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होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500 शब्दों में होली पर हिंदी में निबंध लिखना सीखें

Updated On: July 15, 2024 01:12 pm IST

  • होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in …
  • होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in …
  • होली पर निबंद 750 शब्दो में (Essay on Holi in …

होली पर निबंध 10 लाइन (Holi Par Nibandh 10 Lines)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार (Holi Festival) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार (Festival of Holi) हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये भी पढ़ें - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से 200 से 500 शब्दों तक हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) लिखना सीख सकते हैं।

होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in 200 words)

होली पर निबंध (holi par nibandh) - होली का महत्व.

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली कब और क्यों मनाई जाती है?

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है। इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी कहानी है। वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई व बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एंव भाव से जुड़ी है। तो आईये जानते है होली मनाने के पीछे का कारण और संस्कृति एंव भाव।

इसी तरह भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और गोप गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व की सबसे प्रसिद्ध होली मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ और तब से हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है।

होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in 500 words)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पर्व फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और भारत वर्ष में खुशी, आनंद, प्रेम और एकता का प्रतीक है। होली एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें लोग अपनी पूर्वाग्रहों और विभिन्न सामाजिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर आपसी भाईचारा और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधनाओं के साथ मनाया जाता है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय अवसर है।

होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है। होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि किया जाता है।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) - होली की तैयारी कैसे करें?

पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं। फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं।

रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं। होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं। कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh in Hindi) - होली कैसे खेलते है?

इन सब के बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।

इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली भी खेलते है। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।

यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें-

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) -  होली के हानिकारक प्रभाव

होली का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है जिसका ध्यान रखना चाहिए। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें इसलिए होली के दिन सावधानीपूर्वक रंगो को खेलिये जिससे किसी के लिए हानिकारक न हो।

सुरक्षित तरीके से होली खेलने के सुझाव

होली का त्योहार (Holi Festival) ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।

  • होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर और बालों पर अच्छी तरह तेल और मॉइश्चराइजर लगा लें। ताकि रंग आसानी से छूट जाएं।
  • होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।
  • होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें।
  • होली पर फुल कपड़े पहनने की कोशिश करें, ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।
  • होली में किसी पर जबरदस्ती कलर नहीं डालें और ध्यान रखें कि मौज-मस्ती में किसी को चोट न आए।
  • होली की मौज-मस्ती में बच्चों का विशेष ख्याल रखें, कई बार ज्यादा समय तक पानी में गीले रहने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं

होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। होली में पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें। अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने गलत आचरण से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग और गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा। इसलिए होली में कुरीतियों से बचें और खुशुयों से होली मनाये यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है।

होली पर निबंद 750 शब्दो में (Essay on Holi in 750 words in Hindi)

रंगों का त्योहार: होली होली भारत का एक प्रमुख और रंगारंग त्योहार है जिसे हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार रंगों, मिठाइयों और खुशियों का प्रतीक है। होली का प्रारंभिक उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की विजय और प्रेम एवं भाईचारे का संदेश देना है। यह त्योहार हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यह अब पूरे भारत और दुनिया भर में विभिन्न समुदायों द्वारा मनाया जाता है। होली का धार्मिक और पौराणिक महत्व: होली का पर्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इस त्योहार का संबंध प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप और होलिका की कथा से है। कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक अत्याचारी राजा था जिसने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका, जिसे अग्नि से अजेयता का वरदान प्राप्त था, की मदद ली। होलिका ने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका जल गई। इस प्रकार, होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। होली के त्योहार की तैयारी: होली के त्योहार की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। लोग घरों की साफ-सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और विशेष पकवान जैसे गुजिया, पापड़ी, ठंडाई आदि बनाते हैं। होली के दिन से एक दिन पहले होलिका दहन होता है, जिसमें लकड़ियों का ढेर बनाकर होलिका की प्रतिमा का दहन किया जाता है। इस दहन के माध्यम से बुराई का नाश और अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली का दिन: होली के दिन सभी लोग सुबह से ही रंग खेलने की तैयारी में लग जाते हैं। लोग रंग, गुलाल और पानी के रंगों से एक-दूसरे को रंगते हैं। बच्चे पिचकारियों और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं। लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर जाते हैं और रंग-गुलाल से उनका स्वागत करते हैं। इस दिन सभी भेदभाव मिट जाते हैं और हर कोई एक दूसरे के गले लगकर बधाई देता है। होली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: होली का त्योहार सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है। इस दिन सभी लोग अपने आपसी मतभेद भूलकर एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। होली का पर्व न केवल भारत में बल्कि नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, यह त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है जो पूरी दुनिया में प्रचलित है। होली के गीत और नृत्य: होली के मौके पर लोग फागुन के गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। होली के गीतों में राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है। विशेषकर ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां के लोग फागुन के महीने में रंगों से खेलते हैं और राधा-कृष्ण की होली की झांकी प्रस्तुत करते हैं। इसके अलावा, बॉलीवुड में भी होली पर आधारित कई प्रसिद्ध गीत हैं जो इस त्योहार की खुशी को और बढ़ा देते हैं। होली के रंगों का महत्व: होली के रंगों का विशेष महत्व होता है। यह रंग जीवन में खुशियां, समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक हैं। हर रंग का अपना एक विशेष अर्थ होता है। लाल रंग प्रेम और शक्ति का प्रतीक है, हरा रंग समृद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक है, पीला रंग ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है और नीला रंग शांति और विश्वास का प्रतीक है। होली के रंग न केवल हमारे जीवन को रंगीन बनाते हैं, बल्कि यह हमें जीवन की विभिन्न रंगीन पहलुओं को भी सिखाते हैं। निष्कर्ष: होली का त्योहार हमारे जीवन में रंगों, खुशियों और प्रेम की महत्ता को दर्शाता है। यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है और हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखने की प्रेरणा देता है। होली का पर्व सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है जो हमारे समाज को और भी मजबूत और खुशहाल बनाता है। इसलिए, हमें इस त्योहार को पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाना चाहिए और इसके संदेश को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) कुछ लाइनों में लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से होली पर निबंध 10 लाइनों (Holi Par Nibandh 10 Lines) में लिखना सीखें।

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an essay in hindi about holi

होली पर निबंध Essay on Holi in Hindi| Holi pr Nibandh

हिंदी में होली पर निबंध – essay on holi in hindi  format, .

होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi – In this article, we are giving complete information about Holi. Holi is a subject on which you can be asked to write an essay in any class. You should have full information about the topic of Holi to write an essay on Holi. Only then can you produce an effective essay. You can gain more information related to the festival of Holi here.

इस लेख में हम होली के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दे रहे हैं। दीपावली की ही तरह होली एक ऐसा विषय है जिस पर आपको किसी भी कक्षा में निबंध लिखने के लिए कहा जा सकता है। हमने आपको दीपावली के निबंध में भी बताया था कि उच्च कक्षाओं में जब आप निबंध लिखते हैं तो आपको उस निबंध के विषय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी पता होनी चाहिए। तभी आप एक प्रभावशाली निबंध का निर्माण कर सकते हैं। आशा करते हैं कि हमारे होली पर निबंध से आपको अतिरिक्त सहायता मिलेगी।

सामग्री (content)

  • होली पर निबंध 200 शब्दों में (Class7)

होली कब मनाई जाती है

होली का इतिहास, होली मनाने की तैयारियाँ.

  • होली का महत्त्व
  • भारत की विभिन्न प्रसिद्ध होलियाँ
  • होली से मिलते-झुलते विदेशी त्यौहार
  • वर्तमान में होली का रूप

होली पर निबंध 200 शब्दों में Class 7

होली सबसे रंगीन और प्रसिद्ध भारतीय त्योहारों में से एक है। यह दर्शाता है कि वसंत आ गया है और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है। लोग इस त्योहार पर एक दूसरे को रंगों और पानी से रंगते हैं, जिसे “रंगों का त्योहार” भी कहा जाता है। होली पर लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर एक दूसरे पर पानी और रंग फेंकते हैं। वे ढोल बजाकर गाते और नाचते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। यह त्योहार पिछले दुखों को भूलने और माफ करने और नए दोस्त बनाने और पुराने लोगों के साथ रिश्तों को मजबूत करने का भी समय है। होली एक खुशनुमा और मस्ती भरा त्योहार है, लेकिन इसके कई धार्मिक और सांस्कृतिक मायने भी हैं। ऐसा माना जाता है कि यह हिंदू पौराणिक कथाओं से आया है, जहां भगवान विष्णु ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को हराया था। भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा के बीच प्रेम भी त्योहार से जुड़ा हुआ है। होली एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत में बहुत सारी ऊर्जा और खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग त्योहार में एक साथ मिलते हैं, जो एकता, सद्भाव और खुशी को बढ़ावा देता है। यह समय अपनी सभी चिंताओं को दूर करने और जीवन का पूरा आनंद लेने का है।

प्रस्तावना (Introduction)

भारत त्यौहारों का देश है इसीलिए यहाँ प्रत्येक दिन एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। भारत का होली का त्यौहार विश्व प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। प्रकृति भी एक तरह से इस त्यौहार में सम्मिलित होती है। चारों ओर रंग बिरंगे फूल बिखेर कर बसंत ऋतु खुशियाँ लुटाती है। यह खुशियां बांटने वाला त्यौहार है, इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर खुशी-खुशी इस त्यौहार को मनाते है। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, साथ ही यह मौज-मस्ती का भी प्रतीक है। होली को ना जाने लोगों ने कितने रूप दिए, बचपन की होली हो या बुढ़ापे की उल्लास हमेशा एक सी ही होती है। इस पर एक मशहूर गाना हमेशा याद आता है ‘होली के दिन दिल खिल जाते है रंगों में रंग मिल जाते है।’

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होली का त्योहार प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस त्यौहार को फाल्गुन मास में मनाने की प्रथा है। यह त्यौहार प्रमुख रूप से दो दिनों का होता है। जिसमें पहले दिन होली दहन किया जाता है, जिसमें लकड़ियाँ और गोबर के कंडे डालकर होलिका दहन किया जाता है।

होली के दूसरे दिन को धुलण्डी कहा जाता है। जिसमें सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग लगाते हैं। इस दिन भारत में लोग कोई भी जात-पात नहीं देखते। सभी एक दूसरे से गले मिलकर खूब धूमधाम से होली को मनाते है।

  • होली के त्यौहार का जिक्र पुराने ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। इससे हमें होली के त्यौहार का महत्त्व और प्राचीनता का आभास भी होता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है।
  • पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था। जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया, जिसके बाद ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप हिरण्यकश्यप को ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से मारा जा सकता था।
  • हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था इसलिए अपनी प्रजा से कहता था कि वह उसकी पूजा करें भगवान विष्णु की पूजा ना करें। वह अपनी प्रजा से क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने लगा। प्रजा के कुछ लोग भय वश उसकी पूजा भी करने लगे।
  • समय बीतने के साथ ही हिरण्यकश्यप के घर एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था। प्रह्लाद हिरण्यकश्यप को ईश्वर नहीं मानता था। बहुत समझाने पर भी वह नहीं समझा तो हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के कई उपाय किये, पर वह नहीं मरा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि उसे किसी भी प्रकार की आग जला नहीं सकती है इसलिए उसने अपने भाई का साथ देते हुए प्रहलाद को लेकर जलती हुई आपकी चिता में बैठ गई।
  • प्रहलाद यह देखकर घबरा गया और भगवान विष्णु की पूजा करने लगा। भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई थी प्रहलाद को एक खरोच तक नहीं आई और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

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होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन होता है। जिसमें लकड़ी, घास और गाय के गोबर से बने कंडे इकट्ठे करते है। संध्या के समय महिलाओं द्वारा होली की पूजा की जाती है, लोटे से जल अर्पण किया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर होलिका दहन कर दिया जाता है जैसे ही आग की लपटें बढ़ने लग जाती हैं, प्रहलाद के प्रतीक वाली लकड़ी को निकाल दिया जाता है और दर्शाया जाता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत ही होती है। होलिका दहन के दौरान सभी इसके चारों ओर घूमकर अपने अच्छे स्वास्थ्य और यश की कामना करते है, साथ ही सभी बुराई को इसमें भस्म करते है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन बच्चे आपस में एक दूसरे को रंग लगाते हैं और सब की शुभकामनाएं लेते हैं और सब को बधाई देते हैं। फिर क्या बच्चे और क्या बड़े सभी पड़ोसियों और प्रियजनों के साथ पिचकारी और रंग भरे गुब्बारों से खेलना शुरु कर देते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग गुलाल लगाते साथ ही मजेदार पकवानों का आनंद लेते हैं।

होली के त्यौहार का महत्व

होली का ऐतिहासिक महत्व – होली के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए लोगों को इस त्यौहार से शिक्षा मिलती है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, हमेशा अच्छाई की जीत होती है इसलिए वह हमेशा अच्छे रास्ते को ही अपनाए। सामाजिक महत्व – होली एक सौहार्दपूर्ण त्यौहार है। जिसमें लोग वर्षों पुरानी दुश्मनी, लड़ाई, झगड़ा भुलाकर एक दूसरे से गले मिल जाते हैं, इसीलिए इस त्यौहार को दोस्ती का भी प्रतीक कहा गया है। इस दिन समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं देखता। सभी लोग एक दूसरे को गले लगा कर होली का त्यौहार मनाते हैं। इसे समाज में ऊंच-नीच की खाई कम होती है इसलिए यह त्यौहार सामाजिक महत्व भी रखता है।

भारत की विभिन्न प्रसिद्ध होलियाँ –

बरसाना की लट्ठमार होली – सबसे पहले बात होती है ब्रज की होली की, यहां भी सबसे ज्यादा मशहूर है- बरसाना की लट्ठमार होली। बरसाना राधा का जन्मस्थान है। इस दिन लट्ठ महिलाओं के हाथ में रहता है और नन्दगांव के पुरुषों (गोप) जो राधा के मन्दिर ‘लाडलीजी’ पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं, उन्हें महिलाओं के लट्ठ से बचना होता है। इस दौरान होरी भी गाई जाती है, जो श्रीकृष्ण और राधा के बीच वार्तालाप पर आधारित होती है। बिहार में फागुवा होली – बिहार में होली का त्यौहार तीन दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन रात में होलिका दहन होता है, जिसे यहां संवत्‍सर दहन के नाम से भी जाना जाता है और लोग इस आग के चारों ओर घूमकर नृत्‍य करते हैं। अगले दिन इससे निकली राख से होली खेली जाती है, जो धुलेठी कहलाती है और तीसरा दिन रंगों का होता है। स्‍त्री और पुरुषों की टोलियां घर-घर जाकर डोल की थाप पर नृत्‍य करते हैं। फागुन मतलब लाल रंग होता है इसलिए इसे फगुवा होली भी कहते है। हरियाणा की धूलेंडी होली – भारत के हरियाणा में होली धुलेंडी के रूप में मनाते हैं और सूखी होली – गुलाल और अबीर से खेलते हैं। भाभियों को इस दिन पूरी छूट रहती है कि वे अपने देवरों को साल भर सताने का दण्ड दें। भाभियाँ देवरों को तरह-तरह से सताती हैं और देवर बेचारे चुपचाप झेलते हैं, क्योंकि यह दिन तो भाभियों का दिन होता है। शाम को देवर अपनी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उसे आशीर्वाद देती है। बंगाल में डोल पूर्णिमा – पश्चिम बंगाल की मिसाल सुंदरता के रूप में दी जाती है। यहां की होली भी बहुत खूबसूरत रूप से मनाई जाती है। इस दिन लोग बसंती रंग के कपड़े पहनते हैं और फूलों से श्रंगार करते हैं। सुबह से ही नृत्‍य और संगीत का कार्यक्रम चलता है। घरों में मीठे पकवान बनते हैं। इस पर्व को डोल जात्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस मौके पर राधा-कृष्‍ण की प्रतिमा झूले में स्‍थापित की जाती है और महिलाएं बारी-बारी से इसे झुलाती हैं। महाराष्ट्र में रंगपंचमी – महाराष्ट्र में मछुआरों की बस्ती के लिए इस त्यौहार का मतलब नाच-गाना और मस्ती होता है। क्योंकि सारे मछुआरे इस त्यौहार पर एक-दूसरे के घरों पर मिलने जाते हैं और काफी समय मस्ती में बीतता है। महाराष्‍ट्र में पूरनपोली नाम का  स्‍वादिष्‍ट मीठा पकवान बनाया जाता है। पंजाब में होला मोहल्ला का मेला – पंजाब में भी इस त्यौहार की बहुत धूम रहती है। सिखों के पवित्र धर्मस्थान आनन्दपुर साहिब में होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते है। तीन दिन तक चलने वाले इस मेले में सिख शौर्यता के हथियारों का प्रदर्शन किया जाता है और वीरता के करतब दिखाए जाते हैं। राजस्थान में तमाशा होली – राजस्थान में होली के अवसर पर तमाशे की परंपरा है। इसमें किसी नुक्कड़ नाटक की शैली में मंच सज्जा कर कलाकार आते हैं और अपने पारंपरिक हुनर का नृत्य और अभिनय से परिपूर्ण प्रदर्शन करते हैं। तमाशा की विषय वस्तु पौराणिक कहानियों और चरित्रों के इर्दगिर्द घूमती हुई इन चरित्रों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर भी व्यंग्य करती है।

मध्यप्रदेश की भगौरिया होली – मध्यप्रदेश में रहने वाले भील आदिवासियों के लिए होली विशेष होती है। इस भील होली को भगौरिया कहते हैं। वयस्‍क होते लड़कों को इस दिन अपना मनपसंद जीवनसाथी चुनने की छूट होती है। भीलों का होली मनाने का तरीका विशिष्‍ट है। इस दिन वो आम की मंजरियों, टेसू के फूल और गेहूं की बालियों की पूजा करते हैं और नए जीवन की शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं। गुजरात में होली  – होली के मौके पर गुजरात में मस्‍त युवकों की टोलियां सड़कों पर नाचते-गाते चलती हैं। गलियों में ऊंचाई पर दही की मटकियां लगाई जाती हैं और युवकों को यहां तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह भगवान कृष्‍ण के गोपियों की मटकी फोड़ने से प्रेरित है। ऐसे में कौन युवक कन्‍हैया नहीं बनना चाहेगा और कौन होगी जो राधा नहीं बनना चाहेगी। मणिपुर की होली – मणिपुर में होली पूरे 6 दिनों तक चलती है, जिसे योसांग कहते हैं। यहां होली की शुरुआत में होलिका न बनाकर एक घासफूस की एक झोपड़ी बनाई जाती है और इसमें आग लगाते हैं। अगले दिन लड़कों की टोलियां लड़कियों के साथ होली खेलती है, इसके बदले में उन्‍हें लड़की को उपहार देना होता है।

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होली से मिलते-झुलते विदेशी त्यौहार –

न्‍यूजीलैंड का वानाका उत्‍सव – न्‍यूजीलैंड के अलग-अलग शहरों में हर वर्ष रंगीला त्‍योहार मनाया जाता है। इस दिन एक पार्क में शहर के बच्‍चे, बूढ़े और जवान इकट्ठे होते हैं। सभी अपने शरीर या दूसरों के शरीर पर पेंटिंग करते हैं। इस दौरान वे आपस में खूब मस्‍ती भी करते हैं। जहाँ बच्‍चों के लिए यह दिन धमा-चौकड़ी मनाने का होता है, वहीं बूढ़े लोग दूसरों लोगों को उत्‍सव में बढ़-चढ़कर धमाल करने के लिए उत्‍साहित करते हैं। उत्‍सव पूरे 6 दिनों तक मनाया जाता है। थाईलैंड का सोंगकरन पर्व – सोंगकरन थाई नववर्ष का पर्व है। इसमें पानी में खूब मस्‍ती होती है। त्यौहार के दौरान सभी लोग एक तालाब के पास एकत्र होते हैं और एक-दूसरे पर पानी फेंकते हैं। दो-चार लोग मिलकर एक व्‍यक्‍ति को तालाब में उछालते हैं और उसे डुबकी दिलाते हैं। इस त्यौहार में क्‍या बच्‍चे और क्‍या बूढ़े, क्‍या स्‍त्री और क्‍या पुरुष- सभी एक रंग में रंग जाते हैं। दिनभर गाने और डांस की धूम मची रहती है। त्यौहार सुबह 3 बजे से ही शुरू हो जाता है और देर शाम तक चलता रहता है। इस दौरान लोग एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। जापान का चेरी ब्‍लॉसम सीजन फेस्‍टिवल – जापान में मनाए जाने वाला यह उत्‍सव भी अपने अनूठेपन के लिए प्रसिद्ध है। उत्‍सव मार्च और अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, क्‍योंकि इस दौरान चेरी के पेड़ में फूल आते हैं। लोग अपने परिवार के साथ चेरी के बगीचे में बैठते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं। दिनभर चलने वाले इस त्यौहार पर विशेष भोजन और संगीत-नृत्‍य के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पेरू का इनकान उत्‍सव – पेरू में पांच दिन चलने वाले इस त्यौहार के दौरान लोग रंगीन परिवेश में पूरे शहर में घूमते हैं। इस दौरान वे टोलियों में होते हैं। हर टोली की एक थीम होती है। ये लोग ड्रम की थाप पर नृत्‍य करते हैं और अपने आपको दूसरे से बेहतर साबित करने की कोशिश करते हैं। रात में कुजको महल के सामने सभी एकत्र होते हैं और एक-दूसरे को उत्‍सव की शुभकामनाऐं देते हैं। पापुआ न्‍यूगिनिया का गोरोका उत्‍सव – पापुआ न्‍यूगिनिया में इस त्यौहार के दौरान लोग माउंट हेगन की तलहटी में एकत्र होते हैं और पारंपरिक आदिवासी नृत्‍य करते हैं। वे अपने शरीर पर पंछियों के पर और ऐसे ही कई पारंपरिक श्रंगार करते हैं। मस्‍ती और उल्‍लास के त्यौहार पर मज़ेदार भोज आयोजित होते हैं। चीन का पानी फेंकने का उत्‍सव – चीन के युवान प्रांत में मार्च-अप्रैल में पानी फेंकने का उत्‍सव मनाया जाता है। यह दाई लोगों के महत्‍वपूर्ण उत्‍सवों में से एक है। इस त्यौहार को बुद्ध के स्‍नान से भी जाना जाता है। त्यौहार के दौरान सभी लोग एक-दूसरे पर पानी फेंकते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं। तिब्‍बत का स्‍नान पर्व – जुलाई माह के पहले दस दिन में तिब्‍बतियों का स्‍नान पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को गामारीजी नाम से जाना जाता है। तिब्‍बतियों की मान्‍यता है कि इस दौरान नदी या तालाब का पानी मीठा, ठंडा, मृदुल, हल्‍का, साफ और हानिरहित होता है, जो गले के लिए अच्‍छा होता है, बल्‍कि पेट के लिए नहीं। तिब्‍बती लोग इस दौरान नदी और झील के किनारे टेंट डालते हैं और स्‍नान को पर्व के रूप में मनाते हैं।

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वर्तमान में होली का रूप –

(i) वर्तमान में होली का रूप बदलता जा रहा है क्योंकि युवा लोग इसके महत्त्व को नहीं समझ रहे हैं और इसी सौहार्दपूर्ण त्यौहार की जगह, नशे के त्यौहार के रूप में देख रहे हैं। (ii) आजकल की युवा होली के दिन तरह-तरह का नशा करके बैठे रहते है। कुछ लोगों को तो इसे गंभीर नुकसान भी हो जाते हैं, लेकिन वह इसकी परवाह नहीं करते है। (iii) इस दिन अब युवाओं में लड़ाई झगड़ा तो आम बात हो गई है। लोग होली के त्यौहार पर दुश्मनी भुलाने की जगह अब दुश्मनी बढ़ाने लगे है। आजकल युवा लोग रंग की जगह गोबर नाली का पानी और पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं जो कि होली की शोभा को धूमिल करते है। यह सब चीजें होली के त्यौहार की छवि को खराब कर रही है। हमें लोगों को जागरूक करना होगा।

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उपसंहार (conclusion) –

होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस त्यौहार से सीख लेते हुए हमें भी अपनी बुराइयों को छोड़ते हुए अच्छाई को अपनाना चाहिए। इस त्यौहार से एक और सीख मिलती है कि कभी भी हमें अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि अहंकार हमारे सोचने समझने की शक्ति को बंद कर देता है। हमें होली का त्यौहार अपने परिवार और दोस्तों के साथ खूब धूमधाम से मनाना चाहिए। होली का त्यौहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह दोस्ती का त्यौहार है इसलिए इसे दोस्ती का त्यौहार ही बने रहना देना चाहिए। इसे कोई और रूप देने का हमें कोई हक नहीं है। वर्तमान में भटके हुए युवाओं को हमें इस त्यौहार के महत्व और विशेषताओं के बारे में बताना चाहिए, ताकि उनके विचार बदले और हमारे इस सौहार्दपूर्ण त्यौहार की छवि बनी रहे। इस त्यौहार में लोग आपस के मत-भेद भूल कर नई जीवन की शुरुआत के साथ अपने अंदर नई ऊर्जा को भी ले आते हैं। हिन्दुओं में सारा परिवार इस अनोखे पर्व का पूरे साल इंतजार करता है। हर जगह रंग ही रंग दिखाई देता है। पूरा शहर रंगीन हो जाता है। और एक दूसरे को बहुत सारी खुशियां देता हैं। सबके घरों में तरह तरह के पकवान बनते हैं। शाम को सब एक दूसरे के घर जाते हैं और अबीर-गुलाल लगते हैं।

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

होली

अपडेट किया गया: 20 फरवरी 2023

होली भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो विश्वभर मेंबड़े धूमधाम सेमनायाजाता है। यहमुख्य रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।नेपाल की तराई होलीविश्वप्रसिद्ध है। मंजीरा, ढोलकवमृदंग की ध्वनि से गूंजताऔर रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मार्च का महीना जैसे होली कीउत्साह कोऔरभी बढ़ा देता है। इस त्यौहार में सभी की ऊर्जा देखतेही बनती है। होली के अवसर पर बच्चोंमें अलग ही उमंग देखने को मिलता है,वे रंग-बिरंगी पिचकारी को अपने सीने से लगाए, सब पर रंग डालते हैं और जोर-जोर से “होली है..” कहते हुए पूरे मोहल्ले में भागते फिरते हैं।

होली पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

अक्सर, बच्चों को विद्यालयमें होलीपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहाँ हमने आपकी आसानी के लिए होली पर कई निबंध दिए है, उम्मीद करते है की ये सभी निबंध आपको पसंद आयेंगे-

होली पर निबंध – 1 (100 -150 शब्द )

होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है।यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है।होली का त्यौहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 2: (250 – 300 शब्द)

होली का उत्सव अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आसमान में बिखरे गुलाल की तरह ऊर्जा को चारों ओर बिखेर देता है। इस पर्व की ख़ास तैयारी में लोगों के अंदर बहुत अधिक उत्साह को देखा जा सकता है।

होली की तैयारी

होली की विशेष तैयारी में एक दिन से ज्यादा का समय लगता है। इस पर्व पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुनआदि प्रमुख हैं। लोग महीनो पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार भी इस त्यौहार पर अपने बच्चों के लिए कपड़े अवश्य खरीदता है।

होली कैसे मनाई जाती है

होली पर सभी बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। बड़े भी बच्चे बन जाते हैं,हम, लोगों का चेहरा रंगों से ऐसे रंगते हैं की पहचानना मुश्किल हो जाता है वहीं बड़ों को गुलाल लगाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं। झूमने का एक अन्य कारण भांग और ठंडाई भी है यह होली पर विशेषतौर पर पीया जाता है। घर की महिलाएं सारे पकवान बना कर जहां दोपहर से होली खेलना प्रारंभ करती है वहीं बच्चे सुबह उठने के साथ ही उत्साह के साथ मैदान में आ जाते हैं।

होली के एक दिन पहले होलिका दहन

होली के एक दिन पहले गांवों  व शहरों के खुले क्षेत्र में होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह भगवान की असीम शक्ति का प्रमाण तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का बोध कराती है।

होली आनंद से भरा रंगों का त्यौहार है, यह भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। त्योहारों की ख़ास बात यह है, की इसकी मस्ती में लोग आपसी बैर तक भूल जाते हैं एवं होली त्योहारों में विशेष स्थान रखता है।

यूट्यूब पर देखें: Holi par nibandh

होली पर निबंध– 3  (300 शब्द)

होली रंगो का त्यौहार है, जो भारतवर्ष में ही नहीं अपितु पुरे विश्व में बड़े धूम धाम से मनाई जाती है।यह त्यौहार शरद ऋतू के अंत और वसंत ऋतू के आरम्भ का प्रतिक भीमाना जाता है।होली का त्यौहार भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्तम और भावपूर्ण उदाहरण हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है।

होली का त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है ?

होली के इस पावन त्यौहार को मनाने के पीछे कई कथाये प्रचलित है, परन्तु सबसे मान्य कथा भक्त प्रह्लाद की है। प्रह्लाद का पिता हिरण्यकश्यप था, जो की क्रूर और आततायी था।  उसने स्वयं को ही भगवान मान लिया था और चाहता था की उसकी प्रजा भगवन की जगह उसकी पूजा करे , परन्तु उसका पुत्र प्रह्लाद जो की विष्णु का अनन्य भक्त था उसने अपने पिता को पूजने से इंकार कर दिया। इससे क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने उसे तरह तरह की नीति अपनाकर वश में करने का प्रयत्न किया, परन्तु प्रह्लाद अडिग रहा ।

  अतः उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लेकर एक षड़यंत्र रचा, परन्तु आग की होली में होलिका के प्रह्लाद को गोंद में लेकर बैठने पर भगवन के चमत्कार से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया । तब से ही होली का पर्व मनाया जाता है, होली के एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है। फिर दूसरे दिन रंग और गुलाल से बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी मनाई जाती है।

होली का हमारे जीवन में महत्व

होली के त्यौहार का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। होली का त्यौहार हमें हर वर्ष एक प्रतिक के रूप में यह सन्देश देता है की हमें सदा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। फिर चाहे हमारे पथ में हिरण्यकश्यप या होलिका जैसी विपत्तियां क्यों न आये ,जीत सदा सत्य की ही होती है। यह कथा और त्यौहार हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती है।

अतः हमें यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लाष के साथ मनाना चाहिए और अपने से छोटो को इस त्यौहार के महत्व को बताना चाहिए, जिससे की होली के त्यौहार की तरह उनके जीवन में भी खुशियों के विभिन्न रंग और गुलाल भर जाये।

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होली पर निबंध 4: 400 शब्द

प्राचीन समय में होली के अवसर पर जहां मंदिरों में कृष्ण और राम के भजन गूंजते थे, वहीं नगरों में लोगों द्वारा ढोलकव मंजिरों के ताल पर लोकगीत गाए जाते थे। पर बदलते समय के साथ इस त्योहार का स्वरूप भी बदलता नज़र आ रहा है।

कार्यस्थलों तथा विभिन्न संस्थानोंमें होली

होली पर सभी संस्थान, संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है मगर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

होली की संध्या में मित्रों से मेल-मिलाप

दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं और अपने पड़ोसी व मित्रों के घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामना देने जाते हैं।

होली की हलचल का सभी टीवी चैनलों पर प्रसारण

होली पर सभी टीवी चैनलों में होली के गीत, विशेष कार्यक्रम तथा न्यूज चैनलों के माध्यम से विभिन्न स्थानों की होली प्रसारित की जाती है।

बाजारों की रौनक में, होली की परंपरागत रीति कहीं खो न जाए

होली पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के चटकीले रंग, गुलाल, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगे विग से अपने स्टॉल को भर देते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। पर समय बितने के साथ ज्यादातर लोग अब स्वयं से कोई पकवान नहीं बनाते वे हर प्रकार की मिठाइयां बाजार से ही खरीद लेते हैं। इससे त्योहार की धूम का बाजारीकरण में खो जाने का भय है।

समय के साथ होली का बदलता स्वरूप

परंपरागत विधि से आज इस त्यौहार का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। पहले लोग होली की मस्ती में अपनी मर्यादा को नहीं भूलते थे। लेकिन आज के समय में त्योहार के नाम पर लोग अनैतिक कार्य कर रहें हैं। जैसे एक-दूसरे के कपड़े-फाड़ देना, जबरदस्ती किसी पर रंग डालना आदि।

होली पर हुड़दंग

होली पर वह भी रंगों से भीग जाते हैं जो अपने घरों से नहीं निकलना चाहते और जैसे की भिगोने वालों का तकिया कलाम बन चुका होता है “बुरा ना मानो होली है”। कुछ लोग त्यौहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहीं महिलाओं को परेशान करते हैं। यह सरासर गलत व्यवहार है।

होली पर सभी मस्ती में डूबे नज़र आते हैं। जहां सामान्य व्यक्ति अनेकों प्रकार के स्वादिष्ट भोजन तथा ठंडाई का सेवन करते हैं। वहीं मनचलों को नशे में धुत्त होकर अपनी मनमानी करने का एक अवसर प्राप्त हो जाता है। होली रंगों का त्योहार है इसे प्रेम पूर्वक खेलना चाहिए।

Holi Essay

होली पर निबंध 5: 500 शब्द

अपना घर चलाने के लिए जो पेशेवर घरों से दूर रहते हैं, वह भी होली के समय पर अपने परिवार के पास लौट आते हैं। यह त्योहार हमें हमारे संस्कृति से जोड़ने का कार्य करता है, अतः इस दृष्टी से यह हमारे लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।

होली का इतिहास व मनाए जाने का कारण

पुराणों के अनुसार, विष्णु भक्त प्रह्लाद से क्रोधित होकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने, पुत्र प्रह्लाद को ब्रह्मा द्वारा वरदान में प्राप्त वस्त्र धारण किए बहन होलिका के गोद में आग से जला देने की मंशा से बैठा दिया। किन्तु प्रभु की महिमा से वह वस्त्र प्रह्लाद को ढ़क लेता है और होलिका जल कर भस्म हो जाती है। इस खुशी में नगरवासियों द्वारा दूसरे दिन होली मनाया गया। तब से होलिका दहन और होली मनाया जाने लगा।

होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन (हल्दी, सरसों व दही का लेप) लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं व गांव के सभी घरों से एक-एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल (शोर) में, शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल कर के आपसी रंजिश भूल जाते हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली

ब्रजभूमि की लठमार होली

“सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है। ब्रज के गांव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से। जहां पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएं खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है। सच में यह अद्भुत दृश्य होता है।

मथुरा और वृंदावन की होली

मथुरा और वृंदावन में होली की अलग छटा नज़र आती है। यहां होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है। लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली

महाराष्ट्र और गुजरात में होली पर श्री कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं इन्हें पुरुष फोड़ने का प्रयास करते हैं और नांच गाने के साथ होली खेलते हैं।

पंजाब का “ होला मोहल्ला”

पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों की शक्ति के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथाघुड़सवारी,तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

बंगाल की “ डोल पूर्णिमा” होली

बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली प्रचलित है। इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गांव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली

होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह पर्व पूरे छः दिवस तक नाच-गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिता के साथ चलता रहता है।

फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी आपसी मन-मुटाव को भूल कर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं।

उम्मीद करते हैं कि ये सभी होली के निबंध आपको पढ़कर अच्छा लगा होगा, आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमे से कोई भी निबंध इस्तेमाल कर सकते हैं। धन्यवाद!

Frequently asked questions (FAQS) होली से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर- प्रह्लाद की बुआ होलिका के नाम पर इस त्यौहार का नाम होली पड़ा।

उत्तर- लठमार होली श्री कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतिक होने के कारण विशेष है।

उत्तर- प्रह्लाद विष्णु भगवान ( नरसिंह अवतार ) का उपासक था।

उत्तर- होली त्यौहार के प्रमुख व्यंजन गुजिया , गुलाब जामुन , ठंडाई आदि हैं।

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होली पर निबंध 10 lines (Holi Essay in Hindi) 100,150, 200, 250, 300 शब्दों मे Long and Short Essay in Hindi

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होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, जातीयता या धर्म की परवाह किए बिना त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। मार्च में पूर्णिमा के दिन भारत में होली दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन “ होलिका दहन ” (Holika Dahan) मनाते हैं और चारों ओर इकट्ठा होते हैं और लकड़ी और गाय के गोबर के ढेर जलाते हैं, और होली से संबंधित भजन गाते हैं।

फिर अगले दिन, सभी उम्र के लोग “गुलाल” नामक रंगों और “दुलाहांडी” नामक रंगीन पानी के साथ खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और “गुजिया” नामक दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाई खाते हैं और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेली जानी चाहिए। उपयोग किए गए गुलाल को व्यवस्थित रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा में जलन पैदा कर सकता है और जहां भी यह संपर्क में आता है। लोगों को होली खेलते समय अपने परिवेश के प्रति जागरूक रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – भारत में कुछ जगहों पर होली को पांच दिनों तक भी मनाया जाता है। होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शिक्षण संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।

होली पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Holi 10 lines in Hindi)

  • होली भारत में मुख्य रूप से हर साल हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है।
  • मार्च वह महीना है जब देश में ज्यादातर होली मनाई जाती है, कभी-कभी यह त्योहार दो दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है,
  • भारत के विभिन्न राज्य अलग-अलग तरीकों से होली मनाते हैं और प्रत्येक उत्सव अद्वितीय और सुंदर होता है।
  • होली से एक दिन पहले, एक अनुष्ठान किया जाता है जिसे ‘होलिका दानन’ कहा जाता है, यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसे हर कोई खेलता है।
  • लोग एक विशाल अलाव बनाते हैं और विभिन्न समारोह करते हैं, और इस तरह ‘होलिका दानन’ दिखाया जाता है।
  • होली एक खुशी और खुशी का त्योहार है जो सभी को खुश करता है।
  • धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होली के उत्सव की शुरुआत राधा और कृष्ण ने की थी।
  • होली के दिन लोग अपने परिवार से मिलते हैं और दोस्त एक दूसरे को उत्सव के रूप में रंग लगाते हैं।
  • उत्तर भारत में होली मनाने के तरीके के रूप में गीत गाने की परंपरा है।
  • होली के लिए कई अनोखी मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, और सबसे आम में से एक है ‘गुजिया’।

होली पर निबंध 100 शब्दों में (short Essay on Holi in 100 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह रंगों, खुशी और दोस्ती का त्योहार है। यह मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह आमतौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग एक दूसरे को रंग लगाकर त्योहार मनाते हैं। होली को और रंगीन बनाने के लिए लोग वाटर गन, पिचकारी और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं।

लोग अपनी दुश्मनी भूलकर रंगों का त्योहार मनाते हैं। लोग सफेद कपड़े पहनकर एक दूसरे के घर जाते हैं। होली के दिन मिठाई और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। लोग अपनों को उपहार बांटते हैं। होली एकता, सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है।

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होली पर निबंध 150 शब्दों में (Essay on Holi in 150 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) -होली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रंगों का त्योहार है। होली का त्योहार वसंत ऋतु में दो दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव की शुरुआत त्योहार से एक रात पहले होलिका दहन से होती है और अगले दिन को होली कहा जाता है।

होली के मौके पर लोगों में काफी खुशी है। वे अपनी चिंताओं और चिंताओं को भूल जाते हैं। वे स्वादिष्ट खाना बनाते हैं। उन्होंने नए कपड़े पहने। वे एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। वे दूसरों के चेहरों पर रंगीन पाउडर बिखेरते हैं। वे गाते हैं, नाचते हैं और उछल-कूद करते हैं। वे ढोल बजाते हैं और होली के गीत गाते हैं। वे लगभग खुशी से पागल हैं। वे भूल जाते हैं कि वे क्या हैं। शाम को वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों से मिलने जाते हैं। वे एक दूसरे को गले लगाते हैं। वे दूसरों के चेहरे पर अबीर का धब्बा लगाते हैं।

होली एक खुशी का अवसर है जब हम सभी के साथ खुलकर घुलमिल जाते हैं। हम अमीर और गरीब के बीच के सामाजिक भेद को भूल जाते हैं। त्योहार का यह रंग लोगों को एक करता है और जीवन से हर तरह की नकारात्मकता को दूर करता है।

होली निबंध 200 शब्दों में (Holi Essay in 200 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – हमारे देश में कई त्योहार मनाए जाते हैं। होली का त्योहार उनमें से एक है। होली रंगों का त्योहार है। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह वसंत की शुरुआत में आयोजित किया जाता है। प्रकृति अपनी गहरी नींद से जागती हुई प्रतीत होती है। पेड़ नए पत्ते लाते हैं। फूल खिलने लगते हैं।

इस दिन लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर और हाथ में सूखा पाउडर लेकर सड़कों पर घूमने लगते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के चेहरे पर गुलाल और रंग मलकर उनके सुखी और समृद्ध जीवन की कामना की। बच्चे रंगीन पानी से भरे झरनों को लेकर जाते हैं जिसे वे राहगीरों के कपड़ों पर छिड़कते हैं। वे कूदते हैं, नाचते हैं और आनंदित होते हैं। हर दिल में खुशी का वास है। जो लोग परेशान नहीं होना चाहते वे घर के अंदर ही रहें। लेकिन बहुत बार उन्हें बख्शा नहीं जाता है और उनकी इच्छा के विरुद्ध रंगीन पानी में धोए जाते हैं।

लेकिन कुछ लोग होली को बहुत ही अश्लील तरीके से मनाते हैं। वे शराब पीते हैं और हंगामा करते हैं। वे झगड़ा करते हैं और दूसरों का अपमान करते हैं। वे दूसरों पर कीचड़ और गंदगी फेंकते हैं। ऐसी बुराइयों को रोकना चाहिए। लोगों के लिए समस्याएँ पैदा करने के बजाय खुशी और उल्लास लाने के लिए त्योहार मनाए जाने चाहिए।

होली निबंध 250 शब्दों में (Holi Essay in 250 words in Hindi)

Essay on Holi – कई संस्कृतियों, जातियों और धर्मों के देश के रूप में, भारत पूरे वर्ष अपने कैलेंडर में अनगिनत त्योहार मनाता है। सबसे व्यापक रूप से ज्ञात त्योहारों में, हम होली को सरल शब्दों में रंगों का उत्सव पाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम थोड़ा गहरा गोता लगाते हैं, होली अपने साथ कई अर्थ और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व लेकर आती है।

होली, कुछ लोगों के लिए, राधा और कृष्ण द्वारा साझा किए गए प्रेम का त्योहार है – प्रेम का एक रूप जिसे किसी विशिष्ट नाम, रूप या आकार की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरों के लिए, यह एक कहानी है कि कैसे हम में अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होकर उभरती है। जबकि कई अन्य लोगों के लिए, होली मस्ती, मस्ती, क्षमा और करुणा का अवसर है। तीन दिनों में फैली, होली की रस्में पहले दिन अलाव के प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होती हैं और दूसरे दो दिनों में रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य और आशीर्वाद के साथ उत्सव मनाया जाता है। उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक रंग विभिन्न भावनाओं और तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे भगवान कृष्ण के लिए नीला, प्रजनन क्षमता और प्रेम के लिए लाल और नई शुरुआत के लिए हरा।

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होली निबंध 300 शब्दों में (long Essay on Holi in 300 words in Hindi)

Essay on Holi – होली का त्योहार हर साल मार्च (फागुन) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे एकता, प्रेम, खुशी, खुशी और जीत के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। हम एक दूसरे के साथ प्यार और खुशी का इजहार करने के लिए इस त्योहार को चमकीले और आकर्षक रंगों में खेलते हैं। इसका अपना महत्व है साथ ही इसे मनाने के कई कारण, कहानियां और मान्यताएं भी हैं।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – बहुत समय पहले, एक राजा हिरण्यकश्यप, उसकी बहन होलिका और उसका पुत्र प्रह्लाद था। प्रह्लाद एक पवित्र आत्मा थे जो भगवान विष्णु के भक्त थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि प्रह्लाद सहित सभी उनकी पूजा करें। लेकिन भक्त प्रह्लाद को यह ज्ञान नहीं था और वे हमेशा भगवान विष्णु की पूजा करते थे। इससे नाराज होकर उसके पिता ने उसे जलाने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गया क्योंकि होलिका को भगवान से वरदान मिला था कि आग उसे नहीं जला सकती, अपने भाई की बात मानकर होलिका आग में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को इस आग से कोई नुकसान नहीं हुआ हुआ यूं कि इस आग में होलिका जल गई। इसी कथा से होली पर्व की उत्पत्ति हुई।

इस त्योहार के मौके पर सभी अपने अपनों से मिलते हैं, रंग और अबीर से होली खेलते हैं, साथ ही कई ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं जो एक दूसरे के लिए खुशी दर्शाती हैं। ऐसे में लोग रंगों के इस त्योहार में अपनों के साथ जश्न मनाते हैं.

होली निबंध से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न हिंदी में (FAQs)

होली किस महीने में मनाई जाती है.

जिस महीने मार्च में होली मनाई जाती है वह देश में गर्मी का चरम होता है।

होली का त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है?

होली का त्योहार ज्यादातर पांच दिनों तक मनाया जाता है। हालांकि, कुछ जगहों पर इसे पांच दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है।

क्या होली सिर्फ भारत में ही मनाई जाती है?

होली भारत में मनाई जाती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, सभी धर्मों के लोगों ने भी अपने देश में इस त्योहार के आयोजन में हिस्सा लिया है।

प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की सिफारिश क्यों की जाती है?

देश ने कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ विभिन्न तीव्रता के त्वचा रोगों में वृद्धि देखी है।

होली मनाने के लिए भारत में सबसे अच्छी जगह कौन सी हैं?

भारत का हर हिस्सा अपने तरीके से मनाता है लेकिन मथुरा, दिल्ली, जयपुर और आगरा में होली का भव्य उत्सव मनाया जा सकता है।

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Holi 2024 : होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

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  • Updated on  
  • मार्च 21, 2024

Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : भारत में सभी त्योहारों की अलग प्रसिद्धि है और ये अलग-अलग राज्यों में अलग रूप में दिखाई देते हैं। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। इनमें रंगों का त्योहार होली भी शामिल है। होली का त्योहार विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। होली के बारे में या होली पर निबंध अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है और इसलिए यहां हम 100, 250, 500 शब्दों में होली पर निबंध लिखना सीखेंगे।

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रंगों का त्यौहार  होली , खुशी और उमंग का प्रतीक है। भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली, भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वालों या मानवता के पक्षधरों द्वारा मनाये जाने वाला ऐसा पर्व है, जिसका उद्देश्य केवल बेरंग उदासी या मायूसी को खुशियों और सकारात्मक रंग से भरना होता है।

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्यौहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम, रंगों और ठंडाई के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं। 

  • होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
  • हर साल होली फागुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।
  • हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है।
  • होली के दिन सभी लोग अपने घरो में पकवान बनाते है और रिश्तेदारों के घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते है।
  • होली सामाजिक मतभेद को मिटाकर उत्साह बिखेरने का पर्व माना जाता है।
  • होली के दिन सभी बिना किसी हीनभावना के एक-दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व को मनाते है।
  • पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक घमंडी राजा था जिसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद कि हत्या करवाने के लिए प्रह्लाद सहित आग में बैठजाने को कहा था जिसके परिणाम हेतु होलिका वरदान होने के बाद भी जल गयी। इसलिए हर साल होलिका जलाई जाती है।
  • होली पर गुलाल रंग घमंड पर भक्ति की, अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। इसलिए इस पर्व पर सभी रंगो से खेल कर खुशियां होली मनाते है।
  • इस पर्व पर हमें अपने भीतर कि सभी बुराई को ख़त्म कर प्रेम भाव से सभी का आदर सत्कार करने का प्रण लेना चाहिए।
  • भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मज़बूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।

Holi Essay in Hindi

150 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली बुराई पर अच्छाई की जीत को उत्साह से मनाने का त्योहार है लेकिन हर त्यौहार कि तरह अब माइने बदल गए है। जहां अब भी कुछ जगहों पर होली को तरीके से खुशियां मनाने और बांटने के लिए होली के त्यौहार का स्वागत किया जाता है। होली का त्यौहार दो दिन तक मनाए जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु होगी। इसी ख़ुशी में होली खेलकर मानाने से एक रात पहले महूरत अनुसार होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन खेली जाती है।

200 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली को रंगो के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति में आने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में इस त्यौहार का आगमन होता है। इस त्यौहार को पसंद करने वाले लोग हर साल होली के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। होली एक प्रेम से भरा त्यौहार है जो पूरा परिवार व सभी दोस्त मिलकर मनाते है।

होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी , जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घमंड के कारण हरिण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्योकि वे विष्णु भगवान कि पूजा में विश्वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब न हो पाई।

होली पर निबंध 300 शब्दों में

होली: रंगों का त्योहार





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होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है, जो बसंत ऋतु में मनाया जाता है । प्रकृति में रंग-बिरंगे फूल बसंत के आगमन का  मानो हृदय से स्वागत करते हैं। बसंत के रंगों का प्रतीक बनकर यह त्योहार हर साल फागुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसीलिए फागुन का महीना मौज-मस्ती का महीना कहा जाता है। 

भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या किस्सा प्रच्वलित होता है। होली मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी था, जो ख़ुदको भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया था कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात ना मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही अपने को लगाए रहा। पिता की क्रोध की सीमा न रही हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल ना हो सका।  हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम था होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोदी में बिठा कर आग लगा दी गई पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रह्लाद तो बच गया पर होलिका जल गई।इसी घटना की याद में हर साल रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

होली का त्यौहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने अपने गांव,मोहल्ले में उपलो,लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं । फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज की बाली भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं।

होलिका दहन अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं।सड़कों पर मस्त युवकों की टोली गाती बजाती निकलती है। एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।

इसी प्रकार होली एक ऐसा पवित्र त्यौहार है। जिसमें छोटे-बड़े ,अमीर-गरीब आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं।प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को गले लगा लेता है। लोग पुरानी से पुरानी शत्रुता भी होली के दिन भुला देते हैं। 

Holi Essay in Hindi

होली पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में होली पर निबंध इस प्रकार हैः

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

राग-रंग का पर्व होली हिंदुओं का लोकप्रिय पर्व है। होली आनंद उत्साह का, मौज, मस्ती और रंगों से सराबोर महोत्सव है। वास्तव में होलिका दहन और होलिकोत्सव, नास्तिकता पर आस्तिकता का, बुराई पर भलाई का, पाप पर पुण्य का तथा दानवता पर देवत्व की विजय का मांगलिक पर्व है ।

होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह पर्व बसंत के आगमन का संदेशवाहक है। यह त्यौहार पूर्णिमा से पूर्व बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोपियों के साथ रास रचाया तब से होली का प्रचलन हुआ, परंतु होली के विषय में सबसे प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक अत्यंत बलशाली राजा था। अपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। वो चाहता था कि उसकी प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करे, परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था । हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद का वध करने के अनेक उपाय किए, परंतु वह सफल ना हो सका। फिर उसने प्रहलाद को आग में जलाकर मार डालना चाहा। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था।होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं  जल सकती। हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर में बैठ गई। उस ढेर में आग लगा दी गई परंतु भगवान की लीला तो अद्भुत है ।जिस होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, वह तो जल गई और प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ।

फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन स्त्रियां व्रत रखती है और होली पूजने जाती है। किसी चौक में अथवा खुले स्थान पर लकड़ियों के ढेर या उपलो से होली बनाई जाती है। रात्रि के समय निश्चित समय पर होलिका जलाई जाती है और होली की आग में गेहूं तथा चने की बालियां डाली जाने की परंपरा है।  इसे होलिका दहन कहते हैं।

होली से अगला दिन अर्थात चैत्र की प्रतिपदा को लोग रंग खेलते हैं। इसे धुलैंडी कहते हैं । लोग एक दूसरे से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगाते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, बालक-वृद्ध के बीच  की सीमा टूट जाती है, और सभी खुले भाव से एक दूसरे का सत्कार ,आदर करते हुए इस पर्व का आनंद लेते है।

वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है। सूरदास, नंददास आदि कृष्ण भक्त कवियों ने श्री कृष्ण और राधा के होली खेलने का बड़ा ही मनोहर वर्णन अनेक पदों में किया है। आज भी वृंदावन की कुंज गलियों में जब सुनहरी पिचकारियों  से  रंग बिरंगे  फव्वारे छूटते है  तथा गुलाल बिखरता है तो स्वयं देवता भी भारत भूमि में जन्म लेना चाहने लगते हैं। देश विदेश से अनेक लोग वृंदावन की होली देखने आते हैं।

 बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आजकल होली का रूप बिगड़ गया है। लोग रासायनिक रंगों का प्रयोग करने लगे हैं, बच्चे गुब्बारे मारते हैं। कुछ लोग कीचड़ आदि भी डालते हैं। अनेक व्यक्ति शराब,गांजा,भांग,चरस आदि का सेवन करते हैं, गंदे गाने गाते हैं तथा गाली-गलौज करते हैं। हमें शीघ्र-अतिशीघ्र इस त्यौहार से इन बुराइयों को दूर करना चाहिए तभी हम होली जैसे पवित्र त्यौहार कि पवित्रता को संजो के रख सकते है।

 होली प्रेम व भाईचारे का त्यौहार है, रंगों का त्यौहार है, हर्षोल्लास का त्यौहार है। होली का गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। होली मनुष्यों को आपस में जोड़ने का त्यौहार है कवि मैथिलीशरण गुप्त होली का सजीव चित्रण इन पंक्तियों में प्रकट करते हैं:

काली- काली कोयल बोली, होली, होली, होली । फूटा यौवन फाड़ प्रकृति की पीली, पीली, चोली। । 

होली का त्योहार भारत ही बल्कि कई देशों में काफी महत्व रखता है। भारत में मथुरा की होली को विश्व प्रसिद्ध होली माना जाता है। होली के त्योहार पर हम सब एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और एक-दूसरे को बधाई देकर बुराई पर अच्छाई की विजयी याद करते हैं।

Holi Essay in Hindi for Class 2 इस प्रकार हैः

होली भारत और नेपाल में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला कार्यक्रम है । रंगों का त्योहार, जो मार्च में होता है, रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली तीन दिनों तक मनाई जाती है, जिसमें होली पूर्णिमा (पूर्णिमा का दिन) सबसे पहले होती है। पुनो का दूसरा दिन, या छोटी होली। पर्व, या होली दिवस, त्योहार का तीसरा दिन है। लोग इस दिन सफेद कपड़े पहनते थे और जमीन पर इकट्ठा होते थे। इस त्योहार के लिए वे प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं और पेंटिंग गन से खेलते हैं। वे मीठी लस्सी पीते हैं और तरह-तरह के खोया, मावा और पिस्ता से बनी मिठाइयां खाते हैं।

Essay on Holi in Hindi Class 4 यहां बताया जा रहा हैः

भारत, कई अलग-अलग भाषाओं, जातियों, परंपराओं, विचारधाराओं, संस्कृतियों, विश्वासों, धर्मों आदि के साथ एक राष्ट्र के रूप में साल भर त्योहारों की अधिकता रखता है। यह वास्तव में भूमि और विविधता की एक इकाई है। होली भारत में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो न केवल यहां बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है और वास्तव में भारत की संस्कृति और मान्यताओं से प्रेरित और प्रभावित है। मूल रूप से यह रंगों, उल्लास और खुशियों का त्योहार है। इतना ही नहीं, त्योहार हमारे चारों ओर बसंत के मौसम की शुरुआत की टिप्पणी करता है और इसीलिए लोग रंगों या गुलाल से होली खेलते हैं, चंदन लगाते हैं, पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं जो केवल होली के अवसर पर बनाए जाते हैं और निश्चित रूप से, भूलने के लिए नहीं ठंडाई का प्रसिद्ध पेय। लेकिन जैसा कि हम इस होली निबंध में गहराई से उतरते हैं, ऐसा लगता है कि इसमें असंख्य अर्थ और ऐतिहासिक हैं।

भारत के हर राज्य में होली खेलने या मनाने का अपना अलग तरीका है। साथ ही रंगों और खुशियों के इस त्योहार को मनाने के पीछे हर किसी या हर समुदाय के लिए मायने बदल जाते हैं. आइए अब इस होली निबंध में होली मनाने के कुछ कारणों के बारे में जानें। कुछ लोगों और समुदायों के लिए, होली और कुछ नहीं बल्कि राधा और कृष्ण द्वारा मनाया जाने वाला प्रेम और रंगों का एक शुद्ध त्योहार है – एक ऐसा प्रेम जिसका कोई नाम, आकार या रूप नहीं है। अन्य इसे एक कहानी के रूप में देखते हैं कि कैसे हम में अच्छाई अभी भी बुराई पर विजय प्राप्त करती है। दूसरों के लिए, होली फुरसत, खिलवाड़, क्षमा और करुणा का भी समय है। होली के अनुष्ठान तीन दिनों तक चलते हैं, पहले दिन अलाव द्वारा प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होता है और दूसरे और तीसरे दिन रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य, भोजन और आशीर्वाद के त्योहार के साथ समाप्त होता है। 

Essay on Holi in Hindi Class 5

Essay on Holi in Hindi Class 5 यहां दिया जा रहा हैः

होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

होली की कहानी और किंवदंती दानव राजा हिरण्यकश्यप के समय की है। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में जाने के लिए कहा ताकि उसका पुत्र भगवान विष्णु के बजाय उसकी पूजा करे। होलिका लपटों और आग के लिए प्रतिरोधी हो सकती है। होलिका तब राख में बदल गई जब वह प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में आगे बढ़ी, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया क्योंकि होलिका का श्राप तभी काम करता जब वह अकेले यानी अकेले आग में शामिल होती। तब से, इस दिन को भारत में होली के रूप में जाना जाता है, और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान, लोगों ने होलिका की मृत्यु के उपलक्ष्य में अलाव जलाया।

दिन भर के उत्साह के बाद लोग शाम को दोस्तों और परिवार के साथ खान-पान और शुभकामनाएं साझा करते हुए बिताते हैं। कहा जाता है कि होली सभी के मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है। त्योहार के दिन की शुरुआत तरह-तरह के व्यंजनों की तैयारी के साथ होती है। लोग एक-दूसरे को गुलाल, पानी के रंग और गुब्बारों से रंगते हैं। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि हर कोई अपनी शर्म को छोड़कर मस्ती में शामिल होने का फैसला करता है। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे को ‘हैप्पी होली’ की शुभकामनाएं देते हैं। कई हाउसिंग सोसाइटी अपने लॉन में होली का आयोजन करती हैं। पूरे लॉन को ढकने के लिए पीले, हरे, लाल, गुलाबी, ग्रे और बैंगनी जैसे चमकीले और सुंदर रंगों का उपयोग किया जाता है। यह बताना मुश्किल है कि कौन कौन है क्योंकि हर कोई अलग-अलग रंगों के कपड़े पहने हुए है।

होली फाल्गुन के महीने में मनाया जाने वाला प्यार और खुशी का एक हिंदू त्योहार है जो गेंहू की फसल से भी मेल खाता है और धन और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है। वसंत का मौसम सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है; नतीजतन, वसंत जलवायु विशेष रूप से सुखद होती है, खासकर जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। नतीजतन, होली को प्रकृति की वसंत सुंदरता और समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

होली रंगों का त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होली को न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं जो इसे और भी रोचक और महत्वपूर्ण बनाती हैं। सबसे लोकप्रिय किंवदंती कहती है कि राजा हिरण्यकशिपु का अपने पुत्र प्रह्लाद के साथ विवाद हो गया था क्योंकि प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा करने पर जोर दिया था। इससे राजा नाराज हो गया और उसने अपने बेटे को मारने का फैसला किया।

हिरण्यकश्यप ने अपने भतीजों को प्रह्लाद को आग में फेंकने के लिए कहा क्योंकि वह उसके राज्य के लिए खतरा था। उनके भतीजे उनके प्रति वफादार थे, इसलिए उन्होंने प्रह्लाद को लकड़ी के एक टुकड़े से बांधकर आग में फेंक दिया। हालांकि, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने उसके साथ जलती चिता पर बैठकर उसे बचा लिया।

होली पर निबंध

 होली पर आधारित अन्य ब्लॉग्स

हरिण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था की वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हरिण्यकश्यप ने आदेश दिया की होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई , पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

जो कीटाणुओं को प्रसार करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। ऐसे में रंगों का प्रयोग रोग फैलाने वाले कीटाणुओं के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। दूसरी ओर रंग लगने पर शरीर की सफाई अच्छे से हो पाती है जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

भूमिका : होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। … हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं।

होली का उत्सव होलिका दहन अनुष्ठान के साथ शुरू होता है जो कि होलिका, दुष्ट दानव, और उस अग्नि से भगवान विष्णु द्वारा प्रह्लाद की रक्षा के सम्मान में मनाया जाता है। लोग लकड़ी इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर गीत गाकर खुशियां मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। होली के दूसरे दिन को छोटी होली या नंदी होली के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है “रंगों से खेलना”। लोग समूहों में इकट्ठा होते हैं और एक दूसरे पर रंगों से खेलते हैं। परंपरागत रूप से, महिलाएं पुरुषों पर सुगंधित रंग डालती हैं और बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन पाउडर फेंकते हैं। होली के तीसरे दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं और फिर दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं। वे प्यार के प्रतीक के रूप में मिठाइयों और नमकीन का आदान-प्रदान करते हैं। यह दिन होली समारोह के अंत का प्रतीक है। होली पूरे भारत और दुनिया भर में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है। त्योहार में आम तौर पर गायन, नृत्य, रंगों और पिचकारी (पानी की बंदूकें) के साथ खेलना और गुजिया और लड्डू जैसे व्यंजनों का आनंद लेना शामिल होता है।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : दोस्तों आज हमने होली पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है इस Holi Par Nibandh की सहायता से हमने होली त्योहार को कैसे मनाया जाता है,

इसका इतिहास क्या है और वर्तमान में Holi को किस तरह से भारत और अन्य देशों में मनाया जाता है इस पर हमने विस्तारपूर्वक निबंध लिखा है। यह निबंध हमने विद्यार्थियों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए अलग- अलग शब्द सीमा में लिखा है।

Holi Essay in Hindi

Get Some Essays on Holi in Hindi for students under 150, 300, 500 and 1500 words।

Short Holi Essay in Hindi 150 Words

होली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। Holi का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल बांग्लादेश अमेरिका ऑस्ट्रेलिया कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है।

यह त्यौहार प्रमुख रूप से दो दिनों का होता है जिसने पहले दिन होली दहन किया जाता है जिसमें लकड़ियां और गोबर के कंडे डालकर होलिका दहन किया जाता है।

Holi के दूसरे दिन को धुलण्डी कहा जाता है जिसमें सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग लगाते है इस दिन भारत में लोग कोई भी जात-पात नहीं देखते सभी एक दूसरे से गले मिलकर खूब धूमधाम से होली को मनाते है।

यह भी पढ़ें – 10+ होली पर कविता – Hindi Poem on Holi

इस त्यौहार को प्रेम का त्यौहार भी कहा जाता है क्योंकि जिस दिन सभी लोग अपने गिले-शिकवे भुलाकर दोस्ती कर लेते हैं और पूरे हर्षोल्लास से इस त्योहार को मनाते है। भारत में नंदगांव, वृंदावन और बरसाने की होली बहुत अधिक प्रसिद्ध है इसे देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते है।

Essay on Holi in Hindi 300 Words

हिंदू धर्म का होली का त्योहार विश्व प्रसिद्ध है यह त्यौहार मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास में इस त्यौहार को मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाया जाने के पीछे एक पौराणिक कथा है

जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसे कोई भी नहीं मार सकता है इसलिए फिर वह वरदान पा कर इतना कुरुर हो गया कि वह अपने आप को ही भगवान मानने लगा वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा दुश्मन था।

हिरण्यकश्यप का एक बेटा था जो कि भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था काफी समझाने के बाद भी वह भगवान विष्णु की पूजा करना नहीं छोड़ रहा था तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से उसे मारने की कोशिश की,

होलिका को आग में नहीं जलने का वरदान था इसलिए वह प्रहलाद को लेकर जलती आग की चिता पर बैठ गई थी लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलीका जलकर भस्म हो गई।

यह भी पढ़ें –  होली की शायरी – Happy Holi Shayari in Hindi

इसे बुराई पर अच्छाई की जीत माना गया और होली त्यौहार का उदय हुआ। इसीलिए वर्तमान में लोग अब जगह जगह होली के दिन होलिका का दहन करते है। होलिका का दहन करने के लिए घास फूस और सूखी लकड़ियां साथ में गोबर की बहुत सारे कंडे इस्तेमाल में लिए जाते है।

होलिका दहन से पहले महिलाएं होली की पूजा करती है और इसके बाद होलिका दहन कर दिया जाता है। होली का दूसरा दिन मौज मस्ती का होता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल रंग लगाते है और एक दूसरे को रंग बिरंगे रंगों से रंग देते है।

वृंदावन में फूलों की होली भी खेली जाती है यह त्योहार सच में सौहार्द का त्यौहार है क्योंकि इस दिन सभी लोग अपने देश में भूलाकर दोस्ती कर लेते है।

Holi Par Nibandh 500 Words

प्रस्तावना –

हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए होली का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण है हिंदू धर्म को मानने वालों के अनुसार होली का त्यौहार हिंदुओं का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है।

इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग बनाते हैं वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है।

यह खुशियां बांटने वाला त्यौहार है इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर खुशी खुशी इस त्योहार को मनाते है इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है।

होली मनाने का कारण –

हिंदू धर्म में Holi मनाने का एक प्रमुख कारण है इसके पीछे एक पुरानी कथा जुड़ी हुई है इस कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस था जो कि अपनी भक्ति और शक्ति के लिए बहुत प्रसिद्ध था।

उसे देवताओं से एक वरदान मिला हुआ था जिसके अनुसार उसकी मृत्यु कभी नहीं हो सकती है।

यह भी पढ़ें –  मकर संक्रांति पर निबंध – Makar Sankranti Essay in Hindi

यह वरदान मिलने के बाद उसमें अहंकार आ गया और वह अपने आप को ही भगवान मानने लगा और अपनी प्रजा से स्वयं की पूजा करने को कहने लगा। प्रजा उसके क्रोध के कारण उसकी पूजा भी करने लगी लेकिन कुछ समय पश्चात ही हिरण्यकश्यप के एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया।

प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त बन गया अपने पिता हिरण्यकश्यप के लाख समझाने के बावजूद भी है भगवान विष्णु की ही पूजा करता था इसलिए हिरण्यकश्यप ने क्रोध में आकर अपनी बहन होलिका को अपने ही बेटे को मारने का फरमान सुना दिया। होलिका को वरदान था कि वह किसी भी प्रकार की अग्नि उसे जला नहीं सकती।

होलीका प्रहलाद को लेकर जलती चिता पर बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलिका जलकर राख हो गई।

जिसके बाद यह माना गया कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हमेशा अच्छाई की जीत होती है। इसके बाद से ही होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

होली की मनाने की प्रक्रिया –

होली त्योहार की तैयारियां लोग कई दिनों पहले से ही करने लग जाते हैं बाजारों में रंग बिरंगे गुलाल नए कपड़े और मिठाइयां बिकने को आ जाती है। बाजारों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है।

होली का त्यौहार 2 दिनों तक चलता है होली के पहले दिन संध्या के समय होलिका दहन किया जाता है। सभी लोग होलिका दहन के बाद एक दूसरे को गले मिलकर होली की शुभकामनाएं देते हैं और पूरे मोहल्ले भर में मिठाइयां बांटते है।

होली का दूसरा दिन धुलण्डी के रूप में जाना जाता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग से रंगते है। और पूरे दिन भर रंगो से खेलते है। इस दिन लोग खूब मौज मस्ती करते हैं और नई मिठाईयां खाते है।

उपसंहार –

होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है इस त्यौहार से सीख लेते हुए हमें भी अपनी बुराइयों को छोड़ते हुए अच्छाई को अपनाना चाहिए। इस त्यौहार से में एक और सीखने को मिलती है कि कभी भी हमें अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि अहंकार हमारे सोचने समझने की शक्ति को बंद कर देता है।

हमें होली का त्यौहार अपने परिवार और दोस्तों के साथ खूब धूमधाम से मनाना चाहिए।

Long Essay on Holi in Hindi 1500 Words

रूपरेखा –

भारत त्योहारों का देश है इसीलिए आप प्रत्येक दिन एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है भारत में हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की जनसंख्या अधिक है इसलिए यहां पर बहुत त्योहार मनाए जाते है। होली का त्यौहार भी एनी त्योहारों में से एक है लेकिन यह त्यौहार अपनी एक अलग पहचान रखता है।

ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार हजारों वर्षों से मनाया जाता है जा रहा है होली के त्यौहार की कृष्ण की रासलीला में भी जिक्र किया गया है भगवान कृष्ण को भी होली का त्योहार बहुत अधिक प्रिय था। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है साथ ही यह मौज मस्ती का भी प्रतीक है।

होली कब मनाई जाती है –

होली का त्योहार प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस जोहार को फाल्गुन मास में मनाने की प्रथा है। इस वर्ष 2019 में होली का त्यौहार 20 मार्च 2019 को मनाया जाएगा ।

होली का इतिहास –

होली के त्यौहार का जिक्र है पुराने ग्रंथों में इसे भी देखने को मिलता है जो कि यह बतलाता है कि होली का त्यौहार बहुत बड़ा है। इस त्योहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही अच्छी और प्रसिद्ध कथा है।

पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया जिसके बाद ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप को वरदान मांगने के लिए कहा तो विनय कश्यप ने वरदान में मांगा कि उसे ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से उसकी हत्या नहीं की जा सकती है।

हिरण्यकश्यप को यह वरदान मिलने के बाद उसमें अहंकार आ गया और वह सोचने लगा कि वही इस सृष्टि का दाता है और वही सबसे बड़ा भगवान है। वह अपनी प्रजा से क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने लगा।

वह भगवान विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था इसलिए अपनी प्रजा से कहता था कि वह उसकी पूजा करें भगवान विष्णु की पूजा ना करें। प्रजा के कुछ लोगों ने भय वश उसकी पूजा भी करने लगे।

समय बीतने के साथ ही हिरण्यकश्यप के एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम पहलाद रखा गया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था वह सुबह शाम की पूजा करता था। जैसे ही हिरण्यकश्यप को पता चला कि उसका बेटा भगवान विष्णु का भक्त है तो उसने अपने बेटे को समझाने की कोशिश की लेकिन प्रहलाद में अपने पिता की एक बात ने सुनी।

हिरण्यकश्यप को इस बात को लेकर बहुत क्रोध आया और उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया और अपने ही बेटे को मारने को कहा। होलिका को वरदान था कि उसे किसी भी प्रकार की आग जला नहीं सकती है इसलिए उसने अपने भाई का साथ देते हुए प्रहलाद को लेकर जलती हुई आपकी चिता में बैठ गई।

प्रहलाद यह देखकर घबरा गया और भगवान विष्णु की पूजा करने लगा भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई थी प्रहलाद को एक खरोच तक नहीं आई और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

होली कैसे मनाई जाती है –

होली का पर्व भारत के साथ साथ नेपाल अमेरिका ऑस्ट्रेलिया भूटान कनाडा मॉरिशस जैसे देशों में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता है होली के त्यौहार की तैयारियां कई दिनों पहले से ही होनी प्रारंभ हो जाती है। महीनों पहले ही बाजारों में रौनक आ जाती है और बाजार रंग बिरंगी रंगों से सजे जाते है।

Holi मनाने के लिए लोग नए कपड़े खरीदते हैं और खूब सारी मिठाइयां खरीदते है। होली के दिन एक जगह चिन्हित कर ली जाती है जहां पर होली जलाई जानी होती है वहां पर पूरे दिन भर लोग लकड़ियां और गोबर के कंडे इकट्ठे करते है शाम तक यह एक बड़े ढेर में बदल जाता है। इस ढेर के बीचो-बीच पहलाद के प्रतीक के रूप में एक लकड़ी लगाई जाती है।

संध्या के समय महिलाओं द्वारा होली की पूजा की जाती है लोटे से जल अर्पण किया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर होलिका दहन कर दिया जाता है जैसे ही आग की लपटें बढ़ने लग जाती हैं पहलाद के प्रतीक वाली लकड़ी को निकाल दिया जाता है और दर्शाया जाता है की बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत ही होती है।

होलिका दहन होते समय कुछ लोग इसमें मीठे व्यंजन भी डालते हैं सब लोग अपनी प्रथा के अनुसार होलिका दहन में वस्तुएं डालते है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होली का धुआं जिस दिशा की ओर जाता है उस दिशा में उस साल बहुत अच्छी फसल होती है। होलिका दहन के पश्चात सभी लोग एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते है और खूब सारी मिठाइयां बांटते है।

धुलण्डी –

होली का दूसरा दिन जिसे धुलण्डी का नाम दिया गया है यह दिल मौज मस्ती का दिन होता है इस दिन बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी मौज मस्ती करते हैं और एक दूसरे को रंग बिरंगी रंग लगाते है। सभी लोग एक दूसरे को ऐसे रंग देते हैं कि शाम होते-होते यह समझ ही नहीं आता है कि कौन सा व्यक्ति कौन है।

कुछ लोग इस दिन पक्के रंगों का भी इस्तेमाल करते हैं जिससे लोगों की सेहत खराब हो जाती है तो हमें पक्के रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए हमेशा गुलाल से ही धुलण्डी खेलनी चाहिए। बच्चे जिन पार्टियों में पानी भर लेते हैं और पिचकारी उसे एक दूसरे के ऊपर रंग उड़ाते है।

सभी लोग अपनी-अपनी टोलियां बनाकर पूरे मोहल्ले भर में सभी को रंग लगाते फिरते हैं और एक बार आग लगाने के बाद उसे अपनी टोली में शामिल कर लेते हैं और ढोल नगाड़े बजाते हुए निकलते है। इस दिन लोग इतनी मौज मस्ती करते हैं कि सड़कों पर ही नाचने गाने लग जाते है।

भारत की प्रसिद्ध होली –

हमारे भारत देश में कुछ ऐसी जगह है जहां पर Holi का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है यहां की होली जो भी एक बार वे दूसरी बार यहां पर जरूर आना चाहता है इनमें से कुछ जगह इस प्रकार हैं

वृंदावन की होली – यहां के लोग रंगों की वजह फूलों से होली खेलते हैं सभी लोग एक दूसरे पर रंग बिरंगे फूल उड़ाते है। भगवान श्री कृष्ण भी यहां पर होली खेला करते थे और वृंदावन भी उन्हीं की नगरी है इसीलिए लोगों में उत्साह है और बढ़ जाता है।

यहां की होली देखने कई विदेशों से पर्यटक आते हैं जो कि यहां पर आकर बहुत ही धूमधाम से होली खेलते है।

बरसाने की होली – यह माता राधा का जन्म स्थान है यहां पर भगवान श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ नंद गांव से बरसाने में होली खेलने आते थे। उसी तरह आज भी लोग नंद गांव से बरसाने में होली खेले जाते हैं यहां की होली इसलिए प्रमुख है क्योंकि यहां पर महिलाएं पुरुषों पर रंगो की वजह लकड़ी की लाठियों से उन्हें पीटती है।

यह देखने में बहुत ही सुंदर लगता है इसीलिए यहां की होली को लठमार होली भी कहा जाता है। कुछ इसी तरह की होली हरियाणा राज्य में भी खेली जाती है जहां भाभी देवर पर लाठियां बरसाती है। इसमें किसी को चोट नहीं आती क्योंकि पुरुषों के पास बचाव के लिए ढाल होती है।

राजस्थान की होली – राजस्थान की होली हमारे देश के साथ साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर होली का त्यौहार आने से महीनों पहले ही ढप और चंग की ताल पर पौराणिक होली के प्रसिद्ध गीत गाए जाते है। यहां पर लोग मोहल्लों में इकट्ठा हो जाते हैं और पूरी रात रात भर गीत गाते हैं और नाचते है।

राजस्थान की होली जो भी एक बार देख लेता है उसका मन यहां पर आने काम दूसरी बात भी करता है।

होली के त्यौहार का महत्व –

होली का ऐतिहासिक महत्व – होली के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए लोगों को इस त्यौहार से शिक्षा मिलती है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हमेशा अच्छाई की जीत होती है इसलिए वह हमेशा अच्छे रास्ते को अपनाते है।

सामाजिक महत्व – होली एक सौहार्दपूर्ण त्यौहार है जिसमें लोग वर्षों पुरानी दुश्मनी लड़ाई झगड़ा भुलाकर एक दूसरे से गले मिल जाते है इसीलिए इस त्यौहार को दोस्ती का भी प्रतीक कहा गया है। इस दिन समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं देखता सभी लोग एक दूसरे को गले लगा कर होली का त्यौहार मनाते है।

इसे समाज में ऊंच-नीच की खाई कम होती है इसलिए यह त्योहार सामाजिक महत्व भी रखता है।

वर्तमान में होली का रूप –

वर्तमान में होली का रूप बदलता जा रहा है क्योंकि युवा लोग इसके महत्व को नहीं समझ रहे हैं और इसी सौहार्दपूर्ण त्योहार की जगह है नशे के त्यौहार के रूप में देख रहे हैं

आजकल की युवा होली के दिन तरह-तरह का नशा करके बैठे रहते है कुछ लोगों को तो इसे गंभीर नुकसान भी हो जाते हैं लेकिन वह इसकी परवाह नहीं करते है।

इस दिन अब युवाओं में लड़ाई झगड़ा तो आम बात हो गई है। लोग होली के त्यौहार पर दुश्मनी भुलाने की जगह अब दुश्मनी बढ़ाने लगे है। आजकल युवा लोग रंग की जगह गोबर नाली का पानी और पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं जो कि होली की शोभा को धूमिल करते है

यह सब चीजें Holi के त्यौहार की छवि को खराब कर रहे है। हमें लोगों को जागरूक करना होगा।

निष्कर्ष –

होली का त्योहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है यह दोस्ती का त्योहार है इसलिए इसे दोस्ती का त्यौहार ही बने रहना देना चाहिए इसे कोई और रूप देने का हमें कोई हक नहीं होता है।

वर्तमान में भटके हुए युवाओं को हमें इस त्यौहार के महत्व और विशेषता के बारे में बताना चाहिए ताकि उनके विचार विचार के प्रति बदले और हमारे इस सौहार्दपूर्ण त्यौहार की छवि बनी रहे।

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Holi Essay in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

20 thoughts on “होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi”

Very nice essay on holi

Thank you Rubi devi

needs imporvement but overall its ok

thank you Kenisha

ভালো খুব ভালো । Good very good essay. अच्छा है काफी अच्छा है निबन्ध।

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदित्य दास, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Very good essay

thank you Mayank for appreciation.

Hey the full stop in hindi is | not this’.’

We have corrected all the mistakes, thank you Sparsh.

Write the fifty line essay on Holi in Hindi and English

We will soon write fifty lines essay on Holi

Very good essay. Super!

Thank you Charchit for appreciation.

bahut hi achha nibandh tha

Dhanyawad Aman ji aise hi website par aakar hamara manobal badhate rahe

bahut hi acha tyohar hai holi ka

Holi ka lekh aap ko pasand aaya hame bhut khushi hui, aise hi website par aate rahe, Dhanyawad.

बहुत ही अच्छा लेख है, एक लेख ऐसा ही मैंने लिखा है अगर आपको पसन्द आये तो ज़रूर बताइये ये रहा

प्रखर जी आप को हमारे द्वारा लिखा गया होली पर निबंध पसंद आया हमे बहुत खुशी हुई, प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) – होली क्यों मनाई जाती है?

Holi par nibandh in Hindi (Essay on Holi in Hindi) – साल भर मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहार भारतीय जीवन शैली का एक अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे संस्कृति प्रधान देश में कई रंग-बिरंगे और विविध त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इनमें से होली का त्योहार भी विशेष महत्व रखता है, जिसे आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का पर्व कहा जाता है।

होली भारत की विविध संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो जीवन में उमंग, उल्लास और उत्साह को बनाए रखने की भूमिका निभाता है।

इस लेख में हम होली पर निबंध हिंदी में (Holi Essay in Hindi) होली के त्योहार के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी साझा करने जा रहे हैं। हम आशा करते हैं कि विभिन्न शब्द संख्याओं में उपलब्ध यह Holi ka nibandh (होली पर निबंध) सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

(होली की जानकारी और छोटे-बड़े निबंध – Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

Table of Contents

होली पर निबंध – 1  (250 शब्दों में) (Holi Essay in Hindi)

प्रस्तावना:

होली भारत में मनाया जाने वाला रंगों का एक बहुत लोकप्रिय त्योहार है। होली का मुख्य दिन फाल्गुन पूर्णिमा है, जो मार्च या अप्रैल के बीच में पड़ता है।

होली त्योहार क्या है?

होली एक हिंदू त्योहार (Hindu festival) है जो भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इसे “फागू पर्व (Fagu festival)” भी कहा जाता है क्योंकि इस त्योहार में लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं और यह रंगों से भरा होता है। 

यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो फरवरी या मार्च के महीने में आता है। 

लोग एक दूसरे को गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंगों से रंगते हैं। बच्चे अपनी इच्छा के अनुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद लेते हैं।

इसके अलावा होली पर लोग एक दूसरे के साथ मिठाइयां खाने का भी लुत्फ उठाते हैं। 

भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है, जैसे उत्तर भारत में लोग लोहड़ी जलाते हैं और मथुरा और वृंदावन में ब्रज भूमि के रंगोत्सव का आयोजन किया जाता है।

हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन इस त्योहार में विभिन्न समुदायों के लोग उत्साह और उमंग के साथ एक साथ आते हैं, जो वयस्कों को भी बचकाना बना देता है।

होली का उत्सव और वसंत ऋतु का आगमन अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और ऊर्जा को चारों ओर फैला देता है जैसे आकाश में गुलाल बिखर जाता है।

निष्कर्ष: 

होली एक सामाजिक और धार्मिक त्योहार है, जो लोगों को एक साथ आने और पुरे उत्साह के साथ आनंद का अनुभव करने का मौका देता है।

होली पर निबंध – 2  (600 शब्दों में) (Essay on Holi in Hindi)

भारत देश में विविध संस्कृति के साथ कई त्यौहार मनाए जाते हैं। होली, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है और इस दिन लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं, रंग लगाते हैं और एक दूसरे को मिठाइयां भी बांटते हैं। होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नाचते हैं और मिठाई खाते हैं। 

होली का आगमन और उत्सव

होली का त्योहार आने के कुछ दिन पहले से ही बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी अपने-अपने तरीके से होली के त्योहार की तैयारी में लग जाते हैं। इस समय फागुन मास की शुरुआत ठंड को विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम सुहावना होने लगता है।

इस पर्व पर फाग गीतों की भी परंपरा रही है; फाग लोकगीतों के बिना यह पर्व कुछ अधूरा सा लगता है। पहले फाग सुनने से ही लोगों को पता चल जाता था कि होली आने वाली है।

खासकर बच्चों में होली के त्योहार को लेकर खासा उत्साह होता है। वे काफी पहले से ही होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। 

वैसे तो गांवों में लकड़ियां आसानी से मिल जाती है, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर, लकड़ी के बेकार सामान आदि से ही होलिका दहन की व्यवस्था करते हैं। इसके साथ ही होलिका तैयार करने में सभी वर्ग के लोग लकड़ी का योगदान करते हैं।

लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ तरह-तरह के रंग और गुलाल की खरीदारी करने लगते हैं। महिलाएं होली के त्योहार पर घर आने वाले लोगों के लिए मिठाई, नमकीन और गुजिया बनाने में जुट जाती हैं।

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है।

लोग समूह में एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही, “बुरा ना मानो, होली है” का जुमला यह बताता है कि लोग इस दिन रंग और गुलाल लगाने के लिए स्वतंत्र हैं और इससे किसी को नाराज नहीं होना चाहिए।

होली में रंगों का क्या महत्व है?

होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है। तरह-तरह के रंगों में सराबोर चेहरे, कपड़े सबके चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं। इस त्योहार के रंगों में बुजुर्गों को भी बच्चों में बदलने की ताकत है।

होली को और किन नामों से जाना जाता है?

होली को आमतौर पर सभी राज्यों में होली के नाम से जाना जाता है, लेकिन कुछ जगहों पर होली को आका, डोल भी कहा जाता है। इसके अलावा भारत और नेपाल में होली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है:

  • होली: भारत में होली नाम से जाना जाता है और यह फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
  • फागु पूर्णिमा: उत्तर प्रदेश और बिहार में यह फागु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
  • दोल यात्रा: बंगाल में होली को दोल यात्रा के नाम से जाना जाता है।
  • बसंतोत्सव: होली को भारत के कुछ हिस्सों में बसंतोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
  • फाल्गुन महोत्सव: नेपाल में होली को फाल्गुन महोत्सव के नाम से जाना जाता है।

शहरी संस्कृति ने “होली मिलन” कार्यक्रमों को जन्म दिया है जिसमें राजनीतिक दल, संगठन बड़े पैमाने पर होली मिलन कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिसमें सैकड़ों लोग भाग लेते हैं।

  • भारत के अलावा कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश आदि कई देशों में भी होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली खुशी और एकता के साथ मनाया जाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ रंगों से खेलते हैं, मस्ती करते हैं और सभी गिले-शिकवे भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं।

होली पर निबंध – 3  (1300 शब्दों में) (Holi par nibandh in Hindi)

होली एक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो फरवरी और मार्च के बीच आता है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।

होली का इतिहास

पुराणों के अनुसार होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने स्वयं को देवता मानकर अपने राज्य में विष्णु पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उसका अपना पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और दिन-रात हरि भक्ति में लगा रहता था।

राजा हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद का यह व्यवहार बिल्कुल पसंद नहीं आया और उसने प्रह्लाद का मन बदलने की हर संभव कोशिश की। ऐसे में जब प्रह्लाद को किसी भी तरह से भगवान की पूजा करने से रोकने में सफलता नहीं मिली तो उसने प्रह्लाद को मारने का आदेश दे दिया।

जब हाथी के पैरों तले कुचलकर पहाड़ से फेंके जाने पर भी प्रह्लाद को नहीं मारा जा सका तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

दरअसल होलिका को भगवान ब्रह्मा से यह वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जलेगी। इसलिए वह प्रह्लाद को गोद में लेकर लकड़ी के ढेर पर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई।

होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसे किसी प्रकार की हानि नहीं हुई, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट कामनाओं के कारण जलकर राख हो गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

होली मनाने के इतिहास के बारे में कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह पर्व प्राचीन आर्यों के समय से मनाया जाता रहा है। जबकि कुछ अन्य लोगों का मानना है कि होली फाल्गुन के महीने में भारत में प्रचलित लोक नृत्यों और गीतों से जुड़ी है।

होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली एक सामाजिक त्योहार है जो बहुत सारी रंगीन और मनोरंजक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। हालांकि, कुछ सामाजिक कुरीतियां भी होती हैं जो होली के दौरान देखी जाती हैं। 

कुछ असामाजिक लोग होली जैसे धार्मिक महत्व के त्योहार को भी बदनाम करने से नहीं चूकते। कुछ नशेड़ी और दुराचारी लोग नशीले पदार्थ का सेवन कर बेकाबू हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं।

कुछ लोग होलिका में हानिकारक पदार्थ जैसे टायर, प्लास्टिक आदि जलाते हैं, उन्हें इस बात का अहसास नहीं होता कि इससे पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। 

कुछ अति मौज-मस्ती करने वाले लोग होली के दौरान नाभिक रंग, केमिकल रंग या अन्य अनुचित रंगों का उपयोग दूसरों को लगाने का गंदा काम करते हैं, जिससे लोगों को शारीरिक हानि होने की संभावना रहती है।

यदि इन बुराइयों को होली से दूर रखा जाए तो होली का त्योहार वास्तव में मनुष्य और पर्यावरण के लिए हैप्पी होली बन जाएगा।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली परंपराएं

ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृन्दावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली सारे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। होली की विभिन्न परंपराएं भारत के विभिन्न राज्यों और शहरों में भी पाई जाती हैं।

ब्रजभूमि की लट्ठमार होली (Lathmar Holi of Braj Bhoomi):- “सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात ब्रज की होली सारे विश्व से निराली है। ब्रज के बरसाना गांव में होली को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। 

इस होली में बड़ी संख्या में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाना की।

जहां पुरुषों का ध्यान महिलाओं को पिचकारी से सराबोर करने पर होता है, वहीं महिलाएं अपना बचाव करती हैं और उनके रंगों का जवाब लाठियों से मारकर देती हैं।

मथुरा और वृंदावन की होली (Holi of Mathura and Vrindavan):- पूरे भारतवर्ष से परे मथुरा और वृंदावन में होली का एक अलग ही रंग होता है। यहां होली की धूम 16 दिनों तक रहती है। लोग “फाग खेलन आयो नंद किशोर” और “उदत गुलाल लाल भाए बदरा” जैसे लोक गीत गाकर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

बिहार की फगुनवा होली (Phagunwa Holi of Bihar):- बिहार में तीन दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है। पहले दिन रात को होलिका दहन होता है, जिसे यहां संवत्सर दहन भी कहा जाता है और लोग इस अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हैं। अगले दिन इसकी राख से होली खेली जाती है, जिसे धुलेटी कहा जाता है और तीसरा दिन रंगों से भरा होता है।

पुरुषों और महिलाओं के समूह घर-घर जाते हैं और डोल की ताल पर नृत्य करते हैं। फागुन का अर्थ लाल रंग होता है, इसलिए इसे फगुवा होली भी कहा जाता है।

मध्य प्रदेश की भगोरिया होली (Bhagoria Holi of Madhya Pradesh):- मध्य प्रदेश में रहने वाले भील आदिवासियों के लिए होली खास होती है। इस भील होली को भगोरिया कहा जाता है। इस दिन बड़े हो रहे लड़कों को अपना मनपसंद जीवन साथी चुनने की छूट होती है।

भीलों का होली मनाने का एक विशेष तरीका है। इस दिन वे आम के बाग, टेसू के फूल और गेहूं की बालियों की पूजा करते हैं और नए जीवन की शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं।

महाराष्ट्र की रंगपंचमी (Rangpanchami of Maharashtra):- महाराष्ट्र में मछुआरों की बस्ती के लिए इस त्योहार का मतलब है नाचना, गाना और मस्ती करना होता है। क्योंकि इस त्योहार पर सभी मछुआरे एक-दूसरे के घर जाते हैं और मौज-मस्ती में काफी समय बीत जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली नामक स्वादिष्ट मीठा पकवान बनाया जाता है।

गुजरात की मटकी फोड़ होली (Gujarat’s Matki Phod Holi):- गुजरात में होली के मौके पर जोशीले युवाओं की टोलियां सड़कों पर नाचती-गाती चलती है। गुजरात में होली का त्यौहार श्री कृष्ण की बाल लीला के उपलक्ष्य में होली के दिन मनाया जाता है। महिलाएं माखन से भरे मटकियों को गलियों में ऊंचाई पर टांगती हैं, पुरुष उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं और गीत-नृत्य के साथ होली खेलते हैं। 

पंजाब का “होला मोहल्ला” (“Hola Mohalla” of Punjab):- पंजाब में होली के इस पर्व को मर्दों की ताकत के तौर पर देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिखों के पवित्र तीर्थ “आनंदपुर साहिब” में छह दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं और घुड़सवारी, तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

हरियाणा की धुलंडी होली (Dhulandi Holi of Haryana):- हरियाणा, भारत में, होली को धुलंडी और सूखी होली के रूप में मनाया जाता है – इसे गुलाल और अबीर के साथ खेला जाता है। इस दिन भाभियों को साल भर परेशान करने वाले अपने देवर को सजा देने की पूरी आजादी होती है।

भाभियां अपने देवरों को तरह-तरह से प्रताड़ित करती हैं और बेचारे देवर चुपचाप सब सह लेते हैं, क्योंकि यह दिन भाभियों का दिन होता है। शाम को देवर अपनी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उसे आशीर्वाद देती है।

राजस्थान में तमाशा होली (Tamasha Holi in Rajasthan):- राजस्थान में होली के अवसर पर तमाशे की परंपरा है। इसमें कलाकार नुक्कड़ नाटक की शैली में मंच को सजाकर आते हैं और नृत्य और अभिनय से भरपूर अपने पारंपरिक कौशल का प्रदर्शन करते हैं। तमाशा की विषयवस्तु पौराणिक कथाओं और पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है और इन पात्रों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य भी करती है।

बंगाल की “डोल पूर्णिमा” होली (“Dol Purnima” Holi of Bengal):- बंगाल और उड़ीसा में होली “डोल पूर्णिमा” के नाम से प्रचलित है। इस दिन भजन-कीर्तन गाते हुए पूरे गांव में राधा-कृष्ण की मूर्ति को जुलूस के लिए निकाला जाता है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली (Holi of Manipur):- होली पर मणिपुर में “थबल चोंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह उत्सव पूरे छह दिनों तक चलता है जिसमें नृत्य-गीत और विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं।

होली के दिन लोग अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं और दुश्मनी खत्म करते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल और अन्य रंगों से रंगते हैं जो खुशी, प्रेम और मेल-मिलाप की अभिव्यक्ति को दर्शाते हैं। 

इसके अलावा, होली का अधिक महत्व है क्योंकि यह मानवता के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है। यह ऐसा पर्व है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति की बंधनों की सीमाओं से परे जाकर लोगों को भाईचारे का संदेश देता है।

होली पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Holi in Hindi)

  • होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।
  • यह हिंदुओं के सबसे पसंदीदा और आनंददायक त्योहारों में से एक है।
  • यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।
  • होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है।
  • यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  • रंग, गुलाल, पिचकारी और रंग-बिरंगे पानी के गुब्बारों से बच्चे इस त्योहार को काफी उत्साह के साथ मनाते हैं।
  • होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है।
  • इस त्योहार के अवसर पर, सभी लोग जीवन में सभी बुराईयों पर अच्छाई की जीत के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
  • इस मौके पर अपने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर त्योहार मनाया जाता है।

Q – होली का नाम किसके नाम पर रखा गया है? A – होली का नाम हिरण्यकशिपु की बहन होलिका के नाम पर रखा गया है।

Q – साल 2023 में होली कब मनाई जाएगी? A – इस वर्ष होली 08 मार्च 2023 को मनाई जाएगी।

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होली पर निबंध Essay on Holi In Hindi

इस लेख में आप होली पर निबंध (Essay on Holi In Hindi) पढेंगे। इसमें आप होली त्यौहार क्या है, महत्व, तारीख, कैसे मानते हैं, इसकी कहानी जैसी कई जानकारियाँ दी गयी है।

होली पर निबंध Essay on Holi In Hindi  

भारत दुनिया में इकलौता ऐसा देश है, जहां सभी धर्म के लोग एक साथ भाईचारा बनाकर रहते हैं। सभी धर्म और संप्रदाय के त्यौहारों को पूरे भारत में मनाया जाता है, जो भाईचारे की मिसाल पेश करता है।

होली एक ऐसा प्रसिद्ध त्यौहार है, जिसे केवल हिंदू ही नहीं बल्कि सभी धर्म के लोग बड़े ही प्रेम और उल्लास से मनाते हैं। 

होली त्यौहार हिंदुओं के लिए एक मुख्य त्यौहार होता है। हिंदुस्तान में प्रत्येक त्यौहारों के पीछे कोई ना कोई पुरानी घटना अथवा कथा अवश्य जुड़ी होती है, जो समस्त मानव जाति को एक सकारात्मक संदेश देती है। 

इस पवित्र दिन में पूरा भारत रंग बिरंगे रंगों से झूम उठता है। सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे को छोड़कर एक साथ मिलकर होली मनाते हैं। 

होली त्यौहार क्या है? What is Holi festival in Hindi

होली हर्षोल्लास और भाईचारे का संदेश देने वाला त्यौहार है। यह मुख्य रूप से हिंदुस्तान में मनाया जाता है लेकिन दूसरे देशों में जहां हिंदू जनसंख्या निवास करती है वहां होली का यह पवित्र त्यौहार मनाया जाता है।

कहा जाता है कि इस दिन पुराने दुश्मन भी एक दूसरे की गलतियों को भूलाकर पुनः मित्र बन जाते हैं। रंग-बिरंगे गुलाल तथा रंगो के साथ होली खेली जाती है। होली का त्यौहार अत्यंत प्राचीन है। 

आमतौर पर वसंत ऋतु एक बेहद खूबसूरत ऋतु माना जाता है, जिसमें कई प्राकृतिक बदलाव होते हैं। इस महीने में खेतों में फसलें भी काफी अच्छी तादाद में उगती है जिससे किसानों को काफी लाभ होता है। 

होली कब है? (2023) When is Holi? (2023) in Hindi

होली शब्द होलिका से बना हुआ है। इसी कारण होली के मुख्य त्यौहार के एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है। होलिका दहन 7 मार्च के दिन किया जाएगा। 

हिंदू धर्म के मान्यताओं के अनुसार सभी पौराणिक त्यौहारों को एक निश्चित समय अथवा मुहूर्त पर मनाया जाना अनिवार्य होता है।

होली का महत्व Importance of Holi in Hindi

भारत में मनाए जाने वाले प्रत्येक प्राचीन त्यौहारों और उत्सवों के पीछे कोई न कोई गूढ़ रहस्य अवश्य छुपा होता है। होली का उत्सव बुराई पर अच्छा के जीत को दर्शाता है। 

आज के समय में लोग जिस प्रकार अपने व्यस्त दिनचर्या में लुप्त हैं, इससे तो कभी भी भाईचारा और एकता का विकास नहीं हो सकता। ऐसे में केवल होली जैसे यह त्यौहारों के कारण ही लोग अपने काम से थोड़ा समय निकाल कर इकट्ठे होकर जीवन का वास्तविक आनंद उठाते है।

यदि प्राचीन धरोहरों और कलाकृतियों पर नजर डाली जाए, तो कई ऐसे साक्ष्य है जो प्राचीन समय में भी होली का त्यौहार मनाने के सबूत पेश करते हैं। कई प्राचीन मंदिर, तोरण इत्यादि धरोहर के शिलाओं पर ऐसी चित्रकारिता देखी गई है, जो होली के महत्व को दर्शाती है।

होली के कई दिनों पहले ही बच्चे रंगो और पिचकारियों को खरीदना शुरू कर देते हैं। इस प्रकार यह पता चलता है की बड़ों से लेकर बच्चों तक हर कोई होली के इस पवित्र त्यौहार का महत्व भली भांति जानता है।

होली त्यौहार कैसे मनाते हैं? How do Holi celebrated in Hindi?

होली का पवित्र पर्व अपने साथ खुशियां और मनोरंजन साथ लाता है। जब यह त्यौहार आने वाला होता है तो  करीब कई हफ्तों पहले से ही बाजारों में होली खेलने के लिए रंग बिरंगे कलर, सजावट के सामान, गुलाल पिचकारी इत्यादि खिलौने मिलने शुरू हो जाते है। 

हर किसी को अगले दिन का इंतजार होता है, जब लोग घरों से बाहर निकलकर होली का मजा उठाते हैं। तेज आवाज में गीत की ताल पर लोग गुलाल उड़ाते हुए नाच गाना करते हैं। 

बच्चे अपने पिचकारीओं से भरे खिलौनों से सभी लोगों पर ‘होली है!’ कहकर रंग उड़ाते है। बड़े लोग भी होली खेलने में पीछे नहीं हटते हैं। बुरा न मानो होली है कह कर एक दूसरे पर पानी की रंग-बिरंगे बौछारें करते हुए होली का मजा उठाते हैं।

व्रज और मथुरा की होली पूरे देश में सभी का आकर्षण बिंदु रहता है। इसके अलावा महाराष्ट्र, गोवा, बंगाल और असम इत्यादि राज्यों में भी बहुत ही अनोखे प्रकार से होली खेली जाती है।

मथुरा और वृन्दावन में होली त्यौहार Holi in Mathura and Vrindavan in Hindi

पारंपरिक संगीत और तैयारियों के साथ कई दिनो पूर्व ही होली मनाने का कार्यक्रम शुरू हो जाता है। देश विदेश से होली पर मथुरा और वृंदावन में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में होती है। 

भगवान श्री कृष्ण के धाम में हर कोई नई ऊर्जा तथा आशाएं लेकर यहां आते हैं। ढोल नगाड़े के संग सभी भक्त जन अपने सारे दुखों को भुलाकर केवल होली का आनंद लेते हैं।

होली के उत्सव पर केवल भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी भी आते हैं, जिनके स्वागत में सुंदर-सुंदर रंगोलियां बनाई जाती हैं। 

यहां मंदिरों को बहुत भव्य रूप से सजाया जाता है। होली के दिन अक्सर भांग पीने की परंपरा है। गुलाल- अबीर, संगीत, पकवान, हंसी और ठहाकों से पूरे वृंदावन और मथुरा में देखने लायक नजारा होता है।

दूसरे देशों में होली का उत्सव Holi Celebration in other Countries in Hindi

दुनिया के विभिन्न देशों में भारतीय बसे हुए हैं जिसके कारण अलग-अलग देशों में भी इन त्यौहारों को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। नेपाल, अमेरिका, स्पेन, कैरेबियाई देशों इत्यादि देशों में भी होली एक बड़ा पर्व है।

होली त्यौहार का इतिहास व कहानी History and Story of Holi Festival in Hindi

वह राक्षस स्वयं को ही परमेश्वर कहता था तथा सभी को उसकी पूजा करने के लिए बाध्य करता था। यदि कोई उसकी बात नहीं मानता तो वह उसे मौत के घाट उतार देता था। 

अंत में हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी, जिसे अग्नि में ना जलने का वरदान प्राप्त था। जब होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि पर बैठी तो उसका वरदान भी काम नहीं किया और वह जलकर राख हो गई। इस असत्य पर सत्य की जीत के कारण तभी से ही होली का त्यौहार मनाया जाता है।

निष्कर्ष Conclusion

an essay in hindi about holi

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दा इंडियन वायर

होली पर निबंध

an essay in hindi about holi

By विकास सिंह

holi essay in hindi

होली रंगों का त्यौहार है, जिसे मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाता है। होली को मुख्य रूप से हिन्दू धर्म का त्यौहार माना जाता है, लेकिन इसके अलावा जैन, बौद्ध और अन्य धर्मों के लोग भी इसे धूम-धाम से मनाते हैं।

विषय-सूचि

होली पर निबंध, holi essay in hindi (100 शब्द)

होली एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जिसे प्रतिवर्ष वसंत के मौसम में मनाया जाता है। यह रंगों का त्यौहार है, जिसके दौरान लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और घरों और सड़कों को सजाते हैं।

होली को प्यार का त्यौहार भी कहते हैं क्योंकि इस दिन लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दुसरे को रंग लगाते हैं।

होली दो दिवसीय त्यौहार है। पहले दिन को छोटी होली कहते हैं, जिस दिन लोग होलिका दहन करते हैं। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

अगले दिन लोग रंगों से खेलते हैं और शाम को एक-दूसरे के घर जाकर बधाई और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। दोस्तों और रिश्तेदारों के घर आने का रिवाज एक हफ्ते से अधिक समय तक जारी रहता है।

holi essay in hindi

होली पर निबंध लिखिए, holi essay in hindi (150 शब्द)

होली पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला रंगों का त्योहार है। इस दिन लोग दुश्मनी, घृणा, लालच आदि को भूलकर एक-दूसरे के साथ प्रेम से समय बिताते हैं।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार होली मुख्य रूप से फाल्गुन के महीने में मनाई जाती है, जिसे वसंत का आगमन भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर में यह त्यौहार फरवरी या मार्च के महीनें में आता है। होलिका दहन के साथ पूर्णिमा की रात को शुरू होने वाला यह दो दिनों का त्योहार है। होलिका दहन के अगले दिन मुख्य होली उत्सव मनाया जाता है। यह गेहूं की फसल के साथ भी मेल खाता है और समृद्धि और खुशी का प्रतीक है।

वसंत सर्दियों के अंत का प्रतीक है और गर्मियों से पहले होता है। इसलिए, वसंत की जलवायु विशेष रूप से मनभावन होती है, जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। इस प्रकार, होली को प्रकृति के वसंत सौंदर्य और अच्छी फसल के उपलक्ष्य में, रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

essay holi in hindi

होली पर निबंध, essay on holi in hindi (250 शब्द)

प्रस्तावना:.

होली, ‘रंगों का त्योहार’ भारत के लगभग सभी हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह फाल्गुन माह के पूर्णिमा के दिन और मार्च के महीने में ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। लोग एक दूसरे के चेहरे को सूखे के साथ-साथ पानी के रंगों में रंगकर त्योहार मनाते हैं। लोक गीत और नृत्य गाकर भी लोग त्योहार का आनंद लेते हैं।

होली का उत्सव (holi festival)

होली से एक दिन पहले, ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान आयोजित किया जाता है, जिसमें शहरों और गांवों में अलाव का एक बड़ा ढेर जलाया जाता है। Of होलिका दहन ’बुरी और नकारात्मक शक्तियों को जलाने का प्रतीक है और हिरण्यकश्यप की दुष्ट बहन होलिका की कहानी को दर्शाता है, जिसने अलाव में बैठकर अपने भतीजे प्रह्लाद को मारने की कोशिश की थी।

लेकिन भगवान की कृपा से होलिका, जिसे अमरता का वरदान था, जलकर राख हो गई और प्रह्लाद को बचा लिया गया। लोग स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए भक्ति मंत्रों का उच्चारण करते हुए और भजन गाते हुए होलिका की परिक्रमा करते हैं।

दिन के दौरान, लोग एक दूसरे पर पानी के रंगों को छिड़क कर खेलते हैं। बच्चे त्योहार का आनंद लेने के लिए वाटर कैनन या पिचकारी पिचकारी ’का उपयोग करके पानी के रंग फेंकते हैं। शाम के समय, लोग आकर्षक पोशाक पहनते हैं और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और उन्हें ‘गुलाल’, सूखे रंग लगाकर गले लगाते हैं। प्रसिद्ध होली गीतों की धुन पर लोग लोक गीत भी गाते हैं और नाचते हैं।

निष्कर्ष:

होली वह त्योहार है जो प्रेम, भाईचारा, सद्भाव और खुशी फैलाता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह वह त्योहार है जिसके दौरान लोग अपनी प्रतिद्वंद्विता को भूल जाते हैं और अपने दुश्मनों को गले लगाते हैं और नफरत और नकारात्मकता को भूल जाते हैं।

होली का निबंध, 300 शब्द :

प्रस्तावना :.

होली सभी का सबसे पसंदीदा त्योहार है क्योंकि इसमें बहुत सारी खुशियाँ और उल्लास होता हैं। यह हर साल विशेष रूप से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह आमतौर पर मार्च के महीने (या फाल्गुन) में वसंत के मौसम की शुरुआत में आता है। हर कोई इस त्योहार का बहुत उत्साह के साथ इंतजार करता है और इसे मनाने की विशेष तैयारी करता है।

हम होली क्यों मनाते हैं? (why we celebrate holi?)

होली मनाने के पीछे प्रह्लाद की एक बड़ी कहानी है। एक बार प्रह्लाद (जो भगवान के बहुत बड़े भक्त थे) को उनके ही पिता ने मारने की कोशिश की क्योंकि उन्होंने भगवान के स्थान पर अपने ही पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया था। उसकी चाची होलिका, प्रह्लाद के पिता के आदेश पर उसे अपनी गोद में रखकर अग्नि में बैठ गई।

लेकिन भगवान् ने प्रह्लाद को बचा लिया और होलिका को जलते रहने दिया। उस दिन से, हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोग बुराई पर अच्छाई की विजय को याद करने के लिए हर साल होली का त्योहार मनाने लगे।

होलिका जलाना:

होली के त्योहार से एक दिन पहले, लोग उस दिन को याद करने के लिए होलिका के जलते हुए रात में लकड़ियों और गोबर के कंडे का ढेर जलाते हैं। कुछ लोग होलिका में प्रत्येक परिवार के सदस्य की सरसों उबटन ’की मालिश को जलाने की विशेष रस्म का पालन करते हैं, यह मानते हुए कि यह घर और शरीर से सभी बुराइयों को दूर करेगा और घर में खुशी और सकारात्मकता लाएगा।

लोग अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ रंगों से खेलते हैं। घर के बच्चे एक दूसरे को रंग भरे गुब्बारे फेंकने या पिचकारी का उपयोग करके इस दिन का आनंद लेते हैं। सभी लोग गले मिलते हैं और एक-दूसरे के प्रति अपना प्यार और स्नेह दिखाते हुए माथे पर ‘अबीर’ और ‘गुलाल’ लगाते हैं। इस दिन के लिए विशेष तैयारी की जाती है जैसे कि मिठाई, चिप्स, नमकीन, दही बडे, पानी पूरी, पापड़ी, आदि की व्यवस्था होली का त्योहार है जो लोगों में प्यार और सद्भाव फैलाता है।

होली त्योहार पर निबंध, essay on holi festival in hindi (400 शब्द)

होली भारत का एक रंगीन और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हिंदू धर्म के लोगों द्वारा प्रति वर्ष मार्च (फाल्गुन) पूर्णिमा या ‘गरीबनमाशी’ के महीने में मनाया जाता है। लोग इस त्यौहार का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं और रंगों से खेलते और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ खाकर आनंद लेते हैं।

बच्चे दोस्तों के साथ आनंद लेने के लिए सुबह-सुबह अपने घरों से रंग और पिचकारी लेकर निकलते हैं। घरों की महिलाएं होली के उत्सव के लिए विशेष रूप से स्वादिष्ट व्यंजन, मिठाई, चिप्स, नमकीन और अन्य चीजों की तैयारी शुरू कर देती हैं ताकि होली पर अपने पड़ोसियों, दोस्तों और रिश्तेदारों का स्वागत किया जा सके।

होली – रंगों का त्योहार (holi festival of colour)

होली खुशी और खुशी का त्योहार है जो हर किसी के जीवन में रंग और खुशी फैलाता है। लोग एक दूसरे को पानी के रंग या रंगीन पाउडर (गुलाल) फेंकते हैं और उनके बीच भेदभाव की सभी बाधाओं को तोड़ते हैं। इस त्योहार को मनाने के पीछे प्रह्लाद और उसकी चाची होलिका का महान इतिहास है।

महोत्सव का इतिहास (history of holi)

बहुत समय पहले, एक शैतान राजा था, हिरण्यकश्यप। वह प्रह्लाद के पिता और होलिका के भाई थे। उन्हें भगवान ब्रह्मा ने वरदान दिया था कि उन्हें किसी भी आदमी या जानवर द्वारा नहीं मारा जा सकता है, न ही किसी हथियार से और न ही घर के बाहर या दिन या रात में। ऐसी शक्ति पाकर वह बहुत घमंडी हो गया और उसने अपने पुत्र सहित सभी को आदेश दिया कि वह ईश्वर की जगह उसकी पूजा करे।

उसके डर के कारण, लोग प्रह्लाद को छोड़कर उसकी पूजा करने लगे क्योंकि वह भगवान विष्णु का सच्चा भक्त था। प्रह्लाद के इस प्रकार के व्यवहार को देखने के बाद, हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए बहन होलिका के साथ एक योजना बनाई।

उसने अपनी बहन को प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठने का आदेश दिया। होलिका ने ऐसा किया, लेकिन सौभाग्य से वह आग में जल गई और प्रहलाद को नुकसान नहीं पहुंचा और यहां तक ​​कि आग से छुआ भी नहीं क्योंकि वह भगवान की सुरक्षा और आशीर्वाद के अधीन था।

तभी से लोगों ने होलिका के नाम पर इस आयोजन को होली के त्योहार के रूप में मनाना शुरू कर दिया। यह त्यौहार बुरी शक्ति पर अच्छाई की जीत को याद करने के लिए मनाया जाता है। होली के एक दिन पहले रात या शाम को, लोग पास के क्षेत्रों में लकड़ी का एक ढेर जलाते हैं जो होलिका जलाने का प्रतीक है।

हर कोई इस त्यौहार का आनंद गायन, नृत्य, रंग खेलने, एक दूसरे को गले लगाने और स्वादिष्ट भोजन खाने से लेता है। होली वह त्यौहार है जो लोगों को करीब लाता है और लोगों में प्यार और भाईचारा फैलाता है। लोग अपने दोस्तों, परिवार और रिश्तेदारों के साथ त्योहार को बहुत खुशी के साथ बिताते हैं और इस अवसर का विशेष आनंद लेते हैं।

होली पर्व पर निबंध, essay on holi in hindi (500 शब्द)

होली भारत के लोगों द्वारा हर साल या फाल्गुन ’या मार्च के महीने में मनाया जाने वाला रंगों का एक बहुत प्रसिद्ध त्योहार है। यह विशेष रूप से उन बच्चों के लिए बहुत सारी मस्ती और मनमोहक गतिविधियों का त्योहार है, जो उत्सव से एक सप्ताह पहले शुरू करते हैं और त्योहार के एक सप्ताह बाद तक जारी रखते हैं। मार्च के महीने में विशेष रूप से उत्तर भारत में पूरे देश में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा होली मनाई जाती है।

फेस्टिवल के पीछे की कहानी और कहानी (story of holi in hindi)

भारत में होली मनाने के पीछे कई कहानियां और किंवदंतियां हैं। यह बहुत महत्व और महत्व का त्योहार है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि होली का जश्न बहुत पहले शुरू हो गया था जब होलिका आग में जल गई थी और आग में अपने ही भतीजे को मारने की कोशिश कर रही थी।

ऐसा माना जाता है कि छोटे प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस राजा था, जिसने अपने ही बेटे को आग में मारने की कोशिश की थी जब प्रह्लाद ने उसे पूजा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था।

जब प्रहलाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप अपनी कई रणनीतियों में विफल हो गया, तो उसने अपनी ही बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए क्योंकि उसे कभी भी आग से नुकसान न पहुंचाने का वरदान प्राप्त था।

हालाँकि, यह रणनीति भी विफल रही क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसे उसके भगवान ने बचा लिया था। होलिका आग में जल गई और प्रह्लाद बच गया। उस दिन से, हिंदू धर्म के लोग हर साल होली का जश्न मनाने लगे।

होलिका और उसके रीति-रिवाज:

होली के एक दिन पहले, लोग क्रॉस सड़कों पर लकड़ियों का ढेर लगाते हैं और इसे होलिका के प्रतीक के रूप में जलाते हैं और ‘होलिका दहन’ समारोह मनाते हैं। लोग होलिका के जलने के कई चक्कर लगाते हैं और अग्नि में सभी पापों और रोगों को जलाकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इसकी पूजा करते हैं।

उत्तर भारत में भी एक प्रथा है जहां लोग सरसों के पेस्ट का उपयोग करके शरीर की मालिश करते हैं और फिर इसे होलिका में जलाकर शरीर के सभी रोगों और बुराइयों से छुटकारा पाने की उम्मीद करते हैं।

हम होली कैसे मनाते हैं?

अगली सुबह हमहोलिका दहन ’के बाद, लोग होली के रंगीन त्योहार को एक जगह पर एक साथ होने और एक-दूसरे को रंग खेलने के लिए मनाते हैं। मुख्य त्योहार से एक सप्ताह पहले होली की तैयारी शुरू हो जाती है। लोग, विशेष रूप से बच्चे, अत्यधिक उत्साही होते हैं जो दिन से एक सप्ताह पहले अलग-अलग रंग खरीदना शुरू करते हैं।

यहां तक ​​कि वे अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ पिचकारी ’और छोटे गुब्बारों के साथ रंगों से खेलना शुरू कर देते हैं। उत्सव सुबह शुरू होता है जब बहुत सारे रंगों वाले लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और उन्हें रंग देते हैं। होली व्यंजनों में गुझिया, मिठाइयाँ,पानी पुरी’, ’दही बाडे’, चिप्स आदि शामिल हैं जो मेहमानों द्वारा और साथ ही साथ मेजबानों द्वारा पसंद किए जाते हैं।

होली वह त्योहार है जो ज्यादातर भाईचारे और प्रेम को फैलाने पर केंद्रित है। त्योहार में उपयोग किए जाने वाले रंग उज्ज्वल हैं जो समृद्धि और खुशी दिखाते हैं। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, जो कि अधिकांश भारतीय त्योहारों की आत्मा है। यह हमें धार्मिक मार्ग पर चलना और समाज की बुराइयों से दूर रहना भी सिखाता है।

होली पर निबंध (1000 शब्द)

होली एक ऐसा त्योहार है जिसका नाम सुनते ही हमारे मन मे रंगो का प्रतिबिम्ब बन जाता है। यह त्योहार पूरे भारत मे धूम धाम से मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन माह यानी मार्च के महीनें मे मनाया जाता है। इस त्योहार को खुशी, जश्न और मौज मस्ती का त्योहार कहा जाता है।

होली का त्योहार रंगो के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। छोटी होली के दिन पूजा की जाती है, और दुलहंडी के दिन रंगो और पानी के साथ होली के पर्व को धूम धाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को रंगो से भरा त्योहार माना जाता है। यह त्योहार हिंदु धर्म मे बेहद महत्व रखता है। भारत और भारत के कुछ पडोसी देशो मे यह त्योहार पूरी श्रद्धा और पूरे जोश के साथ मनाया जाता है।

हर धर्म के लोग इस अनोखे त्योहार को प्रेम के साथ मनाते है। इस त्योहार के साथ वसंत का समय भी शुरू हो जाता है। वसंत के माह मे पूरा पर्यावरण बेहद खूबसूरत हो जाता है। पौधो पर नए फूल आ जाते है जिससे प्रकृति की खूबसूरती निखर जाती है।

होली का पर्व

फाल्गुन माह के अंतिम दिन पर होली मनाई जाती है। सभी लोग विभिन्न प्रकार की लकड़ियां इकट्ठा करते है और रात के समय मिलजुल कर भुसे और लकडी के बडे ढेर मे आग लगा कर त्योहार मनाते है और पूजा करते है। सभी लोग ढोलक और ढोल को बजा कर गाने गाते और नाचते है। जैसे ही होली के ढेर का दहन हो जाता है सभी लोग वापस अपने घर चले जाते है।

दूसरे दिन मुख्य त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। सभी लोग आपस मे रंग लगा कर बधाई देते है। गले मिलते है, बडे बुर्जुर्ग आशीर्वाद देते है और हम उम्र लोग आपस मे रंगो और पानी के साथ त्योहार का आनंद लेते है। सभी लोग सारे मतभेद भूल कर होली खेलते है उस समय कोई दूसरे धर्म का नही होती कोई अमीरी गरीबी नही होती सभी लोग मिलकर बस जशन मनाते है। छोटे बच्चे सभी पर रंगीन पानी से भरी पिचकारी से पानी डालते है।

होली के दिन हर कोई खुशी से झूम रहा होता है वे नाचने, गाने और उत्सव मनाने मे व्यस्त होते है। शाम के समय सब अपने दोस्तो और रिशतेदारो से मिलने उन्के घर जाते है। होली के थकावट भरे जशन के बाद लजीज पकवानो से सभी अपना पेट भरते है।

होली क्यो मनाते है?

होली का त्योहार मनाने के पीछे एक बहुत पुरानी और मनोरंजक कहानी जुड़ी है।

होली त्योहार को अपना नाम होलिका से मिला जो राक्षस हिरणयकश्यप की बहन थी। हिरणयकश्यप को भगवान विष्णु से यह वरदान मिला था कि उसे न कोई दिन मे मार सकता है ना ही रात मे, उसे ना कोई मनुष्य मार सकता है ना ही कोई जानवर, उसकी मृत्यु घर मे नही होगी और बाहर भी नही, वो ना ही जमीन पर मरेगा ना ही आसमान मे। इस वरदान के कारण हिरणयकश्यपम अत्यधिक घमंड आ गया और उसने ऐलान कर दिया कि सभी लोग मेरी पूजा करेंगे भगवान की पूजा नही होगी।

परंतु भक्त प्रहलाद ने अपने पिता के वचनो का पालन नही किया और भगवान विष्णु की भक्ति की जिससे हिरणयकश्यप को क्रोध आ गया। हिरणयकश्यप ने यह आदेश दिया कि प्रहलाद को पहाड से फेक दिया जाए परंतु प्रहलाद को कोई चोट नही लगी। राक्षस हिरणयकश्यप ने प्रहलाद को कुए मे फिकवाया परंतु उसे खरोच तक नही आई, बाद मे हिरणयकश्यप ने प्रहलाद को जहर दिया और वो जहर शहद मे बदल गया। विशालकाय हाथीयो को प्रहलाद के पीछे छोडा गया पर प्रहलाद को कोई हानि नही हुई।

अगली बार प्रहलाद के पिता ने सांपो के बंद कमरे मे प्रहलाद को बंद कर दिया पर प्रहलाद जीवित वापस आ गया। अंत मे हिरणयकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया और उसे कहा कि तुम प्रहलाद को लेकर आग मे बैठ जाओ। होलिका को आग से बचाने के लिए एक शोल दे दिया गया था। पर एक हवा के झोके से शोल प्रहलाद पर आ गिरा और होलिका का शोल हट गया जिसके कारण प्रहलाद बच गया और होलिका बच गई। भगवान विष्णु ने एक ऐसा अवतार लिया जो ना तो इंसान था और ना ही जानवर।

वह अवतार आधा मनुष्य था और आधा शेर था उस अवतार ने हिरणयकश्यप को शाम के समय उसके घर की दहलीज पर मार गिराया। इसलिए हर वर्ष होलिका दहन होता है और दर्शाता है कि बुराई हमेशा हारती है। होली को होलिका दहन के अगले दिन मनाया जाता है। होली मनाने का एक कारण यह भी है कि यह वसंत की शुरूआत का संदेश देती है। नई उर्जा और नए जीवन की महत्वता यह त्योहार बताता है।

होली का महत्व

होली हिंदु धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह एक मौज मस्ती और ऊर्जा से भरा त्योहार है। यह त्योहार हमे दोस्ती करने व अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करता है। यह पर्व हमे सीखाता है कि अगर हम एक दिन के लिए सभी भेदभाव, लडाई झगडे भूल जाए, अमीरी गरीबी का फर्क भूल जाए तो हम खुशी खुशी रह सकते है।

होली के कुछ ‘रावण’

होली के दिन कुछ लोग शराब पीकर इस सुंदर पर्व को खराब करते है। कुछ लोग बदतमीजी से व्यवहार करते है और हानिकारक रंगो का प्रयोग करते है।

इसके अलावा कई लोग जश्न के नाम पर लोगों को परेशान करते हैं। ऐसे में हमें ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए।

अंत मे बस इतना ही कि हमे अपनी सेहत और त्वचा का ध्यान रख कर होली खेलनी चाहिए। सभी को अपनी आँखों का ध्यान रखना चाहिए। पानी की बरबादी कम करे। इस खुशनुमे त्योहार को बेहद प्यार से मनाए और मिठाइयाँ बांटकर खुशियाँ फैलाएं।

होली का निबंध, holi essay in hindi (1500 शब्द)

होली एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जिसे पूरे भारत और साथ ही उपमहाद्वीप के अन्य देशों में बहुत मज़े और उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली के जश्न के रीति-रिवाज भारत के विभिन्न क्षेत्रों के बीच भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इन सभी में रंगों के साथ खुशी का खेल शामिल है।

यह चंचल साहसी के साथ-साथ भोजन वालों के लिए, और बच्चों के लिए एक बहुप्रतीक्षित त्योहार है। फाल्गुन माह में मनाया जाने वाला त्योहार वसंत के आगमन और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। उत्सव आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार फरवरी के अंत या मार्च के मध्य में आता है।

होली – रंग, खुशी और प्यार का त्योहार:

होली अन्य हिंदू त्योहारों से इस तरह से अलग है कि इसमें किसी भी देवता की वंदना की आवश्यकता नहीं है, जैसा कि अन्य त्योहारों के साथ अनिवार्य है। त्यौहार शुद्ध आनंद का आह्वान करता है, जिसमें कोई धार्मिक दायित्व नहीं है।

रंगों के बिना होली के उत्सव की कल्पना करना असंभव है। यह वास्तव में भी कहा जाता है- रंगों का त्योहार। लोग स्थानीय रूप से गुलाल कहे जाने वाले रंगीन पाउडर से खेलते हैं। वे दोस्तों और परिवार के सदस्यों पर गुलाल छिड़कते हैं, एक दूसरे को “हैप्पी होली” और गले मिलते हैं। बच्चों को विभिन्न प्रकार की पानी की बंदूकों (पिचकारी) के साथ समूह में खेलते देखा जा सकता है।

घरों और सड़कों पर सभी सुंदर और चमकीले लाल, पीले, नीले, नारंगी और बैंगनी रंग के संयोजन के साथ रंगीन होते हैं। सर्दियों की सर्द हवाओं के साथ, लोग कपड़े खो देते हैं और रंगों और रंगीन पानी के साथ एक-दूसरे को छिड़कते हैं। सभी को टिप से पैर की अंगुली तक अलग-अलग रंगों में चित्रित किया गया है; इतना ही, कि एक-एक निकटतम मित्र को पहचानने में भी एक-दो क्षण लग जाते हैं।

होलिका दहन की पौराणिक कथा (holi story in hindi)

फाल्गुन के हिंदू महीने में पूर्णिमा (पूर्णिमा) की शाम को शुरू होने वाला होली एक दो दिवसीय त्योहार है। दूसरे दिन सुबह रंग होली खेली जाती है।

होली के पहले दिन को चोती (छोटी) होली कहा जाता है और शाम को होलिका दहन की एक रस्म का पालन किया जाता है। बाजार, सड़कों, गलियों, कॉलोनियों आदि में सड़क के जंक्शनों या अन्य उपयुक्त स्थानों पर बोनफ़ायर बनाए जाते हैं। लोग अपने पुराने सामानों को आग में जलाते हैं, उनकी ईर्ष्या, घृणा और दुश्मनी की भावनाओं को जलाने के लिए प्रतीकात्मक। अनुष्ठान बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होलिका दहन की आमतौर पर स्वीकृत किंवदंतियों में से एक दानव राजा हिरण्यकश्यप और उनके पुत्र प्रह्लाद से जुड़ी है। प्रह्लाद भगवान विष्णु का प्रबल भक्त था; इसने हिरण्यकश्यप को, जो खुद को भगवान के रूप में समझता था, को अमरता का वरदान दिया जो उसे प्रदान किया गया था। हालाँकि, उनका पुत्र प्रह्लाद विष्णु की पूजा करने के संकल्प में अडिग था और अपने पिता हिरण्यकश्यप की पूजा करने से इनकार कर दिया।

अपने ही पुत्र द्वारा निर्वासित, हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और प्रह्लाद को यातना के अधीन करना शुरू कर दिया, ताकि वह उसे मनाने के लिए राजी हो जाए। जब प्रह्लाद ने नियमित रूप से मना कर दिया, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ प्रह्लाद को उसके साथ जलती हुई चिता पर बैठने के लिए छल करने की साजिश रची। होलिका को आग में जलने से अपनी सुरक्षा प्रदान करने का वरदान प्राप्त था। बुराई की योजना प्रह्लाद को चिता में जलाने की थी, जबकि होलिका को वरदान की रक्षा होगी।

होलिका अंततः प्रह्लाद को अपने साथ चिता में बैठने के लिए सहमत करने में सफल रही। प्रह्लाद सहमत हो गया क्योंकि उसे अपने देवता विष्णु पर अत्यधिक विश्वास था। होलिका अपनी गोद में बच्चे प्रह्लाद के साथ चिता में बैठ गई। जैसे ही चिता जलाई गई, भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचाने के लिए हस्तक्षेप किया और वरदान के बावजूद होलिका जलकर राख हो गई। होलिका को दिया गया वरदान काम नहीं आया, क्योंकि; अमरता उसे केवल तभी दी गई थी जब वह अकेले अग्नि में प्रवेश करती है।

इस प्रकार, लोग बुराई की होलिका को जलाने के लिए प्रतीकात्मक रूप से चोती होली पर चिता जलाते हैं और अगले दिन रंगारंग समारोहों का स्वागत करते हैं।

बरसाना में लट्ठ मार होली:

मथुरा के पास एक छोटे से शहर बरसाना में राधा रानी मंदिर के परिसर में, सदियों से लठ मार होली का रिवाज मनाया जा रहा है। आस-पास के नंदगाँव के लोग बरसाना आते हैं जहाँ महिलाएँ लाठी से मारती हैं, जिसे पारंपरिक रूप से हिंदी में लाठियाँ कहा जाता है। दूसरी ओर, पुरुष खुद को ढाल के साथ सुरक्षित रखेंगे और जो पकड़े गए वे महिलाओं के परिधान पहनकर नृत्य करेंगे।

बरसाना की लठ मार होली इतनी लोकप्रिय हो गई है कि लाखों देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी सैलानी भी इस समारोह का गवाह बनने के लिए बरसाना आते हैं।

अपने अवरोध छोडो और रंगों के साथ खेलो:

होली के त्योहार का एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के साथ-साथ सामाजिक संबंधों पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह आपके शर्म को त्यागने और नए दोस्त बनाने का त्योहार है। रंगों से खेलने के बजाय नए दोस्त बनाने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है?

त्योहार आपको आंतरिक आनंद की पहचान करने में मदद करता है, जो आपके अंदर दबा हुआ था। अपनी शर्म, झिझक और उन सभी भावनाओं को त्यागें जो आपको दैनिक जीवन में वापस रखती हैं। अपनी तरफ से थोड़े से प्रयास से, आप रंग, प्रेम और आनंद की एक नई दुनिया में स्थानांतरित हो जाएंगे।

बिना किसी हिचकिचाहट के आप जो भी कर सकते हैं उस पर स्प्रे रंग डालें, इस प्रकार, आप नए दोस्त बनाएंगे और निश्चित रूप से समारोहों को याद रखेंगे। आपको बस इतना करना है कि अपने सभी अवरोधों को बहाकर अपनी आत्मा को हल्का करना है।

क्षमा करने और भूलने का समय:

होली खुशी का त्योहार है। सच्चा आनंद शरीर के बजाय आत्मा का विषय है। यदि हम शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं, लेकिन किसी के प्रति घृणा या दुश्मनी की भावना रखते हैं, तो हम सच्चे अर्थों में खुश नहीं हो सकते। चाहे आपने किसी पर गलत किया हो या किसी ने आप पर गलत किया हो, दोनों ही मामलों में यह आपके भीतर का आनंद है जो ग्रस्त है।

होली का उत्सव आपकी दुश्मनी को दोस्ती में बदलने या टूटे रिश्ते को सुधारने का अद्भुत अवसर प्रदान करता है। अपनी सारी घृणा बहाओ और पापी को क्षमा कर दो, या यह भूल जाओ कि किसी ने या किसी चीज ने तुम्हें नाराज किया है या तुम्हें दुखी किया है। जब हम सभी बुरी भावनाओं को बहा देंगे और खुशी और एक नई दुनिया के लिए अपनी बाहें खोलेंगे, तो हम अधिक खुश होंगे।

दोस्तों और रिश्तेदारों के घरों में जाने का रिवाज़ होली के मौसम के दौरान एक प्रमुख अनुष्ठान है। होली के उत्सव के बाद भी यह रिवाज हफ्तों तक जारी रहता है। टूटे हुए रिश्तों को सुधारने या भुला दिए गए लोगों को नवीनीकृत करने का सबसे अच्छा समय है।

भारतीय होली में मिठाइयों का महत्त्व:

होली निस्संदेह रंगों का त्योहार है, लेकिन यह उन लोगों के लिए भी मिठाई का त्योहार है जो मिठाई और अन्य माउथवॉटर व्यंजनों की भूख के साथ हैं। भारत के विभिन्न कोनों में होली के दौरान सैकड़ों वस्तुतः मुंह में पानी लाने वाले व्यंजन हैं। भारत के हर क्षेत्र और संस्कृति की अपनी एक अलग पहचान है।

हवा मीठी सुगंध के मिश्रण से भर जाती है और कई तली हुई व्यंजनों का सार हर घर में बहुतायत में तैयार किया जाता है। घुइया, उत्तर भारत में लोकप्रिय एक स्वादिष्ट व्यंजन है, जो खोये (एक प्रकार के दूध से भरा भोजन) और नट्स से भरे हुए गहरे आटे की जेब से तैयार किया जाता है, यह मेरे पसंदीदा में से एक है। दही वड़ा एक और होली विनम्रता है जिसकी जड़ें उत्तरी भारत में हैं।

महाराष्ट्र राज्य में, होली के त्योहार के दौरान पूरन पोली तैयार की जाती है। यह महाराष्ट्र का त्योहार भी पसंदीदा है और लगभग सभी त्योहारों में तैयार किया जाता है। यह मूल रूप से मीठे चने की दाल से भरी चपटे आटे की चपाती है।

इस होली सिंथेटिक रंगों को ना कहो:

होली रंगों का त्यौहार होने के कारण, कई अस्थायी दुकानों को चीक रंगों की बिक्री करते देखा जा सकता है। पाउडर के रूप में उपलब्ध रंग अक्सर तांबा, पारा, एल्यूमीनियम और सीसा जैसी जहरीली धातुओं का निर्माण करते हैं। उनमें हानिकारक डाई और पेंट भी हो सकते हैं, जो मनुष्यों द्वारा उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

सस्ते सिंथेटिक रंगों का उपयोग, कई बीमारियों के परिणामस्वरूप, हल्के त्वचा के चकत्ते से कैंसर के रूप में गंभीर हो सकता है। त्वचा के घावों, जलन और आंखों में जलन के मामले होली के त्योहार के दौरान दिखाई देते हैं, संभवतः रंगों में विषाक्त यौगिकों के कारण। सिंथेटिक रंग अक्सर मकई स्टार्च या आटे के आधार के साथ तैयार किए जाते हैं, जिनके संदूषण से स्थिति सबसे खराब हो जाती है।

सौभाग्य से, लोग सिंथेटिक रंगों के हानिकारक प्रभावों के बारे में अधिक जागरूक हो रहे हैं। स्वाभाविक रूप से व्युत्पन्न रंगों का उपयोग करने का रिवाज विकसित हो रहा है और व्यापक रूप से प्रचलित हो रहा है। प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त रंगों पर स्विच करके, हम न केवल अपने स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के स्वास्थ्य को भी बचाते हैं। मिट्टी या जल संसाधनों में प्रवेश करते समय प्राकृतिक रंग उन्हें प्रदूषित नहीं करते हैं जैसे सिंथेटिक रंग करते हैं।

प्राकृतिक रंग प्राकृतिक हानिरहित खनिजों जैसे गुलाल, मेहंदी, हल्दी आदि से प्राप्त होते हैं। फूलों का उपयोग रंगों के उत्पादन के लिए भी किया जाता है, जैसे गुलाब से लाल रंग उत्पन्न होता है; पीला रंग सूरजमुखी से उत्पन्न होता है। इसके अलावा, पौधों और फूलों से कई प्राकृतिक रंग डाई का उत्पादन किया जा सकता है।

होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें।

अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों की मरम्मत करें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Holi Essay in Hindi : इस लेख में पाएं 100 शब्दों से लेकर 1000 शब्दों में होली पर निबंध 

Holi essay in hindi

Holi Essay in hindi : भारत में रंगों का त्यौहार होली, फागुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। होली, रंगों, खुशी, और उत्सव का त्यौहार है, जो लोगों को एकजुट करता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने के बारे में है। लोग अपनी परेशानियों को भूलकर भाईचारे का जश्न मनाने के लिए इस त्योहार में शामिल होते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी शत्रुताएँ भूल जाते हैं और उत्सव की भावना में डूब जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों से खेलते हैं और त्योहार के रंग में रंगने के लिए उन्हें एक-दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं। इस विशेष लेख के जरिए हम आपके लिए लेकर आए हैं होली के पावन त्योहार से संबंधित 100 से लेकर 1000 शब्दों के निबंध इन निबंध को पढ़कर आप होली के त्यौहार के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे यह सभी निबंध सभी विद्यार्थियों के लिए भी काफी लाभदायक हैं , इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए। 

Essay on My Favorite Festival Holi

प्रस्तावना:

होली, रंगों का त्योहार, भारत के सबसे प्रिय और उत्साहपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो प्रकृति के नवीन जीवन और रंगों का प्रतीक है।

होली का इतिहास:

होली के त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। सबसे प्रचलित कथा प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की है। हिरण्यकश्यप एक अहंकारी राजा था जो चाहता था कि लोग उसकी पूजा करें। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कई कोशिशें कीं, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। अंत में, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जो आग में जलने से अक्षत रहने का वरदान प्राप्त थी, प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई।  लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर राख हो गई।

होली का महत्व:

होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को सामाजिक बंधनों को मजबूत करने और एक दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भावना को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।

होली का उत्सव:

होली का उत्सव एक दिन पहले बरसाना (barsana) से, उत्सव वृन्दावन की ओर बढ़ता है और यहीं वे अपने चरम पर होते हैं। होलिका दहन से शुरू होता है। लोग लकड़ी और उपलों का ढेर बनाकर उसमें आग लगाते हैं।  इसके बाद, होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं।

होली के रंगों का महत्व:

होली के रंगों का विशेष महत्व है। लाल रंग प्रेम और उत्साह का प्रतीक है, पीला रंग खुशी और समृद्धि का प्रतीक है, हरा रंग प्रकृति और नवीन जीवन का प्रतीक है, और नीला रंग शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

होली के व्यंजन:

होली के त्योहार पर कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं।  गुझिया, मठ्ठी, ठंडाई, और दाल-बाटी-चूरमा कुछ लोकप्रिय व्यंजन हैं।

होली का पर्यावरण पर प्रभाव:

होली के त्योहार पर पानी और रंगों का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है।  इसलिए, यह आवश्यक है कि हम पर्यावरण के अनुकूल होली मनाएं।

होली का त्योहार एक ऐसा त्योहार है जो हमें जीवन का आनंद लेने और एक दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भावना को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।  हमें इस त्योहार को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाना चाहिए।

होली पर निबंध 100 शब्दों में (essay on Holi 100 words)

होली पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला रंगों का त्योहार है। हिंदू होली को प्यार और खुशी के त्योहार के रूप में मनाते हैं, जिसमें वे प्यार और एकजुटता के नए जीवन को अपनाने के लिए दुश्मनी, लालच और नफरत को त्याग देते हैं।

होली का त्योहार वसंत ऋतु में, हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने के दौरान मनाया जाता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च महीने या कभी-कभी फरवरी के अंत से मेल खाता है। यह दो दिवसीय त्योहार है जो पूर्णिमा की रात को होलिका दहन के साथ शुरू होता है। मुख्य होली त्यौहार होलिका दहन के अगले दिन होता है। यह गेहूं की फसल के साथ भी मेल खाता है और समृद्धि और खुशी से जुड़ा है।

होली पर निबंध 300 शब्दों में ( Essay On Holi 300 Words)

होली, रंगों का त्यौहार, भारत के सबसे लोकप्रिय और प्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो प्रकृति के नवजीवन और रंगों का उत्सव मनाता है। होली न केवल रंगों का त्यौहार है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम और भाईचारे का भी प्रतीक है।

होली का इतिहास अनेक पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद और उनकी दुष्ट चाची होलिका की है। कहा जाता है कि होलिका को आग में जलने का वरदान प्राप्त था। प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे, और होलिका ने उन्हें आग में डालकर मारने का प्रयास किया। परंतु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई। इस घटना का जश्न मनाने के लिए लोग रंगों का त्यौहार होली मनाते हैं।

होली की परंपराएं:

होली के त्यौहार की कई परंपराएं हैं। होली से एक दिन पहले, ‘होलिका दहन’ किया जाता है। लोग लकड़ी और गोबर के ढेर को जलाते हैं और उसके चारों ओर घूमकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक जश्न मनाते हैं। होली के दिन, लोग रंगों से खेलते हैं, पिचकारी से पानी उड़ाते हैं, और मिठाई खाते हैं। बच्चे और बूढ़े, सभी इस त्यौहार में समान रूप से भाग लेते हैं। रंगों का यह उत्सव लोगों में खुशी और उत्साह का संचार करता है। होली के त्यौहार में कुछ विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं। गुझिया, मठ्ठी, दही-बड़े, और ठंडाई कुछ प्रसिद्ध व्यंजन हैं।

होली का त्यौहार कई महत्वपूर्ण मूल्यों को दर्शाता है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। यह हमें प्रेम, भाईचारे, और एकता का संदेश देता है। होली का त्यौहार लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। यह त्यौहार हमें जीवन में खुशियां और रंगों का महत्व समझाता है।

आज के दौर में होली:

आज के दौर में भी होली का त्यौहार उतना ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। हालांकि, कुछ बदलाव भी आए हैं। पहले लोग प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते थे, लेकिन अब बाजार में कई तरह के कृत्रिम रंग उपलब्ध हैं। इन कृत्रिम रंगों का उपयोग पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा, कुछ लोगों ने होली के त्यौहार को गलत तरीके से मनाना शुरू कर दिया है। वे शराब पीकर हुड़दंग करते हैं और दूसरों को परेशान करते हैं। यह होली के त्यौहार का सच्चा मकसद नहीं है। हमें होली का त्यौहार सच्चे उत्साह और उमंग के साथ मनाना चाहिए। हमें पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना चाहिए। हमें दूसरों को परेशान किए बिना, खुशी और प्रेम के साथ इस त्यौहार का आनंद लेना चाहिए।

होली का त्यौहार रंगों, खुशियों, और प्रेम का त्यौहार है। यह त्यौहार हमें जीवन में रंगों का महत्व समझाता है और हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। हमें इस त्यौहार को सच्चे उत्साह और उमंग के साथ मनाना चाहिए और इसके सच्चे मकसद को समझना चाहिए।

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होली पर निबंध 500 शब्दों में (Essay On Holi 500 Words)

होली का त्यौहार रंगों का एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है जो हर साल ‘फाल्गुन’ या मार्च के महीने में भारत के लोगों द्वारा बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। यह विशेष रूप से बच्चों के लिए मौज-मस्ती और उल्लासपूर्ण गतिविधियों का त्योहार है, जो त्योहार से एक सप्ताह पहले शुरू होता है और एक सप्ताह बाद समाप्त होता है। मार्च के महीने में, पूरे देश में, विशेषकर उत्तर भारत में हिंदू होली मनाते हैं।

महोत्सव की किंवदंती और कहानी:

वर्षों से, भारतीय कई कहानियों और किंवदंतियों के साथ होली मनाते आए हैं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं महत्त्वपूर्ण त्यौहार है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, होली का उत्सव कई साल पहले शुरू हुआ था जब होलिका अपने ही भतीजे को आग में मारने की कोशिश करते समय आग में जल गई थी।

ऐसा माना जाता है कि छोटे प्रह्लाद के पिता, हिरण्यकश्यप नाम के एक राक्षस राजा ने अपने ही बेटे को जिंदा जलाने का प्रयास किया था जब प्रह्लाद ने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब हिरण्यकश्यप के प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास विफल हो गए, तो उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने का आदेश दिया क्योंकि उसे आग से कभी कोई नुकसान नहीं होने का श्राप मिला था।

हालाँकि, यह रणनीति भी विफल रही क्योंकि छोटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसके भगवान ने उसे बचा लिया था। आग में होलिका जल गयी और प्रह्लाद बच गया। तब से हर साल हिंदू होली मनाते हैं। होली एक ऐसा त्योहार है जो प्रेम, भाईचारा, सद्भाव और खुशी फैलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। होली एक ऐसा त्योहार है जिसके दौरान सभी लोग अपनी प्रतिद्वंद्विता भूल जाते हैं, और सभी नफरत और नकारात्मकता को भूलकर अपने दुश्मनों को गले लगाते हैं।

होलिका के रीति रिवाज:

होली से एक दिन पहले, लोग एक चौराहे पर लकड़ियों का ढेर बनाते हैं और उसे होलिका के प्रतीक के रूप में जलाते हैं और ‘होलिका दहन’ समारोह मनाते हैं। लोग जलती हुई होलिका की कई परिक्रमा करते हैं और अग्नि में सभी पापों और बीमारियों को जलाकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने के लिए इसकी पूजा करते हैं। उत्तर भारत में, लोग सरसों के पेस्ट से शरीर की मालिश करते हैं और फिर इसे होलिका में जला देते हैं, इस आशा से कि शरीर को सभी बीमारियों और बुराइयों से छुटकारा मिल जाए।

अगले दिन, ‘होलिका दहन’ के बाद, लोग एक-दूसरे पर रंग फेंककर होली का रंगीन त्योहार मनाने के लिए एक जगह इकट्ठा होते हैं। होली की तैयारियां मुख्य उत्सव से एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती हैं। लोग, विशेषकर बच्चे, बहुत खुश होते हैं और आयोजन से एक सप्ताह पहले ही अलग-अलग रंग खरीदना शुरू कर देते हैं। वे भी, अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ रंगों से खेलना शुरू करते हैं और पानी छिड़कने के लिए ‘पिचकारी’ और छोटे गुब्बारों का उपयोग करते हैं। उत्सव सुबह से शुरू होता है जब चमकीले रंग के कपड़े पहने लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और उन्हें रंग लगाते हैं। होली त्यौहार के व्यंजनों में ‘गुझिया’, ‘मिठाइयाँ’, ‘पानी पुरी’, ‘दही बड़े’, ‘चिप्स’ इत्यादि शामिल हैं, जिनका मेहमानों और मेजबानों दोनों द्वारा आनंद लिया जाता है। होली एक ऐसा त्यौहार है जिसका मुख्य उद्देश्य भाईचारा और प्रेम फैलाना है। त्योहार में उपयोग किए जाने वाले चमकीले रंग समृद्धि और खुशी का प्रतिनिधित्व करते हैं। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का भी प्रतिनिधित्व करती है, जो अधिकांश भारतीय त्योहारों का केंद्र है। यह हमें नेक रास्ते पर चलने और सामाजिक बुराइयों से बचने की सीख भी देता है।

होली पर निबंध 1000 शब्दों में (Essay On Holi 1000 Words)

होली का त्यौहार हर व्यक्ति के घर पर खुशी का रंग लाता है। होली को लोग प्यार और रंग के त्योहार के रूप में मनाते हैं। यह त्यौहार लोगों के बीच प्यार बढ़ाता है और होली के पूरे दिन रंग-गुलाल खेलकर, नाच-गाकर इसका भरपूर आनंद उठाता है। यह एक सांस्कृतिक और पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो अब भारत और कई देशों में मनाया जाता है। इस दिन को लोग बड़े उत्साह से मनाने का इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग कई पीढ़ियों से इस त्योहार को मनाते आ रहे हैं और इस त्योहार की खासियत और आधुनिकता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

होली त्यौहार का महत्व:

होली प्रेम और रंग का उत्सव है। यह हर साल हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा त्योहार है। यह त्यौहार लोगों को जोश और खुशियों से भर देता है। होली लोगों के बीच की दूरियां मिटाती है और कपल्स और दोस्तों के बीच मजबूत रिश्ता बनाती है। लोग अपने रिश्तेदारों, परिवार और दोस्तों के साथ होली का आनंद लेते हैं और बहुत खुशी के साथ जश्न मनाते हैं। होली उत्सव के दौरान, लोग प्रेम और स्नेह के प्रतीक के रूप में गुलाल का उपयोग करते हैं। इसीलिए होली के दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं। इस दिन सभी लोग सुबह से रात तक अनोखे कार्यक्रमों के साथ दिन का आनंद लेते हैं।

इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग से भरे गुब्बारों को मारते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे रंगों में न फंसे। इस दिन ज्यादातर लोग अपने घरों में गुजिया, मालपुआ, सेवइयां और कई अन्य स्वादिष्ट मिठाइयां बनाते हैं. कुछ लोग अपने इलाकों में अपने पड़ोसियों को मिठाइयाँ बाँटते हैं। भारत और अब कई अन्य देशों में लोग हर साल होली मनाते हैं। हम इस त्यौहार को बहुत सारे अनुष्ठानों के साथ मनाते हैं। होली के दिन परिवार के सभी सदस्य और रिश्तेदार मिलकर गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और रात में होलिका दहन करते हैं। होली की शाम को लोग होलिका जलाकर अनुष्ठान करते हैं। लोगों का मानना है कि इस अनुष्ठान से जीवन की सभी नकारात्मक चीजें दूर हो जाती हैं और सकारात्मक शुरुआत होती है।

होली उत्सव का उत्सव:

विभिन्न राज्यों और देशों के लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों और तरीकों से होली मनाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति पूर्णिमा के दिन पहले दिन होली पूर्णिमा के नाम से होली मनाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर जश्न मनाते हैं। दूसरे दिन, मुहूर्त के अनुसार, लोग रात के समय में होलिका दहन करते हैं।

मथुरा और वृन्दावन: होली समारोह

होली का त्यौहार मथुरा और वृन्दावन में प्रसिद्ध है। इस दिन को उत्साह से मनाने के लिए भारत के अन्य शहरों और विभिन्न देशों से लोग मथुरा और वृन्दावन आते हैं।

मथुरा और वृन्दावन वे पवित्र स्थान हैं जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। पारंपरिक भारतीय इतिहास के अनुसार, लोग राधा कृष्ण के समय से ही होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं। होली के अवसर पर मथुरा और वृन्दावन के लोग विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। बांके बिहारी मंदिर में सबसे पहले महा होली उत्सव होता है और फिर मथुरा के ब्रज में गुलाल कुंड में लोग होली मनाते हैं। सदस्य यहां कृष्ण लीला नाटक का भी आयोजन करते हैं।

होली त्यौहार का इतिहास:

होली बहुत ही सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं का त्योहार है जिसे लोग बहुत पौराणिक काल से मनाते हैं। पुराणों, रत्नावली जैसे भारतीय पवित्र ग्रंथों में आपको होली के कई वर्णन मिलेंगे। होली पर विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूर्णिमा के दिन भगवान की पूजा करती हैं। होली का त्योहार मनाने का एक अलग स्वास्थ्य लाभ भी है। इससे लोगों की चिंता दूर होती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

होली पर निबंध PDF (Essay On Holi PDF Download)

होली के पावन त्योहार से संबंधित विशेष निबंध हम आपसे साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो आप निबंध के इस पीडीएफ को डाउनलोड कर सकते हैं और कभी भी निबंध को पढ़ भी सकते हैं।

होली पर निबंध PDF Download

होली पर निबंध हिंदी में (Essay On Safety in Hindi

होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, नस्ल या धर्म की परवाह किए बिना एक त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। भारत में होली मार्च में पूर्णिमा के दिन दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन इकट्ठा होकर लकड़ी और गोबर के ढेर जलाकर और होली से संबंधित भजन गाकर “होलिका दहन” मनाते हैं।

अगले दिन, सभी लोग “गुलाल” , रंगों और , रंगीन पानी से खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और उस दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाइयाँ खाते हैं जिन्हें “गुजिया” कहा जाता है और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेलनी चाहिए. उपयोग किया जाने वाला गुलाल जैविक रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा और जहां भी इसके संपर्क में आता है, वहां जलन पैदा कर सकता है। लोगों को होली खेलते समय अपने आस-पास के प्रति सचेत रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे। भारत में कुछ जगहों पर होली पांच दिनों तक भी मनाई जाती है. होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शैक्षणिक संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।

होली बुराई पर अच्छाई की जीत के उत्सव के रूप में:

होली के उत्सव से एक पौराणिक कहानी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि हिरण्यकशिपु नाम के एक क्रूर राजा को ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि कोई भी मनुष्य या जानवर उसे घर या बाहर ज़मीन पर नहीं मार सकेगा। लेकिन वह एक अत्याचारी राजा था और चाहता था कि उसके राज्य में हर कोई उसे भगवान के रूप में सबसे बुरा माने, और इसलिए उसने अपने इकलौते बेटे प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका द्वारा आग लगवाकर मरवाने का आदेश दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु का एक वफादार भक्त था और होलिका को आशीर्वाद प्राप्त था। कि वह आग से न छुए।

ऐसा कहा जाता है कि इस जघन्य कृत्य के दिन, होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर जलती हुई लकड़ियों के ढेर पर बैठी थी, लेकिन प्रह्लाद जलने के बजाय, भगवान विष्णु ने उसे बचा लिया और होलिका राख में बदल गई। तब भगवान विष्णु ने खुद को आधा पशु, आधा देवता रूप में बदल लिया और हिरण्यकशिपु का पेट फाड़कर उसका वध कर दिया। इसलिए, होली का उत्सव बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक रहा है। यह भी एक कारण है कि छोटी होली पर लकड़ियाँ जलाने को “होलिका दहन” कहा जाता  है।

होली पर 10 पंक्ति (Holi Per Nibandh 10 Line)

an essay in hindi about holi

  • होली भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाने वाला त्यौहार है।
  • होली का त्यौहार हर साल फरवरी या मार्च में मनाया जाता है।
  • होली रंग और खुशियों का त्योहार है.
  • होली का त्योहार दुनिया भर में ज्यादातर हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन अब इसे सभी धर्मों के लोग मनाते हैं।
  • भारत में लोग राधा और भगवान कृष्ण के समय से ही होली खेलते आ रहे हैं।
  • होली जीवन में रंगों और खुशियों से भरी होती है।
  • होली खूब रंग (गुलाल) और पानी से मनाई जाती है।
  • होली के जश्न के लिए लोग नई-नई पोशाकें खरीदते हैं।
  • अधिकांश हिंदू परिवार होली उत्सव के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और जूस बनाते हैं।
  • मोहल्ले के लोग आपस में सारे गुस्से और झगड़ों को भूलकर खुशी-खुशी एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं

होली पर निबंध class 5(Holi essay in hindi for class 5)

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। होली हर साल मार्च के महीने में हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है। जो लोग इस त्योहार को मनाते हैं, वे रंगों के साथ खेलने और स्वादिष्ट व्यंजन खाने के लिए हर साल इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं।

होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने का दिन है। लोग अपनी परेशानियों को भूलकर भाईचारे का जश्न मनाने के लिए इस त्योहार में शामिल होते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी दुश्मनी भूल जाते हैं और उत्सव की भावना में डूब जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों से खेलते हैं और त्योहार के रंग में रंगने के लिए उन्हें एक-दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं।

हिंदू धर्म का मानना है कि बहुत समय पहले हिरण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। उनका प्रह्लाद नाम का एक बेटा और होलिका नाम की एक बहन थी। ऐसा माना जाता है कि शैतान राजा को भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद प्राप्त था। इस आशीर्वाद का मतलब था कि कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे नहीं मार सकता था। यह आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप में बदल गया क्योंकि वह बहुत अहंकारी हो गया था। उसने अपने राज्य को आदेश दिया कि वह भगवान के बजाय उसकी पूजा करे, और अपने बेटे को भी न बख्शे।

इसके बाद, उनके पुत्र प्रह्लाद को छोड़कर सभी लोग उनकी पूजा करने लगे। प्रह्लाद ने भगवान के बजाय अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु का सच्चा भक्त  था। उसकी अवज्ञा को देखकर, राजा ने अपनी बहन के साथ प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उसने उसे अपने पुत्र को गोद में लेकर आग में बैठाया, जहाँ होलिका तो जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बाहर आ गया। इससे संकेत मिलता है कि उसकी भक्ति के कारण उसके भगवान द्वारा उसकी रक्षा की गई थी। इस प्रकार, लोग होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाने लगे।

विशेषकर उत्तर भारत में लोग अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ होली मनाते हैं। होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में, लोग सार्वजनिक क्षेत्रों में जलाने के लिए लकड़ियों का ढेर लगाते हैं। यह होलिका और राजा हिरण्यकश्यप की कहानी को संशोधित करते हुए बुरी शक्तियों के जलने का प्रतीक है। इसके अलावा, वे आशीर्वाद लेने और भगवान के प्रति अपनी भक्ति अर्पित करने के लिए होलिका के चारों ओर इकट्ठा होते हैं। अगला दिन शायद भारत का सबसे रंगीन दिन है। लोग सुबह उठकर भगवान की पूजा करते हैं। फिर, वे सफेद कपड़े पहनते हैं और रंगों से खेलते हैं। वे एक दूसरे पर पानी छिड़कते हैं। बच्चे पानी की बंदूकों का उपयोग करके पानी के रंग छिड़कते हुए इधर-उधर दौड़ते हैं। इसी तरह इस दिन बड़े भी बच्चे बन जाते हैं। वे एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं और खुद को पानी में डुबो देते हैं।

शाम को, वे नहाते हैं और अच्छे कपड़े पहनकर अपने दोस्तों और परिवार से मिलने जाते हैं। वे पूरे दिन नृत्य करते हैं और ‘भांग’ नामक एक विशेष पेय पीते हैं। होली के खास व्यंजन ‘गुजिया’ का स्वाद हर उम्र के लोग चाव से खाते हैं।संक्षेप में कहें तो होली प्रेम और भाईचारा फैलाती है। यह देश में सद्भाव और खुशहाली लाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह रंग-बिरंगा त्योहार लोगों को एकजुट करता है और जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है।

Also Read: Holi Songs

Holi Festival Paragraph

होली भारत का एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन माह में मनाया जाता है। यह त्यौहार फाल्गुन की पूर्णिमा से शुरू होकर एक रात और एक दिन तक चलता है। यह आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च महीने से मेल खाता है। होली खुशी और प्रेम का त्योहार है और यह भारतीय उपमहाद्वीप, विशेषकर भारत और नेपाल में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि लोग सड़कों पर निकलते हैं और रंगों से खेलते हैं। अधिकांश हिंदू त्योहारों के विपरीत, होली में किसी भी हिंदू देवी-देवता की पूजा शामिल नहीं होती है और इस प्रकार यह पूरी तरह से मनोरंजन के लिए मनाया जाता है। हालाँकि, होली से एक रात पहले, होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है, जिसमें लोग अपने फेंके हुए सामानों को अलाव में जलाते हैं।

Conclusion:

होली एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एकजुट करता है, प्रेम और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देता है, और जीवन में खुशियां और उत्साह लाता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में कितने भी रंग हों, प्रेम और भाईचारे के रंग हमेशा सबसे ऊपर रहते हैं. होली के त्योहार से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।

Q. होली कब मनाया जाता है?

Ans. होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार रंगों और खुशियों का प्रतीक है।

Q. होली का त्यौहार कितने दिनों तक चलता है?

Ans. होली का त्यौहार 2 दिनों तक चलता है। पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंगों का त्यौहार मनाया जाता है।

Q. होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

Ans. होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्यौहार भगवान विष्णु द्वारा राक्षस प्रह्लाद की रक्षा और उसकी बहन होलिका के दहन का प्रतीक है।

Q. होली त्यौहार के दौरान कौन से रंगों का उपयोग किया जाता है?

Ans. होली त्यौहार के दौरान विभिन्न रंगों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि गुलाबी, पीला, हरा, नीला, नारंगी, आदि।

Q. होली त्यौहार के दौरान कौन से विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं?

Ans. होली त्यौहार के दौरान गुझिया, मठ्ठी, दाल-बड़ा, खीर, आदि जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं।

Q. होली त्यौहार का भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है?

Ans. होली त्यौहार का भारत के अलावा नेपाल, पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका, और अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

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Jan Bhakti

होली का पर्व हिन्दुओं के द्वारा मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। होली पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। हर भारतवासी होली का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। सभी लोग इस दिन अपने सारे गिले, शिकवे भुला कर एक दुसरे को गले लगाते हैं। होली के रंग हम सभी को आपस में जोड़ता है और रिश्तों में प्रेम और अपनत्व के रंग भरता है। हमारी भारतीय संस्कृति का सबसे ख़ूबसूरत रंग होली के त्योहार को माना जाता है। सभी त्योहारों की तरह होली के त्योहार के पीछे भी कई मान्यताएं प्रचलित है। होली कैसे मनाते है , होली का महत्व क्या है , होलिका कौन थी इन सभी की जानकारी हम आपको अपने इस पोस्ट के जरिये देंगे। इसके साथ स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों से होली पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। हमारे इस पोस्ट से छात्र होली के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं जिससे वे स्कूल या कॉलेज में अच्छे से निबंध प्रतियोगिता में भाग ले सकें।

  • होली पर निबंध

होली हर साल फाल्गुन ( मार्च ) के महीने में महीने में विभिन्न प्रकार के रगों के साथ मनाई जाती है। सभी घरों में तरह तरह के पकवान बनाये जाते हैं। होली हिंदुओं के एक प्रमुख त्योहार के रूम में जाना जाता है। होली सिर्फ हिन्दुओं ही नहीं बल्कि सभी समुदाय के लोगों द्वारा उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का त्योहार लोग आपस में मिलकर, गले लगकर और एक दूसरे को रंग लगाकर मनाते हैं। इस दौरान धार्मिक और फागुन गीत भी गाये जाते हैं। इस दिन पर हम लोग खासतौर से बने गुजिया, पापड़, हलवा, आदि खाते हैं। रंग की होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। 

होली पर निबंध (400 शब्दों में)

होली का त्यौहार मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास है। प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नाम के एक असुर हुआ करता था। उसकी एक दुष्ट बहन थी जिसका नाम होलिका था। हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था। हिरण्यकश्यप के एक पुत्र थे जिसका नाम प्रह्लाद था। वे भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी था। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति करने से बहुत रोका। लेकिन प्रह्लाद ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी। इससे नाराज़ होकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जान से मारने का प्रयास किया। इसके लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था। उसके बाद होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई लेकिन जिस पर विष्णु की कृपा हो उसे क्या हो सकता है और प्रह्लाद आग में सुरक्षित बचे रहे जबकि होलिका उस आग में जल कर भस्म हो गई।

यह कहानी ये बताती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। आज भी सभी लोग लकड़ी, घास और गोबर के ढ़ेर को रात में जलाकर होलिका दहन करते हैं और उसके अगले दिन सब लोग एक दूसरे को गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालकर होली खेलते हैं। होली हर साल फाल्गुन महीने में मनाई जाती है। जैसे जैसे होली का त्योहार पास आता है हमारा उत्साह भी बढ़ता जाता है। होली सच्चे अर्थों में भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जिसके रंग अनेकता में एकता को दर्शाते हैं। लोग एक दूसरे को प्रेम-स्नेह की गुलाल लगाते हैं , सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, लोकगीत गाये जाते हैं और एक दूसरे का मुँह मीठा करवाते हैं।

भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। आज भी ब्रज की होली सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। लठमार होली जो कि  बरसाने की है वो भी काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ पुरुषों को लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। इसी तरह मथुरा और वृंदावन में भी १५ दिनों तक होली का पर्व मनाते हैं। कुमाऊँ की गीत बैठकी होती है जिसमें शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियाँ होती हैं। होली के कई दिनों पहले यह सब शुरू हो जाता है। हरियाणा की धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा प्रचलित है। विभिन्न देशों में बसे हुए प्रवासियों तथा धार्मिक संस्थाओं जैसे इस्कॉन या वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अलग अलग तरीके से होली के शृंगार व उत्सव मनाया जाता है। जिसमें अनेक समानताएँ भी और अनेक भिन्नताएँ हैं।

होली लेखन हिंदी में

  • होली पर भाषण
  • होली पर बधाई संदेश
  • होली पर 10 पंक्तियाँ

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Holi Essay in Hindi: होली पर आकर्षक निबंध

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Holi Essay in Hindi: त्योहार भारतीय जीवन-शैली का एक अटूट हिस्सा है, जहां विभिन्न प्रकार के रंगीन और विविध त्योहारों का आयोजन होता है। इनमें से होली, जो साथी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का महत्वपूर्ण पर्व है, विशेष महत्व रखती है। होली, जो भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जीवन के उत्साह, खुशी, और उमंग को बढ़ावा देने में मदद करती है। होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) में हमने होली के इस महत्वपूर्ण पर्व के सभी पहलुओं की जानकारी प्रदान की है। यह आशा है कि इस होली के निबंध का उपयोग वे छात्र भी करेंगे जो होली हिंदी होली पर निबंध तैयार करना चाहते हैं या होली पर निबंध के लिए सामग्री खोज रहे हैं।

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होली पर निबंध 100 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली हिंदी होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है। यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का त्योहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 200- 300शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली सबसे रंगीन और प्रसिद्ध भारतीय त्योहारों में से एक है। यह दर्शाता है कि वसंत आ गया है और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है। लोग इस त्योहार पर एक दूसरे को रंगों और पानी से रंगते हैं, जिसे “रंगों का त्योहार” भी कहा जाता है। होली पर लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर एक दूसरे पर पानी और रंग फेंकते हैं। वे ढोल बजाकर गाते और नाचते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। यह त्योहार पिछले दुखों को भूलने और माफ करने और नए दोस्त बनाने और पुराने लोगों के साथ रिश्तों को मजबूत करने का भी समय है।

होली एक खुशनुमा और मस्ती भरा त्योहार है, लेकिन इसके कई धार्मिक और सांस्कृतिक मायने भी हैं। ऐसा माना जाता है कि यह हिंदू पौराणिक कथाओं से आया है, जहां भगवान विष्णु ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को हराया था। भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा के बीच प्रेम भी त्योहार से जुड़ा हुआ है। होली एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत में बहुत सारी ऊर्जा और खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग त्योहार में एक साथ मिलते हैं, जो एकता, सद्भाव और खुशी को बढ़ावा देता है। यह समय अपनी सभी चिंताओं को दूर करने और जीवन का पूरा आनंद लेने का है।

होली का इतिहास होली के त्यौहार का जिक्र पुराने ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। इससे हमें होली के त्यौहार का महत्त्व और प्राचीनता का आभास भी होता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है। पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था। जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया, जिसके बाद ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप हिरण्यकश्यप को ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से मारा जा सकता था।

हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था इसलिए अपनी प्रजा से कहता था कि वह उसकी पूजा करें भगवान विष्णु की पूजा ना करें। वह अपनी प्रजा से क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने लगा। प्रजा के कुछ लोग भय वश उसकी पूजा भी करने लगे। समय बीतने के साथ ही हिरण्यकश्यप के घर एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था। प्रह्लाद हिरण्यकश्यप को ईश्वर नहीं मानता था। बहुत समझाने पर भी वह नहीं समझा तो हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के कई उपाय किये, पर वह नहीं मरा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि उसे किसी भी प्रकार की आग जला नहीं सकती है इसलिए उसने अपने भाई का साथ देते हुए प्रहलाद को लेकर जलती हुई आपकी चिता में बैठ गई। प्रहलाद यह देखकर घबरा गया और भगवान विष्णु की पूजा करने लगा। भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई थी प्रहलाद को एक खरोच तक नहीं आई और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

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होली पर निबंध 350 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली, भारतीय सांस्कृतिक कला और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जो भारत और भारतीयों के लिए विशेष महत्व रखता है। होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है।

इस अद्वितीय त्योहार की महत्वपूर्ण धारा रंग का खेल है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर विभिन्न रंगों का पाउडर फेंकते हैं और खुशियों का इज़हार करते हैं। होली का महत्व न केवल एक त्योहार मात्र है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है और यह दुनिया भर के लोगों के लिए एक रंगीन और आनंददायक त्योहार के रूप में पहचाना जाता है।

होली का महत्व

होली का महत्व भारतीय समाज के लिए गहरा है और यह एक ऐसा त्योहार है जिसे लोग साल भर बेताबी से इंतजार करते हैं। यह त्योहार विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ मिलकर मनाया जाता है, और इसके तहत लोग अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं।

होली के त्योहार का महत्व हिन्दू पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक कथा है, जिसमें होली को हिरण्यकशिपु के खिलवाड़े और प्रह्लाद के भक्ति की जीत के रूप में मनाने का प्रतीक माना जाता है। हिरण्यकशिपु, एक दुष्ट राक्षस राजा थे, जो भगवान विष्णु के खिलवाड़े से डरते थे। वे अपने पुत्र प्रह्लाद के भक्ति को बंद करने का प्रयास करते थे, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु के प्रति अपनी अद्भुत श्रद्धा में अटल रहे। होली के दिन, हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रह्लाद को उसके साथ बांधकर आग में डालने की कोशिश की, लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद बिना कोई कष्ट उठाए बच गए। होली के इस घड़ीघड़ी मोमें, होलिका जलकर मर गई, जबकि प्रह्लाद अस्तित्व में बने रहे। इसी प्रकार, होली का त्योहार भक्ति और सच्चे दर्शन की जीत का प्रतीक बन गया, और यही कारण है कि होली को विजय दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

इसके अलावा, होली का महत्व भारतीय ऋतुओं के माध्यम से भी जुड़ा हुआ है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो भारत में बसंत ऋतु की आगमन का समय होता है। बसंत ऋतु के साथ आती हैं खुशियों की बहार और फूलों की महक, और होली इस ऋतु का आगाज़ और खुशियों का स्वागत करने का एक तरीका होता है। इसलिए, होली का महत्व भारतीय जीवन में बसंत के आगमन के साथ जुड़ा हुआ है और यह एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है।

होली का आयोजन

होली का आयोजन विभिन्न तरीकों से भारत के विभिन्न हिस्सों में किया जाता है, और हर स्थान पर इसे अपने तरीके से मनाया जाता है। होली के पहले दिन, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है, लोग होलिका के मूर्ति को आग में जलाते हैं। इसके पीछे का सन्देश है कि बुराई का अंत हमेशा अच्छाई की जीत पर होता है।

होली के दूसरे दिन, लोग रंगों के साथ खेलने और एक-दूसरे को रंगने का आनंद लेते हैं। यह दिन गुलाल, अबीर, और अन्य रंगीन पाउडर के साथ खेलने का होता है। होली के इस रंगीन खेल में लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आनंद और खुशी का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही, लोग विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयों का स्वाद लेते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का साथ मनाते हैं।

कुछ स्थानों में, होली के खेल में संगीत और नृत्य का आनंद लिया जाता है। लोग रंगीन वस्त्र पहनकर नृत्य करते हैं और गीतों का आनंद लेते हैं।

होली के खास पकवान

होली के खास पकवान और मिठाइयाँ इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। गुझिया, मालपुआ, दही-बड़े, और मिठाई जैसे विभिन्न पकवान खाए जाते हैं। इन पकवानों का आनंद लेना होली के त्योहार को और भी मजेदार बनाता है।

निषेध: खतरनाक रंगों का उपयोग

होली के खेल में खतरनाक या हानिकारक रंगों का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे रंगों का उपयोग करने से क्षति हो सकती है और त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, हमें होली के खेल में सुरक्षित और प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए।

होली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह एक अद्वितीय त्योहार है जो खुशियों की खोज में लोगों को जोड़ता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ आनंद और खुशी का साथ मनाते हैं, और वे अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं। होली का महत्व भारतीय संस्कृति, परंपरा, और रंगीनता का प्रतीक है, और यह एक त्योहार के रूप में विश्वभर के लोगों के लिए बहुत खास है। इसलिए, होली का त्योहार भारतीय समाज में गहरा महत्व रखता है और यह एक खुशी और एकता भरा समाजिक त्योहार होता है।

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होली पर निबंध FAQs

होली के बारे में निबंध कैसे लिखें.

होली के बारे में निबंध लिखते समय, पहले होली का महत्व और इसका इतिहास पर बताएं, फिर इस त्योहार के विभिन्न पहलुओं और महत्व को विस्तार से व्यक्त करें।

होली क्यों मनाई जाती है 10 लाइन?

होली को मनाई जाती है क्योंकि यह वसंत ऋतु का स्वागत करने और रंग-बिरंगे जीवन की खुशियों का प्रतीक है, साथ ही हिन्दू धर्म में प्रेम, भाईचारा और सामाजिक मेलजोल को प्रमोट करने का मौका प्रदान करता है।

होली पर क्या लिखें?

होली पर रंगों का खेल और खुशियों का त्योहार मनाते हुए सभी को प्यार और खुशियाँ बांटने की शुभकामनाएं!

होली पर निबंध होली कैसे मनाई जाती है?

होली को भारत में फागुन माह के पूनम के दिन रंगों और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग रंग फेंककर आपसी खुशियों का जश्न मनाते हैं।

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होली पर हिन्दी निबंध

होली पर हिन्दी निबंध | Holi Essay In Hindi

मार्च 2017 : कैसा होगा देश-विदेश के लिए

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Essay On Holi in Hindi

Essay On My Favourite Festival Holi : होली पर निबंध 1000 शब्दों में

Essay On My Favourite Festival Holi: होली रंगों का त्यौहार है जो भारत में मनाया जाता है। यह मार्च में मनाया जाता है। रंग-बिरंगा त्योहार वसंत ऋतु में मनाया जाता है। होली के दिन हम आमतौर पर सफेद कपड़े पहनते हैं। हम चमकीले रंगों जैसे नीला, हरा, गुलाबी, पीला आदि से खेलते हैं। मेरी माँ स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाती हैं और हम उन्हें अपने आस-पड़ोस में बाँटते हैं।  होली के दिन पानी के गुब्बारों और पिचकारियों का उपयोग करके विभिन्न रंगों से खेलते हैं।होली की शुरुआत राक्षसी होलिका को जलाने से होती है।हम लकड़ियाँ इकट्ठा करके जलाते हैं और उसके चारों ओर नाच-गाकर जश्न मनाते हैं। होली हमें बुराई पर अच्छाई की जीत सिखाती है।  होली के दिन घर में विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवान बनते हैं। जिसका आनंद परिवार के सभी लोग मिलकर उठाते हैं इसके अलावा होली की शाम हम सभी लोग अपने मित्र या सके संबंधित के घर जाकर अबीर देते हैं  यदि आप एक छात्र हैं और होली के ऊपर एक बेहतरीन निबंध लिखना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही आर्टिकल पर आ गए हैं आज के लेख में essay on my favourite festival Holi से जुड़ी जानकारी जैसे- essay on Holi 100 words) essay on Holi 300 words)  essay on Holi 500 words essay on Holi in hindi)Holi par nibandh 10 line) Holi essay in hindi for class 5) Holi festival paragraph के बारे में आपको जानकारी प्रदान करेंगे आर्टिकल को ध्यान से पढ़ेंगे आए जानते हैं-

Holi Essay in Hindi – Overview

आर्टिकल का प्रकारमहत्वपूर्ण त्यौहार
आर्टिकल का नामहोली पर निबंध
साल कौन सा है2024
भाषा कौन सी हैहिंदी
कब मनाई जाएगी25 मार्च 2024 को
कहां मनाई जाएगीपूरे भारतवर्ष में
कौन से धर्म के लोग मानते हैंहिंदू धर्म

होली पर निबंध 100 शब्दों में (Essay On Holi 100 Words)

होली एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो हर साल वसंत ऋतु में मनाया जाता है। यह रंगों का त्यौहार है जिसके दौरान लोगों, सड़कों और घरों को विभिन्न रंगों में रंगा हुआ देखा जा सकता है। इसे प्यार का त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन लोग अपनी पुरानी दुश्मनी को भुलाकर रंगों से खेलते हैं और रिश्तों को फिर से ताजा करते हैं।होली दो दिवसीय त्योहार है, जो मुख्य त्योहार से एक रात पहले छोटी होली के साथ शुरू होता है, जब होलिका दहन (राक्षसी होलिका को जलाना) के प्रतीक के रूप में सड़कों पर बड़ी चिताएं जलाई जाती हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। अगले दिन लोग रंगों से खेलते हैं और शाम को एक-दूसरे के घर जाकर बधाइयां और मिठाइयां बांटते हैं। दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने का रिवाज एक सप्ताह से अधिक समय तक जारी रहता है।

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होली पर निबंध 300 शब्दों में ( Essay On Holi 300 Words) 

होली का परिचय.

होली सभी का सबसे पसंदीदा त्योहार है क्योंकि यह बहुत सारी खुशियाँ और खुशियाँ लाता है। इसे हर साल विशेष रूप से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह आमतौर पर मार्च (या फाल्गुन) के महीने में वसंत ऋतु की शुरुआत में पड़ता है। हर कोई इस त्यौहार का बहुत ही उत्साह के साथ और इसे मनाने की खास तैयारियों के साथ इंतजार करता है।

हम होली क्यों मनाते हैं?

होली मनाने के पीछे प्रह्लाद की एक महान कहानी है। एक बार प्रह्लाद (जो भगवान का बहुत बड़ा भक्त था) को उसके ही पिता ने मारने की कोशिश की क्योंकि उसने भगवान के स्थान पर अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया था। प्रह्लाद के पिता के आदेश पर उसकी चाची होलिका उसे अपनी गोद में रखकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान ने उसे बचा लिया क्योंकि वह एक सच्चा भक्त था और होलिका को आग में जला दिया गया, जबकि उसे कभी कोई नुकसान न होने का वरदान मिला हुआ था। आग। उस दिन से, हिंदू धर्म को मानने वाले लोग बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करने के लिए हर साल होली का त्योहार मनाने लगे।

होलिका दहनरंगीन होली के त्योहार से एक दिन पहले, लोग उस दिन को याद करने के लिए रात में होलिका दहन के समान लकड़ियों और गोबर के उपलों का ढेर जलाते हैं। कुछ लोग यह मानकर होलिका में परिवार के प्रत्येक सदस्य के सरसों के उबटन के अवशेषों को जलाने की विशेष परंपरा का पालन करते हैं कि इससे घर और शरीर से सभी बुराइयां दूर हो जाएंगी और घर में खुशियां और सकारात्मकता आएगी।

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होली पर निबंध 500 शब्दों में ( Essay on Holi 500 Words)  

होली रंगों का एक बहुत प्रसिद्ध त्योहार है जो हर साल ‘फाल्गुन’ या मार्च के महीने में भारत के लोगों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह विशेष रूप से बच्चों के लिए बहुत सारी मौज-मस्ती और उल्लासपूर्ण गतिविधियों का त्योहार है, जो त्योहार से एक सप्ताह पहले उत्सव शुरू करते हैं और एक सप्ताह बाद भी जारी रखते हैं। देशभर में विशेषकर उत्तर भारत में मार्च के महीने में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा होली मनाई जाती है।

महोत्सव के पीछे की किंवदंती और कहानी

भारत में वर्षों से होली मनाने के पीछे कई कहानियाँ और किंवदंतियाँ हैं। यह अत्यंत महत्व एवं महत्ता वाला पर्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि होली मनाने की शुरुआत बहुत पहले हुई थी जब होलिका अपने ही भतीजे को आग में मारने की कोशिश करते समय आग में जल गई थी।ऐसा माना जाता है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस राजा था, जो छोटे प्रह्लाद का पिता था, जिसने अपने ही बेटे को आग में जलाकर मारने की कोशिश की थी जब प्रह्लाद ने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब हिरण्यकश्यप प्रह्लाद को मारने की अपनी कई रणनीतियों में विफल रहा, तो उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि उसे आग से कभी नुकसान न होने का वरदान प्राप्त था।

हालाँकि, यह रणनीति भी विफल रही क्योंकि छोटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसे उसके भगवान ने बचा लिया था। होलिका आग में जल गयी और प्रह्लाद बच गया। उस दिन से हिंदू धर्म के लोग हर साल होली मनाने लगे।

होलिका और उसके रीति-रिवाज

होली से एक दिन पहले लोग चौराहों पर लकड़ियों का ढेर बनाकर उसे होलिका का प्रतीक बनाकर जलाते हैं और ‘होलिका दहन’ समारोह मनाते हैं। लोग जलती हुई होलिका की कई परिक्रमा करते हैं और अग्नि में सभी पापों और बीमारियों को जलाकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने के लिए इसकी पूजा करते हैं। उत्तर भारत में एक प्रथा यह भी है कि लोग सरसों के पेस्ट से शरीर की मालिश करते हैं और फिर शरीर की सभी बीमारियों और बुराइयों से छुटकारा पाने की उम्मीद में इसे होलिका में जला देते हैं।

हम होली कैसे मनाते हैं?

‘होलिका दहन’ के बाद अगली सुबह, लोग एक स्थान पर एकत्रित होकर और एक-दूसरे पर खेल-खेल में रंग फेंककर होली का रंगीन त्योहार मनाते हैं। मुख्य त्योहार से एक सप्ताह पहले ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग, विशेषकर बच्चे अत्यधिक उत्साही होते हैं जो एक सप्ताह पहले से ही अलग-अलग रंगों की खरीदारी शुरू कर देते हैं।

यहां तक ​​कि वे अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ पिचकारी और छोटे गुब्बारों से रंग खेलना शुरू कर देते हैं। उत्सव की शुरुआत सुबह से होती है जब बहुत सारे रंगों के साथ लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और उन्हें रंग लगाते हैं। होली के व्यंजनों में ‘गुझिया’, मिठाइयाँ, ‘पानी पुरी’, ‘दही बड़े’, चिप्स आदि शामिल होते हैं जिनका मेहमानों के साथ-साथ मेजबानों द्वारा भी आनंद लिया जाता है।

होली पर निबंध 1000 शब्दों में ( Nibandh On Holi 1000 Words)

होली – रंग, खुशी और प्यार का त्योहार.

होली अन्य हिंदू त्योहारों से इस मायने में अलग है कि इसमें किसी भी देवता की पूजा की आवश्यकता नहीं होती है, जैसा कि अन्य त्योहारों के साथ अनिवार्य है। यह त्यौहार बिना किसी धार्मिक बाध्यता के शुद्ध आनंद की मांग करता है।

रंगों के बिना होली उत्सव की कल्पना करना असंभव है। दरअसल इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। लोग रंगीन पाउडर से खेलते हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में गुलाल कहा जाता है। वे दोस्तों और परिवार के सदस्यों पर गुलाल छिड़कते हैं, एक-दूसरे को “हैप्पी होली” कहते हैं और गले मिलते हैं। बच्चों को विभिन्न प्रकार की पिचकारी के साथ समूह में खेलते देखा जा सकता है।सभी घर और सड़कें सुंदर और चमकीले लाल, पीले, नीले, नारंगी और बैंगनी रंग के संयोजन से रंग जाते हैं। सर्दियों की ठंडी हवाएँ चले जाने के बाद, लोग ढीले-ढाले कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे पर रंग और रंगीन पानी छिड़कते हैं। सिर से पैर तक हर कोई अलग-अलग रंगों में रंगा हुआ है; इतना कि किसी को अपने सबसे करीबी दोस्त को पहचानने में भी एक या दो पल लग जाते हैं।

होलिका दहन की पौराणिक कथा

होली दो दिवसीय त्योहार है, जो हिंदू महीने फाल्गुन की पूर्णिमा की शाम को शुरू होता है। दूसरे दिन सुबह रंग की होली खेली जाती है.होली के पहले दिन को छोटी होली कहा जाता है और शाम को होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है। सड़क के चौराहों या बाजार, सड़कों, गलियों, कॉलोनियों आदि में अन्य उपयुक्त स्थानों पर अलाव जलाए जाते हैं। लोग आग में अपना पुराना सामान जलाते हैं, जो ईर्ष्या, घृणा और दुश्मनी की भावनाओं को जलाने का प्रतीक है। यह अनुष्ठान बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है।होलिका दहन की आम तौर पर  मशहूर किंवदंतियों में से एक राक्षस राजा हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रह्लाद से जुड़ी है। प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था; इससे हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया, जो अमरता के वरदान के कारण खुद को भगवान मानता था। हालाँकि, उनका पुत्र प्रह्लाद विष्णु की पूजा करने के अपने संकल्प पर अड़ा रहा और उसने अपने पिता हिरण्यकश्यप की पूजा करने से इनकार कर दिया।अपने ही पुत्र से निराश हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और उसने प्रह्लाद को यातना देना शुरू कर दिया, ताकि वह शांत हो जाए। जब प्रह्लाद ने नियमित रूप से मना कर दिया, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ प्रह्लाद को उसके साथ जलती हुई चिता पर बैठने के लिए धोखा देने की साजिश रची। माना जाता है कि होलिका को आग में जलने से सुरक्षा का वरदान प्राप्त था। दुष्ट योजना प्रह्लाद को चिता में जलाने की थी, जबकि होलिका वरदान से सुरक्षित रहेगी।होलिका प्रह्लाद को अपने साथ चिता में बैठने के लिए सहमत करने में सफल रही। प्रह्लाद सहमत हो गया क्योंकि उसे अपने देवता विष्णु पर अत्यधिक विश्वास था। होलिका बालक प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता में बैठ गयी। जैसे ही चिता जली, भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचाने के लिए हस्तक्षेप किया और वरदान के बावजूद होलिका जलकर राख हो गई। होलिका को दिया गया वरदान काम नहीं आया, क्योंकि; उसे अमरता तभी प्रदान की गई जब वह अकेले अग्नि में प्रवेश कर गई।इस प्रकार, लोग छोटी होली पर बुराई होलिका के दहन के प्रतीक के रूप में चिता जलाते हैं और अगले दिन रंगीन उत्सवों का स्वागत भी करते हैं।

 लठ मार होली बरसाना

मथुरा के निकट एक छोटे से कस्बे बरसाना में राधा रानी मंदिर के परिसर में लठ मार होली की प्रथा सदियों से मनाई जा रही है। पास के नंदगांव के पुरुष बरसाना आते हैं जहां महिलाएं उन्हें लाठियों से मारती हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से हिंदी में लाठियां कहा जाता है। दूसरी ओर, पुरुष ढालों से अपनी रक्षा करते थे और जो लोग पकड़े जाते थे उन्हें महिलाओं की पोशाक पहनाकर नृत्य कराया जाता था।

बरसाना की लठ मार होली इतनी लोकप्रिय हो गई है कि लाखों देशी भारतीयों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी इस उत्सव को देखने के लिए बरसाना आते हैं।

होली त्यौहार का जश्न

विभिन्न राज्यों और देशों के लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों और तरीकों से होली मनाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति प्रथम दिन पूर्णिमा के दिन होली को होली पूर्णिमा के नाम से मनाता है।

सबसे पहले इस दिन लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के कारण होली मनाते हैं। साथ ही फाल्गुन महीने का स्वागत करने के लिए लोग होली मनाते हैं, इसलिए इसका दूसरा नाम फगवा है।उन्होंने “होली” शब्द को ‘होला’ शब्द से लिया, जिसका अर्थ है अच्छी फसल के लिए भगवान की पूजा। होली का त्यौहार दीपावली या दीवाली के पारंपरिक त्यौहार की तरह है। इस त्यौहार को लोग हर साल भी मनाते हैं।

आप प्राचीन मंदिरों की दीवारों पर भी होली उत्सव का उल्लेख पा सकते हैं। ओडिशा और पश्चिम बंगाल में पूर्णिमा के अगले दिन को डोल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है । इसलिए इस दिन को डोल जात्रा के नाम से भी जाना जाता है।

मथुरा और वृन्दावन: होली समारोह

होली का त्यौहार मथुरा और वृन्दावन में प्रसिद्ध है। इस दिन को उत्साह से मनाने के लिए भारत के अन्य शहरों और विभिन्न देशों से लोग मथुरा और वृन्दावन आते हैं।मथुरा और वृन्दावन वे पवित्र स्थान हैं जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। पारंपरिक भारतीय इतिहास के अनुसार, लोग राधा कृष्ण के समय से ही होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं।होली के अवसर पर मथुरा और वृन्दावन के लोग विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। सबसे पहले बांकेबिहारी मंदिर में महा होली का उत्सव होता है और उसके बाद मथुरा के ब्रज में गुलाल कुंड में लोग होली मनाते हैं। सदस्य यहां कृष्ण लीला नाटक का भी आयोजन करते हैं।

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होली पर निबंध हिंदी में ( Essay On Holi in Hindi ) 

होली, रंगों का त्योहार, भारत में मनाए जाने वाले सबसे रंगीन और खुशियों भरे त्योहारों में से एक है। यह आमतौर पर मार्च महीने में आता है और बसंत के आगमन का संकेत देता है। यह त्योहार सिर्फ रंगों के साथ खेलने के बारे में ही नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की जीत और एकता की भावना के बारे में भी है।होली की कथा हिन्दू पौराणिक कथाओं में निहित है, खासकर होलिका और प्रहलाद की कहानी में। होलिका, दानवी राक्षस, ने प्रहलाद को भगवान विष्णु के भक्त को आग में जलाने की कोशिश की। हालांकि, भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा की, और होलिका को आग  में नष्ट कर दिया। इस घटना का संकेत अच्छाई की जीत की ओर है, और होली की रात को “होलिका दहन” के नाम से जाने वाले एक बोनफायर को इस जीत का प्रतीक बनाने के लिए जलाया जाता है। स्वादिष्ट मिठाई और नमकीन होली के उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। इस त्योहार के दौरान गुजियाएं, आटे से बनी जिनमें मिठाई भराई होती है, एक प्रसिद्ध मिठाई होती हैं। ठंडाई, दूध, द्रव्यों, और मसालों से बनी एक पारंपरिक पेय, कई लोगों द्वारा आनंदिति से ली जाती है। लोग इन मिठाईओं को अपने दोस्तों और पड़ोसियों  के साथ साझा करते हैं ताकि खुशी का आनंद दुगना उठाया जा सके होली सिर्फ रंगों के साथ खेलने के बारे में ही नहीं है, यह प्यार और खुशियों को फैलाने के बारे में भी है। दोस्त और परिवार सभी एक साथ आकर्षित होते हैं, और क्षमा त्योहार का महत्वपूर्ण तत्व है। लोग आपसी गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं और प्यार और मित्रता के नए बंधनों के साथ फिर से आरंभ करते हैं।मनोरंजन और उत्सवों के अलावा, होली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी होता है। यह वक्त होता है जब लोग मंदिरों की यात्रा करते हैं और अपने जीवन के एक समृद्ध और समान्य जीवन के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। कुछ भारत के क्षेत्रों में, होली को पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के साथ मनाया जाता है, जो इस त्योहार की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देता है।हाल के वर्षों में, होली भारत की सीमाओं के पार भी पॉपुलैर हो गई है और इसे विभिन्न राष्ट्रीयताओं और संस्कृतियों के लोग दुनिया भर में मनाते हैं। यह भारत की संगीती सांस्कृतिक धरोहर और विविधता में एकता की भावना का प्रतीक बन गया है।होली एक त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाकर अच्छाई की जीत और बसंत के आगमन को रंगों, मिठाईयों, और संगीत के साथ मनाने के लिए बुलाता है।

होली निबंध 10 लाइन (Holi Per Nibandh 10 Line)

  • होली भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाने वाला त्यौहार है।
  • होली का त्यौहार हर साल फरवरी या मार्च में मनाया जाता है।
  • होली रंग और खुशियों का त्योहार हैं।
  • होली का त्यौहार दुनिया भर में मुख्य रूप से हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन अब इसे सभी धर्मों के लोग मनाते हैं।
  • भारत में लोग राधा और भगवान कृष्ण के समय से ही होली खेलते आ रहे हैं।
  • होली जीवन में रंगों और खुशियों से भरी होती है।
  • होली खूब रंग (गुलाल) और पानी से मनाई जाती है।
  • होली के जश्न के लिए लोग नई-नई पोशाकें खरीदते हैं।
  • अधिकांश हिंदू परिवार होली उत्सव के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और जूस बनाते हैं।
  • इलाके के लोग अपने बीच के सारे गुस्से और झगड़ों को भूलकर खुशी-खुशी एक-दूसरे के साथ होली  खेलते हैं।

होली पर निबंध Class 5 (Holi Essay in Hindi for Class 5) 

होली भारत में मनाया जाने वाला एक.आनंदमय त्योहार है, जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह रंग-बिरंगा त्योहार विशेष रूप से बच्चों को बहुत पसंद आता है, जो चंचल और उत्साही माहौल में शामिल होने के लिए इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। आप जैसे कक्षा 5 के छात्र के लिए, होली सिर्फ रंगों के बारे में नहीं है; यह मौज-मस्ती, दोस्ती और सांस्कृतिक महत्व के बारे में है।यह त्योहार आमतौर पर मार्च में पड़ता है और इसकी तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों को साफ करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और दोस्तों और परिवार के साथ साझा करने के लिए स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाते हैं। जैसे-जैसे दिन नजदीक आता है उत्साह बढ़ता जाता है और होली के दिन हवा हँसी-मजाक और उत्सव के खाद्य पदार्थों की खुशबू से भर जाती है।बच्चों के लिए होली का सबसे रोमांचक हिस्सा रंगों से खेलना है। सभी रंगों के चमकीले पाउडर और पानी के गुब्बारे आसपास के वातावरण को रंगों के बहुरूपदर्शक में बदल देते हैं। दोस्त और परिवार एक-दूसरे का पीछा करते हैं, एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं और हार्दिक हंसी साझा करते हैं। यह एक ऐसा दिन है जब हर कोई समान है, रंगों से सराबोर है जो मतभेद मिटाता है और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।होली के पारंपरिक पहलुओं में से एक रात पहले अलाव जलाना है, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है। यह अनुष्ठान हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रह्लाद और होलिका की कहानी की याद दिलाते हुए, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। परिवार अलाव के चारों ओर इकट्ठा होते हैं, गीत गाते हैं और अपने प्रियजनों की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं।रंगों से खेलने की खुशी के अलावा, होली लोगों को एक साथ भी लाती है। यह मतभेदों को भूलने, पिछली शिकायतों को माफ करने और रिश्तों को नवीनीकृत करने का समय है। कहावत “बुरा ना मानो होली है” (बुरा मत मानो, यह होली है) त्योहार के सार को दर्शाती है, क्षमा और सौहार्द की भावना को प्रोत्साहित करती है।हालांकि, तमाम मौज-मस्ती के बीच जिम्मेदारी से होली खेलना भी जरूरी है। सुरक्षित, पर्यावरण-अनुकूल रंगों का उपयोग यह सुनिश्चित करता है कि उत्सव में पर्यावरण या किसी के स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचे। व्यक्तिगत स्थान और दूसरों की सहमति का सम्मान करना भी महत्वपूर्ण है, यह सुनिश्चित करते हुए कि उत्सव सभी के लिए आनंददायक बना रहे।

Holi Festival Paragraph

रंगों का त्योहार होली भारत में एक जीवंत उत्सव है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत और वसंत के आगमन का प्रतीक है। दो दिनों तक चलने वाली, इसकी शुरुआत होलिका दहन, अलाव की रात से होती है, और रंगवाली होली, रंग-बिरंगे उल्लास के दिन के साथ समाप्त होती है। यह त्यौहार सामाजिक बाधाओं को तोड़ता है, एकता को बढ़ावा देता है क्योंकि लोग रंगीन पाउडर और पानी से खेलते हैं। होली क्षमा और नवीकरण को बढ़ावा देती है, जो जीवन के रंगों का प्रतिनिधित्व करने वाले विविध रंगों का प्रतीक है। भारत के अलावा, होली की लोकप्रियता विश्व स्तर पर  फैल गई है 2024 में होली 25 मार्च को पूरे भारतवर्ष में मनाया जाएगा।

Conclusion:

उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित कोई  सुझाव या प्रश्न है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में..!! 

FAQ’s: Holi Nibandh in Hindi

Q. होली क्या है .

Ans. होली भारत में मनाया जाने वाला एक रंगीन और आनंदमय त्योहार है, जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

Q. होली कब मनाई जाती है? 

Ans. होली आमतौर पर मार्च में हिंदू महीने फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन पड़ती है। 

Q. होली कैसे मनाई जाती है? 

Ans. लोग रंगीन पाउडर, पानी के गुब्बारों से खेलते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। होली की पूर्व संध्या पर अलाव जलाए जाते हैं जिन्हें “होलिका दहन” कहा जाता है।

Q. होली का पारंपरिक भोजन क्या है? 

पारंपरिक होली मिठाइयों में गुझिया (मीठी पेस्ट्री) और ठंडाई (एक मसालेदार दूध पेय) शामिल हैं।

Q. ब्रह्मा जी ने होलिका को क्या वरदान दिया था?

भगवान ब्रह्मा ने होलिका को वरदान देते हुए कहा था, ‘आग उसे नहीं जला पाएगी।’

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Holi Essay in Hindi: होली पर निबंध यहां देखें

होली का त्योहार नजदीक आ गया है। ऐसे में स्कूलों से लेकर कुछ संस्थाओं में होली पर निबंध लेखन दिया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम आपके बीच होली पर निबंध बताने जा रहे हैं। साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि किस तरह से निबंध लिखा जाए।.

Kishan Kumar

रंगों का त्योहार यानि होली नजदीक आ गया है। उत्साह, उल्लास और उमंग के इस त्योहार के रंग में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सराबोर हो जाता है। यही वजह है कि इस त्योहार का रंग हर उम्र के लोगों पर चढ़कर बोलता है। वहीं, त्योहार के नजदीक आते ही कुछ स्कूलों से लेकर संस्थानों में भी होली पर निबंध लेखन दिया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम आपके के साथ होली पर निबंध के साथ निबंध लिखने के कुछ टिप्स भी साझा कर रहे हैं, जिससे आप एक अच्छा लेख लिखकर अपने सहपाठियों या सहकर्मचारियों के बीच अच्छा इंप्रैशन जमा सके।

क्या होता है निबंध

निबंध एक गद्य रचना होती है, जो किसी विषय पर क्रमबद्ध तरीके से लिखी जाती है।

क्या होते हैं निबंध के विषय

निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। ये विषय सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, व्यावसायिक और अन्य हो सकते हैं।

कैसे लिखें अच्छा निबंध

1.निबंध लेखन से पहले विचार करें कि किस विषय पर निबंध लिखना है। इसके बाद उस विषय पर विभिन्न स्त्रोतों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करें।

2.निबंध लिखते हुए ध्यान रखें कि भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए, जिससे आपका लिखा हुआ किसी भी व्यक्ति के समझ में आ जाए।

3.लेखन के दौरान अपने विचारों को क्रमबद्ध रूप से स्पष्ट करें, किसी भी लाइन को किसी भी लाइन के साथ जोड़ने से बचें।

4.भाषा संबंधी गलती से बचना चाहिए। हिंदी के निबंध में मात्राओं का विशेष ध्यान रखें।

5.लेखन के दौरान दोहराव से बचना चाहिए। प्रत्येक नए पैराग्राफ में कुछ नया बताएं।

6.निबंध लिखने के बाद उसे एक बार जरूर पढ़ लें, जिससे सुधार की जरूरत होने पर उसमें सुधार किया जा सके।

7.निबंध कॉपी के एक या दो पेज से अधिक नहीं होना चाहिए।

होली पर निबंध

विविधता पूर्ण संस्कृति वाले भारत देश में कई त्यौहार मनाए जाते हैं। इनमें से एक त्यौहार है होली, जो आपस में प्रेम और सद्भावना को मजबूत बनाए रखता है। उत्साह, उल्लास और उमंग का यह पर्व सर्दी की विदाई के साथ फागुन की शुरुआत में आता है। होली का यह पर्व फागुन महीने की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगोत्सव यानी रंगों से होली खेलकर उत्सव मनाया जाता है। होली के अवसर पर फाग गाने की भी परंपरा है, जिसमें ढोलक और मंजीरे के साथ गीत गाए जाते हैं। इस दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल- अबीर लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। वहीं, पुराने गिले-शिकवे भी बुलाए जाते हैं।

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एक रात और एक पूरे दिन का पर्व

होली का यह पर्व एक रात और एक पूरे दिन तक मनाया जाता है इसकी शुरुआत छोटी होली से शुरू हो जाती है। इस दिन किसी बड़े पार्क या खुली जगह पर लकड़ियों को इकट्ठा कर जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। वहीं, इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी याद किया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु द्वारा हिरनाकश्यप पर की गई जीत के लिए भी याद किया जाता है। 

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अलग-अलग नाम से होती है होली

भारत में अलग-अलग राज्यों में इस पर्व की अलग ही छटां देखने को मिलती हैं। इस पर्व को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे धुलंडी व रंग होली आदि। इस पर्व को लेकर खास तौर पर बच्चों में अधिक उत्साह देखने को मिलता है। बच्चे इस दिन रंग और पानी के साथ होली खेलते हैं।

अलग-अलग तरह की होती है होली

भारत के विभिन्न राज्यों में अनूठे अंदाज में होली खेलने की परंपरा है। उत्तर प्रदेश में लठ मार होली खेली जाती है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों को डंडे से मारने का अधिकार दिया जाता है। वहीं, पुरुष को बचने के लिए एक ढाल दी जाती है। उत्तर भारत के राज्य हरियाणा में हंटर वाली होली खेलने का चलन है। इस होली में महिलाएं पुरुषों को कोड़े मारती है, जो कि कपड़े को गीले कर बनाए गए होते हैं। भारत में इस तरह से होली खेलने की परंपरा कई वर्षों से है।

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होली: रंगों का त्योहार पर निबंध | Essay on Holi : Festival of Colors in Hindi

an essay in hindi about holi

होली: रंगों का त्योहार पर निबंध | Essay on Holi : Festival of Colors in Hindi!

ADVERTISEMENTS:

होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है । यह मौज-मस्ती व मनोरंजन का त्योहार है। सभी हिंदू जन इसे बड़े ही उत्साह व सौहार्दपूर्वक मनाते हैं । यह त्योहार लोगों में प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करता है ।

होली अन्य सभी त्योहारों से थोड़ा हटकर है । इसका संदेश मौज-मस्ती से परिपूर्ण है। मानव समुदाय अपने समस्त दु:खों, उलझनों एवं संतापों को भुलाकर ही इस त्योहार को उसकी संपूर्णता के साथ मना सकता है । फाल्गुन की पूर्णिमा ही नहीं अपितु पूरा फाल्गुन मास होली के रंगों से सराबोर हो जाता है । होली का त्योहार ज्यों-ज्यों निकट आता जाता है त्यों-त्यों हम नए उत्साह से ओत-प्रोत होने लगते हैं ।

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होली का पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है । इस पर्व का विशेष धार्मिक, पौराणिक व सामाजिक महत्व है । इस त्योहार को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रसिद्‌ध है । प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक असुर राजा ने ब्रह्‌मा के वरदान तथा अपनी शक्ति से मृत्युलोक पर विजय प्राप्त कर ली थी ।

अभिमानवश वह स्वयं को अजेय समझने लगा । सभी उसके भय के कारण उसे ईश्वर के रूप मे पूजते थे परंतु उसका पुत्र प्रह्‌लाद ईश्वर पर आस्था रखने वाला था । जब उसकी ईश्वर भक्ति को खंडित करने के सभी प्रयास असफल हो गए तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को यह आदेश दिया कि वह प्रह्‌लाद को गोद में लेकर जलती हुई आग की लपटों में बैठ जाए क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था ।

परंतु प्रह्‌लाद के ईश्वर पर दृढ़-विश्वास के चलते उसका बाल भी बांका न हुआ बल्कि स्वयं होलिका ही जलकर राख हो गई । तभी से होलिका दहन परंपरागत रूप से हर फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है ।

होलिका दहन के दिन रंगों की होली होती है जिस दुल्हैड़ी भी कहा जाता है । इस दिन बच्चे, बूढ़े और जवान सभी आपसी वैर भुलाकर होली खेलते हैं । सभी होली के रंग में सराबोर हो जाते हैं । वे एक-दूसरे पर रंग डालते हैं तथा गुलाल लगाते हैं । ब्रज की परंपरागत होली तो विश्वविख्यात है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं ।

इस दिन चारों ओर रंग-बिरंगे चेहरे दिखाई पड़ते हैं । पूरा वातावरण ही रंगीन हो जाता है । दोपहर बाद सभी नए वस्त्र धारण करते हैं । अनेक स्थानों पर होली मिलन समारोह आयोजित किए जाते हैं । इसके अतिरिक्त लोग मित्रों व सबंधियों के पास जाकर उन्हें गुलाल व अबीर का टीका लगाते हैं तथा एक-दूसरे के गले मिलकर शुभकामनाएँ देते हैं ।

इस अवसर पर कई स्थानों पर हास्य कवि सम्मेलनों का आयोजन होता है जो इस पर्व की सार्थकता में चार चाँद लगा देता है । विभिन्न टी.वी. चैनल इनका प्रसारण कर अपने दर्शकों को आह्‌लादित करते

होली का त्योहार प्रेम और सद्‌भावना का त्योहार है परंतु कुछ असामाजिक तत्व प्राय: अपनी कुत्सित भावनाओं से इसे दूषित करने की चेष्टा करते हैं । वे रंगों के स्थान पर कीचड़, गोबर अथवा वार्निश आदि का प्रयोग कर वातावरण को बिगाड़ने की चेष्टा करते हैं ।

कभी-कभी शराब आदि का सेवन कर महिलाओं व युवतियों से छेड़छाड़ की कोशिश करते हैं । हमें ऐसे असामाजिक तत्वों से सावधान रहना चाहिए । आवश्यकता है कि हम सभी एकजुट होकर इसका विरोध करें ताकि त्योहार की पवित्रता नष्ट न होने पाए ।

होली का पावन पर्व यह संदेश लाता है की मनुष्य अपने ईर्ष्या, द्‌वेष तथा परस्पर वैमनस्य को भुलाकर समानता व प्रेम का दृष्टिकोण अपनाएँ । मौज-मस्ती व मनोरंजन के इस पर्व में हँसी-खुशी सम्मिलित हों तथा दूसरों को भी सम्मिलित होने हेतु प्रेरित करें । यह पर्व हमारी संस्कृतिक विरासत है । हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम मूल भावना के बनाए रखें ताकि भावी पीढ़ियाँ गौरवान्वित हो सकें ।

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Holi Essay in Hindi होली पर निबंध

Essay on holi in points.

1. होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। 2. होली जिसे “रंगो के त्योहार” के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और यह त्यौहार भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। 3. मंजीरा, ढोलक, मृदंग की ध्वनि से गूंजता रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है। 4. इस पर्व पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुन प्रमुख हैं। 5. लोग होली के कुछ महिनों पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं। 6. होली पर सभी संस्थान, संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है पर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। 7. होली पर सभी बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। बड़े भी बच्चे बन जाते हैं हम उम्र का चेहरा रंगों से ऐसे रंगते हैं की पहचानना मुश्किल हो जाता है वहीं बड़ों को गुलाल लगा उनका आशिर्वाद लेते हैं। 8. दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं और अपने पड़ोसी व मित्रों के घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामना देने जाते हैं। 9. अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलाकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं। 10. होली के एक दिन पहले गावं व शहरों के खुले क्षेत्र में होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह भगवान की असीम शक्ति का प्रमाण तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का ज्ञान कराती है। 11. होलिका दहन करने के बाद अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। 12. होली पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के चटकीले रंग, गुलाल, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगे विग (wig) से अपने स्टॉल को भर देते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। 13. भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। आज भी ब्रज की होली सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। लठमार होली जो कि बरसाने की है वो भी काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ पुरुषों को लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। 14. होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है।

Essay On Holi In Details

भूमिका :  होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। होली को बसंत का यौवन भी कहा जाता है। प्रकृति सरसों की पीली साड़ी पहनकर किसी की राह देखती हुई प्रतीत होती है। हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं। बसंत के मौसम में प्रकृति की सुन्दरता भी मनमोहक होती है।

जब सारी प्रकृति यौवन से सराबोर हो जाती है तो मनुष्य भी आनन्द से झूमने लगता है होली पर्व इसी का प्रतीक है। इस रंगीन उत्सव के समय पूरा वातावरण खुशनुमा हो जाता है। होली के त्यौहार को मनाने के लिए इस दिन स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में सरकारी छुट्टी होती है।

जिस तरह मुसलमानों के लिए ईद का त्यौहार, ईसाईयों के लिए क्रिसमस का त्यौहार जो महत्व रखता हैं उसी तरह हिन्दुओं के लिए भी होली के त्यौहार का बहुत महत्व होता है। होली का त्यौहार अब इतना प्रसिद्ध हो चुका है कि यह त्यौहार केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। भारत के अतिरिक्त बहुत से देशों में अब लोग होली का त्यौहार मनाने लगे हैं।

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बसंत का आगमन :  वसंत में जब प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूट पड़ता है तो होली का त्यौहार उसका श्रंगार करने आता है। होली एक ऋतू संबंधी त्यौहार है। शीतकाल की समाप्ति और ग्रीष्मकाल के आरम्भ इन दोनों ऋतुओं को मिलाने वाले संधि काल का पर्व ही होली कहलाता है। शीतकाल की समाप्ति पर किसान लोग आनन्द विभोर हो उठते हैं। उनका पूरी साल भर का किया गया कठोर परिश्रम सफल हो उठता है और उनकी फसल पकनी शुरू हो जाती है।

होली के त्यौहार को होलिकोत्सव भी कहा जाता है। होलिका शब्द से ही होली बना है। होलिका शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के होल्क शब्द से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ भुना हुआ अन्न होता है। प्राचीनकाल में जब किसान अपनी नई फसल काटता था तो सबसे पहले देवता को भोग लगाया जाता था इसलिए नवान्न को अग्नि को समर्पित कर भूना जाता था। उस भुने हुए अन्न को सब लोग परस्पर मिलकर खाते थे। इसी ख़ुशी में नवान्न का भोग लगाने के लिए उत्सव मनाया जाता था। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में इस परम्परा से होलिकोत्सव मनाया जाता है।

ऐतिहासिकता : होली के उत्सव के पीछे एक रोचक कहानी है जिसका काफी महत्व है। पुरातन काल में राजा हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका के अहंकार और हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद की भक्ति से ही इस उत्सव की शुरुआत हुई थी। हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा द्वारा वरदान स्वरूप बहुत सी शक्तियाँ प्राप्त हुई थीं जिनके बल पर वह अपनी प्रजा का राजा बन बैठा था।

कहा जाता है कि भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु का नाम लेता था। प्रहलाद का पिता उसे ईश्वर का नाम लेने से रोकता था क्योंकि वह खुद को भगवान समझता था। प्रहलाद इस बात को किसी भी रूप से स्वीकार नहीं कर रहा था। प्रहलाद को अनेक दंड दिए गये लेकिन भगवान की कृपा होने की वजह से वे सभी दंड विफल हो गए।

हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती थी। होलिका अपने भाई के आदेश पर प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर चिता पर बैठ गयी। भगवान की महिमा की वजह से होलिका उस चिता में चलकर राख हो गयी, लेकिन प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ था। इसी वजह से इस दिन होलिका दहन भी किया जाता है।

भगवान श्री कृष्ण से पहले यह पर्व सिर्फ होलिका दहन करके मनाया जाता था लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने इसे रंगों के त्यौहार में परिवर्तित कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन पूतना राक्षसी का वध किया था जो होली के अवसर पर उनके घर आई थी। बाद में उन्होंने इस त्यौहार को गोप-गोपिकाओं के साथ रासलीला और रंग खेलने के उत्सव के रूप में मनाया। तभी से इस त्यौहार पर दिन में रंग खेलने और रात्रि में होली जलाने की परम्परा बन गई थी।

होली दहन की विधि :  होली के दिन एक झंडा या कोई बड़ी डंडी को किसी सार्वजनिक स्थान पर गाडा जाता है। इस डंडे की पूजा कर उसके फेरे लगाकर मंगलकामना की जाती है और होली के मुहूर्त के समय इस डंडे को निकालकर इसके चारों तरफ लकड़ियाँ और उपले इकट्ठे किए जाते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार पूजा के बाद इन लकड़ियों में आग लगाई जाती है और राख से तिलक लगाया जाता है। इसे होलिका दहन का प्रतीक माना जाता है। इस आग में किसान अपने अपने खेत के पहले अनाज के कुछ दानों को सेकते हैं और सब में बांटते हैं। इसी से मिलन और भाईचारे की भावना जागृत होती है।

होली का उत्सव : होली दो दिन का त्यौहार होता है। होली की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। होली से पहली रात को होलिका दहन किया जाता है जिस पर घमंड और नकारात्मक प्रवृति का आहुति स्वरूप दहन किया जाता है। होलिका दहन से अगली सुबह फूलों के रंगों से खेलते हुए होली का शुभारम्भ किया जाता है। इस दिन को धुलेंडी भी कहा जाता है। इस दिन लोग एक-दुसरे पर रंग, गुलाल डालते हैं। होली को सभी लोग रंग-बिरंगे गुलाल और पानी में रंगों को घोलकर पिचकारियों से एक-दुसरे के उपर रंग डालकर प्रेम से खेलते हैं।

सडकों पर बच्चों, बूढों, लडकियों और औरतों की टोलियाँ गाती, नाचती, गुलाल मलती और रंग भरी पिचकारी छोडती हुई देखी जाती हैं। सबकों के दिलों में प्रसन्नता छाई रहती है। सारे देश में लोग अपनी-अपनी परम्परा से होली मनाते हैं, परन्तु सभी रंग द्वारा अपनी खुशी की अभिव्यक्ति करते हैं। छोटे बच्चे बड़ों को उनके पैरों में गुलाल डालकर प्रणाम करते हैं और बड़े छोटों को गुलाल से टिका लगाकर आशीर्वाद देते हैं। सभी लोग अपने प्रियजनों के घर जाकर पकवान खाते हैं और बधाईयाँ देते हैं। चारों दिशाएं खुशियों से सराबोर हो जाती हैं।

होली का महत्व : होली के दिन का हिन्दुओं में बहुत महत्व होता है। होली का त्यौहार दुश्मनों को भी दोस्त बना देता है। अमीर-गरीब, क्षेत्र, जाति, धर्म का कोई भेद नहीं रहता है। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंगों के साथ खेलते हैं। दूर रहने वाले दोस्त भी इस बहाने से मिल जाते हैं।

इस दिन सभी लोग अपनी नाराजगी, गम और नफरत को भुला कर एक-दूसरे के साथ एक नया रिश्ता बनाते हैं। समाज में बेहतर गठन के लिए होली की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। होली का त्यौहार अपने साथ बहुत से संदेश लाता है। होली का त्यौहार हमें भेदभाव और बुराईयों से दूर रहने की सलाह देता है।

मनोवैज्ञानिक दृष्टि : आनन्द का सरोवर व खुशी का खजाना सबके अंत:करण में विद्यमान है, परन्तु वह कुछ बाह्य शिष्टाचार के बंधनों की वजह से पूर्ण-रूपेण व्यक्त नहीं हो पाता है। जब वे बंधन टूट जाते हैं तो खुशी का खजाना फुट जाता है हम एक अतुलित आनन्द की अनुभूति करते हैं। होली के पीछे यही मनोवैज्ञानिक नियम समाविष्ट है, उसमें हम शिष्टाचार के बंधन तोड़ कर एक-दुसरे पर रंग बिखेरते हैं। शब्दों द्वारा कुछ कहकर, खुद नाचकर, गाकर अपने अंत:करण की खुशियाँ व्यक्त करते हैं।

प्रेम और एकता का प्रतीक : होली ही एक ऐसा त्यौहार है जिसमें हम शिष्टाचार के बंधन तोडकर छोटे-बड़े, वृद्ध-बाल, राजा-रंक एक दुसरे का विविध तरीके से उपहास करते हैं, मिलकर गाते हैं, नाचते हैं। होली के इस त्यौहार में हर कोई एकता में बंध जाता है। इस दिन बुरा मानना अनुचित समझा जाता है लेकिन बुरा कहने में कोई रोक नहीं होती है। व्यक्ति एक-दुसरे से गले मिलते हैं और अपने ह्रदय की खुशियों को पूर्ण-रूपेण बिखेर देते हैं । मानो इससे मेल व प्रेम का स्त्रोत बहने लगता है।

आधुनिक दोष : इतनी खुशियों के त्यौहार में  भी कई लोग शराब पीकर और नशे में चूर होकर लड़ाई-झगड़े पर उतर जाते हैं। कई स्थानों पर अपनी शत्रुता का बदला लेने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग किया जाता है। जिसका फल यह होता है कि रंग का त्यौहार रंज के त्यौहार में बदल जाता है। प्रेम, दुश्मनी में बदल जाता है जिसे कहते हैं रंग में भंग होना।

लेकिन यह स्थिति कहीं-कहीं पर ही होती है। वास्तव में होली का त्यौहार बड़ा ही ऊँचा दृष्टिकोण लेकर प्रचलित हुआ है। लेकिन आज के लोगों ने इसका रूप ही बिगाड़ दिया है। सुंदर और कच्चे रंगों की जगह पर बहुत से लोग काली स्याही और तवे की कालिख का प्रयोग करते हैं।

कुछ मूढ़ लोग तो एक-दुसरे पर गंदगी भी फेंकते हैं। उत्सव के आयोजकों द्वारा इन बुराईयों को कम किया जाना चाहिए। जो लोग होली के महत्व को समझ नहीं पाते हैं वो ही ऐसा करते हैं।

उपसंहार : होली मेल, एकता, प्रेम, खुशी व आनन्द का त्यौहार है। इसमें एक बुजुर्ग या प्रतिष्ठित व्यक्ति भी सबके बीच नाचते हुए दिखाई देते हैं। इस दिन की खुशी नस-नस में नया खून प्रवाहित कर देती है। बाल-वृद्ध सभी में एक नई उमंगें भर जाती हैं। सभी के मन से निराशा दूर हो जाती है।

इस दिन छोटे-बड़ों के गले मिलकर उन्हें एकता का उदाहरण देना चाहिए। असली अर्थों में होली का त्यौहार मनाना तभी सार्थक हो पायेगा। नहीं तो नफरत, द्वेष, और विषमता के रावण को जलाये बिना कोरी लडकियों की होली को जलाना व्यर्थ होता है। जब हम त्यौहारों की रक्षा के लिए जागरूक रहेंगे तभी अपने त्यौहारों का अतुल आनन्द प्राप्त कर सकते हैं।

होली खेलने के लिए लोग ज्यादातर रंगों का प्रयोग करते हैं हमें रंगों के स्थान पर गुलाल का प्रयोग करना चाहिए। रंग त्वचा और आँखों के लिए हानिकारक होते है लेकिन गुलाल बहुत ही सुरक्षित होते हैं उनसे ऐसा कुछ होने का डर नहीं रहता है। अगर कोई रंग नहीं लगवाना चाहता हो तो उसके साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।

Essay On Holi In English

Bhumika :  Holi basant ka ek ullasamaya parv hai. Holi ko basant ka yauvan bhi kaha jata hai. Prakrati sarson ki pili saree pahankar kisi ki raah dekhti huyi pratit hoti hai. Hamare purvajon me bhi Holi tyauhar ko aapsi prem ka pratik mana jata hai. Ismen sabhi chhote-bade log milkar purae bhedbhavon ko bhula dete hain. Holi rang ka tyauhar hota hai or rang aannad pryay hote hain. Basant ke mausam me prakrati ki sundarta bhi manmohak hoti hai.

Jab sari prakrati yauvan se sarabor ho jati hai to manushya bhi aanand se jhumne lagta hai Holi parv isi ka pratik hai. Is rangin utsav ke samay pura vatavaran khushnuma ho jata hai. Holi ke tyauhar ko manane ke liye is din school, college or daftaron me sarkari chhutti hoti hai.

Jis tarah musalmanon ke liye Eid ka tyauhar, yisayiyon ke liye Crissmus ka tyauhar jo mahatva rakhta hai usi tarah hinduon ke liye bhi Holi ke tyauhar ka bahut mahatva hota hai. Holi ka tyauhar ab itna prasiddh ho chuka hai ki yah tyauhar keval Bharat me hi nhin balki videshon me bhi lokpriya hota ja raha hai. Bharat ke atirikt bahut se deshon me ab log Holi ka tyauhar manane lage hain.

Basant ka aagman :  Basant me jab prakrati ke ang-ang me yauvan foot padta hai to Holi ka tyauhar uska shrangar karne aata hai. Holi ek ritu sambndhi tyauhar hai. Sheetkaal ki samapti or grishmkaal ke aarambh in donon rituon ko milane vale sandhi kaal ka parv hi Holi kahlata hai. Sheetkaal ki samapti par kisan log aanand vibhor ho uthte hain. unka puri saal bhar ka kiya gaya kathor parishran safal ho uthta hai or unki fasal pakni shuru ho jati hai.

Holi ke tyauhar ko Holikotsav bhi kaha jata hai. Holika shabd se hi Holi bana hai. Holika shabd ki utpatti Sanskrat ke holk shabd se huyi hai jiska arth bhuna huaa ann hota hai. Prachinkaal me jab kisan apni nayi fasal katta tha to sabse pahle devta ko bhog lagaya jata tha isliye navanna ko agni ko samarpit kar bhuuna jata tha. us bhune huye ann ko sab log paraspar milkar khate the. Isi khushi me navann ka bhog lagane ke liye utsav manaya jata tha. Aaj bhi gramin kshetron me is prampara se holikotsav manaya jata hai.

Aetihasikta :  Holi ke utsav ke piche ek rochak kahani hai jiska kafi mahatva hai. Puratan kaal me Raja Hiranyakashyap or uski bahan Holika ke ahamkar or Hiranyakashyap ke putra Prahlad ki bhakti se hi is utsav ki shuruaat huyi thi. Hiranyakashyap ko Brahma dvara vardan svarup bahut si shaktiyan prapt huyi thi jinke bal par vah apni praja ka raja ban baitha tha.

Kaha jata hai ki bhakt Prahlad bhagvan Vishnu ka name leta tha. Prahlad ka pita use yishvar ka name lene se rokta tha kyonki vah khud ko bhagvan samajhta tha. Prahlad is baat ko kisi bhi rup se svikaar nhin kar raha tha. Prahlad ko anek dand diye gaye lekin bhagvan ki krapa hone ki vajah se ve sabhi dand vifal ho gaye.

Hiranyakashyap ki ek bahan thi jiska name Holika tha. Holika ko yah vardan prapt tha ki use agni jala nhin sakti thi. Holika apne bhai ke aadesh par Prahlad ko apni god me lekar chita par baith gayi. Bhagvan ki mahima ki vajah se Holik us chita me jalkar rakh ho gayi, lekin Prahlad ko kuch nhin huaa tha. Isi vajah se is din Holika dahan bhi kiya jata hai.

Bhagvan Shree Krishna se pahle yah parv sirf holika dahan karke manaya jata tha lekin bhagvan Shree Krishna ne ise rangon ke tyauhar me parivartit kar diya. Bhagvan Shree Krishna ne is din Putna Rakshasi ka vadh kiya tha jo Holi ke avsar par unke ghar aayi thi. Baad me unhone is tyauhar ko gop-gopikaon ke sath rasleela or rang khelne ke utsav ke rup me manaya. Tabhi se is tyauhar par din me rang khelne or ratri me holi jalane ki parampara ban gayi thi.

Holika dahan ki vidhi :  Holi ke din ek jhanda ya koyi badi dandi ko kisi sarvjanik sthan par gadha jata hai. Is dande ki pooja kar uske fere lagakar mangalkamna ki jati hai or Holi ke muhurt ke samay is dande ko nikalkar iske charon taraf lakdiyan or uple ikatthe kiye jate hain. Hindu Dharm ke anusar pooja ke baadin lakdiyon me aag lagayi jati hai or rakh se tilak bhi lagaya jata hai. Ise holika dahan ka pratik mana jata hai. Is aag me kisan apne apne khet ke pahle anaj ke kuch danon ko sekte hain or sab me bantte hain. Isi se milan or bhayichare ki bhavna jagrat hoti hai.

Holi ka utsav :  Holi do din ka tyauhar hota hai. Holi ki taiyariyan kayi din pahle se hi shuru ho jati hain. Holi se pahli raat ko hilika dahan kiya jata hai jis par ghamand or nakaratmak pravrati ka aahuti svarup dahan kiya jata hai. Holika dahan se agli subah fulon ke rangon se khelte huye Holi ka shubharambh kiya jata hai. Is din ko Dhulendi bhi kaha jata hai. Is din log ek-dusre par rang, gulal dalte hain. Holi ko sabhi log rang-birange gulal or pani me rangon ko gholkar pichkariyon se ek-dusre ke upar rang dalkar prem se khelte hain.

Sadakon par bacchon, budhon, ladkiyon or auraton ki toliyan gaati, nachti, gulal malti or rang bhari pichkari chodti huyi dekhi jati hain. Sabke dilon me prasannta chhayi rahti hai. Sare desh me log apni-apni parampara se Holi manate hain, parantu sabhi rang dvara apni khushi ki abhivyakti karte hain. Chhote bacche badon ko unke pairon me gulal dalkar pranam karte hain or bade chhoton ko gulal se teeka lagakar aashirvad dete hain. Sabhi log apne priyajanon ke ghar jakar pakvaan khate hain or badhayiyan dete hain. Charon dishayen khushiyon se sarabor ho jati hain.

Holi ka mahatva : Holi ke din ka hinduon me bahut mahatva hota hai. Holi ka tyauhar dushmanon ko bhi dost bana deta hai. Ameer-garib, kshetra, jaati, dharm ka koyi bhed nhin rahta hai. Is din log ek-dusre ke ghar jate hain or rangon ke sath khelte hain. Door rahne vale dost bhi is bahane se mil jate hain.

Is din sabhi log apni narajgi, gam or nafrat ko bhula kar ek-dusre ke sath ek naya rishta banate hain. Samaj me behtar gathan ke liye Holi ki bahut hi mahatvapurn bhumika hai. Holi ka tyauhar apne sath bahut se sandesh lata hahi. Holi ka tyauhar hamen bhedbhav or burayiyon se door rahne ki salah deta hai.

Manovaigyanik Drashti :  Aanand ka sarovar va khushi ka khajana sabke antahkaran me vidyaman hai, parantu vah kuch bahay shishtachar ke bandhanon ki vajah se purn-rupen vyakt nhin ho pata hai. Jab ve bandhan tut jate hain to khushi ka khajana foot jata hai ham ek atulit aanand ki anubhuti karte hain. Holi ke pichhe yahi manovaigyanik niyam samavisht hai, usmen ham shishtachar ke bandhan tod kar ek-dusre par rang bikherte hain. Shabdon dvara kuch kahkar, khud nachkar, gakar apne antahkaran ki khushiyan vyakt karte hain.

Prem or ekta ka pratik :  Holi hi ek aesa tyauhar hai jismen ham shishtachar ke bandhan todkar chhote-bade, vraddh-baal, raja-rank ek dusre ka vividh tarike se uphas karte hain, milkar gaate hain, nachte hain. Holi ke is tyauhar me har koyi ekta me bandh jata hai. Is din bura manna anuchit samjha jata hai lekin bura kahne me koyi rok nhin hoti hai. Vyakti ek-dusre se gale milte hain or apne hradya ki khushiyon ko purn-rupen bikher dete hain. Mano isse mel va prem ka strot bahne lagta hai.

Aadhunik dosh :  Itni khushiyon ke tyauhar me bhi kayi log sharab pikar or nashe me choor hokar ladayi-jhagde par utar jate hain. Kayi sthanon par apni shatruta ka badla lene ke liye anuchit sadhanon ka prayog kiya jata hai. Jiska fal yah hota hai ki rang ka tyauhar ranj ke tyauhar me badal jata hai. Prem, dushmani me badal jata hai jise kahte hain rang me bhang hona.

Lekin yah sthiti kahin-kahin par hi hoti hai. Vastav me Holi ka tyauhar bada hi uncha drashtikon lekar prachlit huaa hai. Lekin aaj ke logon ne iska rup hi bigad diya hai. Sundar or kachhe rangon ki jagah par bahut se log kali syahi or tave ki kalikh ka prayog karte hain.

Kuch mudh log to ek-dusre par gandgi bhi fenkte hain. Utsav ke aayojakon dvara in burayiyon ko kam kiya jana chahiye. Jo log Holi ke mahatva ko samajh nhin pate hain vo hi aesa karte hain.

Upsanhar : Holi mel, ekta, prem, khushi va aanand ka tyauhar hai. Ismen ek bujurg ya pratishthit vyakti bhi sabke beech nachte huye dikhayi dete hain. Is din ki khushi nas-nas me naya khun pravahit kar deti hai. Baal-vraddh sabhi me ek nayi umangen bhar jati hia. Sabhi ke man se nirasha door ho jati hai.

Is din chhote-badon ke gale milkar unhen ekta ka udaaharan dena chahiye. Asli arthon me Holi ka tyauhar manana tabhi sarthak ho payega. Nhin to nafrat, dvesh, or vishmata ke Ravan ko jalaye bina kori lakdiyon ki Holi ko jalana vyarth hota hai. Jab ham tyauharon ki raksha ke liye jagruk rahenge tabhi apne tyauharon ka atul aanand prapt kar sakte hain.

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Nibandh

होली पर निबंध

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रुपरेखा : आनंद, उल्लास का पर्व - होली 2022 - मदनोत्सव के रूप में वर्णन - समाज में प्रचलित कथाएँ - होलिका दहन और होली मिलन - आधुनिक युग में प्रदर्शन मात्र - उपसंहार।

भारतीय पर्व परम्परा में होली आनन्दोल्लास का सर्वश्रेष्ठ रसोत्सव है। मुक्त, स्वच्छन्द परिहास का त्यौहार है । नाचने- गाने, हँसी-ठिठोली और मौज-मस्ती की त्रिवेणी है। सुप्त मन की गुफाएं में पड़े ईर्ष्या-द्वेष जैसे निकृष्ट विचारों को निकाल फेंकने का सूंदर अवसर माना जाता है। होली वसंत ऋतु का यौवनकाल है। ग्रीष्म के आगमन की सूचक है। वनश्री के साथ-साथ खेतों की श्री एवं हमारे तन-मन की श्री भी फाल्गुन के ढलते-ढलते सम्पूर्ण आभा में खिल उठती है। इसीलिए होली पर्व को आनंद, उल्लास का पर्व कहा जाता है।

वर्ष 2022 में होली का त्यौहार 18 मार्च, शुक्रवार के दिन खूब रंगो के साथ मनाई जाएगी।

दशकुमार चरित में होली का उल्लेख 'मदनोत्सव' के नाम से किया गया है। वैसे भी, वसंत काम का सहचर है। इसलिए कामदेव के विशेष पूजन का विधान है। कहीं फाल्गुन शुक्ल द्वादशी से पूर्णिमा तक, कहीं चैत्र शुक्ल द्वादशी से पूर्णिमा तक मदनोत्सव का विधान है। आमोद-प्रमोद और उल्लास के अवसर पर मन की अमराई में मंजरित इस सुख सौरभ का अपना स्थान है। व्यापनशील विष्णु और शोभा-सौंदर्य की अधिष्ठात्री लक्ष्मी के पुत्र हैं । इसका तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर दो चेतनाएँ होती हैं, एक आत्मविस्तार की और दूसरी अपनी ओर खींचने की। दोनों का सामंजस्य होता है तो काम जन्म लेता है। एक निराकार उत्सुकता जन्म लेती है। वह उत्सुकता यदि बिना किसी तप के आकार लेती है तो अभिशप्त होती है और अपने को छार करके आकार ग्रहण करे तो भिन्न होती है।

होली के साथ अनेक दंत-कथाओं का संबंध जुड़ा हुआ है। पहली कथा है प्रहलाद और होलिका की | प्रहलाद के पिता हरिण्यकशिपु नास्तिक थे और वे नहीं चाहते थे कि उनके राज्य में कोई ईश्वर की पूजा ना करे, किन्तु स्वयं उनका पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था। अनेक कष्ट सहने के बाद भी जब उसने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी, तब उसके पिता ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद के साथ आग में बैठने को कहा। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। अग्नि ज्वाला में होलिका प्रहलाद को लेकर बैठी। परंतु परिणाम उल्टा निकला। होलिका आग में जल गई और प्रहलाद सुरक्षित बाहर आ गए। दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार ठुण्डा नामक राक्षसी बच्चों को पीड़ा पहुँचाती तथा उनकी मृत्यु का कारण बनती थी। एक बार वह राक्षसी पकड़ी गई। लोगों ने क्रोध में उसे जीवित जला दिया। इसी घटना की स्मृति में होली के दिन आग जलाई जाती है। भारत कृषि प्रधान देश है। होली के अवसर पर पकी हुई फसल काटी जाती है । खेत की लक्ष्मी जब घर के आँगन में आती है तो किसान अपने सुनहले सपने को साकार पाता है । वह आत्म-विभोर हो नाचता है, गाता है।

फाल्गुन पूर्णिमा होलिका दहन का दिन है। लोग घरों से लकड़ियाँ इकट्ठी करते हैं। अपने-अपने मुहल्ले में अलग-अलग होली जलाते हैं । होली जलाने से पूर्व स्त्रियाँ लकड़ी के ढेर को उपलों का हार पहनाती हैं, उसकी पूजा करती हैं और रात्रि को उसे अग्नि की भेंट कर देते हैं। लोग होली के चारों ओर खूब नाचते और गाते हैं तथा होलो की आग में नई फसल के अनाज की बाल को भून कर खाते हैं। होली से अगला दिन धुलेंडी का है। फाल्गुन की पूर्णिमा के चन्द्रमा की ज्योत्स्ता, वसंत को मुस्कराहट, परागी फगुनाहट, फगुहराओं की मौज-मस्ती, हँसी-ठिठोली, मौसम की दुंदभी बजाती धुलेंडी आती है। रंग भरी होली जीवन की रंगीनी प्रकट करती है। मुँह पर अबीर-गुलाल, चन्दन या रंग लगाते हुए गले मिलने में जो मजा आता है, मुँह को काला- पीला रंगने में जो उल्लास होता है, रंग भरी बाल्टी एक दूसरे पर फेंकने में जो उमंग होती है, निशाना साधकर पानी- भरा गुब्बारा मारने में जो शरारत की जाती है, वे सब जीवन की सजीवता प्रकट करते हैं।

आज होली उत्सव में शील और सौहारद्द्र संस्कारों की विस्मृति से मानव आचरण में चिंतनीय विकृतियों का समावेश हो गया है। गंदे और अमिट रासायनिक लेपों, गाली- गलौज, अश्लील गान और आवाज-कसी एवं छेड़छाड़ ने होली की धवल-फाल्गुनी, पूर्णिमा पर ग्रहण की गर्हित छाया छोड़ दी है, जिसने पर्व की पवित्रता और सत् संदेश की अनुभूति को तिरोहित कर दिया है। आज होली परम्परा-निर्वाह की विवशता का प्रदर्शन-मात्र रह गया है। कहीं होली की उमंग तो दीखती नहीं, शालीनता की नकाब चढ़ी रहती है। उल्लास दुमका रहता है। नशे से उल्लास की जाग्रति का प्रयास किया जाता है। आज का मानव अर्थ चक्र में दबा हुआ उससे त्रस्त है। भागते समय को वह समय की कमी के कारण पकड़ नहीं पाता। इसलिए आनंद, हर्ष, उल्लास, विनोद, उसके लिए दूज का चन्द्रमा बन गये हैं। इस दम घोटू वातावरण में होली-पर्व चुनौती है। इस चुनौती को स्वीकार करें। मंगलमय रूप में हास्य, व्यंग्य-विनोद का अभिषेक करें।

बच्चों का सबसे पसंदिता त्योहार है होली। चहुँ ओर अबीर-गुलाल, रंग भरी पिचकारी और गुब्बारों से बच्चों तथा बड़ों मग्न हो जाते है। छोटे-बड़े, नर-नारी, सभी होली के रंग में रंगे रहते है । डफ-ढोल, मृदंग के साथ नाचती-गांती, हास्य-रस की फुब्वारें छोड़ती, परस्पर गले मिलती, वीर बैन उच्चारती, आवाजें कसती, छेड़छाड़ करती टोलियाँ दोपहर तक होली के प्रेमानन्द में डूबी रहती हैं। सचमुच होली भारत का सबसे रंगीन त्योहार है।

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होली पर निबंध

Essay on Holi in Hindi: होली भारत में मनाए जाने वाला एक ऐसा पर्व है, जिसे भारत के संपूर्ण राज्यों में बड़ी ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली को एक अन्य नाम रंगीला त्यौहार से भी जाना जाता है।

होली के दिन सभी लोग अपनी दुश्मनी को भूल कर के एक दूसरे को रंग लगाते हैं और उनसे गले मिलते हैं। आज किस दिन दुश्मन लोग भी एक मित्र की तरह रहना पसंद करते हैं।

essay on holi in hindi

यहां पर अलग अलग शब्द सीमा में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) शेयर कर रहे हैं, जो हर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए लाभदायक है।

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होली पर निबंध 150 शब्दों में

होली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे भारत समेत दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। होली का त्योहार बसंत पंचमी के आगमन का प्रतीक होता है। यह त्योहार हर साल फागुन महीने के बसंत पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

रंगों का यह त्यौहार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है और पंचमी तक रहता है, इसलिए पांचवें दिन को रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है।

होली के 1 दिन पहले संध्या को होलिका दहन होता है, जिसमें सभी लोग लकड़ियों को इकट्ठा करके उसका ढेर बनाते हैं और होलिका दहन करके बुराई का अंत करते हैं। दूसरे ही दिन सुबह लोग एक दूसरे को रंग अबीर लगाते हैं और होली की बधाई देते हैं।

होली के दिन सभी के घर पर स्वादिष्ट व्यंजन भी बनते हैं। लोग एक दूसरे के घर पर जाते हैं, अबीर का टीका लगाकर एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं। इस दिन गाना बजाना भी होता है।

होली का त्योहार आपसी मनमुटाव को दूर करके एकजुट होने का त्यौहार है। इस दिन लोग अपने जात-धर्म, रंग, अमीरी-गरीबी सब कुछ भूल करके एक सामान्य मनुष्य की तरह रंगों के इस त्यौहार में डूब जाते हैं।

होली पर निबंध 200 शब्दों में

होली का त्योहार भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। लेकिन अन्य धर्म के लोग भी इस त्यौहार को मना कर आनंद बटोरते हैं।

होली का त्योहार हर साल फागुन महीने के पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का त्योहार दो दिन का होता है। होली के 1 दिन पहले संध्या में होलिका दहन होता है और उसके दूसरे ही दिन धूलैंडी का त्यौहार मनाया जाता है।

धुलैंडी के दिन लोग सुबह उठकर सफेद कपड़े पहनते हैं और एक दूसरे को रंग लगाते हैं। गाना बजाना होता है, मौज मस्ती होती है। लोग भांग मिलाकर ठंडी छाछ पीते हैं। मीठे के रूप में इस दिन गुजिया व्यंजन काफी ज्यादा प्रसिद्ध है, जो सबके घर पर बनता है।

शाम के समय नहा धोकर नए कपड़े पहन कर लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और अभी को टिका लगाकर एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं।

हर एक हिंदू त्योहारों की तरह होली त्यौहार को मनाने के पीछे भी एक प्रचलित पौरानीक कथा है और यह कथा राक्षस हिरणकश्यप से जुड़ा हुआ है।

कहा जाता है इसी दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर राक्षस हिरणकश्यप का वध करके असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म का विजय प्राप्त की थी। होली का त्योहार देश के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।

हालांकि इस त्यौहार को मनाने का तरीका भले ही अलग हो लेकिन हर जगह इस त्यौहार को रंगों से ही मनाया जाता है। होली का त्योहार प्रेम और भाईचारा को फैलाने का त्यौहार है। यह त्यौहार सद्भाव और खुशहाली लाता है। आपसी शत्रुता को भुलाकर मित्रता स्थापित करता है।

होली पर निबंध 250 शब्दों में

होली रंग बिरंगा त्यौहार है क्योंकि यह रंगों का त्यौहार है, इस दिन रंगों से खेला जाता है। एक दूसरे को रंग लगाया जाता है, इसीलिए इसे रंगोत्सव भी कहा जाता है। होली का त्यौहार फागुन महीने के पूर्णिमा को मनाया जाता है।

इससे सर्दियों का अंत हो जाता है और ऋतुराज बसंत का आगमन होता है। होली के त्यौहार के बाद चारों ओर खेतों में सरसों के पीले फूल दिखने लगते हैं, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, प्रकृति का रंगीन वातावरण लोगों में नई उमंग ले आता है।

प्यार भरे रंगों से सजाया यह त्यौहार सामाजिक महत्व रखता है। क्योंकि यह त्यौहार सभी लोगों के बीच भाई चारा का संदेश देता है। लोग अपने पुराने गिले शिकवे भूल जाते हैं और एक दूसरे को गले लगा कर फिर से दोस्त बन जाते हैं।

इसलिए यह त्यौहार दोस्ती का त्यौहार है। यह त्योहार न केवल हिंदू धर्म के लोग बल्कि अन्य धर्म के लोग भी मनाते हैं।

होली के पूर्व संध्या पर होलिका दहन विशेष महत्व रखता है। होलिका दहन अधर्म पर धर्म के विजय का प्रतीक है। होलिका दहन करके लोग असत्य पर सत्य के विजय का संदेश देते हैं और अगले दिन एक दूसरे को रंग लगा के आपसी मतभेद को भुला देते हैं।

इस दिन सभी के घर पर अच्छे-अच्छे पकवान बनते हैं। सुबह रंगों से होली खेलकर शाम के समय एक दूसरे के घर जाकर अबीर से टीका लगाते हुए एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं। 1 दिन की होली का त्योहार लोगों में एक महीने पहले से ही उत्साह ला देता है।

होली पर निबंध 300 शब्दों में

होली का त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार फागुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह हर साल आमतौर पर मार्च के महीने में ही आता है। होली को वसंत ऋतु का आगमन माना जाता है।

यह त्यौहार आपसी प्रेम, एकता को स्थापित करने और आनंद भरे जीवन का आनंद लेने की शिक्षा देता है। सभी हिंदू त्यौहार की तरह ही होली त्यौहार को मनाने के पीछे भी कई सारी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है। लेकिन इसकी एक प्रचलित कथा सतयुग से जुड़ा हुआ है।

इस कथा के अनुसार सतयुग में हिरणकश्यप नाम का एक राक्षस हुआ करता था, जिसका बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह अपने बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से मन करता है लेकिन प्रहलाद अपने पिता की बात नहीं सुनता है।

तब हिरण कश्यप प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद लेता है। होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाती है। होलिका को वरदान के रूप में चुनरी मिली होती है, जिसे ओढ़ कर अग्नि में बैठने से अग्नि उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकता।

लेकिन भगवान की कृपा से उस दिन होलिका की ओढनी उड़ जाती है, जिससे वह अग्नि में जलकर राख हो जाती हैं और प्रहलाद भगवान की कृपा से बच जाते हैं।

उसी दिन भगवान विष्णु नरसिंह का अवतार लेकर हिरण कश्यप का वध करते हैं और अधर्म पर धर्म का विजय स्थापित करते हैं। उसी दिन से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है।

होली के 1 दिन पहले संध्या को शहर गांव के मुख्य चौराहे पर लकड़ी को इकट्ठा करके होलिका दहन करते हैं, जिसमें गांव के लोग, शहर के लोग इकट्ठा होकर चारों तरफ परिक्रमा करते हैं, अग्नि देव को जल अर्पित करते हैं।

होलिका दहन होने के दूसरे दिन को धुलैंडी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुलाल और अबीर से लोग एक दूसरे को रगंते हैं। बच्चे गुबारे में पानी भरकर एक दूसरे के ऊपर फेंकते हैं, पिचकारी से एक दूसरे के ऊपर रंग लगाते हैं।

पहले होली का त्यौहार एक पवित्र और आनंदमय पर्व हुआ करता था। लेकिन आज के समय में होली का रूप विकृत होते जा रहा है। आज के लोग इस त्यौहार को आनंद और खुशी के उद्देश्य से ना खेलकर अलग ही मकसद से बना खेलते हैं।

आजकल होली में शोषण, दरिंदगी, आतंकवाद के मामले ज्यादा देखे जाते हैं। लोग प्राकृतिक रंगों के बजाय केमिकल युक्त रंगों का इस्तेमाल करके एक दूसरे को नुकसान पहुंचाते हैं। युवा अत्यधिक मदिरा का सेवन करती है।

इस तरह के हरकतों से लोग होली के पावन महत्व को कम कर देते हैं। लेकिन सभी को होली के महत्व को समझते हुए एक साथ मिलकर प्रेम, खुशी और एकता से इस पर्व को मनाना चाहिए ताकि एक दूसरे की प्रती सद्भाव विकसित हो सके।

होली पर निबंध 500 शब्दों में

होली का त्योहार रंगों का त्यौहार होता है। हर साल यह त्यौहार फागुन महीने के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जित और अधर्म पर धर्म के विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के उन तमाम देशों में इस त्यौहार को मनाया जाता है, जहां पर हिंदू लोग रहते हैं। होली त्यौहार का लुफ्त उठाने के लिए हर साल विदेश से भी लोग फागुन महीने में भारत घूमने आते हैं।

होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

होली के पूर्व संध्या पर होलिका दहन होता है। होलिका दहन अधर्म पर धर्म के विजय का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए हर साल होली के एक दिन पहले संध्या में होलिका दहन किया जाता है और लोगों को असत्य पर सत्य के विजय की शिक्षा दी जाती हैं।

होलिका दहन के लिए गली मोहल्ले के लोग लड़कियां लाकर चौराहे पर इकट्ठा करते हैं। उसके बाद संध्या काल में शुभ समय में होलिका दहन होता है। उस समय गांव शहर की औरतें होलिका दहन वाले स्थान पर पहुंचती है। वे थाली में पूजा के लिए कुछ सामग्री और एक लोटे में जल लेकर आती है।

सभी लोग होली को अर्घ्य देते हुए चारों ओर परिक्रमा करते हैं। होलिका दहन के समय नव विवाहित जोड़े भी परिक्रमा करते हैं, इससे कहा जाता है कि बुरी आत्माएं और बुरी नजर उनसे दूर रहती है।

होलिका दहन के दूसरे दिन सुबह धूलैंडी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन रंग और अबीर का दिन होता है। पूरे दिन लोग रंगों से खेलते हैं, एक दूसरे पर रंग डालते हैं। बच्चे पिचकारी और बैलून में रंग भर के एक दूसरे पर फेंकते हैं। चारों तरफ लोग हर्ष और उल्लास के रंग में रंगे होते हैं।

दोपहर तक रंगों से होली खेलने के बाद लोग नहा धोकर साफ सुथरे कपड़े पहनते हैं और फिर उनके घर पर बने हुए पकवान खाते हैं। इस दिन गुजिया, पोरन पोली, दही वड़ा जैसे कुछ व्यंजन काफी प्रचलित है।

इस दिन लोग भांग मिला हुआ ठंडा छाछ भी पीते हैं। शाम के समय लोग एक दूसरे के घर पर जाकर अबीर से टीका लगाते हैं और आपसी मतभेद को भूलकर गले मिलते हैं।

होली के विभिन्न रूप

भारत विभिन्नताओं में एकता वाला देश है। यहां पर हर एक राज्य में रहने वाले लोगों का रहन-सहन, खान पान सब कुछ अलग होता है। ऐसे में उनके त्यौहार को मनाने के तरीके भी अलग होते हैं।

होली के त्यौहार भी भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। जहां वृंदावन और मथुरा की लठमार होली प्रसिद्ध है तो वहीं गुजरात, महाराष्ट्र की मटकी फोड़ होली प्रसिद्ध है।

देश के हर कोने में अलग-अलग नाम से और अलग-अलग तरीके से होली के त्यौहार को मनाया जाता है लेकिन चारों तरफ एक समान हर्ष और उल्लास होता है।

आज के समय में होली का महत्व

भारत में हर एक त्यौहार का अपना ही महत्व है। होली का विशेष महत्व है क्योंकि होली न केवल रंगों का त्यौहार है बल्कि यह खुशियों का रंग फैलाता है। होली का त्यौहार जात-धर्म, रंगभेद, उच्च नीच सब कुछ भूला कर एक दूसरे को इंसान के रूप में देखना सीखाता है।

यह त्यौहार शत्रुता भूलाकर मित्रता स्थापित करने का त्यौहार है। लेकिन आज के इस बदलते दौर में लोगों के लिए त्यौहार को मनाने का तरीका और उनकी नजर में त्यौहार की महत्वता भी बदलता जा रहा है।

आज की युवा पहले की तरह सांस्कृतिक त्योहारों में रुचि नहीं रखते हैं, उनका क्रेज और इंटरेस्ट टेक्नोलॉजी और पार्टी की तरफ ज्यादा बढ़ रहा है। जिसके कारण वे त्योहारों को भी पार्टी समझते हैं। इन सब चीजों ने होली जैसे त्यौहार को भी अभद्र आकर दे दिया है।

जहां इस त्यौहार में खुशियों का रंग लगाना चाहिए तो लोग अपने मौज मस्ती के लिए केमिकल रंगों का इस्तेमाल करके दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं त्यौहार के बहाने दरिंदगी, छेड़खानी जैसे ना जाने कितने ही अभद्र घटनाएं घटित होती है।

त्योहार को हर्ष उल्लास, खुशी और आनंद के उद्देश्य से मनाया जाता है। होली का त्यौहार भी एक दूसरे की शत्रुता को भुलाकर गले मिलने और एकता स्थापित करने का दिन होता है।

किसी को भी अपने मतलब के लिए, अपने स्वार्थ के लिए, अपने मौज मस्ती के लिए किसी और के त्यौहार को खराब नहीं करना चाहिए। होली का त्योहार रंगों का त्यौहार है तो इस रंग के त्यौहार में अपनों के जीवन में खुशी के रंग लाने की कोशिश करें।

यहां पर होली पर निबंध (holi essay in hindi) अलग अलग शब्द सीमा में शेयर किये है। उम्मीद करते हैं आपको यह निबन्ध पसंद आये होंगे, इन्हें आगे शेयर जरुर करें।

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Rahul Singh Tanwar

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