संचार के साधन पर निबंध व महत्व Essay on Means of Communication in Hindi

संचार के साधन पर निबंध व महत्व Essay on Means of Communication in Hindi

इस लेख में हमने संचार के साधन पर निबंध, महत्व, प्रकार (Essay on Means of Communication in Hindi) लिखा है। इस अनुच्छेद में संचार के आधुनिक साधन के विषय में हमने जानकारी दिया है।

Table of Content

संचार के साधन किसे कहते हैं? What is Means of Communication in Hindi?

जैसे-जैसे विज्ञान का विकास होने लगा नये नये संचार उपकरण जैसे तार, टेलीग्राम, दूरभाष, रेडियो, टेलीवीजन, इंटरनेट, मोबाइल फोन का अविष्कार हो गया और अब हम सभी संचार के साधनों पर पूरी तरह से निर्भर हो गये है।

अब विज्ञान ने इतना विकास कर लिया है कि दुनिया में किसी भी व्यक्ति से तुरंत बात की जा सकती है। इतना ही नही विडियो कालिंग करके आमने सामने देखते हुए भी बात की जा सकती है। पहले लोग संचार के लिए चिट्ठियां लिखते थे।

आधुनिक समय में संचार के साधन के प्रकार नाम Modern Means of Communications in Hindi

आधुनिक समय में संचार के साधन इस प्रकार है-

प्रमुख संचार के साधन विस्तार में Popular means of Communications in Hindi

1. टेलीवीजन television.

यदि कहा जाये कि आधुनिक समय में टेलीवीजन बेहद लोकप्रिय संचार का साधन है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नही होगी। इसका आविष्कार 1920 में किया गया था। फिलोफार्नवर्थ ने पहले टेलीवीजन का आविष्कार 25 अगस्त 1934 को किया।

2. टेलीफोन / दूरभाष Telephone

ऐलेक्ज़ैन्डर ग्राहम बेल ने अपने सहायक टॉमस वाटसन की मदद से टेलीफोन का अविष्कार 10 मार्च 1876 को किया था। इसके जरिये हम किसी दूर बैठे व्यक्ति से बात कर सकते हैं। वर्तमान समय में ये संचार का बहुत प्रसिद्द माध्यम है। पहला टेलीफोन न्यूयॉर्क और शिकागो के बीच 1892 में लगाया गया था।

3. मोबाइल फोन Mobile Phone or Smartphone

आज हम इसके बिना घर से नही निकल सकते है। यह संचार का माध्यम अत्यंत प्रसिद्द है। बच्चे, वयस्क, बूढ़े सब मोबाइल फोन के दीवाने हो गये हैं। आज नये नये फोन हर दिन देश में लांच होते रहते हैं। पहले मोबाइल फोन का आविष्कार मोटोरोला कम्पनी के डॉ मार्टिन कूपर ने 1973 में किया था। जापानी कम्पनी NTT ने दुनिया की पहली सेल्यूलर फोन सेवा टोक्यो में शुरू की थी।

4. विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग Video Conferencing

5. ई-मेल e-mail, 6. इंटरनेट internet.

पढ़ें: इंटरनेट पर निबंध

आज के समय में जिस व्यक्ति के पास इंटरनेट की सेवा नही होती है उसे पिछड़ा माना जाता है। इसके जरिये हम किसी को संदेश भेज सकते हैं। किसी भी चीज के बारे में इंटरनेट पर जानकारी ले सकते हैं। इसके द्वारा किसी को फोन कर सकते हैं। इंटरनेट का अविष्कार 1969 में अमेरिकी रक्षा विभाग DOD (Department of Defense) द्वारा पहली बार किया गया था।

7. कम्प्यूटर Computer

पढ़ें: कंप्यूटर पर निबंध

आज हम पूरी तरह से कप्यूटर पर आश्रित हो गये हैं। घर से लेकर ऑफिस में आज कम्प्यूटर देखा जा सकता है। घर में हम इस पर टाइपिंग, टिकट खरीदने, लोगो से सम्पर्क करने का काम करते हैं। जबकि ऑफिस में हम कम्पनी की सभी फाइलों को कम्प्यूटर में रखते है।

पहले के जमाने में व्यापार के बहीखाते, रिकोर्ड्स मोटे-मोटे रजिस्टर में लिखे जाते थे जिनको संभाल पर रखना बहुत मुश्किल काम था। अब ऑफिस के सभी रिकॉर्ड कप्यूटर में रखे जाते हैं। पहले कम्प्यूटर का अविष्कार चार्ल्स बेवेज ने 1822 में किया था। वो एक महान गणितज्ञ और दार्शनिक थे।

संचार के साधनों से लाभ Advantages of means of Communication

इससे अनेक प्रकार के लाभ है। अपने प्रियजनों से बात करने के लिए इंतज़ार नही करना पड़ता है। आधुनिक संचार के साधन बहुत ही सस्ते है। किसी भी वर्ग का व्यक्ति इनका लाभ उठा सकता है। आजकल व्यापारी अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए पूरी तरह संचार के साधनों जैसे फोन, इंटरनेट, कम्प्यूटर, फैक्स, ई-मेल जैसी सुविधाओं पर आश्रित हो चुके है।

निष्कर्ष Conclusion

आज विश्व के आधुनिक संचार साधनों की मदद से दुनिया के किसी भी हिस्से में संदेश प्रेषित करना बहुत आसान हो गया है। यदि संचार के साधनो को हम अपने जीवन से निकाल दें तो फिर से आदिकाल में पहुँच जायेंगे। इसके बिना जीवन अधूरा है।

इसके इस्तेमाल से आज सभी मित्रो, प्रियजनों, रिश्तेदारों का आपसी सम्पर्क बढ़ गया है। अब अपने प्रियजन से बात करने के लिए इंतजार नही करना पड़ता है। बस फोन उठाकर कुछ नम्बर डायल करके हम उनसे हाल चाल पूछ सकते है। संचार के आधुनिक साधन हमारे लिए किसी वरदान से कम नही है। आशा करते हैं आपको संचार के साधन पर निबंध व महत्व Essay on Means of Communication in Hindi अनुच्छेद से मदद मिली होगो।

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संचार का महत्त्व पर निबंध (Importance of Communication Essay in Hindi)

किसी माध्यम जैसे बोलने, लिखने, इशारों, आदि की मदद से सूचना के आदान प्रदान की प्रक्रिया को संचार कहते हैं। इसने हमे इतना ज्यादा विकसित कर दिया है कि आज हम दुनियाभर में किसी भी व्यक्ति के साथ अपने ज्ञान और विचार को साझा कर सकते हैं।

संचार के महत्व पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Importance of Communication in Hindi, Sanchar ke Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द) – संचार का महत्व.

हम सभी एक माध्यम के जरिये अपने दैनिक जीवन के अनुभव को साझा करते हैं; यह हमारी अभिव्यक्ति, हमारे हावभाव, हमारे बोलने के तरीके आदि के बारे में बताता है। ये सभी संचार के विभिन्न तरीके हैं। मैं बस अपने विचारों को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक साझा करने के लिए एक माध्यम के रूप में संचार कर सकता हूं।

इस दुनिया में विभिन्न प्रकार के लोग हैं और उनमें से कुछ लेखन में अच्छे हैं जबकि कई बोलने में अच्छे हैं। जो लोग अपने विचारों को मौखिक रूप से व्यक्त करना चाहते हैं, वे अच्छी तरह से बोल सकते हैं; जबकि जो लोग लिखने में अच्छे होते हैं वे अपने विचारों को लिखित रूप में साझा करना पसंद करते हैं। आम तौर पर लोग अपने दैनिक जीवन से जुड़ी बात करना ज्यादा पसंद करते हैं।

संचार क्यों महत्वपूर्ण है ?

हम किसी भी मदद के बिना अकेले नहीं रह सकते हैं, जीवन में कहीं न कहीं हमें कुछ चीजों की आवश्यकता होती है और उसे व्यक्त करने के लिए हमें एक माध्यम की आवश्यकता होती है और यह संचार का एक तरीका है। संचार दूसरों को हमारे विचारों को बताने की एक प्रक्रिया है। मान लीजिए अगर केवल बोलना ही संवाद करने का माध्यम होगा तो गूंगा व्यक्ति कैसे संवाद करेगा। इसका अर्थ है इसमें बोलना, पढ़ना, लिखना, आदि सब शामिल हैं।

कोई भी माध्यम जैसे लिखित सन्देश, ऑडियो, वीडियो, आदि संचार के विभिन्न माध्यम हैं। ये सभी महत्वपूर्ण हैं और विभिन्न तरीकों से हमारी मदद करते हैं। यह कई मायनों में उपयोगी है, हम ज्ञान प्राप्त करते हैं, हम मनोरंजित होते हैं, हमारी शिक्षा, आदि ये सभी केवल संचार के कारण ही संभव हैं।

मैं यह कह सकता हूं कि संचार के बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। यह विभिन्न तरीकों से मददगार है और दिन-प्रतिदिन के नए-नए आविष्कारों ने जैसे इंटरनेट, मोबाइल फोन, आदि ने इसे और भी अधिक सुविधाजनक बना दिया है। आज हम दुनिया के किस कोने में क्या चल रहा है उसके बारे में सिर्फ एक क्लिक पर जान सकते हैं।

निबंध 2 (400 शब्द) – संचार: आत्म-अभिव्यक्ति का एक तरीका

खुद को व्यक्त करना एक कला है और हम में से कुछ अपनी मौखिक शक्ति का उपयोग करना पसंद करते हैं जबकि कुछ लोग खुद को लिखित या अन्य रूप से व्यक्त करना पसंद करते हैं। एक छोटा बच्चा नहीं जनता है कि उसे भोजन या अन्य जरूरतों के लिए कैसे बोलना है, वह बस रोता है लेकिन उसके माता-पिता हमेशा उसकी जरूरतों को समझते हैं और उसे पूरा करते हैं। एक बच्चे के लिए यह कैसे संभव था जब वह कोई भी भाषा नहीं जानता हो? असल में, संचार खुद को व्यक्त करने का एक तरीका है।

हम कैसे संवाद कर सकते हैं

यहाँ पर संचार के विभिन्न माध्यम हैं और उनमे सबसे महत्वपूर्ण हैं मौखिक, बोलकर। हममें से ज्यादातर लोग अपनी जरूरतों को बात करके या कहकर पूरा करते हैं। जिस माध्यम से आपके विचारों को आसानी से समझा जा सकता है, वह आपके संचार का सबसे अच्छा माध्यम है। यहाँ पर नीचे मैंने संचार के विभिन्न तरीकों पर चर्चा की है;

  • हमारा इशारा : हमारा इशारा हमारे बारे में काफी कुछ कहता है और हमें यह समझाने की ज़रूरत नहीं है कि हमें किसी निश्चित चीज़ की ज़रूरत है या नहीं। इसलिए, इशारे भी खुद को व्यक्त करने के सामान्य तरीकों में से एक है।
  • चेहरे का भाव : क्या आपने कभी अपने चेहरे के भाव पर गौर किया है जब आप नींबू का स्वाद ले रहे होते है हाँ? तो, असल में, आपको कुछ कहने की आवश्यकता नहीं होती; आपकी अभिव्यक्ति आपके बारे में बहुत कुछ कहती है। हमारी अभिव्यक्ति आसानी से बता सकती है कि हम क्या सोच रहे हैं और यह संचार का एक और सबसे अच्छा तरीका है।
  • प्रतीकों का उपयोग करना : हम सभी अलग-अलग तरह के चैटिंग ऐप का इस्तेमाल करते हैं जहां हम दूसरों को टेक्स्ट करते हैं, हम कुछ खास संकेतों और इमोजी का उपयोग करते हैं जो सामने वाले को बताता है कि हम क्या कहना चाहते हैं। इन दिनों यह काफी लोकप्रिय है और हम सभी इसका उपयोग करते हैं।
  • सांकेतिक भाषा : इश्वर ने हम सभी को बोलने और सुनने की क्षमता नहीं दी है। कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो बोल नहीं सकते हैं, उनके लिए एक विशेष भाषा है जिसे साइन लैंग्वेज यानी कि सांकेतिक भाषा कहा जाता है। यह एक अलग भाषा है जिसमें लोग विभिन्न संकेतों की मदद से बोलते हैं।
  • वीडियो : हम अलग-अलग फिल्में, टीवी शो आदि देखते हैं और अपना मनोरंजन करते हैं और यह संचार का एक अन्य माध्यम है। एक वीडियो निर्माता अपने विचारों या संदेश को अपने वीडियो के माध्यम से वितरित करता है और हम उसे समझते हैं।
  • संगीत : संगीत कुछ ऐसी चीज है जो हमारे दिल की भाषा होती है; कभी-कभी हमें लगता है कि जैसे ये वाला गीत हमारे लिए ही लिखा गया है क्योंकि हम इसे समझते हैं और वास्तव में इसका आनंद लेते हैं। यह संचार का इतना शक्तिशाली माध्यम है कि कभी-कभी हम उदास महसूस करते हैं और गीत के माध्यम से खुश भी होते हैं।
  • लेखन : हम में से कई लोग लेखन में बहुत अच्छे होते हैं और आपने कई कवियों को पढ़ा होगा, वे इतनी बारीकी से लिखते हैं कि यह हमारे दिल को छू जाता है। कभी-कभी जब हम एक उपन्यास पढ़ते हैं तो हमें लगता है कि लेखक हमसे बात कर रहा है, चीजें बहुत ही जीवंत सी लगती हैं। यह एक कला है और संचार का दूसरा तरीका भी है।

दुनिया को एक दूसरे से जानने में संचार मदद करता है। संचार के विभिन्न माध्यम हैं और यह हम पर निर्भर करता है कि हम कौन सा माध्यम चुनते हैं। कुल मिला जुला कर मैं कह सकता हूं कि हमें कम से कम एक संचार के तरीकों पर विशेषज्ञ होना चाहिए क्योंकि इससे हमें व्यक्तिगत विकास में कई तरह से मदद मिलेगी।

निबंध 3 (600 शब्द) – संचार क्या है, इसके प्रकार और महत्व

हम सभी को अपने विचारों के साथ-साथ अपनी आवश्यकताओं को व्यक्त करने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है और इस माध्यम को संचार की संज्ञा दी गई है। हम बात करते हैं, तस्वीरें लेते हैं, हमारे विचार साझा करते हैं और ये सभी चीजें संचार के विभिन्न तरीके हैं। वास्तव में संचार एक बहुत महत्वपूर्ण माध्यम है।

संचार क्या है ?

संचार लैटिन भाषा के एक शब्द से लिया गया है और इसका वास्तविक अर्थ था ‘साझा करना’। एक प्रक्रिया जिसके माध्यम से हम अपने विचारों, योजनाओं, आदि को साझा करते हैं, उसे संचार कहा जाता है। संचार के कुछ बुनियादी युक्तियाँ हैं जैसे सुनना, लिखना और बोलना है। ये सभी एक साथ संचार शब्द को सही ठहराते हैं।

संचार के विभिन्न माध्यम

संचार के विभिन्न माध्यम हैं लेकिन उनमें से कुछ मुख्य हैं जैसे मौखिक, गैर-मौखिक।

  • मौखिक संचार : जहां आप मौखिक रूप से बातचीत करते हैं, आपको संवाद करने के लिए एक भाषा की आवश्यकता है। यह मौखिक रूप से या लिखित तरीके से किया जा सकता है जैसे व्यक्तिगत बातचीत के माध्यम से, लोगों के एक समूह को संबोधित करना, संदेश भेजना, आदि।
  • गैर-मौखिक संचार : एक संचार जहां आपको किसी शब्द को बोलने या उच्चारण करने की आवश्यकता नहीं होती है, इसके कुछ उदाहरण हैं: अभिव्यक्ति के माध्यम से संवाद करना, आँखों के सरल संपर्क द्वारा, शारीरिक भाषा, स्पर्श, हावभाव, आदि कुछ गैर-मौखिक संचार के सबसे सामान्य माध्यम हैं।

संचार का महत्व

जिस तरह से हमें जीने के लिए वस्तुओं की आवश्यकता होती है उसी तरह से संचार भी जीवन का एक अभिन्न अंग है। हम बिना किसी से बात किये जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं या दूसरे शब्दों में, हम उस जीवन की अपेक्षा नहीं कर सकते हैं जिसमें हम चीजों को साझा ही नहीं कर सकते हैं।

  • ज्ञान का स्थानांतरण : जब भी कोई व्यक्ति किसी नई चीज का आविष्कार करता है, तो यह हमें नई चीजों को सीखने में मदद करता है, वे दूसरों को सूचित करते हैं और इस तरह से दुनिया नई चीज से परिचित हो जाती है। यह कैसे संभव हुआ? संचार के माध्यम से, उन्होंने सभी को सूचित किया और हमने भी नई चीज़ के बारे में सीखा। इतना ही नहीं, बल्कि छात्र स्कूल भी जाते हैं, जहाँ शिक्षक उन्हें समझाते हैं और उन्हें संचार की मदद से ज्ञान देते हैं। इसलिए, मैं कह सकता हूं कि संचार हमें ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।
  • हमें समन्वय करने में मदद करता है : बिना संवाद किए दूसरों के साथ काम करना संभव नहीं है। यह हमें समन्वय करने में मदद करता है; अन्यथा, एक ही टीम के सदस्य अलग-अलग तरीकों से कार्य करेंगे। संचार के लिए समन्वय बहुत महत्वपूर्ण है। एक टीम को एक गिल्ड लाइन की आवश्यकता होती है और यह समन्वय के माध्यम से ही संभव है।
  • हमारे रिश्ते को बढ़ावा देता है : संचार अपने प्रियजनों के साथ अपने बंधन को मजबूत करने का सबसे अच्छा तरीका होता है, या तो यह आपकी माँ, शिक्षक, प्रिय, या कोई भी हो। बात करने का एक प्रभावी तरीका वास्तव में हमारे बंधन को मजबूत बना सकता है और वे संबंध लंबे समय तक जीवित रहते हैं।
  • आत्मविश्वास विकसित करता है : अच्छे संचार कौशल वाला व्यक्ति आत्मविश्वासी होता है, यह लोगों के सामने अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में मदद करता है। पढ़ने से ज्ञान बढ़ता है और हमारे बोलने के कौशल पर भी असर पड़ता है। आमतौर पर, नेताओं में बोलने की क्षमता बहुत अच्छी होती है और इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
  • मनोरंजन करता है : जब आप ऊब जाते हैं तो आप आमतौर पर क्या करते हैं? आप टीवी देखना या संगीत सुनना पसंद करते हैं। कभी-कभी हम फिल्म देखने भी जाते हैं। ये सभी मनोरंजन के विभिन्न रूप हैं। इससे पता चलता है कि मनोरंजन के लिए संचार भी आवश्यक है। इसके अलावा आजकल हम कॉमेडी शो देखना ज्यादा पसंद करते हैं और वे अच्छे संचार कौशल वाले लोगों का सबसे बेहतर उदाहरण माना जाता हैं।

हम सभी संवाद करते हैं और हम इस प्रक्रिया का आनंद लेते हैं, या तो हमें अपने किसी प्रिय से बात करनी है या फिर पढ़ना है। हम इस माध्यम से बहुत कुछ सीखते हैं और यह हमारा मनोरंजन भी करता है। यह बहुत सारे अर्थों वाला एक शब्द है। जो लोग बोल कर बात नहीं कर सकते हैं वे अपनी चेहरे की अभिव्यक्ति या लिखित तरीके से भी बात कर सकते हैं।

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Communication क्या है? संचार के तत्व, महत्व, प्रकार एवं उद्देश्य।

Communication यानिकी संचार की आवश्यकता हमें अपने व्यक्तिगत कामों के लिए तो पड़ती ही है। व्यवसायिक कार्यों को निपटाने के लिए और भी, अधिक प्रभावी संचार की आवश्यकता होती है।

संचार की यदि हम बात करें तो यह एक स्थान, व्यक्ति या समूह से सूचनाओं को दूसरे स्थान या व्यक्ति को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया है। प्रत्येक Communication यानिकी संचार में एक प्रेषक यानिकी सूचनाएं देने वाला या प्रेषित करने वाला, एक सन्देश और एक प्राप्तकर्ता यानिकी रिसीवर शामिल होता है।

हालांकि बहुत सारे लोगों को संचार आसान लग सकता है, लेकिन वास्तव में यह एक बहुत ही जटिल विषय है। जिसका मनुष्य के व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन में बड़ा महत्व है। संचार प्रेषित करने वाले से लेकर रिसीव होने तक सन्देश का प्रसारण बहुत सी चीजों से प्रभावित हो सकता है। संचार को प्रभावित करने वाले कारकों में भावनाएं, सांस्कृतिक स्थिति, संचार के लिए इस्तेमाल में लाये जाने वाले माध्यम, और स्थान शामिल हैं।  

इसमें कठिनाई यह है की दुनिया के अधिकतर नियोक्ताओं द्वारा अच्छे संचार कौशल को बेहद महत्व दिया जाता है जबकि सटीक, प्रभावी और स्पष्ट संचार वास्तव में बेहद कठिन होता है। लेकिन यह व्यवसायिक गतिविधियों को सफलतापूर्वक करने के लिए बेहद जरुरी होता है। इसलिए आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से Communication यानिकी संचार के बारे में जानने का प्रयत्न कर रहे हैं।

communication kya hai

संचार क्या है (What is Communication in Hindi)

जब हम बोलकर, लिखकर या किसी अन्य माध्यम का इस्तेमाल करके किसी दुसरे व्यक्ति को जानकारी या सूचनाओं का प्रदान करते हैं, तो इसे Communication या संचार कहा जाता है। इस प्रक्रिया में विचारों और भावनाओं का सफल साझाकरण होता है। स्पष्ट और आसान शब्दों में कहें तो जानकारी, सन्देश, सूचना इत्यादि आदान प्रदान करने की प्रक्रिया ही संचार कहलाती है। इस परिभाषा से स्पष्ट हो जाता है की, केवल सूचनाओं के प्रसारण को ही संचार नहीं कहा जाता है। बल्कि सन्देश, जानकारी, विचार और भावनाओं का साझाकरण भी संचार ही कहलाता है।

संचार के प्रमुख तत्व (Main Elements of Communication in Hindi):  

संचार लगातार चलने वाली यानिकी सतत प्रक्रिया है। इसमें प्रमुख रूप से तीन तत्व संचार प्रेषित करने वाला यानिकी प्रेषक, सन्देश और सन्देश प्राप्त करने वाला रिसीवर होते हैं। संचार प्रक्रिया में और भी तत्व शामिल होते हैं, इनके बारे में संक्षेप में हम नीचे बता रहे हैं।

  • संचारक या प्रेषक ( Sender): Communication Process में प्रेषक या संचारक सन्देश भेजता है यही से संचार की प्रक्रिया शुरू होती है। यह संचार लिखकर, बोलकर, इशारों से या कुछ अन्य के माध्यम से भी हो सकता है।
  • विचार ( Ideas):  इस प्रक्रिया में विचार से आशय संचार के विषय से है जो एक राय, दृष्टिकोण, भावनाएं, विचार, आदेश या सुझाव कुछ भी हो सकता है।   
  • संकेतीकरण ( Encoding): संचारक या प्रेषक द्वारा सन्देश को सांकेतिक रूप से शब्दों, चित्रों, इशारों इत्यादि में कूटबद्ध किया जा सकता है ।
  • संचार का माध्यम ( Communication Channel):   संचारक द्वारा संचार के माध्यम का इस्तेमाल संचार के लिए किया जाता है इसमें टेलीफोन, इन्टरनेट, पोस्ट, कूरियर, फैक्स, ईमेल इत्यादि शामिल हैं ।
  • प्राप्तकर्ता ( Receiver): यह वह व्यक्ति होता है जो सन्देश प्राप्त करता है या जिसके लिए संचारक ने सन्देश भेजा है। रिसीवर को जब सन्देश प्राप्त हो जाता है तो वह उसे उचित परिप्रेक्ष्य में समझकर सन्देश के अनुसार कार्य करता है। तभी संचार का उद्देश्य सफल माना जाता है। 
  • डिकोडिंग ( Decoding) : प्राप्तकर्ता उस सन्देश को समझने के लिए उसे अपनी समझ के अनुसार रूपांतरित करता है ताकि वह उसे अच्छी तरह से समझ कर उसका अर्थ निकाल सके।  
  • फीडबैक : एक बार जब रिसीवर ने प्रेषक को इस बात की पुष्टि दे दी की उसे उसका सन्देश मिल गया है और उसे वह समझ में आ गया है तो इस प्रकार से Communication Process पूर्ण हो जाता है।

संचार का महत्व (Importance of Communication in Hindi):

संचार के कुछ प्रमुख महत्व इस प्रकार से हैं।

  • संचार समन्वय का आधार होता है, इसके माध्यम से मेनेजर कर्मचारियों को संगठनात्मक लक्ष्यों, उनकी उपलब्धियों के तरीकों और पारस्परिक संबंधों के बारे में बता पाने में सक्षम होता है। यह विभिन्न कर्मचारियों के बीच और विभागों के बीच समन्वय स्थापित करता है। यही कारण है की Communication किसी भी संगठन में एक समन्वय आधार के तौर पर कार्य करता है।
  • किसी संगठन का प्रबंधक उसके भौतिक तत्वों और मानव को सुचारू रूप और कुशलता से चलाने के लिए कोर्डिनेशन करता है। यह कोर्डिनेशन उचित संचार के बिना संभव नहीं होता है।
  • उचित संचार के माध्यम से मैनेजर निर्णय लेने में सक्षम हो पाते हैं, यदि प्रबंधक के पास संचार का अभाव या जानकारी का अभाव रहेगा, तो वह उचित निर्णय नहीं ले पायेगा। इस प्रकार से देखें तो Communication उचित एवं सही निर्णय लेने के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
  • संगठन का मैनेजर संगठन के लक्ष्य निर्धारित करता है, और अपने अधीनस्थो को उन लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए निर्देश जारी करता है और काम का आवंटन करता है। इन सभी पहलुओं में संचार प्रमुख रूप से शामिल होता है। इस प्रकार से देखें तो प्रबंधकों और सम्पूर्ण संगठन के त्वरित और प्रभावी प्रदर्शन के लिए संचार बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।
  • दो तरफ़ा संचार प्रक्रिया जो श्रमिकों और प्रबंधकों के बीच होती है, वह श्रमिकों और प्रबंधकों के बीच सहयोग और आपसी समझ को बढ़ावा देती है। इससे व्यवसायिक संगठन में शांति और कुशल संचालन बना रहता है।
  • अच्छा संचार औदयोगिक इकाई में कार्यरत श्रमिकों को काम के भौतिक और सामाजिक पहलू को समायोजित करने में मदद करता है। मानवीय संबंधों को बेहतर बनाने में भी सहायक होता है। संचार की कुशल प्रणाली के माध्यम से अधीनस्थों को प्रेरित, प्रभावित और संतुष्ट किया जा सकता है।       

संचार के प्रकार (Types of Communication in Hindi):

मौखिक संचार ( verbal communication):.

मौखिक संचार तब होता है जब हम किसी के साथ बोलकर अपनी बात कहते हैं वर्तमान में मौखिक संचार के अनेकों माध्यम जैसे टेलीफोन, स्काइप, ज़ूम, आमने सामने किसी से बात करना इत्यादि शामिल हैं। आम तौर पर मौखिक संचार आमने सामने व्यक्तियों के बीच अधिक होता है इसके अलावा फ़ोन और इन्टरनेट के अनेकों माध्यमों के जरिये भी मौखिक संचार होता है।

अनकहा संचार ( Non Verbal Communication):

कभी कभी स्थिति ऐसी होती है की हमें बोलने की नहीं बल्कि अमौखिक रूप से भी अपनी बात को रखना पड़ता है। अनकहे संचार की श्रेणी में चेहरे के भाव, आसन, आँखों का संपर्क, हाथों की चहलकदमी, हाथों कला स्पर्श इत्यादि शामिल हैं। माना की यदि आप किसी से बातचीत कर रहे हैं और उस बातचीत के दौरान रिसीवर को उबकाई आ रही है, आँखों में थकान सी दिख रही है फिर भले ही वह मौखिक रूप से आपसे कुछ और कह रहा हो लेकिन अशाब्दिक शब्दों का मतलब स्पष्ट है की वह आपकी बातों से उब रहा है।

लिखित संचार ( Written Communication):

व्यवसायिक संगठनों में कुछ भी कार्य करने के लिए लिखित संचार का होना अनिवार्य माना गया है इसलिए इस प्रकार के Communication में अनेकों जटिलताएँ होने के बावजूद यह बेहद ही महत्वपूर्ण है।वर्तमान में पोस्ट ऑफिस कूरियर के माध्यम से लिखित दस्तावेज भेजना, ईमेल, मेमो, रिपोर्ट, फेसबुक पोस्ट, ट्वीट, एग्रीमेंट इत्यादि सभी लिखित संचार के ही उदाहरण हैं।

सुनना ( LISTENING ) :

हालांकि देखा जाय तो सुनने का कार्य संचार के प्रकारों में अपना स्थान नहीं बनाता है। लेकिन वास्तविकता यह है की सुनना भी संचार के सबसे महत्वपूर्ण प्रकारों में से एक है क्योंकि यदि रिसीवर प्रेषक की बात सुनेगा नहीं, तो वह प्रभावी रूप से उस कार्य को करेगा कैसे? इसलिए बातचीत को सफल बनाने में सुनना बेहद महत्वपूर्ण होता है।

दृश्य संचार ( Visual Communication):  

दृश्य संचार से आशय टेलीविजन के माध्यम से हो रहे संचार, यूट्यूब, फेसबुक, इन्स्टाग्राम इत्यादि मंचों के माध्यम से हो रहे संचार से लगाया जा सकता है । संचार का यह प्रकार वर्तमान जीवनशैली में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सोशल मीडिया, टेलीविजन इत्यादि के माध्यम से लोग न सिर्फ अपने विचार या मनोरंजन करते हैं बल्कि उद्यमी अपने व्यवसाय का विज्ञापन भी करते हैं ।

संचार का उद्देश्य ( Purpose of Communication in Hindi):

एक संगठन में काम करवाने की जिम्मेदारी प्रबंधकों की होती है उन्हें काम को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए समय समय पर अपने अधीनस्थों को काम इत्यादि के लिए सूचित करना पड़ता है और उन्हें बताना पड़ता है की वे सौपें गए काम को बेहतर ढंग से कैसे कर सकते हैं? इसलिए किसी भी संगठन में Communication बेहद जरुरी होता है। संचार के उद्देश्यों की लिस्ट इस प्रकार से है।

जानकारी का प्रवाह –

प्रासंगिक जानकारी ऊपर से नीचे की ओर या नीचे से ऊपर की ओर लगातार प्रवाहित होनी चाहिए। संगठन में संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी स्तरों पर कर्मचारियों को उनके काम के बारे में सूचित किया जाना आवश्यक होता है। जानकारी या सूचना को उस भाषा में पहुँचाना चाहिए जिस भाषा में कर्मचारी समझ सकें कोई गलत सूचना न पहुंचे इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए। सही व्यक्ति के माध्यम से सही जानकारी सहोई वक्त पर सही व्यक्त तक पहुंचनी आवश्यक है।  

समन्वय ( Coordination ):

संचार के माध्यम से संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संगठन में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के बीच समन्वय स्थापित किया जा सकता है। इसलिए संचार का उद्देश्य सभी कर्मियों एवं विभागों के बीच समन्वय स्थापित करके व्यवसायिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का भी होता है।

प्रबंधन कौशल सीखना –

Communication का अगला उद्देश्य कर्मचारियों को अनुभवी लोगों के माध्यम से सीखाकर प्रबंधकीय कौशल सिखाना भी है। क्योंकि संचार सूचना, विचारों, विश्वासों, धारणा, सलाह, राय, आदेश और निर्देश इत्यादि के प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है।

लोगों को परिवर्तन स्वीकार के लिए तैयार करना –

किसी भी संगठन के लिए प्रभावी संचार एक बेहद महत्वपूर्ण उपकरण है क्योंकि संगठन इसे संगठनात्मक नीतियों, प्रक्रियाओं और कार्य शैली में समग्र परिवर्तन लाने, कर्मचारियों को सकारात्मक रूप से इन परिवर्तनों को स्वीकार करने और प्रतिक्रिया करने के लिए इस्तेमाल में ला सकता है।  

अच्छे मानवीय सम्बन्ध विकसित करना –

किसी भी समस्या का समाधान या मनभेद, मतभेद इत्यादि को दूर करने के लिए संवाद बेहद आवश्यक है । इसलिए प्रबंधकों और श्रमिकों में व्यक्तिगत संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए भी Communication बेहद आवश्यक होता है क्योंकि जब जानकारी का आदान प्रदान होता है तभी हम एक दुसरे को अच्छी तरह समझ पाते हैं और इससे अच्छे मानवीय सम्बन्ध विकसित करने में मदद मिलती है।

अधीनस्थों के विचार जानने का उद्देश्य –

किसी व्यवसायिक संगठन में संचार का प्रमुख उद्देश्य अधीनस्थों के विचारों को जानना और उन्हें प्रोत्साहित करना भी हो सकता है। जब अधीनस्थों के विचारों का सम्मान होगा तो यह बात उन्हें और अधिक मेहनत करने को प्रेरित करेगी। इसके अलावा Communication के माध्यम से वे अपने सीनियर से बिना किसी हिचकीचाहट के जानकारी, सूचनाएँ इत्यादि साझा कर पायेंगे।

आम भाषा में आपके द्वारा किसी अन्य व्यक्ति से की गई बातचीत के तरीके को ही कम्युनिकेशन स्किल कहा जाता है। वर्तमान में बातचीत के अलावा भी संचार के कई अन्य माध्यम उपलब्ध हैं।

हालांकि एक लाइन में इसका उत्तर देना कठिन है, लेकिन पॉइंट टू पॉइंट बात करना, दुसरे की बात सुनना, सही शब्दों का इस्तेमाल करना, आत्म विश्वास से ओत प्रोत रहकर, और नियमित तौर पर अभ्यास करके Communication Skill बढ़ाया जा सकता है।     

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  • अपने प्रोडक्ट या सेवा की मार्केटिंग कैसे करें.
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आधुनिक युग में संचार के साधन अथवा संचार के आधुनिक साधन पर निबंध

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ADVERTISEMENTS:

आधुनिक युग में संचार के साधन अथवा संचार के आधुनिक साधन पर निबंध | Essay on Means of Communication in the Modern Era in Hindi!

संचार मानव की प्रगति के लिए अति महत्वपूर्ण है । यह विश्व के एक देश में बैठे लोगों को दूसरे देशों से जोड़ता है । आज मानव सभ्यता प्रगति की ओर अग्रसर है । इसका प्रमुख श्रेय संचार के आधुनिक साधनों को जाता है ।

संचार के क्षेत्र में मनुष्य की उपलब्धियों ने विश्व की दूरियों को समेटकर बहुत छोटा कर दिया है । प्राचीन काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने के लिए ‘दूत’ भेजे जाते थे जो प्राय: आवागमन के लिए घोड़ों आदि का प्रयोग करते थे । पक्षियों द्‌वारा संदेश भेजने के भी अनेक उदाहरण मिलते हैं । उस काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने में महीनों लग जाते थे परंतु आज स्थिति पूर्णत: बदल चुकी है ।

तार की खोज के साथ ही संचार के क्षेत्र में क्रांति का प्रारंभ हो गया । इसके द्‌वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ‘इलेक्ट्रॉनिक’ यंत्रों की सहायता से तार के माध्यम से संकेत प्रेषित किए जाने लगे । इसके पश्चात् ‘दूरभाष’ के आविष्कार ने तो संचार जगत में हलचल ही मचा दी ।

इसके द्‌वारा व्यक्ति घर बैठे सैकड़ों मील दूर अपने सगे-संबंधियों व परिजनों से बात कर सकता है । इसके साथ ही संचार को और अधिक सुचारू एवं सक्षम बनाने हेतु अनुसंधान प्रारंभ कर दिए गए ।

वर्तमान में संचार के क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने अद्‌भुत सफलताएँ अर्जित की हैं । कंप्यूटर के आविष्कार के बाद इस क्षेत्र में प्रतिदिन नए आयाम स्थापित हो रहे हैं । संचार जगत में ‘ई-मेल’ की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है । ई-मेल के उपयोग या इससे होने वाले लाभ बहुआयामी हैं ।

‘ई-मेल’ के माध्यम से विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से हम संपर्क स्थापित कर सकते हैं । सबसे महत्वपर्ण बात यह है कि इसमें होने वाला खर्च बहुत कम है । दूरभाष द्‌वारा स्थानीय बातचीत में उपभोक्ता को जो खर्च देना पड़ता है उतने ही खर्च में ई-मेल द्‌वारा विदेशों में बैठे व्यक्ति को संदेश भेजे जा सकते हैं ।

इलेक्ट्रॉनिक मेल द्‌वारा लोग द्‌विपक्षीय वार्ता भी कर सकते हैं । ‘ई-मेल’ के माध्यम से एक संदेश को हजारों लोगों को एक साथ भेजा जा सकता है । इस प्रकार हम देखते हैं कि ‘ई-मेल’ ने विश्व संचार के क्षेत्र को कितना विस्तृत कर दिया है ।

संचार के क्षेत्र में ‘विडियो कांफ्रेंसिंग’ भी वैज्ञानिकों की एक अद्‌भुत देन है । इसके माध्यम से दो या दो से अधिक व्यक्ति एक दूसरे से मीलों दूर रहकर भी आपस में बातचीत कर सकते हैं तथा साथ ही परदे पर एक दूसरे को देख भी सकते है ।

इसके अतिरिक्त ‘फैक्स’ मशीन के द्‌वारा कागज पर लिखे संदेशों को दूरभाष लाइनों की सहायता से दूर बैठे व्यक्ति को केवल कुछ ही सैकेंडों में भेजा जा सकता है । ई-मेल को फैक्स का ही उत्तम रूप माना जा सकता है ।

इस प्रकार हम देखते हैं कि मनुष्य ने संचार के क्षेत्र में असीम सफलताएँ अर्जित की हैं । आज इन्हीं सफलताओं व उपलब्धियों के कारण विश्व के सभी देशों का आपसी संपर्क बढ़ा है ।

भारत में बैठे हुए भी दुनिया के दूसरे कोने जैसे अमरीका में होने वाली घटनाओं से हम तुरंत अवगत हो जाते हैं । संचार के क्षेत्र में मानव की उपलब्धियों के कारण ही आज संपूर्ण विश्व की दूरियाँ सिमटकर अत्यंत छोटी हो गई हैं ।

संचार के साधनों के विकास ने अन्य क्षेत्रों में वाणिज्यिक प्रगति को अपेक्षाकृत सरल बना दिया है । आज व्यापार से संबंधित कार्य संचार के साधनों के बदौलत घर या कार्यालय में बैठे-बैठे संपन्न किए जा सकते हैं ।

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Means of communication in hindi essay & meaning संचार के साधन पर निबंध व महत्व.

Read what are the different means of communication in Hindi language. We have added an essay on means of communication in Hindi with meaning. Know more about different means in which people can communicate with others.

hindiinhindi Means of Communication in Hindi

Means of Communication in Hindi

संचार मानव की प्रगति के लिए अति महत्त्वपूर्ण है। यह विश्व के एक देश में बैठे लोगों को दूसरे देशों से जोड़ता है। आज मानव सभ्यता प्रगति की ओर अग्रसर है। इसका प्रमुख श्रेय संचार के आधुनिक साधनों को जाता है। संचार के क्षेत्र में मनुष्य की उपलब्धियों ने विश्व की दूरियों को समेटकर बहुत छोटा कर दिया है।

प्राचीन काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने के लिए ‘दूत’ भेजे जाते थे जो प्राय: आवागमन के लिए घोड़ों आदि का प्रयोग करते थे। पक्षियों द्वारा संदेश भेजने के भी अनेक उदाहरण मिलते हैं। उस काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने में महीनों लग जाते थे परन्तु आज स्थिति पूर्णत: बदल चुकी है।

तार की खोज के साथ ही संचार के क्षेत्र में क्रांति का प्रारम्भ हो गया। इसके द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ‘इलेक्ट्रॉनिक’ यंत्रों की सहायता से तार के माध्यम से संकेत प्रेषित किए जाने लगे। इसके पश्चात् ‘दूरभाष’ के आविष्कार ने तो संचार जगत में हलचल ही मचा दी। इसके द्वारा व्यक्ति घर बैठे सैंकड़ों मील दूर अपने सगे सम्बन्धियों व परिजनों से बात कर सकता है। इसके साथ ही संचार को और अधिक सुचारू एवं सक्षम बनाने हेतु अनुसंधान प्रारम्भ कर दिए गए हैं।

वर्तमान में संचार के क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने अद्भुत सफलताएं अर्जित की हैं। कम्प्यूटर के आविष्कार के बाद इस क्षेत्र में प्रतिदिन नए आयाम स्थापित हो रहे हैं। संचार जगत में ‘ई-मेल’ की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। ई-मेल के उपयोग या इससे होने वाले लाभ बहुआयामी हैं। ‘ई-मेल के माध्यम से विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से हम संपर्क स्थापित कर सकते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसमें होने वाला व्यय बहुत कम है। दूरभाष द्वारा स्थानीय बातचीत में उपभोक्ता को जो खर्च देना पड़ता है उतने ही खर्च में ई-मेल द्वारा विदेशों में बैठे व्यक्ति को संदेश भेजे जा सकते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मेल द्वारा लोग द्विपक्षीय वार्ता भी कर सकते हैं। ‘ई-मेल’ के माध्यम से एक संदेश को हजारों लोगों को एक साथ भेजा जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि ‘ई-मेल’ ने विश्व संचार के क्षेत्र को कितना विस्तृत कर दिया है। संचार के क्षेत्र में ‘वीडियो कांफ्रेंसिग’ भी वैज्ञानिकों की एक अद्भुत देन है। इसके माध्यम से दो या दो से अधिक व्यक्ति एक दूसरे से मीलों दूर रह कर भी आपस में बातचीत कर सकते हैं तथा साथ ही पर्दे पर एक दूसरे को देख भी सकते हैं।

इसके अतिरिक्त ‘फैक्स’ मशीन द्वारा कागज पर लिखे संदेशों की दूरभाष लाइनों की सहायता से दूर बैठे व्यक्ति को केवल कुछ ही सैकिंडों में भेजा जा सकता है। ई-मेल को फैक्स का ही उत्तम रूप माना जा सकता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि मनुष्य ने संचार के क्षेत्र में असीम सफलता अर्जित की हैं। आज इन्हीं सफलताओं व उपलब्धियों के कारण विश्व के सभी देशों का आपसी सम्पर्क बढ़ा है। भारत में बैठे हुए भी दुनिया के कोने जैसे अमरीका में होने वाली घटनाओं से हम तुरन्त अवगत हो जाते हैं। संचार के क्षेत्र में मानव की उपलब्धियों के कारण ही आज सम्पूर्ण विश्व की दूरियां सिमटकर अत्यन्त छोटी हो गई हैं।

संचार के साधनों के विकास ने अन्य क्षेत्रों में वाणिज्यक प्रगति को अपेक्षाकृत सरल बना दिया है। आज व्यापार से सम्बन्धित कार्य संचार के साधनों की बदौलत घर या कार्यालय में बैठे-बैठे सम्पन्न किए जा सकते हैं।

अन्तरिक्ष अभियान में पिछले कई वर्षों से निरन्तर सफलताएं मनुष्य ने प्राप्त की हैं। ऐसा अब असम्भव नहीं लगता है कि मनुष्य दूसरे ग्रहों और उपग्रहों में भी अपना आवास बना लेगा और यह कम्प्यूटर की सहायता के बिना सम्भव नहीं था। दूर संचार के साधनों में सेटेलाइट प्रमुख रूप से उपयोगी सिद्ध हो रहा है। इससे आज हज़ारों मील दूर स्थित दूसरे देशों में होने वाले प्रोग्राम आसानी से हर देशों में प्रसारित किए जाते हैं और इनमें भी कम्प्यूटर ही महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। मौसम की जानकारी के लिए सेटेलाइट्स द्वारा भेजे गए चित्र बहुत उपयोगी होते हैं क्योंकि इससे मौसम सम्बन्धी खतरों के बारे में पूर्व जानकारी मिलने से आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं।

भारत ने अमेरिका से एक सुपर कम्प्यूटर के एक्स-ए-पी-14 खरीदा है जो कि दिल्ली के मौसम विभाग में रखा गया है। आधुनिक युग में कम्प्यूटर और रोबोट निश्चय ही क्रांतिकारी सिद्ध होंगे। इनसे मानव इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ रहा है। रोबोट सभी प्रकार के काम करने में समर्थ हो रहा है और कम्प्यूटर उसकी सहायता के लिए तैयार है। कम्प्यूटर और रॉबोट दोनों संवेदन शून्य है, मस्तिष्क शून्य है, वे केवल यन्त्र मात्र है। अतः आवश्यक है कि इन्हें संवेदनाओं और भावनाओं से नियन्त्रित किया जाए।

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Means Of Communication Essay In Hindi

संचार के साधन पर निबंध – Means Of Communication Essay In Hindi

संचार के साधन पर निबंध – (essay on means of communication in hindi), बढ़ते संचार के साधन : सिमटता संसार – means of increasing communication: the shrinking world.

  • सामाजिकता क्या है
  • सामाजिकता और संसार.
  • सामाजिकता का घटना,
  • संचार साधनों का विस्तार,
  • संचार साधनों का सामाजिकता पर प्रभाव,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

संचार के साधन पर निबंध – Sanchaar Ke Saadhan Par Nibandh

प्रस्तावना– यह कहना कठिन है कि मनुष्य ने कब समाज में रहना आरम्भ किया। आज जो सामाजिक जीवन हमारे लिए अपरिहार्य बन गया है उसका आरम्भ कब और कैसे हुआ होगा, इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है। निश्चय ही पहले परिवार अस्तित्व में आए और फिर सामूहिकता या सामाजिकता के लाभ देख और अनुभव करके परिवारों के समूह समाज में बदल गए।

परिवार को समाज या सामाजिकता की प्रथम पाठशाला कहा जाता है। परिवार में ही बालक को प्रेम, सहानुभूति, सहयोग और अनुशासन की शिक्षा मिलती है। इस सहज प्रशिक्षण का वह बड़े परिवार अर्थात् समाज में प्रयोग करता है? व्यक्ति की सुरक्षा, सम्मान और आकांक्षाएँ समाज में रहकर ही सम्भव और परिपूर्ण होती हैं।

Sanchaar Ke Saadhan Par Nibandh

सामाजिकता क्या है? – What is Sociality?

समाज की रीति– नीति, परम्परा और आस्थाओं का पालन करते हुए, समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए, एक सभ्य नागरिक की तरह समाज में रहना ही सामाजिकता है। जो व्यक्ति सामाजिक सम्बन्धों के प्रति संवेदनशील नहीं होता, अपने आप में या अपने परिवार तक ही सीमित रहता है उसे असामाजिक कहा जाता है। मनुष्य को कदम–कदम पर समाज की आवश्यकता होती है।

जन्म, मृत्यु, विवाह, उत्सव, संकट के समय सामाजिकता का महत्त्व समझ में आता है। सामाजिकता रहित व्यक्ति स्वयं को एकाकी और असुरक्षित अनुभव करता है। सामाजिकता ही मनुष्य को सम्मान और लोकप्रियता दिलाती है। मिलनसार व्यक्ति के कठिन कार्य और समस्याएँ भी सामाजिकता के कारण सरल हो जाते हैं।

सामाजिकता और संसार– आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का कथन है कि मनुष्य अपना संसार स्वयं बनाता है, उसके मित्र, सम्बन्धी और परिचित ही उसका संसार होते हैं। इनसे ही वह मिलना और बातचीत करना चाहता है। इस तरह समाज का व्यापक और विस्तृत रूप ही संसार है।

संचार साधनों ने हमारे परिचय क्षेत्र का विस्तार किया है, परन्तु इन साधनों के कारण हमारे निजी और प्रत्यक्ष सम्पर्क भी घटे हैं। इन साधनों ने मनुष्य को अपने आकर्षण के जाल में इतना उलझा लिया है कि उसका सम्पर्क क्षेत्र सीमित हो गया है। वह आत्मकेन्द्रित हो गया है।

सामाजिकता का घटना– आजकल सामाजिकता की भावना निरन्तर घटती जा रही है। इसको ही संसार का सिमटना कह सकते हैं। सामाजिकता घटने के अनेक कारण हैं। इनमें अहंकार, व्यस्तता, श्रेष्ठता की भावना, सम्पन्नता, नगर–सभ्यता का प्रभाव, समूह–भावना की कमी आदि प्रमुख हैं। पारस्परिक औपचारिक सम्बन्धों की वृद्धि के कारण लोगों में घुलने–मिलने की प्रवृत्ति कम हो गई हैं महानगरों में एक ही भवन में रहने वाले एक–दूसरे से अपरिचित बने रहते हैं।

पहले पूरे मोहल्ले में लोग एक–दूसरे को जानते–पहचानते थे, एक–दूसरे के यहाँ आते–जाते थे। अब व्यवसाय और नौकरी की बाध्यता के कारण भी लोग सुबह से शाम तक व्यस्त रहते हैं।

संचार साधनों का विस्तार– पहले संचार साधनों की अत्यन्त कमी थी इसलिए व्यक्ति से व्यक्ति के मिलने के अवसर काफी कम होते थे। दूर रहने वाले लोगों से पत्रों के माध्यम से समाचारों का आदान–प्रदान होता था। आज व्यक्ति को संचार के अनेक साधन उपलब्ध हैं। टेलीफोन है, मोबाइल फोन है, फैक्स है, इन्टरनेट है।

आने–जाने, प्रत्यक्ष भेंट करने की आवश्यकता नहीं, घर बैठे उसके सारे काम हो जाते हैं। पहले त्योहारों पर लोग एक–दूसरे के घर जाते थे, शुभकामनाएँ देते थे। अब तो एस. एम.एस से ही काम चल जाता है। टेलीकान्फ्रेंस के द्वारा साक्षात्कार और बैठक सम्पन्न हो जाती है।

संचार साधनों का सामाजिकता पर प्रभाव– संचार साधनों की विविधता और सुलभता. ने मनुष्य के सामाजिक सम्बन्धों को गहराई से प्रभावित किया है। वह आत्मकेन्द्रित होता जा रहा है उसकी एक निजी दुनिया बन गई है। संचार उपकरण ही उसके संगी–साथी हैं। मोबाइल हर समय आपके साथ और हाथ में है। उठते, बैठते, चलते, यात्रा में, बाजार में नगर में, जंगल में, हर समय मोबाइल आपको सम्पर्क की सुविधा देता है।

फिर आपको समाज के बीच जाने की क्या आवश्यकता है। अब निबन्ध मनोरंजन के लिए मित्रों के बीच जाने या उन्हें बुलाने की आवश्यकता नहीं। अकेला टी.वी आपके पूरे परिवार का मनोरंजन कर सकता है। इन्टरनेट से हर सुविधा घर बैठे हाजिर है। पुस्तकालय में जाने का कष्ट क्यों किया जाय।

एक क्लिक पर पुस्तकें आपके कम्प्यूटर स्क्रीन पर उपस्थित हैं। नौकरी, विवाह, व्यवसाय हर समस्या का हल नेट कर सकता है। संचार–साधनों ने व्यक्ति की सामाजिक गतिविधियों को अत्यन्त सीमित कर दिया है।

उपसंहार– आज मनुष्य संचार–साधनों की चकाचौंध से घिरकर समाज से कटता जा रहा है। मोबाइल, नेट और टी.वी. जा रहा है। सामाजिकता की निरन्तर हो रही कमी ने व्यक्ति के अनेक मौलिक गणों को निस्तेज कर दिया है।

इस नशे से सावधान न हुए तो नई–पीढ़ी धीरे–धीरे अवसाद, मोटापे, मन्द–दृष्टि आदि रोगों की शिकार हो जाएगी। लोग ‘मैं’ तक ही केन्द्रित हो जायेंगे ‘हम’ के रूप में सोचना भूल जाएँगे। अतः संचार–साधनों का सीमित और आवश्यक उपयोग ही समाज में होना चाहिए।

Essay on Means of Communication in Hindi

संचार के साधनों निबंध | Means of Communication in Hindi | Hindi Essay | Means of Communication Essay in hindi.

आज एक क्लिक पर कई पुस्तकें मोबाइल के स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाती है तथा अन्य व्यवसाय साइट हमें दिखाई देती है तथा नौकरियों के विकल्प हमारे सामने खुल जाते हैं। यदि हम संचार माध्यमों का सही उपयोग करें तो वह अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। आधुनिक जगत में आजकल के आसान और जलद और संचार माध्यमों का सही उपयोग करना चाहिए। यह हमारे जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैl उपयोगिता और लाभ हमें समझ कर इसका सदुपयोग करना चाहिए।

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दा इंडियन वायर

संचार का महत्व पर निबंध

essay on means of communication in hindi

By विकास सिंह

Importance of communication essay in hindi

विषय-सूचि

संचार का महत्व पर निबंध, Importance of communication in hindi essay (200 शब्द)

अक्सर देखा जाता है कि जिन परिवारों में लोग एक-दूसरे से बात करते हैं, वे अधिक खुश रहते हैं। वे अपने सुख, दुख और अन्य भावनाओं को एक दूसरे के साथ साझा करते हैं। ऐसे परिवारों में चहल-पहल का माहौल होता है। वे हर पल को मनाते है और हँसते खेलते हैं।

वे कभी अकेलापन या ऊब महसूस नहीं करते। वे जानते हैं कि जब भी वे किसी चीज के बारे में बात करना चाहते हैं या एक भावना साझा करते हैं तो उन्हें सुनने के लिए हमेशा एक कान होता है। इस तरह के संचार का महत्व है। इसकी तुलना में, वे परिवार जहाँ सभी सदस्य अपने-अपने कामों में तल्लीन रहते हैं और अपने आसपास के लोगों की देखभाल करने या उनसे बात करने की जहमत नहीं उठाते हैं, आमतौर पर उतने खुश नहीं होते।

ऐसे परिवारों में माहौल काफी नीरस और उदास है। लोग अपने-अपने कामों में व्यस्त हैं। उनके बाहर दोस्त हैं और उनके परिवार के सदस्यों के साथ उतना करीबी नहीं है। वे अपने परिवार के सदस्यों के बजाय अपने दोस्तों और सहयोगियों के साथ आउटिंग की योजना बनाते हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने सभी के साथ संचार के महत्व की उपेक्षा की है और इस प्रकार एक दूसरे के साथ संचार करने में सहज नहीं हैं। और अच्छे संचार के बिना कोई ऐसा तरीका नहीं है जिसका कोई आनंद ले सके। ऐसे परिवारों में लोग अक्सर खुद को अकेला पाते हैं और अवसाद में भी पड़ जाते हैं।

इसी तरह, संचार की कमी हर स्थिति में हानिकारक है। हम सभी को संचार के महत्व का एहसास होना चाहिए।

संचार का महत्व पर निबंध, Importance of communication essay in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना :.

जैसा कि पॉल जे. मेयर कहते हैं, “संचार मानव कनेक्शन, व्यक्तिगत और कैरियर की सफलता की कुंजी है”। संचार के महत्व पर कई बार जोर दिया गया है। आध्यात्मिक गुरु और दुनिया भर के प्रसिद्ध नेताओं ने अक्सर इसके महत्व पर जोर दिया है।

संवाद का अधिकार :

संचार का अधिकार भारत में बुनियादी मानव अधिकारों में से एक के रूप में कहा गया है। इसमें राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार शामिल है। यह लोकतंत्र का आधार बनता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत की लोकतांत्रिक सरकार संचार के महत्व को समझती है, इसीलिए उसने यह स्वतंत्रता दी है।

संचार किसी देश की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारने में मदद करता है। भारत में लोग विभिन्न चीजों पर अपनी राय देने के लिए स्वतंत्र हैं। वे राजनीतिक नेताओं से किसी भी चीज के लिए सवाल कर सकते हैं जो गलत हो जाता है या उनकी प्रतिबद्धता के अनुसार काम नहीं करता है।

वे विभिन्न क्षेत्रों में सुधार करने के बारे में अपने सुझाव देने के लिए भी स्वतंत्र हैं। इससे देश की समग्र स्थिति को सुधारने में मदद मिलती है। कई लोग अपनी राय देने और सरकार को सुझाव देने के लिए आगे आए हैं और राष्ट्र को मजबूत बनाने में मदद की है।

व्यक्तिगत स्तर पर संचार :

व्यक्तिगत स्तर पर भी संचार बेहद जरूरी है। ऐसे व्यक्ति जो अपने मुद्दों को हल करते हैं और एक-दूसरे के साथ संवाद करके अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हैं, एक खुशहाल जगह पर होते हैं। वे व्यक्त करते हैं कि वे क्या महसूस करते हैं – यह कुछ अच्छा या बुरा हो।

वे दूसरे लोगों के दृष्टिकोण को सुनने के लिए भी खुले हैं ताकि उन्हें बेहतर समझा जा सके। इससे किसी भी तरह की गलतफहमी को दूर करने में मदद मिलती है जिससे कई सारी अन्य समस्याएं हो सकती हैं। दूसरी ओर, जो लोग संचार से बचते हैं और चुप्पी का सहारा लेते हैं वे चीजों को जटिल करते हैं। वे कुछ भी स्पष्ट नहीं करते हैं और अक्सर दूसरों के खिलाफ शिकायत रखते हैं।

निष्कर्ष :

हमें विभिन्न स्तरों पर संचार के महत्व को समझना चाहिए। संचार लोगों की राय रखने के लिए महत्वपूर्ण है और दूसरे को समझने के लिए भी।

संचार के साधन का महत्व, Importance of communication essay in hindi (400 शब्द)

संचार लोगों के विचारों और विचारों को रखने और दूसरों को सुनने का एक तरीका है ‘। स्वस्थ बातचीत के लिए दो तरह से संवाद होना जरूरी है। जो लोग संचार के महत्व को समझते हैं वे स्वस्थ व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों को विकसित करते हैं। दूसरी ओर, जो लोग चर्चा करने और उन्हें हल करने के बजाय चीजों को अपने पास रखते हैं वे विभिन्न स्तरों पर समस्याओं का अनुभव करते हैं।

व्यक्तिगत संबंधों में संचार का महत्व :

चीजों को सुचारू रखने के लिए हमारे निकट और प्रिय लोगों के साथ संवाद करना बेहद महत्वपूर्ण है। चाहे वह माता-पिता के बच्चे का रिश्ता हो, पति पत्नी का रिश्ता हो, भाई-बहन का रिश्ता हो या ससुराल से रिश्ता हो – एक मजबूत रिश्ता बनाने के लिए स्वस्थ दो तरफ से संवाद बनाए रखना जरूरी है।

एक रिश्ता जिसमें संचार की कमी होती है वह कभी सफल नहीं हो सकता और बहुत सी गलतफहमियों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, एक माता-पिता के बच्चे का रिश्ता सुंदर होता है जब वे एक-दूसरे के साथ अच्छी तरह से संवाद करते हैं।

एक परिवार जहां बच्चे अपने माता-पिता के साथ विभिन्न प्रकार के मामलों पर चर्चा करने में संकोच नहीं करते हैं, बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए सबसे अच्छा है। इस तरह के आराम स्तर का निर्माण माता-पिता द्वारा संचार के माध्यम से किया जाता है। यह केवल तब होता है जब माता-पिता अपने बच्चों के साथ संवाद करते हैं और उन्हें सुनने के लिए एक कान देते हैं कि बच्चे उनके साथ सहज महसूस करते हैं और उनके साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हैं।

इसी तरह, यह कहा जाता है कि एक पति-पत्नी का रिश्ता सबसे अच्छा काम करता है अगर वे एक-दूसरे के साथ दोस्ती का गहरा बंधन विकसित करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि दोस्त एक दूसरे के साथ सब कुछ साझा करते हैं और मोटे और पतले के माध्यम से एक दूसरे के लिए मजबूत खड़े होते हैं।

उन्हें दूसरे व्यक्ति की प्रतिक्रिया के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें न्याय नहीं किया जाएगा। पति पत्नी जो एक दूसरे के साथ अधिक संवाद करते हैं वे बेहतर विश्वास और पारदर्शिता का निर्माण करते हैं और इस प्रकार एक मजबूत बंधन विकसित करते हैं।

दूसरी ओर, जो लोग एक-दूसरे के साथ अपनी समस्याओं पर चर्चा नहीं करते हैं, वे भावनाओं को कैद कर लेते हैं, अविश्वास पैदा करते हैं और यह आगे चलकर बड़ी समस्याओं का कारण बनता है। उनमें से कई एक दूसरे के साथ एक ही चर्चा करने के बजाय बाहरी लोगों के साथ अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हैं और अंत में अलग हो जाते हैं।

कई लोगों को अपने गुस्से को दिखाने के लिए अपने प्रियजनों को ठंडा करने और चुप उपचार देने की आदत होती है। यह सबसे खराब सजा है जो आप किसी को दे सकते हैं।

यह समय है कि लोगों को संचार के महत्व का एहसास होना चाहिए और गलतफहमी और पीछा करने वाली समस्याओं से बचने के लिए एक दूसरे के साथ संवाद करना चाहिए। तभी हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर पायेंगे।

संचार का महत्व पर निबंध, Importance of communication essay in hindi (500 शब्द)

संचार के महत्व पर बार-बार जोर दिया गया है। जबकि कुछ लोग अच्छी तरह से संवाद करने की गुणवत्ता के साथ पैदा होते हैं, जबकि कुछ प्रयासों से इसे सीख सकते हैं।

टू वे कम्युनिकेशन जरूरी है :

यदि इसे दो तरह से किया जाए तो संचार को प्रभावी कहा जाता है। यदि केवल एक व्यक्ति ही बात करता है और दूसरे को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जाता है, तो यह एक अस्वस्थ वार्तालाप माना जाता है। संचार के महत्व को समझना चाहिए, लेकिन साथ ही लोगों को उसी में निष्पक्ष खेल सुनिश्चित करना चाहिए।

संपूर्ण वार्तालाप जरुरी है और इसलिए दुसरे व्यक्ति को अपनी राय रखने का मौका देना चाहिए। घर पर हो या पेशेवर सेटिंग में, लोगों को दो तरह से संचार के महत्व को पहचानना और महसूस करना चाहिए।

प्रभावी संचार का महत्व :

बहुत से लोग संचार के महत्व को समझते हैं और अपनी बात को दूसरे लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं लेकिन वे ऐसा करने में असमर्थ हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास अच्छे संचार कौशल की कमी है। प्रभावी ढंग से संवाद करने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं:

व्यवधान: व्यवधान बेहद कष्टप्रद हो सकता है। इससे पहले कि आप उसे बनाने से पहले दूसरे व्यक्ति को अपनी बात पूरी करने दें। लगातार दूसरे व्यक्ति को बाधित करने से उन्हें बिंदु से भटकना पड़ सकता है और बातचीत एक अलग मोड़ ले सकती है।

धैर्य से सुनो:  स्वस्थ बातचीत को धैर्यपूर्वक सुनने की आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें लोगों को बिंदु डालने की आवश्यकता होती है। प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए आपको पहले यह सुनना होगा कि दूसरे व्यक्ति को क्या कहना है।

अपनी बॉडी लैंग्वेज देखें:  आपकी बॉडी लैंग्वेज आपके बारे में बोलती है। अपने शरीर की भाषा को अभिमानी और घमंडी के बजाय गर्म और मैत्रीपूर्ण रखना आवश्यक है। कई लोग अनायास ही अपनी बॉडी लैंग्वेज के जरिए गलत संदेश दे देते हैं। अगर आपको यकीन नहीं है तो बॉडी लैंग्वेज की कला सीखना अच्छा है।

अपनी बात पर मत जाओ:  बातचीत के पीछे का कारण अपने विचारों को व्यक्त करना है ताकि दूसरे व्यक्ति को पता चल सके कि आप क्या महसूस करते हैं। यह साबित नहीं करना है कि आपकी बात सही है और दूसरा व्यक्ति गलत है। बहुत से लोग बातचीत को जीतने की कोशिश करते हैं जो बिल्कुल गलत है। यह अनावश्यक तर्कों और संघर्षों की ओर जाता है।

आदरपूर्वक बात करें:  किसी को कुछ कहने से पहले सुनिश्चित करें कि आप जानते हैं कि आप क्या कह रहे हैं। कई बार, क्रोध या चिंता से बाहर हम ऐसी बातें कहते हैं जो हमें नहीं कहनी चाहिए। याद रखें, एक बार बोले गए शब्दों को वापस नहीं लिया जा सकता है। इस प्रकार यह सुझाव दिया जाता है कि कुछ ऐसा न कहें जिसे आप बाद में पछता सकें।

अभ्यास:  यदि कोई प्रोफेशनल बैठक होती है, जहां आपके उत्पाद या काम के बारे में संवाद करने की आवश्यकता होती है, तो पहले से ही अभ्यास करने का सुझाव दिया जाता है। चुनें कि आपकी बातचीत कैसे शुरू होगी, आपके द्वारा कवर किए जाने वाले सभी बिंदु और आप इसे कैसे समाप्त करेंगे। दर्पण के सामने या मित्र के साथ एक ही बार अभ्यास करें।

जिम रोन ने एक बार कहा था, “यदि आप सिर्फ संवाद करते हैं तो आप प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन अगर आप कुशलता से संवाद करते हैं तो आप चमत्कार कर सकते हैं ”। इसलिए, संचार के महत्व को समझना आवश्यक है। हालांकि, सभी को अच्छी तरह से इंगित करने के लिए प्रभावी संचार की कला सीखना सभी के लिए आवश्यक है।

संचार का महत्व, Importance of communication in hindi (600 शब्द)

संचार एक मजबूत और स्वस्थ संबंध का निर्माण खंड है। व्यक्तिगत संबंधों में अविश्वास से बचना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और एक मजबूत बंधन बनाना आवश्यक है। एक प्रोफेशनल जगह पर, यह संगठन के सुचारू कामकाज, प्रभावी ज्ञान साझा करने और किसी भी तरह के काम से संबंधित भ्रम से बचने के लिए आवश्यक है।

व्यावसायिक सेटिंग में संचार का महत्व :

व्यावसायिक सेटिंग में संचार का अत्यधिक महत्व है। यही कारण है कि नौकरी के साक्षात्कार के दौरान उम्मीदवारों के संचार कौशल का आकलन करने पर इतना जोर दिया जाता है। एक व्यक्ति जो अपनी बात अच्छी तरह से कह सकता है, उसके पास अवधारणाओं की बेहतर स्पष्टता है।

दूसरी ओर, जो व्यक्ति तथ्यों के बारे में भ्रमित है, वह उसी के बारे में बात करते समय गड़बड़ा सकता है। इसलिए, संचार कौशल अपने ज्ञान और विचारों की स्पष्टता को पहचानने का एक अच्छा आधार है। अच्छे संचार कौशल वाला व्यक्ति हमेशा अधिक आत्मविश्वास से भरा होता है और ग्राहकों को बेहतर तरीके से संभाल सकता है। यहाँ विभिन्न पेशेवरों के जीवन में संचार का महत्व है:

एक शिक्षक के लिए संचार का महत्व:

शिक्षकों के पास अनिवार्य रूप से अच्छे संचार कौशल होने चाहिए। वे छात्रों को तभी बेहतर तरीके से संभाल पाएंगे जब उनके पास यह गुण होगा। बच्चों को अनुशासित करना या उन्हें अकादमिक पाठ पढ़ाना – वे अपने कार्य को प्रभावी ढंग से करने में सक्षम होंगे, जब वे जानते होंगे कि प्रभावी ढंग से कैसे संवाद किया जाए।

एक डॉक्टर के लिए संचार का महत्व:

एक डॉक्टर को न केवल अपने क्षेत्र के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, बल्कि यह भी पता होना चाहिए कि अपने रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों के साथ अच्छी तरह से संवाद कैसे करें। उसे पता होना चाहिए कि कैसे अपनी बात को इस तरह से रखा जाए कि मरीज अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को हल्के में न लें, फिर भी वह घबराहट की स्थिति में नहीं आएगा।

एक टीम लीडर के लिए संचार का महत्व:

नेतृत्व की भूमिका या प्रबंधकीय पद की पेशकश करते समय एक व्यक्ति के संचार कौशल का विशेष रूप से मूल्यांकन किया जाता है। इसका कारण यह है कि नौकरी टीम के साथ बातचीत करने और उनसे काम निकालने के बारे में है। टीम लीडर या मैनेजर जिस तरह से संवाद करते हैं, वह काफी हद तक उनकी टीम के प्रदर्शन और व्यवहार को निर्धारित करता है। वह उनके लिए एक उदाहरण स्थापित करने और उनमें सर्वश्रेष्ठ लाने के लिए माना जाता है।

लिखित संचार का महत्व :

एक पेशेवर सेटिंग में, लिखित संचार की कला को जानना उतना ही आवश्यक है जितना मौखिक संचार। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिन्हें प्रलेखित करने की आवश्यकता है और यही वह जगह है जहाँ लिखित संचार आता है। एक व्यक्ति को पेशेवर ईमेल लिखने और प्रभावी लिखित संचार सुनिश्चित करने के लिए आधिकारिक पाठ भेजने की कला सीखनी चाहिए।

संचार का अभाव अक्सर अवसाद की ओर जाता है :

जबकि संचार के महत्व के बारे में बहुत कुछ कहा गया है, इन दिनों लोग ज्यादातर इस पहलू की उपेक्षा करते हैं। हर कोई अपने स्वयं के जीवन में इतना तल्लीन है कि वे अपने निकट और प्रिय लोगों के साथ भी बातचीत करने की जहमत नहीं उठाते हैं।

इंटरनेट और सोशल मीडिया का बढ़ता उपयोग और लोगों की व्यस्त जीवनशैली इसके प्रमुख कारणों में से एक है। युवा जोड़े इन दिनों अपने जीवन में इतने तल्लीन हैं कि वे अपने माता-पिता के साथ संवाद करने के महत्व को नजरअंदाज कर देते हैं। उनके साथ क्वालिटी टाइम विटाने का तो सवाल ही नहीं है। बुढ़ापे के दौरान माता-पिता अकेले रह जाते हैं। उनके पास बात करने के लिए कोई नहीं है और अक्सर अवसाद के शिकार होते हैं।

इसी तरह, कई महिलाएं जो घर पर रहकर अपने परिवार की सेवा करना चुनती हैं, वे दिन के अधिकांश समय अकेली रहती हैं। उनके पास एक अच्छा सामाजिक चक्र नहीं है और आमतौर पर लोगों को उनके लिए एक कान उधार देने के लिए नहीं है। यह काफी निराशाजनक हो सकता है और अंततः कई के बीच अवसाद का कारण बन सकता है।

निष्कर्ष:

संचार का अत्यधिक महत्व है। खुशहाल जीवन जीने के लिए किसी के विचारों और भावनाओं को बाहर निकालना महत्वपूर्ण है। जितना अधिक हम कम संवाद करते हैं हम उतना ही कम जटिल होते हैं और बेहतर होता है कि हम अपने आस-पास की हर चीज के बारे में महसूस करें।

[ratemypost]

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Communication क्या होता है? Communication के कितने Types है? – जानिए Communication से जुड़ी सभी जानकारी हिंदी में!

Ainain

आप अपने दैनिक जीवन में “Communication” शब्द तो जरूर सुने होंगे। क्योंकि Communication हम सब से जुड़ी हुई है। साधारण भाषा में “Communication” शब्द का meaning in hindi में “संचार” होता है, मगर Communication का Definition हिंदी में क्या है? Communication के Types कितने होते है? और इसका process क्या है? अगर इन सब के बारे में आप जानना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आप सभी के लिए है।

क्योंकि, आज के इस आर्टिकल में आप को संचार क्या है?(What is Communication Definition in Hindi) बताने वाले हैं। संचार कितने प्रकार के होते हे? और communication से जुड़ी सभी जानकारी जानने वाले है तो, चलिए सुरु करते है।

संचार क्या है? – What is Communication in Hindi

What is Communication in Hindi

Communication एक इंग्लिश शब्द है मगर, इसका उत्पत्ति हुआ है लैटिन शब्द “Communis”से जिसका अर्थ है “Common” साधारण भाषा में कहीं जाए तो communication है एक ऐसा प्रक्रिया है जिसके जरिए 1 से ज्यादा इंसान अपनी feeling को Express कर सकता है। Communication एक Subject, system, या एक ऐसा process जिसके जरिए information, instruction, news, order आदि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास transport होता है।

इंसान एक सामाजिक प्राणी है और एक सामाजिक प्राणी होने के नाते इंसान कभी भी अकेला बच नहीं सकता। वह अपने भावनाओं और विचारों को किसी दूसरे के साथ share करना चाहता है और इसी कारण Communication मानव जीवन में अनिवार्य है। शिर्फ मानब जीबन मे ही नही पशु, पक्षिया भी अपनो मे अपनी भाषा मे संचार या फिर वार्तालाप करते हैं। हमारे हर दिन के काम जैसे : खाना, खेलना, पढ़ना, चलना सब कुछ के साथ वार्तालाप(Conversations) जुड़ा रहता है और यह सब वार्ता हम किसी दूसरे व्यक्ति को सुनाते या सुनते हैं।

अगर हम विस्तार में कहें तो Communication एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा बहुत सारे information, news, orders या फिर instructions एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक transport होता है। “संचार” का मतलब सिर्फ बोलना या फिर सुनना ही नहीं बल्कि हर एक information और order को महसूस करना, समझना भी होता है ।

संचार के प्रकार- Types Of Communication In Hindi

यदि हम Communication के Types के बारें में बताए तो कम्युनिकेशन 4 प्रकार के होते हैं –

Intrapersonal Communication

Interpersonal communication, group communication.

  • Mass Communication.

इस प्रकार की Communication में व्यक्ति खुद से ही संचार करता है। इस प्रकार संचार में किसी दूसरे व्यक्ति के बिना भी संचार होता है, इस प्रकार के संचार में व्यक्ति मन में जो सोचता है, जो योजना बनाता है और यही नहीं व्यक्ति जो सपना देखता है वह भी Intrapersonal Communication ही है।

इस प्रकार के communication या फिर संचार में दोनों व्यक्ति की होना जरूरी है। मतलब इस प्रकार के संचार में दोनों व्यक्ति के बीच वार्तालाप होता है, दोनों व्यक्ति आमने-सामने संचार करते हैं और इस प्रकार का संचार किसी शब्द, संकेत, चित्र, आदि के माध्यम से संपूर्ण होता है। इसमें दोनों व्यक्ति के बीच सीधा संपर्क होता है।

इस प्रकार के संचार के नाम से पता चलता है इस प्रकार की communication एक ग्रुप में ही किया जाता है। एक ग्रुप में किए जाने वाले संचार को ही Group Communication (समूह संचार) कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति किसी ना किसी group अर्थात समूह के सदस्य हैं, इस प्रकार के किसी भी समूह में कुछ व्यक्ति अगर किसी एक विषय को लेकर वार्तालाप करते हैं तो, उसे समूह संचार कहा जाता है।

 Mass Communication

इस प्रकार के संचार साधारण अर्थ में Group communication है या समूह संचार की बड़ा रूप है। इस प्रकार के संचार में जन गण को किसी चीज की सूचना दी जाती है अर्थात जन गण को किसी संचार माध्यम की सहायता से किसी विषय पर सूचना दी जाती है इसे ही “Mass Communication” या “जनसंचार”  कहा जाता है। इस प्रकार का Communication अधिक संख्या में जन गण के साथ होता है।

संचार की प्रक्रिया – Communication Process In Hindi

“संचार” यानी की “Communication” बहुत ही साधारण है मगर इस संचार का भी कुछ प्रक्रिया होता है, कुछ प्रक्रिया के दौरान ही संचार संपूर्ण होती है। Communication का process, exchange of ideas और progress of ideas है।

Sender यानी कि प्रेषक अपनी भावना, अपने विचार, वार्ता प्रेषक तक संकेत के माध्यम से या फिर direct receiver को Promote करता है, वही वार्ता ग्राहक तक पहुंचता है और ग्राहक उसे समझ कर अपना जवाब देता है।

ग्राहक अपना वार्ता संकेत के माध्यम से या direct Sender तक पहुंचाता है और इसे कहते हैं feed back। अगर ग्राहक प्रेरक को कोई फीडबैक नहीं भेजता हे तो फिर संचार संपूर्ण नहीं माना जाता है।

ऊपर में बोले गए विषय को अगर हम कुछ phase में बांट लें तो वह सबके लिए बहुत आसान होगा।

Phase 1: Sender has an idea :- भेजने वाला का खुद का कुछ विचार होता है।

Phase 2: Sender encodes the idea :- sender अपने विचार, भावना को शब्द का रूप देता है और फिर उसे transmit करता है।

Phase 3: Sender transmit the message :- जब वार्ता पूरा तैयार हो जाता है फिर sender उस वार्ता को भेज देता है।

Phase 4: Receiver receive the message :- इस फेस में ग्राहक को भेजने वाला का भेजा गया वार्ता ग्राहक तक पह ुंचता है।

Phase 5 : The receiver decodes the message :- यहां पर receiver (ग्राहक )उस वार्ता को समझता है ।

Phase 6: Receiver sends feedback :- इस phase मे भेजने वाला आशा करते हैं कि ग्राहक कुछ feedback भेजेगा। क्योंकि, वह वार्ता ग्राहक तक पहुंच जाता है ग्राहक उसे समझ भी लेता है और ग्रहण भी कर लेता है।

आशा करते हैं कि आज के इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप सभी जान ही गए होंगे कि Communication kya hota hai?, Communication kitne प्रकार के होते हैं?,आदि.

अगर आप सभी को हमारा आज का यह आर्टिकल Communication kya hai? पसंद आया है तब आप हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तो को share कर दीजिए और यदि आपके मन में हमारे आज के इस आर्टिकल को लेकर कोई Question है तब आप हमें नीचे Comment करके पूछ सकते हैं.

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essay on means of communication in hindi

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संचार के साधनों पर निबंध

इस लेख में हम संचार के साधनों पर निबंध (Essay On Means Of Communication In Hindi) शेयर कर रहे हैं। साथ ही संचार के साधन पर विस्तार से चर्चा की है।

Essay On Means Of Communication In Hindi

वर्तमान विषयों पर हिंदी में निबंध संग्रह तथा हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध पढ़ने के लिए यहां  क्लिक करें।

संचार के साधनों पर निबंध (250 शब्द)

संचार का मतलब विभिन्न लोगों या लोगों के समूहों के बीच संदेश, विचार और जानकारी पहुंचाना है। यह व्यक्तियों, समूहों और संगठनों को जोड़ने की कुंजी है।

संचार के संबंध में पिछले एक या दो दशकों में अनगिनत संशोधन देखे गए हैं। इन परिवर्तनों का मानवता पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ता है।

मनुष्य सामाजिक प्राणी है, इसलिए मनुष्य जीवन में संचार साधनों का अत्यंत महत्व है। भारत के प्राचीन काल में संदेशवाहन के लिए शिलालेख और ताम्रपत्र जैसे अनेक विविध प्रकार के संसाधनों का संचार साधन के तौर पर उपयोग किया गया है।

पुराने ज़माने में एक जगह से दूसरी जगह पर संदेश भेजने के लिए घोड़े या कबूतरों का इस्तेमाल किया जाता था। फिर धीरे-धीरे इन की जगह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ने ले ली और विज्ञान के चलते आज संचार के साधनों में क्रांति आ चुकी है।

आज इंटरनेट और मोबाइल जैसे उपकरणों की वजह से हमें एक पल में बैठे बैठे पूरी दुनिया की जानकारी मिल जाती है।

दुनिया के किसी भी कोने से हम वीडियो कालिंग के जरिये किसी भी व्यक्ति से आसानी से बात कर सकते है। पूरी दुनिया का आज जो वैश्विकरण हुआ है, उसका पूरा श्रेय संचार के साधनों को जाता है।

संचार के साधन की वजह से हम सामाजिक प्रगति के साथ साथ आर्थिक प्रगति भी कर रहे है। फोन, इंटरनेट, कम्प्यूटर, फैक्स, ई-मेल जैसी सुविधाओं की वजह से आज हम दुनिया के किसी भी कोने से व्यापार कर सकते है और व्यापार को बढ़ा भी सकते है। हम सभी संचार के साधनों पर पूरी तरह से निर्भर हो गये है।

संचार के साधनों पर निबंध (850 शब्द)

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होने के नाते उसे अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करने के लिए एक माध्यम की जरुरत पड़ती है। सीधे शब्दों में कहें तो संचार को एक व्यक्ति, स्थान या समूह से दूसरे व्यक्ति तक सूचना प्रसारित करने की प्रक्रिया के रूप में समझाया जा सकता है।

संचार के माध्यम से ही हम संदेश साझा करते हैं। मानवजाति की सुविधा के लिए आज संचार के साधन दिन प्रतिदिन बढते की जा रहे है, जिसकी वजह से आज दुनिया भी तेजी से बदल रही है।

मानव की प्रगति के लिए संचार अति महत्त्वपूर्ण है। 21वीं सदी में संचार के साधनों के बिना हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते।

संचार के साधन का उद्देश्य

sanchar ke sadhan का उद्देश्य विचारों, भावों और सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना है। साथ-साथ वो लोगों को शिक्षा और मनोरंजन भी प्रदान करता है।

पहले के समय में संचार का मुख्य माध्यम टेलिविज़न और टेलीफोन हुआ करते थे लेकिन आज के समय में संचार का मुख्य माध्यम सोशल मीडिया है। सोशल मीडिया के जरिये आप लाखों लोगों से अपने मन की बात शेयर कर सकते हैं।

प्राचीन समय में संचार के साधन

प्राचीन समय में एक जगह से दूसरी जगह पर सन्देश पहुँचाने के लिए कभी-कभी महीनों लग जाते थे। प्राचीन काल में कोई भी सन्देश एक जगह से दूसरी जगह या फिर एक व्यक्ति से दूसरी व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए शिलालेख, ताम्रपत्र, कबूतर और घोड़े का इस्तेमाल किया जाता था। उस समय पर यह काम काफी कठिन था।

लेकिन धीरे-धीरे समय बदला और पत्र और तार व्यवहार की वजह से संचार का काम थोड़ा सरल बन गया। धीरे-धीरे डाकतार, टेलीफोन, समाचार पत्र, फैक्स, रेडियो, टेलिविज़न की शोध हुई और मानव को संदेशा व्यवहार करने में काफी सरलता होने लगी।

टेलीफोन और टेलीविज़न के कारण दुनिया के लोग एक दूसरे से जुड़ने लगे और लोग दुनिया के भिन्न भिन्न रीतिरिवाज और सभ्यता के बारे में जानने लगे।

कंप्यूटर की खोज ने जैसे पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया। कंप्यूटर की मदद से घंटों का काम मिनटों में होने लगा। कंप्यूटर इंसान के जीवन में एक नया सवेरा लाया था।

इंटरनेट की वजह से संचार के साधनों में आई क्रांति

साल 1969 में इंटरनेट और साल 1973 में मोबाइल का अविष्कार हुआ। इंटरनेट और मोबाइल की खोज होते ही पूरी दुनिया में संचार के साधनों में एक प्रकार की क्रांति आ गई।

अब डाकतार, टेलीफोन, समाचार पत्र, कम्प्यूटर, फैक्स, रेडियो, टेलिविज़न भी आज के इंटरनेट युग में पुराने लग रहे है। आज हम सिर्फ एक पल में इंटरनेट की मदद से अपने मोबाइल में वीडियो कालिंग के जरिये दुनिया के किसी भी व्यक्ति को देखकर बात कर सकते हैं।

आज मनुष्य घर के एक कोने में बैठकर दुनिया के दूसरे कोने के मनुष्य से आसानी से जुड़ सकता है, जिसका पूरा श्रेय इंटरनेट और मोबाइल को जाता है। संचार के साधनों ने आज इतनी क्रांति आ चुकी है कि अंतरिक्ष में बैठे-बैठे भी आज व्यक्ति धरती पर बैठे व्यक्ति से बात कर सकता हैं।

‘ई-मेल’ के माध्यम से विश्व के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति एक संदेश को हजारों लोगों को एक साथ भेज सकता है। इंटरनेट की वजह से आज कई कंपनियां आसमान छू रही है। कॉर्पोरेट जगत में इंटरनेट और मोबाइल का काफी योगदान है।

आवश्यक दस्तावेज, लिखित संदेश, फोटो, पिक्चर किसी दूसरी जगह पर भेजने हैं तो हम सोशल मीडिया के द्वारा अपने आवश्यक दस्तावेज, संदेश, फोटो, भेज सकते हैं और प्राप्त भी कर सकते हैं।

आज हर व्यक्ति के हाथों में मोबाइल फोन होता है जिसके जरिये वो अपने परिजनों से, अपने दोस्तों से और अपने रिश्तेदारों से जब मन चाहे तब संपर्क कर सकता है। अब किसी भी व्यक्ति को मिलने के लिए उसके घर जाने की जरुरत नहीं होती।

संचार के साधनोंकी समाज पर असर

भले की आज संचार के साधनों की वजह से पूरी दुनिया एक हो रही है लेकिन मानव मानव से दूर हो रहा है। आज मनुष्य आत्मकेन्द्रित हो रहा है और संचार के साधन को ही अपना साथी मान रहा है। मनुष्य संचार के साधनों की चकाचौंध से घिरकर समाज से कटता जा रहा है।

अब हर समय मोबाइल उनके हाथमे रहता है, जिसके कारण वो आज एक अपनी अलग ही दुनिया बना रहा है। इंटरनेट के कारण घर बैठे हर सुविधा एक ही पल में उपलब्ध हो रही है, जिसकी वजह से व्यक्ति की सामाजिक गतिविधियां अत्यन्त सीमित हो गई है।

आज की नई पीढ़ी मानसिक तथा शारीरिक तौर पर कमजोर हो रहे है क्योंकि वो जरुरत से ज्यादा मोबाइल पर निर्भर हो रहे है। दिन-रात मोबाइल में रहने के कारण उनकी आंखों की रोशनी कम हो रही है।

आज छोटे से छोटे व्यापारी भी अपने व्यवसाय को तेज़ी से बढ़ाने के लिए संचार के साधनों का उपयोग कर रहा है। हर संस्थान में आज संचार के साधनो की ज़रूरत पड़ने लगी है। आज के दौर में संचार के साधनों के बिना हम प्रगति नहीं कर पाएंगे।

संचार साधनो के कारण हमारा जीवन काफी सरल बन गया है, लेकिन साथ-साथ में कई बार मुश्किलें भी पैदा कर रहा है। हालांकि हमें इनका सही इश्तेमाल करना चाहिए।

यहां पर संचार के साधन पर निबंध (Essay On Means Of Communication In Hindi) शेयर किया है। उम्मीद करते हैं आपको यह निबन्ध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरुर करें।

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कम्युनिकेशन क्या है? | कम्युनिकेशन के प्रकार | Communication In Hindi

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इस पोस्ट में हम आपको Communication In Hindi , कम्युनिकेशन क्या है? और संचार कितने प्रकार के होते हैं? Communication Meaning In Hindi हर बात का जवाब देंगे| संचार लोगों के बीच संदेश भेजने और प्राप्त करने की प्रक्रिया है। कम्युनिकेशन के विभिन्न रूपों, जैसे बात करना, लिखना और ईमेल के माध्यम से संदेश भेजना और प्राप्त करना शामिल है।

कम्युनिकेशन का हिंदी अर्थ संचार है और संचार लोगों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान है । पहले के समय में लोगों से संवाद करने में काफी समय लगता था, लेकिन आधुनिक तकनीक के साथ अब यह बहुत आसान हो गया है। हम आपको यहां संचार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी बताने जा रहे हैं, जिसमें संचार क्या है, इसके विभिन्न प्रकार और बहुत कुछ शामिल हैं। यदि आप संचार के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो पूरी पोस्ट अवश्य पढ़ें।

Table of Contents

कम्युनिकेशन क्या है?

संचार भाषण, लेखन, या अन्य माध्यमों के माध्यम से सूचना, विचारों, विचारों, भावनाओं और भावनाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया है। यह एक मौलिक मानवीय गतिविधि है जो लोगों को एक दूसरे से जुड़ने और जानकारी, विचार और भावनाओं को साझा करने में सक्षम बनाती है। अच्छे संचार में सूचनाओं का प्रभावी आदान-प्रदान और दूसरों को समझने और समझने की क्षमता शामिल है। यह एक आवश्यक कौशल है जो व्यक्तिगत संबंधों, पेशेवर सेटिंग्स और व्यापक समुदाय सहित जीवन के सभी पहलुओं में महत्वपूर्ण है।

कम्युनिकेशन का मतलब हिंदी में (Communication Meaning In Hindi)

Communicationसंचार
Communicationसंवाद
Communicationबोलचाल
Communicationसंचार-व्यवस्था
Communicationसंप्रषण
Communicationसंपर्क
Communicationसूचना

संचार की परिभाषा हिंदी में (Definition Of Communication In Hindi)

संचार को “samvad” (संवाद) or “vivad” (विवाद) के रूप में जाना जाता है। शब्द “संवाद” संस्कृत शब्द “sam” (सम) और “vad” (वाद) से लिया गया है, जिसका एक साथ अर्थ है “exchange of ideas.” “vivad” संस्कृत शब्द “vivaksha” (विवक्ष) से ​​लिया गया है, जिसका अर्थ है “चर्चा” या “बहस”।

सामान्य तौर पर, हिंदी में संचार भाषण, लेखन या अन्य माध्यमों से दूसरों के साथ सूचना, विचार, विचार और भावनाओं के आदान-प्रदान के कार्य को संदर्भित करता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो लोगों को एक दूसरे से जुड़ने और अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को साझा करने की अनुमति देती है। संबंधों को बनाने और बनाए रखने के साथ-साथ व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों स्थितियों में सफलता के लिए अच्छा संचार आवश्यक है।

संचार के प्रकार (Types Of Communication In Hindi)

संचार कई प्रकार के होते हैं.

  • Simplex Communication
  • Half Duplex Communication
  • Full Duplex Communication

सिम्पलेक्स कम्युनिकेशन (Simplex Communication)

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Simplex Communication एक प्रकार का संचार है जिसमें सूचना केवल एक दिशा में प्रेषित की जा सकती है, प्रेषक से रिसीवर तक। सिम्प्लेक्स कम्युनिकेशन में, रिसीवर के पास प्रेषक को प्रतिक्रिया या प्रतिक्रिया भेजने की क्षमता नहीं होती है।

सिम्प्लेक्स संचार के उदाहरणों में शामिल हैं:

  • रेडियो प्रसारण (Radio broadcasting): इस मामले में, रेडियो स्टेशन श्रोताओं के लिए एक संदेश प्रसारित करता है, लेकिन श्रोता प्रतिक्रिया या प्रतिक्रिया नहीं भेज सकते।
  • वन-वे स्ट्रीट्स (One-way streets): इस मामले में, वाहन केवल एक दिशा में यात्रा कर सकते हैं, और आने वाले वाहनों के लिए प्रतिक्रिया या फीडबैक भेजने की क्षमता नहीं है।
  • टेलीविज़न (Television): इस मामले में, टेलीविज़न प्रसारक दर्शकों को एक संदेश भेजता है, लेकिन दर्शक प्रतिक्रिया या प्रतिक्रिया नहीं भेज सकते।

सिम्पलेक्स संचार कुछ स्थितियों में उपयोगी होता है जहां रिसीवर के लिए प्रतिक्रिया या प्रतिक्रिया भेजना आवश्यक या व्यावहारिक नहीं होता है। हालाँकि, कई स्थितियों में, द्वैध संचार, जो दो-तरफ़ा संचार की अनुमति देता है, अधिक प्रभावी और कुशल है।

हाफ डुप्लेक्स कम्युनिकेशन (Half Duplex Communication)

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Half Duplex Communication एक प्रकार का संचार है जिसमें सूचनाओं को दोनों दिशाओं में प्रेषित किया जा सकता है, लेकिन एक ही समय में नहीं। हाफ डुप्लेक्स कम्युनिकेशन में प्रेषक और रिसीवर बारी-बारी से संदेश भेजते और प्राप्त करते हैं।

आधे द्वैध संचार के उदाहरणों में शामिल हैं:

  • वॉकी-टॉकीज (Walkie-talkies): इस मामले में, उपयोगकर्ता संदेश भेजने के लिए एक बटन दबा सकते हैं, लेकिन प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए उन्हें बटन को छोड़ना होगा।
  • सीबी रेडियो (CB radio): इस मामले में, उपयोगकर्ता एक साझा रेडियो फ्रीक्वेंसी पर संदेश प्रसारित और प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन एक समय में केवल एक उपयोगकर्ता ही प्रसारित कर सकता है।
  • आमने-सामने की बातचीत (Face-to-face conversation): इस मामले में, लोग बारी-बारी से बोलते और सुनते हैं, और एक समय में केवल एक ही व्यक्ति बोल सकता है।
  • Networking hub : नेटवर्किंग हब half-duplex उपकरण हैं, क्योंकि वे संचार का single shared channel बनाते हैं।

आधा द्वैध संचार उन स्थितियों में उपयोगी होता है जहां प्रेषक और रिसीवर दोनों के लिए संचार करना आवश्यक होता है, लेकिन जहां दोनों पक्षों के लिए एक साथ संदेश प्रसारित करना आवश्यक नहीं होता है। हालाँकि, कुछ स्थितियों में, पूर्ण द्वैध संचार, जो संदेशों के एक साथ प्रसारण और प्राप्ति की अनुमति देता है, अधिक कुशल हो सकता है।

पूर्ण डुप्लेक्स (Full Duplex Communication)

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Full Duplex communication एक प्रकार का संचार है जिसमें सूचनाओं को एक साथ दोनों दिशाओं में प्रेषित किया जा सकता है। इसका अर्थ है कि प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों एक ही समय में संदेश भेज और प्राप्त कर सकते हैं।

Full Duplex संचार दो उपकरणों को एक साथ संचार करने की अनुमति देता है, जबकि आधा-द्वैध संचार केवल एक उपकरण को एक समय में संचार करने की अनुमति देता है। यह कंप्यूटर नेटवर्क में अधिक सामान्य है, जहां यह बैंडविड्थ के अधिक कुशल उपयोग की अनुमति देता है।

पूर्ण द्वैध संचार के उदाहरणों में शामिल हैं:

  • टेलीफोन कॉल (Telephone Call) : इस मामले में, दोनों पक्ष एक ही समय में बोल और सुन सकते हैं।
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing): इस मामले में, प्रतिभागी वास्तविक समय में एक-दूसरे को देख और सुन सकते हैं और एक साथ संवाद कर सकते हैं।
  • चैट रूम (Chat Room): इस मामले में, कई उपयोगकर्ता साझा प्लेटफॉर्म के माध्यम से वास्तविक समय में संदेश भेज और प्राप्त कर सकते हैं।

पूर्ण द्वैध संचार उन स्थितियों में उपयोगी होता है जहां प्रेषक और रिसीवर दोनों के लिए एक साथ संवाद करना आवश्यक होता है, जैसे कि बातचीत या बैठक में। यह सूचनाओं के अधिक कुशल आदान-प्रदान की अनुमति देता है और त्वरित निर्णय लेने की सुविधा प्रदान कर सकता है।

Communication Process In Hindi (संचार के घटक)

essay on means of communication in hindi

संचार की प्रक्रिया (Communication Process In Hindi) में दो या दो से अधिक लोगों के बीच सूचनाओं, विचारों, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान शामिल है। इसमें निम्नलिखित कदम शामिल हैं:

संदेश (Message)

एक संदेश वह सूचना, विचार, विचार या भावना है जो एक प्रेषक एक प्राप्तकर्ता को संप्रेषित करना चाहता है। यह मौखिक, अशाब्दिक या दोनों का संयोजन हो सकता है। प्राप्तकर्ता द्वारा प्रभावी ढंग से समझने के लिए संदेश स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए।

एनकोडिंग (Encoding)

एनकोडिंग संदेश को एक ऐसे रूप में अनुवादित करने की प्रक्रिया है जिसे एक चैनल के माध्यम से प्रेषित किया जा सकता है। प्रेषक संदेश को इस तरह से कूटबद्ध करता है कि प्राप्तकर्ता उसे समझ सके।

प्रेषक (Sender)

एक प्रेषक वह व्यक्ति होता है जो संदेश संप्रेषित कर रहा होता है। प्रेषक के पास संप्रेषित करने के लिए एक संदेश होता है और इसे एक ऐसे रूप में कूटबद्ध करता है जिसे एक चैनल के माध्यम से प्रेषित किया जा सकता है।

माध्यम (Meduim)

एक माध्यम वह चैनल है जिसके माध्यम से संदेश प्रसारित किया जाता है। यह मौखिक हो सकता है, जैसे बोलना या लिखना, या यह अशाब्दिक हो सकता है, जैसे शरीर की भाषा या चेहरे के भाव। संचार के लिए चुना गया माध्यम रिसीवर द्वारा संदेश की व्याख्या करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है।

प्राप्तकर्ता (Receiver)

प्राप्तकर्ता वह व्यक्ति होता है जो संदेश प्राप्त करता है। रिसीवर संदेश को डिकोड करता है और प्रेषक के इरादे को समझने की कोशिश करता है। प्रेषक के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए रिसीवर को संदेश के प्रति चौकस और उत्तरदायी होना चाहिए।

डिकोडिंग (Decoding)

डिकोडिंग एक संदेश के अर्थ की व्याख्या करने और भेजने वाले के इरादे को समझने की कोशिश करने की प्रक्रिया है। इसमें संदेश को ऐसे रूप में अनुवादित करना शामिल है जिसे प्राप्तकर्ता द्वारा समझा जा सके।

प्रोटोकॉल (Protocol)

प्रोटोकॉल नियमों या दिशानिर्देशों का एक समूह है जो संचार के तरीके को नियंत्रित करता है। प्रोटोकॉल में संदेशों को प्रारूपित करने, संचार चैनल स्थापित करने और सूचनाओं के आदान-प्रदान के नियम शामिल हो सकते हैं। प्रोटोकॉल का पालन करने से प्रभावी संचार सुनिश्चित करने और गलतफहमियों को रोकने में मदद मिल सकती है।

प्रभावी संचार में सूचनाओं का सफल आदान-प्रदान और प्रेषक और प्राप्तकर्ता के बीच आपसी समझ स्थापित करना शामिल है। यह एक गतिशील प्रक्रिया है जिसके लिए दोनों पक्षों को एक दूसरे के प्रति चौकस और उत्तरदायी होने की आवश्यकता होती है।

आज का लेख पढ़ने के बाद उम्मीद है कि आप सभी कम्युनिकेशन क्या है? , Communication In Hindi (Communication Meaning In Hindi) और संचार के प्रकार (Types Of Communication) इसके विभिन्न घटक (Communication Process In Hindi) के बारे में अच्छी तरह से अवगत होंगे।

प्रभावी संचार में संदेश स्पष्ट रूप से और सटीक रूप से भेजने और प्राप्त करने की क्षमता के साथ-साथ दूसरों को समझने और समझने की क्षमता शामिल है। इसके लिए एक सामान्य समझ की स्थापना और दूसरों की जरूरतों और भावनाओं के लिए उचित रूप से प्रतिक्रिया करने की क्षमता की आवश्यकता होती है। संचार समग्र संचार का एक महत्वपूर्ण पहलू है और व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों स्थितियों में सफलता के लिए आवश्यक है। यह टीम वर्क, सहयोग और नेतृत्व का एक प्रमुख घटक है।

हम आशा करते हैं कि इस ब्लॉग ने संचार की जटिल और बहुमुखी प्रकृति पर प्रकाश डालने में मदद की है | यह लेख कम्युनिकेशन के बारे में है, और क्या यह आप सभी के लिए महत्वपूर्ण है। अगर आपको यह पसंद आया हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें ताकि वे भी इस विषय के बारे में जान सकें। यदि आपके पास इसके बारे में कोई प्रश्न हैं, तो कृपया नीचे Comment करने में संकोच न करें।

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लिखित संचार का परिभाषा, विशेषताएं, लाभ और नुकसान (Written Communication definition Hindi)

  • September 7, 2019 October 19, 2019
  • by ilearnlot
  • व्यावसायिक संचार (Business Communication Hindi)
  • 10 min read

लिखित संचार का परिभाष विशेषताएं लाभ और नुकसान (Written Communication definition Hindi)

लिखित संचार का परिचय (Written Communication introduction Hindi); जबकि भाषण हमारे पास बहुत स्वाभाविक और सहज रूप से आता है, लेखन गंभीर अभ्यास और विचार के सावधान संगठन के बाद आता है; यह लेख लिखित संचार परिभाषा (Written Communication definition Hindi) के बारे में बताता है उनके महत्वपूर्ण विषय के साथ – परिचय, अर्थ, विशेषताएं, लाभ और नुकसान; शब्द “लिखना (Write)” पुराने अंग्रेजी शब्द “लिखित (Written)” से लिया गया है जिसका मतलब खरोंच, आकर्षित या इन्सुलेट करना है; यह दर्शाता है कि आदमी ने रॉक चेहरे, सूखे खाल, पेड़ की छाल, और मिट्टी की गोलियों पर प्रतीकों को खींचने, उभारने या उकसाने की लंबी प्रक्रिया के माध्यम से लिखना सीखा; किसी भी भाषा की वर्णमाला, इसलिए, विकास का एक परिणाम है।

लिखित संचार का  परिभाषा,  परिचय, अर्थ, विशेषताएं, लाभ/फायदे और नुकसान/सीमाएं (Written Communication definition Hindi – introduction, meaning, features, advantages, and disadvantages)

उसी तरह, वर्णों के वर्णों या अक्षरों के संयोजन, शब्दों और वाक्यों को शब्दों में पैराग्राफ में शामिल करना, मनुष्य के संचार के प्रयास, और उसके संचार को किसी प्रकार की स्थायित्व या संरक्षण देने के लंबे इतिहास से गुजरा है; इस प्रयोजन के लिए, प्रत्येक भाषा ने अपने स्वयं के व्याकरण के नियमों को विकसित किया है, हालांकि कई भाषाओं के समूह में कम या ज्यादा समान नियम हैं; लेकिन, लिखित रूप में इन नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

दूसरी ओर, भाषण अधिक लचीला है; इसमें लेखन का स्थायित्व भी नहीं है; जब तक कोई टाइपस्क्रिप्ट या टेप नहीं है या एक साथ नोट नहीं किए जाते हैं, तब तक भाषण सुनाई देता है और जल्दी या बाद में भूल जाता है; जिस तरह मौखिक संचार के बिना सामाजिक जीवन के बारे में सोचना असंभव है, उसी तरह बिना लिखित संचार के किसी व्यवसाय या संगठन के बारे में सोचना भी उतना ही असंभव है; इसके विभिन्न कारण हैं; पहले स्थान पर, एक संगठन में, लोगों को आमने-सामने संचार करने के लिए बहुत सारे हैं।

वे आम तौर पर व्यापक भौगोलिक दूरियों में फैले होते हैं और कभी-कभी टेलीफोन से भी जुड़े नहीं होते हैं; स्थिति तेजी से बदल रही है; लेकिन, फिर भी, पत्रों का आदान-प्रदान हमेशा की तरह महत्वपूर्ण है; इसके अलावा, लोगों को प्राधिकरण और जिम्मेदारी की निर्धारित सीमाओं के भीतर कार्य करना पड़ता है; लिखित संचार की अनुपस्थिति में, जिम्मेदारी निर्धारित करना आसान नहीं है; यह किसी भी प्रबंधक की जिम्मेदारी है कि वह कागज पर संवाद करे।

लिखित संचार का अर्थ और परिभाषा (Written Communication definition meaning Hindi):

लिखित संचार, इस तरह, संगठनात्मक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है; टेलीफोन, टेलेक्स, फैक्स मशीनों ने किसी भी तरह से पत्रों के महत्व को प्रभावित नहीं किया है; उन्होंने केवल ट्रांसमिशन के मोड को बदल दिया है और अक्षरों या मेमो के आदान-प्रदान को बहुत तेज कर दिया है; इसीलिए पत्र, ज्ञापन, एजेंडा, नियमावली, हैंडबुक, रिपोर्ट आदि सहित लिखित संचार अभी भी जारी है।

एक “लिखित संचार” का अर्थ है पत्र, परिपत्र, मैनुअल, रिपोर्ट, टेलीग्राम, कार्यालय ज्ञापन, बुलेटिन, आदि के माध्यम से संदेश, आदेश या निर्देश भेजना; यह संचार का एक औपचारिक तरीका है और कम लचीला है; आज के कारोबार की दुनिया में लिखित संचार का बहुत महत्व है।

लिखित संचार परिभाषा [अंग्रेजी] है ; एक लिखित दस्तावेज़ ठीक से भविष्य के संदर्भ के लिए एक स्थायी रिकॉर्ड बन जाता है। यह कानूनी सबूत के रूप में भी उपयोग कर सकता है; यह गोपनीय और आकस्मिक संचार के लिए समय लेने वाली, महंगी और अनुपयुक्त है; यह मन की एक अभिनव गतिविधि है; व्यावसायिक विकास के लिए योग्य प्रचार सामग्री तैयार करने के लिए प्रभावी लिखित संचार आवश्यक है।

भाषण लिखने से पहले आया था; लेकिन, भाषण की तुलना में लेखन अधिक अद्वितीय और औपचारिक है; प्रभावी लेखन में शब्दों की सावधानीपूर्वक पसंद, वाक्य निर्माण में उनके संगठन के साथ-साथ वाक्यों की सामंजस्यपूर्ण रचना शामिल है; इसके अलावा, लेखन भाषण से अधिक वैध और विश्वसनीय है; लेकिन, जबकि भाषण सहज है, लेखन में देरी का कारण बनता है और प्रतिक्रिया के रूप में समय नहीं लगता है; लिखित संचार, प्रभावी होने के लिए, स्पष्ट, पूर्ण, संक्षिप्त, सही और विनम्र होना चाहिए।

लिखित संचार की विशेषताएं (Written Communication features Hindi):

नीचे लिखित संचार की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं हैं;

  • लिखित संचार अनिवार्य रूप से एक रचनात्मक गतिविधि है; यह एक ऐसी गतिविधि है जिसके लिए सचेत और रचनात्मक प्रयास की आवश्यकता होती है; इस प्रयास की रचनात्मकता मन द्वारा उत्पादित उत्तेजनाओं से आती है।
  • मौखिक संचार की उत्तेजनाओं को संवेदी रिसेप्टर्स द्वारा बाहर से उठाया जाता है; दूसरे शब्दों में; लिखित संचार अधिक विशेष रूप से, मौखिक संचार की तुलना में अधिक सावधानी से सोचा जाता है, जो संकेतों को एक सहज प्रतिक्रिया के आधार पर बाहर से उठाया जाता है। एक उदाहरण के रूप में , हम उस रिपोर्ट को लिखना शुरू करते हैं जिसे हम प्रस्तुत करना चाहते हैं या जिसे हमें लिखने के लिए कहा गया है; इस उद्देश्य के लिए, हम सभी आवश्यक जानकारी या डेटा एकत्र करते हैं; फिर, हम इसे अपनी तार्किक विचार प्रक्रियाओं के माध्यम से संसाधित करते हैं और हमारे संचार को कूटबद्ध करते हैं।
  • यह आमने-सामने की संचार स्थिति नहीं है; संदेशों या बाहरी उत्तेजनाओं का कोई आदान-प्रदान नहीं होता है; यह लगभग पूरी तरह से मन की रचनात्मक गतिविधि है।

अतिरिक्त विशेषताएँ;

  • लिखित संचार की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें आमने-सामने मौखिक संचार की तुलना में कम चक्र हैं; मौखिक संचार में प्रतीकों के कई आदान-प्रदान होते हैं, जिससे कई चक्र होते हैं; अधिकांश लिखित संचार एक-चक्र घटना है।
  • आमतौर पर, एक संदेश भेजा और प्राप्त होता है, और यह घटना का अंत है; बेशक, पत्र संचार आदान-प्रदान के चक्र को दोहराते हैं; लेकिन, वे एक संवाद या अनौपचारिक बैठक में शामिल चक्रों के त्वरित उत्तराधिकार के साथ तुलना नहीं कर सकते हैं।
  • यह एक रचनात्मक गतिविधि है जिसे तैयार उत्पाद पर पहुंचने के लिए बहुत अधिक कल्पना और प्रयास की आवश्यकता होती है; जबकि मौखिक संचार सहज है, सचेत प्रयास पर लिखित संचार आधार।
  • मौखिक संचार एक कई चक्र की घटना है; मौखिक संदेशों को एक तत्काल प्रतिक्रिया मिलती है जो शब्दों के आगे आदान-प्रदान के लिए बहुत बार होती है; लिखित संचार में यह संभव नहीं है; अधिकतर यह एक-चक्र की घटना है; लिखित संचार सबसे शक्तिशाली और मान्य संचार है; क्यों? एक वैध दस्तावेज के साथ जरूरत पड़ने पर यह संचार पूरी तरह से साबित हो सकता है।

लिखित संचार का परिभाष विशेषताएं लाभ और नुकसान (Written Communication definition Hindi)

लिखित संचार के लाभ/फायदे (Written Communication advantages Hindi):

अर्थ और सुविधाओं/विशेषताएं के बाद, लिखित संचार के निम्नलिखित लाभ/फायदे हैं;

  • रिकॉर्ड, संदर्भ इत्यादि प्रदान करने में इसका लाभ है; तैयार संदर्भ के अभाव में, बड़ी उलझन पैदा हो सकती है और संगठन का काम लगभग रुक जाएगा।
  • यह नीति और प्रक्रिया में एकरूपता को बढ़ावा देता है; यह संगठन के कामकाज के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश देने का एकमात्र साधन है।
  • वे बड़े पैमाने पर मेल के माध्यम से बड़े दर्शकों तक पहुंच देते हैं; बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचने और ग्राहकों को जीतने के लिए बुद्धिमानी से तैयार किए गए “मेलशॉट्स” या अवांछित परिपत्रों के माध्यम से जीतना आम बात है; उदाहरण के लिए , जब भी दोपहिया का कोई नया ब्रांड बाजार में पेश होता है, या कोई बैंक कुछ आकर्षक डिपॉजिट / इन्वेस्टमेंट स्कीम के साथ आगे आता है, तो वह किसी संस्था / संगठन के सभी सदस्यों के नाम और पते प्राप्त करने में सफल होता है, जो उन्हें अपनी सेवाएं आसानी से प्रदान करते हैं।
  • उचित रिकॉर्ड, पत्र, रिपोर्ट और मेमो का रखरखाव संगठन के कानूनी बचाव का निर्माण करता है; संगठनों के पास आमतौर पर उनके कानूनी सलाहकार होते हैं, जो तब तक किसी भी तरह की मदद नहीं कर सकते जब तक कि उनके लिए उचित रिकॉर्ड उपलब्ध न हो।
  • अच्छा लिखित संचार संगठन की छवि बनाता है; इसलिए, यह बिल्कुल आश्चर्यजनक नहीं है, कि कुछ प्रसिद्ध कंपनियों के निवर्तमान पत्रों / संदेशों को अनुकरण करने के लिए उदाहरण के रूप में उद्धृत किया गया है।
  • लिखित संचार में सटीक और अस्पष्ट होने का लाभ है; किसी भी पत्र, मेमो या रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने में बड़ी सावधानी बरतनी होती है, ताकि संदेश प्रभावी रूप से सामने आए; मौखिक संचार अक्सर भ्रम को जन्म दे सकता है, क्योंकि प्रत्येक वक्ता के पास खुद को डालने का अपना तरीका होता है।
  • एक संगठन की वृद्धि काफी हद तक, उसके पुराने, सुव्यवस्थित रिकॉर्ड और बैठकों के मिनटों के संदर्भ में बढ़ावा देती है।
  • यह संचार जिम्मेदारियों के उचित असाइनमेंट की सुविधा देता है; कोई कभी-कभी बोले जाने वाले शब्दों पर वापस जा सकता है, लेकिन कागज पर लिखे गए शब्दों पर नहीं; इसके अलावा, निचला कर्मचारी अधिक जिम्मेदारी से व्यवहार करता है, और यह भी सुरक्षित महसूस करता है, जब संचार लिखित रूप में भेजा जाता है।

लिखित संचार के नुकसान (Written Communication disadvantages Hindi):

लिखित संचार भी निम्न नुकसान या सीमाओं से ग्रस्त है:

  • वे लोगों के हाथों में अप्रभावी होने का जोखिम चलाते हैं, अन्यथा उनकी नौकरी में अच्छा है, लेकिन अभिव्यक्ति में खराब है; इसलिए यह एक मॉडेम संगठन की गंभीर चिंता है जो ऐसे लोगों को भर्ती करने के लिए है जो अभिव्यक्ति में बहुत अच्छे हैं, विशेष रूप से पत्र और रिपोर्ट लेखन क्षमता में।
  • यह एक महंगी प्रक्रिया भी है; यह स्टेशनरी और पत्र लिखने और बाहर भेजने में शामिल लोगों की संख्या के मामले में बहुत खर्च होता है।
  • वे तत्काल प्रतिक्रिया प्राप्त करने में असमर्थता से विकलांग होते हैं; संदेश की एन्कोडिंग और प्रसारण दोनों में समय लगता है, जिसके परिणामस्वरूप तत्काल विलंब होता है; इसलिए, यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया है।

अधिक नुकसान:

  • उनका एक और नुकसान है; लिखित संचार के बदले तत्काल स्पष्टीकरण संभव नहीं है; यदि किसी दूरी पर एक लिखित संदेश का रिसीवर कुछ स्पष्टीकरण चाहता है, तो वह इसे उतनी जल्दी नहीं कर सकता जितना वह चाहता है; उसे एक पैक लिखना होगा और अपनी क्वेरी के उत्तर की प्रतीक्षा करनी होगी।
  • यह संगठन के परिसर के चारों ओर कागज के पहाड़ बना देता है; यह कार्यालयों में एक आम दृश्य है, और कर्मचारियों को इसे संभालने की कोशिश में एक कठिन समय है; बहुत बार मूल्यवान कागजात खो जाते हैं; इसलिए, प्रबंधकों को अपनी हिरासत में संवेदनशील सामग्री रखने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी।
  • यह समय लेने वाली है; लिखित में संदेश लिखने में अधिक समय लगता है; पत्र लिखना, आदेश, नोटिस आदि लिखना और इसे एक उपयुक्त गंतव्य पर भेजना समय की आवश्यकता है; प्रतिक्रिया प्रक्रिया भी त्वरित नहीं है।
  • तत्काल स्पष्टीकरण की अनुपस्थिति; निष्कर्ष में, हम कह सकते हैं कि लिखित संचार एक संगठन की रीढ़ है; इसके नुकसान या सीमाएँ जो भी हों; लगभग सभी औपचारिक संचार लिखित में है।

लिखित संचार की परिभाषा (Written Communication definition Hindi) के बाद यह लेख उनके लाभ और नुकसान का भी अध्ययन दर्शाया हैं, साथ ही यह संचार – मौखिक संचार की तरह दिखते हैं।

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सम्प्रेषण का अर्थ, सिद्धान्त, तत्त्व, प्रकार एवं विशेषताएँ | meaning, principles, elements, types and characteristics of communication in hindi, सम्प्रेषण का अर्थ (meaning of communication).

सम्प्रेषण का सामान्य अर्थ होता है- एक स्थान से दूसरे स्थान तक किसी वस्तु, विचार को भेजना। किन्तु इसके विशिष्ट अर्थ के अन्तर्गत वे समस्त भाव तथा विचार सम्मिलित किये जा सकते हैं, जिन्हें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाता है, सम्प्रेषित करता है। यह एक प्रक्रिया है, इस प्रक्रिया के माध्यम से ही भावों-विचारों का आदान-प्रदान होता है। यही सम्प्रेषण है। सम् = सम्येक प्रकारेण, प्रेषण प्रेषित भेजना। इस प्रकार इसका सामान्य और विशिष्ट अर्थ एक रूप में इस प्रकार हो सकता है " विशिष्ट विचारों को विशिष्ट विधि से विशिष्ट स्थान तक भेजना प्रदान करना ।"

Meaning, Principles, Elements, Types and Characteristics of Communication in hindi

इस प्रक्रिया में जब कोई व्यक्ति अन्य किसी दूसरे व्यक्ति से सम्बन्ध स्थापित करता है तथा विचारों का आदान-प्रदान करता है तब वह ' संचार ' कहलाता है। किन्तु एक ही व्यक्ति यदि अधिक-से-अधिक जन सम्पर्क में आने के लिए विचारों को प्रेषित करता है तब वह प्रक्रिया संचार की अपेक्षा जनसंचार की श्रेणी में आती है। इसमें बहुत से व्यक्तियों का समूह होने से व्यापक और विस्तृत प्रक्रिया बन जाती है। एक व्यक्ति आम जनता से सम्पर्क स्थापित करने में प्रत्यक्ष रूप में सफल नहीं हो सकता। अतः वह दूरदर्शन अथवा रेडियो के माध्यम से सम्प्रेषण (संचार) करता है। अतः रेडियो तथा दूरदर्शन जनसंचार का सर्वोत्तम साधन है।

उदाहरण के लिए; रेडियो पर समाचार प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति तो एक ही होता है, किन्तु वह इसके माध्यम से सम्पूर्ण जनता में समाचारों को प्रसारित करता है। अतः यह जनसंचार का उपयुक्त साधन हुआ। इसी प्रकार देश के प्रधानमन्त्री का अभिभाषण दूरदर्शन पर प्रसारित (सम्प्रेषित) किया जाता है, तो सम्पूर्ण देशवासी उससे सम्बन्ध स्थापित कर लेते हैं। अतः अप्रत्यक्ष रूप से ही यह सम्भव है। साक्षात् (आमने-सामने) जनसंचार अधिक व्यापक नहीं हो सकता है। संचार या सम्प्रेषण को इंग्लिश में ' Communication ' कहते हैं, जिसकी व्याख्या निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं-

लूगीस और वीगल के अनुसार, "संचार प्रक्रिया में सामाजिक व्यवस्था के द्वारा निर्णय सूचना एवं निर्देश दिए जाते हैं तथा इसमें जान, भाव-विचारों, अभिवृत्तियों को निर्मित किया जाता। है अथवा परिवर्तन करते हैं।"

सम्प्रेषण (संचार) के तत्त्व (Elements of Communication)

वैज्ञानिक संचार में विचारों का लेन-देन (आदान-प्रदान) किया जाता है, किन्तु इस प्रक्रिया के लिए निम्नलिखित तत्त्वों का होना आवश्यक है-

1. सम्प्रेषक (Source):– यह विचार प्रेषित करने वाला होता है। आज युग का वैज्ञानिक युग है। अतः इसमें यह आवश्यक नहीं है कि प्रेषक व्यक्ति ही हो। सम्प्रेषण पत्र, पत्रिका अथवा मशीन, किसी के द्वारा भी हो सकता है। अतः सम्प्रेषण (संचार) का 'सम्प्रेषक' प्रमुख तत्त्व है।

2. सन्देश (Message):- व्यक्ति द्वारा प्रसारित विचार ही सन्देश होता है। यह शाब्दिक तथा अशाब्दिक उभय रूप में हो सकता है, जैसे कक्षा में छात्र को अध्यापक, 'बैठ जाओ' यह कहकर भी बैठा सकता है और मौन स्वीकृति 'गर्दन हिलाकर' भी सन्देश दे सकता है।

3. सम्प्रेषण माध्यम या चैनल:- चैनल से अभिप्राय उस साधन से है जिसके द्वारा कोई सन्देश, सन्देशवाहक से सन्देश ग्राहक तक पहुंचाता है। यह वह पथ है जिसमें सन्देश भौतिक रूप से प्रेषित होता है, जैसे- टेलीग्राम। वह वायर जिस पर सन्देश भेजा है, रेडियो वार्ता में ये रेडियो स्टेशन तथा स्टूडियो है। इसी प्रकार किसी लेख के लिए समाचार पत्र या मैगजीन सम्प्रेषण माध्यम होते हैं।

4. सन्देश ग्राहक:– यह सन्देश प्राप्त करने वाला होता है। सन्देश प्राप्ति वह कई विधियों से कर सकता है, जैसे- समाचार सुनकर, समाचार पढ़कर अथवा देखकर। अतः सन्देश ग्राहक को ' ग्राहक सम्प्रेषक ' भी कहते हैं।

इन तत्त्वों के अतिरिक्त शारीरिक क्रियाओं से भी भावों का आदान-प्रदान कर संचार कर सकते हैं, जैसे-आंगिक क्रिया द्वारा बालक को डराने के लिए शब्दों का प्रयोग न करके क्रोधों मुद्रा बना लेना। आँखों के इशारे से ही सन्देश ले और दे सकते हैं। जैसे कई बार बालक, अध्यापकों या परिवार के मध्य होता है तब वह बोलने से डरता है तो इशारों से ही अपने साथियो से बात कर लेता है। इस प्रकार सम्प्रेषण विधि छात्र अध्यापक के मध्य अन्तः क्रिया भी सम्पन्न करती है।

सम्प्रेषण की प्रक्रिया और संरचना (Structures and Process of Communication)

सम्प्रेषण प्रक्रिया की पूर्णता एवं सम्प्रेषण को संरचना के निर्माण की दृष्टि से कुछ ऐसे मूत तत्त्व है जिनकी उपस्थिति व ज्ञान, सम्प्रेषण के लिए आवश्यक हैं। इन मूल तत्त्वों का संक्षिण परिचय इस प्रकार है–

  • सम्प्रेषणकर्ता को चाहिए कि वह सम्प्रेषण के अनुकूल वातावरण का निर्माण करें जिससे कि सम्प्रेषण का प्रभाव जनमत पर पड़ सका।
  • सम्प्रेषण द्विमुखी प्रक्रिया है जिसमे कि बात कहने वाला (प्रसारक) और सुनने वाले (श्रोता) के बीच अनुक्रिया होती है।
  • सम्प्रेषण करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि सम्प्रेषण का विषय जनता से सांस्कृतिक मूल्यों एवं सामाजिक आदर्शों के अनुकूल हो।
  • सम्प्रेषण के स्तर पर भी इसकी सफलता निर्भर करती है।
  • सम्प्रेषणकर्ता या प्रसारक के लिए आवश्यक है कि वह सम्प्रेषण करने के पूर्व भली-भाँति प्रसारक विषय का आयोजन कर ले जिससे कि किसी प्रकार का सन्देश उसे या श्रोता को उत्पन्न न हो।
  • सम्प्रेषण की सफलता के लिए आवश्यक है कि उससे सम्बन्धित सभी विषयों को व्यवस्था सुचारू रूप से की जाए।
  • प्रत्येक व्यक्ति सम्प्रेषण को अपनी बुद्धि और समझ के अनुसार ग्रहण करता है।
  • श्रोता-सहभागिता सम्प्रेषण को अधिक सफल बनाते हैं।
  • सम्प्रेषण की सफलता के लिए उसका निरन्तर मूल्यांकन करना आवश्यक है।
  • सम्प्रेषण में ऐसी भाषा, वस्तुओं और विचारों का उपयोग किया जाए जोकि स्पष्ट हो और जिसके सम्बन्ध में किसी प्रकार की भ्रान्ति उत्पन्न होने की सम्भावना न हो।

सम्प्रेषण के प्रकार (Types of Communication)

1. अनौपचारिक सम्प्रेषण:- जब एक समूह में किसी को किसी से भी बात करने की आजादी हो तो उसे ग्रेपवाइन सम्प्रेषण कहते हैं। ग्रेपवाइन सम्प्रेषण में कोई अनौपचारिक वैज्ञानिक तरीके से बात नहीं की जाती है। इसमें सभी आजाद होते हैं कोई किसी से भी बात कर सकते हैं। उदाहरण – जब स्कूल में अवकाश होता है तो सभी बच्चे आजाद होते हैं। अत: वे अब आपस में किसी से भी बात कर सकते हैं।

2. औपचारिक सम्प्रेषण:- जब बात करने का तरीका एक विधिवत् और वैज्ञानिक हो उसे औपचारिक सम्प्रेषण कहते हैं। औपचारिक सम्प्रेषण में काम करने का तरीका बहुत ही सुलझा हुआ होता है और सभी अपने-अपने कामों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। उदाहरण- किसी ऑफिस में जब कोई जूनियर अपने सीनियर से बात करता है।

3. एक तरफा/वन वे सम्प्रेषण:- जब संदेश एक तरफ से ही होता है तो वह एकल या वन वे सम्प्रेषण होता है। इसमें भेजने वाला संदेश भेज देता है और प्राप्तकर्ता उसे ग्रहण कर लेता है। उदाहरण-कक्षा में अध्यापक ने बच्चों को बोला कि वे खड़े हो जाएँ तो बच्चे खड़े हो जाते हैं तो वह वन वे सम्प्रेषण हुआ।

4. द्वितरफा/टू वे सम्प्रेषण:- जब दो व्यक्ति आपस में बातचीत करते हैं तो उनमें तर्क-वितर्क होता है अर्थात् प्राप्तकर्ता और भेजने वाला दोनों ही सम्मिलित होते हैं। उदाहरण- अध्यापक कक्षा में बच्चों से प्रश्न करता है तो बच्चे उसका उत्तर देते हैं तो वे टू वे सम्प्रेषण हुआ।

5. अन्तः वैयक्तिक सम्प्रेषण:- जब व्यक्ति अपनी इच्छाओं के बारे में सोचता है तो उसे अन्तः वैयक्तिक सम्प्रेषण कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जो व्यक्ति खुद से प्रश्न करता है तो वह अंतः वैयक्तिक सम्प्रेषण कहलाता है। उदाहरण-परीक्षा- कक्ष में जाने से पहले विद्यार्थी खुद से बात करता है।

6. अंतर वैयक्तिक सम्प्रेषण:- जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच बातचीत होती है अर्थात् जब हम दूसरों की इच्छाओं के बारे में बात करते हैं तो वह सम्प्रेषण अन्तर वैयक्तिक सम्प्रेषण कहलाता है। उदाहरण—मनोवैज्ञानिक और परामर्शदाता हमेशा दूसरों के बारे में बताते हैं अतः यह अन्तर वैयक्तिक सम्प्रेषण हुआ।

7. शाब्दिक सम्प्रेषण:- शाब्दिक सम्प्रेषण में सदैव भाषा का प्रयोग किया जाता है। शाब्दिक सम्प्रेषण तब होता है जब मौखिक अभिव्यक्ति के द्वारा अपने शब्दों को प्रस्तुत किया जाता है। हम अपने दैनिक जीवन में सबसे ज्यादा शाब्दिक सम्प्रेषण का ही प्रयोग करते हैं।

8. अशाब्दिक सम्प्रेषण:- जब हम इशारों चिन्हों और कूट भाषा में बातचीत करते हैं तो वह अशाब्दिक सम्प्रेषण कहलाता है। उदाहरण- बहरे बच्चों से हम हाथों से इशारे करके बातचीत करते हैं।

9. बोलना-सुनना (Speaking-Listening):- इस प्रकार के सम्प्रेषण में अन्तःप्रक्रिया आमने-सामने होती है। शिक्षक के सामने छात्र बैठकर सुनते हैं। अनेक ऐसे अवसर भी आते हैं जब विचारों तथा भावनाओं के सम्प्रेषण में साझेदारी होती है। शिक्षक अपनी आँखों से कक्षा का नियन्त्रण करता है। अपने हाव-भाव से सम्प्रेषण को प्रभावी बनाता है। भावनाओं का सम्प्रेषण अशाब्दिक अन्तः प्रक्रिया से ही होता है कभी कभी अनुभूतियों की अभिव्यक्ति करता है। छात्र सुनने को क्रिया में श्रव्य इन्द्रिय तथा मानसिक एकाग्रता को सक्रिय रखता है। तभी सम्प्रेषण सार्थक हो सकता है। बोलने में विचार होते हैं उनकी अभिव्यक्ति करता है। सुनने में अभिव्यक्ति पहले जिसमे विचारों का बोध करता है। इसमें क्रियात्मक पक्ष होता है।

10. लिखना पढ़ना (Writing Reading):- यह समप्रेषण प्रवाह बोलने-सुनने के समान है। इसमें अन्तः प्रक्रिया अप्रत्यक्ष रूप में लेखक तथा पाठक में होती है। भाषा के संकेतों एव चिन्हों से पाठक को अनुभव प्रदान किये जाते हैं। भाषा के माध्यम से विचारों तथा भावनाओं को समझता है। पाठक पहले भाषा के माध्यम से अभिव्यक्ति होती है उसमें विचारों और भावों को समझता है। भाषा विचारों एवं भावनाओं के सम्प्रेषण का माध्यम है। इसमें ज्ञानात्मक पक्ष अधिक होता है।

11. दृश्य निरीक्षण (Visualizing-Observing):- एक निरीक्षक भौतिक रूप से उत्पादक से अलग होता है परन्तु उसमें विचार दर्शाया जाता है उसका सम्प्रेषण होता है। दूरदर्शन तथा फिल्म द्वारा इस प्रकार का सम्प्रेषण किया जाता है। नाटकीय विधि द्वारा भी विचार एवं भावनाओं का सम्प्रेषण किया जाता है। हाव-भाव से भावनाओं की अभिव्यक्ति प्रभावशाली ढंग से की जाती है। इसमें भावात्मक पक्ष अधिक होता है। सम्प्रेषण को सहायक प्रणाली कहलाती है।

सम्प्रेषण के सिद्धान्त (Principles of Communication)

1. स्पष्टता का सिद्धान्त:- सम्प्रेषण करते समय हमारी भाषा बिल्कुल साफ होनी चाहिए। क्योंकि अगर भाषा स्पष्ट नहीं होगी तो प्राप्तकर्ता उसका गलत अर्थ समझ बैठेगे। इसलिए हमारी भाषा स्पष्ट होनी चाहिए।

2. समन्वय का सिद्धान्त:- प्रभावी सम्प्रेषण तभी हो सकता है जब संदेशों के बीच में समन्वय स्थापित हो। क्योंकि बिना समन्वय के पहले वाले संदेश का अर्थ नहीं निकल पाएगा। अतः बातचीत करते समय समन्वय होना बहुत जरूरी है।

3. संगतता का सिद्धान्त:- जब आप बातचीत करते हैं तो संदेशों के बीच में विरोधात्मक प्रवृत्ति न हो अर्थात् दोनों संदेश एक दूसरे के विपरीत न हों। सूचनाएँ उपक्रम की नीतियाँ, योजनाओं तथा उद्देश्यों के अनुरूप ही होनी चाहिए।

4. विशिष्टता का सिद्धान्त:- सम्प्रेषण में सूचनाएँ शिष्ट एवं शालीन होनी चाहिए। सम्प्रेषण के दौरान कठोर शब्द, अपशब्द और गाली-गलोच शब्द आदि प्रयुक्त नहीं करने चाहिए।

5. ध्यान आकर्षण का सिद्धान्त:- संदेश देते समय ध्यान रखना आवश्यक है क्योंकि अगर भेजने वाले का ध्यान नहीं है तो वह गलत संदेश भी भेज सकता है। अतः संदेश देते समय ध्यान आवश्यक है।

सम्प्रेषण के रूप (Forms of Communication)

सम्प्रेषण के निम्नलिखित रूप हैं-

1. मौखिक सम्प्रेषण:- अधिकतर सम्प्रेषण बोलकर ही किया जाता है। सुबह उठते ही बोलने की प्रक्रिया के साथ सम्प्रेषण शुरू होता है और रात में बिस्तर पर जाने तक बोलने का यह क्रम चलता रहता है।

2. आंगिक सम्प्रेषण:- मनुष्य केवल बोलकर ही अपनी बात सम्प्रेषित नहीं करता है। उसके सभी अंग, आँख, हाथ, पैर, कन्धे सम्प्रेषण में सहयोग देते हैं। यह आंगिक या अमौखिक सम्प्रेषण है।

आंगिक सम्प्रेषण की शुरुआत आपकी वेशभूषा और व्यक्तित्व से होती है। आप जैसे ही किसी अधिकारी के कमरे में प्रवेश करते हैं, वह आपकी वेशभूषा और व्यक्तित्व से आपके बारे में धारणा बनाने लगता है। आप उसके सामने कैसे खड़े रहते हैं, कैसे बैठते हैं, इसका भी काफी असर पड़ता है। आँखें आंगिक सम्प्रेषण का सबसे सशक्त माध्यम है। जब कोई प्रसन्न होता है तो कहते हैं, उसकी आँखें हँस रही हैं। अपनी आँखों के द्वारा आप न केवल प्रसन्नता या अप्रसन्नता प्रकट करते हैं, वरन् दूसरे तक सम्प्रेषित करते हैं।

3. लिखित सम्प्रेषण:- व्यक्ति बोलकर और देखकर सम्प्रेषण करते ही हैं, लेकिन लिखकर भी अपनी बात दूसरों तक पहुँचाते हैं। लिखना एक कला है। योजनाबद्ध ढंग से लिखकर आप अपनी बात सही ढंग से सम्प्रेषित कर सकते हैं। किसी भी प्रकार का लेखन करने के लिए पाँच बातों का ध्यान रखना चाहिए-क्या, क्यों, कौन, कब और कैसे। इन पाँच बातों को ध्यान में रखकर लिखने से आप अपना सन्देश ठीक ढंग से प्राप्तकर्ता तक पहुँचा सकते हैं।

4. संचार माध्यम:- संचार माध्यम सम्प्रेषण का एक सशक्त माध्यम है। रेडियो, टेलीविजन, समाचार-पत्र, होर्डिंग, बिल, पैम्फलेट, इण्टरनेट आदि जनसंचार माध्यम अपनी माध्यमगत विशिष्टता के अनुसार सम्प्रेषण करते हैं। रेडियो आवाज के माध्यम से जन-जन तक पंचार का सम्प्रेषण करते हैं। टेलीविजन, कम्प्यूटर, फिल्म, वीडियो, इण्टरनेट जैसे दृश्य माध्यम भी सम्प्रेषण के सशक्त माध्यम हैं, इसके अलावा सड़क के किनारे लगी बड़ी-बड़ी कम्पनियों के होर्डिंग, समाचार पत्रों के छपे विज्ञापन, खतरे सम्बन्धी सूचनाएँ, यातायात संकेत, टेलीफोन पर होने वाली बातचीत आदि सम्प्रेषण के कई रूप हैं।

सम्प्रेषण की विशेषताएँ (Characteristics of Communication)

(Characteristics of Communication) सम्प्रेषण की प्रमुख विशेषताएँ अग्रलिखित हैं-

  • परस्पर विचारों एवं भावनाओं का आदान-प्रदान करना।
  • सम्प्रेषण से विचारों तथा भावनाओं की साझेदारी होती है।
  • सम्प्रेषण में अन्त: निहित होती हैं दोनों पक्षों का विकास होता है। दोनों ही पक्ष क्रियाशील रहते हैं।
  • विचारों एवं भावनाओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन दिया जाता है।
  • इसमें आदान-प्रदान की प्रक्रिया को पृष्ठ पोषण दिया जाता है।
  • सम्प्रेषण में अनुभवों की साझेदारी होती है।
  • सम्प्रेषण की प्रक्रिया द्वि-मार्गों होती है। इसमें पृष्ठपोषण एवं अन्तः प्रक्रिया भी निहित होती है।
  • सम्प्रेषण की प्रक्रिया से शुद्ध अनुभव प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। 9. सम्प्रेषण मे ज्ञानेन्द्रियों तथा कर्मेन्द्रियों को क्रियाशील रखने का प्रयास किया जाता है।
  • शिक्षण की प्रक्रियाका सम्प्रेषण महत्त्वपूर्ण घटक है।
  • कक्षागत अन्तः प्रक्रिया सम्प्रेषण से ही की जाती है।
  • सम्प्रेषण में भाषा कौशलों की भूमिका अहम् होती है।

सम्प्रेषण की व्यूह रचनाओं का वर्गीकरण (Classification of Communication Arrays)

(1) श्रव्य सम्प्रेषण व्यूह रचना:- कक्षा सम्प्रेषण में सम्प्रेषण की पूरी प्रक्रिया श्रव्य माध्यम के जरिए ही चल सकती है। अध्यापक अपनी वाक कला के जरिए अपनी बातें शाब्दिक रूप से भाषण विधि का प्रयोग करके सम्प्रेषित करते रहते हैं और विद्यार्थी सुनकर सम्प्रेषित बातों को ग्रहण करने का प्रयत्न करते रहते हैं। सम्प्रेषणकर्ता और ग्राहक दोनों ही इस अवस्था में श्रव्य सम्प्रेषण प्रक्रिया को चालू रखते हैं। रेडियो, टेपरिकॉर्डर इत्यादि श्रव्य संसाधनों से सम्पन्न सम्प्रेषण भी इसी श्रेणी में आता है।

(2) दृश्य सम्प्रेषण व्यूह रचना:- कक्षा सम्प्रेषण में ऐसा ही सम्भव है कि जब सम्प्रेषण प्रक्रिया के लिए एकमात्र दृश्य माध्यमों (Visual medium) को काम में लाया जाता रहे। अध्यापक के द्वारा श्यामपट्ट पर लिखा जाए, चित्र, आकृति एवं ग्राफ बनाया जाए. मॉडल दिखाया जाए, प्रयोग आदि का प्रदर्शन किया जाए। इसके जरिए भी ऐसा बहुत कुछ प्रेषित किया जा सकता है जिसके माध्यम से विद्यार्थी, सम्प्रेषित सूचनाओं तथा ज्ञान को ग्रहण कर सके। विद्यार्थी किसी भी सम्प्रेषित सामग्री को पढ़कर तथा देखकर अपनी दृश्य इंद्रिय (आँखो) का प्रयोग करके कक्षा-सम्प्रेषण प्रक्रिया में अपनी भागीदारी निभा सकते हैं। इस तरह चार्ट, चित्र, मानचित्र, ग्राफ आदि चित्रात्मक सामग्री, मॉडल, नमूने, प्रयोग आदि के रूप में दिखाई जाने वाली दृश्य सामग्र तथा फिल्म, समाचार पत्र, पत्रिकाओं तथा पुस्तकों के रूप में उपलब्ध सामग्री सम्प्रेषण में दृश्य सम्प्रेषण व्यूह रचना के रूप में काम में लाई जा सकती है।

(3) दृश्य-श्रव्य सम्प्रेषण व्यूह रचना:– केवल श्रव्य तथा दृश्य माध्यमों के जरिए भी सम्प्रेषण प्रक्रिया सम्पन्न हो सकती है, परन्तु सम्प्रेषण की प्रभावशीलता दोनों माध्यमों के उचित समन्वय के द्वारा काफी बढ़ सकती है, इस बात की सच्चाई से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता। कक्षा सम्प्रेषण में भी बहुधा ऐसा ही होता रहता है जबकि अध्यापक और विद्यार्थी श्रव्य तथा दृश्य दोनो ही माध्यमों का प्रयोग करके सम्प्रेषण क्रिया में रत रहते हैं। जब एक अध्यापक श्यामपट्ट पर लिख रहा होता है तथा चित्रात्मक सामग्री का प्रयोग कर रहा होता है या प्रयोग और परीक्षणों तथा प्रदर्शन कर रहा होता है तो साथ में वह अपने सम्प्रेषण की प्रभावशीलता हेतु व्याख्या करने, वर्णन करने तथा स्पष्ट करने सम्बन्धी कौशलों या प्रयोग करते हुए भी देखा जा सकता है। इसी रूप में • केवल रेडियो, टेपरिकार्डर या फिल्म आदि श्रव्य या दृश्य साधनों का प्रयोग करते हुए सम्प्रेषण करने में टेलीविजन, वीडियों आदि दृश्य-श्रव्य साधनों से युक्त सम्प्रेषण व्यूह रचना का प्रयोग करना अधिक उपयुक्त सिद्ध हो सकता है।

4. बहु-इंद्रिय सम्प्रेषण व्यूह रचना:- ज्ञानेन्द्रियाँ सम्प्रेषण का अमूल्य साधन है। जितनी अधिक इंद्रियों के सहयोग से सम्प्रेषण क्रिया चालू रहेगी उतनी ही सफलता सम्प्रेषण के परिणामस्वरूप सम्प्रेषणकर्ता तथा ग्राहक को प्राप्त होती रहेगी। कक्षा सम्प्रेषण में भी अगर अध्यापक तथा विद्यार्थी द्वारा अधिक से अधिक ज्ञानेन्द्रियों (आँख, नाक, कान, जीभ और त्वचा) का उपयोग करते हुए सम्प्रेषण प्रक्रिया चालू रखी जाए तो अधिक प्रभावशाली परिणाम सामने आ सकते हैं और इस तरह बहु-इंद्रिय सम्प्रेषण व्यूह रचना का उपयोग काफी अधिक प्रभावशाली सिद्ध हो सकता है।

(5) जनसम्पर्क सम्प्रेषण व्यूह रचना:- जब सम्प्रेषण प्रक्रिया में बहुत अधिक व्यक्तियों को शामिल करने का प्रश्न हो तो जन सम्पर्क माध्यम जैसे— रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, फिल्म, मुद्रित सामग्री, पुस्तक, पत्र-पत्रिकाएँ तथा इन्टरनेट और वेबसाइट पर आधारित अति आधुनिक माध्यमों की सहायता लेना आवश्यक सा हो जाता है। पत्राचार पाठ्यक्रम के जरिए जो शिक्षण अधिगम प्रक्रिया बहुत-से शिक्षण संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों द्वारा सम्पन्न की जाती है उसमें इस प्रकार के जनसम्पर्क माध्यमों की बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका दिखाई देने को मिल सकती है और इस तरह जन-सम्पर्क सम्प्रेषण व्यूह रचना दूर-दराज बैठे हुए विद्यार्थियों से सम्पर्क साधने में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

(6) बहु- माध्यम सम्प्रेषण व्यूह रचना:- किसी भी सम्प्रेषण प्रक्रिया में जब विविध साधनों एवं माध्यमों का प्रयोग इस तरह व्यवस्थित एवं सुनियोजित ढंग से किया जाए कि उनके इस प्रकार के उपयोग द्वारा सम्प्रेषण को अधिक-से-अधिक प्रभावी बनाया जा सके तब यह माना जा सकता है कि उस सम्प्रेषण में बहु-माध्यम (Multi-media approach) से युक्त व्यूह रचना का प्रयोग किया जा रहा है। बहुत से मुक्त विश्वविद्यालयों (Open Universities) जैसे—इन्दिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) द्वारा आजकल अपने सुदूर स्थित विद्यार्थियों के साथ उचित सम्प्रेषण के लिए बहु-माध्यम उपागम का प्रयोग भली-भाँति किया जा रहा है। विदेशों में बहुत से ऐसे पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिनमें उन्नत किस्म के इलेक्ट्रॉनिक तथा कम्प्यूटरजनित सम्प्रेषण को लेकर बहु-माध्यम का उपयोग ऑन-लाइन एजूकेशन (On-line Education) देने के लिए सुविधापूर्वक किया जा रहा है।

इस प्रकार से एक शिक्षक को अपने शिक्षण का संगठन करने के दौरान जब यह निर्णय लेना होता कि किस प्रकार की सम्प्रेषण व्यूह रचनाओं का जयन और उपयोग किया जाए तब उसे सभी उपलब्ध व्यूह रचनाओं का विश्लेषण करके यह तय करना होता है कि कौन-सी एक विशेष सम्प्रेषण व्यूह रचना अथवा कुछ व्यूह रचनाओं का एक मिश्रित रूप उसे (i) उपलब्ध शिक्षण, परिस्थितियों में ज्यादा लाभदायक सिद्ध हो सकता है तथा (ii) किसके द्वारा निर्धारित शिक्षण-अधिगम उद्देश्यों की प्रभावपूर्ण ढंग से उपलब्धि सम्भव है। इन्हीं बातों पर विचार करके वह परिणामस्वरूप शाब्दिक , अशाब्दिक सम्प्रेषण व्यूह रचना का चुनाव करता है। इसी तरह वह दृश्य, श्रव्य, दृश्य-श्रव्य, बहु-इंद्रीय (Multi-sensory) बहु-माध्यमीय (Multi-media) सम्प्रेषण व्यूह रचनाओं में से भी किसी एक या उनके मिश्रित रूप का चयन और उपयोग अपने शिक्षण हेतु कर सकता है।

  • शिक्षण का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, चर एवं कार्य
  • स्मृति स्तर का शिक्षण
  • बोध स्तर का शिक्षण
  • Class 11 (Physics)
  • Class 12 (Physics)
  • Class 11 (Chemistry)
  • Class 12 (Chemistry)
  • Chemistry Quiz
  • B.Ed./D.El.Ed.
  • B.Ed. (Eng.)
  • General Knowledge
  • Terms of Use
  • Physics Notes

Wandofknowledge

सूचना एवं संचार तकनीकी (ICT)

Contents in the Article

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का शैक्षिक महत्व

(Educational Importance of I.C.T)

शिक्षक के लिए शिक्षण कार्य में महत्व-

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी एक सफल शिक्षक के लिए छात्रों को उनकी क्षमता तथा कुशलता के साथ अध्ययन कराने में; यथा—अभिक्रमित अध्ययन सामग्री पाठ्यक्रमों के प्रभावशाली शिक्षण हेतु नयी-नयी विधियाँ तैयार करने; जैसे—माइक्रो टीचिंग, सिम्युलेटेड टीचिंग, मिनी-टीचिंग के माध्यम अध्ययन कराने के लिए नवीन आधार प्रदान करते हैं, अर्थात् सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शिक्षण कार्य में एक शिक्षक के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही है।

अधिगम कार्य में महत्वपूर्ण-

शिक्षक की ज्ञान वृद्धि हेतु ict का उपयोग.

(Use of I.C.T. to Increase the Teacher’s Knowledge)

व्यवहारिक रूप से शिक्षा के क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचार करें तो हमें जान पड़ता है कि इस प्रौद्योगिकी के द्वारा एक तरफ शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को महत्व दिया गया है तथा दूसरी ओर शिक्षा का दायरा विस्तृत हुआ है। अध्यापकों के विषयगत उत्तरदायित्वों को पूरा करने में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से सहायता प्रदान की जा रही है।

आधुनिक समय में अध्यापक, छात्र एवं शिक्षा के क्षेत्र से सम्बद्ध प्रत्येक व्यक्ति सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के अभाव में अपनी ज्ञान प्राप्त करने की जिज्ञासा को तृप्त नहीं कर सकता। आधुनिक युग में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग व्यापकता ग्रहण करता जा रहा है। हम देखते हैं कि आज प्रायः एक विषय विशेष पर अनेका लेखकों, विद्वानों के विचारों को सी. डी., फोन तथा इण्टरनेट के माध्यम से प्राप्त करक उक्त विषय पर पूर्ण रूप से विचार-विमर्श के आधार पर एक सिद्धान्त या नियम का निर्माण किया जाता है तथा उक्त विषय पर विस्तृत आधार प्रदान किया जाता है।

आज सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का प्रभाव शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर पूरी तरह से सबको ज्ञात हो चुका है। वर्तमान में सीखने के सिद्धान्तों की अपेक्षा शिक्षण तकनीक के नियमों एवं सिद्धान्तों को अत्यधिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

शिक्षण सिद्धान्तों के पूर्व के स्तर तथा उनसे सम्बन्धित तकनीकों को ही इस क्षेत्र में उजागर किया गया। यह खोजें सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के द्वारा ही सम्भव हो सकी हैं। अर्थात् यह सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का ही परिणाम है।

कक्षा में अध्यापकों द्वारा छात्रों को पढ़ाने के लिए वर्तमान समय में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी किस स्तर तथा रूप में उपयोगी हो रही है उसका विस्तृत वर्णन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं-

शिक्षण कार्य की कार्यकुशलता में वृद्धि –

शिक्षण कार्य में सरलता-, गुणात्मक उन्नति में सहायक –, समय की बचत –, विशिष्टीकरण में सहायक –, प्रौद्योगिकी दूर शिक्षा ( दूरस्थ शिक्षा ) में सहायक –, महत्वपूर्ण लिंक.

  • संरचनात्मक तथा योगात्मक मूल्यांकन- इन दोनों के बीच का अंतर
  • साक्षात्कार (Interview) की कार्यविधिऔर महत्व एवं उपयोग
  • मौखिक अभिव्यक्ति- उद्देश्य, महत्व, आवश्यकता, शिक्षण विधियाँ
  • उत्तम परीक्षण- विशेषताएँ, व्यावहारिक कसौटियाँ, तकनीकी कसौटियाँ
  • निदानात्मक परीक्षण- विशेषताएँ, उपलब्धि परीक्षण और निदानात्मक परीक्षण में अंतर
  • क्रियात्मक अनुसन्धान (Action Research)- अर्थ, क्षेत्र (Scope), महत्व, लाभ
  • क्रियात्मक शोध के चरण या सोपान (Steps of Action Research)
  • शैक्षिक नवाचार- अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, क्षेत्र, परिवर्तन और नवाचार में सम्बन्ध
  • शैक्षिक नवाचार की आवश्यकता और महत्व
  • संचार (Communication) की विशेषताएँ एवं बाधाएँ | सूचना के गुण
  • सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (I.C.T.) का विद्यालय में अनुप्रयोग एवं लाभ
  • शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी- क्षेत्र और उपयोगिता (Scope & Use of ICT)

Disclaimer: wandofknowledge.com केवल शिक्षा और ज्ञान के उद्देश्य से बनाया गया है। किसी भी प्रश्न के लिए, अस्वीकरण से अनुरोध है कि कृपया हमसे संपर्क करें। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे। हम नकल को प्रोत्साहन नहीं देते हैं। अगर किसी भी तरह से यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है, तो कृपया हमें [email protected] पर मेल करें।

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संचार माध्यम का अर्थ महत्व एवं लोकतंत्र में भूमिका | Mass Communication Meaning Medium Importance & Role Of Mass Media In Hindi

संचार माध्यम का अर्थ महत्व एवं लोकतंत्र में भूमिका Mass Communication Meaning Medium Importance & Role Of Mass Media In Hindi: जन संचार माध्यम क्या होता हैं तथा इसके रूप कौन कौनसे होते हैं.

साथ ही वर्तमान समय में विभिन्न क्षेत्रों में मिडिया की बढती भूमिका के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे. साथ ही एक लोकतांत्रिक देश में किस तरह संचार माध्यम अथवा मिडिया लोकतंत्र को मजबूत करने में भूमिका निभाता हैं.

तथा इस व्यवस्था में कैसे मिडिया की स्वायता को बनाए रखते हुए उसके उत्तरदायित्व तय किए जा सकते हैं.

संचार माध्यम का अर्थ महत्व एवं लोकतंत्र में भूमिका

संचार माध्यम का अर्थ महत्व एवं लोकतंत्र में भूमिका | Mass Communication Meaning Medium Importance & Role Of Mass Media In Hindi

अक्सर हमारे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर जाते हैं. तो पल पल उनके यात्रा कार्यक्रमों की समस्त जानकारी हमे मिलती रहती हैं.

इसी तरह हमारी क्रिकेट टीम विदेश दौरे पर जाती हैं तो वहां खेले जाने वाले मैच के परिणामों की जानकारी तुरंत हो जाती हैं. विश्व में होने वाले घटनाक्रम की जानकारी भी हमे निरंतर मिलती रहती हैं. आखिर हमे ये जानकारियां किस तरह प्राप्त होती हैं?

हमे ये जानकारी टीवी, रेडियों, अखबार आदि साधनों से प्राप्त होती हैं. इन सभी साधनों को हम संचार के साधन या माध्यम (मिडिया) कहते हैं. इन साधनों के बिना हमारे जीवन की कल्पना करना भी कठिन होगा.

संचार माध्यम का अर्थ (mass communication meaning in hindi)

मिडिया अंग्रेजी शब्द मीडियम से बना हैं, जिसका अर्थ होता हैं माध्यम. विचारों और सूचनाओं के आदान प्रदान की प्रणाली को हम संचार माध्यम या मिडिया कहते हैं. रेडियो, दूरदर्शन, सिनेमा, समाचार पत्र व पत्रिकाओं, कम्प्यूटर आदि मिडिया के विभिन्न रूप हैं. जो वर्तमान समय में प्रचलित हैं.

अपने विचारों भावों संदेशो एवं सूचनाओं को एक स्थान से दुसरे स्थान पर प्रेषित करना संचार कहलाता है. कंप्यूटर और इन्टरनेट मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हस्तक्षेप कर संचार का सशक्त माध्यम बन चूका है.

आज कंप्यूटर तथा इन्टरनेट का महत्व इतना अधिक हो गया है कि मानव की प्रत्येक गतिविधियों एवं कार्य अपने स्वयं से भी अधिक कंप्यूटर व इन्टरनेट द्वारा संपादित किये जाते है.  

सही संचार के लिए यह आवश्यक है कि संदेश प्राप्तकर्ता व्यक्ति वही संदेश का अर्थ समझे जो कि संदेशदाता का है. साथ ही संदेश के महत्व के अनुसार उसे उचित समय पर सम्प्रेष्ण भी संचार के मुख्य उद्देश्य के अंतर्गत आता है.

संचार के साधन (Communication tools/Instrument in Hindi)

संचार के साधनों को अध्ययन की दृष्टि से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है.

  • डाकघर सेवाएं
  • शीघ्र संचार के साधन

डाकघर सेवाएं (Post office services)

डाकघर दूरस्थ स्थानों पर संदेश तथा वस्तुएं व धन प्रेषण की सुविधा प्रदान करता है. डाकघर सेवाओं को निम्न तीन भागों में विभाजीत किया जा सकता है.

समाचार प्रेषण- डाकघर संदेश प्रेषण के लिए निम्न सुविधाए प्रदान करता है.

पोस्टकार्ड (पोस्टकार्ड)-  कम समाचार तथा गोपनीय प्रकृति के संदेश होने की स्थिति में पोस्टकार्ड संदेश प्रेषण का सबसे सस्ता एवं सुलभ साधन है. वर्तमान में 50 पैसे मात्र खर्च कर किसी डाकघर से प्राप्त किया जा सकता है.

मुद्रित पोस्टकार्ड (Printed postcard)-  इस तरह के पोस्टकार्ड का उपयोग मुख्यतया व्यवसायिक संस्थाओं द्वारा किया जाता है. व्यवसायिक संस्थाएँ अपने विज्ञापन हेतु स्वयं के पोस्टकार्ड छपवा सकती है.

इस पोस्टकार्ड पर नियमानुसार डाक टिकट लगाना पड़ता है. प्रतियोगिता पोस्टकार्ड भी इसी श्रेणी में आते है. प्रतियोगिता पोस्टकार्ड भी डाकघर द्वारा प्राप्त किये जा सकते है.

अंतर्देशीय पत्र (Inland letter)-  गोपनीय व अधिक समाचार लिखने हेतु अंतर्देशीय पत्र की सुविधा उपलब्ध है.

लिफाफा (Envelope and its charges)-  विस्तृत व गोपनीय समाचार अलग कागज पर लिखने के लिए डाक विभाग द्वारा लिफ़ाफ़े उपलब्ध करवाए जाते है.

जिसका वर्तमान मूल्य 5 रुपयें है. यदि लिफ़ाफ़े 20 ग्राम से अधिक है या उसके भाग के लिए 5 रूपये का अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है. व्यक्तियों तथा व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा स्वयं के मुद्रित लिफ़ाफ़े भी काम में लिए जाते है.

अति गोपनीय व महत्वपूर्ण पत्रों, कानूनी एवं व्यापारिक प्रलेखों को सुरक्षित भेजने के लिए रजिस्टर्ड पत्र की सुविधा भी उपलब्ध है. शीघ्र डाक पहुचाने हेतु स्पीड पोस्ट की सुविधा भी डाकघर द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है. इसका वर्तमान में न्यूनतम शुल्क 25 रूपये है.

वस्तु प्रेषण (Commodity delivery)

हलकी और मूल्यवान वस्तुएं जो 20 किलोग्राम तक की है, डाक द्वारा प्रेषित की जा सकती है. इन्हें पंजीकृत या अपंजीकृत दोनों रूप से भेज सकते है.

इसका शुल्क पार्सल के वजन के आधार पर तय है. इन वस्तुओं का कुछ शुल्क देकर बीमा करवाने की सुविधा भी डाकघर उपलब्ध करवाता है.

बुक पोस्ट के माध्यम से मुद्रित पुस्तके, पत्र पत्रिकाएँ, नमूने के पैकेट आदि रियायती दर पर भेजने की सुविधा भी उपलब्ध है. यदि पार्सल प्राप्तकर्ता से उस वस्तु की कीमत भी माल सुपुर्दगी के समय वसूल करनी है.

तो इसे VPP के माध्यम से भेजा जा सकता है. वर्तमान में वस्तुओं के प्रेषण में कुरियर सेवाओं वाला काम भी किया जाता है.

धन प्रेषण (Money remittance)

डाकघर द्वारा धन प्रेषण के लिए मनी आर्डर पोस्टल आर्डर तथा बीमा पत्र की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है.

शीघ्र संचार के साधन (Quick communication devices, augmentative communication )

टेलीग्राम या तार (telegram).

कुछ समय पहले तक कोई भी संदेश लिखित माध्यम से एक स्थान से दुसरे स्थान पर टेलीग्राम (तार) द्वारा भेजे जाते थे. यह साधारण तथा शीघ्र दोनों प्रकार के होते थे.

शीघ्र तार का शुल्क साधारण तार से दुगुना होता था. लेकिन वर्तमान में अत्याधुनिक तकनीक के विकास हो जाने के फलस्वरूप इसे पूर्णरूपेण समाप्त कर दिया गया है.

टेलीफोन (Telephone)

इस यंत्र की सहायता से घर बैठे देश व विदेश में किसी भी व्यक्ति से बात की जा सकती है. दूर संचार कम्पनियां यह सुविधा सशुल्क उपलब्ध करवाती है. आज संचार क्रांति ने मोबाइल फोन की सुविधा प्रदान की है. ये फोन तारविहीन होते है.

अतः चलते फिरते भी किसी भी स्थान पर बात की जा सकती है. मोबाइल से इन्टरनेट, वेबसाइट, ईमेल आदि कई अत्याधुनिक सुविधाएं के होने से संचार के क्षेत्र में नयी क्रांति का सूत्रपात हुआ है.

फैक्स (Fax)

यह टेलीफोन लाइन से जुड़ा एक छोटा सा यंत्र होता है. जो किसी पत्र पर लिखित मुद्रित एवं चित्रित संदेश को टेलीफोन लाइन की सहायता से कुछ ही क्षणों में दुसरे स्थान पर प्रेषित किया जा सकता है. भेजे गये स्थान पर स्थित फैक्स मशीन उसे पुनः उसी रूप में चित्रित व मुद्रित कर देती है.

इंटरनेट (Internet)

आज के युग में इन्टरनेट का महत्व बहुत बढ़ गया है. आज छोटी से छोटी तथा बड़ी से बड़ी जरुरत का सर्वोत्तम विकल्प इन्टरनेट है.चाहे पत्र लिखना हो, अपने किसी परिचित से बात करनी हो, या किसी पुस्तक का क्रियादेश देना हो, इन्टरनेट हमेशा तैयार रहता है.

लेकिन वास्तव में इन्टरनेट क्या है. वस्तुतः यह एक नेटवर्कों का जाल या नेटवर्क है है. यह दुनियाभर के कंप्यूटरों को मॉडेम के माध्यम से एक सूत्र में पिरोता है और एक दूसरे से जोड़ता है. माउस की सहायता से तुरंत वाछित बिंदु पर पंहुचा जा सकता है.

आज भी कम्पनियां या सरकारी संस्थान स्वयं की वेबसाइट के रूप में इन्टरनेट पर उपलब्ध है. इसी से अंदाज लगाया जा सकता है. कि इन्टरनेट कितना महत्वपूर्ण है. कुछ ही समय में इन्टरनेट पर लाखों वेबसाइट खुल चुकी है.

वास्तव में इन्टरनेट सूचनाओं का भंडार है लेकिन इसकी यह सबसे बड़ी विशेषता है कि आप इस भंडार में से किसी भी प्रकार की सूचना सीधी प्राप्त कर सकते है. यहाँ वेबसाइट संसार का एक माध्यम है.

कंप्यूटर पर कोई सूचना प्राप्त करनी हो तो उससे संबधित अध्याय या साईट का नाम अंकित करे , जैसे आपकों पर्यावरण के क्षेत्र के बारे में देखना हो तो आप www.EVNI.com टाइप करे, सीधे वहां पंहुचा जाता है और वह मोनिटर पर उपलब्ध होगी.

ईमेल (EMAIL)

ईमेल अब बहुत ही लोकप्रिय हो चुकी है. तथा छोटे से बड़े सभी इसके नाम से परिचित हो गये है. यह सुविधा अब वेबसाइट पर भी उपलब्ध है. जिसे दुनिया के किसी भी कोने में क्षण भर में अपना संदेश या पत्र इसके द्वारा भेजा या प्राप्त किया जा सकता है.

इसके लिए आवश्यक नही है. कि दोनों व्यक्तियों के पास एक ही वेबसाइट का पता हो. किसी भी वेबसाइट से किसी अन्य वेबसाइट पर पत्र भेजा या प्राप्त किया जा सकता है. कुछ वेबसाइट यथा- YAHOO, GOOGLE, INDIYA है,

जो दुनिया को इमेल की सुविधा निशुल्क उपलब्ध करवा रही है. आज कल तो कुछ देशों में सारा पत्र व्यवहार भी इसके द्वारा ही हो रहा है.

पुस्तकालयों में प्राप्त नही होने वाली पत्रिकाओं या पत्रिकाओं के क्रयादेश, बीजक मंगवाना, यहाँ तक की पुस्तकों का क्रय विक्रय भी इसके द्वारा होने लगा है.

वीडियों कांफ्रेसिंग (Video conferencing)

कंप्यूटर द्वार ऑनलाइन बातचीत से विभिन्न देशों में बैठे हुए समान रूचि वाले व्यक्ति[प]यों के बिच आपस में संचार सुविधा उपलब्ध है.

ऑनलाइन बातचीत का अवसर प्रदान करने वाली किसी भी साईट को खोलकर कोई भी व्यक्ति माउस की सहायता से अपने संदेश, प्रश्नोतर, अवलोकन, विचार आदि को टाइप कर सकता है.

यह बातचीत स्क्रीन पर दिखाई देती है. इसमे दो या दो से अधिक व्यक्ति भी भाग ले सकते है. अर्थात इससे संगोष्ठी भी की जा सकती है. टीवी या मोनिटर पर जुड़कर आमने सामने भी बातचीत हो सकती है.

संचार माध्यम के रूप (Forms of communication media):-

  • मुद्रण माध्यम- समाचार, पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तके एवं जर्नल आदि.
  • वार्तालाप माध्यम- टेलीफोन, मोबाइल, फोन, विडियो फोन आदि.
  • इलेक्ट्रानिक माध्यम- फिल्म, रेडियो, दूरदर्शन, इंटरनेट, ऑडियो विडियो कैसेट डिस्क आदि.

जनसंचार के माध्यम (Mass Communication Medium)

अखबार, रेडियो, टेलीविजन और इंटरनेट की सोशल साइट्स की पहुच बड़े जन समूह तक होने एवं अधिक लोगों को एक साथ प्रभावित करने के कारण इन्हें जन संचार के माध्यम (मास मिडिया) कहा जाता हैं.

समाचार पत्र पत्रिकाओं, जर्नल आदि मुद्रण माध्यम (प्रिंट मिडिया) के उदहारण हैं. इन्हें हम मिडिया का सबसे पुराना रूप कह सकते हैं. यदपि पिछले कुछ दशकों में इसके पाठकों में कमी आई हैं.

फिर भी सूचना का सबसे भरोसेमंद एवं उत्तरदायी माध्यम माना जाता हैं. रेडियो, टेलीविजन आदि ब्राडकास्टिंग माध्यम या इलेक्ट्रानिक माध्यम (इलेक्ट्रानिक मिडिया) की श्रेणी में आते हैं.

ये विश्व के किसी भी कोने में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी तुरंत पहुचाने का प्रभावी माध्यम हैं. ये माध्यम घटनाओं को प्रभावी ढंग से दिखाते हैं और विशेयज्ञों के माध्यम से उनका विश्लेषण करते हैं जिससे दर्शकों को किसी घटना के सभी पहलुओं को समझने का मौका मिलता हैं.

जनसंचार माध्यम का महत्व  (Mass Communication Importance In Hindi)

संचार के माध्यमों से हमे देश विदेश में होने वाली राजनितिक, प्राकृतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, खेल, गीत, संगीत, शिक्षा विज्ञान तथा तकनीक से सम्बन्धित सूचनाओं और महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी मिलती हैं.

नेपाल में आए भूकम्प की घटना हो या उड़ीसा और आंध्रप्रदेश में सुनामी का कहर, हम सबने टेलीविजन, रेडियो, अखबार के माध्यम से इस विनाश को देखा सुना और पढ़ा हैं.

मिडिया आर्थिक एवं सांस्कृतिक वैश्वीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हैं. समाचार पत्र, टेलीविजन, रेडियो आदि संचार माध्यम जनमानस के विचारों एवं दृष्टिकोण के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

ये विभिन्न विभिन्न विज्ञापनों और सूचनाओं के माध्यम से सरकार द्वारा जनहित में जारी लोककल्याणकारी योजनाओं के प्रचार व प्रसार में सहायक हैं.

सरकार द्वारा संचालित विभिन्न सरकारी योजनाओं, कार्यक्रमों जैसे शिक्षा, सबके लिए, स्वच्छ भारत अभियान, डिजिटल इण्डिया, भामाशाह योजना, जन धन योजना, ग्रीन इण्डिया क्लीन इण्डिया, बेटी बचाओं बेटी पढाओं, सड़क सुरक्षा अभियान जैसे सामाजिक सरोकारों से सम्बन्धित कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार में मिडिया अपनी सकारात्मक भूमिका निभा रहा हैं.

इस तरह हम समझ सकते हैं कि वर्तमान में संचार माध्यम शिक्षा, जागरूकता, समस्या समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हैं.

मिडिया में हमे सिर्फ सूचनाएं प्रदान करने का कार्य ही नही करता बल्कि सामाजिक सरोकारों से मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाता हैं. जन जागरूकता व जनमत निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं.

लोकतंत्र में संचार माध्यमों की भूमिका (role of media in democracy in hindi)

स्वतंत्र एवं निष्पक्ष संचार माध्यम (मिडिया) लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त हैं. यह सरकार एवं जनता के बिच मध्यस्थता का कार्य करता हैं. यह सरकार की योजनाओं एवं कार्यों को जनता और जनता की भावनाओं को सरकार तक पहुचाने का सशक्त माध्यम हैं.

मिडिया द्वारा न केवल समाचार व सूचनाओं का प्रसारण किया जाता हैं, बल्कि व्यापक स्तर पर जनमत के निर्माण में भी इसकी अहम भूमिका होती हैं. व्यापक जन समूह तक पहुच के कारण इसे सशक्त माध्यम माना गया हैं. संचार माध्यमों से नागरिक जान सकते हैं कि सरकार किस तरह कार्य कर रही हैं.

प्रेस मिडिया का ही रूप हैं. जिसे शासन का चौथा स्तम्भ माना गया हैं. लोकतांत्रिक देशों में विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान की गई हैं. इस स्वतंत्रता का उपयोग प्रेस के कारण सही ढंग से हो सकता हैं.

चुनावों के दौरान इसकी भूमिका और बढ़ जाती हैं. यह चुनावों में खड़े होने वाले उम्मीदवारों के बारे में जानकारी देता हैं. जिससे मतदाता अच्छे प्रत्याशी का चयन कर सके. चुनाव होने से लेकर सरकार के गठन तक इसकी प्रभावी भूमिका रहती हैं.

मिडिया का क्षेत्र व्यापक होने से जनमत के निर्माण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं. इसके द्वारा सरकार के कार्यों और नीतियों को व्यापक जनसमूह तक पहुचाया जाता हैं.

अखबार में लेखों एवं टेलीविजन पर चर्चा द्वारा वास्तविकताओं को जनता के समक्ष रखा जाता हैं. जिससे साधारण नागरिक भी सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों को जान सके एवं विचार निर्माण कर सके.

सोशल साइट्स के माध्यम से विचार अभिव्यक्ति का दायरा बढ़ गया हैं. जिनके माध्यम से सरकार के किसी निर्णय पर तुरंत प्रतिक्रिया प्राप्त हो जाती हैं. इससे सरकार को जनता के रुख का पता चलता हैं.

एवं सरकार अपनी नीतियों की समीक्षा प्राप्त कर सकती हैं. इस तरह से बहुसंख्य जनता को निर्णय निर्माण में भागीदारी मिलती हैं जो मजबूत लोकतंत्र की पहचान हैं.

उत्तरदायी मीडिया पर निबंध लेख (what is Responsive media)

एक आदर्श मिडिया की अवधारणा में मिडिया सूचना प्रदाता, सकारात्मक, सृजनात्मक, प्रेरणादायी और मनोरंजक होता हैं. मिडिया लोकतंत्र एवं मानव अधिकारों का एक सशक्त रक्षक हैं.

एक उत्तरदायी मिडिया देश में कानून व्यवस्था को बनाए रखने तथा राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को कायम रखने में अद्वितीय भूमिका निभाता हैं.

मिडिया से राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व की भावना से कार्य करते हुए देश में स्वस्थ जनमत का निर्माण करने और लोगों में उचित दृष्टिकोण विकसित करने में अपना अमूल्य योगदान देने की अपेक्षा की जाती हैं. उसे पर्यावरण और सामाजिक सरोकारों से सम्बन्धित विषयों को जनता के बिच उठाते रहना चाहिए और स्वस्थ बहस को जन्म देना चाहिए.

उससे नकारात्मक और अनावश्यक सनसनीखेज रिपोर्टिंग के लालच से बचने की अपेक्षा की जाती हैं. मिडिया का यह दायित्व हैं कि वह बिना किसी पूर्वाग्रह या पक्षपात के जनता को वास्तविक स्थति से अवगत कराएं.

लोकतंत्र में मिडिया को अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उनके द्वारा प्रसारित व प्रकाशित किसी भी लेख अथवा कार्यक्रम से नागरिकों में परस्पर सोहार्द व शान्ति को अघात न पहुचे.

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Essay on India in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं हमारे देश भारत पर निबंध

essay on means of communication in hindi

  • Updated on  
  • अगस्त 30, 2024

Essay on India in Hindi

Essay on India in Hindi : भारत एक विविधतापूर्ण देश है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी एक अरब से ज़्यादा है। भारत हिमालय पर्वतों से लेकर उष्णकटिबंधीय समुद्र तटों तक फैला हुआ है, जो इसकी भौगोलिक विविधता को दर्शाते हैं। यह देश विभिन्न धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का घर है, जो विविधता में एकता का एक अनूठा मिश्रण है। आर्थिक रूप से, भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष खोज और उद्योग में विश्व में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है। गरीबी और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारत अपने सांस्कृतिक सार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए हुए प्रगति और विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है।

भारत देश के बारे में जानकारी इसके प्रत्येक छात्र को होनी चाहिए। छात्रों को कई बार निबंध प्रतियोगिता और कक्षाओं में Essay on India in Hindi दिया जाता है और आपकी मदद के लिए कुछ सैंपल इस ब्लॉग में दिए गए हैं। 

This Blog Includes:

भारत पर 100 शब्दों में निबंध, भारत पर 200 शब्दों में निबंध, प्रस्तावना , भारत का इतिहास, भारत का भूगोल और संस्कृति, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और अन्य प्रतीक, भारत की नदियां  , भारत का भोजन, भारत की भाषाएं, भारत के त्यौहार, भारत की अनेकता में एकता, उपसंहार , भारत पर 10 लाइन – 10 lines essay on india in hindi.

भारत के लोग अपनी ईमानदारी और विश्वसनीयता के लिए जाने जाते हैं। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोग एक साथ शांतिपूर्वक रहते हैं। हिंदी भारत की एक प्रमुख भाषा है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों के लोग कई अन्य भाषाएँ भी बोलते हैं। भारत एक खूबसूरत देश है जहाँ कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया और उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की। भारतीयों के द्वारा अतिथियों को ‘अतिथि देवों भव:’ की उपाधि दी जाती है। दूसरे देशों से आने वाले आगंतुकों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है। भारत में सनातन धर्म (जीवन का एक प्राचीन दर्शन) का पालन किया जाता है, जो विविधता में एकता बनाए रखने में मदद करता है।

 भारत कई प्राचीन स्थलों, स्मारकों और ऐतिहासिक धरोहरों का घर है जो दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। यह अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं, योग और मार्शल आर्ट के लिए प्रसिद्ध है। विभिन्न देशों के कई तीर्थयात्री और भक्त भारत के प्रमुख मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक विरासतों की सुंदरता का अनुभव करने के लिए आते हैं।

भारत का एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है और इसे प्राचीन सभ्यता का जन्मस्थान माना जाता है। यह तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के कारण शिक्षा का एक केंद्र रह चुका है, इसने इतिहास में दुनिया भर के छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में आकर्षित किया है। अपनी अनूठी और विविध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाने वाला भारत विभिन्न धर्मों के लोगों से प्रभावित है। भारत के धन वैभव को चुराने के लिए इस पर कई आक्रमण हुए। कई साम्राज्यों ने इसे गुलाम बनाने के लिए भी प्रयोग किया। कई स्वतंत्रता सैनानियों के प्रयासों और बलिदानों की बदौलत भारत को 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। 

हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, जिस दिन हमारी मातृभूमि आजाद हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। अपने समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद, भारत में कई लोग गरीब हैं। रवींद्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चंद्र बोस, सर सी.वी. रमन और डॉ. होमी जे. भाभा जैसी असाधारण हस्तियों की बदौलत देश लगातार प्रौद्योगिकी, विज्ञान और साहित्य में आगे बढ़ है। भारत एक शांतिपूर्ण देश है जहाँ लोग अपने त्यौहारों को खुलकर मनाते हैं और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का पालन करते हैं। कश्मीर को अक्सर धरती पर स्वर्ग के रूप में वर्णित किया जाता है। भारत प्रसिद्ध मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, नदियों, घाटियों, उपजाऊ कृषि भूमि और सबसे ऊँचे पहाड़ों का घर है।

भारत पर 500 शब्दों में निबंध

भारत पर 500 शब्दों में निबंध (500 Words Essay on India in Hindi) नीचे दिया गया है –

भारत एक अद्भुत देश है जहाँ लोग कई अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। यहाँ विभिन्न जातियाँ, पंथ, धर्म और संस्कृतियाँ निवास करती हैं, फिर भी सभी लोग एक साथ सद्भाव से रहते हैं। यही कारण है कि भारत “विविधता में एकता” कहावत के लिए प्रसिद्ध है। भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश भी है।

भारत का इतिहास और संस्कृति समृद्ध है और मानव सभ्यता के उदय के बाद से ही विकसित हुई है। विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता भारत में थी। इसकी शुरुआत प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता और दक्षिण भारत में शुरुआती कृषि समुदायों से हुई। समय के साथ, भारत ने विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का निरंतर एकीकरण देखा। साक्ष्य बताते हैं कि शुरुआती दौर में, लोहे और तांबे जैसी धातुओं का उपयोग व्यापक था, जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत तक, भारत एक अत्यधिक उन्नत सभ्यता के रूप में विकसित हो चुका था।

भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इसे हिंदुस्तान और आर्यावर्त के नाम से भी जाना जाता है। यह तीन तरफ से महासागरों से घिरा हुआ है: पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिंद महासागर। भारत का राष्ट्रीय पशु ‘ बाघ’ है, राष्ट्रीय पक्षी ‘ मोर’ है और राष्ट्रीय फल ‘ आम’ है। भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है, और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म और यहूदी धर्म सहित विभिन्न धर्मों के लोग सदियों से भारत में एक साथ रहते आए हैं। भारत अपनी समृद्ध विरासत के लिए भी जाना जाता है, जिसमें स्मारक, मकबरे, चर्च, ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर, संग्रहालय, प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीव अभयारण्य और प्रभावशाली वास्तुकला शामिल हैं।

भारतीय ध्वज तिरंगे में तीन रंग हैं: केसरिया, सफ़ेद और हरा। सबसे ऊपर का रंग केसरिया पवित्रता का प्रतीक है। बीच का रंग सफ़ेद शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे का रंग हरा उर्वरता का प्रतीक है। सफ़ेद पट्टी के बीच में एक नीला अशोक चक्र है, जो 24 तीलियों वाला पहिया है जो कानून और न्याय के चक्र का प्रतीक है। बंगाल टाइगर राष्ट्रीय पशु है, जो शक्ति और शालीनता का प्रतिनिधित्व करता है। मोर यहां का राष्ट्रीय पक्षी है, जो शालीनता, सुंदरता और शान का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से फील्ड हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है, जो खेल में देश की उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत में कई प्रमुख नदियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक का सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक महत्व है। गंगा हिमालय से निकलती है और उत्तरी भारत से होकर बांग्लादेश में बहती है। यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी मानी जाती है और लाखों लोगों के लिए पीने, कृषि और धार्मिक प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यमुना हिमालय में यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह दिल्ली और आगरा से होकर बहती है और अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण है। 

ब्रह्मपुत्र तिब्बत में निकलती है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले असम और भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से होकर बहती है। यह नदी अपने विशाल बेसिन और कृषि क्षेत्र के लिए जानी जाती है। सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में है और भारत से होते हुए यह पाकिस्तान में भी बहती है। कृष्णा नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। दक्षिणी भारत में सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। कावेरी नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी में बहती है। कर्नाटक और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। महानदी छत्तीसगढ़ राज्य में उत्पन्न होकर पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। क्षेत्र में सिंचाई और प्रमुख बांधों के लिए महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और नर्मदा घाटी परियोजना के लिए जानी जाती है। ताप्ती नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह क्षेत्र की कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।

भारतीय भोजन अपनी समृद्ध विविधता और जीवंत स्वादों के लिए प्रसिद्ध है। यह देश की विशाल सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विविधताओं को दर्शाता है। भारत के भोजन में मसालों, जड़ी-बूटियों और सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो जटिल और सुगंधित व्यंजन बनाती है। उत्तर की मसालेदार करी से लेकर दक्षिण के तीखे और नारियल आधारित व्यंजनों तक, भारतीय व्यंजन सभी के लिए कुछ न कुछ प्रदान करते हैं। लोकप्रिय व्यंजनों में बिरयानी, डोसा, समोसे और विभिन्न प्रकार की ब्रेड जैसे नान और रोटी शामिल हैं। भारतीय भोजन में गुलाब जामुन और जलेबी सहित कई तरह की मिठाइयाँ भी शामिल हैं। भोजन का आनंद अक्सर अचार, रायता और चटनी जैसी कई तरह की चीजों के साथ लिया जाता है। यह पाक विविधता भारतीय भोजन को देश की सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत और अभिन्न अंग बनाती है।

भारत एक भाषाई रूप से विविधतापूर्ण देश है, जिसके विशाल विस्तार में बोली जाने वाली भाषाओं की समृद्ध विविधता है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अलग भाषा या बोली होती है, जो उसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जबकि सरकारी और कानूनी उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी एक सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में कार्य करती है। कन्नड़, पंजाबी और गुजराती जैसी क्षेत्रीय भाषाएँ भी अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बहुभाषावाद भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भाषा और क्षेत्रीय पहचान के बीच के संबंधों को भी।उजागर करता है। भाषा भारत के सामाजिक ताने-बाने का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बन जाती है।

भारत अपने जीवंत और विविध त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रमुख त्योहारों में दिवाली है यह रोशनी का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली वसंत के अपने रंगीन और हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव के लिए जानी जाती है। ईद दावतों और प्रार्थनाओं के साथ रमजान माह के अंत को चिह्नित करती है। नवरात्रि देवी दुर्गा का सम्मान करने वाला नौ रातों का त्योहार है। अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों में क्रिसमस, पोंगल और दुर्गा पूजा शामिल हैं। ये त्यौहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं, जो लोगों को हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव, दावत और विभिन्न पारंपरिक अनुष्ठानों में एक साथ लाते हैं।

विविधता में एकता भारत की एक परिभाषित विशेषता है, जहाँ अनेक संस्कृतियाँ, भाषाएँ, धर्म और परंपराएँ सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं। अपने लोगों के बीच भारी मतभेदों के बावजूद, भारत विभिन्न जातीयताओं और मान्यताओं के जीवंत ताने-बाने के रूप में खड़ा है। यह देश एक साझा राष्ट्रीय पहचान से एकजुट है। यह सिद्धांत देश के विविध त्योहारों के उत्सव, विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रति सम्मान और विभिन्न क्षेत्रीय परंपराओं में दिखाई भी देता है। भारत की ताकत अपनेपन और साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती है। विविधता में यह एकता भारत के सामाजिक सामंजस्य को बढ़ाती है और इसकी समृद्ध विरासत में योगदान देती है।

भारत एक ऐसा अद्भुत देश है जिसमें संस्कृतियों, जातियों, पंथों और धर्मों का एक समृद्ध मिश्रण है,ह अपनी विरासत, मसालों और इसे अपना घर कहने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध है। विविधता और एकता का यह मिश्रण ही है जिसकी वजह से भारत को अक्सर एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ विविधता में एकता पनपती है। भारत आध्यात्मिकता, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध है।

भारत पर 10 लाइन (10 Lines Essay on India in Hindi) यहां दी गई हैं –

  • भारत या एशिया में एक प्रायद्वीपीय देश है। भारत देश तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है।
  • अन्य देशों की तुपना में कुल क्षेत्रफल के मामले में भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा देश है।
  • भारत की जनसंख्या लगघग 1.4286 बिलियन है। यह चीन की 1.4257 बिलियन की तुलना में दुनिया में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।
  • झारत कर पश्चिमी भाग में अरब सागर, दक्षिणी भाग में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है।
  • भारत देश का उत्तरी भाग पहाड़ों से ढका हुआ है। हिमालय दुनिया की की प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है।
  • भारत में कई छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं। नदियों में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि प्रमुख हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है। तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग है। इसके बीच में अशोक चक्र बना हुआ है जिसमें 24 तीलियां हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ में अशोक का सिंह स्तंभ है। इसके नीचे लिखा सत्यमेव जयते है जिसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है।
  • भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है। राष्ट्रगान की रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड लगते हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है जिसकी रचना बंकिम चंद्र चटर्जी के द्वारा की गई थी।

संसदीय प्रणाली वाली प्रभुता संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य जिसमें 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन (लगभग 1757-1947) के दौरान, ब्रिटिश भारतीय उपमहाद्वीप को “इंडिया” कहते थे। यह शब्द सिंधु नदी से लिया गया था, जो ब्रिटिश भारत की पश्चिमी सीमा को चिह्नित करती थी। ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने आधिकारिक नाम के रूप में “इंडिया” का इस्तेमाल किया।

दुनिया भर में भारत विविधता में एकता का प्रतिनिधि है। भारत विभिन्न संस्कृतियों, जातियों, पंथों, धर्मों की भूमि है; अनेक मतभेदों के बावजूद हम सौहार्दपूर्वक रहते हैं। भारतीय शांतिप्रिय हैं और संकट के समय लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं। हम “अतिथि देवो भव” के आदर्श वाक्य में विश्वास करते हैं, जिसका अर्थ है कि हमारे मेहमान हमारे भगवान हैं और हमारे देश में आने वाले पर्यटकों के प्रति विशेष रूप से सहायक और दयालु हैं। हमारा देश एक जीवंत देश है जो मेहनती लोगों, समृद्ध वनस्पतियों और जीवों और एक अद्भुत विरासत का घर है। मेहनती नागरिकों का प्रमाण, भारत धीरे-धीरे और लगातार दुनिया की महाशक्तियों में से एक बन रहा है।

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