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शराबबंदी पर निबंध (Alcohol Ban Essay in Hindi)

शराब, आज की तारीख में इस पेय ने अपनी अहमियत इतनी ज्यादा बढ़ा ली है कि कुछ लोगों के लिए यह भोजन और यहाँ तक कि पानी से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो चुका है। सबसे बड़ी बात कि एक कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति यदि इस तरह की आदतों को शुमार करता है तो यह उसकी भूल हो सकती है लेकिन उन लोगों के बारे में क्या कहा जाये जो बड़ी-बड़ी डिग्रियां और उच्च शिक्षा हासिल कर चुके होते हैं। उनके जीवन में तो शराब उनके एक वक़्त के भोजन सामान हो जाता है। यक़ीनन शराब का सेवन मादकता तो प्रदान करता ही है, मगर इसके साथ ही साथ वह व्यक्तित्व के विनाश, निर्धनता की वृद्धि और मृत्यु के द्वार भी खोलता है। इसलिए इस आसुरी आदतों को समाप्त करना अतिआवश्यक है।

शराबबंदी पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Alcohol Ban in Hindi, Sharab Bandi par Nibandh Hindi mein)

शराब बंदी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

आजकल इसी समाज में लोगों के बीच जिन्हें हम आधुनिक भी कहते हैं कुछ ऐसी आदतों का चलन है जो बहुत तेजी से लोगों में फैलते जा रहा है। उन्हीं में से एक हैं शराब के सेवन की आदत, जो युवाओं को तो अपने आगोश में ले ही चुका है इसके अलावा बड़े-बुजर्गों के बीच भी यह खासा लोकप्रिय है।

शराबबंदी के लिए कदम

बहुत से लोग इसे शौक के तौर पर अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं जबकि कई लोग इसका सेवन करना शान समझते हैं। बिहार सरकार ने शराबबंदी पर अहम फैसला लेते हुए पूरे बिहार में शराब पर बैन लगा दिया। अन्य राज्य जैसे गुजरात, नागालैंड, मिजोरम में भी शराब पर बैन है।सरकार ने शराब पीने वालों के लिए एक मानक बनाया है, जिसका उल्ल्घन करने पर दंड का प्रावधान है।

शराबबंदी की आवश्यकता

इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि शराब एक जानलेवा चीज है इसके लाभ कुछ नही है बल्कि सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही है। शराब से न केवल मनुष्य का शरीर बल्कि उसका पैसा, परिवार, सुख-चैन सभी का नुकसान होता है। जब लोगों के इसके दुष्परिणाम दिखते हैं या वो खुद इसका सामना करते हैं तब अक्सर ही शराबबंदी की आवाज बुलंद होती है, जो कि एकदम सही है। शराबबंदी होनी ही चाहिए क्योंकि यह कहीं से भी फायदेमंद नहीं है।

आम नागरिक हो या फिर सरकार सभी को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए और राष्ट्रिय स्तर पर एक ठोस कदम उठाना चाहिए। अन्य सरकारों को भी बिहार सरकार से प्रेरणा लेते हुए, शराब के नुकसान को समझकर इस पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।

इसे यूट्यूब पर देखें – Essay on Alcohol Ban in Hindi

निबंध 2 (400 शब्द) – शराब: एक सामाजिक कलंक

क्या आप पढ़े लिखे हैं, क्या आपने उच्च शिक्षा हासिल कर रखी है, क्या आप बेहतर नौकरी करते हैं, अगर इन सभी सवालों का जवाब हाँ है, तो निश्चित रूप से आप एक समझदार और काबिल इंसान है, साथ ही साथ एक सभ्य और सुसज्जित समाज से ताल्लुख रखते हैं। लेकिन, इसके बाद एक सवाल और है जो शायद इन सभी बातों से ज्यादा महत्वपूर्ण है, वो सवाल ये है कि ‘क्या आप शराब का सेवन करते हैं?’ अगर इसका जवाब नहीं है तो आपको पिछड़े हुए समाज और अनुशासनहीन, असामाजिक, और न जाने किस किस तरह की उपाधियाँ तत्काल मिल जाती हैं। जी हाँ, इसमें चौंकने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि हमारे आज के आधुनिक समाज का यही असली चेहरा है।

शराब: एक सामाजिक कलंक

यदि आप शराब का सेवन करते हैं तो आप एक शानदार इंसान है, और आप खुद भी देखेंगे कि आपके साथ रहने वालों की संख्या हमेशा काफी ज्यादा होती है वहीं दूसरी तरफ अगर आप शराब से दूरी बना कर रखते हैं तो लोग भी स्वतः ही आपसे दूर होते जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे समाज में शराब और इसका सेवन करने वालों ने आधिपत्य जमा रखा है।

शराब का सेवन किस हद तक अपने दुष्परिणाम दिखा सकता है यह किसी से छिपा नहीं हैं फिर चाहे वो समाज हो, सरकार हो या फिर खुद इसका सेवन करने वाला हो। लेकिन फिर भी लोग इसकी तरफ आकर्षित होते हैं और अपने जीवन में इसे सबसे अधिक महत्त्व भी देते हैं। शराब न सिर्फ इसका सेवन करने वाले का नाश करता है बल्कि समाज में एक कलंक के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसकी वजह से न जाने कितने परिवार उजड़ते है और कितनी जिंदगियां बर्बाद होती है। लेकिन इसके बावजूद सरकार इसे लेकर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाती है।

हद तो तब हो जाती है जब थोड़े समझदार होने के बाद आपको ये पता चलता है की शराब का कारोबार खुद सरकार भी करती है। जी हाँ, सरकारों के लिए शराब राजस्व जुटाने का बड़ा जरिया है। आपको यह सुनकर काफी ज्यादा हैरानी हो सकती है कि एक आंकड़े के अनुसार देशी तथा विदेशी शराब की कुल खपत गांवों में 117 प्रतिशत तथा नगरों में 234 प्रतिशत की दर से प्रतिवर्ष बढ़ रही है। क्या कभी इस दर से नौकरी या शिक्षा के स्तर को बढ़ते आपने देखा है? इसमें कोई दो राय नहीं है कि शराब का सेवन हमें किस हद तक पीछे धकेलता है और हमारे जीवन में कलह और दुःख लाता है।

यह केवल सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है बल्कि खुद हमारी और इस समाज की भी है कि लोगों को शराब का सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित किया जाये और ज्यादा से ज्यादा प्रयासों द्वारा शराबबंदी के लिए जोर दिया जाये। क्योंकि इस सम्बन्ध में अगर कोई बदलाव ला सकता है तो वो खुद हम ही हैं।

निबंध 3 (600 शब्द) – शराबबंदी की आवश्यकता क्यों है

यह सोचने वाली बात है, आखिर लोग सबकुछ जानने समझने के बाद भी शराब का सेवन करते ही क्यों हैं? उन्हें पढ़ना आता है, वो समझदार हैं, कई सारी डिग्रियां भी हैं उनके पास लेकिन फिर भी वो आये दिन होनी वाली घटना-दुर्घटनाओं और यहाँ तक कि शराब पर लिखी गयी चेतवानी तक को नजरअंदाज क्यों करते हैं? यह वाकई सोचने वाली बात है, चाहे कोई जश्न हो, त्यौहार हो, या अन्य कोई भी माहौल शराब का सेवन तो जैसे एक फैशन सा हो गया है। कई कई बार लोग जब अपने रिश्तों या काम से काफी ज्यादा निराश होते हैं तब शराब का सेवन करते हैं और कभी ख़ुशी के मौके पर भी करते हैं।

शराबबंदी की आवश्यकता क्यों ?

समय समय पर कई रिसर्च सामने आते रहते है जिनमें कभी शराब के सेवन को लाभदायक बताया जाता है तो कभी हद से ज्यादा खतरनाक। कुछ के अनुसार एक निश्चित मात्रा में शराब का सेवन हमेशा फायदेमंद होता है जबकि सीमा से अधिक सेवन करने पर यह खुद के साथ साथ दूसरों के लिए भी जानलेना साबित हो जाता है। वैसे शराब अच्छी है या बुरी ये तो बाद की बात है लेकिन एक बात तो तय है कि किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक होती है।

शराब के सेवन के बारे में न ही हमारे संविधान में कुछ आदेश है और न ही किसी तरह की रीति-रिवाज में कोई प्रथा, चाहे वो हिन्दू धर्म हो या मुस्लिम या फिर कोई भी अन्य। यहाँ तक कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी भी यही चाहते थे कि हिन्दुस्तान में एक भी ऐसा व्यक्ति न हो जो शराब का सेवन करे। वर्ष 1927 में महात्मा गांधी ने कहा था कि, “मैं भारत में कुछ हज़ार शराबी देखने के बजाय देश को अत्यधिक गरीब देखना पसंद करूँगा।“

जब शराब के सेवन से आमजन की स्थिति हद से ज्यादा ख़राब होने लगी तब कई राज्यों की सरकारों ने शराबबंदी का महत्वपूर्ण फैसला लिया, लेकिन इस बीच अवैध शराब की बिक्री तेजी से सर उठाने लगी, नतीजन सरकार को पीछे हटना ही पड़ा। मतलब इसे आप एक मकड़जाल की भांति समझ लीजिये जिसमे एक बार जो फंस गया वो कभी बाहर नहीं निकल पायेगा। मगर एक बात जो हर किसी को समझ में आती भी है और इसे बार बार समझाना भी पड़ता है, शराब के सेवन से लाभ एक भी नहीं है अपितु जो भी है सिर्फ और सिर्फ नुकसान है।

शराब न सिर्फ शरीर को खोखला बनाती है बल्कि मानसिक संतुलन को भी बिगाड़ती है। इसके लगातार सेवन से व्यक्ति असमय बूढ़ा दिखने लगता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि ऐसी हेय वस्तु को हाथ लगाना भी महापाप है। आपने कई लोगों को यह कहते भी सुना ही होगा कि शराब पीने से इन्द्रियों में ताजगी आ जाती है, हमारी पाचन शक्ति बढ़ती है, थोड़ी मात्रा में शराब का सेवन किसी टॉनिक की भांति कार्य करता है, यह सब उनकी भ्रांति है। वास्तविकता यह है कि शराब के लगातार सेवन से मनुष्य के शरीर में अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। जो न उसे बल्कि उसके परिवार को भी परेशानी में डालते हैं।

शराब का सेवन किसी भी दृष्टिकोण से लाभदायक नहीं होता है, इसका सेवन सिर्फ और सिर्फ अपने और दूसरों के घर को उजाड़ने में सहायक होता है। हर किसी को इसके दुष्प्रभाव के बारे में जानना व समझना चाहिए क्योंकि तभी कोई भी शराबबंदी की तरफ कदम बढ़ा सकता है। सिर्फ अपने मोहल्ले या राज्य को नहीं बल्कि पूरे देश को शराब मुक्त बनाने का संकल्प लेना है और तभी हम सभी बेहतर उन्नति कर पायेंगे और हमारा देश जो वर्षों से विकासशील है वो विकसित हो पायेगा।

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alcohol abuse essay in hindi

शराब पीने की लत/एल्कोहोलिज्म क्या है, जानिए परिभाषा, कारण, निदान और उपचार

What Is Alcoholism And Its Definition Symptoms Causes Diagnosis Complications And Treatment In Hindi

एल्कोहोलिज्म को एल्कोहल यूज ​डिसऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है। ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी इंसान के मन में एल्कोहल या शराब पीने की तेज इच्छा होती है। फिर भले ही इसका उस शख्स के जीवन पर कितना भी निगेटिव असर क्यों न पड़े?

बीते वक्त में, इसी स्थिति से पीड़ित इंसान को एल्कोहोलिक या शराबी कहा जाता था। हालांकि इसे किसी इंसान पर लगाए गए बहुत ही निगेटिव टैग के तौर पर देखा जाता था। इसीलिए डॉक्टर अब इस समस्या को एल्कोहल यूज डिसऑर्डर (Alcohol Use Disorder (AUD)) कहते हैं। 

एल्कोहोलिज्म ने पूरी दुनिया के लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। ने शनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, साल 2015 में 15.1 मिलियन अमेरिकी नागरिक (पूरी आबादी का 6.2 प्रतिशत) एल्कोहोलिज्म का शिकार थे।  

वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (World Health Organization (WHO)) के अनुसार, पूरी दुनिया में हर साल 3.3 मिलियन लोगों की मृत्यु सिर्फ एल्कोहल के हानिकारक उपयोग के कारण हो जाती है। भारत में भी बड़ी संख्या में लोग एल्कोहोलिज्म के शिकार हैं। 

इसीलिए इस आर्टिकल में मैं आपको एल्कोहोलिज्म की परिभाषा, कारण, लक्षण, निदान और उपचार के साथ ही भारत में एल्कोहोलिज्म की स्थिति के बारे में जानकारी दूंगा। 

Table of Contents

एल्कोहोलिज्म की परिभाषा (Definition Of Alcoholism)

© Shutterstock

एल्कोहल एब्यूज डिसऑर्डर को लंबे समय से चली आ रही शराब पीने की लत समझा जाता है। द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एल्कोहल अब्यूज एंड एल्कोहोलिज्म (The National Institute on Alcohol Abuse and Alcoholism (NIAAA)) के अनुसार, एल्कोहल यूज डिसऑर्डर ऐसी समस्या को कहते हैं जिसमें शराब पीने की समस्या गंभीर रूप ले लेती है।  

इस समस्या से पीड़ित शख्स को पता तक नहीं होता है कि कब और कैसे पीना बंद किया जाए। वे शराब पीने के बारे में बहुत ज्यादा वक्त तक सोचते हैं, और वे इस बात पर कंट्रोल नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कितनी शराब पीनी चाहिए, चाहें इसकी वजह से उनके घर, वर्कप्लेस या आर्थिक मोर्चे पर कितनी भी गंभीर समस्याएं क्यूं न चल रही हों।

एल्कोहल अब्यूज का इस्तेमाल शराब के अत्याधिक या गलत सेवन के बारे में बात करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब शराब पर निर्भर हो जाना कतई नहीं है। 

मॉडरेट एल्कोहल के सेवन से आमतौर पर कोई भी साइकोलॉजिकल या शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचता है। हालांकि, अगर आप सोशल ड्रिंकिंग में बहुत ज्यादा हिस्सा लेते हैं या फिर नियमित तौर पर शराब का सेवन बहुत ज्यादा करते हैं तो, इससे एल्कोहल यूज डिसऑर्डर होने के चांस काफी बढ़ जाते हैं। 

भारत में एल्कोहोलिज्म (Alcoholism In India)

साल 2018 में भारत में एल्कोहोलिज्म के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) यानी कि डब्ल्यूएचओ (WHO) ने रिपोर्ट जारी की थी।

ग्लोबल स्टेट्स रिपोर्ट ऑन एल्कोहल एंड हेल्थ, 2018 (The Global Status Report On Alcohol And Health, 2018) के अनुसार, साल 2005 से 2016 के बीच में भारत में प्रति व्यक्ति एल्कोहल की खपत दोगुनी हो चुकी है।  

लाइव मिंट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, साल 2005 में भारतीय नागरिक 2.4 लीटर एल्कोहल का सेवन करते थे, जो साल 2010 में बढ़कर 4.3 लीटर हो गया। जबकि साल 2016 में ये खपत बढ़कर 5.7 लीटर प्रति व्यक्ति हो गई।  

रिपोर्ट के अनुसार, पूरे दक्षिण-पूर्वी एशिया में भारत में एल्कोहल सेवन के आंकड़ों में सबसे ज्यादा तेजी आई थी। जिसके अनुसार, साल 2005 से 2016 के बीच में भारत में सालाना 2.2 लीटर/प्रति व्यक्ति खपत में बढ़ोत्तरी हुई थी। 

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 में एल्कोहल के हानिकारक उपयोग के कारण 30 लाख लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में तीन चौथाई संख्या पुरुषों की थी। कुल मिलाकर, शराब के हानिकारक उपयोग के कारण पूरी दुनिया की बीमारियों का कारण 5% से अधिक शराब के कारण था। 

रिपोर्ट के अनुसार, प्रति एक लाख आबादी पर 51.1 पुरुष और 27.1 महिलाएं लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) से पीड़ित हैं। एल्कोहल अब्यूज से होने वाले कैंसर से प्रति 1 लाख आबादी पर 181 पुरुष और 126.4 महिलाएं पीड़ित हैं। 

एल्कोहोलिज्म के लक्षण (Symptoms Of Alcoholism In Hindi)

कोई भी ऐसा शख्स जो शराब का अत्याधिक सेवन करने लगता है, उसे असल में कभी भी ये अहसास नहीं हो पाता है कि वो शराब नहीं पी रहा है बल्कि अब शराब उसका सेवन करने लगी है। 

इसलिए एल्कोहोलिज्म/ एल्कोहल यूज डिसऑर्डर के संकेत और लक्षण निम्नलिखित हैं : 

  • अकेले या चुपचाप शराब पीना
  • शराब पीने की सीमा तय न कर पाना 
  • ब्लैक आउट करना और समय का हिस्सा याद नहीं कर पाना
  • नियम बनाकर पीना और अगर कोई इस पर टिप्पणी करे तो और ज्यादा पीना। 
  • काम के पहले, दौरान, खाने के बाद या काम के बाद नियमित रूप से पीना। 
  • पसंदीदा कामों से रुचि खो देना। 
  • शराब पीने के लिए बेचैनी होना। 
  • शराब पीने का समय नजदीक आते ही बेचैनी होना।
  • शराब खत्म होने पर बेचैनी होना।
  • शराब को दूसरों की पहुंच से छिपाकर रखना।
  • अच्छा महसूस करने के लिए शराब का सेवन करना। 
  • रिश्तों, कानून, फाइनेंस या काम से जुड़ी समस्या होने पर शराब पीना।
  • शराब का नशा महसूस न होने पर और ज्यादा शराब पीना।
  • शराब न पीने पर जी मिचलाना, पसीना निकलना, कंपकंपी छूटना

कुछ लोगों को ऐसे ही संकेत और ​लक्षणों का अनुभव हो सकता है भले ही वे शराब का सेवन न करते हों। एल्कोहल का सेवन तब समस्या कहा जा सकता है जब वो अन्य सभी गतिविधियों में समस्या बनना शुरू हो जाए। जब एल्कोहल पर निर्भरता की समस्या बहुत गंभीर हो जाए तो इसके शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव हो सकते हैं। 

एल्कोहोलिज्म के कारण (Causes Of Alcoholism)

शराब पीने की लत को विकसित होने में कुछ साल से लेकर कुछ दशक तक का समय लग सकता है। कुछ लोगों के लिए जो किसी वजह से शराब का अत्यधिक सेवन शुरू कर देते हैं, वह कुछ ही महीनों में इसके शिकार हो सकते हैं।

वक्त बीतने के साथ ही, एल्कोहल के सेवन से दिमाग में, 

  • गामा अमीनो ब्यूटिरिक एसिड (गाबा) (Gamma-Aminobutyric Acid (GABA))
  •   ग्लूटामेट (Glutamate)

का असंतुलन पैदा हो जाता है। 

वैसे बता दें कि गामा अमीनो ब्यूटिरिक एसिड यानी गाबा हमारे दिमाग में आवेग को नियंत्रित करता है जबकि ग्लूटामेट हमारे नर्व्स सिस्टम को स्टिम्यूलेट करता है।

हमारे दिमाग में एल्कोहल के सेवन के बाद डोपामाइन (Dopamine) का स्तर बढ़ जाता है। डोपामाइन के बढ़े हुए स्तर के कारण शराब पीने का अनुभव और ज्यादा बढ़ सकता है। 

बहुत लंबे वक्त तक शराब का सेवन करने से दिमाग में मौजूद इन केमिकल्स का लेवल बदल सकता है। जिसकी वजह से शरीर को एल्कोहल के सेवन की लत लग जाती है। दिमाग ऐसे संकेत शरीर को भेजना शुरू कर देता है जिसकी वजह से इंसान अच्छा महसूस करने और कमजोरी से बचने के लिए शराब का सेवन शुरू कर देता है। 

शराब पीने के संभावित खतरे (Possible Risk Factors For Alcohol Consumption)

बहुत ज्यादा शराब पीने से कुछ खतरे भी जुड़े हुए हैं। जैसे, 

जींस (Genes) :

कुछ विशेष जेनेटिक फैक्टर्स की वजह से भी इंसान के भीतर एल्कोहल या अन्य तत्वों का नशा करने की आदत पनप सकती है। इसका पारिवारिक इतिहास होना भी संभव है। 

पहली बार शराब पीने की उम्र :

एक स्टडी के अनुसार, जो लोग 15 साल से कम उम्र में शराब का सेवन शुरू कर देते हैं उन्हें बाद में अपने जीवन में एल्कोहल से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।  

आसान उपलब्धता : 

कई रिसर्च में शराब की आसान उपलब्धता, कम कीमतों के साथ ही एल्कोहल अब्यूज और शराब पीने से होने वाली मौतों के बीच सीधा संबंध दिखाई देता है। 

एक स्टडी में पाया गया है कि सरकार द्वारा एल्कोहल खरीदने पर टैक्स बढ़ाने के बाद शराब पीने से होने वाली मौतों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई थी। ये प्रभाव अन्य निरोधक रणनीतियों से दो से चार गुना ज्यादा प्रभावी था। जैसे, स्कूल प्रोग्राम या मीडिया कैंपेन। 

कुछ स्ट्रेस हार्मोन का सीधा संबंध एल्कोहल अब्यूज से भी है। अगर स्ट्रेस और एंग्जाइटी लेवल हाई है तो, इंसान तनाव को मिटाने के लिए भी शराब का सेवन शुरू कर देता है। 

साथ बैठकर पीना : 

ऐसे लोग जिनके दोस्त नियमित रूप से शराब पीते हैं। ये पाया गया है कि वे कई बार जरूरत से ज्यादा शराब का सेवन करने लगते हैं। ये स्थिति आपको एल्कोहल से जुड़ी समस्याओं की ओर धकेल सकती है। 

आत्मसम्मान की कमी : 

ऐसे लोग जिनमें आत्मसम्मान नहीं या कम होता है, वे एल्कोहल या शराब मिलने पर उसका जरूरत से ज्यादा सेवन करते हैं। 

डिप्रेशन :  

डिप्रेशन के शिकार लोग अक्सर खुद को ठीक करने के लिए बिना सोच-विचार या संकोच के एल्कोहल का सेवन करना शुरू कर देते हैं। वे शायद इस बात को भी नजरअंदाज कर देते हैं कि शराब के सेवन से डिप्रेशन का खतरा कम नहीं होता बल्कि और ज्यादा बढ़ जाता है। 

मीडिया और विज्ञापन : 

कुछ देशों में, एल्कोहल के सेवन को शान, अमीरी और कूल एक्टिविटी के तौर पर पेश किया जाता है। एल्कोहल के विज्ञापन और मीडिया कवरेज की वजह से इस बात के प्रचार का खतरा बढ़ जाता है कि जमकर शराब पीने को समाज में स्वीकार्यता हासिल है। 

शरीर एल्कोहल को कैसे पचाता है : 

ऐसे सभी लोग जो सुरूर पाने के लिए शराब का ज्यादा सेवन करते हैं, उन्हीं को एल्कोहल से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।  

निदान (Diagnosis Of Alcoholism)

एल्कोहल यूज डिसऑर्डर की पहचान के लिए अमेरिकन साइकैट्रिक एसोसिएशन (American Psychiatric Association) यानी एपीएस (APS) द्वारा बनाए गए डायग्नोस्टिक एंड स्टेटिकल मैन्युअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर्स (Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders (DSM)) को ही पूरी दुनिया में सर्वमान्य समझा जाता है।

सर्वमान्य मानदंड में शराब की खपत का एक पैटर्न शामिल है जो हमें नुकसान या संकट के बारे में सटीक जानकारी हासिल करने में मदद करता है। डिसऑर्डर की पहचान के लिए निम्नलिखित मानदंडों में से कम से कम तीन पिछले 12 महीनों के दौरान मौजूद होने चाहिए।

शराब पीने की क्षमता : 

अगर किसी शख्स को नशा महसूस करने के लिए शराब की बड़ी मात्रा का सेवन करना पड़ता है। चाहें शराब पीने के कारण उसका लिवर भी डैमेज हो चुका हो और वह ज्यादा शराब को पचा न सकता हो, तो उसकी सहनशक्ति कमजोर हो सकती है। 

वहीं अगर शराब के भारी सेवन के कारण किसी इंसान के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र या सेंट्रल नर्व्स सिस्टम को नुकसान पहुंचा हो तो भी उसका टॉलरेंस लेवल कम हो सकता है। 

वापसी के लक्षण :

जब कोई इंसान शराब पीना छोड़ देता है या कुछ दिन के लिए बंद कर देता है। तो, उन्हें कंपकंपी, अनिद्रा , जी मिचलना या एंग्जाइटी की समस्या हो सकती है। इन लक्षणों की वजह से भी इंसान और ज्यादा शराब का सेवन शुरू कर सकता है।  

इरादों से परे हटकर :

अगर कोई इंसान लंबे वक्त से शराब का सेवन कर रहा है तो, उसका मन शराब पीने के लिए उसे उकसा सकता है। 

शराब छोड़ने के असफल प्रयास :

अगर कोई इंसान लगातार शराब छोड़ने की कोशिश कर रहा हो लेकिन उसे सफलता न मिल पा रही हो। ऐसी स्थिति में उसकी शराब छोड़ने की इच्छा में कमी आ सकती है।

समय खर्च करना : 

अगर कोई इंसान शराब पीने, छोड़ने या शराब का सेवन बंद करने में बहुत ज्यादा समय खर्च कर रहा हो, ऐसे में उसके एल्कोहल यूज डिसऑर्डर का शिकार होने की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं। 

समाज से कट जाना : 

अगर कोई इंसान मनोरंजक, सामाजिक या व्यावसायिक गतिविधियों से हट जाता है, जिसमें पहले भाग लिया करता था तो उसके एल्कोहल यूज डिसऑर्डर का शिकार होने के चांस बढ़ जाते हैं।  

अगर कोई इंसान ये जानता है कि शराब पीने की वजह से उसकी शारीरिक और साइकोलॉजिकल स्थिति बिगड़ रही है और उसके बाद भी वह शराब का सेवन जारी रखता है।  

एल्कोहल अब्यूज के इनमें से कुछ संकेत और लक्षण अन्य समस्याओं की वजह से भी हो सकते हैं। जैसे बढ़ती उम्र के कारण याददाश्त और भूलने की समस्याएं हो सकती हैं। 

अगर किसी इंसान को मेडिकल से जुड़ी कोई समस्या होती है, जैसे कि खाना पचने में समस्या, और वह डॉक्टर को ये नहीं बताता है कि वह शराब पीता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर के लिए ये काफी मुश्किल हो सकता है कि वह जांच करके आपको ये बता पाए कि आपकी बीमारी का असली कारण क्या है? 

वहीं अगर किसी डॉक्टर को ऐसा लगता है कि आपको होने वाली कोई समस्या असल में शराब पीने की वजह से हुई है तो, वह आपसे इस संबंध में ढेर सारे सवाल पूछ सकता है। अगर मरीज उन सभी सवालों का अपनी जानकारी के अनुसार सही जवाब देता है तो ये संभावना काफी बढ़ जाती है कि डॉक्टर बीमारी का अच्छी तरह से इलाज कर पाए।

जटिलताएं (Complications Of Alcoholism)

शराब पीने की लत से जुड़ी कई जटिलताएं हैं जो हमारी जिंदगी पर असर डाल सकती हैं। इनमें शामिल हैं मेमोरी लॉस, कंफ्यूजन, मेंटल हेल्थ से जुड़े मुद्दे और साथ में काम और घरेलू जिंदगी का प्रभावित हो जाना। 

एल्कोहल के सेवन से आमतौर पर सबसे पहले किसी इंसान का मूड बनता है। हालांकि जब कोई शख्स लंबे वक्त तक एल्कोहल की नुकसानदेह और भारी मात्रा का सेवन करता रहता है तो, एक वक्त के बाद शराब पीने पर उसका असर इंसान पर कम होने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एल्कोहल किसी इंसान के नर्व्स सिस्टम को उदासीन बनाता चला जाता है। 

एल्कोहल के लंबे वक्त तक सेवन का असर किसी इंसान के फैसले लेने की क्षमता पर भी निगेटिव रूप से पड़ता है। ये आपके मन में संकोच को कम कर सकता है और पीने वाले के विचारों, भावनाओं और सामान्य व्यवहार को बदल सकता है। 

लगातार और भारी मात्रा में शराब का सेवन करने पर ये किसी इंसान के व्यवहार को सिरे से बदल सकता है। इसकी वजह से उसकी मसल्स और बातचीत, हावभाव के बीच का तालमेल भी बिगड़ सकता है। लगातार भारी मात्रा में शराब पीने की वजह से कोई इंसान कोमा में भी जा सकता है।  

हालांकि, लगातार भारी मात्रा में शराब पीने की वजह से निम्नलिखित में से कोई एक समस्या भी आपको हो सकती है। लगातार और लंबे वक्त तक शराब की भारी मात्रा के सेवन से किसी इंसान को: 

थकान : ज्यादातर वक्त में थकान महसूस हो सकती है। 

मेमोरी लॉस : एल्कोहल इंसान की शॉर्ट टर्म मेमोरी को प्रभावित कर सकता है।

आंखों की मांसपेशियां : आंखों की रोशनी कमजोर या खत्म हो सकती है। 

लिवर की बीमारियां : हेपेटाइटिस और सिरोसिस जैसी लाइलाज बीमारियां हो सकती हैं। 

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जटिलताएं : आंतें या पैंक्रियाज डैमेज हो सकता है। इससे शरीर की खाना पचाने, विटामिन सोखने और उन हार्मोन का उत्पादन करने की क्षमता कम हो सकती है जो मेटाबॉलिज्म को नियमित करते हैं। 

हाइपरटेंशन : ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या हो सकती है। 

हार्ट की समस्याएं : कार्डियोमायोपैथी (दिल की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त होना), दिल का दौरा पड़ना और स्ट्रोक। 

डायबिटीज : अगर कोई हर रोज शराब की सुरक्षित मात्रा से ज्यादा का सेवन लंबे वक्त तक करता है तो उन्हें डायबिटीज की समस्या हो सकती है। वे किसी और शख्स से पहले टाइप-2 डायबिटीज की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं। 

एल्कोहल लिवर से ग्लूकोज रिलीज होने से रोकती है, जिससे हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) की समस्या हो सकती है। अगर कोई इंसान पहले से ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए इंसुलिन का सेवन कर रहा है तो हाइपोग्लाइसीमिया के घातक दुष्परिणाम हो सकते हैं। 

सेक्स से जुड़ी समस्याएं होना : इंसान को स्तंभन दोष, शीघ्र पतन, स्वपनदोष जैसी समस्याएं हो सकती हैं। 

हड्डियों का पतला होना : एल्कोहल के कारण नई हड्डियों के उत्पादन में समस्या हो सकती है। इससे हड्डियों के पतले होने या फिर ज्यादा फ्रैक्चर होने की समस्या शुरू हो सकती है। 

नर्व्स सिस्टम से जुड़ी समस्याएं : नर्व्स सिस्टम से जुड़ी ऐसी कई समस्याएं हैं जो एल्कोहल के लंबे वक्त तक सेवन के कारण हो सकती हैं। इनमें डिमेंशिया, भ्रमित या अव्यवस्थित सोच जैसी समस्याएं होना शामिल है। 

कैंसर : शराब के सेवन से कई तरह के कैंसर होने का खतरा हो सकता है। जिसमें मुंह का कैंसर, घेंघा, लिवर, बड़ी आंत, मलद्वार, ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और उदर नली का कैंसर शामिल है। 

दुर्घटनाएं : शराब के सेवन के कारण किसी भी इंसान को गिरने से चोट लगने, रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट का खतरा काफी बढ़ जाता है। 

घरेलू हिंसा : शराब के नशे में पत्नी से दुर्व्यवहार, बच्चों से बुरा व्यवहार और पड़ोसियों से झगड़े करना बेहद आम बात है। 

वर्कप्लेस पर समस्याएंं : ज्यादा शराब का सेवन करने के कारण आपको वर्कप्लेस से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। 

आत्महत्या : शराब पीने वालों के आत्महत्या के आंकड़े उन लोगों से कहीं ज्यादा जो शराब का सेवन नहीं करते हैं।

भारत में आत्महत्या के आंकड़े (Suicide Statistics In India)

साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में आत्महत्या के आंकड़ों में जबरदस्त उछाल देखने को मिलता है। साल भर में आत्महत्या के मामले बढ़कर 2,30,314 तक पहुंच चुके हैं। इसके अलावा, भारत में 15-29 साल और 15-39 साल के आयु वर्ग में होने वाली मौतों की सबसे सामान्य वजह आत्महत्या को पाया गया है। 

हर साल पूरी दुनिया में 8 लाख लोगों की मौत आत्महत्या के कारण होती है। इनमें से 1,35,000 लोग भारत में निवास करते हैं। भारत में साल 1987 से 2007 के बीच आत्महत्या की दर में जबरदस्त उछाल आ चुका है। पहले ये दर 7.9 प्रति 1 लाख थी, अब 10.3 प्रति 1 लाख है। 

भारत में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं ​दक्षिणी और पूर्वी राज्यों में होती हैं। साल 2012 में तमिलनाडु से पूरे भारत में की गई आत्महत्याओं में से सबसे ज्यादा 12.5% फीसदी मामले सामने आए थे। इसके बाद क्रमश: महाराष्ट्र (11.9%) और पश्चिम बंगाल (11.0%) का नंबर आता है।

क्या है आत्महत्या, कारण, लक्षण, खतरे, आंकड़े और परेशान शख्स से बात करने के उपाय  

मेंटल बीमारी : एल्कोहल अब्यूज के कारण मेंटल बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, और ये आपकी मेंटल हेल्थ की समस्या को और बिगाड़ सकती है। 

कानूनी समस्याएं : ऐसे लोग जो शराब का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं वे अपना अधिकतर समय कोर्ट या जेल में बिताते हैं, उन लोगों की तुलना में जो शराब का सेवन नहीं करते हैं या लिमिट में करते हैं।

उपचार (Treatments Of Alcoholism)

उपचार का पहला कदम ये स्वीकार करना है कि एल्कोहल पर निर्भर रहना एक समस्या है। अगला चरण मदद लेना है। ये मदद कई सपोर्ट ग्रुप और प्रोफेशनल सर्विस के तौर पर मौजूद है। 

फिलहाल एल्कोहोलिज्म के उपचार के निम्नलिखित तरीके प्रचलित हैं: 

स्वेच्छा से छोड़ देना :

कुछ लोगों के भीतर इतनी मजबूत इच्छाशक्ति होती है कि बिना किसी प्रोफेशनल की मदद के भी खुद से ही शराब पीने की लत पर कंट्रोल कर लेते हैं। ऐसे लोगों के लिए बड़ा चैलेंज ये होता है कि शराब छोड़ने के बाद भी वे अपनी इच्छाशक्ति को बचाए रख सकें।

काउंसिलिंग : 

योग्य और प्रशिक्षित काउंसलर से आप अपनी समस्या के बारे में खुलकर बता सकते हैं। इसके बाद में वे आपको ये सिखा सकते हैं कि शराब पीने की लत से छुटकारा कैसे पाएं। वे इसके लिए आपको बिहेवेरियल थेरेपी के बारे में भी जानकारी दे सकते हैं।

अन्य समस्याओं का उपचार करना : 

कई लोग किसी खास समस्या की चपेट में आने पर शराब का सेवन शुरू कर देते हैं। ऐसे में उन्हें आत्मसम्मान पर चोट लगने, स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रेशन या मेंटल हेल्थ से जुड़े किसी अन्य विषय से संबंधित समस्या हो सकती है। 

ऐसी समस्याओं का उपचार भी महत्वपूर्ण है। एल्कोहल का भारी मात्रा में सेवन इन समस्याओं को और बदतर बना सकता है। इसके अलावा एल्कोहल सेवन से होने वाली अन्य समस्याओं जैसे हाइपरटेंशन, दिल की बीमारियों, को भी उपचार की जरूरत होती है। 

नशा मुक्ति केंद्र : 

ऐसे केंद्र लगभग हर शहर में होते हैं। ये किसी इंसान या ग्रुप की शराब पीने की लत को प्रोफेशनल की मदद से छुड़वाने की कोशिश करते हैं। 

परहेज करना : कुछ लोग शराब की लत को छोड़ने के बाद पूरी बॉडी को डिटॉक्स भी कर लेते हैं। लेकिन फिर से इसके बाद वे शराब पीना शुरू कर देते हैं। ऐसे लोगों को काउंसिलिंग, सपोर्ट ग्रुप और परिवार के सहयोग से वक्त बीतने के बाद होने वाली शराब की क्रेविंग से दूर रखा जा सकता है। 

सारांश (Summary) 

हम सभी इस बात को जानते हैं कि एल्कोहोलिज्म या एल्कोहल यूज डिसऑर्डर से हमें कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं में शारीरिक समस्याओं के साथ ही मानसिक समस्याएं भी शामिल हैं। ऐसे में समय रहते इन समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए हमें बिना किसी संकोच, शर्म या झिझक के प्रोफेशनल की मदद लेनी चाहिए।

आर्टिकल सोर्स : 

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शराब पीने के फायदे और नुकसान और शरीर पर इसका प्रभाव – Alcohol Benefits and Side Effects in Hindi

शराब पीने के फायदे और नुकसान और शरीर पर इसका प्रभाव - Alcohol Benefits and Side Effects in Hindi

Alcohol Benefits and Side Effects in Hindi शराब एक प्रकार का उत्तेजक पेय है, जिसे फलों के रस, फूलों के रस और नट्स का प्रयोग करके बनाया जाता हैं। बाजार में शराब के कई प्रकार उपलब्ध हैं जैसे-व्हिस्की, रम, वोडका,वाइन, बियर आदि। शराब पीने के बाद व्यक्ति अपनी बॉडी में उत्तेजना का अनुभव करते हैं। यदि आप संतुलित मात्रा में शराब पीते हैं, तो शराब फायदेमंद हो सकती है। परन्तु अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से इसके नुकसान भी हो सकते हैं। आज के लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि शराब पीने के फायदे और नुकसान के साथ एल्कोहल के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में।

1. लोग शराब क्यों पीते हैं – Why people drinks Alcohol in Hindi 2. शराब पीने के फायदे- Advantages of drinking Alcohol in Hindi 3. शराब पीने के नुकसान – Alcohol Side Effects in Hindi 4. शराब पीने के लघुकालिक नुकसान- Short term Side Effects of drinking Alcohol in Hindi 5. दीर्घकालिक दुष्प्रभाव से शराब से होने वाले रोग – Long term effect of alcohol in Hindi 6. अल्कोहल ओवरडोज के लक्षण – Alcohol overdose Symptoms in Hindi 7. आप शराब की लत को कैसे छोड़ सकते हैं? – How can you prevent an alcohol overdose in Hindi 8. शराब के नशे को कैसे कम करें – How overcoming Hangover in Hindi

लोग शराब क्यों पीते हैं – Why people drinks Alcohol in Hindi

लोग शराब क्यों पीते हैं - Why people drinks Alcohol in Hindi

अक्सर लोग शराब पीने की शुरुआत शौक के लिए करते हैं, परन्तु वे यह नहीं जानते हैं कि वो धीरे-धीरे इसके आदि होते जाते हैं। मतलब कि शराब पीना उनकी मजबूरी बन जाती है और शराब ही उनकी पहली प्राथमिकता होती है। उनको न तो उनकी जॉब दिखती है ना ही अपना परिवार।

शराब पीने के फायदे- Advantages of drinking Alcohol in Hindi

शराब पीने के फायदे- Advantages of drinking Alcohol in Hindi

यदि शराब का संतुलित मात्रा में सेवन किया जाये तो शराब पीने के फायदे होते हैं परन्तु इसका अधिक मात्रा में सेवन नुकसानदायक हो सकता है। आइये जानते है शराब पीने के क्या फायदे होते है

शराब पीने से मधुमेह में कमी होना – Reduce Diabetes by drinking alcohol in Hindi

शराब पीने से मधुमेह में कमी होना - Reduce Diabetes by drinking alcohol  in Hindi

यदि शराब को प्रतिदिन सीमित मात्रा में लिया जाता है, तो यह एक ऐसा हॉर्मोन बनाता है जो इन्सुलिन को नियंत्रित करता है। इन्सुलिन हमारे शरीर में ग्लूकोस के संतुलन को बनाये रखता है और रक्त संचार में शर्करा की मात्रा को रेगुलेट करके मधुमेह को रोकती है।

(और पढ़े –  शुगर ,मधुमेह लक्षण, कारण, निदान और बचाव के उपाय )

शराब ब्रेन पॉवर को बढ़ाती है- Increase Brain power by drinking alcohol in Hindi

शराब ब्रेन पॉवर को बढ़ाती है- Increase Brain power by drinking alcohol  in Hindi

चूँकि शराब एक उत्तेजक मादक पेय है, जिसे पीने से पूरे शरीर में उत्तेजना का संचार होता है साथ ही हमारे मस्तिष्क की कार्य क्षमता भी बढ़ जाती है। लेकिन यदि इसे ज्यादा मात्रा में लिया जाता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

(और पढ़े –  शंखपुष्पी के फायदे याददाश्त बढ़ाने से लेकर चिंता दूर करने तक )

शराब पित्ताशय की पथरी को बनने से रोके – Say Gallstone Bye Bye by drinking alcohol in Hindi

पित्ताशय पथरी (Gallstone) पित्ताशय थैली में कठोर कोलेस्ट्रोल के जमा होने के कारण होती है, जो छोटे-छोटे कंकड़ के समान होती है। जिसके कारण मरीज को बहुत दर्द का अनुभव करना पड़ता है। शराब की संतुलित मात्रा का नियमित सेवन पित्ताशय पथरी को गला देता है।

(और पढ़े –  पथरी होना क्या है? (किडनी स्टोन) पथरी के लक्षण, कारण और रोकथाम )

मदिरापान करने से तनाव कम होता है – Reduce Stress by drinking alcohol in Hindi

मदिरापान करने से तनाव कम होता है - Reduce Stress by drinking alcohol in Hindi

बहुत से लोग मदिरा का उपयोग, मानसिक तनाव को कम करने के लिए करते हैं, परन्तु ऐसे सभी लोग निश्चित मात्रा में मदिरापान करते हैं।

(और पढ़े –  मानसिक तनाव के कारण, लक्षण एवं बचने के उपाय )

शराब करे थकान को दूर – Alcohol to remove tiredness in Hindi

बहुत से लोग शराब की सीमित मात्रा का उपयोग शारीरिक थकान को दूर करने के लिए करते हैं। लेकिन वो शराब को केवल थोड़ी सी मात्रा में दवा की तरह ही उपयोग करते हैं।

(और पढ़े –  कमजोरी और थकान के कारण, लक्षण और इलाज )

शराब पीने के नुकसान – Alcohol Side Effects in Hindi

शराब पीने के नुकसान - Alcohol Side Effects in Hindi

अल्कोहल का प्रभाव आपके शरीर पर उसकी पहली घूंट (Ship) से ही शुरू हो जाता है। अर्थात् शराब की थोड़ी सी भी मात्रा का सेवन करने से वह आपके खून में मिल जाती है और निर्जलीकरण का कारण बनती है। हाँ लेकिन जब आप कुछ वसा युक्त भोजन करने के साथ शराब पीते हैं, तो यह तुरंत खून में नहीं मिलती है। यदि आप कभी-कभी शराब पीते हैं, तो आपके ऊपर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन यदि आप रोज-रोज और अधिक मात्रा में शराब लेते हैं तो आपके शरीर में लंबे समय तक रहने वाले दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।

शराब पीने के लघुकालिक नुकसान – Short term Side Effects of drinking Alcohol in Hindi

शराब पीने के लघुकालिक नुकसान- Short term Side Effects of drinking Alcohol in Hindi

शराब पीने का हृदय पर नुकसान –  Drinking alcohol is harmful to Heart in Hindi

अधिक मात्रा अल्कोहल पीने से आपको उच्च रक्तचाप , अनियमित हृदय धड़कन और कभी-कभी दिल का दौरा भी पड़ सकता है, जिसके कारण आपकी जान भी जा सकती है।

(और पढ़े –  हार्ट अटेक कारण और बचाव )

शराब के नुकसान किडनी पर – sharab Ke Nuksan Kidney par  in Hindi

शराब पीने वालों की किडनी ख़राब होने की संभावना होती है, क्योंकि शराब पीने से मूत्र निर्माण ज्यादा होता है, जिससे किडनी पर अधिक दबाव पड़ता है। लम्बे समय तक लगातार शराब का अत्यधिक सेवन करने से किडनी ख़राब हो सकती हैं।

दारू पीने का लीवर पर प्रभाव – Daru peene ka Liver par Nuksan  in Hindi

शराब कालीवर पर सीधा असर पड़ता है, क्योंकि शराब सबसे पहले लीवर में ही पहुंचती है। चूँकि अल्कोहल (alcohol) का 90% विघटन लीवर में ही होता है, इसलिए जब आप बहुत अधिक मात्रा में शराब का सेवन करते हैं तो आपका लीवर खराब (liver damage) हो सकता है।

(और पढ़े –  लीवर की कमजोरी कारण लक्षण और दूर करने के उपाय )

शराब के दुष्परिणाम अग्नाशय पर – Drinking alcohol Effects on Pancreas in Hindi

ज्यादा शराब पीने से लम्बे समय में रक्त शर्करा में कमी आ जाती है, जिसे हाइपोग्लाइसेमिया कहा जाता है जिसका अग्नाशय पर दुष्प्रभाव पड़ता है।

शराब पीने का यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव –  sharab peene ka sexual health par prabhav in Hindi

शराब पीने का यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव-  sharab peene ka sexual health par prabhav in Hindi

चूँकि शराब पीने से रक्त संचार (Blood circulation) बढ़ जाता है, जिसका सेक्सुअल हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण जल्दी वीर्य उत्सर्जन या अनचाहा गर्भधारण होने का डर बना रहता है जिससे आप सेक्स का सही आनंद नहीं ले पाते हैं।

दीर्घकालिक दुष्प्रभाव से शराब से होने वाले रोग – Long term effect of alcohol in Hindi

दीर्घकालिक दुष्प्रभाव से शराब से होने वाले रोग - Long term effect of alcohol in Hindi

शराब पीने का प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव- Alcohol drinking is harmful to Immune system in Hindi

शराब पीने से आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर बुरा प्रभाव पड़ता है। चूँकि प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे शरीर का सुरक्षा कवच है, जो Bacteria, Virus और भी अन्य बाहरी कारकों से हमारी रक्षा करता  है। किन्तु अत्यधिक शराब पीने से Immune system कमजोर हो जाता है, जिससे हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।

(और पढ़े –  रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय )

मदिरा पीने के नुकसान मानसिक स्वास्थ्य – Alcohol drinking is harmful to mental Health in Hindi

मदिरा पीने के नुकसान मानसिक स्वास्थ्य - Alcohol drinking is harmful to mental Health in Hindi

अल्कोहल की अधिक मात्रा लेने से मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे चिंता , अवसाद (depression) और मनोविज्ञान का उच्च जोखिम होता है जिसके कारण कोई भी दुर्घटना घटित हो सकती है।

दारू पीने के नुकसान हड्डी और मांसपेशियों पर- Alcohol is harmful to Bones and Muscles in Hindi

शराब का अधिक सेवन करने से कैल्शियम निर्माण और हड्डियों द्वारा उसे अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है, जिसे ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) कहते हैं। यदि गर्भवती महिला शराब का ज्यादा सेवन करती है, तो उसकी संतान अपंगता का शिकार हो सकती  है।

मदिरा पीने का आंतों पर प्रभाव – Alcohol drinking is harmful to Intestine in Hindi

अधिक शराब का सेवन आंत (Intestine) में विटामिन और अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा उत्पन्न कर सकता है। जिसके कारण कुपोषण हो सकता है।

शराब पीने का मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव- Alcohol drinking is harmful to Brain and nervous system in Hindi

अधिक शराब का उपयोग स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है और इससे पागलपन या खराब मानसिक संतुलन में गड़बड़ी हो सकती है।  

(और पढ़े –   स्ट्रोक के कारण लक्षण और बचाव )

अल्कोहल ओवरडोज के लक्षण – Symptoms of  Alcohol overdose in Hindi

अल्कोहल ओवरडोज के लक्षण - Symptoms of  Alcohol overdose in Hindi

शराब की अधिक मात्रा का सेवन, या अल्कोहल विषाक्तता, एक स्वास्थ्य समस्या है जो बहुत अधिक शराब पीने के परिणामस्वरूप हो सकती है। ऐसा तब होता है जब आप एक बार में बहुत अधिक शराब पीते हैं। अल्कोहल ओवरडोज के लक्षण हो सकते हैं-

  • मानसिक स्थिति में परिवर्तन होना
  • उच्च रक्तचाप
  • शारीरिक असंतुलन
  • शराब पीने के बाद उल्टी होना
  • घबराहट होना
  • त्वचा रंग में बदलाव होना
  • शरीर के तापमान में कमी (हाइपोथर्मिया)
  • बेहोशी होना
  • दिल की धड़कन में अनियमिता
  • अधिक पसीना आना

आप शराब की लत को कैसे छोड़ सकते हैं? – How can you prevent an alcohol overdose in Hindi

आप शराब की लत को कैसे छोड़ सकते हैं? - How can you prevent an alcohol overdose in Hindi

शराब की ओवरडोज़ को आप स्वंय ही समझ कर उसके सेवन को कम कर सकते हैं। यदि आप खुद नहीं छोड़ सकते हैं, तो आप किसी परिजन या मित्र की सहायता ले सकते हैं या फिर आप डॉक्टर के पास जाकर सलाह ले सकते हैं। सरकार भी शराब की लत छुड़ाने के लिए मुफ्त नशा मुक्ति केंद्र चलाती है, जहाँ जाकर आप शराब की लत को बदल सकते हैं।  

शराब के नशे को कैसे कम करें – How overcoming Hangover in Hindi

शराब के नशे को कैसे कम करें - How overcoming Hangover in Hindi

अल्कोहल का अधिक मात्रा का सेवन करने से नशा हो जाता है, जिसे Hangover कहते हैं। जिसे आप निम्नप्रकार से कम कर सकते हो।

शराब का नशा उतारने के लिए फलों के रस का उपयोग

संतरा , नीम्बू , अंगूर आदि का जूस देकर हम शराब का हैंगओवर कम सकते हैं। इन फलों में उपस्थित सिट्रिक अम्ल और अन्य पोषक तत्व शराब के हैंगओवर को कम करता है।

(और पढ़े –   नींबू पानी के फायदे और नुकसान )

हैंगओवर उतारने के लिए गरम दूध और दही

गरम दूध और दही खाने से अधिक शराब पीने के कारण होने वाले नशा को कम किया जा सकता है, लेकिन हैंगओवर को कम करने के लिए चीनी वाला दही नहीं खाना चाहिए।

(और पढ़े – दही खाने से सेहत को होते हैं ये बड़े फायदे )

शराब का नशा उतारने के उपाय अदरक का सेवन करके

अदरक में भी हैंगओवर को कम करने का गुण होता है। अतः अदरक वाली चाय देकर, दारू का नशा को कम किया जा सकता है।

(और पढ़े –  अदरक के फायदे, औषधीय गुण, उपयोग और नुकसान )

दारू का नशा उतरे मेहनती काम करके

जब भी आप ज्यादा मदिरा पी लेते हैं, जिससे आपको नशा हो जाता है तो आप मेहनती काम करें। ऐसा करने से आपके शरीर से अधिक पसीना आयेगा और आपका हैंगओवर कम जायेगा।

शराब का नशा उतारने के घरेलू उपाय केला खाकर

यदि आप स्वयं हैंगओवर से बचना चाहते हो तो आप शराब पीने से पहले कुछ केले (कम से कम 3 – 4) खा सकते हो। ऐसा करने से यदि आप अपनी क्षमता से अधिक मात्रा में शराब पी लेते हैं तो भी उसका नशा ज्यादा नहीं होगा।

ऊपर आपने जाना की शराब पीने के फायदे क्या है और शराब के नुकसान के बारे में जैसे की आपने ऊपर पढ़ा शराब पीने के फायदे बहुत ही कम है लेकिन इसके नुकसान अनगिनत होते है हमने यहाँ कुछ मुख्य शराब के दुष्परिणाम को बताया है इसलिए आपको सलाह दी जाती है की शराब का सेवन ना करें।

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शराबबंदी पर निबंध । Essay on Alcohol Ban in Hindi

Essay on Alcohol Ban

आधुनिक युग में शराब का सेवन व्यापक रूप से प्रचलित है, जिसके परिणामस्वरूप शराबबंदी एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। शराबबंदी का मतलब होता है शराब के उपयोग और बिक्री को नियंत्रित करना या रोकना। यह एक सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दा है और इसके प्रभाव व्यापक होते हैं। इस निबंध का उद्देश्य शराबबंदी के महत्व को समझना, इसके लाभ और नुकसान को जानना और शराबबंदी के प्रभावी उपायों का परिचय देना है।

शराब, एक मद्यपानीय पदार्थ है जो धातुओं और अन्य सामग्रियों के आधार पर बनाया जाता है। यह अक्सर एल्कोहल के रूप में जाना जाता है। शराब पीने का आदिकाल से मानव समाज में चलन रहा है, और इसके साथ जुड़े रस्म-रिवाज, सामाजिक संघर्ष, और सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न होती रही हैं।

मानव समाज पर प्रभाव

शराब के सेवन के परिणामस्वरूप बहुत सारी सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके सामाजिक प्रभाव में परिवार में तनाव, संबंधों की दूरी, विश्राम की समस्या, और विभिन्न मानसिक समस्याएं शामिल होती हैं। शराब के सेवन से आर्थिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, क्योंकि शराब की खरीदारी खर्चीली होती है और परिवार के अनुदान को कम कर सकती है। स्वास्थ्य के मामले में भी शराब के सेवन से अनेक बीमारियां जैसे कि लीवर की समस्याएं, किडनी की बीमारियां, हृदय रोग, और मानसिक बीमारियां बढ़ सकती हैं।

शराबबंदी का महत्व

शराबबंदी मानव समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शराब की मात्रा को नियंत्रित करने और शराब की खरीदारी और विक्रय को प्रतिबंधित करके, समाज में शराब से उत्पन्न समस्याओं को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही, युवाओं को जागरूकता देने और उन्हें संबंधित जानकारी और शिक्षा प्रदान करने के माध्यम से, शराबबंदी उपायों को प्रभावी बनाया जा सकता है।

पक्ष और विपक्ष

शराबबंदी के पक्ष में यह बताया जाता है कि शराबबंदी से नशे की समस्या को रोका जा सकता है और समाज को स्वस्थ, सुरक्षित और सकारात्मक दिशा में ले जाया जा सकता है। शराबबंदी के विपक्ष में यह दावा किया जाता है कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा और यह अवैध तरीके से व्यापार को बढ़ावा देगा।

शराबबंदी के प्रभावी उपाय

सबसे पहले, समाज में शराब संबंधित जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही, शराब की खरीदारी और विक्रय पर प्रतिबंध लगाने के लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई लेनी चाहिए।

समाज के लोगों को विभिन्न संगठनों और सरकारी अभियानों के माध्यम से समर्थन प्रदान करना चाहिए, जो शराबबंदी को प्रोत्साहित करें और इसे संभव बनाए रखने में मदद करें।

शराबबंदी मानव समाज के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शराब की सेवा से सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। शराबबंदी के प्रभावी उपायों के माध्यम से, इस समस्या को कम किया जा सकता है। इसलिए, शराबबंदी को समर्थन और जागरूकता के साथ लागू किया जाना चाहिए।

शराब की परिभाषा

अगर शराब एक अधिकतम मात्रा में एल्कोहल (इथेनॉल) का एक मिश्रण होता है। यह मधु, सिरका, दारु और बीयर जैसे विभिन्न प्रकारों में मिल सकती है। शराब में एल्कोहल के अलावा नीचे दिए गए प्रमुख तत्व होते हैं:

  • पानी : शराब का मुख्य तत्व है और इसका प्रमुख घटक है।
  • एल्कोहल : शराब का मुख्य पर्यायक है और इसका द्युतिमान कारक है।
  • शर्करा : शराब की मधुरता और स्वाद में मदद करने वाला तत्व है।
  • विटामिन्स और मिनरल्स : शराब में थोड़ी मात्रा में विटामिन्स और मिनरल्स भी पाए जाते हैं।

शराब के विभिन्न प्रकार

कई विभिन्न प्रकार की होती है, जिनमें से कुछ प्रमुख शामिल हैं:

  • बादामी शराब : इसमें बादाम का रस मिश्रित होता है और इसकी मिठास आकर्षक होती है।
  • सेब शराब : इसमें सेब का रस मिश्रित होता है और यह स्वादिष्ट और ताजगी भरा होता है।
  • अंगूर शराब : यह ग्रेप्स का रस मिश्रित होता है और शराब के सबसे लोकप्रिय प्रकारों में से एक है।
  • शैम्पेन : यह फ्रांसीसी शराब है और इसकी खासियत उसकी उच्च गुणवत्ता और मेंढ़कती गुटनशिलता में होती है।

शराब के साथ जुड़े सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समस्याएं

इसका सेवन कई सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। सामाजिक रूप से, शराब की अधिक मात्रा का सेवन कई संबंधों को बिगाड़ सकता है और परिवार की तनाव पूर्ण स्थिति

पैदा कर सकता है। आर्थिक रूप से, शराब का अत्यधिक सेवन आर्थिक तंगी का कारण बन सकता है और रोजगार और व्यापार में कमी का कारण बन सकता है। स्वास्थ्य रूप से, शराब की अधिक मात्रा का सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है और शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकता है, जिससे दिल, किडनी, लिवर, मस्तिष्क और पाचन तंत्र जैसे अंग प्रभावित हो सकते हैं।

शराबबंदी के नुकसान

शराबबंदी का मतलब होता है शराब के उपयोग और बिक्री को नियंत्रित करना या रोकना। शराबबंदी के बहुत सारे नुकसान हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • सामाजिक समस्याएं: अत्यधिक शराब का सेवन घरेलू और सामाजिक जीवन में संकट पैदा कर सकता है। यह परिवारिक तकरारों, तनाव, शोषण और संबंधों के खराब होने का कारण बन सकता है।
  • आर्थिक परेशानियाँ: शराब की अधिक मात्रा का सेवन आर्थिक तंगी का कारण बन सकता है। इसके परिणामस्वरूप, लोग कार्य स्थान पर कमजोर प्रदर्शन कर सकते हैं, जिससे उन्हें नौकरी खोने की संभावना हो सकती है।
  • स्वास्थ्य समस्याएं: शराब की अधिक मात्रा का सेवन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यह दिल के रोग, किडनी की समस्याएं, लिवर रोग, मस्तिष्क की कमजोरी और पाचन तंत्र की समस्याओं का कारण बन सकता है।

सामाजिक महत्व

शराबबंदी का सामाजिक महत्व बहुत अधिक है। इसके माध्यम से, समाज और सरकार शराब के अत्यधिक सेवन को नियंत्रित कर सकते हैं और उसके नुकसानों से बच सकते हैं। शराबबंदी के नियमों और नियंत्रणों के संचालन से, समाज में शराब के अपशब्द, अवैध विक्रय और दुर्घटनाएं कम हो सकती हैं। इसके साथ ही, शराब के लाभों को निर्धारित करके समाज में समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिल सकता है।

शराबबंदी के लाभ और नुकसान दोनों हो सकते हैं। यह निर्भर करता है कि शराबबंदी कैसे किया जाता है और इसे कौन कौन से नियमों के साथ प्रचालित किया जाता है।

शराबबंदी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसके प्रभाव व्यापक होते हैं। शराब के अत्यधिक सेवन से सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। शराबबंदी का सामाजिक महत्व होता है क्योंकि इससे समाज को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने में मदद मिलती है। इसके साथ ही, शराबबंदी के नियम और नियंत्रणों का संचालन करके समाज को शराब के नुकसानों से बचाने का प्रयास किया जा सकता है।

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Essay on alcohol in hindi.

Write an essay on Alcohol in Hindi. What is alcohol in Hindi? Alcohol is called sharaab (शराब) in Hindi. Learn unique Hindi essay with us for students of class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. मदिरापान / शराब पर निबंध।

hindiinhindi Alcohol in Hindi

विचार – बिंदु – • भूमिका • मदिरापान के दुष्परिणाम • पक्ष में तर्क • मदिरापान का विरोध • समाधान।

किसी विद्वान का कथन है – जहाँ शैतान स्वयं नहीं पहुँच सकता, वहाँ मदिरा को भेज देता है। मदिरापान सब व्यसनों की जड़ है। जब मदिरा भीतर जाती है तो हमारे सारे संस्कार, विचार, सद्भाव बाहर निकल जाते हैं। मदिरा का सीधा और पहला हमला स्वयं पीने वाले पर होता है। उसकी नसें, फेफड़े, गुर्दे और अन्य अंग शिथिल होने लगते हैं। दुर्भाग्य से ड्राइवर शराब पी ले तो कहीं भी दुर्घटना कर सकता है। शराब पीने से शराबी के घर में क्लेश रहता है। उसके पत्नी-बच्चे भूखे रहते हैं। मार-पीट, गाली-गलौच शराबियों के रोज के काम हैं।

मदिरापान करने वाले लोग अपने पक्ष में तर्क देते हुए कहते हैं – इससे थकान दूर होती है, तनावों से मुक्ति मिलती है, गर्मी मिलती है, काम करने की शक्ति बढ़ती है तथा ध्यान केंद्रित होता है। मदिरा के पक्ष में दिए गए ये सब तर्क खोखले, लचर और मिथ्या हैं। जिस शराब से पैर लड़खड़ाते हैं, हाथ टिकते नहीं, उससे ध्यान कैसे केंद्रित होगा? मदिरापान समाप्त करने का सर्वोत्तम उपाय आत्म-नियंत्रण है। शासन और कानून द्वारा शराब बंदी की जानी चाहिए।

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Essay on sufism in hindi सूफीवाद पर निबंध, शराबबंदी पर निबंध | essay on alcohol ban in hindi.

शराबबंदी पर निबंध | Essay On Alcohol Ban in Hindi

1) शराब पीना एक बुरी लत है, जो व्यक्ति के लिए तथा उसके परिवार और समाज के लिए भी नुकसानदायक है. 

2) शराबबंदी एक पहल है, जो आज के युवाओ के बीच लोकप्रिय शराब के नशे को पर रोक लगाना ही उसका मुख्य उद्देश्य है.

3) शराब हमें अनेक परिवार के रोग गिफ्ट कर जाता है. इससे फेफड़ो की अनेक प्रकार की बीमारिया होती है. साथ ही यह हमारे लिए यह जानलेवा बन सकता है।

4) आज शराब की लत देश के लाखो परिवारो तथा कई समाजो की बर्बादी की कारण बनने के लिए उत्तरदायी है.

5) देश का युवा शराब को एक नशे तथा जानलेवा बीमारी मानाने की बजाय इसे जडीबुटी की तरह अपने दैनिक जीवन में जोड़ रहे है.

6) शराब को बंद करने के लिए कई राज्यों में सरकार ने पहल की है, जिसमे बिहार, गुजरात , नागालैंड प्रमुख राज्य है. इसके अलावा अन्य राज्यों में शराब आज भी खुलेआम बेचा तथा ख़रीदा जाता है.

7) शराबबंदी की पहल का प्रमुख उद्देश्य देश में शराब की हो रही खुलेआम बिक्री पर रोक लगाना है.

8) शराबबंदी के द्वारा व्यक्ति खुद, उसका परिवार तथा सम्पूर्ण समाज सुरक्षित रह सकता है. शराबबंदी से हिंसात्मक मामलो में कमी देखि गई है.

9) देश में आज भी शराब तेजी से बिक रहा है, इसकी वृदि दर गांवों में 117 प्रतिशत तथा नगरों में 234 प्रतिशत प्रतिवर्ष दर्ज की गई है।

10) देश के कई राज्यों में जिसमे मिजोरम, तमिलनाडु, हरियाणा आदि जैसे अन्य राज्यों ने शराब पर लगाए गए प्रतिबंध को अधिकारिक तौर पर रद्द कर दिया गया है।

शराब बंदी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

निबंध 2 (400 शब्द) – शराब: एक सामाजिक कलंक, शराब पर प्रतिबंध क्यों लगाया जाना चाहिए पर निबंध (500 - 600 शब्द).

शराबबंदी पर निबंध | Essay On Alcohol Ban in Hindi

शराबबंदी का महत्व, इतिहास

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Alcohol and Drug Use in Hindi

  • Updated July 27, 2023
  • Pages 4 (766 words)
  • Any subject
  • Within the deadline
  • Without paying in advance

Alcohol has been a favourite drug with Hindi Cinema and that is why the portrayal of alcohol consumption is a very common thing in Hindi movies. Its consumption is vilified as well as romanticized, and at times glorified. It is rejected by presenting it in negative light, thus associating it with the villainy. In Hindi cinema, it is almost impossible to find a teetotaler villain. In almost every Hindi movie, the villain is shown as a drinking guy with many other vices. But liquor is equally consumed by the protagonists, or ‘Heroes’ (as they are popularly called) where liquor consumption is given a positive colour by romanticizing it, so much so that it becomes the setting of many romantic and seductive hit songs .

This glorification of liquor particularly happens in Devdas movies based on Sharat Chandra’s legendry novel of the same name. In 1936 version of the movie directed by Pramathesh Barua, in 1955 version directed by Bimal Roy and in its 2002 avatar directed by Sanjay Leela Bhansali, the protagonists are portrayed as romantic figures, dying because of failed love and liquor consumption. In Dev D (2009 dir. Anurag Kashyap), another adaptation of the same novel, the protagonist begins to drink and takes drugs, after his failure to unite with his childhood love.

Drinking characters in movies are often presented in positive shades. In 1975 family drama Julie (dir. K. S. Sethumadhavan) the character of Morris- Julie’s father- is shown as a drinking but fun loving, lively and caring man. In Prakash Mehra’s Muqaddar Ka Sikandar (1978) the protagonist Sikandar is shown as full of positive qualities, rather at his best when he is drunk. In the same director’s Sharabi (1984), the protagonist Vicky Kapoor is shown as large hearted and generous, implying that liquor makes people open hearted.

authors avatars

Cannabis (bhang in vernacular) is a traditional Indian drug used for intoxication. Having a mythological association with Hindu God Shiva, it is culturally accepted, ritually permitted and ceremoniously consumed. According to Hindu mythology, Cannabis grew ‘at the spot where drops of divine ambrosia fell from heaven’ (Escohotado, 1996). For such reasons it is associated with innocence and mirth. In 1978 Indian action-thriller Don (dir. Chandra Barot) the consumption of bhang by the protagonist and its after effects of singing and dancing are shown in lighter veins. Similar situation occurs in Aapki Kasam (1974, dir. J. Om Prakash) where the romantic couple enjoys the intoxication of Bhang by singing and dancing. Traditionally in Indian literature and folklore the attitude towards bhang consumers and opium eaters has been of laughter and comedy, but rarely of derogation. The portrayal of negative aspects of substance abuse and of substance trade is rather a recent trend in post independence cinema.

Cinema of 50s and 60s did not bother so much with drug abuse and drug trade as the cinema of later times did. It was in 1970s when the presentation of psychotic drugs such as LSD, marijuana and heroin in Hindi Cinema began. Consequently, the characteristics of villainy as shown in Hindi movies also changed. Now the villains were portrayed as smugglers and drugs dealers, quite different from villains of 50’s 60’s who were mainly property seekers or rivals of the ‘hero’ in love triangles. Dev Anand’s 1971 film Hare Rama Hare Krishna focused on the problem of drug addiction in addition to the social problems of breaking families and sense of alienation in the young generation. The movie dealt with the decadence of the Hippie culture and called for keeping intact cultural values to avoid drugs. Ramanad Sagar’s Jalte Badan (1973) showed drug addiction among the youth. It told the story of a young student becoming a victim of drugs but later coming out of the vicious trap. The 1985 crime thriller Khamosh (dir. Vidhu Vinod Chopra) delineated the portrait of a depressed heroin addict.

A recent instance which can be quoted is of Madhur Bhandarkar’s Fashion (2008). The movie shows how cutthroat corporate competition, frustration to achieve goals, inability to accept reality, depressing lonelines and decline in career can push one towards drugs. The movie depicts in the character of Shonali Gujral an ex-supermodel who relies heavily on drugs, being unable to deal with decline in her career. The character is based on the actual story of a designer turned model of the 90s, Gitanjali Nagpal, who experienced a ‘riches to rags’ fate and fell a victim to drugs.

  • https://movies.ndtv.com/bollywood/soty-students-of-the-year-another-sharabi-tale-600598
  • https://www.deccanchronicle.com/entertainment/bollywood/030517/intoxicated-b-town.html
  • https://www.t2online.com/entertainment/alcohol-in-bollywood-nepotism-is-now-rajdharma-film/articleid/146406
  • http://businessofcinema.com/editorial/opium-and-cinema-a-deadly-connection-that-has-existed-stealthily-part-i/10504
  • https://indiatimespost.com/breaking-news-padmaavat-promotes-drugs-says-j-k-high-court-dismisses-pil-seeking-stay-on-release/
  • http://www.realitytitbit.com//topic/entertainment/page/5

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Alcohol and Drug Use in Hindi. (2022, Apr 30). Retrieved from https://samploon.com/alcohol-and-drug-use-in-hindi/

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नशाखोरी की समस्या पर निबंध | Drug Abuse Essay In Hindi

नमस्कार आज के निबंध , नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi में आपका स्वागत हैं. आज का निबंध भारत में नशे की समस्या पर आसान भाषा में निबंध दिया गया हैं.

युवाओं में नशाखोरी की समस्या और समाज पर इसके प्रभाव पर स्टूडेंट्स के लिए निबंध दिया गया हैं. उम्मीद करते है आपको यह पसंद आएगा.

नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi

नशाखोरी की समस्या पर निबंध | Drug Abuse Essay In Hindi

पिछले कुछ वर्षो से भारत में नशे के लिए ड्रग्स (Drugs) और मादक दवाओं (Narcotic drugs) का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है. एवं इसने एक विकराल समस्या का रूप ले लिया है. एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख लोग नशे की लत के शिकार है.

जिनमे लगभग 10 लाख लोग हेरोइन के नशे की चपेट में है. गैर आधिकारिक आंकड़ो के अनुसार यह संख्या 50 लाख तक भी हो सकती है.

स्कूली छात्रों के मध्य किये गये एक सर्वे में पाया गया कि भारत में नौवी क्लाश तक पहुचने वाले छात्रों में 50 प्रतिशत छात्र ऐसे है. जिन्होंने एक बार किसी न किसी नशे का सेवन किया है.

राजस्थान में भी नशे की गम्भीर समस्या है राजस्थान में मुख्य रूप से डोडा पोस्त (Doda Post) ,अफीम (Opium) व अफीम से बने नशीले पदार्थो का सेवन किया जाता है.

राजस्थान परम्परिक रूप से अफीम उत्पादक है. यहाँ कोटा बारां, झालावाड़, चितोड़गढ़ उदयपुर और प्रतापगढ़ जिलों में अफीम की खेती की जाती है.

नारकोटिक्स सेंट्रल ब्यूरो (Narcotics central bureau) द्वारा इन क्षेत्रों में अफीम की खेती करने के लिए लाइसेंस जारी किये जाते है. सरकार की अफीम कृषि निति के अनुसार जितनी भी अफीम की खेती का उत्पादन होता है उसे दवाइयों में उपयोग करने के लिए सरकारी एजेंसियों को सौपा जाता है.

परन्तु सरकारी स्तर पर चार चौकसी की व्यवस्था नही होने के चलते इस निति का पूर्ण क्रियान्वयन नही हो पाता है. तथा किसान अफीम का एक बहुत बड़ा हिस्सा चोरी छिपे ड्रग माफिया को दे दिया जाता है. क्युकि अफीम का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य अधिक होने के कारण इससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होता है.

यह अफीम देश ही नही दुनिया के कई हिस्सों में स्मगल की जाती है. इस अफीम का एक हिस्सा पश्चिमी राजस्थान में पहुच जाता है. जहाँ विवाह, मृत्यु व अन्य सामाजिक अवसरों पर अफीम का उपयोग करने की पुरानी परम्परा है.

वर्तमान समय में यह परम्परा कुरीति का रूप ले चुकी है. पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिले विशेषकर बाड़मेर, बीकानेर व जैसलमेर में अफीम Opium  का काफी प्रचलन है.

पश्चिमी राजस्थान अफीम का अंतर्राष्ट्रीय हब बन चूका है. पाकिस्तान व अफगानिस्तान को यहाँ से अफीम की सप्लाई किये जाने का कारोबार भी बड़े स्तर पर फ़ैल चूका है.

नशे के दुष्प्रभाव (Side effects of intoxication/Drug Abuse In Hindi)

नशे का सेवन करने वाले व्यक्ति न केवल व्यक्तिगत रूप से प्रभावित होते है बल्कि इससे उसका पूरा परिवार तथा समाज प्रभावित होता है. ड्रग्स की लत न केवल व्यक्ति को शारीरिक रूप से अपंग बना देती है बल्कि उसकी मानसिक क्षमताओं को भी बुरी तरह प्रभावित करती है.

परिवार के मुखिया या परिवार के किसी सदस्य को ड्रग्स की लत जाने से पूरा परिवार तबाह हो जाता है. तथा इसका असर समाज और देश पर भी पड़ता है.

नशे का गुलाम व्यक्ति तब तक जीता है, अपने आप पर, अपने परिवार तथा देश पर एक बोझ की तरह जीता है. नशे की लत लग जाने पर नशा प्राप्त करने के लिए व्यक्ति चोरी चकारी करता है तथा जरूरत पड़ने पर बड़े अपराधों को भी अंजाम दे देता है.

ड्रग्स माफिया नशे के आदि व्यक्तियों को कैरियर के रूप में काम में लेते है. तथा उनके माध्यम से ड्रग्स की तस्करी करवाते है वे खुद कभी भी कानून की पकड़ में नही आते है जबकि ड्रग्स का आदि व्यक्ति केवल नशे की पूर्ति के लिए सभी अनैतिक कार्य करने के लिए विवश होता है और इसका परिणाम स्वयं व उसका पूरा परिवार भुगतता है

नशे के उपयोग में लाई गई सूइया hiv का कारण बनती है जो अन्तः एड्स का रूप धारण कर लेती है. नशे के प्रभाव में व्यक्ति पागल व सुसुप्तावस्था में आ जाता है व नशे की उतेजना में अपराध तक कर बैठता है. नशे के सेवन से अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है.

भारत में मादक ड्रग्स का उपयोग बढ़ने के कारण (Due to the increase in the use of narcotic drugs in India In Hindi)

एक आंकलन के अनुसार भारत की आधे से ज्यादा संपदा केवल 50 लोगों के हाथो में है. अमीर और अमीर होता जा रहा है तथा गरीब के लिए अपने परिवार को चलाना ही एक चुनौती है.

गरीब लोगों के पास अपने परिवार को मूलभूत सुविधाएं दे पाना मुश्किल हो गया है. गरीब व्यक्ति बड़ी मुश्किल से अपने परिवार को दो समय का भोजन दे पाता है. अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाना तो बहुत दूर की बात है.

ऐसी स्थति में गरीब व्यक्ति तनाव व अवसाद में रहता है जिसके चलते कई बार अपने आपकों तनाव से मुक्त करने के लिए ड्रग्स का सहारा लेता है और धीरे धीरे इसका आदि हो जाता है.

भारत में अधिकाँश युवा ऊँची शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद भी बेरोजगार है. वे शारीरिक श्रम कर या छोटा मोटा व्यवसाय कर पर्याप्त आय अर्जित नही कर पाते है. क्युकि बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने किसी छोटे व्यवसायी के लिए कोई जगह नही छोडी है.

ऐसी स्थति में युवावर्ग ड्रग्स माफिया का चंगुल में आ जाता है. तथा थोड़े से लाभ के लिए ड्रग्स कैरियर के रूप में काम करने को तैयार हो जाता है और अंतत नशे की लत का शिकार हो जाता है.

यधपि ड्रग्स की रोकथाम के लिए कठोर कानून एन डी पी एस अधिनियम बनाया गया है परन्तु इसकी पूरी तरह से पालना नही हो रही है. सरकार ने ड्रग्स की रोकथाम के लिए अनेकों एजेंसियों जैसे नारकोटिक्स, कंट्रोल ब्यूरो, केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, कस्टम आयुक्तालय, केन्द्रीय आबकारी आयुक्तालय, राज्य आबकारी विभाग आदि बनाए गये है.

परन्तु इन एजेंसियों एवं विभागों के मध्य सामजस्य का अभाव है. व ड्रग्स व नशे पर पूरी तरह से रोकथाम लगाने में विफल रहे है.

वर्तमान में व्यवसायिक गतिविधिया बढ़ने के साथ साथ ट्रांसपोर्ट के साधन जैसे ट्रक, बस, ट्रेन हवाई जहाज आदि बढ़ गये हीन सारे ट्रांसपोर्ट माध्यमो पर निगरानी नही हो पाती है. ड्रग्स माफिया इसका फायदा उठाते है और आसानी से ड्रग्स की स्मगलिंग करते है. इससे भी नशे में बढ़ोतरी हुई है.

नशे की समस्या का निवारण (Redressal problem Drug Abuse solution In Hindi)

ड्रग्स की समस्या के निवारण के लिए कठोर अफीम निति और इसका पूरा पालन सुनिनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है. अफीम की खेती चारदीवारी या पूरी तरह सरकार की निगरानी में की जानी चाहिए.

किसानों को अफीम का उचित मूल्य दिया जावें, जिससे वे आर्थिक लाभ के लिए अफीम को ड्रग्स माफिया को नही बेचे. किसानों को भी जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें नशे के दुष्प्रभाव को बताकर प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे अफीम को सरकारी एजेंसियों को ही सौपे .

कुल मिलाकर एक ऐसी व्यवस्था कायम करने की आवश्यकता है जहाँ एक ग्राम भी अफीम ड्रग्स तस्करों के हाथ नही पहुचे.

ड्रग्स की प्रभावी रोकथाम के लिए समाज में ख़ुफ़िया तन्त्र विकसित करने की आवश्यकता है. जो ड्रग्स की जानकारी मिलते ही इसकी सुचना तुरंत सम्बन्धित एजेंसी को दे.

सुचना देने वाले व्यक्तियों को पर्याप्त पुरस्कार एवं सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए ऐसा करके उनका विश्वास जितने की आवश्यकता है.

ड्रग्स की रोकथाम में लगी हुई विभिन्न एजेंसियों के मध्य सामजस्य के लिए एक केन्द्रीय एजेंसी बनाई जानी चाहिए जो सभी एजेंसियों के मध्य सामजस्य के साथ साथ इसकी गतिविधियों पर नियन्त्रण रखे. इन एजेंसियों को सभी साधन उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है. और समय समय पर आवश्यक प्रक्षिक्षण दिया जाना चाहिए.

विभिन्न सरकारी एजेंसियों को उनके कार्यो के प्रति उतरदायी ठहराया जाना चाहिए एवं यदि उनके द्वारा कर्तव्य पालन में चुक की जाती है. तो उचित उदाहरणत्मक कार्यवाही की जानी चाहिय.

ड्रग्स की रोकथाम के लिए भी न्याय व्यवस्था को सुद्रढ़ किये जाने की आवश्यकता है. एन. डी. पी. एस. अधिनियम के प्रावधान अपने आप में पर्याप्त है. परन्तु इसकी पालना सुन्शिचित करवाने के लिए अनुसन्धान एजेंसियों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.

जिससे अनुसन्धान में रही तकनीक त्रुटी के आधार पर दोषी बचने में सफल नही हो पाए. अभियोजन को पूरी साक्ष्य न्यायालय के समक्ष रखकर सजगता से पैरवी करनी चाहिए. और न्यायालय को छोटी छोटी तकनीकी त्रुटियों के आधार पर अभियुक्तगण को बरी नही किया जाना चाहिए.

ऐसी न्याय व्यवस्था कायम की जानी चाहिए जिसका समाज में यह संदेश जावे कि ड्रग्स का कारोबार करने वाला कोई भी व्यक्ति कानून के शिकंजे से नही बचेगा और उसे अवश्य ही सजा मिलेगी.

निति निर्माताओं को देश की अर्थ निति, कृषि निति और शिक्षा निति पर भी नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है.

अर्थ निति ऐसी होनी चाहिए जिससे गरीब अमीर का अंतर कम हो सके. कर चोरी पर पूरी तरह से रोकथाम लगे. काले धन का संचय नही हो और पब्लिक मनी का उपयोग राष्ट्रहित में किया जावे.

शिक्षा निति में आवश्यक बदलाव कर यह सुनश्चित किया जाना चाहिए कि उसका उद्देश्य केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करना न होकर रोजगार हासिल करना हो.

ग्राम स्वराज्य की तर्ज पर युवाओं को व किसानों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध करवाया जावे जिससे उनमे शहरों की पलायन की प्रवृति रुक सके.

ऐसा करने से गरीब किसान व युवावर्ग को नशे से दूर रखा जा सकता है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को विभिन्न स्थानों पर, कम से कम एक जिला स्तर पर नशामुक्ति केंद्र स्थापित करना चाहिए.

जहाँ विशेज्ञयों द्वारा नशे की लत से शिकार व्यक्तियों को परामर्श उपलब्ध करवाकर नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जावे और उन्हें आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जावे.

इन केन्द्रों पर आधुनिक तकनीक व सुविधाए होनी चाहिए. गरीब लोगों के लिए वे सुविधाएं मुफ्त होनी चाहिए. इन सुविधाओं का पर्याप्त प्रसार प्रसार होना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को नशे के बारे में जानकारी मिल सके.

नशा छोड़ देने वाले व्यक्ति लो निगरानी के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे पुन; नशे की दलदल में नही फसे. ऐसे व्यक्तियों को पुनः समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए एवं उन्हें उत्पादक गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए जिससे फिर से वे नशे का रुख नही करे.

आवश्यकता होने पर ऐसे व्यक्तियों को नये रोजगार के लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. उनके परिवारों को प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे पुरानी बातो को भुलाते हुए खुले दिल से नशा छोड़ने वाले व्यक्ति का स्वागत करे और उसे आत्मीय व्यवहार प्रदान करे.

केवल कानून से ड्रग्स की समस्या से निजात नही पाई जा सकती है. इसके लिए जनचेतना और पुरे समाज की सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है. समाज को ड्रग्स के दुष्प्रभावो के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.

और ऐसा माहौल तैयार किया जाना चाहिए, जहाँ न केवल आम आदमी नशे से दूर रहे बल्कि नशीले पदार्थो की तस्करी की सप्लाई की कोई भी जानकारी मिलते ही इसकी सुचना तुरंत सरकारी एजेंसियों को दे जिससे नशे के कारोबारियों को तुरंत सजा मिल सके.

नशे की रोकथाम के उपाय (Drug prevention measures In Hindi)

विधिक सेवा संस्थाओ का यह सामाजिक एवं विधिक दायित्व है कि वे ड्रग्स की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए. विधिक सेवा संस्थाओं को सरकारी एजेंसियों विशेज्ञयों के साथ मिलकर ड्रग्स की रोकथाम के लिए ठोस योजना निति बनानी चाहिए.

जिसके तहत आम जन को ड्रग्स की रोकथाम के लिए बने हुए कानूनों तथा समाज पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जावे. विधिक सेवा संस्थाओं के पैनल अधिवक्ता व पैरालीगल वोलेंटीयर्स सरकारी विभागों के साथ मिलकर इस दिशा में प्रभावी कार्य कर सकते है. 

विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा स्कुल कोलेजों में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते है. निबंध, पोस्टर, पेंटिंग, वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित कर विद्यार्थियों को जागरूक किया जावे.

विद्यार्थी विधिक सेवा व शान्ति दूत के रूप में कार्य करते हुए नशा मुक्ति का संदेश पूरे समाज में पहुचाना चाहिए. विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा नशा मुक्ति केन्द्रों का दौरा कर नशा छोड़ने वाले व्यक्तियों को आवश्यक परामर्श दिया जावें.

यदि विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा अपने कर्तव्य की पालना नही की जाती है तो विधिक सेवा संस्थाए सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की जा सकती है.

नशे की रोकथाम के लिए हम सभी को पुरे मनोयोग से सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है एकल प्रयासों इस पर पार पाना संभव नही है.

सभी सरकारी एजेंसियों व विधिक सेवा संस्थाओं को मिलकर इस बुराई की रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए. तभी नशा मुक्ति भारत का सपना साकार हो सकेगा.

नशा मुक्ति De Addiction Meaning Drug Abuse In Hindi

एक व्यक्ति द्वारा ऐसी मादक दवाएं / नशीली दवाएं अथवा नशीली सामग्री का उपयोग करना जिससे शारीरिक/मानसिक/ मनोवैज्ञानिक क्षमताएं प्रभावित होती हो, नशाखोरी / दुर्व्यसन कहलाता हैं.

लोग प्रायः अपने आधुनिक जीवन में तनाव से मुक्ति पाने के लिए गम या हर्ष का प्रदर्शन करने के लिए, अपनी समर्द्धता या स्फूर्ति अनुभव कराने के लिए नशा करते हैं.

सरकारी आकडे के अनुसार देश में 7.3 करोड़ लोग नशे का सेवन करते है तथा 70 प्रतिशत इसके अभ्यस्त हो चुके हैं. नशाखोरी के उदहारण- भांग, गांजा, चरस, शराब/ एल्कोहल, अफीम, हेरोइन, एलएसडी, मार्फीन, कोकीन आदि.

नशाखोरी के प्रकार

उद्दीपक दवाएं अपर्स/पेप पिल्स/स्पीड.

  • मस्तिष्क की क्रियाशीलता बढ़ती है तथा अस्थायी स्फूर्ति आने से व्यक्ति में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार हो जाता हैं. जैसे एमफोटेमाईन दवा, कोकेन (कोका के पौधे से प्राप्त क्षारतत्व- एल्केलायड) क्रैक (कोकीन क ही एक ओर रूप) अधिकतर खिलाड़ियों एवं विद्यार्थियों के द्वारा उपयोग
  • कोकीन के अधिक उपयोग से मनोवैज्ञानिक समस्याएं यथा- चिंता, तनाव, भय, अनिद्रा आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं तथा शरीर का वजन कम हो जाता हैं.

अवसादक दवाएं / डाउनर्स

  • मस्तिष्क एवं मांसपेशियों की क्रियाशीलता को कम करती हैं जैसे शराब/ एल्कोहल, मैड्रेक्स, वेलियम, लिब्रियम आदि.
  • गोलियां अधिक उपयोग करने से आलस्य, चिड़चिड़ापन, मानसिक निष्क्रियता आदि हैं.
  • प्रायः अवसादक गोलियों में बार्बीटुरेट रसायन होते हैं. जो नीद की गोलियों में भी पाए जाते हैं.
  • इन दवाओं के अधिक सेवन से या बिना चिकित्सकीय निरिक्षण के इनका उपयोग बंद करने पर खतरे की स्थिति पैदा होती हैं.

विभ्रांति कारक दवाएं/ चेतना प्रसार दवाईयां

  • मानसिक संवेदन को तीव्र करने वाली हमारी चेतना का ढंग/ सुनने/ देखने/ अनुभव का ढंग बदलने वाली दवाईयां
  • इन दवाओं के सेवन से समय, स्थान, पहचान का बोध धीरे धीरे समाप्त हो जाता हैं. व्यक्ति को इसकी कम मात्रा में लगता है जैसे वह अधिक उंचाई पर हैं.

स्वापक दवाएं / अफीमी दवाएं

  • पोस्त के पौधे से बनने वाली दवाइयां जैसे अफीम हेरोइन, मार्फीन, मीथेडीन, पैथीडीन आदि.
  • अफीम पोस्त पौधे से तैयार होती हैं. अफीम का वैज्ञानिक नाम Lachryma Papaveris या पैपेवर सेमेइफेरम हैं. अफीम में
  • 12 प्रतिशत मार्फीन होती हैं. मार्फीन से ही हेरोइन को तैयार किया जाता हैं.
  • हेरोइन महंगी होने के कारण उसके अपरिष्कृत रूप में ब्राउन शुगर एवं स्मैक प्रयुक्त होते हैं.
  • गाँवों में अफीम का उपयोग कब्ज पैदा करने हेतु, सर्दी जुकाम से निजात हेतु, युद्ध के समय मल मूत्र रोकने हेतु एवं यौन शक्ति बढ़ाने हेतु किया जाता था. राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत व्यापक रूप से इसका उपयोग होता हैं.
  • राजस्थान में चित्तौड़गढ़ अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक जिला हैं.

अन्य नशीले पदार्थ

  • भांग के पौधे से ही भांग गांजा चरस आदि प्राप्त होते हैं जिन्हें खाकर, पीकर, धुम्रपान के रूप में सेवन किया जा सकता हैं.
  • केनबिस सैटिवा के जंगली/ कृषिजात नर / नारी सभ प्रकार के पौधों की पत्तियों से भांग प्राप्त होती हैं.
  • कृषिजात नारी पौधों के फूलदार, फलदार शाखाओं को क्रमश सुखाकर व दबाकर गांजा तैयार करते हैं जो इन्ही पौधों से जो रालदार स्राव निकलता है उससे चरस/ सल्फा प्राप्त करते हैं.
  • चरस गांजे के पेड़ से ही निकला एक प्रकार का गोंद हैं जो मोम की तरह हरें पीले रंग का द्रव्य हैं.

मादक द्रव्यों के दुष्परिणाम

  • मादक पदार्थों से व्यक्ति के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव पड़ता हैं.
  • स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव- मानसिक अक्षमता, संवेगात्मक असंतुलन, अत्यधिक निद्रा
  • विभिन्न दुर्घटनाएं
  • अवैध व्यापार, तस्करी को बढ़ावा, अपराधीकरण, भ्रष्टाचार, अनैतिक आचरण, पारिवारिक पतन
  • आर्थिक संकट

नशाखोरी के तथ्य

  • विश्व में 1968 में अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड की स्थापना हुई. यह स्वतंत्र व अर्द्धन्यायिक संस्था है जिसका मुख्यालय वियना आस्ट्रिया हैं.
  • केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, ग्वालियर (मध्यप्रदेश) की स्थापना नवम्बर 1950
  • विश्व में मादक द्रव्यों के विरोध में अंतर्राष्ट्रीय दिवस- २६ जून

  • नशा निषेध दिवस पर निबंध
  • नशा मुक्ति पर निबंध
  • नशाखोरी का युवा समाज व देश पर प्रभाव

उम्मीद करता हूँ दोस्तों नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi का यह निबंध आपको पसंद आएगा.

यदि आपको नशाखोरी के बारे में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

Very nice sir thanku….

Very inspired essay for peoples To abuse drugs

धन्यवाद हर्ष जी

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ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) - उपचार, लक्षण, और कारण

आखिरी अपडेट : Apr 25, 2024

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) क्या है?

किसी व्यक्ति द्वारा आदत के रूप में अडिक्टिवे सब्स्टेन्सेस (addictive substances) का लगातार उपयोग, उपयोग के एक विशिष्ट पैटर्न (specific pattern) के बाद ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) कहा जाता है। लंबे समय तक, रेपेटिटिव (repetitive) और कमपलसिव (compulsive) उपयोग उपयोगकर्ता को पदार्थ (substances) के एब्यूज (Abuse) के प्रभावों के प्रति सहनशील बना सकता है। इस तरह के पदार्थों (substances) का उपयोग एब्यूजर (abuser) की प्रणाली में शामिल हो जाता है, और विशिष्ट लक्षणों (specific symptoms) के एक सेट (set) में वापसी परिणाम (withdrawal results) , एक को एक रिलैप्स (relapse)के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उपयोग और निकासी (withdrawal) के इस दुष्चक्र (vicious cycle) में ड्रग एडिक्शन ( drug addiction ) नामक एक कंडीशन (condition) होती है।

जबकि व्यापक धारणा (widespread notion) यह है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और परिणामी एडिक्शन (resultant addiction) एक बिहेवियरल डिसऑर्डर (behavioral disorder) है, यह वास्तव में एक गलतफहमी है। ड्रग यूज़ (Drug use) के प्रभाव अधिक व्यापक (pervasive) हैं। दवाओं का निरंतर उपयोग मस्तिष्क कोशिकाओं (brain cells) के तंत्रिका कार्य (neural functioning) को बदल देता है। मस्तिष्क पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रभाव के रूप में देखी जाने वाली तंत्रों (mechanisms) में से 'प्राकृतिक रासायनिक दूतों की नकल (imitation of natural chemical messengers)' और 'रिवॉर्ड सर्किट ओवर-स्टिमुलेशन (reward circuit over-stimulation)' है, जिससे पदार्थ (substance) मस्तिष्क विकार (brain disorder) का दुरुपयोग कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों की चिकित्सा प्रगति के साथ, ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की पिछली कमी को केवल एक बिहेवियरल डिफ्लेक्शन (behavioral deflection) के बजाय, मस्तिष्क विकार (brain disorder) की तरह निदान और इलाज किया गया है। ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की पहचान और इसी तरह के इलाज के प्राथमिक कदमों में से एक मजबूत समझ है कि उपचार किसी की इच्छाशक्ति से परे है। ज्यादातर मामलों में, उपचार चिकित्सा सहायता और परामर्श का एक उचित संयोजन है। यह विभिन्न मामलों के लिए परिवर्तनीय (variable) हो सकता है।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के कारण।

किशोरों (teenagers) और युवा वयस्कों (young adults) के बीच ड्रग (Drugs) का उपयोग करना एक आम प्रथा है। लेकिन वह चरण जहां व्यक्ति इस तरह के पदार्थों से रोक नहीं सकता है, ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की ओर जाता है। सबसे प्रमुख कारण हैं:

  • जेनेटिक्स (Genetics): यह देखा गया है कि कई ड्रग एब्यूजर (Drug Abuser) और एडिक्ट्स (addicts) का परिवार का इतिहास एक ही जैसा होता है। हालांकि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और जेनेटिक्स (Genetics) के बीच कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं किया गया है, लेकिन यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) करने वाले परिवार के सदस्यों के लिए उच्च पूर्वाग्रह (predisposition) है।
  • सह-परिस्थितियों की स्थिति (Co-occurring conditions): मानसिक बीमारी (Mental illness), गहन तनाव (profound stress), मौखिक (verbal), शारीरिक (physical) या सेक्सुअल एब्यूज (sexual abuse) ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के शीर्ष कारणों में से हैं। इस तरह के बीमारियों / दुर्व्यवहार के पीड़ितों को निराशा से बाहर निकलने के लिए एक चैनल (channel) की आवश्यकता होती है या वे जिस चिंता का सामना करते हैं उससे राहत दें। इस प्रकार, वे एक विकृति (disorder) के रूप में ड्रग्स (drugs) की ओर मुड़ते हैं।
  • एनवायर्नमेंटल कॉसेस (Environmental causes): एनवायर्नमेंटल कॉस (Environmental cause) मुख्य रूप से सहकर्मी दबाव या धमकाने शामिल होते हैं। ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) करने वाले किशोर (Adolescents) अज्ञानी माता-पिता (ignorant parents) के ध्यान के लिए झुकाव कर सकते हैं।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के लक्षण क्या हैं?

फिजियोलॉजिकल इंडिकेशन (Physiological indications): एक व्यक्ति की एब्यूज हैबिट (abuse habit) मजबूत होने के कारण, वे अपनी ड्रग डोसेज (drug dosage) बढ़ाते हैं, क्योंकि उन्हें छोटी मात्रा में उच्च सहनशीलता का सामना करना पड़ता है। यह स्पष्ट फिजिकल सिम्पटम्स (physical symptoms) देने, अधिक मात्रा में सक्षम बनाता है। इनमें ब्लूडशॉट (bloodshot) या चमकदार आंखें, प्यूपिल कॉन्सट्रिक्शन (pupil constriction) या फैलाव, असामान्य या उनप्रीसीडेटेड वेट अल्ट्रेशंस (unprecedented weight alterations), ड्रग एंट्रेंस (drug entrance) की साइट (site) पर घाव या चोट , से पीड़ित हैं। इनके अलावा, ऑर्गन फेलियर (organ failure) भी देखी जा सकती है। बिहेवियरल चेंजेस (Behavioral changes): व्यवहार में अचानक परिवर्तन, परिवार और दोस्तों की ओर, देखा जा सकता है। पीड़ित नेगेटिव बिहेवियरल मॉडिफिकेशन्स (negative behavioral modifications) दिखाता है खासकर जब उनकी सामान्य ड्रग (usual drug) का उपयोग करने में असमर्थ होता है। किसी की प्राथमिकताओं (priorities) में बदलाव, पूर्व प्रतिबंधित गतिविधियों (previously restricted activities) की ओर अवरोध (inhibitions) को कम करना संकेत हैं।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) का उपचार।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के शिकारों के लिए कई उपचार योजनाओं का पालन किया जा सकता है। आम तौर पर, कार्यवाही का कोर्स (course) केस-स्पेसिफिक फैक्टर्स (case-specific factors) जैसे कि शामिल पदार्थों (substances involved), एब्यूज (Abuse) की फ्रीक्वेंसी (frequency), प्रोग्राम (program) में प्रवेश के समय रोगी की स्थिति आदि के आधार पर तय किया जाता है। उपचार के सबसे महत्वपूर्ण पहलू कंसिस्टेंसी (consistency) और इंटेंसिटी (intensity) हैं। आम तौर पर, उपचार का कोर्स (course) मेडिकल असिस्टेंस (medical assistance) और काउन्सलिंग (counseling) या अन्य बिहेवियरल थेरेपीज (behavioral therapies) का संयोजन है। रोगी की प्रगति की जांच करने और आवश्यकतानुसार संशोधित करने के लिए उपचार की लगातार समीक्षा की जानी चाहिए। किसी भी पूर्व सामना या वर्तमान में सामना करने वाली मानसिक बीमारी के लिए उपचार शामिल होना चाहिए। रोगी ट्रीटमेंट कोर्स (treatment course) के दौरान विशेष रूप से कमजोर है। प्रत्येक दवा के कैरेक्टरिस्टिक विथड्रावल (characteristic withdrawal) के लक्षणों के कारण, एक रिलैप्स (relapse) की संभावना बहुत अधिक है। इसलिए, रोगी की नज़दीकी और सावधानीपूर्वक निगरानी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) से बचने के लिए रोकथाम।

रोकथाम की दिशा में पहला कदम ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के कई पहलुओं के बारे में उचित जागरूकता शामिल है। यह पहले एस्टैब्लिशड (established) किया गया है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और बाद में सबसीक़ुएन्ट एडिक्शन (subsequent addiction) अनिवार्य रूप से एक ब्रेन डिसऑर्डर (brain disorder) है। यह यंग अबुज़रस (young abusers), ज्यादातर टीनएजर्स (teenagers) और एडोलैसैंट्स (adolescents) को अधिक जोखिम पर रखता है। सबसे प्रभावी रोकथाम रणनीति ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के प्रभाव और परिणामों के बारे में इन्फोर्मटिवे डिसकशंस (informative discussions) हैं। ज्यादातर बच्चों के लिए, यह आकर्षण को खत्म कर देगा, और इसलिए लेइज़र (leisure) के लिए एब्यूज (abuse) की संभावना है। शुरुआती उम्र में ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) को रोकना सबसे फायदेमंद होगा। अत्यधिक तनावपूर्ण स्थितियां (Excessively stressful conditions) वयस्कों (adults) में ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) का कारण बन सकती हैं, जिन्हें शुभचिंतक से रेपेटिटिवे गाइडेंस (repetitive guidance) और मेन्टल सपोर्ट (mental support) से बचा जा सकता है।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के विथड्रावल (Withdrawal) के लक्षण।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की वापसी के सामान्य लक्षण बेचैनी, मांसपेशियों की ऐंठन और पूर्ण शरीर में दर्द, थकान, प्रोफीयूज़ लैक्रिमशन (profuse lacrimation), चिंता, इंसोम्निया (insomnia), नाक बहने आदि हैं। इनके अलावा, प्रत्येक ड्रग (drug) में इसके स्पष्ट विथड्रावल (Withdrawal) के लक्षण होते हैं। यहाँ कुछ है:

  • हीरोइन (Heroine): पिछले खुराक के 12 घंटों के भीतर लक्षण 24-48 घंटों के बीच बढ़ने लगते हैं। विथड्रावल (Withdrawal) और सामान्य फ्लू के लक्षण समान हैं।
  • कोकीन (Cocaine): डिप्रेशन (Depression) और रेस्टलेससनेस्स (restlessness) आमतौर पर लक्षणों में देखा जाता है। पिछली खुराक के कुछ घंटों के भीतर विथड्रावल (Withdrawal) शुरू होती है, कुछ दिनों के भीतर पीक (peaks) पर होती है, और एब्यूज (abuse) की इंटेंसिटी (intensity) के आधार पर, कुछ महीनों तक, 7-10 दिनों तक लगातार रह सकती है।
  • प्रिस्क्रिप्शन ओपिएट्स (Prescription Opiates): विथड्रावल (Withdrawal) आमतौर पर 5-10 दिनों के लिए फैलता है, 8-12 घंटे के भीतर शुरू होता है और पीक (peak) 12-48 घंटों में देखा जाता है।
  • Eiseman S, Wingard JA, Huba GJ. Drug abuse: Foundation for a psychosocial approach. Routledge; 2019 Apr 15. [Cited 26 July 2019]. Available from: https://books.google.co.in/books?hl=en&lr=&id=pp6RDwAAQBAJ
  • Drug Abuse- Medline Plus, Health Topics, NIH, U.S. National Library of Medicine [Internet]. medlineplus.gov 2019 [Cited 26 July 2019]. Available from: https://medlineplus.gov/drugabuse.html
  • Seeking Drug Abuse Treatment: Know What To Ask- NIH, National Institute on Drug Abuse [Internet]. drugabuse.gov 2013 [Cited 26 July 2019]. Available from: https://www.drugabuse.gov/publications/seeking-drug-abuse-treatment-know-what-to-ask/introduction

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Drug Abuse Essay In Hindi

नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – Drug Abuse Essay In Hindi

नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – essay on drug abuse in hindi, मादक द्रव्य : मौत का द्वार – substance: the gate of death.

  • प्रस्तावना,
  • मादक द्रव्यों के प्रकार और प्रभाव,
  • मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्परिणाम,
  • मादक द्रव्यों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति,
  • मादक द्रव्यों से छुटकारे के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – Nashe Ke Dush Pravrtti Nibandh

प्रस्तावना– वैदिक ऋषियों ने राजा सोम (रस) की प्रशंसा में मंत्र रचे और आगे के उपासकों ने अपने–अपने इष्टदेव या इष्टदेवी के साथ कोई–न–कोई मादक द्रव्य जोड़कर उसके सेवन का धार्मिक और सामाजिक अनुमति–पत्र प्र भोले बाबा के उपासकों ने भाँग, महाकाली के अर्चकों ने मदिरा और इन्द्रियसंयम तथा निर्विघ्न–ध्यान समाधि के साधकों ने चरस, गाँजा, तम्बाकू आदि के सेवन की छूट या सामाजिक स्वीकृति प्राप्त कर ली।

मादक द्रव्यों के प्रकार और प्रभाव– परम्परागत मादक द्रव्यों: यथा–शराब, भाँग, अफीम के अतिरिक्त आज अनेक नये और तीव्र प्रभाव वाले मादक द्रव्यों का आविष्कार हो चुका है, जो पुराने मादक द्रव्यों से कहीं अधिक घातक हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • (क) मदिरा–मदिरा या शराब तो जैसे मनुष्य के साथ ही पृथ्वी पर जन्मी है। समुद्र मंथन से प्राप्त रत्नों में यह भी सम्मिलित है। मदिरा सेवन की व्यापकता का युवावर्ग में बढ़ते जाना, समाज के लिए एक अशुभ संकेत है। यह सरकारों की आमदनी का भी बड़ा स्रोत है।
  • (ख) मार्फीन–यह अफीम से बनायी जाती है। यह अफीम से अधिक नशीली होती है। इसके अभ्यस्त लोग इसको इंजेक्शन के रूप में प्रयुक्त करते हैं।
  • (ग) हेरोइन–यह मार्फीन से बनायी जाती है और इससे दस गुना अधिक नशीली होती है। इसका सेवन बहुतायत में किया जाता है।
  • (घ) हशीश–यह भाँग से प्राप्त की जाती है। इसे जलाकर सिगरेट की भाँति प्रयोग में लाया जाता है।
  • (ङ) ब्राउन शुगर–यह अशुद्ध हेरोइन होती है। यह कई अन्य पदार्थों को मिलाकर प्रयोग की जाती है और एक प्रकार का विष ही बन जाती है।
  • (च) एल. एस. डी.–कुछ लोग मानसिक तनाव दूर करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं।
  • (छ) स्मैक–यह युवावर्ग में प्रचलित सबसे खतरनाक नशा है। व्यक्ति केवल दो–तीन खुराकों में इसका अभ्यस्त हो जाता है। इसकी लत को छोड़ पाना बहुत कठिन होता है।

मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्परिणाम– कोई भी नशा हो, अन्ततः मनुष्य के लिए हानिकारक ही होता है। आज समाज में बढ़ती नशाखोरी की प्रवृत्ति बड़ी चिन्ताजनक है। इनका अभ्यस्त होने पर मनुष्य निष्क्रिय और हर तरह से बेकार हो जाता है। वह हर कीमत पर इन द्रव्यों को पाना चाहता है।

आज मादक पदार्थों का अनैतिक और अवैध व्यापार जोरों पर है। अनेक संगठित गिरोह इस धन्धे में लगे हैं। ये चीजें आज सोने से भी कीमती तथा व्यवसाय–सुलभ हैं।

युवावर्ग में मादक पदार्थों का सेवन जिस गति से बढ़ रहा है, वह उन्हीं के लिए नहीं, बल्कि देश और समाज के लिए भी खतरे की घण्टी है। किसी देश को तबाह करने के लिए आज युद्ध की नहीं, बल्कि मादक द्रव्यों की आवश्यकता होती है। मादक–द्रव्यों के व्यापार की छाया में आतंकवाद और अपराध भी पनप रहे हैं।

मादक द्रव्यों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति– मादक द्रव्यों से धन कमाने वाले लोग घोर अपराधी हैं। ये युवक–युवतियों को बहलाकर या एक–दो खुराक मुफ्त में सेवन कराकर उनको आदी बना देते हैं और फिर वह व्यक्ति इनका गुलाम हो जाता है।

गीच यह प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कुछ युवक चोरी–छिपे और कुछ इसे शान समझकर अपना रहे हैं। यह युवावर्ग के जीवन को चौपट करने वाली प्रवृत्ति है।

मादक द्रव्यों से छुटकारे के उपाय– मादक द्रव्यों के प्रसार की समस्या किसी व्यक्ति या देश–विशेष की नहीं है। यह एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है। पूरे विश्व में मादक पदार्थों के विक्रेताओं का जाल फैला हुआ है। इस पर नियन्त्रण न करना विश्व को दारुण विनाश की ओर धकेलना है।

अनेक देशों ने मादक पदार्थों की बिक्री अथवा इसे अपने पास रखने को दण्डनीय अपराध घोषित कर रखा है। कई देशों में इसके अवैध व्यापार पर मृत्यु–दण्ड की भी व्यवस्था है। हर सभ्य और दूरदर्शी देश इसे मौत का व्यापार मानता है।

लेकिन कानूनों के बल पर इस संकट से पार पाना सम्भव नहीं लगता है। जनता को इसके खतरे से जागरूक बनाकर तथा इसकी आदत से ग्रस्त युवक–युवतियों के साथ सहानुभूति से पेश आकर इससे बचने की सम्भावना हो सकती है। सरकार को भी कड़े से कड़े कानून बनाकर और निरन्तर सतर्क रहकर इस पर काबू पाना होगा।

उपसंहार– मादक पदार्थों का सेवन मौत को निमन्त्रण देना है। मौत भी अत्यन्त दारुण, धीरे–धीरे चेतना को ग्रसती और लाचार बनाती मौत! मादक पदार्थों का अब हथियार की तरह भी प्रयोग हो रहा है। यह विरोधी देश की युवाशक्ति को खोखला बनाने और बिना युद्ध के ही उसे नष्ट कर देने का घृणित उपाय है।

सहयोग Summary in Hindi

ESSAY KI DUNIYA

HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध

November 13, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में मादक पदार्थों की लत पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Drug Addiction in Hindi Language for students of all Classes in 200, 250 and 500 words.

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Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध (100 Words)

हमारे युवाओं में नशीले पदार्थों की लत बहुत आम हो रही है शायद युवाओं को यह जीवन बहुत भारी लगता है। इससे बचने के बाद, वे ड्रग्स लेते हैं कभी-कभी माता-पिता स्वयं इसका कारण बन जाते हैं वे या तो बहुत सख्त हैं या उनके बच्चों में भाग लेने के लिए कोई समय नहीं है। युवाओं को उपेक्षित महसूस होता है शिक्षा की हमारी असाधारण व्यवस्था भी बड़ी वजहों में से एक है। जब युवाओं को 15-20 साल की शिक्षा के बाद कोई रोजगार पाने में असफल होते हैं, तो वे निराश हो जाते हैं और दवाओं में ले जाते हैं। नशीली दवाओं की लत एक बड़ी सामाजिक समस्या बन गई है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के लिए कोई शॉर्ट-कट इलाज नहीं है हम अक्सर शिकायत करते हैं कि हमारे युवा गलत हो रहे हैं लेकिन, हम अपनी समस्याओं को समझने के लिए शायद ही कुछ भी करते हैं हमारी युवाओं को ड्रग्स से दूर रखने का सबसे अच्छा तरीका उनकी ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक तरीके से करना है। एक रोजगार आधारित शिक्षा प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।

Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध (250 Words)

मादक पदार्थों की लत वर्तमान समय की गंभीर समस्याओं में से एक है। हेरोइन, हैशिश और भूरे रंग की शक्कर जैसे नशीले पदार्थों को आमतौर पर दवाएं कहा जाता है और युवा पुरुषों और महिलाओं या तो इन दवाओं को मौखिक रूप से लेते हैं या अपने धुएं में श्वास डालते हैं।

समाजशास्त्री का कहना है कि नशीली दवाओं की लत एक लत है जो पश्चिमी देशों के भारत और अन्य प्राच्य देशों में आ गई है। भारतीय पश्चिम की ओर अग्रसर हैं और नशा-नशेड़ी बन रहे हैं। आधुनिक समाज में कई परिवार-समस्याएं हैं प्यार और स्नेह शक्तियों की कमी युवाओं को ड्रग्स के आदी हो जाने के लिए कभी-कभी आदी मित्रों के दबाव में युवाओं को एक आदी बनने की आदत होती है।

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि ड्रग्स नशे की लत को दुनिया के तनावों और समस्याओं से बचने में मदद करते हैं। लेकिन वे नर्वस सिस्टम को काफी नुकसान पहुंचाते हैं और नशेड़ी के मानसिक मेक-अप को तोड़ते हैं। यह मौत का कारण बनता है यहां तक कि अगर नशे की लत ड्रग्स लेने से अचानक वह मर सकता है इसलिए वापसी धीरे-धीरे किया जाना चाहिए।

नशीली दवाओं के प्यार और दया से व्यवहार किया जाना चाहिए। बेईमान व्यापारियों और नशीली दवाओं के तस्करों को नियंत्रित करने के लिए समाज को मजबूत कदम उठाने चाहिए। दुनिया भर में नशीली दवाओं के नियंत्रण के नियम हैं, फिर भी नशे की लत धीरे-धीरे बढ़ रही है। विभिन्न देशों के युवाओं के बीच एक दवा विरोधी चेतना की क्या आवश्यकता है|

Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध (500 Words) 

नशीली दवाओं की लत हमारे समाज में एक नई घटना नहीं है। इतिहास यह है कि आदमी हमेशा कैनबिस, हशिश, मारिजुआना जैसी दवाओं के उपयोग को जानता है। कई राजा और कलाकारों सहित महान पुरुष दवाओं को एक आदत के रूप में लेने के लिए जानते हैं एक आम आदमी ने भी एक धार्मिक समारोह के एक हिस्से के रूप में या सामाजिक परंपरा के रूप में दवाओं को भी लिया है हालांकि, इस आदत ने हाल ही में जब तक सिंथेटिक दवाओं का विकास नहीं किया था और दैनिक जीवन में बढ़ती हुई कठिनाइयों के साथ उनके डेरिवेटिव के परिणामस्वरूप दवाओं और नशीली दवाओं की एक अनियंत्रित लहर हुई है। यह आदत समाज के केवल विशेष वर्गों तक ही सीमित नहीं है। आज, लगभग हर युग, पेशे और समाज के लोग ब्राउन शुगर, कोकेन, स्मैक इत्यादि जैसे विभिन्न नामों से समाज में जाने वाली इन दवाओं के प्रभाव में आते हैं।

एक समय था जब कुंठा, खारिज और भावनात्मक गड़बड़ी का मुख्य कारण था, जिसके कारण एक व्यक्ति ने ड्रग्स ले लिया। लेकिन अब हम जिज्ञासा, सहकर्मी समूह के दबाव, साहस की भावना और कारणों की लंबी सूची तक आसानी से पहुंच सकते हैं जिसके कारण आज की पीढ़ी दवाओं के आदी बन गई है। ड्रग लेने की इस घटना से सबसे दुर्भाग्यपूर्ण गिरावट यह है कि एक व्यक्ति आसानी से इसके लिए आदत हो जाता है। सभी की आवश्यकता सिर्फ एक पफ है एक बार जब कोई व्यक्ति व्यसनी हो जाता है, तो वह नियमित रूप से ड्रग्स की नियमित आपूर्ति प्राप्त करने के लिए किसी भी तरह के अपराध करता है। वह धोखा दे सकता है, चोरी कर सकता है, झूठ बोल सकता है और कभी-कभी हत्या भी कर सकता है, ताकि वह ड्रग्स खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा दे। अगर वह दवाओं की अगली खुराक प्राप्त करने में सक्षम न हो, तो आल नशे की गहन वापसी के लक्षण ग्रस्त हैं।

उसकी नाक पानी शुरू हो जाती है, वह पेट और शरीर के ऐंठन से मिलता है, उसके शरीर में दर्द होता है, उसकी आँखें ‘जलती हुई सनसनी होती है, वह सिर दर्द को विभाजित करता है और बेहद बीमार हो जाता है। इस लत का इलाज करने का एकमात्र तरीका योग्य चिकित्सा सहायता, एक मजबूत इच्छाशक्ति और एक बहुत ही सहायक परिवार है। नशे की लत की बीमारी हमारे समाज में तेजी से फैल रही है। इसलिए, समय की जरुरत है कि युवाओं के विकास की ठीक से निगरानी करें और उनकी आदतों पर सतर्क नजर रखें। इसके अलावा, एक परिवार को बच्चों को सभी प्यार और ध्यान, समर्थन, विश्वास और प्रोत्साहन देना चाहिए। उन्हें अपने बच्चों को मानव शरीर पर दवाओं के हानिकारक प्रभावों के बारे में बता देना चाहिए। और यदि संभव हो तो उन्हें नशीली दवाओं की नस्लों को अस्पतालों को देखने के लिए ले जायें, ताकि वे किसी भी समय नशीली दवाओं के साथ प्रयोग करने की आवश्यकता महसूस न करें।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध )  को पसंद करेंगे।

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नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – Drug Abuse Essay In Hindi

Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से essay को बताया गया है |

Table of Contents

नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – Essay On Drug Abuse In Hindi

मादक द्रव्य : मौत का द्वार – substance: the gate of death.

  • प्रस्तावना,
  • मादक द्रव्यों के प्रकार और प्रभाव,
  • मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्परिणाम,
  • मादक द्रव्यों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति,
  • मादक द्रव्यों से छुटकारे के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – Nashe Ke Dush Pravrtti Nibandh

प्रस्तावना– वैदिक ऋषियों ने राजा सोम (रस) की प्रशंसा में मंत्र रचे और आगे के उपासकों ने अपने–अपने इष्टदेव या इष्टदेवी के साथ कोई–न–कोई मादक द्रव्य जोड़कर उसके सेवन का धार्मिक और सामाजिक अनुमति–पत्र प्र भोले बाबा के उपासकों ने भाँग, महाकाली के अर्चकों ने मदिरा और इन्द्रियसंयम तथा निर्विघ्न–ध्यान समाधि के साधकों ने चरस, गाँजा, तम्बाकू आदि के सेवन की छूट या सामाजिक स्वीकृति प्राप्त कर ली।

मादक द्रव्यों के प्रकार और प्रभाव– परम्परागत मादक द्रव्यों: यथा–शराब, भाँग, अफीम के अतिरिक्त आज अनेक नये और तीव्र प्रभाव वाले मादक द्रव्यों का आविष्कार हो चुका है, जो पुराने मादक द्रव्यों से कहीं अधिक घातक हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • (क) मदिरा–मदिरा या शराब तो जैसे मनुष्य के साथ ही पृथ्वी पर जन्मी है। समुद्र मंथन से प्राप्त रत्नों में यह भी सम्मिलित है। मदिरा सेवन की व्यापकता का युवावर्ग में बढ़ते जाना, समाज के लिए एक अशुभ संकेत है। यह सरकारों की आमदनी का भी बड़ा स्रोत है।
  • (ख) मार्फीन–यह अफीम से बनायी जाती है। यह अफीम से अधिक नशीली होती है। इसके अभ्यस्त लोग इसको इंजेक्शन के रूप में प्रयुक्त करते हैं।
  • (ग) हेरोइन–यह मार्फीन से बनायी जाती है और इससे दस गुना अधिक नशीली होती है। इसका सेवन बहुतायत में किया जाता है।
  • (घ) हशीश–यह भाँग से प्राप्त की जाती है। इसे जलाकर सिगरेट की भाँति प्रयोग में लाया जाता है।
  • (ङ) ब्राउन शुगर–यह अशुद्ध हेरोइन होती है। यह कई अन्य पदार्थों को मिलाकर प्रयोग की जाती है और एक प्रकार का विष ही बन जाती है।
  • (च) एल. एस. डी.–कुछ लोग मानसिक तनाव दूर करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं।
  • (छ) स्मैक–यह युवावर्ग में प्रचलित सबसे खतरनाक नशा है। व्यक्ति केवल दो–तीन खुराकों में इसका अभ्यस्त हो जाता है। इसकी लत को छोड़ पाना बहुत कठिन होता है।

मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्परिणाम– कोई भी नशा हो, अन्ततः मनुष्य के लिए हानिकारक ही होता है। आज समाज में बढ़ती नशाखोरी की प्रवृत्ति बड़ी चिन्ताजनक है। इनका अभ्यस्त होने पर मनुष्य निष्क्रिय और हर तरह से बेकार हो जाता है। वह हर कीमत पर इन द्रव्यों को पाना चाहता है।

आज मादक पदार्थों का अनैतिक और अवैध व्यापार जोरों पर है। अनेक संगठित गिरोह इस धन्धे में लगे हैं। ये चीजें आज सोने से भी कीमती तथा व्यवसाय–सुलभ हैं।

युवावर्ग में मादक पदार्थों का सेवन जिस गति से बढ़ रहा है, वह उन्हीं के लिए नहीं, बल्कि देश और समाज के लिए भी खतरे की घण्टी है। किसी देश को तबाह करने के लिए आज युद्ध की नहीं, बल्कि मादक द्रव्यों की आवश्यकता होती है। मादक–द्रव्यों के व्यापार की छाया में आतंकवाद और अपराध भी पनप रहे हैं।

मादक द्रव्यों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति– मादक द्रव्यों से धन कमाने वाले लोग घोर अपराधी हैं। ये युवक–युवतियों को बहलाकर या एक–दो खुराक मुफ्त में सेवन कराकर उनको आदी बना देते हैं और फिर वह व्यक्ति इनका गुलाम हो जाता है।

गीच यह प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कुछ युवक चोरी–छिपे और कुछ इसे शान समझकर अपना रहे हैं। यह युवावर्ग के जीवन को चौपट करने वाली प्रवृत्ति है।

मादक द्रव्यों से छुटकारे के उपाय– मादक द्रव्यों के प्रसार की समस्या किसी व्यक्ति या देश–विशेष की नहीं है। यह एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है। पूरे विश्व में मादक पदार्थों के विक्रेताओं का जाल फैला हुआ है। इस पर नियन्त्रण न करना विश्व को दारुण विनाश की ओर धकेलना है।

अनेक देशों ने मादक पदार्थों की बिक्री अथवा इसे अपने पास रखने को दण्डनीय अपराध घोषित कर रखा है। कई देशों में इसके अवैध व्यापार पर मृत्यु–दण्ड की भी व्यवस्था है। हर सभ्य और दूरदर्शी देश इसे मौत का व्यापार मानता है।

लेकिन कानूनों के बल पर इस संकट से पार पाना सम्भव नहीं लगता है। जनता को इसके खतरे से जागरूक बनाकर तथा इसकी आदत से ग्रस्त युवक–युवतियों के साथ सहानुभूति से पेश आकर इससे बचने की सम्भावना हो सकती है। सरकार को भी कड़े से कड़े कानून बनाकर और निरन्तर सतर्क रहकर इस पर काबू पाना होगा।

उपसंहार– मादक पदार्थों का सेवन मौत को निमन्त्रण देना है। मौत भी अत्यन्त दारुण, धीरे–धीरे चेतना को ग्रसती और लाचार बनाती मौत! मादक पदार्थों का अब हथियार की तरह भी प्रयोग हो रहा है। यह विरोधी देश की युवाशक्ति को खोखला बनाने और बिना युद्ध के ही उसे नष्ट कर देने का घृणित उपाय है।

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नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi -Drug Addiction

नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

मादक द्रव्य और नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

आज के समय में  मादक पदार्थों का सेवन एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। युवाओ का एक बड़ा वर्ग इसकी चपेट में आ गया है। कोकीन (चरस, हशीश), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, हशीश, भांग जैसे नशीले पदार्थो का सेवन करके लोग अपना जीवन खराब कर रहे है।

ये पदार्थ कुछ समय के लिए नशा देते है जिसमे व्यक्ति को सुखद अनुभूति होती है, पर जैसे ही नशा खत्म होता है व्यक्ति फिर से उसे लेना चाहता है। कुछ ही दिनों में उसे इन पदार्थो की लत लग जाती है।

स्कूल, कॉलेजो में ड्रग्स, नशीली गोलियां चोरी छिपे बेचीं जा रही है जो युवाओं के भविष्य को नष्ट कर रही है। इन मादक पदार्थों का सेवन करने के बाद जल्द ही इसकी लत लग जाती है। उसके बाद लोग चाहकर भी इसे छोड़ नही पाते हैं।

बच्चे अपनी पॉकेट मनी को खर्च करके इसे लेने लग जाते हैं। जल्द ही यह सेवन करने वाले व्यक्ति को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है। आज देश के कई राज्यों में इन मादक पदार्थों/ ड्रग्स को चोरी छिपे बेचा जा रहा है।

पंजाब जैसे राज्यों में नशीले पदार्थो के सेवन ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरो में रेव पार्टिस में लोग इसका अधिक सेवन करते हैं। आमतौर पर पैसे वाले लोग इसका जादा शिकार होते है।

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नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

प्रमुख नशीले पदार्थ common drugs and narcotics.

कुछ प्रमुख नशीले पदार्थ –

  • कोकीन (चरस), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, भांग
  • डॉक्टर द्वारा लिखी गयी- नींद की गोलियां, तनाव, चिंता, अवसाद कम करने  वाली गोलियां
  • कफ सीरप जैसे कोरेक्स का सेवन
  • तम्बाकू वाले पदार्थ जैसे- बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, खैनी, जर्दा, पान मसाला
  • वाष्पशील विलायक जैसे- नेल पॉलिश रिमूवर (Nail Polish Remover), पेट्रोल,   पेंट (Paint)

मादक पदार्थ लेने के कारण   REASONS OF DRUG ABUSE

इसके पीछे निम्न कारण है-

  • आनन्द पाने के लिए युवा और अधेड़ दोनों वर्गों के लोग इसका सेवन करते हैं। इसके सेवन से कुछ समय के लिए शरीर में ताकत रहती है, मनोबल, आत्मविश्वास बढ़ जाता है। लोगो को इसका प्रयोग उपयोगी लगने लगता है।
  • आजकल की महंगी जीवनशैली में माता-पिता दोनों ही पैसा कमाने के लिए नौकरियां करने लगे है। वो बच्चो का ख्याल नही रख पाते है। जादातर माता-पिता सुबह घर से निकलते है और रात में घर वापिस आते है। वो बच्चो को जेब खर्च के लिए अधिक से अधिक पैसा देते है जिससे वो ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है। कई बार बच्चे अपने अकेलापन को दूर करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते हैं। उन्हें सही तरह का मार्गदर्शन नही मिलने के कारण वो भटक जाते हैं।
  • अपने दोस्तों के प्रभाव में आकर बच्चे सबसे पहले ड्रग्स लेना शुरू करते हैं। वो इसे शौक-शौक में लेते है पर जल्द ही इसकी लत लग जाती है। कई बच्चे इसको फैशन समझने लगे हैं। अमीर बच्चो में ये समस्या कुछ जादा ही है। ये नशीले पदार्थ बहुत महंगे होते है, पर अमीर घर के बच्चे इसे आसानी से खरीद लेते है।
  • कुछ लोग अपने दुःख दर्दों, जीवन की समस्याओं से पलायन करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है।
  • कुछ लोग बोरियत, अनिद्रा, गुस्से से बचने के लिए इसका सेवन करते है।

मादक पदार्थो के सेवन का प्रभाव EFFECTS OF DRUG ABUSE

मादक पदार्थो के सेवन का निम्न दुष्परिणाम निकलता है-

  •  नशीले पदार्थो की लत लग जाने के बाद कुछ भी अच्छा नही लगता है। बार-बार नशीला पदार्थ लेने की तलब लगती है। व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में कुछ नही सोच पाता है। जब वो पदार्थ नही लेता है तो उसे बड़ी बेचैनी लगती है। बदन दर्द होता है। चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, गुस्सा, हाथ पैरो में दर्द और भारीपन, शरीर कांपना, अनियंत्रित रक्तचाप, उलटी मितली आना, जैसे लक्षण दिखने लग जाते हैं।
  • इन नशीले पदार्थों का मस्तिष्क, यकृत, ह्रदय, गुर्दों पर बुरा प्रभाव होता है। हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है।
  • व्यक्ति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से विमुख हो जाता है। वो अपने रुचिकर कार्यों से भी विमुख हो जाता है।
  • नशे के प्रभाव में व्यक्ति दूसरे लोगो के साथ बुरा व्यवहार करता है। महिलाओं से छेड़खानी, बलात्कार, हिंसा , आत्महत्या, मोटरवाहन दुर्घटना, हत्या, असुरक्षित यौन सम्बन्ध, बाल शोषण, घरेलू हिंसा जैसे अपराध नशीले पदार्थो के सेवन के बाद हो जाते है।
  • मादक पदार्थों के सेवन के लिए व्यक्ति अपने सारे पैसे खर्च कर देता है। दूसरे लोगो के पैसे चोरी करने लग जाता है। कई बार वो अपनी जमीन, मकान, कार, घर का सामान, गहने और दूसरी सम्पदा भी नशा करने के लिए बेच देता है। व्यक्ति की आर्थिक स्तिथि बद से बदतर होती चली जाती है।

मादक पदार्थो की लत से कैसे बचे? HOW TO OVERCOME DRUGS ADDICTION?

नशीले पदार्थो के सेवन के लिए निम्न उपाय अपनायें –

  • अपने मन में नशे की लत को छोड़ने की ठान लीजिये। मन में प्रबल इक्षा होना जरूरी है।
  • पुनर्वास केंद्र/ नशा मुक्तिकेंद्र (Rehabilitation Centre) में भर्ती होना अच्छा विकल्प है। वहां पर और भी लोग आते है। सबका इलाज एक साथ डॉक्टरों की देख रेख में किया जाता है। समूह चिकित्सा (Group Therapy) में मरीज का इलाज किया जाता है।
  • मनोवैज्ञानिक पद्धति से रोगी का इलाज किया जाता है।
  • ध्यान और योग के द्वारा भी मादक पदार्थो की लत को छोड़ा जा सकता है।
  • हर समय अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और हितैषियों के साथ रहे। जब आप उनके सामने हर समय रहेंगे तो आपको नशा करने का मौका ही नही मिलेगा।
  • नशे से ग्रस्त रोगियों को रोज डायरी लिखनी चाहिये। ऐसा करने से बहुत लाभ होता है। जीवन की हर एक बात लिखनी चाहिये। नशा करने के बाद के दुषपरिणामो को लिखने से व्यक्ति को आभास होता है की किस तरह उसकी जिन्दगी नशे से खराब हो रही है।

निष्कर्ष CONCLUSION

नशीले पदार्थो का सेवन कुछ मिनटों के लिए आनन्द देता है पर इसके दूरगामी दुष्परिणाम होते है। यह व्यक्ति को धीरे धीरे निगल जाता है और उसके जीवन को हर तरह से बर्बाद कर देता है। ऐसे लोग आये दिन लोगो से झगड़ा करने लगते है, ऑफिस या कार्यस्थल पर साथी कर्मचारियों के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार शुरू कर देते है।

काम करते हुए दुर्घटना ग्रस्त हो जाना, सस्पेंड होना, बार बार नौकरी बदलना, नौकरी छोड़ना, चिड़चिड़ा और गुस्सैल स्वभाव दिखाने से व्यक्ति का सब कुछ खत्म हो जाता है। व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते है। अतः हमे नशीले पदार्थो का सेवन बिलकुल नही करना चाहिये। जो लोग इस समस्या से ग्रस्त है उनको दृढ़ निश्चय करके इसे छोड़ देना चाहिये। याद रखे नशा एक जहर है।

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दा इंडियन वायर

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध

alcohol abuse essay in hindi

By विकास सिंह

essay on drug abuse in hindi

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का मतलब एक समय में दवाओं का अत्यधिक सेवन होता है। नशीली दवाओं के बार-बार उपयोग से नशे की लत विकसित होती है जिसमें हानिकारक परिणाम होते हैं। यह एक ऐसी समस्या है जो मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली को सीधे प्रभावित करती है जिससे इसे गंभीर नुकसान पहुंचता है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग, जुनूनी और दवाओं के अत्यधिक उपयोग के लिए एक शब्द है, जो इन दिनों एक आम समस्या है। दवाओं का नियमित उपयोग स्वयं हानिकारक है। यह लत की ओर जाता है और व्यवहार में परिवर्तन का कारण बनता है। नशीली दवाओं का दुरुपयोग विशेष रूप से मस्तिष्क को प्रभावित करता है और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों जैसे कि गुर्दे की विफलता और हृदय की समस्या को भी जन्म दे सकता है।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (200 शब्द)

नशीली दवाओं का दुरुपयोग दवाओं का बार-बार और अत्यधिक उपयोग है। यह एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है जिससे मस्तिष्क को एक बड़ी क्षति होती है। नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक व्यक्ति की आत्म-नियंत्रण करने की शक्ति को बाधित करता है और ड्रग्स लेने के आग्रह का विरोध करने की उनकी क्षमता में हस्तक्षेप करता है।

ड्रग्स को शुरू में पसंद से बाहर ले जाया जाता है, हालांकि, जितना जल्दी आपको एहसास होता है, उनका विरोध करना कठिन हो जाता है। इस समस्या से उबरना मुश्किल है और यहां तक ​​कि जो लोग इसे फिर से विकसित करने का एक उच्च जोखिम खड़ा करते हैं।

निम्न के कारण होने वाले तनाव पर अंकुश लगाने के लिए लोग आमतौर पर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं:

  • पारिवारिक मामले
  • काम पर दबाव
  • स्कूलों और कॉलेजों में बढ़ती प्रतियोगिता
  • रिश्ते की समस्याएं
  • वित्तीय समस्याएं
  • खालीपन का एहसास
  • इसके अलावा, यह एक आनुवांशिक समस्या भी हो सकती है। जो भी कारण हो, यह समझना आवश्यक है कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग केवल समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें बढ़ाता है। इस प्रकार इससे दूर रहना ही बुद्धिमानी है। जो लोग पहले ही इस समस्या के शिकार हो चुके हैं, वे इससे उबरने के लिए विशेषज्ञ मार्गदर्शन ले सकते हैं। उचित दवा, प्रियजनों का समर्थन और दृढ़ इच्छा शक्ति नशाखोरी की अंधेरी दुनिया से बाहर ले जा सकती है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के लिए उपचार लंबी अवधि में बढ़ाया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समस्या से छुटकारा न मिले।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (300 शब्द)

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का तात्पर्य दवाओं के अत्यधिक उपयोग से है। यह एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे मुख्य रूप से मस्तिष्क को नुकसान होता है। ड्रग्स को शुरू में अलग-अलग कारणों से पसंद के कारण लिया जाता है। हालांकि, धीरे-धीरे उनका विरोध करना मुश्किल हो जाता है। अलग-अलग कारण हैं कि लोग दवाओं का रास्ता क्यों अपनाते हैं। यहाँ इन पर एक नज़र है और इस समस्या पर अंकुश लगाने के तरीके भी हैं।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण:

पारिवारिक / संबंध समस्याएँ कई लोगों के परिवार में समस्याएं हैं। उनके लिए, नशीली दवाओं का दुरुपयोग उन समस्याओं के कारण होने वाले तनाव से एक आसान लगता है। युवा, विशेष रूप से मादक पदार्थों के सेवन से अपने संबंधों की समस्याओं से निपटने की कोशिश करते हैं।

काम का दबाव स्कूल और कॉलेज स्तर पर या कार्य स्थल पर प्रतिस्पर्धा और दवा दुरुपयोग का एक और प्रमुख कारण है।

जीन अक्सर यह देखा जाता है कि एक व्यक्ति के जीन भी उसके / उसके मुड़ने वाले व्यसनी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समस्या आमतौर पर, परिवार में नहीं चलती है।

अकेलापन अकेलेपन या खालीपन की भावना भी एक व्यक्ति को दवाओं की ओर मुड़ने के लिए मजबूर कर सकती है।

दवा के दुरुपयोग समाधान:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विभिन्न चरणों से पीड़ित लोगों को विभिन्न प्रकार की दवाएं दी जाती हैं। यहाँ इन पर एक नज़र है:

उपचार में रहना दवाओं की अनुपस्थिति के अनुकूल होने के लिए रोगी के मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है। यह उपचार रोगियों को दवाओं के लिए उनकी लालसा को नियंत्रित करने में मदद करता है।

वापसी उपचार जो लोग दवाओं का उपयोग करना बंद कर देते हैं वे तनाव, चिंता, मनोदशा में बदलाव आदि जैसे लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं। इन लक्षणों को दूर करने के लिए उन्हें दवाएँ दी जाती हैं।

पलायन को रोकें कई कारक हैं जो एक रिलैप्स को ट्रिगर कर सकते हैं। इन ट्रिगर को नियंत्रित करने के लिए दवाएं विकसित की जा रही हैं।

निष्कर्ष:

इन दिनों ड्रग एब्यूज एक आम समस्या है। हालांकि प्रतिरोध करने में मुश्किल है, दवाओं का उपयोग उचित दवा और मार्गदर्शन के साथ नियंत्रित किया जा सकता है।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (400 शब्द)

नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक पुरानी बीमारी है। जो लोग नशीली दवाओं का दुरुपयोग करते हैं, वे उनके हानिकारक परिणामों के बारे में पूरी तरह से जागरूक होने के बावजूद उनका विरोध करने में असमर्थ हैं। दवाओं का नियमित सेवन मस्तिष्क को प्रतिकूल रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और विभिन्न अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।

दवाओं के भारी सेवन के कारण होने वाले मस्तिष्क परिवर्तन लगातार हो सकते हैं। इस प्रकार नशीली दवाओं की लत एक समस्या के रूप में जानी जाती है। यहाँ नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विभिन्न कारणों पर एक नज़र है और इस समस्या को दूर करने के तरीके भी हैं:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारक:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारक मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किए गए हैं। यहाँ इनमें से प्रत्येक पर एक नज़र है:

पर्यावरणीय कारक किसी व्यक्ति के वातावरण में विभिन्न कारक शामिल होते हैं जैसे कि उसकी सामाजिक स्थिति, परिवार, दोस्त, पेशेवर जीवन, आदि। परिवार में समस्याएं, बुरी कंपनी, काम पर प्रतिस्पर्धा और उचित मार्गदर्शन और माता-पिता या शिक्षकों से समर्थन की कमी के कारण अक्सर नशीली दवाओं का सेवन हो सकता है।

जैविक कारक नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक आनुवंशिक समस्या भी हो सकती है। एक बच्चा नशीली दवाओं के दुरुपयोग के शिकार होने की एक उच्च संभावना रखता है यदि उसके माता-पिता में से कोई भी उसी के प्रभाव में रहा हो। कुछ मानसिक विकार भी व्यक्ति को दवाओं की ओर मोड़ सकते हैं।

आयु कारक हालांकि नशा किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, लेकिन जो लोग कम उम्र में ड्रग्स लेना शुरू करते हैं, उन्हें नशे की लत लगने की संभावना अधिक होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके मस्तिष्क में वे क्षेत्र जो आत्म-नियंत्रण, निर्णय और निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं, वे अभी भी अपने विकास के चरण में हैं। यही कारण है कि किशोरों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की संभावना अधिक होती है।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का इलाज करने के तरीके

हालांकि मुश्किल है, नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या को ठीक करने के तरीके हैं। यहां कैसे:

विशेषज्ञ मार्गदर्शन इस समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर से मिलने और उचित दवा लेने का सुझाव दिया जाता है। जो लोग इस गंभीर समस्या से पीड़ित हैं, उनमें से अधिकांश को इसे नियंत्रित करने के लिए पुनर्वास केंद्र में शामिल होने की सिफारिश की जाती है।

सही खाएं और व्यायाम करें नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण होने वाली क्षति को शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक होने के लिए फिर से भरना चाहिए और यह केवल एक स्वस्थ आहार के द्वारा किया जा सकता है। खाड़ी में तनाव बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने का भी सुझाव दिया जाता है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग, मुख्य रूप से किसी के जीवन में भावनात्मक उथल-पुथल को दूर करने के प्रयास के कारण होता है, यह स्वयं हानिकारक हो सकता है। इसे एक व्यक्ति की जीवनशैली को खतरा हो जाता है और उसका स्वास्थ भी इससे खराब हो जाता है।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (500 शब्द)

नशीली दवाओं का दुरुपयोग दवाओं के अत्यधिक, बाध्यकारी और दोहराया उपयोग है। यह एक पुरानी बीमारी है जो मरम्मत से परे एक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। प्रारंभ में, एक व्यक्ति पसंद से ड्रग्स लेता है। हालाँकि, कुछ समय बाद उनका विरोध करना उनके लिए लगभग असंभव हो जाता है। नशीली दवाओं की लत को नियंत्रित करना मुश्किल है और अक्सर इसे एक बीमारी के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह मुख्य रूप से मस्तिष्क को प्रभावित करता है।

यह समस्या क्यों होती है?

अलग-अलग लोगों को अलग-अलग कारणों से ड्रग्स की लत लग जाती है। यहाँ कुछ मुख्य कारणों पर एक नज़र डाली गई है जो इस समस्या का कारण बनते हैं:

अकेलापन अकेलेपन की भावना को दूर करने के लिए कई लोग ड्रग्स लेते हैं। कई बार, लोगों को लगता है कि उनके पास अपने सुख और दुख साझा करने के लिए कोई नहीं है और वे अंततः इस भावना से छुटकारा पाने के लिए ड्रग्स लेते हैं।

प्रतियोगिता स्कूलों, कॉलेजों और काम पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा से दबाव पैदा होता है जिसे संभालना अक्सर मुश्किल होता है। इस दबाव को संभालने के लिए कई लोग दवाओं का सहारा लेते हैं।

रिश्ते की समस्याएं यह नशीली दवाओं के दुरुपयोग का एक सामान्य कारण भी है। असफल रिश्तों के कारण होने वाली भावनात्मक उथल-पुथल को दूर करने के लिए युवा अक्सर ड्रग्स लेते हैं।

प्रयोग बहुत से लोग, ज्यादातर किशोर सिर्फ यह जानने के लिए उत्सुक होते हैं कि ड्रग्स का स्वाद और साथ ही उनके आफ्टर इफेक्ट्स कैसे होते हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि इस प्रयोग से पहले से ही लत लग सकती है।

जीन नशीली दवाओं का दुरुपयोग अक्सर वंशानुगत होता है। यदि माता-पिता में से कोई भी नशे का आदी है, तो बच्चे को समस्या होने का खतरा अधिक होता है।

इस समस्या पर अंकुश कैसे लगाया जाए?

हालांकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की अंधेरी दुनिया से बाहर निकलना मुश्किल है और इस समस्या से छुटकारा पाने की बहुत अधिक संभावना है, कुछ चीजें हैं जो इस समस्या से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे लोगों की मदद कर सकती हैं। इन पर नीचे विस्तार से चर्चा की गई है:

विशेषज्ञ परामर्श यह एक डॉक्टर से परामर्श करने या बेहतर अभी भी एक पुनर्वास केंद्र में शामिल होने का सुझाव दिया जाता है ताकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से छुटकारा मिल सके। इस समस्या का शिकार होना जितना आसान है, उससे बाहर आना भी उतना ही मुश्किल। पुनर्वास केंद्रों पर कदम दर कदम दृष्टिकोण इस मुद्दे पर अंकुश लगाने का एक प्रभावी तरीका है।

स्वस्थ खाओ दवाओं के भारी सेवन से आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ता है। खोए हुए पोषक तत्वों को फिर से भरने के लिए, एक स्वस्थ आहार का सुझाव दिया जाता है।

व्यायाम शारीरिक गतिविधियाँ जैसे जॉगिंग, डांसिंग, स्विमिंग, योगा आदि, एंडोर्फिन के विकास को बढ़ावा देते हैं, जिन्हें हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है। नशीली दवाओं की लत से छुटकारा पाने के लिए इस तरह की गतिविधियों में लिप्त होने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि दवा की खुराक कम करने से तनाव का स्तर बढ़ सकता है।

ड्रग एब्यूज़ एक गंभीर समस्या है। इन दिनों युवाओं में विशेष रूप से आम है, यह उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है जो नशे के साथ-साथ उनसे जुड़े हैं। मुद्दे की संवेदनशीलता को पहचानना होगा और किसी भी स्थिति में इस अभ्यास को शुरू नहीं करना चाहिए। याद रखें, अकेलेपन, भय, चिंता और दिल टूटने जैसी समस्याओं से निपटने के बेहतर तरीके हैं।

दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, 600 शब्द:

नशीली दवाओं का दुरुपयोग, दवाओं का अनिवार्य और अत्यधिक उपयोग, विशेष रूप से किसी व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यह मस्तिष्क में परिवर्तन का कारण बनता है जो किसी व्यक्ति के लिए आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करना और ड्रग्स लेने की इच्छा को रोकने के लिए उनकी शक्ति में हस्तक्षेप करना मुश्किल बनाता है।

मस्तिष्क के कामकाज में परिवर्तन अक्षम्य हैं और यही कारण है कि यह अक्सर रिलेप्स होता है। यहां तक ​​कि जो लोग ठीक हो जाते हैं, वे पुनर्प्राप्ति के वर्षों के बाद भी दवाओं की वापसी का एक उच्च जोखिम रखते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि उपचार पर्याप्त प्रभावी नहीं है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपचार बंद नहीं किया गया है। यह एक सतत प्रक्रिया है, हालांकि डॉक्टर मरीजों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर समय-समय पर दवा बदलते रहते हैं।

क्या है ड्रग्स की लत?

अलग-अलग लोग अलग-अलग कारणों से इस आत्म-हानिकारक आदत के शिकार होते हैं। मादक पदार्थों की लत के कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:

खालीपन का अहसास खालीपन का एहसास सबसे बुरा एहसास हो सकता है और अक्सर संभालना मुश्किल होता है। इन भावनाओं से छुटकारा पाने के लिए, बहुत से लोग दवाओं का रास्ता अपनाते हैं। उन्हें लगता है कि ड्रग्स उन्हें शून्य को भरने में मदद करेंगे।

काम का दबाव कई छात्र अध्ययन से संबंधित तनाव को दूर करने के लिए ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं। इसी तरह, कॉरपोरेट कार्यालयों में इन दिनों इतना दबाव है कि लोग इसका सामना नहीं कर पा रहे हैं। काम पर होने वाले तनाव और चिंता से निपटने के लिए वे अक्सर दवाओं की ओर रुख करते हैं।

परिवार / रिश्ते की समस्या कई लोग पारिवारिक मुद्दों या रिश्ते की समस्याओं के कारण होने वाले तनाव को दूर करने के लिए ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं और अंततः उसी के आदी हो जाते हैं।

प्रयोग किशोर अक्सर केवल प्रयोग करने के लिए दवाओं की कोशिश करते हैं और उन्हें महसूस होने से पहले ही आदी हो जाते हैं। किशोरों को उनकी लत लगने की संभावना अधिक होती है।

जेनेटिक ड्रग की लत आनुवांशिक भी हो सकती है। अक्सर देखा गया है कि यह समस्या परिवारों में चलती है। इसलिए, अगर उनके माता-पिता ड्रग्स का सेवन करते हैं, तो बच्चों को इसकी लत लगने का खतरा अधिक होता है।

पर्चे पर उपलब्ध दवाएं डॉक्टरों द्वारा निर्धारित अधिकांश दवाएं सड़क दवाओं के समान ही नशे की लत हैं। बहुत से लोग उन्हें सुरक्षित मानते हैं और इनका बार-बार उपयोग करने से व्यसन होता है।

नशीली दवाओं की लत पर काबू पाने के उपाय:

नशा पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, यह असंभव नहीं है। दवा, विशेषज्ञ मार्गदर्शन और परिवार और दोस्तों के समर्थन की मदद से, कोई भी इस समस्या को दूर कर सकता है। मादक द्रव्यों के सेवन को दूर करने में आपकी सहायता के लिए नीचे चर्चा की गई है।

डॉक्टर से सलाह लें मादक पदार्थों की लत से छुटकारा पाने के लिए एक मजबूत इच्छा शक्ति की तुलना में बहुत अधिक है। यदि आपने ड्रग्स की अंधेरी दुनिया से बाहर निकलने का संकल्प लिया है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करने का सुझाव दिया गया है।

व्यायाम दवा की खुराक कम करने से तनाव का स्तर बढ़ सकता है। आप शारीरिक गतिविधियों जैसे जॉगिंग, साइकलिंग, तैराकी, नृत्य और योग को दूसरों के बीच में शामिल करके इसे काफी हद तक दूर कर सकते हैं।

स्वस्थ खाओ दवाओं के नियमित सेवन से आपका शारीरिक स्वास्थ्य ख़राब होता है। इस प्रकार भोजन करने की सलाह दी जाती है जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।

लोगों से बात करें अपनी भावनाओं को खुद पर रखने के बजाय, उन्हें बाहर निकालने का सुझाव दिया जाता है। अपने मुद्दों के बारे में अपने परिवार और दोस्तों से बात करें। यह ड्रग्स पर भरोसा करने के बजाय तनाव को दूर करने का एक अच्छा तरीका है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक बढ़ती हुई समस्या है, खासकर युवाओं में। ऐसे कई कारण हैं जो इस समस्या का कारण बनते हैं और इसका जो प्रभाव पड़ता है वह बेहद हानिकारक है। उनके उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए दवाओं के नकारात्मक नतीजों के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। इस समस्या की चपेट में आने वाले लोगों को एक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और नशीली दवाओं के दुरुपयोग की नारकीय दुनिया से बाहर आने के लिए उन लोगों से मदद लेनी चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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