Freedom Fighters in Hindi | भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी

Freedom fighters in hindi

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  • January 24, 2022

भारत बहुत लम्बे समय तक अंग्रेजो के अधीन था, बहुत लम्बे समय तक अंग्रेजो के अधीन रहने बाद 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को आजादी मिली।

लेकिन क्या हमें आजादी ऐसे ही मिल गयी थी, क्या इतने सालों के जुल्म को खत्म करने के लिए अंग्रेज सरकार ऐसे ही मान गयी थी। 

नहीं, अंग्रेज सरकार ने यह माना नहीं था, उन्हें हमें आजाद करने का फैसला मानना पड़ा था, क्यूंकि भारत के कईं शूरवीर लोगो ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था। 

हम उन शूरवीरों को अब freedom fighters यानि की आज़ादी के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारी कहते है। आज हम इस freedom fighters in hindi ब्लॉग में उन्ही साहसी लोगो के बारे में बात करेंगे।

जिनके निरंतर प्रयासों और बलिदानो के बाद आज हम अपने देश में आज़ाद है और अपने अनुसार अपनी ज़िन्दगी जी सकते है।

आज़ादी की इस लड़ाई में अलग अलग लोगों ने भाग लिया, किसी ने शांति के साथ अंग्रेजो तक अपनी बात पहुंचाई तो किसी ने अपने अंदर पनपन रहे देश के लिए ज़ज़्बे के साथ अंग्रेजी हकूमत की टस तोड़ी। 

इन सब लोगों का तरीका बेशक अलग अलग हो लेकिन सबके मन में एक ही विचार था की हमें हमारे देश को आज़ादी दिलानी है।

आज हम इन्ही लोगो के बारे में बात करेंगे और कोशिश करेंगे की हम इन लोगों से प्रेरणा ले सके और ज़रूरत पड़ने पर देश हित के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर सकें। 

Table of Contents

Indian Freedom fighters in Hindi

जैसा की हमनें आपको बताया की भारत को आज़ादी दिलाने में बहुत सारे लोगों ने अपना अपना योगदान दिया, ऐसे बहुत से लोग है,

जिन्होंने इस लड़ाई में अपना योगदान दिया था लेकिन उनका नाम इतिहास के पन्नो में कहीं खो के रह गया है। 

भारत के वह शूरवीर इतने है की यह सम्भव ही नहीं है की हम उन सबका नाम अपने इस freedom fighters in hindi ब्लॉग में लिख सकें। 

लेकिन हम कोशिश करेंगे की हम अधिक से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में आपको जानकारी दे सकें। 

पर जिन जिन फ्रीडम फाइटर्स के नाम हम इस ब्लॉग में नहीं लिख पाए, course mentor की पूरी टीम उनका भी पूरा सम्मान करती है और देश के लिए दिए उनके बलदानों के लिए उनका धन्यवाद भी करती है। 

तो चलिए अब हम आपके सामने freedom fighters in Hindi लिस्ट पेश करते है -:

Mangal Pandey Ji

मंगल पाड़े का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर पदेश के बलिया जिले के एक गाँव नगवा में हुआ था। इनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

इनके जन्म को लेकर इंतिहासकारों की अलग अलग राय है, कईं इतिहासकार इनका जन्म फैजाबाद जिले के अकबरपुर तहसील में भी बताते है। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे और माता का नाम अभय रानी था।

इन्होंने भारत की आजादी की पहली लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी, बहुत लोग इन्हें भारत का प्रथम स्वतरंता सेनानी भी मानते है।

वह पहले ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हुए थे, वह सेना में पैदल सेना के सिपाही थे, जिनमें उनका सिपाही नंबर 1446 था।

1857 में जब अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ पहली बार विद्रोह किया गया, उस विद्रोह में मंगल पांडे जी का अहम योगदान था।

1857 में हुआ यह विद्रोह ही भारत की आजादी के जंग में नींव की तरह साबित हुआ, इस विद्रोह के बाद ही भारत में आजादी के लिए लड़ाई की लहर दौड़ गई थी।

मंगल पांडे जी को इस विद्रोह की वजह से ईस्ट इंडिया कंपनी ने गद्दार घोषित कर दिया था और फिर 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई।

Facts about Mangal Pandey

यह है मंगल पांडे जी के बारे में कुछ अहम बातें -:

  • इन्होंने ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ पहली जंग शुरू की थी। 
  • जब वह east इंडिया कंपनी सेना में थे तो उस समय कंपनी ने सेना को गाय और सूअर के मास से बने कारतूस दिए थे, लेकिन भारत के बहुत सारे सैनिकों ने उन्हें इस्तेमाल करने से मना कर दिया था, क्यूंकी कारतूस को मुँह से छीलना पड़ता था, उस समय भारतीय हिन्दू और मुस्लिम सैनिकों ने विद्रोह किया था और मंगल पांडे जी ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया था।
  • कहा जाता है की मंगल पांडे जी अंग्रेजी हकूमत के इस फैसले पर इतना गुस्सा थे की उन्होंने अंग्रेजी Lieutenant Baugh पर गोली चला दी, गोली का निशाना तो चूक गया था, लेकिन Lieutenant को वहाँ से जान बचा कर भागना पड़ गया था।
  • इनके जीवन पर मंगल पांडे – दी राइज़ींग नाम से मूवी बन चुकी है, जिसमें आमिर खान जी ने मुख्य किरदार निभाया।

महात्मा गाँधी

Mahatma Gandhi Ji

हमारी इस freedom fighters in Hindi की लिस्ट में अगला नाम है महात्मा गांधी जी का। उनका पूरा नाम था मोहनदास कर्मचंद गांधी।

उनके पिता का नाम कर्मचंद गांधी और माता का पुतलीबाई था। उन्होंने देश को आजाद करवाने में एक बहुत अहम भूमिका निभाई।

वह एक बहुत साफ दिल और साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति थे, वह जो धोती पहनते थे उसके लिए सूत वह खुद चरखा चला कर कातते थे।

देश को आजाद करवाने के लिए उन्होंने कईं आंदोलन किए, वह कहीं पर भी अन्याय होता हुआ नहीं देख पाते थे। साउथ अफ्रीका में अश्वेत लोगो पर हो रहे जुल्म पर भी गांधी जी ने अपनी आवाज उठाई थी।

उनके इन योगदानों और उनके विचारों के वजह से आज केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व उनसे प्रेरणा लेता है। उनके अहम योगदानों की वजह से भारत में उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है।

Facts about Mahatma Gandhi Ji

यह है महात्मा गांधी जी के बारे कुछ facts जो की आपको पता होने चाहिए -:

  • उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा Alfred हाईस्कूल, राजकोट से प्राप्त की थी।
  • उनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है।
  • महात्मा गांधी जी के 2 बड़े भाई और 1 बड़ी बहन थी।
  • महात्मा गांधी जी को महात्मा का टाइटल रबिंद्रनाथ टैगोर जी ने दिया था।
  • गांधी जी को 5 बार नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया था, पहली बार सन 1937, 1938, 1939, 1947 और उनकी मृत्यु से कुछ दिन पहले यानी की जनवरी 1948 में।

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शहीद सरदार भगत सिंह जी

Shaheed Bhagat Singh Ji

जब भी freedom fighters in Hindi की बात होती है तो सरदार भगत सिंह जी का नाम जरूर लिया जाता है।

आखिर लिया भी क्या ना जाए देश की आजादी में जो उनके योगदान है, उसके लिए पूरा भारत उनका आभारी है।

भगत सिंह जी का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था और केवल 24 वर्ष की उम्र में 23 मार्च 1931 को वो देश के लिए शहीद हो गए।

उन्हें अंग्रेजी सरकार द्वारा फांसी दे दी गई थी, भगत सिंह जी के विचार बाकी स्वतंत्रता सेनानियों से अलग थे, इसलिए अधिकतर स्वतंत्रता सेनानी उनका खुल के समर्थन नही कर पाते थे।

लेकिन भगत सिंह जी हर एक सेनानी की सोच का मान रखते थे, जिन स्वतंत्रता सेनानियो की सोच उनसे अलग थी, वह उन्हे भी पूरा सम्मान दिया करते थे।

भगत सिंह जी ने देशवासियों के मन में देश की आजादी के चिंगारी जगाने में बहुत अहम योगदान दिया।

Facts about Bhagat Singh Ji -:

यह है सरदार भगत सिंह जी से जुड़ी कुछ बातें -:

  • जब भगत सिंह जी के माता पिता उनकी शादी करवाना चाहते थे तो भगत सिंह जी ने यह कह कर घर छोड़ दिया था की अगर देश की आजादी से पहले मेरी शादी होगी तो मेरी दुल्हन केवल मौत होगी।
  • उन्होंने और बटुकेश्वर दत्त जी ने मिलकर असेंबली हॉल, दिल्ली में बम फेंके थे और इंकलाब ज़िंदाबाद के नारे लगाए थे। वहां पर बम गिराने के बाद वह भागे नही बल्कि खुद पकड़े गए थे।
  • पकड़े जाने पर उन्होंने किसी तरह का डिफेंस नही मांगा और इसे भारत में आजादी की जज्बे को फैलाने के लिए प्रयोग किया।
  • उन्हें मौत की सजा 7 अक्टूबर 1930 को सुनाई गई थी। जेल में रहते हुए उन्होंने भारतीय कैदियों और बाहरी कैदियों के बीच हो रहे भेदभाव को देखकर भूख हड़ताल कर दी थी।
  • भगत सिंह जी पर बहुत फिल्में बनी है, लेकिन उनमें से The Legend of Bhagat Singh मूवी सबसे अधिक प्रसिद्ध है, इस मूवी में अजय देवगन जी ने प्रमुख भूमिका निभाई है।

सुभाषचद्र बोस 

Subhash Chandra Ji

अगली महान शख्सियत जो की हमारी इस freedom fighters in Hindi लिस्ट में है, वह है सुभाष चंद्र बोस।

सुबास चंद्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 में हुआ था और उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 में देश की आजादी से तकरीबन 2 साल पहले हो गई थी।

सुभाष चंद्र बोस जी को सब लोग नेताजी सुभाष चंद्र बोस कहते है। उन्होंने देशवासियों को आजादी के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।

उन्होंने नारा दिया था “तुम मुझे खून दो, मै तुम्हें आजादी दूंगा”। यह नारा आज भी सभी भारतीयों के दिलो में पत्थर पर लिखें अक्षरों की तरह छपा हुआ है।

सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी की लड़ाई में बहुत अहम योगदान दिया।

Facts about Subhas Chandra Bos

यह है सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी कुछ बातें -:

  • सुभाष चंद्र बोस जी स्वामी विवेकानंद जी और श्री रामकृष्ण परमहंसा जी के विचारो से बहुत प्रभावित थे।
  • सुभाष चंद्र बोस जी देश की आजादी के लिए लड़ते हुए 11 बार जेल गए।
  • नेताजी ने जर्मनी में रहते हुए देश की आजादी के लिए लोगो को बहुत सपोर्ट हासिल की।
  • नेताजी की मौत आज भी एक रहस्य है, लेकिन अधिकतर लोगो का कहना है की उनकी मौत ताइवान में हुए प्लेन क्रैश के समय 18 अगस्त 1945 को हो गई थी।
  • कईं लोगों का मानना है की उनकी मौत प्लेन क्रैश में हुई थी और यह वहाँ से बचकर, अपनी पहचान छुपा कर रहने लगे थे।

चंद्रशेखर आज़ाद

Chandra Shekher Ji

चंद्रशेखर आजाद जी का जन्म 23 जुलाई 1906 को वर्तमान अलीराजपुर जिले में हुआ था, उनका नाम चंद्र शेखर तिवारी था। उन्हें आजाद और पंडित जी जैसे उपनामों से बुलाया जाता था।

वह शहीद भगत सिंह जी के साथी थे, वह 9 अगस्त 1925 को हुए काकोरी काण्ड में शामिल थे, जिसमें अंग्रेजी सरकार के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए हथियार खरीदने के लिए अंग्रेजी सरकार का ही खजाना लूट लिया गया था।

उन्होंने भगत सिंह जी के साथ मिलकर लाल लाजपत राय जी की मौत बदला लिया। उन्होंने भगत सिंह जी के असेंबली में बम फेंकने में भी सहायता की।

27 फरवरी 1931 को अंग्रेजी सरकार ने इन्हें अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया और इन्हें surrender करने का कहा, लेकिन इन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया और एक पुलिस इंस्पेक्टर को गोली मार दी।

चंद्र शेखर आजाद जी ने 5 गोलियां चलाकर, 5 लोगो की हत्या कर दी, उसके बाद उन्होंने अंतिम बची गोली खुद को मारकर आत्महत्या कर ली, इन्होने देश की आजादी के लिए देशवासियों में एक अलग ही हुंकार भर दी।

यदि कभी freedom fighters in Hindi जैसी किसी लिस्ट को पेश किया जा रहा हो और इनका नाम ना आएं, तो हम उस लिस्ट को कभी पूरा नहीं मानेंगे।

Facts about Chandra Shekhar Azad

यह है चंद्रशेखर आजाद से जुड़ी कुछ बातें -:

  • चंद्रशेखर आजाद 1921 में जब वह एक स्कूल स्टूडेंट हुए करते थे, तभी आजादी की जंग में हिस्सा लेने लगे थे।
  • इन्होंने गाँधी जी के द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में भाग लिया था, जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जब उन्हें जज के सामने पेश किया गया तो उन्होंने वहाँ अपना नाम आजाद बातया।
  • उन्होंने जब अपने आपको आजाद नाम दिया था, उन्होंने तब यह शपथ ली थी की पुलिस उन्हें कभी जिंदा नहीं पकड़ पाएगी।
  • आजाद जी एक लाइन को बहुत बाहर दोहराया करते थे, जो की कुछ इस प्रकार है “दुश्मनों की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही थे और आजाद ही रहेंगे।”
  • इनके अपने साथी ने ही अंग्रेजों को बताया था की यह अल्फ्रेड पार्क में मोजूद है और यह वहाँ कितनी देर रहेंगे।
  • इनके जीवन पर एक मूवी बनाई गई है, जिसका नाम है शहीद चंद्रशेखर आजाद, इस मूवी में इनकी कहानी को दिखाया गया है।

रानी लक्ष्मी बाई

Rani Lakshmi Bai

हमारी इस freedom fighters in Hindi लिस्ट में अब हम एक महिला के बारे में बात करेंगे।

नीचे हमनें महिला freedom fighters in hindi के लिए एक अलग लिस्ट बनाएंगे, लेकिन हम झांसी की रानी जी के हौंसले से इतना प्रेरित है की हम उनका नाम यहां लिखें बिना नही रह पाए।

रानी लक्ष्मी बाई यानी झांसी की रानी, इनके बारे में जो कुछ भी कहा जाए कम है, इनके नाम को सुनकर ही मन में एक अलग प्रकार का होंसला उत्पन्न हो जाता है।

इनपर एक कविता भी लिखी गई है “खूब लड़ी मर्दानी, वो झांसी वाली रानी थी”।

यह कविता को हम जितनी भी बार पढ़ ले, हमारी आंखों में आसूं आ जाते है, रानी लक्ष्मी बाई के हौंसले के बारे में बात करने के हम खुद को लायक भी नहीं समझते।

इनका जन्म 19 नवंबर 1828 को हुआ था, वह झांसी राज्य की रानी थी, उनके पिता का नाम मोरोपन्त ताम्बे और माता का नाम भागीरथी सापरे था, उनका विवाह झांसी नरेश महराज गंगाधर राव नवेलकर से हुआ था।

उन्होंने 29 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ युद्ध किया, वह पूरे साहस के साथ युद्ध में लड़ी, युद्ध के दौरान ही सिर पर तलवार लगने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई, वह 18 जून 1858 को शहीद हुई थी।

Facts about Rani Lakshmi Bai

यह है रानी लक्ष्मी बाई से जुड़ी कुछ बातें -:

  • इनको इनके माता पिता ने मणिकर्णिका नाम दिया था और इन्हें प्यार से मनु कह कर बुलाया जाता था, शादी के बाद इनको रानी लक्ष्मी बाई के नाम से जाना जाने लगा।
  • उनके पिता ने उन्हीं तीरंदाजी जैसे कईं युद्ध कौशल उनको छोटी उम्र से ही सीखने लगे थे।
  • उन्होंने केवल 4 वर्ष की उम्र में ही अपनी माता को खो दिया था, उनकी माता की मृत्यु के बाद उनके पिता जी ने बड़े लाड़ प्यार से उनको पालन पोषण किया।
  • जब झांसी के महाराज यानि की उनकी पति की मृत्यु हुई तो 1853 में केवल 18 वर्ष की आयु में उन्होंने झांसी राज्य को संभालना शुरू किया।

लाल बहादुर शास्त्री

Lal Bhadur Shashtri

हमारी आज की इस freedom fighters in Hindi लिस्ट में जो अगला नाम है, वह है लाल बहादुर शास्त्री जी का।

लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे, उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 में वाराणसी में हुआ था।

उन्होंने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की,शास्त्री जी ने देश की आजादी के संघर्ष में अहम योगदान दिए।

उन्होंने देश के प्रधानमंत्री मंत्री बनने के बाद लगभग 18 महीनो तक देश की सेवा की।

लेकिन फिर 11 जनवरी 1966 को सोवियत संघ रूस में इनकी मृत्यु हो गई।

Facts about Lal Bahadur Shashtri

यह है लाल बहदूर शास्त्री से जुड़ी कुछ बातें -:

  • लाल बहादुर शास्त्री जी के पिता की मृत्यु तभी हो गई थी, जब वह केवल डेढ़ साल के थे।
  • उनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी माता जी अपने तीन बच्चों के साथ अपने पिता यानि की शास्त्री जी के नाना जी के घर चले गए, शास्त्री जी का पालन पोषण फिर वहीं पर हुआ।
  • उन्होंने वाराणसी से हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त की, जहां पर वह नंगे पाँव कईं किलोमीटर दूर अपने स्कूल जाया करते थे।
  • यह गाँधी जी के विचारों से बहुत प्रेरित थे और कमाल के इत्तेफाक की बात है की इनका जन्मदिवस भी गाँधी जी के साथ ही आता है।
  • इनकी मौत को बहुत लोग रहस्यमयी मानते है, इनकी मौत के स्पष्टीकरण पर सवाल उठाते हुए The Tashkent Files नाम की एक मूवी भी बनी है।

List of Some Other Freedom Fighters in Hindi

हमारे देश को आजाद करवाने में इतने लोगों ने अहम योगदान दिया है की उन सब का नाम यहाँ बता पान बहुत मुश्किल है। 

फिर भी हम पूरी कोशिश कर रहे है की आपको अधिक से अधिक लोगों के बारे में बता सकें, तो यह रहीं कुछ ओर freedom fighters in Hindi की लिस्ट -:

Woman Indian Freedom Fighters in Hindi

यह रहीं कुछ महिला freedom fighters in Hindi, जिन्होंने हमारे देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

Essay on Freedom Fighters in Hindi

बहुत सारे लोगो ने हमें आज़ादी दिलाने के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए, हम देश के लिए उनके किये बलिदानो के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे। 

अधिकतर सेनानी तो ऐसे है जिन्होंने जिस आज़ादी के लिए अपने प्राण भी दे दिए, उन्हें वह आज़ादी देखने के लिए भी नहीं मिली।

उन्होंने हमारे लिए इतना सब कुछ किया है तो यह हमारी ज़िम्मेदारी बनती है की हम उनके आज इस दुनिया में ना होने के बावजूद हमेशा उनको याद रखें। 

हमें उन्हें हमारे दिलो में हमेशा के लिए ज़िंदा रखना है, तो ऐसे में सब यह चाहते है की आने वाली पढियाँ भी उन्हें हमेशा याद रखें। 

आने वाली भी पढियाँ भी यह समझे की जिस हवा में वह सांस ले रहे है, उस हवा में हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और ज़ज़्बे की महक है।

ताकि आने वाली पढियाँ भी उन्हें याद रखें इसलिए स्कूलो, कॉलेजों में freedom fighters in hindi पर निबंध लिखवाये जाते है। 

हम भी इस ब्लॉग में एक निबंध हमारे स्वतंत्रता सेनानियों पर लिख रहे है ताकि आप उनके बलिदानो को और अच्छे से समझ सकें। 

Indian Freedom Fighters in Hindi

भारत बहुत सालों तक अंग्रेजो की क्रूरता को सहता रहा और उनके अधीन रहा, लेकिन 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को आज़ादी मिली। 

लेकिन यह आज़ादी ऐसे ही नहीं मिली बहुत लोगो बलिदानो के बाद हमें यह आज़ादी मिली, वो लोग जो की देश की आज़ादी के लिए लड़े, वह थे हमारे freedom fighters यानि की स्वतंत्रता सेनानी।

बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों के बाद जा कर हमें यह आज़ादी मिली है, उन लोगों ने लगातार अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ अपनी आवाज़ उठायी। 

जिसकी वजह से उनमें से कईं को जेल जाना पड़ा, कई लोगो की हत्या कर दी गयी और कईं लोगो को बुरी तरह से प्रताड़ित किया। 

लेकिन इसके बावजूद हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने हार नहीं मानी, उन्होंने उनके सामने आयी हर चुनौती का सामना किया, अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ होने के वजह से उनपर कईं तरह के ज़ुल्म भी किये गए। 

पकडे जाने पर उन लोगो के साथ जानवरो से भी बुरा सुलूक किया जाता था। लेकिन उन सब के मन में एक ही बात थी की उन्हें अपने देश को आज़ाद कराना है।

इसलिए उन्होंने उन पर हुए हर ज़ुल्म का सामना किया और देश के लिए लड़े, वह भी हमारे जैसे आम नागरिक ही थे, लेकिन उनमें एक ज़ज़्बा था की वह अपने देश के लिए कुछ करेंगे। 

उनमें से बहुत लोगो को लड़ना नहीं आता था, लेकिन वह लोग फिर भी जंग में उतरे, उनमें से कहीं शारीरक रूप से ताक़तवर नहीं थे, लेकिन उनके हौसले के आगे शक्तिशाली से शकितशाली व्यक्ति भी हार जाता था।

वह सब लोग एक जैसे नहीं थे, उनमें असमानताएं थी लेकिन एक चीज़ जो समान करती थी, वह थी उनका देश के लिए प्यार और देश को आज़ादी दिलाने का उनका ज़ज़्बा। 

वह अपने से ऊपर अपने देश को मानते थे, इसलिए असामनातये होने के बावजूद भी वह लोग एक साथ एक जुट होकर अंग्रेजो के खिलाफ लड़े और उन्होंने हमारे देश को आज़ादी दिलाई। 

हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेनी चाहिए और समझना चाहिए की व्यक्ति का सम्प्रदायिकता नहीं समझना चाहिए, इन सब से ऊपर एक चीज़ होती है वह है देश। 

देश से ऊपर कोई धर्म नहीं होता और ना ही कोई जात होती है, इसलिए हम सब को एक जुट होकर रहना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए की कैसे हम अपने देश के हित में काम आ सकते है।

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Conclusion about Freedom Fighters in Hindi

तो यह था आज का ब्लॉग “Freedom fighters in Hindi” के बारे में। 

हमें उम्मीद है की आपको आज का यह ब्लॉग पसंद आया होगा, इसमें हमें आपको हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानकारी दी। 

हमारे देश को आज़ादी के लिए बहुत अधिक लोगो ने अपने बलिदान दिए है, उनकी वजह से ही हम आज इस आज़ाद देश में जी रहे है। 

हमें उनके बलिदानों को हमेशा याद रखना चाहिए और हमेशा उन्हीं अपने दिलो में ज़िंदा रखना है। 

तो इसी के साथ आज के ब्लॉग में इतना ही, ऐसे ही ओर ब्लॉग्स को पढ़ने के लिए आप course mentor से जुड़ें रहें। 

FAQ about Freedom Fighters in Hindi

फ्रीडम फाइटर को हिंदी में क्या बोलते हैं.

फ्रीडम फाइटर को हिंदी में स्वतंत्रता सेनानी कहते  है, यानि की ऐसे लोग जिन्होने देश को आज़ादी दिलाने के लिए क्रांति की हो, उन लोगो को फ्रीडम फाइटर कहा जाता है। महात्मा गाँधी जी, भगत सिंह जी जैसे बहुत से लोग हमारे फ्रीडम फाइटर है।

भारत में प्रथम स्वतंत्रता सेनानी कौन है?

भारत का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे जी को कहा जाता है, वह अंग्रेजी सेना में एक सिपाही थे। 1857 में जब अंग्रेजो के खिलाफ भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ था, उस संग्राम में इन्होने बहुत भूमिका निभाई थी। 

देश आजाद कराने में कौन कौन थे?

भारत को आज़ाद कराने में किसी एक व्यक्ति का हाथ नहीं था, बहुत सारे लोगो के निरंतर प्रयास के बाद भारत को आज़ादी मिली, लेकिन जिन्होंने इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी उनमें से कुछ लोग इस प्रकार है -: 1. मंगल पांडे 2. सरदार भगत सिंह 3. महात्मा गाँधी जी 4. सुभाषचंद्र बोस 5. चंद्रशेखर आज़ाद। 

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Short & Long Essay on Freedom Fighters in Hindi – 15 अगस्त 1947 से पहले भारत ब्रिटिश सरकार का गुलाम था। इस गुलामी से आजादी पाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानी आगे आए। ये वो लोग थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। ये स्वतंत्रता भगत सिंह, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, चंद्र शेखर आजाद जैसे कई क्रांतिकारी के प्रयासों के माध्यम से हासिल की गई थी। इस निबंध में आपको उन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में उल्लेख करेंगे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। हमने स्वतंत्रता सेनानी पर ( Essay on Freedom Fighters in Hindi ) 100, 200, 300 और 500 शब्दों में निबंध दिया है।

Short & Long Essay on Freedom Fighters in Hindi

निबंध (100 शब्द).

भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए ऐसे बलिदान दिए है जो अपने प्रियजनों के लिए करने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। उन्होंने आजादी पाने के लिए जितनी कठिनाइयां और दर्द सहा है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। भविष्य में आने वाली सभी पीढ़ियां उनके कड़ी मेहनत और निस्वार्थ बलिदान के लिए हमेशा ऋणी रहेंगी।

स्वतंत्रता सेनानियों आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी उस समय में थे। उनके महत्व पर कोई शंका नहीं कर सकता। उन्होंने ही देश और इसके लोगों के लिए ब्रिटिश के खिलाफ विद्रोह किया।

भगत सिंह, महात्मा गाँधी, चंद्रशेखर आजाद जैसे अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अंग्रेजो का विरोध किया और आजादी की लड़ाई में अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी।

निबंध (200 शब्द)

किसी के लिए भी अपने जीवन का बलिदान देना आसान नहीं होता है लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों ने निस्वार्थ भाव से अपने देश के स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी। स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उन्हें जितनी कठिनाइयों और दर्द का सामना किया उसे केवल शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता। उनके संघर्षों और बलिदान के लिए पूरा देश सदैव ऋणी रहेगा।

सेनानियों का महत्व

स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए बलिदान और साहस जरुरी है जिसे केवल अर्जित की जा सकती है, इसलिए इसका सम्मान किया जाना चाहिए।  भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की क्योंकि वे देश में असमानताओं को मिटाना चाहते थे। स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया, ताकि असमानता और अन्याय मिट सके और सभी लोग एक स्वतंत्र समाज में समान रूप से रह सकें। उन्होंने  कई कठिनाइयों और बाधाओं से संघर्ष किया और विजय प्राप्त की। इस संघर्ष से उन्होंने भविष्य के लोगो को प्रेरित किया है और अपने परिश्रम और बलिदान से देशभक्ति की भावना जगाई है।

सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने अन्य लोगो को भी अन्याय से लड़ने के लिए प्रेरित किया। वे स्वतंत्रता आंदोलन के महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उन्होंने सभी भारतीयों को उनके अधिकारों और उनकी शक्ति के बारे में जागरूक किया। परिणामस्वरूप हम किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादियों या अन्याय से मुक्त एक स्वतंत्र देश है।

निबंध (300 शब्द)

स्वतंत्रता आंदोलन भारतीय देश के विभिन्न लोगों द्वारा किया गया एक महान आंदोलन था जिन्हने आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। ऐसे कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ त्याग किया। ये निबंध आपको प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम में उनके उल्लेखनीय योगदान के बारे में जानने में मदद करेगा।

जवाहर लाल नेहरू

मोतीलाल नेहरू और स्वरूप रानी के पहले और एकमात्र पुत्र जवाहरलाल नेहरू थे उन्होंने एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया और भारत को ब्रिटिश से मुक्त कराने के नेहरू के प्रयासों ने भारत की स्वतंत्रता में अहम् भूमिका निभाई।

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी के अनेक प्रयासों के कारण मोहनदास करमचंद गांधी को “राष्ट्रपिता” और “महात्मा” का उपनाम दिया गया उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की और फिर उसका अभ्यास करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए जहाँ कुछ भारतीयों के खिलाफ नस्लीय भेद-भाव देखने के बाद उन्हें मानवाधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा मिली।

भगत सिंह भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के एक प्रसिद्ध विद्रोही और विवादास्पद सदस्य थे जो भारत के आजादी के लिए एक योद्धा के रूप में शहीद हुए। भारत के युवाओं में देशभक्ति जगाने के लिए उन्होंने “नौजवान भारत सभा” की स्थापना की। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भगत सिंह एक वीर राजनीतिक कार्यकर्ता और समाजवादी क्रांतिकारी थे।

सरदार वल्लभभाई पटेल

वल्लभभाई पटेल कम उम्र से ही सबसे साहसी और महान व्यक्ति थे जिन्हें बारडोली सत्याग्रह में अपने वीरतापूर्ण प्रयास के बाद ‘सरदार’ की उपाधि मिली। उनके अपने वीरतापूर्ण प्रयासों के परिणामस्वरूप “भारत का लौह पुरुष” उपनाम मिला। भारत की स्वतंत्रता के बाद देश की रियासतों को एकजुट करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया।

हम सभी युवाओं के लिए प्रेरणा स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों में जीवित है। वे जीवन के संघर्ष, जीवन में अंतर और उस मूल्य की गहराई को दर्शाते हैं जिस पर वे विश्वास करते हैं और जिसके लिए उन्होंने संघर्ष और बलिदान दिया। हमें भारत के सच्चे नागरिक के रूप में देश में शांतिपूर्ण माहौल बनाकर उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का सम्मान करना चाहिए।

निबंध (500 शब्द)

आज हम स्वतंत्र भारत में रह रहे है जिसे 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली। यह संघर्ष 1857 से 1947 तक चले कई आंदोलनों और संघर्षों का परिणाम था। भगत सिंह, महात्मा गांधी, चंद्र शेखर आज़ाद, जवाहरलाल नेहरू, झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई सहित कई क्रांतिकारी और अन्य लोगों ने परिश्रम और संघर्ष किया जिसके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिली। इस निबंध में हम कुछ भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का उल्लेख करेंगे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष किया और अपना जीवन लगा दिया।

मोहनदास करमचंद गांधी जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था। आजादी के लिए जो संघर्ष किया उसके कारण उन्हें “राष्ट्रपिता” की उपाधि मिली। उन्हें अहिंसा की अवधारणा को अपनाने के लिए जाना जाता है। भारत भर में कई स्वतंत्रता आंदोलनों और मानवाधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया और आजादी दिलाने में मदद की।

सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस जिनका जन्म 23 जनवरी, 1897 को कटक में हुआ था। जिन्हे व्यापक रूप से नेता जी के नाम से जाना जाता था। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के कट्टरपंथी गुट से थे जो प्रखर राष्ट्रवादी थे और उनकी अटूट देशभक्ति ने उन्हें हीरो बना दिया। उन्होंने 1920 की शुरुआत से 1930 के अंत तक कांग्रेस के एक कट्टरपंथी युवा विंग के प्रमुख के रूप में कार्य किया।

28 सितम्बर 1907 को भगत सिंह का जन्म हुआ, उन्हें शहीद भगत सिंह के नाम से जाना जाता है। वह सबसे उग्र भारतीय सेनानियों में से थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में वह एक सम्मानित व्यक्ति थे। लाला लाजपत राय की मृत्यु से वह बहुत दुखी हुए और उनके प्रतिशोध के रूप में ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट की हत्या की साजिश में उनकी संलिप्तता उजागर हुई। 23 वर्ष की उम्र में, 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश ने इस वीर भारतीय स्वतंत्रता सेनानी को पाकिस्तान के लाहौर स्थित लाहौर सेंट्रल जेल में फाँसी दे दिया।

प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे जिनको भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम, अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह के अग्रदूत के रूप में जाना जाता है का जन्म 19 जुलाई, 1827 को हुआ था। वह ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री रेजिमेंट में एक सैनिक के रूप में एक सिपाही थे। सिपाही विद्रोह की आशंका में ब्रिटिश अधिकारियों ने 8 अप्रैल, 1857 को बैरकपुर में उनकी हत्या कर दी।

रानी लक्ष्मी बाई

लक्ष्मीबाई, जिनका जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ था जिन्हे झाँसी किए रानी और मणिकर्णिका तांबे नाम से जानी जाती है। वह एक दृढ़ क्रांतिकारी होकर उन्होंने असंख्य भारतीय महिलाओं को अपने देश की आज़ादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। आज भी उनके साहसी कार्य महिलाओं को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्रेरित करती हैं।

स्वतंत्रता सेनानियों के परिश्रम से ही आज हम आजाद देश में रह रहे है। हमे उनके परिश्रम से प्रेरणा लेने की जरुरत है। हमारे बिच सांप्रदायिक नफरत को नहीं आने देने के लिए एक साथ आना चाहिए और सभी स्वतंत्रता सेनानियों के भारतीय सपने को साकार करना चाहिए। तभी हम उनके स्मृति, परिश्रम और बलिदान का सम्मान कर पाएंगे।

ये भी देखें –

  • Essay on Summer Vacation in Hindi
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भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध- Essay on Freedom Fighters in Hindi

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भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध- Essay on Freedom Fighters in Hindi

किसी भी देश को स्वतंत्र कराने में स्वतंत्रता सैनानी बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं। ये वो व्यक्ति होते हैं जो अपना तन मन धन सबकुछ देश को आजाद कराने में लगा देते हैं। भारत में महात्मा गाँधी, भगत सिंह, महाराणा प्रताप, झाँसी की रानी जैसे बहुत से स्वतंत्रता सैनानी हुए हैं जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को आहुती दे दी थी। देश को आजाद कराने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी व्यक्ति स्वतंत्रता सैनानी कहलाते हैं। कुछ स्वतंत्रता सैनानी गर्म स्वभाव के थे और दोश से भरपूर थे और उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए हिंसा का मार्ग चुना था वहीं दुसरी तरफ बहुत से स्वतंत्रता सैनानी शांत स्वभाव के थे और उन्होंने अहिंसा और सत्य को पथ पर चल कर देश को आजाद करवाया था।

स्वतंत्रता सैनानियों के कारण ही हमारा भारत आजाद है और हम एक आजाद भारत के नागरिक है। इनके विचारों से ही देश में क्रांति की लहर दौड़ी थी और हर व्यक्ति ने अप्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्रता सैनानी की भूमिका निभाई थी। हम सबको इन महान लोगों का दिल से सम्मान करना चाहिए और देश के लिए दी गई इनकी कुर्बानी को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। स्वतंत्रता सैनानियों ने बहुत सी यातनाओं और कठिनाईयों का सामना किया और उनके खुन के बदले हमें यह आजादी प्राप्त हुई है। कुछ स्वतंत्रता सैनानी प्रसिद्ध हो गए तो कुछ के नाम गुमनाम ही रह गए लेकिन वह सब हमें आजादी दिलवा गए जिस वजह से वह मर कर भी बमारे बीत में जिंदा है। उनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है।

स्वतंत्रता सैनानियों में देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी। उन्होंने हम सबको भाईचारे का पाठ पढ़ाया था और मिलकर हिंदुस्तान को आजाद करवाया था। हम सबको उन्हें सम्मानपूर्वक याद करना चाहिए और उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए।

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भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची | Freedom Fighters of India list in hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची ( Freedom Fighters of India list and history in hindi)

हम सबको पता है कि हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था और इस आजादी पर हम सब भारतवासी को बहुत गर्व है. हर साल की तरह हम इस साल भी 15 अगस्त को झंडा फेहरायेंगे और 2-4 देशभक्ति गीत गाकर घर आ जायेगें.  हमारी आजादी उन भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से है, जिन्होंने हमारे देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. इन महान हस्तियों को हम बदले में कुछ नहीं दे सकते है, लेकिन कम से कम हम उन्हें इस आजादी के दिन याद तो कर सकते है, उनके बारे में जान तो सकते है.

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐसें ऐसें वीरों के नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखे है, जिन्होंने अपने अकेले के दम पर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई शुरू की. हमारे देश में ऐसे वीर योद्धा भी थे, जिन्होंने अपनी युवावस्था में सब कुछ त्याग कर देश की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे.  आज हमारा भारतवर्ष अंग्रेजों से तो आजाद है, लेकिन भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, बेईमानी ने इसे अपना बंधक बना लिया है. इससे आजादी के लिए हमें एक क्रांति लानी होगी, और हमारे देश के युवा शक्ति को एक बार फिर जगाना होगा. आज हम अपने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों  के बारे में पढ़कर जानेगें कि कैसे उन्होंने देश की आजादी के लिए जनचेतना और क्रांति को जगाया था.

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Table of Contents

भारत देश के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची (   Freedom Fighters of India list in Hindi  )

1. रानी लक्ष्मी बाई – (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});.

भारत देश के उत्तर में झाँसी नाम की जगह है, यहाँ की रानी लक्ष्मी बाई थी. इनका जन्म महाराष्ट्रियन परिवार में हुआ था. उस समय भारत का गवर्नर डलहौजी था, उसने नियम निकाला कि जिस भी राज्य में राजा नहीं है वहां अंग्रेजों का अधिकार होगा. उस समय रानी लक्ष्मी बाई विधवा थी, उनके पास 1 गोद लिया हुआ बेटा दामोदर था. उन्होंने अंग्रेजो के सामने घुटने टेकने से मना कर दिया और अपनी झाँसी को बचाने के लिए उनके खिलाफ जंग छेड़ दी. मार्च 1858 में अंगेजों से लगातार 2 हफ्ते तक युद्ध किया जो वो हार गई थी. इसके बाद वे ग्वालियर चली गई जहाँ एक बार फिर उनका युद्ध अंग्रेजों से हुआ. 1857 में हुई लड़ाई में रानी लक्ष्मी बाई का विशेष योगदान था. इनका नाम भारत के स्वतंत्रता सेनानी  मे बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है.

2. लाल बहादुर शास्त्री –

आजाद भारत के दुसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी थे. शास्त्री जी ने देश की आजादी के लिए भारत छोड़ो आन्दोलन,नामक सत्याग्रह आन्दोलन और असहयोग आन्दोलन में हिस्सा लिया था. ये देश के भारत के स्वतंत्रता सेनानी  थे. आजादी के समय उन्होंने 9 साल जेल में भी बिताये. आजादी के बाद वे home मिनिस्टर बन गए और फिर 1964 में दुसरे प्रधानमंत्री. 1965 में हुई भारत पाकिस्तान की लड़ाई में उन्होंने मोर्चा संभाला था. “जय जवान जय किसान” का नारा इन्होंने ही दिया था. 1966 में जब वे विदेश दौरे पर थे तब अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी म्रत्यु हो गई.

3. जवाहरलाल नेहरु –

पंडित जवाहरलाल नेहरु को आज बच्चा बच्चा जनता है. ये भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे. इनके पिता मोती लाल नेहरु एक बैरिस्टर और नेता थे. 1912 में नेहरु जी विदेश से अपनी पढाई पूरी करने के बाद भारत में बैरिस्टर की तरह काम करने लगे. महात्मा गाँधी के संपर्क में आने के बाद वे आजादी की लड़ाई में कूद पड़े, और भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए. आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरु देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने. आजादी की लड़ाई में वे महात्मा गाँधी के साथ मिल कर अंग्रेजों के खिलाफ खड़े रहे. बच्चों से उन्हें विशेष प्रेम था इसलिए आज भी हम उनके जन्म दिन को बाल दिवस के रूप में मनाते है. दिल्ली में उनका निधन हो गया.

4. बाल गंगाधर तिलक –

“स्वराज हमारा जन्म सिध्य अधिकार है और हम इसे लेकर ही रहेंगे.” पहली बार यह नारा बाल गंगाधर तिलक जी ने ही बोला था. बाल गंगाधर तिलक को “भारतीय अशांति के पिता” कहा जाता था. डेकन एजुकेशन सोसाइटी की इन्होंने स्थापना की थी, जहाँ भारतीय संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाता था, साथ ही ये स्वदेशी काम से जुड़े रहे. बाल गंगाधर तिलक पुरे भारत में घूम घूम कर लोगों को आजादी की लड़ाई में साथ देने के लिए प्रेरित करते थे. इनकी अंतिम यात्रा में महात्मा गाँधी के साथ लगभग 20 हजार लोग शामिल हुए थे.

5. लाला लाजपत राय –

लाला लाजपत राय जी पंजाब केसरी नाम से प्रसिद्ध थे. भारतीय नेशनल कांग्रेस के लाला लाजपत राय बहुत प्रसिद्ध नेता और भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे. लाला लाजपत राय लाल बाल पाल की तिकड़ी में शामिल थे. ये तीनों कांग्रेस के मुख्य और प्रसिद्ध नेता थे. 1914 में वे ब्रिटेन भारत की स्थिति बताने गए थे, लेकिन विश्व युद्ध होने की वजह से वे वहां से लौट ना सके. 1920 में जब वे भारत आये, तब जलियाँवाला हत्याकांड हुआ था, इसके विरुद्ध में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आन्दोलन छेड़ दिया था. एक आन्दोलन के दौरान अंगेजों के लाठी चार्ज से वे बुरी तरह घायल हुए जिसके पश्चात् उनकी म्रत्यु हो गई.

6. चंद्रशेखर आजाद –

चंद्रशेखर आजाद नाम की ही तरह आजाद थे, उन्होंने स्वतंत्रता की आग में घी डालने का काम किया था. उनका परिचय इस प्रकार था, चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता की लड़ाई में युवाओं को आगे आने के लिए प्रेरित करते थे, उन्होंने युवा क्रांतिकारीयों की एक फ़ौज खड़ी कर दी थी. उनकी सोच थी की स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए हिंसा जरुरी है, इसलिए वे महात्मा गाँधी से अलग कार्य करते थे. चंद्रशेखर आजाद का खौफ अंगेजों में बहुत था. इन्होंने काकोरी ट्रेन लूटने की योजना बनाई थी और इसे लुटा था. किसी ने इनकी खबर अंग्रेजों को दे दी, जिससे अंग्रेज इन्हें पकड़ने के लिए इनके पीछे पड़ गए. चंद्रशेखर आजाद किसी अंग्रेज के हाथों नहीं मरना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपने आप को गोली मार ली और शहीद हो गए.

7. सुभाषचंद्र बोस –

सुभाषचंद्र बोस को नेता जी कहते है इनका जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में हुआ था. 1919 को वे पढाई के लिए विदेश चले गए, तब उन्हें वहां जलियाँवाला हत्याकांड का पता चला, जिससे वे अचंभित हो गए और 1921 को भारत लौट आये. भारत आकर इन्होंने भारतीय कांग्रेस ज्वाइन की और नागरिक अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया. अहिंसावादी गाँधी जी की बातें उन्हें गलत लगती थी, जिसके बाद वे हिटलर से मदद मांगने के लिए जर्मनी गए. जहाँ उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी (INA) संगठित की. दुसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान जो INA की मदद कर रहा था, समर्पण कर दिया, जिसके बाद नेता जी वहां से भाग निकले. लेकिन कहते है 17 अगस्त 1945 को उनका प्लेन क्रेश हो गया, जिससे उनकी म्रत्यु हो गई. इनकी म्रत्यु से जुड़े तथ्य आज भी रहस्य बने हुए है.

8. मंगल पांडेय –

भारत के इतिहास में स्वतंत्रता सेनानीयों में सबसे पहले मंगल पांडे का नाम आता है. 1857 की लड़ाई के समय से इन्होंने आजादी की लड़ाई छेड़ दी और सबको इसमें साथ देने को कहा. मंगल पांडे ईस्ट इंडिया कंपनी में सैनिक थे. 1847 में खबर फैली की ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जो बन्दुक का कारतूस बनाया जाता है, उसमें गाय की चर्बी का इस्तेमाल होता है, इसे चलाने के लिए कारतूस को मुह से खीचना पड़ता था, जिससे गाय की चर्बी मुहं में लगती थी, जो हिन्दू मुस्लिम दोनों धर्मो के खिलाफ था. उन्होंने अपनी कंपनी को बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ. 8 अप्रैल 1857 को इनकी म्रत्यु हो गई.

9. भगत सिंह –

भगत सिंह का नाम बच्चा बच्चा जानता है. युवा नेता भगत का जन्म 27 सितम्बर 1907 को पंजाब में हुआ था. इनके पिता और चाचा दोनों स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल थे, जिससे बचपन से ही इनके मन में देश के प्रति लगाव था और वे बचपन से ही अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे. 1921 में इन्होंने असहयोग आन्दोलन में अपनी हिस्सेदारी दी, लेकिन हिंसात्मक प्रवति होने के कारण भगत ने यह छोड़ नौजवान भारत सभा बनाई. जो पंजाब के युवाओं को आजादी में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करती थी. चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर इन्होंने आजादी के लिए बहुत से कार्य किये. 1929 में इन्होंने अपने आप को पकड़वाने के लिए संसद में बम फेंक दिया, जिसके बाद इन्हें 23 मार्च 1931 को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी की सजा दी गई.

10. भीमराव अम्बेडकर –

दलित परिवार में पैदा हुए भीमराव अम्बेडकर जी ने भारत से जाति सिस्टम ख़त्म करने के लिए बहुत कार्य किये. नीची जाति के होने की वजह से उनकी बुधिमियता को कोई नहीं मानता था. लेकिन इन्होंने फिर बुद्ध जाति अपना ली और दूसरी नीची जाती वालों को भी ऐसा करने को कहा, भीमराव अम्बेडकर जी ने हमेशा सबको समझाया की जाति धर्म मानवता से बढ़ कर नहीं होता है. हमें सबके साथ सामान व्यव्हार करना चाहिए. अपनी बुध्दी के बदौलत वे भारत सविधान कमिटी के चेयरमैन बन गए. जनतांत्रिक भारत के संविधान को डॉ भीमराव अम्बेडकर ने ही लिखा था.

11. सरदार वल्लभभाई पटेल –

भारतीय कांग्रेस के नेता सरदार वल्लभभाई पटेल एक वकील थे. वल्लभभाई जी ने नागरिक अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लिया था. वल्लभभाई जी ने देश की आजादी के बाद आजाद भारत को संभाला. आजाद भारत बहुत सारे राज्यों में बंट गया था जहाँ पाकिस्तान भी अलग हो चूका था. उन्होंने देश के सभी लोगों को समझाया कि देश की रक्षा के लिए सभी राजतन्त्र समाप्त कर दिए जायेंगे और पुरे देश में सिर्फ एक सरकार का राज्य चलेगा. उस समय देश को ऐसे नेता की जरुरत थी जो उसे एक तार में बांधे रखे बीखरने ना दे. आजादी के बाद भी देश में बहुत परेशानियाँ थी जिसे सरदार वल्लभभाई पटेल ने बहुत अच्छे से सुलझाया था.

12. महात्मा गाँधी –

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में हुआ था. अहिंसावादी महात्मा गाँधी ने अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई पूरी सच्चाई और ईमानदारी से लड़ी. वे अहिंसा पर विश्वास रखते थे और कभी किसी अंग्रेज को गली भी नहीं दी. इस वजह से अंग्रेज उनकी बहुत इज्जत भी करते थे. सत्याग्रह आन्दोनल, भारत छोड़ो आन्दोलन , असहयोग आन्दोलन, साइमन वापस जाओ, नागरिक अवज्ञा आन्दोलन और भी बहुत से आन्दोलन महात्मा गाँधी ने शुरू किये. वे सबको स्वदेशी बनने के लिए प्रेरित करते थे और अंग्रेजो के सामान को उपयोग करने से मना करते थे. महात्मा गाँधी के प्रयासों के चलते अंग्रेजो ने 15 अगस्त 1947 को देश छोड़ दिया. 30 जनवरी 1948 को नाथू राम गोडसे ने गोली मार कर इनकी हत्या कर दी थी.

13. सरोजनी नायडू –

सरोजनी नायडू एक कवित्री और सामाजिक कार्यकर्ता थी. ये पहली महिला थी जो भारत व भारतीय नेशनल कांग्रेस की गवर्नर बनी. सरोजनी नायडू भारत के संबिधान के लिए बनी कमिटी की मेम्बर थी. बंगाल विभाजन के समय ये देश के मुख्य नेता जैसे महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु के संपर्क में आई और फिर आजादी की लड़ाई में सहयोग देने लगी. ये पुरे भारत में घूम घूम कर लोगों को अपनी कविता और भाषण के माध्यम से स्वतंत्रता के बारे में बताती थी. देश की मुख्य महिला सरोजनी नायडू का जन्म दिवस अब महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है.

14. बिरसा मूंडे –

बिरसा मूंडे का जन्म 1875 को रांची में हुआ था. बिरसा मूंडे ने बहुत से कार्य किये, आज भी बिहार व झारखण्ड के लोग इन्हें भगवान की तरह पूजते है और उन्हें “धरती बाबा” कहते है. वे सामाजिक कार्यकर्त्ता थे जो समाज को सुधारने के लिए हमेशा कुछ ना कुछ करते रहते थे. 1894 में अकाल के दौरान बिरसा मूंडे ने अंगेजों से लगान माफ़ करने को कहा जब वो नहीं माने तो बिरसा मूंडे ने आन्दोलन छेड़ दिया. 9 जून 1900 महज 25 साल की उम्र में बिरसा मूंडे ने अंतिम साँसे ली.

15. अशफाक़उल्ला खान –

भारत देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अशफाक़उल्ला खान एक निर्भय, साहसी और प्रमुख स्वतंत्रता संग्रामी थे. वे उर्दू भाषा के कवी थे. काकोरी कांड में अशफाक़उल्ला खान का मुख्य चेहरा था. इनका जन्म 22 अक्टूबर 1900 को उत्तर प्रदेश में हुआ था. क्रन्तिकारी विचारधारा के अशफाक़उल्ला खान महात्मा गाँधी की सोच के बिल्कुल विपरीत कार्य करते थे. उनकी सोच थी की अंग्रेज से शांति से बात करना बेकार है उन्हें सिर्फ गोली और विस्फोट की आवाज सुने देती है. तब राम प्रसाद बिस्मिल के साथ मिल कर इन्होंने काकोरी में ट्रेन लुटने की योजना बनाई. राम प्रसाद के साथ इनकी गहरी दोस्ती थी. 9 अगस्त 1925 को राम प्रसाद के साथ अशफाक़उल्ला खान और 8 अन्य साथियों के साथ मिलकर इन्होंने ट्रेन में अंग्रेजो का खजाना लुटा था.

16. बहादुर शाह जफ़र –

मुग़ल साम्राज्य का आखिरी शासक बहादुर शाह जफ़र का नाम भी स्वतंत्रता संग्रामी की सूचि में शामिल है. 1857 की लड़ाई में इन्होने मुख्य भूमिका निभाई थी. ब्रिटिशों की सेना ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ शाह जफ़र ने अपनी विशाल सेना खादी कर दी थी, और खुद अपनी सेना के सेनापति थे. उनके इस काम के लिए उन्हें विद्रोही कहा जाने लगा, तथा उन्हें बंगलादेश के रंगून में निर्वासित कर दिया गया था.

17. डॉ राजेन्द्र प्रसाद –

हम डॉ राजेन्द्र प्रसाद को देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में जानते है, लेकिन देश को आजाद कराने के लिए वे हमेशा सभी देश वासियों के साथ खड़े रहे, स्वतंत्रता की लड़ाई में राजेंद्र प्रसाद का नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ था. इन्हें हमारे देश का सविधान का वास्तुकार कहा जाता है. महात्मा गाँधी को अपना आदर्श मानने वाले राजेन्द्र प्रसाद ने कांग्रेस ज्वाइन कर बिहार से एक प्रमुख नेता बन गए. नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन में इन्होने मुख्य भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उन्हें कई बार जेल यातनाएं भी सहनी पड़ी थी.

18. राम प्रसाद बिस्मिल –

राम प्रसाद बिस्मिल स्वतंत्रता सेनानी थे, उनका नाम मैनपुरी व् काकोरी कांड में सबसे ज्यादा प्रख्यात है. ब्रिटिश शासन के वे सख्त खिलाफ थे, वे बहुत बड़े कवी भी थे, जो अपने मन की बात कविताओं के जरिये सब तक पहुंचाते थे. ये हिंदी उर्दू भाषा में लिखा करते थे. ‘सरफरोशियों की तम्मना’ जैसी महान यादगार कविता इन्ही ने लिखी थी.

19. सुखदेव थापर –

सुखदेव देश के स्वतंत्रता संग्रामी में से एक थे, उन्होंने भगत सिंह व् राजगुरु के साथ दिल्ली की असेंबली में बम फोड़ा था, और अपने आप को गिरफ्तार करा दिया था. इसके पहले उनका नाम ब्रिटिश अफसर को गोली मारने के लिए भी सामने आया था. सुखदेव भगत सिंह के अच्छे मित्र भी थे, इन्हें भगत सिंह के साथ ही 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी. युवाओं के लिए ये आज भी एक प्रेरणा का स्त्रोत्र है.

20. शिवराम राजगुरु –

शिवराम राजगुरु भगत सिंह के ही साथी थे, जिन्हें मुख्यतः ब्रिटिश राज के पुलिस अधिकारी को मारने के लिए जाना जाता है. ये हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में कार्यरत थे, जो भारत देश की आजादी के लिए अपने प्राण भी देने को तैयार थे. राजगुरु गाँधी जी की अहिंसावादी बातों के बिलकुल विरोश में थे, उनके हिसाब से अंग्रजो को मार मारकर अपने देश से निकलना चाहिए.

21. खुदीराम बोस –

ये सबसे नौजवान स्वतंत्रता संग्रामी रहे है. स्वतंत्रता की लड़ाई के शुरुवाती दौर में ही ये उसमें कूद पड़े थे. बचपन से देशप्रेम के चलते इन्होने आजादी को ही अपनी मंजिल बना ली थी. उन्हें शहीद लड़का कहके सम्मान दिया जाता है. स्कूल में पढने के दौरान खुदीराम ने अपने टीचर से उनका रिवाल्वर मांग लिया था, ताकि वे अंग्रेजो को मार सकें. मात्र 16 साल की उम्र में इन्होने पास के पुलिस स्टेशन व् सरकारी दफ्तर में बम ब्लास्ट कर दिया. जिसके 3 साल बाद इन्हें इसके जुल्म में गिरफ्तार किया गया, और फांसी की सजा सुने गई. जिस समय इनको फांसी हुई थी, इनकी उम्र 18 साल 8 महीने 8 दिन थी.

22. दुर्गावती देवी (दुर्गा भाभी) –

ब्रिटिश राज के खिलाफ ये महिला उस समय खड़ी रही जब देश में महिलाओं को घर से बाहर तक निकलने की इजाज़त नहीं थी. भगत सिंह जब ब्रिटिश ऑफिसर को मार कर भागते है, तब वे दुर्गावती के पास मदद के लिए जाते है. दुर्गावती भगत सिंह व् राजगुरु के साथ ही ट्रेन में सफ़र करती है, जहाँ दुर्गावती इन्हें ब्रिटिश पुलिस से बचाती है. दुर्गावती भगत सिंह की पत्नी बन जाती है, जिससे किसी को शक ना हो. इनके पति का नाम भगवतीचरण बोहरा था, जो भगत सिंह के साथ ही आजादी के लड़ाई में खड़े हुए थे. उनकी पार्टी के सभी लोग इन्हें दुर्गा भाभी कहा करते थे. दुर्गावती नौजवान भारत सभा की मेम्बर भी थी.

23. गोपाल कृष्ण गोखले –

भारत के स्वतंत्रता सैनानी की सूची में शामिल नाम की बात करें तो उनमें गोपाल कृष्ण गोखले का नाम कभी नहीं भूला जा सकता है. गोपाल कृष्ण गोखले पेशे से एक शिक्षक थे, जो बाद में कॉलेज के प्रिंसिपल भी बने. गोपाल कृष्ण जी अपनी बुद्धिमता के कारण जाने जाते थे. भारत को आजाद कराने में इन्होने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इसलिए इन्हें स्वतंत्रता सेनानी कहा जाता है. इन्हें महात्मा गांधी जी अपना राजनितिक गुरु भी मानते थे वे उनके काफी स्नेह एवं उनका सम्मान करते थे. उनकी भारत के देश के प्रति कर्त्तव्य एवं देश भक्ति के कारण वे काफी प्रचलित हुए, और अल्पायु में ही उनकी मृत्यु हो गई.

24. मदन मोहन मालवीय –

मदन मोहन मालवीय जी का नाम कौन नहीं जानता, ये भारत के पहले और आखिरी ऐसे व्यक्ति थे जिन्हेंमहामना की सम्मानजनक उपाधि मिली थी. पेशे से मदनमोहन मालवीय जी एक पत्रकार एवं वकील दोनों थे. ये अपनी मातृभूमि से बहुत प्रेम करते थे. मदनमोहन मालवीय जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 4 बार अध्यक्ष चुने गए थे. इन्होने ने ही बनारस में स्थित बनारस हिन्दू विश्वविध्यालय औपनिवेशक की स्थापना की. और यह भारत में शिक्षा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण केंद्र बन गया. भारत के स्वतंत्र होने में इनका भी बहुत बड़ा योगदान रहा था.

25. शहीद उधम सिंह –

आपने सन 1919 में हुए जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के बारे में तो सुना ही होगा, उस हत्याकांड के चश्मदीद गवाह कम उम्र के वीर बहादुर शहीद उधम सिंह जी थे. जिन्होंने अपनी आँखों से उस हत्याकांड को देखा जिसमें हजारों लोगों की मृत्यु हुई थी. इस हत्याकांड का जिम्मेदार डायर ने जिस क्रूरता से यह हत्याकांड कराया था, उसे इन्होने अपनी आँखों से देखा और फिर उन्होंने संकल्प लिया कि ‘आज से उनके जीवन का केवल एक ही संकल्प है डायर की मृत्यु’. इसके बाद वे क्रांतिकारी दलों के साथ शामिल हुए और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी नेताओं की पद चिन्हों पर चलते हुए इन्होने अपना योगदान दिया और फिर अल्पायु में ही उनकी मृत्यु हो गई.  

भारत के अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ( Some Other Freedom Fighters of India list)

इनके जीवन से हम बहुत कुछ सीख कर अपने जीवन में उतार सकते है. आज भी भारत को ऐसे ही क्रन्तिकारीयों की जरुरत है, जो देश को भ्रष्टाचार, गरीबी से आजाद कराये. आप किस स्वतंत्रता सेनानी के जीवन से सबसे ज्यादा प्रभावित होते है.

  • जातिवाद अर्थ और इतिहास
  • रणवीर सिंह का जीवन परिचय
  • स्वतंत्रता दिवस का महत्व
  • कारगिल विजय दिवस इतिहास

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essay on 5 freedom fighters in hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानी | Freedom fighters of india in Hindi

Freedom fighters of India

1947 के स्वतंत्रता दिवस को आज लगभग 60 सालो से ज्यादा हो चुके हैं, आज हर कोई आजाद हैं और अपने देश में स्वतंत्रता के साथ जीता हैं लेकिन दोस्तों, इस स्वतंत्रता के लिये कई महान क्रांतिकारको ने और महान नेताओं ने इस देश के लिये अपना जीवन समर्पण किया आज उन्ही स्वतंत्रता सेनानीओं के बारेमें हम जानते हैं –  Freedom fighters of India –

Freedom fighters of india

भारत के स्वतंत्रता सेनानी – Freedom fighters of India in Hindi

यहाँ निचे स्वतंत्रता सेनानीओं के नाम दिये हैं आप उन नामो पर क्लिक करके उनकी पुरी जीवनी पढ़ सकते हो –

Khan Abdul Ghaffar Khan – ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान

  • पूरा नाम (Name) – खान अब्दुल गफ्फार खान
  • जन्म (Birthday) – 6 फरवरी 1890, चरसद्दा, खईबर, पख्तुन्ख्वा, पाकिस्तान
  • आंदोलन (Movement) स्वतंत्र पख्तूनिस्तान आंदोलन
  • कार्य (Work) महान स्वतंत्रा सेनानी, राजनीतिक और अध्यात्मिक नेता
  • मृत्यु (Death) – 20 जनवरी 1988, पेशावर, पाकिस्तान

ब्रिटिश शासकों से भारत को स्वतंत्र करवाने का सपना देखने वाले खान अब्दुल गफ्फार खान की गिनती भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों में होती है। उन्होंने देश की आजादी के लिए स्वतंत्र पख्तूनिस्तान आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई थी।

गफ्फार खान, गांधी जी के काफी करीबी दोस्त थे, और गांधी जी की तरह ही उन्होंने देश की आजादी के लिए कई अहिंसात्मक आंदोलन लड़े।

पुरी जीवनी पढ़ने के लिए यहाँ क्लीक करे –  Khan Abdul Ghaffar Khan – ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान

Ashfaqulla Khan – अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ

  • जन्म (Birthday)  22 अक्टूबर 1900 (शाहजहांपुर, उत्तरप्रदेश, ब्रिटिश भारत)
  • पिता का नाम (Father Name) शफीक उल्ला खाँ
  • माता का नाम (Mother Name) मजहरुन्निशाँ
  • संगठन (Organization) हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन
  • कार्य  (Work) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी
  • मृत्यु (Death) 19 दिसंबर 1927 (फैजाबाद जेल, ब्रिटिश भारत)

अशफाकुल्लाह खां को मुख्य रुप से काकोरी ट्रेन में लूटपाट करने की वजह से जाना जाता है। वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशऩ के महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य क्रूर ब्रिटिश शासकों से भारत को आजादी दिलवाना था।

अशफाक उल्लाह खां, ने रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, समेत कई अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर सरकारी खजाना लेकर जा रही काकोरी ट्रेन में लूटपाट की थी, जिसके बाद वे ब्रिटिश शासकों की आंखों में खटकने लगे थे। इसी वजह से उन्हें 19 दिसंबर साल 1927 को सूली पर लटका दिया गया था।

पुरी जीवनी पढ़ने के लिए यहाँ क्लीक करे – Ashfaqulla Khan – अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ  

Bal Gangadhar Tilak – बाल गंगाधर तिलक

  • पूरा नाम (Name): बाल गंगाधर तिलक
  • अन्य नाम (Other Name): केशव गंगाधर तिलक, लोकमान्य तिलक
  • जन्म (Birthday): 23 जुलाई, 1856, रत्नागिरी, महाराष्ट्र
  • पिता का नाम (Father Name): गंगाधर तिलक
  • माता का नाम (Mother Name): पार्वती बाई
  • पत्नी का नाम (Wife Name):  तापिबाई (सत्यभामा बाई)
  • पेशा (Occupation): लेखक, राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, शिक्षक, वकील
  • आंदोलन (Movement): भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन
  • मृत्यु (Death): 1 अगस्त, 1920, मुंबई, महाराष्ट्र

आधुनिक भारत के वास्तुकार माने जाने वाले बाल गंगाधर तिलक, भारत के महान क्रांतिकारी और सच्चे स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपना महत्वपूर्ण रोल अदा किया था और युवाओं के अंदर आजाद भारत में रहने की अलख जगाई थी, इसलिए उन्हें भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का जनक भी माना जाता था।

महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ बालगंगाधर तिलक एक आदर्शवादी राष्ट्रीय नेता, प्रख्यात वकील, महान विचारक, प्रसिद्द लेखक भी थे। इसके अलावा उन्हें धर्म, संस्कृत, गणित, विज्ञान और इतिहास समेत तमाम विषयों को काफी अच्छी जानकारी थी।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक अपने इस क्रान्तिकारी नारे के लिए काफी मशहूर हैं –

” स्वराज मेरा जन्म ( Birthday) सिद्ध अधिकार है और मै इसे लेकर ही रहूंगा ”

पुरी जीवनी पढ़ने के लिए यहाँ क्लीक करे –   Bal Gangadhar Tilak – बाल गंगाधर तिलक

Begum Hazrat Mahal – बेगम हज़रत महल

  • जन्म (Birthday): 1820, फ़ैज़ाबाद, अवध, भारत
  • कार्य (Work): 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह
  • मृत्यु (Death): 7 अप्रैल 1879, काठमांडू, नेपाल

बेगम हजरत महल, भारत की महान वीरांगनाओं में से एक थी, जिन्होंने अपनी कुशल रणनीति और कूटनीति से 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी पर हमला कर दिया और अपने अवध राज्य को अंग्रेजों के हाथों में पड़ने से बचा लिया।

वे अवध के नवाब वाजीद अली शाह की पहली पत्नी का नाम (Wife Name) थी, उन्हें ‘अवध की बेगम’ के नाम (Name) से भी जाना जाता है।

पुरी जीवनी पढ़ने के लिए यहाँ क्लीक करे – Begum Hazrat Mahal – बेगम हज़रत महल

Bipin Chandra Pal – बिपिनचंद्र पाल

  • पूरा नाम (Name): बिपिन चन्द्र पाल
  • जन्म (Birthday): 7 नवंबर, 1858, हबीबगंज ज़िला, (वर्तमान बांग्लादेश)
  • पिता का नाम (Father Name): रामचंद्र
  • माता का नाम (Mother Name): नारायनीदेवी
  • मृत्यु (Death): 20 मई, 1932

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की नींव रखने वाले बिपिन चंद्र पाल की गिनती भी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों में होती है, उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों से स्वाधीनता संग्राम को एक नई दिशा दी थी और ब्रिटिश हुकूमत की नींदें उड़ा दी थी।

लाल-बाल-पाल की प्रसिद्ध तिकड़ी में से एक बिपिन चन्द्र पाल, ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। इसके अलावा उन्होंने साल 1905 में पश्चिम बंगाल के बंटवारे का भी कड़ा विरोध किया था।

बिपिन चन्द्र पाल एक क्रांतिकारी और सच्चे देशभक्त होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध समाजसुधारक, शिक्षक, लेखक और पत्रकार भी थे। इसके साथ ही आपको बता दें कि वे रुढ़िवादी विचारधारा और जातिगत भेदभाव के घोर विरोधी थे, वहीं उन्होंने भारतीय समाज और अपने परिवार के कड़े विरोध के बाद भी एक विधवा स्त्री से विवाह किया था।

पुरी जीवनी पढ़ने के लिए यहाँ क्लीक करे – Bipin Chandra Pal – विपिनचंद्र पाल

Chandra Shekhar Azad – चन्द्रशेखर आजाद

  • नाम (Name): चंद्रशेखर आजाद
  • जन्म (Birthday): पंडित चंद्रशेखर तिवारी
  • जन्म (Birthday): 23 जुलाई, 1906, भाभरा (मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में)
  • पिता का नाम (Father Name) पंडित सीताराम तिवारी
  • माता का नाम (Mother Name): जागरानी देवी
  • मृत्यु (Death): 27 फरवरी, 1931, अल्फ्रेड पार्क, अल्लाहाबाद

चंद्र शेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान युवा क्रांतिकारी थे, उनके रोम-रोम में देशभक्ति की भावना व्याप्त थी। उन्होंने बेहद कम उम्र में ही खुद को पूरी तरह से देश के लिए समर्पित कर दिया था।

चंद्र शेखर आजाद उग्रवादी विचारधारा और अपने संकल्पों के प्रति अडिग रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी  थे, जिन्होंने खुद को आखिरी वक्त तक अंग्रजों के हवाले नहीं करने की कसम खाई थी, और वे अपनी अंतिम सांस तक देश के लिए लड़ते रहे और आजाद रहे।

चंद्रशेखर आजाद ने काकोरी कांड में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था – चंद्र शेखर आजाद का कहा गया यह कथन काफी मशहूर है-

” अभी भी जिसका खून ना खौला , वो खून नहीं पानी है जो देश के काम ना आए , वो बेकार जवानी है। ” 

पुरी जीवनी पढ़ने के लिए यहाँ क्लीक करे – Chandra Shekhar Azad – चन्द्रशेखर आजाद

Chittaranjan Das – चित्तरंजन दास

  • पूरा नाम (Name)  चित्तरंजन भुवनमोहन दास (देशबंधु)
  • जन्म (Birthday): 5 नवंबर 1870, कोलकता
  • पिता का नाम (Father Name): भुवनमोहन
  • माता का नाम (Mother Name): निस्तारिणी देवी
  • पत्नी का नाम (Wife Name): वासंतीदेवी
  • कार्य (Work): स्वतंत्रता सेनानी, वकील, कवि और पत्रकार
  • मृत्यु (Death): 16 जून, 1925

चितरंजन दास भी अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तरह पूर्ण स्वराज और स्वतंत्र भारत देखना चाहते थे। बिट्रिश हुकूमत से अपना देश आजाद करवाने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।

चितरंजन दास की पहचान एक राष्ट्रवादी नेता और सफल विधि शास्त्री के रुप में थी, जिन्हें लोग सम्मान से देशबंधु कहकर पुकारते थे।

इसके अलावा वे एक अच्छे वकील और प्रख्यात पत्रकार भी थे, उन्होंने अपनी वकालत बीच में ही छोड़कर गांधी जी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पुरी जीवनी पढ़ने के लिए यहाँ क्लीक करे – Chittaranjan Das – चित्तरंजन दास

Dadabhai Naoroji – दादा भाई नौरोजी

  • पूरा नाम (Name): दादा भाई नौरोजी (भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन)
  • जन्म (Birthday):  4 सितम्बर, 1825, मुम्बई, महाराष्ट्र
  • मृत्यु (Death): 30 जून, 1917, मुम्बई, महाराष्ट्र
  • विवाह (Wife Name): गुलबाई
  • पेशा (Occupation): शिक्षक, व्यापारी कपास, बौद्धिक, और एक प्रारंभिक भारतीय राजनीतिक नेता

भारतीय राजनीति, भारतीय अर्थशास्त्र, आर्थिक राष्ट्रवाद के जनक और भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन के नाम (Name) से मशहूर दादा भाई नौरोजी भारत के एक महान राजनेता थे, जिन्होंने अपने आदर्शवादी विचारों से भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बीज बोए थे।

दादाभाई नौरोजी को वास्तुकार और शिल्पकार के रुप में भी जाना जाता है। उन्होंने  भारत में स्वराज और स्वशासन की मांग की थी, इसके साथ ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में अपना अतिमहत्वपूर्ण योगदान दिया था।

आपको बता दें कि दादाभाई नौरोजी ने लिबरल पार्टी से चुनाव लड़ा था और वे ब्रिटिश संसद के पहले भारतीय मेंबर थे।

इसके अलावा दादाभाई नौरोजी ने साल 1853 में ईस्ट इंडिया कंपनी के लीज के नवीनीकरण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी, इस तरह  वे अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र हित के काम के लगे रहे।

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Jawaharlal Nehru – जवाहरलाल नेहरू

  • पूरा नाम (Name): जवाहरलाल मोतीलाल नेहरु
  • जन्म (Birthday): 14 नवम्बर 1889,  इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)
  • पिता का नाम (Father Name): मोतीलाल नेहरु
  • माता का नाम (Mother Name): स्वरूपरानी नेहरु
  • पत्नी का नाम (Wife Name):  कमला नेहरु
  • बच्चे (Children):  श्री मति इंदिरा गांधी जी
  • मृत्यु (Death): 27 मई 1964, नई दिल्ली
  • पेशा (Occupation): भारत के पहले प्रधानमंत्री, स्वतंत्रता सेनानी

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु को आधुनिक भारत के शिल्पकार और लोकतांत्रिक गणतंत्र का वास्तुकार माना जाता था। वे एक आदर्शवादी, और सैद्धान्तिक विचारधारा के राजनेता और महान स्वतंत्रता सेनानी थे।

उनके अंदर राष्ट्र के प्रति अटूट प्रेम था, उन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वहीं उन्हें बच्चों से अत्याधिक लगाव था, इसलिए बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर भी बुलाते थे, वहीं इसी वजह से उनके जन्म (Birthday)दिन को “चिल्ड्रन डे” के तौर पर भी मनाया जाता है।

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Khudiram Bose – खुदीराम बोस

  • पूरा नाम (Name):  खुदीराम त्रिलोकनाथ बोस
  • जन्म (Birthday): 3 दिसम्बर 1889, हबीबपुर, जि.मिद्नापोरे
  • पिता का नाम (Father Name): श्री त्रिलोकनाथ बोस
  • माता का नाम (Mother Name): लक्ष्मीप्रिया देवी
  • कार्य (Work): भारतीय क्रन्तिकारी
  • मृत्यु (Death):  11 अगस्त, 1908, मुजफ्फरपुर

खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक युवा क्रांतिकारी थे, जो देश की रक्षा के लिए महज 19 साल की छोटी सी उम्र में सूली पर चढ़ गए, इस महान युवा क्रांतिकारी की शहादत से समूचे देश में अंग्रेजों के खिलाफ रोष फैल गया था और देश के नौजवानों को हृदय में राष्ट्र प्रेम की भावना उज्जवलित हो गई थी।

खुदीराम बोस के त्याग, समर्पण और बलिदान को याद कर आज भी युवाओं के मन में एक नया जोश भर जाता है।

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Lakshmi Sahgal – लक्ष्मी सहगल

  • जन्म (Birthday): 24 अक्टूबर 1914, मद्रास, ब्रिटिश भारत
  • पूरा नाम (Name): कैप्टन लक्ष्मी सहगल
  • पिता का नाम (Father Name): डॉ. एस स्वामीनाथन
  • माता का नाम (Mother Name): एवी अमुक्कुट्टी
  • कार्य  (Work): स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी
  • मृत्यु (Death): 23 जुलाई 2012, कानपुर, उत्तर प्रदेश

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज में शामिल होने वाली कैप्टन लक्ष्मी सहगल, भारत की एक ऐसी  स्वतंत्रता सेनानी थी,जिन्होंने अंग्रेजों के सामने एक शेरनी की तरह लड़ने का अदम्य साहस भरा।

इसके साथ ही उन्होंने सिंगापुर में भारत के अप्रवासी गरीब मजदूरों की मद्द के लिए एक निशुल्क हॉस्पिटल खोला। लक्ष्मी सहगल स्वतंत्रता संघ की सक्रिय सदस्य भी बनीं।

एक क्रांतिकारी होने के साथ-साथ वे एक राष्ट्रीय सेना की अधिकारी, और आजाद हिन्द सरकार की महलिाओं के मामलों की मिनिस्टर थी।

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Lala Hardayal – लाला हर दयाल

  • पूरा नाम (Name):  हरदयाल सिंह
  • जन्म (Birthday):  14 अक्टूबर 1884,दिल्ली, ब्रिटिश भारत
  • मृत्यु (Death):  4 मार्च 1939, फिलाडेल्फिया (पेंसिल्वेनिया) यू.एस.ए.
  • पुरस्कार और सम्मान (Award): मास्टर ऑफ लेटर्स
  • कार्य (Work): भारतीय राष्ट्रवादी क्रांतिकारी

दिल्ली में जन्मे लाला हरदयाल सिंह, भारत के एक राष्ट्रवादी नेता, क्रांतिकारी और महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ लड़ने का साहस भरा था,और दुनिया के कई हिस्सों का भ्रमण कर स्वतंत्रता आंदोलन का प्रचार-प्रसार किया था।

इसके साथ ही लोगों के मन में आजादी पाने की भावना जागृत की थी। अपना पूरा जीवन राष्ट्रहित के लिए काम करने वाले क्रांतिकारी हरदयाल गदर आंदोलन के प्रमुख नेता और सामान्य गदर पार्टी के मुख्य महासचिव भी थे।

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Lala Lajpat Rai – लाला लाजपत राय

  • पूरा नाम (Name): श्री लाला लाजपत राधाकृष्ण राय जी
  • जन्म (Birthday): 28 जनवरी 1865, धुड़ी के गाँव, पंजाब
  • पिता का नाम (Father Name): श्री राधाकृष्ण जी
  • माता का नाम (Mother Name): श्रीमती गुलाब देवी जी
  • संगठन (Organization): भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, आर्य समाज, हिन्दू महासभा
  • आन्दोलन (Movement): भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन
  • उपाधियां (Award): शेर-ए-पंजाब, पंजाब केसरी
  • मृत्यु (Death): 17 नवम्बर 1928, लाहौर (पाकिस्तान)

लाला लाजपय राय को भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी के रुप में आज भी याद किया जाता है। उन्होंने भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। लाला लाजपत राय, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मशहूर तिकड़ी लाल-बाल-पाल में एक प्रमुख नायक थे।

जिन्हें,  एक प्रभावी राजनेता, प्रसिद्ध वकील, सुविख्यात लेखक और महान समाजसुधारक के रुप में भी पहचाना जाता था। लाला लाजपत राय के भाषणों में इतना प्रभाव और शक्ति थी कि, ब्रिटिश शासक भी उनके सामने पानी भरते थे, वहीं लाला लाजपत राय मरते दम तक देश की सेवा में लगे रहे और भारतीय समाज में फैली कई बुराइयों को दूर किया।

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Mahadev Govind Ranade – महादेव गोविंद रानाडे

  • पूरा नाम (Name): महादेव गोविन्द रानाडे
  • जन्म (Birthday): 18 जनवरी, 1842, निफाड, नाशिक, महाराष्ट्र
  • मृत्यु (Death):  16 जनवरी, 1901
  • कार्यक्षेत्र: भारतीय समाज सुधारक, विद्वान और न्यायविद

महादेव गोविंद रानाडे की पहचान भी भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में होती है। रानाडे, ने अपना पूरा जीवन देश की सेवा में और सामाजिक बुराइयों को दूर करने में लगा दिया।

महादेव गोविंद रानाडे की पहचान न सिर्फ एक सच्चे देश प्रेमी और महान स्वतंत्रता सेनानी के रुप में थी, बल्कि उन्हें एक महान समाज सुधारक, विख्यात लेखक और प्रसिद्ध न्यायविद के रुप में भी जाना जाता था।

इसके साथ ही उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के निर्माण में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यही नहीं गोविंद रानाडे ने बॉम्बे लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य के साथ केंद्र में फाइनेंस समिति के सदस्य और बॉम्बे हाई कोर्ट के जज के तौर पर भी काम किया था।

पुरी जीवनी पढ़ने के लिए यहाँ क्लीक करे – Mahadev Govind Ranade – महादेव गोविंद रानाडे

Mahatma Gandhi – महात्मा गांधी

  • नाम (Name): मोहनदास करमचंद गांधी
  • जन्म (Birthday): 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, गुजरात
  • पिता का नाम (Father Name) करमचंद गांधी
  • माता का नाम (Mother Name): पुतलीबाई
  • पत्नी का नाम (Wife Name):  कस्तूरबा गांधी
  • संतान (Children Name): हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
  • मृत्यु (Death): 30 जनवरी 1948

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिनके त्याग, समर्पण, बलिदान की वजह से ही आज हम आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं। वे एक आदर्शवादी, नैतिकवादी, सिद्दान्तवादी विचारधारा वाले भारत की आजादी के महानायक, महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रवादी नेता होने के साथ वे एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, वकील, और महान समाज सुधारक भी थे।

जिन्होंने सत्य और अहिंसा को अपना सशक्त हथियार मानकर भारत को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन लड़े थे, और ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था।

इसके साथ ही उन्होंने लोगों को भी सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। वे सादा जीवन, उच्च विचारधारा वाले व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपने प्रभावशाली और महान व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर डाला था।

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Mangal Pandey – मंगल पांडे

  • पूरा नाम (Name): मंगल दिवाकर पांडे
  • जन्म (Birthday): 19 जुलाई 1827, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
  • माता/पिता: अभैरानी/दिवाकर पांडे
  • म्रत्यु: 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर लटकाए
  • पेशा:  प्रथम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी

मंगल पांडे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाले भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनके रोम-रोम में राष्ट्र प्रेम की भावना निहित थी और अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा भरा था।

1857 की क्रांति मंगल पांडे की ही देन है, इस क्रांति ने भारत को आजादी तो नही दिलवा पाई थी, लेकिन हर भारतीय के मन में आजादी पाने की अलख जगा दी थी। मंगल पांडे जैसे महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी के संघर्षों के बाद ही कई सालों तक आजादी की लड़ाई चली और साल 1947 में हमारा देश अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त हो सका।

मंगल पांडे भारत के ऐसे वीर सपूत थे, जिन्होंने अकेले दम पर भी ब्रिटिश अफसर पर हमला बोल दिया था, जिसकी वजह से उन्हें 8 अप्रैल 1857 के फांसी पर लटका दिया गया था।

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Maulana Abul Kalam Azad – अबुल कलाम आज़ाद

  • पूरा नाम (Name): मौलाना अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन
  • जन्म (Birthday): 11 नवंबर, 1888, मक्का( सऊदी अरब )
  • माता/पिता:  आलियाबेगम/मौलाना खैरुद्दीन
  • पत्नी का नाम (Wife Name): जुलेखा बेगम
  • पेशा: स्वतंत्रता सेनानी, नेता, वैज्ञानिक,कवि
  • राजनैतिक पार्टी: कांग्रेस
  • मृत्यु (Death): 22 फरवरी 1958, दिल्ली

सरदार वल्लभभाई पटेल के करीबी दोस्त माने जाने वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद भारत के प्रमुख सेनानियों में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों से भारत को आजादी दिलवाने के लिए काफी संघर्ष किए।

उन्होंने भारत को स्वाधीनता दिलवाने वाले कई आंदोलन मे अपनी सक्रिय भूमिका निभाई और अपनी भागीदारी से स्वतंत्रता आंदोलन की नींव मजबूत करने में मद्द की। मौलाना अबुल कलाम आजाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भी काफी एक्टिव मैंबर थे, जिन्हें महज 35 साल की उम्र में ही कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था।  

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Motilal Nehru – मोतीलाल नेहरु

  • जन्म (Birthday): 6 मई 1861, आगरा, ब्रिटिश भारत
  • मृत्यु (Death): 6 फरवरी 1931, लखनऊ, ब्रिटिश भारत
  • पत्नी का नाम (Wife Name): स्वरुप रानी थसु
  • बच्चे (Children Name):  जवाहर लाल नेहरू
  • कार्य: भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के कार्यकर्ता, भारतीय वकील और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता।

ब्रिटिशकाल के दौरान आगरा में जन्में मोतीलाल नेहरू का नाम (Name) भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट से सबसे ऊपर शुमार हैं। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया था। राष्ट्रप्रेम की भावना उनके अंदर इस तरह निहित थी कि एक अच्छे वकील होने के बाबजूद भी उन्होंने वकालत छोड़ दी और देश को आजाद करवाने के लिए जुट गए।

इसके अलावा वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता और भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के पिता  के रुप में जाने जाते थे।

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Ram Manohar Lohia – राममनोहर लोहिया

  • पूरा नाम (Name): डॉ. राम मनोहर लोहिया
  • जन्म (Birthday): 23 मार्च 1910 अकबरपुर, फैजाबाद, उत्तरप्रदेश
  • माता/पिता:  चंदा देवी /हीरा लाल
  • मृत्यु (Death): 12 अक्टूबर, 1967, नई दिल्ली
  • कार्य क्षेत्र: स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, क्रांतिकारी लेखक,

हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने वाले राम मनोहर लोहिया जी ने भारत की आजादी की लड़ाई में अपना बहुमूल्य योगदान दिया था। वे एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे, जिन्होंने अपने सिद्धान्तवादी, नैतिकवादी, तेजस्वी राष्ट्रवादी और समाजवादी विचारों में भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी थी। आपको बता दें कि एक राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ वे एक सुविख्यात लेखक भी थे।

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Ram Prasad Bismil – राम प्रसाद बिस्मिल

  • जन्म (Birthday):  11 जून 1897, शाहजहांपुर, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत
  • मृत्यु (Death): 19 दिसम्बर 1927, गोरखपुर जेल, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत
  • माता/पिता: मूलमती/मुरलीधर
  • राजनीतिक आंदोलन: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन

रामप्रसाद बिस्मिल भारत के एक सच्चे देशभक्त और ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जो  देश की रक्षा के लिए हंसते हुए शहीद हो गए थे।  उन्के अंदर राष्ट्रप्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी। यही वजह थी कि वे महज 11 साल की छोटी सी उम्र से ही स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने लगे थे।

वे एक महान क्रांतिकारी होने के साथ-साथ एक मशहूर शायर, महान इतिहासकार, सुविख्यात लेखक और सुप्रसिद्ध साहित्यकार भी थे।

उन्होंने भगत सिंह और चंद्रशेखऱ आजाद के साथ मिलकर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की नींव रखी थी। इसके अलावा काकोरी कांड और मणिपुर षणयंत्र में भी उनकी भूमिका काफी अहम रही थी।

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Ram Singh Kuka

  • उपनाम (Name):  सतगुरू
  • जन्म (Birthday): स्थान 3 फरवरी 1816 (श्री भैनी साहिब, पंजाब)
  • पिता: सरदार जस्सा सिंह
  • मृत्यु (Death): 18 जनवरी 1872 (ढाका, बांग्लादेश)
  • कार्य: स्वतंत्रता सेनानी, संत खालसा के संस्थापक, सिख गुरु

राम सिंह कुका भारत के एक ऐसे साहसी और शक्तिशाली वीर थे, जिन्हें अपनी बहादुरी से ब्रिटश शासकों की नाक में दम कर दिया था और ब्रिटिश शासकों की गुलामी से भारत को आजादी दिलवाने के लिए अपना अति महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

इसके साथ ही उन्होंने विेदशी शैक्षणिक संस्थान, विदेशी वस्तुओं और ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार किया था। राम सिंह कुका, अंग्रेजों के खिलाफ पंजाब में हुए असहकार आंदोलन के प्रणेता भी थे, उन्होंने संत खालसा का गठन किया था।

वहीं राम सिंह कुका द्धारा लिखित गुरु गोविन्द सिंह के ग्रंथ को सबसे पवित्र माना गया, और फिर बाद में वे सिक्खों के गुरु भी कहलाए।

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Rani Lakshmi Bai – रानी लक्ष्मीबाई

  • नाम (Name): रानी लक्ष्मीबाई  (मणिकर्णिका तांबे)
  • उपनाम (Name): मनु बाई
  • जन्म (Birthday): 19 नवंबर 1828, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत
  • माता/पिता का नाम (Father Name): भागीरथी बाई/मोरोपंत तांबे
  • पति:  झांसी नरेश महाराज गंगाधर राव नेवालकर
  • संतान: दामोदर राव, आनंद राव (दत्तक पुत्र)
  • शौक: घुड़सवारी करना, तीरंदाजी
  • मृत्यु (Death): 18 जून 1858, कोटा की सराय, ग्वालियर, मध्य प्रदेश, भारत

महारानी लक्ष्मी ने अपने अदम्य साहस और बहादुरी से अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। वे देश की ऐसी वीरांगना थी, जिन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए काफी संघर्ष किया। इसके साथ ही उन्होंने अपने राज्य झांसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ धावा बोला और बाद में वीरगति को प्राप्त हुईं थी।

रानी लक्ष्मीबाई घुड़सवारी, तीरंदाजी, युद्ध-शस्त्र विद्या में काफी निपुण थी। वहीं रानी लक्ष्मी बाई के अंदर दया का भाव कूट-कूट कर भरा था, मनुष्य तो क्या वे पशुओं तक को परेशानी में देखकर पिघल जाती थी। महारानी लक्ष्मीबाई जी की वीरगाथा आज भी महिलाओं के अंदर एक नया जोश और साहस भर देती हैं और उनका सिर गर्व से ऊंचा कर देती है।

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Rash Behari Bose – रास बिहारी बोस

  • पूरा नाम (Name): रास बिहारी बोस
  • जन्म (Birthday): 25 मई, 1886,वर्धमान ज़िला, पश्चिम बंगाल
  • मृत्यु (Death): 21 जनवरी, 1945, टोक्यो, जापान
  • प्रसिद्धि: वकील, शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी नेता

रास बिहारी भारत के उन क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने अपने भारत देश को अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से आजाद दिलवाने के लिए विलायत में जाकर लड़ाई लड़ी और  ब्रिटिश शासकों को भारत से बाहर खदेड़ने के लिए उनके खिलाफ माहौल पैदा किया था, और लोगों में आजादी पाने की जिज्ञासा जागृत की थी।

रास बिहारी ने  कांग्रेस के उदारवादी दल के नेता भी थे, जिन्होंने साल 1937 में भारतीय स्वातय संघ की स्थापना की थी। इसके अलावा उन्होंने एक सुप्रसिद्ध वकील और महान शिक्षाविद के रुप में भी पहचाना जाता था।

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Sardar Vallabh Bhai Patel – वल्लभ भाई पटेल

  • पूरा नाम (Name):  सरदार वल्लभ भाई पटेल
  • अन्य नाम (Name): सरदार पटेल, लौहपुरुष
  • जन्म (Birthday): 31 अक्टूबर, 1875 नाडियाद, गुजरात
  • माता/पिता का नाम:  लाड़बाई/झावेरभाई पटेल
  • पत्नी का नाम (Wife Name):  झावेरबा
  • आंदोलन: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
  • उपलब्धियां: खेड़ा सत्याग्रह और बरडोली विद्रोह का नेतृत्व किया
  • मृत्यु (Death): 15 दिसम्बर 1950 (बॉम्बे)

भारत की एकता के सूत्रधार और आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद भारत के पहले गृह मंत्री थे।

जिन्होंने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई थी। इसके साथ ही महात्मा गांधी के ”असहयोग आंदोलन” और ”भारत छोड़ो आंदोलन” में अपना पूरा समर्थन दिया था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे कई बार जेल भी गए थे। इसके अलावा उन्होंने गुजरात के खेड़ा सत्याग्रह के माध्यम से अंग्रेजों के नाक पर दम कर दिया था, जिसके चलते अंग्रेजों को किसानों के कर को माफ करना पड़ा था।

यही नहीं सरदार पटेल ने अंग्रेजों के चंगुल से भारत के आजाद होने के बाद, अलग-अलग रियासतों में बंटे भारतीय संघ को एकीकृत करने में अपना अहम रोल निभाया था। उनकी विवेकशीलता, अद्भुत कौशल और नीतिगत दृढ़ता के कारण ही उन्हें ”लौहपुरुष” और ”भारत के बिस्मार्क” की उपाधि दी गई थी।

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Shaheed Bhagat Singh – भगत सिंह

  • नाम (Name): सरदार भगत सिंह
  • जन्म (Birthday):  27 सितम्बर 1907, बंगा, पंजाब, ब्रिटिश भारत, (अब पकिस्तान में)
  • माता/पिता का नाम (Father Name): विद्यावती कौर/सरदार किशन सिंह सिन्धु
  • मृत्यु (Death): 23 मार्च 1931, लाहौर

शहीद-ए-आजम भगत सिंह, भारत के एक सच्चे देशभक्त, महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनके रोम-रोम में देशभक्ति की भावना निहित थी। वे, भारत के ऐसे वीर सपूत थे, जो कि महज 23 साल की उम्र में अपने देश की रक्षा के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए थे।

भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी विचारों से भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश के युवा नौजवानों के अंदर आजादी पाने की इच्छा जगा दी थी और उनके अंदर एक नया जोश भर दिया था। वहीं इसके बाद बड़ी संख्या में युवा स्वाधीनता संग्राम में शामिल हुए थे।

भगत सिंह ने साइमन कमीशन का जमकर विरोध किया था, उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के बढ़ते अत्याचारों और दमनकारी नीति का जमकर विरोध किया था और मजदूर विरोधी नीतियों के ब्रिटिश संसद में पारित नहीं होने देने के मकसद से ब्रिटिश सरकार की असेम्बली पर हमला कर दिया था, उनके इस कदम के चलते उन्हें और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश सरकार द्धारा फांसी की सजा सुनाई गई थी।

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Shivaram Rajguru – राजगुरु

  • पूरा नाम (Name): शिवराम हरि राजगुरु
  • जन्म (Birthday):  24 अगस्त 1908, पुणे, महाराष्ट्र, ब्रिटिश भारत
  • मृत्यु (Death): 23 मार्च 1931, लाहौर, ब्रिटिश भारत (अब पंजाब में, पाकिस्तान)
  • माता/पिता का नाम (Father Name): पार्वती बाई/हरि नारायण
  • योगदान: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में निभाई भूमिका
  • संगठन: हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन

आज हम अपने देश के जिन महान स्वतंत्रता सेनानियों के कठोर प्रयास और संघर्ष की बदौलत आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं, उनमें से एक नाम (Name) शिवराम राजगुरु का भी है।

वे, भारत माता के एक सच्चे वीर सपूत थे, जिन्होंने देश को आजादी दिलवाने के लिए हंसते-हंसते अपने शहादत दी थी, वहीं उनकी शहादत से भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नया आवाम मिला था और हर नौजवान के दिल में आजादी पाने की भूख और भी ज्यादा बढ़ गई थी।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु इन तीनों की तिकड़ी काफी मशहूर थी, वहीं ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या का षणयंत्र रचने और ब्रिटिश संसद पर हमला करने की वजह से तीनों को एक साथ फांसी दे दी गई थी।उनके त्याग और बलिदान को आज भी याद किया जाता है।

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Subhash Chandra Bose – सुभाष चन्द्र बोस

  • जन्म (Birthday): 23 जनवरी 1897, कटक, उड़ीसा राज्य, बंगाल प्रांत, ब्रिटिश भारत
  • माता/पिता का नाम (Father Name): प्रभावती देवी/जानकीनाथ बोस
  • प्रमुख आंदोलन: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
  • पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, फॉरवर्ड ब्लॉक
  • संगठन: आजाद हिन्द फौज, ऑल इंडिया नेशनल ब्लॉक फॉर्वड, स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार
  • मृत्यु (Death): 18 अगस्त 1945

पूर्ण स्वराज और स्वतंत्र भारत की कल्पना करने वाले नेता जी सुभाष चन्द्र बोस भारत के एक सच्चे वीर सपूत, एक भारतीय राष्ट्रवादी नेता और महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने लिए कुर्बान कर दी। सुभाषचन्द्र बोस जी की विचारधारा का अंदाज उनके इस प्रसिद्ध नारे से लगाया जा सकता है कि –

” तुम मुझे खून दो , मै तुम्हे आजादी दूंगा ”

सुभाष चन्द्र बोस ने अपने फौलादी इरादों और अपने साहसी कामों से भारत में अंग्रेजों की नींव कमजोर कर दी थी, और उन्हें एहसास दिलवा दिया था कि वे भारत में ज्यादा दिन तक शासन नहीं कर सकेंगे।

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Sukhdev – सुखदेव

  • पूरा नाम (Name): सुखदेव थापर
  • जन्म (Birthday):  15 मई 1907 लुधियाना, पंजाब में
  • मृत्यु (Death): 23 मार्च 1931 लाहौर, पंजाब, ब्रिटिश भारत में
  • माता/पिता का नाम (Father Name): श्रीमती रल्लीदेवी/ श्री रामलाल
  • राजनैतिक: आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन
  • संगठन: हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन

सुखदेव, भारत के  महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रा सेनानियों में से एक थे, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण गवां दिए थे। सुखदेव ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और भगत सिंह, और राजगुरु के साथ मिलकर ब्रिटिश शासकों के छक्के छुड़ा दिए थे।

सुखदेव ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने और अंग्रेजों की किसानों और मजदूरों के विरु्ध दमनकारी नीतियों के कारण लाहौर षणयंत्र की योजना बनाई थी और ब्रिटिश संसद में हमला कर दिया था, जिसकी वजह से उन्हें ब्रिटिश पुलिस ने जेल में बंद कर दिया था, और उन्हें भगत सिंह और राजगुरु को 23 मार्च, 1931 को सूली पर चढ़ा दिया था।

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Surendranath Banerjee – सुरेंद्रनाथ बैनर्जी

  • पूरा नाम (Name): सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी
  • अन्य नाम (Name): राष्ट्रगुरू, इंडियन ग्लेडस्टोन, इंडियन एडमंड बर्क
  • जन्म (Birthday): 10 नवम्बर 1848, कलकत्ता, बंगाल प्रेसिडेन्सी
  • मृत्यु (Death): 6 अगस्त 1925, बैरकपुर, बंगाल प्रेसिडेन्सी
  • पेशा: शिक्षाविद, राजनेता, स्वाधीनता सेनानी, पत्रकार

सुरेन्द्रनाथ भारत के एक महान क्रांतिकारी और प्रख्यात स्वाधीनता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश काल के समय एक भारतीय राजनैतिक संगठन ”इंडियन नेशनल एसोसिएशन” की स्थापना की थी।

वे राष्ट्रगुरु के नाम (Name) से भी जाने जाते थे जो कि, ब्रिटिश शासकों को भारत से बाहर निकाल देना चाहते थे। इसके अलावा वे कांग्रेस के एक नरमपंथी दल के नेता थे। उनकी ख्याति एक मशहूर शिक्षाविद और पत्रकार के तौर पर भी फैली थी।

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Sri Alluri Seetarama Raju – अल्लूरी सीताराम राजू

  • पूरा नाम (Name): अल्लूरी सीताराम राजू
  • जन्म (Birthday): 4 जुलाई, 1897, विशाखापट्टनम, आन्ध्र प्रदेश
  • मृत्यु (Death): 7 मई, 1924
  • माता/पिता: सूर्यनारायणाम्मा/वेक्टराम राजू
  • प्रसिद्धि: स्वतंत्रता सेनानी

अल्लूरी सीताराम राजू, भारत के एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने लोगों के मन से अंग्रेजों के अत्याचारों के डर को दूर भगाया और आजाद भारत में रहने की अलख जगाई। इसके साथ ही लोगों को असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। वे गांधी जी के विचारधारा से काफी प्रभावित थे।

अल्लूरी सीताराम राजू ने आदिवासियों के जीवन की दशा सुधारने के काफी प्रयत्न किए  और उनकी सहायता से अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र आक्रमण कर एक आजाद सत्ता स्थापित करने के प्रयास किए वहीं उनके इस प्रयास ने ब्रिटिश शासकों की नींदे उड़ा दी थी।

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Tipu Sultan – टिपू सुल्तान

  • पूरा नाम (Name):  सुल्तान सईद वाल्शारीफ फतह अली खान बहादुर शाह टीपू
  • जन्म (Birthday): 10 नवंबर, 1750, देवनहल्ली, (वर्तमान में बैंगलोर, कर्नाटका)
  • मात/पिता का नाम (Father Name):  फातिमा फख- उन निसा/ हैदर अली
  • पत्नी का नाम (Wife Name): सिंध सुल्तान
  • मृत्यु (Death): 4 मई, 1799
  • प्रसिद्ध: मैसूर सम्राज्य के शासक

टीपू सुल्तान भारत के एक वीर सेनापति, एक कुशल लेखक, महान कवि और साहसी योद्धा थे, उनकी बहादुरी को देखकर अंग्रेज भी उनके सामने झुकने के लिए मजबूर हो गए थे। भारत को आाजादी दिलवाने में मैसूर सम्राज्य के शासक टीपू सुल्तान का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उन्हें भारत की पहले स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी जाना जाता था।

टीपू सुल्तान ने अपनी विवेकशीलता, रणनीति, कूटनीति और सूझबूझ से कई प्रदेशों को जीतकर अपने मैसूर सम्राज्य का विस्तार किया था। आपको बता दें कि टीपू सुल्तान ने ही युद्ध में पहली बार रॉकेट का इस्तेमाल किया था।

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Veer Savarkar – विनायक दामोदर सावरकर

  • पूरा नाम (Name): विनायक दामोदर सावरकर
  • जन्म (Birthday): 28  मे 1883 भागुर गांव, नासिक, महाराष्ट्र
  • माता/पिता: राधाबाई सावरकर/दामोदर सावरकर
  • पत्नी का नाम (Wife Name): यमुनाबाई
  • कार्य: स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, लेखक, कवि, सामाजिक कार्यकर्ता।

हिन्दुत्ववादी विचारधारा के जनक माने जाने वाले विनायक दामोदर सावरकर जी एक सच्चे देश भक्त और महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जो अपने पूरे जीवन भर देश की सेवा में लगे रहे।

गुलामी का दंश झेल रहे भारत देश को आजाद करवाने के लिए उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई और विदेशी वस्तुओं का जमकर बहिष्कार किया था, इसके साथ ही अन्होंने लोगों को अपने शक्तिशाली भाषणों से स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने के लिए प्रेरित किया। सावरकर जी के अदम्य साहस, अनुपम त्याग और महाबलिदान को लोग आज भी याद करते हैं।

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Bhim Sen Sachar – भीमसेन सच्चर

  • पूरा नाम (Name): भीमसेन सच्चर
  • जन्म (Birthday): 1 दिसंबर 1894 को पेशावर, पाकिस्तान
  • मृत्यु (Death): 18 जनवरी 1978
  • शिक्षा: बीए और एलएलबी
  • कार्य: भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, वकील

भीमसेन सच्चर ने गुलामी का दंश झेल रहे भारत को आजाद करवाने के लिए काफी प्रयास किए थे । उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई थी। आपको बता दें कि वे सबसे कम उम्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने वाले राजनेता थे। इसके अलावा वे पंजाब के दो बार मुख्यमंत्री भी रह चुके थे।

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Acharya Kripalani – आचार्य कृपलानी

  • पूरा नाम (Name): आचार्य जीवतराम भगवानदास कृपलानी
  • अन्य नाम (Name): आचार्य कृपलानी
  • जन्म (Birthday): 11 नवम्बर, 1888, हैदराबाद
  • मृत्यु (Death): 19 मार्च, 1982
  • पिता:  काका भगवान दास
  • पत्नी का नाम (Wife Name): सुचेता कृपलानी
  • प्रसिद्धि: स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ
  • पार्टी:  कांग्रेस, किसान मज़दूर प्रजा पार्टी

महात्मा गांधी जी के काफी करीबी माने जाने वाले आचार्य कृपलानी भारत के प्रसिद्ध राजनेता और महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, जिन्होंने भारत को गुलामी से मुक्त दिलवाने के लिए अथक प्रयास किए थे, और स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भागीदारी निभाई थी।

आपको बता दें कि उन्होंने एक शिक्षक के तौर पर भी काफी ख्याति बटोरी थी, इसके अलावा वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मंत्री भी रह चुके थे।

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Aruna Asaf Ali – अरुणा आसफ़ अली

  • पूरा नाम (Name): अरुणा आसफ़ अली
  • जन्म (Birthday): 16 जुलाई 1909, कालका ग्राम, पंजाब
  • माता/पिता:  उपेन्द्रनाथ गांगुली/अम्बालिका देवी
  • पत्नी का नाम (Wife Name): आसफ़ अली
  • कार्य: स्वतंत्रता सेनानी
  • आंदोलन: भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिका

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अरुणा आसफ अली ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उन्होंने  महात्मा गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई थी। इस आंदोलन के दौरान मुंबई के गोवालीय मैदान में कांग्रेस का झंडा फहराकर उन्होंने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था।

अरुणा आसफ अली  ने दिल्ली के पहले मेयर बनने का गौरव भी हासिल किया था, इसके अलावा उन्होंने एक मीडिया पब्लिशिंग हाउस की नींव रखी थी। वहीं भारतीय समाज में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न समेत तमाम पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।

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Jatindra Mohan Sengupta जतिन्द्र मोहन सेनगुप्त

  • नाम (Name): जतिन्द्र मोहन सेनगुप्त
  • जन्म (Birthday): 22 फरवरी 1885, चिट्टागोंग जिला, बरमा, ब्रिटिश भारत
  • पिताजी:   मोहन सेनगुप्त, वकील
  • कार्य: क्रांतिकारी, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील
  • मृत्यु (Death):  23 जुलाई, 1933

जतिन्द्र सेन गुप्ता की गिनती भी भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी में होती है। वे एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ने का साहस भरा था। वे अंग्रेजी शासकों को फूटी आंखों भी नहीं सुहाते थे। जतिन्द्र सेन ने एक सच्चे देशप्रेमी थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ऐसे क्रांतिकारियों के मामलों की वकालत की थी, जिन्हें गैरबुनियाद आरोपों के तहत जेल में बंद कर दिया गया था।

इसके अलावा वे राजनीति में भी काफी सक्रिय रहते थे, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़कर उन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए अथक प्रयास किए थे और असहकार आंदोलन में भी अपना महत्वपूर्ण रोल अदा किया था।

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Madan Mohan Malviya – मदनमोहन मालवीय

  • जन्म (Birthday): 25 दिसंबर 1861 (इलाहाबाद)
  • मृत्यु (Death): 2 नवंबर 1946 (वाराणसी)
  • माता/पिता का नाम (Father Name): मूना देवी/ बृजनाथ
  • पत्नी का नाम (Wife Name): कुंदन देवी
  • संतान: 4 बेटे,2 बेटियां
  • पेशा: राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद

एक स्वतंत्र, विकसित और आत्मनिर्भर भारत का सपना देखने वाले मदन मोहन मालवीय की गिनती भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में होती है।उन्होंने भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाने के लिए अपने पूरे जीवन भर संघर्ष किया और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसके अलावा उन्होंने महात्मा गांधी के साथ गोल मेज सम्मेलन में हिस्सा लिया था। एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ वे एक महान शिक्षाविद और प्रख्यात समाज सुधारक भी थे। उन्होंने शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए बनारस हिंदू विश्विद्यालय की भी नींव रखी थी। इसके अलावा उन्होंने समाज की भलाई के लिए भी कई काम किए थे।

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Nellie Sengupta – नेली सेनगुप्त

  • जन्म (Birthday): 1 दिसम्बर 1886 कैम्ब्रिज नगर, इंग्लैण्ड
  • मृत्यु (Death): 23 अक्टूबर 1973, कलकत्ता
  • माता/ पिता: एडिथ होनरीटा/ग्रेफ्रेडरिक
  • पति: यतीन्द्र मोहन
  • कार्य: भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ
  • आंदोलन: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, असहयोग आंदोलन

अपनी पूरी जिंदगी देश की सेवा के लिए समर्पित करने वाली, नेली सेनगुप्त भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य नायिका के तौर पर उभरी थी।

एक सच्चे देशप्रेमी की तरह उन्होंने अपने भारत  देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने के लिए, निर्भीकता और साहस के साथ अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी।

इसके साथ ही उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भी अपनी सक्रिय भागदीरी निभाई थी, साथ ही स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल के लिए लोगों को प्रेरित किया और विदेशी वस्तुओं का उन्होंने पूर्ण रूप से बहिष्कार किया था। इसके अलावा वे राजनीति में भी काफी एक्टिव थी।

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Pandit Balakrishna Sharma – पंडित बालकृष्ण शर्मा

  • नाम (Name): पंडित बालकृष्ण शर्मा
  • जन्म (Birthday): 8 दिसंबर 1897
  • प्रसिद्धि: स्वतंत्रता सेनानी,कवि, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, पत्रकार
  • आंदोलन: असहयोग आंदोलन

पंडित बालकृष्ण शर्मा एक सच्चे वीर सपूत और महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनके रोम-रोम में देशभक्ति की भावना निहित थी और जिनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य भारत देश को आजाद करवाना था।

बालकृष्ण शर्मा ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधी जी के असहयोग आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, वहीं इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था। आपको बता दें कि वे एक भारतीय कवि, महान दार्शनिक और प्रख्यात राजनीतिज्ञ थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है।

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Puspa Lata Das – पुष्पलता दास

  • नाम (Name): पुष्पलता दास
  • जन्म (Birthday): 27 मार्च साल, 1915, उत्तर लखीमपुर, असम
  • कार्य: स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता
  • आंदोलन: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सत्याग्रह
  •  मृत्यु (Death): 9 नवंबर, 2003

पुष्पलता दास भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक प्रमुख नायिका के तौर पर उभरी थी,जिन्होंने क्रांतिकारी भगत सिंह की फांसी की सजा के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी, साथ ही सत्याग्रह आंदोलन में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई थी। भारत की राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था। इसके अलावा उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर भी काफी जोर दिया था।

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Sagarmal Gopa – सागरमल गोपा

  • जन्म (Birthday): 3 नवम्बर 1900
  • मृत्यु (Death):  4 अप्रैल 1946

सागरमल गोपा, भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और सच्चे देशभक्त थे, जिन्होंने भारत को आजादी दिलवाने के उद्देश्य से ब्रिटिश शासकों का जमकर विरोध किया और उनकी दमनकारी नीतियों का बहिष्कार किया था। इसके अलावा उन्होंने गांधी जी के नेतृत्व में भारत के असहयोग आंदोलन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

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  • History in Hindi

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20 thoughts on “भारत के स्वतंत्रता सेनानी | Freedom fighters of india in Hindi”

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Why have you included the name of Tipu Sultan in the List of Freedom fighters of india. Tipu Sultan fought for the freedom of his kingdom. His misdeeds are well known and well documented.

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Freedom Fighters par bahut hi sundar jankari di hai aapne. yah general knowledge badahne ke liye helpful rahegi.

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essay on 5 freedom fighters in hindi

Essay on Freedom Fighters in Hindi – स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध

Essay on Freedom Fighters in Hindi: दोस्तो आज हमने  स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

500+ Words Essay on Freedom Fighters in Hindi

स्वतंत्रता सेनानी वे लोग थे जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए निस्वार्थ भाव से अपना बलिदान दिया। हर देश में स्वतंत्रता सेनानियों की अपनी उचित हिस्सेदारी है । लोग उन्हें देशभक्ति के संदर्भ में देखते हैं और अपने देश के लिए प्यार करते हैं। उन्हें देशभक्त लोगों का प्रतीक माना जाता है।

Essay on Freedom Fighters in Hindi

स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिए जो कि अपने प्रियजनों के लिए करने की कल्पना भी नहीं कर सकते, अकेले देश छोड़ दें। दर्द, कठिनाई, और इसके विपरीत जो उन्होंने सहन किया है उसे शब्दों में नहीं डाला जा सकता है। उनके बाद की पीढ़ियाँ हमेशा उनके निस्वार्थ बलिदान और कड़ी मेहनत के लिए उनकी ऋणी रहेंगी ।

स्वतंत्रता सेनानियों का महत्व

कोई स्वतंत्रता सेनानियों के महत्व पर पर्याप्त जोर नहीं दे सकता। आखिरकार, वे ही हैं जिनकी वजह से हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने कितनी छोटी भूमिका निभाई, आज वे बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे उस समय में थे। इसके अलावा, उन्होंने उपनिवेशवादियों के खिलाफ विद्रोह किया ताकि देश और उसके लोगों के लिए खड़े हो सकें।

इसके अलावा, अधिकांश स्वतंत्रता सेनानी अपने लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए युद्ध में भी गए थे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ा कि उनके पास कोई प्रशिक्षण नहीं था; उन्होंने इसे अपने देश को स्वतंत्र बनाने के शुद्ध इरादे के लिए किया। अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता के लिए युद्ध में अपना बलिदान दिया।

सबसे महत्वपूर्ण बात, स्वतंत्रता सेनानियों ने दूसरों को अन्याय से लड़ने के लिए प्रेरित और प्रेरित किया। वे स्वतंत्रता आंदोलन के पीछे के स्तंभ हैं। उन्होंने लोगों को उनके अधिकारों और उनकी शक्ति के बारे में जागरूक किया। यह स्वतंत्रता सेनानियों के कारण है कि हम किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादियों या अन्याय से मुक्त देश में समृद्ध हुए।

मेरे पसंदीदा स्वतंत्रता सेनानी

भारत ने अपनी मातृभूमि के लिए बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों को लड़ते देखा है। जबकि मैं उनमें से हर एक का समान रूप से सम्मान करता हूं, मेरे कुछ निजी पसंदीदा हैं जिन्होंने मुझे अपने देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। सबसे पहले, मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पूरी तरह से मानता हूं । मैं उसे पसंद करता हूं क्योंकि उसने अहिंसा का रास्ता चुना और बिना किसी हथियार के केवल सत्य और शांति के साथ स्वतंत्रता हासिल की।

दूसरी बात, रानी लक्ष्मी बाई एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं। मैंने इस सशक्त महिला से बहुत सी बातें सीखी हैं। उसने इतने कष्टों के बावजूद देश के लिए संघर्ष किया। एक माँ ने अपने बच्चे की वजह से अपने देश को कभी नहीं छोड़ा, बल्कि उसे अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए युद्ध के मैदान में ले गई। इसके अलावा, वह कई मायनों में प्रेरणादायक थी।

इसके बाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेरी सूची में आए। उन्होंने ब्रिटिशों को भारत की शक्ति दिखाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व किया । उनकी प्रसिद्ध पंक्ति यह है कि ‘मुझे अपना खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा।

500+ Essays in Hindi – सभी विषय पर 500 से अधिक निबंध

अंत में, पंडित जवाहरलाल नेहरू भी सबसे महान नेताओं में से एक थे। एक अमीर परिवार से होने के बावजूद, उन्होंने आसान जीवन त्याग दिया और भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया। उसे कई बार जेल में डाला गया लेकिन उसने उसे अन्याय के खिलाफ लड़ने से नहीं रोका। वह कई लोगों के लिए एक महान प्रेरणा थे।

संक्षेप में, स्वतंत्रता सेनानियों ने हमारे देश को क्या बनाया है यह आज है। हालाँकि, हम देखते हैं कि आजकल लोग हर उस चीज़ के लिए लड़ रहे हैं जिसके खिलाफ वे खड़े थे। हमें इन स्वतंत्रता सेनानियों के भारतीय सपने के बीच सांप्रदायिक घृणा को नहीं आने देना चाहिए। तभी हम उनके बलिदान और स्मृति का सम्मान करेंगे।

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  • भारत के स्वतंत्रता सेनानी: 100 Freedom Fighters of India in Hindi

Great Freedom Fighters of India in Hindi

100 Freedom Fighters of India in Hindi में आज हम आपको देश के उन वीर नायकों से परिचित करायेंगे, जिनके कारण ही आज सभी देशवासी उस आजाद जिंदगी का आनंद उठा रहे हैं। जिसका सपना देखते-देखते वह इस दुनिया से रुख्सत हो गये, जिन्होंने इस उद्देश्य के लिये अपना सारा जीवन खपा दिया कि हम न सही तो कम से कम हमारे देश के वासी तो उस आजाद भारत में सांस ले सकें जिसकी हम आरजू ही करते रह गये।

देश के लिये प्राण न्यौछावर करने वाले में न तो पुरुष पीछे रहे हैं और न ही स्त्रियाँ। भारत को आजाद कराने में जितना योगदान गाँधीवादियों और अहिंसकों का रहा है, उससे कम क्रांतिकारियों का भी नहीं रहा है। आखिरकार दोनों का ही उद्देश्य अपने देश को आजाद कराना था। स्वतंत्रता के इस विराट आन्दोलन में सैकड़ों-हजारों वीरों ने अपनी आहुतियाँ समर्पित की हैं।

लेकिन देश सिर्फ उन कुछ महान नायकों के बारे में ही जानता है जिन्होंने सबसे आगे रहकर नेत्रत्व किया था। जिन्होंने स्वाधीनता आन्दोलन को हर बार एक नयी दिशा दी थी, पर वह गुमनाम लोग जो इन नेताओं के एक बार कहने पर अपना सब कुछ दाँव पर लगाकर इस आन्दोलन में कूद पड़े थे, आज भी गुमनाम ही हैं।

वक्त की रेत ने समय बीतने के साथ उनके नामों को ढक लिया, पर भारत की आजादी में उनका प्रत्यक्ष योगदान उनके अद्रश्य हो जाने के बावजूद भी कम नहीं हुआ है। उन सभी अमर वीरों को ह्रदय से याद करते हुए आज हम आपको आजादी के मतवाले उन Indian Freedom Fighters के बारे में बतायेंगे, जिन्हें हर कृतज्ञ देशवासी को अवश्य ही जानना चाहिये।

सामान्य ज्ञान से जुडी यह जरुरी बातें हर किसी को जाननी चाहियें – India GK Facts in Hindi

1. Mahatma Gandhi महात्मा गाँधी

Indian Freedom Fighter 1: महात्मा गाँधी के बारे में कौन भारतीय नहीं जानता? आजादी के आन्दोलन का नेतृत्व करने और उसे अंजाम तक पहुँचाने की अपनी भूमिका का सफल निर्वहन करने के लिये कृतज्ञ राष्ट्र आज भी उन्हें राष्ट्रपिता के रूप में याद करता है। निर्विवाद रूप से यह महान महात्मा गाँधी ही हैं, जिन्हें देश को आजाद कराने के लिये सबसे ज्यादा श्रेय दिया जाता है। क्योंकि इन्होने ही उन सफल आंदोलनों की नींव रखी जिन्होंने अंग्रेजी सरकार की जड़ें हिला दीं।

2 अक्टूबर 1869 के दिन गुजरात के पोरबंदर में पैदा हुआ यह महान देशभक्त अपने उच्च आदर्शों और सिद्धांतों के कारण जन-जन का प्रिय बना। इनके पिता जहाँ रियासत के दीवान थे, वहीं माता पुतलीबाई एक धर्म प्राण महिला। 13 वर्ष की छोटी आयु में ही इनकी शादी हो गयी थी। बाद में यह इंग्लैंड जाकर बैरिस्टर बने, लेकिन इनके जीवन में बदलाव आया दक्षिण अफ्रीका जाने के बाद।

जहाँ एक छोटी मगर महत्वपूर्ण घटना ने मोहनदास करमचंद गाँधी के महात्मा गाँधी बनने की पटकथा लिख दी। सन 1915 में उनके भारत आने के बाद भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन को एक नयी दिशा मिली। सन 1921 में उन्होंने कांग्रेस की बागडोर संभाली और उसके बाद वह लगातार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से तब तक Indian Freedom Fighters का नेतृत्व करते रहे जब तक कि देश आजाद नहीं हो गया।

2. Aurobindo Ghosh अरविन्द घोष

Indian Freedom Fighter 2: आजादी की लड़ाई में जितना योगदान महात्मा गाँधी का रहा है, उससे कम योगदान अरविन्द घोष का भी नहीं रहा है। अनेकों लोगों को यह जानना अविश्वसनीय और आश्चर्यजनक लग सकता है, लेकिन सत्य यही है। जहाँ महात्मा गाँधी जनसमूह के बीच रहकर और प्रत्यक्ष रूप से Freedom Movement मी भाग ले रहे थे, वहीँ श्री अरविन्द एकांत में और अप्रत्यक्ष रूप से स्वाधीनता आन्दोलन को दिशा दे रहे थे।

श्री अरविन्द ने बरसों तक जो एकांत साधना की थी वह सिर्फ योग के शिखर पर पहुँचने के लिये नहीं थी, बल्कि आजादी के लिये जरुरी वातावरण निर्मित करने के लिये थी। क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि भारत के आजाद होने के दो वर्ष बाद ही श्री अरविन्द ने क्यों अपनी नश्वर देह छोड़ दी?

15 अगस्त सन 1872 के दिन जन्मे श्री अरविन्द असाधारण प्रतिभा के धनी एक दार्शनिक और योगी ही नहीं, बल्कि एक सच्चे Freedom Fighter भी थे। लेकिन वह जल्दी ही समझ गये थे कि भारत को आजाद कराने के लिये सिर्फ स्थूल प्रतिरोध से काम नहीं चलेगा, बल्कि इसके लिये सूक्ष्म स्तर पर जाकर जन-जन के मन में आजादी की चिंगारी भड्कानी पड़ेगी। इस बारे में विस्तार से जानने के लिये श्री अरविन्द पर दिया हमारा दूसरा लेख पढ़ें।

Famous Indian Freedom Fighters in Hindi

3. bal gangadhar tilak बाल गंगाधर तिलक.

Indian Freedom Fighter 3: लोकमान्य तिलक के नाम से प्रसिद्ध बाल गंगाधर तिलक भी उन Freedom Fighters में थे जिन्होंने भारत को आजाद कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। 23 जुलाई सन 1856 के दिन महाराष्ट्र में जन्मे आजादी के इस मतवाले को दक्षिण-पश्चिम का सबसे बड़ा Freedom Fighter कहा जा सकता है। तिलक एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे।

ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुए, क्योंकि उस समय तक भारत में गांधीजी का आगमन नहीं हुआ था। Freedom Movement में प्रकाहर भूमिका निभाने के कारण ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें “भारतीय अशान्ति के पिता” कहते थे। Freedom Struggle के दौरान दिया इनका नारा ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मै इसे लेकर ही रहूँगा’ बहुत प्रसिद्ध हुआ था।

अपने समाचार पत्रों के जरिये इन्होने भारतीय जनता को अंग्रेजो की क्रूरता और हीन मानसिकता के बारे में बताया। अंग्रेजों का विरोध करने के कारण तिलक कई बार भी जेल गये। मरणोपरान्त श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गाँधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा और जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय क्रान्ति का जनक बतलाया।

4. Jawahar Lal Nehru जवाहर लाल नेहरु

Indian Freedom Fighter 4: जवाहर लाल नेहरु की भूमिका आजादी के आन्दोलन में महात्मा गाँधी के पश्चात दूसरे नंबर की थी। 14 नवम्बर सन 1889 में जन्मे जवाहर लाल आगे चलकर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और अपनी मृत्यु होने तक इस पद पर रहे। उनके पिता मोतीलाल नेहरु ने भी एक Freedom Fighter के रूप में आजादी की लड़ाई में भाग लिया था।

सन 1912 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात वह भारत लौटे। यहाँ आकार उन्होंने वकालत शुरू की और फिर महात्मा गाँधी के संपर्क में आकर सक्रिय रूप से Freedom Struggle में शामिल हो गये। जवाहर लाल नेहरु ने आगे बढ़कर आंदोलनों का नेतृत्व किया और कई बार जेल भी गये।

5. Chandra Shekhar Azad चंद्रशेखर आजाद

Indian Freedom Fighter 5: चंद्रशेखर आजाद जिन्हें सारा देश ‘आजाद’ के नाम से जानता है, भारत के उन तीन सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्होंने Freedom Movement में भाग लेकर न सिर्फ सशस्त्र क्रांति का बिगुल बजाया, बल्कि देश के लाखों नौजवानों के दिल में देशभक्ति की लौ भी जलाई। 23 जुलाई 1906 के दिन मध्यप्रदेश के अलीराजपुर में जन्मे इस Freedom Fighter ने अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिए थे।

सन् 1922 में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले काकोरी काण्ड को अंजाम दिया और फिर भगत सिंह और दूसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर स्वाधीनता आन्दोलन को धार दी।

चन्द्रशेखर आज़ाद ने वीरता की नई परिभाषा लिखी थी। उनके बलिदान के बाद उनके द्वारा प्रारम्भ किया गया आन्दोलन और तेज हो गया। उनसे प्रेरणा लेकर हजारों युवक स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े और अंग्रेजों को देश छोड़कर भागना ही पड़ा।

Top Heros of Freedom Struggle in Hindi

6. maulna abul kalam azad मौलाना अबुल कलाम आजाद.

Indian Freedom Fighter 6: मौलाना अबुलकलाम आजाद जिनका पूरा नाम अबुलकलाम मुहीउद्दीन अहमद था, 11 नवम्बर, 1888 के दिन सऊदी अरब में पैदा हुए Indian Freedom Fighter थे, जिहोने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से आगे बढ़कर भाग लिया था। वह मुस्लिम समाज से सबसे चर्चित चेहरा थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का समर्थन किया और सांप्रदायिकता पर आधारित देश के विभाजन का विरोध किया। मौलाना आज़ाद को एक ‘राष्ट्रीय नेता’ के रूप में जाना जाता हैं।

वह एक विद्वान, पत्रकार, लेखक, कवि, दार्शनिक थे और इन सबसे बढ़कर अपने समय के धर्म के एक महान विद्वान थे। महात्मा गांधी की तरह भारत की भिन्न-भिन्न जातियों के बीच, विशेष तौर पर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच एकता के लिए कार्य करने वाले कुछ महान लोगों में से वह भी एक थे। तीन बार वह कांग्रेस के अध्यक्ष बने और स्वतंत्र भारत में वह भारत सरकार के पहले शिक्षा मंत्री बने।

7. Bhagat Singh भगत सिंह

Indian Freedom Fighter 7: भगत सिंह जिन्हें क्रांतिकारियों का सिरमौर कहा जाता है, एक असाधारण Freedom Fighter थे। 27 सितंबर 1907 के दिन पंजाब के लायलपुर में जन्मे भगत सिंह का पूरा नाम भगत सिंह संधू था। देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ, इन्होने शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह कभी भुलाया नहीं जा सकता।

अपने प्राणों की परवाह न करते हुए इन्होने पहले लाला लाजपत रॉय की मौत का बदला लिया और फिर केन्द्रीय असेम्बली में बफ फेंककर अपने दुस्साहस से अंग्रेजों का दिल दहला दिया। ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ विद्रोह को बुलंद करते हुए और सोये देश को जगाने के लिये इन्होने हंसते-हँसते फांसी के फंदे को चूम लिया।

8. Madan Mohan Malviya मदन मोहन मालवीय

Indian Freedom Fighter 8: 25 दिसंबर 1861 के दिन उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में जन्मे पंडित मदन मोहन मालवीय एक महान स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter) तो थे ही, एक राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, और बड़े समाज सुधारक भी थे। अपने महान कार्यों के चलते वह महामना कहलाये। मालवीय जी ब्रिटिश सरकार के निर्भीक आलोचक थे और जब तब अपने लेखों और भाषणों से जनता के मन में देशप्रेम की भावना को प्रज्जवलित करते रहते थे।

स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान वह कई बार लम्बे समय तक के लिये जेल गये। दो बार कांग्रेस के और तीन बार हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गये। आजीवन देश सेवा में लगे रहने वाले मालवीय जी एक उच्च कोटि के वक्ता और लेखक थे। अपने धर्म के प्रति निष्ठावान एक प्रगतिशील ब्राहमण के रूप में उन्होंने सारे समाज के अभ्युदय के लिये काम किया जिसके लिये महात्मा गाँधी भी उनके बड़े मुरीद थे।

Eminent Indian Freedom Fighters with Images

9. lala lajpat roy लाला लाजपत राय.

Indian Freedom Fighter 9: लाला लाजपत राय लाल-बाल-पाल की उस तिकड़ी का एक अहम् हिस्सा हैं, जिसने देश में गाँधी के आगमन से पूर्व स्वाधीनता आन्दोलन को दिशा दी थी। 28 जनवरी 1865 को जन्मे लालाजी एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है। सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये थे।

गंभीर चोटों के कारण कुछ दिन पश्चात ही इस महान Freedom Fighter की मृत्यु हो गयी। लाला जी की मृत्यु से सारा देश उत्तेजित हो उठा और चंद्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी की मौत का बदला लेने का निर्णय किया, जिसे उन्होंने सफलता पूर्वक लिया भी। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे।

10. Subhash Chandra Bose सुभाष चन्द्र बोस

Indian Freedom Fighter 10: नेताजी के नाम से प्रसिद्ध आजाद हिन्द फ़ौज के संस्थापक सुभाष चन्द्र बोस को कौन नहीं जानता? 23 जनवरी 1897 के दिन उडीसा के कटक में जन्मे सुभाष भारत के महान Freedom Fighters में से एक थे। आजादी के युद्ध में दिया उनका नारा ‘तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूँगा’ आज भी हर वीर भारतीय की जुबान पर रहता है।

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के लिये उन्होंने जर्मनी और जापान के सहयोग से अपनी ही एक सेना आजाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। वह दो बार कांग्रेस अध्यक्ष भी बने। फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की और कई बार जेल गये। अंग्रेज इस महान वीर से इतने ज्यादा डर गये थे कि उन्होंने इन्हें इनके ही घर में नजरबन्द कर दिया था।

सुभाष ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर विदेश निकल गये और बाहर रहते-रहते ही उन्होंने अपनी सेना का गठन कर लिया। जोश से लबरेज उनकी सेना ने अंग्रेजों को पूर्वोत्तर भारत से खदेड़ ही दिया था, लेकिन जापान के पराजित होने और फिर इस महान Freedom Fighter की प्लेन क्रैश में मृत्यु हो जाने के कारण उनका भारत को आजाद देखने का सपना जीते जी पूरा न हो सका।

11. Gopal Krishna Gokhle गोपाल कृष्ण गोखले

Indian Freedom Fighter 11: गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। यह एक Freedom Fighter (स्वतंत्रता सेनानी) होने के साथ-साथ प्रखर समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। महात्मा गाँधी गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। गोखले के परामर्श पर ही उन्होंने सक्रिय राजनीति में भाग लेने से पूर्व एक वर्ष तक देश में घूमकर स्थिति का अध्ययन करने का निश्चय किया था।

गांधी जी को अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई की प्रेरणा गोखले से ही मिली थी। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे। गोखले उदारवादी होने के साथ-साथ सच्चे राष्ट्रवादी भी थे। राष्ट्र की सेवा के लिए राष्ट्रीय प्रचारकों को तैयार करने हेतु गोखले ने 12 जून, 1905 को ‘भारत सेवक समिति’ की स्थापना की।

मोहम्मद अली जिन्ना ने भी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु माना था। यह बात अलग है कि बाद में जिन्ना गोखले के आदर्शों पर क़ायम नहीं रह पाए और देश के बंटवारे के नाम पर भारी ख़ूनख़राबा कराया।

20 Freedom Fighters Who Shaped History

12. lal bahadur shastri लाल बहादुर शास्त्री.

Indian Freedom Fighter 12: भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री रहे लाल बहादुर शास्त्री भी भारत के प्रसिद्ध Freedom Fighters में से एक रहे हैं। 2 अक्टूबर 1904 के दिन पैदा हुआ यह महान स्वतंत्रता सेनानी सादा जीवन उच्च विचार का मूर्तिमान प्रतीक था। देश की आजादी के लिये वह न केवल कई बार जेल गये, बल्कि अपनी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी से भी देशवासियों को भी अपना मुरीद बना लिया।

शास्त्रीजी सच्चे गाँधीवादी थे जिन्होंने अपना सारा जीवन सादगी से बिताया और उसे गरीबों की सेवा में लगाया। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों व आन्दोलनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही। जिन आन्दोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च तथा 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन उल्लेखनीय हैं।

13. Vallabh Bhai Patel बल्लभभाई पटेल

Indian Freedom Fighter 13: आधुनिक भारत का निर्माण करने वाले सरदार बल्लभभाई पटेल को आखिर कौन भारतीय भूल सकता है? 31 अक्टूबर, 1875 के दिन गुजरात के नादियाड में जन्मे बल्लभभाई सही मायनों में एक लौह पुरुष ही थे। पहले पराधीन भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में और फिर भारत की आजादी के बाद देश के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने देश को एक सूत्र में पिरोने में बड़ी अहम भूमिका अदा की।

महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया। बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहाँ की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की। बल्लभभाई एक Freedom Fighter और एक राजनेता दोनों ही रूपों में अपूर्व और असाधारण थे। एक ऐसे इन्सान जिस पर भारत आज भी गर्व करता है।

14. Rajendra Prasad राजेंद्र प्रसाद

Indian Freedom Fighter 14: स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने डा. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे। 3 दिसम्बर 1884 को बिहार में जन्मे प्रसाद देश की माटी से जुड़े हुए इन्सान थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाने के साथ-साथ उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था। राजेंद्र प्रसाद ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत वकालत के पेशे से की थी।

पर बाद में जब वह महात्मा गाँधी के संपर्क में आये, तो उनकी निष्ठा, समर्पण एवं साहस से प्रभावित होकर Freedom Movement में कूद पड़े। राजेंद्र बाबू देश की आजादी के लिये न केवल कई बार जेल गये, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित लोगों की सेवा करने में भी वह सबसे आगे रहे। 12 वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के पश्चात उन्होंने 1962 में अपने अवकाश की घोषणा की।

Notable Indian Freedom Fighters in Hindi

15. ram prasad bismil राम प्रसाद बिस्मिल.

Indian Freedom Fighter 15: ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले काकोरी काण्ड को जिस रामप्रसाद बिस्मिल ने अंजाम दिया था, वह 11 जून, 1897 के दिन उत्तरप्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में पैदा हुए थे। भारत का यह महान स्वतन्त्रता सेनानी (Freedom Fighter) सिर्फ एक क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि उच्च कोटि का कवि, शायर, अनुवादक, व साहित्यकार भी था जिसने भारत की आज़ादी के लिये अपने प्राणों की आहुति तक दे दी थी।

इस अमर शहीद ने अपनी शहादत देकर आजादी की वो चिंगारी छेड़ी जिसने ज्वाला का रूप लेकर ब्रिटिश शासन के भवन को लाक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। बिस्मिल के ह्रदय में अंग्रेजों से बदला लेने की हूक तब उठी जब लाहौर षड़यंत्र के मामले में सन 1915 में प्रसिद्ध क्रान्तिकारी भाई परमानंद को फाँसी की सजा सुना दी गयी। इसके बाद उन्होंने अपने जैसे विचार रखने वाले क्रांतिकारियों को साथ मिलाकर एक संगठन बनाया और सशस्त्र क्रांति का बिगुल बजाया।

16. Chittaranjan Das चितरंजन दास

Indian Freedom Fighter 16: 5 नवंबर, 1870 को बंगाल की राजधानी कोलकाता में जन्मे चितरंजन दास एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। गांधीजी के भारत आने से पहले वह मदन मोहन मालवीय, लाजपत रॉय, मोतीलाल नेहरु, गोखले और गंगाधर तिलक जैसे अग्रणी नेताओं के साथ उस समय स्वाधीनता आन्दोलन की धुरी थे। देश से असीम प्रेम करने के कारण ही उन्हें देशवासियों से देशबंधु की पदवी मिली। ये महान राष्ट्रवादी तथा प्रसिद्ध वकील होने के साथ-साथ स्वराज्य पार्टी के संस्थापक भी थे।

सन 1921 ई. में अहमदाबाद में हुए कांग्रेस के अधिवेशन के ये अध्यक्ष थे। इन्होने ही अलीपुर कांड में श्री अरविन्द का न्यायालय में बचाव किया था। गांधीजी के आह्वान पर उन्होंने वकालत का अपना बेहद कामयाब पेशा एकदम छोड़ दिया और असहयोग आंदोलन में भाग लिया। आजादी की लड़ाई में यह महान Freedom Fighter कई बार जेल गया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस इन्हें अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे।

17. Vinoba Bhave विनोबा भावे

Indian Freedom Fighter 17: आचार्य के उपनाम से प्रसिद्ध विनोबा भावे जिनका पूरा नाम विनायक नरहरी भावे था, सही मायनों में एक सच्चे गाँधीवादी थे। जिस तरह जवाहर लाल नेहरु को महात्मा गाँधी का राजनैतिक उत्तराधिकारी माना जाता है, उसी तरह से विनोबा भावे को उनका आध्यात्मिक उत्तराधिकारी माना जाता है। ज्यादातर लोग इन्हें इनके प्रसिद्ध सर्वोदय और भूदान आन्दोलन के जनक के रूप में ही जानते हैं, जबकि विनोबा उससे कहीं ज्यादा थे।

11 सितंबर 1895 के दिन महाराष्ट्र के रायगड में जन्में विनोबा एक सच्चे Freedom Fighter, चिन्तक, विचारक, लेखक और समाज सुधारक थे। आजादी की लड़ाई में वह कई बार जेल गये और देश आजाद होने के बाद भी दबे कुचले और निर्धन वर्ग के लिये मरते दम तक संघर्षरत रहे। उनकी सहिष्णुता, जीवन मूल्यों के प्रति निष्ठा, और संतवत जीवन के कारण लोग उन्हें दूसरा गाँधी मानते हैं।

Great Heroes of Indian Freedom Movement

18. khan abdul ghaffar khan खान अब्दुल गफ्फार खां.

Indian Freedom Fighter 18: सीमांत गाँधी के नाम से प्रसिद्ध खान अब्दुल गफ्फार खां का जन्म सन 1890 में भारत के उत्मंजाई में हुआ था। Freedom Movement में वह मुस्लिमों में सबसे लोकप्रिय मुस्लिम नेता थे। महात्मा गाँधी के विचारों और उनके त्याग से प्रभावित होकर वह आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। अपने करिश्माई व्यक्तित्व से उन्होंने मुस्लिम समाज को भी स्वाधीनता आन्दोलन से सक्रियता से जोड़ा। बचपन से ही वह अत्यंत दृढ़ स्वभाव के व्यक्ति रहे, इसीलिये उन्हें बाचा खान के रूप में पुकारा जाता था।

खुद को वह आजादी की लड़ाई का एक सैनिक मात्र कहते थे, लेकिन उनके समर्थक और प्रशंसक उन्हें बादशाह खान के नाम से बुलाते थे। राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लेकर उन्होंने कई बार जेलों में घोर यातनायें झेली, फिर भी वह अपनी मूल संस्कृति से विमुख नहीं हुए। इस महान Freedom Fighter का सन 1988 में पाकिस्तान के पेशावर में निधन हुआ।

19. Govind Vallabh Pant गोविन्द वल्लभ पन्त

Indian Freedom Fighter 19: भारत के पर्वतीय राज्यों में आजादी की चिंगारी सुलगाने का श्रेय जाता है, महान Freedom Fighter श्री गोविन्द वल्लभ पन्त को, जिनका जन्म 10 सितम्बर 1887 को उत्तरांचल के अल्मोड़ा जिले में हुआ था। पन्त जी एक प्रतिष्ठित वकील, मिलनसार और उच्च जीवन मूल्यों के प्रति निष्ठावान इन्सान थे। स्वाधीनता आन्दोलन में इन्होने अंग्रेजों की पुरजोर खिलाफत की जिसके कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।

कुछ प्रमाणित स्रोतों की बात मानी जाय, तो पंतजी स्वतंत्रता संग्रामों में लगभग 7 वर्ष तक अलग-अलग समय जेल में रहे। इनकी आदर्शवादिता और देश के प्रति त्याग के कारण ही इन्हें उत्तर प्रदेश का प्रथम मुख्यमंत्री चुना गया था। यह अंग्रेजी और संस्कृत भाषाओँ के बड़े विद्वान थे। सन 1957 में भारत सरकार ने इन्हें देश के सर्वोच्च रत्न भारत रत्न से सम्मानित किया।

20. Vinayak Damodar Savarkar विनायक दामोदर सावरकर

Indian Freedom Fighter 20: 28 मई 1883 के दिन महाराष्ट्र के नासिक जिले में जन्मे विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें सारा देश वीर सावरकर के नाम से भी जानता है, एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता और उन Freedom Fighters में से एक थे, जो देश की आजादी के लिये त्याग की किसी भी हद तक जा सकते थे। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है।

वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे, अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।

अंग्रेजों के अन्दर इनकी वतनपरस्ती का खौफ इस कदर बस गया था कि इन्हें उस समय की सबसे खतरनाक सजा मानी जाने वाली काला पानी की सजा ताउम्र के लिये सुना दी गयी थी। अपने जीवन के 14-15 वर्ष इस महान Indian Freedom Fighter ने सिर्फ जेल की कठोर यातनाएँ सहने में ही बिताये थे।

Name of Indian Freedom Fighters in Hindi

अभी तक हमने आपको उन Male Freedom Fighters के बारे में संक्षिप्त रूप से बताया, जो देश के प्रति अपने त्याग और समर्पण से अपना यश अमर कर, लोगों के दिलों में हमेशा के लिये बस चुके हैं। अब हम आपको उन प्रसिद्ध और गुमनान Freedom Fighters के नामों से परिचित करायेंगे, जिनके बारे में समयाभाव के कारण हम कुछ विस्तार से वर्णन करने में असमर्थ हैं।

क्रम सं०, नाम, जीवनकाल 21,जयप्रकाश नारायण,1902-1979 22,मघफूर अहमद अजाजी,1900-1966 23,मौलाना मोहम्मद अली जौहर,1878-1931 24,अशफाक उल्ला खां,1900-1927 25,हैदर अली,1720-1782 26,टीपू सुल्तान,1750-1799 27,बहादुर शाह जफ़र,1775-1862 28,तात्या टोपे,1814-1859 29,मंगल पांडे,1827-1857 30,मुहम्मद इक़बाल,1877-1938

31,पीर अली खान,1812-1857 32,उधम सिंह,1899-1940 33,बाबू कुँवर सिंह,1777-1858 34,सुखदेव थापर,1907-1931 35, महफुजूल हसन रहमानी, 36,खुदीराम बोस,1889-1908 37,शिवराम राजगुरु,1908-1931 38,जाकिर हुसैन,1897-1969 39,आचार्य जे. बी. कृपलानी,1888-1982 40,फखरुद्दीन अली अहमद,1905-1977

41,चक्रवर्ती राजगोपाला चारी,1878-1972 42,सर्वपल्ली राधाकृष्णन,1888-1975 43,मदनलाल धींगरा,1883-1909 44,सैफुद्दीन किचलू,1888-1963 45,अब्दुल बारी,1892-1947 46,विपिन चन्द्र पाल,1858-1932 47,शौकत अली,1873-1938 48,एस. सत्यमूर्ति,1887-1943 49,आसफ अली,1888-1953 50,मौलवी लियाकत अली,1812-1892

51,सुबोध रॉय,1916-2006 52,अतुलकृष्ण घोष,1890-1966 53,अमरेन्द्रनाथ चटर्जी,1880-1957 54,भूपेन्द्रनाथ दत्त,1880-1961 55,विनोद बिहारी चौधरी,1911-2013 56,श्यामजी कृष्ण वर्मा,1857-1930 57,करतार सिंह सराभा,1896-1915 58,भवभूषण मित्रा,1881-1970 59,बसावन सिंह,1909-1989 60,सुरेन्द्रनाथ टैगोर,1872-1940

61,हेमचन्द्र कानूनगो,1871-1951 62,रमेशचंद्र झा,1925-1994 63,भूपेन्द्र कुमार दत्ता,1892-1979 64,उल्लासकर दत्त,1885-1965 65,प्रफुल्ल चाकी,1888-1908 66,बरिन्द्र कुमार घोष,1880-1959 67,राजेंद्र लाहिड़ी,1901-1927 68,बिनय बासु,1908-1930 69,बादल गुप्ता,1912-1930 70,दिनेश गुप्ता,1911-1931

71,अंबिका चक्रवर्ती,1892-1962 72,बैकुंठ शुक्ला,1907-1934 73,जोगेश चन्द्र चटर्जी,1895-1969 74,लोकनाथ बल,1908-1964 75,उबयदुल्ला सिन्धी,1872-1944 76,रास बिहारी बोस,1886-1945 77,गणेश घोष,1900-1994 78,भगवती चरण वोहरा,1904-1930 79,जतिंद्र नाथ दास,1904-1929 80,रोशन सिंह,1892-1927

81,अनंत लक्ष्मण कन्हेरे,1891-1910 82,वासुदेव बलवंत फडके,1845-1883 83,मन्मथ नाथ गुप्ता,1908-2000 84,शचीन्द्र बक्शी,1904-1984 85,बटुकेश्वर दत्त,1910-1965 86,बाघा जतिन,1879-1915 87,गणेश दामोदर सावरकर,1879-1945 88,कृष्णजी गोपाल कर्वे,1887-1910 89,वंचिनाथान,1886-1911 90,अनंत सिंह,1903-1979

91,सूर्य सेन,1894-1934 92,कुशल कुँवर,1905-1943 93,अल्लूरी सीताराम राजू,1897-1924 94,हेमू कलानी,1923-1943 95,कोमाराम भीम,1901-1940 96,अहमदुल्लाह शाह,1787-1857 97,मरुथू पांडियार,1748-1801 98,पुली थेवर,1715-1767 99,मरुथानायगम,1725-1764 100,तंगुतुरी प्रकाशम्,1872-1957

101,शम्भु दत्त शर्मा,1918-2016 102,सुब्रमण्यम भारती,1882-1921 103,वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई,1872-1936 104,सेनापति बपत,1880-1967 105,पोट्टी श्री रामुलु,1901-1952 106,कन्हैया माणिकलाल मुंशी,1887-1971 107,गरिमेल्ला सत्यनारायण,1893-1952 108,तिरुपुर कुमारन ,1904-1932 109,बिरसा मुंडा,1875-1900 110,के मम्में,1921-2017

111,एन. जी. रंगा,1900-1995 112,कान्नेगंती हनुमन्थू,1870-1920 113,तीर्थ सिंह,- 114,प्रीती लता वाडेकर,1911-1932

भारत के बारे में यह अविश्वसनीय तथ्य जानकर आप हैरान रह जायेंगे – Amazing Facts about India in Hindi

Famous Female Freedom Fighters of India

अब हम आपको आजादी की दीवानी और अपने देश से सच्चा प्रेम करने वाली उन पराक्रमी भारतीय वीरांगनाओं (Female Freedom Fighters) से परिचित कराने जा रहे हैं जो भले ही उपर वर्णित स्वतंत्रता सेनानियों के जितनी विख्यात न रही हों और जिन्हें आज इतिहास भी लगभग भूल सा ही गया है, तो भी आजादी में उनका योगदान कम नहीं हो जाता।

इनमे से अधिकांश, साधारण परिवारों में पली-बढ़ी भारतीय नारियाँ थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन (Freedom Movement) में कूदने से पूर्व मुश्किल से ही घर-परिवार की दहलीज लाँघी थीं, लेकिन जब इनमे देशभक्ति का जज्बा जगा, तब यह त्याग और समर्पण में पुरुषों से भी ज्यादा आगे बढ़ गयीं।

देश और दुनिया से जुड़े यह अविश्वसनीय तथ्य नहीं जानते होंगे आप – 65 Amazing Facts in Hindi

1. Queen Velu Nachiyar रानी वेलू नाचियार

Indian Freedom Fighter : रानी वेलू नाचियार (1730-1796) दक्षिण में स्थित शिवगंगा राज्य की साम्राज्ञी थीं जिन्होंने सन 1780 से 1790 तक शासन किया था। वह अंग्रेजों से लड़ने वाली पहली भारतीय रानी थीं और शायद सबसे पहली वीरांगना भी। सन 1757 में इन्होने न केवल युद्ध जीता, बल्कि अंग्रेजों से अपने राज्य की भूमि को भी मुक्त रखा।

रानी वेलू नाचियार अत्यंत साहसी और द्रढ़ इरादों वाली स्त्री थीं जिसका पता इस बात से चलता है कि उस समय के ब्रिटिश जनरल को न केवल इनसे क्षमा माँगनी पड़ी थी, बल्कि अपनी जान बचाने के लिये युद्धभूमि से भागना तक पड़ गया था। इनकी मृत्यु सन 1796 में हुई थी।

प्रथम विश्व युद्ध से जुड़े 100 दुखद और लोमहर्षक तथ्य – First World War History in Hindi

2. Queen Lakshmibai रानी लक्ष्मीबाई

Indian Freedom Fighter : रानी लक्ष्मीबाई (1828-1858) के बारे में कौन नहीं जानता? सुभद्राकुमारी चौहान की ‘खूब लड़ी मर्दानी’ नामक साहित्यिक रचना से देश का बच्चा-बच्चा इनसे परिचित है। 19 नवंबर 1828 के दिन पैदा हुई रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की सबसे विख्यात नायिका हैं। पति की मृत्यु के पश्चात झाँसी की साम्राज्ञी बनी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के लज्जाजनक अधीनता स्वीकार करने वाले प्रस्ताव को न मानकर डटकर युद्ध किया।

झाँसी की रानी ने उन्हें लगभग अपने राज्य से बाहर खदेड़ ही दिया था, पर कुछ विश्वासघाती दरबारियों के कारण उन्हें पराजित होना पड़ा। लेकिन रानी ने अंत तक अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार नहीं की। 17 जून 1858 के दिन इस वीर नायिका ने युद्धक्षेत्र में ही वीरगति प्राप्त की।

3. Begum Hazrat Mahal बेगम हजरत महल

Indian Freedom Fighter : बेगम हजरत महल (1820-1879) भी 1857 के स्वाधीनता संग्राम की प्रमुख नायिका हैं। अवध (आधुनिक लखनऊ और इसका समीपवर्ती क्षेत्र) के नवाब वाजिद अली शाह के असमय देहावसान के पश्चात अंग्रेजों ने उन्हें भी झाँसी की रानी की तरह अपमानजनक राज्य हड़पने वाली शर्तें मानने को मजबूर किया। लेकिन बेगम ने जीतेजी अपमान का घूँट पीना अस्वीकार कर दिया और बड़ी होशियारी से अवध की सत्ता हाथ में लेकर अंगेजों के विरुद्ध युद्ध का बिगुल छेड़ दिया।

1857 के विद्रोह के दौरान उन्होंने लम्बे समय तक लखनऊ पर अपना अधिकार बरकरार रखा, लेकिन भारत का दुर्भाग्य बने लालची दरबारियों ने एक बार फिर से देश का सम्मान दाँव पर लगाते हुए अंग्रेजों से मिलकर रानी की पराजय की पटकथा लिख दी। मजबूरन रानी को निर्वासित होकर नेपाल की राजधानी काठमांडू में शरण लेनी पड़ी और अंत में वहीँ पर उनका देहावसान हो गया।

10 Woman Fighters of Freedom Movement

4. bhikaji cama भीकाजी कामा.

Indian Freedom Fighter : भीकाजी कामा (1861-1936) के नाम पर देश में कई सडकों और इमारतों का निर्माण हुआ है, पर फिर भी देश में बहुत कम लोग ही उनके नाम और काम से परिचित होंगे, क्योंकि युवावस्था के पश्चात उनका अधिकांश समय विवशता में देश से बाहर ही गुजरा था। मैडम भीकाजी कामा एक उच्च कुलीन पारसी समुदाय से थीं। पारसी आम तौर पर शांतिप्रिय और विवादों से बचने वाले होते हैं, लेकिन भीकाजी कामा के ह्रदय में देशप्रेम की भावना बचपन से हिलोरे मारती थीं।

जब वह इंग्लैंड में रहकर निर्वासित जीवन बिता रहीं थीं तो उन्होंने वहीँ पर रहते हुए अंग्रेजों का विरोध किया और भारतीय स्वधीनता आन्दोलन की जड़ें मजबूत की। भीकाजी कामा भारत की आजादी के साथ-साथ स्त्री समानता पर भी बहुत जोर देती थीं इसीलिये उन्होंने अपनी अधिकांश संपत्ति लड़कियों की दशा सुधारने हेतु एक अनाथाश्रम को दान कर दी थी। उन्होंने सन 1907 में जर्मनी के स्टटगर्ट में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सभा (International Socialist Conference) में भारतीय झंडे को फहराया था।

5. Sarojini Naidu सरोजिनी नायडू

Indian Freedom Fighter : भारत कोकिला (नाइटिंगेल ऑफ इंडिया) के नाम से विख्यात सरोजिनी नायडू (1879-1949) से ज्यादातर देशवासी परिचित हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात उत्तर प्रदेश राज्य की गवर्नर रहीं सरोजिनी नायडू एक प्रखर स्वतंत्रता सेनानी थीं। इन्होने भारत छोड़ो आन्दोलन और असहयोग आन्दोलन समेत कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। यह गाँधीवादी विचारधारा की थीं, लेकिन क्रांतिकारियों के पक्ष को भी इन्होने कई अवसरों पर उचित ठहराया था।

आजादी की लड़ाई में सरोजिनी नायडू कई बार जेल गयीं और अपनी नेतृत्व क्षमता के चलते वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी बनीं। अपनी असाधारण काव्य क्षमता का उपयोग इन्होने देशवासियों, विशेषकर स्त्रियों के ह्रदय में देशप्रेम की भावना को प्रबल करने में किया। इन्होने न सिर्फ स्त्रियों को संगठित किया, बल्कि जुलूसों के दौरान अनेकों अवसरों पर उनका नेतृत्व भी किया था। गाँधीजी इन्हें बहुत मानते थे।

6. Kamaladevi Chattopadhyay कमलादेवी चट्टोपाध्याय

Indian Freedom Fighter : कमलादेवी चट्टोपाध्याय (1903-1988) भारत की एक प्रखर समाज सुधारक थीं, पर इसके साथ-साथ वह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थीं। कमलादेवी ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा हिरासत में लीं गयी पहली भारतीय महिला थीं। उन्हें भारत की वह पहली स्त्री होने का भी गौरव प्राप्त है जो विधायिका की सदस्य बनने हेतु चुनाव लड़ीं थीं।

कमलादेवी ने सामाजिक सुधार के क्षेत्र में बड़ा ही उल्लेखनीय कार्य किया था। यह उनके ही प्रयासों का प्रतिफल था जो दस्तकारी, हथकरघा और थियेटर जैसे कुटीर उद्योग बच पाये थे और जिनकी सहायता से उन्होंने भारतीय स्त्रियों की सामजिक-आर्थिक दशा को सुधारा। National School of Drama और संगीत नाटक अकादमी जैसे सांस्कृतिक संस्थान उनकी ही दूरदर्शिता का परिणाम हैं।

क्या जानते हैं आप भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में – National Symbols of India in Hindi

7. Durgabai Deshmukh दुर्गाबाई देशमुख

Indian Freedom Fighter : दुर्गाबाई देशमुख भी स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख महिला सेनानियों में से एक थीं। उन्होंने कई सत्याग्रह आंदोलनों का नेतृत्व किया और भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में एक अहम् भूमिका निभाई। अनुशासन और जिम्मेदारियों के निर्वहन में यह कितनी कठोर थीं इसका पता सन 1923 में लगी खादी प्रदर्शनी की उस घटना से चलता है जिसमे देश के बड़े-बड़े नेता शिरकत कर रहे थे। उस प्रदर्शनी में दुर्गाबाई को प्रवेश द्वार पर आगंतुकों के टिकट जाँचने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।

अपने कर्तव्य का ध्यान रखते हुए इन्होने उस समय के शीर्ष नेता और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को उपयुक्त परिचय पत्र के अभाव में प्रदर्शनी के अन्दर जाने से मना कर दिया था। जब आयोजकों ने नेहरूजी को टिकट थमाया तब कहीं जाकर दुर्गाबाई ने उन्हें प्रवेश करने दिया। अपनी योग्यता और कौशल के चलते यह बाद में भारत की निर्वाचक असेंबली और योजना आयोग की सदस्य भी रहीं।

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Woman Freedom Fighters of India in Hindi

8. sucheta kriplani सुचेता कृपलानी.

Indian Freedom Fighter : सुचेता कृपलानी (1908-1974) को देश के किसी राज्य (उत्तर प्रदेश) की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है। वह गाँधीवादी विचारधारा को मानने वाली थीं और उन्होंने गांधीजी के साथ लंबे समय तक कार्य किया। स्वाधीनता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के पश्चात उन्होंने भारत-पाक विभाजन के समय भी उल्लेखनीय कार्य किया था।

स्त्रियों को संगठित करने और उनकी दशा सुधारने के उद्देश्य से सन 1940 में उन्होंने अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की स्थापना भी की थी। 14 अगस्त 1947 के दिन, आजादी की पूर्व संध्या पर उन्होंने असेंबली में वन्दे मातरम् गाया था।

9. Aruna Asaf Ali अरुणा आसफ अली

Indian Freedom Fighter : अरुणा आसफ अली (1909-1996) के बारे में भी कम ही लोगों ने सुना होगा, पर वह भी स्वाधीनता संग्राम की कुछ विख्यात वीरांगनाओं में से एक थीं। दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों की तरह उन्हें भी अंग्रेजों का विरोध करने पर कई बार जेल जाना पड़ा। पर उस घटना के कारण उन्हें विशेष रूप से याद किया जाता है जब सन 1942 में, भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान 33 वर्ष की आयु में, उन्होंनेबंबई के गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झन्डा फहराया था।

10. Lakshmi Sahgal लक्ष्मी सहगल

Indian Freedom Fighter : लक्ष्मी सहगल (1914-2012) जिन्हें कैप्टन लक्ष्मी सहगल के नाम से ज्यादा जाना जाता है, भारतीय सेना की एक महिला अधिकारी थीं जिन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा संगठित आजाद हिन्द फौज की ओर से द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया था। वह गाँधी और बोस दोनों के विचारों से प्रभावित थीं, पर जब उन्हें पता चला कि नेताजी अपनी सेना में महिला सैनिकों की भी भर्ती कर रहे हैं तो वह भी उसमे शामिल हो गयीं।

फौज में रहते हुए उन्हें महिलाओं की रेजीमेंट जिसे ‘झाँसी की रानी रेजीमेंट’ के नाम से जाना जाता था, के संगठन का काम दिया गया था। सन 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, आजाद हिन्द फौज के आत्मसमर्पण के पश्चात वह बर्मा में एक कैदी के रूप में कुछ समय तक जेल में भी रहीं थीं। अपनी सेवाओं के लिये कैप्टन लक्ष्मी को पदम् विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।

सन 2012 में 97 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के कानपुर में इस वीरांगना की मृत्यु हुई थी। इस लेख में हमने सिर्फ 10 Woman Freedom Fighters के बारे में बताया है। भारत की महान और अज्ञात महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में विस्तार से जानने के लिये 10 Female Freedom Fighters of India in Hindi यह लेख पढ़ें। जय हिन्द!

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Essay on freedom fighters in hindi स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध.

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Essay on Freedom Fighters in Hindi

Essay on Freedom Fighters in Hindi 300 Words

भारत में बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानी है जिन्होंने अपने देश की आज़ादी के लिए अपना तन, मन और धन सब कुछ निशावर कर दिआ था। उन्होंने अपने वतन को विदेशी शासन से स्वतंत्र कराने के लिए अपनी जान गँवा दी थी, उन्हीं की वजह से हम आज किसी के अधीन नहीं हैं। स्वतंत्रता सैनानियों के खून के बदले ही हमे आजादी मिली थी। स्वतंत्रता सैनानियों की जन्म तिथि तथा पुन्य तिथि पर देश भर के वासी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है।

भारत के कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में सरदार वल्लभभाई पटेल, मंगल पांडे, झांसी की रानी, तन्तिया टोपे, महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, लाल बहादुर शास्त्री, एनी बेसेंट, बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस, बिपिन चंद्र पाल, भगत सिंह, सुखदेव, उधम सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, सरोजिनी नायडू, गोपाल कृष्ण गोखले, दादाभाई नौरोजी, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, नाना साहिब, सुचेता क्रिप्लानी आदि शामिल हैं।

स्वतंत्रता सैनानियों की सूची तो बहुत लम्बी है। कुछ ऐसे स्वतंत्रता सेनानी भी है जो गुमनाम ही रह गए। कुछ स्वतंत्रता सैनानियों ने अहिंसा तो कुछ स्वतंत्रता सैनानियों ने हिंसा का रास्ता चुना। रास्ते चाहे अलग हो पर मंजिल सबकी एक ही थी “आज़ादी”। सभी के अपने अपने तरीको से अंग्रेज़ो पर चौतरफा वार किया और जमकर विरोध किया। आखिर में अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना ही पड़ा।

इन्ही स्वतंत्रता सैनानियों की वजह से ही आज हमारा भारत आज़ाद है। हमे इनका सच्चे मन से सम्मान करना चाहिए और इन अमर शहीदों की कुर्बानी को याद करना चाहिए क्योकि अगर यह न होते तो हम आज भी अपना जीवन खुलकर न जी सकते और दुसरों के अधीन होते। देश के लिऐ अपना बलिदान देकर स्वतंत्रता सेनानी सदा के लिए अमर हो गए।

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स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध (Freedom Fighters Essay In Hindi)

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध (Indian Freedom Fighters Essay In Hindi)

आज   हम स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध (Essay On Freedom Fighters In Hindi) लिखेंगे। स्वतंत्रता सेनानियों पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

स्वतंत्रता सेनानियों पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Freedom Fighters In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध (Indian Freedom Fighters Essay In Hindi)

स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों तक की बलि दे दी, उनको अपने देश से प्रेम था। उन्होंने अपने घर परिवार की चिंता करे बगैर अपना सब कुछ देश को आजाद कराने में न्योछावर कर दिया। न जाने कितने स्वतंत्रता सेनानियो ने देश के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। क्युकी देशभक्ति इनमे कूट कूट कर भरी थी।

देश को आजाद कराने के लिए जो महान बलिदान स्वतंत्रता सेनानियों ने दिया, उसकी कल्पना किए जाने से हमारी रूह कांप जाती है। वे न जाने कितने दर्द और कठिनाइयों से गुजरे होगे। उनके लंबे संघर्ष के परिणामस्वरूप आज हमारे देश में शांति स्थापित की जा सकी है।

इनके दिए गए बलिदान को हम कभीं नही चुका सकते है। देश गुलामी की जंजीर से इस कदर जकड़ा हुआ था, कि बिना कारण के भी बेकसूर लोगो को जेल में डाल दिया जाता था। कुछ समय के लिए सोच कर देखिए, अगर आपके साथ कुछ ऐसा घटित होता तो कैसा लगता।

स्वतंत्रता सेनानियों का देश को आजादी दिलाने में महत्व

स्वतंत्रता सेनानियो के महत्त्व को बताने की आवश्यकता मुझे बिल्कुल नही लगती है। क्योंकि इनका नाम इतिहास के पन्नो पर स्वर्ण अक्षरों में दर्ज किया गया है। देश को आजाद कराने में इनके दिए गए योगदान को याद करने के लिए हम स्वतंत्रता दिवस मनाते है।

खैर इस बात का कोई महत्त्व नहीं होता कि उन्होंने कितना बड़ा योगदान दिया, फर्क इस बात से पड़ता है कि इनकी कुछ सहभागिता थी देश को स्वतंत्र कराने के लिए। इससे फर्क पड़ता है की देशभक्ति की भावना उनके अंदर किस कदर मौजूद थी।

स्वतंत्रता सेनानियो के जीवन में अपार संघर्ष था, उन्हें कई बार देश को आजाद कराने के लिए युद्ध करने पड़े और कईयों ने तो अपनी जान भी गवां दी। युद्ध में लड़ने के लिए इनको किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण भी नही दिया गया था, फिर भी अपने प्राणों की चिंता करे बगैर वे युद्ध में हिस्सा लेते थे और बड़ी वीरता पूर्वक शत्रु का समाना करते थे।

देश को आजाद कराने के लिए इनके मन में एक जूनून था, जोकि देश को आजाद करा कर ही पूरा हुआ। स्वतंत्रता सेनानि दूसरो के सामने मिसाल कायम करने में सफल रहे, कि हमे विषम से विषम परिस्थिति में हार नही माननी चाहिए, बल्कि डट कर उसका सामना करना चाहिए।

यही वजह है कि अंग्रेजो को भारत के स्वतंत्रता सेनानियो के सामने अंत में घुटने टेकने पड़े। स्वतंत्रता सेनानियों के कठोर परिश्रम के परिणामस्वरूप आज हम किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादियों या उनके अत्याचार से पूरी तरह से आजाद हो सके है। आज हमारा देश उन्नति की राह पर अग्रसर है।

मेरे प्रिय स्वतंत्रता सेनानियों की सूची

भारत को आजाद कराने में वैसे तो बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों का हाथ रहा है। उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए तन मन और धन सबकुछ न्योछावर कर दिया था। उनके दिए गए त्याग को कोई चुका नही सकता।

उन्ही स्वतंत्रता सेनानियों में कुछ स्वतंत्रता सेनानियो को मैं बहुत पसंद करता हूं। इन्ही से प्रेरित होकर मेरे अंदर देशभक्ति की भावना जागृत हुई है। जिनकी सूचि निचे दी है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी है, जिन्होने बगैर हिंसा के देश को आजाद कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। सत्य और अहिंसा के बल पर उन्होंने देश को आजाद कराया।

रानी लक्ष्मी बाई

मेरे प्रिय सेनानी का जिक्र करे तो, उसमे रानी लक्ष्मी बाई आती है। इनका नाम भी इतिहास के पन्नो पर वीरता के लिए दर्ज किया गया है। इस वीरांगना को पसंद किए जाने के पीछे मेरी अहम वजह यह है की इन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में अंग्रेजो के सामने हार नही मानी और अंतिम समय तक डट कर उनका सामना करती रही।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस

इसके बाद अगली बारी आती है, हमारे सबके चहेते नेताजी सुभाष चंद्र बोस की। देश को आजाद कराने में इनका भी भरपूर सहयोग रहा है। इन्होंने अंग्रेजो को भारत की शक्ति का प्रदर्शित करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व किया।

देश को आजाद कराने के लिए इन्होंने लोगो को जागृत किया और उनसे कुरबानी मांगी। इसका अंदाजा आप उनकी दी गई पंक्तियों से लगा सकते हो। जो है “‘तुम मुझे अपना खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा”।

पंडित जवाहरलाल नेहरू

अंत में एक और महान नेता पंडित जवाहर लाल नेहरू के व्यक्तिव से मै काफी प्रभावित हूं। जिन्होंने देश के लिए जीवन पर्यंत बलिदान दिया, तब जाकर हम स्वतंत्र होकर चैन से जी रहे है। एक धनी परिवार से संबंध रखने के बावजूद इन्होंने अपनी सारी सुख सुविधाओं का त्याग करके आजादी के लिए संघर्ष किया।

इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने हार नही मानी और अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे। यही वजह है की लोग उन्हें आज भी याद करते है और उनकी दी गई कुरबानी की कहानी युवा पीढ़ी को आज भी सुनाते है।

इनके अलावा भी बहोत से स्वतंत्रता सेनानी है, जिनके योगदान के बिना देश को स्वतंत्र नहीं किया जा सकता था। जैसे भगत सिंह, मंगल पांडे, चंद्र शेखर आज़ाद, कुनव सिंह, विनायक दामोदर सावरकर, दादाभाई नौरोजी, सरदार वल्लभभाई पटेल, लाला लाजपत राय, राम प्रसाद बिस्मिल, बाल गंगाधर तिलक, लाल बहादुर शास्त्री, नाना साहब, राजा राम मोहन रॉय।

भारत को आजाद कराने में स्वतंत्रता सेनानियों का महत्त्वपूर्ण हाथ था। इनके द्वारा दी गई कुरबानी को हम कभी नहीं भुला पाएंगे। भारत के इतिहास के पन्नो के खुलने पर आपको पता चलेगा कि इन्होंने कितना बड़ा त्याग किया। देश को आजाद कराने के लिए कितनी लंबी और भयानक लड़ाई लड़ी। तब जाकर कही देश स्वतंत्र हो सका।

एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमे इनसे प्रेरित होना चाहिए। इनके समान देशभक्ति हर देशवासी के मन में होनी चाहिए। पूरे देश के लोगो को एकता के सूत्र में बांधना चाहिए। ताकि जब कभी हमारे देश पर कोई मुसीबत आए, तो हम शत्रु का डटकर सामना कर सके।

इन्हे भी पढ़े :-

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  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध (Netaji Subhash Chandra Bose Essay In Hindi)
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तो यह था स्वतंत्रता सेनानियों  पर निबंध (Freedom Fighters Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि स्वतंत्रता सेनानियों पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Freedom Fighters) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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आजादी के संघर्षों में गुम हुए स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध (Anonymous Freedom Fighters in Freedom Struggle Essay in Hindi)

जिस आजादी का आज हम सब लुत्फ उठा रहें हैं, उसकी झलक भर पाने के लिए न जाने कितने लोग मौत की गोद में सो गएं। इस आजादी के महल की दीवारें आज भी उन वीरों के नाम का जयघोष करती हैं, जिनके बलिदानों पर इसकी नींव टिकी हुई है। ऐसे बहुत से स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनके नाम को इतिहास के पन्नों ने उजागर करने में असमर्थता दिखाई है, लेकिन आज हमारी इस छोटी सी कोशिश से आप ऐसे कुछ विभूतियों के बारें में जानेंगे जो इस देश के लिए बड़ी ही खामोशी के साथ वो कर गए जो शायद ढोल नगाड़े पीट कर भी कोई नहीं कर पाता।

आजादी के संघर्षों में गुम हुए स्वतंत्रता सेनानी पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Anonymous Freedom Fighters in Freedom Struggle in Hindi, Azadi ke Sangharshon mein Gum hue Swatantrata Senani par Nibandh Hindi mein)

आजादी के संघर्षों में गुम हुए स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध – 1 (250-300 शब्द).

वर्षों के संघर्ष के बाद हमने स्वतंत्रता पाई। कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण गवां दिए। हमें कुछ गिने चुने सेनानी ही याद आते है। कुछ ऐसे वीर हुए जिन्होंने भारत माँ के लिए अपने प्राण गवां दिए, मगर वे गुमनामी के अँधेरे में कही खो गए।

भारत के कुछ गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी

भारत के लिए शहीद होने वाले कुछ गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों का परिचय-

खुदीराम बोस

खुदीराम बोस सबसे कम उम्र में फांसी पर चढ़ने वाले क्रांतिकारी थे। खुदीराम बोस ने प्रफुल्ल चाकी के साथ मिलकर एक अंग्रेज अधिकारी की बग्घी में बम फेंका था, उस समय प्रफुल्ल चाकी खुद को गोली मारकर शहीद हो गए परन्तु खुदीराम पकडे गए और उन्हें फांसी दी गयी।

बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा एक युवा आदिवासी नेता थे। बिरसा मुंडा को आदिवासियों का मसीहा कहा जाता है, उन्होंने मिशनरी धर्म प्रचारको का विरोध किया और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई।

कल्पना दत्त

कल्पना दत्त एक स्वतंत्रता सेनानी थी उन्होंने इंडियन रिपब्लिक आर्मी से जुड़कर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई। 1930 में उनके एक दल ने चटगांव का शस्त्रागार लूटा। वह सूर्यसेन की क्रांतिकारी समूह का हिस्सा थी, जो संघर्ष कर रहा था।

हमें आजादी की कीमत को समझना चाहिए। जब वीरों ने अपने प्राण गवाएं, तब जाकर हमें आज़ादी मिली। हमें अपने वीर स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना चाहिए और उन पर गर्व करना चाहिए। उनकी वीरता को याद करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देना होगा।

यूट्यूब पर देखें: आजादी के संघर्षों में गुम हुए स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध

दीर्घ निबंध – 1 (250-300 शब्द)

भारत की मिट्टी में जन्में बहुत से देश प्रेमियों ने हँसते-हँसते अपनी जान देश के नाम पर न्यौछावर कर दी। भारत की मिट्टी ने ऐसे-ऐसे वीर सपूतों को जन्म दिया है कि उनकी जीवन गाथा महज़ कहानी नहीं बल्कि अपने आप में पूरा का पूरा दौर है। उन वीर सपूतों का देश के प्रति असीम प्रेम हमें आज भी देश के लिए मर मिटने को प्रेरित करता है। उनकी देश के लिए दीवानगी ही हमें उनकी देशभक्ति का कायल बनाती है।

भारत के कुछ गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी (Some Anonymous Freedom Fighters)

यहां हम कुछ ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में पढ़ेंगे जिनका नाम आजादी की उन लड़ाइयों में कहीं गुम सा गया है-

  • तारा रानी श्रीवास्तव (Tara Rani Srivastava)

बिहार की राजधानी पटना के सारण जिले में जन्मी तारा रानी श्रीवास्तव का विवाह बहुत ही कम उम्र में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी फूलेंदू बाबू से हो गई थी। 12 अगस्त 1942 को फूलेंदू बाबू अपने लोगों के साथ सिवान पुलिस थाने की तरफ निकल पड़े। तारा रानी फूलेंदू बाबू के साथ-साथ सबका नेतृत्व करते हुए आगे बढ़ रही थीं।

लोगों का जनसैलाब आता देख पुलिस ने उनपर लठियां बरसानी शुरू कर दी उसके बाद भी जब भीड़ नहीं रुकी तो पुलिस ने गोलियां चलाई और फूलेंदू बाबू गोली लगने से घायल हो गए। उस समय भी तारा रानी को देश की आजादी अपने पति के जान से ज्यादा प्यारी लगी और वो झण्डा लेकर पुलिस स्टेशन कि तरफ चल पड़ीं। सिवान पुलिस स्टेशन पर झण्डा फहराने के बाद जब वो अपने जख्मी पति के पास आईं तो वो उन्हें खो चुकी थीं।

  • बिरसा मुंडा (Birsa Munda)

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूँटी जिले के उलिहातु गाँव में हुआ था। 1894 में इन्होनें कर माफ़ी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ़ आंदोलन किए जिसके कारण 1895 में इन्हें हजारीबाग कारागार में दो वर्ष के लिए रखा गया। मुंडा और अंग्रेजों के बीच 1897 से 1900 के बीच बहुत से युद्ध हुए। 1898 में मुंडा और अंग्रेजों के बीच एक युद्ध हुआ जिसमें बिरसा जीत गए थे लेकिन बाद में अंग्रेजों ने बहुत से आदिवासी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था। 3 मार्च 1900 को अंग्रेजों ने बिरसा को भी गिरफ्तार कर लिया और 9 जून 1900 को जहर देकर मार दिया गया।

  • लक्ष्मी सहगल (Lakshmi Sahgal)

लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 अक्टूबर 1914 ई. में एक तमिल परिवार में हुआ था। इन्होंने महात्मा गाँधी के द्वारा चलाए गए विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के आंदोलन में हिस्सा लिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के समय ये सुभाष चंद्र बोस की ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ में शामिल हो गई थीं। आजाद हिन्द फ़ौज की रानी रेजिमेंट में उनकी सक्रियता और निष्ठा के लिए उन्हें कर्नल का दर्ज मिला था।

द्वितीय विश्व युद्ध में आजाद हिन्द फ़ौज की हार के बाद इन्हें 4 मार्च 1946 में गिरफ्तार कर लिया गया था। कुछ समय बाद जेल से रिहा होने के बाद इन्होंने अपना जीवन लोगों की सेवा में लगा दिया। 23 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से इनकी मृत्यु हो गई।

  • बिनोय बादल दिनेश की तिकड़ी (Binoy Badal Dinesh Trio)

बिनोय बसु, बादल गुप्ता और दिनेश गुप्ता ये उन तीन वीरों के नाम हैं जिन्होंने ब्रिटिश अड्डे में घुस कर अंग्रेजों को मारा था। उन दिनों बंगाल के सभी जिलों का ब्रिटिश मुखिया एन. एस. सिम्पसन था। उसने कैदियों पर बहुत अत्याचार किया था और वह भारतीयों से बहुत नफरत भी करता था। सिम्पसन का जुल्म खत्म करने के लिए इन तीन भारत माँ के वीरों ने एक योजना बनाई। और उस योजना के तहत इन तीनों ने राईटर्स बिल्डिंग मे घुसकर हमला करने का तय किया था।

योजना के अनुसार ये लोग उस बिल्डिंग मे घुसे और गोलियां बरसाना शुरू कर दिया जिसमें सिम्पसन सहित कई और अंग्रेजी अफसर मारे गए थे। हमले के बाद जब ये सब वहां से भागने के लिए बिल्डिंग के बाहर निकले तो बाहर खड़ी प्रशासन ने तीनों को पकड़ लिया। पकड़े जाने पर बादल ने पोटैशियम साईनाइड खा लिया और बिनोय तथा बादल ने खुद को गोली मार ली।

  • मातंगिनी हाजरा (Matangini Hazra)

पूर्वी बंगाल में जन्मी मातंगिनी हाजरा का जन्म 19 अक्टूबर 1870 ई. में हुआ था। गरीबी के चलते उनका विवाह 12 साल की अवस्था में 62 वर्षीय विधुर के साथ हो गया था। पति के मरने के बाद वो एक झोपड़ी में रहने लगी। और गांव वालों की सेवा में अपना समय व्यतीत करती थी। 1932 में एक बार जब गाँधी जी के नेतृत्व में चलाए जा रहे स्वाधीनता आंदोलन का जुलूस मातंगिनी के घर के पास से गुजरा तो उन्होंने बंगाली रीति रिवाजों के साथ शंख ध्वनि से जुलूस का स्वागत किया और जुलूस के साथ साथ चल पड़ीं।

उनकी देश के लिए प्रेम उन्हें वृद्ध अवस्था में जेल तक पहुंचा दिया। मातंगिनी 17 जनवरी 1933 में करबंदी आंदोलन में एंडरसन तामलुक के विरोध में काला झण्डा लेकर नारा लगाते हुए दरबार तक पहुंच गई और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके 6 महीने के लिए मुर्शिदाबाद जेल में डाल दिया। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी मातंगिनी ने प्रमुख भूमिका निभाई थीं।

मातंगिनी ने 29 सितंबर को होने वाली रैली के लिए गांव-गांव घूमकर 5000 लोगों को तैयार किया था। तय योजना के अनुसार सभी लोग सरकारी डाक बंगले पर पहुंचे, लोगों की भीड़ देख पुलिस ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी जिसमें एक गोली मांतगिनी के बाएं हाथ में लग गई उन्होंने झंडे को गीरने से पहले ही दूसरे हाथ में ले लिया लेकिन तभी दूसरी गोली उनके दाहिने हाथ में तथा फिर तीसरी गोली उनके माथे में लगी और मातंगिनी हमेशा हमेशा के लिए भारत माँ की गोद में सो गई।

  • सेनापति बापट (Senapati Bapat)

बापट का पूरा नाम पांडुरंग महादेव बापट है। बापट का जन्म 12 नवंबर 1880 में पारनेर महाराष्ट्र में हुआ था। बापट ने उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त की थी और अपने ज्ञान का परचम लंदन तक लहरा चुके थें। बेटे की प्राप्ति पर बापट ने 1 नवंबर 1914 को पहला भोजन हरिजनों को कराने का साहस किया था। इन्होंने काले पानी और अन्य सजाओं को मिलाकर अपने कार्यकारी जीवन का लगभग आधा समय जेल में ही बिताया। 15 अगस्त 1947 को आजादी के दिन बापट को पुणे शहर में तिरंगा फहराने का गौरव प्राप्त हुआ। 28 नवंबर 1967 को सेनापति बापट की मृत्यु हो गई।

  • मौलवी लियाकत अली (Maulvi Liaquat Ali)

मौलवी लियाकत अली का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने सत्ता अपने हाथ में आते ही अपने करीबियों को तहसीलों में नियुक्त करके अपनी ताकत बढ़ाने लगे। लियाकत अली किले पर पूरी तरह से अपना अधिकार जमाना चाहते थे उन्होंने सारी तैयारियां भी कर ली थी परंतु उसी समय 6 जून को कर्नल नील अपनी विशाल सेना लेकर पहुंच गया। लियाकत अली की सेना ने किले पर हमला किया लेकिन सिर्फ़ हथियार लूटने में ही कामयाब रहे। कर्नल नील की विशाल सेना के आगे लियाकत अली को पीछे हटना पड़ा। कर्नल नील ने 17 जून को फिर खुसरोबग पर आक्रमण कर दिया, काफी लंबी युद्ध के बाद लियाकत अली को भागना पड़ा।

लियाकत अली अपने सैनिकों को लेकर कानपुर की तरफ रवाना हो गया। फतेहपुर पहुंचते ही उनका सामना प्रयाग की ओर बढ़ती कर्नल नील की सेना से हुई, जहां लियाकत अली की सेना ने डतकर मुकाबला किया। कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व रहे नाना साहब के साथ मिलकर लियाकत अली ने जोरदार युद्ध लड़ा परंतु हार का सामना करना पड़ा। कानपुर से किसी तरह छिपते-छिपाते लियाकत अली मुंबई पहुंच गए जहां वो रूप बदल कर रहने लगे। लेकिन 14 साल बाद 1871 में एक मुखबिर ने उनको अंग्रेजों को सौंप दिया। 17 मार्च 1881 में उनकी मृत्यु कालापानी की सजा काटते हुए हो गई थी।

आज भले ही आजादी को सालों बीत गए हो, लेकिन हमारा यह कर्तव्य है कि हम उन सभी महान आत्माओं के बारे में जाने जो इस देश के लिए खुद को कुर्बान कर दिए। हमें उनसे सीखना चाहिए कि जीवन में कोई भी काम प्रसिद्धि या लोकप्रियता के लिए नहीं बल्कि उस कार्य को सफल बनाने के लिए करना चाहिए। ऐसे बहुत से नाम हैं जिनके बारे में हमें जानना उतना ही जरूरी है जितना कि हम गाँधी, भगत सिंह या फिर नेहरू के बारे में जानना जरूरी समझते हैं।

FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर – मंगल पाण्डेय ने 29 मार्च 1857 को सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ़ विद्रोह किया था।

उत्तर – उद्धम सिंह ने 13 मार्च 1940 में जनरल डायर की गोली मार कर हत्या कर दी थी।

उत्तर – 1943 में जापान की सहायता से टोक्यो में रासबिहारी बोस ने आजाद हिन्द फौज का गठन किया था।

उत्तर – 1857 की क्रांति को भारत का सबसे लंबा आंदोलन कहा जाता है क्योंकि ये लगभग दो वर्षों तक चल था।

उत्तर – भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का आखिरी सबसे बड़ा आंदोलन था।

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ESSAY KI DUNIYA

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Essay on Freedom Fighter in Hindi – भारत के स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध

February 2, 2018 by essaykiduniya

Get information about Freedom Fighters in Hindi. Here you will get Paragraph and Short Essay on Freedom Fighter in Hindi Language for Students of all Classes in 100, 200, 250 and 350 Words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में भारत के स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध मिलेगा।

Essay on Freedom Fighter in Hindi – भारत के स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध

Essay on Freedom Fighter in Hindi

Short Essay on Freedom Fighter in Hindi Language – भारत के स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध ( 100 words )

भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर बहुत से स्वतंत्रता सैनानी हुए है। हर हिंदुस्तानी ने भारत को आजाद कराने के लिए किसी न किसी तरह से योगदान दिया है। स्वतंत्रता सैनानी की वजह से ही हम आज गुलामी की जंजीरों से आजाद है। कुछ स्वतंत्रता सैनानी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना तो कुछ ने अपने शब्दों से लोगों में क्रांति उजागर की। कुछ लोगों ने हिंसा के पथ को चुना और विदेशी शासकों को देश से बाहर निकाला। स्वतंत्रता सैनानियों ने देश की आजादी के लिए अपना तन मन और धन का बलिदान कर दिया था।

Short Essay on Freedom Fighter in Hindi Language – भारत के स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध (200 Words)

‘आजाद भारत’ ब्रिटिश शासन के तहत सभी भारतीयों का सपना था। उस शासन के दौरान हर कोई भारत में ब्रिटिश शासन को खत्म करने के एक सामान्य उद्देश्य के साथ लड़े। क्रांतियों, संघर्ष, रक्तदान, युद्ध और बलिदान की एक सदी के बाद, भारत ने अंततः 15 अगस्त 1947 को आजादी हासिल की।

1947 में ब्रिटिश साम्राज्य से भारत स्वतंत्र था, परन्तु देश ने कई पुरुष और महिलाएं खो दीं, जो निडर साहस और देशभक्ति की भावना से भरे हुए थे। आज, उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे अपनी मातृभूमि के लिए अपना जीवन बलिदान करते थे।

भारतीय स्वाधीनता सेनानियों ने अपनी वास्तविक भावना और निराश्रित साहस के साथ हमें स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए विभिन्न यातनाओं, शोषण और कठिनाइयों का सामना किया।

स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रदूत मंगल पांडे, तंतिया टोपे, झांसी की रानी और महान भारतीय नेता महात्मा गांधी थे जिन्होंने शत्रु से लड़ने के अहिंसक तरीके पेश किए थे। भारत के अन्य उल्लेखनीय स्वतंत्रता सेनानियों में एनी बेसेंट, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह , बिपिन चंद्र पाल, सुखदेव, गोपाल कृष्ण गोखले, चंद्रशेखर आजाद, सरोजिनी नायडू , दादाभाई नौरोजी, सुचेता कृपलानी और चक्रवर्ती राजगोपालाचारी शामिल हैं।

उपरोक्त सूची के अलावा पुरुषों और महिलाओं की असीमित संख्याएं हैं जिन्होंने भारत की आजादी के लिए कड़ा संघर्ष किया था|

Essay on Freedom Fighter in Hindi – भारत के स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध ( 250 words )

भारत में बहुत से स्वतंत्रता सैनानी हुए है जिन्होंने भारत को विदेशी शासन से स्वतंत्र कराने के लिए अपना तन, मन और धन सब बलिदान कर दिया। स्वतंत्रता सैनानियों जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान गँवा दी थी उन्हीं की वजह से हम आज किसी के अधीन नहीं हैं। उनके खुन के बदले हमें आजादी मिली थी। तात्या टोपे, भगत सिंह, झाँसी की रानी जैसे बहुत से स्वतंत्रता सैनानी हुए हैं।

आजादी की जंग- स्वतंत्रता सैनानियों ने आजादी की जंग लड़ी थी जिनमें से कुछ का नाम प्रसिद्ध हो गया और कुछ गुमनाम ही रह गए। कुछ ने आजादी के लिए अहिंसा और सत्य का मार्ग चुना था तो कुछ ने हिंसा के माध्यम से अंग्रेजों को देश से बाहर निकाला था। स्वतंत्रता सैनानी अपने शब्दों के माध्यम से देश में क्रांति लाने वाले थे। उन्होंने अंग्रेजों का जमकर विरोध किया और अपनी अंतिम साँस तक लड़ते रहे। उन्होंने आखिर में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया था।

स्वतंत्रता सैनानियों की वजह से ही आज हम किसी के अधीन नहीं है और हमारा भारत हमारा अपना है। सभी को उनका पूर्ण सम्मान करना चाहिए और सच्चे मन से उनकी कुर्बानी को याद करना चाहिए क्योंकि यदि वो नहीं होते तो हम आज भी दुसरों के अधीन होते और अपनी जीवन खुलकर नहीं जी सकते उन स्वतंत्रता सैनानियों ने ही भारत कै लोगों को एकजुट करने का कार्य किया था जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। देश के लिऐ बलितान देकर वह सदा के लिए अमर हो गए।

Short Essay on Freedom Fighter in Hindi Language – भारत के स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध (350 Words)

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ा था और भारत की आजादी के संघर्ष को अपनी आत्मा और बहादुरी के साथ जारी रखा। भारत के शूरवीर स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अपना जीवन बलिदान किया।

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए कई यातना, कठिनाइयों और शोषण का सामना किया। स्वतंत्र भारत प्रत्येक भारतीय का सपना था जो भारत में ब्रिटिश शासन के तहत रहता था। प्रत्येक व्यक्ति, ब्रिटिश शासन के दौरान, भारत के विभिन्न हिस्सों पर ब्रिटिश और अन्य कई औपनिवेशिक अधिकारियों को खत्म करने का एक सामान्य उद्देश्य था, कुछ या अन्य तरीकों से लड़े। संघर्ष, क्रांति, रक्तदान, बलिदान और लड़ाई की एक सदी का पीछा किया और अंत में भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हो गया।

भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता हासिल की, लेकिन देश में बड़ी संख्या में पुरुषों और महिलाओं की हार हुई जो देशभक्ति की बहुत बहादुरी और भावना रखते थे। इन महान लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों के शीर्षक से सम्मानित किया जाता है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में मुख्य रूप से ब्रिटिश, पोर्तुगीज और फ्रांसीसी के शासन से राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए भारतीयों द्वारा किए जाने वाले प्रयास शामिल थे। इसमें 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बीच 1857 के बीच भारतीय राजनीतिक संगठनों, विद्रोहियों और दर्शनशास्त्र की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल थी।

प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से कुछ मंगल पांडे, झांसी की रानी, तन्तिया टोपे और प्रसिद्ध नेता महात्मा गांधी थे जिन्होंने दुश्मन के खिलाफ लड़ने के लिए अहिंसा के हथियार लाए थे। भारत के कुछ अन्य प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में लाला लाजपत राय, एनी बेसेंट, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल, भगत सिंह, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, सरोजिनी नायडू, गोपाल कृष्ण गोखले, दादाभाई नौरोजी, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, सुचेता क्रिप्लानी आदि शामिल हैं। भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों की लड़ाई लड़ रहे हैं।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध (  Essay on Freedom Fighter in Hindi – भारत के स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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  • General Knowledge /

Indian Women Freedom Fighter in Hindi: जानिए भारत की उन वीरांगनाओं के बारे में, जिन्होंनें आज़ादी के महासमर में अपना योगदान दिया

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  • Updated on  
  • अगस्त 7, 2023

Indian Women Freedom Fighter in Hindi

भारत एक ऐसा राष्ट्र रहा है, जिसने प्राचीन काल से ही पुरुषों और नारियों में समानता की बात कही और सभी को समान अवसर प्रदान किए। फिर चाहे सुख हो या दुःख भारत की बेटियों ने भी भारत के पुरुष समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दिया। इसी क्रम में भारत की वो महान वीरांगनाएं भी आती है, जिन्होंनें आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप उन महान वीरांगनाओं के बारे में जानकर उनकी जीवन यात्रा से प्रेरणा ले पाएंगे और देशहित के लिए खुद को समर्पित कर पाएंगे।

This Blog Includes:

टॉप 10 indian women freedom fighter, भारत की आज़ादी में वीरांगनाओं का योगदान, कुछ अन्य वीरांगनाओं के नाम, भारत की आज़ादी में उपरोक्त वीरांगनाओं का योगदान.

आज़ादी के लिए कई वीर-वीरांगनाओं ने अपने प्राणों को मातृभूमि के लिए समर्पित किया, Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आपको भारत की उन वीरांगनाओं के बारे में जानने को मिलेगा, जो कि कुछ इस प्रकार है-

  • रानी लक्ष्मी बाई
  • कित्तूर चेन्नम्मा
  • कस्तूरबा गांधी
  • विजय लक्ष्मी पंडित
  • सरोजिनी नायडू
  • कमला चट्टोपाध्याय
  • सुचेता कृपलानी
  • सावित्रीबाई फुले
  • लक्ष्मी सहगल

भारत की आज़ादी में केवल किसी एक परिवार, एक व्यक्ति या किसी एक विचारधारा ने अपना योगदान नहीं दिया। बल्कि इसके लिए तो अनेकों वीर-वीरांगनाओं ने अपना योगदान दिया है। आज़ादी एक जन आंदोलन था, जिसमें लोगों ने हर बंधनों से मुक्त होकर स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। असंख्य बलिदानों को तो यहाँ लिख पाना संभव नहीं होगा, लेकिन Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप कुछ वीरांगनाओं की शौर्य गाथा और आज़ादी में उनके योगदान के बारे में जान पाएंगे। यह जानकारी कुछ इस प्रकार है-

Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप कुछ ऐसी वीरांगनाओं के बारे में भी जानने को मिलेगा, जिनको इतिहास लिखने वालों ने वो उचित सम्मान नहीं दिया, जो कि उनके तप त्याग को समय रहते मिलना चाहिए था। कुछ अन्य वीरांगनाओं की जानकारी कुछ इस प्रकार है-

  • कुंतला कुमारी साबत
  • सरला देवी चौधरानी
  • अन्नपूर्णा महराना
  • उमाबाई कुंडापुर
  • राजकुमारी गुप्ता
  • नलिनीबाला देवी
  • अमल प्रभा दास
  • चंद्रप्रवा सैकियानी
  •  सरला देवी
  • कृष्णम्मल जगन्नाथन
  • यशोधरा दासप्पा
  • मूलमती 
  • जानकी अथि नहप्पन
  • अम्मू स्वामीनाथन
  • मातंगिनी हाजरा
  • पार्वती गिरि

भारत की आज़ादी में उपरोक्त वीरांगनाओं का योगदान अतुल्नीय है, इन योगदान के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है। Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप उपरोक्त वीरांगनाओं के योगदान से प्रेरणा लेकर भारत की उन्नति में अपना योगदान दे सकते हैं और भारत की नारी शक्ति से परिचित हो सकते हैं-

आशा है कि Indian Women Freedom Fighter in Hindi का यह ब्लॉग आपको देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत लगा होगा, साथ ही इसमें लिखें संदेशों को आप अपने यार-दोस्त के साथ साझा कर पाएंगे। आधुनिक भारत के इतिहास से जुड़े ऐसे ही अन्य टॉपिक पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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मयंक विश्नोई

जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई

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Freedom Fighters of India List 1857-1947, Names, Contribution_1.1

Freedom Fighters of India List 1857-1947, Names, Contribution

Freedom Fighters of India has great and unforgettable contribution in Independence. Check here List of Freedom Fighters of India (1857-1947), their Names and contribution.

Freedom Fighters of India

Table of Contents

India has a rich history of freedom fighters who played significant roles in the country’s struggle for independence from British colonial rule.  Freedom Fighters of India have struggled and sacrificed their lives to free India from British rule.  A big group of revolutionaries and activists from various racial and ethnic backgrounds came together to abolish the control of foreign imperialists and their Colonialism in India. These individuals fought tirelessly, sacrificing their lives and liberties for the cause of freedom. In this article, we have discussed the Freedom Fighters of India’s Struggle and essential events.

Freedom Fighters Role in India

Behind the 15th of August, 1947, Independence Day celebration, there is a violent and chaotic history of horrible uprisings, battles, and movements led by tens of thousands of brave and patriotic Indian independence fighters who fought alongside the British for India’s independence.

To free India from British rule, every one of India’s freedom warriors fought, toiled, and frequently gave their lives. To end the rule of foreign imperialists and their Colonialism in India , a sizable group of revolutionaries and activists from various racial and ethnic backgrounds got together.

Their achievements, which vary from armed revolution to nonviolent resistance, all contributed significantly to India’s eventual conquest of freedom. Numerous additional patriots, both well-known and unknown, sacrificed their lives for the nation’s liberty alongside these legendary personalities. Their combined efforts and sacrifices are still remembered today and serve as a symbol of the unyielding spirit that guided India towards independence.

Lists of Indian Freedom Fighters

India’s freedom struggle was a long and arduous journey, with many brave men and women sacrificing their lives for the cause. Here are some of the most notable freedom fighters of India from 1857 to 1947 with their contributions:

Top 10 Freedom Fighters of India

India gained independence from British rule on August 15, 1947, a significant day that occurred almost 75 years ago. It was the result of a number of movements and conflicts that raged all through the period of British administration, including the famous uprising of 1857.

Many revolutionary Indian freedom fighters, including Mahatma Gandhi, Jawaharlal Nehru, Chandra Shekhar Azad, Rani Lakshmi Bai of Jhansi, and others, took the initiative in organising the campaign that resulted in India’s independence, which was attained thanks to their efforts. The Indian freedom fighters who gave their lives to guarantee India’s independence are featured on this site.

1. Mahatma Gandhi

The immense sacrifices that Mohandas Karamchand Gandhi made for India earned him the title of “Father of the Nation”; he was born on October 2, 1869. Along with inspiring numerous other independence movements and human rights movements around the world, he not only helped lead India to independence but also played a significant role in its victory. India is recognized for embracing the concept of nonviolence thanks to Gandhi, popularly known as Bapu. He thought that nonviolent resistance and an unwillingness to cooperate with the British would be enough to bring about independence.

2. Subhas Chandra Bose

One of the most successful Indian nationalists in history was Subhash Chandra Bose . He was created in Cuttack on January 23, 1897. He was widely referred to as Netaji. He was a fervent nationalist, and his unwavering patriotism made him a hero. Bose belonged to the radical faction of the Indian independence movement. He served as the head of a radical young wing of Congress from the beginning of the 1920s to the end of 1930. He is believed to have died in an aviation accident on August 18, 1945, although the cause of his passing is still unknown.

3. Bhagat Singh

On September 28, 1907, in Banga, Pakistan, Bhagat Singh was born. He was among the most extreme Indian liberation fighters. In the freedom struggle for India, he was a divisive but respected figure. His involvement in a plot to assassinate James Scott, a British police superintendent, in 1928 as vengeance for Lala Lajpat Rai’s demise was revealed. On March 23, 1931, the British executed this heroic Indian Freedom Fighters by hanging him at Lahore Central Jail in Lahore, Pakistan. He was only 23 years old at the time. He is well known by the name Shaheed Bhagat Singh .

4. Mangal Pandey

Mangal Pandey , a well-known Indian freedom fighter who was born on July 19th, 1827, is frequently seen as the forerunner of India’s first war for independence, the 1857 uprising against the British. As a soldier in the 34th Bengal Native Infantry regiment of the East India Company ‘s army, he led the Sepoy rebellion that ultimately resulted in the 1857 uprising. In anticipation of a Sepoy uprising, British officers killed him on April 8, 1857, at Barrackpore, ten days early.

5. Rani Laxmi Bai

On November 19, 1828, the Queen of Jhansi Rani Laxmibai was born in Varanasi. She goes by the stage name Manu and goes by the name Manikarnika Tambe. She was one of the most tenacious soldiers in the Revolutionary War. She inspired numerous Indian women to fight for their country’s freedom, and she still inspires women to defend their rights today. She defended her fortress with her infant child when British troops invaded it in 1858. On June 18, 1858, in Gwalior, she perished in the Battle against a Huge Rose.

6. Jawaharlal Nehru

He joined the 1916 Annie Besant-led Home Rule League movement. He was detained multiple times during the struggle for freedom, and between 1921 and 1945 he spent a total of 9 years behind bars. He was an active member of the United Province’s Non-Cooperation movement and served as its leader. He participated in the salt satyagraha as well. While the Indian National Congress desired dominion status, Jawaharlal Nehru and Subash Chandra Bose believed that the Indian National Congress’s ultimate goal should be complete independence or Poorna Swaraj. On August 15, 1947, he took office as India’s first prime minister.

7. Lala Lajpat Rai

The Punjab Kesari, Lala Lajpat Rai , joined the Indian National Congress. He was one of the founding members of the 1894-founded Punjab National Bank. He established the Dayanand Anglo-Vedic School in Lahore in 1885. The Indian Home Rule League of America was established by him in New York in 1917. He established the Servants of People Society in Lahore in 1921 with the goal of recruiting and educating native missionaries to serve their country. He participated in demonstrations against the Jallianwala Bagh Massacre , the Rowlatt Act , and the Partition of Bengal .

8. Bal Gangadhar Tilak

Lala Lajpat Rai, Bipin Chandra Pal, and Bal Gangadhar Tilak  founded the Indian National Congress’ hardline wing. He started the Ganeshotsav and Shivaji Utsav celebrations in 1894. He spread nationalism among the populace through these two celebrations. He started the Ganeshotsav and Shivaji Utsav celebrations in 1894. He spread nationalism among the populace through these two celebrations.

Through the two publications he founded, Mahratta (English) and Kesari (Marathi), he promoted the cause of national freedom and educated Indians about their illustrious past and rich cultural legacy. He introduced the Trisutri three-point agenda for national awakening, which stands for Swaraj, Swadeshi, and National Education.

9. Jyotiba Phule

Jyotiba Phule founded India’s first girls’ school in August 1848, and it was located in Tatyasaheb Bhide’s home. Later, he opened two additional schools for girls and people from lower castes (Mahars and Mangs). He was an early supporter of women’s education in India because he thought that only education could alleviate social injustices. He founded the   Satyashodhak Samaj (Society of Truth-Seekers) in 1873 with the intention of enhancing the social rights and political access of the less fortunate segments of society.

10. Dadabhai Naroji

Together with Indians and retired British officers in London, he established the East India Association  in 1866. The organisation advocated for Indians under British rule and brought up issues for consideration. Dadabhai Naoroji’s book, Poverty and Un-British rule in India, which exposed the economic exploitation of India by the British, were his most significant contribution. He opposed the 1878 Vernacular Press Act. He supported the inclusion of Indians in the House of Commons and the Indianization of bureaucracy.

List of Women Freedom Fighters in India

India has been home to numerous courageous and inspiring women freedom fighters who played pivotal roles in the country’s struggle for independence from British colonial rule. Here is a list of some prominent women freedom fighters in India. For a complete List of Women Freedom Fighters of India check the given link.

  • Sarojini Naidu
  • She was also referred to as the “Nightingale of India” and was a renowned poet, independence warrior, and orator.
  • In 1925, she was chosen to lead the Indian National Congress.
  • She advocated for the Quit India Movement and the Khilafat Movement (Indian Disobedience).

Madam Bhikaji Cama

  • She unfurled the first Indian National Flag in 1907 in Germany at the International Socialist Conference.
  • Begum Hazrat Mahal
  • She also went by the name “Begum of Awadh” and was a key player in India’s First Independence War (1857-58).
  • In the Revolt, she collaborated with Nana Saheb, Tantia Tope, and others.
  • The Indian government released a stamp in 1984 to honour the Begum Hazrat Mahal.
  • Aruna Asaf Ali
  • Aruna participated in open marches during the Salt Satyagraha and was a committed member of the Congress Party.
  • She was the editor of the Indian National Congress’ monthly publication “In-Qilab.”
  • She is referred to as the Independence Movement’s Grand Old Lady.
  • During the Quit India Movement, she is renowned for raising the flag of the Indian National Congress in Bombay.
  • Annie Besant
  • She joined the Indian National Congress and was active in political and educational endeavours in India. She was a distinguished Theosophical Society member from Ireland.
  • She served as the Congress’s first female president.
  • She founded the Indian Home Rule Movement in 1916.
  • She founded the “New India” newspaper.
  • She founded several institutions and schools, such as the Central Hindu College High School in Banaras (1913).
  • Kasturba Gandhi
  • She joined with Indigo workers in Champaran, Bihar, in the No Tax Campaign and the Rajkot Satyagraha and was a leader of the Women’s Satyagraha.

Kamala Nehru

  • Kamala Nehru, Jawaharlal Nehru’s wife, was active in the freedom movement
  • She helped to organise parades, picket liquor and foreign clothing stores, and organise the United Provinces No Tax Campaign.
  • Vijaya Lakshmi Pandit
  • She was the president of the Congress Party and the daughter of Motilal Nehru.
  • She joined the Non-Cooperation Movement in an effort to challenge British dominance.
  • She was detained both in 1940 and 1942, both times during the Quit India Movement.
  • Following India’s independence, she represented it at numerous international conventions.

The top Freedom Fighters of India are listed along with what they did for the nation. Indian women made just as much of an impact on the country’s independence as Indian men did. We also wrote a separate article about the Women Freedom Fighters of India .

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Top 100 Freedom Fighters of India

  • Mahatma Gandhi
  • Jawaharlal Nehru
  • Subhash Chandra Bose
  • Bhagat Singh
  • Sardar Vallabhbhai Patel
  • Dr. B.R. Ambedkar
  • Netaji Subhash Chandra Bose
  • Lala Lajpat Rai
  • Maulana Abul Kalam Azad
  • Bal Gangadhar Tilak
  • C. Rajagopalachari (Rajaji)
  • Rani Lakshmibai
  • Dadabhai Naoroji
  • Chandra Shekhar Azad
  • Gopal Krishna Gokhale
  • Bipin Chandra Pal
  • Vinayak Damodar Savarkar
  • Rajendra Prasad
  • Ashfaqulla Khan
  • Khan Abdul Ghaffar Khan (Bacha Khan)
  • Birsa Munda
  • Alluri Sitarama Raju
  • Ram Prasad Bismil
  • Khudiram Bose
  • Chandrashekhar Azad
  • Rani Gaidinliu
  • Dr. Rajendra Prasad
  • Veer Savarkar
  • Maulana Mohammad Ali Johar
  • Rajkumar Shukla
  • Bhikaji Cama
  • M.K. Gandhi (Gandhiji)
  • Batukeshwar Dutt
  • Sucheta Kriplani
  • Bahadur Shah Zafar II
  • Chittaranjan Das
  • Kanaklata Barua
  • Rani Abbakka
  • Lokmanya Tilak
  • Jogendra Nath Mandal
  • Veer Surendra Sai
  • Moulvi Ahmadullah Shah
  • Dr. Annie Besant
  • Gopaldas Neeraj
  • Matangini Hazra
  • Pritilata Waddedar
  • Surendranath Banerjee
  • Dr. Muthulakshmi Reddy
  • Rani Velu Nachiyar
  • Ram Manohar Lohia
  • Bhikaiji Rustom Cama
  • Mangal Pandey
  • Vinayak Savarkar
  • Nellie Sengupta
  • Moulana Azad
  • Govind Ballabh Pant
  • B.R. Ambedkar
  • Raja Ram Mohan Roy
  • Rani Padmini
  • Sir Syed Ahmad Khan
  • Kazi Nazrul Islam
  • Shyamji Krishna Varma
  • Mahadev Govind Ranade
  • P.V. Narasimha Rao
  • Abul Kalam Azad
  • Gopinath Bordoloi
  • Lala Hansraj Gupta
  • Jogendranath Mandal

Challenges Faced by Freedom Fighters

The freedom fighters of India faced a number of challenges, including:

  • British Repression:  The British government was ruthless in its suppression of the Indian independence movement.  Freedom fighters were often arrested,  tortured,  and killed.  The British also used a number of other repressive measures,  such as the Rowlatt Act and the Defense of India Act,  to stifle dissent.
  • Internal Divisions:  The Indian independence movement was divided into different factions,  which sometimes made it difficult to achieve unity and coordination.  Some factions believed in non-violent resistance,  while others believed in armed resistance.  There were also divisions between different religious and caste groups.
  • Social and Economic Problems:  India was a poor and underdeveloped country, which made it difficult to mobilize the people and sustain the independence movement.  Many Indians were illiterate and impoverished,  and they were more concerned with their everyday survival than with politics.
  • Lack of International Support:  The Indian independence movement did not receive much international support in the early years.  The British were a powerful and influential country,  and many other countries were reluctant to support a movement that could challenge British rule.

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Freedom Fighters of India FAQs

Who is the top 10 freedom fighters.

• Sardar Vallabh Bhai Patel • Mahatama Gandhi • Lal Bahadur Shastri • Jawaharlal Nehr • Lala Lajpat Rai • Bal Gangadhar Tilak • Mangal pandey • Subhas Chandra Bose • Bhagat Singh

What are the 5 freedom fighters of India?

• Mahatma Gandhi • Subhash Chandra Bose • Bhagat Singh • Sardar Vallabhbhai Patel • Jawaharlal Nehru

Who Is biggest freedom fighter?

Sardar Vallabhbhai Patel is one of India's greatest freedom warriors and without him, the country's fight for independence would not have been successful. One of India's greatest independence warriors, who possessed a wide range of abilities and skills

What is 10 names of female freedom fighters?

• Sarojini Naidu • Rani Laxmibai • Annie Bassent • Vijaya Lakshmi Pandit • Kamala Nehru • Usha Mehta • Kasturba Gandhi • Aruna Asaf Ali • Begum Hazrat Mahal • Madam Bhikaji Cama

Who is called the Father of Nation?

Mahatma Gandhi is called the Father of the Nation.

Who is lal bal pal?

Lala Lajpat Rai of Punjab, Bal Gangadhar Tilak of Maharashtra, and Bipin Chandra Pal of Bengal, the triumvirate were popularly known as Lal Bal Pal.

Who was the youngest freedom fighter of India?

Bhagat Singh is considered to be the youngest freedom fighter of India. He was hanged by the British at the age of 23 for his role in the assassination of a British police officer.

What is the importance of freedom fighters in Indian history?

Freedom fighters played a vital role in the Indian independence movement. They sacrificed their lives and livelihoods for the cause of freedom. Their sacrifices inspired the Indian people and helped to bring about the end of British rule in India.

What were the different methods used by freedom fighters in India?

Freedom fighters in India used a variety of methods to achieve independence. Some, like Mahatma Gandhi, believed in non-violent resistance. Others, like Subhas Chandra Bose, believed in armed resistance. Still others used methods such as civil disobedience and boycotts.

Latitudes and Longitudes, Map, International Date Line, Indian Standard Time

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Essay on Freedom Fighters for Students and Children

500+ words essay on freedom fighters.

Freedom fighters were people who sacrificed their lives selflessly for the freedom of their country. Every country has its fair share of freedom fighters . People look up to them in terms of patriotism and love for one’s country. They are considered the epitome of patriotic people.

Essay on Freedom Fighters

Freedom fighters made sacrifices which one cannot even imagine of doing for their loved ones, leave alone the country. The amount of pain, hardships, and opposite they have endured cannot be put into words. The generations after them will always be indebted to them for their selfless sacrifices and hard work .

Importance of Freedom Fighters

One cannot emphasize enough on the importance of freedom fighters. After all, they are the ones because of whom we celebrate Independence Day . No matter how small a role they played, they are very much significant today as they were in those times. Moreover, they revolted against the colonizers so as to stand up for the country and its people.

Furthermore, most of the freedom fighters even went to war to safeguard the freedom of their people. It did not matter that they had no training; they did it for the pure intention of making their country free. Most of the freedom fighters sacrificed their lives in the war for independence.

Most importantly, freedom fighters inspired and motivated others to fight injustice. They are the pillars behind the freedom movement. They made people aware of their rights and their power. It is all because of the freedom fighters that we prospered into a free country free from any kind of colonizers or injustice.

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My Favourite Freedom Fighters

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Secondly, Rani Lakshmi Bai was a great freedom fighter. I have learned so many things from this empowering woman. She fought for the country despite so many hardships. A mother never gave up her country because of her child, instead took him to the battlefield to fight against injustice. Moreover, she was so inspiring in numerous ways.

Next, Netaji Subhash Chandra Bose comes in my list. He led the Indian National Army to show the power of India to the British. His famous line remains to be ‘give me your blood and I will give you freedom.’

Finally, Pandit Jawaharlal Nehru was also one of the greatest leaders. Despite being from a rich family, he gave up the easy life and fought for India’s freedom. He was imprisoned a number of times but that did not stop him from fighting against injustice. He was a great inspiration to many.

In short, freedom fighters are what made our country what it is today. However, we see nowadays people are fighting for everything they stood against. We must come together to not let communal hatred come between and live up to the Indian dream of these freedom fighters. Only then will we honor their sacrifices and memory.

FAQ on Freedom Fighters

Q.1 Why were freedom fighters important?

A.1 Freedom fighters made our country independent. They gave up their lives so we could have a bright future free from colonization.

Q.2 Name some of the Indian freedom fighters.

A.2 Some of the famous India freedom fighters were Mahatma Gandhi, Rani Lakshmi Bai, Netaji Subhash Chandra Bose, and Jawaharlal Nehru.

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Jacob Zuma, Once Leader of the A.N.C., Becomes Its Political Rival

Spurred by his anger at the African National Congress, Mr. Zuma formed his own political party and is gathering support among voters aggrieved by the failures of South Africa’s governing party.

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A crowd of people holding signs and flags.

By Lynsey Chutel

Photographs by Joao Silva

Reporting from Pietermaritzburg, South Africa

Jobless graduates, struggling business owners and army veterans marched through the eastern South African city of Pietermaritzburg this week, chanting the name “Jacob Zuma.”

The 500 or so demonstrators brought to a standstill parts of the city, in KwaZulu-Natal Province — the traditional stronghold of Mr. Zuma, a past president of both South Africa and the African National Congress, the party that has governed the country for three decades.

Demanding water and electricity, the protest over commonplace local concerns was also a show of power for the new political party that Mr. Zuma now leads — uMkhonto weSizwe, or M.K. — with the hope of eroding the dominant position of his former allies.

“We are going to have to fight for things to change,” said Khumbuzile Phungula, 49, who joined the march after her neighborhood went weeks without water. “M.K. is all about change.”

As vendors sold Jacob Zuma T-shirts and an M.K.-branded energy drink, and men in the military fatigues of long disbanded anti-apartheid movements marshaled the crowd, the marchers embodied Mr. Zuma’s new party: a group of aggrieved voters who have fallen out, as he has, with a governing party they view as ineffectual and corrupt. Mr. Zuma’s supporters now form a bloc large enough to turn him into a potential kingmaker in South Africa’s general election on May 29.

Not present at the Pietermaritzburg march was Mr. Zuma himself. Instead, he was preparing for a hearing at South Africa’s Constitutional Court on Friday about whether Mr. Zuma, 82, is eligible to stand at all. He resigned from the top office in 2018 amid widespread protests, and three years later was convicted and sentenced for failing to appear at a corruption inquiry , though in the end he served only two months of a 15-month sentence.

Mr. Zuma is also already facing factional battles within his budding party: A senior M.K. leader has accused the party of forging the signatures needed to contest the election, and the police say they are investigating the claims, which Mr. Zuma has dismissed as a baseless smear.

Yet neither of those potential obstacles has deterred M.K. party members or diminished Mr. Zuma’s status as a political threat. A lower court has already ruled that he can run for office, and M.K. turned his latest court appearance into a campaign event, gathering its supporters outside the courthouse in Johannesburg on Friday.

Both Mr. Zuma and his party have quickly gained momentum, capitalizing on the A.N.C.’s internal leadership squabbles and its failure to provide basic services for South Africans. Since its founding just five months ago, M.K. has upended the country’s political landscape and become one of the most visible opposition parties in a crowded arena.

Though he led the party they now blame for the country’s troubles, Mr. Zuma’s supporters look back at his decade in office with nostalgia, including many of those at the demonstration in KwaZulu-Natal, the country’s second most populous province.

Lucky Sibambo, a forestry engineer who described himself as a political spectator before the launch of M.K. and who helped mobilize the march, said he believed Mr. Zuma’s support for expropriating land without compensation and redistributing it would help Black businesses like his.

Sphumelele Mthembu, 28, said she had been unable to find a paying job despite having a postgraduate degree in clinical psychology. “We’re done with the A.N.C.,” she said, watching the march from the balcony of a youth training center. “We’re tired of the lies, the money going missing.”

And Mnqobi Msezane, 34, who has been drumming up support for Mr. Zuma on university campuses, cited his promises of free college education. Mr. Msezane dismissed the corruption accusations that dogged the former president’s tenure as a political ploy to thwart Mr. Zuma in challenging the Black political elite and ending the economic dominance of white South Africans.

“Poverty has a color to it, and it’s Black,” Mr. Msezane said.

Mr. Zuma has turned his court battles into fodder for campaign speeches claiming political persecution, and his supporters have rebranded the controversies of his presidency as tales of success. But even as his popularity has helped the M.K. party grow, the scandal-prone former president also has liabilities as a party leader, Mashupye Herbert Maserumule, a professor of public affairs at the Tshwane University of Technology in Pretoria, said in an interview.

It is clear each time Mr. Zuma addresses a crowd that his personal gripes shape the party’s policies, Mr. Maserumule said. Mr. Zuma has, for example, called for judicial change, an echo of his repeated claims that he is a target of the courts.

And, he added, “If he’s no longer the face of M.K, that will also mark the end of M.K.”

But so far the M.K.’s growth has eaten into support for older opposition parties, like the Democratic Alliance — the country’s official opposition — and the Economic Freedom Fighters. One former councilor for the Democratic Alliance, Shawn Adkins, a pastor, even said he had decided at the Pietermaritzburg march to defect to the M.K., fed up with the slow rollout of housing in his neighborhood. “I’m convinced,” Mr. Adkins said.

Support for the A.N.C. has been declining for years, and facing a clear threat from the M.K., the governing party is meeting its new rival head-on.

The A.N.C. recently deployed its senior leaders and alliance partners for what the party called “a week of intensive campaigning in KwaZulu-Natal,” in an effort to ingratiate itself with voters there. Alongside hundreds of volunteers, prominent A.N.C. figures fanned out across the province, foregoing large rallies for more personal home visits.

“We are actually going all out to talk to people, to say to them that the A.N.C. still exists, the A.N.C. is still strong, it’s still worth supporting,” said Dr. Zweli Mkhize, a former A.N.C. provincial chairman and presidential candidate who was campaigning in Pietermaritzburg’s Eastwood township.

Their efforts paid off with some locals.

One voter, Queenie Potgieter, 65, said that she would have supported M.K. if the A.N.C. had not “warmed” her home, but that a visit by Dr. Mkhize had changed her mind.

And as Dr. Mkhize handed out T-shirts and sarongs in the party’s colors, Tusiwe Mkhabela, a 21-year-old first-time voter, burst into tears at the sight of a man she considers a celebrity. The A.N.C. has provided her family with welfare and food parcels, she said, and she believes they will also secure a job for her.

Yet Annaline Merime, 28, who has never voted, dismissed the A.N.C. stalwart with a side eye. “Only when it’s time for voting do they do this,” she said. “Where are they the rest of the year?”

Dr. Mkhize said that the A.N.C., aware of its own failures, would not underestimate Mr. Zuma’s support in the province, or the voters’ frustration. It was under Mr. Zuma that the A.N.C. itself grew in KwaZulu-Natal, and it was Mr. Zuma who groomed the province’s current leaders, Dr. Mkhize said.

Noting that the A.N.C. has dealt with breakaway parties before, Dr. Mkhize said he remained cautiously confident.

“The only complication for us is that we’ve never had President Zuma campaigning on the opposite side,” he said.

Lynsey Chutel covers South Africa and the countries that make up southern Africa from Johannesburg. More about Lynsey Chutel

Joao Silva is a Times photographer based in South Africa. More about Joao Silva

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