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महात्मा गांधी पर निबंध, इतिहास व जीवन परिचय

इस लेख में हम आपको म हात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताएंगे। महात्मा गांधी जी को पूरा भारत वर्ष अच्छी तरह जानता है। महात्मा गांधी जी को बापू जी भी कहा जाता है। महात्मा गांधी जी का भारत को स्वतंत्र कराने में बहुत बड़ा योगदान है।  महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) (समुद्र तट) में हुआ था। आज बापू जी हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी याद आज भी हमारे साथ है।

महात्मा गांधी जी ने हमारे भारत की आजादी के लिए बहुत कुछ किया था जिसे वर्णन करना बहुत गर्व की बात होगी। महात्मा गांधी बचपन से ही शुद्ध शाकाहारी थे उन्होंने अपनी माता के कहे अनुसार अपनी मृत्यु तक अहिंसा और शाकाहारी रहने का व्रत कायम रखा था।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi

महात्मा गांधी पर निबंध और महात्मा गांधी की शिक्षा

महात्मा गांधी बचपन से ही एक औसत छात्र रहे थे। गाँधी जी ने बचपन बड़ी सादगी से बिताया और सन् 1887 में बम्बई यूनिवर्सिटी से मैट्रिक पास किया और उसके आगे की शिक्षा भावनगर के शामलदास स्कूल से ग्रहण की। दोनों ही परीक्षाओं में वह शैक्षिक स्तर पर आये। वह एक औसत छात्र रहे। 4 सितम्बर 1888 ई, को गांधी जी बैरिस्टरी की शिक्षा के लिए लन्दन गए जहां उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लन्दन में दाखिला (Admission) लिया। महात्मा गांधी जी का परिवार उन्हें बारिस्टर बनाना चाहता था।

गांधी जी शाकाहारी थे तो उन्होंने शाकाहारी मित्रों की खोज की और थियोसोफिकल नामक सोसाइटी के कुछ मुख्य सदस्यों से मिले। इस सोसाइटी की स्थापना विश्वबंधुत्व (संपूर्ण एकता) के लिए 1875 ई में हुई थी और तो और इसमें बौद्ध धर्म सनातन धर्म के ग्रंथों का संकलन भी था।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय हिंदी में

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी की वकालत की शुरुआत

  • 👉 इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन द्वारा बुलाये जाने पर गांधी जी वापस बम्बई लौट आये और यहां अपनी वकालत शुरू की।
  • 👉 मुंबई (बम्बई) में गांधी जी को सफलता नहीं मिली जिसके कारण गांधी जी को अंशकालिक शिक्षक के पद पर काम करने के लिए अर्जी दाखिल की किन्तु वो भी अस्वीकार हो गयी।
  • 👉 जीविका के लिए गांधी जी को मुकदमों की अर्जियां लिखने का कार्य आरम्भ करना पड़ा परन्तु कुछ कारणवश उनको यह काम भी छोड़ना पड़ा।
  • 👉 1893 ई में गांधी जी एक वर्ष के करार के साथ दक्षिण अफ्रीका गए।
  • 👉 दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार की फर्म नेटल से यह वकालत करार हुआ था।

Mahatma Gandhi Per Nibandh

Mahatma Gandhi Per Nibandh

महात्मा गांधी की शादी: About Mahatma Gandhi in Hindi

सन् 1883 में गांधी जी का कस्तूरबा जी से विवाह हुआ। उस समय गांधी की उम्र केवल साढ़े तेरह वर्ष थी (13.5 years) और कस्तूरबा गांधी की 14 वर्ष की थी। उनके माता पिता के चाहने पर यह बाल विवाह द्वारा तय करा गया था। गांधी और कस्तूरबा जी की उम्र कम थी और उस समय बाल किशोरी दुल्हन को अपने माता पिता के घर रहने का नियम था। कुछ 2 साल बाद सन् 1885 में गांधी जी 15 साल के हो गये थे और तभी उन्हें पहली संतान ने जन्म लिया था, लेकिन कुछ ही समय पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी और उसी वर्ष गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी की मृत्यु हो गयी।

महात्मा गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा: About Gandhiji in Hindi

महात्मा गांधी जी ने अपने जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव देखे थे। ऐसे ही उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे भेदभाव का सामना करना पड़ा था। प्रथम श्रेणी (first category) कोच की वैध (VALID) टिकट होने के बाद भी उन्हें तीसरी श्रेणी (3rd category) के डिब्बे में भी जाने से मना कर दिया गया था और तो और पायदान पर बैठने पर भी एक यूरोपियन व्यक्ति को अच्छा नहीं लगा तो उसने गांधी जी को मारा भी था।

गांधी के इस अपमान के बाद भी उन्होंने कई प्रकार की बेइज्जती सही और कई समस्याओं का सामना भी किया। अफ़्रीका के कई होटलों को उनके लिए बंद कर दिया गया। उन होटलों में भारतीयों को जो काले लगते थे उन्हें भी जाना मना कर दिया था। इन घटनाओं में एक घटना ये भी थी जिसमें एक न्यायाधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने के लिए भी कहा। दक्षिण में हो रहे अन्याय को गांधी को बहुत ठेस पहुंची थी जिस कारण गांधी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ने में बिताया।

महात्मा गांधी जी का भारतीयों की आजादी के लिए संघर्ष

इतना सब कुछ सहने के बाद गांधी सन् 1916 ई में अपने भारत वापस आये और अपनी कोशिशों में जी जान से लग गए। उस समय भारत को बहुत बड़ा झटका लगा था जब कांग्रेस के लीडर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हो गयी थी।

चंपारण और खेड़ा | Mahatma Gandhi Ka Nibandh

1918 ई गांधी जी की पहली उपलब्धि चंपारण (Champaran) और खेड़ा सत्याग्रह आन्दोलन में मिली। नील की खेती जिसे करने से किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा था। नील की खेती करने से किसानों के कर्जे बढ़ते जा रहे थे और हालात इतने बुरे थे कि खाने पीने का भी इंतजाम नहीं हो पा रहा था। किसान आत्महत्या कर रहे थे, कर्ज बढ़ते जा रहे थे, कमाई का कोई और साधन नहीं रह गया था। बस फिर क्या था गांधी जी से यह अन्याय देखा नहीं गया।

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गांव में गंदगी, अस्वस्थता और अन्य कई तरह की बीमारियां भी फैलने लगी थी। खेड़ा (Kheda), गुजरात (GUJARAT) में भी यही समस्या थी।

गांधी जी ने वहां एक आश्रम बनाया, वहां पर गांधी जी के सभी साथी और अपनी इच्छा से कई लोग आकर समर्थक के रूप में कार्य करने लगे। गांधी ने सबसे पहले तो वहां पर सफाई करवाई और स्कूल और अस्पताल बनवाए जिससे ग्रामीण लोगों में विश्वास उत्पन्न हुआ। गांधी को पुलिस ने शोर शराबे से हुई परेशानी के कारण थाने में बंद भी कर दिया जिसका विरोध पूरे गांव वालों ने किया, बिना किसी कानूनी कार्यवाही के थाने से छुड़ाने को लेकर गांव वालों ने थाने के आगे धरना प्रदर्शन भी किया।

महात्मा गांधी ने अदालत में जमींदारों के खिलाफ टिप्पणी और हड़ताल का नेतृत्व भी किया और गांव के लोगों पर हुए कर वसूली व खेती पर नियंत्रण, राजस्व में बढ़ोतरी को रद्द करने जैसे कई मुद्दों पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करवाए।

महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम

⇓ खिलाफत आन्दोलन सन् 1919 ⇓.

अब गांधी जी को ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस कहीं न कहीं हिन्दू व् मुस्लिम समाज में एकता की कमी की वजह से कमजोर पड़ रही हैं जिससे की कांग्रेस की नैया डूब भी सकती है। तो गांधी ने दोनों समाजों हिन्दू व मुस्लिम समाज की एकता की ताकत के बल पर ब्रिटिश की सरकार को बाहर भगाने के प्रयास में जुट गए। इस उम्मीद में वे मुस्लिम समाज के पास गए और इस आंदोलन को विश्वस्तरीय रूप में चलाया गया जो की मुस्लिम के कालिफ [CALIPH] के खिलाफ चलाया गया था।

गांधी जी  सम्पूर्ण राष्ट्रीय के मुस्लिमों की कांफ्रेंस   [ALL INDIA MUSLIM CONFERENCE] रखी थी और वो खुद इस कांफ्रेंस के प्रमुख व्यक्ति भी बने। गांधी की इस कोशिश ने उन्हें राष्ट्रीय नेता बना दिया और कांग्रेस में उनकी एक खास जगह बन गयी। कुछ समय बाद ही गांधी जी की बनाई एकता की दीवार पर दरार पड़ने लगी जिस कारण सन् 1922 ई में खिलाफत आंदोलन  पूरी तरह से बंद हो गया। गांधी जी सम्पूर्ण जीवन ‘हिन्दू मुस्लिम की एकता के लिए , कार्य करते रहे मगर गांधी जी असफल रहे।

असहयोग आंदोलन सन् 1920 ई | Mahatma Gandhi Biography in Hindi

गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे और शांतिपूर्ण जीवन जीना पसंद करते थे। पंजाब में जब  जलियाँवाला नरसंहार जिसे सब अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता हैं। उस घटना ने लोगों के बीच काफी क्रोध और हिंसा की आग लगा दी थी। दरअसल बात ये थी कि अंग्रेजी सरकार ने सन् 1919 ई रॉयल एक्ट लागू किया। उसी दौरान गांधी जी कुछ सभाएं भी आयोजित करते थे। एक दिन गांधी जी ने शांति पूर्ण एक सभा पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक आयोजित की थी और उस शांतिपूर्ण सभा को अंग्रेजों ने बहुत ही बुरी तरह रौंदा था जिसका वर्णन करते भी आंखों से आंसू आता है।

सन् 1920 ई में असहयोग आंदोलन आरंभ किया गया। इस आंदोलन का अर्थ था कि किसी भी प्रकार से अंग्रेजों की सहायता न करना और किसी भी प्रकार की हिंसा का प्रयोग न की जाये। इस अंग्रेजों को गांधी जी का प्रमुख अंग्रेजों भी कहा जाता हैं।

असहयोग अंग्रेजों सितम्बर 1920ई – फरवरी  1922 तक चला।

गांधी जी को पता था कि ब्रिटिश सरकार भारत में राज करना चाहती है और वो भारत के सपोर्ट के बिना असंभव है। महात्मा गांधी को ये भी पता था की ब्रिटिश सरकार को कहीं न कहीं भारत के लोगों की सहायता ही पड़ती है। यदि इस सहायता को बंद करा दिया जाये तो ब्रिटिश सरकार अपने आप ही वापस चली जायेगी या फिर भारतीयों पर जुल्म नहीं करेगी।

महात्मा गांधी ने ऐसा ही किया उन्होंने सभी भारतीयों को बुलाया और अपनी बात को स्पष्ट रूप से समझाया और सभी भारतीयों को गांधी जी की बात पर विश्वास भी हुआ और उन्होंने गांधी जी की कही हुई बातों की गांठ बांध ली, सभी लोग बड़ी मात्रा में शामिल हुए और इस आंदोलन में अपना योगदान दिया।

सभी भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की सहायता करने से मना कर दिया, उन्होंने अपनी नौकरी त्याग दी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल और कॉलेजों से निकाल लिया, सरकारी नौकरियां, फैक्ट्री, कार्यालय भी छोड़ दिया। लोगों के उस फैसले से कुछ लोग गरीबी व अनपड की मार से झुलसने लगे थे, स्थिति तो ऐसी उत्पन्न हो गयी थी की भारत तभी आजाद हो जाता परन्तु एक घटना जिसे हम चौरा –चौरी के नाम से जानते है जिसकी वजह से गांधी जी को अपना आंदोलन वापस लेना पड़ा और आंदोलन को वहीं समाप्त करना पड़ा।

Mahatma Gandhi Ji Per Nibandh

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

चौरा-चोरी की घटना

ये घटना उत्तर प्रदेश में हुई थी जिसने सब की जिंदगी बदल कर रख दी थी। उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा नामक स्थान पर जब भारतीय शांतिपूर्ण रूप से रैलियां निकाल रहे थे तब अंग्रेजों ने उन पर गोलियां चला दी और कई भारतीयों की मृत्यु भी हो गयी, जिसके कारण भारतीयों ने गुस्से में पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और 22 पुलिस सैनिकों को मार दिया। महात्मा गांधी जी का कहना था की  “हमें सम्पूर्ण आंदोलन के दौरान किसी भी हिंसात्मक प्रक्रिया का प्रयोग नहीं करना था और हम अभी किसी भी प्रकार से आज़ादी के लायक नहीं हैं” जिस के कारण महात्मा गांधी जी अपने आंदोलन को वापस ले लिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन / डंडी यात्रा / नमक आंदोलन सन् 1930 | Civil Disobedience Movement / Dandi March / Salt Movement in Hindi

सविनय अवज्ञा का अर्थ होता है किसी भी बात को न मानना और उस बात की अवहेलना करना| सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी गांधी ने लागू किया था| ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ये आन्दोलन था.

इस आन्दोलन में मुख्य कार्य यही था की ब्रिटिश सरकार जो भी नियम लागू करेगी उसे नही मानना और उसके खिलाफ जाना जैसे : ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई नही अन्य व्यक्ति या फिर कोई कंपनी नमक नही बनाएगी.

तब  12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा  द्वारा नमक बना कर इस कानून को तोड़ दिया था वे दांडी नामक स्थान पर पहुंच कर नमक बनाया था और कानून का उलंघन किया था.

महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम जो की गुजरात के अहमदाबाद नामक शहर के पास ही है 12 मार्च, सन 1930 से 6  अप्रैल 1930 तक ये यात्रा चलती रही.

31 जनवरी 1929 को भारत का झंडा लाहौर में फेहराया गया था इस दिन को भारतीय नेशनल कांग्रेस ने आज़ादी का दिन समझ कर मनाया था| यह दिन लगभग सभी भारतीय संगठनों द्वारा भी माने गया था| इसके बाद ही नमक आन्दोलन हुआ था.

400 किलोमीटर (248 मील) तक का सफ़र अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक चलाया गया था|

गाँधी जी, सुभाष चन्द्र बोस , और पंडित जवाहरलाल नेहरू के आज़ादी की मांग के विचरों को भी सिद्ध किया और अपने विचारों को 2 सालों की वजह 1 साल के लिए रोक दिया| इस आन्दोलन की वजह से 80000 लोगों को जेल जाना पड़ा.

लार्ड एडवर्ड इरविन ने गांधी जी के साथ विचार विमर्श किया| इस इरविन गांधी जी की संधि 1931 में हुई|

सविनय अवज्ञा आन्दोलन को बंद करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी रजामंदी दे दी थी.

महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रीय कांग्रेस के एक मात्र प्रतिनिधि के रूप में लन्दन में आयोजित गोलमेज सम्मलेन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था| यह सम्मलेन निराशाजनक रहा इस आयोजन का कारण भारतीय कीमतों व अल्पसंख्यको पर केन्द्रित होना था.

लार्ड विलिंग्टन ने भारतीय राष्ट्रियवादियों को नियंत्रित और कुचलने के लिए नया अभियान आरम्भ किया और गांधी को फिर से गिरफ्तार भी कर लिया गया था और उनके अनुयायिओं को उनसे मिलने तक भी नही जाने दिया| मगर ये युक्ति भी बेकार गयी.

हरिजन आंदोलन और निश्चय दिवस क्या है ? – Mahatma Gandhi Essay in Hindi

1932, डा० बाबा साहेब आंबेडकर जी  के चुनाव प्रचार के माध्यम से, सरकार ने अछुत लोगों को एक नए संविधान में अलग निर्वाचन दे दिया.

इसके विरुद्ध गांधी ने 1932 में 6 दिन का अनशन ले लिया था जिसने सफलतापूर्वक दलित से राजनैतिक नेता पलवंकर बालू द्वारा की गयी|

मध्यस्थता वाली एक सामान्य व्यवस्था को अपनाया गांधी जी ने अछूत लोगों को हरिजन का नाम दिया.

डॉ० बाबासाहेब आंबेडकर ने गांधी जी की हरिजान वाली बात की निंदा की और कहा की दलित अपरिपक्व है और सुविधासंपन्न जाती वाले भारतियों ने पितृसत्तात्मक भूमिका निभाई है.

अम्बेडकर और उनके सहयोगी दलों को महसूस हुआ की गांधी जी दलितों के अधिकार को समझ नही पा रहे हैं या फिर दलित अधिकार को कम आंक रहे हैं.

गाँधी जी ने ये भी बाते आंकी की वो दलितों के लिए आवाज उठा रहे हैं | पुन संधि में ये साबित हो गया की गाँधी जी नहीं अम्बेडकर ही हैं दलितों के असली नेता.

उस समय छुआछुत सबसे बड़ी समस्या थी| हरिजन लोगों को मंदिरों में जाने भी नहीं दिया जाता था| केरल राज्य का जनपद त्रिशुर दक्षिण भारत की एक प्रमुख नगरी है, जनपद में एक प्रतिष्ठित मंदिर भी हैं.

गुरुवायुर मंदिर जिसमे कृष्ण भगवान् बल रूप के दर्शन कराती मूर्तियाँ हैं परन्तु वहन पे भी हरिजन लोगो को जाने नहीं दिया जाता था.

भारत छोड़ो आन्दोलन सन् 1942 – Quit India Movement in Hindi – महात्मा गांधी पर निबंध

सभी आंदोलनों में ये सबसे ज्यादा प्रभावी आन्दोलन था| ये आन्दोलन आखिरी आन्दोलन तो नहीं कहलाया जायेगा लेकिन फिर भी ये सबसे बड़ा कदम था| सन् 1940 के दशक तक सभी बड़े बूढ़े बच्चे सभी अपने देश की आज़ादी के लिए लड़ने मरने को तैयार थे.

उस समय सभी भारतीय बिना किसी प्रवाह के मरने और मारने को तैयार हो गए थे| उनमे बहुत गुस्सा भरा था और ये गुस्सा सन् 1942 ई में बहुत ही प्रभावशाली रहा परन्तु इस आंदोलन को संचालन करने में हुई कुछ गलतियों के कारण ये आन्दोलन भी असफल रहा.

प्रमुख बात ये थी कुछ लोग अपने काम और विद्यार्थी अपनी पडाई में लगे रहे उस समय उन्हें लगा की अब तो भारत आजाद हो ही जायेगा तो उन्होंने अपने कदम धीरे कर लिए मगर यही बहुत बड़ी गलती थी.

इस प्रयास से ब्रिटिश सरकार को ये तो पता चल ही गया था की अब भारत पर उनका राज नहीं चल सकता और भारत फिर आजाद होने के लिए फिर प्रयास करेगा.

गांधी जी की मृत्यु कब और किस प्रकार हुई थी?

Mahatma Gandhi History in Hindi

महात्मा गांधी जी को किसने मारा था?

लोगों की सोच का कुछ नही कहा जा सकता है उसी तरह महात्मा गांधी जी के अपने भी थे और कुछ दुश्मन भी थे।

कुछ लोगों को महात्मा गांधी जी में गलत बातों को देखा और उसी वजह से जब 30 जनवरी 1948  को गांधी जी अपने बिड़ला भवन में चहलकदमी (walking) कर रहे थे| तब उनको गोली मार दी गयी थी.

गांधी जी को मारने वाले का नाम नथुराम विनायक गोडसे  था ये राष्ट्रीयवादी थे जिनके कट्टर पंथी हिन्दू महासभा के साथ सम्बन्ध थे जिसने गांधी जी को पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी करार दिया.

गौडसे और उनके सह् षड्यंत्रकरी नारायण आप्टे को केस चलाकर जेल भेज कर सजा दी गयी थी| उन्हें 15 नवम्बर 1949 को फांसी दी गयी थी.

गाँधी जी की याद की तौर पर राजघाट जो की NEW DELHI में है, यहाँ पर गाँधी जी के स्मारक पर देवनागरी भाषा में हे राम लिखा हुआ है|

कहा जाता है की गाँधी जी को जब गोली लगी थी तब उनके मुख से हे राम निकला था|  –  ऐसा जवाहर लाल नेहरु जी ने रेडिओ के माध्यम से देश को बताया था|

गांधी जी की अस्थियों को रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद में पुरे देश में घुमाया गया| इन अस्थियों को इलाहाबाद में संगम नदी में 12 फरवरी 1948 को जल में प्रवाह कर दिया था.

शेष अस्थियों को 1997 में तुषार गाँधी जी ने बैंक में नपाए गए एक अस्थि – कलश की कुछ सामग्री को अदालत के माध्यम से इलाहबाद के संगम नामक नदी में प्रवाह कर दिया था.

30 जनवरी 2008 को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी ने गाँधी जी के अर्थी वाले एक अन्य कलश को मुंबई  संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया.

एक अन्य अस्थि कलश आगा खान जो पुणे में है (जहाँ उन्होंने 1942 से कैद किया गया था 1944 तक) वहां समाप्त हो गया था और दूसरा आत्मबोध फेल्लोशीप झील में मंदिर में लॉस एंजिल्स रखा हुआ है.

इस परिवार को पता था की राजनैतिक उद्देश्यों के लिए इस पवित्र रख का दुरूपयोग भी हो सकता था लेकिन उन्हें यहाँ से हटाना नहीं चाहती थी क्यूंकि इससे मंदिरों को तोड़ने का खतरा पैदा हो सकता था.

महात्मा गांधी जी की मृत्यु किसने की?

गांधी जी की मृत्यु करने वाले नाथूराम गोडसे थे। गांधी जी को बिड़ला भवन के अंदर शाम को 5 बजे जब वह सरदार पटेल के साथ मीटिंग में थे। तभी गांधी जी को पता चला की वो शाम की प्रार्थना के लिए 20 मिनट देरी कर चुके है। स्टेज पर जाते हुए गांधी जी के आगे नाथूराम गोडसे आ गए और उन्होंने गांधी जी को रोका ओर बोलने से पहले ही गांधी के आगे मनु जी आ गए ओर बोला की आगे से हट जाओ नाथूराम गोडसे जी गांधी जी प्रार्थना के लिए पहले ही लेट चुके है लेकिन नाथूराम गोडसे ने मनु को धक्का दिया और गांधी जी के सीने में 3 गोलियां दाग दी जिनमें से 2 गोली शरीर को आर पार कर गयी लेकिन एक गोली उनके सीने में ही रही।

नाथूराम गोडसे का कहना था की गांधी जी ने पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी ठहराया था और महात्मा गांधी जी के कुछ फैसले उन्हें अच्छे नहीं लगे जिसकी वजह से उन्हें और उनके साथियों को गांधी जी की मृत्यु करनी पड़ी। गांधी जी ने बहुत से गलत फैसले लिए थे ऐसा नाथूराम गोडसे जी का कहना था। नाथूराम गोडसे चाहते तो वहां से भाग सकते थे लेकिन उन्होंने भागना स्वीकार नहीं किया। 78 वर्षीय गांधी जी की मृत्यु कर दी गई । गांधी की मृत्यु के बाद पूरा भारत सदमे में था।

गांधी जी की मृत्यु के लिए 8 लोगों को दोषी ठहराया गया। जिसमें सभी के नाम निम्नलिखित है।

गांधी जी की मृत्यु पर आपका क्या कहना है? क्या नाथुरम गोडसे ने सही किया? आप मुझे कमेंट बॉक्स में बताएं।

उम्मीद करता हूँ कि महात्मा गांधी पर निबंध और जीवनी आपको अच्छे से समझ आ ही गया होगा। तो आप बिना किसी देरी के महात्मा गांधी की जीवनी अपने मित्रों अपने सम्बन्धियों आदि के साथ शेयर कर दीजिये। महात्मा गांधी जी ने हमारे लिए कितना कुछ करा है क्या हम उनके बारे में उन लोगों को नहीं बता सकते जिनको महात्मा गांधी का इतिहास नहीं पता? आप से उम्मीद करता हूँ कि आप हमारे इस लेख को जितना हो सके उतना शेयर करेंगे। “धन्यवाद”

– महात्मा गांधी का जीवन परिचय | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

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महात्माजी गांधी हमेशा पूरी दुनिया को प्रेरित करते रहेंगे , धन्यवाद् इतनी अच्छी जानकारी हम तक पहुचने केलिए!!

Ess kahani me kuchh gadbad hai Ye ki jab Gandhi (1930). me mar gay the tab kaese (1932).me 6.din ka anshan let liye the

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30 जनवरी 2008 को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी ने गाँधी जी के अर्थी वाले एक अन्य कलश को मुंबई संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया.

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  • Mahatma Gandhi Jayanti /

Mahatma Gandhi Essay : छात्रों और बच्चों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी पर निबंध

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  • Updated on  
  • सितम्बर 19, 2024

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi : भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधीजी को ‘बापू’ या ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से भी जाना जाता है और वह भारत के एक महत्वपूर्ण नेता थे। वह सत्य और अहिंसा में विश्वास करते थे और चाहते थे कि हर व्यक्ति खुशी और शांति से एक साथ रहे। गांधी जी ‘सत्याग्रह’ नामक एक विशेष विचार लेकर आए। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया। स्वतंत्रता में योगदान और उनके बारे में बच्चों को जानकारी रहे इसलिए महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) लिखने के लिए स्कूल में दिया जाता है और कई परीक्षाओं में गांधी जी के बारे में पूछा भी जाता है। इसलिए आपकी मदद के लिए इस ब्लॉग में महात्मा गांधी पर निबंध लिखना सीख सकते हैं।

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महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार है –

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे कि वे भी अहिंसा का रास्ता अपनाएं। 1930 दांडी यात्रा करके नमक सत्याग्रह किया था। लोग गांधीजी को प्यार से बापू कहते हैं। गांधीजी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी। बापू हिंसा के खिलाफ थे और अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे। आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया। बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे, वे चरखा चलाकर कर सूत कातते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे।

महात्मा गांधी पर निबंध

यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के जीवन की घटनाएं, जो देती हैं आगे बढ़ने का संदेश और प्रेरणा

200 शब्दों में महात्मा गांधी पर निबंध इस प्रकार है –

2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। जिन्हें महात्मा , गांधी जी, महान आत्मा और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता को ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। बचपन से वह सामान्य ही रहे थे और उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।

दूसरी तरफ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष से लेकर आज तक और आगे के लिए भी उनका नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार है –

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू और राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नेताओं में से एक थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

गांधी जी ने अपनी शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद, वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे नस्लीय भेदभाव का सामना किया और उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ।

दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया और अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिरोध किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और इस संघर्ष के दौरान उनके अंदर एक ऐसा नेतृत्व कौशल विकसित हुआ, जिसने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। 1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और अंग्रेजी शासन के खिलाफ अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन हुए, जिनमें लाखों भारतीयों ने हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। 1920 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें लोगों से अपील की गई कि वे ब्रिटिश सरकार की नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और संस्थानों का बहिष्कार करें। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को हिला कर रख दिया और भारतीयों के मन में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता पैदा की।

1930 में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव को कमजोर कर दिया और यह स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण बना।

गांधी जी का जीवन सादगी, आत्मसंयम, और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था। वे समाज में व्याप्त छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ भी संघर्षरत रहे। उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और समाज में समानता और समरसता की भावना को बढ़ावा दिया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को यह संदेश दिया कि भारतीय अब और अधिक समय तक गुलामी में नहीं रह सकते। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा देते हुए इस आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण की शुरुआत की और 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी दुनिया भर में प्रासंगिक हैं। गांधी जी ने हमें सत्य, अहिंसा, और सेवा का मार्ग दिखाया, जो आज भी हमें प्रेरणा देता है। उनकी जीवन यात्रा और उनके द्वारा किए गए संघर्ष, मानवता के इतिहास में एक उज्ज्वल अध्याय के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।

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महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में इस प्रकार है –

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले महात्मा गाँधी को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है। उनके द्वारा अपनाई गई सादगी, आत्मसंयम और संघर्ष की राह ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया को भी अहिंसक संघर्ष के महत्व से अवगत कराया। गांधी जी ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी, जिसमें उन्होंने देश के हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों को एकजुट कर उनके भीतर आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का भाव जागृत किया। उनकी विचारधारा और आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अद्वितीय अध्याय के रूप में दर्ज हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।

महात्मा गांधी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, एक महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और अहिंसा के पुजारी थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई और उन्हें “राष्ट्रपिता” के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।

गांधी जी की शिक्षा इंग्लैंड में हुई, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे भेदभाव का सामना किया और यहीं से उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ। दक्षिण अफ्रीका में 21 साल बिताने के बाद, गांधी जी भारत लौटे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया।

गांधी जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का आयोजन किया गया, जिनमें असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं। उनकी नीतियों में सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, और आत्मनिर्भरता का महत्व था। गांधी जी ने भारतीय समाज को जाति-भेद, छुआछूत, और सामाजिक अन्याय के खिलाफ जागरूक किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नैतिक आधार प्रदान किया।

1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गांधी जी ने सामाजिक समरसता और शांति की दिशा में काम जारी रखा। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनके सिद्धांत और विचारधारा आज भी पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत हैं। गांधी जी का जीवन एक ऐसा मार्गदर्शक है, जो मानवता को सत्य, अहिंसा और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया। उनके नेतृत्व में किए गए विभिन्न आंदोलनों ने न केवल भारत को स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर किया, बल्कि दुनिया को भी अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। महात्मा गांधी द्वारा किए गए ये आंदोलन न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय हैं, बल्कि वे दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत का अहसास भी कराते हैं। गांधी जी के नेतृत्व में किए गए ये आंदोलन भारत की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुए और आज भी उनकी शिक्षाएं और आदर्श मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। यहां महात्मा गांधी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलनों का वर्णन किया गया है:

1. चंपारण सत्याग्रह (1917)

चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा भारत में किया गया पहला बड़ा आंदोलन था। यह बिहार के चंपारण जिले में हुआ, जहां ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से जबरन नील की खेती करा रहे थे। इस अन्याय का सामना करने के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार को नील की खेती के अत्याचार को समाप्त करने पर मजबूर होना पड़ा। यह आंदोलन भारतीय किसानों की पहली बड़ी जीत थी और गांधी जी के नेतृत्व को पूरे देश ने स्वीकारा।

2. असहयोग आंदोलन (1920-1922)

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना और स्वराज की प्राप्ति करना था। गांधी जी ने लोगों से अपील की कि वे सरकारी नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार करें। लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया, जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान हुआ। हालाँकि, चौरी चौरा कांड के बाद गांधी जी ने इस आंदोलन को वापस ले लिया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया।

3. नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च, 1930)

महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया नमक सत्याग्रह , जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दीं और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना।

4. दलित आंदोलन (1932)

महात्मा गांधी ने दलितों के अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था। इसके लिए उन्होंने उपवास और सत्याग्रह का सहारा लिया, जिससे भारतीय समाज में जागरूकता आई और दलितों के उत्थान के लिए कई सुधार किए गए।

5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, जिसका नारा था “करो या मरो”। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल स्वतंत्रता दिलाना था। गांधी जी के इस आह्वान पर पूरे देश में लाखों लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को समझा दिया कि अब भारतीयों को अधिक समय तक गुलाम नहीं रखा जा सकता, और इसके बाद ही स्वतंत्रता के लिए अंतिम चरण की तैयारियां शुरू हुईं।

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े और भारत को आज़ादी दिलाई।

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महात्मा गांधी पर निबंध लिखना एक व्यावहारिक अनुभव हो सकता है क्योंकि इतिहास, राजनीति और दर्शन पर उनका गहरा प्रभाव है। एक अच्छी तरह से संरचित निबंध बनाने के लिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका, अहिंसा (अहिंसा) और सत्य (सत्याग्रह) का उनका दर्शन, दुनिया भर में नागरिक अधिकार आंदोलनों पर उनका प्रभाव, उनका निजी जीवन और आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्य के आधार पर लिख सकते हैं।

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में PDF Download

गांधी के अनमोल विचार (Gandhi Quotes in Hindi) जिन्हें आप अपने निबंध में शामिल कर सकते हैं –

आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों। -महात्मा गांधी

डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है। -महात्मा गांधी

उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा। -महात्मा गांधी

ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है । -महात्मा गांधी

आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। -महात्मा गांधी

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महात्मा गांधी के बारे में कुछ रोचक तथ्य यहां दिए हैं, जिसके बारे में Mahatma Gandhi Essay in Hindi लिखते समय विचार कर सकते हैं –

  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
  • महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
  • वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
  • माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
  • महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
  • महात्मा गांधी और प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
  • महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
  • महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।

यह भी पढ़ें – जानें भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ‘बापू’ से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

सम्बंधित आर्टिकल्स 

सादा जीवन, उच्च विचार।

महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।

गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।

महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।

महात्मा गांधी

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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