HiHindi.Com

HiHindi Evolution of media

प्राकृतिक रेशे व कृत्रिम रेशे | Natural Fibers and Artificial Fibers in Hindi

नमस्कार दोस्तों प्राकृतिक & कृत्रिम रेशे Natural Fibers and Artificial Fibers in Hindi में हम रेशों के बारे में हम पढ़ेगे.

वस्त्र को मानव की मूलभूत आवश्यकता में गिना जाता हैं इन्ही फाइबर की मदद से हमारे कपड़े बनते हैं. पतले और महीन तन्तुओं से बने इन रेशों के कई प्रकार हैं उनकी क्या क्या उपयोगिता हैं, इस आर्टिकल में हम समझने का प्रयास करेगे.

प्राकृतिक व कृत्रिम रेशे Natural Fibers and Artificial Fibers in Hindi

प्राकृतिक रेशे व कृत्रिम रेशे | Natural Fibers and Artificial Fibers in Hindi

Fibers in Hindi प्राकृतिक रेशे प्रकृति में उपलब्ध होते है. जबकि मानव निर्मित या संश्लेषित रेशे इन्ही प्राकृतिक रेशों के साथ अन्य रेशों का मिश्रण कर  Artificial Fibers अर्थात कृत्रिम रेशे तैयार किये जाते है.

प्राकृतिक रेशों में कपास, ऊन, जूट, सन, रेशम एवं लिनन आदि शामिल किये जाते है. सिंथेटिक और टेरिकोंन मुख्य है.

यहाँ आपकों दोनों फाइबर के बारे में विस्तार से जानकारी व अंतर बताएगे. सभी प्रकार के वस्त्र व कपड़े रेशे से ही बनाए जाते है. रेशे दो प्रकार के होते है.

  • प्राकृतिक रेशे (Natural Fibers)
  • कृत्रिम रेशे (man made fibre or synthetic fibre)

मुख्य प्राकृतिक रेशों की जानकारी (examples of natural and synthetic fibres)

कपास (cotton fibres)-.

प्राकृतिक रेशों में कपास का प्रयोग सर्वाधिक किया जाता है. कपास से निर्मित वस्त्र सूती वस्त्र कहलाते है. कपास के पौधों के फल से रुई व बिनौले प्राप्त किये जाते है. रुई को हाथों से अच्छी तरह साफ कर चरखे की सहायता से उसके महीन धागे तैयार किये जाते है.

इन्ही धागों से बाद में सूती कपड़ा तैयार किया जाता है. सूती वस्त्र मुख्यतः गर्मियों में बहुत फायदेमंद रहते है. यह शरीर के ही पसीने को सोखकर शरीर को ठंडक प्रदान करते है. कपास के रेशे में मुख्यत सेल्यूलोस होता है.

रेशम (silk fibres)

कपास की तरह ही रेशम भी एक प्रकार का प्राकृतिक रेशा है. इन्हें शहतूत के पेड़ों पर पाले जाने वाले कीड़े के द्वारा निर्मित कोकून से प्राप्त किया जाता है.

यह कीड़ा शहतूत के पेड़ की पत्तियों को खाता है, तथा रेशम को लार के रूप में निकालकर कोकून का निर्माण करता है.जो हवा के सम्पर्क में आने से सूख जाता है, व अन्ड़ेनुमा कोकून के चारों ओर लिपटता जाता है.

एक विशेष प्रक्रिया के तहत इससे रेशम को निकाला जाता है. रेशम सभी प्राकृतिक रेशों में महंगा होता है, इस कारण इसकी पहुच उच्च वर्ग के लोगों तक ही रहती है. रेशम के तन्तु बेहद कोमल व महीन होते है. जो ताप लगने पर टूट या सिकुड़ जाते है. इनसे प्रोटीन भी बनता है.

लिनन (linen fibres )

रेशम की तरह लिनन भी एक तरह का प्राकृतिक रेशा है. इन्हें फ्लैक्स नामक पौधे से प्राप्त किया जाता है. लिनन का रेशा रेशम की तरह चिकना चमकदार व सीधा होता है. हाल ही के वर्षों के भारत में इसका प्रचलन तेजी से बढ़ा है. लिनन के बने कपड़े सूती वस्त्रों से अपेक्षाकृत महंगे व रेशम से सस्ते पड़ते है.

लिनन में 70 फीसदी तक सेल्यूलोस होता है. इसमें पसीना सोखने की क्षमता सभी रेशों से अधिक होती है. यहाँ तक कि सूती कपड़ों से भी अधिक, गर्मी के मौसम में लिनन के बने कपड़े बेहद ठंडापन देते है. लिनन का रेशा बनाने की प्रक्रिया बेहद जटिल है, मगर यह मजबूत व टिकाऊ होता है.

लिनन तैयार करने के लिए फ्लैक्स के वृक्षों की आवश्यकता पडती है. जो पश्चिम यूरोप व युक्रेन में अधिक पाए जाते है. इसके अतिरिक्त पूर्वी यूरोप और चीन में भी बड़ी मात्रा में इसका उत्पादन किया जाता है.

वहां से लेनिन निर्मित भारत में आते है. अमेरिका की मुद्रा डॉलर में भी 25 लेनिन का कपड़ा व शेष कॉटन का उपयोग लिया जाता है.

ऊन (Wool fibres)

ऊन भी एक प्राकृतिक रेशा है जो मुख्यत भेड़, ऊंट, याक व खरगोश के बालों से प्राप्त किया जाता है. ऊन में पाए जाने वाले प्रोटीन में सबसे अधिक मात्रा प्रोटीन की होती है. ऊन सभी रेशों में ऊष्मा की सबसे अधिक कुचालक होने के कारण ही सर्दी ऋतु में पहनने वाले वस्त्रों में इसका उपयोग किया जाता है.

उत्कृष्ट श्रेणी की ऊन ऑस्ट्रेलिया की मेरिनों भेड़ की होती है. ऊन के बने कपड़े बेहद गर्म होते है, जो हमें सर्दी से बचाते है.

कृत्रिम रेशे क्या होते है, इनका इतिहास व जानकारी (synthetic fibres examples in Hindi)

प्रयोगशाला में विभिन्न रसायनों के मेल से बनाए गये रेशे कृत्रिम या मानव निर्मित रेशे कहलाते है. कृत्रिम रेशों में नाइलोन, डेक्रोन, ओरलोन, विस्कॉस आदि शामिल किये जाते है.

मानव निर्मित पहला रेशा 1894 में विस्कॉस बनाया गया था. रेयन एवं विस्कोस लकड़ी से प्राप्त सेल्यूलोस से बनाया जाता है.

रासायनिक पदार्थों से निर्मित पूर्ण रूप से पहला कृत्रिम रेशा या सिंथेटिक रेशा नायलोन था. जो 1930 में अमेरिकन शोधकर्ता वालेस कैरोथर्स ने विकसित किया. पोयलिस्टर भी एक कृत्रिम रेशा है. जो सर्वप्रथम 1941 में टेरिलोन डेक्रोन के नाम से विकसित किया गया.

कृत्रिम रेशों की विशेषताएं (Characteristics of Artificial Fibers)

कृत्रिम रेशे अधिक टिकाऊ कीटाणुओं से सुरक्षित एवं भार में बेहद कम होते है. इन कपड़ों पर सलवटे भी बहुत कम पड़ने के कारण प्रेस की आवश्यकता भी बहुत कम होती है.

इनके अलावा इनकी धुलाई भी आसन होती है. कृत्रिम रेशों का निर्माण मुख्यत पेंट्रोलियम आधारित रसायनों अर्थात पेंट्रोकेमिकल से होता है.

वर्तमान में प्रयुक्त किये जा रहे कृत्रिम रेशों में पोलियस्टर, इक्रलिन, पालियोलेफिन आदि है. इनमें सर्वाधिक उपयोग पालियस्टर का ही होता है.

प्राकृतिक रेशे और कृत्रिम रेशे में क्या अंतर है

हालांकि प्राकृतिक रेशे और कृत्रिम रेशे दोनों ही रेशे होते हैं और दोनों का उपयोग ही कपड़े के निर्माण में किया जाता है लेकिन फिर भी दोनों में काफी अंतर देखने को मिलता है। प्राकृतिक रेशे और कृत्रिम रेशे के बीच के अंतर को नीचे बिंदुओं की सहायता से व्यक्त किया गया है –

रेशे की प्राप्ति – प्राकृतिक रेशे प्रकृति से प्राप्त होते हैं जबकि कृत्रिम रेशो का निर्माण मनुष्य स्वयं करता है।

रेशों का निर्माण – प्राकृतिक रेशों का निर्माण प्राकृतिक तरीकों से होता है जबकि कृत्रिम रेशों का निर्माण प्रयोगशाला में किया जाता है।

रेशों के नाम – प्राकृतिक रेशों में जूट,कपास, ऊन, लिनन एवं रेशम आदि शामिल है जबकि कृत्रिम रेशे में पोलियस्टर, इक्रलिन, पालियोलेफिन सम्मिलित हैं।

नायलॉन को कृत्रिम रेशे क्यों कहा जाता है?

नायलॉन भी एक तरह का रेशा होता है यह एक कृत्रिम रेशा होता है क्योंकि इसका निर्माण कोयला, जल और हवा को मिलाकर किया जाता है।

नायलॉन दूसरे रेशों के मुकाबले बहुत ज्यादा मजबूत होता है। नायलॉन से बनी चीजें आसानी से खराब नहीं होती हैं। पैराशूट और मोटी मोटी मजबूत रस्सियां बनाने के लिए इसी रेशे का उपयोग किया जाता है।

Are all natural fibres ethical?

प्राकृतिक रेशों का निर्माण प्राकृतिक तरीके से होता है लेकिन कुछ प्राकृतिक रेशों के निर्माण में मनुष्यों का भी सहयोग होता है। प्राकृतिक रेशे के निर्माण में वातावरण पर कोई बुरा प्रभाव नहीं होता है। इ

सलिए अधिकतर प्राकृतिक रेशों को एथिकल माना जाता है। लेकिन वहीं बहुत से ऐसे कृत्रिम रेशे होते हैं जिनके निर्माण में ऐसे ऐसे वज्र पदार्थ निकलते हैं जिसके कारण न सिर्फ वायु बल्कि जल भी प्रदूषित होता है।

इसलिए कृत्रिम रेशों की तुलना में प्राकृतिक रेशों को ज्यादा नैतिक माना जाता है क्योंकि इससे जो वज्र पदार्थ निकलते हैं वह वापस से प्रकृति में विलीन हो जाते हैं। ‌

  • फास्टैग क्या है और ये कैसे काम करता है
  • भारतीय वस्त्र व वेशभूषाएं
  • पंचतत्व क्या है इनका महत्व

Hope you find this post about ” Natural Fibers and Artificial Fibers in Hindi ” useful. if you like this article please share on Facebook & Whatsapp. and for the latest update keep visit daily on hihindi.com.

Note: We try hard for correctness and accuracy. please tell us If you see something that doesn’t look correct in this article about types of fibers and if you have more information History of different types of fibers and their properties then help for the improvements of this article.

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Hindi Tutor

Hindi Tutor

Sab Kuchh Hindi Mein !

Home » विज्ञान » संश्लेषित रेशे क्या हैं? कृत्रिम सूत (Synthetic fibers)

संश्लेषित रेशे क्या हैं? कृत्रिम सूत (Synthetic fibers)

प्राकृतिक रेशो के स्थान पर प्रयोग होने वाले मानव निर्मित रेशे जैसे- रेयॉन, नायलॉन, टेरीलीन, डेक्रॉन, टेरीन आदि को संश्लेषित रेशे (कृत्रिम सूत – Synthetic fibers) कहते हैं।

इनका उपयोग प्राकृतिक रेशों जैसे- ऊन तथा रेशम के स्थान पर होता है। संश्लेषित रेशे प्रायः ऊन तथा रेशम की भाँति ही दिखने वाले बनाए जाते हैं।

Sanshleshit Reshe or Kritrim Reshe

संश्लेषित रेशे (कृत्रिम सूत – Synthetic fibers) वे सूत या रेशे हैं जिन्हें प्राकृतिक रूप से (जानवरों एवं पौधों) नहीं बल्कि कृत्रिम रूप से वनाया जाता है। सामान्य रूप से कहा जाय तो सूत बनाने वाले पदार्थ को किसी पतले छिद्र से बल पूर्वक भेजकर सूत का निर्माण किया जाता है। जैसे- रेयॉन, नायलॉन, टेरीलीन, डेक्रॉन, टेरीन आदि।

संश्लेषित रेशे (कृत्रिम सूत – Synthetic fibers) के उदाहरण

  • एकतंतु धागा (monofilament) : इसमें केवल एक तंतु होता है।
  • फिलामेंट धागा (Filament yarn) : इन धागों में अनेक महीन अखंड तंतु (filament) होते हैं, जो हलकी ऐंठन से एक साथ जुड़े रहते हैं।
  • स्टेप्ल (staple) : ये कृत्रिम तंतुओं के बने होते हैं और ये 7 से 15 इंच तक लंबे और एकरूप होते हैं
  • कते धागे (Spun yarn) : ये धागे कृत्रिम रेशों को कातकर बनाए जाते हैं। कभी-कभी ये कृत्रिम रेशे कपास, ऊन, पटसन इत्यादि रेशों के मिश्रण से भी बनते हैं।
  • टो (Tow) : इसमें भी अनेक अखंड तंतु, रस्सी के रूप में, एक साथ बैटे रहते है, किंतु उनमें ऐंठन नहीं होती तथा वे समांतर रहते हैं। छोटे टो 500 से 5000 डेनियर (Denier) तक के होते हैं, जबकि बड़े टो 75,000 से 5,00,000 डेनियर के होते हैं।

संश्लेषित रेशे या कृत्रिम रेशे का उद्गम

संश्लेषित ढंग से सूत (रेशा, Fibre) निर्माण करने का विचार पहले पहल एक अंग्रेज वैज्ञानिक राबर्ट हुक के दिमाग में उठा था। इसका उल्लेख 1664 ई. में प्रकाशित उसकी माइक्रोग्राफिया नामक पुस्तक में है। इसके बाद 1734 ई. में एक फ्रेंच वैज्ञानिक ने रेजिन से संश्लेषित सूत बनाने की बात कही; लेकिन उसे भी कोई व्यावहारिक रूप नहीं दिया जा सका।

1842 ई. में पहली बार अंग्रेज वैज्ञानिक लुइस श्वाब ने संश्लेषित सूत बनाने की मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन में महीन सूराखवाले तुंडों (nozzles) का प्रयोग किया गया जिसमें से होकर निकलनेवाला द्रव पदार्थ सूत में परिवर्तित हो जाता था। सूत बनानेवाली आज की मशीनों का भी मुख्य सिद्धांत यही है।

श्वाब ने काँच से सूत का निर्माण किया था; लेकिन वह इससे संतुष्ट न था। उसने ब्रिटिश वैज्ञानिकों से संश्लेषित सूत बनाने हेतु अच्छे पदार्थ की खोज की अपील की। 1845 ई. में स्विस रसायनशास्त्री सी. एफ. शूनबेन ने कृत्रिम सूत के निर्माण के निमित्त नाइट्रो सेल्यूलोज की खोज की।

संश्लेषित सूत के निर्माण का पहला पेटेंट 1855 में जार्ज एडेमर्स ने प्राप्त किया। उसने कृत्रिम सूत के निर्माण के लिए शहतूत और कुछ अन्य वृक्षों के भीतरी भाग का प्रयोग किया। शहतूत के वृक्ष के भीतरी भाग को पहले उसने नाइट्रीकृत किया। फिर ईथर और ऐलकोहल के साथ-साथ रबर के विलयन में उसका मिश्रण तैयार किया। फिर उसका उपयोग उसने कृत्रिम सूत के निर्माण के लिए किया।

दो वर्ष बाद ई. जे. हग्स को कुछ लचीले पदार्थो जैसे स्टार्च, ग्लेटिन, रेजिन, टैनिन और चर्बी आदि से संश्लेषित सूत के निर्माण के लिए पेटेंट मिला। इसके बाद जोसेफ स्वान ने इस दिशा में और अधिक कार्य किया। तब से अब तक इस क्षेत्र में अनेक वैज्ञानिकों ने बहुत काम किया है। फलस्वरूप अनेक प्रकार के कृत्रिम सूत बाजार में उपलब्ध हैं। भारत में संश्लेषित सूत का निर्माण 1950 ई. में आरंभ हुआ।

जब प्रयोगशाला में पहले पहल संश्लेषित सूत बने तब रंगरूप, कोमलता और चमक दमक में वे रेशम से थे, यद्यपि उनकी दृढ़ता और टिकाऊपन रेशम के बराबर नहीं थी। उनका तनाव सामर्थ्य भी निम्न कोटि का था। फिर भी उन्हें कृत्रिम रेशम का नाम दिया गया।

1924 ई. तक ऐसे मानवनिर्मित सूतों को संश्लेषित रेशम ही कहते थे। बाद में अमरीका में संश्लेषित सूत के लिए रेयन शब्द का उपयोग आरंभ हुआ और आज सारे संसार में कृत्रिम सूत के लिए रेयन शब्द का ही उपयोग होता है।

भारत वर्ष मे पिथौरागड़ के श्री पीताम्बर पाण्डेय जो एक पेट्रोलियम अभियंता थे, उनके द्वारा भी संश्लेषित रेशा का अविष्कार किया गया था लकिन अल्प काल मृत्यु के कारण वह उसे व्यवसायी रूप नहीं दे पाये।

You May Also Like

Bhar Aur Dravyaman Mein Antar

भार और द्रव्यमान में क्या अंतर होता है? भार और द्रव्यमान में अंतर

synthetic fibres essay in hindi

द्रव्यमान द्रव्य का जितना परिमाण किसी वस्तु में होता है, वह उस वस्तु का द्रव्यमान कहलाता है। जबकि भार किसी वस्तु को पृथ्वी जिस आकर्षण बल से अपने केंद्र की... Read More !

DNA aur RNA Mein Antar

DNA और RNA में क्या अंतर है? DNA और RNA में अंतर

DNA एक double stranded अणु है, RNA एक single stranded अणु है। DNA स्वयं से ही प्रकीर्तित होता है जबकि RNA ज़रूरत पड़ने पर DNA से निकला जा सकता है। DNA और RNA में... Read More !

Jyotish Aur Vigyan Mein Antar

ज्योतिष और विज्ञान में क्या अंतर है? ज्योतिष और विज्ञान में अंतर

ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है। यह एक प्रकार का सूक्ष्म विज्ञान है जो कि काफी विविध और काफी अधिक विस्तृत है। यह ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से भविष्य जाना... Read More !

Gyan Aur Vigyan Mein Antar

ज्ञान और विज्ञान में क्या अंतर है? जानें ज्ञान और विज्ञान में अंतर

ज्ञान और विज्ञान में अंतर विज्ञान का अर्थ होता है ‘वस्तुओं की विभन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त करना‘। यदि ज्ञान को समझें तो ज्ञान का अर्थ मानवीय मूल्यों के अनुरूप... Read More !

12th notes in hindi

संश्लेषित रेशे किसे कहते हैं | संश्लेषित रेशे और प्लास्टिक कक्षा 8 | प्रकार गुण , synthetic fibers in hindi

' src=

(synthetic fibers in hindi class 8th) संश्लेषित रेशे किसे कहते हैं | संश्लेषित रेशे और प्लास्टिक कक्षा 8 | प्रकार गुण ? कृत्रिम या मानव निर्मित रेशें की परिभाषा क्या है ?

मानव सेवा में रसायन

 प्लास्टिकः  प्लास्टिक उच्च अणुभार वाले बहुलक होते हैं। बहुत-से असंतृप्त हाइड्रोकार्बनय जैसे- एथिलीन, प्रोपिलीन आदि बहुलीकरण की क्रिया के पश्चात् जो उच्च बहुलक बनाते हैं, उसे प्लास्टिक कहा जाता है। प्लास्टिक आधुनिक जीवन का उपयोगी पदार्थ है।

 प्लास्टिक दो प्रकार के होते हैं- प्राकृतिक प्लास्टिक एवं  कृत्रिम प्लास्टिक।

(प)  प्राकृतिक प्लास्टिक गर्म करने पर मुलायम तथा ठण्डा करने पर पर कठोर हो जाती है। उदाहरण- टैफ्लॉन।

(पप)  कृत्रिम प्लास्टिक रसायनिक विधि से तैयार की जाती है। उदाहरण- पॉलिथीन, टैफ्लॉन, बैकलाइट आदि।

 प्लास्टिक उत्पाद की गुणवत्ताय, जैसे- श्यानता, लचीलापन आदि को बढ़ाने के लिए जिन पदार्थों को मिलाया जाता है, उन्हें सुघट्यताकारी या प्लास्टिसाइजर कहते हैं।

प्लास्टिकों के कुछ उदाहरण

 पॉलिथीनः पॉलिथीन, एथिलीन के उच्च ताप व दाब पर बहुलीकरण के फलस्वरूप प्राप्त किया जाता है।

 पॉलिथीन पर अम्ल, क्षार आदि का प्रभाव नहीं पड़ता। इसका उपयोग खिलौने, बोतल, बाल्टी, पाइप व पैकिंग की पन्नी आदि बनाने में किया जाता है।

 पॉलिवाइनिल क्लोराइडः यह वाइनिल क्लोराइड के बहुलीकरण से प्राप्त होती है। इसका उपयोग पतली चादरें, बरसाती, सीट कवर, चादरें, फर्श, पर्दै आदि बनाने में किया जाता है।

 पॉलिस्टाइरीनः स्टाइरीन के बहुत-से अणु आपस में जुड़कर बहुलक पॉलिस्टाइरीन बनाते हैं। इसका उपयोग बोतलों की टोपियों, गर्म पदार्थ पीने के कपों, खिलौनों, कंघों तथा संचालक सेलों के निर्माण में होता है।

 टेफ्लानः यह टेट्राफ्लुओरोएथिलीन के बहुलीकरण द्वारा बनाया जाता है। यह ताप, अम्ल एवं क्षार की क्रिया के प्रति प्रतिरोधी है। यह विद्युत धारा का कुचालक है। इसका उपयोग ताप एवं रासायनिक प्रतिरोधी पदार्थ बनाने में, बर्तनों एवं अन्य सामानों को बिना चिपकने वाला बनाने के लिए पम्प, पैकिंग आदि में किया जाता है।

 बैकेलाइटः यह फीनॉल तथा फॉर्मेल्डिहाइड को सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में गर्म करके बनाया जाता है। इसका उपयोग रेडियो, टी. वी. के केस, गीयर, प्लाई की लकड़ी जोड़ने में करते हैं। यह बिजली के सामान, रेडियो व टेलीविजन के कैबिनेट, कंघे आदि बनाने में भी प्रयोग किया जाता है।

 प्राकृतिक रबड़ भूमध्यरेखीय सदाबहार वनों में पाये जाने वाले एक प्रकार के वृक्ष के दूध से प्राप्त होता है। यह दूध लेटेक्स कहलाता है। यह वस्तुतः आइसोप्रीन का बहुलक है। पॉलिआइसोप्रीन का समपक्ष रूप प्राकृतिक रबड़ तथा विपक्ष रूप गट्टा-परचा कहलाता है।

 प्राकृतिक रबड़ में तिर्यक बन्धों का अभाव होता है, अतः इसमें प्रत्यास्थता का गुण कम होता है। इसमें प्रत्यास्थता का गुण बढ़ाने के लिए इसकी क्रिया गन्धक से कराते हैं, जिससे रबड़ में के तिर्यक बन्ध बन जाते हैं। इससे रबड़ अधिक कठोर, तापरोधी एवं उपयोगी हो जाती है। यह प्रक्रिया वल्कनीकरण कहलाती है।

 कृत्रिम स्रोतों से प्राप्त रबड़ को संश्लेषित रबड़ कहा जाता है। इसके तहत ब्यूना- ब्यूना-, ड्यूप्रीन रबड़, निओपीन रबड़, थायोकॉल रबड़, पॉलिस्टाइरीन आदि आते हैं।

 पॉलिस्टाइरीन का उपयोग बिजली के तारों में रोधी के रूप में किया जाता है। ड्यूप्रीन ऊष्मा एवं तैलीय पदार्थों के प्रभाव का प्रतिरोधी होता है, अतः इससे मीटर टायर बनाये जाते हैं।

संश्लेषित रेशे

 वे शृंखला-युक्त ठोस जिनकी लम्बाई, चैड़ाई की अपेक्षा सैकड़ों या हजारों गुना अधिक हो, रेशे कहलाते हैं। कृत्रिम तरीके से तैयार किये गये रेशों को संश्लेषित रेशा कहा जाता है।

 वस्त्र उद्योगों में वस्त्रों के अधिक निर्माण के लिए कृत्रिम रेशों का निर्माण किया जाता है। औद्योगिक स्तर पर सर्वप्रथम कृत्रिम रेशों के निर्माण के लिए 1885 ई. में फ्रांस में सेलुलोस नाइट्रेट का प्रयोग किया गया था।

 नायलॉन नायलॉन शब्द न्यूयॉर्क शहर के तथा लंदन के को मिलाकर बनाया गया है। नायलॉन-66 ऐडिपिक अम्ल तथा हेक्सा मेथिलीन एमाइड समूह प्रत्येक इकाई पर होता है। नायलॉन का उपयोग मछली पकड़ने के जाल में, पैराशूट के कपड़े में, टॉयर, दाँत ब्रश, पर्वतारोहण के लिए रस्सी आदि बनाने में होता है।

 विस्कॉस रेयॉनः इसका निर्माण प्राकृतिक कपास की कार्बन डाइसल्फाइड तथा कॉस्टिक सोडे की क्रिया द्वारा पर प्रवाहित करके किया जाता है।

 ऐसीटेट रेयॉनः इसका निर्माण प्राकृतिक कपास पर ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड की क्रिया द्वारा किया जाता है।

 रेयॉनः इसे सेलुलोस से प्राप्त किया जाता है। इसे नवीनीकृत रेशम भी कहते हैं। इसका उपयोग कपड़ा, कालीन, टायर तथा शल्य चिकित्सा सम्बन्धी पट्टियाँ बनाने में किया जाता है।

 रेक्सिनः यह कृत्रिम चमड़ा है। इसका निर्माण सेलुलोस या वनस्पति से होता है। अच्छा रेक्सिन मोटे कैनवास पर पाइरोक्सिलिन का लेप देकर बनाया जाता है।

 टेरिलीनः यह एथिलीन ग्लाइकॉल तथा टेरीथेलिक अम्ल की क्रिया से बनाया जाता है। यह एक पॉलिएस्टर है। यह डेक्रॉन के नाम से भी जाना जाता है। इसके रेशे बहुत कम पानी सोखते हैं, अतः जल्दी सूख जाते हैं। इसका उपयोग वस्त्र निर्माण में किया जाता है।

 ऑरलानः  इसे वाइनिल सायनाइड (ऐक्रिलोनाइटाइल) के बहुलीकरण से बनाया जाता है। इसके धागों से सिल्क एवं ऊन जैसे कपड़े बनाए जाते हैं।

 कार्बन फाइबरः  ये कार्बन परमाणुओं की लम्बी श्रृंखला से बने होते हैं। इनका निर्माण नवीनीकृत या संश्लिष्ट रेशे से किया जाता है। इसके लिए इन रेशों को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है, जिससे रेशे अपघटित होकर कार्बन फाइबर उत्पन्न करते हैं। ये अत्यन्त सामर्थ्यशाली होते हैं तथा इनका संरक्षण नहीं होता है। इसका प्रयोग अन्तरिक्ष यान तथा खेलकूद की सामग्री बनाने में होता है।

 विस्फोटकः  वे पदार्थ जो ताप, घर्षण या उचित प्रहार के फलस्वरूप अपघटित होकर प्रकाश, ध्वनि तथा अत्यन्त तेजी से फैलने वाली गैसों को उत्पन्न कर तीव्र विस्फोट उत्पन्न करते हैं, विस्फोटक कहलाते हैं। एक अच्छे विस्फोटक पदार्थ में निम्न गुण होते हैं- (प) विस्फोटक पदार्थ वाष्पशील नहीं होना चाहिए। (पप) यह आर्द्रताग्राही नहीं होना चाहिए। (पपप) यह सस्ता तथा स्थायी होना चाहिए। (पअ) यह तीव्र विघटित होना चाहिए।

 दाइनाइट्रो टॉलूईनः  इसे टॉलूईन पर सान्द्र नाइट्रिक अम्ल व सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है। यह हल्का पीला क्रिस्टलीय ठोस है। यह अत्यन्त उच्च कोटि का विस्फोट है। का उपयोग बम तथा तारपिंडों को बनाने में करते हैं। इसका उपयोग अमोनियम नाइट्रेट के साथ मिलाकर ऐमेटॉल विस्फोटक बनाने में करते हैं।

 ट्राइनाइट्रो ग्लिसरीनः  यह एक रंगहीन तैलीय द्रव है। इसे नोबल का तेल भी कहा जाता है। यह ग्लिसरीन पर सान्द्र नाइट्रिक अम्ल एवं सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसकी सहायता से डायनामाइट जैसे महत्त्वपूर्ण विस्फोटक बनाए जाते हैं। यह स्वयं भी एक महत्त्वपूर्ण विस्फोटक है।

 ट्राइनाइट्रो फीनॉलः इसे पिक्रिक अम्ल भी कहा जाता है। यह फीनॉल व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है। यह हल्का पीला, क्रिस्टलीय ठोस होता है। यह भी एक प्रचण्ड विस्फोटक है।

 डायनामाइटः इसका आविष्कार अल्फ्रेड नोबेल ने 1863 ई. में किया था। इसे अक्रिय पदार्थय जैसे- लकड़ी के बुरादे या कीजेलगूर में नाइट्रोग्लिसरीन को अवशोषित कराकर प्राप्त किया जाता है। इसका प्रयोग कुएँ खोदने, सड़क बनाने, बाँध बनाने, सुरंग बनाने, चट्टानें तोड़ने आदि के लिए होता है। आधुनिक डायनामाइट में नाइट्रोग्लिसरीन के स्थान पर सोडियम नाइट्रेट का प्रयोग किया जाता है।

 ब्लास्टिंग जिलेटिनः यह 7 प्रतिशत नाइट्रोसेलुलोस तथा 93 प्रतिशत नाइट्रोग्लिसरीन का मिश्रण है। इसका प्रयोग खान खोदने व सुरंग बनाने में किया जाता है।

 आर डी एक्सः इसका रासायनिक नाम साइक्लोनाइट या साइक्लो ट्राइमेथिलीन ट्राइनाइट्रेमीन है। इसमें प्लास्टिक पदार्थय जैसे- पॉलीब्यूटाइन, एक्रिलिक अम्ल या पॉलीयूरेथेन को मिलाकर ‘प्लास्टिक बाण्डेड विस्फोट‘ बनाया जाता है। यह एक प्रचण्ड विस्फोटक है। इसके तापमान व आग फैलाने की गति को बढ़ाने के लिए इसमें एल्युमिनियम चूर्ण को मिलाया जाता है। इसकी विस्फोटक ऊष्मा 1510 किलोकैलोरी प्रति किलोग्राम होती है।

 इस विस्फोटक को जर्मनी में ‘हेक्सोजन‘, इटली में ‘टी-4‘ तथा सयुंक्त राज्य अमेरिका में ‘साइक्लोनाइट‘ के नाम से जाना जाता है। इसके एक रूप को ‘सी-4‘ भी कहते हैं।

 गन कॉटनः रूई या लकड़ीे रेशों पर सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा नाइट्रोसेलूलोस (गन-कॉटन) प्राप्त होता है, जो एक महत्त्वपूर्ण विस्फोटक पदार्थ है।

HindiLearning

संश्लेषित रेशे किसे कहते हैं | Synthetic Fibers in Hindi

Table of Contents

संश्लेषित रेशे क्या है – Synthetic Fibers in Hindi:

प्लास्टिक क्या है .

प्लास्टिक उच्च अणुभार वाले बहुलक होते हैं। बहुत-से असंतृप्त हाइड्रोकार्बनय जैसे- एथिलीन, प्रोपिलीन आदि बहुलीकरण की क्रिया के पश्चात् जो उच्च बहुलक बनाते हैं, उसे प्लास्टिक कहा जाता है। प्लास्टिक आधुनिक जीवन का उपयोगी पदार्थ है।

 प्लास्टिक दो प्रकार के होते हैं- प्राकृतिक प्लास्टिक एवं  कृत्रिम प्लास्टिक।

(प)  प्राकृतिक प्लास्टिक गर्म करने पर मुलायम तथा ठण्डा करने पर पर कठोर हो जाती है। उदाहरण- टैफ्लॉन।

(पप)  कृत्रिम प्लास्टिक रसायनिक विधि से तैयार की जाती है। उदाहरण- पॉलिथीन, टैफ्लॉन, बैकलाइट आदि।

 प्लास्टिक उत्पाद की गुणवत्ताय, जैसे- श्यानता, लचीलापन आदि को बढ़ाने के लिए जिन पदार्थों को मिलाया जाता है, उन्हें सुघट्यताकारी या प्लास्टिसाइजर कहते हैं।

प्लास्टिकों के कुछ उदाहरण

 पॉलिथीनः पॉलिथीन, एथिलीन के उच्च ताप व दाब पर बहुलीकरण के फलस्वरूप प्राप्त किया जाता है।

 पॉलिथीन पर अम्ल, क्षार आदि का प्रभाव नहीं पड़ता। इसका उपयोग खिलौने, बोतल, बाल्टी, पाइप व पैकिंग की पन्नी आदि बनाने में किया जाता है।

 पॉलिवाइनिल क्लोराइडः यह वाइनिल क्लोराइड के बहुलीकरण से प्राप्त होती है। इसका उपयोग पतली चादरें, बरसाती, सीट कवर, चादरें, फर्श, पर्दै आदि बनाने में किया जाता है।

 पॉलिस्टाइरीनः स्टाइरीन के बहुत-से अणु आपस में जुड़कर बहुलक पॉलिस्टाइरीन बनाते हैं। इसका उपयोग बोतलों की टोपियों, गर्म पदार्थ पीने के कपों, खिलौनों, कंघों तथा संचालक सेलों के निर्माण में होता है।

 टेफ्लानः यह टेट्राफ्लुओरोएथिलीन के बहुलीकरण द्वारा बनाया जाता है। यह ताप, अम्ल एवं क्षार की क्रिया के प्रति प्रतिरोधी है। यह विद्युत धारा का कुचालक है। इसका उपयोग ताप एवं रासायनिक प्रतिरोधी पदार्थ बनाने में, बर्तनों एवं अन्य सामानों को बिना चिपकने वाला बनाने के लिए पम्प, पैकिंग आदि में किया जाता है।

 बैकेलाइटः यह फीनॉल तथा फॉर्मेल्डिहाइड को सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में गर्म करके बनाया जाता है। इसका उपयोग रेडियो, टी. वी. के केस, गीयर, प्लाई की लकड़ी जोड़ने में करते हैं। यह बिजली के सामान, रेडियो व टेलीविजन के कैबिनेट, कंघे आदि बनाने में भी प्रयोग किया जाता है।

रबड़ क्या है :

 प्राकृतिक रबड़ भूमध्यरेखीय सदाबहार वनों में पाये जाने वाले एक प्रकार के वृक्ष के दूध से प्राप्त होता है। यह दूध लेटेक्स कहलाता है। यह वस्तुतः आइसोप्रीन का बहुलक है। पॉलिआइसोप्रीन का समपक्ष रूप प्राकृतिक रबड़ तथा विपक्ष रूप गट्टा-परचा कहलाता है।

 प्राकृतिक रबड़ में तिर्यक बन्धों का अभाव होता है, अतः इसमें प्रत्यास्थता का गुण कम होता है। इसमें प्रत्यास्थता का गुण बढ़ाने के लिए इसकी क्रिया गन्धक से कराते हैं, जिससे रबड़ में के तिर्यक बन्ध बन जाते हैं। इससे रबड़ अधिक कठोर, तापरोधी एवं उपयोगी हो जाती है। यह प्रक्रिया वल्कनीकरण कहलाती है।

 कृत्रिम स्रोतों से प्राप्त रबड़ को संश्लेषित रबड़ कहा जाता है। इसके तहत ब्यूना- ब्यूना-, ड्यूप्रीन रबड़, निओपीन रबड़, थायोकॉल रबड़, पॉलिस्टाइरीन आदि आते हैं।

 पॉलिस्टाइरीन का उपयोग बिजली के तारों में रोधी के रूप में किया जाता है। ड्यूप्रीन ऊष्मा एवं तैलीय पदार्थों के प्रभाव का प्रतिरोधी होता है, अतः इससे मीटर टायर बनाये जाते हैं।

संश्लेषित रेशे क्या है :

 वे शृंखला-युक्त ठोस जिनकी लम्बाई, चैड़ाई की अपेक्षा सैकड़ों या हजारों गुना अधिक हो, रेशे कहलाते हैं। कृत्रिम तरीके से तैयार किये गये रेशों को संश्लेषित रेशा कहा जाता है।

 वस्त्र उद्योगों में वस्त्रों के अधिक निर्माण के लिए कृत्रिम रेशों का निर्माण किया जाता है। औद्योगिक स्तर पर सर्वप्रथम कृत्रिम रेशों के निर्माण के लिए 1885 ई. में फ्रांस में सेलुलोस नाइट्रेट का प्रयोग किया गया था।

 नायलॉन नायलॉन शब्द न्यूयॉर्क शहर के तथा लंदन के को मिलाकर बनाया गया है। नायलॉन-66 ऐडिपिक अम्ल तथा हेक्सा मेथिलीन एमाइड समूह प्रत्येक इकाई पर होता है। नायलॉन का उपयोग मछली पकड़ने के जाल में, पैराशूट के कपड़े में, टॉयर, दाँत ब्रश, पर्वतारोहण के लिए रस्सी आदि बनाने में होता है।

 विस्कॉस रेयॉनः इसका निर्माण प्राकृतिक कपास की कार्बन डाइसल्फाइड तथा कॉस्टिक सोडे की क्रिया द्वारा पर प्रवाहित करके किया जाता है।

 ऐसीटेट रेयॉनः इसका निर्माण प्राकृतिक कपास पर ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड की क्रिया द्वारा किया जाता है।

 रेयॉनः इसे सेलुलोस से प्राप्त किया जाता है। इसे नवीनीकृत रेशम भी कहते हैं। इसका उपयोग कपड़ा, कालीन, टायर तथा शल्य चिकित्सा सम्बन्धी पट्टियाँ बनाने में किया जाता है।

 रेक्सिनः यह कृत्रिम चमड़ा है। इसका निर्माण सेलुलोस या वनस्पति से होता है। अच्छा रेक्सिन मोटे कैनवास पर पाइरोक्सिलिन का लेप देकर बनाया जाता है।

 टेरिलीनः यह एथिलीन ग्लाइकॉल तथा टेरीथेलिक अम्ल की क्रिया से बनाया जाता है। यह एक पॉलिएस्टर है। यह डेक्रॉन के नाम से भी जाना जाता है। इसके रेशे बहुत कम पानी सोखते हैं, अतः जल्दी सूख जाते हैं। इसका उपयोग वस्त्र निर्माण में किया जाता है।

 ऑरलानः   इसे वाइनिल सायनाइड (ऐक्रिलोनाइटाइल) के बहुलीकरण से बनाया जाता है। इसके धागों से सिल्क एवं ऊन जैसे कपड़े बनाए जाते हैं।

 कार्बन फाइबरः  ये कार्बन परमाणुओं की लम्बी श्रृंखला से बने होते हैं। इनका निर्माण नवीनीकृत या संश्लिष्ट रेशे से किया जाता है। इसके लिए इन रेशों को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है, जिससे रेशे अपघटित होकर कार्बन फाइबर उत्पन्न करते हैं। ये अत्यन्त सामर्थ्यशाली होते हैं तथा इनका संरक्षण नहीं होता है। इसका प्रयोग अन्तरिक्ष यान तथा खेलकूद की सामग्री बनाने में होता है।

 विस्फोटकः  वे पदार्थ जो ताप, घर्षण या उचित प्रहार के फलस्वरूप अपघटित होकर प्रकाश, ध्वनि तथा अत्यन्त तेजी से फैलने वाली गैसों को उत्पन्न कर तीव्र विस्फोट उत्पन्न करते हैं, विस्फोटक कहलाते हैं। एक अच्छे विस्फोटक पदार्थ में निम्न गुण होते हैं- (प) विस्फोटक पदार्थ वाष्पशील नहीं होना चाहिए। (पप) यह आर्द्रताग्राही नहीं होना चाहिए। (पपप) यह सस्ता तथा स्थायी होना चाहिए। (पअ) यह तीव्र विघटित होना चाहिए।

 दाइनाइट्रो टॉलूईनः  इसे टॉलूईन पर सान्द्र नाइट्रिक अम्ल व सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है। यह हल्का पीला क्रिस्टलीय ठोस है। यह अत्यन्त उच्च कोटि का विस्फोट है। का उपयोग बम तथा तारपिंडों को बनाने में करते हैं। इसका उपयोग अमोनियम नाइट्रेट के साथ मिलाकर ऐमेटॉल विस्फोटक बनाने में करते हैं।

 ट्राइनाइट्रो ग्लिसरीनः  यह एक रंगहीन तैलीय द्रव है। इसे नोबल का तेल भी कहा जाता है। यह ग्लिसरीन पर सान्द्र नाइट्रिक अम्ल एवं सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसकी सहायता से डायनामाइट जैसे महत्त्वपूर्ण विस्फोटक बनाए जाते हैं। यह स्वयं भी एक महत्त्वपूर्ण विस्फोटक है।

 ट्राइनाइट्रो फीनॉलः इसे पिक्रिक अम्ल भी कहा जाता है। यह फीनॉल व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है। यह हल्का पीला, क्रिस्टलीय ठोस होता है। यह भी एक प्रचण्ड विस्फोटक है।

 डायनामाइटः इसका आविष्कार अल्फ्रेड नोबेल ने 1863 ई. में किया था। इसे अक्रिय पदार्थय जैसे- लकड़ी के बुरादे या कीजेलगूर में नाइट्रोग्लिसरीन को अवशोषित कराकर प्राप्त किया जाता है। इसका प्रयोग कुएँ खोदने, सड़क बनाने, बाँध बनाने, सुरंग बनाने, चट्टानें तोड़ने आदि के लिए होता है। आधुनिक डायनामाइट में नाइट्रोग्लिसरीन के स्थान पर सोडियम नाइट्रेट का प्रयोग किया जाता है।

 ब्लास्टिंग जिलेटिनः यह 7 प्रतिशत नाइट्रोसेलुलोस तथा 93 प्रतिशत नाइट्रोग्लिसरीन का मिश्रण है। इसका प्रयोग खान खोदने व सुरंग बनाने में किया जाता है।

 आर डी एक्सः इसका रासायनिक नाम साइक्लोनाइट या साइक्लो ट्राइमेथिलीन ट्राइनाइट्रेमीन है। इसमें प्लास्टिक पदार्थय जैसे- पॉलीब्यूटाइन, एक्रिलिक अम्ल या पॉलीयूरेथेन को मिलाकर ‘प्लास्टिक बाण्डेड विस्फोट‘ बनाया जाता है। यह एक प्रचण्ड विस्फोटक है। इसके तापमान व आग फैलाने की गति को बढ़ाने के लिए इसमें एल्युमिनियम चूर्ण को मिलाया जाता है। इसकी विस्फोटक ऊष्मा 1510 किलोकैलोरी प्रति किलोग्राम होती है।

 इस विस्फोटक को जर्मनी में ‘हेक्सोजन‘, इटली में ‘टी-4‘ तथा सयुंक्त राज्य अमेरिका में ‘साइक्लोनाइट‘ के नाम से जाना जाता है। इसके एक रूप को ‘सी-4‘ भी कहते हैं।

 गन कॉटनः रूई या लकड़ीे रेशों पर सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा नाइट्रोसेलूलोस (गन-कॉटन) प्राप्त होता है, जो एक महत्त्वपूर्ण विस्फोटक पदार्थ है।

हम आशा करते है कि यह नोट्स आपकी स्टडी में उपयोगी साबित हुए होंगे | अगर आप लोगो को इससे रिलेटेड कोई भी किसी भी प्रकार का डॉउट हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूंछ सकते है | आप इन्हे अपने Classmates & Friends के साथ शेयर कर सकते है |

Related Posts

Class 10 science solution in hindi | up borad | ncert, chemical reactions and equations in hindi – class 10 science chapter 1, acids, bases and salts in hindi – class 10 science chapter 2 solution, metals and non-metals in hindi – class 10 science chapter 3 solution, carbon and its compounds in hindi | class 10 science chapter 4 solution, periodic classification of elements in hindi | class 10 science chapter 5 solution, life processes in hindi – class 10 science chapter 6 solution, control and coordination in hindi – class 10 science chapter 7 solution, how do organisms reproduce in hindi – class 10 science chapter 8 solution, heredity and evolution in hindi – class 10 science chapter 9 solution, leave a comment cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

  • Cyber Crime
  • Cloud Computing

Logo

Natural और Synthetic Fibers के बीच क्या अंतर हैं?

Ravi Giri

आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे Natural और Synthetic Fibres किसे कहते है और Difference Between Natural and Synthetic Fibres in Hindi की Natural और Synthetic Fibres में क्या अंतर है?

प्राकृतिक फाइबर और सिंथेटिक फाइबर के बीच क्या अंतर हैं?

Fibres धागे जैसी संरचनाएं हैं जो लंबी, पतली और लचीली होती हैं। इन्हें सूत में काता जा सकता है और फिर कपड़े में बनाया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के फाइबर हो सकते हैं। उनकी उत्पत्ति के आधार पर, फाइबर को प्राकृतिक फाइबर और सिंथेटिक फाइबर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

अगर सिंथेटिक और प्राकृतिक फाइबर के बीच के मुख्य अंतर की बात की जाए तो सिंथेटिक फाइबर को मनुष्य द्वारा बनाया जाता है जबकि प्राकृतिक फाइबर पौधों और जानवरों से प्राप्त होता है।

इसके आलावा भी Natural और Synthetic Fibres में कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते है जिनको हम Difference टेबल के माध्यम से नीचे समझेंगे लेकिन उससे पहले हम Natural और Synthetic Fibres किसे कहते है इसको और अच्छे से समझ लेते है।

What is Natural in Hindi -प्राकृतिक फाइबर क्या होता है?

प्राकृतिक फाइबर वे फाइबर होते हैं जो पौधों, जानवरों या खनिज स्रोतों से प्राप्त होते हैं। कुछ उदाहरण कपास, रेशम, ऊन आदि हैं। प्राकृतिक फाइबर को उनके स्रोत के आधार पर फिर से दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है अर्थात एक पौधे से मिलने वाला फाइबर और दूसरा जानवर से मिलने वाला फाइबर।

प्राकृतिक फाइबर के उदाहरण

जानवर से मिलने वाला फाइबर- ये फाइबर जो जानवरों से प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए ऊन, रेशम आदि।

Animal fibres: ये रेशे हैं जो जानवरों से प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए ऊन, रेशम आदि।

Wool: ऊन भेड़, बकरियों और ऊंटों से प्राप्त एक प्राकृतिक कपड़ा फाइबर है। यह बहुत सारी हवा फँसाता है। वायु ऊष्मा की कुचालक है। इससे ऊन से बने कपड़े सर्दियों में काम आते हैं।

Silk: रेशम भी एक प्राकृतिक कपड़ा फाइबर है जो रेशम के कीड़ों से प्राप्त होता है। रेशम प्राप्त करने के लिए रेशमकीट के पालन को रेशम उत्पादन के रूप में जाना जाता है।

पौधे से मिलने वाला फाइबर: ये वे हैं जो पौधों से प्राप्त होते हैं। इन फाइबर को कपड़े बनाने के लिए पौधों से निकाला जाता है।

Cotton: यह पौधों के रेशों में से एक है जिसका उपयोग कपड़े बनाने के लिए किया जाता है। यह एक नरम स्टेपल फाइबर है जो कपास के पौधे में बीज के चारों ओर एक गोल के रूप में पाया जाता है।

Jute: यह एक वनस्पति फाइबर है जो नरम, चमकदार होता है और मोटे मजबूत धागों में काता जाता है।

What is Synthetic Fibres in Hindi -सिंथेटिक फाइबर क्या होता है?

सिंथेटिक फाइबर मानव निर्मित पॉलिमर हैं जिन्हें कपड़े बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पॉलिमर तब प्राप्त होते हैं जब कई छोटी इकाइयाँ रासायनिक रूप से एक साथ जुड़ जाती हैं।

सिंथेटिक फाइबर के कुछ उदाहरण हैं:

Rayon: इसे लकड़ी के गूदे से बनाया जाता है। इसे कृत्रिम रेशम के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसमें रेशम जैसी विशेषताएं होती हैं।

Nylon: यह पहला सिंथेटिक फाइबर था। इसका उपयोग रस्सियों, स्लीपिंग बैग, पैराशूट, विभिन्न प्रकार के कपड़े आदि बनाने में किया जाता है। यह हमारे लिए ज्ञात सबसे मजबूत रेशों में से एक है।

सिंथेटिक फाइबर के लाभ:

  • उन्हें जल्दी से धोया और सुखाया जा सकता है।
  • इनका रखरखाव करना आसान होता है।
  • वे प्राकृतिक रेशों की तुलना में सस्ते होते हैं।
  • आसानी से उपलब्ध।
  • आसानी से झुर्रीदार नहीं होते हैं और बहुत टिकाऊ होते हैं।

Difference Between Natural and Synthetic Fibres in Hindi

अभी तक ऊपर हमने जाना की Natural और Synthetic Fibres किसे कहते है अगर आपने ऊपर दी गयी सारी चीजे ध्यान से पढ़ी है तो आपको Natural और Synthetic Fibres के बीच क्या अंतर है इसके बारे में अच्छे से पता चल गया होगा।

अगर आपको अब भी Natural और Synthetic Fibres क्या होता है और इसमें क्या अंतर है इसको समझने में में कोई कन्फ़्युशन है तो अब हम आपको इनके बीच के कुछ महत्वपूर्ण अंतर नीचे बताने जा रहे है।

आज के इस पोस्ट में हमने जाना की Natural और Synthetic Fibres किसे कहते है और Difference Between Natural और Synthetic Fibres in Hindi की Natural और Synthetic Fibres में क्या अंतर है।

इनके बारे में भी जाने 

Erosion और Corrosion के बीच क्या अंतर हैं?

Endpoint और Equivalence Point के बीच क्या अंतर हैं?

Pure Substance और Mixture के बीच क्या अंतर हैं ?

Electronegativity और Electron Affinity के बीच क्या अंतर हैं?

Ester और Ether के बीच क्या अंतर हैं?

Aldehydes और Ketones के बीच क्या अंतर हैं?

Enantiomers और Diastereomers के बीच क्या अंतर हैं?

Starch और Cellulose के बीच क्या अंतर हैं?

Primary Cell और Secondary Cell के बीच क्या अंतर हैं?

  • Natural Fibers ki definition
  • Natural Fibers ki paribhasha
  • Synthetic Fibers and Synthetic Fibers me antar
  • Synthetic Fibers ki definition
  • Synthetic Fibers ki paribhasha

Ravi Giri

LEAVE A REPLY Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Ferrous Metals और Nonferrous Metals में क्या अंतर है?

Mass और matter के बीच क्या अंतर हैं, extensive और intensive properties के बीच क्या अंतर हैं, mixture और solution के बीच क्या अंतर हैं, iron metal और bronze metal में क्या अंतर है.

Contact us: [email protected]

© Copyright - Hindi Tech Academy

  • Privacy Policy

फैब्रिक कितने प्रकार के होते हैं? उनके पहचान और उपयोग

मुझे मालूम है आप मेरा विस्वास नहीं करोगे!

फैब्रिक तीन प्रकार के होते है, कॉटन, सिल्क और लिनन, सही कहा ना! देखिए… हां ये सच है जिन फैब्रिक्स का उपयोग अधिकतर हम करते वे यही तीन हैं! परंतु मुझे लगता है आपको सच जान जाना चाहिए…

फैब्रिक सिर्फ तीन नहीं, इसके और भी प्रकार होते है। शायद जो कपड़ा आपने पहना हो वह भी किसी दूसरे फैब्रिक प्रकार से बनाया गया हो।

लेकिन अधिकतम लोग सिर्फ दो या तीन TYPES OF FABRICS जानते है – या तो कॉटन, सिल्क, लिनन या ज्यादा से ज्यादा वूलेन को जानते होगे।

पर यहां आपको मै उन सभी फैब्रिक्स के टाइप बताऊंगा, जिनको अपने देखा तो है, या शायद पहना भी होगा। लेकिन  फैब्रिक कितने प्रकार के होते है जान नहीं पाए हैं। साथ ही हम जानेंगे febric ki pehchan कैसे करें

तो चलिए जाने, फैब्रिक और उससे बने कपड़ों के प्रकार

Table of Contents

कपड़ों के फैब्रिक और उनके प्रकार

फैब्रिक्स-कितने-प्रकार-के-होते-हैं

सभी फैब्रिक्स के नाम और प्रकार कुछ देर में आपको पता लग जायेंगा, पर आपको नही लगता फैब्रिक कैसे बनाए जाते है तथा उन्हें किससे बनाया जाता हैं आपको ज्ञात होना चहिए? यही आपको कपड़े के प्रकार समझने में सहायता करेगा।

फैब्रिक्स को फाइबर से बनाया जाता है और ये फाइबर इंसानों को बहुत सारे माध्यमों से प्राप्त होता है। जिससे विभिन्न कपड़े के प्रकार बनाए जाते है। हालांकि, फाइबर भी अलग अलग प्रकार के रहते है आयीए जाने…

फाइबर के कितने प्रकार होते ?

   

कपड़े के फाइबर, धागे को बनाने में लगने वाले रेशों को कहा जाता है, इन रेशों को गूंथ कर ही धागे बनाये जाते है। जिनसे विभिन्न कपड़े के प्रकार बनते है। कपड़े के फाइबर तीन प्रकार के होते है:  

1.  Natural fibre

2.  Poly synthetic fibre 

3.  Man made fibre (synthetic fibre)

तथा इनके मिश्रण से ही विभिन्न प्रकार के फैब्रिक का निर्माण किया जाता है जिनका उपयोग फिर कपड़े या दूसरे प्रकार के चीजों में भी करते है।

1. नेचुरल फाइबर तथा प्राप्त फैब्रिक्स

प्राकृतिक पेड़ पौधों, जीव जंतुओं द्वारा प्राप्त किए जाने वाले फाइबर नेचुरल फाइबर कहलाते है। ये उपयोगी और लाभकारी दोनों रहते एवं हानिकारक गुणों से वांछित रहते हैं। इनका उपयोग कपड़ों के अलावा भी उद्योग कार्यों में किया जाता है।

पेड़ों से प्राप्त फैब्रिक्स

कॉटन :   यह पूरी तरह सेल्यूलोज फाइबर से बना फैब्रिक है। जो कपास के बीज से निकलता है सफेद रंग का ये सेल्यूलोज फाइबर बेहद हल्का रहता, कपास के पौधे कहीं भी उगाये जा सकते है और इसे अधिक सिंचाई की भी जरूरत नहीं।

कॉटन की पहचान

  • कॉटन फाड़ने से कागज़ समान फट जाता
  • कॉटन जलाने पर आसानी से जलता
  • जलने पर यदि इसमें गांठे बने तो ये प्योर कॉटन नहीं

  विशेषताएं

  • कॉटन हल्का रहता
  • कॉटन से पतले और मोटे दोनों कपड़े बनते 
  • कॉटन पानी अधिक सोखता

मुख्यत: कपड़े के प्रकार बनाने

कपोक : (kapok) यह भी कॉटन के जैसे दिखने वाला फैब्रिक है इसे सिल्क कॉटन नाम से जाना जाता है। यह लंबे आकार के बीजों से प्राप्त किया जाता है। इसके अधिकांश पेड़ उत्तरी अफ्रीका में पाए जाते हैं, लेकिन इसे पश्चिमी एशियाई देश में भी देखने को मिल जाता है। इसकी पहचान कॉटन की तरह कर सकते हैं

विशेषताएं : 

  • जल्दी सूखता 
  •  नाजुक रहता
  •  लचीला रहता

  उपयोग

  •  तकियो में भरने,
  •  लाइफ जैकेट्स में भरने

छाल से प्राप्त फैब्रिक्स

लिनन :  इसे सन या अलसी के पौधों से लिया जाता है लिनन फाइबर इसके पौधे की तरह लचीला रहता है। आज के समय लिनन के नाम को क्वालिटी और महंगे फैब्रिक के प्रकार रूप में लिया जाता हैं।

लिनन की पहचान

  • कपड़े में सिलवटें जल्दी नहीं आती
  • आग के पास लाने पर तुरन्त जल जाता
  • जल्दी सुख जाता
  • सिलवट नहीं होते

उपयोग : 

  • सूट बनाने 
  • शर्ट कपड़े बनाने 
  • बेड-शीट बनाने

गांजा :  (hemp) इस fibre को पेड़ के घास रूपी छालों से लिया जाता है उदाहरण के लिए गांजे के पेड़, इसकी पहचान इसके मोटे रशशीयो से की जा सकती

  •  टिकाऊ 
  •  समय के साथ पतला
  •  मजबूत
  • हल्के कपड़े बनाने में,
  •  रस्सी या केबल के रूप में

जूट :  (jute) यह भी गांजे और अलसी की तरह छाल से प्राप्त किया जानेे जाने वाला एक प्रकार का फैब्रिक है। हालांकि इससे किसी भी प्रकार के कपड़े नहीं बनाए जाते है।

  • मजबूत रस्सी के सामान
  •  लंबा रहता
  •  फर्नीचर
  •  रस्सी

रमिय : ( ramie ) इसे चाइना ग्रास के नाम से भी जाना जाता है,इसके पौधे एक चिपचिपी गोंद के सामान फाइबर बनाते हैं जिससे फैब्रिक बनता है 

  • समय के साथ चिकना
  •  चमकीला
  • कॉटन sweater
  •  तोलिया

Protein से  प्राप्त फैब्रिक्स

कश्मीरी :  यह एक ऊनी फाइबर है। जिसे कश्मीरी बकरियों के बालों और खाल से बनाया जाता है। यह गर्म होते हैं। वैसे तो जो फैब्रिक भेड़ से आता है वह 36 माइक्रोन का होता है, लेकिन कश्मीरी बकरियों से मिलने वाला फाइबर 7 से 19 माइक्रोन का रहता है

  • महंगा मिलता
  • बच्चों के कपड़े
  •  स्वेटर

ऊट : (वूलन) वैसे तो आप नाम से ही जान गए होंगे यह फैब्रिक ऊट से आता होगा – जी हां आपने सही जाना है इसे ऊंट के बाहरी खाल से बनाया जाता है, यह भी दो तरह के होते हैं- एक तो जिसमें बाहरी खाल को लिया जाता है और दूसरी ऊपरी खाल (बाल वाले हिस्से को)।

  विशेषताएं :

  •  ऊष्मा के सुचालक

  उपयोग :

  •  जैकेट
  •  बेल्ट

अल्पाका :  (alpaca) यह नाम पश्चिमी अमेरिका में पाए जाने वाले मादा जंतु का है जो की ऊंट की तरह होते हैं। लोग इनसे मिलने वाले फाइबर को अल्पाका फैब्रिक बनाने में इस्तेमाल करते हैं। जब इससे फैब्रिक का निर्माण किया जाता हैं तो यह फूल सा जाता है जिससे इसमें लचीलापन भी आ जाता, जिससे इसकी पहचान कर सकते हैं।

  विशेषताएं : 

  • आलीशान दिखता 
  • कपड़ों के बाहरी परत में

लामा : (lamas) इसे बनाने वाले, पालतू लामा के खालो का उपयोग इस फैब्रिक को बनाने में करते हैं। वैसे जितने भी ऊंट, अल्पाका होते, सभी लामा पशुओं के शाखा से ही होते हैं

  • मजबूत 
  • ऊष्मा के सुचालक

  उपयोग : 

  • दीवारों को सजाने

रेशो से  प्राप्त फैब्रिक्स

रेशम (silk) :  यह फैब्रिक रेशम की कीटो के लारवा द्वारा बनाया जाता है जिसे कुकून भी कहते हैं। सबसे बेस्ट कुकून शहतूत के पेड़ से लिया जाता है।

सिल्क की पहचान

  • जलने पर बहुत तेजी से जलता
  • इसके आग को जल्दी नहीं बुझाया जा सकता
  • फॉर्मल ड्रेस

2. मैन मेड फाइबर तथा  प्राप्त फैब्रिक्स

जिसे कृत्रिम या सिंथेटिक फाइबर कहां जाता है इसे इंसानों द्वारा विभिन्न रसायनिक अभी क्रियाओं के प्रयोग से निर्मित किया जाता है लेकिन यह हानिकारक भी होते हैं।

सिंथेटिक कपड़े के नाम फैब्रिक्स

पॉलिस्टर : यह एक तरह का पॉलीमर है। जिसमें एस्टर फंक्शनल ग्रुप जुड़ा होता है इसे अक्सर पॉलिथीन टेरापथैलेने (pet) से जोड़ा जाता है जिससे रेेशे बनाााए जाते हैं

  •  हल्का
  • स्पोर्ट्स कपड़े
  •  जूतों में

नायलॉन : यह फाइबर अपने लचीलापन और मजबूती की वजह से जाना जाता है

  • चमकीला 
  • जैकेट्स में

स्पंडेक्स / लाइक्रा :  यह कृत्रिम फाइबर polyurethane से बना होता है। या अपने रबर जैसे खिंचाव और लचीलापन के कारण फेमस है। जिसका उपयोग अक्सर अंडर गारमेंट बनाने में किया जाता है

विशेषताएं :  

  • सोख्ता नहीं
  • स्पोर्ट्स वियर
  • होम फर्निशिंग

एक्रीलिक : यह रेशों के रूप में लिया जाता है बाद में इसके छोटे टुकड़े किए जाते हैं यह गर्म होते हैं जो ऊंट के फैब्रिक use नहीं करना चाहते, वो इसे इस्तेमाल कर सकते है।

  • हाइपो एलर्जी

3. पॉली  सिंथेटिक फाइबर

इसे इंसानों द्वारा प्रकृति से मिले फाइबर को कृत्रिम फाइबर के साथ मिलाकर बनाया जाता है मिश्रण की वजह से इनमें प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों फाइबर के लाभकारी गुण आ जाते हैं

पॉली सिंथेटिक फाइबर के प्रकार 

पॉली कॉटन :   क्या हैं? पॉली कॉटन एक सेमी सिंथेटिक फाइबर है। पॉली कॉटन अधिकतर कपास और पॉलिस्टर के मिश्रण से बनाए जाते हैं, परंतु लचीले पन के लिए स्पैंडेक्स या लाईक्रा का भी प्रयोग किया जाता है। यह कॉटन की अपेक्षा मजबूत, टिकाऊ और सस्ता होता है।

  • अपेक्षाकृत मजबूत रहता
  • कॉटन में मजबूती के लिए

रायोन : यह एक तरह का सिल्क फैब्रिक है जो लकड़ियों के गुदो या पौधों कि छालो को रसायनों में मिलाकर बनाया जाता है। इसे सिंथेटिक सिल्क भी कहा जाता है। क्युकी देखने में बिल्कुल सिल्क के समान रहता है। 

  • सिल्क का अच्छा विकल्प
  • गर्मियों के कपड़े

लयोसैल (lyocell ) : यह फाइबर भी रियान की तरह होते हैं। लेकिन इसे बनाने के लिए लकड़ी के गुदो को घोला जाता है, फिर उसे सुखा कर मशीनों से फाइबर तैयार किया जाता है।

  • जीवाणु रोधी 
  • बेल्ट 
  • चिकित्सीय पटिया

एसीटेट, ट्राइएसीटेट (acetate, triacetate) : इसे बनाने के लिए कॉटन के रेशों को लकड़ी के गुदो के साथ एसीटेट अम्ल में मिलाया जाता है। एसीटेट और ट्राई एसीटेट दोनों अलग होते हैं

  • सिकुड़ जाते हैं
  • जल्दी सोते हैं
  • कपड़ों में 

विस्कोज :   यह आधे सेमी-सिंथेटिक रियोन फैब्रिक की तरह होते हैं। जिसमें लकड़ी के गुदो का उपयोग सिल्क की तरह किया जाता हैै

  • कलर नहीं जाता

कुछ अन्य फैब्रिक के प्रकार

ग्लास फैब्रिक : यह ग्लास फाइबर के मदद से बनाएं जाते हैं यह मजबूत होते हैं साथी इनका उपयोग आग से बचने में भी किया जाता है

  • लंबे टिकते हैं

मैटेलिक फैब्रिक : यह फैब्रिक मेटल से नहीं बने होते हैं बल्कि इस तरह के फैब्रिक या कपड़ों को बनाने के बाद उसमें metal की एक पतली परत चढ़ाई जाती है

विशेषताएं :

  •  flexible
  • ठंड के कपड़े 
  • सुरक्षा के कपड़े

FAQ : पूछे जाने वाले सवाल

सबसे अच्छा कपड़ा कौन सा है ?

कॉटन सबसे अच्छा कपड़ा है, क्युकी इसे आप साल के किसी भी वक्त पहन सकते है – सर्दी, गर्मी, बरसात जिसके बाद सिल्क, लिनन और कुछ सिंथेटिक्स कपड़े आते है, जिन्हें लोग अत्याधिक पहनना पसंद करते है।

वस्त्रों के प्रकार कितने होते है ?

वस्त्रों के प्रकार में कॉटन, सिल्क, और लिनन पहले आते है जिसके बाद ऊनी, खादी, मलमल, कश्मीरी, रेयान, लाइक्रा, स्पंडेक्स, ब्रोकेड, ग्रोगेट, पॉली कॉटन, विस्कोज रेयान, क्रेप के वस्त्र आते है

HINDIRAM के कुछ शब्द

अगर आपको यह लेख  फाइबर कितने प्रकार के होते हैं पढ़कर अच्छा लगा हो या आप इसे जरूर शेयर करे। अगर आपको कपड़े केे प्रकार या types of fabric  के बारे में अधिक जानना हो आप हमारे मुुुख्य पृष्ठ पर आए यहां आपको कपड़े, फैशन और फैब्रिक सभीी की  जानकारी मिलेगी

Leave a Comment जवाब रद्द करें

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

If you're seeing this message, it means we're having trouble loading external resources on our website.

यदि आप एक वेब फ़िल्टर का उपयोग कर रहे हैं तो कृपया सुनिश्चित कीजिए कि डोमेन *.kastatic.org और *.kasandbox.org अनब्लॉक हैं।

लॉग इन करने और खान एकेडमी की सभी सुविधाओं का उपयोग करने के लिए कृपया अपने ब्राउज़र में जावास्क्रिप्ट इनेबल करें।

यूनिट 2: तंतु से वस्त्र तक (Fiber to Fabric)

पौधे एवं जन्तुओं से प्राप्त तंतु.

  • इस पाठ में कोई भी लेख या वीडियो उपलब्ध नहीं है

अभ्यास कीजिए

  • पादप एवं जांतव तंतु (Plant and Animal fibres) स्तर बढ़ाने के लिए 3 सवालों में 3 सही करें!

उन तैयार करने कि विधि

  • ऊन तैयार करना (Preparation of wool) स्तर बढ़ाने के लिए 8 सवालों में 6 सही करें!

रेशम, रेशम कीट का जीवन-चक्र और रेशम प्राप्त करना

  • रेशम प्राप्त करना (Obtaining silk) स्तर बढ़ाने के लिए 9 सवालों में 7 सही करें!

यूनिट टेस्ट

Finished Papers

  • Dissertation Chapter - Abstract
  • Dissertation Chapter - Introduction Chapter
  • Dissertation Chapter - Literature Review
  • Dissertation Chapter - Methodology
  • Dissertation Chapter - Results
  • Dissertation Chapter - Discussion
  • Dissertation Chapter - Hypothesis
  • Dissertation Chapter - Conclusion Chapter

We use cookies. By browsing the site, you agree to it. Read more »

synthetic fibres essay in hindi

Customer Reviews

The writers of PenMyPaper establish the importance of reflective writing by explaining its pros and cons precisely to the readers. They tend to ‘do my essay’ by adding value to both you (enhancing your knowledge) and your paper.

Useful Links

  • Request a call back
  • Write For Us

synthetic fibres essay in hindi

Student Feedback on Our Paper Writers

Alexander Freeman

Finished Papers

IMAGES

  1. Synthetic fibres & plastics- science || Ncert class 8 explained in

    synthetic fibres essay in hindi

  2. Class 8th Ncert Science

    synthetic fibres essay in hindi

  3. Synthetic fibers and plastics

    synthetic fibres essay in hindi

  4. Synthetic fibres and plastic class 8 #hindi_explanation

    synthetic fibres essay in hindi

  5. CLASS 8 SCIENCE NCERT CH 3 SYNTHETIC FIBRES AND PLASTICS(PART1)hindi

    synthetic fibres essay in hindi

  6. Synthetic fibres and plastics in hindi

    synthetic fibres essay in hindi

VIDEO

  1. Synthetic Fibres- 8th Class Science in Hindi

  2. Synthetic Fibres and Plastic ( MCQ) #studycentre , #class ,ytshorts,#syntheticfibres

  3. Examples of Natural and synthetic Fibre

  4. Class 8

  5. Types of Synthetic Fibres & Natural Fibres // Class 8 Chapter 3 #anjus_science

  6. सिंथेटिक फाइबर और प्लास्टिक ( Synthetic fibres and Plastics )

COMMENTS

  1. सिंथेटिक फाइबर

    "Synthetic Fibres | NCERT Class 8 Science in Hindi":"संश्लेषित रेशे और उनके उपयोग की खोज में डूबे! यह वीडियो ...

  2. प्राकृतिक रेशे व कृत्रिम रेशे Natural Fibers and Artificial Fibers in Hindi

    Fibers in Hindi प्राकृतिक रेशे प्रकृति में उपलब्ध होते है. जबकि मानव निर्मित या संश्लेषित रेशे इन्ही प्राकृतिक रेशों के साथ अन्य रेशों का ...

  3. संश्लेषित रेशे क्या हैं? कृत्रिम सूत (Synthetic fibers)

    संश्लेषित ढंग से सूत (रेशा, Fibre) निर्माण करने का विचार पहले पहल एक अंग्रेज वैज्ञानिक राबर्ट हुक के दिमाग में उठा था। इसका उल्लेख 1664 ई.

  4. संश्लेषित रेशे किसे कहते हैं

    Hindi social science science maths English. Class 7. Hindi social science science maths English. Class 8. Hindi social science science maths English. Class 9. Hindi social science science Maths English. Class 10. Hindi Social science science Maths English. Class 11. Hindi sociology physics physical education maths english economics geography ...

  5. संश्लेषित रेशे किसे कहते हैं

    संश्लेषित रेशे क्या है - Synthetic Fibers in Hindi: प्लास्टिक क्या है ...

  6. Natural और Synthetic Fibers के बीच क्या अंतर हैं?

    Difference Between Natural and Synthetic Fibres in Hindi. अभी तक ऊपर हमने जाना की Natural और Synthetic Fibres किसे कहते है अगर आपने ऊपर दी गयी सारी चीजे ध्यान से पढ़ी है तो आपको Natural और Synthetic ...

  7. संश्लेषित रेशे और प्लास्टिक

    Dear students / प्रिय विद्यार्थियो,In this video, we explain संश्लेषित रेशे और ...

  8. Class 8th Ncert Science

    Class 8th Ncert Science | Ch-3 : Synthetic Fibres and Plastics | Hindi Explanation (Part-1)We have already uploaded Chapter 1 ( Crop Production and Managemen...

  9. Introduction to synthetic fibres in Hindi

    Unscramble the jumbled words given below, related to synthetic materials. What are natural fibres? Explain with examples. Watch Introduction to synthetic fibres in Hindi from Introduction and Classification of Fibers here. Watch all CBSE Class 5 to 12 Video Lectures here.

  10. Synthetic Fibres and Plastics (In Hindi )

    Synthetic Fibres and Plastics (In Hindi ) Lesson 57 of 124 • 11 upvotes • 10:28mins. Sushil Kumar. NCERT,Science,Class-8,Chapter-3

  11. फैब्रिक कितने प्रकार के होते हैं? उनके पहचान और उपयोग

    Man made fibre (synthetic fibre) तथा इनके मिश्रण से ही विभिन्न प्रकार के फैब्रिक का निर्माण किया जाता है जिनका उपयोग फिर कपड़े या दूसरे प्रकार के चीजों ...

  12. Synthetic Fibres and Plastics (in Hindi)

    Combustion and Flame (in Hindi) 12:19mins. 8. Conservation of Plants and Animals (in Hindi) 11:36mins. 9. Cell Structure and Functions (in Hindi) 9:43mins. 10.

  13. Introduction To Fibres in Hindi

    Watch Introduction To Fibres in Hindi from Introduction and Classification of Fibers here. Watch all CBSE Class 5 to 12 Video Lectures here. Solve Study Textbooks Guides. Join / Login >> Class 7 ... Synthetic fibres are also called artificial or human-made fibres. Easy. View solution >

  14. Synthetic Fibres and Plastics (in Hindi)

    Sahil Kapoor. This lesson talks about the synthetic fibers and plastics. How are they made ,their uses, advantages and their effect on environment. (Hindi) Science NCERT Class 8 Summary. 18 lessons • 3h 4m. 1. Overview of the Course (in Hindi) 5:17mins. 2.

  15. तंतु से वस्त्र तक (Fiber to Fabric)

    यूनिट 2: तंतु से वस्त्र तक (Fiber to Fabric) 300 संभव मास्टरी पॉइंटस मास्टरी हासिल

  16. Class 8th Ncert Science

    Class 8th Ncert Science | Ch-3 : Synthetic Fibres and Plastics | Hindi Explanation (Part-2)Part-1 https://youtu.be/R4TssfgwLAwWe have already uploaded Chapte...

  17. PDF SYNTHETIC FIBRES AND PLASTICS T 3.1 What are Synthetic Fibres?

    Ü Synthetic fibres and plastics, like natural fi- bres, are made of very large units called poly- mers. Polymers are made up of many smaller units. Ü While natural fibres are obtained from plants and animals, synthetic fibres are obtained by chemical processing of petrochemicals. Like natural fibres, these fibres can also be woven into fabrics.

  18. synthetic fibres

    What is synthetic fibres in Hindi? Pronunciation, translation, synonyms, examples, rhymes, definitions of synthetic fibres in Hindi. ... Learn to write essays that are worth reading with these simple tips on essay writing and master the skill.

  19. synthetic fibres in Hindi

    Translation of "synthetic fibres" into Hindi. संश्लिष्ट रेशे, रेयोन are the top translations of "synthetic fibres" into Hindi. Sample translated sentence: They include plastics , synthetic fibres , synthetic rubber , drugs , dyestuffs , paints and varnishes , detergents and pesticides . ↔ इनमें ...

  20. UPSC CSE

    In this lesson, Paritosh has given a detailed information about synthetic fibres. (Hindi) Summary of Important Topics of Class 8 NCERT Science. 5 lessons • 48m. 1. Course Overview (in Hindi) 2:38mins. 2. Synthetic Fibres (in Hindi) 13:38mins.

  21. Synthetic Fibres Essay In Hindi

    Synthetic Fibres Essay In Hindi. Your credit card will be billed as Writingserv 938-777-7752 / Devellux Inc, 1012 E Osceola PKWY SUITE 23, KISSIMMEE, FL, 34744. Nursing Management Marketing Business and Economics +95. 10 Customer reviews.

  22. Synthetic Fibres Essay In Hindi

    Professional authors can write an essay in 3 hours, if there is a certain volume, but it must be borne in mind that with such a service the price will be the highest. The cheapest estimate is the work that needs to be done in 14 days. Then 275 words will cost you $ 10, while 3 hours will cost you $ 50. Please, take into consideration that VAT ...

  23. Synthetic Fibres Essay In Hindi

    Synthetic Fibres Essay In Hindi. These kinds of 'my essay writing' require a strong stance to be taken upon and establish arguments that would be in favor of the position taken. Also, these arguments must be backed up and our writers know exactly how such writing can be efficiently pulled off. Progressive delivery is highly recommended for ...