biography of steve jobs in hindi

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी

Steve Jobs Jivan Parichay

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक हैं, उन्होंने जिस तरह अपने जीवन में तमाम संघर्षों को झेलकर अपनी जिंदगी में सफलता के नए आयामों को छुआ वो वाकई तारीफ-ए-काबिल हैं।

जॉब्स की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें एक मंदिर में मिलने वाले खाने से अपनी भूख मिटानी पड़ती थी और दोस्त के घर जमीन में सोना पड़ता था।

यहीं नहीं वे अपने जीवन में उस दौर से भी गुजरे जब उन्हें अपनी ही कंपनी एप्पल से निकाल दिया गया था, लेकिन इन सबके बाबजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे। आइए जानते हैं स्टीव जॉब्स के प्रेरणादायक जीवन के बारे में-

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी – Steve Jobs Biography in Hindi

स्टीव जॉब्स की जीवनी एक नजर में – steve jobs information in hindi, स्टीव जॉब्स का जन्म, परिवार, शुरुआती जीवन – steve jobs history.

स्टीव जॉब्स का जन्म और परवरिश भी बाकी लोगों से एकदम अलग है। दऱअसल उनका जन्म 24 फरवरी, 1955 में कैलीफॉर्नियां के सेंट फ्रांसिस्कों में सीरिया के मुस्लिम अब्दुलफत्त: जन्दाली के घर में हुआ था।

उन्होंने जोअत्री सिम्पसन की कोख से जन्म लिया था, हालांकि उस दौरान उनके माता ने शादी नहीं की थी। इसलिए उन्होंने स्टीव को गोद में देने का फैसला किया।

इसके बाद उन्होंने पॉल और क्लारा नाम के एक कपल को जॉब्स को पढ़ने के लिए कॉलेज भेजने के आश्वासन के बाद गोद में दे दिया था।

आपको बता दें कि पॉल, जिन्होंने जॉब्स को गोद लिया था, वे एक मैकेनिक थे, जबकि उनकी मां क्लारा अकाउंटेंट थी, जिन्होंने बाद में एक गैरेज खोल लिया था। वहीं जॉब्स की दिलचस्पी भी शुरु से ही इलैक्ट्रॉनिक्स में थी।

इसलिए वे गैरेज में रखे इलैक्ट्रॉनिक के सामान से छेड़छाड़ करते और हमेशा कुछ नया जानने की कोशिश में लगे रहते थे। इस तरह बचपन में ही जॉब्स ने अपने पिता की मद्द से इलैक्ट्रॉनिक्स का काफी काम सीख लिया था।

वहीं जॉब्स बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा वाले एक कुशाग्र बुद्धि के छात्र थे, हालांकि उन्हें स्कूल जाने से अच्छा घर पर बैठकर किताबें पढ़ना ही लगता था।

स्टीव जॉब्स की शिक्षा एवं शुरुआती करियर – Steve Jobs Education

स्टीव जॉब्स के माता-पिता ने किसी तरह उनकी हाईस्कूल तक तो पढ़ाई का खर्चा उठा लिया, लेकिन इसके बाद जब स्टीव जॉब्स का एडमिशन ऑरगेन के रीड कॉलेज में हुआ, तो यह इतना महंगा था कि स्टी के माता-पिता की पूरी जमा पूंजी इस कॉलेज की फीस में ही खर्च होने लगी, इसलिए पहले सेमेस्टर के बाद ही पैसों की कमी की वजह से स्टीव जॉब्स ने अपना कॉलेज छोड़ने का फैसला लिया।

हालांकि कॉलेज छोड़ने के बाद भी वे कैलीग्राफी (Calligraphy) की क्लास जरूर अटेंड करते थे। कैलीग्राफी, अक्षरों को क्रिएटिव एवं अच्छे तरीके से लिखने की कला होती है।

इस दौरान स्टीव जॉब्स का दोस्ती वोजनियाक से हुई, जिसे भी इनकी तरह ही इलैक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर में दिलचस्पी थी।

स्टीव जॉब्स को अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आर्थिक तंगी की वजह से काफी बुरे दौर से गुजरना पड़ा था। स्टीव जॉब्स के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वे अपने पेट की भूख मिटा सकें, कोक की बॉटल बेचकर किसी तरह अपना गुजारा करते थे, और हर संडे कृष्ण मंदिर इसलिए जाते थे कि क्योंकि वहां फ्री में भरपेट खाना मिलता था, यही नहीं स्टीव जॉब्स ने कई रातें अपने दोस्त के कमरे में फर्श में सोकर गुजारीं थीं।

हालांकि, स्टीव जॉब्स के अंदर दृढ़इच्छाशक्ति और प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी। इसी के चलते उन्हें 1972 में एक वीडियो गेम बनाने वाली डेवलिंग कंपनी में काम करने का मौका मिल गया, लेकिन स्टीव जॉब्स इस जॉब से संतुष्ट नहीं थे और फिर उन्होंने यह नौकरी छोड़ने का फैसला लिया।

वहीं इस नौकरी से जो भी पैसे बचाए उससे वे भारत घूमने के लिए आ गए। दरअसल, स्टीव को भारतीय संस्कृति काफी प्रभावित करती रही हैं और वे यहां आकर अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे।

इसलिए उन्होंने साल 1974 में करीब 7-8 महीने भारत के उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में व्यतीत किए और यहां बौद्ध धर्म की शिक्षा ली।

इसके बाद वे अमेरिका वापस लौट गए, हालांकि अब पहले वाले जॉब्स नहीं रहे, वे पूरी तरह बदल चुके थे और उनका मन भी पूरी तरह एकाग्रचित्त हो गया था। इसके बाद जाकर उन्होंने फिर से जॉब ज्वॉइन कर ली।

सबसे प्रतिष्ठित कंपनी एप्पल के फाउंडर के रुप में – Steve Jobs Apple Founder

स्टीव जॉब्स के सबसे अच्छे दोस्त वोजनियाक ने एक बार अपने पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया, जिसे देख वे बेहद खुश हुए और इसी के बाद जॉब्स को कंप्यूटर बनाने के बिजनेस करने का आइडिया आया।

फिर साल 1976 में जॉब्स ने अपने दोस्त के साथ मिलकर अपने पिता के गैरेज में कम्प्यूटर बनाने का काम शुरु कर दिया, गैरेज से शुरु हुई कंपनी का नाम ”एप्पल” रखा।

इसके बाद इस कंपनी ने एक के बाद एक नए अविष्कार किए और सफलता के नए आयामों को छुआ। साल 1980 में जॉब्स की एप्पल कंपनी एक प्रतिष्ठित एवं विश्व की जानी-मानी कंपनी बन गई थी।

स्टीव को जब अपनी ही कंपनी एप्पल से बाहर निकाला:

स्टीव जॉब्स के जीवन में एक दौर वो भी आया, जब उनकी ही कंपनी ने उन्हें रिजाइन करने के लिए मजबूर किया था।

दअरसल, लगातार कामयाबी हासिल कर रही एप्पल को उस समय ब्रेक लगा जब उनसे एप्पल 3 और फिर लिसा कंप्यूटर (जिसका नाम स्टीव की बेटी के नाम पर रखा गया था) लॉन्च किए। ये दोनों ही प्रोडक्ट बुरी तरह फ्लॉप रहे।

हालांकि फिर बाद में स्टीव ने मैकिनटोश को बनाने में कड़ी मेहनत की और फिर 1984 में लिसा पर बेस्ट सुपर बाउल का बनाकर इसे मैकिनटोश के साथ लॉन्च कर दिया, इसके बाद उन्हें फिर से कामयाबी हासिल हुई।

वहीं इसके बाद एप्पल और IBM साथ मिलकर कंप्यूटर बनाने लगे। अच्छी क्वालिटी के चलते मार्केट में इसकी इतनी डिमांड बढ़ गई कि कंपनी पर ज्यादा से ज्यादा सिस्टम बनाने का प्रेशर पड़ने लगा।

हालांकि स्टीव जॉब्स ने अपनी कंपनी की कॉन्सेप्ट कभी नहीं छिपाया और इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा, क्योंकि कई दूसरी कंपनियों इनके कॉन्सेप्ट को अपनाकर कंप्यूटर बनाकर ग्राहकों को सस्ते दामों पर बेचने लगीं जिसकी वजह से एप्पल को काफी लॉस होने लग और इसके स्टीव जॉब्स को जिम्मेदार मानते हुए उनकी ही कंपनी ने उन पर कंपनी छोड़ देने का प्रेशर बनाया, इसके बाद स्टीव जॉब्स ने 17 सितंबर, 1985 को एप्पल से इस्तीफा दे दिया।

हालांकि, उनके साथ उनके 5 और करीबी सहकर्मियों ने एप्प्ल से इस्तीफा दे दिया।

संघर्ष के समय में बनाया नेक्स्ट कंप्यूटर – Next Computer Company Steve Jobs

वो कहते हैं कि संघर्ष और असफलता ही इंसान के लिए सफलता की राहें खोलता है।

यही हुआ स्टीव जॉब्स के साथ खुद की कंपनी से बाहर निकाले जाने के बाद वे हताश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने इस मौके का फायदा उठाते हुए नेक्सट कंप्यूटर के रुप में नई शुरुआत की, इस दौरान उनकी किस्मत ने भी साथ दिया और उनकी इस कंपनी के लिए एक बड़े बिजनेसमैन पेरॉट ने इन्वेस्ट किया।

इसके बाद 12 अक्टूबर, 1988 को एक इवेंट में नेक्सट कंप्यूटर को लॉन्च किया। हालांकि, नेक्स्ट भी एप्पल की तरह काफी एडवांस था, इसलिए यह महंगा भी बहुत था,जिसके चलते नेक्स्ट को  काफी नुकसान पड़ा।

इसके बाद स्टीव जॉब्स को यह एहसास हो गया और उन्होंने नेक्स्ट कम्यूटर कंपनी को एक सॉफ्टवेयर कंपनी बना दिया इसमें भी उन्होंने काफी सफलता हासिल की।

ग्राफिक्स कंपनी डिज्नी के साथ जॉब्स की पार्टनरशिप – Graphic Disney Companies Partner Steve Jobs

साल 1986 में स्टीव जॉब्स ने एक ग्राफिक्स कंपनी पिक्सर मूवी खऱीदी और डिज्नी के साथ पार्टनरशिप कर ली। इसके बाद स्टीव सफलता की सीढी चढ़ते गए और कभी अपनी जिंदगी में पीछे मुड़कर नहीं देखा।

एप्पल में सीईओ के रुप में वापसी – Apple Ceo Steve Jobs

इसके बाद एप्पल ने 1996 में नेक्स्ट कंपनी खरीदने के लिए स्टीव से बात की और यह डील 427 मिलियन डॉलर में फाइनल हुई। इस बार स्टीव जॉब्स ने सीईओ के रुप में एप्पल कंपनी में वापसी की, लेकिन इस दौरान एप्पल कठिन दौर से गुजर रही थी, इसके बाद स्टीव के मार्गदर्शन में कंपनी ने एप्पल IPOD म्यूजिक प्लेयर और ITunes लॉन्च किए।

इसके बाद 2007 में एप्पल ने अपना पहला मोबाइल फोन लॉन्च कर मोबाइल की दुनिया में क्रांति ला दी, वहीं इसके बाद एक के बाद एक नए-नए प्रोडक्टर लॉन्च कर एप्पल लगातार सफलता के नए पायदानों को छू रहा है।

स्टीव जॉब्स की शादी एवं निजी जीवन – Steve Jobs Life Story

स्टीव जॉब्स को साल 1978 में अपने लव पार्टनर किर्स्टन ब्रेन्नन से एक बेटी लिसा ब्रेन्नन पैदा हुई। इसके बाद उन्होंने साल 1991 में लौरेन पावेल से शादी कर ली। दोनों को रीड, एरिन और ईव नाम की तीन बच्चे पैदा हुए।

स्टीव जॉब्स को मिले अवॉर्ड्स – Steve Jobs Awards

एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स को उनके जीवन में तमाम पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा स्टीव जॉव्स को “नेशनल मैडल ऑफ टेक्नोलॉजी” से नवाजा गया था।
  • स्टीव जॉब्स को “कैलिफ़ोर्निया हाल ऑफ फेम” से सम्मानित किया गया था।
  • स्टीव जॉब्स की उनकी प्रतिष्ठित कंपनी एप्पल के लिए साल 1982 में “मशीन ऑफ द इयर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Steve Jobs Say’s :  Stay Hungry Stay Foolish

स्टीव जॉब्स की मृत्यु – Steve Jobs Death

दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स को अपनी जिंदगी के आखिरी समय में पेनक्रियाटिक कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा था।

कई साल तक इस बीमारी से लड़ने के बाद उन्होंने 2 अक्टूबर, 2011 में कैलीफॉर्निया के पालो ऑल्टो में अपनी अंतिम सांस ली और इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए।

वहीं अपनी मौत से पहले स्टीव जॉब्स ने 24 अगस्त 2011 में टीम कुक को एप्पल के नए सीईओ बनाने की घोषणा की थी।

वहीं आज स्टीव जॉब्स हमारे बीच जरूर नहीं हैं लेकिन एप्पल जैसी प्रतिष्ठित कंपनी की नींव रखने के लिए उनको हमेशा याद किया जाएगा।

स्टीव जॉब्स से जुड़े रोचक एवं दिलचस्प तथ्य – Facts About Steve Jobs

  • स्टीव जॉब्स ने 12 साल की उम्र में पहली बार कंप्यूटर देखा था।
  • स्टीव जॉब्स एक बार जब एप्पल के गार्डन में बैठे थे, तभी उन्होंने अपनी कंपनी का नाम एप्पल रखने का सोचा।
  • स्टीव जॉब्स के महान और प्रेरणात्मक जीवन पर ”जॉब्स” मूवी बन चुकी है, इसके अलावा डिज्नी पिक्सर की फिल्म ”ब्रेव” भी उनके जीवन पर ही समर्पित है।
  • स्टीव जॉब्स भारत में अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए आए थे। इसके अलावा वे भारतीय संस्कृति और परिधानों को भी काफी अधिक पसंद करते थे।
  • स्टीव जॉब्स साल 1974 में भारत आए थे और कई महीने उन्होंने हिमाचल प्रदेश , उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बिताया था।
  • स्टीव जॉब्स महान वैज्ञानिक आइंसटीन को अपना आदर्श मानते थे।
  • स्टीव जॉब्स ने Apple’s Ipod का पहली बार सैंपल देखते हुए उसकी पानी में डाल दिया और फिर हवा के बुलबुलों से यह प्रूफ किया था कि इसे और भी स्मॉल और आर्कषक बनाया जा सकता है।
  • स्टीव जॉब्स को साल 1984 में अपनी ही कंपनी एप्पल से निकाल दिया गया था।
  • स्टीव जॉब्स के पास भी मार्क जुकरबर्ग और बिल गेट्स की तरह कॉलेज डिग्री नहीं थी।
  • स्टीव जॉब्स के बारे में दिलचस्प तो यह है कि वे बिना नंबर प्लेट की गाड़ी चलाते थे।
  • स्टीव जॉब्स बौद्ध धर्म का पालन करते थे।

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स के प्रेरणात्मक विचार – Steve Jobs Quotes

  • ”तुम्हारा समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर बिल्कुल भी व्यर्थ मत करो।”
  • ”शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा अविष्कार है।”
  • ”जो इतने पागल होते हैं, उन्हें लगता है कि वो दुनिया बदल सकते हैं, वे अक्सर बदल देते हैं।”
  • ”डिजाइन सिर्फ यह नहीं है कि चीज कैसी दिखती या फिर महसूस होती है, बल्कि डिजाइन यह है कि वह चीज काम कैसे करती है।”
  • ”कभी-कभी जिंदगी आपके सर पर ईंट से वार करेगी लेकिन अपना भरोसा कभी मत खोइए।”

Note: आपके पास About Steve Jobs in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे। अगर आपको Steve Jobs Life Story in Hindi   language   अच्छी लगे तो जरुर हमें WhatsApp और Facebook  पर Share कीजिये।

17 thoughts on “एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी”

' src=

Great post about Steve jobs thanks for sharing valuable post

' src=

Most valuable post Great Steve jobs

' src=

Steve jobs is life dream

' src=

Thank you so much sharing the biography of Sir Steve Jobs. This is full of inspiration.

' src=

Great post about steve jobs thnx for sharing valuable post

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Gyan ki anmol dhara

Grow with confidence...

  • Computer Courses
  • Programming
  • Competitive
  • AI proficiency
  • Blog English
  • Calculators
  • Work With Us
  • Hire From GyaniPandit

Other Links

  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Refund Policy

1Hindi

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi

इस लेख में एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi पढ़ेंगे। इसमें उनके जन्म, प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, करिअर, विवाह, अवॉर्ड, मृत्यु से जुड़ी जानकारियाँ दी गई है।

Table of Content

दुनिया के विश्वविख्यात एप्पल कंपनी के बारे में तो आपने सुना ही होगा। लेकिन इस कंपनी को सफल बनाने वाले स्टीव जॉब्स के जीवन के विषय में शायद कम लोग ही जानते होंगे।

दुनिया के अधिकतर महान और अमीर लोगों की तरह स्टीव जॉब्स ने भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की है। उनका जीवन सभी के लिए बहुत प्रेरणादाई है। 

वे नेक्स्ट कंपनी के संस्थापक, एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक तथा सीईओ, एक महान आविष्कारक और उद्यमी थे। उन्होंने दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑपरेटिंग सिस्टम्स में से एक ‘मैक’ का निर्माण किया था। 

बिना किसी मजबूत फाइनेंसियल और एजुकेशनल बैकग्राउंड के स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंपनी की स्थापना किया। एप्पल कंपनी के प्रोडक्ट को इस्तेमाल करना सभी की ख्वाहिश होती है। 

स्टीव एक बेहतरीन और अनोखी कला के धनी थे, जो था ‘जिज्ञासा’। स्टीव जॉब्स मानते थे, कि जिज्ञासा दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा है, जिसने इसमें महारत हासिल कर ली उसे आगे बढ़ने से कोई भी नहीं रोक सकता। 

नई चीजों को सीखना कभी बंद न करने वाले स्टीव जॉब्स के इस कला ने ही उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनकी मृत्यु के पश्चात आज भी एप्पल कंपनी दुनिया की नंबर वन कंपनी है। 

स्टीव जॉब्स जन्म व प्रारंभिक जीवन Steve Jobs Birth and Early Life

यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में 24 फरवरी 1955 में स्टीव जॉब्स का जन्म हुआ था। उनके वास्तविक माता पिता जोआन शिबल और अब्दुल फतह जन्दाली थे। 

अब्दुल फतह सीरिया देश के मुसलमान नागरिक थे, जो विस्कंसिन यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने आए थे। और उनकी मां जोआन शिबल भी उसी यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी। 

दोनों की मुलाकात हुई और कुछ समय बाद वे रिलेशनशिप में आ गए। शिबल एक कैथोलिक परिवार से थी, जिसके कारण उनके पिता ने एक मुसलमान से रिश्ता रखना और उससे शादी करने की अनुमति नहीं दी। उसके बाद शिबल गर्भवती हो गई और उन्होंने स्टीव को जन्म दिया। 

परिवार के डर से शिबल ने नवजात शिशु को एडॉप्शन के लिए कुछ शर्तों के साथ भेज दिया। इसके बाद एक कैथोलिक दंपत्ति ने उन्हें गोद ले लिया। अब स्टीव के दत्तक पिता पॉल जॉब्स और मां क्लारा जॉब्स थीं। 

पॉल जॉब्स पेशे से एक इंजीनियर थे। नए नए उपकरणों का निर्माण करना उन्हें बहुत पसंद था। स्टीव जॉब्स पर भी  उनके पिता के पेशे का प्रभाव पड़ा। स्टीव जब थोड़े बड़े हुए तो उनकी रूचि इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स चीजों में बढ़ने लगी। 

उन्हें बचपन में दोस्त बनाना बिल्कुल भी नहीं पसंद था। यहां तक कि वह स्कूल में भी अकेले ही बैठे रहते थे। स्टीव एक शरारती और पढ़ने में बहुत कमजोर बच्चे थे। 1967 में उनका परिवार कैलिफोर्निया में रहने चला गया, जहां एक अच्छे स्कूल में स्टीव का दाखिला करवाया गया।

स्टीव जॉब्स की शिक्षा Steve Job Education in Hindi

कैलिफोर्निया में रहने के पश्चात स्टीव का एडमिशन एक होमस्टेड हाई स्कूल में करवाया गया। साल 1968 में स्कूल के प्रथम वर्ष में स्टीव जॉब की मुलाकात बिल फर्नांडीस से हुई। 

बिल ने उन्हें अपने एक परिचित दोस्त स्टीव वोजनियाक से मिलवाया। देखते देखते जॉब्स और वोजनियाक की दोस्ती बहुत गहरी हो गई। स्टीव जॉब्स का मन अब धीरे-धीरे पढ़ाई से उठने लगा था। 

वे क्लास में उसी विषय का लेक्चर अटेंड करते, जिसमें उन्हें रूचि होती थी। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और साहित्य में बहुत दिलचस्पी थी, इसलिए वे केवल अपने मनपसंद विषय को ही पढ़ते थे। 

1971 तक उन्होंने अपने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली और अगले वर्ष पार्टलैंड के रीड कॉलेज में दाखिला करवाया। सुप्रसिद्ध कॉलेज होने के कारण वहां की पढ़ाई भी बहुत महंगी थी, जिसकी फीस भरना स्टीव जॉब्स के माता पिता के बस से बाहर हो रहा था। 

घर से दूर रहकर एक शेयर्ड हॉस्टल में स्टीव जॉब्स ने अपने कॉलेज में एडमिशन तो ले लिया था, लेकिन आगे की पढ़ाई करने की हैसियत नहीं थी। 

स्टीव जॉब्स ने एक सेमेस्टर की पढ़ाई करने के बाद अपना नाम कॉलेज से वापस ले लिया। उन्होंने यह बात अपने माता-पिता को नहीं बताई। 

वे ऐसी चीजों में अपने माता पिता की जमा पूंजी खर्च नहीं करवाना चाहते थे, जिसमें उन्हें कोई रुचि ही नहीं थी। कॉलेज ड्रॉपआउट होने के बाद स्टीव ने कैलीग्राफी सीखने का निर्णय लिया और माता-पिता से मिलने वाले पॉकेट मनी से उन्होंने कैलीग्राफी कोर्स की फीस भरी और बहुत कुछ नई चीजें सीखी।

स्टीव जॉब्स के करिअर की शुरुवात Start of Steve Jobs Career in Hindi

1974 में कॉलेज छोड़ने के पश्चात अपने माता पिता के पास वापस घर चले गए। अपना खर्चा चलाने के लिए वे नौकरी की तलाश करने लगे इसके बाद उन्हें अटारी नामक कंपनी में टेक्नीशियन का काम मिला। 

कंपनी में उन्होंने कई महीनों तक काम किया, जिससे उनके रोजमर्रा के खर्च के लिए आवश्यकतानुसार पैसे मिल जाया करते थे। स्टीव जॉब्स को आध्यात्मिकता से भी बहुत लगाव था। 

जब वे लंबे समय तक काम करने के कारण डिप्रेस्ड हो गए थे, तो वे अपने जमा किए गए सेविंग को इकट्ठा करके अपने दोस्त के साथ भारत चले गए। 

भारत में उन्होंने लगभग 7 महीने गुजारे और अध्यात्मिक ज्ञान की समझ ली। अमेरिका वापस जाने के बाद स्टीव जॉब्स और उनके दोस्त वोजनियाक साथ मिलकर काम करने लगे। 

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स Apple Founder Steve Jobs in Hindi

वर्ष 1976 में वोजनियाक ने एक एप्पल प्रथम कंप्यूटर बनाया और इसे अपने अन्य साथियों और स्टीव जॉब्स के सामने प्रदर्शित किया। स्टीव जॉब्स, वोजनियाक  और रोनाल्ड वायने ने एक साथ मिलकर उसी वर्ष एप्पल नामक कंपनी की स्थापना कर दी। 

शुरुआत में तीनों मुख्य सदस्यों ने इस कंपनी में इन्वेस्टमेंट किया। कंपनी को सबसे पहले एक छोटे से गैरेज में खोला गया था। 

स्टीव जॉब्स और वोजनियाक तो कंपनी के काम में लगे रहे, लेकिन रोनाल्ड वायने ज्यादा दिन तक कंपनी से जुड़े नहीं रह सके। स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त वोजनियाक को कंपनी के संचालक और फाउंडर के रूप में लंबे समय तक रहने दिया।

कंपनी के निर्माण के बाद उसमें अब बड़ी इन्वेस्टमेंट की जरूरत थी, जिसके लिए वोजनियाक ने अपने एक एचपी कैलकुलेटर और स्टीव जॉब्स ने अपने वॉल्सवैगन  वेन को बेच दिया। 

अधिक पूंजी की आवश्यकता पड़ने पर स्टीव और उनके दोस्त ने एप्पल प्रथम कंप्यूटर के कई इकाइयों को बेचना शुरू कर दिया, जिससे काफी पैसे आना शुरू हो गए थे। धीरे-धीरे करके उनकी कंपनी लोगों के बीच मशहूर होती गई। 

कुछ सालों बाद 24 जनवरी 1984 में मैकिनटोश कंप्यूटर को स्टीव जॉब्स ने लांच किया। उस समय माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज सॉफ्टवेयर आईबीएम के कंप्यूटर में आना शुरू हो गए थे। यह स्टीव जॉब्स के मैकिनटोश कंप्यूटर को सीधे चुनौती दे रहा था। 

उस समय उसकी ज्यादा बिक्री भी नहीं हो रही थी, क्योंकि स्टीव जॉब्स के यह कंप्यूटर बहुत महंगे और अमीरों की पहुंच के अंदर ही आया करते थे। लेकिन आईबीएम के कंप्यूटर मध्यम वर्गीय लोग भी उपयोग कर सकते थे। 

देखते-देखते मैकिनटोश कंप्यूटर के शेयर मार्केट में बहुत नीचे गिरते गए, जिससे कंपनी को भारी नुकसान पहुंचा। कंपनी को होने वाले इतने बड़े घाटे के कारण एप्पल कंपनी के ही एक बोर्ड डायरेक्टर स्कली ने स्टीव जॉब्स को एप्पल कंपनी के सीईओ पद से हटा दिया। 

अपने ही कंपनी से बेदखल करने के बाद स्टीव जॉब्स ने खुद रिजाइन कर दिया, जिसके बाद उनके कई साथियों ने भी कंपनी छोड़ दी। 

वर्ष 1985 में जॉब्स ने “नेक्स्ट” नाम की एक कंपनी स्थापित की। प्रारंभ में कंपनी को चलाने के लिए पैसे की आवश्यकता थी, जिसे रोस पेराट नामक एक बड़े इन्वेस्टर व मिलेनियर ने इसकी आपूर्ति की। 

उन्होंने स्टीव जॉब्स की कंपनी में बहुत बड़ा निवेश किया, जिससे कंपनी चल पड़ी। नेक्स्ट कंपनी ने कंप्यूटर का निर्माण किया, जो स्टीव जॉब्स के लाइफ चेंजिंग के रूप में जाना गया। 

नेक्स्ट कंपनी के कंप्यूटर मुख्यतः तकनीकी प्रायोगिकी ,  शैक्षणिक समुदाय, वैज्ञानिकों और फाइनेंस इत्यादि के उद्देश्य से बनाए गए थे। स्टीव जॉब्स द्वारा निर्मित यह कंप्यूटर हाई क्वालिटी के थे और बाजार में भी बहुत महंगे लगभग $10000 से भी ज्यादा मूल्य के थे। 

1997 में एप्पल ने ही जॉब्स के इस नेक्स्ट कंपनी को खरीद लिया। कंपनी के लोगों को यह समझ आ गया था, कि यदि माइक्रोसॉफ्ट और दूसरे प्रतिस्पर्धियों का कोई सामना कर सकता है, तो वह केवल स्टीव जॉब्स हैं। 

डील होने के बाद स्टीव जॉब्स को एप्पल ने फिर से सीईओ का पद लौटा दिया। कंपनी में वापस आते ही स्टीव जॉब्स ने ग्राहकों के मांग के अनुसार उच्च गुणवत्ता और सामान्य मूल्य वाले प्रोडक्ट लॉन्च करने शुरू कर दिए।

यूजर फ्रेंडली, भाव में सामान्य और शानदार क्वालिटी वाले कुछ प्रोडक्ट जिनमें आईपैड, आईमैक और आईफोन इत्यादि शामिल थे, सर्वप्रथम उन्हें बाजार में लांच किया गया। जॉब्स ने एप्पल कंपनी को इतनी ऊंचाई तक पहुंचा दिया, कि अब कोई भी उनकी बराबरी नहीं कर सकता था। 

स्टीव जॉब्स के कारण ही एप्पल और उनके बाकी कंपनियों के शेयर दिन-ब-दिन आसमान छूते गए। तब से लेकर आज तक मार्केट में केवल एक ही नाम चलता है वह एप्पल कंपनी का। 

विवाह व निजी जीवन Marriage and Personal Life of Steve Jobs in Hindi

वर्ष 1991 में स्टीव जॉब्स का विवाह लोरेन पॉवेल से हुआ। कुछ समय बाद ही उनके पुत्र रीड जॉब्स और बेटियां लिसा ब्रेनन्न जॉब्स, एरिन जॉब्स तथा इव जॉब्स का जन्म हुआ। 

वैसे तो स्टीव ईसाई धर्म में पैदा हुए थे, लेकिन अध्यात्म की दुनिया से जुड़े भारत से भी उनका बड़ा लगाव था। जब उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी, तो वो भारत आए और यहां रह कर आंतरिक शांति और ज्ञानवर्धक चीजें सीखी। 

कैलिफोर्निया में पढ़ाई करने के दरमियान स्टीव जॉब्स के पास पैसे नहीं हुआ करते थे, इसलिए वे रोज कई मील पैदल चलकर राधा कृष्ण के स्कॉन टेंपल जाते थे और वहां भगवान का प्रसाद खाकर अपना पेट भरते थे। 

पुरस्कार Award

  • टाइम मैगजीन द्वारा 1982 में एप्पल कंप्यूटर को “मशीन ऑफ द ईयर” का खिताब प्रदान किया गया।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा 1985 में स्टीव जॉब्स को “नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी” और उसी साल “साम्युएल एस बिएर्ड पुरस्कार” 1985 से नवाजा गया। 
  • फॉर्चून मैगजीन द्वारा 2007 में उन्हें उद्योग की दुनिया में सबसे शक्तिशाली पुरुष का खिताब प्रदान किया गया। और उसी साल ‘कैलिफोर्निया हाल ऑफ फेम’ सम्मान भी दिया गया था।
  • फॉर्ब्स लिस्ट में “पर्सन ऑफ द ईयर” का खिताब 2010 में स्टीव जॉब्स को दिया गया। 
  • मरणोपरांत 12 फरवरी 2012 में “ग्रैमी न्यासी पुरस्कार” भी मिला।
  • इसके अलावा स्टीव जॉब्स के जीवन पर आधारित दो फिल्में ‘जॉन कार्टर’ और ‘ब्रेव’ उनके सम्मान में बनाई गई। 

स्टीव जॉब्स की मृत्यु Death of Steve Jobs in Hindi

स्टीव जॉब्स को कैंसर की गंभीर बीमारी थी, यह बात उन्हें अक्टूबर 2003 में पता चली। कुछ साल बाद 24 अगस्त 2011 में वे खुद सीईओ पद से हट गए और अपनी जगह टीम कुक को कंपनी का सीईओ बना दिया तथा खुद चेयरमैन के रूप में काम करते रहे। 

2004 में पहली बार उनकी सर्जरी हुई और सफलतापूर्वक ट्यूमर को निकाला गया। 2009 में उनका स्वास्थ्य फिर एक बार बिगड़ा, लेकिन वे कंपनी में निरंतर काम करते रहे। 

इतनी गंभीर बीमारी के बाद भी उनका लक्ष्य कभी भी उन्हें घर बैठने की इजाजत नहीं देता था। 5 अक्टूबर 2011 में एक बार फिर स्टीव जॉब्स की तबीयत बहुत खराब हो गई और कैलिफोर्निया के पालो अल्टो में उन्होंने अंतिम सांसे ली। 

स्टीव जॉब्स से जुड़े रोचक तथ्य Interesting Facts About Steve Jobs in Hindi

  • स्टीव जॉब्स को समर्पित एक बेहद प्रसिद्ध डिजनी पिक्सर द्वारा बनाई गई ब्रेव फिल्म थी, जो बहुत मशहूर हुई।
  • कहते हैं कि अपनी कंपनी का नाम स्टीव जॉब्स को सेब के एक बगीचे में बैठे बैठे सूझा, जिसके बाद उन्होंने एप्पल कंपनी का निर्माण किया।
  • दुनिया के सबसे जाने-माने अरबपतियों में से एक स्टीव जॉब्स ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई अधूरी ही छोड़ दी थी।
  • स्टीव जॉब्स को भारत देश से बहुत लगाव था और वह वहां की संस्कृति और धर्म से बहुत प्रभावित थे। 
  •  एप्पल कंपनी के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स को उनके ही कंपनी से बेदखल कर दिया गया था।
  • दुनिया के सबसे पावरफुल बिजनेसमैन में स्टीव जॉब्स का नाम भी आ चुका है। 

उनके कुछ प्रेरणादायक सुविचार (Steve Jobs Quotes in Hindi)

  • छोटी- छोटी सफलताओं का जश्न मनाने से बेहतर है, कि पिछली असफलताओ से कुछ सीखा जाए।
  • आपको क्या नहीं करना चाहिए, यह निर्णय लेना भी उतना ही ज़रूरी है, जितना यह तय करना कि क्या करना चाहिए।
  • किसी भी कंपनी की प्रतिभा और सफलता उसके द्वारा बनाए गए प्रॉडक्ट्स के क्वालिटी पर निर्भर करता है।
  • आपके पास सीमित समय है, इसलिए इसे दूसरों को खुश करने में बर्बाद करने के बजाय सही चीज़ों में खर्च करिए।
  • एक बड़ी कंपनी को खड़ा करने और सफ़ल बनाने में किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक मजबूत टीम की जरुरत होती है।
  • नेवी जॉइन करने के बजाय एक समुद्री लड़ाकू बनना ज्यादा मजेदार है।
  • वो पागल लोग जो यह सोचते हैं, कि इस दुनिया को वो बदल सकते हैं, यकीनन वही ऐसे सिरफिरे लोग होते हैं जो सच में इस दुनिया को बदल देते हैं।

1 thought on “एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi”

Apple iPhone is most famous in the world

Leave a Comment Cancel reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed .

YourHindiQuotes

Steve Jobs Biography in Hindi : स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय / यात्रा?

Steve Jobs Biography in Hindi

Steve Jobs Biography In Hindi के इस लेख में, हम, आपको Apple कम्पनी जो कि Computer, Laptop or Mobile बनाने वाली कम्पनी जो कि, ना केवल भारत में, लोकप्रिय और प्रसिद्ध हैं बल्कि दुनिया भर में इसकी गहरी धाक है और जिसके निर्माण कर्ता कोई और नहीं बल्कि 56 वर्षीय Steve Jobs हैं जो आज ना केवल मोबाइल की दुनिया के लिए प्रेरणा स्रोत है बल्कि हमारे युवाओँ के लिए मिशाल है जिनसे प्रेरणा लेकर वे अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

तुम्हारा समय सीमित है इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जीकर  बिलकुल भी व्यर्थ मत करों। – Steve Jobs Quotes

Steve Jobs ही हमारे इस लेख का मूल केंद्र होने वाले है और इसीलिए हम, अपने इस लेख में, आपको स्टीव जॉब्स का पूरा जीवन परिचय अर्थात् Steve Jobs biography in Hindi की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे और साथ ही साथ Steve Jobs net worth के बारे में, भी बतायेगे ताकि आप उनकी सफलता की ऊंचाई का अंदाजा लगा सकें और उनके व्यक्तित्व को गहराई से पढ़कर उनके प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें।

अन्त, स्टीव जॉब्स के जीवन पर आधारित अपने इस आर्टिकल मे, हमारी कोशिश रहेगी कि, हम आपको Steve Jobs के जीवन के सभी पहलूओँ और पक्षो को समेट कर एक गजह प्रस्तुत करे ताकि आप आसानी से उनके व्यक्तित्व को पढ़ सकें।

लेख में, किन बिंदुओ पर होगी चर्चा?

Steve Jobs Kaun Hai? / स्टीव जॉब्स कौन हैं ?

  • Steve Jobs biography in Hindi? / स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय हिंदी में ?
  • Steve Jobs का जन्म, शिक्षा और प्रारम्भिक जीवन कैसा रहा ?
  • how old is Steve Jobs? स्टीव जॉब्स कितने साल के हैं ?
  • when did Steve Jobs die? / स्टीव जॉब्स की मृत्यु कब हुई थी ?

Steve Jobs को कौन-कौन से अवार्ड्स मिले हैं ?

स्टीव जॉब्स एक, Multi Personality वाले व्यक्ति हैं जिन्होंने ना तो अपना कॉलेज पूरा किया और ना ही उनके पास कोई डिग्री है लेकिन फिर भी Steve Jobs ने सिर्फ 56 साल की आयु में ही दुनिया की Most Popular  मोबाइल फोन अर्थात् Apply का निर्माण किया जिसकी वजह से हम, उन्हें Apply के संस्थापक / Founder के रुप मे, पहचानते हैं।

शायत मौत ही इस जिन्दगी का सबसे बड़ा आविष्कार है। – Steve Jobs Quotes

Steave Jobs ने ना सिर्फ एप्पल मोबाइल फोन का ही निर्माण किया बल्कि साथ ही साथ दुनिया की सबसे Latest and Advanced Technology वाले Mac Operating System का निर्माण किया है जिसके बारे में, आज आधे से अधिक इंजीनियर केवल पढ़ ही रहें है और इधर स्टीव जॉब्स ने, उसका निर्माण कर उसे लांच भी कर दिया हैं।

अन्त, हम, आशा करते है कि, हमने अपने पाठको के इस सवाल अर्थात् Steve Jobs Kaun Hai? / स्टीव जॉब्स कौन हैं ? का जबाव दे दिया होगा और अब हमारे सभी पाठक अच्छे से जान और समझ गये होंगे कि, स्टीव जॉब्स कौन है और उनकी पूरी जीवनी को प्रस्तुत करने के लिए हम, Steve Jobs biography in hindi में, प्रस्तुत कर रहे हैं।

Steve Jobs Biography in Hindi: स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय / यात्रा ?

स्टीव जॉब्स की पूरी जीवनी अर्थात् उनके सम्पूर्ण जीवन परिचय को आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए हम, कुछ बिंदुओं की मदद लेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं –

जो इतने पागल होते है कि, उन्हे लगता है कि, वे दुनिया बदल सकते हैं वे अक्सर बदल देते है। – Steve Jobs Quotes

1. स्टीव जॉब्स का पूरा और मूल नाम क्या है ?

स्टीव जॉब्स का पूरा और मूल नाम स्टीवन पॉल है जिसे संक्षिप्त रुप मे , स्टीव जॉब्स कहा जाता है।

2. Steve Jobs का जन्म कब, कैसे और कहां हुआ था ?

अमेरिकी बिजनेस का चेहरा और आविष्कारक कहे जाने वाले Steve Jobs का जन्म मूलत अमेरिका के California में, मौजूद San Francisco में 24 फरवरी, 1955 को जोअन्नी सिम्पसन ( माता ) और अब्दुलफत्त जन्दाली ( पिता ), दम्पति के यहां हुआ था।

रोचक बात ये है कि, उनके पिता सीरियाई मूल के मुसलमान थे जबकि उनकी माता कैथोलिक थी और उनकी सांक्षी विरासत के रुप मे, Steve Jobs का जन्म हुआ था।

3. Steve Jobs को जन्म के बाद दूसरी दम्पति को गोद क्यूं दिया गया ?

आपको जानकर हैरानी होगी कि, Steve Jobs को उनके जन्म के बाद ही दूसरी दम्पति को गोद दे दिया गया था क्योंकि जैसा कि, हमने आपको बताया कि, उनके पिता सीरियाई मूल के मुसलमान थे जबकि उनकी माता कैथोलिक थी और उनकी Steve Jobs नामक ये सन्तान उनके नाना जी अर्थात् उनकी माता के पिता को मंजूर नहीं थी।

इसके बाद सहमति से फैसला लिया गया कि, Steve Jobs को किसी दूसरी दम्पति को गोद दे दिया जाये जिसके लिए एक पढ़े लिखे दम्पति का चयन भी किया गया लेकिन आखिरी समय में उन्होंने अपना मन बदलते हुए लड़की को गोद ले लिया।

अन्त मे, पॉल व क्लारा नामक दम्पति को Steve Jobs को गोद दिया गया।

4. Steve Jobs की शिक्षा यात्रा कैसे शुरु हुई ?

स्टीव जॉब्स की शिक्षा यात्रा भी बेहद रोचक और दिलचस्प है क्योंकि स्टीव जॉब्स को गोद लेने वाले पॉल व क्लारा साल 1961 में, कैलिफोर्नियां के माउंट व्यू में, रहने गये जहां उन्होंने परिवार चलाने के लिए गैरज खोला।

यहीं से Steve Jobs ने, अपनी शुरुआती शिक्षा का सफर शुरु किया और वे एक बेहतरीन विद्यार्थी भी थे लेकिन उन्हें स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था और ना ही उन्हें अपनी उम्र के दूसरे बच्चो से दोस्ती करनी अच्छी लगती थी जिसकी वजह से वे कक्षा में, सदा अकेले ही बैठते थे।

लेकिन समय बीतने के साथ-साथ उन्हें उन्हीं जैसी रुचियों वाले दूसरे लड़के अर्थात् वोजनिआक से मुलाकात हुई जिसकी दिलचस्पी भी इलेक्ट्रॉनिक्स में, थी जिसकी वजह से उनके बीच गहरी दोस्ती हुई।

5. Steve Jobs का कॉलेज का संघर्षमय जीवन कैसा रहा ?

स्टीव जॉब्स ने, जब अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी की तब उन्हें ओरेगोन के रीड कॉलेज में दाखिला दिलवाया गया जो कि, वास्तविक मायनो में, काफी मंहगा कॉलेज था जिसकी फीस भरना उनके माता-पिता के लिए आसान नहीं था।

कॉलेज में दाखिले के कुछ समय बाद ही उन्हें अहसास हुआ कि, यहां उनका भविष्य नहीं बनेगा और इसमें पढ़कर वे अपने माता-पिता की सारी जमा पूंजी बर्बाद कर रहे हैं इसके बाद उन्होंने कुछ ही पसंदीदा क्लास ली जैसे कि – कैलीग्राफी और बाकि क्लासो में, जाना बंद कर दिया था।

Steve Jobs की आर्थिक स्थिति इनती बुरी थी कि, उन्हें अपने हॉस्टल में, फर्श पर सोना पड़ता था, कोक की जिन बोतलों के पीकर लोग इधर-उधर फेंक दिया करते थे उन्हें बिनकर और बेचकर Steve Jobs अपने लिए भोजन की व्यवस्था करते थे।

आपको जानकर हैरानी हो कि, Apple कम्पनी जो कि, Computer, Laptop or Mobile बनाती हैं उसके मालिक अर्थात् स्टीव जॉब्स अपने कॉलेज के दिनो मे हर रविवार को कृष्णा मंदिर जाते थे पूरा अर्चना के लिए नहीं बल्कि इसलिए कि, वहां उन्हें भंडारे में भर पेट खाना खाने को मिल जाता था।

अन्त, इस प्रकार हम, कह सकते हैं कि, स्टीव जॉब्स का शुरुआती शिक्षात्मक जीवन काफी संघर्षमय और कठीन रहा।

6. स्टीव ने कितनी शादियां की और उनके कितने बच्चे हुए ?

हम, आपको बताना चाहते है कि, स्टीव जॉब्स ने, अपने जीवन में, कुल 2 शादियां की थी जिनकी दोनो पत्नियों का नाम इस प्रकार से हैं – लोरिन पावेल और क्रिसर्टन ब्रेन्नन से हुई थी।

स्टीव को अपनी इन दोनो शादियों के फलस्वरुप कुल 6 संतानो की प्राप्ति हुई थी जिनके नाम इस प्रकार से हैं – लिसा ब्रेन्नन, रीड जॉब्स, एरिन जॉब्स और ईव जॉब्स आदि।

7. when did Steve Jobs die? / स्टीव जॉब्स की मृत्यु कब हुई थी ?

स्टीव जॉब्स की मृत्यु कैसे और कितने चरणो में, हुई थी उसे प्रस्तुत करने के लिए हम, कुछ बिंदुओं को प्रस्तुत करना चाहते हैं जो कि, इस प्रकार से हैं –

  • साल 2003 में, स्टीव जॉब्स को उन्हें उनकी अग्नाशय वाली कैंसर की बीमारी के बारे में, पता चला,
  • साल 2004 में, स्टीव की सर्जरी हुई जिसमें कैंसर नामक ट्यूमर को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया गया और दौरान व मेडिकल लीव पर रहें जिनकी गैर – अनुपस्थिति में, टीम कुक , एप्पल का काम संभाल रहे थे,
  • स्टीव पूरी तरह से ठीक नहीं हुए थे बल्कि अपनी इस बीमारी के साथ ही उन्होंने साल 2009 तक काम किया लेकिन साल 2009 में, ही उनकी तबीयत बेहद संवेदनशील हो गई थी जिसकी वजह से उन्हें Leaver Transplant करवानी पड़ी जिसके बाद 17 जनवरी, 2011 को स्टीव जॉब्स ने, पुन एप्पल में, काम करना शुरु किया,
  • स्टीव सदा से अपने काम और कर्तव्य को प्राथमिकता देते थे जिसकी वजह से उन्होंने खराब स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हुए अपना काम जारी रखा लेकिन उन्हें उनकी बिगडती हालत का अंदाजा था जिसकी वजह से उन्होंने समय रहते महत्वपूर्ण फैसला लिया,
  • स्टीव ने 24 अगस्त, 2011 को एप्पल के CEO Post से त्यापगत्र अर्थात् Resignation Letter को कम्पनी के Board of Member को सौंप दिया और
  • अन्तत, कैलिफोर्नियां के पालो अल्टो नामक अस्पताल में 5 अक्टूबर, 2011 को स्टीव जॉब्स की मृत्यु हो गई।

उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने आपको स्टीव जॉब्स की मृत्यु की पूरी यात्रा का वर्णन विस्तार से बताया।

अन्त, उपरोक्त सभी बिंदुओँ की मदद से अपने अपने सभी पाठको व युवाओँ को स्टीव जॉब्स की पूरी जीवनी के बारे में, विस्तार से बताया ताकि आप उनकी कड़ी मेहनत और दुर्लभ संघर्ष को पढ़ व समझ कर उनसे व उनके जीवन से प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें।

Steve Jobs का करियर कैसा रहा ?

स्टीव जॉब्स का पूरा जीवन ही उतार – चढ़ावों से भरा पड़ा था और इसीलिए हम, उनके उतार – चढावो से परिपूर्ण करियर के पूरे परिचय को आपके सामने चरणबद्ध तरीके से प्रस्तुत करना चाहते हैं जो कि, इस प्रकार से हैं –

कभी कभी जिन्दगी आपके सिर पर ईंट से वार करेंगी लेकिन आप अपना भरोसा कभी मत खोइए। – Steve Jobs Quotes

1. Steve Jobs गेमिंग कम्पनी से लेकर भारत यात्रा पर कैसे निकल गये ?

साल 1972 का समय था जब Steve Jobs ने, अटारी नामक गेम बनाने वाली एक कम्पनी में, काम शुरु किया और कुछ समय किया भी लेकिन अपनी यायावर प्रवृत्ति के कारण उनका मन यहां भी नहीं लगा जिसके फलस्वरुप उन्होंने नौकरी छोड़ दी।

कुछ रुपय जमा करने के बाद Steve Jobs साल 1974 में, 7 महीनों की भारत यात्रा पर निकल गये जिसके दौरान उन्होंने कई गतिविधियां की जैसे कि –

  • भारत भ्रमण के दौरान उन्होंने बुद्ध धर्म की थोड़ी बहुत शिक्षा भी प्राप्त की,
  • दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश धूमने के लिए बस यात्रा की आदि।

उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने आपको स्टीव की भारत यात्रा के कुछ पहलूओं को बताने की कोशिश की।

2. भारत भ्रमण से क्या बदलाव आया स्टीव जॉब्स में ?

उनके जानने वालो का कहना है कि, स्टीव जॉब्स का पूरा जीवन और जीवन के प्रति उनकी विचारधारा ही भारत यात्रा के बाद बदल गयी थी जिसके वजह से जब वे अमेरिका वापस आये तो सबसे पहले उन्होंने अपने सर को मुड़वा दिया और दुबारा उसी अटारी नामक गेमिंग कम्पनी में, काम करते हुए अपने परिवार के साथ रहने लगे।

3. स्टीव जॉब्स को एप्पल नामक कम्पनी खोलने की प्रेरणा कहां से मिली ?

जैसा कि, हमने आपको बताया कि, स्टीव और वोजनियाक अपने कॉलेज के दिनों से ही अच्छे मित्र हुआ करते थे और दुबारा उनकी मित्रता में, गाढ़ापन देखने को मिला।

वोजनियाक, इलेक्ट्रॉनिक्स में, काफी अच्छे थे और चाहते थे कि, वे अपना खुद का कम्प्यूटर बनाये और उन्होंने बनाया भी यहीं से स्टीव जॉब्स ने, सोचा कि, क्यूं ना हम, मिलकर कम्प्यूटर बनायें और बेचें जिससे ना केवल हमारी कमाई होगी बल्कि हमें, नौकरी के लिए भटकना भी नहीं पडेगा।

साल 1976 में, सिर्फ 21 साल की उम्र में स्टीव और उनके मित्र वोजनियाक ने, मिलकर स्टीव के पिता के गैरज में, कम्प्यूटर बनाने का काम शुरु किया और एक कम्पनी खोली जिसे उन्होंने Apple का नाम दिया था और इस कम्पनी में, निर्मित पहले कम्प्यूटर को Apple 1 का नाम दिया गया था।

4. स्टीव जॉब्स की कम्पनी एप्पल ने, कैसे सफलता की उड़ान भरी ?

कहा जाता है कि, Apple 1 पर काम करने के बाद वोजनियाक ने, Apple 2 पर काम शुरु किया और इसी दौरान कम्पनी को आगे बढाने के लिए स्टीव और वोजनियाक ने मिलकर निवेशकर्ताओं को उनकी कम्पनी Apple में, निवेश करने के लिए राजी किया।

वोजनियाक द्धारा निर्मित Apple 2 लोगो का काफी पसंद आया और निवेशकर्ताओं ने इसमें निवेश किया जिसके बाद कम्पनी में, सफलता की उड़ान भरी जिसका परिणाम ये निकला की साल 1980 तक एप्पल एक जानी – मानी कम्पनी बन गई और सिर्फ 10 साल के भीतर ही कम्पनी में, 2 बिलियन का व्यापार किया और तब तक इसमें कुल 4,000 से अधिक लोग काम करने लगे थें।

5. एप्पल द्धारा निर्मित लिसा कम्प्यूटर के पीछे की कहानी क्या है ?

Apple 2 को लांच करने के बाद स्टीव और उनकी कम्पनी ने, Apple 3 लांच किया और इसके बाद लिसा नामक कम्प्यूटर लांच किया जिसका नाम साल 1978 में, जन्मी स्टीव की बेटी लिसा के नाम पर रखा गया था लेकिन ये ज्यादा कमाई नहीं कर पाई।

6. स्टीव को एप्पल से क्यूं निकाला गया ?

स्टीव ने, ही एप्पल कम्पनी की शुरुआत की थी लेकिन एक समय ऐसा आया जब उन्हें ही कम्पनी से निकाल दिया गया जिसके पीछे पूरी कहानी इस प्रकार से हैं –

Apple 3 और लिसा के खराब प्रदर्शन की वजह से स्टीव ने आई.बी.एम के साथ मिलकर Personal Computer बनाने का फैसला लिया।

स्टीव ने, Mackintosh पर काफी मेहनत की थी और इसी में अपना पूरा संघर्ष झोंक दिया था जिसके बाद स्टीव ने लिसा पर आधारित सुपर वाऊल को बाजार में, लांच किया जिसे काफी अच्छा प्रदर्शन किया।

लेकिन कम्पनी में, कम्प्यूटर निर्माण की पूरी जानकारी सार्वजनिक कर दी थी जिसकी वजह से कई नकल करने वाली कम्पनियों ने, हु ब हु वहीं कम्प्यूटर बाजार में, लांज किया वो भी नाम मात्र की कीमतो पर जिसकी वजह से कम्पनी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा और उन्ही की बनाई कम्पनी ने, उन्हें ही कम्पनी से निकाल दिया।

7. हार चुके स्टीव ने विपरित लहरो को पार करते हुए पुन सफलता प्राप्त की ?

स्टीव खुद स्वीकार करते है कि, जब उन्हें एप्पल से निकाला गया था वो समय उनके जीवन का काफी कठीन समय था जिसके बाद वे तनाव और दबाव में आ गये थे और कुछ पल के लिए ठहर से गये थे।

लेकिन इसी बीच उनके भीतर छुपा एप्पल का असली मालिक जाग उठा और उन्होंने सोचा कि, एप्पल बनाना मुझसे बेहतर कौन जाता है और इसी आत्मविश्वास के बल पर स्टीव ने, अपनी दूसरी कम्पनी अर्थात् Next Company खोली और उनकी प्रतिभा से प्रभावित होते हुए Ros Parrot  नामक निवेशकर्ता ने, उनकी इस कम्पनी में, बड़े पैमाने पर निवेश किया।

इसके बाद स्टीव के Next Company द्धारा अर्जित सफलता इन बिंदुओ के रुप में, प्रस्तुत है –

  • स्टीव की Next Company का पहला उत्पाद उनका High and Personal Computer था,
  • 12 अक्टूबर, 1988 को Next Computer को बड़े समारोह मे, लांज किया गया,
  • इस कम्पनी में, अपना पहला Work Station में 1990 लांच किया जो कि, एप्पल और लिसा से दुगुनी क्षमता वाला अर्थात् High Technology वाला था और इसी वजह से इसकी कीमत भी बहुत अधिक थी और इसी वजह से उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा,
  • स्टीव द्धारा निर्मित Next Company अभी तक एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में बदल चुकी थी जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ क्योंकि ये कम्पनी अब बहुतायत मात्रा में, वेब एप्लिकेशन और फ्रेमवर्क बनाकर देने लगी थी।

इस प्रकार हमने आपके सामने स्टीव की अगल कम्पनी Next Company की सफलता की कहानी आपके सामने प्रस्तुत की।

8. पिक्सर कम्पनी व टॉय स्टोरी से कैसे मिली स्टीव को सफलता ?

स्टीव ने, साल 1986 में, कुल 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत पर ग्राफिक्स कम्पनी अर्थात् पिक्सर को खरीदा जिसे उन्होंने पिक्सर नाम दिया जो कि, कुल 3डी सॉफ्टवेयर बनाकर बेचा करती थी।

साल 1991 में, पिक्सर को डिज्नी की तरफ से भागीदारी करते हुए एक फिल्म बनाने का प्रस्ताव दिया गया जिसे स्टीव की कम्पनी अर्थात् पिक्सर ने, स्वीकार कर लिया।

इसके बाद पिक्सर व डिज्नी में, सांझेदारी करते हुए टॉय – स्टोरी नामक फिल्म बनाई जिसे लोगो ने खूब पसंद किया और दोनो को अच्छी कमाई हुई।

9. कैसी हुई स्टीव की एप्पल में, शानदार और धमाकेदार वापसी ?

साल 1996 एप्पल कम्पनी के लिए अन्तिम साल माना जा रहा था क्योंकि कम्पनी बेहतर प्रदर्शन करने के बजाय औसत प्रदर्शन भी नहीं कर पा रही थी जिसे देखते हुए एप्पल ने, फैसला किया कि, वे स्टीव की Next Company को 427 मिलियन डॉलर की कीमत पर खरीदेगी।

उनका असल मकसद था स्टीव को कम्पनी में, वापस लाना ताकि एप्पल कम्पनी की पुन जीवित किया  जा सकें और दुबारा से सफलता के शिखर पर पहुंचाया जा सकें और इस प्रकार स्टीव की एप्पल में, शानदार और धमाकेदार वापसी हुई जिसके बाद कम्पनी में, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जैसे कि –

  • कम्पनी में, ipod Music Player or itune Music Player को लांच किया जिसे काफी सफलता मिली,
  • कम्पनी में, मोबाइल फोन की दुनिया में जबरदस्त क्रान्ति लाते हुए कम्पनी का पहला मोबाइल फोन अर्थात् एप्पल को लांच किया जिसे ग्राहकों ने, बडी मात्रा में, हाथो-हाथ खरीद लिया और इस प्रकार स्टीव ने, सफलता की छीन चुकी जगह को दुबारा प्राप्त किया।

उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर हम, कह सकते है कि, स्टीव ने, एप्पल से निकाले जाने के बाद एप्पल कम्पनी में, दुबारा शानदार, धमाकेदार और क्रान्तिकारी वापसी की।

हम, अपने सभी पाठको को बताना चाहते हैं कि, उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई तरह के अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है जैसे कि –

  • National Medal of Technology से स्टीव को उनकी उपलब्धियों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति द्धारा सम्मानित किया गया,
  • वहीं दूसरी ओर स्टीव को California Hall of Fame से सम्मानित किया गया औ
  • साथ ही साथ स्टीव को उनकी सफल कम्पनी एप्पल के लिए साल 1982 में, Machine of the Year के पुरस्कार से सम्मानित किया गया आदि।

उपरोक्त सभी पुरस्कारों से स्टीव की उपलब्धियों को सम्मानित और पुरस्कृत करते हुए उन्हें प्रेरणा और सफलता की एक मिशाल के तौर पर पहचान प्रदान की गई।

अन्त, स्टीव जॉब्स और उनकी संघर्षमयी जीवनी को समर्पित अपने इस लेख में, हमने आपको Steve Jobs Biography in Hindi : स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय / यात्रा ? पूरे विस्तार से प्रदान की ताकि हमारे सभी पाठक व युवा स्टीव जॉब्स की संघर्षमयी सफलता से प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें और यही हमारे इस लेख का मूल लक्ष्य भी है जिसे हम, प्राप्त करना चाहते हैं।

हम आपसे आशा करते है कि, हमारा ये लेख आपको अच्छा और ज्ञानपूर्ण लगा होगा जिसके लिए आप हमारे इस लेख को लाइक करेंगे, दोस्तो के साथ शेयर करेंगे और साथ ही साथ अपने सभी सुझाव व विचार कमेंट करके हमें बतायेगे।

इन्हे भी जरूर पढ़े:-

  • Steve Jobs Quotes In Hindi: स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय..!
  • Ratan Tata Biography in Hindi : रतन टाटा – सम्पूर्ण जीवनी / Life Journey
  • Mark Zuckerberg Quotes In Hindi: मार्क ज़ुकेरबर्ग के अनमोल वचन हिंदी में…!

Saina Nehwal Biography In Hindi: सायना नेहवाल का सम्पूर्ण जीवन परिचय

Sachin Tendulkar Biography In Hindi: सचिन तेंदुलकर का जीवन परिचय

biography of steve jobs in hindi

You may like

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

TRENDING POSTS

Diwali In Hindi

Diwali In Hindi: दिवाली त्यौहार पर निबंध…!

दीवाली का पर्व हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्योहार के रूप में जाना जाता है। ये त्योहार जितना धर्म से...

Diwali Quotes In Hindi

Diwali Quotes in Hindi: दीवाली के उद्धरण – दीपावली कोट्स हिन्दी मे..!

दीवाली के पर्व पर हमें अपने अंदर की कमियों को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए। हमे इस दिन अपनी...

Happy New Year In Hindi

Happy New Year In Hindi: नव वर्ष पर निबंध, शायरी, विशेष…!

धीरे-धीरे ये साल भी बीतने वाला है। हम सभी का सामना जल्द ही नए साल 2023 से होने वाला है। आने...

Chrismas Wishes

Merry Christmas Wishes in Hindi: मेरी क्रिसमस की शुभकामनाएं हिंदी में..!

क्रिसमस बच्चों का सबसे प्रिय पर्व माना गया है। माना जाता है, कि इस इस दिन धरती पर सांता क्लोज...

Happy Holi Status Image

Happy Holi Shayari, Holi Images for Friends and Family: हैप्पी होली शायरी, दोस्तों और परिवार के लिए

इस अवसर के लिए कई मिठाइयां और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए जाते हैं। लोग सुबह से ही अपने घरों...

New Year Wishes In Hindi

New Year Wishes In Hindi: भेजें न्यू इयर विशेज़ हिंदी…!

हर नया साल हमारे लिए एक ऐसा मौका होता है जो कि हमें जीवन मे कुछ नया करने का मौका...

Friendship Day Quotes

Best Friendship Day Quotes In Hindi: फ्रेंडशिप डे कोट्स हिन्दी मे..!

दोस्ती! भगवान ने हमें मां-बाप और फैमिली चुनने का तो अवसर नहीं दिया और इसका मतलब यह कतई नहीं कि...

Diwali Greetings In Hindi

Diwali Greetings In Hindi: दिवाली की शुभकामनाएँ हिंदी में..!

दीवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। ये जीवन मे से दुख के अंधियारे को ख़त्म कर के...

Hanuman Jayanti Wishes Quotes in Hindi

Hanuman Jayanti Wishes & Quotes in Hindi: आओ जानें हनुमान जयंती बारे में..!

हिंदू धर्म में हनुमान जयंती का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है और लोगों के लिए हनुमान जयंती का...

Hindi Diwali Wishes Image

Diwali Wishes In Hindi: दिवाली की शुभकामनाएं संदेश…!

दीवाली प्रेम और सौहार्द का त्योहार है। ये बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। ये दुखों को हटाने...

स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय | Steve Jobs Biography in Hindi

स्टीव जॉब्स (अंग्रेजी: Steve Jobs) एक प्रतिभाशाली अविष्कारक तथा उद्यमी थे। वे एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक थे। वे काफी लंबे समय तक कंपनी के मुख्य एग्जीक्यूटिव अधिकारी (CEO) भी रहे।

स्टीव का जन्म अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के सैन फ्रांसिस्को शहर में हुआ था। 1976 में उन्होंने स्टीव वोजनियाक व रोज के साथ एप्पल कंपनी को स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने मैकिनटोश कंप्यूटर का निर्माण किया जिसकी वजह से उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त हुई। 

धीरे-धीरे उन्होंने कंपनी में अन्य प्रोडक्ट्स का आविष्कार किया और कंपनी को सफलता की ऊंचाइयों तक ले कर गए। 5 अक्टूबर 2011 को 56 वर्ष की उम्र में ट्यूमर के कारण स्टीव (Steve Jobs) की मृत्यु हो गई।

Table of Contents

स्टीव जॉब्स का परिचय (Introduction to Steve Jobs)

स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को सैनफ्रांसिस्को (कैलिफोर्निया, अमेरिका) में हुआ था। उनके जन्म के कुछ महीनों के बाद उन्हें पोल व क्लारा जॉब्स ने गोद ले लिया था। पॉल व क्लारा जॉब्स, स्टीव जॉब्स के माता-पिता बने। स्टीव के वास्तविक पिता अब्दुल फतह जंदाली तथा माता जोआन शिबल थी।

अब्दुल फतह सीरिया देश के अरब मुसलमान थे जोकि विस्कंसिन यूनिवर्सिटी से अपनी पीएचडी कर रहे थे। तो उस दौरान वो जोआन शिबल से मिले। वे दोनों एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में आ गए। 

इस रिलेशनशिप से तंग आकर शिबल के पिता ने यह कहा था कि वह शिबल को काट डालेंगे अगर वह मुस्लिम लड़के के साथ रिलेशनशिप बनाए रखती है।

स्टीव का पालन-पोषण पॉल व क्लारा जॉब्स ने किया। उसने पॉल व क्लारा जॉब्स को ही अपने माता-पिता माना। उसने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वे उसके माता-पिता नहीं है।

वर्ष 1989 में स्टीव जॉब्स लोरेन पॉवेल से मिले। 18 मार्च 1991 में उन्होंने विवाह कर लिया। स्टीव व पावेल का पहला बच्चा ‘रीड’ था जिसका जन्म सितंबर 1991 में हुआ था। पॉवेल ने अगस्त 1995 में एरिन तथा मई 1998 में इव को जन्म दिया।

स्टीव जॉब्स का जन्म (Birth of Steve Jobs)

जोआन शिबल अब्दुल फतह के साथ गर्मी की छुट्टियों में सीरिया गई हुई थी। वहां से वह वापिस सैन फ्रांसिस्को आ गई। अब्दाली ने बताया कि वह उसे बिना बताए ही सैन फ्रांसिस्को चली गई थी। उसे भी यह पता नहीं था कि वह कि वह गर्भवती थी।

24 फरवरी 1955 को सैन फ्रांसिस्को में शिबल ने स्टीव को जन्म दिया। उसके जन्म के बाद उसे शिबल ने गोद देने के लिए रास्ता चुना। वह अपने बच्चे को ऐसे पारिवारिक लोगों को गोद देना चाहती थी जो कैथोलिक हो, अच्छे पढ़े-लिखे हो और धनवान हो। 

इस बच्चे को गोद लेने के लिए पॉल और क्लारा जॉब्स ने हामी भरी। परंतु शर्तों के मुताबिक पोल व क्लारा के पास कॉलेज शिक्षा नहीं थी जिसकी वजह से शिबल ने एडॉप्शन पेपर पर साइन करने से मना कर दिया और वह केस को कोर्ट में ले गई।

पोल व क्लारा ने बच्चे की कॉलेज की शिक्षा की फीस भरने तक की बात कही जिसकी वजह से शिबल ने एडॉप्शन पेपर पर साइन किए।

इस अधिग्रहण के बाद स्टीव के माता व पिता पॉल व क्लारा जॉब्स बन गए। क्लारा ने बताया कि स्टीव एक जटिल बच्चा था और शायद उसे गोद ले करके उन्होंने गलती कर दी और उसे वापस लौटना चाहा था। 

जब कभी पॉल व क्लारा अपने आपको स्टीव के दत्तक माता-पिता बताते तो स्टीव इससे परेशान हो जाता। वह हमेशा ही उन्हें अपना 1000% माता-पिता मानता था।

स्टीव जॉब्स का बचपन (Childhood of Steve Jobs)

स्टीव के पिता पोल एक मेकिनिस्ट (इंजीनियर) थे। 1957 में उन्होंने पेट्रिशिया को भी गोद ले लिया जो स्टीव की बहन बन गई। अब उनका परिवार मोंटा लोमा, माउंटेन व्यू के पास में चला गया।

पॉल एक अच्छे इंजीनियर होने के कारण उपकरणों से जुड़ा हर कुछ बना सकते थे। उनको अगर किसी भी चीज की जरूरत पड़ती तो वह उसे बना लेते थे। परिवार में इंजीनियरिंग का ऐसा माहौल देखकर के स्टीव की इलेक्ट्रॉनिक्स व इंजीनियरिंग में रुचि बढ़ने लगी।

परंतु, उन्होंने स्कूल लाइफ में दोस्त नहीं बनाए और वह हमेशा अकेले ही रहा करते थे। स्टीव स्कूल में बहुत ज्यादा बोर हो जाते थे और वे शरारत में शामिल हो जाते थे। 

पढ़ाई में कमजोर इस बच्चे को देखते हुए टेडी नाम की एक अध्यापिका ने स्कूल में पढ़ाई हुई चीजों को सीखने और याद करने के लिए कुछ पैसे देने शुरू कर दिए। जिससे स्टीव ने ज्यादा से ज्यादा मेहनत करके अच्छा से अच्छा कार्य करना शुरू कर दिया।

1967 में जॉब्स (Steve Jobs) के पिता ने लोस एल्टोस, कैलिफोर्निया में घर खरीदने के लिए अपनी सारी बचत लगा दी। नए घर लेने के बाद स्टीव को अच्छे कॉलेज स्कूल में भी भेजा जा सका क्योंकि पास में ही उनके एक बहुत अच्छा स्कूल था।

स्टीव जॉब्स की शिक्षा (Education of Steve Jobs)

स्टीव जॉब्स जब अपने पूरे परिवार के साथ लोस एल्टोस (कैलिफोर्निया) में चले गए तो वहां पर स्टीव ने होमस्टेड हाई स्कूल ज्वाइन किया। यह हाई स्कूल सिलिकॉन वैली से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ था।

जॉब्स ने 1968 में बिल फर्नांडीज के साथ होमस्टेड हाई स्कूल में प्रथम वर्ष में एडमिशन लिया। बिल ने उन्हें स्टीव वोजनियाक से मिलाया। वोजनियाक व जॉब्स गहरे दोस्त बन गए। बाद में, उन्होंने ही एप्पल कंपनी की स्थापना की।

धीरे-धीरे स्टीव का क्लास में इंटरेस्ट कम होता चला गया और उन्होंने अपने बाल लंबे रखने शुरू कर दिए। हाई स्कूल में उन्होंने अपने सिलेबस में रुचि कम दिखाते हुए साहित्यिक पुस्तकों को पढ़ना शुरू कर दिया। उनकी रूचि इलेक्ट्रॉनिक्स व साहित्य में बन चुकी थी। हाई स्कूल के अंतिम वर्ष में उनके एक दोस्त वोजनियाक व एक गर्लफ्रेंड क्रिसैन ब्रेनन थी।

1971 में स्कूल से पास आउट होने के बाद, 1972 में स्टीव पोर्टलैंड के रीड कॉलेज में दाखिल हुए। यह कॉलेज काफी महंगा था जो स्टीव के माता-पिता के लिए मुश्किल था। एक सेमेस्टर के बाद स्टीव ने अपने माता-पिता को बिना बताए ही कॉलेज छोड़ दिया। कॉलेज छोड़ने के बाद उन्होंने बताया कि वह अपने माता-पिता के पैसों को ऐसी शिक्षा पर बर्बाद नहीं करना चाहते जो उनके लिए किसी काम की नहीं है।

कॉलेज से ड्रॉपआउट होने के बाद उन्होंने कैलीग्राफी सीखने के लिए एक कोर्स लिया। इस कैलीग्राफी के कोर्स से उन्होंने फौंट्स को अच्छा बनाने के लिए बहुत सारी चीजें सिखी। 

यह भी पढ़ें – बेंजामिन फ्रेंकलिन के अनमोल विचार

स्टीव जॉब्स कॉलेज से ड्रॉप आउट होने के बाद (Steve Jobs after dropping out of college)

कॉलेज छोड़ने के बाद, स्टीव जॉब्स 1974 में लोस एल्टोस में वापस अपने घर आ गए और वहां काम की तलाश करने लग गए। उन्हें अटारी नामक कंपनी ने टेक्नीशियन की जॉब दी। इस जॉब से उन्होंने पैसे एकत्रित किए और भारत में यात्रा पर जाने की योजना बनाई। 

वह अपने दोस्त के साथ 1974 में आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए भारत आए। 7 महीने तक यहां पर रहने के बाद वापस अमेरिका चले गए। अटारी कंपनी में वापस आने पर उन्हें चिप के कार्य के लिए $100 देने को कहा गया। स्टीव (Steve Jobs) को सर्किट के बारे में ज्यादा नॉलेज नहीं था तो उन्होंने अपने दोस्त वोजनियाक से कहा कि वह अगर उसकी मदद करेगा तो उसे 50% हिस्सा दे देंगे।

एप्पल कंपनी की स्थापना (Founding Apple Company)

मार्च 1976 में वोजनियाक ने एप्पल प्रथम कंप्यूटर का निर्माण किया और उसे स्टीव जॉब्स को दिखाया। उसी साल अप्रैल के महीने में स्टीव जॉब्स, वोजनियाक तथा रोनाल्ड वायने ने एप्पल कंपनी की स्थापना की।

कंपनी की सारी प्रक्रियाएं स्टीव के बेड रूम के अंदर होती थी फिर बाद में गैरेज के अंदर ले जाया गया। रोनाल्ड वायने कंपनी में बहुत कम दिनों तक ही ठहरे और स्टीव व वोजनियाक को मुख्य रूप से कोफाउंडर व संचालक बने रहने दिया।

कंपनी को सफलतापूर्वक चलाने के लिए उन्हें पैसे की जरूरत थी तो वोजनियाक ने अपना एचपी का केलकुलेटर बेच दिया और जॉब्स ने अपनी वॉल्सवैगन वेन बेच दी।

कंपनी ने एप्पल प्रथम नाम का एक कंप्यूटर बनाया और उसके कई सारी ईकाइयाँ बेच दी जिससे कंपनी में धीरे-धीरे कमाई शुरू होने लगी। कंपनी पब्लिक हो गई और स्टीव एक मिलिनेयर बन गए। 24 जनवरी 1984 को स्टीव ने मैकिनटोश कंप्यूटर को लॉन्च किया। 

यह कंप्यूटर काफी महंगा था तो मध्यम वर्ग के लोग इसे खरीद नहीं पा रहे थे और आईबीएम के कंप्यूटर ज्यादा बिकते जा रहे थे। उसी समय में माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज सॉफ्टवेयर आईबीएम के कंप्यूटर में आने लग गए और मैकिनटोश कंप्यूटर का मार्केट शेयर नीचे गिरता गया।

स्टीव को एप्पल कंपनी से निकालाना व वापस लाना (Steve Jobs got fired from Apple and get back)

कंपनी को नुकसान में जाता हुआ देख स्कली नाम के एक बोर्ड डायरेक्टर ने जॉब्स को सीईओ के पद से हटा दिया। जिसके बाद जॉब्स ने कंपनी से रिजाइन दे दिया। माइक्रोसॉफ्ट की विंडोज सॉफ्टवेयर इतनी अच्छी थी कि आम लोग उसे खरीद भी पा रहे थे और अच्छा अनुभव भी पा रहे थे।

मैकिनटोश कंप्यूटर का हिस्सा मार्केट में बहुत नीचे चला गया और माइक्रोसॉफ्ट बहुत तेजी से ग्रोथ करने लग गई। 

स्टीव जॉब्स के साथ ही उनके कुछ कर्मचारियों ने भी कंपनी से रिजाइन दे दिया। 

कंपनी से रिजाइन के बाद स्टीव ने 1985 में नेक्स्ट नाम की कंपनी को स्थापित किया। इस कंपनी में कुछ ही महीनों के बाद स्टीव को पैसों की जरूरत पड़ी और रोस पेराट नाम के एक बिलेनियर ने उनकी कंपनी में बहुत ज्यादा इन्वेस्ट किया। 

उनकी इस नेक्स्ट कंपनी ने एक कंप्यूटर लॉन्च किया जिसे जॉब के कमबैक इवेंट के रूप में जाना गया।

नेक्स्ट कंपनी के बनाए हुए कंप्यूटर मुख्यतया फाइनेंस, वैज्ञानिक. शैक्षणिक समुदाय व नई तकनीकी प्रायोगिकी के लिए थे। यह कंप्यूटर लगभग $10,000 के बराबर मूल्य का था जो बहुत महंगे था। 

1997 में नेक्स्ट कंपनी को एप्पल ने खरीद लिया। इस डील के बाद स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) को ही एप्पल कंपनी के सीईओ के रूप में चुना गया।

कंपनी के सीईओ बनने के बाद स्टीव ने बहुत सारे अनवांछित प्रोडक्ट्स के प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया और कुछ ही चीजों पर ध्यान रखा। इसके बाद उन्होंने आईमैक, आईपैड और आईफोन जैसे ही महत्वपूर्ण प्रोडक्ट्स को बहुत ही शानदार यूजर बिहेवियर देने की कोशिश की। एप्पल की बहुत अच्छी ब्रांडिंग व ग्राहक को पूर्णतया गुणवत्ता से भरी हुई चीज देना ही बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ।

स्टीव जॉब्स की मृत्यु (Death of Steve Jobs)

अक्टूबर 2003 में यह पता चला कि स्टीव जॉब्स को कैंसर हो गई है। 24 अक्टूबर 2011 को वे अपने आप एप्पल कंपनी के सीईओ से चेयरमैन बन गए और टिम कुक को अगला सीईओ बनाया। इसके 6 सप्ताह तक जॉब्स एप्पल कंपनी में काम करते रहे।

5 अक्टूबर 2011 को 3:00pm बजे स्टीव जॉब्स की पलो अल्टो (अमेरिका) में अपने घर में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का कारण इसलेट सेल टयूमर था। 

एप्पल व पिक्सर दोनों कंपनियों ने उनकी मृत्यु की घोषणा की और उस दिन के लिए एप्पल ने अपनी पब्लिक सेवा बंद की।

एप्पल व माइक्रोसॉफ्ट इन दोनों कंपनियों के कैंपस व हेडक्वार्टर पर अमेरिकन झंडे फहरा रहे थे।

स्टीव जॉब्स के अनमोल वचन (Quotes of Steve Jobs in Hindi)

स्टीव ने अपने जीवन में बहुत सारी चीजें सीखी और उन्हीं बातों को अपने विचारों के माध्यम से साझा किया। स्टीव जॉब्स के अनमोल विचार –

“अगर आज मेरी जिंदगी का अंतिम दिन होता तो क्या मैं वह कार्यकर्ता जो मुझे आज करना है।”
“कभी कभार जिंदगी तुम्हारे दिमाग के ऊपर ईंट से मारेगी, तुम्हें हार नहीं माननी है।”
“भूखे रहो, मूर्ख रहो।”

स्टीव के अन्य अनमोल वचन यहां पढ़ें – स्टीव जॉब्स के अनमोल वचन

स्टीव जॉब्स के प्रेरक विचार – 1. “अगर आज मेरी जिंदगी का अंतिम दिन होता तो क्या मैं वह कार्यकर्ता जो मुझे आज करना है।”          2. “कभी कभार जिंदगी तुम्हारे दिमाग के ऊपर ईंट से मारेगी, तुम्हें हार नहीं माननी है।”          3. “भूखे रहो, मूर्ख रहो।”

स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955, सैन फ्रांसिस्को शहर, कैलिफोर्निया, अमेरिका में।

स्टीव जॉब्स की पत्नी लोरेन पॉवेल थी। उनकी शादी 1991 में हुई थी।

स्टीव जॉब्स के 1 बेटा व 3 बेटिया हैं। उनके बेटे का नाम रीड जॉब्स है तथा बेटियों के नाम लिसा ब्रेनन्न जॉब्स, एरिन जॉब्स, इव जॉब्स हैं।

नहीं, स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) आज जिंदा नहीं हैं। 5 अक्टूबर 2011 को 3:00pm बजे स्टीव जॉब्स की पलो अल्टो (अमेरिका) में अपने घर में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का कारण इसलेट सेल टयूमर था।

यह भी पढ़ें – वारेन बुफे अनमोल विचार

Show Your Love ❤

Related posts:

Leave a comment जवाब रद्द करें.

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Notify me of new posts by email.

  • More Networks

THOUGHTINHINDI.COM

India's Best Hindi Personal Development Blog

Steve Jobs Biography Book Summary in Hindi – एप्पल कंपनी की शुरुवात

दोस्तों ये Steve Jobs Biography Book WALTER ISAACSON ने लिखी है और इसे PUBLISH किया है “Little, Brown Book Group” ने। ये सारा CREDIT उन्ही को जाता है।

Page Contents

Apple के Founder Steve Jobs Biography बुक समरी हिंदी में

वाल्टर आइजेकसन इस book के author को जब पता लगा कि Steve Jobs कैंसर के Last Stage में है तब जाकर वे Steve Jobs की biography लिखने को तैयार हुए। बेहद होनहार और तेज़ दिमाग वाले Steve Jobs साल 2004 से आइजेकसन को अपनी जिंदगी पर एक किताब लिखने के लिए मना रहे थे मगर उनकी कोशिश 2009 में जाकर कामयाब हो पाई जब Steve Jobs कैंसर से जूझते हुए अपनी दूसरी मेडिकल लीव पर थे।

साल 1984 के वक्त से ही टाइम्स मेगेज़ीन में बतौर मेनेजिंग डायरेक्टर आइजेकसन को कई बार जॉब्स से मिलने का मौका मिला। मगर उस महान इनोवेटर Steve Jobs ने जब पहली बार आइजेकसन से खुद की biography लिखने के लिए कहा तो आईजेकसन उस दौरान अल्बर्ट आइनस्टीन पर लिख रहे थे और बेंजामिन फ्रेंकलिन पर उनकी लिखी किताब पहले ही famous हो चुकी थी।

Steve Jobs का प्रस्ताव आइजेकसन ने ये कहकर ठुकरा दिया कि  “जॉब्स अभी सफलता की सीडिया चढ़ ही रहे है और अभी वो वक्त नहीं आया कि उनपर कोई किताब लिखी जा सके”.

लेकिन ये Steve Jobs की पत्नी लौरीन पॉवेल (Laurene Powell) की कोशिशो का ही नतीजा था जो उनसे Steve Jobs की बिमारी के बारे में जानकर आइजेकसन ने अपना मन बदल लिया और आखिरकार इस काम के लिए तैयार हो गए।

Steve Jobs का कैंसर का ओपरेशन होना था। बावजूद इसके वे खामोशी से लड़ रहे थे। एक और बात जिसने आइजेकसन को बहुत प्रभावित किया वो ये थी कि Steve Jobs ने उन्हें किताब अपने तरीके से लिखने की छूट दी थी।

उन्होंने author के काम में कभी किसी तरह की दखलअंदाजी नहीं की। फ्रेंकलिन और आइन्स्टाइन की तरह ही Steve Jobs ने भी साइंस और इंसानियत दोनों की तरक्की के लिए अपनी क्षमताओं का बेहतर उपयोग किया था।

इंजीनियरिंग दिमाग के साथ साथ Steve jobs creative भी थे और इन्ही खूबियों का तालमेल से एक महान इनोवेटर बनता है जो कि वे खुद है। जॉब्स अपनी इसी रचनाशीलता से पर्सनल कम्प्यूटर की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला पाए।

सिर्फ इतना ही नहीं music , डिजिटल पब्लीशिंग और एनिमेटेड मूवीज में भी उनकी बदौलत एक नए दौर की शुरुवात हुई। बेशक उनकी personal life या उनकी personality एक मुक्कमल तस्वीर नहीं बनाती मगर फिर भी वे अपने काम से हमेशा लोगो की जिंदगी प्रभावित करते रहेंगे और inspiration का source बने रहेंगे।

Steve Jobs की बचपन/Childhood

छोटी उम्र में ही Steve Jobs जान चुके थे कि उन्हें गोद लिया गया है, और ये बात उनके पिता पॉल जॉब्स और माँ क्लारा हागोपियेन (Clara Hagopian) ने उनसे कभी भी नहीं छुपाई। जन्म के बाद से ही उन दोनों ने स्टीव को पाला था।

जब Steve jobs 4 साल के थे वो अपने पड़ोसी के घर पर एक लड़की के साथ खेल रहे थे, और Steve Jobs ने उस लड़की को बताया की उन्हें adopt किया गया है। इस बात पर वो लड़की बोली की इसका मतलब तो है की तुम्हारे असली माँ बाप तुम्हे पसंद नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने तुम्हे छोड़ा। इस पर Steve jobs भाग कर अपने घर गए और ये बात उन्होंने अपने parents को बताई।

इस पर उनके parents ने उन्हें कहा की सुनो Steve “हमने तुम्हे इसलिए चुना था क्यूंकि तुम सबसे अलग हो बहुत ख़ास हो, special हो”, और शायद इसी वजह से स्टीव आत्मनिर्भर और मजबूत इरादों के इंसान बन पाए।

उनके कार मेकेनिक पिता उनके पहले हीरो थे। बचपन में ही Steve Jobs इलेक्ट्रोनिक्स में काफी interested थे। हालांकि वे पढ़ाई में कभी बहुत अच्छे नहीं रहे। क्लास में बैठना उन्हें अक्सर boring लगता था। अपने हुनर से वे अक्सर कुछ ना कुछ शरारत भरा किया करते, और ये सिलसिला ग्रेड स्कूल से लेकर कोलेज तक चलता रहा।

वोजनिएक (Wozniak)

(Homestead High) होम्सस्टेड हाई में एक कॉमन friend के ज़रिये स्टीव वोजनिएक और Steve Jobs की मुलाक़ात हुई। दोनों Steve बचपन से ही इलेक्ट्रोनिक्स और मशीन में गजब के प्रतिभाशाली थे। जहाँ Steve Jobs अपने पिता की ही तरह एक businessman बनना चाहते थे, वहीँ स्टीव वोज (Steve Woz) के पिता जिन्हें मार्केटिंग से चिढ़ थी उन्होंने उन्हें इंजीनियरिंग में कुछ बेहतरीन करने के लिए प्रेरित किया।

उम्र में Steve Jobs से 5 साल बड़े होने के बावजूद वो बेहद शर्मीले और हद से ज्यादा पढ़ाकू थे। अपने कॉमन दोस्त की गैराज में वे Steve Jobs से पहली बार मिले थे। इलेक्ट्रोनिक्स में गहरी रूचि के साथ ही बॉब डायलन के music ने भी उनकी जोड़ी जमा दी थी।

Steve Jobs की कालेज ड्राप आउट (College drop-out)

जहाँ वोजनियेक ने बर्कली युनिवेर्सिटी जाने के फैसला कर लिया था वहीँ Steve Jobs अभी confusion में ही थे कि अपने लिए कौन सा कॉलेज चुने। क्योंकि Steve Jobs के असली parents ने उन्हें इसी शर्त पर गोद दिया था कि उनकी स्कूली पढ़ाई पूरी कराई जायेगी। इसलिए उनके adoptive parents को उनकी कॉलेज फीस जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

जॉब्स ने फैसला किया कि वे नजदीकी स्टेंडफोर्ड युनिवेर्सिटी नहीं जायेंगे। वे किसी ऐसी जगह जाना चाहते थे जो उससे ज्यादा artistic और interesting हो।

मगर उनके इस फैसले को उनके parents की मंज़ूरी नहीं मिली बावजूद इसलिए जॉब्स ने रीड कॉलेज, पोर्टलैंड ऑरेगोन में दाखिला ले लिया। सिर्फ एक हजार students वाला ये एक कॉलेज बड़ा महंगा था, और फिर अपने हिप्पी कल्चर के लिए मशहूर भी था।

रीड कॉलेज में पढने के दौरान कुछ ही समय बाद Steve Jobs को लगा कि जो कोर्स उन्होंने चुना था वो उनके सपनो के आड़े आ रहा था। जो चीज़े वो सीखना चाह रहे थे, नहीं सीख पा रहे थे, और तब उन्होंने कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया।

अब वो जो पसंद आता वही सीखने लग जाते जैसे कि कैलीग्राफी। रीड में पढ़ाई के दौरान उन्हें हिप्पी कल्चर पसंद आने लगा था। जेन बुधिस्म पर उन्होंने सैकड़ो किताबे पढ़ डाली और pure vegetarian बन गए। उन्होंने बाल कटवाना छोड़ दिया था और पूरे केम्पस में नंगे पाँव घूमा करते।

स्टीव वोजनिएक और Steve Jobs ने कई तरह के छोटे मोटे स्टार्टअप बिजनेस किये। जहाँ वोजनिएक अपने बनाये डिजाएन केवल बेचने तक सिमित थे वहीँ Steve Jobs कुछ ऐसे प्रोडक्ट बनाकर बेचना चाहते थे जो unique हो और उनसे पैसा कमाए जा सके।

सबसे पहले तो उन्हें एक नाम तय करना था। मेट्रिक्स जैसे टेक्नोलोजीकल और पर्सनल कंप्यूटर इंक जैसे कुछ boring नाम उनके दिमाग में आये भी मगर फिर एप्पल नाम उन्हें interesting लगा जो कुछ अलग लग रहा था। इस नाम को चुने जाने की वजह सिर्फ यही नहीं थी कि Steve Jobs एक एप्पल फार्म में घूमकर आये थे बल्कि सुनने में एप्पल कंप्यूटर नाम बड़ा मजेदार और शानदार लगता था।

उस वक्त तक वोजनिएक HP (एच पी) के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने वहां अपना बनाया सर्कट बोर्ड (circuit board) लगाना चाहा। उनका ये प्रोडक्ट नया था और पहले कभी इस्तेमाल नहीं हुआ था इसलिए उसे नकार दिया गया।

इससे निराश होकर वोजनिएक ने फिर जो भी प्रोडक्ट बनाये वे 100 फीसदी सिर्फ एप्पल के लिए बनाये। Steve Jobs का यही मानना था कि उनकी team इसलिए perfect थी क्यूंकि वो दोनों opposite थे।

एक ओर वोज जहाँ बहुत प्रतिभाशाली तो थे मगर लोगो से मिलने-जुलने में कतराते थे, वहीँ जॉब्स की खासियत थी कि वे किसी से भी बातचीत कर सकते थे और अपना काम निकलवाने में माहिर थे।

एक कंप्यूटर स्टोर का मालिक, पॉल टेरेल उनका पहला ग्राहक बना। उसने उन्हें $500 per piece के हिसाब से 50 सर्कट बोर्ड का आर्डर दिया। क्रेमर इलेक्ट्रोनिक्स (Cramer Electronics) के मेनेजेर को विश्वास में लेकर उससे $25,000 का उधार लेने के बाद जॉब्स, वोज और उनकी बहन पैटी, अपनी पूर्व प्रेमिका एलिज़बेथ होम्स और एक दोस्त डेनियल कोट्के के साथ मिलकर काम में जुट गए, और इस तरह लोस एल्टोस में Steve Jobs के घर की गैराज से एप्पल की शुरुवात हुई।

पूरे 5 साल तक क्रिसेन् ब्रेनन (Chrisann Brennan) के साथ Steve Jobs कभी हां कभी ना वाले रिश्ते में बंधे रहे। एप्पल की शुरुवात बहुत सफल रही। जॉब्स अब अपने माँ-बाप का घर छोड़कर कपरटीनो(Cupertino) के एक $600 वाले rented घर में रहने लगे थे।

ब्रेनन अब उनकी जिंदगी में वापस आ चुकी थी। दोनों अब साथ रहने लगे थे। जब दोनों ही अपने 23वे साल में थे ब्रेनन, Steve Jobs के बच्चे की माँ बनने वाली थी।

हालांकि Steve Jobs का सारा ध्यान सिर्फ अपनी कंपनी पर था। वे अभी घर गृहस्थी में बंधना नहीं चाहते थे। ब्रेनन और उनके बीच अब झगडे शुरू हो गए थे। इस बच्चे का आना उनके रिश्ते में खटास पैदा कर रहा था।

जॉब्स के मन में कभी भी शादी का ख्याल नहीं था और उन्होंने इस बच्चे का पिता होने से भी इंकार कर दिया। इस सबके बावजूद ब्रेनन ने हार नहीं मानी। उनके कुछ दोस्त इस मुश्किल दौर में उनके साथ रहे और 17 मई, 1978 को ऑरेगोन में उन्होंने लिजा निकोल को जन्म दिया।

माँ और बच्चा मेनलो पार्क के एक छोटे से घर में रहने लगे। वेलफेयर में मिलने वाली रकम से उनका गुज़ारा चल रहा था। जब लिजा एक साल की हुई तो जॉब्स को उन्ही दिनों चलन में आये डीएनए (DNA) टेस्ट से गुज़रना पड़ा।

जिसका result था की 94.41% chance है की steve ही lisa के बाप है। ये साबित हो जाने पर केलिफोर्निया कोर्ट ने उन्हें लिजा के पालन पोषण के लिए monthly child support देने का हुक्म दिया। हालांकि कोर्ट के हुकम से वे अब जब चाहे अपनी बेटी से मिल सकते थे मगर बावजूद इसके वे कभी भी उससे मिलने नहीं गए।

1981 – Steve Jobs

1977 में एप्पल ने शुरुवाती दौर में 2,500 यूनिट्स बेचे और 1981 में उनकी बिक्री बढ़कर 210,000 हो चुकी थी। हालांकि Steve Jobs को अच्छी तरह मालूम था कि सफलता का ये दौर हमेशा रहने वाला नहीं है। इसलिए उन्होंने एक नये प्रोडक्ट के बारे में सोचा जो एप्पल II से ज्यादा बेहतर हो। वे एक ऐसा डिजाईन चाहते थे जो पूरी तरह से उनका अपना बनाया हो।

अपनी बेटी के साथ अपना रिश्ता नकारने के बावजूद उन्होंने अपने नए कंप्यूटर का नाम लीज़ा रखा। दरअसल इसे बनाने वाले इंजीनियर्स को इससे मिलता जुलता एक्रोनिम सोचना पड़ा। लीज़ा का मतलब था लोकल इंटीग्रेटेड सिस्टम आर्किटेक्चर (Local integerated system architecture).

एप्पल में 100,000 शेयर्स के बदले Xerox PARC ने अपनी एकदम नयी टेक्नोलोजी Steve Jobs और उनके प्रोग्रामर्स को बेच दी। कुछ मुलाकातों के बाद ही एप्पल के इंजीनियर्स Xerox कंप्यूटर के माउस डिजाईन और इंटरफेस की नक़ल बनाने में कामयाब रहे। लिजा को पहले से बेहतर ग्राफिक्स और स्मूथ स्क्रोलिंग माउस फीचर के साथ बाज़ार में उतारा गया।

दिसम्बर 12, 1980 में पहली बार एप्पल को दुनिया के सामने पेश किया गया। मॉर्गन स्टेनले इसके IPO को संभालने वाले बैंको में से एक था। रातो-रात एप्पल के शेयर का दाम $22  से बढकर $29 हो गया। सिर्फ 25 साल के हिप्पी कॉलेज ड्राप आउट Steve Jobs अब करोडो के मालिक बन चुके थे। इतनी बड़ी सफलता के बावजूद उन्होंने दिखावट से दूर एक सादा जीवन जीना पसंद किया।

जॉब्स ने अपने माता-पिता के नाम $750,000 कीमत वाले एप्पल के स्टोक कर दिए थे जिससे उन्हें loans से छुटकारा मिला। वे अब magazines के कवर पर आने लगे थे।

उन्होंने पहली कवर स्टोरी अक्टूबर 1981 में Inc के लिए की थी। इसके तुरंत बाद ही 1982 में टाइम्स मेगेज़ीन में भी उनकी कवर स्टोरी आई। इसमें 26 साल का एक नौजवान के करोडपति बनने के सफ़र की कहानी थी जिसने महज 6 साल पहले ही अपने माता-पिता के गैराज से अपनी कंपनी की शुरवात की थी।

मैकिन्टौश (Macintosh)

अपने आक्रामक व्यवहार के चलते Steve Jobs, लीजा प्रोजेक्ट से जबरन हटा दिए गए थे। इसी दौरान जेफ़ रस्किन(Jef Raskin) नामक एप्पल के एक इंजीनियर एक ऐसा बेहद सस्ता कंप्यूटर बनाने में जुटे थे जिसे कोई भी खरीद सकता था, और अपने इस प्रोजेक्ट का नाम उन्होंने मेकिनतोष रखा जो उनके पसंदीदा सेब की एक किस्म का नाम था।

अब क्योंकि Steve Jobs लीज़ा वाला प्रोजेक्ट खो चुके थे तो उनका सारा ध्यान रस्किन के प्रोजक्ट पर लगा रहा। रस्किन का सपना एक ऐसा सस्ता कंप्यूटर बनाने का था जो स्क्रीन और की-बोर्ड के साथ महज़ $1,000 की लागत का हो। Steve Jobs ने उनसे कहा कि वे सिर्फ मैकिन्टौश बनाने पर ध्यान दे और कीमत की फ़िक्र ना करे।

मगर रस्किन मेकिनतोष पर काम पूरा नहीं कर पाए। पर सयोंग से Steve Jobs ने एक दूसरा इंजीनियर ढूंढ कर उसकी मदद से ऐसा डिवाइस बनाया जो कुछ महंगे मगर पहले से बेहतर माइक्रो-प्रोसेसर पर काम कर सके। मैक लीज़ा से भी बेहतर माउस और ग्राफिक इंटरफेस के साथ बाज़ार में उतरा।

जॉब्स ना केवल एक तेज़ दिमाग वाले इंजीनियर थे बल्कि एक extra-ordinary डिज़ाइनर भी थे। उनके लिए प्रोडक्ट डिजाईन किसी कला से कम नहीं था। “सिम्पल इज सोफेस्टीकेटेड” यही मैक और एप्पल का मोटो था।

वे चाहते थे कि मैक एक छोटे से पैकेज में आ सकने लायक हो जो अन्दर बाहर से बेहद आधुनिक लगे। इसके अलावा उन्होंने मैक के विंडोज, आइकॉन्स, फोंट्स और बाहरी पैकेजिंग की डिजाईन पर भी ख़ास ध्यान दिया था।

अनगिनत प्रपोजल और रीवीजंस के बाद Steve Jobs ने अपनी पूरी डिजाईन टीम के एक पेपर पर signature करवाए। इन सभी 50 signatures को हर मैकिन्टौश कंप्यूटर के अन्दर खुदवाया गया। मैक के design और technology की ख़ुशी का एक जश्न मनाया गया।

माइक्रोसोफ्ट (Microsoft)

बिल गेट्स और Steve Jobs ने मिलकर एक एग्रीमेंट किया। ये एग्रीमेंट मैकिन्टौश को माइक्रोसोफ्ट सोफ्टवेयर के साथ तैयार करके बाज़ार में लाने के बारे में था, और शर्त थी कि प्रोग्राम में एप्पल का logo ज़रूर रहेगा। लेकिन ये सांझेदारी टिक नहीं पाई। इस मुद्दे पर बातचीत के दौरान जॉब्स और गेट्स की अक्सर बहस हो जाया करती थी।

गेट्स का background Steve Jobs से बिलकुल अलग था। उनके पिता वकील थे और माँ एक सिविक लीडर थी। गेट्स अपने ख़ास तबके वाले प्राइवेट स्कूल के वक्त से ही टेक्नोलोजी के कीड़े रहे थे, और उन्होंने जॉब्स की तरह कभी कोई प्रेंक नहीं खेला था। हार्वर्ड की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर गेट्स ने अपनी खुद की सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू कर ली थी।

जॉब्स दूरदर्शी व्यक्ति थे जिनमे अपने काम के प्रति दीवानगी थी और इसी वजह से कभी-कभी उनका लहज़े में एक रूखापन आ जाता था। इसके उलट बिल गेट्स discipline के पक्के थे, practical थे जो सोच समझ कर कदम उठाते थे। ये सयोंग था कि दोनों का ही जन्म 1955 में हुआ था। दोनों ही कॉलेज ड्राप आउट थे जो पर्सनल कंप्यूटर की दुनिया में एक क्रान्तिकारी बदलाव लाये थे।

गेट्स माइक्रोसोफ्ट सॉफ्टवेयर को अलग-अलग तरह के प्लेटफॉर्म में खोलना चाहते थे। मगर Steve Jobs चाहते थे कि एप्पल के लिए अलग से कुछ खास सोफ्टवेयर रहे। उनका ये मतभेद चलता रहा और आख़िरकार उनके इस मतभेद का फायदा आई बी एम (IBM) के पर्सनल कंप्यूटर्स को हुआ।

माइक्रोसॉफ्ट ने पहले अपना ऑपरेटिंग सिस्टम – डीओएस (DOS) निकाला और बाद में विंडोज 1.0.  इस पर जॉब्स ने कहा था “माइक्रोसोफ्ट की समस्या ये है कि उनके अन्दर creativity की कमी है, उनके आइडियाज़ ना तो असली होते है ना ही उनके प्रोडक्ट में कोई कल्चर होता है”.

त्यागपत्र – Steve Jobs

लीजा प्रोजेक्ट Steve Jobs के हाथो से छीनकर उन्हें बोर्ड का नॉन- एक्जीक्यूटिव सदस्य बना दिया गया था। बेशक उनके पास एप्पल के 11% शेयर थे फिर भी उनके पास अब ज्यादा अधिकार नहीं रहे।

1985में उन्होंने प्रेजिडेंट जॉन स्क्ली से कहा कि वे एक अलग कंपनी खोलना चाहते है। Steve Jobs ने कहा कि उनकी ये कम्पनी एप्पल से अलग होगी मगर उसकी competitor नहीं होगी।

जॉब्स ने अपनी इस नयी कंपनी का नाम नेक्स्ट NeXT रखा। उन्होंने स्क्ली से कहा कि उन्हें 5 लो लेवल employees चाहिए जिन्हें वे नेक्स्ट में रख सके।

जब Steve Jobs ने स्क्ली को 5 कर्मचारियों के नाम बताये तो स्कली नाराज़ हो गए क्योंकि जिन लोगो के नाम Steve Jobs ने सुझाये थे, वे बिलकुल भी लो लेवल के नहीं थे।

बोर्ड मेम्बर को लग रहा था कि जॉब्स अब कंपनी के प्रति ईमानदार नहीं रहे और एक चेयरमेन के तौर पर अपने फ़र्ज़ से मुंह मोड़ रहे है। सबने एकजुट होकर जॉब्स का विरोध करने का निर्णय लिया।

मीडिया में इस बात की चर्चा जोरशोर से होने लगी कि Steve Jobs को चेयरमेन के पद से निकाला जा रहा है। मगर त्यागपत्र का ख्याल उनके मन में तब से ही था जब उन्होंने नेक्स्ट के बारे में सोचा था। आखिर में उन्होंने एक्जीक्यूटिव माइक मर्क्कुला (Mike Markkula) को अपना त्यागपत्र मेल कर दिया।

Steve Jobs के त्यागपत्र की ये कुछ पंक्तिया थी “अब कंपनी एक ऐसा रवैया दिखाती नजर आ रही है जो मेरे और मेरे new venture के लिए safe नहीं लग रहा है…. जैसा कि आप जानते है कि कंपनी की नयी guidelines में मेरे लिए करने को कुछ अधिक नहीं बचा, यहाँ तक कि रेगुलर मेनेजमेंट रिपोर्ट पर भी मेरा कोई अधिकार नहीं रह गया है। मैं अभी सिर्फ 30 का हूँ और बहुत कुछ हासिल करने की इच्छा रखता हूँ”.

PIXAR और टॉय स्टोरी

जोर्ज लुकास (George Lucas) अपने कंप्यूटर डिवीज़न के लिए किसी खरीददार की तलाश में थे। एक दोस्त ने जॉब्स को सलाह दी कि उन्हें लुकास फ़िल्म कंप्यूटर डिवीज़न के प्रमुख एड केटमल (Ed Catmull) से मिलना चाहिए। Steve Jobs टेक्नोलोजी के साथ आर्ट को मिलाने में बहुत ज्यादा interested थे। जब वे डिवीज़न गए तो वहां का काम देखकर पूरी तरह हैरान रह गए।

डिवीज़न मुख्य रूप से डिजिटल इमेजेस के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर बेच रहा था। दूसरी तरफ यहाँ पर एनीमेटर्स (animators) थे जो शोर्ट फिल्म्स बनाया करते थे। इस छोटी सी एनिमेशन टीम के मुखिया थे जॉन लासेटर (John Lasseter). Steve Jobs ने तुरंत ही ये डील पक्की कर ली और 70 % शेयर उनके हो गए।

इस डिवीज़न का सबसे ख़ास प्रोडक्ट था PIXAR इमेज कंप्यूटर, और इसलिए नयी कंपनी का नाम भी PIXAR रखा गया। इसके 3डी ग्राफिक इमेजिंग सोफ्टवेयर में डिज्नी ने बहुत रूचि दिखाई। उन दिनों डिज्नी का एनिमेशन डिपार्टमेंट बुरी हालत में था। PIXAR का सोफ्टवेयर पहली बार डिज्नी के “लिटिल मरमेड” में इस्तेमाल किया गया।

इसी बीच जॉन लासेटर (John Lasseter) और Steve Jobs मिलकर एक ऐसी कहानी सोच रहे थे जो बेजान चीजों की भावनाओं के बारे में हो। लासेटर एक होनहार एनिमेटर थे जो केलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आर्ट् से पढ़कर निकले थे।

जब टॉय स्टोरी को बेशुमार सफलता मिली तो एक असमंजस पैदा हुआ कि ये डिज्नी की फिल्म हो या John Lasseter की। तब Steve Jobs डिज्नी के साथ टॉय स्टोरी और बाकी की एनीमेशन फिल्मो के मालिकाना हक़ में बराबर की हिस्सेदारी के लिए तैयार हो गये।

मोना और लिजा

सन 1980 से ही Steve Jobs गुपचुप तरीके से अपने असली माँ-बाप की तलाश में जुटे हुए थे और इसके लिए उन्होंने जासूसी सेवा की मदद ली, और आखिरकार उन्होंने अपनी असली माँ को ढूंढ निकाला।

उनकी माँ का नाम (Joanne Schieble) जोंने शीबले था और वो लोस एंजेलस में रहती थी। Joanne स्टीव के असली पिता अब्दुलफताह जन्दाली(Abdul Fattah Jandali) से अलग रहती थी जो कि एक सीरियन थे। उनकी शादी सफल नहीं रही थी। मगर उन्होंने जॉब्स को बताया कि मोना सिम्पसन नाम की उनकी एक हाफ सिस्टर भी है।

जॉब्स मोना से न्यू यॉर्क में मिले। उन्हें ये जानकर बहुत ख़ुशी हुई कि वो एक नॉवेलिस्ट है। दोनों ही आर्ट में गहरी दिलचस्पी रखते थे और यही वजह थी कि उनके बीच एक गहरा रिश्ता बन गया। जॉब्स ने मोना को उनकी बुक र्रीलीज़ में भी मदद की। दोनों एक दुसरे को बहुत पसंद करते थे और उनके बीच मज़बूत दोस्ती का रिश्ता बन गया।

इसी बीच Steve Jobs ने क्रिसेन्न ब्रेनन और लिजा के लिए एक घर खरीदा जहाँ वे दोनों रहने लगी। जब लीज़ा वहां होती तो जॉब्स बीच-बीच में मिलने आते। जॉब्स ने कहा था “मै पिता नहीं बनना चाहता था इसलिए मै नहीं था”.

जब लीज़ा 8 साल की हुई, जॉब्स का आना जाना और ज्यादा बढ़ गया। उन्होंने देखा कि लीज़ा पढ़ाई के साथ-साथ आर्ट में भी बहुत होनहार थी। लीज़ा उन्ही की तरह उत्साही थी और कुछ-कुछ उन जैसी ही दिखती भी थी।

एक दिन Steve Jobs अपने साथियो को सरप्राइज़ देने के लिए लीज़ा को अपने साथ एप्पल के ऑफिस में लेकर गए। कभी – कभी वे उसे स्कूल से भी लेने जाते थे, और एक बार तो वे उसे अपने साथ टोक्यो की बिजनेस ट्रिप में भी लेकर गए। फिर भी ऐसा कई बार हुआ जब Steve Jobs अपनी इन भावनाओ को प्रकट नहीं करते थे, जैसे जैसे वक्त बीतता गया, बाप बेटी का रिश्ता अनेक उतार-चढावो से गुजरा।

शादी – Steve Jobs

अक्टूबर, 1989 में Steve Jobs की मुलाकात लोरीन पॉवेल से हुई। Steve Jobs को स्टैंडफोर्ड युनिवेर्सिटी में लेक्चर के लिए इनवाईट किया गया था और पॉवेल तब नयी-नयी बिजनेस स्कूल ग्रेजुएट थी। वे दोनों लेक्चर के दौरान साथ बैठे थे। Steve Jobs पहली नज़र में ही पॉवेल के प्रति आकर्षित हो गए थे। उन्होंने आपस में कुछ देर बातचीत की और फिर जॉब्स ने उन्हें डिनर के लिए इनवाईट कर लिया।

लौरीन पॉवेल एक स्मार्ट, आत्मनिर्भर और पढ़ी-लिखी औरत थी। उनका सेन्स ऑफ़ ह्यूमर गज़ब का था और वे शाकाहारी थी। Steve Jobs इससे पहले कई औरतो को डेट कर चुके थे मगर पॉवेल से उन्हें सच में प्यार हो गया था। दिसंबर 1990, में वे दोनों छुटिया बिताने के लिए हवाई गए। क्रिसमस पर Steve Jobs ने पॉवेल को शादी के लिए प्रपोज किया।

और फिर मार्च 18, 1991 में योसमाईट नेशनल पार्क में वे दोनों शादी के बंधन में बंध गए। उस वक्त जॉब्स 36 साल के थे जबकि पॉवेल 27 की थी। करीब 50 लोग इस शादी में शामिल हुए थे जिनमे जॉब्स के पिता और उनकी बहन मोना भी थी। शादी के बाद ये जोड़ा पालो आल्टो के एक टू स्टोरी में शिफ्ट हो गया था। स्टीव और लौरीन के तीन बच्चे है पॉल रीड, एरीन सियेना और ईव।

Restoration

मैक के ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस का पता लगाने में Microsoft को कुछ वक्त लगा। साथ ही कंपनी ने अब विंडोज 3.0 भी निकाला। विंडोज़ 95 के रिलीज़ के साथ ही Microsoft ने market को dominate कर दिया। ये अब तक का सबसे बढ़िया ऑपरेटिंग सिस्टम था। इस दौरान एप्पल की सेल लगातार घट रही थी।

Steve Jobs को लगा कि स्क्ल्ली ने एप्पल को प्रॉफिट ओरिएंटेड बनाया है। वो मैक को अपग्रेड करके अफोर्डबल नहीं बना पाए थे। 1996 में एप्पल के मार्किट शेयर गिरकर 4% रह गए थे जोकि 1980 के आखिरी दशक में 16% थे। Steve Jobs एप्पल के सीईओ CEO ज़िल एमेलियो से मिले। जॉब्स ने उनसे कहा कि एक नया प्रोडक्ट बनाकर वे एप्पल को बचाना चाहते है।

ये दिसंबर 20, 1996 की बात थी जब एमेलियो ने एक एडवाइज़र के तौर पर एप्पल में Steve Jobs की वापसी की घोषणा की। अपने शानदार व्यक्तिव और तेज़ दिमाग बिजनेसमेन होने की वजह से Steve Jobs ने बाद में एप्पल के सीईओ की जगह ले ली। एप्पल में उनकी वापसी का पहला साल बेहद मुश्किलभरा रहा। सभी पुराने बोर्ड मेम्बर जा चुके थे और उनकी जगह नए ढूढने पड़े। एप्पल को 1 बिलियन से ज्यादा का घाटा हुआ था।

सन 1997 में Steve Jobs ने एप्पल के “Think Different” केम्पेन का खूब प्रचार किया। उन्होंने इसके लिए बेहतर मार्केटिंग और एडवरटाईजिंग पर जोर दिया। इस दौरान वे PIXAR, एप्पल और अपने परिवार के बीच एक संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे थे। साल 1998 तक एप्पल ने एक बार फिर से $309 मिलियन का प्रॉफिट हासिल किया। Steve Jobs और उनकी कंपनी, दोनों की गाडी एक बार फिर से पटरी पर दौड़ने लगी।

जब Steve Jobs अपने 30वे साल में थे, एप्पल ने उन्हें कम्पनी से निकाल बाहर फेंका था। मगर उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपना सारा ध्यान अपने परिवार, पिक्सर और NeXT को दिया। अपने चालीसवे साल में टॉय स्टोरी बनाकर उन्होंने कामयाबी की ऊँचाई को छुवा। एप्पल में अपनी वापसी के साथ उन्होंने साबित कर दिया कि चालीस के पार की उम्र में भी लोग बहुत कुछ हासिल कर सकते है।

अपने बीसवे साल में Steve Jobs पर्सनल कंप्यूटर की दुनिया में एक क्रान्ति लेकर आये। उनका ये प्रयास संगीत, मोबाइल फोन्स, टेबलेट, एप्प्स, बुक्स और जर्नलिस्म के क्षेत्र में भी ज़ारी रहा।

आइ मैक और एप्पल स्टोर्स

साल 1998 में Steve Jobs ने Macintosh को iMac के साथ रीइन्वेंट किया। एक बार फिर उन्होंने प्रोडक्ट बनाया जो मोनिटर और कीबोर्ड के साथ एक मुक्कमल कंप्यूटर था। आइमैक को पूरी तरह से एक होम कंप्यूटर के रूप में बनाया गया था। जॉब्स ने प्रोडक्ट की लौन्चिंग Macintosh के साथ एक नए तरह के थियेटर में की थी। आइमैक को भी उन्होंने इसी तरह लांच किया। $1,299 की कीमत का आइमैक, एप्पल का हाथो-हाथ बिकने वाला प्रोडक्ट बन गया था।

1999 में शहर की प्रमुख सड़को या फिर किसी माँल में एक भी Tech स्टोर नहीं था। जॉब्स ने सोचा की आप तब तक कोई नयी इनोवेशन मार्किट में नहीं ला सकते जब तक कि आपकी पहुँच खरीददारों तक ना हो, तब उन्हें एप्पल के रिटेल स्टोर खोलने का विचार सूझा। एक दिन उनके एक साथी ने उनसे पुछा – क्या एप्पल भी Gap की ही तरह एक बड़ा ब्रांड है? Steve Jobs ने जवाब दिया कि एप्पल उससे भी बड़ा ब्रांड है।

सबसे पहला एप्पल स्टोर मई, 2001 में वर्जीनिया में खोला गया। सफ़ेद रंग के काउंटर और वूडन फ्लोर वाले इस स्टोर में एप्पल के सभी प्रोडक्ट थे। साल 2004 तक एप्पल ने रिटेल इंडसट्री में $1.2 बिलियन के मुनाफे के साथ एक रेकोर्ड बना लिया था। 2006 में एप्पल का पांचवा एवेन्यू स्टोर मेनहेट्टेन में खोला गया.. इसमें जॉब्स के ट्रेडमार्क minimalist design from glass, क्यूब से लेकर स्टेयर केस तक थे। साल 2011 आते-आते पूरी दुनिया में एप्पल के 326 स्टोर खुल चुके थे।

Apple – आइ ट्यून्स और आइ पोड

साल 2000 में अमेरिका में 320 मिलियन के करीब ब्लेंक सीडी बिकी। लोग सीडी से गाने अपने कंप्यूटर में डालते थे। Steve Jobs म्युज़िक की दुनिया में भी कुछ नया करना चाहते थे। हालांकि उन्हीने मैक को सीडी बर्नर के साथ बनाया था मगर फिर भी वे कोई और आसान तरीका सोच रहे थे जिससे गाने सूनने के लिए म्युज़िक आसानी से कंप्यूटर में ट्रांसफर किया जा सके।

उस वक्त जो विंडोज का मीडिया प्लयेर था, वो Steve Jobs को बहुत कोम्प्लीकेटेड लगा। इसी दौरान एप्पल के दो पुराने इंजिनियरो ने SoundJam नाम से एक म्युज़िक सॉफ्टवेयर तैयार किया। एप्पल ने उन्हें वापस कम्पनी में लिया और SoundJam को रीइन्वेंट करने के बाद आइ-ट्यून्स बनाया। Steve Jobs ने आइ-ट्यून्स को जनवरी 2001 में इस स्लोगन के साथ लांच किया “Rip, Mix, Burn”.

Steve Jobs ने सोचा, म्युज़िक प्ले करने के लिए एक ऐसा पोर्टेबल डीवाइस हो जिसे आइ-ट्यून्स के साथ पार्टनर किया जा सके। जब वे जापान में थे तब उन्हें एक नए प्रोडक्ट के बारे में पता चल जिसे तोशिबा बना रहा था। सिल्वर कोइन जितना छोटा ये डीवाइस 5 जीबी यानी 1,000 गाने तक स्टोर कर सकता था। ये डीवाइस तोशीबा ने बना तो लिया था मगर उसका सही उपयोग Steve Jobs को पता था।

और हमेशा की ही तरह Steve Jobs चाहते थे कि जो भी एप्पल प्रोडक्ट बने वो इस्तेमाल में आसान हो। उन्होंने सोचा चूँकि आइ-पोड पहले से ही छोटा था तो प्लेलिस्ट को कंप्यूटर के साथ बनाया जाए। तब आइ-पोड को आइ-ट्यून्स की मदद से सिंक (sync) किया जा सकता था। इसके बाद गानों के कॉपी राईट और आइ-ट्यून्स स्टोर्स के लिए Steve Jobs कुछ बड़ी म्युज़िक कंपनियों से मिले।

ये अक्टूबर 2003 की बात थी जब Steve Jobs को पता चला कि उन्हें कैंसर है। उन्हें पहले एक बार किडनी स्टोन हो चूका था इसलिए तस्सली के लिए वे सिर्फ केट (CAT ) स्केन के लिए गए थे। मगर जांच करने पर डॉक्टर को पता लगा कि उनके पेनक्रियाज़ में ट्यूमर था।Steve Jobs की बायोप्सी की गयी जिससे ये पता चला कि ट्यूमर निकाल कर कैंसर को शरीर में फैलने से रोका जा सकता है।

मगर Steve Jobs सर्जरी नहीं कराना चाहते थे। इसके बदले उन्होंने पूरी तरह से Vegetarian हो कर एक्यूपंक्चर इलाज़ का सहारा लिया। हालांकि उनकी पत्नी और दोस्त उन्हें सर्जरी करवाने के लिए मनाते रहे की उन्हें सच में ओपरेशन की ज़रुरत है, ये बात समझने में उन्हें 9 महीने लगे।

जुलाई 2004 में जॉब्स ने अपना दूसरा केट CAT स्केन करवाया। ट्यूमर बढ़ चूका था। मजबूरन उन्हें सर्जरी करवानी पड़ी और इसमें उनके पेनक्रियाज़ का एक हिस्सा निकाल दिया गया। वे सितम्बर से वापस अपने काम पर जाना चाहते थे मगर बदकिस्मती से उनका कैंसर पूरी तरह उनके शरीर में फ़ैल चूका था। Steve Jobs की कीमोथेरेपी चलती रही।

जब उन्हें स्टेंडफोर्ड के कमेंसमेंट एक्सरसाइज़ के लिए इनवाइट किया गया तो Steve Jobs ने अपने कैंसर के ठीक हो जाने की घोषणा की। साल 2005 में उनकी पत्नी ने उनके जन्मदिन पर एक सरप्राइज़ पार्टी रखी। उन्होंने अपना 50वा जन्मदिन अपने परिवार, दोस्तों और साथियो के साथ मिलकर मनाया।

Apple – आइ-फोन

सारी दुनिया आइ-पोड की दीवानी हो गयी थी। साल 2005 तक ये एप्पल का कुल 45% रीवेन्यु कमा रहा था, और हमेशा की ही तरह Steve Jobs कुछ और इनोवेट करने में लगे थे। उन्होंने अपना ये तर्क बोर्ड के सामने रखा कि जो कभी डिजिटल केमरा के साथ हुआ वो आइ-पोड के साथ भी हो सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए एप्पल को अपना खुद का फोन बनाना ज़रूरी था जिसमे इन-बिल्ट केमरा के साथ-साथ म्युज़िक प्लेयर भी हो।

उन्होंने इस बारे में सोचा और मोटोरोला के साथ टाइ-अप करने के लिए नेगोशिएट किया। मगर Steve Jobs पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पाए। उन्हें मार्केट में उपलब्ध एक भी सेल फोन पसंद नहीं आया। इसके अलावा Steve Jobs अपने फ़ोन के लिए एक पोटेंशियल मार्केट भी सोच रहे थे।

Steve Jobs किसी को जानते थे जो माइक्रोसॉफ्ट के लिए टेबलेट पीसी बना रहा था। जो इंजीनियर इसे बना रहा था वो इसके बारे में क्लासीफाइड जानाकरी दे रहा था। माइक्रोसॉफ्ट का ये टेबलेट स्टाइल्स के साथ आता था। लेकिन Steve Jobs ने अपने इंजीनियर्स से पुछा कि क्या वे ऐसा एप्पल प्रोडक्ट बना सकते है जिसमे टच-स्क्रीन हो। जब आइ-फोन का डिजाईन तैयार करके उनके सामने पेश किया गया, जॉब्स ने कहा – “ यही फ्यूचर है”.

कैंसर की वापसी

2008 तक Steve Jobs का कैंसर बुरी तरह उनके शरीर में फ़ैल चूका था। असहनीय दर्द के अलावा उन्हें इटिंग डिसऑर्डर से भी जूझना पड़ रहा था। Steve Jobs को जवानी के दिनों में अक्सर खाली पेट रहने और एक्सट्रीम डाईट की आदत थी। कैंसर की लाइलाज बिमारी में भी वे खाने के प्रति लापरवाह थे। उस साल जॉब्स का वजन लगभग 40 पाउंड घट गया था।

जब वे आइ-फोन 3G को दुनिया के सामने लेकर आये तो मीडिया ने उनके वजन कम होने पर ज्यादा interest दिखाया। सिर्फ महीने भर में ही एप्पल के स्टोक घटने लगे थे।

आखिरकार जॉब्स को जनवरी 2009 में मेडिकल लीव पर जाना पड़ा। उसके दो महीने बाद ही उनका लीवर ट्रांसप्लांट का ओपरेशन हुआ। उनके लीवर में ट्यूमर पाया गया और डॉक्टर इस बात से और चिंतित हो गए थे।

Steve Jobs के मेडिकल लीव पर जाने पर एप्पल के मेनेजमेंट में कुछ अरेंजमेंट किये गए। धीरे-धीरे स्टॉक प्राइस कुछ सुधरे। एक कोंफ्रेंस काल के दौरान, ओपरेशन मेनेजर टीम कुक ने कहा – “हमें इस बात का यकीन है कि हम इस दुनिया में सिर्फ महान प्रोडक्ट बनाने के लिए है और ये हमेशा होता रहेगा। यहाँ कौन क्या काम कर रहा है, इस बात की परवाह किये बगैर हमारा सारा ध्यान सदा इनोवेटिंग पर रहा है। ये वेल्यूज़ कंपनी के साथ इस कदर जुड़े हुए है कि एप्पल हमेशा बेहतरीन करता रहेगा”.

Steve Jobs हालांकि बीमारी में भी शांत नहीं थे। उनका जुझारूपन अभी कायम था। साल 2010 में वे ठीक होकर फिर से एप्पल आने लगे थे। कैंसर भी उन्हें रोक नहीं पाया और उन्होंने आइ-पेड के बाद आइ-पेड 2 और आइ-क्लाउड डेवलेप किया।

आखिरी बोर्ड मीटिंग

ये साल 2011 था जॉब्स को उनके डॉक्टर्स ने बताया कि ट्यूमर उनकी हड्ड्यों और बाकी ओरगंस में भी फ़ैल चूका था। इसके साथ ही दर्द, वजन घटना, इटिंग डिसऑर्डर, नींद ना आना और मूड स्विंग्स जैसी अन्य परेशानियो से उनकी हालत बदतर होती जा रही थी। ऐसे कई प्रोजक्ट थे जिन्हें जॉब्स पूरा करना चाहते थे मगर अपनी बिमारी की वजह से उन्हें अपने परिवार की देख-रेख में घर पर बैठना पड़ रहा था।

अगस्त में Steve Jobs ने लेखक Issacson को मैसेज करके उनसे मिलने की गुज़ारिश की। वे Issacson को अपनी बायोग्राफी के लिए कुछ फ़ोटोज़ दिखाना चाहते थे। उन्होंने हर तस्वीर के पीछे की कहानी उन्हें बताई और बिल गेट्स से लेकर प्रेजिडेंट ओबामा तक उन सब लोगो के बारे में बताया जिनसे वे मिले थे। Steve Jobs का शरीर भले ही बहुत कमज़ोर हो गया था मगर उनका दिमाग अभी भी तेज़ चलता था।

जब आईजेकसन जाने लगे तो जॉब्स ने अपनी बायोग्राफी को लेकर चिंता जताई। लेकिन फिर उन्होंने लेखक से कहा “मैं चाहता हूँ कि मेरे बच्चे मेरे बारे में जाने। क्योंकि मैं उनके साथ ज्यादा वक्त नहीं बिता पाया। मैं चाहता हूँ कि जो कुछ भी मैंने किया, वे उसके बारे में जाने। एक वजह और भी है। जब मैं नहीं रहूँगा तो लोग मेरे बारे में लिखना चाहेंगे। हालांकि वे मेरे बारे में कुछ नहीं जानते तो जो कुछ भी लिखा जाएगा सब गलत होगा। इससे बेहतर है कि मै अपनी बात खुद की कह सकूँ”.

Steve Jobs की आखिरी बोर्ड मीटिंग 24 अगस्त को की थी। उन्होंने इस मीटिंग में वो लैटर पढ़ा जिसे वे हफ्तों से रीवाइज़ कर रहे थे। इसमें लिखा था “मैं हमेशा से ही कहता आया हूँ कि कभी अगर मैं एप्पल के सीईओ CEO की हैसियत से अपना फ़र्ज़ और इस कम्पनी की उम्मीदों पर खरा उतरने लायक ना रह पाऊं तो ये बात आप लोगो को सबसे पहले मैं खुद बताऊंगा, और अफ़सोस की बात है कि वो दिन आज आ गया है”.

Steve Jobs अपनी पसंद में intense हो सकते थे। उनके साथी उनके लिए या तो हीरो थे या फिर एकदम निकम्मे। इसी तरह उनके प्रतिद्वन्दी भी उनकी नजरो में या तो अव्वल थे या एकदम नाकारा। यही नहीं वे हद से ज्यादा ईमानदार थे। उनके अधीन काम करने वालो के अनुसार वे सीधी और सच्ची बात करने में यकीन रखते थे।

Steve Jobs हर काम में अपना दखल देते थे। स्वभाव से वे कंट्रोलिंग थे। मैक का ऑपरेटिंग सिस्टम वे खासतौर पर सिर्फ एप्पल के लिए ही चाहते थे। हालांकि उनके फैसले से माइक्रोसॉफ्ट को फायदा पहुंचा था। लेकिन Steve Jobs अपने प्रोडक्ट्स को बेहतर से भी बेहतरीन बनाने पर जोर देते थे। प्रोडक्ट के डिजाईन से लेकर कस्टमर के अनुभव तक में उन्हें अपना दखल चाहिए था। उनका लक्ष्य हमेशा सिर्फ और सिर्फ परफेक्शन रहा।

कंज्यूमर क्या चाहता है इससे ज्यादा वे इस बात का ख्याल रखते थे कि मार्किट में आने वाले सबसे पहला प्रोडक्ट सिर्फ उनका हो। उनकी मौजूदगी में एप्पल इनोवेशन में हमेशा सबसे आगे रहा। जैसा कि कम्पनी का मोटो रहा है “थिंक डिफरेंट”. स्टीव जॉब्स भले ही कभी-कभी सनकी हो जाते थे मगर उन्होंने खुद को digital age का सबसे महान इनोवेटर साबित कर दिखाया।

Steve Jobs का हमेशा ये मानना था कि अक्सर किसी भी कम्पनी के डूबने के पीछे एक वजह ये होती है कि जब उनका कोई प्रोडक्ट चल पड़ता है तो कम्पनी का सारा ध्यान प्रॉफिट कमाने में लग जाता है। मगर एक कामयाब कंपनी वही होती है जो आखिर तक कायम रहती है क्योंकि उनका मकसद सिर्फ पैसा कमाना नहीं होता बल्कि हर बार बेहतर करना ही उनका लक्ष्य होता है, और एप्पल के लिए वो यही लक्ष्य चाहते थे।

पूरे तीन दशको तक  Steve Jobs लगातार अपने लक्ष्य की ओर बड़ते रहे। उन्होंने एप्पल II और मेकिनतोष के साथ आल इन वन और Ready to use पर्सनल कंप्यूटर बनाया। उन्होंने PIXAR के साथ एनीमेशन की दुनिया ही बदल दी। उनके आइ-ट्यून्स और आइ-पोड ने म्युज़िंक इंड्सट्री को Piracy से बचाया। आइ-फोन और आइ-पेड की मदद से बिजनेस और एंटरटेन एक ही पोर्टेबल डीवाइस में सिमट कर रह गए, और आइ-क्लाउड ने तो डेटा सिंक (SYNC) को बेहद आसान बना दिया।

बेशक Steve Jobs अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनकी लीगेसी हमेशा जिंदा रहेगी। एप्पल और पिक्सर आगे भी यूँ ही टेक्नोलोजी और आर्ट का तालमेल बनाते रहेंगे।

Steve Jobs की बायोग्राफी से हम जो चीज़ सीख सकते है वो ये है की हमेशा चलते रहो, सुधार करते रहो और तुम्हारी ये कोशिशे खुदबखुद तुम्हे कामयाब बनायेंगी।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद।

Wish You All The Very Best.

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Apple कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय

Apple कंपनी के रचयिता स्टीव जॉब्स को दुनिया का हर इंसान जानता है। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक रहा है। स्टीव जॉब्स एक बहुत ही प्रभावशाली इंसान थे। जिन्होंने अपने मेहनत और संघर्ष के दम पर सफलता का वह मुकाम हासिल किया , जिसके बारे में कोई कल्पना तक नहीं कर सकता है।  

उन्होंने 56 साल के जीवन में पूरी दुनिया को यह साबित कर दिखाया कि अगर कोई इंसान किसी भी कार्य को मेहनत और लगन के साथ करता है तो उसकी जीत निश्चित होते हैं , उन्होंने यह भी साबित कर दिखाया कि जीवन में सफलता को प्राप्त करने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं होती है बल्कि मेहनत और लगन के दम पर कोई भी कुछ भी हासिल कर सकता है।  

अगर आप भी स्टीव जॉब्स की तरह कुछ करना चाहते हैं तो आप को उनके बारे में पूरी जानकारी इस लेख में मिलने वाली है इसलिए इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें-

Table of Contents

स्टीव जॉब्स की जीवनी | Steve Jobs Biography in Hindi 

नाम ( Name) –  स्टीव पॉल जॉब्स

जन्म ( Date of Birth) – February 24, 1955, San Francisco, California 

माता( Name of Mother) – Joanne Schieble Simpson, Clara Jobs( इन्होने गोद लिया)

पिता( Name of Father) -Abdulfattah Jandali, Paul Reinhold Jobs( इन्होने गोद लिया)

पत्नी( Wife) – Laurene Powell Jobs

बच्चे( Children) –  Lisa Brennan-Jobs, reed paul jobs, Eve Jobs, Erin Siena Jobs

Death – 5 Oct 2011,California 

स्टीव जॉब्स  के जीवन का शुरुआती समय – Biography of Steve Jobs in Hindi 

  • स्टीव जॉब्स  का जन्म 14 फरवरी 1955 को San Francisco, California   में के जंदाली परिवार में हुआ था। स्टीव ने Joanne Schieble Simpson से जन्म लिया था लेकिन उस वक्त उनके माता-पिता ने शादी   की थी।  
  • उनके माता-पिता ने स्टीव जॉब्स  को क्लारा और पॉल नाम के एक कपल को गोद में देने का फैसला किया। पॉल मैकेनिक थे और उनकी पत्नी एक accountant थी। वही से स्टीव की रूचि इलेक्ट्रॉनिक में बढ़ी।  
  • स्टीव जॉब्स अधिकतर समय अपने पिताजी के गैराज में गुजारते थे और कुछ ना कुछ छेड़छाड़ करते ही रहते थे। जिसके बाद धीरे-धीरे उसकी रूचि इलेक्ट्रॉनिक चीजों की तरह बढ़ने लग गई और उसने अपने पिताजी के गैराज से बहुत अधिक चीजों के बारे में सीख लिया था। उनको स्कूल जाना बहुत ही कम पसंद था। वे किताबें पढ़ना बहुत अधिक पसंद करते थे।  

स्टीव जॉब्स की शुरुआती शिक्षा और करियर – 

  • स्टीव जॉब्स ने अपने हाई स्कूल तक की पढ़ाई आसानी के साथ पूरी कर ली थी लेकिन उसके बाद ऑर्गेन के रीड़ कॉलेज में उन्होंने अपना एडमिशन करवाया लेकिन वह की फीस बहुत अधिक थी और उसके माता-पिता उसकी फीस का खर्चा नहीं उठा सकते थे। इसलिए स्टीव जॉब्स  ने अपने कॉलेज को छोड़ने का फैसला किया।  
  • लेकिन कैलीग्राफी में उनकी बहुत अधिक रूचि थी। जिसकी वजह से वे हमेशा कैलीग्राफी की क्लासों को जरूर लेते थे क्योंकि उनमें क्रिएटिविटी थी।  
  • इसके बाद स्टीव जॉब्स  का एक नया दोस्त वोजनियाक बना। जिसकी भी रूचि कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स में थी। शुरुआती समय के दौरान स्टीव जॉब्स को बहुत अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि उसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था और रहने के लिए अच्छी जगह भी नहीं थी।  
  • लेकिन जैसे तैसे करके स्टीव जॉब्स  में अपना पेट भरा था और हर रविवार के दिन स्टीव जॉब्स  कृष्ण मंदिर जाते थे। जहां पर उनको फ्री में खाना मिलता था और उनका यह खाना सबसे पसंदीदा था।  
  • 1972 में स्टीव जॉब्स को एक वीडियो को गेम कंपनी में काम करने का अवसर भी मिला था लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने उस नौकरी को छोड़ दिया क्योंकि उसमें उनकी कोई रुचि नहीं थी और उस कंपनी से जो भी पैसे उन्होंने कमाए थे उन पैसों से वह भारत घूमने के लिए आए और भारत में काफी दिन रहे।  
  • क्योंकि उनको भारत की संस्कृति और भारत के लोगों ने काफी प्रभावित किया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में काफी महीने गुजारे क्योंकि वे वहां पर बौद्ध धर्म की शिक्षा को ग्रहण कर रहे थे और जब उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा को पूरा किया तो उसके बाद भी वापस अमेरिका चले गए थे।  

Apple कंपनी की शुरुआत-

  • स्टीव जॉब्स और उनके दोस्त वोजनियाक ने एक कंप्यूटर को बनाया था। जिसके बाद से स्टीव जॉब्स को कंप्यूटर बनाने के बिजनेस   में अपने रुझान को बढ़ाया था और 1976 में उन दोनों दोस्तों ने मिलकर ही अपने काम की शुरुआत कर दी थी और अपनी कंपनी का नाम एप्पल रख दिया था।  
  • उसके बाद से उन्होंने नए-नए आविष्कार किए और नए-नए परीक्षण अपनी कंपनी में किए थे। 1980 में अब यह एक सफल कंपनी बन गई थी और लोग इससे परिचित हो चुके थे।  

Company से Steve Job को जब निकाला गया-  

  • कंपनी का शुरुआती समय बहुत ही अच्छी से गुजर रहा था। कंपनी सफलताओं की सीढ़ियों के ऊपर चल रही थी लेकिन एक समय ऐसा आया जब कंपनी की ग्रोथ पूरी तरह से ही रुक गई थी और स्टीव जॉब्स  की सभी ideas भी पूरी तरह से असफल हो रहे थे।  
  • स्टीव जॉब्स  ने वापस से मैकिनटोश बनाने में काफी कड़ी मेहनत की थी और उसके बाद 1984 में इसको लांच किया था और उसके बाद उन्होंने फिर से सफलता को हासिल किया।  
  • IBM और एप्पल   मिलकर दोनों कंप्यूटर बनाने लग गई थी। जिसके बाद इनकी अच्छी क्वालिटी के चलते मार्केट में इनको पसंद किया जाने लगा और धीरे-धीरे इनकी डिमांड भी बढ़ गई थी।  
  • अब दूसरी कंपनियों ने इनके जैसे ही कंप्यूटर मार्केट में लॉन्च कर दिए और इनसे सस्ते दामों पर बिकने लगे। जिसके बाद एप्पल कंपनी को बहुत ज्यादा नुकसान होने लगा और इन सभी का जिम्मेदार स्टीव जॉब्स  को मानने लगी जिसके बाद उन्होंने 1985 में कंपनी से इस्तीफा दे दिया था।  
  • स्टीव जॉब्स ने अभी तक हार नहीं मानी थी और कंपनी से निकलने के बाद वापस सहित नए कंप्यूटर बनाने पर लग गए थे और उनको समझ थी कि किस तरह से एक कंप्यूटर को बनाया जाता है और उस कंप्यूटर का नाम नेक्स्ट कंप्यूटर था।  
  • एप्पल की तरह ही नेक्स्ट कंप्यूटर भी बहुत ही बेहतरीन था। लेकिन बहुत अधिक महंगा होने की वजह से यह कंप्यूटर ज्यादा नहीं सका और इसको नुकसान उठाना पड़ा।  
  • स्टीव जॉब्स ने बहुत संघर्षों का सामना किया और उसके बाद अपनी नेक्स्ट कंप्यूटर को एक सॉफ्टवेयर में बदल दिया और उसके बाद उन्होंने बड़ी सफलता को हासिल किया।  

स्टीव जॉब्स की एप्पल में वापसी-

  • 1996 में एप्पल कंपनी ने नेक्स्ट कंपनी को खरीद लिया था 427 मिलियन डॉलर में एप्पल ने नेक्स्ट कंपनी को खरीदा था और उसके बाद स्टीव जॉब्स की एप्पल कंपनी में सीईओ के रूप में वापसी हुई थी और उस समय एप्पल कंपनी भी बहुत मुश्किल दौर से गुजर रही थी।  
  • लेकिन 2007 में एप्पल कंपनी ने अपना मोबाइल फोन मार्केट में लांच किया था और उस प्रोडक्ट ने मार्केट में सुनामी ला दी थी और जिसके बाद से एप्पल कंपनी लगातार सफलताओं की सीढ़ियों पर चल रही है।  

स्टीव जॉब्स  के अवॉर्ड्स-

  • स्टीव जॉब्स  को जीवन में बहुत बड़े-बड़े अवार्ड मिल चुके हैं और ये अवार्ड यह बताते हैं कि वे कितने सफल इंसान थे तो चलिए जानते हैं उनके अवॉर्ड्स के बारे में-

“ कैलिफोर्निया हॉल ऑफ फेम ” से नवाजा गया था।  

“ नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी ” से सम्मानित।  

“ मशीन ऑफ द ईयर ” से 1982 में स्टीव जॉब्स को नवाजा गया था।  

  • स्टीव जॉब्स की मृत्यु 2 अक्टूबर 2011 को कैलिफोर्निया में पेनक्रियाटिक बीमारी से लड़ते हुए उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली थी और उसके बाद 24 अगस्त 2011 को एप्पल कंपनी का नया सीईओ टीम कुक को बनाया गया था।  

स्टीव जॉब्स के मोटिवेशनल कोट्स( motivational quotes of steve job)-

” महान काम करने का सिर्फ एक ही तरीका है , आप को वही करना चाहिए जिसे आप पसंद करते है , अगर आपको अभी वह काम नही मिला है जिसे आप पसंद करते हो तो उसे खोजते रहो लेकिन कभी अपने काम से समझौता मत करो।”  

” लोग आपको आपके कार्यों से जांचते है , इसलिए आपको हमेशा अपने परिणाम पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। “

” अपनी क्षमता के बल पर दुनिया को बताओ की आप कौन हो , तभी ये दुनिया आपको पहचानेंगी। “

“ एक नया आविष्कार एक लीडर और एक अनुयायी के बीच का अंतर बताती है। “

“ किसी चीज के डिजाइन का मतलब यह नही होता है कि वह कैसी दिखती है या कैसी महसूस होती है , डिजाइन का मतलब यह होता है कि वह चीज काम कैसे करती है। “

” जब आप कोई आविष्कार करते है और आपसे गलतियां हो जाती है तो यह सबसे सही है कि आप उन्हें स्वीकार कर लें और अपने दूसरे आविष्कार को सुधारने में लग जाएं। “

” लोगों को अपने आने वाले कल के लिए कुछ नया करना चाहिए , बल्कि इसकी चिंता नही करनी चाहिए कि कल क्या हुआ था। “

Conclusion –

आज के लेख Steve Jobs Biography in Hindi में हमने एप्पल कंपनी के साउंड स्टीव जॉब्स  के बारे में आपके साथ पूरी जानकारी साझा की है। आशा करते हैं कि आपको इस लेख की जानकारी से जरूर कुछ नया सीखने को मिला होगा। अगर आपको यह लेख पसंद है तो इसको अपने दोस्तों के साथ में शेयर जरूर करें।  

इन्हे भी पढ़े

  • Bill Gate Biography in Hindi | दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति की कहानी
  • रतन टाटा की जीवनी | Biography of Ratan Tata in Hindi
  • मुकेश अंबानी का संपूर्ण जीवन परिचय | Biography of Mukesh Ambani

So guys आपको ये वाला article कैसे लगा ये comment section में ज़रूर बताना; साथ ही साथ कुछ suggestions हो तो बता देना और आपको किस topic पर article चाहिए ये भी बता देना|

आपका कोई personal question हो तो आप मुझे [email protected] पे मेल कर सकते हो| Thank you, stay connected & love you guys…

You Might Also Like

affirmation in hindi for success

Success Affirmation in Hindi

self dependent quotes in hindi

Best 20+ Self Dependent Quotes in Hindi

Emotionally strong

Emotionally strong कैसे बने? Emotionally Strong बनने के तरीके

Leave a reply cancel reply.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

  • 2023 में आने वाली फिल्में
  • Sarkari Yojana
  • Civil Servant
  • Businessman‍
  • Freedom Fighter
  • General Knowledge

biography of steve jobs in hindi

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय | Steve Jobs Biography In Hindi

स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय (बायोग्राफी,आयु, जन्मदिन, डेथ, कोट्स, घर, परिवार, शिक्षा, विवाह, कुल संपत्ति, परिवार, मूवी, एप्पल फोन) (Steve Jobs Biography, Age, Death, Quotes, Book, Apple Phone, Birthday, Family, Wife, Education, Lifestyle, Marriage, Net Worth, Movie, Story, Achievements)

एक गैरेज से शुरू होकर दुनियाँ की सबसे बड़ी टेक कंपनी में से एक Apple आज जिस मुकाम पर है उसमें सबसे ज्यादा योगदान एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का है। जिंदगी और काम के प्रति इनका नजरिया बहुत अलग था। एक वक्त ऐसा था जब स्टीव ने भूख मिटने के लिए मंदिर में खाना गया पैसे नही होने के दोस्तों के घर में रहे. एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय ( Steve Jobs Biography In Hindi ) में आज हम इनके जीवन संघर्ष और सफलता के बारे में जानेंगे।

Steve-Jobs-Biography-In-Hindi

Table of Contents

स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय (Steve Jobs Biography In Hindi)

स्टीव जॉब्स का जन्म और परिवार (steve jobs birth and family).

स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके माता पिता सीरिया के रहने वाले थे, पर समस्या यह थी कि स्टीव जॉब्स के जन्म के समय उनके माता-पिता विवाहित नहीं थे, इसलिए उन्होंने स्टीव जॉब्स को अपने पास नहीं रखा और अनाथालय में दे दिया। यहां उन्हें कपल ने गोद लिया जिनका नाम पॉल और क्लारा रहा था।

पोल जॉब्स एक मैकेनिक थे, जबकि क्लारा जॉब्स एक अकाउंटेंट थी। स्टीव जॉब्स बचपन से ही अपने पिता के गैराज में जाया करते थे यहीं से उनकी रूचि इलेक्ट्रॉनिक सामान पर बढ़ने लगी। वह इन सामानों से कुछ न कुछ बनाने की कोशिश करते रहते। स्टीव जॉब्स कुशाग्र बुद्धि के तो थे ही, इसलिए उन्होंने बचपन में ही बहुत कुछ सीख लिया था।

स्टीव जॉब्स की शिक्षा (Steve Jobs Education Qualification)

शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद स्टीव का एडमिशन रीड कॉलेज में करवा दिया गया. वैसे तो यह कॉलेज बहुत ही लिबरल था, यहां का वातावरण पर बहुत अच्छा था, लेकिन मैनेजमेंट काफी कड़ा था, जो इन्हें पसंद नहीं था। मैनेजमेंट के अनुसार यहां लगने वाली हर क्लास अटेंड करना जरूरी है, पर स्टीव ऐसा जरूरी नहीं समझते थे। उन्हें ऐसा लगता था कि वह मैनेजमेंट की बताई क्लासेस को क्यों जॉइन करें? उन्हें उनकी इच्छा से  क्लास में बैठने की आजादी होनी चाहिए.

बस यही सोचकर स्टीव ने कॉलेज छोड़ने का फैसला कर लिया। उन्हें ऐसा लगा कि जब हमें कॉलेज में कुछ सीखने को मिल ही नहीं रहा तो अपने माता-पिता की जमा पूंजी क्यों बर्बाद किया जाए? हालांकि उस वक्त उनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी।

स्टीव के इस फैसले का पता जब कॉलेज के डीन को चला तो उन्होंने स्टीव को तो कॉलेज से नहीं निकाला पर उन्होंने इतना जरूर कर दिया कि स्टीव कॉलेज में अपनी पसंद की किसी भी क्लास में बैठ सकते हैं, क्योंकि वह स्टीव की छमता से भलीभांति अवगत थे। कॉलेज की डीन के अनुसार, स्टीव काफी अलग थे। वह हर चीज की तब तक इंक्वायरी किया करते थे जब तक उनके अंदर की सभी प्रश्न खत्म नहीं हो जाते थे। यह बात उन्हें बाकी स्टूडेंट से अलग बनाती थी।

इसीलिए उन्होंने स्टीव को कॉलेज में पढ़ने की इजाजत दे रखी थी। यहां स्टीव जॉब्स अब सिर्फ दो ही क्लास लिया करते थे, जिनमें से एक डांस क्लास थी, जहां पर लड़कियां भी आती थी और दूसरी क्लास कैलीग्राफी की थी, जो उन्हें काफी पसंद थी। कैलीग्राफी की क्लास में अक्षरों को नए नए रचनात्मक अंदाज में लिखना सिखाया जाता था।

इस क्लास में स्टीव जॉब्स ने जो कुछ भी सीखा उसका परिणाम आईफोन के कीपैड में हमें देखने को मिलता है, जहां पर काफी रचनात्मक तरीके के फॉन्ट दिए हुए रहते हैं।

हालांकि स्टीव जॉब्स अपनी पूरी पढ़ाई के दौरान बहुत आर्थिक तंगी से गुजरे थे। वह सिर्फ $20 के एक अपार्टमेंट में रहा करते थे, पढ़ाई के साथ एनिमल लैब में टेक्निकल काम भी करते थे, जिससे उन्हें कुछ पैसा मिल जाता था। स्टीव जॉब्स के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपने लिए जूते, चप्पल खरीद सके। वह नंगे पैर ही कॉलेज जाया करते थे।

स्टीव जॉब्स का भारत आगमन (स्टीव जॉब्स एंड नीम करोली बाबा)

स्टीव जॉब्स भारत भी आ चुके हैं और वह करीब 7-8 महीने का वक्त भी यहां पर गुजार चुके हैं। असल में उनके भारत आने की मुख्य वजह मानसिक शांति का अहसास करना था। 1974 में स्टीव जॉब्स के पास कोई मकसद नहीं था, वो बहुत सारे प्रश्नों से घिरे हुए थे, जैसे उनके असली माता पिता कौन है और जीवन में उन्हें क्या करना चाहिए ऐसे तमाम तरह के प्रश्न उन्हें अंदर ही अंदर काफी परेशान कर रहे थे। तभी उनके एक दोस्त ने उन्हें सलाह दिया की उन्हें भारत जाना चाहिए, क्योंकि भारत में कई साधु संत हैं जो उन्हें इस तरह की समस्याओं का समाधान दे सकते हैं।

पर उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह भारत आ सके। इसलिए एक वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी अटारी में जॉब करना शुरू किया। यहां जॉब करके उन्होंने कुछ पैसे इकट्ठे किए और उसके बाद अपने दोस्त डेनियल कोटके को लेकर भारत यात्रा के लिए निकल पड़े।

उनकी इच्छा नीम करोली बाबा से मिलने की थी पर जब वह उनके आश्रम पहुंचे तब तक बाबा समाधि में लीन हो चुके थे।  लेकिन फिर भी भारत में उन्होंने करीब 7-8 महीने बिताए और कई साधु संतों से मुलाकात की, इसके बाद वापस वह अमेरिका चले गए। पर इस बार वह एक अलग स्टीव जॉब्स बन कर अमेरिका गए थे। उनके अंदर के सारे प्रश्नों का जवाब उन्हें मिल चुका था और अमेरिका जाते ही उन्होंने फिर से एक बार अपने कैरियर पर ध्यान देना शुरू कर दिया।

स्टीव वॉज़निएक और स्टीव जॉब्स की दोस्ती

स्टीव जॉब्स के जीवन मे स्टीव वॉज़निएक बहुत अहम थे क्योंकि दोनों की रुचि एक जैसी थी और दोनो को इलेक्ट्रॉनिक का अच्छी जानकारी थी। इन दोनों ने मिलकर सबसे पहला प्रोडक्ट बनाया, जिससे लंबी दूरी में बैठे किसी व्यक्ति से बात करना संभव था। इसका नाम इन्होंने Blue box रखा। हालांकि यह एक चोर ने ले लिया लेकिन इन दोनों की पार्टनरशिप यहां से चल निकली, जिसके बाद एप्पल  कंपनी की शुरुआत हुई।

एप्पल कंपनी की स्थापना (Apple company founded)

एप्पल कंपनी को 1976 में शुरू किया था। शुरू में इन दोनों के अलावा तीसरे पार्टनर Ron Wayne थे, जो कुछ समय बाद ही अलग हो गए। उस दौर के कंप्यूटर का आकार कमरे के बराबर हुआ करता था। इसलिए एप्पल का सिर्फ एक ही उद्देश्य था कि वह छोटे कंप्यूटर बनाएं। एप्पल ने एप्पल1, एप्पल 2, एप्पल 3 और लिसा नाम के चार कंप्यूटर लॉन्च किए लेकिन इनमें से कोई भी कंप्यूटर उतना सफल नहीं हुआ जितना उम्मीद थी। तभी January 24 जनवरी 1984 को Macintosh लांच किया जो खूब पसंद किया गया।  1976 में यह कंपनी एक गैरेज में शुरू हुई थी, जो कि 1984 तक एक प्रतिष्ठित कंपनी बन चुकी थी।

स्टीव जॉब्स जब एप्पल से बाहर निकाले गए

स्टीव जॉब्स अपने फॉर्मूले को नही छुपाते थे, जिससे उनके मॉडल को अपनाकर दूसरी कंपनी भी कंप्यूटर बनाकर सस्ते में बेचने लगी, जिससे एप्पल का बाजार कम होने लगा। इसका जिम्मेदार स्टीव जॉब्स को मानकर उनके ऊपर जॉब छोड़ने का दवाब बनाया गया, जिसके बाद उन्हें 17 सितंबर, 1985 को अपनी जॉब से इस्तीफा देना पड़ा।

Next कंप्यूटर की शुरुआत की (Next Computer Company Steve Jobs)

जॉब से बाहर निकलने के बाद स्टीव निराश नही हुए, उन्होंने नेक्स्ट कंप्यूटर शुरू किया। शुरुआत में यह भी एप्पल की तरह कंप्यूटर बनाती थी, लेकिन समय के साथ स्टीव जॉब्स को यह एहसास हुआ कि हार्डवेयर से ज्यादा उनके सॉफ्टवेयर की माँग है, जिसके बाद कंपनी को एक सॉफ्टवेयर कंपनी में बदल दिया।

ग्राफ़िक कंपनी डिज्नी के साथ शुरू किया काम

ग्राफ़िक्स फ़िल्म की मांग को देखते हुए 1986 में स्टीव जॉब्स ने पिक्सार मूवी नाम की एक ग्राफ़िक कंपनी खरीद ली थी, जिसके बाद डिज्नी के साथ मिलकर काम शुरू किया यह इनकी जिंदगी का एक बड़ा कदम था, क्योंकि यहाँ से वो पीछे मुड़कर नही देखे।

एप्पल में हुई वापसी

1996 में एप्पल मुश्किल दौर से गुजर रहा था, तभी एक बार फिर उन्हें स्टीव जॉब्स की याद आई। स्टीव जॉब्स की कंपनी सॉफ्टवेयर में अच्छा काम कर रही थी, इसलिए एप्पल ने इसे  427 मिलियन डॉलर में खरीद लिया और स्टीव जॉब्स को एप्पल का सीईओ बनाया। सीईओ बनते ही स्टीव ने नए नए इनोवेशन को बढ़ावा दिया और कुछ साल बाद ही अपने दो नए प्रोडक्ट IPOD म्यूजिक प्लेयर और ITunes बाजार में लाए। इसके बाद एप्पल ने पीछे मुड़कर नही देखा। 2007 में एप्पल ने पहला स्मार्टफोन लॉन्च किया, जिसका कोई तोड़ नही था। आज भी एप्पल के फ़ोन और प्रोडक्ट ने अपना एक अलग बाजार बना रखा है। एप्पल के प्रोडक्ट काफी महँगे होते है, इसके बावजूद भी बिकते है।

किसी के पास एप्पल के प्रोडक्ट है तो वह खुद को गर्व की नजर से देखता है और हम सब भी उसे खुद से थोड़ा ऊंचा समझते है। वक़्त के साथ एप्पल आज एक बहुत बड़ा ब्रांड बन चुका है।

स्टीव जॉब्स का पारिवारिक जीवन (Steve Jobs Family Life)

स्टीव जॉब्स की 2 शादियां हुई थी। पहली शादी 1978 में किर्स्टन ब्रेन्नन से हुई थी। इनकी एक बेटी लिसा ब्रेन्नन है। अपनी बेटी के नाम पर ही उन्होंने एक कंप्यूटर का नाम लिसा रखा था। लौरेन पावेल उनकी दूसरी पत्नी थी, जिनसे 1991 में शादी हुई थी। इनके रीड, एरिन और ईव ने जन्म लिया।

स्टीव जॉब्स की मौत (Death of Steve Jobs)

स्टीव जॉब्स की मृत्यु 56 वर्ष की उम्र में 5 अक्टूबर 2011 को कैंसर के कारण हुई थी। उन्हें पेनक्रियाटिक कैंसर था। हालांकि अपनी मृत्यु से कुछ महीने पहले ही उन्होंने टिम कुक को एप्पल का सीईओ बना दिया था।

स्टीव जॉब्स के अनमोल वचन (Steve Jobs Quotes In Hindi)

  • आज अगर मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं वह काम करता जो मुझे आज करना है
  • डिजाईन सिर्फ देखने और महसूस करने की चीज नहीं है। बल्कि डिजाईन का असली मतलब उसके काम करने से है
  • मुझे गर्व है उन चीजों में जो मैं करता हु और उन चीजों में भी जो मैं बिलकुल नहीं करता हु
  • जरूरी नई कि सिर्फ उन्ही चीजों को जरुरी  समझा जाए जो दुनिया को बदल के रख देती है 
  • कभी कभी जिंदगी तुम्हारे दिमाग के ऊपर जोर से मारेगी, तुम्हें हार नहीं माननी है

निष्कर्ष :- तो यह था एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय ( Steve Jobs Biography In Hindi ) उम्मीद है कि आपको स्टीव जॉब्स का यह पोस्ट पसंद आया होगा। ऐसे ही जानकारी प्राप्त करने हेतु हमारे वेबसाइट पर हमेशा आते रहें।

Q : स्टीव जॉब्स का IQ कितना था ? Ans : Steve Jobs का IQ 160 था

Q : स्टीव जॉब्स के आखिरी शब्द क्या थे? Ans : आखिरी शब्द थे “0 wow, o wow, o wow”

Q : स्टीव जॉब्स की मृत्यु कब हुई? Ans : स्टीव जॉब्स की मृत्यु 5 अक्टूबर 2011 को  56 साल की उम्र में

Q : एप्पल कंपनी के संस्थापक कौन थे? Ans : स्टीव जॉब्स, स्टीव वॉज़निएक, रोनाल्ड वेन

Q : स्टीव जॉब्स के कितने बच्चे हैं? Ans : स्टीव जॉब्स के 1 बेटा और 3 बेटिया हैं।

Q : स्टीव जॉब्स ने किसका आविष्कार किया? Ans : Apple 2 और मैसिनटोश कंप्यूटर्स का आविष्कार किया

Q : एप्पल कौन सा देश का कंपनी है? Ans : लॉस अल्टोस, कैलीफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका

Q : स्टीव जॉब्स का जन्म कब हुआ था? Ans : 24 फरवरी 1955, सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका

  • शिंजो आबे का जीवन परिचय
  • स्टीफन हॉकिंग की जीवनी
  • किम जोंग उन का जीवन परिचय
  • जेफ बेजोस का जीवन परिचय
  • पालोनजी मिस्त्री का जीवन परिचय
  • ऋषि सुनक का जीवन परिचय
  • राकेश झुनझुनवाला का जीवन परिचय
  • ईशा अंबानी का जीवन परिचय
  • कैवल्य वोहरा का जीवन परिचय
  • नारायण मूर्ति का जीवन परिचय
  • विक्रम किर्लोस्कर का जीवन परिचय
  • अमित जैन का जीवन परिचय 
  • गौतम अडानी का जीवन परिचय
  • नील मोहन का जीवन परिचय

RELATED ARTICLES MORE FROM AUTHOR

डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जीवनी, जयंती 2024 | dr. bhimrao ambedkar biography, jayanti in hindi, इशिता किशोर का जीवन परिचय | ishita kishore biography in hindi, आईपीएस अभिषेक पल्लव का जीवन परिचय | dr abhishek pallava ips biography in hindi, आईएएस रवि कुमार सिहाग का जीवन परिचय | ias ravi kumar sihag biography in hindi, आईएएस टी रविकांत का जीवन परिचय | ias t ravikant biography in hindi, दिव्या तंवर आईएएस का जीवन परिचय | divya tanwar ias biography in hindi, leave a reply cancel reply.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

आईटीआर क्या होता है? | ITR Full Form in Hindi

Mission majnu movie review, download online on tamilrockers, telegram, torrent sites, 1 नवंबर से होने जा रहे हैं ये 5 बड़े बदलाव, हाथ के पांचों उंगलियों के नाम | five fingers name in..., बीमा कितने प्रकार के होते हैं | insurance kitne prakar ke..., समान नागरिक संहिता क्या है | uniform civil code in hindi, rip का क्या मतलब होता है rip full form in hindi, जितेंद्र कुमार का जीवन परिचय | jitendra kumar biography in hindi, बाघ (टाइगर) के बारे में रोचक तथ्य | facts about tiger..., जीका वायरस क्या होता है | zika virus in hindi.

  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • DMCA Copyright

मुलायम सिंह यादव का जीवन परिचय, निधन | Mulayam Singh Yadav...

अशोक गहलोत का जीवन परिचय | ashok gehlot biography in hindi, उदय कोटक का जीवन परिचय | uday kotak biography in hindi, ऋषि सुनक का जीवन परिचय | rishi sunak biography in hindi.

Biography of Steve Jobs In Hindi – एप्पल संस्थापक स्टीव जॉब्स की जीवनी

  • 1.0.1 स्टीव जॉब्स : प्रारंभिक जीवन ( Steve Jobs Early Life ) :
  • 1.0.2 स्टीव जॉब्स : शिक्षा ( स्टीव Jobs Education ) :
  • 1.0.3 स्टीव जॉब्स : निजी जीवन ( Steve Jobs Personal Life ) :
  • 1.0.4 स्टीव जॉब्स : भारत यात्रा ( Steve Jobs In India ) :
  • 1.0.5 स्टीव जॉब्स  : एप्पल कंपनी की शुरुआत ( Steve Jobs Apple Company History ) :
  • 1.0.6 स्टीव जॉब्स : एप्पल कंपनी से इस्तीफा ( Steve Jobs Resigns From Apple Company ) :
  • 1.0.7 स्टीव जॉब्स : एप्पल कंपनी में वापसी ( Steve Jobs Returns To Apple Company ) :
  • 1.0.8 स्टीव जॉब्स : उत्पाद ( Steve Jobs Products ) :
  • 1.0.9 स्टीव जॉब्स : पुरस्कार व सम्मान ( Steve Jobs Awards ) :
  • 1.0.10 स्टीव जॉब्स : सफलता के मूल मंत्र ( Steve Jobs Success Tips ) :
  • 1.0.11 स्टीव जॉब्स : निधन ( Steve Jobs Death ) :
  • 1.0.12 स्टीव जॉब्स के बारे में प्रसिद्ध व्यक्तियों के विचार ( Celebrities Thoughts About Steve Jobs ) :
  • 1.1 Related

Biography of Steve Jobs In Hindi –  एप्पल संस्थापक स्टीव जॉब्स की जीवनी

Biography of Steve Jobs In Hindi / Apple Success Story In Hindi 

Biography of Steve Jobs In Hindi / Steve Jobs Short Biography In Hindi –  दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में उस महान शख्स के बारे में बात करने वाले है जिन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत ज्यादा संघर्ष किया ! जिन्होंने कभी कॉलेज की डिग्री पूरी नहीं की  फिर भी बड़े – बड़े इंजिनियर उनके निर्देशन में काम करते थे !

जिन्होंने सफलता ( Success  ) पाने के लिए दिन – रात मेहनत की , और पैसो से ज्यादा अपने काम से प्यार किया ! जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे है एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स के बारे में ! आज हम इस आर्टिकल में इनके संघर्षपूर्ण जीवन ( Struggle Life ) के बारे में विस्तार से जानेंगे ! तो आइये जानते है स्टीव जॉब्स की प्रेरणादक जीवनी ( Steve Jobs Biography in Hindi ) के बारे में –

स्टीव जॉब्स : प्रारंभिक जीवन ( Steve Jobs Early Life ) :

स्टीव जॉब्स ( Steve Jobs Biography  ) का जन्म 24 फरवरी , 1955 को सैनफ्रांसिस्को , कैलिफोर्निया में हुआ था ! स्टीव के जन्म के समय उनके माता – पिता की शादी नहीं हुई थी ! इसी कारण उन्होंने उसे गोद देने का फैसला किया ! स्टीव की माँ चाहती थी की उसे गोद लेने वाले दम्पति कम से कम कॉलेज ग्रेजुएट होने चाहिए ! पहले जो दम्पति गोद लेना चाहते थे , उन्होंने स्टीव को गोद लेने से मना कर दिया क्यों कि वे एक बेटी चाहते थे ! फिर केलिफोर्निया में रहने वाले पॉल जॉब्स और क्लारा जॉब्स ने स्टीव को गोद लिया ! क्लारा और पॉल जॉब्स दोनों ही कॉलेज ग्रेजुएट  नहीं थे !

जब स्टीव की उम्र 5 साल की गई थी तब उनका परिवार दूसरे शहर सैनफ्रांसिस्को से माउंटेन व्यू चला गया था ! पॉल जॉब्स एक मेकेनिक और बढ़ई का काम किया करते थे ! तथा स्टीव को भी वह इलेक्ट्रॉनिक से संबन्धित बाते सीखाते थे !  वही दूसरी और क्लारा जॉब्स एक अकाउंटेंट थी , जो स्टीव को पढ़ना सीखाती थी !

स्टीव जॉब्स : शिक्षा ( स्टीव Jobs Education ) :

स्टीव जॉब्स ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मोंटा लोमा स्कूल से पूरी की ! तथा इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए स्टीव कूपर्टिनो जूनियर हाई स्कूल में गए !  इसके बाद सन 1972 में कॉलेज की पढाई के लिए ओरेगन रीड  कॉलेज में दाखिला लिया ! यह कॉलेज उस शहर की सबसे महंगी कॉलेज थी ! स्टीव के माता – पिता इतने अमीर  नहीं थे की वे स्टीव की फीस अफोर्ड कर सके ! इसलिए स्टीव ने अपना खर्चा निकालने  और कॉलेज की फीस भरने के लिए बोतल के कोक  बेचकर पैसे इकठ्ठा करते थे !

स्टीव जॉब्स ने उन दिनों का भी सामना किया है जब कभी खाने के लिए पैसे नहीं होते थे तो कई मील पैदल चलकर मंदिर में मिलने वाला मुफ्त भोजन खाते थे ! और अपने हॉस्टल का किराया बचाने के लिए अपने दोस्तों के कमरों में फर्श पर ही सो जाया करते थे ! स्टीव जॉब्स का कॉलेज की पढाई में ज्यादा मन नहीं लगता था ,क्योंकि ऊपर से एक तो  पैसो का अभाव दूसरी और उन्हें लगता था की कॉलेज की पढाई उनके किसी काम नहीं आने वाली है ! आखिरकार स्टीव ने कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया ! परन्तु उनके माता – पिता नहीं चाहते थे की वह कॉलेज बीच में ही छोड़ दे ! फिर स्टीव ने  अपने माता – पिता के कहने पर क्रिएटिव क्लासेज ( Creative Classes ) जॉइन कर ली !

स्टीव जॉब्स : निजी जीवन ( Steve Jobs Personal Life ) :

सन 1991 में स्टीव जॉब्स ने लॉरेन पॉवेल से शादी की थी ! इस शादी से इनके तीन बच्चे थे हुए ! एक लड़का और दो लड़किया जिनका नाम  क्रमशः   रीड जॉब्स ,एरिन जॉब्स और  ईव जॉब्स है ! तथा इनकी एक और बेटी है जिनका नाम लिसा ब्रेनन जॉब्स है , जो 1978 में अपनी हाई स्कूल की गर्लफ्रेंड क्रिस एन ब्रेनन के साथ पैदा हुई थी ! कहा जाता है कि स्टीव जॉब्स ने कई सालो तक लिसा को अपनाया नहीं था ! लेकिन अंत में उन्होंने इसे अपना लिया था ! 

स्टीव जॉब्स : भारत यात्रा ( Steve Jobs In India ) :

स्टीव जॉब्स के भारत प्रेम की शुरुआत 19 साल की उम्र में उनके एक दोस्त रॉबर्ट फ्रीडलैंड की प्रेरणा से होती है ! बात सन 1974 से शुरू होती है ! स्टीव जॉब्स केवल रोमांच की खातिर ही यह यात्रा नहीं करना चाहते थे , उनका कहना है की , ” यह मेरे लिए गंभीर खोज की यात्रा थी ! मै अपने अंदर यह ज्ञान पा लेना चाहता था कि मै कौन था और मुझे किस तरह आगे बढ़ना था !”

कब्रिस्तान का सबसे अमीर  मुर्दा बनने का कोई मतलब नहीं है ! रात में सोते समय खुद से यह कहना कि मैंने आज कमाल का काम किया है , मेरे लिए यही बात सबसे अधिक अहमियत रखती है ! –  स्टीव जॉब्स

स्टीव जॉब्स आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति में किसी कारोली बाबा से मिलने भारत आये थे ! लेकिन उन्हें पता चला की वह तो मर चुके है ! फिर सात महीने उन्होंने यहाँ गुजारे ! उन्होंने यहाँ  यह सीखा  की भारत के लोग तर्क बुद्धि के स्थान पर व्यावहारिक बुद्धि को ज्यादा महत्व देते है ! पश्चिम के  लोग टीजन या तर्क बुद्धि को ज्यादा महत्व देते है , जबकि पूरब में इंट्यूशन या व्यावहारिक बुद्धि को अधिक महत्व दिया जाता है ! स्टीव ने माना की इंट्यूशन के महत्व की समझ ने उनकी सोच की दिशा बदल दी ! उसने उनकी कल्पनाशीलता को नए – नए अविष्कारों की दिशा में प्रेरित किया !

स्टीव जॉब्स  : एप्पल कंपनी की शुरुआत ( Steve Jobs Apple Company History ) :

एप्पल कंपनी की शुरुआत स्टीव ने 20 साल की उम्र में अपने सहपाठी मित्र वोजनियाक के साथ मिलकर की थी ! उन्होंने यह शुरुआत अपने पिता के छोटे से गैराज से की थी ! स्टीव ने अपने मित्र के साथ मिलकर ऑपरेटिंग सिस्टम मेंकीतोश तैयार किया ! वे इसे बेचकर Apple Computer का निर्माण करना चाहते थे ! लेकिन उनके सामने धन की समस्या एक बड़ा कारण थी ! कुछ समय बाद उनकी धन की समस्या को उनके एक मित्र माइक मरकुल्ला ने पूरी कर दी और साथ ही वह कंपनी में साझेदार भी बन गया !

स्टीव ने एप्पल कंप्यूटर बनाने की शुरुआत कर दी ! स्टीव और उनके मित्रो की कड़ी मेहनत के कारण कुछ ही सालो में एप्पल कंपनी, गैराज से बढ़कर 2 अरब डॉलर और 4 हजार कर्मचारियों वाली कंपनी बन गई !

स्टीव जॉब्स : एप्पल कंपनी से इस्तीफा ( Steve Jobs Resigns From Apple Company ) :

स्टीव जॉब्स की लाइफ में एक दौर ऐसा आया जब उन्हें अपनी ही कंपनी से निकाल दिया गया था ! उनके साझेदारों द्वारा उनको ना पसंद किया जाना और आपसी कहासुनी के कारण एप्पल कंपनी की लोकप्रियता कम होने लगी थी ! धीरे – धीरे कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गई ! और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की मीटिंग में इसका जिम्मेदार स्टीव जॉब्स को ठहराकर उन्हें सन 1985 में एप्पल कंपनी से निकाल  दिया गया ! ये उनके जीवन का सबसे दुखद पल था ! क्योंकि जिस कंपनी उन्होंने कड़ी मेहनत और लग्न से बनाया था उसी से उन्हें निकाल दिया गया था ! स्टीव जॉब्स के जाने के बाद कंपनी और ज्यादा कर्ज में डूब गई थी !

आपका समय सिमित है , इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जीकर व्यर्थ मत कीजिये , बेकार की सोच में मत फसिये ! अपनी जिंदगी को दुसरो के हिसाब से मत चलाइये ! औरो के विचारो के शोर में अपनी अंदर की आवाज को , अपने इंट्यूशन को मत डूबने दीजिए ! वे पहले से ही जानते है कि आप सच में क्या बनना चाहते है , बाकि सब गौण है !   –    स्टीव जॉब्स

एप्पल से इस्तीफा देने के बाद स्टीव काफी टूट चुके थे ! उन्हें  ऐसा लगने लगा लगा था कि वह अपनी लाइफ में फ़ैल हो चुके है ! लेकिन उन्हें उम्मीद थी की जिस प्रकार उन्होंने एप्पल कंपनी बनाई , उसी प्रकार अपनी काबिलियत के दम पर दूसरी कंपनी भी बनाई जा सकती है ! उन्होंने Next – ink नाम की और Pixer नाम की दो कंपनियों की शुरुआत की ! Next -ink में उपयोग की जाने वाली तकनीक उत्तम थी !  और उनका उद्देश्य बेहतरीन सॉफ्टवेयर बनाना था ! और Pixer कंपनी में एनिमेशन का काम होता था !

एक साल तक काम करने के बाद स्टीव के पास पैसो की समस्या आने लगी और Rosh Perot के साथ साझेदारी कर ली ! और पेरोट ने पैसो को निवेश किया ! सन 1990 में Next – ink ने अपना पहला कंप्यूटर बाजार में उतारा , लेकिन यह बहुत ही ज्यादा महंगा होने के कारण बाजार में नहीं चल सका ! फिर Next – ink  ने Inter Personal Computer बनाया जो बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हुआ ! और Pixer ने एनिमेटेड फिल्म Toy Story बनाई जो अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म है !

स्टीव जॉब्स : एप्पल कंपनी में वापसी ( Steve Jobs Returns To Apple Company ) :

सन 1996 में एप्पल ने स्टीव की Pixer को खरीद लिया ! इस तरह उनकी Apple Company में वापसी हुई !  सन 1997 में उनकी मेहनत  के कारण कंपनी का मुनाफा बढ़ गया और  वे एप्पल कंपनी के CEO  बन गये ! सन 1998 में उन्होंने आईमैक  I-mac को बाजार में लॉन्च किया , जो काफी लोकप्रिय हुआ ! इसके बाद एप्पल ने बहुत बड़ी सफलता हासिल कर ली ! उसके बाद I-pad , I-phone , I-tune भी लांच किये ! सन 2011 में स्टीव ने CEO पद से इस्तीफा दे दिया और बोर्ड के अध्यक्ष बन गए ! उस वक्त उनकी प्रॉपर्टी 7 बिलियन डॉलर हो गई थी ! और Apple दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई थी !

स्टीव जॉब्स : उत्पाद ( Steve Jobs Products ) :

  • एप्पल -I  –   स्टीव जॉब्स और उनके मित्र वोजनियाक के संयुक्त प्रयास से सन 1976 में Apple-I नामक कंप्यूटर तैयार हुआ ! वोजनियाक ने इस कंप्यूटर को डिजाइन किया था !  स्टीव ने इसके लिए वित् और विपणन की व्यवस्था  की थी !
  • एप्पल-II   – एप्पल -I कंप्यूटर जगत के लिए आधार बन गया , मगर इसका अधिक विकसित रूप सन 1977 में एप्पल -II के नाम से पेश किया गया ! यह पर्सनल कंप्यूटर के रूप में पहला उत्पाद था , जो आम जनता को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया था !
  • लिजा कंप्यूटर  – आम जनता के लिए सन 1983 में पेश किया गया यह पहला कमर्शियल कंप्यूटर था , जो ग्राफिकल कार्यों को भी करता था , तथा एक माउस के जरिये नियंत्रित होता था ! यह एक सस्ता और तेज गति से चलने वाला कंप्यूटर था ! लेकिन यह काफी महंगा था , इसलिए यह कंप्यूटर आम जनता तक नहीं पहुँच पाया !
  • मैंकितोश –   स्टीव ने लिजा के बाद सन 1984 में ‘मैंकितोश ‘ नामांक कंप्यूटर बाजार में पेश किया ! यह कंप्यूटर सस्ता तथा लिजा से भी अधिक तेज गति से चलने वाला कंप्यूटर था !
  • ‘ नेक्स्ट’ कंप्यूटर  –   एप्पल से अलग होने के बाद स्टीव ने सन 1989 में ‘नेक्स्ट’ नामक कंपनी स्थापित की और इसी नाम से एक वर्क स्टेशन कंप्यूटर तैयार किया !
  • आईमैक –   स्टीव ने सन 1998 में आईमैक के नाम से एक पूर्ण विकसित और बहुउपयोगी कंप्यूटर बाजार में प्रस्तुत किया ! यह बहुत  आकर्षक डिजाइन का कंप्यूटर था !
  • आईपॉड –   सन 2001 में स्टीव ने पहला डिजिटल म्यूजिक प्लेयर तैयार किया  , जिसमे हार्ड डिवाइस भी थी ! यह एप्पल का सफल उत्पाद साबित हुआ !
  • आई ट्यून्स स्टोर –   स्टीव ने सन 2003 में आई ट्यून्स स्टोर स्थापित किया ! इससे पहले संगीत के शौकीन लोगो को मनपसंद गाने की ट्यून्स सुनने के  लिए अलग से सीडी में गाने एकत्र करने होते थे ! आई ट्यून्स स्टोर आने के बाद एक –  एक सीडी में उपभोक्ता को हजारो गाने एक ही स्थान पर मिल गए !
  • आईफोन –  सन 2007 में स्टीव ने आईफोन तैयार कर मोबाइल सेवा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया !  यह एक स्मार्ट फ़ोन सेवा बन गई ! जैसे पर्सनल कंप्यूटर के क्षेत्र में मैंकितोश सफल साबित हुआ , उसी तरह मोबाइल के क्षेत्र में आईफोन  ने धूम मचा दी !
  • आईपेड –  लेखन के क्षेत्र में स्टीव  ने आईपेड बनाकर सबको चौका दिया ! यह उत्पाद सन 2010 में उन्होंने उस समय तैयार किया जब वह कैंसर जैसे रोग से ग्रस्त थे !

स्टीव जॉब्स : पुरस्कार व सम्मान ( Steve Jobs Awards ) :

  • 1982  : एप्पल द्वारा निर्मित कंप्यूटर को  ‘ मशीन ऑफ़ द ईयर  ‘ ख़िताब !
  • 1985  :  संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स एवं स्टीव वोज को ‘ नेशनल ऑफ़ टेक्नोलॉजी  ‘ से सम्मानित !
  • 1987  :  ग्रेटेस्ट पब्लिक सर्विस बाई एन इंडिविजुअल 35 ईयर आर अंडर वर्ग  अंतर्गत ‘ जेफरसन अवार्ड और पब्लिक सर्विस !’
  • 1989  :  इमर्सन मैगजीन द्वारा  ‘दशक उद्यमी  ‘ सम्मान से सम्मानित !
  • 2007  :  ‘फार्च्यून ‘ मैगजीन द्वारा ‘ मोस्ट पावरफुल पर्सन इन बिज़नेस  ‘ के रूप में नामित !
  • 2007   :   कैलिफोर्निया के गवर्नर और प्रथम महिला द्वारा जॉब्स ‘ कैलिफोर्निया हॉल ऑफ़ फेम  ‘में शामिल !
  • 2009  :  युवाओ के सबसे  प्रशंसित उद्यमी  के रूप में सम्मानित !
  • 2009  :  स्टीव जॉब्स ‘फार्च्यून ‘ मैगजीन द्वारा  सी. ई. ओ. ऑफ़ डिकेड  ( दशक का मुख्य कार्यकारी ) के रूप में नामित !
  • 2010  :  ‘फ़ोर्ब्स ‘ की विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगो की सूचि में जॉब्स  17  वे स्थान पर नामित !
  • 2011  :  बुडापेस्ट की ग्रेफीसॉफ्ट कंपनी द्वारा स्टीव जॉब्स को आधुनिक युग का  स्वप्नदृष्टा , नवप्रवर्तक  और  प्रभावशा ली व्यक्ति कहा गया !
  • 2012  :  16 – 25 आयु वर्ग के लोगो में स्टीव जॉब्स थॉमस एडिसन के बाद दूसरे सदाबहार महान  नव – प्रवर्तक  के रूप में चुने गए !
  • 2012  :  12 जनवरी , 2012 को मरणोपरांत ‘ ग्रेमी ट्रस्टी  ‘ अवार्ड से सम्मानित !
  • 2012  :  मार्च 2012 में ‘फार्च्यून मैगजीन ‘ द्वारा ‘ सदाबहार महानतम उद्यमी  ‘ के रूप में नामित !

स्टीव जॉब्स : सफलता के मूल मंत्र ( Steve Jobs Success Tips ) :

स्टीव जॉब्स की जिंदगी ने दुनिया भर में करोड़ो लोगो को प्रभावित किया है ! उनके बातचीत करने का ढंग हो या प्रस्तुतिकरण की बात हो या फिर किसी भी उत्पाद को देखने और विपणन करने का ढंग हो , सबकुछ अलग सोच लिए होता था ! इसी अलग सोच ने उन्हें स्टीव जॉब्स बनाया ! आइये , जानते है कि स्टीव जॉब्स की सफलता के मूलमंत्र क्या थे !

  • वही काम करे जिससे आपको प्यार हो  – स्टीव के अनुसार अगर आप अपने काम से प्यार करते है तब अच्छा है ! दुनिया भर में कई लोग ऐसे है , जो ऐसा काम कर रहे है जो उन्हें दिल से पसंद नहीं है ! अगर दुनिया भर में ऐसा हो जाए कि जिसे जो काम पसंद है वही करे , तब दुनिया ही बदल जाएगी !
  • दुनिया को बताइये कि आप कौन है  – स्टीव के अनुसार , दुनिया को पता चलना चाहिए कि आप कौन है और दुनिया को बदलने का मादा आप में नहीं होगा , तब तक दुनिया आप को नहीं पहचानेगी !
  • सभी क्षेत्रो से संबन्ध जोड़े  – जॉब्स ने अपने जीवन काल में विभिन्न विषयो का अध्ययन किया ! उन्होंने कैलीग्राफी भी सीखी और विभिन्न प्रकार के डिजाइंस का अध्ययन किया ! इतना ही नहीं उन्होंने हॉस्पिटेलिटी के क्षेत्र में भी हाथ आजमाए और उसका ज्ञान प्राप्त किया ! यह ज्ञान उन्हें बाद में काम भी आया !
  • मना करना सीखे  – स्टीव ने अपनी जिंदगी में मना करना खूब सीखा था और इसका फायदा भी उन्हें मिला था ! जब वे सन 1997 में वापस एप्पल में आये थे , तब कंपनी के पास 350 उत्पाद थे ! मात्र दो वर्षो में उन्होंने उत्पादों की संख्या कम करके 10 कर दी ! 10 उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया और सफलता पाई !
  • ग्राहकों को अलग तरह का अनुभव दे  – स्टीव मानते थे कि जब तक आप अपने ग्राहकों को अलग तरह का अनुभव नहीं देंगे , वे बिल्कुल भी आपके उत्पादों की तरफ आकर्षित नहीं होंगे ! यही कारण था कि उन्होंने एप्पल स्टोर्स को कुछ अलग तरह का बनाया , जहाँ पर ग्राहकों को अलग तरह का अनुभव था ! और एप्पल कंपनी की तरफ लोगो का भावनात्मक जुड़ाव हो गया था !
  • अपनी बात रखने में पीछे न रहे  – स्टीव के अनुसार अगर आपके पास अच्छे आइडियाज है और आप इसे सभी के सामने रख नहीं पाए , तब ऐसे आइडियाज  का क्या काम ! स्टीव अपनी बात प्रस्तुतीकरण के दौरान रखते थे और केवल अपनी बात नहीं रखते थे , बल्कि प्रस्तुतीकरण के माध्यम से कई तरह की बाते बताते थे ! जिससे प्रेरणा भी मिलती थी !
  • सपने बेचे उत्पाद नहीं  – स्टीव हमेशा यही कहते थे कि अपने ग्राहकों को उत्पाद नहीं , सपने बेचे ! उनके अनुसार अपने ग्राहकों को आपके उत्पाद संबंधी विवरणों से कोई मतलब नहीं है !  उनकी आशाओ व् आकांक्षाओं से मतलब है ! और अगर आपने उनके सपनो को उत्पाद से जोड़ा तभी आपको सफलता मिलेगी !

स्टीव जॉब्स : निधन ( Steve Jobs Death ) :

स्टीव को सन 2003 से pain creative नाम की कैंसर की बीमारी हो गई थी ! लेकिन फिर भी वे रोज कंपनी में जाते ताकि लोगो को बेहतरीन से बेहतरीन टेक्नोलॉजी प्रदान कर सके ! 2011 में स्टीव बीमारी के चलते अधिक परेशान हो गए , और 24 अगस्त , 2011 को उन्होंने एप्पल कंपनी के CEO पद से इस्तीफा दे दिया ! और कैंसर की बीमारी के चलते 5 अक्टुम्बर , 2011 को पालो आल्टो , कैलिफोर्निया में उनका निधन हो गया !

स्टीव जॉब्स के बारे में प्रसिद्ध व्यक्तियों के विचार ( Celebrities Thoughts About Steve Jobs ) :

  • स्टीव जॉब्स उन महान अमेरिकी अविष्कारों में से एक थे , जिन्होंने भिन्न तरीके से चिंतन किया था ! उन्हें दुनिया को बदलने में यकीन था और ऐसा करने लाइक प्रतिभा भी उनमे थी ! – बराक ओबामा
  • मै उन खुशकिस्मत लोगो में से एक हूँ , जिसे स्टीव के साथ काम करने का अवसर मिला ! – बिल गेट्स
  • स्टीव जॉब्स कंप्यूटर युग के माइकल एंजेलो थे ! उन्होंने साबित कर दिखाया कि प्रतिभाशली इंसान के लिए महँगी और अभिजात शिक्षा बेमानी है !   –  नारायण मूर्ति
  • स्टीव जॉब्स अपनी पीढ़ी के महानतम सी. ई. ओ. थे ! –  रुपर्ट मडोक
  • दुनिया ने एक दूरदर्शी हस्ती को खो दिया ! प्रौधोगिकी उद्योग ने अपना दिग्गज खो दिया और मैंने अपना एक मित्र खो दिया ! भावी पीढ़िया स्टीव जॉब्स की विरासत को याद रखेगी ! –  माइकल डेल
  • स्टीव जॉब्स आश्चर्यजनक उपलब्धियों और हैरतअंगेज प्रतिभावाले महान व्यक्ति थे ! उनके पास बहुत ही कम शब्दों में बताने की कला थी  की आपको कैसे सोचना चाहिए ! –  लैरी पेज
  • स्टीव , मार्गदर्शक और मित्र होने के लिए शुक्रिया ! आपने  जो चीजे बनाई , वे दुनिया बदल सकती है ! मुझे हमेशा आपकी कमी खलेगी !  – मार्क जुकरबर्ग
  • स्टीव जॉब्स थॉमस एडिसन के बाद सबसे महान आविष्कारक थे ! –    स्टीवन स्पीलबर्ग
  • शेयर बाजार के जादूगर राकेश झुनझुनवाला की सफलता की कहानी !
  •   दिग्गज निवेशक रमेश दमानी की सफलता की कहानी !
  •  बिल गेट्स के 51 सर्वश्रेष्ठ विचार !

Biography of Steve Jobs In Hindi - एप्पल संस्थापक स्टीव जॉब्स की जीवनी

Sabaasaanhai.com एक हिंदी Motivational ब्लॉग है ! इस  ब्लॉग  में रेगुलर  प्रेरणादायक  Stories, Biography, Quotes  प्रस्तुत  होगी  ! सफल और  आसान  लाइफ  जीने  के  लिए  क्या  जरुरी  है ! लाइफ  में  कोनसा  कदम  हमें ऊंचाइयों  पर ले जायेगा ! ऐसी  कहानिया  जो  पढ़कर  लाइफ  में  कुछ  करने  का  मन  हो , ऐसी  मोटिवेशनल  कहानिया बताई  जाएगी  ! जिस  वजह से  आप  कभी  भी  कामयाब  होने  की  उम्मीद  नहीं  छोड़ेंगे  और  success  के साथ  जुड़े रहेंगे !

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Steve Jobs Biography in Hindi | स्टीव जॉब्स की जीवनी| एक व्यक्ति जिसने पूरी दुनियाँ बदल दी

Steve Jobs – biography in hindi, success story, daughter, education, books quotes, net worth, neem karoli baba steve jobs story, death।

Steve Jobs Biography in Hindi स्टीव जॉब्स की जीवनी

नए ज्ञान के लिए भूखे रहो, मूर्ख रहो

मृत्यु एक सच है। इस बात के एहसास से कि मैं जल्दी ही मर जाऊंगा। मुझे अपनी जिंदगी के बड़े निर्णय लेने में, मेरी बहुत मदद करते हैं। क्योंकि जब भी कभी में मृत्यु के बारे में सोचता हूं। तो सारी expectation सारा pride, fail होने का डर। सब कुछ गायब हो जाता है। यह कथन है, दुनिया के महानतम Entrepreneur स्टीव जॉब्स का। जब भी कभी दुनिया के प्रभावशाली Entrepreneur का नाम लिया जाएगा। तो उसमें और कोई नाम हो या ना हो।

एक नाम जरूर होगा और वह नाम है- Steve Jobs का। जो Apple company के co-founder हैं। आप हर रोज ऐसे जियो। जैसे की ये आपकी जिंदगी का आखरी दिन है। तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जाओगे। यह विचार मेरे दिमाग में छा गया। तब से मैंने रोज शीशे में अपने आपसे यह सवाल किया है। अगर यह दिन मेरी जिंदगी का आखरी दिन होता। तो क्या मैं आज वह करता। जो मैं करने वाला हूं।

जब भी लगातार, कई दिनों तक जवाब नहीं में होता। तो मैं समझ जाता कि कुछ बदलने की जरूरत है। कुछ नया करने की जरूरत है। स्टीव जॉब के इन शब्दों में जीवन का सार है। अगर आप इस बात को दिल से मनन करे। तो यह आपमें एक नई ऊर्जा का संचार कर देगा। इनके जीवन की कहानी,इससे भी ज्यादा ऊर्जावान है। यह एक ऐसी शख्सियत थी। जिन्हें न अपने पैसे से प्यार था और न पैसा उनकी पहचान थी।

बल्कि लीक से अलग हटकर सोचना और तकनीक को नए रूप में परिभाषित करना। उनके प्रबल व्यक्तित्व की विशेषताएं थी। लेकिन स्वयं स्टीव जॉब के लिए, उनकी जिंदगी आसान नहीं रही। उनका प्रारंभिक जीवन काफी भ्रम और उथल-पुथल से भरा हुआ था। इसी प्रकार जाने : Founder of Microsoft – Bill Gates के सफलता की पूरी कहानी।

Steve Jobs Biography in Hindi

Steve Jobs – An Introduction स्टीव जॉब्स – एक परिचय

स्टीव जॉब्स का बचपन व शिक्षा steve jobs – childhood and education.

Steve Jobs का जन्म 24 फरवरी 1955 को सन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ था। जब उनका जन्म हुआ। तो उनके माता-पिता ने उन्हें Adoption के लिए दे दिया। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके माता-पिता unmarried couple थे। उनके पिता एक Refugee थे। जिनका नाम अब्दुल फतह जंदाली था।  उनकी माता जो कि एक अमेरिकन सिटीजन थी। उनका नाम जोओनी सिम्पसन था।

Steve Jobs की माँ के पिताजी ने, अपनी बेटी की शादी एक refugee से करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं है। तब Steve Jobs के माता-पिता ने यह निर्णय लिया। वह इस बच्चे को Adoption के लिए दे देंगे। जब बच्चा adopt हो जाएगा। तब वह दोनों अलग अलग हो जाएंगे। लेकिन उनकी एक शर्त थी। वह चाहते थे कि Steve jobs को, जो भी adopt करें। वह ग्रेजुएट हो।

वह चाहतें थे कि उनका बच्चा भी आगे चलकर ग्रेजुएशन करें। इसके बाद उन्हें काफी सर्च किया। उन्हें एक ऐसा couple मिल भी गया। लेकिन बाद में पता चला। उस couple ने, उनसे झूठ बोला था। वह ग्रेजुएट नहीं थे। लेकिन उन्होंने स्टीव जॉब के biological parents को, यह promise किया। वह उसकी graduation पूरी करवाएंगे।

क्लारा और पाउल ने इस बच्चे को adopt कर लिया था। उन्होंने उनका नाम Steve Poul Jobs रखा। जिन्हें आज हम सभी स्टीव जॉब के नाम से जानते हैं। क्लारा एक accountant थी। पाउल एक Coast Guard मकैनिक थे। स्टीव जॉब ने अपना बचपन Mountain View, California में बिताया। जिस जगह को, आज हम Silicon valley के नाम से जानते हैं।

Silicon valley एक ऐसी जगह है। जहां पर आज दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों का जन्म हुआ। जैसे कि फेसबुक, गूगल, अमेजॉन, एप्पल और बहुत सारी। बचपन में स्टीव जॉब और उनके पिता, अपने पुश्तैनी गेराज में electronic items  को खोलते और उन्हें assemble करते थे। उनके पिता उन्हें सिखाते थे। कैसे equipment को use करके। किसी भी electronic items को खोला और वापस उसे बंद किया जाता है। धीरे-धीरे ये स्टीव जॉब्स की hobby बन गई। उनके अंदर Confidence आने लगा कि वह इस काम को कर सकते हैं।

उनका technology में interest भी, यहीं से start हो गया। अन्य बच्चों के comparison में स्टीव जॉब बचपन मे बहुत intelligent और innovative थे। उनका यह सोचना था कि स्कूल का पढ़ाने का formal तरीका बहुत ही boring और frustrating है। इसकी वजह से बच्चों की creative side कभी बाहर ही नहीं आ पाती। जब वह elementary school में थे। तब वह बच्चों से बहुत prank किया करते थे। 4th grade में teachers उन्हें bribe देती थी।

ताकि वह अच्छे से पढ़ाई में ध्यान लगा सकें। लेकिन जब उनके test का result आया। तब सारे टीचर ने यह suggest किया। यह बच्चा बहुत intelligent है। इसको skip करके, सीधा High School में डाल दो। लेकिन उनके parents ने ऐसा करने से मना कर दिया। क्योंकि वह चाहते थे कि स्टीव अच्छे से पढ़कर आगे बढ़े।

उसके बाद, स्टीव ने अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की। Reed Collage, Portland में अपना admission ले लिया। लेकिन कॉलेज जाने के बाद, उन्हें सही guidance नहीं मिली। उन्होंने कालेज को drop कर दिया। कॉलेज drop करने के बाद, स्टीव जॉब्स ने पढ़ाई करना नहीं छोड़ा। उन्होंने 18 महीनों के लिए creative classes, join कर ली। यहां पर उन्होंने सुलेख में अपना interest बना लिया। इसी प्रकार जाने : Ratan Tata Biography in Hindi । क्यों है रतन टाटा भारत-रत्न के हकदार।

स्टीव जॉब्स का संघर्षपूर्ण करियर The Struggling Carer of Steve Jobs

स्टीव जॉब जब हाई स्कूल में थे। तो उनकी मुलाकात स्टीव वोजनियाक से हुई। वोजनियाक बहुत bright student थे। उन्हें electronic  का genius कहा जाता था। 13 साल की उम्र में, उन्होंने एक addition subtraction की ऐसी मशीन बनाई। जिसने local science fair में, सबसे ज्यादा awards जीते।

इसी के साथ, हाई स्कूल के इलेक्ट्रॉनिक्स टीचर की नजर, उन पर पड़ी। उन्होंने वोजनियाक को एक लोकल कंपनी में जॉब ऑफर की। इसी कंपनी में, स्टीव जॉब हफ्ते में एक बार कंप्यूटर पर काम करने आया करते थे। इन दोनों की दोस्ती की शुरुआत भी यही से हुई। कंप्यूटर में दोनों का intrest होने की वजह से, दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई। हालांकि वोजनियाक 5 साल बड़े थे।

1972 में वोजनियाक ने एक ऐसी device बनाई। जिसकी मदद से, वह इस पूरी दुनिया में कहीं पर भी free of cost बात कर सकते थे। उन्होंने इस device का नाम bluebox रखा। जब उन्होंने यह device स्टीव जॉब को दिखाई। तो उन्होंने कहा कि यह तो बहुत कमाल की चीज है। हम इसे बेचकर पैसे कमा सकते हैं। हालांकि वोजनियाक का ऐसा कोई भी motive नहीं था। इसके बाद दोनों ने मिलकर bluebox बनाने शुरू किए। फिर उन्हें मार्केट में बेचना शुरू किया।

उन्हें पता था कि यह illegal  काम है। एक न एक दिन वह पकड़े जाएंगे। इसलिए उन्होंने ऐसा करना बंद कर दिया। उन दिनों Steve Job, Atari company के लिए काम किया करते थे। यह एक gaming कंपनी है, जो games बनाती है। Atari एक गेम बना रहे थे। जिसे बनाने में उन्हें बहुत problems हो रही थी। स्टीव जॉब ने उस गेम को बनाने के लिए, Atari से $5000 मांगे। Atari इसके लिए तैयार हो गए।

स्टीव जॉब्स ने उस गेम को बनाने के लिए वोजनियाक को बताया। उन्होंने इस गेम को जो 6 महीने में बनने वाला था। उसे 4 दिन में बना कर दे दिया। जिसके एवज में उन्हें $5000 मिले।

स्टीव जॉब्स का भारत भ्रमण Steve Jobs’s Visit to India

स्टीव जॉब्स जब अपने struggling दौर से गुजर रहे थे। तो तब उन्होंने भारत का एक चक्कर लगाया। भारत में आने के बाद, उन्होंने Psychedelic drugs के साथ experiment करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू बताया कि LSD का नशा करना। उनके जीवन के कुछ बड़े decision में से एक था। जिसने उनकी पूरी दुनिया बदल कर रख दी।

भारत में आने के बाद, उन्होंने Buddhism को follow किया। वह कई किलोमीटर चलकर कृष्ण मंदिर जाया करते थे। वहां पर बहुत स्वादिष्ट खाना मिलता था। वो 7 महीनों तक भारत मे रहें। उन्होंने यहां पर eastern culture और religion को  अच्छे से समझा। इसके बाद उन्होंने काफी समय नैनीताल के कैंची धाम में गुजारा। जो बाबा नीमकरोरी का प्रमुख स्थान है। वह यहां पर, बाबा के दर्शन करने हेतु आए थे। लेकिन जब वह आए। तो कुछ ही समय पहले बाबा ने समाधि ले ली थी।

इसके बावजूद इस पवित्र जगह पर उन्हें अपार शांति की प्राप्ति हुई। जिससे उन्हें अपनी जिंदगी को समझने की क्षमता विकसित हुई। उन्हें अत्यधिक मन की शांति प्राप्त हुई। इससे उनमें एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। उनका मन एकाग्रचित्त हो गया। इस बात का जिक्र उन्होंने अपने शिष्य मार्क जुकरबर्ग से भी किया।

स्टीव जॉब्स के कहने पर ही, मार्क जुकरबर्ग अपने कठिन दौर में कैंची धाम आये। स्टीव जॉब और मार्क जुकरबर्ग, दोनों ही अपनी सफलता का श्रेय कैंची धाम को देते हैं। इसी प्रकार जाने : Satya Nadella Biography in Hindi । दुनिया मे सबसे ज़्यादा Salary पाने वाला शख्स।

एपल कंपनी की स्थापना Establishment of APPLE Company

स्टीव जॉब भारत में काफी समय गुजारने के बाद, जब अमेरिका पहुंचे। तब उन्होंने पाया कि उनके बेस्ट फ्रेंड वोजनियाक ने एक छोटा सा computer बना रखा है। वोजनियाक ने यह कंप्यूटर केवल hobby के तौर पर बनाया था। लेकिन स्टीव जॉब्स कंप्यूटर के अंदर एक potential market  दिखाई पड़ी। उन्होंने वोजनियाक से कहा कि क्यों न हम इस कंप्यूटर को मार्केट में उतारे।

वोजनियाक ने कहा कि मेरा तो सिर्फ कंप्यूटर में interest है। इसलिए मैंने इसे बना दिया। कौन हमारे Computer को खरीदेगा। अंततः स्टीव जॉब ने उन्हें convenience कर लिया। फिर 20 साल के स्टीव जॉब्स और वोजनियाक ने मिलकर, 1975 में अपने पिता के गेराज में एक कंपनी की स्थापना की। इस कंपनी का नाम Apple रखा गया। उन्होंने अपना पहला prototype, Apple 1 बनाया। फिर इसे market में launch किया।

1975 दुनिया का पहला personal computer मार्केट में लांच किया गया। जिसका नाम  MIDS 8800 था। यह एक personal computer तो था। लेकिन इतना भी user friendly नहीं था। जिसे हर कोई use कर सके। ठीक इसके 1 साल बाद 1976 में finally, Apple ने अपना पहला कंप्यूटर मार्केट में लांच किया। जिसका नाम एप्पल वन था।

Apple 1 के मार्केट में आने के बाद, इसकी इतनी ज्यादा बिक्री नहीं हुई। क्योंकि ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं था। Personal Computer  क्या होते हैं। उन्हें operate कैसे किया जाता है। बस जिन लोगों का कंप्यूटर में interest था। उन्होंने ही इसे purchase किया। लेकिन Apple 1 की बिक्री के बाद। Apple ने इतने पैसे जुटा लिए थे, कि वह एक नए कंप्यूटर पर काम कर सकें।

1977 में उन्होंने अपना दूसरा कंप्यूटर मार्केट में लांच किया। जिसका नाम Apple 2 था। Apple 2 के आने के बाद पर्सनल कंप्यूटर की era पूरी बदल गई। Apple 2 दुनिया का पहला ऐसा कंप्यूटर था। जिसके  अंदर graphics और keyboard का इस्तेमाल हुआ था। इसके लांच होने के बाद, पूरी पर्सनल कंप्यूटर की मार्केट ही हील कर रह गई। अपने पहले साल में, इसने अपनी 30 lakh units बेची।

फिर 2 साल के अंदर 20 करोड़ से ज्यादा units बेच डाली। अपने launch होने के 3 साल के अंदर ही, एप्पल Zero से Hero बन चुका था। पर्सनल कंप्यूटर के मार्केट में उनकी कोई टक्कर नहीं थी। लेकिन तभी मुसीबतें आना चालू हो गई। जैसे-जैसे मार्केट में competition बढ़ने लगा। Apple के products को लोग कम खरीदने लगे।

Steve Job का तीसरा computer Apple 3 और Computer Lisa मार्केट में पूरी तरह फेल हो गया। उनका 50% मार्केट शेयर IBM के पास चला गया। Steve Jobs को लगा कि यह सही टाइम है, एक बम फोड़ने का। तभी उन्होंने 1984 में अपना पांचवा कंप्यूटर लांच किया। जिसका नाम Macintosh रखा। Macintosh एक game changer साबित हुआ।

यह दुनिया का पहला कंप्यूटर था। जिसके अंदर Graphical User Interface और Mouse का इस्तेमाल हुआ था। जो कि इसे use करने में, बहुत ही easy बना देता है। स्टीव जॉब का कहना था कि Macintosh एक home computer है। लेकिन इसका प्राइस $2495 होने की वजह से, इसे बहुत ही महंगा बनाता है। कंज्यूमर मार्केट में, यह पूरी तरह फेल हो गया। इसी प्रकार जाने :   Rose Blumkin Biography in Hindi । 95 साल की उम्र मे खड़ी की सबसे बड़ी कंपनी।

स्टीव जॉब्स को अपनी ही कंपनी से निकाला जाना Steve Jobs Expelled from his Own Company

अब Stere Jobs की मुसीबतें और ज्यादा बढ़ गई थी। उनकी खराब marketing strategy और गलत decisions की वजह से, board of directors और उनमें काफी ज्यादा clash  होने लगे। यहां तक कि कंपनी के CEO John Sculley और board of directors ने यह तय किया। कि स्टीव जॉब्स को इस कंपनी से निकाल दें। उनका मानना था कि स्टीव जॉब की वजह से कंपनी पूरी तरह डूब जाएगी।

John Sculley वही थे। जिन्हें स्टीव जॉब ने खुद appoint किया था। यह इसके पहले पेप्सी कंपनी के प्रेसिडेंट थे। 1985 में Steve Jobs ने अपने एप्पल के शेयर को बेचकर resign कर दिया। 10 साल बाद, Steve Jobs को उन्हीं की कंपनी से निकाल दिया गया। जिसको उन्होंने वोजनियाक के साथ, अपने पिता के गेराज में start किया था। यह स्टीव जॉब के लिए, किसी सदमे से कम नहीं था। वह इसके बाद डिप्रेशन में चले गए। उन्हें भरोसा नहीं हो रहा था कि जिन लोगों को उन्होंने job दी।

जिन्हें board of directors में लाकर बैठाया। उन्होंने ही मिलकर, उन्हें उनकी ही कंपनी से निकाल दिया। एप्पल से resign करने के बाद, स्टीव जॉब ने अपना टाइम बिल्कुल भी बर्बाद नहीं किया। वह शुरू से चाहते थे कि वह इस दुनिया को ऐसे products बनाकर दें। जो लोगों को, उनके जीने के तरीके को बदल दे। इसी प्रकार जाने :   Abraham Lincoln Motivational Biography । असफलताओ से सफलता तक की यात्रा।

नेक्स्ट कम्प्युटर की शुरुआत Launching of NeXT Computer

Steve Jobs ने Apple से कमाए हुए, पैसों की मदद से एक दूसरी कंपनी company लांच की। जिसका नाम NeXT Computer Corporation था। इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य यह था। वह ऐसे कंप्यूटर बनाए। जो higher education और research center में हेल्प कर सके। इसके बाद 1988 में नेक्स्ट कंप्यूटर ने, अपना पहला कंप्यूटर लांच किया।

जिसके अंदर fast processing speed थी। optical drive था। इसमें higher graphic थे। इसका प्राइस $9950 होने की वजह से, इसे बहुत महंगा बनाता है। इसी वजह से मार्केट में बुरी तरीके से फेल हो गया। इसके बाद स्टीव जॉब्स ने अपना ध्यान hardware से हटाकर software की ओर बढ़ाया।

पिक्सर स्टुडियो को खरीदा Acquiring of The Pixar Studio

Steve Jobs ने 1986 में जॉर्ज लुकस की कंपनी Pixar Animation Studio को खरीद लिया। तीन पिक्चर की deal के बाद, जॉब्स ने decide किया। अब वह दुनिया की सबसे पहली कंप्यूटर एनीमेटेड फिल्म बनाएंगे। जिसे बनाने में 4 साल लगे। जब यह movie रिलीज हुई। तो उसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस मूवी का नाम Toy Story था।

Toy Story एक बहुत बड़ी success साबित हुई। यह सिर्फ स्टीव जॉब के लिए नहीं, बल्कि Pixar Animation Studio के लिए भी। इसके बाद जॉब्स ने, 1996 में Pixar Studio को पब्लिक कर दिया। फिर सिर्फ एक दिन के अंदर ही, Pixar के 80% शेयर की कीमत 1billion dollar हो गई। जिसने स्टीव जॉब को रातों-रात Billionaire बना दिया। 10 साल की कड़ी मेहनत और struggle के बाद finally, Steve Job को फ़िर से success मिलने लगी।

Pixar के स्टॉक मार्केट में आने के, कुछ दिनों बाद ही, Apple computers ने decide किया। वो NeXT Computer को खरीदेंगे। फिर एप्पल ने नेक्स्ट को 400 million dollars में खरीद लिया।

स्टीव जॉब्स की एपल मे वापसी Steve Jobs Returns in APPLE

इसके साथ ही स्टीव जॉब्स को फिर से, as a advisor के रूप में board of members में शामिल कर लिया गया। एक तरफ स्टीव जॉब्स वापस आ जाते वहीं दूसरी तरफ एप्पल भारी नुकसान में थी इसके कुछ समय बाद ही, उस समय के CEO Gil Amelio ने कंपनी छोड़ दी। इसके बाद Apple के चेयरमैन ने Steve Jobs को दोबारा, CEO बनाने की पेशकश की। इसके बाद स्टीव जॉब्स, Apple के full time CEO नियुक्त हो जाते हैं।

CEO बनते ही, स्टीव जॉब ने उस समय के सारे प्रोजेक्ट बंद कर दिए। उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के साथ एक deal की। इस deal के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट एप्पल में 150 million dollars invest करता है। इसके बाद, माइक्रोसॉफ्ट sales और technology में एप्पल की help करने का करार होता है। इसके 1 साल बाद Steve Jobs की guidance में Apple एक नई  series launch करता है। इसी प्रकार जाने : Sundar Pichai Biography in Hindi । अरबों कमाने वाले, कैसे बने Google के CEO।

एपल के दुनियाँ बदलने वाले उत्पाद World-Changing Products of APPLE

Apple के इस series के प्रोडक्ट पूरी दुनिया को बदल देने वाले थे। सबसे पहले वह launch करते हैं। imac(1998), जो कि Apple के लिए बहुत ही successful प्रोडक्ट साबित होता है। इसकी बदौलत Apple 5.9 billion dollar का profit कमाती है। इसके बाद 2001 में Apple फर्स्ट जनरेशन आईपॉड लॉन्च करता हैं। जो पहला digital audio player होता है। इसके अंदर 1000 से भी ज्यादा गाने install किए जा सकते थे।

यह प्रोडक्ट भी एप्पल के लिए सुपरहिट साबित होता है। इसकी कई million कॉपी worldwide बिकती हैं। 2003 में एप्पल iTunes, introduce करता है। एक online Marketplace, जहां पर लोग songs को खरीद सकते थे। अब तक एप्पल पूरे form में आ चुका था। उसे दुनियाँ की most innovative company का title मिल चुका था।

2004 में Steve Jobs की तबीयत अचानक खराब हो जाती है। मेडिकल जांच के बाद पता चलता है कि जॉब्स के pancreas में tumor है। अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं हुआ। तो यह cancer में भी बदल सकता है। Steve Jobs अपने सभी एंप्लाइज को इसकी सूचना देते हैं। कि वह इसका ऑपरेशन करवाने जा रहे हैं। फिर वह एक लंबे medical leave पर चले जाते है। वह वापस आने के बाद, Steve Jobs फिर पूरी फॉर्म में आ जाते हैं।।

फिर 2007 में दुनिया का सबसे पहला full flash smartphone लॉन्च करते हैं। जिसका नाम iPhone रखा जाता है। Technically देखा जाए। तो आईफोन इस दुनिया का सबसे पहला full flash स्मार्टफोन था। जिसके अंदर multi touch screen थी।  अलग-अलग functions के लिए अलग-अलग application थी। उन applications को download करने के लिए, एक particular App Store था।

इसके 3 साल बाद, Apple दुनिया का पहला tablet computer लांच करता है। जिसका नाम iPad रखा जाता है। इसी प्रकार जाने : Alfred Ford Biography in Hindi । फोर्ड कंपनी के मालिक ने क्यों अपनाया हिन्दू धर्म, बने कृष्ण भक्त।

स्टीव जॉब्स के अंतिम पल Last Moments of Steve Jobs

इसी दौरान Steve Jobs की तबीयत अचानक से, फिर खराब हो जाती है। उन्हें तुरंत medical leave के लिए जाना पड़ता है। मेडिकल जांच में पता चलता है कि उनका liver पूरी तरह से damage हो चुका है। उन्हें जल्द से जल्द liver transplant की जरूरत है। काफी जद्दोजहद के बाद, Steve Jobs को एक donor मिल जाता है। फिर उनकी surgery की जाती है। फिर उनके अंदर implant किया जाता है।

एक 20 साल के लड़के का लीवर। जिसकी एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। Steve Jobs के liver transplantation के 8 महीने बाद, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एक announcement करते हैं। कंपनी के CEO Steve Jobs ने अपनी post और company से resign कर दिया है। इस बात को वह हमेशा से बोलते थे कि जिस दिन उनको लगेगा।

वह Apple Computers की duties और expectation में खरे नही उतर पा रहे हैं। तो वह उस कंपनी को छोड़ने वाले, पहले व्यक्ति होंगे। फिर हुआ भी ऐसा ही। अपनी खराब health के चलते, Steve Jobs को लगा। यह सही समय होगा। अपनी कमान किसी और के हाथ में देने का। उसके बाद कंपनी के COO Tim Cook  उनकी जगह संभालते हैं। अब Tim Cook कंपनी के नए CEO बन जाते हैं।

अक्टूबर 2011 कंपनी से resign करने के 2 महीने बाद, 56 साल की उम्र में Steve Jobs पेनक्रिएटिक कैंसर की complications की वजह से । 5 अक्टूबर 2011 को 3 बजे पालो आल्टो, कैलिफोर्निया के अपने घर में अंतिम सांस ली।

आपको इसे भी जानना चाहिए :

  • The Miracles of Your Mind Book Summary in Hindi । मन के अविश्वसनीय चमत्कार।
  • सनातन परंपराओं के पीछे का वैज्ञानिक कारण । Science Behind Sanatan Rituals,Tradition and Culture।
  • The Falcon Method Book Summary in Hindi । पैसे से पैसा बनाना सीखें।
  • जानिए चारों वेदों मे क्या है । चारों वेदों का रहस्य।

Related Posts

The Psychology of Laziness Book Summary in Hindi

The Psychology of Laziness Book Summary | आलस का मनोविज्ञान

7 Money Rules for Life Book Summary in Hindi

7 Money Rules for Life Book Summary in Hindi|अमीर बनने के 7 नियम

Tiger Raja Singh Biography in Hindi

Tiger Raja Singh Biography in Hindi | राजा सिंह का इतिहास (kon hai)

2 thoughts on “steve jobs biography in hindi | स्टीव जॉब्स की जीवनी| एक व्यक्ति जिसने पूरी दुनियाँ बदल दी”.

Absolutely with you it agree. It is good idea. I support you.

Hey, Thanks for the support. Keep visiting my site for such content.

Leave a Comment Cancel reply

Success Story: बिना कॉलेज डिग्री के इस शख्स ने खड़ी कर दी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी, भारत से भी है गहरा नाता

Success Story, Steve Jobs Education: क्या आप एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की कहानी जानते हैं, जिन्होंने बिना किसी कॉलेज डिग्री के ही इतनी बड़ी कंपनी खड़ी कर दी. बता दें कि स्टीव जॉब्स का भारत से भी गहरा नाता रहा है. उनके कॉलेज छोड़ने से लेकर आईफोन की सफलता तक की कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

  • News18 हिंदी Last Updated : March 6, 2023, 13:55 IST

Editor picture

मोबाइल से लेकर लैपटॉप और कंप्यूटर की दुनिया में अगर किसी कंपनी की सबसे ज्यादा धूम है तो वह है एप्पल. आज वैल्यूएशन के मामले में एप्पल दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है. हर कोई एप्पल के प्रोडक्ट्स खरीदना चाहता है. लेकिन स्टीव जॉब्स के गैरेज से शुरू हुई ये कंपनी आज इतनी बड़ी कैसे बनी ये समझने कि लिए आपको पहले स्टीव जॉब्स के बारे में जानना होगा.

news18

बता दें कि स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया में हुआ था. उनके पिता एक सीरियाई मुस्लिम थे, लेकिन उन्हें अमेरिकी दंपत्ति पाल और क्लारा जॉब्स ने गोद ले लिया था. स्टीव जॉब्स को शुरू से ही इंजीनियरिंग और कंप्यूटर से काफी लगाव था. उन्होंने पोर्टलैंड के रीड कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन पहले सेमेस्टर में ही कॉलेज छोड़ दिया. इसके बाद वह वीडियो गेम की कंपनी में काम करने लगे.

news18

बहुत कम लोग जानते होंगे कि स्टीव जॉब्स एप्पल कंपनी शुरू करने से पहले भारत आए थे. पहली नौकरी से पैसे बचाकर वह भारत की यात्रा पर आए थे और यहां पर उन्होंने बुद्धिज्म का अनुभव किया. इसके बाद वापस अमेरिका जाकर 1974 में उन्होंने अपने स्कूल के दोस्त स्टीफन वोज्नियाक के साथ मिलकर कंप्यूटर बनाना शुरू किया. शुरुआत में उन्होंने अपने घर की गैरेज से ही काम किया. इसके बाद 1976 में उन्होंने एप्पल कंपनी की नींव रखी.

news18

एप्पल 2 मॉडल का कंप्यूटर इतना सफल रहा कि कम समय में उसकी रिकॉर्ड सेल हुई और जल्द ही कंपनी फॉर्चून 500 के लिस्ट में शामिल हो गई. इसके बाद कंपनी लगातार बड़ी होती गई. लेकिन कुछ परेशानियों के चलते 1985 में स्टीव जॉब्स को एप्पल कंपनी छोड़नी पड़ी. इसके बाद 12 साल उनके बहुत अच्छे नहीं रहे. लेकिन 1997 में उन्होंने एप्पल में वापसी की.

news18

स्टीव जॉब्स का सबसे सफल प्रोडक्ट रहा, आईफोन. 2007 में आईफोन की लॉन्चिंग के साथ ही इसने मोबाइल की दुनिया को बदल दिया और आज भी स्मार्टफोन की कैटेगरी में आईफोन को सबसे प्रीमियम माना जाता है. आईफोन की सफलता ने आज एप्पल को दुनिया की सबसे बड़ी वैल्यूएशन वाली कंपनी बनाया है. इसके साथ ही एप्पल के कंप्यूटर्स, मैकबुक समेत कई अन्य प्रोडक्ट भी बेहद पॉपुलर हैं.

दिल्ली पुलिस में थे सिपाही…लगातार मेहनत और लगन से करते रहे तैयारी, आज बने IPS

नहीं देखा होगा ऐसा नजारा, 'आग के छल्ले' में बदल गया सूरज, दुनियाभर में ऐसा दिखा सूर्य ग्रहण- Photos

दशहरी, मालदा हो या चौसा, सभी पोषक तत्वों का भंडार, फलों के राजा आम की हर वेरायटी फायदों से भरपूर, जानें एक से बढ़कर एक लाभ

दशहरी, मालदा हो या चौसा, सभी पोषक तत्वों का भंडार, फलों के राजा आम की हर वेरायटी फायदों से भरपूर, जानें एक से बढ़कर एक लाभ

1 वाहियात अफवाह से जब एक्ट्रेस हुईं बर्बाद, लीड रोल मिलने हुए बंद, शादीशुदा मर्द से गुपचुप कर ली शादी

1 वाहियात अफवाह से जब एक्ट्रेस हुईं बर्बाद, लीड रोल मिलने हुए बंद, शादीशुदा मर्द से गुपचुप कर ली शादी

घर से 1000 KM दूर जमाया डेरा, अनपढ़ लेकिन कमा डाले लाखों रुपये, राज जान हिल गई पुलिस

घर से 1000 KM दूर जमाया डेरा, अनपढ़ लेकिन कमा डाले लाखों रुपये, राज जान हिल गई पुलिस

एक फसल की 9 किस्मों से मालामाल हुआ किसान, 3 एकड़ में उगा दिया 300 कुंतल, मिले अलग-अलग दाम

एक फसल की 9 किस्मों से मालामाल हुआ किसान, 3 एकड़ में उगा दिया 300 कुंतल, मिले अलग-अलग दाम

शीरमाल हो या नान, ईद में इन रोटियों के बिना अधूरा है त्योहार का जश्न, तस्वीरों में दिखेगी झलक

शीरमाल हो या नान, ईद में इन रोटियों के बिना अधूरा है त्योहार का जश्न, तस्वीरों में दिखेगी झलक

नैनीताल शहर से हो गए बोर...5 अनदेखे हिल स्टेशन का करें दीदार, दिल हो जाएगा खुश

नैनीताल शहर से हो गए बोर...5 अनदेखे हिल स्टेशन का करें दीदार, दिल हो जाएगा खुश

1997 की हिट फिल्म, आदित्य पंचोली को कास्ट करना चाहते थे अनिल कपूर, 1 गलती की वजह से एक्टर के हाथ से निकला चांस

1997 की हिट फिल्म, आदित्य पंचोली को कास्ट करना चाहते थे अनिल कपूर, 1 गलती की वजह से एक्टर के हाथ से निकला चांस

न सुपरस्टार हीरो, न रंगीन रोमांस, गुपचुप रिलीज हुई फिल्म ने कूटे 100 करोड़ रुपये, 3 एक्ट्रेस ने चटाई सभी को धूल

न सुपरस्टार हीरो, न रंगीन रोमांस, गुपचुप रिलीज हुई फिल्म ने कूटे 100 करोड़ रुपये, 3 एक्ट्रेस ने चटाई सभी को धूल

शॉर्ट वीडियो

More galleries.

  • Welcome To Jiwanparichay.in

Steve Jobs Biography in Hindi – स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय

  • Post category: Businessman
  • Post published: September 9, 2023

Steve Jobs Biography in Hindi – आज हम बात करने वाले है, स्मार्टफोन में क्रांति लेन वाले एप्पल कंपनी के प्रमुख रहे स्टीव जॉब्स के बारे में। जी हां यह वही व्यक्ति है, जिसने एप्पल जैसे बड़ी कंपनी को सफल बनाने में अहम भूमिका रही है। आज के इस पोस्ट में हम आपको स्टीव जॉब्स की जीवन की कहानी को उनके शुरुआत से लेकर सफल होने तक मार्गदर्शन कराएंगे, तो चलिए जानते है-

Who is Steve Jobs? | स्टीव जॉब्स कौन हैं?

स्टीवन पॉल जॉब्स जिन्हे स्टीव जॉब्स के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अमेरिकी उद्यमी, आविष्कारक और एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक थे। इनका जन्म 24 फरवरी, 1955 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ था, और 5 अक्टूबर, 2011 को उनका निधन हो गया। जॉब्स ने 1976 में अपने दोस्तों स्टीव वोज्नियाक और रोनाल्ड वेन के साथ Apple Inc . की सह-स्थापना की। साथ ही इन्होने मैकिंटॉश’, ‘आइपॉड’, ‘आइफ़ोन’, और ‘आइपैड’ जैसे उत्पादों को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिस कारण इन्हे प्रौद्योगिकी और नवाचार के इतिहास में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति में से एक माना जाता है ।

Steve Jobs Biography in Hindi (info)

Steve jobs family and education | स्टीव जॉब्स का परिवार और शिक्षा.

स्टीव जॉब्स का जन्म कैलिफोर्निया में एक सीरियाई मुस्लिम परिवार अब्दुल फत्ताह जंडाली और जोआन कारो शिएबल में हुआ था। स्टीव ने कैलिफोर्निया में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए रीड कॉलेज में दाखिला लिया। शुरू से ही स्टीव को इंडियन कल्चर के बारे जानने बहुत शौक था इसलिए उन्होंने भारत की यात्रा करने का फैसला किया, लेकिन उसके पास यात्रा करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। इसके लिए उन्हें अटारी नाम की वीडियो गेम्स कंपनी में काम किया और कुछ पैसे बचाकर स्टीव जॉब्स 1975 में भारत पहुंचे। स्टीव ने भारत में हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि की यात्रा की। लगभग स्टीव भारत में 7 महीने रहे और एक बौद्ध के रूप में अपने गृहनगर कैलिफोर्निया लौट आए। इसके बाद, वह अपने बचपन के दोस्त स्टीव वोज्नियाक से मिले, उन दोनों ने एक कंपनी शुरू करने का फैसला किया, जिसके लिए उन्होंने अपना कीमती सामान बेच दिया।

Steve Jobs career | स्टीव जॉब्स का करियर

जॉब्स ने अपने करियर की पहली सफल तब पाई जब उन्होंने साल 1976 में, अपने साथी स्टीव वोज्नियाक के साथ अपने माता पिता के गैराज में Apple कंपनी की शुरुआत की। उन्होंने 1976 में अपना अफ्ला Apple I कंप्यूटर प्रदर्शित किया तथा साल 1977 में Apple II को पेश किया। यह कंप्यूटर काफी सफर रहे। जब कुछ सही चल रहा था, जॉब्स अपनी इनोवेटिव थिंकिंग के साथ नए मुकाम हासिल कर रहे थे, लेकिन साल, 1985 में तत्कालीन सीईओ जॉन स्कली के साथ सत्ता संघर्ष के बाद स्टीव जॉब्स को एप्पल कंपनी से बाहर कर दिया गया

NeXT कंप्यूटरकी शुरुआत

Apple छोड़ने के बाद, जॉब्स ने NeXT कंप्यूटर की स्थापना की, हालाँकि NeXT कंप्यूटर इतनीखास सफलता तो नहीं मिली, लेकिन इसकी डेवलोपमेन्ट को देखते हुए दुनिया में इसकी सहराना की गई। साल 1997 में Apple द्वारा इसे खरीद लिया गया।

1986 में स्टीव ने 10 मिलियन यूएस डॉलर में एक ग्राफिक्स कंपनी खरीदी. उसका नाम इन्होने पिक्सर रखा। जॉब्स के नेतृत्व में, पिक्सर ने “टॉय स्टोरी,” “फाइंडिंग निमो,” और “द इनक्रेडिबल्स” सहित सफल एनिमेटेड फिल्मों की एक श्रृंखला का निर्माण किया।

एप्पल में वापस आना और कंपनी को प्रॉफिट में लाना

एप्पल से बहार निकलने के बाद 1997 में एप्पल कंपनी घाटे में जाती दिखी जिसके चलते कमपनी को काफी लोस्स सहना पड़ा। तभी स्टीव जॉब्स को एप्पल की और से दुबारा वापस आने का निमंत्रण आया जिसके बाद उन्होंने एक सीईओ के रूप में एप्पल कंपनी में वापस लौट आये। कंपनी का घाटे में चलना उन्होंने अनुभव किया और इनोवेशन की दुनिया में उन्होंने कंपनी के कुछ ख़ास प्रोडक्ट जैसे Macintosh, iMac, iPod, iPhone और iPad शामिल थे।

इसके बाद कंपनी दुबारा प्रॉफिट में आती दखी और धीरे धीरे Apple दुनिया की सबसे मूल्यवान और प्रभावशाली टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक बन गई।जॉब्स के करियर में सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक 2007 में iPhone की शुरूआत थी। iPhone ने स्मार्टफोन उद्योग में क्रांति ला दी

Steve Jobs death in hindi

साल 2003 में, स्टीव जॉब्स को एक बीमारी अग्न्याशय के कैंसर का पता चला जिसे pancreatic neuroendocrine tumor कहा जाता है। अपनी बीमारी से जूझते हुए उन्होंने एप्पल में काम करना जारी रखा लेकिन अगस्त 2011 में सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद टिम कुक ने एप्पल के सीईओ का पद संभाला। दुर्भाग्य से नए युग की शुरुआत करने वाले स्टीव जॉब्स का 5 अक्टूबर 2011 को 56 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

Steve Jobs personal life

  • 1991 में स्टीव ने लॉरेन पॉवेल से शादी की और उनके तीन बच्चे थे दो बेटियां ईव जॉब्स, एरिन सिएना जॉब्स और एक सोन रीड जॉब्स।

Steve Jobs awards and achievements

National Medal of Technology and Innovation (1985) Grammy Trustees Award (2002) Jefferson Award for Public Service (2007) Disney Legends Award (2013) Special Trustees Award (2014) Entrepreneurial Visionary Award (2014) Named Most Powerful Person in Business (2007, 2010) TIME 100 Most Influential People (2007, 2008) Fortune Magazine’s CEO of the Decade (2009) Financial Times Person of the Year (2010)

See Also – इन्हें भी पढ़ें

bill gates biography in Hindi

jeff Bezos biography in Hindi

नोट- यह संपूर्ण बायोग्राफी का क्रेडिट हम स्टीव जॉब्स को देते हैं, क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?

You Might Also Like

Larry page (founder of google) – age, dob, life, and more, rakesh jhunjhunwala – the story of indian stock market king, lenskart owner (peyush bansal) biography, age, wife, family.

  • WORLD EDITION
  • INFLUENCERS

Trending Tags

जानिए मरते वक्त क्या थे स्टीव जॉब्स के आखिरी शब्द, इसलिए हुई थी मौत, स्टीव जॉब्स को सक्सेसफुल बिजनेसमेन के साथ ही एक बेहद समझदार और सुलझा हुआ इंसान माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि उनके निणर्य मील का पत्थर साबित होते थे..

जानिए मरते वक्त क्या थे स्टीव जॉब्स के आखिरी शब्द, इसलिए हुई थी मौत

स्टीव जॉब्स (फाइल फोटो)

  • 5 अक्टूबर 2011 को केंसर से हुई थी स्टीव जॉब्स की मौत.
  • स्टीव जॉब्स ने “Sick bed” को दुनिया का सबसे महंगा बेड बताया था.
  • मरते वक्त स्टीव जॉब्स ने बताया था अपनी जिंदगी के बारे में.

steve jobs

यह भी पढ़ें

फिटनेस एक्सपर्ट्स का दावा चाहिए 28 इंच की कमर तो पीना शुरू करिए यह पानी

लाइव खबर देखें:

biography of steve jobs in hindi

  • Jobs & Career
  • Quotes in Hindi

biography of steve jobs in hindi

चिकन नगेट्स रेसिपी। Chicken Nuggets Recipe

गुलाब जामुन कैसे बनाए (gulab jamun recipe in hindi) , रसमलाई रेसिपी – rasmalai recipe in hindi, आलू कबाब। aaloo kabab, mexican vegetable rice recipe in hindi, top 3 laptops: जो market में बहुत लोकप्रिय हैं।, ssd क्या है और यह कैसे काम करता है, रैम क्या है | what is ram, computer shortcut keys in hindi , desktop और laptop में अंतर क्या है, sarkari naukari 2022: टेक्सटाइल मिनिस्ट्री में बंपर वैकेंसी, सरकारी नौकरी पाने…, jssc में मिलेगी बंपर नौकरी, कल आवेदन की आखिरी तारीख ।, ias कैसे बनें  पूरी जानकारी हिंदी में ।, cbse full form in hindi | सीबीएसई बोर्ड की जानकारी |, ugc  क्या है,  apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स – steve jobs biography in hindi।.

'  data-srcset=

Table of Contents

 Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स  – Steve jobs Biography in hindi।

दोस्तों आज हम इस लेख में जानेंगे Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स – Steve jobs Biography in hindi।, स्टीव जॉब्स की उपलब्धियां , उनके कारनामे , इन सब पर हम विस्तार से जानेंगे । तो आइये जानते हैं ।

स्टीव जॉब्स का जन्म 1955 में सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया, अमेरिका में हुआ था, और 2011 में, 56 वर्ष की आयु में, उन्होंने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

आपने Steve jobs   का नाम तो सुना ही होगा। एप्पल के संस्थापक Steve  jobs   की जीवनी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है, उन्होंने अपनी ज़िंदगी में कई समस्याओं का सामना किया, स्टीव जॉब्स एक अमेरिकी व्यापारी, आविष्कारक और प्रसिद्ध कंपनी एप्पल के संस्थापकों में से एक थे।

Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स एक अमेरिकी व्यापारी, आविष्कारक और प्रसिद्ध कंपनी Apple के संस्थापकों में से एक थे। उन्हें अपनी  कंपनी से निकाल दिया गया था और फिर इसके प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया ।

स्टीव जॉब्स एक नजर में – Steve Jobs Biography  in Hindi

स्टीव जॉब्स की शुरूआती ज़िन्दगी :- steve jobs biography in hindi।.

Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स  जिन्होंने फोन को आईफोन के रूप में भी पेश किया यह दुनिया का पहला टच स्क्रीन मोबाइल था। यह एक मोबाइल फोन, एक आईपैड और एक कंप्यूटर भी था। आईपैड हेडफोन ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था। मैं आज यह मानने के लिए मजबूर हूं कि अगर स्टीव जॉब्स ने आईपैड का आविष्कार नहीं किया होता, तो भी मैं कंप्यूटर से बहुत दूर रहता। 

स्टीव जॉब्स के माता पिता कौन थे?

स्टीव जॉब्स दुनिया के सबसे अद्भुत व्यक्ति थे। वह Syrian political science professor  अब्दुल फतेह जान जुंदाली के पुत्र थे। अब्दुल फतेह सीरिया का रहने वाला था। वह पढ़ाई के लिए अमेरिका आया था। पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात खूबसूरत अमेरिकी लड़की जॉनी से हुई। रिश्ता आगे बढ़ा और जॉनी गर्भवती हो गयी, अब्दुल फतेह जान जुंदाली को यह बच्चा नहीं चाहिए था।

लेकिन जॉनी बच्चा पैदा करना चाहती था। दोनों के बीच झगड़ा हुआ और स्टीव जॉब्स के पिता ने उनकी मां को उनके जन्म से पहले ही छोड़ दिया था। मां संकटों से पीड़ित थीं । वह इस बच्चे की परवरिश नहीं कर सकती थी । उसने गर्भपात करने का फैसला किया लेकिन गर्भपात का समय बीत चुका था। इसलिए उन्होंने इस बच्चे को एक निःसंतान दंपति को देने का फैसला किया।

एक सार्थक समाचार पत्र में एक विज्ञापन दिया। तीन या चार जोड़ों ने उनसे संपर्क किया। माँ ने एक वकील जोड़े को चुना। स्टीव जॉब्स का जन्म  हुआ, तो दंपति ने उन्हें गोद लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें बेटे की जगह बेटी चाहिए थी।

माँ ने दूसरे जोड़े को सूची से बुलाया। दंपती गरीब था। माँ उन्हें अपना बेटा नहीं देना चाहती थी। लेकिन उसके पास स्टीव जॉब्स के लिए  दूध के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए उसने स्टीव को यह कहते हुए उसे सौंप दिया कि वह उसे उच्च शिक्षा देगा।

मां  ने दंपति  से एक वादा कराया था, वह पॉल जॉब्स और क्लारा जॉब्स थे। और इसी को दुनिया के इस अद्भुत व्यक्ति के माता-पिता कहा गया ।

स्टीव जॉब्स एजुकेशन (Steve Jobs education) :-

Steve  jobs  पढाई में तेज़ नहीं थे वह  बैकबेंचर थे। उनका पढाई में दिल नहीं लगता था।  लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाना  जारी रखा। जब तक वह कॉलेज तक नहीं पहुँच गए। कॉलेज में उन्होंने CALLIGRAPHY  में दाखिला लिया या यह एक मुश्किल विषय था और इसका कोई भविष्य नहीं था।

लेकिन स्टीव जॉब्स इस को पढ़ते रहे। उन्हें नहीं पता था कि वह इस लेख को क्यों पढ़ रहे हैं। इस दौरान वह खाने और खर्च के लिए कोका-कोला की खाली बोतलें इकट्ठी करके उसे कबाड़ की दुकान पर बेचता  और इसी आमदनी से खाना कहते थे । वह सप्ताह में एक दिन मंदिर में मुफ्त भोजन भी करता ।

Steve jobs ने वर्षों बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के सामने खुलासा किया। “अगर मैंने CALLIGRAPHY  की पढाई  नहीं की होती, तो शायद मैंने कभी मैक कंप्यूटर का आविष्कार नहीं किया होता।” मैं CALLIGRAPHY नामक संपादन की इस प्रणाली से प्रेरित था। अक्षमता और असावधानी के कारण मुझे कॉलेज से निकाल दिया गया था।

Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स – Steve jobs Biography in hindi।

स्टीव जॉब्स तब से नौकरी के लिए मारा मारा फिर रहा था इस दौरान उन्होंने वीडियो गेम भी बनाए और कंप्यूटर फर्म में बेहद निचले स्तर का काम किया।

स्टीव जॉब्स ने 1972 में रेड कॉलेज में Admission  लिया। वहाँ उनकी दोस्ती  अपने जैसे नाम के  एक स्टीव वॉजनिएक के साथ दोस्ती हो गयी उन्होंने  साथ काम करने और कुछ नया आविष्कार करने का फैसला किया।

स्टीव जॉब्स ने एक ऐसी कंपनी की स्थापना की जो आधुनिक रचनात्मकता में इतनी शानदार थी कि वह अपने समय की सबसे प्रसिद्ध कंपनी हेवलेट पैकर्ड (Hewlett Packard) से आगे निकल गई।

उन्हें पता था कि 21 वीं सदी में, अधिक महत्वपूर्ण वह होगा जो प्रौद्योगिकी के साथ रचनात्मकता को जोड़ती है, इसलिए उन्होंने एक ऐसी कंपनी बनाई  जहां रचनात्मकता के रास्तों को बेहतरीन इंजीनियरिंग के साथ जोड़ा गया था।

स्टीव जॉब्स भी एक इंसान दोस्त   व्यक्ति थे। वह विश्व एड्स फाउंडेशन के सबसे बड़े दानदाताओं में से एक थे। उनकी कंपनी ने नस्ल या रंग की परवाह किए बिना संयुक्त राज्य अमेरिका में 35,000 नौकरियां प्रदान कीं। वह अंधों के लिए एक मोबाइल फोन विकसित करने वाले थे जो उसे हर अवसर पर मदद करता लेकिन जीवन उन से वफ़ा नहीं की। 

स्टीव जॉब्स ने जब एप्पल कंपनी की शुरुआत कब की थी  ।

1906 में,  Steve  Jobs ने स्टीव नाइके और रोनाल्ड वेन के साथ मिलकर Apple कंपनी की स्थापना की, जो दुनिया का चेहरा बदलने वाला दुनिया का तीसरा Apple था। स्टीव जॉब्स, जिनके Apple ने दुनिया की संस्कृति को बदल दिया।

आज दुनिया टच स्क्रीन पर केंद्रित है  और कुछ वर्षों में, दुनिया की 90% मशीनें टच सिस्टम में शिफ्ट हो जाएंगी। सभी दरवाजे और खिड़कियां स्पर्श से खुलने लगी हैं। वाहन टच स्क्रीन बन गए। एटीएम टेलीविजन, टच स्क्रीन। यह सब स्टीव जॉब्स के कमाल हैं , अगर स्टीव जॉब्स नहीं होते, तो दुनिया को इस तकनीक तक पहुंचने में शायद कई दशक और लग जाते।

स्टीव जॉब्स को कैंसर ।

यह स्टीव जॉब्स की पूर्णता है, लेकिन वास्तविक पूर्णता कुछ और है। स्टीव जॉब्स को 2004 में pancreatic  के कैंसर का पता चला था। यह सबसे खतरनाक बीमारी है और इसके मरीज छह महीने में मर जाते हैं।

लेकिन स्टीव जॉब्स ने मरने से इनकार कर दिया। यह इन दिनों आईपैड बना रहा था । तो उसने डॉक्टर से कहा कि मुझे बहुत काम करना है। मैं मरने को तैयार नहीं हूं। डॉक्टरों ने जवाब दिया कि अग्नाशय के कैंसर के रोगियों के पास छह महीने से अधिक का समय नहीं होता है।

स्टीव जॉब्स ने डॉक्टरों के आदेशों का पालन करने से इनकार कर दिया और सात साल तक जीवित रहे। आईफोन 5 तैयार होने तक यह सांस लेता रहा। स्टीव जॉब्स  Apple द्वारा प्रति वर्ष केवल एक डालर  सैलरी लेता  था। 50% से  विभिन्न विभागों में बैठकें प्राप्त  करता और 50% अपनी कारकरदगी का लेता ।

Steve jobs net वर्थ ।

लेकिन फिर भी वह संयुक्त राज्य अमेरिका के 42वें सबसे धनी व्यक्ति थे। उसके पास आठ अरब तीन सौ मिलियन डॉलर थे। यह पैसा एपल और डिज्नीलैंड के लायन से आया। दुनिया में अरबों लोगों का निधन हो गया है, लेकिन प्रकृति ने मनुष्य की जीवन शैली को बदलने का सम्मान कुछ ही लोगों को दिया है और स्टीव जॉब्स दुनिया के कुछ भाग्यशाली लोगों में से एक थे।

स्टीव जॉब्स का निधन ।

स्टीव जॉब्स का निधन 5 अक्टूबर 2011 को कैंसर के कारण हुआ था। लेकिन इसकी टच स्क्रीन क्रांति हमेशा हमारे साथ रहेगी क्योंकि जिस तरह आज का आदमी बिना बल्ब के नहीं रह सकता, उसी तरह टच स्क्रीन क्रांति आज के मनुष्य के सामाजिक जीवन का पचास प्रतिशत हो गई है। और वह स्टीव जॉब्स के पचास प्रतिशत का हिस्सा है।

दुनिया में ९९% लोग मर जाते हैं और धूल में मिल जाते हैं, और कुछ साल बाद, उनके नाम समय के पन्नों से गायब हो जाते हैं। केवल 1% लोग मृत्यु के बाद जीवित रहते हैं। स्टेज जॉब उनमें से एक थी। और जब तक दुनिया में टच स्क्रीन जिंदा है, तब तक ये स्टीव जॉब्स भी जिंदा रहेंगे।

स्टीव  जॉब्स ने बाद में कंपनी को   दुनिया की सबसे अमीर कंपनी बना दिया ।

जिस म्यूजिक प्लेयर , या जो आईपॉड और आईफ़ोन का उन्होंने आविष्कार किया  एक दुनिया दीवानी बन गयी। स्टीव जॉब्स जब भी कोई प्रोडक्ट का अनावरण करने जारहे होते तो चाहते थे की वह मैगज़ीन टाइम के कवर पेज की ज़ीनत बने या CNN पर इसे पब्लिश किया जाये “किसी और की तरह बनने से अच्छा है की तुम अपनी अलग पहचान बनाओ ” (स्टीव जॉब्स) . स्टीव जॉब्स  इस प्रसिद्ध कहावत के पूर्ण उदाहरण थे। 

एक रचनात्मक Entrepreneur  स्टीव जॉब्स ने उतार चढ़ाव से भरपूर जीवन के बावजूद उन्होंने अपनी कला, आक्रामकता अंदाज़ से अपने जुनून के साथ व्यक्तिगत कंप्यूटर, सिनेमा, संगीत, फोन, टैबलेट कंप्यूटिंग और डिजिटल प्रकाशन सहित छह उद्योगों में क्रांति ला दी।

कंपनी का नाम Apple क्यों रखा गया ?

कंपनी का नाम Apple क्यों रखा गया, वास्तव में स्टीव का पसंदीदा फल सेब था और उनका मानना ​​था कि सेब ज्ञान और समझ का प्रतीक है। इसीलिए जब डिज़ाइनर “Rob Janoff” उनकी कंपनी का लोगो डिजाइन कर रहे थे, तो स्टीव ने कहा, “मुझे एक खाया सेब दिखाओ वह भी  केवल एक तरफ से   यानी ज्ञान की यात्रा यहाँ से शुरू होगी।”

उनकी कहानी शिक्षाप्रद के साथ-साथ शिक्षाप्रद है , आविष्कार , चरित्र , नेतृत्व ,  मानवता के पाठ की याद दिलाती है और रहती दुनिया तक बाक़ी रहेगा।  

तो कैसा लगा यह आर्टिकल Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स – Steve jobs Biography in hindi।, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लग हो तो अपने दोस्तों को अवश्य शेयर करें और आपका कोई सवाल है तो कमेंट करके बताएं हम इसका जवाब ज़रूर देंगे । नोट : अगर आपके पास कोई Hindi Story, टेक्निकल आर्टिकल , या फिर कोई motivational या inspirational article है जो हमारे जीवन को किसी भी तरीके से बेहतर बनाता हो तो कृपया हमारे साथ शेयर करें।  आपका लेख आपके फोटो के साथ पोस्ट किया जायेगा।  आपको इसका पूरा क्रेडिट दिया जायेगा।  हमारा ईमेल है : [email protected]

यह भी पढ़ें : 

रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध। Rabindranath Tagore essay in hindi 

दुनिया का सबसे बड़ा धर्म कौन सा है, हेलीकॉप्टर का आविष्कार किसने किया, कागज का आविष्कार किस देश में हुआ है.

दुनिया का सबसे ताकतवर देश कौन है? 2021

  • steve jobs biography in hindi
  • Steve jobs Biography in hindi।
  • success-story-of-steve-jobs-ex-apple-ceo
  • एप्पल के सह संस्थापक कौन है?
  • स्टीव जॉब्स का जन्म कहाँ हुआ था?
  • स्टीव जॉब्स कॉलेज (Steve Jobs education) –

'  data-srcset=

फुटबॉल के बादशाह क्रिस्टियानो रोनाल्डो । Cristiano Ronaldo Biography in hindi |

Gandhi jayanti 2022: महात्मा गांधी जयंती  , रोजर फेडरर दुनिया के सबसे अमीर खिलाड़ियों में से एक। , leave a reply cancel reply.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Most Popular

Antivirus क्या है और यह कैसे काम करता है, कंप्यूटर वायरस क्या है – what is a computer virus  , अपना मोबाइल नंबर आसानी से कैसे चेक करें । how to know own number।, recent comments.

hindipalace.com  में आप का स्वागत है। हम आपके लिए इस ब्लॉग में आर्टिकल्स, डिजिटल मार्केटिंग, टेक्निकल गाइड , हेल्थ टिप्स, कोट्स , स्टोरी , लेटेस्ट न्यूज़, रेसिप्स, बुक्स, और बहुत सारे  पोस्ट करते हैं .आप हमारे पोस्ट को शेयर करें ताकि दूसरे लोग भी फ़ायदा उठा सकें.

Contact us: [email protected]

© All Right Reserved Hindi Palace

  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions

IMAGES

  1. steve jobs biography story of apple company hindi

    biography of steve jobs in hindi

  2. Steve Jobs Biography in Hindi

    biography of steve jobs in hindi

  3. Steve Jobs Biography in Hindi: Apple Company Success Story In Hindi

    biography of steve jobs in hindi

  4. The Story of Steve Jobs

    biography of steve jobs in hindi

  5. Steve Jobs Biography in hindi

    biography of steve jobs in hindi

  6. Steve Jobs Biography In Hindi

    biography of steve jobs in hindi

VIDEO

  1. Day 11

  2. STEVE JOBS : Stanford Speech in Hindi

  3. Steve jobs biography with AI voice and about his life

  4. Steve jobs inspirational speech in hindi

  5. STEVE JOBS: Stanford Speech in HINDI

  6. Biography of Steve Jobs #shorts

COMMENTS

  1. स्टीव जॉब्स

    स्टीवन पॉल "स्टीव" जॉब्स ( अंग्रेज़ी: Steven Paul "Steve" Jobs) (जन्म: २४ फरवरी, १९५५ - अक्टूबर ५, २०११) एक अमेरिकी बिजनेस टाईकून और आविष्कारक थे। वे ...

  2. स्टीव जॉब्स की जीवनी

    स्टीव जॉब्स का जन्म, परिवार, शुरुआती जीवन - Steve Jobs History. स्टीव जॉब्स का जन्म और परवरिश भी बाकी लोगों से एकदम अलग है। दऱअसल उनका जन्म 24 फरवरी, 1955 में ...

  3. एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi

    विवाह व निजी जीवन Marriage and Personal Life of Steve Jobs in Hindi. वर्ष 1991 में स्टीव जॉब्स का विवाह लोरेन पॉवेल से हुआ। कुछ समय बाद ही उनके पुत्र रीड जॉब्स और ...

  4. Steve Jobs Biography in Hindi : स्टीव जॉब्स

    Steve Jobs Biography In Hindi के इस लेख में, हम, आपको Apple कम्पनी जो कि Computer, Laptop or Mobile बनाने वाली कम्पनी जो कि, ना केवल भारत में, लोकप्रिय और प्रसिद्ध हैं बल्कि दुनिया भर में इसकी ...

  5. स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय 2023

    स्टीव को एप्पल कंपनी से निकालाना व वापस लाना (Steve Jobs got fired from Apple and get back) स्टीव जॉब्स की मृत्यु (Death of Steve Jobs) स्टीव जॉब्स के अनमोल वचन (Quotes of Steve Jobs in Hindi) FAQs

  6. Steve Jobs Biography Book Summary in Hindi

    Steve Jobs Biography Book Summary in Hindi - एप्पल कंपनी की शुरुवात. दोस्तों ये Steve Jobs Biography Book WALTER ISAACSON ने लिखी है और इसे PUBLISH किया है "Little, Brown Book Group" ने। ये सारा CREDIT उन्ही को ...

  7. Apple कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय

    पत्नी(Wife) - Laurene Powell Jobs. बच्चे(Children) - Lisa Brennan-Jobs, reed paul jobs, Eve Jobs, Erin Siena Jobs. Death - 5 Oct 2011,California स्टीव जॉब्स के जीवन का शुरुआती समय -Biography of Steve Jobs in Hindi

  8. Steve Jobs Biography In Hindi

    निष्कर्ष:- तो यह था एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय (Steve Jobs Biography In Hindi) उम्मीद है कि आपको स्टीव जॉब्स का यह पोस्ट पसंद आया होगा। ऐसे ...

  9. स्टीव जॉब्स जीवनी

    स्टीव Steve ने अपने स्कूल के सहपाठी मित्र वोजनियाक के साथ मिल कर अपने पिता के गैरेज में ऑपरेटिंग सिस्टम मेकिनटोश (mac) तैयार किया.

  10. Biography Of Steve Jobs In Hindi

    1 Biography of Steve Jobs In Hindi - एप्पल संस्थापक स्टीव जॉब्स की जीवनी. 1.0.1 स्टीव जॉब्स : प्रारंभिक जीवन ( Steve Jobs Early Life ) : 1.0.2 स्टीव जॉब्स : शिक्षा ( स्टीव Jobs Education ) : 1.0.3 ...

  11. Steve Jobs Biography in Hindi

    1 Steve Jobs Biography in Hindiस्टीव जॉब्स की जीवनी. 2 Steve Jobs - An Introductionस्टीव जॉब्स - एक परिचय. 3 स्टीव जॉब्स का बचपन व शिक्षाSteve Jobs - Childhood and Education. 3.1 स्टीव जॉब्स का ...

  12. Success Story Steve Jobs Education age biography apple founder story

    Success Story, Steve Jobs Education: क्या आप एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की कहानी जानते हैं, जिन्होंने बिना किसी कॉलेज डिग्री के ही इतनी बड़ी कंपनी खड़ी कर दी.

  13. Steve Jobs Biography in Hindi

    Steve Jobs Biography in Hindi - आज हम बात करने वाले है, स्मार्टफोन में क्रांति लेन वाले एप्पल कंपनी के प्रमुख रहे स्टीव जॉब्स के बारे में। जी हां यह वही ...

  14. Steve Jobs Biography in Hindi

    Learn how to scale your business & multiply your earningsRegister now- https://www.badabusiness.com/webinar/ibc/weekly_event?ref_code=dmtvbswebinarA perfect...

  15. Steve Jobs biography: The rise, fall and rise of Apple in Hindi

    This is the biography of great innovator Steve Jobs and how he started Apple. We have covered Apple company inside out and how Steve Jobs changed the world ...

  16. Biography of Steve Jobs In Hindi

    Watch a short biography video on Steve Jobs and learn about his childhood in California, his co-founding Apple with Steve Wozniak, and his death in 2011.Grow...

  17. Steve Jobs by Walter Isaacson Audiobook

    Based on more than forty interviews with Steve Jobs conducted over two years - as well as interviews with more than a hundred family members, friends, advers...

  18. Last Words Of Steve Jobs

    जानिए मरते वक्त क्या थे स्टीव जॉब्स के आखिरी शब्द, इसलिए हुई थी मौत. स्टीव जॉब्स को सक्सेसफुल बिजनेसमेन के साथ ही एक बेहद समझदार और ...

  19. Steve Jobs Biography In Hindi

    This video is about steve jobs biography in hindi or apple success story. This story inspirational and motivational videos for everyone.Steve jobs was an ame...

  20. steve Jobs की Motivational कहानी.biography of Steve jobs.STEVE JOBS

    सफलता चूमेगी आपके कदम, दिमाग में छापलिजिए स्टीव जॉब्स की ये 6 ...

  21. Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स

    स्टीव जॉब्स की शुरूआती ज़िन्दगी :- Steve jobs Biography in hindi। Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स जिन्होंने फोन को आईफोन के रूप में भी पेश किया यह दुनिया का पहला टच स्क्रीन ...

  22. Biography of Steve Jobs in Hindi. Steve Jobs Life Story.Co Founder and

    Biography of Steve Jobs in Hindi. Steve Jobs Life Story.Co Founder and CEO by Apple. Ducomentry of Steve Jobs. Who was Steve Jobs ?Hello guys welcome back to...

  23. Amazon.in: Biography Of Steve Jobs In Hindi

    1-16 of 78 results for "biography of steve jobs in hindi" Results. Elon Musk Ki Biography + Main Steve Jobs Bol Raha Hoon. Hindi Edition | by Digant Rai;Ed. Mahesh Sharma | 23 March 2022. 5.0 out of 5 stars 1. Unknown Binding. Limited time deal