूप में जंगलों में लगने वाली आग
  • वातावरण में हर समय उड़ती हुई धूल और मिट्टी
  • तेज हवा, आंधी और तूफान
  • बड़े उद्योगों और कारखानों से निकलने वाली दूषित गैस
  • वनों की कटाई
  • जनसंख्या वृद्धि
  • परमाणु परीक्षण से निकलने वाले जहरीले तत्व
  • गंदे कचरे से उड़ने वाली भयंकर बदबू
  • किसानों द्वारा पराली जलाना

वायु प्रदूषण के ये वो सभी कारण हैं जिनसे हम सभी अवगत हैं और जिनकी हम पहचान कर सकते हैं। इन कारणों को पहचाने के बावजूद हमें इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं और इन्हें भूलकर चुप बैठ जाते हैं। लेकिन अब ज़रूरत है कि वायु प्रदूषण के कारणों की समय पर पहचान करते हुए इसका तुंरत हल निकाला जाए और प्रदूषण की समस्या को खत्म किया जाए।

वायु प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण प्रदूषण के प्रकारों में से ही एक है, लेकिन वायु प्रदूषण के अपने भी कुछ प्रकार हैं, जैसे-

  • विविक्त प्रदूषण- हवा में कई तरह के प्रदूषक ठोस रूप में उड़ते हुए पाये जाते हैं। इस तरह के प्रदूषकों में धूल, राख आदि शामिल होते हैं। इसके कण बड़े और चौड़े आकार के होते हैं, जो पृथ्वी की सतह पर फैलकर प्रदूषण फैलाते हैं। इस तरह के प्रदूषण को विविक्त प्रदूषण कहा जाता है।
  • गैसीय प्रदूषण- जो क्रियाएं मानव करता है उससे कई तरह की गैसों का निर्माण होता है और इस निर्माण में कई तरह के प्राकृतिक तत्व भी मौजूद होते हैं। हवा में ऑक्साइड और नाइट्रोजन के जलने पर जो धुआं मिल जाता है, उसे ही गैसीय प्रदूषक कहा जाता है।
  • रासायनिक प्रदूषण- वर्तमान में चलने वाले आधुनिक उद्योगों में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है। इन उद्योगों से जो गैस और धुआं निकलता है, वो वायुमण्डल में विषैली रासायनिक गैसें होती हैं जो हवा को दूषित करती हैं।  
  • धुआँ और धुंध प्रदूषण- हमारे वायुमण्डल में धुआँ (स्मोक) और कोहरा (फॉग) यानी कि हवा में पायी जाने वाली जलवाष्प और जल की बूँदों के छोटे-छोटे कणों से धुंध (स्मॉग) का निर्माण होता है। इसी धुंध से वायुमण्डल में घुटन पैदा होती है और दृश्यता भी काफी कम हो जाती है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण के लगातार बढ़ने से और इसके अनियंत्रित होने की वजह से इसके कई दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। ये दुष्प्रभाव आने वाले समय और धरती पर जीवन यापन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं। वायु प्रदूषण के होने वाले गंभीर दुष्प्रभावों में निम्नलिखित हैं, जैसे-

बीमारियों का बढ़ना 

हम सभी को इस पृथ्वी पर रहने के लिए स्वच्छता की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। साफ-सफाई के बिना हम एक पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं। अगर हमारी हवा ही प्रदूषित होगी, तो इसके कारण अस्थमा, दमा, कैंसर, सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाएगा। ये बीमारियाँ हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकती हैं।

ऑक्सीजन कम होना 

वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी पर ऑक्सीजन भी कम होती जा रही है। पहले हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 24 प्रतिशित थी लेकिन धीरे-धीरे अब इसकी मात्रा भी कम हो रही है। एक रिसर्च के मुताबिक अब हमारे पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा घटकर केवल 22 प्रतिशत ही बची है।

पशु-पक्षियों की समय से पहले मृत्यु 

स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन न मिलने की वजह से रोज़ न जाने कितने ही जीव-जंतुओं की मौत हो रही है। वायु प्रदूषण के कारण पशु-पक्षियों की कुछ प्रजातियां तो बिल्कुल ही विलुप्त होती जा रही हैं। इस तरह से ही अगर वायु प्रदूषण बढ़ता रहा, तो एक दिन ऐसा आएगा जब धरती पर कोई भी जीव-जंतु जीवित नहीं बचेगा।

वातावरण प्रभावित होना 

हवा में प्रदूषण की मात्रा ज़्यादा होने की वजह से पृथ्वी का पूरा वातावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इस वजह से पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ रहा है। रोज़ कोई ना कोई आपदा या महामारी आती रहती है। इन सबका कारण प्रदूषण ही है। अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है, तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा।

अम्लीय वर्षा होना 

वायु प्रदूषण होने की वजह से साफ हवा में बहुत सी प्रकार की हानिकारक गैसें मिल जाती हैं। इन गैसों में सल्फर डाइऑक्साइड सबसे खतरनाक होती है। जब ये हवा में घुल जाती है और जब बारिश होती है, तो जल के साथ क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है, जिसे अम्लीय3 वर्षा बोलते हैं। इसे आम भाषा में हम तेजाब वर्षा या ऐसिड रेन भी कहते हैं जिसके कारण कई बीमारियां फैलती हैं। यह पानी में घुलने की वजह से सीधे हमारे शरीर में चली जाती हैं और कई अलग-अलग प्रकार की गंभीर बीमारियां बनाती हैं।

तापमान का बढ़ना 

वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ धरती का तापमान भी लगातार बढ़ता जा रहा है। एक रिसर्च के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा, तो पृथ्वी का तापमान भी तेजी से बढ़ता जाएगा। यदि पृथ्वी का तापमान दो से तीन प्रतिशत भी बढ़ता है, तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल सकते हैं और भयंकर बाढ़ आ सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो पृथ्वी पूरी तरह से नष्ट भी हो सकती है।

वायु प्रदूषण के निवारण

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए और इसे नियंत्रित करने के लिए हमें छोटे-छोटे उपायों से ही शुरुआत करनी होगी। सबकी भागीदारी ही वायु प्रदूषण को खत्म करने में मदद करेगी। वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय इस प्रकार हैं-

ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना– अगर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना चाहते हैं, तो हमें ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा में पेड़-पौधे लगाने होंगे। क्योंकि पेड़-पौधों से ही ऑक्सीजन निकलती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं जिस वजह से ज्यादातर प्रदूषित हवा साफ हो जाती है। लेकिन आज के समय में पेड़-पौधों को ही सबसे ज़्यादा काटा और नष्ट किया जा रहा है, जिसके कारण वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देना– जनसंख्या वृद्धि की समस्या सबसे गंभीर समस्या है और इस समस्या से पूरी दुनिया जूझ रही है। यदि हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी कम होगी और हमें कम उद्योग धंधे लगाने की आवश्यकता होगी, जिससे प्रदूषण अपने आप ही कम हो जाएगा। जनसंख्या वृद्धि भी वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है।

उद्योग और कारखाने कम करना – वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें उन उद्योगों और कारखानों को भी बंद करना होगा, जो अधिक मात्रा में प्रदूषण करते हैं। जिन कारखानों की हमें ज़रूरत है, उनकी चिमनीयों की ऊंचाई भी ज़्यादा होनी चाहिए। ऐसा करने से हमारा वायुमंडल भी कम से कम प्रभावित होगा।

ऊर्जा के नए स्रोत तलाशें– कारखानों, फैक्ट्रियों, मशीनों आदि को चलाने के लिए हमें ऊर्जा के लिए नए स्रोत तलाशने होंगे। हमें कोयले और परमाणु ऊर्जा का प्रयोग कम करना होगा। हमें सौर ऊर्जा का उपयोग ज़्यादा से ज़्यादा करना होगा। ऐसा करने से वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और हमें ऊर्जा भी पूरी तरह से प्राप्त हो जाएगी।

सार्वजनिक वाहनों का उपयोग– वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें निजी वाहनों का इस्तेमाल बंद करके ज़्यादा से ज़्यादा सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करना होगा। इस पहल से भी वायु प्रदूषण में कमी आएगी।

कानूनी नियंत्रण जरूरी– वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमारी देश की सरकार को नए नियम और कानून बनाने चाहिए। इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े प्रमाण पत्र की भी अनिवार्यता करनी होगी और लोगों को वायु प्रदूषण कानून का भी सख्ती से पालना करना सीखना होगा।

जन जागरण की आवश्यकता– प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए हमें लोगों को प्रदूषण के बारे में सचेत और जागरूक करना होगा। प्रदूषण के बारे में सभी विद्यालयों में पाठ्यक्रम शामिल होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो प्रदूषण कैसे फैलता है और इसे फैलने से कैसे रोकें। इसके अलावा हमें गांव-गांव में जाकर नुक्कड़-नाटकों के माध्यम से वहाँ के लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। इन सभी प्रयासों के बाद ही हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में सफल हो सकते हैं।

वायु प्रदूषण की समस्या एक ऐसी गंभीर समस्या है जिसके बारे में हम लोगों को जितना जागरूक करेंगे उतनी ही जल्दी हम इस समस्या का इलाज कर पाएंगे। लोगों को जागरूक करेंगे का काम हमें जमीनी स्तर पर रहकर, उनके बीच जाकर और उन्हें इस समस्या के दुष्प्रभावों के बारे में बताकर करना होगा। लेकिन उससे भी पहले हमें खुद जागरूक होना होगा, खुद को बदलना होगा और सबसे पहले इसकी शुरुआत हमें अपने आप से ही करनी होगी, तब कहीं जाकर हम वायु प्रदूषण मुक्त भारत की कल्पना कर सकते हैं।

वायु प्रदूषण से जुड़े पूछे जाने वाले सवाल- FAQ’s

People also ask

प्रश्न- वायु प्रदूषण कैसे होता है? उत्तर- वायु में हानिकारक प्रदूषकों के एकत्रित होने को वायु प्रदूषण कहते हैं। अधिक जनसंख्या, वाहन, असंतुलित औद्योगीकरण इसके मुख्य कारण हैं।

प्रश्न- वायु प्रदूषण किसे कहते हैं? उत्तर- प्रदूषकों को प्राथमिक या द्वितीयक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। प्राथमिक प्रदूषक वे तत्व हैं जो सीधे एक प्रक्रिया से उत्सर्जित हुए हैं जैसे ज्वालामुखी विस्फोट से राख, मोटर गाड़ी से कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस। द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं।

प्रश्न- वायु प्रदूषण का अर्थ क्या है? उत्तर- वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ या जैविक पदार्थ के वातावरण में मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव-जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग होते हैं।

प्रश्न- वायु प्रदूषक कौन-कौन से हैं? उत्तर- कार्बन मोनोआक्साइड: दहन प्रक्रिया से उत्सर्जित। भूस्तरीय ओजोन: सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में नाइट्रोजन के आक्साइडों और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के बीच रासायनिक अभिक्रिया से बनने वाला द्वितीयक प्रदूषक।

प्रश्न- वायु प्रदूषण के स्रोत कौन-कौन से हैं? उत्तर- कोयला, मिट्टी के तेल, जलाऊ लकड़ी, गोबर के केक, सिगरेट से निकलने वाले धुएं आदि के जलने के दौरान निकलने वाली आम प्रदूषक गैसें कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि लगभग 90% हैं।

प्रश्न- वायु प्रदूषण क्या है इसके कारण बताइए? उत्तर- वाहनों से निकलने वाला धुआँ। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआँ तथा रसायन। आणविक संयत्रों से निकलने वाली गैसें तथा धूल-कण। जंगलों में पेड़-पौधों के जलने से, कोयले के जलने से तथा तेल शोधन कारखानों आदि से निकलने वाला धुआँ।

प्रश्न- प्रदूषण को रोकने के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए? उत्तर- रासायनिक प्रदूषण से बचने के लिए रासायनिक की जगह जैविक खाद, प्लास्टिक की जगह कागज, पोलिस्टर की जगह सूती कपड़े या जूट का इस्तेमाल करें। इसके आलावा प्लास्टिक की थैलियों को रास्ते में न फेंके, ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे और हरियाली लगायें। इसके आलावा रसायन सम्बन्धी सभी कानूनों का पालन करें।

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100- 200 Words Hindi Essays 2024, Notes, Articles, Debates, Paragraphs Speech Short Nibandh Wikipedia Pdf Download, 10 line

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हिन्दू धर्म पर निबंध essay on hinduism in hindi, वायु प्रदूषण पर निबंध essay on air pollution in hindi.

वायु प्रदूषण पर निबंध- हमारी मानव जाति तथा पृथ्वी के लिए वायु सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.पर लोग इसे विषैला बना रहे है.जिस कारण हमारा भविष्य बर्बाद हो सकता है.आज के इस आर्टिकल में हम वायु प्रदुषण पर निबंध के माध्यम से वायु प्रदुषण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.

वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on Air Pollution in Hindi

वायु प्रदुषण पर 10 लाइन 10 lines on air pollution in hindi

  • दूषित वायु को वायु प्रदुषण कहते है.
  • प्रदूषित वायु में नाइट्रोजन एवं कार्बन डाईऑक्साइड जैसी जहरीली गैसे होती है.जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
  • वायु प्रदुषण से अस्थमा,लंग कैंसर तथा तीव्र श्वसन संक्रमण जैसी बीमारियों से खतरा रहता है.
  • आंकड़ो के मुताबिक हर साल 30 लाख लोग वायु प्रदुषण के कारण अपना जीवन खो देते है.
  • वायु प्रदुषण फ़ैलाने के प्रमुख स्रोत वाहनों से निकलने वाला धुँआ तथा फैक्ट्रियो और कारखानों से निकलने वाली हानिकारक गैस वायु प्रदुषण का स्रोत है.
  • वायु प्रदुषण से हमारे स्वास्थ्य तथा प्रकृति पर इसका गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है.
  • वायु प्रदुषण को कम करने का प्रमुख स्रोत पेड़ पौधे है.इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने चाहिए.
  • वायु प्रदुषण को नियंत्रण बनाकर ही अपने उज्ज्वलता की ओर बढ़ सकते है.
  • वायु प्रदुषण से हमारी ओजोन परत को क्षति पहुँच रही है.
  • वायु प्रदुषण एक वैश्विक समस्या है.इसका समाधान हमें जल्द ही निकलना होगा.इसलिए पेड़ पौधे लगाए प्रकृति को सजाए तथा प्रदुषण को दूर भगाएँ.

वायु प्रदूषण के मानवीय कारण

  • उद्योग धंधे तथा फैक्ट्रियो से निकलने वाला धुँआ वायु प्रदुषण का प्रमुख कारण है.आपने कई बार देखा होगा जब फैक्ट्रियो की सिमनियो से धुँआ निकलता है.ये वायु प्रदुषण का सबसे बड़ा स्रोत है.इसलिए फैक्ट्रियो के उद्योग धंधो को कम किया जाए.
  • वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण वायु प्रदुषण पर नियंत्रण नहीं बनाया जा रहा है.वैसे वनों से कटाई से प्रदुषण नहीं फैलता है.पर वनों की उपस्थिति में वायु प्रदुषण की मात्रा को कम किया जा सकता है.इसलिए पेड़ पौधे लगाए और वायु प्रदुषण के कम करें.
  • मानव संसाधनों की जरुरत को पूरा करने के लिए लोग वनों की कटाई कर रहे है.वनों की कटाई जनसंख्या वृदि के कारण ही हो रही है.और अन्य कारणों से भी मानव की जरुरत को पूरा करने के लिए वायु प्रदुषण फैलता है.अत्यधिक जनसँख्या वायु प्रदुषण का प्रमुख कारण है.
  • वाहनों के द्वारा छोड़ा गया धुँआ अत्यधिक प्रदुषण फैलाता है.पर लोग अपनी पसंद के लिए वाहन खरीदते है.और प्रदुषण की बढ़ाते है.इसलिए हमें वाहनों के सिस्टम को इलेक्ट्रिक बनाना होगा.
  • कूड़े कचरे तथा प्लस्टिक को जगह जगह पर फेंकने से वायु प्रदुषण बढ़ता है.प्लास्टिक में रासायनिक पदार्थ होते है.जो वातावरण को प्रदूषित करते है.इसलिए कचरे तथा अवशेष को कचरा पात्र में डाले या गढ्ढे में गाढ़ दें.
  • वृक्षों की कटाई के कारण आज हम इस समस्या के अधीन है.पेड़ पौधों द्वारा प्रदुषण को कम किया जा सकता है.इसलिए हमें नए पेड़ पौधे लगाने चाहिए.तथा वृक्षों को काटने वालो की सजा दिलाकर ही हम प्रदुषण से अपना बचाव कर सकते है.
  • ईधन के रूप में पेड़ पौधों को जलाने से प्रदुषण फैलता है.तथा इससे प्रकृति को भारी नुकसान होता है.इसलिए इंधन में गैस सिलेंडर का प्रयोग करें. तथा इंधन के रूप में लकड़ी का प्रयोग सिमित कर प्राकृतिक खाद का प्रयोग करें.

वायु प्रदुषण के प्राकृतिक कारण

  • ज्वालामुखी विस्फोट हो जाने के कारण चारो और तबाही मच जाती है.पेड़ पौधे मृदा मानव जाति तथा प्रकृति सभी को इससे भारी नुकसान होता है.
  • जंगलो में आग लगाना वायु प्रदुषण का प्राकृतिक कारण है.जंगलो में आग से पेड़ पौधों के साथ साथ जीव जंतु भी नष्ट होते है.तथा पेड़ पौधे और घास फूस के जलने से अत्यधिक प्रदुषण फैलता है.
  • तेज बहती हवा से वायु प्रदुषण दूर दूर तक फैलता है.
  • मृत पशुओ से आने वाली बदबू वायु प्रदुषण तथा गन्दगी फैलाती है.
  • प्रकृति में पेड़ पौधों की कमी होने के कारण वायु प्रदुषण पर नियंत्रण नहीं बनाया जा रहा है.प्राकृतिक कारणों से प्रदुषण को हम प्रकृति द्वारा ही कम कर सकते है.इसलिए पेड़ पौधे लगाए और उनका सरंक्षण करे.
  • रेत संकुचन,समुद्री लवण तथा तूफान आदि प्राकृतिक प्रदुषण के स्रोत है.

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव

वायु प्रदुषण का समाधान, प्रदूषण पर निबंध कचरे से होने वाले दुष्प्रभाव पर निबंध ग्लोबल वार्मिंग निबंध वाहन प्रदूषण पर निबंध पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध.

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वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi

Air Pollution Essay in Hindi  : आज हमने वायु प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध में  हमने वायु प्रदूषण के बारे में बताया है.

Air Pollution पर निबंध  इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुएअलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.

Get some Air Pollution Essay in Hindi for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12th Students

Best Air Pollution Essay in Hindi 100 Words

वायु प्रदूषण वातावरण में घुलने वाली हानिकारक गैसों के कारण होता है. वायु प्रदूषण पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव-जंतुओं पर हानिकारक प्रभाव डालता है इसके कारण कई ऐसी बीमारियां उत्पन्न होती हैं जो कि जीवन भर मानव के शरीर का साथ नहीं छोड़ती हैं और अंत में उस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण का अत्यधिक प्रभाव शहरी क्षेत्रों में देखने को मिलता है क्योंकि वहां पर बड़े-बड़े उद्योग धंधों, मोटर वाहनों इत्यादि से जहरीली गैसें निकलती है.

वायु प्रदूषण प्राकृतिक और मानव जनित कार्यों से उत्पन्न होता है. वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Air Pollution Essay in Hindi 200 Words

वायु प्रदूषण आज पूरी दुनिया भर में एक अहम मुद्दा बन चुका है वायु प्रदूषण के कारण प्रत्येक देश इसके हानिकारक प्रभावों को झेल रहा है. आज दुनिया भर में सब लोग सिर्फ अपने उद्योग धंधों की तरफ दे रहे हैं वह इतने स्वार्थी हो गए हैं कि पर्यावरण की उनको जरा भी चिंता नहीं है.

वायु प्रदूषण के कारण हर साल लाखों लोगों की मृत्यु हो जाती है. वायु प्रदूषण के कारण कैंसर, दमा, हार्ट अटैक श्वसन संबंधी खतरनाक बीमारियां हो रही है.

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इसके कारण हमारे पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत का क्षरण हो रहा है जिसके कारण सूर्य की हानिकारक कितने हमारी पृथ्वी पर सीधी पड़ती है और कई बीमारियों को जन्म देती है.

वायु प्रदूषण के कारण आज जीव जंतुओं की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. इसी के कारण आज मानव का जीवन काल भी कम हो गया है पहले मानव 100 साल तक जीवित रहता था लेकिन आजकल 70 वर्ष की अवधि भी पार करना मुश्किल हो रहा है.

वायु प्रदूषण उद्योग धंधे, मोटर वाहनों, ज्वालामुखी फटने इत्यादि के कारण बढ़ रहा है इसको कम करने के लिए हमें जल्द से जल्द पेड़ पौधे लगाने होंगे और ऊर्जा के लिए नए संसाधन ढूंढने होंगे जिनसे वायु प्रदूषण न के बराबर हो.

Vayu Pradushan Essay in Hindi 500 Words

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करता जा रहा है. इसके कारण हमारे देश में प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मृत्यु हो रही है. यह प्रतिवर्ष दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण को लेकर ना तो सरकार की तरफ से कोई पुख्ता कदम उठाई जा रहे हैं और ना ही आम आदमी इसके बारे में कोई चिंता कर रहा है.

पृथ्वी पर रहने वाला एक जीव या मानव भोजन और जल के बिना तो कुछ दिन तक जिंदा रह सकता है लेकिन वायु के बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकता है इसलिए हमें प्राण दाई ऑक्सीजन को प्रदूषित नहीं करना चाहिए.

वायु प्रदूषण के कारण हमारी पृथ्वी पर भी बदलाव आ रहा है जिसके कारण हमारी पृथ्वी का वातावरण बहुत तेजी से गरम हो रहा है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है. वायु प्रदूषण हमारी पूरी पृथ्वी के वातावरण को नष्ट कर रहा है.

वायु प्रदूषण होने के दो प्रमुख कारण है जिसमें एक प्राकृतिक है और एक मानव जनित है –

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वायु प्रदूषण के प्राकृतिक कारण –

हमारी पृथ्वी पर कई ऐसी प्राकृतिक घटनाएं होती रहती हैं जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है जैसे की ज्वालामुखी का फटना, जंगलों में आग लगना, धूल उड़ना, रेत संकुचन, महासागर की लवणता बढ़ना, आंधी-तूफान, धूमकेतु स्प्रे, पराग अनाज, विषाणु, बैक्टीरिया इत्यादि कारण है जिसके कारण पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से वायु प्रदूषण होता है.

वायु प्रदूषण का मानव निर्मित कारण –

पृथ्वी पर वायु प्रदूषण प्रमुख रूप से मानव द्वारा किया जा रहा है इसके प्रमुख कारण इस प्रकार है – बड़े उद्योग धंधे, कल कारखाने, मोटर वाहन, धूम्रपान, लकड़ियों का धुँआ, खेतों में कीटनाशकों का उपयोग, खरपतवार को हटाने के लिए और फसल को रगड़ो से मुक्त करने के लिए गैसों का छिड़काव, फसल काटने के बाद बची हुई घास को जलाना, पार्टिकुलेट पदार्थ, बम विस्फोट, परमाणु विस्फोट, खुले में शौच करना, कोयले का दोहन, निर्माण कार्य से उड़ती धूल इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में फैलता है.

इन सभी कारणों से हमारे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड और अमोनिया जैसी गैसों की मात्रा बढ़ जाती है यह सभी कैसे हमारे वायुमंडल के लिए हानिकारक है.

पृथ्वी पर इन सभी गैसों की मात्रा बढ़ने के कारण कैंसर, दमा, दिल की बीमारियां, पेट की बीमारियां, आंखें खराब होना जैसी लाइलाज बीमारियां अत्यधिक मात्रा में बढ़ रही है. अगर जल्द ही वायु प्रदूषण को कम नहीं किया गया तो यह पूरी पृथ्वी को नष्ट कर सकता है.

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वायु प्रदूषण से हमारी पृथ्वी को बचाने के लिए हमें उद्योग धंधों को रिहायशी इलाकों से दूर स्थापित करना चाहिए, हमें परमाणु ऊर्जा के स्थान पर नई ऊर्जा के स्त्रोत खोजने चाहिए जिनसे प्रदूषण कम हो, हमें सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए, बैटरी से चलने वाले वाहनों को प्राथमिकता देनी चाहिए, घरों में लकड़ियों के स्थान पर गैस का इस्तेमाल होना चाहिए,

निर्माण कार्य करते समय पानी का छिड़काव करके या फिर कपड़े से ढककर निर्माण कार्य करना चाहिए और सबसे अधिक और जरूरी कार्य में अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Full Latest Air Pollution Essay in Hindi 2500 Words

प्रस्तावना –

वायु प्रदूषण पूरी दुनिया भर में एक महामारी के रूप में फैल रहा है. वायु पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी के लिए प्रथम आवश्यकता है लेकिन इसमें जब हानिकारक गैसें मिल जाती है तब यह धीमे जहर की तरह काम करता है. पूरी दुनिया भर में वायु प्रदूषण बहुत तेजी से फैल रहा है.

जिसके कारण कई लाइलाज बीमारियां जन्म ले रही है वायु प्रदूषण के कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. जो वस्तुएं हमें प्रगति की ओर ले कर जा रही है असल में वह हमें दुगनी रफ़्तार से दुर्गति की ओर लेकर जा रही है क्योंकि हम जितनी भी वस्तुए काम में लेते है-

जैसे मोटर वाहन, हवाई जहाज, कल कारखाने, ऊर्जा के लिए कोयले का इस्तेमाल आदि इन से जहरीली गैसे बनती है जो कि हमारे वातावरण और हमारे लिए बहुत खतरनाक है. वायु प्रदूषण को जल्द से जल्द रोका जाना बहुत जरूरी है.

वायु प्रदूषण क्या है –

हमारी पृथ्वी के वातावरण विभिन्न प्रकार की गैसों से बना हुआ है जिसमें मानव और एवं अन्य सजीव जीव जंतुओं के जीवन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो कि वातावरण में लगभग 24% है. लेकिन धीरे-धीरे पृथ्वी में हो रहे बदलाव के कारण ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है इसमें कई प्रकार की विषैली गैसे घुल रही है.

साधारण शब्दों में बात करें तो स्वच्छ वायु में रसायन, सूक्ष्म पदार्थ, धूल, विषैली गैसें, जैविक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड आदि के कारण वायु प्रदूषण होता है.

वायु प्रदूषण के कारण –

जब से पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है तब से वायु प्रदूषण हो रहा है लेकिन मानव सभ्यता के आने से पहले वायु प्रदूषण बहुत कम मात्रा में होता था लेकिन मानव जनित कार्यों के कारण वायु प्रदूषण 2 से 3 गुना अधिक रफ्तार से बढ़ रहा है.

दुनिया के लगभग सभी देश वायु प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता का विषय हमारे भारत देश के लिए है क्योंकि वायु प्रदूषण के मामले में दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहर हमारे भारत देश में ही है. जिसके कारण हमारे देश के शहरों में जीना मुश्किल हो गया है.

वायु प्रदूषण हमारे वातावरण मे प्राकृतिक कारणों और मानव जनित कार्यों से उत्पन्न होता है जिसको हमने विस्तारपूर्वक नीचे बताया है

(1) ज्वालामुखी का फटना – हमारी पृथ्वी पर बहुत सारे ज्वालामुखी है जोकि समय-समय पर पढ़ते रहते हैं और उनसे जहरीली गैस से और लावा निकलता रहता है जिसके कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती रहती है. हाल ही में अभी इंडोनेशिया में एक ज्वालामुखी फटा था जिसका धूल का गुबार करीब 4000 मीटर तक फैल गया था. जिससे वहां के आसपास की वनस्पति और जीव-जंतु समाप्त हो गए थे और इसके कारण करीब 1400 लोग मारे गए थे.

(2) जंगल में आग लगना – पृथ्वी पर बहुत से बड़े बड़े जंगल हैं जिन में बहुत से पेड़ पौधे और वनस्पतिया है जिनके कारण जंगलों में बहुत सी जलाऊ लकड़ी पाई जाती है यह थोड़ी सी आग की चिंगारी से जलने लग जाते है. ज्यादातर गर्मियों में जंगलों में आग लगती है जिसके कारण पूरा जंगल जलने लग जाता है जिससे अधिक मात्रा में धुँआ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषण होता है.

(3) धूल उड़ना – हमारे वातावरण में हर समय धूल मिट्टी उड़ती रहती है इसका कारण यह है कि कभी तेज हवा चलती है तो कभी आंधी तूफान आ जाते हैं जिसके कारण धूल का एक गुबार सा उठता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है. धूल मोटर वाहनों और अन्य बड़े वाहनों के चलने के कारण धूल उड़ती है.

(4) बैक्टीरिया – पृथ्वी के वातावरण में कई बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं जिनमें से कुछ अच्छे होते है तो कुछ हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं यह में खुली आंखों से तो दिखाई नहीं देते लेकिन यह हवा के साथ मिलकर हमारे शरीर में चले जाते है जिसके कारण हमारा शरीर किसी ना किसी बीमारी का शिकार हो जाता है. यह हानिकारक बैक्टीरिया केमिकल फैक्ट्री और अन्य हानिकारक वस्तु से निकलते रहते है.

(5) फूलों के परागण – दुनिया के सभी देशों में फूलों के बागान होते है. जिनमें अधिक मात्रा में फूल उगते है लेकिन उन फूलों के ऊपर बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में फूलों के परागकण होते हैं जो की थोड़ी सी हवा से उड़ने लग जाते हैं और उसके कारण वायु प्रदूषण हो जाता है.

(6) धूमकेतु / उल्का पिंड – पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष में बहुत सारे धूमकेतु और उल्का पिंड घूमते रहते हैं और वे कभी-कभी पृथ्वी से टकरा जाते हैं जिसके कारण उनकी धूल मिट्टी के कारण हमारा पूरा वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है.

(7) पशुओं द्वारा – हमारे यहां पशुओं को अनेक चीजों के लिए पाला जाता है कुछ लोग उनसे दूध निकालते हैं तो कुछ उनको बाहर के रूप में प्रयोग करते हैं लेकिन पशुओं से भी वायु प्रदूषण होता है क्योंकि इनके द्वारा छोड़ी गई गैस मिथेन के रूप में निकलती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है.

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वायु प्रदूषण के मानव निर्मित कारण –

(1) उद्योग धंधे/ कल कारखाने – बड़े उद्योग धंधे और कल कारखाने किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है लेकिन इन्हीं कारखानों के कारण दिन प्रतिदिन हमारा वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है क्योंकि इन कारखानों से धुएं के साथ साथ हानिकारक गैसे भी निकलती है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित करती है.

बड़े उद्योगों में रासायनिक केमिकल और कोयले का इस्तेमाल किया जाता है दोनों ही हमारे वातावरण के लिए हानिकारक है. इन उद्योगों के लिए कई कड़े कानून बनाए गए हैं लेकिन सही से कानून की पालना नहीं होने के कारण वायु प्रदूषण दुगनी तेजी से फैल रहा है.

(2) वनों की अंधाधुंध कटाई – वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण क्योंकि पेड़ पौधों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर ली जाती हो और बदले में ऑक्सीजन छोड़ी जाती है लेकिन पेड़ों की संख्या कम होने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वातावरण में बढ़ती जा रही है

इसका मुख्य कारण है कि हम बहुत तेजी से वनों को काट रहे है लेकिन उतनी तेजी से पेड़ पौधे लगा नहीं रहे है. इसी कारण पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है और पूरे वातावरण में बदलाव आ रहे है.

(3) जनसंख्या वृद्धि – वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि भी है क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण दिन प्रतिदिन ऑक्सीजन की मात्रा का उपयोग अधिक मात्रा में हो रहा है और कार्बन डाइऑक्साइड अधिक मात्रा में उत्पन्न हो रही है. बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतें पूरी करने के लिए अधिक संसाधनों की भी जरूरत पड़ती है जिनके कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

(4) पराली जलाना – फसल काटने के बाद खेत में फसल के डंठल बच जाते हैं जिनको किसानों द्वारा जला दिया जाता है और सभी देशों में खेत अधिक मात्रा में होती है और हमारे भारत देश की बात करें तो हमारा देश कृषि प्रधान देश है जहां पर ज्यादातर किसान लोग ही रहते हैं इसलिए अधिक मात्रा में खेतों में डंठल बच जाते है. जिनको जलाए जाने से वायु में धुएं का गुबार छा जाता है

जिसके कारण लोगों को सांस लेने और दिखाई देने में दिक्कत होने लग जाती है. इसका उदाहरण हम दिल्ली राज्य से ले सकते हैं जहां पर हर साल नवंबर दिसंबर माह में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाती है यह मात्रा इतनी ज्यादा अधिक होती है कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर सकती है.

वायु प्रदूषण की मात्रा एक्यूआई में मापी जाती है जो कि 0 से 50 एक्यूआई तक अच्छी मानी जाती है लेकिन दिल्ली में इसकी मात्रा 400 एक्यूआई से भी अधिक चली जाती है जो कि बहुत ही हानिकारक होती है

(5) मोटर वाहन – जितनी ज्यादा जनसंख्या की वृद्धि हो रही है उसी प्रकार से लोगों की विलासता की चीजों में भी रुचि बढ़ती जा रही है लोग दिन प्रतिदिन नए वाहन खरीद रहे है जिसके कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं स्वच्छ हवा में घुलता है और उसे प्रदूषित कर देता है.

(6) परमाणु परीक्षण – पूरी दुनिया में प्रत्येक देश अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए परमाणु परीक्षण कर रहा है जिसके कारण जहरीले तत्व हवा में घुल रहे है हवा के साथ साथ परमाणु बम से पूरा वातावरण नष्ट हो रहा है इसे हम एक उदाहरण के तहत समझ सकते हैं जब दुसरे विश्व युद्ध के समय अमेरिका ने नागा शाकी नाम की जगह पर परमाणु बम गिराया था तो वहां पर जिंदगी का नामोनिशान मिट गया था जिसका असर आज भी देखने को मिलता है वहां की हवा आज भी प्रदूषित है

(7) सूखा कचरा जलाना – प्रतिदिन घरों से सूखा और गीला कचरा निकलता है सूखे कचरे को हम नादानी में जला देते हैं और सोचते हैं कि इससे क्या प्रदूषण होगा लेकिन अगर करना की जाए तो दुनिया भर में बहुत सारे करें और उनमें से रोज अगर थोड़ा भी कचरा निकलता है तो वह एक साथ मिलाने पर बहुत अधिक हो जाता है और उसे जलाने पर प्रदूषण की मात्रा बड़ी जाती है

(8) मरे हुए मवेशी – हमें जगह-जगह आवारा मरे हुए देखने को मिल जाते हैं जिनसे भयंकर बदबू आती रहती है और उनमें कई तरह के व्यक्तित्व उत्पन्न हो जाते हैं जो कि पूरी हवा को प्रदूषित कर देते हैं इसके कारण कई बीमारियां भी फैल जाती है. कभी-कभी तो इन के कारण बहुत गंभीर बीमारियां हो जाती है.

(9) रासायनिक पदार्थ – वर्तमान समय में सभी लोग रासायनिक पदार्थों से बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करने लगे है जिंदगी वस्तुओं में रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है वे एक समय के बाद खराब होने लग जाती है और उनसे जहरीला पदार्थ निकलने लग जाता है जोकि हवा में आसानी से घुल जाता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है.

(10) धूम्रपान – पूरी दुनिया में धूम्रपान करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और दिन प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है जिससे हमारे वातावरण की सोच व प्रदूषित हो रही है.

(11) कीटनाशक – वर्तमान में किसानों द्वारा अच्छी फसल के लिए खेतों में कीटनाशकों का उपयोग किया जाने लगा है जिसके कारण जब भी वे फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं तो हवा में कीटनाशक दवा बन जाती है और वह हवा को प्रदूषित कर देती है.

(12) लकड़ी का अत्यधिक उपयोग – भारत में आज भी गांव में गैस का उपयोग नहीं किया जाता है और अधिक मात्रा में लकड़ी जलाई जाती है जिसके कारण धुआं उत्पन्न होता है और यह हवा में घुलकर पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है. हालांकि सरकार ने गांव में भी गैस पहुंचाने के लिए उज्जवला योजना प्रारंभ की है लेकिन इस योजना का लाभ अभी कुछ लोग ही ले पाए है.

(13) ताप ऊर्जा – बिजली बनाने के लिए आज भी कोयला सबसे सस्ता साधन है लेकिन इसके कारण बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है कोयला सत्ता होने के कारण आज भी 70% बिजली कोयले से ही बनाई जाती है जिसके कारण प्रदूषण बढ़ रहा है.

(14) औद्योगिक निर्माण – पूरी दुनिया में जिस तेजी से तरक्की हो रही है उसी तेजी से औद्योगिक निर्माण भी किया जा रहा है हर तरफ निर्माण कार्य चल रहा है जिसके कारण हवा में सीमेंट, धूल आदि उठते रहते हैं जिसके कारण हवा प्रदूषित होती रहती है.

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव –

(1) ओजोन परत का क्षरण होना – जैसे-जैसे पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है उसके कारण पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत पतली होती जा रही है जिसके कारण सूची से आने वाली हानिकारक किरणें सीधी हमारे ऊपर पड़ती है जिससे त्वचा का कैंसर जैसी बीमारियां हो रही है.

(2) बीमारियों को निमंत्रण – पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और मनुष्य को स्वच्छता की आवश्यकता होती है इसके बिना वे एक पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं अगर हवा प्रदूषित होगी तो इसके कारण अस्थमा, दमा, कैंसर सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारी हो सकती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है इन बीमारियों के कारण प्रतिदिन कई लोगों की मृत्यु हो जाती है.

(3) ऑक्सीजन की कमी – हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 24% थी लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा कम होती जा रही है एक रिसर्च के अनुसार हमारे वातावरण में अभी ऑक्सीजन की मात्रा 22% ही रह गई है.

(4) जीव जंतुओं की असमय मृत्यु – स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन की कमी के कारण असमय जीव-जंतुओं की मृत्यु हो रही है और साथ ही कुछ प्रजातियां तो विलुप्त भी हो गई है अगर ऐसे ही वायु प्रदूषण होता रहा तो एक दिन सभी जीव जंतु की प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी.

(5) वातावरण प्रभावित होना – वायु में प्रदूषण की मात्रा अधिक होने के कारण पृथ्वी का पूरा वातावरण प्रभावित हो रहा है इसके कारण पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ रहा है. आए दिन कोई ना कोई आपदा आती रहती है इसका कारण प्रदूषण ही है अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा.

(6) अम्लीय वर्षा – वायु प्रदूषण के कारण शुद्ध हवा में कई प्रकार की हानिकारक ऐसे मिल जाती हैं जिनमें सल्फर डाइऑक्साइड सबसे खतरनाक होती है यह हवा में घुल जाती है और जब बारिश होती है तो जल के साथ क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है

जिससे अम्लीय वर्षा होती है जिस को आम भाषा में हम तेजाब वर्षा भी कहते हैं जिसके कारण कई बीमारियां फैलती है और यह पानी में घुलने कारण सीधे हमारे शरीर में चली जाती हैं जिससे कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं.

(7) पृथ्वी के तापमान में वृद्धि – वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी के वातावरण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है एक शोध के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा तो सन 2050 तक पृथ्वी का वातावरण 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा जबकि अगर पृथ्वी का तापमान 2 से 3% भी बढ़ता है तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएंगे जिससे भयंकर बाढ़ आ सकती है और पूरी पृथ्वी नष्ट हो सकती है.

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय –

(1) पेड़ पौधे लगाना – अगर हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना है तो हमें अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए क्योंकि पेड़ पौधों से ऑक्सीजन निकलती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते है जिसके कारण ज्यादातर प्रदूषित हवा साफ हो जाती है वर्तमान में पेड़-पौधों को अधिक मात्रा में काटा जा रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण अधिक मात्रा में फ़ैल रहा है.

(2) जनसंख्या नियंत्रण – आज पूरी दुनिया जनसंख्या वृद्धि की समस्या से जूझ रही है अगर हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर लेते हैं तो वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की भी कमी होगी और हमें कम उद्योग धंधे लगाने की आवश्यकता होगी जिससे प्रदूषण की मात्रा में कमी आएगी. वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि ही है.

(3) कल कारखाने कम करना – हमें उन कल कारखानों को बंद कर देना चाहिए कि से अधिक मात्रा में प्रदूषण होता है और जिन कल कारखानों की हमें आवश्यकता है उनकी चिमनीयो की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए जिससे हमारा वायुमंडल कम से कम प्रभावित हो.

(4) ऊर्जा के नए स्रोत खोजना – हमें ऊर्जा के लिए नए स्रोत खोजने चाहिए हमें कोयले और परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कम करना चाहिए हमें सौर ऊर्जा का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करना चाहिए जिसके कारण वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और हमें ऊर्जा भी पूरी मिल जाएगी.

(5) नियमों के अनुसार निर्माण कार्य करना – हमारे पूरे देश में जब भी कोई निर्माण होता है तो वह खुले में होता है जिसके कारण चारों तरफ धूल मिट्टी उड़ती रहती है और पूरा वातावरण प्रदूषित हो जाता है. जब भी हम निर्माण कार्य करें तो उसे किसी कपड़े से ढककर करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण नहीं हो.

(6) पुराने वाहनों को बंद करना – हमारे भारत देश में आज भी पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते हैं जिनसे अधिक मात्रा में जहरीला धुआं निकलता है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित कर देते है. एक पुरानी वाहन से 10 नए वाहनों के बराबर धुआं निकलता है जो कि वायु प्रदूषण में अहम भूमिका निभाता है. सरकार को नए नियम लागू पुराने वाहन बंद कर देनी चाहिए जिसे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके/

(7) सार्वजनिक वाहनों का उपयोग – अगर हमें वायु प्रदूषण को कम करना है तो हमें अधिक मात्रा में सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना होगा जिससे कम से कम प्रदूषण होगा.

(8) कानूनी नियंत्रण – वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हमारी सरकार को नए नियम बनाने चाहिए और प्रदुषण नियन्त्रण सम्बन्धी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता की जानी चाहिए साथ ही वायु प्रदूषण कानून (1981) की सख्ती से पालना करवानी चाहिए.

(9) जन जागरण – किसी भी प्रकार के प्रदूषण पर है अगर नियंत्रण पाना है तो लोगों को प्रदूषण के बारे में पता होना चाहिए. हमें रेलिया निकालकर प्रदूषण के बारे में लोगों को सचेत करना चाहिए और स्कूलों में प्रदूषण के बारे में पाठ्यक्रम होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो की किस काम को करने से प्रदूषण फैलता है.

हमें गांव में जाकर नुक्कड़ नाटकों की सहायता से लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते है.

उपसंहार –

वायु प्रदूषण जानलेवा है  इस पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक है नहीं तो पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान ही मिट जाएगा. जब तक हम सभी लोग वायु प्रदूषण को कम करने के बारे में नहीं सोचेंगे तब तक वायु प्रदूषण कम नहीं हो सकता है.

क्योंकि हमारी सरकार हर गली मोहल्ले में जाकर वायु प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं लगा सकती है इसलिए हमें  आगे आकर लोगों को वायु प्रदूषण के बारे में बताना होगा और इसके उपायों के बारे में समझाना होगा तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते है.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Air Pollution Essay in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

8 thoughts on “वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi”

Good , I like it. Help me like this always please.

Thank you Kritika Singh for appreciation.

Thanks 😊😘😊😊😊😊😊 Bahut accha essay hai

Atharv, sarahna ke liye dhanyawad aise hi hindi yatra par aate rahe.

It’s very nice, thanks alot to write it, it’s very useful for me.

Welcome Rahul Kumar Saini keepvisiting hindiyatra.com

Thanks apne bahut sahi kiya jo y essay diya esko padkar mujhe bahut santuste hue h thanks

Welcome Sakshipal and thank you for appreciation.

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Pollution Problem And Solution Essay In Hindi

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – Pollution Problem And Solution Essay In Hindi

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – essay on pollution problem and solution in hindi.

“आज हमारा वायुमण्डल अत्यधिक दूषित हो चुका है, जिसकी वजह से मानव का जीवन खतरे में आ गया है। आज यूरोप के कई देशों में प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है, जिसके कारण वहाँ कभी–कभी अम्ल–मिश्रित वर्षा होती है। ओस की बूंदों में भी अम्ल मिला रहता है। यदि समय रहते हुए हमने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो एक दिन विश्व में संकट छा जाएगा।”

–’खनन भारती से उद्धृत

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – Pradooshan Kee Samasya Aur Samaadhaan Par Laghu Nibandh

  • प्रदूषण का अर्थ,
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण– (क) वायु–प्रदूषण, (ख) जल–प्रदूषण, (ग) रेडियोधर्मी प्रदूषण, (घ) ध्वनि–प्रदूषण, (ङ) रासायनिक प्रदूषण,
  • प्रदूषण पर नियन्त्रण,

प्रदूषण का अर्थ– प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होनेवाला वह अवांछनीय परिवर्तन है, जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थानों तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचाता है।

जीवधारी अपने विकास और व्यवस्थित जीवनक्रम के लिए एक सन्तुलित वातावरण पर निर्भर करते हैं। सन्तुलित वातावरण में प्रत्येक घटक एक निश्चित मात्रा में उपस्थित रहते हैं। कभी–कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है या वातावरण में कुछ हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है। परिणामत: वातावरण दूषित हो जाता है, जो जीवधारियों के लिए किसी–न–किसी रूप में हानिकारक सिद्ध होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण–प्रदूषण की समस्या का जन्म जनसंख्या की वृद्धि के साथ–साथ हुआ है। विकासशील देशों में औद्योगिक एवं रासायनिक कचरे ने जल ही नहीं, वायु और पृथ्वी को भी प्रदूषित किया है। भारत जैसे देशों में तो घरेलू कचरे और गन्दे जल की निकासी का प्रश्न ही विकराल रूप से खड़ा हो गया है।

विकसित और विकासशील सभी देशों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण विद्यमान हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

(क) वायु–प्रदूषण–वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशेष अनुपात में उपस्थित रहती हैं। जीवधारी अपनी क्रियाओं द्वारा वायुमण्डल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखते हैं। अपनी श्वसन प्रक्रिया द्वारा हम ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते रहते हैं।

हरे पौधे प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन निष्कासित करते रहते हैं। इससे वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बना रहता है, किन्तु मानव अपनी अज्ञानता और आवश्यकता के नाम पर इस सन्तुलन को बिगाड़ता रहता है। इसे ही वायु–प्रदूषण कहते हैं।

वायु–प्रदूषण का मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वास सम्बन्धी बहुत–से रोग हो जाते हैं। इनमें फेफड़ों का कैंसर, दमा और फेफड़ों से सम्बन्धित दूसरे रोग सम्मिलित हैं। वायु में विकिरित अनेक धातुओं के कण भी बहुत–से रोग उत्पन्न करते हैं। सीसे के कण विशेष रूप से नाडीमण्डल सम्बन्धी रोग उत्पन्न करते हैं।

कैडमियम श्वसन–विष का कार्य करता है, जो रक्तदाब बढ़ाकर हृदय सम्बन्धी बहुत–से रोग उत्पन्न कर देता है। नाइट्रोजन ऑक्साइड से फेफड़ों, हृदय और आँखों के रोग हो जाते हैं। ओजोन नेत्र–रोग, खाँसी ए की दुःखन उत्पन्न करती है। इसी प्रकार प्रदूषित वायु एग्जीमा तथा मुँहासे आदि अनेक रोग उत्पन्न करती है।

(ख) जल–प्रदूषण–सभी जीवधारियों के लिए जल बहुत महत्त्वपूर्ण और आवश्यक है। पौधे भी अपना भोजन जल के माध्यम से ही प्राप्त करते हैं। जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्त्व, कार्बनिक–अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं। यदि जल में ये पदार्थ आवश्यकता से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाते हैं तो जल प्रदूषित होकर हानिकारक हो जाता है।

केन्द्रीय जल– स्वास्थ्य इंजीनियरिंग अनुसन्धान संस्थान’ के अनुसार भारत में प्रति 1,00,000 व्यक्तियों में से 360 व्यक्तियों की मृत्यु आन्त्रशोथ (टायफाइड, पेचिश आदि) से होती है, जिसका कारण अशुद्ध जल है। शहरों में भी शत–प्रतिशत निवासियों के लिए स्वास्थ्यकर पेयजल का प्रबन्ध नहीं है।

देश के अनेक शहरों में पेयजल किसी निकटवर्ती नदी से लिया जाता है और प्रायः इसी नदी में शहर के मल–मूत्र और कचरे तथा कारखानों से निकलनेवाले अवशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित कर दिया जाता है, परिणामस्वरूप हमारे देश की अधिकांश नदियों का जल प्रदूषित होता जा रहा है।

(ग) रेडियोधर्मी प्रदूषण–परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षण के फलस्वरूप जल, वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण निरन्तर बढ़ता जा रहा है। यह प्रदूषण आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं, वरन् आनेवाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होगा। परमाणु विस्फोट के समय उत्पन्न रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डल की बाह्य परतों में प्रवेश कर जाते हैं, जहाँ पर वे ठण्डे होकर संघनित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं और बहुत छोटे–छोटे धूल के कणों के रूप में वायु के झोंकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं।

द्वितीय महायुद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में हुए परमाणु बम के विस्फोट से बहुत–से मनुष्य अपंग हो गए थे। इतना ही नहीं, इस प्रकार के प्रभावित क्षेत्रों की भावी सन्तति भी अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो गईं।

(घ) ध्वनि–प्रदूषण–अनेक प्रकार के वाहन; जैसे मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर बाजे एवं कारखानों के सायरन व विभिन्न प्रकार की मशीनों आदि से ध्वनि–प्रदूषण उत्पन्न होता है। ध्वनि की तरंगें जीवधारियों की क्रियाओं को प्रभावित करती हैं।

अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य के सुनने की शक्ति का ह्रास होता है और उसे ठीक प्रकार से नींद भी नहीं आती। यहाँ तक कि ध्वनि–प्रदूषण के प्रभावस्वरूप स्नायुतन्त्र पर कभी–कभी इतना दबाव पड़ जाता है कि पागलपन का रोग उत्पन्न हो जाता है।

(ङ) रासायनिक प्रदूषण–प्रायः कृषक अधिक पैदावार के लिए कीटनाशक, शाकनाशक और रोगनाशक दवाइयों तथा रसायनों का प्रयोग करते हैं। इनका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। आधुनिक पेस्टीसाइड्स का अन्धाधुन्ध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि ही पहुँचा रहा है।

जब ये रसायन वर्षा के जल के साथ बहकर नदियों द्वारा सागर में पहुँच जाते हैं तो ये समुद्री जीव–जन्तुओं तथा वनस्पति पर घातक प्रभाव डालते हैं। इतना ही नहीं, किसी–न–किसी रूप में मानव–शरीर भी इनसे प्रभावित होता है।

प्रदूषण पर नियन्त्रण– पर्यावरण में होनेवाले प्रदूषण को रोकने व उसके समुचित संरक्षण के लिए विगत कुछ वर्षों से समस्त विश्व में एक नई चेतना उत्पन्न हुई है। औद्योगीकरण से पूर्व यह समस्या इतनी गम्भीर कभी नहीं हुई थी और न इस परिस्थिति की ओर वैज्ञानिकों व अन्य लोगों का उतना ध्यान ही गया था, किन्तु औद्योगीकरण और जनसंख्या दोनों ही की वृद्धि ने संसार के सामने प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न कर दी है।

प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी दोनों ही स्तरों पर प्रयास आवश्यक हैं। जल–प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के लिए भारत सरकार ने सन् 1974 ई० से ‘जल–प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम’ लागू किया है।

इसके अन्तर्गत एक ‘केन्द्रीय बोर्ड’ व सभी प्रदेशों में ‘प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड’ गठित किए गए हैं। इन बोर्डों ने प्रदूषण नियन्त्रण की योजनाएँ तैयार की हैं तथा औद्योगिक कचरे के लिए भी मानक निर्धारित किए हैं।

उद्योगों के कारण उत्पन्न होनेवाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यह लिया है कि नए उद्योगों को लाइसेंसू दिए जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था तथा पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति भी प्राप्त करनी ग्री। इसी प्रकार उन्हें धुएँ तथा अन्य प्रदूषणों के समुचित ढंग से निष्कासन और उसकी व्यवस्था का भी दायित्व लेना होगा।

वनों की अनियन्त्रित कटाई को रोकने के लिए कठोर नियम बनाए गए हैं। इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं कि नए वनक्षेत्र बनाए जाएँ और जनसामान्य को वृक्षायण के लिए प्रोत्साहित किया जाए। पर्यावरण के प्रति जागरूकता से ही हम आनेवाले समय में और अधिक अच्छा एवं स्वास्थ्यप्रद जीवन व्यतीत कर सकेंगे और आनेवाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेंगे।

उपसंहार– जैसे–जैसे मनुष्य आपदी वैज्ञानिक शक्तियों का विकास करता जा रहा है, प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। विकसित देशों द्वारा वातावरण का प्रदूषण सबसे अधिक बढ़ रहा है।

यह एक ऐसी समस्या है, जिसे किसी विशिष्ट क्षेत्र या राष्ट्र की सीमाओं में बाँधकर नहीं देखा जा सकता। यह विश्वव्यापी समस्या है, इसलिए सभी राष्ट्रों का संयुक्त प्रयास ही इस समस्या से मुक्ति पाने में सहायक हो सकता है।

Hindi Essay

प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi 500 Words | PDF

Essay on pollution in hindi.

Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं। प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है, तो आइये इस निबंध के माध्यम से हम तीन प्रकार के प्रमुख प्रदुषण के बारे में जानते है – Essay on Pollution in Hindi

मनुष्य ने अपने सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए उसके संतुलन को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। प्रकृति पर हमला करने के लिए मनुष्य को विभिन्न रोगों के रूप में दंड मिला है। प्राचीन काल में जब मनुष्य और प्रकृति एक थे, तब शायद कोई बीमारी नहीं थी।

धीरे-धीरे जैसे-जैसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता गया, बीमारियां भी बढ़ती गईं। आज विज्ञान ने ऐसे उद्योगों, कारखानों, औजारों को जन्म दिया है, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों में विकार पैदा हो गए हैं। प्रकृति के हर तत्व में प्रदूषण पैदा कर मनुष्य ने अपने लिए समस्याएं खड़ी कर लिया हैं।

प्रदूषण का मतलब

पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है, जो आपस में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। मानव शरीर को शुद्ध हवा और पानी की जरूरत होती है। मानव कान सीमित ध्वनि सुन सकता है। सभी इंद्रियां सीमित अनुभव करती हैं। यदि उन सभी में विकार उत्पन्न होता है, तो वे हमारे लिए प्रदूषण हैं।

आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रकृति की देन में एक भयानक अव्यवस्था पैदा कर दी है। वायु, जल, ध्वनि आदि हमारे दैनिक जीवन के लिए प्रदूषित हो गए हैं। अत्यधिक ध्वनि और प्रकाश कान और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी को इस तरह से दूषित करना प्रदूषण कहलाता है। आज प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यह हमारे लिए एक भयानक और मुख्य समस्या बन गया है।

ये भी देखें – Essay on school annual function in Hindi

वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते है, लेकिन उनमें से तीन प्रमुख प्रदूषण हैं – जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण।

प्रकृति ने हमें एक आवश्यक उपहार जल दिया है जिसके बिना हम लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारी नदियों में शुद्ध पानी बह रहा है। शुद्ध जल पृथ्वी के नीचे जमा हो रहा है। प्रकृति के सभी जल स्रोत मनुष्य के लिए बिल्कुल शुद्ध बने हुए हैं।

मनुष्य ने जल को भी शुद्ध नहीं रहने दिया है। पानी का मुख्य स्रोत नदी में नालों के माध्यम से शहरों और कस्बों का गन्दा पानी डाला जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का पानी नदियों में डाला जाता है, जिससे नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बिना सफाई के नहीं पिया जा सकता।

वायु प्रदुषण

प्रकृति ने हवा को बिल्कुल शुद्ध बनाया था, लेकिन आजकल परिवहन के साधन इतने बढ़ गए हैं कि वे हर समय जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो वातावरण को प्रदूषित करता है। कारखानों, उद्योगों और व्यवसायों के विकास ने वायु प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

बड़े महानगरों में शाम के समय इतना वायु प्रदूषण होता है कि चारों तरफ धुंआ भर जाता है, जिसका असर सांस लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ आंखों पर भी पड़ता है। प्रकृति द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण आवश्यक उपहार को मनुष्य ने इतना खराब कर दिया है कि आज यह एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके लिए दुनिया के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज विज्ञान ने लाउडस्पीकर के आविष्कार से ध्वनि को प्रदूषित कर दिया है। बसों, कारों, ट्रेनों और अन्य साधनों की आवाज़ ने बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरों में कई संगीत वाद्ययंत्र भी एक बड़ी कर्कश ध्वनि बनाते हैं।

इसके अलावा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से भी तेज ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर के कोमल ऊतकों को प्रभावित करता है। कानों पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द और भारीपन बना रहता है। इस प्रकार ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोग उत्पन्न होते हैं।

ये भी देखें – Essay on environmental pollution in Hindi

इस समय सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, जिससे सब कुछ दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो दुनिया में आपदा आ जाएगी। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले हमें प्रकृति के श्रृंगार के रूप में पेड़ों की कटाई को रोकना होगा। पेड़ इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में पौधरोपण करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वायु प्रदूषण से बचना चाहिए।

उद्योग और कारखाने बस्ती से दूर रहें। इलेक्ट्रिक ट्रेनों, बसों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शहरों में इलेक्ट्रिक रेलवे का विस्तार किया जाना चाहिए। नदियों के पानी को शुद्ध रखने के लिए गंदे पानी की नालियों को खेतों में डाल देना चाहिए। ध्वनि प्रसारण उपकरणों की आवाज कम कर देनी चाहिए। इस संबंध में सरकार और वैज्ञानिकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए।

शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, शुद्ध मौसम मनुष्य के लिए आवश्यक तत्व हैं। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्थान पर प्रदूषण रोकना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने चाहिए। अनावश्यक पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। गंदगी फैलाने की कोशिश न करें।

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Q&A. on Pollution in Hindi

प्रदूषण का कारण क्या है.

उत्तर – वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं।

हम प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?

उत्तर – प्रदूषण को कम करने के कई उपाय है जैसे –

  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।
  • पटाखों के प्रयोग से बचें।
  • उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
  • एयर कंडीशनर की जगह पंखे का प्रयोग करें।
  • प्लास्टिक बैग को नहीं।
  • रीसायकल और पुन: उपयोग।
  • चिमनी के लिए फिल्टर का प्रयोग करें।
  • जंगल की आग और धूम्रपान में कमी।

प्रदूषण पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर रहा है?

उत्तर – वायु प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है।

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HBSE Class 12th Geography Syllabus 2024-25: Download PDF for Board Exam

Hbse class 12 geography syllabus 2024-25: download the class 12th haryana board geography syllabus for the academic session 2024-25 here. check out the complete syllabus to know the course structure along with overview and question paper design. find the link to download pdf for hbse 12th class haryana board geography syllabus for the academic year 2024-25 at the conclusion of this article..

Anisha Mishra

HBSE Class 12 Syllabus 2024-25: The Haryana Board has released the Geography syllabus for class 12th. View the most recent Haryana Board Class 12th Geography curriculum and obtain the link to download the syllabus for the 12th grade. The syllabus will direct your exam preparation. The syllabus is released out well in advance allowing them to begin preparing appropriately.

HBSE Class 12 Geography Syllabus 2024-25: General Guidelines 

  • There will be an Annual Examination based on the entire syllabus.
  • The Annual Examination will be of 60 marks, Practical Examination will be of 20 marks and 20 marks weightage shall be for Internal Assessment.
  • For Practical Examination:
  • a) Written test of two questions of 5 marks each (Total marks-10)
  • b) Practical record of 5 marks.
  • c) Viva-voce of 5 marks.
  • For Internal Assessment:
  • a) For 6 marks- Three SAT exams will be conducted and will have a weightage of 06 marks towards the final Internal Assessment.
  • b) For 2 marks- One half yearly exam will be conducted and will have a weightage of 02 marks towards the final Internal Assessment.
  • c) For 2 marks- Subject teacher will assess and give maximum 02 marks for CRP (Classroom participation).
  • d) For 5 marks- A project work to be done by students and will have a weightage of 05 marks towards the final Internal Assessment.
  • e) For 5 marks- Attendance of student will be awarded 05 marks as:

75% to 80%-01 marks

80% to 85%-02 marks

85% to 90%-03 marks

90% to 95%-04 marks

HBSE Class 12 Geography Course Structure (2024-25) 

Text book 1: fundamentals of human geography.

Chapter 1 - Human Geography Nature and Region : - Meaning of human geography, nature of human geography, human geography through the corridors of time, fields and sub-fields of human geography, approaches to human geography, the temporal evolution of human geography 

Chapter 2 – Distribution Density and Growth : - Patterns of population distribution in the world, density of population, population growth or change, trends of population growth, impact of population growth, demographic transition theory, measures of population control 

Chapter 3 - Human Development : - Meaning of Growth and Development, Four Pillars of Human Development, Approaches to Human Development, Measuring Human Development, International Comparison 

Chapter 4 – Primary Activities: - Meaning of primary activities, Types of primary activities, pastoralism, agriculture, meaning of mining, methods of mining, changing trends 

Chapter 5 - Secondary Activities : - Meaning of secondary activities, types of secondary activities, manufacturing, classification of manufacturing industries, the most important manufacturing industries in the world 

Chapter 6 - Tertiary and Quaternary Activities:- Meaning of tertiary activities, Types of tertiary activities, people engaged in tertiary activities, Tourism: an important activity, Meaning of Quaternary activities, Types of Quaternary activities, digital divide 

Chapter 7 – Transport and Communication :- Meaning of Transport, Means of Transport, Land Transport, Water Transport, Air Transport, Pipelines, Information Systems 

Textbook – 2- People and Economy of India

Chapter 1 - Population: Distribution, Density, Evolution and Structure:- Distribution of population, density of population, increase in population, population structure (linguistic, religious etc.)

Chapter 2 - Human Settlements :- Rural Settlements - Types and Distribution, Urban Settlements - Types, Distribution and Functional Classification, Development of Towns in India

Chapter 3 – Land Resources and Agriculture :- Land Use Categories, Changes in Land Use in India, Agricultural Land Use in India, Problems of Indian Agriculture 

Chapter 4 - Water Resources :- Water Resources of India, Watershed Management, Rain Water Harvesting 

Chapter 5 - Minerals and Energy Resources : - Minerals, Distribution of Minerals in India, Spatial Pattern of Minerals, Energy Resources and Their Types 

Chapter 6 - Planning and Sustainable Development in the Context of India : - Planning Approach, Target Area Planning, Hill Area Development Programme, Drought Prone Area Programme, Case Study - Integrated Tribal Development Project in *Bharmour* Area, Sustainable Development, Case Study Indira Gandhi Canal (Nahar) Command Area, Measures to Promote Sustainable Development 

Chapter 7 - Transport and Communication :- Means of Transportation, Land Transport, Rail Transport, Oil and Gas , Water Transport, Air Transport, Communication Networks 

Chapter 8 - International Trade :- Changing patterns of India's international trade, sea ports and their hinterland and airports 

HBSE Class 12 Geography Question Paper Design 2024-25

Prescribed books:.

  • Class 12th Text Book “Fundamentals of Human Geography” BSEH Publication © NCERT
  • Class 12th Text Book “People and Economy of India” BSEH Publication © NCERT
  • Class 12th  Practical Book “Practical Work in Geography part-II” BSEH Publication © NCERT

HBSE Class 12 Geography Syllabus 2024–25 

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  8. वायु प्रदूषण

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  9. वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi)

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  16. वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi)- वायु प्रदूषण

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    18.1 Air Pollution We can survive for some time without food, but we cannot survive even for a few minutes without air . This simple fact tells us how important clean air is to us. You already know that air consists of a mixture of gases. By volume, about 78% of this mixture is nitrogen and about 21% is oxygen. Carbon dioxide, argon, methane ...

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