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प्रोटीन क्या है, कार्य, कमी के कारण, लक्षण, जाँच, इलाज और आहार – What is Protein In Hindi

प्रोटीन क्या है, कार्य, कमी के कारण, लक्षण, जाँच, इलाज और आहार – What is Protein In Hindi

Protein In Hindi प्रोटीन को मानव जीवन की आधारभूत एवं संरचनात्मक इकाई माना जाता है। यह मानव शरीर की कोशिकाओं का निर्माण करने, शरीर का पोषण करने और उर्जा का उत्पादन करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह शरीर में सबसे अधिक मात्रा में उपलब्ध रहने वाला पोषक तत्व है। प्रोटीन की कमी मानव स्वस्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालती है, जिसके कारण प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। प्रोटीन की कमी के लक्षणों का अनुभव किया जा सकता है। भोजन के माध्यम से प्रोटीन की कमी का इलाज किया जा सकता है लेकिन प्रोटीन की कमी से सम्बंधित कुछ स्थितियों जैसे- क्वाशियोरकर (kwashiorkor), मरास्मस (marasmus) आदि में गंभीर उपचार की आवश्यकता होती है।

आज के इस लेख में आप जानेंगे कि प्रोटीन क्या है, इसके कार्य क्या हैं, प्रोटीन की कमी से क्या-क्या रोग होते हैं तथा इसका निदान और उपचार कैसे किया जा सकता है।

प्रोटीन क्या है – What is Protein In Hindi

  • प्रोटीन के प्रकार – Types of protein in hindi
  • प्रोटीन के कार्य – Protein Function in hindi
  • प्रोटीन के लाभ – Protein Benefits in hindi
  • प्रोटीन की कमी क्या है – What is Protein Deficiency in hindi
  • प्रोटीन की कमी के कारण – Protein deficiency causes in hindi
  • प्रोटीन की कमी के लक्षण – Protein deficiency Symptoms in hindi
  • प्रोटीन की कमी से उत्पन्न बीमारियाँ – Protein Deficiency Disease in hindi

प्रोटीन की कमी की जाँच – Protein Deficiency Test in hindi

प्रोटीन की कमी का इलाज – protein deficiency treatment in hindi, प्रतिदिन प्रोटीन का सेवन – daily intake of protein in hindi.

  • प्रोटीन आहार – Protein Diet / protein source in hindi

प्रोटीन क्या है – What is Protein In Hindi

प्रोटीन भोजन में पाए जाने वाले एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो मानव  शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक पदार्थ है। प्रोटीन एक वृहद अणु अर्थात बहुलक है, जो अमीनो एसिड की अनेक छोटी-छोटी इकाइयों से मिलकर बना होता है, इन छोटी-छोटी इकाइयों को एकलक कहते हैं। अर्थात एकलक (मोनोमर) वह कार्बनिक यौगिक होते हैं जिसके बहुलकीकरण (polymerization) के फलस्वरूप बहुलक (polymer) प्राप्त होते हैं।

अर्थात प्रोटीन एक जैव बहुलक (bioPolymer) है, जो अमीनो एसिड की अनेक मोनोमर (Monomer) इकाइयों से मिलकर बना होता है। ये अमीनो एसिड इकाइयाँ आपस में पेप्टाइड बंध के माध्यम से लंबी श्रृंखलाओं के रूप में जुड़कर प्रोटीन का निर्माण करती हैं। हीमोग्लोबिन तथा मायोग्लोबिन मानव शरीर में पाए जाने वाले प्रोटीन हैं जो रक्त में ऑक्सीजन का परिवहन करने का कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त इंसुलिन (insulin), एमाइलेज (amylase) एंजाइम, कोलेजन (collagen) ये सभी प्रोटीन हैं।

प्रोटीन में लगभग 20 प्रकार के अमीनो एसिड होते हैं। यह अमीनो एसिड मानव शरीर में प्रोटीन और अन्य महत्वपूर्ण यौगिकों जैसे – क्रिएटिन (creatine), पेप्टाइड हार्मोन (peptide hormones) और न्यूरोट्रांसमीटर (neurotransmitter) आदि को संश्लेषित करते हैं।

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प्रोटीन के प्रकार – Types of protein in Hindi

प्रोटीन के प्रकार - Types of protein in hindi

प्रोटीन में उपस्थिति सभी प्रकार के अमीनो एसिड में से 9 एसिड मानव शरीर के लिए आवश्यक माने जाते हैं। ये महत्वपूर्ण अमीनो अम्ल निम्न हैं जैसे- हिस्टिडीन (histidine), आइसोल्यूसिन (isoleucine), ल्यूसीन (leucine), लाइसिन (lysine), मेथिओनिन (methionine), फेनिलएलनिन (phenylalanine), थ्रेओनीन (threonine), ट्रिप्टोफैन (tryptophan) और वेलिन (valine)। अतः प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों में इन सभी आवश्यक अमीनो अम्ल की उपस्थिति के अनुसार तीन प्रकार के प्रोटीन होते हैं:

पूर्ण प्रोटीन ( Complete proteins ) – इस प्रकार के प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों में सभी आवश्यक अमीनो अम्ल होते हैं। पूर्ण प्रोटीन (Complete proteins) ज्यादातर पशु उत्पादों या खाद्य पदार्थों जैसे कि मांस , डेयरी उत्पाद और अंडे इत्यादि में पाए जाते हैं।

अधूरे प्रोटीन ( Incomplete proteins ) –  वे प्रोटीन या प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जिनमें कम से कम एक या एक से अधिक आवश्यक अमीनो एसिड की कमी होती है, अधूरे प्रोटीन या अपूर्ण प्रोटीन कहलाते हैं। सभी पौधों से प्राप्त होने वाले प्रोटीन अधूरे प्रोटीन होते हैं, जैसे मटर , फलियाँ, नट्स और कुछ अनाज इत्यादि।

पूरक प्रोटीन ( Complementary proteins ) – पूरक प्रोटीन को अधूरे प्रोटीन (Incomplete proteins) वाले दो या अधिक खाद्य पदार्थों को मिश्रित कर बनाया जाता है। इनका प्रयोग पूर्ण प्रोटीन की आपूर्ति करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में मूंगफली के मक्खन के साथ चावल और बीन्स या ब्रेड को शामिल किया जाता है।

इसके अतिरिक्त आकृति और आकार के आधार पर तथा कार्य के आधार पर भी प्रोटीन के अनेक प्रकार पाए जाते हैं।

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प्रोटीन के कार्य – Protein Function in Hindi

प्रोटीन के कार्य - Protein Function in hindi

प्रोटीन को शरीर के निर्माण का महत्वपूर्ण आधार माना जाता है और यह शरीर की प्रत्येक कोशिका में पाया जाता है। कई प्रोटीन एंजाइम होते हैं जो जैव रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं, और चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मानव शरीर के लिए प्रोटीन निम्न कार्यों के लिए उत्तरदायी होता है:

  • शरीर में प्रत्येक कोशिका के कामकाज के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है
  • पूरे शरीर में अणुओं का परिवहन और भण्डारण करने में प्रोटीन की अहिम भूमिका है, जैसे – हीमोग्लोबिन और मायोग्लोबिन
  • कोशिकाओं की मरम्मत करने तथा नवीन कोशिकाओं के निर्माण कार्य में मदद करना
  • एंटीबॉडी के रूप में शरीर की वायरस और बैक्टीरिया संक्रमण से रक्षा करना
  • बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं में उचित रूप से वृद्धि और विकास को बढ़ावा देना
  • एंजाइम (एमाइलेज (amylase)) और हार्मोन (इंसुलिन (insulin)) के रूप में महत्वपूर्ण कार्यों को करना
  • प्रोटीन, न्यूरोट्रांसमीटर (neurotransmitters) के रूप में भी काम करते हैं।

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प्रोटीन के लाभ – Protein Benefits in Hindi

प्रोटीन के लाभ - Protein Benefits in hindi

प्रोटीन से प्राप्त होने वाले महत्वपूर्ण लाभ निम्न हैं:

  • रक्त शर्करा को संतुलित या नियंत्रित करने में
  • मस्तिष्क कार्य में
  • अवसाद को कम करने में
  • कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में
  • घावों को भरने में सहायक इत्यादि।

(और पढ़े –  अवसाद (डिप्रेशन) क्या है, कारण, लक्षण, निदान, और उपचार… )

प्रोटीन की कमी क्या है – What is Protein Deficiency in Hindi

प्रोटीन की कमी क्या है – What is Protein Deficiency in hindi

यदि व्यक्ति पर्याप्त प्रोटीन युक्त आहार का उपभोग या सेवन नहीं करता है, तो वह प्रोटीन की कमी का शिकार हो सकता है। अर्थात मानव शरीर में आवश्यकता से कम मात्रा में प्रोटीन की आपूर्ति, प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) कहलाती है। यह समस्या आहार में कमी के अलावा आनुवंशिक स्थितियों, एनोरेक्सिया नर्वोसा (anorexia nervosa), कैंसर या सर्जरी (gastric bypass surgery) के कारण भी उत्पन्न हो सकती है।

(और पढ़े –  क्यों नहीं होनी चाहिए प्रोटीन की कमी… )

प्रोटीन की कमी के कारण – Protein deficiency causes in Hindi

प्रोटीन की कमी के कारण - Protein deficiency causes in hindi

प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) का मुख्य कारण व्यक्ति द्वारा सेवन किये जाने वाले आहार में पर्याप्त प्रोटीन स्तर की कमी है। इसके अतिरिक्त मानव शरीर में प्रोटीन की कमी अनेक प्रकार की आंतरिक समस्याओं के कारण भी उत्पन्न हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  • लिवर डिसऑर्डर (Liver disorders) जैसे- हेपेटाइटिस (hepatitis) या सिरोसिस (cirrhosis)
  • किडनी की समस्याएं (Kidney problems) के कारण मूत्र द्वारा प्रोटीन का उत्सर्जन होने से
  • उच्च रक्तचाप , डायबिटीज मेलेटस (diabetes mellitus) के कारण
  • सीलिएक रोग (Celiac disease) के कारण प्रोटीन के अवशोषण में कमी के कारण
  • आनुवंशिक स्थितियां
  • सर्जरी के परिणामस्वरूप
  • इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory bowel disease) (IBD), इत्यादि।

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प्रोटीन की कमी के लक्षण – Protein deficiency Symptoms in Hindi

प्रोटीन की कमी के लक्षण - Protein deficiency Symptoms in hindi

प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) के शुरुआती संकेतों के रूप में निम्न लक्षणों का अनुभव किया जा सकता है:

  • चेहरे और  पैरों में सूजन आना
  • त्वचा के नीचे तरल पदार्थ का इकट्ठा होना (एडिमा)
  • थकान महसूस होना
  • चिंता और तनाव की स्थिति उत्पन्न होना
  • अनिद्रा या ख़राब नींद
  • बालों का शुष्क एवं भंगुर होना
  • बालो का झड़ना
  • नाखूनों की समस्या या नुकसान
  • त्वचा को क्षति पहुंचना (skin lesions) या त्वचा पर अल्सर या दाग-धब्बे आना
  • पेट निकला हुआ दिखाई देना
  • अनियमित मासिक धर्म
  • वजन में अत्यधिक कमी आना
  • संक्रमण उत्पन्न होना इत्यादि।

कम सीरम एल्बुमिन (low serum albumin) और हार्मोन असंतुलन आदि प्रयोगशाला परीक्षण प्रोटीन की कमी को प्रगट कर सकते हैं

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प्रोटीन की कमी से उत्पन्न बीमारियाँ – Protein Deficiency Disease in Hindi

प्रोटीन की कमी से उत्पन्न बीमारियाँ - Protein Deficiency Disease in hindi

प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) से पीड़ित व्यक्ति में निम्न समस्याएँ विकसित हो सकती हैं:

  • मांसपेशियों का नुकसान (loss of muscle mass)
  • प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना
  • दिल की समस्याएँ
  • श्वसन तंत्र की समस्यायें
  • हाइपोप्रोटीनेमिया (Hypoproteinemia) (रक्त में प्रोटीन स्तर की अत्यधिक कमी)
  • कैचेक्सिया (Cachexia)
  • क्वाशियोरकर (kwashiorkor)
  • मरास्मस (marasmus)
  • फैटी लिवर (Fatty Liver)
  • प्रोटीन C की कमी (Protein C Deficiency)

अनेक स्थितियों में प्रोटीन की कमी काफी घातक हो सकती है। कुछ व्यक्ति प्रोटीन की कमी के परिणामस्वरूप क्वाशियोरकर (kwashiorkor) और मरास्मस (marasmus) जैसी जानलेवा समस्याएँ भी विकसित हो सकती हैं। ये समस्याएँ अधिकतर बच्चों को प्रभावित करती हैं। क्वाशियोरकर (kwashiorkor) की समस्या मुख्य रूप से भोजन की कमी या असंतुलित आहार के कारण उत्पन्न होती है।

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प्रोटीन की कमी की जाँच - Protein Deficiency Test in hindi

प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) का निदान करने के लिए डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करता है तथा लक्षणों की जानकारी प्राप्त करने के लिए शारीरिक स्वस्थ्य से सम्बंधित प्रश्न पूंछ सकता है। शारीरिक परीक्षण के दौरान बालों का झड़ना , त्वचा परीक्षण, सूजन तथा अन्य लक्षणों की जाँच की जा सकती है। इसके अतिरिक्त प्रोटीन की कमी के आंतरिक कारणों का निदान करने के लिए डॉक्टर द्वारा निम्न परीक्षणों का भी आदेश दिया जा सकता है:

रक्त परीक्षण ( blood test ) –  रक्त परीक्षण के तहत रक्त के नमूने में कुल प्रोटीन, एल्बुमिन, क्रिएटिनिन रक्त स्तर और एल्बुमिन / ग्लोब्युलिन (Albumin / globulin) अनुपात को ज्ञात किया जाता है, तथा इसके परीणामों के आधार पर प्रोटीन की कमी तथा इसके कारणों का पता लगा लिया जाता है।

मूत्र परीक्षण ( urine test ) – मूत्र परीक्षण की मदद से प्रोटीन की कमी के कारणों का भी निदान किया जा सकता है। मूत्र में प्रोटीन के उच्च स्तर आंत रोग , सीलिएक रोग (celiac disease),   किडनी की विफलता के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी प्रदान कर सकता है।

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प्रोटीन की कमी का इलाज - Protein Deficiency Treatment in hindi

प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) का उपचार, इसके कारणों के अतिरिक्त, मरीज के आहार, स्वास्थ्य की स्थिति, आयु और चिकित्सा इतिहास पर निर्भर करता है। नैदानिक ​​परीक्षणों के आधार पर प्रोटीन की कमी के कारणों का पता लगाने के बाद डॉक्टर उपचार प्रक्रिया को प्रारंभ कर सकता है। प्रोटीन की कमी का इलाज करने के लिए डॉक्टर द्वारा निम्न उपचार प्रक्रिया अपनाई जा सकती है:

  • आहार सम्बन्धी विकार की स्थिति में प्रोटीन की कमी का इलाज करने के लिए पर्याप्त प्रोटीन युक्त स्वस्थ, संतुलित आहार के सेवन की सलाह दी जा सकती है तथा प्रोटीन युक्त सप्लीमेंट की भी सिफारिश की जा सकती है।
  • सीलिएक रोग (celiac disease) की स्थिति में प्रोटीन की कमी का इलाज करने के लिए ग्‍लूटेन फ्री डाइट (gluten-free diet) की सिफारिश की जा सकती है।
  • लीवर और किडनी की समस्या का इलाज करने के लिए डॉक्टर की निगरानी में व्यापक चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है।

(और पढ़े –  किडनी पेशेंट को क्या खाना चाहिए… )

प्रतिदिन प्रोटीन का सेवन - Daily intake of protein in hindi

प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने, मांसपेशियों के निर्माण में सहायता करने, तथा अन्य शारीरिक क्रियाओं के क्रियान्वयन के लिए अपने आहार में प्रोटीन की एक निश्चित मात्रा का सेवन करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन (IOM) के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को प्रति दिन अपने शारीरिक वजन के प्रति किलोग्राम पर 0.8 ग्राम प्रोटीन के सेवन पर ध्यान देना चाहिए। यह मात्रा शरीर की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक प्रोटीन की न्यूनतम मात्रा है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति के शरीर के आकार और क्रियाशीलता के आधार पर प्रोटीन की आवश्यक मात्रा निर्धारित की जा सकती है। एथलीटों के लिए शारीरिक वजन के प्रति किलोग्राम के आधार पर प्रतिदिन 1.6 से 2.0 ग्राम प्रोटीन आवश्यक होती हैं।

प्रतिदिन प्रति किलोग्राम वजन पर 2.5 ग्राम प्रोटीन का सेवन अनेक प्रकार के जोखिमों को उत्पन्न कर सकता है। यह सीमा उच्च प्रोटीन स्तर का करना बन सकती है। प्रोटीन का अधिक मात्रा में सेवन निम्न समस्याओं का कारण बनता है, जैसे:

  • यकृत की कार्य क्षमता में कमी
  • उल्टी होना , इत्यादि।

(और पढ़े –  उल्टी और मतली को रोकने के उपाय… )

प्रोटीन आहार – Protein Diet / protein source in Hindi

प्रोटीन आहार - Protein Diet / protein source in hindi

सामान्य तौर पर प्रोटीन आहार के रूप में निम्न खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाता है:

  • कम वसा वाले पशु प्रोटीन जैसे- मांस, डेयरी उत्पाद और अंडे
  • फलियां और दाल
  • मूंगफली का मक्खन
  • सैल्मन मछली , इत्यादि।

(और पढ़े –  शाकाहारियों के लिए प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ… )

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प्रोटीन क्या है (protein in hindi) परिभाषा, वर्गीकरण एवं स्त्रोत व उनका महत्व

वह जटिल नाइट्रोजनी कार्बनिक यौगिक, जो जल अपघटन होने पर अमीनो अम्ल देते हैं प्रोटीन (protein in hindi) कहलाते हैं ।

प्रोटीन ( protein meaning in hindi) शब्द की उत्पत्ति मलडर ने सन् 1838 ई० में एक ग्रीक भाषा के शब्द 'प्रोटियस' से हुई है, जिसका अर्थ प्रथम होता है ।

प्रोटीन क्या है? | protein in hindi | protein kya hai

प्रोटीन की परीभाषा - "भोजन का वह अवयव जो पौधों और हमारे शरीर की वृद्धि करता है तथा इनके टूटे - फूटे तन्तुओं को सुधारता है, प्रोटीन (protein in hindi) होता है ।"

प्रोटीन (protein in hindi) नाइट्रोजनयुक्त जटिल कार्बनिक यौगिक होते हैं जो वनस्पति तथा जन्तुओं दोनों के कोषों (cells) में विद्यमान जीव - द्रव्य (protoplasm) का आवश्यक अंग हैं ।

" प्रोटीन ऐमीनो अम्लों की बहुलक (polymer) होती हैं । "

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प्रोटीन का संघटन | composition of protein in hindi

प्रोटीन का संघटन - प्रोटीन नाइट्रोजनयुक्त जटिल यौगिक हैं । इनमें C, H, O, N तथा S के अतिरिक्त सूक्ष्म मात्रा में P तथा Fe आदि भी होते हैं ।

प्रोटीन का लगभग संगठन निम्न प्रकार है -

  • कार्बन = 50-55 %
  • हाइड्रोजन 6.5-7.5 %
  • ऑक्सीजन = 21-24 %
  • नाइट्रोजन = 15-18 %
  • गन्धक = 0.5-2.5 %
  • फॉस्फोरस, लोहा, आयोडीन व कॉपर  सूक्ष्म जाती है ।

प्रोटीन के प्राप्ति के स्रोत कोन कोन से होते है?

प्राप्ति के स्रोत - प्रोटीन दूध, अंडा, गोश्त, दाल तथा फलों आदि में पाई जाती है ।

अतः यह जन्तुओं तथा वनस्पति दोनों से प्राप्त हो जाती है । दूध में केसीन, अण्डे की सफेदी में एल्बुमिन, गोश्त में मायोसिन, हरे मटर तथा लोबिया में लैगुमिन और गेहूँ में ग्लूटिन नामक प्रोटीन होती है ।

साधारण खाद्य-पदार्थों में प्रोटीन निम्न मात्रा में होती है -

  • गौ दूध = 3 %
  • मक्खन = 8 %
  • पनीर = 33 %
  • अण्डा ( सफेद भाग ) = 12 %
  • अण्डा ( पीला भाग ) = 16 %
  • चावल = 8%
  • मक्का = 10 %
  • गेहूँ = 14 %
  • मूँगफली = 19 %

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प्रोटीन कितने प्रकार की होती है? | types of protein in hindi

प्रोटीन के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं -, 1. सरल प्रोटीन.

( i ) रेशेदार प्रोटीन - केराटिन कोलैजन इलेसिटन ओसीन

( ii ) गोलाकार प्रोटीन - एल्ब्यूमिन ग्लोब्युलिन ग्लूटेलिन प्रोलेमिन एलब्युमिनाइड हिस्टोन प्रोटामिन

2. संयुग्मित प्रोटीन

3. व्युत्पादित प्रोटीन.

( ii ) द्वितीयक प्रोटीन - प्रोटियोजिज पैप्टोन पैप्टाइड

प्रोटीन का वर्गीकरण कीजिए? | classification of protein in hindi

प्रोटीन के वर्गीकरण के मुख्य आधार इनके भौतिक तथा रासायनिक गुण हैं । भौतिक गुणों में विशेष कर घुलनशीलता प्रोटीन के वर्गीकरण में अत्यन्त सहायक एवं महत्त्वपूर्ण है ।

प्रोटीन्स को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है -

  • सरल प्रोटीन ( Simple Protein )
  • संयुग्मित प्रोटीन ( Conjugated Proteins )
  • व्युत्पादित प्रोटीन ( Derived Proteins )

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1. सरल प्रोटीन ( Simple Protein ) -

प्रकृति में विद्यमान वे प्रोटीन जो जल अपघटन पर केवल अल्फा-ऐमीनो अम्ल देती हैं, सरल प्रोटीन कहलाती हैं ।

घुलनशीलता एवं अणु संरचना के आधार पर इन्हें रेशेदार तथा गोलाकार प्रोटीन में विभाजित किया जाता है ।

उदाहरणार्थ - एलब्युमिन, ग्लोब्युलिन तथा ग्लूटेलिन आदि ।

2. संयुग्मित प्रोटीन ( Conjugated Proteins ) -

वे प्राकृतिक प्रोटीन जो प्रोटीन अणु के साथ कोई अन्य समूह जोकि स्वभाव में ऐमीनो अम्ल नहीं होता, के संगम से बनते हैं, संयुग्मित प्रोटीन कहलाते हैं ।

प्रोटीन के अतिरिक्त यह अन्य समूह प्रोस्थैटिक समूह कहलाता है ।

संयुग्मित प्रोटीन = सरल प्रोटीन + प्रोसथैटिक समूह ( Prosthetic Group )

इस वर्ग की प्रोटीन का वर्गीकरण प्रोसवैटिक समूह की उपस्थिति के आधार पर न्यूक्लियो, ग्लाइको, फॉस्फो तथा क्रोमोप्रोटीन आदि में किया जाता है ।

3. व्युत्पादित प्रोटीन ( Derived Proteins ) -

प्राकृतिक प्रोटीन का अम्ल, क्षार तथा एन्जाइम आदि द्वारा जल अपघटन करने पर प्राप्त अपघटित क्रियाफल व्युत्पादित प्रोटीन कहलाते हैं ।

अपघटन की प्रकृति के आधार पर इन्हें प्राथमिक तथा द्वितीयक व्युत्पादित प्रोटीन में विभाजित किया जाता है -

( क ) प्राथमिक व्युत्पादित प्रोटीन ( Primary Derived Proteins ) -

ये मूल प्रोटीन से थोड़ी सी भिन्न होती हैं क्योंकि ये मूल प्रोटीन में थोड़े से परिवर्तन से बनती हैं ।

उदाहरणार्थ - प्रोटीअन्स तथा स्कन्दित प्रोटीन आदि ।

( ख ) द्वितीयक व्युत्पादित प्रोटीन ( Secondary Derived Proteins ) -

ये मूल प्रोटीन पर ताप, जल, अम्ल, क्षार या एन्जाइम की पर्याप्त क्रिया के पश्चात् बने अपेक्षाकृत अधिक सरल पदार्थ होते हैं ।

उदाहरणार्थ - प्रोटियोजिज तथा पैप्टोन आदि ।

प्रोटीन के भौतिक गुण लिखिए? | physical properties of protein in hindi

प्रोटीन के सामान्य गुण प्रोटीन के गुणों में पर्याप्त अन्तर पाये जाते हैं ।

प्रोटीन भौतिक गुण निम्नलिखित हैं -

  • प्रोटीन प्रायः सफेद, गन्धहीन, बेरवेदार (amorphous) पदार्थ होते हैं ।
  • यह प्रायः जल, ऐल्कोहॉल तथा ईथर में घुलनशील होती हैं और इनके साथ वास्तविक घोल नही बनती है ।
  • बहुत से प्रोटीन लवण के हल्के घोल में घुल जाते हैं ।
  • प्रोटीन के अणु बड़े जटिल होते हैं । यही कारण है कि ये घोल में कोलॉइडी अवस्था में रहते हैं और इनका अणुभार अत्यधिक होता है ।
  • इनके विलयन को गर्म करने पर इनका स्कन्दन (coagulation) हो जाता है । इनका कोई निश्चित द्रवणाँक नहीं होता क्योंकि गर्म करने पर इनका अपघटन होने लगता है ।
  • इनके घोल प्रायः वाम भ्रामक (lacvo-rotatory) होते हैं ।
  • न्यूक्लियो प्रोटीन का घोल दक्ष भ्रामक (dextro-rotatory) होता है ।
  • प्रोटीन चर्म पत्र (parchment) या जन्तु झिल्ली में से परसरित (diffuse) नहीं होते । यह गुण प्रोटीन को शुद्ध करने में उपयोगी होता है ।

प्रोटीन के रासायनिक गुण लिखिए? | chemical properties of protein in hindi

प्रोटीन रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं -, 1. जल अपघटन ( hydrolysis ) -.

जल अपघटन करने पर प्रोटीन प्रायः ऐमीनो अम्ल तथा अमोनिया में अपघटित हो जाते हैं ।

प्रोटीन - मैटाप्रोटीन - प्रोटिओजिज - पैप्टोन्स - पोली पैप्टाइड्स - ऐमीनो अम्ल 

इन विभिन्न माध्यमिक पदार्थों को पृथक् किया जा सकता है । प्रोटीनों से लगभग 25 ऐमीनो अम्ल पृथक किये जा चुके हैं ।

जल अपघटन के लिये विभिन्न अभिकर्मक प्रयोग किये जा सकते हैं । उदाहरणार्थ -

( क ) अम्लों द्वारा - प्रोटीन का जल अपघटन प्राय: 10% HCI या 25% H2SO4 द्वारा किया जाता है । इन अम्लों की उपस्थिति में जल अपघटन पूर्ण होता है और 6 से 24 घण्टे तक का समय लेता है जो प्रोटीन की प्रकृति पर निर्भर करता है । प्रोटीन का धीरे - धीरे जल अपघटन करने पर विभिन्न क्रियाफल बनते हैं परन्तु अन्तिम कियाफल ऐमीनो अम्ल होता है ।

( ख ) क्षारों द्वारा - प्रोटीन का जल अपघटन NaOH, KOH या बेरियम हाइड्रोक्साइड, Ba(OH)2 द्वारा शीघ्रता से लगभग 10 घण्टे में पूर्ण हो जाता है । क्षारों द्वारा जल अपघटन से प्राप्त ऐमीनो अम्लों का परस्पर परिवर्तन (recemisation) हो जाता है । यही कारण है कि प्रोटीन का जल अपघटन क्षारों द्वारा बहुत कम किया जाता है ।

( ग ) एन्जाइम द्वारा - एन्जाइम द्वारा प्रोटीन को जल अपघटन मन्द और प्राय: अपूर्ण होता है । उदाहरणार्थ - हमारे आमाशय में पैप्सिन एन्जाइम, आमाशयिक रस (gastric juice) के HCI की उपस्थिति में प्रोटीन को केवल पैप्टाइड तक अपघटित कर देता है । तदोपरान्त इरैप्सिन तथा ट्रिप्सिन एन्जाइम पैप्टाइड को एमीनो अम्लों में अपघटित कर देते हैं । ट्रिप्सिन प्राकृतिक प्रोटीन का ऐमीनो अम्लों में जल अपघटन कर सकता है परन्तु इरैप्सिन पोलीपैप्टाइड को ऐमीनो अम्ल में जल अपघटित कर सकता है, प्राकृतिक प्रोटीन को नहीं ।

2. उभयधर्मी स्वभाव ( Amphoteric ) —

प्रोटीन में कम से कम एक ऐमीनो (- NH2) तथा एक कार्बोक्सिल (-COOH) मूलक स्वतन्त्र रूप में होता है ।

अतः ऐमीनो अम्ल की भाँति प्रोटीन भी उभयधर्मी होते हैं और अम्लों व क्षारों के साथ लवण बनाते हैं ।

3. अवक्षेपण ( Precipitation ) -

प्रोटीन के कोलॉइडी विलयन में अमोनियम सल्फेट या सोडियम क्लोराइड जैसे अकार्बनिक लवण मिलाने पर प्रोटीन अवक्षिप्त हो जाती है । प्रोटीन के अवक्षेपण के इस गुण को लवण क्षेपी (salting out) कहते हैं । यह अवक्षेपण ऐल्कोहॉल तथा ऐसीटोन द्वारा भी किया जा सकता है । इस प्रकार अवक्षेपण उत्क्रमणीय (reversible) होता है ।

प्रोटीनस् का अवक्षेपण भारी धातुओं के लवणों जैसे कॉपर सल्फेट तथा मरक्यूरिक क्लोराइड आदि द्वारा भी कर सकते हैं ।

4. रंग अभिक्रियायें ( Colour Reactions ) –

ये अभिक्रियायें प्रोटीन की पहचान करने में भी उपयोग में लाई जाती हैं ।

( i ) बाइयूरेट ( Biuret ) अभिक्रिया - प्रोटीन + NaOH + CuSO4 घोल की बूँद ---> बैंगनी रंग । 

( ii ) जैन्थोप्रोटिक अभिक्रिया - प्रोटीन + सान्द्र HNO3 ----> पीला रंग ----> नारंगी रंग ।

( iii ) मिलन अभिक्रिया - प्रोटीन + मरक्यूरस या मरक्यूरिक नाइट्रेट का HNO3 में घोल गुलाबी या लाल रंग <---- सफेद अवक्षेप ।

हमारे जीवन में प्रोटीन का क्या महत्व है? | Impotance of protein in hindi

प्रोटीन पोषण में निम्न प्रकार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है -.

  • प्रोटीन जन्तु तथा पौधों में विभिन्न प्रकार के नवीन तन्तुओं का निर्माण करती हैं ।
  • कार्य करते समय शरीर के पुराने तन्तुओं तथा अंगों में होने वाली टूट - फूट की मरम्मत प्रोटीन ही करती हैं ।
  • प्रोटीन्स जन्तु शरीर को कार्बोहाइड्रेट तथा वसओं की भाँति ऊर्जा प्रदान करती हैं ।
  • कुछ प्रोटीन्स शरीर में एन्जाइम तथा हॉर्मोन्स (इन्सुलिन) आदि पदार्थों का निर्माण करती हैं जो विभिन्न दैहिक क्रियाओं को उत्तेजित करते हैं और उन पर नियन्त्रण रखते हैं ।
  • ये प्रोटोप्लाज्म तथा कोशिकाओं की क्रियाओं को प्रभावित करने तथा उन पर नियन्त्रण रखने में महत्त्वपूर्ण कार्य करती हैं ।
  • कुछ प्रोटीन्स जैसे अण्डा, ऐल्बूमिन, केसीन तथा अन्य प्रोटीन्स भोज्य पदार्थों के रूप में उपयोग में आती हैं ।

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प्रोटीन क्या है? इसके कार्य, नाम, परिभाषा, और वर्गीकरण (Protein in Hindi)

प्रोटीन क्या है

हेल्लो दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल प्रोटीन क्या है में आप का स्वागत है। आज हम आपको इस आर्टिकल में  विस्तार के साथ बताएँगे कि प्रोटीन क्या है? यह कितने प्रकार की होती है प्रोटीन के कार्य क्या होते हैं? प्रोटीन शब्द का प्रयोग सबसे पहले किस वैज्ञानिक ने किया और इसके अलावा हम प्रोटीन के वर्गीकरण के बारे में जानेंगे। हम  इस आर्टिकल में जानेंगे कि प्रोटीन की कमी से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है। तो सबसे पहले हम आपको यह बताना चाहते हैं। दोस्तों प्रोटीन शब्द का प्रयोग सबसे पहले जे. बर्ज़ीलियस नाम के एक वैज्ञानिक ने किया था।

प्रोटीन की कमी से शरीर में कई गंभीर बीमारी हो सकती हैं। प्रोटीन की कमी होने पर जोड़ो में दर्द, शरीर में दर्द, शरीर में थकान जैसी समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। इसलिए शरीर में मांसपेशियों के विकास, स्किन को बेहतर बनाए रखने के लिए और हार्मोन्स का संतुलन बनाए रखने के लिए शरीर में प्रोटीन की संतुलित मात्रा होनी चाहिए। इसलिए हम आप को बता दें कि हमें दिन में कितनी मात्रा में प्रोटीन लेनी चाहिए इसके बारे में नेशनल इंस्टीटूट ऑफ़ न्यूट्रीशन का मानना है कि हर व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम और महिलाओं को 46 ग्राम प्रोटीन लेनी चाहिए।

नाइट्रोजन किसे कहते हैं?

प्रोटीन की परिभाषा (प्रोटीन क्या है?)

प्रोटीन एक  जटिल कार्बनिक योगिक है जो बहुत से एमिनो अम्ल से मिलकर बनी होती है। प्रोटीन प्रकृति में बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है यह हमें दूध, पनीर, दाले, मीट, मछली आदि से प्राप्त होती है। यह हमारे शरीर के प्रत्येक भाग में पाई जाती है और हमारे शरीर की संरचना का मूल आधार होती है। यह मुख्य रूप से कार्बन , हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से मिलकर बनी होती है।

प्रोटीन एक प्रकार के उच्च अणुभार वाले बहुलक होते हैं प्रोटीन में COOH व N 2 समूह पाया जाता है जिस कारण प्रोटीन का अणु उभयधर्मी होता है। प्रोटीन से हमारे शरीर की इमुनिटी व मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने का कार्य करती है। हमारे शरीर का 80% से 20% भार प्रोटीन के कारण ही होता है। इसके अलावा यह हमारे शरीर के हृदय व फेफड़ों को भी स्वस्थ बनाए रखने में कारगर है। प्रोटीन शरीर के सभी अंगों को सुचारू रूप से चलाने में महत्पूर्ण भूमिका निभाता है। यह ऊतकों और अंगो को आकार प्रदान करता है और उनके द्वारा उनका कार्य करवाने में मदद करता है।

प्रोटीन के कार्य

दोस्तों अगर हम बात करें  प्रोटीन के कार्यो की तो प्रोटीन के कार्य कुछ इस प्रकार हैं – प्रोटीन विभिन्न प्रकार के जीव जन्तुओ के शरीर निर्माण में सहायक होती है, शरीर की नई कोशिकाओं के निर्माण में , टूटी फूटी कोशिकाओं की मरम्मत तथा शरीर की वृद्धि के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। श्वसन वर्णक के रूप में हीमोग्लोबिन, यह एक प्रकार की प्रोटीन है जिसके कारण हमारे शरीर का रक्त (Blood) का रंग लाल होता है इंटरफेरॉन प्रोटीन विषाणु के संक्रमण के फलस्वरूप कोशिकाओं में स्राबित होती है।  यह प्रोटीन अपनी आस पास की कोशिकाओं को संक्रमण से बचाती है अतः इसको प्रतिविषाणु (Antiviral) प्रोटीन कहते हैं।

प्रोटीन के कार्य

नुक्लियोप्रोटीन यह भी एक प्रकार की प्रोटीन होती है जो जीन का प्रमुख घटक है जो माता पिता के गुणों को संतानों में पहुँचाने का एक महत्वपूर्ण कार्य करती है दोस्तों अभी हम आप को बता चुके हैं कि प्रोटीन क्या होती है और प्रोटीन के कार्य क्या होते हैं।तो दोस्तों अब हम आपको प्रोटीन के वर्गीकरण के बारे में बताएँगे।

प्रोटीन का वर्गीकरण

सजीवो में पाई जाने वाली प्रोटीन की संरचना, स्त्रोत तथा गुणों के आधार पर इसे तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है।

प्रोटीन का वर्गीकरण

स्त्रोत के आधार पर प्रोटीन का वर्गीकरण

स्त्रोत के आधार पर प्रोटीन को दो भागों में बाटा गया है  इसमें पहले नंबर पर प्राणी जगत से प्राप्त होने वाली प्रोटीन को रखा गया है और दूसरे नंबर पर वनस्पति जगत से प्राप्त होने वाली प्रोटीन को रखा गया है।

  • प्राणी जगत से प्राप्त की जाने वाली समस्त प्रोटीन को जंतु प्रोटीन कहते हैं जो मांस, मछली, अंडे और दूध तथा दूध से बनने बाले पदार्थों में पाई जाती है।
  • वनस्पति जगत से प्राप्त की जाने वाली प्रोटीन को वनस्पति प्रोटीन कहतें हैं जो दाल, सूखे मेवे, अनाज आदि में पाई जाती है।

गुणों के आधार पर प्रोटीन का वर्गीकरण

गुणों के आधार पर प्रोटीन को निम्न भागों में बाटा गया है जो निम्नलिखित हैं।

सरल प्रोटीन

ऐसी प्रोटीन जो जल अवघतन के बाद अमीनो अम्ल में अवघतित हो जाती हैं इस तरह की प्रोटीन को सरल प्रोटीन कहते हैं अणुओं की संरचना तथा आकृति के आधार पर ये दो प्रकार की होती है।1 .गोलाकार प्रोटीन  2 .तन्तुवत प्रोटीन

अनुबद्ध प्रोटीन

जब  प्रोटीन  के संयोजन में अमीनो अम्ल के अलावा कोई None Amino Acid Component शामिल हो जाता है तो इस प्रकार की प्रोटीन को अनुबद्ध प्रोटीन कहते हैं। अनुबद्ध प्रोटीन निम्नलिखित प्रकार  की होती है।

फोस्फोप्रोटीन – फोस्फोरिक अम्ल से बनी प्रोटीन को फोस्फोप्रोटीन कहते है जैसे-दूध की कैसीन।

न्युक्लियोप्रोटीन – हिस्टोंन प्रोटीन में न्यूक्लिक अम्ल मिलने पर जो प्रोटीन बनती है उसे न्युक्लियोप्रोटीन कहते हैं। यह प्रोटीन कोशिकाओं के केन्द्रक में chromatin बनाती है।

ग्लाइकोप्रोटीन- ग्लाइकोप्रोटीन,प्रोटीन और कार्बोहाईडरेड के संयोग से मिलकर बनी होती है ग्लाइकोप्रोटीन को म्युकोप्रोटीन भी कहते हैं।

क्रोमोप्रोटीन – इस प्रकार की प्रोटीन में पाया जाने वाला स्थेटिक समूह पाईरोल होता है इसमें आयरन, कॉपर, कोवाल्ट आदि धातुएँ भी होती हैं। इसलिए यह रंगहीन होता है। यह दो प्रकार के होते हैं-

  • हीमोग्लोबिन- यह रूधिर (Blood) में पाया जाता है।
  • क्लोरोफिल- यह पौधों में पाया जाने वाला पदार्थ है।

प्रोटीन का नाम

दोस्तों हम आपको बता चुके हैं कि प्रोटीन क्या है? उसके कार्य क्या होते हैं और उसके वर्गीकरण के बारे में। अब हम आपको इस टॉपिक में प्रोटीन के नाम बताएँगे। कुछ मुख्य प्रोटीन के नाम निम्नलिखित हैं।

  • कोलेजन (Collagen)
  • फाईब्राइन (Fibroin)
  • केराटिन (Keratin)
  • इलास्टिन (Elastin)
  • गोसिपिन (Gossypin)
  • एक्टिन एवं मायोसिन (Actin And Myosin)
  • ग्लाएडिन (Gliadin)
सल्फर क्या है?

दोस्तों हमें उम्मीद है कि आपको हमारा यह आर्टिकल प्रोटीन क्या है? आपको पसंद आया होगा। इसी तरह की जानकारी पाने के लिए हमारी इस वेवसाइट पर विजिट करते रहिए ताकि हम आपके लिए इसी प्रकार की जानकारी अपलोड करते रहें, मिलते हैं अपने अगले आर्टिकल में तब तक के लिए धन्यवाद।

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प्रोटीन क्या है? Protein Definition और इसका पूरा विज्ञान

एक ग्राम protein में 4 ग्राम calorie होता है,ये हमारे शरीर का 15 प्रतिशत हिस्सा है।.

Photo of Bineet Patel

नमस्कार मित्रों! कैसे हैं आप लोग? आज में यहाँ पर  प्रोटीन की परिभाषा (Protein In Hindi) और इससे जुड़े हर एक विज्ञान की बातों को आपके सामने रखने जा रहा हूँ| मित्रों , आप लोगों में से कई सारे लोगों को Body Building का जरूर शौक होगा। इसलिए  शायद में सोचता हूँ की , उनको भी Protein के बारे में तो थोड़ी बहुत जानकारी तो निश्चित रूप से होगी।

विषय - सूची

आइये जानते हैं प्रोटीन के बारे में

मेरे प्रिय पाठकों क्योंकि प्रोटीन (Protein Hindi) एक जैविक उपादान है। इसलिए इसके बारे में जानना आपको बहुत ही जरूरत है। Protein  की परिभाषा से लेकर Protein की प्रकार और इसके कार्य को मैंने Protein की संज्ञा (Protein Definition In Hindi) पर आधारित इस लेख में आपको बता दिया है। Protein को हिन्दी में पुष्टि सार भी कहा जाता है| क्योंकि ( because ) यह अन्य पोषक सारों में सबसे महत्वपूर्ण है इसलिए इससे जुड़ी शारीरिक गतिविधिया शरीर के विकास के लिए अतिआवश्यक है| इसलिए ( hence ) यह तो तय है की , आपको इस लेख से  बहुत ही लाभ होने वाला है।

मित्रों! पहली बात तो यह है की , Protein की संज्ञा ( Protein In Hindi) जानने से पहले आपको यह समझना होगा की Protein सिर्फ हमारे जीवन के लिए ही बल्कि हमारे शरीर के विकाश के लिए कितना जरूरी है>

दूसरी बात  यह है की , Protein की महत्व इस संसार में क्या है| हालाँकि में इसके बारे में आगे ( later ) इस लेख मे बताऊंगा | परंतु ( but ) फिरभि ( nevertheless ) मैंने इसके बारे में पहले से ही सूचित कर दिया है>

Protein की संज्ञा क्या है? – Protein Definition In Hindi

प्रोटीन क्या है?

यह , एक बृहत अणु है जो की बहुत प्रकार के छोटे-छोटे Amino Acid के समागम से बनी हुई होती है। इसके अलावा यह शरीर में मौजूद तीन मुख्य जीव सारों में से भी एक मुख्य जीव सार है। इसके अलावा  श्वेत – सार और Fat अन्य दो मुख्य उपादान है।

यह मुख्य रूप से प्राणी जात खाने में बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है| विशेष रूप से अन्य जीव से सीधे तरीके से उत्पाद किए गए खाने की चीजों में Protein In hindi की मात्रा ज्यादा होता है| हमारे शरीर में मौजूद मुख्य तीन जीव-सार हमारे शरीर के लिए जरूरत ऊर्जा और Calories का उत्पाद करते हैं|

इसी वजह से एक ग्राम Protein में 4 ग्राम Calorie होता है और यह हमारे शरीर के कुल वजन का 15% ( वजन का ) हिस्सा है| क्योंकि  Protein Amino Acids से बनी हुई होती है| इसलिए ( therefore ) इसके जो मौलिक परमाणु होते है , वह ऑक्सिजन , हाइड्रोजन , नाइट्रोजन कार्बन और सल्फर से बनी हुई होती है|  क्योंकि ( because ) Amino Acids से Protein बनी हुई होती है | इसलिए इसको  Protein की Building Block भी कहा जाता है।

यहाँ में आपको और भी बता दूँ Protein को हमारे मांसपेशियों का Building Block कहा जाता है| क्योंकि ( because ) Protein हमारे शरीर में Muscle Synthesis करते हैं।

आपके शरीर के लिए कितना प्रोटीन सही है? – How much Protein you need !

मित्रों! किसी भी वस्तु अगर जरूरत से ज्यादा हो जाए तो, वह आपके विनाश का कारण बन सकता है| इसलिए ( hence ) यहाँ ( here ) पर अपने शरीर के लिए कितना Protein चाहिए? इसके बारे जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी है| तो, मित्रों चलिए जानते है|

अगर हम भारत वर्ष की बात करें तो ,देश के ज़्यादातर लोगों में अच्छे से Protein की कमी देखी जा सकती है| क्योंकि ( because ) हमारे देश के ज़्यादातर लोग शाकाहारी हैं , उनके खाने में ज्यादा मात्रा में Protein नहीं पाई जाती है| परंतु ( but ) में आपको बता दूँ की! शाकाहारी खाने में भी अगर आप चाहें तो अपने दिन भर के Protein की मात्रा को पूरा कर सकते हैं| में इसके बारे मे Protein की संज्ञा ( Protein Definition In Hindi ) के ऊपर आधारित इस लेख में बाद में और भी जानकारी दूंगा|

तो, आपको दिन में कितने ग्राम Protein की जरूरत है? मित्रों इस सवाल का जवाब एक व्यक्ति से दूसरे ( second ) तक काफी बदल सकता है| क्योंकि यह व्यक्ति के जीवनशैली पर निर्भर करता है| वैज्ञानिक कहते हैं की प्रति किलोग्राम ( kg ) के हिसाब से एक आदमी को दिन भर में 0.8 ग्राम से लेकर 2 ग्राम Protein की जरूरत पड़ती है.

परंतु ( but ) आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रति किलोग्राम ( kg ) के हिसाब से 1 से 1.2 ग्राम Protein काफी सही है| यहाँ ( here ) और एक बाद याद रखना होगा की , आप एक ही समय में 26 से 30 ग्राम Protein को ही हजम कर सकते हैं| इसलिए ( hence ) उसी हिसाब से आप अपने खाने का चयन करें| याद रखें की Protein की ज्यादा मात्रा बाद में ( later ) Kidney Stone का कारण भी बन सकता है|

Protein की संरंचना – Protein Structure In Hindi

कितने प्रकार की संरचना होती है प्रोटीन की?

अब आपने यहाँ ( here ) पर जब Protein की संज्ञा ( Protein Hindi ) के बारे में जान ही लिया है | तो ,थोड़ा इसके संरचना के बारे में भी जान लीजिए|

जैसे की मैंने आपको ऊपर ( above ) बता रखा है की , Protein एक बृहत-अणु है| इसलिए  इसके संरचना को मुख्य रूप से तीन चार हिस्सों में बाँटा गया है| तो, चलिए एक-एक कर के उन सारी संरचना के बारे में जानते हैं|

1. Primary संरचना ( Primary Structure ) :-

अब ( now ) हमारे शरीर में मौजूद Protein मुख्य रूप से 20 Amino Acids के समागम से बनी हुई है| जैसे की नाम से ही पता चल रहा है , एक Amino Acid में एक Acidic Amino ग्रुप और एक Acidic Carboxyl  ग्रुप मौजूद होता है| इन्हीं ग्रुपों की वजह से ( for this reason ) एक Amino Acid दूसरे Amino Acid से अच्छे तरीके से बंध कर रहता है|

Protein की इसी तरीके से बंधे हुए संरचना को Primary Structure कहते हैं| दो Amino Acid के अंदर बनने वाला Bond को Peptide Bond कहते हैं| ज़्यादातर 50 या इससे कम Amino Acid से बनी ग्रुप को Peptides कहा जाता है और 50 से ज्यादा Amino Acid के ग्रुप को Protein कहा जाता है|

हमारे शरीर में मौजूद Protein का निर्माण हमारा DNA करता है| ठीक इसी ढंग से ( similarly ) DNA हमारे शरीर में मौजूद RNA का भी निर्माण करता है| हालाँकि ( although ) Amino Acid के वजह से ( for this reason ) Protein की Primary structure बनती है | परंतु ( but ) हमारे शरीर में मौजूद ज़्यादातर Protein Tertiary structure के रूप में उपस्थित रहते हैं|

तो, चलिए अब Protein की संज्ञा ( Protein Definition ) के ऊपर आधारित इस लेख में आगे बढ़ते हुए Protein के Secondary structure ( protein secondary structure ) के बारे में भी जान लेते हैं|

2. Secondary संरंचना ( Secondary Structure ) :-

Protein की Hydrogen Bonding के आधार पर अपना ही अलग के प्रकार का Secondary structure मौजूद है| यहाँ ( here ) पर में आपको बता दूँ की Protein की मुख्य रूप से दो प्रकार की संरचना होती हैं|

पहला ( first ) Alpha- helix और दूसरा ( second ) Beta-sheet | यह दो प्रकार के संरचना Protein की स्थिरता को बढ़ाने के साथ-साथ शरीर में होने वाले जैविक प्रतिक्रियाओं के लिए हर वक़्त तैयार रखते हैं|

Alpha-helix, Protein की Right-handed coiled structure के रूप से परिचित है| यहाँ ( here ) पर Protein Chain से निकलने वाली Substituents; main chain से दाईं और से बाहर निकलती है| इसीलिए ( for this reason ) Alpha-helix को Right-handed coiled structure कहा जाता है| Side substituents की ग्रुप मुख्य रूप से N-H बॉन्ड के ऊपर ही मौजूद होती हैं|

Beta-sheet संरचना में Alpha-helix संरचना के विपरीत ( on the contrary ) Hydrogen Bonding दो strand ( amino acid के ग्रुप ) के अंदर होने के बजाए , दो अलग-अलग strand के बीच में मौजूद होती है| यहाँ ( here ) पर मौजूद दो strand parallel या anti-parallel के ढंग में आपस से जुड़े हुए होते हैं| परंतु ( but ) ज्यादातर anti-parallel structure ही ज्यादा stable होते हैं| क्योंकि ( because ) इन में मौजूद hydrogen bond अच्छे से इनके अंदर संरेखित हो कर रहती हैं|

3. Tertiary संरचना ( Tertiary Structure ) :-

Protein की संज्ञा ( Protein Definition In Hindi ) के ऊपर आधारित इस लेख में अब ( now ) बारी आती है , Protein की Tertiary संरचना की| अगर में आसान भाषा में कहूँ तो , Protein की तीन-आयामी ( 3D ) संरचना को ही Protein की Tertiary structure कहते हैं|

यह संरचना Protein की सबसे stable और सबसे अधिक देखी जाने वाली संरचना है| हालाँकि ( although ) यह संरचना आपको पहली झलक में थोड़ा अजीब और आ-व्यवस्थित लग सकता है| परंतु ( but ) काफी सारे बलों के द्वारा सही तरीके से संतुलित यह संरचना काफी ज्यादा खास है|

इस संरचना में मौजूद Salt bridge और ionic interaction इसको और भी संतुलित बनाते हैं| यही कारण ( for this reason ) है की Tertiary structure हमारे शरीर में सबसे ज्यादा मात्रा में पाये जाने वाला Protein का रूप है|

4. Quaternary संरचना ( Quaternary structure ) :-

जैसे कई Amino Acid मिल कर एक Peptide को बनाते है| ठीक इसी तरह ( likewise ) कई Peptide आपस में मिल कर एक Protein Sub-unit का निर्माण करते है|

तो, मित्रों आमतौर पर Protein की Quaternary संरचना इन्हीं Protein Sub-unit के अंदर होने वाले प्रतिक्रिया को दर्शाता है| क्योंकि ( because ) बाद में ( later ) यही Protein Sub-unit आपस में मिल कर एक Protein Complex का निर्माण करते हैं|

तो, मित्रों यहाँ ( here ) पर भी अन्य संरचना के भाँति Hydrogen Bonding , Di-sulphide bonding और salt-bridge इस संरचना के स्थिरता को सुनिश्चित करते हैं|

Protein की संज्ञा ( Protein Definition ) और इस की स्थिरता पर कुछ बातें :-

क्योंकि ( because ) Protein की 3D संरचना काफी सारे कमजोर bond से बनी हुई होती है| इसलिए ( for this reason ) एक काफी संवेदनशील अणु हैं| ज़्यादातर किसी भी Protein अणु की स्थिरता को Native state के नाम से बुलाया जाता है|

इसी Native state को तापमान , pH , पानी , hydrophobic substances और metal ions के जरिए बदला जा सकता है। हालाँकि  इसे बदल ना उतना भी आसान नहीं है। बाहरी दबाव के चलते Protein denature भी हो सकता है| इसी denaturing की वजह से Protein अपना मूल कार्य करने की क्षमता को भी खो सकता है| इसके साथ-साथ ( further ) कोई भी denatured Protein शरीर के immune system को भी कमजोर बना सकता है।

इसलिए हम को किसी भी प्रकार से प्रोटीन ((Protein In Hindi) की degradation , oxidation , deamination , peptide bond hydrolysis आदि प्रक्रिया को होने नहीं देना है| यहाँ  पर में आपको और भी बता दूँ की , Mass spectroscopy के जरिये किसी भी Protein की mapping कर के आप Protein के संरचना में होने वाली बदलाव को भी आसानी से पहचान सकते हैं।

मित्रों! आप Protein की stability बहुत प्रकार से सुनिश्चित कर सकते है। उदाहरण के तौर पर ( for example ) unfolding of protein , spectroscopy या UV ray आदि प्रधान हैं| इसके साथ-साथ ( in addition ) आप differential scanning जैसे thermodynamic प्रक्रियाओं का भी प्रयोग कर सकते हैं।

Peptide mapping :-

मैंने मित्रों ऊपर ( above ) mapping का जिक्र किया है | परंतु ( but ) क्या आप को इसका मतलब पता है| Peptide Mapping का मतलब है बहुत प्रकार के Protease enzyme के माध्यम से किसी भी Protein को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँट देना| यहाँ ( here ) पर trypsin enzyme को इस्तेमाल किया जाता है।

आपको यहाँ ( here ) हमेशा याद रखना होगा की , Protein एक अत्यंत नाजुक अणु है| इसको आप ठीक ढंग से शोध के दौरान नहीं संभालेंगे तो यह आसानी से Degenerate भी हो सकता है| प्रोटीन ((Protein Definition In Hindi) की stability को देखने के लिए आप इस को उन्नत तकनीक से बनी प्रयोगशाला का ही चयन करें।

इसके अलावा  अगर आप सौर-मंडल या सूर्य के विषय में इस तरीके के अनोखी बातों को जानना चाहते हैं तो , इस लेख को भी आप पढ़ सकते हैं| वैसे तो मैने रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के ऊपर भी कई रोचक बातें आपको बताया है| चाहें तो उसे भी पढ़ सकते हैं|

विज्ञान बहुत ही अनोखा है| इसलिए ( hence ) इससे जुड़ी हर एक बात भी बहुत ही अनोखी है| विज्ञानम पर आपको इस तरीके के विज्ञान से जुड़ी अनोखी बातों को भी जानने का मौका भी आपको मिल रहा है| अगर में आपके स्थान पर होता तो निश्चित रूप से में इन लेखों को एक-ना-एक बार जरूर पढ़ता है| Black hole से लेकर Neutron star तक और Terraforming से ले कर Graviton तक विज्ञान के हर एक अजूबों के बारे में लेख आपको सिर्फ यहाँ मिलेगा|

तो , मित्रों! और इंतजार किस बात की|  अपने ज्ञान को और भी विकसित करें ऊपर ( above ) दिए गए लेखों की माध्यम से और यकीन मानिए सिर्फ एक बार बस इनपर नजर डाल के तो देखिए | लाभ नहीं हुआ तो मुझे बोलना!

Protein से जुड़ी हुई कुछ रोचक बातें – Amazing Protein Facts In Hindi.

1. ज़्यादा protein जानलेवा भी साबित हो सकता है :-.

हालाँकि प्रोटीन (Protein In Hindi) हमारे शरीर के विकास के लिए जरूरी है। परंतु ( but ) इसकी जरूरत से ज्यादा मात्रा आपके लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है| 2010 में Ben Pearson नाम एक खिलाड़ी ने अपने मांसपेशी को ताकतवर बनाने के लिए बहुत ज्यादा Protein का सेवन कर लिया| इससे शरीर में ammonia की मात्रा बढ्ने के साथ-साथ उसकी मौत भी हो गयी|

2. Protein की जीवन काल मात्र इतना है! :-

मित्रों! यहाँ ( here ) पर मैं आपको एक ऐसी बात बताऊंगा , जिसे सुनकर आप जरूर हैरान हो जाएंगे| ज़्यादातर हमारे शरीर में मौजूद Protein की जीवन काल मात्र 2 दिनों का होता है| जी हाँ! सिर्फ दो दिन | दो दिन की कहानी!! आपको क्या लगता था प्रोटीन (Protein In Hindi) के जीवन काल को ले कर। अपना मत मुझे जरूर बताएं।

3. इस खाने में हैं दुनिया का सबसे ज्यादा Protein :- 

मैने ऊपर ( above ) ही आपको बता रखा है की , ज़्यादातर प्रोटीन (Protein In Hindi) जीवों से बनी खानों से आती है। यहाँ ( here ) पर ज़्यादातर लोग मांस या अंडे के बारे मे ही सोचेंगे| परंतु ( but ) क्या विश्वास करेंगे की दुनिया का सबसे ज्यादा Protein एक प्रकार के पनीर में होता हैं| जी हाँ! पनीर जो की एक शाकाहारी खाना है|

इस पनीर को Parmesan पनीर कहा जाता है| इसके प्रति 100 ग्राम में 41.6 ग्राम पूर्ण रूप से Amino Profile से बनी Protein मौजूद रहता है| वाह! अब शाकाहारी लोग भी अच्छे से बॉडी बना सकते है|

4. आपकी बाल भी Protein का एक सही उदाहरण है :- 

अब ( now ) मित्रों में क्या कहूँ! आपके शरीर का हर एक अंग मे Protein की उपस्थित से वाकिब है| चाहे वो आपका मांसपेशी हो या आपकी बाल| बाल! जी आपकी ही बालों की बात में यहाँ ( here ) कर रहा हूँ|

हमारे शरीर में उगने वाले बाल Keratin नाम के एक Protein से बनी हुई है| इसलिए अगर आप अपने बालों को सुस्त रखना चाहते हैं तो Protein से भरी हुई खाना खाएं|

तो, मित्रों Protein की संज्ञा ( Protein Definition ) के इस लेख के इस भाग मेँ आपको मजा तो आ रहा है ना? यह बातें जितना मजेदार है, उतना ही ज्ञानवर्धक भी हैं| इसलिए ( for this reason ) इन्हें अच्छे से पढ़ते रहें|

5. शाकाहारी लोगों के लिए यह है Protein का मूल स्रोत :-

मैंने पहले ( before ) ही एक प्रकार के पनीर का जिक्र कर दिया है , जो की Protein से भरी हुई है| परंतु ( but ) यहाँ ( here ) पर मैंने शाकाहारी लोगों के लिए और Protein की स्रोत का जिक्र किया है| जिक्र करने का कारण यह है की कुछ-कुछ लोगों में lactose intolerance का भी असुविधा दिखाई देती है|

अगर आपके साथ भी lactose की असुविधा है तो | आप मटर / Pea को अपने Protein की स्रोत के हिसाब में ग्रहण कर सकते हैं| अच्छे से बढ़े हुए मटर / Pea में प्रति 100 ग्राम के हिसाब से 38 ग्राम Protein होता है|

6. T.V में आने वाले कार्टूनों के नामों पर आधारित होता हैं Proteins के नाम :-

झटका लगाना ! मुझे भी लगा था , जब ( when ) मैंने इसके बारे मे पहली बार कोई बात सुनी थी|  दरअसल बात यह है की Pikachurin नाम का एक Protein Pikachu नाम के एक कार्टून के नाम पर आधारित है|

है ना! मजेदार| इस तरीके से रोचक बातें सिर्फ आपको यहाँ ( here ) ही मिलेगी|

7. इस प्रोटीन (Protein In Hindi) के अभाव से बम बन सकता है हमारा शरीर! :-

घातक हो सकता है इस प्रोटीन के बिना आपका शरीर

प्रोटीन Protein की संज्ञा  (Protein In Hindi) के इस लेख में अब आप पढ़ रहे हैं Protein से जुड़ी अनोखी बातों को ( amazing facts of Protein )| इसलिए ( for this reason ) मैं आपको यहाँ ( here ) पर और एक चौंकानी बाली बात बताने जा रहा हूँ| तो, दिल थाम के बैठिए| क्योंकि ( because ) यह बात सबसे अनोखी है।

Albumin नाम का यह Protein अगर हमारे शरीर के अंदर मौजूद नहीं होगा तो , हमारा शरीर सूज कर एक बम के भाँति फट जाएगा| वाकई में बहुत ही डरावना है|

8. वीर्य में मौजूद Protein की वजह से ही निषेचन ( fertilisation ) संभव होता है :-

खैर यह बात तो सब को पता होगी की निषेचन से ही बच्चा पैदा होता है| परंतु ( but ) क्या आपको पता है ! की पुरुषों के वीर्य मौजूद Protein महिलायों के दिमाग को उत्तेजित कर के Ovulation की प्रक्रिया को शुरू करते हैं|

जब ( when ) Ovulation होती है , तब Ovum या डिंबाणू शुक्राणु से मिल कर Zygote को बनाते है , जिससे इंसान का बच्चा पैदा होता है|

9. आपके शरीर में इतने प्रकार के प्रोटीन (Protein In Hindi) मौजूद हैं :-

मैंने आपको पहले ही  ऊपर प्रोटीन (Protein In Hindi) के प्रकारों के विषय में बता दिया है| आमतौर पर 20 प्रकार के Protein हमारे शरीर के विकास के लिए जरूरी है| परंतु क्या आपको पता है! हमारे शरीर में कुल 100,000 प्रकार के Protein मौजूद हैं।

तो, मित्रों यहाँ ( here ) पर आप जरूर सोचिए की इतने सारे प्रोटीन (Protein In Hindi) हमारे शरीर को क्यूँ चाहिए? जब की , उसे सिर्फ 20 से ही काम है।

10. Complete Protein और Incomplete Protein क्या है ? :- 

ज्यादातर लोग अब ( now ) यह सोच रहे होंगे की , आखिर अब ( now ) यह कौन सी नई चीज़ है| तो,मित्रों ज्यादा न-सोचिए क्योंकि ( because ) मैं हु ना! Complete Protein उसे कहा जाता है , जिसमें सारी की सारी यानी पूरे 9 प्रकार के Amino Acid मौजूद होती है| ज़्यादातर मांस , अंडे , दूध आदि चीजों को Complete Protein का उत्श्र माना गया है|

तो, अब ( now ) मुझे लगता है की आप खुद Incomplete Protein की संज्ञा अब निकाल ही लेंगे| इसलिए ( therefore ) इसकी संज्ञा अब में आप पर छोड़ रहा हूँ| कृपया आप इसे ढूंढ लें।

11.प्रोटीन बन सकता है allergy का कारण :-

ऐलेर्जी ( Allergies)

Protein की संज्ञा  (Protein In Hindi) के ऊपर आधारित इस लेख में यह आखिरी रोचक बात है। Protein के अंदर मौजूद Amino Acid किसी भी इंसान के लिए allergen की तरह कार्य कर सकते है| इसलिए ( for this reason ) कई सारे लोगों को गेहूं में मौजूद Gluten Protein से allergy होती है|

12. क्या आप अंडे खाते हैं ? अगर हाँ! तो रुकिए ! पहले जान लीजिए इस बात को :-

अब ( now ) लोग मुझे कहेंगे की , बिनीत अब अंडे भी क्या हम नहीं खा सकते! जी हाँ ! आप जरूर खा सकते हो| परंतु ( but ) खाने से पहले अंडे से जुड़ी इस बात को जान लीजिए|

एक साधारण आकार के अंडे में 4 से 6 ग्राम तक Protein होता है| यह प्रोटीन (Protein In Hindi) दुनिया के अन्य खाने की चीजों से मिलने वाली Protein से काफी ज्यादा अच्छा है| हाँ! आप जो अंडा खा रहे हैं , उसमें दुनिया की सबसे अच्छी Protein मौजूद है|

और एक बात हमेशा अंडे को कम से कम उबाल कर खाएं| क्योंकि ( because ) कच्चे अंडे में salmonella के भूताणु मौजूद रहते हैं|

तो, चालिए Protein की संज्ञा ( Protein Definition ) के ऊपर आधारित इस लेख में आगे बढ़ते हुए और रोचक बातों को जानते हैं|

13. संभोग के समय इतने ग्राम प्रोटीन (Protein In Hindi)   आपके शरीर से खर्च हो जाता है :-

जब एक इंसान संभोग करता है , तो उससे उसके वीर्य का खर्च होना स्वाभाविक है। इसलिए एक बार वीर्य की खर्च में आप करीब 150 mg Protein अपने शरीर से खो देते हैं।

तो, अपने वीर्य की खर्च सोच-समझ कर ही खर्च करें!!

14. जीवों से पायी गई Protein हमेशा पौधों से पायी गई Protein से अच्छी होती है :-

यहाँ ( here ) पर आपको इसके बारे में थोड़ी अच्छे से सोचने की जरूरत पड़ेगी| हम एक जीव हैं और हमारा शरीर अगर किसी दूसरे जीव से आई Protein को ग्रहण करता है तो , उसे वह जल्दी absorb कर सकता है| हालाँकि ( although ) पौधों से आयी Protein भी बहुत अच्छी होती है| परंतु ( but ) वह जल्द से जल्द absorb नहीं हो पाती|

Protein का काम क्या है और यह क्यूँ जरूरी है? – What is the function of Protein and why it is a necessity of our body In Hindi?

1. शरीर के विकास और देखभाल के लिए :-.

मित्रों! मैंने पहले ( before ) ही बताया था की Protein मांसपेशियों की बढ्ने में मदद करता है| इसलिए ( for this reason ) Protein आपके शरीर को बढ़ाने के साथ-साथ आपके शरीर का ख्याल भी रखता है|

2. आपके शरीर में सूचना प्रसार करता है Protein :- 

आपके शरीर में बहुत प्रकार के Enzymes मौजूद है| इन सब का काम आपके शरीर में होने वाले प्रक्रिया को नियंत्रण करना है| इसीलिए ( therefore ) इन सब का महत्व आपके शरीर के लिए  बहुत ज्यादा है|

क्योंकि ( because ) बहुत सारे Enzymes Protein से भी बने होते हैं , तो Protein भी एक प्रकार से आपके शरीर की सूचना को प्रसार करने में मदद करता है|

3. आपके शरीर को आकार देता है Protein :- 

मित्रों! Protein की संज्ञा ( Protein Definition ) पर आधारित इस लेख में अब बारी आती है , आपके शरीर की आकार की| मित्रों! में आपको यहाँ ( here ) बता दूँ की , Collagen , Keratin और Elastin नाम के यह तीन Protein आपके शरीर में मौजूद कोशिका को सही आकार व स्थिरता प्रदान करते हैं|

वाकई में अगर शरीर मे Protein नहीं होगा तो हमारा शरीर जीवित ही नहीं रह सकता| ऊपर दिये गए ( above ) Protein आपके शरीर में हड्डी और , टेंडोन , लीगामेंट आदि बनाने में आपके शरीर की बहुत मदद करते हैं|

4. pH को संतुलित करता है प्रोटीन (Protein In Hindi)  :- 

आपके शरीर में pH का सही तरीके से संतुलित रहना बहुत ही जरूरी है| क्योंकि ( because ) इस से आपकी शरीर की खून सही तरीके से बह सकता है|

5. खून में मौजूद सबसे प्रमुख उपादान Hemoglobin एक Protein है| यह शरीर को खून के जरिए ऑक्सिजन पहुँचाता है|

तो, अब Protein की संज्ञा प्रोटीन (Protein In Hindi)के ऊपर आधारित इस लेख में अब थोड़ा Protein युक्त खाने की बात कर लेते हैं|

प्रोटीन (Protein) युक्त खाने के विकल्प – High-Protein diet.

Protein Definition और इसका पूरा विज्ञान- Full science of Protein In Hindi

मैंने इस लेख में पहले ( before ) ही आपको बता कर रखा था की , लेख के आखिरी भाग में आपको Protein युक्त खाने के बारे में जरूर बताऊंगा| इसलिए ( for this reason ), मैंने यहाँ ( here ) पर प्रोटीन (Protein In Hindi) युक्त बहुत सारे खाने का जिक्र किया है|

मांसाहारीयों के लिए Protein युक्त खाना ->

  • टर्की की मांस|

दोस्तों! मैंने यहाँ ( here ) पर सिर्फ मांसहारियों के द्वारा खाए जा सकने वाला खाने का जिक्र किया है| वैसे यह लोग शकहारियों के लिए मौजूद खाना भी खा सकते है|

शाकाहारियों के लिए Protein युक्त खाना ->

  • Whey Protein Supplement.

तो, मित्रों ऊपर ( above ) लिखी गयी हर एक Protein का खाना शाकाहार यों के लिए बहुत ही जरूरी है| अगर कोई इंसान अपने शरीर को स्वस्थ और सही आकार में रखना चाहता हैं , तो उसे अपने खान-पान में Protein को ज्यादा महत्व देना पड़ेगा| याद रखिए की Protein आपके शरीर की सबसे प्रमुख जीव सारों में से एक है|

निष्कर्ष – Conclusion :-

मित्रों! Protein की संज्ञा (Protein In Hindi) से ले कर Protein युक्त खाने तक मैंने इस लेख में आपको सब कुछ बताया है ( जितना मुझ से हो पाया )| इसलिए ( therefore ) में सोचता हूँ की प्रोटीन (Protein In Hindi) को लेकर आपके मन में मौजूद ज़्यादातर सवालों का जवाब आपको मिल गया है| वैसे मित्रों! लेख के इस भाग में में अब ( now ) आपको कुछ अलग ही चीज़ के बारे में बताने जा रहा हूँ|

देखिए , आज के इस समय में हर कोई Fit या स्वस्थ नहीं होता है| इसलिए ( hence ) ज़्यादातर लोगों को बहुत ही कम उम्र में ही रोग पकड़ लेते हैं| क्योंकि ( because ) लोगों के अंदर अपने खान-पान को ले कर उतनी जागरूकता नहीं है , जितनी की होनी चाहिए | इसलिए ( hence ) में आप से यहीं आग्रह करना चाहूँगा की आप इस लेख को जितना हो सके उतना share कर के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाए|

याद रखिए! अगर आप आज किसी की मदद का रहें हैं तो एक न एक दिन आपकी भी मदद कोई करेगा| तो, विशेष ( specifically ) रूप से इस लेख को अच्छे से पढ़ें और दूसरों को पढ़ के सुनाए| खैर , और एक बात आपको बतानी थी| आज कल ज़्यादातर युवाओं में वजन बढ़ाने या वजन घटाने की होड लगी हुई है|

जल्दी फल पाने की आशा में कई सारे युवा अपने जिंदगी से खेल रहे हैं| कई गलत रास्ते वह अपना रहे हैं| इसलिए ( hence ) में उन भाइयों से यह निवेदन करूंगा की बॉडी बनाने के लिए कोई दबाई न ले कर High Protein diet  का सेवन नियमित रूप से कम से कम 3 महीने तक धैर्य से करें| यकीन मानिए बॉडी न बने तो कहना|

वैसे मित्रों! बोल के आपको aware करना मेरा काम था| आगे आपकी मरज़ी क्योंकि ( because ) आखिर में आपकी ही जीवन है|

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Bineet Patel

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प्रोटीन संश्लेषण (protein synthesis).

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Contents...

प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis) :-

एमीनो अम्लों की पेप्टाइड बंधन से जुड़ी संरचना को प्रोटीन या Polypeptide chain कहते है। प्रोटीन संश्लेषण में न्यूक्लिक अम्लों से आनुवंशिक सूचनाओं का प्रवाह एक ही दिशा में होता है।

प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होती है :–

  • ट्रांसक्रिप्शन

1. ट्रांसक्रिप्शन :-

  • DNA से आनुवंशिक सूचनाओं का mRNA में स्थानांतरण को ट्रांसक्रिप्शन कहते है।
  • RNA Polymerase enzyme द्वारा यह क्रिया संपन होती हैं। DNA के प्रमोटर हिस्से में इस एंजाइम के बंधने के बाद यह क्रिया प्रारंभ होती है।
  • इसके तीन प्रमुख चरण होते है :-

A. प्रमोटरों से बंधन एवं RNA श्रृंखला का प्रारंभ :-

  • डीएनए धागे पर जहां स्टार्ट सिग्नल्स रहता है उसे प्रमोटर कहते है।
  • यहां Adenine एवं Thymine अधिक होता है।
  • यहां से ही RNA चैन बनना शुरू होता है।

B. RNA Polynucleotide चैन में वृद्धि :-

  • RNA Polymerase एंजाइम DNA के नाइट्रोजन बेसो का प्रतिलिपि तैयार करता है।
  • डीएनए का सिर्फ एक स्ट्रैंड इसमें भाग लेता है एवं mRNA की लंबाई में वृद्धि 5′ से 3′ की ओर होती है।

C. ट्रांसक्रिप्शन का समापन :-

  • जब डीएनए Stop signal पर RNA polymerase पहुंचता है तब mRNA का संश्लेषण रुक जाता है।

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2. ट्रांसलेशन:-

  • mRNA में उपस्थित आनुवंशिक सूचनाओं के अनुरूप एमीनो अम्लों से प्रोटीन संश्लेषण “ट्रांसलेशन” कहलाता है।
  • ट्रांसलेशन की क्रिया राइबोसोम पर होती है।
  • mRNA का एक कोडोन एक बार में एक संदेश को 5′ से 3′ किनारे की ओर अग्रसर करता है।
  • किसी एमीनो अम्ल को Cytoplasm से mRNA तक लाने के लिए tRNA होते है जिसमें उपस्थित ‘Anticodon’ mRNA के Codon के पूरक होते है।
  • इस प्रकार एक के बाद दूसरा एमीनो अम्ल राइबोसोम के विशेष स्थान पर आते है एवं एमीनो अम्लों के बीच पेप्टाइड बंधन बनाते है। इस प्रकार से Polypeptide chain का निर्माण होता है।
  • इस चैन के निर्माण में ATP ऊर्जा की भूमिका होती है और इसी के द्वारा एमीनो अम्ल एक्टिव हो जाते है।
  • इस पूरे प्रक्रिया में प्रोटीन का बनना शुरू हो जाता है।

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प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना

Hamid Ali

प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना (Primary, Secondary, Tertiary and Quaternary Structure of Protein)

Protein (प्रोटीन ) सभी जीवित कोशिकाओं में पाए जाने वाले वृहद अणुओं का एक महत्वपूर्ण वर्ग है। प्रोटीन अमीनो अम्ल के एक या एक से अधिक लम्बी श्रृंखला  से बनी होती है, इन  अमीनो अम्ल का अनुक्रम  डीएनए अनुक्रम से मेल खाता है। जिनका उपयोग करके प्रोटीन का संश्लेषण किया जाता है। प्रोटीन आहार का एक अनिवार्य हिस्सा भी हैं। प्रोटीन की संरचना के स्तर चार होते हैं –

  • प्राथमिक संरचना (Primary Structure)
  • द्वितीयक संरचना (Secondary Structure)
  • तृतीयक संरचना (Tertiary Structure)
  • चतुर्थ संरचना (Quaternary Structure)

प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना (Primary, Secondary, Tertiary and Quaternary Structure)

प्रोटीन की प्राथमिक संरचना (primary structure of protein).

पेप्टाइड बंध द्वारा एक साथ जुड़े अमीनो अम्ल के रेखीय श्रृंखला को प्रोटीन की प्राथमिक संरचना कहा जाता है।

जैसे –  Ala-Val-Glu-Iso-Ala-Gly-His-Ilu-Met-Val पेप्टाइड बंधन – एक प्रोटीन में एक अमीनो अम्ल का –NH2 दुसरे अमीनो अम्ल के –COOH समूह से संघनन अभिक्रिया द्वारा जुड़कर पेप्टाइड बंध (-NHCO-) का निर्माण करते है। पेप्टाइड बंध आंशिक द्वि-आबंध गुणों वाला होता है। पेप्टाइड बंध आम तौर पर ट्रांस प्रकृति का होता है।

प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक , तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना (Primary, Secondary, Tertiary and Quaternary Structure)

https://aliscience.in/phage-therapy/

प्रोटीन की द्वितीयक संरचना (Secondary Structure of Protein)

पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में नियमित रूप से विभिन्न प्रकार के तह को दर्शाता है।

द्वितीयक संरचना में प्रोटीन अणु सर्पिलाकार कुंडलित होते है। द्वितीयक संरचना में प्रोटीन को हाइड्रोजन बंध द्वारा स्थिरता प्रदान की जाती है। हाइड्रोजन बंध एक एमाईड समूह के ऑक्सीजन तथा दुसरे एमाईड समूह के हाइड्रोजन के मध्य बनता है।

द्वितीयक संरचना वाले प्रोटीन जल में अघुलनशील तथा रेशेदार होते है। इसकी द्वितीयक संरचना दो प्रकार की होती है। – (ए) α-हेलिक्स (बी) β-प्लेटेड शीट

(ए) α-हेलिक्स (α-Helix)

α-हेलिक्स पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में अमीनो अम्ल का एक बेलनाकार, छड़ जैसी कुण्डलीत व्यवस्था है। जिसमें दायी तरफ घुमाव (दक्षिणावर्त) वाली सर्पिलाकार कुंडलित श्रृंखला पाई जाती है।

एक α-हेलिक्स में 3.6 अमीनो अम्ल होते हैं एक हेलिक्स की लम्बाई 0.54nm होती है।

उदाहरण- केरेटिन, मायोसीन तथा ट्रोपोमायोसीन

(बी) β-प्लेटेड शीट (β-Plated Sheet)

पॉलीपेप्टाइड की टेढ़ी-मेढ़ी श्रृंखलाए एक दुसरे से हाइड्रोजन बंध के माध्यम से जुड़कर β-प्लेटेड शीट बनती हैं।

β-प्लेटेड शीट में दो पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओ की दिशा एक ही होती है, तो उनको समानांतर β-प्लेटेड शीट तथा दोनों पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाए विपरीत दिशा में होती है, तो उसे प्रति-समानांतर β-प्लेटेड शीट कहते है।

जैसे- रेशम के Fibroin प्रोटीन

Keyword -प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना (Primary, Secondary, Tertiary and Quaternary Structure of Protein)

प्रोटीन की तृतीयक संरचना (Tertiary Structure of Protein)

प्रोटीन की तृतीयक संरचना पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में सभी अमीनो अम्ल के त्रिविमीय (3-Dimension) व्यवस्था को दर्शाती है। प्रोटीन की तृतीयक संरचना जैविक रूप से सक्रिय संरचना होती है। इसको डाइसल्फाइड बंध, आयनिक बंध, हाइड्रोजन बंध और हाइड्रोफोबिक आकर्षण द्वारा स्थिरता प्रदान की जाती है। तृतीयक संरचना में प्रोटीन अत्यधिक वलित होकर गोलाकार रूप धारण क्र लेते है।

जीवद्रव्य में उपस्थित प्रोटीन तथा एंजाइम तृतीयक संरचना के रूप में पाए जाते है।

प्रोटीन की चतुर्थ  संरचना (Quaternary Structure of Protein)

यदि प्रोटीन में एक से अधिक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला होती है, तो प्रोटीन चतुर्थ  संरचना के रूप में होता है। पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओ को सहसंयोजक बंध या असहसंयोजक आकर्षण जैसे हाइड्रोफोबिक आकर्षण, इलेक्ट्रोस्टैटिक बल, तथा हाइड्रोजन बंध द्वारा एक साथ जोड़ा जाता है। यह प्रोटीन की सबसे स्थायी संरचना है।

उदाहरण हीमोग्लोबिन में चार पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला होती है। जिनमें दो α-श्रृंखला और दो β-श्रृंखला (α2β2), तथा एक हिम प्रोस्टेटिक समूह होता है।

Primary, Secondary, Tertiary and Quaternary Structure of Protein प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना

Primary, Secondary, Tertiary and Quaternary Structure of Protein प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना

प्रोटीन की संरचना का निर्धारण

इसकी की संरचना का निर्धारण एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी, नाभिकीय चुंबकीय अनुनाद (NMR) तथा स्पेक्ट्रोस्कोपी द्वारा किया जाता है।

महत्वपूर्ण शब्दावली (Important Terms)–

एकलक प्रोटीन (Monomeric Protein) –  ऐसी प्रोटीन जिसमें केवल एक ही पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला होती है।

बहुलक प्रोटीन (Polymeric Protein) – ऐसी प्रोटीन जिसमें एक से अधिक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला होती है।

पेप्टाइड (Peptide) – ये अमीनो अम्ल की छोटी श्रृंखला है, जिसमे दो, तीन, चार अमीनो अम्ल होते है।

पॉलीपेप्टाइड (Polypeptide) – ये अमीनो अम्ल की बड़ी श्रृंखला है, जिसमे 20 से ज्यादा अमीनो अम्ल होते है।

प्रोटीन (Protein) – इसमें 50 या 50 से ज्यादा अमीनो अम्ल होते है।

डाईसल्फाइड बंध (Disulphide Bond) – ये बंध अमीनो अम्ल के थायोल समूह (-SH) के मध्य बनते है जो Cystein तथा Methionine में होते है।

हाइड्रोफोबिक आकर्षण (Hydrophobic Interaction) – ये एरोमेटिक अमीनो अम्लों के बीच पाया जाने वाला आकर्षण है। इसे जल-विरागी आकर्षण भी कहते है।

आयनिक बंध (Ionic Bond) – ये प्रोटीन के दो सिरों के बीच इलेक्ट्रोस्टैटिक आकर्षण के कारण बनते है।

प्रोटीन के कार्य (Function of Protein)

प्रोटीन संरचनात्मक (साइटोस्केलेटन), यांत्रिक (मांसपेशी), जैव रासायनिक ( एंजाइम ), और कोशिका संकेत (हार्मोन) समेत विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं निभाते हैं।

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प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना

संचार व्यवस्था के अवयव

प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना

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Tags: प्रोटीन प्रोटीन की चतुर्थ संरचना प्रोटीन की तृतीयक संरचना प्रोटीन की द्वितीयक संरचना प्रोटीन की प्राथमिक संरचना प्रोटीन की संरचना

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प्रोटीन और उनके कार्यों की सूची

प्रोटीन सैकड़ों या हजारों छोटी इकाइयों से बने होते हैं जिन्हें अमीनो एसिड कहा जाता है. प्रोटीन हमारे कोशिकाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण अणु है, जो सभी जीवों के लिए आवश्यक घटक है. आइये इस लेख के माध्यम से विभिन्न प्रकार के प्रोटीन और उनके कार्यों की सूची के बारे में अध्ययन करते हैं..

Shikha Goyal

प्रोटीन बड़े, जटिल अणु हैं जो शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अधिकांश तौर पर प्रोटीन कोशिकाओं में काम करते हैं और शरीर के ऊतकों, अंगों की संरचना, कार्य और विनियमन के लिए आवश्यक होते हैं. प्रोटीन हमारे कोशिकाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण अणु है, जो सभी जीवों के लिए आवश्यक घटक है. वजन के हिसाब से देखें तो प्रोटीन सूखी हुई कोशिकाओं के वजन का एक प्रमुख घटक हैं और लगभग सभी कोशिकीय कार्यों में शामिल रहता है.

क्या आप जानते हैं कि रेशम कीट (Silkworm) रेशम कैसे बनाता है 7. ग्लाएडिन (Gliadin) ग्लूटेन एक प्रोटीन है जो खाद्य पदार्थों में प्रयुक्त होता है जब दो अन्य प्रोटीन, ग्लाएडिन और ग्लूटेनिन मिलते हैं. ग्लाएडिन प्रोटीन गेहूँ में पाया जाता है. 8. जिन (Zein) यह मक्का में पाये जाने वाला प्रोटीन है. 9. ग्लोब्युलिन (Globulin) ग्लोबुलिन, ग्लोबुलर प्रोटीन का ही हिस्सा है जिसका एल्ब्यूमिन से भी अधिक आणविक वजन है और शुद्ध पानी में अघुलनशील होता है, लेकिन नमक के पानी में यह घुल जाता है. कुछ ग्लोब्युलिन लीवर में बनते हैं, जबकि अन्य प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाए जाते हैं. यह प्रोटीन अंडे में पाया जाता है. 10. केसीन (Casein) केसीन प्रोटीन शारीर में धीरे-धीरे पचता है, इसमें अपचयी गुण होते हैं, जिसका मतलब यह है कि भोजन की अनुपस्थिति में भी यह प्रोटीन मांसपेशियों को टूटने नहीं देता है. यह दूध, दही, पनीर आदि में पाया जाता है. 11. ग्लूटेलिन्स (Glutelins) अनाज में पाया जाने वाला प्रोटीन है. 12. प्रोलामिन (Prolamin) प्रोलामिन पौध भंडारण प्रोटीन का एक समूह है जिसमें एक उच्च प्रोलीन सामग्री होती है. यह दालों में पाया जाता है.

डीएनए और आरएनए के बीच क्या अंतर है? 13. फाइब्रिनोजन तथा थ्रोम्बिन (Fibrinogen and Thrombin) यह प्रोटीन चोट लगने पर रुधिर का थक्का बनाकर रक्तस्त्राव को रोकता है. 14. हिस्टोन (Histone) यह न्यूक्लिओ प्रोटीन है जो अनुवांशिक लक्षणों के विकास एवं वंशागति का नियंत्रण करता हैं. 15. ग्लोबिन (Globin) यह रुधिर में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो हीमोग्लोबिन के रूप में ऑक्सीजन का संवहन करता है. 16. साइटोक्रोम (Cytochrome) यह माइटोकॉन्ड्रिया में पाये जाने वाला प्रोटीन है जो श्वसन-प्रक्रिया को पूर्ण करने में सहायता करता है. 17. एंटीबॉडीज (Antibodies) यह सुरक्षात्मक प्रोटीन होता है जो हानिकारक पदार्थों तथा आक्रमणकारी जीवाणुओं आदि से शारीर की सुरक्षा करता है. उपरोक्त लेख से विभिन्न प्राकार के प्रोटीन और उनके कार्यो के बारे में ज्ञात होता है.

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भारत में सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले 25 फूड | Protein Food List in Hindi

सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले फूड protein food list in hindi : प्रोटीन शरीर के लिए जरूरी मुख्य पोषक तत्वों में से एक हैं। प्रोटीन के फायदे की बात करें तो यह शरीर में ऊर्जा का मुख्य स्रोत होता हैं जो मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने, मोटापा कम करने, स्किन और बालों को हेल्दी बनाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है।

शरीर के लिए इतना अहम होने के बावजूद बहुत से भारतीयों के भोजन में प्रोटीन की कमी देखने को मिलती हैं। 2017 में किए गए एक सर्वे के अनुसार 70 प्रतिशत से ज्यादा लोगों में प्रोटीन की कमी पाई गई। कुछ लोगों को तो केवल खाना खाने से मतलब होता हैं, खाने में कौन से पोषक तत्व हैं इससे कोई मतलब नहीं होता।

भारत में प्रोटीन फूड्स की कमी नहीं हैं। हमारे देश में नॉनवेज सोर्स के साथ साथ प्रोटीन के कई वेजेटेरियन सोर्स भी हैं। इस आर्टिकल में हम protein food list in hindi के बारे में आपको संक्षेप में बताएंगे और सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले फूड (sabse jyada protein wale food) के बारे जनेंगे।

सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले फूड – Protein Food List in Hindi

1. अंडा (egg).

प्रोटीन फूड लिस्ट (protein food list in hindi) में सबसे पहले अंडा आता हैं। एक अंडे में लगभग 3 से 4 ग्राम के आसपास प्रोटीन पाया जाता हैं। शरीर मे प्रोटीन की कमी पूरा करने के लिए अक्सर डॉक्टर द्वारा भी अंडा खाने के सलाह दी जाती हैं। आप एक दिन में 20 से 24 ग्राम तक प्रोटीन अंडे से ले सकते हैं, इसके लिए आप दो फूल एग और 4 से 6 एग वाइट ले सकते हैं।

2. मछली और सी फूड्स (Fish)

मछली और लगभग सभी सी फूड्स में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं। बहुत से लोग खासकर बॉडी बिल्डर प्रोटीन की प्राप्ति के लिए ही मछली को अपनी डाइट में शामिल करते हैं।

इसके साथ ही मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड भी भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं जो हेल्थ, स्किन, बाल और आंखों की रोशनी के लिए लाभदायक होता हैं। 100 ग्राम मछली में लगभग 20 से 24 ग्राम के आसपास प्रोटीन पाया जाता हैं।

3. चिकेन (Chicken)

सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले फूड (sabse jyada protein wale food) में अगला नाम चिकेन का आता हैं। 100 ग्राम चिकेन में भी लगभग 20 से 24 ग्राम प्रोटीन पाया जाता हैं, जो कि प्रोटीन की एक अच्छी मात्रा हैं। चेकन ब्रैस्ट में लीन प्रोटीन पाया जाता हैं, जिसका बॉडी बिल्डर और फिटनेस मॉडल ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।

मसल्स बिल्डिंग और वेट लॉस में लीन प्रोटीन सबसे ज्यादा फायदेमंद होता हैं। चेकन से प्रोटीन ज्यादा मात्रा में प्राप्त करने के लिए बॉयल्ड चिकेन खाना ज्यादा लाभकारी होता हैं। जबकि बटर चिकेन, कड़ाई चिकेन और तंदूरी चिकेन से केवल मोटापा बढ़ता हैं।

4. पनीर (Paneer)

प्रोटीन फूड लिस्ट (protein food list in hindi) में शामिल पनीर उन लोगों के लिए प्रोटीन का एक बेहतरीन स्रोत हैं जो अंडा, चिकेन या मछली नहीं खाते हैं। कुछ लोगों की शिकायत रहती हैं कि प्रोटीन केवल मांसहारी चीजों से ही प्राप्त हो सकता हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं और पनीर इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। 100 ग्राम पनीर में लगभग 20-22 ग्राम के आसपास प्रोटीन पाया जाता हैं, जो लगभग चिकेन और मछली के समान हैं।

5. दूध (Milk)

दूध भी सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले फूड (high protein foods in hindi) में शामिल हैं। यह एक प्योर वेजेटेरियन प्रोटीन सोर्स हैं, जिसे आपको अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। दूध में पाए जाने वाला प्रोटीन उच्च क्वालिटी का होता हैं जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता हैं।

साथ ही दूध कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत हैं जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में सहायक होता हैं। 100g दूध में 3.28g के आसपास प्रोटीन पाया जाता हैं।

6. दही (curd)

प्रोटीन फूड लिस्ट (high protein foods in hindi) में दही को भी जरूर शामिल करना चाहिए। दही में अच्छी मात्रा में प्रोटीन होता हैं जो मसल्स बनाने, वजन कम करने और स्किन की हेल्थ के लिए फायदेमंद होता हैं। खाना खाने के बाद थोड़ी सी दही खाने से खाना जल्दी पचता हैं, पाचन तंत्र मजबूत होता हैं और मेटाबॉलिस्म बूस्ट होता हैं। साथ ही पेट की बीमारियों के लिए भी दही फायदेमंद होती हैं। ( दही खाने का सही समय और सही तरीका )

7. सोयाबीन दाल (Soyabean)

सोयाबीन दाल को अगर बेस्ट प्रोटीन फूड (high protein foods in hindi) कहा जाए तो गलत नहीं होगा। सोयाबीन दाल में अंडा, चिकेन और मछली के बराबर प्रोटीन पाया जाता हैं। लेकिन ध्यान रहे कि पुरुष सोयाबीन का इस्तेमाल बहुत ज्यादा मात्रा में न करें यह मेल हार्मोन को प्रभावित कर सकता हैं। साथ ही सोयाबीन दाल को आप भिगोकर खाएं तो ज्यादा बेहतर होगा।

8. सोया मिल्क (Soya Milk)

सोया मिल्क सोयाबीन दाल से ही बनाया जाता हैं, जो कि सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले फूड  (sabse jyada protein wale food) में शामिल हैं। सोयाबीन मिल्क उन लोगों के लिए अच्छा हैं जिन्हें दूध नहीं पचता या जिन्हें दूध से एलर्जी हैं। सोया मिल्क में दूध से ज्यादा प्रोटीन पाया जाता हैं, साथ ही अगर आप मसल्स बढ़ाने की सोच रहे हैं तो सोया मिल्क, पीनट बटर और केले का बना शेक जरूर ट्राई करके देखे।

9. मूंग दाल (Moong Dal Sprouts)

मूंग दाल एक बेहतरीन वेजेटेरियन प्रोटीन सोर्स हैं और यह खाने में भी काफी टेस्टी होती हैं। मूंग दाल का इस्तेमाल आप अपनी डाइट में कई तरीके से कर सकते हैं, लेकिन सबसे बेहतर हैं मूंग दाल स्प्राउट्स। मूंग दाल स्प्राउट्स प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होते हैं जो मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने, त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने और शरीर में एनर्जी बढ़ाने में मददगार होते हैं।

मूंग दाल का स्प्राउट्स बनाने के लिए आप रात में सबूत मूंग दाल को पानी मे भिगोकर रख दें। अगली सुबह जब यह अच्छी तरह फूल जाए तब इसे छानकर एक साफ कपड़े में बांध दें, उसके 8 से 10 घंटे बाद इसमें अंकुर आने लगेंगे और तब आपको इसका सेवन करना हैं।

10. राजमा (Kidney Beans)

प्रोटीन फूड लिस्ट (protein food list in hindi) में राजमा का नाम देख आप मे से कई लोगों के चेहरे पर थोड़ी मुस्कराहट जरूर आयी होगी, क्योंकि भारत मे शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे राजमा पसंद न हो। राजमा खाने में तो स्वादिष्ट होते ही हैं साथ मे इनमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फाइबर भी पाया जाता हैं।

लेकिन एक बात का हमेशा ध्यान रहे कि राजमा में प्रोटीन और फाइबर के साथ साथ कुछ मात्रा में फैट भी होता हैं, इसलिए इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल न करें। ऐसा न हो कि प्रोटीन की चाह में आप रोज राजमा चावल खाने लग जाये। साथ ही राजमा को कम बॉईल करके और कम मिर्च मसाला डालकर एक हेल्दी तरीके से बनाये।

11. काबुली चना (Chickpeas)   

काबुली चने या सफेद चने भी प्रोटीन के बढ़िया स्रोत हैं। खाने में टेस्टी और हेल्थ के लिए बेस्ट काबुली चने में अन्य दालों की तुलना में ज्यादा प्रोटीन पाया जाता हैं। साथ ही काबुली चने में आयरन और फाइबर भी अच्छी मात्रा में पाया जाता हैं। काबुली चना को स्प्राउट्स बनाकर खाने से शरीर को प्रचुर मात्रा में प्रोटीन मिलता हैं, साथ ही काबुली चने की सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं।

12. छाछ (Buttermilk)

प्रोटीन फूड लिस्ट (high protein foods in hindi) में शामिल छाछ एक अन्य प्रोटीनयुक्त डेयरी प्रोडक्ट हैं। छाछ गर्मी से राहत देने के साथ ही पेट की परेशानियों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता हैं, खासकर पेट की गैस में छाछ का सेवन लाभकारी होता हैं। एक गिलास छाछ में अच्छी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता हैं, गर्मियों में दिन के भोजन के बाद छाछ पीना फायदेमंद होता हैं। एक तरीके से देखा जाए तो सभी प्रकार के डेयरी प्रोडक्ट्स में प्रोटीन अच्छी खासी मात्रा में पाया जाता हैं।

13. बादाम (Almond)

सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले फूड  (sabse jyada protein wale food) में अगला नाम बादाम हैं। बादाम एक ऐसा ड्राई फ्रूट हैं जिसके जितने फायदे गिनाए जाए उतने कम हैं। लबभग सभी तरह की शारिरिक परेशानियों में बादाम खाने की सलाह दी जाती हैं। बादाम में प्रोटीन, फाइबर, ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन ई जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने, हर्ट को हेल्दी रखने, वजन कम करने, शरीर की कमजोरी दूर करने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक होते हैं।

14. ओटमील (Oatmeal)

ओटमील एक हेल्दी नाश्ता हैं और ज्यादातर फिटनेस से जुड़े लोगों की डाइट में जरूर शामिल होता हैं। ओटमील प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत हैं जो शरीर में एनर्जी बढ़ाने, मोटापा कम करने और मसल्स बनाने में हेल्पफुल होता हैं। अगर आप अपनी फिटनेस को लेकर सीरियस हैं तो सुबह के नाश्ते में ओटमील को जरूर शामिल करें, साथ ही इसे और ज्यादा हेल्दी बनाने के लिए आप इसमे सीजनल फ्रूट्स और ड्राई फ्रूट्स भी शामिल कर सकते हैं।

15. टोफू (Tofu)

प्रोटीन रिच फूड इन हिंदी (protein rich food in hindi) में अगला नाम टोफू हैं। टोफू देखने में काफी हद तक पनीर जैसा लगता हैं, इसलिए कुछ लोग इसे टोफू पनीर भी कहते हैं। टोफू को सोया मिल्क से ठीक उसी तरह बनाया जाता हैं जैसे दूध से पनीर बनाया जाता हैं। सोया मिल्क से बने टोफू में प्रोटीन अच्छी मात्रा में पाया जाता हैं जो मांसपेशियों और हड्डियों के लिए के लिए महत्वपूर्ण होता हैं। अगर आप दूध से बनी चीजें पसंद नहीं करते हैं तो आपको टोफू का इस्तेमाल जरूर करके देखना चाहिए।

16. काला चना (Black Chickpeas)

काला चना खाने में टेस्टी तो होते ही हैं साथ ही इनमे प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं। रात को एक मुट्ठी काला चना को पानी में भिगोकर रख दें और अगली सुबह नाश्ते या दिन के किसी भी समय आप यह भिगोए चने खा सकते हैं। भिगोए काले चनों में प्रोटीन, फाइबर और आयरन जैसे पोषक तत्व अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही यह शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी सहायक होते हैं।

17. मटर (Pea)

हरि मटर के दानों में भी अच्छी मात्रा में प्रोटीन (protein rich food in hindi) पाया जाता हैं। हरि मटर से प्रोटीन प्राप्त करने के लिए आपको इन्हें हल्का उबालकर खाना चाहिए। आम तौर पर घर पर बनी मटर की सब्जी में मटर को बहुत ज्यादा पकाया जाता हैं, जिससे इनके अंदर मौजूद प्रोटीन नष्ट हो जाता हैं।

18. बीज (Seeds)

बहुत से बीज जैसे अलसी बीज, सूरजमुखी के बीज और खरबूजे के बीज में भी अच्छी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता हैं। इन बीजों का इस्तेमाल आप मीठे पकवानों के साथ कर सकते हैं। खरबूजा खाने के बाद इसके बीजों को कूड़े में फेंकने की जगह इन्हें धूप में अच्छी तरह सुखाए और उसके बाद इन्हें छीलकर ओट्स या दलिया के साथ मिक्स करके खाएं।

19. दलिया (Daliya)

दलीय हमेशा से ही सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता हैं। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं जो सेहत बनाने, मसल्स बनाने, शरीर में एनर्जी और स्टैमिना बढ़ाने और पेट की विभिन्न समश्याओं के लिए लाभप्रद होता हैं। दलिया का सेवन आप रोज सुबह नाश्ते में कर सकते हैं और इसमें कुछ ड्राई फ्रूट्स भी मिक्स कर सकते हैं।

20. पीनट बटर (Peanut Butter)

पीनट बटर भी प्रोटीन रिच फूड इन हिंदी (protein rich food in hindi) में शामिल हैं। पीनट बटर मूंगफलियों से बनाया जाता हैं, कच्ची मूंगफलियों को हल्का गर्म करने के बाद ग्राइंड करके इसे बनाया जाता हैं। दो चम्मच पीनट बटर में लगभग 8 ग्राम के आसपास प्रोटीन पाया जाता हैं, साथ ही इसमे हेल्दी फैट और विटामिन ई भी अच्छी मात्रा में पाया जाता हैं। पीनट बटर का इस्तेमाल आप ब्राउन ब्रेड, शेक, पैनकेक, ओट्स आदि के साथ कर सकते हैं।

यह भी पढ़े : पीनट बटर घर पर कैसे बनाये और इसके फायदे

21. व्हे प्रोटीन (Whey Protein)

अगर आप एक्सरसाइज करते हैं और मसल्स बनाना चाहते हैं तो आपके शरीर को ज्यादा मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होगी। प्रोटीन की इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए आप व्हे प्रोटीन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। व्हे प्रोटीन दूध से बनाया जाता हैं, जिसे शाकाहारी लोग भी आराम से ले सकते हैं। एक चम्मच व्हे प्रोटीन पाउडर में लगभग 20 से 24 ग्राम लीन प्रोटीन पाया जाता हैं जो मसल्स बिल्डिंग में बहुत ज्यादा हेल्पफुल होता हैं।

22. ब्राउन राइस (Brown Rice)

ब्राउन राइस यानी भूरे चावल कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का बेहतरीन सोर्स हैं। यह सफेद चावल के मुकाबले ज्यादा पोष्टिक और लाभप्रद माने जाते हैं। भूरे चावल पेट कम करने, मसल गेन करने और शरीर में एनर्जी बढ़ाने में सहायक होते हैं। बॉडी बनाने के लिए प्रोटीन फूड लिस्ट में शामिल ब्राउन राइस को अपनी डाइट में शामिल जरूर करें। (यह भी पढ़े : चावल खाने के फायदे और सही समय )

23. हरि सब्जियां (Green Vegetables)

हरि सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकली, गोभी, ड्रम स्टिक्स व हरि फलियों में भी प्रोटीन अच्छी मात्रा में पाया जाता हैं। साथ ही हरि सब्जियों में कई विटामिन्स और मिनरल्स भी पाए जाते हैं जो हेल्थ, स्किन और बालों के लिए लाभकारी होते हैं। सेहत बनाने के लिए हरी सब्जियों को अपनी डाइट में अवश्य शामिल करें और इन्हें ज्यादातर उबालकर खाने की कोशिश करें।

24. क्विनोआ (Quinoa)

क्विनोआ एक हेल्दी और हाई प्रोटीन फूड (high protein foods in hindi) हैं और इसके कई प्रकार बाजार में मौजूद हैं। क्विनोआ में प्रोटीन के साथ कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, पोटेशियम और कई अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जो वजन कम करने, मसल्स बनाने, मेटाबॉलिस्म को बूस्ट करने, इम्युनिटी बढ़ाने, ब्लड शुगर नियंत्रित रखने और हार्ट को हेल्दी रखने में सहायक होता हैं।

यह भी पढ़े : मोटापा और पेट कम करने का तरीका

25. काजू (Cashews)

काजू के फायदे हेल्थ के लिए बेहतरीन हैं और बादाम की तरह इसमें भी अच्छी म मात्रा में प्रोटीन पाया जाता हैं। काजू ह्रदय रोग, कैंसर, मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों में लाभकारी होता हैं। इसका इस्तेमाल आप मीठे पकवानों के साथ कर सकते हैं या फिर इसे सीधे भी खा सकते हैं। काजू और बादाम जैसे ड्राई फ्रूट्स को आप स्नैक में ले सकते हैं।

प्रोटीन के फायदे | Protein Khane ke Fayde

प्रोटीन फूड लिस्ट (high protein foods in hindi) और सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले फ़ूड (protein rich food in hindi) के बारे में जानने के बाद प्रोटीन के फायदे के बारे में भी जानना जरूरी हैं, आखिर प्रोटीन शरीर के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं।

1. प्रोटीन मांसपेशियों के विकास और वृद्धि में सबसे ज्यादा सहायक होता हैं।

2. हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने ( teeth care ) में प्रोटीन फायदेमंद होता हैं।

3. स्किन और बालों की हेल्थ के लिए भी प्रोटीन बहुत ज्यादा आवश्यक होता हैं।

4. प्रोटीन शरीर में एनर्जी और स्टैमिना बढ़ाने में सहायक होता हैं।

5. शरीर की कमजोरी दूर करने में प्रोटीन फायदेमंद होता हैं।

6. प्रोटीन शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में भी मददगार होता हैं।

7. आंखों की रौशनी के लिए प्रोटीन लाभकारी होता हैं।

8. दिल के स्वास्थ्य के लिए भी प्रोटीन फायदेमंद होता हैं।

9. वजन कम करने में प्रोटीन फूड सबसे ज्यादा मददगार होते हैं।

10. लंबी उम्र तक जवां दिखने के लिए भी प्रोटीन फायदेमंद होता हैं।

एक दिन में कितना प्रोटीन लेना चाहिए

एक सामान्य व्यक्ति को एक दिन में अपने वजन के बराबर प्रोटीन लेना चाहिए। इसके हिसाब से अगर आपका वजन 65 kg हैं तो आपको एक दिन में कम से कम 65g प्रोटीन भोजन से अवश्य लेना चाहिए। जबकि अगर आप एक्सरसाइज करते हैं या मसल्स बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपके शरीर को ज्यादा प्रोटीन की आवश्यकता होगी।

निष्कर्ष – Summery

सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले फूड ( protein rich food in hindi ) या प्रोटीन फूड लिस्ट इन हिंदी (high protein foods in hindi) के बारे में जानने के बाद अब आपको पता चल चुका होगा कि भारत में प्रोटीन फूड्स की कमी नहीं हैं और वेजेटेरियन प्रोटीन सोर्स की भी हमारे देश मे कमी नहीं हैं। कुछ लोगों का कहना हैं कि प्रोटीन केवल मांसहारी भोजन से ही प्राप्त किया जा सकता हैं, जो बिल्कुल ही गलत धारणा हैं। वेजेटेरियन लोगों के लिए प्रोटीन फूड की कोई कमी नहीं हैं।

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Disclaimer : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं हो सकता। इजी लाइफ हिंदी इनकी पुष्टि नहीं करता है, इस तरह के किसी भी उपचार, दवा, डाइट इतियादी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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Deepak Bhatt

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12th notes in hindi

प्रोटीन क्या है , Protein in hindi परिभाषा , प्रकार , प्रोटिन के कार्य , संरचना , पॉलीपेप्टाइड , लिस्ट , फायदे

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Protein in hindi परिभाषा , प्रकार , प्रोटिन के कार्य , संरचना , पॉलीपेप्टाइड , लिस्ट , फायदे , प्रोटीन क्या है , sabse jyada protein kisme hota hai hindi , प्रोटीन युक्त आहार लिस्ट , sabse jyada protein kis dal me paya jata hai टाइप्स ऑफ़ प्रोटीन ?

प्रोटीन (Protein) : प्रोटिन अमीनो अम्ल का बहुलक है जो पेप्टाइड बन्धो (bonds) द्वारा श्रृंखला में जुडी रहती है , अनेक पेप्टाइड बंध बनने के कारण प्रोटीन को पोलीपेप्टाइड भी कहते है | अमीनो अम्लो की प्रकृति के आधार पर प्रोटीन दो प्रकार के होते है –

  • समबहुलक प्रोटीन : ये प्रोटीन एक ही प्रकार के अमीनो अम्ल से निर्मित होती है |
  • विषम बहुलक प्रोटीन : ये प्रोटीन भिन्न भिन्न अमीनो अम्ल के संयोजन से बनती है |

उपलब्धता के आधार पर अमीनो अम्ल दो प्रकार के होते है –

  • अनानिवार्य : ये हमारे शरीर में निर्मित होती है , इन्हें बाहर से ग्रहण करने की आवश्यकता नहीं होती है |
  • अनिवार्य : ये हमारे शरीर में निर्मित नहीं होती है , इनकी आपूर्ति खाद्य पदार्थो द्वारा होती है |

प्रोटीन के कार्य : प्रोटीन शरीर की वृद्धि के आवश्यक है |

प्रोटीन पोषक पदार्थो को कोशिका झिल्ली से अभिगमन में सहायक होते है |

कुछ प्रोटीन संक्रामक जीवों से सुरक्षा करती है |

एम्जाइम प्रोटीन के बने होते है जो उपापचय में सहायक है

प्रोटीन की संरचना : अमीनो अम्लों के संगठन व व्यवस्था के आधार पर प्रोटीन की संरचना चार प्रकार की होती है –

  • प्राथमिक संरचना : इस संरचना में पेप्टाइड बंध के अतिरिक्त अन्य कोई बन्ध नहीं होता है , इसमें एक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला यह दर्शाती है की किसी प्रोटीन विशेष में अमीनों अम्ल किस अनुक्रम में जुड़े है |
  • द्वितीयक संरचना : इस संरचना में पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला कुकलित होकर लड़ी के रूप में व्यवस्थित होती है ,यह घुमती हुई सीडी की तरह प्रतीत होती है , इसमें पेप्टाइड बंध के अतिरिक्त हाइड्रोजन बंध भी पाये जाते है | कुकलित कुण्डलन के कारण अमीनों अम्ल एक दूसरे के पास / समीप आ जाते है तथा श्रृंखला नियमबद्ध पुनरावर्ती के रूप में पाये जाते है |
  • तृतीयक संरचना : इस संरचना में पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला मुड़कर कुंडलित होकर अपने ऊपर ही खोखले गोले निर्माण कर लेती है तथा त्रिआयामी संरचना प्रकट करती है , इसमें हाइड्रोजन बन्ध , डाई सल्फाइड बंध व आयनिक बंध भी पाये जाते है जैविक क्रिया कलापों के लिए प्रोटीन की तृतीयक संरचना आवश्यक है |
  • चतुष्क संरचना : इस संरचना में एक से अधिक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाए होती है , जो एक दूसरे के सापेक्ष व्यवस्थित होती है , जैसे – मनुष्य के हिमोग्लोबिन प्रोटीन |

पॉलीपेपटाइड : सजीव उत्तकों में पॉलीसेकेराइड भी वृहत जैव अणुओ के रूप में मिलते है , पोली सेकेराइड को कार्बोहाइड्रेट या शर्करा भी कहते है , ये मोनोसेकेराइड जैसे ग्लूकोज , गेलेक्टोस , राइबोज , लोक्टोज , मोनो फ्रक्टोज आदि की एक लम्बी श्रृंखला के रूप में जुड़ने से बनती है जैसे – सेलुलोज एक पोलीसेकेराइड है ,

जो ग्लूकोज नामक मोनो सेकेराइड से बना होता है | प्राणियों में ग्लूकोज के बहुलक को ग्लाइकोजन कहते है ये खाद्य भण्डार के रूप में संग्रहित होते है , मोनोसेकेराइड की प्रकृति के आधार पर पॉलीसेकेराइड है –

ये दो प्रकार के होते है –

  • समबहुलक पॉली सेकेराइड : ऐसे पोली सेकेराइड जो एक ही प्रकार के मोनो सेकेराइड से बने हो जैसे सेलुलोज आदि |
  • विषमबहुलक पॉलीसेकेराइड : ऐसे पोलीसेकेराइड जो भिन्न भिन्न मोनो सेकेराइड अणुओं से बना हो जैसे स्टार्च आदि |

मंड (स्टार्च) की संरचना कुण्डलीदार होती है जिसमें आयोडीन अणु जुड़े रहते है जिससे मंड का रंग नीला होता है |

प्रोटीन :  प्रोटीन शब्द “बर्जिलियस” ने दिया था। प्रोटीन एमिनो अम्लो के बहुलक होते है। इन बहुलको में Z-एमीनो अम्ल एक दुसरे के साथ पेप्टाइड (CO-NH) द्वारा जुड़े रहते है। रुबिस्को सर्वाधिक पायी जाने वाली प्रोटीन है।

प्रोटीन एक विषमबहुलक होता है , समबहुलक नहीं। कोलेजन प्रोटीन जन्तु जगत में सर्वाधिक पाई जाती है और रुबिस्को (राइबुलोस डाइफास्फेट कार्बोक्सीलेज ऑक्सीजिनेज) जैव मण्डल में सर्वाधिक पाई जाने वाली प्रोटीन है।

प्रोटिन सर्वाधिक मात्रा में पायी जाती है। ये कोशिका के शुष्क द्रव्यमान का 50% घटक होते है। मानव में कुल 5000000 (पचास लाख) और E.coli में 3000 प्रकार की प्रोटीन पाई जाती है। एड्रीनोकोर्टीकोट्रोपिक हार्मोन (ACTH) , जिसका अणुभार 4500 है , सबसे छोटी प्रोटीन है। प्रोटीन जल में कम विलेय होती है और इसके साथ कोलाइड जटिल बनाते है। एक पोलीपेप्टाइड श्रृंखला वाली प्रोटीन को मोनोमेरिक प्रोटीन कहते है। उदाहरण : राइबोन्यूक्लिएस और मायोग्लोबिन जबकि दो या अधिक पोलीपेप्टाइड श्रृंखला वाले प्रोटीन ओलिगोमेरिक प्रोटीन कहलाते है। उदाहरण : इन्सुलिन।

प्रोटीन जो सभी प्रकार के एमीनो अम्ल सप्लाई करने योग्य होती है (एसेंशियल तथा सेमी-इंडीस्पेंसबल) , complete proteins तथा first class protein कहलाती है।

जंतुओं में पाई जाने वाली प्रोटीन सम्पूर्ण प्रोटीन होती है जबकि पादप प्रोटीन में एक या अधिक आवश्यक अम्लों की कमी होती है। आवश्यकता से अधिक एमिनों अम्लों का डीएमीनेशन हो जाता है और कार्बोहाइड्रेट , वसा में परिवर्तित हो जाते है।

प्रोटीन के गुणधर्म

1. संख्या  : सभी जीवों में कई हजारों प्रकार के प्रोटीन होते है , ये विभिन्न प्रकार निम्न कारणों से सम्भव होते है –

  • पोलीपेप्टाइड श्रृंखला की लम्बाई में विविधता
  • प्रोटीन में पोलीपेप्टाइडो की संख्या और प्रकार
  • पोलीपेप्टाइड श्रृंखला में एमिनों अम्लों के innumerable arrangement की सम्भावना।

एक पोलीपेप्टाइड श्रृंखला जिसमे केवल 40 एमिनो अम्ल लम्बाई में व्यवस्थित है उसमे  20 40  तक अमीनों अम्ल क्रम की व्यवस्थाएं सम्भव होती है जिनमे से प्रत्येक व्यवस्था एक पृथक प्रोटीन समान कार्य करती है।

2. विशेषता  : प्रत्येक जीव विशेष प्रोटीन रखता है , कुछ प्रोटीन सम्बंधित प्रजाति से मिलती जुलती होती है और कुछ प्रोटीन एक समूह में समान होती है। प्रोटीन की समानता और असमानता के आधार पर दो प्रजातियों की समीपता का पता लगने के लिए serum precipitation test किया जाता है।

3. अणुभार  : प्रोटीन का निम्नतम अणुभार ACTH या एड्रीनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (4500 डाल्टन) के बराबर होता है। बोवाइन इन्सुलिन का अणुभार 5733 , सर्वाधिक अणुभार पाइरुवेट डीहाइड्रोजिनेज का होता है , इसका अणुभार 4,600,000 डाल्टन होता है।

4. विलेयता  : कुछ प्रोटीन जल में अविलेय होती है और कुछ इसके साथ कोलाइडी विलयन बनाती है। इनकी कोलाइड प्रकृति प्रोटीन के कई बड़े आकार के अणुओं के कारण होती है। हिस्टोन प्रोटीन जल में घुलनशील होती है।

5. उभयआयनिक प्रकृति  : एक प्रोटीन अणु के एमिनो अम्लों के R-समूह में संख्या में कई धनात्मक और ऋणात्मक आवेश होते है।

6. क्रियाशीलता  : एक प्रोटीन अणु में संख्या में कई क्रियात्मक समूह होते है।

7. डीनेचुरेशन  : यह त्रिविमीय आयाम की हानि होती है यह स्थायी या अस्थायी हो सकता है। इसके कारक निम्न है –

  • Ultraviolet विकिरण
  • ऊष्मा और अवरक्त विकिरण
  • प्रबल क्षार
  • लवणों की अधिक सांद्रता

रीनेचुरेशन : जब तक की प्रोटीन का आकाशिक विन्यास पूर्णतया नहीं टूटता , तब तक टूटे हुए या अवलयित प्रोटीन अणु वापस वलयित होकर वास्तविक स्थिति में आ सकते है , इसे रीनेचुरेशन कहते है।

प्रोटीन की संरचना

प्रोटीन अणु संरचनात्मक संगठन के विभिन्न स्तर दर्शाते है। ये प्राथमिक , द्वितीयक , तृतीयक और चतुर्थक स्तर , संगठन स्तर है।

1. प्राथमिक संरचना  : ये ट्रांसलेशन और ट्रांसक्रिप्शन से बनी प्रोटीन की आधारभूत संरचना को व्यक्त करते है। इसका क्रम कोशिका के केन्द्रक के डीएनए में न्युक्लियोटाइड त्रिक के क्रम से निश्चित किया जाता है परन्तु एक कोशिका में पोलीपेप्टाइड , क्रियात्मक नहीं होते है। इन्हें निश्चित परिवर्तित होकर क्रियात्मक होना होता है। (post transtitional changes ) ठीक तरह से कार्य के लिए इन्हें त्रिविमीय रूप में होना चाहिए। एक प्राथमिक प्रोटीन में कोई भी या सभी 20 अमीनों अम्ल किसी भी क्रम और मात्रा में हो सकते है। अमीनो अम्लों का क्रम प्रोटीन अणु में बंध वलयों और जुड़ाव बिन्दुओं को सुनिश्चित करता है। प्राथमिक संरचना पूर्णतया सहसंयोजक बंध (पेप्टाइड बंध) द्वारा निश्चित होती है।

एक प्रोटीन में एक कल्पनात्मक रेखा के रूप में बायाँ छोर प्रथम अमीनों अम्ल द्वारा दायाँ छोर अंतिम अमीनो अम्ल द्वारा प्रदर्शित होता है। प्रथम अमीनों अम्ल N-टर्मिनल अमीनो अम्ल कहलाता है और अंतिम एमिनो अम्ल C-टर्मिनल अमीनों अम्ल कहलाता है।

2. प्रोटीन संरचना  : प्रोटीन को क्रियात्मक बनाने के लिए इनमे वलय और कुण्डली (पोलीपेप्टाइड श्रृंखला की) होती है जो त्रिविमीय संरचना प्रदान करने के लिए हाइड्रोजन बंध द्वारा जुडी होती है। बंध प्रोटीन की विभिन्न पोलीपेप्टाइडो के मध्य या एक पोलीपेप्टाइड श्रृंखला के अणुओं के मध्य बन सकते है। तीन आधारभूत प्रकार की हेलिक्स , द्वितीयक संरचना को प्रदर्शित करने में उपयोग की जाती है। उदाहरण : α-हेलिक्स , β-pleated sheet and collagen हेलिक्स

(i) α-हेलिक्स  : जब एक पोलीपेप्टाइड श्रृंखला एक काल्पनिक अक्ष पर नियमित सर्पित और वलयाकार रूप में होती है तो यह α-हेलिक्स कहलाती है। उदाहरण : बाल , नाखुनो , पंजो में किरेटिन। α-हेलिक्स की coils संरचना हाइड्रोजन बंध द्वारा बनी रहती है। R-समूह α-हेलिक्स की बाह्य अवस्था की तरफ होता है। ग्लाईसीन और प्रोलिन हाइड्रोजन बंध नहीं बना पाते है हेलिक्स ब्रेकर कहलाते है। α-हेलिक्स की तीव्रता 5.4 A होती है। α-हेलिक्स के प्रत्येक टर्न में 3.5 एमिनों अम्ल होते है। α-हेलिक्स फाइब्रस और ग्लोबुलर दोनों प्रोटीन में पाया जाता है।

(ii) β-प्लेटेड शीट (β-pleated sheet)  : जब दो या अधिक पेप्टाइड श्रृंखलाएं एक प्लेटेड शीट के समान संरचना बनाने के लिए हाइड्रोजन बंध द्वारा आपस में जुड़ जाती है , तो यह β-प्लेटेड शीट कहलाती है। यह श्रृंखलाएं समानांतर या असमानांतर हो सकती है। सामान्तर β-प्लेटेड शीट में पोलीपेप्टाइड बिंदु के समीप वाले Strands के N अणु समान दिशा में होते है। (उदाहरण : β-पंखो में β-किरेटिन) जबकि असमानांतर β-प्लेटेड शीट में विपरीत दिशा में होती है। (उदाहरण : सिल्क फ़ाइब्रोइन)

अधिकतम हाइड्रोजन बन्धुता असमानांतर संरचना में होती है β-प्लेटेड शीट 7.0A तीव्रता दर्शाती है। (कृत्रिम सिल्क एक पॉलीसैकेराइड है।)

(iii) कॉलेजन हेलिक्स (collagen helix)  : कॉलेजन में बड़ी संख्या में ग्लाईसीन और प्रोलीन पाया जाता है इसके कारण यह α-हेलिक्स नही बना पाता , इनमे सामान्यतया α-हेलिक्स युक्त तीन पोलीपेप्टाइड श्रृंखलाएं परस्पर कुंडलित अवस्था में व्यवस्थित होकर दक्षिणावर्त सुपर हेलिक्स बनाती है। तीसरा सूत्र पुनः हाइड्रोजन बन्धो द्वारा व्यवस्थित होकर मजबूती प्रदान करता है , उदाहरण : कॉलेजन तन्तु।

3. तृतीयक संरचना (Tertiary structure or native state)  : इसके अंतर्गत α-हेलिक्स अथवा β-प्लेटेड पेप्टाइड श्रृंखलाएं परस्पर वलित होकर एक जटिल और विशिष्ट संरचनाएँ जैसे शलाकाएँ , गोले या तन्तु जैसे प्रोटीन अणु बनाते है। इस संरचना में ध्रुवीय पाशर्व श्रृंखलाएं दिखाई देती है जबकि अध्रुवीय अमीनों अम्लो की पाशर्व श्रृंखलाएं वलनों के मध्य में छिपी रहती है। तृतीयक संरचना को विभिन्न प्रकार के असहसंयोजी बंध बनाये रखते है जैसे हाइड्रोजन बंध , आयनिक बंध , जल स्नेही जल विरागी बंध , डाइसल्फाइड बंध , वांडरवाल अभिक्रियाएँ आदि।

हाइड्रोजन बंध का निर्माण तब होता है जब दो ऋण विद्युती समूह हाइड्रोजन अणुओं के स्ट्रेंड में होकर परस्पर संयोजित होते है। आयनिक बंध का निर्माण दो विपरीत आवेशित समूहों के विध्रुवीय आकर्षण पर होता है। डाइसल्फाइड बंध सभी बन्धो में प्रबलतम होता है जो दो सिस्टीन के रूप में सल्फरयुक्त दो एमिनो अम्लों के मध्य बनता है। उदाहरण : दो सिस्टीन अवशेषों के मध्य S-समूह।

जलावरोधी आकर्षण में अध्रुवीय समूहों द्वारा जल निष्कासित किया जाता है जिससे ये जल के सम्पर्क में नहीं होते है। वांडरवाल बंध तभी बनते है जबकि दो अणु द्विध्रुव प्रदान करने के लिए आवेश अस्थिरता प्रेरित करने के लिए एक दुसरे के बहुत समीप आ जाते है। प्रोटीन की तृतीयक संरचना उच्च ऊर्जा विकिरणों , उच्च ताप , pH परिवर्तन , प्रबल लवणों और भारी धातुओं द्वारा आसानी से तोड़ी जा सकती है। ये कारक प्रोटीन डीनेचुरेशन के कारक हो सकते है। कभी कभी प्रोटीन निम्न ताप और विभिन्न रसायनों द्वारा स्कंदित किया जा सकता है। तृतीयक संरचना दर्शाने वाली प्रोटीन का उदाहरण मायोग्लोबिन है जो एक ग्लोब्युलर प्रोटीन है। तृतीयक संरचना हमे प्रोटीन का (त्रिविमीय) 3-dimensional दृश्य प्रदान करती है। यह संरचना प्रोटीन की कई जैविक क्रियाओ के लिए अत्यावश्यक होती है।

4. चतुर्थक संरचना  : कुछ प्रोटीन एक से अधिक पोलीपेप्टाइड रखते है। जिस प्रकार से ये एकल उपइकाइयाँ आपस में व्यवस्थित होती है , इसे प्रोटीन की चतुर्थक संरचना कहते है। इसमें 2 या अधिक , दुर्बल बन्धो से जुडी Identical या non identical पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला सममित है। उदाहरण : हीमोग्लोबिन चार पोलीपेप्टाइड से बनता है , 2 α और 2 β पोलीपेप्टाइड श्रृंखला

प्रोटीन को उनकी भौतिक संरचना , संगठन और उनके अणुओं की प्रकृति और कार्य के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है –

(A) भौतिक संरचना के आधार पर प्रोटीन अणु

इस आधार पर ये तीन प्रकार के होते है –

(a) तंतुमय प्रोटीन  : इन्हें स्कलेरोप्रोटीन भी कहते है। ये लम्बे तंतुओ के रूप में होती है जो शक्ति , दृढ़ता और लचीलापन (अंत: या बाह्य कोशिकीय पदार्थ के लिए) प्रदान करते है। यह जल में अविलेय तथा प्रकृति से संकुचनशील होते है। इसमें सफ़ेद संयोजी उत्तक के कॉलेजन तन्तु , त्वचा की एपिडर्मल स्तर में पाया जाने वाला किरेटिन (सिंग पंख तथा नाखूनों का कीरेटिन) , yellow संयोजी उत्तक में इलास्टिन रक्त थक्के में फाइब्रिन , सिल्क में फाइब्रिन और पेशियों में एक्टिन और मायोसीन शामिल होते है।

(b) गोलाकार प्रोटीन  : येे असंकुचनशील और गोलाकार प्रोटीन होती है जो कि जल में विलेय होती है। ये ऊष्मा द्वारा स्कंदित नही होती है। उदाहरण : हिस्टोन।

बड़ी ग्लोब्युलर प्रोटीन अघुलनशील और ऊष्मा द्वारा स्कन्दित हो जाती है। और एंजाइम तथा प्लाज्मा झिल्ली के प्रोटीन इसमें सम्मिलित होते है। उदाहरण : ग्लूटेलीन , प्रोटेमीन , ग्लोब्युलिन।

एलब्युमिन जल में विलेय होते है लेकिन ऊष्मा द्वारा स्कंदित हो जाती है। उदाहरण : egg एल्बूमिन

(c) मध्यवर्ती प्रोटीन  : ये न तो तंतुमय और न ही ग्लोब्युलर होती है। मायोसीन कुछ 17 एमिनो अम्लो के साथ (इसकी पोलीपेप्टाइड श्रृंखला में) तंतुमय नहीं होता है लेकिन विलयन में विस्तारित स्वरूप में होते है। फाइब्रिनोजन एक विलेय प्रोटीन है जो कि स्कंदित रक्त में अविलेय फाइब्रिन बनाती है।

(B) रासायनिक संरचना और घटकों के आधार पर प्रोटीन अणु

(c) व्युत्पन्न प्रोटीन, (d) प्रकृति के आधार पर प्रोटीन अणु , (e) कार्य के आधार पर प्रोटीन अणु.

प्रोटीन (protein in hindi)

प्रोटीन अत्यन्त जटिल नाइट्रोजन युक्त पदार्थ ( कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और सल्फर) से बनते हैं, जिसकी रचना 20 अमीनो अम्लों के भिन्न-भिन्न संयोगों से होती है। वैसे मानव शरीर में प्रोटीन का निर्माण कोशिकाओं में रैबोसोम्स करते हैं और निर्माण की सूचना डीएनए के पास होती है। हर कार्य के लिए अलग प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इनको शरीर की छोटी आंत द्वारा नहीं तोड़ा जा सकता है। ये अमीनो अम्ल शरीर के उचित पोषण के लिए बहुत ही जरूरी होते हैं। इसकी कमी से शरीर का विकास रुक जाता है। इनके मुख्य स्रोत सोयाबीन, पनीर, दूध, अण्डा, मछली, दालें, मांस आदि हैं।

प्रोटीन के कार्य

* कोशिकाओं की वृद्धि एवं उनकी मरम्मत करना

* जटिल प्रोटीन मेटाबोलिक प्रक्रियाओं में एन्जाइम का कार्य करना

* हार्मोन का संश्लेषण करना

* हीमोग्लोबिन के रूप में शरीर में गैसीय संवहन का कार्य करना और आवश्यकता पड़ने पर या ग्लूकोज की कमी होने पर शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करना

* एन्टीबॉडीज के रूप में शरीर की सुरक्षा करना। प्रोटीन जैव-उत्प्रेरक और जैविक-नियंत्रण के रूप में भी कार्य करता है

* प्रोटीन की कमी से क्वाशियार्कर एवं मरास्मस नामक रोग हो जाते हैं

* प्रोटीन कोशिकाओं, जीवद्रव और ऊतकों का प्रमुख घटक है।

* अमीनो अम्ल पेप्टाइड बॉन्ड द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। जब दो अमीनो अम्ल एक पेप्टाइड बॉन्ड से जुड़ते हैं तब एक डाइपेप्टाइड बनता है।

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  • प्रोटीन युक्त भारतीय आहार

प्रोटीन युक्त भारतीय आहार - Protein Rich Indian Food in Hindi

प्रोटीन युक्त भारतीय आहार - Protein Rich Indian Food in Hindi

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प्रोटीन हमारे शरीर के लिए अति महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है, यह हमारे शरीर के लगभग हर भाग में पाया जाता है जैसे कि बाल, हड्डी, रक्त, ऊतकों, मांसपेशियों आदि में। प्रोटीन  को शरीर के लिए एक बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में जाना जाता है, जो हमारे शरीर की मांसपेशियों को बनाने, हार्मोन को बनाने और सही से काम करने, टूट-फूट में मरम्मत करने में और हमारे शरीर की अवस्था के अनुसार विकास करने आदि में पूरा योगदान देता है।

प्रोटीन में 20 तरह के एमिनो एसिड्स (amino acids) होते हैं। इनमें से 8 एमिनो एसिड्स काफी जरूरी होते हैं, जो हमें भोजन से प्राप्त होते हैं। बाकी 12 सामान्य एमिनो एसिड्स शरीर में ही उत्पादित किए जाते हैं। उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन्स जैसे अंडे और मांस अन्य प्रोटीन युक्त भोजनों के मुकाबले ज्यादा मात्रा में मांसपेशियों का विकास करने वाले एमिनो एसिड्स प्रदान करते हैं। (और पढ़ें - प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग ) प्रोटीन शरीर में विभिन्न प्रकार की गति से सोखे जाते हैं। उदाहरण के तौर पर व्हे (whey) प्रोटीन तुरंत हजम हो जाता है और केसीन (casein) जो कि दूध में पाये जाने वाला प्रोटीन होता है, वह धीरे धीरे हजम होता है। प्रोटीन के प्राकृतिक स्रोतो में अंडे प्रमुख हैं। अंडे को भोजनों में प्रोटीन का राजा माना जाता है। इसमें सारे 20 एमिनो एसिड्स होते हैं जो कि काफी आसानी से हजम हो जाते हैं। दूध प्रोटीन से भरा होता है। इसमें शरीर की शक्ति में वृद्धि करने वाला पोषक तत्व कैल्शियम  (calcium) भी होता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ मांसाहारी खाद्य पदार्थ में ही प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। शाकाहारी खाद्य पदार्थ में भी प्रोटीन उचित मात्रा में पाएं जाते हैं।

कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है। इस लेख में, हम उन विकल्पों और उनके उपयोगों के विषय में चर्चा करेंगे :

प्रोटीन से भरपूर हैं दालें - Lentils are rich in protein in Hindi

प्रोटीन युक्त आहार है आटा - protein-rich diet is flour in hindi, प्रोटीन के शाकाहारी स्रोत हैं सब्जियां - vegetarian protein source vegetables in hindi, दूध एवं दूध से बने पदार्थ अवश्य लें - milk products are good source of protein in hindi, सूखे मेवे एवं बीज हैं प्रोटीन से भरपूर - dry-fruit and seeds for protein in hindi, राजमा है फायदेमंद - kidney bean for protein in hindi, सोया उत्पाद का करें प्रयोग - soy products for protein-rich meal in hindi, प्रोटीन के लिए खाएं हरी मटर - green peas for protein-rich diet in hindi, प्रोटीन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए लें अंडा - take egg for protein-rich meal in hindi, चिकन से करें प्रोटीन की आवश्यकता पूरी - take chicken for high biological protein in hindi, मछली है प्रोटीन से भरपूर - fish for protein-rich meal in hindi, प्रोटीन से भरपूर अनाज है ओट्स - oats-protein-rich cereal in hindi, प्रोटीन मुक्त आहार है काले चने - black chickpea for protein in hindi.

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दालें भारतीय थाली का एक मुख्य भाग होती हैं। इन्हें वीगन प्रोटीन के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय रसोई में दालें मुख्य भोजन विकल्पों में से एक है। यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के अनुसार, 100 ग्राम दाल में 8-9 ग्राम प्रोटीन होता है। अरहर दाल , मूंग दाल , चना दाल , उडद दाल , मसूर दाल , आदि इस समूह में आते हैं। आप इन दालों का उपयोग सूप , दाल , करी, सब्जी, कोफ्ता या अपनी रोटी में स्टफिंग के रूप में कर सकते हैं।

(और पढ़ें - प्रोटीन शेक के फायदे )

आटे में स्वास्थ्यवर्द्धक प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट  रहता है, जो चयापचय के लक्षण में वृद्धि की संभावना को कम करने में मदद करता है। साथ ही विटामिन बी1 , बी2, बी3, ई, मैग्नीशियम , आयरन , जिंक  और फास्फोरस का सबसे अच्छा स्रोत है जो सामान्य मांसपेशियों और कोशिकाओं के कायाकल्प के लिए जरूरी होता है।

(और पढ़ें - आयरन की कमी के लक्षण )

शरीर को प्रोटीन की जरूरत होती है। हर बार यह सवाल उठता है कि अच्छा और भरपूर प्रोटीन किस खाद्य पदार्थ से मिलेगा। कुछ सब्जियां  हैं जिनमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है जैसे मटर, पालक , शतावरी , मशरूम , फूलगोभी आदि।

भारतीय आहार में डेयरी उत्पाद भोजन के आवश्यक विकल्पों में से एक हैं। इस समूह में दूध , दही , पनीर , छाछ आदि शामिल हैं। 1 कप दूध में 8 ग्राम प्रोटीन होता है। डेयरी उत्पाद प्रोटीन के साथ-साथ, ऊर्जा, वसा, कैल्शियम, फास्फोरस आदि पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। यदि आप वजन कम करने की योजना बना रहे हैं, तो कम वसा वाले दूध के विकल्पों का चयन करके पूरे प्रोटीन की प्राप्ति कर सकते हैं। इस फूड ग्रुप का इस्तेमाल मिल्कशेक, लस्सी, रायता, टिक्की, मसाला छाछ, खीर , कोल्ड कॉफी , करी आदि के तौर पर किया जा सकता है।

(और पढ़ें - वजन कम करने के उपाय )

क्या आप भी मोटापे से परेशान है लाख कोशिशों के बाद भी वजन काम नहीं कर पा रहे है तो आज ही myUpchar आयुर्वेद मेदारोध वेट लॉस जूस को इस्तेमाल करना शुरू करे और अपने वजन को नियंत्रित करे।

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सूखे मेवे और बीज प्रोटीन के साथ-साथ ऊर्जा से भी भरपूर होते हैं, इनके अलावा इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड, ओमेगा 6 फैटी एसिड, विटामिन ई आपके शरीर को स्वस्थ तरीके से कार्य करने में मदद करते हैं। इस फूड ग्रुप में आप बादाम , अखरोट , काजू , पिस्ता , सूरजमुखी के बीज , चिया के बीज , कद्दू के बीज , अलसी के बीज , तिल के बीज आदि ले सकते हैं। आप इन्हें अपने शेक, करी, सलाद आदि में शामिल कर सकते हैं या चाय  के साथ नाश्ते के रूप में भी ले सकते हैं।

राजमा  को अपने आकार के कारण किडनी बीन के नाम से भी जाना जाता है। यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के अनुसार, 100 ग्राम राजमा में 24 ग्राम प्रोटीन होता है। इसके अलावा राजमा ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फाइबर से भी भरपूर होता है। इसे करी, सलाद, कबाब आदि के रूप में लिया जा सकता है।

(और पढ़ें - कम कार्बोहाइड्रेट वाला भारतीय भोजन )

शाकाहारी लैक्टोज-इन्टॉलरेंट  लोगों में सोया उत्पाद काफी पसंद किए जाते हैं। 100 ग्राम सोयाबीन में लगभग 40 ग्राम प्रोटीन होता है। लेकिन कई मिश्रित साक्ष्य हैं जो इसमें फाइटोएस्ट्रोजेन यौगिक की पुष्टि करते हैं, जो कि हार्मोनल समस्याओं को बढ़ा सकते हैं, इसलिए इसे नियमित रूप से लेने से पहले आप अपने डॉक्टर से अवश्य पूछ लें। इस समूह में, आप अपने दैनिक आहार में सोया मिल्क , टोफू  या साबूत सोयाबीन ले सकते हैं।

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हरी मटर का उपयोग आमतौर पर भारतीय खाना पकाने में भोजन के रंग और स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है। 100 ग्राम हरी मटर से 5 ग्राम प्रोटीन होता है। प्रोटीन सहित, इसमें फाइबर, विटामिन ए , सी, के और पोटेशियम की भी अच्छी मात्रा होती है। आप इसे घुघरी (स्नैक), घुघरा (मिठाई), मटर पनीर, निमोना (दाल), करी या हरी मटर की चाट के रूप में भी खा सकते हैं।

(और पढ़ें - पोटैशियम टेस्ट क्यों किया जाता है )

100 ग्राम अंडे  में 12 ग्राम प्रोटीन होता है। इसमें विटामिन ए, विटामिन डी , कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, फोलेट , कोलीन आदि भी पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर को ठीक से काम करने में मदद करते हैं। अंडे में मौजूद पोषक तत्वों के पूरे अवशोषण के लिए, पूरा अंडा (सफेद व जर्दी दोनों) खाने की कोशिश करें। आप इस सुपरफूड को पॉच्ड एग, अंडा भुर्जी, अंडा करी, उबला हुआ या सनी-साइड-अप के रूप में ले सकते हैं।

किसी भी मांसाहारी व्यक्ति के लिए चिकन  पसंदीदा भोजनों में से एक होता है। चिकन अपने उच्च जैविक मूल्य प्रोटीन (हाई बायोलॉजिकल वैल्यू प्रोटीन) के लिए भी जाना जाता है जो हमारे शरीर में पूरी तरह से अवशोषित हो जाता है। यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के अनुसार, 100 ग्राम चिकन में लगभग 0 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 27 ग्राम प्रोटीन होता है। प्रोटीन के अलावा, चिकन में विटामिन बी समूह, कैल्शियम, जस्ता (जिंक), सेलेनियम , ओमेगा 3 फैटी एसिड आदि भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। आप इसे बटर चिकन, सूप, कबाब, सलाद, टिक्का आदि के रूप में ले सकते हैं।

(और पढ़ें - कैल्शियम की कमी के लक्षण )

यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के अनुसार, 100 ग्राम मछली  में लगभग 20 ग्राम प्रोटीन होता है। मछली डीएचए का भी एक अच्छा स्रोत है, जो कि आंखों, दिमाग एवं तंत्रिका तंत्र के विकास में मदद करता है। इसके अलावा मछली को एंटीऑक्सीडेंट , एंटी इंफ्लेमेटरी और न्यूरोट्रॉफिक गुणों के लिए भी जाना जाता है। रावस, बंगाड़ा, सुरमई, रानी, हिलसा आमतौर पर भारत में पाई जाने वाली मछलियां हैं। उपलब्धता के अनुसार आप इनका सेवन कर सकते हैं। इसे फिश करी, टिक्का, फिश फ्राई आदि के रूप में खाया जा सकता है।

अनाजों से कार्बोहाइड्रेट और फाइबर अधिक मात्रा में एवं प्रोटीन कम मात्रा में मिलता है, लेकिन ओट्स एक ऐसा अनाज है, जिसमें 100 ग्राम में 12.5 ग्राम प्रोटीन की प्राप्ति होती है। लेकिन आजकल बाजार में बहुत सारे प्रोसेस्ड और पैकेट वाले ओट्स उपलब्ध हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। इसलिए जब भी आप ओट्स खरीद रहे हों, तो इंस्टेंट ओट्स ना लेकर, रोल्ड ओट्स या स्टील-कट ओट्स का चयन करें। आप इसे दलिया , चीला , उपमा , पोंगल या अपने कटलेट  में बाइंडिंग के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

(और पढ़ें - टेस्टी ओट्स बनाने का तरीका )

शरीर में मजबूती लाने के लिए काले चने का इस्तेमाल काफी पुराने समय से किया जा रहा है। इसके अलावा भूने काले चने और गुड़  का सेवन सबसे पुराने इम्युनिटी बूस्टर के रूप में किया जाता रहा है। काले चने में फाइबर की मात्रा ज्यादा एवं ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो आपके ब्लड शुगर को नियमित करने में, लिपिड या कोलेस्ट्रॉल के स्तर और वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है और कब्ज से भी राहत दिलाता है। 100 ग्राम काले चने में 19 ग्राम प्रोटीन होता है। आप इसे भुने हुए चने, स्प्राउट्स , कबाब, करी आदि के रूप में ले सकते हैं।

(और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल की नॉर्मल रेंज )

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प्रोटीन रिच फ्रूट्स | High Protein Fruits in Hindi

अनुज जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में एमए किया है। अनुज को प्रिंट व ऑनलाइन मीडिया जगत में काम करते हुए करीब 11 वर्ष हो गए हैं। इन्हें एडिटिंग व... more

प्रोटीन एक आवश्यक पोषक तत्व है, जिसे शारीरिक विकास के लिए जरूरी माना जाता है। यह कोशिकाओं की क्षति को ठीक करने के साथ ही नई कोशिकाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। इस कारण इसे बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी बताया गया है ( 1 )। इतना ही नहीं प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन 1.6 ग्राम प्रतिकिलो (शारीरिक वजन के अनुसार) प्रोटीन लेना आवश्यक होता है ( 2 )। वजह यह है कि इसकी कमी लो शुगर, ऊर्जा की कमी, मांसपेशियों में कमजोरी और लिवर की समस्या पैदा कर सकती है ( 3 )। इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम हाई प्रोटीन फ्रूट्स की जानकारी दे रहे हैं। ताकि इन फलों को आहार में शामिल कर प्रोटीन की जरूरी मात्रा को पूरा किया जा सके।

शुरू करते हैं लेख

तो आइए सीधे हम प्रोटीन रिच फ्रूट्स के बारे में विस्तार से जानते हैं।

हाई प्रोटीन फ्रूट्स – Protein Fruits List in Hindi

शरीर के लिए प्रोटीन आवश्यक है, यह तो सभी जानते हैं। मगर, किन फलों के माध्यम से शरीर में प्रोटीन की पूर्ति की जा सकती है, यह समझना भी जरूरी है। इसलिए यहां हम क्रमवार प्रोटीन रिच फ्रूट्स के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

1. अमरूद (Guava)

प्रोटीन रिच फ्रूट्स में अमरुद को शामिल किया जा सकता है। दरअसल, अमरुद में शरीर के लिए जरूरी कई पोषक तत्वों के साथ ही प्रोटीन अच्छी मात्रा में पाया जाता है । वहीं अमरूद का गूदा एंटीऑक्सीडेंट (फ्री रेडिकल्स दूर करने वाला), एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर को कम करने का गुण) व एंटी-निओप्लासिक (कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने वाला) जैसे प्रभावों से समृद्ध होता है। इसके अलावा अमरुद के बीज में एंटीमाइक्रोबियल (बैक्टीरियल इफेक्ट को कम करने वाला) गुण होता है। इतना ही नहीं अमरूद का छिलका खाए जाने वाले खाद्यों के अवशोषण में मदद कर सकता है ( 4 )।

इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि अमरुद शरीर में प्रोटीन की पूर्ति करने के साथ ही शरीर को स्वस्थ्य रखने में भी मददगार हो सकता है। हालांकि, कैंसर एक जानलेवा बीमारी हैं। इसलिए अमरुद का सेवन इस समस्या में केवल राहत पहुंचा सकता है। पूर्ण इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है।

मात्रा : प्रति 100 ग्राम अमरूद में करीब 2.55 ग्राम प्रोटीन होता है ( 5 )।

2. कीवी (Kiwi)

कीवी को चाइनीज गूजबेरी के नाम से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य के लिए कीवी के फायदे कई सारे हैं। यह प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। प्रोटीन के साथ ही इसमें विटामिन-सी, फाइबर, पोटैशियम, विटामिन-ई, फोलेट जैसे कई पोषक तत्व शामिल होते हैं। वहीं यह पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक माना जाता है ( 6 )। इसके अलावा एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अन्य शोध के अनुसार, कीवी में कार्डिओप्रोटेक्टिव (हृदय को सुरक्षा देने वाला) गुण होता है ( 7 )। इस कारण प्रोटीन के अच्छे स्रोत के साथ ही इसे पाचन और हृदय स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी माना जा सकता है।

मात्रा : कीवी की 100 ग्राम मात्रा में करीब 1.06 ग्राम प्रोटीन मौजूद रहता है ( 8 )।

3. खरबूजा (Cantaloupe)

खरबूजे के फायदे कई हैं। इसे मस्कमेलन और कैंटालूप के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रोटीन के साथ ही अन्य कई जरूरी तत्वों से भरपूर होता है ( 9 )। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, खरबूजू में एंटी-कैंसर प्रभाव पाया जाता है, जो शरीर में ट्यूमर को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा इसमें एंटीडायबिटिक यानी ब्लड शुगर को कम करने वाला गुण भी मौजूद होता है, जिस वजह से डायबिटीज पेशेंट्स के लिए भी इसका सेवन फायदेमंद माना जाता है ( 10 )।

ऐसे में प्रोटीन के अच्छे स्रोत के साथ-साथ इसे डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों के लिए भी उपयोगी माना जा सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि कैंसर एक घातक और जानलेवा बीमारी है, जिसका इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है।

मात्रा : लगभग 100 ग्राम खरबूजे में 0.84 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है ( 9 )।

4. कटहल (Jackfruit)

प्रोटीन रिच फ्रूट्स की लिस्ट में कटहल का नाम भी शामिल है ( 11 )। सामान्य तौर पर कटहल की सब्जी बनाकर खाई जाती है, लेकिन असल में यह एक फल है। पका हुआ कटहल खाने में जितना मीठा होता है, सेहत के लिए भी उतना उपयोगी हो सकता है। एनसीबीआई पर उपलब्ध एक शोध के मुताबिक, कटहल में मौजूद पोटैशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है । इसके अलावा यह विटामिन-बी6 का महत्वपूर्ण स्रोत है, जो ह्दय रोग के जोखिम कम करने में मदद कर सकता है ( 12 )।

मात्रा : प्रति 100 ग्राम कटहल में 1.72 ग्राम प्रोटीन की मात्रा होती है ( 11 )।

5. ब्लैकबेरी और रसबेरी (Blackberries and Raspberries)

ब्लैकबेरी और रास्पबेरी खाने में ज्यादातर सभी को पसंद होती हैं। इनका सेवन करने से भी शरीर में प्रोटीन के स्तर को सुधारा जा सकता है। एनसीबीआई पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, प्रोटीन के साथ ही ब्लैकबेरी में सोडियम, कैल्शियम, सेलेनियम, जिंक व फास्फोरस जैसे पोषक तत्व होते हैं। इसके अलावा, इसमें फ्लेवोनोइड्स मौजूद होते हैं, जो हृदय को स्वस्थ रखने में मददगार साबित हो सकते हैं ( 13 )।

वहीं बात करें रास्पबेरी की तो इसमें उच्च स्तर के एंटीऑक्सीडेंट (फ्री रेडिकल्स को नष्ट करने वाला) तत्व मौजूद होते हैं, जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (बैड कोलेस्ट्रॉल) को नियंत्रित रख हृदय संबंधित बीमारी के जोखिम को कम कर सकते हैं। साथ ही इसमें पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेट्री और एंटीऑक्सीडेटिव गुण ब्लड प्रेशर व लिपिड प्रोफाइल को नियंत्रित करने के साथ शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं ( 14 )।

मात्रा: प्रति 100 ग्राम ब्लैकबेरी में 1.39 ग्राम और 100 ग्राम रास्पबेरी में 1.2 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है ( 15 ) ( 16 )।

6. खुबानी (Apricot)

खुबानी अपने स्वाद के कारण दुनियाभर में मशहूर है। शरीर में प्रोटीन की पूर्ती व मांसपेशियों के विकास के लिए खुबानी को डाइट का हिस्सा बनाया जा सकता है। इसके अलावा खुबानी में विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, विटामिन-के और विटामिन-ई भी अच्छी मात्रा में उपस्थित रहते हैं। इतना ही नही खुबानी अपने खास एंटी-एजिंग गुण के कारण भी जाना जाता है। इस गुण की वजह से इसका सेवन बढ़ती उम्र के लक्षणों को रोकने में भी सहायक हो सकता है ( 17 )।

मात्रा : प्रति 100 ग्राम खुबानी में 1.4 ग्राम प्रोटीन शामिल होता है ( 18 )।

7. केला (Banana)

केले का सेवन शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करने के साथ कई अन्य लाभ प्रदर्शित कर सकता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, केला विटामिन-सी, विटामिन-बी 6, प्रोविटामिन-ए, फाइबर, पोटैशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और जिंक जैसे कई पोषक तत्वों से समृद्ध होता है । वहीं स्वास्थ्य लाभ की बात करें तो केले के सेवन से पाचन सुधार, वजन नियंत्रण, आंत व लिवर की समस्या से राहत और बढे शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है ( 19 )।

मात्रा : प्रति 100 ग्राम केला में 1.09 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है ( 20 )।

8. संतरा (Oranges)

यदि प्रोटीन के स्रोत के रूप में किसी स्वादिष्ट फल की तलाश में है तो संतरे का सेवन किया जा सकता है। प्रोटीन के अलावा इसमें फाइबर, पानी और विटामिन्स की भी अच्छी मात्रा होती है। शरीर में विटामिन-सी की कमी को पूरा करने के लिए भी रोजाना एक संतरे का सेवन करने की सलाह दी जाती है। बता दें, विटामिन-सी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के साथ कई इंफेक्शन से सुरक्षा प्रदान कर सकता है ( 21 )।

मात्रा: संतरे की प्रति 100 ग्राम मात्रा में करीब 0.94 ग्राम प्रोटीन मौजूद होता है ( 22 )।

9. चेरी (Cherries)

दिखने में लाल रंग की खूबसूरत चेरी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी बेहद गुणकारी होती है। प्रोटीन की पूर्ति के लिए इसका सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा यह विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, बीटा कैरोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम और फॉस्पोरस से से भी समृद्ध होती है (23)। वहीं एनसीबीआई पर उपलब्ध एक शोध के अनुसार, चेरी का सेवन ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (मुक्त कणों की अधिकता), इंफ्लामेशन (शरीर में सूजन), ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के साथ ही गठिया के इलाज में मदगार साबित हो सकता है ( 24 )।

मात्रा : 100 ग्राम चेरी में करीब 1.06 ग्राम प्रोटीन होता है ( 23 )।

10. चकोतरा (Grapefruit)

चकोतरा में प्रोटीन के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण विटामिन और मिनिरल्स होते हैं, जिस वजह से इसका सेवन कई रोगों पर सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार, चकोतरा में मौजूद फ्लेवोनोइड्स हृदय संबंधित रोगों के होने के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है। साथ ही इसका सेवन करने से शरीर को प्रोटीन के साथ विटामिन-सी और मैग्नीशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व भी मिल जाते हैं। यह बढ़ते वजन, ट्राइग्लिसराइड (रक्त में पाए जाने वाला एक तरह का वसा है) को नियंत्रित करने के साथ एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (अच्छा कोलेस्ट्रोल) में सुधार कर सकता है ( 25 )।

मात्रा : 100 ग्राम चकोतरा में करीब 0.77 ग्राम प्रोटीन उपस्थित रहता है ( 27 )।

11. आड़ू (Peaches)

आड़ू में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है। इसमें मौजूद अन्य पोषक तत्व विटामिन और मिनिरल्स स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा आड़ू में एंटी-एलर्जी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लामेट्री प्रभाव मौजूद होते हैं। यह सभी प्रभाव संयुक्त रूप से त्वचा को एलर्जी, सूजन और संक्रमण से बचाने में मददगार हो सकते हैं। इतना ही नहीं आड़ू में एंटी-कैंसर गुण भी पाया जाता है, जो कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है (27)। फिर भी यह समझना जरूरी है कि कैंसर एक घातक बीमारी है, जिसका इलाज बिना डॉक्टरी सलाह के संभव नहीं है। आड़ू केवल इस समस्या के जोखिम को कुछ हद तक कम करने में मदद कर सकता है।

मात्रा : प्रति 100 ग्राम आड़ू में प्रोटीन की मात्रा 0.91 ग्राम होती है ( 28 )।

12. गोल्डन किशमिश (Golden raisins)

गोल्डन किशमिश को बिना बीज वाले पीले अंगूरों को सुखाकर तैयार किया जाता है। इसकी गिनती भी हाई प्रोटीन फ्रूट्स में की जाती है । स्वास्थ्य के लिए इसे बेहद लाभकारी माना गया है। यह कई जरूरी एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल (बैक्टीरिया को खत्म करने वाला) गुण से समृद्ध होती है। इसमें फेनोलिक नामक फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो हृदय संबंधी बीमारियों से बचाव करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा गोल्डन किशमिश का सेवन हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (ब्लड कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर), हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप), डायबिटीज व ओरल हेल्थ के इलाज लिए भी लाभकारी माना गया है (29)।

मात्रा : गोल्डन किशमिश में प्रोटीन की मात्रा प्रति 100 ग्राम 3.28 ग्राम होती है ( 29 )।

13. टमाटर (Tomatoes)

टमाटर भी प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत माना जा सकता है। सब्जी में इस्तेमाल किए जाने वाला टमाटर वैज्ञानिक रूप से एक फल है। प्रोटीन के साथ इसमें पोटैशियम, विटामिन-सी, फोलेट और विटामिन-के भी मौजूद होता है। इस कारण सेहत और स्वास्थ्य के नजरिए से भी इसे काफी उपयोगी माना जाता है। वहीं इसमें लाइकोपीन नामक तत्व होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इस कारण टमाटर कैंसर और हृदय रोग के जोखिम को भी काफी हद तक कम कर सकता है। इसके अलावा टमाटर में एंटी-इंफ्लेमेट्री (सूजन कम करने वाला) प्रभाव भी मौजूद होता है, जो शारीरिक सूजन को कम करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है ( 30 )। ध्यान रहे, कैंसर के जोखिम को कम करने में तो यह सहायक हो सकता है, लेकिन कैंसर का उपचार डॉक्टरी इलाज से ही संभव है।

मात्रा : प्रति 100 ग्राम टमाटर में प्रोटीन की मात्रा 0.88 ग्राम पाई जाती है ( 31 )।

14. आलू बुखारा (Prunes)

आलूबुखारा स्वाद में खट्टा-मीठा होता है। इसे प्रून्स और प्लम के नाम से भी जाना जाता है। आलूबुखारा की गिनती भी प्रोटीन रिच फ्रूट्स की श्रेणी में की जाती है। औषधीय गुणों से भरपूर यह फल सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। दरअसल, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण मुक्त कणों के प्रभाव को कम कर शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं । इसके अलावा फाइबर से भरपूर होने के कारण यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी सहायक हो सकता है ( 32 )।

मात्रा : 100 ग्राम आलू बुखारा में करीब 0.70 ग्राम प्रोटीन मौजूद होता है ( 33 )।

15. एवोकाडो (Avocado)

प्रोटीन के स्रोत के रूप में एवोकाडो का सेवन किया जा सकता है। प्रोटीन के अलावा एवोकाडो में पोटेशियम, फाइबर, मैग्नीशियम, विटामिन-ई जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इन पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण एवोकाडो हाइपरटेंशन, टाइप-2 डायबिटीज व हृदय रोग से बचाव में सहायक हो सकता है ( 34 )। लिवर को स्वस्थ रखने में भी एवोकाडो फायदेमंद हो सकता है। इस बात की पुष्टि एवोकाडो पर आधारित वर्ल्ड जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के एक शोध से होती है। इस शोध के मुताबिक, एवोकाडो का सेवन फैटी लिवर के जोखिम को दूर करने में उपयोगी हो सकता है ( 35 )।

मात्रा : प्रति 100 ग्राम एवोकाडो में 2 ग्राम प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है ( 36 )।

लेख के माध्यम से प्रोटीन रिच फ्रूट्स के बारे में आपको पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसके साथ ही आप यह भी जान गए होंगे कि प्रोटीन हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है। शरीर में प्रोटीन की कमी कई बीमारियों को पैदा कर सकती है। ऐसे में अब आप अपनी डाइट में हाई प्रोटीन फ्रूट्स को शामिल कर शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकते हैं। वहीं अगर कोई गंभीर प्रोटीन की कमी से जूझ रहा है तो वह प्रोटीन रिच फ्रूट्स को डाइट में शामिल करने के साथ ही प्रोटीन सप्लीमेंट के विषय में डॉक्टरी परामर्श ले सकता है। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। ऐसे में अन्य लोगों के साथ इस लेख को शेयर करना बिल्कुल भी न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सबसे अधिक प्रोटीन वाला ड्राई फ्रूट कौन सा है?

ड्राई फ्रूट्स की बात करें तो मूंगफली में सबसे अधिक प्रोटीन कंटेंट होता है। 100 ग्राम मूंगफली में 26.2 ग्राम प्रोटीन की मात्रा होती है ( 37 )।

सबसे अधिक प्रोटीन वाला फल कौन सा है?

लेख में हमने आपको हाई प्रोटीन फ्रूट्स के बारे में बताया है। किस फल में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है, इसे लेकर कोई स्पष्ट परिणाम नहीं है। लेकिन लेख में शामिल सभी फलों में से सबसे ज्यादा प्रोटीन की मात्रा अमरूद में पाई जाती है।

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Anuj Joshi चीफ एडिटर

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