Hindi Essays for Class 7: Top 10 Hindi Nibandhs

essay for 7th class in hindi

List of popular essays for class 7 students in Hindi language!

स्वावलंबन (आत्म-निर्भरता) पर निबन्ध | Essay on Essay on Self Independent in Hindi

बालक-बालिका एक समान पर निबन्ध | Essay on Boys and Girls are Equal in Hindi

परोपकार पर निबन्ध | Essay on Beneficence in Hindi

ग्रीष्म ऋतु (गरमी की ऋतु) पर निबन्ध | Essay on Summer Season in Hindi

सत्संगति पर निबन्ध | Essay on Good Company in Hindi

छोटा परिवार सुखी परिवार पर निबन्ध | Essay on Small Family is a Happy Family In Hindi

बसंत ऋतु पर निबन्ध | Essay on The Spring Season in Hindi

समाज सेवा पर निबन्ध | Essay on Social Service in Hindi

वर्षा ऋतु पर निबन्ध | Essay on Rainy Season in Hindi

ADVERTISEMENTS:

एकता ही बल है पर निबन्ध | Essay on Unity is Strength in Hindi

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 1

स्वावलंबन का अर्थ है – अपने ऊपर आश्रित या निर्भर होना । वे बड़े भाग्यवान हैं जो अपने ऊपर आश्रित हैं । दूसरों की दया पर निर्भर होकर जीने में आनंद नहीं है । पराधीनता में जीना कष्टप्रद है इसमें दुख ही दुख है ।

कहा भी गया है – ‘पराधीन सुख सपनेहुँ नाहीं ।’ पराधीनता स्वप्न में भी सुखदायी नहीं है । जेल की चारदीवारी में कैदियों को कोई खास काम नहीं करना पड़ता । उन्हें भोजन भी मुफ्त का और ठीक-ठाक मिलता है । पर कैदी कैदखाने में नहीं रहना चाहता क्योंकि वहाँ किसी प्रकार की आजादी नहीं है ।

पिंजड़े में बद पक्षी की भी यही दशा है – ‘कहीं भली है कटुक निबोरी, कनक कटोरी की मैदा से ।’ अर्थात् दूसरों की अधीनता में सुख की कल्पना भी बेकार है । इसीलिए हम लोग स्वावलंबी होना चाहते हैं आ स्वावलंबन आत्मा की पुकार है ।

यह मनुष्य को आत्म-निर्भर बनाता ही है उसे जीवन में कुछ नेक कार्य करने के लिए भी प्रेरित करता है । गाँधी जी इसीलिए चाहते थे कि भारत के गाँव स्वावलंबी बनें । ग्रामवासी अपने छोटे-छोटे कार्यों के लिए शहरों की ओर कातर दृष्टि से न देखें ।

परंतु यह न हो सका । नतीजे में भारत के गाँव अभी भी पिछड़े हुए हैं । ग्रामवासियों को रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है । व्यक्ति और गाँव की तरह देश का भी स्वावलंबी होना आवश्यक है । स्वतंत्रता के बाद दो-तीन दशकों तक राष्ट्र अपने लोगों के लिए खाने भर अनाज भी पैदा नहीं कर सकता था ।

कृषि प्रधान देश भारत की इस दीन-हीन दशा का दुनिया में मजाक उड़ाया जाता था । आज हम खाद्यान्नों के मामले में आत्म-निर्भर हैं । आज हमारे देश में इंजीनियरों, डॉक्टरों तथा तकनीकी पेशे से जुड़े विशेषज्ञों की कोई कमी नहीं है ।

हम अनेक क्षेत्रों में स्वावलंबी हैं । हम दुनिया के परमाणु शक्ति-संपन्न अग्रणी राष्ट्रों में से एक हैं । सूई से लेकर हवाई जहाज तक कुदाल से लेकर हैक्टर तक हम अपने ही देश में बना सकते हैं । स्वावलंबन का गुण मनुष्य को महान बनाता है । यह गुण अपने साथ धैर्य, संतोष, आत्मविश्वास, साहस आदि गुणों को भी समाविष्ट करता है ।

प्रत्येक कार्य में दूसरों पर निर्भरता बुरी चीज है । इससे आत्मा का नाश होता है । वे व्यक्ति जो स्वावलंबन के गुण का महत्व नहीं समझते वे अपनी स्थिति दयनीय बना लेते हैं । स्वावलंब हमें सुख शांति और समृद्धि प्रदान करता है कर्महीन यह नहीं जानते ।

स्वावलंबी व्यक्ति समाज के सामने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता है । वह आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमंदों की मदद कर सकता है । उसका आत्म-विश्वास उसे किसी भी स्थिति को अपने मनोनुकूल बनाने की प्रेरणा देता रहता है । स्वावलंबन का अर्थ यह नहीं कि हम सब काम अपने हाथों से ही करें ।

समाज में श्रम-विभाजन के बिना काम नहीं चलाया जा सकता श्रम-विभाजन आवश्यक है । स्वावलंबन से तात्पर्य इतना ही है कि हम दूसरों पर उस हद तक आश्रित न हों कि हमारे दैनिक कार्य ही रुक जाएँ । अपने ऊपर इतना विश्वास होना चाहिए कि प्रतिबंधात्मक स्थितियों में भी हमारा काम नहीं रुक सकता ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 2

किसी भी देश या प्रांत में प्रति हजार लड़कों के अनुपात में कितनी लड़कियाँ हैं, इसी को लिंगानुपात कहा जाता है । यह अनुपात लगभग समान होना चाहिए । परंतु प्रति हजार बालकों पर यदि बालिकाओं की संख्या नौ सौ या इससे कम हो जाए तो मामला चिंताजनक स्तर तक पहुँच जाता है ।

हमारे देश में भी ऐसी ही चिंताजनक स्थिति बन गई है । हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और देश के कई प्रांतों में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या चिंताजनक सीमा से भी काफी कम है । आखिर ऐसा क्यों है कि बालिकाओं की तुलना में बालकों की संख्या अधिक है ? इसके कारण स्पष्ट हैं ।

हमारे समाज में बालकों को बालिकाओं से श्रेष्ठ समझा जाता है । अभिभावक सोचते हैं कि लड़का होगा तो बुढ़ापे में सेवा करेगा जीवन भर सुख देगा । हिंदुओं की धारणा है कि पुत्र माता-पिता को संसार से तारता है मोक्ष प्रदान करवाता है । दूसरी ओर बालिकाओं के बारे में यह धारणा है कि ये पराया धन होती हैं ।

बालिकाओं की शादी में दिया जाने वाला दहेज भी माता-पिता को लड़कियों को एक बोझ मानने पर विवश कर देता है । अभिभावकों के मन में बेटों की चाह इतनी होती है कि कई लड़कियाँ गर्भ में ही मार दी जाती हैं । अल्ट्रासाउंड जैसी आधुनिक तकनीकों से गर्भ के लिंग के बारे में पता चल जाता है और लड़कियाँ गलत धारणाओं की भेंट चढ़ जाती हैं ।

आज का युग पहले जैसा नहीं रह गया है । आज बालिकाएँ भी पट्ट-लिखकर बूढ़े माँ-बाप का सहारा बन सकती हैं । ऐसा भी देखा गया है कि बेटों द्वारा परित्यक्त माँ-बाप की सेवा-सुश्रुषा बेटियाँ करती हैं । आज की लड़कियाँ धार्मिक एवं सामाजिक उद्देश्यों को भली-भांति पूरा कर सकती हैं ।

आज की शिक्षित नारियाँ डॉक्टर, इंजीनियर, आरक्षी, वकील, अंतरिक्ष यात्री, खिलाड़ी, समाज सेविका, नर्स, राजनीतिज्ञ, अभिनेत्री आदि कुछ भी बन सकती हैं । नर्स और अध्यापिका के रूप में तो उनका विकल्प ही नहीं है । फिर क्यों यह भेद-भाव और लैंगिक असमानता ? क्यों वह समाज में उपेक्षित है ?

लड़कियों का अनुपात घटना यह सिद्ध करता है कि शिक्षित समाज भी अपने संकीर्ण मानसिक दायरे से नहीं निकल पाया है । यह असंतुलन भविष्य के लिए खतरे की घंटी है । इसका दुष्प्रभाव अभी से दिखाई पड़ रहा है । कई प्रांतों के युवक इसलिए कुँवारे हैं क्योंकि विवाह योग्य युवतियाँ नहीं मिल रही हैं ।

आज की लड़कियाँ ही तो कल बड़ी होकर माँ बनती हैं । क्या हम ऐसी दुनिया या समाज की कल्पना कर सकते हैं जहाँ केवल लड़के हों, लड़कियाँ नहीं ? बालक और बालिका में किसी भी तरह का भेदभाव अमानवीय है । हमें दोनों को एक समान समझना चाहिए ।

इसी से लिंगानुपात को सुधारा जा सकेगा । हमें गर्भ में ही लड़कियों को मारने की कुप्रथा को दंडात्मक नीति अपनाकर समाप्त करना होगा । यदि इस स्थिति को अभी न सँभाला गया तो भविष्य की परेशानियाँ कहीं बड़ी होंगी ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 3

दूसरों के हित के लिए किया गया कार्य परोपकार है । अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर जनसामान्य के कल्याण के लिए किया गया कार्य परोपकार मैं ।

अपनी छोटी-छोटी समस्याओं एवं दु:खों की परवाह न करते हुए नमूह की हित-चिंता करना परोपकार है । परोपकार के कार्यों से ही मनुष्य समाज में प्रशंसित एव सम्मानित होता है । परोपकार यह लोक ही नहीं परलोक भी सुधारता है ।

ऐसे कार्य जो परहित को ध्यान में रखकर किए जाते हैं वे मनुष्य को महान् वनाते हैं । परोपकारी व्यक्ति हर युग में होते हैं । समाज इनका ऋणी होता है । मनुष्य ही नहीं अन्य जीव समुदाय एवं जड़ वस्तु भी परोपकार की भावना से कार्य करते हैं । इन पंक्तियों से इस तथ्य का खुलासा होता है:

”वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर । परमारथ के कारणे साधुन धरा शरीर ।। ”

वृक्ष अपना फल स्वय नहीं खाता, अर्थात् दूसरों के लिए उत्पन्न करता है । नदी कभी भी अपना जल इकट्ठा करके नहीं रखती । प्राणियों के हित के लिए हमेशा प्रवाहमान् रहती है । इसी तरह, परमार्थ के कारण, परोपकार के हेतु साधु पुरुष जन्म ग्रहण करते हैं ।

दुनिया में एक से बढ़कर एक परोपकारी मनुष्य हुए हैं । महर्षि दधीचि ने देवताओं के कल्याण हेतु अपना शरीर त्याग दिया और अपनी हड्डियाँ दान में दे दीं । गिद्धराज जटायु ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए रावण से सीता को छुड़ाने का प्रयत्न किया ।

सुकरात ने प्याले में भरा विष पी लिया । भगवान कृष्ण ने आजीवन परोपकार की दृष्टि से अनेक कार्य किए । राम ने राक्षसों को मारकर विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की । ईसा मसीह जनहितार्थ सूली पर चढ़ गए । परोपकारी व्यक्तियों के कारण ही सत्य, धर्म और संस्कृति की रक्षा हो सकी है ।

जीवन में अनेक कार्य ऐसे हैं जो परोपकार की दृष्टि से किए जाते हैं । पहले धनी-मानी लोग कुएँ-तालाब खुदवाते थे, राहगीरों के लिए छायादार वृक्ष लगवाते थे । स्थान-स्थान पर धर्मशालाएँ बनवाई जाती थीं ताकि यात्रियों को ठहरने में सुविधा हो ।

आज भी लोग परोपकार के कार्यों में अपना योगदान देते हैं । प्राकृतिक विपत्तियों में फँसे लोगों की मदद के लिए आगे आना परोपकार ही है । भयंकर लू में लोगों के लिए पेय जल की व्यवस्था करना परोपकार ही है । निरक्षरों को शिक्षित बनाना, पेड़-पौधे लगाना, आस-पड़ोस को साफ-सुथरा रखना, भूखों को भोजन कराना आदि कार्य परोपकार की श्रेणी में आते हैं ।

परंतु परोपकार किसी लाभ की प्राप्ति के उद्देश्य से नहीं करना चाहिए । उपकार करके प्रत्युपकार की आशा न रखना ही सही मायने में परोपकार है । आजकल परोपकारी व्यक्तियों की संख्या में कमी आ गई है । इसका कारण समाज में स्वार्थ भावना में वृद्धि है ।

यही कारण है कि सड़क पर पड़े घायल व्यक्ति की सहायता के लिए कोई आगे नहीं आना चाहता । पड़ोसी के घर चूल्हा जले न जले, अपने घर पकवान जरूर बनना चाहिए, यह भावना हमारा उद्धार नहीं कर सकती । जिस शरीर से लोगों का कल्याण न हुआ, वह बेकार और अनुपयोगी है ।

कबीरदास जी कहते हैं:

“बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं फल लागै अति दूर ।”

बड़े खजूर से कहीं अच्छा वह तृण है जिसे खाकर पशु अपना पेट भरते हैं । परोपकार की भावना से ओत-प्रोत कवि तुलसीदास जी कहते है

परहित सरिस धर्म नहिं भाई , पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।

परोपकार के समान दूसरा कोई धर्म नहीं है । अर्थात् परोपकार सबसे बड़ा धर्म है और दूसरों को कष्ट देने से बड़ा कोई पाप, कोई दुष्टता नहीं है । अत: हमें परोपकार की भावना को अपने जीवन में धारण करना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 4

मौसम कभी भी एक जैसा नहीं रहता है । यह परिवर्तित होता रहता है । मौसम के साथ-साथ ऋतुएँ भी बदलती हैं । शीत ऋतु के बाद बसंत की सुहानी ऋतु आती है ।

बसंत ऋतु के बाद प्रचंड गरमी की ऋतु ग्रीष्म ऋतु आती है । हालाँकि कुछ हद तक यह कष्टदायक ऋतु है परंतु इस ऋतु का भी अपना एक आनंद, एक अलग सौंदर्य है । ग्रीष्म ऋतु अप्रैल माह से आरंभ होकर जून-जुलाई तक चलती है । इस ऋतु में पर्णपाती वृक्षों की पत्तियाँ गिर जाती हैं ।

इसलिए इसे पतझड़ ऋतु भी कहते हैं । गरमी इतनी पड़ती है कि दोपहर में घर से निकलना कठिन हो जाता है । जैसे-जैसे दिन अत्मे बढ़ता है प्रखर सूर्य रश्मियों क्य प्रकोप बढ़ता जाता है । दोपहर के तीन-चार घंटे बड़े कष्टदायक प्रतीत होते हैं । लोग घर से बाहर सिर पर टोपी, पगड़ी डालकर या छाता लेकर निकलते हैं ।

त्वचा झुलसने लगती है । शारीरिक श्रम करने वाले पसीने से नहा जाते हैं । इस ऋतु में संध्या क्य समय कुछ सुखदायी होता है । लोग घर, आँगन, छत में जल छिड़ककर राहत महसूस करते हैं । रात्रिकाल में भी काफी उमस होती है । सभी खुली छत पर या कमरे में पंखा-कूलर चला कर सोते हैं ।

गरमियों के दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं । ऐसे में कष्टदायक दिन काम बहुतों के लिए कठिन होता है । इसीलिए घरों, दुकानों तथा दफ्तरों में पंखा, कूलर या वातानुकूलित संयंत्र लगाए जाते हैं । इस ऋतु में पानी को ठंडा रखने के लिए हम घड़ा, सुराही, फ्रिज आदि का प्रयोग करते हैं ।

ठंडे पेय पदार्थ, लस्सी, शरबत आदि अत्यंत प्रिय लगते हैं । इस ऋतु में आम, लीची, खीरा, ककड़ी आदि फल-सब्जियाँ तृप्तिदायक होती हैं । ग्रीष्म ऋतु को गरीबों की ऋतु कहा जाता है क्योंकि इस ऋतु में बहुत कम वस्त्रों से भी काम चल जाता है ।

इस ऋतु में सूती वस्त्र बहुत उपयोगी होते हैं जो हमें लू के थपेड़ों से बचाते हैं । कभी-कभी आँधी तूफान भी आते हैं और धूल-भरी हवाएँ आसमान में छा जाती हैं । आसमान लोहित हो जाता है । पर जब वायु जरा भी हिलती-दुलती नहीं तो उमस बढ़ जाती है ।

ग्रीष्म ऋतु में जल का महत्त्व बढ़ जाता है । प्यासे लोग, प्यासी भूमि, प्यासे पशु-पक्षी और झुलसे हुए पेड़-पौधे सभी जल की माँग करते हैं । धन्य है वह किसान जो इस ऋतु में भी फसलों की सिंचाई करता है । वे स्त्रियाँ भी धन्य हैं जो मटके लेकर मीलों जल भरने जाती हैं । सरोवर ताल-तलैया, कुएँ, बावड़ियों, झील, नदियाँ सभी इस ऋतु में सूखने लगती हैं ।

भूमि का जल-स्तर काफी नीचे चला जाता है । प्यासी धरती, आकुल लोग, पशु-पक्षी सब आसमान की ओर निहारने लगते हैं । मयूर भी यह आस लगाए रहता है कि वर्षा हो और मैं नृत्य करूँ । कवि ने कविता के माध्यम से ग्रीष्म ऋतु का वर्णन इस प्रकार किया है:

”सूरज तपता धरती जलती गरम हवा जोरों से चलती । तन से बहुत पसीना बहता हाथ सभी के पंखा रहता । आ रे बादल काले बादल लो घनघोर घटा रे बादल । ”

लोगों की आकांक्षा रहती है कि बादल छाए, बरसे और राहत दे । पर ग्रीष्म ऋतु किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं । जब धरती तपेगी ताप से समुद्र का जल सुखेगा तभी तो वर्षा होगी । अच्छा मानसून आए इसके लिए अच्छी गरमी आवश्यक है ।

सब्जियों एवंग फलों की विविधता की दृष्टि से भी यह उत्तम ऋतु है । लौकी, खीरा, तरबूज, बेल, आम, पुदीना, भिंडी, करेला, परवल, हरे शाक आदि कितनी ही प्रिय वस्तुएँ ग्रीष्म ऋतु की देन हैं । हमें हर मौसम हर ऋतु का आनंद उठाना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 5

सत्संगति का अर्थ है – अच्छी संगति । अच्छे लोगों का साथ सत्संगति है । बुरे लोगों का साथ कुसंगति है । भले लोगों की संगति में जो सुख और आनद है वह कुसंगति में नहीं है ।

विद्वानों, संतों, साधुओं और सदाचारी व्यक्तियों के संपर्क में रहना सत्संगति है । अच्छी संगति में रहने के बहुत से लाभ हैं । यदि हमारा साथ अच्छे लोगों से है तो इससे हमारा चारित्रिक विकास होगा । हम सज्जनों के गुणों का अनुसरण करके आत्म-कल्याण की ओर प्रवृत्त होंगे ।

उनके आचरण का प्रभाव हमारे ऊपर अवश्य पड़ेगा । इसीलिए तो लोग साधु-संतों की शरण में जाते हैं उनके प्रवचन सुनते हैं उनके गुणों का अनुशीलन करते हैं । सत्संगति के प्रभाव से दुर्जन व्यक्ति भी सज्जन बन जाता है । जब अंगुलिमाल नामक दुर्दांत हत्यारा भगवान् बुद्ध के संपर्क में आया तो वह सुधर गया । तुलसीदास जी कहते हैं –

सठ सुधरहिं सत्संगति पाई । पारस परसि कुधातु सुहाई ।

अर्थात् जिस प्रकार पारसमणि के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है उसी प्रकार सत्संगति के प्रभाव से दुष्ट मनुष्य सुधर जाता है । इसलिए समझदार लोग सज्जनों के संपर्क में रहते हैं । जब व्यक्ति कुसंगति में पड़ता है तो उसका पतन निश्चित हो जाता है ।

कुसंगति काजल की कोठरी के समान है जहाँ से गुजरने पर कालिख लग ही जाती है । नशे की लत कुसंगति के कारण ही लगती है । शराबी जुआरी अपराधी आदि जन्म से ही नीच कार्य नहीं करते, बुरे लोगों का साथ ही उन्हें इन कार्यों को करने के लिए विवश करता है । गंदे नालों से जुड़कर ही नदियाँ अपवित्र और प्रदूषित होती हैं ।

अत: हमें कुसंगति से बचना चाहिए और महापुरुषों, विद्वानों और भले व्यक्तियों की संगति में रहना चाहिए । सत्संगति से बुद्धि का विकास होता है, गलत धारणाएं मिटती हैं । मन-प्राणों में सुगंध उठती है वाणी में मधुरता और निष्कपटता आती है । सत्संगति उन्नति का द्वार खोल देती है । यह आत्म-शुद्धि का सरल मार्ग है ।

अच्छे लोगों की संगति मनुष्य को महान बनाती है । बूँद समुद्र में मिलकर अपार जलराशि का रूप ले लेती है । क्षुद्र नदी-नाले गंगा जी में मिलकर अपनी मलिनता खो देते हैं । रामकृष्ण परमहंस की संगति में साधारण से व्यक्ति नरेंद्र स्वामी विवेकानंद बन गए ।

वानर-भालू, प्रभु राम से मित्रता कर इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम लिखा गए । बालक चद्रगुप्त नीति निपुण चाणक्य का शिष्य बनकर महान् सम्राट बन गया । गाँधी जी के संपर्क में आकर हजारों व्यक्तियों ने आत्म-सुधार की दिशा में अपने कदम बढ़ाने आरंभ कर दिए ।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । उसे अच्छे या बुरे लोगों के साथ में रहना ही पड़ता है । हमें चाहिए कि हम अच्छे लोगों को अपना साथी बनाएँ । यदि हमारा साथ भले लोगों से होगा तो हम कुसंगति से बचे रह सकते हैं ।

जिस प्रकार कि एक सड़ा आम या सेब पूरी टोकरी के फलों सड़ाने लगता है उसी प्रकार एक असज्जन कई सज्जनों को भी अपने जैसा बनाने का प्रयास करता है । अत: व्यक्ति को हमेशा श्रेष्ठ मनुष्यों का ही संग करना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 6

युग सदैव एक-सा नहीं रहता । युग के अनुसार लोगों की आवश्यकताएँ एवं मान्यताएँ बदल जाती हैं । परिवार का आकार छोटा हो या बड़ा इस संबंध में भी युग के अनुसार विचार करना पड़ता है ।

किसी समय बड़े परिवार की कल्पना की गई थी क्योंकि देश की आबादी कम थी । आज छोटे परिवार को आदर्श माना जाता है क्योंकि हमारे देश की आबादी आवश्यकता से कहीं अधिक है । आज लगभग जनसख्या विस्फोट की स्थिति है । सन् 1950 में भारत की आबादी लगभग तीस करोड़ थी ।

आज हम सौ करोड़ का कड़ा पार कर चुके हैं । सन् 2011 तक हमारी आबादी एक सौ पद्रह करोड़ के आस-पास हो जाएगी । सन् 2035 तक हम चीन से भी आगे निकल सकते हैं । ऐसे में छोटे परिवार की महत्ता काफी बढ़ गई है । छोटे परिवार की कल्पना अब संभव है क्योंकि आज महामारियों पर नियंत्रण पाया जा सका है ।

दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हुआ है । बाल मृत्यु दर में निरंतर कमी आती जा रही है । आज एक या दो संतानों वाला परिवार अधिक सुखी है क्योंकि अभिभावक अपनी एक या दो संतानों को शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएँ प्रदान कर सकते हैं ।

यदि परिवार बड़ा हो तो उपलब्ध साधनों का बँटवारा हो जाता है, हरेक सदस्य को थोड़ा-थोड़ा ही मिल पाता है । ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ के बारे में लोगों के विचार सकारात्मक होने लगे हैं । समझदार और शिक्षित व्यक्ति अपने परिवार को सीमित रखने का प्रयास करता है । वह जानता है कि अधिक बच्चे हुए तो उनके लालन-पालन में कठिनाई आएगी ।

अधिक संतानों के लिए भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति में बाधा आएगी । वह समझता है कि अधिक बच्चे पैदा करने वाली माँएँ कमजोर हो जाती हैं, उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है । आज की शिक्षित स्त्रियाँ छोटे परिवार की खूबियों के प्रति जागरूक हैं ।

छोटे परिवार की महत्ता समझने पर भी हमारे देश की आबादी तेजी से बढ़ रही है । इसका प्रमुख कारण अशिक्षा और निर्धनता है । अशिक्षित व्यक्ति अपना भला नहीं सोच पाता । धर्म की रूढ़ियाँ भी प्रमुख अवरोधक तत्व हैं । गरीबी का दुश्चक्र भी लोगों को बड़े परिवार की ओर उम्मुख करता है ।

समाज और राष्ट्र की खुशहाली इसी में है कि वह छोटे परिवार का महत्व समझे । आज प्रति व्यक्ति आवश्यकताएँ बढ़ रही हैं । सभी को बिजली, पानी, स्वास्थ्यप्रद आवास, क्रीड़ा स्थल, रोजगार और शिक्षा चाहिए । दूध, फल, अनाज और सब्जियों की भी प्रति व्यक्ति उपलब्धता बनाए रखना आवश्यक है ।

दूसरी ओर वन पेड़-पौधे जल भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों का अभाव होता जा रहा है । अत: समझदारी इसी में है कि हम अपना परिवार छोटा रखें । परिवार का छोटा आकार हमारी खुशहाली के लिए अत्यंत आवश्यक है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 7

भारत में प्रमुखतया तीन ऋतुएँ वसंत, शीत और ग्रीष्म हैं । इनमें से बसंत को ऋतुओं का राजा या ऋतुराज कहा जाता है । दुनिया के बहुत कम देशों में बसंत ऋतु के दर्शन होते हैं । भारत एक ऐसा देश है जहाँ ऋतुराज बसंत की अपूर्व छटा के दर्शन होते हैं ।

बसंत को ऋतुराज कहा जाता है क्योंकि इस ऋतु में प्रकृति का रंग-रूप पूरी तरह निखरा होता है । इसका आगमन कड़ाके की शीत ऋतु के बाद होता है । बसंत के आगमन के साथ ही प्रकृति और मौसम का मिजाज परिवर्तित होने लगता है ।

चारों ओर का मौसम स्वर्णिम एवं गुलाबी होने लगता है । प्रकृति सुंदर मनमोहक एवं आकर्षक प्रतीत होती है । शीत ऋतु के प्रभाव से आहत वनस्पतियाँ पत्तों एव फूलों के रूप में नए-नए परिधानों से युक्त सुहावने प्रतीत होते हैं ।

खेतों में सरसों के फूल खिल उठते हैं गेहूँ की सुनहरी बालियाँ निकल आती हैं । फूली सरसों का रंग बहुत आकर्षक लगता है जैसे प्रकृति ने पीली चादर ओढ़ ली हो । लताएँ वृक्षों से लिपट कर झूमने लगती हैं । हल्की गरमाहट लिए मंद-मंद बहती वायु नव-विकसित पुष्पों आम्र मंजरियों की भीनी-मधुर सुगंध लिए वातावरण में घुल-मिल जाती है ।

यह सुंगधित वायु मनुष्यों एव जीव-जंतुओं के तन-मन में प्रवेश कर जाती है । खेत-खलिहानों मैदानों एवं बागों में मखमली घास बिछी होती है । घास पर पड़ी ओस की बूँदों के स्पर्श से तलबों में सुखद अनुभूति होती है । उस पर आम के डाल पर बैठी कोयल की पंचम स्वर में ऐसी कूक उठती है कि तन-मन प्रसन्न हो उठता है ।

बच्चे, युवा, वृद्ध सभी उम्र का बंधन तोड़कर बासंती सौंदर्य को निहारने लगते हैं । हालाकि जैसे-जैसे देश का शहरीकरण होता जा रहा है बसंत का मादक प्रभाव भी कहीं खोता जा रहा है । बसंत कब आया और कब चला गया किसी को पता नहीं चल पाता है । परंतु बसंत तो आता है ।

गाँवों में, बाग-बगीचों में, खेतों में और यहाँ तक कि प्रकृति प्रेमियों के लिए महानगरों में भी आता है । जहाँ भी बाग-बगीचे हैं पेड़ हैं लता-कुंज हैं वहाँ बसंत अवश्य आता है । गेंदा, गुलाब, सूरजमुखी, पलास आदि के फूल कहाँ नहीं खिलते । बसंती हवा किसी के साथ भेदभाव नहीं करती ।

वह जहाँ से गुजरती है अपना मादक प्रभाव छोड़ जाती है । बसंत ऋतु पर्व-त्योहारों की भी ऋतु है । हमारा प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार ‘गणतंत्र दिवस’ इसी ऋतु के आरंभ काल में मनाया जाता है । देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह को खुशनुमा बनाने में खुले दिन वाले सुनहरे मौसम का बहुत बड़ा योगदान होता है ।

लगभग इसी समय में बसंत पंचमी का त्योहार आता है । लोग वीणापाणी माँ सरस्वती की पूजा-आराधना में जुट जाते हैं । सरस्वती पूजन समारोह एवं वसंत पंचमी के अवसर पर लगने वाले मेले वासंती रंग में रंग जाते हैं । युवतियाँ धनी एवं पीले वस्त्र धारण कर वसत की शोभा में चार चाँद लगा देती हैं ।

ऐसा लगता है जैसे वसंत सजीव होकर इधर-उधर डॉल रहा हो । फिर आता है मदमस्त होली का त्योहार । वसंत ऋतु स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बड़ी हितकारी ऋतु है । इस ऋतु में असाध्य रोगी भी स्वस्थ होने लगते हैं । सामान्य जनों को भी सरदी-ज्वर आदि नहीं होता ।

इस समशीतोष्ण ऋतु में सभी नाचते-गाते और आनंदित होते हैं । गाँवों में ढोल-नगाड़े बज उठते हैं । होली के गीतों की थिरकन से जन-समूह उत्साहित हो उठता है । बसंत का गुणगान करने के लिए कवि की लेखनी चल पड़ती है ।

बसंत में कुछ भी असुंदर नहीं होता । यह ऋतु हमें प्रकृति सौंदर्य से परिचित कराती है । यह मानव को दु:ख-पीड़ा से निकलकर आनंदित होने क्य अवसर प्रदान करती है । पर मानव है कि प्रकृति विनाश के कार्यों में लगा हुआ है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 8

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । समाज से उसका अंतरंग रिश्ता है । मनुष्य के जन्म के समय सामाजिक उत्सव तथा मृत्यु के समय सामाजिक शोक मनाया जाता है । बच्चा समाज के अन्य हमउम्र सदस्यों के साथ खेलता है पढ़ता-लिखता है ।

जन्मदिन, विवाह आदि अवसरों पर समाज की भागीदारी प्रमुख होती है । संकटकाल में भी समाज ही सहायक होता है । यदि समाज इतना महत्त्वपूर्ण है तो समाजिक उत्थान का कार्य भी बहुत आवश्यक है । समाज की भलाई के लिए जो कार्य किए जाते हैं इन्हें हम समाज सेवा कहते हैं ।

समाज सेवा राष्ट्र सेवा का ही अंग है । बिनोवा जी ने भूदान आंदोलन चलाकर महान समाज सेवा की । करोड़ों ग्रामीण ऐसे थे जिनके पास कृषि-भूमि का एक टुकड़ा न था और कुछ लोग ऐसे थे जिनके पास सौ-पचास एकड़ भूमि थी । भूदान आदोलन के द्वारा यह भारी अंतर पाटने का प्रयास किया गया ।

उन्नीसवीं शताब्दी में राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा बाल विवाह आदि कुप्रथाओं को समाप्त करने में समाज की बड़ी सहायता की थी । मुगलकाल में तुलसीदास जी ने अपने अमर काव्यों के माध्यम से हिंदुओं के बीच सामाजिक चेतना लाने का सफल प्रयास किया ।

कबीरदास जी ने सीधे-सादे विचारों के माध्यम से धर्म की कुरीतियों पर आघात किया । उनके प्रयासों से हिंदुओं और मुसलमानों में सामाजिक एकता की स्थापना हुई । मनुष्य जो कुछ भी ग्रहण करता है वह सब समाज की देन है । अत: हमारा कर्त्तव्य है कि हम समाज की सेवा नि:स्वार्थ भाव से करें ।

आज भी हमारे देश में कई तरह की सामाजिक समस्याएँ हैं । दहेज प्रथा अशिक्षा निर्धनता नशाखोरी आदि समस्याएँ हमें अंदर ही अंदर खोखला कर रही हैं । हमारी सामाजिक मान्यताएँ भी बदल रही हैं । आज का आदमी पहले से कहीं अधिक स्वार्थी और आत्मकेंद्रित हो गया है ।

समाज में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं । सामाजिक अपराध का ग्राफ भी ऊँचा होता जा रहा है । ऐसे में समाज सेवकों का उत्तरदायित्व पहले से कहीं अधिक हो गया । समाज सेवा का दायरा विस्तृत है । बाल मजूदरी का अंत, स्त्री शिक्षा, निर्धन व्यक्तियों के लिए रोजगार का प्रबंध, बेसहारा महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाना आदि कार्य समाज सेवा के कार्य हैं ।

हमारे देश के कुछ क्षेत्रों में पेय जल का भारी अभाव है । यहाँ के लोग मीलों चलकर पानी लाते हैं । समाज सेवा के द्वारा ऐसे लोगों की मदद की जा मकती है । अनाथ बच्चों के लिए अनाथाश्रम खोलना, उन्हें शिक्षित करना तथा उन्हें समाज की मुख्य धारा में वापस लाना समाज सेवा है ।

अपनों द्वारा परित्यक्त वृद्धों के लिए वृद्धाश्रम खोलना विकलांगों के लिए रोजगार के साधन एवं आश्रय स्थल ढूँढ़ना आदि कार्य समाज के प्रति हमारे दायित्व हैं । एड्‌स के प्रसार को रोकने से संबंधित कार्य भी समाज सेवा के अंतर्गत आता है ।

समाज सेवा का कार्य दिखाऊ नहीं होना चाहिए । धन और सम्मान की प्राप्ति के उद्देश्य से किया गया कार्य समाज सेवा नहीं है । समाज सेवा परोपकार की भावना से की जानी चाहिए । बीमारों वृद्धों, दलितों, शोषितों और आपदा से पीड़ित लोगों के प्रति जिनके मन में दया नहीं है वह समाज सेवा नहीं कर सकता ।

समाज को अपना समझकर तन, मन और धन से किए गए परोपकार के कार्य समाज सेवा के दायरे में आते हैं । अपने लिए तो सभी जीते हैं, बड़प्पन इसी में है कि हम दूसरों की भलाई के लिए जीएँ । यही मानवता है, यही समाज सेवा है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 9

वर्षा ऋतु बहुत सुहावनी ऋतु होती है । यह मानव पशु-पक्षी और समस्त जीव समुदाय के लिए आनंददायी ऋतु है । ग्रीष्म ऋतु में जब पेडू-पौधे झुलस जाते हैं तब यह ऋतु उनके लिए जीवनदायी जल लेकर आती है ।

प्यासी धरती की प्यास बुझाने वाली वर्षा ऋतु को ऋतुओं की रानी कहा गया है । वर्षा ऋतु का आरंभ जुलाई मास से होता है । सितंबर में इस ऋतु का अत हो जाता है । इन तीन महीनों में आसमान प्राय: बादलों से घिरा रहता है । धूप और छाया का खेल चलता ही रहता है ।

कुछ दिन वर्षा फिर धूप यह क्रम जब चलता है तो किसानों को धान और मक्के की फसल उगाने में बहुत मदद मिलती है । खेतों में पूरा पानी रहता है तालाब लबालब भर जाते हैं । नदी-नालों में पूरा जल आ जाता है । छोटे-छोटे गड्‌ढों में भी पानी भर आता है ।

किसान वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं । वे खेतों में बीज बोते हैं । धान की फसल के लिए खेत जोते जाते हैं । किसान उसका परिवार खेतिहर मजदूर आदि व्यस्त हो जाते हैं । वे भीगते हुए भी कृषि कार्य करते हैं । गाँवों में वर्षा ऋतु आरंभ होने पर लोक गीत गाए जाते हैं ।

श्रावण मास में शिव-भक्ति की लहर फैल जाती है । काँवरिए गेरुआ वस्त्र धारण कर शिव को जल चढ़ाने निकल पड़ते हैं । ग्रामीण स्त्रियाँ कजरी गीत गाती हैं । वर्षा ऋतु के आगमन की प्रतीक्षा आम नागरिक भी करते हैं । जब पहली बारिश होती है तो लोगों को भीषण गरमी से राहत मिलती है ।

खुले बदन पहली बारिश का आनंद लेने वाले भी कम नहीं । कभी अंधी-तूफान के साथ वर्षा होती है तो कच्चे मकानों को नुकसान पहुँचता है । अत्यधिक वर्षा से जल-प्लावन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । खेत-खलिहानों मैदानों तथा ऊँची भूमि का पानी नदी-नालों में जमा होने लगता है ।

कई नदियों में बाढ़ आ जाती है । नदी का पानी तटबंध फसलों को नुकसान पहुँचाता है । बाद का पानी आबादी वाले स्थानों में घुसकर भयंकर तबाही मचाता है । बाद से जान-माल की भारी क्षति होती है । सड़कें टूट जाती हैं, यातायात व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है ।

टेलीफोन बिजली आदि के खंभे गिर जाते हैं । कभी जब बादल फटते हैं तब भी काफी नुकसान हो जाता है । वर्षा में गंदे जल के जमाव से मच्छरों, मक्खियों एवं तरह-तरह के कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है । इस ऋतु में पेय जल अस्वच्छ हो जाता है ।

प्रदूषित जल पीने से तथा मच्छरों आदि के काटने से कई प्रकार के संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है । गली-कूचों और गिन में कीचड़ हो जाता है । कच्ची गलियों एवं सड़कों पर चलना कठिन हो जाता है । सड़कों पर भी जल-निकास की उचित व्यवस्था न होने से पानी भर आता है ।

कुछ खामियों और परेशानियों के बावजूद वर्षा ऋतु का स्वागत सर्वत्र किया जाता है । इस ऋतु में पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं । एक कहावत भी है कि सावन के अंधे को सर्वत्र हरा-भरा दिखाई देता है । श्रावणी मास की हरियाली सबका मन मोह लेती है ।

वनों में मोर नृत्य कर वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं । पशुओं के लिए इस ऋतु में हरे चारे की कमी नहीं रहती । प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है । आसमान में यदा-कदा इंद्रधनुष अपनी अछूत छटा बिखेर कर मन को आह्वादित कर देता है ।

मेढक की टर्र-टर्र एवं झींगुर की आवाज से वातावरण गुंजित हो जाता है । साँप भी अपने बिलों से निकल कर हवाखोरी करने लगते हैं । मल्लाह अपनी नौका सँभालकर नदी तट पर आ जाते हैं । बिजली की गड़गड़ाहट और चमक से विरहिणियों का मन डोलने लगता है ।

वर्षा ऋतु का आनंद अनूठा है । इस ऋतु में प्रकृति तरह-तरह की लीलाएँ करती है । हमें इस ऋतु का पूरा आनंद उठाना चाहिए । इस ऋतु में स्वच्छता का पालन अवश्य करना चाहिए । स्वस्थ रहकर ही हम वर्षा ऋतु का पूरा लुल्क उठा सकते हैं ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 10

एकता में बड़ी शक्ति होती है । यदि परिवार में एकता होती है तो उसके सभी सदस्यों का उचित विकास होता है । यदि समाज में एकता होती है तो समाज उन्नति करता है तथा सामाजिक कार्य आसानी से संपन्न किए जा सकते हैं ।

इसी तरह यदि राष्ट्र के लोगों में एकता होती है तो शत्रु उस राष्ट्र का बाल-बाँका तक नहीं कर पाते । राष्ट्रीय एकता की स्थिति में राष्ट्र का तेजी से विकास होता है । इतिहास गवाह है कि आपसी फूट का फायदा शत्रुओं को मिला है । रावण और विभीषण की आपसी फूट का लाभ राम को मिला ।

जयचंद और पृथ्वीराज की शत्रुता का लाभ मुहम्मद गौरी ने उठाया । सिकंदर ने भारत के राजवंशों के आपसी झगड़े का लाभ उठाकर भारत पर आक्रमण कर दिया । राजपूत राजा आपस में झगड़े तो मुगलों की बन आई । अँगरेजों ने भारतीय राजाओं नवाबों की अनेकता का भरपूर लाभ उठाया और भारत में अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर ली ।

‘फूट डालो और राज करो’ उनकी प्रसिद्ध नीति थी । कांग्रेस में एकता न रही तो देश में अनेक दल बन गए और अंतत: देश का विभाजन हो गया । एकता में असीम बल है । बिखरे हुए लोग किसी बड़े काम को उसके अंजाम तक नहीं पहुँचा सकते ।

कहा भी गया है – ‘अकेला चना भीड़ नहीं फोड़ सकता ।’ यदि सम्मिलित शक्ति से प्रयास किए जाएँ तो असंभव से दिखाई देने वाले कार्य भी पूरे हो सकते हैं । मधुमक्खियाँ एक साथ मिलकर ही मधु संचय कर पाती हैं । सैनिक एकजुट होकर ही शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं । नागरिकों की एकजुटता किसी बड़ी क्रांति को जन्म देती है ।

यहाँ तक कि अपराधी भी दल बाँधकर गिरोह बनाकर अपने बुरे मंसूबे में कामयाब हो जाते हैं । लेकिन हमें एकता को शुभ कार्यो में लगाना चाहिए । ऐसी एकता किसी काम की नहीं जिससे दूसरों का बुरा होता हो । एकता का उद्देश्य शुभ होना चाहिए ।

एकता किसी भी समाज अथवा राष्ट्र के लिए संजीवनी शक्ति है । बड़े-बड़े बाँध, कारखाने, आलीशान महल, नहरें, खनन उद्योग, कृषि एवं औद्योगिक विकास की आधारभूमि राष्ट्रीय एकता है । जब राष्ट्र के लोग मिलकर प्रयास करते हैं तो उनकी समस्याओं का अंत होने लगता है ।

स्वतंत्रता आंदोलन के समय राष्ट्रीय एकजुटता अद्वितीय थी इसलिए हम विदेशियों को बाहर करने में सफल हुए । स्वतंत्रता के बाद हमें कई विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा हमने सभी आक्रमणों का डट कर एकजुट होकर मुकाबला किया । शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर राष्ट्र को उसकी सम्मिलित शक्ति का आभास कराया ।

कारगिल विजय हमारी संगठित शक्ति का प्रतिफल था । अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियाँ तथा भारत का परमाणु शक्ति से संपन्न होना हमारे वैज्ञानिकों के सम्मिलित प्रयासों का ही परिणाम कहा जा सकता है । आज पूरी दुनिया आतंकवाद का मुकाबला मिलकर कर रही है क्योंकि कोई अकेला देश अपने प्रयासों से इस समस्या पर काबू नहीं पा सकता ।

सामाजिक एकता के लिए आवश्यक है कि लोग अपनी-अपनी जिद छोड़े और लक्ष्यों का निर्धारण कर उनके प्रति संकल्पित हो जाएँ । लेकिन ‘अपनी डफली अपना राग’ छेड़ने वाला समाज बिखर जाता है, उनमें फूट पड़ जाती है ।

मजदूर और कर्मचारी अपना सघ बनाकर अपनी माँगे मनवाने में सफल हो जाते हैं । परंतु जब उनमें फूट पड़ती है तो नियोक्ताओं को लाभ होता है । एकता के बल की महिमा अनंत है । जिन्हें यह समझ है, वे अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को सुखी-संपन्न और गौरवान्वित कर सकते हैं ।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है तथा विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की गतिविधि से इन विषयों पर छात्रों के ज्ञान के दायरे का विस्तार होता है जो कि शिक्षा के अहम उद्देश्यों में से एक है। हिंदी में निबंध या लेख लिखने से विषय के बारे में समालोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही अच्छा हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने पर अंक भी अच्छे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हिंदी निबंध (hindi nibandh) किसी विषय से जुड़े आपके पूर्वाग्रहों को दूर कर सटीक जानकारी प्रदान करते हैं जिससे अज्ञानता की वजह से हम लोगों के सामने शर्मिंदा होने से बच जाते हैं।

आइए सबसे पहले जानते हैं कि हिंदी में निबंध की परिभाषा (definition of essay) क्या होती है?

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) और भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए हैं। स्कूली छात्रों (कक्षा 1 से 12 तक) एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हिंदी निबंध (hindi nibandh), भाषण तथा कविता (useful essays, speeches and poems) से उनको बहुत मदद मिलेगी तथा उनके ज्ञान के दायरे में विस्तार होगा। ऐसे में यदि कभी परीक्षा में इससे संबंधित निबंध आ जाए या भाषण देना होगा, तो छात्र उन परिस्थितियों / प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।

महत्वपूर्ण लेख :

  • 10वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
  • 12वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
  • क्या एनसीईआरटी पुस्तकें जेईई मेन की तैयारी के लिए काफी हैं?
  • कक्षा 9वीं से नीट की तैयारी कैसे करें

छात्र जीवन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के सबसे सुनहरे समय में से एक होता है जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वास्तव में जीवन की आपाधापी और चिंताओं से परे मस्ती से भरा छात्र जीवन ज्ञान अर्जित करने को समर्पित होता है। छात्र जीवन में अर्जित ज्ञान भावी जीवन तथा करियर के लिए सशक्त आधार तैयार करने का काम करता है। नींव जितनी अच्छी और मजबूत होगी उस पर तैयार होने वाला भवन भी उतना ही मजबूत होगा और जीवन उतना ही सुखद और चिंतारहित होगा। इसे देखते हुए स्कूलों में शिक्षक छात्रों को विषयों से संबंधित अकादमिक ज्ञान से लैस करने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों के जरिए उनके ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इन पाठ्येतर गतिविधियों में समय-समय पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) या लेख और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना शामिल है।

करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :

  • डॉक्टर कैसे बनें?
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बनें
  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति ही निबंध है।

अन्य महत्वपूर्ण लेख :

  • हिंदी दिवस पर भाषण
  • हिंदी दिवस पर कविता
  • हिंदी पत्र लेखन

आइए अब जानते हैं कि निबंध के कितने अंग होते हैं और इन्हें किस प्रकार प्रभावपूर्ण ढंग से लिखकर आकर्षक बनाया जा सकता है। किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) के मोटे तौर पर तीन भाग होते हैं। ये हैं - प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार।

प्रस्तावना (भूमिका)- हिंदी निबंध के इस हिस्से में विषय से पाठकों का परिचय कराया जाता है। निबंध की भूमिका या प्रस्तावना, इसका बेहद अहम हिस्सा होती है। जितनी अच्छी भूमिका होगी पाठकों की रुचि भी निबंध में उतनी ही अधिक होगी। प्रस्तावना छोटी और सटीक होनी चाहिए ताकि पाठक संपूर्ण हिंदी लेख (hindi me lekh) पढ़ने को प्रेरित हों और जुड़ाव बना सकें।

विषय विस्तार- निबंध का यह मुख्य भाग होता है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें इसके सभी संभव पहलुओं की जानकारी दी जाती है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) के इस हिस्से में अपने विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करने की खूबी का प्रदर्शन करना होता है।

उपसंहार- निबंध का यह अंतिम भाग होता है, इसमें हिंदी निबंध (hindi nibandh) के विषय पर अपने विचारों का सार रखते हुए पाठक के सामने निष्कर्ष रखा जाता है।

ये भी देखें :

अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन

अग्निपथ योजना एडमिट कार्ड

अग्निपथ योजना सिलेबस

अंत में यह जानना भी अत्यधिक आवश्यक है कि निबंध कितने प्रकार के होते हैं। मोटे तौर निबंध को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जाता है-

वर्णनात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें त्योहार, यात्रा, आयोजन आदि पर लेखन शामिल है। इनमें घटनाओं का एक क्रम होता है और इस तरह के निबंध लिखने आसान होते हैं।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है। अक्सर ये किसी समस्या – सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत- पर लिखे जाते हैं। विज्ञान वरदान या अभिशाप, राष्ट्रीय एकता की समस्या, बेरोजगारी की समस्या आदि ऐसे विषय हो सकते हैं। इन हिंदी निबंधों (hindi nibandh) में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार व्यक्त किया जाता है और समस्या को दूर करने के उपाय भी सुझाए जाते हैं।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है। इनमें कल्पनाशीलता के लिए अधिक छूट होती है। भाव की प्रधानता के कारण इन निबंधों में लेखक की आत्मीयता झलकती है। मेरा प्रिय मित्र, यदि मैं डॉक्टर होता जैसे विषय इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं।

इसके साथ ही विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

ये भी पढ़ें-

  • केंद्रीय विद्यालय एडमिशन
  • नवोदय कक्षा 6 प्रवेश
  • एनवीएस एडमिशन कक्षा 9

जिस प्रकार बातचीत को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए लोग मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविताओं आदि की मदद लेते हैं, ठीक उसी तरह निबंध को भी प्रभावी बनाने के लिए इनकी सहायता ली जानी चाहिए। उदाहरण के लिए मित्रता पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखते समय तुलसीदास जी की इन पंक्तियों की मदद ले सकते हैं -

जे न मित्र दुख होंहि दुखारी, तिन्हिं बिलोकत पातक भारी।

यानि कि जो व्यक्ति मित्र के दुख से दुखी नहीं होता है, उनको देखने से बड़ा पाप होता है।

हिंदी या मातृभाषा पर निबंध लिखते समय भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाएगा-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

प्रासंगिकता और अपने विवेक के अनुसार लेखक निबंधों में ऐसी सामग्री का उपयोग निबंध को प्रभावी बनाने के लिए कर सकते हैं। इनका भंडार तैयार करने के लिए जब कभी कोई पंक्ति या उद्धरण अच्छा लगे, तो एकत्रित करते रहें और समय-समय पर इनको दोहराते रहें।

उपरोक्त सभी प्रारूपों का उपयोग कर छात्रों के लिए हमने निम्नलिखित हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तैयार किए हैं -

सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता थे और बाद में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसके माध्यम से भारत में सभी ब्रिटिश विरोधी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी। बोस ब्रिटिश सरकार के मुखर आलोचक थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई की वकालत करते थे। विद्यार्थियों को अक्सर कक्षा और परीक्षा में सुभाष चंद्र बोस जयंती (subhash chandra bose jayanti) या सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध (subhash chandra bose essay in hindi) लिखने को कहा जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस पर 100, 200 और 500 शब्दों का निबंध दिया गया है।

भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के सम्मान में स्कूलों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सभी स्कूलों, सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में झंडोत्तोलन होता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। मिठाईयां बांटी जाती है और अवकाश रहता है। छात्रों और बच्चों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणतंत्र दिवस पर निबंध पढ़ें।

26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया, इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण (रिपब्लिक डे स्पीच) देने के लिए हिंदी भाषण की उपयुक्त सामग्री (Republic Day Speech Ideas) की यदि आपको भी तलाश है तो समझ लीजिए कि गणतंत्र दिवस पर भाषण (Republic Day speech in Hindi) की आपकी तलाश यहां खत्म होती है। इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक बनाने और उनके ज्ञान को परखने के लिए गणतत्र दिवस पर निबंध (Republic day essay) लिखने का प्रश्न भी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से Gantantra Diwas par nibandh लिखने में भी मदद मिलेगी। Gantantra Diwas par lekh bhashan तैयार करने में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद लें और अच्छा प्रदर्शन करें।

मोबाइल फ़ोन को सेल्युलर फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल आज आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक अहम हिस्सा है जिसने दुनिया को एक साथ लाकर हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। मोबाइल में इंटरनेट के इस्तेमाल ने कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। मनोरंजन, संचार के साथ रोजमर्रा के कामों में भी इसकी अहम भूमिका हो गई है। इस निबंध में मोबाइल फोन के बारे में बताया गया है।

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दिन की याद में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस लेख में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बारे में चर्चा की गई है।

मकर संक्रांति का त्योहार यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा करके दान करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड, चिउड़ा-दही खाने का रिवाज है। प्रयागराज में इस दिन से कुंभ मेला आरंभ होता है। इस लेख में मकर संक्रांति के बारे में बताया गया है।

पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते समय ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अक्सर होती है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध वैश्विक तापमान में वृद्धि से है। इसके अनेक कारण हैं। इनमें वनों का लगातार कम होना और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन प्रमुख है। वनों का विस्तार करके और ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण करके हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध- कारण और समाधान में इस विषय पर चर्चा की गई है।

भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। समाचारों में अक्सर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले प्रकाश में आते रहते हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। अलग-अलग एजेंसियां भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करती रहती हैं। फिर भी आम जनता को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। हालांकि डिजीटल इंडिया की पहल के बाद कई मामलों में पारदर्शिता आई है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कम हुए है, समाप्त नहीं हुए हैं। भ्रष्टाचार पर निबंध के माध्यम से आपको इस विषय पर सभी पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

समय-समय पर ईश्वरीय शक्ति का एहसास कराने के लिए संत-महापुरुषों का जन्म होता रहा है। गुरु नानक भी ऐसे ही विभूति थे। उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर दिया। गुरु नानक की तर्कसम्मत बातों से आम जनमानस उनका मुरीद हो गया। उन्होंने दुनिया को मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। भारत, पाकिस्तान, अरब और अन्य जगहों पर वर्षों तक यात्रा की और लोगों को उपदेश दिए। गुरु नानक जयंती पर निबंध से आपको उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी मिलेगी।

कुत्ता हमारे आसपास रहने वाला जानवर है। सड़कों पर, गलियों में कहीं भी कुत्ते घूमते हुए दिख जाते हैं। शौक से लोग कुत्तों को पालते भी हैं। क्योंकि वे घर की रखवाली में सहायक होते हैं। बच्चों को अक्सर परीक्षा में मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। यह लेख बच्चों को मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने में सहायक होगा।

स्वामी विवेकानंद जी हमारे देश का गौरव हैं। विश्व-पटल पर वास्तविक भारत को उजागर करने का कार्य सबसे पहले किसी ने किया तो वें स्वामी विवेकानंद जी ही थे। उन्होंने ही विश्व को भारतीय मानसिकता, विचार, धर्म, और प्रवृति से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानने के लिए आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। यह लेख निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन करेगा।

हम सभी ने "महिला सशक्तिकरण" या नारी सशक्तिकरण के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से सभी के लिए सहायक होंगे।

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए बहुत कम उम्र में ही अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। देश के लिए उनकी भक्ति निर्विवाद है। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके निधन से पूरे देश में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया गया था। वह हमेशा हमारे बीच शहीद भगत सिंह के नाम से ही जाने जाएंगे। भगत सिंह के जीवन परिचय के लिए अक्सर छोटी कक्षा के छात्रों को भगत सिंह पर निबंध तैयार करने को कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आपको भगत सिंह पर निबंध तैयार करने में सहायता मिलेगी।

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है।

गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। ना सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। ऐसे में विद्यालयों में गाय को लेकर निबंध लिखने का कार्य दिया जाना आम है। गाय के इस निबंध के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में पूछे जाने वाले गाय पर निबंध को लिखने में भी सहायता मिलेगी।

क्रिसमस (christmas in hindi) भारत सहित दुनिया भर में मनाए जाने वाले बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का महत्व समझाने के लिए कई बार स्कूलों में बच्चों को क्रिसमस पर निबंध (christmas in hindi) लिखने का कार्य दिया जाता है। क्रिसमस पर एग्जाम के लिए प्रभावी निबंध तैयार करने का तरीका सीखें।

रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरी तरह से भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को कोई तोहफा देने के साथ ही जीवन भर उनके सुख-दुख में उनका साथ देने का वचन देते हैं। इस दिन छोटी बच्चियाँ देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) आधारित इस लेख से विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के त्योहार पर न सिर्फ लेख लिखने में सहायता प्राप्त होगी, बल्कि वे इसकी सहायता से रक्षाबंधन के पर्व का महत्व भी समझ सकेंगे।

होली त्योहार जल्द ही देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। होली पर हिंदी में निबंध (hindi mein holi par nibandh) को पढ़ने से होली के सभी पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी और यदि परीक्षा में holi par hindi mein nibandh लिखने को आया तो अच्छा अंक लाने में भी सहायता मिलेगी।

दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बच्चों को विद्यालयों में दशहरा पर निबंध (Essay in hindi on Dussehra) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे पूर्ण जानकारी भी मिले। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख में हम देखेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

हमें उम्मीद है कि दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Diwali Festival) के सार को सही ठहराने के लिए अपनी ओर से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध से कुछ सीख कर लाभ उठा सकते हैं कि वाक्यों को कैसे तैयार किया जाए, Class 1 से 10 तक के लिए दीपावली पर निबंध हिंदी में तैयार करने के लिए इसके लिंक पर जाएँ।

बाल दिवस पर भाषण (Children's Day Speech In Hindi), बाल दिवस पर हिंदी में निबंध (Children's Day essay In Hindi), बाल दिवस गीत, कविता पाठ, चित्रकला, खेलकूद आदि से जुड़ी प्रतियोगिताएं बाल दिवस के मौके पर आयोजित की जाती हैं। स्कूलों में बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए उपयोगी सामग्री इस लेख में मिलेगी जिसकी मदद से बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस के लिए निबंध तैयार करने में मदद मिलेगी। कई बार तो परीक्षाओं में भी बाल दिवस पर लेख लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। इसमें भी यह लेख मददगार होगा।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत देश अनेकता में एकता वाला देश है। अपने विविध धर्म, संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ, भारत के लोग सद्भाव, एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, हिंदी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर भाषण के लिए उपयोगी जानकारी इस लेख में मिलेगी।

हिन्दी में कवियों की परम्परा बहुत लम्बी है। हिंदी के महान कवियों ने कालजयी रचनाएं लिखी हैं। हिंदी में निबंध और वाद-विवाद आदि का जितना महत्व है उतना ही महत्व हिंदी कविताओं और कविता-पाठ का भी है। हिंदी दिवस पर विद्यालय या अन्य किसी आयोजन पर हिंदी कविता भी चार चाँद लगाने का काम करेगी। हिंदी दिवस कविता के इस लेख में हम हिंदी भाषा के सम्मान में रचित, हिंदी का महत्व बतलाती विभिन्न कविताओं की जानकारी दी गई है।

15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत 200 सालों के अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। यही वजह है कि यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया और इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते तो हैं ही और साथ ही इसके बाद वे पूरे देश को लालकिले से संबोधित भी करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री का पूरा भाषण टीवी व रेडियो के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा देश भर में इस दिन सभी कार्यालयों में छुट्टी होती है। स्कूल्स व कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी जो निश्चित तौर पर आपके लिए लेख लिखने में सहायक सिद्ध होगी।

प्रदूषण पृथ्वी पर वर्तमान के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ और बहुत ही तेजी के साथ किए जाने की जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध के ज़रिए हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution) से इस समस्या को जहाँ समझने में आसानी होगी वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पहलुओं के बारे में भी जान सकेंगे। इससे स्कूली विद्यार्थियों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध से परीक्षा में बेहतर स्कोर लाने में मदद मिलेगी।

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। पृथ्वी ग्रह का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, इसे स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन पर निबंध के जरिए छात्रों को इस विषय और इससे जुड़ी समस्याओं और समाधान के बारे में जानने को मिलेगा।

हमारी यह पृथ्वी जिस पर हम सभी निवास करते हैं इसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना और साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया।

आज के युग में जब हम अपना अधिकतर समय पढाई पर केंद्रित करने का प्रयास करते नजर आते हैं और साथ ही अपना ज़्यादातर समय ऑनलाइन रह कर व्यतीत करना पसंद करते हैं, ऐसे में हमारे जीवन में खेलों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। खेल हमारे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु हमारे सर्वांगीण विकास का एक माध्यम भी है। हमारे जीवन में खेल उतना ही जरूरी है, जितना पढाई करना। आज कल के युग में मानव जीवन में शारीरिक कार्य की तुलना में मानसिक कार्य में बढ़ोतरी हुई है और हमारी जीवन शैली भी बदल गई है, हम रात को देर से सोते हैं और साथ ही सुबह देर से उठते हैं। जाहिर है कि यह दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है और इसके साथ ही कार्य या पढाई की वजह से मानसिक तनाव पहले की तुलना में वृद्धि महसूस की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब हमारे जीवन में शारीरिक परिश्रम अधिक नहीं है, तो हमारे जीवन में खेलो का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है, जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि सबसे पहली गुरु माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही बड़ा और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना भी उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़को पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था जिन्होंने 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।

हम उम्मीद करते हैं कि स्कूली छात्रों के लिए तैयार उपयोगी हिंदी में निबंध, भाषण और कविता (Essays, speech and poems for school students) के इस संकलन से निश्चित तौर पर छात्रों को मदद मिलेगी।

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बाल श्रम को बच्चो द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें बाल श्रम या फिर कहें तो बाल मजदूरी पर निबंध।

एपीजे अब्दुल कलाम की गिनती आला दर्जे के वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रभावी नेता के तौर पर भी होती है। वह 21वीं सदी के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं। कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, अपने कार्यकाल में समाज को लाभ पहुंचाने वाली कई पहलों की शुरुआत की। मेरा प्रिय नेता विषय पर अक्सर परीक्षा में निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें अपने प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध।

हमारे जीवन में बहुत सारे लोग आते हैं। उनमें से कई को भुला दिया जाता है, लेकिन कुछ का हम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। भले ही हमारे कई दोस्त हों, उनमें से कम ही हमारे अच्छे दोस्त होते हैं। कहा भी जाता है कि सौ दोस्तों की भीड़ के मुक़ाबले जीवन में एक सच्चा/अच्छा दोस्त होना काफी है। यह लेख छात्रों को 'मेरे प्रिय मित्र'(My Best Friend Nibandh) पर निबंध तैयार करने में सहायता करेगा।

3 फरवरी, 1879 को भारत के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार ने सरोजिनी नायडू का दुनिया में स्वागत किया। उन्होंने कम उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज और गिर्टन, दोनों ही पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की। जब वह एक बच्ची थी, तो कुछ भारतीय परिवारों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हालाँकि, सरोजिनी नायडू के परिवार ने लगातार उदार मूल्यों का समर्थन किया। वह न्याय की लड़ाई में विरोध की प्रभावशीलता पर विश्वास करते हुए बड़ी हुई। सरोजिनी नायडू से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

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Frequently Asked Question (FAQs)

किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- ये हैं- प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार (conclusion)।

हिंदी निबंध लेखन शैली की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

वर्णनात्मक हिंदी निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।

विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

निबंध में समुचित जगहों पर मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविता का प्रयोग करके इसे प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। हिंदी निबंध के प्रभावी होने पर न केवल बेहतर अंक मिलेंगी बल्कि असल जीवन में अपनी बात रखने का कौशल भी विकसित होगा।

कुछ उपयोगी विषयों पर हिंदी में निबंध के लिए ऊपर लेख में दिए गए लिंक्स की मदद ली जा सकती है।

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति निबंध है।

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The field of biomedical engineering opens up a universe of expert chances. An Individual in the biomedical engineering career path work in the field of engineering as well as medicine, in order to find out solutions to common problems of the two fields. The biomedical engineering job opportunities are to collaborate with doctors and researchers to develop medical systems, equipment, or devices that can solve clinical problems. Here we will be discussing jobs after biomedical engineering, how to get a job in biomedical engineering, biomedical engineering scope, and salary. 

Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

GIS officer work on various GIS software to conduct a study and gather spatial and non-spatial information. GIS experts update the GIS data and maintain it. The databases include aerial or satellite imagery, latitudinal and longitudinal coordinates, and manually digitized images of maps. In a career as GIS expert, one is responsible for creating online and mobile maps.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Database Architect

If you are intrigued by the programming world and are interested in developing communications networks then a career as database architect may be a good option for you. Data architect roles and responsibilities include building design models for data communication networks. Wide Area Networks (WANs), local area networks (LANs), and intranets are included in the database networks. It is expected that database architects will have in-depth knowledge of a company's business to develop a network to fulfil the requirements of the organisation. Stay tuned as we look at the larger picture and give you more information on what is db architecture, why you should pursue database architecture, what to expect from such a degree and what your job opportunities will be after graduation. Here, we will be discussing how to become a data architect. Students can visit NIT Trichy , IIT Kharagpur , JMI New Delhi . 

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Product manager.

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Operations Manager

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Stock Analyst

Individuals who opt for a career as a stock analyst examine the company's investments makes decisions and keep track of financial securities. The nature of such investments will differ from one business to the next. Individuals in the stock analyst career use data mining to forecast a company's profits and revenues, advise clients on whether to buy or sell, participate in seminars, and discussing financial matters with executives and evaluate annual reports.

A Researcher is a professional who is responsible for collecting data and information by reviewing the literature and conducting experiments and surveys. He or she uses various methodological processes to provide accurate data and information that is utilised by academicians and other industry professionals. Here, we will discuss what is a researcher, the researcher's salary, types of researchers.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Safety Manager

A Safety Manager is a professional responsible for employee’s safety at work. He or she plans, implements and oversees the company’s employee safety. A Safety Manager ensures compliance and adherence to Occupational Health and Safety (OHS) guidelines.

Conservation Architect

A Conservation Architect is a professional responsible for conserving and restoring buildings or monuments having a historic value. He or she applies techniques to document and stabilise the object’s state without any further damage. A Conservation Architect restores the monuments and heritage buildings to bring them back to their original state.

Structural Engineer

A Structural Engineer designs buildings, bridges, and other related structures. He or she analyzes the structures and makes sure the structures are strong enough to be used by the people. A career as a Structural Engineer requires working in the construction process. It comes under the civil engineering discipline. A Structure Engineer creates structural models with the help of computer-aided design software. 

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Field Surveyor

Are you searching for a Field Surveyor Job Description? A Field Surveyor is a professional responsible for conducting field surveys for various places or geographical conditions. He or she collects the required data and information as per the instructions given by senior officials. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Pathologist

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Veterinary Doctor

Speech therapist, gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Are you searching for an ‘Anatomist job description’? An Anatomist is a research professional who applies the laws of biological science to determine the ability of bodies of various living organisms including animals and humans to regenerate the damaged or destroyed organs. If you want to know what does an anatomist do, then read the entire article, where we will answer all your questions.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Photographer

Photography is considered both a science and an art, an artistic means of expression in which the camera replaces the pen. In a career as a photographer, an individual is hired to capture the moments of public and private events, such as press conferences or weddings, or may also work inside a studio, where people go to get their picture clicked. Photography is divided into many streams each generating numerous career opportunities in photography. With the boom in advertising, media, and the fashion industry, photography has emerged as a lucrative and thrilling career option for many Indian youths.

An individual who is pursuing a career as a producer is responsible for managing the business aspects of production. They are involved in each aspect of production from its inception to deception. Famous movie producers review the script, recommend changes and visualise the story. 

They are responsible for overseeing the finance involved in the project and distributing the film for broadcasting on various platforms. A career as a producer is quite fulfilling as well as exhaustive in terms of playing different roles in order for a production to be successful. Famous movie producers are responsible for hiring creative and technical personnel on contract basis.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Individuals who opt for a career as a reporter may often be at work on national holidays and festivities. He or she pitches various story ideas and covers news stories in risky situations. Students can pursue a BMC (Bachelor of Mass Communication) , B.M.M. (Bachelor of Mass Media) , or  MAJMC (MA in Journalism and Mass Communication) to become a reporter. While we sit at home reporters travel to locations to collect information that carries a news value.  

Corporate Executive

Are you searching for a Corporate Executive job description? A Corporate Executive role comes with administrative duties. He or she provides support to the leadership of the organisation. A Corporate Executive fulfils the business purpose and ensures its financial stability. In this article, we are going to discuss how to become corporate executive.

Multimedia Specialist

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Process Development Engineer

The Process Development Engineers design, implement, manufacture, mine, and other production systems using technical knowledge and expertise in the industry. They use computer modeling software to test technologies and machinery. An individual who is opting career as Process Development Engineer is responsible for developing cost-effective and efficient processes. They also monitor the production process and ensure it functions smoothly and efficiently.

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

Information Security Manager

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

ITSM Manager

Automation test engineer.

An Automation Test Engineer job involves executing automated test scripts. He or she identifies the project’s problems and troubleshoots them. The role involves documenting the defect using management tools. He or she works with the application team in order to resolve any issues arising during the testing process. 

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  • CBSE Sample Papers for Class 7 Hindi with Solution 2023-24
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Download Class 7 Hindi CBSE Sample Papers - Free PDF Download

Vedantu has a team of expert professionals with knowledge and experience in the subject and the latest examination pattern. Vedantu’s website contains the best Sample Paper for Class 7 Hindi to help the students with the best preparation resource and make them well-versed with the question type for the final examinations. Class 7 contains various concepts to strengthen the grasp of the students in various subjects. Also, preparing using the Sample Paper of Hindi Class 7 helps them prepare to score well and pass the examinations with the best results. Download NCERT Solutions PDF and opt to cross-refer post-answering questions to score subject-best marks. Subjects like Science, Maths, English, Social Science, Hindi will become easy to study if you have access to NCERT Solution for Class 7 Science , Maths solutions, and solutions of other subjects. You can also download NCERT Solutions for Class 7 Math to help you to revise the complete syllabus and score more marks in your examinations.

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CBSE Sample Paper for Class 7 Hindi with Solutions

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Sample Paper of Class 7th PDF Download

Class 7th Hindi Sample Paper is available in an easily downloadable PDF format to help the students. They are easily accessible on any device and downloadable for free, ensuring that all the students can access them and use them for better preparation. Thus, the students can access the CBSE Sample Paper for Class 7 Hindi anytime without any restrictions.

CBSE Class 7th Hindi Syllabus

The Sample Paper of Class 7th Hindi focuses on the entire Hindi syllabus. 

Vasant is the core literature book for Class 7th CBSE, and it contains 20 chapters with different marks and weightage for the final examinations. Apart from Vasant, there is also an additional book named Durva. It contains 15 chapters and is meant to strengthen learning and reading for the Class 7 students.

Furthermore, CBSE Class 7 Hindi academic syllabus also involves a supplementary reader, named Bal Mahabharat Katha. It is used for reading comprehension questions and contains various paragraphs from the story.

Class 7th students are also required to prepare well for unseen passages, and the grammar syllabus for the academic session is also vast enough. Grammar Class 7th Hindi includes Language, sentences, nouns, pronouns, idioms, and many more concepts. The students also have to practice writing skills, including conversation writing, letter, and essay writing, paragraph writing, etc.

CBSE Sample Paper for Class 7 Hindi – Conclusion

According to the current examination paper, CBSE Class 7 Hindi Sample Paper contains questions from the entire syllabus to give the students a brief idea about the examination pattern. It is essential for enhancing the overall preparation for the students and assures the best practice for them. CBSE Sample Papers for Class 7 Hindi are designed precisely by Vedantu experts according to the latest examination trend and pattern and are thus very essential for preparations.

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FAQs on CBSE Sample Papers for Class 7 Hindi with Solution 2023-24

1. What are the benefits of solving Sample Papers for Class 7 CBSE Hindi?

Solving Sample Papers of Hindi gives the students the required skills. If you solve the Sample Papers you will gain confidence to appear for the actual Hindi paper. Sample Paper solving also helps in improving analytical and problem-solving skills. When you solve Sample Papers of a language paper, you can identify your grammatical mistakes and avoid making them again. You will also get a good idea about the type of questions that can be asked in the exam. You will get more familiarized with the paper style and syllabus when you solve Sample Papers. You can easily find Sample Papers on Vedantu.

2. Are the latest Sample Papers of Class 7 CBSE Hindi available on Vedantu?

Yes, all the latest Sample Papers are available from Vedantu. You can also find the syllabus of CBSE Class 7 on the website. All the chapters are explained in Vedantu, you can refer to it to understand the content. You can easily download the Sample Papers on Vedantu in PDF format. Other Sample Papers can also be found on Vedantu and can easily be downloaded. You can trust the Sample Papers given on Vedantu as they are curated by subject matter experts and can help you prepare better. You can also find solutions to the Sample Papers on the website.

3. How do I write a good essay in Hindi?

To write and speak in a certain language you must develop its vocabulary and have an upper hand on its grammar. To write a good essay in Hindi try to read as many essays as you can in Hindi. Be attentive to the type and tone of the language used in those essays. Read the essays written by your classmates and try to understand their paragraph structures. Write practice essays in Hindi and get them checked by your Hindi teacher. Try not to repeat the mistakes pointed out by your teacher.

4. How important is Hindi in Class 7 CBSE?

Hindi is our national language and it’s in the entire nation. To thrive in India, you must be familiar with the language and if you know how to write and spark in it, that will be your plus points. Class 7 Hindi is curated in a way that you build a strong foundation of the language and is helpful to you in the future. You can learn good grammar and new relevant words in Class 7 Hindi.

5. How do I prepare for the Class 7 CBSE Hindi exam?

Go through your entire Hindi Textbook and try to understand each chapter. Make a study plan for Hindi and follow it every day. Go through the exercises at the back of every chapter of your Hindi textbook. Learn Hindi grammar and refrain from making silly errors or grammatical mistakes in Hindi. Make notes of all that you learn in your Hindi classes and refer to those notes every week. Go through exercises of a grammar given in the textbook. Solve Sample Papers to gain confidence and score well in the subject.

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Class 7 Hindi Grammar Chapter 38 निबंध लेखन

essay for 7th class in hindi

Class 7 Hindi Grammar Chapter 38 निबंध लेखन (Nibandh Lekhan). Hindi Vyakaran contents are in updated format according to CBSE Curriculum 2024-25. Sample Nibandh are given below so that students can take the hints from these Nibandh. State board students also take the benefits of these grammar contents for class 7 as it is based on State board Syllabus also.

  • कक्षा 7 के लिए हिन्दी व्याकरण – निबंध लेखन

निबंध का अर्थ है-बँधा हुआ। किसी विषय पर अपने मन के भावों या विचारों को नियंत्रित ढंग से लिखना निबंध कहलाता है। निबंध किसी विषय-विशेष पर केंद्रित वाक्य-संरचना होती है। निबंध-लेखन से पहले यह सुनिश्चित कर लेना होता है कि हम इस विषय पर क्या कहना चाहते हैं। अपने विचारों को पहले बिंदुओं में विभाजित कर लेना चाहिए, फिर अपनी बात को विस्तार देना चाहिए। किसी विषय पर अपने मन के भावों या विचारों को नियंत्रित ढंग से लिखना निबंध कहलाता है। निबंध लिखते समय भाव-सामग्री को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। इसकी भाषा सरल, प्रवाहमयी, सरस व रोचक होनी चाहिए। निबंध लिखते समय दिए गए विषय के सभी पक्षों पर क्रमानुसार प्रकाश डालना चाहिए। सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक विषयों पर लिखे गए गंभीर लेख भी निबंध की श्रेणी में ही आते हैं। साहित्यिक लेख भी निबंध कहे जा सकते हैं, परंतु उनकी भाषा शैली अधिक आकर्षक होती है। निबंध-लेखन के संबंध में ध्यान देने योग्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • 1. सबसे पहले विषय पर समग्र विचार करके बिंदुओं को मन में बिठा लेना चाहिए।
  • 2. इसे प्रभावपूर्ण बनाने के लिए छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
  • 3. भाषा सरस व सुबोध होनी चाहिए जो पढ़ने वाले को रुचिकर लगे।
  • 4. इसकी शैली रोचक होनी चाहिए जो पढ़ने वाले पर प्रभाव डाल सके।
  • 5. इसकी भाषा में विराम-चिह्नों का समुचित प्रयोग होना चाहिए।
  • 6. मुहावरों के प्रयोग से भी निबंध सशक्त बनता है। इससे निबंध की भाषा शैली में निखार आता है और वह रोचक बन जाता है।

एक अच्छे निबंध के मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं:

  • आरंभ, भूमिका या प्रस्तावना
  • मध्य भाग या कलेवर
  • उपसंहार, निष्कर्ष या अंत

निबंध की शुरुआत भूमिका या प्रस्तावना से ही होनी चाहिए। इसे अधिक विस्तार नहीं देना चाहिए। इसे लिखते समय दिए गए विषय से नहीं हटना चाहिए।

इस भाग में दिए गए विषय के सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए। विषय से संबंधित सभी बिंदुओं का क्रमानुसार वर्णन इसी भाग के अंतर्गत आता है। छोटे-छोटे वाक्यों में विषय के बिंदुओं को पिरोना चाहिए। भाषा सरल एवं सहज रखनी चाहिए।

इस भाग में निबंध का सार तथा निष्कर्ष लिखना चाहिए। इसे अधिक विस्तार नहीं देना चाहिए। आइए, विविध विषयों पर दिए गए निबंधों को पढ़ें और लिखने का अभ्यास करें

महाकवि कालिदास की एक प्रसिद्ध सूक्ति है-“शरीर मायं खलु धर्मसाधनम्।” अर्थात् धर्म का पहला साधन शरीर है। स्वस्थ हो तो वह सभी धर्मों का निर्वाह कर सकता है। स्वस्थ व बल-संपन्न शरीर का स्वामी ही जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँच सकता है। समाज में जिसकी लाठी उसकी भैंस का सिद्धांत ही सदा से प्रचलन में रहा है। शक्तिशाली ही पृथ्वी पर राज्य करता है। सारांश यह है कि शारीरिक बल की बड़ी महिमा है और शारीरिक बल का प्रमुख साधन है-व्यायाम। वे सभी विशिष्ट शारीरिक क्रियाएँ जो शरीर को स्वस्थ व चुस्त-दुरुस्त बनाती हैं, व्यायाम कही जाती हैं। व्यायाम के अनेक भेद हैं। विभिन्न प्रकार के आसन, दंड, बैठक, घुड़सवारी, तैराकी आदि ऐसे व्यायाम हैं, जिन्हें व्यक्ति किसी अन्य की सहायता के बिना अकेला ही कर सकता है। लेकिन हॉकी, कबड्डी, कुश्ती आदि व्यायाम के ऐसे प्रकार हैं जिनमें अन्य व्यक्ति अथवा व्यक्तियों की सहायता आवश्यक होती है।

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। व्यायाम करने से व्यक्ति क्रियाशील बना रहता है तथा उसका शरीर सुडौल व सुगठित बना रहता है। रक्त-संचार तथा पाचन शक्ति ठीक रखने में व्यायाम सर्वाधिक सहायक होता है। व्यायामशील व्यक्ति सभी प्रकार के शारीरिक रोगों से मुक्त रहता है। व्यायाम न करने से मनुष्य को अनेक प्रकार की शारीरिक व्याधियाँ (बीमारियाँ)घेर लेती हैं। पाचन शक्ति का बिगड़ जाना, शरीर के जोड़ों में पीड़ा होना, पेट का बढ़ जाना, माँसपेशियों का लटक जाना, सिर में पीड़ा होना आदि शारीरिक कष्ट व्यायाम न करने से हो जाते हैं। व्यायाम से होने वाले लाभों तथा व्यायाम न करने से होने वाली हानियों को देखते हुए यह आवश्यक है कि व्यायाम के विविध साधनों का समुचित विकास किया जाए।

बाल, युवा और वृद्ध सभी की अपनी-अपनी शारीरिक क्षमताएँ और सीमाएँ होती हैं। अतः यह आवश्यक है कि ऐसी व्यायामशालाओं तथा व्यायाम-साधनों का विकास किया जाए जो हर आयु वर्ग के मनुष्यों के अनुकूल हों। छात्रों के लिए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर व्यायामशालाओं की व्यवस्था की जा सकती है तथा अन्यों के लिए सार्वजनिक पार्कों आदि में व्यायाम के साधन जुटाए जा सकते हैं। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नागरिक ही किसी समाज या राष्ट्र की समृद्धि का आधार बनते हैं। अतः आवश्यक है कि हम अपने देश के नागरिकों में व्यायाम के लिए रुचि उत्पन्न करें ताकि वे शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहकर देश के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

भारत एक विशाल देश है। यह कटक से कच्छ तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। यह प्रदेशों तथा केंद्रशासित प्रदेशों से मिलकर राष्ट्र का रूप धारण करता है। उसमें भिन्न-भिन्न जातियों, धर्मों, रीति-रिवाजों के लोग रहते हैं। यह देश एक ऐसे हार की भाँति है जिसके रंग-बिरंगे फूलों के समान राज्यों, लोगों को एकता के सूत्र में पिरोया गया है। अनेकता में एकता इस राष्ट्र की विशेषता है। देश का इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब कभी विघटनकारी शक्तियों ने अपना सिर उठाया-कभी धर्म, कभी जाति, कभी भाषा तो कभी प्रांत के नाम पर घृणा को उभारा-हमारी एकता को कमजोर करने का प्रयत्न किया तो हमें बहुत हानि उठानी पड़ी। अंग्रेजों द्वारा “फूट डालो, राज करो” की नीति से इस देश का विभाजन किया गया। आज भी कश्मीर समस्या मुँह बाए खड़ी है। राष्ट्र की उन्नति उसकी एकता पर आधारित होती है। आज इस एकता में कई बाधक तत्व स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता के विष जैसी संकुचित भावना ने हमारे देश को कई बार कमज़ोर करने का प्रयत्न किया है। पाकिस्तान का प्रमाण हमारे सामने स्पष्ट है। यही धार्मिक कट्टरता आज देश को कमज़ोर कर रही है। कश्मीर समस्या तथा अन्य सांप्रदायिक झगड़ों के लिए राजनैतिक दल भी जिम्मेदार हैं।

हम भारतवासियों को राष्ट्रीय एकता के बल पर बाधक तत्वों को मुँह-तोड़ जवाब देना चाहिए। राष्ट्रीय एकता में बाधक तत्वों में भाषा समस्या का विशेष हाथ है। इस आधार पर पंजाब व हरियाणा का निर्माण हुआ। गुजरात और महाराष्ट्र की एकता में दरार पड़ सकती है। यदि हम भारतीय भाषाओं में एकता के दर्शन करें तो भावात्मक एकता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। हमारे ग्रंथ, समाज, संस्कृति तथा भाषा सबको एक लड़ी में पिरोने का काम कर रहे हैं। प्रांतीयता और जातिवाद हमारे राष्ट्र की एक ऐसी समस्या है जिसके कारण हमारे देश को बहुत हानि हुई है। इन्हीं के कारण भारत को विविधताओं का देश भी कहकर पुकारा जाता है। हम सब भारतीयों को मिल-जुलकर रहना चाहिए तथा सरकार के साथ मिलकर इस समस्या को सुलझाना चाहिए ताकि राष्ट्रीय एकता बनी रहे।

हम स्वार्थ, त्याग, धैर्य, सत्य, सहनशीलता, प्रेम, भाईचारे के बल पर अपने देश में राष्ट्रीय एकता को मजबूत करके अच्छे राष्ट्र, प्रांत या समाज के लिए संगठित रहें। हममें उतनी जागरूकता होनी चाहिए कि शत्रु पर कब और कितनी शक्ति के साथ लोहा लेना है। राष्ट्रीय एकता और एकजुटता के साथ हम अपने देश के सामने आने वाली समस्याओं का दृढ़ता के साथ मुकाबला करें। मिल-जुलकर रहते हुए एक-दूसरे की भलाई को ध्यान में रखकर जीने को एकता कहते हैं। यही एकता जब राज्यों या प्रातों में झलकती है तो वह भावनात्मक या राष्ट्रीय एकता कहलाती है। राष्ट्रीय एकता शक्ति को प्रकट करती है। वर्तमान काल में प्रत्येक कठिनाई एकता अर्थात् शक्ति से हल की जा सकती है। अतः हमें छोटी-छोटी बातें भूलकर अपनी तथा देश की भलाई के लिए राष्ट्रीय एकता बनाए रखनी चाहिए।

भारत-भूमि स्वर्ग के समान सुंदर है। यहाँ छह ऋतुएँ बारी-बारी से आकर प्रकृति का श्रृंगार करती हैं। प्रत्येक ऋतु का अपना-अपना महत्त्व है। इन सभी ऋतुओं में बसंत को “ऋतु राज” कहा गया है। बसंत ऋतु सचमुच प्रकृति का यौवन है। इस ऋतु में जिधर भी दृष्टि जाती है, पृथ्वी यौवन के भार से दबी प्रतीत होती है। बसंत ऋतु फरवरी-मार्च के महीनों में आती है। इन दिनों में शरद ऋतु का प्रभाव कम हो जाता है तथा न अधिक गर्मी पड़ती है और न अधिक सर्दी। इस ऋतु में दिन-रात लगभग बराबर होते हैं। शरद ऋतु की कड़ाके की सर्दी को धरती की हरियाली सहन नहीं कर पाती।

फूल मुरझा जाते हैं और पत्ते पीले पड़ जाते हैं। हेमंत ऋतु में पतझड़ होता है तथा पत्ते झड़ जाते हैं। इसके बाद ऋतुराज बसंत का आगमन होता है। पृथ्वी का रोम-रोम सिहर उठता है। समस्त प्रकृति में माधुर्य एवं सुंदरता भर जाती है। पेड़ों पर नए-नए पत्ते निकल आते हैं। आम पर सुनहरा बौर आ जाता है तथा कोयल की कूक सुनाई देने लगती है। उद्यानों में रंग-बिरंगे फूल अपनी सुंदरता बिखेरते हैं तथा भौरे और रंग-बिरंगी तितलियाँ उनके आस-पास मँडराने लगती हैं। ऐसा लगता है मानो वे उनके साथ अठखेलियाँ कर रही हों। सरसों के फूलों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो पृथ्वी ने पीली चादर ओढ़ ली हो। यह ऋतु स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उत्तम है। इस ऋतु में शीतल एवं सुगंधित पवन चलती है जिसमें भ्रमण करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस ऋतु में शरीर में नए रक्त का संचार होता है।

बसंत ऋतु का आरंभ बसंत पंचमी के त्योहार से होता है। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। यह त्योहार समस्त उत्तर भारत में हर्ष एवं उल्लास से मनाया जाता है। बसंत पंचमी को ही ज्ञान की देवी सरस्वती जी का जन्म हुआ था। इसी दिन वीर हकीकत राय ने हिंदू धर्म की बलिवेदी पर अपने प्राणों की बलि दी थी। इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं। सरस्वती-पूजन करते हैं तथा पीला हलुआ बाँटते हैं। स्थान-स्थान पर बसंत मेलों का आयोजन किया जाता है। “पतंग-उड़ाना” भी इस दिन का महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम होता है। बसंत वास्तव में ऋतुओं का राजा है। प्रकृति का कोना-कोना रोमांचित तथा पुलकित लगता है। मानो यह ऋतुराज का स्वागत कर रहा हो। बसंत के सौंदर्य से प्रेरणा पाकर ही भगत सिंह ने गाया था, “मेरा रंग दे बसंती चोला।“ कवियों ने बसंत ऋतु की प्रशंसा में अनेक कविताएँ लिखी हैं। बसंत उत्साह, उमंग, स्फूर्ति, चेतना एवं उल्लास की ऋतु है।

मनुष्य अपने जीवन का प्रत्येक क्षण आनंद और उल्लास से बिताना चाहता है। वह स्वभाव से विनोदप्रिय प्राणी है। वैसे तो सभी त्योहार जीवन में नया उल्लास व नई उमंग भरते हैं लेकिन विशेष रूप से होली हर्ष और आनंद का त्योहार है। यह आशा और आनंद का त्योहार है। इसे सभी जातियों के लोग बड़े प्रेम से मनाते हैं। होली के त्योहार का संबंध पौराणिक कथा के साथ जुड़ा हुआ है।

कहा जाता है कि सतयुग में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्यंत बलवान, अहंकारी और दुष्ट नास्तिक राजा था। वह अपने-आपको ईश्वर समझता था। उसने अपने राज्य में यह घोषणा करवा दी थी कि कोई भी भगवान की पूजा न करे। सभी उसी की उपासना करें। प्रजा डर के मारे उसकी पूजा करने लगी। परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर-भक्त था। गुस्से में आकर पिता ने पुत्र को मार डालने के लिए अपनी बहन होलिका की शरण ली। होलिका प्रहलाद को गोदी में लेकर जलती आग में बैठ गई। देखते-ही-देखते होलिका जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद का बाल भी बाँका न हुआ। यह कथा सच्ची है अथवा कल्पित इसे कह नहीं सकते। परंतु इससे यह पता चलता है कि पाप और अत्याचार की सदा पराजय होती है और न्याय, धर्म तथा सत्य की विजय होती है। होली के दूसरे दिन लोग सवेरे-सवेरे रंग-गुलाल लेकर निकल पड़ते हैं। लोग पिचकारियों से रंग छोड़ने जाते हैं। एक-दूसरे के गले मिलते हैं। इस प्रकार सारा दिन मौज और मस्ती में गुजरता है।

परंतु आजकल होली के इस पवित्र त्योहार में कुछ बुराइयाँ पैदा हो गई हैं। लोग अक्सर शराब पीने लगे हैं। इस त्योहार से गलत परंपराएँ जुड़ती जा रही हैं। लोग रंग-गुलाल की जगह पेंट-वार्निश, कीचड़ आदि का प्रयोग करने लगे हैं जिससे यह भय का पर्व बन गया है। होली भारत का सांस्कृतिक त्योहार है। यह सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है। दुर्व्यसनों में पड़कर हमें त्योहार के वास्तविक महत्त्व को नहीं भूलना चाहिए। हमें होली इस तरह मनानी चाहिए जिससे अपने साथ-साथ सभी को आनंद मिले। तभी हम इस उत्सव की सांस्कृतिक गरिमा को बनाए रख सकते हैं।

दिल्ली एक महानगर है जिसकी जनसंख्या एक करोड़ से भी अधिक है। दिल्ली वासियों के समक्ष यातायात की समस्या बनी रहती है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए 24 दिसम्बर 2002 को दिल्ली मेट्रो का शुभारंभ किया गया। प्रारंभिक चरण में यह सेवा शाहदरा से तीस हजारी तक थी जिसकी लंबाई 8.3 कि. मी. है। तत्पश्चात् इस सेवा का विस्तार विश्वविद्यालय, रिठाला, द्वारिका तथा केन्द्रीय सचिवालय तक कर दिया गया। इस योजना के विस्तार का कर्म युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इसे नौएडा, गुड़गाँव, वैशाली, फरीदाबाद तथा अन्य कई स्थानों तक पहुँचा दिया गया है।

दिल्ली की मेट्रो सेवा दुनिया की आधुनिकतम सेवा है। इसके सभी दरवाजे स्वचालित हैं। इसकी यात्रा के लिए स्वचालित किराया वसूली प्रणाली को अपनाया गया है। यह सेवा या तो भूमिगत है या खंबों के ऊपर ताकि वर्तमान यातायात व्यवस्था में कोई रुकावट न आ सके। इसके कोच में 80 से 100 यात्री सफर कर सकते हैं तथा कोच पूर्णतः वातानुकूलित हैं। मेट्रो रेल में यात्रियों की प्रत्येक सुविधा का ध्यान रखा गया है। स्टेशन परिसरों में खाद्य वस्तुओं, दवाइयों, अखबारों आदि की सुविधा के लिए बूथ बनाए गए हैं। यात्रा के लिए स्मार्ट कार्ड तथा टोकन लेने की व्यवस्था की गई है। यह सारा काम स्वचालित ढंग से संपन्न किया जाता है।

मेट्रो रेल से यात्रा अत्यंत सुरक्षित, सुविधाजनक, प्रदूषण रहित, समय की बचत एवं कम खर्च वाली है। इस व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए हमें पूर्ण सहयोग देना चाहिए। इससे प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी, समय की बचत होगी तथा हम उन्नति की राह पर चलेंगे। हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि हम विश्वस्तरीय सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्त्व है। आज का विद्यार्थी राष्ट्र का भावी निर्माता है। वैसे तो व्यक्ति जीवन-भर कुछ न कुछ सीखता ही रहता है, लेकिन विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति जो कुछ भी सीखता है, उसी पर उसका भावी जीवन निर्भर होता है। विद्यार्थी और अनुशासन का आपस में गहरा संबंध है। बिना अनुशासित हुए विद्यार्थी ठीक से विद्या ग्रहण नहीं कर पाता। अनुशासन ही उन्नति का द्वार है। अनुशासित व्यक्ति के मन की चंचलता समाप्त हो जाती है। उसकी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं हो पाता। अतः वह दिन दूनी, रात चौगुनी उन्नति करने लगता है।

आजकल हमारी नवयुवा पीढ़ी अनुशासन से विमुख हो रही है। यह बहुत ही चिंता का विषय है। आज शिक्षण-संस्थाओं का भी प्रबंध अच्छा नहीं है। अध्ययन के लिए उपयोगी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण छात्रों में पढ़ाई के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। छात्रों में अनुशासनहीनता पनपने के कई कारण हैं- अभिभावकों और शिक्षकों के बीच संपर्क का अभाव, अध्यापकों का अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक न रहना आदि ऐसे कई कारण हैं जिनसे छात्रों में अनुशासनहीनता पनपने लगी है।

अनुशासनहीनता बहुत हद तक दूर हो सकती है। जैसे- शिक्षा पद्धति में परिवर्तन करके ऐसी शिक्षा जिसमें विद्यार्थियों का नैतिक, चारित्रिक विकास हो सके, ऐसी शिक्षा जिसमें विद्यार्थी जीविकोपार्जन के योग्य बन सकें, होनी चाहिए। इन सबसे विद्यार्थियों में असंतोष बहुत हद तक दूर हो जाएगा। उनमें अनुशासन के प्रति लगाव उत्पन्न होगा। अभिभावक और अध्यापक दोनों मिलकर छात्रों के नैतिक सुधार की ओर विशेष रूप से ध्यान देंगे। अंत में, कहा जा सकता है कि यदि हमें राष्ट्र को अनुशासित बनाना है तो नई पीढ़ी को अपने छात्र जीवन से ही अनुशासन का पाठ पढ़ाना होगा। उसी पर स्वस्थ समाज और दृढ़ राष्ट्र की नींव डाली जा सकती है।

लेखन तथा गणना के क्षेत्र में विगत पाँच दशकों में आश्चर्यजनक प्रगति हुई है। कंप्यूटर भी इन्हीं आश्चर्यजनक आविष्कारों में से एक है। आज दफ्तरों, स्टेशनों, बड़ी-बड़ी कंपनियों, टेलीफोन एक्सचेंजों आदि अन्य अनेक ऐसे कल-कारखानों में जहाँ गणना करने अथवा काफी मात्रा में छपाई का काम करने की जरूरत होती है, वहाँ भी कंप्यूटर लगाए गए हैं ताकि मानवों की संख्या में कटौती की जा सके। कंप्यूटर अब वह काम भी करने लगे हैं जो मानव के लिए काफी श्रम-साध्य तथा समय लेने लगे हैं। वैसे तो कंप्यूटर का इतिहास काफी प्राचीन माना जा सकता है। कुछ लोगों का अनुमान है कि मानव ने लगभग 25000 वर्ष पहले वस्तुओं को गिनना सीखा होगा और तभी से कंप्यूटर के आविष्कार की नींव पड़ी होगी। किंतु यह कहना कहाँ तक तर्कसंगत है। गिनने के लिए उस समय कंकड़-पत्थर, लकीरों अथवा अन्य किन्हीं सहज उपलब्ध वस्तुओं को उसने अपनाया होगा। कंप्यूटर की पहली परिकल्पना सन् 1642 में साकार हुई जब जर्मन वैज्ञानिक ब्लेज पॉस्कल ने संसार का पहला सरल कंप्यूटर तैयार किया था। इस कंप्यूटर में ऐसी कोई खास जटिलता नहीं थी, फिर भी अपने समय में यह आम लोगों के लिए एक कौतूहल का विषय अवश्य था।

वर्तमान कंप्यूटर डॉ. हरमन के प्रयासों का अति आधुनिक विकसित रूप है।कंप्यूटर का निरंतर विकास हो रहा है। ई. सी. जी., रोबोट, मानसिक कंपन, रक्तचाप तथा न जाने कितने जीवन-रक्षक कार्यों के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मन, रूस, हालैंड, स्वीडन, ग्रेट ब्रिटेन जैसे-स्मृद्ध देशों में इसका स्थान मनुष्य के दूसरे दिमाग के रूप में माना जाता है। भारत में भी कंप्यूटर विज्ञान की निरंतर प्रगति होती जा रही है। अब भारत भी इस क्षेत्र में समुन्नत देशों की बराबरी करने लगा है। कंप्यूटर एक जटिल गणना प्रणाली का नाम है। इस प्रणाली के अनेक रूप हैं। वर्ड प्रोसेसर, इलेक्ट्रॉनिक टाइपराइटर तथा उसमें मेमॉरी आदि का प्रावधान कंप्यूटर चालन के सिद्धांतों पर आधारित है। कल-पुर्जे तैयार करने, डाक छाँटने, रेल पथ संचालन हेतु संकेत देने, अंतरिक्ष अनुसंधान, वायुयान की गति, ऊँचाई आदि का निर्देशन, टिकट बाँटने, मुद्रण, वीडियो खेल आदि अनेकानेक कार्यों के लिए कंप्यूटर का प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है।

हमारे देश में सर्वप्रथम सन् 1961 में कंप्यूटर आया था। तब से आज तक अनेक समुन्नत देशों से प्राप्त जानकारी हमारे लिए काफी लाभप्रद सिद्ध हुई है। अब हम स्वदेश में ही अनेक प्रकार के कंप्यूटर बनाने में सक्षम होते जा रहे हैं। हजारों की संख्या में, विविध कार्यों के लिए कंप्यूटरों का सहारा लिया जा रहा है। बिजली के बिल, वेतन बिल, टिकट वितरण तथा बैंकिग कार्यों के लिए कंप्यूटरों का उपयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। संघ लोक सेवा आयोग तथा विविध परीक्षा बोर्डों में बैठने वाले सहस्रों लोगों की अंक-तालिकाएँ, रोल नंबर आदि तैयार करना कंप्यूटर की वजह से ही सुसाध्य तथा संभव हो सका है।

आज कंप्यूटर के विविध तथा बहुक्षेत्रीय उपयोग हो रहे हैं। भारत में कंप्यूटर कितने लाभप्रद तथा कितने अलाभकारी हैं- इस पर भी विचार करना जरूरी है। यह बात तो हमें स्वीकार कर ही लेनी चाहिए कि कंप्यूटर भी मानव-निर्मित उपकरण है, जिसमें आंकड़े, सूचनाएँ, अंक, हिसाब-किताब आदि मानव द्वारा ही भरे जाते हैं। अतः यदि मानव से कोई त्रुटि हो जाए तो वह कंप्यटूर में बार-बार तब तक होती रहेगी जब तक वह सुधारी न जाए। अतः यह कहना कि कंप्यूटर गलती नहीं करता, एक गंभीर तथ्य को अस्वीकार करना है। हमारा देश निर्धन देश है जहाँ प्रतिवर्ष हजारों नहीं लाखों की संख्या में बेकार युवक बढ़ते जा रहे हैं। बेकारी घटने का उचित तरीका तो यही होगा कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दिया जाए। उन्हें विविध उत्पादक कार्यों में लगाया जाए ताकि देश में युवा लोगों का उपयोग हो सके।

कंप्यूटर विज्ञान का उपहार है जिसे प्रयोग न करना आज के युग में संभव नहीं है। इसलिए कंप्यूटरीकरण भी आज समय की माँग बन चुका है। भारत में लगभग सभी निजी व्यावसायिक संस्थानों, बैंकों, कई सरकारी संस्थानों व सेवाओं को कंप्यूटरीकृत किया जा चुका है। भविष्य में भी यह उन्नति जारी होगी।

देशभक्ति का शाब्दिक अर्थ है- देश के प्रति प्रेम, उसके प्रति अनुराग। ये धरती ऊँची पर्वतश्रेणियाँ, ये खेत-खलिहान यही सब कुछ मिलकर देश बनता है! पर देश का सच्चा स्वरूप उसके रोड़े-पत्थरों में नहीं है, वह उसके निवासियों में विद्यमान है। जो व्यक्ति देशभक्त होता है, वह अपने व्यक्तिगत हितों, अपने परिवार के हितों, अपने नगरवासियों के हितों और अपने देश के लोगों के हितों की रक्षा अवश्य करता है। किंतु जहाँ देशहित पर आँच आती है, वहाँ वह अपने सर्वहितों का विचार एकदम भूल जाता है। देशभक्त के सामने सबसे ऊपर एक ही विचार रहता है और वह है देश का विचार। इसके अनेक पहलू उसकी आँखों के सामने रहते हैं- देश की एकता, देश का गौरव, देश का सम्मान, देश की समृद्धि और देश की निरंतर प्रगति। देशभक्त किसी की बपौती नहीं है। इसके लिए न धनी होना आवश्यक है न शक्तिशाली होना। धनी या निर्धन, शक्तिशाली या निर्बल हरेक व्यक्ति देशभक्त हो सकता है। देशभक्ति का संबंध मनुष्य की भावना से है। जिसके मन में राष्ट्रहित की जितनी प्रबल भावना होती है वह उतना ही बड़ा देशभक्त है।

सामान्य अवस्था में देशभक्ति की भावना को समझने से पूर्व इतना जान लेना आवश्यक है कि देशभक्ति एक तरह से कर्तव्य का ही दूसरा नाम है। दूसरे शब्दों में, अच्छा नागरिक अच्छा देशभक्त हो सकता है। सामान्य स्थिति में कर्तव्य की भावना का स्तर मंद अथवा शांत रहता है। वही विशेष स्थिति में, अर्थात् संकट की घड़ी में अधिक मुखर हो जाता है। ऐसा आदर्श नागरिक जो राष्ट्र के प्रति वफादार हो, सच्चे अर्थों में देशभक्त कहा जाएगा। जो व्यक्ति देश के गौरव और सम्मान को अपना गौरव और अपना सम्मान समझता है, वह बड़ा देशभक्त है। इसके विपरीत, जो देश के गौरव और सम्मान को अपना गौरव, सम्मान नहीं समझता, वह उतना ही बड़ा देशद्रोही है। जो सैनिक देश की शत्रुओं से रक्षा करता है, वह सच्चा देशभक्त है। जो किसान निष्ठा के साथ अन्न और धान्य उपजाकर देशभर का भरण-पोषण करता है, वह सच्चा देशभक्त है। जो उद्योगपति, मिल-मालिक अथवा व्यापारी ईमानदारी से धन संग्रह करता है, वह देशभक्त है। मिल-मजदूर, फैक्ट्री का कर्मचारी या दुकान का नौकर जब ईमानदारी से अपना काम करता है तो वह भी देशभक्त का दर्जा पाने का अधिकारी है। यदि वह परिवार के निजी हितों को, समाज के लिए पारिवारिक हितों को और राष्ट्र के लिए निजी, पारिवारिक और सामाजिक हितों को गौण समझता है तो वह सच्चा देशभक्त है। जो अध्यापक छात्रों को बिना भेदभाव के विद्यादान देता है, सच्चा राष्ट्रसेवक है।

इसी प्रकार किसी भी पेशे का व्यक्ति, जिसे अपने देश से प्यार है और जो देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने से नहीं चूकता, देश का सच्चा सेवक होता है। एक रेलवे इंजन-ड्राइवर, एक बस-कंडक्टर, एक क्लर्क, एक पोस्टमेन, एक दुकानदार, एक जमादार, जो लोग ईमानदारी से अपने-अपने काम को अंजाम देते हैं- ये सभी के सभी परोक्ष रूप में देश की महान सेवा करते हैं। अभिप्राय यह है कि अपनी निष्ठा के रहते, चपरासी भी महान देशभक्त होता है, और देश के प्रति अपने उत्तरदायित्व से भ्रष्ट होकर मंत्री तक भी देशद्रोही की संज्ञा पा सकता है। हम अपने प्रति सच्चे रहें, अपने कुल-परिवार के लिए सच्चे रहें और इससे बढ़कर हम अपने देश के प्रति सच्चे रहें; यही देश-प्रेम का महान आदर्श है। सभी भेदभाव भुलाकर, सभी पूर्वाग्रहों को मन से निकालकर अपने देशवासियों के प्रति हमारे मन में भाईचारे की भावना जागृत हो; यही सच्चे राष्ट्र-प्रेम की निशानी है। हमारा देश एकजुट होकर उन्नति करे, हमारे देश का नाम अमर रहे, हमारा झंडा ऊँचा रहे। हम किसी से दबें नहीं, हम किसी से झुकें नहीं। भले ही हमारे धर्म और संप्रदाय अलग-अलग हैं, हमारे गाँव, नगर और प्रदेश अलग-अलग हैं, पर हम सब एक महान देश के नागरिक हैं। हम अपने देश के प्रति सच्चे रहेंगे- यह भावना देशभक्ति की ही भावना है। बच्चो, आप भी बड़े होकर ईमानदारी से काम करना। ऐसा कोई काम न करना जिससे हमारे देश को हानि हो। तब तुम भी देशभक्त कहलाओगे।

हमारा देश भारत बहुत बड़ा है। आकार को ध्यान में रखते हुए इस देश की जनसंख्या कहीं ज्यादा है। यह चीन के बाद सबसे अधिक आबादी वाला राष्ट्र है। भारत में इस समय भी आवास, भोजन, रोजगार की काफी कमी है। यही नहीं हवा, पानी जैसी प्रकृति-प्रदत्त सुविधाएँ भी निरंतर प्रदूषित होती जा रही हैं। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। प्रत्येक देश के लिए उतनी ही जनसंख्या काफी होती है जितनी कि रहने के लिए आवास, भोजन, वस्त्र तथा रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। देशवासियों की खुशहाली से एक अच्छी सामाजिक व्यवस्था सुदृढ़ होती है। देश में महँगाई, बेरोजगारी, गरीबी एवं चरित्र का गिरना यह सूचित करता है कि हम अपनी बढ़ती हुई जनसंख्या की थाड़ा भी परवाह नहीं कर रहे हैं।

जिन देशों की सीमाएँ लंबी-चौड़ी हैं, उनके पास भू-भाग बहुत हैं तथा वन-संपदा एवं भू-संपदा की कमी नहीं है। उन देशों में यदि जनसंख्या बढ़ती है तो कोई चिंता की बात नहीं है। किंतु जहाँ स्थिति विपरीत हो वहाँ नागरिकों तथा सरकार का यह सबसे पहला कर्तव्य होता है कि पूरे मन से जनसंख्या में हो रही वृद्धि को नैतिक, प्राकृतिक एवं वृहत्रिम उपायों से जरूर रोका जाए। कुछ अन्य देश ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या ज्यादा है, जैसे जापान, इंग्लैड आदि। किंतु इन छोटे-छोटे देशों ने उद्योग धंधे के क्षेत्र में इतनी अधिक प्रगति कर ली है कि उन्हें जनसंख्या की वृद्धि की ज्यादा चिंता नहीं है। इसके अतिरिक्त व्हाँ के लोग जनसंख्या को नियंत्रित करने में अपना योगदान देते हैं। हमारे देश में संसाधनों में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जो वृद्धि हो रही है, जनसंख्या में वृद्धि उससे कहीं ज्यादा हो रही है। यदि इसी रफ्तार से वृद्धि होती रही तो संसाधनों की कमी पड़ जाएगी।

जनसंख्या में होने वाली वृद्धि से जो समस्याएँ पैदा होती हैं, वे अलग-अलग प्रकार की होती हैं। इसके अलावा 0-7 वर्ष के आयु वर्ग में 15,78,63,145 बच्चे हैं। क्या उनके लिए दूध एवं खाद्य पदार्थों की जरूरत नहीं पड़ेगी? कपड़ा आवास, औषधियाँ बच्चों के लिए जरूरी होते हैं। साधन न होने से इनकी कमी कैसे पूरी की जा सकेगी? जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए सरकार तथा जनता दोनों को मिलकर काम करना होगा, तभी इसमें सफलता मिल पाएगी। प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में परिवार नियोजन के लिए अपार धनराशि निर्धारित करनी पड़ेगी। गर्भ निरोधक औषधियाँ, स्वास्थ्य संबंधी परामर्श की व्यवस्था इतने अंतर पर करनी चाहिए ताकि दंपतियों तथा छोटे बच्चों को उचित सलाह लेने के लिए भागना न पड़े।

सरकारी लाभों को सीमित करके जैसे सरकार की तरफ से ऐसा ऐलान होना चाहिए कि राशन, चिकित्सा, ऋण आदि की सुविधाएँ केवल उन दंपतियों को मिलेंगी जिनकी केवल दो संतानें होंगी। सरकारी नौकरी में भी उन्हीं को तरक्की दी जानी चाहिए जिनके दो से अधिक बच्चे न हों। यदि इस प्रकार के कुछ नियम बनाए जाएँ तथा कुछ अवरोध लगाया जाए, तो एक दशक के भीतर जनसंख्या को काफी सीमा तक काबू किया जा सकता है।

Class 7 Hindi Grammar Chapter 38 निबंध लेखन

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हिंदी निबंध लेखन विषयों और विचारों की सूची (Nibandh/Essay in Hindi)

essay for 7th class in hindi

Essay in Hindi – हिंदी में निबंध विषयों के साथ आना मुश्किल हो सकता है। निबंध लिखते समय, कई कॉलेज और हाई स्कूल के छात्रों को निबंध के लिए विषयों और विचारों के बारे में सोचने में कठिनाई होती है। इस लेख में, हम 5वीं, 6वीं, 7वीं, 8वीं कक्षा के छात्रों के लिए तर्कपूर्ण निबंध, प्रौद्योगिकी पर निबंध, पर्यावरण निबंध जैसे विभिन्न श्रेणियों के कई अच्छे निबंध विषयों को सूचीबद्ध करेंगे। 

निबंध विषयों की निम्नलिखित सूची सभी के लिए है – बच्चों से लेकर कॉलेज के छात्रों तक। हमारे पास निबंधों का सबसे बड़ा संग्रह है। एक निबंध और कुछ नहीं बल्कि सामग्री का एक टुकड़ा है जो लेखक या लेखक की धारणा से लिखा जाता है। निबंध एक कहानी, पैम्फलेट, थीसिस आदि के समान हैं। निबंध के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि आप किसी भी प्रकार की भाषा का उपयोग कर सकते हैं – औपचारिक या अनौपचारिक। यह किसी की जीवनी, आत्मकथा हो सकती है। निम्नलिखित 100 निबंध विषयों की एक महान सूची है। 

निबंध विषय हिंदी में (Essay Topics in Hindi)

जिन छात्रों को कई वर्गों में वर्गीकृत किया गया है, उनके लिए हिंदी में विभिन्न प्रकार के निबंध विषय निम्नलिखित हैं ताकि आप आसानी से अपनी आवश्यकता और आवश्यकता के अनुसार विषय का चयन कर सकें।

घटनाओं पर त्योहारों पर निबंध विषय (Festival Essay in Hindi)

  • स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)
  • शिक्षक दिवस
  • गर्मी की छुट्टी
  • स्वच्छ भारत अभियान
  • दुर्गा पूजा
  • गणतंत्र दिवस
  • Essay on New Year in Hindi

प्रौद्योगिकी पर निबंध विषय (Technology Essay in Hindi)

  • विज्ञान का आश्चर्य

प्रसिद्ध नेताओं पर निबंध विषय (Popular Leaders Essay in Hindi)

  • महात्मा गांधी
  • ए पी जे अब्दुल कलाम
  • जवाहर लाल नेहरू
  • स्वामी विवेकानंद
  • रविंद्रनाथ टैगोर
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल
  • सुभाष चंद्र बोस
  • अब्राहम लिंकन
  • मार्टिन लूथर किंग
  • लाल बहादुर शास्त्री

जानवरों और पक्षियों पर निबंध विषय (Animals & Birds Essay in Hindi)

  • मेरा प्रिय पशु

अपने बारे में निबंध विषय (Essay Topics About Yourself in Hindi)

  • मेरा परिवार
  • मेरा सबसे अच्छा दोस्त
  • मेरे पसंदीदा शिक्षक
  • जीवन में मेरा उद्देश्य
  • मेरा पसंदीदा खेल – निबंध
  • मेरी पसंदीदा पुस्तक
  • मेरी महत्वाकांक्षा
  • मैंने अपनी गर्मी की छुट्टी कैसे बिताई
  • मेरा पालतू कुत्ता
  • मेरे सपनों का भारत
  • माई स्कूल लाइफ
  • मुझे अपने परिवार से प्यार है
  • मेरे पसंदीदा विषय
  • मेरा पसंदीदा खेल बैडमिंटन
  • मेरे पिता मेरे हीरो
  • माई स्कूल लाइब्रेरी
  • मेरा पसंदीदा लेखक
  • गर्मी की छुट्टी के लिए मेरी योजनाएँ

पर्यावरण और प्रकृति पर आधारित निबंध विषय (Environment & Nature Topics Essay in Hindi)

  • ग्लोबल वार्मिंग
  • जंगलों को बचाएं
  • पृथ्वी को बचाओ
  • वायु प्रदुषण
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • बारिश का मौसम
  • जलवायु परिवर्तन
  • पेड़ों का महत्व
  • जरुरत का समय
  • वनों की कटाई
  • प्राकृतिक आपदा
  • पर्यावरण बचाओ
  • गर्मी का मौसम
  • पेड़ हमारे सबसे अच्छे दोस्त निबंध हिंदी में

हिंदी में निबंध के प्रकार

निबंधों के प्रकारों को पहचानना लेखक के लक्ष्य को तय करने का विषय मात्र है। और यह इस बात पर निर्भर करता है कि लेखक दर्शकों को क्या बताना चाहता है या कुछ चित्रित करना चाहता है, या किसी मुद्दे को स्पष्ट करना चाहता है, या पाठक को एक निश्चित दृष्टिकोण को स्वीकार करने के लिए राजी करना चाहता है। आमतौर पर चार प्रमुख प्रकार के निबंध इस प्रकार हैं:

  • वर्णनात्मक निबंध: यहाँ लेखक न केवल किसी स्थान, वस्तु, घटना, या यहाँ तक कि एक विशेष स्मृति के बारे में भी समझाएगा। वह शब्दों के साथ चित्र बनाकर इसका वर्णन करता है। इस प्रकार का निबंध पाठकों को निबंध से भावनात्मक रूप से जोड़ेगा।
  • प्रेरक निबंध: ऐसे निबंध में लेखक को तथ्यों को प्रस्तुत करने के साथ-साथ पाठक को लेखक के दृष्टिकोण से समझाने का प्रयास करना चाहिए। इस निबंध का उद्देश्य तर्क के दोनों पक्षों को प्रस्तुत करना है। आखिरकार, मुख्य उद्देश्य दर्शकों को प्रभावित करना है कि लेखक का तर्क अधिक वजन रखता है।
  • कथा निबंध: इस प्रकार के निबंध में लेखक किसी घटना या कहानी को निबंध के रूप में बयान करेगा। और लेखक भी इस प्रकार के निबंधों को यथासंभव जीवंत और वास्तविक बनाता है।
  • व्याख्यात्मक निबंध: लेखक इस प्रकार के निबंध में एक विषय का संतुलित अध्ययन प्रदान करता है। इसे संभव बनाने के लिए लेखक को विषय के बारे में वास्तविक और व्यापक ज्ञान की आवश्यकता होती है। अपने निबंध को एक्सपोजिटरी टाइप में लिखते समय मुख्य बात जो आपको जाननी चाहिए वह है लेखक की भावनाओं या भावनाओं के लिए कोई जगह नहीं। क्यों क्योंकि एक्सपोजिटरी निबंध पूरी तरह से आंकड़ों, तथ्यों, उदाहरणों आदि पर निर्भर करते हैं। साथ ही, आप इस प्रकार के उप-प्रकार देख सकते हैं जैसे कारण और प्रभाव निबंध, विपरीत निबंध, और बहुत कुछ।

एक निबंध का मूल प्रारूप

एक मूल निबंध में तीन मुख्य भाग होते हैं जैसे परिचय, शरीर और निष्कर्ष। यदि आप इस प्रारूप का पालन करते हैं तो यह आपको निबंध लिखने और व्यवस्थित करने में मदद करता है। हालांकि, लचीलापन महत्वपूर्ण है। इसलिए हिंदी में निबंध लिखते समय मूल संरचना का पालन करें। 

एक निबंध के भाग:

परिचय: पहले पैराग्राफ में, लेखक को उस विषय की एक ध्यान आकर्षित करने वाली हुक लाइन की रचना करनी चाहिए जहाँ दर्शकों को आपके निबंध के साथ शुरू में आकर्षित करने और जुड़ने की आवश्यकता हो। लेखक को पहले पैराग्राफ में एक निबंध का एक बहुत ही संक्षिप्त सारांश प्रस्तुत करना होता है। आम तौर पर, इसे बहुत लंबे समय तक नहीं बढ़ाया जाना चाहिए, लगभग 4-6 पंक्तियों में समाप्त होना चाहिए।

मुख्य भाग: थीसिस में प्रस्तुत किए गए मुख्य बिंदु निबंध के मुख्य भाग द्वारा समर्थित हैं। प्रत्येक बिंदु को एक या अधिक पैरा द्वारा विकसित किया जाएगा और विशेष विवरण के साथ समर्थन किया जाएगा। जानकारी को एक व्यवस्थित प्रवाह में लिखें और बेहतर भागीदारी के लिए पाठक को एक भ्रम मुक्त निबंध प्रदान करें।

निष्कर्ष: समापन पैराग्राफ में, लेखक को समापन संक्रमण, रिवर्स “हुक” और थीसिस के पुनर्कथन पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, निबंध के अंत में मुख्य विषयों और उप-विषयों, वैश्विक वक्तव्यों, या कॉल टू एक्शन लाइनों को फिर से जोड़ना चाहिए।

हमें उम्मीद है कि आपको स्कूल के कार्यक्रमों में हिंदी में निबंध लेखन में भाग लेने के लिए आवश्यक विषय मिल गया होगा। यदि आपको हिंदी में निबंध लिखते समय अधिक सहायता की आवश्यकता है, तो टिप्पणियों के माध्यम से हम तक पहुंचें या हिंदी में निबंध लेखन विषयों से संबंधित हमारी निर्यात टीम से अधिक समर्थन के लिए हमारी साइट Aplustopper पर जाएं।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हिन्दी में एक अच्छा निबंध कैसे लिखें.

किसी भी फॉर्मल राइटिंग के लिए आपको इंट्रोडक्शन, बॉडी और कनक्लूजन को ध्यान में रखना चाहिए। आपका परिचय संक्षिप्त और सटीक होना चाहिए और यह बताना चाहिए कि विषय क्या है। विषय के संबंध में सभी बिंदुओं को शामिल करना चाहिए और निष्कर्ष सभी बिंदुओं को जोड़ना चाहिए।

निबंध लिखने का सबसे अच्छा और सरल तरीका क्या है?

परिचय पैराग्राफ और आप इसमें क्या चर्चा करना चाहेंगे। थीसिस स्टेटमेंट के बाद उद्धरण या संदर्भ यदि कोई हो। अपने थीसिस वक्तव्य और अंत में एक निष्कर्ष वक्तव्य के लिए सहायक पैराग्राफ।

निबंध लेखन के लिए सबसे अच्छी युक्तियाँ क्या हैं?

सुनिश्चित करें कि आपने सभी सामग्री, सूचना सटीकता की जांच की है। निबंध को इस तरह से लिखने का प्रयास करें कि उपयोगकर्ता को दिलचस्प लगे और उसमें उत्साह विकसित हो और उसे पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए। पहला पैराग्राफ दिलचस्प लिखें क्योंकि यह उपयोगकर्ता का ध्यान आकर्षित करता है और वे उन्हें चलते रहते हैं।

ESSAY KI DUNIYA

HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay in Hindi Language – निबंध

December 12, 2017 by essaykiduniya

Essay in Hindi –   These Hindi essays are for Nursery Class, Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12. We provide various types of essay in Hindi such as education, speech, science and technology, India, festival, national day, environmental issues, social issues, social awareness, ethical values, nature and health etc in 100, 200, 300, 400, 500, 600, 700, 800, 900, 1000, 1100, 1200, 1300, 1400, 1500 and 1600 words.

ये हिंदी निबंध नर्सरी कक्षा से कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के लिए हैं। हम शिक्षा, भाषण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, एनीमा, भारत, त्योहार, राष्ट्रीय दिवस, पर्यावरण मुद्दों, सामाजिक मुद्दे, सामाजिक जागरूकता, नैतिक मूल्यों, प्रकृति और स्वास्थ्य आदि जैसे विभिन्न प्रकार के निबंधों को हिंदी में प्रदान करते हैं।

हर कोई इन निबंध को आसानी से समझ सकता है क्योंकि हमने  इनमें बहुत सरल और आसान शब्दों का इस्तेमाल किया है। । ये किसी छात्र द्वारा आसानी से समझे जा सकते है| ऐसे निबंध छात्रों को भारतीय संस्कृति, विरासत, स्मारकों, प्रसिद्ध स्थानों, शिक्षकों, माताओं, पशुओं, पारंपरिक त्योहारों, घटनाओं, अवसरों, प्रसिद्ध व्यक्तित्वों, किंवदंतियों, सामाजिक मुद्दों और इतने सारे अन्य विषयों के बारे में जानने में मदद और प्रेरित कर सकते हैं। हमने बहुत विशिष्ट और सामान्य विषय निबंध प्रदान किए हैं। 

ESSAY IN HINDI – निबंध

निबंध कैसे लिखें

त्योहारों पर निबंध – Essay on Festivals

महान व्यक्तियों पर निबंध – Essay on great personalities 

पर्यावरण के मुद्दें और जागरूकता पर निबंध – Essay on Environment 

स्वास्थ्य और तंदुस्र्स्ती पर निबंध – Essay on Health

 रिश्तो पर निबंध – Essay on Relations

खेल पर निबंध – Essay on Sports

सामाजिक मुद्दे और सामाजिक जागरूकता पर निबंध – Essay on Social Issues

निबंध – Essay in Hindi

भारत पर निबंध –  Essay on India

जानवर पर निबंध – Essay on Animals

हिंदी निबंध – Hindi Essay

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Samvad Lekhan In Hindi For Class 7: हिन्दी संवाद लेखन कक्षा 7 NCERT, Examples

दोस्तों इस लेख में, हमने CBSE Samvad Lekhan In Hindi For Class 7 में यह लेख तैयार की है, यदि आप भी कक्षा 7 के विद्यार्थी हैं और बातचीत करने के लिए संवाद लेखन की तलाश में हैं, तो यह लेख आपकी बहुत मदद करेगी। इसमें मैंने Samvad Lekhan For Class 7 के लिए रखा है, ताकि आपकी पढ़ाई अच्छे से हो सके और आप संवाद आदि प्रतियोगिता में भाग लेकर जीत सकें।

Table Of Contents

  • 1 Samvad Lekhan In Hindi For Class 7
  • 2 संवाद लेखन के उदाहरण
  • 3 संवाद लेखन कक्षा ७ विद्यार्थी के लिए हिंदी में
  • 4 Samvad Lekhan In Hindi For Class 7 Question
  • 5 कक्षा ७ के विद्यार्थियों के लिए हिंदी में संवाद लेखन
  • 6 Samvad Lekhan In Hindi For Class 7 Example
  • 7.1 संवाद लेखन कक्षा 7 वर्कशीट
  • 7.2 संवाद किसे कहते हैं?
  • 7.3 संवाद में क्या क्या विशेषताएं होनी चाहिए?
  • 7.4 निष्कर्ष

Samvad Lekhan In Hindi For Class 7

“Samvad Lekhan” कक्षा 7 के विद्यार्थी के लिए हिंदी भाषा के अध्ययन में शामिल एक सामान्य विषय है। यह दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संवाद या वार्तालाप लिखने की कला को संदर्भित करता है। यह अभ्यास विद्यार्थी को उनके लेखन कौशल को बढ़ाने में मदद करता है और हिंदी व्याकरण और शब्दावली पर उनकी पकड़ में सुधार करता है। तो बस लेख को नीचे स्क्रॉल करें और CBSE Samvad Lekhan For Class 7 Hindi पढ़ें और जानकारी प्राप्त करें।

Samvad Lekhan In Hindi For Class 7: हिन्दी संवाद लेखन कक्षा 7 NCERT, Examples

संवाद लेखन के उदाहरण

1) संवाद: दो दोस्तों के बीच एक फोटोग्राफी टूर की योजना

प्रश्न: हेल्लो, कैसे हो? उत्तर: हेल्लो, मैं ठीक हूँ। तुम कैसे हो?

प्रश्न: आज कुछ प्लान है? उत्तर: हां, मैं सोच रहा हूँ कि हम आज एक फोटोग्राफी टूर पर जा सकते हैं।

प्रश्न: वाह, कौनसे स्थल पर जाने का सोच रहे हो? उत्तर: हम “शहर के ऐतिहासिक स्थल” पर जाने की सोच रहे हैं, वहां बहुत सारी प्रमुख और पुरानी इमारतें हैं।

प्रश्न: कितने बजे मिलोगे? उत्तर: हम सुबह: 8 बजे मिलेंगे, ताकि हम सुबह की रौशनी में फोटोग्राफी कर सकें और छवियों का आनंद ले सकें।

प्रश्न: बहुत अच्छा! मैं भी तैयार हूँ, हमें इस शहर की सुंदरता का और भी करीब से देखने का मौका मिलेगा! उत्तर: हां, बिल्कुल! हम इस फोटोग्राफी टूर के माध्यम से अपने शौक को पूरा करेंगे और शहर की सुंदरता को कैमरे में कैप्चर करेंगे।

नोट : इस संवाद में, दो दोस्तों के बीच फोटोग्राफी टूर की योजना के बारे में बात हो रही है, जिसमें वे फोटोग्राफी के लिए स्थल, समय, और आनंद लेने की योजना बना रहे हैं।

संवाद लेखन कक्षा ७ विद्यार्थी के लिए हिंदी में

2) संवाद: दो दोस्तों के बीच एक गार्डनिंग प्रोजेक्ट की योजना

प्रश्न: आज कुछ प्लान है? उत्तर: हां, मैं सोच रहा हूँ कि हम एक गार्डनिंग प्रोजेक्ट पर काम कर सकते हैं।

प्रश्न: वाह, कौनसे प्रोजेक्ट पर काम करने का सोच रहे हो? उत्तर: हम “गुलाब बगी प्रोजेक्ट” करने का सोच रहे हैं, हम गुलाब के पौधों को लगाना चाहते हैं।

प्रश्न: कितने बजे मिलोगे? उत्तर: हम सुबह: 9 बजे मिलेंगे, ताकि हम सुबह की ठंड में काम कर सकें और पौधों का साझा कर सकें।

प्रश्न: बहुत अच्छा! मैं भी तैयार हूँ, हमें प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का और बेहतरीन गुलाब पौधों की देखभाल करने का मौका मिलेगा! उत्तर: हां, बिल्कुल! हम गुलाब बगी को सुंदरता से सजाएंगे और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेंगे।

नोट : इस संवाद में, दो दोस्तों के बीच एक गार्डनिंग प्रोजेक्ट की योजना के बारे में बात हो रही है, जिसमें वे प्रोजेक्ट का चयन, समय, और आनंद लेने की योजना बना रहे हैं।

Samvad Lekhan In Hindi For Class 7 Question

3) संवाद: गोपाल और मोहन के बीच स्वास्थ्य की चर्चा

गोपाल : हेल्लो, मोहन! तुम कैसे हो?

मोहन : हेल्लो, गोपाल! मैं ठीक हूँ, धन्यवाद। तुम कैसे हो?

गोपाल : मैं भी ठीक हूँ, शुक्रिया। पिछले दिनों से स्वास्थ्य की देखभाल कैसे चल रही है?

मोहन : अच्छा चल रहा है, धन्यवाद। मैं रोज़ सुबह योग और प्राणायाम कर रहा हूँ, और आहार में स्वस्थ और पौष्टिक आहार का ध्यान रख रहा हूँ।

गोपाल : योग और प्राणायाम सच में बेहद फायदेमंद हो सकते हैं। और आपका आहार कैसे दिन-प्रतिदिन का है?

मोहन : जी, मैं खाने में सब्जियों, फलों, दालों, और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में दूध और दूध से बने उत्पादों का सेवन कर रहा हूँ। मैं तेल और तले हुए खाने का प्रयास कर रहा हूँ कम करने का।

गोपाल : यह सब अच्छा है, मोहन। स्वास्थ्य की देखभाल में योग, प्राणायाम, और सही आहार का महत्व होता है। तुम्हारी रोज़गार में कैसा महसूस हो रहा है?

मोहन : मेरे रोज़गार में भी सब अच्छा है। मैं काम के बीच में छोटे छोटे आलस्यकर्मों को करता हूँ, जैसे कि टहलील और व्यायाम करना, जिससे की बैठकर काम करने की अधिकतम समय नहीं बर्बाद होता।

गोपाल : बिल्कुल सही कहा, मोहन! छोटे आलस्यकर्मों का महत्व होता है क्योंकि ये हमारी सीटीज़ को आराम से बेहतरीन तरीके से बनाते हैं।

मोहन : हाँ, गोपाल, बिल्कुल सही कहा। ध्यान रखने से हम स्वास्थ्य में सुधार पा सकते हैं और जीवन को ज्यादा खुशीपूर्ण बना सकते हैं।

गोपाल : ठीक है, मोहन, तुम्हारे साथ बात करके अच्छा लगा। हमें स्वास्थ्य को महत्व देने और आपसी सहयोग करने का प्रयास करना चाहिए।

मोहन : हाँ, गोपाल, यह बिल्कुल सही है। ध्यान रखने से हम एक-दूसरे की जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं।

कक्षा ७ के विद्यार्थियों के लिए हिंदी में संवाद लेखन

4) संवाद: इसरो और नासा के बीच स्पेस मिशन के बारे में चर्चा

ISRO (Indian Space Research Organization): हेल्लो, नासा! कैसे हो?

NASA (National Aeronautics and Space Administration): हेल्लो, ISRO! हम ठीक हैं, धन्यवाद। तुम्हें कैसे जानकारी हो?

ISRO : हम भी ठीक हैं, धन्यवाद। हमारे नए स्पेस मिशन के बारे में चर्चा करने के लिए मुझसे बात कर रहे हैं।

NASA : अच्छा, यह बड़ी खुशियां हैं! आपका नया स्पेस मिशन क्या है?

ISRO : हमारा नया मिशन है “गौरवी” – यह हमारा पहला मानव अंतरिक्ष यात्रा मिशन होगा। हम चाहते हैं कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री भी गौरवी मिशन के साथ जाएं और वह अंतरिक्ष में अद्वितीय अनुभव प्राप्त करें।

NASA : यह सुनकर बड़ी रोचक बात है! हम भी हाल ही में “आर्टेमिस” मिशन की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें हम पुनः चंद्रमा पर जाने की योजना बना रहे हैं।

ISRO : वाह, “आर्टेमिस” मिशन सुनने में बड़ी रोचक लग रहा है! चंद्रमा पर आपके अनुसंधान का क्या उद्देश्य है?

NASA : हम चंद्रमा पर इंसान के फिर से प्रक्षिप्त करने की योजना बना रहे हैं और वहां से मानव अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत करने का माध्यम तैयार कर रहे हैं।

ISRO : यह सुनकर बड़ी महत्वपूर्ण काम है! हम भी अपने अंतरिक्ष मिशन में मानव अंतरिक्ष यात्रा को बढ़ावा देने के लिए जुटे हैं।

NASA : हम दोनों संगठनों के बीच भाग्यशाली साझेदारी की कामना करते हैं और अंतरिक्ष अनुसंधान में आपके साथ मिलकर अद्वितीय प्रयासों का समर्थन करते हैं।

ISRO : धन्यवाद, NASA! हमें गर्व है कि हम अंतरिक्ष के क्षेत्र में आपके साथ काम कर सकते हैं, और यह सुनकर बड़ी खुशी हो रही है कि आपके साथ एक समर्थनीय साझेदारी है।

NASA : बिल्कुल, ISRO! आपके साथ काम करने का हमें भी गर्व है, और हम यह उम्मीद करते हैं कि हम आपके साथ अंतरिक्ष की नई ऊंचाइयों को छूने में सफल होंगे।

ISRO : आइए, हम मिलकर अंतरिक्ष की नई मिलकर उम्मीदों को हकीकत में बदलने का प्रयास करते हैं! धन्यवाद, NASA!

NASA : धन्यवाद, ISRO! हम मिलकर इस साहसिक यात्रा को साझा करेंगे।

Samvad Lekhan In Hindi For Class 7 Example

5) संवाद: दो दोस्तों के बीच एक विज्ञान म्यूज़ियम जाने की योजना

प्रश्न : हेल्लो, कैसे हो? उत्तर : हेल्लो, मैं ठीक हूँ। तुम कैसे हो?

प्रश्न : आज कुछ प्लान है? उत्तर : हां, मैं सोच रहा हूँ कि हम आज एक विज्ञान म्यूज़ियम में जा सकते हैं।

प्रश्न : वाह, कौनसे म्यूज़ियम में जाने का सोच रहे हो? उत्तर : हम “विज्ञान और प्रौद्योगिकी म्यूज़ियम” जाने की सोच रहे हैं, वहां बहुत सारी रोचक विज्ञानिक प्रदर्शन होते हैं।

प्रश्न : कितने बजे मिलोगे? उत्तर : हम सुबह: 10 बजे मिलेंगे, ताकि हम पहले से ही टिकट खरीद सकें और धीरे-धीरे म्यूज़ियम का आनंद ले सकें।

प्रश्न : बहुत अच्छा! मैं भी तैयार हूँ, हमें विज्ञान की दुनिया का और अधिक ज्ञान हासिल करने का मौका मिलेगा! उत्तर : हां, बिल्कुल! हम विज्ञान के चमत्कारों को जानने का और अधिक समय देंगे और सीखेंगे।

नोट : इस संवाद में, दो दोस्तों के बीच विज्ञान म्यूज़ियम जाने की योजना के बारे में बात हो रही है, जिसमें वे म्यूज़ियम का चयन, समय, और शिक्षा प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं।

Samvad Lekhan In Hindi For Class 7 Topic

6) संवाद: दो दोस्तों के बीच एक विद्यालय कैंपस की यात्रा की योजना

प्रश्न : आज कुछ प्लान है? उत्तर : हां, मैं सोच रहा हूँ कि हम एक विद्यालय कैंपस की यात्रा कर सकते हैं।

प्रश्न: वाह, कौनसे विद्यालय कैंपस पर जाने का सोच रहे हो? उत्तर : हम “सिटी एक्सप्लोरर्स विद्यालय” कैंपस पर जाने की सोच रहे हैं, वहां बहुत सारे रोचक कक्षाएं और सुविधाएं हैं।

प्रश्न : कितने बजे मिलोगे? उत्तर : हम सुबह: 9 बजे मिलेंगे, ताकि हम पहले से ही कैंपस की सैर कर सकें और कक्षाओं का दौरा कर सकें।

प्रश्न : बहुत अच्छा! मैं भी तैयार हूँ, हमें विद्यालय की वातावरण का और अधिक पता चलेगा और शिक्षा के दिनों का अनुभव होगा! उत्तर : हां, बिल्कुल! हम विद्यालय की सुविधाओं का और अधिक अध्ययन करेंगे और विद्यालय के महत्वपूर्ण दिनों का अनुभव करेंगे।

नोट : इस संवाद में, दो दोस्तों के बीच विद्यालय कैंपस की यात्रा की योजना के बारे में बात हो रही है, जिसमें वे कैंपस का चयन, समय, और ज्ञान प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं।

संवाद लेखन कक्षा 7 वर्कशीट

प्रश्नः 1) बढ़ती महँगाई को लेकर दो नागरिकों की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।

  • हरिप्रसाद – अरे पंकज क्या लाए हो बाजार से?
  • पंकज – जी, अंकल ज्यादा कुछ नहीं, बस थोड़ी सी दालें और चावल ही लाया हूँ।
  • हरिप्रसाद – अब इस बढ़ती महँगाई ने तो सबका हाथ ही तंग कर दिया है।
  • पंकज – कुछ न पूछिए! सभी चीजों के दाम आसमान को छू रहे हैं, कोई भी चीज सस्ती नहीं है। कुछ दालों के तो 200 रुपए किलो तक पहुँच गए हैं।
  • हरिप्रसाद – दालें ही क्या सभी चीजें इतनी महँगी हो गई हैं कि वे आम आदमी की पहुँच से बाहर होती जा रही हैं।
  • पंकज – पर मेरी एक बात समझ में नहीं आती। महँगाई को रोकने के लिए सरकार क्यों कुछ नहीं कर रही है?
  • हरिप्रसाद – अरे भैया! मुझे तो लगता है दाल में कुछ काला है। वरना सरकार चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकती। महँगाई के खिलाफ़ कानून बना सकती है। चीजों के दाम तय कर सकती है।
  • पंकज – यही नहीं, उचित दाम से अधिक मूल्य वसूलने वालों को धर पकड़ भी सकती है।
  • हरिप्रसाद – हाँ, सरकार आए दिन कुछ न कुछ बयान अवश्य देती है। कभी वायदे करती है, कभी योजनाएँ बनाती है, पर न तो वे वायदे कभी पूरे होते हैं और न ही वे योजनाएँ।
  • पंकज – आश्चर्य की बात यह है कि विपक्षी पार्टियाँ भी सरकार पर दबाव डालने के लिए कुछ नहीं कर रही हैं।

प्रश्नः 2) चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद – चॉक और ब्लैकबोर्ड के बीच संवाद।

  • चॉक – ब्लैक बोर्ड देखो तो तुम पर मेरी लिखाई कितनी अच्छी लग रही है।
  • ब्लैक बोर्ड – हाँ तुम्हारी लिखाई सफ़ेद जो है।
  • चॉक – अभी-अभी पेंट होने की वजह से तुम्हारा रंग बिल्कुल काला हो गया है।
  • ब्लैक बोर्ड − इसलिए तुमसे लिखा गया सब कुछ साफ़ व सुंदर दिख रहा है।
  • चॉक – हम दोनों की जोड़ी विद्यालय में बहुत प्रसिद्ध है .
  • ब्लैक बोर्ड – हाँ होगी क्यों नहीं ! शिक्षक हमारे द्वारा ही तो बच्चों को पढ़ा पाते हैं .
  • चॉक – तुम बच्चों के लिए किताब की तरह हो .
  • ब्लैक बोर्ड − तुम कलम (pen ) की तरह हो .
  • चॉक – जब बच्चे मुझे लेने ऑफिस में जाते हैं तो उन्हें बहुत मजा आता है .
  • ब्लैक बोर्ड − मुझ पर लिखा हुआ मिटाते समय बच्चा अपने आपको कक्षा का खास बच्चा समझता है .
  • चॉक – ब्लैक बोर्ड भैया !बच्चे बहुत मासूम होते हैं .
  • ब्लैक बोर्ड − हाँ ! कुछ-कुछ शैतान भी होते हैं . हर प्रकार के बच्चे कक्षा में बहुत अच्छे लगते हैं .
  • चॉक – अरे हाँ ! मैं lockdown में सभी को बहुत याद करती हूँ .
  • ब्लैक बोर्ड − कोरोना के कारण विद्यालय बंद होने से मैं भी बच्चों को देखने के लिए तरस गया .
  • चॉक – अरे छोड़ो भी online मोड में तुम तो गूगल ब्लैक बोर्ड बन गए हो .
  • ब्लैक बोर्ड − हा,हा,हा ! जल्दी ही तुम गूगल चॉक बन जाओगी.

प्रश्नः 3) माँ और बच्चे के बीच संवाद।

  • बबीत – माँ, मुझे बहुत भूल लग रही है। आप डॉनल्ड का बर्गर मँगा दो।
  • माँ – बबीत, कल तुमने पीज़ा खाया था और सुबह मैगी। तुम्हें कितनी बार समझाया है कि यह कूड़ा अर्थात ‘जंक फूड’ है, इसे नहीं खाना चाहिए।
  • बबीत – माँ, पीजी तो कल अक्षत के जन्मदिन की पार्टी में खाया था और मैगी भैय्या ने बनाई थी।
  • माँ – पर, गया तो तुम्हारे पेट में न। नुकसान तो तुम्हारा हुआ ना। जानते हो ये सब चीजें दिल को तो कमजोर करती ही हैं, साथ ही शरीर को मोटा करती हैं और न जाने कितनी बीमारियों को जन्म देती हैं। तुम अपने शरीर को ऐसा करना चाहोगे।
  • बबीत – सॉरी, माँ अब से मैं ‘जंक फूड’ नहीं केवल हरी सब्ज़ियाँ खाऊँगा।
  • माँ – शाबाश, मेरा अक्लमंद बेटा।

प्रश्नः 4) कलम का कॉपी से संवाद – कलम और कॉपी के बीच संवाद।

  • कलम – कॉपी! क्या मेरे द्वारा तुम पर लिखा जाना तुम्हें अच्छा लगता है।
  • कॉपी – जब तुम. छात्र या अन्य लोग मुझ पर सुंदर-सुंदर शब्द लिखते हैं तो मैं बहुत खुश होती हूँ।
  • कलम – सच ! बहुत अच्छी बात है।
  • कॉपी – लेकिन अगर किसी की लिखावट खराब होती है या स्याही मुझ पर फैलती है तो मुझे बुरा लगता है।
  • कलम – मैं ऐसा बिलकुल नहीं चाहती लेकिन कई बार बच्चे मनोरंजन के कारण कुछ भी लिख देते हैं।
  • कॉपी – मुझे तुम पर गर्व है कलम ! क्योंकि तुम्हारे बिना मेरा होना ही अधूरा है। तुम्हारे बिना मेरी कोई उपयोगिता नहीं है। मैं तुम्हारी आभारी हूँ।
  • कलम – ऐसा मत बोलो, तुम्हारे बिना मेरी भी कोई उपयोगिता नहीं है।
  • कॉपी – हाँ !लगता है हम दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं .
  • कलम – (गाना गुनगुनाती है ) हम बने ,तुम बने ,एक दूजे के लिए …
  • कॉपी – जोड़ी नंबर -1 जिंदाबाद.

संवाद किसे कहते हैं?

संवाद को जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच में विचार और जानकारी का आदान-प्रदान कहा जाता है, तो उसे ‘संवाद’ कहते हैं। संवाद एक महत्वपूर्ण सामाजिक और कॉम्यूनिकेशन कौशल है, जिसमें विचारों, विचारों और जानकारी को स्वतंत्र रूप से व्यक्त किया जा सकता है और दूसरे व्यक्तियों के साथ साझा किया जा सकता है। संवाद एक सुनने और बोलने का प्रक्रियात्मक प्रक्रिया होता है, जिसमें ज्ञान, विचार, और भावनाओं का आपसी आदान-प्रदान होता है।

संवाद किसी भी विषय पर हो सकता है, जैसे कि व्यक्तिगत बातचीत, सामाजिक विषय, व्यवसायिक परिप्रेक्ष्य, शिक्षा, और कई अन्य। संवाद का मुख्य उद्देश्य जानकारी साझा करना, गहरे विचारों को व्यक्त करना, और दूसरों के साथ बातचीत करके विचारों को सुधारना और समझाना होता है।

संवाद के दो प्रमुख रूप होते हैं:

  • मौखिक संवाद (Oral Communication): मौखिक संवाद मौखिक भाषा का उपयोग करके होता है, जिसमें व्यक्तिगत बातचीत, बोलचाल, भाषण, और संवादिता शामिल होते हैं। इसमें आवाज, भाषा, भावनाओं का अभिव्यक्ति शामिल होता है। मौखिक संवाद का उदाहरण हैं – व्यक्तिगत बातचीत, व्यवसायिक मीटिंग, भाषण, और टेलीफोन कॉल इत्यादि।
  • लिखित संवाद (Written Communication): लिखित संवाद मौखिक भाषा की बजाय लिखित शैली में होता है। इसमें ब्रीफ, रिपोर्ट, पत्र, ईमेल, लिखित संदेश, और दस्तावेजों का उपयोग होता है। यह लिखित विचारों को स्पष्टता और निष्कर्षता के साथ प्रस्तुत करने का माध्यम होता है और स्थायी रूप से दस्तावेजों में रिकॉर्ड किया जा सकता है।

संवाद में क्या क्या विशेषताएं होनी चाहिए?

संवाद को सफल बनाने के लिए कुछ विशेषताएं होनी चाहिए:

  • सुनने की क्षमता (Listening Skills): संवाद में सुनने की क्षमता महत्वपूर्ण है। आपको ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए, ताकि आप दूसरे व्यक्ति के भावनाओं और विचारों को समझ सकें।
  • स्पष्टता (Clarity): संवाद की स्पष्टता होनी चाहिए, ताकि दूसरे व्यक्ति समझ सकें कि आप क्या कहना चाह रहे हैं। अशब्द, अन्यायुक्त या अस्पष्ट भाषा से बचना चाहिए।
  • समय प्रबंधन (Time Management): संवाद में समय का सही उपयोग करना महत्वपूर्ण है। आपको अपनी बात को संक्षेप से प्रस्तुत करना चाहिए और समय पर बातचीत को समाप्त करना चाहिए।
  • संवादिक और अवसरवादी (Engagement and Adaptability): आपको संवादिक बनने का प्रयास करना चाहिए, जिससे कि आप दूसरे व्यक्ति के साथ संवाद में रुचाना ला सकें। आपको परिस्थितियों के आधार पर अपने संवाद को समायोजित करने की क्षमता होनी चाहिए।
  • समझदारी (Empathy): संवाद में सामंजस्य और समझदारी होनी चाहिए। आपको दूसरे व्यक्ति की दृष्टिकोण समझने का प्रयास करना चाहिए और उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
  • संवाद में सजीवता (Active Participation): आपको संवाद में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए, न कि केवल बोलने वाले या सुनने वाले की भूमिका में रहना चाहिए।
  • संवाद के उद्देश्य का पालन (Objective): आपको संवाद के उद्देश्य को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए और उसे प्राप्त करने के लिए अपने संवाद को अनुकूलित करना चाहिए।
  • संवाद में संतुलन (Balance): संवाद में संतुलन बनाए रखना चाहिए, यानी कि आपको बातचीत के समय बातचीत के सभी पक्षों को महत्व देना चाहिए।
  • भाषा का उपयोग (Language Usage): संवाद में सामाजिक, व्यवसायिक या अन्य संदर्भों के हिसाब से उपयुक्त भाषा का उपयोग करना चाहिए।
  • प्रतिक्रिया और पुनरावलोकन (Feedback and Reflection): संवाद के बाद प्रतिक्रिया और सोच-समझकर विचार करना चाहिए ताकि आप अपने संवाद कौशल में सुधार कर सकें।

इन विशेषताओं का पालन करके, आप संवाद को और भी प्रभावी और सार्थक बना सकते हैं।

संवाद लेखन में ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हो सकती हैं:

  • विषय का साफ़ संकेत (Clear Subject Line): अगर आप एक ईमेल या संदेश के माध्यम से संवाद कर रहे हैं, तो आपके संदेश के विषय को स्पष्ट रूप से प्रकट करने के लिए संकेत देना चाहिए।
  • उपयुक्त और सुविधाजनक भाषा (Appropriate and Conducive Language): संवाद में उपयुक्त भाषा का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। आपको अपने प्राप्त करने वाले संवादके की भाषा और स्तर के आधार पर भाषा का चयन करना चाहिए।
  • संक्षेप और मुख्य बिंदु (Conciseness and Main Points): अपने संवाद को संक्षेप में लिखने का प्रयास करें और मुख्य बिंदुओं को हाइलाइट करें।
  • उचित तारीख और समय (Appropriate Date and Time): संवाद में समय और तारीख को सही ढंग से उचितता के साथ उपयोग करें।
  • सटीक और योग्य प्राधिकृतियां (Accurate and Relevant Credentials): आपके संवाद के साथ उचित प्राधिकृतियां और संवादक के विचार को समर्थित करने वाली जानकारी को संबंधित रूप से प्रस्तुत करें।
  • उचित संवाद प्रारूप (Proper Dialogue Format): अगर आप किसी प्रकार के संवाद लेख रहे हैं, तो संवाद प्रारूप का उपयोग करें, जिसमें व्यक्तिगत वक्ताओं की बोलचाल को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
  • सजीव और रुचिकर संवाद (Engaging and Interesting Conversation): आपके संवाद को सजीव और रुचिकर बनाने के लिए उदाहरण, कथा, या उद्धरणों का उपयोग कर सकते हैं।
  • समय प्रबंधन (Time Management): संवाद में समय का सही उपयोग करना महत्वपूर्ण है। आपको संवाद को समय सीमित करके लिखना चाहिए, ताकि आपके संवादके को समय से पूरी जानकारी मिल सके।
  • प्रतिक्रिया के लिए खुला द्वार (Open Door for Feedback): संवाद में प्रतिक्रिया के लिए संवादके को खुला द्वार दें, ताकि वह आपके संवाद के साथ सहयोग कर सकें या संवाद को आगे बढ़ा सकें।
  • श्रीष्ठ संवाद कौशल (Excellent Communication Skills): अच्छे संवाद कौशल होने का प्रयास करें, जैसे कि सुनने, बोलने, और समझने की क्षमता।

इन सुझावों का पालन करके, आप संवाद लेखन में अधिक प्रभावी और प्रोफेशनल तरीके से संवाद कर सकते हैं।

तो आपको यह लेख CBSE Samvad Lekhan In Hindi For Class 7 कैसी लगी नीचे Comment करके हमें जरूर बताएं तथा लेख को अपने दोस्तों मे शेयर जरूर से जरूर करें, क्योंकि HINDIDP.IN पर ही आपको सबसे सटीक जानकारी देने का काम हम कर रहें है और करते रहेंगे।

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CBSE Class 7 Hindi Sample Paper 2023-24 PDF (Free Download)

Free pdf download.

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Scoring high marks in CBSE Class 7 Hindi is not tough if one prepares for the exam properly. Students should finish their Hindi syllabus earlier and then practice CBSE Class 7 Hindi Sample Paper to understand the important aspects of question papers.

Our subject matter experts analyse the CBSE Class 7 Hindi Syllabus, previous year question papers, and refer to the chapter’s end questions to develop the CBSE Class 7 Hindi Sample Paper. It is one of the best study tools that help class 7 students to prepare for their Hindi exam. 

Here on this page, we have mentioned the class 7 CBSE sample paper Hindi, so that students can download them and use them to solve various sets of questions to develop a strong base in the Hindi subject to perform score better marks in the exam.

Sample Question Paper for Class 7 CBSE Hindi with Solutions

To tackle the difficult questions and to cross check the written answers, Sample Question Paper for Class 7 CBSE Hindi with Solutions are ideal. Because subject experts have prepared the solutions in an easy to understand manner where each Hindi question has been solved in step by step method.

The solution is also very helpful in solving those Hindi questions where students feel stuck. In other words, the Sample Question Paper for Class 7 CBSE Hindi with Solutions is an ultimate study resource that allows students to prepare well for their upcoming annual examination. Every single student of CBSE Class 7 should refer to the sample question papers with solutions, during the classroom or final exam preparation. In the given list here, we have CBSE class 7 Hindi sample paper available for free of cost along with the answers.

CBSE Class 7 Hindi Sample Papers 2021 Set - 1

CBSE Class 7 Hindi Sample Papers  2021 Set - 2

CBSE Class 7 Hindi Sample Papers  2021 Set - 3

Set Wise Sample Question Paper for Class 7 Hindi

Students shouldn’t suffer while accessing and solving the Sample Question Paper for Class 7 Hindi, therefore, here at Selfstudys, we have mentioned the Set Wise Sample Question Paper for Class 7 Hindi. These sample question papers help students to solve as many questions as possible.

Along with that, practicing these sample papers enable the students to build confidence and be prepared for the Hindi examination to score higher marks. Links to download class 7 CBSE sample paper Hindi are available here in this page.

Why Does Someone Need CBSE Class 7 Hindi Sample Paper?

Those who want to understand their level of exam preparation and want to practice lots of Hindi questions can refer to the CBSE class 7 Hindi sample paper. It is also ideal for the students who want to level up their grip in Class 7 Hindi topics. 

However, the CBSE Class 7 Hindi Sample Paper is most importantly a requirement for the students who are preparing for their SA1, SA2 or annual exam. It is their requirement because solving the sample question papers of Class 7 Hindi help them to understand the exam pattern, marking scheme and the question’s type. 

Is It Worth To Use CBSE Class 7 Hindi Sample Paper PDF?

Yes, it is worth using CBSE Class 7 Hindi Sample Paper PDF as it allows students to be thorough with the actual annual exam questions. Referring to the class 7 CBSE sample paper Hindi is also worthy as it helps students to grab all the fundamental details about the Hindi exam.

Also, referring to the CBSE Class 7 Hindi Sample Paper PDF, helps students to deal with all kinds of expected questions.

How to Download CBSE Class 7 Hindi Sample Paper?

The download process of CBSE Class 7 Hindi Sample Paper is very simple - follow the step by step method below, to download the Class 7 Hindi Sample Papers in PDF file format.

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Use CBSE Class 7 Hindi Sample Paper To Know About Question Papers Before Appearing in the Exam

In order to appear in the final examination, all Class 7 students should be able to optimise their time. Also, they should have a proper understanding of the questions types, which is possible by solving or practising the CBSE Class 7 Hindi sample papers.

Therefore, solving the CBSE Class 7 Hindi Sample Paper before appearing in the exam is important and it is advised too.

Benefits of Practicing CBSE Class 7 Sample Paper of Hindi

During the annual exam preparation, students should look for all kinds of study materials that can help them in the preparation process. Class 7 CBSE sample paper Hindi is one of those study resources that benefits students when they are doing the last minute exam preparation. A few benefits a student will get from Practicing CBSE Class 7 Sample Paper of Hindi are -

  • A quick revision to the CBSE Class 7 Syllabus
  • A thorough practice to the std 7 Hindi questions
  • An opportunity for free self-evaluation

Study Tips for Final Exam Preparation Using Sample Question Paper for Class 7 CBSE Hindi with Solutions

In this section, we will cover a few study tips for the final exam preparation using sample question paper for class 7 CBSE Hindi with solutions. Following these study tips students can enhance their learning as well as they will get a roadmap to cover their syllabus and CBSE class 7 sample paper Hindi to perform better in the final exam -

  • Note down all the chapters and subtopics you need to cover in Class 7 Hindi.
  • Read every single chapter thoroughly as questions in class 7 CBSE sample paper Hindi can be asked from anywhere from the chapter.
  • Solve chapter’s end questions simultaneously so that answering the questions in the actual exam can be less hectic.
  • Once everything is done including, a thorough revision and syllabus completion, solving CBSE class 7 Hindi sample paper is advised.
  • While solving the Hindi questions from Class 7 Sample papers, referring to the sample question paper for class 7 CBSE Hindi with solutions are suggested as it will help in cross-checking the answers and assist in understanding the methods to solve the questions.

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विद्यार्थी जीवन पर निबंध – Essay on Student Life in Hindi

Essay on Student Life in Hindi : आज हम विद्यार्थी जीवन पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 & 10 के विद्यार्थियों के लिए है.

वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी में विद्यार्थियों का जीवन कहीं भटक सा रहा है इसीलिए विद्यार्थियों को उनके जीवन के बारे में समझाने के लिए हमने यह निबंध लिखा है.

जो विद्यार्थी इस निबंध को पढता है वह भली-भांति समझ जाएगा कि उसका यह समय कितना महत्वपूर्ण है.

इस समय विद्यार्थियों का मस्तिष्क इतना चंचल होता है कि वह कुछ भी कर सकते है इसलिए अभिभावकों को भी अपने बच्चों को समय देना चाहिए.

Essay on Student Life in Hindi

Get Some Essay on Student Life in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 and 10 Students.

Best Essay on Student Life in Hindi 100 Words

विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन का अहम और प्रथम पड़ाव होता है इस समय बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास होता है. इस समय विद्यार्थी एक कच्चे घड़े के समान होता है जिसको ठोक-पीटकर, सहलाकर किसी भी आकार में ढाला जा सकता है.

इस समय विद्यार्थी को उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है वह उसे विद्यालय में शिक्षकों द्वारा प्राप्त होता है. यही वह समय होता है जब विद्यार्थी को अच्छा-बुरा, सम्मान-असम्मान, गुण-अवगुण इत्यादि का ज्ञान होना प्रारंभ होता है.

इस समय जो विद्यार्थी लगन और मेहनत करके अच्छी शिक्षा हासिल कर लेते है वही आगे आने वाले जीवन में खुशहाल रहते है और एक अच्छे व्यक्तित्व की मिसाल बनते है.

Vidyarthi Jeevan Essay in Hindi 300 Words

मनुष्य के लिए विद्यार्थी जीवन अति महत्वपूर्ण होता है विद्यार्थी जीवन बाल्यकाल से ही प्रारंभ हो जाता है. विद्यार्थी जीवन किसी मकान की नींव की तरह होता है.

अगर किसी मकान की नींव कमजोर होती है तो उस पर बनाई गई मंजिल ढह जाएगी उसी प्रकार मनुष्य अगर अपने विद्यार्थी जीवन का उपयोग सही से नहीं करता है तो उसका पूरा जीवन व्यर्थ हो जाता है.

जीवन के इस काल में विद्यार्थी को समय का सदुपयोग करना आना चाहिए, विद्यार्थी जीवन से ही व्यक्ति का चरित्र निर्माण होने लग जाता है, उसे अच्छे-बुरे का एहसास होने लगता है हालांकि विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति का मन बहुत चंचल होता है इसलिए वह सब कुछ करना चाहता है.

इस समय उसके ज्ञान की पिपासा सबसे ऊंच स्तर पर होती है इस ज्ञान की पिपासा को शांत करने के लिए एक गुरु की आवश्यकता होती है वह गुरु जो उसे सही मार्गदर्शन देकर जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में बताएं अपनों से बड़ों का सम्मान करना सिखाए, से सभी भाषाओं का ज्ञान दें.

वर्तमान में विद्यार्थियों की गुरु की तलाश विद्यालय में जाकर पूरी होती है वहां पर अलग-अलग विषयों पर पारंगत शिक्षक गण मिलते है जो कि उन्हें ज्ञान देते है. इस समय विद्यार्थियों को भी संपूर्ण ध्यान एकाग्र करके ज्ञान प्राप्त करना होता है अगर वह इसमें किसी भी प्रकार की चूक करते हैं तो इसका मूल्य उन्हें भविष्य में देना पड़ता है.

विद्यार्थियों को पढ़ाई के अलावा अपने स्वास्थ्य के ऊपर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो वह पढ़ाई नहीं कर पाएंगे इसलिए हमेशा विद्यालय में होने वाले खेल कूद प्रतियोगिताओं में उन्हें भाग लेते रहना चाहिए.

विद्यार्थियों के सामने संपूर्ण भविष्य बाहें फैलाए खड़ा रहता है उन्हें प्रत्येक क्षेत्र की जानकारी लेनी चाहिए और जिस क्षेत्र में उनकी रुचि अधिक हो उसमें ध्यान देना चाहिए.

यही उनके जीवन का सबसे उत्तम समय होता है जब वह अपने आप में हर प्रकार की क्षमता का विकास कर सकते है इसलिए विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को हमेशा सचेत और एकाग्र होकर व्यतीत करना चाहिए जिससे भविष्य में आने वाली कठिनाइयों को आसानी से सुलझा सकें.

Latest Essay on Student Life in Hindi 800 Words

विद्यार्थी जीवन खुशहाल भविष्य की ओर पहला कदम होता है. यह वह स्वर्णिम अवसर होता है जो कि जीवन में दोबारा कभी नहीं मिलता है.

यह मनुष्य के लिए ईश्वर का दिया गया सबसे अनमोल उपहार है जिसको अगर कोई व्यर्थ कर देता है तो उसका पूरा जीवन नष्ट भ्रष्ट हो जाता है.

विद्यार्थी जीवन मनुष्य के बाल्यकाल से ही प्रारंभ हो जाता है . बाल्यावस्था में मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है उसमें किसी प्रकार का विकार तो नहीं होता लेकिन समाज के अराजक के लोगों द्वारा भटकाया जा सकता है.

इसीलिए विद्यार्थी को इस समय उत्तम शिक्षा और श्रेष्ठ शिक्षक की आवश्यकता होती है. पुरातन काल में माता-पिता अपने बच्चों को गुरुकुल भेज दिया करते थे जहां पर गुरु द्वारा उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाती थी साथ ही बच्चों को अनुशासन में रहना और बड़ों का सम्मान करना भी सिखाया जाता था.

गुरु अपने आश्रम में कई सालों तक अपने शिष्यों की परीक्षा लेते थे और उन्हें विद्वानों और पराक्रमी बनाकर ही भेजते थे किंतु वर्तमान में गुरुकुल प्रथा खत्म हो गई है और उनकी जगह विद्यालय और कॉलेजों ने ले ली है यहां पर भी उसी प्रकार वर्तमान शिक्षा प्रणाली के अनुसार शिक्षा दी जाती है.

विद्यार्थियों के लिए विद्यालय की इस संसार में पहला कदम होता है. विद्यार्थी जीवन का यह कार्य ज्ञान अर्जित करने का सबसे अच्छा समय है क्योंकि इस समय विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की चिंता नहीं होती है साथ ही उनका मस्तिष्क पूरी तरह से ज्ञान अर्जित करने के लिए उत्सुक होता है.

मनुष्य का विद्यार्थी जीवन ही तय करता है कि भविष्य में वह कैसा इंसान बनेगा इसलिए विद्यार्थियों को हमेशा अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए और हमेशा अपने शिक्षक के सुझाए गए मार्ग पर चलना चाहिए.

यह वह समय है जब विद्यार्थी कठोर परिश्रम करके शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होता है इस समय जो विद्यार्थी मन लगाकर ज्ञान अर्जित नहीं करता वह धीरे-धीरे अपने साथियों से पिछड़ जाता है

और कुछ समय बाद वह इसी पिछड़ेपन के कारण कई गलत कामों का शिकार हो जाता है जिस कारण उसका पूरा भविष्य चौपट हो जाता है.

इस काल में विद्यार्थियों को भटकाने के लिए कई प्रकार की बाधाएं आती है वर्तमान में तो यह बताएं मनुष्य ने ही उत्पन्न की है जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, टेलीविजन और अन्य प्रकार की भ्रामक वस्तुएं जोकि विद्यार्थी को अपनी ओर खींचती है.

इनके कारण कई विद्यार्थियों का भविष्य खराब हो चुका है लेकिन जो विद्यार्थी इन सब को चुनौती के रूप में लेकर आगे बढ़ता है उसी का भविष्य निखरता है.

इस स्वर्णिम काल में विद्यार्थी को अपने शिक्षक के दिशा निर्देश अनुसार पढ़ना चाहिए, माता-पिता द्वारा सुझाए गए सुझावो पर ध्यान देना चाहिए, अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए

साथ ही अपने साथियों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और कभी भी किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए क्योंकि जो एक बार झूठ बोल देता है फिर वह जीवन भर झूठ बोलता रहता है इसके कारण उसका पूरा भविष्य संकट में पड़ सकता है.

जो विद्यार्थी इस समय केवल मौज मस्ती और व्यर्थ के कार्यों में अपना मन लगाता है तो उसका विद्यार्थी जीवन तो माता पिता की शरण में अच्छा बीत जाता है लेकिन जब उसका जीवन के यथार्थ से सामना होता है तो ऐसा विद्यार्थी स्वंय को अयोग्य मानता है.

मनुष्य को अगर जीवन में सफल होना है तो उसे किसी ना किसी क्षेत्र में पारंगत होना जरूरी होता है और मनुष्य पारंगत तभी हो सकता है जब वह विद्यार्थी जीवन में अच्छी शिक्षा प्राप्त करें.

वर्तमान में तो योग्य व्यक्तियों को भी अपना जीवन चलाने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है इसलिए जो अयोग्य है वो इस प्रतियोगिता भरी दुनिया में कुछ नहीं कर सकता है.

कुछ विद्यार्थी इस समय मेहनत तो करते है लेकिन थोड़ी सी कठिनाई आने पर ही वह अभ्यास करना छोड़ देते है दो कि उनके भविष्य के लिए अच्छा नहीं होता है विद्यार्थी जीवन का तो मतलब यह होता है कि निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना और कठिनाइयों को चुनौतियां समझते हुए उनका निराकरण करना चाहिए.

इस समय उम्र में इतना जोश होता है कि वह मुश्किल से मुश्किल कार्य को चुटकियों में कर सकते हैं इस समय उनके पास गुरु होता है जो कि उन्हें सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को सुलझाने में मदद करता है.

विद्यार्थी जीवन के बाद तो कई प्रकार की घरेलू और सामाजिक समस्याओं का बोझ मनुष्य पर आ जाता है फिर वह चाहकर भी शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता और अपना उत्तम भविष्य नहीं बना सकता है.

इसीलिए विद्यार्थी को मन को भटकाने वाली सभी वस्तुओं और जिज्ञासाओं से दूर रहना चाहिए जो विद्यार्थी इस समय मन लगाकर मेहनत कर लेता है वह अपना बाकी का जीवन सुख में और खुशहाली से ही व्यतीत करता है.

वास्तव में विद्यार्थी जीवन कठोर अनुशासन, मेहनत और शिष्टाचार का दूसरा नाम है जिस प्रकार सोना आग में तप कर अधिक मूल्यवान कुंदन बन जाता है उसी प्रकार विद्यार्थी जीवन में किया गया कठोर परिश्रम, अनुशासन ही विद्यार्थी को संसार में प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाता है.

यही आगे के भविष्य का निर्माण करता है क्योंकि आज तक विद्यार्थी ने जो भी सीखा है उसी से वह धन अर्जित करता है और अपने परिवार का पालन पोषण करता है.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Student Life in Hindi  आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

13 thoughts on “विद्यार्थी जीवन पर निबंध – Essay on Student Life in Hindi”

Vidhyarthi jeevan

Amazing Bro keep it up 😎

thank you daksh

Nice paragraph 👌👌👌

Thank you Devansh for appreciation.

Great essay. Was able to write full 4 pages for my project and even then half of it was left.

Thank you for your appreciation.

This is amazing nibhandh I got full 5 marks in nibhandh

Thank you Kajal for appreciation.

खाने का रिफाईंड तेल पर निबंध लिखें

वसंत तुळशीराम कन्नाके जी हम जल्द ही रिफाईंड तेल पार भी निबंध लिखंगे, अपना सुझाव देने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद

I love this site I got full 10 marks with clapping👏👏

Thank you Jiya Verma for appreciation.

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Hindi Essay | हिंदी में निबंध for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12

Hindi essay for classes 3 to 12 students.

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Benefits of essay writing:

To be efficient in any language it is crucial to enhance the writing power in that significant language. Essay writhing is the most positive way of developing students’ skills and knowledge upon writing. Students get to know about different topics when they research to write about any important fact. Besides that, essay writing is beneficial to increase the vocabulary power of students as they use various words to express their views and thoughts. From essay writing students will be encouraged to upgrade their other skills. They will be interested to participate in many events of writing which is effective to improve their talents in extra-curricular activities. When students get the correct guidance and suggestions from their school environment they will eventually start to focus on a specific aspect of learning more. So, it is teachers’ responsibility to encourage children for writing essays on their own language for expressing their thoughts. Essay writing in Hindi is equally important for students who have Hindi as a subject in school. If they focus on Hindi learning from the beginning level then they do not have to worry about learning critical chapters in higher studies. Besides that they should focus on enhancing their essay writing skills which will enable them to give better performance in final exam. As a result, they will score well in exam and feel satisfied with their learning outcomes. The most important fact is that, essay writing skill will reduce the fear of writing among students. They will feel more interested to write essay on any given topic at any time after gathering the knowledge about the perfect ways of writing essays.

Essay writing in Hindi:

It is quite natural that students having Hindi as important subject in school must learn Hindi from the basic concepts. We find Hindi as important basically in CBSE and ICSE schools where students have options to choose Hindi or any other regional language. But for schools governed by state boards the entire education mode comes in Hindi medium. So, in both cases students have to focus on learning their Hindi language from the starting level. Essay writing is the significant part of their Hindi curriculum like all other languages. It will be beneficial for themselves if they focus on writing Hindi essays from the beginning level. They should understand each part of Hindi essays including pattern, style, word count to present a compete essay. By understanding each part students will be efficient in writing Hindi essays which will affect their overall score in exam. Some students may find it difficult to write Hindi essays on any topic smoothly. For that we are advising to grasp the basic knowledge of writing pattern and expressing their thoughts in a definite way. It is not possible for students to write Hindi essays from the beginning of their academics. They first need proper guidance and suggestions which they can find in examples of Hindi essays on different topics. Students of state level boards have to write Hindi essays from the primary section whereas CBSE and ICSE students write Hindi essays after primary education. We have provided Hindi essays on significant topics for all classes based on different boards. Students will be definitely benefitted if they follow the writing pattern and style of using language in those essays completely. They can rely on the essays fully as all are prepared according to the board guidelines by expert teachers. We are hopeful that students will take the help of these Hindi essays for enhancing their writing quality and using of language. We have provided the direct links to download all essays in this article. So, students do not need to search here and there for getting list of Hindi essays. They can easily download all the essays from the links in pdf format and read according to their convenience.

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Conclusion:

It is mandatory for all students learning Hindi to follow essay writing pattern and styles closely. Students of all classes require study materials of Hindi essays for overviewing the knowledge on different topics and practice regularly before exam. With the aim of helping students to go through effectively in essay writing in Hindi we have attached many Hindi essays on significant and important topics. We are hopeful that students will find all the topics important from exam perspective and satisfied after reading the essays with its quality writing. Students will get chances of self-analysis from their essay writing which is essential for improving their writing skills. They should practice more by following the writing pattern in the given Hindi essays for enhancing their skills. They will feel more encouraged to writing Hindi essays after getting proper guidance. They will be efficient to solve all their queries regarding Hindi essay writing after practicing regularly. Students are advised to focus on Hindi essay writing from the basic level to grasp complete knowledge over writing.

FAQs:      

  • Who need to write Hindi essays?

Answer. Students studying in CBSE, ICSE and different state boards who have Hindi as a significant language in syllabus have to learn essay writing in Hindi language.

  • What is beneficial for Hindi essay writing?

Answer. Students should focus on learning Hindi language from the basic level with which they can understand the pattern and style of essay writing completely.

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राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध (National Flag Essay in Hindi)

राष्ट्रीय ध्वज़

किसी राष्ट्र का “राष्ट्रीय ध्वज” उस राष्ट्र के स्वतंत्रता का प्रतीक है। प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का एक अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है। इसी प्रकार से हमारे देश का भी राष्ट्र ध्वज है, जिसे तिरंगा कहते हैं। भारत का राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा भारत का गौरव है और यह प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत महत्व रखता है। यह ज्यादातर राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर तथा भारत के लिए गर्व के क्षणों में लहराया जाता है।

राष्ट्रीय ध्वज का महत्व पर 10 वाक्य || भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर 10 वाक्य

राष्ट्रीय ध्वज पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on National Flag in Hindi, Rashtriya Dhwaj par Nibandh Hindi mein)

राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

राष्ट्रीय ध्वज देश की स्वतंत्रता का प्रतीक होता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में, तीन रंग विद्यमान हैं, इसके वजह से इसका नाम तिरंगा रखा गया है। पहले के राष्ट्रध्वज संहिता के अनुसार केवल सरकार तथा उनके संगठन के माध्यम से ही राष्ट्र पर्व के अवसर पर ध्वज फहराने का प्रावधान था। परन्तु उद्योगपति जिन्दल के न्यायपालिका में अर्जी देने के बाद ध्वज संहिता में संशोधन लाया गया। कुछ निर्देशों के साथ निजी क्षेत्र, स्कूल, कार्यालयों आदि में ध्वज लहराने की अनुमति दी गई।

राष्ट्रध्वज की बनावट

इसकी प्रत्येक पट्टियां क्षैतिज आकार की होती हैं। सफेद पट्टी पर गहरे नीले रंग का अशोक चक्र अपनी 24 तीलियां के साथ तिरंगा की शोभा बढ़ा रहा है। जिसमें 12 तीलियां मनुष्य के अविद्या से दुःख तक तथा अन्य 12 अविद्या से निर्वाण (जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति) का प्रतीक है। ध्वज की लम्बाई तथा चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार राष्ट्रध्वज हस्त निर्मित खादी कपड़े से ही बनाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय ध्वज में रंगों के मायने तथा महत्व

राष्ट्र ध्वज में तीन रंग सुशोभित हैं, इसकी अभिकल्पना स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व पिंगली वैंकैया ने किया था। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग का उपयोग किया गया है। इनके दार्शनिक तथा अध्यात्मिक दोनों ही मायने हैं।

केसरिया – भगवाँ मतलब वैराग्य, केसरिया रंग बलिदान तथा त्याग का प्रतीक है, साथ ही अध्यात्मिक दृष्टी से यह हिन्दु, बौद्ध तथा जैन जैसे अन्य धर्मों के लिए अस्था का प्रतीक है।

सफेद – शान्ति का प्रतीक है तथा दर्शन शास्त्र के अनुसार सफेद रंग स्वच्छता तथा ईमानदारी का प्रतीक है।

हरा – हरा रंग खुशहाली और प्रगति का प्रतीक है तथा हरा रंग बिमारीयों को दूर रखता है आखों को सुकून देता है व बेरेलियम तांबा और निकील जैसे कई तत्व इसमें पाए जाते हैं।

भारत का राष्ट्रध्वज देश का शान, गौरव तथा अभिमान होता है। इसकी अभिकल्पना महान पुरूषों द्वारा बहुत सोच समझ कर की गई है। जिसमें प्रत्येक रंग तथा चक्र देश की एकता, अखण्डता, विकास तथा खुशहाली को दर्शाता हैं।

Rashtriya Dhwaj par Nibandh – निबंध (400 शब्द)

“तिरंगा” नाम से ही जान पड़ता है, तीन रंगों वाला। हमारे राष्ट्रध्वज में तीन महत्वपूर्ण रंगों के साथ अशोक चक्र (धर्म चक्र) के रूप में तिरंगे की शोभा बनाए हुए हैं। इन सब के अपने- अपने अध्यात्मिक तथा दार्शनिक मायने है पर स्पष्ट रूप से बताया गया है की इसका कोई साम्प्रदायिक महत्व नहीं है। इस तिरंगे की शान में अनेक जान न्यौछावर हुए हैं। राष्ट्रध्वज के महत्व व उसकी गरिमा सदैव बनी रहे इस बात को मद्दे नज़र रखते हुए, तिरंगे के प्रदर्शन तथा प्रयोग पर विषेश नियंत्रण है।

भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता

26 जनवरी 2002 को, स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों पश्चात् राष्ट्रध्वज संहिता में संशोधन किया गया। राष्ट्रध्वज संहिता से आशय भारतीय ध्वज फहराने तथा प्रयोग को लेकर बताए गए निर्देश से है। इस संशोधन में आम जनता को अपने घरों तथा कार्यालयों में साल के किसी दिन भी ध्वज को फहराने की अनुमति दी गई पर साथ में, ध्वज के सम्मान में कोई कमी न आये इस बात का भी ख़ास खयाल रखने का निर्देश दिया गया।

सुविधा की दृष्टी से भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता को तीन भागों में बांटा गया है

पहले में, ध्वज के सम्मान की बात रखी गई। दुसरे भाग में, जनता निजी संस्थान तथा शैक्षिक संस्थान आदि द्वारा राष्ट्रध्वज के प्रदर्शन का विवरण दिया गया। तीसरे भाग में, केन्द्रीय तथा राज्य सरकार तथा उनके संगठनों को राष्ट्रध्वज के प्रयोग के विषय में जानकारी दी गई है।

राष्ट्रध्वज के सम्मान में

राष्ट्रध्वज की शान, प्रतिष्ठा, मान तथा गौरव सदा बनी रहे, इसलिए भारतीय कानून के अनुसार ध्वज को सदैव सम्मान के नज़र से देखना चाहिए, तथा झण्डे का स्पर्श कभी भी पानी और ज़मीन से नहीं होना चाहिए। मेज़पोश के रूप में, मंच, किसी आधारशिला या किसी मुर्ति को ढकने के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।

2005 से पूर्व तक इसका उपयोग किसी पोशाक तथा वर्दी के रूप में नहीं किया जा सकता था, पर 5 जुलाई 2005 के संशोधन के पश्चात से इसकी अनुमति दी गई। इसमें भी कमर के नीचे के कपड़े व रूमाल तथा तकिये के रूप में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। झण्डा डुबाया नहीं जा सकता है, तथा जान-बूझकर उल्टा नहीं रखा जा सकता है। राष्ट्रध्वज को फहराना एक पूर्ण अधिकार है, पर इसका पालन संविधान के अनुच्छेद 51ए के अनुसार करना होगा।

उद्योगपति सांसद नवीन जिन्दल द्वारा कोर्ट में याचिका रखा गया। जिसमें आम नागरिक द्वारा झण्डे के फहराने की मांग कि गई। तथा 2005 में ध्वज संहिता में संशोधन कर निजी क्षेत्र, शैक्षिक संस्थान, कार्यालयों में झण्डे को फहराने की अनुमति दी गई। पर इसके साथ निर्देश द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया की झण्डे का पूर्ण रूप से सम्मान किया जाए।

निबंध – 3 (500 शब्द)

सबसे पहले महात्मा गांधी ने 1921 में कांग्रेस के सम्मुख राष्ट्रीय ध्वज की बात रखी। पिंगली वैंकैया द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व ध्वज की अभिकल्पना की गई। 22 जुलाई 1947 के संविधान सभा बैठक में इसे अपनाया गया। राष्ट्रध्वज में तीन रंग सुशोभित है तथा मध्य में गहरे नीले रंग का चक्र 24 आरों के साथ विद्यमान हैं। इन सब का अपना- अपना विशेष मायने तथा महत्व है।

राष्ट्रध्वज का इतिहास

  • सबसे पहला झंडा 1906 में कांग्रेस के अधिवेशन में, पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकत्ता में, फहराया गया। यह भगिनी निवेदिता द्वारा 1904 में बनाया गया था। इस ध्वज को लाल, पीला और हरा क्षैतिज पट्टी से बनाया गया, सबसे ऊपर हरी पट्टी पर आठ कमल के पुष्प थे, मध्य की पीली पट्टी पर वन्दे मातरम् लिखा था तथा सबसे आखरी के हरे पट्टी पर चाँद तथा सूरज सुशोभित थे।
  • दूसरा झण्डा 1907 पेरिस में, मैडम कामा तथा कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया। यह पूर्व ध्वज के समान था। बस इसमें सबसे ऊपर लाल के स्थान पर केसरिया रंग रखा गया। उस केसरिया रंग पर सात तारों के रूप में सप्तऋषि अंकित किया गया।
  • तीसरा झण्डा 1917 में , जब भारत का राजनैतिक संघर्ष नये पढ़ाव से गुज़र रहा था। घरेलु शासन आन्दोलन के समय पर डॉ एनी बेसेन्ट तथा लोकमान्य तिलक द्वारा यह फहराया गया। यह पाँच लाल तथा चार हरी क्षैतिज पट्टी के साथ बना हुआ था। जिसमें एक लाल पट्टी तथा फिर एक हरी पट्टी करके समस्त पट्टीयों को जुड़ा गया था। बाये से ऊपर की ओर एक छोर पर यूनियन जैक था, तथा उससे लग कर तिरछे में बायें से नीचे की ओर साप्तऋषि बनाया गया व एक कोने पर अर्ध चन्द्र था।
  • चौथा झण्डा तथा गाँधी का सुझाव 1921 में, अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में, अन्द्रप्रदेश के एक युवक “पिंगली वैंकैया” ने लाल तथा हरे रंग की क्षैतिज पट्टी को झण्डे का रूप दिया। जिसमें लाल हिन्दु के आस्था का प्रतीक था और हरा मुस्लमानों का। महात्मा गाँधी ने सुझाव दिया इसमें अन्य धर्मों की भावनावों की कद्र करते हुए एक और रंग जोड़ा जाए तथा मध्य में चलता चरखा होना चाहिए।
  • पांचवा झंडा, स्वराज ध्वज 1931 झण्डे के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस वर्ष में राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने का प्रस्ताव रखा गया तथा राष्ट्रध्वज को मान्यता मिला। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग को महत्व दिया गया जो की वर्तमान ध्वज का स्वरूप है, तथा मध्य में चरखा बनाया गया।
  • छठवां झंडा, तिरंगा को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता 22 जुलाई 1947 को अन्ततः कांग्रेस पार्टी के झण्डे (तिरंगा) को राष्ट्र ध्वज के रूप में (वर्तमान ध्वज) को स्वीकार किया गया । केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया।

तिरंगे का इतिहास स्वतंत्रता प्राप्ति से बहुत समय पूर्व प्रारम्भ हो गया था। जिसमें समय-समय पर सोच विचार कर संशोधन किए गए। यह सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के ध्वज के रूप में था, पर 1947 में तिरंगे को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया और यह प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण था।

राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध 4 (600 शब्द)

झण्डे के अनेक संशोधन के पश्चात, 1947 में संविधान सभा के बैठक में, वर्तमान ध्वज को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता दिया गया। इसे पिंगली वैंकैया ने डिज़ाइन किया था। प्रत्येक स्वतंत्र देश का एक अपना राष्ट्रध्वज होता है, जो उस देश का प्रतीक होता है।

माहात्मा गाँधी ने राष्ट्रध्वज के निर्माण में विषेश भूमिका निभाया, अतः उनके शब्दों में :

“ सभी राष्ट्र के लिए एक राष्ट्रध्वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्ट करना पाप होगा। ध्वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिक के ध्वज पर बने सितारे और पट्टीयों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आवाहन करता है।”- महात्मा गाँधी

तिरंगे के उपलक्ष्य में

एक कहानी यह है की, महात्मा गाँधी ने झंडे पर चलते हुए चरखे का सुझाव दिया था। जो की सत्य है, पर चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को चुना गया। जिससे गाँधी के मन को ठेस पहुंचा तथा उन्होंने कहा मैं इस झंडे को सलामी नहीं दुंगा।

“ध्वाजारोहड़” प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण

करीब 200 साल की गुलामी और अनेकों नौजवान द्वारा अपने प्राणों की आहुति देने के पश्चात 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुआ। 15 अगस्त 1947 में लाल किले के प्राची से भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा ध्वज फहराया गया। ध्वज की शान प्रतिष्ठा तथा सम्मान को बनाए रखना हर भारतीय का कर्तव्य है।

  • विंग कमांडर राकेश शर्मा ने 1984 में, राष्ट्रध्वज को चांद पर लहराया।
  • राष्ट्रध्वज को लहराने का समय दिन में, सूर्योदय के बाद तथा सूर्यास्थ से पहले का है।
  • राष्ट्रध्वज निर्माण के लिए विषेश प्रकार से हाथ से काते गए खादी के वस्त्र का प्रयोग किया जाता है।
  • किसी राष्ट्रविभुति के निधन पर राष्ट्र शोक में कुछ समय के लिए तिरंगे को झुका दिया जाता है।
  • देश का संसद भवन एक मात्र ऐसा स्थान है जहां एक साथ तीन तिरंगे लहराये जाते है।
  • देश के लिए जान देने वाले महान पुरूषों के शव को तिरंगे में लपेटा जाता है जिसमें केसरिया सिर के ओर तथा हरा पैर के ओर रखा जाता है।
  • देश का सबसे ऊँचा झण्डा भारत पाकिस्तान के अटारी बोर्डर पर 360 फीट की ऊचाई पर लहराया गया है।
  • 21 फीट गुणा 14 फीट के झण्डे पूरे देश के केवल तीन किले पर फ़हराये जाते है, कार्नाटक का नारगुंड किला, मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित किला तथा महाराष्ट्र का पनहाल किला।
  • “फ्लैग कोड ऑफ इंडिया” भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता में ध्वज से संबंधित कानून का विवरण किया गया है।
  • झंडे पर किसी भी प्रकार की आकृति का बनाना या लिखना दंडनीय अपराध है।
  • राष्ट्रपति भवन के संग्रालय में एक लघु तिरंगा रखा गया है, जिसका स्तम्भ सोने से निर्मित है तथा अन्य स्थान पर हीरे जवाहरात लगे हैं।
  • राष्ट्रध्वज के समीप किसी अन्य ध्वज को राष्ट्रध्वज के बराबरी में या उससे ऊँचा नहीं फहराया जा सकता।
  • वीरों की शव पर लपेटे गए तिरंगे को पुनः लहराया नहीं जा सकता, उसे जला दिया जाता है या पत्थर से बांध कर जल में डाल दिया जाता है आदि।

अनेक पढ़ाव को पार कर राष्ट्रध्वज तिरंगा आज भारत की शान है। राष्ट्रध्वज का अपमान देश का अपमान है अतः इसका दोषी दंड का पात्र है। ध्वज के अपमान किए जाने पर दंड स्वरूप तीन वर्ष की कैद तथा जुर्माने का प्रावधान है। राष्ट्रध्वज से संबंधित अनेक रोचक तथ्य तथा निर्देश है जैसे झंडे का प्रयोग कैसे करें, कैसे न करें, कब झंडे को झुकाया जाता है आदि, इन सभी उपदेशों का हम सबको गंभीरता से पालन करना चाहिए।

Essay on National Flag in Hindi

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Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi : मेरे जीवन का लक्ष्य पर परीक्षाओं में पूछे जाने वाले निबंध

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  • Updated on  
  • जनवरी 6, 2024

Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi

एक छात्र के जीवन में लक्ष्य दिशा, प्रेरणा और उद्देश्य की भावना प्रदान करते हैं। वे छात्रों को लक्ष्य चीज़ें निर्धारित करने, अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित रखने और एक सक्रिय मानसिकता विकसित करने में मदद करते हैं। विद्यार्थियों के जीवन में लक्ष्यों का होना व्यक्तिगत और शैक्षणिक सफलता में योगदान देता है। इसलिए कई बार छात्रों को मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

मेरे जीवन के लक्ष्य पर निबंध 100 शब्दों में , मेरे जीवन के लक्ष्य पर निबंध 200 शब्दों में, लक्ष्य को समझें, जीवन में लक्ष्य का महत्व, लक्ष्य को ढूंढें , जीवन में प्रमुख लक्ष्य और उनके प्रकार, लक्ष्य को प्राप्त करने के तरीके, मेरे जीवन के लक्ष्य पर 10 लाइन्स.

जीवन लक्ष्य रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें समुद्र में जहाज के कम्पास की तरह दिशा देता है। इसके बिना, हम खो गए हैं। इसी तरह, व्यक्तिगत लक्ष्य के बिना, हमारे जीवन में स्पष्ट गंतव्य का अभाव होता है। हमारे जीवन में सफलता पाने और सार्थक प्रभाव डालने के लिए हमें एक उद्देश्य चुनना होगा। हमारा कोई न कोई लक्ष्य होना ही चाहिए जैसे प्रोफेसर बनना, डॉक्टर बनना या कोई ऐसा व्यक्ति बना जिसकी हम इच्छा रखते हैं। कड़ी मेहनत और पढ़ाई के प्रति समर्पण से हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। एक लक्ष्य निर्धारित करना जीवन में हमारी यात्रा के लिए फोकस, प्रेरणा और एक रोडमैप प्रदान करता है। यह हमारी पूरी क्षमता को उजागर करने और हमारी आकांक्षाओं को साकार करने की कुंजी है।

यह भी पढ़ें : Mera Parivar Essay In Hindi: जानिए मेरे परिवार पर परीक्षाओं में पूछे जाने वाले निबंध

Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi निबंध 200 शब्दों में नीचे दिया गया है:

जीवन में एक लक्ष्य रखना आवश्यक है, ठीक उसी प्रकार जैसे एक जहाज को विशाल समुद्र में चलने के लिए पतवार की आवश्यकता होती है। स्पष्ट लक्ष्य के बिना, हम खोया हुआ महसूस कर सकते हैं, अनिश्चित हो सकते हैं कि हम कहाँ जा रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से भी हमारी हमेशा से कुछ बनने की इच्छा रहती है। हमारे जीवन में कोई न कोई लक्ष्य होना चाहिए उसमें हमारा परिवार भी पूरे दिल से उस सपने का समर्थन करता है। हमेशा से हमारे कुछ पसंदीदा विषय होते हैं, हमारे जीवन के लक्ष्यों को चुनने में हमारे शिक्षकों का बड़ा महत्व होता है। 

जीवन में एक स्पष्ट लक्ष्य रखना व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। एक लक्ष्य एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो किसी के प्रयासों को दिशा और उद्देश्य प्रदान करता है। यह एक प्रेरणा के रूप में कार्य करता है, व्यक्तियों को सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने और चुनौतियों पर काबू पाने के लिए प्रेरित करता है।

जीवन में एक लक्ष्य न केवल उद्देश्य की भावना पैदा करता है बल्कि जीवन के अहम निर्णय लेने में भी मदद करता है। यह एक रोडमैप के रूप में कार्य करता है, प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों को रेखांकित करता है। स्पष्ट लक्ष्य के बिना, जीवन में फोकस की कमी हो सकती है और लक्ष्यहीन रूप से भटकना पड़ सकता है, जिससे असंतोष पैदा हो सकता है।

एक लक्ष्य निरंतरता और दृढ़ता की भावना प्रदान करता है। बाधाओं के सामने, लक्ष्य रखने से दृढ़ संकल्प को बढ़ावा मिलता है। यह व्यक्तियों को जीवन की जटिलताओं से निपटने में मदद करता है, व्यक्ति असफलताओं को सीखने के अनुभवों में बदल देता है।

चाहे वह करियर की आकांक्षा हो, व्यक्तिगत विकास का लक्ष्य हो, या समाज में योगदान हो, जीवन में एक उद्देश्य व्यक्तियों को आगे बढ़ाता है, उन्हें उन प्रयासों में समय देने के लिए प्रेरित करता है जो उनके पक्ष में हो। 

मेरे जीवन के लक्ष्य पर निबंध 500 शब्दों में

Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi निबंध 500 शब्दों में नीचे दिया गया है:

ऐसा माना जाता है की लक्ष्य न होना जीवन न होने के बराबर है। मनुष्य सहित ब्रह्मांड के सभी प्राणियों के पास विशिष्ट लक्ष्य हैं। मनुष्य को अपने जीवन का मार्ग चुनने का अधिकार प्राप्त है। प्रत्येक व्यक्ति की मानसिकता विशेष होती है, जो विविध जीवन लक्ष्यों की ओर ले जाती है। 

यह जीवन ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल उपहार है, लेकिन उद्देश्य के बिना यह निरर्थक हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति एक मिशन के साथ पैदा होता है और एक लक्ष्य का होना महत्वपूर्ण है। छात्र जीवन के दौरान उद्देश्य निर्धारित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। स्पष्ट लक्ष्य वाला व्यक्ति बिना लक्ष्य वाले व्यक्ति से बेहतर प्रदर्शन करता है। यह जाने बिना कि आप क्या चाहते हैं, कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा की कमी होती है। एक पूर्ण जीवन जीने और चुनौतियों से निपटने के लिए एक सुविचारित योजना का होना आवश्यक है। इसलिए हर किसी का एक जीवन लक्ष्य होना चाहिए।

सरल शब्दों में किसी उद्देश्य या लक्ष्य को अक्सर लक्ष्य कहा जाता है। जब हम बच्चे होते हैं, तो हम अंतरिक्ष यात्री, फिल्म स्टार, पुलिस अधिकारी या ऐसा ही कुछ बनने का सपना देख सकते हैं। उद्देश्य में कुछ हासिल करने का इरादा, प्रयास और आकांक्षा शामिल होती है। उदेशय आम तौर पर एक लक्ष्य घोषित करने के साथ शुरू होता है, फिर इसे समयरेखा के साथ छोटे चरणों में विभाजित करना होता है। लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रास्ते में आने वाली विभिन्न बाधाओं और असफलताओं पर काबू पाने की आवश्यकता होती है। यह एक लक्ष्य निर्धारित करने, एक योजना बनाने और परिणाम तक पहुंचने के लिए चुनौतियों का सामना करने की एक प्रक्रिया है।

एक प्रसिद्ध कहावत है की बिना लक्ष्य वाला व्यक्ति बिना पतवार वाले जहाज जैसा होता है – दोनों को खतरों का सामना करना पड़ता है। बिना लक्ष्य वाला व्यक्ति जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है और रास्ते में लड़खड़ाता है।

प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक स्पष्ट लक्ष्य होना आवश्यक है। जीवन का उद्देश्य अर्थ और दिशा से परिपूर्ण करना है। यह इस बात की खोज करके हासिल किया जाता है कि आपके लिए वास्तव में क्या मायने रखता है। आपका लक्ष्य अपने जीवन में अधिक खुशी लाने का सर्वोत्तम तरीका प्रदर्शित करते हुए दूसरों के लिए एक उदाहरण बनना हो सकता है। एक निश्चित लक्ष्य होने से उद्देश्य की भावना मिलती है और जीवन की यात्रा को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है।

यदि आप खुद को उन चीजों की ओर काम करते हुए पाते हैं जो आपको अपने होने का एहसास नहीं कराती हैं, आंतरिक शांति की कमी है, और आपको खुशी देने में विफल हैं, तो आप गलत क्षेत्र में हो सकते हैं। इसका मतलब है कि आप अपने सच्चे लक्ष्य का पीछा नहीं कर रहे हैं।

प्रत्येक व्यक्ति खास होता है, कुछ एकेडमिक्स में उत्कृष्ट होते हैं, कुछ फोटोग्राफी में, कुछ लोग दूसरों की मदद करने के लिए पैदा होते हैं, कुछ प्रतिभाशाली दिमाग वाले होते हैं, और कुछ कला और वास्तुकला का पता लगाने के लिए पैदा होते हैं। ऐसे लोग हैं जो जीवन भर अपना रास्ता लिखते हैं, लेखक बनते हैं। 

आप बस अपनी आँखें बंद करें और सोचें कि आप किस चीज़ को सबसे अधिक महत्व देते हैं, यही आपके जीवन का जुनून और लक्ष्य है। आपको बस उसके करीब जाना है और लक्ष्य बनाना है। केवल अपने जुनून का पालन करके, आप अपने लक्ष्य को वास्तविकता में बदल सकते हैं।

किसी के जीवन का लक्ष्य निर्धारित करने में विभिन्न बातों पर विचार करना शामिल है। जीवन में प्रमुख लक्ष्य निम्न प्रकार से हो सकते हैं:

  • एक विशिष्ट उद्देश्य और जुनून के साथ जीना: हर दिन को उद्देश्य और उत्साह की स्पष्ट भावना के साथ जीया जाता है।
  • दूसरों की मदद करके उनके लिए जीना: दूसरों की भलाई में योगदान देने और सहायता प्रदान करने का लक्ष्य बनाना।
  • एक महान परिवार सदस्य बनना: एक उत्कृष्ट पिता, माता, पुत्र या पुत्री बनने की इच्छा होना।
  • व्यापार में सफलता प्राप्त करना: एक अत्यधिक सफल उद्यमी और व्यवसायी बनने की इच्छा रखना।
  • स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली बनाए रखना: ऐसा जीवन जीने पर ध्यान केंद्रित करना जो स्वस्थ, सक्रिय और फिट हो।
  • वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करना: वित्तीय स्वतंत्रता के साथ जीवन जीने की दिशा में काम करना।

लक्ष्य विभिन्न प्रकार के होते हैं, क्योंकि लोगों की अलग-अलग आकांक्षाएँ होती हैं। कुछ लोग डॉक्टर बनने का लक्ष्य रख सकते हैं, अन्य अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का सपना देख सकते हैं, और कुछ इंजीनियरिंग या सेना में करियर बनाने के लिए आकर्षित हो सकते हैं। दूसरों के लिए शिक्षण, समाज सेवा या राजनीति चुना हुआ मार्ग हो सकता है।  अलग-अलग लोग अपनी रुचियों, प्राथमिकताओं और जीवन की धारणाओं के आधार पर अलग-अलग लक्ष्य अपनाते हैं।

हमें कभी भी धन या शक्ति को अपने अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य नहीं बनाना चाहिए, चाहे हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हों या असफल। ऐसी प्रसिद्धि को प्राप्त करने से बचें जिसका कोई अर्थ न हो। प्राथमिक ध्यान हमारी अपनी भलाई, आनंद और संतुष्टि के लिए निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने पर होना चाहिए। लक्ष्य को प्राप्त करने के कुछ तरीके निम्न प्रकार से हो सकते हैं:

  • सक्रिय रहें: पहल करें और अपने कार्यों पर नियंत्रण रखें।
  • नकारात्मकता न होना: नकारात्मक विचारों और दृष्टिकोणों को हटा दें।
  • हमेशा संतुलित रहें: जीवन में संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखें।
  • पूरी तरह से केंद्रित: अपने लक्ष्यों की ओर हमेशा केंद्रित रहें।
  • लक्ष्य को छोटे भागों में बांटें: अपने लक्ष्यों को छोटे, प्राप्त करने योग्य कार्यों में बांट लें।
  • असफलता को स्वीकार करें: असफलताओं को सीखने और बढ़ने के अवसर के रूप में देखें।
  • लोगों की सलाह लें: अपने लक्ष्य अपने परिवार के लोगों या दोस्तो के साथ बांट सकते हैं और उनका समर्थन प्राप्त कर सकते हैं। 
  • अपनी प्रगति की जानकारी रखें: अपनी उपलब्धियों की निगरानी करें और उन्हें जांचते रहें।
  • अंतिम परिणाम की कल्पना करें: सफल परिणाम की कल्पना करें।
  • फीडबैक के आधार पर कार्य को रीसेट करें: आवश्यकतानुसार अपनी योजना को अनुकूलित और परिष्कृत करें।

यह सच है कि सफल जीवन के लिए एक लक्ष्य रखना और उस तक पहुंचने के लिए कदम उठाना महत्वपूर्ण है। हर किसी को अपने उद्देश्यों की दिशा में काम करना शुरू कर देना चाहिए। सफलता की कुंजी एक सक्रिय मानसिकता के साथ समय पर कार्य को करने में होती है। प्रेरित रहने के लिए, एक प्रभावी दृष्टिकोण सकारात्मक परिवर्तनों की कल्पना करना और रास्ते में प्रत्येक छोटी उपलब्धि को प्राप्त करने का जश्न मनाएं। 

यह भी पढ़ें : Essay on Vikram Sarabhai in Hindi : पढ़िए विक्रम साराभाई पर 500 शब्दों में निबंध

मेरे जीवन के लक्ष्य पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • जीवन में लक्ष्य रखने से हमें दिशा और उद्देश्य मिलता है।
  • यह हमारे कार्यों और निर्णयों के लिए एक रोडमैप प्रदान करता है।
  • स्पष्ट लक्ष्य रखने से केंद्रित और सार्थक विकल्प चुनने में मदद मिलती है।
  • यह हमारी दैनिक गतिविधियों और दीर्घकालिक योजनाओं को अर्थपूर्ण बनाता है।
  • एक उद्देश्य एक प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है, जो हमें अपने लक्ष्यों की ओर काम करने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह हमें बाधाओं और असफलताओं से उबरने में मदद करता है।
  • लक्ष्य के बिना, जीवन लक्ष्यहीन और पूर्ति में कमी महसूस कर सकता है।
  • अलग-अलग व्यक्तियों के अपने हितों और मूल्यों के आधार पर अलग-अलग लक्ष्य हो सकते हैं।
  • एक अच्छी तरह से परिभाषित लक्ष्य उपलब्धि और संतुष्टि की भावना में योगदान देता है।
  • किसी के लक्ष्य को प्राप्त करने में अक्सर छोटे लक्ष्य निर्धारित करना और उनके लिए व्यवस्थित रूप से काम करना शामिल होता है।

जीवन में एक लक्ष्य रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिशा और उद्देश्य प्रदान करता है। यह व्यक्तियों को निर्णय लेने, लक्ष्य निर्धारित करने और एक पूर्ण और सार्थक जीवन की दिशा में काम करने में मार्गदर्शन करता है।

हाँ, जैसे-जैसे व्यक्ति बढ़ता है, नए अनुभव प्राप्त करता है, और अपनी प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करता है, लक्ष्य समय के साथ बदल सकते हैं। लोगों का विकास होना स्वाभाविक है, जिससे उनके जीवन लक्ष्यों और आकांक्षाओं में बदलाव आता है।

किसी लक्ष्य को हासिल करने में आम चुनौतियों में असफलताओं का सामना करना, बाधाओं का सामना करना, प्रभावी ढंग से समय का प्रबंधन करना और प्रेरणा बनाए रखना शामिल है। इन चुनौतियों पर काबू पाने को के लिए अक्सर एक सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य निबंध से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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कक्षा 7 के लिए दीपावली पर निबंध: दीपावली का महत्व और मनाने के तरीके

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Essay on Diwali in Hindi for Class Seven

दीपावली पर निबंध कक्षा 7 के लिए.

जो छात्र कक्षा 7 मे पढ़ते है, उनको अपने स्कूल मे दीपावली पर निबंध  कक्षा 7 Essay On Diwali Hindi for Class Seven लिखने को दिया जाता है, तो उन विद्यार्थियो के लिए इस पोस्ट मे दीपावली पर निबंध कक्षा 7 के लिए बताने जा रहे है, जिसकी सहायता से आप अपने क्लास मे दिवाली पर निबंध Essay On Diwali Hindi for Class Seven लिख सकते है। और दिवाली के बारे मे जानकारी देने के लिए इस दीपावली पर निबंध कक्षा 7 Essay on Diwali Hindi for Class Six को शेयर भी कर सकते है, और इसे पढ़कर दिवाली के महत्व को भी बता सकते है,

  • दीपावली पर निबंध कक्षा 7

Essay on Diwali Hindi for Class Seven

दीपावली जिसे दीपों का त्यौहार या रोशनी का त्यौहार कहा जाता है, जो की यह दीपावली शरद ऋतू के कार्तिक महीने के अमावस्या के दिन हर वर्ष मनाया जाता है, दीपावली हिंदुओं का सबसे पवित्र और सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है दीपावली या दीवाली किसी भी नाम से पुकारे ये त्यौहार आनंद और प्रकाश ही फैलता है।

Table of Contents

दिवाली जो की भारतीय संस्कृति का सर्वप्रमुख त्यौहार है यह प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइये यह अपने उपनिषदों की आज्ञा मानी जाती है अर्थात प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन के गम के अंधेरों को खत्म करके उजाले की ओर जाए अपने मन के अंधेरों को भी खत्म करे यही दीपावली का त्यौहार है।

भारत त्योहारों और मेलों का देश है। दिवाली या दीपावली भारत के सबसे महत्वपूर्ण और रंगीन त्योहारों में से एक है। इसे रोशनी का त्योहार कहा जाता है। दीवाली 14 साल के वनवास में रहने के बाद भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की अयोध्या वापसी का जश्न मनाती है।

अयोध्या के लोग बड़ी संख्या में उनका स्वागत करने के लिए खुशी से झूम उठे। यह पर्व भगवान राम के समय से ही मनाया जाता रहा है। लोग अपने घरों, दुकानों और अन्य इमारतों की सफेदी और पेंटिंग करके महान त्योहार की तैयारी करते हैं।

यह त्यौहार 5 दिनों तक की लंबी अवधि तक चलने वाला त्यौहार है। पहले दिन लोग धनतेरस के रूप में मनाते हैं इस दिन में बाजार से कुछ वस्तुएं खरीद के लाते है दीपावली का दूसरा दिन नारक चतुर्दशी या छोटी दिपावली के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत का परचम लहराया था।

इस त्यौहार का तीसरा दिन बहुत प्रमुख होता है क्योंकि इसी दिन दीपावली का ऐतिहासिक पर्व मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या में पधारे थे इसलिए अयोध्या वासियों ने अपने भगवान राम को खुश करने के लिए उनके स्वागत में सभी जगह फूलों की बरसात कर दी और जी के दीपक जला दिए।

दीपावली की रात को, धन की देवी भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पटाखों और फुलझड़ियों से खेल रहे लोग। धन, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना। यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। सभी लोग, चाहे वे किसी भी जाति के हों या उत्सव में शामिल हों। इस त्योहार को मनाने के लिए दूसरे देशों में रहने वाले भारतीय समुदाय भी इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाते दिवाली का पर्व मनाते है।

अन्य त्यौहारों की तरह दीपावली के साथ भी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। समुद्र-मंथन करने से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक लक्ष्मी भी इसी दिन प्रकट हुई थी। इसके अलावा जैन मत के अनुसार तीर्थंकर महावीर का महानिर्वाण भी इसी दिन हुआ था। भारतीय संस्कृति के आदर्श पुरुष श्री राम लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त कर सीता लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे उनके अयोध्या आगमन पर अयोध्यावासियों ने भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए घरों को सजाया व रात्रि में दीपमालिका की।

ऐतिहासिक दृष्टि से इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं में सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्दसिंह मुगल शासक औरंगजेब की कारागार से मुक्त हुए थे। राजा विक्रमादित्य इसी दिन सिंहासन पर बैठे थे। सर्वोदयी नेता आचार्य विनोबा भावे दीपावली के दिन ही स्वर्ग सिधारे थे। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ जैसे महापुरुषों ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था।

यह त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोगों द्वारा दीपों व मोमबत्तियाँ जलाने से हुए प्रकाश से कार्तिक मास की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात में बदल जाती है। इस त्यौहार के आगमन की प्रतीक्षा हर किसी को होती है। सामान्यजन जहां इस पर्व के आने से माह भर पहले ही घरों की साफ-सफाई, रंग-पुताई में जुट जाते हैं।

दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी को धन-धान्य एवं सुख संपदा की देवी माना जाता है और साथ में भगवान गणेश और मां सरस्वती की पूजा भी की जाती है।

दीपावली त्योहार के पीछे सबसे पुराना आर्थिक महत्व इस बात पर जुड़ा हुआ है कि भारत में लगभग सभी फसलें मानसून पर निर्भर करती है इसलिए गर्मियों की फसल इस त्यौहार के पर्व से कुछ दिन पहले ही पक कर तैयार हो जाती है तो किसान इस फसल को काटकर बाजारों में बेचकर आमदनी कमाता है।

वहीं व्यापारी तथा दुकानदार भी अपनी-अपनी दुकानें सजाने लगते हैं। इसी त्यौहार से व्यापारी लोग अपने बही-खाते शुरू किया करते हैं। इस दिन बाजार में मेले जैसा माहौल होता है। बाजार तोरणद्वारों तथा रंग-बिरंगी पताकाओं से सजाये जाते है, मिठाई तथा पटाखों की दुकानें खूब सजी होती हैं। इस दिन खील-बताशों तथा मिठाइयों की खूब बिक्री होती है। बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियां तथा अन्य आतिशबाजी खरीदते हैं।

दिवाली के दिन घरों, दुकानों और अन्य इमारतों को मोमबत्ती, दीयों और छोटे बल्बों से सजाया जाता है। हम चारों तरफ रोशनी देख सकते हैं। दिवाली के दिन, लोग अच्छे कपड़े पहनते हैं, वे खुश दिखते हैं और उत्सव के मूड में होते हैं। वे मिलते हैं और अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ बधाई का आदान-प्रदान करते हैं। वे मिठाइयों का आदान-प्रदान भी करते हैं।

उपसंहार –

इस त्योहार से हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहती है यह त्यौहार हमें सिखाता है कि कभी भी अंधकार से नहीं डरना चाहिए क्योंकि एक छोटे से दीपक की लौ भी काले अंधकार को प्रकाश में बदल सकती है। इसलिए समय हमेशा जीवन में आशावादी रहना चाहिए और अपने जीवन में हमेशा खुश रहना चाहिए।

दीपावली के प्रकाश से हमारा घर-आँगन और तन-मन दोनों ही आलोकित उठते हैं। हमारे दिल से मनमुटाव दूर हो जाते हैं। हमारे ह्रदय स्नेह और सदभाव से भर जाते हैं। इससे सामाजिक जीवन को नई चेतना मिलती है और लोगों को नूतन वर्ष के कर्तव्यों को पूरा करने का बल मिलता है।

 कक्षा 7 दीपावली पर निबंध से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

Faq on diwali in hindi – essay on diwali in hindi for class seven.

प्रश्न:- दिवाली कब मनाया जाता है ?

उत्तर:- दीपावली शरद ऋतू के कार्तिक महीने के अमावस्या के दिन हर वर्ष मनाया जाता है,

प्रश्न:- दिवाली कैसे मनाया जाता है ?

उत्तर:- दिवाली के पहले घरो की रंगाई पुताई करके दिवाली के दिन घरो को दियो, लाइट से सजाकर, नए वस्त्र पहनकर गणेश जी और माँ लक्ष्मी की पूजा करके एक दूसरे को मिठाई खिलाकर दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।

प्रश्न:- दिवाली पर किसकी पूजा की जाती है ?

उत्तर:- दिवाली पर भगवान श्रीगणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

प्रश्न:- दिवाली पर घरो को कैसे सजाते है ?

उत्तर:- दिवाली के दिये घरो को दियो और लाइट से सजाते है, और रंगीन झालर भी लगाते है।

प्रश्न:- इस साल 2023 मे दिवाली कब है ?

उत्तर:- इस साल 2023 मे दिवाली 12 नवंबर को है, जिस दिन रविवार है।

प्रश्न:- दिवाली को क्यो मनाया जाता है ?

उत्तर:- दिवाली के दिन ही भगवान श्रीराम जी 14 वर्षो के वनवास के पश्चात वापस अपने घर अयोध्या लौटे थे, जिनके लौटने की खुशी मे हर घर दिये जलाए गए थे, जिस कारण से तब से हर साल दिवाली मनाया जाता है।

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AP SA2 CBA-3 7th Class Hindi Question Paper 2024 Download

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AP SA2 CBA3 7th Class Hindi Exam 2024: Overview

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7th Class AP SA2 7th Class syllabus for the academic year 2022-23 was reduced. So, here we have compiled the 7th Class Hindi Term-2 model paper formats based on the revised 2022-23 syllabus.

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    Hindi Essay for Classes 3 to 12 Students. Hindi is the mostly spoken language by people in the whole country. People from all regions of India know Hindi more or less which increases the ways of inter-relation in different culture. People can go to any part of the country depending on their needs of study or job without any second thought for ...

  16. आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (Ideal Student Essay in Hindi)

    आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (Ideal Student Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / September 14, 2023. एक आदर्श छात्र वह है जो समर्पित रूप से अध्ययन करता है, स्कूल और घर में ...

  17. Essay on Discipline in Hindi

    Hindi Essay and Paragraph Writing - Discipline (अनुशासन ) for all classes from Class 1 to Class 12 . अनुशासन पर निबंध - इस लेख में हम अनुशासन का अर्थ, जीवन में अनुशासन का महत्त्व, दैनिक जीवन में अनुशासन ...

  18. Class 7 Hindi Half Yearly Question Paper 2023 (PDF)

    Class 7 Hindi Half Yearly Question Paper 2023 contain questions asked in Hindi exam in 7th standard half-yearly assessment tests. Now at aglasem.com, you can readily download 7th Half Yearly Hindi Question Paper PDF.As class 7 half yearly question paper of Hindi is an important study material for terminal examinations. Therefore if you are a student of std 7th, and your tests are coming up ...

  19. Class 7 Hindi Sample Paper 2024 PDF

    It is recommended to practice questions from Hindi sample paper after finishing syllabus from class 7 Hindi textbook. And after you download Hindi question paper from this page of ncert.expert, you can explore more class 7 sample papers. Class 7 Hindi Sample Paper 2024 PDF. The model question paper for class 7th Hindi is as follows. Class 7 ...

  20. राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध (National Flag Essay in Hindi)

    राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध (National Flag Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / August 12, 2023. किसी राष्ट्र का "राष्ट्रीय ध्वज" उस राष्ट्र के स्वतंत्रता का प्रतीक है ...

  21. Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi

    Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi में लिखने के लिए कई बार परीक्षाओं में दिया जाता है। इस ब्लॉग में आप निबंध कैसे लिखें जान सकते हैं।

  22. कक्षा 7 के लिए दीपावली पर निबंध: दीपावली का महत्व और मनाने के तरीके

    Essay on Diwali in Hindi for Class Seven दीपावली पर निबंध कक्षा 7 के लिए. जो छात्र कक्षा 7 मे पढ़ते है, उनको अपने स्कूल मे दीपावली पर निबंध कक्षा 7 Essay On Diwali Hindi for Class Seven लिखने को दिया जाता ...

  23. AP SA2 CBA-3 7th Class Hindi Question Paper 2024 Download

    6th April 2024. The Question Papers for 7th Class AP SA2, 7th Class Hindi AP CBA3 7th Class Examination are released on the official website. We at schools360.in Redesigned and Collected the Latest Model Papers of 7th Class AP SA2 7th Class Hindi. All students can access the new question paper free of cost. Now you can download and prepare the ...